एक बड ़ ा प ् रिय भाग गेट ् स फ ़ ाउन ् डेशन में मेरे काम का यह है कि मुझे विकासशील दुनिया में जाने का मौका मिलता है, और मैं यह अक ् सर करती हूँ. और जब मैं माँओं से मिलती हूँ इतने सारे सुदूर इलाकों में, तो मुझे इस बात का एहसास होता है कि हममें कितनी समानताएं हैं. वो भी अपने बच ् चों के लिए वही चाहती हैं जो हम चाहते हैं, और वह है कि उनके बच ् चे कामयाब निकलें, स ् वस ् थ हों, और एक सफल जीवन बिताएं. पर मैं हद दर ् जे की गरीबी भी देखती हूँ, और वो बहुत हिला देती है, अपने पैमाने और अपने विस ् तार, दोनों से. भारत में अपनी पहली यात ् रा पर, मैं एक व ् यक ् ति के घर में थी जहां मिट ् टी का फर ् श था, और बहता पानी नहीं था, बिजली भी नहीं, और यही सब मैं सारी दुनिया में देखती हूँ. मूल बात यह है, कि मैं उन सब चीज ़ ों से भौंचक ् की रह जाती हूँ जो उनके पास नहीं हैं. पर मैं उस एक चीज ़ से चकित हो जाती हूँ जो उनके पास होती है: कोका-कोला. कोक हर जगह है. बल ् कि जब मैं विकासशील देशों में जाती हूँ, तब कोक सर ् वव ् यापी लगता है. और इसलिए जब मैं इन दौरों से वापस आती हूँ, और विकास के बारे में सोच रही होती हूँ, और घर जा रही होती हूँ, तब सोचती हूँ, "हम लोगों को निरोध पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं, और तरह तरह के टीके भी." आप जानते हैं न, कोक की सफलता आप को सोचने पर मजबूर करती है: ऐसा कैसे है कि वे कोक पहुंचा सकते हैं उन सब दूर-दराज ़ जगहों पर? अगर वो कर सकते हैं, तो सरकारें और गैर-लाभ संस ् थाएं ऐसा क ् यों नहीं कर सकतीं? और यह सवाल पूछने वाली मैं पहली नहीं हूँ. पर मैं सोचती हूँ, एक समुदाय के तौर पर, हमें अभी बहुत कुछ सीखना है. अगर कोका-कोला के बारे में सोचें तो वाकई चौंका देने वाली बात है. वे १.५ बिलियन यूनिट बेचते हैं हर एक दिन. यह कुछ ऐसा हुआ जैसे दुनिया का हर आदमी, औरत और बच ् चा हफ ् ते में एक बार कोक की एक यूनिट पिए. तो इस बात का क ् या महत ् त ् व है? भई, अगर हम उन ् नति को और तेजी से बढ ़ ाना चाहते हैं और जल ् दी बढ ़ ना चाहते हैं उन मिलेनियम डिवेलपमेंट गोल ् ज ़ (एम ् डी जी) की तरफ जो हमने दुनिया के लिए तय किये हैं, तो हमें अग ् रणी लोगों से सीखना होगा, और यह अग ् रणी लोग हर एक कार ् यक ् षेत ् र से आते हैं. मुझे लगता है कि अगर हम समझ सकें कि कोका-कोला जैसी चीज ़ सर ् वव ् यापी कैसे बन सकती है, तो हम यह सबक जनता के भले के लिए काम में ला सकते हैं. कोक की सफलता प ् रासंगिक है, क ् योंकि अगर हम उसे समझ सकते हैं, उससे सीख सकते हैं, तो हम कई जीवन बचा सकते हैं. इसीलिए मैंने कोक को समझने में कुछ समय लगाया, और मुझे लगता है कि असल में तीन चीज ़ ें हैं जो हम कोका-कोला से सीख सकते हैं. वो समकालीन आंकडें लेते हैं और उन का तुरंत प ् रयोग प ् रोडक ् ट बनाने में करते हैं. वो लोकल उद ् यमी प ् रतिभा को पकड ़ ते हैं, और वो असाधारण मार ् केटिंग करते हैं. तो हम आंकड ़ ों से शुरुआत करते हैं. कोक की मुनाफेदारी बहुत स ् पष ् ट है. वो शेयरधारकों के एक समूह के आगे जिम ् मेवार हैं. उनके लिए लाभ दिखाना ज ़ रूरी है. तो वो आंकड ़ े लेते हैं, और उन ् हें वृद ् धि मापने के लिए इस ् तेमाल करते हैं. उनका फीडबैक का चक ् र भी लगातार चलता रहता है. वो कुछ भी सीखते हैं, तो उसे वापस अपने प ् रोडक ् ट में इस ् तेमाल करते हैं, वापस अपने बाजारों में इस ् तेमाल करते हैं. उनकी एक पूरी टीम है, जिसका नाम है "" ज ् ञान और बोध "". ऐसा कई उपभोक ् ता उद ् योगों में होता है. तो अगर आप कोका-कला के लिए नामीबिया चला रहे हैं, और आपकी १०७ शाखाएं हैं, तो आपको मालूम होता है कि कहाँ पर प ् रत ् येक कैन या बोतल बिके स ् प ् राइट, फैंटा, या कोक के, चाहे वो कोने की दुकान हो, या सुपरमार ् केट हो या फिर हाथगाढ ़ ी. तो अगर बिक ् री कम होने लगती है, तब वह व ् यक ् ति समस ् या को समझ सकता है और कारण पर ध ् यान दे सकता है. अब हम एक मिनिट के लिए इसकी तुलना विकास के क ् षेत ् र से करें. विकास में, मूल ् यांकन होता है प ् रोजेक ् ट के बिलकुल अंत में. मैं ऐसी कई सभाओं में बैठी हूँ. और तब तक, उन आंकड ़ ों का इस ् तेमाल करने में बहुत देर हो जाती है. एक बार एक एनजीओ के किसी व ् यक ् ति ने मुझसे इस की तुलना अँधेरे में बोलिंग करने के बराबर दी. उन ् होनें कहा, "" तुम बॉल को लुढ ़ काते हो, कुछ पिनों के गिरने की आवाज ़ सुनाई देती है. अँधेरा है, इसलिए जब तक बत ् तियां न जलें, तुम देख नहीं सकते कि कौन सी गिरी, और फिर तुम अपना असर देख सकते हो. "" समकालीन आंकड ़ े उन बत ् तियों को जलाते हैं. अब वह दूसरी चीज ़ क ् या है जिसमें कोक आगे है? वे बहुत आगे हैं लोकल उद ् यमी प ् रतिभा का इस ् तेमाल करने में. कोक अफ ् रीका में १९२८ से है, पर ज ़ ् यादातर वे दूर-दराज ़ के बाजारों में नहीं जा पाते थे, क ् योंकि उनका तरीका विकसित देशों से बहुत मिलता-जुलता था, यानि एक भरी हुई ट ् रक ले कर गलियों में निकलना. और अफ ् रीका के दूर-दराज ़ इलाकों में, अच ् छी सड ़ कें मिलना बहुत मुश ् किल है. पर कोक ने एक बात नोट की. उन ् होंने देखा कि लोकल व ् यक ् ति सामान खरीद रहे थे, और वो भी थोक में, और फिर वो उसे दूर-दराज ़ इलाकों में जा कर दोबारा बेच रहे थे. उन ् हें यह सब देखने-समझने में थोड ़ ा समय ज ़ रूर लगा. और उन ् होंने १९९० में निर ् णय लिया कि वो लोकल उद ् यमियों को प ् रशिक ् षण देना शुरू करना चाहते थे, उन ् हें छोटे ऋण दे कर. उन ् होंने यह सब शुरू किया माइक ् रो-डिस ् ट ् रीब ् यूशन केंद ् र चला कर. जिसमें वही लोकल उद ् यमी सेल ् समेन रखते हैं, जो फिर साइकिल, हाथगाड ़ ी या ठेला ले कर निकलते हैं सामान बेचने के लिए. अब अफ ् रीका में करीब ३००० ऐसे केंद ् र हैं जिनमें १५००० लोग काम कर रहे हैं. तंज ़ ानिया और युगांडा में, वे ९०% भाग सँभालते हैं कोक की बिक ् री का. अब विकास के क ् षेत ् र की तरफ देखें. ऐसा क ् या है जो सरकारें और एनजीओ कोक से सीख सकते हैं? सरकारें और एनजीओ उस स ् थानीय (लोकल) प ् रतिभा के कोष का अपने काम के लिए उपयोग कर सकती हैं, क ् योंकि स ् थानीय लोग जानते हैं कि कैसे पहुंचना है दूर-दराज ़ इलाकों में, उनके पड ़ ोसियों तक, वो यह भी जानते हैं कि उन ् हें बदलाव लाने के लिए कैसे प ् रेरित करना है. मैं सोचती हूँ कि इसका एक बढ ़ िया उदाहरण है इथियोपिया का नया स ् वास ् थ ् य विस ् तार प ् रोग ् राम. इथियोपिया में सरकार ने देखा कि बहुत सारे लोग किसी भी स ् वास ् थ ् य-केंद ् र से इतने दूर थे, कि उन ् हें स ् वास ् थ ् य केंद ् र पहुँचने के लिए एक दिन से भी ज ् यादा सफ ़ र करना पड ़ ता. तो अगर आप आपातकालीन अवस ् था में हों, या बच ् चा पैदा करने के लिए बिलकुल तैयार माँ हों, तो भूल जायें, स ् वास ् थ ् य-केंद ् र पहुंचना तो मुमकिन ही नहीं. सरकार ने तय किया कि यह ठीक नहीं था, तो वे भारत गए और वहाँ के केरल प ् रदेश का अध ् ययन किया जहाँ ऐसा ही सिस ् टम था, और उन ् होनें उसे इथियोपिया के हिसाब से अपना लिया. और २००३ में इथियोपिया की सरकार ने इस नए सिस ् टम को अपने देश के लिए शुरू किया. उन ् होनें ३५००० स ् वास ् थ ् य-विस ् तार कर ् मचारियों को ट ् रेन किया ताकि वे देख-रेख सीधे लोगों तक पहुंचा सकें. सिर ् फ पांच सालों में, उनका अनुपात ३०००० लोगों के लिए १ कर ् मचारी से बढ ़ कर २५०० लोगों के लिए १ कर ् मचारी हो गया. अब ज ़ रा सोचिये, इससे लोगों की ज ़ िन ् दगी कितनी बदल सकती है. स ् वास ् थ ् य विस ् तार कर ् मचारी कितनी चीज ़ ों में मदद कर सकते हैं, चाहे वह परिवार नियोजन हो, या प ् रसव से पहले की देखभाल, या फिर बच ् चों के लिए टीके, या किसी औरत को यह बताना कि वह समय से केंद ् र पहुँच जाए समयपूर ् वक प ् रसव के लिए. यह होता है असली प ् रभाव इथियोपिया जैसे देश के लिए, और इसीलिए आप देख सकते हैं कि उनके शिशु-मृत ् यु आंकड ़ े २५% नीचे आ रहे हैं २००० से २००८ के बीच में. इथियोपिया में कई सौ हज ़ ार बच ् चे जीवित हैं इसी स ् वास ् थ ् य विस ् तार कर ् मचारी प ् रोग ् राम के कारण. तो इथियोपिया के लिए अगला कदम क ् या है? भई, वो तो अभी से उसके बारे में बात शुरू कर रहे हैं. उनकी बातें शुरू हो रही हैं, "" हम कैसे पक ् का करें कि स ् वास ् थ ् य समुदाय कर ् मचारी नए विचार खुद उत ् पन ् न करें? "" हम उन ् हें उस असर के आधार पर कैसे बढ ़ ावा दें, जो वो दिखा रहे हैं उन दूर-दराज ़ गांवों में? "" इसी तरह से आप स ् थानीय उद ् यमी प ् रतिभा का उपयोग कर सकते हैं और लोगों की क ् षमताओं को बढ ़ ा सकते हैं. कोक की सफलता का तीसरा भाग है उनकी मार ् केटिंग. आखिरकार, कोक की सफलता एक अत ् यंत महत ् त ् वपूर ् ण बात पर निर ् भर करती है, और वह यह है कि लोग चाहते हैं एक कोका-कोला. अब वह कारण जिससे यह छोटे उद ् यमी बिक ् री कर सकते हैं या मुनाफा कमा सकते हैं, यह है कि उन ् हें अपनी ठेलागाड ़ ी या हाथगाड ़ ी में रखी हर एक बोतल बेचनी होती है. तो वे कोका-कोला पर भरोसा करते हैं — यानि उसकी मार ् केटिंग पर. और उसकी मार ् केटिंग का रहस ् य क ् या है? अरे, वह आकांक ् षापूर ् ण है. वह उस प ् रोडक ् ट को जोड ़ ती है उस तरह के जीवन के साथ जो लोग जीना चाहते हैं. तो हालांकि यह एक विश ् वव ् यापी कम ् पनी है, पर उनका तरीका बहुत स ् थानीय है. कोक के विश ् वव ् यापी अभियान का नारा है "" उन ् मुक ् त आनंद "". पर वो इसे स ् थानीय बनाते हैं. और वो सिर ् फ अनुमान नहीं लगाते कि लोग किस बात से खुश होते हैं, बल ् कि वो लैटिन अमेरिका जैसी जगहों पर जाते हैं, और समझते हैं कि वहाँ पर आनंद पारिवारिक जीवन से जुड ़ ा हुआ है. और दक ् षिणी अफ ् रीका में, आनंद का ताल ् लुक (अस ् पष ् ट) या समुदाय में इज ् ज ़ त से है. अब यह तो हमें नज ़ र आया वर ् ल ् ड कप के अभियान में. चलिए इस गाने को सुनें जो कोक ने उसके लिए रचा, "" लहराता झंडा "" — एक सोमाली रैप संगीतकार के द ् वारा. (वीडिओ) के 'नान' ओह ओह ओह ओह ओह ओ-ओह 'ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओ-ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओ-ओह तुम ् हें मुक ् ति दें, तुम ् हें जोश दें, तुम ् हें ज ् ञान दें, ऊंचे ले चलें, देखो मैदान में विजेता उतर आये तुम अर ् थ देते हो, गर ् वित करते हो हमें गलियों में सर हमारे ऊंचे हो जाते हैं भूल जाते हैं हम प ् रतिबन ् ध बस आनंद ही आनंद, चारों ओर हमारे हर देश, चारों ओर हमारे मेलिंडा फ ् रेंच गेट ् स: मजेदार है, है न? मगर वो यहीं तक नहीं रुके. उन ् होनें इसे १८ स ् थानीय भाषाओँ में रूपांतरित किया. और वह लोकप ् रिय चार ् ट ् स का एक नंबर गाना बना १७ देशों में. यह मुझे अपने बचपन के एक लोकप ् रिय गाने की याद दिलाता है, "" मैं दुनिया को गाना सिखाना चाहूं "". वो भी लोकप ् रिय चार ् ट ् स का नंबर एक गाना था. दोनों गानों में एक समानता है: एक जैसा आग ् रह आनंद और एकता के लिए. तो स ् वास ् थ ् य और विकास कैसे अपनी मार ् केटिंग करते हैं? उनकी मार ् केटिंग टाल-मटोल पर आधारित है, महत ् त ् वाकांक ् षाओं पर नहीं. मुझे विश ् वास है कि आपने इनमें से कुछ सन ् देश अवश ् य सुने होंगे. "निरोध इस ् तेमाल करिए, एड ् स से बचिए." "हाथों को धोइए, आपको दस ् त नहीं होंगे." मुझे ये सब कहीं से भी "" लहराता झंडा "" जैसे नहीं लगते. और मुझे लगता है हम एक बुनियादी गलती करते हैं, हम पहले से ही एक धारणा बना लेते हैं, हम सोचते हैं कि अगर लोगों को किसी चीज ़ की ज ़ रुरत है, तो हमें उनके अन ् दर उस चीज ़ की कामना नहीं उत ् पन ् न करनी चाहिए. और मुझे लगता है कि यह हमारी भूल है. और दुनिया भर में यह संकेत मिल रहे हैं कि इस में बदलाव आ रहा है. एक उदाहरण है सफाई-व ् यवस ् था. हमें पता है कि करीब १५ लाख बच ् चे हर साल दस ् त के रोग से मरते हैं, और इस का मुख ् य कारण है खुले स ् थान में शौच करना. और इसका समाधान है: शौचालय बनाना. पर हमें सारी दुनिया में पता चल रहा है, बार बार, कि अगर आप सिर ् फ शौचालय बना कर छोड ़ देते हैं, तो उसका प ् रयोग नहीं होता. लोग अपने घर में उसके पत ् थर का उपयोग कर लेते हैं. कभी वो उसका अनाज भरने के लिए उपयोग करते हैं. मैंने उसका मुर ् गियों के दड ़ बे के लिए उपयोग होते भी देखा है. (हंसी) तो मार ् केटिंग ऐसा क ् या कर सकती है, जिससे सफाई के समाधान दस ् त के रोग में अपना प ् रभाव दिखा सकें? एक तो, आप समुदायों के साथ काम कर सकते हैं. आप लोगों को समझा सकते हैं कि खुले मैं शौच करना एक ऐसी चीज ़ है जो गाँव में नहीं होनी चाहिए, और वो सहमत होते हैं. और फिर आप शौचालय को ले कर दिखा सकते हैं कि वो एक आधुनिक, नयी सहूलियत की चीज ़ है. उत ् तर भारत के एक प ् रदेश में तो उन ् होनें यहाँ तक किया है कि शौचालयों को शादी के लिए ज ़ रूरी बना दिया है. और इसका असर होता है. इन सुर ् ख ़ ियों को देखिये. (हंसी) मैं मजाक नहीं कर रही हूँ. लड ़ कियाँ अब बिना शौचालय वाले आदमियों से शादी करने से इंकार कर रही हैं. शौचालय नहीं, तो शादी नहीं. (हंसी) अब यह सिर ् फ मजाकिया सुर ् खी नहीं है. यह नया है, मौलिक है. यह एक प ् रगतिशील मार ् केटिंग अभियान है. पर सबसे बढ ़ कर, यह जीवन बचाता है. जरा इसे देखिये. यह कमरा कई युवा पुरुषों से भरा हुआ है, जिन के साथ हैं मेरे पति, बिल. और क ् या आप अंदाज ़ लगा सकते हैं कि ये युवक किसलिए इकट ् ठे हुए हैं? ये सब खतने के इंतज ़ ार में रुके हैं. क ् या आप विश ् वास कर सकते हैं? हम जानते हैं कि खतने से एच आई वी संक ् रमण आदमियों में करीब ६०% कम हो जाता है. और जब हमने फाउंडेशन में पहली बार इस परिणाम को सुना, तो मुझे स ् वीकार करना पड ़ ेगा, बिल और मैं अपने सर खुजा रहे थे, और कह रहे थे, "" पर कौन इस तरीके के लिए अपनी मर ् ज ़ ी से आगे आएगा? "" पर आदमी आगे आये, क ् योंकि वो अपनी औरतों से सुनते हैं कि उन ् हें यह चाहिए, और आदमियों को यह भी भरोसा है कि इससे उनकी यौन-क ् षमता बेहतर होगी. तो अगर हम यह समझना शुरू करें कि लोग वाकई में क ् या चाहते हैं स ् वास ् थ ् य और विकास में, तो हम समुदायों को बदल सकते हैं और हम समूचे देशों को बदल सकते हैं. तो यह सब इतना महत ् त ् वपूर ् ण क ् यों है? चलिए उस समय की बात करें जब यह सब होने लगेगा, जब यह तीनों चीज ़ ें एक साथ जुड ़ जायेंगी. और मेरे ख ़ याल से पोलियो इसका सबसे प ् रभावशाली उदाहरण है. हमने २० सालों में पोलियो में ९९% कमी देखी है. तो अगर आप १९८८ की ओर नज ़ र डालें, तो पोलिओ के करीब ३,५०,००० उदाहरण उस साल विश ् व में थे. २००९ में, केवल १६०० ऐसे उदाहरण हैं. तो ऐसा कैसे संभव हुआ? चलिए भारत जैसे देश को देखें. इस देश में १ अरब से अधिक लोग हैं, पर केवल ३५.००० स ् थानीय डॉकटर हैं जो लकवे की रिपोर ् ट करते हैं, और चिकित ् सक, औषध विक ् रेताओं का एक बड ़ ा रिपोर ् टिंग-सिस ् टम. उनके पास २५ लाख टीका लगाने वाले हैं. पर मैं इस कहानी को आपके लिए और साकार बनाती हूँ. मैं आपको श ् रीराम की कहानी सुनाती हूँ, जो एक १८ महीने का लड ़ का है, भारत के एक उत ् तरी भाग, बिहार से. इस साल, ८ अगस ् त को, उसे लकवा मार गया, और १३ तारीख को उसके माँ-बाप उसे डॉक ् टर के पास ले गए. अगस ् त १४ और १५ को उसके मल की जांच हुई, और २५ अगस ् त तक, यह साबित हो चुका था कि उसे टाइप १ पोलिओ है. ३० अगस ् त तक, एक आनुवंशिक टेस ् ट किया गया, जिससे हमें पता चला कि श ् रीराम के पोलिओ की नस ् ल क ् या है. अब यह नस ् ल दो में से एक जगह से आ सकती थी. यह थोड ़ े उत ् तर में, सीमा के पार, नेपाल से आ सकती थी, या फिर कुछ दक ् षिण में, झारखंड से भी आ सकती थी. भाग ् य से, आनुवंशिक टेस ् ट ने साबित किया कि असल में यह नस ् ल उत ् तर से ही आई थी, क ् योंकि अगर यह दक ् षिण से आती, तो इसके प ् रसार का असर कहीं अधिक होता. कहीं ज ् यादा लोग इसकी चपेट में आ जाते. तो निष ् कर ् ष क ् या है? आखिर ४ सितम ् बर को, एक बड ़ ा सफ ़ ाया-अभियान हुआ, जो पोलिओ में अक ् सर किया जाता है. वो सब गए, और जहाँ श ् रीराम रहता है, वहाँ २० लाख लोगों को टीका लगाया. तो एक महीने से कम समय में, तो लकवे के एक मामले से हम पहुँच गए एक उद ् देश ् यपूर ् ण टीका-अभियान तक. और मुझे यह बताते हुए बहुत ख ़ ुशी हो रही है कि उस इलाके में सिर ् फ एक और व ् यक ् ति को पोलिओ हुआ. इसी तरह से आप रोक सकते हैं एक बड ़ े प ् रकोप को फैलने से, और इससे पता चलता है कि क ् या हो सकता है जब स ् थानीय लोगों के हाथ में आंकड ़ े आते हैं; वो जानें बचा सकते हैं. तो पोलियो की सबसे बड ़ ी चुनौती अभी भी है — मार ् केटिंग, पर वो नहीं जो आप शायद सोच रहे होंगे. यह रोज ़ मर ् रा की मार ् केटिंग नहीं है. यह माँ-बाप को बताने वाली मार ् केटिंग नहीं है — "" अगर लकवा देखें, तो अपने बच ् चे को डॉक ् टर के पास ले जाइए या फिर उसे टीका लगवाइये. "" हमारी मार ् केटिंग की समस ् या है पैसा देने वाले समुदाय के साथ. जी ८ देश पोलिओ के लिए हमेशा बहुत ही उदार रहे हैं पिछले २० सालों से, पर अब हमें पोलियो-से-थकान जैसी कुछ चीज ़ महसूस हो रही है, और वो यह कि पैसा देने वाले देश अब पोलियो पर और पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं हैं. इसलिए अगली गर ् मियों तक, हमारे पास पोलियो के लिए पैसा नहीं रहेगा. तो अब हम ९९% इस लक ् ष ् य की ओर पहुँच चुके हैं, और जल ् द ही हमारे पैसे कम पड ़ ने वाले हैं. और मैं सोचती हूँ कि अगर मार ् केटिंग महत ् त ् वाकांक ् षा पर आधारित हो, अगर हम एक समुदाय के तौर पर अपना ध ् यान केन ् द ् रित कर सकें इस बात पर कि हम कितने आगे आ गए हैं और कितना अभूतपूर ् व होगा इस बीमारी को जड ़ से मिटा देना, तभी हम पोलियो-से-थकान को और पोलियो को अपने पीछे छोड ़ सकेंगे. और अगर हम यह कर पाए, तो हम दुनिया भर में हरेक को टीका लगाना बंद कर देंगे, सारे देशों में, पोलियो के लिए. और यह बस वो दूसरी बीमारी बन जाएगा जिसे इस ग ् रह से पूर ् णतयः नष ् ट कर दिया गया. और हम इसके इतने करीब हैं. और यह जीत इतनी मुमकिन है. तो अगर कोक के मार ् केटिंग वाले मेरे पास आते और मुझसे ख ़ ुशी की परिभाषा पूछते, तो मैं कहती कि मेरे लिए ख ़ ुशी की झलक है वो माँ जो एक स ् वस ् थ बच ् चे को लिए है अपनी गोद में. मेरे लिए, यही गहरी खुशी है. तो अगर हम हर क ् षेत ् र के पथ-प ् रदर ् शकों से कुछ सबक सीखना चाहते हैं, तो उस आने वाले कल में, जो हम मिल कर बना रहे हैं, वह ख ़ ुशी उतनी ही सर ् वव ् यापी हो सकती है जितना कोका-कोला. धन ् यवाद. (तालियाँ) (यांत ् रिक शोर) (संगीत) (तालियाँ) (संगीत) (तालीयां) (संगीत)रॉब ् बी मिझ ् झोने: धन ् यवाद. हमने कुछ साल पेहले ब ् लुग ् रास धुंड निकाली, और अहमे उससे प ् यार हो गया । हम आशा करते कि आपको भी होगा । (संगीत)(तालीयां) टॉ मि: बहुत धन ् यवाद । रॉ मि: मै कूछ लम ् हो मे हमारे बँड के बारेमे बताता हुं । (तालीयां)(तालीयां) वो भी हमारा भाई है । और मै रॉब ् बी, १४ साल का और मै फिड ् ड ् ल बजाता हुं । तो इसकी शुरुवात जॉन ् नी जब छोटा था, तब उसने बॅंजो से शुरुवात, वह वो उसके पिछे बजाता था आंखे बंद कर के, और हम केहते कि वो सो रहा है । (संगीत)(संगीत)(तालीयां) टॉ मि: बहुत धन ् यवाद । और आपको बताऊँ कि कितने सारे ऑर ् केस ् ट ् रा बंद हो रहे हैं, - इससे पहले कि हम शुरू करें, मुझे दो चीज ़ ें करनी हैं. (पियानो) (तालियाँ) (पियानो) और दस-साल का बच ् चा हर आठ स ् वरों पर. और ग ् यारह-साल वाला, पूरी लाइन में सिर ् फ एक स ् पंदन डालता है. अब जो दूसरी चीज ़ जो मैं करना चाहता हूँ, वो है आपको आपके ही बारे में बताना. मेरा अंदाज ़ है कि आप में से करीब ४५ लोग और आपके बच ् चे कई तरह के साज ़ बजाते हैं. आप शायद कभी उसे एयरपोर ् ट पर झेले गए बासी धुंए की तरह सुन लें, मगर — — और शायद आईडा से लिया गया थोड ़ ा सा संगीत कानों में पड ़ ा हो एक मिनट के लिए भी नहीं कि जिन लोगों का वो नेतृत ् व कर रहा है, उनमें उसके सपने साकार करने की क ् षमता नहीं है. अच ् छा. तो अब मैं शोपैं की एक रचना ले रहा हूँ. (हंसी) असलियत में यह अकेला बी है, चार दुखी स ् वरों के साथ. अब, यह नीचे जाता है ए तक. अब जी तक, और फिर एफ ़ तक. तो हम क ् या अपेक ् षा कर सकते हैं? ओह, यह शायद अचानक हो गया. अब वो तीव ् र एफ ़ पर पहुँचते हैं और अंत में ई पर उतर आते हैं, क ् योंकि मेरे लिए, बी को ई से जोड ़ ने के लिए, देश के और मानवजाति के सपने के बारे में. इसीने तो उन ् हें संभाला — (तालियाँ) मैं ताली बजा रहा था. वो बजा रहे थे. आप खुद सोचिये. १६०० लोग, व ् यस ् त लोग, अब यह मैं कैसे चलाता — क ् योंकि आप जानते हैं, धन ् यवाद, धन ् यवाद. तो, पहला रोबोट जिसके बारे में बात करेंगे वो STriDER है | इसका पूरा नाम Self-excited Tripedal Dynamic Experimental Robot है | यह ऐसा रोबोट है जिसके तीन पैर हैं, जो प ् रकृति से प ् रेरित है | लेकिन आपने प ् रकृति में कोई भी पशु देखा हैं जिसके तीन पैर हो? शायद नहीं | तो, क ् यों मैं इसे जैविक-प ् रेरित कहता हूँ? यह कैसे काम करता है? लेकिन इसके पहले, चलिए पॉप संस ् कृति को देखते हैं | तो, आप एच जी वेल ् स की वार ऑफ द वर ् ल ् डस उपन ् यास और फिल ् म के बारे जानते हैं | और जो आप यहाँ देख रहे वो एक लोकप ् रिय वीडियो गेम है | परिकल ् पना में वो परग ् रही जीव को तीन पैरों वाले रोबोट के रूप में दिखाते हैं जो पृथ ् वी को आंतकित करता है | लेकिन मेरा रोबोट, STriDER, इस तरह नहीं चलता | तो, यह असली गतीय अनुरूपण एनिमेशन है | मैं आपको दिखाने वाला हूँ कि यह रोबोट कैसे काम करता है | यह अपने शरीर को 180 डिग ् री से पलटता है | यह गिरने से बचने के लिए दो पैरों के बीच से पैर को घुमाता है | तो, इस तरह यह चलता है | लेकिन जब आप हम इंसानों को देखते हैं, जो दो पैरों पर चलते हैं, आप असल में मांसपेशियों का उपयोग नहीं कर रहे हैं अपने पैर को उठाने और रोबोट की तरह चलने में | है ना? आप गिरने से बचने के लिए असल में अपना पैर घुमाते हैं, फिर से खड़े हो जाइये, पैर घुमाइए और गिरने से बचिये | अपने अंदर की गतिकी का उपयोग करके, आपके शरीर का भौतिक विज ् ञान, किसी पेंडुलम की तरह | हम इसे निष ् क ् रिय गतिकी चाल (passive dynamic locomotion) कहते हैं | आप क ् या कर रहे हैं, जब आप खड़े होते हैं, स ् थितिज ऊर ् जा से गतिज ऊर ् जा, स ् थितिज ऊर ् जा से गतिज ऊर ् जा | यह लगातार गिरने की प ् रक ् रिया है | तो, फिर भी प ् रकृति में ऐसा कुछ नहीं है जो ऐसा दिखता हो, सच में हम जीव विज ् ञान से प ् रेरित थे और चलने के सिद ् धांतों को इस रोबोट पर लागू कर रहे थे, इस तरह यह जीव विज ् ञान से प ् रेरित रोबोट है | आप जो यहाँ देख रहे हैं, यह हम आगे करना चाहते हैं | लंबी दुरी की गति के लिए हम पैरों को मोड़ना और ऊपर फेंकना चाहते हैं | जब यह पैर फैलाता है, यह बिल ् कुल स ् टार वार ् स की तरह दिखता है | जब यह नीचे आता है, यह झटके को सह लेता है और चलना शुरू कर देता है | आप जो यहाँ देख रहे हैं, यह पीली चीज़, यह मारने वाली किरणे नहीं है | यह सिर ् फ आपको यह दिखाने के लिए है कि अगर आपके पास कैमरा है या विभिन ् न तरह के सेंसर है क ् युंकि यह ऊँचा है, इसकी ऊंचाई 1.8 मीटर है, तो अवरोधों को देख सकते हैं जैसे कि झाड ़ ीयां और उस तरह की चीज़े | तो हमारे पास दो नमूने हैं | पहला संस ् करण, पीछे है, यह STriDER I है | जो सामने है, छोटा वाला, STriDER II है | STriDER I के साथ समस ् या थी कि इसका शरीर भारी भरकम था | इसमें बहुत सारी मोटर ् स थी, जोड़ो को एक रेखा में लाने के लिए, और इस तरह की चीज़ों के लिए | तो, हमने एक यांत ् रिक तंत ् र बनाने का निश ् चय किया जिससे हम सारी मोटर ् स से छुटकारा पा सके, और एक मोटर के साथ हम सभी चालो को समायोजित कर सके | यह समस ् या का यांत ् रिक हल था, बजाय मेकाट ् रानिक ् स (mechatronics) इस ् तेमाल करने के | तो, अब इसके साथ, शरीर का उपरी भाग इतना हल ् का है कि यह प ् रयोगशाला में चल सकता है | यह सर ् वप ् रथम सफल कदम था | लेकिन अभी भी परिपूर ् ण नहीं था, इसकी काफी नीचे गिर जाती है, तो अभी भी हमे बहुत काम करना है | दूसरा रोबोट जिसके बारे में मैं बात करना चाहता हूँ उसका नाम IMPASS है | इसका पूरा नाम Intelligent Mobility Platform with Actuated Spoke System है | तो, यह पहिये के पैरों वाला संकरित रोबोट है | तो, बिना रिम के पहिये के बारे में सोचिये, या स ् पोक वाले पहिये के बारे में | लेकिन स ् पोक जो स ् वतंत ् र रूप से धुरी के अंदर बाहर जा सकते हैं | तो यह पहिये के पैरों वाला संकरित है | हम यहाँ सच में पहिये का फिर से अविष ् कार कर रहे हैं | मुझे दिखाने दीजिए कि यह कैसे काम करता है | तो, इस वीडियो में हम एक पद ् धति का उपयोग कर रहे हैं जिसका नाम प ् रतिक ् रियाशील पद ् धति है | सिर ् फ पैरों में एक स ् पर ् शनीय सेंसर का उपयोग करके, यह एक बदलते क ् षेत ् र में चलने की कोशिश कर रहा है, एक मुलायम क ् षेत ् र जहाँ यह नीचे की ओर धकेलता है और बदलता है और सिर ् फ स ् पर ् श की सुचना के आधार पर यह सफलतापूर ् वक इस तरह के क ् षेत ् रो को पार कर लेता है | लेकिन, जब इसका सामना एक कठिन क ् षेत ् र से होता है, जैसे इस वक ् त, अवरोध की ऊंचाई रोबोट की ऊंचाई से तीन गुणा ज ् यादा है, तब यह सुविचारित प ् रणाली में बदल जाता है, जहाँ लेसर दुरी मापक और कैमरो के तंत ् र का उपयोग करता है, अवरोध और उसके आकार को जानने के लिए, और यह सावधानी से स ् पोक की चालो के लिए योजना बनाता है, और इसे संयोजित करता है जिससे यह दिखा सकता है एक बहुत ज ् यादा प ् रभावित करने वाली गतिशीलता | शायद आपने ऐसा कुछ पहले देखा नहीं होगा | यह एक बहुत गतिशील रोबोट है जिसे हमने बनाया है, जिसका नाम IMPASS है | क ् या यह अच ् छा नहीं है? जब आप अपनी कार चलाते हैं, जब आप कार को मोड़ते हैं, आप एक तरीका इस ् तेमाल करते है जिसका नाम Ackermann steering है | आगे का चक ् का इस तरह से घूमता है | बहुत से छोटे चक ् को वाले रोबोट के लिए differential steering नाम की प ् रणाली का उपयोग करते है जिसमे बाये और दाहिने तरफ के चक ् के विपरीत दिशा में मुड़ते है | IMPASS को हम बहुत से विभिन ् न तरह से चला सकते है | उदाहरण के लिए, जैसे यहाँ पर, बाये और दाहिने चक ् के एक ही धुरी से जुड़े हुए है फिर भी, सामान वेग के कोण से घूम रहे है | हम सिर ् फ स ् पोक की लंबाई बदल देते है | यह व ् यास पर प ् रभाव डालती है, और तब बाये ओर मुड़ती है, दाहिने ओर मुड़ती है | तो, यह सिर ् फ उन बेहतरीन चीजों का उदाहरण है जो हम IMPASS के साथ कर सकते है | इस रोबोट का नाम CLIMBeR है, Cable-suspended Limbed Intelligent Matching Behavior Robot | तो, NASA JPL के वैज ् ञानिको से मेरी बाते होती रहती थी, JPL में वो Mars rovers के लिए प ् रसिद ् ध है | और वैज ् ञानिक, भूवैज ् ञानिक हमेशा मुझे बताते है कि असली रोमांचक विज ् ञान, विज ् ञान से भरी जगह, हमेशा चट ् टानों पर होती है | लेकिन अभी के rovers वहां नहीं जा सकते | तो, उससे प ् रेरित होकर हम एक रोबोट बनाना चाहते थे जो सरंचना वाले चट ् टानों पर चढ़ सके | तो, यह CLIMBeR है | तो, यह क ् या करता है, इसके तीन पैर हैं | यह देखना थोडा कठिन है, लेकिन इसके उपरी सिरे में एक घिरनी और तार है | और पैर रखने की सबसे अच ् छी जगह को जानने की कोशिश करता है | और जब वास ् तविक समय में यह जान जाता है यह बलो के वितरण की गणना करता है | कितना बल इसे लगाना पड़ेगा उस सतह पर ताकि यह झुके या फिसले नहीं | जब यह स ् थिर हो जाता है अपना पैर उठाता है, और फिर घिरनी के सहारे, यह इन तरह की चीज़ो पर चढ सकता है | खोज और बचाव कार ् यो के लिए भी | पांच साल पहले मैंने NASA JPL में वास ् तव में काम किया है ग ् रीष ् म ऋतू के दौरान संकाय सहयोगी के रूप में | और उनके पास पहले से छै पैरों वाला LEMUR नामक रोबोट है | तो, यह असल में उस पर आधारित था. इस रोबोट का नाम MARS है, Multi-Appendage Robotic System | तो, यह छै पैरों वाला रोबोट है | हमने हमारा अनुकूलित चाल की योजना बनाने वाला बनाया | हमारे पास वास ् तव में एक रोमांचक अंतरिक ् ष उपकरण है | छात ् र मज़ा करना पसंद करते है | और आप यहाँ देख सकते है कि यह बिना सरंचना के क ् षेत ् रो पर भी चलता है | यह खुरदुरे क ् षेत ् र पर चलने की कोशिश कर रहा है, रेतीली जगह, लेकिन रेत के कणो की नमी के आधार पर पैरों का जमीन में धसने वाला नमूना बदलता है | तो, इस तरह की चीजों को सफलतापूर ् वक पार करने के लिए यह अपनी चाल को अनुकूलित करने की कोशिश करता है | और हाँ, यह कुछ मज़ाकिया चीज़े भी करता है, जैसा कि आप सोच सकते है | हमारी प ् रयोगशाला में बहुत से दर ् शक आते हैं | तो, जब दर ् शक आते हैं, MARS कंप ् यूटर तक चल के जाता है, टाइप करना शुरू करता है "" नमस ् ते, मेरा नाम MARS है "" RoMeLa में आपका स ् वागत है, वर ् जीनिया टेक की Robotics Mechanisms Laboratory | यह रोबोट एक अमीबा रोबोट है | अब, हमारे पास तकनीकी विवरण में जाने के लिए पर ् याप ् त समय नहीं है, मैं सिर ् फ आपको कुछ प ् रयोग दिखाऊंगा | तो, यह प ् रारंभिक संभावना परखने के प ् रयोग हैं | इसे चलाने के लिए हम इसकी लचीली त ् वचा में स ् थितिज ऊर ् जा को संचित करते हैं | या इसे चलाने के लिए तनाव वाली सक ् रीय डोरी का उपयोग करते है आगे और पीछे | इसका नाम ChIMERA है | हम UPenn के कुछ वैज ् ञानिको और अभियांत ् रिको के साथ भी काम कर रहे हैं इस रोबोट के रासायनिक रूप से सक ् रीय संस ् करण को बनाने के लिए | हम कुछ का कुछ करते है और जादू की तरह, यह चलता है, एक बूंद | यह रोबोट काफी नयी योजना है | इसका नाम RAPHaEL है | Robotic Air Powered Hand with Elastic Ligaments | बाज़ार में बहुत से बेहतरीन और बहुत अच ् छे रोबोटिक हाथ है | समस ् या यह है कि वो बहुत महंगे है, हज़ारो डालर ् स | तो, कृत ् रिम उपयोगों के लिए यह व ् यावहारिक नहीं है, क ् युंकि यह सस ् ता नहीं है | हम इस समस ् या का सामना एक बहुत अलग दिशा में करना चाहते थे | बिजली की मोटर की जगह, electromechanical actuators, हम संकुचित हवा का उपयोग कर रहे है | हमने जोड़ो के लिए उत ् तम actuators बनाये है | यह सम ् मत है | आप वास ् तव में बल को बदल सकते है, बस हवा का दबाव बदल कर | और वास ् तव में यह सोडा के खाली डब ् बे को दबा सकता है | यह बहुत नाजुक चीज़े जैसे कि कच ् चे अंडे को उठा सकता है | जैसे यहाँ पर, बिजली का बल ् ब | सबसे अच ् छी बात, इसके पहले नमूने को बनाने में सिर ् फ 200 डालर खर ् च हुए | यह रोबोट वास ् तव में सर ् प रोबोट ् स का परिवार है जिसे हम HyDRAS कहते है, Hyper Degrees-of-freedom Robotic Articulated Serpentine | यह रोबोट विभिन ् न सरंचनाओ पर चढ सकता है | यह HyDRAS का हाथ है | यह 12 अंश तक घूमने वाला रोबोटिक हाथ है | लेकिन प ् रयोगकर ् ता से संबंध इसकी और भी अच ् छी बात है | वहाँ पर वो तार, वो एक ऑप ् टिकल फाइबर है | और यह छात ् रा, शायद इसे पहली बार उपयोग कर रहा है, लेकिन वो इसे विभिन ् न तरीको से उपयोग कर सकती है | तो, उदाहरण के लिए इराक में, आप जानते है, युद ् ध क ् षेत ् र, वहाँ सड़को के किनारे बम है, अब आप इस दूर से नियंत ् रित वाहन को जो कि सशस ् त ् र है भेजिए | इसमें बहुत समय लगता है और यह महंगा है चालक को इस जटिल रोबोट को चलाने के परीक ् षण देने के लिए | यहाँ पर यह काफी सहज है | यह छात ् र, शायद पहली बार इसे उपयोग कर रहा है, एक जटिल हस ् त कौशल का काम कर रहा है, चीज़ों को उठाने में बस ऐसे ही, बहुत सहज | अब, यह रोबोट हमारा स ् टार रोबोट है | DARwIn रोबोट के लिए वास ् तव में हमारा एक प ् रशंसक संघ भी है, Dynamic Anthropomorphic Robot With Intelligence | जैसे कि आप जानते हैं हमे काफी रूचि है मानवीय रोबोट में, मानवों की तरह चलने में, तो हमे निश ् चय किया एक छोटा मानवीय रोबोट बनाने का | यह 2004 में, उस समय यह सच में बहुत क ् रांतिकारी था | यह मुख ् यत: इसकी संभावना का अध ् धयन था, किस तरह की मोटर हमे उपयोग करनी चाहिए? क ् या संभव है? किस तरह के नियंत ् रण हमे करने चाहिए? तो, इसमें कोई भी सेंसर नहीं है | तो, यह एक ओपन लूप नियंत ् रण है | आप में से कुछ जो शायद जानते हैं कि क ् या होता जब कोई सेंसर ना हो और कुछ गड ़ बड ़ ी हो, आप जानते क ् या होता है | (हँसी) तो, हमारी सफलता के आधार पर, अगले साल हमने उचित यांत ् रिकी डिजाईन की kinematics से शुरू करके | और ऐसे, 2005 में DARwIn का जन ् म हुआ | यह खड़ा होता है | चलता है, बहुत प ् रभावी है | हालांकि, अभी भी, जैसे आप देख सकते हैं, इसकी एक गर ् भनाल है | तो, अभी भी हम बाहरी ऊर ् जा स ् त ् रोत का उपयोग कर रहे है, और बाहरी संगणना | तो, 2006 में, अब समय था वास ् तव में मज़े लेने का | चलिए इसे बुद ् धिमत ् ता देते है | हम इसे वो कंप ् यूटर की शक ् ति देंगे जिसकी इसे जरुरत है, 1.5 gigahertz Pentium M chip, दो Firewire कैमरा, आठ gyros, accelerometer, पैरों पर चार आघूर ् ण सेंसर, लिथियम बैटरी | और अब DARwIn II पूरी तरह से स ् वचालित है | यह दूर से नियंत ् रित नहीं है | वहाँ कुछ बंधा हुआ है | यह आसपास देखता है, गेंद को खोजता है, आसपास देखता है, गेंद खोजता है, और यह फूटबाल खेलने की कोशिश करता है, स ् वचालित, कृत ् रिम बुद ् धि | चलिए देखे यह कैसे काम करता है | यह हमारा पहला परीक ् षण था, और [वीडियो: गोल!] तो, वास ् तव में एक RoboCup नाम की प ् रतियोगिता है | मुझे नहीं पता आप में से कितनो को RoboCup के बारे में पता है | यह अंतरराष ् ट ् रीय स ् तर का स ् वचालित रोबोट फूटबाल प ् रतियोगिता है | और RoboCup का लक ् ष ् य है, मुख ् य लक ् ष ् य है, 2050 तक हम चाहते है कि पूरे आकार के स ् वचालित मानवीय रोबोट ् स इंसानी विश ् व कप विजेता के खिलाफ फूटबाल खेले और जीते | यह असली लक ् ष ् य है, यह बहुत महत ् वकांक ् षी लक ् ष ् य है, लेकिन हमे सच में भरोसा है कि हम इसे कर सकते है | तो, चीन में पिछले साल | हम अमेरिका की पहली टीम थी जिसने स ् थान प ् राप ् त किया मानवीय रोबोट प ् रतियोगिता में | और इस साल, ऑस ् ट ् रिया में | आप इसे देखेंगे, तीन के खिलाफ तीन, पूरी तरह स ् वचालित | हाँ! रोबोट खुद से खेलते है, समूह खुद के खिलाफ खेलते है | यह बहुत प ् रभावशील है | यह वास ् तव में अनुसंधान की प ् रतियोगिता है एक ज ् यादा रोमांचक प ् रतियोगिता के रूप में | जो आप यहाँ देखते है, यह सुंदर है लुई वित ् तों कप ट ् राफी | तो, यह सबसे बेहतर मानवीय रोबोट के लिए है, और इस अमेरिका के लिए पहली बार जितना चाहेंगे, अगले साल, तो हमे दुआ दीजिए | धन ् यवाद | (अभिवादन) DARwIn के पास और भी योग ् यता है | पिछले साल इसने Roanoke Symphony Orchestra संचालित किया छुट ् टी के कार ् यक ् रम में | यह अगली पीढ़ी का रोबोट है, DARwIn IV, लेकिन ज ् यादा बुद ् धिमान, ज ् यादा तेज, ज ् यादा मजबुत | और अपनी योग ् यता दिखाने की कोशिश कर रहा है | "मैं मजबुत हूँ" मैं जैकी चेन की तरह युद ् ध कला की कलाबाज़ी भी कर सकता हूँ | (हँसी) और अब यह जा रहा है | तो, यह DARwIn IV है, एक बार फिर, आप इसे लॉबी में देख सकेंगे | हमे सच में भरोसा है कि यह अमेरिका का पहला मानवीय दौड़ने वाला रोबोट होगा, तो, देखते रहिये | ठीक है, तो मैं आपको हमारे कुछ रोमांचक रोबोट ् स दिखाए | तो, हमारी सफलता का रहस ् य क ् या है? ऐसे विचार हमे कहाँ से आते है? इस तरह के विचारों का हम निर ् माण कैसे करते है? हमारे पास पूरी तरह से स ् वचालित वाहन है जो शहरी परिवेश में चल सकती है | हमने पांच लाख डालर जीते थे DARPA Urban प ् रतियोगिता में | हमारे पास विश ् व की पहला वाहन भी है जिसे एक दृष ् टीविहीन व ् यक ् ति चला सकता है | हमे इसे दृष ् टीविहीन चालक प ् रतियोगिता कहते है, बहुत रोमांचक, और बहुत सी रोबोटिक परियोजनाए जिनके बारे में मैं बात करना चाहता हूँ | यह वो पुरस ् कार है जो हमने में 2007 जीते थे, रोबोटिक प ् रतियोगिता और इसी तरह की प ् रतियोगिता में | तो, वास ् तव में हमारे पांच रहस ् य है | पहला हमे कहाँ से प ् रेरणा मिलती है, कहाँ से हमे कल ् पना की शक ् ति मिलती है? यह सच ् ची कहानी है, मेरी व ् यक ् तिगत कहानी | रात में जब मैं सोने जाता हूँ, सुबह के 3 या 4 बजे, लेट जाता हूँ, आँखे बंद करता हूँ, और मैं रेखाए और वृत ् त देखता हूँ और विभिन ् न आकार तैरते हुए, और वो जुड़ते है, और वे इस तरह का तंत ् र बनाते है | तब मैंने सोचा "" आह यह अच ् छा है "" तो, मैंने बिस ् तर के पास ही एक नोटबुक रखता हूँ, एक पत ् रिका, एक विशिष ् ट पेन के साथ जिस पर लाईट लगी हुई है, LED लाईट, क ् युंकि क ् युंकि मैं लाईट जला कर अपनी पत ् नी को नहीं जगाना चाहता | तो, मैंने इसे देखता हूँ, सब लिखता हूँ, चित ् र बनाता हूँ, और फिर सोता हूँ | हर दिन सुबह पहली चीज़ जो मैं काफी के पहले कप के पहले करता हूँ, मुंह धोने के पहले, अपनी नोटबुक खोलता हूँ | बहुत बार यह कोरी होती है, कभी कभी कुछ होता है तो कभी यह बेकार होता है, लेकिन ज ् यादातर मैं अपनी ही लिखाई नही पढ़ पाता | और, सुबह के 4 बजे और क ् या आशा रख सकते है, हैं ना? तो, मुझे समझने की जरुरत है कि मैंने क ् या लिखा है | लेकिन कभी कभी मैं शानदार विचार वहाँ देखता हूँ, और मेरा उरेका (eureka) पल होता है | मैं सीधे अपने घर के कार ् यालय में जाता हूँ, अपने कंप ् यूटर पर बैठता हूँ, अपने विचार लिखता हूँ, चित ् र बनाता हूँ, और अपने विचारों का संग ् रह रखता हूँ | तो, जब हमे प ् रस ् ताव देने होते हैं मैं एक समानता खोजने की कोशिश करता हूँ मेरे संभावित विचारों और समस ् या में, अगर कोई समानता होती है तो हम शोध के लिए प ् रस ् ताव लिखते है, शोध के लिए धन प ् राप ् त करते है, और इस तरह हम अपना शोध कार ् य आरंभ करते है | लेकिन सिर ् फ कल ् पना ही काफी नहीं है | हम इस तरह के योजनाओं का निर ् माण कैसे करे? हमारी प ् रयोगशाला RoMeLa में, Robotics Mechanisms Laboratory, हम विचारों के आदान प ् रदान का शानदार सत ् र करते है | तो, हम साथ में आते है, और समस ् या और सामाजिक समस ् या के बारे चर ् चा करते है और बाते करते है | लेकिन शुरू करने से पहले हम ये नियम बनाते है | नियम है कि: कोई किसी के विचार की आलोचना नहीं करेगा | कोई किसी के राय की आलोचना नहीं करेगा | यह महत ् वपूर ् ण है, क ् युंकि ज ् यादातर वक ् त, छात ् र, वो डरते हैं या वो असुविधाजनक महसूस करते है कि दूसरे क ् या सोचेंगे उनकी राय या विचारों के बारे में | तो, जब आप यह करते हैं, यह अद ् भुत है कि छात ् र कैसे खुल जाते है | उनके पास अजीब अच ् छे सनकी बुद ् धिमान विचार होते हैं, पूरे कमरे में एक सकारत ् मक ऊर ् जा होती हैं | और इस तरह हम अपनी योजनाएं बनाते है | अच ् छा, हमारे पास समय की कमी है, एक और चीज़ जिसके बारे में मैं बात करना चाहूँगा आप जानते है, सिर ् फ विचारों का आना और उनका निर ् माण काफी नहीं है | एक बहुत अच ् छा TED से जुड़ा पल है, मुझे लगता है वो सर केन रोबिनसन थे, क ् या वे थे? उन ् होंने एक बहुत अच ् छा व ् याख ् यान दिया था कि कैसे शिक ् षा और स ् कुल रचनात ् मकता को खत ् म करते हैं | वास ् तव में कहानी के दो नज़रिए होते हैं | तो, सिर ् फ इतना ही है जो कोई कर सकता है एक बेहतरीन विचार के साथ और रचनात ् मकता और अच ् छे अभियांत ् रिकी सहज ज ् ञान के साथ | अगर थोड़े बहुत काम से आगे जाना चाहते हैं तो, अगर रोबोटिक के शौक से आगे जाना चाहते हैं तो और रोबोटिक के बड़ी चुनौती से निपटना चाहते है तो कठोर शोध के बाद भी हमे उससे ज ् यादा करना पड़ेगा, और यहाँ स ् कुल का महत ् व है | बैटमेन, बुरे लोगो के खिलाफ लड़ता हुआ, उसके पास सामान वाली बेल ् ट है, बांधने वाला हुक है, उसके पास विभिन ् न प ् रकार के औज़ार हैं | हमारे लिए रोबोट विशेषज ् ञ, अभियंता और वैज ् ञानिक, यह औज़ार, यह विषय और सबक जो कक ् षा में लेते है | गणित, अवकल समीकरण | मैंने रेखीय बीजगणित, विज ् ञान, भौतिक सिखा था, यहाँ तक कि अब, रसायन शास ् त ् र और जीवविज ् ञान, जैसा कि आप देख सकते हैं | और यहीं वो सब औज़ार जिनकी हमे जरूरत हैं | तो, जितने ज ् यादा औज़ार होंगे, बैटमेन के लिए उतना ही प ् रभावशाली ही होगा बुरे लोगो से लड़ना, हमारे लिए, ज ् यादा औज़ार इस तरह की समस ् या से लड़ने के लिए | तो, शिक ् षा बहुत महत ् वपूर ् ण है | और, यह इसके बारे में नहीं है, सिर ् फ इसके बारे, आपको हमेशा बहुत कड़ी मेहनत करनी होगी | तो, मैं अपने छात ् रों से हमेशा कहता हूँ चतुरता से काम करिये, फिर कड़ी मेहनत करिये | यह पीछे का चित ् र सुबह के 3 बजे का हैं | मैं दावा करता हूँ अगर आप हमारी प ् रयोगशाला में सुबह 3 या 4 बजे आयेंगे वहाँ छात ् र काम करते रहेंगे, इसलिए नहीं कि मैंने उनसे कहा है, बल ् कि इसलिए क ् युंकि हम बहुत मज़े कर रहे हैं | जो आखिरी विषय की तरफ ले जाता है | मज़े करना मत भूलिए | यह वास ् तव में हमारी सफलता का रहस ् य है, हम बहुत मज़े कर रहे हैं | मैं सच में विश ् वास करता हूँ सबसे ज ् यादा उत ् पादकता तब होती है जब आपको मज़ा आ रहा हो | और हम यहीं कर रहे हैं | आप सभी का बहुत धन ् यवाद | (अभिवादन) मैं एक संग ् रहालय में, ६ से ८ साल के, करीब ३००, बच ् चों के झुंड से बात कर रही थी, और मैं अपने साथ टांगों से भरा एक थैला ले कर गयी, जो आप यहाँ देख रहे हैं ऐसी ही टांगें, और मैंने उन ् हें बच ् चों के लिए मेज पर लगा दिया | और मेरे अनुभव के हिसाब से, आप जानते ही हैं, बच ् चे बहुत उत ् सुक होते हैं उन चीजों के बारे में के जो वो नहीं जानते, या नहीं समझते हैं या जो उनके लिए अजीबोगरीब होती हैं. वो इन असमानताओं से तब डरना सीखते हैं जब कोई बडा ़ उन ् हें ऐसा करना सिखाता है, और शायद उनकी स ् वाभाविक उत ् सुकता को दबाता है, या फिर उनके प ् रश ् नों पर लगाम लगा देता है ताकि वो अच ् छे सभ ् य बच ् चे बन सकें इसलिए मैंने अंदाज ़ लगाया कि बाहर लॉबी में एक पहली कक ् षा की टीचर इन असभ ् य बच ् चों से कह रही होगी, "" अब चाहे तुम और कुछ भी करो, उसकी टांगों को मत घूरना. "" पर वाकई, असल बात तो वही है. इसीलिये तो मैं वहाँ थी, मैं उन ् हें देखने और खोजने के लिए ही तो बुलाना चाहती थी. इसलिए मैंने बडों ़ के साथ सौदेबाजी की कि बच ् चे पहले २ मिनट के लिए अकेले अन ् दर आयेंगे, बिना किसी बडे ़ के अपनेआप तो दरवाजा खुलता है, बच ् चे टांगों भरी मेज ़ पर पहुँचते हैं और वो दबा रहे हैं, छेड ़ रहे हैं, और पैरों की उँगलियों को हिला-डुला रहे हैं, और दौढ ़ ने वाली टाँग पर अपना पूरा वजन डाल रहे हैं कि देखें उस पर क ् या असर होता है. और मैंने उनसे कहा, "" बच ् चों, जल ् दी सुनो — मैं आज सुबह उठी, मैंने निर ् णय किया कि आज मुझे एक घर के ऊपर छलांग लगानी है — बहुत ऊंचा घर नहीं, बस २ या ३ मंजिला — पर, अगर तुम किसी भी जानवर, या सुपर हीरो, या कार ् टून के पात ् र के बारे में सोच सको जो भी तुम ् हारा सपना हो, इस वक ़ ् त, तो तुम किस तरह की टाँगे मेरे लिए बनाओगे? "" और तुंरत एक आवाज ़ आई, "" कंगारू! "" "न न न! उसे मेंढक होना चाहिए!" "नहीं. इसे तो गो गो गैजेट होना चाहिए!" "नहीं, नहीं, नहीं! उसे होना चाहिए 'अद ् भुत लोग' (दी इनक ् रेडिबिल ् स) जैसा." और ऐसी ही कई चीजें ़ जिन ् हें मैं भी नहीं जानती थी. और फिर, एक ८ साल के बच ् चे ने कहा, "अरे, पर आप उड ़ ना क ् यों नहीं चाहेंगी?" और पूरा कमरा, मेरे समेत, बोल उठा, "" अरे हाँ. "" (हंसी) और बस इसी तरह, मैं एक ऐसी औरत से, जिसे ये बच ् चे "" विकलांग "" या "" अक ् षम "" समझने के आदी होते, एक ऐसे व ् यक ् ति में बदल गयी जिसमें वो संभावना थी जो अभी उनके शरीर में नहीं आ पाई थी. ऐसी व ् यक ् ति जो उनके लिए शायद महा-सक ् षम थी. मजेदार. तो आप में से कुछ लोगों ने मुझे टेड में देखा है, ११ साल पहले, और बहुत बातें हो रहीं हैं कि यह कांफ ् रेंस कितनी असाधारण है, कायापलट कर देती है, श ् रोता और वक ् ता दोनों का ही, और मैं कोई अपवाद नहीं हूँ टेड से वाकई मेरी जीवन यात ् रा के अगले १० वर ् षों की असली शुरुआत हुई उस समय जो टांगें मैंने दिखाई थीं, वे कृत ् रिम अंगों के क ् षेत ् र में अतुलनीय थीं. मेरे पास कार ् बन के रेशों से बुनी दौड ़ ने वाली टांगें थीं जो चीते की पिछली टांगों के आधार पर बनायी गयी थीं, जिन ् हें आपने शायद कल स ् टेज पर देखा हो. और ये बहुत सजीव, बडी ़ बारीकी से रंगी हुई सिलिकॉन की टांगें. तो उस समय, मेरे लिए बडा ़ अच ् छा मौका था कि मैं मेडिकल कृत ् रिम अंग बनाने वाली बिरादरी के बाहर निकल कर नए विचारकों को बुलाऊँ ताकि वो अपने गुणों को इस विज ् ञान और कला में लगा सकें जिससे टांगें बनायी जाती हैं. ताकि हम रूप, उपयोगिता और सौंदर ् य को अलग अलग खानों में डालना बंद करें, और उन ् हें अलग अलग मूल ् य देना भी. मेरा सौभाग ् य था कि कई लोगों ने मेरे इस बुलावे का जवाब दिया. मजेदार बात यह, कि ये यात ् रा टेड कांफ ् रेंस में भाग ले रही एक व ् यक ् ति से शुरू हुई — ची पर ् लमैन, उम ् मीद करती हूँ आज भी वो श ् रोताओं में कहीं हैं उस वक ़ ् त वो ID नाम की पत ् रिका की संपादक थीं और उन ् होंने मुझ पर एक मुख ् य कहानी लिखी. उससे एक अविश ् वसनीय यात ् रा की शुरुआत हुई. उस समय मेरे साथ बडी ़ अनोखी मुलाकातें हो रही थीं; मैं वक ् ता के रूप में कई निमंत ् रण स ् वीकार कर रही थी ताकि मैं दुनिया को उन चीते जैसी टांगों के डिजाइन के बारे में बताऊँ. कांफ ् रेंस में मेरी बातचीत के बाद लोग मेरे पास आते थे, आदमी और औरतें, दोनों. और कुछ इस तरह का वार ् तालाप शुरू हो जाता था. "" आप जानती हैं एमी, आप बहुत आकर ् षक हैं. आप बिलकुल विकलांग नहीं लगतीं. "" (हंसी) मैंने सोचा, "" अच ् छा, यह तो आश ् चर ् यजनक है, क ् योंकि मैं तो विकलांग महसूस भी नहीं करती. "" और इस बात ने मेरी आँखें इस वार ् तालाप की तरफ खोल दीं जो सौंदर ् य की परिभाषा को खोज सके. एक सुन ् दर महिला को कैसा दिखना चाहिए? एक कामुक शरीर कैसा होता है? और दिलचस ् प बात, अपनी पहचान के दृष ् टिकोण से, अक ् षम या विकलांग होने का मतलब क ् या होता है? मेरा मतलब है, लोगों के — पैमेला एंडरसन के शरीर में मेरे से कहीं ज ् यादा कृत ् रिम अंग हैं. उन ् हें तो कोई विकलांग नहीं कहता. (हंसी) इस तरह से यह पत ् रिका, ग ् राफिक डिजाइनर पीटर सेविल के हाथों से, फैशन डिजाइनर एलेकजेंडर मकक ् वीन के पास गयी, और फिर फोटोग ् राफर निक नाइट के पास, वो सब भी इस वार ् तालाप को आगे ले जाना चाहते थे. तो इस तरह टेड कांफ ् रेंस के ३ महीने बाद मैं हवाई जहाज में बैठी थी लन ् दन के लिए, जहां मेरी पहली फैशन शूटिंग होने वाली थी, उससे यह मुखपृष ् ठ निकला — फैशन- सक ् षम? उसके ३ महीने बाद मैंने एलेकजेंडर मैकक ् वीन के साथ अपना पहला शो किया जिसमें मैंने ठोस ऐश से बनी, हाथों से तराशी हुई लकडी ़ की टांगें पहनी थीं. किसी को पता भी नहीं चला — सबको लगा वो लकडी ़ के बूट थे. असल में वो यहीं मेरे पास स ् टेज पर हैं: बेलें, बूटियाँ, वाकई बहुत खूबसूरत. कविता का असर होता है. कविता ही है जो एक साधारण और उपेक ् षित वस ् तु को चढा ़ देती है कला की ऊंचाइयों तक. जिस चीज ़ से लोग शायद डर जाते, वो उस चीज ़ को बदल कर कुछ ऐसा बना देती है कि लोग देखें और देखते रह जाएँ, और शायद समझ भी जाएँ. यह मैंने खुद अपने अगले अनुभव से सीखा. कलाकार मैथ ् यु बार ् नी की अपनी फिल ् म कृति, जिसका नाम है "" क ् रेमास ् टर साईकिल "" तब मुझे सच में इस बात का आभास हुआ — कि मेरी टांगें पहनने योग ् य मूर ् तिकला भी हो सकती हैं. और इस मोड ़ पर भी, मैं मानव-पन की नक ़ ल करने की ज ़ रुरत से दूर हटने लगी वही अकेला कलात ् मक आदर ् श तो नहीं है. और हमने वो टांगें बनायीं जिन ् हें लोग प ् यार से कांच की टांगें कहते हैं जबकि असलियत में ये पारदर ् शी पॉलीयूरीथेन हैं, जो बोलिंग की गेंद बनाने में इस ् तेमाल होता है. जानदार! फिर हमने ये टांगें बनाईं जिनका सांचा मिट ् टी से बना है आलू की एक पूरी जड ़ इनमें उग रही है, और ऊपर चुकंदर निकल रहे हैं, और एक बहुत सुन ् दर पीतल का अंगूठा. यह इसका पास से लिया गया अच ् छा फोटो है. एक और चरित ् र यह था — आधी औरत, आधा चीता — मेरी व ् यायाम से भरी जि ़ न ् दगी के लिए एक छोटा सा सम ् मान. १४ घंटे का कृत ् रिम बनाव-सिंगार एक ऐसा प ् राणी बनने के लिए जिसके पास कृत ् रिम पंजे, नाखून थे, और एक पूँछ जो लपक रही थी, छिपकली की तरह. (हंसी) और फिर एक और जोडी ़ टांगें जिन पर हमने एक साथ काम किया, वो ये थीं... जेलीफिश की टांगों जैसी लगती हैं. ये भी पॉलीयूरीथेन. और जो अकेला काम यह टांगें कर सकती हैं, इस फिल ् म के सन ् दर ् भ के परे, वो है इन ् द ् रियों को उत ् तेजित करना और कल ् पना को उडा ़ न देना. तो मनमौजीपन का असर भी होता है. आज मेरे पास १२ जोडी ़ से ऊपर कृत ् रिम टांगें हैं जो विभिन ् न लोगों ने मेरे लिए बनायी हैं, और उनके साथ मैं अपने पैरों तले की ज ़ मीन से विभिन ् न तरह के समझौते करती हूँ. और मैं अपनी लम ् बाई बदल सकती हूँ — मेरे पास ५ विभिन ् न लम ् बाईयाँ बदलने की क ् षमता है. (हंसी) आज, मैं ६ '१ "" हूँ. और ये टांगें मैंने एक साल से कुछ पहले ही बनवाई थीं इंगलैंड के डोरसेट और ् थोपेडिक से और जब मैं उन ् हें मैनहैटन अपने घर लायी तो पहली ही रात मैं एक बहुत बढि ़ या पार ् टी में गयी. और वहां एक लड ़ की थी जो मुझे कई सालों से जानती है मेरी आम ५ '८ "" की लम ् बाई से. मुझे देख कर उसका मुंह खुले का खुला रह गया, और वो कहती ही रही, "" पर तुम कितनी लम ् बी हो! "" और मैंने कहा, "" जानती हूँ. मजे ़ की बात है न? "" मेरा मतलब, ये कुछ ऐसा ही है जैसे सीडी ़ पर सीडी ़ लगाना. पर मेरा दरवाजे ़ के जैम के साथ अब वो खा ़ स नया सम ् बन ् ध हो गया है जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि हो पायेगा. और मैं उसके साथ मजे ़ ले रही थी. और उसने मुझे देखा, और बोली, "" पर, एमी, यह तो सही नहीं है. "" (हंसी) (तालियाँ) और अविश ् वसनीय बात यह थी कि वो संजीदा थी. यह तो सही नहीं है कि तुम अपनी लम ् बाई बदल लो, जब मन में आये. और तब मैंने जाना — कि समाज के साथ का वो वार ् तालाप अब मूलभूत रूप से बदल गया है पिछले १० सालों में. अब यह बातचीत कमी या अक ् षमता को दूर करने के बारे में नहीं है. यह बातचीत अब वृद ् धि के बारे में है. यह बातचीत अब संभावनाओं के बारे में है. एक कृत ् रिम अंग अब अभाव को पूरा करने की ज ़ रुरत नहीं दर ् शाता है. यह अब इस बात का प ् रतीक हो सकता है कि उसे पहनने वाला उस हर चीज ़ को रचने की शक ् ति रखता है जो वो रचना चाहता है उस जगह पर. तो वो लोग जिन ् हें पहले समाज विकलांग समझता था अब अपनी पहचान खुद बना सकने की क ् षमता रखते हैं और अपनी पहचान को बदलते भी रह सकते हैं अपने शरीर की रूपरेखा को बदल कर और अपनी शक ् ति को समझ कर. और मेरे लिए अभी यह बहुत जोश भरी बात है कि नयी प ् रभावशाली तकनीक जैसे — रोबोटिक ् स, बियोनिक ् स — का मिश ् रण सदियों पुरानी कविता से कर के, हम अपनी सामूहिक मानवता को समझने की ओर बढ ़ रहे हैं. मैं सोचती हूँ कि यदि हम पूरी संभावना समझना चाहते हैं अपने समस ् त मनुष ् यत ् व की, तो हमें उन मर ् मभेदी शक ् तियों को सराहना होगा और उन शानदार अक ् षमताओं को भी जो हम सब में हैं. मुझे शेक ् सपियर के शाईलौक की याद आती है: "" अगर तुम हमें काटते हो, तो क ् या हमारा खून नहीं बहता, और अगर तुम हमें गुदगुदाते हो, तो क ् या हम हंसते नहीं? "" यह हमारी मानवता ही तो है, और उसमें छुपी सारी संभावनाएं, जो हमें सुन ् दर बनाती हैं. धन ् यवाद. (तालियाँ) (गाना) यह है परीक ् षा इंसानो की परीक ् षा देखने के लिये कि क ् या आप इंसान है कृपया अपने हाथ उपर कीजिये अगर यह आप पर लागु होता है क ् या आप मुझसे सहमत है? हाँ? तो शुरू करते है | क ् या आपने कभी नांक का बलगम खाया है अपने बचपन के बाद? (हंसी) चिंता मत कीजिये | आप यहाँ सुरक ् षित है क ् या आपने कभी छोटी सी, विचित ् र ध ् वनी निकाली है जब आपको कुछ शर ् मनाक घटना याद आये? क ् या आपने कभी जान बूझके अपने पहले अक ् षर को छोटा किया है ताकि आप निराश या उदास नज ़ र आये? (हसी की गूंज) अच ् छा | क ् या आपने कभी कोई मैसेज पूर ् णविराम में रोकी है गुस ् सा दिखाने के लिये? अच ् छा | बस | क ् या आप कभी हसे हो मुस ् कुराये हो जब किसी ने आपके सामने बकवास की हो और पूरा दिन उसी में बिताया हो सोचके आपने ऐसी प ् रतिक ् रिया क ् यूं की? हाँ | क ् या आपने कभी अपने हवाई जहाज का टिकट हज ़ ार बार गुमाया है चलते चलते जांच से उड ़ ान तक के सफर में? हाँ | क ् या आपने कभी पतलून पहनकर बाद में समझा है कि एक लावारिस मोजा आपके पैरों से टकरा रहा है? (हसी की गूंज) बढिया | क ् या आपने कभी किसी और के पासवर ् ड को ढूंड निकालने की कोशिश की है इतनी बार कि उनका खाता बंद हो गया हो? म ् म ् म | क ् या आपको कभी परेशानी सताई है कि आपका गुनाह पकड़ा जायेगा? हाँ | आप यहा सुरक ् षित है | क ् या आपको कभी इच ् छा हुई है कि आपके पास कोई ऐसी योग ् यता हो जो आपने आज तक कभी खोजी ना हो जिसमे आप स ् वभाविक ढंग से अच ् छे है? म ् म ् म | क ् या आपने कभी असल ज ़ िंदगी में कुछ असली चीज ़ तोड ़ ी है, और अपने आप को Undo बटन खोज ् ते हुए देखा हो असल ज ़ िंदगी में? क ् या आपने कभी अपना TED का बिल ् ला खोया है और तुरंत सोच में डूबे हो कि वानकौरवेर की टीन दिन की छुट ् टी कैसी लगती होगी? क ् या आपको कभी आश ् चर ् य हुआ है कि जो आपने मामूली सा समझा वो कितना लाजवाब बन गया है? क ् या आपने कभी अपने फ़ोन की तरफ घूरा है हसते हसते किसी को संदेश भेजते हुए मूर ् ख की तरह? क ् या आपने फिर उसी इंसान को संदेश भेजा है कि "" मैं फ़ोन को घूर रही हूँ मूर ् खों की तरह मुस ् कुराते हुए ""? क ् या आपको कभी कोई इच ् छा हुई है और फिर उसी इच ् छा के सामने झुके हो किसी के फ़ोन को देखने के लिये? क ् या कभी आपने अपने आप से बातें की है और फिर एहसास हुआ हो कि आप कितने बड ़ े बेवकूफ है? (हसी की गूंज) क ् या आपके फ़ोन की कभी बॅटरी खतम हुई है किसी बहस के बीच में, और ऐसा लगा हो कि आपका फ़ोन आप दोनो से सम ् बंध तोड ़ रहा हो? क ् या आपको कभी लगा है कि आप दोनो के आपस का मसला सुलझाना व ् यर ् थ है क ् यूंकि यह और आसान होना चाहिये, या स ् वभाविक रूप से होना चाहिये? क ् या आपको कभी लगा कि लम ् बे समय में सिर ् फ थोड ़ ा ही स ् वभाविक रूप से होता है? क ् या आप कभी सानंद उठे हो और उन तुरंत बुरी यादों के बाद में फसे हो जब कोई आपको छोड ़ गया हो? क ् या आप भविष ् य की कल ् पना करना भूल गये हो किसी ऐसे व ् यक ् ति के बिना जो अब आपके जीवन में ना हो? क ् या आपने कभी उस घटना को याद किया है शरद ऋतु के उदास हसी जैसे और महसूस किया है कि भविष ् य तो आयेगा ही चाहे जो हो? मुबारक हो | आप इस परीक ् षा में सफलता प ् राप ् त की | (वाहवाही) हमारा विकास अपने चारों ओर की वस ् तुओं के साथ व ् यवहार कर हुआ है । इनमें से बहुत से ऐसे हैं इन वस ् तुओं को प ् रयोग करने में ज ् यादा मज़ेदार लगता है । इनसे जुङी एक और चीज़ स ् वतः सामने आती है, और वो है संकेत: कैसे हम इन वस ् तुओं से काम लेते हैं, कैसे हम इन वस ् तुओं को रोज़मर ् रा के कार ् यों के लिये प ् रयोग करते हैं । हम संकेतों द ् वारा न केवल इन वस ् तुओं से काम लेते हैं, पर इनके प ् रयोग से हम एक दूसरे से सम ् पर ् क भी स ् थापित करते हैं । भारत में मुझे किसी बच ् चे को यह बताने की जरूरत नहीं है कि इसका मतलब यह हमारी रोज़ की सीख से आता है । हम अपनी रोज़ाना की व इन वस ् तुओं का प ् रयोग कर सकते हैं, डिजिट ् ल दुनिया के साथ सम ् पर ् क करने के लिये । बजाय अपने कीबोर ् ड और माउस के, क ् या मैं अपना कम ् पयूटर प ् रयोग कर सकता हूँ उसी प ् रकार जैसे मैं असल दुनिया से संपर ् क करता हूँ? इसलिये मैंने यह खोज लगभग आठ वर ् ष पहले शुरू की, और वास ् तव में इसकी शुरूआत हुयी मेरे मेज़ के एक माउस से । उसे अपने कम ् प ् यूटर के साथ प ् रयोग करने के बजाय, आप में से बहुत यह जानते होंगे, कि उन दिनोंजो वास ् तव में गेंद की दिशा कम ् प ् यूटर को निर ् धारित करते थे, व उसी अनुसार माउस की चाल का मार ् गदर ् शन करते थे । मुझे असल में और चाहिये थे, तो मैंने एक माउस अपने एक मित ् र से माँग लिया —तो अब मेरे पास चार रोलर थे । दिलचस ् प बात है कि मैंने इन रोलर ् ज़ के साथ यह किया, उन ् हें मैंने इन माउसों में से निकाल लिया साथ में कुछ तारें और चरखियाँ थीं व कुछेक स ् प ् रिन ् ग थे । मुझे मौलिक रूप से एक सांकेतिक इन ् टरफेस यंत ् र मिला जो वास ् तव में एक चाल संवेदक यंत ् र का कार ् य करता था व बना था दो डौलर में । तो, यहॉ जो गतिविधि मैं अपनी दुनिया में करता हूँ उसकी नकल डिजिट ् ल दुनिया में होती है सिर ् फ़ इस छोटे से यंत ् र के प ् रयोग से, जो मैंने आठ वर ् ष पूर ् व बनाया था, क ् योंकि मै इन दोनों संसारों को जोड ़ ने के लिये बहुत उत ् सुक था, मैंने सोचा "" क ् या मैं एक भौतिक स ् टिकी नोट के सामान ् य इंटरफ़ेस कोअपनी माँ को स ् टि ् की नोट पर लिखा एक संदेशया एक बैठक रिमाइंडर जो अपने आप मेरे डिजिट ् ल कैलेंडर के साथ समक ् रमित हो जाए — पर आप डिजिट ् ल दुनिया में खोज भी कर सकते हैं, या आप एक प ् रश ् न लिख सकते हैं, जैसे, "डा. स ् मिथ का पता क ् या है?" और यह छोटी पद ् धति वास ् तव में इसे प ् रिंट कर सकती है — एक और खोज में, मैंने एक ऐसा पेन बनाने का सोचा जो तीन-आयामी चित ् र बना सके । तो, मैंने इस पेन को कार ् यान ् वित किया तीन-आयामी सोच देने में मदद करता है, पर वास ् तव में रच भी सकता है तो इसे प ् रयोग करना अधिक सहज़ है । कुछ ढूढ ़ ने के लिए एक कीवर ् ड लिखने के बजाय, मैंने अपनी वस ् तुएँ उसके ऊपर रख दीं । अगर मैं एक बोर ् डिंग पास रखूँ, तो वह मुझे फ़ ् लाइट गेट दिखाएगा । या कहाँ मैं कप को फ़ेंक सकता हूँ । तो यह मेरी कुछ पुरानी खोजें थीं जिन ् हें मैंने किया था क ् योंकि मैं इन दोनों संसारों को सीवनरहित जोड़ना चाहता था । इन सभी प ् रयोगों में एक चीज़ सामान ् य थी: मैं भौतिक दुनिया का एक हिस ् सा डिजिट ् ल दुनिया में लाने की कोशिश कर रहा था । या वास ् तविक दुनिया की कोई भी सहजता, हमें दिलचस ् पी है जानकारी में । हमें चीज़ों के बारे में जानना चाहते हैं । हम अपने आसपास मौजूद परिवर ् तनात ् मक चीज़ों के बारे में जानना चाहते हैं । मैंने सोचने लगा, "" क ् या मैं इस पद ् धति को विपरीत ले जा सकता हूँ? "" और इसे अपने रोज़ाना जीवन में ले आऊँ ताकि उन पिक ् सलों से पारस ् परिक व ् यवहार करने के लिए मैंने वास ् तव में अपने सिर पर एक प ् रोजेक ् टर रखने का सोचा । मेरे विचार से इस कारण इसे एक हेड-माउंटेड प ् रोजेक ् टर कहते हैं, है न? मैंने अपना बाइक हेलमेट लिया, उसे थोड़ा सा काटा ताकि प ् रोजेक ् टर अच ् छी तरह लग जाए । मैं इस डिजिट ् ल जानकारी से अपनी दुनिया का फ़ैलाव कर सकता हूँ । बाद में, हमने इसका एक बेहतर, ग ् राहक-अनुकूल पेंडेंट आवृत ् ति पर इस तकनीक की सबसे रोचक तथ ् य यह है कि आप अपनी डिजिट ् ल दुनिया अपने साथ ले जा सकते हैं जहाँ भी आप जाएँ । आप किसी भी सतह को, पास की दीवार का प ् रयोग कर सकते हैं, एक इंटरफेस की तरह । कैमरा आपके सारे संकेतों को भाँप रहा है । जो भी आप अपने हाथों से कर रहे हैं, वह संकेत समझ रहा है । और, जैसा आप देख सकते हैं, हमने प ् रारंभिक आवृत ् ति के साथ दीवार के सामने रुककर उस पर चित ् र बना सकते हैं । पर हम यहाँ एक ही उंगली से काम नहीं कर रहे हैं । इससे आप दोनों हाथों से किसी नक ् शे का आकार बढ़ा व घटा सकते हैं, व किनारों और रंग की पहचान करना और उसके अंदर कई प ् रणालियाँ चल रहीं हैं । तो, तकनीकी तौर पर, यह थोड़ा पेचीदा है, आप बस चित ् र लेने का संकेत दें और यह आपके लिए चित ् र ले लेगा । (तालियाँ) धन ् यवाद । मैं चित ् रों को देख सकता हूँ या फ़िर, "" मैं इस चित ् र को थोड ़ ा सुधार करकम ् प ् यूटिंग यथार ् थ में भौतिक संसार के साथ मिल जाएगी । और, अगर आपके पास कोई सतह नहीं है, आप अपना हाथ इस ् तेमाल कर सकते हैं सरल कामों के लिए । यहाँ, मैं एक फ़ोन नंबर डायल कर रहा हूँ सिर ् फ़ अपने हाथ के ज़रिए । पर, दिलचस ् पी से, पुस ् तक के कवर को हज़ारों या लाखों औनलाइन पुस ् तकों के साथ मिलाया व यह भी पता किया कि यह कौन सी पुस ् तक है । एक बार इसे यह जानकारी मिल गयी,तो आप उसे एक पु ् स ् तक पर ("" हार ् वर ् ड विश ् वविद ् यालय में मशहूर बात "") ("" और मैं धन ् यवाद करना चाहूँगा दो बेहतरीन MIT "") आपका अखबार मौसम की ताज़ा जानकारी दिखाएगा बिना उसे अपडेट किये — जैसे, आपको यह करने के लिए अपना जब मैं वापस जाऊँ, मैं सिर ् फ़ अपना बोर ् डिंग पास प ् रयोग कर सकता हूँ यह देखने के लिए कि मेरी फ़ ् लाइट को आने में कितनी देर है,कि मैं अपना iPhone निकालूँगा, और किसी आइकन को ढूँढूगा । और मुझे लगता है कि यह तकनीक उस तरीके को ही नहीं बदलेगी — और पौंग खेल सकता हूँ ट ् रेन के अंदर (हँसी)जब यह तकनीक असल ज़िन ् दगी के साथ जा मिलेगी । बाज़ार में आने को लेकर काफ़ी उत ् सुक हैं । तो, बजाय उनका इंतज़ार करने के मैंने वह अपना खुद का बनाया, सिर ् फ़ एक कागज़ को लेकर । तो, मैंने यहाँ अपना कैमरा निकाल दिया — मैंने वह माइक ् रोफोन वहाँ से निकाल दिया, और उसे सिर ् फ़ दबाया — जैसे मैंने माइक ् रोफ़ोन से एक क ् लिप बनाया — और उसे एक कागज़ से जोड़ दिया, किसी भी कागज़ से । तो अब स ् पर ् श की ध ् वनि मुझे बताती है कि कब मैं कागज़ को छू रहा हूँ । पर कैमरा असल में देख रहा है कि मेरी अँगुलियां कहाँ जा रहीं हैं । आप मूवीज़ भी देख सकते हैं । ("" Good Afternoon. My name is Russell... "") (""... and I am a Wilderness Explorer in Tribe 54. "") और आप गेम भी खेल सकते हैं । (कार इंजिन) यहाँ, कैमरा असल में समझ रहा है कि कैसे आपने कागज़ को पकड़ा हुआ है (तालियाँ) मैं इसे एक और परिवर ् तनात ् मक तरीके में उपयोग करना चाहूँगा । जब मैं वापस आऊँ मैं उस जानकारी को बस दबाकर अपने डेस ् क ् टोप पर ला सकता हूँ ताकि उसे मैं अपने क ् म ् प ् यूटर पर प ् रयोग कर सकूँ । (तालियाँ) और सिर ् फ़ क ् म ् प ् यूटर ही क ् यों? हम बस कागज़ों के साथ खेल सकते हैं । कागज़ी दुनिया के साथ खेलना अधिक दिलचस ् प है । यहाँ, मैं एक पत ् र का एक भाग लेता हूँ और वहाँ दूसरी जगह से दूसरा भाग लेता हूँ — और मैं असल में जानकारी में परिवर ् तन करता हूँ हाँ, और मैंने कहा, "" ठीक है, ये अच ् छा लगता है, तो अब मेरे पास उस चीज़ का प ् रिंट-प ् रति मेरे पास है, और अब — हमें इन दोनों संसारों को बदलने की ज़रूरत नहीं है । तो, मेरे ख ् याल में, मैं सोचता हूँ कि रोज़मर ् रा की वस ् तुओं की जानकारियाँ एक करने सेइन दोनों संसारों के बीच की दूरी, बल ् कि यह हमारी एक तरह से मदद भी करेगा, मानव रहने में, भौतिक दुनिया से और जुड़े रहने में । मशीनों के सामने न बैठे रहें । (तालियाँ) धन ् यवाद ् । क ् रिस एंडर ् सन: तो, प ् रणव, ये अविश ् वसनीय है, सच में । तुम इसके साथ क ् या करोगे? क ् या किसी कंपनी की योजना है? प ् रणव मिस ् ट ् री: वैसे बहुत सी कंपनियाँ हैं — न खुद का बनाना । हम उनके लिए सारा ओपन सोर ् स सोफ़ ् ट ् वेयर देंगे, क ् रिस एंडर ् सन: ओपन सोर ् स, वाह । (तालियाँ) क ् रिस एंडर ् सन: क ् या आप इसके साथ भारत वापस आना चाहेंगे? क ् रिस एंडर ् सन: क ् या योजना है आपकी? MIT? भारत? आगे बढ़ने के लिए आप कैसे समय बाँटेंगे? जो भी काम आज आपने देखा वह सब भारत में और अब, अब अगर आप लागत-प ् रभाव के बारे में देखें: इस पद ् धति का मूल ् य सिर ् फ़ 300 डालर है यदि इसकी तुलना 20,000 डालर सर ् फ़ेस टेब ् ल ् ज़ से की जाए, या उसके जैसा कुछ भी । या वह माउस संकेत पद ् धति जो तो, हमने — मैंने, एक सभा में, और उन ् होंने कहा, "" ठीक है, हमें इसे Bhabha Atomic Research Centre में लाना चाहिएतो मैं बहुत उत ् सुक हूँ कि कैसे मैं इस तकनीक को आम लोगों तक पहुँचा सकूँ क ् रिस एंडर ् सन: जैसे लोग मैंने TED पर देखें हैं उस आधार पर बहुत बहुत धन ् यवाद ् । यह अदभुत है । तो जादू बहुत अंतर ् मुखी क ् षेत ् र है | जबकि वैज ् ञानिक नियमित रूप से अपने नवीनतम शोध प ् रकाशित करते हैं, हम जादूगर अपने रहस ् य और काम करने की विधि बाँटना पसंद नहीं करते हैं | यह साथियों के बीच भी सच है | लेकिन अगर आप रचनात ् मक अभ ् यास को अनुसंधान के रूप में देखेंगे, या मानवता के लिए कला को अनुसंधान एवं विकास के रूप में, तो मेरी तरह एक साइबर मायावादी, कैसे अपना शोध बांट सकते हैं? अब मेरी अपनी विशेषता है अंकीय प ् रौद ् योगिकी और जादू का संयोजन | और लगभग तीन साल पहले, मैने, खुलेपन और समग ् रता में एक अभ ् यास शुरू किया | खुले स ् रोत सॉफ ् टवेयर समुदाय तक, जादू के लिए नए अंकीय उपकरण बनाने के लिए, पहुँचने से, उपकरण जिन ् हे अंततः अन ् य कलाकारों के साथ सहभाग किया जा सके, उन ् हें और आगे की प ् रक ् रिया में बढ़ावा देने के लिए और उन ् हें कविता के प ् रति जल ् दि राज़ी करने के लिए साझा किया जा सके | आज, मैं आपको कुछ दिखाना चाहता हूँ जो इन सहयोगों से बना है | यह एक संवर ् धित वास ् तविकता प ् रक ् षेपण पर नज ़ र रखने वाली और मानचित ् रण प ् रणाली, या एक अंकीय कथाकारिता का उपकरण है | क ् या हम नीचे रौशनी डालने की कृप ् या करेंगे? धन ् यवाद | तो चलें इसका प ् रयत ् न करें | और मैं इसे इस ् तेमाल करने जा रहा हूँ, जीवन के विषय पर आपको अपनी सोच पदॄति बताने के लिए | (तालियां) (संगीत) बहुत अफसोस है | मैं सतह भूल गया | जागो | अरे | चलो | (संगीत) कृपया | (संगीत) चलो | आह, इसके लिए खेद है | इसे भूल गया | (संगीत) एक बार और कोशिश करो | ठीक है | इसने प ् रणाली मालूम कर ली | (संगीत) (हँसी) (तालियां) (संगीत) ओह, उह. (संगीत) ठीक है | चलो यह कोशिश करें | चलो | (संगीत) (हँसी) (संगीत) अरे | (संगीत) तुमने सुना उसे, आगे बढ ़ ो | (हँसी) (तालियां) अलविदा | (तालियां) मैं आप को बताना चाहता हूँ उच ् च शिक ् षा का एक नया मॉडल, ऐसा मॉडल जिसे बढावा मिले तो वो उन तमाम लोगों की समझ को बढा सकता है उन लाखों रचनात ् मक और धुनी लोगों की समझ को एक नज़र दुनिया पर डालिये । कोई भी जगह चुन कर उसे ध ् यान से देखिये । आपको उच ् च शिक ् षा के लिये बेताब लोग मिलेंगे । आइये उन में से कुछ से मुलाकात करें । पैट ् रिक । पैट ् रिक का जन ् म लाईबेरिया में हुआ २० बच ् चों के परिवार में । गृह युद ् ध के दौरान, उन ् हें और उनके परिवार को भाग कर नाइजीरिया जाना पडा । वहाँ, अपने हालातों के बावज़ूद, उन ् होंने हाई-स ् कूल लगभग पूरे अंकों से पास किया । वो अपनी शिक ् षा जारी रख कर उच ् च शिक ् षा ग ् रहण करना चाहते थे, मगर अपने परिवार के चलते, जो कि गरीबी में डूबा था, उन ् हें जल ् द ही दक ् षिणी अफ़ ् रीका भेज दिया गया कि जाओ, कमाओं, और पैसे भेजो जिस से घर परिवार की रोटी चले । पैट ् रिक ने उच ् च शिक ् षा के अपने सपने को कभी नहीं छोडा । काम के बाद, देर रात उन ् होंने इंटरनेट पर पढाई करने के तरीकों को ढूँढा । डेबी से मिलिये । डेबी फ़ ् लोरिडा की हैं । उनके माता-पिता कभी कॉलेज नहीं गये, और न ही उन के भाई-बहन । डेबी ने सारी ज़िंदगी काम किया, टैक ् स भरे, और महीने दर महीने अपना खर ् च चलाया, अपने अमेरिकन ड ् रीम के साथ जीते हुए, ऐसा सपना जो कभी भी साकार नही होता बिना उच ् च शिक ् षा के । मगर डेबी कभी इतनी बचत नहीं कर सकीं कि उच ् च शिक ् षा की कीमत चुका सकें । वो फ़ीस देने में सक ् षम नहीं थीं । न ही वो अपनी महीने दर महीने की कमाई छोड सकती थीं । वाएल से मिलिये । वायल सीरिया से हैं । उन ् होंने करीबी से महसूस किया है उस बेचारगी, डर और नाकामयाबी को, जो उन के देश पर लाद दी गयी । वो शिक ् षा में गहरा विश ् वास रखते हैं । उन ् हें पता था कि अगर उन ् हें मौका मिले उच ् च शिक ् षा ग ् रहण करने का, जीवन में आगे बढने का, तो वो ज ् यादा सक ् षम होंगे इस दुनिया के उतार-चढाव झेलने में । उच ् च शिक ् षा के मौजूदा मॉडल ने पैट ् रिक, डेबी और वाएल को केवल निराश ही किया ठीक वैसे ही जैसे कि वो और लाखों होनहार छात ् रों को निराश करता है । लाखों लोग जो हाई स ् कूल पास कर लेते है, वो लाखों जिन ् हें उच ् च शिक ् षा पाने का हक़ है, वो लाखों जो आगे पढना चाहते हैं मगर तमाम कारणों से नहीं कर सकते । पहला कारण, पैसे की कमी । हम सब जानते हैं कि यूनिवर ् सिटी जाना किस कदर महँगा है । दुनिया के ज ् यादातर भागों में, उच ् च शिक ् षा लगभग नामुमकिन ही है एक आम आदमी के लिये । ये शायद सबसे बडी समस ् या है हमारे समाज और दुनिया की । उच ् च शिक ् षा सबका मौलिक अधिकार होने के बजाय सिर ् फ़ कुछ ही लोगों का विषेशाधिकार या बपौती बन चुकी है । दूसरा कारण, सामजिक रूढियाँ वो छात ् र जो कि उच ् च शिक ् षा प ् राप ् त करने लायक हैं, खर ् चा उठा सकते हैं, पढना चाहते है, वो भी नहीं कर सकते क ् योंकि ये उन के समाज की रीति नहीं हैं, औरतों के लिये "" उचित "" नहीं है । अनगिनत औरतों की यही कहानी है अफ़ ् रीका में, मिसाल के तौर पर, कि उन ् हें उच ् च शिक ् षा से दूर रखा जाता है क ् योंकि सामाजिक तौर पर इसका रिवाज़ नहीं हैं । और तीसरा कारण सुनिये: यूनेस ् को के अनुसार, सन 2025 में, दस करोड छात ् र उच ् च शिक ् षा पाने से वंचित रह जायेंगे सिर ् फ़ इस लिये कि कॉलेजों में इतनी सीटें ही नहीं होंगी कि उन सबको मौका दिया जाये । वो प ् रवेश परीक ् षा देंगे, वो प ् रवेश परीक ् षा पास भी कर लेंगे, मगर फिर भी उन ् हें मौका नहीं मिलेगा क ् योंकि इतनी जगह ही नहीं होगी । यही वो कारण हैं कि मैने यूनिवर ् सिटी ऑफ़ पीपल की स ् थापना की । ये एक एनजीओ है - बिना कोई फ़ीस लिये बाकायदा डिग ् री देने वाली यूनिवर ् सिटी, जो एक रास ् ता देती है उन लोगों को जिनके पास कोई रास ् ता नहीं बचा है, ऐसा रास ् ता जो उनकी जेब के हिसाब से है और जिसका विस ् तार हो सकता है । ऐसा हल जो कि हिला देगा आज की शिक ् षा व ् यवस ् था को, और उच ् च शिक ् षा के दरवाज़े खोल देगा हर सुयोग ् य विद ् यार ् थी के लिये, चाहे वो कितना भी कम कमाते हों, या दूर-दराज़ में रहते हों, या फ़िर उनके समाज की रूढियाँ उन ् हें रोकती हों । पैट ् रिक, डेबी और वाएल ऐसे तीन उदाहरण हैं उन 1700 चुने हुये विद ् यार ् थियों में से, जो 143 विभिन ् न देशों से आये हैं हम — - (तालियाँ) — -धन ् यवाद हमें शुरुवात से कुछ नया बनाने की ज़रूरत नहीं पडी । हमने देखा कि क ् या चीज़ें काम नहीं कर रही हैं और हम इंटरनेट की खूबियों का इस ् तेमाल करके कैसे उन ् हें ठीक कर सकते हैं । हम एक ऐसा मॉडल बनाने निकले जो कि पैसे की ज़रूरत को खत ् म कर देगा उच ् च शिक ् षा पाने के लिये, और वही हमने किया । पहली बात ये कि बडी आलीशान बिल ् डिंगों में बहुत धन लगता है । ऐसे विश ् व-विद ् यालयों के बडे ऐसे खर ् चे होते हैं जो इंटरनेट-यूनिवर ् सिटी में नहीं होते । इसलिये हमें इन खर ् चों के इंतज़ाम के लिये विद ् यार ् थियों पर बोझ नहीं डालना पडता है । क ् योंकि वो खर ् चे होते ही नहीं हैं । हमें सीमित सीटों की संख ् या से नहीं जूझना पडा क ् योंकि सीटों की कोई सीमा ही नहीं है इंटरनेट-यूनिवर ् सिटी में । और तो और, किसी को भी लेक ् चर हॉल के पीछे वाली सीट पर नहीं बैठना पडता है, पाठ ् य-पुस ् तकों को खरीदने की भी ज़रूरत हमारे छात ् रों को नहीं होती । मुक ् त रूप से उपलब ् ध शिक ् षा-साधनों के इस ् तेमाल से, और उन प ् रोफ़ेसरों की दरिया-दिली से, जो अपने ज ् ञान और शिक ् षा-सामग ् री को मुफ़ ् त में बाँटने को तैयार है, हमे अपने विद ् यार ् थियों को पुस ् तकें खरीदने के लिये बाध ् य नहीं करना होता । हमारी सारी पाठ ् य-सामग ् री मुफ़ ् त में मिलती है । यहाँ तक कि प ् रोफ़ेसर भी, जो कि किसी भी यूनिवर ् सिटी के खर ् चे का सबसे बडा हिस ् सा होते है, हमारे छात ् रो को मुफ़ ् त पढाने को राज़ी हैं, अब तक करीब 3000 प ् रोफ़ेसर जुड चुके हैं । प ् रेसीडेंट, वाइस-चांसलर, प ् रोफ़ेसर और अकादमिक सलाहकार विश ् व-स ् तर यूनिवर ् सिटियों से जैसे एन.वाई.यू (न ् यू यार ् क वि.वि.) येल, बर ् कली और ऑक ् सफ़ोर ् ड से आ कर हमारे छात ् रो की मदद के लिये तैयार हैं । और सबसे बडी बात कि हम एक-दूसरे से सीखने में विश ् वास रखते हैं । हमे इस दुरुस ् त भरपूर शैक ् षणिक मॉडल का प ् रयोग करते है दुनिया भर के छात ् रों को बढावा देने के लिये कि वो साथ पढे और एक दूसरे से सीखें और उस अवधि को कम करें जो कि हमारे प ् रोफ़ेसरों को गॄह-कार ् य जाँचनें में लगानी पडती है । जहाँ इंटरनेट ने दुनिया को एक गाँव बना दिया है, वहीं ये मॉडल से भविष ् य के कर ् णधारों का विकास करेगा । आइये देखें हम क ् या करते हैं । हम केवल दो ही डिग ् री करवाते हैं: बिजेनेस की और कमप ् यूट ् रर विज ् ञान की । ये वो दो डिग ् रियाँ जिनकी दुनिया में सबसे ज ् यादा माँग है । इन दो डिग ् रियाँ को पाने पर छात ् रो की रोज़गार संभावना अधिकतम हो जाती है एड ् मिशन के बाद हमारे छात ् रो को एक छोटे क ् लास में डाला जाता है करीब 20 से 30 छात ् रों का, जिस से कि सब पर व ् यक ् तिगत रूप से ध ् यान दिया जा सके । साथ ही, हर नौं हफ़ ् तों के कोर ् स के बाद, उन ् हें एक नया साथी मिलता है, छात ् रो का एक बिलकुल नया ग ् रुप जो सारी दुनिया से आता है । हर हफ़ ् ते, जब वे क ् लास जाते हैं, उन ् हें उस हफ़ ् ते के लेक ् चर की सामग ् री मिल जाती है, उनके गृह-कार ् य और पाठ ् य-सामग ् री समेत, विमर ् श हेतु प ् रश ् न भी, जो कि हमारी पढाई का मुख ् य भाग होता है । हर हफ़ ् ते, हर छात ् र को क ् लास के इस विचार-विमर ् श में भाग लेना ही पडता है, और अपनी विचार बताने होते है, साथ ही दूसरों के विचारों पर प ् रतिक ् रिया भी । इस तरह, छात ् रों की सोच का विस ् तार होता है, उनके मिजाज़ में सकारत ् मकता आती है अलग अलग विचारधाराओं के प ् रति । हफ़ ् ते के अंत तक, छात ् रों को एक छोटी परीक ् षा देनी होती है, अपना गृह-कार ् य जमा करना होता है, जो कि उनके साथियों द ् वारा जाँचा जाता है नियुक ् त शिक ् षकों के मार ् ग-दर ् शन में, उन ् हें ग ् रेड मिलते है, और अगला हफ़ ् ता शुरु होता है । कोर ् स के अंत में वो एक फ़ाइनल परीक ् षा देते हैं, उन ् हें ग ् रेड मिलते है, और फिर अगला कोर ् स शुरु होता है । हमने उच ् च शिक ् षा के दरवाज़े खोल दिये हैं हर विद ् यार ् थी के लिये जो उस के लायक है । हर वो विद ् यार ् थी जो स ् कूल उत ् तीर ् ण कर चुका है, जिसे ज़रूरी अँग ् रेज़ी आती है, और जिसके पास इंटरनेट है, हमारे साथ पढ सकता है । हम ऑडियो इस ् तेमाल नहीं करते, वीडियो भी नहीं । ब ् रॉड-बैड भी ज़रूरी नहीं है । दुनिया मे कहीं से भी, कोई भी छात ् र किसी भी तरह के इंटरनेट कनेक ् श ् न से हमारे साथ पढ सकता है । हम फ़ीस नहीं लेते । हम अपने छात ् रों से बस इतना चाहते हैं कि वो परीक ् षा का खर ् चा वहन करें, जो कि प ् रति परीक ् षा 100 डालर है । फ़ुल टाइम बैचलर-डिग ् री के छात ् र को 40 कोर ् स लेने होगें, और करीब प ् रति वर ् ष 1000 डॉलर खर ् च करने होंगे, पूरी डिग ् री की कीमत करीब 4000 डॉलर होगी । और जो इसका वहन भी नहीं कर सकते, उन ् हें हम कई प ् रकार की छात ् र-वृत ् ति (स ् कालरशिप) भी देते हैं । ये हमारा लक ् ष ् य है कि कोई भी वंचित न रह जाये सिर ् फ़ पैसे की कमी के कारण । 2016 तक हम करीब 5000 छात ् रों तक पहुँच चुके होंगे, और ये मॉडल वाणिज ् यिक रूप से भी सक ् षम (फ़ायनेंशियली कामयाब) हो जायेगा पाँच साल पहले, ये सिर ् फ़ एक ख ् वाब था । आज ये एक सच ् चाई है । पिछले हफ़ ् ते, हमें अपने काम का सबसे बडा इनाम मिला । यूनिवर ् सिटी ऑफ़ पीपल अब पूरी तरह से मान ् यता-प ् राप ् त है । (तालियाँ) धन ् यवाद इस मान ् यता-प ् राप ् ति के साथ ही तेज़ी से विस ् तार का समय आ गया है । हमने ये दिखा दिया है कि ये मॉडल काम करता है । मैं आमंत ् रण देता हूँ यूनिवर ् सिटियों को, और उस से भी ज ् यादा, विकासशील देशों की सरकारों को, कि इस मॉडल को अपने यहाँ अपनायें जिस से कि उच ् च शिक ् षा के द ् वार सभी के लिये खुलें । एक नया ज़माना आ रहा है । ऐसा ज़माना जो गवाह होगा भारी बदलाव का, उच ् च शिक ् षा के मॉडल में जैसा कि वो आज है । केवल कुछ ही लोगों के लिये उपलब ् ध अधिकार की जगह उस के एक मौलिक अधिकार में बदलने का समय, सबके लिये उपलब ् ध और सब के बजट में उप ् लब ् ध होने का । धन ् यवाद । (तालियाँ) ऐसा है कि जब मैं अपना काम करती हूँ, तो लोग चिढ जाते हैं । बल ् कि, जितना अच ् छा काम मैं करती हूँ, उतना ही लोग मुझसे और चिढ जाते हैं । और मैं ट ् रेफ़िक चालान काटने वाली नहीं हूँ, और मैं कोई दादागिरी करने वाली भी नहीं हूँ । मैं तो बस एक प ् रगतिवादी लेस ् बियन हूँ और फ़ॉक ् स न ् यूज़ पर जब तब बक बक करती हूँ । (तालियाँ) जी, सही सुना आपने! फिर से कह रही हूँ - सही सुना आपने! मैं फ़ॉक ् स न ् यूज़ की समलैंगिक बातूनी हूँ । और मैं आपको बताती हूँ कि मैं ये कैसे करती हूँ और वो सबसे ज़रूरी बात जो मैने सीखी है । तो मैं टेलीविज़न पर आती हूँ । मैं उन लोगों से बहस करती हूँ जो हर उस बात को खत ् म करना चाहते है जिसमे मेरा विश ् वास है, और कभी कभी तो, जो ये तक नहीं चाहते कि मैं और मेरे जैसे लोग इस दुनिया में रहें । ये त ् योहार पर अपने उस दकियानूसी चचा से बतियाने जैसा है जो राशन पानी ले कर लडने को तैयार बैठे हों, बस ये दसियों लाख टीवी दर ् शकों के सामने सीधे होता है । ये एक ् दम बिलकुल वैसा ही है । बस ये टीवी पर होता है । मुझे बेहद ज ् यादा मात ् रा में नफ़रत भरी चिट ् ठियाँ आती हैं । पिछले ही हफ़ ् ते, मुझे २३८ घृणा भरी ईमेल मिली हैं और ट ् वीट ् स तो इतने कि मैं गिन भी नहीं सकती । मुझे बेवकूफ़, गद ् दार, अभिशापित, कमीनी और बदसूरत आदमी कहा गया, और ये सब बस एक ही ईमेल में था । (हँसी) तो मैने आखिरकार सीखा क ् या, इतनी गाली गलौच और ताने झेल कर? देखिये, मेरा सब से बडी सीख ये है कि दसियों साल से, हम लोग राजनैतिक नज़रिये से सही होने की कोशिश करते आये हैं, मगर असल में जो चीज़ ज़रूरी है वो है भावनात ् मक रूप से सही होना । मै आपको एक छोटा सा उदाहरण देती हूँ । मुझे रत ् ती भर फ़र ् क नहीं पडता यदि आप मुझे मर ् दाना औरत पुकारें । सच में । मैं सिर ् फ़ दो बातों की फ़िक ् र करती हूँ । एक तो ये कि आप मर ् दाना की स ् पेलिंग ठीक लिखें । (हँसी) (तालियाँ) जानकारी के लिये, म र दा ना । आपको पता नहीं है लोगों को ये नहीं आता है । और दूसरा, आप क ् या शब ् द इस ् तेमाल करते हैं, इसके बजाय, ये कि आप उसे कैसे इस ् तेमाल कर रहे हैं । क ् या आप बस मज़ाक कर रहे हैं? या आपको पता नहीं है शब ् द का मतलब? या फ़िर आप सच में मुझे व ् यक ् तिगत रूप से दुःख पहुँचाना चाहते है? भावनात ् मक रूप से सही होना बोलने के ढँग, उस में निहित भावना पर है, कि हम कैसे कहते हैं जो भी हम कहते हैं, और एक दूसरे के प ् रति स ् नेह और आदर जो हम अभिव ् यक ् त करते हैं । और मैने महसूस किया है कि राजनैतिक समझ बूझ भी किसी आइडिया या तथ ् य या संख ् याओं की मोहताज़ नहीं होती । बल ् कि वो भावनात ् मक रूप से सही होने से शुरु होती है । तो जब मैं पहली बार फ़ॉक ् स न ् यूज़ में काम करने गयी, एकदम सच बात, तो मुझे लगा था कि वहाँ तो फ़र ् श में निशान बने होंगे इधर उधर घसीटे जाने से । और यदि आप ध ् यान दें, तो ऐसा कहना भावनात ् मक रूप से सही नहीं हैं । मगर उदारवादी लोग मेरी तरफ़ हैं, तो हम खुद को न ् याय संगत, प ् रभु समान मान सकते हैं, हम किसी भो ऐसे व ् यक ् ति को रद ् द कर सकते हैं जो हम से सहमत न हो । दूसरे शब ् दों मे, हम राजनैतिक रूप से सही हो सकते हैं मगर भावनात ् मक रूप से सरासर गलत । और इसका एक परिणाम ये है कि लोग हमें पसंद नहीं करेंगे । है न? और सुनिये कान खडे करने वाली बात । रूढिवादी लोग असल में बहुत अच ् छे लोग होते हैं । मतलब, सारे के सारे नहीं, और वो तो बिल ् कुल नहीं जो मुझे घृणा भरे ईमेल भेजते हैं, पर आपको अचरच होगा कि कितने सारे लोग अच ् छे होते हैं । शॉन हैनिटी दुनिया के सबसे प ् यारे व ् यक ् तियों में से हैं जिन ् हें मैं जानती हूँ । वो अपना खाली समय अपने स ् टाफ़ के लोगों को ब ् लाइंड डेट पर भेजने में व ् यतीत करते है, और मुझे पता है कि अगर कभी मैं किसी मुश ् किल में हुई, तो वो मेरी मदद करने का हर संभव प ् रयास करेंगे । और देखिये मुझे लगता है कि शॉन हैनिटी निन ् यान ् वे प ् रतिशत राजनैतिक रूप से सही नहीं हैं, मगर वो कमाल के दर ् ज़े तक भावनात ् मक रूप से सही हैं । और इसीलिये लोगो उनकी बात सुनते हैं? क ् योंकि आप किसी को मना तो सकते ही नहीं अगर वो आपकी बात भी सुनने को राज़ी न हो । हम एक दूसरे से कन ् नी काट लेने में इतना मशगूल रहते हैं कि हम अपनी असहमतियों पर तो कभी बात ही नहीं करते, और अगर हम एक दूसरे के प ् रति स ् नेह का भाव रखना सीख लें, तो कम से कम सहमति का संभावना तो दिखेगी । और ये सुन कर बडा अजीब सा लगता है यहाँ से खडे हो कर ये सब कहना, मगर जब आप इसे जीवन में उतारेंगे तो देखेंगे, कि इसमें गज़ब की शक ् ति है । मान लीजिये कोई कहता है कि उसे प ् रवासियों से नफ़रत है, मैं ये अनुमान लगाने का प ् रयास करती हूँ कि वो कितने डरे हुये होंगे कि उनका समाज कितनी तेज़ी से बदल रहा है । या जब कोई कहता है कि उन ् हें शिक ् षकों की यूनियन पसंद नहीं, तो मैं जानती हूँ कि उनका दिल बैठ जाता होगा अपने बच ् चों के स ् कूलों को बरबाद होते देख कर, और उन ् हें कोई चाहिये जिसे पर वो आरोप मढ सकें । हमारी चुनौती है कि हम दूसरों के लिये दिल में प ् यार पैदा कर सकें, जैसा हम उन के दिलों में अपने लिये चाहते हैं । ये है भावनात ् मक रूप से सही होना । मै ये बिल ् कुल नहीं कहती कि ये आसान है । औसतन, मुझे दिन में पाँच दशम ् लव छः बार खुद को रोकना पडता है अपने जवाबों में गंदी गंदी भद ् दी गालियों को भरने से । ये पूरा मसला कि प ् यार ढूँढो और अपने दुश ् मनों से भी सहमति की संभावना खोजो, ये एक तरीके का राजनैतिक आध ् यात ् म है मेरे लिये, और मैं कोई दलाई लामा भी नहीं हूँ । मै सर ् वोत ् त ् म नहीं हूँ लेकिन मैं आशावादी तो हूँ ही, क ् योंकि मुझे सिर ् फ़ नफ़रत भरे ख ़ त ही नहीं आते, मुझे बहुत सारे प ् यार भरे ख़त भी मिलते हैं । और मेरा सबसे पसंदीदा ख़त ऐसे शुरु होता है, "" मै आपके राजनैतिक मूल ् यों का कायल नहीं हूँ, न ही आपके काफ़ी खराब से तर ् कों का, मगर मैं एक व ् यक ् ति के रूप में आपक बहुत बडा फ़ैन हूँ । "" ये व ् यक ् ति मुझसे ज़रा भी सहमति नहीं रखता, फ़िर भी! (हँसी) मगर वो सुनता है, जो मैने कहा उस की वजह से नहीं, मगर मैने कैसे कहा, इस वजह से, और न जाने कैसे, हम कभी मिले भी नहीं, मगर हमने एक रिश ् ता कायम कर लिया है । ये है भावनात ् मक रूप से सही होन, और यही तरीका है बातचीत सुलह की शुरुवात करने का जिस से कि बदलाव आ सकता है । धन ् यवाद । (तालियाँ) ज ़ िन ् दगी को बेहतर बना सकते हैं । हम अपने हर पडोसी से नहीं टकराते, सार ् वजिनक वातावरण में ज ् यादा सहभागी के लिए बहुत तरीके अपनाये हैं, जिनमे मैंने साधारण उपकरणों जैसे stickers, stencils और chalk का इस ् तेमाल किया है | दस ् तक दिए बिना, ज ् यादा उधार ले या दे सकते हैं? और हमारे भुदेश ् य की एक बेहतर समझ हासिल कर सकते हैं? और मुझे New Orleans से प ् यार है । New Orleans में जलूस निकलता है । (हँसी) 2009 में, मैंने अपने बहुत ही प ् रिय व ् यक ् ति को खो दिया. और उनकी मृत ् यु अचानक और अनपेक ् षित थी । और यह भूल जाना कि आपके लिए वास ् तव में क ् या महत ् वपूर ् ण है । मैंने इस बहिष ् कृत घर की एक तरफ की दीवार को एक विशाल"अपनी मृत ् यु से पहले, मैं.... करना चाहता हूँ ।" परन ् तु अगले ही दिन, वो दीवार पूरी भर गयी थी, "" अपनी मृत ् यु से पहले, मैं साहित ् यिक चोरी के लिए दण ् डित होना चाहता हूँ । "" (हँसी) "" अपनी मृत ् यु से पहले, मैं उसे एक और बार पकड़ना चाहता हूँ "". और लोगों की उम ् मीदों और सपनों ने यह आपको यह एहसास दिलाता है कि आप अकेले नहीं हैं । यह आपको अपने पड़ोसियों को नए और आलोकित तरीकेचाहिए कि जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं और बदल रहे हैं, जो अपने समुदाय के साथ एक दीवार बनाना चाहते थे, इसलिए मेरे नगर केंद ् र के सहकर ् मियों और मैंने एक उपकरण समूह बनाया, और अबजिन में kazakhstan, south africa, दिया जाए । हमारे सहभाजी स ् थान ज ् यादा बेहतर रूप से प ् रतिबिंबित कर सकते हैं कि हमारे लिए व ् यक ् तिगत और एक समुदाय की तरह क ् या महत ् वपूर ् ण हैं, धन ् यवाद ्. (तालियाँ) बहुत-बहुत धन ् यवाद क ् रिस । हर कोई जो यहाँ आया उन ् होंने कहा कि वे डर गए थे । मुझे पता नहीं है अगर मैं डर रही हूँ तो, लेकिन यह इस तरह से एक दर ् शकों को संबोधित करने का मेरा पहला अवसर है । और मेरे पास आपको दिखाने के लिए कोई भी स ् मार ् ट तक ़ नीक ़ नहीं है । कोई स ् लाइड नहीं, इसलिये आपको सिर ् फ़ मुझसे ही सन ् तुष ् ट होना पड ़ ेगा । (हँसी) । आज मैं आपके साथ कुछ कहानियाँ बांटना चाहती हूँ । और साथ ही एक अलग अफ ् रीका के बारे में बात करना चाहती हूँ । पहले से ही इस सुबह अफ ् रीका के लिए कुछ भ ् रम थे जिसके बारे में आप हर समय सुनते हैं: अफ ् रीका में एचआईवी / एड ् स, अफ ् रीका में मलेरिया, अफ ् रीका में ग ़ रीबी, अफ ् रीका का संघर ् ष, और अफ ् रीका की आपदायें । हालांकि यह सच है कि ये चीज ़ ें हो रही हैं, फ़िर भी एक अफ ् रीका है जिसके बारे में आपने बहुत कुछ नहीं सुना है । और कभी-कभी मैं हैरान होकर अपने आप को पूछती हूँ क ् यों । यह वो अफ ् रीका है जो बदल रहा है, जिसका क ् रिस ने उल ् लेख किया है । यह अफ ् रीका अवसर का है । यह वो अफ़ ् रीका है जहाँ लोग अपने स ् वयं के भविष ् य और अपनी ही नियति का भार उठाना चाहते हैं । और यह वो अफ ् रीका है जहाँ लोग यह करने के लिए साझेदारी की तलाश कर रहे हैं आज मैं इसके बारे में ही बात करना चाहती हूँ । और मैं आपको अफ़ ् रीका के बदलाव के बारे में एक कहानी बताकर शुरू करना चाहती हूँ । सितम ् बर 2005 की 15 तारीख को, श ् री डायप ् रिये अल ् मीसेघा, नाइजीरिया के तेल समृद ् ध राज ् यों के राज ् यपाल, उनको लंदन मेट ् रोपोलिटन पुलिस ने लंदन के लिए एक यात ् रा पर गिरफ ़ ् तार कर लिया । उनको गिरफ ़ ् तार किया गया क ् योंकि उनसे और उनके परिवार से जुड ़ े $8 लाख का स ् थानान ् तरण कुछ निष ् क ् रिय खातों में चला गया । यह गिरफ ़ ् तारी हुई क ् योंकि लंदन मेट ् रोपोलिटन पुलिस और आर ् थिक और वित ् तीय अपराध आयोग नाइजीरिया के बीच सहयोग था, जिसका नेतृत ् व हमारे सबसे योग ् य और साहसी लोगों में से एक: श ् री नुहू रिबाडु द ् वारा किया जा रहा था । अल ् मीसेघा को लंदन में अपराधी बताया गया था । कुछ नाकामी के कारण, वह एक महिला का रूप धारण करके बच निकलने में सफल हो गये । और लंदन से वापस नाइजीरिया भाग गए जहाँ से, हमारे संविधान के अनुसार, जैसा कि बहुत से अन ् य देशों में भी है कि जो कार ् यालय में राज ् यपाल, राष ् ट ् रपति - के रूप में हैं और — उन ् मुक ् त है उन पर मुक ़ दमा नहीं चलाया जा सकता । लेकिन क ् या हुआ: लोग उनके व ् यवहार से इतने क ् रोधित थे कि उनकी राज ् य विधायिका के लिए उन ् हें दोषी ठहराना और कार ् यालय से बाहर निकालना, यह संभव था । आज, अल ् म ् स – जैसा हम उन ् हें छोटे नाम में पुकारते हैं - जेल में है । यह इस तथ ् य के बारे में एक कहानी है कि अफ ् रीका में लोग अब उनके नेताओं से भ ् रष ् टाचार बर ् दाश ् त करने को तैयार नहीं हैं । यह इस तथ ् य के बारे में एक कहानी है कि लोग अपने संसाधनों का ठीक ढंग से प ् रबंधन करना चाहते हैं ना कि ये कि उन ् हें और अच ् छे स ् थानों के लिए बाहर ले जाया जाये जहाँ सिर ् फ़ एक अभिजात वर ् ग के कुछ लोग इसका लाभ लेंगे । और इसलिए, जब आप भ ् रष ् ट अफ ् रीका के बारे में सुनते हैं — भ ् रष ् टाचार हर समय – मैं चाहती हूँ कि आप जानें कि लोग और सरकार कुछ देशों में इस मुश ् किल से लड ़ ने की कोशिश कर रहे हैं, और कुछ सफलताऍ भी उभर रही हैं । क ् या इसका ये मतलब है कि यह समस ् या ख ़ त ् म हो गई है? इस सवाल का जवाब नहीं है । अभी भी जाने के लिए एक लंबा रास ् ता है, लेकिन साथ ही हमारी इच ् छा भी वहाँ है । और इस बहुत महत ् वपूर ् ण लड ़ ाई के लिये सफलतायें तैयार की जा रही हैं । तो जब आप भ ् रष ् टाचार के बारे में, सुनें तो सिर ् फ़ यह महसूस ना करें कि इस बारे में कुछ भी नहीं किया जा रहा है — कि आप भारी भ ् रष ् टाचार की वजह से किसी भी अफ ् रीकी देश में काम नहीं कर सकते । ऐसा नहीं है । वहाँ लड ़ ने की एक इच ् छा है, और कई देशों में, लड ़ ाई चल रही है और जीती जा रही है । अन ् य शब ् दों में, जैसे मेरे देश में जहां नाइजीरिया में तानाशाही का एक लंबा इतिहास रहा है, लड ़ ाई चल रही है और हमें आगे बढ़ने के लिए एक लंबा रास ् ता तय करना है । लेकिन इस मामले की सच ् चाई यह है कि यह चल रहा है । परिणाम दिखा रहे हैं: विश ् व बैंक और अन ् य संगठनों द ् वारा स ् वतंत ् र निगरानी दिखा रही है कि कई मामलों में ये रुझान नीचे है भ ् रष ् टाचार के मामले में, और प ् रशासन में सुधार है । अफ ् रीका के लिए आर ् थिक आयोग द ् वारा एक अध ् ययन अफ ् रीकी देशों में शासन में एक स ् पष ् ट रुझान ऊपर की ओर दिखाता है । और मुझे बस एक और बात कहनी है इससे पहले कि मैं शासन के इस क ् षेत ् र को छोड ़ दूँ । यह है कि लोग भ ् रष ् टाचार, भ ् रष ् टाचार के बारे में बात कर रहे हैं । हर समय, जब भी वे इस बारे में बात करते हैं आप तुरंत अफ ् रीका के बारे में सोचते हैं । यह छवि: अफ ् रीकी देशों की है । लेकिन मैं यह कहना चाहूँगी: अगर अल ् मैस लंदन में एक ख ़ ाते में $8 करोड ़ का निर ् यात करने में सक ् षम था — अगर अन ् य लोगों ने जो पैसा लिया था जो अनुमान लगाया गया कि लगभग 20 से 40 अरब था, अब ये विकासशील देशों का पैसा है जो अब विदेशों में विकसित देशों में बैठे हैं – यदि वे ऐसा करने में सफल रहे हैं, तो ये क ् या है? क ् या ये भ ् रष ् टाचार नहीं है? इस देश में, यदि आप चोरी के सामान को प ् राप ् त करते हैं, तो क ् या आप पर मुक ़ दमा नहीं चलाया जायेगा? तो जब हम भ ् रष ् टाचार के बारे में इस तरह की बात करते हैं तो हमें ये भी सोचना चाहिये, कि दुनिया के दूसरे किनारे पर क ् या हो रहा है — पैसा कहाँ जा रहा है और इसे रोकने के लिए क ् या किया जा सकता है । मैं अब विश ् व बैंक के साथ परिसंपत ् ति वसूली पर, एक पहल पर काम कर रही हूँ, कोशिश कर रही हूँ ये जानने की, कि हम क ् या कर सकते हैं वो पैसा वापस पाने के लिए जो कि विदेशों में ले लिया गया है — विकासशील देशों का धन - उसे वापस पाने के लिए । क ् योंकि अगर हम वहाँ बाहर बैठे, 20 अरब डॉलर वापस प ् राप ् त कर सकते हैं तो इनमें से कुछ देशों के लिये ये एक साथ रखी जाने वाली सारी सहायता से भी अधिक हो सकता है । (तालियां) । दूसरी चीज ़ जिसके बारे में मैं बात करना चाहती हूँ वो है सुधार के लिये इच ् छा । अफ ् रीकियों, के बाद - वे थक गए हैं, सब का दान और देखभाल का विषय होने के कारण हम थके हुए हैं । हम आभारी हैं, लेकिन हम जानते हैं कि अगर हममें सुधार की इच ् छा हो तो, हम अपनी नियति को सुधारने की ज ़ िम ् मेदारी ले सकते हैं । और कई अफ ् रीकी देशों में अब जो हो रहा है वो एक अनुभूति है कि हमारे अलावा कोई भी यह नहीं कर सकता । हम उसे करना ही है । हम साझीदारों को आमंत ् रित कर सकते हैं जो हमारा समर ् थन कर सकते हैं, लेकिन हम शुरुआत करनी ही है । हम हमारी अर ् थव ् यवस ् थाओं में सुधार करना है, हमारे नेतृत ् व में परिवर ् तन लाना है, और अधिक लोकतांत ् रिक बनना है और जानकारी में बदलाव लाने के लिए और अधिक खुला होना है । और हमने महाद ् वीप सबसे बड ़ े देशों में से एक, नाइजीरिया में यह करने की शुरुआत कर दी है । वास ् तव में, अगर आप नाइजीरिया में नहीं हो, तो आप अफ ् रीका में नहीं हो । मैं आपको बताना चाहती हूँ कि । (हँसी) । चार सब सहारा अफ ् रीकी में एक नाइजीरिया का है, और यहाँ 140 मिलियन को गतिशील लोग- अराजक लोग लेकिन बहुत दिलचस ् प लोग - हैं आप कभी बोर नहीं होंगे । (हँसी) । हमने यह महसूस करना शुरू कर दिया है कि कि हमें स ् वयं प ् रभार लेना और ख ़ ुद को सुधारना होगा । और एक ऐसे नेता के समर ् थन के साथ जो हर समय पर, सुधारों को करने के लिए, तैयार है हम एक व ् यापक सुधार कार ् यक ् रम सामने रखेंगे जो हमने अपने आप विकसित किया है । अंतरराष ् ट ् रीय मुद ् रा कोष नहीं । विश ् व बैंक नहीं, जहाँ मैंने 21 साल काम किया और एक उपाध ् यक ् ष के पद तक उठा । कोई यह आप के लिए नहीं कर सकता । आपको ख ़ ुद के लिए यह करना है । हम एक ऐसा कार ् यक ् रम सामने रखेंगे जो कि, एक: राज ् य को ऐसे सभी व ् यापारों से बाहर निकालेगा जिसमें कुछ नहीं है — जिनसे व ् यापार करके कुछ नहीं मिलेगा । राज ् य को वस ् तुओं और सेवाओं के उत ् पादन के व ् यवसाय में नहीं होना चाहिए क ् योंकि यह अक ् षम और अपर ् याप ् त है । तो हमने अपने कई उद ् यमों के निजीकरण करने का फैसला किया । (तालियां) । हमने - एक परिणाम के रूप में, हमने अपने कई बाज ़ ारों को स ् वतंत ् र करने का फैसला किया । क ् या आप विश ् वास कर सकते कि इस सुधार को करने से पहले — जो 2003 के अंत में शुरू हुआ, जब मैंने वित ् त मंत ् री के पद को लेने के लिये वॉशिंगटन छोड ़ दिया था — हमारे पास एक दूरसंचार कंपनी थी जो अपने पूरे 30 साल के इतिहास में केवल 4500 फ़ोन विकसित करने में सक ् षम थी (हँसी) । मेरे देश एक टेलीफ ़ ोन एक विशाल समृद ् धि माना जाता था । आप इसे नहीं ले सकते । आपको घूस देनी पड ़ ेगी । आप अपने फ ़ ोन पाने के लिए सब कुछ करना था । जब राष ् ट ् रपति ओबासानोजो ने दूरसंचार क ् षेत ् र के उदारीकरण का समर ् थन और शुरूआत की, हम 4500 लैन ् डलाइन से 32 करोड ़ जीएसएम लाइनों पर पहुँच गए, और गिनती अभी भी चालू है । नाइजीरिया के दूरसंचार बाज ़ ार चीन के बाद विश ् व में दूसरा सबसे तेज ़ ी से बढ ़ रहा है, हमारे यहाँ दूरसंचार में 1 अरब डॉलर एक वर ् ष का निवेश हो रहा है । और कुछ समझदार लोगों को छोड ़ कर और कोई नहीं जानता है । (हँसी) । सबसे पहले आने के लिए एक चतुर कम ् पनी दक ् षिण अफ ् रीका की MTN कंपनी थी । और तीन वर ् षों में जबकि मैं वित ् त मंत ् री थी, उन ् होंने एक औसत $360 मिलियन प ् रति वर ् ष लाभ बनाया है । 360 मिलियन एक बाज ़ ार में – एक देश में जो एक ग ़ रीब देश है, जिसकी प ् रति व ् यक ् ति औसत आय अभी के तहत 500 डॉलर प ् रति व ् यक ् ति है । तो बाज ़ ार वहाँ है । जब उन ् होंने इसे छुपा कर रखा, लेकिन जल ् द ही दूसरों को इसका पता चल गया । नाइजीरिया के लोगों ने ख ़ ुद को विकसित करना शुरू किया कुछ बेतार दूरसंचार कंपनियों, और तीन या चार अन ् य भी अंदर आ गई हैं । लेकिन वहाँ एक विशाल बाज ़ ार है, और लोगों को इसके बारे में पता नहीं है, या वो पता नहीं करना चाहते । तो निजीकरण उन चीज ़ ों में से एक है जो हमने किया है । दूसरी बात जो हमने की है वो हमारे बेहतर वित ् त प ् रबंधन के लिए है । क ् योंकि अगर आप अच ् छी तरह से अपने ख ़ ुद के वित ् त प ् रबंध नहीं करेंगे तो कोई भी तुम ् हारी मदद करने के लिए और समर ् थन के लिये तैयार नहीं है और नाइजीरिया की प ् रतिष ् ठा, तेल के क ् षेत ् र के साथ, ये थी कि ये भ ् रष ् ट होने के साथ अपने स ् वयं के सार ् वजनिक वित ् त प ् रबंध में कुशल नहीं है । तो हमने क ् या करने का प ् रयास किया था? हम एक वित ् तीय वर ् ष शासन शुरू किया जिससे तेल के मूल ् य हमारे बजट से अलग जुड ़ े । इससे पहले हम जो तेल लाते थे उस पर बजट का उपयोग करते थे, क ् योंकि तेल सबसे ज ़ ् यादा राजस ् व अर ् जन का क ् षेत ् र है, अर ् थव ् यवस ् था में: हमारा राजस ् व का 70% तेल से आता है हमने घटा कर जोड ़ ा कि, और ये बजट के लिए शुरू किया और तेल के मूल ् य से ज ़ रा एक बार हमने कम पर किया और जो कुछ भी उस मूल ् य से ऊपर था उसे बचा लिया । हम इसे खींच सकते थे या नहीं पता नहीं था, यह बहुत ही विवादास ् पद रहा था । लेकिन इसने तुरन ् त जो किया वो था अस ् थिरता जो हमारे आर ् थिक विकास की दृष ् टि में मौजूद थी — जहाँ, यहाँ तक कि अगर तेल की क ़ ीमतें ऊँची हैं, हम बहुत तेज ़ ी से विकसित हो रहे थे । जब ये दुर ् घटनाग ् रस ् त हो गया, हम दुर ् घटनाग ् रस ् त हो गए । और हम अर ् थव ् यवस ् था में मुश ् किल से भी कुछ भी, किसी भी वेतन का भुगतान कर सकता थे । ये सही हो गया । मेरे छोड ़ ने से बिल ् कुल पहले, हम $27 बिलियन बचाने में सक ् षम हो गये । जबकि - और यह हमारे भंडार के पास गया — जब मैं 2003 में आई, तो हमारे पास 7 अरब डॉलर भंडार में था । और मेरे छोड ़ के जाने के समय तक, हम लगभग $30 बिलियन करने तक बढ़ गये थे । और जैसी कि अभी हमने बात की, हमारे पास हमारे वित ् त के उचित प ् रबंधन की वजह से $40 बिलियन भंडार में है । और इससे हमारी अर ् थव ् यवस ् था किनारे लग जाती है, वह स ् थिर हो जाती है । हमारी विनिमय दर जो कि हर समय में उतार चढ ़ ाव करती थी अब काफ ़ ी स ् थिर है और इसे परबंधित किया जा रहा है, ताकि व ् यापार के लोगों को अर ् थव ् यवस ् था में क ़ ीमतों पर एक निशचितता रहे । हम मुद ् रास ् फीति की दर को 28 प ् रतिशत से लगभग 11 प ् रतिशत नीचे लाये । और हमारी सकल घरेलू उत ् पाद दर पिछले दशक के एक औसत 2.3 प ् रतिशत से अब 6.5 प ् रतिशत हो गई । इसलिये जो सभी परिवर ् तन और सुधार जो हम करने के लिए सक ् षम थे वह सभी परिणामों में दिखाई दिया है और अर ् थव ् यवस ् था में औसत दर ् ज है । और अधिक महत ् वपूर ् ण क ् या है, क ् योंकि हम तेल से आगे जाना चाहते थे और विविधता लाना चाहते थे- और इस बड ़ े देश में इतने सारे अवसर जैसा कि अफ ् रीका में अनेक देशों में — उल ् लेखनीय क ् या है कि इस वृद ् धि का बहुत कुछ अकेले तेल क ् षेत ् र से ही नहीं, लेकिन ग ़ ैर तेल क ् षेत ् र से भी आया है । कृषि बेहतर की तुलना में 8 प ् रतिशत में वृद ् धि हुई । जैसा कि दूरसंचार क ् षेत ् र बढ ़ ा, आवास और निर ् माण भी और मैं और आगे जा सकती हूँ । और यह आप को वर ् णन करने को है कि एक बार आप मैक ् रो-अर ् थव ् यवस ् था हो को सीधा कर लें, तो विभिन ् न अन ् य क ् षेत ् रों में विशाल अवसर हैं । जैसे मैंने कहा हमारे पास कृषि क ् षेत ् र में अवसर हैं । हमारे पास ठोस खनिजों में अवसर हैं । हमारे पास खनिजों का इतना बड ़ ा हिस ् सा है, कि किसी ने भी कभी खोजा या निवेश नहीं किया होगा । और हमें एहसास हुआ कि यह संभव बनाने के लिए उचित क ़ ानून के बिना, ऐसा नहीं हो सकता है । तो अब हमें एक खनन कोड मिला है जो कि इस दुनिया में सर ् वश ् रेष ् ठ के साथ तुलनीय है । हमारे पास आवास और अचल संपत ् ति में अवसर हैं । इस 140 करोड ़ लोगों के देश में कुछ भी नहीं था — शॉपिंग मॉल नहीं जैसा कि आप यहाँ जानते हैं । यह किसी के लिए एक निवेश का अवसर था जिसने लोगों की कल ् पना को उत ् तेजित किया । और अब, हम एक ऐसी स ् थिति में हैं, जिसमें इस मॉल में उनके निवेश से चार गुना अधिक व ् यापार हो रहा है । तो, निर ् माण में भारी चीज ़ ें, रियल एस ् टेट, बंधक बाज ़ ारों । वित ् तीय सेवाओं: हमारे पास 89 बैंक थे । बहुत से अपने वास ् तविक व ् यापार भी नहीं कर रहे थे । हम 89 से 25 बैंकों में उन ् हें समेकित किया जिससे वे अपनी पूंजी - शेयर पूंजी में वृद ् धि कर सकें । और ये $25 मिलियन से $150 मिलियन तक बढ़ गया । बैंक – ये बैंक अब समेकित हैं, और बैंकिंग प ् रणाली की इस मज ़ बूती ने के बाहर से निवेश को भी बहुत आकर ् षित किया है । ब ् रिटेन के बारकले बैंक 500 करोड ़ ला रहा है । स ् टैंडर ् ड चार ् टर ् ड 140 मिलियन लाया है । और मैं और भी बता सकती हूँ । इस प ् रणाली में और डॉलर पर । हम बीमा क ् षेत ् र के साथ वही कर रहे हैं । तो वित ् तीय सेवाओं में भी, अवसर का एक महान सौदा । पर ् यटन में, कई अफ ् रीकी देशों में, एक महान अवसर है । और कई लोग पूर ् वी अफ ् रीका को इसी तरह जानते हैं: वन ् य जीवन, हाथी, और अधिक । लेकिन पर ् यटन बाज ़ ार का इस तरह प ् रबंधन करना कि वो वास ् तव में लोगों को लाभान ् वित कर सकें ये बहुत अधिक आवश ् यक बात है । तो मैं क ् या कहने की कोशिश कर रही हूँ? मैं आपको बताने की कोशिश कर रही हूँ कि इस महाद ् वीप पर एक नई लहर है । 2000 से, खुलेपन और लोकतंत ् रीकरण की एक नई लहर, दो तिहाई से अधिक अफ ् रीकी देशों में बहुदलीय लोकतांत ् रिक चुनाव हो चुके हैं । उनमें से सभी कुछ सही नहीं हुआ, या हो जायेगा, लेकिन इससे रुझान बहुत स ् पष ् ट है । मैं आपको बताने की कोशिश कर रही हूँ कि पिछले तीन साल के बाद से, इस महाद ् वीप पर विकास की औसत दर 2.5 प ् रतिशत प ् रतिवर ् ष से लगभग 5 प ् रतिशत आगे गई है । यह कई OECD देशों के प ् रदर ् शन से बेहतर है । तो यह स ् पष ् ट है कि चीज ़ ें बदल रही हैं । महाद ् वीप पर तनाव कम है; एक दशक पहले के 12 संघर ् ष से, हम तीन या चार संघर ् ष नीचे तक आ गये हैं, एक सबसे अधिक भयानक, ज ़ ाहिर है, जो डारफ़ुर का है । और, आपको पता है, आप पर पड ़ ोस का प ् रभाव है, जहां अगर महाद ् वीप के एक हिस ् से में कुछ हो रहा है तो यह लगता था कि पूरा महाद ् वीप इससे प ् रभावित है । लेकिन आपको पता होना चाहिए कि ये एक महाद ् वीप नहीं है — ये कई देशों का एक महाद ् वीप, एक देश नहीं है । और अगर हम तीन या चार संघर ् ष तक नीचे हैं, तो इसका मतलब है कि यहाँ बहुत सारे निवेश के अवसर हैं स ् थिरता में, वृद ् धि में, रोमांचक अर ् थव ् यवस ् थाओं में जहां अवसर की भरमार है । और मैं इस निवेश के बारे में सिर ् फ़ एक बात करना चाहती हूँ । आज अफ ् रीकियों में मदद करने का सबसे अच ् छा तरीक ़ ा यह है कि उन ् हें अपने ही पैरों पर खड ़ े करने के लिए मदद करें । और ये करने के लिए सबसे अच ् छा तरीक ़ ा है कि रोज ़ गार के अवसर पैदा किये जायें । वहाँ मलेरिया से लड ़ ने का और बच ् चों के जीवन को बचाने का कोई मुद ् दा नहीं है । मैं यह नहीं कह रही हूँ । यह तो ठीक है । लेकिन एक परिवार पर प ् रभाव की कल ् पना कीजिये: अगर माता पिता को रोज ़ गार दिया जा सकता हो तो और वो अपने बच ् चों का स ् कूल में जाना सुनिश ् चित करें, वे ख ़ ुद को इस बीमारी से लड ़ ने के लिए दवाओं को ख ़ रीद सकें । अगर हम ऐसे स ् थानों में निवेश कर सकते हैं जहाँ आप नौकरियों का सृजन करके और लोगों को अपने ही पैरों पर खड ़ े होने में मदद करके अपने आप पैसे कमा सकते हैं तो क ् या ये एक अच ् छा मौक ़ ा नहीं है? क ् या ये रास ् ता जाने के लिए नहीं है? और मुझे लगता है कि निवेश करने के लिए कुछ बेहतरीन लोग महाद ् वीप पर महिलाएं हैं । (तालियां) । मेरे पास यहाँ एक सीडी है । मुझे लगता है कि मैंने समय पर कुछ नहीं कहा, माफ ़ ी चाहती हूँ । अन ् यथा, मैं आपको यह दिखाना पसन ् द करती । यह कहती है, "" अफ ् रीका: व ् यवसाय के लिए खुला है । "" और यह एक वीडियो है जिसे वर ् ष के सर ् वश ् रेष ् ठ वृत ् तचित ् र के रूप में वास ् तव में एक पुरस ् कार प ् रदान किया गया है । और समझिये कि जिस औरत ने इसे बनाया है वो तंजानिया में है, जहां वे जून में सत ् र चला रही हैं । लेकिन यह अफ ् रीकी लोगों को आपको दिखाता है, और विशेषकर अफ ् रीकी महिलाऎ, जिन ् होंने सभी बाधाओं के बावजूद व ् यवसायों का विकास किया है, उनमें से कुछ को विश ् व स ् तर के हैं । इस वीडियो में महिलाओं में से एक, एडिनाइकी ओगुन ् लेसी, बच ् चों के कपड ़ े बना रही हैं — जिसको उन ् होंने एक शौक ़ के रूप में शुरू किया और एक व ् यापार में बढ ़ ाया । अफ ् रीकी सामग ् री मिलाकर देखना, जैसे हम हैं, दूसरी जगह से सामग ् री के साथ । तो, वह कार ् डरॉय के साथ, डनगैरीज के एक छोटे से जोड ़ ी बना देंगे अफ ् रीकी सामग ् री मिश ् रित के साथ । बहुत रचनात ् मक डिज ़ ाइन । वह एक ऐसे मंच पर पहुँच गई हैं जहाँ उनके पास वॉल ् मार ् ट से भी माँग है । (हँसी) । 10: 00 पीस के लिए । तो यह आपको दिखाता है कि हमारे पास ऐसे लोग हैं जो करने में सक ् षम हैं । और महिलायें मेहनती हैं: वे लक ् ष ् यात ् मक हैं, और वे कड ़ ी मेहनत करती हैं । मैं और भी उदाहरण दे सकती हूँ: रवांडा की बिटारिस गाकुबा, जिन ् होंने एक फूल व ् यापार खोला और अब प ् रत ् येक सुबह एम ् स ् टर ् डम में डच नीलामी के लिए निर ् यात करती हैं, और उसके साथ ही उन ् होंने काम करने के लिए 200 अन ् य महिलाओं और पुरुषों को रोज ़ गार दिया है । हालांकि, इनमें से कई पूंजी का विस ् तार यहाँ ही करना चाहते हैं, क ् योंकि कोई भी हमारे देशों के बाहर पर ये विश ् वास नहीं करता कि हम जो आवश ् यक है वो कर सकते हैं । कोई भी एक बाज ़ ार के संबंध में नहीं सोचता है । कोई अवसर के विषय में नहीं सोचता है । लेकिन मैं यहाँ खड़े होकर ये कह रही हूँ कि जो लोग अब नाव को छोड़ देंगे, वो हमेशा के लिए इसे छोड़ देंगे । तो अगर आप अफ ् रीका में होना चाहते हो, तो निवेश के बारे में सोचिये । इस दुनिया के बिटारिस और एडेनाइकी के बारे में सोचिये, जो ऐसी अविश ् वसनीय बातें कर रही हैं जो विश ् व अर ् थव ् यवस ् था में सामने ला रही हैं और साथ ही वो ये भी निश ् चित कर रही हैं, कि उनके साथी पुरुषों और महिलाओं को रोज ़ गार मिला हुआ हो, और कि उन घरों में बच ् चों को शिक ् षा मिले क ् योंकि उनके माता पिता पर ् याप ् त आय अर ् जित कर रहे हैं । तो आपको अवसर तलाशने के लिए आमंत ् रित करती हूँ । जब आप तंज ़ ानिया जायें, ध ् यान से सुनें, क ् योंकि मुझे यक ़ ीन है कि आप वहाँ आपके लिये मौजूद विभिन ् न अवसरों के बारे में सुनेंगे जो आपको किसी ऐसी चीज ़ में शामिल करेंगे जिससे महाद ् वीप का, लोगों को और अपने आप के लिए अच ् छा होगा । बहुत-बहुत धन ् यवाद । (तालियां) हम समाचारों में डूब रहे हैं | सिर ् फ रॉयटरस (Reuters) अकेले एक साल में 35 लाख समाचारो के बारे में बताते है | यह केवल एक स ् त ् रोत है | मेरा प ् रश ् न है कि इनमे से कितने समाचार आख़िरकार लंबे समय में हमारे लिए मायने रखते है? द लॉन ् ग न ् यूज़ (The Long News) के पीछे यही विचार है | यह द लॉन ् ग नाऊ फाउंडेशन (The Long Now Foundation) की परियोजना है, जो TEDsters के द ् वारा स ् थापित की गयी है जैसे कि केविन केली और स ् टीवर ् ट ब ् रांड | और हम ऐसे समाचारों को खोज रहे हैं जो शायद मायने रखेंगी आज से 50 या 100 या 10,000 सालो बाद भी | और जब समाचारों को ऐसी छलनी से छान कर देखते हैं, बहुत से समाचार पीछे रह जाते हैं | अगर आप पिछले के साल में A.P. के मुख ् य समाचारों को ले क ् या ये एक दशक के लिए मायने रखेंगे? क ् या यह? क ् या यह? सच में? क ् या ये 50 या 100 सालो के बाद मायने रखेंगे? अच ् छा तो ये बढिया था | (हँसी) लेकिन पिछले साल के मुख ् य समाचार आर ् थिक मंदी के बारे में थे | और मैं सिर ् फ अंदाज़ा लगा रहा हु कि जल ् द ही या बाद में यह आर ् थिक मंदी एक पुराना समाचार बन जायेगी | तो किस तरह के समाचार शायद भविष ् य में महत ् वपूर ् ण होंगे? चलिए विज ् ञान के बारे में सोचे | एक दिन, छोटे रोबोट ् स हमारी धमनियों में से हमे ठीक करते हुए गुजरेंगे | वो एक दिन असल में आ चुका है अगर आप एक चूहे है तो | कुछ हाल ही के समाचार: नैनो मधुमक ् खी ने असली मधुमक ् खी के जहर से ट ् यूमर को नष ् ट किया | दिमाग में जीन भेजे जा रहे हैं | ऐसे रोबोट ् स बनाये गए है जो आदमी के शरीर के अंदर चल सकते हैं | संसाधनों के बारे में क ् या? हम 9 सौ करोड़ लोगो के लिए खाना कहाँ से लायेंगे? आज 6 सौ लोगो के खाने की आपूर ् ति के लिए कठिनाई हो रही है | जैसे कि हमने कल हमने सुना, सौ करोड़ लोगो से ज ् यादा लोग भूखे हैं | अनुवांशिक रूप से विकसित फसलों के बिना ब ् रिटेन भूखा रहेगा | बिल गेट ् स ने सौ करोड़ रुपये लगाये हैं कृषि अनुसंधान में लगाये हैं | विश ् व की राजनीती के बारे में क ् या? यह दुनिया बहुत अलग होगी अगर चाइना अपना लक ् ष ् य निर ् धारित कर ले, और वो कर सकते हैं | कारों के सबसे बड़े उत ् पादक बन कर उन ् होंने अमेरिका को पछाड़ दिया है | सबसे ज ् यादा निर ् यात करके उन ् होंने जर ् मनी को पछाड़ दिया है | और उन ् होंने बच ् चो पर DNA परीक ् षण शुरू कर दिये है उनका पेशा चुनने के लिए | हम हर तरह के रास ् ते खोज रहे है उन हदों को पार करने के लिए जिन ् हें हम जानते हैं | कुछ हाल ही के खोजे: अर ् जेंटीना की एक चीटियों की प ् रजाति जो अब अंटार ् कटिका को छोड़ कर सारे महाद ् वीप में फैल चुकी है | एक स ् वयं निर ् देशित रोबोट वैज ् ञानिक जिसने एक आविष ् कार किया है | जल ् द ही, विज ् ञान को हमारी आवश ् यकता नहीं होगी | और शायद जीवन को भी हमारी आवश ् यकता नहीं होगी | एक जीवाणु 120,000 सालो के बाद जागता है | हमारे साथ या हमारे बिना भी जीवन चलता रहेगा | लेकिन लॉन ् ग न ् यूज़ के लिए पिछले सालो के समाचार से मेरा चुनाव होगा, चंद ् रमा पर पानी मिलना | जो वहां सभ ् यता विकसित करना आसान बनाता है | और अगर NASA इसे नहीं करेगी, तो चाइना शायद कर दे, या शायद इस सभा से कोई शायद कोई बड़ा योगदान दे | मेरा तर ् क है कि लंबे समय में, कुछ समाचार बाकियों से ज ् यादा महत ् वपूर ् ण होंगे | (अभिवादन) छह हजार मील की सड ़ क, ६०० मील का भूमिगत मार ् ग, ४०० मील लंबे मार ् ग बाइकों के लिए और आधा मील लम ् बा ट ् रैम का मार ् ग, अगर आप कभी रूजवेल ् ट आइलैंड गए हों । ये वो संख ् याएँ हैं जो न ् यूयाॅर ् क सिटी के बुनियादी ढांचे को बनातीं हैं । टैक ् सी और लिमोजीन कमीशन की, कि यहाँ न ् यूयाॅर ् क सिटी में 13,500 टैक ् सियाँ हैं, बहुत दिलचस ् प है, है ना? पर कभी आपने सोचा कि ये संख ् याएँ आईं कहाँ से? क ् योंकि इन संख ् याओं के लिए, शहरी एजेंसी में किसी को रुक कर कहना पड ़ ता, हाँ, ये संख ् या शायद कोई जानना चाहता हो । ये एक संख ् या है जो हमारे नागरिक जानना चाहते हों । वो अपने कच ् चे आंकड ़ ों पर वापस आते हैं, गिनते, जोड ़ ते, हिसाब लगाते हैं, और फिर रिपोर ् ट जारी करते हैं, और उन रिपोर ् टों में ऐसी संख ् याएँ होंगी । समस ् या ये है कि उन ् हें हमारे सारे सवाल पता कैसे हैं? हमारे बहुत सारे सवाल हैं । वास ् तव में, कुछ मायनों में सवालों की एक अनंत संख ् या है जिन ् हें एजेंसियाँ सभी जवाब नहीं दे सकतीं । क ् योंकि 2012 में महापौर ब ् लूमबर ् ग ने एक कानून पर हस ् ताक ् षर किए, जिसे उन ् होंने देश का सबसे महत ् वाकांक ् षी और व ् यापक खुला डेटा विधान बताया । कई मायनों में वो सही हैं । पिछले दो वर ् षों में शहर ने १,००० डेटा सेट जारी किए हैं हमारे खुले डेटा पोर ् टल पर, और ये बहुत विष ् मयकारी है । तो आप डेटा कुछ इस तरह देखते हैं, और टैक ् सियों की गिनती की जगह, हम अलग सवाल पूछना शुरु कर सकते हैं । तो मेरा एक सवाल था, हमारे शहर की सड ़ कों पर चलते हुए जीपीएस रिकाॅर ् डर हैं, जो अपनी हर सवारी दर ् ज करते हैं । वहाँ डेटा है, और मैंने उस डेटा की तरफ देखा, और मैंने न ् यूयाॅर ् क सिटी में दिन भर चलती टैक ् सियों की औसत गति की रूपरेखा बनाई । आप देख सकते हैं कि आधी रात से सुबह लगभग ०५: १८ तक गति बढ ़ जाती है, उस बिंदु पर कायापलट हो जाता है, और वो सुबह लगभग ०८: ३५ तक बहुत धीमी हो जाती हैं, और लगभग ११.५ मील प ् रति घंटे पर इनका सफर खत ् म होता है । औसत टैक ् सी ११.५ मील प ् रति घंटे की गति से हमारी सड ़ कों पर दौड ़ ती है, और ये पता चला है कि ये पूरे दिन ऐसा ही रहता है । (हँसी) तो मैंने खुद से कहा, शायद न ् यूयॅार ् क सिटी में वयस ् त समय नहीं है । शायद केवल एक वयस ् त दिन है । सही भी है । और ये दो कारणों से महत ् वपूर ् ण भी है । अगर आप परिवहन योजनाकार हैं, तो आपके लिए ये बहुत दिलचस ् प हो सकता है । पर अगर आप कहीं जल ् द पहुँचना चाहते हैं, अब आप जानते हैं कि सुबह ०४: ४५ का अलार ् म लगाना है और आप तैयार हैं । न ् यूयॉर ् क, है ना? पर इस डेटा के पीछे एक कहानी है । ये डेटा ऐसे ही उपलब ् ध नहीं था, ऐसा पता चलता है । क ् रिस वहाँ गया और उन ् होंने उससे कहा, "" एक बिल ् कुल नई हार ् ड ड ् राइव हमारे कार ् यालय ले कर आईए, अब क ् रिस ऐसा व ् यक ् ति है जो डेटा सार ् वजनिक करना चाहता है, तो ये सभी के उपयोग के लिए ऑनलाइन हो गया, और ये ग ् राफ भी यहीं से आया । इसका अस ् तित ् व सच में अदभुत है । ये जीपीएस रिकाॅर ् डर — सच में अच ् छे हैं । हमारे नागरिकों को हार ् ड ड ् राइव ले कर घूमने की जरुरत नहीं है । हर डेटा सेट "" फोयल "" अनुरोध के पीछे नहीं है । मैंने न ् यूयॉर ् क सिटी के सबसे खतरनाक चौराहों का एक नक ् शा तैयार किया है, साइकिल चालक दुर ् घटनाओं के आधार पर । तो ये लाल क ् षेत ् र अधिक खतरनाक हैं । ये पहले मैनहैटन का पूर ् वी क ् षेत ् र दिखाता है, मैनहैटन के निचले हिस ् सों में विशेष रुप से साइकिल चालक दुर ् घटनाएं होती हैं, क ् योंकि वहाँ और साइकिल चालक पुल से नीचे आ रहे हैं । पर और भी अध ् ययन करने लायक जगहें हैं । विलियम ् सबर ् ग है । क ् वींस में रूजवेल ् ट एवेन ् यू है । ये उसी तरह का डेटा है जैसा हमें विजन जीरो के लिए चाहिए । ये वास ् तव में वही है जैसा हमें चाहिए । पर इस डेटा के पीछे भी एक कहानी है । ये डेटा कहीं से यूं ही प ् रकट नहीं हो गया । आप में से कितने लोग ये लोगो पहचानते हैं? मैं कुछ हिलना-डुलना देख रहा हूँ । उसे समझने की कोशिश की है? तो हुआ ये है कि जो डेटा आपने अभी देखा वो वास ् तव में पीडीएफ पर था । वास ् तव में, पीडीएफ के सैकड ़ ों पन ् ने हमारे अपने एनवायपीडी के निकाले हुए, और उस तक पहुँचने कि लिए या तो आपको काॅपी पेस ् ट करना होगा, सैकड ़ ों और सैकड ़ ों घंटों के लिए, जाॅन क ् रॉस ऐसा था, मैं ये डेटा काॅपी पेस ् ट नहीं करुँगा । मैं एक प ् रोग ् राम लिखुंगा । ये एनवायपीडी की वेबसाईट पर जाता है, पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए । ये हर दिन खोजे; और अगर एक पीडीएफ मिलेऔर लिखा हुआ बाहर आ जाएगा, और ये इंटरनेट पर चला जाएगा, और फिर लोग उस तरह नक ् शे तैयार करेंगे । और ये सच की डेटा यहाँ है, ये सच की हमारी उस तक पहुँच है — वैसे हर दुर ् घटना इस तालिका में एक पंक ् ति है । हमारी उस तक पहुँच सच में बड ़ ी बात है, पर हम इसे पीडीएफ के रुप में जारी न करें, क ् योंकि तब हम हमारे नागरिक पीडीएफ स ् क ् रैपर लिखते हैं । ने ये डेटा कुछ महीने पहले जारी किया, इसलिए अब हम उस तक पहुँच सकते हैं, पर अभी भी बहुत सा डेटा पीडीएफ में दफन है । उदाहरण के लिए, हमारा अपराध डेटा अभी पीडीएफ में ही उपलब ् ध है । केवल हमारा अपराध डेटा ही नहीं, हमारे शहर का बजट भी । हमारे शहर का बजट अभी केवल पीडीएफ के रुप में ही पढ ़ ा जा सकता है । और न केवल हम ही इसकी समीक ् षा नहीं कर सकते — हमारे अपने विधायक जो बजट पर अपना मत देते हैं, उन ् हें भी ये पीडीएफ में ही मिलता है । तो हमारे विधायक उस बजट की समीक ् षा नहीं कर सकते जिस पर वो अपना मत देते हैं । और मैं समझता हूँ कि एक शहर के तौर पर हम इससे कुछ बेहतर कर सकते हैं । अब बहुत सा डेटा है जो पीडीएफ के भीतर नहीं छुपा है । अब मैं गंदगी का आकलन कैसे करुँ । पर मैंने मल कोलिफॉर ् म के स ् तर को देखा, जो हमारे हर जलमार ् ग में मल पदार ् थ का माप है । जितना बड ़ ा वृत ् त, उतना गंदा पानी, तो बड ़ े वृत ् त का अर ् थ है गंदा पानी, छोटे वृत ् त अपेक ् षाकृत साफ हैं । आप अंतर ् देशीय जलमार ् ग देख रहे हैं । ये वो डेटा है जिसका शहर ने पिछले पाँच वर ् षों में नमूना लिया था । और अंतर ् देशीय जलमार ् ग, सामान ् यत: अधिक गंदे होते हैं । ये समझ में आता है, ठीक? और बड ़ े वृत ् त गंदे हैं । और मुझे इससे कुछ बातें पता चलीं । पहली: कभी उसमें न तैरैं जो "" छोटी नदी "" या "" नहर "" में खत ् म होती है । पर दूसरी: मैंने न ् यूयॉर ् क सिटी का सबसे मलिन जलमार ् ग भी ढूंढ ़ निकाला, इस आकलन से, एक आकलन से । कौने आइलैंड क ् रीक में, ये वो कौने आइलैंड नहीं है जिसमें आप तैरते हैं, भाग ् यवश । पर कौने आइलैंड क ् रीक में पिछले पाँच सालों में 94% नमूनों में मल स ् तर इतने अधिक थे कि पानी में तैरना राज ् य के कानून के खिलाफ होता । और इस तरह के तथ ् य आप शहरी रिपोर ् ट में शेखी बघारते हुए नहीं पाएँगे, ठीक? ये nyc.gov. के पहले पन ् ने पर नहीं होगा । आप इसे वहाँ नहीं देख पाएँगे, पर ये अच ् छी बात है कि हम उस डेटा तक पहुँच सकते हैं । पर एक बार फिर, ये बहुत आसान नहीं था क ् योंकि ये डेटा खुले डेटा पोर ् टल पर नहीं था । अगर आप खुले डेटा पोर ् टल पर जाते, तो आप एक टुकड ़ ा ही देखते, एक साल या कुछ महीनों का । ये असल में पर ् यावरण संरक ् षण विभाग की वेबसाइट पर था । और इसमें से हर लिंक एक एक ् सेल शीट है, और हर एक ् सेल शीट अलग है । जब आप करते हैं तो नक ् शे बना सकते हैं और ये अच ् छा है, पर हम बेहतर कर सकते हैं, चीजें सामान ् य कर सकते हैं । आप पाएँगे कि हर एजेंसी अपना पता अलग तरह से संकेत करती है । तो एक सड ़ का का नाम है, चौराहा, सड ़ क, नगर, पता, इमारत, इमारत का पता । तो एक बार फिर आप समय व ् यय कर रहे हैं, जबकि हमारे पास ये पोर ् टल है, और ये हमारे नागरिकों के समय का बेहतरीन उपयोग नहीं है । हम एक शहर के तौर पर बेहतर कर सकते है । हम अपने पते मानकीकृत कर सकते है, ये न ् यूयाॅर ् क सिटी के अग ् नि हाईड ् रेंट का एक नक ् शा है, पर किसी भी अग ् नि हाईड ् रेंट का नहीं । (हँसी) तो मैंने इस नक ् शे से कई चीज ़ ें सीखीं, और मुझे ये नक ् शा सचमुच पसंद है । पहली, अपर ईस ् ट साईड में पार ् क न करें । बिल ् कुल भी नहीं, जहाँ भी पार ् क करेंगे, आपको हाईड ् रेंट टिकट मिल जाएगा । दूसरी, मुझे पूरी न ् यूयाॅर ् क सिटी में सबसे ज ् यादा कमाई करने वाले दो हाईड ् रेंट मिले, और वो लोअर ईस ् ट साईड में मिले, और वो हर साल पार ् किंग टिकट के रुप में ५५,००० डाॅलर ला रहे हैं । तो मैंने थोड ़ ी खोजबीन की और पता चला कि ये तो हाईड ् रेंट है । और फिर ऐसा जिसे कर ् ब एक ् सटेंशन कहा जाता है, जो चलने के लिए एक सात फुट की जगह की तरह है और इसलिए ये कारें साथ आईं, और हाईड ् रेन ् ट — "ये पूरा वहाँ तक है, मै ठीक हूँ," ये गूगल स ् ट ् रीट व ् यू कार चल रही है जिसे वही पार ् किंग टिकट मिला है । तो मैंने इस बारे में अपने ब ् लॉग पर लिखा, आई क ् वांट एनवाय पर, और डीओटी ने जवाब दिया, और उन ् होंने कहा, "" हालांकि डीओटी को इस स ् थान के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है, हम सड ़ क चिह ् नों की समीक ् षा करेंगे और उचित परिवर ् तन करेंगे । "" और मैंने सोचा, ठेठ सरकारी प ् रतिक ् रिया, ठीक है, मैं आगे बढ ़ ा । पर फिर, कुछ सप ् ताह बाद, कुछ अविश ् वसनीय हुआ । उन ् होंने उस स ् थान को फिर रंग दिया, और मैंने सोचा कि मैंने खुले डेटा का भविष ् य देखा है, क ् योंकि जरा सोचिए कि यहाँ क ् या हुआ है । पाँच साल से यहाँ टिकट जारी किए जा रहे थे, और ये भ ् रामक था, और फिर एक नागरिक को कुछ मिला, उसने शहर को बता दिया, और कुछ ही सप ् ताह में समस ् या सुलझा ली गई । ये आश ् चर ् यजनक है । और बहुत लोग खुले डेटा को एक प ् रहरी की तरह देखते हैं । कर सकते हैं, ये उतना मुश ् किल नहीं है । हमें कुछ चाहिए तो बस बदलाव । अगर आप डेटा "" फोयल "" कर रहे हैं, अगर आप पीडीएफ जारी करती एक सरकारी एजेंसी हैं, तो ऐसा कानून पारित करें जिससे आप इसे अंतर ् निहित डेटा के साथ जारी कर सकें, क ् योंकि ये डेटा कहीं से आ रहा है । यहाँ न ् यूयाॅर ् क सिटी के पतों से शुरु करें । अपने पतों को सामान ् य बनाना शुरु करें । १०० देशों से लिख सकें । ये काल ् पनिक विज ् ञान नहीं है । हम असल में बहुत करीब है । और हाँ, इससे हम किसे सशक ् त बना रहे हैें? क ् योंकि ये सिर ् फ जाॅन क ् रोस या क ् रिस व ् होंग नहीं है । न ् यूयाॅर ् क सि ़ टी में इस वक ् त सैकड ़ ों समागम चल रहे हैं, हजारों लोग इन समागमों में भाग ले रहे हैं । ये लोग काम के बाद और सप ् ताहांत में जाते हैं, ये इन समागमों में खुले डेटा को समझने के लिए भाग लेते हैं ताकि हमारा शहर एक बेहतर स ् थान बने । बीटा एनवायसी जैसे समूह, जिसने पिछले हफ ् ते citygram.nyc जारी किया जो आपको ३११ शिकायतों का अनुमोदन करने देता है, आपके घर या कार ् यालय के आसपास । और सिर ् फ तकनीकी समुदाय ही इन सब चीजों के पीछे नहीं है । शहरी योजनाकार भी हैं जिन ् हें मैं प ् रैट में पढ ़ ाता हूँ । नीति अधिवक ् ता भी हैं, सभी हैं, अलग-अलग पृष ् ठभूमि के नागरिक हैं । और कुछ छोटे, वृद ् धिशील परिवर ् तनों के साथ हम अपने नागरिकों के उत ् साह और क ् षमता का ताला खोल सकते हैं खुले डेटा के उपयोग के लिए जिससे हमारा शहर और बेहतर हो सके, चाहे वो एक बार में एक डेटा सेट या एक पार ् किंग स ् थल हो । धन ् यवाद । (तालियाँ) मैं न ् यू यार ् क शहर में पला, हार ् लेम और ब ् रोंक ् स के बीच में | जब मैं बड ़ ा हो रहा था, तब हमें सिखाया जाता था कि मर ् दों को कड ़ क होना चाहिए, ताकतवर होना चाहिए, साहसी होना चाहिए, हर बात पर हुकूमत चलाना चाहिए — ना कोई दर ् द, ना कोई जज ़ बात, सिवाय गुस ् से के — और डर हरगिज ़ नहीं; कि अधिकार सदैव पुरुषों के हाथों में है, यानि महिलाओं के हाथों में नहीं है; कि नेतृत ् व पुरुष करते हैं, और आप केवल हमारा अनुसरण कर हमारी बात मानते हैं; कि पुरुष श ् रेष ् ठ हैं, और महिलाएं तुच ् छ; कि पुरुष बलवान हैं, और महिलाएं निर ् बल; कि महिलाओं का महत ् त ् व कम है, वे पुरुषों की संपत ् ति हैं, और मात ् र वस ् तु हैं, खासकर यौन वस ् तु | बाद में मैंने जाना कि यह पुरुषों की एक सामूहिक सामाजिक परिभाषा है जो 'मर ् दाना डिब ् बा' (man box) के नाम से जाना गया है | देखिये, इस मर ् दाने डिब ् बे (man box) में वे सभी सामान मौजूद हैं जिनसे हम मर ् द को परिभाषित करते हैं | अब मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि निस ् संदेह, कुछ बढ ़ िया, बढ ़ िया, बहुत ही बढ ़ िया चीज़े हैं पुरुष होने के बारे में | मगर उसी वक ् त, कुछ ऐसी भी चीज ़ ें हैं बुरी तरह से टेड ़ ी हैं (श ् रोताओं की हंसी) और जिनका हमें सचमुच मुकाबला करना होगा, और देखरेख कर इस विषय के विश ् लेषण और पुनर ् विचार की प ् रक ् रिया शुरू करनी होगी, जिसे हम मर ् दानगी के नाम से जानते हैं | यह मेरे दो बच ् चे हैं, केंडाल और जे | उनकी उम ् र 11 और 12 वर ् ष है | केंडाल जे से १५ महिने बड ़ ा है | एक समय था जब मेरी बीवी -उनका नाम टैमी है - और मैं सचमुच इतने व ् यस ् त हो गए और... धूम धाम धमाका - केंडाल और जे हो गये | (हंसी) और जब वे पांच और छह साल के थे, चार और पांच साल के, जे मेरे पास आया करती थी, रोते हुए | बात भले कोई भी हो जिसके बारे में वह रोती थी; वह मेरे गोद में बैठ सकती थी, मेरी कमीज ़ गीली कर सकती थी और खुलकर रो सकती थी, जी भर के रो सकती थी | पापा तुम ् हारा पूरा ख ् याल रखेंगे | बस यही मायने रखता था | अब दूसरी ओर केंडाल - जो जैसे मैंने कहा, जे से बस 15 महिने बड ़ ा है - अगर मेरे पास रोते हुए आता, तो उसके रोने की आवाज ़ सुनते ही मानो मैं सांसें गिनने लग जाता था | उस लड ़ के को मैं शायद 30 सेकण ् ड का वक ् त देता था, जिसका मतलब यह है कि जब तक वह मेरे पास आता, मैं कुछ ऐसे सवाल करने लगता, "" क ् यों रो रहे हो? सिर ऊंचा करो | मेरी ओर देखो | समझाओ मुझे कि मसला क ् या है | बताओ मुझे कि क ् या गलत हुआ | मैं तुम ् हें नहीं समझ पा रहा हूँ | क ् यों रो रहे हो? "" और उसे एक पुरुष के रूप में निर ् माण करने की मेरी भूमिका और मेरी जिम ् मेदारी में निराश होने के कारण, ऐसे पुरुष के रूप में जो 'मर ् दाने डिब ् बे' (man box) के नियम और ढाँचे में ढल सके, मैं खुद को कुछ इस प ् रकार की चीज ़ ें कहते हुए पाता, "" बस, जाओ अपने कमरे में | चलो निकलो, चले जाओ अपने कमरे में | बैठो, खुद पर काबू पाओ और तभी वापस आओ और मुझसे बात करो जब तुम.... "" किसकी तरह बात कर सकते हो? (श ् रोता: मर ् द की तरह) मर ् द की तरह | और वह पांच साल का था | और जिन ् दगी में और सीखने पर, मैं खुद से पूछने लगता हूँ, "" हे भगवान यह मुझे क ् या हो गया है? मैं क ् या कर रहा हूँ? मैं ऐसे क ् यों करता हूँ? "" और मैं याद करने लगता हूँ | मेरी याद पहुँचती है मेरे पिताजी तक | मेरे जीवन में वह समय था जो मेरे परिवार के लिए बेहद दु: खद घड ़ ी थी | मेरे भाई हेनरी बहुत ही दु: खद परिस ् थितियों में गुज ़ र गया जब हम किशोर थे | हम न ् यू योर ् क शहर में रहा करते थे, जैसे मैंने कहा था | हम उस समय ब ् रांक ् स में रहा करते थे, और उसे लॉन ् ग आइलैंड नामक जगह में दफनाया जाना था, जो शहर से तकरीबन दो घंटे की दूरी पर थी | और जब हम कब ् र से वापस लौटने के लिए तैयार हो रहे थे, तब गाड ़ ियां शौचालय के बाहर रुकीं, ताकि लोग चैन से इस लम ् बे सफ ़ र के लिए तैयार हो सकें | और देखते ही देखते हमारी गाडी खाली हो गयी | मेरी माँ, बहन, चाची, सब बाहर निकले, मगर मैं और मेरे पिताजी गाड ़ ी में ही ठहरे और जैसे ही सब महिलाएं गाड ़ ी से निकलीं, मेरे पिताजी फूट-फूटकर रोने लगे | वे मेरे सामने नहीं रोना चाहते थे, मगर उन ् हें पता था कि शहर पहुँचने तक वे खुद पर काबू नहीं रख पाएंगे, और उनके लिए बेहतर यही था कि मेरे सामने रोएँ, नाकि महिलाओं के सामने, जिनके सामने यह भावनाएं व ् यक ् त करने की इजाज ़ त वे खुद को हरगिज ़ नहीं दे सकते थे | और यह वही आदमी था जो, १० मिनट पहले, अपने जवान लड ़ के को ज ़ मीन में गाड ़ चूका था, जिस बात की मैं कल ् पना भी नहीं कर सकता | एक बात, जो सबसे ज ़ ् यादा मेरे मन में टिकी, वह यह है कि मेरे सामने रोने के लिए वे मुझसे माफी मांग रहे थे, और उसी वक ् त, मुझे संभाल रहे थे और मुझे सहारा दे रहे थे ताकि मैं न रोऊँ | मैंने इस रवैये में हमारे इस डर को पहचाना, जो हम मर ् द के तौर पर महसूस करते हैं, वही डर जो हमें निस ् तब ् ध बना देता है और इस मर ् दाने डिब ् बे में और इस मर ् दाने डिब ् बे में मैं याद कर सकता हूँ मेरी बातचीत एक 12 बरस के लड ़ के के साथ, जो फ ़ ुटबाल का खिलाड ़ ी था, और मैंने उससे पूछा, "" तुम ् हें कैसे लगेगा अगर, बाकी सब खिलाड ़ ियों के सामने, तुम ् हारे कोच ने कहा कि तुम लड ़ की की तरह खेल रहे हो? "" अब मेरा अनुमान यह था कि वह कहेगा कि मैं दुखी होऊंगा; या पगला जाऊंगा; या गुस ् से में आ जाऊंगा, या ऐसा कुछ | नहीं, उस लड ़ के ने मुझसे कहा - उस लड ़ के ने मुझसे कहा, "उससे तो मैं बर ् बाद हो जाऊंगा |" और मैंने खुद से पूछा, "" हे भगवान ्, अगर उसे लड ़ की कहना उसे बर ् बाद कर देगा, तो हम उसे लड ़ कियों के बारे में क ् या सिखा रहे हैं? "" (तालियाँ) यह बात मेरी याद को उस समय तक ले गयी जब मैं 12 बरस का था | मैं शहर की भीतरी इलाकों की कोठरियों में पला | उस समय हम ब ् रोंक ् स में रहते थे, और हमारे नज ़ दीक वाले इमारत में जॉनी नाम का लड ़ का रहता था | वह तकरीबन १६ बरस का था, और हम सब १२ के आस-पास थे - उससे छोटे लड ़ के थे | और हम छोटे लड ़ कों के साथ उसका काफी वक ् त बिताना होता था | और उसके हाल-चाल कुछ अच ् छे नहीं थे | वह इस किस ् म का लड ़ का था जिसके बारे में माँ-बाप फ ़ िक ् र करने लगेंगे कि "यह 16 साल का लड ़ का इन १२ साल के लड ़ कों के साथ क ् या कर रहा है?" और वह बहुत सारा वक ् त बुरे हाल-चाल में बिताता था | वह एक परेशान बच ् चा था | उसकी माँ हेरोइन नशे की ज ़ हरीली मात ् रा लेने से चल बसी थी | उसकी नानी ही उसे पाल रही थीं | उसके पिता उसके साथ नहीं थे | उसकी नानी दो-दो नौकरियां करती थीं | वह घर में अक ् सर अकेले रहता था | मगर मुझे आपको यह कहना ही होगा कि हम छोटे लड ़ के इस बन ् दे की इज ् ज ़ त करते थे यार! वह मस ् त था | वह शानदार था | बहनें तो वही कहती थीं, "" वह शानदार था | "" लड ़ कियों के साथ उसके जिस ् मानी रिश ् ते थे | उसे हम सब उसे इज ् ज ़ त की नज ़ रों से देखा करते थे | तो एक दिन, मैं घर के सामने बाहर कुछ कर रहा था - खेल में रहा था, कुछ तो कर रहा था- क ् या पता क ् या कर रहा था | उसने खिड ़ की से बाहर देखा और मुझे बुलाया; वह बोला, "" हे एंथनी! "" मुझे बचपन में एंथनी बुलाया करते थे | "हे एंथनी चल ऊपर आ |" जॉनी ने बुलाया, तो जाना हैं तो मैं फौरन सीडियों से ऊपर भागा | और दरवाज ़ ा खोलकर उसने मुझसे कहा, "" तुझे मज ़ ा लेना है? "" और मैं तुरंत समझ गया कि उसका मतलब क ् या था | क ् योंकि मेरे लिए उन हालात में पलने और मर ् दाने डिब ् बे के साथ हमारे रिश ् ते की वजह से "" तुझे मज ़ ा लेना है? "" के दो ही मतलब हो सकते थे: कोई जिस ् मानी मामला या फिर नशा - और हमें नशे की आदत तो थी नहीं | अब मर ् दाने डिब ् बे में मेरी जगह को, उस डिब ् बे में पहुँचने के मेरी कार ् ड को ही तुरंत खतरा था | दो चीज ़ ें | पहली बात तो यह कि मुझे ज ़ रा भी यौन अनुभव नहीं था | हम उसके बारे में पुरुष की तरह बाते नहीं करते | सिर ् फ हमारे सबसे जिगरी, नज ़ दीकी दोस ् त को बताते हैं, ज ़ िंदगी भर इसे राज ़ रखने का वादा लेकर, कि हमारा सबसे पहला यौन अनुभव कहाँ हुआ था | बाकी सब की नज ़ रों में तो, हम ऐसे चलते-फिरते हैं कि मानो हम दो साल की उम ् र से इन मामलों में माहिर हैं | पहली बार नाम की कोई चीज ़ ही नहीं है | (हंसी) दूसरी बात यह थी कि मैं उसे यह हरगिज ़ नहीं कह सकता था कि मुझे नहीं चाहिए | वह तो और भी बदतर बात थी | हम मानते थे कि हमें हमेशा शिकारी बनकर फिरना चाहिए | महिलाएं तो केवल शिकार की चीज ़ ें थीं, जो सिर ् फ जिस ् मानी तौर पर मायने रखती थीं | खैर, तो मुझे उससे ये सब चीज ़ ें कहना मुमकिन नहीं था | तो, जैसे माँ कहा करती थीं, कहानी को ज ़ ् यादा खीचे बगैर, मैंने जॉनी से सीधा कह दिया, "" हाँ! "" उसने मुझे उसके कमरे में जाने को कहा | मैं उसके कमरे में गया | उसके बिस ् तर पर पड ़ ोस की शीला नाम की लड ़ की लेटी थी | वह १६ बरस की थी | और अब बिना कपड ़ ों के पडी थी | आज-कल मेरी जानकारी के हिसाब से उसे मानसिक रोगी माना जाएगा, और उसके चाल-ढाल कभी ठीक-ठाक लगते थे और कभी उतने नहीं | हम उसे कई किस ् मों के अनुचित नामों से पुकारा करते थे | खैर, जॉनी अभी-अभी उसके साथ सहवास को अंजाम दे चुका था | सच पूछो तो उसने बलात ् कार किया, मगर वह कहता था कि उसने उसके साथ सहवास किया है | क ् योंकि, अगर मान भी लें कि शीला ने कभी ना नहीं कहा था, बात यह है कि उसने कभी हाँ भी नहीं कहा था | तो वह मुझे वही चीज ़ करने का मौका दे रहा था | तो जब मैं कमरे में गया, मैंने दरवाज ़ ा बंद कर दिया | दोस ् तों, मैं पथरा गया था | मैं दरवाज ़ े पर पीठ करके खडा हो गया ताकि जॉनी ज ़ बरदस ् ती कमरे में घुस न पाए और उसे यह पता न लगे कि मैं कुछ भी नहीं कर रहा हूँ | और मैं वहां उतनी देर तक खडा रहा, जितनी देर में मेरा सचमुच कुछ करना मुमकिन था | तो अब मेरे सामने सवाल यह नहीं था कि अब क ् या करना है, मगर मैं यह सोच रहा था कि अब किस तरह मैं इस कमरे से बाहर निकलूँ | तो, १२ बरस की समझदारी को अपनाकर, मैंने अपनी चेन खोल दी और कमरे से बाहर निकला तो, और मुझे क ् या नज ़ र आया? जब मैं कमरे में शीला के साथ था, तब जॉनी खिड ़ की के सामने खडा दूसरे लड ़ कों को ऊपर बुला रहा था | तो अब बैठक छोकरों से भर चुकी थी | लग रहा था कि यह किसी डॉक ् टर के कार ् यालय में इंतज ़ ार का कमरा है | और उन ् होंने पूछा कि कैसा था, और मैंने उनसे कहा, "" अच ् छा था "" और उनके सामने चेन बंद किया और दरवाजे की ओर चला | अब मैं यह सब कुछ पछतावे के साथ कह रहा हूँ, और उस वक ् त भी मैं भयंकर पछतावा महसूस कर रहा था, मगर एक कश ् मकश में था, क ् योंकि पछतावे के साथ-साथ मुझे इस बात का उत ् साह था कि मैं पकड ़ ा नहीं गया | मगर मुझे अब पता था कि मुझे इस घटना पर बहुत अफसोस हो रहा था | इस डर ने, मर ् दाने डिब ् बे से बाहर निकलने के डर ने, मुझे पूरी तरह घेर लिया था | मुझे सबसे ज ़ ् यादा परवा थी, खुद की और मेरे मर ् दाने खुद की और मेरे मर ् दाने डिब ् बे की कार ् ड की नाकि शीला की न इसके बारे में कि उसपर क ् या गुज ़ र रही थी | देखिये सामूहिक तौर पर, हम मर ् दों को यह सिखाया जाता है कि महिलाओं को मूल ् यहीन समझें और उन ् हें वस ् तु और मर ् दों की संपत ् ति की तरह देखें | ऐसे समीकरण का नतीजा है महिलाओं के विरुद ् ध हिंसा | हम मर ् द, भले मर ् द, मर ् दों की बहुतांश संख ् या हम इसी सामूहिक परिभाषा की आधारशिला पर व ् यवहार करते हैं | हम खुद को इससे अलग समझते हैं, मगर हम भी इसके सहभागी हैं | यह देखिये, हम यह समझ चुके हैं कि यह मूल ् यहीन, वस ् तु-रूपी और संपत ् ति-रूपी दृष ् टि ही हिंसा की बुनियाद है, जिसके बिना हिंसा हो ही नहीं सकती | तो हम समाधान के उतने ही हिस ् से हैं, जितने हम समस ् या के हैं | रोग नियंत ् रण केंद ् र का यह कहना है कि मर ् दों द ् वारा महिलाओं के विरुद ् ध हिंसा अब संक ् रामक मात ् रा धारण कर चुकी है, और इस देश में और अंतरराष ् ट ् रीय स ् तर पर भी महिलाओं के स ् वास ् थ ् य को इसी से सबसे ज ़ ् यादा खतरा है | तो जल ् दी, मैं बस यह कहना चाहूंगा, यह है मेरी ज ़ िंदगी का प ् यार, मेरी बेटी जे | मैं उसके लिए जिस दुनिया की कल ् पना करता हूँ - उसमें मैं पुरुषों का कैसा चलन और व ् यवहार देखना चाहूंगा? मुझे इसमें आपका सहयोग चाहिए | आपको मेरा साथ देना होगा | ज ़ रुरत है आपको मेरे साथ काम करने की, और मुझे आपके साथ ताकि हम हमारे बेटों को ऐसे पुरुष बनना सिखाएं, यह कहकर - हर वक ् त हुकूमत न चलाना बिलकुल ठीक है, कि भावुक होना कोई अपराध नहीं है, कि समता का प ् रचार करना मान ् य है, कि इस बात में कोई आपत ् ति नहीं है कि महिलाओं के साथ मात ् र मित ् रता का रिश ् ता हो, कि सम ् पूर ् ण व ् यक ् ति बनना ठीक है, कि पुरुष होने के नाते मेरा उद ् धार महिला होने के नाते आपके उद ् धार के साथ पूरी तरह बंधा है | (तालियाँ) मुझे याद है जब मैंने एक नौ साल के लड ़ के से पूछा, मैंने एक नौ साल के लड ़ के से पूछा, "" तुम ् हारी ज ़ िंदगी कैसी होगी, अगर तुम ् हें इस मर ् दाने डिब ् बे में चिपके नहीं रहना पड ़ े? "" उसने मुझसे कहा, "" मैं आज ़ ाद हो जाऊंगा | "" शुक ् रिया दोस ् तों | (तालियाँ) एक शतक से टेलिफोन क ् म ् पानिया सरकार को टेलिफोन संभाषण चुरा के देती रही बहुत काल से यह मानवी प ् रयत ् न होता थाi यह निगरानी तारो को हाथो से जोडकर होती थी i संभाषण टेपपर अंकित किया जाता थाi. आज बहुत सारे उद ् य ् मो मे, कॉम ् पुटर के बाद बहुत बदलाव आये हैi टेलीफोन कंपनीयो ने गोपनीय तरीके से टैपिंग (tapping) के नये उपाय खोजे हैi जो मौजूद है उनके अंतर ् गत जालक ् रम मे. एक सेकंड उनकी गहराई मे जाना चाहता हूi हमारे टेलीफोन तथा नेटवर ् क जिससे हम संभाषण करते हैi उन ् हे निगरानी में रखा जाता है पहले ही और हमेशा मतलब जब आप अपने लड ् के से बात करते है या मित ् र से या डॉक ् टर से तब दूसरा यह सुन सकता हैi यह दूसरा — हो सकती है आपकी सरकार या विदेशी गुप ् त वार ् ता. या अन ् य देश की सरकार या डाटा चोर .गुनाहगार या अन ् य कोई पक ् ष जो आपकी गोपनीयता जानना चाहता है i वे सब टेलिफोन कम ् पनी से यह ले सकते है जबकि टेलिफोन कंपनी इसे प ् रथम स ् थान देती है i सिलिकन वैली मे यह नही होता कई सालो से सिलीकोन वैली ने इसका बहुत सख ् त एनकोडिंग (encoding) किया हैi संपर ् क उपकरण मे जिससे यह चोरी न हो आपके पास आयफोन है उससे आप कोई मेसेज भेजते है ऐसे व ् यक ् ति को जिसके पास भी आयफोन है वे मैसेज चोरी करना आसान नही वास ् तव में एप ् पल के अनुसार, वे भी ये मेसेज नही देख पाते आपने फेसटाइम उपयोग किया है ध ् वनी या या व ् हिडियो call किया आपके प ् रीयजनो को वो भी आसानी से नही चुराये जायेंगेi यह कोई apple की ही बात नही WhatsApp जोकि आज फेसबुक चलाती है जिसे करोडो लोग इस ् तेमाल करते हैi उसं मे भी शक ् तिशाली encryption तंत ् रज ् ञान होता है i इसका मतलब विश ् वभर लोगों की आपसी बातचीत उनकी सरकार नही सून सकती i नही कोई मेसेज सौ साल से सरकार का नियंत ् रण था सर ् वत ् र आप सोच सकते है इससे सरकार खफा हुई होगी i यह सच है i सरकारी अफसर बहुत नाराज़ है i और इसलिए नहीं कि encryption के साधन अभी मिलने लगे है उन ् हें जो सबसे ज ् यादा परेशान करता हैं वो यह हैं कि कम ् पनियो ने इनस ् क ् रिप ् शन व ् यवस ् था अपने उत ् पादन मे ही अंकित की है उसे अपने आप शुरु से ही कार ् यरत किया है i शुरू से ही कार ् यरत होना महत ् वपूर ् ण है i इन स ् क ् रिप ् शन से वास ् तव मे लोकशाही का ही समर ् थन हुआ है i ब ् रिटिश प ् रधानमंत ् री डेव ् हिड कमरोंन के अनुसार, ई मेल, टेक ् स ् ट मेसेजेस, ध ् वनी काल सरकार को मिलने चाहिए i जोकि इनस ् क ् रिप ् शन की वजह से कठिन होता है मैं उनके विचारो के प ् रति सहानुभूति रखता हु आज हम बहुत ही डरावने समय मे रहते है बुरे लोग सभी जगह है आंतकवाद पैर फैला रहा है रास ् ट ् रीय सुरक ् षा खतरे मे है सबको लगता है FBI, NSA यह देख सके. यह महंगा है इसलिए कि कोई आतंकवादी का कम ् पुटर नहीं होता या ड ् रग चोरो का अलग मोबाईल हैi सबके साधन हमारे जैसे होते हैi मतलब अगर ड ् रग तस ् करो के कॉल या आतंक ् वादियो के कॉल सुने जायेंगे तो हमारे भी सुने जायेंगेi सवाल यह है कि विश ् व के करोडो लोग क ् या इसे इस ् तेमाल कर सकते है i ज ् योकी सहज tap हो सकते है i यह मैने जिस प ् रकार की निगराणी होने की बात की है यह काल ् पनिक नही है i २००९ साल से गुगल तथा मायक ् रोसोफट जिस तरह से निगराणी करते i यह प ् रणाली केवळ कानूनी मामले मे ही यह देती है i पुलिस द ् वारा विनती करने पर i चाइना सरकार ने इस प ् रणाली से को भेदा हैं i यह जानने के लिये कि उनकी कौन सी संस ् था की अमेरिकन सरकार निगराणी करती है i इसी तरह २००४ मे जो प ् रणाली बनी थीi वोडाफोन सबसे बडी ग ् रीक टेलिफोन कंपनी द ् वारा जिसे एक अज ् ञात संस ् था द ् वारा भेदा गया इसमे ऐसी व ् यवस ् था की गई जिससे ग ् रीक प ् रधानमंत ् री और उनके मंत ् री भी निगराणी में आते थे i अन ् य देशो के, और हैकर ् स (hackers) कभी भी नही पकडे गये i इससे निगराणी प ् रणाली के बारे में समस ् या बनी i एक गुप ् त मार ् ग बना था i जब ऐसा मार ् ग बनता है संचार व ् यवस ् था में या तंत ् र विज ् ञान मे आप उससे छुटकारा नही पा सकतेi कोई भी आपका संभाषण चुरायेगा. आपका कोई भी नियंत ् रण नही होगा. आपके खिलाफ या आपके लिये इसका इस ् तेमाल हो सकता है अच ् छे या बुरे लोग इसका इस ् तेमाल करेंगेi इसीलिये मुझे लगता है ऐसे साधन बनाये जाये जिससे सुरक ् षा मिले. मेरा कहना है कि, encryption याने संकेतीकरण से संभाषण या मेसेज चुराना असभव होगाii जिससे पुलिस हैरान होगी i बुरे लोगो को न पकड पायेगी i इस पर ् याय का मतलब है कि ऐसी दुनिया से रहने से ये अच ् छा है जहा आप पर निगरानी होती है गुंडो से या अन ् य देशो के गुप ् तचरो से ऐसी दुनिया मे रहना मैं पसंद नही करूँगा i शायद आपके पास अभी साधन हैं i जिससे आप सरकार की निगरानी से बच सकते है यह है आपके जेब में रखे फोन आपको शायद पता नही होगा कितने सुरक ् षित आप पायेंगे आपको i या दूसरी व ् यवस ् था कितनी कमजोर है जिसका आपने इस ् तेमाल किया मेरा संदेश है हमे ऐसे साधन इस ् तेमाल करने चाहिए i अपने टेलिफोन काल ् ल ् स सुरक ् षित रखने के लिये i हमारे मेसेज सुरक ् षित रहने चाहिये आप इस साधनों का इस ् तेमाल करे i आपके प ् रियजनो को मै कहना चाहता हू; संकेतीकरण किये गये साधन इस ् तेमाल करे सस ् ते और आसान हैं इसलिए नही इसलिए उपयोग करे क ् यूंकि वो सुरक ् षित हैं धन ् यवाद! (तालीया) जब हम भ ् रष ् टाचार की बात करते हैं, एक रूसी अहंकारोन ् मादी हैं सपरमुरट नियाजोव जो की उन में से एक हैं 2006 में उनकी मृत ् यु से पहले, वो तुर ् कमेनिस ् तान के बाहुबली नेता थे, जो की प ् रकृतिक गॅस के भंडार वाला एक मध ् य एशिया का देश है । वे अध ् यक ् षीय आदेश जारी करना बहुत पसंद करते थे । एक आदेश के द ् वारा महीनों के नाम बदल दिये गए जिन में उनके और उनकी माँ के नाम पे रखे गए महीने भी शामिल थे ॰ उन ् होने करोड़ों डॉलर खर ् च कर के एक अजीबो गरीब व ् यक ् तित ् व पंथ बनाया, और उनका सर ् वोपरि काम था अपने आप की 40 फुट ऊंची मूर ् ति बनवाना, जिस पर सोने का पानी चढ़ा हुआ था जो राजधानी के केन ् द ् रीय चौक पे शान से खड़ी थी और सूरज के साथ साथ घूमती थी । वो थोड़े असाधारण किस ् म के थे । और फिर वो घिसा पिटा उदाहरण है अफ ् रीकी तानाशाह या मंत ् री या अधिकारी का । फिर टेओडोरिन ओबीयांग हैं । तो उनके पिता एक ् वाटोरियल गिनी के आजीवन राष ् ट ् रपति हैं, जो की पश ् चिमी अफ ् रीका का एक देश है जिसने 1990s से करोड़ों डॉलर ् ज़ का तेल निर ् यात किया है और फिर भी उसका मानवीय अधिकार का लेखा जोखा भयंकर है । उसके अधिकांश लोग दयनीय निर ् धनता में जी रहे हैं यद ् यपि उनकी प ् रति व ् यक ् ति आय तो छोटे मियां ओबीयांग अपने लिए मलिबू, कैलिफोर ् निया मे 3 करोड़ डॉलर ् ज़ का महल खरीदते हैं । मैं उसके मुख ् य द ् वार तक गया हूँ । मैं आप को बता सकता हूँ कि वो बहुत ही भव ् य है ॰ उसने 1.8 करोड़ यूरो का काला संग ् रह खरीदा है जो फ़ैशन डिज़ाइनर वायेस सैंट लौरेंट का होता था, बहुत सारी शानदार गाडियाँ,ओह, और एक निजी हवाई जहाज़ भी. अब ये सुनिए: कुछ दिन पहले तक उनकी आधिकारिक आय 7,000 डॉलर ् ज़ प ् रति माह से कम थी । और फिर डान एतेते हैं ॰ वे नाइजेरिया के पूर ् व तेल मंत ् री थे राष ् ट ् रपति अबाछा के शासन काल में, और इतिफाक से वे भी एक दंडित पैसे का हेर फेर करने वाले हैं । हमने काफी समय बिताया 10 करोड़ डॉलर ् ज़ — जी हाँ, 10 करोड़ डॉलर ् ज़ — की तेल के एक सौदे के बारे मे जांच पड़ताल करने मे, जिसमे वे शामिल थे, और जो हमने पाया वो चौंका देने वाला था, लेकिन उसके बारे मे बाद में । तो यह सोचना आसान है के भ ् रष ् टाचार होता है कहीं दूर, लालची तानाशाहों के समूह के द ् वारा और ऐसे बदमशों द ् वाराऔर हमे लगता है की हमें उस से क ् या लेना देना जो चल रहा हैं वो हमें उस से कोई फरक नहीं पड़ता । लेकिन क ् या ये सिर ् फ वहीं होता है? जब मैं 22 साल का था तो मेरी किस ् मत बहुत अच ् छी थी । विश ् वीद ् यालय से निकाल कर मेरा पहला काम अफ ् रीका मे हाथी दाँत के अवैध व ् यापार के बारे में जांच पड़ताल करना था । और इस तरह से भ ् रष ् टाचार से मेरे रिश ् ते की शुरुआत हुई । 1993 मे, दो दोस ् तों के साथ मिलकर, जो मेरे साथ काम करते थे, साइमन टेलर और पैट ् रिक एली, हमने ग ् लोबल वेल ् ल ् नेस नाम की एक संस ् था की स ् थापना की । हमारा पहला अभियान जांच पड़ताल थी कि किस तरह से गैर कानूनी पेड़ों की कटाई से कंबोडिया में युद ् ध के लिए पैसे जुटाये जा रहे थे । तो कुछ साल बाद, और अब मैं 1997 कि बात कर रहा हूँ, मैं अंगोला में छुपे रूप से खूनी हीरों की जांच पड़ताल कर रहा था । शायद आपने वो पिक ् चर देखि होगी, हॉलीवुड फिल ् म "" ब ् लड डाईमंड "", उसका कुछ भाग हमारे काम पे आधारित था । लुवांडा में बारूदी सुरंगो से पीड़ित लोग भरे हुए थे जो वहाँ की सड़कों पे संघर ् ष कर रहे थे जीवित रहने के लिए और युद ् ध द ् वारा अनाथ बच ् चे सड़कों के नीचे नालियों में रह रहे थे, और एक बहुत ही छोटा समृद ् ध वर ् ग था जो चर ् चा करता था अपनी ब ् राज़ील और पुर ् तगाल मे ख़रीदारी हेतु यात ् राओं की । और वो कुछ अजीब सी जगह थी । तो मैं एक घुटन भरी गर ् मी वाले होटल के कमरे में बैठा हूँ व ् याकुलता से भरा । लेकिन वह खूनी हीरों की बात नहीं थी । बल ् कि क ् योंकि मैं वहाँ कई लोगों से बात करता रहता था जो की एक अलग समस ् या के बारे में बात करते थे: वैश ् विक स ् तर पे भ ् रष ् टाचार के विशाल ताने बाने के बारे में और तेल से प ् राप ् त करोड़ों डॉलर के गायब हो जाने के बारे में । और क ् योंकि उस समय हमारा संगठन बहुत छोटा सा था कुछ ही लोगों का, हमारे लिए यह सोचना शुरू करना कि हम इस से कैसे निपटेंगे भी बहुत बड़ी चुनौती थी । और उन वर ् षों में जब मैं,यह केवल लालच या ताकत का गलत इस ् तेमाल नहीं है या वह असपष ् ट वाक ् यांश "" कमजोर प ् रशाशन "". मेरा मतलब है कि हाँ, वे सभी भी हैं, लेकिन भ ् रस ् ताचर को संभव बनाते हैं वो कार ् यवाही जो अंतर ् राष ् ट ् रीय प ् रेरक करते हैं । तो उन लोगों कि बात करते हैं जिनकी मैंने पहले चर ् चा करी थी । ये सभी वो लोग हैं जिनकी हमने जांच करी थी, और ये सभी वो लोग हैं जो अकेले वो नहीं कर पाते जो उन ् होने किया । उच ् च कोटी कि कलाकृतीया और वैभवशाली घर बिना मदद के नहीं आए । उन ् होने अंतरराहस ् तरीय बैंकों के साथ धंधा किया । पेरिस के एक बैंक में उनके द ् वारा चलायी जाने वाली एक कंपनी का खाता था, जो कि कलाकृतिओं को खरीदने के काम आया, और अमरीकी बैंक, उन ् होने भेजे 7.3 करोड़ डॉलर अमरीका को जिस में से कुछ कैलिफोर ् निया के उस भवन को खरीदने में लगाए गए । और उन ् होने ये सब अपने नाम से भी नहीं किया । उन ् होने फर ् जी कंपनियो का इस ् तेमाल किया ॰ उन ् होने एक का इस ् तेमाल किया उस घर को खरीदने के लिए, और दूसरी का, जो किसी और के नाम पर थी, उसके संचालन के विशाल खर ् चे देने के लिए । और फिर डैन एतेते हैं । जब वे तेल मंत ् री थे, उन ् होने एक तेल का ब ् लॉक जिसकी कीमत अब 10 करोड़ डॉलर से ज ् यादा है, आबंटित किया एक ऐसी कंपनी को, जो कि आप अनुमान लगा सकते हैं, जी हाँ, जिसके मालिक वो खुद थे । अब, काफी दिनों बाद उसका व ् यापार कर दिया गया नाइजीरियाई सरकार कि मदद से —शैल और इटलियाई एनी की सहायक कोंपनियों को, आज कि सबे बड़ी तेल कोंपनियों में से दो । तो सच ् चाई यही है, कि भ ् रष ् टाचार का इंजिन,जैसे की एकूयाटोरियल गिनी या नाइजेरिया या तुर ् कमेनिस ् तान । इस इंजिन को चलाता है हमारी अंतर ् राष ् ट ् रीय बैंकिंग व ् यवस ् था, बेनामी फर ् जी कंपनियो की समस ् या, और वह गोपनियता जो हमने प ् रदान की है बड़े तेल, गैस और खादान के चालन को, और, सबसे ज ् यादा, हमारे राजनेताओ द ् वारा असफल रहने मे अपने भाषणों को साकार करने मे और कुछ ऐसा करने मे जो सच में सार ् थक और प ् रणालीगत हो इस सब से निपटने में । पहले बैंकों की बात करते हैं । आप को यह जान के ज ् यादा आश ् चर ् य नहीं होगा अगर मैं आप को यह बताऊँ की बैंक काला धन स ् वीकार करते हैं, लेकिन वो अन ् य विनाशकारी तरीकों से भी अपनी कमाई को प ् राथमिकता देते हैं । जैसे की, सरवाक, मलेशिया में । अब इस एलाके में केवल पाँच प ् रतिशत जंगल बचे हैं । पाँच प ् रतिशत । तो यह कैसे हुआ? ऐसा हुआ क ् योंकि एक अभिजात वर ् ग और उसके सहायक करोड़ों डॉलर कमाते रहे हैं औध ् यौगिक पैमाने पे पेड़ों की कटाई को समर ् थन देके कई सालों से । तो हमने एक गुप ् त जासूस भेजा गुप ् त रूप से शासित वर ् ग के सदस ् यों की बैठक की फिल ् म बनाने को और इसके परिणाम से जो फिल ् म बनी, उसने कुछ लोगों को बहुत क ् रोधित किया, और आप उसे यू ट ् यूब पे देख सकते हैं, लेकिन इस से हमारा शक साबित हो गया,हालांकि बाद मे उनहों इस बात से साफ इंकार कर दिया, कैसे भूमि और जंगल के लाइसेंसों पर अपने नियंत ् रण का इस ् तेमाल किया अपनी और अपने परिवार की जेबें भरने मे । और एचएसबीसी, हाँ, हम जानते हैं की एचएसबीसी नें पैसे दिये क ् षेत ् र की सबसे बड़ी लकड़ी काटने वाली कोंपनियों को जो की जिम ् मेदार थी उसमे से कुछ विनाश के लिए बैंक नें इस प ् रकरण में पर ् यावरण स ् थिरता की अपनी ही नीतियों का उल ् लंघन किया, लेकिन उसने 13 करोड़ डॉलर कमाए । अब, हमारे इस खुलासे के थोड़ी देर बाद, इस साल के शुरू में हमारे खुलासे के थोड़ी देर बाद, बैंक ने घोषणा की कि वह इस पर अपनी नीतियों की समीक ् षा करेगा । और क ् या यह प ् रगति है? हो सकता है, लेकिन हम बहुत करीबी नज़र रखेंगे इस मामले पे । और फिर समस ् या है गुमनाम फर ् जी कोंपनियों की । हम सबने सुना है कि वो क ् या होती हैं, मेरे ख ् याल से, और हम सब जानते हैं कि इंका काफी इस ् तेमाल होता है उन लोगों और कंपनियों द ् वारा जो बचना चाहती हैं समाज कि ओर अपनी समुचित जिम ् मेदारियों को निभाने से, जिन ् हें कर भी कहते हैं । लेकिन जो आम तौर पे ये उजागर नहीं होता कि किस तरह से फर ् जी कोमपीनयों का इस ् तेमाल किया जाता है बहुत बड़ी मात ् रा में पैसे चुराने के लिए - भीमकाय मात ् रा में पैसे चुराने के लिए, गरीब देशों से । लगभग भ ् रष ् टाचार के उन सभी मामलों में जिनकी हमने जांच करी है, फर ् जी कंपनियाँ शामिल थी, और कई बार यह पता लगाना नामुमकिन था की दरअसल उस सौदे में कौन शामिल था । विश ् व बैंक द ् वारा एक हाल के अध ् ययन नें भ ् रष ् टाचार के 200 मामलों को देखा । उसने पाया की उन में से 70 प ् रतिशत मामलों में फर ् जी कंपनियाँ इस ् तेमाल करी गईं थी, कुल मिला के तकरीबन 5600 करोड़ डॉलर । इन में से कई कंपनियाँ अमरीका में थीं या इंग ् लैंड में, उसके विदेशी क ् षेत ् रों में और निर ् भरता वाले इलाकों में, तो यह केवल देश के बाहर की समस ् या नहीं है, यह हमारे अपने देशों की समस ् या भी है । आप समझ रहे होंगे, फर ् जी कंपनियाँ केंद ् र बिन ् दु हैं उन गोपनीय सौदों की जो अमीर कुलीन वर ् ग को फ़ायदा पहुंचा सकती हैं आम नागरिकों के बनिस ् पत । हाल ही में एक चौंका देने वाले मामले की हमनें जांच की कि कैसे कोंगों लोकतान ् त ् रिक गणराज ् य की सरकार ने बहुमूल ् य खनन संपातियों को, जो कि राजय कि संपति थी, बेचा ब ् रिटिश वर ् जिन द ् वीप समूह में फर ् जी कंपनियों को । तो हमने देश में अपने सूत ् रों से बात चीत करी, कंपनी के दस ् तावेज़ों और अनय सूचनाओं का अध ् ययन किया इस सौदे कि सही तस ् वीर जोड़ने के लिए । और हमें जान कर बहुत अचंभा हुआ कि ये फर ् जी कंपनियों नें जल ् दी से एन मे से कई संपातियों को बेच दिया बहुत बड़े मुनाफे पे बड़ी अंतर ् राष ् ट ् रीय खनन कंपनियों को जो कि लंदन में पंजीकृत थी । अब, अफ ् रीकी प ् रगति पैनल, जिसका नेतत ् रव कोफी अन ् नान करते हैं, उसने यह अनुमान लगाया है कि कोंगों का नुकसान इन सौदों में 130 करोड़ डॉलर से अधिक हैं । ये लगभग दो गुना हैं उस देश के वार ् षिक स ् वस ् थ और शिक ् षा बजट को मिला के । और क ् या कोंगों के लोगों को कभी अपना पैसा वापिस मिलेगा? तो, इस सवाल का जवाब, और कौन इस में शामिल था और दरअसल क ् या हुआ, शायद ये ताले में बंद रहेगा ब ् रिटिश वर ् जिन द ् वीप समूह के गोपनीय कंपनी रजिस ् ट ् रियों में और अनय स ् थानों पे, अगर हम सब इसके बारे में कुछ करते नहीं हैं । और तेल, गॅस और खनन कंपनियों का क ् या? हो सकता है उनके बारे मे बात करना एक घिसी पिटी बात हो । उस व ् यावसायिक क ् षेत ् र में भ ् रष ् टाचार कोई नई बात नहीं है । जब हर तरफ भ ् रष ् टाचार है तो उस व ् यावसायिक क ् षेत ् र पर ही क ् यों ध ् यान केन ् द ् रित किया जाए? इसका जवाब है कि क ् योंकि यहाँ बहुत कुछ दाव पे लगा हुआ है । 2011 में प ् रकृतिक संपदाओं का निर ् यात आने वाली सहता राशि से लगभग 19 गुना थी अफ ् रीका, एशिया और लटीनी अम ् रीका में । उन ् नीस गुना । इस से कितने सारे स ् कूल और विश ् वविद ् यालय और अस ् पताल और कारोबार शुरू किए जा सकते थे, जिन में से कई बने ही नहीं, और कभी बनेंगे भी नहीं, अब वापस चलते हैं तेल और खनन कंपनियों कि ओर, और माफ कीजिएगा, मैं अगला भाग पढ़ने जा रहा हूँ क ् योंकि यह बहुत ही ज ् वलंत मामला है, और हमारे वकील इसे गहराई से देख चुके हैं और वे चाहते हैं कि मैं इसमे कोई गलती ना करूँ । अब, सतह पे तो यह सौदा सीधा सादा दिखता था । शैल और एनी कि सहायक कंपनियों नें निजेरियाई सरकार को उस ब ् लॉक के लिए पैसे दिये । निजेरियाई सरकार नें ठीक उतनी ही रकम, आखरी डॉलर तक, एक फर ् जी कंपनी के खाते में जमा करा दिये जिसका गुप ् त तौर से मालिक एतेते था । अब, एक सजायाफ ् ता पैसे का हेर फेर करने वाले के लिए ये कोई घाटे का सौदा नहीं था । और देखने वाली बात ये है । कई महीनों तक खोज बीन करने के बाद और हजारों पन ् नों के अदालती दस ् तावेज़ों को पढ़ने के बाद, हमे इस बात का सबूत मिला कि दरअसल शैल और एनी को यह पता था कि ये पैसा उस फर ् जी कमापनी को दे दिया जाएगा, और सच कहें तो यह मान पाना कठिन है कि उन ् हे पता नहीं था कि वो दरअसल किस से सौदा कर रहे थे । अब, इतनी मेहनत लगनी ही नहीं चाहिए ये पता लगाने में कि ऐसे सौदों में पैसे कहाँ गए । मेरा मतलब है कि ये राज ् य की संपाती हैं । उनका इस ् तेमाल होना चाहिए देश के लोगों की भलाई के लिए । लेकिन कुछ देशों मे, नागरिक और पत ् रकार जो ऐसे कांडों का पर ् दाफाश करने की कोशिश कर रहे हैं और अंत में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो यह मानते हैं कि भ ् रष ् टाचार से बचा ही नहीं जा सकता । यही तरीका है जिस से कुछ व ् यापार चलते हैं । इसको बदलना बहुत जटिल और मुश ् किल है । तो इसका मतलब क ् या है? हम इसे स ् वीकार कर ले? पर एक प ् रचारक और अन ् वेषक होने के नाते मेरे विचार कुछ अलग हैं, क ् योंकि मैंने देखा है कि क ् या संभव है जब एक सोच गति पकड़ लेती है तो । तेल और खनन क ् षेत ् र में, उदाहरण के तौर पे, अब एक शुरुआत हो रही हैजो की इस में से कुछ समस ् याओं से निपट सकते हैं । 1999 में, जब ग ् लोबल विट ् नेस ् स नें तेल कंपनियों को सौदों में भुगतान को पारदर ् शी बनाने का आह ् वान किया, तो कुछ लोग इसे भोलापन कह कर इस पर हंस रहे थे इस छोटे से विचार पर । लेकिन दुनिया भर से सैंकड़ों नागरिक समाज की संस ् थाएं जुड़ गईं पारदर ् शिता की लड़ाई में, और अब यह तेज़ी से आदर ् श और कानून बनते जा रहा है । दो तिहाई मूल ् य दुनिया की तेल और खनन कंपनियों का अब पारदर ् शिता कानून के अंतर ् गत आता है । दो तिहाई । तो यह बदलाव हो रहा है । यह प ् रगति है । लेकिन मंज़िल अभी बहुत दूर है । क ् योकि यह मसला भ ् रष ् टाचार का नहीं है जो वहाँ, कहीं दूर है, है ना? वैश ् विकृत दुनिया में भ ् रष ् टाचार सच में वैश ् वीकृत कारोबार है, जिसे वैश ् विक स ् तर पे समाधान की ज़रूरत है, हम सभी वैश ् वीय नागरिकों द ् वारा समर ् थित और प ् रोत ् साहित, ठीक यहीं पे । धन ् यवाद । (तालियाँ) मार ् को टेम ् पेस ् ट: मैं आज आपको जो दिखाना चाहता हूँ वह एक प ् रकार का प ् रयोग है | आज यह पहली बार दिखाया जायेगा | यह अग ् युमेंटेड रेआलिटी तकनीक का प ् रदर ् शन है | जो द ् रश ् य आप देखने वाले हो वो पहले से रिकॉर ् ड किये हुए नहीं है | उसका सीधा प ् रसारण होगा और मेरे सांथ सीधे प ् रतिक ् रिया करेंगे | मैं इसे एक तरह का तकनीकी जादू समझता हूँ | तो आशा है सब अच ् छा हो | और आप इस बड ़ े परदे की ओर नजर रखिये | अग ् युमेंटेड रेआलिटी असली दुनिया का कंप ् यूटर द ् वारा बनाये काल ् पनिक दुनिया से संगठन है | जादू की विवेचना का यह सबसे अच ् छा माध ् यम है और यह पूछने का कि क ् यों इस तकनीकी युग में भी जादू लगातार हमें आश ् चर ् यचकित करता रहता है | जादू धोखा है, पर इस धोखे को ही हम पसंद करते हैं | धोखे का आनंद लेने के लिए सबसे पहले एक दर ् शक को अपने अविश ् वास को छोड ़ ना होगा | कवि सम ् यूअल टेलर कोलरिग ने पहली बार मन के ग ् रहण करने की इस अवस ् था के बारे में कहा था | सम ् यूअल टेलर कोलरिग: मैं अपनी रचनाओं में सत ् य की एक झलक दिखलाने की कोशिश करता हूँ इस कल ् पना की अभिव ् यक ् ति के लिए कुछ समय के लिए अपने अविश ् वास को अपनी इच ् छा से छोड ़ ना ही कविता में विश ् वास लेकर आता है | किसी भी प ् रकार के नाटकीय अनुभव के लिए कल ् पना पर विश ् वास होना बहुत जरुरी है | इसके बिना एक आलेख केवल शब ् द हैं | अग ् युमेंटेड रेआलिटी एक बहुत ही नयी तकनीक है | और हाथ की सफाई निपुणता की एक कलात ् मक अभिव ् यक ् ति है | हम सभी अपने अविश ् वास में समर ् पित होने में बहुत अछे हैं | हम इसे प ् रतिदिन करते हैं, उपन ् यास पढ ़ ते समय, टीवी देखते समय या फिल ् म देखते समय | हम ख ़ ुशी से कल ् पना की दुनिया में जाते हैं जहाँ अपने नायकों की जयकार करते हैं और उन दोस ् तों के लिए रोते हैं जो कभी हमारे दोस ् त ही नहीं थे | इस योग ् यता के बिना कोई जादू संभव नहीं है | जेंन रोबेर ् ट हौडिंग फ ् रांस के महान जादूगर ने सबसे पहले जादूगर की भूमिका एक कहानीकार के रूप में पहचानी थी | उन ् होंने जो कहा था उसे मैंने अपने स ् टूडियो की दीवाल पर लिखा है | जेंन रोबेर ् ट हौडिंग: जादूगर एक कलाबाजी करने वाला व ् यक ् ति नहीं है | वो एक अभिनेता है जो कि एक जादूगर की भूमिका अदा करता है | इसका मतलब यह है कि जादू एक थिएटर है और हर एक हाँथ की सफाई एक कहानी है | जादू की कलाएं मूल रूप से काल ् पनिक कहानियों की ही तरह हैं | इसमे पाने और खोने की कहानियां हैं मृत ् यु और पुनर ् जन ् म की कहानियां हैं और कठिनाइयाँ है जिसे पार करना जरुरी है | कुछ कहानियां बहुत ही ज ् यादा नाटकीय हैं | जादूगर आग और लोहे से खेलते हैं, आरी के तेज धार का सामना करना बन ् दूक की गोलियों को रोकने का साहस करना या जानलेवा तरीके से बच कर निकलने का प ् रयास करते हैं | पर दर ् शक जादूगर को मरते हुए देखने के लिए नहीं आते, वो उसे जीवित रहे ये देखने आते हैं | क ् योंकि अच ् छी कहानियों का हमेशा सुखद अंत होता है | जादू की कलाओं की एक विशेष बात यह है कि इसकी कहानियों में एक मोड ़ होता है | एडवर ् ड दे बोनो का कहना था की हमारा दिमाग प ् रतिरूप बनाने की एक मशीन है उनका कहना था कि जादूगर जान बूझ कर जिस तरह दर ् शक सोचते हैं उसका फायदा उठाते हैं | एडवर ् ड दे बोनो: जादू लगभग पूरी तरह से छणिक त ् रुटी पर निर ् भर करता है | दर ् शकों को ऐसी कल ् पना या विस ् तार में बातें बताई जाती हैं जो कि पूरी तरह से उचित है, परन ् तु जो उनके सामने किया जा रहा है वास ् तव में वो उससे मेल नहीं खाते | इसलिए जादू के खेल एक चुटकुले की तरह हैं | चुटकुले हमें एक अपेक ् षित स ् थान के रास ् ते पर लेकर जाते हैं | पर अचानक जैसे ही जो हमने सोचा था वो पूरी तरह से अप ् रत ् याशित द ् रश ् य में बदल जाता है, तब हम हँसते है | जब लोग जादू के खेल देखते हैं तब भी बिलकुल ऐसा ही होता है | अंत तर ् क को गलत सिद ् ध कर देता है, समस ् या को एक नया नजरिया देता है और दर ् शक हंसी के सांथ आश ् चर ् य प ् रकट करते हैं | बेवकूफ बनने में भी एक मजा है | सभी कहानियों की एक विशेषता यह है कि वो लोगों के सांथ बांटने के लिए बनी होती हैं | हम उसे लोगों को सुनाने के लिए मजबूर महसूस करते हैं | जब मैं किसी पार ् टी में जादू करता हूँ — (हंसी) तो वो आदमी तुरंत पर अपने दोस ् त को खींच कर लाता है और मुझसे फिर से करने का आग ् रह करता है | वो इस अनुभव को बाँटना चाहते हैं | यह मेरा काम और मुश ् किल कर देता है, क ् योंकि, अगर मैं उन ् हें हैरान करना चाहता हूँ, तो मुझे एक ऐसी कहानी सुनानी होगी जिसकी शुरवात तो वैसी ही हो पर अंत अलग होना चाहिए — एक जादू की कहानी जिसके मोड ़ पर एक मोड ़ आ जाये | यह मुझे व ् यस ् त रखता है | विशेषज ् ञों का मानना ​ ​ है कि कहानियां हमारी क ् षमता के परे जाकर हमारा मनोरंजन करती हैं | हम कहानी की संरचना में सोचते हैं | हम घटनाओं और भावनाओं से जुड ़ ते हैं और उसे स ् वाभाविक रूप से ऐसे द ् रश ् यों में परिवर ् तित कर देते हैं जिसे आसानी से समझा जा सकता है | यह एक एक विशिष ् ट मानव उपलब ् धि है | हमें सभी अपनी कहानियां सुनाना चाहते हैं, चाहे वह पार ् टी में देखा गया जादू हो, ऑफिस का एक बुरा दिन हो, या छुट ् टियों में देखी गई एक खुबसूरत शाम हो | आज, हम तकनिकी के आभारी हैं जिससे, हम उन कहानियों को वैसे सुना सकते हैं जैसा पहले ना था ईमेल से, फेसबुक से, ब ् लॉग, ट ् वीट, TED (टेड) पर | सोसल नेटवर ् किंग के ये उपकरण एक डिजिटल कैम ् प फ ़ ायर की तरह हैं जिसके घेरे में दर ् शक कहानियां सुनने एकत ् रित होते हैं | हम तथ ् यों को अलंकार और मुस ् कान में बदलते हैं और कल ् पनाओं में भी बदलते हैं | हम हमारे जीवन के ख ़ राब समय को अच ् छा करते हैं ताकि जीवन पूरा लगे | हमारी कहानियां हमें वह इन ् सान बनाती हैं जो हम हैं और कभी कभी जैसा इन ् सान हम बनना चाहते हैं | वो हमें हमारी पहचान देती हैं और समुदाय की भावना बनाती हैं | और अगर कहानी अच ् छी हो तो, वह शायद हमारे चहरे पर मुस ् कान भी ले आये | धन ् यवाद | (अभिवादन) धन ् यवाद | (अभिवादन) अभी सबसे रोमांचक समय है नयी भारतीय कला को देखने का. भारत में समकालीन कलाकार दुनिया के साथ बातचीत कर रहे हैं जैसा पहले कभी नहीं हुआ. मैंने सोचा कि यह दिलचस ् प हो सकता है, कई अनुभवी, TED संग ् रहकर ् ता, स ् थानीय संग ् रहकर ् ताओं के लिए १० युवा भारतीय कलाकारों का एक बाहर का दृश ् य मैं TED में सबको बताना चाहता हूँ. पहली हैं भारती खेर. भारती के अभ ् यास की केंद ् रीय आकृति है विनिर ् मित दुकान पर मिलने वाली बिंदी, जो कि लाखों भारतीय महिलाएं अपने माथे पर लगाती हैं, हर दिन, एक कार ् य जो निकटता से जुड़ा हुआ है विवाह के संस ् थान से. लेकिन बिंदी का असली महत ् व है तीसरी आँख का प ् रतीक बनना आध ् यात ् मिक दुनिया और धार ् मिक दुनिया के बीच. भारती इस रोजमर ् रा के चलन को आजाद करना चाहती हैं, इसे कुछ शानदार चीज ़ में विस ् फोट कर. वह अक ् सर पशुओं के जीवन आकार शीशे-रेशा मूर ् तियां बनती हैं, जो वह फिर पूरी तरह से बिंदियों से ठक देती हैं, अक ् सर शक ् तिशाली प ् रतीकों के साथ. वह कहती हैं कि उन ् होंने पहली बार शुरू किया बिंदी के १० पैकेट के साथ, और फिर सोचा कि वह 10 हजार के साथ क ् या कर सकती हैं. हमारे अगले कलाकार, बालसुब ् रमण ् यम वास ् तव में चित ् रकला, मूर ् तिकला और स ् थापना के चौराहे पर खड ़ े हैं, शीशे-रेशा के साथ अद ् भुत काम कर रहे हैं. क ् योंकि बाला खुद बाद में TED में बोल रहे हैं मैं उन पर बहुत ज ् यादा समय आज यहां नहीं बिताऊंगा, सिर ् फ कहूँगा कि वे सफल हैं अदृश ् य को दृश ् य बनाने में. ब ् रुकलिन स ् थित चित ् रा गणेश अपने डिजिटल कोलाज के लिए जानी जाती हैं, भारतीय कॉमिक पुस ् तकें, अमर चित ् रकथा, का उपयोग कर अपने प ् राथमिक स ् रोत सामग ् री के रूप में. यह कॉमिक ् स एक मौलिक तरीका हैं कि बच ् चे, विशेषकर प ् रवासियों में अपने धार ् मिक और पौराणिक लोक कथाओं को सीखते हैं. मैं इन में डूबा रहता था. चित ् रा मूल रूप से रीमिक ् स और फिर दुबारा खिताब कर इन प ् रतिष ् ठित छवियों से बाहर लाती हैं यौन और लिंग राजनीति जो इन गहरी प ् रभावशाली कॉमिक ् स में छुपी हैं. और वह इस शब ् दावली का उपयोग अपने स ् थापना के काम में भी करती हैं. जितिश कल ् लत सफलतापूर ् वक फोटोग ् राफी करते हैं, मूर ् तिकला, चित ् रकला, और स ् थापना. जैसा कि आप देख सकते हैं, वह भारी रूप से प ् रभावित हैं भित ् तिचित ् रों और सड ़ क कला के द ् वारा, और उनका शहर मुंबई उनके काम में हमेशा पेश तत ् व है. वह वास ् तव में घनत ् व की भावना कब ् ज करते हैं और ऊर ् जा जो वास ् तव में आधुनिक शहरी बंबई की विशेषता है. वह छायाचित ् र मूर ् तियां भी बनाते हैं राल से हड ् डियों से बनी. यहाँ वह कंकाल की कल ् पना करते हैं उस ऑटोरिक ् शा का जो एक बार दंगे में जला देखा. अगले कलाकार, न. स. हर ् षा, उनका मैसूर में स ् टूडियो हैं. वह लघु परंपरा पर एक समकालीन स ् पिन डाल रहे हैं. वह यह नाजुक छवियों बनाते हैं जो वह फिर एक भारी पैमाने पर दोहराते हैं. वह पैमाने का अधिक से अधिक शानदार उपयोग करते हैं, सिंगापुर में एक मंदिर की छत पर, या अपनी तेजी से महत ् वाकांक ् षी स ् थापना के काम में, यहाँ १९२ सिलाई मशीनों के साथ, संयुक ् त राष ् ट ् र के हर सदस ् य के झंडे जोड ़ ते हुए. मुंबई स ् थित ध ् रुवी आचार ् य हास ् य किताबें और सड ़ क कला के अपने प ् यार से टिप ् पणी करती हैं भूमिकाओं और अपेक ् षाओं पर आधुनिक भारतीय महिलाओं की. वह भी अमर चित ् रकथा कथा की समृद ् ध सामग ् री का इस ् तमाल करती हैं, लेकिन चित ् रा गणेश की तुलना में एक बहुत अलग तरह से. यह विशेष काम में, वह छवियों को निकाल कर और वास ् तविक पाठ को वहीँ छोड ़ पहले अनदेखी और उत ् तेजक चीज ़ प ् रकट करती हैं. रकीब शॉ कोलकाता में जन ् मे, कश ् मीर में बड ़ े हुए, और लंदन से प ् रशिक ् षित हैं. वह भी लघु परंपरा का पुनः अविष ् कार कर रहे हैं. वह हिएरोंय ् मुस बॉश द ् वारा प ् रेरित भव ् य तब ् लेऔस बनाते हैं, लेकिन अपनी जवानी के कश ् मीरी वस ् त ् र द ् वारा प ् रेरित भी. वह वास ् तव में अपने काम में धातु औद ् योगिक पेंट इस ् तमाल करते हैं साही पंख का उपयोग कर संपन ् न विस ् तृत प ् रभाव लाते हैं. मैं यह अगले कलाकार के साथ धोखा कर रहा हूँ क ् यूंकि रक ् स मीडिया कलेक ् टिव वास ् तव में तीन कलाकार हैं जो साथ काम कर रहे हैं. रक ् स शायद सबसे महत ् वपूर ् ण कलाकार हैं भारत में मल ् टीमीडिया कला के, फोटोग ् राफी, वीडियो, और स ् थापना में काम में. वे अक ् सर भूमंडलीकरण और शहरीकरण के विषयों का अन ् वेषण करते हैं, और दिल ् ली का उनका घर अक ् सर उनके काम में एक तत ् व है. यहाँ, वे एक अपराध का विश ् लेषण करने के लिए दर ् शको को आमंत ् रित करते हैं सबूत देखने और सुराग ढूँढने इन पांच अलग स ् क ् रीन पर पांच बयान में, जिसमे शहर खुद अपराधी हो सकता है. यह अगले कलाकार शायद अल ् फा पुरुष है समकालीन भारतीय कला का, सुबोध गुप ् ता. पहले उन ् हें विशाल यथार ् थवादी तस ् वीर कैनवस बनाने के लिए जाना जाता था, रोजमर ् रा की वस ् तुओं के चित ् र, रसोई में स ् टेनलेस स ् टील के बर ् तन और टिफिन कंटेनर प ् रत ् येक भारतीय द ् वारा ज ् ञात. वह इन स ् थानीय और सांसारिक वस ् तुओं का विश ् व स ् तर पर अनुष ् ठान करते हैं, शानदार से शानदार पैमाने पर, उन ् हें और अधिक भारी मूर ् तियों और स ् थापनाओं में शामिल कर. और अंत में दसवें, आखिरी लेकिन कुछ कम नहीं, रंजनी शेत ् तर कर ् नाटक में रहती और काम करती हैं, स ् वप ् निल मूर ् तियां और प ् रतिष ् ठान बनती हैं जो वास ् तव में औद ् योगिक और जैविक को मिलाती हैं, और सुबोध की तरह, स ् थानीय वैश ् विक साथ लाता है ये वास ् तव में मलमल में लिपटे तार हैं और सब ् जी डाई में डूबे. और वह उन ् हें ऐसे व ् यवसथित करती है की दर ् शक को स ् थान में संचालन करना पड ़ ता है, और वस ् तुओं के साथ बातचीत करता है. और प ् रकाश और छाया उनके काम का बहुत महत ् वपूर ् ण हिस ् सा हैं. वह उपभोक ् तावाद के विषयों की पड ़ ताल भी करती हैं, और पर ् यावरण, जैसे इस काम में, जहां यह टोकरी जैसी वस ् तुए जैविक और बुनी हुई लगती हैं, और बुनी हैं, लेकिन इस ् पात की पट ् टियों के साथ, कारों से बचाया सामान जो उन ् हें बंगलौर के कबाड ़ में मिला. १० कलाकार, छह मिनट, मुझे पता है कि यह बहुत था लेकिन मुझे आशा है कि मैंने आपकी भूख बडाई है कि आप जाएँ और सीखें अद ् भुत चीज ़ ों के बारे में जो भारतीये कला में हो रही हैं. सुनने और देखने के लिए बहुत बहुत धन ् यवाद. (अभिवादन) पांच साल पहले, मैंने जो अनुभव किया वो एलिस के वंडरलैंड में होना जैसा था | पेन स ् टेट ने मुझसे पूछा, एक संवाद विधा शिक ् षक, अभियांत ् रिकी छात ् रों के लिए संवाद विधा की कक ् षा लेने के लिए | और मैं डरी हुई थी | (हँसी) सच में डरी हुई | बड़े मस ् तिस ् क वाले इन छात ् रों से डरी हुई थी और उनकी बड़ी किताबो और उनके बड़े और अनजाने शब ् दों से | लेकिन जैसे वार ् तालाप शुरू हुए, मैंने अनुभव किया कि एलिस को वंडरलैंड में कैसा लगा होगा जब वो खरगोश के बिल में गयी और नयी दुनिया का दरवाज़ा देखा | बिलकुल ऐसा ही मैंने महसूस किया जब मैंने वो वार ् तालाप किये छात ् रों के साथ | मैं उनके विचारों से स ् तंभित थी, और मैं चाहती थी दूसरे भी ये इस वंडरलैंड का अनुभव ले | और मुझे भरोसा था इस दरवाज़े की चाबी एक बढ़िया सवांद हैं | अपनी दुनिया बदलने के लिए हमे अपने वैज ् ञानिक और अभियांत ् रिको से एक बेहतर सवांद की जरूरत हैं | हमारे वैज ् ञानिक और अभियांत ् रिक ही हैं जो जो बड़ी बढ़ी चुनौतियों के साथ लड़ रहे हैं, उर ् जा से लेकर वातावरण तक चिकित ् सा तक, दूसरों के साथ, और अगर हम इनके बारे में नहीं जानेंगे और समझेंगे, तब काम होगा ही नहीं, और मेरा मानना हैं कि गैर-वैज ् ञानिक होते हुए यह हमारी जिम ् मेदारी हैं लेकिन यह बेहतर संवाद नहीं हो सकते अगर हमारे वैज ् ञानिक और अभियांत ् रिक हमे उनके वंडरलैंड में न बुलाए | तो वैज ् ञानिक और अभियांत ् रिक, कृप ् या, हमसे पढ़ाकू बाते करिये | मैं बताना चाहूंगी कि कैसे आप इसे कर सकते हैं ताकि हम देख सके कि आपका विज ् ञान उत ् तेजक हैं और आपकी अभियांत ् रिकी आकर ् षक हैं | हमारे लिए पहला सवाल हैं: तो क ् या? बताईये आपका विज ् ञान हमसे कैसे संबंधित हैं | सिर ् फ ये मत बताईये कि आप trabeculae का अध ् धयन करते हैं, ये भी बताईये कि आप trabeculae का अध ् धयन करते हैं, जो हमारी हड ् डियों की जाल-रूपी सरंचना हैं | क ् यूंकि यह जरुरी हैं समझने के लिए और osteoporosis का इलाज करने के लिए | और जब विज ् ञान की व ् याख ् या कर रहे हैं, शब ् दजाल से बचे | शब ् दजाल एक बाधा हैं जो आपके विचारों को समझने से रोकती हैं | बेशक आप कह सकते हैं "" स ् थानिक और लौकिक "" लेकिन क ् यूँ सिर ् फ कहे "" स ् थान और समय "" जो कि हमारे लिए सुलभ हैं? और आपके विचार हमारे लिए सुलभ बनाना उन ् हें सिर ् फ बताना नहीं है | बल ् कि, जैसे कि आइंस ् टीन ने कहा हैं, हर चीज़ को जितना हो सके आसान बनाये, लेकिन साधारण नहीं | आप बिलकुल अपने विज ् ञान के साथ सवांद कर सकते हैं विचारों के समझौते के बिना | कुछ चीज़े जो ध ् यान में रखना है उदाहरण, कहानियाँ और अनुरूपता | यह वो तरीके है जो आपके सामग ् री को हमारे लिए आकर ् षक और रोचक बनाते हैं | और अपना काम प ् रस ् तुत करते हुए बुलेट पॉइंट ् स को छोड़ दीजिए | कभी आपने सोचा हैं क ् यूँ उन ् हें बुलेट पॉइंट ् स कहते हैं? (हँसी) बुलेट क ् या करती हैं? बुलेट मारती हैं, और आपके प ् रस ् तुति को मार देती हैं | इस तरह की स ् लाइड सिर ् फ उबाऊ ही नहीं बल ् कि बहुत ज ् यादा मस ् तिस ् क के भाषा वाले भाग पर निर ् भर हैं, और हमे अभिभूत कर देती हैं | इसकी जगह, उदाहरण के लिए Genevieve Brown की स ् लाइड कहीं ज ् यादा असरदायक हैं | यह दिखाती हैं कि trabeculae की विशिष ् ट सरंचना बहुत मजबूत हैं जिसने असल में एफिल टॉवर की अद ् वितीय रचना के लिए प ् रेरित किया | और यहाँ तरकीब हैं एक, पठनीय वाक ् य जो श ् रोता पकड़ सकते हैं अगर वो खो जाये, और फिर दृश ् य दिखाये जो दूसरी इन ् द ् रियों को आकर ् षक लगे और एक बेहतर समझ बनाये जो बतायी जाने वाली चीज़ के बारे में | तो मैं सोचती हूँ कि यह सिर ् फ कुछ महत ् वपूर ् ण बाते हैं जो सहायता कर सकती हैं हम सभी को उस दरवाज़े को खोलने और वंडरलैंड देखने के लिए जो कि विज ् ञान और अभियांत ् रकी हैं | और क ् यूंकि अभियांत ् रिक जिनके साथ मैंने काम किया हैं मुझे सिखाया कि अपने अंदर के पढ़ाकू के साथ संपर ् क में रहूँ | संक ् षेप में इसे मैं एक समीकरण के रुपे में बताउंगी | (हँसी) अपना विज ् ञान लीजिए, उसमे से बुलेट पॉइंट ् स और शब ् दजाल घटाईये और इसे प ् रासंगिकता से विभाजित कीजिये, मतलब कि जो श ् रोता के प ् रांसगिक हैं वो बताईये, और इसे अपने उस उत ् साह से गुना कीजिये जो आपमें आपके बेहतरीन काम के बारे में हैं, और एक बेहतरीन वार ् तालाप के बराबर होगा जो समझ से भरा हुआ हैं | और, वैज ् ञानिक और अभियांत ् रिक, जब आप ये समीकरण हल कर ले, बेशक, मुझसे पढ़ाकू बाते करिये | धन ् यवाद (अभिवादन) मैं आज आपसे कुछ कहना चाहता हूँ जो उन महानतम साहसिक कार ् यो में से एक है जिसे मनुष ् य जाति ने प ् रारम ् भ किया, वह जिज ् ञासा है ब ् रह ् माण ् ड को समझने की और उसमे हमारी अवस ् थिति को जानने की । इस विषय मे मेरी रुचि, और मेरी दिवानगी, अकस ् मात घटित हुई । मैने यह पुस ् तक खरीदी, "" यह ब ् रह ् माण ् ड और डाक ् टर आइंस ् टाइन "" — वह पतली जिल ् द वाली सिएटल की एक पुरानी पुस ् तको की की दुकान से थी । उसके कई वर ् षो बाद, बैंगलोर में, एक रात मुझे नींद नहीं आ रही थी, तब मैने उस पुस ् तक को उठाया, यह सोचते हुए की वह १० मिनेट में मुझे निंद ् रा की गोद में पहुंचा देगी । मगर हुआ यह की, मैने आधी रात से सुवह ५ बजे तक एक झटके में उसे पढ डाला । वह मेरे अंदर यह तीव ् र भाव छोड़ गई जो उतेजना और आनन ् द से भरी हुइ थी ब ् रह ् माण ् ड के विषय में और हमारी अपनी समझने की क ् षमता जो आज है । और उस भावना से मैं अभी तक मुक ् त नही हो पाया हूँ । वह भावना मेरे लिए कारण बनी अपने पेशे को परिवर ् तन करने की — एक सॉफ ् टवेयर इन ् जीनीयर से मैं विज ् ञान लेखक बन गया — ताकि मैं विज ् ञान के आनन ् द में सम ् मलित हो सकूँ, तथा औरों को बताने के आनन ् द प ् राप ् त कर सकूँ । इसी भावना ने मुझे अभिप ् रेरित भी किया एक अलग प ् रकार की तीर ् थ यात ् रा के लिए, अक ् षरसः कहे तो दुनिया के किनारो तक जाना देखने के लिए दुरबीन, अन ् वेषणयन ् त ् र, एवं उपकरण जो लोग बना रहे हैं या बना चुके थें, ब ् रह ् माण ् ड के अन ् वेषण के लिए अधिक से अधिक व ् यापकता के साथ । यह खोज मुझे चीली जैसी जगह ले गई — चीली देश की आटाकामा मरुभूमि से — साइवेरिया तक, भूमिगत खदानों मे, जापान की एल ् प पर ् वतमाला से उत ् तरी अमेरिका तक, अंटार ् कटिका तक और फिर दक ् षिणी ध ् रुव तक । और आज मैं आपसे कुछ बाँटना चाहता हूँ कुछ छाया-चित ् र, तथा उन यात ् राओं कि कहानियाँ । वस ् तुतः पिछले कुछ वर ् षो से मैं व ् यस ् त था उन प ् रयासो के अभिलेखन में जो कुछ अति वीर पुरुष एवं महिलाएँ अंजाम तक पहुँचा रहे थे, कभी कभी, अपनी जान पर खेलकर वह दुर ् गम एवं कठिनाई भरे स ् थानों पर काम कर रहे थें ताकि वह बह ् माण ् ड से प ् राप ् त होने वाले सूक ् ष ् मत ् तम संकेतो को ग ् रहण कर सके जिससे हम ब ् रह ् माण ् ड को समझ सके । प ् रारम ् भ में मैं एक वृतखण ् ड रेखा चित ् र प ् रस ् तुत करुंगा । विश ् वास दिलाना चाहूँगा कि यह एक मात ् र रेखा चित ् र है पूरे प ् रस ् तुतीकरण में । लेकिन यह हमारे मानस को ब ् रह ् माण ् ड का विषय समझने कि स ् थिति में ले आएगा । भौतिकी के सम ् पूर ् ण सिद ् धान ् त जो हमारे पास हैं ठीक ढंग से व ् याख ् या करते है कि "" सामान ् य पदार ् थ "" किसे कहते है — जिस चीज से हम बने हैं — और उसकी मात ् रा ब ् रह ् माण ् ड मे सिर ् फ ४ प ् रतिशत हैं । खगोलज ् ञ, ब ् रह ् माण ् डज ् ञ तथा भौतिकीज ् ञ सोचते है कि इस ब ् रह ् माण ् ड में कुछ ऐसा है जिसे वे श ् याम (डार ् क) पदार ् थ कहते हैं, उसकी मात ् रा ब ् रह ् माण ् ड में २३ प ् रतिशत है, और ऐसा कुछ जिसे श ् याम ऊर ् जा कहते हैं, और जो समय-स ् थान की संरचना मे व ् याप ् त हैं, वह शेष ७३% मात ् रा में है । तो आप इस वृतखण ् ड रेखा-चित ् र में, ब ् रहृमाण ् ड के ९६% हिस ् से को आज तक हम खोज रहे हैं, वह अज ् ञात एवं हमारी समझ के परे है । और अधिकांश प ् रयोग, दुरबीन जो मै देखने गया था वह किसी रुप मे इसी प ् रश ् न को संबोधन करते हैं, इन दो रहस ् यों को, श ् याम पदार ् थ तथा श ् याम उर ् जा को । अब मै आपको एक भूमिगत खदान की ओर ले चलता हूँ उत ् तरी मिनेसोटा में जहां लोग खोज रहे है उसे जिसे श ् याम पदार ् थ कहा गया । और उद ् देश ् य है उस संकेत को पकड़ना जब श ् याम पदार ् थ का एक कण उनके संसूचक से टकराएगा । और भूमिगत होने का कारण यह है कि, यदि यह प ् रयोग पृथ ् वी पर किया जाए तो, यह प ् रयोग उन संकेतो से गडमड हो जाएगा जो ब ् रह ् माण ् डीय किरणो जैसी चीज के कारण होता है, या फिर वातावरणीय रेडियो विकिरण से, या फिर हमारे शरीर की वजह से । आप मानेंगें नही, लेकिन हमारे शरीर में यथेष ् ट रेडियो विकिरण है जो इस प ् रयोग में विघ ् न डाल सकता है । इस लिए वह भूमि के अन ् दर गहरे उतरते है एक प ् रकार का वातावरणीय मौन हासिल करने के लिए जिससे वे सुन पाएँगे संसूचको पर श ् याम पदार ् थ के कण की छोटी सी टकराहट । और मैं एक ऐसा प ् रयोग देखने गया, और वास ् तव में - इसे देखना न हो पाएगा और उसका कारण है की वहां धुप ् प अंधकार है । वह एक बडी गुफा है जिसे खनिको ने त ् याग दिया सन १९६० मे खदान छोड़ते समय । और तब भौतिज ् ञ यहां आए और इसका प ् रयोग करने लगे सन १९८० के साल में पिछली सदी के शुरु मे खनिक यहां मोमवती के प ् रकाश में काम करते थें । और आज, आप इस खदान के अन ् दर देख सकते है, जो आधा मील भूमि के अन ् दर है । यह विश ् व की अधिकत ् तम गहराइ की भूमिगत प ् रयोगशालाओं में से एक है । और, अन ् य चीजो के साथ वह यहां श ् याम पदार ् थ की खोज कर रहे हैं । एक और तरीका है श ् याम पदार ् थ को खोजने का, जो अप ् रत ् यक ् ष है । यदि श ् याम पदार ् थ का अस ् तित ् व हमारे ब ् रहृमाण ् ड में है, हमारी आकाशगंगा में है, तो उसके कण आपस मे टकराते होंगे और अन ् य कणो की रचना करेंगें जिसे हम पहचानते हैं — वैसा एक है जिसे न ् युट ् रोनो कहते है । और न ् युट ् रोनो की आप टोह ले सकते है उस हस ् ताक ् षर द ् धारा जिसे वह छोड जाते है जब वह पानी के अणुकणिकाओं से टकराते हैं । जब न ् युट ् रोनो पानी के अणुकणिका से टकराता है तो एक तरह का नीला प ् रकाश निकलता है, नीले प ् रकाश की एक चमक, और इस नीले प ् रकाश को देख कर, तो आप अनिवार ् य रुप से न ् युट ् रानो के बारे में कुछ जान पाएगें और फिर, अप ् रत ् यक ् षतः, कुछ श ् याम पदार ् थ के बारे में जिसमें सम ् भवतः इस न ् युट ् रोनो को सृजन हुआ होगा । लेकिन आपको अत ् याधिक परिमाण में पानी की आवश ् यकता पडेगी इस प ् रयोग के लिए — आपको आवश ् यक पड़ेगी कई करोड़ टन पानी की — लगभग एक अरब टन पानी — न ् युट ् रान को पकड़ ् ने के लिए किसी भी अवसर को पाने के लिए । इस विश ् व में आपको इतना पानी कहाँ मिलेगा - हाँ रुस के पिछवाडे में ऐसा एक भण ् डार है । यह बेकाल झील है । यह विश ् व की सब से बडी झील है । यह ८०० किलोमीटर लम ् बी है । यह ४० से ५० कि.मि. चौडी है कई स ् थानों पर, और १-२ कि.मि. गहरी है । और रुस के लोग यहां संसूचको का निर ् माण कर रहे हैं और उसे झील की सतह से १ कि.मि. गहरे में डुबाते है ताकि उन ् हें नीले प ् रकाश के चमक की झलक मिल जाए । और जब मैं वहां पहुँचा तो मैनें यह दृश ् य देखा । यह बेकाल झील है साइबेरीयाई ठण ् ड के उच ् चत ् तम बिन ् दु पर । यह झील पूरी तरह जमी हुई है । और वह काली बिन ् दुओं की पंक ् ति जो आप पार ् श ् व में देख रहे है, वह बर ् फ-तम ् बू है जहाँ भौतिकीज ् ञ काम कर रहे हैं । उन ् हें जाड़े में इसलिए काम करना होता है क ् योंकि गर ् मी और बसन ् त ऋतु में काम करने के लिए उनके पास यथेष ् ट पैसा नहीं होता है, अगर, वे ऐसा करे तो, उन ् हें जहाज और पनडुब ् बियों की आवश ् यकता होगी । अतः वे जाडे का इन ् तजार करते हैं — जब वह झील पूरी तरह जम जाती है — और वे इस मीटर चौडाई वाले बर ् फ की परत का प ् रयोग करते हैं एक प ् लेटफारम की तरह, जिस पर अपना बर ् फ-तम ् बु निर ् माण कर वे अपना काम कर सकते है । तो यहाँ रुस के लोग बर ् फ पर काम कर रहे हैं साइबेरियाई ठण ् ड के उच ् चत ् तम बिन ् दु पर । उन ् हें बर ् फमें छेद करना पड़ता है, फिर उस ठण ् डे, ठण ् डे पानी में डूबकी लगाते हैं — अपने उपकरणो को पकड़ कर बाहर निकालते हैं, आवश ् यक मरम ् मत सम ् भार करने के लिए, बर ् फ पिघलने के पूर ् व वापस डाल कर बाहर आते । क ् योकि ठोस बर ् फ का चरण दो महीने ठहरता है और वह दरारों से भरा है । आप कल ् पना करें, एक सागर के समान झील है पैरों के नीचे, चलायमान मेरी समझ के परे है कि क ् यो वह रुसी नंगी छाती काम कर रहा है, इससे ज ् ञात होता है कि वह कितनी मेहनत कर रहा है । और यह, मुट ् ठी भर लोग, बीस वर ् षो से काम कर रहे है, उन कणों को खोजते जिनका अस ् तित ् व हो भी सकता है और नहीं भी । और उन ् होंने इसमें अपना जीवन समर ् पित कर दिया है । केवल एक धारणा के लिए, उन ् होने बीस वर ् षों में २० करोड़ खर ् च किया है । यह बेहद कठोर स ् थिति है । वे नगण ् य आय-व ् यय पर काम कर रहे है । वहां शौचालय के नाम पर भूमि मे छेद है, जो काठ की पटरी से ढकी है । और यह उतनी बुनियादी भर है, लेकिन वे प ् रत ् येक वर ् ष यह करते है । साइबेरिया से ले कर चीली की अटाकामा मरुभूमि तक, देखने के लिए जिसे बहत विशाल दुरवीन कहते हैं । एक बहत विशाल दुरवीन यह एक काम है जो ये खगोलज ् ञ करते है — वे बगैर कल ् पनाशीलता के अपनी दुरवीन का नामाकरण करते हैं । मैं आपको एक तथ ् य बताता हूं, वह जो अगली की योजना बना रहे हैं । उसे अति विशाल दुरवीन कहते हैं । (हंसी) और आप विश ् वास नहीं करेंगें, लेकिन इसके बाद वाले का जबरदस ् त विशाल दुरवीन कहेंगें । लेकिन जो भी हो, यह इन ् जीनियरींग का असाधारण नमूना हैं । वहां चार ८.२ मीटर की दुरवीनें हैं । और ये दुरबीनें, अन ् य चीजों के साथ, उनका प ् रयोग इस अध ् ययन के लिए हो रहा है कि ब ् रह ् माण ् ड का विस ् तार समय के साथ कैसे परिवर ् तित हो रहा है । और आप जितना अधिक उसे समझते हैं, उतना ही बेहतर आप समझेंगें श ् याम पदार ् थ क ् या है — ब ् रह ् माण ् ड जिससे बना — उस सम ् बन ् ध में इन ् जीनियरींग का एक नमूना जो आपसे कहूँगा इस दुरबीन के बारे में वह दर ् पण है । प ् रत ् येक दर ् पण, जो कुल चार हैं, वे एक ही दर ् पण के टुकडे से बने हैं, उच ् च तकनीकी मृतिका की एक अखण ् ड रचना, जिसे इतनी विशुद ् धता के साथ घिसा और पालिस किया गया है एक हीं तरीका है उसे समझने का आप कल ् पना करें पेरिस शहर का, उसकी उँची अट ् टलाकिओं और एफील मिनार के साथ, अगर आप उसे इतनी विशुद ् धता के साथ घिसे, आपके पास सिर ् फ एक मिलीमिटर उंचाई का उभार बच जाए वैसी घिसाई इन दर ् पणों को झेलनी पडी है । ऐसी असाधारण दुरबीनों का समूह । यहां उसका एक अन ् य दृश ् य । आपको ऐसी दुरबीनें बनानी पड़ती है अटाकामा मरुभूमि जैसी जगह में क ् योंकी वह है उँचे स ् थान की मरुभुमि । यहां की खुश ् क हवा दुरबीनों के लिए अच ् छी है, और साथ हीं, बादलों का ढकना पर ् वत शिखर के नीचे है जिससे दुरबीनों को लगभग ३०० दिन खुला आकाश मिलता है । अन ् ततः, मै आपको अंटार ् कटिका लिए चलता हूँ । मैं अपना अधिकत ् तम समय विश ् व के इस भाग में बिताना चाहता हूँ । यह ब ् रह ् माण ् ड शास ् त ् र की अन ् तिम छोर है । कुछ अत ् यन ् त विस ् मयकारी प ् रयोग, कुछ अत ् यन ् त गहन प ् रयोग, यहां अंटार ् कटिका में किए जा रहे हैं । मैं वहा लम ् बी-अवधि वाले गुब ् बारे की उड़ान के अवलोकन के लिए था, जो मूलतः दुरबीन एवं उपकरणो को ले जाता है वायुमण ् डल के ऊपरी भाग तक, ऊपरी समतापमण ् डल, ४० किलोमिटर ऊपर । और वही जगह है, जहाँ वे अपने प ् रयोग करते हैं, और तब उस गुब ् बारे, उस अंतरिक ् ष उपकरण, को नीचे लाया जाता है । तो हम अंटार ् कटिका के रॉस हिम परत पर अवतरण कर रहे हैं । यह एक अमेरिकी सि-१७ खेप विमान है जिसने हमें न ् यूज़ीलैण ् ड से उडान भराई अंटार ् कटिका के मैक ् मुर ् डो प ् रांत की ओर । और यहाँ हम अपने बस में सवार होने की तैयारी में हैं । और मुझे पत ् ता नहीं कि आप अंकित अक ् षरो को पढ सकते हैं, लेकिन, यहां लिखा है "" इभान द टेरीबस "" । और यह हमे मैक ् मुर ् डो ले जा रही है । और यह वह दृश ् य है जो मेक ् मुर ् डो में आपका स ् वागत करता है । और आपको अनुमान लगाना कठिन होगा यहां की कुटिया के सम ् बन ् ध में । यह कुटीया रोबर ् ट मैलकन और उनके आदमियों द ् वारा बनाई गई थी जब वह पहली बार अंटार ् कटिका आए थे दक ् षिण ध ् रुब की ओर जाने वाले उनके प ् रथम अभियान में । क ् योंकि यहाँ इतनी ठण ् डी है, कुटीया की सभी वस ् तुएं बिल ् कुल वैसे ही हैं, जैसा उन ् होनें छोड़ी थी, उनके द ् वारा बनाए गए अंतिम भोजन का अवशेष भी अभी तक वहां पडा है यह असाधारण स ् थान है । मैक ् मुर ् डो यही है । ग ् रीष ् म ऋतु में यहां करीब हजार लोग काम करते हैं, और सर ् दी मे तकरीबन 200 जब यहां पूर ् ण अन ् धकार होता है, छः महीने के लिए । मैं यहां उड़ान देखने के लिए आया था इस विशेष प ् रकार के उपकरण की यह एक अन ् तरिक ् ष किरण सम ् बन ् धी प ् रयोग है जिसे उच ् चतर समतापमण ् डल मे प ् रक ् षेपित किया गया है ४० किलोमिटर की ऊँचाई पर । मैं आपको कल ् पना कराना चाहता हूँ की इसका भार 2 टन है । और आप एक गुब ् बारे का प ् रयोग कर रहे हैं दो सौ टन भार वहन के लिए वह भी 40 किलोमीटर की ऊँचाई तक । इंजीनीयर, तकनीशियन, भौतिकीज ् ञगण सभी को रॉस हिम परत पर एकत ् र होना पड़ता है क ् योंकि यह अंटार ् कटिका है — मै कारणो मे नही जाऊँगा — लेकिन यह गुब ् बारों की उड़ान के लिए सर ् वाधिक अनुकुल स ् थान है, सर ् दी के मौसम के अतिरिक ् त । मौसम, जैसा की आप कल ् पना कर सकते हैं, यह ग ् रीष ् म ऋतु है, और आप 200 फीट बर ् फ पर खडे हैं । और पीछे एक ज ् वालामुखी है, उसके शिखर पर हिमनदीयां हैं । उनको क ् या करना है कि उस गुब ् बारे के सभी पुर ् जो को आपस मे जोड़ना है — कपडा, अवतरण छतरी तथा अन ् य सभी सामाग ् री — बर ् फ पर और फिर उसमें हिलीयम भरना । इस प ् रक ् रिया में करीब 2 घण ् टे लगते हैं । और जब वे पुर ् जो को जोड़ रहे होते है तब मौसम बदल सकता हैं उदाहरणस ् वरूप, यहां वह पीछे की और गुब ् बारे के कपडे को बिछा रहे हैं, जिसमे अन ् ततः हीलियम भरा जाएगा । वो जो दो ट ् रक आप सबसे अंत मे देख रहे हैं वह प ् रत ् येक 12 टंकी संकुचित हिलीयम का भार लिए हुए है । अब, यदि उडान से पूर ् व मौसम परिवर ् तन हो जाए तो, उन ् हें सब कुछ वापस बक ् सो मे डालना होगा और वापस मैक ् मुर ् डो स ् टेशन ले जाना होगा । और यह खास गुब ् बारा, क ् योंकि इसे 2 टन भार वहन के साथ उडान भरनी है, एक अत ् यंत विशाल गुब ् बारा है । इसके कपडे मात ् र का वजन 2 टन है । भार घटाने के लिए, यह बेहद पतला है, भोजन लपेटने वाले कागज जितना पतला । और यदि उन ् हें इसे वापस गठरी बनानी पडे, उन ् हे वापस बक ् सो मे डालना होगा और पतर चढानी होगी ताकि वह बक ् सो मे ठीक से बैठ जाए — अपवाद यह है कि, जब यह प ् रथम बार किया गया, यह टेक ् सास राज ् य मे किया जाना था । यहां, उन जूत ् तो को पहन कर नहीं किया जा सकता जो वे पहने हैं, अतः उन ् हे जूत ् ते निकालने पड़ते हैं, इतनी ठंड में नंगे पैर बक ् सो मे उतरना होता है और इस प ् रकार का काम करना पड़ता है । ऐसी निष ् ठा है इन व ् यक ् तियों में । यहां गुब ् बारे मे हीलियम भरा जा रहा है, इस भव ् य द ् दश ् य को आप देख सकते हैं । यह है वह द ् दश ् य जहां से आप गुब ् बारे को उसके भार के साथ शुरु से अंत तक देख सकते हैं । तो दायीं तरफ गुब ् बारे मे हिलियम भरी जा रही है, और वह कपडा बिल ् कुल मध ् य तक फैला है जहां इलेक ् ट ् रोनिक सामाग ् री तथा विस ् फोटक रखे हैं अवतरण छतरी से जोडी जा रही है, और वह अवतरण छतरी भार के साथ जोडी जा रही है । और स ् मरण रहे, सम ् पूर ् ण तारो को जोडा जा रहा है लोगो द ् वारा चरम ठंड मे, शून ् य से नीचे के तापक ् रम में । वे खुद 15 किलो के वस ् त ् र पहने हैं, और यह सब करने के लिए उन ् हे अपने पंजे उतारने पड़ते हैं । और मै आपको सहभागी बनाउंगा एक उडान के अनुभव में (चलचित ् र) आकाशवाणी: ठीक है, गुब ् बारा छोड़ो, गुब ् बारा छोड़ो, गुब ् बारा छोड़ो । अनिल अनंथस ् वामी: और अंततः दो दृश ् य आपके समक ् ष रखना चाहूँगा । यह हिमालय मे स ् थित एक वेधशाला है, भारत के लद ् दाख में एक चीज की ओर आप देखिए उपर बांयी तरफ एक दुरबीन है और बिल ् कुल दायीं तरफ वहां एक ४०० वर ् ष प ् राचीन बौद ् ध विहार है । बौद ् ध विहार के एकदम समीप का दृश ् ‍ य है यह । मै विस ् मित हो गया यह निकटता देख कर मानव जाति की दो विपुल विधाओ के बीच एक बाह ् य अंतरिक ् ष मे खोज रही है, और दूसरी हमारे भीतर के अस ् तित ् व को और दोनो को एक प ् रकार का मौन चाहिए और मुझे इसने विस ् मित किया कि प ् रत ् येक स ् थान में जहाँ मै दुरबीन देखने गया, खगोलज ् ञ तथा ब ् रह ् माणडज ् ञ विशेष प ् रकार का मौन खोज रहे है, चाहे वह विकिरण प ् रदूषण से मौन हीं क ् यो न हो अथवा प ् रकाश प ् रदूषण से या जिस किसी से । यह सुस ् पष ् ट था यदि पृथ ् वी पर इन मौनता वाले स ् थानो को हम नष ् ट कर देंगे तो, हमे ऐसे ग ् रह पर रहना होगा जहां हमारे पास बाह ् य पक ् ष को देखने की क ् षमता न होगी, क ् योंकि हम बाह ् य अन ् तरिक ् ष से आने वाले संकेतो को नहीं समझ पाएँगे । धन ् यवाद । (तालियाँ) यदि आप एक ही रफ ् तार से इन घूर ् णकको घुमाएंगे, मैं आपको इसके बारे में थोडा और बताऊंगा | योजना करता है कम से कम प ् रक ् षेपवक ् र का | एक निर ् विघ ् ऩ और सुंदर गति को पैदा करता है | हम हमेशा हुप के अन ् दर से कूदने का प ् रशिक ् षण करते हैं, हमारी प ् रयोगशालाओं के लिए धन जुटाने के लिए तालियाँजो वह सीखता है या पूर ् व क ् रमादेशित होता है | और फिर अपनी ओरिएंटेशन बदल देता है और फिर ठीक हो जाता है | इन रोबोट का एक अलाभ है उनका छोटा आकार (संगीत) (वाहवाही) (संगीत) (संगीत) (वाहवाही) (संगीत) (वाहवाही) (वाहवाही) हर ् बी हैनकॉक: धन ् यवाद माक ् र ् स मिलर. (वाहवाही) हार ् वे मेसन. (वाहवाही) धन ् यवाद. बहुत बहुत धन ् यवाद. (वाहवाही) विकसित दुनिया में मनुष ् य अपने जीवन का 90 प ् रतिशत से अधिक समय बंद दीवारों के अन ् दर बिताते हैं, जहां वे साँस लेते और संपर ् क में आते हैं कई अरब अदृश ् य जीवों के साथ सूक ् ष ् मजीव. भवन एक जटिल पारितंत ् र हैं जो कि एक महत ् वपूर ् ण स ् रोत है हमारे लिए अच ् छे सूक ् ष ् मजीवों का, और कुछ जो कि हमारे लिए बुरे हैं | वह क ् या है जो घर के अंदर रोगाणुओं का प ् रकार और वितरण निर ् धारित करता है? भवन हवा में फैले रोगाणुओं का उपनिवेश है जो खिड ़ कियों के माध ् यम से और यांत ् रिक वेंटीलेशन सिस ् टम के माध ् यम से भीतर आते हैं | और वो मानव और अन ् य प ् राणियों के द ् वारा अंदर लाये जाते हैं | रोगाणुओं का घर के अंदर का भाग ् य उनके मनुष ् यों के साथ होने वाले जटिल पारस ् परिक प ् रभाव और मानव निर ् मित वातावरण पर निर ् भर करता है | और आज, आर ् किटेक ् ट, और जीव विज ् ञानी स ् मार ् ट इमारत की रूप रेखा बनाने के लिए एक साथ काम कर रहे हैं जिससे हमारे लिए स ् वस ् थ इमारतों का निर ् माण होगा | हम बहोत समय उन इमारतों में व ् यतीत करते हैं जिनका वातावरण अत ् यंत नियंत ् रित होता है, इस इमारत की तरह - यांत ् रिक वेंटीलेशन यंत ् रो वाले परिवेश जिसमे फ ़ िल ् टरिंग शामिल है, गरमाई और वातानुकूलन. हम जितना समय घर के अन ् दर बिताते हैं, उससे यह समझना महत ् वपूर ् ण है कि कैसे यह हमारे स ् वास ् थ ् य को प ् रभावित करता है | जीवविज ् ञान और निर ् मित पर ् यावरण केंद ् र में, हमने एक अस ् पताल में अध ् ययन किया जहां हमने हवा का नमूना लिया और उस हवा के रोगाणुओं का डीएनए लिया | और हमने कमरों के तीन अलग अलग प ् रकार को देखा. हमने यंत ् रवत ् हवादार कमरे देखे, जो नीले रंग में डेटा बिंदु हैं. हमने स ् वाभाविक रूप से हवादार कमरे देखे, जहां अस ् पताल ने हमें इमारत के एक हिस ् से में यांत ् रिक वेंटीलेशन बंद करने दिया और खिड ़ कियों को खुला रखा जो प ् रचलित नहीं थी, लेकिन उन ् हें हमारे अध ् ययन के लिए प ् रचलित किया | और हमने बाहरी हवा का भी नमूना लिया | यदि आप इस ग ् राफ के x-अक ् ष को देखो, आप देखेंगे कि हम सामान ् यतः क ् या करना चाहते हैं - वह यह है कि हम बाहरी वातावरण को बहार ही रखते हैं - यह हमने यांत ् रिक वेंटीलेशन से किया है | तो अगर आप हरी बिंदुओं को देखोगे, जो बाहर की हवा है, आप देखेंगे कि वहाँ माइक ् रोबियल विविधता बहूत ज ् यादा है, या माइक ् रोबियल प ् रकार की विविधता है | लेकिन अगर आप नीले डेटा बिंदुओं को देखो, जो यंत ् रवत ् हवादार है, यह उतनी विविध नहीं है. लेकिन कम विविध होना हमारे स ् वास ् थ ् य के लिए जरूरी नहीं की अच ् छा है. यदि आप इस ग ् राफ के y-अक ् ष को देखो, आप देखेंगे कि यंत ् रवत ् हवादार हवा में, एक संभावित रोगज ़ नक ़ या रोगाणु से सक ् रमित होने की संभावना आप के बाहर खुले में संक ् रमित होने से ज ् यादा होती है तो समझने के लिए ऐसा क ् यों था, हमने अपना डाटा लिया और यह एक समन ् वय आरेख में डाल दिया, जो एक सांख ् यिकीय मानचित ् र है जो आप से कुछ कहता है इस बारे में कि कैसे माइक ् रोबियल विभिन ् न नमूनों में एक दुसरे समुदायों से संबंधित हैं | डेटा बिंदु जो एक दुसरे के करीब हैं उनमे सूक ् ष ् म समुदायों में अधिक समानता है उनकी तुलना में जो डेटा बिंदु दूर हैं | और पहली चीज ़ जो आप इस ग ् राफ से देख सकते हैं अगर आप नीले डेटा बिंदुओं को देखो, जो यंत ् रवत ् हवादार हवा हैं, वे बस हरी डेटा बिंदुओं का एक भाग नहीं हैं, जो कि बाहरी हवा है. हमने पाया है कि यंत ् रवत ् हवादार हवा वो है जो इंसानों की तरह लगती है. उस पर रोगाणु हैं जो कि सामान ् यतः हमारी त ् वचा के साथ जुड ़ े रहते हैं और हमारे मुंह, हमारे थूक के साथ. और इसका कारण है कि हम सब लगातार रोगाणु बहा रहे हैं | तो आप सभी अभी एक दूसरे के साथ अपने रोगाणुओं को बाँट रहे हैं. और जब आप सड ़ क पर हो, उस हवा में रोगाणु है जो सामान ् यतः पत ् तों और गंदगी के साथ जुड ़ े रहते हैं. इससे फर ् क क ् यों पड ़ ता है? क ् योंकि स ् वास ् थ ् य देखभाल उद ् योग दूसरा सबसे अधिक ऊर ् जा प ् रधान उद ् योग है संयुक ् त राज ् य अमेरिका में. अस ् पताल, दफ ् तर की इमारतों की तुलना में ऊर ् जा का उपयोग ढाई गुना ज ् यादा करते हैं | और मॉडल जिसके साथ हम काम कर रहे हैं अस ् पतालों में, और भी कई अलग-अलग इमारतों के साथ, जिसमे बाहरी वातावरण को बाहर रखना है | और यह मॉडल शायद हमारे स ् वास ् थ ् य के लिए सबसे अच ् छा ना हो | और असाधारण मात ् रा में अस ् पताल से होने वाले संक ् रमण की, या अस ् पताल से अधिग ् रहित संक ् रमण, एक संकेत है कि यह एक अच ् छा समय है हमारे मौजूदा तरीकों पर पुनर ् विचार करने के लिए | तो जैसे हम राष ् ट ् रीय पार ् क का प ् रबंधन करते हैं, जहाँ हम कुछ प ् रजातियों के विकास को बढ ़ ावा देते हैं और हम दूसरों के विकास को बाधित करते हैं, हम इमारतों के बारे में सोच की दिशा में काम कर रहे हैं एक पारिस ् थितिकी तंत ् र के ढांचे का उपयोग कर जहाँ हम उस प ् रकार के रोगाणुओं को बढावा दे सकते हैं जिन ् हें हम घर के अंदर चाहते हैं | मैंने किसी को कहते सुना है कि आप उतने स ् वस ् थ ् य होते हैं जितना आपका पेट ठीक होता है | और इस कारण, कई लोग प ् रोबायोटिक दही खाते हैं ताकि वे पेट को को स ् वस ् थ रखने वाले कारकों को विकसित कर सकें | और हम अंततः चाहते हैं कि हम इस अवधारणा का उपयोग करके हमारे अंदर एक सूक ् ष ् मजीवों के स ् वस ् थ समूह को विकसित कर सकें | धन ् यवाद | (तालियाँ) मै अभी आपको एक कहानी सुनाने वाली हूँ. ये कहानी है एक भारतीय नारी और उसके जीवन की मैं शुरुवात करुँगी अपने माता पिता से मैं इन ् ही की देंन हूँ! दूरदर ् शी माँ और मेरे पिता, जब मेरा जन ् म पचास के दशक में हुआ पचास और साठ का दशक भारत में महिलाओं का नहीं था! वह पुरुषों का था वह पुरुषों का था जो उद ् यम करते थे और जिन ् हें व ् यापार विरासत में मिलता था! और महिलाओं की गुडिया बनके शादी करवा दी जाती थी मेरा परिवार, मेरे शहर में या शायद सारे देश में एक अनोखा परिवार था हम चार थे एक नहीं और हम में से कोई भी लड ़ का नहीं था हम चार लड़कियां थी और कोई लड ़ का नहीं मेरे परिवार के पास खानदानी ज ़ मीन थी मगर मेरे पिता ने उनके दादाजी की बात न मानकर ज ़ मीन लगभग खो दी थी क ् योंकि उन ् होंने निर ् णय ले लिया था की वो पढाएंगे हम चारों को उन ् होंने हमे शहर के सब से अच ् छे स ् कूलों में भेजा और हमे बेहतरीन शिक ् षा दिलवाई. जैसा की मै कह चुकी हूँ हम जन ् म लेते समय अपने माता पिता नहीं चुन सकते! उसी तरह जब हम स ् कूल जाते हैं तो हम अपनी स ् कूल भी नहीं चुनते! बच ् चे अपनी स ् कूल नहीं चुनते वे उसी स ् कूल में जाते हैं जो उनके माता पिता अपने लिए चुनते हैं तो ये मेरे आधार का समय था जो मुझे मिला! मै ऐसे बड ़ ी हुई और कुछ ऐसी ही थी मेरी बहेनो की कहानी और उस समय मेरे पिता कहा करते थे, "मैं अपनी चार बेटियों को दुनियों के चार कोनों में देखना चाहता हूँ" मुझे नहीं पता की वे यही चाहते थे या नहीं परन ् तु येही हुआ मैं अकेली हूँ जो भारत में बची हूँ! एक ब ् रिटेन में है, दूसरी अमेरिका में और तीसरी कनाडा में तो हम चारों दुनिया के चार कोनों में है और क ् योंकि मैंने कहा वे मेरे आदर ् श हैं मैंने उनकी दो बातें हमेशा याद रखी एक, उन ् होंने कहा, "" जीवन हमेशा झुका रहता है "" या तो आप ऊपर जाओगे, और या नीचे की ओर और दूसरी बात, जो मेरे साथ आज भी है, जो मेरे जीवन का मूल बनी जिसने मुझे यहाँ तक पहुँचाया वह थी अगर आपके जीवन में सौ चीज़े होती हैं अच ् छी या बुरी उनमे से नब ् बे आप खुद बनाते हैं अगर वे अच ् छी है, आपने बनाई हैं उनका आनंद लें! और बुरी हैं तब भी आपने बनायीं हैं उनसे सीखें दस ऐसी होती हैं, जो प ् रकृति बनती है, जो आपके नियंत ् रण से बाहर हैं जैसे किसी रिश ् तेदार की मृत ् यु या कोई तूफ़ान, या कोई बवंडर या भूकंप आप इनका कुछ नहीं कर सकते आप केवल परिस ् थितियों के अनुसार कार ् य कर सकते हैं लेकिन वो प ् रतिक ् रिया उन ् ही ९० प ् रतिशत चीज़ों से आती है! क ् योंकि मैं इस सिद ् धांत का नतीजा हूँ ९० / १० और दूसरी बात की जीवन हमेशा झुकाव रहता है मै ऐसे ही बड ़ ी हुई हूँ! उन चीजों का आदर करना जो मुझे मिली है! मैं नतीजा हूँ उन अवसरों का उन बिरले अवसरों का जो पचास और साठ के दशक में जो दूसरी लड ़ कियों को नहीं मिलते थे! और मुझे इस बात का अहसास था की मुझे मेरे परेंट ् स जो दे रहे हैं, वो अनोखा था! क ् यूंकि मेरे सारे पक ् के दोस ् तों को सजाया जा रहा था, ताकि उनकी शादी हो सके बहुत सारे दहेज ़ के साथ, और मैं यहाँ थी, एक टेनिस के राच ् केट के साथ और स ् कूल जाती हुई, और सारे तरह के खेल कूद करती हुई! मुझे लगा मुझे ये जरूर बताना चाहिए आप लोगों को, मैंने क ् यूँ कहा की ऐसा मेरा अतीत है तो ये है जो अब अगला भाग आता है मैंने भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुई एक सख ् त महिला की तरह एक अजेय बलवाली महिला क ् यूंकि मुझे आदत थी अपने टेनिस शीर ् षक के लिए दौड़ने की.. लेकिन मैं भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुई और उसके बाद निगरानी करने में एक नए तरह का नमूना आ गया मेरे लिए निगरानी करना का मतलब था सही करने की शक ् ति रोकने की शक ् ति और पहचानने की शक ् ति ये कुछ ऐसा था की भारत में पोलिसिंग को नयी परिभाषा दे दी गयी हो.. रोकने की शक ् ति क ् यूंकि जादातर के यही कहा जाता था, की पहचानने की शक ् ति, और बस या दण ् डित करने की शक ् ति लेकिन मैंने निश ् चय किया, नहीं, ये रोकने की शक ् ति है, क ् यूंकि यही मैंने सीखा जब मैं बड ़ ी हो रही थी तो मैं कैसे रोकूँ चीजों को १० (जिनपे मेरा नियंत ् रण नहीं है) पे और इससे कभी भी १० से बढ ़ ने ना दूं? तो ये ऐसे मेरे सेवा में आ गया! और ये बिलकुल अलग था पुरुषो से मैं नहीं चाहती थी की यह पुरुषो से अलग हो लेकिन ये अलग था! क ् यूंकि ये वोही तरीका था जिससे मैं अलग थी और मैंने भारत में पोलिसिंग के कांसेप ् ट को नयी परिभाषा दी! मैं आप लोगों को दो यात ् रयों पे ले जाउंगी, मेरी पोलिसिंग की यात ् रा और मेरी जेल के समय की यात ् रा. जब आप देखते हैं, अगर आप शीर ् षक पढेंगे, जो कहता है, "" प ् रधान मंत ् री की कार रोक ली गयी "" ये पहली बार था की भारत के प ् रधान मंत ् री को एक पार ् किंग टिकेट दिया गया! हंसी भारत में ये पहली बार हुआ, और मैं बता सकती हूँ, ये आखिरी बार है आप ऐसी घटना के बारे में सुन रहे हैं! ये भारत में दुबारा कभी नहीं होगा, क ् यूंकि अब ये एक बार हमेशा के लिए हो गया है और नियम था, क ् यूंकि मैं संवेदनशील थी मुझमे करुना थी, मैं संवेदनशील थी अन ् याय के लिए और मैं बहुत बड ़ ी समर ् थक थी न ् याय की यही कारण था की, महिला होने पर भी, मैं भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुई! मेरे पास दुसरे विकल ् प भी थे लेकिन मैंने उन ् हें नहीं चुना. तो अब आगे बढ ़ ते हैं! ये पूरी बात है कठोर पोलिसिंग और समान पोलिसिंग की अब मैं जानी जाती थी एक महिला है जो किसी की नहीं सुनेगी तो (परिणाम स ् वरुप) मुझे सारे अविवेकपूर ् ण स ् थानों पर पद मिले ऐसे स ् थान जहाँ जाने से दुसरे तुरंत "" नहीं "" कह दे मैं गयी थी एक पुलिस अधिकारी के तौर पे एक जेल के कार ् य पे सामान ् यतः पुलिस ऑफिसर जेल में काम नहीं करते हैं! उन ् होंने मुझे जेल (के एक पद) में भेज दिया (ताकि मैंने वहीँ रह जाऊं) ये सोचते हुए की अब कोई कारें नहीं होंगी और कोई भी VIP नहीं मिलेगा (पार ् किंग) टिकेट देने को उसे वही रहने दो. तो यहाँ मुझे जेल का कार ् य मिला! ये एक जेल का कार ् य था जिसमे बहुत बड ़ ा समूह था मुजरिमों का बिलकुल, ये था लेकिन दस हज़ार आदमी, जिसमे केवल ४०० ही महिलाये थी — सो दस हज़ार में ९००० और ६०० करीब आदमी थे आतंकवादी, बलात ् कारी चोर, गुंडे, कुछ ऐसे थे की मैंने खुद उन ् हें जेल भेजा था पुलिस ऑफिसर होने के नाते. और मैंने कैसे उनका सामना किया पहले दिन जब मैं अन ् दर गयी (जेल के) मुझे नहीं पता था उनको देखू कैसे और मैंने कहा, "" क ् या तुम प ् रार ् थना करते हो? "" जब मैंने समूह की तरफ देख कर कहा, "" क ् या तुम प ् रार ् थना करते हो? "" उन ् होंने देखा की एक नयी महिला, छोटी (ऊंचाई) में भूरे कपडे पहने हुए और मैंने कहा, "" क ् या तुम प ् रार ् थना करते हो? "" और उन लोगों ने कुछ नहीं कहा! मैंने कहा, "" तुम तुम प ् रार ् थना करते हो? "", "" क ् या तुम प ् रार ् थना करना चाहते हो? "" उन ् होंने कहा "" हाँ "", और मैंने कहा "" बढ ़ िया, चलो प ् रार ् थना करते हैं "" मैंने उनके लिए प ् रार ् थना की और चीज़ों में बदलाव की शुरुआत होने लगी. ये एक दृश ् य था जेल के अन ् दर शिक ् षा का! दोस ् तों, ये कभी नहीं हुआ, जहाँ हर एक आदमी जेल में पढता है मैं इसे समाज के सहारे से शुरू किया सरकार के पास कोई budget नहीं था ये अपने आप में एक बहुत ही उम ् दा, और बड ़ ी स ् वयं सेवा थी दुनिया के किसी भी दुसरे जेल की तुलना में इसकी शुरुआत हुई थी देल ् ही जेल में तुम एक नमूना देख सकते हो की एक मुजरिम एक कक ् षा को पढ़ा रहा है और वो सौ की संख ् या में कक ् षाए थी ९ से ११, हर एक मुजरिम शिक ् षा प ् रोग ् राम में आ गया उसी अद ् ददे (जेल) में जहाँ कभी वो लड़ते थे वो मुझे सलाखों के पीछे छोड ़ देते और चीज़ें हमेशा के लिए भुला दी जाती (ऐसा भी हो सकता था) हमने इसे आश ् रम में बदल दिया एक जेल से आशरम में शिक ् षा के सहारे मैं सोचती हूँ ये एक बड ़ ा बदलाव है! ये बदलाव की शुरुआत है! शिक ् षक ही मुजरिम थे! शिक ् षक स ् वयम सेवक थे! किताबें दान में दी हुई स ् कूल किताबों से आती थी stationary भी दान से आती थी! हर चीज ़ दान से आती थी! यूँ की इस जेल के लिए कोई budget नहीं था (सरकार के पास) अब अगर मैंने ये नहीं किया होता तो ये नरक का घर ही रहता. ये दूसरा चिह ् न है! मैं आप लोगों को मेरी यात ् रा के अतीत के कुछ पलो को दिखाना चाहूंगी जो शायद तुम ् हे कहीं, कभी भी किसी दूसरी जगह इस दुनिया में देखने को ना मिले पहला तो जो आंकड़े हैं जो आपको कभी देखने को ना मिले दूसरा ये कांसेप ् ट ये जेल के अन ् दर एक ध ् यान का कार ् यक ् रम था! जिसमे हजारों मुजरिम थे! १००० मुजरिम उस ध ् यान में शामिल हुए, बैठे ये एक बहुत ही साहसपूर ् ण कदम था मैंने इसे लिया एक जेल के राज ् यपाल की तरह और ये इस तरह रूपांतरित हो गया अगर आप इसके बारे में ज ् यादा जानना चाहते हैं जाइये एंड देखिये मूवी "" doing time doing vipassana "". आप इसके बारे में सुनेगे एंड आप इसे पसंद करेंगे! और मुझे लिखिए किरंबेदी .कॉम पे और मैं आपको जवाब दूँगी! मैं आपको दूसरी slide दिखाती हूँ मैं वोई सावधानी का विचार यहाँ भी लिया है क ् यूंकि मैंने क ् यूँ लाया ध ् यान को भारतीय जेल में? क ् यूंकि अपराध एक विकृत दीमाग की उपज है ये एक प ् रकार की विकृति है जिसको नियंत ् रित रखना बहुत जरुरी है उपदेशो से नहीं, बताने से नहीं पढने से नहीं, नहीं दीमाग को बोल के मैं वोई चीज ़ पोलिसे में ले के गयी क ् यूंकि पोलिसे भी मुजरिम है दीमाग के, बराबरी से वो भी वैसे ही महसूस करते हैं हमारी तरह और वो और आदमी सहयोग नहीं करते हैं इसने काम किया! ये एक जान कारी बॉक ् स है जिसे petition बॉक ् स कहते हैं ये एक कांसेप ् ट है जो मैंने लाया है ताकि मैं शिकायते सुन सकूं, दुःख तकलीफ सुन सकूं ये एक जादू भरा बॉक ् स है ये एक संवेदनशील बॉक ् स है ये ऐसा है जैसे मुजरिम महसूस करते हैं जेल के बारे में अगर आप किस ् सी को देखें हाँ ये आदमी वो एक मुजरिम है और वो एक शिक ् षक है और आप देखेंगे, हर कोई व ् यस ् त है, समय ख ़ राब करने को है ही नहीं इससे समाप ् त करती हूँ मैं अभी आन ् दोलन में हूँ शिक ् षा के आन ् दोलन में जो की कुपोषित बच ् चो के लिए जो की हजारो में हैं, भारत में हमेशा बात हजारो में ही होती है दुसरे की, भ ् रष ् टाचार विरुध ् ध आन ् दोलन भारत में ये एक बहुत बड ़ ा काम है हम, एक छोटा समूह कार ् यकर ् ताओ का ने एक लोकपाल बिल भारत सरकार के लिए तैयार किया है दोस ् तों, इसके बारे में आप बहुत सुनेगे यही आन ् दोलन मैं अभी इस समय चला रही हूँ यही आन ् दोलन और मह ् तावाकंषा है मेरी जिन ् दगी की! धन ् यवाद (तालिया) धन ् यवाद धन ् यवाद धन ् यवाद धन ् यवाद धन ् यवाद धन ् यवाद यह ड ् रैगन ् स बहुत ही लंबे समय से एक अविश ् वसनीय जीव है वे विचित ् र हैं, वे सुंदर हैं, और हमें उनके विषय में बहुत कम जानकारी हैं ये सब विचार मेरे दिमाग में चल रहे थे जब मैने मेरी पहली डायनासोर किताब के पृष ् ठों को देखा उस समय में पांच वर ् ष का था तभी वही मैने निर ् णय लिया कि मैं जीवाश ् म विज ् ञानी बनूँगा जीवाश ् म विज ् ञान ने अनुमति दी कि मैं अपने पशुओ के साथ प ् यार को जोड़ सकू मेरी दुनिया के दूर दराज इलाकों में घूमने की इच ् छा के साथ और अब कुछ सालों बाद, मैं कई अभियानों का नेतृत ् व किया है ग ् रह के दूर दराज कोनो में है, सहारा मैने सहारा मे काम किया क ् योंकि, मैं एक ख़ोज पर हू विशाल मांस भक ् षी डायनासोर के नए विचित ् र अवशेष खोलूंगा जिसे स ् पिनोसॉरस कहते हैं इस प ् राणी के कुछ हड ् डियाँ मिले हैं सहारा के रेगिस ् तान में और इसका वर ् णन कुछ १०० साल पहले एक जर ् मन जीवाश ् म विज ् ञानी ने किया था पर दुर ् भाग ् य से सभी स ् पिनोसॉरुस के हड ् डिया दूसरे विश ् व युद ् ध में नष ् ट हो गये तो अभी हमारे पास सिर ् फ कुछ चित ् र और नोट ् स ही बचे हैं इन सभी चित ् रों से हम जानते है कि ये प ् राणी १० करोड़ वर ् ष पहले रहा करते थे पर ये बहुत विशाल थे उसके पीठ पर उंची रीढ ़ की हड ् डी थी जो एक शानदार पाल बनाता था उसके लंबे और सुडौल जबड़े थे कुछ मग़र जैसे उसके तेज ़ दांत थे उसका उपयोग वे फ़िसलने वाले शिकार जैसे मछली को पकड़ने में किया करते थे पर इतना हैं जो हम सब जानते थे इस प ् राणी के विषय में अगले १०० साल तक मेरा क ् षेत ् र का काम मुझे मोरक ् को और अल ् जीरिया सीमा क ् षेत ् र की ओर ले गया एक जगह जिसे केम केम कह ् ते है ये जगह बहुत मुश ् किल है काम करने के लिए आप को रेगिस ् तानी तूफ़ान, सांप और बिच ् छू का सामना करना पड़ेगा वहाँ अच ् छे जीवाश ् मों मिलना बहुत मुश ् किल हैं मगर हमें अपनी कड़ी मेहनत का फ़ल मिला हमनें कई नए अविश ् वसनीय नमूनों की खोज की वहा पर सबसे बड़ी डायनासोर की हड ् डी मिली सहारा के इस हिस ् स ् से में ऐसा अबतक नहीं मिला है हमें वह विशाल मांस बक ् षी के डायनासोर के अवशेष मिले मध ् यम आकार के मांस बक ् षी डायनासोर और ७ / ८ अलग प ् रकार के मगरमच ् छ जैसे शिकारी ये अवशेष नदीप ् रणाली में जमा थे ये नदीप ् रणाली विशाल कार के आकार के केलकंठ का भी घर था दैत ् यकार सॉ मछली और नदी के ऊपर का आसमान प ् टेरोसॉर ् स से भरा पड़ा था उड़ने वाले सरीसृप वो जगह बहूत ही खतरनाक थी इस प ् रकार की जगह नहीं है जहां आप घूमने जा सकते है अगर आप के पास टाइम मशीन हो तो तो हम सब ये अविश ् वसनीय प ् राणी के जीवाश ् मों की खोज कर रहे है जो स ् पिनोसॉरुस के साथ ही रहते थे, लेकिन स ् पिनोसॉरस यहीं साबित कर दिया कि वे पकड़ में नहीं आते. हम छोटी छोटी खोज कर रहे थे और मैं आशा कर रहा था कि कही तो हमे अधुरा कंकाल मिलेगा | आखिर में, अभी, हमने खुदाई की जगह ढूँढ निकाला जहा स ् थानीय शिकारी को स ् पिनोसॉरस की बहुत सी हड ् डिया मिली थी | हम साईट पे वापस गए, हमने और हड ् डिया इकठ ् ठा किए | और १०० साल के बाद आखिर में हमारे पास और एक अपूर ् ण कंकाल था इस विचित ् र जंतु का | और हम उसको फिरसे बना सके | अब हमे मालुम है कि स ् पिनोसॉरस का सर जरा मगरमच ् छ जैसा था, बाकी हिंसक डायनासोर से अलग, टी. रेक ् स से बहुत अलग | किन ् तु बहुत अच ् छी जानकारी बाकी कंकाल से मिली | हमारे पास लंबी रीढ़ की हड ् डी थी, रीढ़ की हड ् डी बड़ा पाल बनती थी | हमारे पास पैर की हड ् डी, खोपड़ी की हड ् डी थी, हमारे पास पेडल के आकार के फैले हुए पाँव थे — फिर से, असामान ् य, अन ् य किसी डायनोसोर के ऐसे पाँव नहीं थे — और हमने सोचा कि वे नरम तलछट पे चलने की आदत होंगी या फिर पानी में पैर मारने की | हमने हड ् डी के सूक ् ष ् म संरचना को देखा, स ् पिनोसौरस के हड ् डी के अन ् दर की संरचना को, और यह पता चला कि वह ठोस और घना था | फिर से, ये ज ् यादा समय पानी में रहनेवाले जानवरों में हमें देखने को मिलता है, इसका उपयोग पानी का उछाल काबू करने में होता है | हमने सभी हड ् डियोंका सी टी स ् कैन किया और स ् पिनोसौरस का डिजीटल ढांचा बनाया | और जब हमने डिजिटल ढांचा देखा, हमे मालुम पड़ा, कि हाँ, यह बाकी डायनोसौर से बहुत अलग था | टी रेक ् स से बड़ा | और हां, सर पे सभी जगह "" मच ् छी खानेवाला "" लिखा हुआ | असल में पुरे कंकाल पे "" पानी मित ् र "" लिखा हुआ | घनी हड ् डिया, पेडल जैसे पाँव, और कम हुआ छोटे अंग का आकर, और फिर से, जो कि हम बाकी प ् राणियों में देखते है जो पानी में बहुत ् तर समय बिताते है | तो हमने हमारा, स ् पिनोसौरस ढूँढ निकाला — मैं हमारे डायनोसौर के मांसपेशियाँ और त ् वचा का अभ ् यास कर रहा हूँ — हमे पता चला कि हम नदी के दैत ् य के साथ लेनं देन कर रहे है | हिंसक डायनोसौर, टी-रेक ् स से भी बड़ा, इन प ् राचीन नदियों का शासक, मैंने पहले दिखाए हुए जलचर प ् राणियों पे चारा करने वाला तो इस खोज को सच में, क ् या अविश ् वसनीय बनता है | यह इतर डायनोसौर से काफी अलग है | और कुछ लोगो ने मुझे बताया, "" वॉव! यह जीवन में एक बार होने वाली खोज है | दुनिया में बहुत कम चीजो की खोज करना बाकी रह गया है | "" तो, मुझे लगता है कि सत ् य के आगे कुछ नहीं है | मुझे लगता है कि सहारा अभी भी खजाने से भरा हुआ है और लोग जब मुझे बताते है यहाँ पे खोज करने के लिए कुछ नहीं बचा मुझे रॉय चैपमैन एनड ् रियू जानेमाने डायनोसौर शिकारी का एक वाक ् य बताना अच ् छा लगेगा और वे बोले, "" हमेशा, कोने के आसपास एक साहस है — और दुनिया ऐसे कोनो से भरी हुई है. "" ये कई दशकों पहले सच था जब रॉय चैपमैन एंड ् रूस ने ये लाईने लिखी और ये आज भी सच है | धन ् यवाद | (तालियाँ) आज मैं आप सब के साथ बाँटना चाहती हूँ, ईरानी कलाकार होने की चुनौती की कहानी, ईरानी महिला कलाकार होने की चुनौती की कहानी, मैं जो कि एक ईरानी महिला कलाकार हूँ, और देश-निकाला भुगत रही हूँ । सोचा जाये तो इसके फ़ायदे हैं और नुकसान भी हैं । नकारात ् मक पहलू देखें तो राजनीति कभी भी हम जैसे लोगों को शांति से नहीं रहने देती । हर ईरानी कलाकार, किसी न किसी तरीके से, राजनीति से जुडा है । राजनीति ही हमारे जीवन को परिभाषित कर रही है । यदि आप ईरान में रह रहे हों, तो आपको तमाम सेंसरशिप (नियंत ् रण), और अत ् याचारों को सहना होगा, गिरफ़ ् तारी, शारीरिक उत ् पीडन — और कभी कभी, तो कत ् ल या सजा-ए-मौत भी । और यदि आप मेरी तरह वहाँ से दूर रह रहे हों, आप के सामने देश-निकाले के जीवन की चुनौती है — दर ् द है याद का छटपटाहट है अपनों से दूर होने की परिवार से अलग होने की । इसलिये, हम वंचित हैं उस मौलिक, भावनात ् मक, मनोवैज ् ञानिक और राजनैतिक आराम से, जो हमें इस सच ् चाई से दूर रखे कि हमारी सामाजिक ज़िम ् मेदारी बनती है । अजीब सी बात है, मेरे जैसी एक कलाकार स ् वयं को उस किरदार में पाती है, जो आवाज़ है मेरे देश के लोगों की, जबकि, सच में, मेरा अपने देश में जाना तक मना है । और ये भी, कि मेरे जैसे लोग, दो अलग अलग लडाइयाँ लड रहे हैं । हम पश ् चिमी सभ ् यता की आलोचना करते हैं, विरोध करते है पाश ् चात ् य नज़रिये का अपनी पहचान के बारे में — और उस अक ् स का जो हमारे आसपास बना दिया गया है, हमारी स ् त ् रियों के बारे में, हमारी राजनीति के बारे में, हमारे धर ् म के बारे में । तो हम एक तरफ़ इस सब के गर ् व की लडाई कर रहे हैं, और सम ् मान माँग रहे हैं । ठीक उसी समय, हम एक और लडाई लड रहे हैं । वो है हमारी अपनी शासन पद ् धति से, हमारी अपनी सरकार से — हमारी अपनी अत ् याचारी सरकार से, जिसने हर सँभव अपराध किया है सिर ् फ़ सत ् ता में बने रहने भर के लिये । हमारे कलाकार खतरे में हैं । हम बडी विपत ् ति में फ़ँसे हैं । हम खुद भी खतरा बन गये हैं, अपनी ही सरकार और शासन के लिये । और विडंबना ये है कि, इस स ् थिति ने हमें शक ् ति दी है, क ् योंकि हमें, कलाकार होने के नाते, ज़रूरी माना जाता है सांस ् कृतिक, राजनैतिक, और सामाजिक विमर ् श के लिये, ईरान में । हमारा काम हो गया है प ् रोत ् साहित करना, ललकारना, बढावा देना, और अपने लोगों तक आशा की किरणों को पहुँचाना । हम अपने लोगों के हाल बयां करने के ज़िम ् मेदार हैं, हम उनके संवाददाता हैं बाहरी दुनिया के लिये । कला हमारा हथियार है । संस ् कृति हमारे विरोध का ज़रिया है । कभी कभी तो मुझे पाश ् चात ् य कलाकारों से जलन सी होती है उनकी अभिव ् यक ् ति की आज़ादी को देख कर — और इस बात पर कि कैसे वो खुद को दूर कर लेते हैं राजनैतिक सवालात से — और इस बात से कि वो केवल एक ही तरह के लोगों के लिये कार ् यरत हैं, मु ् ख ् यतः पाश ् चात ् य सांस ् कृति के लिये । पर साथ ही, मैं पश ् चिम को ले कर चिंतित भी हूँ, क ् योंकि अक ् सर इन देशों मे, इस पाश ् चात ् य विश ् व में खतरा दिखता है, संस ् कृति के मात ् र मनोरंजन में बदल कर रह जाने का । हमारे लोग अपने कलाकारों पर निर ् भर हैं, और संस ् कृति तो संवाद के परे है । एक कलाकार के रूप में मेरी यात ् रा बहुत ही व ् यक ् तिगत जगह से आरंभ हुई थी । मैने सीधे शुरु नहीं किया था सामाजिक टिप ् पणी करना अपने देश पर । जो पहला वाला आप देख रहे हैं ये असल में मैनें ईरान लौट कर बनाया था पूरे १२ साल इस से अलग रहने के बाद । ये इस ् लामिक क ् रांति के बाद हुआ, जो १९७९ में हुई थी । जब मैं ईरान से बाहर थी, ईरान में इस ् लामिक क ् रांति आ गयी और उसने पूरे देश को बदल कर रख दिया फ़ारसी संस ् कृति से इस ् लामिक संस ् कृति में । मैं तो बस अपने परिवार के साथ रहने आयी थी, और फ़िर से इस तरह से जुडने कि मैं समाज में अपना एक स ् थान पा सकूँ । बजाय उसके, मुझे एक ऐसा देश मिला जो पूर ् णतः एक खास सिद ् धांत से चल रहा था और जिसे मैं अपना ही नहीं पायी । और तो और, मेरी इसमें बहुत रुचि पैदा होती गयी क ् योंकि मेरे सामने अपने व ् यक ् तिगत असमंजस और प ् रश ् न खडे थे, मेरी रुचि बढती ही गयी इस ् लामिक क ् रांति के अध ् ययन में — कि कैसे, असल में, इस ने अविश ् वसनीय ढँग से बदल दिया ईरानी औरतों के जीवन को । मुझे ईरानी स ् त ् रियों का विषय बहुत ही तेजी से खींच रहा था, कि किस तरह से ईरानी औरतों ने, इतिहास में, राजनैतिक बदलाव को अपनाया है । तो एक तरह से, औरतों का अध ् ययन करके, आप एक देश के ढाँचे और सिद ् धांत को पढ सकते हैं । तो मैनें कुछ काम किया जिस से कि अचानक ही मेरे सारी दुविधा सामने आ गयी, और उसने मेरे काम को एक बडे विमर ् श के कटघरे में ला खडा किया — शहादत के विषय पर, उन लोगों के विषय पर जो अपनी मर ् ज़ी से दुराहे पर खडे होते हैं एक तरफ़ ईश ् वर से प ् रेम, और विश ् वास की राह पर, और साथ ही हिंसा, अपराध और क ् रूरता की राह पर । मेरे लिये ये अत ् यधिक महत ् वपूर ् ण हो गया । और तब भी, मेरी इस पर थोडी अलग स ् थिति थी । मैं एक बाहरी व ् यक ् ति थी जो कि ईरान आयी थी अपनी जगह खोजती हुई, मगर मैं इस स ् थिति में नहीं थी कि मैं सरकार की आलोचना कर सकूँ या फ़िर इस ् लामिक क ् रांति के सिद ् धांतो की । धीरे धीरे ये सब बदला और मुझे अपनी आवाज मिली और मैने उन चीज़ों को खोज़ा जो मुझे कभी नहीं लगा था कि मैं खोज पाऊँगी । और मेरी कला थोडी और ज ् यादा आलोचनात ् मक हो गयी । मेरा खंज़र थोडा और तीखा हो गया । और मैं फ़िर से देश-निकाले का जीवन जीने पर मजबूर कर दी गयी । अब मैं एक खानाबदोश कलाकार हूँ । मैं मोरक ् को में, तुर ् की में, मेक ् सिको में काम करती हूँ । मै हर जगह में ईरान को खोजती फ़िरती हूँ । अब मैं फ़िल ् मों पर भी काम कर रही हूँ । पिछले साल, मैने एक फ़िल ् म ख ् त ् म की है जिसका शीर ् षक है "" आदमियों बगैर औरतें "" ये फ़िल ् म इतिहास में वापस जाती है, मगर ईरानी इतिहास के एक दूसरे ही हिस ् से में । ये जाती १९५३ तक जब कि अमरीकी सी.आई.ए. ने तख ् तापलट करवाया था और लोकतंत ् र द ् वारा चुने गये एक राजनीतिक नेता को हटवा दिया था, डॉ. मोस ् सदेघ ये किताब एक ईरानी औरत ने लिखी है, शाहर ् मुश पारसिपुर ये जादुई सी किताब यथार ् थवादी उपन ् यास है । इस किताब पर सरकारी रोक है, और उस लेखिका ने अपने पाँच साल जेल में बिताये । मैं इस किताब के लिये पागल हूँ, और मेरे इस किताब को फ़िल ् म में तब ् दील करने का कारण है इसका एक साथ कई प ् रश ् नों को कुरेद पाना । औरत होने का प ् रश ् न — पारंपरिक रूप से, ऐतिहासिक रूप से ईरानी औरत होना — और चार ऐसी औरतों का स ् थिति जो एक नयी विचारधारा की खोज में हैं — बदलाव की, आजादी की, और प ् रजातंत ् र की — जबकि ईरान देश, साथ, एक और किरदार के रूप में, एक नयी विचारधारा की तलाश में है - प ् रजातंत ् र और आजादी की, और विदेशियों द ् वारा दखलअंदाजी से आजादी पाने की । मैने ये फ़िल ् म बनायी क ् योंकि मुझे लगा कि ये ज़रूरी है कि ये पश ् चिमी लोगों को बताये कि एक देश के रूप में हमारा इतिहास कैसा था । ये कि आप सब केवल उस ईरान को याद रख के बैठे हैं जो कि इस ् लामिक क ् रांति के बाद का ईरान है । ये कि ईरान एक ज़माने में धर ् मनिरपेक ् ष समाज था, और हमारा देश लोकतांत ् रिक था, और हमसे इस प ् रजातंत ् र को छीन लिया अमरीकी सरकार ने, ब ् रिटिश सरकार ने । ये फ़िल ् म ईरानी लोगों से भी कुछ कहती है उनसे गुज़ारिश करती है अपने इतिहास में वापस जाने की और इस ् लामीकरण से पहले के अपने व ् यक ् तित ् व को एक नज़र देखने की — कि हम कैसे दिखते थे, कैसे हम मौसीकी का लुत ् फ़ उठाते थे, कैसे हमारे लोग बुद ् धि-विषयक थे । और सबसे बडी बात, कि कैसे हमने प ् रजातंत ् र के लिये लडाई की थी । ये मेरी फ़िल ् म के कुछ दृश ् य हैं । और ये तख ् तापलट के कुछ दृश ् य हैं । हमने ये फ़िल ् म कासाब ् लान ् का (मोरक ् को) में बनायी है, सारे दृश ् यों का पुनर ् निमाण कर के । ये फ़िल ् म कोशिश करती है कि एक संतुलन सा कायम हो एक राजनैतिक कहानी कहने के, और साथ ही, एक स ् त ् रीवादी कहानी कहने के बीच । एक दृश ् य कलाकार होने के नाते, सच में, मैं कला के प ् रसारण में सबसे ज ् यादा रुचि रखती हूँ — ऐसी कला जो आर पार जा सके राजनीति के, धर ् म के, स ् त ् रीवाद के प ् रश ् नों के, और महत ् वपूर ् ण हो जाये, शाश ् वत हो जाये, और कला का संपूर ् ण सार ् वकालिक उदाहरण बन जाये । मेरे सामने चुनौती ये है कि ये कैसे किया जाये — कैसे एक राजनैतिक कहानी कही जाये रूपक व ् याकरण में — कैसे अपने भावों को उचित चित ् रण किया जाये, पर साथ ही दिमाग से सोच कर काम हो । ये कुछ दृश ् य है और फ़िल ् म के कुछ किरदार । ये देखिये हरी क ् रांति आती हुई — २००९ की गर ् मी, और मेरी फ़िल ् म का विमोचन होता है — तेहरान की सडको पर विद ् रोह भडक रहा है । अविश ् वसनीय विडंबना ये है कि जिस समय की कहानी हमने फ़िल ् म में दिखाने की कोशिश की है, प ् रजातंत ् र की माँग की और सामाजिक न ् याय की माँ की, वो स ् वयं को दोहरा रहा है तेहरान में । हरी क ् रांति ने सारी दुनिया को दृढता के साथ प ् रोत ् साहित किया है । उस के द ् वारा उन ईरानियों पर ध ् यान केंद ् रित हुआ है जो कि मौलिक मानवाधिकारों के लिये खडे हैं, और प ् रजातंत ् र की लडाई लड रहे हैं । मेरे लिये इस सब में सबसे सार ् थक ये था कि एक बार फिर, औरतों की मौजूदगी दाखिल हुई है । ये मेरे लिये बहुत ही बडी हौसला-अफ़ज़ाई है । अगर इस ् लामिक क ् रांति के दौरान, औरतों का चित ् रण किया गया था दबे कुचले स ् वरूप में, और बेआवाज़ इकाई की तरह, तो आज हम स ् त ् रीवाद की नयी अभिव ् यक ् ति देख रहे हैं तेहरान की सडको-गलियों में — औरतें जो शिक ् षित हैं, गैर-पारंपरिक हैं, नयी सोच रखती हैं, सेक ् सुअली खुले विचारों की हैं, डर से परे हैं, और गंभीर रूप से स ् त ् रीवादी हैं । ये औरतें और ये युवा पुरुष ईरानियों को एकजुट कर रहे हैं सारे संसार में ईरान में और बाहर भी । और फ़िर मुझे पता लगा कि आखिर क ् यों मै इतना उत ् साह पाती हूँ ईरानी औरतों से । वो इसलिये, कि हर हाल में, उन ् होंने किनारे के लडाई लडी है । उन ् होनें सत ् ता को लगातार ललकारा है । उन ् होंने हर थोपा गया नियम तोडा है छोटे से छोते और बडे से बडे रूप में । और एक बार फ़िर, उन ् होंने खुद को साबित कर दिखाया है । आज मैं यहाँ खडी हूँ ये कहने के लिये कि ईरानी औरतों ने एक नयी आवाज़ पायी है, और उनकी आवाज़ ही मुझे अपनी आवाज़ देती है । ये मेरे लिये गौरव की बात है कि मैं एक ईरानी स ् त ् री हूँ, और एक ईरानी कलाकार हूँ, चाहे मुझे कुछ दिन के लिये पश ् चिम को ही अपनी कर ् मभूमि क ् यों न बनाना पडे । आपक बहुत ध ् न ् यवाद । (अभिनंदन) मैं बच ् चो के लिए कहानियाँ लिखता हूँ, और शायद मैं अमेरिका का सबसे ज ् यादा पढ़े जाना वाला बच ् चो का लेखक हूँ, सच में और मैं हमेशा लोगो से कहता हूँ कि मैं किसी वैज ् ञानिक की तरह नहीं दिखना चाहता | आप मुझे किसान के रूप में देख सकते है या इस चमड ़ े की पोशाक में, और अभी तक किसी ने किसान के रूप को नहीं चुना | आज मैं आपसे चक ् र और आत ् मबोध के बारे में बाते करूँगा | और आप जानते हैं, आत ् मबोध एक ऐसी चीज ़ है जो शायद आप कही खो देते हैं | आपको इसे आस पास ही खोजना होता है इसे आत ् मबोध की तरह देखने के लिए | यह एक चक ् र की तस ् वीर है | जिसे मेरे एक मित ् र रिचर ् ड बोलिंगब ् रोक (Richard Bollingbroke) ने बनायीं है | यह एक तरह का जटिल चक ् र है जिसके बारे में मैं आपको बताने वाला हूँ | यह चक ् र 60 के दशक में शुरू हुआ था ओहियो (Ohio) में स ् टोव (Stow) के हाई स ् कुल में जहाँ मैं अपनी क ् लास में सबसे अलग था | हर हफ ् ते लडको के प ् रसाधन कक ् ष में मुझे बुरी तरह पिटा जाता था, जब तक मुझे एक शिक ् षिका ने नहीं बचाया | उन ् होंने मुझे शिक ् षिको के प ् रसाधन कक ् ष में जाने दिया और मेरी जान बचायी | उन ् होंने ये बात गुप ् त रखी, उन ् होंने ये 3 साल तक किया, और मुझे शहर से बाहर जाना पड ़ ा | मेरे पास एक अंगूठा और 85 डालर थे, और मैं सैन फ ् रांसिस ् को, कैलिफोर ् निया आ गया अपनी प ् रेमिका से मिला और 80 के दशक में मैंने जरुर समझा कि AIDS संस ् थाओ पर काम शुरू करू | लगभग 3-4 साल पहले, मुझे आधी रात को एक फ ़ ोन (phone) आया उसी शिक ् षिका का, श ् रीमती पोस ् टन (Mrs. Posten) उन ् होंने कहा "" मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ "" मैं दुखी हूँ कि तुम ् हारे बड ़ े होने के बाद हम कभी मिले ही नहीं | क ् या तुम ओहियो (Ohio) आ सकते हो, और उस आदमी को भी लेकर आना मैं जानती हु जिसे अब तुमने खोज लिया होगा | और मैं तुम ् हे बताना चाहूंगी कि मुझे केंसर (cancer) है, क ् या तुम जल ् द यहाँ आ सकते हो "" तो हम अगले ही दिन क ् लीवलैंड (Cleveland) चले गए हम उनसे मिले, साथ में हँसे, साथ में रोये, हमे पता था उन ् हें अस ् पताल में होना चाहिए था | हम उन ् हें एक अस ् पताल में लेकर गए, उनकी देख रेख की और उनके परिवार का भी ख ् याल रखा, क ् युकि ये जरुरी था, और हमे पता था कि ये कैसे करना है | और वो मुझे बड ़ े होने के बाद मुझसे मिलना चाहती थी जो वो मिल पायी, उसके बाद वो राख के कलश में बदल गयी जो कि मेरे हाथो पर रखा था | और तब वो चक ् र पूरा हो गया था, ये वो चक ् र बन गया और आत ् मबोध जिसके बारे में मैंने आपको बताया और यंहा दिखाया आत ् मबोध यह है कि मृत ् यु जीवन का हिस ् सा है | उन ् होंने मुझे बचाया था, मैंने और मेरी संगिनी ने उन ् हें बचाया | और आप जानते हैं, जीवन के इस हिस ् से को वही सब चाहिए जो बाकी जीवन को चाहिए | इसे सत ् य और सौंदर ् य चाहिए, और मैं बहुत खुश हूँ कि आज हमने इसके बारे में इतनी सारी बात की | इसे और कुछ भी चाहिए इसे गरिमा, स ् नेह और आनंद चाहिए | और यह सब बाटना हमारा कर ् तव ् य है | धन ् यवाद (अभिवादन) लेकिन वैसे भी, यह विज ् ञान की बुराइयों के बारे में है, तो मुझे लगता है कि यह सही है. ♫ हे भगवान ्, चलता फिरता, मेरा प ् यारा ♫ ♫ हाँ, यह है मेरा, कलोनी ♫ ♫ ओह, अगर मैं गाड ़ ी घूमा सकती, किसे पता था मैं इतनी अच ् छी लग सकती, ♫ ♫ सिर ् फ बात करती फ ़ ोन पर उससे, कलोनी ♫ ♫ हम हैं दोस ् त, और यह सही है, क ् योकि हम नहीं हैं, अकेले ♫ ♫ उथला जीन कुंड, नहीं परेशान करता उसे, कलोनी ♫ ♫ तुम और मैं, चले चले, अच ् छे या बुरे ♫ ♫ दिन और रात, सिर ् फ हमारा डीएनए, ओल ् सन जोड ़ े के पास हमसे ज ् यादा कुछ नहीं, ♫ ♫ हम जियेंगे, एक साथ, माँ प ् रकृति, उसे न बुलाना जाली, मेरी कलोनी ♫ ♫ अमीर थी, निरोग नहीं, कोई न साथ रहने को ♫ ♫ देखो फिर किसे जन ् म दिलवाना मैंने, कलोनी ♫ ♫ गरीब नहीं, रसहीन, अमीर जन, हमें असली की कोई ज ़ रुरत नहीं ♫ ♫ हमारे बच ् चे - बड ़ े ही आते हैं, कलोनी ♫ ♫ हम गले लगाने लायक होंगे, पत ् रकार को बुलाएँगे ♫ ♫ उन ् हें दिखांगे, सबसे प ् यारी चीज ़ हैं हम एमिनेम के बाद ♫ ♫ ओह मेरे दोस ् त, वंश बढाओ, हम मताधिकार हैं, डिस ् नी और लेस ् टर की तरह ♫ ♫ हमारा कैंसर फिल स ् पेक ् टर के संग से ज ् यादा सौम ् य है ♫ ♫ हम साथ जी लेंगे, हमें अनुबंध करना था वेर ् व के बजाये सोनी, ♫ ♫ तुम हो मेरी कलोनी, "" कलोनी मैं तुमसे प ् यार करती हूँ "" ♫ ♫ हा, मैं एकलौती हूँ जिसे मैंने प ् यार किया ♫ ♫ भगवान ्!, यह मजेदार है, तुम मेरा घातक आकर ् षण हो. मेरी कलोनी ♫ ♫ धन ् यवाद. ♫ (हर ् षध ् वनि) “मैं भूखा हूँ ”,“ मैं दर ् द में हूँ ”, "" धन ् यवाद "" या "" मैं तुमसे प ् यार करता हूँ, "" ये कहने के लिए असमर ् थ होने की कल ् पना कीजिए | संवाद करने की क ् षमता खोने, एक शरीर जो आदेशों का जवाब नहीं देता । लोगों से घिरा हुआ, फिर भी पूरी तरह से अकेले । जोड़ने के लिए, आराम करने के लिए और भाग 13 साल के लंबे अंतराल में ये मेरी सच ् चाई थी । हममेसे ज ् यादातर दो बार कभी नहीं सोचते बात करने और संवाद करने के लिए | मैं ने इसके बारे में बहुत सोचा था | सोचने केलिए मेरे पास बहुत समय था | मेरे जीवन के पहले 12 साल, मैं एक साधारण, खुष, तंदुरुस ् त छोटा बच ् चा था | तब सबकुछ बदल गया | मैं एक मस ् तिष ् क संक ् रमण अनुबंधित किया । वैद ् योँ को यकीन नहीँ थी कि वह क ् या था, पर वे सबसे अच ् छा इलाज़ किया जितना उनसे हो सकता था | हालाँ कि, मैँ उत ् तरोत ् तर बदतर होगया | अंत में, मैं अपनी गतिविधियों को नियंत ् रित करने के अपनी क ् षमता खो दिया था, आंख से सँपर ् क करने की, और अंत मेँ, अपने बात करने की क ् षमता | जब आस ् पताल मेँ था, मैँ बुरी तरह से घर जाना चाहता था | मैँने अपनी माँ को बोला, "" कब घर? "" वो शब ् द मेरे आखरी श ् ब ् द थे जो मैँने खुद की आवाज मेँ बात किया | अंत मेँ मैँ मानसिक जागरुकता की हर परीक ् षण मेँ विफल होगया | मेरे माता- पिता को ये बताया गया कि मैँ ना के बराबर हुँ | एक सब ् जी, जिसका खुफिया तीन महीने की बच ् चे की बराबर है | उनको बोल दिया गया कि मुझे घर ले जायेँ और आराम से रखने की कोशिश करेँ जब तक मैँ मर जाता | मेरेँ मता -पिता, हालाँकि मेरे पूरे परिवार की जिंदगियाँ, नष ् ट होगये मेरे ध ् यान रखने मेँ सबसे अच ् छा तो वोही जानते हैँ कैसे | उनके दोस ् त दूर होगयेँ | एक साल दो मेँ बदल गया, दो तीन मेँ बदल गया | ऐसा लगता था जैसे मैँ जो एक व ् यक ् ति था वह गायब होना शुरू होगया | लेगो ब ् लॉक ् सऔर एलक ् ट ् रानिक सर ् किट ् स मैँ एक लडके के रूप मेँ चाहता था दूर रखे गये | मैँ अपने कमरे से बाहर ले जाया गया था दूसरे मेँ जो अधिक व ् यवहारिक था | मैँ एक भूत बनगया था, एक लड ् के की एक धुंधुला याद जिसे लोग जानते और प ् यार करते थे | इस बीच, मेरे दिमाग एक साथ ही वापस बुनायी शुरू कर दिया | धीरे धीरे, मेरे जागरूकता वापस आना शुरू होगया | पर किसीको एहसास नहीँ हुआ कि मैँ जिंदगी मेँ वापस आगया था | मुझे सब कुछ के बारे मेँ पता था, जैसे कोई साधारण व ् यक ् ति | मैँ सबकुछ देख सकता था और समझ सकता था, पर मैँ किसी को ये बात बताने का रास ् ता नही डूँढ पाया | मेरे व ् यक ् तित ् व शायद मूक शरीर के अन ् दर समाधि मेँ रखा गया था, एक जीवंत मन एक कोषस ् थ भीतर सादे दृष ् टि में छिपा हुआ है । बुनियादी वास ् तविकता मुझे मारा कि मैँ मैँ अपनी बची जिंदगी अपने आप को अंदर बंद करके, पूरे अकेले मेँ बिताने वाला हूँ | मैँ फँस गया सिर ् फ मेरे विचारोँ के साथ जो मेरे साथी थे | मैँ कभी भी बचाया जा नहीँ सकता | कोई भी कभी भी मुझे कोमलता नहीँ दिखा सकते | मैँ कभी एक दोस ् त के साथ बात नहीँ कर सकता | कोई भी कभी भी मुझे प ् यार नहीँ करेंगे | मेरे पास सपने नहीँ थे, आशा नहीँ, कुछ भी नहीँ जिसके लिये मैँ आगे देखूँ | खैर, कुछ भी सुखद नहीँ मैँ डर मेँ जीता था, और इसे साफ साफ रखने से, मौत के लिए इंतेजार कर रहा था, अंत मेँ मुझे रिहा करने के लिए, एक केयर होम में अकेले मरने के उम ् मीद थी । मुझे नहीँ मालूम कि ये सच मेँ मुँकिन है कि श ् ब ् दोँ मेँ व ् यक ् त करना कैसा लगता है जब हम सँवाद नहीँ कर सकते | आपकी व ् यक ् तित ् व लगता है गायब होगया एक घना कोहरा मेँ और आप ् के सारे भावनाओं और इच ् छाओं क ् स जाते, दबा दी और तुम ् हारे भीतर मौन हैं । मेरे लिये, सबसे बुरा तो बेबसी की भावना थी । मैँ सिर ् फ अस ् तित ् व मेँ था | यह अपने आप को खोजने के लिए एक बहुत ही गहरे जगह है क ् योंकि एक मायने में, आप गायब हो गये हैँ | दूसरे लोग मेरे जिंदगी का हर पहलू नियँत ् रित करते थे | वह निर ् णय लेते थे मैँ कब और क ् या खाऊँगा | मैं अपने पक ् ष पर रहूँ या मेरे पहिया की कुर ् सी पर बन ् दे रहूँ मैं अक ् सर मेरे दिन टीवी के सामने तैनात बार ् नी रीरन ् स देख बिताता था । मुझे लगता है कि बार ् नी बहुत खुश और हंसमुख है, और मैं बिल ् कुल नहीँ, यह उसको बहुत ज ् यादा बुरा करदिया | मेरे जिंदगी मेँ कुछ भी बदलने के लिए मैँ पूरी तरह से शक ् तिहीन था | या लोगोँ की द ् रुष ् टिकोण बदलने के लिए | मैं एक मूक, अदृश ् य पर ् यवेक ् षक था लोगों से व ् यवहार कैसे की जब उन ् होंने सोचा कोई नहीं देख रहा था । दुर ् भाग ् य से, मैं न केवल एक पर ् यवेक ् षक था । बातचीत करने के लिए कोई रास ् ता नहीं के साथ, मैं सही शिकार बन गया: प ् रतीत होता है भावनाओँ के रहित एक निरास ् रय वस ् तु जो लोगोँ ने इस ् तेमाल किया अपनी अंधेरे इच ् छाओँ को खेलने के लिए | दस साल से ज ् यादा, जो लोग मेरे देखबाल के लिए रखे गये थे शारीरिक रूप से मुझे गाली दी, मौखिक रूप से और यौन । उनके सोच ् ने के बावजूद, मैँ महसूस करता था | जब यह पहली बार हुआ, मैं चौंक गया और अविश ् वास से भर गया । मेरे साथ वे ऐसा कैसे कर सकते है? मैं उलझन में था । इस लायक करने के लिएमैँ क ् या किया था? मेरा एक हिस ् सा रोना चाहता था और दूसरे भाग लड ़ ना चाहता था । चोट, उदासी और क ् रोध मेरे माध ् यम से बह गई । मैं बेकार महसूस किया । कोई नहीँ थे मुझे सँत ् वना देने के लिए | लेकिन मेरे माता पिता दोनोँ नहीँ जानते थे कि ये हो रहा था | मैँ डर मेँ रहता था, जानते हुये कि ये बार बार होगा | मुझे ये नहीँ मालूम था कब | मुझे पता था कि मैँ कभी पूर ् वकथित नहीँ रहूँगा | मैँ याद करता हूँ एक बार सुना हुआ विट ् नी हूस ् टन को गाते हुये, "" कोई बात नहीँ वे मुझसे जो भी लेनेदो, वे मेरी मर ् यादा नहीँ लेजा सकते हैँ | और मैँ अपने आप मेँ सोचा "" तुम शर ् त लगाना चाहते हो? "" शायद मेरे माता पिता पता लगा सकते थेँ और मदद कर सकते थेँ | लेकिन सालोँ की लगातार देखभाल, हर दो घंटे मेँ उठना मुझे पलटने के लिए, अनिवार ् य रूप से अपने बेटे के खोने का दु: ख को मिला के, मेरे माता पिता पर असर दिखाना शुरू कर दिया था | मेरे माता-पिता के बीच निम ् नलिखित एक और गरम बहस के बाद, निराशा और हताशा का एक पल में, मेरी माँ मेरे तरफ पलट गया और मुझे बताया था कि मैं मर जाना चाहिए | मैं चौंक गया था, लेकिनजब मैंने सोचा था जो उसने कहा के बारे में, मैं अमित सहानुभूती, और प ् यार से भर गया था मेरी माँ के लिए, फिरभी मैं इसके बारे में कुछ भी नहीं कर सकता था । बहुत सारे ऐसे पल थे जब मैँने हार मान लिया था, एक अन ् धेरे रसातल मेँ डूब रहा था | मैँ विशेष रूप से ऐसे एक उदासीन पल याद करता हूँ | मेरे पिताजी मुझे गाडी मेँ अकेले छोड दिये जबकि वह जल ् दी कुछ खरीदने गये थे दुकान मेँ एक याद ् रच ् चिक अजनबी मेरे पास से गुजरते हुये गये, मेरे तरफ देखेँ और उन ् होँने मुस ् कुराए | मुझे पता नहीँ चल सकता है क ् यों, लेकिन वह साधारण कार ् य, मानव कनेक ् शन की क ् षणभंगुर पल, बदल दिया कि मैं महसूस कर रहा था, मुझे जारी रखने के लिए बना रही है । मेरे अस ् तित ् व एकस ् वरता से पीडित थी, एक सच ् चाई जो सहन करने के लिए बहुत ज ् यादा थी | अकेले मेरे विचार के साथ, मैँ जटिल कल ् पनायेँ बूनता था जैसे चीटियाँ फर ् श पर सभी जगह घूमने के बारे मेँ | मैँ अपने आप को परछाइयाँ देखकर समय बताना सिखाया था | जैसे मैँने सीखा परछायियाँ मैँ ले जाया गया जैसे दिन की घंटे पारित होते हैँ, मैँ समझता था मुझे उठाके घर ले जाने मेँ और कितना वक ् त लगेगा | मेरे पिताजी को दर ् वाजे के अन ् दर से मुझे लेने के लिए आना मेरे दिन के बेहतरीन पल थे | मेरा दिमाग एक साधन बन गया जो मैँ इस ् तेमाल कर सकता हूँ बन ् द करके मेरे सच ् चायी से पीछे हठने के लिए या एक विशाल अंतरिक ् ष मेँ विस ् तार करके जिसे मैँ कल ् पनाओँ के साथ भरसकूँ | मैँ आशा करता था कि मेरी यदार ् थ बदल जायेगा और कोई देखेगा कि मैँ जिंदगी मेँ वापस आया हूँ | पर मैँ एक रेत की महल की तरह धुल गया था लहरोँ के पास बना हो, और मेरी जगह पर है एक इंसान जैसा लोग मुझे होने की उम ् मीद करते हैँ | किसी के लिए मैँ मार ् टिन था, एक शून ् य खोल, सब ् जी, गालियोँ के, अस ् वीकार के, और यहाँ तक की कुप ् रथा की लायक | दूसरोँ के लिए, मैँ दुर ् भाग ् य से मस ् तिष ् क क ् षतिग ् रस ् त लड ़ का जो बढ कर बन गया एक पुरुष | कोई होते हैँ वे किसी के लिए दयालू थे और के लिए परवाह । अच ् छा हो या बुरा मैँ एक शून ् य कांवास था जिस पर मेरे अलग रूपंतर पेश किये गये थे | जो नया होगा उनको मेरे तरफ देखने का अलग रस ् ता होता था | एक अरोमाथेरापिस ् ट केर होम मेँ हफ ् ते मेँ एक बार आना शुरू कर दिया | उनकी सहज ज ् ञानसे या उनके बब ् योरे पर ध ् यान देने की आदत से जो दूसरे ध ् यान देने मेँ असफल हुये, उनको विश ् वास होगया कि मैँ जो कहा जा रहा था ओ समझ सकता हूँ | उनहोँने मेरे माता पिता से आग ् रह किया कि मेरे आगम और वैकल ् पिक संचार मेँ विशेषज ् ञोँ से परीक ् षण करवाये | और एकही साल मेँ, मैँ कँप ् यूटर प ् रोग ् राम सँवाद करने के लिए इस ् तेमाल करना शुरू करदिया | यह प ् राणपोषक था लेकिन समय पर निराशा | मेरे मन मेँ इतने सारे शब ् द थे, कि मैँ उन ् हेँ बाँटने के लिए इंतेजार नहीँ कर सकता था | कभी कभी, मैँ अपने आपसे चीजेँ कहता था सिर ् फ इसलिये कि मैँ कर सकता था | अपने आप मेँ, मेरे पास एक तैयार श ् रोता था, और मैँ मानता था कि मेरे विचारों और इच ् छाओं को व ् यक ् त करने से, दूसरे लोग भी सुनेंगे | जब से मैं ज ् यादा संपर ् क करना शुरू किया, तो यह वास ् तव में खुद के लिए एक नई आवाज बनाने की सिर ् फ शुरुआत थी करके मुझे एहसास हुआ । मुझे एक नई दुनिया में ढ ् केल दिया था जहाँ कैसा कार ् य करना मुझे बिल ् कुल पता नहीं था | मैं केर होम जाना छोड दिया और मेरे पहले नौकरी फोटो कापीस बनाने की प ् रप ् त करने मेँ सफल रहा | सुनने मेँ ये सादा लगता होगा, लेकिन ये अद ् भुत है | मेरी नयी दुनिया वाकई उत ् तेजक है पर अक ् सर बहुत भारी था और भयावह भी | मैँ एक पुरुष-बच ् चा जैसा था, और अक ् सर ये अक ् सर स ् वतंत ् र जैसा लगता था, मैँ संघर ् ष करता था | मैँने ये भी सीखा कि जो लोग मुझे बहुत दिनोँ से जानते थे उन मेँ से कई लोगोँ को मार ् टिन का रूप जो उनके दिमाग मेँ था उसको त ् यागना असँभव होगा | जबकि जिन लोगोँ से मैँ अभी मिला था एक व ् हीलचेयर में एक मूक आदमी की छवि अतीत देखने के लिए संघर ् ष किया । मुझे एहसास हुआ कि कुछ लोग सिर ् फ मेरे बात सुनेंगे अगर मैँ जो कहा वो उनके उम ् मीद के साथ सहमत होगा | अन ् यथा अवहेलन किया जाता था और वो लोग उनको क ् या अच ् छा मेहसूस हुआ वो काम करते थे | मेरी खोज से ये पता चला कि सच संचार का मतलब सिर ् फ शरीरिक रूप से संदेश भेजने से भी ज ् यादा है | जैसे कि संदेश को सुनना और सम ् मान देने के बारे में है । फिर भी, सबकुछ ठीक चल रहा था | मेरा शरीर धीरे धीरे मजबूत हो रहा था | मुझे नौकरी कंप ् यूटिंग में मिली, जो मुझे पसंद था, और मुझे कोजक नामक कुत ् ता मिला जिसके बारे में मैं कई सालों से सपना देख रहा था | हालांकि, मैं किसी के साथ मेरी जिंदगी बाँटना चाहा । मुझे याद है कि मैं खिड ़ की से बाहर घूर रहा जब मेरे पिताजी काम से मुझे घर ले आ रहे थे, सोचरहा था कि मेरे अंदर इतना प ् यार है और उसे लेने के लिए कोई नहीं हैं | जब मैं ने फैसला लिया था कि मेरी जीवन की बाकी हिस ् सा अकेले ही जीना है मैं जोन से मिला | जोन मेरे जीवन में सबसे अच ् छी बात ही नही जो कभी भी मेरे साथ हुआ, बल ् कि जोन खुद के बारे में अपने खुद के गलत धारणाओं को चुनौती देने के लिए मेरी मदद की । जोन ने कहा था कि मेरे शब ् दोँ की वजह से उसको मेरे साथ प ् यार हुआ था | हालांकि, सब होते हुए भी मेरे माद ् यम से मुझे अभी भी विश ् वास नहीं होता कि कोई भी वास ् तव में मेरे विकलांगता के पार देख सकता है और मुझे स ् वीकार करलेते जैसे मैं हूँ | मैं एक आदमी था यह समझने के लिए भी सच में मैं ने संघर ् ष किया । पहली बार कोई मुझे आद ् मी संदर ् भित किया यह मुझे मेरे पटरियों में रोक दिया । चारों ओर देख कर और पूछने की इच ् छा हुई कि "" कौन, मैँ? "" ये सब जोन के साथ बदल गया है । हमारे पास एक अद ् भुत संबंध है और मैंने ये सीखा है कि खुले तौर पर और ईमानदारी से संवाद करना कितना महत ् वपूर ् ण । मैंने सुरक ् षित महसूस किया, मुझे सही मायने में क ् या सोचा कहने के लिए आत ् मविश ् वास दी । मैं फिर से सँपूर ् णमहसूस करना शुरू किया, एक पुरुष प ् यार के काबिल था | मैंने अपने भाग ् य को नयी आकृति प ् रदान करना शुरू किया । मैं काम पर थोड ़ ा अधिक बातचीत की । मैं ने मेरा आजाद रहने के लिए मेरे आसपास के लोगों से निवेदन किया | मुझे संपर ् क करने का जो साधन मिला उससे सब कुछ बदल गया । मैंने पूर ् वग ् रहों को चुनौती देने के लिए शब ् दों की शक ् ति का इस ् तेमाल किया जो मेरे बगल में है और जो मेरे खुद का पास है | संपर ् क आसपास के लोगों से गहरे स ् तर पर कनेक ् ट करने के लिए हमें सक ् षम करने के लिए हमें मानव बनाता है — जो हमारे आसपास के लोगों के साथ — हमारी अपनी कहानियाँ बताते हुए, चाहत, जरूरतों और इच ् छाओं को व ् यक ् त करने, या वास ् तव में दूसरों के सुनने के द ् वारा सुनवाई । इन सब से दुनिया जानती हैं कि हम कौन हैं | इसलिए हम इसके बिना कौन हैं? सच ् ची संचार समझ को बढावा देती है और अधिक देखभाल और करुणामय दुनिया बनाती है । एक बार, मुझे एक निर ् जीव वस ् तु जो एक व ् हीलचेयर में एक लड ़ के की एक नासमझ प ् रेत माना जाता था | आज, मैं उससे इतना अधिक हूँ । एक पति, एक बेटा, एक दोस ् त, एक भाई, एक व ् यवसाय के मालिक, एक प ् रथम श ् रेणी सम ् मान स ् नातक, एक गहरी शौकिया फोटोग ् राफर । मेरी बातचीत करने की क ् षमता ने मुझे यह सबकुछ दिया है । ये कहा जाता हैं कि कथनी से अधिक करनी बोलती है । लेकिन मुझे आश ् चर ् य क ् या वे? हमारे शब ् दों, जैसे भी हम संवाद करें बस उतना हीं शक ् तिशाली हैं । हम अपने ही आवाज में शब ् द बोलते हैं, हमारी आंखों के साथ उन ् हें टाइप करें, या, उन ् हें हमारे लिए बोलती है जो किसी के लिए गैर-मौखिक रूप से उन ् हें संवाद करते हुए, शब ् द हमारी सबसे शक ् तिशाली उपकरणों में से एक हैं । मैं एक भयानक अंधेरे के माध ् यम से आप के पास आया हूँ, जहाँ सए मुझे ध ् यान रखने वाली आत ् माओं ने और भाषा से हीं मैं खींचा गया हूँ | आज आप मुझे सुनने का कार ् य, मुझे भविष ् य में रोशनी में लाता है । हम एक साथ यहाँ चमक रहे हैं । मेरे संवाद करने के रास ् ते में अगर कोई कठिन बाधा होनेसे मैं कभी कभी चिल ् लाना चाहता हूँ और अगली बार बस प ् यार या कृतज ् ञता का एक शब ् द फुसफुसाना चाहता हूँ | यह सब एक ही लग रहा है । लेकिन आप कर सकते हैं तो, इन अगले दो शब ् दों अपने दिलसे कल ् पना कीजिए: थैंक यु | (धन ् यवाद) | (तालियाँ) शानदार कहानी ये है: इसकी शुरुआत लगभग 40 साल पहले हुई, जब मेरे माता-पिता कनाडा आये. मेरी माँ ने केन ् या में नैरोबी छोड़ा. मेरे पिता भारत में अमृतसर के बाहर एक छोटे से गाँव से आये थे. वे यहाँ 1960 के दशक के अंत में आये थे. टोरंटो के पूर ् व में एक घंटे की दूरी पर उन ् होंने छायादार अंचल में अपना घर बसाया. और उन ् होंने एक नयी ज़िंदगी की शुरुआत की. उन ् होंने पहली बार डेंटिस ् ट को यहीं देखा, पहला हैमबर ् गर यहाँ खाया, और उनके बच ् चे भी यहीं हुए. मैं और मेरी बहन यहीं पले-बढ ़ े, और हमने शांत व सुखद बचपन बिताया. हमारा परिवार एकजुट था, अच ् छे दोस ् त थे, और शांत मोहल ् ला था. हमने उन चीज़ों के महत ् व को नहीं जाना जिनके हमारे माता-पिता के जीवन में बड ़ ा महत ् व था जब वे बड ़ े हो रहे थे — जैसे हमारे घर में बिजली कभी नहीं जाती थी, स ् कूल सड़क के दूसरी ओर था, अस ् पताल थोड़ी दूरी पर था, पिछवाड ़ े में आइस कैंडी मिल जाती थी. हम पले-बढ ़ े, और जवान हुए. मैं हाई स ् कूल गया. कालेज में पढाई की. घर से बाहर निकला, नौकरी ढूंढी, प ् रेम में पड ़ ा और सैटल हो गया - ऐसा लगता है जैसे ये किसी घटिया धारावाहिक या कैट स ् टीवंस के गाने से सुनकर बोल रहा हूँ. (हंसी) लेकिन जिंदगी बढ ़ िया गुज ़ र रही थी. सब कुछ अच ् छा चल रहा था. 2006 का साल बहुत अच ् छा बीता. टोरंटो के अंगूरी बागानों में खुले आसमान के नीचे जुलाई में, मेरा विवाह हो गया, जिसमें 150 परिजनों और मित ् रों ने शिरकत की. 2007 भी बहुत अच ् छा साल था. मैं कॉलेज से निकल गया, और मेरे सबसे करीबी दो मित ् रों के साथ लम ् बी सड़क यात ् रा पर निकल पड ़ ा. ये मेरे मित ् र क ् रिस के साथ मेरी फोटो है, प ् रशांत महासागर के तट पर. हमने कार की खिड़की से बाहर सील मछलियाँ भी देखीं, और उनकी फोटो लेने की कोशिश में गाड ़ ी रोकी पर वे हमारे बड ़ े-बड ़ े सिरों के पीछे छुप गयीं. (हंसी) जैसा कि आप यहाँ पर देख रहे हैं, लेकिन यकीन मानिए, यह सब बहुत मजेदार था. (हंसी) 2008 और 2009 कुछ कठिन साल थे. न सिर ् फ मेरे लिए बल ् कि कुछ लोगों के लिए, वे और भी कठिन थे. पहली बात तो यह है कि ये बहुत बड़ी खबर थी. अभी भी ये बड़ी बात है, उससे पहले भी यह बड़ी बात थी, लेकिन जब आप अखबार खोलते हैं या टीवी ऑन करके देखते हैं, तो वहां मुख ् यतः ध ् रुवीय बर ् फ पिघलने की, दुनिया में जंग छिड ़ ने की, भूकंप, तूफ़ान के आने की, और लड ़ खड ़ ाती हुई अर ् थव ् यवस ् था की खबर दिखती है, और अंततः यह ध ् वस ् त हो जाती है, और फिर अचानक हमारे घर, हमारी नौकरियां, सेवानिवृत ् ति की योजनाएं, और रोजीरोटी गायब हो जाती है. 2008 और 2009 मेरे लिए कुछ अन ् य कारणों से भी मुश ् किल थे. उस दिनों मैं बहुत सी व ् यक ् तिगत समस ् याओं का सामना कर रहा था. मेरा वैवाहिक जीवन सुखद नहीं था, और हम दोनों एक-दूसरे से दूर होते जा रहे थे. एक दिन मेरी पत ् नी ऑफिस से घर आयी और हिम ् मत जुटाकर अपनी आँखों में आंसू लिए हुए, उसने खुले दिल से बात करने के लिए कहा. उसने कहा, "" मैं तुम ् हें अब प ् यार नहीं करती "". आज तक ये मेरे द ् वारा सुने गए सबसे कष ् टप ् रद शब ् द हैं और निस ् संदेह दिल को सबसे ज ् यादा चोट पहुंचाते हैं, लेकिन इसी के एक महीने के भीतर, मैंने दिल को इससे भी ज ् यादा आहत करनेवाली खबर सुनी. मेरा दोस ् त क ् रिस, जिसके साथ खींची फोटो मैंने आपको अभी दिखाई थी, वह कुछ समय से मानसिक रोग से लड ़ रहा था. और आप लोगों में से वे जिनके जीवन को मानसिक रोग ने किसी भी तरह से प ् रभावित किया है, वे समझ सकते हैं कि यह कितना चुनौतीपूर ् ण है. एक रविवार की रात को मैंने उससे फोन पर 10: 30 बजे बात की. हमने एक टीवी कार ् यक ् रम के बारे में बात की जो हमने उस शाम को देखा था. सोमवार की सुबह मुझे पता चला कि क ् रिस इस दुनिया में नहीं रहा. यह दुर ् भाग ् यपूर ् ण है कि उसने आत ् महत ् या कर ली. वह समय मेरे लिए बहुत कठिन था. ऐसे ही काले बादल मेरी ज़िंदगी पर छाये हुए थे, और ऐसे में कुछ भी बेहतर करने के बारे में सोचना बहुत मुश ् किल लग रहा था, तब मैंने यह तय किया कि मुझे कैसे भी करके सकारात ् मक चीज़ों पर ही ध ् यान देना चाहिए. तो एक रात मैं जब काम से वापस आया, और मैंने अपना कम ् प ् युटर चालू किया, मैंने एक छोटी सी वेबसाईट 1000awesomethings.com बनाई. मैं स ् वयं को सरल, सहज, सार ् वत ् रिक छोटी-छोटी खुशियों की याद दिलाना चाहता था जिन ् हें हम पसंद करते हैं, पर जिनके बारे में हम ज ् यादा बात नहीं करते — वे चीज़ें जैसे होटल में वेटरों द ् वारा कुछ कहे बिना ही मुफ ़ त में ज ् यादा सर ् व कर देना, किसी विवाह भोज में सबसे पहले भोजन करने का आमंत ् रण मिलना, ड ् रायर से हाल में ही निकला गरम अंडरवियर पहनना, और जैसे ही ग ् रोसरी स ् टोर में एक बंद पड ़ ा भुगतान काउंटर खुल जाता है तो लपक के उस लाइन में सबसे पहले नंबर पर खड़े हो जाना - भले ही हम पिछली लाइन में सबसे पीछे खड़े थे, वहां फ़ौरन झपट ् टा मारना. (हंसी) समय बीतते-बीतते, मुझे यह सब अच ् छा लगने लगा. आप जानते हैं कि हर दिन 50,000 नए ब ् लॉग बन रहे हैं. और मेरा ब ् लॉग भी उन 50,000 में से एक था. मेरी माँ को छोड़कर उसे कोई नहीं पढता था. हांलांकि मुझे यह कहना चाहिए कि मेरे ब ् लॉग का ट ् रेफिक रॉकेट की तरह 100% बढ़ गया जब मेरी माँ ने मेरे पिता को इसे पढ़ने के लिए सुझाया. (हंसी) जब इसपर रोजाना हिट ् स आने लगीं तो मैं उत ् साहित हो गया. फिर मुझे इसपर दर ् ज ़ नों, सैंकड ़ ों, हज़ारों, और फिर लाखों हिट ् स मिलने शुरू हो गए तो मैं और अधिक जोश में आ गया. यह और अधिक विशाल और विस ् तृत होता गया. और फिर एक दिन मुझे एक फोन आया, और फोन के दूसरे सिरे पर किसी ने मुझसे कहा, "" आपको दुनिया के सबसे शानदार ब ् लॉग का पुरस ् कार मिला है "". ये कुछ ऐसा था जैसे ये कोई फ ़ र ् जी फोन कॉल हो! (हंसी) (तालियाँ) आप किस अफ ् रीकी देख में अपना सारा पैसा भिजवाना चाहते हैं? (हंसी) लेकिन यह सच था और मैं हवाई जहाज पे सवार हुआ, और कुछ ही समय के भीतर मैं सारा सिल ् वरमैन, जिम ् मी फैलन, और मार ् था स ् टीवर ् ट के साथ रेड कारपेट पर चल रहा था. और इस तरह मैं बैस ् ट ब ् लॉग के लिए वेबी अवार ् ड लेने के लिए स ् टेज पर चढ़ा. और इस सबसे होने वाली हैरत और विस ् मय तब छोटी पड़ गयीं जब टोरंटो लौटने पर मुझे मेरे मेलबौक ् स में 10 प ् रकाशन एजेंटों के प ् रस ् ताव मिले जो इसे किताब के रूप में छापने के लिए मुझसे मिलना और बात करना चाहते थे. हम अगले साल में कूद पड़ें तो मेरी किताब "" The Book of Awesome "" लगातार बीस हफ़ ् तों तक नंबर एक की बैस ् ट सैलर बन चुकी थी. (तालियाँ) देखिये, मैंने कहा था कि आज मैं आपको तीन बातें बताना चाहता हूँ. मैंने कहा था कि मैं आपको 'शानदार' (Awesome) कहानी बताना चाहता था, मैं आपको 'A' से शुरू होनेवाली उन तीन चीज़ों के बारे में बताकर आपकी सोच को जागृत करना चाहता था. तो मैं आपको उन तीन चीज़ों के बारे में बताता हूँ. पिछले कुछ सालों के दौरान, मुझे अच ् छे से सोच-विचार करने के लिए समय नहीं मिल सका. पर हाल ही में मुझे थोड़ा ठहरकर सोचने का अवसर मिला और मैंने खुद से पूछा: पिछले कुछ सालों में ऐसा क ् या हुआ जिससे न केवल मेरी वेबसाईट प ् रसिद ् द हो गयी, बल ् कि मुझमें भी विकास हुआ. फिर मैंने अपने व ् यक ् तित ् व के अनुसार मुख ् यतः तीन चीज़ें चुनीं, जिन ् हें मैं तीन A 's कहता हूँ. वे हैं attitude (नजरिया), awareness (जागरूकता) और authenticity (प ् रमाणिकता). मैं आपको इन तीनों के बारे में संक ् षेप में बताऊंगा. नजरिया के बारे में, देखिये, हम सभी गिरते-पड ़ ते हैं, और चोट खाते हैं. हम लोगों में से कोई भी भविष ् य का कथन नहीं कर सकता, लेकिन एक बात हम जानते हैं वह यह है कि हमारी योजनाओं के अनुसार कुछ नहीं होता. हम सभी भरपूर ख ़ ुशी और मजे के साथ अपने पास कॉलेज से निकलने, शादियों में डांस करने, और डिलीवरी रूम के भीतर से स ् वस ् थ बच ् चे के चिल ् लाकर रोने जैसे गर ् वीले लम ् हों पर मुस ् कुराते हैं, लेकिन इन बेहतरीन लम ् हों के बीच कहीं कोई दर ् द, कोई कसक भी बनी रहतीं हैं. यह दर ् दनाक है और इसके बारे में बात करना अच ् छा नहीं लगता, पर किसी का पति उसे छोड़ सकता है, किसी की प ् रेमिका बेवफा निकल सकती है, आपका सिरदर ् द किसी भयानक बीमारी में तब ् दील हो सकता है, या सड़क पर कोई गाड ़ ी आपके कुत ् ते को टक ् कर मार सकती है. ये कोई अच ् छा विचार नहीं है, पर आपके बच ् चे बुरे लोगों के साथ या गलत जगहों में फंस सकते हैं. आपकी माँ को कैंसर हो सकता है, आपके पिता बेहद स ् वार ् थी निकल सकते हैं. और ऐसा भी हो सकता है कि यह ज़िंदगी आपको अंधे कुँए में धकेल दे, और आपके पेट में निवाला न हो या दिल में कोई बीमारी घर कर ले. और जब कभी ऐसे बुरी ख़बरें आपको झकझोर दें, ऐसे दर ् द आपको पछाड ़ दें, तब मैं यह उम ् मीद करता हूँ कि आपके पास हमेशा दो विकल ् प होने चाहिए. पहला, आप दबें, टूटें, गिरें, और खाक में मिल जाएँ, या दूसरा, आप शोक मनाएं और उठकर भविष ् य को नयी दृष ् टि से देखें. बड ़ ा नजरिया रखने का संबंध दूसरे विकल ् प से है, और इसका चयन करने से है भले यह कितना ही कठिन हो. आपको कितनी ही गहरी चोट क ् यों न लगी हो, आगे बढ ़ ने के विकल ् प का चुनाव करना भविष ् य की ओर नन ् हा कदम बढाने जैसा ही है. अब हम जागरूकता की बात करेंगे. मुझे तीन-वर ् षीय बच ् चों के साथ खेलना पसंद है. मैं उनके दुनिया देखने के तरीके को पसंद करता हूँ, क ् योंकि वे इससे पहली बार मुखातिब हो रहे हैं. सड़क के किनारे रेंगते कीड़े को वे जिस कौतूहल से देखते हैं वह मुझे अच ् छा लगता है. मुझे अच ् छा लगता है जब वे बेसबाल के पहले गेम में हैरत से मुंह बाए हुए, हॉटडॉग ् स और पीनट ् स खाते हुए अपनी आँखें गेंद पर टिकाकर हांथों में दास ् ताने पहनकर बल ् ले की दरार को टटोलते हैं. मुझे अच ् छा लगता है जब वे पिछवाड ़ े में देर-देर तक फूल चुनते हैं और फिर उन ् हें थैंक ् सगिविंग डिनर के लिए सैंटरपीस पर सजाते हैं. मैं दुनिया को देखने के उनके तरीके को पसंद करता हूँ, क ् योंकि वे इस दुनिया को पहली बार देख रहे हैं. मन में जागरूकता का भाव जगाने का संबंध अपने भीतर उस तीन-वर ् षीय बालक का अनुभव करने से है. क ् योंकि हम सभी किसी समय तीन साल के थे. तीन-वर ् षीय वह बच ् चा अभी भी हमारा ही अंश है. तीन-वर ् षीय वह बच ् चा अभी भी हमारा ही अंश है. वे सब यहीं हैं. और जागरूक होने का तात ् पर ् य यह याद करने में है कि हमने भी हर वस ् तु कभी सबसे पहली बार देखी थी. तो ऐसा कभी पहले हुआ था जब आपने ऑफिस से घर लौटते समय सड़क पर लगातार कई हरी लाइटें पार कीं. ऐसा भी कभी पहली बार ही हुआ जब आप बेकरी के भीतर गए और उसकी नायब गंध ने आपका मन मोह लिया, या ऐसा पहली बार हुआ जब आपको पुरानी जैकेट की जेब में 20 डॉलर का नोट मिल गया और आप चहक उठे, "" मुझे पैसे मिले! "" तीसरी बात है प ् रामाणिकता. इसे बताने के लिए मैं आपको एक कहानी सुनाना चाहूँगा. चलिए हम अतीत में 1932 में जाते हैं जब जॉर ् जिया के एक मूंगफली फ़ार ् म में, रूजवेल ् ट ग ् रीयर नामक एक बालक का जन ् म हुआ. रूजवेल ् ट ग ् रीयर को लोग रोजी ग ् रीयर भी बुलाते थे, वह जब बड ़ ा हुआ तो NFL फुटबाल लीग में 300 पौंड वजनी छः फुट पांच इंच लंबा लाइनब ् रेकर बना. इस फोटो में उसने 76 नंबर की शर ् ट पहनी है. यहाँ इस चित ् र में वह "" चार-खूंखार "" (Fearsome Foursome) में से एक है. ये चारों 1960 के दशक में L.A. Rams में थे जिनसे भिड ़ ना बहुत खतरनाक था. वे फुटबाल के प ् रेमी खिलाड ़ ी थे जिनका शौक था फ ़ ुटबाल के मैदान में कंधों से कंधे मिलाकर लोगों की हड ् डियाँ चटकाना. लेकिन रोजी ग ् रीयर का एक और शौक था, अपने दिल की गहराइयों से, उसे नीडलपॉइंट (बुनाई-कढ ़ ाई) करना पसंद था. उसे बुनाई-कढ़ाई से प ् रेम था. वह कहता था कि उसे इससे शांति मिलती थी, सुकून मिलता था, इसने उसके दिल से उड़ान का डर निकल दिया और हसीनाओं से दोस ् ती करने में मदद की. यह सब उसने ही कहा था. उसे इस सबसे इतना प ् रेम था किNFL से रिटायरमेंट लेने के बाद उसने बुनाई-कढ़ाई क ् लब ज ् वाइन कर लिया. और उसने एक किताब भी लिखी, "" पुरुषों के लिए रोजी ग ् रीयर की नीडलपॉइंट पुस ् तक "" (Rosey Grier 's Needlepoint for Men). (हंसी) (तालियाँ) इस किताब के शानदार कवर पर, यदि आप गौर करें, वह स ् वयं का चेहरा ही काढ ़ रहा है. (हंसी) इस कहानी में मुझे यह पसंद है कि रोज़ी ग ् रीयर असल में बहुत प ् रामाणिक, बहुत जेनुइन आदमी है. और वास ् तविक प ् रामाणिकता ऐसी ही होती है. इसका अर ् थ है कि भीतर से आप जैसे हैं उसमें ख ़ ुशी पायें. और मुझे लगता है कि जब आप प ् रामाणिक होते हैं तब आप अपने दिल की राह पर चलते हैं, और आप उन स ् थानों, परिस ् थितियों, और वार ् तालापों में रूझान लेते हैं जिन ् हें आप पसंद करते हैं और जिनका आप आनंद लेना चाहते हैं. आप उन लोगों से मिलते हैं जिनसे बातें करना आपको अच ् छा लगता है. आप उन जगहों पर जा आते हैं जिनका आप सपना देखते हैं. आप अपने दिल की मानते हैं और संतृप ् त, संतुष ् ट अनुभव करते हैं. यही इन तीन बातों का सार है. समापन से पहले मैं आपको मेरे माता-पिता के कनाडा आगमन के दौरान ले जाना चाहूँगा. मैं नहीं जानता कि बीस साल की उम ् र के दौरान किसी नए देश में जाकर रहने की अनुभूति कैसी होती है. मुझे नहीं मालूम, क ् योंकि मैंने ऐसा कभी नहीं किया. लेकिन मेरी कल ् पना है कि मैं ऐसा बड ़ े खुले नज ़ रिए के साथ करूंगा. मैं कल ् पना करता हूँ कि ऐसे में हमें अपने परिवेश के प ् रति बहुत चौकस रहना पड ़ ता है और इस नयी दुनिया के छोटे-छोटे करिश ् मों का मोल आंकना पड ़ ता है जो हम देखनेवाले हैं. मुझे यह भी लगता है कि हमें बहुत प ् रामाणिक रहना पड ़ ता है, हमें अपने प ् रति ईमानदार रहना पड ़ ता है ताकि हम नए परिवर ् तनों का बेहतरी से सामना कर सकें. मैं अपनी TEDTalk को दस सैकंड के लिए रोकना चाहूँगा क ् योंकि हमें जीवन में यह करने के मौके बार-बार नहीं मिलते, और मेरे माता-पिता पहली पंक ् ति में बैठे हुए हैं. यदि उन ् हें बुरा न लगे, तो मैं चाहता हूँ कि वे खड़े हों. और मैं उन ् हें धन ् यवाद देना चाहता हूँ. (तालियाँ) जब मैं बड ़ ा हो रहा था, मेरे पिता अक ् सर मुझे अपने कनाडा आगमन के पहले दिन के किस ् से सुनाया करते थे. पहले दिन की बातें बताते थे. यह बहुत रोचक कहानी है, क ् योंकि हुआ यह कि वे टोरंटो एयरपोर ् ट पर विमान से उतरे, और एक नौन-प ् रौफिट समूह ने उनका स ् वागत किया, जिसे, मुझे यकीन है, इस कमरे में मौजूद कोई व ् यक ् ति ही चलाता है. (हंसी) और इस नौन-प ् रौफिट समूह ने कनाडा आनेवाले आप ् रवासियों के स ् वागत में एक भोज का आयोजन किया था. और मेरे पिता बताते हैं कि विमान से उतरने के बाद वे सीधे उस भव ् य भोज में पहुंचे. वहां पर ब ् रेड थी, डिल का बारीक अचार, जैतून, और छोटे सफ़ेद प ् याज भी थे. वहां टर ् की और हैम के कोल ् ड-कट रोल थे, भुने हुए बीफ के कोल ् ड-कट रोल, और छोटे-छोटे चीज ़ क ् यूब ् स भी थे. वहां पर टूना सलाद सैंडविच, और एग सलाद सैंडविच थे, और सालमन सलाद सैंडविच भी थे. वहां लाजान ् या था, कैसेरोल थे, ब ् राउनीज़ थीं, बटर टार ् ट ् स थे, पाईज ़ भी थीं, तरह-तरह की पाईज ़ थीं! और जब मेरे पिता मुझे यह बताते हैं, वे कहते हैं, "" मजेदार बात यह थी कि ब ् रेड को छोड़कर मैंने उनमें से कोई भी चीज ़ पहले कभी देखी भी नहीं थी! (हंसी) मुझे पता नहीं था कि कौन सी डिश मीटवाली और कौन सी शाकाहारी थी; मैं जैतून को पाईज ़ के साथ खा रहा था. (हंसी) "मैं यकीन ही नहीं कर सकता था कि वहां इतनी तरह की चीज़ें हो सकतीं थीं!" (हंसी) जब मैं पाच साल का था, तब मेरे पिता मुझे ग ् रॉसरी स ् टोर तक शॉपिंग के लिए लेकर जाते थे. और वे वहां फलों और सब ् जियों पर लगे स ् टीकर ् स को आश ् चर ् य से देखते थे. वे कहते थे, "" देखो, यकीन नहीं होता कि ये आम मैक ् सिको से आये हैं! और ये सेब साउथ अफ ् रीका से यहाँ तक आये हैं. क ् या तुम यकीन कर सकते हो कि ये खजूर मोरक ् को के हैं? "" वे फिर कहते, "" क ् या तुम ् हें पता है कि मोरक ् को कहाँ है? "" और मैं कहता, "" मैं तो सिर ् फ पांच साल का हूँ और मुझे यह भी नहीं पता कि हम कहाँ हैं. क ् या यह A & P स ् टोर है? "" फिर वह कहते, "" मुझे भी नहीं पता कि मोरक ् को कहाँ है, चलो मिलकर ढूंढें "". तो खजूर खरीदकर हम दोनों घर वापस चले गए. और हमने सच में शेल ् फ से एटलस निकाली, और इसमें तबतक ढूंढते रहे जब तक हमें वह रहस ् यमय देश नहीं मिल गया. और जब हमने उसे ढूंढ लिया, तब मेरे पिता ने कहा, "" क ् या तुम यकीन कर सकते हो कि वहां कोई आदमी पेड ़ पर चढ ़ ा, उसने खजूर तोड़े, उन ् हें ट ् रक में रखा, और बंदरगाह तक लेकर आया, फिर वे जहाज में तैरते हुए अटलांटिक सागर के पार आ गए, यहाँ उन ् हें दूसरे ट ् रक में उतारकर हमारे घर के बाहर उस छोटे से ग ् रोसरी स ् टोर तक उन ् हें लाया गया, ताकि वे इसे 25 सेंट ् स में बेच सकें "". और मैंने कहा, "" मुझे यकीन नहीं होता! "" मेरे पिता बोले, "" मुझे भी यकीन नहीं होता! ये बातें कितनी अद ् भुत हैं! खुश रहने के लिए दुनिया में बहुत सी चीज़ें हैं! "" जब मैं ठहरकर इसके बारे में सोचता हूँ तो उन ् हें सही पाता हूँ; यहाँ खुश रहने के लिए बहुत सी चीज़ें हैं. जहाँ तक हम जानते हैं, केवल हम ही पूरे ब ् रह ् माण ् ड में इस पृथ ् वी पर ऐसी प ् रजाति हैं जो इतनी सारी ऐसी चीज़ों का अनुभव कर सकते हैं. मेरा मतलब है, केवल हम ही स ् थापत ् य और कृषि के बारे में जानते हैं. केवल हमें ही आभूषणों और लोकतंत ् र के बारे में पता है. हमारे पास वायुयान हैं, हाइवे लेन हैं, इंटीरियर डिजाइन और राशियों के चिह ् न हैं. हमारे पास फैशन पत ् रिकाएं हैं और घरेलू पार ् टियों के दृश ् य हैं. हम भयानक दैत ् यों वाली डरावनी फ़िल ् में देख सकते हैं. हम शास ् त ् रीय संगीत और धुंआधार गिटार वादन सुन सकते हैं. हमारे पास, किताबें, स ् वल ् पाहार, रेडियो तरंगें, खूबसूरत दुल ् हनें और रोलरकोस ् टर सवारी हैं. हम निर ् मल चादरों पर सो सकते हैं. हम फ़िल ् में देखने जा सकते हैं और अच ् छी सीट पा सकते हैं. हम बेकरी की गंध महसूस कर सकते हैं, बारिश में बाल तर कर सकते हैं, बबल पैक फोड ़ सकते हैं और, चोरी से एक झपकी ले सकते हैं. हमारे पास इतना कुछ है, पर इसका मजा लेने के लिए बमुश ् किल 100 साल ही मिलते हैं. यही बात सबसे बुरी है. ग ् रोसरी स ् टोर पर बैठा कैशियर, फैक ् ट ् री का फोरमैन, हमारी गाड ़ ी से चिपककर चलते ड ् राइवर, भोजन के वक़ ् त फोन करनेवाले कॉल सेंटर कर ् मी, हमें पढ ़ ा चुके हर शिक ् षक, हमारे करीब जागने वाले शख ् स, हर देश के राजनेता, हर फिल ् म के कलाकार, हमारे परिवार का हर व ् यक ् ति, हर व ् यक ् ति जिससे आप प ् यार करते हैं, इस कमरे में मौजूद हर आदमी, और आप 100 सालों के भीतर चल बसेंगे. ज़िंदगी बहुत खूबसूरत है पर हमें इसे मीठा बनानेवाले छोटे-छोटे लम ् हों का लुत ् फ़ उठाने और इसका अनुभव लेने के लिए बहुत कम समय मिलता है. और यही वह समय है, और ये लम ् हें छूटते जा रहे हैं, ये लम ् हे हमेशा, हमेशा, हमेशा, पल भर में बिखर जाते हैं. आप आज जितने जवान फिर कभी नहीं होंगे. इसलिए मेरा विश ् वास है कि यदि जीवन में आप बड ़ ा नजरिया रखकर, आगे बढ ़ ने का तय करके, जिंदगी की हर दुश ् वारियों से लड़कर, अपनी दुनिया में हो रही हलचल की जागरूकता के साथ अपने भीतर के तीन-वर ् षीय बालक को गले से लगायेंगे और अपने प ् रति ईमानदार और प ् रमाणिक रहकर जीने के लिए ज ़ रूरी छोटे-छोटे सुख उठाएंगे, और आप जैसे हैं उसी में ख ़ ुशी तलाशकर, उसे स ् वीकार करके, उन कामों को अंजाम देंगे जिन ् हें दिल से करने में आप भरपूर आनंद पाते हैं, तो मुझे लगता है कि आप परिपूर ् ण और संतुष ् टिदायक जीवन जियेंगे, और मेरी नज़र में ऐसी ज़िंदगी वाकई शानदार और कमाल की होगी. धन ् यवाद. पहली बार मैं आपको सार ् वजनिक तौर यह प ् रयोग दिखा रहा हू | आप वीडियो भेज सकते हैI घर के एल इ डी (LED) लैम ् प सेI एक सोलरसेल तक जो एक लैपटॉप से जुडा और ग ् राहक का काम करता है | इसमे वाई-फाई (wi-fi) का इस ् तेमाल नही है | सिर ् फ प ् रकाश का आपको अचरज होगा मै क ् या कहने जा रहा हू | मैं बताता हू आपको: भविष ् य मे इंटरनेट बहुत बडे पैमाने पर अपने पैर फैलायेगा | डीजिटल विषमता दूर करने. और इंटरनेट के जो साधन है उसे जुडने जिनकी संख ् या करोडो में है | मेरा मानना है, इसका विस ् तार अच ् छे से तभी हो सकता है | जब यह लगाई जाने वाली उर ् जा से मुक ् त होI इसका अर ् थ है कि आज जो व ् यवस ् था है उसका ज ् यादा से ज ् यादा इस ् तेमाल हो I यहां आपको सहाय ् य होता है सोलरसेल तथा LED याने लाईट एमिटीन ् ग डायोड का | इसका प ् रयोग मैने दिखाया है पहली बार | टेड (TED) २०११ मे I जिसे जाना जाता है LI -FI लाय फाय याने लाईट फायडेलिटी. एक विशिष ् ट मानक के LED द ् वारा डाटा शीघ ् र पारेषित होता है I और वो भी सुरक ् षित I डाटा का पारेषण होता है I प ् रकाश की धवलता मे तीव ् र गति से बदलाव करके I हमे अपने इर ् द गिर ् द बहुत से LED दिखाई देते है | जो कि एक बहुत प ् रभावशाली बुनियादी संरचना है लाय फाय पारेषण के लिये | लेकिन अभी हम photo detector का इस ् तेमाल कर रहे है | जो कि ग ् रहण करता है सांकेतिक शब ् दो मे रूपांतरित डाटा | मेरा इरादा है कि मैं आज की संरचना इस ् तेमाल करू | डाटा ग ् रहण करने लाय फाय लाईट से यही कारण है मैं सौरसेल तथा सोलर पैनल का इस ् तेमाल करता हू | सौर सेल प ् रकाश अवशोषित करके उसे विद ् युत उर ् जा में बदल देता है | यही कारण है हम अपने मोबाईल रिचार ् ज करने हेतू सौर सेल प ् रयोग में लाते है | यहा एक बात का ध ् यान रखे इसमे डाटा सांकेतिक रुप से बदला जाता है प ् रकाश की कम ज ् यादा धवलता के रूप मे | जैसे आपाती प ् रकाश की धवलता कम ज ् यादा होगीI उसी तरह सौरसेल कम ज ् यादा विद ् युत उर ् जा निर ् माण करेगा | इसका मतलब हमारे पास एक यंत ् रणा है | जो डाटा ग ् रहण करती है प ् रकाश तथा सौर सेल द ् वारा प ् राप ् त. रोशनी की धवलता में होने वाला बदलाव डाटा से जुडा होता है | यहा एक सवाल है | क ् या हम कई गुना जल ् द रोशनी के बदलाव को ग ् रहण कर सकते है | जैसे की कोई LED पारेषित करता है I इस सवाल का जवाब है हा कर सकते हैI इसकी पुष ् टी प ् रयोगशाला मे हुई है I हम 50 मेगाबाईट प ् रति सेंकड ग ् रहण कर सकते है I एक विशिष ् ट मानक के सौरसेल से ये इतना तेज होगा कि वर ् तमान के सभी ब ् राडबांड को पिछाड देगा I इसका प ् रात ् यक ् षिक दिखाता हूI इस बक ् से मे एक LED LAMP है I यह है एक सौर सेलI जोकि जुडा है इस लैपटॉप से हमारे पास यह दुसरा एक उपकरण है I जो दिखायेगा सौरसेल से मिलने वाली उर ् जा I यह उपकरण अब ही कुछ दर ् शाता हैI इसका कारण है इस पर रोशनी पड रही है | अभी प ् रकाश का स ् त ् रोत बंद करता हू i इसलिए मैं लाईट का बटन बंद करता हू | एक क ् षण लिये | देखो यह उपकरण दाहीने उछला | इस समय सौरसेल उर ् जा पैदा कर रहा है कृत ् रिम प ् रकाश से मैं अगर इसे बंद कर दूं यह कार ् य करना बंद कर देगाI मैं अभी चालू करता हू I हम सौर सेल से उर ् जा का निर ् माण कर सकते है | मुझे अभी दिखाना है संप ् रेषित वीडियो का पारेषण. जोकि मैं इस बटन दबाने से करता हू i देखो यह LED संप ् रेषित वीडियो का पारेषण करता है | रोशनी की धवलता सूक ् ष ् म तरीके से बदल कर यह पारेषण हो रहा है | आपकी आखे इसे नही पहचान पाती | इसलिये कि यह तेज है लेकिन इसे सिद ् ध करने के लिये, मैं सौरसेल का प ् रकाश अवरुद ् ध करता हू | आप देख रहे है उर ् जा निर ् माण बंद ही हो गया और वीडियो भी बंद हुआ | जैसे ही मैं अवरोध दूर करू वीडियो चलने लगेगा | (तालियाँ) मैं फिर इसे दोह ् रराता हू | जैसे हम वीडियो का पारेषण बंद करते है वैसे ही उर ् जा का निर ् माण बंद होता है | यहां सौरसेल एक ग ् राहक याने रिसिव ् हर की तरह काम करता है | कल ् पना करो यह LED एक स ् ट ् रीट लाईट का है और कोहरा है I मैं कृत ् रिम कोहरा बनाता हू I इसके लिये मैं रुमाल का इस ् तेमाल करुंगा (हास ् य) मैं यह रुमाल सौर सेल पर रखता हू आपने देखा उर ् जा निर ् मिती का मान घटा I लेकीन वीडियो चालू है I इसका मतलब है कि कोहरा होते भी रुमाल का अवरोध होते भी पर ् याप ् त रोशनी सौर सेल ग ् रहण कर रहा है I सौरसेल कम रोशनी मे भी वीडियो पारेषित करता है उसे डीकोड करके I यह पारेषण हाय डेफिनेशन वीडियो का किया है इसका महत ् व यह है कि एक सौर सेल रिसिव ् हर बनाया जा सकता है I अति तीव ् र वायरलेस सिग ् नल जोकि इंनकोडेड है I यह करता है अपना मुल कार ् य उर ् जा निर ् मिती का बिना बदले. इसलिये यह हो सकता है I किसी भी झोपडी के छत का LED लैम ् प इस ् तेमाल करके हा उसे broadband receiver बना सकते है हम इस ् तेमाल कर सकते है पर ् वत के ऊँचे स ् थित लैम ् प, अथवा लैम ् प पोस ् ट यह मायने नही रखता प ् रकाश कहा से मिलता है यह भी काम करेगा यदि आप खिडकी पर लगे सौरसेल इस ् तेमाल करे I रास ् ते पर लगे सौर सेल भी प ् रयोग में लाये जा सकते हैI करोडो साधनो मे सौरसेल होते है उन ् हे भी हम प ् रयोग में ला सकते है I ज ् योकी एक विशाल नेटवर ् क बन सकता है कारण है हमे इनको बारबार प ् रभारित करना पसंद नही आता I कुछ दिन बाद बैटरी (BATTERY) बदलना भी नही भाता I जैसे मैं ने आपको बताया प ् रारंभ मे प ् रात ् यक ् षिक पहली बार सार ् वजनिक कर रहा हू I यह प ् रयोगशाला में हो रहा है I यह प ् राथमिक स ् तिथि मे है मैं और मेरे टीम को विश ् वास है हम इसे बाजार में जल ् दी ले आयेंगे I यह दो या तीन साल मे हम हासील करेंगे I जिससे हम गरीब अमीर के बीच के तंत ् रज ् ञान की खाई कम करने हमारा योगदान देंगेI हमारा योगदान रहेगा करोडो इंटरनेट साधनो को जुडने वास ् ते यह साध ् य होता है बिना उर ् जा खपत का महा विस ् फोट किये — सौर सेल के कारण बिलकुल विपरीत शुक ् रियाI (तालीया) टायलर डीवर: इस समय मुझे यह लग रहा है कि सभी वक ् तागण वह सब कह चुके हैं जो मैं वास ् तव में कहना चाहता था. (सब हंसते हैं) और अब मेरे लिए यही बचा रह गया है कि मैं आप सभी को आपकी सहृदयता के लिए धन ् यवाद दूं. TD: लेकिन आपकी उदारता और उसके महत ् व का मान रखने के लिए मैं आप सभी से स ् वयं का एक छोटा सा किस ् सा बांटना चाहता हूं. TD: जब मैं बहुत छोटा था तभी से मुझे बहुत से उत ् तरदायित ् व दिए गए, और जब मैं बड ़ ा हुआ तब मुझे यह लगने लगा कि मेरे लिए हर चीज नियत कर दी गई थी. मुझसे संबंधित सभी योजनाएं बनाई जा चुकी थीं. मुझे आवश ् यक वस ् त ् रादि दे दिए गए थे और मुझे बताया गया कि मुझे कहां उपस ् थित रहना है, इन बहुत मूल ् यवान और पवित ् र प ् रतीत होनेवाले वस ् त ् रों के साथ एक समझ भी विकसित हो गई थी कि यह सब निस ् संदेह बहुत पवित ् र और महत ् वपूर ् ण था. TD: लेकिन इस प ् रकार की औपचारिक जीवनशैली को अपनाने से पहले मैं पूर ् वी तिब ् बत में अपने परिवार के साथ रहता था. और जब मैं सात साल का था तभी अचानक मेरे घर में एक खोजी दल का आगमन हुआ. वे अगले करमापा की खोज कर रहे थे और मैंने यह देखा कि वे मेरे माता-पिता से बात कर रहे थे, और फिर मुझे यह पता चला कि वे कह रहे थे कि मैं ही करमापा हूं. और इन दिनों लोग मुझसे बार-बार पूछते हैं कि मुझे उस समय कैसा लगा. और यह कि मुझे कैसा लगा जब वे आए, मुझे ले गए, और मेरा जीवन हमेशा के लिए बदल गया. ऐेसे में मैं जो कुछ उनसे ज ् यादातर कहता हूं, वह ये है कि उस समय यह सब मेरे लिए बहुत रोचक था. मुझे यह लगा कि ये सब बहुत मजेदार होगा और यह कि मुझे खेलने के लिए बहुत सारी चीजें मिलेंगीं. (हंसी) TD: लेकिन यह सब उतना मनोरंजक या रोचक नहीं था जितने की मैंने कल ् पना की थी. मुझे बड ़ े कठोर नियंत ् रण के वातावरण में रखा गया. और तत ् काल ही मुझपर मेरी शिक ् षा संबंधी और अन ् य जिम ् मेदारियां मुझपर डाल दीं गईं. मैं अपने माता-पिता सभी परिजनों से दूर हो गया. मेरा कोई मित ् र भी नहीं था जिसके साथ मैं समय बिताता, और मुझे कई प ् रकार के दायित ् व निभाने पड ़ ते थे. इस प ् रकार मैंने करमापा बनकर आरामदायक जीवन व ् यतीत करने की जो कल ् पना की थी वह सच साबित नहीं हुई. मुझे यह लगता रहता था कि मुझे एक मूर ् ति की भांति आदर दिया जा रहा है और मैं मूर ् तिवत ही एक स ् थान पर बैठा रहता था. उस पर भी, मुझे यह लगता था कि हांलांकि मैं अपने परिवार और प ् रियजनों से दूर हो गया था — और... खैर, अब तो मैं और अधिक दूर हो गया हूं. जब मैं 14 साल का था तब मैं तिब ् बत से निकला और अपने माता-पिता, सगे-संबंधियों, मित ् रों और मातृभूमि से और अधिक दूर हो गया. फिर भी, अब मेरे हृदय में विस ् थापित होने का भाव घनीभूत नहीं है, क ् योंकि मैं इन व ् यक ् तियों के प ् रति प ् रेम का अनुभव करता हूं. मेरे मन में, इन सभी व ् यक ् तियों और अपनी मातृभूमि के लिए बहुत गहरा प ् रेम है. TD: और मैं अभी भी अपने माता-पिता से संपर ् क बनाए रखता हूं, हांलांकि यह कम हो गया है. अपनी मां से मैं लंबे अंतराल में एक बार टेलीफ ़ ोन पर बात कर लेता हूं. और इस विषय पर मेरा अनुभव यह है कि जब मैं उनसे बात करता हूं तब हर गुज ़ रते पल के साथ हमारी बातचीत के दौरान हमें एक-दूसरे से जोड ़ नेवाला प ् रेम हमें और अधिक समीप ले आता है. TD: तो ये कुछ बातें थीं मेरी पृष ् ठभूमि के बारे में. और कुछ दूसरी बातें जो मैं आप सभी से बांटना चाहता हूं, वे कुछ विचार हैं, मेरे विचार से यह बहुत अच ् छा अवसर है कि यहां विभिन ् न स ् थानों और पृष ् ठभूमि के लोग एक साथ बैठकर अपने विचार साझा कर रहे हैं और एक-दूसरे से मित ् रता स ् थापित कर रहे हैं. और मुझे यह उसका प ् रतीक लग रहा है जो हम, सामान ् यतः विश ् व में अनुभव कर रहे हैं कि यह विश ् व छोटा, और छोटा होतो जो रहा है और विश ् व के समस ् त नागरिकों को संपर ् क के अच ् छे अवसर मिल रहे हैं. यह बहुत अच ् छी बात है, पर हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हमारे भीतर भी ऐसी ही प ् रक ् रिया का प ् रारंभ होना चाहिए. बाहरी विकास और बढ ़ ते हुए अवसरों के साथ भीतरी विकास भी होना चाहिए और बाहरी संबंध पनपने के साथ-साथ हृदय के संबंध भी गहरे होने चाहिए. इस सप ् ताह हमने डिजाइन के बारे में सुना और बातें की हैं. मुझे लगता है कि यह बहुत महत ् वपूर ् ण है कि हमें यह याद रखें कि हमें हृदय की योजना का विकास करने के लिए और आगे प ् रयास और उद ् यम करते रहें. इस सप ् ताह हमने तकनीक के बारे में बहुत कुछ सुना और हमें इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए कि हम अपनी ऊर ् जा का अधिकाधिक उपयोग अपने हृदय की तकनीक के संवर ् धन में लगाएं. TD: तो, हांलांकि मैं कुछ प ् रसन ् न हूं कि दुनिया भर में आश ् चर ् यजनक विकास हो रहा है फिर भी मुझे लगता है कि जब कभी भी हम हृदय-से-हृदय या मन-से-मन के स ् तर पर एक-दूसरे से जुड ़ ना चाहते हैं तो हमारे सम ् मुख बाधाएं आ जातीं हैं. मुझे लगता है कि कुछ चीजें हैं जो हमें ऐसा करने से रोक देतीं हैं. TD: हृदय-से-हृदय के संपर ् क या मन-से-मन के स ् तर के संपर ् क की संकल ् पनाओं से मेरे संबंध बहुत रोचक हैं क ् योंकि आध ् यात ् मिक नेता के रूप मे मैं सदैव प ् रयास करता हूं कि मैं अपने हृदय में दूसरों को स ् थान दूं हृदय-से-हृदय के या मन-से-मन के स ् तर के संपर ् कों को विकसित करने के लिए स ् वयं को शुद ् ध मन से दूसरों के हांथों में सौंप दूं लेकिन उसी समय मुझे यह भी लगता है कि मैं इस बात पर ज ़ ोर दूं कि हृदय-से-हृदय के संपर ् क के ऊपर मैं बुद ् धि की महत ् ता को दर ् शाऊं क ् योंकि मेरी जैसी स ् थिति में होने के कारण यदि मैं बोध पर मुख ् य रूप से विश ् वास नहीं करूंगा तो मेरे साथ कुछ विपत ् तिकारक भी हो सकता है. इस प ् रकार इन सभी बातों में रोचक विरोधाभास हैं. लेकिन एक बार मुझे बहुत अद ् भुत अनुभव हुआ, जब अफगानिस ् तान से एक दल मुझसे मिलने के लिए आया और हमारे बीच बहुत अच ् छी बातचीत हुई. हमने बामियान की बुद ् ध प ् रतिमाओं की बात भी की जिनके बारे में आप जानते हैं कि उन ् हें कुछ वर ् षों पहले अफगानिस ् तान में ध ् वस ् त कर दिया गया था. लेकिन हमारी बातचीत का मूल बिंदु मुस ् लिम और बौद ् ध परम ् पराओं में आध ् यात ् मिकता के प ् रति भिन ् न मान ् यताओं पर केन ् द ् रित था. आप जानते हैं कि मूर ् तिपूजा के सम ् बन ् ध में इस ् लाम में काया और दैवीयता का चित ् रण एवं मुक ् ति का स ् वरूप उस प ् रकार नहीं मिलता है जैसा यह बौद ् ध परम ् परा में है जहां बुद ् ध की अनेक प ् रतिमाओं की ईश ् वरतुल ् य जानकार पूजा की जाती है और अपार आदर किया जाता है. इस तरह हमने इन परम ् पराओं के मध ् य स ् थित अंतर पर चर ् चा की हमारे ऊपर बामियान की प ् रतिमाओं को धवस ् त करने की त ् रासदी का कैसा प ् रभाव पड ़ ा. पर मैंने यह सुझाव भी दिया कि हम इसे भी सकारात ् मक रूप से देख सकते हैं. हमने बामियान के बुद ् धों के ध ् वंसन को पदार ् थ के अवक ् षय के रूप में देखा, जैसे कुछ ठोस पदार ् थ ऊपर से गिरकर बिखर गया. शायद इससे मिलती-जुलती बात हम बर ् लिन की दीवार के टूटने में भी देख सकते हैं जहाँ दो प ् रकार के व ् यक ् तियों को एक-दूसरे से अलग रखनेवाली दीवार गिर गयी और इस घटना ने सम ् पर ् क और सम ् बन ् ध विकसित करने का नया मार ् ग दिया. तो मुझे लगता है कि इस प ् रकार यह सदैव संभव है कि हम किसी सकारात ् मक स ् तर पर आ जाएँ जिससे हम एक-दूसरे को बेहतर समझ सकें. TD: विकास के संदर ् भ में इस कांफ ् रेंस में हम सभी जिसकी बात कर रहे हैं, मुझे यह लगता है कि इससे जो भी विकास हो वह हमारे ऊपर कोई बोझ न डाले बल ् कि हमारी मूलभूत जीवनशैली में सुधार लाये ताकि हम सभी विश ् व में बेहतर तरीके से जी सकें. TD: यह सत ् य है कि मैं इस महान देश भारत की पवित ् र भूमि के उत ् थान और विकास से बहुत प ् रसन ् न हूँ पर उसी समय मैं यह भी सोचता हूँ कि हम लोगों में से कुछ यह जानते हैं कि हमें जागरूक होना चाहिए क ् योंकि हम इस विकास के कुछ पहलुओं की उस रूप मे बड़ी भारी कीमत चुका रहे हैं जिससे हमारे विकास करने पर प ् रश ् नचिह ् न लगने लगे हैं. जैसे-जैसे हम वृक ् ष के ऊपर चढ ़ रहे हैं तब वृक ् ष पर आरोहण की प ् रक ् रिया में हम वे काम कर रहे हैं जिनसे इस वृक ् ष की जड ़ ही नष ् ट हो रही है. ऐसे में, मुझे यह लगता है कि हमें न केवल इसका बोध होना चाहिए बल ् कि हमें ध ् यानपूर ् वक अपनी प ् रेरणा को इसपर केन ् द ् रित करना चाहिए ताकि इसके वास ् तविक शुद ् ध एवं सकारात ् मक परिणाम आयें. इस सप ् ताह हमने यहाँ सुना है कि विश ् व में असंख ् य महिलायें दिन-प ् रतिदिन घोर कष ् टप ् रद जीवन जी रही हैं. इस बात की जानकारी हमें है पर अक ् सर यह होता है कि हम इसपर ध ् यान ही नहीं देना चाहते. हम इस बात का मौक़ा ही नहीं देते कि यह चीज ़ हमारे ह ् रदय पर कुछ प ् रभाव डाले. मुझे लगता है कि — दुनिया यह कर सकती है जिससे हमारे बाहरी विकास का हमारी खुशियों से सीधा तालमेल हो — - इसका उपाय यह है कि हम इन जानकारियों से अपने ह ् रदय को द ् रवित होने दें. TD: मुझे लगता है कि हमारे बेहतर भविष ् य के लिए या मनुष ् य होने के सुखद अहसास के लिए परिशुद ् ध प ् रेरणा बहुत आवश ् यक है, और मैं सोचता हूँ कि इसके लिए हमें अपने समस ् त कार ् यों को भली प ् रकार करना चाहिए. विश ् व के कल ् याण के लिए आप जो भी कार ् य करें, उसमें आप अपना समस ् त दें, और उसका पूरा आनंद लें. TD: तो, इस पूरे सप ् ताह हम यहाँ रहे हैं, हमने सम ् मिलित होकर लाखों श ् वास लीं हैं, पर शायद हमने अपने जीवन में किसी परिवर ् तन का अनुभव नहीं किया है, या शायद हमने सूक ् ष ् म परिवर ् तनों को अनदेखा कर दिया है. और मुझे लगता है कि कभी-कभी हम अपनी प ् रसन ् नता की विराट संकल ् पनाएँ और धारणाएं बना लेते हैं, पर यदि हम ध ् यान से देखें, तो हम पाएंगे कि हमारी हर श ् वास में आनंद और प ् रसन ् नता के सूक ् ष ् म प ् रतीक तत ् व हैं. TD: यहाँ आमंत ् रित आप सभी आगंतुक बहुत मेधावी हैं, और इस विश ् व को बहुत कुछ दे सकते हैं, मेरे विचार से समापन के समीप हम यह कहना उचित होगा कि एक क ् षण के लिए हम सोचें कि हम कितने भाग ् यवान हैं कि हम सभी ने इस प ् रकार यहाँ एकत ् र होकर अपने विचारों का आदान-प ् रदान किया और अपने भीतर विशाल महत ् वाकांक ् षा और प ् रेरणा का अर ् जन किया कि हम इस कांफ ् रेंस से कुछ अच ् छी बातें जैसे ऊर ् जा, आवेग, सकारात ् मकता लेकर जायेंगे और उसे दुनिया भर में बोएंगे और प ् रसारित करेंगे. परमपावन करमापा: कल मेरा व ् याख ् यान है. TD: लक ् ष ् मी ने व ् याख ् यानमाला का आयोजन और बहुत सारे काम यहाँ तक कि मुझे यहाँ आमंत ् रित करने के लिए भी बड़ी मेहनत की है और मैं कभी-कभी थोड ़ ा-बहुत अनिच ् छुक था, और इस पूरे सप ् ताह बहुत नर ् वस भी रहा. मैं अनमना सा रहता था और मुझे चक ् कर भी आते थे, लोग मुझसे इसका कारण पूछते थे. मैं उनसे कहता था 'क ् योंकि कल मेरा व ् याख ् यान है'. इस प ् रकार लक ् ष ् मी को मेरी इन बातों से निपटना पड ़ ा पर मैं उसका बहुत आभारी हूँ कि उसने मुझे यहाँ उपस ् थित रहने का अवसर दिया. और आप सभी को भी मेरा बहुत-बहुत धन ् यवाद. (तालियाँ) परमपावन करमापा: धन ् यवाद. (तालियाँ) अप ् रत ् याशित वस ् तुवोँ से बनाती हूँ | मुझे अपने दैनिक जीवन के समस ् याओँ से प ् रेरणा मिलती है | उदाहरण के लिये, एक बार मुझे एक हास ् य सम ् मेलन के लिए जाने के लिये एक पोशाक चाहिये था लेकिन मै ज ् यादा पैसा खर ् च करना नही चाहती थी, इस लिये मै ने एक प ् रकाश मुकुट और स ् कर ् ट के साथ खुद बनाया | (हसी) अगली बार, मै हताश हुई क ् योँ कि मेरी पसंदीदा मोबाईल खेल फ ् लॅप ् पी बर ् ड को, आप स ् टोर मे से निकाला गया | (हसी) इसलिये मै दुविधा मे पड गयी कि या तो मै कभी भी अपनी फोन को अपडेट नही करू या कभी भी फ ् लॅपी बर ् ड नही खेलू | (हसी) दोनो विकल ् प से दुखी, मै ने वोही किया जो मुझे अच ् छा लगा | मैं ने फ ् लॅप ् पी बर ् ड का एक भौतिक रूपांतर बनाया जिस को आप स ् टोर मे से कभी भी निकाला नही सकता | (हसी) (संगीत) (बीपिंग) (संगीत) (हसी) मेरे कुछ दोस ् त भी इस खेल के आदी हो गये, और मै ने उन को भी खेल ने के लिये आमंत ् रित किया | (व ् हीडिओ) दोस ् त: आह! (हसी) (व ् हीडिओ) दोस ् त: क ् या है? (हसी) और उन ् होने मुझे बताया कि ये भी पहले खेल जितना ही चिड ् चिडानेवाला है | (हसी) इसलिये मै ने इस परियोजना का एक डेमो आंलैन अपलोड किया, और मुझे आश ् चर ् य करते हुये ये वायरल हो गया | उसे कुछ ही दिनो मे दो मिलियन लोगोने देखा | (हसी) और ज ् यादा दिलचस ् प बात लोगो ने की हुई व ् याख ् या थी | बहुत सारे लोग इसे अपनाना चाहते थे, या ये कैसे बनाये जानना चाहते थे | इसलिये इससे मुझे मेरे योजना रचनात ् मक परियोजना के द ् वारा इंजिनीरिंग पढा सकते हैँ को पुष ् टि मिली है | वैरल वीडियो से बनाया पैसोँ से, हम अपने सारे विद ् यार ् थियोँ को अपने खेल बनाकर खुदका गेम बोक ् स में तैयार ने क र सकते हैँ | हालाकि ये बहुत ही चुनौतीभरा है, वे इंजिनीरिंग और प ् रोग ् रामिंग मे बहुत सारे नये सिद ् धांत सीख गये | और वे सारे सीखने के लिये उत ् सुक थे ता कि वे अपने खेल को भी पूरे कर सके | (हसी) तो फ ् लप ् पी बिर ् ड बक ् सा के पहले, मुझे रचनात ् मक इंजिनीरिंग प ् राजेक ् ट ् स से छात ् रो को पढाने की योजना थी | जब मै माध ् यमिक पाठशाला मे पडाती थी, हम ने अपने छात ् रोँ से एक मानक प ् रौद ् योगिकी किट द ् वारा एक रोबो को बनाने के लिये कहा | और मै ने देखा उनमेसे से बहुत सारे उदास लग रहे थे | फिर उनमे से कुछ लोग कागज के टुकडे लेना शुरू कर दिये और रोबोटस को सजा दिये | और फिर उनमे से अधिक इसमे आ गये, और वे इस प ् राजेक ् ट मे दिलचस ् पी दिखाने लगे | इसलिये मै ने छात ् रोँ को टेक ् नालजी परिचय कराने के लिये ज ् यादा रचनात ् मक तरीके ढूँढना शुरू किया | मै ने देखा कि ज ् यादातर प ् रौद ् योगिकी किट ् स जो पाठशाला मे उपलब ् ध हैँ वे थोडा डरा देते हैँ | वे पूरे प ् लास ् टिक भागोँ से बने हैँ जिन को आप कस ् टमाइज ़ नही कर सकते | उसके ऊपर वे बहुत ही मेहंगे हैँ, हर किट सैकड ़ ों डॉलर की खरीद होती । इसलिये ये ज ् यादातर क ् लास बजट के लिये महेंगे साबित होते थे | क ् योँ कि मुझे कुछ न मिलनेपर, मैँ अपने आप कुछ बनाने के लिये सोचा | मै ने कागज और कपडे से कुछ बनाना शुरू किया | आखिरकार जब से हम बच ् चे थे तब से हम सब ने उससे खेला था, और वे बहुत सस ् ते भी हैँ और घर मे किसी कोने मे भी पाया जा सकते हैँ | और मै ने एक प ् राजेक ् ट का एक मूल रूप बनाया जहा छात ् रा कपडा और गुगली ऐस इस ् तेमाल करके एक लैट-अप क ् रीचर बना सकते हैँ | वे सब क ् लस ् रूम मे एक दूसरे के मदद कर रहे थे, और हस रहे थे और प ् राजेक ् ट का चर ् चा कर रहे थे | और सब से महत ् वपूर ् ण बात, वे प ् राजेक ् ट मे अपनी रचनात ् मकता डाल सकते थे | इसलिये इस प ् राजेक ् ट की सफलता के वजह से, मै ने मेरे छात ् रा को चुनौती देने के लिये और इंजिनीरिंग प ् राजेक ् ट ् स का आविष ् कार करना शुरू किया | और मै ने इन वर ् कशॉप को पाठशाला के बाहर समाज के अंदर शुरू कर दिये | और कुछ बहुत ही दिल ् चस ् प बाते हुई | मै ने देखा कि विविध भूमिका से बहुत सारे लोग हमारे वर ् कशॉप मे आने लगे | और विशेष रूप से, मेरे उम ् मेद से कही ज ् यादा औरत और अल ् पसंख ् यक थे, और ये आप आम तौर पर एक परंपरागत इंजिनीरिंग वर ् क षाप मे नही देखते | अब एक बार ये एक प ् रमुख प ् रौद ् योगिकी कंपनी की २०१६ कर ् मचारी रिपोर ् ट पर एक नज़र डालिये | प ् रौद ् योगिकी कार ् यबल मे औरत सिर ् फ १९ प ् रतिशत हैँ | और कम प ् रतिनिधित ् व की अल ् पसंख ् याक सिर ् फ चार प ् रतिशत हैँ | ये आंकडा अगर आप एक हैस ् कूल रोबोटिक ् स क ् लब, या एक कालेज इंजिनीरिंग क ् लास मे जायेंगे तो शायद परिचित लग सकता है | अब, यहाँ प ् रौद ् योगिकी बल में विविधता की कमी के योगदान मे कयी तरीके की समस ् यावोँ के हाथ होती हैँ । शायद एक समाधन छात ् रावोँ को प ् रद ् योगी का परिचय कराना हो सकता है | मै ये नही कह रही हू कि ये सब कुछ हल हो सकता है, लेकिन ये इसके पहले जिन को प ् रद ् योगी का परिचय मे मूलतः रुचि नही है उनको परिचय करवाएगा क ् योँ कि इसको पाठशाला मे चित ् रित और पढाया जाता है | तो हम कैसे प ् राद ् योगी का धारणा को बदलेंगे? ज ् यादतर छात ् रा इसे उबाऊ या अनवेलकमिंग सोचते हैँ | इसलिये मै ने हमेशा तीन सिद ् धान ् तोँ के अनुसार परियोजनाओँ को डिजैन किया | पहला है एक निचला फ ् लोर होना, और इसका मतलब प ् राजेक ् ट को आरम ् भ करना आसान है | तो इस ट ् युटोरियल को एक बार देखिये | पहला प ् राजेक ् ट हम छात ् रोँ को सीखने को बोला सार ् क ् यूट कागज पर बनाना | जैसे आप देख सकते हैँ, ये सीखना ज ् यादा देर नही लेता, और ये शुरुवाती के लिये भी बहुत आसान है | और लो फ ् लोर का मतलब कि हम वर ् तीय बाधा भी निकाल रहे हैँ जो लोगोँ को एक प ् राजेक ् ट खतम करने से रोकता है | इसलिये कागज, ताम ् बे की टेप, लाईट बल ् ब और एक बाटरी के साथ लोग एक डालर के अंदर अपना प ् राजेक ् ट खतम कर सकते हैँ | तो दूसरी सिद ् धांत एक है सीलिंग होना है | इसका मतलब है इसमे विकसित होने के लिये बहुत क ् षेत ् र होगा, और चात ् राओँ को लगातार चुनौती मिलेगी | पहले ये शायद एक सिर ् फ प ् रकाशित प ् राणी है, लेकिन फिर आप सेंसर ् स और मैक ् रोकंट ् रोलर ् स जोड सकते हैँ, और उस प ् राणी को अपने पर ् यावरण के साथ बातचीत करने के लिये योजना बना सकते हैँ | (हसी) और आखरी मे, तीसरा सिद ् धान ् त है अनुकूलन | इसका मतलब है हम इस प ् राजेक ् ट को किसी के लिये भी अनुरूप कर सकते हैँ | रोजमर ् रा सामग ् री का उपयोग करने का यही खूबसूरती है; कागज और कपडा इस ् तेमाल करके अनुकूलित करना आसान है | इसलिये अगर आप फ ् लापी बर ् ड पसंद नही करते फिर भी, आप अपना खुद का गेम बना सकते हैँ | (वीडियो) छात ् रा: तो हमारा खेल जस ् टिन बीबर के बारे मे है, क ् योँ कि वह तेज हो रहा है, और यहा लक ् ष ् य है उसको LAPD द ् वारा पकडा जाने से रोकना- (हसी) (व ् हीडिओ) छात ् रा: जी हाँँ, पर वह बदल रहा है — इसलिये हम इसके दल के हिस ् सा है | (हसी) शुक ् रिया | (तालिया) (संगीत) (संगीत) (तालियाँ) (तालियाँ) पिछले कुछ महीनों के लिए मै कई सप ् ताह तक प ् रवास कर रही थी ।. पेरे पास कपडे की एक ही बैंग थी । मुझे एक दिन किसी खास समारोह में जाना था । मुझे उसके लिए कुछ नया और खास पहनना था । मैने मेरा बैग देखा मुझे कोई खास पहनावा नजर नही आया । मेरा भाग ् य था मैं मुझे तंत ् रज ् ञान की उस सभा मे शिरकत करनी थी । मैने थ ् री डी प ् रिंटर चलाये थे । मैने कंप ् यूटर पर एक स ् कर ् ट डिज़ाइन किया । मैने उसे प ् रिंटरप ् रर लोड किया । एक ही रात में उसके टूकडे प ् रिंट हुए । दुसरे दिन मैने उन ् हे जमा किया । और मेरे हॉटेल रूम मे ही जोड दिये । वही स ् कर ् ट मैने आज पहना है । (तालियाँ) यह कोई पहला वाक ् या नही था । मैने उन ् हे बनाया था फैशन डिज़ाइन स ् कूल के लिये । मैने घर से ही थ ् री डी प ् रिंटर का इस ् तेमाल फैशन कलेक ् शन के लिये किया । लेकीन समस ् या यह थी मुझे थ ् री डी प ् रिंटींग की जानकारी नही थी । मेरे पास नौ महीने का समय था पाच फैशन के नमुने प ् रिंट करने के लिए । मुझे घर से नवनिर ् माण का काम करना प ् रेरणादायी लगता है । कुछ नया बनाने का प ् रयास करना भाता था । मैं हमेशा नये तंत ् र विकसित करना चाहती हू । मुझे अनोखे फैशन के कपडे बनाने मे मजा आता है । पुराने कारखाने, अनोखे किस ् म के दुकान मैं जाती हू । जहाँ से मैं लाती हू कुछ खास चीजे पौडर तथा अनोखे कपडे । जिसे मैं घर लाकर प ् रयोग के काम मे लाती हू । आप शायद सोचोगे । मेरी रूम पार ् टनर को ये सब अच ् छा न लगे । (हंसी) मैने तय किया मैं किसी बडी मशीन इस ् तेमाल करू । लेकीन वो मेरे घर मे नही समा सकती । मुझे पसंद है सटीक और दस ् तूर से काम करना । फैशन प ् रौद ् योगिकियों के सभी प ् रकार के साथ । बुनाई मशीनों की तरह और लेजर कटिंग और रेशम मुद ् रण । गर ् मी के दिनो, एक इंटर ् नशिप के लिए मैं यहाँ न ् यूयॉर ् क आयी थी । चाइनाटाउन में एक फैशन हाउस पर । हमने दो अनोखे कपड ़ े पर काम किया ज ् यो कि 3 डी मुद ् रित किये थे । वे जबरदस ् त थे — जैसे आप यहां देख सकते हैं । लेकिन उनके साथ कुछ समस ् या थी । वे प ् लास ् टिक से बने थे और यही कारण है कि वे बहुत ही नाज ़ ुक थे हमारी अपेक ् षाकृत ठीक नही थे । उनमे खरोंच मिला उनकी बाहों के नीचे प ् लास ् टिक से । डी प ् रिंटिंग से, डिजाइनरों को इतनी आजादी थी । कपड ़ े बनाने के लिए जो वास ् तव में उनकी अपेक ् षाकृत हो । लेकिन फिर भी, वे बहुत ही निर ् भर थे बड ़ ी और महंगी औद ् योगिक प ् रिंटर पर । यह उनकी जगह से काफी दूर थे । गत साल में मेरे एक दोस ् त ने मुझे थ ् री डी से प ् रिंट किया एक नेकलेस दिया । उसने उसे घर के प ् रिंटर से प ् रिंट किया था । मुझे पता है ऐसे प ् रिंटर काफी सस ् ते होते है । मेरे प ् रशिक ् षण दौरान इस ् तेमाल किये हुये प ् रिंटर से अधिक अच ् छे है । मैने नेकलेस देखा । सोचा "" क ् यू नही ऐसे नेकलेस घर मे ही प ् रिंट करू । क ् या मैं मेरे कपडे घर से प ् रिंट कर सकती हू "" । मुझे फिर बाज़ार मे भी जाने की जरुरत ही नही पडेगी । और वो चुनने की जो कोई और बेचना चाहता हैं मैं खुद उनकी डिज़ाइन तैयार करूंगी और घर से ही प ् रिंट करूंगी । मैने छोटी सी जगह चून ली । जहा मैं 3 डी प ् रिंटींग सिखी थी ।. उन ् होने मुझे उस जगह पर पुरा नियंत ् रण दिया था । जिससे मुझे रातभर काम करने में भी सुविधा मिली । मेरे सामने समस ् या थी प ् रिंटींग के लिये इस ् तेमाल किये जानेवाले फिलामेंट की क ् या होता है फिलामेंट? यह एक प ् रिंटर मे डाला जानेवाला पदार ् थ होता है. । प ् रिंटर लोडेड अप ् लिकेशन PLA पर एक माह संशोधन करती रही । यह एक कठीन और खरोच वाला पदार ् थ होता है फिलामेंट का मुझे जब पता चला तो मेरी समस ् या आसान हुई । जो एक नये किस ् म का फिलामेंट था । वह मजबूत तथा लचीला था । उससे ही मैं मेरा पहला पोशाक तैयार कर सकी । वाह एक लाल रंग का जाकीट था उसपर लिखा गाय "" Liberate "" मतलब फ ् रेंचमे "" आझादी "" यह उसमे अंकित था । मैने ही उस शब ् द का प ् रयोग किया शक ् तिमान तथा आज़ाद होने पर । मुझे आज़ादी मिली थी घर से ही काम करने की । ड ् रेस प ् रिंट करने की । आप खुद भी यह जाकीट डाउनलोड कर सकोगे । आप भी और कुछ नया कर सकोगे । जैसे कि आप अपनी प ् रियतमा का नाम उसपर अंकित कर सकते हो । (हसी) हालाकी प ् रिंटर की प ् लेट छोटी थी । इसलिये मुझे पोशाक को एक पहेली की तरह जोड़ना पडा । दुसरी एक समस ् या दूर करना मैंने तय किया । उसपर डिज़ाइन प ् रिंट करना था । ताकि मैं उसे नियमित पहन सकू । मुझे एक ओपन सोर ् स फाईल मिली । जिसे मैं बहुत पसंद करती थी । जिससे मैं बहुती सुंदर कपड़ा बना सकने समर ् थ हुई । उसे मैं नियमित रूप से पहन सकू । वह एक लेस की तरह थी. मैंने उस फाईल को देखा .मैने उसे अनेक बार बदल कर देखा । उसकी अलग अलग प ् रतियाँ बनाई. मुझे उसे प ् रिंट करने 1500 ज ् यादा घंटे काम करना था ।. जिससे कि मैं मेरा सारा संग ् रह प ् रिंट कर सकू । मैने घर के लिये छह प ् रिंटर खरीद लिये रातदिन काम शुरू किया । फिर भी यह मंद गति से काम चल रहा था । लेकीन याद करे, बीस साल पहले इंटरनेट बहुत कम गति से चलता था । आज का थ ् री डी प ् रिंटर जल ् द गति से काम करता है ।. बहुत ही कम समय में आप अपना टी शर ् ट प ् रिंट कर सकते है । कुछ ही घंटों मे या मिनटों मे । देखो दोस ् तो, ऐसा दिखाई देता है । श ् रोता: हां बिलकुल! (तालियाँ) दानित पेलेग: रेबेका ने मेरे पाच पहनावे मे से एक पहना है । उसका पूरा पोशाक मैंने घर से प ् रिंट किया है । उसके जुते भी । श ् रोता: बढ़िया! श ् रोता: बहुत अच ् छा! (तालियाँ) दानित पेलेग: शुक ् रिया रिबेका. और शुक ् रिया आप सब श ् रोतागण का । मुझे लगता है भविष ् य में ऐसा पदार ् थ खोजा जायेगा । जिसे इस ् तेमाल करके आप आज जैसा पहनावा बना सकते है । जैसे कपास या सिल ् क से बनाये जाते है । कल ् पना करो हर एक के लिये उसके मुताबिक पहनावा बनाने के बारे मे । संगीत एक जमाने एक वस ् तू होती थी. जिसे आप सीडी के दुकान से खरीद लाते । लेकीन आज आप उसे उतारते है । डीजीटल हुआ है संगीत । मोबाईल मे उतार सकते है । फैशन भी एक वस ् तू है. मुझे आश ् चर ् य होता है, पुरा जग कैसे दिखाई देगा । जब हम ऐसे डिजिटल पोशाक पहनेंगे । इस स ् कर ् ट की तरह | शुक ् रिया (तालियाँ) शुक ् रिया (तालियाँ) अक ् टूबर २०१० की बात है, अमरीकी न ् यायपालिका जुडेगी 'द ९९' से । तमाम सुपरहीरो जैसे कि बैटमैन, सुपरमैन, वंडर वुमन, और उनके बाकी साथी दूसरे सुपरहीरो जैसे कि जब ् बर, नूरा, जामी और बाकी साथियों से जुडेंगे । ये कहानी है अंतर ् सांस ् कृतिक आदान-प ् रदान की । और उन से बेहतर लोग क ् या मिलेंगे इस बारे में बात करने के लिये, जो कि खुद फ़ासिस ् टों से लडाई कर के आगे आये हैं अपने अपने इतिहासों और भूगोलों में । १९३० के दशक में जब यूरोप में फ़ासिज़ ् म का बोलबाला हुआ, उत ् तरी अमेरिका से एक अप ् रत ् याशित प ् रतिक ् रिया आयी । जैसे क ् रिश ् चन चिन ् हों में बदलाव आया, और स ् वास ् तिक की परिकल ् पना क ् रूस से निकली, बैटमैन और सुपरमैन भी यहूदी युवाओं ने गढे अमरीका और कनाडा में वापस बाइबल तक । ये सोचिये: पैगम ् बर साहब की तरह ही, सारे के सारे सुपरहीरो अपने अभिभावकों को खो चुके हैं । सुपरमैन के माता-पिता क ् रिप ् टान पर खत ् म हो गये थी जब वो एक साल का भी नहीं था । ब ् रूस वेन, जो कि बैटमैन बन जाता है, ने अपने माँ-बाप को छः साल की उम ् र में गोथम शहर में खो दिया था । स ् पाइडरमैन का पालन-पोषण उसके चाचा-चाची ने किया । और उन सब को, वैसे ही जैसे मुहम ् मद पैगम ् बर को संदेश मिलते हैं ईश ् वर से गेब ् रियल के ज़रिये, अपने संदेश ऊपर से ही मिलते हैं । पीटर पार ् कर मैनहैटन की लाइब ् रेरी में है जब एक मकडी ऊपर से आती है और अपना संदेश उसे डंक मार कर देती है । ब ् रूस वेन अपने बेडरूम में है जब एक विशालकाय चमगादड उसके सर के ऊपर से उडता है, और ये उसे बैटमैन बनने के लिये प ् रेरित करता चिन ् ह लगता है । सुपरमैन को सिर ् फ़ पृथ ् वी पर स ् वर ् ग या क ् रिप ् टान से भेजा ही नहीं गया, बल ् कि उसे एक पत ् ते में भेजा गया, जैसे नील नदी पर मोजेस को । (हँसी) और आप उस के पिता, जोर-अल की आवाज़ सुनते हैं, पृथ ् वी से कहते हुए, "" मैने अपना इकलौता बेटा तुम ् हें सौंप दिया है । "" (हँसी) (अभिवादन) साफ़ तौर पर ये बाइबिल से सीधी उठाये किरदार हैं, और उस के पीछे मकसद ये था कि रचना हो कुछ सकारात ् मक, विश ् व भर को बाँधने वाली कहानियों की, जिन ् हें उन चीज़ों से जोडा जा सके जिन से कि बाकी लोग गलत संदेश निकाल रहे थे । क ् योंकि ऐसा करने से धर ् म का गलत इस ् तेमाल करते लोग, सिर ् फ़ बुराई के संदेशवाहक बुरे लोग बन कर रह जायेंगे । और ये सिर ् फ़ सकारात ् मक सोच से ही संभव है कि नकारात ् मक सोच को हटाया जा सके । ऐसी ही कुछ सोच पर आधारित है 'द ९९' । द ९९ कुरान में दिये गये अल ् लाह के ९९ गुणों की ओर इशारा करती है, जैसे कि उदारता, दया, दूरदृष ् टि, और अक ् लमंदी और दर ् ज़नों बाकी गुण जिन ् हें दुनिया में कोई भी अस ् वीकार नहीं करेगा, चाहे उसका कोई भी धर ् म क ् यों न हो । यदि आप नास ् तिक भी हैं, तो भी आप अपने बच ् चे को ये नहीं सिखाते कि, देखो, दिन में तीन बार झूठ ज़रूर बोलना । ये तो मूलभूत इंसानी अच ् छाइयाँ हैं । तो 'द ९९' की कहानी है सन १२५८ की, जब इतिहास के हिसाब से मंगोलों ने बग़दाद को मटियामेट कर दिया था । बैत-अल-हिक ् मा पुस ् तकालय की सारी किताबें, उस ज़माने की सबसे प ् रसिद ् ध पुस ् तकालय को, टिग ् रिस नदी में फेंक दिया गया, और टिग ् रिस का रंग स ् याही जैसा हो गया था । ये कहानी पीढी दर पीढी चली आ रही है । मैने वो कहानी फ़िर से लिखी । मेरे विवरण में, पुस ् तकालय वालों को पता लग गया कि ऐसा होने वाला है — और यहीं एक नोट भी है: अगर आप चाहते हैं कि कोई कॉमिक प ् रसिद ् ध हो, तो लाइब ् रेरी वालों को हीरो बनाइये । सही रहेगा । (हँसी) (अभिवादन) तो पुस ् तकालय वालों को पता लग गया और उन ् होंने एक ख़ास रसायन तैयार किया, जिसे किंग ् स वाटर (या राजसी जल) कह गया, जिसे कि ९९ पत ् थरों से मिलाने पर, किताबों में निहित संस ् कृति और इतिहास बच जायेगा । मगर मंगोल वहाँ पहले पहुँच गये । और किताबें और वो रसायन भी टिग ् रिस नदी में फ़ेंक दिया गया । कुछ पुस ् तकालय वाले बच निकले, और कई दिनों और हफ़ ् तों के बाद, उन ् होंने टिग ् रिस नदी में वो पत ् थर डाल कर, वो सारी जानकारी और अक ् ल हासिल कर ली जिसे हम सब ने खोया हुआ मान लिया था । उन पत ् थरों को प ् रार ् थना की तीन मालाओ के दानों के रूप में छुपा कर तीन माला - हर एक में ३३ दाने अरब से अन ् दूलेसिया से स ् पेन तक तस ् करी के ज़रिये लाया गया, और २०० साल तक छुपाया गया । मगर १४९२ में, दो महत ् वपूर ् ण घटनायें हुईं । पहली तो ग ् रानादा का ध ् वस ् त होना, जो कि यूरोप में मुस ् लिमों का आखिरी ठिकाना था । दूसरी ये कि कोलम ् बस को भारत जाने के निकला, मगर खो गया । (हँसी) तो ३३ पत ् थर तो तस ् करी से नीना, पिन ् टा, और संता मारिया तक लाये गये, और नयी दुनिया में फ़ैल गये । ३३ सिल ् क रूट के ज़रिये चीन, दक ् षिण और दक ् षिण-पूर ् व एशिया में फ़ैल गये । और बाकी ३३ यूरोप और मध ् य-पूर ् व और अफ़ ् रीका में फ़ैल गये । और अब २०१० है, और ९९ सुपरहीरो हैं जो कि ९९ अलग देशों से हैं । और ये सोचना बडा आसान है कि क ् योंकि वो किताबें अल-हिक ् मा पुस ् तकालय से थी, तो इस ् लामिक होंगी मगर ऐसा नहीं है क ् योंकि जिस खलीफ़ा ने उसे बनवाया था, उसका नाम था अल-मामून — वो हारुन अल-रशीद का बेटा था । उसने अपने सलाहकारों से कहा, "" "" मुझे वो सारे विद ् वान चाहिये जो सारी किताबों का अरबी में अनुवाद कर दें, और मैं उन ् हें उनकी किताबों के वज़न के बराबर सोना दूँगा । "" कुछ दिन बाद, सलाहकारों ने शिकायत की । उन ् होंने कहा, "" महाराज, ये विद ् वान धोखा कर रहे हैं वो बडे अक ् षरों में लिख रहे हैं, ज ् यादा सोने के लालच में । "" तो खलीफ़ा बोला, "" करने दो, क ् योंकि वो हमें वो दे रहे हैं जिसकी कीमत सोने से कहीं ज ् यादा है । "" तो खुले स ् थापत ् य का, खुली जानकारी का विचार रेगिस ् तानी इलाकों में नया नहीं है । ये परिकल ् पना आधारित है नूर पत ् थरों पर । अरबी में नूर का अर ् थ है रोशनी । तो इन पत ् थरों के, कुछ नियम वगैरह हैं: पहला, आप पत ् थर तक नहीं पहुँचते, वो आप तक पहुँच जाते हैं । कुछ कुछ किंग आर ् थर की कहानी की तरह, ठीक है । दूसरा, सारे के सारे ९९ हीरो, जब उनके पास पत ् थर आता है, तो उसका गलत इस ् तेमाल करते हैं; अपनी खुदगर ् ज़ी के लिये । और उसमें एक शक ् तिशाली संदेश निहित है कि जब आप पत ् थर का गलत इस ् तेमाल करते हैं आपका फ़ायदा उठाया जाता है उन लोगों के द ् वारा जो आपकी शक ् ति को गलत इस ् तेमाल करते हैं । तीसरा कायदा, इन ९९ पत ् थरों में सब कुछ है एक ऐसा तरीका जिससे इन ् हें ताज़ा जानकारी मिलती रहती है । अब इस ् लाम में दो तरह के लोग हैं सब लोग मानते हैं कि कुरान शाश ् वत सत ् य है - समय और स ् थल से परे । कुछ लोग ये मानते हैं कि इसका मतलब वो कुरान है जिसे कई हज़ार साल पहले लिखा गया था । मेरा इस पर विश ् वास नहीं है । एक और दल है जो मानता है कि कुरान जीवित, साँस लेता दस ् तावेज़ है । और इसी बात को मैने इन पत ् थरों के खुद ताज़ा होने में शामिल किया । अब जो मुख ् य खलनायक है, रुघल, वो चाहता नहीं कि ये पत ् थर ताज़ा जानकारी रखें । तो वो इन ् हें नयी जानकारी तालीम लेने से रोकता है । वो ख़ुद इन पत ् थरों का इस ् तेमाल तो नहीं कर सकता है, मगर वो इन ् हें रोक सकता है । और इन ् हें रोक कर, वो अपना फ़ासिस ् टनुमा अजेंडा चलाता है, और कुछ एक ९९ सुपरहीरो लोगों से अपने लिये काम करवाता है । वो सब एक तरह की वर ् दी में है, एक ही रंग की । उन ् हें इज़ाजत नहीं है खुद को अभिव ् यक ् त करने की, वो कौन है, क ् या हैं बताने की । और वो उन पर ख़ासा शासन करता है । जबकि जब वो दूसरी तरफ़ से काम करते हैं, उन ् हें पता लगता है कि वो गलत आदमी के लिये काम करते हैं, उन ् हें इस ् तेमाल किया गया है, और वहाँ तो कोई वर ् दी वगैरह भी नहीं है, सबके अपने कपडॆ हैं । और आखिरी बात इन ९९ नूर पत ् थरों के बारे में ये थी । तो ९९ हीरो तीन तीन की टीम में काम करते हैं । तीन ही क ् यों? कुछ वजहे हैं । पहली ये कि इस ् लाम में कभी भी आप एक लडके और एक लडकी को अकेला नहीं छोडते, क ् योंकि तीसरा व ् यक ् ति लालच या फ़िर शैतान होता है, है न? ऐसा ही है न सारी अवधारणाओं में, है न? मगर ये धर ् म के लिये नहीं है, ये तो पुराने मतों को तोडने जैसा है । यहाँ बहुत बडा सामाजिक संदेश है जिसका पहुँचना ज़रूरी है असहनीयता की गहराइयों तक. और इस का एक ही तरीका है कि कुछ खेल खेले जायें । और मैने इसका ये तरीका निकाला । वो तीन लोगों की टीम में काम करेंगे, दो लडके और एक लडकी, तीन लडकी, तीन लडके, समस ् या ही खत ् म । और स ् विस मानसवेत ् ता, कार ् ल जंग, ने भी कहा है तीन के अंक के महत ् व के बारे में, सारी संस ् कृतियों मे, तो मुझे लगा कि मैं ठीक हूँ । ख़ैर... मुझे कुछ ब ् लागों मे कहा गया कि मुझे पोप द ् वारा कैथोलिक धर ् म फ़ैलाने के लिये मध ् य-पूर ् व में भेजा गया है, तो आप — (हँसी) आप जो चाहे माने — मैं आपको अपनी कहानी सुना चुका हूँ । और ये कुछ किरदार हैं । मुजीबा, मलेशिया से, उसकी ताकत है कि सारे प ् रश ् नों के उत ् तर जानती है । इसे बकवासकोष की अध ् यक ् ष कह सकते हैं । मगर जब उसे अपनी ताकत मिली थी, उसने कौन बनेगा करोडपति जैसे शो से पैसा कमाना शुरु कर दिया था । जब ् बर है, साउदी अरब से, जिसने तोड फ़ोड शुरु कर दी थी ताकत मिलते ही । मुमिता भी मज़ेदार है । ये कुछ भी नष ् ट कर सकती है । तो अल ् लाह के ९९ गुणों में भी यिन और यांग हैं । वहाँ शक ् ति है, ताकत है, आधिपत ् य है । मगर वहाँ उदारता है, और दया भी है । मुझे लगा, कि क ् या सारी लडकियाँ दयालु और उदार और सारे लडके ताकतवर होंगे? तो मैने सोचा, मैं कुछ एक विध ् वंसक लडकियों से मिला तो हूँ अपने जीवन में... (हँसी) ये जामी है हंगरी से, जिसने ताकत मिलते ही हथियार बनाने शुरु कर दिये । ये तकनीक की विशेषज ् ञ है । मुसव ् विरा है घाना से, हायदा है पाकिस ् तान से, जलील है ईरान से जो आग का इस ् तेमाल करता है । और ये मेरी मन पसंद, अल-बतिना यमन से । अल-बतिना छुपी रुस ् तम है । वो छुपी रहती है, और वो सुपरहीरो है । मैनें घर लौट कर अपनी पत ् नी से कहा, "" मैने तुम ् हारे आधार पर एक किरदार बनाया है । "" मेरी पत ् नी साउदी की है, और यमन से रिश ् ता रखती है । और उसने कहा, "" दिखाओ मुझे । "" तो मैने उसे ये दिखाया । और उसने कहा, "" ये तो मैं नहीं हूँ । "" मैने कहा, "" आँखें देखो, तुम ् हारी ही तो हैं । "" (हँसी) तो मैनें अपने निवेशकों से वादा किया कि ये एक और घटिया सडल काम नहीं होगा । ये तो सुपरमैन जैसा कुछ होगा, वरना ये मेरे समय और आपके पैसे के लायक नहीं है । तो पहले ही दिन से, शीर ् ष लोगों को इस प ् रोजेक ् ट में जोडा गया, नीचे बाईं ओर हैं फ़ाबियन निसिएज़ा, एक ् स-मेक और पॉवर रेंज़र की लेखिका । उनके बगल में हैं डैल पानोसियन, नये एक ् स-मैन के रचयिताओं में से एक । शीर ् ष लेखक, स ् टुअर ् ट मूर, आयरन मैन के लेखकों में से एक । उनके बाजू में जॉन मक ् क ् रेआ, जो स ् पाइडरमैन की इंकिग कर चुके हैं । और हमने पाश ् चात ् य मानस में प ् रवेश किया इस लाइन से: "" अगले रमज़ान तक, दुनिया में नये सुपर हीरो होंगे । "" २००५ में । फ़िर मैं दुबई गया, एक अरब वैचारिक फ़ाउंडेशन कॉंफ़ ् रेंस में, और मैं कॉफ़ी पीते हुए किसी ठीक ठाक पत ् रकार से टकराने का इंतज़ार कर रहा था । मेरे पास दिखाने को अपने जुनून के अलावा कुछ था नहीं । और मुझे न ् यूयार ् क टाइम ् स से एक सज ् जन मिले । मैनें उन ् हें दबोच लिया, और उन ् हे ये सब बताया । और शायद मैनें उन ् हें डरा दिया था — (हँसी) क ् योंकि उन ् होंने कुल मिला कर मुझसे वादा किया कि — और मेरे पास तैयार सामग ् री नहीं थी — मगर वो बोले, "" आर ् ट सेक ् शन में एक पैराग ् राफ़ दें देंगे यदि आप मेरा पीछा छोड दें । "" (हँसी) तो मैने कहा, "" बढिया । "" फ़िर उन ् हें कुछ हफ़ ् तों बाद फ़ोन किया । मैने कहा, "" हाय हेसा! "" तो उन ् होंने कहा, "" हाय । "" मैने कहा, "" नया साल मुबारक हो । "" उन ् होंने कहा, "" शुक ् रिया, हमारे घर संतान हुई है । "" मैने कहा, "" बधाइयाँ । "" जैसे मुझे बहुत फ़र ् क पडा हो । "तो अगला आलेख कब आ रहा है?" उन ् होंने कहा, "" नईफ़, इस ् लाम और कार ् टून? इसका समय नहीं आया है । देखो, शायद अगले हफ़ ् ते, या अगले महीने, अगले साल, मगर ये आयेगा ज़रूर । "" तो कुछ दिन और बीत गये, और क ् या हुआ? डैनिश कार ् टून विवाद ने सारे विश ् व को हिला दिया । बस मेरा समय आ गया था । (हँसी) फ़िर तो न ् यूयार ् क टाइम ् स से फ़ोन और ईमेल की बाढ ही आ गयी । और पलक झपकते ही, हमें पूरे पेज की बढिया कवरेज मिली थी, जनवरी २२, २००६ में, और इसने हमारा जीवन सदा के लिये बदल दिया । क ् योंकि कोई भी इस ् लाम और कार ् टून और कॉमिक पर गूगल करता, तो सोचिये उसे क ् या दिखता; उसे मेरा काम दिखता । और 'द ९९' तो सुपरहीरो बन गये मानो दुनिया के काम धाम से अलग उडे जा रहे हों । और उस से बहुत तरह की चीजें हुईं, कई विद ् यालयों और यूनिवर ् सिटियों के पाठ ् यक ् रम में शामिल होना — मेरी पसंदीदा तस ् वीर है दक ् षिणी एशिया से, कुछ आदमी थी लंबी दाढी वाले और तमाम सारी लडकिया नकाब पहने हुए — स ् कूल जैसा लगता है । अच ् छी खबर ये है कि ये सब 'द ९९' की कॉपी हाथ में ले कर मुस ् करा रही हैं, और उन ् होंने मुझे ढूंढ कर मेरे साइन करवाये । बुरी खबर ये है कि ये सब फ़ोटोकापियाँ थी, तो हमने इस से एक भी पैसा नहीं कमाया । (हँसी) हम 'द ९९' का लाइसेंसे देने में कामयाब हुए हैं, अब तक आठ भाषाओं में, चीनी, इन ् डोनीशियन, हिंदी, उर ् दू, तुर ् की । एक लाइसेंस के अंतर ् गत कुवैत में डेढ साल पहले थीम पार ् क भी खुला है जिसे 'द ९९' विलेज थीम पार ् क कहते हैं, ३००,००० वर ् ग फ़ुट, २० झूले, हमारे किरदारों के साथ । स ् पेन और तुर ् की में कुछ लाइसेंस स ् कूलों में इस ् तेमाल के लिये । मगर अभी तक का सबसे बडा काम, जो कि बहुत मज़ेदार है, ये है कि हमने २६ कडियों का एनीमेशन धारावाहिक बनाया है, जो कि विश ् व भर के दर ् शकों के लिये है, और तो और, अब हम अमरीका और तुर ् की में इसे पहुँचाने वाले हैं । ये थ ् री-डी, सी.जी.आई है, जो बहुत उम ् दा क ् वालिटी का है, इसे हॉलीवुड में लिखा गया है, बेन १० के लेखकों द ् वारा और स ् पाइडरमेन, और स ् टार वार ् स के लेखकों के द ् वारा । इस विडियो में मैं आपको दिखाऊँगा वो जो कभी सार ् वजनिक नहीं किया गया, ये एक ज़ोर-आजमाइश चल रही है । दो किरदारों, जब ् बर, जिसके पास तमाम डोले शोले हैं, और नूरा, जो कि रोशनी का इस ् तेमाल जानती है, ने वही नौकरों वाली स ् लेटी वर ् दी पहनी हुई है क ् योंकि उनका इस ् तेमाल हो रहा है । उन ् हें पता भी नही है, है न । और ये कोशिश कर रहे है कि 'द ९९' में से एक और उनसे जुड जाये । तो पूरी टीम में एक मतभेद है । तो ज़रा लाइट ् स..... ["" द ९९ ""] जब ् बर: दाना, समझ नही आता कहाँ से पकडूँ । मुझे और रोशनी चाहिये । क ् या हो रहा है? दाना: यहाँ बहुत अँधेरा है । रुघल: कुछ तो ज़रूर कर सकते होंगे हम । आदमी: मैं एक भी और कमांडो नहीं भेजूँगा बिना सुरक ् षा के वादे के । डॉ. रज़ेम: मिकोलोस, जाने का वक ् त आ गया है । मिकोलोस: फ़ाइल तो डाउनलोड पूरी करनी ही है । मैं आंटी को भूल नहीं सका । जब ् बर: मैं तुम ् हारे बिना ये नहीं कर सकता । दाना: मैं तुम ् हारी मदद नहीं कर सकती । जब ् बर: तुम कर सकती हो, अगर तुम ् हें स ् वयं पर विश ् वास नहीं, तब भी । मुझे तुम पर भरोसा हो । तुम नूरा हो - खुद रोशनी । दाना: नहीं । मैं इसके लायक नहीं । मैं किसी चीज के लायक नहीं । जब ् बर: तो फ़िर हम सब का क ् या होगा? क ् या हम बचाए जाने के लायक नही? क ् या मैं भी? बताओ मुझे, किस तरफ़ जाना है । दाना: उस तरफ़ । अलार ् म: खतरा नज़दीक । जब ् बर: आआआआअह ् ह ् ह ् ह ् ह ् ह ् ह । मिकोलोस: मुझसे दूर रहो । जब ् बर: हम तुम ् हारी मदद करने आये हैं । डॉ. रजेम: उनकी बात मत सुनो । दाना: मिकोलोस, वो आदमी तुम ् हारा दोस ् त नहीं है । मिकोलोस: नहीं, उसने मुझे पासवर ् ड दिया, और तुम {०००} को रीबूट करना चाहते हो । नहीं होगा ऐसा । ["" द ९९ ""] धन ् यवाद । (अभिवादन) तो 'द ९९' तकनीक है; मनोरंजन है; डिजाइन है, रूपरेखा है । मगर ये सिर ् फ़ आधी ही कहानी है । पाँच बेटों के पिता के रूप मे, मुझे चिंता होती है कि उनके आदर ् श कौन लोग बनेंगे । मुझे चिंता होती है, क ् योंकि मेरे आसपास, परिवार कुनबे में, मैं धर ् म को गलत तरीके से इस ् तेमाल होते देखता हूँ । एक मनोवैज ् ञानी के तौर पर, मैं चिंतित सारे विश ् व को ले कर और इस बारे में कि लोग खुद को कैसे देखते हैं, मेरे इलाके में । देखिये, मैं एक मनोवैज ् ञानिक हूँ, और न ् यूयार ् क में प ् रेक ् टिस के लिये लाइसेंसधारी हूँ । मैने बेलेवु हस ् पताल में राजनैतिक यातना भुगते लोगों के साथ काम किया है । और मैनें तमाम कहानियाँ सुनी लोगों की जो बडे हुए अपने नेताओं को अपना आदर ् श मानते हुए, और अंततः उन ् होंने अपने हीरो द ् वारा ही यंत ् रणा दी गयी । और यंत ् रणा तो वैसी ही प ् रचंड चीज़ है, मगर जब आपके आदर ् श हीरो के हाथों हो, तो ये आपको कई तरीके से तोड डालती है । मैने बलुवे छोडा, बिज़नस स ् कूल गया, और ये शुरु किया । एक और बात जो मैं कहता हूँ जब मैं — इस संदेश के महत ् व के बारे में — वो ये है कि मैं कुवैत विश ् वविद ् यालय के मेडिकल स ् कूल में लेक ् चर देता हूँ जहाँ मैं व ् यवहार के जीव-विज ् ञानी कारणों को पढाता हूँ, और मैने अपने विद ् यार ् थियों को दो आलेख दिये, एक न ् यूयार ् क टाइम ् स का, और एक न ् यूयार ् क मैगज़ीन का । और मैने उनके लेखकों के नाम छुपा दिय — सब कुछ गायब कर दिया सिवा तथ ् यों के । और पहला आलेख 'पार ् टी ऑफ़ द गॉड' नामक एक ग ् रुप पर था, जो कि वैलेन ् टाइन डे पर रोक लगाना चाहते थे । और लडके लडकियों को मज़ाक करते पकडने पर उनकी तुरंत शादी करवा देना चाहते थे, ठीक? और दूसरा था एक औरत के बारे में जो शिकायत कर रही थी क ् योंकि तीन गाडियों से छः दढियल मर ् द उतरे, उसे पकडा और वहीं पर पूछताछ शुरु कर दी ऐसे आदमी से बतियाने के लिये जो उसका रिश ् तेदार न था । मैने कुवैत में अपने विद ् यार ् थियों से पूछा कि उनके हिसाब से ये घटनायें कहाँ हुई होंगी । पहला वाला, उन ् होंने कहा, साउदी अरब - और वो बिलकुल निश ् चित थे । और दूसरे वाले में, अलग अलग विचार थे कि साउदी या फ़िर अफ़ ् गानिस ् तान । जिस बात ने उनके होश उडा दिये वो ये थी कि पहला वाला भारत से था, और ये एक हिंदू भगवान की पार ् टी थी । और दूसरा न ् यूयार ् क के ठीक बीच में हुआ था । एक रूढिवादी यहूदी समुदाय में । मगर जो बात मेरा दिल दुखाती है, और खतरनाक है वो ये कि इन दो बातचीतों मे, जो आसपास के लोग थे, जिनका साक ् षात ् कार भी लिया गया था, इस व ् यवहार को तालिबानगिरी कहते हैं । दूसरे शब ् दों में, अच ् छे हिन ् दू और अच ् छी यहूदी ऐसा बर ् ताव नहीं करते । ये हिन ् दू धर ् म पर और यहूदी धर ् म पर इस ् लाम का असर है । मगर कुवैत के विद ् यार ् थियों ने क ् या कहा? उन ् होंने कहा - ये तो हम ही हैं । और ये खतरनाक है । ये खतरनाक है जब कोई समुदाय इस व ् यवहार को अपने व ् यवहार सा पाने लगे । ये मेरा बेटा है रायन, और इसे स ् कूबी डू की लत लग चुकी है । इसके चश ् मे से साफ़ ज़ाहिर है । एक दिन इसने मुझे परेशान करने वाल बच ् चा कहा । (हँसी) मगर मैने इस से कुछ सीखा है । पिछली गर ् मी में जब हम अपने न ् यूयार ् क के घर में थे, ये बाहर लान में खेल रहा था । और मैं अपने ऑफ़िस में काम कर रहा था । और ये आया, "" बाबा, अभी मेरे साथ चलो । मुझे खिलौना दिलवाओ । "" "" हाँ, रायन, अभी तुम जाओ । "" उसने अपना स ् कूबी डू अपने घर में छोड दिया था, मैने कह, "" अभी तुम जाओ । मैं कुछ कर रहा हूँ । "" और रायन ने क ् या किया । वहीं बैठ गया, अपने पैर से फ़र ् श पर ताल लगाई, साढे तीन मात ् रा में, और मेरी तरफ़ देख कर बोला, "" बाबा, मैं चाहता हूँ कि आप मेरे साथ मेरे घर में मेरे ऑफ़िस में चलें । मुझे कुछ काम करना है । "" (हँसी) (अभिवादन) रायन ने स ् थिति को पलट दिया था, और खुद को मेरे स ् तर पर ला खडा किया था । (हँसी) और 'द ९९' का इस ् तेमाल कर के, यही हम भी करना चाहते हैं । मुझे लगता है कि बडा भारी संबंध है क ् रूस को मरोडने में, और स ् वास ् तिक बनाने में । और जब मै अभिभावकों और अंकलों की ऐसी तस ् वीर देखता हूं जिन ् हें लगता है कि ये प ् यारा बात है कि बच ् चे हाथ में कुरान और कमर पर आत ् मघाती बम बाँध कर घूमें किसी बात के विरोध में, मेरी आशा बचती है ज ् यादा से ज ् यादा सकारात ् मक चीज़ों को कुरान से जोडने में, कि एक दिन हम इस बच ् चे को उन बातों पर गर ् व करने से रोक सकेंगे जिन पर वो अभी करता है, और दूसरी बात पर गर ् वांवित देखेंगे । और मुझे लगता है — मुझे लगता है कि 'द ९९' में शक ् ति है, और वो ऐसा कर सकेगा । तुफ़ ् त विश ् वविद ् यालय के स ् नातक विद ् यार ् थी के रूप में, एक दिन हम मुफ़ ् त फ़लाफ़ल बाँट रहे थी, और शायद उस दिन, मध ् य-पूर ् व दिवस था । और लोग आ रहे थे, और ले रहे थे, फ़लाफ़ल की सांस ् कृतिक छवि को, खा रहे थी, और बातचीत कर के लौट रहे थे । और कोई भी दो लोग इस बात पर अलग नहीं थे कि मुफ़ ् त शब ् द क ् या होता है और फ़लफ़ल शब ् द क ् या होता है, हमारे पीछे लिखा था - मुफ़ ् त फ़लाफ़ल । समझे आप । (हँसी) या हम शायद ऐसा सोच रहे थे, जब तक हमारे पास एक औरत नही आयी और अपना बैग जमीन पर पलट कर, और उस बैनर की तरफ़ इशारा कर के बोली, "फ़लाफ़ल कौन है?" (हँसी) सच घटना है ये । (हँसी) वो अभी अभी अमनेस ् टी इंटरनेशनल की मीटिंग से लौटी थी । (हँसी) आज ही, डी.सी. कॉमिक ने घोषणा की है हमारे नये कॉमिक के कवर की । उस पर आपको बैटमैन दिखेगा, सुपरमैन दिखेगा और पूरी तरह से ढकी हुई वंडर वुमन दिखेगी हमारे 'द ९९' के साउदी सदस ् य के साथ, हमारे अमीरात के सदस ् य और, हमारे लिब ् या के सदस ् य के साथ । अप ् रैल २६ २०१० को, राष ् ट ् रपति बैरक ओबामा ने कहाकि उनके प ् रसिद ् ध काइरो भाषण से ले कर अब तक हुये प ् रयासों में — जिन में उन ् होंने मुस ् लिम दुनिया से जुडना चाहा है — सबसे जबरदस ् त है 'द ९९' का जुडना जस ् टिस लीग ऑफ़ अमेरिका के साथ । हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहाँ मासूम से मासूम सांस ् कृतिक चिन ् हों जैसे कि फ़लाफ़ल, का गलत अर ् थ लगाया जा सकता है संकीर ् ण विचारधारा के चलते, और जहाँ धर ् म को तोड-मरोड कर परोसा जा सकता है और वैसा बनाया जा सकता है जैसा वो नहीं है । ऐसी दुनिया में, सुपरमैन और 'द ९९; के लिये हमेशा ही काम बाकी रहेगा । आपका बहुत बहुत धन ् यवाद । (तालियों सहित अभिवादन) उच ् च विद ् यालय में, मैं स ् कूल के लिए एक बस लेके एक घंटे के हर तरह से हर दिन । और मैं हमेशा एक किताब में लीन था, विज ् ञान कथा की एक पुस ् तक जो मेरे मन को दूसरी दुनिया ले गयी, और संतुष ् ट, एक कथा के रूप में, इस अतोषणीय जिज ् ञासा की भावना जो मुझ में थी | और आप जानते हैं, कि जिज ् ञासा भी स ् वयं प ् रकट तथ ् य यह है कि जब भी मैं स ् कूल में नहीं था मैं बाहर जंगल में था, लंबी पैदल यात ् रा और 'नमूने' -लेते हुए मेंढ ़ क और साँप और कीड ़ ों और तालाब पानी — और इसे वापस ला कर, माइक ् रोस ् कोप के नीचे देख रहा था । तुम ् हें पता है, मैं एक असली विज ् ञान geek था । लेकिन यह दुनिया को समझने की कोशिश करने के बारे में था, संभावना की सीमाओं को समझने के बारे में | और विज ् ञान कथा का मेरा प ् यार भी असल में मुझे चारों ओर दुनिया में नजर आता लग रहा था, क ् योंकि क ् या हो रहा था, इस देर '60' के दशक में था, हम चांद के लिए जा रहे थे, हम गहरे समुद ् रों की खोज रहे थे । जाक कौस ् टौ हमारे रहने वाले कमरे में आ गया था उनके अद ् भुत विशेष के साथ जिसने हमें दिखायी पशुओं और स ् थानों और एक चमत ् कारिक दुनिया जिसके बारे में हमने पहले वास ् तव में कभी नहीं सोचा था । तो, वह भरे हुए लग रहा थे पूरे विज ् ञान कथा भाग के साथ । और मैं एक कलाकार था । सी जी फिल ् मों की इस संतृप ् ति के सभी कल ् पना जो मीडिया के परिदृश ् य में थे, मुझे अपने दिमाग में इन छवियों को बनाना ही था । हमें पता हैं कि हम सब करते थे, बच ् चे होते हुए, और लेखक के विवरण के माध ् यम से एक किताब पढ ़ ी, हमारे दिमागी फिल ् म परदे पर कुछ डाल दिया. इसके लिए मैंने तस ् वीरें बनायी, चित ् रांकन किया विदेशी प ् राणियों, विदेशी दुनिया, यंत ् रमानव, अंतरिक ् ष-जहाज ़ इन सबका । मैं अंतहीन गणित वर ् ग में पर ् दाफाश हो रहा था पाठ ् यपुस ् तक के पीछे ठगना । और इस रचनात ् मकता को उसको एक निकास खोज निकालना ही था । और एक दिलचस ् प बात हुई: जाक कौस ् टौ के कार ् यक ् रम वास ् तव में मुझे बहुत उत ् तेजित किया इस बात के लिए कि पृथ ् वी पर एक विदेशी दुनिया भी थी | मैं वास ् तव में एक विदेशी दुनिया में नहीं जा सकता किसी दिन एक अंतरिक ् ष यान में, शायद उसकी कोई संभावना नहीं थी । लेकिन वह एक दुनिया थी जहां मैं वास ् तव में जा सकता था, इस पृथ ् वी पर, जो सम ् पुस ् ट और विदेशी थे जो मैंने कल ् पना की थी उन किताबो को पढ़ने से । तो मैंने स ् कूबा गोताखोर बनने के का तय किया १५ साल के उम ् र में समस ् या यह थी कि जहाँ पे में रह रहा था कनाडा में एक गांव में ६०० मील दूर था, सबसे पास के समुन ् दर से । पर मैंने इस बात को मुझे परेशान नहीं करने दिया मैंने अपने पिताजी को तंग किया जब तक उन ् होंने बुफ ् फल ् लो, न ् यूयॉर ् क में एक स ् कूबा डाइविंग के क ् लास ढूंड निकाला । जहाँ हम रहते थे उसकी सीमा के उस पार । और मैं प ् रमाणित भी हो गया । सर ् दी में, एक वाई एम सी ए के एक पूल में, बुफ ् फल ् लो, न ् यूयॉर ् क में और सच में मैंने एक समुद ् र को नहीं देखा, और दो साल के लिए, जब हम कैलिफ़ोर ् निया चले गये । तबसे लेके, बीच बीच में, ४० साल मैंने करीब ३००० घंटे पानी के नीचे बिताए हैं और उनमें से ५०० घंटे तक पनडुब ् बी में था । और मैंने जाना कि जहरी गहरी समुन ् दर के पर ् यावरण और उथले सागर के पर ् यावरण भरे हुये हे अद ् भुत जीवन से जो हम कल ् पना भी नहीं कर सकते । प ् रकृति की कल ् पना तो असीम है हमारे तुलना में अल ् प मानव कल ् पना । में आज भी आश ् चर ् यचकित होके खड़ा हुँ वो सब देखके जब में डाइविंग करता हुँ । समुन ् दर के साथ मेरा प ् रेम अभी भी जारी हैं । उतनी ही मजबूती से जब मैं एक वयस ् क के रूप में एक कैरियर का फैसला किया, यह फिल ् म निर ् माण था | और सबसे उत ् तम तरीका था मेरी कहानिया बताने के चाह का और चित ् र बनाने के चाह को मिलाके । में जब से बच ् चा था, तबसे कॉमिक ् स बनाया करता था तो, चित ् रो और कहानियो को बनाने का एक तरीका था फिल ् म निर ् माण मेरे लिए । सब मिलाके, सही लगा । और जो भी कहानियाँ मैंने बताए, वह सब सब के सब विज ् ञान गल ् प थे । जैसे की "" टर ् मिनेटर "", "" एलियन ् स "", और "" दि अबिस ् स "" । "" दि अबिस ् स "" में, मैने फिल ् म निर ् माण में साथ मिलाया, मेरा प ् यार, जो पानी के नीचे और डाइविंग से मुझे था । तो, दो जूनून को आपस में मिलाना । एक दिलचस ् प बात "" दि अबिस ् स "" से आया, जो था एक विशिष ् ट कथा प ् रश ् न उस फिल ् म का, जो था पानी के बने हुए एक प ् राणी को बनाना । हमने सी जी को हमारे बाहों में ले लिया । और यह पहली नरम सतह पात ् र थे जो सी जी एनीमेशन द ् वारा एक फिल ् म में बनाये गये थे । फिल ् म ने कोई पैसा नहीं बनाया, फिर भी, कोई भी मुनाफा नहीं मिला, अगर में कहु, पर मैंने देखा कि दर ् शक, दुनिया भरके, सभी मंत ् रमुग ् ध थे उस फिल ् म के अंदर के जादू को देखकर । तुम ् हे पता हैं? यह 'अर ् थर के नियम' है कि किसी भी पर ् याप ् त रूप के उन ् नत प ् रौद ् योगिकी जादू से अप ् रभेद ् य है | वे जादुई कुछ देख रहे थे. और इसने मुझे बहुत उत ् तेजित किया | और मैंने सोचा "" अरे वाह!, यह कुछ ऐसे चीज़ हे जो सिनेमाई कला में आना ही चाहिए "" । तो, "" टर ् मिनेटर 2 "", जो मेरी अगली फिल ् म थी, हम उससे बहुत आगे लेके गया । आई एल एम के साथ काम करके हम तरल धातु मनुष ् य को बनाया उस फिल ् म में "" । सफलता इस बात के ऊपर आधारित थी कि उस प ् रभाव का कोई असर होगा कि नही । और, असर पड़ा । और हमने फिर से जादूगरी की, और दर ् शक से वही परिणाम मिला — हालांकि इस बार हमने पहले से थोडा ज़ ् यादा पैसा भी कमाया । उन दो बिन ् दुओं के बीच में एक पंक ् ति बनाने का अनुभव आ गया इसपे की "" यह एक नई दुनिया होगी "" । यह रचनात ् मकता के एक नयी दुनिया थी फिल ् म कलाकारों के लिये । तो मैंने 'स ् टान विल ् सन' के साथ मिलके एक कंपनी बनाई मेरी अच ् छी दोस ् त, 'स ् टान विल ् सन' जो सबसे पहले के श ् रृंगार और प ् राणीयों के डिजाइनर थे एक समय, कंपनी का नाम था "" डिजिटल डोमेन "" । और कंपनी के संकल ् पना यह थी कि हम आगे बढ़ेंगे इन पुराने ऑप ् टिकल प ् रिंटर ् स आदी के प ् रक ् रियाओं से और हम सीधे डिजिटल उत ् पादन की और चले जाएंगे । और हमने यह किया और इसने थोड़ी देर के लिए हमें फायदा भी दिया । पर ९० के अंत में हम धीमे पड़ गए इन जीव और जंतुवो के निर ् माण में, जिनके लिये हम इस कंपनी को बनाया था । तो मैंने इस खंड को लिखा "" अवतार, "" जो पूरी तरह से सीमाओं को पार कर जाएंगे, दृश ् य प ् रभावों के सी जी प ् रभावों और कई सारे अनेक चीज़ो के भी वो भी, मानव पात ् रों के साथ जो सी जी से बनेंगे और मुख ् य पात ् रों, सभी सी जी के होंगे और दुनिया सी जी में होगी । और उन सीमाओं ने हमें वापस पीछे धकेल दिया, और कंपनी के लोग ने मुझे बताया कि कुछ समय के लिए हम यह नहीं कर सकते । तो मैंने उसे हटाया और एक डूबते हुए, बड़े जहाज़ की फिल ् म बनाई. (हँसी) मैंने स ् टूडियो में जाकर कहा कि "" यह रोमियो और जूलिएट "" होगी एक जहाज़ में, "" यह एक प ् रेम महाकाव ् य और भावुक फिल ् म होगी । "" चुपके से, क ् या मैं करना चाहता था कि में टाइटैनिक के मलबे के अंदर गोता लगाना चाहता था । और इसलिए ही मैंने वो फिल ् म बनायी थी (तालियां) और यही सच है । और स ् टूडियो को यह नहीं पता था । पर मैंने उसको आश ् वस ् त किया । मैंने कहा, हम उस मलबे के अंदर गोता जाएंगे । हम असल में यह सब शूट करेंगे । हम फिल ् म के शुरुआत में इसको उपयोग करेंगे । यह वास ् तव में महत ् वपूर ् ण होगा | यह एक महान महान विपणन के अंकुड ़ ा होगा । मैंने एक अभियान के वित ् तपोषण करने के लिए उन ् को आश ् वासन दिया । (हँसी) पागल लगता है | पर यह वापस जाती है उस विषय कि तरफ अपनी कल ् पना को एक वास ् तविकता बनाने के बारे में | क ् यूंकि हमने एक वास ् तविकता बनाया छह महीने बाद जब मैंने अपने आप को एक रूसी पनडुब ् बी के अंदर पाया उत ् तर अटलांटिक समंदर में करीब ढाई मील नीचे, "" टाइटैनिक "" के असली मलबे को देखते हुए एक दृश ् य के बंदरगाह के माध ् यम से । कोई फिल ् म नहीं, कोई एच डी नहीं — असल में । (तालियां) अब, इसने मेरे मन को उड ़ ा दिया । और इसके लिए हमें बहुत तैयारियां करनी पड़ी । हमें कैमरों और कई सारे दीपक आदि भी बनाने थे । पर, तब मुझे मालूम पड़ा कि इस गोता, यह गहरा गोता एक अंतरिक ् ष मिशन जैसा ही था | जहाँ पे सब बहुत तकनीकी होता है, और विशाल नियोजन भी आवश ् यक थे । तुम उस कैप ् सूल के अंदर जाके, उस अंधेरी प ् रतिकूल वातावरण में जहाँ पे बचाव की कोई उम ् मीद नहीं है अगर तुम अपने आप वापस नहीं आ सकते तो । और मैंने सोचा कि "" अरे वाह, मैं तो एक विज ् ञान कथा फिल ् म में जी रहा हुँ । यह बहुत अच ् छा लग रहा है । तो, मुझे गहरे समुद ् र अन ् वेषण का कीड़ा काट ही गया था बेशक, वह जिज ् ञासा जो थी, उस विज ् ञान घटक — वह सब कुछ थे । यह साहसिक था. यह जिज ् ञासा थी, यह कल ् पना थी । और वह एक ऐसा अनुभव था जो हॉलीवुड कभी भी मुझे दे नहीं पाती क ् यूंकि तुम ् हे पता है, मैं एक प ् राणी को कल ् पना कर सकता हुँ और हम उसके लिए एक दृश ् य प ् रभाव बना सकते है । पर मैं कल ् पना भी नहीं कर सकता जो मैंने उस खिड ़ की से देखा । और जब हमने आगे कुछ अभियान किये तब मैंने जलतापीय छेदों में कुछ प ् राणियों को देखा और कभीकभी वो चीजें जो मैंने पहले कभी नहीं देखीं । कभी कबार वो चीजें जो किसी ने कभी नहीं देखीं । और जो विज ् ञान द ् वारा वर ् णित भी नहीं किया गया अभी तक उस समय जब हम यह सब देखते थे । तो, मैं इनसे पूरी तरह लिप ् त हो गया था, और मुझे और भी कुछ करना था । और मैंने एक उत ् सुक निर ् णय लिया । "" टाइटैनिक "" के सफलता के बाद मैंने कहाँ कि "" चलो, टीक है, मेरे दिन का काम, हॉलीवुड फिल ् म निर ् माता का, रोक रहा हूँ थोड़े देर के लिए. और कुछ समय के लिए मैं एक पूर ् णकालिक अन ् वेषक बनने जा रहा हूँ । और हमने नियोजन बनाना शुरू किया इस अभियानों के लिए | और हम "" बिस ् मार ् क "" पे गए और इसकी तलाश किये रोबोट वाहनों से हम टाइटैनिक के मलबे में वापस चले गए | हमने जो बॉटस बनाये थे, उसको लेकर, जिसमे फैबर ऑप ् टिक केबल बंधे हुए थे, और विचार यह थे कि अंदर जाकर उस जहाज़ के आंतरिक सर ् वेक ् षण लेने का, जो कि पहले कभी किये नहीं गए | कोई भी कभी उस मलबे के अंदर नहीं देखा, उसके लिए कोई माध ् यम नहीं था । तो हमने उसके लिए एक तकनीक बनायी । तो तुम ् हे पता है, अभी मैं तट के ऊपर हुँ टाइटैनिक के, एक पनडुब ् बी के अंदर बैठा हुँ, और देख रहा हुँ उन सभी पौधों को जो इसी तरह दिखती हैं, जहा पे बैंड बजाया करता था । और में एक रोबोट वाहन को चला रहा हुँ उस जहाज़ के गलियारों के अंदर से जब में कहता हूँ कि "" मैं उनके ऊपर काम कर रहा हूँ "" पर मेरा मन उस वाहन में है । मुझे लगा कि मैं शरीर से "" टाइटैनिक "" के मलबे के अंदर था | और यह सबसे असली "" डेजा वू "" अनुभव था जो मुझे हुआ क ् यूंकि एक कोन लेने से पहले मुझे पता होता हे कि वहाँ पे क ् या होगा वाहन के रोशनी उनको प ् रत ् यक ् ष कराने से पहले, क ् यूंकि मैंने सेट के ऊपर कई बार चले थे जब हम उस फिल ् म को बना रहे थे । और वह सेट बना था एक सटीक प ् रतिकृति की तरह । जो एक जहाज़ के मूल योजना के अनुसार थे । तो, यह एक बिल ् कुल उल ् लेखनीय अनुभव था । और वह मुझे एहसास दिलाया कि यह आभासी उपस ् थिति के अनुभव — जो कि तुम पा सकते हो इन रोबोट के बने अवतारों से और तुम ् हारे चेतना को उन माध ् यमों में डालकर, और इस तरह के एक अस ् तित ् व में जीना । यह वास ् तव में बहुत गहरा था । यह सब झलकें हो सकती है अगले कुछ सालों में होने वाली बातों की जब हमारे पास साईबोर ् ग देह होंगे अन ् वेषण या अन ् य कार ् यो के लिए कई तरह के मानव जाती के विदुर भावी सौदे में जो मैं कल ् पना कर सकूँ, एक विज ् ञान कथा प ् रशंसक होने के नाते । तो इन अभियानों को करने के बाद और जब मैंने जाना कि वास ् तव में नीचे क ् या है जैसे कि गहरे सागर छेद जहा पे यह अद ् भुत जानवर रहते है — वो असल में इस पृथ ् वी पर रहने वाले विदेशी ही है । वह कीमोसिंथेसिस के पर ् यावरण में जी रहे है । वे सूरज की रोशनी आधारित प ् रणाली में नहीं जी सकते हमारे जैसे । तो, अब तुम जानवरों को देख रहे हो जो रह रहे है ५०० डिग ् री तापमान के पानी के वातावरण में । तुम ् हे लगता है कि वे नहीं हो सकते । उसी समय मुझे अंतरिक ् ष विज ् ञान में बहुत दिलचस ् पी हो रही थी — यह बचपन से चलती आ रही वि ‍ ज ् ञान कल ् ‍ प के प ् रभाव थे । और मैं शामिल हो गया एक अंतरिक ् ष समुदाय में, नासा के साथ, नासा के एक सलाहकार बोर ् ड में बैठके, वास ् तव में अंतरिक ् ष अभियानों के नियोजन करके, रूस जाके, पूर ् व अंतरिक ् ष यात ् री के जैव चिकित ् सा प ् रोटोकॉल से गुज़रके, और यह सब करके, ताकि में वास ् तव में इंटरनेशनल स ् पेस स ् टेशन जा सकूँ हम ् हारे ३ डी कैमरा प ् रणाली के साथ । और यह बहुत आकर ् षक था । पर, मैं क ् या करने लगा कि अंतरिक ् ष वैज ् ञानिकों को अपने साथ लेके नीचे चला गया । और उनको नीचे ले जाना, ताकि उनको इन सबके पहुँच हमेशा रह सके — खगोल जीववैज ् ञानिकों, ग ् रहों के वैज ् ञानिकों लोग जिसको इन चरम वातावरण में रूचि हैं — नीचे ले जाकर उनको यह सब दिखाना, और परीक ् षण के नमूने लेना, उपकरणों का परीक ् षण आदि । तो, इधर हम वृत ् तचित ् र फिल ् में बना रहे हैं, पर वास ् तव में हम विज ् ञान कर रहे थे और वास ् तव में अंतरिक ् ष विज ् ञान कर रहे थे । मैं पूरी तरह से पाश बंद कर दिया था विज ् ञान कथा प ् रशंसक के बीच, तुम ् हे पता है, एक बच ् चा होने के नाते और असल में यह सब करने में । और, पता है, इस यात ् रा में खोज की राह पर, मैंने बहुत कुछ सीखा । मैंने विज ् ञान के बारे में बहुत कुछ सीखा, पर मैं, नेतृत ् व के बारे में भी बहुत कुछ सीखा । अब आप सोच रहे होंगे कि एक डायरेक ् टर को अच ् छा नेता भी होना पड़ेगा, जैसे कि जहाज के कप ् तान, मैं वास ् तव में नेतृत ् व के बारे में नहीं सीखा जबतक मैंने इन अभियानों को किया । क ् यूंकि कई बार, एक समय पर, मुझे पूछना पड़ा कि, "" मैं यहाँ क ् या कर रहा हूँ? किसलिए मैं यह कर रहा हूँ । "" इनसे क ् या मिलेंगा मुझे? हम इन शोज़ में कोई पैसे नहीं बनाते । हमें इनमें से कुछ पैसे नहीं मिलते । उसमे कोई प ् रसिद ् धि नहीं मिलती । लोग सोचे की में कही चला गया "" टाइटैनिक "" और "" अवतार "" के बीच में अपनी नाखून चमका रहा था किसी समुद ् र तट पे बैठकर । इन सभी फिल ् मों को बनाया, इन सभी दस ् तावेजी फिल ् मों को बनाया बहुत ही सीमित दर ् शकों के लिए । कोई प ् रसिद ् धि नहीं, कोई महिमा नहीं, कोई पैसे भी नहीं, क ् या कर रहे हो तुम? तुम उस कार ् य के लिए ही यह सब कर रहे है । चुनौती के लिए — क ् यूंकि सबसे चुनौतीपूर ् ण पर ् यावरण, समुन ् दर है — खोज के रोमांच के लिए, और उस विचित ् र बंधन जो बनते है जब एक छोटे लोगों का समूह एक कसी हुई टीम बनती है । क ् यूंकि हम करीब १०,१२ लोगों के साथ यह करते है, कई सालों तक कई बार समुन ् दर में, दो, तीन महीने तक । और उस बंधन में तुम ् हे मालुम पड़ेगा कि सबसे महत ् वपूर ् ण बात है उनके प ् रति आपके मन में रहने वाले आदर । और तुम ् हारे लिए उनके मन में, तुमने एक काम किया हे जो कभी किसी को समझा नहीं सकते । आप किनारे आने के बात कहेंगे, हमे ऐसा करना था, फाइबर ऑप ् टिक से, और क ् षीणन, और यह और वह यह सब प ् रौद ् योगिकी, और कठिनाई, समुद ् र पर काम करने के मानव प ् रदर ् शन पहलू, "" आप इसको लोगों को समझा नहीं सकते । यह वो चीज़ हे जो शायद पुलिस या योद ् धाओं को परिचित होंगे और उसको मालुम है कि वह कभी यह समझा नहीं सकते । एक बंधन बनाता है, सम ् मान का बंधन | तो, जब मैं वापस आया मेरी अगली फिल ् म, "" अवतार "" को बनाने के लिए नेतृत ् व का यही सिद ् धांत मैंने लागू किया जो है कि तुम अपनी टीम का सम ् मान करो, तुमें बदले में उनका सम ् मान मिलेंगा । और इसने वास ् तव में गति को बदल दिया । तो यहाँ मैं था एक छोटी सी टीम के साथ, अज ् ञात क ् षेत ् र में, "" अवतार "" बना रहा हूँ, नई तकनीक से, जो पहले नहीं थी । काफी रोमांचक | काफी चुनौतीपूर ् ण | साढ ़ े चार साल में हम एक परिवार की तरह बन गए । और यह मेरे फिल ् मों को बनाने के तरीके को बदल दिया । तो लोगों ने इनके ऊपर टिप ् पणी की "" आपको पता है, समुद ् र जीवों को वापस लाया उन ् हें पैंडोरा ग ् रह में डाला । "" इन सबके ऊपर । मेरे लिए यह व ् यापार करने का एक मौलिक तरीका था, वह प ् रक ् रिया जो खुद, उसके परिणाम में बदल गया "" । तो, इन सबसे हम क ् या संश ् लेषण कर सकते हैं? तो इन सब से सीखे सबक क ् या हैं? मेरे विचार में, नंबर एक है जिज ् ञासा । यह सबसे शक ् तिशाली चीज़ है जिसके आप मालिक है । कल ् पना एक ताकत है जो वास ् तविकता में बदला जा सकता है । और अपनी टीम का सम ् मान सबसे महत ् वपूर ् ण है दुनिया के सभी ख ् याति से । मेरे पास कई जवान फिल ् म निर ् माताओं है जो आ के कहते है "" यह करने के लिए मुझे कुछ सलाह दीजिये । "" और में कहता हूँ । अपने आप पर कोई सीमाएं मत डालना । दूसरों तुम ् हारे लिए वह करेंगे — यह अपने आप मत करो अपने ही ऊपर शर ् त मत लगाओ, जोखिम उठाओ "" नासा के एक पसंदीदा मुहावरा है: "असफलता एक विकल ् प नहीं है |" पर विफलता को एक विकल ् प होना ही पड़ेगा कला और अन ् वेषण में, क ् यूंकि वह विश ् वास की एक छलांग है । और कोई भी महत ् वपूर ् ण प ् रयास हुए नहीं जिसमे नवाचार आवश ् यक नहीं थे और जोखिम के बिना किये गये थे । तुम ् हे उन जोखिम को उठाने के लिए तैयार रहना पड़ेगा । तो, यही एक सोच जो में आपके लिये छोड़ के जा रहा हूँ जो भी आप कर रहे हो, उसमें असफलता एक विकल ् प है पर डर नहीं । धन ् यवाद | (तालियां) मैं पिछले एक दशक से, गैर राज ् यकीय शस ् त ् रधारी संगठनों का अनुसंधान कर रही हूँ सशस ् त ् र संगठन जैसे कि आतंकवादी, विद ् रोही या नागरिक सेना मैं आलेख करती हूँ कि ये संगठन गोलाबारी के अलावा क ् या करते हैं | मेरा उद ् देश ् य इन हिंसाकर ् ताओं को बेहतर समझना और हिंसक संग ् राम से अहिंसात ् मक विरोध में परिवर ् तन के मार ् ग खोजना है | मेरा कार ् यक ् षेत ् र रणभूमि, नीति लोक और पुस ् तकालय है | गैर राज ् यकीय शस ् त ् रधारी संघटनों को समझना अधिकाँश संघर ् षों को हल करने की कुंजी है क ् यूँकि लड़ाई बदल चुकी है | ये राष ् ट ् रों के बीच प ् रतियोगिता हुआ करता था | अब नहीं | अब यह राष ् ट ् र और गैर राज ् यकीय कर ् ताओं के बीच असहमति हैं | उदहारण के लिए, सन १९७५ से २०११ तक जिन २१६ शान ् ति समझौते पर हस ् ताक ् षर हुए इनमें १९६ एक राष ् ट ् र और गैर राज ् यकीय कर ् ताओं के बीच थे इसीलिए हमें इन संगठनों को समझना होगा; किसी भी सफल शान ् ति संधि के लिए, हमें इनसे वार ् ता करनी होगी या फिर उन ् हें हराना होगा | पर हम ऐसा करेंगे कैसे? हमें यह समझना होगा कि ये संगठन लोकप ् रिय क ् यूँ हैं हम ये तो जानते हैं कि वो कैसे लड़ते हैं, क ् यूँ लड़ते हैं पर यह कोई नहीं देखता कि ये तब क ् या करते हैं जब लड़ते नहीं हैं | तो भी, सशस ् त ् र संघर ् ष और निरस ् त ् र राजनीति जुडी हुई हैं ये सब एक ही संगठन के अंग हैं इन संगठनों तो हराना तो दूर, इन ् हें समझ भी नहीं सकते जब तक हमारे पास पूर ् ण जानकारी नहीं है आज के सशस ् त ् र संगठन बहुत जटिल हैं | लेबनान के हिजबुल ् ला का उदहारण लीजिये, जो इजराइल के साथ हिंसक झड़पों के लिए जाना जाता है पर सन १९८० में अपने गठन के साथ हिजबुल ् ला ने अपने राजनीतिक दल का भी गठन किया, एक समाज सेवी प ् राणाली, और एक सामरिक यंत ् र | ठीक इसी तरह, फिलिस ् तीनी हमास, जो इजराइल के खिलाफ आत ् मघाती हमलों के लिए जाना जाता है, वो २००७ से गाज़ापट ् टी पर शासन कर रहा है | ये संगठन गोलाबारी के अलावा भी बहुत कुछ करते हैं ये कई कार ् य करते हैं वे पेचीदा संचार यंत ् र स ् थापित करते हैं जैसे कि रेडियो, टीवी चैनल, इंटरनेट और सोशल मीडिया रणनीति | और इधर है ISIS मैगज़ीन अंग ् रेज़ी में छपी और भर ् ती के लिए प ् रकाशित की गई सशस ् त ् र संघठन धन जुटाने में भी निवेश करते हैं लूटकर नहीं, बल ् कि लाभदायक व ् यवसायों से जैसे कि निर ् माण इकाईयां अब यह गतिविधियाँ आधार है जिस से इन संगठनो का बल बढ़ता है धन कोष बढ़ाता है बेहतर भर ् ती और पहचान बनाता है | सशस ् त ् र संगठन कुछ और भी करते हैं वो जनता के साथ मज़बूत सम ् बन ् ध बनाते हैं समाज सेवा करके | वे विद ् द ् यालय बनाते हैं, अस ् पताल चलाते हैं वे व ् यावसायिक प ् रशिक ् षण और लघु ऋण कार ् यक ् रम चलाते हैं हिज़बुल ् ला इस तरह की सारी एवं और भी सेवाएं देता है सशस ् त ् र संगठन और भी कुछ की पेशकश करते हैं जनमत जीतने के लिए जो राष ् ट ् र नहीं दे रहे सुरक ् षा और सलामती | युध ् ग ् रस ् त अफ़गानिस ् तान में तालिबान के प ् रारंभिक उत ् कर ् ष या ISIS के उदय के शुरुआत को समझा जा सकता है इन संगठनों के प ् रयासों को देख कर सुरक ् षा प ् रदान करने के लिए | अब दुर ् भाग ् य से इन क ् षेत ् रों में जनता को सुरक ् षा के प ् रावधान के लिए बहुत भारी कीमत अदा करनी पड़ी | सामान ् यतः जन सेवाओं से सरकार के द ् वारा छोड़ी गई रिक ् ति, शासन की किसी रिक ् ति को भरता है और इन संगठनों की ताक़त और प ् रभाव की वृद ् धि करता है | जैसे कि, २००६ में फिलिस ् तीनी हमास की चुनावी जीत को उनकी समाज सेवा को मान ् यता दिए बिना नहीं समझा जा सकता है | अब यह एक जटिल तस ् वीर है फिर भी पश ् चिमी देशों, जब हम सशस ् त ् र संगठनों की हिंसा की बात करते हैं | परन ् तु यह काफी नहीं है इन संगठनों की ताक़त, रणनीति या दूरदर ् शिता समझने के लिए | यह संगठन बहु-आयामी हैं | इनका उदय इसलिए होता है क ् यूँकि ये सरकार की रिक ् ति को पूरा करते हैं और वे सशस ् त ् र एवं राजनीतिक रूप में उभरते हैं हिंसक संघर ् ष करते हैं और शासन करते हैं | और ये संगठन जितने जटिल एवं परिष ् कृत होते जायेंगे हमारे लिए उतना ही मुश ् किल होगा इन ् हें राष ् ट ् र विरोधी समझना | अब आप हिजबुल ् ला जैसे संगठन को क ् या कहेंगे? वे एक राज ् य क ् षेत ् र का शासन करते हैं, सारे प ् रशासनिक कार ् य करते हैं वे कचरा उठाते हैं, मलप ् रवाह पद ् धति चलते हैं | क ् या यह सरकार है? क ् या ये विद ् रोही संगठन है? या फिर कुछ और ही है, कुछ भिन ् न और नवीन? और ISIS क ् या है? इनके बीच अंतर धुंधला है | हम जिस दुनिया में रहते हैं वो राष ् ट ् रों, गैर राजकीय कर ् ताओं के बीच में है, और राष ् ट ् र जितने निर ् बल होंगे, जैसे कि मध ् य पूर ् वी राष ् ट ् रों में आज कल, उतने ही गैर-राज ् यकीय कर ् ता उस रिक ् ति को पूर ् ण करने के लिए उभरेंगे | यह सरकारों के लिए महत ् वपूर ् ण है, क ् यूँकि इन संगठनों से लड़ने के लिए उनको गैर-सैनिक यंत ् रों में निवेश करना होगा शासन की त ् रुटियों को सुधारना किसी भी दीर ् घकालिक रणनीति का केंद ् र बिंदु होना चाहिए | ये अत ् यंत महत ् वपूर ् ण है, शान ् ति संधि और शान ् ति स ् थापना के लिए | हम जितना सशस ् त ् र संगठनों को बेहतर समझेंगे उतना ही बेहतर जानेंगे कि इन ् हें हिंसा से अहिंसा की तरफ कैसे प ् रोत ् साहित किया जाए | तो राष ् ट ् रों और गैर राज ् यकीय (संगठनों) के बीच की इस नयी लड़ाई में सैनिक क ् षमता से कुछ युद ् ध तो जीते जा सकते हैं लेकिन वो हमे अमन और स ् थिरता नहीं देगा | इन लक ् ष ् यों को हासिल करने के लिए हमें दीर ् घकालीन निवेश करने होंगे सुरक ् षा में रिक ् ति भरने के लिए, शासन की रिक ् ति भरने के लिए जिससे इन संगठनों को उभरने का मौका मिला धन ् यवाद | (तालियाँ) मेरा नाम एमिलिअनो सेलिनास है और मैं उस भूमिका के बारे में बात करने जा रहा हूँ जिस भूमिका को हम समाज के लोग इस आतंक के वातावरण में निभा सकते हैं जिसमे यह यह देश अभी रह रहा है | मेरा जन ् म 1976 में हुआ था | मैं एक पारंपरिक मेक ् सिकन परिवार में बड ़ ा हुआ हूँ | बचपन में मेरा जीवन सामान ् य ही था मैं स ् कूल जाता था, दोस ् तों और भाइयों के साथ खेलता था | पर फिर मेरे पिता मेक ् सिको के राष ् ट ् रपति बन गए और मेरा जीवन बदल गया | मैं जो कहने जा रहा हूँ, कुछ बातें जो मैं कहने जा रहा हूँ, उसके कारण विवाद हो सकता है | सबसे पहले क ् योंकि यह मैं कहने जा रहा हूँ | और दूसरा क ् योंकि मैं जो कहने जा रहा हूँ वह सच है | और इससे बहूत से लोग परेशान हो जायेंगे क ् योंकि यह कुछ ऐसा है जिसे हम सुनना नहीं चाहते | लेकिन यह जरूरी है कि हम इसे सुने क ् योंकि इसे नकारा नहीं जा सकता और यह निश ् चित है | यह आपराधिक संगठनों को भी परेशान करेगा और इसी कारण से मैं उस भूमिका के बारे में बात करूँगा जो हम समाज के सदस ् य इस घटना में अदा करते हैं, और चार अलग प ् रतिक ् रिया के बारे में जो हम नागरिक हिंसा के खिलाफ देते हैं | मुझे पता है बहुत से लोगों को इस तथ ् य को अलग करने में मुश ् किल होगी कि मैं कार ् लोस सेलिनास दे गोर ् तरी का पुत ् र एक ऐसा नागरिक हूँ जो देश की वर ् तमान परिस ् थिति पर चिंतित है | चिंता मत कीजिये | मैं जिस बात को कहने जा रहा हूँ उसकी महत ् ता को समझने के लिए वह जरुरी नहीं है | मैं सोचता हूँ कि हमारे पास मेक ् सिको में समस ् या है | एक बहुत बड ़ ी समस ् या है | मुझे लगता है कि इस पर आम सहमति है | कोई मतभेद नहीं है हम सभी मानते हैं कि यहाँ एक समस ् या है | हम जिस पर सहमत नहीं हैं वह यह है कि वास ् तव में समस ् या क ् या है | क ् या यह जेतास है? नशीली दवाओं के तस ् कर? प ् रशासन? भ ् रष ् टाचार? गरीबी? या कुछ और है? मैं समझता हूँ इनमे से कुछ भी समस ् या नहीं है | मेरा मतलब यह नहीं है कि इन पर ध ् यान ना दिया जाये | पर हम इनमे से किसी से भी निपट नहीं पाएंगे अगर हम उस असली समस ् या का समाधान नहीं करते हैं जो मेक ् सिको में सबसे पहले है | असली समस ् या यह है कि हममे से बहुत से मेक ् सिकन, ऐसा सोचते हैं कि हम हमारी परिस ् थिति से पीड ़ ित हैं | हम पीड ़ ितों का एक देश हैं | ऐतिहासिक दृष ् टि से हम हमेशा कोई चीज ़ से या किसी से पीड़ित रहे हैं | हम स ् पेन से पीड़ित थे | हम फ ् रेंच से पीड़ित थे | हम डान पोर ् फिरियो से पीड़ित थे | और फिर हम PRI से पीड़ित थे | यंहा तक की सालिनास और एल पेजे से और अब जेतास से और तस ् करों से और अपराधियों से और अपहर ् ताओं से एक मिनट रुकिए! क ् या होगा अगर इनमे से कोई भी समस ् या ना हो तो? समस ् या उन बातों की नहीं है जिससे हम खुद को पीड़ित समझते है | समस ् या यह है कि हम पीड़ितों की भूमिका अदा करते हैं | हमें हमारी आँखे खोलनी होगी और देखना होगा कि हम पीड़ित नहीं हैं | अगर हम प ् रताड़ित महसूस करना बंद करें, अगर हम पीड़ितों जैसा होना बंद करें, तो हमारा देश बहूत बदल जायेगा! मैं इस बारे में बात करने जा रहा हूँ कि कैसे परिस ् थितियों से पीड़ित समाज से उस एक जिम ् मेदार, सम ् मिलित समाज की ओर जाया जाये जिसके देश का भविष ् य खुद उसके हांथों में हो | मैं बात करने जा रहा हूँ उन चार तरह के हिंसा पर नागरिक प ् रतिक ् रिया के बारे में सबसे कमजोर से सबसे ताकतवर तक | सबसे पहला हिंसा के खिलाफ प ् रतिक ् रिया का सबसे कमजोर रूप, इनकार और उदासीनता है | आज, मेक ् सिकन समाज के बहुत से लोग हम जिस परिस ् थिति में हैं उसे नकार रहे हैं | हम अपने दैनिक जीवन में चलते रहना चाहते हैं अगर हम सामान ् य परिस ् थिति में ना हों फिर भी | हमारे देश में रोजमर ् रा में असाधारण परिस ् थितियों के बारे बहुत कम ही कहा जाता है | यह कुछ ऐसा है जैसे कोई बहुत बीमार हो और हम दिखावा करें कि जुकाम है और यह चला जायेगा | हम यह दिखावा करना चाहते हैं कि मेक ् सिको को जुकाम है | पर नहीं है | मेक ् सिको को कैंसर है | अगर हम इसका कुछ नहीं करते हैं, तो कैंसर इसे मार कर खत ् म कर देगा | हमें मेक ् सिकन समाज को इनकार और उदासीनता से नागरिक प ् रतिक ् रिया के दूसरे चरण पर ले जाना होगा, जो है स ् वीकार करना | पर उस स ् वीकृति से डर फैलेगा — जब स ् थिति की गंभीरता को स ् वीकार किया जायेगा | पर डर उदासीनता से बेहतर है क ् योंकि डर से हम कुछ करते हैं | मेक ् सिको में बहुत से लोग आज डरे हुए हैं | हम बहुत डरे हुए हैं | और हम डर के कारण कुछ कर रहे हैं | मैं आप को बताना चाहूँगा की डर कर काम करने में क ् या समस ् या है और नागरिक प ् रतिक ् रिया का यह दूसरा चरण है डर | मेक ् सिको की सड़कों के बारे में सोचो: वो हिंसा के कारण असुरक ् षित हैं, इस लिए लोग घर पर रहते हैं | तो इससे सड़कें कम या ज ् यादा सुरक ् षित होती हैं? कम सुरक ् षित होती हैं! इसलिए सड़कें और ज ् यादा वीरान और असुरक ् षित होती हैं और हम और ज ् यादा घर पर रहते हैं — जिससे सड़कें और भी ज ् यादा वीरान और असुरक ् षित होती हैं और फिर हम और ज ् यादा घर पर रहते हैं | और यह सिलसिला तब खत ् म नहीं होता है जब सभी मौत के डर से अपने घर पर छुप कर बैठ जाते हैं — और उससे भी ज ् यादा डरे हुए होते हैं, जब हम बाहर सड़कों पर हुआ करते थे | हमें इस डर का सामना करना होगा | हमें मेक ् सिकन समाज को आगे बढ़ाना होगा | समाज के जो लोग इस चरण पर हैं उन ् हें अगले चरण पर लेकर जाना होगा, जो की कार ् यान ् वित करना है | हमें डर का सामना करना होगा और वापस अपनी सड़कों पर जाना होगा, अपने शहरों, अपने पास पड ़ ोस में वापस जाना होगा | बहुत से लोग रोष के साथ कार ् य करते हैं | हम डर से रोष की ओर जाते हैं | वो कहते हैं "" कि हम और नहीं सह सकते आओ इसके लिए कुछ करते हैं "" हाल ही में — यह एक संवेदनशील आंकड ़ ा है मेक ् सिको में अबतक 2010 में 35 लोगों को गैर कानूनी ढंग से मार दिया गया है | यह साल में आमतौर पर एक या दो होता था | पर अब हम सप ् ताह में एक देख रहे हैं | इससे पता चलता है कि समाज कितना हताश है और यह कानून अपने हांथों में ले रहा है | दुर ् भाग ् य से, हिंसक प ् रतिक ् रिया कोई प ् रतिक ् रिया ना करने से बेहतर है — पर उसमे शामिल होना सिर ् फ हिंसा के रूप को बदलता है अगर मैं आप के प ् रति हिंसक हूँ और आप भी हिंसा से ही जवाब देते हैं, तो आप भी हिंसा में शामिल हो जाते हैं और आप सिर ् फ मेरे हिंसा का रूप बदलते हैं | इसलिए नागरिक प ् रतिक ् रिया महत ् वपूर ् ण है, किन ् तु यह भी महत ् वपूर ् ण है कि जो लोग रोष और हिंसक कार ् य के चरण में हैं उन ् हें अगले चरण पर लेकर जाया जाये, जो कि अहिंसक कार ् यवाही करना है | यह शांत, समन ् वित नागरिक प ् रतिक ् रिया है, जिसका मतलब निष ् क ् रिय कार ् यवाही नहीं है | इसका मतलब यह है कि यह दृढ ़ और प ् रभावी प ् रतिक ् रिया है पर हिंसक नहीं है | मेक ् सिको में इसके कई उदाहरण हैं | दो साल पहले, ग ़ लेना शहर में, एक संप ् रदाय के सदस ् य का अपहरण हो गया था, एरिक ले बारोन उनके भाई, बेंजामिन और जुलियन समुदाय के लोगों के सांथ मिलकर सबसे सही तरीके के बारे में सोचा फिरौती की मांग को मान लेना या हथियार लेकर अपहरंकर ् ताओं से लड़ने जाना या सरकार से मदद मांगना अंत में बेंजामिन और जुलियन ने फैसला किया कि सबसे अच ् छा काम जो वो कर सकते हैं वो पुरे समुदाय को एकत ् रित करना और साथ में काम करना है | तो उन ् होंने क ् या किया? उन ् होंने सारे समुदाय को ले बारोन में जुटाया चिहुआहुआ जाने के लिए जहाँ उन ् होंने शहर के सेंट ् रल पार ् क में धरना दिया | अपहरंकर ् ताओं को सन ् देश भेजा "" अगर तुम फिरोती चाहते हो तो आओ और ले जाओ हम तुम ् हारा यंही इंतजार करेंगे "" वे वहीँ रहे सात दिन बाद, एरिक को छोड़ दिया गया और वो घर वापस आ सका | यह एक उदाहरण है जो एक व ् यवस ् थित समाज कर सकता है | एक समाज जो क ् रियाशील है | आपराधिक ताकतें जवाब देती हैं और इस घटना में भी उन ् होंने दिया | 7 जुलाई 2009 को बेंजामिन ले बारोन की हत ् या कर दी गई | पर जुलियन ले बारोन कार ् य करते रहे और एक साल तक चिहुआहुआ में समुदायों को प ् रेरित करते रहे और अगले एक साल में उन ् हें पता चल गया कि इसकी उन ् हें बड ़ ी कीमत चुकानी पड़ेगी | पर वो लड़ते रहे | वो लोगों को संगठित करते रहे लोगों को प ् रेरित करते रहे ऐसे वीरता के किस ् से इस देश में सभी जगह हैं | अगर हजारों जुलियन एक साथ काम करें तो मेक ् सिको एक बहूत ही अलग देश होगा | और वो यहाँ है! उन ् हें बस अपना हाँथ उठाना होगा मैं मेक ् सिको में पैदा हुआ, मेक ् सिको में बड ़ ा हुआ और इस दौरान मैं मेक ् सिको से प ् यार करना सीखा | मैं सोचता हूँ इस मेक ् सिको की धरती पर जिसने भी कदम रखा और सारे मेक ् सिको के लोग इस बात से सहमत होंगे कि मेक ् सिको से प ् यार करना इतना मुश ् किल नहीं है | मैं बहूत से जगह गया हूँ और मैंने वैसा जोश कहीं और नहीं पाया जैसा मेक ् सिको के लोगों में है | जो निष ् ठा और उत ् साह हम राष ् ट ् रिय फ़ुटबाल टीम के लिए महसूस करते हैं हम वही निष ् ठा और उत ् साह आपदाओं से पीड ़ ितों की मदद में प ् रकट करते हैं जैसे कि 1985 का भूकम ् प और इस साल आये बाढ ़ के बाद प ् रकट किया | एक उत ् साह से हम राष ् ट ् रीय गान तब से गाते आ रहे हैं जब से हम बच ् चे थे | जब हमने सोचा मसिओसरे (Masiosare) हमारा दुश ् मन था तब हमने बच ् चे के दिल की तरह गीत गाये "हर बेटे में एक सिपाही" मैं सझता हूँ सबसे बड ़ ा अपमान सबसे बुरी तरह किसी मेक ् सिकन को अपमानित करना उनकी माँ का अपमान करना है | माँ जीवन में सबसे पवित ् र है | मेक ् सिको हमारी माँ है और आज वो अपने बच ् चों के लिए रो रही है | हम अपने इतिहास के सबसे अंधेरे पल से गुजर रहे हैं | हमारी माँ, मेक ् सिको हमारी अपनी आँखों के सामने प ् रताड़ित हो रही है | हम क ् या करने जा रहे हैं? मसिओसरे (Masiosare) हमारा दुश ् मन यहाँ है | हर बेटे में वो सिपाही कहाँ है? महात ् मा गाँधी नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले महान लोगों में से एक ने कहा था, "" संसार में जो परिवर ् तन आप देखना चाहते हैं पहले वह परिवर ् तन आप खुद बनिए "" | आज हमें मेक ् सिको के लोगों में गाँधी चाहिए | हम गाँधी चाहते हैं | हमे वो पुरुष और महिला चाहिए जो मेक ् सिको से प ् यार करते हैं और जो मेक ् सिको के लिए काम करना चाहते हैं | सभी सच ् चे मेक ् सिको वासियों से यह गुहार है कि इस मुहीम में शामिल हों | यह पुकार है ताकि मेक ् सिको की हर वो बात जिससे हमें प ् यार है — त ् योहार, बाजार रेस ् तरां, कैनटीना टकीला, मैरियाचिस, सेरेनादिश पोसादास, एल ग ् रितो, द डे ऑफ ़ द डेड सन मिगल, आनन ् द, जीवन के लिए जुनून, सब कुछ जो मेक ् सिकन होने के लिए मायने रखता है — इस दुनिया से गायब ना हो जाये | हम एक बहुत शक ् तिशाली प ् रतिद ् वंद ् वी का सामना कर रहे हैं | पर हम बहुत कुछ हैं | वो एक आदमी का जीवन ले सकते हैं | कोई भी मुझे मार सकता है, या तुम ् हे, या तुम ् हे मार सकता है | पर मेक ् सिको की सच ् ची भावना को कोई नहीं मार सकता है हम युद ् ध जीत चुके हैं, पर फिर भी हमें इसे लड़ना होगा | 2000 साल पहले, रोमन कवि जुवेनल ने कुछ कहा था जो आज हर सच ् चे मेक ् सिको वासी के दिल में गूंज रहा है | उन ् होंने कहा था "" यह सबसे बड ़ ा पाप है अगर हम सम ् मान की जगह जीवन को चुनते हैं और बस जीने के लिए उसे खो देते है जो जीवन जीने के लायक बनाता है "" | धन ् यवाद | (अभिवादन) एक उपहार की कल ् पना कीजिये | मैं चाहती हूँ आप इसकी अपने दिमाग में एक छवि बना ले | यह ज ् यादा बड़ा नहीं है — गोल ् फ बाल के आकार का | तो कल ् पना कीजिये यह पैक हुआ कैसा दिखता होगा | इसके पहले मैं आप दिखाऊ कि इसके अंदर क ् या है, मैं आपको बताना चाहूंगी कि यह अविश ् वसनीय चीज़े करेगा आपके लिए | यह आपके पूरे परिवार को एक साथ ले आएगा | आपको लोगो का स ् नेह और सराहना मिलेगी जो पहले ना मिली हो आप उन दोस ् तों और जान पहचान के लोगो से फिर से जुड़ेंगे जिनसे काफी दिनों से बात नहीं हुई हो | अति स ् नेह और प ् रशंसा आपको अति उत ् साहित कर देगा | यह पुन: निर ् धारित करेगी कि आपके जीवन में क ् या महत ् वपूर ् ण है | यह आपके अध ् यात ् म और श ् रद ् धा की समझ को फिर से परिभाषित करेगा | आपमें अपने शरीर के बारे में एक नयी समझ और विश ् वास होगा | आपमें नायाब जीवन शक ् ति और ऊर ् जा होगी | आपका शब ् दकोष बढेगा, नए लोगो से मिलेंगे, और आपकी दिनचर ् या ज ् यादा स ् वस ् थ होगी | और इसे देखिये, आपको कुछ भी ना करने के लिए आठ हफ ् तों की छुट ् टी मिलेगी | आप अनगिनत अच ् छे अच ् छे खाने खाएंगे | बहुत बड़ी मात ् रा में आप के पास फूल आयेंगे | लोग आपसे कहेंगे कि "आप अच ् छे लग रहे है, क ् या आपका कोई काम बचा है?" और आपके पास अच ् छी दवाइयों की जीवन भर की आपूर ् ति होगी | आप चुनौतीपूर ् ण, प ् रेरित और विनम ् र होंगे | आपके जीवन एक नया अर ् थ होगा | शांति, स ् वास ् थ शुद ् धता, प ् रसन ् नता, निर ् वाण | इसकी कीमत? 55,000 डालर | और यह एक बहुत बढिया सौदा है | मुझे पता है अब आप इसे जानने के लिए तड़प रहे होंगे क ् या है यह और आप इसे कहाँ पा सकते है | क ् या अमेज़न (Amezon) इस बेचता है? क ् या इसके ऊपर एप ् पल (Apple) का निशान है? क ् या इसके लिए कोई प ् रतीक ् षा सूची है? बिल ् कुल नहीं | यह उपहार मुझे करीब पांच महीने पहले प ् राप ् त हुआ | यह कुछ इस तरह दिख रहा था जब यह पैक था — उतना सुंदर नहीं था | और यह | और फिर यह | यह एक दुर ् लभ रत ् न था, दिमाग का ट ् यूमर, हेमनजियोब ् लास ् टोमा, ऐसा उपहार जो निरतंर देता रहता है | और अब जब मैं ठीक हो गयी हूँ, यह उपहार मैं आपके लिए बिल ् कुल नहीं चाहुंगी | मुझे नहीं लगता आप इसे पाना चाहेंगे | लेकिन इससे मेरा अनुभव नहीं बदलेगा | इसने काफी गहराई से मेरा जीवन बदला उस तरह जैसा मैंने कभी सोचा नहीं था उन सभी तरीको से जो मैंने आपको बताये | तो अब अगली बार जब आपका सामना हो किसी अप ् रत ् याशित, अनचाहे और अनिश ् चित चीज़ से, सोचिये यह सिर ् फ एक उपहार हो सकता है (अभिवादन) (हँसी) मैं नारीत ् व से डरती थी ॰ ऐसा नहीं है कि मुझे अब डर नहीं लगता, लेकिन अब मैंने दिखावा सीख लिया है. मैंने लचीला होना सीख लिया है. वास ् तव में, मैंने कुछ दिलचस ् प उपकरण विकसित किया है मुझे इस डर मैं समझाता हूँ. '50 और' 60 के दशकों में, जब मैं बड ़ ा हो रहा था, छोटी लड ़ कियों दयालु और विचारशील समझी जाती थीं. और सुंदर और कोमल और नरम. और हम सब भूमिकाओं में ढलने वाले समझे जाते थे जो कि धुंधले से थे. वास ् तव में स ् पष ् ट नहीं था की हमें क ् या होना चाहिए. (हँसी) हमारे आसपास बहुत सारे.अच ् छे उदाहरण थे. हमारी माताओं, हमारी दादी, चाची, हमारी बहनों वगैरह, और हां, हर जगह मौजूद मीडिया हमारे ऊपर छवियों और शब ् दों की बौछार करता हुआ, हमें बताते हुए की हमे कैसा होना चाहिए. अब मेरी माँ अलग था. वह एक गृहिणी थी, लेकिन वह और मैं बाहर जाकर वो सब चीज़ें नहीं करते थे जो लड ़ कियों को करना चाहिए था. और उन ् होने मेरे लिए गुलाबी रंग के कपड़े नहीं खरीदे. इसके बजाय, वह जानती और मैंने उसे चाट डाला. मैं लगातार चित ् र बनती रही और बनती रही. और क ् योंकि मैं जानती थी कि हास ् य मेरे परिवार में स ् वीकार ् य था, मैं चित ् र बना सकती थी, जो चाहती थी कर सकती थी, प ् रदर ् शन करने की या बात करने की ज़रूरत के बिना - मैं बहुत शर ् मीली थी - और मुझे फिर भी सब पसंद करते थे. मेरा कार ् टूनिस ् ट बनने का सफर शुरू हो गया. जब हम जवान होते हैं, हमे हमेशा पता नहीं होता है - हम जानते हैं कि वहाँ कुछ नियम हैं, लेकिन हमें हमेशा पता नहीं होता है - हम उन ् हें सही तरह से निभाते नहीं हैं, यद ् यपि हम जन ् म से अंकित होते हैं इन बातों के साथ, और हमें कहा जाता है दुनिया में सबसे महत ् वपूर ् ण क ् या रंग है. हमें बताया रहे हैं की हमारा आकार कैसा होना चाहिए (हँसी) हमें बताया जाता है की क ् या पहनना चाहिए - (हँसी) और अपने बाल कैसे बनाने है - - (हँसी) - और कैसा व ् यवहार करना चाहिए अब जिन नियमों कि मैं बात कर रहा हूँ संस ् कृति उनपर लगातार नजर रखे हुए है. हम सही किया जा रहा है. और सबसे बड़ी थानेदार महिलाएं हैं, क ् योंकि हम परंपरा के वाहक हैं. हम उन ् हें पीढ ़ ी दर पीढ ़ ी आगे देते चले जाते हैं. इतना ही नहीं, हममें हमेशा यह अस ् पष ् ट धारणा रही है कि कुछ हमसे कुछ आशा की जाती है. और अगर ये नियमों काफी नहीं हैं, वे बदलते भी रहते हैं. (हँसी) आधे समय हम नहीं जानते कि क ् या हो रहा है, तो यह हमे बहुत कमजोर स ् थिति में डाल देते हैं. (हँसी) अब अगर आप इन नियमों पसंद नहीं करते, और हम में से कई नहीं करते हैं - मैं जानती हूँ कि मैं नहीं करती थी, और अब भी नहीं करती हूँ, जब की मैं आधा समय उनका पालन करती हूँ, बिना सचमुच ये जाने की मैं उनका पालन कर रही हूँ - उन ् हे बदलने का हास ् य से अच ् छा और क ् या तरीका है? हास ् य किसी समाज की परंपराओं पर निर ् भर होता है. यह हमारी जानकारी को लेकर उसे घूमा देता है. यह व ् यवहार और पोशाक के तौर तरीकों को लेता है, और उन ् हे अप ् रत ् याशित बना देता है, और यही हंसी पैदा करता है. अब अगर आप महिलाओं और हास ् य को एक साथ दाल दें? मुझे लगता है कि आप परिवर ् तन ला सकते हैं. क ् योंकि महिलाएँ ज़मीनी स ् तर पर हैं, और हम परंपराओं को अच ् छी तरह से जानती हैं, हम चर ् चा में एक अलग आवाज़ बन सकती हैं. तो मैंने चित ् र बनाने शुरू कर दिये बहुत सारी अव ् यवस ् था के बीच में. मैं यहाँ से नजदीक वॉशिंगटन डी.सी. में पली बड़ी हुई नागरिक अधिकार आंदोलन, हत ् या के दौर में. वाटरगेट सुनवाई और नारीवादी आंदोलन के समय. और शायद मैं चित ् र बनती थी यह पता लगाने की कोशिश में कि क ् या चल रहा था. और फिर मेरे परिवार में भी गदर था. और मैं अपने परिवार को एक साथ लाने की कोशिश में चित ् र बनती थी - (हँसी) - हँसी से अपने परिवार को एक साथ लाने के प ् रयास में. यह काम नहीं आया. मेरे माता पिता के तलाक हो गया, और मेरी बहन को गिरफ ् तार कर लिया गया. लेकिन मुझे अपनी जगह मिल गई. मैंने पाया कि मुझे ऊँची एड ़ ी के जूते पहनने कि ज़रूरत नहीं थी, मुझे गुलाबी रंग पहनने कि ज़रूरत नहीं थी, और मैं जैसे मैं सब के साथ फिट बैठ सकती थी. अब जब मैं थोड़ी बड़ी हुई, 20 एक साल कि, मैंने महसूस किया कि बहुत सारी महिलाएं कार ् टून नहीं बनती हैं. और मैंने सोचा, "" शायद हो सकता है की मैं पार कर सकूँ, कार ् टून बनाने की इस लक ् ष ् मण रेखा को । "" और मैंने ऐसा ही किया; मैं एक कार ् टूनिस ् ट बन गयी. और फिर अपने चालीसवे साल से मैं सोचने लगी, "" क ् यों न मैं कुछ ऐसा करूँ? मुझे राजनीतिक कार ् टून हमेशा बहुत पसंद थे, तो क ् यों ना मैं अपने कार ् टूनों की सामग ् री के साथ कुछ करूँ जिस से लोग उन मूर ् खतापूर ् ण नियमों के बारे में सोचें जिनका हम पालन कर रहे हैं और साथ साथ हसें? "" अब मेरा नज़रिया विशेश तौर पे - (हंसी) मेरा नज़रिया विशेष तौर पे अमरीकी नज़रिया है. क ् योंकि मैं यहाँ रहती हूँ. यद ् यपि मैंने बहुत घूमा है, मैं अभी भी एक अमरीकी महिला की तरह सोचती हूँ. लेकिन मुझे विश ् वास है की जिन नियमों की मैं बात कर रही हूँ वो सभी जगह पाये जाते हैं, ये ज़रूर है - की हर संस ् कृति की अपनी और वेश भूषा और परम ् पराएँ, और हर औरत को इन सब चीजों का सामना करना पड़ता है जो हम यहाँ अमरीका में करती हैं फलस ् वरूप, हमारे पास - औरतों के पास, क ् योंकि हम सतह पे होती हैं, हमे रीति रिवाज पता होते हैं - हमारे परखने की क ् षमता बहुत अच ् छी होती है. अब हल का मेरा काम रहा है अन ् तराष ् ट ् रिय कार ् टूनिस ् ट ् स के साथ सहयोग करना रहा है, जिसमे मुझे बहुत आनंद आता है. और उसने मुझे बेहतर सराहना दी है कार ् टूनों की शक ् ति की सत ् य जल ् दी और संक ् षेप में मुद ् दों तक पाहुचने के लिए. यही नहीं, ये दर ् शक तक पहुच सकते हैं केवल दिमाग के रास ् ते ही नहीं, पर दिल के रास ् ते भी. मेरे कम ने मुझे इजाज़त दी है सहयोग करने की दुनिया भर की महिला कार ् टूनिस ् ट ् स से - देश जैसे के सऊदी अरबिया, ईरान, टर ् की, अर ् जेंटीना, फ़ ् रांस, — और हम एकट ् ठे बैठ के हँसे हैं, और अपनी कठिनाइयो के बारे मे बात की है और उन ् हे बांटा है. और ये औरतें अपनी आवाज़ सुनने के लिए इतनी मेहनत कर रही हैं बहुत मुश ् किल हालात में. लेकिन उनके साथ कम करके मैं अपने आप को भाग ् यशाली समझती हूँ. और हम बात करते हैं इस बारे में कि हमारी नाज़ुक स ् थिति के कारण और परंपरा के रखवाले होने के कारण कि हम में बहुत संभावनाएं हैं बदलाव के कारक होने की. और मैं सोचती हूँ की मुझे ये सच ् चा विश ् वास है, कि हम इसको बदल सकते हैं एक एक हंसी करके. धन ् यवाद. (तालियाँ) मैं एक कथावाचक हूं. और मैं आपको कुछ निजी कहानियां सुनाना चाहती हूं जिन ् हें मैं "" इकलौती कहानी के खतरे "" कहती हूं. जब मैं लगभग सात साल की थी तभी से मैं पेंसिल और क ् रेयॉन से चित ् रित करके कहानियां लिखने लगीवे बर ् फ ़ में खेलते थे. क ् योंकि जो ब ् रिटिश कहानियां मैं पढ ़ ती थी उनके चरित ् र भी (हंसी) मैं सोचती हूं कि इस सब से यह दिखाता है किजब हम बच ् चे हों. उस समय ये पुस ् तकें बहुत कम उपलब ् ध थीं. और जो थीं वे भी विदेशी पुस ् तकों जितनी आसानी से नहीं मिलतीं थीं. मेरे साहित ् यबोध में सहसा बहुत बड ़ ा मुझे लगा कि मेरे जैसे लोग, उन ् होंने मुझे कल ् पनाशील बनाया. मेरे लिए नई दुनिया का द ् वार खोला. लेकिन इसका अनभिप ् रेत परिणाम यह हुआ कि मुझे इस बात का ज ् ञान नहीं हो सका इसने मुझे केवल एक ही तरह की पुस ् तकें होती है - मेरा जन ् म एक पारंपरिक मध ् यवर ् गीय नाइजीरियाई परिवार में हुआ था. मेरे पिता प ् रोफ ़ ेसर थे. मेरी मां ने उसके घर जिमीकंद, चावल, और जब कभी मैं अपना खाना छोड ़ देती, तो मेरी मां कहतीं, तब मुझे फ ़ ीडे के परिवार पर बहुत दया आती थी. जो उसके भाई ने ताड ़ के रंगे हुए पत ् तों से बनाई थी. वह देखकर मैं हैरान रह गई. मैं सोच भी नहीं सकती थी कि उसके परिवार में वास ् तव में कोई कुछ बना सकता था. मैं सिर ् फ यही सुनती आई थी कि वे बहुत गरीब थे, और इस तरह मैं उनके बारे में कुछ और नहीं जान सकी थी सालों बाद, मैंने इस बारे में सोचा जब मैं नाइजीरिया छोड ़ कर उसने मुझसे पूछा कि मैंने इतनी अच ् छी अंग ् रेजी कहां सीखी, और उसे तब और भी निराशा हुई जब मैंने उसे मेरे मराइया कैरी के टेप दिखाए. (हंसी) उसे यह लगता था कि मुझे स ् टोव इस ् तेमाल करना कृ ् पा, सदाशयता, और करूणा जगा दी थी. मेरी रूम-मेट के पास अफ ़ ् रीका की एक ही कहानी थी. उसमें दयाभाव से इतर अनुभूति की कोई संभावना नहीं थी. समानता के संबंध की कोई गुंजाईश नहीं थी. मैं यहाँ ये कहना कहूंगी कि अमेरिका जाने के पहले मैं खुद को लेकिन अमेरिका में जब अफ ़ ् रीका का ज ़ िक ् र चलता तो सारी आंखें मुझपर टिक जातीं थीं. इससे कोई फ ़ र ् क नहीं पड ़ ता कि मैं नामिबिया जैसी जगहों के बारे में कुछ नहीं जानती थी. लेकिन मैं अपनी इस नई पहचान से बहुत अच ् छे से जुड ़ गई. हांलांकि मुझे तब बहुत खीझ होती है जब इसका ताजा उदाहरण ये है कि मेरी लगभग शानदार यात ् रा में लागोस से दो दिन पहलेवाली उड ़ ान में(हंसी)मैं मेरे प ् रति मेरी रूम-मेट की प ् रतिक ् रियाओं को समझने लगी. यदि मैं नाइजीरिया में पलती-बढ ़ ती नहीं तो मेरे मन में भी अफ ़ ् रीका कीऔर अबूझ लोग रहते हैं, जो फ ़ िजूल में लड ़ ते रहते हैं, गरीबी और एड ् स से मरते हैं,और इस इंतजार में रहते हैं कि उन ् हें मेरे विचार से, अफ ़ ् रीका की बेचारगी की यह इकलौती कहानी पश ् चिमी साहित ् य से आती है. मेरे पास यहां एक उद ् धरण है जो 1561 मे पश ् चिमी अफ ़ ् रीका आया, और उसने अपनी यात ् रा के रोचक विवरण लिखे. वह लिखता है, "" यहां ऐसे लोग भी हैं जिनके सिर नहीं हैं, और जिनके मुंह और आंखें उनके वक ् षस ् थल में हैं "". इसे पढ ़ ते समय मैं हर बार हंस पड ़ ती हूं. परंपरा की शुरुवात का निरूपण करती है. ऎसी परंपरा, जो अधो-सहारा अफ ़ ् रीका को नकारात ् मक बातों से भरी,"" आधे दैत ् य, आधे शिशु "" कहने की रही है.उसके पूरे जीवनकाल में ऐसी ही एकतरफा कहानी के विभिन ् न जिस प ् रकार मेरे एक प ् रोफेसर ने एक बार मुझसे कहा था कि मेरे उपन ् यास "" प ् रामाणिक रूप से अफ ़ ् रीकी "" नही लगते थे. लेकिन मैं यह नहीं मान सकती कि मैं असल में मैं यह जानती ही नहीं थी मेरे प ् रोफेसर ने मुझे बताया कि मेरे चरित ् र इसलिए उन ् हें प ् रामाणिक तौर पर अफ ़ ् रीकी नहीं कहा जा सकता था. लेकिन मुझे यह भी जल ् द स ् वीकार कर लेना चाहिए कि मैं भी ऐसी ही एक एकतरफा कहानी को मानने की दोषी हूं. कुछ सालों पहले मैं अमेरिका से मैक ् सिको की यात ् रा पर गई थी. उन दिनों अमेरिका में राजनीतिक वातावरण तनावपूर ् ण था. और जैसे कि अमेरिका में अक ् सर होता है, आप ् रवासन के विषय को मैक ् सिकोवासियों से जोड ़ दिया गया. सीमाओं पर सेंध लगा रहे थे, उनकी गिरफ ़ ् तारियां हो रहीं थी, ऐसी ही बातें. जब मैंने लोगों को काम पर जाते, बाजार में टॉर ् टिला बनाते, सिगरेट पीते, हंसते हुए देखा. और फिर मैंने बहुत शर ् मिंदगी भी महसूस की. और यह कि मैं भी मन-ही-मन उन ् हें अधम आप ् रवासी केवल एक वस ् तु की तरह बार-बार दिखातीं हैं, और वही वे अंततः बन जाते हैं. वे कैसे कही जाती हैं, उन ् हें कौन कहता है, और जब वे कही जातीं हैं तो कितनी कही जाती हैं, शक ् ति संपन ् न होना केवल किसी व ् यक ् ति की कहानी कहने की क ् षमता तक सीमित नहीं है, फ ़ िलिस ् तीनी कवि मौरीद बरघूती ने लिखा हैइसका सबसे आसान तरीका है उनकी कहानी कहो, और इसे "" दूसरी तरफ "" कहकर शुरु करो.और तुम ् हारे पास एक बिल ् कुल अलग कहानी होगी. और तुम ् हारे पास एक बिल ् कुल अलग कहानी होगी. मैंने हाल में ही एक विश ् वविद ् यालय में व ् याख ् यान दिया जहां एक विद ् यार ् थी ने मुझसे कहा मैंने उसे कहा कि हाल में ही मैंने एक उपन ् यास पढ ़ ा है (हंसी) — और यह बड ़ े शर ् म की बात है कि युवा अमेरिकी क ् रमिक हत ् यारे होते हैं. (हंसी) (तालियां) देखिए, मैंने यह थोड ़ ा चिढ ़ कर कहा था. (हंसी) मैं इस तरह की बात नहीं सोच सकती थीवह किसी भी तरह सारे अमेरिकियों का और ऐसा इसलिए नहीं है कि मैं उस विद ् यार ् थी से बेहतर व ् यक ् ति हूं, बल ् कि इसलिए कि मैं अमेरिका की सांस ् कृतिक और आर ् थिक शक ् ति की बहुत सारी कहानियां सुन चुकी थी. मैं टाइलर, अपडाइक, स ् टाइनबैक, और गैट ् सकिल को पढ ़ चुकी थी. मेरे पास अमेरिका की बस एक ही कहानी नहीं थी. तो मैं सोचने लगी कि मैं किस तरह उन बुरी बातों की लेकिन सच ् चाई यह है कि मेरा बचपन बहुत सुखद था, हमारा परिवार बहुत प ् रेम और आनंद के साथ एकजुट रहता था. लेकिन मेरे पितामह आदि भी थे जिनकी मृत ् यु शरणार ् थी कैंप में हुई थी. मेरी बहुत करीबी दोस ् त ओकोलोमा विमान दुर ् घटना में जलकर मर गई क ् योंकि हमारी अग ् निशमन गाड ़ ियों में पानी नहीं था. मैं दमनकारी सैनिक शासन के बीच बड ़ ी हुई जिसने शिक ् षा का अवमूल ् यन कर दिया, जिसके कारण कभी-कभी मेरे माता-पिता को वेतन नहीं मिलता था. फिर मैंने बचपन में अपने नाश ् ते की टेबल से जैम की बोतल गायब होते देखी,और दूध राशन से मिलने लगा. और इससे भी अधिक, एक सामान ् यीकृत राजनीतिक भय ने मेरे अनुभवों को कम करके आंकना होगा और इससे वे दूसरी कहानियां अनदेखी रह जाएंगीं और रूढ ़ ियों के साथ समस ् या यह नहीं है कि कि वे अपूर ् ण होतीं हैं. बेशक, अफ ़ ् रीका दुःख और दुर ् गति की महागाथा है.और कुछ अवसादपूर ् ण हैं, जैसे नाइजीरिया में लेकिन वहां कुछ ऐसी कहानियां भी हैं जो दर ् दनाक नहीं हैं, मैं हमेशा से यह मानती आई हूं कि किसी परिवेश या व ् यक ् ति से भली-भांति जुड ़ े बिना उस स ् थान या व ् यक ् ति की सभी कहानियों से संबद ् ध हो पाना संभव नहीं है. इकलौती बयान की कहानी की परिणति यह होती है यह दर ् शाने की जगह कि हम कितने समान हैं, क ् या होता अगर मैक ् सिको जाने से पहलेदोनों ही पक ् षों को सुना होता? क ् या होता अगर मेरी मां ने मुझे बताया होता कि फ ़ ीडे का परिवार बहुत गरीब पर मेहनती है? और क ् या होता यदि हमारे पास अफ ़ ् रीकी टीवी नेटवर ् क होता यह वही होता जिसे नाइजीरियाई लेखक चिनुआ अचेबे नेएक असाधारण आदमी जिसने बैंक की नौकरी छोड ़ कर मैं लागोस में एक टीवी स ् टेशन में साक ् षात ् कार देने गई. और वहां मैसेंजर का काम करनेवाली एक महिला मेरे पास आई और मुझसे बोली, अब आप उसका सिक ् वेल ज ़ रूर लिखें, और उसमें ऐसा होना चाहिए कि... "" वह तो एक साधारण औरत थी, नाइजीरियाई जनता का एक अंशमात ् र जिसे हम अपने पाठकवर ् ग में नहीं गिनते थे. जो लागोस में एक टीवी कार ् यक ् रम में मेजबान है, और उन कहानियों को सामने लाना चाहती है जिन ् हें हम भूलना ठीक समझते हैं? जिसे लागोस के अस ् पताल में पिछले सप ् ताह अंजाम दिया गया? क ् या होता यदि मेरी रूम-मेट को समकालीन नाइजीरियन संगीत के बारे में पता होता? जिसमें प ् रतिभाशाली गायक अंग ् रेजी और पिजिन में, इग ् बो में, योरूबा में, और इजो में, जे-ज ़ ी से लेकर फ ़ ेला, और बॉब मार ् ली से लेकर अपने पितामहों के सुमेलित प ् रभाव में गाते हैं. क ् या होता यदि मेरी रूम-मेट को उन महिला वकीलों के बारे में पता होताजिसके अनुसार किसी स ् त ् री को अपने पासपोर ् ट के नवीनीकरण के लिए अपने पति की स ् वीकृति लेना आवश ् यक किया गया था? क ् या होता यदि मेरी रूम-मेट को नॉलीवुड के बारे में पता होता, जहां विशाल तकनीकी कठिनाइयों के बाद भी मौलिकता से तर लोग फ ़ िल ् म बना रहे हैं?जो इसका सर ् वश ् रेष ् ठ उदाहरण है क ् या होता यदि मेरी रूम-मेट को मेरी चोटी बनानेवाली उस ज़बर ् दस ् त महत ् वाकांक ् षी लड ़ की के बारे में पता होता, या उन लाखों नाइजीरियाई लोगों के बारे में लेकिन अपनी महत ् वाकांक ् षाओं का पोषण करते रहते हैं? हर बार जब मैं घर जाती हूं तो मेरा सामना होता है नाइजीरियाई लोगों की आम शिकायतों से, जैसेः हमारा बुनियादी ढांचा खराब है, हमारी सरकार नाकारा है.बल ् कि उसके अभाव में पनपते हैं. और यह देखकर हैरत होती है कि कितने लोग आवेदन करते हैं, कितने सारे लोग लिखने के लिए व ् यग ् र हैं, अपनी कहानियां कहना चाहते हैं. और हमारा बड ़ ा सपना यह है कि हम पुस ् तकालय बनाएं और पुराने पुस ् तकालयों का नवीनीकरण करें,जिनके पुस ् तकालयों में कुछ भी नहीं है,ताकि अपनी कहानियां कहना चाहनेवाले व ् यक ् तियों को अवसर मिलें. कहानियों के ज़ ् यादा होने का महत ् व है. कहानियों का उपयोग वंचित करने व मलिन करने के लिए होता आया है. लेकिन कहानियां सामर ् थ ् यवान बनातीं हैं, और मानवीकरण करतीं हैं. पर वे उनकी खंडित गरिमा का उपचार भी कर सकतीं हैं. अमेरिकी लेखिका ऐलिस वॉकर ने उनके उन ् होंने अपने संबंधियों को एक पुस ् तक सुझाई जिसमें पीछे छूट गए उनके दक ् षिणी जीवन का वर ् णन था. और मुझसे उस पुस ् तक को सुनते समय, लगा जैसे स ् वर ् ग की पुनःप ् राप ् ति हो गई "".और जब हम यह जान जाते हैं कि किसी स ् थानविशेष की कभी कोई एकलौती कहानी नही होती, क ् रिस एंडरसन: विल ् यम, नमस ् ते | मिलकर ख ़ ुशी हुई | विल ् यम कमक ् वाम ् बा: शुक ् रिया | क ् र एं: तो, हमारे पास तस ् वीर है मेरे ख ् याल से? यह कहाँ पर है? व क: यह मेरा घर है | यहाँ पर मैं रहता हूँ | क ् र एं: कहाँ? कौनसा देश? व क: मलावी, कसुन ् गु में | कसुन ् गु में | हाँ, माला | क ् र एं: अच ् छा | अब आप 19 वर ् ष के हैं? व क: जी | अब मैं 19 वर ् ष का हूँ | क ् र एं: पांच साल पहले आपको एक विचार आया | वो क ् या था? व क: मैं एक पवन चक ् की बनाना चाहता था | क ् र एं: पवन चक ् की? व क: हाँ | क ् र एं: क ् या, बिजली वगेरा के लिए? व क: हाँ | क ् र एं: तो आपने क ् या किया? कैसे किया? व क: स ् कूल छोड ़ ने के बाद मैं पुस ् तकालय गया, और मैंने एक किताब पढ़ी — "" यूजिंग एनेर ् जी "" और मुझे चक ् की बनाने के लिए जानकारी मिली | और मैंने कोशिश की, और मैंने बनाई | (तालियाँ) क ् र एं: तो आपने नक़ल की- किताब में के डिजाईन की बिल ् कुल नक़ल की | व क: अरे नहीं, मैंने बस- क ् र एं: क ् या हुआ? व क: वास ् तव में, किताब में पवन चक ् की का डिजाईन, उसमे चार — अह — तीन ब ् लेड, और मेरे वाले में चार ब ् लेड | क ् र एं: किताब में तीन थे, आपके वाले में चार | हाँ | क ् र एं: और आपने किस चीज ़ से बनाई? व क: मैंने चार ब ् लेड बनाये, क ् यूंकि मुझे बिजली बढ ़ ानी थी | क ् र एं: अच ् छा | व क: हाँ | क ् र एं: तो आपने तीन टेस ् ट किये, और देखा की चार बेहतर हैं? व क: जी | मैंने टेस ् ट किया | क ् र एं: और आपने पवन चक ् की किस चीज ़ से बनाई? कौनसे सामग ् री का उपयोग किया? व क: मैंने साइकिल फ ् रेम, और चरखी, और प ् लास ् टिक पाइप का उपयोग किया, जो फिर खींचती है — क ् र एं: हमारे पास उसकी तस ् वीर है? अगली स ् लाइड देख सकते हैं? व क: हाँ | पवन चक ् की | क ् र एं: तो, वो पवन चक ् की, क ् या — वो चली? व क: जब हवा चलती है, वह घूमती है और बिजली पैदा करती है | क ् र एं: कितनी बिजली? व क: 12 वाट | क ् र एं: तो उस से घर की बल ् ब जल गयी? कितनी बल ् ब? व क: चार बल ् ब और दो रेडियो | क ् र एं: वाह | व क: हाँ | (तालियाँ) क ् र एं: अगली स ् लाइड- तो ये कौन है? व क: ये मेरे माता पिता हैं, रेडियो पकड ़ े हुए | क ् र एं: उन ् हें कैसा लगा-आप उस समय 14, 15 वर ् ष के थे — उन ् हें कैसा लगा? क ् या वो प ् रभावित हुए? व क: हाँ | क ् र एं: और तो आपका — क ् या करेंगे आप इसका? व क: अम — क ् र एं: आप क ् या — मेरा मतलब है — क ् या आप एक और बनाना चाहते हैं? व क: जी, मैं एक और बनाना चाहता हूँ — पानी पम ् प करने के लिए और पौधों की सिंचाई के लिए | क ् र एं: तो उसे और बड ़ ा होना होगा? व क: हाँ | क ् र एं: कितना बड ़ ा? व क: मुझे लगता है की वह 20 से अधिक वाट का उत ् पादन करेगा | क ् र एं: तो वह पूरे गाँव की सिंचाई के लिए बिजली पैदा करेगा? व क: हाँ | क ् र एं: वाह | तो यहाँ TED पर आप लोगों से बात कर रहे हैं, उन ् हें पाने के लिए जो किसी तरह मदद कर पाएंगे आपका सपना साकार करने में? व क: हाँ, अगर वो मुझे सामग ् री के साथ मदद कर सकते हैं, हाँ | क ् र एं: जब आप अपनी आगे की ज ़ िन ् दगी के बारे में सोचते हैं, अब आप 19 वर ् ष के हैं- क ् या आप आगे भी उर ् जा के क ् षेत ् र में में कम करने का सपना देखते हैं? व क: हाँ | मैं अब भी उर ् जा के क ् षेत ् र में काम करने का सोच रहा हूँ | क ् र एं: वाह | विल ् यम, आपके TED सम ् मलेन पर होना हमारे लिए सम ् मान की बात है | आने के लिए बहुत बहुत धन ् यवाद | व क: धन ् यवाद | (तालियाँ) हमारे अपने जीवनकाल मे, सबने "" जलवायु परिवर ् तन "" में योगदान दिया है अपनी पसंदगी, व ् यवहार और कार ् यों से हमने ग ् रीन हाउस गैस उत ् सर ् जन को बढाया है और मेरे मत में यह एक शक ् तिशाली विचार है परन ् तु यह हमको अपराधबोध करवाने का सामर ् थ ् य भी रखता है जब हम निर ् णयों के बारे में सोचते है जो हमने लिए थे हमें कहाँ यात ् रा करने जाना है, कितनी बार और किस साधन से, उर ् जा के कौन से साधन को हम चुनते है अपने घर में या फिर अपने कार ् य-स ् थल पर, या साधारण शब ् दों में हम किस प ् रकार का जीवन जीते या उससे आनन ् दित होते है पर इस विचारको हम वहीं खत ् म भी कर सकते है, और सोचो की यदि इसका इतना अधिक, परन ् तु पहले ही हमारी जलवायु पर ऋणात ् मक प ् रभाव है, और अब हमारे पास एक अवसर है भविष ् य के जलवायु परिवर ् तन को प ् रभावित करने का तब हमारी आवश ् यकता है स ् वयं को ढालने की तब हमारे पास अवसर है हम जलवायु परिवर ् तन को गंभीरता से देखे या, व ग ् रीन हाउस गैस उत ् सर ् जन बहुतही कम करें और तब हमको जलवायु परिवर ् तन के कम प ् रभावों के प ् रति अपने को ढालना होगा या फिर, जलवायु परिवर ् तन समस ् याकी और ध ् यान न देकर ऐसे ही आगे चलते रहें पर यदि हम इसको चुनते है, तो हम चुनेंगे भविष ् य में और अधिक ताकतवर जलवायु परिवर ् तन के प ् रति ढालने के लिए तैयार रहना होगा और केवल यही नही और वे लोग जो ऐसे देश मे है जहाँ प ् रतिव ् यक ् ति उत ् सर ् जन अधिक है, हम यह चुनाव अन ् य लोगो की तरफ से भी करतें है परन ् तु जो हमारे पास चुनने का अवसर नहीं है वह है जलवायु परिवर ् तन रहित भविष ् य, पिछले दो दशक के दोरान, हमारे सरकारी अधिकारी एवं विधि निर ् माता एक साथ बेठकर जलवायु परिवर ् तन पर चर ् चा के लिए, और उन सबका लक ् ष ् य है "" 2 डिग ् री तापमान बढोतरी को टालना "" ओद ् योगिकीकरण के पूर ् व स ् थिति से यह वह तापमान है जो खतरनाक प ् रभाव स ् तर से जुड़ा है विभिन ् न सूचकों के रेंज के साथ मनुष ् यों के लिए और पर ् यावरण के लिए तो 2 डिग ् री सेंटीग ् रेड से जलवायु परिवर ् तन खतरे की सीमा से अधिक है पर जलवायुपरिवर ् तन काखतरा तुलनात ् मक होता है यदि हम किसी अतिमोसमीय घटना के बारे में सोचते है जो की दुनिया के किसी कोने में घट सकती है, और यदि वह किसी ऐसी जगह घटती है जहाँ सुविधाएँ पर ् याप ् त हो, और वहाँ, जहाँ के लोग पूरी तरह सुरक ् षित हो या इसीतरह, तब उसका प ् रभाव नुकसानदायक हो सकता है उसके कारण सब बिगड़ सकता है, इसके कारण आर ् थिक नुकसान हो सकता है इसके कारण कुछ जीवन भी जा सकते है. परन ् तु यदि वही की वही मोसमीय घटना दुनिया के ऐसे हिस ् से में हो जहाँ की सुविधाएँ कमजोर हो, या फिर जहाँ के लोग अच ् छे से बीमित न हो, या उनका सहायक तंत ् र बेहतर न हो, तब उसी जलवायु परिवर ् तन घटना के प ् रभाव भयानक हो सकते है इसके कारण रहवास का महत ् वपूर ् ण नुकसान हो सकता है, इसके कारण बहुत से जीवन भी जा सकते है तो बाएँ में कार ् बन डाइऑक ् साइड उत ् सर ् जन का एक ग ् राफ है उद ् योगों व पेट ् रोलियम ईंधन के कारण से और ओद ् योगिक क ् रांति के पहले के समय से आज के समय की ओर और इसके बारे मे जो तात ् कालिक विचार का जो बिंदु है यदि उत ् सर ् जन गुणात ् मक रूप से बाद रहा हो यदिहम १९५० के बाद छोटी अवधि केन ् द ् रित करें, हमने १९८८ में स ् थापित किया है जलवायु परिवर ् तन पर सरकारों का एक पेनल १९९२ में की है रिओ की "" अर ् थ समिट "", और फिर आगे २००९ का कोपनहेगन एकॉर ् ड, जहाँ तापमान में बढोतरी को 2 डिग ् रीसे कम रखने का विचार बना विज ् ञान को साथ लेकर और समानता के आधार पर और फिर 2012 मे हमने रियो + 20 का आयोजन किया इस पूरी रह मे इन बैठकों के दोरान, और ऐसी ही कई अन ् य बैठकों मे भी, उत ् सर ् जन निरंतर अधिक रूप से बडता ही गया यदि हम पिछले सालोंमे उत ् सर ् जन पर नजर डालें और उसको अपनी समझ के साथ जोड़ कर देखें विश ् व की अर ् थव ् यवस ् था की यात ् रा के साथ, तब लगेगा की हमारी पटरी है, 4 डिग ् री सेंटीग ् रेड ग ् लोबल वार ् मिंग वाली न की 2 डिग ् री सेंटीग ् रेड वाली अब, एक क ् षण के लिए हम ठहरते है और सोचते है 4 डिग ् री सेंटीग ् रेड बढोतरी वाले वैश ् विक ओसत तापमान के बारे मे हमारे ग ् रह का अधिकांश भाग समुद ् री है हम जानते है, समुद ् र मे जमीन की अपेक ् षा अधिक तापीय जड़ता होती है जमीन का ओसत तापमान वास ् तव में और अधिक होगा समुद ् री तापमान की अपेक ् षा और दूसरी बात यह है की हम मनुष ् य का सामना वैश ् विक ओसत तापमान से नहीं होगा हमारा सामना होता है गर ् म और ठण ् डे दिनों से, बरसाती दिनों से, और यदि आप मेनचेस ् टर में रहते है जेसे की में तो अपने आप को शहर के बीच में रखें व कल ् पना करे विश ् वमे किसी जगह की: मुम ् बई, बीजींग, न ् यूयोर ् क, लंदन और वह आपके अनुभव में सबसे गर ् म दिन हो और सूर ् य तमतमा रहा हो, और आपके चारो-ओर काँच और सीमेंट कंकरीट हो अब उसी दिन की कल ् पना करो — जिसका तापमान 6, 8, या फिर 10 से १२ डिग ् री अधिक हो उस दिन उस लू की लपट मे वह स ् थिति है जो हम अनुभव करनेवाले है 4 डिग ् री ओसत ग ् लोबल तापमान की अवस ् था मे और हमारी सुविधाएँ इसतरह की घटनाओं का सामना करने में सक ् षम नहीं है और कुछेक प ् रभावों मे डटे रहने के लिए है दुनिया के अलग-अलग हिस ् सों मे और सबसे अधिक परीक ् षा उसीकी होने वाली है हमारे उर ् जाघरों को ठंडा करने के लिए पानी के प ् रयोग की सम ् भावना है जिससे की वे किसी निश ् चित तापमान तक टिकसके व प ् रभावी रहें हमारे भवनों की सरचना उपयुक ् त व प ् रभावी है तापमान की एक सीमा के अन ् दर और यह सब बहुत बड़े स ् तर पर बदल जाने वाला है 4 डिग ् री तापमान की अवस ् था मे और हमारी व ् यवस ् थाएं इनसबसे लड़ने के लिए नहीं बनी है तो हम अगर पीछे मुड़कर देखे, और 4 डिग ् री के बारेमे सोचें, यह केवल प ् रत ् यक ् ष प ् रभाव ही नहीं है, परन ् तु कुछ अप ् रत ् यक ् ष प ् रभाव भी उदाहरण के लिए, अगर हम खाद ् यान ् न सुरक ् षा की बात करें मक ् का और गेहूँ का उत ् पादन दुनिया के कुछ हिस ् सों मे उत ् पादन ४० प ् रतिशत तक कम होने की आशंका है ४ डिग ् री की अवस ् था मे, ३० प ् रतिशत और अधिक कमी आ जावेगी यह वैश ् विक खाध ् य सुरक ् षा के लिए पूरी तरह नुकसानदायक होगा तो ऐसी स ् थिति मे जिन प ् रभावों की आशंका है, इस ४ डिग ् री सेंटीग ् रेड अवस ् था की स ् थिति मे विश ् व का रहवास अनुपयुक ् त हो जावेगा तो, अपने 2 या 4 डिग ् री के ग ् राफ को फिर से देखते है तो अभी भी 2 डिग ् री तापमान वाले मार ् ग को अपनाना ही उचित प ् रतीत होता है मेरे बहुत से साथी व अन ् य वैज ् ञानिक है जिनका मानना है की अब बहुत देर हो चुकी है 2 डिग ् री की राह के लिए लेकिन मैं चाहूंगी की आपका ध ् यान अपने अनुसंधान की तरफ आकर ् षित करना जो 'उर ् जा तन ् त ् र' व भोजन तंत ् रके बारेमे है, उडान एवं नोवहन के बारे मे है, यह कहने के लिए की अभी भी लड़ने का एक छोटा सा अवसर बचा है जिसके द ् वारा खतरनाक 2 डिग ् री जलवायु परिवर ् तन से बचा जा सकता है हमे जरुरत होगी संख ् याओं पर पकड़ रखने की यह जाननेके लिएकी इसको कैसे कियाजा सकता है तो यदि आप इन ग ् राफों में इन रेखाओं पर केन ् द ् रित करें यह पीला गोला दर ् शाता है हमारा हटना लाल रंग के 4 डिग ् री वाले मार ् ग से तत ् काल हरे रंगके 2 डिग ् री वाले मार ् गकी और यह है अभी तकके सम ् मिलित उत ् सर ् जन के कारण या फिर कार ् बन बजट के कारण अन ् य शब ् दों मे प ् रकाश व प ् रोजेक ् टर के कारण जो की इस समय इस कमरे मे ही है, वह Co2 जो हमारे वातावरण में जा रही है बिजली के उपभोग के परिणाम स ् वरूप बहुत लम ् बे समय तक रहती है इन मेसे कुछ तो वातावरण में सदियों तक या और अधिक समय तक रहेगी यह एकत ् रित होती रहेगी, ग ् रीन-हाउस गैस जमा होतीरहती है और वह हमें इन रेखाओं के बारे में बताती है सबसे पहले, यह बताती है कि इन वलयों के अन ् दर का क ् षेत ् र है जोकि महत ् वपूर ् ण है, नही की भविष ् यमे किसी दिन हम कहाँ पहुचेंगे यह खास है क ् योंकि इससे बहुत अंतर नहीं पड़ता यदि कोई अफलातून करिश ् माई तकनिकी लेकर आये २०४९ के अंतिम दिन और हमारी उर ् जा समस ् याएं हल करदे एकदम अंतिम समय मे और सब ठीकठाक क ् योंकि इसबीच, उत ् सर ् जन इकठ ् ठा हो जावेगा, तो यदि हम लाल रंग के ४ डिग ् री सेंटीग ् रेड वाले मार ् ग पर चलते रहे, जितने अधिक समय हम इस पर चलेंगे, उसका खामियाजा आगे के सालों में भुगतना होगा कार ् बन बजट की मात ् रा के स ् तर पर बनाये रखने के लिए, उस वलय के अन ् दर, इसका मतलब है, लाल रेखा एकदम सीधीहो जावेगी दुसरे शब ् दों में यदि हम उत ् सर ् जन को कम या मध ् यम समय मे कम नहीं करते हें, तो बाद में हमें बहुत अधिक कटोतियाँ करनी होगी हमें यह भी पता तो कि हमें अपने उर ् जा तंत ् र तो कार ् बन रहित करना होगा पर यदि हम इसे जल ् दी ही शुरू नहीं करते है, तब हमे यह और भी तेजी से करना होगा तो यह हमारे लिए एक बड़ी चुनोती है दूसरी बात जो यह हमे बताती है वह है "" उर ् जा नीति "" के बारे मे यदि आप ऐसे हिस ् से मे रहते है जहाँ प ् रतिव ् यक ् ति उत ् सर ् जन पहले से ही अधिक है, तो वह हमें उर ् जा मांग को घटाने को कहता है और वह, पूरी दुनिया की इच ् छाशक ् ति के कारण बड़े स ् तर के इंजीनियरिंग सरचना के बारे मे हमें तेजी से निर ् णय लेने होंगे अपने उर ् जातंत ् र को कार ् बन रहित करनेके लिए यह सब कम समय में नहीं होने वाला इसका कोई अंतर नही की हम न ् यूक ् लिअर पॉवर का चयन करें या कार ् बन एकत ् रित करके जमा करें, हमारे "" जेविक ईंधन "" के उत ् पादन को बढायें, या पवन उर ् जा, लहर उर ् जा की बड़ी परियोजना चलायें उन सब में समय लगेगा चूँकि इस वलयके अन ् दर रहना महत ् वपूर ् ण है, यदि हम ऐसा करते है, इसका मतलब है यदि हम वितरण पर काम करना जारी रखते है, तो हमें कम काम करना होगा, यदि ऐसा होगया तो अपने उर ् जा खपत को कम करने के लिए, तब हमें वितरणके लिये कम सुविधाएँ करनी होगी दूसरा मुद ् दा जिससे हमको झुझना होगा वह है समानता एवं अच ् छाई का जगतके बहुतसे भागो में जीवनस ् तर को उठाना है जैसे उनकी आर ् थिक बढेगी, उत ् सर ् जन भी बड़ेगा और अब, जब कार ् बन बजट को वही रखने का बंधन है, याने की कुछ भागों में उत ् सर ् जन बडाना होगा, तो अन ् य भागों में उत ् सर ् जन कम करना होगा इससे अमीर देशोंके लिए विशिष ् ट चुनोतियाँ है क ् योंकि हमारी अनुसंधान के अनुसार,उत ् सर ् जन को १० प ् रतिशत प ् रतिवर ् ष की दर से कम करने के लिये, तत ् काल प ् रारंभ करना होगा, एक अच ् छे अवसर को पाने के लिए जिससे 2 डिग ् री के लक ् ष ् य को टला जा सके मुझे इसको परिपेक ् ष मे रखने दो अर ् थशास ् त ् री निकोलश स ् टेर ् न ने कहा था की उत ् सर ् जन मे 1 प ् रतिशत से अधिक की कमी ही आर ् थिक उतार-चड़ाव के साथ जुडी थी, इससे आर ् थिक वृद ् धिका मुद ् दा एक चुनोती है क ् योंकि हमारी व ् यवस ् थाएं या सुविधाएँ तो अधिक कार ् बन उत ् सर ् जन वाली ही रहेगी यानी की यदि हमारी आर ् थिक वृद ् धि होती है, तो हमारा उत ् सर ् जन भी बड़ेगा में यहाँ एक चर ् चा को लाना चाहती हूँ जो की मेरे और केविन एंडरसन के बीच सन २०१४ मे हमने कहा था जलवायु परिवर ् तन को २ डिग ् री से नीचे रखने के लिये, आर ् थिक वृद ् धि को बदलना होगा कम से कम थोड़े समय के लिए ही सही अमीर देशों मे कुछ निश ् चित समय के लिए यह एक मुश ् किल विचार या जानकारी है क ् योंकि यह बताता है की हमें आवश ् यकता है कुछ हट कर करने की यह केवल बड़ते बदलाव के बारे मेही नही है यह है कार ् यों को अलग तरीके से करने के लिए या फिर व ् यवस ् था बदलने के लिए कभी-कभी यह कम करने के बारे में भी होता है और यह हम सब पर लागु होता है हमारा जो भी प ् रभाव क ् षेत ् र है यह स ् थानीय राजनेता को लिखने से लेकर अपने अधिकारी से चर ् चा या अधिकारी होतो, दोस ् तों और परिवार, या फिर चुपचाप अपनी जीवनशेली बदलकर क ् योंकि सही व विशिष ् ट बदलावकी आवश ् यकता है, इस समय हमने 4 डिग ् रीकी राह चून रहे है यदि हम 2 डिग ् री स ् थिति को नहीं चाहते है, तो एक ् शनके लिए वर ् तमानसे बेहतर समय नही है, धन ् यवाद ् तालियां ब ् रूनो गुसाईं: ऐलिस, मूलतः तुम कहरही हो, यदि अमीर देश सालाना 10 प ् रतिशत की कटोती नहीं करते 2020-25 नही, इसी साल से हम पहुचेंगे 4 डिग ् री से अधिक की स ् थिति में, मुझे आश ् चयर ् य हेकि 2070 तक 70% कटोती कैसे करोगे हाँ, यह 2 डिग ् री से बचनें के लिए पर ् याप ् त नहीं हे एक चीज जो हमेशा से हे; वहजो मॉडल बतातेहें की हमें क ् या करना होगा, वह हे की दुनिया के दुसरे देश कितनी जल ् दी उत ् सर ् जन कम करना शुरू करदेंगे वे एक तरह से हीरो के जैसे अनुमान लगते हें क ् योंकि उत ् सर ् जन जुड़ता जाता हे, इसलिए जितना अधिक हम करेंगे छोटे-छोटे समय का भी महत ् व हे, इससे बहुत बद बदलाव होने वाला हे, उदाहरण के लिए चीन जैसा एक बड़ा देश, कुछेक अतिरिक ् त साल बढना जारी रखता हे, उससे बहुत बड़ा अंतर आवेगा, और हम उसको फिर कब कार ् बन रहित करेंगे, तो मेरे मतसे हम कहभी नही सकते ऐसा कब होगा, क ् योंकि यह इसबात पर निर ् भर हेकि कम समय मे हमें क ् या करना होगा मेरे ख ् याल से अवसरतो बहुतहे, पर हम उन लीवरों को काम नहीं ले रहेहें धन ् यवाद ् (तालियां) हम भविष ् य के बारे में क ् या जानते हैं? प ् रश ् न कठिन है, पर जवाब काफी आसान है: कुछ नहीं । हम भविष ् य की भविष ् यवाणी नहीं कर सकते । हम केवल भविष ् य की एक कल ् पना कर सकते हैं, कि वो कैसा होगा एक कल ् पना, जो विध ् वंसकारक विचारों को बेपर ् दा करती है, जो प ् रेरित करती है, और ये सबसे महत ् वपूर ् ण कारण है जो आम सोच की बेड़ियों को तोड़ता है | बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन ् होंने भविष ् य के बारे में अपनी अपनी कल ् पनायें की है, यहाँ ये लिखा है कि ये भविष ् य का सागर विमान है । यह अटलांटिक महासागर पार करने के लिए केवल डेढ़ (एक और आधा) दिन लेता है । आज हमें पता है कि भविष ् य की ये कल ् पना पूरी नहीं हो पायी । ये हमारा सबसे बड ़ ा हवाई जहाज है, एयरबस A380, और यह काफी बड ़ ा है, इसलिए इसमें बहुत से लोग समा जाते हैं और यह तकनीकी रूप से उस कल ् पना से पूरी तरह से अलग है जो मैंने आपको दिखाई थी । मैं एयरबस के साथ एक टीम में काम कर रहा हूँ, और हमने अपनी कल ् पना बनायीं है उड ् डयन के एक अधिक टिकाऊ भविष ् य के बारे में । स ् थिरता हमारे लिए काफी महत ् वपूर ् ण है जिसमे सामाजिक मूल ् यों के साथ पर ् यावरणिक और आर ् थिक मूल ् यों को भी सम ् मिलित करना चाहिए । इसलिए हमने एक एक बहुत विघटनकारी संरचना बनाई गई है जो हड ् डी के डिजाइन या एक कंकाल की नकल करती है जो प ् रकृति में होता है | इसलिए यह अजीब लगता है लेकिन यह भविष ् य की छान बीन चित ् रकला की तरह करना है भविष ् य के मुख ् य ग ् राहक कौन हैं? तो बूड ़ े हैं, जवान हैं,और एक ज ़ बरदस ् त दौर जो हम सब पर असर करता है भविष ् य के मानव-मात ् रिक । हमारे बच ् चे बड ़ े हो रहे हैं, लेकिन हम अलग दिशाओं में बड ़ रहे हैं. तो हमें विमानों के घने भीतरी हिस ् सों में जगह चाहिए । इन लोगों की ज ़ रूरते अलग हैं । जरूरत हैं सक ् रिय स ् वास ् थ ् य संवर ् धन की खासकर वृद ् धों के लिए. हम व ् यक ् ति विशेष व ् यवहार चाहते हैं. हम पूरे यात ् रा की श ् रृंखला में उत ् पादक होना चाहते और क ् या हम भविष ् य में क ् या कर रहे है हम नवीनतम आदमी-मशीन इंटरफेस का उपयोग करना चाहते और इसे एकीकृत कर एक उत ् पाद में देखना चाहते हैं. तो हमने इन ज ़ रूरतों को प ् रौद ् योगिकी के साथ संयुक ् त किया. उदाहरण के लिए, हम अपने आप से पूछ रहे हैं हम और अधिक प ् रकाश कैसे बना सकते हैं? हम हवाई जहाज में अधिक प ् राकृतिक प ् रकाश कैसे ला सकते हैं? डेटा और संचार सॉफ ् टवेयर जो हमें भविष ् य में चाहिए । मेरा विश ् वास है कि भविष ् य के हवाई जहाज में अपनी ही चेतना होगी. यह एक जीव की तरह होगा जटिल प ् रौद ् योगिकी के एक संग ् रह की जगह. यह भविष ् य में बहुत अलग हो जाएगा यह सीधे बातचीत करेंगे इसके वातावरण में यात ् रियों के साथ और फिर हम, सामग ् री के बारे में भी बात कर रहे हैं और मेरा विश ् वास है कि हमें और सामग ् री मिल जाएगी जो हम संरचना में डाल सकते हैं, क ् योंकि संरचना विमान डिजाइन में महत ् वपूर ् ण मुद ् दों में से एक है. तो नई दुनिया के साथ पुरानी दुनिया की तुलना करते हैं. हम आज क ् या कर रहे हैं यहाँ आप को दिखाना चाहते हैं यह बहुत वजन लेता है और यह शास ् त ् रीय डिजाइन के नियमों का पालन करता है. यह वैसे ही उद ् देश ् य के लिए एक समान वर ् ग है. यह हड ् डी के डिजाइन की तरह है. डिजाइन की प ् रक ् रिया पूरी तरह से अलग है. एक तरफ 1.2 किलो है और दूसरी ओर 0.6 किलो. तो यह प ् रौद ् योगिकी, 3-डी प ् रिंटिंग, और नए डिजाइन नियम हमें वजन कम करने में मदद करता हैक ् योंकि यह सीधे ग ् रीन हाउस गैस के उत ् सर ् जन से जुड ़ ा हुआ है. तो प ् रकृति बहुत चालाक है. यह सब जानकारी डालती है डीएनए में, जिन ् हें हम निर ् माण के अंनु कहते हैं. और प ् रकृति इससे बड ़ े कंकाल बनती है. हम यहाँ एक नीचे से ऊपर का दृष ् टिकोण देख सकते हैं क ् योकि सारी जानकारी, डीएनए के अंदर है. और यह एक ऊपर से नीचे के दृष ् टिकोण के साथ संयुक ् त है,हम अपनी मांसपेशियों को, अपने कंकाल को प ् रशिक ् षित करते हैं एक बड ़ े, कीलक विहीन कंकाल बनाने के लिए. यह विशेष रूप से कैसा दिखता है, आप यहाँ दिखा सकते हैं. तो आप कल ् पना करे की कार ् बन नैनोट ् यूब बड ़ रही है एक 3 डी प ् रिंटर के अंदर और वे पलास ् टिक के एक मैट ् रिक ् स के भीतर एम ् बेडेड है, और आपके घटक के अन ् दर की शक ् तियों से चलती है. और आपको उनसे अरबों मिल रहे हैं आप इन ् हें लकड ़ ी से श ् रेणीबद ् ध कर रूपात ् मक अनुकूलन कर आप संरचनाए, उप संरचनाएबनाते हैं, जो ऊर ् जा या डाटा संचारित करने की अनुमति देती है और अब हम इस सामग ् री को ले,बड ़ े से बड ़ े घटक का निर ् माण करते हैं. तो भविष ् य का हवाई जहाज कैसा हो सकता है? अलग सीटें जो अनुकूलन करती हो भविष ् य यात ् री के आकार का, जो बदल सकता है वर ् चुअल गोल ् फ स ् पेस में. और अंत में, यह बायोनिक संरचना, बायोपॉलीमर के पारदर ् शी कवर में मौलिक रूप से बदल देगी भविष ् य में विमान कैसे दिखते हैं. जैसन सिल ् वा ने कहा अगर हम कल ् पना कर सकते हैं, तो बना क ् यों नहीं सकते? भविष ् य में मिलते हैं. धन ् यवाद. (तालियां) मेरा नाम अरविंद गुप ् ता है, और मैं एक खिलौने-वाला हूँ । मैं पिछले ३० सालों से खिलौने बना रहा हूँ । सत ् तर के दशक की शुरुवात में, मैं कॉलेज में था । वो बडा ही क ् रांतिकारी समय था । राजनैतिक अस ् थिरता का समय — पेरिस की गलियों में विद ् यार ् थी क ् रान ् ति कर रहे थे, सत ् ता के खिलाफ़ बगावत । अमरीका हिला हुआ था वियतनाम-खिलाफ़त आंदोलन से, नागरिक अधिकारों के लिये आंदोलन से । भारत में, नक ् सलवादी आंदोलन चल रहा था, जय प ् रकाश नारायण आंदोलन । पर जैसा कि आपको पता है, जब भी समाज का राजनैतिक मंथन होता है, तो बहुत ऊर ् जा निकलती है । भारत का राष ् ट ् रीय आंदोलन इस बात का खडा सबूत था । कई लोगों नें अपनी बडी तनख ् वाह वाली नौकरियाँ छोड दीं, और राष ् ट ् रीय आंदोलन का हिस ् सा बन गये । इधर सत ् तर के दशक के पूर ् वार ् ध में, भारत में एक महान कार ् यक ् रम चला, प ् राण-वायु फ़ूँकने का, गाँव के स ् कूलों में प ् राथमिक विज ् ञान शिक ् षा में । एक व ् यक ् ति थे, अनिल सदगोपाल, कैलटेक विश ् वविद ् यालय से पी.एच.डी. कर के, एक मोलिक ् यूलर बायोलोजिस ् ट की रूप में भारत के तेज-तर ् रार शोध संस ् थान, टी. आई. एक. आर. लौटे । ३१ साल की उम ् र में उन ् होंने स ् वयं को असमर ् थ पाया अपनी शोध को जोड पाने में, जो वो कर रहे थे, आम आदमी के जीवन से । तो उन ् होंने एक ग ् रामीण विज ् ञान कार ् यक ् रम का नमूना बनाया और उसे शुरु किया । इस से कई लोग उत ् साहित हुये । सत ् तर के शुरुवाती सालों का नारा था "" लोगों के पास जाओ । उनके साथ रहो, उनसे दिल मिलाओ । जो तुम ् हें आता है, वहाँ से शुरुवात करो । जो उन ् हें पता है, उसे आगे बढाओ । "" ये नारा जीवन की दिशा परिभाषित करने वाला था । खैर, मैनें एक साल खपाया । मैने टेल ् को कंपनी में भर ् ती ली, टाटा के ट ् रक बनाये, पुणे से नज़दीक ही । वहाँ मैने दो साल काम किया, और फ़िर मैने महसूस किया कि मेरा जन ् म ट ् रक बनाने के लिये नहीं हुआ था । अक ् सर लोगों को पता नहीं होता कि वो क ् या करना चाहते हैं, मगर इतना भी पर ् याप ् त है कि पता हो कि आप क ् या करना नहीं चाहते । तो मैनें एक साल की छुट ् टी ली, और मैं एक गाँव के विज ् ञान कार ् यक ् रम में शरीक हुआ । और वहीं से मेरी दिशा बदल गयी । वो एक छोटा सा गाँव था — एक साप ् ताहिक हाट बाज़ार जहाँ लोग, बस हफ़ ् ते में एक बार, अपने सारे सामान इकट ् ठा करते हैं । तो मैने कहा, "" मै यहीं पर एक साल बिताऊँगा । "" तो मैनें एक एक नमूना खरीदा हर उस चीज़ का, जो कि सडक के किनारे मिल रही थी । और एक चीज जो मुझे मिली वो थी ये काली रबड । इसे साइकिल का वाल ् व ट ् यूब कहते हैं । जब आप साइकिल में हवा भरते है, तो इसका कुछ इस ् तेमाल होता है । और इन ढाँचों में से कुछ — आप बस थोडे से साइकिल वाल ् व ट ् यूब लें, और उस में दो दियासलाइयाँ ऐसे लगा दें, और आपने एक लचकदार जोड बना दिया । ये ट ् यूबों का जोड है । इस से आप कोणों के बारें में पढाना शुरु कर सकते हैं — ये न ् यून कोण (अक ् यूट एंगल), ये समकोण (राइट एंगल), ये अधिक कोण (आबट ् यूस एंगल), और ये रेखा कोण (स ् ट ् रेट एंगल) । इनका अपना खुद का जोड-तोड भी है । अगर आपके पास ऐसे तीन है, तो उन ् हें जोड दीजिये, और ये बना त ् रिभुज (ट ् रायंगल) । चार मिला कर, आप एक वर ् गाकार (स ् कवायर) बना सकते है, ऐसे पँचकोण (पेंटागन), और फ़िर, षठकोण (हेक ् सागन), और आप हर तरह की बहुभुजीय आकृतियाँ (पॉलीगन) बना सकते हैं । और इन सब की मजेदार खासियतें है । अगर आप षठकोण (हेक ् सागन) को देखें, मिसाल के तौर पर, ये एक अमीबा की तरह है, जो लगातार अपनी रूपरेखा बदलता है । इसे थोडा खींच दीजिये, ये आयताकार (रेक ् टेंगल) हो गया । इसे थोडा धक ् का दीजिये, और ये बन गया समानांतर चतुर ् भुज (पैरालैलोग ् राम) । मगर इसमें बहुत झोल है । पँचकोण (पेंटागन) का उदाहरण लेते हैं, इसे बाहर खेंचिये — - ये एक नौका के आकार का असमांतर चतुर ् भुज बन (ट ् रेपीज़ियम) गया । इसे थोडा धकेल दीजिये, और ये झोपडी जैसा हो गया । ये बन गया समद ् धिबाहु त ् रिभुज (आइसोसेलेस ट ् रायंगल) — फ़िर से, इसमें भी बहुत झोल है । और ये वर ् गाकार (स ् क ् वायर) लगता है बहुत ठोस । इसे थोडा स धक ् का दो - ये समचतुर ् भुज (रोम ् बस) में बदल जाता है । ये पतंग जैसा लगने लगता है । मगर किसी बच ् चे को एक त ् रिभुज (ट ् रायंगल) पकडा दीजिये, उसके साथ तोड-मरोड करना मुश ् किल है । तो त ् रिभुज (ट ् रायंगल) का इस ् तेमाल क ् यों करें? क ् योंकि त ् रिभुज (ट ् रायंगल) ही एकमात ् र ठोस आकार है । हम वर ् गाकार (स ् क ् वायर) से पुल नहीं बना सकते, क ् योंकि जैसे ही रेलगाडी आयेगी, वो नाचने लगेगा । साधारण लोगों को ये ज ् ञान है, क ् योंकि जब आप भारत के गाँवों में जायेंगे, तो शायद वो इंजीनियरिंग न पढे हों, मगर कोई भी इस तरह की छत नहीं बनाता है । क ् योंकि जब वो इस पर खपरैल डालेंगे, ये टूट जायेगी । वो हमेशा त ् रिकोण (ट ् रायंगल) के आकार की छत बनाते हैं । देखिये, ये लोक-विज ् ञान है । अगर आप यहाँ छेद कर दें और एक तीसरी दियासलाई भी लगा दें, तो आपको टी-जोड मिल गया । और अगर इसकी तीनों टाँगों में छेद करूँ इनके तीन कोनों में, तो मैनें चतुष ् फ़लक (टेट ् राहेड ् रन) बना दिया । तो आप हर प ् रकार के त ् रिआयामी आकार बना सकते हैं । आप ऐसा चतुष ् फ़लक (टेट ् राहेड ् रन) बना सकते हैं । और एक बार आप ये बना लें, तो आप एक छोटा सा घर भी बना सकते हैं । इसे ऊपर रख दीजिये । आप चार का जोड भी बना सकते हैं । आप छः का जोड भी बना सकते हैं । आपको बस एक काँटा चाहिये । और ये — आप छः का जोड बनाइये, आप ने समद ् धिबाहु चतुष ् फ़लक (आइकोसहेड ् रन) बना डाला । अब इस के साथ जो चाहे करिये । ये तो इग ् लू बन गया । और ये सब हो रहा है १९७८ में । मैं २४ वर ् षीय युवा इंजीनियर था । और मैने सोचा कि ये सब ट ् रक बनाने के मुकाबले बेहतर है । (अभिवादन) और, असल में, आप चार कंचे डाल दीजिये, आपने मिथेन का रासायनिक ढाँचा, बना लियी, सी.एच.४ हाइड ् रोजन के चार अणु, चतुष ् फ़लक के चार कोनों पर, जो कि कार ् बन अणु को दर ् शा रहे हैं । और तब से ही, मैने ये सोचा कि मैं बडा किस ् मती हूँ कि मुझे २००० स ् कूलों में जाने का मौका मिला — गाँव के स ् कूल, सरकारी विद ् यालय, नगर निगम के स ् कूलों में, आईवी लीग स ् कूलों मे भी — उनमें से ज ् यादातर मुझे बुला चुके हैं । जब भी मैं किसी स ् कूल में जाता हूँ, मुझे बच ् चों की आँखों में एक चमक दिखती है । मुझे आशा दिखती है । मुझे उनके चेहरों में खुशी दिखती है । बच ् चे चीज़ें बनाना चाहते हैं । बच ् चे कुछ करना चाहते हैं । और ये देखिये, हम बहुत से पम ् प बनाते हैं । ये एक छोटा सा पम ् प है जिससे कि आप गुब ् बारा फ़ुला सकते हैं । ये असली है । इस से सच में गुब ् बारा फ़ूल जाता है । और हमारा एक नारा है कि खिलौने के साथ बच ् च सबसे अच ् छा काम उसे तोड कर ही करता है । तो क ् या करना है — - ये असल में थोडा सा चुनौती भरा वक ् तव ् य है — - ये पुराना साइकिल का ट ् यूब, और ये पुरान प ् लास ् टिक का पाइप ये टोपी बडे आराम से पुराने साइकिल के ट ् यूब पर फ़िट हो जायेगी । और ऐसे हे तो वाल ् व बनता है । थोडा सा चिपकने वाला टेप । बस एक दिशा वाला ट ् रफ़िक हो गया । हम बहुत सारे पम ् प बनाते हैं । और ये भी पम ् प है — बस एक नली लीजिये, और उसमें एक लकडी डाल दीजिये, और दो जगह आधा काट दीजिये । और फ़िर क ् या कीजिये, इन ् हें मोड कर त ् रिभुज में बदल दीजिये, और फ़िर थोडा सा टेप लगा दीजिये । बस बन गया पम ् प । और अगर ये पम ् प आपके पास है, तो ये एक छिडकाव की मशीन बन गयी । जैसे कि बडी से मथनी । अगर आप किसी चीज को घुमायेंगे, तो वो बाहर की तरफ़ उडेगी । (अभिवादन) देखिये, अगर आप आंध ् र प ् रदेश में हो, तो आप पाल ् मैरा की पत ् तियों से इसे बनायेंगे । हमारे अधिकांश ग ् रामीण खिलौने विज ् ञान के मूल सिद ् धांतो पर ही काम करते हैं । अगर आप कुछ घुमायेंगे, तो वो बाहर की तरफ़ भागेगा । दोनो हाथों से करने में बडा मज़ा आता है, मिस ् टर उडाकू को देखिये । ठीक? ये एक खिलौना है जो कागज से बना है । मज़ेदार है । इस में चार चित ् र हैं । देखिये ये कीट-पतंगे, फ़िर मेढक, साँप, चील, तितली, मेंढक, साँप, चील । इस कागज के टुकडें को हार ् वाड के एक गणितज ् ञ ने १९२८ मे डिजाइन किया था, आर ् थर स ् टोन, मार ् टिन गार ् डनर ने इसका उल ् लेख अपनी कई किताबों में किया है । मगर बच ् चों को इसमें बहुत मज़ा आता है । वो उस से भोजन-व ् यवस ् था के बारे में सीख सकते है । कीटों को मेंढक खाते है, उन ् हें साँप खा जाते हैं; साँपों को चीलें खा जाती हैं । और ये हो सकता है, अगर आपके पार फ़ोटोकॉपी का कागज हो, ए फ़ोर (A 4) कागज हो — आप एक नगर निगम के या कि सरकारी स ् कूल में हो सकते है — एक कागज, एक स ् केल, एक पेंसिल, न गोंद, न कैंची । तीन मिनट में आप इसे मोड लेंगे । और आप इस का क ् या उपयोग करें, ये आपकी रचनात ् मकता पर है । अगर आप छोटा कागज लें, तो आप छोटा वाला बनायेंगे । बडे कागज से बडा बन जायेगा । ये एक पेंसिल है जिसमें कुछ खाँचे बने हैं । यहाँ छोटा सा पँखा लगा देते हैं । और ये करीब सौ साल पुराना खिलौना है । इस पर शोध के छः बडे दस ् तावेज लिखे जा चुके हैं । देखिये, यहाँ कुछ खाँचे हैं । और अगर मैं एक टुकडा लूँ, और इसे घिसूँ, तो कुछ अद ् बुत होता है । इस पर शोध के छः दस ् तावेज? असल में, बचपन में, फ़ेन ् मेन इस से बहुत प ् रभावित थे । उन ् होंने इस पर एक दस ् तावेज लिखा है । और ये करने के लिये तीन अरब लागत का हाड ् र ् न कोलाइडर नहीं चाहिये और ये करने के लिये तीन अरब लागत का हाड ् र ् न कोलाइडर नहीं चाहिये ये हर बच ् चे के लिये है, हर बच ् च इस का लुत ् फ़ उठा सकता है । अगर आप रंग-बिरंगा चक ् का लगा दे, तो ये सातों रंग मिल कर दिखते हैं । और इस के बारे में न ् यूटन ने चार सौ साल पहले बात की थी, कि सफ़ेद रोशनी में सात रंग होते हैं, बस इसे घुमा कर समझ आ जाता है । ये प ् लास ् टिक का पतला पाइप है । हमने क ् या किया, हमने इस के दोनो किनारे टेप से सील कर दिये, दायें किनारे को काट दिया, और निचले बायें किनारे को भी, तो इसमे उल ् टे कोनों पर छेद हैं, और यहाँ छोटा सा छेद है । ये एक तरह का फ़ूँकने वाला पाइप है । और मैनें इसे ऐसे अंदर डाल दिया । अब यहाँ एक छेद है, और मैं इसे बंद कर देता हूँ । और इसे बनाने में बहुत कम पैसे लगते हैं — बच ् चों के लिये बहुत मजेदार है । हम क ् या करते हैं कि हम एक साधारण सा बिजली का मोटर बनायेंगे । ये शायद दुनिया का सबसे साधारण मोटर है । इसमें सबसे महँगी चीज है इसकी बैटरी । अगर आपके पास बैटरी है, तो इसे बनाने में करीब दो रुपये का खर ् च आता है । ये साइकिल का ट ् यूब है, जो कि आपको एक चौडा रबड बैंड देता है, और दो सेफ़ ् टी पिन. ये है चुंबक । जब भी इस कौइल से करंट बहता है, ये एक चुंबक बन जाती है । और इन दोनों चुंबकों के आपस की खींचतान से ही ये मोटर चलता है । हमने ऐसे ३०,००० मोटर बनाए । शिक ् षक सालों से मानों जानवरों को साइंस पढा रहे हों, बस परिभाषा रटो, और उगल दो । जब शिक ् षक इसे बनाते हैं, तो बच ् चे भी इसे बनाते है, और आपको उनकी आँखों में एक चमक दिखेगी । उन ् हें रोमांच होता है साइंस के बारे में जानने में । और ये वाली साइंस सिर ् फ़ किसी रईस आदमी के लिये नहीं है । एक लोकतांत ् रिक देश में, विज ् ञान सबसे दबे-कुचले लोगों तक पहुँचना चाहिए, उन बच ् चों तक जो दूर-दराज इलाकों में हैं । ये कार ् यक ् रम १६ विद ् यालयों से शुरु हुआ और जल ् दी ही करीब १५०० सरकारी स ् कूलों में फ़ैल गया । करीब एक लाख बच ् चे इस तरीके से विज ् ञान सीखते हैं । और हम लोग सिर ् फ़ ये देखना चाह रहे है कि क ् या क ् या संभव हो सकता है । देखिये, ये टेट ् रा-पैक है — पर ् यावरण के लिहाज से बहुत ही खराब चीज । इसमें छः सतहें हैं — - तीन प ् लास ् टिक की, और अलम ् यूनियम की — जिन ् हें एक साथ सीलबंद कर दिया गया है । इन ् हें ऐसा चिपकाया गया है, कि आप इन ् हें अलग नहीं कर सकते । अब आप ऐसा एक जाल बना सकते हैं और उन ् हें मोड कर चिपका सकते हैं और इस से एक आप ने समद ् धिबाहु चतुष ् फ़लक (आइकोसहेड ् रन) बना सकते हैं । तो जो कि कूडा था, समुद ् री पक ् षियों के लिये जहर था, उसे आपने बहुत ही खुशी देने वाले — - साइंस संबंधी सारे आकार इस प ् रकार बनाये जा सकते हैं । ये एक छोटा सा पाइप है, और आप इसके दो कोनों को थोडा सा काट दीजिये, और ये मगरमच ् छ के बच ् चे क मुँह बन गया । इसे आप अपने मुँह में रखिये, और फ़ूंकिये । (बाजे की आवाज) ये एक बच ् चे का खजाना, और एक शिक ् षक का सरदर ् द बन सकता है । आप देख नहीं सकते कि आवाज कहाँ से आ रगी है, क ् योंकि वो चीज तो आपके मुँह के भीतर है । अब मै इसे बाहर रखूँगा, बाहर फ़ूंकने के लिये । और मैं हवा भीतर खीचूंगा । (बाजे की आवाज) तो किसी को भी ये रटने की ज़रूरत नहीं कि ध ् वनि कैसे बनती है कंपन क ् या होता है । और आप फ़ूँकते रहिये, और आवाज निकालते रहिये, और इसे काटते जाइये । और कुछ बहुत ही मजेदार होता है । (आवाज) (अभिवादन) और जब ये एकदम ज़रा सा बचे — (आवाज) ये सब आपको बच ् चे सिखा सकते हैं । आप भी ये कर सकते हैं । और आगे कुछ भी कहने से पहले, आपको कुछ दिखाता हूँ । ये नेत ् रहीन बच ् चों की स ् लेट है । ये वल ् क ् रों की पट ् टियाँ है, ये मेरी ड ् राइंग स ् लेट है, और ये मेरा पेन है, जो कि एक फ़िल ् म का डिब ् बा है । ये मछली पकडने के काँटे जैसा है, मछुआरे के काँटे सा । और थोडी सी ऊन है । अगर मैं ये हैन ् डल घुमाऊँ, तो ये ऊन अंदर चली जायेगी । और एक नेत ् रहीन बालक इस तरह से कुछ चित ् रकारी कर सकता है । ऊन वेल ् क ् रो पर चिपक जाती है । हमारे देश में एक करोड २० लाख बच ् चे देख नहीं सकते — (अभिवादन) जो कि अंधकार में रहते हैं । और ये उनके लिये वरदान हो सकता है । मानो कोई फ़ैक ् ट ् री सी है जो हमारे बच ् चों को अंधा बना रही है, उन ् हें खाना पूरा न दे कर, उन ् हें विटामिन ए न दे कर । लेकिन ये उन बच ् चों के लिये वरदान है । कोई पेटैन ् ट नहीं है । चाहे जो इसे बनाये । ये बहुत साधारण है । ये देखिये, ये एक जेनेरेटर है । ये दो चुंबकें हैं । एक बडी सा चक ् का बनाया गया है दो पुरानी सीडियों के बीच रबर फ़ँसा कर । छोटी से चक ् की और दो ताकतवर चुंबकें । और ये धागा एक एल.ई.डी. से जुडे तार को घुमाता है । अगर मैं इस चक ् की को घुमाऊं, तो छोटा वाला तेज़ी से घूमेगा । और यहाँ एक घूमता हुआ विद ् युत क ् षेत ् र बन जाएगा । उस विद ् युत क ् षेत ् र में ये तार दखल देखा, बल पैदा होगा । और जैसा आप देख रहे है, ये एल.ई.डी. जल उठेगी । तो ये एक छोटा सा जेनेरेटर है । ये देखिये, फ़िर से, एक छोटा सा स ् टील का गोला है, और स ् टील के नट भी । और आप क ् या करिये कि बस इसे हल ् का स घुम दीजिये, और ये चलते ही जायेंगे । और ज़रा कुछ बच ् चो के बारे में सोचिये, जो गोले में खडे हो कर इस रिंग के उन तक आने का इंतजार कर रहे हों । और वो ये करते समय सौ प ् रतिशत प ् रसन ् न होंगे । और आखिर में, हम ये भी कर सकते हैं, कि हम पुराने अखबारों का इस ् तेमाल करें टोपियाँ बनाने के लिये । इस वाली को तो सचिन तेंदुलकर पहन सकता है । ये गजब की क ् रिकेट टोपी है । जब आप पहले नेहरू या फ़िर गाँधी को देखते हैं, तो ये रही नेहरू टोपी - बस आधे अखबार से बनी । हम अखबारों से बहुत से खिलौने बना सकते हैं, और ये उन में से एक है । ये देखिये, जैसा कि स ् पष ् ठ है — ये एक पँख फ़डफ़डाती चिडिया है । अब हम सारे पुराने अखबारों, को छोटे छोटे वर ् गाकारों मे काट देंगे । और अब आपके पास ये चिडिया आ गयी — जापान में बच ् चे सदियों से ये चिडिया बना रहे हैं । और जैसा कि आप देख रहे हैं, ये पँखेनुमा पूँछ वाली चिडिया है । और मैं अब एक कहानी के साथ ख ् त ् म करना चाहूँगा । इसे कहते है "" कप ् तान के हैट की कहानी "" ये कप ् तान एक समुद ् री जहाज का कप ् तान था । वो बहुत धीरे धीरे चलता है । और जहाज पर बहुत सारे यात ् री थे, और वो बोर हो रहे थे, तो कप ् तान नें उन ् हें डेक पर बुलाया । "" अपने रंग-बिरंगे कपडे पहनिये, और नाचिये, गाइये, और मैं आपको बढिया खानपान करवाऊँगा । "" और कप ् तान भी हर रोज एक टोपी पहन कर उत ् सव में शामिल होने लगा । ठीक पहले दिन, उसने छतरी जैसी बडी टोपी पहनी, जैसे एक कप ् तान की टोपी होती है । उस रात, जब सारे यात ् री सो जाते थे, तो वो उसे एक बार और मोडता था, और फ़िर दूसरे दिन, वो अग ् निशमक की टोपी पहना नज़र आता — जिस में से ये पूँछ निकली होती, फ़ैशनेबल टोपी की तरह, क ् योंकि इस से रीढ की हड ् डी सुरक ् षित रहती है । और दूसरी रात, वो उसे टोपी को लेता था, और फ़िर से मोड देता था । और तीसरे दिन, वो शिकारी-टोप पहन कर आता — - जैसे किसी साहसिक कार ् यक ् रम पर जाने वाले की टोपी होती है । और तीसरी रात, फ़िर वो उसे दो बार मोड देता था — और ये बहुत बहुत ही प ् रसिद ् ध टोपी बन जाती है, अगर आपने बालीवुड की पिक ् चरें देखी हों, तो यही टोपी पुलिस वाले पहनते है, इसे पान ् डु टोपी कहते हैं । और इसे अंतर ् राष ् ट ् रीय ख ् याति प ् राप ् त हो चुकी है । और हमें ये नहीं भूलना चाहिये कि वो एक जहाज का कप ् तान था । तो ये रहा उसका जहाज । और अब अंत आ गया था । सब लोगों ने यात ् रा का बहुत आनंद उठाया था । वो सब नाच गा रहे थे । तभी वहाँ एक तूफ़ान आ गया, और बडी बडी लहरें आ गयीं । और जहान बस लहरों के साथ हिचकोले खाने लगा । और तभी एक भयानक लहर ने जहाज के सामने से प ् रहार किया और उसे हिला दिया । और फ़िर एक और लहर आयी, और उसने पीछे से प ् रहार किया । और फ़िर तीसरी लहर आयी । उसने पूरे जहाज पर ऊपर से वार किया और उसे गिरा दिया । और अब जहाज डूब रहा था, और कप ् तान का सब कुछ खो चुका था, मगर बस एक लाइफ़-जैकेट ही बची थी । आपका बहुत बहुत धन ् यवाद । (अभिवादन) तो इस से पहले मैं कुछ कहूँ मैं आपको छोटी से झलक दिखाता हूँ और अमरीकी निर ् माता के २ करोड । (तालियाँ) हर महीने करीब दस लाख छात ् र हमारा वेबसाइट इस ् तेमाल करते हैं, मगर आज जो बात हम करने जा रहे हैं, मैं बताना चाहता हूँ कि मैने शुरुवात कैसे की थी । कोई दूसरा मनुष ् य ये कहे, "" क ् या आपको समझ आया? "" और लोग उन विडियो तक पहुँचने लगे, और मुझे कमेंट और चिट ् ठियाँ आने लगीं (हँसी) (हँसी) "" मेरा १२ साल के बच ् चे को ऑटिस ् म (स ् वालीनता) है सब कुछ देखा, हर चीज़ खरीदी । मगर आपके दशमलव (डेसिमल) के विडियो कारगर रहे । (तालियाँ) और फिर कुछ और चीज़ें मुझ तक पहुँचीं । (हँसी) कि ये बच ् चे भी वो असल में कुछ सवाल हैं जो मैने शुरु में तैयार किये थे, वो बहुत ही सरल से थे । और ये ख़ान अकादमी के विडियो हैं । आपको सवाल पूर करने के लिये बीच के सारे कदम दिखाये जाते हैं, और फ़िर एक बडी परीक ् षा होती है । और आयडिया ये है कि आप जल ् दबाजी करते हैं आपको दंड देता है कि आप प ् रयोग कर के फ़ेल हो गये, हरे रंग का मतलब है कि बच ् चा उस ् तादी हो चुका है । (तालियाँ)इसलिये हम नहीं चाहते कि टीचर बच ् चे का पास जाये और उस सब का मानवीयकरण करना, न सिर ् फ़ लॉस अल ् टोस मे, बल ् कि सारी दुनिया में, जो शिक ् षा में हो रहा है । सोचिये क ् या होगा यदि कलकत ् ता का वो छात ् र अचानक आप के बेटे को ट ् यूशन देने लगे, कि एक ग ् लोबल क ् लासरूम का आयडिया उभर सकता है । मुझे बताइये कि आप क ् या सोच रहे हैं । वो कैसे हुआ? "अगर आपको पूरी आज़ादी हो, तो आप क ् लासरूम में क ् या करेंगे?" गर ् मियों की छुट ् टियों के दौरान, जैसे टीचर बदलेंगे, जिस से वो हर बच ् चे की बढत पर नज़र रख सकें । कोई कारण नहीं है इसके अमरीका के हर क ् लासरूम तक नहीं पहुँचने का । मुझे वहीं साइट पर ही अपने बच ् चों के, या भतीजे-भांजो या रिश ् तेदारों के, या बाय ् ज़ एंड गर ् ल ् स क ् लब के कुछ बच ् चों के । (तालियाँ) मैं भौतिकी के अलावा अन ् य बातों में भी भाग ले रहा हूँ. दरअसल, ज ् यादातर अब अन ् य बातों में एक बात है मानवीय भाषाओं के बीच दूर का सम ् बन ् ध और यूएस में पेशेवर, एतिहासिक भाषाविद और पश ् चिम यूरोप में भी, ज ् यादातर दूर रहने की कोशिश करते हैं किसी भी लंबी दूरी की रिश ् ते से, बड ़ े समूहों से, समूह जो एक लम ् बे समय से चलते आ रहे हैं परिचित परिवारों से भी लम ् बे समय से वे यह पसंद नहीं करते, उन ् हें लगता हैं कि यह सनकी है. मुझे नहीं लगता कि यह सनकी है. और कुछ शानदार भाषाविद, ज़ ् यादातर रूसी सैंटा फे संस ् थान और मॉस ् को में इस पर काम कर रहे हैं और यह कहाँ जाता है यह देखने में मुझे काफी ख ़ ुशी होगी. क ् या यह सच में एक ही पूर ् वज की तरफ इशारा करता है कुछ २०, २५००० साल पहले? और तब क ् या जब हम उस एक पूर ् वज से और पीछे जाएँ, जब वहाँ संभवतः कई भाषाओं के बीच एक प ् रतिस ् पर ् धा थी? यह और कितना पीछे जाता है? आधुनिक भाषा और कितना पीछे जाती है यह कितने दसियों हजारों साल पीछे जाती हैं? क ् रिस एंडरसन: क ् या आपके पास कोई अनुमान है की इसका उत ् तर क ् या होगा? मुर ् रे गेल-मान: खैर मुझे लगता है की आधुनिक भाषा काफी पुरानी होनी चाहिए गुफा चित ् रों और गुफा कंदकारी और गुफा मूर ् तियों से और पश ् चिमी यूरोप में गुफाओं में नरम मिट ् टी में नृत ् य के कदम से जो औरिग ् नचियन अवधि कुछ ३५००० साल पहले की है, या उससे भी पहले मैं विश ् वास नहीं कर सकता कि उन ् होंने यह सब किया और उनके पास एक आधुनिक भाषा नहीं थी तो मुझे लगता है कि वास ् तविक मूल कम से कम तब का है या उससे भी पहले का. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सब, या बहुत से या ज ् यादातर आज की अनुप ् रमाणित भाषाओं का जन ् म किसी ऐसी भाषा से हुआ जो की काफी नयी है, शायद २०००० साल पुरानी, या उसी तरह की. इसे हम अड ़ चन कहते हैं सीए: ठीक है, फिलिप एंडरसन शायद सही हो सकते हैं. आप शायद हर चीज ़ के बारे में और किसी से ज ् यादा जानते हैं. यह हमारे लिए बहुत बड ़ ा सौभाग ् य था. आपका धन ् यवाद मुर ् रे गेल-मान. (तालियाँ) यह एक तस ् वीर है कलाकार माइकल नज ् जार द ् वारा, और यह असली है, मतलब कि वह अर ् जेंटीना गए इस फोटो के लिए. लेकिन यह एक कथा भी है. इसमें बहुत काम हुआ है. और उन ् होंने एक नया डिजिटल आकार दिया है पहाड ़ ों की सभी आकृति को डो जोंस सूचकांक के मुताबिक बनाया है. तो आप देख रहे हैं, कि करारा, घाटी के साथ कि उच ् च करारा, 2008 का वित ् तीय संकट है. यह फोटो बनाया था जब हम वहाँ घाटी में थे. मुझे नहीं पता है हम अब कहाँ हैं. यह है हैंग सेंग सूचकांक हांगकांग के लिए. और इसी तरह की स ् थलाकृति. मैं सोचता हूँ क ् यों. और यह कला. यह रूपक है. लेकिन मुझे लगता है कि मुद ् दा है कि यह दाँत के साथ रूपक है. और उन दांत के साथ मैं आज प ् रस ् ताव करना चाहता हूँ कि हम पुनर ् विचार करें - समकालीन गणित की भूमिका के बारे में - न सिर ् फ वित ् तीय गणित, लेकिन सामान ् य में गणित. कि इसका संक ् रमण दुनिया से निकाले जाने वाली चीज ़ से दुनिया को आकृति देने वाली चीज ़ में हो रहा है - हमारे बहार और हमारे अंदर की दुनिया. और यह विशेष रूप से है एल ् गोरिदम (कलनविधि), जो मूल रूप से गणित कर रहे हैं जो कंप ् यूटर उपयोग करें. वे सत ् य की संवेदनशीलता का अधिग ् रहण करते हैं, क ् योंकि वे दोहराते हैं बार-बार. और वे मुलायम-सख ़ ् त होते हैं बार-बार, और फिर वे असली हो जाते हैं. और मैं इस बारे में सोच रहा था, एक ट ् रान ् साटलांटिक उड ़ ान पर दो वर ् ष पहले, क ् योंकि मैं बैठा हुआ हो मेरी उम ् र के एक हंगरी के भौतिक विज ् ञानी के साथ और हम बात कर रहे थे जीवन कैसा था शीत युद ् ध के दौरान हंगरी में भौतिकविदों के लिए. और मैंने कहा, "" तो आप क ् या कर रहे थे? "" और उन ् होंने कहा, "" हम ज ् यादातर छल तोड ़ रहे थे. "" और मैंने कहा, "" यह एक दिलचस ् प काम है.. कैसे काम करता है? "" वह समझने के लिए, आप को छल कैसे काम करता है यह समझना पड ़ ेगा. और इसलिए यह सरलीकरण है - लेकिन ऐसा नहीं है की आप एक रडार संकेत पारित कर सकें आकाश में 156 टन इस ् पात के आर-पार. यह बस गायब नहीं होने वाला. लेकिन अगर तुम इस बड ़ ी चीज ़ े को ले कर, और इसे बदल सकते हो लाखों छोटी चीज ़ ों में- पक ् षियों के एक झुंड की तरह - तो वह रडार जो उसे देखने की कोशिश कर रहा है सक ् षम होना चाहिए आकाश में पक ् षियों के हर झुंड को देखने में. और अगर आप एक रडार हैं, यह एक बुरा काम है. उन ् होंने कहा, "" हाँ, लेकिन यह तब यदि आप एक रडार हों. तो हमने एक रडार का उपयोग नहीं किया; हमने एक ब ् लैक बॉक ् स बनाया जो विद ् युत संकेतों को ढूँढता है, इलेक ् ट ् रॉनिक संचार. और, जब भी हमें पक ् षियों के झुंड इलेक ् ट ् रॉनिक संचार करते दीखते हैं हमने सोचा कि शायद इसमें अमेरिकियों का हाथ है. "" और मैंने कहा, "" हाँ. यह अच ् छा है. तो आप ने नकार दिए है हवाबाज ़ ी अनुसंधान के 60 साल. आप आगे क ् या करेंगे? बड ़ े होकर? "" और उन ् होंने कहा, वित ् तीय सेवाएँ. और मैंने कहा, "" ओह. "" क ् योंकि वे हाल ही में खबर में थीं. और मैंने कहा, "" कि यह कैसे काम करता है? "" उन ् होंने कहा, "" वॉल स ् ट ् रीट पर 2,000 भौतिकवादी हैं, और मैं उनमें से एक हूँ. "" और मैंने कहा, "" वॉल स ् ट ् रीट के लिए ब ् लैक बॉक ् स क ् या है? "" और उन ् होंने कहा, "" अजीब बात है कि आप ने यह पूछा, क ् योंकि इसे वास ् तव में ब ् लैक बॉक ् स व ् यापार कहते हैं. और कभी कभी इसे अलगो व ् यापार भी कहा जाता है, एल ् गोरिथमिक व ् यापार. "" और एल ् गोरिथमिक व ् यापार विकसित हुआ क ् योंकि संस ् थागत व ् यापारियों की वही समस ् या है जो कि संयुक ् त राज ् य वायु सेना की थी, जो है कि वे इन पदों को हिला रहे हैं - अगर यह प ् रॉक ् टर एंड गैंबल या एक ् सेंचर, या कोई और - वे कुछ दस लाख शेयर हिला रहे हैं बाजार के माध ् यम से. और अगर वे यह सब एक बार में करेंगे, यह पोकर में सारे पत ् ते खोल देने जैसा है. तुम बस अपने हाथ दिखाओ और इसलिए रास ् ता खोजना ज ़ रूरी था - और वे इसके लिए एल ् गोरिदम का उपयोग करते हैं - उस बड ़ ी चीज ़ को तोड ़ ने के लिए दस लाख छोटे लेनदेन में. और उस के जादू और अत ् यंत भय यह है कि एक ही गणित जिससे आप बड ़ ी चीज ़ को तोड ़ ते हो दस लाख में उसके इस ् तमाल से दस लाख छोटी चीजें ढून ् ढ आप उन ् हें एक बना सकते हो और बाज ़ ार का आकलन कर सकते हो. तो अगर आप को आकलन करना है की इस वक ़ ् त शेयर बाजार में क ् या हो रहा है, आप देख सकते हैं की यह एल ् गोरिदम का एक गुच ् छा है जो छिपाने के लिए क ् रमादेशित हैं, और कुछ एल ् गोरिदम जो उन ् हें खोजने के लिए क ् रमादेशित हैं. और यह सब महान है, ठीक है. वह 70 प ् रतिशत है संयुक ् त राज ् य अमेरिका के शेयर बाजार का, ऑपरेटिंग सिस ् टम का 70 प ् रतिशत पूर ् वता जिस आपकी पेंशन कहते थे, आपका र ् रिन. और क ् या गलत हो सकता है? और क ् या गलत हो सकता है? कि एक साल पहले, पूरे बाजार के नौ प ् रतिशत सिर ् फ पांच मिनट में गायब हो जाते हैं, और वे इसे २: ४५ का अजब-गजब बुलाते हैं. अचानक, नौ प ् रतिशत गायब, और इस दिन तक कोई नहीं सहमत हो पाता है की क ् या हुआ, क ् योंकि न ही किसी ने इसका आदेश दिया, न माँगा. किसी का इस पर नियंत ् रण नहीं था. उन के पास सिर ् फ था बस एक पर ् दा जिस पर संख ् या थी और सिर ् फ एक लाल बटन जिस पर लिखा था, "" बंद करो. "" और वह बात है, कि हम लिख रहे हैं, हम इन चीज ़ ों को लिख रहे हैं जिन ् हें हम पढ ़ नहीं सकते. और हमने ऐसी चीज ़ तैयार करी है अस ् पष ् ट. और हम समझ खो चुके हैं क ् या वास ् तव में हो रहा है इस दुनिया में जो हमने बनायीं है. और हम आगे बढ रहे हैं. बोस ् टन में एक कंपनी है नानेक ् स, और वे गणित और जादू का उपयोग करते हैं और मुझे नहीं पता वे सभी बाजार के आंकड ़ ों में पहुँच और वे पाते हैं, कभी कभी, इन एल ् गोरिदमों में कुछ. उन ् हें खोज बहार निकालते हैं और वे उन ् हें तितलियों की तरह दीवार से चिपका देते हैं. और वे वही करते हैं जो हम हमेशा करते हैं जब भारी मात ् रा में आकडे सामने आते हैं और हमें समझ नहीं आते — वे उन ् हें एक नाम दे देते हैं और एक कहानी. तो यह एक है, वे उसे चाकू बुलाते हैं, आनंदोत ् सव, बोस ् टन पैर घसीटनेवाला, संध ् या. और झूठ है कि, ये सिर ् फ बाजार के माध ् यम से नहीं चल रहे हैं. आप इन प ् रकार की चीजों को सब जगह पा सकते हैं, यह जान की इन ् हें कैसे ढूँढ ़ ते हैं. आप इन ् हें यहाँ पा सकते हैं: इस पुस ् तक में मक ् खियों के बारे में जो आप अमेज ़ न पर देख सकते हैं. आपने इन ् हें देखा होगा जब इसकी कीमत 17 लाख डॉलर पर थी. यह अभी भी... - प ् रिंट से बाहर है (हँसी) यदि आप ने इसे 17 पर खरीदा होगा, यह एक अच ् छा सौदा होता. कुछ घंटे बाद, यह था 236 लाख डॉलर, और डाक का खर ् च. और सवाल है: इसे कोई खरीदने या बेचने वाला नहीं था, क ् या हो रहा था? और आप अमेज ़ न पर इस व ् यवहार को देख सकते हो जैसे आप इसे वॉल स ् ट ् रीट पर देखते हैं. और जब आप इस तरह के व ् यवहार को देखते हैं, आप देखते हो सबूत एल ् गोरिदम के संघर ् ष का, एक दूसरे के साथ लूप ् स में बंद एल ् गोरिदम, किसी मानव निरीक ् षण के बिना, किसी भी वयस ् क पर ् यवेक ् षण के बिना असल में, 17 लाख बहुत है. (हँसी) और जैसे अमेज ़ न के साथ है, वैसे है नेत ् फ ् लिक ् स के साथ. और नेत ् फ ् लिक ् स ने देखे हैं पिछले कुछ वर ् षों में कई अलग अलग एल ् गोरिदम. वे सिनेमत ् च के साथ शुरू हुए, और कई अलग चीज ़ ों की कोशिश की. "" डायनासौर ग ् रह "" है, वहाँ "" गुरुत ् वाकर ् षण "" है. अब वे "" व ् यावहारिक अराजकता "" का उपयोग कर रहे हैं. व ् यावहारिक अराजकता नेत ् फ ् लिक ् स के अन ् य एल ् गोरिदम की तरह, एक ही बात करने की कोशिश करता है. यह आपको समझ पाने की कोशिश कर रहा है, मानव खोपड ़ ी को अंदर से, ताकि यह सिफारिश कर सके कोन सी फिल ् म आप अगली बार देखना चाहो - जो एक बहुत, बहुत कठिन समस ् या है. लेकिन समस ् या की कठिनाई और तथ ् य यह है कि हम वास ् तव में वहां पहुचे नहीं हैं, यह नहीं कर सकता है व ् यावहारिक अराजकता के प ् रभाव से. व ् यावहारिक अराजकता, सभी नेत ् फ ् लिक ् स एल ् गोरिदम की तरह, अंत में निर ् धारित करता है, ६० प ् रतिशत फिल ् मे जो आप किराए पर लेते हैं. तो कोड का एक टुकड ़ ा तुम ् हारे बारे में एक विचार से उन फिल ् मों के ६० प ् रतिशत के लिए जिम ् मेदार है. लेकिन अगर आप उन फिल ् मों को अनुपात कर सकते इससे पहले कि वह बने? वेह काम का नहीं होगा? ब ् रिटेन के कुछ डेटा विज ् ञानिक हॉलीवुड में हैं, और उनके पास है कहानी एल ् गोरिदम - एक कंपनी है एपगोगिक ् स. और आप उस के माध ् यम से अपनी स ् क ् रिप ् ट चला सकते हैं, और वे आपको बता कर सकते हैं, आंकलन कर, कि यह ३०० लाख डॉलर की फिल ् म है या एक २००० लाख डॉलर की. और बात है कि यह गूगल नहीं है. यह जानकारी नहीं है. ये वित ् तीय आँकड ़ े नहीं हैं, यह संस ् कृति है. और आप यहाँ देख रहे हैं, जो आप सामान ् यता नहीं देखते हैं, कि यह संस ् कृति की भौतिकी है. और अगर यह एल ् गोरिदम, वॉल स ् ट ् रीट के एल ् गोरिदम की तरह, सिर ् फ एक दिन दुर ् घटनाग ् रस ् त हो जाये और धराशायी हो जाये, हमें कैसे पता चलेगा, यह कैसा दिखेगा? और वे आप के घर में हैं. यह दो एल ् गोरिदम आप के कमरे के लिए प ् रतिस ् पर ् धा कर रहे हैं. ये दो अलग सफाई रोबोट हैं जिनका सफाई का मतलब बहुत अलग है. और आप इसे देख सकते हैं यदि आप इसे धीमा करें और उन ् हें रोशनी दें. वे आपके शयन कक ् ष में गुप ् त आर ् किटेक ् ट की तरह हैं. और विचार है कि खुद वास ् तुकला किसी तरह एल ् गोरिथम अनुकूलन पर निर ् भर करती है दूर की कौड ़ ी नहीं है. यह असली है और यह आप के आसपास हो रहा है. आप इसे सबसे अधिक महसूस करते हैं जब आप एक मोहरबंद धातु बक ् से में होते हैं, एक नई शैली का एलेवेटर, इसे गंतव ् य नियंत ् रण लिफ ् ट कहते हैं. ये हैं जहाँ आप अपनी मंजिल पहले बताते हैं इससे पहले कि आप लिफ ् ट में जाएँ. और यह एक बिन पैकिंग एल ् गोरिथ ् म का उपयोग करता है. तो कोई पागलपन नहीं हर किसी को पसंद की कार में जाने देने का. हर कोई जो १०वीं मंजिल पर जा रहा हो कार नंबर दो में जाता है, और तीसरी मंजिल वाले कार पांच में. और उस के साथ समस ् या कि लोग डर जाते हैं. आतंक में. और देख सकते हो क ् यों. क ् योंकि एलेवेटर में बटन की तरह कुछ महत ् वपूर ् ण उपकरण है लापता. (हँसी) चीजें जो लोग उपयोग करते हैं. इसमें सिर ् फ है संख ् या जो ऊपर या नीचे जाती है और वे लाल बटन जो कहता है, "" बंद करो. "" और यह है जिसके लिए हम डिजाइन कर रहे हैं. हम डिजाइन कर रहे हैं इस मशीन बोली के लिए. और इसे हम कितनी दूर ले जा सकते हैं? आप इसे वास ् तव में बहूत दूर ले जा सकते हैं. वापस वॉल स ् ट ् रीट चलते हैं. क ् योंकि वॉल स ् ट ् रीट की एल ् गोरिदम सब से ऊपर एक गुणवत ् ता पर निर ् भर हैं, जो गति है. और वे क ् षंड के लाखवे या करोड ़ वे हिस ् से पर कार ् य करते हैं. सिर ् फ आप को उस गति का स ् वाद देने के लिए, आप को ५ लाख मिक ् रोसेकांड ् स लगते हैं सिर ् फ एक माउस क ् लिक करने में. लेकिन अगर आप एक वॉल स ् ट ् रीट एल ् गोरिथ ् म हैं और आप पाँचमिक ् रो सेकंड पीछे रहे हैं, आप हारे हुए हैं. तो अगर आप एक एल ् गोरिथ ् म होते, आप इस तरह का वास ् तुकार ढूँढ ़ ते जो मुझे फ ् रैंकफर ् ट में मिला जो एक गगनचुंबी इमारत को खाली कर रहा था - सभी फर ् नीचर बाहर फेंक, मानव उपयोग के बुनियादी ढांचे सहित और फर ् श पर सिर ् फ इस ् पात लगा रहा था सर ् वर के ढेर लगाने के लिए - इतना सब एक एल ् गोरिथ ् म को इंटरनेट के करीब लाने के लिए. आप इन ् टरनेट को एक वितरित प ् रणाली केरूप में देखते हो. और हां, यह है, लेकिन कुछ स ् थानों से वितरित है. न ् यू यॉर ् क में, यह कहाँ से वितरित है: कैरियर होटल हडसन स ् ट ् रीट पर स ् थित. और यह जगह है जहाँ सारे तार शहर में आ रहे हैं. और वास ् तविकता यह है कि आप उससे जितने दूर हैं, आप हर बार कुछ मिक ् रोसेकांड ् स पीछे हैं. वॉल स ् ट ् रीट पर ये लोग, मार ् को पोलो और चेरोकी नेशन, वे आठ मिक ् रोसेकांड ् स पीछे हैं इन से खाली इमारतों में जा कैरियर होटल के आसपास. और वह होता रहेगा. हम उन ् हें खाली करते रहेंगे, क ् योंकि यह, इंच दर इंच और पाउंड दर पाउंड, और डॉलर दर डॉलर, आप में से कोई भी इतना राजस ् व नहीं निचोड ़ सकते हैं बोस ् टन पैर घसीटनेवाले की तरह. लेकिन अगर आप दूर से देखो, लेकिन अगर आप दूर से देखो, आप एक 825 मील की खाई को देखोगे न ् यूयॉर ् क सिटी और शिकागो के बीच जो पिछले कुछ वर ् षों में बनाई गयी है एक कंपनी द ् वारा - "" सपरेड नेटवर ् क "". यह एक फाइबर ऑप ् टिक केबल है जो उन दो शहरों के बीच रखी गई थी बस एक संकेत को यातायात देने के लिए एक माउस क ् लिक से ३७ गुना तेज ़ - बस इन एल ् गोरिदम के लिए, बस कार ् निवल और नैफ के लिए. और जब आप इस बारे में में सोचते हैं, कि हम संयुक ् त राज ् य अमेरिका के आर-पार चल रहे हैं डायनामाइट और पत ् थर आरी के साथ सिर ् फ इसलिए की एक एल ् गोरिथ ् म सौदा कर सके तीन मिक ् रोसेकांड ् स तेज, एक संचार ढांचे के लिए जो कभी किसी इंसान को नहीं पता चलेगा, जो प ् रकट भाग ् य का एक प ् रकार है और हमेशा एक नया मोर ् चा तलाशेगा. दुर ् भाग ् य से, हमारे पास बहूत काम है. यह सिर ् फ सैद ् धांतिक है. यह एमआईटी में कुछ गणितज ् ञ हैं. और सच यह है की मैं यह समझ नहीं सकता के हम किस बारे में बात कर रहे हैं. यह प ् रकाश शंकु और क ् वांटम उलझन है, और मैं वास ् तव में उस में कुछ नहीं समझता. लेकिन मैं इस नक ् शे को पढ ़ सकता हूँ. यह नक ् षा कहता है की अगर आप बाजार में लाल डॉट ् स पर पैसे बनाने की कोशिश करते हैं, वहां लोग हैं, जहां शहर हैं, आपको सर ् वर जहां नीले डॉट ् स हैं वहां रखने होंगे प ् रभावी ढंग से काम करने के लिए. और आप उन नीले डॉट ् स के बारे में देख सकते हैं कि उनमें से बहुत समुद ् र के बीच में हैं. तो, हम बुलबुले या कुछ और निर ् माण करेंगे, या प ् लेटफार ् म. हम वास ् तव में पानी को काट देंगे पैसे हवा से बाहर खींचने के लिए, क ् योंकि यह एक उज ् जवल भविष ् य है यदि आप एक एल ् गोरिथ ् म हैं. (हँसी) और वास ् तव में पैसा दिलचस ् प नहीं है. पैसा क ् या प ् रेरित करता है, वे है. कि हम वास ् तव में ज ़ मीन बना रहे हैं ज ़ मीन पर एल ् गोरिथम दक ् षता के साथ. और उस प ् रकाश में, तुम वापस जाओ और आप माइकल नज ् जार की तस ् वीरों को देखो, आप को पता चलता है कि वे रूपक नहीं, भविष ् यवाणी हैं. वे भविष ् यवाणी हैं भूकंपीय, स ् थलीय प ् रभाव की गणित की, जो हमने बनाया है. और परिदृश ् य हमेशा बना था इस अजीब, बेचैन सहयोग से प ् रकृति और मनुष ् य के बीच. लेकिन अब यह तीसरे सह-विकासवादी बल हैं: एल ् गोरिदम - बोस ् टन-पैर-घसीटनेवाला, "" कार ् निवल "". और हमें उन ् हें प ् रकृति के रूप में समझना होगा. और एक तरह से, वे हैं. धन ् यवाद. (तालियाँ) ये ठीक वो क ् षण है जब मैनें टिंकरंग स ् कूल का निर ् माण करना शुरु किया था । टिंकरिंग स ् कूल ऐसी जगह है जहाँ बच ् चों को लकडियाँ हथौडी, और ऐसे ही खतरनाक से सामान से खेलने दिया जाता है, इस विश ् वास के साथ कि वो खुद को चोट नहीं पहुँचायेंगे, दूसरों को भी आहत नहीं करेंगे । टिंकरिंग स ् कूल में कोई सधा हुआ पाठ ् यक ् रम नहीं है । और परीक ् षायें भी नहीं होती हैं । हम किसी को भी कुछ खास चीज़ नहीं सिखाना चाहते हैं । जब बच ् चे आते हैं, तमाम सारा सामान उन ् हें चुनौती देता है, लकडियाँ और कीलें और रस ् सियाँ और पहिये, और तमाम औज़ार, असली, सचमुच के औज़ार । ये बच ् चों के लिये छः दिन का मग ् न कर देने वाल अनुभव होता है । और इस संदर ् भ में, हम उन ् हें पूरा समय देते हैं । समय, जिसकी हमेशा कमी होती है उनके अति-व ् यस ् त जीवन में । हमारा लक ् षय ये है कि जब वो जायें तो उन ् हें बेहतर अंदाज़ा हो कि चीजें कैसे बनती हैं, मुकाबले उसके जब वो आये थे, और एक गहरा अंदरूनी अहसास हो कि आप चीज़ों से छेडछाड कर के युक ् ति निकाल सकते हैं । कुछ भी... योजना के हिसाब से नहीं होता है. कभी भी नहीं । (हँसी) और बच ् चे जल ् दी ही सीख लेते हैं कि प ् रोजेक ् ट खराब हो सकते हैं — (हँसी) और इस बात से सहज हो जाते हैं कि हर अगला कदम उन ् हें प ् रोजेक ् ट में एक कदम आगे बढाता है, सफ़लता की ओर, या फ़िर असफ़लता की ओर । हम ऐसे ही गुड ् मुड स ् केच बना कर शुरुवात करते हैं । और कभी कभी असल-सी दिखती योजनायें भी बनाते हैं । और कभी हम बस चीज़ बनाना शुरु कर देते हैं । 'निर ् माण' इस अनुभव का केंद ् र बिंदु है । असल दुनिया जैसा, गहरे पैठा हुआ और पूरी तरह से हाथ आयी समस ् या को समर ् पित । रॉबिन और मैं, सहयोगियों के रूप में, प ् रोजेक ् ट को लगातार कार ् य पूर ् ण होने की दिशा में बढाते हैं । सफ़लता तो असल में कार ् य के करने में है । और नाकामयाबियों की सराहना और विश ् लेशण किया जाता है । समस ् यायें पहेलियों के रूप में देखी जाती हैं, और रुकावटें छू-मंतर हो जाती हैं । जब किसी खास कठिनाई का सामना होता है, या कोई बडी गडबड या जटिलता, एक बडा ही रोचक व ् यवहार दिखता है: सजावट । (हँसी) अधूरे प ् रोजेक ् ट की सजावट एक तरीके से संरचना के अंडे को सेने जैसा है । और इन मध ् यांतरों से बहुत ही गहरी सोच और नये गज़ब के समाधान निकलते हैं, उन ् हें मध ् यांतरों जो दो क ् षण पहले हमें हतोत ् साहित कर रहे थे । हर प ् रकार का पदार ् थ इस ् तेमाल के लिये मौजूद है । यहाँ तक कि बोरिंग, घृणित, प ् लास ् टिक की थैलियाँ भी एक पुल का निर ् माण कर सकती हैं - और हमारी कल ् पना से भी ज ् यादा मजबूत । और जो चीजें ये बनाते हैं, वो उन ् हें खुद ही आश ् वर ् यचकित कर देती हैं । विडियो: तीन, दो, एक, जाओ! गेवर टली: ये झूला जो सात साल के बच ् चों ने बनाया है । विडियो: याहू....! (अभिवादन) गेवर टली: धन ् यवाद, आज बहुत आनंद आया । (अभिवादन) यह तो वहां नहीं फेकना चाहिए जब उसने यह बोला, मुझे समर कैंप की याद आ गई मिलने की दिन की सुबह, हमारे उत ् सुक माता पिताओ के कैंप के अंदर आने से ठीक पहले हमारे कैंप के निदेशक ने कहा जल ् दी सभी ५ कचरे के टुकड़े उठाओ कैंप में २०० बचे और हर कोई कचरे के ५ टुकड़े उठा रहा है और बहुत जल ् दी कैंप काफी साफ़ हो गया तो मैंने सोचा, क ् यों न सफाई के इस मॉडल को पूरी दुनिया पर लागू किया जाये और यह थी लिटराटी की प ् रेरणा मेरा सपना है कचरे से दुनिया को मुक ् त करना मेने इंस ् टाग ् राम का इस ् तेमाल करके, सिग ् ररेट की एक तस ् वीर ली और उसके बाद एक और तस ् वीर ली... और उसके बाद एक और और एक और और दो बाते मेरे ध ् यान में आयी पहली, कूड़ा कलात ् मक बन गया जिस तक लोग पहुँचने लगे थेऔर मैंने महसूस किया कि मैं एक रिकॉर ् ड रख रहा था कि इस ग ् रह पर क ् या सकारात ् मक प ् रभाव पड़ रहा है ५० कचरे की चीजें जो अब आप नहीं देख पाएंगे या फिर जिस पर आपके कदम पड़ते या फिर कुछ पंक ् षी उनको खा जाते तो मेने लोगों को बताना शुरू किया की मैं क ् या कर रहा था, और उन ् होंने भी भाग लेना शुरू किया । एक दिन एक तस ् वीर चीन से आयी और तब मुझे एहसास हुआ की, लिटराटी सूंदर चित ् रो की तुलना से काफी अधिक है हम एक समुदाय बनते जा रहे थे, जो कि डाटा एकत ् रित कर था । प ् रत ् येक तस ् वीर एक कहानी बयां करती है यह बताती है कि, किसने क ् या कूड़ा उठाया जियोटैग हमे बताता है की कूड़ा कहा से उठाया और समय के रिकॉर ् ड से पता चलता है की कब तो मैंने एक गूगल मानचित ् र बनाया, और जहा जहा से कूड़ा उठाया जा राहै था वहां वहां मानचित ् र पर अंक लगाने लगा और इस प ् रक ् रिया के माध ् यम से हमारा समुदाय बढ़ने लगा और डेटा में वृद ् धि हुई । कूड़ामेरे दोनों बचो का स ् कूल जाना, मुझे एकदम सही दिशा में ले गया कूड़ा हमारे जीवन की पृष ् ठभूमि में, मिलता जा रहा है लेकिन अगर हम इसे आगे लेकर आये? अगर हम वास ् तव में समझ जाये, की क ् या हमारी सड ़ कों पर क ् या था, हमारे फुटपाथ, और हमारे स ् कूल मैदान पर? कैसे हम उस डेटा का उपयोग, बदलाव के लिए कर सकते है? मैं तुम ् हे दिखता हूँ शुरुवात शहरो से करते है सैन फ ् रांसिस ् को समझना चाहता था कि कूड ़ े का क ् या प ् रतिशत सिगरेट है । क ् यों? एक कर बनाने के लिए । इसलिए उन ् होंने कुछ लोगो को सड़को पर भेजा पेंसिल और क ् लिपबोर ् ड के साथ जो आसपास घूमकर जानकारी इक ् कठा करने लगे जिसकी वजह से सिगरेट की बिक ् री पर २० प ् रतिशत कर लगा दिया गया और फिर उन पर मुकदमा दायर किया गया बिग टोबैको के दुवारा जिन ् होंने दावा किया कि पेंसिलऔर क ् लीपबोर ् ड ् स के साथ जानकारी एकत ् रित करना ना तो निश ् चित है और न ही साध ् य है । उन ् होंने मुझे फोन किया और पूछा क ् या हमारे प ् रौद ् योगिकी उनकी मदद कर सकता है । मुझे यकीन नहीं है कि उन ् हें पता है की हमारी प ् रौद ् योगिकी मेरा इंस ् टाग ् राम खाता है (हंसी) लेकिन मैंने कहा, "" हाँ, हम कर सकते हैं । "" (हंसी) "" और हम आपको बता सकते है कि यह एक संसद है या कोई पॉल मॉल इसके अलावा, हर तस ् वीर पर जियोटैग है और समय की मुहर लगी है सबूत के साथ आपको दे रहे है चार दिन और 5,000 कूड़े के टुकड ़ े के बाद, हमारा डेटा अदालत में इस ् तेमाल किया गया, न केवल सबूत के तौर पर जिससे हर साल ४० लाख डॉलर की आय पैदा होगी जो कि सैन फ ् रांसिस ् को को साफ रखने के लिए काफी है अब, इस प ् रक ् रिया के दौरान मैं दो बातें सीखा: पहली, इस काम के लिए इंस ् टाग ् राम सही उपकरण नहीं है - (हंसी) इसलिए हमने एक एप ् प का बनाई और दूसरी, अगर आप इस बारे में सोचें की दुनिया के हर शहर में एक अनूठी कूड़े की छाप है और वो छाप दोनों चीजे प ् रदान करता है समस ् या का स ् रोत भी, और उसके समाधान का रास ् ता भी । अगर आप एक राजस ् व का रास ् ता उत ् पन ् न कर सकते है, सिर ् फ सिगरेट का प ् रतिशत जानने से फिर, कॉफी कप के बारे में आपका क ् या ख ् याल है, और सोडा के डिब ् बे । या प ् लास ् टिक की बोतले? अगर आप सैन फ ् रांसिस ् को का फिंगरप ् रिंट बना सकते है, या एम ् स ् टर ् डम या फिर घर के कही करीब? और ब ् रांडों के बारे में? वे इस डेटा का उपयोग कैसे कर सकते है अपने पर ् यावरण और आर ् थिक हितों को सही दिशा में लेन के लिए? ऑकलैंड शहर में एक ब ् लॉक है जो कूड़े से भरा हुआ है लिटराती समुदाय एक साथ आया और १५०० कूड़े के टुकड ़ े उठाये । और हमने यहाँ सीखा की: अधिकतम कूड़ा एक बहुत अच ् छे टैको ब ् रांड से आ रहा था उस ब ् रांड के कूड ़ े का अधिकांश भाग, स ् वयं के गर ् म सॉस के पैकेट थे और ज ् यादातर पैकेट खोले भी नै गए थे हो सकता है कि ब ् रांड केवल अनुरोध पर सॉस के पैकेट देना शुरू करे या फिर थोक मशीन स ् थापित करदे या फिर कोई और टिकाऊ पैकेजिंग ले आये एक ब ् रांड पर ् यावरण खतरे को कैसे समझता है, और कैसे उसको आय उत ् पन ् न करने के लिए इस ् तेमाल करता है और उद ् योग का नायक बन जाता हैं? अगर तुम सच में परिवर ् तन लाना चाहते हो, तो शुरू करने के लिए अपने बच ् चो से अच ् छी जगह कोई नहीं है पांचवीं कक ् षा के छात ् रों के एक समूह ने १२४७ कूड़े के टुकड़े उठाये केवल अपने स ् कूल के मैदान से और उन ् होंने सीख की सबसे ज ् यादा आम कूड़ा प ् लास ् टिक के स ् ट ् रास है, जो उन ् ही के कैफेटेरिया से आया है तो ये सभी बच ् चे प ् रधानचार ् य के पास गए और पूछने लगे, की हम अभी भी स ् ट ् रास क ् यों खरीद रहे है? और उन ् होंने सीख की वे सब अकेले भी बदलाव ला सकते है और उन ् होंने सीख की वे सब अकेले भी बदलाव ला सकते है कोई फर ् क नहीं पड ़ ता कि यदि आप एक छात ् र या एक वैज ् ञानिक हैं, चाहे आप होनोलूलू या हनोई में रहते हैं, यह समुदाय सभी के लिए एक है । यह सब दो छोटे बच ् चो की वजह से शुरू हुआ जो उत ् तरी कैलिफोर ् निया के जंगल में घूम रहे थे और आज ये पूरी दुनिया फैल चुका है एक समय में एक टुकड ़ ा उठा कर । धन ् यवाद । (तालियाँ) नमस ् ते । सलाम । शलोम । सत श ् री अकाल । आप सब को पाकिस ् तान से मंगल-कामनाएँ | अक ् सर ऐसा कहा जाता है कि हम सबसे ज ् यादा उस से डरते हैं जिसे हम जानते नहीं । और पाकिस ् तान की कहानी यही है । क ् योंकि उसने उकसाईं है, और उकसा रहा है ऐसी अंदरूनी बेचैनी कई एक पश ् चिमी सभ ् यता में रचे बसे लोगों मे, खासकर तब जब कि उसे ऐसे शीशे से देखा जाता है जिस पर खलबली और बखेडों का रँग चढा हो । पर पाकिस ् तान के कई एक पहलू और भी हैं । "आगे तस ् वीरों की एक लडी दिखेगी, ऐसी तस ् वीरें जो कि पाकिस ् तान के कुछ सबसे हुनरशुदा और युवा फोटोग ् राफ़रों ने लिये हैं, आपको पाकिस ् तान के दूसरे पहलुओं की झलक देने के लिये,\ एक कोशिश गहरे पैठने की पाकिस ् तान के आम नागरिकों के ज़हन में ।" ये कुछ कहानियाँ हैं जो वो आपके साथ बाँटना चाहते थे । मेरा नाम अब ् दुल ख़ान है । मैं पेशावर का रहने वाला हूँ । आशा है आप देख पाएँगे न सिर ् फ़ मेरे तालिबान-जैसी दाढी, बल ् कि उन रँगों और उस उत ् साह को जो मेरे नज़रियों, मेरी आशाओं और मेरे सपनों मे भरा है, बिलकुल उतना ही रँग-बिरँगा जितना कि वो थैले जो मैं बेचता हूँ । मेरा नाम मेहर है, और ये मेरा दोस ् त है ईरिम । मैं बडा हो कर जानवरों का डॉक ् टर बनना चाहता हूँ जिस से कि मैं लावारिस कुत ् ते और बिल ् लियों की देखभाल कर सकूँ जो घूमते रहते हैं हमारे गाँव की सडकों पर, जिसका नाम है गिलगिट, उत ् तर पाकिस ् तान में । मेरा नाम कैलाश है और मैं लोगों के जीवन को रंग-बिरंगे काँच के ज़रिये जीने लायक बनाता हूँ । मैडम, क ् या आप ये नारंगी चूडियाँ खरीदेंगी जिनमे ये गुलाबी बुंदे बने हैं? मेरा नाम ज़मीन है । और मैं एक आई.डी.पी. हूँ, एक आंतरिक विस ् थापित व ् यक ् ति, स ् वात से । क ् या आप मुझे इस बाड के दूसरे तरफ़ देखते हैं? क ् या आप के लिये मेरा कोई भी आस ् तित ् व, वज़ूद है? मेरा नाम है ईमान. मैं फ़ैशन मॉडल हूँ, और लाहौर के सबसे अच ् छे मॉडलों में से एक । क ् या आप मुझे सिर ् फ़ इन कपडों में लिपटा देखते हैं? या फ़िर आप मेरे पर ् दे के आगे भी झाँक सकते हैं और सच में असली मुझ तक पहुँच सकते हैं? मेरा नाम अहमद है । मै एक अफ़गानी शरणार ् थी हूँ खैबर एजेन ् सी से । मै बहुत ही गहन अँधेरे की दुनिया से आया हूँ । और इसीलिये मैं सारी दुनिया को रोशन करना चाहता हूँ । मेरा नाम पापुसे है । मेरा ढोल और मेर दिल एक ही ताल में बजते हैं । अगर धर ् म जन-समुदायों का नशा है, तो मेरे लिये, मेरा संगीत ही मेरा गांजा है । एक चढता ज ् वार सभी नावों को ऊपर उठाता है । और इस चढते ज ् वार ने, जो भारत की अद ् वितीय वित ् तीय तरक ् की से आया है, करीब ४० करोड भारतीयों को तरक ् की पसंद मध ् य-वर ् ग में ला खडा किया है । पर अभी भी करीब ६५ करोड भारतीय, पाकिस ् तानी, श ् रीलंकाई, बाँग ् लादेशी, और नेपाली बचे हैं, जो गरीबी में जी रहे हैं । इसलिये, भारत और पाकिस ् तान के रूप में, और आप और मैं खुद अपने रूप में, हमें इन फ़र ् कों को मिटाना होगा और अपनी विविधताओं का जश ् न मनाना होगा । अपनी साझा मानवता का फ़ायदा उठाने के लिये । नया जीवन में हमारा साझा लक ् ष ् य, जिसे आप सब समझते हैं, कि उसका मतलब है 'नया जीवन' उर ् दू और हिन ् दी में. ये है कि हम कम आमदनी वाले दसियों लाख परिवारों को मुहैया करवा पाये ऐसी सुविधा जो उन ् हें स ् वास ् थ सुविधा दे जब कोई आपातकालीन समस ् या उन ् हें घेर ले । ये सच में विकासशील दुनिया का पहला एच.एम.ओ. है शहरी गरीबों के लिये । और हम ये अलग अलग हिन ् दुस ् तानी और पाकिस ् तानी हो कर क ् यों करें? हम एक ही कपडे से खींचे गये दो धागे ही तो हैं । और अगर हमारी तकदीरें जुडी हुई है, तो हम ये भी समझते है कि ये एक अच ् छा कर ् म होगा, भाग ् यशाली होगा । और हम से बहुत बहुत सारे लोगों का भाग ् य और बहाली पिरामिड के तलवे में ही तो है । धन ् यवाद । (अभिवादन) क ् रिस एन ् डर ् सन: बहुत अच ् छा, थोडी देर यहीं रुकिये । ये बहुत ही अच ् छा था । मैं भावुक हो गया हूँ । आपको बता दूँ कि हमने बहुत बडी लडाई लडी है एक छोटे से पाकिस ् तानी दल को यहाँ ला पाने की । मुझे लगा था कि ये सच में बहुत ज़रूरी है । इन ् हें यहाँ आने के लिये बहुत बहुत परेशानियों का सामना करना पडा । क ् या यहाँ मौजद पाकिस ् तानी लोग कृप ् या खडे हो सकते है? मैं बस आप सब का शुक ् रिया अदा करना चाहता हूँ । (अभिवादन) बहुत बहुत धन ् यवाद । क ् या आप कभी बिलकुल ही घबरा जाते हैं जब आपके सामने कोई पेचीदा समस ् या आती है? देखिये, मैं कोशिश करूँगा कि करीब तीन मिनट में इसे बदल सकूँ । तो, मै आशा करता हूँ कि आपको विश ् वास दिला पाऊँगा कि जटिल का मतलब हमेशा उलझाऊ नहीं होता । जैसे कि मेरे लिए, ओवन से ताजा निकला बगे जटिल है, मगर 'केरी-अनियन-ग ् रीन-ओलोव-पोप ् पी-चीज़-ब ् रेड' उलझाऊ है । मैं एक परिस ् थिति-विज ् ञानी हूँ, और मैं पेचीदगी का अध ् ययन करता हूँ । मुझे तो जटिलता से इश ् क सा है । और मैं प ् राकृतिक दुनिया में, प ् रजातियों के आपसी रिश ् तों की पेचीदगी का ही अध ् ययन करता हूँ । देखिये, ये आहार-जाल है, या फ़िर भोगी-भोज ् य के रिश ् तों का नक ् शा उन प ् रजातियों के बीच जो कि कैलिफ़ोर ् निया के पहाडों की एल ् पाइन झील में रहते हैं । और ये होता है इस आहार-जाल के साथ यदि इस झील में उन मछलियों को रखा जाये जो यहाँ प ् राकृतिक रूप से नहीं पाई जातीं । स ् लेटी रंग में दिखायी गयी सारी पुरानी प ् रजातियाँ लुप ् त हो जाती हैं । कुछ तो प ् रलुप ् त होने के कगार पर हैँ । और मछली से भरी झीलों में ज ् यादा मच ् छर होते हैं, जबकि वो उन ् हें खाती भी हैं । ये सारा असर पहले से नहीं सोचा गया था, और तब भी हमें पता लग रहा है कि इनकी भविष ् यवाणी की जा सकती है । मैं आपके साथ कुछ मुख ् य सूत ् र बाँटना चाहता हूँ जटिलता के बारे में, जो हमने प ् रकृति का अध ् ध ् ययन कर के सीखी हैं, जो कि शायद कुछ और भी समस ् याओं पर लागू हों । पहली है नमूने तैयार करने के तरीकों में निहित ताकत जटिलता को सुलझा कर पेश करने की और आपको उन प ् रश ् नों को पूछने पर मज़बूर करने की जो शायद आप पहले न पूछते । मिसाल के लिये, आप कार ् बन के बहाव का नक ् शा बना सकते हैं निगमों के पर ् यावरण में मौजूद आपूर ् ति-कडियों के आरपार, या फ़िर उन रिहायशी जगहों के बीच रिश ् त जहाँ कि लुप ् तप ् रायः प ् रजातियाँ रहती है, योसेमाएट राष ् ट ् रीय उद ् यान में । दूसरी ये कि, यदि आप पूर ् वानुमानित करना चाहें एक प ् रजाति का दूसरी पर असर, और आप केवल उस ही कडी पर ध ् यान दें, और बाकी को हटा कर सोचेंगे, तो आपका अनुमान उतना सटीक नहीं होगा जितना कि तब जब आप पूरे सिस ् टम को एक साथ देखेंगे - सारी प ् रजातियों और सारी कडियों को — और वहाँ से, आप केंद ् रित होंगे उन पर जिनका सबसे ज ् यादा महत ् व है । और हम अपने शोध से खोज रहे हैं कि अक ् सर आप अपनी शोध के वस ् तु के बस एक दो कदम आसपास ही जाते हैं । तो जितना आप जटिलता को स ् वीकार करेंगे, उतनी ही संभावना बढेगी आपके साधारण सीधे-सादे उत ् तर पाने की, और कई बार ये उन सीधे उत ् तरों से अलग होंगे जिनसे आपने शुरुवात की थी । तो चलिये गियर बदलते हैं और एक बहुत ही जटिल समस ् या को देखते हैं अमरीकी सरकार के सौजन ् य से । ये अफ़ग़ानिस ् तान में अमरीका की आतंकरोधी रणनीती का आरेखण है । कुछ महीने पहले ये न ् यूयोर ् क टाइम ् स के मुख ् य पृष ् ठ पर छपा था — और उसी समय मीडिया द ् वारा नकार दिया गया था इतना जटिल होने के लिये । और इसका मकसद था लोगों का समर ् थन बढाना अफ़ग़ानी सरकार के लिये । ज़ाहिर है कि समस ् या जटिल है, मगर क ् या ये उलझाऊ भी है? जब मैने इसे टाइम ् स के पहले पन ् ने पर देखा, तो मैने सोचा, "" बढिया । कुछ तो मिला जिससे मैं जुडाव महसूस कर सकता हूँ । इसे बैठ कर घन ् टों चबाया जा सकता है । "" तो चलिये कूदते हैं इसमे । तो पहली बार आपके सामनी आ रहा है इस लचीले नूडल नुमा आरेख-चित ् र का सीधा स ् वरूप । गोले से चिन ् हित प ् वाइंट पर हम प ् रभाव डालना चाहते हैं — सरकार के लिये लोगों का समर ् थन । तो हम एक कदम तक देख सकते हैं, दो कदम तक, तीन कदम उस प ् वाइंट से हट कर भी और इस चित ् र के तीन-चौथाई हिस ् से को सीधे हटा सकते हैं । और इस वृत ् त में भी, बहुत से प ् वाइंटों का हम कुछ नहीं कर सकते, जैसे कि कठिन पहाडी इलाका, और बहुत ही कम प ् वाइंट हैं जो कि फ़ौज़ का प ् रयोग करने वाले हैं । ज ् यादातर अहिंसक है, और वो भी दो तरह के हैं: गुटों और धार ् मिक विश ् वासों से सीधे दो-दो हाथ करना और नैतिक, पारदर ् शी आर ् थिक विकास और सेवाएँ मुहैया करवाना । मुझे इस के बारे में कुछ नहीं पता, लेकिन मैं इस रेखाचित ् र से ये पता कर सका मात ् र २४ सेकन ् ड में । जब भी आप ऐसा कोई आरेखण / चित ् र देखें, तो मैं चाहूँगा कि आप डरें नहीं । मैं चाहूँगा कि आप उत ् साहित हों । मैं चाहूँगा कि आप राहत महसूस करें । क ् योंको शायद आपको साधारण उत ् तर मिलने वाले हैं । प ् रकृति के अध ् ययन से हमें पता चलता है कि सहजता अक ् सर जटिलता के उस पार ही मिलती है । तो किसी भी समस ् या के लिये, यदि आप संपूर ् ण जटिलता को स ् वीकार करेंगे, तो आप गहरे उतर सकेंगे उन तहों तक जिनका महत ् व सबसे ज ् यादा होगा । धन ् यवाद । तालियों सहित अभिवादन यह क ् रांति 2 .0 है | कोई भी नायक नहीं था | कोई भी नायक नहीं था | क ् योंकि सभी लोग नायक थे | सभी ने कुछ न कुछ किया है | हम सभी विकिपीडिया (Wikipedia) का उपयोग करते हैं | अगर आप विकिपीडिया की अवधारणा के बारे में सोचें जन ् हा सभी लोग विषय-वस ् तु पर सहयोग करते हैं | और इस तरह एक दिन आपने संसार का सबसे बड ़ ा विश ् वकोश बना दिया है | सिर ् फ एक विचार से जो कि एक पागलपन जैसा लगा था, उससे आपके पास संसार का सबसे बड ़ ा विश ् वकोश है | और इजिप ् त (Egypt) की क ् रांति में क ् रांति 2 .0 में सभी ने कुछ न कुछ सहयोग प ् रदान किया था — छोटा या बड ़ ा, उनके सहयोग से हमें मानव इतिहास की प ् रेरणादायक कहानियों में से एक कहानी मिली है जो कि हर क ् रांति में याद की जाएगी | सारे इजिप ् त वासियों का पूर ् ण रूप से परिवर ् तन देखना सच में प ् रेरणादायक था | यदि आप इजिप ् त कि स ् थिति देखें तो यह 30 वर ् षों से बहोत ही बुरी स ् थिति में था और इसका पतन हो रहा था | सब कुछ बुरा हो रहा था | सब कुछ गलत हो रहा था | हमारी गिनती सबसे आगे होती थी जब भी गरीबी भ ् रष ् टाचार की बात होती थी, अभिव ् यक ् ति की स ् वतंत ् रता की कमी, राजनीतिक सक ् रियता की कमी ये सब हमारे महान शासन की उपलब ् धियां थी | फिर भी कुछ नहीं हो रहा था | यह इस लिए नहीं कि लोग खुश थे या लोग निराश नहीं थे | वास ् तव में लोग बहुत ज ् यादा निराश थे | मेरे अनुसार सबके चुप रहने का कारण डर की मनोवैज ् ञानिक बाधा थी | सभी डरे हुए थे | सभी नही | कुछ बहादुर इजिप ् त वासी भी थे मैं उन ् हें बहादुर होने के लिए धन ् यववाद देता हूँ — वे लोग विरोध प ् रदर ् शन करने जाते थे, उन ् हें मारा गया और गिरफ ् तार किया गया | किन ् तु वास ् तव में अधिकांश लोग डरे हुए थे | वास ् तव में लोग मुश ् किल में नहीं पड ़ ना चाहते थे | एक तानाशाह डर बनाये बिना नहीं रह सकता | वे लोगों को डरा कर रखना चाहते थे | और डर की मनोवैज ् ञानिक बाधा बहुत वर ् षों तक रही, और फिर इन ् टरनेट आया, टेक ् नोलोजी, BlackBerry, SMS यह हम सब को जोड ़ ने में सहायक है | युट ् यूब (YouTube), ट ् विट ् टर (Twitter), फेसबुक (Facebook) हमारी बहुत मदद कर रहे थे | क ् योंकि इनके माध ् यम से हमें आभास हुआ कि हम अकेले नहीं हैं | यंहा बहुत सारे लोग हैं जो कि निराश हैं | यंहा बहुत सारे लोग हैं जो कि निराश हैं | यंहा बहुत सारे लोग हैं जिनका एक ही सपना है | यंहा बहुत सारे लोग हैं जो कि आजादी चाहते हैं | वे शायद दुनिया में सबसे अच ् छा जीवन जी रहे हैं | उनके जीवन में ख ़ ुशी है | वे अपने बंगलों में रह रहे हैं | वो खुश हैं, उन ् हें कोई समस ् या नहीं है | फिर भी वो इजिप ् त वासियों के दर ् द को अनुभव करते हैं | हम में से बहुत से लोग खुश नहीं हैं | जब हम इजिप ् त के एक आदमी को देखते हैं, जो कि गरीबी में जी रहा है, जबकि दुसरे लोग अरबों इजिप ् तियन पाउंड देश की संपत ् ति से चुरा रहे हैं | इन ् टरनेट की बहूत मुख ् य भूमिका रही है, इसकी मदद से लोगों ने अपनी मन की बात कही लोग एक सांथ आये और एक सांथ सोचना प ् रारम ् भ किया | यह एक शैक ् षिक अभियान था | खालीद सईद को जून 2010 को मार दिया गया | मुझे अभी भी तस ् वीर याद है | मुझे अभी भी उस तस ् वीर का हर एक विवरण याद है | वह तस ् वीर भयानक थी | उस पर अत ् याचार किया गया था, उसे बेरहमी से मार दिया गया था | पर उसके बाद प ् रशासन का क ् या जवाब था? हैश के ढेर में उसका दम घुट गया था | या था उनका जवाब | वह एक अपराधी है | वह इन सब बुरी चीजों को लेकर भाग गया था | किन ् तु लोगों को यह अप ् रासंगिक लगा | लोगों ने इस पर विश ् वास नहीं किया | इन ् टरनेट के कारण सच सामने आ गया और सब को सच ् चाई का पता चल गया | और सभी सोचने लगे कि "" यह आदमी हमारा भाई भी हो सकता है "" वह मध ् यमवर ् गीय परिवार से था | उसकी तस ् वीर हम सभी को याद थी | फेसबुक पर एक पेज बनाया गया एक गुमनाम संचालक लोगों को उस पेज में शामिल होने के लिए सन ् देश भेजने लगा | और वहाँ कोई योजना नहीं थी. हम क ् या करने जा रहे थे? "" मुझे नहीं पता "" कुछ ही दिनों में हजारो लाखो लोग वंहा थे — नाराज इजिप ् त वासी जो कि गृह मत ् रालय से मांग कर रहे थे कि "" बहोत हो गया जिसने उस व ् यक ् ति की हत ् या की है उन ् हें पकड़ो और उन ् हें सजा दो | "" पर उन ् होंने यह फरियाद नहीं सुनी | यह एक अद ् भुत कहानी थी — कैसे सभी में स ् वामित ् व की भावना आ गई | वह पेज अब सभी का था | लोगों ने विचारों का योगदान प ् रारंभ कर दिया | सबसे हास ् यास ् पद सुझाव यह था कि दोस ् तों, चलो शांति से खड़े रहते हैं | लोगों को बुलाते हैं और घर से बहार निकलते हैं समुद ् र को देखते हुए खड़े हो जाते हैं, काले कपडे पहनते हैं, और एक घंटे तक शांति से खड़े रहते हैं, कुछ भी नहीं करेंगे और फिर घर वापस चले जायेंगे | कुछ लोगों के लिए यह ऐसा था, "" वाह, शांति से खड़े रहना और अगली बार हिलते हुए खड़े होंगे "" | लोग उस विचार का मजाक उड ़ ा रहे थे | किन ् तु जब सच में लोग सड़कों पर आये — पहली बार अलेक ् सांद ् रिया में हजारों लोग थे — ऐसा प ् रतीत हुआ कि — यह अदभुत था | क ् योंकि इसने लोगों को आभासी दुनिया में जोड़ा और वास ् तविक दुनिया में एक सांथ लेकर आया, एक ही सपने के सांथ, वही निराशा, वही क ् रोध, और वही आजादी की चाह | और वो उसके लिए कार ् य कर रहे थे | किन ् तु क ् या प ् रशासन ने इसे समझा? बिलकुल नहीं | वास ् तव में वो उन पर हमला कर रहे थे | वो उन ् हें प ् रताड़ित कर रहे थे, जबकि वो लोग शांतिपूर ् ण थे वो तो विरोध भी नहीं कर रहे थे | और तब तक क ् रोध विकसित होता रहा जब तक तुनिसियन क ् रांति हुई | फेसबुक पेज एक बार फिर लोगों के द ् वारा संचालित होने लगा | एक गुमनाम संचालक लोगों के विचार एकत ् रित कर रहा था, लोगों से उन विचारों पर राय ले रहा था और उन लोगों को बता रहा था कि वो लोग क ् या कर रहे हैं | लोग घटनाओ की तस ् वीर ले रहे थे; और इजिप ् त में मानव अधिकार के हनन की शिकायत कर रहे थे; लोग सुझाव दे रहे थे, वो लोग उन सुझावों पर अपना मत व ् यक ् त कर रहे थे, और फिर वो उन सुझावों पर अमल कर रहे थे; लोग विडियो बना रहे थे | सब कुछ लोगों के द ् वारा लोगों के लिए किया जा रहा था, और यह इन ् टरनेट की ताकत थी | वंहा कोई भी नायक नहीं था | उस पेज पर सभी नायक थे | जैसे आमिर कह रहे थे, एक तुनिसियन प ् रयोग ने हम सभी को प ् रेरित किया और हमें एक राह दिखाई | हाँ हम कर सकते हैं | हम कर सकते हैं | हम सभी की एक ही समस ् या है हम विरोध करने सडकों पर आ सकते हैं | और जब मैंने 25 को लोगों पर सड़कों पर देखा तब मैं वापस गया और बोला, 25 तारिक से पहले का इजिप ् त अब कभी भी 25 तारिक के बाद वो इजिप ् त नहीं होगा | क ् रांति हो रही है | यह अंत नहीं है, यह अंत की शुरुवात हो रही है | मुझे 27 की रात को हिरासत में लिया गया था | मैंने जगह और सब कुछ बताया पर उन ् होने मुझे हिरासत में ले लिया | मैं अपने अनुभव के बारे में बात नहीं करूँगा, क ् योंकि यह मेरे बारे में नहीं है | मैं १२ दिन हिरासत में था आंखों पर पट ् टी बंधी थी, हथकड ़ ी लगी हुई थी | मैंने कुछ भी नहीं सुना | मुझे कुछ भी नहीं पता था | मैं किसी से बात नहीं कर सकता था | और फिर मैं बाहर आया दुसरे दिन मैं तहरीर में था | तहरीर चौक में जो परिवर ् तन मैंने देखा, उससे मुझे लगा जैसे १२ साल हो गये हों मैंने यह कभी नहीं सोचा था की मैं इजिप ् त वासियों को ऐसे देखूंगा अदभुत इजिप ् त वासी | डर अब डर नहीं रहा | वह वास ् तव में अब शक ् ति था | लोग बहुत सशक ् त थे | यह बहुत आश ् चर ् यजनक था कि लोग सशक ् त कैसे हुए और अब अपने अधिकारों की मांग रहे थे | पूरी तरह से विपरीत | अतिवाद अब सहनशीलता बन गया था | 25 से पहले किसने ऐसा सोचा होगा, कि जब हजारों ईसाई प ् रार ् थना करने जा रहे थे तब हजारों मुस ् लिम उनकी रक ् षा कर रहे थे, और जब हजारों मुस ् लिम नमाज के लिए जा रहे थे तब हजारों ईसाई उनकी रक ् षा कर रहे थे | यह बहुत आश ् चर ् यजनक था | सारे रूढीवादी आरोप जो प ् रशासन हम पर लगा रहा था और उनका प ् रसार मुख ् य संचार माध ् यम से कर रहा था, वो सब गलत साबित हुए | पूरी क ् रांति ने हमें दिखा दिया कि प ् रशासन कितना कुरूप था और इजिप ् त के नर, नारी कितने महान और अदभुत हैं, कितने सादे और आश ् चर ् यजनक होते हैं ये लोग जब भी ये कोई स ् वप ् न देखते हैं | जब मैंने यह देखा तब मैंने वापस जाकर फेसबुक पर लिखा और वह मेरा व ् यक ् तिगत विश ् वास था, क ् या हो रहा था उसकी परवाह किये बिना, बिना किसी जानकारी के मैंने कहा "" हम जीतने वाले हैं | हम जीतने वाले हैं क ् योंकि हमें राजनीती समझ नहीं आती है | हम जीतने वाले हैं क ् योंकि हम उनकी तरह गलत चाल नहीं चलते हैं | हम जीतने वाले हैं क ् योंकि इसमे हमारा कोई निजी स ् वार ् थ नहीं है | हम जीतने वाले हैं क ् योंकि जो आंसू हमारी आँखों से आते हैं वास ् तव में वो हमारे दिल से आते हैं | हम जीतने वाले हैं क ् योंकि हमारे पास एक सपना है | हम जीतने वाले हैं क ् योंकि हम अपने सपने को सच करने के लिए तैयार खड़े हैं | "" और वही हुआ | हम जीत गए | और यह किसी और कारण नहीं था, पर इसलिए क ् योंकि हमें आपने सपने पर विश ् वास था | विजय इस बात की नहीं थी कि राजनीतिक दृष ् टि से यंहा क ् या होने वाला है | यह विजय इजिप ् त वासियों के प ् रतिष ् ठा की जीत है | एक टैक ् सी चालक ने मुझसे कहा मैं आजादी महशुस कर रहा हूँ | मुझे मेरी प ् रतिष ् ठा मिल गई है जो मैंने इतने वर ् षो में खो दी थी | मेरे लिए यह जीत है, और किसी चीज की मुझे परवाह नहीं है | मेरे अंतिम शब ् द एक ध ् हेय वाक ् य है जिस पर मुझे विश ् वास है, जिसे इजिप ् त वासियों ने सत ् य साबित किया है, वह यह है कि जनता की शक ् ति, शक ् ति पर आसीन लोगों से बहुत ज ् यादा होती है | धन ् यवाद | (तालियाँ) 2008 में, चक ् रवात नरगिस ने म ् यांमार को तबाह कर दिया. लाखों लोगों को मदद की गंभीर जरूरत थी. संयुक ् त राष ् ट ् र क ् षेत ् र में लोगों को और आपूर ् ति को जल ् दी पहुचना चाहता था. लेकिन वहाँ कोई नक ् शे नहीं थे, सड ़ कों के ना कोई अस ् पतालों दिखाते नक ् शे, चक ् रवात पीड ़ ितों तक मदद पहुँचने का कोई रास ् ता नहीं था जब हम लॉस एंजिल ् स या लंदन के एक नक ् शे को देखते हैं, यह विश ् वास करना कठिन है कि 2005 तक, दुनिया का केवल 15 प ् रतिशत विस ् तार भू-संहिता के लायक प ् रतिचित ् रित है. संयुक ् त राष ् ट ् र को एक समस ् या का सामना करना पड ़ ा कि दुनिया की आबादी वाले चेहरे के बहुमत: के पास विस ् तृत नक ् शे नहीं हैं. लेकिन मदद आ रही थी. गूगल में 40 स ् वयंसेवको ने एक नये सॉफ ् टवेयर का इस ् तेमाल सड ़ कों की 120,000 किलोमीटर की दूरी, ३,००० अस ् पतालों, रसद और राहत बिन ् दुओं का नक ् शा बनाने के लिए की. और उन ् होंने यह चार दिन में किया. नया सॉफ ् टवेयर जो उन ् होंने प ् रयोग किया? गूगल मैपमेकर. Google MapMaker एक तकनीक है जो हम सब को ताकत देती है की हम स ् थानीय स ् तर अपने ज ् ञान से नक ् शा बना सके. लोगो ने इस सॉफ ् टवेयर का इस ् तेमाल किया है सड ़ कों से नदियों तक सब कुछ का नक ् शा बनाने के लिए, स ् थानीय व ् यापारों से स ् कूलों तक, और कोने की दुकान से वीडियो स ् टोर तक. मानचित ् र ज ़ रूरी हैं. नोबेल पुरस ् कार नामांकित व ् यक ् ति हेर ् नान ् दो दे सोतो मानते है कि आर ् थिक उन ् नति के लिए महत ् वपूर ् ण है अधिकांश विकासशील देशों के लिए विशाल मात ् रा में अप ् रयुक ् त ज ़ मीन को इस ् तमाल करना. उदाहरण के लिए, एक ट ् रिलियन डॉलर अकेले भारत में अचल संपत ् ति में अप ् रयुक ् त है. पिछले साल में ही, 170 देशों में हजारों उपयोगकर ् ताओं ने जानकारी के लाखों टुकड ़ े के नक़ ् शे बनाये हैं, और ऐसे विस ् तार के स ् तर पर नक़ ् शे बनाये है जो हमने कभी सोचे भी नहीं थे. और यह संभव बनाया गया भावुक प ् रयोक ् ताओं की शक ् ति से. चलो नक ् शे के कुछ नमूने देखते हैं जो उपयोगकर ् ताओं द ् वारा अभी बनाया जा रहा है. तो, इस समय, लोग दुनिया का मानचित ् रण कर रहे हैं इन 170 देशों में. ब ् रिजेट जिसने अभी अफ ् रीका में सेनेगल में एक सड ़ क का नक ् शा बनाया है. और, घर के पास, यहाँ चलुआ, एक N.G. सड़क बंगलौर में. यह कम ् प ् यूटेशनल ज ् यामिति का परिणाम है, इशारा मान ् यता, और मशीन की सीखने की ताकत. यह हज़ारों उपयोगकर ् ताओं की जीत है, सैकड ़ ों शहरों में एक उपयोगकर ् ता, एक समय में एक संपादन करे. यह 70 प ् रतिशत के लिए एक निमंत ् रण है हमारे अप ् रतिचित ् रित ग ् रह के. नई दुनिया में आपका स ् वागत है. (अभिवादन) मैं आप सबको यह बताना चाहती हूं कि आप सब वास ् तव में साईबोर ् ग हैं, लेकिन वैसे साइबोर ् ग नहीं जैसा आप सोचते हैं. आप रोबोकॉप या टर ् मिनेटर नहीं हैं, लेकिन जब आप कम ् प ् यूटर स ् क ् रीन को देखते या अपने सैलफ ़ ोन का इस ् तेमाल करते हैं, तब आप साइबोर ् ग बन जाते हैं. तो फिर साइबोर ् ग की अच ् छी परिभाषा क ् या है? इसकी प ् रचलिच परिभाषा यह है कि यह एक जीवधारी है "" जिसमें कुछ बाहरी भौतिक अवयव या अंग जोड ़ े गए हैं ताकि ये स ् वयं को नए वातावरण के अनुकूल बना सके. "" ये परिभाषा 1960 के अंतरिक ् षयात ् रा के एक पेपर में थी. क ् योंकि, यदि आप विचार करें, अंतरिक ् ष बहुत अजीब है; आम लोग इसमें नहीं जा सकते. लेकिन मनुष ् य जिज ् ञासु हैं और अपने शरीर में चीजें लगा सकते हैं इस प ् रकार वे आल ् प ् स पर ् वत पर जा सकते हैं और समुद ् र में भी मछली की तरह तैर सकते हैं. चलिए हम पारंपरिक मानवशास ् त ् र की धारणाओं को देखें. कोइ व ् यक ् ति किसी दूसरे देश जाता है, और कहता है "" ये लोग कितने रोचक हैं ऐर इनके औज ़ ार शानदार हैं, इनकी संस ् कृति अद ् भुत है "". और फिर वे इसके बारे में लिखते हैं जिसे कुछ मानवशास ् त ् री भी पढ ़ ते हैं, और हमें यह सब बहुत आकर ् षक लगता है. वास ् तव में यह हो रहा है कि हमने एकाएक नयी प ् रजाति खोज निकाली है. एक साइबोर ् ग मानवशास ् त ् री के रूप में मैंने अचानक कहा, "अरे वाह, हम तो एकाएक होमो सेपियंस की नई प ् रजाति बन गए हैं!" आप इन आश ् चर ् यचकित करनेवाली संसकृतियों का अवलोकन करें. और इनकी रोचक प ् रथाओं को देखिए जो सारे व ् यक ् ति इस टैक ् नोलॉजी के इर ् द-गिर ् द कर रहे हैं. स ् क ् रीन पर देखते हुए वे सभी चीजों पर क ् लिक कर रहे हैं. मैं इसका अध ् ययन पारंपरिक मानवशास ् त ् र के विपरीत कर रही हूं, इसके पीछे कुछ कारण हैं. और वह कारण यह है कि प ् रारंभ से लेकर हजारों साल तक साधनों का उपयोग हमारे आत ् म के भौतिक रूपांतरण के रूप में होता आया है. इसने हमारी भौतिक परिसीमाओं का विस ् तार किया है, हमें फुर ् तीला और कठोर बनाया है, पर इसकी भी कई सीमाएं हैं. परंतु अब हम जो कुछ देख रहे हैं वह हमारी भौतिक परिसीमाओं का विस ् तार नहीं है, बल ् कि हमारे मानसिक आत ् म का विस ् तार है. और इसके कारण हम तेज सफ ़ र कर सकते हैं, और विभिन ् न प ् रकार से संवाद कर सकते हैं. दूसरी चीज ़ जो हो रही है वह यह है कि हम सभी अपने साथ छोटी मेरी पौपिंस टैक ् नोलौजी लेकर घूम रहे हैं. हम इसके भीतर जो चाहे वह डाल सकते हैं पर इसका वजन नहीं बढ़ता, और फिर हम इसमें से चीज़ें निकाल भी सकते हैं. हमारे भीतर का कम ् प ् युटर कैसा दिखता है? यदि आप इसे प ् रिंट कर सकें तो हज़ारों पौंड ् स की सामग ् री जैसा दिखेगा जिसे हम अपने साथ हर समय लेकर चल रहे हैं. और यदि हम यह सूचनाएँ खो दें तो इसका अर ् थ यह होगा कि हम इसे अपने मन के भीतर खो बैठे, और तब एकाएक यह लगेगा कि हमने कुछ खो दिया है, फर ् क सिर ् फ यह होगा कि हम इसे देख नहीं पायेंगे, यह सब बहुत अजीब मनोभाव होंगे. दूसरी बात जो हमारे साथ होती है वह यह है कि हमारा एक दूसरा आत ् म बन जाता है. चाहे आप इसे पसंद करें या नहीं, आप ऑनलाइन दिखने लगते हैं, और लोग आपके दूसरे आत ् म के साथ वार ् तालाप करने लगते हैं, जब आप वहां नहीं होते. और आपको सावधान रहना पड ़ ता है कि आप अपनी फ ् रंट लाइन खुली न रखें, जो कि मूलतः आपकी फेसबुक वाल है, ताकि लोग इसपर आधी रात को ही कुछ लिखने न लग जाएँ — क ् योंकि यह उसके समतुल ् य ही है. और अचानक ही हमें हमारे दूसरे आत ् म को बनाए रखना पड ़ ता है. हमें अपने डिजिटल जीवन को उसी तरह से प ् रस ् तुत करना पड ़ ता है जैसे हम अपने अनालौग जीवन को करते हैं. तो जिस तरह हम जागते हैं, नहाते हैं, और कपडे बदलते हैं, हमें यही सब अपने डिजिटल जीवन में भी करना सीखना पड ़ ता है. अब समस ् या यह है कि बहुत से लोग, विशेषकर किशोरवय के लोगों को दो किशोरावस ् था से गुज ़ रना पड़ रहा है. वे अपने प ् राथमिक किशोरावस ् था से गुज ़ रते हैं जो पहले से ही अजीब है, और फिर वे अपने दूसरे आत ् म की किशोरावस ् था में कदम रखते हैं. लेकिन यह पहले वाली से भी अधिक अजीब है क ् योंकि यहाँ हमारी ऑनलाइन गतिविधियों का पूरा इतिहास दिखाई देता है. इस समय जो कोई भी तकनीक के संपर ् क में पहली बार आ रहा है, वह कोई ऑनलाइन किशोर ही है. इसलिए यह बहुत अजीब है, और उनके लिए यह सब करना बहुत कठिन होता है. जब मैं छोटी थी तब मेरे पिता मुझे रात में पास बिठाकर कहते, "" मैं तुम ् हें भविष ् य के टाइम और स ् पेस के बारे में बताने जा रहा हूँ "". और मैं कहती, "" वाह! "". और एक दिन उन ् होंने कहा, "" दो बिन ् दुओं के बीच में न ् यूनतम दूरी क ् या है? "". मैंने कहा, "" एक सीधी रेखा उन ् हें जोड ़ देती है. आपने मुझे कल ही यह बताया था. मुझे यह बड़ी बुद ् दिमानी की बात लगी "". उन ् होंने कहा, "" नहीं, नहीं, इसका एक बेहतर तरीका भी है "". उन ् होंने एक कागज़ लिया, उसपर एक ओर A और B लिखा और कागज़ को मोड़कर A और B को आपस में मिला दिया. फिर वे बोले, "" यह दो बिन ् दुओं के बीच न ् यूनतम दूरी है "". तब मैंने कहा, "" पापा, पापा आपने यह कैसे कर दिया? "". उन ् होंने कहा, "" देखो, हमने अभी समय और स ् पेस को मोड ़ दिया था, ऐसा करने के लिए अपार ऊर ् जा चाहिए, और इसे इसी तरह किया जा सकता है "". तब मैंने कहा, "" मैं यह करना चाहती हूँ "". उन ् होंने कहा, "" अच ् छा, ठीक है "". और इसके बाद अगले दस या बीस सालों तक, मैं रात को सोने के वक़ ् त सोचती रहती, "" मैं वर ् महोल बनानेवाला पहला व ् यक ् ति बनना चाहती हूँ, ताकि चीज़ें बहुत तेज चलें. और मैं टाइम मशीन भी बनाना चाहती हूँ "". मैं हमेशा अपने भविष ् य के आत ् म को टेप रिकार ् डर के ज़रिये सन ् देश भेजा करती थी. लेकिन कॉलेज पहुँचने के बाद मुझे यह अहसास हुआ कि टैक ् नौलोजी केवल इसलिए नहीं अपनाई जाती है क ् योंकि इससे काम लिया जाता है; यह इसलिए अपनाई जाती है क ् योंकि हम इसे प ् रयुक ् त करते हैं और यह मनुष ् यों के लिए बनी है. तब मैंने मानवशास ् त ् र पढ ़ ना शुरू किया. जब मैं सैलिफोन पर अपना शोधपत ् र लिख रही थी, मुझे लगा कि सभी व ् यक ् ति अपनी जेबों में वर ् महोल लिए घूम रहे थे. वे इससे अपने भौतिक शरीर को नहीं बल ् कि अपने मानस को कहीं और भेज पा रहे थे. एक बटन दबाते ही A और B तत ् काल ही एक-दूसरे से जुड ़ पा रहे थे. और मैंने सोचा, "" वाह! मैंने खोज लिया! ये शानदार है! "" तो समय बीतने के साथ ही टाइम और स ् पेस इसके कारण संकुचित हो गए हैं. आप दुनिया के एक कोने में खड़े होकर फुसफुसाते हैं और इसे दूसरे कोने में सुना जा सकता है. एक और विचार जो सामने आता है वह ये कि हर वह डिवाइस जो हम इस ् तेमाल में लाते हैं उसका समय अलग प ् रकार का होता है. ब ् राउज ़ र की हर टैब का समय अलग तरह का होता है. और इस सबके कारम हम अपनी बाहरी यादों को टटोलने लगते हैं कि हमने उन ् हें कहाँ छोड़ दिया? तो अब हम सभी जीवाश ् म वैज ् ञानिकों की तरह उन चीज़ों को खोदकर निकाल रहे हैं जिन ् हें हमने अपने बाह ् य मष ् तिष ् क में गुम कर दिया था और जो अब हमारी जेब में हमारे साथ घूम रही हैं. लेकिन यह एक भूलभुलैया में ले आता है. अरे, वह चीज ़ कहाँ चली गयी? हम सभी लुसिल बाल की तरह सूचनाओं की विशाल असेम ् बली लाइन पर हैं, और इससे निकल नहीं पा रहे हैं. फिर यह होता है कि जब हम यह सब सोशल स ् पेस पर ले आते हैं, तो हम हर समय अपने फोन चैक करके देखने लगते हैं. हम इसे व ् यापक अंतरंगता कहते हैं. ऐसा नहीं है कि हम हर समय एक दूसरे से कनेक ् टेड हैं, पर किसी भी समय हम जिससे भी चाहें उससे कनेक ् ट हो सकते हैं. अब आप यदि अपने सैल ् फों में मौजूद हर व ् यक ् ति को प ् रिंट कर पायें, तो कमरे में जगह नहीं बचेगी. सरल अर ् थों में आप इन सभी व ् यक ् तियों से संपर ् क साध सकते हैं — ये सभी व ् यक ् ति जिनमें आपके परिजन और मित ् र शामिल हैं जिनसे आप कनेक ् ट हो सकते हैं. इस सबके कारण हमारे ऊपर कुछ मनोविज ् ञानिक प ् रभाव पड ़ ते हैं. जिस प ् रभाव के कारण मैं चिंतित हूँ वह यह है कि लोगों मानसिक चिंतन के लिए समय नहीं निकाल रहे हैं, और यह भी कि वे थम नहीं रहे, रुक नहीं रहे, और कमरे में मौजूद लोगों के साथ हर समय मौजूद रहकर ध ् यान आकर ् षित करने के लिए एक ही समय में इंटरफेस, जीवश ् मिकी, या भूलभुलैया के बीच प ् रतिस ् पर ् धा कर रहे हैं. वे वहां आराम से बैठे हुए नहीं हैं. और वास ् तव में जब आप पर कोई बाह ् य इनपुट नहीं होता, तब उस समय निज-आत ् म की रचना होती है, तब आप दूरगामी योजनायें बना सकते हैं, आप स ् वयं के भीतर झांककर देख सकते हैं कि आप कौन हैं. और जब आप यह करते हैं तब आप यह देख सकते हैं कि आप बिना किसी हड ़ बड ़ ी के 'कि मुझे यह करना है, अरे मुझे वह भी करना है और भी बहुत कुछ करना है', आप अपने दूसरे आत ् म को किस प ् रकार एक तर ् कसंगत रूप में प ् रस ् तुत करें. इस प ् रकार यह बहुत महत ् वपूर ् ण है. मैं बहुत चिंतित हूँ क ् योंकि आजकल, विशेषकर बच ् चे इस डाउन टाइम से निपट नहीं पा रहे हैं, वे झटपट बटन दबानेवाले कल ् चर में धंस गए हैं, और यह कि हर चीज ़ उनके पास आती है, और वे इसके लिए बहुत उत ् साहित होते हैं और इसके आदी हो जाते हैं. यदि आप इसके बारे में सोचें, तो दुनिया थम नहीं गयी है. इसकी अपनी बाहरी प ् रोस ् थेटिक युक ् तियाँ हैं, जो हम सभी को एक दूसरे से संवाद स ् थापित करने और वार ् तालाप करने में मदद करतीं हैं. लेकिन यदि आप असल में इन ् हें देखने की कोशिश करेंगे, तो ये वे सब कनेक ् शन हैं जो हम इस समय कर रहे हैं — ये इंटरनेट के मानचित ् रण की एक छवि है — यह तकनीकी नहीं बल ् कि वास ् तव में जीवंत प ् रतीत होती है. मानव के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि हम सभी एक-दूसरे से इन तरीकों से जुड ़ रहे हैं. और ऐसा नहीं है कि मशीनों हमें गुलाम बना रहीं हैं, बल ् कि वे तो हमें और अधिक मानवीय बनने, और एक-दूदरे से जुड़ने में में मदद कर रहीं हैं. सबसे सफल तकनीकें वे हैं जो अपने मार ् ग से हटकर हमें जीवन जीने में सहायक होती हैं. वास ् तव में, हम तकनीक नहीं बल ् कि और बेहतर मनुष ् य बनते हैं, क ् योंकि हम सभी हर पल एक दूसरे को रच रहे हैं. यही वह सबसे महत ् वपूर ् ण बिंदु है जिसका मैं अध ् ययन करना चाहती हूँ: वह यह है कि चीज़ें सुन ् दर हैं, जुड़ाव अभी भी मानवीय हैं; बस इनका तरीका बदल गया है. हम केवल अपनी मानवीयता का भोगौलिकता की सीमा के परे एक दूसरे से जुड़ने की क ् षमता का विस ् तार कर रहे हैं. इन ् हीं कारणों से मैं साईबोर ् ग मानवशास ् त ् र का अध ् ययन कर रही हूँ. धन ् यवाद. (तालियाँ) घरों क ् यों क ् यों उगायें? क ् योंकि हम कर सकते हैं. इस समय, अमेरिका एक निरंतर आघात की अवस ् था में है. और वास ् तव में, उसका एक कारण है. हमारे पास ब ् रांडेड लोग, ब ् रांडेड गाड ़ ियाँ, ब ् रांडेड घर है. एक वास ् तुकार के रूप में, मैंने ऐसी चीज ़ ों का सामना किया है. तो क ् या है वेह तकनीक जो कि हमें असाधारण मकान बनाने देगी? खैर, यह लगभग 2500 वर ् षों से यहाँ है. यह गूथना, या उपरोपन करना कहा जाता है, या फिर उपरोपन गुथ कर एक नाड ़ ी तंत ् र में एकत ् रित कर देना. और हम कुछ अलग करें जो हमने अतीत में किया उस से; हम उसमें समझ की थोड ़ ी मात ् रा जोड ़ सकते हैं. हम सीएनसी से मचान बनाते हैं अर ् द ् ध गुणवाचक पदार ् थ को, पौधों को, एक विशिष ् ट रेखागणित में ऐसे सिखाना, कि वे एक घर बनाएं, जिसे हम बुलाते हैं "" फैब ट ् री हब "". यह वातावरण में फिट बैठता है. यह खुद वातावरण है. यह खुद परिदृश ् य है? और आप ऐसे लाखों घर बना सकते हो, और यह बहुत अच ् छे हैं, क ् योंकि वे कार ् बन पीते हैं. वे दोषहीन हैं. आप 100 लाख परिवारों को, उपनगरों के बाहर ला सकते हैं, क ् योंकि यह घर पर ् यावरण का एक हिस ् सा हैं. कल ् पना कीजिए कि आप एक गांव का निर ् माण कर रहे हैं, इसमें सात से दस साल लगते हैं - और सब कुछ हरा है. हम वेजी घर ही नहीं बनाते, हम बिना गर ् भ के मांस के आवास भी बनाते हैं, इन पर ब ् रुकलीन में शोध चल रहा है, जहां, एक वास ् तुकला कार ् यालय के रूप में, पहली बार आणविक कोशिका जीव विज ् ञान प ् रयोगशाला में डाल कर हम पुनर ् योजी चिकित ् सा के साथ प ् रयोग शुरू कर रहे हैं और ऊतक इंजीनियरिंग और भविष ् य में क ् या होगा के बारे में सोचना अगर वास ् तुकला और जीव विज ् ञान एक बन गया. तो हम दो साल से यह कर रहे हैं, और यह है हमारी प ् रयोगशाला. और हम उगा रहे सूअरों से बाह ् य मैट ् रिक ् स. हम एक संशोधित इंकजेट प ् रिंटर का उपयोग करते हैं, और हम ज ् यामिति छापते हैं. जहां हम औद ् योगिक डिजाइन वस ् तुओं को छाप सकते हैं जैसे, जूते, चमड ़ े की बेल ् ट, हैंडबैग, आदि, जहां कोई संवेदनशील प ् राणी को नुकसान नहीं पहुंचाया जाते. यह शिकार के बिना है. यह एक टेस ् ट ट ् यूब से मांस है. तो हमारे सिद ् धांत अंततः यह है कि हमें घरों के साथ यह करना चाहिए. तो यहाँ एक संवर ् धन की दीवार है, एक वास ् तु निर ् माण, और यह एक अनुभाग है एक मांस घर के लिए हमारा प ् रस ् ताव, जहां आप देख सकते हैं हम इन ् सुलेशन के रूप में फैटी कोशिकाओं का उपयोग करते हैं, हवा भार के साथ निपटने के लिए सिलिया और दरवाजों और खिड ़ कियों के लिए दबानेवाला यंत ् र की मांसपेशियों. (हँसी) और हम जानते हैं कि यह अविश ् वसनीय रूप से बदसूरत है. यह एक अंग ् रेजी ट ् यूडर या स ् पैनिश कोलोनिअल हो सकता था, लेकिन हमने इस तरह की आकृति को चुना. और यह उगा हुआ है, कम से कम इसका एक खंड. हमने प ् राग में एक बड ़ ा शो किया, और हम यह गिरजाघर के सामने रखने का फैसला किया तो धर ् म मांस के घर का सामना कर सकता है. यही कारण है कि हम घरों उगाते हैं. बहुत बहुत धन ् यवाद. (तालियां) और यहाँ मुझे एकदम घर जैसा लग रहा है दरासल, मुझे यह फ़िल ् म बेहद पसंद आई उन ् होने यह ज़रूर है कि चित ् रो वाली सोच बहुत फ़ायदेमंद है बिल ् कुल वैसे ही जैसे वास ् तविकता कंप ् यूटर प ् रणाली मे होता है यह है कि स ् पेक ् ट ् रम पर लोग वास ् तव में प ् राथमिक दृश ् य के साथ लगता है. इन ् मे से कुछ को अक ् सर पढ ़ ने की समस ् या होती है मे संवेदना पर आधारित जानकारी आपके पास एक और घोडा है, जिसे नाल लगाने वाले ने मारा है चलिए बस ऐसे ही कुछ देखते है, जैसे कि आप जानते है और मै बहुत बहुत ज़ ् यादा हवाई यात ् रा करती हूँ ये मुझे याद दिलाता है कि आपको भी बच ् चों को भाषा दृश ् य सोच को जो हम मे जानवरो जैसी है, दबा देती है हमे दिमाग के इन सभी विभिन ् न प ् रकार के बारे में सोचना होगा और हम नौकरियों के बारे में बात करते हैं. क ् योंकि औटिस ् टिक होने के बारे मे एक बात है कि और हमे इन बच ् चो के साथ काम करने की ज़रूरत है और यह मुझे मार ् गदर ् शको की याद दिलाता है कुछ राज ् यों अब यह हो रहा है कि और अगर आप उन ् हें अपनी कंपनियों में इंटर ् नशिप के लिए ले आएँ आपको इस तरह का विशलेषण करना होगा (तालियाँ) यह बड़ा और प ् रभावी तूफान एक विकट सच के रूप में बड़ता ही जा रहा है और हम इस सच ् चाई का सामना कर रहे हैं पुरे विश ् वास के साथ की हमारी समस ् या का हल तकनिकी से मिल जाएगा और यह समझाने लायक बात भी है अब, ये तूफान जिसका हम सामना कर रहे है हमारी बढती हुई जनसँख ् या का परिणाम है १० अरब लोगो की आबादी तरफ बढना जमीन जो मरुस ् थलीय हो रही है और, हाँ, जलवायु परिवर ् तन भी अब तो इसके बारे में कोई शक ही नहीं है हम केवल ये समस ् या हल करेंगे की तकनिकी मदद से पेट ् रोलियम ईंधन का विकल ् प ढूंड लें परन ् तु पेट ् रोलियम, कार ् बन, कोयला व गैस किसी भी अवस ् था में केवल कारण नहीं है जो जलवायु परिवर ् तन के लिए जिम ् मेदार हों मरुस ् थलीकरण, एक लुभावना शब ् द है जो द ् योतक है जमीन के रेगिस ् तान में बदलाव का और ये तभी होता है जब हम बहुतसारी जमीन को खुला कर देते है इसके अतिरिक ् त और कोई कारण नहीं है और मेरा उद ् द ् येश ् य या केंद ् र विश ् व की उसी अधिकांश जमीन की ओर है जो रेगिस ् तान बनरही है परन ् तु मेरे पास एक बहुत साधारण सन ् देश है जो आप की कल ् पना से अधिक आशा प ् रदान करता है और हमारा एक वातावरण है जहां पुरे सालभर नमी बनी रहती है वहाँ, लगभग असंभव सा लगता है, यह की हम नग ् न जमीन के बड़े-बड़े मैदान बना दें कितना ही प ् रयास करें प ् रकृति फिर ढकलेती है और हमारे पास वातावरण है जहाँ हमारे पास कुछ माह नमी के होते है जिनके बाद सूखे महीने आते है, और वहीँ पर मरुस ् थलीकरण हो रहा हे भाग ् य से अब हमारे पास अंतरीक ् ष तकनिकी है अंतरीक ् ष से हम धरतीको देख सकते है और जब हम ऐसा करते है, अनुपात सही दिखता है अक ् सर जो हमें हरे रंग का दिखता है वह बंजर नहीं हो रहा है और जो भूरे रंग का दिखाई पड़ता है और, अभी वे ही धरती के बड़े-बड़े क ् षेत ् र है दुनिया का दो-तिहाई बंजर होता जा रहा है मेने यह फोटो तिहामाह रेगिस ् तान में खिंची जब १ इंच (२५ मिमी) बरसात गिरी इसको अगर हम ड ् रम मे मापे तो, हरेक की क ् षमता २०० लीटर है प ् रति हेक ् टर १००० ड ् रमसे अधिक पानी बरसा उस जमीन पर उस दिन और अगले ही दिन जमीन इस प ् रकार दिखने लगी वह पानी सब कहाँ गया? कुछ तो बाड़ के रूप में बह गया, पर अधिकांश पानी जो मिट ् टी ने सोकलिया था फिर से भाप बनकर उड़ गया जैसे की हमारे आपके बगीचे में होता है यदि आप मिट ् टी को खुला छोड़ दें अब, चूँकि पानी और कार ् बन का भविष ् य बंधा है, एकदूसरे से और मिट ् टी के जेविक पदार ् थ से, कार ् बन पुनः वातावरण में चली जाती है आपको बार-बार कहा जाता है, मरुस ् थलीकरण हो रहा है केवल विश ् व के शुष ् क और अर ् धशुष ् क क ् षेत ् रों मे, और इस प ् रकार के लम ् बे चरागाहों जो की अगर आप चारागाह के अन ् दर उनकी सतह को देखें तब आप पाते है कि चरागाह की अधिकतर ् मिट ् टी जैसाकि आपने देखा, नग ् न हेया उसपर एल ् गी है जिससे पानी का बहाव और वाष ् पीभवन बढ जाता है यह मरुस ् थलीकरण एक तरह का केंसर है उसको अन ् तिमअवस ् था के पहले हम जान नहीं पाते हम जानते है, मरुस ् थलीकरण का कारण पशु है अधिकतर दुधारू पशु, भेड़ें और बकरियाँ, पौधों की अति चराई, मिट ् टी को खुला करना व मीथेन गैस उत ् सर ् जन लगभग हरेक व ् यक ् ति यह जानता है | नोबल पुरुस ् कार पानेवाला, कुली या मजदुर भी या हमें ऐसा सिखाया गया है, जैसा कि मुझे भी जैसा वातावरण आप यहाँ आस-पास देख रहे है, अफ ् रीका का धुलमय वातावरण जिसमे में पलाबड़ा में वन ् यजीवों को प ् यार करता था पर पशुओं से घ ् रणा करते हुए बड़ा हुआ जो बिगाड़ वे कर रहे थे उसके कारण से और जब पर ् यावरण विषय मे स ् नातक की पढाई की मेरे विश ् वास को मजबूत किया है मेरे पास आपके लिए एक ख़बर है जैसे की हम पहले पूरी तरह मानते थे कि दुनिया एकदम सपाट - सीधी है हम तब भी गलत थे, और हम फिर से गलत है और में अब आपको निमंत ् रित करता हूँ मेरे जीवनकी पुनर ् शिक ् षा व खोज की यात ् रा मे जब में एक युवक था, अफ ् रीका का एक युवा जीवविज ् ञानी, शामिल था अनोखे क ् षेत ् रोँ को सँभालने मे, भविष ् य के राष ् ट ् रिय उद ् यानों के रूप मे यह बात अभी की नहीं १९५० की है- जल ् दी ही हमने शिकार बंद करवा दिया जो लोग पशुओं की रक ् षा के लिए ढोल बजाते थे, तब जमीन बिगड़ने लगी, जैसा आप हमारे बनाये बगीचे में देख सकते है अब, कोई पशु इसमें सम ् मिलित नहीं थे, इस शक पर की हाथियों की संख ् या ज ् यादा है, मेने अनुसंधान से साबित किया हाथी बहुत है तब मेने उनकी संख ् या कम करने की अनुसंशा की जिससे उन ् हें जमीन की क ् षमता तक कम करदें अब, वह निर ् णय लेना मेरे लिए बहुत कठिन था, और सही बताऊँ तो यह एक राजनितिक बम था तो सरकार ने विशेषज ् ञों की एक समिति बनाई मेरी अनुसंधान ओ अनुसंशा का मूल ् यांकन करें उन ् होंने मूल ् यांकन किया, और वे भी सहमत हुए और फिर आने वाले वर ् षों में, हमने नुकसान रोकने के लिए ४०००० हाथी मारे इससे सुधरने की बजाय, स ् थिति और बिगाड़ गयी हाथियों को प ् यार करनेवाला, जैसा की में था, वह मेरी जिंदगीकी सबसे बड़ी व भयावह भूल थी, और यह मेरे साथ मेरी कब ् र तक साथ जाएगी इस सबमे से भी एक काम अच ् छा हुआ है, इसने मुझे पूरी तरह समर ् पित बना दिया है कि में अपना जीवन इसका हल ढूंढने में लगा दूँ में जब अमेरिका आया तो मुझे एक झटका लगा, जब राष ् ट ् रिय उद ् यानों कोपाया इस अवस ् था में अफ ् रीका के सामान ही बुरीतरह मरुस ् थल बनते सूखा हुआ, जबकि उसपर तो कोई जानवर भी नहीं पिछले ७० सालों से और मेनें पाया अमरीकी वैज ् ञानिकों के पास इसका कोई जवाब भी नहीं है सिवाय इसके की यह शुष ् क और प ् राकृतिक है तब मेनें इसका जवाब ढूंढने की कोशिश की उन सभी जगहों पर, जहां में कर सकता था पुरे पश ् चीमी अमेरिका मे जहां रिसर ् च के लिए पशुओं को हटा दिया था मरुस ् थलीकरण को रोकने में इसकी भूमिका साबित करनेके लिए, पर मिला इसके विपरीत जैसा हम इस अनुसन ् धान केंद ् र पर देख रहे है जहां १९६१ में यह चारागाह हराभरा था और २००२ में यह इस अवस ् था में पहुँच गया व जलवायु परिवर ् तन की इस स ् थिति के लेखक जहाँ से मेनें यह फोटो लिया है इसका श ् रेय अज ् ञात प ् रक ् रियाओं को देते है सही मायने में हमने कभी समझा ही नहीं मरुस ् थलीकरण किस कारण से हो रहा है, जिसने कई सभ ् यताओं को समाप ् त कर दिया और अब हम सबके लिए विश ् वभर पर खतरा है हमने इसे कभी समझा ही नहीं एक वर ् गमीटर मिट ् टी लीजिए और जैसे यहाँ नीचे खुली है उसे नग ् न करदें, मेरा दावा है वह सुबह-सुबह बहुत ठंडी होगी, जबकि दोपहरी में अत ् यधिक गर ् म उसके मुकाबले जब वह मिट ् टी कचरे से ढकी हो, पेड़-पोधों का कचरा, क ् योंकि आपने वहाँ स ् थानीय वातावरण बदल दिया अब, जब तक आप यह करते है और नग ् न जमीन का क ् षेत ् र प ् रतिशत बढ़ाते रहते है विश ् व की आधी से अधिक जमीन पर, तो आप स ् थानीय जलवायु को बदल देते है पर हम इसको समझ ही नहीं पाए है, की यह १०००० साल क ् यों प ् रारंभ हो रहा है यह पिछले कुछ समय से हि क ् यों तेज होरहा है हमें उसकी समझ नहीं है और हमने जिसको समझने में भूल की हे वह है, विश ् व में वातावरणीय नमी की उपलब ् धता का मोसमी उतार-चड़ाव, मिट ् टी और वनस ् पति, जो विकसित हुई है, पशुओं की चराई के साथ, और ये चरने वाले पशु विकसित हुए है खूंखार शिकारी पशुओं के साथ अब, शिकारी जानवरों से बचने का तरीका है झुण ् ड बना कर रहना, बड़ा रेवड़ होगा तो हरेक अधिक सुरक ् षित होगा बड़ा रेवड़, घांस पर मूत ् र व गोबर कर देता है और उनको चलते रहना होता है और यह चलते रहना ही था जिसने पोधो की अत ् यधिक चराई नियंत ् रित की जबकि समय-समय पर पशुओं के कुचलने ने सुनिश ् चित की, मिट ् टी की अच ् छी परत, जो हम देखतें है, जहां से रेवड़ गुजरा हो यह चित ् र एक सामान ् य मोसमी चरागाह का है यह बरसात के चार माह के बाद की स ् थिति है, अब यह आठ माह तक सूखे का सामना करेगा, और आठ माह के सूखे के बदलाव को देखें अब, जो भी घांस जमीन के ऊपर दिखाई दे रही है उसे जैविक रूप से विघटित होना पड़ेगा आनेवाली बरसात के पहले, और यदि ऐसा नहीं हुआ तो चारागाह व मिट ् टी दोनों मृत हो जायेंगी यदि जैविक तरीकों से विघटित नहीं होती हैऔर फिर वहाँ काष ् ठीय वनस ् पतिया बड जाती है मिट ् टी नग ् न हो जाती है व कार ् बन हटजाती है निकलने वाला प ् रदुषण, अधिक नुकसानदायक है ६००० कारों के प ् रदुषण से, और हम अफ ् रिका में प ् रतिवर ् ष जलाते है, १ अरब हेक ् टेर से अधिक चरागाह जमीन को क ् योंकि वह मृत पदार ् थोँ को हटादेता है और पोधो को बढने का अवसर प ् रदान करता है अब, हमारे इस चरागाह को देखें जो सूख गया है इसे स ् वस ् थ रखने के लिए हम क ् या कर सकते थे? में दुनिया की अधिकांश जमीनकी बातकर रहा हूँ जलवायु परिवर ् तन व मरुस ् थलीकरण किये बिना हम इसको जला भी नहीं सकते! जलवायु परिवर ् तन व मरुस ् थलीकरण किये बिना! ४०० प ् रतिशत, प ् रकृति की नक़ल करने के लिये चराई की योजना और उनको समन ् वित करना सबके साथ हाथी, भेंस जिराफ व अन ् य पशुओं जो हमारे पास है शुरुआत के पहले हमारी जमीन ऐसी दिखती थी, लगभग ३० साल तक यह जमीन नग ् न व कटावयुक ् त थी चाहे कितनी भी बरसात हो ठीक? अब चिन ् हित पेड़ को लेकर बदलाव देखें जैसे हमने पशुओं के साथ प ् रकृति की नक़ल की यह एक दूसरी जमीन है जो नग ् न थी और उसका कटाव हो रहा था उस चिन ् हित पेड़ के नीचे देखिए, लगभग ३० सेंटीमीटर मिट ् टी बह गई है! ठीक है! और अब, बदलाव को देखिये दाहिने दिख रहे मरुस ् थलीय जमीन को फिर से चारागाह बनाने मे, और अब उनके पोते-पोती उस जमीन पर है भविष ् य के प ् रति आश ् वत और इसमें आये अविश ् वसनीय बदलाव को देखिए जहाँ वो गली अब पूरी तरह ठीक हो गई है किसी और तरीके से नहीं वरन प ् रकृतिकी नक़ल से हम फिर से परिवार की तिसरी पीड़ी देझ रहे है उस जमीन पर, उनका झंडा अभी भी लहरा रहा है पाटागोनिया के विशालकाय चारागाह बदल रहे मरुस ् थल में, जैसा की यहाँ आपने देखा बीच में अर ् जेंटीना का वैज ् ञानिक दिख रहा हैजैसे-जैसे भेड़ों की संख ् या कम होती गई उन ् होनें एक रेवड़ में २५००० भेड़ें रखीं नियोजित चराई व प ् रकृति की नक़ल कर रहे है और उन ् होनें ५०% की बढोतरी रिकॉर ् ड की है, इस जमीन से पहले ही साल के उत ् पादन मे अफ ् रिका के हिंषक हिस ् से में भी हमारे पास चराई योजना बना रहा चरवाहा समाज है व खुलकर कहता है की अब यही एक रास ् ता बचा है उनके समाज व संस ् कृतियों को बचाने के लिए उस जमीन का ९५ प ् रतिशत ही पशुओं के माध ् यमसे मनुष ् यों का पालन-पोषण कर सकता है में आपको यद ् दिला दूँ में बात कर रहा हूँ, यह विश ् व की वह जमीन हे जो हमारा भविष ् य है जिसमे विश ् व के हिंषक क ् षेत ् र भी शामिल है जहाँ मात ् र पशु ही सबका पोषण कर सकते है ९५ प ् रतिशत जमीन पर से विश ् व में हमारे कम जलवायु परिवर ् तन करते है मेरा मानना है, पेट ् रोल वस ् तुओं के कारण से या फिर पेट ् रोलियम इंधनों से भी आगे पर इसका सबसे भयावह प ् रभाव है, भूख, गरीबी, हिंसा, सामाजित बिखराव और युद ् ध, और जब में आपसे चर ् चा कर रहा हूँ, लाखों महिला, पुरुष, व बच ् चे कष ् ट झेल रहे है और मर रहे है और यह निरंतर चल रहा है, जलवायु परिवर ् तन की रोक हमारे बसमें नहीं है चाहे पेट ् रोलियम का उपयोग पूर ् णत बंदकर दें बहुत कम खर ् च मे इस बिगाड़ को परिवर ् तित करने के लिये हम तो यह कर ही रहे है १५० लाख हेक ् टर जमीन पर पांचो महाद ् वीप मे, और जो लोग समझते है, कार ् बन के विषय मे, तो में करता हूँ, कार ् बन की गणना भी समझ बढानें के लिए, जो में दिखा रहा हूँ, यदि हम वह करते है, हम हवासे यदि पर ् याप ् त कार ् बन हटाते है और उसे चारागाह की मिट ् टी में हजारों सालों के लिये संभाल करके व यदि दुनिया के आधे चरागाहों पर भी कर लिया जो मेंने आपको बताया है, हम अपने आपको ओध ् योगीकरण के लोगो को पोषण प ् रदान करते हुए में तो इसके अतिरिक ् त कुछ भी सोच नहीं पाता जो हमारी धरती के लिए अवसर प ् रदान करे अपने बच ् चों के लिये, बच ् चों के लिये, व संपूर ् ण मानवता के लिये धन ् यवाद ्! तालियां धन ् यवाद ् (तालियाँ) धन ् यवाद ्, क ् रिस क ् रिस एंडरसन: धन ् यवाद ् मेरे पास है, मुझे विश ् वास है कि यहाँ सबके दिमाग मे, कई सवाल होंगे, व आपसे गले मिलना चाहेंगे में आपसे केवल एक सवाल पूछना चाहता हूँ जब शुरुआत में पशुओं के झुण ् ड को लाते है, तो वे मरुस ् थल में क ् या खायेंगे? यह हम बहुत समय से कर रहे है, व केवल एक बार बाहर से चारा दिया था वह था एक खदान को सुधारने के समय मे जो १०० प ् रतिशत नग ् न थी कई सालों पहले, हमने जिम ् बाब ् वे में और मेने ५ पोण ् ड देने की पेशकस की थी १०० किलोमीटर के क ् षेत ् र में! यदि कोई घांस का तिनका भी ढूंड करलाता है तो १०० किलोमीटर के क ् षेत ् र में! और हमने उस पर, पहले साल में कुछ जानवर विचरण ही करें कुछ समय यह समझो की प ् रकृति की नक़ल करो, सिग ् मोइड वलन को काम में लो यही सिधान ् त है यह टेक ् निकल हे इसलिए यहाँ बताना मुश ् किल है यह एक अच ् छा और महत ् वपूर ् ण विचार है हमारे ब ् लॉग के लोग आकर आपसे बात करेंगे और आपसे और अधिक जानने का प ् रयास करेंगे इस भाषण के साथ जो आपने बताया है | सीए: यह एक अत ् भुत भाषण था सच में अद ् भुत आपने भी सुना होगा हमसभी को बहुत अच ् छा लगा बहुत बहुत धन ् यवाद ् और क ् रिस का भी धन ् यवाद ् | (तालियाँ) समय और संसाधनों की कम से कम मात ् रा में | टोयोटा में काम करते वक ् त मैं सिर ् फ गाड़ियां बनाना जानता था | जब तक मुझे डॉ. अकीरा मियावाकी नही मिले जो आये थे हमारे कारखाने में वन बनाने के लिए जिससे उससे कार ् बन तटस ् थ बनाये जा सके मैं इतना मोहित हो गया था कि मैंने इस कार ् यप ् रणाली को सिखने का फैसला किया इस टीम में एक स ् वयंसेवक के रूप में शामिल होकर | जल ् द ही, मैने एक वन बनाना शुरू कर दिया मेरे घर के पीछे आँगन में और तीन साल के बाद यह इस तरह दीखता है ये वन एक पारंपरिक वृक ् षरोपन की तुलना में १० गुना तेजी से बढते है, वह ३० गुना अधिक घने हैं, सौ गुना से भी ज ् यादा जैव-विविधता है हमारे घर के पीछे आँगन में इस वन के दो वर ् ष के भीतर भूजल के निरिक ् षण से मुझे पता चला कि गर ् मियों के दौरान सूखता नहीं था, इस क ् षेत ् र में पशु प ् रजातियों की संख ् या दो गुनी हो गई थी | हवा की गुणवत ् ता बेहतर हो गई थी |जो अनायास बढ़ रहे थे ठीक हमारे घर के पीछे आँगन में । मैं ऐसे और वन बनाना चाहता था कि मैं इन वनों कोइसीलिए मैने एक संगठन की स ् थापना की जो पुरे दौरान में सेवा प ् रदाता के रूप में काम करे लेकिन वनीकरण को एक मुख ् यधारा के व ् यवसाय के रूप में बनाने के लिए इसीलिए हमने टोयोटा उत ् पादन प ् रणाली को माणक बनाया जिसे उसकी गुणवत ् ता और दक ् षता के लिए जाना जाता है वन बनाने की प ् रक ् रिया में । 'एक उदाहरण के लिए, टीपीएस का मूल, टोयोटा प ् रोड ् क ् शन सिस ् टम, हेइजुनका में है | जिसका मतलब है निर ् माण करना | गाड़ियों के अलग अलग प ् रतिरूप को एक ही निर ् माण रेखा पर | हमने इन गाड़ियों को वृक ् षों से प ् रतिस ् थापित कर दिया जिसका उपयोग करके हम बहुस ् तरीय वन बना सकते है और वे सामान से जगह को भर देते हैं | हम १० लोगो को एक साथ लाने वेल हैं अभी और हमारी एक मीटिंग है । और वे ना फरक पड ़ ने वाली चीओं के बारे मैं बात करते हैं । प ् रबुद ् ध मेनेजर ् स, उम ् मीद से — वे ऑफीस को लोगो के कमा करने के लिये अच ् छा स ् थान कैसे बना सकते हैं, कि एक बहुत सरा काम सच मैं हो जाता है, दोपहर मैं कोई एक दूसरे से बात ना करे । जो की फेस-टू-फेस सामान की तरह है, और तब आप अपने खुद की अनुसूची के अनुसार बाधित हो सकते है, अपने खुदके समय पर सो आप एक तरह से उपर जा रहे होते हो और कुछ काम कर रहे होते हो, यदि आपके पास शक ् ति है, मैं एक डिज ़ ाइनर और एक शिक ् षक हूँ । मैं मल ् टीटास ् क करता हूँ, और अपने छात ् रों को एक रचनात ् मक, और मल ् टीटास ् किंग डिजाईन प ् रोसेस सिखाता हूँ । लेकिन सच में ये मल ् टीटास ् किंग कितना कुशल है? हम थोड़ा मोनोटास ् किंग के बारे में सोचते हैं । कुछ उदाहरण यह देखिये यह मेरा मल ् टीटास ् किंग का नतीजा (हंसी) खाना पकाना, फ़ोन पर बात करना और एस एम एस भेजना और कुछ तस ् वीरें इंटरनेट पर डालना इस शानदार बर ् बेकुए की । तो कोई हमे सुपरटास ् कर की कहानी बताता है यह 2 प ् रतिशत लोग जो मल ् टीटास ् किंग कर सकते हैं ' लेकिन अपने बारे में क ् या? हमारी अपनी वास ् तविकता? आपने पिछली बार कब अपने दोस ् त की आवाज़ सुनी थी? यह मेरी परियोजना है और एक फ ् रंट कवर की श ् रृंखला है अपने सुपर हाइपर चीजों को हल ् का करना (हंसी) (तालियाँ) अपने सुपर हाइपर मोबाइल फोंस को हल ् का करना उनके कार ् य के तत ् व तक । एक और उदाहरण: आप कभी वेनिस गए हो? छोटी गलियों में खुद को खोना कितना खूबसूरत है द ् वीप पर । लकिन हमारी मल ् टीटास ् किंग दुनिया कुछ अलग है हजारों सूचनाओं से भरी । फिर ऐसा कुछ कैसा रहेगा फिर से अपनी साहस की भावना को पाना? मैं जानता हूँ कि मोनो के बारे में बात करना अजीब है जब हमारे पास इतने सारे विकल ् प है लेकिन मैं फिर आपको कहता हूँ केवल एक कार ् य पर ध ् यान दो या अपनी डिजिटल भावनाओं को बंद ही कर दो ताकि आजकल, सब अपनी मोनो चीज़ बना सकें । क ् यूँ नहीं? तो अपनी मोनोटास ् क स ् थान ढून ् ढ लो इस मल ् टीटास ् किंग दुनिया में । धन ् यवाद (तालियाँ) मैं अपनी बीवी के लिए कुछ खास करना चाहता था. और उसी काम ने आज मुझे यहाँ ला खड़ा किया, नाम, और पैसे भी दिलाए. तो बात तब की है, जब मेरी नई नई शादी हुई थी. शादी के पहले पहले दिनों में हर पति अपनी पत ् नी की नज़रों में छा जाना चाहता है. मैं भी यही चाहता था. एकदिन मैंने पाया कि मेरी पत ् नी कोई चीज़ ऎसे, छुपा कर ले जा रही थी. मैंने देख लिया. "" ये क ् या है? 'उससे पूछा. बीवी ने कहा, "" तुम ् हारे मतलब का कुछ नहीं. "" मैंने भाग कर देखा, वो अपने पीछे एक पोछे जैसा कपड़ा छुपा रही थी. वैसे कपड़े से तो मैं अपना टू-व ् हीलर भी साफ न करूँ! तब मैं समझा वो क ् या था- मासीक धर ् म के दिनों से निपटने का अस ् वास ् थ ् यकर, अस ् वच ् छ तरीक़ा. मैंने तुरंत पूछा, तुम ये अस ् वास ् थ ् यकर तरीक़ा क ् यों अपना रही हो? उसने कहा, "" मैं भी सैनिटरी पैड के बारे में जानती हूँ, पर अगर मैं और मेरी बहनें उनका इस ् तेमाल करने लगीं, तो महीने के दूध का ख़र ् च काटना पड़ेगा. मुझे जैसे झटका लगा. भला दूध के ख़र ् च और सेनेटरी नैपकिन के इस ् तेमाल में क ् या संबंध है? यहाँ सीधा सवाल था ख़र ् चा कर पाने की क ् षमता का. मैंने अपनी बीवी को खुश करने के लिए उसे सैनेटरी पैड का पैकेट देने की ठानी. मैं सैनेटरी पैड ख़रीदने पास के एक दुकान में गया. दुकानदार ने दाँए-बाँए देखा, एक अख़बार फैलाया, और पैकेट को उसमें लपेटकर ऎसे देने लगा, जैसे कोई बहुत ग़लत चीज़ दे रहा हो. क ् यों भई? मैंने कन ् डोम तो नहीं मांगा था! मैंने एक पैड उठाया. मैं देखना चाहता था कि ये था क ् या, और इसके अन ् दर क ् या है? तो पहली बार, 29 साल की उमर में, मैंने एक सैनेटरी पैड को अपने हाथ में लिया. अब आप बताईए: यहाँ कितने आदमी हैं जिन ् होंने सैनेटरी पैड हाथ में लिया है? मुझे पता है, आप में से ऎसा यहाँ कोई नहीं, आखिर ये झमेला भी तो आपका नहीं! फिर मैंने सोचा, हे भगवान, ये रूई से बनी कौड़ियों के दाम की सफेद चीज़ को ये लोग सौ, दो सौ गुना ज़ ् यादा महँगा बेच रहे हैं! क ् यों ना मैं अपनी नई नवेली बीवी के लिए खुद ही सैनेटरी पैड बनाऊँ? तो शुरुवात यहीं से हुई, मगर सैनेटरी पैड बनाने के बाद, मैं उसे परखने कहाँ ले जाता? आखिर मैं उसकी जाँच किसी लैबोरेटरी में नहीं करवा सकता था. मुझे किसी महिला वोलन ् टियर की ज़रुरत थी. ऎसी महिला इस पूरे भारत में कहाँ मिलती? ऎसा कोई बैंगलोर में मिलने से तो रहा. तो समस ् या का समाधान यही था: बली का एकलौता उपलब ् द ् ध बकरा, मेरी बीवी. मैंने सैनेटरी पैड बनाकर शान ् ती को दे दिया — मेरी पत ् नी का नाम शान ् ती है. "" अपनी आँखे बन ् द करो. मैं तुम ् हें जो देने जा रहा हूँ, वो ना तो हीरों का हार है, ना हीरे की अंगूठी, ना ही कोई चॉकलेट. मैं तुम ् हें रंगीन क़ागज़ में लपेटकर एक सरप ् राईज़ देने जा रहा हूँ. अपनी आँखें बन ् द करो. "" मैं उसे ये तोह ् फा बड़े प ् यार से देना चाहता था. आखिर हमारी अरेन ् ज ् ड मैरेज थी, लव मैरेज नहीं. (हँसी) फिर एकदिन उसने मुझे सीधे कहा, "" मैं इसमें तुम ् हारा साथ नहीं दूँगी. "" मुझे नए उपयोगकर ् ता चाहिए थे, तो अब मैंने अपनी बहनों से मदद मांगी. पर ना बहनें, ना बीवी, इस काम में मदद के लिए कोई तैयार नहीं था. इसलिए मुझे हमेशा अपने देश के साधू-संतों से जलन होती है. उनके आस-पास हमेशा महिला स ् वेच ् छासेवियों की टोली होती है. मुझे एक भी महिला मदद करने को तैयार नहीं? और देखिए, साधू-संतों के काम में महिलाएं बुलाने से पहले ही स ् वेच ् छा-सेवा के लिए जमा हो जाती हैं. फिर मैने मेडिकल कॉलेज की लड़कियों से मदद लेने की सोची. मगर उन ् होने भी मना कर दिया. आखिरकार, मैने तय किया, कि मैं खुद ही सैनेटरी पैड पहनकर देखूँगा. मेरा काम चाँद में क़दम रखने वाले पहले इन ् सान आर ् मस ् ट ् रांग, या पहले एवरेस ् ट चढ़ने वाले तेन ् ज़िंग और हिलरी के ही जैसा है मुरुगनाथन- दुनिया में सैनेटरी पैड पहनने वाला पहला आदमी! तो मैने सैनेटरी पैद पहना. एक फुटबॉल बॉटल में जानवर का खून भर कर यहाँ बाँध दिया, .इससे निकलकर एक ट ् युब मेरी चड ् डी के अंदर जाती थी. चलते समय, साईकल चलाते समय, मैं उसको दबाता था, जिससे ट ् युब से ख़ून निकलता था. इस अनुभव के बाद मैं किसी भी महिला के आगे ससम ् मान सर झुकाना चाहूँगा. वो पाँच दिन मैं ज़िन ् दगी भर नहीं भूल सकता — वो तकलीफ भरे दिन, वो बेचैनी और गीलापन! हे भगवान, सोच पाना भी मुश ् किल है! पर अब समस ् या थी, एक कम ् पनी रूई से नैपकिन बना रही थी. उनका पैड सही काम कर रही थी. पर मैं भी तो अच ् छे रूई से ही सैनेटरी पैड बना रहा था. मगर मेरे बनाए पैड काम नहीं कर रहे थे. बार बार नाकामी से परेशान होकर मैं ये सब छोड़ देना चाहता था. पहले आपको पास पैसे होने चाहिए. पर परेशानी सिर ् फ पैसे के ही नहीं थी. चूँकि मेरा काम सैनेटरी नैपकिन जैसी चीज़ को लेकर था, मुझे हर तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा, यहाँ तक कि अपनी बीवी से तलाक़ का नोटिस भी. ऎसा क ् यों? क ् योंकि मैंने मेडिकल कॉलेज की लड़कियों से मदद ली थी. बीवी को लगा मैं इस काम के बहाने मेडिकल कॉलेज की लड़कियों से चक ् कर चला रहा था. आखिरकार मुझे पाईन की लकड़ी से बनने वाली विशेष सेलुलोज़ का पता चला, मगर उससे पैड बनाने के लिए करोड़ों की लागत वाली ऎसे प ् लान ् ट की ज़रूरत थी. रास ् ते में फिर रुकावट आ गई. मैंने और ् चार साल बिताए अपने खुद की मशीन बनाने के लिए, ऎसी एक साधारण, आसान सी मशीन बनाई मैने. इस मशीन से कोई भी ग ् रामीण महिला बड़े मल ् टीनैशनलों के प ् लान ् ट में लगने वाले कच ् चे माल से ही घर बैठे विश ् व स ् तर की नैपकिन बना सकती है. ये मेरी खोज है. इसके बाद, मैने क ् या किया, किसी के पास कोई पेटेन ् ट या आविष ् कार होता है, तो तुरंत वो उससे ये - पैसे- बनाना चाहता है. मैने ऎसा नहीं किया. मैने उसे बिल ् कुल ऎसे ही, छोड़ दिया, क ् योंकि अगर कोई पैसे के पीछे ही भागता रहे, तो जीवन में कोई सुन ् दरता नहीं बचेगी. ज़िन ् दगी बड़ी उबाऊ होगी. बहुत से लोग ढेर सारा पैसा बनाते हैं, करोड़ों, अरबों रूपए जमा करते हैं. इस सब के बाद वो आखिर में समाजसेवा करने आते हैं, क ् यों? पहले पैसों का ढेर बनाकर फिर समाजसेवा करने आने का क ् या मतलब है? क ् यों ना पहले दिन से ही समाज का सोचें? इसी लिए, मैं ये मशीन केवल ग ् रामीण भारत में, ग ् रामीण महिलाओं को दे रहा हूँ, क ् योंकि भारत में, आपको जानकर आश ् चर ् य होगा, केवल दो प ् रतिशत महिलाएं सैनेटरी नैपकिन इस ् तेमाल करती हैं. बाकी सभी, फटे-पुराने, पोछे-नुमा कपड़े, पत ् ते, भूसा, लकड़ी का बुरादा - इसी सब से काम चलाती हैं- सैनेटरी नैपकिन नहीं. इस 21वी सदी में भी ये हाल है. इसी वजह से मैने ये मशीन भारत भर की गरीब महिलाओं को देने की सोची है. अब तक 23 राज ् यों और 6 और देशों में 630 मशीन लग चुके हैं. बड़े बड़े मल ् टीनेशनल और विदेशी कम ् पनियों के उत ् पादों से जूझकर जमकर टिके रहने का ये मेरा सातवाँ साल है - इस बात से सभी एम बी ए दंग हैं. स ् कूल की पढ़ाई भी पूरी ना कर पाने वाला कोईम ् बटूर का एक साधारण आदमी, कैसे अब तक मार ् केट में टिका है? इसी बात ने मुझे सभी आई आई एम में विज़िटिंग प ् रोफेसर और गेस ् ट लेक ् चरर बना दिया. (तालियाँ) विडियो वन चलाईए. (विडियो) अरूणाचलम मुरुगनाथन: अपने बीवी के हाथ में उसे देखकर मैने पूछा, "" तुम इस गन ् दे कपड़े का इस ् तेमाल क ् यों कर रही हो? "" उसने तुरंत जवाब दिया, "" मुझे नैपकिन के बारे में पता है, मगर अगर मैं उनका इस ् तेमाल करने लगी, तो हमें हमारे दूध का ख़र ् च काटना पड़ेगा. "" क ् यों ना मैं कम क़ीमत का नैपकिन बनाऊँ? तो मैने अब तय किया है कि इस नए मशीन को केवल महिला स ् वंय सहायता समूह (एस एच जी) को हिइ बेचूँगा. यही मेरी सोच है. पहले आप को नैपकिन बनाने के लिए करोड़ों निवेश करना पड़ता था, मशीन और बाकी ताम-झाम में. अब, कोई भ ् री ग ् रामीण महिला आसानी से इसे बना सकती है. वो लोग पूजा कर रहीं हैं. (विडियो): (गीत) ज़रा सोचिए, हारवर ् ड, आक ् सफोर ् ड से पढ़कर आए दिग ् गजों से मुक़ाबला आसान नहीं. मगर मैने ग ् रामीण महीलाओं को इन मल ् टीनेशनल से टक ् कर लेने की ताक़त दी. मैं सात साल से अपने पैर जमाए खड़ा हूँ. अबतक 600 मशीनें लग चुकि हैं. क ् या है मेरा मक़सद? मैं भारत को अपने जीते जी 100% -सैनेटरी-नैपकिन-इस ् तेमाल करने वाला देश बनाना चाहता हूँ. इस काम से मैं कम से कम दस लाख ग ् रामीणों को रोज़गार दिलाने जा रहा हूँ. यही वजह है कि मैं पैसे के पीछे नहीं भाग रहा. मैं एक महत ् वपूर ् ण काम कर रहा हूँ. अगर आप किसी लड़की का पीछा करें, वो आपको भाव नहीं देगी. मगर अगर आप अपना काम ढंग से करें, लड़की आपके पीछे-पीछे आएगी. बिल ् कुल वैसे ही, मैने कभी महालक ् ष ् मी (पैसे) का पीछा नहीं किया. महालक ् ष ् मी ही मेरे पीछे आ रही हैं, और मैं उन ् हें अपने पीछे के पॉकेट में रखता हूँ. सामने के पॉकेट में नहीं, मैं पैसे पीछे के पॉकेट में रखने वाला इन ् सान हूँ. बस, मुझे इतना ही कहना था. स ् कूली शिक ् षा पूरी ना करने वाले एक आदमी ने समाज में सैनेटरी पैड ना इस ् तेमाल कर पाने की समस ् या को समझा. मैने समस ् या का समाधान बनाया. मैं बहुत खुश हूँ. मैं अपने इस प ् रयास को कोई कॉरपोरेट शक ् ल नहीं देना चाहता. मैं इसे एक देसी सैनेटरी पैड आन ् दोलन बनाना चाहता हूं, जो आगे चलकर विश ् व भर में फैल जाए. इसलिए मैंने इसकी सारी जानकारी ओपेन सॉफ ् टवेयर की तरह साधारण लोगों की पहुँच में रखी है. आज 110 देश इससे जुड़ रहे हैं. क ् या कहते हैं? मैं समझता हूँ लोग तीन तरह के होते हैं: अनपढ़, कम पढ़े लिखे, और बहुत पढ़े लिखे. एक कम पढ़े लिखे आदमी ने ये कर दिखाया. आप सब बहुत पढ़े लिखे लोग, आप समाज के लिए क ् या कर रहे हैं? बहुत धन ् यवाद आप सभी का. चलता हूँ. (तालियाँ) कि आप एक सैनिक है जो एक घमासान युद ् ध लड ़ रहे है आप रोम के पैदल सिपाही हो सकते है या फिर प ् राचीन काल के धनुर ् धर शायद आप एक ज ़ ुलू योद ् धा है वक ् त और जगह चाहे जो भी हो, कुछ चीज ़ े कभी नही बदलती आपके चौकन ् ना हुए होश और आपके सतर ् क चेतना से उत ् पन ् न हो रहे आपके कर ् म आपकी सजगता के दो मकसद हैं, अपना और अपने पक ् ष की रक ् षा करना, और दुशमन को शिकस ् त देना । अब फ ़ र ् ज ़ कीजिए, कि आप एक अलग किरदार निभा रहे है, और वो है स ् काउट का । स ् काउट का काम हमला करना या हिफ ़ ाज ़ त करना नही है स ् काउट का काम है जानना, समझना स ् काउट वो है जो अपने शिविर से निकलता है, इलाके का नक ् शा बनाता है, और संभावित बाधाओं को पहचानता है । और उसकी यह उम ् मीद होती है कि वो कुछ सीखेगा, जैसे नदी के किनारे उपयुक ् त जगह पर पुल का होना वह सकाउट जितनी निश ् चितता से हो सके उस स ् थान के बारे में जानना चाहता है । और वास ् तविक सेना में स ् काउट और सिपाही, दोनो का होना आवश ् यक है परंतु हम दोनो किरदारों को दो मानसिकताऔं के रूप में देख सकते हैं यह उपमा है यह दर ् शाने के लिए कि हम अपने दैनिक जीवन में जानकारियों व विचारों को कैसे समझते है मेरा तर ् क यह है, कि विवेक की भावना होना, सही अनुमान बनाना, उचित निर ् णय लेना यह सब आपकी मानसिकता तय करता है । अब इन दो मानसिताओं की कार ् यकारी दर ् शाने के लिए मैं आपको उन ् नीसवी सदी के फ ़ ् रांस में ले चलती हूँ । जहाँ एक महत ् त ् वहीन लगनेवाले कागज ़ के टुकड ़ े ने एक बहुत बड ़ े राजनीतिक कांड को अंजाम दिया । १८९४ में फ ़ ् रेंच के जनरल स ् टाफ ़ के अफ ़ सरों ने इसकी खोज की थी वो कागज ़ कचरे के डिब ् बे में फटा पड ़ ा था । लेकिन उन टुकड ़ ों को जब जोडा गया, तब पता चला कि उन ् हीं में से कोई आदमी जर ् मनी को अपनी फौज के राज ़ बेच रहा है इसलिए एक बहुत बड ़ ी तहक ़ ीक ़ ात का आयोजन किया गया और शक की सारी सुइयाँ एक ही आदमी पर जा रुकी अल ् फ ् रेड ड ् रेफस उसका अभिलेख काफी दिलचस ् प था न गलत कामों का कोई जिक ् र, न ऐसा जुर ् म करने की कोई ज ़ ाहिर वजह किंतु सेना में उस पद पर ड ् रेफस इकलौता यहूदी अफसर था और बदकिस ् मती से उस दौरान फ ् रेंच सेना यहूदियों के सख ् त खिलाफ ़ थी उन ् होंने ड ् रेफस के हस ् तलेख को उस कागज ़ की लिखावट से मिलाया और तय किया कि दोनों लिखावटों में मेल हैं लेकिन यह भी हकीकत है किपर कोई बात नही ड ् रेफस के घर की छान-बीन की गई, उनहें जासूसी के सबूत की तलाश थी ड ् रेफस के हर फ ़ ाइल को छाना गया, किंतु उससे कुछ हासिल नही हुआ इससे उनका यकीन और मजबूत हुआ - न सिर ् फ ड ् रेफस गुनगार है बल ् कि शातिर भी है, क ् योंकि उसने अफसरों के हाथ लगने से पहले ही सारे सबूत को गायब कर दिया इसके बाद उन ् होंने ड ् रेफस के निजी अतीत की जाँच की इस आशा में कि उन ् हें उसके, खिलाफ जानकारी मिलेगी ड ् रेफस के शिक ् षकों से बात करने पर उन ् हें पता चला कि उसने पाठशाला में विदेशी भाषाएँ सीखी थी जिससे उसके आगे चलकर विदेशी सरकारों के साथ साज ़ िशें रचाने के इरादे साफ ़ ज ़ ाहिर हुए । ड ् रेफस के शिक ् षकों ने यह भी बताया कि वह अपनी अच ् छी याद ् दाश ् त के लिए मशहूर था बहुत ही संदेहास ् पद बात है, है ना? आखिरकार जासूसों को काफ ़ ी चीज ़ ें याद रखनी पड ़ ती है तो मामला कचहरी तक पहुँचा और ड ् रेफस गुनहगार साबित हुआ फिर ड ् रेफस को बीच बाज ़ ार ले जाया गया और उसकी वर ् दी पर से बिल ् ला निकाला गया उसकी तलवार को दो हिस ् सों में तोड ़ ा गया इसे "" ड ् रेफस की ज ़ िल ् लत "" का नाम दिया गया और उसे को डेविल ् स आयलंड, अर ् थात शैतान का टापू, नामक स ् थान पर आजीवन कारावास का दंड सुनाया गया जो कि दक ् षिण अमेरिका के तट से दूर ठहरी एक बंजर चट ् टान है तो वह वहाँ गया और उसने न जाने कितने रोज ़ तन ् हाई में बिताए और उसने फ ् रेंच सरकर को अनगिनत खत लिखे इसी दलील के साथ कि वे उसके मुकदमें को फिरसे लड ़ े ताकि उसकी बेगुनाही साबित हो लेकिन फ ् रांस के लिए यह मामला खत ् म हो चुका था ड ् रेफस के मामले मुझे सबसे दिलचस ् प बात यह लगी थी कि उन अफसरों को कितना यकीन था कि ड ् रेफस कसूरवार है ऐसा मालूम होता है कि उसे जान-बूझकर फसाया जा रहा है, और साज ़ िश का शिकार बनाया जा रहा है । पर इतिहासकारों का ऐसा मानना नही है । हमारी जानकारी के अनुसार, वे सच में मानते थे कि ड ् रेफस के खिलाफ उनका मुकदमा मज ़ बूत था और इस बात से आपको ताज ् जुब होता है; कि यह मनुष ् य के मन के बारे में क ् या बताता है यही कि इतने बेबुनियाद सबूतों के बिनह पर हम किसी को दोषी साबित करते है वैज ् ञानिक ऐसे मामलों को "" प ् रेरित तर ् क "" कहते हैं इस स ् थिति में हमारी अचेत प ् रेरणाएँ, हमारी कामनाएँ और आशंकाएँ, हमारे जानकारी समझने के तरीके को प ् रभावित करती है कुछ जानकारी, कुछ विचार हमे अपने से लगते है हम उन ् हे जिताना चाहते हैं, उनकी वकालत करना है और बाकी की जानकारी या विचार हमे दुश ् मन सी लगती हैं हम उन ् हें खत ् म करना चाहते हैं इसलिए मैं प ् रेरित तर ् क को "" सैनिक मानसिकता "" बुलाती हूँ शायद आप में से किसी ने भी एक राज-द ् रोही फ ् रेंच-यहूदी फौजी पर ज ़ ुल ् म नही किए, लेकिन शायद खेलों में या राजनीति में आपने देखा होगा अगर रेफ ़ री आपके चहेते टीम को "" फाउल "" सुनाता है तब आप उस रेफरी को गलत ठहराने के लिए उतावले हो जाते है पर अगर दूसरे टीम को "" फाउल "" मिल जाए - बहुत बढ ़ िया! यह फिर भी ठीक है, इस पर चर ् चा नही करते या फिर आपने कही लेख पढ ़ ा होगा जो किसी विवादास ् पद नीति की जांच करता हो जैसे मृत ् यु दंड और, जैसे शोधकर ् ताओं ने दर ् शाया है, अगर आप मृत ् युदंड का समर ् थन करते हो और वह लेख दर ् शाता है कि यह प ् रभावशाली नही है तब आप उस लेख के तमाम ऐब निकालने के लिए उत ् सुक हो जाते है पर अगर वह दर ् शाता है कि मृत ् युदंड काम करता है तब तो वह लेख अच ् छा है और इसके विपरीत स ् थिति में भी वही होता हम जिसकी तरफ ़ है, हमारे फैसले, जाने-अनजाने में, उससे प ् रभावित होते है और यह हर जगह मौजूद है यह हमारे स ् वास ् थ ् य, रिश ् ते, मतदान, किसी कार ् य के प ् रति नैतिकता, इन से संबंधित विचारों पर असर करता है प ् रेरित तर ् क या फिर सैनिक मानसिकता की सबसे डरावनी बात है उसकी अचेत स ् वाभाविकता हमे लगता है कि हम निष ् पक ् ष और न ् यायी है और फिर भी एक बेकसूर की ज ़ िंदगी तबाह कर देते है पर, बदकिस ् मती से, ड ् रेफस के लिए, कहानी खत ् म नही हुई अब आते है कर ् नल पिकार ् ट वह फ ् रेंच सेना का एक और ऊँचे पद का अफ ् सर था और बाकियों की तरह वह भी ड ् रेफस को अपराधी मानता था और बाकी फौजियों की तरह वह भी सामी विरोधी था पर एक वक ् त के बाद उसे शक होने लगा, "कहीं हम सब ड ् रेफस के बारे में गलत तो नहीं?" हुआ यूं था कि, उसे कुछ सबूत मिला था ड ् रेफस के कारावास में जाने बाद भी जर ् मनी के लिए जासूसी चलती रही और उसे पता लगा कि फौज में एक और था जिसकी लिखावट उस कागज ़ से हूबहू मेल खा रही थी, और ड ् रेफस से भी ज ़ ् यादा मेल खा रही थी तो उसने अपने शोध अपने वरिष ् ठों को दिखाए लेकिन या तो उन ् होंने उसकी परवाह नही की या फिर उन खोजों को समझाने के लिए तरह-तरह की सफ ़ ाइयाँ दी जैसे, "" तुमने बस इतना दिखाया है, पिकार ् ट, कि एक और जासूस है, जिसने ड ् रेफस की लिखावट की नकल करना सीखा है । और ड ् रेफस के बाद उसने जासूसी की बागडोर अपने हाथ में ले ली लेकिन ड ् रेफस तो गुनहगार है ही "" आखिरकार पिकार ् ट ने ड ् रेफस को बा-इज ् जत बरी करवा दिया लेकिन इसमें १० साल लग गए और इतने वक ् त के लिए वह खुद कैदखाने में था, फौज की तरफ ़ बेवफ ़ ाई की जुर ् म में कुछ लोगों का मानना है कि पिकार ् ट को इस कहानी का नायक नही होना चाहिए है क ् योंकि वह सामी विरोधी था, जो कि बुरा है, मैं मानती हूँ पर मेरे लिए उसका यहुदी विरोधी होना उसके कार ् यों को और भी प ् रशंसनीय बनाता है क ् योंकि उसके पास भी पक ् षपात करने के वही कारण थे जो बाकी फौजियों के पास थे पर उसकी सच जानने और उसे बनाए रखने की प ् रेरणा सबसे ऊपर थी तो मेरे हिसाब से, पिकार ् ट "" स ् काउट मानसिकता "" का प ् रतीक है यह किसी विचार को जिताने या हराने की चाह नही है, बस हकीकत देखने की चाह है और जितने सही तरीके से हो सके जानना चाहे वह हमें कितना भी असुविधाजनक और नापसंद क ् यों न लगे इस मानसिकता को लेकर मैं निजी तौर पर उत ् साही हूँ मैंने कुछ साल बिताए है इस मानसिकता के पीछे की वजह जानने का अभ ् यास करने में, क ् यों कुछ लोग, कभी कभार तो, अपने पक ् षपातों से ऊपर उठ पाते हैं । और सच ् चाई देख पाते है, और सबूत को निष ् पक ् षता से देख पाते हैं? जवाब जज ़ ् बातों में है । जैसे सैनिक मानसिकता बचाव की भावनाओं से जुड ़ ी है उसी तरह स ् काउट मानसिकता भी । अलग भावनाओं से जुड ़ ी है । जैसे, स ् काउट जिज ् ञासु होते हैं । वो ज ़ ् यादातर यह कहेंगी कि उन ् हें मज ़ ा आता है जब उन ् हें नई जानकारी मिलती है या वो पहेली सुलझाने के लिए बेचैन हो जाते है । जब कोई बात उनकी अपेक ् षाओं से विरुद ् ध होती है तो उन ् हे वह रोचक लगती है । स ् काउट ् स के संस ् कार अलग होते है । वे ज ़ ् यादातर यही कहेंगे कि अपनी अास ् था का परीक ् षण करना नेक बात है वे यह नहीं कहेंगे कि जो अपना मन बदलता है वह कमज ़ ोर है । और सबसे बड ़ ी बात, स ् काउट ् स मौलिक होते है अर ् थात, स ् वयं का व ् यक ् तिगत मूल ् य उनके किसी विषय में सही या गलत होने पर निर ् भर नही है तो वे मान सकते है कि मृत ् यु दंड काम करता है अगर लेख बताते हैं कि ऐसा नही है, तो वे कह सकते है, "अरे, लगता है मैं गलत हूँ, इसका ये मतलब तो नही कि मैं बुरा या बेवकूफ ़ हूँ ।" शोधकर ् ताओं के और मेरे उपाख ् यान के हिसाब से — ऐसी विशेषताएँ अच ् छे निर ् णयों का — अनुमान लगाती हैं और जाते-जाते मैं आपको यह बताना चाहती हूँ, कि यह गुण आपकी होशियारी से जुड ़ ी नही हैं और न ही आपके ज ् ञान से असल में ये आपकी बुद ् धि से संबंधित ही नही हैं ये आपकी भावनाओं से जुड ़ ी हैं । सेंट-एक ् सुपेरी की कही एक बात है जिसे मैं बार-बार याद करती हूँ । वे "" लिटिल प ् रिंस "" के लेखक है । उन ् होंने कहा था, "" यदि तुम जहाज बनाना चाहते हो, तो अपने आदमियों को लकड ़ ियाँ इकट ् ठा करने के आदेश मत दो और काम को मत बाँटो । इसके बजाय उनको विशाल और असीम समंदर के लिए तड ़ पना सिखाओ । "" अर ् थात मेरा यह मानना है यदि हम अपने निर ् णयों को सुधारना चाहते हैं, व ् यक ् तिगत और सामाजिक तौर पर, तो हमें तर ् क में और शिक ् षण की ज ़ रूरत नही है न वक ् रपटुता में, न संभाव ् यता में और न अर ् थशास ् त ् र में भले ही यह सारी बातें भी महत ् वपूर ् ण हो । पर इन सिद ् धांतों के सदुपयोग के लिए हमें स ् काउट मानसिकता की ज ़ रूरत है, और हमें चीज ़ ों को । महसूस करने के तरीके को बदलना होगा । हमें यह सीखना होगा कि जब हम गलत होते हैं तो हमें उस बात की शर ् म नही गर ् व होना चहिए । हमें अति संवेदनशील होने के बजाय जिज ् ञासु होना सीखना होगा, जब हमें अपने विश ् वास से विपरीत जानकारी मिलती है । जाते-जाते मैं आपसे यह सवाल पूछना चाहती हूँ: आप सबसे ज ़ ् यादा किस लिए तरसते हो? अपने यकीन का बचाव करने के लिए तरसते हो? या फिर इस संसार को सबसे स ् पष ् ट रूप से देखने के लिए तरसते हो? धन ् यवाद । (तालियाँ) मैं और मेरे साथी बिंदु गति शास ् त ् र से मंत ् रमुग ् ध हैं असल मे ये बिंदु क ् या है? ये हम सब लोग है हम अपने घरो में, आफिस मे जब हम खरीददारी या यात ् रा करते हैं अपने शहर में और पूरी दुनिया मे घूमते है अगर हम इस गति को समझ पाये तो कितना अच ् छा होगा अगर हम इसके स ् वरूप और अर ् थ ढूँढ पाते? यह हमारा सौभाग ् य है हम ऐसे समय जीते है जहॉ हमारे बारे मे सुचना प ् राप ् त करने मे हम सफल है हम अपने गति की सभी विवरण सेन ् सर ् स, वीडियो और एप ् स द ् वारा प ् राप ् त कर सकते है तो यह पता चलता हैं कि जहाँ गति के बारे में सबसे ज ् यादा आकड़े मिल सकते हैं वो खेल हैं बास ् केटबाल या बेसबाल फुटबाल या दूसरा फुटबाल हो उपकरण से ह ् मारे स ् टेडियम ् स और खिलाडियॉ से उनके गति के हर पल को ट ् रैक कर रहे है तो ह ् म अपने खिलाडियो को हाँ आपने सही अंदाजा लगाया गतिमान बिंदुओं मे बदल रहे है हमारे पास चलती बिंदुओ का पहाड है और कच ् चे आँकडॉ को समझ पाना कठिन हैं और दिलचस ् प नही उदाहरणार ् थ बास ् केट ् बाल कोच बहुत चीजेँ जानना चाहते हैं किंतु समस ् या ये हैं कि जानने के लिये उन ् हेँ खेल के हर पल ध ् यान देना होगा याद करना होगा और उचित कारवाई करना होगा ये काम एक व ् यक ् ति नहीँ कर सकता बल ् कि मशीन कर सकती है लेकिन एक मशीन कोच के नजर से खेल को नही देख सकती अब तक तो नही तो हम मशीन को क ् या देखने के लिये सिखाया पहले आसान तरीके से शुरु किया हम उसको पासेस शाट ् स और रिबौंड ् स जैसे चीज़ सिखाया चीज जो साधारण दर ् शक भी जानते है और फिर हम थोडी मुश ् किल चीजोँ के ओर बढ गये जैसे पोस ् ट-अप ् स पिक-अंड-रोल ् स और आईसोलेश ् न ् स और अगर आप इन ् हेँ नहीँ जानते तो कोई बात नहीँ अब हम वहां पहुँच गये जहाँ आज मशीन मुश ् किल ईवेँट ् स को समझती हैं जैसे डौन स ् क ् रींस और वाईड पिंस ये चीज मूल रूप से पेशेवर ही जानते हैँ हम एक मशीन को कोच की नजर से देखना सिखाया हम यह कैसे कर पाये? यदि मै एक कोच को पिक-अंड-रोल ् स के बारे मे वर ् णन देने को कहने से वे मुझे वर ् णन दे सकते है मै एंकोड करके एक अल ् गोरित ् म के रूप मे दे दू तो बहुत अच ् छा होगा पिक-अंड-रोल ् स चार खिलाडियोँ के बीच एक नृत ् य जैसा लगता हैँ जहाँ दो खिलाडी आक ् रमण दो खिलाडी रक ् षा करते हैँ ऐसा चल रहा है यहाँ एक खिलाड़ी आक ् रमण मे बिना गेँद के है गेँद और खिलाड़ी चलते है उस खिलाड़ी के पास जिस के पास गेँद है और खिलाडी रुकता है दोनोँ चलते है टा-डा होता है यहीँ है पिक-अंड-रोल ् (हंसी) यह भी कठिन अल ् गोरित ् म का एक उदाहरण है यदि एक खिलाडी दखल देने से उसको कहते है स ् क ् रीनर बहुत करीब पहुँच कर रुके नहीँ तो पिक-अंड-रोल ् शायद नहीँ कह सकते है यदि खिलाडी रुकता है लेकिन बहुत करीब नहीँ तो पिक-अंड-रोल ् शायद नहीँ कह सकते है या बहुत करीब जाकर रुकने से लेकिन बास ् केट के नीचे करने से पिक-अंड-रोल ् शायद नहीँ हो सकते है या मैँ गलत हो सकता हूँ वे सब पिक-अंड-रोल ् हो सकते है ये सही वक ् त, दुरी और स ् थान पर निर ् भर करता है और यही चीज उसको मुश ् किल बनाता है लेकिन मशीन की सहायता से हमारे सामर ् थ ् य से बढकर चीजोँ का विवरण दे सकते है तो ये कैसे काम करता है? ये एक उदाहरण से हम मशीन के पास जाते और कहते "" गुड मोर ् निंग मशीन इधर कुछ पिक-अंड-रोल ् स है और इधर कुछ चीज वो नहीँ है उन दोनोँ के बीच अँतर बताने का रास ् ता ढूँढो "" और जो लक ् षण सबसे उसको अलग करते हो उसको पता करना ही असली सूत ् र है इसलिए यदि मुझे उसको सेब और सँतरा मे अंतर सिखाना होता तो मै उसको "" रँग या आकार इस ् तेमाल करने के लिए कहूँगा? "" और हम जो समस ् या को सुलझा रहे है वह ऐसे क ् या चीज है मूल लक ् षण क ् या है जो कम ् प ् यूटर को गतिमान बिँदु के दुनिया मे दिशा दिखा सकते है? ये सारी सँबँधोँ के बीच दुरी समय गति के बारे मे रिलेटिव और आब ् सोल ् युट स ् थान की कल ् पना करना ही असल मे बिँदु गति शास ् त ् र की सूत ् र है या जैसे कि हम शैक ् षिक भाषा मे स ् पटियोटेँपोरल स ् वरूप पहचान के नाम से जाना जाता है पहले चीज यह हैं कि इसे सुनने में कठिन बनाना है क ् योँकि यह कठिन है एनबीए कोचेस के लिए पिक-अंड-रोल हुआ की नहीँ ज ् यादा मान ् य नहीँ रखता बल ् कि कैसे हुआ जानना जरूरी मानते है और ये उनको क ् योँ आवश ् यक है? एक उदाहरण प ् रस ् तुत करता हूँ आधुनिक बास ् केटबाल मे शायद पिक-अंड-रोल की ही बहुत महत ् वपूर ् ण भूमिका है समझना कि कैसे दौडना और समझना कि कैसे रक ् षा करना मूल रूप से खेलोँ मे जीतने या हारने को प ् रभावित करता है ये नृत ् य अलग अलग रूप मे है और इसको पहचानना ही असली चीज है इसलिए ये सब बहुत ज ् यादा अच ् छा होना हमारे लिये जरूरी है यहॉ एक उदाहरण है वहॉ दो आक ् रमिक खिलाडी दो रक ् षा पँती के खिलाडी है जो पिक-अंड-रोल नृत ् य के लिए तैयार हो रहे है खिलाडी जिस के पास गेँद है वह या तो ले सकता या छोड सकता उसके टीम के साथी या तो रोल या पाप कर सकते है खिलाडी जो गेँद को रक ् षा करता हैं वो या तो ऊपर से या नीचे से जा सकता उसके टीम के साथी या तो शो या प ् ले अप टु टच या प ् ले साफ ् ट और मिलके उन लोग या तो स ् विच या ब ् लिट ् ज़ कर सकते हैँ और जब मैंने शुरू किया था ये सब मै नही जानता था और यदि सब लोग उस तीरों के अनुसार चलने से कितना अच ् छा होगा यह हमारी जीवन को बहुत आसन बनाते बल ् कि ये गति को बहुत अप ् रिय बना देता है इस अलग रूप को सही सलामत पहचानना और याद करना लोगोँ के लिये बहुत कठिन परिश ् रम की आवश ् यकता हैँ क ् योँकि यही जो चीज एक प ् रोफेषनल कोच आप की नैपुण ् यता को मान ् य देता है और हम लोग काफी दुविधाएँ आने के पश ् चात भी सही स ् पषियोटेँपोरल लक ् षण कर पाये कोच ् स हमारी मशीन की ये लक ् षण पता कर ने की क ् षमता पर बहुत उम ् मीद रखते है हम वहा पहुँच गये जहाँ NBA चैम ् पियनशिप के लगभग हर एक खिलाडी इस साल हमारी साफ ् ट ् वेर इस ् तेमाल कर रहे है जो एक मशीन के ऊपर बनाया गया जो बास ् केट ् बाल की बिंदु गति को समझ ् ता हैं पर इतना ही नही हम ने जो सलाह दी उसने रणनीति को बदल दिया जो टीम ् स को जीतने मे मदद करता है और ये बहुत ही उत ् तेजक है क ् योँकि जो कोचेस 30 साल से लीग मे है वो एक मशीन से सलाह लेने के लिये तैयार है और यह बहुत ही दिलचस ् त और पिक-अंड-रोल से ज ् यादा है हमारा कम ् पुटर छोटे चीजोँ से शुरु किया और बहुत ही जटिल चीजोँ को सीखा और अब इसको बहुत चीज मालूम है वो क ् या करती है ये ज ् यादातर मै नही समझता और मुझसे चतुर होना भी कोई बडी बात नही हमे आश ् चर ् य होता है क ् या एक मशीन कोच से ज ् यादा जान सकता? क ् या वो एक आदमी से ज ् यादा जान सकता? और हम लोगोँ को कहना पडेगा हाँ कोचेस चाहते हैँ खिलाडी अच ् छे शाट ले अगर मै बास ् केट के पास हूँ और मेरे आसपास कोई नही तो ये अच ् छा शाट है अगर मै बहुत दूर खडा हूँ और मेरे चारोँ तरफ रक ् षा खिलाडी है तो वो गलत शाट है लेकिन हम अभी तक ये नही जानते कि अच ् छा कितना "" अच ् छा "" था और बुरा कितना "" बुरा "" था और हम लोग क ् या करेँ फिरसे हर शाट को स ् पाटियोटेँपोरल लक ् षण द ् वारा देखे हम देख सकते: शाट किधर है? बास ् केट तक क ् या कोण है? रक ् षा खिलाडी कहॉ खडे है? उनकी दुरी कितनी है? उनके कोण कितना है? जहॉ ज ् यादा रक ् षा खिलाडी हो वहॉ देख सकते खिलाडी कैसे चल रहे और अंदाजा लगा सकते कौनसा शोट लगेगा हम उनके रफ ् तार को देख सकते है और एक नमूना तैयार कर सकते जो इन परिस ् थितियोँ मे ये शाट कहॉ तक जा सकता है इसका अंदाजा लगयेगा तो ये सब आवश ् यक क ् योँ है? ह ् म शूटिँग को ले सकते, जो पहले एक चीज था और उसको दो चीजोँ मे बदल दिये शाट की गुणवत ् ता और शूटर की गुणवत ् ता यहॉ एक बबल चार ् ट देखिये क ् योँकि बिना बबल चार ् ट TED क ् या है? (हंसी) ये बबल ् स NBA खिलाडी हैँ बबल का परिमाण खिलाडी का परिमाण है और रँग उसका स ् थिति शाट की सँभावना x-अक ् ष मे है लोग जो बाएँ तरफ है वो मुश ् किल शाट लेते हैँ जो दाएँ तरफ है आसन शाट लेते हैँ y-अक ् ष पर उनके शूटिँग के सामर ् थ ् य है लोग जो अच ् छे है वो ऊपर है जो बुरे वो नीचे है इस तरह, पहले हम सिर ् फ इतना ही जानते थे कि एक खिलाडी आम तौर पर 47 प ् रतिशत शाट ् स बनाता था पर आज मै ये कह सकता हू कि वो खिलाडी एक साधारण NBA खिलाड़ी जो 49 प ् रतिशत शाट ् स लेता है उनसे 2 प ् रतिशत बदतर है ये बहुत ही जरूरी है क ् योँ कि वहा ज ् यादातर 47 प ् रतिशत वाले है इसलिये ये जानना जरूरी है कि अगर आप 100 मिलियन डालर ् स 47 प ् रतिशतवाले को देना चाहते है जो एक अच ् छा शूटर है लेकिन बुरा शाट लेता या बुरा शूटर है जो अच ् छा शाट लेता हमारी नजरिये को मशीन का नजरिया नही बदल सकता लेकिन हम खेल को कैसे देखते ये जरूर बदल सकता है कुछ साल पहले NBA फ़ाइनल मे एक उत ् तेजक मेच हुआ था मियामि तीन से पीछे था और सिर ् फ 20 सेकन ् ड ् स बाकी थे वो लोग चैम ् पियनशिप खोने ही वाले थे एक जेंटलमैन लमान लेब ् रान जेम ् स आया और उन ् होँने तीन से टॅइ लिया वो छूट गया टीममेट क ् रिस बोश को पलटाव मिला उसने बाल को अपने दूसरे टीममेट रे अलेन को पास किया उसने तीन मे डुबा दिया गेम अतिरिक ् त समय मे चला गया वो लोग गेम जीत गये और चैम ् पियनशिप भी वो बास ् केट बाल की बहुत ही उत ् तेजक मैचो मे से एक है और हर एक खिलाडी शाट खेलने की सँभावना हर एक पल और उसको हर एक पल रीबौंड मिलने की सँभावना ये सब जानने की हमारी क ् षमता आप की इस पल को और भी याद ् गार बनाने वाला था पर बद ् किस ् मती से मै वो वीडिओ आपको अभी नही दिखा सक ् ता लेकिन हम ने आप के लिये वो पल को पुनर-सृजन किया जो तीन हफ ् ते पहले जो हमारा साप ् ताहिक बास ् केट बाल मैच हुआ (हंसी) हम ने ट ् रेकिंग का पुनर ् निमाण किया जो हमेँ अँतरदृष ् टि के ओर लेके गया तो ये हम है ये एक पार ् क चाइनाटाउन लास एंजेलस मे जहा हम हर हफ ् ते खेलते हैँ और हमने रे अल ् लेन मूमेंट को और उसके साथ जुडी वो ट ् राकिंग को भी पुनर-सृजन किया तो अब ये रहा शाट मै ये पल और उसकी सारी अनुभव आप को दिखाना चाहता हु और सिर ् फ ये अंतर है कि पेशेवर खिलाडी की जगह यहा हम होँगे और पेशेवर वाचक के बदले यहा मै रहूँगा इसलिये थोडा सहन कीजिये (धीरज) मियामी तीन से पीछे बीस सेकन ् ड बाकी हैं जेफ ् फ बाल लाता है जोश कैच करता हैं, तीन पुट अप करता है शाट की सँभावना की गणना करने के बाद शाट की शक ् ति पलटाव की सँभावना नही जायेगा पलटाव की सँभावना पलटाव नोयेल फिर से दारिया के पास शाट की शक ् ती उसका तीन पाइंटर- बांग बराबर अंको पर गेम था पांच क ् षण बच गये क ् राउड (भीड) पागल हो जाते हैं (हंसी) ये सब लग भग ऐसे हुआ था (ताली) लग भग (ताली) ये पल को NBA मे लगभग नौ प ् रतिशत मुमकिन होने की सँभावना है और हम लोग और भी बडे बडे चाज जानते है मै ये नही बतावूंगा उस पल को सँभव बनाने के लिये कितने बार लगा (हंसी) चलो बता देता हू वो चार था (हंसी) डारिया, बहुत आगे जाओगे पर उस वीडिओ और वो हर पल, हर गेम का अंतर दृष ् टि रखना इन सब का दूसरा मतलब है ये यदार ् थ है कि उस पल की नजर रखने के लिये तुम ् हे एक पेशेवर टीम होने की जरूरत नही गती की अनुभव करने के लिये तुम ् हे एक पेशेवर खिलाडी होने की जरूरत नही असल मे वो तो खेल के बारे मे होने की भी जरूरत नही क ् योँ कि हम हर जगह घूमते है हम अपने घरोँ मे चलते है अपने दफतर मे जब हम कुछ खरीदते हैं और जब हम यात ् रा करते हैं हमारे सारे शहर में और अपने आसपास की दुनिया मे भी घूमते हम क ् या जानते हैं? क ् या समझते हैं? शायद पिक-अँड-रोल ् स को पहचानने के बदले एक मशीन मेरी बेटी की पहला चरण लेने की पल को पहचान के मुझे बतायेगा जो कोई भी क ् षण वास ् तव में हो सकता है शायद हम भवन का सही उपयोग शहर का सही नक ् शा बना सकते मुझे उम ् मीद है कि बिँदु गति शास ् त ् र की व ् याप ् ति से हम लोग बेहतर तरीके से चतुराई से और आगे बड सकते है धन ् यवाद (ताली) मैं इसे मेरे जीवन का ध ् येय समझती हूँ कि मैंने उत ् तर में, ध ् रुवों के पिघलने को दर ् शाने के लिए आर ् कटिक की यात ् रा कियी । मैंने भूमध ् य रेखा के दक ् षिण में यात ् रा कर वहाँ बढ़ते हुए समुद ् र के जलस ् तर को देखा । हाल ही में मैंने ग ् रीनलैंड के बर ् फीले तटों की और मालदीव के निचले द ् वीपों की यात ् रा की । जो इस ग ् रह के दो पूर ् णतया भिन ् न परन ् तु एक ही प ् रकार के खतरों से जूझते हुए भाग हैं । मेरे आरेख परिदृध ् य के परिवर ् तन, हलचल और शांति के क ् षणों को दिखाते हैं और दर ् शकों को उन स ् थानों से भावनात ् मक रूप से जुड़ने का अवसर देते हैं जहाँ जाने का अवसर उन ् हें शायद कभी न मिले । मैं विध ् वंस के स ् थान पर सुन ् दरता दिखाने को प ् राथमिकता देती हूँ । यदि आप इन परिदृश ् यों की भव ् यता का अनुभव कर सकें, तो आप निश ् चित ही उन ् हें सहेजने और संरक ् षित करने के लिए प ् रेरित होंगे । व ् यावहारिक मनोविज ् ञान बताता है कि हम कोई कार ् य करते समय और अध ् ययनों से ज ् ञात हुआ है कि हमारी भावनाओं पर किसी भयावह समाचार से अधिक प ् रभाव कला का होता है । विशेषज ् ञों का अनुमान है कि २०२० की ग ् रीष ् म ऋतु में आर ् कटिक में बर ् फ नहीं होगी और इस सदी के अंत तक समुद ् र का जलस ् तर दो से दस फीट तक बढ़ जायेगा । मैंने अपना करियर इन अनुमानों को सुलभ माध ् यम से प ् रदर ् शित करने में समर ् पित किया है यह हमें उस दिशा में आगे बढाता है जिसमें आंकडें नहीं बढ़ा सकते । मेरी प ् रक ् रिया उन जगहों की यात ् रा से प ् रारंभ होती है जो वातावरण परिवर ् तन में सबसे आगे हैं । मैं उन जगहों पर हजारों फोटोग ् राफ ् स लेती हूँ । वापस स ् टूडियो में आने पर मैं अपनी स ् मरणशक ् ति और फोटोग ् राफ ् स का उपयोग कर के बडे पैमाने पर अपनी रचना का निर ् माण करती हूँ कई बार वह १० फीट चौड़ी होती है । मैं चारकोल की तरह सूखे हलके पैस ् टल रंगों का प ् रयोग करती हूँ । मैं अपनी रचना को आरेख मानती हूँ परन ् तु लोग उसे चित ् र कहते हैं । मैं सकपका जाती हूँ जब मेरा उल ् लेख 'फिंगर पेंटर' के रूप में किया जाता है । (हंसी) किन ् तु मैं किन ् ही साधनों का प ् रयोग नहीं करती और हमेशा अपनी उँगलियों और हथेलियों का प ् रयोग कर पेपर पर रंगों में परिवर ् तन करती हूँ । यह मेरे मस ् तिष ् क को शांति देता है । मैं जो आरेख बनाती हूँ वह बर ् फ या पानी नहीं होते बल ् कि वह इमेज का बुनियादी आकार और रंग में दर ् शाया गया रूप है । जब वह हिस ् सा पूर ् ण होता है तब मैं उस संयोजन को समग ् र रूप में महसूस कर पाती हूँ, जैसे कांच के समान स ् वच ् छ पानी में तैरता हुआ हिमशैल अथवा फेन के साथ ऊपर उठती लहर । औसतन इस आकार के हिस ् से को पूरा करने में मुझे 10 सेकंड लगते हैं जैसा कि आप देख सकते हैं (हंसी) (तालियाँ) यथार ् थ में २०० से २५० घंटे, इस आकार के किसी हिस ् से के लिए । मैं तब से आरेख बना रही हूँ जबसे मैंने क ् रेयोन पकड़ना सिखा है मेरी माँ एक कलाकार थी इसलिए बचपन से ही मेरे घर में कला सम ् बंधित वस ् तुओं की भरमार थी । मेरी माँ के फोटोग ् राफी के प ् रति प ् रेम के कारण उन ् होनें धरती के सुदूर क ् षेत ् रों की यात ् रा की और मैं और मेरा परिवार भाग ् यशाली था कि हम उनके साथ इन साहसिक यात ् राओं पर जा सके और उनकी सहायता कर सके । हमने उत ् तरी अमेरिका में ऊँटों की सवारी की और उत ् तरी ध ् रुव के नजदीक कुत ् तों की स ् लेज पर यात ् रा की । अगस ् त २०१२ में मैंने अपना पहला अभियान प ् रारंभ किया, जिसमें कलाकारों और विद ् वानों का एक समूह ग ् रीनलैंड के उत ् तरी पश ् चिमी तटों पर मेरे साथ आया । इस यात ् रा का नेतृत ् व मूल रूप से मेरी माँ को करना था । वो और मैं योजना बनाने के प ् रारंभिक चरणों में थे क ् योंकि हम साथ ही जाने के इच ् छुक थे, परन ् तु इस बीच उन ् हें ब ् रेन ट ् यूमर हो गया । कैंसर ने जल ् दी ही उनके शरीर व मस ् तिष ् क को शिकंजे में जकड लिया और छः महीने बाद उनकी मृत ् यु हो गई । इस बीमारी के दौरान भी इस यात ् रा के प ् रति उनका समर ् पण कभी कम नहीं हुआ, और तब मैंने उनकी इस अंतिम यात ् रा को पूरा करने का प ् रण किया । मेरी माँ का आर ् कटिक के प ् रति उत ् साह मेरे ग ् रीनलैंड के अनुभव में प ् रतिध ् वनित हुआ और मैं उस परिदृश ् य की शक ् ति और भंगुरता का अनुभव कर पाई । हिमशैल का वास ् तविक आकार सुखद है । यह काम अभी प ् रक ् रिया में है कुछ उन टिप ् पणियों पर आधारित जो TED में दो साल पहले की गयी थी टीके के भण ् डारण की ज ़ रुरत के बारे में. (संगीत) [इस ग ् रह पर] [१.६ अरब लोग] [बिजली को उपयोग नहीं कर सकते है] [प ् रशीतन] [या संग ् रहीत ईंधन] [यह एक समस ् या है] [यह प ् रभावित करती है] [बीमारी के प ् रसार] [खाद ् य और दवा के भंडारण] [और जीवन की गुणवत ् ता को] [तो योजना यह है: सस ् ती प ् रशीतन जो बिजली का उपयोग नहीं करता है.....] [.... प ् रोपेन, गैस, मिट ् टी का तेल, या उपभोग ् य सामग ् रियों का भी नहीं] [अब कुछ ऊष ् मप ् रवैगिकी के लिए समय] [और आंतरायिक अवशोषण रेफ ् रिजरेटरों की कहानी] तो २९ साल पहले, मेरे ऊष ् मप ् रवैगिकी शिक ् षक ने अवशोषण और प ् रशीतन के बारे में बात की थी । यह उन चीजों है जो मेरे सिर में फँस गयी । यह स ् टर ् लिंग इंजन जैसे था: यह अच ् छा था लेकिन तुम ् हें इसके साथ क ् या करना है पता नहीं था । और यह 1858 में फर ् डिनेंड कार द ् वारा आविष ् कार किया गया था, लेकिन वह वास ् तव में उसके साथ कुछ भी नहीं बना सकते थे क ् योंकि समय के उपकरणों के साथ यह कुछ भी नहीं बना सका इस दीवाने कनाडियन पोवल क ् रोस ् ले ने आईसीबाल (Icyball) को १९२८ में वाणिज ् यिक किया, और यह एक बहुत बधिया विचार था, और यह क ् यों काम नहीं किया मैं बताने जा रहा हूँ, लेकिन यह इस प ् रकार काम करता है. वहाँ दो क ् षेत ् रों है और वे एक दूरी से अलग होते है. एक मैं तरल पदार ् थ, पानी, और अमोनिया है, और दूसरे मैं संघनित ् र है. अगर आप एक तरफ गरम करें, तो गर ् म पक ् ष. अमोनिया उड जाती है, और वह फिर दूसरे पक ् ष में गाढ़ी हो जाती है इसे कमरे के तापमान तक ठंडा करे और फिर, जैसे ही अमोनिया फिर से उड जाती है और पानी के साथ जुड ़ जाती है वापस पूर ् व गर ् म कक ् ष की ओर, यह एक शक ् तिशाली शीतलन प ् रभाव पैदा करता है. तो यह एक अच ् छा विचार है, लेकिन यह बिल ् कुल काम नहीं किया क ् योंकि अमोनिया से तुम ् हें बेहद उच ् च दबाव मिलेगा अगर तुम उन ् हें गलती से गरम किया हुआ हो. यह ४०० psi तक गया. अमोनिया विषाक ् त था. यह हर जगह छिड ़ काव किया. लेकिन यह एक दिलचस ् प विचार की तरह था. तो, २००६ के बारे में महान बात यह है की यहाँ सचमुच महान कम ् प ् यूटेशनल काम आप कर सकते हैं. तो हमने पूरी स ् टैनफोर ् ड के ऊष ् मप ् रवैगिकी विभाग को शामिल किया. कम ् प ् यूटेशनल तरल गतिकी का पुरा उपयोग किया. हम लोग ने अमोनिया प ् रशीतन सारणी को गलत साबित किया. हमने कुछ गैर विषैले सर ् द ढूंढे जो बहुत कम भाप के दबाव में काम करते है ब ् रिटेन की एक टीम को लाया गया — वहाँ बहुत से महान प ् रशीतन लोग है, ब ् रिटेन में — वहाँ एक टेस ् ट रिग का निर ् माण किया, और साबित कर दिया कि हम एक कम दबाव, गैर विषैले रेफ ् रिजरेटर बना सकते हैं. तो यह इस तरह काम करता है. तुम इसे खाना पकाने की आग पर डाल सकते है. दुनिया में ज ् यादातर लोग आग में खाना पकाते है, चाहे वो ऊंट गोबर या लकड ़ ी हो यह लगभग ३० मिनट तक गरम होता है, फिर एक घंटे के लिए ठंडा होता है. इसे एक कंटेनर में डाल दीजिए और यह 24 घंटे के लिए ठंडा रहेगा. यह इस तरह दिखता है. यह पांचवां प ् रोटोटाइप है. यह पूरा नही बना है. इसका वजन ८ पौंड है, और यह इस तरह काम करता है. आप इसे एक १५ लीटर बर ् तन में डालिए, लगबग ३ गैलन, और यह इसे ठंड के नीचे रखेगा, शून ् य के ऊपर तीन डिग ् री, २४ घंटे तक ३० डिग ् री के माहौल में. यह वास ् तव में सस ् ता है. हमें लगता है कि हम उच ् च मात ् रा में लगभग 25 डॉलर के लिए इन का निर ् माण कर सकते हैं, कम मात ् रा में लगभग 40 डॉलर के लिए. और हमें लगता है कि हम प ् रशीतन बना सकते हैं जो हर कोई खरीद सकता है. धन ् यवाद । तालियाँ मुझे ऐसे चित ् र लेने का ज़ुनून है जो कहानियां बताते हों फ़ोटोग ् राफ़ी करना समय के छोटे से हिस ् से में थमे हुये एक पल को संजोने जैसा है । हर पल या फोटो समय के साथ गुजरती यादों के एक टुकडे का प ् रतीक है । पर यदि आप एक फोटो मे एक से अधिक पल संजो सकें तो! समय को लांघ कर अगर एक ही फोटोग ् राफ़ दिन और रात के सर ् वश ् रेष ् ठ पलॊं को संक ् षिप ् त करते हुये, एक निरंतर चित ् र बन जाये तो! मैने एक संकल ् पना की है जिसे "" दिन और रात "" कहते हैं और मैं मानता हूं कि ये आपके दुनिया के प ् रति नज़रिये को बदल देगा । मेरा नज़रिया तो बदला है. मेरा काम ऐसी प ् रख ् यात जगह की फोटो लेने से शुरु होता है जो हमारी सामूहिक स ् मृति का हिस ् सा हो । मैं एक निर ् धारित स ् थान से फ़ोटो लेता हूं और और खुद वहीं रहता हूं । मैं समय के साथ गुज़रते हुये मानवता और प ् रकाश के क ् षणिक पलों को कैद करता हूं १५ से ३० घन ् टे तक फ़ोटो लेने और १५०० से अधिक चित ् र खींचने के बाद समय को मार ् गदर ् शक बनाकर मैं उन सारे सर ् वोत ् तम पलों को एक अकेले फ़ोटो मे मिलाकर समय के साथ हमारी सचेत यात ् रा की कल ् पना करता हूँ । मैं आपको टोर ् नेल पूल से दृश ् य दिखाने के लिये पॅरिस ले जा सकता हूँ । और आपको सैन नदी मे सुबह सुबह नाव खेते लोग दिखा सकता हूँ । और साथ ही आपको रात मे चमकता हुआ नोतरे बांध दिखा सकता हूँ । और उसी बीच, मैं आपको इस रोशनी के शहर का अफ़सना भी दिखा सकता हूँ । मैं मूलत: हवा में ५० फ़ीट ऊपर बैठा एक सामान ् य फोटोग ् राफ़र हूँ, और इस फोटो मे दिखने वाली हर एक चीज सच में आज ही हुई है दिन और रात एक वैश ् विक परियोज़ना है, और मेरा काम हमेशा इतिहास के बारे मे रहा है मेरे लिये वेनिस जैसी जगह पर जाना और इसे किसी खास घटना के समय देखना बहुत आकर ् षक विचार है और इसीलिये मैन ् रे निर ् णय लिया कि मैं ऐतिहासिक रेगाटा देखूंगा, एक समारोह जो सन १४९८ से हो रहा है! नावें और पहनावा आज भी बिल ् कुल उस समय जैसे ही दिखते हैं । और मैं चाहता हूँ कि एक महत ् त ् वपूर ् ण तत ् व आप सब अच ् छे से समझ लें: ये टाइम-लेप ् स (अंतराल) नहीं है! ये सारे दिन और सारी रात फोटो लेता हुआ मैं । मैं जादुई पलों को अनवरत संग ् राही हूँ । और ये इनमें से बस एक पल को भी खो देने का डर है जो मुझे प ् रेरित करता है । ये पुरी संकल ् पना लगभग १९९६ मे आयी । "" लाइफ़ "" पत ् रिका ने मुझे बज़ लरमन की फ़िल ् म "" रोमिओ + ज ् युलिअट "" के अभिनेता और कर ् मीदल का परिचित ् र लेने के लिये अधिकृत किया था । मंच पर जाकर मुझे पता चला के ये तो वर ् गाकार है । तो परिचित ् र बनाने का केवल एक ही तरीका था, २५० अलग अलग फोटो लेकर उनको मिलाकर एक संग ् रह चित ् र बनाना! तो मेरे सामने डि केप ् रिओ और क ् लेअर डेन ् स आलिंगन मुद ् रा मे थे, और जैसे ही मैने अपना केमरा दायीं ओर घुमाया, मेरा ध ् यान दीवार पे टंगे शीशे पर गया और मैने देखा के उसमें उनका प ् रतिबिम ् ब था । और उस एक क ् षण के लिये, उस एक फोटो में, मैने उनसे कहा "" क ् या आप इस एक चित ् र.. "" ".. के लिये चूम सकते हैं?" और फ़िर मैं न ् यूयोर ् क में अपने स ् टूडिओ मे वापस आ गया, और मैने अपने हाथों से उन २५० चित ् रों को एकसाथ चिपकाया और मैने उसे ढंग से देखा और कहा, "" वाह, ये तो एकदम मस ् त है! मैं फोटो मे समय को बदल रहा हूँ! "" और ये विचार सच मे मेरे मन मे १३ साल तक रहा जब तक कि तकनीक अन ् तत: मेरे सपनों की सीमा तक पहुच पायी । ये मैने एक सेन ् ट मोनिका पायर का चित ् र बनाया है, दिन से रात तक! जिससे आपको अन ् दाजा लगेगा कि इन चित ् रों को बनाते समय मेरा अनुभव कैसा होता है । शुरुआत के लिये, आपको समझना होगा कि ऐसा दृश ् य पाने के लिये मेरा ज ् यादातर समय ऊंचाई पर किसी क ् रेन में गुजरता है । तो ये मेरा एक सामान ् य दिन है, १२-१८ घन ् टे, बिना रुके पूरे दिन के पसरने को फ़ोटो मे समेटना । और कई मज़ेदार चीजों मे से एक है लोगों को देखना! के लिये मेरी सीट इस दरबार में सबसे अच ् छी है । लेकिन वाकई बिलकुल ऐसे ही मैं इन तस ् वीरों को बनाता हूँ । तो एक बार अपना दृश ् य और जगह निर ् धारित करने के बाद, मुझे तय करना होता है कि दिन कहां शुरु होता है और रात कहां खत ् म । और इसी को मैं "" टाइम व ् हेक ् टर "" कहता हूँ । आइंन ् स ् टाइन ने बताया कि समय एक कपड़े की तरह होता है । एक ट ् रेम ् पोलिन के कपड़े की सतह के बारे मे सोचिये जो गुरुत ् वाकर ् षण के साथ सिकुड़ता और फ़ैलता है । मैं भी समय को कपड़े की तरह ही देखता हूँ, बस मैं उस चादर को एकदम समतल करके इसे एक ही तल मे जमा देता हूँ । इस काम के विलक ् षण पहलुऒं मे से एक है, यदि आप मेरे सारे चित ् र देखें, कि टाइम वेक ् टर बदलता है: कभी मैं बायें से दायें जाता हूँ, तो कभी आगे से पीछे, ऊपर या नीचे, यहां तक कि तिरछा भी! मैं एक द ् वि-आयामी स ् थिर चित ् र में, दूरी-समय सांतत ् यक (स ् पेस-टाइम कोन ् टिनुअम) खोज रहा हूँ । जब मैं ये चित ् र बनाता हूं, तो ऐसा लगता है जैसे एक तत ् क ् षणिक पहेली मेरे दिमाग मे चल रही हो । मैं समय पर आधारित एक चित ् र बनाता हूं, और इसे मैं मास ् टर प ् लेट कहता हूं! इसे पूरा होने मे कई महीने लग सकते हैं । इस काम की मज़ेदार बात ये है जब किसी भी दिन वहां ऊपर जाता हूं और फोटो लेता हूं तो मेरा किसी चीज पर कोई नियंत ् रण नहीं होता! इसलिये मुझे कभी नही पता होता कि फोटो मे कौन होगा, ये एक शानदार सूर ् योदय या सूर ् यास ् त होगा कि नहीं, कुछ नहीं पता! ये इस प ् रक ् रिया के अन ् त में होता है, वो भी जब मेरा दिन वाकई अच ् छा रहा हो और सब कुछ ठीक रहा हो, तब मैं तय करता हूं कि कौन रहेगा और कौन बाहर होगा, और ये सब समय पर निर ् भर करता है । मैं एक महीने ये ज ् यादा सम ् पादित करके चुने गये सर ् वोत ् तम पलों को चुनूंगा और वे सब निरंतर मिलकर मास ् टर प ् लेट बन जाते हैं मैं दिन और रात को सिकोड़ कर जैसे कि मैं देखता हूं, इन दो विपरीत संसारों के बीच एक अद ् वितीय सामंजस ् य का निर ् माण करता हूं । चित ् रकारी का मेरे सभी कार ् यों में बहुत खास प ् रभाव रहा है और मैं हडसन नदी पद ् धति के महान चित ् रकार एल ् बर ् ट बीअरस ् टेड, का बहुत बड़ा प ् रशंसक रहा हूं । उन ् होंने एक नयी श ् रृृखला प ् रेरित की जो मैंने राष ् ट ् रीय पार ् क मे करी । ये बीअरस ् टेड की योसेमाइट घाटी है । और ये योसेमाइट की फोटो है जो मैने बनाई है । ये दरअसल नेशनल जिओग ् रफ़िक के जनवरी २०१६ अंक की मुख ् य कथा है । इस फोटो के लिये मैने ३० घन ् टे से ज ् यादा फोटो खींची । मैं वस ् तुत: एक चोटी के किनारे बैठकर, तारों को, चाँदनी के परिवर ् तन को और चाँदनी से जगमगाते अल केपितान को केमरे में कैद कर रहा था । और मैंने पूरे परिदॄश ् य मे समय के परिवर ् तन को भी कैद किया! जाहिर है सबसे अच ् छा भाग दिन से रात मे बदलते समय के साथ मानवता के जादुई पलों को देखना है । और एक निज़ी बात, मेरे पास वाकई बीअरस ् टेड के चित ् र की एक प ् रतिलिपि मेरी जेब मे थी । और जब सूरज घाटी मे उगने लगा, मैं वाकई जोश से काँपने लगा क ् योंकि मैंने चित ् र को देखा और कहा, "" हे भगवान! इसमें तो १०० साल पहले वाला एकदम बीअरस ् टेड के जैसा उजाला है । दिन से रात हर चीज के बारे में है, ये हर उस चीज के संकलन के जैसा है जो मुझे फोटोग ् राफ़ी के माध ् यम के बारे मे पसन ् द है । ये प ् राकृतिक दृश ् यों के बारे मे है गली फोटोग ् राफ़ी के बारे मे है, रंगों और वास ् तुशिल ् प के, दृष ् टिकोण, माप और खासकर इतिहास के बारे मे है. ये सबसे एतिहासिक क ् षणों मे से है जिनकी मैं फोटो ले पाया, 2013 में राष ् ट ् रपति के रूप मे बराक ओबामा का अभिषेक और यदि आप फोटो को ध ् यान से देखेंगे तो आप उन बड़े टेलीविजन सेटों मे समय को वाकई बदलते हुये देख सकते हैं आप देख सकते हैं, बच ् चों का इन ् तेज़ार करतीं मिशेल, फ़िर लोगों का अभिवादन करते हुये ओबामा फ़िर शपथ-ग ् रहण, और फ़िर वे लोगो से बात करते हुये. जब मैं ऐसे फोटो बनाता हूं तो बहुत सारे चुनौतीपूर ् ण पहलू होते हैं । इस विशिष ् ट फ़ोटो के लिये मैं 50 फ़ुट ऊंची कैंची लिफ़ ् ट मे था और वह बहुत स ् थिर नहीं थी. तो जब भी मेरे सहायक और मैं इधर उधर होते, हमारा क ् षितिज भी बदल जाता. तो हर उस चित ् र के लिये जो आप देख रहे हैं, और ऐसे लगभग 1800 चित ् र हैं इस फोटो मे जब भी मैं फोटो खींचता हमे अपने पैर एक स ् थान पे चिपकाने पड ़ ते. (तालियां) मैने इस काम को करते हुये बहुत सारी अद ् भुत चीजें सीखी हैं और मेरे खयाल से दो सबसे महत ् त ् वपूर ् ण हैं धैर ् य और अवलोकन क ् षमता । जब आप न ् यूयोर ् क जैसे शहर के ऊपर से फोटो लेते है तो आप पायेंगे कि वो कारों मे घूमने वाले लोग जिनके साथ मेरे दिन-रात गुजरते है वो अब कार मे रहने वाले लोग जैसे नहीं लगते । बल ् कि वो मछलियों के एक बड़े झुन ् ड जैसे लगते हैं, ये एक तरह का उभरते हुए व ् यवहार का रूप है । और जब लोग न ् यू यॉर ् क की ऊर ् जा की बात करते हैं जब आप मेरे काम को करीब से देखेंगे तो पायेंगे कि इसमे कहानियां चल रही हैं । आपको लगेगा कि टाइम ् स स ् क ् वायर एक घाटी है ये एक परछांई है, ये धूप है । तो जहां भी छाया है, वहां रात है, और जहां धूप है वहां दिन है । समय एक ऐसी अद ् भुत चीज है जो कभी हमें पूरी समझ मे नहीं आएगी । पर एक बहुत ही निराले और खास अन ् दाज़ में ये चित ् र समय को एक चेहरा देते हैं । ये एक पारभौतिक दृश ् य वास ् तविकता को रूप प ् रदान करते हैं जब आप १५ घन ् टे तक एक ही जगह को देखते हो तो आप चीजों को थोड़ा अलग तरीके से देखेंगेफोटो खीचते हैं और चले जाते हैं । ये एक उत ् कृष ् ट उदाहरण है, मैं इसे "" सेक ् रे कोइउर सेल ् फ़ी "" कहता हूं । मैंने १५ घन ् टे तक देखा कि इन लोगों ने "" सेक ् रे कोइउर "" की ओर देखा तक नहीं । वो इसे एक पृष ् टभूमि की तरह इस ् तेमाल करना चाहते थे । वो आयेंगे, फोटो लेंगे और चले जायेंगे । और मेरे हिसाब से इस बात का एक असाधारण उदाहरण है. बहुतही अलग जो हम जो मानवीय अनुभव के बारे मे सोचते हैं. और मानवीय अनुभव जिस तरह बदल रहा है लोगों के साथ बांटना, अचानक खुद अनुभव करने से ज ् यादा महत ् त ् वपूर ् ण हो गया है (तालियां) और अन ् त में मेरी सबसे नयी तस ् वीर, जो निजी तौर पर मेरे लिये विशेष अर ् थ रखती है, ये तंज़ानिया का सेरेंगती नेशनल पार ् क है । और ये चित ् र सेरोनेरा के बीचोंबीच लिया गया है, यह रिजर ् व नहीं है । मैं विशेषकर पलायन के मौसम मे गया ताकि मैं सर ् वाधिक प ् रकार के पशुओं कि फोटो ले सकूं । दुर ् भाग ् यवश जब मैं वहां पहुचा तो उस समय सूखा पड़ा हुआ था, एक पांच हफ़ ् तों का सूखा । तो सारे पशु पानी की ओर जा रहे थे । मुझे ये एक पानी का गड ् ढा मिला, और मुझे लगा यदि जब कुछ जैसा चल रहा है, वैसा ही रहा तो मेरे पास कुछ अनोखा संजोने का असली मौका है हमने इसका तीन दिन तक अध ् ययन किया, पर कोई भी चीज मुझे उसके लिये तैयार नहीं कर सकती थी जो मैने उस दिन देखा । मैने 26 घन ् टे तक एक बन ् द मगरमच ् छ अन ् ध मे, हवा मे 18 फ़ुट ऊपर फोटो ली । मैने जो देखा वो अकल ् पनीय था । सच कहूं तो वो बाइबल जैसा था । हमने देखा, २६ घंटो तक, ये सारी प ् रतिस ् पर ् धिक प ् रजातियां एक अकेला संसाधन, पानी, साझा करती हैं । वही संसाधन जिसके ऊपर अगले ५० सालों मे मानवता में युद ् ध होंगे । और ये जानवर एक दूसरे पर भड़के तक नहीं । वो कुछ ऐसा समझते हैं जो हम इंन ् सान नहीं समझते! कि इस अनमोल संसाधन, जल, को हम सब को आपस मे बांटना ही पड़ेगा । जब मैने ये चित ् र बनाया तो मुझे एहसास हुआ कि दिन से रात वाकई देखने का एक नया तरीका है समय को संकुचित करके, स ् पेस-टाइम कोन ् टिनुअम को एक फोटो के अन ् दर खोज़ें । जैसे जैसे फोटोग ् राफ़ी के साथ तकनीक विकसित होगी, फ़ोटो न केवल समय और यादों का गहन अर ् थ व ् यकत करेंगे बल ् कि वे हमारी दुनिया की एक समयोपरि खिड़की बनाते हुये, अनकही कहानियों का एक नया वक ् तव ् य रचेंगे | धन ् यवाद । (तालियां) इसका मतलब है मै हस रहा हु और इसका भी इसका मतलब है चूहा बिल ् ली और यह है एक कहानी कहानी की शुरुआत, इसका मतलब है एक व ् यक ् ति और यह है सहयात ् री जिसकी चोटी है और यह है जो आगे होता है यह तब है जब लड़की अपने टेप में कैसेट डालती है वह इसे हमेशा अपने साठ रखती है वह कोई पुरानी वास ् तु नहीं पर उसे कुछ संगीत जैसा हो वैसा ही सुनना पसंद है उसकी की मुद ् रा देखिये अद ् वितीय है क ् योंकि वह नृत ् य करती है अब वह बंदा सभी चीज़ों को मद ् देनज ़ र रखते हुए विचार करता है "मेरे इसे प ् रभावित कर पाने की कोई सम ् भावना है या नहीं" [हंसी] ओर वो सोचता है की वो कह सकता है "" हे भगवान ् "" या "" मुझे तुम पसंद हो "" "मैं ज़ोरों से हंस रहा हूँ" "मैं तुम ् हे गले लगाना चाहता हूँ" मगर वो इन सब के अलावा कह देता है की "मैं काफ ् फी के कप पर तुम ् हारा चित ् र बनाना चाहता हूँ" [फिर से हंसी] इसमें एक केकड ़ ा डालो और थोडा पानी डालो सात अलग अलग नमक उसका मतलब है की उसकी धारणा है की वह सुखी ज ़ मीन पे खड़ा रहे और वह जैसे समंदर से भीख मांग रहा हो और वह कह उठता है की "" तुम जलपरी जैसी दिखती हो पर चलना तुम ् हारा ज ् यों नृत ् य हो "" लड़की ने आश ् चर ् यचकित होकर कहा "" क ् य ़ ा?? "" लड़के ने फिर कहा "" हाँ मैं जानता हूँ मई जानता हूँ "" मेरी धड़कने वाहियात बातें कह रही हैं ऐसा ही लग रहा है मैं कभी कभी जोकर जैसे बर ् ताव करता हूँ क ् योंकि मैं अप ् शाब ् दा कह देता हूँ या चुप ् पी साध लेता हूँ या फिर केवल तुक लगा लेता हूँ और अभी जब मैं तुमसे बात कर रहा हूँ मैं तो इंसान भी नहीं हूँ मैं बन ् दर हूँ [हंसी] चुम ् बन उड ़ ेलते हुए तितलियों की ओर वह फिर कहता है पर हमें फिर मिलना चाहिए पहली बार फिर कुछ दिनों बाद और फिर बार बार हमें कल शहर के दक ् सिन पश ् चिम में मिलना चाहिए और मई उसी कोने में रुकुंगा जब तक तुम आ ना जाओ या तुम ् हारी चुटिया ना आ जाए मैं नहीं जानता मैं तुमसे और क ् या कहूँ "मेरे पास एक पेंसिल है जो तुम उदार ले सकती हो" "तुम इसे अपने फ ़ ोन में रख सकती हो" मगर लड़की न हिली न मुस ् कुराई और न ग ् गुस ् सा हुई उस ने सिर ् फ इतना कहा "" नहीं शुक ् रिया "" क ् या तुम ् हे पता है?? [अब मुझे लिखने की ज़रूरत नहीं] (तालियाँ) नौ साल पेहले, मैने इराक मे अमेरिकि सरकार के लिए काम किया, बिजली के बुनियादी ढांचे बनाने मे मदद कि । और मै वहां थी और मै वो काम में थी क ् युंकी मुझे विश ् वास था कि तंत ् रज ् ञान लोंगो कि झिंदगी सुधार सकती हैं । एक दोपहर, मैने दुकानदार के साथ चाय ली बगदाद के अल-रशीद हॉटेल मे, और उसने मुझे कहा कि, "" आप अमेरिकी, आप इन ् सान कोअब तक, अमेरिकी सरकारने दो अब ् ज डॉलर ् ससे भी अधिक बिजलीके पुनर ् निर ् माणपे कि वह उपयोगी पडे? ये वही प ् रश ् न ही जो मै डि-रेव डिझाईन रीवॉलुशन का और न सिर ् फ किसी भी उपभोक ् ता, बलकी जो ग ् राहक जिन ् की ४ डॉलरसेभी कम जो चिकित ् सा उपकरण है, और जबकिके साथ समन ् वय है, उनमे कुछ साम ् य है । आधुनिक तंत ् रज ् ञान होके भी, वो लोंगो के पास नही पहुंच रही दुनिया कि सबसे ज ् यादा कृत ् रिम अवयव बनाने वाली संस ् था, बे एरिया आए और बताया कि, "हमे अच ् छा घुटना चाहिये ।" अगर आप चार सेभी कम डॉलर मी दिन गुजारे पर, हालत है और आप विकलांगिक है । आपने हाद ् से मे अवयव खो दिया है । बहुत लोग सोचते है कि खाण विस ् फोटसे, किंतू वाहन हाद ् सेसे होते है । अगर आप रास ् तेकि बाजू से चल रहे हो और ट ् रक आपको उडता है, या आप चलती ट ् रेनसे गुद ् ते हो आप काम को जाने केलिए लेट हो जैसे ये कमल नामके युवक कि तरह, आपके पास चारा है कि कुबडी का इस ् तेमाल करना । और ये कितनी बडी दुविधा है? यहा तीस लाख सेभी ज ् यादा विकलांगिक लोग है जिनको नया या दूसरा घुटना चाहिये और उनके पास चारा क ् या है? ये बडे दर ् जेका । इसे हम "" स ् मार ् ट घुटना "" केहते है । इसके अंदर एक माइक ् रोप ् रोसेसर है । ये कुछभी अच ् चेसे कर सकता है । परंतु ये २०,००० डॉलर का है, और आपको बताने केलिए कौन पेहेनता है, अमेरिकी सैनिक जो अफगाणिस ् तान या इराकसे वापस आए है । इस तरहसे बैठता है । ये टायेटिनियम घुटना जरा कम दर ् जे का है । ये पौलीसेण ् त ् रिक घुटना, और मतलब है कि, चार सलियो का तंत ् र, एकदम इन ् सानी घुटनेके जैसा । परंतु फिरभी १४०० डॉलर मेहेंगे है, कमल जैसे लोगो केलिए । और आखिरमें यहां सबसे कम दर ् जे का घुटना । ये घुटना गरीबलोंगो को सोचके बनाया है । और जब आप खरीद सकते हो तब कार ् यक ् षमता नही होती । इसमे एक रेखा तंत ् र है, और यह एक रेखा बिजागरी कि तरह है । तो आप सोच सकते है कि ये कितना स ् थिर रेहता होगा | और ये तंत ् र का उपयोग जयपूर फुट कर राहे थे जब वो अच ् छे घुटने कि तलाश मी थे, और मुझे आपको सिर ् फ बताना है कि पैर कैसा दिखता है क ् यूंकी मैं आपको ये सारे और वह बाकी अवयव के उपर बैठता है, और सबका बाकी रहा अवयव थोडा अलग होता है । और इसके बाद घुटना है, और यहा घुटनेपे एक अक ् ष मिला है आप देख सकते है कि ये कैसे घुमत है और इसके बाद एक आधार और पैर । और हम एक घुटना बनाते आए है, बहुकेंद ् रित घुटना, तो ये तंत ् र का घुटना जो इन ् सानी घुटना और चाल जैसा काम करता है, ८० डॉलरमे । (तालियां) किंतु मुख ् यचीज ये है कि, आपके पास एसी बढिया खोज है । अच ् छा डिझाईन है, लेकिन आप ये कैसे लोगो तक पहुचा सकते है कि जिनको सबसेज ् यादा तो डि-रेवमे, हमने कुछ बाकी प ् रोजेक ् टपे काम किया, और हमने तीन चीजोको देखा जिसमे हम विश ् वास करते कि ये तंत ् रज ् ञान ग ् राहक, उपभोक ् ता तक पहुंचे लोग, जिनको इसकी जरुरत है. और मुख ् यबात कि प ् रोडक ् ट विश ् वस ् तरीय होना चाहिये । और ये मार ् केट के बाकी प ् रोडक ् टके बराबर या उनसे अच ् छा चलना चाहिये । आपके कमाई को ध ् यानमे ना रखके, आपको सबसे सुंदर, और अच ् छा प ् रोडक ् ट जो है, मैं आपको उसका विडीयो दिखाने वाली हुं । एश नामके आदमी का । आप उसको चालते हुए देख सकते है उसने येही तकनीक वाला घुटना पेह ् ना है एक अक ् षवाला घुटना । और ये १० मीटर चलने कि परीक ् षा दे रहा है । और आप देख रहे है कि जब वो चल राहा है उसे संतुलन बनानेमें परेशानी आ रही है और जो कुछ कह नही सकते, देख नही सकते मानसिक थकवा चलने के लिए और गिरने से बचने के लिए । अब ये कमल का विडीयो है । आपको मालूम है कमल, जो पेहले बांबू पकड़े हुए था । उसने हमारा पेहले रूप का घुटना पेह ् ना है । और वो १० मीटर चलने कि परीक ् षा दे रहा है । और आप उसका सुधरा हुआ संतुलन देख सकते है । तो विश ् वस ् तरीय का मतलब सिर ् फ तांत ् रिकी कार ् य नही होता । इन ् सानी कार ् य प ् रभावभी होता है । और लगभग सभी यंत ् र जो हमने पढे, जिनमे देखा, वो सचमे पश ् चिमी देशो केलिए डिझाईन किए । धनाढ ् य अर ् थव ् यवस ् थाओं केलिए । लेकिन सच ् चाई है कि हमारे ग ् राहक, उपभोक ् ता कुछ अलग करते है । वो पैर दुमडके ज ् यादा बैठते है । हम देखते है की वो प ् रार ् थना को झुकते है । बैठते है । और हमने ये घुटना ऐसे डिझाईन किया कि जो कैसेभी घूम सकता है मार ् केट के बाकी सभी घुटनो कि तरह । दुसरी बात हमने सिंखी और वो जाती है मेरे दुसरे मुद ् देपे, वो यह की हम विश ् वासकरते है कि प ् रोडक ् ट उपभोक ् ता को केंद ् रित करके डिझाईन करना चाहिए । और डी-रेवमे, हम एक कदम और आगे जाके केहते है आप हमेशा उपभोक ् ताके बारे मे विचार करे । तो ये सिर ् फ उपभोक ् ता के बारेमे सोचने जैसा नाही है, बल ् की जो कोई प ् रोडक ् टको इस ् तेमाल करे । उदाहरणार ् थ लिया जाए तो, विकलांगिक जो घुटना बिठाता है लेकिन यह प ् रसंगमेभी जिसमे घुटना अछ ् चेसे बैठता है । स ् थानीय बाजार जैसा क ् या है? ये सभी अवयव अस ् पताल तक कैसे पहुचेंगे? क ् या ये उनको समयपे उपलब ् ध होगा? उपलब ् धता होगी । सभी जो सुनिश ् चित हो सके और ये प ् रोडक ् त उपभोक ् ता को मिले, और ये वव ् यवस ् था मी जाए और इसका उपयोग हो । तो मैं आपको इसकी पुनरावृत ् तिया (क ् लिक क ् लिक आवाज) इसके बारेमे कुछ ध ् यानमे आया? ये क ् लिक क ् लिक आवाज करता है । हमने देखा है कुछ उपभोक ् ताओने उसमे सुधारणा कि है । क ् या आप देख सकते ही काली पत ् ती वहांपे? वह घरपे बनाया हुआ आवाज कम करनेवाला है । हमने भी देखा हमारेभी उप ् भोक ् ताओने बदल किए कुछ दुसरे तरीकोसे । आप वह कट हुआ भाग देख सकते है, उसने घुटने को बॅंडएजसे लपेटा था । उसने सौंदर ् यवर ् धन किया था । और आप घुटनेको देखे, उसको तीक ् ष ् ण धार है, है ना? तो आप अगर उसको अपने पायजमे या स ् कर ् ट या सारी के साथ पेहेन ् ते है, ये पक ् का है कि आपने कृत ् रिम अवयव पेह ् ना है, और समाजमे विकलांगिक एक होणा कलंक होता है, कुछ लोग इसकेबारेमे प ् रखर होते है । तो मैं आपको जो बदल किए वो दिखानेवली हुं | हमने बहुत बदलाव किए, सिर ् फ इसमे नही, बल ् की बाकी चीजोमेंभी । तो यहा पे रीमोशन घुटने का तिसरा रूप 'है, अगर आप इसमे देख सकते है कि, कम आवाज करनेवाली चीज । यह शांत है । एक और चीज जो हमने कि, इसको दिखनेमे आकर ् षित बनाया । और चपटा किया । और कुछ केह नाही सकते लेकिन हमने इसे बड़े पैमाने पर उत ् पादन करणे केलिए यह डिझाईन बनाया । और ये मेरे आखरी मुद ् दे मी जाता है । हम सचमे विश ् वास करते है कि अगर प ् रोडक ् ट उपभोक ् ता तक जिस प ् रमाणमे पहुचना चाहिए, तो वो बाजार संचालित होनी चाहिए, और बाजार संचालित प ् रोडक ् ट का मतलब जो ज ् यादा बेचे जाते है । ये दान नही किए जाते । और न ये आर ् थिक सहायता-प ् राप ् त है । हमारा प ् रोडक ् ट उप ् भोक ् ताओ को मुल ् यांकन देनेके लिए डिझाईन किया है । और इसे सस ् तेमे बनाने के डिझाईन किया है । इस प ् रोडक ् टका उप ् भोक ् ताओने मुल ् य किया है, और ग ् राहक इसे इस ् तमाल करते है और उपयोगही प ् रभाव करता है । और हम डिझाईनर विश ् वास राखते है कि, हमारे ग ् राहको ये स ् पष ् टीकरणीय है | और केंद ् रीयनिर ् माण के साथ, आप गुणवत ् ता कायम रख सकते है, और आप $80 तक पहुंच सकते है वो भी नफा उसीमेही मिलाकर । तो मुनाफा कि संभावना बहुत कम है, क ् यूंकी अगर आपको स ् तर चाहिये और आपको तो मैं आपको बताउ कि अभी हम किधर है । हमने अभीतक ५००० से ज ् यादा अवयव जोडे है, और एक मुख ् य चीज जो हम देख रहे है कि ये सचमे जिंदगी सुधारता है? सचमे, स ् तर है कि, कोई भी अगर छे महिनेके बाद भी घुटना पेहेन रहा है क ् या? व ् यवसायिक औसत लागभाग ६५ प ् रतीषत है । और हमारी ७९ प ् रतीषक, और हमे आशा है कि ये बढेगी । अभी, हमारे ये घुटने १२ देशोमे पेहने जाते है । और हम यहां तक पहुचना चाहते है, अगले ३ सालमे । हम २०१५ मे प ् रभाव दोगुना करेंगे, और उसके बाद के सभी सालोमें दोगुना करते रहेंगे । तब बादमे हमारे सामने नई चुनौती होगी, और वो कि कुशल प ् रोस ् थेटिस ् टस कि संख ् या जिन ् हे घुटना बिठाना आता है । तो मैं प ् रीणिमा के कहाणी के साथ समाप ् त करणा चाहुंगी । प ् रीणिमा १८ साल कि थी जब उसका कार हादसा हुआ उसमे उसका पैर चला गया और उसने १२ घंटे रेल ् वेसे सफर किया घुटना बिठानेके अस ् पताल मे आने केलिए, और जब सभी विकलांगिक जो हमारा घुटना पेहेनते है डिझाईनर के रूपमे हमे प ् रभावित करता है, वह मेरे लिए विशेष रूप से सार ् थक है इंजिनियर और महिला के रूप मे क ् यूंकी वह शालामे थी, और उसने इंजिनियरिंग कि पढाई शुरू कि थी । और वह बोली, "" तो, मै अभी फिरसे चल सकती हुं, मैं घर जा सकती हुं और मेरी पढाई पुरी कर सकती हुं । "" और मुझे वह आनेवाले पिढी के दुविधा हल करनेवाले इंजिनियर ् स को दर ् शाती हैं । और सुनिश ् चित करना कि प ् रभावी तंत ् रज ् ञान उपभोक ् ताओ तक पहुंचे । धन ् यवाद । (तालियां) मेरा नाम टेलर विल ् सन है । मैं १७ साल का हुं और परमाणु भौतिक शास ् त ् रज ् ञ हूँ, इस बात पर विश ् वास करना कठिन है, पर मै हूँ और मैं एक प ् रकरण बनाना चाहता हूँ उसका परमाणु संलयन मुद ् दा होगा, जिसके बारे मे टी. बुने पिकन ् सने बताया था हमे जाने देगा । तो परमाणु संलयन हमारी भविष ् य कि उर ् जा है । और दुसरा मुद ् दा यह है, कि बच ् चे जो सच मे दुनिया बदल सकते है । तो आप पूछ सकते है — (तांलिया) आप मुझे पूछ सकते है, की तुम ् हे कैसे पता अपनी भविष ् य कि उर ् जा कौनसी है? तो मैने परमाणु प ् रतीघातक बनाया जब मैं १४ साल का था । यह मेरे परमाणु संलयन प ् रतीघातक के अंदर है । मैने यह प ् रोजेक ् ट बनाना चालू किया जब मै १२ या १३ साल का था । मैने तय किया कि मुझे तारा बनाना है । अब आपमेसे बहुत केह रहे होंगे कि, परमाणु संलयन जैसा कुछ नही है । मुझे नहीं लगता की संलयन ऊर ् जा से चलने वाले परमाणु ऊर ् जा संयत ् र होंगे वे लाभदायक नहीं हैं और मैने इसे अपने गराज मे बनाया, और यह अब भौतिक विज ् ञान विभाग मे है नेवाडा विज ् ञापीठ, रेनो मे । और यह एक ड ् युटीरिअम के साथ बंद है, जो कि केवल हायड ् रोजन है एक ज ् यादा न ् युट ् रोन के साथ । तो यह क ् रिया का समान है सुरज पर चालू प ् रोटोन श ् रृंखला प ् रतिक ् रिया के साथ । और मै इन ् हे इतने जोरसे टकराता कि ये हायड ् रोजन एकसाथ जुडते है, और यह प ् रक ् रिया के कुछ उपोत ् पाद बनते है, और यह उपोत ् पादो का लाभ उठाता हुं । तो पिछ ् ले साल, मैने इंटेल आंतरराष ् ट ् रीय विज ् ञान और अभियांत ् रिकी प ् रतियोगिता जिती । जो अभी के उपकरनो कि जगह लेता है । होमलैंड सुरक ् षा के पास है । कुछ सौ डॉलर ् समे, मैने एक प ् रणाली बनायी जो संवेदनशीलतासे अधिक है जो पता लगानेवाला एक लाख डॉलर तक है । मैने यह अपने गराजमे बनाया । (तालीयां)औषधी इज ़ ोटोप बनाती है । लाखो डॉलर ् स कि यह सुविधा मैने बनायी जो, छोटीसी स ् तरपे है, जो इजोटोप तैयार कर सकता है । और वहा पीछे मेरा संलयन प ् रतिक ् रिया करनेवाला संयत ् र है । यह मेरा नियंत ् रण कक ् ष है संलयन प ् रतिक ् रिया का । और मै गराज मे पिले केक बनाता हुं, तो मेरा परमाणु प ् रोजेक ् ट इरानियो से भी अधिक विकसित है । किंतु मै ये स ् वीकार नही करता । तो ये मै जिनीवा, स ् वितझेरलेंड के सी.इ.आर.एन मे । जो कि दुनियाकी सबसे बेहतरीन भौतिक विज ् ञान शाला है । और यह मै राष ् ट ् रपति ओबामा जी के साथ, उन ् हे मेरा होमलैंड सुरक ् षा संशोधन प ् रेक ् षित कर रहा । (तालीयां) तो सात साल पेहले से परमाणु संशोधन करते,मेरे गराज मे सितारा बनाने का, और मैं राष ् ट ् रपति से मिलाऔर मै सोचता हुं कि बाकी बच ् चे भी । जिस भाषा में मैं अभी बोल रहा हूँ वह इस दुनिया की विश ् वव ् यापी भाषा बनने के रास ् ते पर है. चाहे यह अच ् छे के लिए हो या बुरे । हमे यह मानना पड़ेगा, कि यह भाषा इंटरनेट में प ् रयोग होती है, यही अर ् थव ् यवस ् था में, यही हवाई यातायात नियंत ् रण में, लोकप ् रिय संगीत में, राजनीति में भी — अंग ् रेजी हर जगह है । हाँ, मंदारिन चीनी भाषा ज़ ् यादा लोगों के द ् वारा बोली जाती है, परन ् तु जितने अंग ् रेजी भाषी लोग चीनी सीख रहे हैं, उससे ज़ ् यादा चीनी लोग अंग ् रेज़ी सीख रहे हैं । इस समय, चीन में दो दर ् ज़न विश ् वविद ् यालय हैं जो सब कुछ अंग ् रेज़ी में पढ़ाते हैं । अंग ् रेज़ी आधिकारिक बन रही है । और इसके साथ-साथ, यह भी अनुमान लगाया गया है, कि इस सदी के अन ् त तक लगभग वह सभी भाषाएँ, जिनका अस ् तित ् व आज है — करीब - करीब ६००० — उनका अस ् तित ् व नष ् ट हो जायेगा । केवल कुछ-सौ ही बचेंगी । और उसके ऊपर से, हम इस कगार पर हैं, जहाँ जीवंत वाणी का उसी क ् षण अनुवाद ना केवल संभव है, बल ् कि हर वर ् ष बेहतर भी होता जा रहा है । इन सब बातों का वर ् णन, मैं आपको इसलिए कर रहा हूँ क ् योंकि मैं ये कह सकता हूँ, कि हम उस स ् थिति कि तरफ बढ़ रहे हैं, जहाँ एक प ् रश ् न पूछा जाने लगेगा, और वो यह है कि: हमें कोई भी विदेशी भाषा सीखने की क ् या आवश ् यकता है — अंग ् रेज़ी के अलावा, अगर अंग ् रेज़ी भाषा किसी के लिए भी विदेशी नहीं है? अन ् य भाषा को सीखने का झंझट क ् यों लेना, जब हम उस कगार पर हैं, जहाँ विश ् व में लगभग हर कोई एक ही भाषा में संवाद कर सकेगा? मेरे विचार में इसके बहुत से कारण हैं, परन ् तु पहले मैं उस कारण की बात करना चाहता हूँ, जिसके बारे में शायद आपने सुना ही होगा, क ् योंकि वह जितना आप शायद सोचते हो, उससे भी ज़ ् यादा खतरनाक है । और वह है यह सोच, कि आपके विचार एक भाषा के द ् वारा संचालित होते हैं, कि भिन ् न भाषाओँ का शब ् दकोष और उनकी व ् याकरण, सबको भिन ् न प ् रकार से उनके अन ् तःकरण के दर ् शन कराती है, अगर देखा जाए तो । यह एक अनोखे रूप से लुभाने वाला विचार है, परन ् तु है कुछ-कुछ तनावपूर ् ण । तो ऐसा नहीं है कि यह पूरी तरह से असत ् य है । उदाहरण के लिए, फ़ ् रांसिसी और स ् पेनी भाषा में, मेज़ के लिए जो शब ् द प ् रयोग किया जाता है, वह किसी वजह से, स ् त ् रीलिंग है । जैसे कि, "" ला ताब ् ले, "" "" ला मेसा, "" आपको ऐसे शब ् दों के साथ समझौता करना पड़ेगा । यह प ् रमाणित किया गया है कि अगर आप इन में से किसी भाषा के वक ् ता हैं, और आपको पूछा जाए कि आप एक मेज़ के बात करने की कल ् पना कैसे करेंगे, तो अगर संयोग ना हो तो ज़ ् यादातर, एक फ़ ् रांसिसी या स ् पेनी भाषी, कहेगा कि वह मेज़ एक ऊँची और स ् त ् री की वाणी में बात करेगी । तो अगर आप फ़ ् रांसिसी या स ् पेनी हैं तो एक मेज़ आपके लिए एक तरह से एक स ् त ् री है । जबकि एक अंग ् रेजी वक ् ता के लिए यह विपरीत है । ऐसे तथ ् य से प ् रेम ना करना कठिन है, और ऐसा बहुत लोगों का कहना है कि इसका अर ् थ है, आपका वैश ् विक नजरिया उनसे प ् रभावित होगा, अगर आप उन भाषाओँ को बोलते हैं । परन ् तु सतर ् क रहें, क ् योंकि कल ् पना कीजिये कि कोई हमे खुर ् दबीन के नीचे रख के देखे तो? हमे मतलब हममे से उनको जो पैदाइशी अंग ् रेज़ी भाषी हैं. अंग ् रेज़ी का वैश ् विक नज़रिया क ् या है? उदाहरण के लिए, एक अंग ् रेज़ी भाषी व ् यक ् ति को ले लीजिये । जिसे आप चित ् रपट पर देख रहे हैं, वह बोनो है । वह अंग ् रेज़ी बोलता है । मेरा मानना है, कि उसका एक वैश ् विक नज़रिया है । अब, यह है डोनल ् ड ट ् रम ् प । अपने तरीके से, यह भी अंग ् रेज़ी बोलता है । (खिलखिलाहट) और यहाँ हैं कुमारी कार ् दाशियन, और वह भी एक अंग ् रेज़ी वक ् ता हैं । तो यहाँ ३ वक ् ता हैं अंग ् रेज़ी भाषा के । इन तीनो में कौनसा वैश ् विक नज़रिया समान है? इनको एकजुट करने वाली भाषा अंग ् रेज़ी के कारण कौनसा वैश ् विक नज़रिया आकार लेता है? यह एक बहुत ही तनावपूर ् ण विचार है । और इसलिए धीरे-धीरे आम मत यह बन रहा है, कि भाषा विचारों को आकार देती है, परन ् तु वह जोशीले, अस ् पष ् ट मनोवैज ् ञानिक संवेग के रूप में होती है । यह आपको विश ् व को देखने के लिए एक अलग नज़रिया प ् रदान करने का मामला नहीं है । अब, अगर यह बात है, तो भिन ् न भाषाएँ क ् यों सीखना? अगर यह आपके सोचने के तरीके को बदलेगा ही नहीं, तो और कारण क ् या हो सकते हैं? इसके कुछ कारण तो हैं । एक कारण यह है कि अगर आप एक संस ् कृति को अंतर ् ग ् रहण करना चाहते हैं, अगर आप उसको पी लेना चाहते हैं, अगर आप उसका हिस ् सा बनना चाहते हैं, तो चाहे भाषा उस संस ् कृति को प ् रवाहित करती हो या नहीं — और यह संशयात ् मक लगता है — अगर उस संस ् कृति को अंतर ् ग ् रहण करना है, तो आपको किसी हद तक तो उस भाषा का संचालन करना पड़ेगा, जिसमे वह संस ् कृति संचालित की जाती है । इसका कोई दूसरा उपाय नहीं है । इसका एक दिलचस ् प चित ् रण है । मुझे थोड़ा अस ् पष ् ट रूप से बात करनी पड़ेगी, पर आपको उसको ज़रूर खोजना चाहिए । एक कनाडाई चलचित ् र निर ् देशक, डेनी आर ् कों, द ् वारा बनाया गया एक चलचित ् र, अंग ् रेज़ी में आप इसको पढ़ेंगे, "" डेनिस आरकैण ् ड "", अगर आप उनको खोजना चाहते हों । उन ् होंने एक चलचित ् र बनाया था, "" मोंट ् रियाल का यीशु । "" और उसमे बहुत सारे पात ् र जीवन ् त, हास ् यजनक, जोशीली, दिलचस ् प फ़ ् रांसिसी-कनाडाई, फ़ ् रांसिसी भाषी स ् त ् रियां हैं । उसमे अन ् त के समय एक दृश ् य है, जिसमे उनको एक मित ् र को एक अंग ् रेज़ी भाषी चिकित ् सालय ले जाना होता है । चिकित ् सालय में, उनको अंग ् रेज़ी बोलनी है । अब, वो अंग ् रेज़ी बोलते हैं, पर वह उनकी मातृ भाषा नहीं है, वो अंग ् रेज़ी नहीं बोलना चाहते । और वो उसको धीरे-धीरे भी बोलते हैं, उनका उच ् चारण भिन ् न है, उनको उसके हाव-भाव नहीं आते । अचानक, जिन पात ् रों से अभी तक आप प ् रेम कर रहे थे, वह अपनी ही याद बन जाते हैं, अपनी ही परछाई बन जाते हैँ । एक संस ् कृति के अन ् दर जाकर लोगों को केवल ऐसे झीने पर ् दे से जानने से, उस संस ् कृति को कभी पूर ् णतः नहीं समझा जा सकता । और इसलिए अगर केवल कुछ-सौ भाषाएँ ही बचेंगी, उनको सीखने का एक कारण यह है, कि वह ज़रिया हैं, भाग लेने का, उन लोगों की संस ् कृति में, जो उसको बोलते हैं केवल इस वजह से, कि वह उनका नियम संग ् रह है । तो यह हुआ पहला कारण । दूसरा कारण: यह परिमाणित किया गया है कि अगर आप दो भाषाएँ बोलते हैं, तो आपको मानसिक रोग होने की संभावना कम है, और आप संभवतः अनेक कार ् य एक साथ करने में ज़ ् यादा सक ् षम होंगे । और क ् योंकि यह तत ् व छोटी उम ् र में रूप ले लेते हैं, तो यह आपको थोड़ा दृष ् टिकोण देगा कि आप अपने पुत ् र या पुत ् री को दूसरी भाषा कब सिखाएं । द ् विभाषावाद स ् वस ् थ ् य के लिए अच ् छा है । और फिर तीसरा कारण — भाषाएँ बहुत ही मज़ेदार होती हैं । उससे कहीं ज़ ् यादा, जितना हम जानते है । तो उदाहरण के लिए, अरबी: "" कटाबा, "" "" उसने लिखा "" "याक ् टूबू," "वह लिखता है," "वह लिखती है" "" उक ् टूब, "" "" लिखना "". इन सब बातों में कया सामान ् य है? इन सब में सामान ् य है, बीच में स ् तंभों की तरह बैठे हुए व ् यंजन । वो स ् थिर रहते हैं, और स ् वर व ् यंजन के आस-पास नाचते हैं । कौन उनका स ् वाद नहीं चखना चाहेगा? जो यहूदी भाषा से मिल सकता है, और यही इथियोपिया की मुख ् य भाषा, अम ् हरी से भी । ये मज़ेदार है । या भाषाओं के भिन ् न शब ् द क ् रम होते हैँ । अन ् य शब ् द क ् रम में बोलना सीखना किसी दुसरे देश में जाकर सड़क की दूसरी तरफ गाड़ी चलाने की तरह है, या उस अनुभूति की तरह जब आप अखरोट के फल को आँखों के पास लगाते हैं और आपको झनझनाहट होती है । एक भाषा आपके साथ ऐसा कर सकती है । तो उदहारण के लिए, "टोपी पहने हुए बिल ् ली वापस आती है," एक किताब जिसे मुझे विश ् वास है हम सब बार बार पढ़ते हैं, जैसे "" मोबी डिक । "" उसमे एक मुहावरा है, "" क ् या तुमको पता है वो मुझे कहाँ मिला? क ् या तुमको पता है वो कहाँ था? वो टब में केक खा रहा था, हाँ वो खा रहा था! "" ठीक । अब अगर आप इसे मन ् दारिन चीनी भाषा में सीखेंगे, तो आपको सीखना होगा, "" आप जान सकते हैं, मैंने उसे कहाँ ढूंढा? वो टब के अन ् दर ठूंस रहा था केक, कोई भूल नहीं ठूंस रहा था चबा रहा था! "" यह कितना अच ् छा लगता है । कल ् पना कीजिये कि आप यह वर ् षों तक कर सकते हों । या फिर, क ् या आपने कभी कम ् बोडियाई सीखी है? मैंने भी नहीं, लेकिन अगर मैं सीखता तो, मुझे अपने मुख में कुछ १२-१३ स ् वरों का स ् वाद नहीं मिलता जैसे अंग ् रेज़ी से मिलता है, बल ् कि अच ् छे-खासे ३० भिन ् न स ् वरों का मिलता, जो एक कंबोडियाई मुख में ऐसे रसते हैं, जैसे छत ् ते में मधुनमक ् खियाँ । यह है वो, जो भाषा आपको दे सकती है । इस तर ् क पर और कहूँ तो, हम एक ऐसे युग में रहते हैं जिससे आसान खुद को दूसरी भाषा सीखना कभी नहीं था । पहले आपको एक कक ् षागृह में जाना पड़ता था, और वहां कोई कर ् मठ शिक ् षक होता था — कोई प ् रतिभावान शिक ् षक होता था — पर वह वहाँ केवल कुछ निश ् चित समय पर ही होता था और आपको तब जाना होता था, और वो "" तब "" ज़ ् यादातर नहीं होता था । आप एक कक ् षा में जाते थे । अगर आपके पास वो नहीं था, तो आपके पास था, रेकॉर ् ड । मैंने अपने दाँत काटे हैं उनसे । रेकॉर ् ड पर कितनी ही जानकारी होती थी, या एक कैसेट, या फिर वो प ् राचीन वस ् तु, जिसे सीडी कहते हैं । इनके सिवा आपके पास किताबें थीं जो काम नहीं करती थीं, बस ऐसे ही होता था । आज आप आराम से — अपनी बैठक की ज़मीन पर लेटकर, बर ् बन की चुस ् की लेते हुए, खुद को जो भी भाषा सिखाना चाहें, सिखा सकते हैं रोज़ेटा स ् टोन जैसे निराले माध ् यम से । मैं थोड़ा कम जाने जाने वाले ग ् लॉसिका की भी सलाह दूँगा । आप यह कभी भी कर सकते हैं, इसलिए आप इसको ज़ ् यादा, तथा और बेहतर कर सकते हैं । आप खुद को भिन ् न भाषाओँ में सुबह का आनन ् द दे सकते हैं । मैं हर रोज़ सुबह भिन ् न भाषाओँ में, थोड़ा "" डिल ् बर ् ट "" लेता हूँ; यह आपकी कुशलताओं को बढ़ सकता है । २० साल पहले नहीं कर पाता जब यह विचार, कि जो भाषा आप चाहें, वो आपकी जेब में हो, आपके फ़ोन से आती हुई, हर सुविज ् ञ व ् यक ् ति को एक वैज ् ञानिक परिकल ् पना की तरह लगता । तो मैं आपको हर बार यही सलाह दूँगा कि आप खुद को, जो भाषा मैं बोल रहा हूँ, उसके सिवा और भाषाएँ सिखाएं, क ् योंकि ऐसा करने का इससे अच ् छा समय पहले कभी नहीं था । यह बहुत मज़ेदार है । यह आपके विचारों को तो नहीं बदलेगा, लेकिन यह निश ् चित रूप से आपके होश उड़ा देगा । आपका बहुत-बहुत धन ् यवाद । (वाहवाही) जब मुझे पता चला कि मैं आपसे बात करने आ रही हूँ, तो मैंने सोचा, "मुझे अपनी माँ से बात करनी चाहिए." मेरी छोटी सी माँ क ् यूबा से हैं — वो बस इतनी सी हैं. चार फुट लम ् बी — उनके साकार रूप के सारे भागों को जोड ़ कर भी इससे ज ् यादा नहीं. आप सुन तो रहे हैं न? (हंसी) मैंने उन ् हें फ ़ ोन लगाया, "हल ् लो, कैसी हो, बिटिया?" "अरे माँ, मुझे आपसे बात करनी है." "वो तो तुम कर ही रही हो. क ् या हुआ?" मैंने कहा, "" मुझे कुछ भले लोगों से बात करनी है. "" "" तुम हमेशा ही भले लोगों से बात करती हो, सिवाय उस बार जब तुम व ् हाईट हाउस गयी थीं — - "" "माँ, फिर से मत शुरू करो!" फिर मैंने उन ् हें बताया कि मैं टेड के लिए आ रही थी, और वो बोलीं, "तो मुसीबत क ् या है?" और मैंने कहा, "" बस, मुझे समझ नहीं आ रहा. "" मैंने कहा, "" मुझे उनसे कहानियों के बारे में बात करनी है. टेड का मतलब है तकनीक, मनोरंजन और डिज ़ ाइन. "" और वो बोलीं, "" अच ् छा, जब तुम कहानी बनाती हो, तो वो उसका डिज ़ ाइन हुआ, जब उसे लोगों को सुनाती हो, तो वो मनोरंजन है और माइक तो तुम इस ् तेमाल करोगी ही. "" (हंसी) मैंने कहा, "" माँ, आप तो लाजवाब हैं. पापा वहाँ हैं क ् या? "" "" क ् यों क ् या हुआ? मेरी इतनी बढ ़ िया राय के मोती जो मेरे होंठों से बारिश की तरह टपक रहे हैं, तुम ् हारे लिए काफी नहीं क ् या? "" (हंसी) फिर मेरे पिताजी फ ़ ोन पर आये. मेरे पापा — वो पुराने लोगों में से हैं, आप जानते हैं — कामागुए के पुराने क ् यूबन पुरुष. कामागुए क ् यूबा का एक प ् रदेश है. वो फ ् लोरिडा के रहने वाले हैं. १९२४ में वहां पैदा हुए थे. वो कच ् चे फर ् शों वाले एक झोपड ़ े में बड ़ े हुए, जिसकी बनावट वैसी थी जैसी तैनोस इस ् तेमाल करते थे, तैनोस, यानि हमारे अरावाक पूर ् वज. मेरे पिताजी हाजिरजवाब हैं, और साथ में थोड ़ े बदमाश भी, और फिर वो कुछ ऐसी मर ् मस ् पर ् शी बात कह देते हैं कि आप अचानक अवाक रह जाएँ. "पापा, कुछ करिए." "मैंने तुम ् हारी माँ की बात सुनी. वो सही तो कह रही है." (हंसी) "और मैंने जो कहा, उसके बाद भी?" मेरे पूरे जीवन में, पापा ने हमेशा मेरा साथ दिया है. तो हमने कुछ मिनटों के लिए बातें कीं, और वो बोले, "तुम उन ् हें वो सब क ् यों नहीं बतातीं जिस में तुम विश ् वास करती हो?" बढ ़ िया ख ़ याल है, पर हमारे पास इतना वक ़ ् त नहीं है. कहानी सुनाने की अच ् छी कला का मतलब है ऐसी कहानी गढ ़ ना जिसे कोई सुनना चाहे. पर बेहतरीन कहानी का मतलब है रिहाई देना — मुक ् त करना. तो मैं आपको एक छोटी-सी कहानी सुनाऊँगी. मत भूलिए, यह परंपरा हमारे पास आयी है पुराने समय में अवालौन से उठते कोहरों से नहीं, बल ् कि उससे भी पहले के समय से, जब हम यह कहानियाँ भोजपत ् रों पर लिख रहे थे, उससे भी पहले, या जब हम गीली, सीलन-भरी गुफाओं की दीवारों पर चित ् रकथाएं बना रहे थे, उससे पहले. तब भी हमारे अन ् दर एक उत ् तेजना थी, एक ज ़ रुरत, कहानी सुनाने की. जब लेक ् सस कंपनी आपको कार बेचना चाहती है, तो वो आपको कहानियाँ सुनाते हैं. क ् या आप विज ् ञापन देखते रहे हैं? क ् योंकि हम सबके अन ् दर यह इच ् छा है, एक बार — सिर ् फ एक बार — कि हम अपनी कहानी सुनाएं और लोग उसे सुनें. अब वो कहानियाँ हैं जिन ् हें हम अलग-अलग अवस ् थाओं में सुनाते हैं. या फिर वो कहानियाँ हैं जिन ् हें हम सुनाते हैं अच ् छी सी मदिरा के साथ, एक छोटे से समूह में. और वो कहानियाँ हैं जिन ् हें हम देर रात तक एक दोस ् त को सुनाते हैं, जीवन में शायद एक बार. और फिर वो कहानियाँ हैं जिन ् हें हम नर ् क जैसे अँधेरे में बहुत हलके से सुनाते हैं. वो कहानी मैं आपको नहीं सुना रही हूँ. मैं आपको ये वाली सुना रही हूँ. इसका नाम है, "" तुम मुझे भुला न पाओगी. "" ये मानवीय संबंधों के बारे में है. मेरी क ् यूबन माँ, जिनसे मैंने आपका संक ् षिप ् त परिचय कराया था उस छोटे से पात ् र विवरण में, वो कोई १००० साल पहले अमरीका आई थीं. मैं पैदा हुई कोई १९ — अब मुझे याद नहीं, और इस देश में आयी अपने माँ-बाप के साथ, क ् यूबा में हुई क ् रांति के बाद. हम हवाना, क ् यूबा से डेकाटूर, जॉर ् जिया, में आ गए. और डेकाटूर, जॉर ् जिया एक छोटा सा दक ् षिणी शहर है और उस छोटे से दक ् षिणी शहर में, मैं बड ़ ी हुई, इन कहानियों को सुनते सुनते बड ़ ी हुई. पर यह कहानी अभी कुछ साल पहले की ही है. मैंने अपनी माँ को फ ़ ोन किया. शनिवार की एक सुबह थी. और मैं फ ़ ोन इसलिए कर रही थी क ् योंकि मुझे अजियाको बनाने की विधि सीखनी थी. वो एक क ् यूबन व ् यंजन है. बहुत स ् वादिष ् ट. बहुत चटपटा. मुंह के कोनों से लार की फुहारें बरसा देता है. आपकी बगलों को रसीला बना देता है, समझे क ् या? कुछ उस तरह का खाना, हाँ. यह इस प ् रोग ् राम का रसीला भाग है, लोगों. तो मैंने अपनी माँ को फ ़ ोन किया, और वो बोलीं, "" कारमेन, जल ् दी यहाँ आओ, प ् लीज ़. मुझे मॉल जाना है, और तुम तो अपने पिताजी को जानती ही हो, वे दोपहर में सोते हैं, और मुझे ज ़ रूरी जाना है. एक काम निपटाना है. "" यहाँ पर मुझे रुक कर, कोष ् ठकों में, आपको बताना है — मेरी माँ, एस ् थर, ने कई साल पहले गाडी चलाना बंद कर दिया था जिससे अटलांटा के समूचे शहर ने राहत की सांस ली थी. जब से मैं छोटी सी बच ् ची थी, उन महोदया के साथ ली गयी कोई भी वाहन-सम ् बन ् धी सैर — भाइयों, अंत होती थी चमकती नीली रौशनियों में. मगर वो भी नीली वर ् दी वाले लड ़ कों को चकमा देने में उस ् ताद हो गयी थीं, और जब उन ् हें मिलतीं भी, तो वाह, उनके साथ अद ् भुत — तारतम ् य ही कहिये — बिठा लेती थीं. "श ् रीमती जी, क ् या आप को पता है कि अभी आपने ट ् रैफिक लाइट का उल ् लंघन किया?" (तेजी से बोली गयी स ् पैनिश) "आप अंग ् रेजी नहीं जानतीं?" "नहीं." (हंसी) पर आखिर हर चोर का दिन आता है, और वो भी ट ् रैफिक कोर ् ट में पहुँच ही गयीं, जहाँ उन ् होंने जज के साथ कम चालान लगाने के लिए भाव-ताव किया. यह एक ऐतिहासिक वारदात है. पर अब वो सत ् तर से ऊपर की थीं, और गाडी चलाना बंद कर चुकी थीं. और इसका मतलब था कि परिवार के हर सदस ् य का फ ़ र ् ज ़ बनता था कि उन ् हें अपने बाल रंगने के लिए ले कर जाए, जी हाँ, उस अजीब से नीले रंग में, जो उनके पॉलीएस ् टर पैंटसूट से एकदम मेल खाता है, आप जानते हैं न, एकदम ब ् विक जैसा रंग. बेशक? ठीक. जाँघों पर उसी जगह छोटे-छोटे छेद जहाँ वो अपनी कढ ़ ाई करती हैं और छोटे-छोटे फंदे छोडती हैं. रौकपोर ् ट के जूते — इसीलिए बने हैं. तभी तो उन ् हें यह नाम मिला है. (हंसी) तो यह है मेरी माँ का एढ ़ ी से चोटी तक का परिधान. और यही वो औरत है जो मुझे शनिवार की सुबह आने के लिए कह रही है जब मुझे और भी कई काम हैं, पर बहुत देर नहीं लगती क ् योंकि क ् यूबन अपराध-बोध बहुत वज ़ नदार होता है. अब आप को क ् या बताऊँ — और मैं अपनी माँ के घर चली जाती हूँ. मैं पहुँचती हूँ. वो कार की जगह पर खड ़ ी हैं. जी हाँ, उनके पास कार की जगह — यानि कारपोर ् ट — है. वही, लहरदार छत वाला, आप जानते हैं न? ब ् विक उसके बाहर खड ़ ी है, और वे चाबियों का एक गुच ् छा लहरा, घुमा रही हैं. "तुम ् हारे लिए एक आश ् चर ् य है, बिटिया!" "हम आपकी गाडी ले जा रहे हैं?" "हम नहीं, मैं." और वो अपनी जेब में हाथ डालती हैं और एक बड ़ ी बला निकालती हैं. यह कहानी चल रही है. आदान-प ् रदान की कला.आप मुझ से बात कर सकते हैं. तो वो बला है लाइसेंस — पूरी तरह से कानूनी ड ् राइविंग लाइसेंस. उनके अपने प ् रांत के मोटरगाड ़ ी विभाग द ् वारा जारी किया गया लाइसेंस. साले उल ् लू के पट ् ठे सब के सब. (हंसी) मैंने पूछा, "" क ् या यह असली है? "" "लगता तो है." "क ् या आप देख भी सकती हैं?" "देखना तो पड ़ ेगा शायद." "हे भगवान ्." वो कार में घुसती हैं, वो दो फ ़ ोन की किताबों के ऊपर बैठती हैं. मैं बिलकुल गप ् पें नहीं मार रही क ् योंकि वो वाकई इतनी छोटी-सी हैं. उन ् होंने एक छाते का भी प ् रबंध कर रखा है ताकि वो — धड ़ ाम — दरवाज ़ ा बंद कर सकें. उनकी बेटी, मैं — गाँव की गंवार जिसका दिमाग पिघल कर आइसक ् रीम बन चुका है — अभी भी वहां जबड ़ ा लटकाए खड ़ ी है. "तुम आ रही हो? कि नहीं आ रही हो?" "हे भगवान." मैंने कहा, "ठीक है, क ् या पापा जानते हैं कि आप गाडी चला रही हैं?" "पागल तो नहीं हो गयीं तुम?" "तो फिर कैसे निकल रही हैं आप?" "उन ् हें सोना भी तो होता है." और इस तरह हम पापा को सोता छोड ़ कर निकले, क ् योंकि मुझे पता था वो मुझे मार डालेंगे अगर मैंने माँ को अकेले जाने दिया, और हम गाडी में बैठ गए. वो गाडी रिवर ् स में डालती हैं. गेट से निकलते निकलते ५५ कि रफ ़ ् तार, वो भी रिवर ् स में. मैं आगे से सीटबेल ् ट कस रही हूँ, पीछे से झटक कर खींच रही हूँ, मैं दोहरी गांठें बाँध रही हूँ. मतलब यह, कि मेरा मुंह सूख कर कालाहारी रेगिस ् तान जैसा हो गया है. मैंने एक हाथ से पूरी तरह कस कर दरवाज ़ े को पकड ़ ा हुआ है. आप समझ रहे हैं न मैं क ् या कह रही हूँ? और वो आराम से सीटी बजा रही हैं, और आखिर मैं उस तरह की प ् रसव-काल की सांसें लेना शुरू कर देती हूँ — जानते हैं न, वही वाली? बस कुछ ही औरतें शुरू हो गयी हैं उह-ऊह, उह-ऊह, उह-ऊह. सही है. और मैंने कहा, "" माँ, आप धीरे चलाएंगी क ् या? "" क ् योंकि अब उन ् होनें हाईवे २८५ पकड ़ ली है, जो अटलांटा के चारों ओर की परिधि बांधती है — उसमें अब सात लेन हैं — वो सातों पर चला रही हैं, लोगों. मैंने कहा, "" माँ, एक लेन चुनिए! "" "अब वो सात लेन देते हैं, तो उम ् मीद रखते हैं कि सब का इस ् तेमाल होगा." और वो बढ ़ ती जाती हैं, वाकई. मैं मिनट भर के लिए भी विश ् वास नहीं करती कि वो बाहर निकली हैं और अब तक रोकी नहीं गयीं. तो मुझे लगता है, अरे, हम बात कर सकते हैं. उनका दिमाग दूसरी तरफ लग जाएगा. मेरी साँसों को आराम मिलेगा. मेरी नब ् ज ़ भी काबू में आ जायेगी, शायद. "मम ् मी, मुझे पता है आप रोकी गयी हैं." "नहीं, नहीं, क ् या बात कर रही हो तुम?" "आपके पास लाइसेंस है. कब से चला रही हैं आप?" "चार या पांच दिनों से." "अच ् छा. और आप रोकी नहीं गयी हैं?" "मुझे टिकट नहीं मिला है." मैंने कहा, "" हाँ, हाँ, हाँ, हां, मगर बताइए, बताइए, बताइए. "" "" अच ् छा चलो, तो मैं एक बत ् ती पर रुकी तो देखा कि एक आदमी है, तुम जानती हो, मेरे पीछे. "" "" क ् या इस आदमी के पास नीली वर ् दी और बुरी तरह डरा हुआ चेहरा तो नहीं था? "" "तुम वहां थीं भी नहीं, अब शुरू मत करो." "बताइए भी. टिकट मिला क ् या?" "" नहीं. "" उन ् होंने समझाया — "" वो आदमी "" — मुझे उन ् हीं के तरीके से बताना है क ् योंकि अगर मैं ऐसा न करूँ तो मज ़ ा नहीं आता, है न? — "" वो खिड ़ की पे आया, और उसने बस ऐसे किया — इससे मुझे पता चलता है कि वह काफी बुड ् ढा है, वाकई. तो मैं ऊपर देखती हूँ और मैं सोच रही हूँ, शायद इसे अभी भी मैं थोड ़ ी प ् यारी सी लग सकती हूँ. "" "माँ, आप अभी भी ये सब करती हैं?" "अगर तुक ् का लगता है, तो लगता है, बेटी." तो, मैं कहती हूँ (स ् पैनिश) "अब सोचो, क ् या हुआ, वो होंडुरास में शांति पलटन में काम कर चुका था — उसे स ् पैनिश आती थी." (हंसी) तो वह उनसे बात कर रहा है, और बीच में वो अचानक कहती हैं, "फिर, पता है, वही हुआ. बस वही. सब हो गया." "" हाँ? क ् या? उसने आपको टिकट दिया? या नहीं दिया? क ् या? "" नहीं. मैंने ऊपर देखा, और वो बत ् ती, वो बदल गयी. "" (हंसी) आपको आतंकित हो जाना चाहिए. अब मुझे नहीं पता कि वो मेरे साथ खिलवाड ़ कर रही हैं या नहीं, जैसे एक बिल ् ली चूहे के साथ लगी रहती है, लगी रहती है — बाँया पंजा, दाँया पंजा, बाँया पंजा, दाँया पंजा. पर तब तक हम मॉल पहुँच गए हैं. अब आप सब छुट ् टियों में मॉल जा चुके हैं, है न? मुझ से बात करिए. हाँ. हाँ. आप हाँ कह सकते हैं. दर ् शक: हाँ. ठीक है, तब आप को पता है कि अब आप पार ् किंग लौट के यातनास ् थल पर पहुँच गए हैं, जहाँ आप अनवरत उपलब ् धता के भगवान ् से प ् रार ् थना कर रहे हैं कि जैसे ही आप कारों की उस रेंगती हुई लम ् बी सर ् पीली कतार में घुसें, तभी कोई बन ् दा ब ् रेक की बत ् तियां जला दे उसी वक ़ ् त, जब आप उसके पीछे रुकें. पर ऐसा ज ़ ् यादातर नहीं होता, है न? तो, पहले मैं कहती हूँ, "" माँ, हम यहाँ क ् यों आये हैं? "" "तुम ् हारा मतलब, इस कार में?" नहीं, रुकिए — हम यहाँ आज किसलिए आये हैं? आज तो शनिवार है. छुट ् टी का दिन है. "" "क ् योंकि मुझे तुम ् हारे पापा के कच ् छे बदलने हैं." अब देखिये, निकल आई, कुछ चाणक ् य-जैसी सोच जो करनी पड ़ ती है — आप जानते हैं, मेरे हिसाब से एक खरगोश के बाढ ़ े जैसा है इस औरत का दिमाग. क ् या मैं उसमें घुसना चाहती हूँ, क ् योंकि अगर मेरे पास ऐरियादने का धागा नहीं है जिसे — बहुत सी उपमाएं हो गयीं न? — कहीं गाढ ़ सकूं, तो मैं बाहर नहीं निकल पाऊँगी. पर आप तो जानते हैं — (हंसी) "" हमें पापा के कच ् छे आज ही क ् यों लौटाने हैं? और किसलिए? क ् या खराबी है उनके कच ् छों में? "" "तुम बिना बात परेशान हो जाओगी." "नहीं परेशान होऊंगी. क ् यों? क ् या? क ् या तकलीफ है उन ् हें?" "" नहीं, नहीं, नहीं. तकलीफ बस यह है कि वो मूर ् ख हैं. मैंने उन ् हें दुकान भेजा — वो मेरी पहली गलती थी — और वो गए कच ् छे खरीदने, और उठा लाये बिलकुल कसे हुए कच ् छे, जबकि उन ् हें लाने थे जांघिये. "" "क ् यों?" "मैंने इन ् टरनेट पर पढ ़ ा था. आप बच ् चे नहीं पैदा कर सकते." "हे भगवान ्!" (हंसी) ओलिविया? हुंह? हुंह? अब तक हम और चार फुट की दूरी तक सरक चुके हैं, और मेरी माँ आखिरकार मुझसे कहती हैं, "" मैं जानती थी, मैं जानती थी. मैं परदेसी हूँ. हम अपने लिए जगह बना ही लेते हैं. मैंने क ् या कहा था तुमसे? वो देखो, वहाँ. "" और वो अपनी खिड ़ की से इशारा करती हैं, और मैं बाहर देखती हूँ, और तीन — तीन — गलियों के बाद — "वो देखो, वो शेवी." आप हँसना चाह रहे हैं, पर नहीं जानते कैसे — यहाँ पर आप इतने 'सही' रहते हैं — आपको नहीं लगता? दूसरी दिशा में जा कर देखिये, कुछ नहीं होगा. "वो देखो, वो शेवी — इसी तरफ आ रहा है." "मामा, मामा, मामा, रुको, रुको, रुको. शेवी वाला अभी तीन गली दूर है." वो मुझे ऐसे देखती हैं जैसे मैं उनकी मंदबुद ् धि बच ् ची हूँ, समझ गए न — महामूर ् ख, जिससे उन ् हें बहुत धीरे धीरे, कुछ अलग तरीके से बात करनी है. "" मैं जानती हूँ, प ् यारी बेटी. कार से निकलो और जब तक मैं वहां आऊँ, तब तक उस पार ् किंग की जगह पर खड ़ ी हो जाओ. "" अच ् छा, अब मुझे वोट लेना है. बताइए, बताइए. नहीं, नहीं. आप में से कितने लोग एक बार — जब आप बच ् चे थे, या बड ़ े थे — पार ् किंग की जगह किसी के लिए रोकने के लिए वहां जा कर खड ़ े हुए हैं? देखा, हम किसी ख ़ ुफ ़ िया क ् लब से कम नहीं हैं जिसका अपना ख ़ ुफ ़ िया संकेत होता है. (हंसी) और बरसों की मनश ् चिकित ् सा के बाद, हम बहुत दुरुस ् त चल रहे हैं. हम बहुत दुरुस ् त हैं. बहुत बढ ़ िया हैं. खैर, मैं उनका सामना करती रही. ऐसा है — पता है, आपको लगेगा अब तक तो मैं — और — अभी भी बची हूँ? मैंने कहा, "" बिलकुल नहीं, माँ, आपने सारी उम ् र मुझे शर ् मिंदा किया है. "" निस ् संदेह, उनका जवाब हमेशा रहता है, "" मैंने कब तुम ् हें शर ् मिंदा किया है? "" (तेजी से स ् पनिश) और वो बातें करते करते कार पार ् किंग गियर में डालती हैं, फिर इमरजेंसी ब ् रेक लगाती हैं, दरवाज ़ ा खोलती हैं, और अपनी उम ् र की औरत के हिसाब से बड ़ ी ही फुर ् ती से, कार से छलांग मारती हैं, फ ़ ोन की किताबों को एक झटके से गिराती हैं, और फिर वो चलती हैं — वो अपना सस ् ता-सा के-मार ् ट का पर ् स हाथ में उठाये हैं — कार के आगे से हो कर. अपनी उम ् र की औरत के हिसाब से उनकी थल-गति भी बड ़ ी प ् रभावशाली है. मेरे समझने से पहले ही, वो पार ् किंग स ् थल के पार सरक गयी हैं कारों के बीच में से, और मेरे पीछे के लोग कुछ उस तरह की सामान ् य धार ् मिक उदारता के साथ जो छुट ् टियों में हम सब में आ जाती है, वाँ-वाँ वाँ-वाँ कर रहे हैं. "" मैं आ रही हूँ. "" इटली के हस ् त-संकेत मिलते हैं. मैं दूसरी ओर भागती हूँ. दरवाज ़ ा बंद करती हूँ. मैं फ ़ ोन की किताबों को छोड ़ देती हूँ. यह नया और तेज ़ अनुभव है, ताकि आप — आप मेरे साथ हैं न? हम मंद गति वालों के लिए रुकेंगे. ठीक है. मैं गाड ़ ी स ् टार ् ट करती हूँ — और तभी एक बच ् ची मेरे से कहती है — और कहानी का मज ़ ा तभी है जब मैं उसके बारे में यहाँ तक आपको कुछ न बताऊँ. क ् योंकि यह मेरी अल ् प-भाषी (कम बोलने वाली) बच ् ची है. इस बच ् ची के साथ सब कुछ छोटा, संक ् षिप ् त होता है — कम कम. आप समझते हैं न, ये खाना कम मात ् रा में खाती है. भाषा भी इसके अनुसार बोली जाती है छोटे छोटे ध ् वनिग ् रामों में — बस छोटे हूं, हूं-हूं-हूं-हूं ये एक स ् पाइरल कॉपी और एक पेन ले कर चलती है. बहुत क ् षमता रखती है ये. ये ध ् यान से सुनती है, क ् योंकि कहानीकार सबसे पहले ऐसा ही करते हैं. पर ये बीच बीच में रुक कर पूछती है, "इसे कैसे लिखते हैं? किस साल में हुआ? ठीक." जब ये करीब २० साल बाद अपनी कलई खोलने वाली किताब लिखेगी, तो उसके एक शब ् द पर भी विश ् वास मत करियेगा. पर ये है लौरेन, मेरी असाधारण बच ् ची, इसमें बहुत हलके तौर से ऐस ् पर ् गर के लक ् षण हैं. भला हो आपका, डॉक ् टर वॉटसन. वो कहती है, "" माँ, ज ़ रा देखिये तो सही! "" अब जब ये बच ् ची कहती है कि मुझे देखना चाहिए, तो आप जानते ही हैं. पर ऐसा तो नहीं है कि मैंने यह हंगामा कभी देखा ही नहीं है. आखिर मैं इस महिला के साथ बड ़ ी हुई हूँ. मैंने कहा, "" लौरेन, देखो बेटी, मुझे दृश ् य-ब-दृश ् य बयान करती जाओ. मैं नहीं — "" "नहीं, मामा, यह तो आपको देखना ही पड ़ ेगा." तो मैंने देखा. देखना ही पड ़ ा. आप भी देखना चाहेंगे? वो खड ़ ी हैं वहाँ. मैं हक ् के-बक ् के विस ् मय के साथ देख रही हूँ — वो खड ़ ी हैं, उनके रौकपोर ् ट जूते एक-दूसरे से थोड ़ े दूर, पर ज ़ मीन पर अच ् छी तरह जमे हुए. वो अपने सस ् ते के-मार ् ट पर ् स को आगे बढ ़ ाये हैं, और उसका इस ् तेमाल कर रही हैं. वो कई-टन स ् टील को पीछे धकेल रही हैं सिर ् फ अपने छोटे-से व ् यक ् तित ् व के जोर से, उस बूढी आवाज ़ में, कुछ इस तरह की बातें कहते हुए, "पीछे हटो, दोस ् त! नहीं, यह जगह ली जा चुकी है!" (हंसी) आप तैयार हैं? मजबूती से पकडिये. ये आया तूफ ़ ान. "" नहीं, मेरी बेटी, वो आ रही है उस ब ् विक में. रानी, ठीक से बैठो ताकि ये तुम ् हें देख सकें. "" हे यीशु. हे यीशु. मैं आखिरकार पहुँचती हूँ, और अब यह तो (अमरीका का) दक ् षिण है. मुझे नहीं पता आप देश के किस भाग में रहते हैं. मेरा ख ् याल है हम सब को कहानियां पसंद हैं. गुप-चुप रूप से हम सब अपना कम ् बल और अपना खिलौना चाहते हैं. हम सब आलथी-पालथी मार कर कहना चाहते हैं, "" मुझे सुनाओ, मुझे सुनाओ. आओ, रानी, मुझे सुनाओ कहानी. "" पर दक ् षिण में तो, हम अच ् छी कहानी पर जान देते हैं. लोग बगल में खड ़ े हो गए हैं. मेरा मतलब, वो उस कतार में से निकल आये हैं, उन ् होनें अपनी गाड ़ ियों के ट ् रंक खोल लिए हैं, फोल ् डिंग कुर ् सियां निकाल ली हैं और ठन ् डे पेय भी. शर ् तें लग रही हैं. "मैं तो देवी जी के पक ् ष में हूँ. साला." (हंसी) और वे मुझे अन ् दर ला रही हैं, सालसा नृत ् य जैसी लय के साथ. वो — आखिर — क ् यूबन हैं. मैं सोच रही हूँ, "" ऐकसिलरेटर ब ् रेक. ऐकसिलरेटर ब ् रेक. "" जैसे आपने तो कभी अपनी ज ़ िन ् दगी में यह सोचा ही नहीं है? ठीक? अच ् छा. मैं अन ् दर आती हूँ, गाड ़ ी को पार ् क करती हूँ. इंजन अभी भी दौड ़ रहा है — मेरा, कार का नहीं. मैं कूद कर उनके पास कहते हुए उतरती हूँ "" हिलिएगा नहीं आप! "" "मैं कहीं नहीं जा रही हूँ." उन ् हें तो ग ् रीक त ् रासदी (ड ् रामे) में सबसे आगे की सीट मिली है, वो क ् यों जायेंगी. मैं बाहर आती हूँ, और वो खड ़ ी हैं एस ् थर. वो अपने पर ् स को गले लगाए हैं. "" क ् वे? "" जिसका मतलब है, "" क ् या? "" — और भी बहुत कुछ. (हंसी) "" माँ, आपको ज ़ रा भी शर ् म नहीं है? लोग चारों ओर से हमें देख रहे हैं, ठीक? "" अब, इन में से कुछ — हमें बनानी पड ़ ती हैं, भाइयों. इस पेशे का राज ़ है. अंदाज ़ लगाइए? इनमें से कुछ कहानियां मैं थोड ़ ी-बहुत तराशती हूँ कुछ, एकदम तैयार होती हैं, एकदम. उन ् हें सीधे परोस सकते हैं. वो मुझसे यह कहती हैं. मेरे आरोप के बाद — मैं आपकी याददाश ् त ताज ़ ा कर दूं — "" आपको ज ़ रा भी शर ् म नहीं है? "नहीं, वो मैंने लम ् बे मोजों के साथ ही छोड ़ दी — दोनों बहुत दबाव डालते हैं." (हंसी) (तालियाँ) जी हाँ, आप तालियाँ बजा सकते हैं, पर आप कहानी के अंत से करीब ३० सेकण ् ड दूर हैं. मैं सूखी टहनी की तरह चरमराने को तैयार हो ही रही हूँ, जब अचानक कोई मेरे कंधे पर हाथ रखता है. बहादुर आत ् मा है कोई. मैं सोच रही हूँ, "" यह मेरी लड ़ की है. उसकी हिम ् मत कैसे हुई? वो कार से कूद गयी. "" ठीक है, क ् योंकि मेरी माँ मुझ पर चिल ् लाती हैं, मैं उस पर चिल ् लाती हूँ. सुन ् दर तारतम ् य है, और प ् रभावशाली भी. (हंसी) मैं मुड ़ ती हूँ, पर वो मेरी बच ् ची नहीं है. एक युवा स ् त ् री है. मेरे से थोड ़ ी लम ् बी. हलकी हरी प ् रसन ् न आँखें. उसके साथ एक युवक भी है — पति, भाई, प ् रेमी — मुझे क ् या लेना-देना. और वो कहती है, "" माफ ़ कीजिये, देवीजी "" — यहाँ दक ् षिण में हम इसी तरह बात करते हैं — "क ् या ये आपकी माँ हैं?" मैंने कहा, "" नहीं, मैं पार ् किंग लौट में बूढी औरतों का पीछा करती हूँ यह देखने के लिए कि वो रुकेंगी या नहीं. हाँ, वो मेरी माँ हैं. "" फिर वो लड ़ का, वो कहता है, "" जी, मेरी बहन का मतलब था "" — वे एक दूसरे की तरफ देखते हैं — एक अनुभवी निगाह से — "" हे भगवान, वो तो पागल हैं! "" मैंने कहा, (तेजी से स ् पैनिश), और युवक और युवती कहते हैं "न, न, रानी, हम तो बस एक बात और जानना चाहते हैं." मैंने कहा, "" देखिये, प ् लीज ़, मुझे उनको सँभालने दीजिये, ठीक है, क ् योंकि मैं उन ् हें जानती हूँ, और विश ् वास कीजिये, वो एक छोटे परमाणु अस ् त ् र की तरह हैं आप जानते हैं न, उन ् हें तो बड ़ ी सावधानी से सँभालने की ज ़ रुरत है. "" और युवती कहती है, "" मैं जानती हूँ, पर, मेरा मतलब है, मैं कसम खाती हूँ, वो हमें अपनी माँ की याद दिलाती हैं. "" मैं मुश ् किल से सुन पाती हूँ. वो अपनी एढ ़ ी के बल घूम कर उनकी ओर मुड ़ ता है. उसकी आवाज ़ एकदम हलकी है, "" हे भगवान, मैं उन ् हें भुला नहीं पाता. "" और फिर वो दोनों घूमते हैं, कंधे से कन ् धा मिलाये, और चले जाते हैं, अपने ही ख ् यालों में खोये. किसी बावली औरत की यादों में खोये, जो उनकी आनुवंशिक लौटरी का नतीजा थी. और मैं एस ् थर की ओर मुड ़ ती हूँ, जो उन जूतों पर झूल रही हैं, और कहती हैं, "तुम जानती हो, रानी?" "क ् या, माँ?" "" मैं तुम ् हें पागल बनाती रहूंगी शायद अगले १४, १५ सालों तक, अगर तुम ् हारा नसीब अच ् छा रहा, पर उसके बाद, रानी, तुम मुझे भुला न पाओगी. "" (तालियाँ) TEDx पर आकर आप हमेशा प ् रौद ् योगिकी के बारे में सोचते हैं, बदलते हुए विश ् व के बारे में, परिवर ् तन के बारे में । आप चालकहीन गाड ़ ी के बारे में सोचते हैं हर कोई आज-कल चालकहीन गाड ़ ी के बारे में बात कर रहा है, और मुझे चालकहीन गाड ़ ी का सिद ् धान ् त बहुत पसंद है, पर मैं जब उसमें बैठता हूँ, मैं चाहता हूँ कि वो बहुत धीरे-धीरे चले, मैं उसके चालनचक ् र और ब ् रेक तक पहुँच रखना चाहता हूँ, कहीं अगर ज ़ रूरत पड जाए तो । मुझे आपके बारे में तो नहीं पता, लेकिन मैं तो चालकहीन बस के लिए तैयार नहीं हूँ । चालकहीन दुनिया के बारे में आप क ् या कहेंगे? और यह मैं इसलिए पूछ रहा हूँ क ् योंकि हम उसी की ओर प ् रगतिशील हैं । ऐसा होना नहीं चाहिए । हम सबसे आगे हैं, अमेरिका बड ़ ा है, और कार ् यभारी है । अमेरिकीकरण और वैश ् वीकरण पिछली कुछ पीढ ़ ियों से एक सामान हो गए हैं । सही? चाहे वह विश ् व व ् यापार संगठन हो, या अंतरराष ् ट ् रीय मुद ् रा कोष हो, विश ् व बैंक हो, मुद ् रा पर हुआ ब ् रेटन वुड ् स समझौता हो, यह सब अमेरिका की संस ् थाएँ थीं, हमारे मूल ् य, हमारे मित ् र, हमारे मित ् र-राष ् ट ् र, हमारा धन, हमारे मानक । विश ् व इस तरीके से काम करता था । तो यह थोड ़ ा रोचक है, अगर आप यह देखना चाहते हैं कि अमेरिका कैसे सोचता है, तो वो ये रहा । यह हमारी सोच है, कि दुनिया कैसे चलती है । राष ् ट ् रपति ओबामा लाल गलीचे पर चलते हुए एयर फाॅर ् स वन से उतरते हैं, और ये बहुत अच ् छा लगता है, बहुत आरामदेह लगता है । मुझे नहीं पता आपमें से कितने लोगों ने पिछले सप ् ताह की चीन यात ् रा देखी थी, और जी२० । हे भगवान! सच में! है ना? चीन में विश ् व के नेताओं की सबसे आवश ् यक सभा के लिए हम इस तरह पहुँचे । राष ् ट ् रीय सुरक ् षा सलाहकार नीचे खड ़ ा दुर ् वचन बोल रहा था, लाल गलीचे के बिना, विमान के नीचे पूरा जनसंचार और बाकी सब थे । जी२० में बाद में, ये रहे ओबामा । (खिलखिलाहट) प ् रणाम जॉर ् ज, प ् रणाम नॉरमन । ये ऐसे लग रहे हैं जैसे ये कोई मुकाबला करने वाले हैं, है ना? और किया भी । उन ् होंने ९० मिनट के लिए सीरिया के बारे में बात की । पुतिन इसके बारे में बात करना चाहता था । वह अधिकारी बनता चला जा रहा है । वही है जो वहाँ कुछ करने की इच ् छा रखता है । बहुत ज ़ ् यादा आपसी मेल या विश ् वास तो नहीं है, पर ऐसा भी नहीं है कि अमेरिकी उसे बता रहे हों कि करना क ् या है । और जब पूरे २० नेता एक साथ मिल रहे हों, तब क ् या? और जब ये सारे नेता मंच पर हों, तब अमेरिकन अपने हिस ् से का काम करते हैं । ओ-हो! (खिलखिलाहट) शी जिनपिंग ठीक लग रहे हैं । ओंगेला मर ् केल, वो हमेशा यही करती हैं, देखिये, वो हमेशा यही करती हैं । पर पुतिन तुर ् की राष ् ट ् रपति एर ् डोगन को बता रहा है कि क ् या करना है और ओबामा सोच रहे हैं कि वहाँ चल क ् या रहा है? देखा आपने? और समस ् या यह है, कि जिस दुनिया में हम रहते हैं, वह जी२० नहीं, जी० है, एक ऐसी दुनिया जहाँ कोई भी एक देश या सन ् धि वैश ् विक नेतृत ् व की चुनौतियों का सामना नहीं कर सकते । जी२० से काम नहीं चलता, जी७, हमारे सारे मित ् र, वो इतिहास बन चुका है । और वैश ् विकिकरण चल रहा है । वस ् तुएँ और सेवाएँ और लोग और पूँजी, देशों की सीमाएँ पहले से और भी तेज ़ ी से पार कर रहे हैं, लेकिन अमेरिकीकरण नहीं कर रहा । तो अगर मैंने आपको यह समझा दिया, तो मैं बाकी समय में दो काम करना चाहता हूँ । मैं पूरे संसार पर इसके असर के बारे में बात करना चाहता हूँ । मैं वो करूँगा । और फ ़ िर मैं बताना चाहता हूँ कि हम यहाँ अमेरिका और न ् यू यॉर ् क में इस विषय में क ् या सोचते हैं । तो यह असर है क ् या? हम यहाँ हैं क ् यों? हम यहाँ हैं अमेरिका की वजह से, हमने इराक और अफ ़ ग ़ ानिस ् तान से ऐसे युद ् ध करने में दो लाख करोड ़ डॉलर खर ् च किये जो असफल रहे । हम ऐसा दोबारा नहीं करना चाहते । हमारे पास बड ़ ी तादाद में माध ् यम और श ् रमिक वर ् गीय लोग हैं, जिन ् हें लगता है कि वैश ् वीकरण के वादों से उन ् हें कोई फ ़ ायदा नहीं मिला, तो वो उसका विशेषतः प ् रयोग नहीं करना चाहते । और फिर हमारे पास ऊर ् जा क ् रान ् ति है, जिसके लिए हमें पेट ् रोलियम निर ् यातक देशों के संगठन या मध ् यपूर ् व की अब ज ़ रूरत नही है । हम वो सब यहाँ अमेरिका में बनाते हैं । तो अमेरिका के लोग संसार की सुरक ् षा के रक ् षक या वैश ् विक व ् यापार के निर ् माता नहीं बनना चाहते । अमेरिका के लोग वैश ् विक मूल ् यों की जयकार करने वाले भी नहीं बनना चाहते । और फिर आप यूरोप को देखें, जो संसार की सबसे महत ् वपूर ् ण सन ् धि है, वो है ट ् रान ् सअटलांटिक सम ् बन ् ध । पर दूसरे विश ् व युद ् ध से अब तक में इस समय वह सबसे कमज ़ ोर है, यह सारा संकट और ब ् रेक ् ज ़ िट की बातें, फ ़ ् रांसिसी और रूसियों के बीच की जा रही प ् रतिरक ् षा, या जर ् मन और तुर ् कियों के बीच, या अंग ् रेज ़ ों और चीनियों के बीच । चीन और नेतृत ् व नहीं करना चाहता । चाहता है, लेकिन केवल आर ् थिक क ् षेत ् र में, और वो अपने खुद के मूल ् य, मानक और मुद ् रा चाहते हैं, अमेरिका के मुकाबले । रूसी और नेतृत ् व करना चाहते हैं । जो आप देख सकते हैं यूक ् रेन में, बाल ् टिक देशों में, मध ् यपूर ् व में, लेकिन अमेरिका के लोगों के साथ नहीं । वह अपनी खुद की पसन ् द और व ् यवस ् था चाहते हैं । इसीलिए हम वहाँ हैं, जहाँ हैं । तो आगे चल कर होगा क ् या? आसान जगह पर शुरुआत करते हैं, मध ् यपूर ् व में । (खिलखिलाहट) मैंने थोड ़ ा कम दिखाया है, लेकिन आपको समझ तो आ ही रहा होगा । देखिये, मध ् यपूर ् व की ऐसी स ् थिरता के तीन कारण हैं । है ना? एक तो इसलिए क ् योंकि अमेरिका और मित ् र-राष ् ट ् रों में कुछ हद तक सैन ् य सुरक ् षा प ् रदान करने की चाह थी । दूसरा क ् योंकि ज ़ मीन से बहुत सारा पैसा सस ् ते में निकालना आसान था, क ् योंकि तेल महँगा था । और तिसरा क ् योंकि नेता कितने भी बुरे क ् यों ना हों, जनता अपेक ् षाकृत मौन थी । ना तो उनके पास योग ् यता थी और न चाह, उनके विरुद ् ध खड ़ े हो पाने की । पर मैं आपको यह बता सकता हूँ कि एक जी० विश ् व में, ये तीनों ही कारण बहुत ज ़ ् यादा दिन सच नहीं रहेंगे, और इसी तरह असफल देश, आतंकवाद, शरणार ् थी और बाकी सब भी । तो क ् या पूरा मध ् यपूर ् व बिखर जायेगा? नहीं, समय के साथ कुर ् दों का हाल अच ् छा होगा, और इराक, इजराइल, ईरान का । पर आम तौर पर बात करें तो यह एक अच ् छा नज ़ ारा नहीं है । अच ् छा इस आदमी का क ् या होगा? यह एक बुरी पारी को बहुत अच ् छे से खेल रहा है । इसमें कोई दो राय नहीं, कि ये उच ् च स ् तर का प ् रदर ् शन कर रहा है । लेकिन लम ् बे समय में — मेरा मतलब वो नहीं था । लेकिन लम ् बे समय में, लम ् बे समय में, अगर आपको लगता है कि रूसी उनकी सीमा तक अमेरिका और यूरोप के द ् वारा नाटो बढ ़ ाने के कारण विरोधी बने, ये कहने के बाद कि वो नहीं करेंगे, और यूरोप के अतिक ् रमण के कारण, तो आप तब तक इंतज ़ ार कीजिये जब तक चीनी सैंकडों करोड ़ डॉलर रूस के आस-पास हर उस देश में नहीं डाल देते जिनमें उनकी पहुँच है । चीनी इसमें सबसे आगे होंगे । रूसी टुकड ़ े समेट रहे होंगे । एक जी० विश ् व में, यह श ् री पुतिन के लिए बहुत तनाव भरे १० वर ् ष होंगे । यह उतना भी बुरा नहीं है । है ना? एशिया असल में बेहतर दिखता है । एशिया में असली नेता हैं, उनके पास काफी राजनीतिक स ् थिरता है । वो अभी वहाँ और रहेंगे । भारत में श ् री मोदी, श ् री आबे, जिनको सम ् भवतः जापान की लिबरल डेमोक ् रेटिक पार ् टी में तीसरी अवधि मिलने वाली है, बेशक शी जिनपिंग, जो अत ् यधिक ताकत संगठित कर रहे हैं, माओ के बाद चीन के सबसे शक ् तिशाली नेता । यह एशिया की तीन सबसे महत ् वपूर ् ण अर ् थव ् यवस ् थाएँ हैं । अब देखिये, एशिया में समस ् याएँ है । हम दक ् षिण चीन सागर पर विवाद देखते हैं । हम देखते हैं की किम जोंग उन ने पिछले कुछ दिनों में ही एक और परमाणु अस ् त ् र का परिक ् षण किया है । लेकिन एशिया के नेताओं को झंडा लहराने की ज ़ रूरत नहीं महसूस होती, विदेशी लोगों को नापसन ् द करने की, आंतर ् राष ् ट ् रीय राजनीतिक और सीमा पर, तनाव की वृद ् धि करने की । वो लम ् बे समय में आर ् थिक स ् थिरता और विकास पर ध ् यान केन ् द ् रित करना चाहते हैं । और वो कर भी वही रहे हैं । अब यूरोप की ओर देखते हैं । यूरोप ऐसे वातावरण में थोड ़ ा डरा सा दिखता है । मध ् यपूर ् व में जो हो रहा है वो बहुत कुछ वस ् तुतः यूरोप पर असर कर रहा है । चाहे वो ब ् रेग ् जिट हो या यूरोप के सभी देशों में चल रहा लोकलुभावनवाद पर विवाद । मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि लम ् बे समय में, एक जी० विश ् व में, यूरोप का विस ् तार कुछ ज ़ ् यादा ही लगेगा । यूरोप ऊपर रूस तक चला गया, और नीचे मध ् यपूर ् व तक, और अगर संसार सच में ज ़ ् यादा समतल और ज ़ ् यादा अमेरिकी बन रहा होता तो यह छोटी समस ् या होती, लेकिन एक जी० विश ् व में, रूस के और मध ् यपूर ् व के सबसे पास वाले देशों की आर ् थिक सक ् षमता असल में भिन ् न होंगी, भिन ् न सामाजिक स ् थिरता होगी और भिन ् न राजनितिक पसन ् द और व ् यवस ् था होगी, मूल यूरोप के मुकाबले । तो यूरोप सच में जी७ के अन ् दर विस ् तार कर पाया, लेकिन जी० के अन ् दर यूरोप छोटा होता जायेगा । जर ् मनी और फ ् रांस और बाकियों के आसपास का मूल यूरोप तब भी काम करेगा, क ् रियाशील होगा, स ् थिर, धनवान, एकीकृत । लेकिन उसकी परिधि, ग ् रीस, तुर ् की जैसे बाकी देश, उतने अच ् छे बिलकुल नहीं दिखेंगे । लैटिन अमेरिका, जहाँ बहुत लोकलुभावनवाद ने अर ् थव ् यवस ् थाओं को अच ् छी तरह चलने नहीं दिया । वो दशकों तक अमेरिका के विरुद ् ध थे । लेकिन अब वो बदल रहे हैं । हमने ऐसा अर ् जेंटाइन में देखा । हमने ऐसा क ् यूबा के खुलेपन में देखा । हम इसे वेनेजुएला में तब देखेंगे जब मादुरो का पतन होगा । हम इसे ब ् राज ़ ील में देखेंगे, दोषारोपण के बाद और जब हम वहाँ अन ् ततः एक नया वैध राष ् ट ् रपति चुने हुए देखेंगे । वह एकमात ् र जगह जहाँ आप इसे दूसरी दिशा में चलते हुए देखते हैं, वो मेक ् सिकौ के राष ् ट ् रपति पेना नियतो की अलोकप ् रियता में है । उसे शायद आप आने वाले वर ् षों में सच में अमेरिका से दूर जाता हुआ देख पाएँ । अमेरिका में हो रहा चुनाव उसके लिए भी बहुत महत ् वपूर ् ण है । (खिलखिलाहट) अफ ् रीका? बहुत लोगों का कहना है कि अन ् ततः अफ ् रीका का दशक आएगा । एक जी० विश ् व में, कुछ अफ ़ ् रीकी देशों के लिए यह पूर ् णतः अद ् भुद समय है, जिनका शहरीकरण के साथ अच ् छी तरह शासन किया जाता है, जहाँ चतुर लोग बहुत हैं, स ् त ् रियाँ काम पर जा रही हैं, व ् यवसाय बढ ़ रहा है । लेकिन अफ ् रीका के ज ़ ् यादातर देशों के लिये यह ज ़ ् यादा संदिग ् ध होगा: चरम जलवायु परिस ् थितियाँ, इस ् लाम और ईसाई धर ् म दोनों की उग ् रता, बहुत घटिया शासन, सीमा जिसकी आप रक ् षा नहीं कर पाते, मजबूरी में होता अत ् यधिक पलायन । ऐसे देश नक ़ ् शे से ख ़ त ् म हो सकते हैं । तो आप सच में चरम सीमा पर पूरे अफ ़ ् रीका में विजेता और पराजितों के बीच होता हुआ अलगाव देखेंगे । अन ् ततः, अमेरिका पर वापस आते हैं । हमारे बारे में मेरी क ् या सोच है? क ् योंकि यहाँ बहुत लोग परेशान हैं, यहाँ टेडएक ् स में नहीं, लेकिन अमेरिका में । हे ईश ् वर, १५ महीने के प ् रचालान के बाद हमें दुख ़ ी होना भी चाहिए । यह मैं समझता हूँ । पर बहुत लोग परेशान हैं क ् योंकि वो कहते हैं, "" वॉशिंगटन खंडित है, हमें स ् थापन में विश ् वास नहीं, हमे जनसंचार पसंद नहीं । "" मेरे जैसे वैश ् वीकरण को मानने वाले लोग भी इसको बिना शिकायत स ् वीकार करते हैं । देखिये, मेरे हिसाब से हमें यह समझना ज ़ रूरी है, मेरे साथियों, कि जब आपके पीछे भालू पड ़ ा हो, वैश ् विक सन ् दर ् भ में, तो आपको भालू को पीछे छोड ़ ने की ज ़ रूरत नहीं है, आपको सिर ् फ अपने साथियों को पीछे छोड ़ ने की ज ़ रूरत है । (खिलखिलाहट) तो मैंने अभी-अभी आपको साथियों को पीछे छोड ़ ने के बारे में बताया । है ना? और उस दृष ् टिकोण से हम ठीक दिखते हैं । इस सन ् दर ् भ में बहुत लोगों का कहना है, "" डॉलर में भरोसा रखो, न ् यू यॉर ् क की ज ़ मीन जायदाद में भरोसा रखो । अपने बच ् चों को अमेरिकी विश ् वविद ् यालयों में भेजो । "" हमारे पड ़ ोसी बहुत अच ् छे हैं: कनाडा, मेक ् सिकौ और २ बड ़ े बड ़ े जल श ् रोत । क ् या आपको पता है कि तुर ् की कितना खुश होगा ऐसे पड ़ ोसी पा कर । ये बहुत अच ् छे पड ़ ोसी हैं । अमेरिका में एक समस ् या आतंकवाद है । भगवान जानता है कि हमने यहाँ न ् यू यॉर ् क में उसे बहुत झेला है । लेकिन वो यूरोप में अमेरिका से ज ़ ् यादा बड ़ ी समस ् या है । और यूरोप से भी बड ़ ी मध ् यपूर ् व में । यह विशालता के कारक हैं । हमने अभी १०००० सीरियाई शरणार ् थी स ् वीकार किये, और हम इसकी कड ़ वी शिकायतें कर रहे हैं । पता है क ् यों? क ् योंकि वो यहाँ तैर कर नहीं आ सकते । है ना? तुर ् की खुश होंगे बस १०००० सीरियाई शरणार ् थी ले कर । जोरदान के लोग, जर ् मनी के, ब ् रिटैन के, है ना? पर ऐसी स ् थिति है नहीं । यह अमेरिका की सच ् चाई है । अब यह तो काफी अच ् छा दिखता है । पर चुनौती यह है, एक जी० विश ् व में, आपको उदाहरण से नेतृत ् व करना पड ़ ता है । अगर हम जानते हैं कि हम और ज ़ ् यादा वैश ् विक रक ् षक नहीं बनना चाहते, अगर हमें पता है कि हम वैश ् विक व ् यापार के निर ् माता नहीं बनेंगे, हम सांसारिक मूल ् यों की जयकार नहीं करेंगे, हम वो नहीं करेंगे जो हम करते आये हैं, इक ् कीसवी सदी बदल रही है, हमें उदाहरण द ् वारा नेतृत ् व करना होगा, इतना सम ् मोहक होना होगा कि ये सब बाकी लोग फिर भी कहेंगे, ऐसा नही है कि ये सिर ् फ तेज ़ हैं । अगर भालू इनके पीछे न भी पड ़ ा हो, तब भी ये अच ् छी जगह पर हैं । हम इनका अनुसरण करना चाहते है इस वर ् ष की चुनावी प ् रक ् रिया, उदाहरण द ् वारा नेतृत ् व करने के लिये एक अच ् छा विकल ् प सिद ् ध नहीं हो रही । हिलेरी क ् लिंटन कहती है, कि ९० के दशक जैसा समय आएगा । हम अब भी मूल ् यों की जयकार करने वाले बन सकते हैं । हम अब भी वैश ् विक व ् यापार के निर ् माता बन सकते हैं । हम अब भी संसार के रक ् षक बन सकते हैं । और डोनाल ् ड ट ् रम ् प हमें वापस ३० के दशक में ले जाना चाहता है । वो कहता है, "" मेरा रास ् ता स ् वीकार करो या भाड ़ में जाओ । "" है ना? दोनों ही जी० के इस मौलिक सच को नहीं मान रहे, कि चाहे अमेरिका पतन की ओर अग ् रसर नहीं है, अमेरिका के लोगों के लिये अपनी इच ् छा थोपना कठिन होता जा रहा है, और वैश ् विक व ् यवस ् था पर ज ़ ् यादा प ् रभाव डालना भी । क ् या हम सच में उदाहरण द ् वारा नेतृत ् व करने के लिए तैयार हैं? नवम ् बर के बाद इसे ठीक करने के लिये हमें क ् या करना होगा, जब अगला राष ् ट ् रपति अपनी जगह लेगा / लेगी? या तो हम पर कोई ऐसा संकट आये जो हमें प ् रतिक ् रिया करने पर मजबूर कर दे । आर ् थिक मंदी ऐसा कर सकती है । एक और वैश ् विक आर ् थिक संकट ऐसा कर सकता है । भगवान ना करे, पर एक और ९ / ११ ऐसा कर सकता है । या फिर, संकट की अनुपस ् थिति में, हमें देखना होगा कि खोखली होती हुई असमानता, अमेरिका में बढ ़ ती हुई चुनौतियाँ, खुद इतने आवश ् यक हों, कि वो हमारे नेताओं को बदलने पर मजबूर कर दें, और हम वो आवश ् यक आवाज ़ ें सुनें । अपने मोबाइल फ ़ ोन के ज ़ रिये, हमारे पास व ् यक ् तिगत रूप से वो आवाज ़ ें हों जो उन ् हें बदलने पर मजबूर कर दें । और हाँ, एक तीसरा विकल ् प भी है, शायद सबसे उपयुक ् त, कि हम उनमे से कुछ भी न करें, और चार वर ् ष बाद आप मुझे फिर से बुलाएं, आपका बहुत बहुत धन ् यवाद । (तालियाँ) लौकिक और अभिनव प ् रतिभा के व ् यक ् ति शामिल हैं | मुझे पता है यह हास ् यास ् पद प ् रतीत होता है | तो मैं दुकान पर वापस गया और दुकानदार से बोला, गांठ का एक मजबूत रूप होता है और एक कमजोर रूप होता है | अगर आप गांठ के नीचे किनारों को खीचे,जूते के समान ् तर अक ् ष में घूम जाती है | गांठ को खींचे | और अब आज के विषय को ध ् यान में रखते हुए, मैं बताना चाहूँगा — जो की आप जानते ही हैं — और असानी से पहुँचाए जानकारी के परे जो अनुरूप हो हमें सही निर ् णय लेने में मदद देने में उसके बारे में जो भी हमारे सामने आ रहा है. कि क ् या आज के सेल फोन यह पहले से ही नहीं करते? जब आप किसी से यहाँ टेड में मिलते हैं - और निश ् चय ही यह साल की शीर ् ष नेटवर ् किंग करने की जगह है -जब तक मैं अपना फ़ॊन निकाल कर आप को गूगल कर सकूँ? ""और आप उस विशाल गलियारे में खड़े होते हैंऔर किसी वेबसाइट पे जाकर निर ् णय करने की कोशिश नहीं करते पर ् यावर ् ण के हिसाब से सबसे जिम ् मेदारी की ख ़ रीदारी कौनसी होगी? जो हमारी मदद कर सकती है इष ् टतम फ़ैसले लेने में आविशकारों की एक श ् रृंखला का विकास कर रहा है और अब तक कि सबसे सफ़ल कोशिश, जिसपर कि अभी भी वास ् तव में कार ् य प ् रगति पर है. एसे भागों से जो बाज़ार में उपल ् ब ् ध हैं - इस पूरी व ् यवस ् था को बना कर. अपने हाथों का इस ् तेमाल करने देती है उस जानकारी के साथ व ् यवहार करने देती है जो उसके सामने प ् रख ् शेपित है. लेकिन यदि आप को और अधिक स ् टाइल चाहिए और वह जो इशारे करता है, उन ् हें पहचानता है तो वे किसी भी दिवार के पास जाकरये भी साधारण इशारों के साथ. दोनों हाथों वगैरह. लेकिन फ़र ् क यह है कि आप किसी भी सतह का प ् रयोग कर सकते हैं, आप किसी भी सतह के पास जा सकते हैं, और अगर कुछ और नहीं मिले तो अपने हाथ पर भी और इस डेटा के साथ वार ् तालाप कर सकते हैं (तालियाँ) और इस से भी महत ् वपूर ् ण फ़र ् क यह है कि बड ़ े पैमाने पर उत ् पादन किये जाने पर और वह पेपर टावल खरीद रहा है. आप में से कुछ सबसे ज ् यादा ब ् लीच वाला टौइलेट पेपर चाह सकते हैं बजाए सबसे वातावर ् ण-जिम ् मेदार पसंद से. जिसे, वैसे, अमेज़न से बहुत अच ् छी रेटिंग मिली है. वह इस किताब के बारे में अधिक जानकारी देख सकता है - अगर वह किसी विशेष पन ् ने पे जाता है और हमारे दोस ् त के किसी विशेषज ् ञ की टिप ् पणी पाता है आप जिस घटना के बारे में पढ ़ रहे हैं उसके वीडियो एनोटेशन प ् राप ् त कर सकते हैं (ठहाके)शायद आप टैगस के शब ् दों का एक बादल देख सकते हैं, वो शब ् द जो उस व ् यक ् ति से संबंद ् धित हैं (ठहाके) जो कि हमें यह सभी प ् रासंगिक जानकारी सहज प ् रदान करेगा वह वास ् तव में तारीफ़ के काबिल है क ् योंकि मुझे नहीं लगता वह पिछले तीन महीनों में ज ् यादा सोया है. धन ् यवाद. जो कि काफ़ी प ् रभावशाली है, है ना? हम जीत गये! मिस ् टर स ् पलैशी पैन ् ट ् स (ठहाके) मै एक प ् रयोग के साथ शुरुवात करना चाहता हूँ । बरसात के दिन के तीन चलचित ् र दिखाता हु । लिकिन मैं उन तीनों में से एक वीडियो में बारिश की आवाज की बदले मांस तलनेकी की आवाज जोड ़ दी । इसलिए मै चाहता हूँ कि आप ध ् यान से तलनेकी आवाज को पहचाने । (बारिश की आवाज) (बारिश की आवाज) (बारिश की आवाज) ठीक है. असल में, मैंने झूठ कहा था । वे सभी मास के टुकड़े हैं । (उन ् हें सिजलते है) (तालियाँ) मेरा मतलब आपको इसके लिए ललचाना नहीं है । हर बार जब आप बारिश को देखेते है हमारा दिमाग झूठ को सच समजने के लिए तैय ् यार रहता हैं । हम यथार ् थता तथा सटीकता के बजाय इस विषय के भ ् रम को देखते है, ऑस ् कर वाइल ् ड का कहना है "" डिके ऑफ लायिंग, "" में वो अपने विचारों को प ् रकट करते हैं जो बुरा आर ् ट, प ् रकृति और यथार ् थवादी के नकल है; और जो महत ् वपूर ् ण आर ् ट झूठ और धोखे से उत ् पन ् न होते है वो सभी सुंदर, असत ् य बातें बताते हैं । जब आप मूवी देख रहे हो उसमें फोन की घंटी बजती है तो सच में घंटी नहीं बजती यह ध ् वनि स ् टूडियो में निर ् माण के समय पर बाद में जोड ़ दिया गया है । सभी आवाजें जो आप सुन रहे है वे असलमे नकल किये होते है बातचीत के अलावा, सब कुछ नकली रहते है । जब आप मूवि देख रहे हो उसमें एक चिडिया अपने पंक फडफडा रहा है (पंक फडफडाना) वो सचमें चिडिया का नहीं है । फिर भी यह अधिक रियालिसटिक लगता है, अगर आप चादर का आवाज या रसोई ग ् लौव ् स हिलाने का आवाज (फ ् लैपस) नजदीक में सिगरेट जलने (सिगरेट जलता है) यह वास ् तव में अधिक ऑथेन ् टिक लगता है आप एक छोटे सरन लपेट गेंद को ऊपर से छोड दे तो (सरन लपेट गेंद को छोडते है) पंच करने का आवाज (विडियो में पंच करते है) ओह, आइये उसे फिर से देखते है, (विडियो में पंच करते है) अक ् सर यह एक चाकू को सब ् जियों में चिपकने से किया जाता है यूस ् वली गोभी में (गोभीको चाकूse bhok diya) अगलेवाले तो हड ् डियाँ तोडने का है (हड ् डिया तोडते है) शुक ् र है, किसी को भी वास ् तव में नुकसान नहीं हुआ था । यह असल में... अजवाइन या फ ् रोजन सलाद तोड ़ ने का आवाज है । (अजवाइन या फ ् रोजन सलाद तोड ़ ते है)) (हंसी) सही आवाज बनाना उतना आसान नहीं है जितना सुपरमार ् केट में सब ् जी अनुभाग को ढूंढना । लेकिन यह उस से भी बहुत अधिक जटिल है । आइये इसके भीतर जाकर देखते है कैसे यह ध ् वनि प ् रभाव का निर ् माण होता है । मेरा मनपसंद कहानियों में फ ् रेंक सेरफिन के कहानी भी है वह हमारे पुस ् तकालय का सहयोगी है, और "" ट ् रान "" और "" स ् टार ट ् रेक ् "" जैसे फिल ् मों के प ् रसिद ् ध ध ् वनि डिजाइनर है । उसने पॅरामाउंट टीम का "" हंट फार रेड अक ् टोबर "" के लिए सर ् वोत ् तम ध ् वनि का आँस ् कर जीता. वः टीम में श ् यामिल था 90के दशक में आयी इस कोल ् ड वार क ् लासिक फिल ् म के लिए उन ् हें एक पनडुब ् बीके यंत ् र का ध ् वनि निर ् माण करना था । उसमें एक छोटी सी समस ् या थी: वेस ् ट हॉलीवुड में उन ् हें एक पनडुब ् बी भी नहीं मिली । तो उन ् होंने ये किया, वे एक दोस ् त के स ् विमिंग पूल गये, फ ् रेंक केननबाल या बोमबा प ् रदर ् शन किये । पानी के अंदर एक माइक रखा स ् विमिंग पूल के बाहर पानी के ऊपर भी और एक माइक रखा तो अब सुनिये पानीमे माईक का ध ् वनी (पानी के नीचे आवाज) ऊपरि माइक के आवाजसे इस तरह ध ् वनी निकलेगा: (पानी की बौछार) (पानी की निचले सुरमे बौछार) और फिर वे कई उच ् च आवृत ् तियों को हटाये । (कम सप ् तक पर पानी का बौछार) और उच ् च आवृत ् तियों को हटाया । (पानी की बौछार) इस ध ् वनी केसप ् तक को निचले स ् वर में ले आये (निम ् न सुरमे पानी का बौछार) और वे कुछ और पानी का छप-छप को ऊपरौ मैक से मिला दिया । (पानी की छप-छप) और बार-बार इसी प ् रासस को दोहराने से वे इस ध ् वनि को पाये । (प ् रोपलर घूमने का आवाज) तो, रचनात ् मकता और टेक ् नालजी एक साथ उपयोग करके पनडुब ् बी के अन ् दर में रहने का भ ् रम पैदा किये । अगर आप एक बार अपने ध ् वनि को बना लिये और उन ् हें इमेज के साथ समन ् वयित किये है तो कहानी की दुनिया में आप उन ध ् वनियों सदा जीना चाहते हैं । ऐसा करने के लिए एक अच ् छा तरीका है उन ् हें रिवर ् ब से मिलाना यह पहली ऑडियो उपकरण है जिसके बारे में मैं बात करना चाहता हूँ । मूल ध ् वनि समाप ् त होने के बाद गूंज, या रिवर ् ब ही इस भ ् रम ध ् वनि की दृढ ़ ता है । यह तो ध ् वनि का चारों तरफ का सभी सामग ् री, वस ् तुओं और दीवारों के प ् रतिबिंब है । उदाहरण के लिए, बंदूक की गोली की आवाज ़ को ले लीजिए । मूल ध ् वनि आधे सेकंद से भी कम है । (गोली का ठप ् पा) रिवर ् ब याने प ् रतिध ् वनी से मिलाकर उसे बाथरूम के अंदर रेकार ् ड किया गया जैसा बना सकते है । (गोली का ठप ् पा बाथरूम के अंदर रिवर ् ब हो रहा है) या चैपल या चर ् च के अंदर रिकार ् ड किया गया जैसा । (गोली का ठप ् पा चर ् च में रिवर ् ब हो रहा है) या एक घाटी में । (गोली का ठप ् पा रिवर ् ब मी रिवर ् ब हमें श ् रोता और ध ् वनि स ् त ् रोत के बीच की दूरि के बारे में सारी खबर की जानकारी देता है । उस ध ् वनी को एक गंध रहाता है । तो रिवर ् ब ध ् वनी बहुत कूच कर सकता । रिवर ् ब और भी ज ् यादा प ् रभावी हो सकता है । आन-स ् क ् रीन में किया गया रिवर ् बरेशन से कम रिवर ् बरेशन ध ् वनि को सुनेंगे तो तुरंत हमें लग रहा है हम किसी समीक ् षक को सुन रहे है, जो आन स ् क ् रीन में भाग नहीं लिए है । इसके अलावा, इमोशनल सिनेमा में अंतरंग क ् षण का ध ् वनि को अक ् सर रिवर ् ब के बगैर सुना रहे हैं, तब हमें लगेगा कि कोई हमारे कान के अंदर बोल रहे हैं । अब दूसरी तरफ से ध ् वनि को ढेर सारे रिवर ् ब के साथ मिलाने पर हमें लगेगा कि हम एक फ ् लाशबेक सुन रहे है, या शायद हम उस केरक ् टर के साथ है या हम भगवान का आवाज सुन रहे है । या उस ् से भी ज ् यादा मारगन फ ् रीमेन (हँसी) तालीया (तालियाँ) अब साउंड डिजाइनर क ् या अन ् य उपकरण या भाड ़ े उपयोग करते है उसे देखेंगे, वैसे, यहाँ सचमुच एक खास बात को उपयोग करते है । वो है खामोशी । खामोशी के कुछ पल हमें ध ् यान करने में मजबूृर कर रही है । और पश ् चिमी दुनिया में, हम मौखिक खामोशी को इस ् तमाल नहीं करते । वे अजीब या अशिष ् ट विचार माने जा रहे हैं । तो वेरबल कमयूनिकेशन के पहले का खामोशी बहुत तनाव पैदा कर सकती हैं । आप असली हालिवुड फिल ् म को इमेजिन कीजिये बहुत सारे विस ् फोट और आटोमेटिक बंदूकों के आवाज होंगे । ऊँचे स ् वर को कुछ देर के लिए बंद करके फिर से प ् ले करे तो और जोरदार होगा । इसलिए यिन यांग तरह में, खामोशी को ऊँचे स ् वर चाहिए और ऊँचे स ् वर को खामोशी मगर खामोशी का अर ् थ क ् या है? खामोशी को कैसे फिल ् म में इस ् तेमाल किया है उसपर निर ् भर करता है । हम अकसर खामोशी का अनुभव चिंतन, गहरा चिंतन, गहरी सोच में कर रहे है । लेकिन एक अर ् थ होने के अलावा, खामोशी एक खाली पृष ् ठ भूमी बन जाती है जिस पर दर ् शक अपने स ् वयं के विचारों को चितारने लगता है । मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि खामोशी से बढकर ऐसी कोई चीज नहीं है । और मैं जानता हूँ कि यह आपके लिए सबसे कपटी टेड टॉक बयान लगेगा ।और उसमें बाहरी आवाज बिलकुम नहीं है, तो भी आप अपने ही खून के सक ् षम को सुनेंगे । सिनेमा में, खामोशी एक पल भर के लिए भी नहीं है क ् योंकि प ् रोजेक ् टर का आवाज तो निकलेगी ना । आजकी इस डॉल ् बी दुनिया में चारों तरफ ढूंढेंगे तो कहीं भी खामोशि नजर नहीं आयेगी । सभी में कुछ न कुछ आवाज है । अब, खामोशी जैसी कोई बात नहीं तो, फिल ् म निर ् माते और ध ् वनी रचनाकार कैसे इसका इस ् तेमाल करेंगे? वैसे, वे अक ् सर एक पर ् याय के रूप में एम ् बियंस का उपयोग करेंगे । एम ् बियंस पृष ् ट भूमी ध ् वनी होते है जो कि स ् थान का द ् न ् याँ करते हैं । प ् रत ् येक स ् थान का अद ् वितीय ध ् वनि होता है, और प ् रत ् येक कमरे का युनिक ध ् वनि है, जिसे रूम टोन कहा जाता है । अब सुनिये मोराक ् को के बाजार का रेकार ् डिंग (आवाज, ताल) और अब न ् युयार ् क के टैम ् स स ् कोयर का रिकार ् डिंग (ट ् राफिक साउंड, गाडी का हार ् न, आवाज) कमरे के अंदर का सभी आवाजों का जोड ही रूम टोन है: जैसे वेंटिलेशन का, ताप का, फ ् रिड ् ज का इधर ब ् रूक ् लिन में मेरा अपार ् टमेंट का रिकार ् डिंग सुनिये । (वेंटिलेशन, बाइलर, फ ् रिड ् ज और सडक का ट ् राफिक आदि के साउंड सुन सकते है) एम ् बियन ् स सबसे मौलिक ढंग से काम करते हैं । वे सबकान ् शियलि हमारे मस ् तिष ् क से सीधे बात कर सकते है । आपके खिडकी के बाहर चिडियों का चहकना सामान ् य संकेत हो सकता है, शायद इसलिए, एक प ् रजाति के रूप में, दस लाख सालसे हम इस आवाज सुने आ रहे है (चिडियों का चहकना) दूसरी ओर, औद ् योगिक आवाज ़ को फिलहाल कुछ ही समय से पहले ही हम जानते है । यहाँ तक कि मुझे वो व ् यक ् तिगत रूप से वास ् तव में पसंद है — मेरा मनपसंद हौरों डेविड लिंच और उनका साउंड डिजाइनर आलन स ् पलेट भी उन ् हें इस ् तेमाल किये है — औद ् योगिक आवाज ़ अक ् सर नकारात ् मक अर ् थ लाते हैं । (औद ् योगिक आवाज ़) , ध ् वनि प ् रभाव भावनिक स ् मुतिको जागृत करते हैं । कभी कभी, वे कि वे फिल ् म में महत ् वके पात ् र बनते है र ् जन की आवाज दैवी हस ् तक ् षेप या क ् रोध का संकेत हो सकता है । गर ् जना चर ् च की घंटी हमें गुजरा समय दिखाती है या शायद हमारी मृत ् यु को । गर ् जन और कांच टूटने से एक रिश ् ते के अंत का संकेत या दोस ् ती टूट जाने का संकेत होता है । (कांच के टूट जाने की आवाज) वैज ् ञानिकों का मानना है कि कर ् कश ध ् विनयों, उदाहरण के लिए, पीतल या हवा के उपहरण बहुत जोर से प ् ले किये गये तो, प ् रकृति में पशुओं के चिल ् लाहट की याद दिला सकते हैं जिस ् से जलन या भय की भावना पैदा होता है । (पीतल और हवा के उपहरण के बजने की आवाज) अब तक हम आन-स ् करीन साउंडस ् के बारे में ही बात कर रहे थे । कभी कभी हम कुछ ध ् वनियों के सोर ् स को नहीं पहचान पाते । उसे ही हम आफ स ् करीन साउंडस ् कहते है, या "" अकौस ् मेटिक "" । अकौस ् मेटिक ध ् वनियों — खैर, "" अकौस ् मेटिक "" शब ् द प ् राचीन ग ् रीस के पाइथागोरस से आता है, जिन ् होंने घूंघट या पर ् दा के पीछे रहकर खुद को प ् रकट किये बिना ही अपने शिष ् यों को सिखाते थे । मुझे लगता है कि गणितज ् ञ और दार ् शनिक पाइथागोरस नेइस तरह सोचा होगा की शिष ् य आवाज पर ध ् यान देने से अधिक, उनको उन ् के शब ् दों और अर ् थों पर ध ् यान दे तो विजार ् ड आफ ओज की तरह, या "" 1984 "" बिग ब ् रदर की तरह, अपने मूल से आवाज को अलग करने से, कारण और प ् रभाव को अलग करने से सर ् वव ् यापकता की भावना पैदा करता है, और अधिकार को भी । अकौस ् मेटिक ध ् वनि की एक मजबूत परंपरा है । रोम और वेनिस में मठों में मठवासिनों कमरे में, छत के करीब दीर ् घाओं में गाते थे, जो हमें आसमान के एन ् जल ् स की भ ् रम पैदा करते है । रिचर ् ड वैगनर का मशहूर हिड ् डन ऑर ् केस ् ट ् रा जो स ् टेज और आँडियन ् स के बीच एक गड ् ढे में रखा गया था । और मेरे हीरों से एक, मशहूर अपेक ् ष ट ् विन क ् लबों के अंधेरे कोनों में छिपाया गया था । इन सभी विद ् वानोको पता था कि मूल को छुपाने से आप गूढता पैदा करते हैं । सिनेमा में यह अधिक से अधिक देखा गया है, हिचकॉक के साथ, और रिडले स ् कॉट के "" विदेशी "" में । ध ् वनि की मूल को जाने बिना उसे सुनने से तनाव पैदा कर सकता है । इसके अलावा, निर ् देशकों की कुछ दृश ् य प ् रतिबंध को यह कम कर सकते हैं और शूटिंग के दौरान जो वहाँ नहीं था उसे भी कुछ दिखा सकते हैं । और अगर यह सब तियरिटिकल लगता है तो,. मैं एक छोेेटा सा वीडियो प ् ले करना चाहता था । (खिलौना का चीख) (टाइपराइटर का आवाज) (ड ् रम ् स) (पिंग-पांग) (चाकू की धार तेज की जा रही आवाज) (रिकार ् ड खरोंच) (सा काट करने का आवाज) (स ् त ् री चीखने की आवाज) इससे मैं नयी भाषा का परिचय करना चाहता हूँ । यह हमें एक स ् थानसे दुसरे स ् थान जाने का अहसास कराती है यह हमारी मनोस ् थिति बदल सकते है; गति निर ् धारित कर सकती है यह हमें हंसी कर सकते हैं या हमें भयभीत कर सकते हैं । एक व ् यक ् तिगत स ् तर पर, मुझे उस भाषा से कुछ साल पहले प ् यार हो गया और उस प ् यार को ही मैं अपना प ् रोफेशन बना लिया था, हमारे इस साउंड पुस ् तकालय काम से, हम उस भाषा की वोकाबलरी को विस ् तार करने की कोशिश कर रहे हैं । और उसके जरिए हम ठीक टूल ् स को, ध ् वनी अभियंता फिल ् म बनानेवालों और वीडियो गेम और आप डिजाइनर को पेश करके और भी अच ् छा स ् टोरीयों बताने में मोहित करने वाले झूट बनाने में मदद करते है । सुनने के लिए धन ् यवाद । (तालियाँ) आईये एक काळपनिक प ् रयोग के वारे में सोचें । कळपना कीजिए की यह भविष ् य में ई० ४००० है । संस ् कृति जैसी की हम जानते हैं मौजूद नहीं हैं । कोई किताबें, न इलेक ् ट ् रॉनिक उपकरण, न Facebook या Twitter अंग ् रेजी भाषा और वर ् णमाला का सभी ज ् ञान खो गया है । अब कल ् पना कीजिए की पुरातत ् त ् ववेत ् ता हमारे एक शहर के खंडहर में खुदाई कर रहे हैं । वे क ् या ढूंढ ़ सकते हैं? शायद प ् लास ् टिक के आयताकार टुकड ़ े और उन पर अकिंत कुछ चिह ् न । शायद धातु के गोल टुकड ़ े, शायद कुछ बेलनाकार बर ् तन और उन पर अंकित कुछ चिन ् ह । शायद एक पुरातत ् त ् ववेत ् ता एक पल में प ् रसिद ् ध हो जाता है क ् योंकि उसने उत ् तरी अमेरिका की पहाड ़ ियों में बहुत बड ़ े आकार के वहीं चिह ् न ढूंढ ़ निकाले हैं । अब स ् वयं से पूछें ऐसे चिह ् न हमें ई० ४००० साल आगे की सभ ् यता के बारे में हमें क ् या बता सकते हैं? यह कोई काल ् पनिक सवाल नहीं है । वास ् तव में, इसी तरह के सवाल हमारे सामने आते हैं जब हम सिंधु घाटी सभ ् यता को समझने की कोशिश करते है, जो ४००० साल पहले अस ् तित ् व में थी, सिंधु घाटी सभ ् यता बेहतर जानी जाने वाली मिस ् र और मेसोपोटामिया सभ ् यताओं के साथ समकालीन थी, लेकिन यह इन दो सभ ् यताओं से कहीं बड ़ ी थी । यह लगभग दस लाख वर ् ग किलोमीटर के क ् षेत ् र में फैली थी, जहाँ वर ् तमान में पाकिस ् तान, पश ् चिमोत ् तर भारत, अफगानिस ् तान और ईरान के कुछ हिस ् सें हैं । यह देखते हुए कि यह एक ऐसी विशाल सभ ् यता थी, हम शक ् तिशाली शासकों, और उनको महिमामयी करते विशाल स ् मारकों को खोजने की उम ् मीद कर सकते हैं । लेकिन पुरातत ् त ् ववेत ् तों को एसा कुछ नहीं मिला है । उन ् होंने इस तरह की इन छोटी वस ् तुओं की ही पाया है । यहाँ इन वस ् तुओं में से एक का उदाहरण है । स ् पष ् ट है कि यह एक प ् रतिकृति है । लेकिन यह व ् यक ् ति कौन है? एक राजा? एक देवता? एक पुजारी? या शायद एक साधारण व ् यक ् ति, अाप और मुझे जैसा? हम नहीं जानते । लेकिन सिंधु लोग कुछ कलाकृतियां जिन पर कुछ लिखा है, भी पीछे छोड ़ गये हैं । प ् लास ् टिक के टुकड ़ े नहीं, लेकिन पत ् थर की मोहरें, तांबे की पटियाँ, मिट ् टी के बर ् तन. और, हैरान करने वाला, एक बड ़ ा बोर ् ड, जो एक शहर के फाटक के पास दफन था । हम नहीं जानते कि इस पर हॉलीवुड लिखा है, या फिर बात के लिए बॉलीवुड । हम ये भी नहीं जानते कि इन वस ् तुओं का क ् या अर ् थ है । क ् योंकि सिंधु लिपि पढ ़ ी नहीं जा सकी है । हम नहीं जानते कि इन प ् रतीकों क ् या का मतलब है । ये प ् रतीक अधिकतर मुहरों पर पाए जाते हैं । तो अाप वहाँ एक ऐसी वस ् तु देखें । स वर ् गाकार वस ् तु पर इकसिंगें की तरह का जानवर है । यह कला का एक शानदार नमूना है । तो आपको यह कितना बड ़ ा लगता है? शायद इतना बड ़ ा है? हो सकता है कि इतना? मैं आपको दिखाता हूँ । यहाँ एक ऐसी मुहर की एक प ् रतिकृति है । यह आकार में केवल एक इंच लंबी व चौड ़ ी है - बहुत छोटी । तो इनका क ् या इस ् तेमाल होता था? हम जानते हैं कि ये मिट ् टी के टैगो के मुद ् रांकन के लिए इस ् तेमाल किये जाते थे जो माल के गट ् ठों, जिनको एक जगह से दूसरे को भेजा जाता था, पर लगे होते थे । एक पैकिंग रसीद जैसा जो आप अपने FedEx बक ् से पर पाते है? ये पैकिंग रसीद बनाने के लिए इस ् तेमाल किये जाते थे । आप शायद जानना चाहेंगें कि इन वस ् तुओं पर क ् या लिखा है । शायद यह प ् रेषक का नाम या माल के बारे में कुछ जानकारी है जो एक स ् थान से दूसरे करने के लिए भेजा जा रहा था - हम नहीं जानते । इस प ् रशन का उत ् तर देने के लिए हमें यह लिपि समझने की जरूरत है । इस लिपि का गूढ ़ रहस ् य जानना सिर ् फ एक बौद ् धिक पहेली नहीं है; वास ् तव में यह सवाल गहराई से जुङ गया है दक ् षिण एशिया की राजनीति व सांस ् कृतिक इतिहास के साथ । असल में, यह लिपि एक प ् रकार से युद ् ध का मैदान बन गयी है तीन अलग अलग समूहों के बीच । सबसे पहले, उन लोगों का समूह है जो दृढ ़ ता से विश ् वास करते हैं कि सिंधु लिपि एक भाषा का प ् रतिनिधित ् व नहीं करती हैं । इन लोगों का मानना है यह प ् रतीक चिह ् न यातायात संकेत चिह ् नों के समान हैं या फिर उनके जो ढालों पर मिलते हैं । दूसरे समूह के लोग मानते हैं कि सिंधु लिपि एक भारतीय - यूरोपीय भाषा का प ् रतिनिधित ् व करती है । यदि आप वर ् तमान भारत के नक ् शे को देखें, तो आप देखेंगे कि उत ् तर भारत में बोली जाने वाली अधिकतर भाषाएें भारत - यूरोपीय भाषा परिवार की है । तो कुछ लोगों मानते हैं कि सिंधु लिपि एक प ् राचीन भारत - यूरोपीय भाषा जैसे संस ् कृत, का प ् रतिनिधित ् व करती है । एक अौर समूह है जिसके लोग मानते हैं कि सिंधु लोग वर ् तमान दक ् षिण भारत में रहने वाले लोगों के पूर ् वजों थे । इन लोगों का मानना है कि सिंधु लिपि एक प ् राचीन भाषा है द ् रविड ़ भाषा परिवार की, और वर ् तमान दक ् षिण भारत की अधिकांश भाषाएें द ् रविड ़ भाषा परिवार की है । इस सिद ् धांत के समर ् थक उत ् तर में स ् थित द ् रविड ़ भाषित एक छोटे क ् षेत ् र, जो अफगानिस ् तान के निकट है, की अोर संकेत करते हैं वे कहते हैं कि शायद अतीत में, पूरे भारत में द ् रविड ़ परिवार की भाषाएें प ् रचलित थी और यह बताता है कि शायद सिंधु सभ ् यता भी द ् रविड ़ थी । इन अवधारणाऔं में से कौन सी सच है? हमें नहीं पता, लेकिन शायद अगर आप सिंधु लिपि समझले, तब आप इस सवाल का जवाब देने में सक ् षम होगें । लेकिन लिपि का गूढ ़ रहस ् य एक बहुत ही चुनौतीपूर ् ण काम है । सबसे पहले, यहाँ कोई कुंजी नहीं है । मेरा मतलब एक अनुवादक सॉफ ् टवेयर से नहीं है; मेरा मतलब एक प ् राचीन पुरावशेष से है जिसमें एक ही वाक ् य एक ज ् ञात व अज ् ञात भाषा में लिखा हो । हमारे पास इस तरह का पुरावशेष नहीं है । और इसके अलावा, हम भी नहीं जानते कि वे क ् या भाषा बोलते थे । और मामले बदतर बनाने के लिए, हमारे पास बहुत कम वाक ् य हैं । जैसा मैंने आपको दिखाया है, और ये आमतौर पर इन मुहरों पर पाये जाते हैं जो बहुत बहुत छोटी हैं । और इसलिए इन दुर ् जेय बाधाओं को देखते हुए, यह आश ् चर ् य और चिंता होती है कि क ् या हम कभी सिंधु लिपि समझने में सक ् षम होगें अपने शेष भाषण में, मैं आपको बताना चाहूँगा कि कैसे मैंने चिंता करना बंद किया और सिंधु लिपि समझने की चुनौती को प ् यार करना सीखा । मैं तब से सिंधु लिपि की ओर आकर ् षित था जब से मैंने एक माध ् यमिक विद ् यालय की पाठ ् यपुस ् तक में इसके बारे में पढ ़ ा । और मैं क ् यों इतना आकर ् षित हो गया था? यह प ् राचीन दुनिया की अंतिम महत ् वपूर ् ण लिपि है जो समझी नहीं गयी है । मैं जीविका पथ बढते हुए एक कम ् प ् यूटेशनल न ् यूरोसाइंटिस ् ट बन गया, दैिनक कार ् य में अब मैं मस ् तिष ् क के कंप ् यूटर मॉडल बनाता हूँ और समझने का पर ् यतन करता हूँ कि कैसे मस ् तिष ् क भविष ् यवाणियों करता है, कैसे मस ् तिष ् क निर ् णय करता है, कैसे मस ् तिष ् क सीखता है । परन ् तु 2007 में, सिंधु लिपि फिर से मेरे रास ् ते में आई । जब मैं भारत में था, और मुझे अद ् भुत अवसर मिला कुछ भारतीय वैज ् ञानिकों से मिलने का जो कंप ् यूटर मॉडल के उपयोग से इस लिपि का विश ् लेषण कर रहे थे । और तब मुझे एहसास हुआ कि वहाँ मेरे लिए एक अवसर था इन वैज ् ञानिकों के साथ सहयोग करने का, और इसलिए मैंने उस अवसर नहीं गवाँया । और अब मैं कुछ परिणामों का वर ् णन करना चाहता हूँ जो हमें मिले हैं । या बेहतर ये होगा कि हम इन परिणामों को ईक ् ठ ् ठे खोजें । क ् या आप तैयार हैं? एक लिपि को समझने के लिए पहला कार ् य जो आपको करना है वह ये कि लेखन की दिशा का अनुमान लगाने की कोशिश करनी है । यहाँ दो वाक ् य हैं जिन पर कुछ चिन ् ह हैं । क ् या आप मुझे बता सकते हैं कि लेखन की दिशा बाएँ से दाएँ है या दाएँ से बाएँ? मैं आपको कछ समय देता हूँ. ठीक है । दाएँ से बाएँ, कितने? ठीक है । ठीक है । बाएँ से दाएँ? ओह, यह लगभग 50 / 50 है । ठीक है । जवाब है: अगर आप दोनों मुहरें के बाएं ओर देखें, तब आप पाएगें कि वहाँ के चिन ् ह बहुत सटे हुए हैं, और ऐसा लगता है कि 4,000 साल पहले जब लिपिक दाईं से बाईं ओर लिख रहा था, स ् थान कम रह गया था । सलिए उसे चिन ् हों को सटाना पङा । एक चिन ् ह ऊपर के वाक ् य के नीचे भी है । इससे यह पता चलता है कि लेखन की दिशा शायद दाएँ से बाएँ थी । यह प ् राथमिक ज ् ञान हैं कि दिशात ् मकता भाषाई लिपियों का एक बहुत ही महत ् वपूर ् ण पहलू है । और सिंधु लिपि में भी अब यह विशेष गुण है । भाषाओं के कौन से अन ् य गुण इस लिपि में है? भाषाओं में पैटर ् न होते हैं । यदि मैं आपको एक वर ् ण Q दूँ और आपसे पूछूँ कि अगला वर ् ण क ् या होगा? आप में से अधिकांश कहेगें U, जो सही है । अब अगर मैं आप से ओर एक वर ् ण की भविष ् यवाणी करने को कहूँ, आपको क ् या लगता है क ् या होगा? अब वहाँ कई संभावनाऐं हैं । E हो सकता है, I हो सकता है । A भी हो सकता है । लेकिन निश ् चित रूप से B, C या D नहीं होगा, है ना? सिंधु लिपि भी इस तरह के पैटर ् न को दर ् शाती है । बहुत से वाक ् य इस हीरे के आकार के चिन ् ह के साथ शुरू होते हैं । और इस चिन ् ह के बाद यह उद ् धरण जैसा निशान है । और यह बहुत कुछ एक Q और U के उदाहरण जैसा है । इस चिन ् ह के बाद इन मछली की तरह के चिन ् ह और कुछ अन ् य चिन ् ह आ सकते हैं, लेकिन ये दूसरे चिन ् ह कभी नहीं । और इसके अलावा, वहाँ कुछ और चिन ् ह है जो वाक ् य या पृष ् ठ के अंत में आते हैं, जैसे कि यह जग जैसा चिन ् ह । यह चिन ् ह वास ् तव में इस लिपि में सबसे अधिक प ् रयोग हुआ है. इस तरह के पैटर ् न को देखते हुए, हमने यह विचार किया । हमने कंप ् यूटर के उपयोग से इन पैटर ् नो को जानने की योजना बनाई, और इसलिए हमने मौजूदा वाक ् यों को कंप ् यूटर में फीड किया । और कंप ् यूटर में एक सांख ् यिकीय मॉडल बनाया जो बताता है कि कैसे ये चिन ् ह एक वाक ् य में एक साथ होते हैं और कौन से एक दूसरे के बाद मे आते हैं । कंप ् यूटर मॉडल को देखते हुए, हम प ् रश ् न पूछ कर मॉडल का परीक ् षण कर सकते हैं । तो हमने जानबूझकर कुछ चिन ् हों को मिटा दिया, और मॉडल को मिटे हुए चिन ् हों को ढूँढने को कहा । यहाँ कुछ उदाहरण हैं । आप सोचेगें कि यह शायद सबसे प ् राचीन खेल है भाग ् य चक ् र का । हमने पाया कि कंप ् यूटर 75 प ् रतिशत सफल रहा सही चिन ् ह ढूँढने में । बाकी मामलों में, आमतौर पर दूसरा या तीसरा सबसे अच ् छा पूर ् वानुमान सही जवाब था । व ् यावहारिक उपयोग भी है इस विशेष प ् रक ् रिया का । बहुत से वाक ् य व पृष ् ठ क ् षतिग ् रस ् त हैं यहाँ एक ऐसे ही वाक ् य का एक उदाहरण है और हम अब कंप ् यूटर मॉडल का उपयोग कर सकते हैं इस वाक ् य को पूरा करने के लिए । यहाँ एक प ् रतीक को कंप ् यूटर से पूरा करने का उदाहरण है. और यह वास ् तव में उपयोगी हो सकता है इस लिपि को समझने में अगर हम और अधिक डेटा उत ् पन ् न करके उसका विश ् लेषण करें तो । अब यहाँ एक अन ् य विश ् लेषण आप कंप ् यूटर मॉडल के साथ कर सकते हैं । तो एक बंदर की कल ् पना कीजिए टाईपिंग करते हुए । यह बंदर कुछ इस तरह का अक ् षरों का अनियमित क ् रम अंकित करेगा । अक ् षरों के इस तरह के अनियमित क ् रम को एक बहुत उच ् च एन ् ट ् रापी का क ् रम कहा जाता है । एन ् ट ् रापी एक भौतिकी और सूचना विज ् ञान का शब ् द है । लेकिन सिर ् फ कल ् पना कीजिये कि यह एक अनियमित क ् रम है । आप में से कितनो ने कभी कुंजीपटल पर कॉफी गिराई है? और आपको अटकी हुई कुंजीयों की समस ् या का सामना करना पड ़ ा हो - जिससे एक ही चिन ् ह बार बार दोहराया जा रहा है । यह एक बहुत कम एन ् ट ् रापी का क ् रम है क ् योंकि इसमे कोई बदलाव नहीं है । दूसरी तरफ भाषा, की एन ् ट ् रापी एक मध ् यवर ् ती स ् तर पर है; यह न तो बहुत नियमित है, और न ही अनियमित । सिंधु लिपि का क ् या? यह ग ् राफ बहुत से अनुक ् रमों की एन ् ट ् रापी दृशित करता है । बहुत शीर ् ष पर अनियमित अनुक ् रम हैं, जो बेतरतीब पङे अक ् षर हैं — और दिलचस ् प बात है कि हम मानव जीनोम के डीएनए और वाद ् य संगीत अनुक ् रम भी इस ग ् राफ में पाते हैं । ये दोनों बहुत, बहुत लचीले हैं, जिसके कारण आप उन ् हें बहुत उच ् च श ् रेणी में पाते हैं । ग ् राफ के निचले भाग में, आप एक बहुत नियमित अनुक ् रम, इसमे सभी अक ् षर A हैं, इसमे एक कंप ् यूटर प ् रोग ् राम भी है, जो फोरट ् रान भाषा में है, जो वास ् तव में कड ़ े नियमों का अनुसरण करता है । भाषाई लिपियाँ बीच की श ् रेणी में आती हैं । अब सिंधु लिपि के बारे में क ् या? हमने पाया है कि सिंधु लिपि वास ् तव में भाषाई लिपियों की सीमा के भीतर ही है । जब यह परिणाम प ् रकाशित किया गया था, तब यह बेहद विवादास ् पद था । कुछ लोगों ने हल ् ला मचाया, ये वह लोग हैं जो मानते हैं कि सिंधु लिपि भाषा का प ् रतिनिधित ् व नहीं करती है । मुझे नफरत भरे ई-मेल भी मिलने शुरू हो गए । मेरे छात ् रों ने कहा कि मुझे गंभीरता से कुछ संरक ् षण प ् राप ् त करने पर विचार करना चाहिए । किसने सोचा होगा कि सिंधु लिपि के गूढ ़ रहस ् य को समझना एक खतरनाक पेशा हो सकता है? यह परिणाम वास ् तव में क ् या दिखाता है? यह दिखाता है कि सिंधु लिपि में भाषाओं का एक महत ् वपूर ् ण गुण है । तो जैसे एक पुरानी कहावत है, यदि एक भाषाई लिपि की तरह लग रही है और यह एक भाषाई लिपि की तरह काम करती है, तो शायद यह एक भाषाई लिपि है । क ् या अन ् य प ् रमाण हैं कि यह लिपि वास ् तव में भाषा को सांकेतिक शब ् दों में बदल सकती है? भाषाई लिपियां वास ् तव में एक से अधिक भाषाओं को सांकेतिक शब ् दों में बदल सकती हैं । तो उदाहरण के लिए, यहाँ एक ही वाक ् य अंग ् रेजी में लिखा है और फिर वही वाक ् य डच भाषा मे लिखा है दोनों मे एक ही वर ् णमाला उपयोग की गयी है । यदि आप डच नहीं जानते हैं और आप केवल अंग ् रेजी जानते हैं और मैं आप को डच में कुछ शब ् द दूँ, आप मुझे बताओगे कि इन शब ् दों में कुछ बहुत ही असामान ् य पैटर ् न हैं । कुछ बातें सही नहीं हैं, और आप कहेंगे कि शायद ये अंग ् रेजी शब ् द नहीं हैं । ऐसी ही बात सिंधु लिपि के मामले में है । कंप ् यूटर को कई वाक ् य मिले है — उनमें से दो यहाँ दिखाए गऐ हैं - जिनमें बहुत ही असामान ् य पैटर ् न हैं उदाहरण के लिए प ् रथम वाक ् य मेंः इस जग जैसे चिन ् ह का दोहरीकरण किया है । यह चिन ् ह सबसे अधिक मिलता है सिंधु लिपि में, और यह केवल इस वाक ् य में इसका दोहरीकरण किया गया है । ऐसा क ् यों है? हमने फिर विशलेषण किया और देखा कि ये विषेश वाक ् य कहाँ मिले थे, और यह पता चला कि वे पाए गए थे सिंधु घाटी से बहुत दूर । वे वर ् तमान इराक और ईरान में मिले थे । और वे वहाँ क ् यों मिले? मैने आपको नहीं बताया है कि सिंधु लोग बहुत, बहुत उद ् यमी थे । वे सूदूर जगहों के लोगों के साथ व ् यापार करते थे । और इसलिए यहाँ, वे समुद ् र के रास ् ते मेसोपोटामिया, वर ् तमान इराक की यात ् रा कर रहे थे । और यहाँ लगता है कि सिंधु व ् यापारी, इस लिपि का उपयोग एक विदेशी भाषा लिखने में कर रहे थे । यह हमारे अंग ् रेजी और डच के उदाहरण की तरह है । और यही वजह है कि हमें ये अजीब पैटर ् न मिले हैं जो उन पैटर ् नो से बहुत अलग हैं जो सिंधु घाटी में पाए गऐ हैं । इससे यह पता चलता है कि एक ही लिपि, सिंधु लिपि, विभिन ् न भाषाओं को लिखने के लिए इस ् तेमाल की जा सकती है । इन परिणामो से हम अभी तक यही निष ् कर ् ष निकालते है कि सिंधु लिपि शायद एक भाषा का प ् रतिनिधित ् व करती है । यदि यह एक भाषा का प ् रतिनिधित ् व करती है, तो हम इन चिन ् हों को कैसे पढ ़ ें? यह हमारी अगली बड ़ ी चुनौती है । तो आप ध ् यान दे कि अधिकांश चिन ् ह मिलते जुलते हैं मनुष ् यों, कीड ़ ों, मछलियों और पक ् षियों से । अधिकांश प ् राचीन लिपियाँ रिबास सिद ् धांत का उपयोग करती हैं, जिसके अनुसार शब ् दों को चित ् रों द ् वारा लिखा जाता है । उदाहरण के रूप में, यहाँ एक शब ् द है । क ् या आप इसे चित ् रों द ् वारा लिख सकते हैं? मैं आप को कुछ समय देता हूँ । समझे? ठीक है । यह मेरा समाधान है । आप मधुमक ् खी (bee - बी) के तस ् वीर के पीछे एक पत ् ती (leaf- लीफ) की एक तस ् वीर रखें - और यह शब ् द है "" belief - बीलीफ "" ठीक है । इसके दूसरे अन ् य समाधान भी हो सकते हैं. सिंधु लिपि के मामले में, समस ् या उल ् टी है । आपको इन चित ् रों की आवाज ़ का अनुमान लगाना है इस पूरे अनुक ् रम को समझने के लिए । तो यह सिर ् फ एक पहेली की तरह है बस यह सभी पहेलियों की माँ है, और दांव बहुत ऊंचे लगे हैं यदि आप इसे हल कर सकें. मेरे सहकर ् मियों, इरावतम महादेवन और असको परपोला ने इस विशेष समस ् या को हल करने में कुछ प ् रगति की है । मैं आपको परपोला के काम का एक त ् वरित उदाहरण देना चाहूँगा । यहाँ एक बहुत छोटा वाक ् य है । समें सात ऊर ् ध ् वाधर रेखाओं के पीछे एक मछली का चिन ् ह है । और मैं आपको बता दूँ कि इन मुहरों का प ् रयोग मिट ् टी के टैगो के मुद ् रांकन के लिए होता था जो माल के गठ ् ठों पर लगे होते थे, तो यह काफी संभावना है कि कुछ टैगो पर व ् यापारियों के नाम अंकित हैं । यह पहले से पता है कि भारत में एक लंबी परंपरा है कि नाम कुंडली और जन ् म के समय मौजूद तारामंडलों के आधार पर रखे जाते हैं द ् रविड ़ भाषाओं में, मछली को "" मीन "" भी कहते हैं जो सितारे के लिए प ् रयुक ् त शब ् द की तरह उच ् चारित होता है । और इसलिए सात सितारों का अर ् थ हुआ "" ईलूमीन "" जो द ् रविड ़ शब ् द है सप ् तऋषि नक ् षत ् र के लिए । इसी तरह, एक छह सितारों का अनुक ् रम है, जिसका अनुवाद होगा "" ईरूमीन "" जिसका प ् राचीन द ् रविड ़ भाषा मे अर ् थ है प ् लीएडेस तारामंडल । और अंत में, एक और संरचना है जिसमें मछली के शीर ् ष पर एक छत जैसा चिन ् ह है । इसका अनुवाद "" मेयमीन "" हो सकता है जो शनि ग ् रह के लिए प ् राचीन द ् रविड ़ नाम है । तो यह बहुत रोमांचक था । ऐसा लगता है जैसे हम कुछ प ् रगति कर रहे हैं । लेकिन इससे क ् या यह साबित होता है इन मुहरों पर द ् रविड ़ भाषा में ग ् रहों और तारामंडलों के नाम अंकित हैं? अभी तक तो नहीं । वास ् तव में कोई तरीका नहीं है इन विशेष अनुवादों को मानित करने का लेकिन अगर और भी एसे अनुवाद समझ बनाना शुरू कर दें, और लम ् बें अनुक ् रम भी सही प ् रतीत हों, तब हमें पता चलेगा कि हम ठीक रास ् ते पर हैं । व ् रतमान में हम TED जैसे शब ् द मिस ् र की हाईरोगलाइफीकस और कीलाकार लिपि में लिख सकते हैं, क ् योंकि इन दोनों को समझ लिया गया था १९ वीं सदी में । इन दोनों लिपियों के स ् पष ् टीकरण से इन सभ ् यताओं से सीधे बात करना संभव हुआ । मायन सभ ् यता से हमारी बातचीत 20 वीं सदी में शुरू हुई, लेकिन सिंधु सभ ् यता अभी तक चुप है । हमें क ् यों परवाह करनी चाहिए? सिंधु सभ ् यता सिर ् फ दक ् षिण भारतीयों या उत ् तर भारतीयों या पाकिस ् तानियों की नहीं है; यह हम सभी की है । ये हमारे पूर ् वजों हैं - आपके और मेरे । वे खामोश हैं इतिहास के एक दुर ् भाग ् यपूर ् ण दुर ् घटना के कारण । यदि हम यह लिपि समझले, हम उनसे बात करने में फिर से सक ् षम होगें । वे हमें क ् या बताएगें? हम उनके बारे में क ् या जानेगें? हमारे अपने बारे में? मैं यह खोजने के लिए बेसब ् र हूँ । धन ् यवाद । (सरहाना व हर ् षध ् वनि) इसाडोरा डंकन — (संगीत) विलक ् षण, लंबे पैरो वाली स ् त ् री सैन फ ् रांसिस ् को से, इस देश से परेशान, और उनको इसमे से बाहर निकलना था । इसाडोरा १९०८ के आसपास प ् रसिद ् ध थी, नीले परदे रखने के लिए, और वो खड़ी रहती थी उसके हाथ उसके सौर पेशीं पे रखके और वो प ् रतीक ् षा करती थी, और वो प ् रतीक ् षा करती थी, और बाद में, हिलती थी (संगीत) जॉश और मै और सोमी इसको बोलते है लाल चक ् र । नीला परदा । लेकिन, यह २० वे शतक की शुरुवात नहीं थी । यह व ् हैन ् कोवर की सुबह २०१५ मे. (संगीत) (गायन) चल, जॉश! (संगीत) (गायन) जा! हम वहां पहुचे क ् या? मुझे तोः नही लगता (संगीत) समय क ् या हुआ है? (संगीत) हम कहाँ है? जॉश । सोमी । बिल टी । जॉश । सोमी । बिल टी । (तालियां) हां, हां! सभी को नमस ् ते | मैं एक कलाकार और पिता हूँ — दूसरी बार | धन ् यवाद | और मैं आपके साथ अपनी नवीनतम कला परियोजना बाँटना चाहूँगा | यह iPad के लिए बच ् चो की किताब है | यह थोड़ी विचित ् र और बचकानी हैं | इसका नाम Pop-It है | और यह उन चीज़ों के बारे में है जो छोटे बच ् चे अपने माता-पिता के साथ करते हैं | (संगीत) तो यह शौच के प ् रशिक ् षण के बारे में हैं — आप में से बहुत, मुझे आशा है आप पायदान को बदल सकते हैं | उन ् हें शौच करवा सकते हैं | इस तरह की मज़ेदार चीज़े कर सकते हैं | आप बुलबुले फोड़ सकते हैं | आप चित ् र बना सकते है, जैसा सबको करना चाहिए | लेकिन आप जानते हैं, बच ् चों की किताबो के साथ एक समस ् या है: मुझे लगता वो प ् रचार से भरे हुए हैं | कम से कम एक भारतीय के लिए, जो पार ् क स ् लोप में इन अमेरिकन किताबो को ले रहा है, उस के लिए तो रहने ही दो | मैं इस तरह बड़ा नहीं हुआ था | तो मैं कहा "" मैं इसका मुकाबला करूँगा अपने प ् रचार के साथ "" अगर आप ध ् यान दे, यह समलैंगिक पुरुषों का जोड़ा बच ् चे को बड़ा कर रहा है | आपको यह पसंद नहीं है? इसे हिलाए, और अब समलैंगिक महिलाओं का जोड़ा है | (हँसी) इसे हिलाए, और अब पुरुष और महिला का जोड़ा | आपको पता है, मैं असल में आदर ् श परिवार के संकल ् पना में विश ् वास भी नहीं करता | मुझे आपको मेरे बचपन के बारे में बताना होगा | मैं नन और फादर के द ् वारा पढाये जाने वाले ¼ इस अच ् छे मिशनरी स ् कुल में गया | असल में, मुझे नेक आदमी बनने के लिए बढ़ा किया गया, और मैं हूँ | और दिन खत ् म होने पर एक परंपरागत हिंदू परिवार में जाता था, जो कि शायद केवल एक ही हिंदू परिवार है एक बहुल मुस ् लिम इलाके में | असल में, मैं हर धार ् मिक त ् यौहार मनाता हूँ | वास ् तव में, जब हमारे पड़ोस में शादी थी, हम सभी ने अपनी घरो को शादी के लिए पोता था | मुझे याद है हम बहुत रोये थे जब वो छोटी बकरियाँ जिनके साथ हम खेले थे बिरयानी बन गयी | (हँसी) हम सभी रमजान में उपवास रखते थे | वो खूबसूरत समय था | लेकिन मैं बताऊंगा, मैं कभी नहीं भूलूँगा, जब मैं 13 साल का था, यह हुआ | बाबरी मस ् जिद — सबसे खूबसूरत मस ् जिदों में एक, बाबर के द ् वारा बनायीं गयी, मैं सोचता हूँ, सोलहवी शताब ् दी में — हिंदू कार ् यकर ् ताओं के द ् वारा गिरा दी गयी | इससे शहर में बहुत दंगे हुए | और पहली बार, मुझे प ् रभाव पड़ा इस सांप ् रदायिक अशांति से | मेरे पड़ोस का छोटा पांच साल का बच ् चा दौड़ते हुए आया, और बोला "" रग ् स, रग ् स "" तुम ् हे पता है हिंदू हम मुस ् लिमो को मार रहे है, सावधान रहो "" मैंने कहा "" दोस ् त, मैं हिंदू हूँ "" (हँसी) वोह बोला "" हैं "" आप जानते हैं, मेरा काम प ् रभावित है ऐसी घटनाओ से | यहाँ तक मेरी प ् रदर ् शनी में, मैं एतिहासिक घटनाओ में वापस जाने की कोशिश कर रहा हूँ जैसे बाबरी मास ् जिद, उसके केवल भावनात ् मक अवशेषों को निकाल रहा हूँ अपनी ज ़ िन ् दगी को याद कर सोचिये अगर इतिहास को अलग ढंग से सिखाया जाए | वो बच ् चो की किताब याद है जहाँ आप हिलाते है और पालको का लिंग बदल जाता है? मेरे पास एक और विचार है | यह बच ् चो की किताब भारत के स ् वतंत ् रता के बारे में है — बहुत देशभक ् तिपूर ् ण | लेकिन जब इसे हिलाते है, आपको पाकिस ् तान का परिप ् रेक ् ष ् य मिलता है | फिर से हिलायिये, और आपको ब ् रिटिश का परिप ् रेक ् ष ् य मिलता है | (अभिवादन) आपको पक ् षपात से तथ ् य को अलग करना होगा, हैं ना | मेरी बच ् चो की किताबो में भी मासूम और धुंधले जानवार हैं | लेकिन वो भूगोलीय राजनीति खेल रहे है | वो इजरायल-फिलिस ् तीन खेल रहे है, भारत-पाकिस ् तान | आप जानते है, मैं एक बहुत महत ् वपूर ् ण तर ् क दे रहा हूँ | और मेरा तर ् क है कि सिर ् फ एक तरीका है रचनात ् मकता सिखाने का बच ् चो को परिप ् रेक ् ष ् य सिखा कर आरंभिक अवस ् था में | आखिरकार, बच ् चों की किताबे परवरिश पर नियम पुस ् तिका है, तो बेहतर है कि आप उन ् हें बच ् चो की किताबे दे जो उन ् हें परिप ् रेक ् ष ् य सिखाए | और उल ् टे, सिर ् फ जब आप परिप ् रेक ् ष ् य सिखायेंगे एक बच ् चा कल ् पना करने के योग ् य होगा और खुद को किसी और कि अवस ् था में रख सकेगा जो उससे अलग है | मैं तर ् क दे रहा हूँ कि कला और रचनात ् मकता सहानुभूति के लिए जरुरी सामान है | आप जानते है, मैं अपने बच ् चे को बिना पक ् षपात के जीवन का वादा नहीं कर सकता — हम सभी पक ् षपाती हैं — लेकिन मैं अपने बच ् चे को विभिन ् न परिप ् रेक ् ष ् य के साथ पक ् षपात का वादा करता हूँ | बहुत बहुत धन ् यवाद | (अभिवादन) हैलो, मैं केविन अलोका हूँ, मैं यू ट ् यूब का ट ् रेंड ् स मैनेजर हूँ, और मेरा पेशा ही यू ट ् यूब विडियो देखना है । यह सच है । आज हम थोड़ी सी बात करेंगे कि कैसे विडियो तेज़ी से फैलते हैं । और यह हमारे लिए अहमियत क ् यों रखता है । हम लोग बहुत बड़े स ् टार बनना चाहते हैं सेलेब ् रिटी, गायक या कमेडियन जब मैं छोटा था तो यह बहुत ही मुश ् किल लगता था । अब तो वेब विडियो ने ऐसा कर दिया है कि हम में से कोई भी, या हमारी कोई भी रचनात ् मक चीज़ बहुत ही मशहूर हो सकती है, हमारी दुनिया की संस ् कृति का हिस ् सा हो सकती है । और कोई भी इंटरनेट पर अगले शनिवार तक मशहूर हो सकता है । लेकिन यू ट ् यूब में हर मिनट 48 घंटे के विडियो अपलोड किये जाते हैं । और इनमें से बहुत थोड़े ही वायरल हो पाते है, जिनको लाखों लोग देखते है और सांस ् कृति आंदोलन बन जाते हैं । ऐसा कैसे होता है? इसमें तीन चीज़ें हैं । रुचि पैदा करने वाले, भाग लेने वालों का समूह और अप ् रत ् याशितता | ठीक है, आगे चलते हैं । (बेअर वास ् कास का विडियो) हे भगवान, हे भगवान, हे भगवान वाह! हो......, वाह............ पिछले साल, बेअर वास ् कास ने यह विडियो पोस ् ट किया था । इसे उसने योसिमिटी नेशनल पार ् क में अपने घर के आगे बनाया था । 2010 में इसको 2.3 करोड़ लोगों ने देखा था । (हंसी) यह चार ् ट है जब वह पिछली गरमियों में मशहूर हुआ । पर उसने वायरल विडियो बनाने के बारे में नहीं सोचा था वह सिर ् फ़ सबको इंद ् रधनुष दिखाना चाहता था । क ् योंकि तुम यही करोगे, अगर तुम ् हारा नाम योसिमिटी पहाड़ी भालू है । (हंसी) असल में उसने कई प ् रकृति पर बने विडियो पोस ् ट किये हैं । दरअसल यह विडियो तो काफ़ी पहले जनवरी में पोस ् ट किया गया था । तो यह कैसे हुआ? जिमी किमेल ने दरअसल यह ट ् वीट पोस ् ट की और इसी ने ही इस विडियो को इतना मशहूर बना दिया । जिमी किमेल जैसे रुचि पैदा करने वाले ही नई और मज़ेदार चीज़ों से हमारा परिचय कराते है और उनको दर ् शकों की बड़ी संख ् या तक पहुँचाते हैं । (विडियो) रिबेक ् का ब ् लैक; ♫ इट ् स फ़ ् राइडे, फ़ ् राइडे, गोट ् टा गेट डाउन ओन फ़ ् राइडे ♫ ♫ एवरीबाडी इस लुकिंग फ़ोरवर ् ड टू द विकेंड, विकेंड ♫ ♫ फ़ ् राइडे, फ़ ् राइडे, गेटींग डाउन ओन फ़ ् राइडे ♫ केविन: आप लोगों यह तो ने नहीं सोचा कि हमारी बात होगी और और हम इस विडियो के बारे में बात नहीं करेंगे । रेबेक ् का ब ् लैक का "" फ़ ् राइडे "" इस साल के सबसे मशहूर विडियो में से एक है । इसको 20 करोड़ के करीब लोगों ने देखा है । इसका चार ् ट इस तरह दिखता है । "" दोहरे इंद ् रधनुष "" की तरह ही है । लगता है कि यह तो अचानक कहीं से निकल आया । सो इस दिन क ् या हुआ? बिल ् कुल, इस दिन शुक ् रवार (फ़ ् राइडे) ही था, यह सच है अगर आप इन चोटियों के बारे में सोच रहे हैं, तो वे भी शुक ् रवार ही हैं । (हंसी) और यह दिन.. यह खास शुक ् रवार टोश.0 ने इसको लिया और बहुत से ब ् लाग इसके बारे में लिखने लगे । मास ् ट ् री साइंस थियेटर का माइकल जे. नेलसन उन पहले लोगों में से एक है जिसने इसके बारे मे ट ् वीटर पर मज़ाक किया । पर खास बात यह है कि एक इंसान या कुछ रुचि पैदा करनेवालो के ग ् रुप ने यह सोचा और बहुत लोगों के साथ इस को शेयर किया और इसको तेज़ी से मशहूर किया । और इस तरह लोगों का एक समूह बन गया । उन लोगों का जो इस तरह के मज़ाक शेयर करते है । और वे इसके बारे में बात करने लगे और इसके साथ कुछ खेलने लगे । अब यू ट ् यूब में "" फ़ ् राइडे "" की 10,000 से ज़ ् यादा पैरोडियाँ हैं । पहले सात दिनों में भी हफ़ ् ते के हर दूसरे दिन एक पैरोडी आती थी । (हंसी) 20वीं सदी के एकतरफ़ा मनोरंजन से अलग इस समूह का इसमें भाग लेना इस पूरी घटना का हिस ् सा बन गया - या इसको फैलाने में या इसके साथ कुछ नया करने में (संगीत) तो "" न ् यान कैट "" एक बचकाना कार ् टून है इसमें बचकाना संगीत है और यह बस इसी तरह है | इस साल लगभग 5 करोड़ बार देखा गया । अगर आपको लगता है कि यह अजीब बात है तो आपको मालूम होना चाहिए कि इसका तीन घंटे का वरज़न भी है । और उसको भी चालीस लाख बार देखा गया है । (हंसी) बल ् कि बिल ् लियाँ भी इस विडियो को देख रही थीं । (हंसी) बिल ् लियाँ देख रही थीं कि कैसे दूसरी बिल ् लियाँ इसको देख रही हैं । (हंसी) खास बात यहाँ यह है कि यहाँ कुछ बनाने की इच ् छा को बढ़ावा मिला है - इंटरनेट और कंप ् यूटर वालों के दिमाग में । और कुछ रिमिक ् स भी बनाये गये | (हंसी) किसी ने पुराने समय का वरज़न बनाया । (हंसी) और यह एकदम इंटरनेशनल बन गया । (हंसी) सब रिमिक ् स करनेवाले जोश में आ गए । और एक बचकाने मज़ाक से यह ऐसी चीज़ बन गई कि हम सब इसमें हिस ् सा ले सकें क ् योंकि हम सिर ् फ़ मज़ा ही नहीं उठाते बल ् कि हम इसमें हिस ् सा भी लेते हैं । किसने कभी ऐसा सोचा होगा? किसने सोचा होगा कि "" दोहरा इंद ् रधनुष "" या "" रेबेक ् का ब ् लैक "" या "" न ् यान कैट ""? तुमने ऐसा क ् या लिखा होगा जिसमें यह सब हो? इस दुनिया में जहाँ हर मिनट में दो दिन के विडियो अपलोड किये जाते हैं सिर ् फ़ वही जो अलग से हैं और चकित करने वाले हैं. यहाँ मशहूर हो सकते हैं । जब मेरे दोस ् त ने मुझे कहा कि यह विडियो देखो जिसमें एक आदमी न ् यूयार ् क में साइकिलवालों के चालान का विरोध कर रहा है मैं मानता हूँ कि मुझे कोई रुचि नहीं थी । (विडियो) कैसे नाइस ् टाट: मुझे साइकिल के लेन पर नहीं चलाने के लिए चालान किया गया, पर वहाँ हमेशा कई बाधाएं होती हैं जिनके कारण बाइक लेन पर साइकिल नहीं चला सकते । (हंसी) केविन: एक अजूबा और मज़ाकिया होने के कारण कैसी नाइस ् टाट को एक मज़ेदार आइडिया मिल गया और यह 50 लाख बार देखा गया । तो यह बात कोई भी नयी रचनात ् मक चीज़ हम करते हैं उसके लिए सही है । और इसके कारण एक सवाल उठता है इसका क ् या मतलब है? ओह (हंसी) केविन: इसका क ् या मतलब है? रुचि पैदा करनेवाले, रचनात ् मक हिस ् सा लेने वाला समूह और अप ् रत ् याशितता । ये नये मिडिया और नई संस ् कृति के विशेषताएँ हैं जहाँ सब को पूरा मौका है और दर ् शक इसकी लोकप ् रियता निर ् धारित करते हैं । मैं कहना चाहता हू, जैसा कि पहले मैंने कहा, अभी दुनिया का सबसे बड़ा स ् टार जस ् टिन बीबर, जिसकी शुरुआत यू ट ् यूब से ही हुई । आपकी कल ् पना को किसी की हरी झंडी नहीं चाहिए । और हम सब अपने पॉप संस ् कृति में अपने को अपना मालिक महसूस करते हैं | और ये पुराने मिडिया की विशेषताएँ नहीं हैं । और आज के मिडिया के लिए भी सच नहीं है, पर यह ही भविष ् य के मनोरंजन का रूप होंगे । धन ् यवाद | तालियाँ अब मैं आपके साथ वो तीन बातें बाँटना चाहता हूँ जो मुझे उस दिन अपने बारे में पता लगीं । — - "" मैं बेकार शराब इकट ् ठा करता हूँ "" कुछ खास ऊपर नही — - और अपनी इंसानी गल ् तियों के बीच भी, मैनें हर काम को बेहतर करने की कोशिस की है । मैं नहीं चाहता कि ये जहाज़ २० टुकडों में बँट जाये जैसा कि और जैसे जैसे हम नीचे आ रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे कि हम सारी ज़िंदगी इस के लिये ही तैयारी कर रहे थे । मगर सोचिये — - कि आप को वो कैसे बदल देगा? मैं आपका परिचय एक महान महिला से करना चाहता हूँ | उनका नाम है दविनिया | दविनिया का जन ् म जमैका में हुआ था, १८ वर ् ष की उम ् र में वे अमेरिका चली गईं और अब वे वाशिंगटन डी.सी.के निकट हैं | वे कोई उच ् चस ् तरीय राजनीतिक कर ् मचारी नहीं हैं | और न ही कोई लॉबीस ् ट | वे शायद आपको कहेंगी की बहुत साधारण हैं | पर उनके कारण एक बहुत असाधारण परिवर ् तन हो रहा है | दविनिया की ख़ास बात यह है की वे हर सप ् ताह समय देती हैं उन लोगों के लिए, जो उनके जैसे नहीं हैं: जो उनके आस पास नहीं हैं, उनके प ् रदेश या देश में भी नहीं । लोग जिनसे वे शायद कभी न मिलें दविनिया का प ् रभाव कुछ वर ् ष पूर ् व शुरू हुआ जब उन ् होंने फेसबुक पे अपने मित ् रों से संपर ् क किया, और उनसे छुट ् टे पैसे दान करने को कहा जिसे वे लड़कियों की शिक ् षा पर खर ् च कर सकें | उनको बहुत बड़ी धन राशि की आशा नहीं थी | परन ् तु, ७०,००० पैसे मिलने पर उन ् होंने १२० लड़कियों को स ् कूल भेजा उन ् होंने मुझे बताया की वे अपने पास के बैंक में बदनाम हैं | क ् योंकि वे हर बार सैंकड़ों सिक ् के जमा करने आती हैं आज, दविनिया अकेली नहीं हैं | बिलकुल भी नहीं | वे एक प ् रगतिशील अभियान का हिस ् सा हैं | और दविनिया जैसे लोगों को कहते हैं: वैश ् विक नागरिक एक वैश ् विक नागरिक वह होता है जो सबसे पहले अपनी पहचान एक राज ् य, जनजाति या राष ् ट ् र के सदस ् य के रूप में नहीं बल ् कि मानव जाति के सदस ् य के रूप में बनते हैं | वह, जो इस विश ् वास के सहारे, दुनिया की परेशानियों के हल खोजने के लिए तैयार है | हमारा काम ऐसे वैश ् विक नागरिकों का समर ् थन व उनको सक ् रिय बनाने पर केंद ् रित है | ये हर देश में, हर जगह हैं | मैं आपको बताना चाहता हूँ की इस विश ् व का भविष ् य इन वैश ् विक नागरिकों पर निर ् भर है | मेरा मनना है की यदि ऐसे और वैश ् विक नागरिक इस दुनिया में हों, तो गरीबी, जलवायु परिवर ् तन, लिंग असमानता जैसी प ् रत ् येक चुनौती का समाधान मिल सकता है | ये वैश ् विक मुद ् दे हैं, और अंततः, इनके वैश ् विक समन ् धान वैश ् विक नागरिकों द ् वारा मांगने पर नेताओं पर मिल सकते हैं | इस सोच पर कुछ लोगों की पहली प ् रतिक ् रिया ये होती है की यह विचार काल ् पनिक या बहुत आदर ् शवादी है | तो आज मैं अपनी एक छोटी सी कहानी सुनाता हूँ | मैं यहाँ कैसे पहुंचा, और इसका दविनिया से क ् या सम ् बन ् ध है | और शायद, आप सब से भी | मैं मेलबोर ् न, ऑस ् ट ् रेलिया मैं पला बड़ा और मैं उन परेशान करने वाले बच ् चों जैसा था जो हमेशा पूछा करता था - "" क ् यों? "" शायद आप भी मेरे जैसे थे | मैं अपनी माँ से बहुत से सवाल करता | मैं उनसे पूछता कि "" मैं सारे दिन खिलौनों से क ् यों नहीं खेल सकता? "" "" आपको फ ् रेंच फ ् राइज क ् यों चाहिए? झींगा क ् या होता है? और मैं बन ् दर पे मूंगफली क ् यों नहीं फ़ेंक सकता? "" (हंसी) "" और मम ् मी - यह कैसे हेयर कट है? और क ् यों? "" (हंसी) और मेरे ख ् याल से सबसे भद ् दा हेयर कट अब तक भद ् दा है | और इसलिए मुझे लगता था की मैं दुनिया बदल सकता हूँ, मझे पूरा विश ् वास था | और जब मैं १२ वर ् ष का था हाई स ् कूल के पहले वर ् ष में, मैं पैसे जुटाने शुरू कर दिया विकासशील देशों में समुदायों के लिए | हम बच ् चे बहुत उत ् साहित थे | ऑस ् ट ् रेलिया के स ् कूलों में सबसे ज़ ् यादा चन ् दा हमने जमा किया | और इस कारण हमें पुरस ् कृत किया गया फीप ् पीन ् स भेज गया और जानने के लिए | ये वर ् ष था १९९८ | हमें मनिला शहर के निकट एक झुग ् गी बस ् ती में भेज गया | वहां मेरी दोस ् ती सन ् नी बॉय से हुई | वो कचरे के बड़े ढेर पर रहता था | वे लोग उसे कचरे का पर ् वत कहते थे | और वो कोई सुन ् दर पर ् वत नहीं था, वो एक गन ् दा बदबूदार कचरे का ढेर था, जिस पर सन ् नी जैसे बच ् चे घंटों कचरा छांटते थे, ताकि शायद कुछ अच ् छी वस ् तु मिल जाये | सन ् नी बॉय और उसके परिवार के साथ बिताई उस रात ने मेरी ज़िन ् दगी बदल दी क ् योंकि जब सोने का समय हुआ, हम एक बहुत छोटे और सख ् त फर ् श पर लेटे मैं, सन ् नी और सन ् नी का पूरा परिवार | सात लोग एक लम ् बी रेखा में, और हमारे चारों तरफ, गन ् दी बदबू और हमारे चारों तरफ कॉकरोच रेंग रहे थे | मैं बिलकुल नहीं सो सका मैं लेते हुए सोचता रहा, "" जब मेरे पास इतना कुछ है, लोगों को ऐसे क ् यों रहना पड़ता है? सन ् नी बॉय के सपने इस बात पर क ् यों निर ् भर हों की वह कहाँ पैदा हुआ है? या जिसे वॉरेन बफे ने कहा है - जन ् म की लाटरी मैं समझ नहीं पा रहा था | मैं जानना चाहता था - क ् यों? मुझे बहुत बाद में समझ आया की जो गरीबी मैंने फिलीपींस में देखी थी वो एक के बाद एक आयीं औपनिवेशिक शक ् तियों और भ ् रष ् ट सरकारों के निर ् णयों का परिणाम था, जिनको सन ् नी बॉय के हितों से कुछ लेना देना नहीं था | शायद वो कचरे का पहाड़ उनके कारण ही बन था | और हम सन ् नी बॉय जैसे बच ् चों की मदद सिर ् फ कुछ पैसे भेज के नहीं कर सकते, या उस कचरे को साफ़ करके नहीं कर सकते | क ् योंकि इसकी मूल समस ् या कहीं और है | और जैसे जैसे मैंने सामाजिक विकास का काम आगे बढ़ाया,एच आई वी और एड ् स की जानकारी दी मुझे समझ आया कि सामाजिक विकास कार ् य समाज के द ् वारा ही चलाये जाने चाहिए और हालांकि दान आवशयक है, केवल दान पर ् याप ् त नहीं | हमें इन चुनौतियों का सामना करना है - एक वैश ् विक स ् तर पर और एक व ् यवस ् थित तरीके से | मैं बस एक अच ् छी चीज़ कर सकता था वो है अपने देश के नागरिकों को प ् रोत ् साहित करना की वे देश के नेताओं को इस व ् यवस ् थित बदलाव में संलग ् न करें | इसलिए, कुछ वर ् ष बाद, मैं कुछ कॉलेज के मित ् रों के साथ, गरीबी हटाओ अभियान को ऑस ् ट ् रेलिया लाया | हमारा सपना था की हम एक छोटा सा कॉन ् सर ् ट जी-२० के आस पास, आस ् ट ् रेलियाई कलाकारों के साथ करें | और अचानक एक दिन हमें, बोनो, दी एज, और पर ् ल जैम से फ़ोन आया | वे सब कॉन ् सर ् ट में गाने के लिए तैयार थे | आप देख सकते हैं, उस दिन मैं कुछ ज़ ् याद ही उत ् साहित था | (हंसी) और हम बहुत हैरान हुए कि ऑस ् ट ् रेलियाई सरकार ने हमारी सामूहिक आवाज़ सुनी और वैश ् विक स ् वास ् थ ् य और विकास में अपना निवेश दुगना कर दिया- अतिरिक ् त ६२० करोड़ डॉलर! और हमें लगा जैसे | (तालियां) जैसे हमें एक बहुत बड़ी मान ् यता मिली हो | नागरिकों का समर ् थन जुटा कर हम सरकार को मन सके एक अकल ् पनीय पहल करने के लिए हमारे देश से मीलों दूर की समस ् या सुलझाने के लिए | पर क ् या आप जानते हैं? ये पहल ज़ ् यादा दिन नहीं रही | सरकार बदली, और ६ वर ् ष बाद, वो सारी रकम ओझल हो गयी | तो हमने क ् या सीखा? हमने सीखा कि एक-आद पहल काफी नहीं | हमें एक स ् थायी आंदोलन की ज़रुरत है, जो किसी राजनेता की मनोदशा या आर ् थिक माहौल पर निर ् भर नहीं हो | और ये हर जगह होना है; नहीं तो हर सरकार, इस वैश ् विक ज़िम ् मेदारी को अकेले न कर पाने का कोई न कोई बहाना बना देगी | हमने अपने आप से पूछा कि हम कैसे इतना दबाव बनाएं और कैसे एक ऐसी व ् यापक सेना खड़ी करें कि हम इस लड़ाई को स ् थाई रूप से जीत सकें? और हमें एक ही रास ् ता नज़र आया | हमें इस गरीबी हटाओ अभियान से जुड़े सभी लोगों के अल ् पकालिक उत ् साह को दीर ् घकालिक जूनून में बदलने की ज़रुरत थी | इसे उनकी पहचान का हिस ् सा बनाना था इसलिए २०१२ में हमने एक संगठन की स ् थापना की और इसके लिए हमें एक ही नाम सूझा: वैश ् विक नागरिक | ये नागरिकों कार ् य करने के बारे में है और शोध के आंकड़ों से पता चला और शोध के आंकड़ों से पता चला की जो लोग इन वैश ् विक मुद ् दों की परवाह करते हैं, उनमे से सिर ् फ १८% ने इसके बारे में कुछ किया है | जब हज़ारों वैश ् विक नागरिक एक दुसरे से प ् रेरित होते हैं, तो उनकी शक ् ति चकित कर देती है | दविनिया जैसे वैश ् विक नागरिकों ने विश ् व बैंक को जल व स ् वछता में निवेश बढ़ाने के लिए राज़ी किया | ये देखिए विश ् व बैंक के प ् रमुख जिम किम १५०० करोड़ डॉलर की घोषणा करते हुए | भारत के प ् रधान मंत ् री मोदी जी भी २०१९ तक हर घर व स ् कूल में शौचालय बनाना चाहते हैं | टीवी कलाकार स ् टीफेन कोल ् बर ् ट से प ् रोत ् साहित होकर वैश ् विक नागरिकों ने नॉर ् वे में ट ् विटर की मुहीम छेड़ी वहां की प ् रधानमंत ् री - अर ् ना सोलबर ् ग ने उनकी मुहीम को समझा और लड़कियों की शिक ् षा में निवेश दुगना कर दिया वैश ् विक नागरिकों ने रोटरी क ् लब के साथ कनाडा, ब ् रिटेन व ऑस ् ट ् रेलियाई सरकारों को पोलियो मुक ् ति अभियान में निवेश बढ़ाने को राज़ी किया और मिलकर ६६.५ करोड़ डॉलर प ् रतिबद ् ध कराये | पर इस सब के बावजूद हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है | शायद आप सब मन ही मन सोच रहे होंगे कि आप कैसे इन बड़े नेताओं का ध ् यान वैश ् विक मुद ् दों पर ला सकते हैं | शायद अमरीकी राजनीतिज ् ञ टिप ओ 'नील ने ठीक कहा था - "सभी राजनीति स ् थानीय है" इस तरह स ् थानीय या राज ् यीय हितों के लिए काम करके ही राजनेता निर ् वाचित होते हैं | ये बात मैंने २१ वर ् ष की उम ् र में सीखी थी | मेरी मुलाकात तब के ऑस ् ट ् रलिाई विदेश मंत ् री - जिनका में नाम नहीं लूंगा - से हुई थी | [एलेग ् जेंडर डाउनर] (हंसी) अकेले में मैंने उनको"" मंत ् रीजी, ऑस ् ट ् रेलिया के पास इस सदी के वैश ् विक लक ् ष ् य को पाने अनोखा मौका है "" उन ् होंने मुझे रोका, और नकारात ् मक रूप से देखा, और कहा - "" हुघ, विदेशी सहायता की ऐसी की तैसी | "" बस उन ् होंने "" ऐसी की तैसी "" की जगह कुछ और कहा | आगे उन ् होंने कहा - हमें पहले अपने बारे में सोचना चाहिए मेरे हिसाब से, ये पुरानी, और खतरनाक सोच है | या जैसे मेरे दादाजी कहा करते थे - बिलकुल बकवास! संकीर ् णता इस गलत सोच की जड़ है, क ् योंकि इस से दो देशों के गरीब एक दूसरे प ् रतिद ् वंदी बनते हैं, ये सोच के कि हम खुद को दूसरे देशों से अलग कर सकते हैं दरअसल, पूरा विश ् व ही हमारा घर है ज़रा देखिये क ् या हुआ जब हमने रवांडा को, जब हमने सीरिया को नज़रंदाज़ किया, जब हमने जलवायु परिवर ् तन को नज़रंदाज़ किया | राजनेताओं को इन बातों पे ध ् यान देना चाहिए क ् योंकि जलवायु परिवर ् तन, गरीबी हम सब को प ् रभावित करते हैं | वैश ् विक नागरिक बात को समझते हैं | आज का युग वैश ् विक नागरिकों के पक ् ष में है, जहाँ हर आवाज़ सुनी जाती है | क ् या आपको याद है, जब सन ् २००० में सहस ् राब ् दि विकास लक ् ष ् य लिखे गए थे? तब संचार साधनों की पहुँच बहुत सीमित थी | तब कोई सामाजिक मीडिया नहीं था | आज, सैंकड़ों लोगों के पास बहुत से साधन है, ढेर सारी सूचना है, प ् रभाव के लिए अधिक क ् षमता है | मर ् ज़ और उनकी दवा, दोनों हमारे सामने हैं | ये दुनिया बदल गयी है और हम में से जो लोग सरहदों के पार देखते हैं, वे सही हैं | तो हम कहाँ पहुंचे हैं? हमारी मुहिम बाहत अद ् भुत है, जिसमे दुनिया भर से लोग आ रहे हैं, हमें कुछ बड़ी कामयाबियां भी मिली हैं पर क ् या हमने अपना लक ् ष ् य हासिल किया है? नहीं! अभी हमारा लक ् ष ् य बहुत दूर है | वैश ् विक नागरिकों के अभियान की संकल ् पना जो वैसे तो स ् पष ् ट है, पर कुछ मायनों में अव ् यवहारिक भी संयोग से हमारे इस ही युग में है | वैश ् विक नागरिकों के रूप में आज हमारे पास तेज़ी से एक सकरात ् मक बदलाव लाने का अवसर है | आने वाले वर ् षों में वैश ् विक नागरिक, वैश ् विक लक ् ष ् यों को हासिल करने के लिए दुनिया के नेताओं को जवाबदेह बनाएँगे | वैश ् विक नागरिक, गैर सरकारी संस ् थाओं के साथ मिल कर पोलियो व मलेरिया जैसी बीमिरियों का अंत करेंगे | वैश ् विक नागरिक दुनिया के हर कोने से आ कर सकारात ् मक बदलाव की गति और बढ़ाएंगे | और ये सब हमरी पहुँच में है | कल ् पना कीजिये वैश ् विक नागरिकों की सूचित और एकजुट सेना जो लाखों करोड़ों की संख ् या में बदलाव के प ् रति काम करे | मैंने सन ् नी बॉय से संपर ् क करने की बहुत कोशिश की | पर संपर ् क नहीं हो पाया | हम सामाजिक मीडिया के पहले मिले, और उसका पता सरकार द ् वारा बदला जा चुका है जैसा अक ् सर झुग ् गियों में होता है | एक दिन मैं उसके साथ बैठकर उसे बताना चाहता हूँ कि उसके साथ रह कर मैं कितना प ् रेरित हुआ | और उसके कारण ही मैं एक जन आंदोलन का महत ् व समझा - जहाँ बच ् चे स ् क ् रीन से बहार की दुनिया को देखते हैं - वैश ् विक नागरिक | ऐसे वैश ् विक नागरिक, जो एकजुट हो कर पूछते हैं - क ् यों? और जो नकारात ् मक सोच को दूर करके, इस दुनिया की अद ् भुत संभावनाओं को गले लगते हैं | मैं एक वैश ् विक नागरिक हूँ | और आप? धन ् यवाद! (तालियाँ) मैं बैक ् टीरिया के साथ काम करता हूँ. और मैं आप को दिखाने वाला हूँ कुछ फुटेज जो हाल ही में मैंने बनाया जहां आप बैक ् टीरिया को खनिज जमा करते देखेंगे अपने वातावरण से एक घंटे की अवधि में. आप देख रहे हैं बैक ् टीरिया को पाचन क ् रिया करते हुए और ऐसे करते हुए वे एक बिजली का प ् रभार बनाते हैं. और धातु को आकर ् षित करते हैं अपने स ् थानीय परिवेश से. और यह धातु को खनिज के रूप में जमा करते हैं जीवाणुओं की सतह पर. सबसे व ् यापक समस ् याओं में से एक लोगों के लिए आज दुनिया में है, अपर ् याप ् त उपलब ् धि पीने के साफ ़ पानी की. दी-सलिनेशन प ् रक ् रिया में हम नमक को बाहर निकालते हैं. हम इसे पीने और कृषि के लिए उपयोग कर सकते हैं. नमक पानी से निकालना - विशेष रूप से समुद ् री जल से- रिवर ् स ओसमोसिस के माध ् यम से एक महत ् वपूर ् ण तकनीक है उन देशों के लिए, जिनके पास पीने का साफ ़ पानी नहीं है दुनिया भर में. तो समुद ् री जल रिवर ् स ओसमोसिस से एक झिल ् ली फिलटरेशन प ् रौद ् योगिकी है. हम समुद ् र से पानी लेते हैं और हम दबाव डालते हैं और यह दबाव समुद ् री जल को झिल ् ली से बाहर निकालता है. स ् वच ् छ पानी का उत ् पादन, उर ् जा लेता है. लेकिन एक केंद ् रित नमक सोलुशन भी छोड ़ जाता है. लेकिन यह प ् रक ् रिया बहुत ही महंगी है और यह दुनिया भर के कई देशों के लिए लागत निषेधात ् मक है. और यह, नमकीन सोलुशन कई बार वापस समुद ् र में डाल दिया जाता है. और यह स ् थानीय पारिस ् थितिकी के लिए हानिकारक है उस समुद ् र क ् षेत ् र में जहाँ यह डाला जाता है. मैं इस समय सिंगापुर में काम करता हूँ, और यह एक जगह है कि वास ् तव में एक प ् रमुख स ् थान है डी-सलिनाशन प ् रौद ् योगिकी के लिए. और सिंगापुर का 2060 तक का प ् रस ् ताव है 90 करोड ़ लीटर प ् रति दिन का उत ् पादन डी-सलिनाशन पानी का. लेकिन यह बड ़ े रूप से नमकीन सोलुशान का भी उत ् पाद करेगा. और यहाँ, बैक ् टीरिया के साथ मेरा सहयोग काम आता है इस समय हम कर रहे हैं हम धातु जमाते रहते हैं कैल ् शियम, पोटेशियम और मैग ् नीशियम की तरह डी-सलिनाशन नमकीन से. मैग ् नीशियम के मामले में और पानी की मात ् रा जिस का अभी उल ् लेख किया है, 4.5 अरब डॉलर का खनन उद ् योग है सिंगापुर के लिए - एक जगह है जहाँ कोई भी प ् राकृतिक संसाधन नहीं है. तो मैं चाहता हूँ आप एक खनन उद ् योग की कल ् पना करे जिसके रूप का पहले अस ् तित ् व नहीं था; एक ऐसे खनन उद ् योग की कल ् पना करें जिसका मतलब पृथ ् वी को खोदना नहीं है, बैक ् टीरिया हमें मदद कर रहा है खनिजों को जमा कर एकत ् रित कर के डी-सलिनेशन नमकीन से. और आप यहाँ देख सकते हैं एक टेस ् ट ट ् यूब में एक उद ् योग की शुरुआत है, एक खनन उद ् योग जो प ् रकृति के साथ सदभाव में है. धन ् यवाद. (तालियाँ) बायेकु में आपका स ् वागत है, इकोरोदु, लेगोस का एक नदी समुदाय — एक ज ् वलंत प ् रतिनिधित ् व, नाइजीरिया के पार नदी समुदायों का, समुदाये जिसके जलमार ् ग पीड़ित हो गए हैं एक आक ् रामक जलीय खरपतवार द ् वारा; जिन ् होंने समुदायों की आर ् थिक आजीविका में रुकावट पैदा कर दी है: मछली पकड ़ ने, समुद ् री परिवहन और व ् यापार; समुदाएं, जहां मछली की पैदावार कम हो गयी है; जहां बच ् चे स ् कूल में जाने में असमर ् थ हैं दिनों, कभी कभी हफ ् तों के लिए | यह कल ् पना किसने की थी कि पौधा, जिसकी गोल पत ् तियाँ, फूली हुई तने, और दिखावटी, हलके बैगनी रंग के फूल इन समुदायों की ऐसी तबाही का कारण होगा | यह पौधा जल हह ् यसिंथ के नाम से जाना जाता है और इसका वानस ् पतिक नाम है, ऐखोर ् निआ क ् रॉसिपस | दिलचस ् प है, नाइजीरिया में, यह पौधा अन ् य नामों से भी जाना जाता है, जैसे ऐतिहासिक घटनाओं के साथ जुड ़ े नाम, और मिथकों से भी | कुछ स ् थानों में, यह पौधा बाबांगीदा के नाम से जाना जाता है | बाबांगीदा नाम, सैन ् य और सैन ् य तख ् तापलट की याद दिलाता है | और आप डर और अंकुश के बारे में सोचते हैं | नाइजीरिया के नाइजर डेल ् टा में यह पौधा अबिओला के रूप में भी जाना जाता है । अबिओला का नाम सुन रद ् द कर दिए चुनाव याद आते हैं और आप सोचते हैं धराशायी उम ् मीदें | नाइजीरिया के दक ् षिण-पश ् चिमी भाग में, यह पौधा बे 'बौरुं के नाम से जाना जाता है | बे 'बौरुं एक योरूबा मुहावरा है जिसका अनुवाद गपशप या मुखबिर है | आप अगर गपशप को सोचे, तो आपको लगेगा तेजी से प ् रजनन, विनाश । और नाइजीरिया के इगला बोलने वाले भाग में, यह पौधा आ 'पिए पो' मा के नाम से जाना जाता है, और जब आप यह सुनते हैं, आप मौत के बारे में सोचते हैं | इसका शाब ् दिक अनुवाद "" माँ और बच ् चे के लिए मौत "" है । मेरी व ् यक ् तिगत रूप से इस पौधे के साथ मुठभेड़ सं २००९ में हुई | मेरे US से नाइजीरिया लौटने के कुछ ही समय बाद | मैंने कॉर ् पोरेट अमेरिका में अपनी नौकरी छोड़ दी और एक विश ् वास की लम ् बी छलांग लगाने का फैसला लिया, एक ऐसी छलांग जो दृढ़ विश ् वास की गहरी भावना से पैदा हुई कि नाइजीरिया में अभी बहुत काम करना बाकी है संपोषणीय विकास के क ् षेत ् र में | और सन २००९ में मैं यहाँ थी, सही मायने में, सन २००९ के अंत में लेगोस में, तीसरे मुख ् यभूमि ब ् रिज पर | और मैंने अपनी बायीं ओर एक बहुत ही गिरफ ् त करने वाली छवि को देखा | वह छवि मछली पकड़ने वाली नौकाओं की थी जिन ् हे जल हह ् यसिंथ की घनी चटाई ने घेरा हुआ था | जिसे देख मुझे बहुत दुःख हुआ ओर मैंने यह सोचा, यह बेचारे मछुआरे, कैसे अपनी दैनिक गतिविधियाँ को, बिना रुकावट पूरा कर पाएंगे ओर फिर मैंने सोचा, "" इसका कोई बेहतर हल होना चाहिए | "" एक-जीत समाधान हो, जहाँ जल खरपतवार को साफ़ कर पर ् यावरण का ध ् यान रखा जाये और फिर इससे आर ् थिक लाभ में बदला जाये उन समुदायों के लिए जो सबसे ज़ ् यादा प ् रभवित हुए हैं खरपतवारों के पर ् यक ् रमन से | वह, मैं कहूँगी, मेरी कल ् पना की शुरुआत थी | और इसलिए, खरपतवारों के फायदे जानने के लिए मैंने और अधिक खोज की | कई विकल ् पों में, एक सबसे ज़ ् यादा उचित महसूस हुआ वह था, इस पौधे का हस ् तशिल ् प में उपयोग | और मैंने सोचा, "" क ् या माहान विचार है | "" व ् यक ् तिगत रूप से मुझे हस ् तशिल ् प कला से प ् यार है, विशेष रूप से हस ् थशिल ् प जो एक कहानी के इर ् द गिर ् द बने गए हो | और मैंने सोची, "" यह आसानी से समुदायों में असरदार तरीके से इस ् तेमाल किया जा सकता है बिना किसी तकनिकी योग ् यता के | "" और मैंने खुद में सोचा, "" एक बड़े समाधान के लिए तीन सरल कदम | "" पहला कदम: जलमार ् गों पे जल हह ् यसिंथ की फसल कटाई करना इस तरह, आप रास ् ता निर ् माण करेंगे | दूसरा, आप जल हह ् यसिंथ की तनो को सुखाएं | और तीसरा, उन सुखी हुयी तनो से पदार ् थों की बुनाई करें | तीसरा कदम एक चुनौती था | मैं पृष ् ठभूमि से एक कंप ् यूटर वैज ् ञानिक हूँ कोई रचनात ् मक कला से नहीं | और इस तरह, मेरी बुनाई सीखने की तलाश शुरू हुई | और यह तलाश मुझे इबादों के एक समुदाय सबो, में ले गयी जहाँ मैं रहती थी | सबो का अनुवाद है "" अजनबियों के घर | "" और यह समुदाय प ् रमुख तौर पर उन लोगों से बना है जो इस देश की उत ् तरी भाग से आते हैं | और मैंने सच में, वे सूखे खरपतवार हाथ में लिए वहां और भी ढेर सारे थे, और हर घर का दरवाज़ा खटखटाया, एक शिक ् षक की खोज में जो मुझे सुखी खरपतवार से बुनाई सीखा सके | और इस तरह मुझे निर ् देशित किया गया मालाम याहया के छप ् पर की ओर हालांकि, समस ् या यह है, मालाम याहया अंग ् रेजी में बात नहीं करता ओर ना मैं होउसा में बात करती हु | लेकिन कुछ नन ् हे बच ् चे मेरे राहत में आये ओर अनुवाद में मदद की | ओर यूँ मेरा बुनाई सीखने का और उंन सुखी जल हह ् यसिंथ की तनो को लम ् बी रस ् सियों में परिवर ् तित करने का सफर शुरू हुआ | अब मैं, लम ् बी रस ् सियों से पदार ् थ बनाने के लिए समर ् थ थी | वो साझेदारियों की शुरुआत थी | रत ् तान टोकरी निर ् माताओं के साथ काम करके, पदार ् थ बनाना | इन ् हे हाथ में ले, मैं आत ् म विश ् वास महसूस कर पा रही थी कि मैं यह ज ् ञान जल समुदायों में ले कर जा सकती हु और उनकी कठिनाईयों को समृद ् धि में बदलने में मदद कर सकती हु इन खरपतवारों की बुनाई से उत ् पादित पदार ् थ बेचे जा सकें | ताकि हमारे पास कलम हों, भोजन पत ् र हों, पर ् सेस हों, टिश ् यू बॉक ् सेस हों ताकि हम समुदायों को जल हह ् यसिंथ को देखने का दूसरा नजरिया दें | जल हह ् यसिंथ को मूल ् यवान की तरह देखें, सौंदर ् य से भरा, लचीला, कठिन, टिकाऊ । नाम बदलें, आजीविका बदलें | बे 'बोरूँ, गपशप से ओलुसोतां कथाकार तक और आ 'पिये पो' मा से लेकर, जो "" माँ और बच ् चे का कातिल "" है, या दू जु 'एं' ईए पो 'माँ तक, "माँ और बच ् चे के लिए भोजन का प ् रदाता ।" अंततः मैं मिकेल मार ् गोलिस के उद ् धरण से अंत करना चाहूंगी | उन ् होंने कहा था, अगर आप किसी संस ् कृति को समझना चाहते हैं, तो उनकी कहानियां सुने | और अगर संस ् कृति को बदलना चाहते हैं, तो कहानियां बदल दें तो, मकोको समुदाय से ले कर, अबोबिरि तक, एवोि तक, कोलो तक, ओवव ् हा तक, एसबा, हम कहानी बदल चुके हैं | सुनने के लिए धन ् यवाद | (अभिवादन) मैं पांच साल की हूँ, और मुझे अपने आप पर गर ् व है. मेरे पिता ने युक ् रेन के हमारे छोटे से गाँव में एक नया शौचालय बनाया है. शौचालय के अन ् दर जमीन में एक बदबूदार गड ् ढा है, लेकिन बाहर यह सफ ़ ेद फॉर ् मिका से बना है जो सूरज की रोशनी में चमकता है. इस शौचालय के कारण मुझे इतना गर ् व होता है कि मैंने खुद को अपने दोस ् तों के छोटे से ग ् रुप में मैं लीडर बन गयी हूँ और मैं ग ् रुप के लिए मिशन तय करती हूँ. तो हमलोग एक घर से दूसरे घर दौड ़ ते फिरते हैं मकड ़ ी के जालों में फंसे कीट-पतंगों को ढूंढते हुए. और फिर हम उन ् हें आजाद करते हैं. चार साल पेहले, जब मैं एक साल की थी, चेर ् नोबिल दुर ् घटना के बाद काले रंग की बारिश हुई और मेरी बहन के बाल गुच ् छों में टूट कर गिरने लगे, और मैंने नौ महीने अस ् पताल में बिताए. अस ् पताल में विजिटर ् स का आना मना था, इसलिए मेरी मां ने अस ् पताल के एक कर ् मचारी को रिश ् वत दी. उसने किसी तरह एक नर ् स की यूनिफ ़ ॉर ् म की व ् यवस ् था की और हर रात वह चुपके से अस ् पताल में घुस आती थी और मेरे बगल में बठी रहती थी. पांच साल बाद, अचानक से हमारे अच ् छे दिन शुरू हुए. भला हो चेर ् नोबिल घटना का, हमें अमरीका में शरण मिली. मैं छह साल की हूँ, और अपना देश छोड ़ कर अमरीका आते हुए मैं बिलकुल नहीं रोई क ् योंकि मुझे लगता है कि यह केलों, चौकलेट ् स और बज ़ ूका बबलगम जैसी अच ् छी और दुर ् लभ चीजों से भरी हुई जगह होगी. बज ़ ूका बबलगम जिसके अन ् दर छोटे कार ् टून रैपर ् स होते हैं वो बज ़ ूका जो हमें यूक ् रेन में साल में एक बार नसीब होती थी और उसे ही हमें एक हफ ् ते तक चबाना होता था. तो पहले दिन ही जब हम न ् यूयॉर ् क जाते हैं, मुझे और मेरी दादी को एक सिक ् का मिलता है जिस शरणार ् थी शिविर में मेरा परिवार रहता है उसी में जमीन पर गिरा हुआ. लेकिन हमें नहीं पता कि यह शरणार ् थी शिविर है हमें तो लगता है कि यह एक होटल है, ऐसा होटल जिसमें बहुत चूहे हैं. तो, हमें जमीन में गिरा हुआ वो गन ् दा-मैला सिक ् का मिलता और हम मन में सोचते हैं कि जरूर किसी अमीर आदमी वह सिक ् का वहां भूल गया होगा क ् योंकि आम लोग थोड ़ े न अपने पैसे खोते हैं और मैं उस सिक ् के को अपनी हथेली में लेती हूँ यह जंग लगा हुआ चिपचिपा सा सिक ् का है लेकिन मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरे हाथ में कोई खजाना रखा हो मैं तय करती हूँ कि मैं इस सिक ् के से सिर ् फ अपने लिए और उस पल में मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं करोड ़ पति हूँ. करीब एक साल के बाद, मुझे फिर से वैसी ही खुशी महसूस हुईऔर अचानक से मेरे पास इतने सारे खिलौने हो गए जितने मैंने पूरी ज ़ िंदगी में नहीं देखे थे. और एक बार फिर मुझे वैसी ही खुशी होती है जब ब ् रुकलिन के हमारे अपार ् टमेंट के दरवाजे पर कोई दस ् तक देता हैहाथों में एक पिज ् जा बॉक ् स लिए, जो कि हमनें ऑर ् डर ही नहीं किया था. तो हमलोगों वो पिज ़ ् ज ़ ा ले लेते हैं, हमारी ज ़ िंदगी का पहला पिज ़ ् ज ़ ा. और हम एक के बाद एक, सारे स ् लाइस खा जाते हैं. और वो डिलीवरी वाला बरामदे में ठिठक कर हमें खाते हुए देखता रहता है. और फिर वह पैसे मांगता है, लेकिन हमें तो अंग ् रेजी आती ही नहीं. मेरी मां बाहर आती है, और वह मां से पैसे मांगता है लेकिन उसके पास उतने पैसे नहीं होते हैं. सिर ् फ इसलिए कि बस किराए के पैसे बचा सके. और तभी हमारी पड ़ ोसन दरवाजे से झांकती है और वह गुस ् से से आगबबूला हो जाती है जब उसे पता लगता है कि नीचे वाले अप ् रवासी लोग उसका पिज ़ ् ज ़ ा लेकर खा गए हैं. इस वक ् त हर कोई परेशान है. लेकिन पिज ़ ् ज ़ ा सचमुच स ् वादिष ् ट है. यह मुझे बहुत सालों के बाद महसूस हुआ कि हम कितने गरीब थे. अमरीका आने की दसवीं सालगिरह पर हमने तय किया कि हम एक कमरा रिज ़ र ् व करेंगे उसी होटल में जहाँ हम अमरीका आने के बाद पहली बार ठहरे थे. "आप यहाँ कमरा रिज ़ र ् व नहीं कर सकते. यह शरणार ् थी शिविर है." मेरा पति ब ् रायन भी एक बेघर बच ् चा था. जब वह ग ् यारह साल का था, उसके परिवार ने सब कुछ खो दिया. उसे अपने पिता के साठ मोटलों में रहना पड ़ ता था. मोटल जो उनका सारा खाना लेकर जब ् त कर लेते और तब तक नहीं देते जग तक वे सारा बिल न जमा कर दें. और एक दिन जब ब ् रायन को अपना फ ् रॉस ् टेड फ ् लेक ् स का बॉक ् स वापस मिला तो उसमें कॉक ् रोच भरे हुए थे. लेकिन उसके पास एक चीज थी. एक जूतों का बॉक ् स जिसको वह हमेशा अपने साथ रखता थादो 'जी.आई. जो' खिलौने जो स ् पाइडरमैन की तरह पेंट किये हुए थे, और पांच गोबोट. और यही उसका खजाना था. यह उसके पसंदीदा बहादुर नायकों की फ ़ ौज थी जो ड ् रग ् स और गैंग ् स से उसकी रक ् षा करती थी. और उसे उसके सपनों को छोड ़ ने से रोकती थी मैं आपको अपने परिवार के एक और पूर ् व बेघर सदस ् य के बारे में बताने जा रही हूँ. एक समय था जब कुत ् तों की लड ़ ाई में चारे की तरह स ् कार ् लेट का इस ् तेमाल किया जाता था. उसे बाँधकर रिंग में छोड ़ दिया जाता था जिससे कि अन ् य कुत ् ते उसपर हमला करें और असली लड ़ ाई के लिए और आक ् रामक हो जाएँ और अब, आजकल, ये ऑर ् गेनिक खाना खाती है और आरामदेह और ् थोपेडिक बिस ् तर पर सोती है जिसपर उसका नाम भी लिखा है.तो वह ऊपर देखती है और कृतज ् ञता से अपनी पूँछ हिलाती है. कभी-कभी ब ् रायन और मैं स ् कार ् लेट के साथ पार ् क में टहलते हैं और वह घास पर लोटने लगती है और हम सिर ् फ उसको देखते हैं फिर हम एक दूसरे को देखते हैं और हम कृतज ् ञ महसूस करते हैं. हम माध ् यम-वर ् ग की अपनी सारी नयी परेशानियों और निराशाओं को भूल जाते हैं और हमें लगता है कि हम करोड ़ पति हैं. धन ् यवाद. (तालियाँ) मेरा विषय है भारत और चीन का अर ् थिक विकास । और मैं आपके साथ इस प ् रश ् न का उत ् तर ढूंढने क प ् रयास करूँगा कि ये सही है या गलत कि प ् रजातंत ् र ने भारत का रोका या बढाया आर ् थिक विकास के पथ पर । हो सकता है आप कहें कि ये ठीक नहीं, क ् योंकि मैं सिर ् फ़ दो देशों की कहानी से प ् रजातंत ् र के खिलाफ़ तर ् क तैयार कर रहा हूँ । असल में, ठीक इसका विपरीत है जो मैं करने जा रहा हूँ । मैं इन दों देशों की तुलना के ज़रिये आर ् थिक विकास में प ् रजातंत ् र के महत ् व के पक ् ष में अपने तर ् क रखूँगा, न कि प ् रजातंत ् र के ख़िलाफ़ । यहाँ पहला सवाल है कि आखिर चीन ने इतनी तेज तरक ् की क ् यों की भारत की तुलना में । पिछले तीस सालों में, जी.डी.पी. की बढत के दर के हिसाब से, चीन नें भारत से दुगुनी गति से तरक ् की की है । पिछले पाँच सालों मे, कुछ कुछ दोनों देश करीब आये हैं आर ् थिक विकास में । मगर पिछले तीस सालों में, ये सच है कि चीन ने भारत के मुकाबले बेहतर प ् रदर ् शन किया है । एक सीधा सरल उत ् तर है कि चीन के पास शंघाई है, और भारत के पास है मुंबई । शंघाई के क ् षितिज पर एक नज़र डालिये । ये पुडोंग नाम का इलाका है । अब भारत की एक तस ् वीर धारावी झुग ् गी का इलाका, मुंबई में, भारत में । जो विचार इन तस ् वीरों में छुपा है वो ये है कि चीनी सरकार कानून के बाहर भी अमल कर सकती है । वो योजना बना सकती है देश के दीर ् घकालिक फ़ायदे के लिये और इस प ् रक ् रिया में, दसियों लाख लोगों का विस ् थापन — मात ् र एक तकनीकी मसला है । जबकि भारत में, आप ऐसा नहीं कर सकते, क ् योंकि आपको जनता की आवाज सुननी ही होगी । आप जनाग ् रह से बँधे हैं । यहाँ तक कि प ् रधानमंत ् री मनमोहन सिंह भी इस बात को मानते हैं । एक साक ् षातकार में, जो कि फ़िनानशियल प ् रेस ऑफ़ इंडिया में छपा था, उन ् होंने कहा कि वो मुंबई को दूसरा शंघाई बनाना चाहते हैं । ये एक ऑक ् सफ़ोर ् ड-प ् रशिक ् षित अर ् थशास ् त ् री है, जो कि मानवीय मूल ् यों से ओत-प ् रोत है, और फ़िर भी वो सहमत है शंघाई के दबंगई-आधारित तौर-तरीकों से । तो, इसे मैं नाम देता हूँ 'आर ् थिक विकास का शंघाई मॉडल', जो कि इन बातों पर ज़ोर देता है आर ् थिक बढत हासिल करने के लिये: आधारभूत संरचनायें (इन ् फ़ ् रास ् टर ् कचर), हवाई-अड ् डे, सडकें, पुल, और इस तरह की चीजें । और इसके लिये आपको एक ताकतवर सरकार की ज़रूरत है, क ् योंकि इस तरीके में निजी संपत ् ति के अधिकारों का महत ् व नहीं है । आपको जनाग ् रह, और लोगों के विचारों को कोई अहमियत नहीं दे सकते हैं । इसमें राष ् ट ् र की मिलकियत की आवश ् यकता है, ख़ासतौर पर, भूमि-संपत ् ति की मिलकियत, जिससे कि बडे निर ् माण-कार ् य कर सकें, और तेजी के साथ । उस मॉडल का नतीज़ा ये है कि प ् रजातंत ् र आर ् थिक-विकास की रह का रोडा बन जाता है, उसके विकास का सहयोगी बनने के बजाय । यही मुख ् य सवाल है । कि कितना ज़रूरी है इन आधारभूत संरचनाओं का सकल निर ् माण आर ् थिक विकास के लिये? यही मुख ् य मुद ् दा है । यदि आप मानते है कि ये निर ् माण कार ् य अत ् यधिक महत ् वपूर ् ण है आर ् थिक विकास के लिये, तो आप ताकतवर शासन को ज़रूरी मानेंगे विकास के लिये । यदि आप मान ् ते हैं कि आधारभूत संरचनायें इतनी ज़रूरी नहीं हैं जितना लोग सोचते हैं, तो आप कम ज़ोर डालेंगे एक ताकतवर शासन के लिये । तो इस प ् रश ् न को दिखाने के लिये, मैं आपको दो देशों का उदाहरण देता हूँ । और सरलता के लिये, मैं पहले देश को कहूँगा देश नं० १ और दूसरे देश को देश नं० २ । देश १ के पास देश दो के मुकाबले सुव ् यवस ् थित श ् रेष ् ठता है आधारभूत संरचनाओं में । देश १ के पास ज ् यादा टेलीफ़ोन हैं, और देश १ के पास ज ् यादा बडा रेल ् वे सिस ् टम है । तो यदि मैं आपसे पूँछूं, "" इनमें से कौन सा चीन है और कौन सा भारत, और किस देश ने ज ् यादा तेज तरक ् की की है? "" अगर आप संरचना-वादी दृष ् टिकोण रखते हैं, तो आप कहेंगे, "" देश नं ०१ है चीन । निश ् चय ही उन ् होंने बेहतर प ् रदर ् शन किया होगा, आर ् थिक विकास में । और देश नं० २ पक ् क भारत ही है । "" असल में ज ् यादा टेलीफ़ोन वाला देश है सोवियत संघ, और ये आँकडे हैं १९८९ के । टेलीफ़ोन के इतने बेहतरीन आँकडे देने के ठीक बाद ये देश ही मटियामेट हो गया । और ये तो अच ् छी बात नहीं है । ये तस ् वीर है ख ् रुशचेव की । मुझे पता है कि १९८९ में वो सोवियत संघ पर शासन नहीं कर रहे थे, मगर मैं उनकी इस से बेहतर तस ् वीर नहीं ढूँढ पाया । (हँसी) टेलीफ़ोन और सडकों जैसी संरचनायें आर ् थिक विकास की गारंटी नहीं देती हैं । देश नं० २, जिसके पास कम टेलीफ़ोन हैं, चीन है । १९८९ से लगातार, चीन ने दस-प ् रतिशत विकास दर से ऊपर का प ् रदर ् शन किया है हर साल, पिछले पूरे २० साल से । अगर आप चीन और सोवियत-संघ के बारे में सिर ् फ़ उनके टेलीफ़ोन के आँकडे जानते हों, तो आप गलत अनुमान लगायेंगे उनके विकास के बारे में, जो वो अगले दो दशकों में करेंगे । देश १, जिसके पास ज ् यादा विस ् तृत रेलवे प ् रणाली है, असल में भारत है । और देश २ चीन है । ये बात बहुत कम लोग जानते हैं इन दो देशों के बारे में । हाँ, ये सच है कि आज चीन की पास बेहतर आधारभूत-संरचनायें हैं भारत के मुकाबले । मगर कई सालों तक, ९० के दशक कें अंत तक, चीन इस मामले में भारत से पीछे था । विकासशील देशों में, यातायात का सबसे प ् रचलित साधन रेलवे होता है, और अँग ् रेजों नें भारत में मीलों लम ् बी प ् रणाली बनाये थी । भारत क ् षेत ् रफ़ल में चीन से छोटा है, और फ़िर भी उसका रेलवे चीन के रेलवे से बडा था ९० के दशक के अंत तक । तो ये भी साफ़ है, कि सिर ् फ़ आधारभूत-ढाँचा ही कारण नहीं है चीन के बेहतर प ् रदर ् शन का, ९० के दशक के पहले, भारत के मुकाबले । बल ् कि, यदि आप विश ् व-भर के आँकडों पर नज़र डालें, तो ये दृष ् टिकोण उजागर होगा कि ढाँचे का विकास असल में आर ् थिक विकास का कारण नहीं, नतीज़ा है । अर ् थ-व ् यवस ् था विकसित होती है, सरकारों के पास ज ् यादा संसाधन आते हैं, और सरकार तब जा कर ढाँचे में निवेश कर पाती है — ऐसा नहीं कि ढाँचा बनाते ही आर ् थिक विकास आ जाता है । और ज़ाहिर है कि ये ही कहानी है चीन के आर ् थिक विकास की । चलिये सीधे इस प ् रश ् न पर ही आता हूँ । क ् या प ् रजातंत ् र आर ् थिक-विकास के लिये खराब है? अब फ़िर से एक नज़र दो देशों पर, देश अ और देश ब । १९९० में, देश अ की प ् रति व ् यक ् ति जीडीपी थी करीब ३०० डॉलर और देश ब में प ् रति व ् यक ् ति जीडीपी थी ४६० डॉलर । २००८ आते आते, देश अ ने देश ब को पीछे छोड दिया था, और उस की प ् रति व ् यक ् ति जीडीपी थी ७०० डॉलर प ् रतिद ् वंदी देश के ६५० डॉलर प ् रति व ् यक ् ति जीडीपी की तुलना में । दोनों देश एशिया में है । यदि मैं आप से पूँछूं, "" ये दो देश कौन से एशियाई देश हैं? और इनमें से किस में प ् रजातांत ् रिक राज है? "" आप शायद कहें, "" ह ् म ् म ् म, हो सकता है कि देश अ चीन है और देश ब है भारत । "" असल में, देश अ है प ् रजातांत ् रिक भारत, और देश ब है पाकिस ् तान — वो देश जो बहुत लंबे समय तक फ़ौज़ी शासन में था । और अक ् सर हम भारत और चीन की तुलना करते हैं । ये इसलिये कि दोनों देशों की जनसंख ् या लगभग बराबर है । मगर सचे में तुलना तो भारत और पाकिस ् तान की होनी चाहिये । इन दोनों देशों का भूगोल एक सा है । उनका जटिल पर साझा इतिहास है । इस नज़रिये से तो, प ् रजातंत ् र बहुत ही ज ् यादा पोषक लगता है आर ् थिक विकास के लिये । तो फ़िर सारे आर ् थ-शास ् त ् री क ् यों सत ् तावादी सरकारों के इश ् क में पागल रहते हैं? एक कारण ये है कि ये पूर ् व-एशियाई मॉडल है । पूर ् व एशिया में, हमारे पास कुछ उदाहरण हैं अत ् यधिक सफ़ल आर ् थिक विकास के जैसे कि कोरिया, ताइवान, हांग-कांग और सिंगापुर । इन में से कुछ अर ् थ-व ् यवस ् थायें सत ् तावादी सरकारों द ् वारा शासित थी ६० और ७० के दशक तक, और ८० के दशक तक भी । इस दृष ् टिकोण का कुछ वैसा हाल है कि आप लाटरी जीतने वाले सारे लोगों से पूछें, "क ् या आपने लाटरी जीती?" और वो सब आपसे कहें, "" हाँ, हमने लाटरी जीते ली । "" और फ़िर आप निषकर ् ष निकाल लें कि लाटरी जीतने की संभावना है पूरी सौ प ् रतिशत । आप ने तो कभी जा कर हारने वालों से ये पूछने की ज़हमत ही नहीं उठायी, जिन ् होंने जतन से लाटरी खरीदी थी और कभी कुछ नहीं जीते । हर एक सत ् तावादी आर ् थिक सफ़ल सरकार के उदाहरण के लिये, पूर ् वी एशिया में, भीषण असफ़लता का कम से कम एक उदाहरण मौजूद है । कोरिया सफ़ल हुआ । उत ् तरी कोरिया नहीं हुआ । ताइवान सफ़ल हुआ, माओ जेडोंग शासित चीन नहीं हुआ बर ् मा सफ़ल नहीं है । फ़िलिपींस सफ़ल नहीं हो सका । सारे विश ् व के सांख ् यिकीय आँकडे आपको दिखा देंगे, कि इस विचार का कोई प ् रमाण नहीं है कि सत ् तावादी ताकतवर सरकारों के पास प ् रजातांत ् रिक सरकारों के मुकाबले कोई श ् रेष ् ठता होती है, आर ् थिक विकास के मसले में । लिहाज़ा पूर ् व एशियाई मॉडल में ये तगडा पक ् षपात दिखता है, क ् योंकि आप पूरी कहानी पर नज़र ही नहीं डालते — और हम हमेशा अपने विद ् यार ् थियों से इस गल ् ती से बचने की हिदायत देते हैं । लेकिन फ़िर चीन की इतनी ज़बर ् दस ् त तरक ् की हुई क ् यों? चलिये मैं आपको सांस ् कृतिक-क ् रांति के दौर में ले चलता हूँ, जब चीन पागल हो गया था, और उसकी अर ् थ-व ् यवस ् था की भारत से तुलना करता हूँ, इंदिरा गाँधी के समय के भारत से । अब सवाल ये है: कौन सा देश बेहतर प ् रदर ् शन कर रहा था, चीन या भारत? चीन बेहतर था, सांस ् कृतिक क ् रांति के दौरान । उस समय भी ऐसा ही हुआ कि चीन ने भारत से बेहतर विकास किया जीडीपी विकास के हिसाब से करीब प ् रति वर ् ष २.२ .प ् रतिशत ज ् यादा तेजी से प ् रति व ् यक ् ति जीडीपी के हिसाब से । और ये तब जब कि सारा चीन पगला गया था । पूरा देश ही उथल-पुथल में था । इस का मतलब है कि चीन में कुछ ऐसा है जो कि आर ् थिक विकास को इतना पोषण देता है कि विकास को रोकने वाली चीजों को निष ् क ् रिय कर देता है जैसे कि सांस ् कृतिक क ् रांति । और चीन के पास जो सबसे बडी ताकत थी, तो थी मानव-संसाधन की पूँजी — और कुछ नहीं - केवल मानव-संसाधन-पूँजी । ये आँकडे हैं विश ् व विकास सूचक के ९० के दशक के पूर ् वार ् ध के । और उस से पुराने आँकडॆ मुझे मिले ही नहीं । चीन में व ् यस ् क साक ् षरता दर है ७७ प ् रतिशत भारत के ४८ प ् रतिशत के मुकाबले । साक ् षरता दर में विरोधाभास खासतौर पर ज़ोरदार है चीनी और भारतीय महिलाओं के बीच । मैनें आपको साक ् षरता की परिभाषा तो बताई ही नहीं । चीन में, साक ् षर उसे मानते हैं जो लिख और पढ सके कम से कम १५०० चीनी चिन ् ह । भारत में, साक ् षरता की परिभाषा, जो कि गिनती के लिये इस ् तेमाल होती है, है काबलियत, मतलब मोटे तौर पर काबलियत, अपना नाम लिख सकने की जो भी आपकी मातृभाषा हो, उसमें । इन दो देशों की साक ् षरता दरों में फ़र ् क उस से भी गहरा है जितना कि ये आँकडे यहाँ दिखा रहे हैं । यदि आप दूसरे आँकडे देखें जैसे कि मानव विकास सूचकांक, इन आंकडों की कडी, जो कि ७० के दशक के शुरुवात तक जाती है, आप ठीक यही विरोधाभास देखेंगे । चीन के पास बहुत बडा फ़ायदा था मानव संसाधन की गुणवत ् ता का, भारत की तुलना में । नागरिकों की आयु: १९६५ में, चीन मे नागरिक-आयु का भी फ़ायदा रहा है । औसतन, चीनी लोग १९६५ में, कम से कम दस साल ज ् यादा जीते थे भारतीयों के मुकाबले । तो यदि आपको चुनना हो चीनी और भारतीय होने के बीच, आप चीनी हो जायेंगे जिस से कि आप दस साल ज ् यादा जियें । हाँ, यदि आप ये फ़ैसला १९६५ में लेते, तो उसका नुकसान ये होता कि अगले ही साल आप सांस ् कृतिक क ् रांति की उथल-पुथल में फ़ँस जाते । तो आपको हमेशा बहुत सावधानी से सोचना होता है इन फ़ैसलों के बारे में । यदि आप अपनी नागरिकता नहीं चुन सकते, तो आप भारतीय पुरुष होना पसंद करते । क ् योंकि, एक भारतीय पुरुष, करीब दो साल अधिक जीता था, एक भारतीय महिला की तुलना में । ये बहुत ही ज ् यादा अजीब तथ ् य है । ऐसा बिरला ही कोई देश होगा जहाँ ऐसा नमूना देखा गया हो । ये उजागर करता है विधिवत पक ् षपात और शोषण भारतीय समाज में, महिलाओं के खिलाफ़ । अच ् छी ख ़ बर ये है कि २००६ तक आते आते, भारत ने खत ् म कर दिया इस फ़र ् क को आदमी और औरत के बीच, आयु-औसत के आँकडों के हिसाब से । आज, भारतीय महिलाओं की औसत आयु कहीं ज ् यादा है भारतीय पुरुषों के मुकाबले । तो भारत बाकी दुनिया सरीका हो रहा है । मगर भारत को अभी भी बहुत काम करना है औरत-मर ् द की बराबरी के लिये । ये दो तस ् वीरें गुआनडोंग राज ् य की गारमेंट फ़ैक ् ट ् रियों की, और भारत की गारमेंट फ़ैक ् ट ् रियों में ली गयी हैं । चीन में, महिला कारीगर भरे हैं । ६० से ८० प ् रतिशत चीनी श ् रमिक महिलायें हैं देश के तटीय इलाकों में, जबकि भारत में, ज ् यादातर श ् रमिक मर ् द हैं । फ़िनान ् शियल टाइम ् स ने इस तस ् वीर को छापा था, जो कि एक भारतीय टेक ् सटाइल फ़ैक ् ट ् री की है, इस शीर ् षक के साथ, "" भारत चीन को टेक ् सटाइल में पीछे छोडने के लिये तैयार । "" इन दोनों तस ् वीरों को देख कर, मै कह सकता हूँ, नहीं, अभी काफ़ी समय है चीन के पिछडने में । अगर आप बाकी पूर ् व एशियाई देशों को देखें, औरतें वहाँ एक बहुत ही महत ् वपूर ् ण भूमिका अदा करती हैं आर ् थिक विकास में — उत ् पादन क ् षमता के विस ् फ़ोटक विकास में, जिसे पूर ् व एशिया में देखा गया है । भारत को अभी बहुत सफ़र तय करना है चीन तक पहुँचने के लिये । फ़िर, मसला आता है कि, चीनी राजनैतिक प ् रणाली को कैसे देखें? आपने मानव-संसाधन-पूँजी की बात की, आपने शिक ् षा, और जन-स ् वास ् थ की बात की । लेकिन राजनैतिक प ् रणाली का क ् या? क ् या ये सच नहीं है कि एकदलीय राजनैतिक प ् रणाली ने चीन का आर ् थिक विकास किया है? असल में, इस का जवाब इतना सीधा-साधा नहीं है, जटिल है । ये निर ् भर करता है कि आप कहाँ फ़र ् क करते हैं राजनैतिक प ् रणाली की स ् थिर विशेषताओं और चलायमान विशेषताओं के बीच । स ् थिरता है कि चीन एकदलीय है, सत ् तावादी है — इस पर तो कोई सवाल ही नहीं है । चलायमान क ् या है — कि ये समय के साथ बदल रहा है, और कम सत ् तावादी और ज ् यादा लोकतांत ् रिक हो रहा है । जब आप किसी बदलाव का कारण खोजते हैं — जैसे कि, आर ् थिक विकास; आर ् थिक विकास बदलाव से जुडा होता है — जब आप बदलाव के कारणॊं की खोज करते हैं, आप बाकी बदलती हुई चीजों का इस ् तेमाल करते हैं, न कि रुकी हुई चीजों का । कभी कभी रुकी हुई चीजें भी बदलाव का कारण हो सकती है, मगर वो सिर ् फ़ इसलिये कि उस स ् थिर चीज के अलावा बाकी चीजें बदल रही होती हैं । राजनैतिक बदलाव के अंतर ् गत, चीन में ग ् राम-चुनाव शुरु हो गये हैं । संपत ् त ् ति के अधिकार बेहतर हुये हैं । और उन ् होंने सुरक ् षा बढा दी है, दीर ् घकालिक भूमि-लीज़ की । ग ् रामीण चीन में आर ् थिक नवीनीकरण हुये हैं । चीन में ग ् रामीण उद ् यमिता की क ् रांति भी आ रही है । मेरे हिसाब से राजनैतिक बदलाव की गति अत ् यधिक धीमी है, बहुत ही शिथिल । और मेरा निजी विचार ये है कि चीन को भविष ् य में कुछ गंभीर चुनौतियों का सामना करना पडेगा, क ् योंकि उन ् होंने राजनैतिक बदलाव तेजी से नहीं किये हैं । मगर इस के बावजूद भी, प ् रणाली के बदलाव की दिशा उदारपंथी ही है, लोकतांत ् रिक दिशा की ओर । आप यही सिद ् दांत भारत पर ही लागू कर सकते हैं । और तथ ् य ये है कि जब भारत का विकास धीरे हो रहा था — करीब एक प ् रतिशत, दो प ् रतिशत प ् रति वर ् ष — उस समय भारत सबसे कम लोकतांत ् रिक था । इंदिरा गाँधी ने १९७५ में आपातकाल की घोषणा कर डाली थी । भारतीय सरकार का सर ् वाधिकार था, सारे के सारे टी.वी. स ् टेशनों पर । ९० के दशक के भारत के बारे में कम ही लोग ये जानते है कि इस देश ने न सिर ् फ़ आर ् थिक दुरुस ् ती की, बल ् कि राजनैतिक सुधार भी किया ग ् रामों मे स ् व-शासन लागू कर के, मीडिया का निजीकरण कर के और सूचना अधिकार लागू कर के । तो बदलाव से होने वाले विकास का सिद ् धांत चीन और भारत दोनों पर ही लागू होता है कि किस दिशा में उन ् हें जाना है । क ् यों इतने लोग ये मानते हैं कि भारत में विकास नहीं हो रहा है? एक कारण ये है कि वो हमेशा भारत की तुलना चीन से करते हैं । मगर चीन तो अपवाद है आर ् थिक विकास के मामले में । यदि आप क ् रिकेट के खिलाडी है, और आपकी तुलना हमेशा सचिन तेंदुलकर से की जाये, तो लगेगा कि आप कुछ ख़ास नहीं है । पर इसका मतलब ये तो नहीं है कि आप एक खराब क ् रिकेट खिलाडी हैं । सर ् वश ् रेष ् ठ अपवाद से तुलना गलत आंकलन है । सच ये है कि यदि आप भारत की तुलना औसत विकसित देश से करें, और आज ही नहीं, और पहले भी, तो भारत में विकास की दर की — आज भारत आज ८ से ९ प ् रतिशत की दर से विकसित हो रहा था — आज से पहली भी, भारत आर ् थिक विकास में विश ् व में चौथे स ् थान पर था, विकासशील अर ् थ-व ् यवस ् थाओं में । ये साधारण बात नहीं है । चलिये भविष ् य पर एक नज़र डालें । चीनी ड ् रेगन और हिन ् दुस ् तानी हाथी का मुकाबला । किस देश के पास विकास का बेहतर आवेग है? चीन, मेरे हिसाब से, अभी भी कुछ मूल बातों में बहुत तगडा है — जैसे कि सामाजिक व ् यवस ् था, जन-स ् वास ् थ, समानता की भावना जो कि आपको भारत में नहीं मिलती । मगर मेरा विश ् वास है कि भारत के पास भी आवेग है । उसकी मूल विशेषतायें बेहतर हो रही हैं । सरकार ने प ् राथमिक शिक ् षा में निवेश किया है, प ् राथमिक चिकित ् सा में निवेश किया है । मेरा मानना है कि सरकार को और भी करना होगा, मगर कुछ भी हो, जिस दिशा में वो जा रही है, वो सही दिशा है । भारत में संसथान हैं जो आर ् थिक विकास को बढावा देते हैं, जबकि चीन अभी भी प ् रयत ् न कर रहा है राजनैतिक सुधार लाने का । मेरा मानना है कि राजनैतिक व ् यवस ् था कि दुरुस ् ती चीन के लिये अनिवार ् य है यदि उसे विकास करते रहना है । और ये राजनैतिक बदलाव अत ् यधिक महत ् वपूर ् ण हैं, आर ् थिक विकास के फ़ायदे को बराबर सबमें बाँटने के लिये । मैं नहीं जानता कि ऐसा होगा या नहीं, मगर मैं आशावादी हूँ । मेरी आशा है, कि पाँच साल बाद मैं, टेड ग ् लोबल सेमिनार में कहूँगा कि चीन में राजनैतिक बदलाव ज़रूर आयेगा । आप का बहुत बहुत धन ् यवाद । (अभिवादन । तालियों की गडगडाहट) बक बक बक... बक बक बक... बक बक बक बक बक बक बक... बक बक बक तो क ् या बकवास थी ये? खैर, आपको पता नहीं क ् यूँकि आप इसे समझ नहीं सके यह स ् पष ् ट नहीं था उम ् मीद है कि ये इतने विश ् वास से कहा गया था [टेड @ २५० में रिकार ् डेड] कि वो आकर ् षक और रहस ् यमयी प ् रतीत हुआ स ् पष ् टता या रहस ् य? एक ग ् राफ ़ िक डिज ़ ाइनर की भूमिका में प ् रतिदिन मैं इन दोनों का संतुलन करता हूँ और दिनचर ् या में एक न ् यूयॉर ् कवासी के तौर पर प ् रतिदिन I और ये दो तत ् व मुझे पूर ् णतः मोहित करते हैं उदाहरण के लिए कितने लोग जानते हैं कि ये क ् या है? अच ् छा अब कितने लोग जानते हैं कि ये क ् या है? और अब प ् रतिभावान चार ् ल ् स एम ्. शुल ् ज ़ की दो निपुण रेखाओं के फलस ् वरूप अब हमारे पास सात निपुण रेखाएं हैं जो अपने आप में एक भावपूर ् ण जीवन को जन ् म देती हैं, वो जिसने हजारों लाखों प ् रशंसकों को मंत ् रमुग ् ध किया है करीब पचास सालों से | वास ् तव में यह एक किताब का मुख ् यपृष ् ट है जो मैंने डिजाईन किया है, जो स ् चुल ् ज ़ के कार ् य और कला के बारे में है जो कि इस शरद ऋतू से उपलब ् ध होगी और यह ही पूरा मुखपृष ् ट है इस मुखपृष ् ट पर कोई और जानकारी मुद ् रण या दृश ् य के रूप में नहीं है और इस किताब का नाम है "" ओनली व ् हाट ् स नेसेसरी "" | तो ये प ् रतीक है उन निर ् णयों का, जो मैं रोज लेता हूँ डिजाईन बूझने के सन ् दर ् भ में और मैं जिन डिजाईन की रचना कर रहा हूँ | तो स ् पष ् टता स ् पष ् टता तर ् क दर ् शाती है वो सहज, सत ् यवादी और निष ् कपट होती है हम अपने आप से यह सवाल करते हैं ["" हमें कब स ् पष ् ट होना चाहिए? ""] अब इस तरह की कोई चीज ़ चाहे हम इसे पढ़ पायें या नहीं बिलकुल, साफ ़ तौर पर स ् पष ् ट होनी चाहिए क ् या वाकई? यह एक हालिया नमूना है शहरी स ् पष ् टता का जो मुझे बेहद पसंद है, मुख ् यतः क ् यूँकि मुझे हमेशा देर हो जाती है और मैं हमेशा जल ् दी में रहता हूँ तो कुछ साल पहले जब सडकों के नुककड ़ पर जब इस तरह के सूचक लगने लगे, मैं रोमांचित हो गया, क ् यूँकि अब मैं आखिरकार जानता था कि मेरे पास सड ़ क पार करने के लिए कितने सेकंड हैं किसी कार से कुचले जाने से पहले छह? मैं कर सकता हूँ (दर ् शक हँसते हुए) अगर स ् पष ् टता यिन है तो अब देखते हैं यांग को और वो है रहस ् य रहस ् य परिभाषा से ही काफी जटिल है रहस ् य के मांग होती है सुलझाना और जब सही तरह से किया जाए तो हम वाकई उसे करना चाहते हैं ["" हमें कब रहस ् यमयी होना चाहिए? ""] द ् वितीय विश ् वयुद ् ध के दौरान, जर ् मन किसी भी तरह इसे सुलझाना चाहते थे पर वो ऐसा कर नहीं पाए | यह एक उदाहारण उस डिजाईन का जो मैंने अभी हाल ही में किया है हारुकी मुराकामी के उपन ् यास के लिए, जिनके के लिए मैंने पिछले बीस सालों से डिजाईन बनाये हैं और यह उपन ् यास एक युवक के बारे में है जिसके चार करीबी दोस ् त हैं जो महाविद ् यालय के पहले वर ् ष के बाद अचानक बिना कुछ बताये उसका पूर ् ण बहिष ् कार कर देते हैं और वो विनष ् ट हो जाता है जापानी भाषा में प ् रत ् येक दोस ् त के नाम का संकेतार ् थ एक रंग से है सो हैं श ् री लाल, श ् री नील, सुश ् री श ् वेता और सुश ् री काली सुकुरु तज ़ ाकि, उसका नाम किसी रंग की ओर संकेत नहीं करता है इसीलिए उसका उपनाम बैरंग है और, जब वो अपनी मित ् रता की समीक ् षा करता है तो वो याद करता है की कैसे वो एक हाथ की पांच उँगलियों की तरह थे इसलिए मैंने एक संशिप ् त वर ् णन किया है पर कहानी में सतह के नीचे बहुत कुछ चल रहा है और पुस ् तकाव ् रण के तले भी कुछ चल रहा है वो चार उँगलियाँ अब चार रेल पटरियां हैं टोक ् यो सबवे प ् राणाली में जिसका कहानी में महत ् व है और फिर है एक बैरंग सबवे पटरी बाकी रंगों को काटती है जो मूलतः वो करता कहानी में आगे | वो प ् रत ् येक से पुनः संपर ् क करता है ये जानने के लिए कि उन ् होंने उसके साथ ऐसा बर ् ताव क ् यों किया और इसलिए यह तीन आयामी मुख ् यपृष ् ट मेरे कार ् यालय की मेज ़ पर रखा हुआ है, और इधर मैं उम ् मीद कर रहा हूँ कि आप सरलता से आकर ् षित हो जायेंगे इसके रहस ् यमयी रूप से, और इसको पढने की इच ् छा रखेंगे इसको सुलझाने और समझने के लिए कि यह ऐसा क ् यूँ दिखता है | ["" दृश ् यों की भाषा ""] यह परिचित रहस ् य के प ् रयोग करने का एक तरीका है इसका क ् या मतलब है? इसका मतलब यह है ["" इसे किसी और चीज ़ की तरह दर ् शायिये ""] दृश ् यों की भाषा वो तरीका है जिसमे हम किसी प ् रचलित दृष ् टिकोण का प ् रयोग किसी और वस ् तु को अलग तरीके से दिखाने के लिए करते हैं मैं इस पद ् धति का उपयोग डेविड सेडारिस की कहानियों की किताब के लिए करना चाहता हूँ जिसका शीर ् षक है ["" आल द ब ् यूटी यू विल एवर नीड ""] अब चुनौती यह थी की इस शीर ् षक का कोई भावार ् थ नहीं है यह कितान की किसी कहानी से सम ् बंधित नहीं है ये लेखक की पुरुष मित ् र के सपने में आया था बहुत शुक ् रिया, (हंसी) तो आम तौर पे, मैं डिजाईन बनाता हूँ जो किसी रूप में विषय पर आधारित होता है, पर इधर यही पूरा विषय है सो हमारे पास ये रहस ् यमयी शीर ् षक है जिसका कोई भावार ् थ नहीं है तो मैं सोचने की कोशिश कर रहा था कि मैं कहाँ रहस ् यमयी पाठ ् य देख सकता हूँ जिसका भावार ् थ लगे पर हो ना और जाहिर तौर पर, थोड ़ े समय बाद एक शाम चाईनीज ़ खाने के बाद इसका आगमन हुआ और मैंने सोचा "" आह, बिंग आईडियागैस ् म! "" (हंसी) मुझे फौरच ् यून कूकी के रहस ् यमयी इशारे बहुत पसंद हैं जिनके के बारे लगता है की उनका गहन अर ् थ है लेकिन जब आप इनके बारे में सोचते हैं - अगर आप सोचते हैं - तो वाकई नहीं होता इसका कहना है "" भविष ् य की चिंता ना करने से कितना लाभ होता है यह किसी को नहीं पता "" शुक ् रिया (हंसी) पर हम दृश ् यों की भाषा का प ् रयोग श ् रीमान सेडारिस के लिए कर सकते हैं चूँकि हम फौरच ् यून कूकी की आकृति से भलीभांति परिचित हैं हमें इनके खोल की जरुरत भी नहीं है हम सिर ् फ इस अनोखी चीज ़ को देख रहे हैं और हमें डेविड सेडारिस से प ् यार है और हमें उम ् मीद है कि आगे वक ़ ् त सुहाना है ["" "" फ ् रौड "" एसेज बी डेविड राकोफ ् फ ़ ""] डेविड राकोफ ् फ ़ एक अद ् भुत लेखक थे और उन ् होंने अपनी पहली किताब का नाम रखा "" फ ् रौड "" क ् यूँकि उन ् हें पत ् रिकाओं के द ् वारा ऐसे कार ् यों पे भेजा जा रहा था जिसे करने के लिए वो सुसज ् जित नहीं थे सो वो एक नाटे, पतले शहरी आदमी थे और "" जी क ् यू "" पत ् रिका उन ् हें कोलराडो नदी पर भेज देते थे यह देखने के लिए कि उथले, झागदार पानी में बेडा चलाते हुए वो बचते हैं कि नहीं और फिर वो इसके बारे में लिखते थे, और वो स ् वंय को धोखेबाज ़ महसूस करते थे और वो स ् वंय को धोखा दे रहे थे और मैं चाहता था कि मुख ् यपृष ् ट भी मिथ ् या लगे और किसी पाठक की प ् रतिक ् रिया दर ् शाओ ये मुझे ग ् राफीटी की ओर ले गया मैं ग ् राफीटी से मुग ् ध हूँ मेरे विचार से कोई भी जो शहरी वातावरण में रहता है हर समय ग ् राफीटी से टकराता रहता है, और वो भी हर प ् रकार के यह छवि मैंने निचले पूर ् व तरफ खिंची थी फूटपाथ पे किसी ट ् रांसफार ् मर बक ् से की और इस पर उन ् मादी चिन ् ह बने हुए हैं अब चाहे आप इसे देखे और सोचे, "" वह यह एक रोमांचक शहरी स ् वांग है "" या आप इसको देख कर बोल सकते हैं, "" यह गैरकानूनी दुष ् प ् रयोग है संपत ् ति का "" पर हम सब एकमत हो सकते हैं कि आप इसको पढ ़ नहीं सकते है ना? यहाँ कोई स ् पष ् ट सन ् देश नहीं है एक और प ् रकार के ग ् राफीटी हैं जो मुझे कहीं ज ् यादा रोचक लगते हैं जिन ् हें मैं बोलता हूँ सम ् पादिक ् य ग ् राफीटी ये छवि मैंने हाल ही में सबवे में खींची और कभी कभार आप देखते हैं कामुक, मूर ् खतापूर ् ण चीज ़ ें पर मुझे यह रोचक लगा और यह पोस ् टर कह रहा है कि बक बक "" एयरबीएनबी "" और किसी ने कलम ली और अपने विचारों का संपादन कर दिया है और इसने मेरा ध ् यान खींचा फिर मैंने सोचा कि इसका प ् रयोग किताब के लिए कैसे किया जाये सो मैंने इस व ् यक ् ति की कितान लाकर पढने लगा और मैंने सोचा यह आदमी वो नहीं है जो यह कहता है ये, ये एक धोखेबाज ़ है और मैंने लाल कलम निकाली और अपनी झुन ् झुलाहट में मुख ् यपृष ् ट पर यह अंकित कर दिया डिजाईन ख ़ तम (हंसी) और उन ् हें यह पसंद भी आया (हंसी) लेखक को पसंद आया, प ् रकाशक को पसंद आया और ये किताब इस तरह दुनिया में गई, और लोगों को सबवे में पढता देख वाकई मनोरंजक था और इसको लेकर चलते हुए, और आप क ् या कर सकते हैं और वे सभी एक प ् रकार से उन ् मादित लग रहे थे (ठहाका) ["" 'पर ् फिडिया' ए नोवेल बाई जेम ् स एलरॉय ""] हाँ तो, जेम ् स एलराय, कमाल के अपराध लेखक एक अच ् छे दोस ् त, जिनके साथ मैंने कई साल काम किया वो लेखक के तौर पर शायद सबसे प ् रसिध ् द हुए "" द ब ् लैक डेहलिया "" और "" एल. ऐ. कोन ् फ ़ िडेन ् शिअल "" के लिए उनके नवीनतम उपन ् यास का नाम है, जो कि बहुत रहस ् यपूर ् ण है मुझे विश ् वास है कि बहुत सारे लोगों को इसका अर ् थ पता है, लेकिन बहुतों को नहीं और यह कहानी सन १९४१ में लास एंजेल ् स में एक जापानी-अमरीकी जासूस की है जो एक हत ् या की पड ़ ताल कर रहा है और तभी पर ् ल हार ् बर घटित हो जाता है और जैसे की उसका जीवन कम कठिन था अब नस ् ल संबंध जोर मारने लगते हैं और फिर जल ् द ही जापानी-अमरीकी नजरबंदी शुरू हो जाती है और बहुत तनाव बन जाता है और भीषण माहौल में वो हत ् या की गुत ् थी सुलझाने की कोशिश कर रहा होता है तो पहले मैंने इसके बारे में वस ् तुतः सोचा कि पर ् ल हार ् बर के साथ लास एंजेल ् स को जोड ़ देंगे और हम शहर के क ् षितिज पर प ् रलय दर ् शित करेंगे और इसिलए यह छवि है पर ् ल हार ् बर की जो लास एंजेल ् स पृष ् ठभूमि पर है मेरे प ् रधान संपादक में कहा "" जानते हो, ये दिलचस ् प है लेकिन मुझे लगता है कि तुम इसे सरल और बेहतर बना सकते हो "" तो हमेशा की तरह मैं इसे फिर से पहले सिरे से सोचने लगा पर अपने वातावरण के बारे में सचेत रह कर मैं शहर के बीच में एक गगन-चुम ् बी ईमारत में काम करता हूँ और हर रात कार ् यालय से निकलने से पहले मुझे ये लाल बटन दबाब होता है बाहर जाने के लिए इससे बड ़ ा भारी-भरकम कांच का दरवाज ़ ा खुलता है और मैं एलीवेटर तक जा पाता हूँ और अचानक एक रात मैंने इसे देखा और ऐसे गौर किया जैसे पहले कभी नहीं किया था बड ़ ा लाल गोला, खतरा और मैंने सोचा यह तो इतना स ् वाभाविक था कि इसका खरबों बार प ् रयोग हो चूका होगा तो मैंने "" गूगल इमेज सर ् च "" करी, लेकिन ऐसा एक भी मुखपृष ् ट नहीं मिला जो कि ऐसा दिखता हो और इस प ् रकार यह समस ् या सुलझ गई और चित ् रवत यह ज ् यादा दिलचस ् प है और ज ् यादा बड ़ ा तनाव पैदा करता है इस ख ् याल से कि एक ख ़ ास प ् रकार का सूर ् योदय हो रहा है एल. ए. और अमरीका पर ["" 'गल ् प' ए टूर ऑफ ़ द ह ् यूमन डाईजेस ् टीव सिस ् टम बाई मेरी रोच. ""] मेरी रोच एक अद ् भुत लेखक हैं जो एक साधारण से वैज ् ञानिक विषय को बहुत ही असाधारण बना देती हैं; वो उन ् हें मनोरंजक बना देती हैं तो इस ख ़ ास प ् रकरण में ये मानवीय पाचक प ् राणाली के बारे में है तो मैं बूझने की कोशिश कर रहा हूँ कि इसका मुख ् यपृष ् ट कैसा होना चाहिए यह एक सेल ् फी है (हंसी) रोज सुबह मैं अपने आप को देखता हूँ अपनी दवाई की अलमारी के शीशे में यह देखने के लिए कि कहीं मेरी जीभ काली तो नहीं पड ़ गई है और अगर नहीं, तो में जाने के लिए तैयार हूँ (हंसी) मैं आप सब को ऐसा करने की सिफारिश करता हूँ परन ् तु मैंने सोचा यह हमारा परिचय है पाचक प ् राणाली से है ना? मानवीय पाचक प ् राणाली के बारे में पर मैं यह सोचता हूँ कि हम सब एकमत हैं कि मानवीय मुख के असली छायाचित ् र, कम से कम इस तरह के विकर ् षक हैं (ठहाका) इसीलए मुख ् यपृष ् ट के लिए मैंने ये चित ् रण बनवाया जो की वास ् तव में खुशगवार है और याद दिलाता है बेहतर है कि पाचक प ् राणाली के बारे में इस सिरे से ही बात की जाए (ठहाका) मुझे यह वाक ् य ख ़ तम करने की जरुरत भी नहीं है | ठीक है | ["" अनयूसफुल मिस ् ट ् री ""] जब स ् पष ् टता और रहस ् य मिल जाते हैं तो क ् या होता है? और हम ऐसा अक ् सर देखते हैं मैं इसे अनुपयोगी रहस ् य कहता हूँ मैं सबवे में गया हूँ, - मैं सबवे का काफी प ् रयोग करता हूँ यह कागज ़ का टुकड ़ ा एक खम ् बे पर चिपका हुआ था ठीक? अब मैं सोच रहा हूँ, ओह ् हो, रेलगाड ़ ी आने वाली है और मैं इसका मतलब समझने की कोशिश कर रहा हूँ बहुत बहुत शुक ् रिया इधर समस ् या यह है कि उन ् होंने जानकारी को खानों में बाँट दिया है यह सोचकर कि वो मदद ् गार होगा और साफ ़ बात है कि मुझे ऐसा बिलकुल नहीं लगता सो ये वो रहस ् य हैं जिनकी हमें जरुरत नहीं है हमें जरुरत है उपयोगी स ् पष ् टता की, इसीलिए बस मज ़ े के लिए मैंने इसे रिडिजाइन किया ये उन ् ही समस ् त तत ् वों का उपयोग कर के (तालियाँ) धन ् यवाद, मैं अभी भी एम ् टीए के काल का इंतज ़ ार कर रहा हूँ (हंसी) क ् या आप जानते हैं कि मैंने उनके रंगों से अधिक भी नहीं प ् रयोग किए उन ् होंने ४ और ५ को हरे में दर ् शाने का सोचा भी नहीं वो मूर ् ख | (हंसी) तो सुबह सबसे पहले ये पता चलता है कि सेवा में बदलाव है और फिर दो पूर ् ण वाक ् यों में जिनका मुखड ़ ा, मध ् य और अन ् तरा है हमें पता चल जाता है कि क ् या बदलाव है और किस समय होने वाला हैI मुझे पागल बोलो! (हंसी) ["" यूस ् फुल मिस ् ट ् री ""] ठीक है अब, यह वो रहस ् य है जो मुझे पसंद है: पैकेजिंगI डाइट कोक के कैन का ये रीडिजाईन मेरे दृष ् टीकोण से टर ् नर डकवर ् थ की उत ् कृष ् ट कलाकारी है यह कलात ् मक है, यह सुन ् दर हैI पर डिज ़ ाइनर के तौर पर जो चीज ़ दिल को खुश करती है वो यह है कि उन ् होंने डाइट कोक की चित ् र शब ् दावली को लिया उसकी अक ् षराकृति, रंग, रजत पृष ् टाधार और उनको मौलिक रूप में रखा तो यह परिचित वस ् तु की तरफ वापस जाना हुआ, ठीक वैसे ही जैसे कुछ पहचानने के लिए जितनी जरुरत हो उतनी जानकारी ही देना लेकिन जो उन ् हें पहले से ज ् ञात है उसको श ् रेय भी देना इस वस ् तु के बारे में? ये बहुत अच ् छा दिखता है और जब आप किसी दूकान के जायेंगे और अचानक इस पर नज ़ र पड ़ ेगी, ये अद ् भुत है I जो अगली बात बनाता है — ["" अनयूस ् फुल क ् लारिटी ""] — जो बेहद निराशाजनक है, कम से कम मेरे लिए I अच ् छा फिर से सबवे में वापस जाते हुए, जब यह प ् रकाशित हुए, यह वो चित ् र हैं जो मैंने खींचे, टाइम ् स स ् क ् वायर सबवे स ् टेशन: कोका-कोला ने पूरी जगह विज ् ञापन के लिए खरीद ली | ठीक? और शायद कुछ लोग जानते है कि यह किस ओर जा रहा है I उम ् म I "" आप न ् यूयॉर ् क आये अपने कपड ़ े अपनी पीठ पे लाद कर, जेब में पैसे लिए, नज ़ र इनाम पर आप कोक पर हैं "" (हंसी) "" आप न ् यूयॉर ् क आये एक एमबीए के साथ, एक साफ ़ सूट ले कर और बहुत मज ़ बूत हैंडशेक आप कोक पर हैं "" (हंसी) यह असली हैं! (हंसी) यहाँ तक कि सहारा देने वाले खम ् बों को भी नहीं बक ् शा गया सिवाय इसके कि वो "" योडा "" बन गए (हंसी) कोक पर आप हैं "" (हंसी) ["" माफ ़ कीजिये, मैं किस पर हूँ??? ""] ये अभियान एक बड ़ ा गलत कदम था इसे फ ़ ौरन वापस ले लिया गया ग ् राहकों की नकारात ् मक प ् रतिक ् रिया के कारण और इन ् टरनेट पर उपहास करते व ् यंग ् यों के बाद (ठहाका) और हाँ "" आप हैं "" के बाद लगा बिंदु पूरण विराम नहीं, वो व ् यापार-चिन ् ह है सो बहुत शुक ् रिया मेरे लिए यह सब इतना बेतुका था ये समझना कि उन ् होंने इतनी उत ् तम रहस ् यमयी सुन ् दर पैकेजिंग का विज ् ञापन इतना असहनीय और ज ़ ाहिर तौर पर गलत कैसे बनाया यह मेरे लिए अविश ् वसनीय था तो मुझे उम ् मीद है कि मैं आप से थोड ़ े गुर बाँट पाया अपने काम में स ् पष ् टता और रहस ् य के प ् रयोग के बारे में और क ् या पता आप जीवन और स ् पष ् ट होने का निर ् णय कर ले या फिर ज ् यादा रहस ् यमयी बन जाए बजाय ज ् यादा व ् यक ् त करने के (हंसी) अगर इस चर ् चा से कोई एक चीज ़ मैं छोड ़ ना चाहूँगा तो तो मेरे ख ् याल से वो है बक बक बक बक... ["" जज दिस, चिप किड ् ड] बक बक बक... बक बक (तालियाँ) एक सॉफ ् टवेयर डेवलपर और टेक ् नोलॉजिस ् ट के रूप में, मैंने कई सालों तक नागरिक प ् रौद ् योगिकी परियोजनाओं पर काम किया है । सिविक तकनीक कभी-कभी "" अच ् छे के लिए तकनीक "" के रुप में जानी जाती है, मानवीय समस ् याएँ प ् रौद ् योगिकी से सुलझाती हुई । ये युगांडा में 2010 की बात है, ऐसे समाधान पर काम हो रहा था जो स ् थानीय आबादी को असंतोष व ् यक ् त करने पर सरकार निगरानी से बचा सकता था । बाद में वही तकनीक उत ् तरी अफ ् रीका में काम में लाई गई, समान उद ् देश ् यों के लिए, जिससे कार ् यकर ् ता आपस में जुड ़ े रहते, जब सरकारें जान-बूझकर संपर ् क समाप ् त कर रही थी, जनसंख ् या नियंत ् रण के एक साधन के रूप में । और जिन चीज ़ ों पर में काम करता हूँ, एक सवाल मुझे हमेशा सताता रहता है, और वो ये कि कहीं हम प ् रौद ् योगिकी के गुणों के बारे में गलत तो नहीं हैं । और कहीं ये उन समुदायों को नुकसान तो नहीं पहुँचाती जिनकी हम मदद करना चाहते हों? दुनिया भर में प ् रौद ् योगिकी उद ् योग इसी तरह की मान ् यताओं के तहत काम करता है कि हम बढ ़ िया चीज ़ ें बनाते हैं, ये हर किसी को सकारात ् मक रुप से प ् रभावित करेगा । आखिरकार, ये नवाचार बाहर निकलकर सभी को ढ ़ ूंढ ़ ही लेंगे । पर हमेशा ऐसा नहीं होता । मैं तकनीक के इस अंधे समर ् थन को "" ट ् रिकल-डाउन टिकोनोमिक ् स, "" कहना चाहुँगा, एक वाक ् यांश उधार लेते हुए । (हँसी)तो आखिरकार, वो तकनीक हर किसी के पास पहुँच जाएगी, पर हमेशा ऐसा नहीं होता । प ् रौद ् योगिकी और नवाचार बहुत कुछ धन और पूंजी की तरह बर ् ताव करते हैं । वे कुछ के हाथों में ही मज ़ बूत होने लगते हैं, और कई बार वे बहुत से लोगों के हाथों में पहुँच जाते हैं । तो आप में से अधिकतर सप ् ताहांत पर दमनकारी शासनों से नहीं निपट रहे, इसलिए मैं कुछ ऐसे उदाहरण सोचना चाहता था तो ज ् यादा संबंधित हों । धारण करने योग ् य चीज ़ ों, स ् मार ् टफोन ् स और ऐप ् पस की दुनया मेंऐसे एप ् लीकेशनस से जो आपकी नष ् ट कैलोरी की संख ् या पर नज ़ र रखते हैं या कि आप ज ् यादा बैठ रहे हैं या फिर पर ् याप ् त चल रहे हैं । इन तकनीकों से चिकित ् सा केंद ् रों में रोगियों के दाखिले अधिक कुशल हो गए हैं, और बदले में, ये चिकित ् सा केंद ् र इसी तरह की कुशलता कि अपेक ् षा करने लगे हैं । और वे डिजिटल रुप से तैयार हो रहे हैं, डिजिटल रुप से अदृश ् य का क ् या होता है । उसके लिए चिकित ् सा अनुभव कैसा होता है जिसके पास 400 डाॅलर का फोन या घड ़ ी नहीं है, जो उनकी हर हरकत पर नज ़ र रखे? तो क ् या वो अब चिकित ् सा प ् रणाली पर बोझ हैं? क ् या उनका अनुभव बदला है? वित ् त के क ् षेत ् र में, बिटकॉइन और क ् रिप ् टो-करेंसिसकि प ् रवेश में बाधा अविश ् वसनीय रूप से उँची है, ठीक? आपको वैसे ही फोन, उपकरण और उसी प ् रकार का संपर ् क चाहिए, और जहाँ आपको नहीं भी मिलते, जहाँ आप एक प ् रॉक ् सी एजेंट पा सकते हैं, आम तौर पर उन ् हें भाग लेने के लिए निश ् चित मात ् रा में पूंजी की आवश ् यकता होती है । तो मैं अपने आप से पूछता हूँ कि उस अंतिम समुदाय का क ् या होगा जो कागज के नोट उपयोग कर रही है जबकि बाकी दुनिया में डिजिटल मुद ् रा का चलन है? एक और उदाहरण मेरे गृहनगर फिलाडेल ् फिया से:और वो अस ् तित ् व संकट से जूझ रहे हैं । लोक निधि घटती जा रही है, उन ् हें अपने पदचिह ् न छोटे करने पड ़ रहे हैं, खुले और प ् रासंगिक बने रहने के लिए, और एक तरीका जो वो अपना रहे हैं वो है बहुत सी किताबों को डिजिटाइज कर उन ् हें क ् लाउड पर डालना । ये बहुत सारे बच ् चों के लिए अच ् छा है । ठीक? आप घर से ही किताबें देख सकते हैं, आप स ् कूल आते या जाते समय खोज कर सकते हैं, पर ये सच में दो बड ़ े पुर ् वानुमान हैं, एक ये कि आप घर बैठे इन तक पहुँच सकते हैं, और दूसरा कि आपके पास मोबाइल फोन है, फिलाडेल ् फिया में कई बच ् चों के पास नहीं है । तो उनका शिक ् षा अनुभव कैसा होगा तब जबकि पुस ् तकालय पूरी तरह क ् लाउड-आधारित हों, जो कि शिक ् षा का एक बुनियादी हिस ् सा समझा जाता है? वे प ् रतिस ् पर ् धी कैसे बने रहें? एक अंतिम उदाहरण पूर ् वी अफ ् रीका से: भूमि स ् वामित ् व अधिकारों को डिजिटाइज करने के लिए एक बड ़ ा आंदोलन चल रहा है, कई कारणों से । प ् रवासी समुदाय, पुरानी पीढ ़ ियाँ खत ् म हो रहे हैं, और आखिरकार घटिया अभिलेख रक ् षण ने स ् वामित ् व पर टकराव की स ् थिति पैदा कर दी है । और इसलिए ये सारी जानकारी ऑनलाइन करने के लिए एक मुहिम चली, जिससे इन भूखंडों के स ् वामित ् व का पता लगाया जा सके, पर असल में, इसके अनिच ् छित परिणाम ये हुए कि उद ् यम पूँजीपति, निवेशक, रियल एस ् टेट डेवलपर झपट पड ़ े हैं और इन भूखंडों को खरीदना शुरु कर दिया है इन समुदायों की नाक के नीचे क ् योंकि उनकी पहुँच तकनीक तक है और उस कनेक ् टिविटी तक जिससे ये संभव हुआ है । तो यही एक कड ़ ी है जो इन उदाहरणों को जोड ़ ती है, हमारे बनाए गए उपकरण और तकनीक के अनपेक ् षित परिणाम । इंजीनियरों के रूप में, प ् रौद ् योगिकीविदों के रूप में, हम कभी-कभी कुशलता को गुणकारिता से अधिक वरीयता देते हैं । हम काम के परिणामों की तुलना में काम किए जाने पर ज ् यादा ध ् यान देते हैं । इसे बदलने की जरुरत है । हमारी जिम ् मेदारी है कि हम अपनी बनाई हुई तकनीकों के परिणामों के बारे में सोचें, विशेष रूप से तब जब वो हमारी दुनिया को तेज ़ ी से नियंत ् रित कर रहे हैं । नब ् बे के दशक के अंत में, निवेश और बैंकिंग के क ् षेत ् र में नैतिकता पर ज ़ ोर दिया गया । मेरे विचार से २०१४ में इस तरह का आंदोलन लंबे समय से अपेक ् षित है, तकनीक और प ् रौद ् योगिकी के क ् षेत ् र में । तो मैं आपको प ् रोत ् साहित करता हूँ, जैसे आप सभी अगली बड ़ ी चीज के बारे में सोच रहे हैं, उद ् यमी, सीईओ, इंजीनियर, निर ् माता के रूप में, कि आप अनपेक ् षित परिणामों के बारे में सोचें उनके जो आप बना रहे हैं, क ् योंकि असली नवाचार सभी को शामिल करने के तरीके ढ ़ ूढ ़ ने में है । धन ् यवाद । (तालियाँ) आज मैं आपको मेरा पसंदीदा खेल सीखना चाहती हूँ: भव ् य एकाधिक खेळाडू अंगुठेबाजी | दुनिया में केवल ये एक ही खेल मुझे पता है जिसमे आप जो खिलाड ़ ी है, ६० सेकंड या उससे कम में १० सकारात ् मक भावनाओं को अनुभव करने का अवसर मिलता है | यह सच है.आप सिर ् फ एक ही मिनट के लिए आज मेरे साथ इस खेल को खेलते हैं, तो आपको आनंद, आराम, प ् रेम, चमत ् कार जिज ् ञासा, उत ् तेजना, भय और आश ् चर ् य मुखे कुछ स ् वयंसेवक लगेंगे तो जल ् द ही मंच पे आए, और आप एक छोटासा प ् रात ् यक ् षिक करेंगे | ऑस ् ट ् रेलिया में मोनोक ् रोम नामक कलाकारों द ् वारा | धन ् यवाद, मोनोक ् रोम. अच ् छा. तोह बहुत लोगो को पता है | पारंपारिक, दो खेलाडूओ की अंगुठेबाजी. सनी, इनको सिर ् फ याद दिला देते है | एक, दोन, तीन, चार में युद ् ध घोषित करते और हम झगड़ते है, हम गेमर पिढी के है | अभी पृथ ् वी पे जितने अब ् ज गेमर है, तो हमे और ज ् यादा आव ् हाहन चाहिए | तोह की हमे अधिक अंगुठे चाहिए | तो एरिक, उपर आ जाओ | तो हम तिन अंगुठे एक साथ ले सकते है, और पीटर तुम भी हमारे साथी शामिल हो सकते हो | हम चार अंगूठो के साथ भी खेल सकते है, और यह मार ् ग से आप जित सकते है | दुसरे का अंगुठे पकड़नेवाले पहले व ् यक ् ति है यह सच में मत ् वपूर ् ण है | आपको पसंद नहीं आएगा | तो एरिक जीता होगा | वो पहला व ् यक ् ति होगा जिसने मेरा अंगूठा पकड़ा | ठीक है, तोह पहिला नियम ऐसा है और हम ये देख सकते है तीन या चार अंगूठो के नमुनेदार प ् रकार एक साथ है, अगर आपको मह ् त ् वकंशी लग रहा होगा, तोह पीछे रुकनी की जरुरत नहीं है सचमे हम उसके लिए जा सकते है | तोह आप इधर ऊपर देख सकते है | अब सिर ् फ आपको दूसरा नियम याद करना है की, गेमर पिढी, हमे आव ् हाहने अच ् छी लगती है? मुझे ध ् यान में आया है की कुछ अंगुठे आप इस ् तेमाल नहीं कर रहे | तो मुझे लगता है की हमे ऐसे अधिक गुंतना चाहिए | और अपने पास सिर ् फ चार व ् यक ् ति रहते तो | हमने ऐसे ही किया होता,एकही साथ दोनों अंगूठो के साथ की होती | उत ् कृष ् ट. अभी अगर अपने साथ रूम में मौजिद सभी लोग आएहोते तोह, एक बंद गट के लढत के बदले, हम बाहर जा सकते है | और भी लोग आ सकते है | और देखा जाए तोह अभी हम वोही करने जाने वाले है | हम सभी लोगो को शामिल करने का प ् रयत ् न करने वाले है | जैसे की मुझे मालुम नहीं फिरभी यह रूम में १५०० अंगुठे एक गत में जोड़े हुए | और हमे दोनों लेवेल ् स जोडणी है, अगर आप उधर उपर होंगे, आपकी उपर निचे होंगी | अब — (हंसी) — हम शुरुवात करने से पेह ् ले — यह बेहतरीन है. आप खेलने को उत ् सुक है. — हम शुरुवात करने से पेह ् ले, मुझे चलचित ् रे इधर उपर जलद हि मिल सक ् ती है, क ् युंकी अगर आप इस खेल मे अच ् छे होंगे, मैं आपको बताना भी चाहती हूँ की इसके कुछ अलग आधुनिक लेवेल ् स भी है | तो यह साधे लेवल काप ् रकार है, बराबर? किन ् तु उधर कोई आधुनिक संरचना है | इसको बोलते द डेथ स ् टार संरचना. कोई स ् टार वॉर चाहता? औरइसको बोलते है मोबिअस स ् ट ् रीप | कोई वैज ् ञानिक संशोधक, आपको समझ में आया ही होगा | यह सबसे मुश ् किल लेवल है | यह जब ् बर है | तो अभी के लिए हम साधे लेवल पे रहते है, और मैं आपको ३० सेकंद देनेवाली हूँ, हर अंगूठा एक गट में, उपर के और निचे के लेवेल ् स जोड़े, आप लोग उधर निचे जाए | तीस सेकंद | एकसाथ | गट तयार करे. खड़े रहे! अगर आप खड़े होते है तो आसानी होंगी | हर एक, खड़े खड़े खड़े खड़े! खड़े रहो, मेरे दोस ् तों | ठीक है. जल ् दसे लाधना चालु न करे | अगर आपका अंगूठा खाली होगा तो हवा में लहराए | खात ् री कीजिएकी वः जुदा होगा | अच ् छा. हमे आखिर के मिनिट का अंगूठा पडतालना है | अगर आपका अंगूठा खाली रहेगा तो खत ् री के लिए हवामें लहराए | तो अंगुठा पकडा! आपके पीछे जाए | उधर आप जाए | और कोई अंगुठे? तों, तीन बोलने के बाद, आप चालु करेंगे | ध ् यानरखने की कोशिश कीजिए | पकड़ो पकड़ो वह पकड़ो ठीक है? एक, दो, तीन, शुरु! (हंसी) आप जीते? आपको वह मिला? आपको वह मिला? बढियां | (तालियाँ) अच ् छा किया | धन ् यवाद | बहुत बहुत आभार | ठीक है | प ् रथम हि जितने का भव ् य एकाधिक अंगुठेबाजी का खेल, चलो सकारात ् मक भावनाओं का एक जलद संक ् षेप लेते | तोह कुतुहूल | मी बोली "" भव ् य एकाधिक अंगुठेबाजी का खेल | "" आपका दृष ् टीकोन, "" किसके बारे में बोल रहा है वह? "" तो मैने थोडासा कुतुहूल उत ् पन ् न किया सर ् जनशीलता: समस ् या पार करने के लिए सर ् जनशीलता लगती है सभी अंगूठे एक गत में आने केलिए | मैं आजूबाजू को हूँ और मैं उपर पहुँच रही हूँ | तो आपने सर ् जनशीलता दिखाई | अच ् छा था वह | कैसे आश ् चर ् य लगता? सच लगता एकही समय दो अन ् गुथोके साथ खेले आश ् चर ् य चकित करनेवाला है | आपने यह रूम काऊपर जाने वाला आवाज सूना | आप उत ् साही थे | जब आपने लाधना चालु किया, बहुतर जितनेवाले थे याइस व ् यक ् ति को, यह अच ् छा लगता होगा, उसकी वजह से आनंदि थे | हमे आराम मिला | आपको खड़े रहने को मिला | आप बहुत समय से बैठे हुए थे, तो शारीरिक आराम | बाहर डालने को मिला | हम आनंदि थे | आप हस रहे थे | आपके चेहरे को देखिए | यह रूम पूरी तरहसे आनंदसे भर गयी है | हम थोडे समाधानी थे | हम खेलते समय, मुझे कोई मेसेज भेजते हुए या ई मेल देखते हुए नहीं दिखा | आपसभीखेलने में मग ् न थे | सबसे महत ् वपूर ् ण तीन भावनाए, वचक और आश ् चर ् य, हम सभी एक मिनिट के लिए जुड़े हुए थे | आखिर में आप कब टेड में थे | और आपके रूम में से सभी लोगो को शारीरिक रूप से जुड़ने को मिला? और यह सच में अचंबित और आश ् चर ् यचकित करनेवाला है | और शारीरिक जोडी के बारे में बोलना हुआ तोह, आपको पता ही है ओक ् सिकोटिन प ् रिय है, आप ओक ् सिकोटिन छोड़ते है, और आपको रूम में सभी से संबंधित है लगता है | आप सभी लोगो को मालुम है ही ओक ् सिकोटिन जल ् द से छोड़ने का अतिशय उत ् तम मार ् ग, वह है दुसरे का हाथ कमसेकम ६ सेकंद पकड़ के रखे | आप सभी लोगोने ६ सेकंदां से ज ् यादा हाथ पकड़ के रखा था | तोह हम सभी जीवरासायनिक से अविभाज ् य है एक दुसरो को पसंद करने केलिए | वह सही है | और आखिर की भावना गर ् व. कितने लोग मेरे जैसे है | सिर ् फ मान ् यता दे | आपने दोनों अंगुठे हारे | वे सिर ् फ आपके लिए काम नहीं कर पाए | वो ठीक है, क ् यूँकी आज आपने एक नया कौशल ् य सिखा है | आप सीखे, शुरुवात से, जो खेल आपको पहले पता नहीं था | अब आपको पता है ये खेल कैसे खेलने का | आप बाकियों को सिखा अस ् कते है | तो अभिनंदन. अभी आप में से कितने अंगुठे जीते? ठीक है | मेरे पास आपके लिए आनंददायी खबर है | अधिकृत नियमों को अनुसरून भव ् य एकाधिक खेलाडू अंगुठेबाजी के यह आपको ये खेल के कौशल ् यपटु बनता है | क ् यूंकि यहा ज ् यादा लोगो को पता नहीं की ये खेल कैसे खेला जाता है | हमे ऐसा खेल दौड़ाना है बुद ् धिबल खेल से ज ् यादा | तो अभिनंदन, कौशल ् यपटू. आप एक अंगूठा एक समय जीतिए, आप कौशल ् यपटुबन सकते है | कोई दोनों अंगुठे के साथ जीता क ् या? हाँ | सही है | आपका फेसबुक या ट ् वीटरचा का स ् टेटस अपडेट करने को तैयार रहे | आप लोग, नियमों को अनुसरून, अमर कौशल ् यपटू है, तो अभिनंदन | मैं आपके लिए एक टिपण ् णी छोड़रही है, अगर आपको फिर से खेलना होगा तोह | अमर कौशल ् यपटू बनने का सर ् वोत ् कृष ् ट मार ् ग, आपको आपके दो गट चालु है | जो आसान होगा उसको पकड़ लो | जिनका ध ् यान नहीं है | जो दुबले है | एक पे ध ् यानकेन ् द ् रित करे और कुछ तोह अलग करे | यह हाथ के साथ | जैसे ही आप जित जाओ, रुक जाइए | हर एक बाहर जाता है | और आप मारने को अंदर जाते है | ऐसे तुम ् ही भव ् य एकाधिक खेळाडू अंगुठेबाजी के अमर कौशल ् यपटू बन सकते है | मुझे यह खेल आपको सिखाने की अनुमति देने के लिए धन ् यवाद | वूहू! (तालियाँ) धन ् यवाद | (तालियाँ) क ् या आपको पता हैं फूल वाले पौधों की कितनी प ् रजातियाँ होती हैं? ढाई लाख — कम से कम इतनो के बारे में हम जानते हैं — फूल वाले पौधों की ढाई लाख प ् रजातियाँ हैं. और फूल बहुत बदमाश हैं. पौधों के लिए उन ् हें पैदा करना सबसे मुश ् किल काम है. इनके लिए बहुत सारी उर ् जा और साधन की जरुरत होती हैं. तो वो इतनी परेशानी क ् यों उठाते हैं? और बेशक जवाब है, जैसे दुनिया में कई चीज ़ ों के लिए होता है, संभोग. मुझे पता है इन तस ् वीरों को देख कर आप के दिमाग में क ् या आ रहा है. और इसका कारण है कि यौन प ् रजनन इतना महत ् वपूर ् ण है कि — कई चीज ़ े हैं जो पौधे प ् रजनन के लिए कर सकते हैं. आप पौधों की कलम ले सकते हैं; वो एक प ् रकार से अपने आप से संभोग कर सकते हैं; वो अपने आप को अंकुरित कर सकते हैं. लेकिन असल में, उन ् हें अपनी प ् रजाति को फैलाना होता है दूसरी प ् रजातियों के साथ मिश ् रण करने के लिए, ताकि वो पर ् यावरण की भिन ् नता के साथ मेल बिठा सके. क ् रमिक विकास ऐसे काम करता है. अब पौधे जिस प ् रकार यह सूचना फैलाते हैं वो हैं पुष ् प रेणु (pollen) के द ् वारा. आप में से कुछ लोगों ने यह तसवीरें पहले देखी होंगी. मेरा कहना है, हर घर में एक इलेक ् ट ् रो माइक ् रोस ् कोप (विद ् युत सुक ् ष ् म-दर ् शक-यन ् त ् र) होना चाहिए इन ् हें देखने के लिए. पुष ् प रेणु उतने ही प ् रकार के हैं जितने प ् रकार के फूल वाले पौधों की प ् रजातियाँ हैं. और यह फोरेंसिक के लिए बहुत उपयोगी है. ज ़ ् यादातर पुष ् प-रेणु जो हमारे लिए "" हे फीवर "" का कारण हैं उन पौधों से आते हैं जो हवा का इस ् तेमाल करते हैं पुष ् प-रेणु का प ् रसार करने के लिए. और वह एक बहुत प ् रभावहीन प ् रक ् रिया है, इसी वजह से यह हमारी नाक में इतना चढ़ता है. क ् युंकि आपको बहुत सारा पुष ् प-रेणु बाहर फैकना होगा, इस उम ् मीद में कि आपकी सेक ् स कोशिकाएं, आपकी पुरुष सेक ् स कोशिकाएं, जो पुष ् प-रेणु के अन ् दर हैं, किसी तरह किस ् मत से अन ् य फूल तक पहुँच जाए. तो सभी घास, जिसका मतलब है सभी अनाज फसलें, और ज ् यादातर पेड ़ ो के पास हवा में उड ़ ने वाले पुष ् प-रेणु हैं. लेकिन ज ् यादातर प ् रजातियाँ असल में अपने प ् रजनन के लिए कीड ़ ो का प ् रयोग करती हैं. और यह एक तरह से ज ् यादा बुद ् धिमानी है, क ् युंकि उन ् हें ज ् यादा पुष ् प-रेणु की ज ़ रुरत नहीं है. कीड ़ े और दूसरी प ् रजातियाँ पुष ् प-रेणु को अपने साथ ले जा कर, सही जगह पहुँचा सकते हैं. तो बेशक हमें संबंधों का ज ् ञान है कीड ़ े और पौधों के बीच. यह एक सहजीवी रिश ् ता है, चाहें वो मक ् खी या पक ् षी या मधुमक ् खी का हो, उन ् हें बदले में कुछ मिल रहा है, और आमतौर पर, वो कुछ पराग है. कभी कभी वह सहजीवन अद ् भुत रूपान ् तरों को जन ् म देता है - हमिंगबर ् ड हौक-मोथ (एक प ् रकार का कीट) अपने अनुकूलन में खूबसूरत है. पौधों को कुछ मिलता हैं, और हौक-मोथ पुष ् प-रेणु कहीं और फैला देता है. पौधे विकसित हो गए हैं एक छोटी अवतरण -पट ् टी बनाने के लिए उन मधु-मक ् खियो के लिए जो अपना रास ् ता भूल गयी हों. कई पौधों पर निशान होते हैं जो कीड ़ ो जैसे दीखते हैं. यह लिली के पराग-कोश हैं, चतुरतापूर ् ण, ताकि जब अनजान कीड ़ े उस पर उतरता है, पराग कोष उछल कर उसकी पीठ से टकराते हैं बहुत सारे पुष ् प-रेणु के साथ जो उसके साथ दुसरे पौधे तक चले जाते हैं. और एक ऑर ् किड (पौधे का नाम) है आप को ऐसा लगेगा जैसे कि इसके दांत हो. यह ऐसा है कि यह कीड ़ े को इस प ् रकार रेंगने पर मजबूर करता है, कि वह पुष ् प-रेणु में ढक जाता है और उसे कहीं और ले जाता हैं. ऑर ् किड की कम से कम २०००० प ् रजातियाँ हैं — आश ् चर ् यजनक रूप से विविध. और वे सब प ् रकार की चाले चलते हैं. उन ् हें पुष ् प-रेणु फैलाने वालो को आकर ् षित करना होता है अपना प ् रजनन करवाने के लिए. यह ऑर ् किड, इसे डार ् विन का ऑर ् किड कहते हैं, क ् युंकि उन ् होंने इसका अध ् धयन किया था और उसे देखकर एक अद ् भुत भविष ् यवाणी की. आप देख सकते हैं कि वहां एक बहुत लम ् बी पराग नली है जो नीचे आती है ऑर ् किड से. और मूल रूप से कीट को क ् या करना है — हम फूल के बीच में हैं — इसे अपनी छोटी नली डालनी होती है इसके मध ् य में और पराग नली के अंत तक पराग तक पहुँचने के लिए. और डार ् विन ने कहा, फूल को देख कर, "मुझे लगता है कोई इसके साथ सह-विकसित हुआ है" और बेशक, यहाँ है यह कीट. और, सामान ् य तौर पर यह इसे लिपट कर रहता हैं, लेकिन सीधा हो के, यह ऐसा दिखता है. आप कल ् पना कर सकते हैं अगर पराग इतना बहुमूल ् य है और पौधों के लिए इसे बनाना महंगा है और यह बहुत सारे पुष ् प-रेणु फैलाने वाले कीटों को आकर ् षित करता है तो, बिल ् कुल इंसानी संभोग की तरह, लोग धोखा कर सकते हैं. वह कह सकते हैं, "" मेरे पास पराग है. क ् या आपको यह चाहिए? "" यह एक पौधा है. यह एक ऐसा पौधा है जिसे दक ् षिण अफ ् रीका के कीट बहुत पसंद करते हैं. और इन ् होने एक लम ् बी सूंड विकसित कर ली है तली में पराग तक पहुँचने के लिए. और यह नकलची है. तो यह पौधा एक दुसरे पौधे की नक ़ ल करता है. यह लम ् बी नली वाली मक ् खी है जिसे इस नकलची फूल से पराग नहीं मिला है. क ् युंकि यह नकलची इसे पराग देता ही नहीं है. इसे लगा कुछ मिलेगा. तो मक ् खी को ना ही पराग मिला है इस नकलची पौधे से, बल ् कि - अगर आप गौर से देखे ऊपर की तरफ, आप देख सकते हैं इससे थोडा पुष ् प-रेणु मिला है जो यह दुसरे पौधों तक पहुचाएगी. अगर सिर ् फ कोई वनस ् पति-वैज ् ञानिक नहीं आया होता और इसे एक नीले पत ् ते पर नहीं लगा दिया होता. (हँसी) छल पौधों के पूरे राज ् य में चलता है. यह फूल अपनी काली बिंदियों के साथ: यह हमें काली बिंदी की तरह दिखती हैं, लेकिन, एक पुरुष कीड ़ े को, यह दो मादाओ की तरह दिखती हैं जो कि बहुत, बहुत आकर ् षक हैं. (हँसी) और जब कीड ़ ा वहां पहुच कर उस पर उतरता है, अपने आप को पुष ् प-रेणु में डुबो कर, जो बेशक, यह कहीं और ले जायेगा, और जब आप इसे करीब से देखते हैं, तो आप देख सकते हैं यहाँ एक सांचा है, जो त ् रि-आयामी है शायद यह कीड ़ े को अच ् छा महसूस भी होता है, और सुन ् दर दिखता भी है. यह इलेक ् ट ् रो माइक ् रोस ् कोप की तस ् वीर — यह एक ऑर ् किड कीड ़ े की नक ़ ल कर रहा है — आप इसकी संरचना के विभिन ् न हिस ् से देख सकते हैं हमारी आखो के लिए अलग बनावट और अलग रंग के हैं, काफी अलग बनावट कीड ़ े के अनुभव से. और यह विकसित हुआ है नक ़ ल करने के लिए एक चमकदार धातु सतह की जो आप कुछ प ् रकार के झींगुर पर देखते हो, और इलेक ् ट ् रो माइक ् रोस ् कोप के नीचे, आप देख सकते हैं यह सतह — काफी अलग दिखती है उन सतहो से जो हमने देखी है. कभी कभी पूरा पौधा कीड ़ ों की नक ़ ल करता है, हमारी आँखों के लिए भी. शायद यह एक उड ़ ने वाले जानवर जैसा दिखता है. यह आश ् चर ् यजनक, अद ् भुत है. यह पौधा चतुर है. इसे कहते हैं ओब ् सीडियन. मुझे यह इन ् सिदियम लगता है. मधु मक ् खी की कुछ प ् रजातियों को, यह एक आक ् रामक मक ् खी की तरह दिखती है, और वे उसे सर पर कई बार मारती हैं भगाने के लिए, और, बेशक, अपने आप पर पुष ् प-रेणु लपेट लेती है. यह एक और चीज ़ करता है यह पौधा एक दुसरे ऑर ् किड की नक ़ ल करता है वो ऑर ् किड एक अच ् छा भंडार है कीड ़ ो के खाने का. और इस नकलची के पास कुछ नहीं है. तो यह दो तरह से धोखा देता है — शानदार. (हँसी) यह है य ् लंग य ् लंग, कई इत ् रों में इस ् तेमाल होने वाला. आज किसी ने लगाया भी है. इस पौधे को इतना रंग बिरंगा होने की ज ़ रुरत नहीं है. यह विलक ् षण विस ् तार की खुशबुएँ फैला रहा है हर कीड ़ े के लिए जो सूंघ सकता है. यह वाला इतना अच ् छी गंध नहीं देता. यह एक फूल है जो बहुत, बहुत दुर ् गन ् ध देता है और फिर ऐसे विकसित हुआ है, ताकि या सड़े हुए मांस के जैसे दिखे. तो मक ् खिया इसे पसंद करती हैं. यह आती हैं और पुष ् प-रेणु फैलाती हैं. यह हेलिकोदिक ् रोस है, इससे मृत -घोड ़ े वाला फूल भी कहते हैं. मुझे पता नहीं, मृत घोड ़ े की दुर ् गन ् ध कैसी होती है, मगर इसकी दुर ् गन ् ध कुछ वैसी ही होती होगी. यह सच में भयंकर है. और यह मक ् खी अपने आप को रोक नहीं सकती. वह उड ़ कर इसमें पहुँच जाती हैं, और इसमें नीचे तक जाती हैं. इसमें अपने अंडे देती हैं, इसे कोई लाश समझ कर, इससे अनजान कि यहाँ कोई खाना नहीं है अन ् डो के लिए, कि अंडे मर जायेंगे, लेकिन पौधे को फायदा हो गया है, क ् युंकि बाल खुल गए और मक ् खी उड ़ गयी दूसरे फूलो में पुष ् प-रेणु फैलाने के लिए — शानदार. यह अरुम है, अरुम मचुलातुम, इसे कहते हैं स ् वामी और भद ् र-महिला, या फिर कोयल का प ् याला ब ् रिटेन में. मैंने यह तस ् वीर पिछले हफ ् ते डोरसेट में ली थी. यह गरम हो जाता है व ् यापक तापमान से लगभग १५ डिग ् री — कमाल है. और अगर आप ऊपर से देखेंगे, वहां एक बाँध जैसा है, मक ् खियाँ गर ् मी से आकर ् षित होती है — जो उबल रहा है रसायनों से, छोटे कीड ़ े — इसमें फस जाते हैं. वह यह पराग पीते हैं और फिर वह सब चिपचिपे हो जाते हैं. रात में वह पुष ् प-रेणु में लिपट जाते हैं, जो उन पर बरसता है उपर से, और वह बल जो हमने देखे थे, वो लटक जाते है और इन छोटे कीड ़ ों को बाहर आने देते हैं, पुष ् प-रेणु में लिपटे — शानदार चीज ़. अगर वह शानदार था, तो यह मेरा पसंदीदा है. यह फिलोदेंद ् रों सेल ् लौम है. अगर आप ब ् राजील से हैं, आप इसे जानते होंगे. यह सबसे अद ् भुत है. यह कलम जैसी चीज ़ एक फूट लम ् बी है. और यह कुछ करती है जो कोई दूसरा पौधा नहीं कर सकता जब इसमें फूल खिलता है — वहां बीच में सूंड है — करीब २ दिन के लिए, यह इस तरह से पाचन करती है जो कि काफी कुछ स ् तन-पायी जानवरों जैसा है. स ् टार ् च (मादी) की जगह जो पौधों का खाना है यह भूरी वसा (चिकनाई) जैसी एक चीज ़ े लेती है और उसे ऐसे दर पे जलाती है कि यह वसा जला रही होती है एक छोटी बिल ् ली की दर के समान. और यह दो गुणा उर ् जा उत ् पादन है, वजन के हिसाब से, एक हमिंगबर ् ड पक ् षी के मुकाबले बिलकुल आश ् चर ् यजनक. और यह चीज ़ े कुछ और भी असामान ् य करती है. यह अपने आप को ११५ डिग ् री फारेनहाईट तक तपा लेती है, ४३-४४ डिग ् री सेल ् सियस, 2 दिन के लिए, लेकिन यह स ् थिर तापमान रखती है. यहाँ एक ताप-विनियमन तंत ् र है जो तापमान को स ् थिर रखता है. अब यह ऐसा क ् यों करता है? आप जानना चाहते होंगे. आप को पता नहीं है, कुछ झींगुर जिन ् हें उस तापमान पर संभोग करना बहुत पसंद है वह अन ् दर जाते हैं, और शुरू हो जाते हैं. (हँसी) पौधे उन पर पुष ् प-रेणु की बौछार कर देते है और वह पुष ् प-रेणु फैलाने निकल पड ़ ते हैं. कितनी लाजवाब चीज ़ है. अब ज ् यादातर पुष ् प-रेणु फैलाने वाले हमें लगता है कीड ़ े होंगे, पर गरम देशो में, कई पक ् षी और तितलियाँ पुष ् प-रेणु फैलाते हैं. और कई ट ् रोपिकल फूल लाल होते हैं, क ् युंकि पक ् षी और तितलियाँ हमारी तरह देखते है, और लाल रंग बहुत अच ् छे से देख सकते हैं. अगर आप प ् रकाश विस ् तार देखें, पक ् षी और हम, लाल, हरा और नीला देखते हैं और वही प ् रकाश विस ् तार देखते हैं. कीड ़ े हरा, नीला और परा-बैंगनी देखते हैं, और वह देखते हैं परा-बैंगनी के कई रंग. यहाँ कुछ जो है जो हमसे परे है. "" जबरदस ् त होगा, अगर हम यह देख सके "", आप सोच रहे होंगे यह हो सकता है. कीड ़ े को क ् या दीखता है? पिछले हफ ् ते मैंने चट ् टानी गुलाब की यह तस ् वीरे ली है, हेलिंनठेमुम, डोरसेट में. यह छोटे पीले फूल हैं, सब जगह फैले हुए है. और यह प ् रकट प ् रकाश में ऐसे दीखते हैं. अगर आप लाल निकाल दो तो यह ऐसे दीखते हैं. ज ़ ् यादातर मधु-मक ् खियाँ लाल नहीं देख सकती. और फिर मैंने अपने कैमरे पर परा-बैंगनी छन ् नी लगा दी और लम ् बा अनावरण लिया परा-बैंगनी की विशेष आवृतियों पर और मुझे यह मिला. यह एक विलक ् षण दृश ् य है. हमें नहीं पता है मधु-मक ् खी को क ् या दीखता है, जैसे आप को नहीं पता मैं क ् या देख रहा हूँ जब मैं इससे लाल कहता हूँ. हमें नहीं पता एक कीड ़ े के दिमाग में क ् या चल रहा है, इंसान की तो बात ही छोड ़ दो. मगर विपरीत कुछ ऐसा दिखेगा. पृष ् ठ-भूमि से अलग. यह एक और छोटा फूल है — अलग तरह की परा-बैंगनी आवृतियाँ, अलग छन ् नी पुष ् प-रेणु फैलाने वाले की जोड़ीदार. और इसे ऐसा दीखता होगा. अगर आप सोच रहे हैं कि सभी पीले फूल ऐसे होते हैं — इन चित ् रों को लेते समय इनमे से किसी फूल को नुकसान नहीं पहुँचा है; यह सिर ् फ तिपाई से जुड़ा था, मारा नहीं गया — फिर परा-बैंगनी के नीचे, देखिये. और यह एक धूप-अवरोधक का काम कर सकती है, क ् युंकि धूप-अवरोधक परा-बैंगनी को सोखता है. शायद इसका रसायन काम का होगा. आखिर में, यह एक चित ् र है प ् रिम ् रोसे की जो मुझे नार ् वे से ब ् जोर ् न रोर ् सलेट ने भेजी है — शानदार छिपा प ् रतिमान. मुझे गुप ् त होने का विचार पसंद है. यहाँ कुछ काव ् यगत है. कि यह चित ् र परा-बैंगनी छननी से लिए गए हैं, उस छननी का मुख ् य काम खगोलविदों को शुक ् र की तस ् वीर लेने में मदद करना है — असल में शुक ् र के बादल की. यह इस छलनी का मुख ् य काम है. शुक ् र, प ् यार और प ् रजनन का देवता है, जो एक फूल की भी कहानी है. जैसे फूल बहुत श ् रम लगाते हैं पुष ् प-रेणु फैलाने वालों से अपना काम करने में, उन ् होंने हमें भी किसी तरह मना लिया है उन ् हें बहुत तादाद में उगाने के लिए और एक दुसरे को देने में जीवन और मृत ् यु के समय, और खासकर शादियों पर, अगर आप गौर करे, एक क ् षण है जिसमे अनुवांशिक तत ् त ् व का आदान-प ् रदान होता है एक जीव से दूसरे को. बहुत बहुत धन ् यवाद (अभिवादन) तो भई हाँ, मैं अख ़ बारों के लिए कार ् टून बनाने वाला कार ् टूनिस ् ट हूँ. राजनैतिक विषयों पर कार ् टून बनाने वाला कार ् टूनिस ् ट. मुझे पता नहीं, क ् या आप लोगों ने इस चीज़ के बारे में सुना है - अख ़ बार? ये काग ़ ज़ पर लिखी हुई पढ ़ ने की चीज़ होती है. (ठहाका) ये आई-पौड से हल ् की होती है. उससे कुछ सस ् ती भी. जानते है लोग क ् या कह रहे हैं? यही कि प ् रिंट मीडिया मर रही है. कौन हैं जो ऎसा कह रहे हैं? भई, मीडिया. पर ये आप लोगों के लिए कोई नई ख ़ ब ् रर नहीं है, है ना? आप तो यह ख ़ बर पहले ही पढ ़ चुके हैं. (ठहाका) देवियों और सज ् जनों, दुनिया आज छोटी हो गयी है. मानता हूँ, ये काफी घिसी पिटी बात है, पर ज़रा देखिए, देखिए कितनी छोटी, कितनी क ् षुद ् र हो गई है दुनिया. और आप को इसकी वजह तो पता ही है. इस सब का कारण है टेक ् नोलाजी. जी हाँ. (हँसी) क ् या इस कमरे में कोई कंप ् युटर डिज़ाईनर है? हाँ तो, आप लोगों ने मेरा जीना मुश ् किल कर दिया है. क ् योंकि ट ् रेक-पैड पहले गोल हुआ करते थे, एक सुंदर गोल सा आकार. जिसका कार ् टून अच ् छा बनता है. पर आप चप ् टे, सपाट ट ् रेक-पैडों का क ् या बना पाएंगे, उन चौकोन सी चीज़ों का? एक कार ् टूनिस ् ट के तहत वो मेरे काम की नहीं. हाँ मैं जानता हूँ कि आज दुनिया सपाट हो गई है. सच ् ची बात है. और ईंटरनेट दुनिया के हर कोने में पहुँच चुकि है, सबसे ग ़ रीब, सबसे बीह ् ड ़ इलाकों में भी. आज अफ ़ ् रिका के हर जंगल में साईबर कैफे मिलेंगे. (ठहाका) वहाँ जाकर फ ् रैप ् पुचिनो (कॉफी) की माँग मत कर डालिएगा. तो हम डिजिटल विश ् व के विभेद मिटाने में जुटे हैं. तृतीय विश ् व बाकी जगत से जुड ़ चुका है. हम जुड ़ चुके हैं. अब आगे क ् या होगा? तो, आपके पास ई-मेल है. हाँ. इंटरनेट ने हमें ताक ़ तवर बनाया है. इसने आपको ताक ़ त दी है, मुझे ताक ़ त दी है, और इसने कुछ और बंदों को भी ताक ़ त दे डाली है. (ठहाका) आपको पता है, ये आख ़ री दो कार ् टून, इन ् हे मैंनै हैनोई के एक कान ् फेरेन ् स में लाईव बनाया था. उन ् हे इसकी आदत नहीं थी, कम ् युनिस ् ट 2.0 वियेतनाम में. (ठहाका) तो मैं एक बड ़ े से स ् क ् रीन पर लाईव कार ् टून बना रहा था- जो अपने आप में एक सनसनी थी- और तभी ये शख ़ ् स मेरे पास आया. वो मेरे और मेरी बनाई चित ् रों की तस ् वीरें खींच रहा था. मैंने सोचा, 'वाह, ये कोई वियेतनामी फैन है.' और जब वो दूसरे दिन भी आया, मैंने सोचा, 'भई वाह, ये तो सच में कार ् टून प ् रेमी है.' तीसरे दिन आखिरकार मेरी समझ में आया, कि वो शख ़ ् स दरअसल ड ् युटि पर था. तो अब तक वियेतनामी पुलिस की फ ़ ाईलों में अपने स ् केचों के साथ मुस ् कुराते हुए मेरी कम से कम सौ तस ् वीरें होंगी. (ठहाका) ये सच है, ईंटरनेट ने दुनिया बदल दी है. इसने संगीत उद ् योग को हिला कर रख दिया है. इसने हमारे संगीत आस ् वदन के तरीक ़ े भी बदल दिए हैं. जिन ् होने वो समय देखा है, उन ् हे याद होगा, कि एक समय हमें दुकानों तक जाना पड ़ ता था संगीत चुराने के लिए. (ठहाका) इंटरनेट ने ये भी बदल दिया है कि आपका भावी नियोक ् ता आपके नौकरी के आवेदन को कैसे परखेगा. तो सतर ् क रहिए अपने फेसबुक अकाउंट को लेकर. आपकी माँ भी आपसे यही कहती है, सावधान रहो. टेक ् नोलोजी ने हमें आज़ाद कर दिया है. ये फ ् री वाई-फाई है. हाँ, सचमुच में इसने हमें मुक ् ति दिला दी है आफिस डेस ् क से. ये आपकी ज़िन ् दगी है. इसका लुत ् फ उठाईए. (हंसी) संक ् षेप में, टेक ् नोलोजी ने, इंटरनेट ने, हमारी जीवन शैली बदल दी है. टेक-गुरु, जैसे कि ये व ् यक ् ति — जिन ् हे एक जर ् मन मैगाज़ीन ने इक ् कीसवी शताब ् दी का दार ् शनिक कहा है — ये हमारे काम करने के तरीक ़ े तय कर दे रहे हैं. वो ये तय कर दे रहे हैं कि हम किस तरह चीज़ों का इस ् तेमाल करेंगे. यहाँ तक कि ये हमारी इच ् छाओं को भी तय कर दे रहे हैं. (हँसी) (तालियाँ) आपको अच ् छा नहीं लगेगा. टेक ् नोलोजी ने यँहा तक कि हमारे भगवान से संबंध भी बदल दिए हैं. (ठहाका) मुझे इसमें नहीं पड ़ ् ना चाहिए. धर ् म और राजनैतिक कार ् टून, जैसा कि आपने सुना हि होगा, एक मुश ् किल जोड ़ ी है, 2005 के उस दिन के बाद से, जब डेनमार ् क के कुछ कार ् टूनिस ् टों ने ऎसे कार ् टून बनाए, जिन पर प ् रतिक ् रिया पूरे विश ् व भर में दिखी, विरोध प ् रदर ् शन, फतवा. इन चित ् रों ने हिंसा भड ़ का दी. लोग मारे गए. कितनी दर ् दनाक बात है. लोग कार ् टूनों की वजह से मारे गए. मतलब- उस समय मुझे ऎसा लगा कि असल में कार ् टूनों का इस ् तेमाल दोनों ही पक ् षों ने किया. सबसे पहले एक डैनिश अख ़ बार ने इनका इस ् तेमाल किया, इस ् लाम पर एक मुद ् दा बनाने के लिए. एक डैनिश कार ् टूनिस ् ट ने मुझे बताया कि वो उन 24 लोगों में से था जिन ् हे पयगम ् बर का चित ् र बनाने का काम मिला था. उनमें से 12 लोगों ने ये काम करने से मना कर दिया. ये बात आपको पता थी? उसने मुझसे कहा, 'मुझे क ् या बनाना है, ये किसी और को मुझे बता देने की ज़रूरत नहीं. इस काम का यही नियम है. 'इसके बाद उन कार ् टूनों को दूसरी तरफ से उग ् रवादियों और राजनीतिज ् ञों ने इस ् तेमाल किया. उनका इरादा विवाद खड ़ ा करने का था. बाकी किस ् सा तो आप जानते ही हैं. हम जानते हैं कि कार ् टूनों को हथियार भी बनाया जा सकता है. इतिहास गवाह है, कि नात ् ज़ीयों ने भी यहूदियों के ख ़ िलाफ इनका इस ् तेमाल किया. और अब हम यहाँ आ पहुँचे हैं. संयुक ् त राष ् ट ् र में लगभग आधा विश ् व जुटा पड ़ ा है धार ् मिक आस ् थाओं पर आक ् रमण को दण ् डनिय बनाने में — वे इसे धर ् म का अपमान कहते हैं — वहीं बाकी विश ् व ने इस मुद ् दे पर बोलने की आज़ादी के पक ् ष में मुहीम छेड ़ रखी है. तो सभ ् यताओं की जंग छिड ़ चुकि है, कार ् टूनों को लेकर? इस बात ने मुझे सोच में डाल दिया. अब आप मुझे सोचता हुआ देख सकते हैं मेरी किचन टेबिल पर. और चूंकि आप मेरे किचन में हैं, मेरी बीवी से मिलिए. (ठहाका) इसके कुछ महीनों बाद, 2006 में मैं आईवरी कोस ् ट गया — पश ् चिमी अफ ् रिका. किसी विभक ् त जगह कि कल ् पना कीजिए. ये देश दो टुकड ़ ों में बंट चुका था. उत ् तर के इलाकों में बगावत चल रही थी, सरकार दक ् षिण में — राजधानी अबिदजान — और बीच में फ ् रांसीसी सेना. ये एक बड ़ े हैमबर ् गर की तरह है. और आप बीच का हैम नहीं बनना चाहेंगे. मैं वहाँ उस कहानी पर रिपोर ् ट करने गया था कार ् टूनों के माध ् य ् म से. मैं पिछ ् ले 15 सालों से ये काम करता आया हूँ. चाहें तो इसे मेरा साईड-जॉब कह सकते हैं. जैसा कि आप देख सकते हैं, इस काम की शैली अलग है. सम ् पादकियों के लिए बनने वाले कार ् टूनों से ये कहीं ज़ ् यादा संजीदा मसला है. मैँ ग ़ ाज़ा जैसी जगहों पर भी गया वहाँ के 2009 के युद ् ध के दौरान. असल में ये कार ् टूनों के ज़रिए पत ् रकारिता है. आपको इसके बारे में और पता चलने लगेगा. मुझे लगता है, यही पत ् रकारिता का भविष ् य भी है. ज़ाहिरी तौर पर, मैं उत ् तर के विद ् रोहियों से मिलने गया. ये अपने हक ़ के लिए लड ़ ने वाले ग ़ रीब लोग थे. इस लड ़ ाई का एक जातीगत पक ् ष भी था जैसा कि अफ ् रिका में अक ़ ् सर होता है. मैं डोज़ो लोगों से भी मिलने गया. डोज़ो परंपरागत शिकारी हैं पश ् चिम अफ ् रिका में रहने वाले. लोग उनसे डरते हैं. ये विद ् रोह की बड ़ ी मदद करते हैं. लोग मानते हैं कि इनके पास जादुई शक ् ति है. जैसे कि ये ग ़ ायब होकर गोलियों से बच सकते है. मैं एक डोज़ो प ् रमुख से मिलने गया. उसने मुझे अपनी जादुई ताक ़ तों के बारे में बताया. उसने कहा, 'मैं अभी आपका सिर काटकर आपको फिर से ज़िन ् दा कर सकता हूँ.' मैँने कहा, 'इसके लिए हमारे पास शायद अभी समय नहीं है.' (ठहाका) 'कभी और.' अबिदजान लौटने पर मुझे एक कार ् यशाला का नेतृत ् व करने दिया गया, जिसमें स ् थानीय कार ् टूनिस ् ट थे. मैंने सोचा कि हाँ, एसे समय पर कार ् टूनों को सच में दूसरे पक ् ष के विरुद ् ध हथियार की तरह इस ् तेमाल किया जा सकता है. मेरा मतलब है, आईवरी कोस ् ट का अख ़ बार जगत बुरी तरह से बंटा हुआ था. उसकी तुलना गणहत ् या के पहले की रवांडा के मीडिया से की जा रही थी. बस अंदाज़ा लगाईए. तो इसमें एक कार ् टूनिस ् ट क ् या कर सकता है? कभी-कभी संपादक कार ् टूनिस ् टों को वही बनाने को कहते हें जो वो ख ़ ुद देखना चाहते हैं, और बिचारे कार ् टूनिस ् ट को तो अपना परिवार चलाना होता है, ना. तो हमने बहुत ही आसान सी योजना बनाई. हमने कार ् टूनिस ् टों को आईवरी कोस ् ट के हर कोने से इकट ् ठा किया. हमने उन ् हे उनके अख ़ बारों से तीन दिन के लिए ले लिया. मैंने उन ् हे एक प ् रोजेक ् ट में साथ काम करने कहा, जिसमें उन ् हें उनके देश की समस ् याओं का समाधान कार ् टूनों के ज़रीए बताना था. कार ् टून के सकरात ् मक शक ् ति को दिखाना था. कार ् टून संदेश संचार का ज़बरद ् स ् त तरीक ़ ा है अच ् छे और बुरे दोनों उद ् देश ् यों के लिए. कार ् टून सीमाँए लांघ सकते हैं, जैसा कि आप देख ही चुके हैं. मुझे लगता है, हास ् य-विनोद एक बेहतरीन उपाय है गंभीर विषयों से जूझने का. बहरहाल, इन कार ् टूनिस ् टों के किए काम पर मुझे बड ़ ा गर ् व है. भले ही, वे एक दूसरे से सहमत नहीं थे — पर ये असल मुद ् दा नहीं था. और मैने उन ् हें सिर ् फ ़ ख ़ ुशगवार कार ् टून बनाने को नहीं कहा था. पहले ही दिन, वे एक दूसरे से झगड ़ पड ़ े. पर उन ् होने मिलकर एक क ़ िताब बनाई, पिछले 13 साल से आईवरी कोस ् ट में चल रहे राजनैतिक उथल-पुथल को लेकर. उद ् देश ् य यही था. मैंने इस तरह के और भी प ् रोजेक ् ट किए हैं, 2009 में लेबानान में, इसी साल, जनवरी में कीनिया में भी. लेबानान में हमने क ़ िताब नहीं बनाई. हम चाहते थे कि — विभाजित देश के विषय पर ही — अलग-अलग जगह से कार ् टूनिस ् ट लेकर उन ् हे कुछ एक साथ मिलकर करने दिया जाए. तो लेबानान में हमने अख ़ बारों के संपादकों को काम पे लगाया, और उनसे अलग-अलग जगहों के आठ कार ् टूनिस ् टों का काम एक साथ एक ही पन ् ने पर छपवाया, जिनमें लेबानान को प ् रभावित करने वाले विषय उठाए गए थे, जैसे कि धर ् म, राजनीति और दैनिक जीवन. ये कारगर साबित हुई. तीन दिनों तक, बैरूट के लगभग हर अख ़ बार ने इन सारे कार ् टूनिस ् टों का काम एक साथ छापा — सरकार-विरोधी, सरकार के पक ् ष में, ईसाई, मुस ् लिम, ज़ाहिर है, अंग ् रेज़ी-बोलने वाले, हर तरह के कार ् टूनिस ् ट. तो ये एक बढ ़ िया प ् रोजेक ् ट था. और फिर हमने कीनिया में जाति के मुद ् दों पर काम किया, जो कि अफ ् रिका के बहुत से इलाकों में ज़हर की तरह फैला है. हमने विडीयो क ् लिप भी बनाए. आप उन ् हे YouTube / KenyaTunes में देख सकते हैं. तो, बोलने की स ् वाधीनता पर यहाँ खड ़ े होकर भाषण देना आसान है, पर जैसा कि आपने देखा कि जब दमन और विभेद का वातावरण हो, तो भला एक कार ् टूनिस ् ट भी क ् या कर सकता है? उसे भी अपनी नौकरी बचानी होती है. पर मैं ये मानता हूँ कि माहौल चाहे कहीं कुछ भी रहे, उसके पास कम से कम ये चुनाव हमेशा रहता है कि वो ऎसे कार ् टून ना बनाए जिनसे हिंसा को बढ ़ ावा मिलता हो. और यही संदेश मैं उन ् हें देना चाहता हूँ. मुझे लगता है कि हमारे पास आखिर तक ये चुनाव रहता है कि हम ग ़ लत काम न करें. पर हमें समर ् थन देना होगा इन [अस ् पष ् ट], विवेचक, ज़िम ् मेदार आवाज़ों को जो अफ ् रिका, लेबानान, आपके स ् थानीय अख ़ बार या एपल के स ् टोर से उठ रहे हैं. आज टेक ् नोलाजी कंपनियाँ दुनिया के सबसे बड ़ े संपादक हैं. वही ये तय कर देते हैं कि आपको क ् या नागवार गुज़ ् रेगा, या क ् या भड ़ काऊ लग सकता है. तो दरअसल ये केवल कार ् टूनिस ् टों की स ् वाधीनता का मसला नहीं है; ये आपकी स ् वाधीनता का मसला भी है. दुनिया के सारे तानाशाहों के लिए बहुत अच ् छी ख ़ बर होगी अगर सारे कार ् टूनिस ् ट, पत ् रकार और समाजसेवी चुप पड ़ जाएं. धन ् यवाद. (तालियाँ) मैं एक neuroscientist तंत ् रिका वैज ् ञानिक हूँ, और मैं निर ् णय लेने का अध ् ययन कर रही हूँ. मैं प ् रयोगों से कैसे अलग रसायन हमारे मस ् तिष ् क में विकल ् प लेने की प ् रक ् रिया को प ् रभावित करते हैं उसका अथ ् ययन कराती हूँ. मैं आज आपको सफल निर ् णय लेने का रहस ् य बताने वाली हूँ: एक पनीर सैंडविच । यह सही है । वैज ् ञानिकों के अनुसार, एक पनीर सैंडविच आपके सभी कठिन निर ् णय करने का समाधान है । मुझे कैसे पता है? मैं वैज ् ञानिक हूँ, जिसने इसका अध ् ययन किया है । कुछ साल पहले, मैं और मेरे सहयोगि रुचि रखते थे की कैसे serotonin, एक मस ् तिष ् क रसायन सामाजिक स ् थितियों में लोगों के फैसलों को प ् रभावित करेगा । विशेष रूप से, हम जानना चाहते हैं कैसे serotonin प ् रभावित करता है जब लोगों के साथ गलत तरीके से बर ् ताव होता है. तो हमने एक प ् रयोग किया था । हमने उन ् हें serotonin देकर उनकी serotonin स ् तर मै हेरफेर किया यह वास ् तव में एक कृत ् रिम घृणित स ् वादवाला नींबू का पेय है जो serotonin के लिए कच ् चे हिस ् सों को कम करने का काम करता है वह भी मस ् तिष ् क में । इस एमिनो एसिड का नाम tryptophan है । तो हमने क ् या पाया जब tryptophan की मात ् रा कम थी, तब लोगों को और अधिक बदला लेने की संभावना थी जब उनके साथ गलत तरीके से बर ् ताव किया गया था । हमने किया था इसका अध ् ययन है, और यहाँ कुछ सुर ् खियों हैं बाद में आया थी ("" बस एक पनीर सैंडविच आपको मजबूत निर ् णय लेने के लिए जरूरी है "") ("" चीज हमारा एक दोस ् त कैसे है "") ("" पनीर और मांस खाने से स ् व नियंत ् रण को बढ ़ ावा दिया सकता है "") इस बिंदु पर, आप, सोच रहे हो सकते है, क ् या मुझसे कुछ छुट गया है? ("" आधिकारिक! चॉकलेट से आपका क ् रोधी होना रुकता है "") पनीर? चॉकलेट? ये कहाँ से आया? जब यह हुआ तब मेंने भी इसही तरह से सोचा, क ् योंकि हमारे अध ् ययन में पनीर या चॉकलेट के साथ कुछ भी नहीं था । हमने लोगों को तो इस भयानक ड ् रिंक चखने को दिया जिससे उनके tryptophan स ् तर प ् रभावित हो गये । लेकिन यह पता चला है कि tryptophan भी पाया जाता है पनीर और चॉकलेट में । और जाहिर है जब विज ् ञान कहता है की "" पनीर और चोकलेट आप को बेहतर निर ् णय लेने में मदद करता है "" यकीनन ध ् यान आकर ् षित होता है. तो आपको यह अब पता चला है: एक शीर ् षक का विकास कैसे होता है. जब यह हुआ, तब मैंरे एक हिस ् से ने अच ् छी तरह से सोचा की, इसमें क ् या बड ़ ी बात है? मीडिया ने कुछ चीजें जरूरत से जादा आसान की, लेकिन अंत में, यह सिर ् फ एक समाचार है । और मुझे लगता है कि बहुत वैज ् ञानिकों का यह रवैया है । लेकिन समस ् या यह है कि, ऐसा हमेशा होता है. और यह न सिर ् फ आपको ख ़ बरों और कहानियों से प ् रभावित करता है लेकिन इसके अलावा जब आप इन उत ् पादों को अलमारियों पर देखते हैं । जब सुर ् खियों में आती है, तो क ् या होता है, विक ् रेता आ जाते है । क ् या मैं एक वैज ् ञानिक समर ् थन दूँगी एक मूड-बढ ़ ाने वाले बोतलबंद पानी का? या टेलीविजन पर जाऊं, एक जीवित दर ् शकों के सामने, कि आरामदाय खाद ् य पदार ् थ वास ् तव में आपको बेहतर महसूस करा सकते है? इन लोगों के इरादे नेक हैं, लेकिन मैंने उनके ऑफर लिए होते तो मैं विज ् ञान से परे जा रही होती, और अच ् छे वैज ् ञानिकों ऐसा न करने के लिए सावधान रहते हैं । लेकिन फिर भी, तंत ् रिका विज ् ञान अधिक विपणन की और जा रहा है । यहाँ एक उदाहरण है: न ् यूरो पेय, Nuero-Bliss सहित उत ् पादों की एक पंक ् ति, जो उसके लेबल के अनुसार मदद करते है तनाव को कम करने में, मूड को बढ ़ ाता है, ध ् यान केंद ् रित एकाग ् रता प ् रदान करते है, और एक सकारात ् मक दृष ् टिकोण को बढ ़ ावा देते है । यह बढ ़ िया लगता है । (हँसी) मैं 10 मिनट पहले पूरी तरह से इसका प ् रयोग कर सकती थी तो स ् वाभाविक रूप से, जब यह अपने स ् थानीय दुकान में आई थी, मैं उत ् सुक थी इसकी अनुसन ् धान जानने में । तो मैंने इन कंपनी की वेबसाइट से खोजना शुरु किया कुछ उनके उत ् पादों के नियंत ् रित परीक ् षण । लेकिन मुज़े किसी का पता नहीं चला । परीक ् षण या बिना परीक ् षण के, यह दावे सब जगह हैं लेबल पर एक मस ् तीक ् ष की तस ् वीर के बगल मे । और यह पता चला है कि दिमाग के चित ् र में विशेष गुण है । शोधकर ् ताओं ने सौ लोगो से पूछा एक वैज ् ञानिक लेख पढ ़ ने के लिए । आधे लोगों के लिए, लेख में एक मस ् तिष ् क की छवि शामिल थी, और दूसरे आधे लोगों के लिए, यह एक ही लेख था जिसमे मस ् तिष ् क की छवि नहीं थी । अंत में — आप देखें यह कहाँ जा रहा है — लोगो से पूछा गया क ् या वे सहमत है लेख के निष ् कर ् ष के साथ । तो यह है कि कितने लोग निष ् कर ् षों से सहमत है कोई छवि के बिना । और यह है कितने लेख के साथ सहमत है जिसमे मस ् तिष ् क की छवि शामिल थी. तो संदेश यह है की, क ् या आप इसे बेचना चाहते हैं? तो एक मस ् तिष ् क की छवि डाल दो । अब मुझे यहाँ एक क ् षण रुकके कहने दीजीये तंत ् रिका विज ् ञान पिछले कुछ दशकों में उन ् नत हुआ है और हम लगातार अद ् भुत चीजों की खोज कर रहे हैं मस ् तिष ् क के बारे में । सिर ् फ एक सप ् ताह के पहले, एमआईटी के neuroscientists ने थुंडा कैसे चूहों की आदतों को बदला जा सकता है बस उनके मस ् तिष ् क के एक विशिष ् ट भाग में तंत ् रिका गतिविधि को नियंत ् रित करके । यह बहुत अच ् छा है । लेकिन तंत ् रिका विज ् ञान के वादो से उच ् च उम ् मीदों और कुछ हद से ज ़ ् यादा, असंशोधित दावे नज़र आते है । तो मैं अब तुम ् हें दिखाने जा रही हूँ कैसे एनका पता चल सकता है पुराने आसान तरीके, इन ् हें विभिन ् न न ् यूरो-चारपाई कहा गया है, न ् यूरो-बकवास, या, मेरी निजी पसंदीदा, न ् यूरो-मूर ् खता तो पहला बिना साबित हुवा दावा है कि आप मस ् तिष ् क स ् कैन का उपयोग कर सकते हैं लोगों के विचारों और भावनाओं को पढ ़ ने के लिए । यहाँ एक अध ् ययन शोधकर ् ताओं की एक टीम ने प ् रकाशित किया है एक कमेंटरी करने के रूप में न ् यूयॉर ् क टाइम ् स में । शीर ् षक? "" आप अपने iPhone से प ् यार करते है । सचमुच मे "" यह जल ् दी से साइट पर अधिकांश ईमेल किया लेख बन गया । तो उन ् होंने ये कैसे पता लगाया होगा? 16 लोगों को एक ब ् रेन स ् कैन किया जब उन ् हें iPhones बजने का वीडियो दिखाया गया । मस ् तिष ् क स ् कैन से मस ् तिष ् क का एक हिस ् सा सक ् रियण दिखा जीसे insula, कहा जाता है जो प ् रेम और करुणा की भावनाओं से जुड ़ ा हुआ है । तो निष ् कर ् ष निकाला कि क ् योंकि वे insula में सक ् रियण देखा गया है, इस का मतलब उनका iPhones से प ् यार है । अब तर ् क के इस लाइन के साथ सिर ् फ एक समस ् या है, और है कि insula बहुत कुछ करता है । यकीनन, यह सकारात ् मक भावनाओं में शामिल है प ् रेम और करुणा की तरह, लेकिन यह अन ् य प ् रक ् रियाओं में भी शामिल है, स ् मृति, भाषा, ध ् यान की तरह, यहां तक कि क ् रोध, घृणा और दर ् द । तो एक ही तर ् क पर आधारित, मैं भी उतना ही निष ् कर ् ष निकाल सकटी हु आप अपने iPhone से नफरत है । यहाँ बात है, जब आप insula में सक ् रियकरण देखते हैं, तुम बस अपने पसंदीदा व ् याख ् या नहीं चुन सकते हो यह एक बहुत लंबी सूची है । मेरे साथि Tal Yarkoni और Russ Poldrack ने insula में लगभग एक तिहाई से ऊपर सक ् रियण दिखाया है सभी ब ् रेन इमेजिंग अध ् ययन जो कभी प ् रकाशित किये गये है । तो संभावना वास ् तव में अच ् छी है आपकी insula अब सक ् रियण हो रहा है, लेकिन मैं अपने आप के साथ बच ् चपना नहीं करुँगी की इसका मतलब यह है कि आप मुझसे प ् यार करते है । इतना प ् यार और मस ् तिष ् क के बारेमे बोल रही हूँ तो, एक शोधकर ् ता, डॉ. प ् यार के रूप में कुछौ के लिए जाना जाता है, जो दावा करता है कि वैज ् ञानिकों ने गोंद पाया है कि जो समाज को एक साथ रखती है, प ् यार और समृद ् धि का स ् रोत है । इस बार यह एक पनीर सैंडविच नहीं है । नहीं, यह एक हार ् मोन oxytocin कहा जाता है । आपने शायद यह सुना होगा । तो, डॉ प ् रेम तर ् क उनके अध ् ययन पर अथारित है कि जब तुम लोगों की oxytocin बढ ़ ाते हो तो तो बढ ़ जाती है उनके विश ् वास सहानुभूति, और सहयोग की भावना । तो उसने "" नैतिक अणु "" oxytocin को कहा है अध ् ययन वैज ् ञानिक रूप से वैध हैं, और वे दोहराया गया है, लेकिन वे पूरी कहानी नहीं हैं । अन ् य अध ् ययनों से पता चला है कि oxytocin बढ ़ ानेसे ईर ् ष ् या बढ ़ जाती है । घूरना बढ ़ जाती है । Oxytocin से लोग अपने ही समूह के पक ् ष पूर ् वाग ् रह कर सकते हैं अन ् य समूहों की कीमत पर । और कुछ मामलों में, oxytocin सहयोग भी कम कर सकता हैं । तो इन अध ् ययनों पर आधारित मैं oxytocin को कह सकती हूँ एक अनैतिक अणु, और खुद को Dr. Strangelove । (हँसी) तो हमने न ् यूरो-मूर ् खता सब तरह की सुर ् ख ़ ियों में देखी है हमने यह पुस ् तक कवर पर सुपरमार ् केट में देख़ा हैं । क ् लिनिक के बारे में क ् या? SPECT इमेजिंग एक मस ् तिष ् क स ् कैनिंग तकनीक है जो एक रेडियोधर ् मी अनुरेखक का उपयोग करती है मस ् तिष ् क में रक ् त के प ् रवाह को ट ् रैक करने के लिए । कुछ हजार डॉलर के सस ् ते दाम में, अमेरिका में क ् लीनिक हैं जो तुम ् हें देंगे एक SPECT छवि और उसका उपयोग करेंगे आपकी समस ् याओं का निदान करने में । क ् लिनिक कहते हैं इन स ् कैन से मदद हो सकती है, अल ् जाइमर रोग को रोकने, वजन और लत के मुद ् दों का समाधान, वैवाहिक जीवन संघर ् षों से उबरने, और, बेशक, कई मानसिक बीमारियों के इलाजो के लिए चिंता को लेकर अवसाद से एडीएचडी तक । यह बहुत अच ् छा लगता है । बहुत सारे लोग सहमत हैं । ऐसे कुछक ् लीनिक लाखों लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं करोंड ़ ों डॉलर की व ् यापार के । वहाँ सिर ् फ एक समस ् या है । तंत ् रिका विज ् ञान में व ् यापक आम सहमति कि हम अभी तक मानसिक बीमारी का निदान नहीं कर सकते है एक एकल मस ् तिष ् क स ् कैन से । लेकिन इन क ् लीनिकों ने इलाज किया है अब तक हजारों रोगियों के लिए उनमे कई बच ् चे हैं, और SPECT इमेजिंग में एक रेडियोधर ् मी इंजेक ् शन शामिल है, तो लोगों को विकिरण का जोखिम, जो की संभावित हानिकारक है । मैं और लोगों से ज ् यादा उत ् तेजित हूँ, एक नुएरो विज ् ञानिक के तौर पे मानसिक बीमारी के इलाज के लिए तंत ् रिका विज ् ञान की संभावना के बारे में हो सकता है हमें बेहतर और होशियार बनाने के लिए । और अगर एक दिन हम कह सकते हैं कि पनीर और चॉकलेट से हमें निर ् णय बेहतर बनाने के मदद होती है, मुझे गिनती में ले लो । लेकिन अभी तक हम वहाँ नहीं हैं । हमें एक "" खरीदें "" बटन मस ् तिष ् क के भीतर नहीं मिली है, हम कोई झूठ बोल रहा है या प ् यार में है नहीं बता सकते है बस उनके मस ् तिष ् क स ् कैन पर देख कर, और हम पापियों को संत नहीं बना सकते, हार ् मोन के रास ् ते. शायद किसी दिन हम करेंगे, लेकिन तब तक, सावधान रहना होगा, हद से ज ् यादा दावे संसाधनों और वास ् तविक विज ् ञान से ध ् यान न हटा दें यह लम ् बा खेल होगा. तो यहाँ आप आते हो । यदि आप को कोई दिमाग की तस ् वीर के साथ कुछ बेचने की कोशिश करता है तो विचार करो, बस उन ् के शब ् द पर मत जाओ । मुश ् किल सवाल पूछो । साक ् ष ् य को देखाने के लिए पूछो । नहीं बतायी कहानी के भाग के लिए पूछो । जवाब सरल नहीं होना चाहिए क ् योंकि मस ् तिष ् क सरल नहीं है । लेकिन यह पता लगाने की कोशिश से हमें रोक नहीं सकता. धन ् यवाद. (तालियाँ) सबसे पहले, आप बखूबी जानते हैं, कि एक नेता में वो बात होनी चाहिए अब देखिए नेता कैसे उसे अपने समान दर ् जा देकर गले लगाता है. इस तरह आगे बढ ़ कर साथ देने के लिए बड ़ ी हिम ् मत चाहिए. (हंसी) (तालियाँ) अब ये कोई एक सनकी या दो सनकी एक साथ नहीं हैं, तो किसी मुहिम या आन ् दोलन का सार ् वजनिक होना ज ़ रूरी है. अब यहाँ दो लोग और आ जाते हैं, और उसके तुरंत बाद यहाँ से ये ज़ोर पकड ़ ने लगता है. यही उसके कायापलट का क ् षण है. जोखिम कम हो जाता है. मतलब बिना कमीज़ के अकेले नाचते हुए उस शख ् स की तरह के, तो अपने शुरुआती अनुयायियों से ताकि मुहिम ही मुद ् दा बने, आप नहीं. क ् या आप समझ पाए — वो ये है कि नेतृत ् व को और अगर आपको कभी कोई सनकी कुछ अद ् भुत करता दिख जाए, और उसके लिए सबसे सही जगह है, TED. (तालियाँ) पिछले साल, में अपनी पहली यात ् रा पर गयी में तेरह माह मे चौदह देश गयी और सौ से अधिक भाषण दिए प ् रत ् येक देश के प ् रत ् येक भाषण मे शुरुआत एक परिचय के साथ होता हैं हर एक परिचय का आरम ् भ एक झूट के साथ होता हैं तैये सेलासी, घाना व नाइजीरिया की रहवासी हैं या तैये सेलासी इंग ् लैंड व अमेरिका की वासी हैं जब भी मैं यह पहला वाक ् य सुनती हूँ, चाहे वो देश कोई भी हो, इंगलैंड, अमेरिका, घाना या नाइजीरिया, पर मैं सोचती हूँ कि यह सही नहीं हैं सच मेरा जन ् म इंग ् लैंड का हैं और अभी घाना में रहती हैं, और सऊदी अरब राज ् य मे तीस साल तक रहे. "" इस कारण से मेरे परिचयदाता मेरे विचार से बहुराष ् ट ् रीय तो नाइके हैं! में तो "" इन ् सान "" हूँ तब, एक दिन यात ् रा के दौरान मे, में डेनमार ् क के एक अजायबघर, लुसिआना गयी थी मंच पर मेरे साथ लेखक कोलूम मक ् कन ् न भी थे हमारी चर ् चा थी "" लेखन में रहवास की भूमिका "" जब, अचानक मुझे लगा कि में तो बहुराष ् ट ् रीय नहीं हूँ. ना ही में किसी एक राष ् ट ् र की हूँ. मैं किसी एक राष ् ट ् र की कैसे हो सकती हूँ? कैसे एक इन ् सान, एक विचार से आ सकता हैं? यह सवाल मुझे बीस साल से कचोट रहा हैं. अख़बार से, किताबों से, और चर ् चाओं से, मैं देशों के बारे मे बोलना सीख गयी हूँ. जैसे कि वे प ् राकृत, रूहानी व एकल वस ् तु हो, पर मुझे आश ् चर ् य होता हैं! यह कहते हुए कि मैं किसी देश की रहवासी हूँ सुझाव देता हैं कि देश कोई समय चक ् र के एक निश ् चित बिंदु पर एक निश ् चित वस ् तु हैं, परन ् तु क ् या ऐसा था? मेरे जीवन काल में से मेसे एक देश गायब हो गया हैं एक देश तिमोर लेस ् ते नया बना ये देश मेरे माता-पिता के जन ् म के समय थे ही नहीं मेरे लिए देश- एक वस ् तु हैं जो जन ् म लेती हैं, वो इन ् सान को परखने की कसोटी कैसे बनता हैं? मेरे लिए "" संप ् रभुता राज ् य "" एक राहत ही हैं. हमारे मत में देश वास ् तव में हैं क ् या? "" संप ् रभुत ् व राज ् य "" की अलग अलग प ् रस ् तुति हैं यह विचार ४०० साल पहले अस ् तित ् व में आया हैं अन ् तराष ् ट ् रीय संबंधो की पढाई में यह जाना यह वेसा ही था जेसी मुझे आशंका थी इतिहास सही था, संस ् कृतिया सही थी पर देशों की खोज हो चुकी थी दस साल में स ् वयं को पुनःपरिभाषित किया मेरी दुनिया, मेरा काम और मेरा अनुभव देशों के तर ् कों से परे २००५ में मैंने लिखा "" एफ ् रोपोलिटन क ् या हैं? "" संस ् कृति को चित ् रित किया, देशों के ऊपर मजा आया कि कई लोग मेरे विचार से जुड़े थे, बहुत अन ् य स ् वयं की मेरी सोच से सहमत नहीं एक ने कहा "" सेलासी घाना की केसे हुई? "" जबकि उसे नहीं पता हैं घानियन पासपोर ् ट, के साथ यात ् रा करने की मुश ् किलें क ् या हैं? "" अब, यदि मैं सच ् ची हूँ, मुझे पता हैं वह क ् या कह रही हैं मेरी दोस ् त लैला, घाना में जन ् मी व बड़ी हुई उसके लेबनानी पालक तीन पीढ़ी से घाना में हैं लायला, त ् वी भाषा फर ् राटेदार बोलती हैं, पहली बार मिलने पर लगा कि वह घाना की नहीं हैं मुझे लगा जैसे वह लेबनान की रहने वाली हैं, इस सच ् चाई के बावजूद भी कि उसका सारा अनुभव अकरा के उपनगरीय क ् षेत ् र का हैं. मेरे विरोधियों की तरह मेरे दिमाग में भी मेरे विचार के घाना में लोगो की चमड़ी भूरी थी या ब ् रिटेन के पासपोर ् ट वाला कोई भी नहीं मैं भी सीमांकन के दायरे में कैद हो गयी थी जिसकी भाषा थी "" — — - देश से अति हैं "" एक देश, एक कहानी से जुडी मानवीय अनुभवों की वास ् तविकता से ऊपर कॉलुम मक ् कन के साथ चर ् चा स ् पष ् ट होगयी उन ् होंने कहा "" सभी अनुभव स ् थानीय हैं "" मुझे विचार आया "" सब पहचान अनुभव का हैं "" मैं स ् टेज पर दहाडी "" राष ् ट ् र की नहीं हूँ "" "मैं स ् थानीय हूँ, बहुत जगह की स ् थानीय" तैये सेलासी अमेरिका की हैं, यह सच नहीं हैं? मेरा अमेरिका से कोई सम ् बन ् ध नहीं हैं, सभी पचासों से नहीं, कुछ भी सम ् बन ् ध नहीं मेरा सबंध हैं ब ् रूकलीन से, जहाँ बड़ी हुई न ् यूयोर ् क शहर से, जहाँ मेने काम शुरु किया लावरेंसविल ् ले से हैं, जहाँ में मजा करती हूँ में अमेरिकावासी पासपोर ् ट के कारण नहीं हूँ वरन उन अनुभवों के कारण से, और उन जगहों के कारण से जहाँ वे घटित हुवे बावजूद इसके कि मुझे गर ् व हैं इवे संस ् कृति काले सितारों पर व प ् यार हैं घानियन भोजन से मेरा सम ् बन ् ध घाना के गणतंत ् र से नहीं हैं मेरा सम ् बन ् ध हैं मेरी माँ के शहर अकरा से जहाँ मैं हर साल जाती हूँ, डजोवुलू बगीचे से, घंटो बिताए पिता के साथ यह जगह हैं जहाँ मेरे अनुभवों को आकार मिला में जहाँ की हूँ वही हैं मेरा अनुभव, "" आप कहाँ से हो? 'पूछने की जगह यह पूछें "आप कहाँ-कहाँ के स ् थानीय हो?" यह बताता हैं कि हम किसके, कितनें सामान हैं आप कहते हैं में फ ् रांस से हूँ तो मुझे — - अधिची व फ ् रांस राष ् ट ् र की एक बोरिंग कहानी? आप कहे मैं फेज़ या पेरिस की मूल निवासी हूँ और भी आगे, गौत ् ते डे 'ऑर से अनुभव दिखता हैं हम जहाँ से होते हैं वही हमारा अनुभव हैं तो, आप कहाँ के स ् थानीय हो? हम तीन चरण का एक परिक ् षण करते हैं इसमें महत ् वपूर ् ण हैं: परंपरा, संबंध व बंदिश दैनिक कार ् यकलापों का विचार करे, जो भी हो अपनी चाय या काफी बनाना, काम पर जाना, फसल काटना, पूजा-पाठ, ध ् यान या नमाज करना ये सभी किस प ् रकार के अनुष ् ठान हैं? ये कहाँ किये जाते हैं? किन-किन शहरों के दुकानदार आपको जानते हैं? बाल ् यकाल की कई क ् रियाएं मैंने बोस ् टन में की, माँ की लन ् दन व लागोस की क ् रियाओं को बदलकर जूते बाहर उतार कर घर में घूमना, बिना भूल, बड़े-बुजूर ् गो के प ् रति विनम ् रता धीमी आँच पर पकाया हुआ, मसालेदार भोजन करना बर ् फीले उत ् तरीअमेरिका में दक ् षिणी अनुष ् ठान पहलीबार मैं दिल ् ली व दक ् षिण इटली गयी, मुझे झटका लगा "" अपने घर जैसा अनुभव हुआ "" वहाँ के अनुष ् ठान मुझे परिचित से लगे पहला "" आर "" - रिचुअल या अनुष ् ठान उन संबंधो का सोचो जिन ् होंने आपको आकार दिया जिनसे सप ् ताह में एक बार तो बात करते ही हैं चाहे मिलकर, फ़ोन या फेसबुक पर? अपने मूल ् यांकन में ईमानदारी बरतें में आपके फेसबुक दोस ् तों की बात नहीं कर रही यह भावनात ् मक रूप से जुड़े लोगो की बात हैं अकरा में माँ व बोस ् टन में मेरी जुड़वां बहन, न ् यूयोर ् क की मेरी सच ् ची मित ् र: ये संबंध ही मेरे लिए घर हैं तो दूसरा "" आर "" हैं, संबंध जहाँ क ् रियायें व संबंध हैं वहीं के हम हैं, पर हम अपने रहवास को कैसे अनुभव करते हैं, उसका कुछ भाग बन ् दिशो से जुड़ा होता हैं बंदिशों से मतलब हैं, कैसे आप ने जीवन जीया? आपका पासपोर ् ट कहाँ का हैं? क ् या रंगभेद सी बन ् दिशो वजह से घर रहना पड़ा? निष ् क ् रियता / सिविलवार / मुद ् रास ् फीति के कारण वह स ् थान जहाँ बालक के रूप में क ् रियायें की तीनों "" आर "" में यह कम प ् रेरक हैं, क ् रियायों व संबंधों के बजाय कम आकर ् षक हैं, सवाल अतीत में ले जाता हैं कि आप अब कहाँ हैं? आप कहीं ओर क ् यों व किस कारण से नहीं हैं? क ् रियायें, संबंध और बन ् दिशेँ एक कागज का टुकड़ा लीजिये तीन कॉलम बनाकर उनके ऊपर तीन शब ् द लिखलें, फिर यथासंभव ईमानदारीपूर ् वक कॉलम को भरदें स ् थानीय परिपेक ् ष में जीवन का अलग ही चित ् र, अनुभवों के आधार पर आपकी एक नई पहचान, सामने आ सकती हैं तो, हम सब मिलकर एक प ् रयास करते हैं मेरे एक दोस ् त का नाम ओलू व उम ् र ३५ साल हैं, नाइजीरिया में जन ् मे उसके मातापिता छात ् रवृति पर जर ् मनी आगये, ओलू का जन ् म नूरेमबर ् ग का हैं, वहाँ १० साल रहा परिवार लागोस चलागया, तो लन ् दन में पढाई की, फिर वह बर ् लिन आ गया उसे नाइजीरिया जाना पसंद हैं — वहाँ का मौसम, खाना, और दोस ् त — पर घ ् रणा हैं, राजनितिक भ ् रष ् ट ् राचार से ओलू कहाँ का हैं? मेरा एक और दोस ् त हैं नाम हैं उदो वह भी ३५ साल का हैं उदो का जन ् म अर ् जेन ् टीना के कोर ् डोबा का हैं, उसके दादा-दादी जर ् मनी से, जो अब पोलैंड हैं से युद ् ध के बाद प ् रस ् थान कर गए, पढा बूएनोस ऐरेस में व नौ साल से बर ् लिन में हैं उसे अर ् जेंटीना पसंद हैं, मौसम, खाना व दोस ् त वहाँ के आर ् थिक भ ् रष ् ट ् राचार से घ ् रणा हैं उदो कहाँ का रहनेवाला हैं? कालेबाल व नीली आंखें से उदो जर ् मन जा सकता हैं अर ् जेंटीना का पासपोर ् ट हैं उदो अर ् जेंटीना का हैं यह अब एक इतिहास हैं अब उदो बूएनोस ऐरेस व बर ् लिन का स ् थानीय हैं उसके जीवन के लिए यह महत ् व का हैं ओलू, नाइजीरियन दिखता हैं, पर नाइजीरिया जाने के लिए वीसा चाहिए वह इंगलिश तरीके से योरूबा भाषा बोलता हैं, और इंगलिश को जर ् मनी के रूप से यह दर ् शाने के लिए कि वह नाइजीरियन नहीं हैं लागोस के अनुभव तो झुटला देता हैं, कार ् य जिनको उसने अपने बढोतरी के समय किया परिवार व दोस ् तों के साथ उसके संबंध निसंदेह लागोस भी उसका एक घर था परन ् तु ओलू को वहाँ हमेशा बंधन लगा, केवल इसलिए नहीं कि वह एक समलिंगी हैं वह और उडो दोनों की बन ् दिशे राजनितिक हैं उनके मातापिता के राष ् ट ् रों की, उन जगह पर रहने के कारण जहां उनके संबंध बने व क ् रियायें संपन ् न हुई ओलू को नाइजीरियन और उडो को अर ् जेंटीनन कहना उनके सामान अनुभव से हमारा ध ् यान भटकाता हैं उनके कार ् यकलाप, संबंध और बन ् दिशे एक सी हैं जब हम ये पूछते हैं कि आप कहाँ से हो तो? हम "" शॉर ् टहैंड - अशुलेखन प ् रयोग करते हैं लागोस और बर ् लिन कहने के मुकाबले नाइजीरिया गूगल मैप में हम दिखा सकतें हैं, देश, शहर, से पड़ोस तक पर मुद ् दा यह नहीं हैं बहुत अंतर हैं प ् रश ् न "" तुम कहाँ से हो? "" और "" तुम कहाँ के स ् थानीय हो? "" उत ् तर की विशिष ् टता का विषय नहीँ हैं प ् रश ् न पूछनेवाले की भावनाओं का मामला हैं राष ् ट ् रीयता को छोड़कर स ् थानीयता की भाषा, हमें अपना लक ् ष ् य जीवन कहाँ जीया पर करना हैं राष ् ट ् रीयता का सर ् वश ् रेष ् ठ वर ् णन "" विश ् वकप "" देशों की टीम में अक ् सर कई जगह के खिलाड़ी हैं मानवीय अनुभव के माप की एक इकाई के रूप में सच ् चाई में "" राष ् ट ् र "" कम नहीं आता हैं तभी तो ओलू खुदको जर ् मन व मातापिता को नाइजीरियन कहता हैं, पर वाक ् य में ईकाई का लचीलापन नहीं एक निश ् चित व कल ् पित चीज आपस में विरोधी हैं "" मैं रहवासी हूँ लागोस और बर ् लिन की ऐसी परत जो एक दूसरे से जुड़ गयी हैं आप मेरा पासपोर ् ट छीन सकतें हैं, परन ् तु आप मेरा अनुभव नहीं छीन सकते क ् योंकि वह मुझमे समाया हुआ हैं जहां जाऊगा "" कहाँ से हूँ "" मेरे साथ होता हैं मेरा सुझाव देशों सीमाएं हटाने का नहीं हैं राष ् ट ् रिय इतिहास में भी बहुत कुछ कहानी हैं समप ् रभुत ् व राज ् य के लिए भी कहानी हैं समुदाय में संस ् कृति हैं, जिसका आधार भी हैं भूगोल, परम ् परा, याददास ् त: महत ् वपूर ् ण हैं मेरा प ् रश ् न प ् रधानता पर हैं यात ् रा के सभी परिचय, संदर ् भित होते हैं किसी देश से जेसे कि देश से सबको मेरा इतिहास ज ् ञात होगा जब पूछते हैं कहाँ से, हम क ् या खोज रहे हैं? और जब हम जवाब सुनते हैं तो क ् या खोजते हैं? यहाँ एक सम ् भावना हैं: मूलतः, राष ् ट ् र शक ् ति का द ् योतक हैं आप कहाँ से हो? अमेरिका, जर ् मनी, जापान.... अधिक ताकतवर चीन और रूस अनिश ् चित (हँसी) अनजाने में ही हम 'शक ् तिखेल' खेल रहे हैं, खासकर बहुराष ् ट ् रीय पहचान के परिपेक ् ष में जेसे कोई नया इमिग ् रेंट जानता हैं, प ् रश ् न की आप कहाँ से हैं? या वास ् तव में कहाँ से हैं? अक ् सर जिसका मतलब हैं "" आप यहाँ क ् यों हैं? "" और जैसे विलियम देरेसिएविक ् ज़ का लेख हैं उच ् चवर ् ग के अमेरिकन कालेज के बारे मे छात ् रों का मत हैं कि वातावरण में विविधता हैं जब एक मिसौरी से व दूसरा पाकिस ् तान से हो — कोई फर ् क नहीं कि पालक डॉक ् टर या बैंकर हैं में उसके साथ हूँ एक को अमेरिकन कहना और एक को पाकिस ् तानी फिर संस ् था की विविधता का ढिंडोरा पीटना ये भूल जाते हैं कि वे सब एक परिपेक ् ष से हैं उनका समान होना एक आर ् थिकी सच ् चाई हैं अमेरिका के मेक ् सिकन माली / दिल ् ली के नेपाली रसोईऐ में कार ् यों और बन ् दिशे की समानता हैं राष ् ट ् रीयता की बात तो बाद में आती हैं भिन ् न जगहों का होना मेरी बड़ी समस ् या हैं वहाँ जाना तो एक भुलावा हैं मुझे पूछा जाता हैं - घाना जाने का विचार हैं अकरा जाती हूँ, पर घाना जा नहीं सकती इसलिए नहीं कि मेरा जन ् म वहाँ का नहीं! मेरे पिता जी स ् वयं भी नहीं जा सकते जिस देश में उनका जन ् म हुआ था, वह देश अब हैं ही नहीं हम फिर वहाँ नहीं जा सकते जहाँ उसे छोड़ा था हमेश ही कुछ जगह, कुछ वस ् तुएं बदल जाती हैं सबसे ऊपर हम स ् वयं बदल जाते हैं लोग बदल जाते हैं अंत में, हम बात कर रहे हैं, अपने अनुभवों की, यह बदनामी और प ् रसिद ् धी का बेतरतीब मामला हैं रचनात ् मक लेखन में, मानवीयता की चर ् चा हैं कहानी के उदगम को जितना हम जानते हैं उतना ही अधिक स ् थानीय रंग-रूप सामने आता हैं अधिक मानवीयता व चरित ् रों दिखाई देते हैं अधिक जुड़ाव दिखता हैं, कम नहीं होता राष ् ट ् रीयता का भुलावा व मूलस ् थान का विचार हमे अलग-अलग खंडो में विभाजित करता हैं सही मायने में हमारे कई रूप व स ् तर हैं इस जटिलता को ध ् यान करके की गयी चर ् चा, में सोचती हूँ, हमारी दूरियां मिटाती हैं तो अगली बार जब भी मेरा परिचय दिया जावे, मैं सच सुनना चाहती हूँ: तैये सेलासी भी एक इन ् सान हैं, औरो की तरह वह एक जगत की नही 'वरन नागरिक हैं कई जगत की! वह स ् थानीय हैं न ् यूयोर ् क, रोम और अकरा की धन ् यवाद एक भारतीय के नाते, और अब एक राजनीतिज ् ञ और भारत सरकार में मंत ् री के नाते मैं चिंतित हु, उस प ् रचार से जो हम हमारे देश के बारे में सुन रहे है, भारत के विश ् व-अग ् रणी होने की बातें, यहाँ तक की अगले महाशक ् ति होने की बातें भी. यहाँ तक की, मेरी किताब के अमरीकन प ् रकाशकों ने, "" द एलिफंट, द टाइगर एंड द सेलफोन, "" (शशि थरूर की किताब का नाम "" The Elephant, The Tiger and the Cellphone, "") को एक एच ् छिक उपशीर ् षक दे दिया की- "भारत: इक ् कीसवी सदी की महाशक ् ति." और मुझे नहीं लगता की भारत इन सभी के बारे में है, या फिर इन सभी के बारे में होना चाहिए. दरअसल, मुझे चिंता दुनिया के नेतृत ् व वाली धारणा के बारे में हैं, यह बात मुझे बहुत ही प ् राचीन प ् रतीत होती है. इन बातो में मुझे जेम ् स बोंड की फिल ् म और किपलिंग के गीतों की सुगंध आती है. आखिर, ये "" विश ् व का नेता "" बना कैसे जाता है? अगर जनसँख ् या से, हम शीर ् ष पर पहुचने के मार ् ग पर ही है. हम चीन की २०३४ तक पीछे छोड ़ देंगे. क ् या सेन ् य शक ् ति से? फिर हम दुनिया की चौथी सबसे बड ़ ी सेना है. क ् या परमाणु क ् षमता से? हमे मालुम है की वह हमारे पास है. अमरीका ने इसे मान ् यता भी दी है, एक समझोते में. क ् या अर ् थव ् यवस ् था से? अब हम दुनिया की पांचवी सबसे बड ़ ी अर ् थव ् यवस ् था है, 'क ् रय शक ् ति समानता' के संदर ् भ में. और हम आगे बढ ़ ते जा रहे है. जब पूरी दुनिया पिछले साल मात खा गयी थी, हार गयी थी, हम ६.७ प ् रतिशत की रफ़ ् तार से बढ़ रहे थे. लेकिन, फिर भी, यह सब बातें मुझे कुछ समझ में नहीं आई, की क ् या वास ् तव में भारत, दुनिया को यह सब योगदान देने का लक ् ष ् य रखेगा, इक ् कीसवी सदी के इस भाग में. और मैं आश ् चर ् य करता हु की, भारत के लिए भविष ् य में क ् या कुछ है, इन सभी का एक संयोजन, साथ में और भी बहुत सारी बातो का मेल, जैसे की, भारतीय संस ् कृति का आकर ् षण, दूसरे शब ् दों में, "" नर ् म शक ् ति "". नर ् म शक ् ति की संकल ् पना 'हार ् वर ् ड' के एक पंडित जोसेफ न ् ये, जो की मेरे मित ् र भी है, ने करी थी. और, बड ़ ी ही सरलता से, मैं उसे सारांशित कर रहा हु क ् योकि, समय की थोड़ी पाबंदी है, यह एक देश की क ् षमता होती है, दूसरो को अपनी ओर आकर ् षित करने की, अपनी संस ् कृति से, अपने राजनीतिक मूल ् यों से, अपनी विदेश नीतियों से. और, जैसा की आप जानते ही है की काफी देश ऐसा करते है. वे पहले अमरीका के बारे में लिख रहे थे, लेकिन हमे फ़ ् रांसिसी गठबंधन ("" Alliance Francais "") के बारे में पता है की वह सिर ् फ फ़ ् रांसिसी 'नर ् म शक ् ति' और अंग ् रेजी परिषद ् के बारे में है, 'बीजिंग ओलिम ् पिक ् स' चीनि 'नर ् म शक ् ति' के बारे में था. अमरीकनों के पास 'अमरीका की आवाज़' (Voice of America) और 'फुल ् ब ् राईट छात ् रवृत ् ति' (Fulbright Scholarships) है. लेकिन, वास ् तव में जो तथ ् य है, वह यह है की, हौलीवूड (Hollywood) और एमटीवि (MTV) और मक ् दोनाल ् ड (McDonalds) अमरीकी 'नर ् म शक ् ति' के लिए, सरकार के दुनिया भर में किये गए किसी भी कार ् य से बहुत ज ् यादा ही किया है. इसलिए 'नर ् म शक ् ति' उभरती है, आंशिक रूप से सरकार की वजह से, लेकिन बाकी आंशिक तौर से बिना सरकार के. और इस सूचना के युग में जिसमे हम रहते है, हम इसे टेड (TED) युग भी कह सकते है. मैं कहना चाहता हु की देशो को आंका जा रहा है, एक वैश ् विक जनता के द ् वारा जिन ् हें निरंतर खुराक दी जा रही है, इन ् टरनेट से समाचार की, दूरदर ् शन से चित ् रों की, मोबाईल से विडियो की, ईमेल से बातचीत की, दुसरे शब ् दों में, सभी तरह के सन ् देश वाहक yantra, हमे दुनिया भर के देशो की कहानिया बता रहे है, सम ् बंधित देश उन कहानियो को बताना चाहे या न चाहे तो भी. अब, इस युग में, जिन देशो के पास विभिन ् न सूचना के संसाधनों तक पहुच है, उन ् हें एक विशेष लाभ है. और अवश ् य ही उनका ज ् यादा प ् रभाव है, और जैसा की देखा गया है की भारत में समाचार चैनल बाकि सभी देशो से ज ् यादा है, यहाँ तक की विश ् व के इस हिस ् से के सभी देशो के समाचार चनेलो को जोड ़ कर भी उनसे ज ् यादा. लेकिन, तथ ् य यह है की सिर ् फ यह ही नहीं है. 'नर ् म शक ् ति' के लिए चाहिए की आप सभी से जुड़े रहे. कुछ लोग यह दावा कर सकते है की भारत आश ् चर ् यजनक रूप से एक जुदा हुआ देश बन रहा है. मुझे लगता है की आपने सभी आंकड़े सुन ही लिए होंगे. हमारे यहाँ एक महीने में १.५ करोड़ मोबाईल बिक रहे है. फिलहाल ५०.९ करोड़ मोबाईल है, भातियो के हाथो में, भारत में. और यह हमें अमेरिका से बड ़ ा मोबाईल का बाज़ार बनती है. और एक बात, यह १.५ करोड़ मोबाईल सबसे ज ् यादा है, किसी भी देश में, अमेरिका और चीन को मिला के, संचार के इतिहास में. लेकिन आप में से कुछ लोगो यह एहसास नहीं होगा की में यहाँ आने के लिए कितनी दूर से आया हु. क ् या आप जानते है, की जब में भारत में पल-भड रहा था, तब फोन भी दुर ् लभ था. यहाँ तक की इतना दुर ् लभ था की सांसदों को यह अधिकार था की वे १५ फोन की लाइन बाँट सकते थे, जिन ् हें वे योग ् य समझते थे. अगर आप भाग ् यशाली होते की आप एक अमीर व ् यवसायी है, या एक प ् रभावशाली पत ् रकार है, या एक चिकित ् सक है, तो शायद आपके पास एक फोन होता. लेकिन वो भी एक जगह पड ़ ा रहता था. में कलकत ् ता के एक उच ् च माध ् यमिक विद ् यालय में पढता था. और हम उस यन ् त ् र को देखते थे जो आगे पड ़ ा रहता था. और जब भी हम उसे उठाते, आधी बार, एक आशा भरी आँखे लिए, उसमे डायल टोन ही नहीं होती थी. अगर होती और आप नंबर डायल करते, तो तीन में से दो बार तो नंबर मिलता ही नहीं. यहाँ तक की "" यह गलत नंबर है "" ज ् यादा सुनने को मिलता बजाये "" हेल ् लो "" के. (हंसी) और अगर आप को किसी दुसरे शहर में बात करनी हो, मान लीजिये, कलकत ् ता से दिल ् ली, तो आपको "" ट ् रंक काल "" आरक ् षित करवानी पड़ती थी, और फिर फोन के आगे पुरे दिन आस लगे के बैठते की कब फोन आ जाये. या फिर आप आठ गुना दाम दे सकते थे, 'लाइटनिंग काल' के लिए. हमारे देश में तब बिजली (ligthning) भी धीरे ही गिरती थी. उस 'लाइटनिंग काल' के लिए भी हमे आधा घंटा इंतज ़ ार करना पड ़ ता था. यह इनती खस ् ताहाल थी की, एक सांसद ने १९८४ में संसद में शिकायत भी कर थी. और तब के हमारे संचार मंत ् री ने गर ् वित लहजे में उत ् तर दिया, की हमारे जैसे विकासशील देश में, संचार एक विलासिता है न की अधिकार, और यह की सरकार बेहतर सेवा देने का कोई दायित ् व नहीं है, और अगर माननीय मंत ् री महोदय अपने फोन से संतुष ् ट नहीं है, तो वे अपना फोन लौटा दे, क ् योकि वैसे ही यहाँ पे आठ साल की प ् रतीक ् षा सूची है भारत में फोन के लिए. अब वापस आज में आते हुए आप देखते है की, देश में एक महीने में १.५ करोड़ मोबाईल. परन ् तु, जो सबसे ज ् यादा चोकाने वाली बात है, वह यह है की उन मोबाईल को कोन इस ् तेमाल कर रहे है. क ् या आप जानते है की अगर आप दिल ् ली के किसी उपनगर में अपने मित ् र से मिलने जाते है, तो सड़क के किनारे आप एक ठेले वाले को पाएंगे, जिसे देखने पर ऐसा लगेगा की वह सोहल ् वी सदी के लिए बना है, वह एक कोयले की इस ् त ् री चलाता है, जिसका शायद अट ् ठार ् वी सदी में आविष ् कार हुआ होगा, उसे इस ् त ् रिवाला पुकारा जाता है. लेकिन वह एक इक ् कीसवी सदी का यन ् त ् र रखता है. उसके पास मोबाईल है, क ् योकि आने वाली कॉल मुफ ् त है, और इसी तरह वो अडोस-पड़ोस से कार ् य लेता है, की कहा से कपडे इस ् त ् री के लिए उठाने है. कुछ दिनों पहले मैं केरल गया हुआ था, मेरे गाँव, एक दोस ् त के खेतों me, जिसके २० किलोमीटर तक आस पास कोई शहर जैसा कुछ नहीं है, और उस दिन काफी गर ् मी थी, मेरे दोस ् त ने मुझसे पूछा, "" क ् या तुम ताज़ा नारियल पानी पीना चाहोगे? "" वह सबसे अच ् छी चीज ़ है और सबसे ज ् यादा पौष ् टिक और तरोताज ़ ा करने वाली चीज ़ जो आप पी सकते है जर ् मी के उन दिनों में, इसलिए मैंने हाँ कर di. और उसने बिना देर किये अपना मोबाइल निकाला, और नंबर मिलाया, और आवाज़ आई, "" मैं यहाँ ऊपर हूँ. "" और एक पास के नारियल पेड ़ के ऊपर, एक हाथ में दरांती और दुसरे में मोबाईल पकडे हुए, एक स ् थानीय ताड़ी था, जो हमें नारियल देने के लिए नीचे आने लगा. मछुँरे समुद ् र में जा रहे है और अपने मोबाईल भी साथ लिए जा रहे है. जब वे मछलिया पकड़ लेते है तो वे तटीय बाजारों में फोन कर लेते है, पता करने के लिए की किधर उन ् हें सबसे सही कीमत मिलेगी. किसान, जो की आधा दिन कड़ी कमर तोड़ मेहनत में निकाल देते थे, यह जानने में की कस ् बे का बाज़ार खुला है की नहीं, की बाज़ार चालु है या नहीं, की जो फसल उन ् होंने काटी है वह बिकेगी या नहीं, उनकी कीमत क ् या होगी. वे कई बार एक आठ साल के बच ् चे को ऊबड ़ -खाबड ़ रस ् ते पर बाज़ार भेज देते थे, यही सब जानकारी के लिए, उसके बाद ही वो अपनी गाडी में सामान रखते थे. आज वे यही आधे दिन का काम दो मिनट में ही मोबाईल से कर लेते है. यह नीचली वर ् गों का सशक ् तिकरण भारत के संपर ् क में रहने की वजह से हुआ है. और यह परिवर ् तन केवल उसका हिस ् सा है जहाँ भारत जा रहा है. लेकिन, बेशक भारत में सिर ् फ एक यही चीज ़ नहीं है जो तेज़ी से फल-फूल रही है. आपके पास फिर बॉलीवुड है. मेरा बॉलीवुड की तरफ दृष ् टिकोण बहुत सारांशित है दो बकरियों की एक कहानी बॉलीवुड के कचरे के ढेर में, शेखर कपूर को यह मालूम है, माफ ़ करिएगा, और वे बॉलीवुड की किसी भवन से फेंके हुए सल ् लुलोइड के डिब ् बे खा रहे थे, और पहली बकरी खाते हुए बोलती है, "" तुम ् हे पता है, ये फिल ् म उतनी बुरी नहीं है. "" और इस पर दूसरी बकरी जवाब देती है, "" नहीं, किताब ज ् यादा अच ् छी थी. "" (हंसी) मैं ज ् यादातर यही सोचता हु की किताब ही बेहतर होती है, लेकिन, यह कहने के बाद, यथार ् थ यही है की बॉलीवुड अब अपने साथ एक भारतीयता और भारतीय संस ् कृति पूरी दुनिया में ले जा रहा है, सिर ् फ अमेरिका और ब ् रिटेन के प ् रवासी भारतीयों मैं ही नहीं, बल ् कि अरब और अफ ् रीका के पर ् दों पर भी, सेनेगल और सीरिया के भी. में एक युवा लड़के से न ् यू योर ् क में मिला, जिनकी अनपढ़ माँ सेनेगल के एक जांव में रहती थी, वे महीने में एक बार बस लेती थी, डकर शहर जाने के लिए, एक ओल ् ल ् य ् वूद की फिल ् म देखने के लिए. वें संवाद नहीं समझ पाती थी. और वें अनपढ़ थी, तो फ़ ् रांसिसी उपशीर ् षक भी नहीं पढ़ सकती थी. परन ् तु, यह फ़िल ् में ऐसी बाधाओं के बावजूद भी समझी जा सकती है, और उन ् हें गाने, नृत ् य एवं लड ़ ाई देख कर बहुत मज़ा आता tha, और वे अपनी आँखों में भारत की चकाचोंध ले कर वापस जाती थी. यह सब और भी ज ् यादा हो रहा है. अफगानिस ् तान में हमे पता है की सुरक ् षा एक बहुत बड ़ ा मसला है. अफगानिस ् तान हम में से बहुत लोगो के लिए है. भारत का वह कोई सेन ् य अभियान चालु नहीं है. क ् या आप जानते है की अफगानिस ् तान में पिछले सां सालों में भारत की सबसे बड ़ ी संपत ् ति क ् या थी? एक बहुत ही छोटा सा तथ ् य: आप अफगान में शाम ८: ३० बजे फोन नहीं कर सकते the. क ् यों? क ् योकि यह वो समय था जब एक भारतीय दूरदर ् शन नाटक, "" क ् योकि सास भी कभी बहु थी "", का "" धुर ् री "" रूपांतर, "" तोदो टी.वि. "" पर प ् रस ् तुत किया जाता था. और वह अफगान के इतिहास का सबसे लोकप ् रिय नाटक था. अफगान का हर एक परिवार इसे देखना चाहता था. उन ् हें ८: ३० के कार ् यक ् रम स ् थगित करने पड ़ ते थे. शादियाँ भी बाधित हो जाती थी ताकि मेहमान टी.वि. के सामने इकठ ् ठा हो कर उसे देख सके, और ताकि बाद में फिरसे अपना ध ् यान दुल ् हे दुल ् हन पर केन ् द ् रित कर सकें. ८: ३० बजे अपराध बढ़ गए. मेने एक 'रयूटर' की एक समाचार पढ़ा था — यह एक भारत का प ् रचार नहीं है, एक ब ् रिटिश समाचार संसाधन — की कैसे "" मुससरी शरीफ "" में चोरो ने एक गाडी को पूरा उघड दिया था, उसकी विंडशील ् ड वाइपर, उसके पहिये के ढक ् कन, उसके दर ् पण, और जो कुछ भी हिलता हुआ उन ् हें मिला, ८: ३० बजे क ् योकि चौकीदार वह नाटक देखने में व ् यस ् था थे नाकि अपने काम में. और उन ् होंने विंडशील ् ड पर लिख दिया, उस नाटक की नायिका के संधर ् भ में, "तुलसी जिंदाबाद", "तुलसी अमर रहे" (हंसी) यह है "" नर ् म "" शक ् ति. और यही भारत विकसित कर रहा है "" टेड "" (TED) के "" इ "" (E) से: इनकी खुद की मनोरंजन उद ् योग से. और यही सच है — और उदहारण बताने के लिए समाया थोडा कम है, लेकिन यही सच है हमारे और हमारी नृत ् यकला, हमारे कला, योग, और भारतीय खान-पान के बारे में भी. मतलब की, भारतीय भोजनालयों के प ् रसार, जब मैं पहले बार विद ् यार ् थी के तौर पर विदेश गया था, सत ् तर के दशक में, और मैं आज क ् या देखता हु, आप यूरोप और अमेरिका के किसी माध ् यम आकर के शहर में नहीं जाए, और वहा कोई भारतीय भोजनालय नहीं मिले. यह ज ् यादा अच ् छा है ऐसा जरूरी नहीं है. लेकिन आज ब ् रिटेन में, एक उधाहरण के तौर पर, ब ् रिटेन में भारतीय भोजनालयों में, ज ् यादा लोग काम करते है बजाये कोयलों की कादानो में, जहाज निर ् माण और लोहे और इस ् पात उद ् योगों को मिलाकर भी. तो अब साम ् राज ् य जवाबी हमला कर सकता है. (तालियाँ) लेकिन, भारत की भड ़ ती जागरूकता, आपके साथ और मेरे साथ और बाकी सबके साथ ऐसे ही, अफगानिस ् तान की कहानियो के साथ, इस सूचना युग में कुछ बहुत ही महत ् वपूर ् ण आ रहा है, वह भावना की आज की यह दुनिया वह नहीं है जहाँ बड ़ ी सेना जीतती है, यह वो देश है जो एक प ् रचलित बेहतर कहानी बताती है. और भारत है और रहेगा, मेरे विचार से, बेहतर कहानियो की धरती. छवियाँ बदल रही है. मेरा मतलब है की, फिरसे, अमेरिका जा कर, एक विद ् यार ् थी के तौर पर, सत ् तर के दशक में, मुझे मालुम था की भारत की क ् या तस ् वीर है वहां, अगर कोई तस ् वीर थी भी तो. आज "" सिलिकॉन वैली "" के और दूरसे जगहों के लोग आई.आई.टी., भारतीय तकनिकी संसथान, के बारे में बात करते है, उसी तरह जिस तरह की वे एम ् .आई.टी. के बारे में करते थे. इसके कई बार अनापेक ् षित परिणाम होते है. ठीक है. मेरा एक दोस ् त है, इतिहास पढ़ा हुआ, मेरी तरह, उसे स ् कैफोल हवाईअड ् डे पर रोका गया, एक हाँफते हुए यूरोपियन द ् वारा, यह कह कर, "आप एक भारतीय हो, आप एक भारतीय हो! क ् या आप मेरा लैपटॉप ठीक कर सकते है?" (हंसी) हम उस छवि से आगे निकल चुके है जहा भारत को कीलों के बिस ् तर पर सोये हुए फकीरों की धरती कहा जाता था, और सपेरो की रस ् सी वाले जादू की, से उस छवि तक जहा भारत को गणितज ् ञों की धरती, कंप ् यूटर के जादूगरों की धरती, सोफ ् टवेयरों के गुरुओं की धरती तक. लेकिन यह भी भारतीय कहानी को बदल रहा है. लेकिन, वहा और भी कुछ ठोस है. यह कहानी एक आधारभूत ढांचे पर खड ़ ी हैं, राजनितिक बहुवाद के. यह एक सभ ् यता की कहानी है. क ् योकि भारत सदियों एक खुला समाज रहा है. भारत ने सबको पनाह दी है, यहूदी, जो अपने मंदिरों के तबाह होने पर भाग खड़े हुए थे, पहले कसदियों द ् वारा फिर रोमनों द ् वारा. यहाँ तक की यह भी कहा जाता है की देवदूत के शक करने पर, संत थोमस केरल के ही तट पर आये थे, मेरे जन ् म भूमि, यही कही सन ५२ में, और उनका स ् वागत एक यहूदी लड़की ने बांसूरी बजाते हुए किया था. और आज तक वे ही केवल एकमात ् र यहूदी समुदाय है, यहूदियों के इतिहास में, जिन ् होंने कभी, विरोध की एक घटना का भी सामना किया हो. (तालियाँ) यह है भारतीय कहानी. मुसलमान भी शांति से दक ् षिण में आये, उत ् तर के इतिहास से थोडा अलग. लेकिन, इन सभी धर ् मो को भारत में अपनी जगह मिली है और भारत में इनका स ् वागत किया गया है. जैसा की आप को पता है, हमने इसी साल जश ् न मनाया है, हमारे राष ् ट ् रीय आम चुनाव, मानव के इतिहास में लोकतान ् त ् रिक मताधिकार का सबसे बड ़ ा आयोजन. और अगला इससे भी बड ़ ा होगा, क ् योकि हमारी जनसँख ् या २ करोड़ सालन की रफ़ ् तार से भड रही है. लेकिन, यह भी सच है की पिछले चुनावो ने, पांच साल पहले, दुनियां के सामने एक अशाधारण धटना हुई, एक महिला के चुनाव जितने की, इटालियन मूल की और रोमन कैथोलिक में विश ् वास वाली, सोनिया गाँधी, और उन ् होंने एक सिख के अपनी जगह दे दी, मन मोहन सिंह, ताकि वे प ् रधान मंत ् री बन सके, एक मुस ् लमान के हाथो से, राष ् ट ् रपति अब ् दुल कलाम, एक ऐसे देश में जहा ८१ प ् रतिशत हिन ् दू है. (तालिया) यह है भारत, और बेशक इससे भी ज ् यादा अचंभित करने वाला है क ् योकि चार साल बाद हमने सरहना करी अमेरिका की, आधुनिक विश ् व की सबसे प ् राचीन लोकतंत ् र की, जहा २२० सालो से स ् वतंत ् र एवं निष ् पक ् ष चुनाव होते रहे है, जिसने पिछले साल तक इतना समय लगा दिया, एक राष ् ट ् रपति या एक उप राष ् ट ् रपति चुनने में, जो गोरा नहीं था, न ही पुरुष था, और न ही isaai. तो शायद, — माफ ़ करिएगा, वो इसाई है, क ् षमा चाहता हु — और वह पुरुष है, परन ् तु गोरे नहीं है. बाकी सभी ये तीनो थे. (हंसी) इनसे पहले के बाकी सभी ये तीनो थे, और यही बात मैं बताना चाहता हु. (हंसी) लेकिन, मुद ् दा यह है की जब लोग इस उदहारण की बात करते है, वे सिर ् फ भारत के बारे में बात नहीं करते है, यह कोई मुद ् दा नहीं है. क ् योकि अंत में, उस चुनाव के परिणाम से दुनिया को कोई फर ् क नहीं पड ़ ता. भारत स ् वयं भारत ही बन रहा था. और अंत में, जैसा की मैं देख रहा हु, यह एक मुद ् दे से ज ् यादा बेहतर ही काम करता है. सरकार कहानिया सुननाने में अव ् वल नहीं है. लेकिन, लोग समाज को उसी नज़र से देखते है जो की वह समाज है, और यह, जैसा की मैं सोचता हु, अंत में, अंतर लाएगा, आज के इस सूचना के युग में, इस "" टेड "" युग में. तो भारत अब, जाती, धर ् म और भाषा के राष ् ट ् रवाद से परे है, क ् योकि हमारे यहाँ सभी जातिया, जो की मानव को ज ् ञात है, है, वास ् तव में, हमारे यहाँ वे सभी धर ् म है जो जो की मानव को ज ् ञात है, शिन ् तो धर ् म को छोड ़ कर. यद ् यपि उसमे में कही हिन ् दू तत ् त ् व है. हमारे संविधान में २३ अधिकारिक भाषाओ को मान ् यता प ् राप ् त है. और जिन लोगो ने यहाँ अपने पैसे दिए है, वे यह जान कर आश ् चर ् यचकित हो जायेंगे यह देख कर की, एक रूपए के नोट पर कितनी भाषाओ से उसका मूल ् य लिखा गया है. हमारे पास यह सब कुछ है. हमारी भोगोलिक स ् तिथि भी एक भांति की नहीं है. क ् योकि यहाँ उपमहाद ् वीप का प ् राकृतिक भूगोल, पहाड ़ ो और समुद ् र से तराशा हुआ, खंडित कर दिया गया, १९४७ के पाकिस ् तान के बंटवारे की वजह से. वास ् तविकता में, आप इस देश का नाम भी सिर ् फ बोलने के इए नहीं बोल सकते. क ् योकि यह नाम "" इंडिया "", इंडस नदी से लिया गया है, जोकि अब पाकिस ् तान से होकर गुज़रती है. लेकिन पूरा मुद ् दा यह है की भारत एक कल ् पना का राष ् ट ् रवाद है. यह एक कल ् पना है सदा-सर ् वदा-भूमि की, एक प ् राचीन सभ ् यता से उभरती हुई, इतिहास के योगदान से संगठित हुई वि, और इन सबसे ऊपर, बहुवाद लोकतंत ् र से निरंतर स ् थिर बनी रही. यह एक इक ् कीसवी सदी की कहानी है, और एक प ् राचीन कहानी भी हैं. और यह उस कल ् पना का राष ् ट ् रीयकरण है जो कहता है की आप भिन ् न भिन ् न प ् रकार की जाती, पंथ, रंग, संस ् कृति, खान-पान, प ् रथा एवं पहनावे को मानते है, औए फिर भी एक आम सहमति बना लेते है. और यह सहमती एक बहुत ही सरल सिद ् धांत पर है, की भारत जैसे इस अनेकता के लोकतंत ् र में आपको हमेशा एक ही बात पर सहमती नहीं बनानी पड़ती, जब तक आप उस नियम कायदे क़ानून मानते रहे की आप कैसे असहमति जताते है. यह भारत की सफलता की कहानी है, एक देश जिसके बारे में पंडित विद ् वानों और पत ् रकारों ने यह सोच लिया था की वह खंडित हो जायेगा, ५० व ६० के दशक में, लेकिन इन ् होने इस बात पर सहमती बना ली की असहमति में भी कैसे जिया जाये. अब यही वो भारत है जो इक ् कीसवी सदी में उभर रहा है. और मैं यही कहना छह रहा था की, अगर भारत के बारे में कुछ उल ् लासपूर ् ण hai, तो वह ना तो सेन ् य शक ् ति है, न ही आर ् थिक ताकत. और वो जो कुछ भी आवश ् यक है, लेकिन हमारे पास अभी भी बहुत सारी समस ् याएं है सुलझाने के लिए. किसी ने कहा था की हम अति दरिद ् र है और अति शक ् तिशाली भी. हम वास ् तव में ये दोनों साथ में नहीं हो सकते. हमे अपनी दरिद ् रता को हराना है. हमे अभी समाधान करने है विकास के हार ् डवेयर का, बंदरगाहों का, सडकों का, हवाईअड ् डो का, और सभी बुनियादी ढांचों एवं सुविधायों का, और विकास के सोफ ् टवेयर का, मानव संसाधन का, एक आम आदमी की जरूरत का की वह दो वक ् त की रोटी खा सके, अपने बच ् चो को भेज सके एक अच ् छे विद ् यालय में, और एक ऐसी नौकरी की khwaish जो उन ् हें जिंदगी में ऐसे अवसर दे सके की वे अपने आप को परिवर ् तित कर सकें. लेकिन, यह सब हो रहा है, यह एक महान रोमांचक यात ् रा है इन सभी चुनौतियों पर काबू पाने की, उन वास ् तविक चुनौतियों पर जिनका हम सभी दिखावा करते है की वे हैं ही नहीं. लेकिन, ये सब एक खुले समाज में हो रहा है, एक संपन ् न और विविध और अनेकाताओ से भरी सभ ् यता में, उसमे जिसने ढृढ ़ निश ् चय कर लिया है स ् वतन ् त ् र होने का और लोगो की रचनात ् मक बल को पूरा करने का. और इसलिए भारत 'टेड' (TED) में है, और इसीलिए 'टेड' (TED) भारत में है. बहुत बहुत धन ् यवाद. (तालिया) इस साल अपनी बेटियों को बताइए, कैसे हम काॅफी की तलब करते हुए उठे लेकिन उसकी जगह सुबह के अखबारों में बिखरी लाशें पाई, हमारी बहनों, पतियों या पत ् नियों, छोटे बच ् चों की जलग ् रस ् त प ् रतिकृतियाँ इस साल जब आपकी बच ् ची पूछे, जो उसे ज ़ रूर करना चहिए, उसे बताइए इसे आने में देर हो गई स ् वीकार कीजिए कि जिस साल हमें आज ़ ादी मिली, तब भी हम पूरे तौर से उसके मालिक नही बने तब भी कानून थे कि हम अपने निजी हिस ् सों का किस तरह वापर करें जब वह हमारे कोमल सिलवटों को छूते रहे, बिना हमारी इजाज ़ त की फ ़ िक ् र किए मर ् दों पर लागू होने वाले कोई कानून नहीं बनाए गए हमें बचना सिखाया गया था, इंतज ़ ार करना, डरना, छिपना सिखाया गया और भी रुकना, अभी तक रुकना हमे बताया कि हम खामोश रहें पर इस युद ् ध-काल में अपनी बच ् चियों को बताइए एक साल, पिछले हज ़ ारों की तरह ही, बीत गया तो पिछले दो दशकों से, हमने अपनी आँखें पोंछ दी, ध ् वजों के संदूकों से सजी, क ् लब के मौका-ए-वारदात को खाली कर दिया, सड ़ क पर चीखें, अपने जिस ् मों को ज ़ मीन पर लिटाया, हमारे शहीदों के शवों के पास, रोये, "" बेशक हम मायने रखते थे, "" गुमशुदाओं के लिए इबादत की इस साल औरतें रोयी हैं रोयी हैं वे । उस ही साल, हम तैयार हुए । जिस साल हमने अपना खौफ ़ खोया, और हिम ् मती बेपरवाही के साथ चलें उस ही साल हमने बंदूकों को डटकर देखा आसमान के सारसों के गीत गाए, झुके और टाला हिजाबों में सोना पकड ़ ा, मौत की धमकियाँ इकट ् ठा की,कमाल था. इस साल, हम औरतें थी, न किसी की दुल ् हन, न कोई ज ़ ेवर न कोई नीच लिंग न कोई रियायत, बल ् कि औरते अपने बच ् चों को सिखाएं । उन ् हें याद दिलाइए कि सीधी-सादी बनी और नीच बने रहने का साल बीत चुका है हम में से कुछ ने पहली दफा कहा कि हम औरतें हैं एकता की इस शपथ को सच-मुच माना हम में से कुछ को बच ् चे हुए और कुछ को नहीं हुए और हम में से किसी ने नहीं पूछा कि क ् या इससे हम असली या माकूल या सच हुए जब वह इस साल के बारे में आप से पूछेगी, आपकी बेटी, क ् या आपकी औलाद है, या आपके जीत की वारिस उसका के दिलासा देनेवाले इतिहास, जो औरतों की ओर लड ़ खड ़ ा रहा है उसे ताज ् जुब होगा और वह उत ् सुकता से पूछेगी, भले उसे आपकी कुरबानी का एहसास नही होगा, पर आपके अंदाज ़ े को वह पाक मानेगी जिज ् ञासा से पूछते, "" आप कहाँ थी? क ् या आप लड ़ ी? क ् या आप डरी हुई थी या डरानेवाली थी? दीवारों पर आपके अफसोस का रंग कैसे लगा? जब वक ् त था उस साल आपने औरतों के लिए क ् या किया? यह रास ् ता आपने मेरे लिए बनाया, कौन सी हड ् डियों को टूटना पड ़ ा? क ् या आपने काफ ़ ी कर लिया, क ् या आप ठीक हो, माँ? और क ् या आप एक हीरो हो? "" वो मुशकिल सवाल पूछेगी उसे परवाह नहीं होगी आप की भृकुटि के वक ् र की आप की पकड ़ के वज ़ न की आप के उल ् लेख सम ् बंधित नहीं पूछगी आपकी बेटी, जिस के लिए आपने इतना कुछ किया, वो जानना चाहेगी क ् या तोहफा लाये आप, कोनसी रौशनी आपने बुझने से बचायी जब वह शिकार के लिए रात को आये तब आप सो रहे थे या जाग गए थे आपको जागने की क ् या कीमत भरनी पड ़ ी? इस साल, जब हमने कहा समय आ गया है, आप ने अपने विशेषाधिकार से क ् या किया? दूसरों के घिनोनेपन का घूट पी गए? क ् या आप ने मुह मोड ़ ा या आग में झाँक के देखा? क ् या आपने अपना हुनर पहचाना या उसे बोझ समझ लिया? क ् या आपके "" बुरे "" और "" दूसरों से कम "" उपनामो ने आपको मूर ् ख बनाया? क ् या आपने दिल खोल के पढ ़ ाया या मुट ् ठी भींच कर आप कहाँ थे? उसे सच बताना अपनी ज ़ िन ् दगी बनाओ पुष ् टि करो कहो "" बेटी मैं वहां कड ़ ी थी "" वह पल मेरे चेहरे पर खंजर की तरह खिंचा है और मैंने उसे पीछे धकेला काट कर तुम ् हारे लिए जगह बनाई सच बताओ किस तरह हर कुटिल परिस ् थिति के बावजूद आप बाहादुर थे और हमेशा बहादुरों के साथ खड ़ े थे खासकर उन दिनों जब आप अकेले ही थे वह भी आप की तरह ही पैदा हुई जैसे आप की माँ और उनके साथ आपकी बहनें बहादुरों के समय, हमेशा की तरह उसे बताओ की वह सही समय पर पैदा हुई थी सही समय पर नेतृत ् व करने के लिए (तालियाँ) 12 साल पहले, मैंने सबसे पहली बार कैमरा उठाया फिलिस ् तिन के गावं वेस ् ट बैंक में जैतून फसल के फिल ् मांकन के लिएl मैंने सोंचा की मैं एक दस ् तावएजी फिल ् म के लिए हूँ और फिर दुनिया के कई दुसरे क ् षेत ् र में चली जाऊंगीl लेकिन कुछ था जो मुझे वापस उस जगह ले आता थाl आमतोर पर, जब अंतराष ् ट ् रीय दर ् शक दुनिया के इस भाग के बारे में सुनते है, तो वे अक ् सर बस ये चाहते हे की संघर ् ष चला जायेl इज ् रयाल-फ़िलिस ् तीन संघर ् ष बुरा है, और हम सब चाहते हे की यह ख़तम हो जाएl हम कुछ ऐसा ही महसूस करते है दुनिया भर के संघर ् षो के बारे मेंl लेकिन हम हर बार जब अपना ध ् यान खबरों की तरफ करते हे, तो पाते हे की एक और देश आग की लपटों में भस ् म हो गयाl इसलिए में सोच रही थी की क ् या हम सब को संगर ् ष को किसी अलग अंदाज़ में नहीं देखना चाहिएl बजाये संघर ् ष को समाप ् त करने की इच ् छा के सिवाय हम सब को अपना ध ् यान संघर ् ष को संचालित करने में लगाना चाहिए lयह मेरे लिए सबसे बड़ा सवाल हो गया था, जिसे मैंने अपनी गैर लाभकारी संघटन जस ् ट विज़न के साथ मिल कर अनुसरण कियाl खाड़ी मुलुको के विभिन ् न संघर ् षो का साक ् षी बनने के बाद, मुझे सफल संघर ् षो पर एक तरह का नक ् शा दिखाई दियाl मुझे उत ् सुकता हुई की क ् या ये परिवर ् तनशील वस ् तू हर घटना में है, और अगर है, तो कौनसे उदहारण हम पा सकते है संघर ् ष को संचालित करने के लिए, फ़िलिस ् तीन, इजराइल और कहीं औरl इसमें किसी प ् रकार का ज ् ञान नजर आयाl जब 323 प ् रमुख राजनेतिक संघर ् षो पर अध ् यन १९०० से २००६ से हुआ, मारिया स ् टेफन और एरिका चेनोवेथ ने पाया की अहिंसात ् मक अभियान हिंसात ् मक से शत प ् रतिशत सफल होने की सम ् भावना रखते हैl अहिंसात ् मक अभियान से शारीरिक नुक ् सान होने की कम सम ् भावना होती है उन ् हें जो इन अभियान का सामना करते है, और वो लोग जो इनके वीरोधी हैl गंभीर रूप से पाया गया की यह बहूत शांतिपूर ् ण एवं जनतंत ् र समाज की और जाते हैl दुसरे शब ् दों में, अहिंसात ् मक प ् रतिरोध प ् रभावी और रचनात ् मक हल है युद ् ध को ख़तम करने के लिएl लेकिन यह इतना सरल उपाय है तो और समूह इसे प ् रयोग क ् यों नहीं करते? राजनेतिक वैज ् ञानिक विक ् टर असल और उनके सहकर ् मी ने कई कारणों की तरफ ध ् यान दिया जिसने राजनेतिक समूह के चुनाव को आकर देने में कार ् य किया हैl और यह पता चला की सबसे बड़ा भविष ् यवक ् ता जो यह आन ् दोलन के निश ् चय को अहिंसावादी और हिम ् सवादी बनने में मदद करे वो ना तो वामपंथी और ना दक ् षिणपंथी संघटन है ना ही संघटन पर कम ज ् यादा धार ् मिक आस ् था का दबाव देता है, ना तो यह की यह संघटन जनतंत ् र या अधियात ् कम है, और ना तो दमन का स ् तर जो एक संघटन सामना कर रहा हैl संघटक के अहिंसावादी निश ् चय को अपनाने में सबसे बड़ा भविष ् यवक ् ता उसकी विचारधारा समाज में औरतो के प ् रति कैसी हो उस पर निर ् भर करता हैl (तालियां) जब एक आन ् दोलन अपने प ् रवचन में जाति समानता की भाषाका इस ् तेमाल करते है तब, अहिंसा को अपनाने की सम ् भावना नाटकीय रूप से बड जाती है, और इसलिए, इसके सफल होने की संभावना भीl मेरे प ् रलेखन और यह अनुसन ् धान पलेस ् तीन और इजराइलl के राष ् ट ् रीय आयोजन को सामान बताते हैl मैंने पाया की आन ् दोलन जो महिलायों को नेत ् रत ् व पदों के लिए आम ् त ् रतित करते है, जैसे की बुदृस ग़ाव में मेरा प ् रलेखन, अपने मकसद को हांसिल करने में संभव होंगेl वास ् तविक खतरे तहत, यह ग़ाव के नक़ ् शे पर से सफाया हो गया होता जब इजराइल ने सेपरेशन नाका का निर ् माण करना शुरू कियाl प ् रस ् तावित मार ् ग को इस समाज के जैतून के खेत, कब ् रिस ् तान और आखिर में ग़ाव के चारो तरफ से बंद कर विनाश करना थाl स ् थानीय नेत ् रत ् व से प ् ररित हो कर ताकि यह रुक जाए, उन ् होंने अहिंसावादी प ् रतिरोध अनुसन ् धान का आरम ् भ कियाl बड़े पैमाने पर, असफल होने के संभावनायो का ढेर लग रहा थाl लेकिन उनके पास भी गुप ् त हथियार थाl एक १५-वर ् षीय लड़की जिसने बड़ी साहसपूर ् वक बुल डोज़र के सामने कूद कर जो की जैतून के पेड़ को उखाड़ने ही वाला थाl उसी पल, बुदृस समुदाय के लोगों को आभास हुआ की क ् या मुमकिन है अगर वे औरतो को जनता की ज़िन ् दगी में भाग लेने के लिए स ् वागत और प ् रोहोत ् साहित करेl और तभी से बुदृस की औरतें सीमा रेखा पर गयी दिन प ् रतिदिन, उनके रचनात ् मक और कुसग ् र ् ता को विभिन राह की मुश ् किलोय को हराने के लिए १० महीने की निहथे मुकाबले मेंl और शायद आप इस पल यह कह सकते है की अंत में उनकी जीत होती हैl अलगाव रेखा पूरी तरह से बदल गयी थी अंतर ् राष ् ट ् रीय मान ् यता प ् राप ् त हरी रेखा में, और बुदृस की औरतें वेस ् ट बैंक के उसे पार भी पहचानी जाने लगी अपने अजय शक ् ति के लिएl (तालिया) धन ् यवाद में एक पल के किये विश ् राम लूंगी जो आपकी मदद से हो पाया, क ् योंकि मैं दो गंभीर गलत ् फमियो को स ् पस ् ट करना चाहूंगी जो इस समय घटित हो सकती हैl पहली जो मैं विश ् वास नहीं कर सकती की औरतें पैदाईश रूप से या वास ् तव में आदमियों से ज ् यादा शांतिप ् रिय होती हैl लेकिन मेरा यह विश ् वास हैं की आज की दुनिया में औरतें शक ् ति को अलग तरीके से अनुभव करती हैl कम शक ् तिशाली पद पर होते हुए अपनी जिंदगियो के विभिन पहलू पर मार ् गदर ् शक बनना, औरतें परिवर ् तन के दबाव को चुपचाप करने में अक ् सर काफी निपुण होती है बजाय अधिक, शक ् तिशाली अभिनेताओं सेl औरतो पर अक ् सर पारिभाषिक शब ् द "" जोड़ तोड़ "" बड़ी अपमानजनक ढंग से आरोप लगाया जाता है, ऐसी सच ् चाई प ् रतिबिंबित होती है की औरतें आस ् कर ऐसे रस ् ते की शोध करती है जो बजाये अपने लक ् ष ् य प ् राप ् त करने के साक ् षात ् विरोध करते होंl और विकल ् पों की खोज साक ् षात ् विरोध के लिए ही सबसे महतवपूर ् ण हिस ् सा है अहिंसावादी प ् रतिबन ् ध काl अब दूसरी संभावित गलतफ़हमीl मैंने काफी बातें करी हैं मध ् यपूर ् वी के अनुभवों के बारें में, और आपमें से कुछ सोच भी रहे होंगे की सुझाव फिर हमारे पास हैं की हम मुस ् लिम और अरब समाज को शिक ् षा दे औरतो को शामिल करने के लिएl अगर हम यह कर सके तो वोह लोग काफी सफलता प ् राप ् त करेंगेl उन ् हें इस तरह की मदद की जरूरत नहीं हैl औरतें हमेशा से ही एक हिस ् सा रहीं है बहूत प ् रभावशाली आन ् दोलन के प ् रति मध ् य पूर ् वी देशो में, लेकिन वह अंतर ् राष ् ट ् रीय समोदाय के लिए अद ् रशय ही रहीl हमारे कैमरा ज ् यादातर पुरुषो पर ही केन ् द ् रित रहे जो ज ् यादातर शामिल रहे काफी झगडालू दृश ् यों पर जो हमें अनिवार ् य लगे हमारे खबरों के घटनाचारा मेंl और हम इस वर ् णन पे पहोंचे है जिसने न सिर ् फ औरतो को मिटा दिया इस क ् षेत ् र की जिद ् दोजहद से लेकिन काफी बार इन जिद ् दोजहद को गलत ढंग से पेश किया हैl १९८० में एक विद ् रोह गाज़ा में शुरू हूया, और जल ् दी ही वेस ् ट बैंक और पूर ् वी जेरूसलम तक फैल गयाl यह पहले इन ् तिफादा के नाम से जानने जाना लगा, और जिन लोगों को ज़रा भी दृश ् य याददाशत हैं ज ् यादादर ऐसा कुछ याद करेंगे: पलेस ् तीने पुरुष इसरायली तोपों परे पत ् थर फ़ेंक रहे हैंl समाचारों में उस samay येही दिखाया गया की पत ् थर, मोलोतोव बारूद और जलते हुए पाइए ही सिर ् फ गतिविधिया थी इन ् तिफादा के समयl हालाँकि दूर दूर तक यह अवधि प ् रख ् यात हुई अहिंसावादी आयोजन जैसे की हड़ताल, धरना और समांतर संस ् थायो के रचना के लिएl पहिले इन ् तिफादा के समय, सम ् पूर ् ण पलेस ् तीनी क ् षेत ् र की असैनिक आबादी एकत ् रित हूई, पीढीयों, दलों और वर ् गीकरण को अनदेखा करते हुएl उन ् होंने यह किया प ् रसिद ् द समितियों का जाल बिछा कर, और उनके प ् रत ् यक ् ष लागू करना और जातीय स ् वावलंबन प ् रयोजन के इस ् तेमाल ने इस ् राइली की क ् षमता को चौनौती दी वेस ् ट बैंक और गाजा पर शाशन जारी रखने परl इसरायली सेना के अनुसार, ९७ प ् रतिशत गतिविधियाये पहिले इन ् तिफादा के समय निहत ् थे होती थीl और एक और बात जो पहले वर ् णन का हिस ् सा नहीं थीl १८ महीने से इन ् तिफादा में, महिलाये थी जो परदे के पीछे से नेतृत ् व करती थी: समाज और ज़िन ् दगी के हर वर ् ग की पलेस ् तिनियन महिलाये हजारो की तादाद में लोगों को संघटित करने का मोर ् चा सँभालने लगी ताकि संयुक ् त प ् रयास से अधिकृत क ् षेत ् र में से सहमती को वापिस खिंच सकेl नेला अय ् याश, जिन ् होंने आत ् म-निर ् भर अर ् थव ् यवस ् था के निर ् माण का प ् रयासरत किया गाजा की महिलायों को प ् रोहत ् साहित करके की वह अपने घर में सब ् जिया उगाये एक ऐसी गतिविधि जिसे इसरायली अधिकारियों ने उस दौरान अवैध माना था; राबेहा दिआब, जिन ् होंने निर ् णय-लेनेवाले अधिकार का पदभार सम ् भाला सम ् पूर ् ण विद ् रोह के दौरान जब पुरुष जो इसे चला रहे थे उन ् हें निर ् वासित कर दिया; फातिमा अल जाफरी, जिन ् होंने विद ् रोही निर ् देश सम ् बंधित पर ् चे निगल लिए ताकि वह प ् रदेशो के चारो तरफ फैल सके बिना पकड़े जाने के डर से; और ज़हिरा कमल, जिन ् होंने यह सुनिश ् चित किया की विद ् रोह की लम ् बी उम ् र बनी रहे और ऐसे संघटन का नेतृत ् व किया जिसमे २५ से ३०००० महिलोयो की एक साल में बढ़ोतरी हुईl असाधारण उपलब ् धियों के बावजूद, इनमे से एक भी महिला का नाम हमारे पहिले इन ् तिफादा की कहानी में नहीं हैl यह हम दुनिया के दुसरे भाग में भी करते हैl हमारी इतिहास की किताबो, उदहारण के लिए, और हमारे सामूहिक चेतना में, पुरुष ही जनता का चेहरा और प ् रवक ् ता है अमेरिका के १९६० के जातीय न ् याय सम ् बंधित संघर ् ष के समय लेकिन महिलाये भी एक महत ् वपूर ् ण प ् रेरक शक ् ति थी, एक जूट करना, आयोजित करना, जनता तक ले जानाl हममे से कितने है जो सेपतीमा कलार ् क को याद करते है जब हम अमेरिका के नागरिक अधिकार संघर ् ष को याद करते है ध ् यान से देखे तो बहूत कम लेकिन उन ् होंने काफी महत ् पूर ् ण भूमिका निभाई थी संगर ् ष के हर चरण के दौरान, विशेष कर साक ् षरता और शिक ् षा पर बल दियाl उन ् हें निकला गया, नजरअंदाज किया गया और सब औरोतों की तरह जिन ् होंने महत ् पूर ् ण भूमिका निभाई थी अमेरिका के नागरिक अधिकार आन ् दोलन के समयl यह कोई श ् रेय लेने के लिए नहीं हैl यह उससे भी कई गहरा हैl कहानियाँ जो हम कहते है उस पर लागू होता है की हम कैसे अपने को देखते है, और हमारा विश ् वास की आन ् दोलन कैसे चलते है और कैसे आन ् दोलनों को जीता जाता हैl कहानियाँ जो हम कहते है आन ् दोलन के बारें में जैसे की पाहिले इन ् तिफादा या अमेरिका का नागरिक अधिकार युग गहरी लागू होती है और बहूत प ् रभावशाली है उन चुनावो के लिए जो पिलिस ् तिनेओ, अमेरिकन और हमारी आसपास के लोग करेंगे अगली बार जब वह किसी अन ् याय का सामना करेंगे और हिम ् मत जुटा पायेंगे उसका सामना करने के लिएl अगर हम उन औरोतों का उत ् थान नहीं करते जिन ् होंने संघर ् षो में बहूत योगदान दिया तब हम अपनी आने वाली पीढियों को प ् रेरणास ् रोत देने में नाकामयाब होंगेl बिना प ् रेरणास ् रोत के, यह बहूत मुश ् किल है औरोतों के लिए अपने अधिकार की मांग करना आम निजी ज़िन ् दगी मेंl और जैसे की हमने पहले देखा, सबसे नाजुक परिवर ् तनशील वस ् तु यह निर ् धारित करने के लिए की यह आन ् दोलन सफल होगा या नहीं ही इस आन ् दोलन की विचारधारा महिलायों के योगदान के बारे में है आम ज़िन ् दगी मेंl यह एक सवाल है की क ् या हम प ् रजातंत ् र और शांतिप ् रिय समुदाय की तरफ बढ़ रहे हैl इस दुनिया में जहाँ इतना कुछ बदलाव हो रहा है और जहाँ बदलाव बड़ी तेज़ी से अवश ् य होनेवाला है, तो सवाल ये नहीं हे की क ् या हम संगर ् ष का सामना कर पाएंगे परंतू सवाल ये हे की कौनसी कहानिया संघर ् ष को आकर देने में मददरूप साबित होती हेl धन ् यवादl (तालियां) मैं इस बात पर शर ् त लगा सकता हूँ कि मैं इस कमरे में मौजूद सबसे मूर ् ख व ् यक ् ति हूँ क ् योंकि मैं स ् कूल में पास ही नहीं होता था । पर मुझे बहुत छोटी उम ् र में ही ये पता लग गया था कि मैं पैसे से प ् यार करता था, और व ् यापार से प ् यार करता था और मैं ये उद ् यमिता वगैरह से भी प ् यार करता था । और मुझे उद ् यमी बनने के लिये ही पाला गया था । और तब से आज तक मुझे एक बात का जुनून सवार है — और मैनें आज से पहले इसके बारे में कभी बात नहीं की — और इसलिये आप सब ये सुनने वाले पहले हैं, मेरी पत ् नी के अलावा, तीन दिन पहले, क ् योंकि उन ् होनें मुझसे पूछा, "" तुम किस बारे मे बात करने वाले हो? "" और मैने उन ् हें बताया — कि मुझे लगता है कि हम सुनहरा अवसर खो देते हैं ऐसे बच ् चों को ढूँढने का जिनमें उद ् यमी बनने के लक ् षण होते है, और उन ् हें तैयार करने का, और उन ् हें ये दिखा पाने का कि असल में उद ् यमी बनना एक मज़ेदार और महान चीज़ है । इसमें कुछ खराब नहीं है, और इसे खराब कहा भी नहीं जाना चाहिये, जैसा कि अक ् सर समाज में होता है । जब हम बच ् चे होते है, हमारे पास सपनों का भन ् डार होता है । और हमारे अपने जुनून, और अपनी योजनाएँ होती हैं । और हम किसी न किसी तरह से उन सब का कत ् ल कर देते हैं । हमें सिखाया जाता है कि हमें पढाई पर और ध ् यान देना चाहिये या हमें अपना ध ् यान और केंद ् रित करना चाहिये, या फ़िर ट ् यूशन ले लेनी चाहिये । और मेरे माता-पिता ने मेरे लिये फ़ ् रेंच के ट ् यूटर भी लगवाये थे, और मेरी फ़ ् रेंच आज भी एकदम बदतर है । दो साल पहले, मुझे सबसे उम ् दा लेक ् चरर का खिताब मिला एम.आई.टी. के उद ् यमिता के स ् नातकोत ् तर कोर ् स में । और इस कार ् यक ् रम में दुनिया भर के उद ् यमियों के सामने भाषण देना था । जब मैं दूसरी में पढता था, मैनें अपने शहर के स ् तर पर बोलने की प ् रतियोगिता जीती थी, पर किसी ने ये नहीं कहा, "देखो, ये बच ् चा अच ् छा वक ् ता है ।" ये अपना ध ् यान केंद ् रित नहीं कर पाता है, मगर इसे आसपास घूमने और, लोगों को प ् रोत ् साहिते करनें में कितना मज़ा आता है । "" किसी ने नहीं कहा, "" इसे बोलना सिखाओ । "" उन ् होंने कहा, इसे वो चीज और सिखाओ जिसमें ये अच ् छा नहीं है । तो बच ् चे ये लक ् षण प ् रदर ् शित करते हैं । और हमें इन ् हें पकडने के लिये तैयार रहना चाहिये । मैं यह मानता हूँ कि हमें बच ् चों को उद ् यमी बनाने के लिये तैयार करना चाहिये, न कि वकील-इन ् जीनियर । बदकिस ् मती ये है कि हमारी स ् कूल - व ् यवस ् था इस पूरे संसार को सिर ् फ़ ये सिखा रही है कि बोलो, "" चलो, या तो वकील बन जाते हैं, या फ़िर डॉक ् टर । "" और हम सब यहाँ एक सुनहरा मौका खो रहे हैं क ् योंकि कोई कभी ये नहीं कहता, "" चलो यार, उद ् यमी बनते हैं । "" उद ् यमी वो लोग होते है — और ऐसे कई लोग हमारे साथ आज इस कमरे में है — जिनके पास तमाम आयडिया और तमाम जुनून होते हैं, और जो दुनिया की ज़रूरतों को देख कर उन ् हें पूरा करने का बीडा उठाते है, और पूरा भी करते हैं । और जो सोचा वो करने के लिये अपना सारा कुछ दाँव पर लगाने को तैयार होते हैं । और हमारे पास ये काबलियत होती है कि हम अपने आसपास के लोगों को जोडे जो हमारा सपना साकार करने के लिये साथ आना चाहते हैं । और मैं समझता हूँ कि अगर हम बच ् चों को छोटी उम ् र में ही उद ् यमशीलता को गले लगाने दें, तो हम दुनिया में वो सब बदल सकते हैं जो कि समस ् यापूर ् ण है । हर एक समस ् या जो कि विश ् व में है, किसी न किसी के पास उसका हल है । और जब आप छोटे होते हैं, आप ये कही नहीं सकते कि 'होगा नहीं या असंभव' क ् योंकि आपमें ये सब कह पाने की समझ ही नहीं होती है । मेरे ख ् याल से, अभिभावक और समाज होने के नाते, ये हमारी जिम ् मेदारी है कि हम अपने बच ् चों को मछ ् ली पकडना सिखायें, बजाय उन ् हें मछली दे देने के । पुरानी कहावत है, "" यदि किसी को मछली दोगे, तो उसका पेट एक दिन के लिये भरेगा । यदि किसी को मछली पकडना सिखा दोगे, तो जीवन भर वो पेर भर सकेगा । "" अगर हम अपने बच ् चों को उद ् यमी होना सिखा सकें, खासकर वो जो कि सही लक ् षण प ् रदर ् शित करते हैं, जैसे कि हम विज ् ञान में तेज़ बच ् चों को वैज ् ञानिक बनने के लिये कहते है । सोचिये यदि हम उद ् यमी होने के लक ् षण दिखाने वाले बच ् चों को उद ् यमी बनना सिखा सकें? इतने सारे बच ् चे व ् यवसाय और उद ् यमी गतिविधियों को आगे बढा रहे होंगे, बजाय सरकारी मदद का इंतज़ार करने के । हम असल में क ् या कर रहे हैं कि हम अपने बच ् चों को सिखा रहे है कि वो क ् या न करें । मारो मत; काटो मत; गाली मत दो । और हम अपने बच ् चों को बडी से बडी नौकरी पाने की सलाह देते हैं, और स ् कूल-व ् यवस ् था उन ् हे ऐसे लक ् ष ् य देती है जैसे कि डॉक ् टर बनो, या फ़िर वकील बनो या फिर अकाउंटेण ् ट बनो, या फ़िर डेन ् टिस ् ट या फ़िर अध ् यापक या फ़िर पायलट । और मीडिया कहता है कि अगर आप मॉडल बन सकें या गायक बन सकें तो बहुत सही रहेगा, या फ़िर कोई बडे खिलाडी जैसे कि सिड ् नी क ् रोसबी हमारे एम.बी.ए. की पढाई तक बच ् चों को उद ् यमी बनना नहीं सिखाती है । मेरे एम.बी.ए. नहीं करने के पीछे यही कारण था — वैसे मेरा कहीं हुआ भी नहीं था क ् योंकि मेरे स ् कूल में सिर ् फ़ ६१ प ् रतिशत नंबर थे और ६१ प ् रतिशत पर उस समय सिर ् फ़ एक ही जगह मुझे स ् वीकार किया गया था - कार ् ल ् टन — मगर हमारे एम.बी.ए. पाठ ् यक ् रम भी बच ् चों को उद ् यमी बनना नहीं सिखाते । वो उन ् हें सिखाते है बडे बडे निगमों में काम करना । लेकिन ये बडी कम ् पनियाँ शुरु किसने कीं? उन ् ही लक ् षण दिखाने वाले कुछ लोगों ने । यहाँ तक कि प ् रसिद ् ध साहित ् य तक मे भी सिर ् फ़ एक ही किताब मुझे मिला — और आप सब को ये पढनी चाहिये — एक ही किताब मुझे मिली जो कि उद ् यमी को नायक के रूप में पेश करती है - "" एटलस श ् रग ् ड । "" इसके अलावा संपूर ् ण विश ् व मानो उद ् यमियों को बुरे व ् यक ् तियों के रूप में देखता और दिखाता है । मैं अपने ही परिवार की बात करता हूँ । मेरे दादा और नाना, दोनो ही उद ् यमी थे । मेरे पिता उद ् यमी थे । मेरा भाई और मेरी बहन और मैं - हम तीनो की अपनी कम ् पनियाँ हैं । और हमने ये सब शुरु करने का निर ् णय इसलिये लिया क ् योंकि शायद हम केवल यही करने के लायक थे । हम सामान ् य काम कर ही नहीं पाते थे । हम किसी और के लिये काम कर ही नहीं पाते थे क ् योंकि हम बहुत अकडू थे, और हम वो सारे लक ् षण दिखाते थे । मगर हमारे बच ् चे भी उद ् यमी बन सकते हैं । मैं कुछ संगठनों से जुडा हुआ हूँ जो कि विश ् व-स ् तर पर एन ् टरप ् रिन ् योर ् स ओर ् गेनाइज़ेशन और यंग प ् रेसिडेंट ओर ् गेनाइज़ेशन के नाम से जाने जाते हैं । मैं अभी बार ् सिलोना से लौटा हूँ वाई.पी.ओ. की वैश ् विक गोष ् ठी में वक ् तव ् य दे कर, और वहाँ मैं जितने भी ऐसे लोगों से मिला जो कि उद ् यमी हैं, उन सब को स ् कूली पढाई में दिक ् कतें हुई थीं । मुझमें डाक ् टरी तौर पर ध ् यान नहीं लगा पाने की बीमारी (अटेंशन डेफ़िसिट डिसार ् डर) के १९ लक ् षणों में से १८ पाये गये हैं । और इसलिये ये तमाम ताम-झाम मुझे बहुत कष ् ट दे रहा है । (हँसी) शायद इसीलिये मैं इस वक ् त थोडा सा घबराया हुआ भी हूँ — शायद मैंने बहुत कॉफ़ी और शक ् कर भी ले ली है — मगर ये एक उद ् यमी के लिये काफ़ी गडबड चीज़ है । अटेंशन डेफ़िसिट डिसार ् डर, बाईपोलर डिसार ् डर । क ् या आपको पता है कि बाईपोलर डिसार ् डर को सी.ई.ओ. बीमारी भी कहते हैं? टेड टर ् नर को ये बीमारी है । स ् टीव जॉब को भी यही है । नेटस ् केप के तीनो प ् रतिष ् ठाताओं को भी यही है । मैं पूरी लिस ् ट बना सकता हूँ । बच ् चों को देखिये — ये लक ् षण आपको उनमें दिखेंगे । और हम क ् या करते है - हम उठा के उन ् हें रीटालीन खिला देते हैं, ये कहते हुए, "" उद ् यमी मत बनो ये दूसर सिस ् टम में ढल जाओ, और बढिया विद ् यार ् थी बनो । "" माफ़ कीजिये, मगर उद ् यमी विद ् यार ् थी नहीं होते । हम फ़टाफ़ट चलना चाहते हैं । हम सारा खेल समझ सकते हैं । मैनें निबंधों की चोरी की है । परीक ् षाओं में खूब नकल की है । मैनें दूसरे बच ् चों को पैसा दे कर अपना काम करवाया विश ् वविद ् यालय के स ् तर पर लगातार तेरह बार । पर एक उद ् यमी हिसाब-किताब नहीं करता है, वो अकाउंटेंट को नौकरी पर रखता है । और मैनें ये थोडा पहले ही सीख लिया । (हँसी) (तालियों सहित अभिवादन) कम से कम मैं यह बात स ् वीकार कर सकता हूँ कि मैने नकल की; आपमें से ज ् यादातर नहीं कर सकते । और अब तो मैं पाठ ् य-पुस ् तकों में उद ् धृत किया जाने लगा हूँ — मेरी कही पंक ् ति उसी विश ् वविद ् यालय पाठ ् य-पुस ् तक में मौजूद है हर कनीडियन विश ् व-विद ् यालय और कॉलेज में । प ् रबंधनीय लेखाविधि में, मैं पाठ नं आठ हूँ । वो पाठ मेरे द ् वार बजट पर दिये गये एक वक ् तव ् य से आरंभ होता है । और मैने लेखक को अपने साक ् षातकार के बाद बताया था, कि मै उस पाठ ् य-क ् रम में नकल से पास हुआ था । उसे लगा कि मैं मजाकिया हूँ, और इसीलिये इस बात को शामिल नहीं किया गया । मगर बच ् चों मे आप ये गुण देख सकते हैं । उद ् यमी की परिभाषा है - "" ऐस व ् यक ् ति जो कि संगठित करता है, चलाता है और व ् यवसाय आगे बढाने के लिये खतरा मोल लेता है । "" इसका ये मतलब बिलकुल भी नहीं है कि आपको एम.बी.ए. करना पडेगा । इसमें ये भी नहीं लिखा है कि आपको मगज मार कर स ् कूल में जाना ही पडेगा । इसका केवल इतना मतलब है कि कुछ बातें आपको अपने अंदर महसूस करनी होंगी । और हमने उन कुछ बातों के बारे में सुना है कि - क ् या वो प ् राकृतिक रूप से मौजूद होती हैं, या उन ् हें सिखाया जा सकता है, सुना है ना? तो ये, ये चीज है या फ़िर वो चीज है? क ् या है ये? देखिये, मुझे लगता है ये कोई भी एक चीज नहीं है । मेरे ख ् याल से दोनों ही हो सकती है । मुझे उद ् यमी बनने के लिये बाकयदा तैयार किया गया था । जब मैं बडा हो रहा था, मेरे पास और कोई रास ् ता नहीं था, क ् योंकि मुझे हर मोड पर, बचपन से यही सिखाया गया था — जब मेरे पिता ने ये महसूस किया कि मैं उस सब के लायक नहीं जो स ् कूल में पढाया-सिखाया जा रहा था — और ये कि वो मुझे छोटी उम ् र में ही व ् यवसाय सिखा सकते थे । उन ् होंने हमें तराशना शुरु किया, हम तीनों बच ् चों को, हमें नौकरी के ख ् याल से घृणा करना सिखा दिया गया और इस बात से प ् यार कि हम ऐसी कंपनियाँ खडी करेंगे जो और लोगों को नौकरी देंगी । व ् यवसाय में मेरी पहली कोशिश, जब मैं सात साल का था, और विन ् नीपेग में था, और अपने बिस ् तर पर पडा हुआ था एक लम ् बे तार वाला फ़ोन ले कर । और मैं सारे ड ् राई-क ् लीनरओं को कॉल कर रहा था ये पता करने के लिये कि वो लोग मुझे कोट हेंगरों के कितने पैसे दे सकते थे । और मेरे माँ कमरे में आईं और उन ् होनें पूछा, "तुम इन ् हें बेचने के लिये इतने सारे हेंगर कहाँ से लाओगे?" और मैने कहा, "" चलिये, तहखाने में देखते हैं । "" और फ़िर हम तहखाने में गये और मैनें एक अलमारी खोली । और उसमें करीब करीब एक हज़ार कोट हेंगर थे जो मैनें इकट ् ठे किये थे । क ् योंकि जब मैं उन ् हे ये बता कर निकलता था कि मैं खेलने जा रहा हूँ, मै दरवाजे-दरवाजे जा कर पडोसियों से हेंगर इकट ् ठा करता था और तहखाने में, बेचने के लिये जमा करता था । क ् योंकि मैने कुछ हफ़ ् तों पहले ये देखा था कि — इस से पैसे बन सकते थे । वो लोग एक हेंगर के लगभग दो पैसे देते थे । तो मैने सोचा, कि चलो तमाम तरह के हेंगर होते है । मैं उन ् हें ले लूंगा । और मुझे पता था कि माँ को ये पसंद नहीं आयेगा, तो मैने बिना बताये ही कर डाला । और मुझे पता लगा कि आप असल में लोगों के साथ मोल-भाव कर सकते थे । एक व ् यक ् ति ने मुझे तीन पैसे का प ् रस ् ताव दिया, और मै उसे साढे तीन तक ले गया । मुझे सात साल की उम ् र में ही पता था कि मुझे एक पैसे का केवल कुछ भाग ही मिलेगा, और लोग ये पैसा देंगे, क ् योंकि उन ् हें आगे इस से फ़ायदा होगा । साता साल की उम ् र में मैं ये सोच सका कि मुझे कोट हेंगर के लिये साढे तीन पैसे मिल सकते हैं । मैनें नंबर प ् लेट का कवर भी दरवाजे-दरवाजे बेचा है । मेरे पिता ने मुझे ऐसे किसी व ् यक ् ति को ढूँढने भेजा जो कि मुझे होलसेल रेट पर माल बेचे । और नौ वर ् ष की उम ् र में मैं सडबरी शहर में घूम रहा था घर-घर नंबर प ् लेट कवर बेचते हुए । और अपना एक ग ् राहक तो मुझे पूरी तरह से याद है क ् योंकि मैने उसके लिये और भी काम किया था । मैने अखबार भी बेचे । और ये आदमी मुझसे कभी अखबार नहीं खरीदता था । पर मुझे विश ् वास था कि उसे मैं नंबर प ् लेट कवर तो बेच ही डालूँगा । और उसने कहा, "" "" देखो, मुझे इसकी ज़रूरत नहीं है । "" तो मैने कहा, "" पर आपके पास तो दो कारें है... "" — और मैं केवल नौं वर ् ष का था । और मैनें ये भी कहा, "" मगर आपके पास दो कारें है, और दोनो पे कवर नहीं हैं । "" तो उसने कहा, "" मैं जानता हूँ । "" तो मैने कहा, "" ये देखिये, इस कार की नंबर प ् लेट एकदम खराब हो चुकी है । "" तो उसने कहा, "" हाँ, ये मेरी पत ् नी की कार है । "" तो मैने कहा, "" एक बार लगा कर देखते है आपकी पत ् नी की कार पर, और देखते है कि क ् या वो ज ् यादा चलेगी । "" मुझे पता था कि वहाँ दो कारें थी, और उन पर दो-दो प ् लेटें लगी थीं । अगर मैं चार कवर नहीं बेच सका, तो कम से कम एक तो बेच सकूँगा । ये मैनें बहुत छोटी उम ् र में सीख लिया था । मैनें कॉमिक ् स की अदला-बदली भी की । जब मैं करीब दस साल का था, मैं कॉमिक ् स बेचता था जार ् जियन खाडी की हमारी झोपडी से । और मैं साइकिल से समुद ् र-तट के एक सिरे पर जाता था और गरीब बच ् चों से कॉमिक ् स खरीद लेता था । और फिर मैं तट के दूसरे सिरे पर जा कर रईस बच ् चों को वो बेच देता था । ये मुझे प ् राकृतिक रूप से पता था - सस ् ता खरीदो, महँगा बेचो । और यहाँ माँग भी थी, और पैसा भी था । गरीब बच ् चों को बेचने की कोशिश मत करो; उनके पास पैसा नहीं है । रईसों के पास है - थोडा तुम ले लो । तो ये बहुत स ् वाभाविक है न । ये कुछ मंदी जैसा है - मंदी में क ् या है? अभी भी १३ बिलियन डॉलर अमरीकी बाज़ारों में घूम रहे हैं । उसमें से कुछ अपने लिये ले लो । ये मैनें बचपन में ही सीख लिया था । मैनें ये भी सीख लिया था कि अपने स ् रोत के बारे में किसी को मत बताओ, क ् योंकि ये धँधा शुरु करने के चार हफ़ ् तों के भीतर ही मेरी पिटाई हो गयी क ् योंकि एक रईस बच ् चे को ये पता लग गया था कि मैं कॉमिक ् स कहाँ से खरीदता हूँ, और उसे ये बात अच ् छी नहीं लगी कि वो मुझे अतिरिक ् त पैसे दे रहा था । दस साल की उम ् र में मुझे जबरदस ् ती अखबार बेचना भेज दिया गया । मेरा बिलकुल भी मन नहीं था, पर दस साल की उम ् र में, मेरे पिता ने कहा, "" अखबार बेचना तुम ् हारा अगला धँधा होगा । "" न सिर ् फ़ मुझे एक इलाका दिया गया, बल ् कि मुझे दो और इलाके लेने पडे, और फ़िर उन ् होनें कहा कि मैं आधे अखबार बेचने के लिये किसी को नौकरी पर रखूँ, जो कि मैने किया, और तब मुझे पता लगा कि सारा पैसा तो असल में टिप ् स में था । तो मैं टिप ् स और भुगतान लेने जाता था । और सारे अखबारों के लिये खुद ही पैसा लेने जाने लगा । मेरा कर ् मचारी सिर ् फ़ अखबार बाँटने जाता था । क ् योंकि तब तक मुझे पता लग गया था कि मैं पैसे बना सकता था । अब तक मुझे ये बात साफ़ हो चुकी थी कि मैं किसी और के लिये काम नहीं करने वाला था । (हँसी) मेरे पिता की एक गाडी सम ् हालने और मशीन सम ् हालने की दुकान थी । और उसमें बहुत सारे पुर ् जे इधर-उधर पडे रहते थे । और उसमें पुराना पीतल और ताँबा भी पडा था । तो मैनें उनसे पूछा कि उसका क ् या होगा । और उन ् होनें बताया कि वो उसे फेंक देते थी । तो मैने कहा, "" मगर इसके तो पैसे मिल सकते है? "" तो उन ् होंने कहा, "" हाँ, शायद । "" ये याद रखिये कि मैं दस साल का - ३४ साल पहले की बात है और मुझे उस कबाड में एक मौका दिख रहा था । उस कबाड से पैसा बनाया जा सकता था । तो मैनें अपनी साइकिल पर और भी दुकानों से ये कबाड इकट ् ठा करना शुरु कर दिया । और शनिवाद को मेरे पिता मुझे ले कर जाते थे एक कबाडी के दुकान पर, जहाँ मुझे पैसे मिल जाते थे । मुझे ये बडा ही महान काम लगता था । और क ् या विडंबना है कि, तीस साल बाद आज हम 1-800-GOT-JUNK बना रहे हैं? और उस से पैसा भी बना रहे हैं । ११ साल की उम ् र में मैने पिन रखने के लिये तकिया बनाया, और उन ् हें अपनी माँ के लिये मदर-डे के लिये बनाया । और ये छोटे छोटे लकडी के टुकडों से बनता था — जब हम घर के बाहर कपडे सुखा रहे होते थे । और हम कुछ कुर ् सियाँ बनाते थी । और छोटे तकिये जो मैं सिलता था । और आप उस में अपनी पिनों को खोंस सकते थे । क ् योंकि लोग सिलाई किया करते थे, और उन ् हें ऐसे तकियों की ज़रूरत थी । पर मुझे लगा कि आपके पास विकल ् प होने चाहिये । तो मैने उनमें से कुछ को भूर पेंट कर दिय । और जब मैं किसी के दरवाजे जाता था, तो ये नहीं कहता था, "" क ् या आपको चाहिये? "" मैं कहता था, "" आपको कौन से रँग का चाहिये? "" देखिये आप दस साल के बच ् चे को मना नहीं कर सकते हैं, खासकर, जब वो आपसे पूछता हो कि भूर वाल दूँ या सफ़ेद । तो पाठ भी मैने बचपन में ही सीख लिया था । और मैनें ये भी सीखा कि मजदूरी बहुत ही खराब काम है । जैसे कि लॉन की घास काटना घनघोर यातना है । पर क ् योंकि मुझे गर ् मियों में अपने सारे पडोसियों के लिये घास काटनी होती थी, और उसके लिये पैसे मिलते थे । मुझे लगा कि बार-बार आने वाली आमदनी एक ही ग ् राहक से, बहुत मज़ेदार होती है । तो मैनें सोचा कि अगर मैं किसी ग ् राहक की एक बार मदद कर दूँ, और हर हफ़ ् ते के लिये मुझे उससे पैसे मिले, तो ये बहुत बेहतर होगा बजाय पिनों के तकिये को एक व ् यक ् ति को बेचने के । क ् योंकि वो बार बार नहीं बिक सकता है । तो मुझे ये बार-बार आमदनी वाली बात ही बचपन में ही सीखने को मिल गयी । देखिये, मुझे इन सब चीजों के लिये तैयार किया जा रहा था । मुझे कहीं भी नौकरी करना मना था । मैं लोगों के गोल ् फ़-किट को ढोता था । मगर मुझे पता लगा कि गोल ् फ़-कोर ् स पर एक टीला है, तेरहवें छेद के पास, एक बडा टीला था । और लोग कभी भी अपना बैग खुद वहाँ ढोना नहीं चाहते थे । तो मैं वहीं एक कुर ् सी डाल कर बैठ जाता था और सिर ् फ़ उन लोगों का सामान ढोता था जिनके पास ढोने के लिये और कोई नहीं था । और मैं उनकी किटों को उस टीले के ऊपर तक ले जाता था, और एक डॉलर की कमाई करता था । जबकि मेरे दोस ् त पाँच घण ् टों तक काम करके किसी का सामान ढोते थे, और पाँच डॉलर कमाते थे । और मैं कहता था, "" ये मूर ् खता है क ् योंकि तुमने पाँच घण ् टे काम किया है । "" मुझे इसका कोई मतलब नहीं समझ आता था । "" आपको पैसा बनाने की तेज तरकीब ढूँढनी चाहिये । "" हर हफ़ ् ते मैं कोने की दुकान से कुछ सामान लेता था । और फ़िर ७० साल के लगभग उम ् र की ब ् रिज खेलने में मशगूल महिलाओं के पास जा कर बेच देता था । और वो मुझे अगले हफ़ ् ते का आर ् डर दे देती थीं । और मैं सिर ् फ़ सामन पहुँचाता और दोगुना पैसा बटोरता था । और मैने इस बाज़ार पर कब ् जा जमा लिया था । इसमें किसी लिखा-पढी की ज़रूरत नहीं होती है । बस कहीं माँग होनी चाहिये, और कहीं से आपूर ् ति होनी चाहिये और कुछ लोग जो आपकी बात सुनने को तैयार हों । ये औरतें कभी किसी और से सामान नहीं लेती थीं क ् योंकि मैं उन ् हें पसंद था, और मुझे ये पता था । मैं गोल ् फ़-कोर ् स से गोल ् फ़-बॉल ले आता था । हर कोई झाडियों में बॉल ढूँढ रहा होता था और गड ् ढों में । और मैं कहता था कि ये क ् या बकवास है । सारी बॉलें तो तालाब में हैं और कोई भी तालाब में जाने को तैयार नहीं था । तो मैं तालाब में घुस कर, इधर-उधर रेंग कर, अपने पैर से उन ् हें उठाता था । उन ् हें दोनो पैरों से उठाना पडता है । स ् टेज पर नहीं किया जा सकता । और आप ये बॉल ले कर, बस उन ् हें अपने बाथिंग-सूट के कच ् छे में डाल लेते थे और जब आप काम खत ् म करते थी, आपके पास कुछ सौ बॉलें होती थीं । मगर दिक ् कत ये थी कि लोगों को पुराने बॉल नहीं चाहिये थे । तो मैनें उन ् हें पकैट-बंद करना शुरु किया । और मैं १२ साल का था । उन ् हें मैंने तीन तरह के पैकेजों में बाँटा । मेरे पास पिनैकल ् स और डी.डी.एच ब ् रांड की बॉलें थी, और वो बहुत मशहूर थीं । हर बॉल दो डॉलर की बिकती थी । तो मैं उन सारी बॉलों को एक साथ रखता था जो गन ् दी नहीं दिखती थीं, और ५० सेन ् ट की बेचता था । और मैं खराब बॉलों को पचास के पैकेट में बेचता था । और उन ् हें लोग प ् रैक ् टिस के लिये इस ् तेमाल कर सकते थे । स ् कूल में मैनें धूप के चश ् में भी बेचे हैं, उन सारे बच ् चों को जो कि हाई-स ् कूल में थे । और इस तरह की चीजों की वजह से लोग आपसे घृणा करने लगते है, क ् योंकि आप हमेशा दोस ् तों से पैसा निकलवाने के चक ् कर में रहते हो । लेकिन इस से पैसा बनता है । और मैनें बहुत ही सारे धूप के चश ् में बेचे । और जब मेरे स ् कूल ने मुझे ये करने से मना कर दिया — असल में एक दिन मुझे ऑफ़िस में बुला कर कहा गया कि मुझे ये करना बंद होगा — तो मैं पैट ् रोल-पंप गया और उन पंप वालों को कई कई चश ् में बेचने लगा और फ़िर वो लोग अपने ग ् राहको को बेच देते थे । और ये भी मस ् त था क ् योको अब मेरे पास रिटेल दुकानें थीं । उस समय शायद मैं चौदह साल का रहा हूँगा । मैने अपनी कार ् ल ् टन यूनिवर ् सिटी की पहले साल की पूरी फ़ीस खुद ही भरी, वाइन का कवर बेच बेच कर । देखिये उसमें करीब ४० ओज़. की रम की बोतल आ जाती है और साथ में कोक की दो बोतलें? तो बढिया है न? और होता क ् या था? लोग उसे अपने क ् च ् छों मे छुपा लेते थे, और जब आप फ़ुट ् बाल का मैच देखने जाते, आप फ़ ् री में शराब अंदर ले जा सकते थे, और हर कोई उसे खरीदता था । माँग, आपूर ् ति, मौका । मैनें उसकी ब ् रांडिग भी की, और फ़िर उसे उसकी कीमत से पाँच गुना पर बेचा । उस पर मैनें अपनी यूनिवर ् सिटी का चिन ् ह बना दिया था । देखिए, हम अपने बच ् चों को पढाते है, और उनके लिये खेल खरीदते हैं, पर अगर वो उद ् यमी बच ् चे हैं, तो हम ऐसे खेल क ् यों नहीं खरीदते, जिससे कि उनकी उद ् यमिता आगे बढे? उन ् हें आप पैसा नहीं बरबाद करना क ् यों नहीं सिखाते? मुझे याद है कि मुझे पैदल चलने के लिये छोड दिया गया था बान ् फ़, अल ् बर ् टा में क ् योंकि मैने एक सिक ् का ज़मीन पर फेंक दिया था, और मेरे पिता ने कहा, "" जा कर उसे उठाओ । "" उन ् होंने कहा, "" मैं पैसे कमाने के लिये बहुत मेहनत करता हूँ । मैं तुम ् हें कभी भी एक पैसा भी बरबाद नहीं करने दूँगा । "" और मुझे उनका वो पाठ आज तक याद है । बँधा हुआ, घर से मिलने वाला पैसा बच ् चों को खराब आदतें सिखाता है । पॉकिट-मनी, स ् वाभाविक रूप से, बच ् चों को नौकरी-पेशा होना सिखाती है । एक उद ् यमी कभी भी तनख ् वाह की अपेक ् षा नहीं रखता है । और बचपन में मिलने वाला बँधा-बँधाया पैसा तनख ् वाह की आदत डालता है । ये गलत है, मेरे हिसाब से, अगर आप उद ् यमियों को पैदा करना चाहते हैं । मैं अपने बच ् चों के साथ क ् या करता हूँ — मेरे दो बच ् चे है, सात और नौ साल के — कि मैं उन ् हे ले कर घर भर में घूमता हूँ, ऐसी चीजें ढूँढने के लिये, जिन ् हे किया जाना है । वो आ कर मुझे बताते है कि क ् या करना है । या फ़िर मैं जा कर उन ् हें बताता हूँ, "" देखो, ये करने की ज़ ् रूरत है । "" और फ़िर हम क ् या करते है? हम सौदा तय करते हैं । वो काम ढूँढ कर लाते हैं । और हम मोल-भाव करके ये तय करते हैं कि कितना पैसा दिया जाएगा । लेकिन उन ् हें कोई भी बँधी-बँधायी पॉकिट-मनी नहीं मिलती, मगर उन ् हें मौका मिलता है और ज ् यादा काम ढूँढने का, और वो मोल-भाव करना भी सीखते हैं, और मौके ढूँढना भी । ऐसी चीजें सिखानी पडती हैं । मेरे हर बच ् चे के पास एक गुल ् लक है । उनकी कमाई का आधा हिस ् सा घर के खर ् च में जाता है, और आधा उनके खिलौनों के खाते में । और जो भी उनके खिलौनों के घाते में जाता है, उसे वो चाहे जैसे खर ् च कर सकते हैं । और जो आधा भाग घर-खर ् च में जाता है, हर छः महीने पर, उसे बैंक में जमा करते हैं । वो मेरे साथ चल कर जाते हैं । हर साल जितना पैसा इकट ् ठा होता है, वो उनके ब ् रोकर के पास जाताहै । जी हाँ, मेरे दोनो बच ् चों के पास अपने स ् टॉक-ब ् रोकर भी हैं । पर मैं उन ् हें पैसा बचाने की आदत जबरदस ् ती डाल रहा हूँ । मुझे ये बात अजीब लगती है कि ३० साल उम ् र के लोग कहते हैं, "हाँ, शायद अब मैं रिटायरमेंट के लिये पैसा जोडना शुरु करूँ ।" तुम पहले ही २५ साल बरबाद कर चुके हो । आप इन आदतों को बच ् चों को सिखा सकते है क ् योंकि उन ् हें इस से कुछ खास फ़र ् क नहीं पडता है । उन ् हें हर रात को कहानी मत सुनाइये । हफ़ ् ते में चार दिन उन ् हें सोते समय कहानी सुनाइये और बाकी तीन रात, उनसे कहानियाँ सुनिये । अपने बच ् चों के साथ बैठ जायिये, और उन ् हें चार चीजें दीजिये, एक लाल कमीज़, एक नीली टाई, एक कँगारू, और एक लैपटॉप, और उन ् हें इन चारो के बारे में एक कहानी सुनाने के लिये कहिये । मेरे बच ् चे खूब ऐसा करते हैं । इससे उन ् हें अपनी योजनाओं को बेचना आयेगा; वो और रचनात ् मक बनेंगे; उन ् हें इस से अपने पाँवों पर खडा होना आयेगा । इस तरह का कुछ कर के देखिये, और उसका आनंद लीजिये । बच ् चों को लोगों के समूहों के सामने खडा कर दीजिये, और उन ् हें बोलने को कहिये, भले ही वो अपने परिवारजनों के सामने ही क ् यों न हो और छोटे-छोटे नाटक, और भाषण देने के लिये कहिये । ये उद ् यमी के लिये आवश ् यक ऐसे कुछ गुण हैं जो कि आप चाहेंगे कि आपके बच ् चे सीखें । बच ् चों को बताइये कि खराब ग ् राहक, और खराब कर ् मचारी कैसे होते हैं । उन ् हें घटिया कर ् मचारियों को दिखाइए । जब आप घटिया ग ् राहक-सेवा देखें, तो उसे खुल कर बच ् चों को समझाइये । कहिये, "" "" देखो, ये घटिया कर ् मचारी है । "" और कहिये, "" देखो, ये वाल बढिया कर ् मचारी है । "" (हँसी) अगर आप एक रेस ् टोरेंट में जाते है, और आपको घटिया सेवा मिलती है, तो बच ् चो को दिखाइये कि घटिया सेवा कैसी लगती है । (हँसी) हमारे सामने ये सब पाठ पडे हैं, मगर हम कभी इन मौकों का इस ् तेमाल नहीं करते है; हम बच ् चों की ट ् यूशन लगवा देते हैं । सोचिये यदि आप बच ् चों का सारा फालतू सामान और सारे खिलौने जो कि वो इस ् तेमाल नहीं करते है, ले और कहें, "" चलो इन ् हें क ् रेगलिस ् ट और किजिजि पर बेच देते हैं? "" और बच ् चे सच में इन ् हें बेचें और सीखें कि कैसे तमाम ईमेलों में असल खरीदने वालों को कैसे ढूँढा जाये । ये ईमेल आपके अकाउंट में आ सकती है, या कुछ और इंतज़ाम हो सकता है । मगर उन ् हें कीमत लगाना, कीमत का अंदाज़ा लगाना, और फोटो निकालना वगैरह सीखने का मौका मिलेगा । उन ् हें सिखाइये कि कैसे इस तरह से पैसे बनाये जा सकते हैं । फ़िर जो पैसा उन ् होने कमाया, उसमें से आधा घर के खाते में, और आधा उनके खिलौनों के खाते में । मेरे बच ् चों के ये बहुत पसंद है । कुछ उद ् यमिता के लक ् षण जो कि आप बच ् चों को सिखा सकते है: दक ् षता, लगन, नेतृत ् व, आत ् म-चिंतन, सहकार ् यता, नैतिक मूल ् य । ये सारे लक ् षण आपको बच ् चों में मिलेंगे, और आप उन ् हें विकसित कर सकते है । इस तरह की बातों पर ध ् यान दीजिये । और दो ऐसे लक ् षण हैं जिन पर मैं चाहता हूँ कि आप गौर करें कि उन ् हें आप भुलवा न दें । पहले तो उन ् हें ध ् यान नहीं लगा पाने के लिये (अटेन ् शन डेफ़िसिट डिसार ् डर के लिये) दवाइयाँ मत खिलाइये जब तक कि बहुत ही खराब स ् थिति न हो । (तालियों सहित अभिवादन) और यही बात धुनीपर, और तनाव, और उदासी पर भी लागू होती है, जब तक कि स ् थिति बिल ् कुल ही खराब न हो । बाईपोलर डिसार ् डर को सी.ई.ओ. बीमारी के नाम से भी जाना जता है । स ् टीव जर ् वेटसन और जिम क ् लार ् क और जिम बार ् क ् स ् डेल तीनों को ये है, और उन ् होंने नेट-स ् केप बनाया था । सोचिये, अगर उन ् हें बचपन से ही रीटालीन की खुराक दी जाने लगती । ये सब कुछ नहीं होता हमारे पार, है न? अल गोर को इंटरनेट खुद ही बनाना पडता । (हँसी) ये ऐसी योग ् यताएँ हैं जिन ् हें हमें क ् लास-रूम में पढाना चाहिये जैसे कि हम बाकी सब कुछ पढाते हैं । मैं ये बिलकुल नहीं कह रहा हूँ कि उन ् हें वकील बनने से रोक दीजिये । मगर सिर ् फ़ इतना चाहता हूँ कि उद ् यमिता को भी उसी महत ् व से देख जाये जैसे कि हम बाकी सारे उत ् तम पेशों को देखते हैं । क ् योंकि उद ् यमिता में बहुत बहुत ताकत है । अंत में, मैं एक छोटा सा विडियो दिखाना चाहता हूँ । ये विडियो एक ऐसी कंपनी ने बनाया जिन ् हें मैं सलाह देता हूँ । इन ् हें ग ् रास-होपर कहते हैं । ये बच ् चों के बारे में है । ये उद ् यमिता के बारे में है । आशा है कि इस से आप जो कुछ आपने सुना, उस पर ध ् यान देने के लिये प ् रोत ् साहित होंगे और इस दुनिया को बेहतर बनाने के लिये कुछ करेंगे । [बच ् चा... "" और तुम ् हें लगता था कि तुम जो चाहे कर सकते थे ""?] [तुम आज भी कर सकते हो ।] [क ् योंकि ऐसा बहुत कुछ जो हमें असंभव लगता है...] [वास ् तव में बहुत ही आसानी से किया जा सकता है] [क ् योंकि हम ऐसी जगह रहते हैं जहाँ] [कोई एक अकेला व ् यक ् ति भी बहुत कुछ बदल सकता है] [इसका सबूत चाहिये?] [ज़रा उन लोगों के बारे में सोचो जिन ् होने हमारा देश बनाया;] [हमारे माता-पिता, अंकल-आंटी, दादा-दादी...] [वो सब प ् रवासी थे, नये लोग जिन ् हें अपने लिये एक जगह बनानी थी] [वो अपने साथ बहुत थोडा कुछ ले कर आये थे] [या शायद कुछ भी नहीं सिवाय] [कुछ अच ् छी योजनाओं के] [ये लोग विचारक थे, कर ् मयोगी थे,,,] [... नया सोचने वाले लोग थे...] [जब तक कि उनके लिये एक नाम नहीं सोचा गया...] [... उद ् यमी.. इंटर-प ् रिन ् योर!] [उन ् होंने संभव की परिभाषा ही बदल डाली ।] [उन ् हें साफ़ दिखता था कि कैसे वो जीवन को बेहतर बना सकते हैं] [सबके लिये, तब भी जब कि कठिन समय चल रहा हो ।] [आज, ये समझना मुश ् किल है..] [... जबकि हमारे सामने तमाम कठिनाइयाँ हैं ।] [लेकिन कठिनाइयों से ही मौके निकलते हैं] [सफ़लताओं के, उप ् लब ् धियों के, और कठिनाई ही हमें मजबूर करती है...] [नये रास ् ते खोजने के लिये] [तो आप क ् या करेंगे और क ् यों?] [यदि आप खुद को उद ् यमी मानते हैं] [आप जानते हैं कि सिर ् फ़ खतरा मोल लेना ही पुरस ् कार नहीं है ।] [लेकिन पुरस ् कार ही नवीनता को आगे बढा रहे हैं...] [... लोगों का जीवन बदल रहे हैं । रोजगार के अवसर बना रहे हैं ।] [तरक ् की का ईंधन बन रहे हैं ।] [और दुनिया को बेहतर बना रहे है ।] [हमारे चारों तरफ़ उद ् यमी हैं ।] [वो छोटेछोटे व ् यवसाय करके हमारी अर ् थ-व ् यवस ् था को सहारा दे रहे हैं,] [आपकी मदद के लिये नये औजार बना रहे हैं] [.. आपको परिवार, दोस ् तों से दुनिया के आर-पार जोड रहे हैं] [और समाज की पुरानी और कठिन समस ् याओं के नये इलाज ढूँढ रहे हैं ।] [क ् या आप किसी उद ् यमी को जानते हैं?] [कोई भी उद ् यमी हो सकते हैं...] [आप भी!] [इसलिये मौके को इस ् तेमाल कर के रोजगार पैदा कीजिये, जो आपने हमेशा से सोचा था] [अर ् थ-व ् यवस ् था को सुधारने में मदद कीजिये] [बदलाव लाने का ज़रिया बनिये ।] [अपने व ् यवसाय को नयी ऊँचाइयों तक पहुँचाइये ।] [मगर सबसे ज़रूरी,] [याद कीजिये जब आप छोटे थे...] [और जब सब कुछ अपनी पहुँच के भीतर जान पडता था,] [और फ़िर खुद से चुपचाप कहिये, मगर ठोस भरोसे के साथ:] ["" आज भी सब मेरी पहुँच के भीतर है । ""] मुझे यहाँ बुलाने के लिये आपका बहुत बहुत धन ् यवाद मैं आज आपसे दो चीजों के बारे में बात करना चाहता हूँ: पहली, उपलब ् ध रहने की संस ् कृति में वृध ् दि; और दूसरी, एक अनुरोध | तो हम देख रहे हैं इस उपलब ् धता में वृध ् दि मोबाईल साधनों के फैलाव से बढ़ रही हैं, विश ् व में, सभी सामाजिक स ् तर पर | हम, मोबाईल साधनों के फैलाव के साथ, हमारे उपलब ् ध होने की आशा भी देख रहे हैं | और, उसके साथ, तीसरी बात आती हैं, जो कि कर ् तव ् य हैं — और उपलब ् ध होने का कर ् तव ् य | और समस ् या है, हम अभी भी सामाजिक दृष ् टिकोण से काम कर रहे हैं, कि कैसे हम लोगो को उपलब ् ध होने दे | यहाँ एक महत ् वपूर ् ण अंतर हैं, वास ् तव में, हम जो स ् वीकार करने के लिए तैयार हैं उसमे | हेन ् स रोस ् लिंग से क ् षमा चाहता हूँ — उन ् होंने कहा है कि जो भी वास ् तविक आकड़े उपयोग नहीं करता वो झूट हैं — लेकिन बड़ा अंतर यह है कि हम इससे सार ् वजानिक दृष ् टिकोण से कैसे निपटते हैं | तो हमने इस अंतर को कम करने के लिए कुछ युक ् तियाँ और नीतियाँ विकसित की हैं | पहले का नाम है "" द लीन (the lean). "" और अगर आप किसी ऐसी मीटिंग में रहे हैं जिसमे आप एक तरह का खेल रहे हैं, वहाँ पर बैठे हुए, किसी व ् यक ् ति की तरफ देखते हुए, और उनके कहीं और देखने का इंतेज़ार कर रहे हैं और फिर जल ् दी से मोबाईल चेक करते हैं | हालाँकि आप देख सकते हैं कि दाहिने ओर से कोई और इसे देख रहा हैं | "द स ् ट ् रेच (The stretch)" ठीक हैं, बाये तरफ के श ् रीमान कहते हैं "" भाड़ में जाओ, मैं अपना मोबाईल देखूंगा "" लेकिन यहाँ दाहिने ओर के व ् यक ् ति, वो स ् ट ् रेच कर रहे हैं | यह पसारना हैं, शारीरिक विकृति अपने मोबाईल को टेबल से थोड़ी निचे रखने की | या मेरा पसंदीदा "" लव यु; मीन इट (Love you; mean it) "" (हँसी) कुछ भी नहीं कहता "" मुझे तुमसे प ् रेम है "" जैसे "" मुझे किसी और को खोजने दो मुझे इसकी परवाह नहीं हैं "" या, यह वाला, भारत से हमारे पास आ रहा हैं | आप इसे युटुब में खोज सकते हैं. यह श ् रीमान जो मोटरसायकल पर लेटे हुए हैं मेसेज भेजते समय | या हम कहते हैं "" मुझे रोकिये इससे पहले कि मैं फिर से मारू "" यह वास ् तव में मोबाईल हैं | यह यहाँ जो कर रहा हैं, हम पाते हैं — (हँसी) एक सीधी टक ् कर — हम एक सीधी टक ् कर पाते हैं उपलब ् धता और उपलब ् ध होने से क ् या संभव हैं उसके बीच — और मुलभुत मानवीय जरुरत — जिसके बारे में बहुत सुन रहे हैं, वास ् तव में — सांझे विवरण बनाने की जरुरत की | हम व ् यक ् तिगत विवरणों को बनाने में बहुत अच ् छे हैं, लेकिन सांझे विवरण हमारी संस ् कृति बनाते हैं | और जब आप किसी के साथ खड़े हैं, और आप अपना मोबाईल देख रहे हैं, वास ् तव में आप उनसे कह रहे हैं, "" आप उससे ज ् यादा महत ् वपूर ् ण नहीं हैं, सचमुच में, जो कुछ भी इस मोबाईल के द ् वारा मुझ तक आ सकता हैं "" अपने आसपास देखिये | कोई वहाँ हो सकता हैं, बहु-आयामी अनुबंध में भाग लेता हुआ | (हँसी) हमारी वास ् तविकता इस समय कम रोचक है उससे जो हम बाद में बताने वाले हैं | यह वाला मुझे पसंद हैं | यह बेचारा बच ् चा, एक साधन — मुझे गलत मत समझिए, एक इच ् छुक साधन — लेकिन चुबंन जो बताया गया हैं लगता है बुरा था | यह एक हाँथ से ताली बजाने की आवाज़ है | तो, जैसे हम अपनी पहचान का संदर ् भ खोते हैं, यह अत ् यधिक महत ् वपूर ् ण हो जाता है कि जो आप साँझा करते हैं वह सांझे विवरण का संदर ् भ बन जाता है, वो संदर ् भ बन जाता है जिसमे हम जीते हैं | कहानियाँ जो हम बताते हैं — जो बाहर निकालते हैं — जो हम हैं ये वहीँ बन जाते हैं | लोग केवल पहचान बता ही नहीं रहे हैं, वे इसे बना रहे हैं | और यहीं वो अनुरोध है जो आज यहाँ आप सभी से हैं हम तकनीक बना रहे है जो कि एक नया साझा अनुभव बनाएगी, जो एक नयी दुनिया बनाएगी | तो मेरा अनुरोध है, कृप ् या, चलिए ऐसी तकनीक बनाये जो लोगो को ज ् यादा मानवीय बनाये, और कम नहीं | धन ् यवाद | अर ् थशास ् त ् र मे नोबेल पुरष ् कार विजेता पाल क ् रुग ् मान ने एक बार लिखा था कि "" उत ् पादकता ही सब कुछ नहीं होता, पर आगे जाकर, ओ ही लगभग सब कुछ होगा | "" इसलिये ये गंभीर है | धरती पर ऐसे बहुत चीज नहीं होते जो "" लगभग सब कुछ "" होते हैँ | उत ् पादकता एक समाज की समृद ् धि का प ् रधान हिस ् सा है | तो हमारा एक समस ् या है | सबसे बडा यूरोपियन अर ् थव ् यवस ् थाओं मे, उत ् पादकता हर साल पांच प ् रतिशत बढता था 50 'स, 60स', पूर ् व 70स 'मे 73 से 83 तक: तीन प ् रतिशत हर साल 83 से 95 तक: दो प ् रतिशत हर साल 1995से: 1प ् रतिशत से कम हर साल वोही प ् रोफाइल जपान मे, वोही प ् रोफाइल US मे, क ् षणिक पलटाव १५ साल पहले के बावजूद, और सब प ् रौद ् योगिकीय नवाचारोँ, हमारे आसपास: इंतरनेट, समाचार नई जानकारी और संचार प ् रौद ् योगिकियों के बावजूद जब उत ् पादकता तीन प ् रतिशत प ् रति वर ् ष बढ ् ता है | आप जीवन स ् तर हर पीढ ़ ी दोगुना कर दोगे हर पीढ ़ ी अपने मा बाप से दोगुना दौलतमंद होंगे | जब ओ एक प ् रतिशत प ् रति वर ् ष बढता है, जीवन स ् तर दोगुना करने के लिये तीन पीढ ़ ियों को लगेगा | और इस प ् रक ् रिया मे बहुत लोग उनके मा बाप से कम दौलत मंद होंगे उनके पास सब कुछ कम मात ् रा मे होगा: छोटे छतोंशायद कोई छतों, शिक ् षा के लिए कम पहुँच, विटमिंस के लिये, अंटिबिओटिक ् स के लिये, वाक ् सिंस के लिये — सब के लिये | सभी समस ् याओं के बारे मे सोचो जो इस समय हम सामना कर रहे हैं | सभी | संभावना है कि ओ उत ् पादकता संकट आधारित होंगे | ये संकट क ् योँ है? क ् योंकि बुनियादी सिद ् धांतों प ् रभावशीलता संगठनों मे, प ् रबंधन में — मानव प ् रयासों के लिये अनुत ् पादक बनगया | हर जगह सार ् वजनिक सेवाएँ, मे, कंपनियों मे, हमारे काम करने के तरीके में हमारी नये तरीकोँ में, निवेश बेहतर काम करने की सीख ् ते हैँ | पवित ् र दक ् षता की त ् रिमूर ् ति को लेलो: स ् पष ् टता, माप, जवाबदेही | ओ मानव प ् रयासों को पटरी से उततारते हैँ इसकी तरफ देख ् नने के लिये, साबित करने के लिये दो रास ् ते हैँ एक, जिसको मै ने चुना कठोर, सुरुचिपूर ् ण, अच ् छा — गणित पर पूरा गणित रूपांतर थोडा समय लेगा, तो अब और एक है | ये चौकी दौड ़ के ओर देखना है | ये हीं आज हम करने वाले है | ये थोड ़ ा ज ् यादा एनिमेटेड, अधिक दृश ् य और ज ् यादा तेजी भी है — ये हीं दौड ़ है. आशा है कि और तेज हो सकता | (हँसी) महिलाओं की फाइनल अंतिम विश ् व चैम ् पियनशिप | आठ टीम फाइनल में हैं | अमेरिकी टीम सबसे तेजी टीम हैं | उस टीम में प ् रुथ ् वी के सबसे तेज ़ दौड ् ने वाले महिलाएं है | ये टीम जीतने के लिए पसंदीदा टीम है | विशेष रूप से, उनको औसत टीम के साथ तुम तुलना करोगे जैसे कि फ ् रेंच टीम, (हँसी) १००-मीटर रेस मे उनके सबसे अच ् छा प ् रदर ् शन पर आधारित, अगर आप US रन ् नर ् स का व ् यक ् तिगत समय जोडोगे, ओ फ ् रेंच टीम से ३.२ मीटर ् स समापन रेखा पर आगे पहुंचेंगे और इस साल US टीम उचे स ् थान पर है | उनके इस साल की सबसे अच ् छा प ् रदर ् शन पर आधारित, ओ फ ् रेंच टीम से ६.४ मीटर ् स आगे पहुंचे डेटा पर आधारित हम रेस को देखने जारहे हैँ अंत की ओर एक समय पर आप देखेंगे कि टोर ् रि एड ् वर ् ड ् स, चौथा US रन ् नर, आगे है आश ् चर ् य की बात नही है — इस साल उसे १००-मीटर रेस मे स ् वर ् णपतक मिला और वैसे, क ् रिस ् टी गैनस, दूसरा रन ् नर US टीम मे, दुनिया की सबसे तेजी महिला है इस दुनिया पर 3.5 बिल ् लियन महिलायेँ हैँ सबसे दो तेजी महिलायेँ कहाँ हैँ? US टीम पर और दूसरे जो दो रन ् नर ् सUS टीम मे हैँ ओ भी बुरे नही हैँ (हँसी) तो प ् रतिभा के जंग मे स ् पष ् ट रूप से US टीम जीत गया | लेकिन पीछे, साधारण टीम फिनिश लाइन को पकड ़ ने की कोशिश कर रहे हैँ | हम दौड देखेंगे | (वीडियो: फ ् रेंच खेल कॉस ् टर ् स रेस का वर ् णन) (वीडियो: दौड का वर ् णन खतम) ईव ् ह मोहियू: तो क ् या हुआ? सबसे तेजी टीम नही जीते; धीमी लोग जीत गये वैसे मै आशा करता हू आप आश ् वादन किये फ ् रेंच को अच ् छा दिखाने के लिये गहरे ऐतिहासिक अनुसंधान जो मै ने किया | (हँसी) पर हम अतिशयोक ् ति नही करेंगे — और या तो ये पुरातत ् त ् व-शास ् त ् र, भी नही (हँसी) पर क ् योँ? उसका कारण है सहयोग जब तुम ए वाक ् य सुनोगे: "साथ देने के लिये शुक ् रिया, हिस ् से की राशि से पूरे अधिक मूल ् य की है |" ये कविता नही है; ये तत ् त ् वज ् ञान नही है ये गणित है | जो छढी ले जारहे थे ओ धीमे थे, पर उनके छढी तेजी थी | सहयोग का चमत ् कार: ए मानव प ् रयासों मे शक ् ती, बुद ् धी, दुगना कर देता है | ए मानव प ् रयासों का सारांश है: कैसे हम मिलके काम करते हैं, कैसे हर एक प ् रयास दूसरोँ के प ् रयासोँ को योगदान देता | सहयोग के साथ, हम कम से ज ् यादा कर सकते हैँ | अब, सहयोग का क ् या हुआ जब होली ग ् रैल — पवित ् र दक ् षता की त ् रिमूर ् ति, भी — स ् पष ् टता, माप, जवाबदेही — प ् रतीत होता है? स ् पष ् टता | प ् रबंधन की रिपोर ् ट स ् पष ् टता की कमी के बारे मे शिकायतों से भरे हुये हैँ | अनुपालन आडिटेँ, सलाहकार 'निदान | हम लोगोँ को और स ् पष ् टता चाहिये, भूमिकाओं को स ् पष ् ट करना चाहिये, प ् रक ् रियाओं मानो कि रन ् नर ् स ए कह रहे थे, "" हम स ् पष ् ट कर देते हैँ — कहा से मेरी भूमिका शुरू होती और खतम होती? मैं ए मानलू कि मुझे 95मीटर ् स, 96,97..... दौड ् ना है? "" ए बहुत जरूरी है, मै स ् पष ् ट करना चाहूंगा | अगर आप 97 मीटर ् स कहेंगे, 97मीटर ् स के बाद, लोग छ ् ढी को गिरा देंगे, यदि उसको पकडने के लिये कोई हो या ना हो जवाबदेही | हम जवाबदेही लगातार किसी के हाथ मे डालने की कोशिश कर रहे हैँ | इस प ् रक ् रिया के लिये उत ् तरदायी कौन है? हम को इस प ् रक ् रिया केलिये कोई उत ् तरदायी चाहिये | तो रिले रेस मे, छढी को आगे देना बहुत जरूरी है | हम को कोई ऐसा चाहिये जो छढी को आगे देने की उत ् तरदायत ् व लेसके | तो हर एक हरकारा की बीच मे अब हमारे पास होगा एक नया समर ् पित खिलाड ़ ी, स ् पष ् ट रूप से समर ् पित छ ् ढी एक हरकारे से लेकर, और आगे के हरकारे को देने के लिये | और हमारे पास कमसेकम दो खिलाडी ऐसे होंगे अच ् छा, हम, वैसी स ् थिति मे, क ् या रेस जीतेंगे? ओ पक ् का मै नही जानता, हमारे पास स ् पष ् ट इंटरफेस होगा, एकस ् पष ् ट रेखा जवाबदेही का | हम को पता है किसको दोष देना है | पर हम कभी रेस नही जीतेंगे | तुम अगर सोचते हो, हम अधिक ध ् यान सफल होने के परिस ् थितियों का निर ् माण करने के बजाय अगर हम हारगये तो किसको दोष देना है, पे देते | सब मानव बुद ् धि संगठन के डिजाइन मे रखें शहरी संरचनाओं, प ् रोसेसिंग सिस ् टम ् स — वास ् तविक लक ् ष ् य क ् या है? अगर कोई विफल होते तो उनको दोषी करने के लिए हम सँघठन का निर ् माण कर रहे हैँ कि वे विफल हो सके पर एक नाजुक तरीके से, किसी न किसी को उत ् तरदायत ् व लेने के लिये जब हम विफल होंगे | और हम काफी प ् रभावी हैँ — विफल पर नापाई | जो मापा जाता है मापा जाता है | देखो, छ ् डी को आगे देना हो तो, उसको तुम सही समय पर, सही हाथ मे, सही गती से देना जरूरी है पर ए करने के | लिये, तुम को तुम ् हारे हाथ मे शक ् ति डालना होगा | ए जो शक ् ती तुम ् हारे हाथ मे है ओ तुम ् हारे पैर मे नही होगा | ओ तुम ् हे तुम ् हारी नापने योग ् य गती के कीमत पर मिलेगा | तुम को अगले धावक पर काफी पहले चिल ् लाना पडेगा जब तुम छ ् डी आगे दोगे, तुम इशारा करोगे कि तुम पहुंच रहे हो, ताकी अगला धावक तैयार कर सके, विचार कर सके | और तुम ् हे जोर से चिल ् लाना पडेगा | पर जो खून, शक ् ती तुम ् हारे गले मे है तुम ् हारे पैरोँ मे नही होगा | क ् योँ कि तुम जानते हो, आठ लोग एक समय चिल ् लाते रहते हैँ | तो तुमको तुम ् हारे साथी का आवाज पहचानना होगा | तुम नही कह सकते "" क ् या ओ तुम हो? "" बहुत देर! (हँसी) अब, हम धीमी गति मे रेस को देखेंगे, और तीसरी धावक पर ध ् यान देते हैँ ओ कहा पर अपनी प ् रयास, अपनी शक ् ती, अपनी ध ् यान का, विनियोजिन करती है | पूरी अपने पैरोँ पर नही — ओ उसकी गती के लिये अच ् छा होता — पर उसकी गले मे, हाथ, आंख, दिमाग ओ किसके पैरोँ मे फर ् क लाता है? आगे की धावक की पैरोँ मे पर जब दूसरा धावक बहुत तेज दौडेगा, ओ इसलिये कि उसने बढिया प ् रयास किया, या तीसरा धावक छ ् ढी आगे देने की तरीके की वजह से? दुनिया मे कोइ ऐसा मेट ् रिक नही है जो इसका जवाब हमे दे सकता | और अगर हम लोगोँ को इनाम उनके औसती प ् रदर ् शन के आधार पर देंगे, ओ अपने शक ् ती, अपने ध ् यान, अपने खून नापने लायक चीज मे लगा देंगे — उनके पैरोँ मे | और छ ् ढी गिर जायेगा और धीमी हो जायेगा | सहयोग देना कोई बढिया प ् रयास नही है, तुम अपनी प ् रयास कहाँ विनियोजन करते हो ओ है | यह जोखिम लेने के लिए है, क ् योँ कि तुम निष ् पक ् ष दर ् जे से दिये गये व ् यक ् तिगत निष ् पादन का परम संरक ् षण त ् याग ने वाले हो | दूसरोँ के प ् रदश ् रन मे अधिक अन ् तर लाने के लिये, जिस के साथ हमारी तुलना किया गया हो | सहयोग करने के लिए बेवकूफ होना पढता है, और लोग बेवकूफ नही हैँ; ओ सहयोग नही करते | तुम जानते हो स ् पष ् टता, माप, जवाबदेही — ठीक थे | जब दुनिया सरल था | पर व ् यापार बहुत ज ् यादा जटिल होगया | मेरी टीमों के साथ, हम मापा है जटिलता का विकास व ् यापार | ग ् राहकों को आकर ् षित करने और बनाए रखने के आज अधिक की मांग है, वैश ् विक स ् तर पर लाभ का निर ् माण करने की, मूल ् य बनाने के लिए | और जैसे व ् यापार अधिक जटिल हो जाता है, स ् पष ् टता, माप, जवाबदेही — के नाम पर हम संरचनाओं, प ् रक ् रियाओं, सिस ् टम ् स दुगना कर देंगे | तुम जानते हो स ् पष ् टता और जवाबदेही के लिए ड ् राइव चलाता है इंटरफेस, बीच कार ् यालयों का उल ् टा गुणन, समन ् वयकों सिर ् फ लोगों और संसाधन को जुटाने ही नही पर बाधाओं को जोड ़ ते भी हैँ | और जितना ज ् यादा जटिल सँगठन होगी, उतना ही मुश ् किल होगा ये समझने मे कि वहाँ सच मे क ् या हो रहाहै | तो हमे चाहिये सारांश, प ् रतिपत ् र, रिपोर ् ट मुख ् य निष ् पादन संकेतक, मैट ् रिक ् स लोग वहाँ अपना शक ् ती लगा लेंगे जहा शक ् ती मापा जा सके, सहयोग की कीमत पर | प ् रदर ् शन कमजोर होती जाती है, और भी अधिक संरचना, प ् रक ् रिया, सिस ् टम जोडेंगे | लोग अपना वक ् त बैठकोँ मे बिताते हैँ, रिपोर ् ट ् स लिख ् ते हुये जो करना है, पूर ् ववत करें, फिर से करना है हमारे विश ् लेषण के आधार पर, इन संगठनों में टीमों अपने समय मे ४० से ८० प ् रतिशत समय कडी से कडी, ज ् यादा से ज ् यादा मेहनत करते हुये, कम से कम मूल ् य जोड ़ ने गतिविधियों पर अपना समय बर ् बाद करते हैँ | ये ही है जो उत ् पादकता को खत ् म कर रहे है, जो लोगोँ को काम पर पीड ़ ित करते है हमारे संगठन मानव बुद ् धि को बर ् बाद कर रहे हैँ ओ मानव प ् रयासोंके विरुद ् ध हो गये | जब लोग सहयोग नही देते, उनकी मानसिक स ् थिती को, बुद ् धि को, व ् यक ् तित ् व को, दोष मत दो कार ् य स ् थितियों के ओर देखो सहयोग करना या नहीं करना उनके निजी हित में होगा, अगर, जब ओ सहयोग क ् रेंगे, ओ व ् यक ् तिगत रूप से भी बदतर होंगे? ओ सहयोग क ् योँ करेंगे? जब हम व ् यक ् तित ् व को दोष देंगे स ् पष ् टता, जवाबदेही, माप के सिवा प ् रभाव-शून ् ‍ यता को अन ् याय जोडते हैँ | हम को संगठनों को निर ् माण करना चाहिये जिस मे सहयोग करना लोगोँ को व ् यक ् तिगत रूप से उपयोगी हो जाता है इंटरफेस, मध ् य कार ् यालयों — जैसे सभी जटिल समन ् वय संरचनाओं को हटाओ स ् पष ् टता के लिए मत देखो; धुंधलेपन केलिये जाओ | धुंधलेपन अतिव ् यापनों प ् रदर ् शन को निर ् धारित करने के लिये ज ् यादातर मात ् रात ् मक मेट ् रिक ् स को हटाओ "" क ् या "" को तेज करो सहयोग की तरफ देखो "" कैसे "" | तुमने छ ् ढी को कैसे आगे किया? तुमने उसको फेखा?, या प ् रभावी ढँग से पारित किया? क ् या मै अपनी शक ् ती जो मापा जा सके उसमे डाल रहा हू — मेरे पैर, मेरे गती — या छ ् ढी को पारित करने मे? आप, नेता के रूप मे, प ् रबंधक के रूप में, सहयोग करना लोगोँ को व ् यक ् तिगत रूप से उपयोगी हो ऐसे आप बना रहे हैँ? अपने सँस ् थाओँ का भविष ् य, अपने संस ् थाओँ, अपने समाज, इन सवालोँ का जवाब पर टिकते हैँ | धन ् यवाद | (तालियाँ) जब जीवन से रूबरू होते हैं हमें स ् वस ् थ और खुश कौन रखता हैं यदि आप अभी निवेश कर रहे हैं आपके सुनहरे कल के लिए तो आप अपनी शक ् ति और समय कहाँ लगायेंगे? लखपतियों का एक सर ् वे किया गया उनके जीवन के सबसे महत ् वपूर ् ण लक ् ष ् य क ् या थे, उनमे से 80% ने कहा था कि जीवन का सबसे बड़ा लक ् ष ् य था अमीर बनाना अन ् य 50% जो उसी युवा वयस ् कों में से थे दूसरा बड़ा जीवन का लक ् ष ् य था नाम कमाना, प ् रसिद ् धि पाना. हंसीं और हमे नियमित रूप से कहा गया कड़ी मेहनत करो, अधिक से अधिक प ् राप ् त करो हमें यह बताया गया कि यही वे चीजें जिनके पीछे हमें लगना हैं इससे ही हमें अच ् छा जीवन मिलेगा. पूरे जीवन की तस ् वीरें, जो रास ् ते लोगो ने चुने और उन रास ् तों पर उन ् हें क ् या मिला, वे तस ् वीरें मिल पाना लगभग असम ् भव हैं मानवीय जीवन के बारे में हम जानना चाहते हैं हम लोगो से उनके भूतकाल की यादों को पूछकर जानते हैं और जैसा कि हम जानते हैं यादे तो यादे हैं हमारे जीवन में जो होता हैं, उसका अधिकांश भाग हम भूल जाते हैं, और कभी-कभी हमारी याददाश ् त सीधे-सीधे रचनात ् मक होती पर कैसा हो यदि हम सम ् पूर ् ण जीवन को देख सके जैसे जैसे समय आगे बढ़ता हैं? कैसा हो यदि हम लोगो को पढ़ सकें तब से जब वे किशोर थे और फिर धीरे धीरे वृद ् ध होते गए यह देखने के लिये कि कौन सी वस ् तु लोगो को खुश व स ् वस ् थ रखती हैं? और हमने ऐसा किया वयस ् कों के विकास पर हावर ् ड का अध ् ययन "" वयस ् कों के जीवन पर "" किये गए अध ् ययनों में सबसे लम ् बे समय तक चला अध ् ययन हैं 75 साल तक, 724 लोगो के जीवन पर हमने नजर रखी साल दर साल, उनके काम के बारे में पूछकर, उनका घरेलु जीवन, उनका स ् वास ् थ ् य, पूरे रास ् ते में यह सब पूछा, बिना जाने कि उनके जीवन की कहानी क ् या बनेगी इस तरह के अध ् ययन विरले होते हैं इस प ् रकार की परियोजनाए लगभग सभी एक दशक में समाप ् त हो जाती हैं क ् योंकि अध ् ययन में बहुत से लोग छूट जाते हैं, या फिर वितीय साधन समाप ् त हो जाते हैं, या अनुसंधान में भटकाव आ जाता हैं, या फिर वे मर जाते हैं, और कोई आगे लेजाने वाला नहीं होता हैं परन ् तु कई सारे भाग ् यों के परिणामस ् वरूप व, अध ् ययनकर ् ताओं की पीढियों के सतत प ् रयासों, यह अध ् ययन सम ् पूर ् ण हो पाया हमारे 724 पुरूषों में से लगभग 60 अभी भी जीवित हैं, और अध ् ययन में अभी भी भागीदारी करते हैं, उनमे से अधिकांश 90 साल से अधिक उम ् र के हैं और अब हम अध ् ययन करने जा रहे हैं इन लोगों के 2000 से अधिक बच ् चों के साथ और इस अध ् ययन का मैं चौथा डायरेक ् टर हूँ 1938 से हमने, आदमियों के दो समूहों के जीवन को नजदीक से देखा अध ् ययन मे पहला समूह जुड़ा जब वे हावर ् ड कालेज में नये-नये आये थे उन सबने कालेज की पढाई दुसरे विश ् व युद ् ध के दोरान पूरी की और उनमे से अधिकांश ने युद ् ध में भाग लिया और दूसरा समूह जो हमने चुना था बोस ् टन के गरीब पडोसियों के लड़के, लड़के जिन ् हें अध ् ययन के लिए चुना गया विशेषकर क ् योंकि वे बहुत ही समस ् याग ् रस ् त और वंचित परिवारों जो कि 1930 के बोस ् टन से थे बहुत से झुग ् गियों में रहते थे और उनके पास गर ् म व ठण ् डे पानी की आपूर ् ति भी नहीं थी जब वे अध ् ययन में जुड़े, इन सभी किशोरों का साक ् षात ् कार हुआ उनके स ् वास ् थ ् य की जाँच की गई हम उनके घर गए, उनके पालकों का साक ् षात ् कार किया और फिर ये किशोर वयस ् क हो गए जीवन के अलग-अलग क ् षेत ् र मे गए वे वकील, डॉक ् टर, क ् लर ् क व मिल-मजदूर बने और एक तो अमेरिका का राष ् ट ् रपति भी कुछ शराबी हो गये तो कुछ को मानसिक बीमारियाँ हो गयी कुछ सामाजिकता की राह चले गये पिरामिड मे सबसे नीचे से लेकर एकदम ऊपर तक कुछ लोगों ने तो यात ् रा की दिशा ही बदल ली अध ् ययन की परिकल ् पना करनेवालों ने सपनों में भी नहीं सोचा होगा या कल ् पना की होगी कि 75 साल बाद में यहाँ खड़ा होऊँगा, व आपको बता रहा होऊँगा कि अध ् ययन अभी भी चल रहा हैं प ् रति दुसरे साल हमारे अनुसंधान टीम सदस ् य हमें फ़ोन करके पूछते हैं कि क ् या हम उनको भेज सकते हैं हमारे जीवन के बारे मे फिर एक और प ् रश ् नों का सेट बोस ् टन शहर के बहुत से भीतरी हिस ् सों के आदमी हमसे पूछते हैं, "आप मेरे बारे में क ् यों अध ् यनरत हो? मेरा जीवन इतना रोचक नहीं हैं" परन ् तु हावर ् ड के आदमी ऐसा नहीं पूछते (हंसी) इन जीवनों की स ् पष ् ट तस ् वीरें पाने के लिये, हम उनको केवल प ् रश ् नों का सेट नहीं भेजते हम उनके "" लिविंग-रूम "" में उनका साक ् षात ् कार करते हैं हम उनके डॉक ् टर ् स से उनका स ् वास ् थ ् य रिकॉर ् ड लेते हैं हम उनके खून का सैंपल लेते हैं व ब ् रेन का स ् कैन भी, हम उनके बच ् चों से बातें करते हैं हम उनकी अपनी पत ् नियों के साथ अपनी समस ् या पर बात करते हुए विडियो बनाते हैं और लगभग एक दशक पहले जब हमने उनकी पत ् नियों से पूछा क ् या वे इस अध ् ययन के सदस ् य बनाना चाहेंगे, उनमे से कई महिलाओं ने कहा कि "" यह समय के बारे मे हैं "" (हंसीं) तो हमने क ् या सीखा? कई हजारों पन ् नो के अध ् ययन से हमे क ् या सीखने को मिल रहा हैं हमने जो सूचनाये इकठ ् ठा की हैं इन जीवनों से? तो, यह सीख धन, नाम, या कड़ी से कड़ी मेहनत के बारे में नहीं हैं 75 साल के इस अध ् ययन का स ् पस ् ट: सुझाव हैं कि "" अच ् छे सम ् बन ् ध ही हमें ख़ुश और स ् वस ् थ बनाते हैं "" हमें संबंधों के विषय में तीन सीख मिली हैं पहली हैं कि सामाजिक संबंध हमारे लिए वास ् तव में अच ् छे हैं, और यह कि अकेलापन मार-डालता हैं और यह पता चलता हैं कि जो लोग सामाजिक रूप से अधिक जुड़े हैं परिवार के, दोस ् तों के और समाज के साथ वे अधिक खुश हैं, वे अधिक स ् वस ् थ हैं, और वे अधिक लम ् बे समय तक जीते हैं उन लोगो के बजाय, जिनके संबंध कम हैं और अकेलेपन का अनुभव, जहर का काम करता हैं जो लोग अन ् य लोगो से कट कर रहते हैं देखते हैं कि वे कम प ् रसन ् न हैं, अधेड़ उम ् र मे ही उनका स ् वास ् थ ् य जल ् दी ही कमजोर हो जाता हैं उनका दिमाग भी धीरे-धीरे कम करने लगता हैं वे, उन लोगो के मुकाबले कम समय तक जीते हैं जो अकेले नहीं रहते और दुखद बात यह हैं कि, कभी भी आप पूछे तो, पाँच अमरीकियों में से एक खुद को अकेला कहता हैं और हम जानते हैं कि हम भीड़ में भी अकेले हो सकते हैं आप विवाहित होकर भी अकेले हो सकते हैं, तो हमारे लिए दूसरी सबसे बड़ी सीख हैं कि, यह केवल दोस ् तों की संख ् या का मामला नहीं हैं, यह "" समर ् पित संबंधों "" का होना या ना होना भी नहीं हैं परन ् तु आपके संबंधों की निकटता व गुणवत ् ता मायने रखती हैं टकराव की स ् थिति मे रहना हमारे स ् वास ् थ ् य के लिए बुरा हैं उदाहरण के लिए बिना किसी लगाव की टकराव वाले विवाहित जीवन तलाक़ लेने से ज ् यादा नुकसानदायक होते हैं, स ् वास ् थ ् य के लिये अच ् छे, ऊष ् मा भरे और घनिष ् ठ संबध सुरक ् षा प ् रदान करते हैं एकबार जब हम किसी आदमी को उनके अस ् सी के दशक तक पड़ते हैं और हम उनके मध ् यकाल में जाकर देखते हैं और यदि हम भविष ् यवाणी कर पाते कौन आगे जाकर खुश, स ् वस ् थ और संतुष ् ट होगा और कौन नही और जब हमने उनके बारे में इकठ ् ठा की जो हम उनके बारे में 50 की उम ् र में तो वह उनका उस उम ् र का कोलेस ् ट ् रोल स ् तर की बात नहीं थी तो यह तय कर रही थी कि वे कैसे बुजुर ् ग बनेंगे वह यह तय कर रहा था कि वे अपने संबंधों से कितने संतुष ् ट थे जो लोग अपने 50 के दशक में अपने संबंधों से सबसे ज ् यादा सन ् तुष ् ट थे वे 80 की उम ् र मे सबसे स ् वस ् थ थे और अच ् छे निकटतम संबंध हमे सुविधा प ् रदान करते हैं वृद ् ध होने के कुछ डर के कारण से हमारे सर ् वाधिक प ् रसन ् न स ् त ् री-पुरुष के जोड़े ने अपने 80 साल मे यह रिपोर ् ट किया कि, जब किसी दिन उनको अधिक दर ् द होता उनका मुड या मन फिर भी प ् रसन ् न रहता हैं परन ् तु वे लोग जिनके संबंध खुशी से भरे नही थे जब किसी दिन उनको कोई दर ् द होता था तो वह मानसिक दर ् द से और बाद जाता था और संबंधों व स ् वास ् थ ् य के बारे में तीसरी बड़ी सीख जो हमे मिली हैं वह यह हैं कि अच ् छे संबंध केवल हमारे शरीर को सुरक ् षित नहीं करते वे हमारे दिमाग को रक ् षा देते हैं अंत में यह पता चला कि दुसरे व ् यक ् ति के साथ सुरक ् षात ् मक सम ् बन ् ध आपकी 80 साल की उम ् र मे सुरक ् षात ् मक होते हैं यह कि जो लोग ऐसे संबंधों में बंधे होते हैं जहाँ वे यह अनुभव करते हैं कि उनके पास समय पर काम आने लायक साथी हैं, उनकी याददाश ् त लंबे समय तक स ् पष ् ट रहती हैं और जो लोग ऐसे संबंधों में होते हैं जहाँ वे उनको लगता हैं कि उनके पास समय पर काम आने लायक साथी नही हैं उनकी याददाश ् त जल ् दी ही धूमिल हो जाती हैं और ये अच ् छे संबंध सभी समय एक से होना आवश ् यक नही हैं कुछ हमारे जोड़े एक दुसरे से लड़ते रहते थे दिन-रात, हर रोज परन ् तु जब उनको लगा कि वे एक-दूसरे पर भरोसा कर सकते हैं जब साथ चलना मुश ् किल हो गया, उन वाद-विवाद का उनकी याद-दाश ् त पर असर हुआ तो यह मेसेज, यह कि हमारे स ् वास ् थ ् य और कुशल के लिये अच ् छे, निकट सम ् बन ् ध बेहतर हैं यह ज ् ञान सदियों का हैं क ् यों इसको पाना इतना कठिन हैं और भूलने में भी आसान? क ् योंकि आखिरकार हम मानव हैं हमें जो सबसे अच ् छा लगा वह हैं शीघ ् र जुड़ाव कुछ चीजे जो हमें मिल सकती हैं वह हमारे जीवन को अच ् छा बनाएगा और उसको वैसा ही बनाये रखेगा सम ् बन ् ध जटिल और उलझे हुए होते हैं और परिवार व दोस ् तों के लिये कठोर कार ् य करना रोचक या सेक ् सी नहीं प ् रतीत होता हैं यह ताउम ् र रहता हैं, इसका कभी अंत नहीं आता हमारी इस 75 साल के अध ् ययन में, जो रिटायरमेंट के समय सर ् वाधिक खुश थे ये वे लोग थे जिन ् होंने काम के साथियों को खेलनेवालों से बदल दिया उस सर ् वे मे, लखपति लोगो के समान, बहुत से हमारे आदमी जब युवक थे वे धन, नाम और उच ् च प ् राप ् ति मे विश ् वास रखते थे यही वे चीजे थी जो उनको अच ् छा जीवन जीने के लिये चाहिये थी इन 75 सालों के अध ् ययन ने हमें बताया हैं कि वे सबसे अच ् छे रहे जिन लोगो ने महत ् व दिया रिश ् तों को, परिवार के साथ, दोस ् तों के साथ, समाज के साथ तो आपके बारे में क ् या हैं? मानलो कि आप २५, या ४०, या ६० साल के हैं सम ् बन ् ध कैसे दीखते हैं सम ् भावनाये तो असीमित हैं यह इतना साधारण भी हो सकता हैं कि फिल ् म के समय को लोगो के साथ से बदल देना या बिगड़ते संबंधों को कुछ नया करके सुधारना दूर तक साथ-साथ टहलना या मधुर मिलन की रात, परिवार के उस सदस ् य से मिलना, जिससे बहुत समय से बात ही नहीं हुई, क ् योंकि कभी सामान ् य पारिवारिक दूरियां खतरनाक रास ् ता ले सकते हैं जो एक दुसरे से मन-मुटाव रखते हैं मार ् क ट ् वेन के एक कथन के साथ में अपनी बात समाप ् त करूँगा! "" एक शताब ् दी से अधिक पहले, वे अपने जीवन का आकलन कर रहे थे, और उन ् होंने यह लिखा कि: जीवन बहुत छोटा हैं, उसमे समय ही नहीं हैं, बुराइयों, दिल जलाने, जैसी बातों के लिए उसमे केवल प ् यार के लिए ही समय हैं, उसके लिये, व परन ् तु कहने के लिये तात ् कालिक अच ् छा जीवन, अच ् छे संबंधों से ही बनता हैं धन ् यवाद ् (तालियां) (गिटार का संगीत) (संगीत समाप ् त) (तालीया) (विरूपित गिटार का संगीत) (संगीत समाप ् त) (टाळ ् या) (गिटार संगीत शुरू) (संगीत समाप ् त) (टाळ ् या) हमारा मस ् तिष ् क एक अद ् भुत और पेचीदा अंग है । वे आपको मस ् तिष ् क के काम करने के तरीके के बारे में ज़ ् यादा कुछ नहीं बता सकते, और इसका एक कारण यह है कि उसके उपकरण इतने पेचीदे और महँगे होते हैं, कि यह सिर ् फ मुख ् य महाविद ् यालयों और बड़े संस ् थानों में ही किया जाता है । और इसलिए, मस ् तिष ् क के अंदर सचमुच झाँकने के लिए आपको अपना सम ् पूर ् ण जीवन समर ् पित करना पड़ता है, और साढ़े छः साल एक ग ् रेजुएट छात ् र की तरह गुज़ारना पड़ता है, सिर ् फ इसलिए ताकि इन उपकरणों का इस ् तेमाल कर सकें । और यह शर ् मनाक है, क ् योंकि पाँच में से एक यानी 20% लोगों को कोई-न-कोई मानसिक बीमारी है । और इन बीमारियों के इलाज शून ् य हैं! और इसलिए ऐसा लगता है कि हमें करना ये चाहिए, कि शिक ् षा ग ् रहण के समय ही छात ् रों को इस विज ् ञान की शिक ् षा दी जाए, ताकि भविष ् य में. वे एक मस ् तिष ् क-वैज ् ञानिक बनने के बारे में सोचें. जब मैं ग ् रेजुएशन कर रहा था, तब मैं और मेरे लैब-सहपाठी टिम मार ् ज़ूलो ने सोचा के क ् यों न हम इन मस ् तिष ् क-सम ् बन ् धी जटिल उपकरणों को इतना सरल और सस ् ता बना दें, ताकि कोई भी — हाई स ् कूल के छात ् र या कोई नौसिखिया वे सब इसे सीख सकें और शोध में हिस ् सा ले सकें । और इसलिए हमने वैसा ही किया । कुछ वर ् ष पूर ् व, हमने "" बैकयार ् ड ब ् रेन ् स "" नामक एक कंपनी खोली जो न ् यूरोसाइंस के उपकरण बनाती है, उनमे से कुछ मैं आज यहाँ लाया हूँ । और मैं उन ् हें प ् रदर ् शित करना चाहता हूँ । शायद आपको पसंद आये! तो मुझे एक स ् वयंसेवक चाहिए । ठीक है — तुम ् हारा नाम क ् या है? सैम । अच ् छा सैम, मैं तुम ् हारे दिमाग में से कुछ रिकॉर ् ड करूँगा । क ् या पहले ऐसा कुछ करवाया है? नहीं । विज ् ञान के लिए अपना हाथ आगे करो, बाज़ू ज़रा ऊपर करो, मैं तुम ् हारी बाँह पर कुछ इलेक ् ट ् रोड लगाउँगा, और तुम शायद सोच रही होंगी, मुझे दिमाग से रिकॉर ् ड करना था, बाँह पर कैसे पहुँच गया? देखो, तुम ् हारे दिमाग में इस समय 80 अरब न ् यूरॉन मौजूद हैं । वे लगातार विद ् युतीय और रासायनिक सन ् देश यहाँ से वहाँ भेज रहे हैं । पर उनमे से कुछ न ् यूरॉन, यहाँ, तुम ् हारे मोटर कॉर ् टेक ् स में, कुछ सन ् देश नीचे भेजेंगे, जब तुम अपने हाथ को हिलओगी । वे सन ् देश तुम ् हारे कॉर ् पस कॉलोसम से होते हुए मेरुदंड के रस ् ते, तुम ् हारे निचले मोटर न ् यूरॉनये दो इलेक ् ट ् रोड और फिर हम सुन पाएँगे कि तुम ् हारा दिमाग वास ् तव में कर क ् या रहा है । तो, मैं इसे चालू करता हूँ । वो है तुम ् हारे मोटर यूनिट, यहाँ से । चलो इसे देखते भी हैं । अब मैं यहाँ खड़ा होऊँगा, और अपना ऐप ् प खोलूँगा । फ़िर से अपनी कलाई मोड़ो । (गड ़ गड ़ ाहट) यहाँ हैं, वे मोटर यूनिट, जिनके सन ् देश इनके मेरुदंड के रस ् ते माँसपेशियों तक, क ् या आप और देखना चाहते हैं? मुझे एक और स ् वयंसेवक चाहिए । आपका नाम क ् या है, महाशय? मिगैल । तुम यहाँ खड़े रहोगे । जब तुम अपनी कलाई मोड़ रही हो, तुम ् हारा दिमाग माँसपेशियों को एक सन ् देश भेज रहा है । तुम भी अपनी कलाई मोड़ो । तुम ् हारा दिमाग भी तुम ् हारी माँसपेशियों को सन ् देश भेजेगा । ऐसा है, की यहाँ एक नस है,और वह चमड़ी के काफी करीब है । इसलिए हम उसे सक ् रिय कर सकेंगे, और तुम ् हारे मस ् तिष ् क के संदेशों की एक कॉपी बनाकर,ताकि तुम ् हारा हाथ हिलेगा, जब तुम ् हारा दिमाग चाहेगा । एक तरह से, ये तुम ् हारी आज़ादी छीन लेंगी, और तुम ् हारा इस हाथ पर कोई नियंत ् रण नहीं रहेगा । (ठहाके) अब तुम ् हारी 'अल ् नर' नस ढूंढते हैं, जो शायद यहाँ कहीं है । जब ऊपर आ रहे थे? अब मैं पीछे हटकर इसे जोडूँगा, अपने मनुष ् य-मनुष ् य उपकरण से । ठीक है, सैम, फिर से कलाई मोड़ो । फिर करो । बहुत खूब । पहली बार थोड़ा अजीब लगेगा । लगेगा जैसे — (ठहाके) जब स ् वतंत ् रता छिन जाए, और कोई दूसरा हमें नियंत ् रित करे, थोड़ा अजीब तो लगता है । अब अपने हाथ को ढीला छोड़ो । सैम, तैयार हो? तुम ् हे कलाई मोड़नी है । अभी चालू नहीं किया है, ज़रा कलाई मोड़ो । हाँ, एकदम तैयार! चालू कर दिया है, कलाई मोड़ो । कुछ महसूस हुआ? नहीं । ठीक, फिर से करें? थोड़ा हुआ । थोड़ा? (ठहाके) ढीला छोड़ो । फिर से करो । (ठहाके) ओह! बढ़िया, बहुत बढ़िया । ढीला छोड़ो, फिर से करो । ठीक है, तो यहाँ, तुम ् हारा दिमाग तुम ् हारे हाथ को चला रहा है, और इनके हाथ को भी, चलो, एक बार और करो । ठीक है, अतिउत ् तम! (ठहाके) अच ् छा, क ् या हो अगर मैं तुम ् हारे हाथ को हिलाऊँ? ज़रा ढीला छोड़ो । क ् या हुआ? कुछ नहीं! क ् यों? फिर से करो । चलो, उत ् तम है । धन ् यवाद दोस ् तों, सहयोग के लिए । यह चल रहा है दुनिया में — इलेक ् ट ् रोफिजिओलॉजी! न ् यूरो-क ् रान ् ति आने वाली है । धन ् यवाद! टोनी से मिलिए | ये मेरे छात ् र है | ये लगभग मेरी उम ् र के है, और ये सैन क ् वेंटिन के जेल में है | जब टोनी 16 साल के थे, एक दिन, एक पल, "" वह माँ की बन ् दुक थी सिर ् फ उसे दिखाओ, उसे डराओ | वो एक गुंडा है | उसने कुछ पैसे लिए थे, हम उसके पैसे लेंगे | वह उसे सबक सिखायेगा | तब आखिरी वक ् त, मैं सोच रहा हम, 'यह नहीं कर सकता, यह गलत है' । मेरे दोस ् त ने कहा, 'चलो यह ् करते हैं' मैंने कहा 'यह करते हैं' और वो तीन शब ् द, टोनी हमेशा याद रखने वाला है, क ् योंकि जो अगली चीज़ वो जानता है, उसने आवाज़ सुनी | वो गुंडा ज़मीन पर पड़ा था, खून से सना हुआ | और यह वो हत ् या का महाअपराध था — जीवन के लिए 25, अगर आप भाग ् यशाली है तो 50 में पैरोल और टोनी भाग ् यशाली महसूस नहीं कर रहा था | तो जब हम उसके जेल में मेरी दर ् शन क ् लास में मिले और मैंने कहा, "" इस क ् लास में, हम नैतिकता की नींव के बारे में चर ् चा करेंगे "" टोनी ने टोका | क ् या तुम ् हे मुझे सही और गलत के बारे में सिखाने वाले हो? मुझे पता है कि क ् या गलत है | मैंने गलत किया है | मुझे रोज़ ये कहा जाता है, हर चेहरा जो मैं देखता हूँ, हर दीवार जो सामने होती है उसके द ् वारा, कि मैं गलत हूँ अगर मैं कभी यहाँ से बाहर निकला, मेरे नाम पर हमेशा एक कलंक होगा | मैं दोषी हूँ; मुझ पर छापा गया है कि मैं 'गलत' हूँ | तुम मुझे सही और गलत के बारे में क ् या बतायोगे? "" तो मैंने टोनी से कहा, "" माफ़ कीजिये, लेकिन जो तुम सोचते हो ये उससे बुरा है | तुम ् हें लगता है तुम ् हे पता है कि क ् या सही और गलत है? क ् या तुम मुझे बता सकते हो कि गलत क ् या है? नहीं, सिर ् फ मुझे कोई उदाहरण मत दो | मैं गलत होने के बारे में जानना चाहता हूँ, गलत होने का विचार | ये विचार क ् या है? क ् या किसी चीज़ को गलत बनाता है? हम कैसे जानते है कि यह गलत है? शायद मैं और तुम असहमत हो | शायद हम में से एक गलत हो गलत होने के बारे में | शायद तुम हो, शायद मैं हूँ — लेकिन हम यहाँ विचारों के लेन देन के लिए नहीं हैं; हर किसी के अपने विचार होते है | हम यहाँ ज ् ञान के लिए हैं | अविचारशीलता हमारी शत ् रु है | यह दर ् शन है "" और टोनी के लिए कुछ बदला | "" क ् या मैं गलत हो सकता हूँ | मैं गलत होने से थक चुका हूँ | मैं जानना चाहता हूँ क ् या गलत है | मैं जानना चाहता हूँ जो मैं जानता हूँ "" उस वक ् त टोनी ने जो देखा वो दर ् शन की परियोजना है, परियोजना जो आश ् चर ् य से शुरू होती है — जो केंट ने कहा है "" ऊपर प ् रशंसा और खौफ तारों से जड ़ ा आकाश और नैतिकता का कानून भीतर "" हमारे जैसे जीव इन चीज़ों के बारे में क ् या जान सकते है? यह वो परियोजना है जो हमेशा हमे अस ् तित ् व के शर ् तों पर वापस ले जाती है — जो हेड ् गर ने कहा है "" हमेशा पहले से वहाँ है "" यह वो परियोजना है जो हम क ् या विश ् वास करते है और क ् यों करते है पूछती है — जो सोक ् रेट ् स ने कहा है "" परीक ् षित जीवन "" सोक ् रेट ् स, एक व ् यक ् ति जो इतना बुद ् धिमान था कि वो जानता था कि उसे कुछ नहीं पता | सोक ् रेट ् स की मृत ् यु जेल में हुई, उनका दर ् शन बरक़रार है | तो टोनी ने अपना गृह कार ् य शुरू किया | उसने अपने क ् यों और कहाँ के बारे में सिखा, उसके कारण और पारस ् परिक संबंध, उसके तर ् क, उसके भ ् रम | इसका परिणाम, टोनी को दर ् शन की मांसपेशियां मिल गयी | उसका शरीर जेल में है, लेकिन उसका मन आज़ाद है | टोनी सीख रहा है ओंटोलोजिकली प ् रोमिस ् क ् युस, एपीसटेमोलोजिक ् ली एनसक ् स, एथिकाली डूबियस, मेटाफिसिक ् ली रीडीक ् युल ् स | यह प ् लेटो, डेस ् कर ् टस, निट ् सचे और बिल क ् लिंटन हैं | तो जब उसने अपना आखिरी पेपर दिया, जिसमे वो चर ् चा करते है कि कटेगोरिकल इमपेरेटीव शायद बहुत ज ् यादा असमझौतापूर ् ण है रोजमर ् रा के संघर ् ष से निपटने के लिए और मुझे चुनौती देता है उसे बताने के लिए कि क ् या इसीलिए हम नैतिक असफलता के लिए निंदित होते हैं, मैंने कहा "" मैं नहीं जानता | इसके बारे में सोचते है "" क ् योकि उस समय, टोनी के नाम पर कोई कलंक नहीं था; सिर ् फ हम दोनों वहाँ खड़े थे | प ् रोफेसर और दोषी की तरह नहीं, सिर ् फ तो मस ् तिस ् क दर ् शन के लिए तैयार | और मैंने टोनी से कहा, "चलो इसे करते हैं" धन ् यवाद | (अभिवादन) मै इस बात को स ् वीकार करना चाहती हूँ पहले आपको भी स ् वीकार करना पड़ेगा कृपया हाथ उचा करके जबाब दे, पिछले साल आपमेसे कितनोने कम तनाव महसूस किया | और कोई? कितनोने मध ् यम तनाव महसूस किया? कितनोने बहूँत तनाव महसूस किया? हा | उनमे में मै भी शामील हू | लेकीन यह मेरी स ् वीकारोक ् ती नही | मै सिकारती हूँ | मै एक स ् वास ् थ मनोपचार विशारद होनेपर मेरा काम है, लोगोकी सेहत तथा खुशीका ध ् यान रखना | लेकीन मुझे डर लगता है मै जो सिखाती थी बीते दस सालसे | उससे हानीही हो रही है | इसका ताल ् लुक है ही तनाव संबंधी कई सालसे मैं, लोगों से कहती आई हूँ तनाव आपको बीमार बना देता है । इससे खतरा बढ ़ जाता है सर ् दी का, दिलकी बीमारिका, रक ् त धमनियोका | असल में, मैं तनावको शत ् रू मानती थी, लेकीन यह नजरिया अभी बदला है, आज मै आपका भी नजरिया बदलना चाहती हूँ | मै शुरु करती हूँ जिस अभ ् याससे मेरे विचार बदले.. तनाव प ् रती, यु.एस.में आठ सालतक अध ् ययन इसमे किया गया | जिसकी शुरुवात होती थी, इस प ् रश ् नसे "बीते साल आपने कितना तनाव महसूस किया?" ये भी पूछा जाता "" क ् या आप सोचते है तनाव स ् वास ् थ के लिये हानिकारक है? बाद में शोध किया जाता, सार ् वजनिक मृत ् यू नोंदसे, .उनमेसे कितनोकी मृत ् यू हूँई | (हसी) अच ् छा, पहले एक बुरी खबर — पिछले साल जिन ् होने बहूँत तनाव महसूस किया उनमे ४३% मृत ् यू की संभावना बढ़ी | लेकीन यह सच था, उन लोगोके लिये जो सोचते थे तनाव स ् वास ् थ के लिये बुरा होता है | (हसी) जिन ् होने बहूँत तनाव महसूस किया जिनकी सोच थी तनाव लिये बुरा नाही है उनमे मृत ् यू की संभावना नही थी उनमे मृत ् यू दर बहूँतही कम था अभ ् यास में शामिल लोगोमे | मृत ् यू दर, कम तनाव महसूस करनेवालोमें भी कम था | आठ सालतक मृत ् यू का अध ् ययन करनेबाद, शोधकर ् ताओ ने एक अनुमान निकाला १८२००० लोगोकी जिनकी की मृत ् यू अकाली हूँई थी तनाव से नही, बल ् की इस सोचसे की तनाव हानिकारक होता है सेहातके लिये (हसी) हर साल ऐसे २०००० के उपर लोग मरते है | अगर यह अंदाज सही रहा तो इससे समझ बनती है तनाव सेहतके लिये हानिकारक है | अमरिका मे, यह सोच गत साल मृत ् यू का १५ वा बडा कारन था जो की त ् वचा कर ् करोग, HIV / एड ् स से ज ् यादा है. (हसी) इस अनुमानने मुझे भयचकित किया | मै लोगोको बताती थी, पुरे जोशसे तनाव हानिकारक है सेहतके लिये | इस अभ ् यासने मै चकित हूँई | क ् या हम अपनी तनाव की सोच बदलकर स ् वास ् थ पा सकते है? विज ् ञान कहता है यह मुमकिन है | आप तणाव के प ् रती अपनी धारना बदलते है, तब शरीरका तनाव प ् रती प ् रतिसाद बदलता है इसे स ् पष ् ट करने के लिये, मै आपको बताती हूँ, आप यह सोचो की आप तनाव निर ् माण करने के अभ ् यासगट मेमें शामिल है | इसे हम कहेंगे सामाजिक तनाव परीक ् षा | समजलो, प ् रयोग शालामे आये है | आपको कहा जाता है — आप आपके दोषोपर पाच मिनिटतक बोले आपके सामने परीक ् षक बैठे है जो आपको तनावग ् रस ् त करेंगे आपके चेहरे पर लाईट की तेज रोशनी और कॅमेरा लगा है | ऐसे करके आपका तनाव बढायेंगे (हसी) परीक ् षकोको आपका तनाव बढाने का. प ् रशिक ् षण दिया गया है जो अपनी देह ् बोलीसे बिना बोले आपको निरुत ् साही करेंगे | इस तरह (सास छोडके) (हसी) आप जब पूरी तरह हतोत ् साही हो जाएंगे तो आपको गणित की परीक ् षा देने कहा जायेगा | जोकी आपको पहलेसे मालूम नही था | इस परिक ् षा देते समय परीक ् षक आपको तरसाते रहेंगे | हम सब एकसाथ करेंगे | इसमे मजा आयेगा | मुझेभी | चलो शुरू करते है | (हसी) आप शुरू करो उलटी गिनती ९६ से जितना हो सके आपसे शुरू करो ९६ से करो (श ् रोतागण गिनती करता है) जल ् दी करो. जलदिसे आपकी गती कम है (श ् रोताकी गिनती) रुको रुको इन ् होने गलती की है | हमे फिरसे गिनती करनी पडेगी (हसी) आपको गिनती नही आती अच ् छी तरहसे. है ना? चलो, आपको समझमे आई बात | आप अगर सचमुच इस अभ ् यासमे होते तो आपको तनाव महसूस होता | आपका दिल धकधकने लगता | आपकी सासें जोरसे चलती, पसीना आता इस प ् रतीसाद को हम चिंता कहते है | ऐसे लक ् षण है जिसे हम अच ् छी तरह नाही सहा पाते | इस स ् थिती को अगर यह सोच के देखे की यह लक ् षण है शरीर को उर ् जा प ् रदान करनेका टकरानेकी क ् षमता देनेवाला | सह ् भागीयोको यही करने कहा जाता, हावर ् ड विद ् य ् पीठ विद ् यापीठ मे किये गये अभ ् यासं मे | सामाजिक तनाव परीक ् षा पुर ् व उन ् हे यह सिखाया जाता की तनाव सेहतके लिये मदतगार है | धक धक करनेवाला आपका दिल आपको तैयार रखता है आपके दिमाग को प ् राणवायू प ् रदान करने सहभागी यही बात सिखते है | की तनाव मदत करता है हमे | जिसे उनका तनाव भी काम होता है तथा वे आत ् मविश ् वास प ् राप ् त करते है | मुझे सबसे अच ् छी बात यह लगी सोच के बदलावसे शरीर का प ् रतिसाद कैसे बदलता है | उदाहरन लेंगे तनाव प ् रतिसाद का तनाव में आपकी हृदय गती तेज होती है आपकी रक ् तधमनिया सिकुड जाती है ऐसे | यही एक कारन है दीर ् घ कालीन तनाव से जुडा रहनेसे हृदय धमनीके विकारोमे | ऐसी अवस ् था मे हमेशा रहना घातक होता है | लेकीन इस अभ ् यासमे सहभागी जिन लोगोने जाना तनाव मदत करनेवाला है उनकी रक ् त धमनिया तनाव मुक ् त हूँई | ऐसे | हालाकी उनका हृदय धकधक करता रहा | यह स ् थिती रक ् तधमनी स ् वस ् थ होनेका संकेत करती है. यह बात समान स ् थिती दर ् शाती है. जब हमे आनद होता है जीवन भर के तनाव के अनुभब मे यह एक जैविक बदल है यही फरक होता है पचास की उमर मे तनाव से हार ् ट अॅॅटक आनेवालोमे और ९० साल मे हार ् ट अॅॅटक आनेवालोमे. यही है तनाव की नयी वैज ् ञानिक परिभाषा | आप का तनाव प ् रती रवैया महत ् व रखता है | स ् वास ् थ रखनेमे अभी मेरा ध ् येय बदला है मै कभी आपको नही कहूँंगी तनाव मुक ् त हो जाये मै आपको तनाव प ् रती आपका रुख बदल ् वाना चाहती हूँ हमने यह एक छोटा शोध किया है | जिन ् होने हात उचा करके बताया बीते साल जिन ् होंने बहूँत तनाव महसूस किया उनकी जिंदगी हम बचा पायेंगे | जब कभी आपका दिल तनाव से धडकने लगेगा आप यह मेरी बात ध ् यान रखे और मनमे सोचे मेरा यह शरीर की स ् थिती मुझे सकटोसे झुझनेकी शक ् ती देती है अगर आप अपना तनाव का नजरिया बदल दे शरीर आपके नये विचारपर विश ् वास रखेगी | आपका तनाव प ् रती शरीरका प ् रतिसाद स ् वास ् थ पूर ् ण होगा | एक दशकसे मै तनाव का अध ् ययन कर रही हूँ | उससे मुक ् ति पानेका एक बार हम और ् हस ् तक ् षेप करेंगे | मुझे आपसे कहना है तनाव के प ् रतिसाद के अनदेखे पहूँलोपर सोच यह है: तनाव आपका समाजमुख बनता है | यह बात समजने के लिये हमें ओक ् सिटोसिंन हार ् मोन ् स के बारेमे जानना चाहिये ओक ् सिटोसिंन हार ् मोन ् स को पहलेही बहूँत महत ् व मिला है जिसका एक नाम भी है कुडल हार ् मोन आप किसीको आलिंगन देते है तभी यह स ् त ् रवता है | लेकिन उस वक ् त इसकी मात ् रा रहती है | यह एक न ् यूरो हार ् मोन है | आपकी सामाजिक चेतना को वह ठीक करता है | आपको यह करने को कहता है आप अन ् यसे अपमा रिश ् ता दृढ़ करे, ओक ् सिटोसिंन हमारे दोस ् त या पारिवारिक व ् यक ् तिको स ् पर ् श करनेकी भावना जगाता है, यह अनुकंपा जगाता है | जो दोस ् त, परिवार सदस ् योको मदत करनेकी इच ् छा जगाता है | जिनकी आप चिंता करते है | कुछ लोग कहते है हमें ओक ् सिटोसिंनसूंघना चाहिये लोगोको मदत गार बनने के लिये बहूँतसे लोक ओक ् सिटोसिंनके बारेमे नहीं जानते, यह हार ् मोन तनाव की स ् थितिमे उभरता है पिट ् युटरी ग ् रंथीसे इसका विमोचन होता है तनाव की प ् रतिसादमें | यह शरीर की प ् रतिसाद का एक अंग है | अद ् रेलिन के विमोचनसे दिल धडकता है | जब ओक ् सिटोसिंन तनाव के कारन उभरता है यह आपको मदत लेनेकी इच ् छा जताता है | यह जैविक प ् रतिसाद आपको बाध ् य करता है अन ् य को आपकी मज़बूरी जाननेकी | यह इसे छुपता नहीं | तनाव का प ् रतिसाद आपको यह जानने के लिए सक ् षम करता है जब आप किसीको संकट में देखते है इसतरह आप एक दूसरेको सहारा देते है | जीवन में कठीनाइया आती है तब आपका तनाव का प ् रतिसाद चाहता है आप के आजुबाजू मी ऐसे लोग हो जो आपकी देखभाल कर सके आपने अभी जन कैसे तनाव आपको स ् वास ् थ रखता है, ओक ् सिटोसिंन दिमागपर ही नही काम करता यह शरीर पर भी अपना प ् रभाव दिखता है | शरीरमें इसका मुख ् य काम है आपकी हृदय व रक ् तधमनी को बचाना तनाव से यह एक प ् राकृतिक वेदना शामक है | तनाव की स ् ठीतीमे आपकी रक ् त धमनी को सिकुडने नही देता. लेकीन मुझे ज ् यादा पसंद है इसका हृदयपर होनेवाला उपयुक ् त प ् रभाव, इस हार ् मोन के लिये हृद ् य मे रीसेपटर होते है जो की इस हार ् मोन ् ससे हृदय के मृत कोशिकोको फिरसे निर ् माण करते है तणाव के कारण क ् षतिग ् रस ् त पेशियोको ठीक करते है यह तनाव से निर ् माण होनेवाला हार ् मोन आपके हृदय को बलशाली बनाता है | शारीरिक लाभ के अलावा भी इससे न ् यारी बात यह है की ओक ् सिटोसिंन आपका सामाजिक संपर ् क तथा आपके लिये सामाजिक मदतका दायरा बढाता है | आप जब भी कभी तनाव वाले लोगो तक पहूँचे आप उनको या टो मदत करना चाहेंगे या उनसे मदत लेंगे |तनाव का प ् रतिसाद स ् वास ् थपूर ् ण होता है | तनाव से आप जलद ठीक होते है, यह मुझे बहूँतही अचरज भरा इसलिये लगा, तनाव के प ् रतिसादमेही बचाव यंत ् रणा बंधी है | तनाव से ठीक होने के लिये यही बचाव यंत ् रणा मानवी सम ् बंधोको जोडती है, आख़िरकार एक बात बताती हूँ ध ् यानसे सुने, क ् योकि जीवन बचानेकी क ् षमता है इस अभ ् यास में | इस अभ ् यासमे यु | एस | के १००० प ् रौढ़ शामिल थे | जिनकी आयु थी ३४ से ९४ तक उन ् हें प ् रश ् न करके अभ ् यास की शुरुवात की गयी | पिछले वर ् ष आपने कितना तनाव महसूस किया, ये भी पूछा गया | "" आपने कितने आपकेमित ् रोको, पडोसी योको मदत करने कितना समय दिया | आपके समाजके लोगोको भी? '"" उसके बाद अगले पाच सालकी सार ् वजनिक मृत ् यु नोंद जानी | उनमेसे कितनोकी मृत ् यु हूँई, पहले सुनते है बुरी खबर, तनाव के मुख ् य कारन जैसे आर ् थिक बदहाली, पारिवारिक समस ् या, इससे ३०% मृत ् यु की संभावना बढती है | लेकिन — आप इस शब ् द लेकिन की अपेक ् षा करते होंगे | लेकिन यह सच नहीं है सबके लिये, जिनलोगोने अन ् य लोगोके प ् रति देखभाल की उन ् हें मदत की उनमे तनाव से मृत ् यु होने की संभावना बिलकुल नहीं थी शून ् य थी | मदत करनेसे तनाव परिणाम से राहत मिलती है | हम एकबार जानेंगे की तनाव का बुरा प ् रभाव आपके शरीरपर आप टाल सकते है | आपके विचारसे | कृतीसे तनाव के प ् रति आपका अनुभव बदला जा सकता है | जब आप तनाव प ् रतिसाद को मित ् र समजने लगते है, आप एक जैविक धीरावस ् था निर ् माण करते है | जब आप तनाव ग ् रस ् त से संपर ् क करते है आप खुदको तनाव मुक ् त करते है, अभी मई कभीभी नहीं पूछती मेरे जीवनके कोंन से क ् षण थे सबसे तनाव भरे, इस वैद ् न ् य ् निक सोचने मुझे तनाव प ् रती बिलकुल नई सोच प ् रदान की | वह यह की तनाव हमें ह ् रुदय तक पहूँचता है | अनुकंपा निर ् माण करनेवाला हृदय हमें आनद ओर आनद का अर ् थ बताता है, अन ् य लोगोसे जुडनेसे | हा, जाने, आपका धकधकने वाला शारीरिक दिल जो बहूँतही शक ् ति तथा उर ् जा आपको देता है | जब आप तनाव को इस न ् ज ् रियासे देखेंगे आप सिर ् फ तनाव से मिजाद ही नहीं पाएंगे बल ् कि, आप एक महत ् वपूर ् ण वाक ् य करते है | आप कहते है की आपका पूरा विश ् वास है जीवन की कठीनाइयो को झेल सकेंगे | आपको हमेशा याद ् रहेगा आप अकेले नहीं है शुक ् रिया, (तालियाँ) क ् रिस अंडर सन: आपने जो कहा वह बहूँतही अचरज भरा है, मुझे आश ् चर ् य हूँआ तनाव के बारेमे सोच इतना महत ् व रखती है जीवन बचने के लिये आप इस बारेमे मार ् गदर ् शन करे, जीवंशैलिमे बदलाव करना होतो वो क ् या चुने तनाव भरा काम या तनाव न होनेवाला काम? क ् या काम का चुनाव मायने रखता है? तनाव भरे काम आप स ् वीकार सकते है जहात ् क आप सोचते है की आप उसे सह सकें | के एम ्: एक बात तय है तनाव का अर ् थ जानना स ् वास ् थ के लिये आवश ् यक है, असुविधाका काम न करनेसे | यही उचित है निर ् णय करने, जो है वो स ् वीकारो, इससे जीवन का अर ् थ निकलता है विश ् वास करे आप तनाव को मात दे सकते है शुक ् रिया, केली, आपने बढीया मार ् गदर ् शन किया है (तालियाँ) आज मैं आपसे क ् रोध के बारे में बात करना चाहता हूँ जब मैं ग ् यारह साल का था मेरे कुछ दोस ् तों को स ् कूल छोड़ना पड़ा क ् यूंकि उनके माँ-बाप स ् कूल की किताबें नहीं खरीद सकते थे मुझे ये देख के बहुत क ् रोध आया जब मैं २७ साल का था एक बंधुआ मजदूर की दुर ् दशा सुनकर, जिसकी बेटी को वेश ् यालय को बेचा जा रहा था, मुझे बहुत क ् रोध आया ५० साल की उम ् र में जब मैं सड़क पर खून में लथपथ पड़ा था अपने बेटे के साथ तब मुझे बहुत क ् रोध आया दोस ् तों, हमे सदियों से बताया गया है की क ् रोध करना गलत है हमारे माता पिता, गुरु और सज ् जनों सबने सिखाया है की अपने क ् रोध को दबाओ मैं पूछता हूँ आखिर क ् यों? क ् यों हम अपने क ् रोध को समाज के भले के लिए इस ् तेमाल नहीं कर सकते क ् यों हम अपने क ् रोध का इस ् तेमाल सामाजिक बुराइयाँ मिटाने में नहीं कर सकते मैंने ये करने की कोशिश की दोस ् तों, मेरे सबसे प ् रभावी विचार मेरे क ् रोध में से निकल कर आये उदाहरणार ् थ, जब मैं ३५ साल का था, एक छोटी सी जेल में बंद रहा रात भर मुझे सारी रात बहुत गुस ् सा आया मगर उससे एक नयी सोच मिली उस पर मैं बाद में आऊंगा आज मैं आपको मैंने मेरा नाम कैसे बनाया उसकी कहानी सुनना चाहता हूँ मैं बचपन से ही गांधी जी का बड़ा आदर करता था गांधी जी खड़े हुए और देश के स ् वतंत ् रता आंदोलन का नेतृत ् व किया मगर सबसे महत ् वपूर ् ण, उन ् होंने हमे समाज के कमज़ोर वर ् ग से आदर और प ् रेम से व ् यवहार करना सिखाया तो जब भारत १९६९ में गांधी जी कि जन ् म शताब ् दी मना रहा था, मैं १५ साल का था, और मेरे मन में एक विचार आया हम इसे अलग तरह से क ् यों नहीं मना सकते है मैं जानता था, जैसा की आप सब भी जानते होंगे की भारत की अधिकांश जनसंख ् या समाज के निचले तबके में जन ् म लेती है और उन ् हें अछूत माना जाता हैं ये वो लोग है जिन ् हें मंदिर में जाना तो दूर की बात, ऊची जाती के घर और दुकानो में भी जाना वर ् जित हैं तो मैं शहर के नेताओ से बहुत प ् रभावित था जो इस जाती प ् रथा और अस ् पृश ् यता के खिलाफ खुल के बोल रहे थे और गांधी जी के आदर ् शों की बात कर रहे थे तो इस से प ् रेरित होकर, मैंने सोचा की एक उदाहरण स ् थापित करते हैं इन लोगो को दवात का बुलावा देकर जो अछूतों के हाथों परोसी और पकायी जाएगी मैं कुछ अछूत कहे जाने वाले नीची जाती के पास गया उन ् हें राज़ी करने की कोशिश की, मगर उनके लिए ये असंभव सा था वो बोले "" नहीं ये असंभव है, ऐसा कभी नहीं हुआ "" मैंने कहा "" इन नेताओं की ओर देखिये, ये बहुत महान है, ये अस ् पृश ् यता के खिलाफ है अगर कोई नहीं आया तो भी ये लोग तो आएंगे और हम एक उदहारण बनेंगे "" उन ् हें लगा मैं नासमझ हूँ अंततः वो मान ही गए मैं और मेरे दोस ् त अपनी साइकिल पर नेताओं को निमंत ् रण देने निकल पड़े मैं बहुत उत ् साहित था, बल ् कि सशक ् त ये देख के उन में से एक आने को राज़ी था मैंने कहा "" चलो अब हम एक उदहारण पेश करेंगे हम समाज में बदलाव लाएंगे "" दावत का दिन आया सभी अछूत, तीन औरत और दो आदमी वो आने को राज़ी हुए मुझे याद है वो अच ् छे से सज-धज के आये थे साथ में नये बर ् तन भी थे कइयों बार स ् नान किया था क ् यूंकि ये उनके लिए अभूतपूर ् व था ये बदलाव का समय था वो इक ् कठा हुए भोजन पकाया गया शाम के सात बज रहे थे आठ बजे तक, हम इंतज़ार करते रहे नेताओं के लिए देर से आना कोई नयी बात नहीं थी एक घंटे इंतज़ार किया फिर आठ बजे हम अपनी साइकिल से नेताओं के घर गए उन ् हें याद दिलाने मात ् र के लिए एक नेता की पत ् नी ने हमे बताया की "माफ़ कीजिये, उनके सर में दर ् द है तो वो नहीं आ पाएंगे" तो मैं दूसरे नेता के पास गया और उनकी पत ् नी ने कहा "" आप चलिए हम ज़रूर आएंगे "" तो मैंने सोचा की चलो दावत तो होगी भले ही छोटे स ् तर पर ही सही मैं वापिस दावत स ् थल वापिस आया, जो की नया बना महात ् मा गांधी पार ् क था अभी दस बज रहा था कोई भी नेता नहीं आया मुझे इस बात पर बहुत क ् रोध आया मैं गांधी जी की प ् रतिमा से टिक कर खड़ा था मैं काफी भावुक और थका हुआ था फेर मैं जहाँ खाना रखा था वहाँ जा कर बैठ गया मैंने अपनी भावनाओ को बंधे रखा मगर जैसे ही मैंने पहला निवाला लिया मेरे आंसूं बह पड़े और अचानक मैंने अपने कंधे पर एक हाथ महसूस किया और वो एक अछूत औरत का हिम ् मत भर देने वाला मातृत ् व स ् पर ् श था और उसने मुझसे कहा "" कैलाश, तुम रो क ् यों रहे हो? तुमने अपने हिस ् से का काम कर दिया है तुमने अछूत द ् वारा पकाया खाना खाया है जो मैंने आज तक कभी नहीं होते देखा है "" उसने कहा, "" आज तुम ् हरी जीत हुई है "" और दोस ् तों, वो सही थी मैं घर वापिस आया आधी रात के करीब तो देखा की ऊची जाती के कई बुजुर ् ग मेरे घर के आँगन में बैठे हुए थे मेरी माँ और एक बुजुर ् ग औरत रो रहे थे और वो इन बुजुर ् ग लोगो से माफ़ी मांग रहे थे क ् यूंकि उन ् होंने मेरे पूरे परिवार को जाति बहिष ् कृत की धमकी दी थी और आप जानते है ये बहिष ् कार सबसे बड़ा सामाजिक दंड है जो किसी को दिया जा सकता है किसी तरह वो सिर ् फ मुझे दण ् डित करने पर राज़ी हुए, सजा थी विशुद ् धकरण इसका मतलब मुझे घर से ६०० मील दूर जाना होगा गंगा नदी में डुबकी लगाने और उसके बाद मुझे १०१ पंडितो को भोजन करवाना होगा और इनके पैर धो कर पीने पड़ेंगे ये बिलकुल बकवास था और मैंने दंड मानने से मन कर दिया उन ् होंने मुझे कैसे सजा दी फिर? मुझे अपनी ही रसोई और खाने के कमरे में आने से मन कर दिया मेरे बर ् तन अलग कर दिए मगर जिस रात मैं गुस ् सा था वो मुझे जाति बहिष ् कृत करना चाहते थे मगर मैंने इस जाती प ् रथा का ही भहिष ् कार करने का फैसला कर लिया (तालियां) और ये मुमकिन था, क ् यूंकि शुरुआत खानदानी नाम या उपनाम बदल कर होगी क ् यूंकि भारत में अधिकतर खानदानी नाम जाती सूचक होते है तो मैंने मेरा नाम छोड़ने का फैसला किया और आगे चलके मैंने खुद को सत ् यार ् थी का नाम दिया जिसका मतलब ह "" सच की तलाश करने वाला "" (तालियां) और यहाँ से शुरुआत हुई मेरे परिवर ् तनकारी क ् रोध की दोस ् तों, शायद आप में से कोई मुझे बता सके की बाल अधिकार के लिए लड़ने से पहले मैं क ् या कर रहा था क ् या कोई जानता है? नहीं । मैं इंजीनियर था, इलेक ् ट ् रिकल इंजीनियर और तब मैंने ये समझा की कैसे आग जलने की, कोयला जलने की कक ् षों के अंदर होते परमाणु विस ् फोट की नदी की उग ् र धाराओं की तूफानी हवाओं की ऊर ् जा को प ् रकाश में बदल कर लाखो ज़िंदगियाँ को बचाया जा सकता है मैंने सीखा की कैसे सबसे उग ् र ऊर ् जा स ् त ् रोत को समाज के भले के लिए उपयोग किया जा सकता है अब मैं वापिस आता हूँ उस जेल वाली रात के किस ् से पर मैं बहुत खुश था एक दर ् जन बच ् चो को गुलामी आज़ाद करा कर उन ् हें उनके माँ-बाप के हवाले कर मैं बता नहीं सकता की एक बच ् चे को आज़ाद करा कर मुझे कितनी ख़ुशी होती है मैं बहुत खुश था लेकिन जब मैं अपने घर, दिल ् ली जाने वाली ट ् रैन का इंतज़ार कर रहा था मैंने ढेर सारे बच ् चो को आते देखा उनकी तस ् करी की जा रही थी मैंने उन लोगो को रोका मैंने पुलिस को शिकायत करी तो पुलिस, मेरी मदद करने की बजाये मुझे ही, एक जानवर की तरह छोटे से पिंजरे में फेक दिया और वो रात क ् रोध की रात थी जब मेरे सबसे बेहतर और क ् रांतिकारी विचार का जन ् म हुआ मैंने सोचा की मैं अगर ऐसे १० बच ् चो को आज़ाद कराऊंगा तो वो ५० और ले आएंगे ये बेमतलब था और मैं ग ् राहकों की ताकत में विश ् वास करता था और मैं आपको बता दूँ ये पहली बार था जब मेरे या दुनिया में किसी और के द ् वारा कोई अभियान शुरू किया जो ग ् राहकों को समझदार और संवेदनशील बनाने पर आधारित था बालश ् रम मुक ् त गलीचों की मांग बढ़ने पर था यूरोप और अमरीका मैं सफल हुए और इससे दक ् षिण एशियाई देशों में बाल मज़दूरी ८०% में कमी आयी (तालियाँ) इतना ही नहीं, पहली बार ग ् राहकों की ताकत और ग ् राहकों की अभियान दूसरें देशों और दूसरें व ् यवसायों में भी बढे है चॉक ् लेट हो या कपडे हो या फिर जूते हो, ये बहुत आगे निकल गया है ११ साल की उम ् र पर मेरा गुस ् सा जब मैंने ये समझा की बच ् चों के लिए पढाई कितनी आवशयक है मुझे एक तरकीब आई की क ् यों न इस ् तेमाल हो चुकी किताबों को गरीबों तक पहुचाये ११ साल की उम ् र पर मैंने एक किताबों का बैंक बनाया मगर मैं रुका नहीं आगे मैंने मेरे साथी के साथ शिक ् षा के लिए दुनिया के अकेली सबसे बड़े नागरिक समाज अभियान की स ् थापना की जिसका नाम है शिक ् षा के लिए वैश ् विक अभियान इसने शिक ् षा के तरफ समाज के नज़रिये को बदल दियाइससे स ् कूल न जा सकने वाले बच ् चो की गिनती को १५ साल में आधा कम कर दिया (तालिया) २७ साल की उम ् र में मेरा गुस ् सा, वेश ् यालय को बेचीं जाने जा रही लड़कियों को आज़ाद करने के लिए, मुझे एक तरकीब दे गया एक नयी रणनीति, छापे मार के बाल मजदूरों को बाल शर ् म से मुक ् त करवाना और मैं काफी खुशनसीब और गर ् व महसूस करता हूँ ये बताते हुए के १ या १० या २० नहीं बल ् कि मैं और मेरे साथियों ने मिल कर अभी तक कुल ८३००० बल शर ् म से मुक ् त करवाया है और उन ् हें उनके परिवार और उनकी माँ के पास पहुंचायें है (तालियां) हमने बाल मज़दूरी के खिलाफ विश ् वस ् तरीय पैदल यात ् राओं का आयोजन किया और इसके फलस ् वरूप अत ् यंत बुरे हालातों में मौजूद बच ् चो की रक ् षा करने हेतु एक अंतर ् राष ् ट ् रीय सम ् मेलन की शुरुवात हुई और इसका सीधा असर ये हुआ के विश ् वस ् तर पर बल श ् रम पिछले १५ साल में एक तिहाई काम हो गया है । (तालियां) तो हर किस ् से में शुरुवात क ् रोध से हुई जो बाद में तरकीबों में बदला और अंततः बदलाव में तो गुस ् सा आये, तो आगे क ् या? तरकीब, और फिर दर ् शक: बदलाव कैलाश सत ् यार ् थी: गुस ् सा, तरकीबें, बदलाव जो मैंने कोशिश करी क ् रोध ताकत है, क ् रोध ऊर ् जा है और प ् रकर ् ति के नियमानुसार ऊर ् जा को न बना सकते है न मिटा सकते है न खत ् म कर सकते है तो फिर क ् रोध की ताकत को तब ् दील करके एक बेहतर और सुन ् दर और न ् यायसंगतसमाज की समाज की संरचना क ् यों नहीं करे? क ् रोध आप सबके अंदर है और मैं अब आपको एक राज़ बताऊंगा की अगर हम अपने घमंड की छोटी कोठारी में और स ् वार ् थ के घेरो के अंदर बंधे रहे तो ये क ् रोध बदला, उग ् रता, विनाश, नफरत में बदलेगा मगर अगर हम इन घेरो से बहार आये तो तो यही क ् रोध अध ् भुत ताकत में बदलेगा हम इन घेरो को अपनी निहित करुणा से तोड़ सकते है और सहानुभूति के साथ समाज से जुड़कर उसे बेहतर बना सकते है इसी क ् रोध को बदला जा सकता है तो प ् यारे दोस ् तों, बहनो और भाइयो, एक नोबल पुरुस ् कार विजेता के तौर पर मैं आपसे आग ् रह करता हूँ क ् रोधित होइये मैं आपसे आग ् रह करता हूँ क ् रोधित होइये और जो सबसे ज़ ् यादा क ् रोधित है हमारे बीच वो अपने क ् रोध को तरकीबों और बदलाव में बदल लेगा । धन ् यवाद (तालियां) क ् रिस एंडरसन: आप कितने सालों से दूसरों को प ् रेरणा दे रहे है आपको कौन और क ् या प ् रेरणा देता है? कैलाश: बहुत अच ् छा सवाल है क ् रिस, मैं आपको सत ् य बताना चाहता हूँ मैं जब भी एक बच ् चे को आज़ाद करवाता हूँ एक बच ् चा जिसने अपनी माँ से वापिस मिलने की साड़ी उमीदें खो दी है तो उसके चहरे पर आज़ादी की पहली मुस ् कान और एक माँ जिसने अपने बच ् चे के वापिस उसकी गोद में बैठने की उमीदें खो दी हो तो वो बहुत भावुक हो जाते है और जब ख़ुशी का वो पहला आंसू उसकी आँखों से गिरता है तो उसमे मुझे ईश ् वर की छवि दिखती है और ये मेरी सबसे बड़ी प ् रेरणा होती है । और मैं बहुत खुशनसीब हूँ की मैंने एक नहीं, बल ् कि जैसा मैंने बताया, हज़ारों बार ईश ् वर के दर ् शन किये है इन बच ् चो के चेहरे में और वे मेरी प ् रेरणा के सबसे बड़े स ् त ् रोत है आप सब का धन ् यवाद (तालियां) मैं काफ़ी समय से पढा ़ रही हूँ, और ऐसा करते हुए, बच ् चों और सीखने की प ् रक ् रिया संबंधी ऐसा अनुभव का भण ् डार इकट ् ठा कर चुकी हूँ जो कि मैं चाहती हूँ ज ् यादा से ज ् यादा लोग समझें विद ् यार ् थियों की काबलियत और शक ् यता के बारे में । १९३१ में मेरी दादी — निचली पंक ् ति में बाँए तरफ़ — ने आठवीं पास की । वो जानकारी लेने विद ् यालय जाती थी क ् योंकि जानकारी विद ् यालय में ही होती थी । ज ् ञान किताबों मे होता था, जानकारी शिक ् षक के दिमाग में बसेरा करती थी । और उन ् हें उसे ग ् रहण करने के लिये वहाँ जाना ही होता था, क ् योंकि तब ऐसे ही सीखते थे । सीधे एक पीढी बाद: ये एक कमरे का विद ् यालय है, ओक ग ् रूव, जहाँ मेरे पिता ने शिक ् षा ग ् रहण की । और उन ् हें भी स ् कूल जाना होता था अपने शिक ् षक से जानकारी प ् राप ् त करने के लिये, फिर उन ् हें उसे अपने दिमाग में दर ् ज करना होता था, जो कि उस समय का एकमात ् र उपलब ् द ् ध पेन-ड ् राइव था, और तभी वे उसे अपने साथ ले जा पाते थे, क ् योंकि उन दिनों जानकारी को बाँटने का यही ज़रिया था शिक ् षक से विद ् यार ् थी को, और फ़िर दुनिया में इस ् तेमाल होने के लिये । जब मैं बच ् ची थी, हमारे घर में एक पूरा विश ् वकोष था । उसे उसी साल ख ़ रीदा गया जिस साल मैं पैदा हुई. और वो असाधारण था, क ् योंकि मुझे फ़िर जानकारी के लिये पुस ् तकालय जाने का इंतज़ार नहीं करना होता था; जानकारी मेरे घर पर ही उपलब ् द ् ध थी और ये ज़बरदस ् त था । ये बिलकुल ही अलग था पिछली दो पीढियों के अनुभव से, और उसने मेरे जानकारी इस ् तेमाल करने के तरीकों को बदल डाला भले ही कितने ही छोटे स ् तर पर । पर जानकारी मेरे निकट थी । मैं कभी भी उसे प ् राप ् त कर सकती थी । जो समय गुज़रा मेरे हाई-स ् कूल के ज़माने से ले कर मेरे शिक ् षक बनने के बीच, उसमें हमने इंटरनेट का आगमन देखा । ठीक जिस समय इंटरनेट एक शिक ् षण की विधा के रूप में उभर रहा था, मैं विस ् कोन ् सिन से निकल कर कान ् सास आ गयी - कानसास के उपनगरीय इलाकों में, जहाँ मुझे पढाने का अवसर मिला एक छोटे, प ् यारे से उपनगर में ग ् रामीण कान ् सास के विद ् यालय में, जहाँ मैं अपना मनपसंद विषय पढा रही थी, अमरीकी सरकारतंत ् र । मेरा पहला साल — मस ् तमौला मज़ेदार - अमरीकी सरकारतंत ् र पढा ़ ने जाना, और मेरा राजनीतिक उपक ् रम से बेहद लगाव । बारहवीं के बच ् चे: उतना कुछ खास उत ् साहित नहीं थे अमरीकी सरकार को समझने में । दूसरा साल: कुछ चीज़ें सीखी — अपने तरीके बदलने पड ़ े । और मैनें उनके सामने एक असल अनुभव रखा जो कि उन ् हें खुद सीखने का मौका देता था । मैने उन ् हें नहीं बताया कि क ् या और कैसे करें । मैने बस उनके सामने एक समस ् या रखी, जिसमें उन ् हें अपने आसपास के समुदाय में एक चुनाव करवाना था । उन ् होंने पर ् चे छापे, कार ् यालयों को फ़ोन किया, समय-सारिणियाँ बनाईं, सचिवों से मुलाकातें कीं, और फ़िर चुनाव की पुस ् तिका निकाली पूरे शहर को उनके उम ् मीदवारों पर जानकारी देने के लिये । उन ् होंने सबको विद ् यालय में बुलाया एक शाम भर बातचीत करने के लिये सरकार और राजनीति पर और गलियाँ ठीक से बनीं थीं जैसी बातों पर भी, और इस दौरान इन बच ् चों ने सच में सुदृढ अनुभव-आधारित शिक ् षा पायी । पुराने शिक ् षक — जो कि ज ् यादा अनुभवी थी — मुझे देखते थे और कहते थे, "देखो इसे । कितना प ् यारी है । और ये वो ये सबकुछ करवाने की कोशिश कर रही है ।" (हँसी) "इसे अंदाज़ा ही नहीं है कि इसके साथ क ् या होने वाला है ।" मगर मुझे पता था कि बच ् चे ज़रूर आयेंगे । और इसमें मेरा दृढ विश ् वास था । और मैं उन ् हें हर हफ़ ् ते बताती कि मेरी क ् या अपेक ् षा है । और उस रात, सारे के सारे ९० बच ् चे — ढँग के कपडे पहने, अपना काम कर रहे थे, उसे अपना काम समझ कर । मुझे सिर ् फ़ बैठ कर देखना था । वो उनका खुद का काम था । वो अनुभव-आधारित था । वो सोलह आने खरा था । और वो उनके लिए मायने रखता था । और वो आगे बढेंगे । कान ् सास से, मैं ख ़ ूबसूरत एरिज़ोना चली गयी. जहाँ मैंने फ़ ् लैगस ् टाफ़ में कई साल तक पढाया, और इस बार माध ् यमिक विद ् यालय के विद ् यार ् थियों को । सौभाग ् यवश, मुझे उन ् हें अमरीकी सरकार के बारे में नहीं पढाना था । मैं उन ् हें भूगोल जैसा अधिक रोमांचक विषय पढा ़ रही थी । और फ़िर से, और सीखने को आतुर थी । मगर दिलचस ् प बात एरिज़ोना में मिली इस नौकरी में, ये थी कि मुझे एक सचमुच असाधारण समझ वाले बच ् चों के साथ काम करने को मिला एक सचमुच के पब ् लिक स ् कूल में । और हमें कुछ ऐसे क ् षण मिले जिन ् होंने हमें कुछ गजब के अवसर दिये । और एक अवसर था जाकर पौल रुसेसाबगिना से मिलना, जो कि वही व ् यक ् ति हैं जिनकी कहानी पर होटल रवांडा नाम की पिक ् चर बनी थी । वो हमारे बगल के हाई-स ् कूल में बोलने आ रहे थे । हम तो बस पैदल ही वहाँ चले गये; बस का किराया भी नहीं लगा । बिल ् कुल मुफ़ ् त । बिलकुल सटीक अध ् ययन-यात ् रा । असली समस ् या ये थी कि सातवीं और आठवीं के बच ् चों से नरसंहार पर कैसे बात करें और कैसे इस विषय से निपटें, जिम ् मेदारी और सम ् मान के साथ, जिससे कि बच ् चों को भी समझ में आये । और इसलिये हमने पौल रुसेसबगिना को ऐसे व ् यक ् ति के उदाहरण के रूप में लिया जिन ् होंने लीक से हटकर भी अपने जीवन का सकारात ् मक इस ् तेमाल किया । फ़िर मैनें बच ् चों से कहा कि अपने जीवन से, या उनकी अपनी कहानी और उनकी अपनी दुनिया से ऐसे लोगों को ढूँढे जिन ् होंने पौल जैसा ही कुछ किया हो । मैने उनसे इस विषय पर एक चलचित ् र बनाने के लिये कहा । हम पहली बार ऐसा कुछ कर रहे थे । किसी को नहीं पता था कि कमप ् यूटर पर चलचित ् र कैसे बनाते हैं । मगर बच ् चे लगन से काम करने लगे । और मैने उन ् हें अपनी खुद की आवाज़ इस ् तेमाल करने को कहा । ये ऐसा क ् षण था जिसने मेरी आँखें खोल दीं कि जब आप बच ् चों से खुद की आवाज़ इस ् तेमाल करने को कहते हो और उन ् हें अपने मन की बात बोलने को कहते हो, वो बहुत ही गजब की बातें बाँटते हैं । इस प ् रयोग का आखिरी सवाल था: कैसे आप अपने जीवन से दूसरों पर सकारात ् मक प ् रभाव डालेंगे? वो बातें जो बच ् चे बोलते हैं यदि आप उनसे पूछें और समय निकाल कर सुनें, असाधारण होती हैं । और फ़िर सीधे पेन ् सिलवेनिया, जहाँ मैं आजकल हूँ । मैं विज ् ञान नेतृत ् व अकादमी (साइंस लीडरशिप अकादमी) में पढाती हूँ, जो कि एक साझेदारी है फ़ैंकलिन संस ् थान और फ़िलेडेल ् फ़िया विद ् यालय डिस ् ट ् रिक ् ट के बीच । हम पब ् लिक स ् कूल हैं नवीं से बारहवीं तक, मगरह हम थोडा सा अलग हैं । मेरे वहाँ जाने का मुख ् य कारण था ऐसे शिक ् षण पर ् यावरण का हिस ् सा बनना जो कि उसी पद ् धति को स ् थापित करता है, जिससे मेरी समझ से, बच ् चे सचमें सीखते हैं जो कि पूरी तरह खोजना चाहे उसे जो कि संभव है तब जब आप तैयार हो पुराने नज़रिये को दरकिनार करके सोचने के लिये, जानकारी के अभाव के जमाने के नज़रिये, तब के जब मेरी दादी स ् कूल में थीं, तब के मेरे पिता स ् कूल में थे, और तब के भी जब मैं भी स ् कूल में थी, और सुलभ-जानकारी के ज़माने के नज़रिये को अपना लें । तो हमें क ् या करना चाहिये जब आसपास जानकारी और ज ् ञान पटा पडा हो? क ् यों आप बच ् चों को विद ् यालय बुलायेंगे जब कि उन ् हें जानकारी के लिये आने की ज़रूरत ही नहीं है? फ़िलेडेल ् फ़िया में हम वन-टू-वन लैपटॉप कार ् यक ् रम चलाते हैं, इसलिये बच ् चे अपने साथ हर रोज़ लैपटॉप लाते हैं, घर ले जाते हैं, जानकारी प ् राप ् त करते हैं । और आप को इस बात के साथ साम ् य अनुभव करना होगा कि जब आपने बच ् चों को ज ् ञान पाने का ज़रिया दे दिया है, तो आपको इस बात से समझौता करना होगा कि बच ् चे का असफ़ल होना, सीखने की प ् रक ् रिया का हिस ् सा है । हम आजकल ऐसे शिक ् षण वातावरण से जूझ रहे हैं जो कि ग ् रसित है 'एक ही सही उत ् तर है' की संस ् कृति से, जिससे की किसी उत ् तर-पुस ् तिका के खानों में चिन ् ह लगाया जा सके, और मैं आपको ये बताना चाहती हूँ, कि ये सीखने की प ् रक ् रिया नहीं है । ये गलत से भी गलत है कि हम बच ् चों से कभी भी गलती न करने को कहें । उन ् हें हमेशा केवल सही उत ् तर देने के लिये प ् रोत ् साहित करने से उन ् हें सीखने का मौका नहीं मिलता है । तो हमने एक योजना कार ् यान ् वित की, और ये इस कार ् यक ् रम में बनी एक कृति है । मैं शायद ही कभी इसे दिखाती हूँ क ् योंकि ये असफ़ल होने से जुडा है । मेरे विद ् यार ् थियों ने इन जानकारियों के चित ् रणों को बनाया एक कार ् यशाला के तहत जो हमने साल के अंत में करने का निर ् णय लिया था तेल-रिसाव पर प ् रतिक ् रिया देने के लिये । मैनें उनसे उन उदाहरणों को देखने को कहा जो कि जानकारी का चित ् रण कर रहे थे तमाम संपर ् क-साधनों में, और ये देखने के लिये कि उनके रोचक भाग कौन से हैं, और फ़िर खुद कुछ बनाने के लिये अमरीकी इतिहास की किसी अलग मानव-निर ् मित विपत ् ति पर । और उनके पास ये करने के लिये एक ढाँचा भी था । उन ् हें ये थोडा कठिन लग रहा था, क ् योंकि ऐसा पहले किसी ने नहीं किया था, और उन ् हें नहीं पता था कि करना क ् या है । वो बहुत अच ् छा बोलते है - धाराप ् रवाह तरीके से, और वो लिखते भी बहुत अच ् छा हैं - सच में बहुत ही अच ् छा, पर अपने विचारों को इतने अलग अंदाज़ में बयान करना थोडा कठिन था । पर मैनें उन ् हें मौका दिया बस कर डालने का । जाओ, बनाओ । देखो क ् या निकलता है । देखते हैं कि हम क ् या कर सकते हैं । और जो विद ् यार ् थी हमेशा सबसे अच ् छा चित ् र बनाता था, उसने निराश नहीं किया । ये करीब दो या तीन दिन में किया गया काम है । और ये उस विद ् यार ् थी का काम है जो हमेशा अच ् छा चित ् रण करता था । और जब मैनें अपने विद ् यार ् थियों से पूछा, "" किसका सबसे अच ् छा है? "" तो एक ् दम सबने कहा, "" ये वाला । "" किसी ने कुछ पढा नही । सीधे कहा "" ये वाला । "" और मैने कहा, "" ये वाला सबसे अच ् छा क ् यों है? "" तो उन ् होंने कहा, "" इसका डिजाइन बढिया है, इसमें बढिया रँग हैं । और इसमें ये है, वो है... "" और उन ् होंने वो सब कहा जो सामने से दिख रहा था । और मैने कहा, "" अब जाओ, उसे पढो । "" तब उन ् होंने कहा, "" ह ् म ् म, ये शायद उतना अच ् छा नहीं है । "" और फ़िर हम दूसरे वाले पर गये — उसमें चित ् रण उतना अच ् छा नहीं था, मगर वो बहुत ज ् ञानप ् रद था — और करीब एक घंटा तक हमने सीखने की प ् रक ् रिया पर बात की, क ् योंकि बात ये नहीं थी कि कौन सा बेहतर है, या मैं क ् या बना पाया; इस में उन ् होंने स ् वयं के लिये रचना की । और इसने उन ् हें असफ़ल होने दिया, और उस अनुभव से सीखने दिया । और जब हम इस साल फ़िर से मेरी कक ् षा में ये करेंगे विद ् यार ् थी बेहतर काम कर पायेंगे । शिक ् षण-प ् रक ् रिया में असफ़लता का पुट होना अत ् यावश ् यक है, क ् योंकि असफ़लता से ही सही निर ् देश मिल पाते है । यहाँ लाखों तस ् वीरें है जिन ् हें मैं दिखा सकती हूँ, और मुझे सावधानी से चुनना पडा — ये मेरी मनपसंद तस ् वीर है — सीखते हुए बच ् चों की, और सीखना कैसा हो सकता है यदि हम इस दकियानूसी विचार का चोगा उतार फ़ेंके कि बच ् चों को सीखने के लिये विद ् यालय आने की ज़रूरत है, और इसके बजाय, उनसे ही पूछें कि उन ् हें क ् या करना है । उनसे रोचक प ् रश ् न पूछें । वो आपको निराश नहीं करेंगे । उनसे अलग अलग जगहों पर जाने के लिये कहिये, चीज़ों को खुद समझने के लिये कहिये, खुद अनुभव करने के लिये कहिये, खेलने के लिये, जिज ् ञासु होने के लिये कहिये । ये भी मेरी सबसे पसंदीदा तस ् वीरों में से है, क ् योंकि ये उस मंगलवार को ली गयी थी, जब मैने बच ् चों से वोट डालने के लिये कहा । ये है रोबी, और ये इसका वोट डालने का पहला मौका है, और ये सबको बताना चाहता था और वोट करना चाहता था । मगर ये भी तो सीखना ही है, क ् योंकि हम उन ् हें असल जगहों पर जाने के लिये कह रहे हैं । असल मुद ् दा ये है कि, यदि हम शिक ् षा का मतलब सिर ् फ़ विद ् यालय आना और जानकारी प ् राप ् त करना समझते रहे, बजाय अनुभवशील शिक ् षा के, बजाय विद ् यार ् थियों को सुनने के, और बजाय असफ़लता को स ् वीकार करने के, हम बहुत पीछे छूट जायेंगे । और वो सब जिसके बारे में आज सबलोग बात कर रहे हैं बिल ् कुल संभव नहीं होगा यदि हम ऎसी शिक ् षा-प ् रणाली को पालते रहेंगे जो इन गुणों का मूल ् य ही नहीं आँक पाती है, क ् योंकि एक धुरी और मानक पर चलने वाले प ् रश ् नोत ् तरीय तरीके से कुछ नहीं होगा, और न ही 'सही उत ् तर पर चिन ् ह लगाओ' की संस ् कृति हमें कुछ देगी । हम जानते है कि इस से बेहतर कैसे हो सकता है, और अब समय आ गया है बेहतर बनने का । (तालियों सहित अभिवादन) मैं आप लोगों से चिकित ् सा की भविष ् य के बारे मे बात करना चाहता हूँ | लेकिन इस से पहले मैं अतीत के बारे में थोड ़ ा बहुत बात करना चाहता हूँ । अब, चिकित ् सा के हाल के अधिकांश इतिहास में, हम ने गहराई से साधारण मॉडल के संदर ् भ में बीमारी और उपचार के बारे में सोचा था । असल में, मॉडल बहुत आसान आप इसे छे शब ् दों मे सारांश निकाल सकते है: बीमारी पाना, गोली लेना, कुछ वध | ये मॉडल के प ् राबल ् य के लिए कारण अक ् सर प ् रतिजैविक क ् रांति है | आप में से कई को ये पता नहीं हो सकता, लेकिन हमें संयुक ् त राज ् य अमेरिका में एंटीबायोटिक दवाओं की शुरूआत के सौवें साल का जश ् न मनाना होगा । लेकिन क ् या आप जानते हैं कि शुरूआत परिवर ् तनकारी से कम नही था । यहाँ आप एक रासायनिक, या तो प ् राकृतिक दुनिया से या कृत ् रिम रूप से प ् रयोगशाला में संश ् लेषित और यह होगा बेशक अपने शरीर के माध ् यम से, यह अपने लक ् ष ् य मिल जाएगा अपने लक ् ष ् य में बंद — एक सूक ् ष ् म जीव या एक सूक ् ष ् म जीव का हिस ् सा - और फिर एक ताला और एक चाबी बंद कर देते हैं उत ् तम निपुणता, उत ् तम विशिष ् टता के साथ । और आप एक पहले से जो प ् राणघातक, घातक व ् याधि होगी उसे लेंगे — एक न ् युमोनिया, सिफिलिस, ट ् युबरक ् युलोसिस — और उसे चंगा होने के योग ् य या इलाज के योग ् य व ् याधि मेँ बदल देंगे | आपको न ् युमोनिया है, आप पेंसिलिन लेंगे, आप सूक ् ष ् म जीवि को मार देंगे, और आप व ् याधि का इलाज करेंगे | ताला और चाबी के इतने शक ् तिशाली रूपक, और किसीको मारना ये विचार इतना आकर ् षक थी कि, यह वास ् तव में जीवशास ् त ् र के माध ् यम से बह रही थी । यह किसी और रूपांतर जैसा नही था | और हम सच मेँ पिछले १०० साल फिर से उस मॉडल को दौहराने मेँ गैर संक ् रामक रोगों मेँ, पुराने रोगोँ जैसे मधुमेह, और उच ् च रक ् तचाप और दिल की बीमारी | और यह काम किया, लेकिन अंशिक रूप मेँ काम किया | मुझे आपको दिखाने दीजिये | आप जानते हैँ, अगर आपके शरीर के लिए सक ् षम है कि हर रासायनिक प ् रतिक ् रिया के, सम ् पूर ् ण ब ् रह ् मांड लेंगे, ज ् यादा लोग ये सोचते है कि वो संख ् या दस लाख के करीब होगा | हम उसे एक कुछ दशलक ् ष कहेंगे | अब आप प ् रश ् न ये पूछेंगे,औषधिशास ् त ् र, औषधीय रसायन शास ् त ् र वास ् तव मेँ लक ् ष ् य बना सकते हैँ? वो संख ् या है २५० | बाकी पूरा रसायन अंधकार है | दूसरे श ् ब ् दोँ मेँ, आपके शरीर मेँ हो रहे पूरे रसायन प ् रतिक ् रियाओँ मेँ ०.०२५ प ् रतिशत वास ् तव मेँ इस ताला और चाबी के तंत ् र द ् वारा लक ् षित हो रहे हैं । आप जानते हैँ, अगर आप मानव शरीर विज ् ञान को बातचीत नोड ् स और बातचीत खंडोँ के साथ, एक विशाल वैश ् विक टेलीफोन नेटवर ् क के रूप मेँ सोचते फिर हमारा पूरा औषधीय रसायन शास ् त ् र उस नेटवर ् क की एक छोटे से कोने पर किनारे, बाहरी छोर पर काम कर रहा है | ये जैसे सब हमारा फार ् मास ् युटिकल रसायन शास ् त ् र एक पोल आपरेटर विचिटा, कॅन ् सास मेँ जो १० या १५ टेलिफोन लाइन ् स के साथ छेड छाड किया हो | तो हम इस विचार के साथ क ् या करेंगे? हम अगर इस पहुंचको पुनरर ् घठित करेंगे तो क ् या होगा? असल मेँ, प ् राक ् रुतिक दुनिया हमेँ बीमारी, चिकित ् सा, लक ् ष ् य के बजाय एक बिल ् कुल अलग तरीके से,ये एहसास देता है | असल मेँ, प ् राक ् रुतिक दुनिया पदानुक ् रम ऊपर की ओर आयोजित किया जाता है, नीचे की ओर नही, पर ऊपर की ओर, और हम शुरू करते हैँ एक स ् व-विनियमन, अर ् द ् ध स ् वायत ् त मात ् रक जिसे सेल बुलाया | ये स ् व-विनियमन, अर ् द ् ध- स ् वायत ् त मात ् रक अंग स ् व-विनियमन, अर ् द ् ध-स ् वयत ् त नामक मात ् रकोँ को उत ् पन ् न करते हैँ, और ये सब अंगोँ संगठित होकर मनुष ् य नाम के चीज बनाते हैँ, और ये जीवोँ जो अंशिक रूप से स ् व-विनियमन और अंशिक रूप से अर ् द ् ध-स ् वयत ् त हैँ, अंततः वातावरण में रहते हैं | ये नई योजना मेँ अच ् छा क ् या है?, इस श ् रेणीबद ् ध योजना ऊपर की ओर आयोजित किया जाता है नीचे की ओर नही, है जो ह ् मेँ व ् याधी के बारे मेँ एक अलग तरीके से सोचने की अनुमती देता है | कैंसर जैसा एक व ् याधी को लेलो | १९५० से हम ये ताला और चाबी नमूना कैंसर को लागू करने के लिये सख ् त कोशिष कर रहे हैँ | हम कोशिकाओँ को मारने की कोशिश किये तरह तरह के कीमोथेरपी या लक ् षित थेरपी इस ् तेमाल करके, और जैसे हम मेँ से बहुत लोग जानते है, वह काम किया | वह ल ् युकेमिया जैसे रोग केलिये काम किया | वह स ् तन कैंसर के कुछ रूपोँ मेँ काम किया, पर अंततः आप उस दृष ् टिकोण की छत के लिए चला रहे हैं । और सिर ् फ पिछले दस साल मे हम प ् रतिरक ् षा प ् रणाली को उपयोग करने कीबारे मेँ सोचना शुरू किये, ये याद करके कि वास ् तव मेँ कैंसर कोशिका शून ् य मेँ नही उगती | वह वास ् तव मेँ मानव जीव मेँ उगता है | और क ् या आप जीवधारी क ् षमता का उपयोग कर सकते हैँ, कैंसर पर वार करने के लिये? ये सत ् य है कि मानव का एक प ् रतिरक ् षा प ् रणाली है हालाँकि, ये कैंसर के सबसे शानदार नये दवाइयोँ का नेत ् रुत ् व किया है | और अंत मेँ पर ् यावरण का स ् तर है, है कि नही? पता है, हम कैंसर को पर ् यावरण मेँ बदलाव जैसा नही सोचते | पर मुझे आप को गहराई से कैंसरकारी पर ् यावरण का एक उद ् धरण देने दो | उस को जेल बुलाते हैँ | आप अकेलापन को लेलो, आप मंदी को लेलो, आप कारावास को लेलो, और आप उसको जोड दीजिये, कागज के एक छोटे सफेद चादर में लुढ ़ का, हमारे जानकारी मेँ सबसे श ् क ् तिशाली न ् युरोस ् टिमुलन ् ट मेँ से एक निकोटिन नाम का, और उसको आप सबसे शक ् तिशाली नशे की लत मेँ से एक को जोड दीजिये, और आप पायेंगे एक समर ् थक कैंसरकारी पर ् यावरण | पर आप विरोधी कैंसरकारी वातावरण भी पा सकते हैँ | परिवेश बनाने की प ् रयास कर रहे हैँ, उदाहरण के लिये, स ् तन कैंसर के लिये हार ् मोनल परिवेश बदल जाना | हम दूसरे तरह की कैंसरोँ मेँ चयापचय परिवेश को बदलने की कोशिश करते हैँ | या दूसरे रोग को लो, जैसे अवसाद | फिर से, ऊपर की तरफ काम करते हुए, १९६० और १९७० से, हम सख ् त फिर से कोशिश की है तंत ् रिका कोशिकाओं के बीच संचालित अणुओं को बंद करने के लिए - सिरोटोनिन, डोपमैन — और मंदि को इस तरह से इलाज करने की कोशिश किया, और वह काम किया, लेकिन वह सीमा पहुंच गयी | और अब हम जानते हैँ कि वास ् तव मेँ हमेँ क ् या करने की जरूरत है कि अंगोँ की, मस ् तिष ् क की शरीर विज ् ञान बदलना चाहिये, उसको फिरसे जोडिए करो, फिर से तैयार करो, और वह जाहिर है, हमे पता है अध ् ययन पर अध ् ययन दिखा दिया किबात चिकित ् सा वोही काम करती है, और अध ् ययन पर अध ् ययन ये दिखा दिया कि बात चिकिस ् ता दवाइयाँ, गोलियाँ के साथ मिलकर वास ् तव मेँ दोनोँ मेँसे एक अकेलेसे अधिक प ् रभावी है | हम अवसूद को बदलने वाला तल ् लीन पर ् यावरण कल ् पना कर सकते हैँ? आप अवसाद को प ् रकट करनेवाला संकेत को ताला लगा सकते हैँ? फिर, संगठन के इस श ् रेणीबद ् ध श ् रृंखला के साथ ऊपर की तरफ बढ ़ रहा है । वास ् तव में यहां दांव पर क ् या है खुद दवाई नही बल ् कि रूपंतर है | गँभीर चिरकारी अपेक ् षीय रोगोँ — गुर ् दे की विफलता, मधुमेह, उच ् च रक ् तचाप, ऑस ् टियोआर ् थराइटिस — के मामलोँ मेँ किसी चीज को मारने की बजाय, हमेँ वास ् तव मेँ क ् या करने की जरूरत है कि रूपांतर को बदलना नाकि किसी चीज को बढायेँ | और शायद वह कुंजी है, हमारे सोचने की तरीके को फिर से निर ् माण करने के लिए | अब, ये बदलने की विचार, एक अवधारणात ् मक पारी बनाने की, लगभग १० साल पहले एक बहुत ही व ् यक ् तिगत रूप में बसेरा करने के लिए मेरे पास आया था | लगभग दस साल पहले — मैँ मेरे अधिकांश जीवन एक हरकारा था —मैँ वापस आया और जागा और मैं मूल रूप से हिल नहीं पारहा था । और आप हड ् डी के खिलाफ हड ् डी की अशुभ कमी सुन सकते हैँ । और वैद ् य होने का एक लाभ ये है कि आप अपना MRI खुद मंगा सकते हैँ | और मेरा MRI अगले हफ ् ते हुआ, और वह ऐसा दिख रहा था | मूलतः, हड ् डी के बीच कि उपास ् थि का मेनिस ् कस पूरीतरह से टूट चुका था और हड ् डी ही टूट गया था | अब आप मेरे तरफ देख रहे हैँ और खेद मेहसूस कर रहे हैँ, मुझे आप को कुछ बातेँ बताने दीजिये | अगर मैँ यहाँ के श ् रोतागण के हर व ् यक ् ति के MRI लूंगा, आप मेँ से ६० प ् रतिशत इसतरह के हड ् डी अध: पतन और उपास ् थी अध: पतन के लक ् षण दिखायेंगे | ७०साल की उम ् र से सभी महिलाओं में से ८५ प ् रतिशत उदार से तीव ् र उपास ् थि के अध: पतन लक ् षण दिखायेंगे | इस स ् रोतागण के पुरुषोँ मेँ ५० से ६० प ् रतिशत भी ऐसे लक ् षण दिखायेंगे | ये बहुत आम रोग है | खैर, वैद ् य होने का दूसरा लाभ ये है कि आप अपने बीमारिओँ पर खुद प ् रयोग करने को मिलता है | तो १० साल पहले हमने शुरू किया, हम इस विधि को प ् रयोगशालामेँ लायेँ, और हम सरल प ् रयोगोँ करना शुरू किये, इस अध: पतन को बुद ् धिरहित रूप से तय करने की कोशिश किया | हमने जानवरोँ के घुटनोँ के रिक ् थ स ् थानोँ मेँ रसायन इंजेक ् ट करने की कोशिश की हैँ उपास ् थि की अध: पतन को उल ् टा करने के लिये, और एक बहुत लंबी और दर ् दनाक प ् रक ् रिया पर संक ् षिप ् त सारांश डालने के लिये, अनिवार ् य रूप से यह शून ् य पर आया था । कुछ भी नही हुआ | और फिर सात साल पहले, ऑस ् ट ् रेलिया से एक शोध छात ् र हमारे पास आया था | ऑस ् ट ् रेलियंस के बारे मेँ अच ् छी बात ये है कि उनको दुनिया को उल ् टा देखने की आदत हो चुकी है | (हँसी) और इसीलिये डान ने मुझे सुझाव दिया, "" तुम जानते हो, शायद ये मेखानिकल समस ् या नही | शायद ये रसायन समस ् या नही | शायद ये स ् टेम सेल की समस ् या है | "" नँबर एक, कंकाल की स ् टेम सेल के रूप में ऐसी कोई चीज है — एक कंकाल की स ् टेम सेल जो पूरे कशेरुकी कंकाल को बनाती है, हड ् डी, उपास ् थि और कंकाल की रेशेदार तत ् वों, ठीक जैसे एक स ् टेम सेल खून मेँ है, ठीक वैसा एक स ् टेम सेल तंत ् रिका व ् यवस ् था मे है | और नंबर दो, शायद, इस स ् टेम सेल की अध: पतन या शिथिलता आस ् टियोखांड ् रियल गठिया, एक बहुत ही आम बीमारी के कारण है । तो वास ् तव मेँ प ् रश ् न ये है था कि, हम एक पिल के लिये देख रहे हैँ जब हमेँ वास ् तव मे एक सेल के तरफ देखना चाहिये | इसलिये हमने हमारे नमूने को बदल दिया, और अब हम कंकाल की स ् टेम कोशिकाओँ के लिये देख ् ना शुरू किया | और फिर एक लंबी कहानी संक ् षेप में कटौती, पांच साल पहले, हमने इन सेल ् स को डूंढ लिया | ओ कंकाल मेँ रहते हैँ | यहाँ एक योजनाबद ् ध और फिर एक असली फोटोग ् राफ है । सफेद पदार ् थ हड ् डी है, और यह आप देख रहे हैँ लाल कालम ् स और पीले कोशिकाओँ एक ही कंकाल की स ् टेम सेल से पैदा हुई कोशिकाओं हैं - उपास ् थि के कॉलम ् स, हड ् डी के कॉलम ् स एक ही कोशिका मेँ से आरहे हैँ | ये कोशिकायेँ अद ् भुत हैँ | उन ् के चार गुण हैँ | नंबर एक उनको जहाँ जीने की उम ् मीद हो वो वहाँ रहते हैँ | वे सिर ् फ हड ् डी की और उपास ् थि की सतह के नीचे रहते हैं, आप जानते हैँ, जीव शास ् त ् र मेँ वह स ् थान, स ् थान, स ् थान है | और वे उचित क ् षेत ् रों पर जाते हैँ और उपास ् थि और हड ् डी बनाते हैँ | वह एक है | यहाँ एक दिलचस ् प लक ् षण है | आप उनको कशेरुकी कंकाल के बाहर निकाल सकते हैँ, आप उनको प ् रयोग शाला मेँ पेट ् रि डिषेस मेँ कल ् चर करसकते, और वे मरके उपास ् थि का स ् रुष ् टि करेंगे | हम कैसे उपास ् थि को पैसे या प ् यार के लिये नहीँ बना पाये? इन सेल ् स मरके उपास ् थि को बनायेंगे | वे अपने चारोँ ओर खुद के उपास ् थि के फर ् ल ् स बनायेंगे | वे, नँबर तीन, भंग के मरम ् मत के सबसे निपुण जो हमने कभी भी सामना किया | ये बहुत छोटा हड ् डी है, एक मौस का हड ् डी जो हमने तोडा और फिर खुद मरम ् मत करने के लिये छोड दिया | ये स ् टेम कोशिकायेँ आयेँ और हलदी मेँ, हड ् डी, सफेद मेँ, उपास ् थी, लगभग पूरी तरह से मरम ् म ् त किया | इतना तो है कि यदि आप एक फ ् लोरोसेंट डाई के साथ उन ् हें लेबल आप उन ् हेएक तरह के अजीब सेलुलर गोंद जैसे देख सकते हैँ फ ् राक ् चर के जगह मेँ आते हैँ, स ् थानीय स ् थर पर फिक ् स करते हैँ और उन ् के काम रोकते हैँ | अब, चौधा वाला सबसे भयंकर है, और वह ये है कि उनकी संख ् या तेजी सेगिरती है, तेजी से, दस गुना, पचास गुना, जैसे आप बडे होते हैँ | और वास ् तव मेँ क ् या हुआ, कि हम खुद को एक अवधारणात ् मक पाली मेँ पाते हैँ । हम पिल ् स को डूँढ ् ने गये पर हम सिद ् धंतोँ को खोज करते हुये खत ् म कर दिये | और कुछ मायनोँ मेँ हम इस विचार पर खुद वापस झुके थे: कोशिकायेँ, जीवोँ, वातावरण, क ् योंकि हम अब हड ् डी के स ् टेम सेल ् स के बारे मेँ सोच रहे थे, हम गठिया को एक सेलुलर रोग के रूप मेँ सोच रहे थे | और फिर अगला सवाल है कि वो अवयव हैं क ् या? क ् या आप शरीर के बाहर अंग का निर ् माण कर सकते हो? क ् या आप आघात के क ् षेत ् रों में उपास ् थि प ् रत ् यारोपण कर सकते हो? और शायद बहुत दिलचस ् पी से, क ् या आप ठीक ऊपर चढ ़ कर वातावरण की रचना कर सकते हो? आप को पता और हमें भी पता कि व ् यायाम से हड ् डीयों का पुनर ् निर ् माण होगा लेकिन हम मे से कोई भी व ् यायाम नहीं करते | इसलिये आप हड ् डी के लोडिंग और अनलोडिंग के तरीकोँ के कल ् पना कर सकते हो ताकि आप अध: पतन उपास ् थी का पुन: सृष ् ट या पुनरुद ् धार कर सकते हैँ? और शायद अधिक दिलचस ् प है, और अधिक महत ् वपूर ् ण बात, सवाल ये है कि क ् या आप इस मॉडल को अधिक विश ् व स ् तर पर लागू कर सकते हैं? जैसे कि मैंने पहले कहा था, कुछ चीज को मारना नही बल ् कि बढा करना दांव पर है | और यह मुझे लगता है, चिकित ् सा के बारे में सोचने के तरीके के बारे में सबसे दिलचस ् प सवालों की एक श ् रृंखला को जन ् म देती है । क ् या आपकी दवा एक सेल और गोली नही हो सकता है? कैसे हम इन कोशिकाओं को विकसित करेंगे? हम इन कोशिकाओं की हानिकारक व ् रुद ् धी को कैसे रोक सकते है? हम ने विकास छेडन ़ े की समस ् याओं के बारे में सुना है । क ् या हम बढ ़ नते हुए इन कोशिकाओं को रोकने के लिए आत ् महत ् या जीन प ् रत ् यारोपण कर सकते हैं? क ् या आपकी दवा शरीर के बाहर बनाया एक अंग हो सकता है जो फिर शरीर में प ् रत ् यारोपित किया गया? क ् या वो कुछ भ ् रष ् ट होने से रोक सकता है? अंग मे स ् मृति होने की जरूरत क ् या है? तंत ् रिका तंत ् र के रोगों के मामलों में, उन अंगों के कुछ स ् मृति है । हम कैसे उन यादों को प ् रत ् यारोपण कर सकते है? हम क ् या ये अंगों को बचा रख सकते हैं? क ् या इन ् सान की हरेक अंग को विकसित करके और उसको वापस रखना होगा? और शायद सबसे उलझन पैदा करते हुए, क ् या आपकी दवा एक वातावरण हो सकता है? क ् या आप वातावरण को पेटेंट कर सकते? आप जानते है, हर संस ् कृति में, शामन ् स दवाओं के रूप में वातावरण का उपयोग किया गया है । हम अपने भविष ् य के लिए क ् या कल ् पना कर सकते हैं? मैं ने मॉडल के बारे में कई बात की । मैं ने मॉडल के साथ इस बातचीत शुरू की । मॉडल के निर ् माण के बारे में कुछ विचार से खत ् म करूँ । यहीं हमारे जैसे वैज ् ञानिक करते है | आप जानते है कि जब एक वास ् तुकार मॉडल को बनाते है, वह लघु में आपको एक दुनिया को दिखाने की कोशिश कर रहा / रही है । लेकिन जब एक वैज ् ञानिक मॉडल को बनाते है, वह रूपक में दुनिया को दिखाने की कोशिश कर रहा / रही है । वह नई तरह से देखने की सृजन करने की कोशिश कर रहा / रही है । पहला पैमाने बदलाव है । बाद वाला एक अवधारणात ् मक बदलाव है । अब, एंटीबायोटिक दवा के बारे में पिछले सौ सालों में अपनी सोच में वास ् तव में रंगीन, विरूपित, बहुत सफलतापूर ् वक अवधारणात ् मक पारी बनाया | लेकिन हमें भविष ् य में दवा के बारे में सोचने के लिए नई मॉडलों की जरूरत है | कि दांव पर क ् या है | आप जानते है कि एक लोकप ् रिय खीस ् तयाग वहाँ है जिसके कारण है कि हमें परिवर ् तनकारी बीमारी के उपचार पर प ् रभाव नहीं पड ़ ा है क ् योंकि हमारे पास पर ् याप ् त शक ् तिशाली दवाओं नहीं है और ये आंशिक रूप से सच है । लेकिन शायद सही कारण ये है कि हमारे पास दवाई के बारे में सोचने की शक ् तिशाली तरीके नहीं है | ये जरूर सच है कि नई दवाई मिलने से अच ् छा होगा | लेकिन शायद वास ् तव में दांव पर जो तीन अमूर ् त समाप ् त हैं: तंत ् र, नमूने, रूपकों । धन ् यवाद | (तालियाँ) क ् रिस एंडरसन: मुझे वास ् तव में इस तरह की रूपक पसंद है । कैसे ये लिंक होता है? चिकित ् सा के निजीकरण के बारे में तकनीकी प ् रदेश में बहुत कुछ बात हो रही है, कि हमारे पास सब कुछ समाचार है और भविष ् य के चिकित ् सा उपहार विशेष रूप से आप के लिए हो, अपने जीनोम, अपने वर ् तमान संदर ् भ में होगा । क ् या इस नमूना के लिए ये लागू हो सकता है? सिद ् धार ् थ मुख ् रर ् जी: ये एक बहुत ही दिलचस ् प सवाल है | हम जीनोमिक ् स के मामले में बहुत ज ् यादा दवा के निजीकरण के बारे में सोचा है । ये इसलिए कि जीन एक ऐसा प ् रभावी रूपांतर है कि, फिर से, उस शब ् द को इस ् तेमाल करना, आज औषधि शास ् त ् र मेँ, कि हम ये सोचते जीनोम चिकित ् सा की निजीकरण को ड ् राइव करेगी | पर बेशक जीनोम एक लंबी श ् रुंखला की तल पर है, योँ कहिये तो | वह श ् रुंखला, वास ् तव मेँ उसका सबसे पहला संगठित मात ् रक, कोशिका है | तो, अगर हम वास ् तव में इस तरह से चिकित ् सा में वितरित करने के लिए जा रहे हैं, हम सेलुलर उपचारों को व ् यक ् तिगत के बारे में सोचना है, और फिर अंग या जीवधारी उपचारों को व ् यक ् तिगत, और अंत मेँ पर ् यावरण के लिए इमार ् शन के उपचारों को व ् यक ् तिगत रूप देना पडेगा | इसलिए मुझे लगता है कि आप जानते हैं, हर स ् तर पर लगता है कि — रूपक ये है कि सभी तरह से कछुए वहाँ है । खैर, इस में, पूरी तरह से निजीकरण है । CA: तो अगर आप जब कहते हैं कि दवा एक सेल हो सकता है और एक गोली नहीं, आप संभवतः अपने ही सेलों के बारे में बात कर रहे हैं । SM: बिल ् कुल । CA: तो स ् टेम सेल में परिवर ् तित करके, शायद सभी प ् रकार के दवाओं या और कुछ के खिलाफ जांच करके और तैयार किया । SM: और कोई शायद नहीं है । यही है जो हम कर रहे है । यह क ् या हो रहा है, और वास ् तव में, हम धीरे-धीरे आगे बढ ़ रहे हैं, जीनोमिक ् स से दूर नही, बल ् कि जीनोमिक ् स को हम क ् या कहते बहु-व ् यवस ् था, अर ् द ् ध स ् वायत ् त, आत ् म विनियमन प ् रणालियों, मेँ शामिल करते हुये जैसे कोशिकायेँ, जैसे जीवोँ, जैसे वातावरण | मेरी पत ् नी को स ् तन कैंसर के साथ निदान किया गया स ् पष ् ट है, वो मेरी पत ् नी के लिए बहुत कठिन थे या फिर कम आक ् रामक इलाज सही रहेगा? कि डॉक ् टर अपने आप को कानूनी तौर पर बचाना चाहते हैं | और कुछ उत ् तर पाने के लिए | आज मैं आपके साथ इनमे से एक अध ् ययन बांटूंगा | मैं जल ् द ही आपको इन पहेलियों के कुछ उदाहरण दूंगा | ऐ बी डिज ़ ाइन, ऐ बी टेस ् टिंग | अब आप सब चाय पीयेंगे सोचिये कि आप चाय पी रहे हो आपसे मैच करते | न ही आप लोग कम पहेलियाँ सुलझा रहे हैं, एक है, कि आप पहेलियाँ सुलझाने में, नतीजे लायेगा? आप अपने निर ् णय के लिए जिम ् मेदार थे | तो आप क ् या करते हैं? इसलिए, ऐसे वक ् त में आप INCA का सामना कर रहे हैं, मैं एक उत ् साहित नोट पर समाप ् त करूँगा | अभी... चलो समय में पीछें जाते है. १९७४ में. दुनिया में कहीं तोह गॅलरी है, और वहाँ २३ साल की लड़की है, बिच जगह में रुकी हुई | उसके सामने टेबल है. और टेबल पे ७६ चीजें है ख़ुशी के लिए और दर ् द के लिए | कुछ चीजे पानी का ग ् लास, कोट, जूता, गुलाब | और छुरा, रेजर ब ् लेड, हातोडा और एक गोली के साथ पिस ् तौल भी है | वहाँ पे सुचनाए है जो बताती है, "" मै एक चीज हूँ | आप टेबल पर से सभी चीजे मुझ पर इस ् तेमाल कर सकते है | मैं ही इसकी जिम ् मेदारी लेती हूँ — मुझे मारने की भी | और छह घंटे का समय है | "" इस कृत ् य की शुरुवात आसन थी | लोग मुझे पिने के लिए पानी देते, उन ् होंने मुझे गुलाब दिया | लेकिन बाद में जल ् द ही, वहाँ एक आदमीने कैची लिई और मेरे कपड़े फाड़े, और बादमें उन ् होंने गुलाब के कांटे निकाल के मेरे पेट पे बोएं | किसीने रेजर ब ् लेड लेके मेरी गर ् दन पे लगाया और खून पिया, और घाव के निशाँ अभीभी है | महिलाएं पुरुषों को बता रही थी क ् या कोय जाए | और पुरुषों ने मेरा बलात ् कार नहीं किया क ् यूँ की साधारण संभावना थी | और यह सभी सार ् वजनिक हो रहा था, और वोह उनकी पत ् नी के साथ थे | उन ् होंने मुझे गोल घुमाया और मुझे टेबल पे रखा, और मेरे पैरों के बिच में छुरा रखा | और किसीने पिस ् तौल और गोली लेके मेरे माथे पर रखी | और एक व ् यक ् ती ने पिस ् तौल लियी और झगड़ा चालु किया | और छह घंटे खतम हुए, मैने... लोगों के तरफ चल के जाना चालु किया | मैं पूरी तरह बिखर गई थी | मैं अर ् ध नग ् न थी, रक ् त से भरी हुई और चेहरा आंसू से भरा हुआ था | और सभियों ने पलायन किया, वोह भाग गए | वे मुझे साधारण इन ् सान की तरह सम ् मुख नहीं हो रहे थे | और बाद में — यह हुआ की मैं होटल में गई, सुबह के दो बजे थे | और मैंने अपने आपको आयने में देखा, और मेरे कुछ बाल भूरे थे | ठीक है — कृपया अपने आँख की पट ् टी निकाल ले | प ् रदर ् शन की दुनिया में आप का स ् वगर है | पहले यह बताते है की प ् रदर ् शन क ् या होता है | इतने सारे कलाकार, इतने सारे अलग व ् याख ् या, लेकिन मेरी प ् रदर ् शन के लिए व ् याख ् या आसान है | प ् रदर ् शन बौद ् धिक है और शारीरिक बनावट जो कर ् ता कुछ विशिष ् ट समय में श ् रोताओं के सामने करता है और उसके बाद उर ् जा आलाप होता है | श ् रोता और कर ् ता एक साथ एक टुकड़ा करते है | प ् रदर ् शन और रंगमंच में बहुत अंतर है | रंगमंच पे छुरा, छुरा नहीं होता और खून सिर ् फ सौस होता है | प ् रदर ् शन में खून एक पदार ् थ है, और रेजर ब ् लेड या छुरा हथियार | वोह सभी वहाँ पर मौजूदा स ् थितीपर आधारित है | और आप प ् रदर ् शन का सराव नहीं कर सकते, क ् यूंकि आप इसमें से बहुत से कार ् य दोबारा नहीं कर सकते — कभीभी | महत ् वपूर ् ण क ् या है, प ् रदर ् शन | पता है, सभी मनुष ् य हरबार सीधे साधे चीजो से घबराते है | हम पीड़ा और दर ् द से घबराते है | हमे मृत ् यु से डर है | तोह मैं क ् या कर रही हूँ — मैं इस सभी प ् रकार के भय को श ् रोताओ के सामने रखती हूँ | मैं आप की उर ् जा का इस ् तेमाल करती हूँ, और इस उर ् जा के साथ मैं अपने शरीर को प ् रवृत ् त करती हूँ | और उसके बाद मैं डर से मुक ् त हो जाती हूँ | और मैं आपका आइना हूँ | अगर मैं ये मेरे साथ कर सकती हूँ तो ये आप आपके साथ भी कर सकते है | बेलग ् रेड के बाद, जहाँ मैं पैदा हुई थी, मैं ऍमस ् टरडैम गई | और आपको पता है, मैं प ् रदर ् शन पिछले ४० साल से कर रही हूँ | और यहाँ मैं उले से मिली, और इस आदमी के साथ प ् यार हुआ | और हमने १२ साल तक एक साथ प ् रदर ् शन किया | आप को पता है छुरा और पिस ् तौल और एक गोली, मैं प ् यार और विश ् वास के साथ विनिमय करती हूँ | तो इस प ् रकार का कार ् य करने के लिए आप को इंसान पे पूरा विश ् वास रखना पड़ता है क ् यूंकि यह तीर मेरे छाती पर निशाना कर रहा था | तोह दिल की धकधक ् बढ़ रही थी यह विश ् वास के साथ है, और दुसरे इंसान पर पूरा विश ् वास | हमारे १२ साल के रिश ् ते में और हमने बहुत सारे विषयो में काम किया, और जैसे की हर रिश ् ता ख़त ् म होता है, हमारा भी हुआ | हमने कोई फोन नहीं किया जैसे इतर लोग करते है और बोलते है, "" यह आगे नहीं बढेगा | "" हमने ग ् रेट वॉल ऑफ़ चाइना चले अलविदा कहने के लिए | मैंने यलो सी से शुरुवात कियी, और उसने गोबी रेगिस ् तान से | हम दोनों तिन महीनो के लिए चले, ढाई हजार किलोमीटर | वो पर ् वत था, मुश ् किल था | वो चढाव थे, अवशेष थे | आप को पता है, वो १२ चीनी शहरो के बिचसे जाने जैसा था, यह चीन ८७ में खुलने से पहले था | और हम बीच मे मिलने में कामयाब हुए अलविदा कहने के लिए | और उसके बाद हमारे संबंध बंद हो गए | और अब, यह पूरी तरह से बदल चूका है जिस तरह मैं लोगों को देखती हूँ | और उन दिनों एक अच ् छा प ् रयोग मैंने किया जो की "" बाल ् कन बरोके "" था | और यह बाल ् कन जंग के समय की बात है, और मैं कुछ मजबूत बनाना चाहती थी, कुछ करिश ् मा जैसा, जो की कोई भी जंग के दौरान लागू हो, कभी भी | क ् यूंकि बाल ् कन जंग अभी समाप ् त हो चुकी है, किन ् तु कही न खी जंग चालु है | तोह इधर मैं बड़ी, मृत गाय के हड ् डिया धो रही हूँ | आप खून कभी धो नहीं सकते, नाकि जंग की शर ् मिंदगी | तोह मैं इसे छह घंटे, छह दिन और हड ् डियों से जंग हो रही है | और संभव हुआ — न सहने वाली बदबू | लेकिन कुछ यांदें रहती है | और यह प ् रदर ् शन है जो की मने हाल ही में मोमा में किया यह प ् रदर ् शन — जब मैंने क ् यूरेटर से पुछा "" मैं सिर ् फ खुर ् सी पे बैठने वाली हूँ, और मेरे सामने एक खाली खुर ् सी होगी, और लोगों में से जो चाहे आके कितने भी समय के लिए बैठ सकता है | "" क ् यूरेटर मुझे बोले, "" जानती हो, यह बकवास है, यह न ् यू यॉर ् क है, यह खुर ् सीखाली रहेगी, तुम ् हारे सामने बैठने के लिए किसी के पास समय नहीं है | (हंसी) लेकिन मैं आठ महीने बैठी | और हर रोज, आठ घंटा — म ् यूजियम के खोलने के समय — और १० घंटे शुक ् रवार को जब म ् यूजियम १० घंटे खुला रहता है और मैं कभी नहीं हिली | औरमैंने टेबल निकल दिया और बैठी रही | और इसने सभी बदल दिया | यह प ् रदर ् शन, शायद १० या १५ साल पुराना है — कुछ नहीं हुआ होता | लेकिन लोगों को कुछ और अनुभव चाहिए था | लोग अब समुदाय नहीं थे — एक से एक संबंध था | मैं इन लोगों देखती थी, वे आते थे, मेरे सामने बैठते थे, लेकिन उनको घंटो रुकना पड़ता था खुर ् सी पे बैठने के लिए | और जब वे बैठे | और क ् या हुआ? उनको बाकी लोग देख रहे थे, फोटो निकाल रहे थे, फिल ् म कर रहे थे | मैंने उनपर ध ् यान दिया और उनको उनसे ही बाहर निकलना था | और यही बदलाव लाता है | उसमे बहुत दर ् द और अकेलापन था वहाँ बहुतसी अचंबित करने वाली बाटी होती है जब आप किसी और के आँखों में देखते है | क ् यूनी उनकी अजनबी आँखों की चमक से जिनसे एक शब ् द से बात नहीं कियी — सब कुछ हो गया | और मुझे पता चला जब मैं उस खुर ् सी से तीन महीने बाद उठी, मैं अब वही इन ् सान नहीं रही | और मुझे पता चला की मेरा बड़ा मिशन है, जो की मुझे ये अनुभव व ् यतीत करना है सभी के साथ | और ऐसे ही मुझ में एक नई कल ् पना ने जन ् म लिया पदार ् थहिन ् प ् रदर ् शन कला इंस ् टिट ् यूट बनाना ने की | क ् युंकी पदार ् थ के बिना सोचना, एक समय आधारित कला कला है | यह पेंटिंग के समान नहीं है | चित ् र आप के दिवार पर है, कल भी उधर ही रहेगी | प ् रदर ् शन, अगर आप इसकी कमी महसूस कर रहे है, आप के पास सिर ् फ एक याद है, या किसी और की कहानी कोई और बता रहा है, लेकिन आप पूरी हिज भूल गए | तोह आपको वहाँ होना पड़ता है संगीत सबसे ऊपर है — सच में सभी कलाओ से ऊपर | क ् यूंकि यह पूरा पदार ् थहिन ् है | और आखिर में यह प ् रदर ् शन है, और उसके बाद बाकी सब | यह मेरा विषय है | यह इंस ् टिट ् यूट न ् यू यॉर ् क में हडसन में खुलेगी, हम रेम कूल ् हास युक ् ती के साथ इसको बांधेगे | और यह आसन है | अगर आप को अच ् छा अनुभव चाहिए तो आप को मुझे समय देना पड़ेगा | आपको प ् रवेश करने से पहले एक कॉन ् ट ् रैक ् ट साइन करना पड़ेगा, जो की पुरे छह घंटे व ् यतीत करने का होगा | आप को मुझे शब ् द देना होगा | यह कुछ पौराणिक है, अगर आप खुद के दिए शब ् द का अनुसरण नहीं कर सकते तो आप छोड़ सकते हो | वह मेरी चिंता नहीं है | किन ् तु यह छह घंटो का अनुभव है | और आप यह ख़त ् म करने के बाद, आप को सर ् टिफिकेट मिलेगा | घर ले जाओ और फ ् रेम बनाओ | (हंसी) यह ओरिएंटेशन सभागृह है | लोग अंदर आते है, और पहिली चीज आप को करनी पड़ेगी जो की लैब कोट ् स पहेनना | यह उतना महत ् व पूर ् ण है दर ् शक से अनुभवकारी बनने में | और बाद में आप लॉकर रूम में जाते हो और आपक आप की घडी, फ़ोन, आय पॉड, कंप ् यूटर और सभी डिजीटल इलेक ् ट ् रॉनिक उपकरणे | और आपको पहली बार आप के लिए मुक ् त समय मिल रहा है | क ् यूंकि टेक ् नोलॉजी में कुछ बुराइ नहीं | अपना टेक ् नोलॉजी की तरफ दृष ् टिकोण सही नहीं है | हम अपने लिए समय खो रहे है | यह वो इंस ् टिट ् यूट है जो की आपको यह समय वापस देगी | तोह आप यहा पे क ् या करते है | आप सामान ् यता की तरफ जा रहे हो | धीमे चलने के बाद आप पानी कैसे पिए सीखते हो | एक दम आसन, आधा घंटा पानी पिने का | इसके बाद आप चुम ् बकीय चेंबर में जाओगे | जहा आप अपनी शरीर पे चुम ् बकीय लहरे पैदा करोगे | इसके बाद आप क ् रिस ् टल चेंबर में जाओगे | क ् रिस ् टल चेंबर के बाद आँख विद ् या चेंबर में जाओगे | आय गेज ् हिंग चेंबर के बाद आप एक चेंबर में जाते हो, जहाँ आप सो रहे होते है | तो यह, मानवी शारीर की सामान ् य बैठक है | यह तीन में से एक सामान ् य है | और धीरे चलना | वहाँ ध ् वनी चेंबर है | और उसके बाद आपने ये सब देखा होगा |जैसे की पदार ् थहिन ् कला | ये संगीत, ओपेरा या नाटक हो सकता है | यह फिल ् म हो सकता है या फिर नृत ् य | आप लंबे समय वाली खुर ् सियोपे जा सकते हो क ् यूंकि आप अभी आराम से हो | लंबे समयवाली खुर ् सियो में, आप बड़ी जगह में कार ् य देखने के लिए ले जाए जाते हो | और अगर आप सोते हो, लंबा दिन होने की वजह से जो की संभव है आप को पार ् किंग में ले जाया जाएगा | (हंसी) और आप को पता है, निंद जरुरी है | निंद में भी, आप कला को अवगत कर रहे होते है | तो पार ् किंग में आप कुछ समय व ् यतीत करते है | और उसके बाद आप को पता ही है, पीछे जाए | और आप जो चीज देखना चाहते है वो देखते है या सर ् टिफिकेट के साथ घर जाते है | तो यह इंस ् टिट ् यूट अभी के लिए काल ् पनिक है | अभी मैं ब ् राज़ील में मेरी इंस ् टिट ् यूट बना रही हूँ, उसके बाद यह ऑस ् ट ् रेलिया में बनेगी, उसके बाद कनाडा आएगी और बाद में सभी जगह | और यह यह सामान ् य विधि के अनुभव के लिए है, आप कैसे जीवन की सामान ् यता के पास जाए | चावल गिनना कोई अलग बात होगी | (हंसी) आप अपनी जिंदगी मन सकते हो चावल गिनगिनके | छह घंटे के लिए चावल कैसे गिने? यह बहुत महत ् वपूर ् ण है | आप को पता है, आप पूरा गुस ् सा, बोरिंग की रेखा पार करते हो | पूरी तरह से दिमाग खराब करना दिए हुए चावल की गिनती पूरी न करना | आपको बहुत शांती मिलती है जब संतुष ् ट करने वाला काम पूरा होता है — या रेगिस ् तान में मिटटी गिनने का | या ध ् वनी हिन ् परिस ् तिथि में होते हो — आप के पास हेड फोन है, लेकिन कुछ सुनते नहीं | और तभी आप वहाँ होते हो ध ् वनी के बिना | लोगो के साथ शांति का अनुभव लेते हो, सिर ् फ सामान ् य शांति | जिंदगी में हमे जो अच ् छा लगता है वोह हम करते है | और इसीलिए आप बदल नहीं पा रहे हो | आप जिंदगी में कुछ करते हो — कुछ नहीं होता है अगर आप उसी तरीके से काम करते हो | लेकिन मेरी तकनीक में मुझे जिन चीजो से डर लगता है, मैं वो करती हूँ | जो चीजे मुझे मालुम नहीं | जहाँ कोई नहीं गया वहाँ से जाना | और उसके बाद हार | मुझे लगता है हार जरुरी है अगर आप जाते हो, आप प ् रयोग करते है, आप हार सकते है | अगर आप वो रस ् ते से नहीं जाते हो और आप हारते नहीं हो, आप खुद को दोहरा ते हो | और मुझे लगता है उसी मनुष ् यवर ् ग को बदलना जरुरी है | एक ही बदलाव जरुरी होता है, जो की, खुद में बदलाव | आप को खुद में एक बदलाव लाना पड़ेगा | क ् यूँकी ध ् यान और दुनिया बदलने का एक ही रास ् ता है, अपने से शुरुवात | दोष देना बहुत आसान है, कैसे अलग है, दुनिया की चीजे और वो सही नहीं, सरकार भ ् रष ् टाचारी है और दुनिया में भुकबली जा रहे है | और युद ् ध, खून खराबा है | लेकिन हम यह व ् यक ् तिगत स ् तर पर करते है | in साड़ी चीजो के साथ हमारा संबंध क ् या है? क ् या आप अपने बाजूवाले के तरफ घुमो गे, जो की आपको पता नहीं है, और अभी उनके आँखों में दो मिनिट के लिए देखिए | (चर ् चा) मैंने आपसे सिर ् फ दो मिनिट मांगे है जो की बहुत कम है | धीमी सांस ले, आँख बंद न करे, ध ् यान दे, शांत रहे | आप आँखों में न पहचान ने वाला इंसान देखे | (ख़ामोशी) मुझ पे विश ् वास करने के लिए धन ् यवाद | (तालियाँ) क ् रिस अँडरसन: धन ् यवाद | बहुत बहुत धन ् यवाद | वे घूमने वाले उपकरणों के साथ नहीं उड ़, और हमने एक मॉडल बनाने की कोशिश करी समुद ् र के चक ् कर और उसमे छलांग लगाते हुए, क ् युकी यह ऊर ् जा कुशल है और वजन, बीच में एक मोटर है,और हम गियर का उपयोग करते हैं और उठाना आसान है. हमें ऊपरी पंख पर उठाव मिलता है, और हमें निचले पंख पर प ् रणोदन मिलता है. मानवता टेड में केंद ् र स ् तर लेता है लेकिन मैं जानवरों के लिए एक आवाज जुटाना चाहता हूँ, जिनके शरीर और दिमाग और भावनाओं ने हमें रूप दिया । कुछ साल पहले, यह मेरा सौभाग ् य था एक द ् वीप पर एक ज ् येष ् ठ आदिवासी से मिलना दूर नहीं वैंकूवर से । उनका नाम, जिमी स ् मिथ है और उन ् होंने मुझे एक कहानी सुनाई जो कि उनके लोगों के बीच बताई जाती है, जो खुद को कवीकवासूतीनुकसव कहते हैं । एक समय की बात है, उन ् होंने मुझे बताया, पृथ ् वी पर सभी जानवर एक थे । वे भले ही बाहर से दिखने में अलग लगें, अंदर, वे सब एक ही हैं, और समय-समय पर वे इकट ् ठा होते गहरे जंगल के अंदर एक पवित ् र गुफा में अपनी एकता का जश ् न मनाने के लिए । जब वे आए, वे सब अपनी खाल उतार दें । काला कौआ अपने पंख निकालता, भालू अपनी खाल, और सैल ् मन अपने शल ् क, और फिर, वे सब नृत ् य करते थे । लेकिन एक दिन, एक मानव गुफा तक आ गया और उसने जो देखा उसपे हँसा क ् यूंकि उसके समझ में नहीं आया । शर ् मिंदा हो कर, जानवरों भाग गए, और वो आखरी बार था उन ् होनें खुद को इस तरह से व ् यक ् त किया । प ् राचीन समझ कि अपनी अलग पहचान के भीतर, सभी जानवर एक हैं, मेरे लिए एक शक ् तिशाली प ् रेरणा रही है । मैं परे जाना चाहता हूं खालों के, पंखों के और शल ् कों के । मैं खाल के अंदर जाना चाहता हूं | कोई फर ् क नहीं पड ़ ता कि मैं एक विशाल हाथी का सामना कर रहा हूं एक फोटोग ् राफर के रूप में, ताकि मैं दिखा सकूं कि वे वास ् तव में कौन हैं | जो कि एक बार उस पवित ् र गुफा में हुआ । नृत ् य में शामिल होने के लिए एक रास ् ता खोजते हैं । मैं वास ् तव में आभारी हूँ कि मुझे हर किसी के लिए वादन का मौका मिला है । कई पितृसत ् तात ् मक समाजों और आदिवासी समाजों में, पिता को आमतौर पर बेटों से जाना जाता है, लेकिन मैं उन कुछ पिताओं में से हूँ, जो अपनी बेटी से जाने जाते हैं, और जब उसके प ् रयासों को २०११ में सम ् मानित किया गया, और जब उसे राष ् ट ् रीय युवा शांति पुरस ् कार दिया गया, लेकिन अब मै उसका पिता हूँ | नारी की कहानी अन ् याय, असमानता, हिंसा और शोषण की कहानी है | जैसा कि आप देखते हैं, पुरुष प ् रधान समाजों में, शुरू से ही, जब एक लड़की जन ् म लेती है, उसका जन ् म मनाया नहीं जाता | उसका स ् वागत नहीं किया जाता, न तो पिता के द ् वारा और न ही माँ के द ् वारा | पड़ोसी आते हैं और माँ के साथ हमदर ् दी जताते हैं और कोई भी पिता को बधाई नहीं देता | और एक माँ बहुत असहज महसूस करती है एक लड़की को जन ् म दे कर | जब वो पहली बार एक लड़की को जन ् म देती है, उसकी पहली बेटी, वो दुखी होती है | जब वो दूसरी बेटी को जन ् म देती है, वो भयभीत हो जाती है, और एक पुत ् र की आशा में, जब वो तीसरी बेटी को जन ् म देती है, वो एक अपराधी की तरह दोषी महसूस करती है | न सिर ् फ माँ को भुगतना पड़ता है, बल ् कि वो बेटी, वो नवजात बच ् ची, जब बड़ी हो जाती है, तब वो भी सहती है | पांच वर ् ष की आयु में, जब उसे विद ् यालय जाना चाहिए, वो घर पर रहती है और उसके भाइयों का स ् कूल में दाखिला करा दिया जाता है | १२ वर ् ष की आयु तक, किसी तरह, वो एक अच ् छा जीवन बिताती है | वो मस ् ती कर सकती है | वो दोस ् तों के साथ सड़कों पर खेल सकती है, और वो गलियों में घूम सकती है तितली की तरह | लेकिन जब वो किशोरावस ् था मे प ् रवेश करती है, जब वो १३ साल की हो जाती है, वो अब एक स ् वतंत ् र व ् यक ् ति नहीं रहती | अपने पिता और भाइयों और परिवार के लिये, और अगर वो उस तथाकथित सम ् मान का उल ् लंघन करती है, और यह भी दिलचस ् प है किन सिर ् फ एक लड़की के जीवन पर असर डालता है, ये परिवार के पुरुषों की जिंदगी को भी प ् रभावित करता है | और वो एक भाई, वह खाड़ी देशों में जाकर बस गया है, जिससे वो अपनी ७ बहनों और माता पिता के लिये रोज़ी रोटी कमा सके, क ् योंकि वो ऐसा सोचता है कि यह बहुत ही अपमानजनक होगा अगर उसकी बहनें कोई कौशल सीख जायें और वो घर से बाहर जाकर कुछ कमाने लगें | तो ये भाई, अपने जीवन के सुख, और अपनी बहनों की खुशियों का, इस तथाकथित सम ् मान की वेदी पर, बलिदान कर देता है | और पुरुष प ् रधान समाजों का एक और आदर ् श है एक अच ् छी लड़की उसको माना जाता है जो बहुत शांत, बहुत विनीत और बहुत विनम ् र हो | यही मापदंड है | एक आदर ् श अच ् छी लड ़ की को बहुत ही शांत होना चाहिए | उसे चुप रहना चाहिए और उसे अपने माता पिताभले ही उसे वह पसंद न हों | अगर उसकी शादी किसी ऐसे आदमी से होती है जिसे वो पसंद नहीं करती या फिर अगर उसकी शादी किसी बूढ़े आदमी से होती है, उसे स ् वीकार करना पड़ेगा, क ् योंकि वो नहीं चाहती किसी कवयित ् री के लफ ् ज़ों में, उसकी शादी होती है, फिर सम ् भोग, और फिर वो जन ् म देती है, और भी बेटों और बेटियों को | और ये स ् थिति की विडम ् बना है, कि यही माँ, फिर अपनी बेटियों को वही आज ् ञाकारिताऔर बेटों को वही सम ् मान का पाठ पढ़ाती है | और यह कुचक ् र चलता चला जाता है | देवियों और सज ् जनों, लाखों स ् त ् रियों की इस दुर ् दशा को बदला जा सकता है, अगर हम अपनी सोच को बदलें, अगर स ् त ् री और पुरुष अपनी सोच विकसित करें, अगर पुरुष और स ् त ् री,यदि वो अपने राज ् यों मे भेदभावपूर ् ण कानूनों की उन व ् यवस ् थाओं को ख़त ् म कर सकें, मेरा विश ् वास कीजिये, मुझे नवजात बच ् चे पसंद नहीं हैं, सच में, पर जब मैं गया और मैने उसकी आँखों में देखा, मेरा विश ् वास कीजिये, मैंने अत ् यंत सम ् मानित महसूस किया | और उसके पैदा होने के काफी समय पहले मैंने उसका नाम सोचा था, और मै अफगानिस ् तान की एक वीर महान स ् वतंत ् रता सेनानी से प ् रभावित था | और मैने उनके नाम से अपनी बेटी का नाम रख दिया | मलाला के जन ् म के कुछ दिन बाद, मेरी बेटी के जन ् म के बाद, मेरे भाई आये - और संयोग से - वो मेरे घर आये, और एक वंश-वृक ् ष साथ लाये - युसुफजई परिवार का वंश-वृक ् ष - और जब मैंने उस वंश-वृक ् ष को देखा, तो उसमें ३०० साल पुराने पूर ् वजों का भी जिक ् र था | पर जब मैने ध ् यान दिया,अपने नाम से एक रेखा खींची, और लिखा, "" मलाला "" | और जब वो थोड़ी बड़ी हुई, जब वो साढ़े चार साल की थी, मैने उसे अपने स ् कूल में भर ् ती कराया | आप ये सोच रहे होंगे कि हाँ, मुझे इसका जिक ् र करना चाहिये | कनाडा, अमेरिका और कई विकसित देशों में ये भले ही कोई बड़ी बात न हो,ये एक लड़की की जिंदगी का बहुत बड़ा दिन होता है | एक स ् कूल में नामांकन का मतलब है उसकी पहचान और उसके नाम को मान ् यता मिलना | एक स ् कूल में दाखिले का मतलब है कि उसने अपने सपनों और आकांक ् षाओं की दुनिया में प ् रवेश किया है और उनमें से एक भी स ् कूल नहीं जा सकीं, और आपको आश ् चर ् य होगा, दो हफ ् ते पहले,और मै फार ् म में परिवार खंड को भर रहा था, मुझे अपनी कुछ बहनों के कुलनाम याद नहीं आए | कि मैने कभी भी यही वजह है कि मैने अपनी बेटी को महत ् व दिया | मै अपनी बेटी की अक ् लमंदी और प ् रतिभा की सराहना करता था | मैने उसे प ् रोत ् साहित किया और ये सभी अच ् छे संस ् कार, मैने उसके व ् यक ् तित ् व में विकसित करने की कोशिश की | और यह केवल मलाला के साथ ही नहीं था | मैने ये सभी अच ् छे संस ् कार, मैने अपनी लड़कियों को सिखाया, मैने अपनी छात ् राओं को सिखाया, कि वो आज ् ञाकारिता का पाठ भुला दें | मैने अपने छात ् रों को सिखाया, कि वो तथाकथित झूठे सम ् मान का पाठ भुला दें | प ् रिय भाईयों और बहनों, हम महिलाओं के अधिक अधिकारों के लिए प ् रयास कर रहे थे और हम संघर ् ष कर रहे थे लेकिन हम एक नई घटना के पार आये | यह मानव अधिकारों के लिए और विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों के लिए घातक थी | उसको तालिबान-निर ् माण कहा गया | इसका मतलब है - महिलाओं की भागीदारी का पूरा निषेध,सभी राजनीतिक, आर ् थिक और सामाजिक गतिविधियों से | सैकड ़ ों स ् कूल नष ् ट कर दिये गये | लड ़ कियों के स ् कूल जाने पर रोक लगा दी गयी | महिलाओं को बुर ् का पहनने के लिये मजबूर किया गया और उनके बाजार जाने पर रोक लगा दी गयी | संगीतकारों को खामोश कर दिया गया, लड ़ कियों पर कोड ़ े बरसाये गये और गायकों को मार दिया गया | लाखों पीड ़ ित थे, लेकिन कुछ ने आवाज़ उठायी, और ये सबसे डरावनी बात होती थी जब आपके आसपास सभी ऐसे लोग हों १० साल की उम ् र में, मलाला खड़ी हुई, उसने बीबीसी ब ् लॉग के लिए एक डायरी लिखी, उसने न ् यूयॉर ् क टाइम ् स वृत ् तचित ् रों के लिए खुद को नामांकित किया, और उसकी आवाज सबसे शक ् तिशाली आवाज थी | वह दुनिया भर में एक तेज की तरह फैल गई | और यही कारण था कि तालिबान उसके अभियान को बर ् दाश ् त नहीं कर सका, और ९ अक ् टूबर, २०१२ को, उसे बिंदु रिक ् त सीमा से सिर में गोली मार दी गयी | यह मेरे और मेरे परिवार के लिए प ् रलय का दिन था | दुनिया एक बड़े ब ् लैक होल जैसी लगने लगी | जब मेरी बेटी जिंदगी और मौत के कगार पर थी, मैने अपनी पत ् नी से धीरे से पूछा, "" क ् या मुझे उस सब का दोषी माना जाना चाहिये जो हमारी बेटी के साथ हुआ? "" और उन ् होंने अचानक मुझसे कहा, "" कृपया अपने आप को दोषी न ठहरायें | आप सही कारण के लिए खड ़ े हुए | आपने अपना जीवन दांव पे लगा दिया - सच ् चाई के लिये, शांति के लिये, और शिक ् षा के लिये, और आपकी बेटी आपसे प ् रेरित हो गयी और आपके साथ शामिल हो गयी | आप दोनों सही रास ् ते पर चल रहे थे और ईश ् वर उसकी रक ् षा करेंगे | "" ये कुछ शब ् द मेरे लिये बहुत मायने रखते हैं और मैंने फिर कभी ये प ् रश ् न नहीं पूछा | जब मलाला अस ् पताल में थी, और वो गंभीर पीड़ा से गुज़र रही थी, और उसको तीव ् र सिर दर ् द होता था, क ् योंकि उसके चेहरे की नस कट गयी थी, मुझे एक अँधेरी छाया दिखाई पड़ती थी अपनी पत ् नी के चेहरे पर | लेकिन मेरी बेटी ने कभी शिकायत नहीं की | वो कहती थी, "" मै अपनी टेढ़ी मुस ् कान और अपने चेहरे की अकड ़ न के साथ ठीक हूँ | मैं ठीक हो जाऊँगी | चिंता मत करिये | "" वो हमारा धीरज थी और उसने हमें सांत ् वना दी | प ् रिय भाईयों और बहनों, हमने उससे सीखाऔर मुझे आपको यह बताते हुए ख़ुशी होगी कि बच ् चों और महिलाओं के अधिकारों के लिए एक आदर ् श होने के बावजूद,वह किसी भी 16 साल की लड ़ की की तरह है | होमवर ् क अधूरा रह जाने पर वो रोती है | वो अपने भाइयों के साथ झगड ़ ती है लोग मुझसे पूछते हैं, मेरे पालन पोषण में ऐसा क ् या विशेष है जिसने मलाला को इतना निर ् भीक, इतना साहसी, इतना मुखर और इतना संतुलित बना दिया? मुझसे ये पूछो कि मैने क ् या नहीं किया | मैने उसके पर नहीं काटे, बस इतना ही | बहुत बहुत धन ् यवाद | (तालियाँ) शुक ् रिया | बहुत बहुत शुक ् रिया | धन ् यवाद | (तालियां) मैंने ये सोचा था की मैं एक साधारण अनुरोध के सांथ प ् रारंभ करूँ | मैं चाहता हूँ की आप सभी एक पल के लिए शांत हों, और कमजोर मनहूसों, अपने दुखी अस ् तित ् व को परखो | (हँसी) यह सलाह पांचवी सताब ् दी में संट बेनेडिक ् ट ने अपने अनुयायियों को दी थी | जब इस सलाह को मैंने पालन करने का फैसला किया तब मैं ४० वर ् ष का था | तब तक मैं एक उत ् कृष ् ट कॉर ् पोरेट योद ् धा था | मैं बहूत ज ् यादा खा रहा था, मैं बहूत ज ् यादा पी रहा था मैं बहूत ज ् यादा मेहनत कर रहा था, और अपने परिवार की उपेछा कर रहा था | और फिर मैंने अपने जीवन में परिवर ् तन लाने का प ् रयत ् न करने का फैसला किया | मैंने विशेषकर यह निर ् णय लिया की मैं कार ् य और जीवन में समन ् वय के जटिल मुद ् दे पर ध ् यान दूंगा | इस लिए मैंने नौकरी छोड़ दी और मैंने १ वर ् ष घर पर अपनी पत ् नी और चार छोटे बच ् चों के सांथ व ् यतीत किये | किन ् तु उस एक वर ् ष में कार ् य और जीवन में समन ् वय के बारे में मैंने यह सीखा कि तब कार ् य और जीवन में समन ् वय रखना काफी सरल था जब मेरे पास नौकरी नहीं थी | (हंसी) यह एक उपयोगी कला नहीं है विशेष रूप से जब आपके पैसे खत ् म होने लगें | इसलिए मैंने फिर से नौकरी प ् रारंभ कर दी | और मैं संघर ् ष के सांथ पिछले सात वर ् षों से कार ् य और जीवन में समन ् वय के बारे में अध ् यन और लेखन कर रहा हूँ | और इस पर मेरे चार निष ् कर ् ष हैं जो कि मैं आज आप लोगों को बताऊंगा | सबसे पहले है, यदि समाज को इस विषय में प ् रगति करना है, तो इसके लिए हमें ईमानदारी से सोचना होगा | किन ् तु समस ् या यह कि कार ् य और जीवन में समन ् वय के बारे में बहूत से लोग बहुत सी व ् यर ् थ बातें करते हैं | ऑफिस का समय आप के अनुसार हो, शुक ् रवार का परिधान आप के अनुसार हो और आप के पिता बनने पर छुट ् टी मिलाना ये सारी चर ् चाएँ उस मुख ् य विषय को दर ् शाती हैं जो यह है कि कुछ कार ् य और कार ् य क ् षेत ् र में विकास के विकल ् प मौलिक रूप से अनुचित हैं जिसमे एक परिवार के सांथ प ् रतिदिन सार ् थक रूप से सकारात ् मक रहा जा सके | किसी भी समस ् या के समाधान का प ् रथम चरण है कि हम स ् थिति की वास ् तविकता को स ् वीकार करें | और जिस समाज में हम रहे रहें हैं उसकी वास ् तविकता यह है कि यंहा हजारों लोग हैं जो कि चुपचाप एक हताश जिन ् दगी जी रहें हैं जन ् हाँ वो कठिन परिश ् रम के सांथ देर तक काम करते हैं ऐसी नौकरी पर हैं जो उन ् हें पसंद नहीं है उस नौकरी से ऐसे चीजें खरीदने में सक ् षम होते हैं जिसकी उन ् हें जरुरत नहीं है | उस नौकरी में ऐसे लोगों को प ् रभावित करते हैं जिन ् हें वो पसंद नहीं करते हैं | (हंसी) (तालियाँ) मेरा तर ् क यह है कि शुक ् रवार को जींस और टी-शर ् ट में कार ् यालय जाना वास ् तव में समस ् या का समाधान नहीं है | (हंसी) मेरा दूसरा अवलोकन यह है कि हमें सच का सामना करना होगा कि प ् राशसन और प ् रबन ् धन हमारे लिए इस समस ् या का समाधान नहीं करेंगे | हमें इसके लिए दूसरों पर निर ् भर नहीं होना है; यह व ् यक ् तिगत रूप से हम पर निर ् भर है कि हम इसे नियंत ् रित करने की जिम ् मेदारी लें कि हम किस प ् रकार का जीवन जीना चाहते हैं | यदि आप अपने जीवन की रचना स ् वयं नहीं करेंगे, तो कोई और आप के लिए इसकी रचना करेगा, और कार ् य और जीवन में समन ् वय के उनके विचार आप को पसंद ना आयें | यह विशेष रूप से महत ् वपूर ् ण है — यह इन ् टरनेट पर नहीं है ना, मुझे नौकरी से निकल दिया जायेगा — यह विशेष रूप से महत ् वपूर ् ण है कि आप कभी अपने जीवन की गुणवत ् ता व ् यावसायिक प ् रबंधनो के हाँथ में ना दें | मैं सिर ् फ ख ़ राब कंपनियों की बात नहीं कर रहा हूँ — जिन ् हें मैं मनुष ् य की आत ् मा का कसाईखाना कहता हूँ | (हंसी) मैं सारी कंपनियों की बात कर रहा हूँ क ् योंकि व ् यावसायिक कंपनियां स ् वाभाविक रूप से ऐसी बनाई गई हैं कि आप से जितना ज ् यादा हो सके उतना कार ् य कराया जाये यह उनके स ् वभाव में है, यह उनके डीएनए में है, और वो यही करती हैं — अच ् छी और नेक कंपनियां भी यही करती हैं | एक ओर कार ् यालय में बच ् चों के देख रेख की सुविधा प ् रदान करना बहुत अच ् छा है | पर दूसरी ओर यह एक बुरे स ् वप ् न की तरह है; इसके कारण आप ऑफिस में और ज ् यादा समय व ् यतीत करते हैं | अपने जीवन की सीमाओं को स ् थापित करने और लागू करने के लिए हमें स ् वयं ही उत ् तरदायी होना होगा | तीसरा अवलोकन है कि हमें सावधानी के सांथ समय सीमा निर ् धारित करना चाहिए जिसमे हम जीवन में समन ् वय का आकलन करें | दोबारा ऑफिस में कार ् य प ् रारंभ करने से पहले जब एक वर ् ष के लिए मैं घर पर था, तब एक दिन मैंने बैठ कर विस ् तार से चरणबद ् ध विवरण लिखा कि मैं किस प ् रकार के एक आदर ् श संतुलित दिन की अभिलाषा रखता हूँ | जो कि इस प ् रकार है: रात की एक अच ् छी नींद के बाद अछे विश ् राम के बाद सुबह जागूं | सेक ् स करूँ | सुबह की सैर पर जाऊं अपनी पत ् नी और बच ् चों के सांथ सुबह का नाश ् ता करूँ | फिर से सेक ् स करूँ | (हंसी) ऑफिस जाते हुए बच ् चों को स ् कूल ले कर जाऊं तीन घंटे तक ऑफिस में काम करूँ | दोपहर को दोस ् तों के सांथ खेल का आनन ् द लूँ | और तीन घंटे तक ऑफिस में काम करूँ | शाम को दोस ् तों से पब में मिलूं | पत ् नी और बच ् चों के सांथ रात ् रि भोजन के लिए घर जाऊं | आधे घंटे योग करूँ | सेक ् स करूँ | शाम की सैर पर जाऊं | फिर से सेक ् स करूँ | और फिर सोने जाऊं | (तालियाँ) आप क ् या सोचते है कितनी बार मैंने ऐसा दिन व ् यतीत किया होगा? (हंसी) हमें वास ् तविक होना होगा | आप सब कुछ एक ही दिन में नहीं कर सकते | हमें समय सीमा को बढाना होगा जिसमे हम कार ् य और जीवन में समन ् वय का सही आकलन कर सकें किन ् तु हमें समय सीमा बढाते हुए इन बातों से खुद को बचाना होगा कि "" मेरे जीवन में आनन ् द होगा जब मैं रिटायर हो जाऊंगा जब मेरे बच ् चे घर पर नहीं होंगे, मेरी पत ् नी मुझे तलाक दे चुकी होगी, मैं बीमार रहने लगूंगा, मेरे कोई दोस ् त नहीं होंगे और मुझे कोई इच ् छाएं नहीं होंगी | "" (हंसी) एक दिन बहूत कम है, और रिटायर होना बहुत दूर है | हमें एक बीच का रास ् ता चुनना होगा | चौथा अवलोकन: हमें समन ् वय स ् थापित करने के लिए संतुलित दृष ् टिकोण की जरूरत है | पिछले वर ् ष मेरी एक मित ् र मुझे मिली — यह बात बताने में वह बुरा नहीं मानती — पिछले वर ् ष मेरी एक मित ् र मुझे मिली और मुझसे बोली, "" नाइजेल मैंने तुम ् हारी किताब पढ़ी है | और मुझे अहसास हुआ कि मेरे जीवन में बिलकुल भी संतुलन नहीं है | मेरे जीवन में सिर ् फ कार ् य का ही वर ् चस ् व है | मैं 10 घंटे काम करती हूँ, प ् रतिदिन 2 घंटे सफ ़ र में व ् यतीत करती हूँ | मैं अपने सारे रिश ् तों में विफल रही | मेरी जिंदगी में काम के अलावा कुछ भी नहीं है | इस लिए मैंने इसे ठीक करने का फैसला लिया है | इसलिए मैं एक व ् यायामशाला (gym) जाने लगी हूँ | "" (हंसी) मैं दिखावटी नहीं होना चाहता किन ् तु एक स ् वस ् थ, 10 घंटे ऑफिस में काम करने वाला कर ् मचारी होना समन ् वयित होना नहीं है, यह स ् वस ् थ होना है | (हंसी) स ् वस ् थ होना बहुत अच ् छा है, किन ् तु जीवन में और बहुत कुछ है | एक बौद ् धिक पछ है, भावनात ् मक पछ है, एक आध ् यात ् मिक पछ है | और समन ् वयित होने के लिए मैं समझता हूँ कि हमें इन सभी क ् षेत ् रों में ध ् यान देना चाहिए — सिर ् फ 50 दंडबैठक पर ही नहीं | यह चुनौतीपूर ् ण हो सकता है. क ् योंकि लोग यह कहते हैं "" मेरे पास खुद को स ् वस ् थ रखने का समय नहीं है | और तुम कहते हो मैं चर ् च जाऊं और अपनी माँ की देख रेख करूँ "" मैं समझता हूँ | मैं सच में समझता हूँ यह कितना चुनौतीपूर ् ण है | किन ् तु कुछ वर ् षों पहले की एक घटना ने मुझे एक नया परिप ् रेक ् ष ् य दिया. मेरी पत ् नी, जो की आज दर ् शक दीर ् घा में मौजूद है, मुझे ऑफिस में फ ़ ोन किया और बोली "" नाइजेल, तुम हमारे सबसे छोटे बेटे हैरी को स ् कूल से घर ले जाना "" क ् योंकि उस शाम को उसे और तीन बच ् चों के सांथ कंही और जाना था | तो मैं एक घंटे पहले ऑफिस से निकल गया और हैरी को स ् कूल लेने गया | हम एक उद ् यान में घूमने गए, झुला झूले, कुछ खेल खेले | फिर हम एक कैफ ़ े पर गए, और हमने वंहा चाय पी और पिज ् जा खाया | फिर हम पहाड ़ ी रास ् तों से नीचे आपने घर को आये | मैं उसे नहलाया उसे उसका batman पजामा पहनाया फिर मैंने उसे Roald Dahl की "" James and the Giant Peach. "" की कहानी पढ़ कर सुनाई | मैंने उसे उसके बिस ् तर पर सुलाया और उसके माथे को चूम कर बोला "" शुभ रात ् रि दोस ् त "" और उसके कमरे से बाहर आ गया | जब मैं उसके कमरे से बाहर आ रहा था, तो उसमे बोला: "" डैड? "" मैं उसके पास गया और बोला "" हाँ बेटा "" उसने कहा "" डैड ये मेरी जिंदगी का सबसे अच ् छा दिन था "" | सबसे अच ् छा | मैंने कुछ भी नहीं किया था | मैं उसे डिस ् नी वर ् ल ् ड नहीं लेकर गया था, या playstation नहीं ख़रीदा था | मेरा यह मानना है कि छोटी छोटी चीजों का बहुत महत ् व है | समन ् वयित होने का यह मतलब नहीं है, की आप के जीवन में बहुत बड ़ ा परिवर ् तन हो | आप एक बहुत छोटा सा निवेश सही जगह पर करके, अपने सम ् बन ् धों की गुणवत ् ता में और अपने जीवन की गुणवत ् ता में मौलिक परिवर ् तन ला सकते हैं | इसके अलावा मुझे लगता है, यह पुरे समाज को बदल सकता है | क ् योंकि यदि पर ् याप ् त लोग इसे करते हैं, तो हम समाज की सफलता की उस परिभाषा बदल सकते हैं जो कि बहूत ही बचकानी साधारण धारणा पर आधारित है कि वह व ् यक ् ति जो सबसे ज ् यादा धन के सांथ मरता है वह जीतता है, हम इसे एक विचारशील और संतुलित परिभाषा दे सकते हैं कि एक अच ् छा जीवन कैसा होता है | और मैं सोचता हूँ, कि यह एक विचार है जो प ् रसार के लायक है | (तालियाँ) बात साफ़ है कि हम कठिनाई के दौर में हैं । ये कहा जा सकता है कि वित ् त-बाजार असफ़ल रहे हैं और अनुदान-पद ् धति ने भी असफ़लता ही दी है । और इसके बावज़ूद, मै दृढता से आशावादियों के साथ खडी हूँ जो ये मानते है कि जीवित होने का आज से बेहतर समय कभी था ही नहीं । कुछ नयी तकनीकों के कारण कुछ नये साधनों के कारण, नये हुनरों के कारण, और ज़ाहिर है कि पूरी दुनिया में दिखती नई प ् रतिभा के कारण, जो बदलाव लाने के लिये मानसिक रूप से प ् रतिबद ् ध हैं । और हमारे राष ् ट ् रपति भी 'वसुधैव कुटुंबकम' में विश ् वास रखते हैं, और ये मानते है कि अब कोई एक देश महाशक ् ति नहीं बन सकता है, बल ् कि हमें अपनी दुनिया को नये नज़रिये से देखने की ज़रूरत है । और पारिभाषिक रूप से, इस कमरे में बैठे हर शख ् श को खुद को विश ् व-आत ् मा ही मानना चाहिये, वैश ् विक-नागरिक । आप सामने से नेतृत ् व करने वाले लोग हैं । और आपने बढिया से बढिया और बुरे से बुरा कृत ् य देखा है जो मानवों ने दूसरों के लिये, और दूसरों के साथ किया है । और चाहे आप किसी भी देश में रहते या काम करते हों, आप गवाह होंगे मानवो द ् वारा किये गये इन असाधारण कृत ् यों के, साधारण आम इंसानों द ् वारा किये गये कृत ् यों के । आजकल एक ज़ोरदार बहस चल रही है कि कैसे लोगों को गरीबी से निज़ात दिलाया जाये, कैसे उन में दबी आत ् म-शक ् ति को प ् रवाहित किया जाये । एक तरफ़ ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि अनुदान-प ् रणाली इतनी टूट चुकी है कि उसे उखाड फ़ेंकना चाहिये. दूसरी तरक वो हैं जो कहते हैं कि समस ् या ये है कि भरपूर अनुदान कभी दिया ही नहीं गया । और मैं ऐसी चीज़ के बारे में बात करना चाहती हूँ जो बाज़ार और अनुदान दोनो है । इसे हम धैर ् यवान पूँजी कहते हैं । आलोचक उँगली उठाते हैं कि ५०० बिलियन डॉलर (बीस हज़ार करोड रुपये) खर ् च हो चुके हैं अफ़ ् रीका पर १९७० से अब तक और पूछते हैं कि हमने क ् या पाया सिवाय पर ् यावरण के ह ् रास के, और अमानवीय स ् तर की गरीबी और महामारी जैसे भ ् रष ् टाचार के? वो मोबोटू का उदाहरण देते हैं । और से नीती बनाने की बात कहते हैं जिससे कि सरकार को जवाबदेह बनाया जाये, पूँजी बाजारों को केंद ् र में रख जाये, और दान के बजाय निवेश किया जाये । दूसरी तरफ़, जैसा कि मैनें कहा, वो हैं जो कहते हैं कि समस ् या है कि हमें और पैसा अनुदान में चाहिये । कि रईसों को बचाने के लिये हम राहत-अनुदान देने को तैयार हैं अर बहुत ज ् यादा खर ् च करते हैं । पर जब बात गरीबों पर आती है, वो हम अपना पल ् लू झाड लेते हैं । वो अनुदान की सफ़लता के ओर इशारा करते हैं: बडी चेचक (स ् मालपोक ् स) के खात ् मे की ओर, और कई करोड मच ् छरदानियों के वितरण की ओर । दोनों ही सही हैं । और समस ् या ये है कि दोनो ही पक ् ष दूसरे की बात सुनने को राज़ी नहीं हैं । और इससे भी बडी समस ् या ये कि वो उन ् हें सुनने को भी तैयार नहीं जिन गरीबों के लिये वो काम करना चाहते हैं । २५ साल तक काम करने के बाद गरीबी और नवपरिवर ् तन के मसलों से जुडे रहने पर, मुझे लगता है कि बाज़ार से जुडे लोगों की संखया इस धरती पर उतनी ही है जितनी कि गरीबों की । गरीबों को भी रोज़ बाज़ारों से रूबरू होना पडता है, छोटे छोटे दर ् ज़नों फ़ैसले लेने होते हैं, समाज में अपनी राह बनाते के लिये । और इतनी कडी मेहनत के बावजूद भी सिर ् फ़ एक छोटी स ् वास ् थय समस ् या जो उनके परिवार को झेलनी पड जाये, उन ् हें वापस गरीबी में धकेल सकती है, कई बार तो कई पीढियों के लिये । और इसलिये हमें बाज़ारों की उतनी ही ज़रूरत है जितनी कि अनुदानों की । धैर ् यवान पूँजी इन दोनों के बीच अपने लिये एक ख़ास जगह बनाती है, और दोनो की बेहतर बातों को स ् वयं में समाहित करती है । ये पूँजी वो धन है जिसे उन उद ् यमियों को सौंपा गया है जिन ् हें अपने समाज की पहचान है और जो हल निकाल रहे हैं समस ् याओं का जैसे कि स ् वास ् थ सेवाएँ, जल-आपूर ् ति, आवास, वैकल ् पिक ऊर ् जा का, गरीबों को सिर ् फ़ दया का प ् राप ् त मानते हुये नहीं, बल ् कि उन ् हें ग ् राहक, मुवक ् किल, और उप ् भोक ् ता का दर ् ज़ा देते हुए, गरीबो को अपने जीवन के फ़ैसले लेने की गरिमा देते हुए । धैर ् यवान पूँजी का निवेश चाहता है कि हम में जोखिम उठाने की अविश ् वसनीय काबलियत हो, और असाधारण दूरदर ् शिता हो जो हमें इन उद ् यमियों को समय देने दे, कि वो बाजार में प ् रयोग कर के सीख सकें, और ये स ् वीकार करें कि हमें बाज़ार-भाव से कम मुनाफ़ा होगा, मगर हम बेहतरीन सामाजिक असर डाल पाएँगे । धैर ् यवान पूँजी निवेश ये मान कर ही किया जायेगा कि बाज़ार की अपनी मियादें हैं । और इसलिये धैर ् यवान पूँजी कुछ हद तक अनुदान का भी प ् रयोग करती है जिस से कि वैश ् विक अर ् थव ् यवसथा के फ़ायदे सब लोगों तक पहुँचें । देखिये, उद ् यमियों को धैर ् यवान पूँजी की आवश ् यकता तीन कारणों से होती है । पहला ये कि वो ऐसी बाज़ारों में हैं जहाँ लोगों की दैनिक कमाई एक से तीन डॉलरों के बीच है और उन ् हें अपने सारे फ़ैसले उसी कमाई के स ् तर पर लेने होते हैं । दूसरा ये कि जिन जगहों पर वो काम करते हैं वहाँ बुनियादी सुविधाएँ भी खस ् ताहाल हैं । सडकें गायब ही हैं, बिजली कभी आई, कभी नहीं, और जबरदस ् त भ ् रष ् टाचार है । तीसरा ये कि अक ् सर वो लोग पूर ् णतः नयी बाज़ार बना रहे होते हैं । यदि आप साफ़ पानी भी पहली बार किसी गाँव में ले जा रहे हैं, वो बिलकुल नयी चीज़ है । और बहुत सारे गरीब लोगों ने बहुत सारे झूठे वादे सुने और झेले हैं, और तमाम ठगों और नकली दवाओं से उनका पाला पड चुका है, कि उनका विश ् वास ग ् रहण करने में बहुत वक ् त लगता है, और धैर ् य भी आजमाइश भी होती है । उन ् हें ढेरों मदद चाहिये होती है प ् रबंधन में भी, न सिर ् फ़ नयी प ् रणाली बिठाने के लिये, और ऐसे व ् यावसायिक ढाँचों को बनाने के लिये जो कि गरीबों तक चिरस ् थायी रूप से पहुँचे, पर इन व ् यवसायों की पहुँच को दूसरे बाज़ारों तक, सरकारों तक, और बडे निगमों तक विकसित करने में — सच ् ची साझेदारियाँ जो कि काम के पैमाने को विशालता दें । मैं आपसे एक कहानी बाँटना चाहती हूँ ड ् रिप-सिंचाई नाम की एक नवीन तकनीक की कहानी । सन २००२ में मेरी मुलाकात एक महान उद ् यमी से हुई भारत के अमिताभ सडाँगी, जो लगभग २० सालों से धरती के शायद सबसे गरीब किसानों के साथ काम कर रहे हैं । और उन ् होंने अपनी निराशा ज़ाहिर की कि अनुदान व ् यवस ् था ने इन गरीब किसानों बिलकुल ही अनदेखा कर दिया था, जबकि ये सत ् य है कि करीब २० करोड किसान केवल भारत में ही प ् रतिदिन एक डॉलर से नीचे कमाते हैं । और अनुदान या आर ् थिक मदद या तो बडे खेतों को मिल रही थी, या फ़िर छोटे किसानों को सिर ् फ़ सलाह मिल रही थी वो भी वो जो देने वाली ठीक समझते थे, और किसान उन ् हें लागू नहीं करना चाहते थे । उसी समय अमिताभ भी ड ् रिप-सिंचाई की तकनीक में आकंठ डूबे हुये थे जिसका ईज़ाद इज़राइल में हुआ था । ये पानी की थोडी थोडी मात ् रा को सीधे पौधे तक पहुँचाने की तकनीक है । और इस तकनीक ने रेगिस ् तानों तक को हरे भरे खेतों में तब ् दील कर डाला था । और साथ ही बाज़ार-व ् यवस ् था ने भी गरीब किसानों को अनदेखा कर दिया था । क ् योंकि ये तकनीक बहुत महँगी थी, और केवल बडे खेतों में इस ् तेमाल के लिये ही बनायी गयी थी । आम छोटे गाँव का किसान ज ् यादा से ज ् यादा एक या दो एकड खेत में काम करता है । और इसलिये अमिताभ ने फ़ैसला किया कि वो इस तकनीक को दुबारा विकसित करेंगे उसे गरीब किसानों के लिये उपयोगी बनाने के लिये । क ् योंकि उन ् होंने किसानों को समझते हुए कई साल बिताये थे, न कि अपनी सोच उन पर थोपते हुए । तो उन ् होनें तीन मौलिक सिद ् धान ् तों का प ् रयोग किया । पहला था लघुकरण, चीज़ को छोटा बनाना । ड ् रिप-सिंचाई व ् यवसथा को इतना छोटा होना होगा कि एक किसान को केवल चौथाई एकड ज़मीन में ही जोखिम उठाना पडे, चाहे उसके पास दो एकड खेत ही क ् यों न हो, क ् योंकि असफ़लता का मतलब किसान के लिये भयंकर होता है । दूसरा, उसे बहुत ही सस ् ता होना होगा । दूसरे शब ् दों मे, चौथाई एकड पर उठाया गया जोखिम एक बार की फ़सल से ही चुकाया जा सके । नहीं तो किसान तकनीक के इस ् तेमाल का जोखिम उठाएँगे ही नहीं । और तीसरा, जिसे अमिताभ कहते है बेहद विस ् तार के काबिल हो । मेरा मतलब है कि पहले चौथाई एकड के मुनाफ़े से किसान दूसरे के लिये खरीद सकें, और फ़िर तीसरे, और फ़िर चौथे के लिये । आज, अमिताभ की संस ् था, आई.डी.ई., ३०० से ज ् यादा किसानों को ये तकनीक बेच चुकी है और उनकी पैदावार और कमाई को औसतन दोगुना या तिगुना कर चुकी है । पर ये अचानक हुआ चमत ् कार नहीं है । जब आप शुरुवात पर नज़र डालेंगे, तो पायेंगे कि निजी निवेशक इस नयी तकनीक को बनाने में जोखिम नहीं ले रहे थे वो भी ऐसी बाज़ार के लिये जहाँ लोग प ् रतिदिन एक डॉलर से कम कमाते थे, और जोखिम नहीं उठाने के लिये जाने जाते थे, और जो दुनिया के सबसे जोखिम भरे कामों में से एक था, खेतीबाडी । तो हमने अनुदान दिया । और उन ् होने इन अनुदानों का इस ् तेमाल शोध, प ् रयोग करने, असफ़ल होने, और फ़िर से कोशिश करने में किय । और जब हमारे पास एक नमूना तैयार हो गया और बाज़ार और किसानों के रिश ् ते की समझ भी बढ गयी, तब हम धैर ् यवान पूँजी तक पहुँचे । और हमने उनकी मदद की, एक कंपनी बनाने में, मुनाफ़े के लिये काम करने वाली, जो कि आई.डी.ई. के ज ् ञान को आगे ले जाएगी और निर ् यात एवं बिक ् री पर केंद ् रित होगी, और दूसरी प ् रकार के निवेशकों को आकर ् षित कर सकेगी । वहीं, हम ये भी देखना चाहते थे कि क ् या हम इस तकनीक को दूसरे देशों को निर ् यात कर सकते हैं । तो हम डॉ. सोनो ख़ानघरानी से पाकिस ् तान में मिले । और देखिये, हालांकि बहुत धैर ् य चाहिये होता है भारत में बनी तकनीक को पाकिस ् तान ले जाने में, केवल परमिट लेने में ही, फ़िर भी, हम एक कंपनी शुरु कर पाये डॉ. सोनो के साथ, जो कि एक विशाल समाज विकास संस ् था चलाते हैं थार रेगिस ् तान में, जो कि उनके देश के सुदूर और सबसे गरीब इलाकों में से एक है । और हालांकि ये कंपनी बस शुरु ही हुई है, हमारा अनुमान है कि यहाँ हम दसियों लाख लोगों पर असर देखेंगे । और ये केवल ड ् रिप-सिंचाई से ही नही है । हम देख रहे है कि सारे संसार में सुखद बदलाव आ रहे हैं । तन ् जानिया स ् थित अरुशा में, ए टू जेड टेक ् सटाइल मन ् यूफ़ेक ् चरिंग ने हमारे साथ साझेदारी की है, यूनिसेफ़ के साथ, वैश ् विक निधियोंके साथ, एक कारखाना लगाने में जिसमें ७००० लोगों को रोज़ ् गार मिलता है, ज ् यादातर स ् त ् रियों को । और वो २ करोड जीवनदायी मच ् छरदानियाँ अफ़ ् रीका के लिये बनाते हैं । लाइफ़स ् प ् रिंग हॉस ् पिटल अक ् यूमन और भारत सरकार के बीच एक साझा उपक ् रम है गुणकारी और सस ् ती जच ् चा-बच ् चा स ् वास ् थ सेवा को गरीब महिलाओं तक पहुँचवा पाने के लिये । और ये इतना सफ़ल हुआ है कि आजकल हर पैंतीस दिन पर एक नया हॉसपिटल बन रहा है । और १२९८ अम ् बुलेन ् स ने ये फ़ैसला किया कि वो दुबारा से एक टूट चुके उद ् योग को जीवित करेंगे, बंबई में अम ् बुलेंस सेवा को बना कर, जो कि गूगल अर ् थ की तकनीक को इस ् तेमाल करेगा, और कई एक दामों के स ् तर पर काम करेगा जिस से कि सब लोगों को सेवा मुहैया हो सके, और एक कठोर और कडा फ़ैसला किया कि किसी भी प ् रकार के भ ् रष ् टाचार में भागी नहीं बनेंगे । यहाँ तक कि नवंबर में हुए आतंकी हमले में सबसे पहले सेवा देने ये ही पहुँचे थे, और अब वो बडे रूप में आ रहे है, सिर ् फ़ इस साझेदारी के चलते । हाल ही में उन ् हें सरकारी ठेका मिला है करीब सौ नई अम ् बुलेन ् स बनाने का, और ये ये शायद सबसे बडी और सबसे सुचारु अम ् बुलेंस सेवा है भारत में । बडे पैमाने पर काम करना सबसे महत ् वपूर ् ण है । क ् योंकि हम देख रहे हैं कि ये उद ् यमी लाखों लोगों तक पहुँच पा रहे हैं । मैने जितने भी उदाहरण दिये हैं, वो सब कम से कम ढाई लाख लोगों तक अपनी सेवाएँ पहुँचा चुके हैं । परंतु सिर ् फ़ इतना ही काफ़ी नहीं है । और यहीं पर साझेदारी की बात महत ् वपूर ् ण हो उठती है । चाहे वो उन नवीन तरीको को ढूँढ कर हो जोकि बाजार की पूँजी तक पहुँच सकते हैं, चाहे सरकार के साथ, या फ़िर निगमों के साथ, आज अविश ् वसनीय मौके हैं कुछ नया विकसित करने के । राष ् ट ् रपति ओबामा इस बात को बिल ् कुल समझते हैं । उन ् होंने हाल ही में एक सामाजिक नवप ् रवर ् तन निधि की घोषणा की है जो इस देश में ढँग से चल रही चीजों पर केंद ् रित होगा, और उन ् हें बडे पैमाने पर ले जाने के तरीके खोजेगा । और मैं तो ये भी कहूँगी कि समय आ गया है कि कल ् पना की जाये ऐसी ही नवप ् रवर ् तन निधि की जो कि विस ् व स ् तर पर काम करे, जो कि संसार भर के उद ् यमियों को ढूँढे, जिन ् होंने कुछ नया किया है, न सिर ् फ़ अपने देश के लिये, बल ् कि ऐसा कुछ जिसे हम विकसित देशों में भी इस ् तेमाल कर सकें । न सिर ् फ़ पूँजी ही निवेश कीजिये, बल ् कि प ् रबंधन सहायता भी दीजिये । और फ़िर उस से हुए फ़ायदे को नापिये, वित ् तीय दृष ् टिकोण से, और सामाजिक असर के दृष ् टिकोण से । हम जब अनुदान को लेकर अपने नए नज़रिये की बात करते हैं, तो पाकिस ् तान पर बात न करना असंभव है । इस देश से हमारी रिश ् तेदारी बहुत ऊबड-खाबड रही है और यदि न ् यायपूर ् ण बात की जाये तो अमरीका बहुत विश ् वसनीय साझेदार नहीं रहा है । मगर मैं फ़िर कहूँगी कि वो झण आ गया है जब कि असाधारण चीज़ें होने वाली हैं । और अगर हम वैश ् विक नवप ् रवर ् तन निधि की योजना को लें, तो हम इस समय सीधे सरकार में पैसा सीधे निवेश करने के बजाय, हालांकि हमें उनका सहारा चाहिये होगा, और अंतर ् राष ् ट ् रीय विदों में पैसा लगाने के बजाय, काम कर रहे उद ् यमियों में पैसा लगाये, और सामजिक नेताओं में लगायें जो कि पहले से ही गजब के नये तरीके विकसित कर रहे हैं जो कि पूरे देश के लोगों तक पहुँच रहे हैं । रशानी ज़फ़र जैसे लोग, जिन ् होनें देश के सबसे बडे लघुवित ् त बैंक को बनाया, और अपने देश की और बाहर की औरतों के लिये आदर ् श के रूप में उभरे । और तसनीम सिद ् दिक़ि जिन ् होनें तरीका निकाला जिसे "" बढोत ् तरी-आधारित आवास "" (incremental housing) कह सकते हैं, जिसके द ् वारा उन ् होंने चालीस हज़ार झुग ् गी निवासियों का सुरक ् षित, सस ् ते, सामुदायिक आवास योजनाओं में स ् थानान ् तरण कर पाया है । शैक ् षिक क ् षेत ् र में हुई पहलें जैसे के डी.आई.एल. और सिटिज़न फ़ाउन ् डेशन जो कि पूरे देश में स ् कूल बना रहे हैं । और ये कहना अतिश ् योक ् ति नहीं होगा कि ये नागरिक संगठन और ये सामाजिक उद ् यमी सच में तालिबान के मुकाबले कुछ असली विकल ् प पैदा कर रहे हैं । मुझे पाकिस ् तान में निवेश करते हुए सात साल से भी ज ् यादा हो चुके हैं और आप में से वो जिन ् होंने वहाँ काम किया है ये गवाही दे सकते हैं कि पाकिस ् तानी लोग बहुत मेहनती होते हैं । और आगे बढना और तरक ् की उनके खून में हैं । राष ् ट ् रपति कैनेडी ने कहा था कि जो लोग अहिंसक आंदोलनों को असंभव बना देते हैं, वो साथ ही हिंसक आंदोलनों को ज़रूरी बना देते हैं । मेरे हिसाब से सत ् य उसका ठीक उल ् टा है । ये कि सामाजिक अगुआ जो कि सच में नवप ् रवर ् तन की ओर देख रहे हैं और अवसर मुहैया करवा रहे हैं उन सत ् तर प ् रतिशत पाकिस ् तानियों को जो कि प ् रतिदिन दो डॉलर से कम कमाते हैं, सच में आशा की ओर असली रास ् ते पैदा कर रहे हैं । और हम सोच रहे हैं कि कैसे हम पाकिस ् तान के लिये अनुदान का इन ् तज़ाम करें, जहाँ न ् यायपालिका को मज़बूत बनाने की ज़रूरत है, ज ् यादा मज़बूत स ् थिरता पैदा करने की ज़रूरत है, वहीं हमें उन नेतृत ् व करने वालों को आगे बढाने की भी ज़रूरत है जो कि सारे विश ् व के लिये आदर ् श बन सकते हैं । हाल ही में मेरी एक पाकिस ् तान यात ् रा में मैने डॉ. सोनो से पूछा कि क ् या वो मुझे थार रेगिस ् तान में ड ् रिप सिंचाई का काम दिखाने ले जाएँगे । तो हम एक सुबह कराँची से सूर ् योदय के पहले ही निकल गये । करीब ११५ डिग ् री फार ् हेन ् हाइट (४६ डिग ् री सेल ् सियस) का तापमान था । और हमने करीब आठ घन ् टे तक ड ् राइव किया ऐसे इलाके में जहाँ लग रहा था कि चाँद पर पहुँच गये हैं बहुत ही कम रँग, बहुत ज ् यादा गर ् मी, बहुत कम बातचीत क ् योंकि हम एकदम ही थके हुए थे । और अंततः हमारी यात ् रा खत ् म हुई मुझे दूर क ् षितिज पर एक पतली पीली रेखा दिख रही थी । और जब हम नज़दीक आये, तो पूरा माज़रा समझ आया । कि वहाँ रेगिस ् तान में बीचोंबीच सूरजमुखी का एक खेत था, जहाँ सात-सात फ़ीट लम ् बे पौधे थे । क ् योंकि दुनिया के सबसे गरीब किसानों मे से एक को एक ऐसी तकनीक तक पहुँच मिली थी जिसने उसे अपने जीवन को बदल देने में सक ् षम बनाय था । उसका नाम था राजा । और उसकी भूरी आँखों में उदारता और चमक थी, और उसके स ् नेही बोलते-से हाथों ने मुझे अपने पिता की याद दिलाई । और उसने कहा कि ये पहली गर ् मी है उसकी सारे जीवन में जब कि वो नहीं ले गया है अपने १२ बच ् चों और पचास पोते-पोतियों को दो दिन लम ् बी रेगिस ् तानी यात ् रा पर मज़दूरी करने के लिये, एक व ् यापारिक खेत पर करीब आधा डॉलर प ् रतिदिन पर (रुपये बीस प ् रतिदिन) क ् योंकि वो इस सूरजमुखी की इस फ़सल को पैदा कर रहा था । और अपने कमाये पैसे की वजह से उसे इस साल ये सफ़र नहीं करना पडा था । और उसके परिवार की तीन पीढियों में, पहली बार उसके बच ् चे स ् कूल जायेंगे । हमने उससे पूछा कि क ् या वो अपनी बेटियों को भी बेटों के साथ पढने भेजेगा । और उसने कहा, "" बिलकुल, मैं भेजूँगा । क ् योंकि मैं नहीं चाहता कि बेटियों के साथ पक ् षपात हो । "" जब हम गरीबी की समस ् या के उपाय सोचते हैं, हम लोगों को उनकी मौलिक गरिमा से अलग न करें । क ् योंकि अंततः गरिमा इंसानों की आत ् मा के लिये दौलत से ज ् यादा महत ् वपूर ् ण होती है । और ये रोमांचक है कि इतने सारे उद ् यमी अलग अलग क ् षेत ् रों में ऐसे नये प ् रयोग कर रहे हैं जो ये समझते हैं कि लोग सच में जो चाहते हैं, वो है आज़ादी और विकल ् प और मौके । क ् योंकि यहीं से गरिमा की शुरुवात होती है । मार ् टिन लूथर किंग ने कहा था कि बिना बदलाव लाने के ताकत के सिर ् फ़ प ् रेम केवल भावनात ् मक और जोशरहित होता है । और ताकत मगर बिना प ् रेम के उजड ् ड और शोषणकारी होती है । हमारी पीढी ने दोनो ही तरह के तरीकों से कोशिश की है, और अक ् सर मात खायी है । मगर मैं समझता हूँ कि हमारी पीढी ने ही शायद पहली बार प ् रेम और ताकत दोनों को साथ ले कर चलने की हिम ् मत दिखायी है । क ् योंकि जैसे जैसे हम आगे बढेंगे, हमें यही चाहिये होगा कि हम सपने देखें और सोचे कि हमें क ् या करना होगा एक ऐसी वैश ् विक अर ् थव ् यवस ् था बनाने के लिये, जिसमें हम सब निहित हों । और आखिर में एक मौलिक मत को कि सब इंसान बराबर हैं, इस धरती के हर इंसान को समझाने के लिये । समय आ गया है कि हम सब नव-प ् रवर ् तन में जुटे, और नये उपाय निकालें । मैं सिर ् फ़ अपने अनुभव से ही बोल सकती हूँ । परंतु अक ् यूमन फ़ंड को चलाने के पिछले आठ सालों में, मैने धैर ् यवान पूँजी की ताकत को देखा है । न केवल नव-प ् रवर ् तन को आगे बढाने के लिये और जोखिम उठाने के लिये, पर ऐसी व ् यवस ् थाओं को जन ् म देने के लिये जिन ् होंने २५ हज़ार से भी ज ् यादा रोजगार पैदा किये हैं और करोंडों सेवाओं और उत ् पादों को दुनिया के कुछ सबसे गरीब लोगों तक पहुँचाया है । मुझे पता है कि धैर ् यवान पूँजी काम करती है । मगर मुझे ये भी पता है कि कई और प ् रकार के उपाय भी काम करते हैं । और इसलिये मैं आपसे अपील करती हूँ, कि जिस भी क ् षेत ् र में आप काम करते हों, और जिस भी रोज़गार में आप हों, ये सोचना शुरु कीजिये कि कैसे हम ऐसे उपाय निकाले जो कि उनके नज़रिये से सोचना शुरु करें जिनकी हम मदद करना चाहते हैं । इसके बचाय कि हम सोचें कि उन ् हें क ् या ज़रूरत है इसके लिये हमें सारी दुनिया दोनो हाथों से गले लगाना होगा । और इसके लिये हमें अपना दिल बडा करना होगा, और जिम ् मेदारी लेनी होगी, सत ् यनिष ् ठा और पूरी मेहनत के साथ । और यही वो गुण हैं जिसके लिये इंसानों को पुरस ् कृत किया गया है पीढी दर पीढी । और इतना कुछ अच ् छा है जो कि हम कर सकते हैं । ज़रा रेगिस ् तान में उगते हुए उन सूरजमुखी के सुंदर पौधों के बारे में सोचिये । धन ् यवाद । (अभिवादन) मुझे पता है कि आपको क ् या लग रहा है । आप सोच रहे हैं कि मैं रास ् ता भूल गयी हूँ, और अभी कोई मंच पर आयेगा और मुझे चुपचाप वापस अपनी सीट तक पहुँचा जाएगा । (ठहाका) दुबई में ये अक ् सर मेरे साथ होता है । "छुट ् टी में आयी हैं?" (हँसी) "बच ् चों से मिलने आयी हैं?" "कितने दिन रुकेंगी?" असल में, मैं काफ़ी दिन और रुकना चाहती हूँ । मैं खाडी में रह रही हूँ और पढा रही हूँ करीब पिछले तीस साल से भी ज ् यादा से । (ठहाका) और इतने समय में, मैनें बहुत सारे बदलाव देखे हैं । और इसकी संख ् या काफ़ी चौंकाने वाली है । और आज मैं आपसे बात करना चाहती हूँ भाषाओं के खोने के बारे में और इंग ् लिश के सारी दुनिया में फ़ैलने के बारे में । मैं आपको अपने एक दोस ् त के बारे में बताना चाहती हूँ जो कि अबु धाबी में व ् यस ् कों को इंग ् लिश पढाते हैं । और एक दिन, उन ् होंने सोचा कि उन सब को बगीचे में ले जा कर प ् राकृतिक वस ् तुओं के नाम आदि सिखायेंगी । मगर असल में उन ् हें ही सीखने को मिले तमाम अरब शब ् द उन सब स ् थानीय पौधों के, और उनके इस ् तेमाल भी — दवाई के रूप में, सौंदर ् य प ् रसाधन के रूप में, खाने में, आदि । इन विद ् यार ् थियों को ये जानकारी कहाँ से मिली थी? ज़ाहिर है, अपने दादा-दादी, नाना-नानी से और परदादा, परनाना से भी । अलग से ये बताना ज़रूरी नहीं कि कितना महत ् वपूर ् ण है कि हम बातचीते करें पीढियों के बीच । मगर दुखद है कि, आज, भाषाओं मर रही हैं बहुत तेज़ दर से । हर १४ दिन में एक भाषा लुप ् त हो जाती है । और ठीक वहीं, इंग ् लिश विश ् व-भाषा बन कर उभर रही है । क ् या ये बातें संबंधित हैं? मुझे नहीं पता । मगर मैं ये जानती हूँ कि मैनें बहुत सारे बदलाव देखे हैं । जब मैं पहली बार खाडी में आई, तो मैं कुवैत गयी उन दिनों में जब वहाँ जाना कठिन था । असल में, उतनी पुरानी बात नहीं है । थोडा ही पहले की बात है । मगर फ़िर भी, मुझे ब ् रिटिश काउंसिल ने नौकरी दी थी २५ और अध ् यापकों के साथ । और हम पहले गैर-इस ् लामी लोग थे जिन ् होने कुवैत के सरकारी स ् कूलों में पढाया । हमें इंग ् लिश पढाने के लिये लाया गया था क ् योंकि सरकार देश को आधुनिक बनाना चाहती थी और नागरिको को क ् षमता देना चाहती थी, शिक ् षा के ज़रिये । और बिलकुल ही, यू.के. ने फ़ायदा उठाया तमाम सारे तेल के संसाधनों का । ओके । और जो बदलाव मैने देखा है वो ये है कि- कैसे इंगलिश पढाना बदला है दोनो ओर को फ़ायदे देने वाली क ् रिया से इतने बडे वैश ् विक व ् यापार में, जो आज वो है । वो सिर ् फ़ स ् कूल के कोर ् स में पढायी जाने वाली विदेशी भाषा नहीं रह गयी है । न ही वो बपौती रह गयी है इंग ् लैण ् ड की । वो ऐसी पार ् टी बन गयी है जिसमें इंग ् लिश बोलने वाले हर राष ् ट ् र को शामिल होना ही है । और क ् यों न हो? आखिरकार, सबसे बढिया शिक ् षा — विश ् व के विद ् यालयों की लिस ् ट के हिसाब से — - उन विश ् वविद ् यालयों में — जो कि यू.के. और यू.एस. में हैं । तो हर कोई इंग ् लिश की पढाई करना चाहता है, ज़ाहिर तौर पर । मगर यदि आप इंगलिश के मूल-वक ् ता नहीं हैं, तो आपको एक परीक ् षा देनी होती है । क ् या यह सही हो सकता है कि कि किसी विद ् यार ् थी को इसलिये दाखिला न मिले कि उसकी भाषा पर पकड ठीक नही है? शायद कोई ऐसा कम ् प ् यूटर वैज ् ञानिक हो जो जीनियास हो । क ् या उसे भाषा-कौशल की उतनी ही ज़रूरत पडेगी, जितनी कि, एक वकील को? देखिये, मुझे तो ऐसा नहीं लगता । हम इंग ् लिश के अध ् यापक अक ् सर ऐसे लोगों को हटा देते हैं । उनके सामने रुको का साइन-बोर ् ड लगा कर, और उन ् हें हम उनके रास ् ते में ही रोक देते हैं । वो अपने सपनों को साकार नहीं कर सकते, जब तक कि वो इंग ् लिश न सीख लें । चलिये, दूसरी तरह से कहती हूँ, अगर मुझे सिर ् फ़ एक भाषा बोलने वाल डच व ् यक ् ति मिले, जिसके पास कैंसर का इलाज है, तो क ् या मैं उसे ब ् रिटिश विश ् वविद ् यालय में आने से रोकूँगी? मैं तो बिलकुल भी नहीं रोकूँगी । मगर सच मे, हम बिलकुल यही कर रहे हैं । हम इंग ् लिश अध ् यापक वो चौकीदर हैं । और पहली आपको हमें संतुष ् ट करना होगा कि आपकी अंग ् रेजी ठीक-ठाक है । ये बहुत खतरनाक हो सकता है कि हम बहुत ज ् यादा ताकत दे दें समाज के एक छोटे से हिस ् से को । शायद ये रुकावट सारे विश ् व में फ़ैल जाये । है न? मगर, आप कहेंगे, कि "" शोध के बारे में मेरी क ् या राय है? वो तो पूरा ही अंग ् रेजी में है । "" तो सारी किताबें इंग ् लिश में हैं, सारे जर ् नल इंग ् लिश में हैं, मगर ये खुद को ही स ् थापित करते जाने वाली बात है । ये तर ् क और भी ज ् यादा अंग ् रेजी जानने को बढावा देता है । और ये इसी तरह बढता जाता है । मैं आपसे पूछती हूँ, अनुवाद का क ् या हुआ? अगर आप इस ् लाम के स ् वर ् ण काल के बारे में सोचें, तो आप पायेंगे कि तब बहुत अनुवाद होता था । वो लेटिन और ग ् रीक से अनुवाद करते थे, अरबी मे, फ़ारसी में, और फ़िर वहाँ से आगे, यूरोप की जर ् मन मूल की भाषाओं मे, और रोमन भाषाओं में । और इस तरह से ही यूरोप का अँधकार-युग ख ् त ् म हुआ । देखिये, मुझे गलत मत समझिये; मैं इंग ् लिश पठन-पाठन के ख़िलाफ़ नहीं हूँ, अँग ् रेज़ी अध ् यापक ध ् यान दें । मुझे ये बात बहुत अच ् छी लगती है हमारे पास एक वैश ् विक भाषा है । आज हमें ऐसी वैश ् विक भाषा की ज़रूरत है । मगर मैं उसके रुकावट के रूप में विकसित होने के ख़िलाफ़ हूँ । क ् या हम सच में चाहते हैं कि केवल ६०० भाषाएँ हों और मुख ् य भाषा इंग ् लिश हो, या चीनी हो? हमें उस से ज ् यादा चाहिये । हम कहाँ पर लाइन खींचें? आज का सिस ् टम बुद ् धिमत ् ता को इंगलिश की जानकारी से कनफ़ ् यूज़ करता है, जो कि बिल ् कुल ही गलत है । (अभिवादन) और मैं आपको याद दिलाना चाहती हूँ कि उन महान हस ् तियों को, जिनके कंधों पर आज के ज ् ञान और बुद ् धि टिकी है, इंगलिश नहीं पढनी पडती थी, न हि उन ् हें इंग ् लिश की कोई परीक ् षा पास करनी होती थी । मिसाल के तौर पर, आइंस ् टाइन । और उन ् हें तो स ् कूल में बुद ् धू समझा जाता था क ् योंकि असल में, वो डिस ् लेक ् सिक थे । मगर ये संसार का सौभाग ् य ही था, कि उन ् हें अँग ् रेज़ी की परीक ् षा नहीं देनी पडी । क ् योंकि सन १९६४ तक टोफ़ेल (TOEFL) परीक ् षा की शुरुवात ही नहीं हुई थी, जो कि अमरीकी परीक ् षा है अंग ् रेज़ी की । और अब तो उसके बिना कुछ होता ही न । इंग ् लिश-कौशल मापने के आज तमाम तरीके हैं और कई लाख विद ् यार ् थी उनमें शरीक हो रहे है, साल दर साल । और आपको और मुझे लग सकता है, कि उनमें लगने वाली फ़ीस, ठीक ही है, बहुत महँगी नहीं,. मगर वो रुकावट पैदा करती है करोंडों गरीब लोगों की राह में । तो इसलिये, उन ् हें तो हम बिना परीक ् षा के ही भगा दे रहे हैं । (अभिवादन) मुझे एक खबर याद आ रही है, हाल ही की: शिक ् षा: विभाजन का ज़रिया अब मुझे समझ आया है । मैं समझती हूँ कि क ् यों लोग इंग ् लिश पर इतना ध ् यान देते हैं वो अपने बच ् चों को सफ़लता प ् राप ् त करने लायक बनाना चाहते हैं । और वो करने के लिये, उन ् हें पाशचात ् य शिक ् षा की आवश ् यकता है । क ् योंकि, ज़ाहिर है, सबसे अच ् छी नौकरियाँ उन ् हीं को मिलती हैं जो पश ् चिमी विश ् वविद ् यालयॊं में पढ ् ते है, जैसा मैने पहले कहा था । ये एक घुमावदार मृग-मरीचिका है । ठीक है? "चलिये मैं आपको दो वैज ् ञानिकों की कहानी सुनाती हूँ, दो इंग ् लिश वैज ् ञानिकों की । \" वो एक प ् रयोग कर रहे थे जैनेटिक ् स पर, जानवरो के अगले पाँवों और पिछले पाँवो पर आधारित । मगर उन ् हें वो निष ् कर ् श नहीं मिल रहे थे जो वो चाहते थे । उन ् हें समझ ही नहीं आ रहा था कि वो आखिर क ् या करें, जब तक कि एक जर ् मन साइंसदान नही आया, जिसने ये देखा कि वो लोग दो अलग अलग शब ् दों से अगले और पिछले पाँवो के बारे में बात कर रह थे. जबकि जैनेटिक ् स को पाँवो के अगले या पिछले होने से फ़र ् क नहीं पडता, और न ही जर ् मन भाषा को । बस धडाके से समस ् या हल हो गयी । यदि आप कोई विचार सोच नहीं पायेंगे, तो आप अटक जायेंगे । मगर यदि दूसरी भाषा वो विचार सोच सके, तो साझेदारी से बहुत कुछ पाया जा सकता है, और सीखा जा सकता है । मेरी बेटी, इंगलैंड से कुवैत यी थी । उसने विज ् ञान और गणित अरबी भाषा में सीखा है । एक अरबी विद ् यालय में । और उसे उस ज ् ञान को अंग ् रेजी में अनुवादित करना पडा अपने व ् याकरण विद ् यालय में । और वो कक ् षा में अव ् वल थी इन विषयों में । जिस से ये पता चलता है कि जब विद ् यार ् थी विदेश से हमारे पास आता है, हम शायद उनके ज ् ञान को यथोचित सम ् मान नहीं दे रहे है, और उन ् हें ज ् ञान अपनी भाषा में होता है । जब एक भाषा की मृत ् यु होती है, हमें नहीं पता चलता है कि उस भाषा के साथ हम क ् या खो रहे हैं । पता नहीं आपने सी.एन.एन पर देखा या नहीं — वो हीरो पुरस ् कार देते हैं- एक कीन ् या के चरवाहे लडके को जो कि अपने गाँव में रात को पढ नही पाता था, क ् यों तमाम और बच ् चों की तरह ही उसका मिट ् टी तेल का दिया, धुँआ करता था, और आँखें खराब करता थी । और ऐसे भी, उस के पास पर ् याप ् त तेल नहीं होता थी, क ् योंकि एक डालर प ् रतिदिन में आप क ् या क ् या खरीद सकते हैं? तो उसने अविष ् कार किया एक मुफ़ ् त सौर-लालटेन का । और अब, उसके गाँव के बच ् चे, वही नंबर लाते है, जो कि वो बच ् चे जिनके घरों में बिजली है । (अभिवादन) जब उसे वो पुरस ् कार मिला, उसने ये प ् यारे शब ् द कहे: "" बच ् चे अफ़ ् रीक को बदल सकते हैं - एक अंधकार-युक ् त महाद ् वीप से, एक रोशनी भरे महाद ् वीप में "" एक छोटा सा आयडिया, मगर उसके कितने बडा असर हो सकता है । जिन लोगों के पास रोशनी नहीं है, चाहे दिये की या फ़िर ज ् ञान की, वो हमारे अंग ् रेजी की परीक ् षाओं को पास नहीं कर सकते हैं, और हमें कभी पता नहीं लगेगा कि उनके पास क ् या ज ् ञान है । आइये उन ् हें और स ् वयं को अँधकार से निकालें । विविधता का सम ् मान करें । अपनी जुबान पर काबू करें । उसे महान विचारों को फ़ैलाने में इस ् तेमाल करें । (अभिवादन) धन ् यवाद । (अभिवादन) मैं संवेदना के बारे में इस ् लाम के दृष ् टिकोण से बात कर रहा हूँ, और शायद मेरे धर ् म के बारे में ऐसा नहीं समझा जाता कि संवेदना से गहरे जुड ़ ा हुआ है. हालांकि सच ् चाई कुछ अलग है हमारे धर ् मग ् रन ् थ क ़ ुरान में ११४ अध ् याय हैं और हर अध ् याय शुरू होता है उस शब ् द से, जिसे हम कहते हैं बिस ् मिल ् लाह जो कि ईश ् वर के नाम में, जो संवेदनापूर ् ण हैं, और दयालु हैं या जैसा कि सर रिचर ् ड बर ् टन वो रिचर ् ड बर ् टन नहीं जिन ् होंने एलिज ़ ाबेथ टेलर से शादी कि थी परन ् तु वो सर रिचर ् ड बर ् टन जो उनसे १ शताब ् दी पहले हुए थे और जिन ् होंने पूरी दुनिया का भ ् रमण किया था और कई साहित ् यों का अनुवाद किया था वो उस शब ् द का अनुवाद करते हैं "" ईश ् वर के नाम में, जो कि संवेदनशील और करुणापूर ् ण हैं "" और क ़ ुरान, जो कि मुसलमानों के लिए ईश ् वर का मानवता को सन ् देश है, उसकी एक कहावत में, ईश ् वर अपने पैगंबर मुहम ् मद से, जिनको हम पैगम ् बरों कि श ् रृंखला में अंतिम मानते हैं उस श ् रृंखला में जो आदम से शुरू हुई, और नूह, मूसा, इब ् राहिम और यीशु मसीह भी शामिल है, और जो मोहम ् मद के साथ समाप ् त हुई कहते हैं "" ओह मोहम ् मद, हमने आपको भेजा है केवल दया, और मानवता के लिए संवेदना का स ् रोत बना कर "" और हम मनुष ् यों के लिए, और निश ् चित रूप से हम मुसलमानों के लिए, जिनका लक ् ष ् य और उद ् देश ् य, पैगम ् बर के रास ् ते पर चल कर अपने आप को पैगम ् बर की तरह बनाना है और पैगम ् बर ने अपने एक कथन में कहा है "" अपने आप को परमेश ् वर के गुणों से सजाओ "". और क ् योंकि परमेश ् वर ने खुद कहा है कि करुणा उनकी प ् राथमिक गुण है, वास ् तव में, कुरान में कहा गया है कि, "" ईश ् वर ने खुद पर करुणा का नियम बनाया, "" या, "" करुणा के राजत ् व में रहे "" इसलिए, हमारा उद ् देश ् य और हमारा लक ् ष ् य करुणा का स ् रोत करुणा के उत ् प ् रेरक, करुणा के पात ् र, करुणा के वक ् ता और करुणा के कर ् ता बनना होना चाहिए. यह सब तो ठीक है, पर हम गलत कहाँ हो जाते हैं, और दुनिया में करुणा की कमी का स ् रोत क ् या है? इसका जवाब जानने के लिए, हमे मुड ़ कर देखना होगा अपने आध ् यात ् मिक पथ की ओर हर धार ् मिक परंपरा में एक बाहरी और एक आंतरिक पथ होता हैं, या कहें की भीतर की चेतना और बाहर की चेतना का पथ भीतर की चेतना के पथ को इस ् लाम में सूफ ़ ीवाद, या अरबी में तसव ् वुफ ़ कहा जाता है और ये हकीम या ये गुरु, सूफी परंपरा के ये आध ् यात ् मिक गुरु, हमारे पैगम ् बर की शिक ् षाओं और उदाहरणों को उद ् धृत करते हैं, जो हमें सिखाता है कि हमारी समस ् याओं का स ् रोत कहाँ है, पैगम ् बर ने जो युद ् ध लड ़ े उनमें से एक में, उन ् होंने अपने अनुयायियों से कहा, "" हम छोटे युद ् ध से लौट रहे हैं एक बड ़ ी लड ़ ाई, एक बड ़ े युद ् ध की ओर. "" और उन ् होंने कहा, "" ईश ् वर के सन ् देश वाहक, हम युद ् ध से थक चुके हैं, हम एक बड ़ े युद ् ध में कैसे जा सकते हैं? "" उन ् होंने कहा, "" यह आत ् म की लड ़ ाई है, अहंकार की लड ़ ाई है. "" मनुष ् य की समस ् याओं के स ् रोत का लेना देना अहंकारवाद से है. मैं. प ् रख ् यात सूफी गुरु रूमी, आप में से ज ् यादातर जिसे अच ् छी तरह जानते हैं. की एक कहानी है जिसमे वह एक आदमी की बात करते हैं जो अपने एक दोस ् त के घर जाता है और दरवाज़ा खटखटाता है, और एक आवाज ़ जवाब देती है, "" कौन है? "" "हम हैं", या व ् याकरण के लिहाज से ज ् यादा सही, "यह मैं हूँ." जैसा कि हम अंग ् रेजी में कह सकते हैं. वह आवाज ़ कहती है, "" चले जाओ. "" कई वर ् षों के प ् रशिक ् षण, अनुशासन, खोज और संघर ् ष, के बाद, वह वापस आता है, और काफी ज ् यादा विनम ् रता से फिर दरवाजा खटखटाता है वह आवाज ़ पूछती हैं "" कौन है वहां? "" वह कहता है, "" ये तुम हो, ओ दिल तोड़ने वाले. "" दरवाज़ा खुलता है और आवाज ़ कहती है, "" अन ् दर आ जाओ, क ् योंकि इस घर में दो 'मैं' के लिए जगह नहीं है. दो बड ़ े मैं, ये आँखें नहीं, बल ् कि दो अहंकार. और रूमी की कहानियां आध ् यात ् म के मार ् ग की उपमा हैं. ईश ् वर की उपस ् थिति में एक से ज ् यादा मैं की जगह नहीं. और यह मैं देवत ् व का है. हमारी परंपरा में एक शिक ् षा जिसे हदीस ख ़ ुदसी कहते हैं, ईश ् वर कहते है, "" मेरे सेवक "", या "" मेरे जीव, मेरे मानव जीव, जो मुझे प ् यारा है उसके सहारे मेरे पास नहीं आता बल ् कि उसके सहारे जो मैंने करने को कहा है और आप में से जो नियोक ् ता हैं, वे अच ् छी तरह जानते हैं की मैं क ् या कहना चाहता हूँ आप चाहते हो कि आपके कर ् मचारी वह ही करें जो आपने उनसे करने को कहा है, और अगर उन ् होंने वह कर लिया तो वे और ज ् यादा कर सकते हैं, लेकिन उसे नज ़ रंदाज ़ मत करना कि तुमने उनसे क ् या करने को कहा है, और ईश ् वर कहते है, मेरे सेवक मेरे और करीब होते जाते हैं, मैंने जो उनसे करने को कहा है, उससे ज ् यादा कुछ करके, हम उसे कुछ ज ् यादा साख कह सकते हैं, जब तक मैं उसको प ् यार नहीं करता, और जब मैं अपने सेवकों को प ् यार करता हूँ "", ईश ् वर कहते हैं, मैं वो आँखें बन जाता हूँ, जिनसे वह देखते हैं. कान जिनसे वह सुनते हैं. हाथ जिससे वह पकड़ते हैं. पैर जिससे वह चलते हैं. और दिल जिससे वह समझता या समझती हैं. "" यह हमारे अहम ् और देवत ् व का वह समामेलन है. यह हमारे अध ् यात ् मिक मार ् ग और हमारी सभी धार ् मिक परम ् पराओं का उद ् देश ् य और सबक है. मुसलमान यीशु को सूफीवाद का गुरु मानते हैं, महानतम पैगम ् बर और संदेशवाहक जो आध ् यात ् मिक मार ् ग पर जोर देने आया. जब वह कहता है, "" मैं आत ् मा हूँ, मैं रास ् ता हूँ. "" जब पैगम ् बर मोहम ् मद कहते हैं, "" 'जिसने मुझे देखा है उसने ईश ् वर को देख लिया, "" ऐसा इस लिए क ् यों कि वे ईश ् वर के पुर ् जे बन गए, वे ईश ् वर की वाष ् प का हिस ् सा बन गए, ताकि ईश ् वर की इच ् छा उनके जरिये फ़ैली अपने स ् व और अहम ् के जरिये काम नहीं किया. धरती पर मानवीयता दी गयी है, यह हममें है. हमें बस यही करना है कि रास ् ते से अपने अहम ् हटा देना है, अपने अहंकरवाद रास ् ते से हटा देना है. में निश ् चित हूँ कि यहाँ मौजूद आप में से संभवतः सभी, या निश ् चित ही आप में से बहुसंख ् य, को हुआ होगा, जिसे आप आध ् यात ् मिक अनुभव कहते हैं, आपके जीवन में एक लम ् हा, जब कुछ सेकंडों या शायद एक मिनट को, आपके अहम ् की सीमायें ख ़ त ् म हो गयीं,. और उस मिनट आपने खुद को ब ् रह ् माण ् ड का हिस ् सा महसूस किया, उस पानी से भरे जग में, हर एक इन ् सान में, परम पिता में, और तुमने स ् वयं को शक ् ति, विस ् मय के सानिध ् य में पाया, सबसे गहरे प ् यार, संवेदना और दया की सबसे गहरी भावना में जो तुमने अपनी जिंदगी में कभी महसूस किया है ये वह लम ् हा है जो ईश ् वर का हमें तोहफा है, एक तोहफा जब एक लम ् हे के लिए वह सीमा हटा देता है, जो हमें मैं, मैं, मैं, हम, हम हम पर जोर देने देता है, और इसके विपरीत, रूमी की कहानी के व ् यक ् ति की तरह, हम कहते हैं, 'ओह, ये सब तुम हो.' यह सब तुम हो, यह हम सब हैं. और हम, और मैं, हम सब तुम ् हारे अंश हैं, सब निर ् माता, सब उद ् देश ् य, हमारे अस ् तित ् व का स ् रोत, और हमारी यात ् रा का अंत. तुम हमारे दिलों को तोड़ने वाले भी हो. तुम वो हो जिसकी ओर हम सबको होना चाहिए, जो हमारे जीने का कारण होना चाहिए, और जिसके लिए हमें मरना चाहिए, औए जिसके लिए हमें पुनर ् जन ् म लेना चाहिए. ईश ् वर को जवाब देने के लिए कि हम संवेदनशील रहे हैं. आज हमारा सन ् देश, और आज हमारा उद ् देश ् य, और तुममे में से जो आज यहाँ हैं, और संवेदना के इस अधिकारपत ् र का उद ् देश ् य याद दिलाना है. क ् योंकि कुरान हमेशा हमें याद रखने को, एक दूसरे को याद दिलाने को कहती है, क ् योंकि सत ् य का ज ् ञान हर एक इंसान के भीतर है. हम यह सब जानते हैं. हमारे पास इसका जरिया है. जंग इसे अवचेतना कह सकते थे. हमारी अवचेतना के जरिये, तुम ् हारे ख ् वाबों में, जिसे कुरान कहती है, हमारी निद ् रा की स ् थिति, अल ् प मौत, अस ् थाई मौत. अपनी निद ् रा की स ् थिति में हमें स ् वप ् न आते हैं, हमें आभास होता है, हम अपने शरीर के बाहर यात ् रा करते हैं, हममे से बहुत, और हम अद ् भुत चीजें देखते हैं. हम जैसा अंतरिक ् ष जानते हैं, उसकी सीमाओं के परे यात ् रा करते हैं, हम समय की जो सीमायें जानते हैं उसके परे. लेकिन यह सब हमारे लिए विधाता के नाम का गुणगान करने के लिए है जिसका मूल नाम दयावान, दयालु है. गौड, बोख, चाहे जिस नाम से पुकारो, अल ् ला, राम, ॐ, नाम कोई भी हो सकता है जिससे तुम नाम देते हो या देवत ् व की मौजूदगी प ् राप ् त करते हो, पूर ् ण तत ् व का केंद ् र बिंदु है. पूर ् ण प ् रेम और दया और संवेदना, और पूर ् ण ज ् ञान और विवेक, जिसे हिन ् दू सच ् चिनंद कहते हैं. भाषा अलग है, पर उद ् देश ् य समान है. रूमी के पास एक और कहानी है तीन लोगों के बारे में, एक तुर ् क, एक अरब, और मैं तीसरे का नाम भूल गया, पर मेरे वास ् ते, वह एक मलय हो सकता है. कोई अंगूर मांग रहा है, जैसे कि एक अंग ् रेज ़, कोई एनेब मांग रहा है और कोई ग ् रेप ् स मांग रहा है. और उनमें झगडा और बहस होती है क ् योंकि, मुझे ग ् रेप ् स चाहिए, मुझे एनेब चाहिए, मुझे अंगूर चाहिए, यह जाने बगैर कि जिस शब ् द का वह इस ् तेमाल कर रहे हैं वह एक ही सच ् चाई को अलग अलग भाषाओँ में बताता है. परिभाषा के अनुसार सिर ् फ एक ही पूर ् ण सच ् चाई है, परिभाषा के अनुसार एक पूर ् ण अस ् तित ् व है, क ् योंकि परिभाषा के अनुसार पूर ् ण, एकल है, और पूर ् ण और एकल,. यह अस ् तित ् व का पूर ् ण केन ् द ् रीकरण है, अवचेतना का पूर ् ण केन ् द ् रीकरण है, जागरूकता, संवेदना और प ् रेम का पूर ् ण केन ् द ् रीकरण जो देवत ् व के मूल भाव को पारिभाषित करता है. और वह होना भी चाहिए इन ् सान होने का जो मतलब है, उसका मूल भाव. जो इंसानियत को पारिभाषित करता है, शायद शारीरिक रूप से, हमारा जीवतत ् व है, लेकिन ईश ् वर हमारी इंसानियत को हमारे अध ् यात ् म से, हमारी प ् रकृति से पारिभाषित करता है. और कुरान कहती है, वह फरिश ् तों से बात करता है और कहता है, जब मैंने मिट ् टी से आदम का निर ् माण पूरा कर लिया, और अपनी आत ् मा से उसमें सांस फूंकी, और उसके सामने साष ् टांग गिर गया. "" फ़रिश ् ते साष ् टांग होते हैं, लेकिन मानव शारीर के समक ् ष नहीं, बल ् कि मानव आत ् मा के समक ् ष. क ् यों? क ् योंकि आत ् मा, मानव आत ् मा, दैवी श ् वास के एक हिस ् से का मूर ् त रूप है, दैवी आत ् मा का एक टुकड़ा है. यह बाईबिल के कोष में भी वर ् णित है जब हमें यह सिखाया जाता है कि हम दैवी तस ् वीर में बनाये गए थे. ईश ् वर का चित ् र क ् या है? ईश ् वर का चित ् र पूर ् ण अस ् तित ् व है. पूर ् ण जागरूकता, ज ् ञान और विवेक और पूर ् ण संवेदना और प ् रेम. और, इसलिए, हमें इन ् सान होने के लिए, इन ् सान होने का क ् या मतलब है इसके सबसे बड ़ े मायने में, इन ् सान होने का क ् या मतलब है इसके सबसे खुशनुमा मायने में, मतलब यह है कि हमें उचित कारिन ् दा होना पड़ेगा हमारे भीतर जो दैवी श ् वास है उसका, और हमारे भीतर अस ् तित ् व के भाव के साथ परिपूर ् ण होने के प ् रयास, जीवित होने के, अस ् तित ् व के, विवेक के भाव, चेतना के, जागरूकता के, और भाव संवेदनशील होने का, प ् रेम भरा होने का. यही है वह जो मैं अपने धर ् म की परम ् पराओं से समझता हूँ, यही है वह जो मैं दूसरे धर ् म की परम ् पराओं के अपने अध ् धयन से समझता हूँ, और यह एक समान मंच है जिस पर हम सबको जरूर खड़े होना चाहिए, और इस मंच पर जब हम ऐसे खड़े होंगे, मुझे यकीन है कि हम एक अद ् भुत दुनिया बना सकते हैं. और मुझे व ् यक ् तिगत तौर पर विश ् वास है कि हम कगार पर हैं, कि आप जैसे लोग जो यहाँ हैं उनकी उपस ् थिति और मदद से, हम ईसा की भविष ् यवाणी को सच बना सकते हैं. क ् यों कि उसने एक समय के बारे में बताया था जब लोग अपनी तलवारों को हल के फल में बदल देंगे और न युध ् द सीखेंगे और न और कभी युध ् द करेंगे. हम मानव इतिहास में ऐसे मुकाम पर पहुँच गए हैं, जब हमारे पास कोई विकल ् प नहीं है. हमें जरूर, जरूर ही अपने अहम ् को गिराना होगा, हमारे अहम ् पर नियंत ् रण, चाहे वह एक का अहम ् हो, व ् यक ् तिगत अहम ् हो, परिवार का अहम ्, राष ् ट ् र का अहम ्, और सब परमेश ् वर के गुणगान में जुटें, धन ् यवाद ्, ईश ् वर आपको आशीर ् वाद दे. (तालियों की ध ् वनि) क ् या हम वयस ् क के रूप मेँ नये तंत ् रिका कोशिकायेँ विकसित कर सकते हैँ? इस बारे मेँ अभी भी थोडासा भ ् रम की स ् थिति मौजूद है क ् योँ कि खोज के लिये ये काफी नये क ् षेत ् र है | उदाहरणार ् थ, मैँ मेरे एक सहोद ् योगि, राबर ् ट ् स से बात कर रही थी, जो एक आंकालजिस ् ट है, और वह मुझे बता रहे थे, "" सांड ् रिन, ये बहुत अजीब है | मेरे कुछ रोगियोँ को बताया गया कि उनके कैंसर का इलाज हो चुका है फिरभी मंदी के लक ् षण शुरू कररहे हैँ | "" और मैँ ने उन ् हे जवाब दिया, "" मेरे नजर से ये समझ आती है | जो दवाई आपने आपके रोगियोँ को दिया जो कैंसर कणोँ को विभजित होने से रोकती है ओ उनके दिमाग मेँ नवजात न ् यूरांस उत ् पन ् न किये जाने से रोकती है | "" और तब राबर ् ट मेरे तरफ देखा जैसे मैँ पागल हूँ और बोला, "" पर सांड ् रिन, वह वयस ् क रोगियाँ हैँ और — वयस ् कोँ मेँ नयेँ तंत ् रिका कोशिकायेँ विकसित नही होते | "" और उनको आश ् च ् र ् य करने के लिए, मैँने कहाँ "" वास ् तव मेँ हम करते हैँ | "" और ये एक घटना है जिसे हम न ् यूरोजेनेसिस कहते हैँ | [न ् यूरोजेनेसिस] अब राबर ् ट एक न ् यूरो साइंटिस ् ट तो नही है, और वह चिकित ् सा विद ् यालय जब गये थे उनको ये पढाया नही गया जो अब हम जानते हैँ — कि वयस ् कोँ का दिमाग नये तंत ् रिका कोशिकायेँ उत ् पन ् न कर सकते हैँ | राबर ् ट, आप जानते हैँ, एक अच ् छा वैद ् य होने के नाते, मेरे लाब मेँ आना चाहता था इस विषय को और समझने केलिये | और मैँ उनको मस ् तिष ् क के सबसे रोमांचक भागों में से एक की यात ् रा पर लेगयी जब न ् यूरोगेनेसिस की बात आती है — और यह है हिप ् पोकाम ् पस | तो यह मस ् तिष ् क के केंद ् र में ग ् रे संरचना । और जो हम पहले ही जानते हैँ बहुत समय से, कि यह बहुत जरूरी है सीखने केलिये,, याददाश ् त केलिए, भाव-दशाऔर भावनाओँ केलिये | हालांकि, हम अभी हाल ही में क ् या सीखा है कि यह मस ् तिष ् क के अद ् वितीय सँरचनाओँ मेँ से एक है जहाँ नए न ् यूरॉन ् स उत ् पन ् न किया जा सकता है । और अगर हम हिप ् पोकाँपस को काट ् के और जूम इन किया तो, हम वास ् तव मेँ नीले रंग मेँ क ् या देखते हैँ वो है एक नवजात न ् यूरॉन एक वयस ् क चूहा की मस ् तिष ् क मेँ | तो जब मानव के मस ् तिष ् क का बात आती हैतो — मेरा सहयोगी जोनास फ ् रिसेन जो कारोलिंस ् का इंस ् टिट ् यूट से हैँ, ने अनुमान लगाया कि हम हिप ् पोकम ् पस मेँ ७०० नवजात न ् यूरॉन ् स उत ् पादित करते हैँ | आप ये सोचते होंगे कि हमारे पास की अरबोँ न ् यूरांस की तुलना मेँ ये ज ् यादा नही हैँ | पर जबतक हम ५० साल के हो जायेंगे, हम उस सँरचना मेँ सब न ् यूरॉन ् स को जिस के साथ पैदा हुये आदान -प ् रदान किये होंगे वयस ् क-जन ् म न ् यूरॉन ् स के साथ | तो यह नये न ् यूरॉन ् स महत ् वपूर ् ण क ् योँ हैँ और उनके काम क ् या हैँ? पहले, हम जानते हैँ कि वह शिक ् षा केलिये और याददाश ् त के लिए जरूरी हैँ | और हम प ् रयोगशाला मेँ ये दिखाया कि हम अगर हिप ् पोकम ् पस मेँ नये न ् यूरॉन उत ् पादन करने की वयस ् क मस ् तिष ् क के सामर ् थ ् य को रोक लेंगे फिर हम कुछ स ् म ् रुति सामर ् थ ् यो को रोक रहे हैँ | और ये स ् थानिक मान ् यता के लिए विशेष रूप से नए और सच है — तो ऐसे आप शहर मेँ अपना रास ् ता नाविगेट करते हैँ | हम लोग अभी भी बहुत कुछ सीख रहे हैँ, और न ् यूरॉन ् स सिर ् फ स ् म ् रुति क ् षमता के लिए ही नही, बल ् कि स ् म ् रुति के गुणवत ् ता केलिये भी जरूरी हैँ | और वे हमारे स ् म ् रुति को समय जोडने मेँ मददगार रहेंगे और वे बहुत समान याद मेँ अंतर करने मेँ मदद करेंगे, जैसे: जब स ् टेशन पर एक हीं क ् षेत ् र में पार ् क कियी हुई आपकी बैक, हर दिन अलग स ् थिति में मिलने से आप को कैसा लगता है? और अधिक दिलचस ् प की बात मेरे सहयोगी रॉबर ् ट के लिए जो शोध हम न ् यूरोजेनेसिस और अवसाद पर कर रहे हैं | अवसाद का एक पशु मॉडल में तो, हम न ् यूरोजेनेसिस का स ् तर कम देखा है । और हम अवसादरोधी दवाओं दे, फिर हम इन नवजात न ् यूरॉन ् स का उत ् पादन बढ ़ ाने, और हम अवसाद के लक ् षणों में कमी, न ् यूरोजेनेसिस और अवसाद के बीच एक स ् पष ् ट संबंध की स ् थापना देख सकते हैं । पर इसके अलावा, अगर तुम सिर ् फ न ् यूरोजेनेसिस ब ् लॉक करोगे, तो आप आंटिडिप ् रेसन ् ट की प ् रभावकारिता ब ् लाँक करोगे । तो तबतक, राबर ् ट ने समझ लिया कि सँभावना है उनके रोगियाँ कैंसर की इलाज होने के बावजूद भी, अवसाद से पीढित हैँ, क ् योँकि कैंसर की दवा नवजात न ् यूरान ् स को उत ् पादित होने से रोक रही थी | और नव न ् यूरोँन ् स उत ् पादन होने मेँ समय लगता है जो मामूली कार ् योँ तक पहुंचे | तो, सामूहिक रूप से, हमारे पास सबूत है कि यदि हमें स ् मृति गठन या मूड में सुधार करने की चाहत हो, या यहां तक कि उम ् र बढ ़ ने के साथ या तनाव के साथ जुड ़ े गिरावट को रोकने के लिए, न ् यूरोजेनेसिस ही हमारा पसंदिदा लक ् ष ् य है | तो अगला सवाल है: क ् या हम न ् यूरोजेनेसिस पर अंकुश लगा सकते हैं? इसका जवाब है हाँ । और हम अब एक छोटे से प ् रश ् नोत ् तरी करने जा रहे हैं । मैं आप को व ् यवहार और गतिविधियों का एक सेट देने जा रही हूँ, आप मुझे बताओ यदि आपको लगता है कि ये न ् यूरोजेनेसिस में वृद ् धि करेंगे या ये न ् यूरोजेनेसिस कम करेंगे । क ् या हम तैयार हैं? ठीक, चलो चलते हैं । तो सीखने के बारे में क ् या होगा? बढ रही है? हाँ | सीख ् ने से इन नए न ् यूरॉन ् स के उत ् पादन में वृद ् धि होगी । तनाव के बारे में? हाँ, तनाव से हिप ् पोकैम ् पस में नए न ् यूरॉन ् स की उत ् पादन में कमी होगी । सोने के अभाव के बारे में? दरअसल, यह न ् यूरोजेनेसिस को कम करेगी । कैसे सेक ् स के बारे में? ओह, वाह! (हँसी) जी हाँ, आप सही कह रहे हैं, यह नए न ् यूरॉन ् स के उत ् पादन में वृद ् धि करेगी । हालांकि, यह सब संतुलन के बारे में है । हम एक ऐसी स ् थिति में पड ़ ना नहीं चाहते — (हँसी) जहाँ बहुत ज ् यादा सेक ् स से नींद हरण के बारे में सोचो । (हँसी) वृद ् ध होने से क ् या होगा? हम बड ़ े होने से न ् यूरोजेनेसिस दर में कमी होगी, लेकिन यह अभी भी हो रहा है । और फिर अंत में, दौडने के बारे में क ् या खयाल? मैं आपको इस पर निर ् णय लेने दूँगी । तो यह साल ् क इन ् स ् टिटुट के रस ् टी गेज जो मेरे प ् रतिपालकों मे से एक हैं, अपने पहले अध ् ययनों में ये दिखाया है कि पर ् यावरण का नए न ् यूरॉन ् स के उत ् पादन पर असर पड ़ सकता है । और यहाँ आप एक माउस के हिप ् पोकम ् पस के एक खंड देखें जिसके पिंजरे में चल पहिया नहीं था | और छोटे काले बिंदु जो आप देख रहे है वो वास ् तव में होने वाले नवजात न ् यूरॉन ् स है | और अब आप एक माउस के हिप ् पोकैम ् पस के एक खंड देखें जो अपने पिंजरे में चल रहे एक पहिया था । ताकि काले डॉट ् स के नए होने वाले न ् यूरॉन ् स का प ् रतिनिधित ् व में भारी वृद ् धि देख सकते है । अत: गतिविधि से न ् यूरोजेनेसिस पर असर पडता, लेकिन येही सबकुछ नहीं है । आप क ् या खाते है, उस से हिप ् पोकैम ् पस में नए न ् यूरॉन ् स के उत ् पादन पर असर पड ़ ेगा । तो यहाँ हमरे पास आहार का एक नमूना है — पोषक तत ् वों की प ् रभावकारिता को दिखाया गया है । और मैं तो बस आप के लिए कुछ बात कहने जा रही हूँ: २० से ३० प ् रतिशत की कैलोरी प ् रतिबंध से न ् यूरोजेनेसिस में वृद ् धि होगी । रुक-रुक कर उपवास — अपने भोजन के बीच समय का अंतर — न ् यूरोजेनेसिस में वृद ् धि करेंगे । फ ् लावोनोइड ् स के सेवन, जो डार ् क चॉकलेट या ब ् लूबेरी में समाहित कर रहे हैं, से न ् यूरोजेनेसिस में वृद ् धि होगी । ओमेगा -3 फैटी एसिड, वसायुक ् त मछली में मौजूद, साल ् मन की तरह, इन नए न ् यूरॉन ् स के उत ् पादन में वृद ् धि करेंगे । इसके विपरीत, उच ् च संतृप ् त वसा आहार न ् यूरोजेनेसिस पर नकारात ् मक असर पड ़ ेगा । इथेनॉल - शराब के सेवन - से न ् यूरोजेनेसिस में कमी होगी । लेकिन, सब कुछ नहीं खोया है; जो रेस ् वेरट ् रोल जो रेड वाइन में निहित है, इन नए न ् यूरॉन ् स के अस ् तित ् व को बढ ़ ावा देते है करके पता चलता है । तो अगली बार आप एक डिनर पार ् टी में हैं, आप संभवतः "" न ् यूरोजेनेसिस तटस ् थ "" शरबत पीने के लिए पहुँचना चाहते हो । (हँसी) और फिर अंत में, मुझे आखरी में ध ् यान दिलाने दीजिए — एक विचित ् र चीज | तो जापानी समूहों, भोजन बनावट के साथ मोहित हो रहे हैं, और वे वास ् तव में दिखाया है कि मुलायम आहार न ् यूरोजेनेसिस को हानि पहुंचाता है, चबाने - या कुरकुरे भोजन के विरोध मेँ | इतना सब हम सेलुलर स ् तर पर देखने की जरूरत है, जहां इस डेटा की, पशु मॉडल का उपयोग कर उत ् पन ् न किया गया था | लेकिन ये आहार भी, मानव सहभागीयों को दिया है, और हमने देखा है कि कैसे आहार स ् मृति और माहौल को न ् यूरोजेनेसिस के दिशा में व ् यवस ् थित करता है, जैसे कि कैलोरी प ् रतिबंध से स ् मृति क ् षमता में सुधार होगा, जब कि अवसाद के लक ् षणों को एक उच ् च वसा वाले आहार बिगाडना होगा — इसके व ् यतिरेक में ओमेगा-३ फैटी एसिड, जो न ् यूरोजेनेसिस बढ ़ ाते है, और भी अवसाद के लक ् षणों को कम करने के लिए मदद करते हैं । इसलिए हमें लगता है कि आहार के प ् रभाव, मानसिक स ् वास ् थ ् य, स ् मृति और मूड पर वास ् तव में हिप ् पोकैम ् पस में नए न ् यूरॉन ् स के उत ् पादन द ् वारा मध ् यस ् थता है । न केवल क ् या आप खाते है, बल ् कि भोजन की बनावट, कब खाते और कितना खाते भी मान ् य रखता है | हमारे पक ् ष में - न ् यूरोवैज ् ञानिक जिंकी रुची न ् यूरोजेनेसिस में है — हम इन नए न ् यूरान ् स की कार ् य करने की तरीका को अच ् छी तरह से समझने की जरूरत है, और हम उनके अस ् तित ् व और उत ् पादन पर नियंत ् रण कैसे कर सकते हैं । हमें रॉबर ् ट के रोगियों के न ् यूरोजेनेसिस की रक ् षा के लिएभी रास ् ता खोजने की जरूरत है । और अपने पक ् ष में — आपको अपने न ् यूरोजेनेसिस की उत ् तरदायी छोड ़ ती हूँ | धन ् यवाद | (तालियाँ) मार ् गरेट हेफ ् फेरनान: शानदार अनुसंधान, सान ् ड ् रैन । अब, मैंने कहा था कि तुमने मेरी जिंदगी बदल दी — मैं अब बहुत सारी ब ् लूबेरी खाती हूँ । सान ् ड ् रैन थुरेट: बहुत अच ् छा है । MH: मैं वास ् तव में चल बातों में रुचि रखती हूँ | क ् या मुझे दौडना है? या, वास ् तव में सिर ् फ एरोबिक व ् यायाम के बारे में है, मस ् तिष ् क को ऑक ् सीजन उपार ् जन की? यह किसी भी तरह की जोरदार व ् यायाम हो सकता है? ST: अभी के लिए तो, हम वास ् तव में नहीं कह सकते, यदि सिर ् फ दौढना ही है, लेकिन हमें लगता है कि कुछ भी जो उत ् पादन में वृद ् धि करेगी — या मस ् तिष ् क में रक ् त का प ् रवाह बढायेगी, फायदेमंद होना चाहिए । MH: तो मेरे कार ् यालय में चलती पहिया लाने की जरूरत नहीं? ST: नहीं, तुम ् हें नहीं! MH: वाह, क ् या एक राहत! ये बहुत बढ़िया है | सँन ् ड ् रिन थुरेट, बहुत बहुत धन ् यवाद | ST: धन ् यवाद मार ् गारेट | (तालियाँ) तो मैं आपको बस अपनी कहानी सुनाने आयी हूँ । मेरा काफ़ी समय जाता है व ् यस ् कों को ये सिखाने में कि कैसे वो चिन ् हों की भाषा और उल ् टी-सीधी चित ् रकारी का ऑफ़िसों में प ् रयोग करें । और ज़ाहिर है, मुझे बहुत विरोध झेलना पडता है, क ् योंकि इसे गैर-बुद ् धिजीवी और बेवकूफ़ाना माना जाता है और गंभीर-शिक ् षा का दुश ् मन भी । मगर मैं इस मान ् यता के ख़िलाफ़ हूँ, क ् योंकि मुझे पता है कि उल ् टी-सीधी चित ् रकारी का गहरा रिश ् ता है हमारे जानकारी को समझने के तरीकों से और हमारे समस ् या के समाधान ढूँढने के तरीकों से । तो मुझे बडी जिज ् ञासा थी कि क ् यों ये विरोधाभास है समाज के इस तरह की चित ् रकारी के प ् रति रवैये और इस तरह की चित ् रकारी के असली महत ् व में । लिहाज़ा, मुझे कई सारी मज़ेदार बातें पता चलीं । मिसाल के लिये, डूडल (चील-बिलउये या बेकार की चित ् रकारी के लिये आगे यही शब ् द उपयोग होगा) को कभी सकारात ् मक परिभाषा दी ही नहीं गयी । सत ् रहवीं शताब ् दी में, डूडल शब ् द का अर ् थ था कोई बेवकूफ़ या निम ् न व ् यक ् ति — जैसे कि यैन ् की डूडल । अट ् ठारहवीं सदी में, ये एक क ् रिया के रूप में प ् रयोग होने लगा, और उसका मतलब था किसी की खिल ् ली उडाना । उन ् नीसवीं शताब ् दी में इस शब ् द का अर ् थ था कोई भ ् रष ् ट राजनीतिज ् ञ । और आज के दौर में, शायद जो इस शब ् द की सबसे नकारात ् मक परिभाषा हो सकती है, कम से कम मेरे लिये, जो कि इस प ् रकार है: डूडल करने का अर ् थ है समय गँवाना, आलस करना, उच ् छंख ् ल होना, बेकार के चिन ् ह बनाना, और ऐसा काम जिसका कोई उपयोग, महत ् व, या आवश ् यकता नहीं है, और — सबसे बढिया अर ् थ — कुछ भी नहीं करना । कोई आश ् चर ् य नहीं है कि लोग कामकाज के दौरान डूडल करने से कतराते हैं । कुछ भी नहीं करना को ऑफ़िस में बैठ कर हस ् तमैथुन करने के समान है; बिलकुल ही गलत, ग़ैर-ज़िम ् मेदाराना । (हँसी) साथ ही, मैने कुछ और भयावह कहानियाँ सुनी हैं उन लोगों से जिनके शिक ् षकों ने उन ् हें कक ् षा में डूडल करने के लिये फ़टकारा है । और जिनके ऐसे बॉस लोग हैं जो उन ् हें मीटिंग-रूम में डूडल करने के लिये डाँटते हैं । कोई सांस ् कृतिक मुहिम ज़ारी हो गयी है डूडलों के खिलाफ़, उन स ् थितियों में जहाँ हमसे कुछ सीखने की अपेक ् षा की जाती है । और दुर ् भाग ् यवश, प ् रेस भी इसी मान ् यता को बढावा देती है जब वो डूडल के बारे में समाचार देती है — कि कोई वी.आई.पी. किसी ख़ास बहस में — वो अक ् सर ऐसे शब ् द इस ् तेमाल करते हैं जैसे "" पाये गये "" या "" पकडे गये "" या "" खोज निकाले गये, "" जैसे कोई संगीन ज़ुर ् म करते पकडे गये हों । सोने पे सुहागा, मनोविज ् ञानी भी डूडलों से बैर रखते हैं — फ़ ् रायड जी, धन ् यवाद । १९३० के दशक में, फ़ ् रायड जी ने हमें सिखा दिया कि आप लोगों की मानसिकता समझ सकते हैं उनकी उल ् टी सीधी चित ् रकारी को देख कर । ये सटीक नहीं है, मगर टोनी ब ् लेयर के साथ ऐसा ही हुआ था २००५ के डेवोस फ़ोरम में, जब उनके डूडल, संगीन ज़ुर ् म की तरह, "" पकड लिये गये थे "" और उन पर ये संज ् ञायें थोप दी गयी थीं । और अब पता लगा है कि ये तो बिल गेट ् स की चित ् रकारी थी । (हँसी) और बिल भाई, अगर आप यहाँ हैं, हम नहीं मानते कि आप दंभ से भरे हैं । लेकिन ये सब बातें लोगों को अपने डूडल सार ् वजनिक करने से रोकती हैं । और अब मुद ् दे की बात । मेरा दृढ विश ् वास क ् या है — मै मानती हूँ कि हमारी संस ् कृति शाब ् दिक जानकारी से इतनी प ् रभावित है कि हम डूडलों के महत ् व के प ् रति अँधे हो गये हैं । और मुझे ये बात नागवार गुज़रती है । और ऐसा इसलिये कि इस मान ् यता का खात ् मा ज़रूरी है, मै यहाँ आपके सामने सच प ् रस ् तुत करने आयी हूँ । और सच ये है कि: डूडल / चील-बिलउआ / उल ् टी-सीधी चित ् रकारी एक शक ् तिशाली माध ् यम है, और ऐसा माध ् यम जिसे याद रखना और फिर-फिर सीखना अनिवार ् य है । तो डूडलों की नयी परिभाषा है: और मेरी आशा है ऑक ् सफ़ोर ् ड डिक ् शनरी से कोई यहाँ हो, क ् योंकि मैं आपसे ज़रूर बात करना चाहूँगी । ये है असली परिभाषा: डूडल करना वास ् तव में ऐसे सहज चिन ् ह बनाना है जो आपको सोचने में मदद करें । इसलिये दसियों लाख लोग ऐसा करते हैं । और डूडल के बारे में एक और रोचक सत ् य ये है कि: जो लोग शब ् दों में निहित जानकारी देखते समय डूडल करते हैं, वो उसका ज ् यादा बडा हिस ् सा याद रख पाते हैं, अपने डूडल-हीन साथियों की तुलना में । ऐसा माना जाता है कि डूडल करने वाले का ध ् यान भंग हो चुका है, मगर असलियत ये है कि डूडल बनाने से आपका ध ् यान बँटने से बचा रहेगा । साथ ही, इस का गहरा असर पडता है समस ् याओं के रचनात ् मक निदान में और गहरी जानकारी को समझने में । सीखने वाला चार प ् रकार से जानकारी को समझता है, जिससे कि वो उस पर आधारित फ़ैसला ले । ये हैं दृष ् य, श ् रव ् य, पढना-लिखना, और गति-सौंदर ् य-बोध । देखिये यदि सच में जानकारी को पचाना और उसका कुछ उपयोग करना है, तो हमें कम से कम इन में दो ज़रियों का इस ् तेमाल करना होगा, या फ़िर कम से कम एक ज़रिये के साथ एक भावनात ् मक अनुभव का । डूडल का अद ् वितीय योगदान ये है कि वो चारों की चारों विधाओं का एक साथ इस ् तेमाल करवाता है, साथ ही भावनात ् मक अनुभव की संभावना भी रखता है । ये बहुत तगडा योगदान है ऐसे व ् यवहार का जिसे 'कुछ नहीं करना' माना जाता रहा हो । ये थोडी किताबी कीडे जैसी बात होगी, मगर जब मुझे इसका पता चला तो मेरे आँसू छलक आये । तो कुछ लोगों ने मानवीय शोध किये कि कैसे बच ् चों में कलात ् मक गतिविधियों का विकास होता है, और उन ् हें पता चला, कि अलग अलग जगहों और समयों में, सारे बच ् चे दृश ् य के प ् रति अपने तर ् क का एक सा विकास प ् रदर ् शित करते हैं, जैसे जैसे वो बडे होते हैं । दूसरे शब ् दों मे, उनके पास एक साझी और बढती जटिलता होती है दृश ् य भाषा की जो कि एक खास क ् रम में आती है । और मुझे लगता है कि ये बहुत ही ज़बर ् दस ् त बात है । मेरा मानना है कि डूडल बनाना हमारा प ् राकृतिक व ् यवहार है और हम अपनी इस सुलभ चेष ् ठा से स ् वयं को वंचित कर रहे हैं । और आखिर में, बहुत लोगों को ये नहीं पता होगा, मगर डूडल पहला कदम रहा है हमारी संस ् कृति की कुछ महानतम उपलब ् धियों का । मैं सिर ् फ़ एक ही उदाहरण देती हूँ: ये महान शिल ् पकार फ़ ् रैंक गेरी द ् वारा अबु धाबी में बनाये गये गगेनहेम बिल ् डिंग का पहला स ् केच है । तो मैं यह कहना चाहती हूँ: किसी भी स ् थिति में चील-बुलउआ-कारी पर रोक नहीं होनी चाहिये कक ् षाओं में, या कि मीटिंग-रूम में, और युद ् ध-कक ् षों में भी । इसके विपरीत, डूडल की कला का फ़ायदा उठाना चाहिये इन स ् थितियों में जहाँ जानकारी प ् रचुर मात ् रा और घनत ् व में होती है, और उसको समझना निहायत ही महत ् वपूर ् ण । और मैं तो एक कदम और आगे जाऊँगी । क ् योंकि डूडल बना पाना सबके लिये इतना आसान है, और ये उस तरह से नर ् वस नहीं करता जैसे अन ् य स ् थापित कला-विधायें, हम इसे ऐसे मंच के रूप में इस ् तेमाल कर सकते हैं, जहाँ लोगों को दृष ् टि-साक ् षरता के ऊँचे आयामों तक पहुँचा जा सके । मेरे मित ् रों, डूडल असल में कभी भी बुद ् धि, विचार और बुद ् धिजीवियों का दुश ् मन नहीं रहा है । सच ् चाई ये है, कि ये हमारे सबसे घनिष ् ठ मित ् रों में से एक रहा है । धन ् यवाद । (तालियों सहित अभिवादन) ३००० साल पहले घटित हुई थी, जब इज़राइल का राज ् य अपनी प ् रारम ् भिक अवस ् था में था । यह घटना शेफला में हुई थी जो की आजकल इजराइल है । इस कहानी ने मुझे ग ् रसित इसलिए किया क ् यूंकि मैं सोचता था की मैंने इसे समझ लिया है और फिर मैंने इसे दोबारा पढ़ा और मुझे एहसास हुआ की मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आया है । प ् राचीन फिलिस ् तीन में पूर ् वी सीमा पर एक पर ् वतीय श ् रृंखला है । यह आज भी इजराइल में है । उस पर ् वतीय श ् रृंखला में उस क ् षेत ् र के सभी पुराने शहर हैं यानि जेरूसलम, बेथलेहम, हेब ् रोन । और फिर भूमध ् य सागर के साथ एक तटीय मैदान है, जहां तेल अवीव है । पर ् वतीय श ् रृंखला को तटीय मैदान से जोड़ने वाला क ् षेत ् र है शेफला, जो पश ् चिम की ओर जाती हुई घाटियों और छोटी पहाड़ियों की शृंखला है, तटीय मैदान से पर ् वतों तक पहुँचने के लिए आप शेफेला का अनुसरण करते हुए शेफेला में से गुज़र सकतेहैं । यदि आप इजराइल गए हैं तो गेहूं के खेत और अंगूर के बागों से । महत ् वपूर ् ण बात यह है की इस क ् षेत ् र के इतिहास में इसका युद ् ध कौशल से सम ् बन ् धी काफी योगदान रहा है क ् यूंकि यह ही वह रास ् ता है जिसके द ् वारा तटीय मैदान से दुश ् मन की सेनाएं पर ् वतों तक पहुँच सकती है और वहां रहने वालों को धमका सकती है । लगभग ३००० साल पहले ऐसा ही हुआ । तटीय मैदान में रहने वाले फिलिस ् तीनी इजराइल के राज ् यके सबसे बड़े दुश ् मन हैं । वह आरम ् भ में क ् रीट के रहने वाले हैं । वह समुद ् रीय लोग हैं । वह चाहते हैं कि बेथलेहम के पास के पर ् वतीय क ् षेत ् र पर कब ् ज़ा करके इजराइल के राज ् य को इस बात का पता चल जाता है और सॉल अपनी सेना ले कर पर ् वतों से नीचे आता है और फिलिस ् तिनियों की सेना को एलाह की घाटी में मिलता है, शेफेलाः की एक सबसे सुन ् दर घाटी । और इस ् राएलियों ने उत ् तरी पहाड़ी और फिलीस ् तीनियों ने और दोनों सेनाएं हफ़ ् तों वहां बैठी रहीं और एक दुसरे को देखती रही, गतिरोध की वजह से । कोई एक दुसरे पर हमला नहीं कर सकता क ् यूंकि दूसरी सेना पर हमला करने के लिए आपको पर ् वत से घाटी में उतरना पड़ेगा और फिर दूसरी तरफ से ऊपर चढ़ना होगा अंत में गतिरोध समाप ् त करने के लिए फिलीस ् तीनियों ने अपने सबसे शक ् तिशाली योद ् धा को घाटी में भेजा, और वह चिल ् लाते हुए इस ् राएलियों को बोला, 'अपने सबसे शक ् तिशाली योद ् धा को नीचे भेजो, और हम दोनों इसका अंत करेंगे, सिर ् फ हम दो ।' प ् राचीन युद ् ध कला में यह एक प ् रथा थी जिसे एकल मुकाबला कहते थे । महायुद ् ध में रक ् तपात से बचने के लिए विवादों को सुलझाने के लिए यह एक तरीका था । फिलीस ् तीनियों ने जिस प ् रबल योद ् धा को नीचे भेजा, वह एक दानव है । वह ६ फुट ९ है । उसने सिर से पाँव तक चमकीला कांस ् य कवच पहना है, उसके पास एक तलवार और एक भाला है और उसके पास बरछा है । वह पूर ् णतः खौफनाक है । और वह इतना खौफनाक है कि कोई भी इसरायली उससे युद ् ध नहीं करना चाहता । यह मृत ् यु को गले लगाने जैसा ही है, है ना? उन ् हें नहीं लगता की वह उससे भिड़ पाएंगे । अंत में एक गडरिया युवक आगे आता है, और सॉल के पास जाकर कहता है, "" मैं लड़ूंगा इससे । "" सॉल कहता है, "" तुम नहीं लड़ सकते इससे । यह हास ् यप ् रद है । तुम एक बच ् चे हो । यह एक प ् रबल योद ् धा है । "" किन ् तु गडरिया अटल है । वह कहता है, "" नहीं, नहीं, नहीं, आप समझ नहीं रहे, मैं कई वर ् षों से शेरों और भेड़ियों से अपने झुण ् ड की रक ् षा कर रहा हूँ, मुझे लगता है कि मैं यह कर सकता हूँ । "" सॉल के पास और कोई उपाय नहीं है । और कोई है नहीं जो आगे बढ़ा हो । तो वह कहता है, "" ठीक है । "" और फिर बच ् चे की तरफ वह कहता है, "" मैं यह नहीं पहन सकता । "" बाइबल में कथन है, "" मैं यह नहीं पहन सकता क ् यूंकि मैंने यह साबित नहीं किया है, "" मतलब, "" मैंने कभी कवच नहीं पहना है । आप शायद बावले हैं । "" और वह नीचे ज़मीन की तरफ झुकता है और पांच छोटे पत ् थर उठाता है और अपने गडरिये वाले थैले में डालता है और दानव को मिलने के लिए पर ् वत से नीचे की तरफ चलने लगता है । और दानव इस आकृति को पास आते हुए देखता है, और चिल ् लाता है, "" मेरे पास आओ, ताकि मैं तुम ् हारा मांस आसमान के परिंदों और खेत के जानवरों को खिला सकूँ । "" वह अपने से लड़ाई करने के लिए आते हुए इस व ् यक ् ति को ताने देता है । और गडरिया नज़दीक और नज़दीक आता जाता है, और दानव देखता है कि उसके पास एक लाठी है । वह सिर ् फ एक लाठी उठाये है । कोई शस ् त ् र नहीं, केवल एक लाठी, और वह कहता है — उसका अपमान हुआ है — "क ् या मैं एक कुत ् ता हूँ, जो तुम मेरे पास लाठी लेकर आये हो?" और गडरिया अपनी जेब में से एक पत ् थर निकालता है और गोफन में डालता है और उसे घूमता हुआ छोड़ देता है और वह दानव की आँखों के बीच जाकर लगता है — ठीक यहां, उसके सबसे कमज़ोर स ् थान पर — और वह नीचे गिर जाता है, शायद मृत या बेहोश, और गडरिया दौड़ कर जाता है और उसकी तलवार निकाल कर उसका सिर काट देता है, और फिलिस ् तीनी यह देख कर पीछे मुड़ कर भाग जाते हैं । और जी हाँ, दानव का नाम गोलिअथ है और गडरिये के नाम डेविड है, और जब से मैं अपनी किताब लिख रहा हूँ इस कहानी ने मुझे मनोग ् रहितइस कहानी के बारे में जानता हूँ, गलत निकला । तो इस कहानी में डेविड कम क ् षमता का व ् यक ् ति है, है ना? असल में, यह शब ् द डेविड और गोलिअथ, हमारी भाषा में एक अलंकार की तरह हैं जो किसी कमज़ोर की हम डेविड को कम क ् षमता का हम उसे ऐसा इसलिए कहते हैं क ् यूंकि वह एक बच ् चा है, एक छोटा बच ् चा, और गोलिअथ एक बड़ा, शक ् तिशाली दानव है । हम डेविड को कम क ् षमता काऔर डेविड केवल एक गडरिया । किन ् तु उसे कम क ् षमता का व ् यक ् ति कहने का मुख ् य कारण है कि गोलिअथ के पास आधुनिक हथियार हैं, चमकता हुआ कवच है, और एक तलवार, एक भाला और एक बरछा है जबकि डेविड के पास केवल एक गोफर है । हम इस वाक ् यांश से शुरू करते हैं "डेविड के पास केवल एक गोफर है," क ् यूंकि यह हमारी पहली गलती है । प ् राचीन युद ् धकला में, तीन तरह के योद ् धा होते हैं । घुड़सवार, घोड़ों पर सैनिक और रथों के साथ । फिर भारी संख ् या में पैदल सेना, हथियारों से लैस, कवच पहने हुए पैदल सैनिक तलवारों और ढालों के साथ । और फिर तोपची सैनिक, और यह सैनिक धनुर ् धर और मुख ् य रूप से गोफनकार होते हैं । गोफनकार के पास एक चमड़े की थैली होती है जिसके साथ दो डोरियाँ होती हैं, और थैली में एक अस ् त ् र, पत ् थर या सीसे का गेंद डालते हैं और उसे ऐसे घुमाते हैं और फिर एक डोरी छोड़ देते हैं, जिससे वह अस ् त ् र आगे की तरफ चला जाता है अपने निशाने की ओर । डेविड के पास वह है, और यह समझना महत ् वपूर ् ण है की गोफन गुलेल नहीं है । वह यह नहीं है, है ना? वह एक बच ् चे का खिलौना नहीं है । यह एक बहुत ही विध ् वंसकारी शस ् त ् र है । जब डेविड इसको ऐसे घुमाता है, वह गोफन को लगभग छः या सात चक ् कर प ् रति सेकंड की गति पर घुमा रहा है, इसका अर ् थ है की जब वह पत ् थर छोड़ा जायेगा वह बहुत तेज़ी से आगे जायेगा, लगभग ३५ मीटर प ् रति सेकंड । वह काफी हद तक सबसे अच ् छे बेसबॉल खिलाडी द ् वारा फेंके गए बेसबॉल से भी तेज़ है । उससे भी अधिक ज़रूरी है यह जानना की एलाह की घाटी के पत ् थर सामान ् य पत ् थर नहीं थे । वह बेरियम सलफेट थे, जिन पत ् थरों का घनत ् व सामान ् य पत ् थरों से दुगना होता है । यदि आप डेविड के गोफन से निकले हुए पत ् थर के रुकने की शक ् ति की प ् राक ् षेपिकी गणना करें तो, यह लगभग [. ४५ कैलिबर] की पिस ् तौल के रुकने की शक ् ति के बराबर है । यह एक बहुत ही अविश ् वसनीय विनाशकारी शस ् त ् र है । सटीकता, ऐतिहासिक प ् रमाणों के अनुसार अनुभवी गोफनकर अपने लक ् ष ् य को २०० गज की दूरी से भी मार सकते या अपंग कर सकते थे । मध ् यकालीन चित ् र यवनीकाएं हमें बताती हैं कि गोफनकर उड़ते हुए परिन ् दों को भी मार सकते थे । वह आश ् चर ् यपूर ् ण सटीक थे । जब डेविड खड़ा होता है — वह गोलिअथ से २०० गज़ की दूरी पर नहीं है, वह गोलिअथ के काफी करीब है — जब खड़े होकर वह उस चीज़ को गोलिअथ पर फेंकता है, तो इस इरादे और इस उम ् मीद के साथ कि वह गोलिअथ के सबसे कमज़ोर भाग पर, उसकी आँखों के बीच वार कर सकेगा । यदि आप युद ् धकला के इतिहास को देखें, आप देखेंगे की समय समय पर कभी एक युद ् ध में तो कभी दुसरे युद ् ध में गोफेनकर पैदल सेना के खिलाफ तो गोलिअथ कौन है? और जब वह इस ् राएलियों को ललकारता है, तो उसकी उम ् मीद है कि उसका सामना एक और भारी भरकम पैदल सैनिक से होगा । जब वह कहता है क़ि, "" मेरे पास आओ, "" आसमान के परिंदों और खेत के जानवरों को खिला सकूँ, "" मुख ् य वाक ् यांश है, "" मेरे पास आओ । "" मेरे पास आओ क ् यूंकि हम हाथापाई करते हुए, लड़ने वाले हैं, इस तरह से । सॉल की भी यही उम ् मीद है । डेविड कहता है, "" मैं गोलिअथ से लड़ना चाहता हूँ, "" और सॉल उसे अपना कवच देने लगता है, क ् यूंकि सॉल सोच रहा है, 'जब तुम कहते हो' गोलिअथ से लड़ना ', तुम ् हारा मतलब है' उसके साथ हाथापाई का मुकाबला, 'पैदल सैनिक एक दुसरे के साथ भिड़ते हुए । "" किन ् तु डेविड की कोई ऐसी उम ् मीद नहीं है । वह उस तरह से नहीं लड़ेगा । वह ऐसा क ् यों करेगा? वह गडरिया है । उसने आजीवन गोफन का प ् रयोग करके अपने झुण ् ड को शेरों और भेड़ियों से बचाया है । उसकी शक ् ति वहीं है । तो यहां पर भारी कवच पहने हुए एक प ् रचंड दानव जिसके पास बहुत भारी अस ् त ् र जिन ् हे केवल कम दूरी के मुकाबले, में प ् रयोग कर सकते हैं उसके समक ् ष यह गडरिया है, जो एक विध ् वंसकारी शस ् त ् र चलाने में माहिर है । गोलिअथ एक बैठी बतख की तरह है जिसकी कोई बचने की सम ् भावना नहीं है । तो हम डेविड को कम क ् षमता वाला क ् यों मान रहे हैं, और उसकी जीत को असम ् भाव ् य जीत क ् यों कह रहे हैं? यहां एक दूसरी बात भी महत ् वपूर ् ण है । हमने केवल डेविड और उसके अस ् त ् रों को ही गलत नहीं समझा । बल ् कि हमने गोलिअथ को भी गलत समझा । गोलिअथ वह नहीं है जो वह दिखाई देता है । बाइबल में इसके बारे में बहुत संकेत हैं, ऐसी बातें जो पुनरावलोकन में काफी पेचीदा हैं और इसकी शक ् तिशाली योद ् धा की छवि पर सही नहीं लगतीं । आरम ् भ में, बाइबल में कहा है कि एक अनुचर गोलिअथ को लेकर घाटी में आता है । यह कुछ विचित ् र है, है ना? यहां एक शक ् तिशाली योद ् धा है जो इस ् राएलियों को हाथा पाई के मुकाबले के लिए ललकार रहा है । उसे एक युवक मुकाबले के स ् थान पर हाथ से पकड़ कर क ् यों ला रहा है? दूसरा, बाइबल की कहानी में यह विशिष ् ट रूप से बताया है की गोलिअथ बहुत धीरे चलता है, एक और विचित ् र बात है जब आप उस समय के सबसे शक ् तिशाली योद ् धा की बात कर रहे हैं । और फिर एक और विचित ् र बात कि डेविड को देखकर गोलिअथ की प ् रतिक ् रिया में कितना समय लगता है । तो डेविड पर ् वत से नीचे आ रहा है, और वह स ् पष ् ट रूप से हाथा पाई के लिए तैयार नहीं है । उसके बारे में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह प ् रतीत हो कि "मैं तुम ् हारे साथ ऐसे लड़ूंगा ।" उसके पास तो तलवार भी नहीं है । गोलिअथ इस बात पर कोई प ् रतिक ् रिया क ् यों नहीं करता? ऐसा लगता है की वह उस दिन की घटना से बिलकुल बेखबर है । और फिर वह डेविड से अजीब टिप ् पणी करता है: "" क ् या मैं एक कुत ् ता हूँ जो तुम मेरे पास लाठियां ले कर आये हो? लाठियां? डेविड के पास तो केवल एक लाठी है, कई वर ् षों से चिकित ् सा समूह में काफी अटकलें लगायी जा रही हैं कि क ् या गोलिअथ को मूल रुप से कोई समस ् या थी, एक प ् रयास ताकि स ् पष ् ट रूप से दिख रही विसंगतियों को समझा जा सके । कई लेख लिखे जा चुके हैं । पहली बार १९६० में इंडिआना मेडिकल जर ् नल में और इसे आरम ् भ हुई अटकलों की शृंखला की जिसकी शुरआत गोलिअथ की ऊंचाई की व ् याख ् या से हुई उस युग के अपने सभी साथियों से गोलिअथ बहुत ऊँचा है, और आम तौर पर यदि कोई मापदण ् ड से इतना दूर है, तो सबसे आम पाया जाने वाला दानवता का रूप एक स ् थिति है जिसे महाकायता कहते हैं, और महाकायता का कारण है आपकी पीयूष ग ् रंथि पर एक सौम ् य अर ् बुद, जिसकी वजह से मानवीय वृद ् धि के अंतःस ् त ् राव का अत ् युत ् पादन हो जाता है । इतिहास में देखें तो काफी प ् रसिद ् ध दानवों को महाकायता की बीमारी थी । आज तक का सबसे लम ् बा व ् यक ् ति रोबर ् ट वाङलोव था जो २४ वर ् ष की उम ् र में जब मरा तो भी बढ़ रहा था, और वह ८ फुट ११ था । उसको महाकायता की बीमारी थी । क ् या आपको पहलवान दानव आंद ् रे की याद है? प ् रसिद ् ध । उसे महाकायता की बीमारी थी । अब ् राहम लिंकन के बारे में भी अटकलें हैं कि उन ् हें महाकायता थी । कोई भी जो असाधारणतः लम ् बा है उसके लिए हमारे पास पहला स ् पष ् टीकरण यह ही होता है । महाकायता से सम ् बंधित कुछ स ् पष ् ट दुष ् प ् रभाव होते हैं, मुख ् य रूप से दृष ् टि के साथ । जैसे जैसे पीयूष ग ् रंथि बढ़ती है वह मस ् तिष ् क में दृष ् टि की नस को दबाने लगती है परिणामस ् वरूपं महाकायता वाले व ् यक ् ति या तो दोहरी दृष ् टि या निकटदृष ् टि होते हैं । तो जब लोगों ने अटकलें लगन शुरू कर दिया कि गोलिअथ को क ् या समस ् या हो सकती है, उन ् होंने कहा, "" एक मिनट रुको, यह बहुत ज़ ् यादा उन लोगों जैसा लगता है जिसे महाकायता हो । "" और इससे उस बात का भी स ् पष ् टीकरण हो जायेगा कि उसका व ् यवहार उस दिन इतना विचित ् र क ् यों था । वह इतना धीरे क ् यों चल रहा था और उसे एक अनुचर के साथ क ् यों घाटी में लाया गया? क ् यूंकि वह अपने आप नही चल सकता । वह क ् यों डेविड के प ् रति बेखबर था कि वह अंत समय तक समझ नहीं पा रहा कि डेविड उसके साथ नहीं भिड़ेगा? क ् यूंकि वह उसको नहीं देख सकता । जब वह कहता है, "" "" मेरे पास आओ, ताकि मैं तुम ् हारा मांस आसमान के परिंदों और खेत के जानवरों को खिला सकूँ । "" "" मेरे पास आओ "" का वाक ् यांश उसकी कमज़ोरी का भी संकेत है । मेरे पास आओ क ् यूंकि मैं तुम ् हे देख नहीं सकता । और फिर, "" क ् या मैं एक कुत ् ता हूँ जो तुम मेरे पास लाठियां ले कर आये हो? उसको दो लाठियां दिखाई दे रही हैं, जबकि डेविड के पास केवल एक है । तो पर ् वत पर खड़े इस ् राएलियों ने ऊपर से देख कर सोचा कि वह एक असाधारण शक ् तिशाली दुश ् मन है । उन ् हें यह नहीं समझ आया कि उसकी ताकत का साधन ही उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी है । और मेरे ख ् याल से, इसमें हम सब के लिए एक बहुत महत ् वपूरण सबक है । दानव इतने प ् रबल और शक ् तिशाली नहीं होते, जितने वह दिखाई देते हैं । और कभी कभी गडरिये की जेब में गोफर भी होता है । धन ् यवाद । (तालियां) जब मैं ध ् यान करना सीख रहा था, उपदेश सिर ् फ अपनी सांस पर ध ् यान देने का था, और मन को वापस लेकर आना जब वो भ ् रमित हो जाये | सुनने में आसान लगा | फिर भी इन शांत जगहों में ठण ् ड के दिनों में, मेरा पसीना बहता था | जब भी मौका मिलता मैं नींद निकल लेता था, क ् यूंकि यह बेहद मुश ् किल था | वास ् तव में यह बहुत थकाने वाला काम है | सुचनाये काफी आसान थी लेकिन मैं कुछ बहुत ज़रूरी बात से चूक रहा था | तो ध ् यान देना इतना मुश ् किल क ् यों है? अभ ् यास बताता है अगर हम सच में भी किसी चीज़ पर ध ् यान देने की कोशिश कर रहे हैं — जैसे यह व ् याख ् यान — किसी एक समय पर, आधे लोगों का ध ् यान दिन के सपनो में लग जाएगा. या फिर ट ् विटर पर खबर पढ़ने का मंन करेगा तो यहाँ क ् या हो रहा है? ऐसा पता चलता है की हम एक बहुत ही विकासवादी-संरक ् षित विज ् ञान की सीखने की प ् रक ् रिया से लड़ रहे हैं, जो इंसान के नसों के सिस ् टम में संरक ् षित है | यह इनाम आधारित सीखने की प ् रक ् रिया को पोसिटिव और नेगेटिव रेंफोर ् सेमेंट कहते है और मूल रूप से इस तरह चलता है । हम कुछ अच ् छे खाने को देखते हैं, हमारे दिमाग कहता है, "" कैलरी!... जीवन रक ् षा! "" हम खाना कहते हैं, चखते हैं — वो स ् वादिष ् ट लगता है | और खासकर चीनी के साथ, हमारा शरीर दिमाग को संकेत भेजता है, "याद रहे कि आप क ् या खा रहे हैं और यह कहाँ मिला है |" हम इस संदर ् भ-निर ् भर स ् मृति को सोचते हैं और प ् रक ् रिया को दोहराने के लिए सीख लेते हैं. समुद ् री खाना, खाना खाएं, अच ् छा महसूस करें, और दोहराएं | शुरू करें, गतिविधि दिखाएँ, इनाम पाएं | आसान, नहीं? फिर कुछ देर बाद, हमारा क ् रिएटिव दिमाग कहता हैं, "" पता है? आप इसे और भी चीज़ें याद रखने के लिए इस ् तेमाल कर सकते हैं | अगली बार, जब आप बुरा महसूस करें, क ् यों न आप कुछ अच ् छा खाएं जिससे आपको अच ् छा महसूस हो? "" इस महान विचार के लिए दिमाग का शुक ् र है, कोशिश कीजिये और जल ् दी सीखिये की जब हम नाराज़ या उदास हों, चॉकलेट या आइसक ् रीम खा कर अच ् छा महसूस करते हैं. एक ही प ् रक ् रिया. सिर ् फ एक अलग कारण | बजायते की भूख के संकेत पेट में से आएं यह इमोशनल संकेत — बुरा लगना — शायद हम अपने बचपन में, हम बहुत पढ़ाकू थे, और हम बिगड़े हुए बच ् चों को स ् मोक करते देख सोचते थे, "हे, मुझे कूल बनना है |" और हम धुम ् रपान करते हैं | मार ् लबोरो मैन, एक बेवकूफ नहीं था, और वह कोई अॅक ् सीडेंट नहीं था कूल इंसानों को देखो, धुम ् रपान करो कुल बनो. अच ् छा महसूस करो और दोहराओ | शुरू करें, गतिविधि दिखाएँ, इनाम पाएं | और जब हम इसे करते हैं, प ् रक ् रिया दोहराना सीखते हैं और यह एक आदत बन जाती है | बाद में, बाद में बहुत थकान से स ् मोक करने की तीव ् र इच ् छा होती है या कुछ मीठा खाने की | अब, इन ् ही समान दिमागी प ् रक ् रियायों से, हम सीख से जीवित रहने से अपने आप को मारने वाली आदतों पर आ चुके हैं | मोटापा और धुम ् रपान यह दुनिया प ् रमुख रोके जा सकने वाले, रोगसंख ् या और मृत ् युसंख ् या के कारण हैं | तो मेरी सांस पर वापस आते हैं कैसा हो, अगर हम अपने दिमागों से लड़ने के जगह, या अपने आप को ध ् यान देने के लिए मजबूर करने की जगह, हम साधारण, इनाम आधारित सीखने की प ् रक ् रिया अपनाएं लेकिन एक बदलाओ के साथ? कैसा हो अगर हम उस समय के अनुभव के बारे में सिर ् फ उत ् सुक हो जाएं? मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ | मेरे प ् रयोगशालामे जांच की क ् या हम सावधानी बरतने वाली ट ् रेनिंग से धूम ् रपान छुड़वा सकते हैं | अब जैसे मैं अपने आप को, अपनी सांस पे ध ् यान लगाने के लिए ज़ोर लगता हूँ वैसे वे लोग भी धूम ् रपान छोड़ने पे ज़ोर दे सकते हैं | बहुत से लोगों ने इससे आज़माया और असफल रहें हैं — सामान ् य रूप में, ६ बार | हमने, सावधानी भरी ट ् रेनिंग में ज़ोर देने को छोड़, उत ् सुक रहने पर ध ् यान केंद ् रित किया | असल में, हमने उन ् हें धूम ् रपान करने को कहा क ् या? जी हाँ, हमने कहा, "" धूम ् रपान करें, सिर ् फ करते वक़ ् त उत ् सुक रहे | "" और उन ् होंने तब क ् या देखा? खैर, हमारे एक धूम ् रपान करने का उदाहरण सुनाता हूँ | उसने कहा, "" सावधानी से करने वाला धूम ् रपान: बद ् बुदार चीज़ के जैसे लगता है और केमिकल ् स के जैसा स ् वाद, छि | "" अब वह जानती है की धूम ् रपान उसके लिए हानिकारक है, इसलिए वह हमारे प ् रोग ् राम से जुड़ गयी | जब वह जिज ् ञासु हो कर धूम ् रपान कर रहीं थीं तब उन ् होंने यह खोज किया की धूम ् रपान का स ् वाद बहुत ही गन ् दा है | (हास ् य) अब उन ् होंने अपने ज ् ञान को बुद ् धिमता के ओर परिवर ् तित किया धूम ् रपान उनके लिए खराब है, अपने दिमाग में जानने के बाद अब उनकी नस-नस जानती हैं, और वह सम ् मोहन अब खत ् म हो चूका है | वह अपने व ् यवहार के साथ मोह भांग होने लगी हैं | अब, प ् रीफ ् रंटल कोर ् टेक ् स, जो हमारे दिमाग का सबसे छोटा हिस ् सा है, विकासवादी नज़रिये से अब वह ज ् ञान के नज़रिये से समझता है की हमने धूम ् रपान नहीं करना चाहिए | हमनेऔर वह पूरी कोशिश करता है हमारा व ् यव ् हार बदलने की, धूम ् रपान न करने के लिए मदद करता है, यह मानसिक नियंत ् रण हैं | हम यह ज ् ञान का इस ् तेमाल कर रहे हैं व ् यवहार बदलने में | बदकिस ् मती से, यह भी दिमाग का पहला हिसा ही है जो बंद हो जाता है जब हम चिंतित होते हैं जो बहुत उपयोगी नहीं है | अब हम सब इसे अपने अनुभवों के साथ जोड़ सकते हैं | जब हम चिन ् तित ् होते या थके हुए होते हैं, हम बच ् चों या साथी पर चिल ् लाते हैं, पता होते हुए भी कि वह हमारे काम का नहीं होगा हम अपनी मदद कर ही नहीं पाते | जब प ् रीफ ् रंटल कोर ् टेक ् स बंद हो जाता है, हम अपनी पुरानी आदतों से घिर जाते हैं, इसीलिए मोहभंग होना बेहद ज़रूरी है | हमें अपनी आदतों से क ् या मिलता है, उन ् हें गहरायी से समझने में मदद करता है — नस-नस को समझने के लिए, ताकि हमें अपने आप को रोकना न पड़े या सीमित न करने पड़े उस व ् यव ् हार से | हम बस उससे करने में थोड़े कम इच ् छित हैं | और यही सावधानी बरतना या मिंडफुल ् नेस होता है: साफ़ साफ़ देख पाना कि हमें अपने व ् यवहारों से क ् या मिलता है अपने अंदर के भावनाओं से मोह भांग हो जाना और उसे सरलता से अपने आप अलग होने देना | इसका मतलब यह नहीं की किसी जादू से धूम ् रपान करना छोड़ देंगे | लेकिन जैसे समय बीतता है, हम अपने आदतों के परिणाम, साफ़ देखना सीख जाते हैं, हम पुरानी आदतें छोड़, नयी आदतें निर ् माण करते हैं | यहाँ विरोधाभास यह है की अपने शरीर और दिमाग में पल पल होने वाली चीज़ों को करीब से जानने की दिलचस ् पी, सावधानी बरतना है यह अप ् रिय लालसा से अनुभव के तरफ मोड़ने की स ् वेच ् छा है | और यह स ् वेच ् छा को अनुभव के तरफ मोड़ने में सहारा देती है हमारी जिज ् ञासा, जो स ् वाभाविक रूप से फायदेमंद है । जिज ् ञासा कैसी लगती है? अच ् छी लगती है | और क ् या होता है जब हम उत ् सुक हो जाते हैं? हम जानते हैं की लालसा सिर ् फ शरीर उत ् तेजना से बानी हुई हैं — जहाँ तंगी हैं, जहाँ तनाव हैं, जहाँ बेचैनी है — और यह की शरीर उत ् तेजना आती और जाती रहती हैं | यह छोटे छोटे अनुभव हैं जिन ् हे हम हर पल संचालित से कर सकते हैं बजाय उस विशाल लालसा के जिसमे हम घुटते हैं | दूसरे शब ् दों में, जब हम उत ् सुक होते हैं, हम अपने पुराने डर आधारित, प ् रतिक ् रियाशील आदतों से बाहर आते हैं और हम अस ् तित ् व में कदम रखते हैं | हम ध ् यानी वैज ् ञानिक बन जाते है जहाँ हम अगले डाटा पॉइंट के लिए उत ् साहसे रुके रहते है | अभी, यह वर ् तन में बदलाव लाने के लिए आसान लगेगा | लेकिन एक अभ ् यास में हमने पाया की, ध ् यानसे प ् रशिक ् षण स ् टैण ् डर ् ड थेरपी से धुम ् रपान बंद करने में दो गुना बेहतर था | तोह सच में यह काम करता है | जब ध ् यान लगा के प ् राणायाम करनेवालो का अभ ् यास किया, तब मस ् तिष ् क के न ् युरोंस के जाले खुद ही इसके सन ् दर ् भ कि खोज करते है | जो की मस ् तिष ् क की मुलभुत अवस ् था है | इसको एक प ् रकार का खेल ही समझिए | इस जाल के बारे में एक अनुमान है, मस ् तिष ् क की पोस ् तेरिअर सिंग ् युलेट कॉर ् टेक ् स, यह सिर ् फ आदतों की वजह से क ् रियान ् वित नहीं होती पर लेकिन हम जब आदतो की आस में अटक ते है तब भी यह क ् रियान ् वित होता है हम जब इस दौर से गुजर रहे होते है उस समय क ् या हुआ इसकी जागरूकता अपने मस ् तिष ् क को शांत करती है | हम इसपर एक अॅप बना रहे है | जो ऑनलाईन वैचारिक ज ् ञान देगा | इस यंत ् रणा को केन ् द ् रित कर के | अपना लक ् ष अन ् य जगह करने के तंत ् र का इधर इस ् तेमाल किया गया है | जिससे हम बुरे अनारोगी बुरी आदतों से बाहर आ सकते है | धुम ् रपान, ज ् यादा तनाव, व ् यसन इस सबसे | ध ् यान में रखे सन ् दर ् भ आधारित स ् मृति यह साधन लोगों के पास आसानी से पोहोचा सकते है महत ् वपूर ् ण संबंध होने पर, उनको मदत कर सकते है | उनकी अनुवांशिक क ् षमता को चौकस होने के लिए उत ् तेजित करे | जब धुम ् रपान करने की इच ् छा होगी या तनाव के निचे खाने की या अन ् य इच ् छा होगी आपने अगर ये नहीं किया आपकी इच ् छा होगी ई मेल देखने की तलफ दूर करने के लिए, या आपके काम के बीच का ध ् यान अन ् यत ् र हो जाएगा. या फिर गाडी चलते हुए मेसेज भेजेंगे आपकी नैसर ् गिक क ् षमता को आजमाए | थोडा सजग और चौकस हो जाइए अपने मन में इस समय क ् या होता है यह आजमाने के लिए | यह दूसरा मौका होगा अपनी आदतों का दुष ् टचक ् र तोड़ने के लिए उससे बहर पड़ने में | इस बार मेसेज देखने के अलावा लिखिए उससे थोडा अच ् छा लगेगा इस तीव ् र इच ् छा की नोंद कर ले | चौकस हो जाइए | मुक ् त होने का आनंद ले | फिरसे करे | धन ् यवाद | (तालियाँ) व ् यापार और अर ् थव ् यवस ् था के क ् षेत ् रों में काफी साल बिताने के बाद, चार साल पहले, मैंने स ् वयं को मानवी निर ् बलता की सीमाओं पर काम करते हुए देखा. और मैं उन जगहों पर गई जहां लोग ज़िंदा रहने के लिए लड ़ रहे हैं, पर उन ् हें एक वक ् त का भोजन भी नहीं मिल रहा है. यह लाल प ् याला रवांडा से है और फेबियन नामक एक बालक का है. और मैं इसे हर जगह ले आती हूँ एक प ् रतीक के रूप में, सचमुच, हमारी इस चुनौती का और उम ् मीद का भी. क ् योंकि दिन में एक प ् यालाभर खाना फेबियन की ज ़ िन ् दगी को पूरी तरह बदल देता है. पर मैं आज जो बात करना चाहूंगी, वह इस हकीकत के बारे में है, कि इस सुबह, पृथ ् वी पर एक अरब लोग - या हर सात लोगों में से एक - यह जाने बिना नींद से जागे हैं कि इस प ् याले को कैसे भरा जाए. हर सात व ् यक ् तियों में से एक. पहले, मैं आपसे पूछूंगी, आपको इस बात की परवाह क ् यों होनी चाहिए? हम इस बात की परवाह क ् यों करें? ज़ ् यादातर लोगों को, जब वे भूख के बारे में सोचते हैं, अपने ही पारिवारिक इतिहास में ज़ ् यादा दूर मुड़कर नहीं देखना पडेगा - शायद उन ् ही के जीवनकाल में या उनके माँ-बाप या दादा-दादियों के जीवनकाल में - भूख के किसी अनुभव को याद करने के लिए. बहुत ही असामान ् य तौर पर ही मुझे ऐसे श ् रोतागण मिलते हैं जिनके अतीत में भूख के अनुभव देखने के लिए और पीछे ढूंढना पड ़ ता है. कुछ लोग शायद यह मानते हैं कि भूखों की ओर हमदर ् दी से पेश आना इंसानियत का एक बुनियादी फ़र ् ज़ गिना जाना चाहिए. जैसे गांधीजी ने कहा, "भूखे इंसान की नज़र में रोटी का टुकड़ा ईश ् वर का चेहरा है." अन ् य लोग चिंतित हैं विश ् व की शान ् ति, सुरक ् षा और स ् थिरता के विषय में. हमने देखा है 2008 के दंगों को जो खाने के अभाव से हुए, जब मेरे शब ् दों में, भूख के एक खामोश बाढ ़ ने दुनिया को लपेट लिया था, जब रातों रात खाद ् य-पदार ् थों के दाम दुगुने हो गए थे. भूख का अस ् थिरताजनक प ् रभाव मानवी इतिहास के दौरान भली-भाँति जाना गया है. सभ ् यता के मूलभूत कर ् तव ् यों में से एक है यह सुनिश ् चित करना, कि लोगों को पर ् याप ् त भोजन प ् राप ् त हो. अन ् य लोग माल ् थस द ् वारा बताई गयी भयानक संभावनाओं को लेकर चिंतित हैं. क ् या हम खिला पाएंगे ऐसी आबादी को जो मात ् र कुछ ही दशकों में नौ अरब तक जा पहुंचेगी? भूख नाम की चीज ़ के साथ समझौता मुमकिन नहीं है. लोगों को भोजन तो चाहिए ही. और लोगों की संख ् या कुछ ज़ ् यादा ही होनेवाली है. इसका एक मतलब यह है कि इससे ऊंचे और निचले स ् तर दोनों में काफी नौकरियां और मौके पैदा होते हैं. मगर वास ् तव में मैं इस समस ् या की ओर एक अलग रस ् ते से पहुँची. यह मेरी और मेरे तीन बच ् चों की तस ् वीर है. सन 1987 में मैं पहली बार मां बनी. मेरा पहला बच ् चा हुआ, और मैं उस को दूध पिला रही थी, जब इससे बहुत मिलता-झुलता एक चित ् र दूरदर ् शन पर प ् रसारित हुआ. इथिओपिया फिर एक बार सूखे से ग ् रस ् त था. इससे दो साल पहलेवाले सूखे से दस लाख से अधिक लोग मरे थे. मगर मैं इस चीज ़ से कभी इस तरह प ् रभावित नहीं हुई जैसे मैं उस पल में हुई क ् योंकि उस चित ् र में एक महिला थी जो अपने बच ् चे को दूध पिलाने की कोशिश में थी, और उसके पास पिलाने के लिए दूध नहीं था. एक माँ के तौर पर, उस बच ् चे के रोने की आवाज़ ने मुझे भीतर तक आहत कर दिया. और मैंने सोचा, कि मन पर टिकनेवाली और गहरी वेदना नहीं हो सकती, जैसे एक बच ् चे के रोने की है, जिसका जवाब खाने से नहीं दिया जा सकता - खाना, जो हर इंसान की बुनियादी उम ् मीद है. और उसी क ् षण में मैं भर गयी विरोध और उत ् तेजना की भावना से इस बात पर, कि हम इस समस ् या का समाधान वास ् तव में अब ही जानते हैं. यह कोई अजीब बीमारी नहीं है जिसका इलाज हमारे पास नहीं है. हम भूख का इलाज जानते हैं. सौ साल पहले हम यह नहीं जानते थे. अब वाकई हमारे पास ज ़ रूरी प ् रौद ् योगिकी और व ् यवस ् थाएं मौजूद हैं. और मैं इस बात से चकित हुई कि यह कितना अनुचित है. हमारे इतिहास के इस दौर में यह चित ् र अनुचित हैं. खैर आपका क ् या अनुमान है? यह पिछले हफ ् ते की बात है उत ् तरी केन ् या से. फिर एक बार, विशाल स ् तर पर भुखमरी का चेहरा दिखाई दे रहा है जिसके कारण नब ् बे लाख लोग इस सवाल से जूझ रहे हैं कि क ् या वे कल तक जीवित रह पाएंगे. असल में, हम अब यह बात जानते ही हैं कि हर दस सेकण ् ड में हम भुखमरी के कारण एक बच ् चे को खोते हैं. यह HIV एड ् स, मलेरिया और ट ् यूबरकुलोसिस की मौतों की कुल गिनती से अधिक है. और हम जानते हैं कि समस ् या केवल भोजन के उत ् पादन का नहीं है. मेरे जीवन के मार ् गदर ् शकों में से एक हैं नार ् मन बोर ् लोग, जिन ् हें मैं महापुरुष मानती हूँ. मगर आज मैं बात करनेवाली हूँ भोजन पाने की क ् षमता के विषय में, क ् योंकि वाकई इस साल और पिछले साल और 2008 की संकटमय खाद ् य परिस ् थिति में भी, पृथ ् वी पर पर ् याप ् त भोजन उपलब ् ध था सबको 2700 किलोकैलोरी मिलती थी. तब क ् यों अब एक अरब लोग हैं जो भोजन पाने में असमर ् थ हैं? और मैं एक और विषय पर चर ् चा करना चाहूंगी, जिसे मैं 'नई जानकारी का बोझ' कहती हूँ. सन 2008 में लैंसेट पत ् रिका ने सारे संशोधन का संकलन कर यह ठोस सबूत पेश किया कि अगर किसी बच ् चे को अपने पहले हज़ार दिनों में - गर ् भाधान से लेकर दो साल की उम ् र तक - पर ् याप ् त पोषण प ् राप ् त नहीं है, तो इसका दुष ् परिणाम बेइलाज है. उनके मस ् तिष ् क और शरीर का विकास बाधित रह जाता है. और यहाँ आप देख रहे हैं दो बच ् चों के मस ् तिष ् क के छान-बीन का छायाचित ् र - एक का, जिसे पर ् याप ् त पोषण प ् राप ् त था, और एक अलग बच ् चे का, जो बुरी तरह कुपोषित था. और यह दिखाई देता है कि ऐसे बच ् चों के दिमाग का आकार सामान ् य बच ् चों से 40 प ् रतिशत तक कम है. और इस पृष ् ठ पर आप देख रहे हैं कि दिमाग के न ् यूरॉन और उनके जोड ़ निर ् मित नहीं होते. और अब हम जो एक चीज ़ जानते हैं वह यह है कि इसका हमारी अर ् थव ् यवस ् थाओं पर गहरा असर पड ़ ता है, जिसकी बात मैं बाद में करूंगी. मगर एक और बात यह है कि इन बच ् चों की कमाने की क ् षमता कटकर आधी रह जाती है उनके जिंदगीभर, छोटी उम ् र में कुपोषण द ् वारा दबोच लिए जाने के कारण. तो मैं इसी जानकारी के बोझ से प ् रेरित हूँ. क ् योंकि वाकई हम इसका सरल इलाज जानते हैं. और इसके बावजूद, कई जगहों में, एक तिहाई बच ् चों को, तीन साल की उम ् र तक पहुंचने पर ही, इसी वजह से जीवन में कठिनाइयां झेलनी पड़ती है. मैं बात करना चाहूंगी कुछ चीज़ों के बारे में जिन ् हें मैंने देखा हैं भूख के खिलाफ जंग के मोर ् चों में, कुछ चीज़ें जो मैंने सीखी हैं, मेरे व ् यापारिक तथा अर ् थशास ् त ् रीय ज ् ञान और निजी क ् षेत ् र के अनुभव को इस क ् षेत ् र में लाकर. मैं बताना चाहूंगी कि इस जानकारी में अवरोध कहाँ है. खैर सबसे पहले मैं पृथ ् वी पर पोषण की सबसे पुरानी प ् रक ् रिया के विषय में बात करना चाहूंगी, जो है, स ् तनपान. आपको यह जानकार आश ् चर ् य होगा कि हर 22 सेकण ् ड में एक बच ् चे को बचाया जा सकता है, अगर सभी को जीवन के पहले छह महीनों में स ् तनपान मिल पाए. मगर नाइजर में, मिसाल के तौर पर, सात प ् रतिशत से भी कम बच ् चे जीवन के पहले छह महीनों में केवल और केवल स ् तनपान ही पाते हैं. मौरितानिया में यह संख ् या तीन प ् रतिशत से भी कम है. इन हालातों में जानकारी से बदलाव लाया जा सकता है. इस सूचना, इस वार ् ता, को हम प ् रसारित कर सकते हैं कि यह मात ् र बीते कल के जीने का ढंग नहीं, बल ् कि आपके बच ् चे की जान बचाने का उत ् तम उपाय है. और आज हम ध ् यान देते हैं न केवल भोजन का वितरण करने में, बल ् कि यह निश ् चित करने में कि माएँ पर ् याप ् त पोषण पा रही हैं और उन ् हें स ् तनपान के विषय में जानकारी प ् राप ् त है. दूसरी एक चीज ़ है जिसके बारे में मैं बात करना चाहूंगी - अगर आप दूर-दराज ़ के किसी गाँव में रहते हों, अगर आपके बच ् चे को विकलांगता हो, अगर आपके क ् षेत ् र में सूखा हो या बाढ ़ हो, और अगर आप ऐसी स ् तिथि में हों जहां भोजन पदार ् थों में विविधता का अभाव है, तो आप क ् या करेंगे? क ् या आप सोचते हैं कि आप किसी दूकान में जाकर आपके पसंदीदा 'पॉवर बार' खरीद सकते हैं, जैसे हम यहाँ कर सकते हैं, और आपकी ज ़ रूरतों से मिलता-जुलता सही माल चुन सकते हैं? मुझे नज़र आते हैं भुखमरी की रणभूमि में जूझ रहे माँ-बाप, जो यह जानते हैं कि इस लड़ाई में उनके बच ् चे हार का सामना कर रहे हैं. और मैं जाती हूँ उन दुकानों में, अगर वे हों तो, या बाहर खेतों में, यह देखने कि उन ् हें क ् या मिल सकता है, और उन ् हें पौष ् टिकता उपलब ् ध नहीं हैं. अगर उन ् हें पता भी हो कि उन ् हें करना क ् या है, यह पदार ् थ उन ् हें उपलब ् ध नहीं हैं. और मुझे उत ् साह है इस बात का, क ् योंकि एक काम जिसमें हम लगे हुए हैं, वह है भोजन उद ् योग क ् षेत ् र में उपलब ् ध प ् रौद ् योगिकी का परिवर ् तन, ताकि यह पारंपरिक फसलों के लिए भी उपलब ् ध हों. यह बना है चना, निर ् जल दूध और कई विटामिन के मिश ् रण से, जो मस ् तिष ् क की आवश ् यकताओं से पूरा मिलता है. और इसके उत ् पादन में हमारे सिर ् फ 17 सेंट खर ् च होते हैं, यह बनाने में, जिसे मैं 'मानवता का अन ् न' कहती हूँ | हमने यह किया भारत और पाकिस ् तान के भोजन-वैज ् ञानिकों के साथ - सचमुच बस तीन लोगों के ज़रिये. मगर इससे परिवर ् तन हो रहा है 99 प ् रतिशत बच ् चों में, जो इसे पा रहे हैं. एक पैकेट, रोज ़ 17 सेंट के दाम में, और उनके कुपोषण का निवारण हो जाता है. तो मैं निश ् चित हूँ कि अगर समृद ् ध विश ् व में आम तौर पर पाई जानेवाली प ् रौद ् योगिकी का पूरा उदघाटन और विस ् तार किया जाए, तो एक खाद ् य-क ् रान ् ति संभव है. और यह किसी मौसम में नहीं बिगड ़ ता. इसे प ् रशीतक की आवश ् यकता नहीं है, न जल की, जिसका अक ् सर अभाव है. और इस प ् रकार की प ् रौद ् योगिकी में, मैं मानती हूँ, यह क ् षमता है पूरी तरह चेहरा ही बदल देने की, भूख, कुपोषण और पोषण का, वहीं जहां इनके खिलाफ जंग जारी है. अगली चीज ़ जिसके बारे में मैं बात करना चाहूंगी, वह है शालेय भोजन. दुनिया के 80 प ् रतिशत लोगों के लिए भुखमरी से बचानेवाला कोइ सुरक ् षा जाल नहीं है. किसी भी विपत ् ति के समय - जब अर ् थव ् यवस ् था बर ् बाद है, जब लोग नौकरी खो बैठते हैं, बाढ ़, जंग, तनाव, कुशासन, जैसी स ् तिथियों में - उन ् हें सहारा लेने का कोई ठिकाना नहीं है. और आम तौर पर संस ् थाएं - गिरजे, मंदिर इत ् यादि - उस सामग ् री से संपन ् न नहीं हैं जिससे वे सुरक ् षा जाल प ् रदान कर पाएंगे. विश ् व बैंक के साथ काम करते समय हमें यह पता लगा है कि गरीब इंसान के लिए सुरक ् षा जाल, और सबसे बेहतर निवेश, है शालाओं में भोजन की व ् यवस ् था. और अगर आप इस प ् याले को लघु कृषकों के स ् थानीय उत ् पाद से भरें, तो इसका परिणाम परिवर ् तनशील होगा. दुनिया में ऐसे बहुत सारे बच ् चे हैं जो स ् कूल नहीं जा पाते क ् योंकि उन ् हें एक वक ् त के खाने के लिए भी भीख मांगनी पड ़ ती है. मगर जब यह खाना मौजूद है, तो इससे बदलाव आता है. 25 सेंट से भी कम खर ् च होता है, एक बच ् चे के जीवन में परिवर ् तन लाने के लिए. मगर सबसे कमाल की बात है लड ़ कियों पर असर. उन देशों में जहां लडकियां स ् कूल नहीं जातीं, अगर वहां स ् कूल में एक वक ् त का खाना दिया जाता है, तो आप देखेंगे कि भरती की संख ् या में 50 प ् रतिशत लडकियां और लड ़ के हैं. लड ़ कियों की हाज ़ िरी में भी बदलाव नज ़ र आता है | और यह ज ़ रा भी बहस की बात नहीं है, क ् योंकि यह फायदे की बात है. परिवारों को मदद की ज ़ रुरत है. और हम यह देखते हैं कि अगर हम लड ़ कियों को ज ़ ् यादा दिन स ् कूल में रखें, वे 16 साल की उम ् र तक स ् कूल में पढ ़ ेंगी, और जब स ् कूल में भोजन हो, वे शादी करने के लिए मजबूर नहीं होंगी. अगर हफ ् ते के आखिर में उन ् हें भोजन का अधिक हिस ् सा दिया जाए -जिसका खर ् च 50 सेंट के आस-पास होगा - तो लडकियां स ् कूल में पढाई जारी रखेंगी, और एक अधिक स ् वस ् थ बच ् चे को जन ् म देंगी, क ् योंकि कुपोषण का सिलसिला पीढ ़ ी-दर-पीढ ़ ी जारी रहता है. हम जानते हैं कि भूख के मामले में भरमार और अभाव के सिलसिले जारी हैं. हम यह जानते हैं. इसी वक ् त उत ् तरपूर ् वी अफ ् रीका में, और इससे पहले भी, हम इसका अनुभव कर चुके हैं. तो क ् या यह अभियान पूरी तरह नाउम ् मीद है? हरगिज ़ नहीं. मैं बात करना चाहूंगी, उनके बारे में, जिन ् हें मैं 'आशा के भण ् डार' कहती हूँ. कैमेरून, उत ् तरी कैमेरून में भूख के भरमार और अभाव के सिलसिले जारी हैं, प ् रतिवर ् ष कई दशकों के लिए. भोजन की सहायता प ् रतिवर ् ष आ पहुँचती है जब लोग सूखे मौसम में भूखे हैं. दो साल पहले, हमनें निर ् णय लिया कि हम भुखमरी के विरुद ् ध हमारी रणनीति बदल देंगे, और खाद ् य सहायता का दान करने के बजाय हम इसे भोजन बैंक में जमा करेंगे. और हमने कहा, सुनिए, सूखे मौसम में इस भोजन को बाहर निकालिए. इन ् हें आप ही संभालिये; गाँव के स ् तर पर ही इन भंडारों का संचालन होता है. और फसल काटने के समय, उसे भण ् डार को लौटाइए, मुनाफे के साथ, खाद ् य मुनाफा सहित. वहां जमा कीजिए प ् रतिशत अधिक, या 10 प ् रतिशत अधिक अनाज. पिछले दो सालों में ऐसे 500 गाँव हैं, जिन ् हें खाद ् य सहायता की आवश ् यकता नहीं रही है - अब वे स ् वावलंबी हैं. और भोजन के भण ् डार भी बढ ़ रहे हैं. और गाँव के वासियों द ् वारा शालाओं में भोजन के कार ् यक ् रम का भी आरम ् भ हो रहा है. मगर इनके पास अब तक मूलभूत व ् यवस ् थाएं और संसाधन निर ् माण करने की क ् षमता नहीं थी. मुझे यह सुझाव अतिप ् रिय है क ् योंकि यह ग ् रामीय स ् तर से आया - भण ् डार खोलने के लिए तीन चाबियाँ. यहाँ खाना ही सोना है. और ऐसे सरल सुझाव चेहरा ही बदल सकते हैं, सिर ् फ छोटे इलाकों के नहीं, बल ् कि दुनियाभर के बड ़ े इलाकों के. मैं बात करना चाहूंगी उसके बारे में, जिसे मैं 'डिजिटल फ ़ ूड' (अंकीय भोजन) कहती हूँ. प ् रौद ् योगिकी द ् वारा खाद ् य असुरक ् षितता का चेहरा ही बदल रहा है, उन इलाकों में जो ऐतिहासिक तौर पर सूखे से ग ् रस ् त हैं. अमर ् त ् य सेन ने नोबेल पुरस ् कार यह कहकर जीता कि, "" बात यह है कि भोजन के मौजूद होने पर भी भुखमरी हो सकती है, क ् योंकि लोगों के पास उसे खरीदने का सामर ् थ ् य नहीं है. "" बेशक हमनें 2008 में यही देखा. हम अब यही देख रहे हैं उत ् तरपूर ् वी अफ ् रीका में जहां खाद ् य पदार ् थों के दाम पिछले साल में 240 प ् रतिशत बढ ़ गए हैं. खाना शायद हो भी, मगर लोग खरीद नहीं पा रहे हैं. खैर यह तस ् वीर - मैं हेब ् रोन में थी एक दुकान में, इस दुकान में, जहां भोजन पहुंचाने के बजाय, हम अंकीय भोजन लाते हैं, एक कार ् ड के ज ़ रिये. यह अरबी में कहता है "" शुभ आहार! "" कोई महिला यहाँ आ सकती हैं और इस कार ् ड के ज ़ रिये नौ तरह के खाद ् य सामान खरीद सकती है. यह पौष ् टिक होना चाहिए, और स ् थानीय उत ् पाद से बना हुआ. और हुआ यह, बस पिछले साल में, कि डेरी उद ् योग में - जहां इस कार ् ड का इस ् तेमाल दूध, दही, अंडे और हम ् मस (पीसे छोले) के लिए होता है- वहां डेरी उद ् योग में 30 प ् रतिशत की वृद ् धि हुई. दुकानदार ज ् यादा लोगों को नौकरी दे रहे हैं. यह सब के लिए फायदे का मामला है, और इससे खाद ् य अर ् थव ् यवस ् था की गति भी बढ ़ ती है. हम खाना पहुंचाते हैं तीस से अधिक देशों में, सेल-फ ़ ोन के माध ् यम से, जिससे इन मुल ् कों में मौजूद शरणार ् थियों की स ् तिथि में भी बदलाव आया है, अन ् य कई माध ् यमों के साथ ही. शायद मुझे सबसे ज ़ ् यादा स ् फूर ् ति दिलानेवाला सुझाव यह है जिसका बिल गेट ् स, हावर ् ड बफेट और अन ् य लोगों ने साहस से समर ् थन किया है, यह प ् रश ् न पूछकर कि - क ् यों ना, भूखे लोगों को पीड ़ ित के रूप में देखने के बजाय - और इनमें ज ़ ् यादातर लोग छोटे किसान हैं जो न पर ् याप ् त अनाज उगा पाते हैं न उसे बेच पाते हैं अपने ही परिवारों को संभालने के लिए भी - हम क ् यों ना इन ् हें इस समस ् या के समाधान के रूप में देखें, भूख के विरुद ् ध युद ् ध में जनबल के रूप में? क ् यों ना अफ ् रीका की महिलाओं से, जो अनाज बेच नहीं पा रही हैं - यहाँ न सड ़ क हैं, न भण ् डार न अनाज को उठाने के लिए तिरपाल- क ् यों ना हम उन ् हें ताकद दिलानेवाला एक माहौल पैदा करें जिसमें वे भोजन प ् रदान कर सकेंगी अन ् य इलाकों के भूखे बच ् चों को खिलाने में? और आज 'पर ् चेसिंग फॉर प ् रोग ् रेस' (प ् रगति के लिए क ् रय) 21 देशों में चालू है. और इसका नतीजा? लगभग हर एक के मामले में, जब गरीब किसानों को आश ् वासन दिलाया जाता है कि उनके माल के लिए बाज ़ ार मौजूद है - अगर आप कहेंगे, "" हम इस माल के 300 मेट ् रिक टन खरीदेंगे. इसका परिवहन हम करेंगे. हम इसका सही तरह से संचय करेंगे. "" - तो उनकी उपज दुगुनी, तिगुनी, चौगुनी तक हो जाती है और यह कर दिखाने में वे सफल हो जाते हैं, क ् योंकि यही पहली बार है उनके जीवन में, जब उन ् हें एक ऐसा भरोसेमंद मौका मिला है. और हम देखते हैं कि लोग अपने जीवन में परिवर ् तन ला रहे हैं. आज, खाद ् य सहायता, हमारी खाद ् य सहायता, - एक महान गतिशील साधन - का 80 प ् रतिशत क ् रय विकासशील विश ् व में होता है. यह संपूर ् ण परिवर ् तन है जो वास ् तविक तौर पर सुधार ला सकता उन ् हीं लोगों के जीवन में जिन ् हें इस भोजन की आवश ् यकता है. अब शायद आप पूछेंगे, क ् या यह और बड ़ े स ् तर पर ऐसा आयोजन संभव है? यह बढ ़ िया सुझाव हैं, ग ् राम ् य स ् तर पर. मैं बताना चाहूंगी ब ् राज ़ ील के बारे में, क ् योंकि मैंने ब ् राज ़ ील की यात ् रा की है पिछले दो सालों में, जब मैंने पढा कि ब ् राज ़ ील भूख पर जीत पा रहा है, इस समय पृथ ् वी के किसी भी राष ् ट ् र से अधिक तेज ़ ी से. और मैं जान सकी हूँ कि पैसों को खाद ् य अनुदान अथवा अन ् य चीज ़ ों में लगाने के बजाय, उन ् होंने शालेय भोजन कार ् यक ् रमों में निवेश किया है. और वे यह लागू करते हैं कि इस भोजन का एक तिहाई भाग उन छोटे किसानों से आए, जिन ् हें अब तक मौक ़ ा ही न मिला हो. और वे यह कर रहे हैं विशाल स ् तर पर, जबसे राष ् ट ् रपति लूला ने अपने इस लक ् ष ् य की घोषणा की, कि सबको तीन वक ् त का खाना मिलना ही होना चाहिए. और यह शून ् य भूख योजना का खर ् च, कुल देशी उत ् पाद के आधे प ् रतिशत से कम है और इससे कई लाखों लोगों का भूख और गरीबी से उद ् धार हुआ है. इससे ब ् राज ़ ील में भूख का चेहरा बदल रहा है, यह विशाल स ् तर पर हो रहा है, और यह नए मौके पैदा कर रहा है. मैं वहां गयी हूँ, और मेरी मुलाक ़ ात हुई है उन छोटे किसानों से जिन ् होंने अपना रोज ़ गार निर ् माण किया है, इसके द ् वारा मिले अवसर और आधार पर. अब अगर हम इस विषय की आर ् थिक अनिवार ् यता पर नज ़ र डालें, तो यह केवल करुणा का विषय नहीं है. हकीकत यह है, कि संशोधन द ् वारा पता लगा है, कि भूख और कुपोषण से होनेवाला नुक ् सान - जिसकी कीमत समाज को चुकानी पड ़ ती है, जिस बोझ को संभालना पड ़ ता है - प ् रतिवर ् ष के कुल देशीय उत ् पाद का औसतन छह प ् रतिशत है, और कुछ देशों में 11 प ् रतिशत तक है. और अगर आप नज ़ र डालेंगे उन 36 देशों पर जो कुपोषण का सबसे भारी बोझ उठा रहे हैं, तो कुल मिलाकर 260 अरब का नुक ् सान होता है उपजाऊ अर ् थव ् यवस ् था से, हर साल. खैर, विश ् व बैंक का अनुमान है कि 10 अरब डालर 10.3 — लगेंगे इन देशों में कुपोषण को निबटाने में. आप ज ़ रा इसके फायदे और नुक ् सान का हिसाब कीजिए, और मैं सपना देखती हूँ इस मुद ् दे को प ् रस ् तुत करने का, केवल दया के वाद द ् वारा नहीं, बल ् कि विश ् व के वित ् त मंत ् रियों के सामने रखने, और यह कहने, कि सम ् पूर ् ण मानव-जाति को पर ् याप ् त और अल ् प-लागत भोजन दिलाने के लिए निवेश करने से इनकार करना, यह हमारे लिए असहनीय है. एक गज ़ ब की बात जो मैंने जानी है, वह यह है, कि विशाल स ् तर पर कुछ नहीं बदल सकता एक नेता के दृढ ़ निश ् चय के बिना. जब कोई नेता कहते हैं, "" मेरे होते हुए हरगिज ़ नहीं! "", तो सब कुछ बदलने लगता है | और अब दुनियाभर के लोग आ सकते हैं यहाँ साधक वातावरण और अवसर निर ् माण करने. और यह बात कि फ ् रांस ने G20 में भोजन को केन ् द ् रीय स ् थान दिया है, सचमुच अहम है. क ् योंकि भोजन की समस ् या का समाधान व ् यक ् तिगत तौर पर या राष ् ट ् रीय तौर पर भी नहीं पाया जा सकता. हमें एकजुट होकर खड ़ ा होना होगा. हम देख रहे हैं अफ ् रीका के कुछ देशों को. 30 देशों से विश ् व खाद ् य कार ् यक ् रम (WFP) अब बाहर निकल पाया है क ् योंकि इन देश के वासियों ने वहां भूख का चेहरा बदल दिया है. मैं यहाँ आपके सामने पेश करना चाहूंगी एक चुनौती. मैं मानती हूँ कि हम मानवी इतिहास के ऐसे समय में जी रहे हैं, जब हमें ऐसी स ् तिथि बिलकुल मान ् य नहीं है, जिसमें बच ् चे जागते हैं और यह नहीं जानते कि प ् यालाभर खाना कहाँ मिलेगा. बस वही नहीं, पर भूख की स ् तिथि में परिवर ् तन लाने का अवसर मौजूद है, मगर हमें हमारी मनोवृत ् ति बदलनी होगी | मैं खुद को सम ् मानित समझती हूँ, यहाँ विश ् व के श ् रेष ् ठ आविश ् कारियों और विचारकों के बीच आकर. और मैं आपसे आग ् रह करना चाहूंगी कि आप भी शामिल होइए पूरी मानवजाति के साथ यह रेखा खीचने और कहने में, कि, "" अब और नहीं. इससे आगे हम यह नहीं बर ् दाश करेंगे. "" और हमें बताना है हमारे बच ् चों के बच ् चों को, कि इतिहास में ऐसा एक भयानक समय था जब एक तिहाई तक के बच ् चों के मस ् तिष ् क और शरीर कुपोषण से दबोचे जाते थे, मगर ऐसे हालात के अब नाम औ निशाँ नहीं रहे | धन ् यवाद. (तालियाँ) मैनें आपको पिछले साल तीन बातें बताई थीं । मैने कहा था कि दुनिया के बारे में सांख ् यिकीय जानकारी सही ढंग से उपलब ् ध नहीं कराई गयी है । इस कारण से, हम अभी तक पुरानी सोच रखते हैं, विकासशील और औद ् योगिक देशों के बारे में, जो कि गलत है । और यह कि जीवंत चित ् रों के ज़रिये इन ् हें बेहतर दिखाया जा सकता है । चीजें बदल रही हैं । और आज, संयुक ् त राष ् ट ् र सांख ् यिकी विभाग के होमपेज पर, ये लिखा है कि, १ मई तक, सारी जानकारियाँ मुक ् त रूप से उपलब ् ध होंगी । (अभिवादन) अगर मैं आपको स ् क ् रीन पर तस ् वीर दिखा सकता । तो, तीन बातें होती । संयुक ् त राष ् ट ् र ने अपने आंकडे साझा कर दिये हैं, और इस साफ़ ् टवेयर का नया प ् रारूप आ गया है इंटरनेट पर, बीटा रूप में, जिससे कि आप को इसे डाउनलोड भी नहीं करना पड़े । और अब मैं दोहराता हूँ आपने जो पिछले साल देखा था । ये गोले देशों को दर ् शाते हैं । यहाँ है इनकी - पैदावार दर - प ् रति स ् त ् री बच ् चों की संख ् या — और यहाँ है उम ् र के वर ् ष । ये है १९५० का साल - और ये थे औद ् योगिक देश, ये थे विकासशील देश । और उस समय 'हम' और 'वो' का फ़र ् क था । विश ् व में बहुत असमानतायें थीं । पर फ़िर वो बदल गया, और काफ़ी ठीक तरह से बदला । और फ़िर ऐसा कुछ हुआ । आप देख रहे हैं कैसे चीन एक बडा लाल गोला है; और ये नीला वाला भारत है । और ये सब हो रहा है.... इस साल मैं कोशिश करूँगा थोडा संजीदा हो कर आपको दिखा सकूँ कि असल में बदलाव आया कैसे । और ये है अफ़ ् रीका, जो कि एक समस ् या की तरह यहाँ नीचे पडा है, है न? अभी भी बड़े परिवार, और एच.आई.वी. का प ् रकोप से नीचे जाते देश जैसे ये । और पिछले साल हमने लगभग यही देखा था, और आगे भविष ् य में ये कुछ ऐसा दिखेगा । और मैं ये बात करूँगा कि क ् या ऐसा संभव है? क ् योंकि आप देखिये, यहाँ मैं वो आँकडे पेश कर रहा हूँ जो असली नहीं हैं । क ् योंकि ये है, जहाँ हम असल में हैं । क ् या ऐसा संभव है कि ये हो जाये? मैं यहाँ अपने सारे जीवन की बात करूँगा । और मैं सोचता हूँ कि मैं लगभग सौ साल जिऊँगा । और हम यहाँ है अभी । और आइये देखते हैं कि दुनिया की आर ् थिक स ् थिति कैसी है । और इसे हम बच ् चों की मृत ् यु के अनुपात में देखेंगे । आइये अब धुरियाँ बदलते हैं: यहाँ है बच ् चों की मृत ् यु दर — - यानि — - जीवन — - यहाँ चार बच ् चे मरते हैं, यहाँ २०० मरते हैं । और ये है प ् रति व ् यक ् ति जी.डी.पी. (सकल घरेलू उत ् पाद) इस धुरी पर । और ये था सन २००७. और अगर हम समय में वापस चलें, मैने कुछ ऐतिहासिक आँकडे जोडे हैं — यहाँ हम चलते है, चलते है, — - १०० साल पहले के ज ् यादा आँकडे है नहीं । कुछ देशों में तब भी थे आँकडे । और हम गहरे जाते है, और अब हम आ चुके है सन १८२० में, केवल आस ् ट ् रिया और स ् वीडन के पास ही आँकडे हैं । (हँसी) और ये लोग बहुत नीचे थे, प ् रति व ् यक ् ति करीब १००० डॉलर प ् रति वर ् ष पर । और लगभर एक-बटा-पाँच बच ् चे अपनी पहली सालगिरह भी नहीं देख पाते थे । तो ये है सारे विश ् व में जो हो रहा है, एक साथ पूरे विश ् व को चलाने पर । कैसे धीरे धीरे उनकी समृद ् धि बढती गयी, और कैसे उन ् होंने आँकडे जोडे । क ् या यह बढिया नहीं लगता जब आँकडे आ जाते है? इसका महत ् व देखा आपने? और यहाँ, बच ् चे लम ् बे समय तक नहीं जीते । पिछली शताब ् दी, १८७०, बच ् चों के लिये यूरोप में अच ् छी नहीं थी, क ् योंकि ये आँकडे ज ् यादातर यूरोप से ही हैं । शताब ् दी ख ् त ् म होने तक का समय लगा ९०% से ज ् यादा बच ् चों को एक साल से ज ् यादा जीवित रख पाने में । ये भारत उभर रहा है, पहले आँकडॆ आये हैं भारत से । और ये है अमरीका, दूर जाते हुए, और पैसे कमाते हुए । और अभी दिखेगा चीन बिलकुल सुदूर कोने में । और ये माओ-त ् से-संग के स ् वास ् थ के साथ ऊपर उठता है, लेकिन रईस नहीं होता । फ़िर उनकी मृत ् यु होती है, और डेंग जिआओपिंग पैसे लाते हैं, और ये यहाँ आ जाता है । और गोले ऊपर वहाँ हिलते रहते हैं, और ये है जैसा कि आज विश ् व दिख रहा है । (अभिवादन) चलिये अमरीका पर एक नज़र डालते हैं । मेरे पास एक तरीका है — मै दुनिया से कह सकता हूँ, "" यहीं रुक जाओ । "" और मैं अमरीका पर केंद ् रित होता हूँ — हम अभी भी इसका प ् रारूप देखना चाहते हैं — इन ् हें मैं ऐसे लगा देता हूँ, और फ़िर हम समय में वापस जाते हैं । और हम देख सकते हैं कि अमरीका बिलकुल दाहिनी तरफ़ चला गया है । और वो पूरे समय ज ् यादा पैसे की तरफ़ हैं । और १९१५ में, यहाँ अमरीका भारत का पडोसी था — आज के भारत का । और इसका मतलब है कि वो ज ् यादा रईस था, लेकिन वहाँ बच ् चों की मौत आज के भारत के मुकाबले ज ् यादा थी । और ये देखिये — आज के फ़िलिपींस के मुकाबले । आज के फ़िलिपींस की वहीं स ् थिति है जो कि अमरीका की पहले विश ् व-युद ् ध के समय थी । मगर हमें अमरीका को आगे लाना होगा अमरीका के स ् वास ् थ को पहुँचाने के लिये, फ़िलिपींस के स ् वास ् थ तक । करीब १९५७ में, अमरीका का स ् वास ् थ फ़िलिपींस के बराबर आ गया है । और यही है इस दुनिया की करामात जिसे कई लोग वैश ् वीकरण कहते है कि, एशिया, अरब देश, लेटिन अमरीका आगे हैं स ् वस ् थ और शिक ् षित मानव संसाधनों में, बजाय आर ् थिक रूप के । और एक गडबड सी है आज जो हो रहा है, उसमें खासकर उभरती अर ् थ-व ् यवस ् थाओं में । वहाँ सामाजिक लाभ, और सामाजिक प ् रगति, वित ् तीय प ् रगति से आगे निकल रही है । और १९५७ में — अमरीका का वित ् तीय स ् वास ् थ आज के चिली जैसा था । और अमरीका को हमें कितना आगे लाना होगा चिली के आज के स ् वास ् थ के बराबर आने के लिये? मेरे हिसाब से हमें वहाँ जाना होगा - २००१, २००२ — - और अमरीका के पास वही स ् वास ् थ है जो चिली के पास है । चिली आगे बढ रहा है । कुछ दिनों मे चिली के पास बच ् चों के जीने की बेहतर संभवनायें होंगी अमरीका के मुकाबले । ये बहुत बडा बदलाव है, कि आप के पास तीस से चालीस साल का फ़र ् क है स ् वास ् थ के मामले में । और स ् वास ् थ के बाद है शिक ् षा । और बहुत सारी चीजें हैं मूलभूत सुविधाओं के बारे में, और मानव संसाधनों के बारे में । अब इसे हटा देते हैं — - और मैं आपको दिखाना चाहता हूँ इस बदलाव की गति, इस की दर, कि कितना तेज सब हुआ है हम वापस जाते हैं १९२० में, और मैं जापान को देखना चाहता हूँ । और अमरीका और स ् वीडन को । यहाँ मैं एक दौड दिखाना चाहता हूँ इस पीले सी फ़ोर ् ड और इस लाल टोयोटा के बीच, और इस भूरी से वोल ् वो के बीच । (हँसी) और ये हम चलते हैं, टोयोटा ने शुरुवात अच ् छी नहीं रखी है, आप देख सकते हैं, और अमरीका की फ़ोर ् ड रोड के बाहर आ रही है । और वोल ् वो अभी भी ठीक कर रही है । ये लडाई का वक ् त आ गया है । टोयोटा रास ् ते से बाहर हो गयी है, और अब टोयोटा फ़िर से स ् वीडन के स ् वास ् थ की तरफ़ आ रही है — - आप देख रहे हैं? और वो स ् वीडन से आगे निकल रहे हैं, और अब वो स ् वीडन से ज ् यादा स ् वस ् थ हैं । यहाँ पर वोल ् वो को मैं बेच देता हूँ, और टोयोटा खरीद लेता हूँ । (हँसी) और अब हम देख सकते हैं कि किस महान गति से जापान आगे बढ रहा है । और वो रेस में वापस आ चुके हैं । और ये भी बदल रहा है । हमें कई पीढियों पर नज़र डालनी होगी इसे समझने के लिये । और मैं आपको अपने परिवार का ही इतिहास दिखाता हूँ — - हमने ये कुछ ग ् राफ़ बनाये हैं । और फ़िर वही बात है, यहाँ नीचे पैसे, और वहाँ स ् वास ् थ, है न? और ये है मेरा परिवार । ये स ् वीडन है, १८३० मे, जब मेरे परदादा की दादी का जन ् म हुआ था । स ् वीडन तब सियरा लियोन की तरह था । और ये है जब मेरी परदादी पैदा हुई थी, १८६३ । और तब स ् वीडन मोज़ाम ् बिक की तरह था । और ये है जब मेरी दादी पैदा हुयी, १८९१ । और उन ् होंने मुझे बचपन में पाला था, तो मैं अब सांख ् यिकी के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ — ये मेरे परिवार का मौखिक इतिहास है । और मैं आँकडों में तभी विश ् वास करता हूँ जब मेरी दादी उन ् हें सही करार देती हैं । (हँसी) मेरे ख ् याल से इतिहास के आँकडों को प ् रमाणित करने का यह सबसे बेहतर तरीका है । स ् वीडन घाना के जैसा था । ये विशाल अनेकता बहुत ही रोचक है सह-सहारन अफ़ ् रीका के अंदर । मैनें आपको पिछले साल बताया था, और मैं अब फ़िर बता रहा हूँ, मेरी माँ मिश ् र में पैदा हुई थी, और मैं — मैं क ् या हू? मैं अपने परिवार का मैक ् सिकन हूँ । और मेरी बेटी, वो तो चिली में पैदा हुई थी । और मेरी पोती सिंगापुर में, जो कि पृथ ् वी की सबसे स ् वस ् थ जगह है । इस ने स ् वीडन को करीब तीन साल पहले पछाड दिया, बच ् चों के जीने की बेहतर संभावना के साथ । मगर वो बहुत छोटी जगह है । वो अस ् पताल के इतने नज़दीक होते हैं कि हम उनसे तेज इन जंगलों में नहीं जा सकते । (हँसी) मगर जो है सो है, तो सिंगापुर ही बेहतर है, कम से कम इस वक ् त । ये बड़ी अच ् छी कहानी जैसा लगता है । मगर ये सच में उतना आसान नहीं है; क ् योंकि अब आपको एक और खासियत दिखाना चाहता हूँ । हम किसी एक रंग को किसी खास बात से जोड सकते हैं — देखिये मैं क ् या चुन रहा हूँ? कार ् बन-डाई-आक ् साइड का निकास, टनों मे, प ् रति व ् यक ् ति । ये है १९६२, और अमरीक करीब १६ टन प ् रति व ् यक ् ति छोड रहा है । और चीन ०.६, और भारत ०.३२ टन प ् रति व ् यक ् ति । और अब क ् या होगा जब हम आगे बढेंगे? देखिये, अब आप देख रहे है अच ् छी कहानी रईस होने की और स ् वस ् थ होने की — सबने इसे अपना कार ् बन डाई आक ् साइड रिसाव बढा कर पूरा किया है । आज तक ये किसी ने किया है । और हमारे पास ताजा आँकडे भी नही है क ् योंकि ये आजकल काफ़ी कीमती जानकारी है । और ये है, सन २००१ । और एक विचार-गोष ् ठी जो मैनें संसार के प ् रख ् यात नेताओं के साथ की थी, उसमें सबने कहा, कि समस ् या है उभरती हुई अर ् थ-व ् यवस ् थायें, वो बहुत ज ् यादा कार ् बन डाई आक ् साइड छोड रही हैं । भारत के पर ् यावरण मंत ् री ने कहा, "असल मे, आप लोगों ने ही समस ् या को जन ् म दिया है ।" ओ.ई.सी.डी. देश — मतलब ऊँची कमाई वाले देश — - उन ् होंने ने ही पर ् यावरण में बदलाव किया है । "" मगर हम आप को क ् षमा करते है, क ् योंकि आपको नहीं पता था । अब से हम प ् रति व ् यक ् ति गणना करेंगे । अब से हम प ् रति व ् यक ् ति ही गणना करेंगे । और हर कोई इस प ् रति व ् यक ् ति रिसाव के लिये जिम ् मेदार होगा । "" ये आपको दिखाता है, कि हमने ढंग की आर ् थिक तरक ् की और स ् वास ् थ तरक ् की नहीं की है, दुनिया में कहीं भी पर ् यावरण को दूषित किये बिना । और यही है जिसे बदलना होगा । मेरी आलोचना हो सकती है आपको दुनिया का सकारात ् मक रूप दिखाने के लिये, मगर मुझे लगता है कि मैं सही हूँ । विश ् व असल में काफ़ी गडबड जगह है । इसे हम कहते है डॉलर स ् ट ् रीट । हर कोई इसे गली में रहता है । ये यहाँ जो कमाते हैं — किस नंबर में वो रहते हैं — और वो कितना प ् रति दिन कमाते हैं । ये परिवार प ् रति दिन करीब एक डॉलर कमाई करते हैं । हम इस गली में आगे बढते हैं, यहाँ हमें एक परिवार मिलता है जो करीब ३ डॉलर प ् रतिदिन कमाता है । और फ़िर हम यहाँ आते है — हमें गली का पहला बगीचा दिखता है, और वो करीब १० से ५० डॉलर प ् रतिदिन कमाते हैं । और वो रहते कैसे हैं? अगर हम बिस ् तरों को देखें, तो पायेंगे कि ये फ़र ् श पर पडी दरी पर सोते हैं । ये है गरीबी की रेखा — ८० प ् रतिशत पारिवारिक कमाई केवल बिजली और खाने की समस ् या निपटाने में चली जाती है । ये है दो से पाँच डॉलर की स ् थिति, जहाँ आपके पास बिस ् तर है । और यहाँ एक बेहतर बेडरूम है, आप देख सकते हैं । मैनें आइकिया में इस पर लेक ् चर दिया था, और वो इसे देखना चाहते थे ये सोफ़ा जल ् दी से लग जाये । (हँसी) और ये सोफ़ा, अब ये यहाँ से कैसे आगे बढेगा । और रोचक बात ये है, कि जब आप इसमें आगे बढेंगे, तो आप देखेंगे कि ये परिवार अभी भी फ़र ् श पर ही बैठा है, जब कि यहाँ सोफ़ा है । अगर आप रसोई देखेंगे, तो आप पायेंगे कि औरतों के जीवन में बदलाव महज दस डॉलर में नहीं आता । वो आता है इस से आगे, जब आप परिवार के लिये अच ् छी कार ् य-स ् थितियाँ पैदा कर सकें । और अगर सच में फ़र ् क देखना है, तो आप टायलट देखें । ये बदल सकता है । ये तस ् वीरें अफ़ ् रीका की हैं, और ये बेहतर हो सकती हैं । हम गरीबी से बाहर निकल सकते हैं । मेरा अपना शोध आई.टी. या इस से जुडी विधा में नहीं है । मैने २० साल बिताये हैं अफ़ ् रीकन किसानों से बातचीत करते हुये, जो कि भुखमरी के कगार पर हैं । और ये परिणाम है किसानों की ज़रूरत पर किये गये शोध का । इस में आप को ये नहीं पता लगेगा कि आखिर शोधकर ् ता कौन हैं । तब ही जा कर शोध वास ् तव में समाज में काम कर सकता है — आप को सच में लोगों के साथ रहना होता है । जब आप गरीबी से जूझ रहे होते है, बात जिंदगी-मौत की होती है । खाना खा पाने का सवाल होता है । और ये युवा किसान, अब ये लड़कियाँ हैं — क ् योंकि माता-पिता एच.आई.वी और एड ् स के शिकार हो चुके हैं — वो एक प ् रशिक ् षित कृषि-अर ् थ-शास ् त ् री से विमर ् श कर रही हैं । ये मालावी से सबसे माने हुए विद हैं, जनताम ् बे कुम ् बिरा और ये विमर ् श कर रहे है, कि किस तरह के कसावा इन ् हें लगाने चाहिये — धूप को भोजन में बदलने में माहिर पौधे । और वो बहुत ही ज ् यादा उत ् सुक हैं सलाह पाने के लिये, और गरीबी में भी जिंदा रह पाने में । ये एक संदर ् भ है । गरीबी से बाहर आना । एक औरत ने हम से कहा, "" हमें तकनीकों की ज़रूरत है । हमें इस कंक ् रीट से घृणा है, घंटों खडे रहना पसंद नहीं । हमें एक चक ् की दें जिस से कि हम अपना आटा पीस सकें, इस से हम अपने खर ् चे उठा सकेंगे । "" तकनीक आपको गरीबी से बाहर निकाल सकती है, मगर गरीबी से बाहर आने के लिये एक बाज़ार की ज़रूरत है । ये औरत बहुत खुश है, क ् योंकि ये अपने उत ् पाद को मार ् केट तक पहुँचा सकती है । मगर ये धन ् यवाद देती है स ् कूलों में खर ् च हुये सरकारी धन का जिस से इसने गिनती सीखी, और इसे अब बाज़ार में कोई धोखा नहीं दे सकता । ये चाहती है कि इस का बच ् चा स ् वस ् थ रहे, जिस से कि ये बाजार जा सके और इसे घर पर न रहना पडे । और उसे एक ढाँचा चाहिये — पक ् की सड़क तो चाहिये ही साथ ही ऋण भी चाहिये । लघु-ऋण से उसे साइकिल मिली, पता है आपको? और ताजा जानकारी से पता लगेगा कि उसे कब बाजार जाना चाहिये और क ् या ले कर । आप ये कर सकते हैं मेरा अफ़ ् रीका का २० साल का अनुभव ये कहता है कि जो असंभव सा लगता है, वो संभव है । अफ़ ् रीका ने कुछ गलती नहीं की है । पचास सालों में वो पुरातन स ् थितियों से आगे आ कर करीब १०० साल पहले के यूरोप जितनी तरक ् की कर चुके हैं, सही रूप से कार ् य कर रहे राष ् ट ् र सरकार के साथ | मेरे ख ् याल से सह-सहारन अफ़ ् रीका ने विश ् व में सबसे ज ् यादा तरक ् की की है, पिछले पचास सालों में । क ् योंकि हम ये भूल जाते हैं कि इन ् होंने यात ् रा शुरु कहाँ से की । ये जो वेवकूफ़ाना तर ् क है विकासशील देश नाम का, जो कि हमें, और अर ् जेंटीना और मोजाम ् बिक को पचास साल पहले एक ही जगह रख देता है, और कहता है कि मोजाम ् बिक नें उतनी तरक ् की नहीं की । हमें दुनिया के बारे में और समझना पडेगा । मेरा एक पडोसी है जो कि २०० तरह की वाइन के बारे में जानता है । उसे सब पता है । उसे हर अंगूर का नाम, तापमान, और बाकी सब पता है । और मुझे दो ही तरह की वाइन पता है - रेड वाइन, और वाइट वाइन । (हँसी) मगर मेरे पडोसी को सिर ् फ़ दो तरह के देशों के बारे में पता है — औद ् योगिक और विकासशील । और मुझे करीब २०० तरह के देश पता है, और मुझे आंकड़े पता हैं । मगर आप ऐसा कर सकते हैं । (अभिवादन) मगर अब संजीदा होना पडेगा । और संजीदा कैसे हों? ज़ाहिर है, पावर-पाइंट बना कर, है न? (हँसी) ऑफ़िस पैकेज को धन ् यवाद, है न? ये क ् या है, मैं आखिर बता क ् या रहा हूँ? मैं ये बता रहा हूँ कि विकास के कई पहलू हैं । हर कोई आपकी प ् यारी चीज चाहता है । अगर आप कार ् पोरेट सेक ् टर में है, तो आपको लघु-ऋण पसंद आयेंगे । अगर आप गैर-सरकारी संस ् था में लड़ाई लड़ रहे हैं, तो आपको स ् त ् री-पुरुष की बराबरी पसंद होगी । और अगर आप शिक ् षक है, तो आप को यूनेक ् सो पसंद होगा, वगैरह । पूरे विश ् व के हिसाब से, हमें हमारी पसंदीदा चीज से आगे जाना होगा । हमें असल में सब कुछ चाहिये । ये सारी चीजें विकास के लिये जरूरी हैं, खासकर जब आप गरीबी से लडाई की बात करती हैं, और आपको सर ् व-कल ् याण की तरफ़ जाना है । अब हमें क ् या सोचने की ज़रूरत है कि विकास का लक ् ष ् य आखिर है क ् या, और विकास का अर ् थ क ् या है? मुझे बताने दीजिये कि 'सबसे ज़रूरी' का क ् या अर ् थ है? पब ् लिक-स ् वास ् थ का प ् रोफ़ेसर होने के नाते, आर ् थिक सुधार मेरे लिये सबसे महत ् वपूर ् ण है विकास के लिये, क ् योंकि इस से ८०% प ् रतिशत लोगों के जीने के बारे में है । शासन प ् रणाली. सरकार के चलने के लिये — इसी ने कैलीफ़ोर ् निया को १८५० से संकट से बाहर निकाला था । कानून का राज आखिर कार सरकार ने ही लागू किया था । शिक ् षा, मानव-संसाधन भी ज़रूरी है । स ् वास ् थ जरूरी है, मगर एक ज़रिये के रूप में शायद नहीं । पर ् यावरण महत ् वपूर ् ण है । मानवाधिकार भी ज़रूरी है, मगर उसे थोडे कम नंबर मिले हैं । लेकिन लक ् ष ् य क ् या है? हम कहाँ जा रहे हैं? हम पैसे में रुचि नहीं रखते । पैसा लक ् ष ् य नहीं है । वो बहुत बढिया साधन है, मगर लक ् ष ् य के रूप में उसे जीरो मिलता है । शासन-प ् रणाली, ठीक है, वोट देना थोडा सा मजेदार है, मगर ये भी लक ् ष ् य नहीं है । और स ् कूल जाना, नहीं वो भी लक ् ष ् य नहीं, बल ् कि एक साधन है । स ् वास ् थ को मैं दो नंबर दूँगा । स ् वस ् थ होना तो अच ् छा है न । खासकर मेरी उम ् र में — अगर आप यहाँ खडे रह सकते है, तो आप स ् वस ् थ हैं । और ये बढिया बात है, तो इसे मिलते हैं दो नंबर । पर ् यावरण बहुत ही ज ् यादा ज़रूरी है । आपके पोते-पोतियों के लिये कुछ नहीं बचेगा अगर आप नही कुछ करेंगे । मगर ज़रूरी लक ् ष ् य क ् या हैं? मानवाधिकार, बेशक । मानवाधिकार ही लक ् ष ् य है, मगर ये उतना बडा साधन नहीं है विकास प ् राप ् त करने का । और संस ् कृति? संस ् कृति सबसे ही ज ् यादा जरूरी है, मैं कहूँगा, क ् योंकि उस से ही तो जीवन में प ् रसन ् नता आती है । जीवन की पूँजी तो वही है न । तो देखिये, जो असंभव लगता है, वो संभव है । जी हाँ, अफ़ ् रीकी देश भी इसे पा सकते हैं । और मैने आपको दिखाया है कि उन ् होंने असंभव को संभव किया है । और याद रखियेगा, मेरा मुख ् य संदेश, जो कि ये है: कि असंभव सा लगने वाला बिलकुल ही संभव है । और हम एक अच ् छे विश ् व की कामना कर सकते हैं । मैने आपको दिखाया है, बिल ् कुल पावर-पाइंट इस ् तेमाल करके, और मुझे लगता है कि मैं आपको संस ् कृति से भी मनवा लूँगा । (हँसी) (अभिवादन) मेरी तलवार लाइये! तलवार निगलने का ये तरीका प ् राचीन भारत का है । संस ् कृति की इस पहचान ने हज़ारों साल तक मनुष ् य को सहज से आगे सोचने पर मजबूर किया है । (हँसी) और अब मैं प ् रमाण दूँगा कि असंभव को संभव किया जा सकता है इस लोहे की तलवार को — - असली लोहे की तलवार को — - ये स ् वीडन आर ् मी की तलवार है, १८५० से, जब आखिरी बार हमने युद ् ध किया था । और ये खालिस लोहा — सुनिये ध ् यान से । और मैं इस तलवार को लूँगा अपने शरीर के अंदर, माँस और खून से भरे शरीर के अंदर, और दिखा दूँगा कि असंभव को भी पाया जा सकता है । क ् या एक मिनट के लिये सन ् नाटा कर सकते हैं? (अभिवादन) मैं सिर ् फ चार साल का था जब मैंने अपनी माँ को वाशिंग मशीन में कपड़े डालते देखा उनके जीवन में यह पहली बार था | वो मेरी माँ के लिए एक बेहतरीन दिन था | मेरे माता पिता वर ् षों से पैसे बचा रहे थे वाशिंग मशीन खरीदने के लिए | और यह पहला दिन था जब इसका उपयोग होना था, मेरी दादी माँ भी आमंत ् रित थी वाशिंग मशीन देखने के लिए | और दादी माँ सबसे ज ् यादा उत ् साहित थी | उनके पूरे जीवन भर वो लकड़ियो को जला कर पानी गरम करती थी, और हाथ से सातो बच ् चो के कपड़े धोती थी | और वो देखने वाली थी बिजली को वहीँ काम करते हुए | मेरी माँ ने सावधानी से दरवाजा खोला, और मशीन के अंदर कपड़े डाले, इस तरह | और फिर, जब उन ् होंने दरवाजा बंद किया, दादी माँ ने कहा "" नहीं नहीं नहीं नहीं "" मुझे, मुझे बटन दबाने दो | और दादी माँ ने बटन दबाया, और उन ् होंने कहा "" शानदार मैं इसे देखना चाहती हूँ | मुझे एक कुर ् सी दो | मुझे एक कुर ् सी दो | मैं इसे देखना चाहती हूँ | और वो मशीन के सामने बैठ गयी, और उन ् होंने कपड़े धोने के पूरी प ् रक ् रिया देखी | वो मंत ् रमुग ् ध हो गयी थी | मेरी दादी माँ के लिए, वाशिंग मशीन एक जादू था | आज, स ् वीडन और दूसरी अमीर देशो में, लोग बहुत से अलग तरह की मशीन का उपयोग करते हैं | देखिए, घर मशीनों से भरे पड़े है; मैं उन सब का नाम भी नहीं ले सकता | और तब भी जब वो उड़ना चाहते हैं, वो हवा में उड़ने वाली मशीन का उपयोग करते हैं जो उन ् हें दूर स ् थानों तक ले जा सकती है | और अभी भी दुनिया ऐसे बहुत से लोग हैं जो आग जला कर पानी गर ् म करते हैं, और आग पर ही अपना खाना बनाते हैं | कभी कभी उनके पास पर ् याप ् त खाना भी नहीं होता | और गरीबी रेखा के नीचे जीते है | दो सौ करोड़ ऐसे लोग है जो दो डालर प ् रतिदिन से कम पर जीवित रहते हैं | और कुछ ऐसे अमीर लोग भी हैं — सौ करोड़ लोग — जो रहते है उसके ऊपर, जिसे मैं एयरलाइन (हवाई रेखा) कहता हूँ, क ् युंकि वो एक दिन में 80 डालर से ज ् यादा खर ् च करते हैं अपनी उपभोग की वस ् तुओ पर | लेकिन ये सिर ् फ एक, दो, तीन सौ करोड़ लोग हैं, स ् पष ् ट रूप से इस दुनिया में सात सौ करोड़ लोग हैं, तो एक, दो, तीन, चार सौ करोड़ ऐसे लोग होने चाहिए, जो गरीबी रेखा और हवाई रेखा के बीच में रहते हैं | उनके पास बिजली है, लेकिन प ् रश ् न यह कि क ् या उनके पास वाशिंग मशीन हैं? मैंने बाज़ार के आकड़ो का सूक ् ष ् म परीक ् षण किया है, और मैंने पाया है, वास ् तव में, वाशिंग मशीन ने हवाई रेखा के नीचे सेंध लगा ली है, और आज अन ् य सौ करोड़ लोग ऐसे है जो वाश लाइन के ऊपर रहते है | (हँसी) और वो रोज 40 डालर से ज ् यादा खर ् च करते हैं | तो दो सौ करोड़ लोग ऐसे हैं जिनके पास वाशिंग मशीन है | और बाकी बचे पांच सौ करोड़, वो कपड़े कैसे धोते हैं? या और भी सही सवाल, दुनिया भर के ज ् यादातर महिलाये कपड़े कैसे धोती हैं? क ् युंकि यह महिलाओ के लिए मुश ् किल काम है | वो इस तरह धोती है: हाथ से | यह एक मेहनत और समय लेने वाला काम है, जो हर हफ ् ते घंटो करना पड़ता है | और कभी कभी उन ् हें पानी भी दूर से लेकर आना पड़ता है घर में कपड़े धोने के लिए | या उन ् हें धोने के कपड़े किसी दूर के पानी के स ् रोत के पास लाने पड़ते है | और उन ् हें वाशिंग मशीन चाहिए | वो अपने जीवन का ज ् यादा समय बर ् बाद नहीं करना चाहते इस मुश ् किल काम को करने में इतनी कम उत ् पादकता के साथ | और उनकी चाह में कुछ भी अलग नहीं है मेरे दादी माँ की चाह से | यहाँ देखिए, स ् वीडन में दो पीढ ़ ियों पहले नदी की धारा से पानी निकलते हुए, आग से पानी गरम और इस तरह कपड़े धोते हुए | बिल ् कुल उसी तरह इन ् हें भी वाशिंग मशीन चाहिए | लेकिन जब मैं पर ् यावरण के बारे चिंतित छात ् रों को यह उपदेश देता हूँ, वो मुझसे कहते हैं "" नहीं, दुनिया में सबके पास कार और वाशिंग मशीन नहीं हो सकती "" हम यह उस महिला को कैसे कह सकते हैं जिसे वाशिंग मशीन नहीं मिलने वाली हैं? और तब मैं छात ् रों से पूछता हूँ, मैंने उनसे पूछा है — पिछले दो सालो में पूछा है, "आप में से कितनो के पास कार नहीं हैं?" और उनमें से कुछ गर ् व से अपना हाथ उठाते हैं और कहते हैं "" मेरे पास कार नहीं है "" और तब मैं कठिन सवाल पूछता हूँ: "" आप से कितने अपने जींस और चादरों को हाथ से धोते है? "" और किसी ने हाथ नहीं उठाया | यहाँ तक कि कट ् टरपंथी पर ् यावरणविद भी वाशिंग मशीन का उपयोग करते हैं | (हँसी) तो कैसे जिस चीज़ को सभी उपयोग में लाते हैं और वो सोचते है कि दूसरे उपयोग करना नहीं छोड़ेंगे; क ् या खास है इसमें? मुझे पूरी दुनिया में उपयोग होने वाली ऊर ् जा का विश ् लेषण करना पड़ा | और वो यह है | यहाँ देखिए, आप सात सौ करोड़ लोगो को यहाँ ऊपर देखेंगे: हवाई लोग, वाशिंग मशीन वाले लोग, बल ् ब वाले लोग और आग वाले लोग | इस तरह की एक इकाई जीवाश ् म ईंधन के ऊर ् जा की इकाई है — तेल, कोयला या गैस | और इतनी ऊर ् जा और बिजली पूरे दुनिया में हैं | और 12 इकाईया पूरी दुनिया में उपयोग होती हैं, और अमीर सौ करोड़, उनमे से 6 उपयोग करते हैं | आधी ऊर ् जा दुनिया के आबादी के सातवें हिस ् से के द ् वारा उपयोग में लायी जाती है | और वो जिनके पास वाशिंग मशीन हैं, लेकिन घर में बाकी मशीने नहीं हैं, 2 उपयोग में लाते हैं | यह समूह 3 उपयोग करते हैं, प ् रत ् येक के लिए एक | और उनके पास बिजली भी हैं | और वहां पर वो प ् रत ् येक के लिए 1 भी उपयोग में नहीं लाते | इस तरह पूरे 12 हो गए | लेकिन मुख ् य चिंता पर ् यावरण के लिए चिंतित छात ् रो के लिए — और वो सही है — भविष ् य के बारे में है | रुझान कैसे है? अगर हम रुझानो को बढ़ा कर देखे, बिना किसी असली आधुनिक विश ् लेषण के, 2050 में, ऐसी दो चीज़े हैं जो ऊर ् जा का उपयोग बढ़ा सकती हैं | पहली, जनसख ् यां में वृद ् धि | दूसरी, आर ् थिक प ् रगति | जनसख ् यां वृद ् धि मुख ् यत: इन गरीब लोगो के बीच होगी, क ् युंकि उनके लिए बच ् चों की मृत ् यु दर ज ् यादा हैं और उनके लिए प ् रति महिला बच ् चे ज ् यादा हैं | और उसके आपको अन ् य 2 इकाई ऊर ् जा मिलेगी, लेकिन यह ऊर ् जा का उपयोग उतना नहीं बदलेगी | और जो होगा वो हैं आर ् थिक प ् रगति | उभरती अर ् थ व ् यवस ् था के सबसे बढिया यहाँ पर हैं — मैं उन ् हें न ् यू इस ् ट (New East) कहता हूँ — वो हवाई रेखा में कूद जायेंगे | "" वुप ् प "" वो कहेंगे | और ये उतनी ही ऊर ् जा का उपयोग शुरू करेंगे जितनी ओल ् ड वेस ् ट (Old West) पहले से कर रहा हैं और ये लोग, इन ् हें वाशिंग मशीन चाहिए | मैंने कहा था | ये वहां जायेंगे | और ऊर ् जा का उपयोग दुगुना कर देंगे | और हमे उम ् मीद हैं कि गरीब लोगो के पास प ् रकाश के लिए बिजली होगी | और उनके दो ही बच ् चे होंगे जनसख ् यां वृद ् धि पर बिना रोक लगाये | लेकिन ऊर ् जा की कुल खपत 22 इकाई तक बढ़ जायेगी | और इन 22 इकाइयों में से ज ् यादातर अमीर लोग ही उपयोग करेंगे | तो क ् या करना चाहिए? खतरे के कारण, मौसम के बदलाव की संभावना सत ् य है | यह सत ् य है | अवश ् य ही और भी ज ् यादा ऊर ् जा कुशल होना होगा | उन ् हें उसी तरह व ् यव ् हार बदलना होगा | उन ् हें वैकल ् पिक ऊर ् जा का उत ् पादन शुरू करना होगा, और भी ज ् यादा वैकल ् पिक ऊर ् जा | लेकिन जब तक उनके लिए प ् रति व ् यक ् ति ऊर ् जा की खपत उतनी ही हैं, उन ् हें किसी और को उपदेश नहीं देना चाहिए — कि क ् या करना है और क ् या नहीं | (अभिवादन) यहाँ हम और वैकल ् पिक ऊर ् जा पा सकते हैं | हमारी यह उम ् मीद पूरी हो सकती हैं | यह भविष ् य के लिए असली चुनौती है | लेकिन मैं आपको विश ् वास दिलाता हूँ कि फवाला इन रियो की यह महिला इस महिला को वाशिंग मशीन चाहिए | वह अपने ऊर ् जा मंत ् री से बहुत खुश है जिसने सभी को बिजली प ् रदान की — इतना खुश कि उसके लिए वोट भी किया | और वो डील ् मा रौसेफ ़ राष ् ट ् रपति बन गयी, दुनिया के एक बड़े लोकतंत ् र की — ऊर ् जा मंत ् री से बढ़ कर राष ् ट ् रपति | अगर लोकतंत ् र है, तो लोग वाशिंग मशीन के लिए वोट करेंगे | वो उनसे प ् यार करते हैं | और इसके साथ क ् या जादू है? मेरा माँ ने इस मशीन का जादू समझाया पहले दिन ही | उन ् होंने कहा "" अब हेंस, हमने कपड़े डाल दिये है; अब मशीन काम करेगी | और अब हम पुस ् तकालय जा सकते हैं "" क ् युंकि यही जादू है: आपने कपड़े डाले, और मशीन से आपको क ् या मिलता है? मशीन से आपको किताबे मिलती हैं, बच ् चों की किताबे, और माँ को समय मिला मेरे लिए पढ़ने के लिए | उन ् हें यह पसंद है | मुझे "" ABC "" मिल गया यहाँ पर ही मैंने प ् राध ् यापक के रूप में अपना जीवन शुरू किया, जब मेरी माँ के पास मेरे लिए पढ़ने का समय था | उन ् होंने मेरे लिए किताबे भी लायी | उन ् होंने अंग ् रेजी भी पढ़ी और उसे विदेशी भाषा के रूप में सिखा | और उन ् होंने बहुत सारे उपन ् यास पढ़े, बहुत सारे उपन ् यास | और सच में, सच में हम इस मशीन से प ् यार करते हैं | और जो हमने कहा, मैंने और मेरी माँ ने, "" औद ् योगिकीकरण धन ् यवाद | स ् टील के कारखानों धन ् यवाद | बिजली केंद ् रों धन ् यवाद | और रसायन संसाधन उद ् योग धन ् यवाद जिसने हमे किताबे पढ़ने का समय दिया "" आप सभी का बहुत धन ् यवाद | (अभिवादन) सीखने का भविष ् य क ् या है? मेरे पास एक योजना है, आपको योजना बताने के लिए, मुझे एक छोटी कहानी बताने की जरूरत है, जो कि एक तरह से मंच सेट करती है । मैं देखने की कोशिश की कहाँ से हम स ् कूलों में जो सीखते हैं कहाँ से आया था? और आप अतीत में देख सकते हैं, लेकिन अगर आप वर ् तमान की स ् कूली शिक ् षा में देखो जिस तरह यह है, यह जानना काफी आसान हैं कि यह कहाँ से आया है । यह लगभग 300 साल पहले से आया था, और यह आखिरी और इस ग ् रह पर सबसे बड़े साम ् राज ् य से आया । ["" ब ् रिटिश साम ् राज ् य ""] शो चलाने की कोशिश करने की कल ् पना कीजिए, पूरे ग ् रह को चलाने की कोशिश, कंप ् यूटर के बिना, टेलीफोन के बिना, कागज के टुकड ़ े पर हस ् तलिखित जानकारी के साथ, और जहाज द ् वारा यात ् रा करके । लेकिन Victorians ने वास ् तव में ऐसा किया था । जो उन ् होंने किया वो कमाल था । उन ् होंने एक वैश ् विक कंप ् यूटर बनाया लोगों से बना । यह अभी भी हमारे साथ आज है । इसे नौकरशाही प ् रशासनिक मशीन कहा जाता है । उस मशीन चलाते रहने के लिए, आपको बहुत सारे लोग चाहिए । उन ् होंने उन लोगों का उत ् पादन करने के लिए एक और मशीन बनायीं: स ् कूल । स ् कूल लोगों का उत ् पादन करती जो बाद में भाग बन जायेंगे नौकरशाही प ् रशासनिक मशीन के । वे एक दूसरे के समान होना चाहिए । उन ् हें तीन बातें पता होना चाहिए: क ् योंकि डेटा हस ् तलिखित है उनकी अच ् छी लिखावट, होना आवश ् यक है; वे पढ ़ ने में सक ् षम होना चाहिए; और वे सक ् षम होना चाहिए, गुणा करने में, प ् रभाग में, जोड़ने और घटाने में, अपने मस ् तिस ् क में । वे समान प ् रशिक ् षित चाहिए ताकि आप एक न ् यूजीलैंड से एक चुन सके और उसे कनाडा के लिए भेज सके और वह तुरन ् त कार ् यात ् मक किया जाएगा । Victorians महान इंजीनियर थे । उन ् होंने एक सिस ् टम बनाया जो इतना मजबूत था कि यह अभी भी हमारे साथ आज है, लगातार समान लोगों का निर ् माण कर रहा हैं एक मशीन के लिए, जो अब मौजूद नहीं है. साम ् राज ् य चला गया है तो हम उस डिजाइन के साथ क ् या कर रहे हैं जो इन समान लोगों को पैदा करता है, हम आगे क ् या करने जा रहे हैं अगर हम कभी इसके साथ कुछ करना हों तो? "" स ् कूल, जिस रूप में हम उन ् हें जानते हैं, अप ् रचलित हैं ""] तो यह एक बहुत मजबूत टिप ् पणी है । मैंने कहा, स ् कूलों को जिस रूप में हम जानते हैं, वे पुराने पड ़ चुके हैं. मैं यह नहीं कह रहा हूँ वे टूट रहे हैं । काफी फैशनेबल है, कहने के लिए. कि शिक ् षा प ् रणाली टूटी हुई है. यह टूटी नहीं है । यह शानदार तरीके से निर ् मित है । यह सिर ् फ है कि हम इसे अब और ज ़ रूरत नहीं । यह पुराना है । आज हमारे पास किस तरह की नौकरी है? खैर, क ् लर ् क कंप ् यूटर हैं । वे वहाँ हर कार ् यालय में हजारों की संख ् या में हैं । लोग हैं उन कंप ् यूटरों के मार ् गदर ् शन करने के लिए अपने लिपिक काम करवाने के लिए । उन लोगों को खूबसूरती से हाथ से लिखने में सक ् षम होने की जरूरत नहीं है । उन ् हें अपने सिर में संख ् याओं का गुणा करना करने के लिए सक ् षम होना जरूरी नहीं है । उनका पढ ़ ने में सक ् षम होना जरूरी है । वास ् तव में, उनके समझदार और विश ् लेषणात ् मक पढ ़ ने में सक ् षम होने की जरूरत है. ठीक है, यह आज है, लेकिन हम भी नहीं जानते भविष ् य में किस प ् रकार की नौकरियां होगी | हम जानते हैं कि लोगों जहाँ भी चाहे वहाँ से काम करेंगे, जब भी वे चाहे, जो कुछ भी वे चाहे । कैसे वर ् तमान समय की स ् कूली शिक ् षा उन ् हें तैयार करने के लिए जा रही है दुनिया के लिए? खैर, मैं दुर ् घटना के द ् वारा इस पूरी बात टकराया. मैं लोगों को कंप ् यूटर प ् रोग ् राम लिखना सिखाता था नई दिल ् ली में, 14 साल पहले । मेरे काम के स ् थान के पास एक बस ् ती थी. और मैं सोचता था, कैसे वो बच ् चे कभी भी कंप ् यूटर प ् रोग ् राम लिखना सीखेंगे? या उन ् हें नहीं करना चाहिए? उसी समय में, बहुत सारे माता-पिता थे, अमीर लोग, जिनके पास कंप ् यूटर थे, जो कहते हैं, "" मेरा बेटा, मुझे लगता है कि वह प ् रतिभाशाली है, क ् योंकि वह कंप ् यूटर के साथ अद ् भुत काम करता है । और मेरी बेटी - ओह, निश ् चित रूप से वह अति-बुद ् धिमान है. "" और ऐसे ही । तो मुझे अचानक लगा कि, कैसे सभी अमीर लोग के पास ये असाधारण प ् रतिभाशाली बच ् चे हैं? (हँसी) गरीब ने क ् या गलत किया है? मैंने सीमा की दीवार में एक छेद कर दिया मेरे कार ् यालय के पास की बस ् ती की, और इसके अंदर एक कंप ् यूटर फंसा दिया, बस देखने के लिए क ् या होगा अगर मैं बच ् चों को एक कंप ् यूटर दिया, जिनके पास वो कभी नहीं था, अंग ् रेजी नहीं जानते थे, इंटरनेट क ् या था पता नहीं था । बच ् चे चले आये । यह जमीन से तीन फीट उपर था, और उन ् होंने कहा, "" यह क ् या है? "" और मैंने कहा, "" हाँ, यह, मुझे पता नहीं है. "" (हँसी) उन ् होंने कहा, "" आप यह क ् यों वहाँ रखा था? "" मैं ने कहा, "" बस ऐसे ही । "" और उन ् होंने कहा, "" हम उसे छू सकते हैं? "" मैं ने कहा, "" यदि आप चाहते हैं. "" और मैं चला गया । करीब आठ घंटे बाद में, हम उन ् हें ब ् राउज ़ िंग और एक दूसरे को ब ् राउज ़ करना सिखाते पाया । तो मैंने कहा, "" ठीक है यह असंभव है, क ् योंकि - यह कैसे संभव है? उन ् हें कुछ भी नहीं पता. "" मेरे साथियों ने कहा, "" नहीं, यह एक सरल उपाय है । आपके छात ् रों में से एक गुजर रहा होगा, उन ् हें माउस कैसे उपयोग करते हैं दिखाया होगा. "" तो मैंने कहा, "" हाँ, यह संभव है,. "" तो मैंने प ् रयोग को दोहराया । मैं दिल ् ली से 300 मील दूर बाहर चला गया वास ् तव में दूरदराज के एक गांव में जहां सॉफ ् टवेयर विकास इंजीनियर के गुजरने की संभावना बहुत कम थी । (हँसी) मैंने वहाँ प ् रयोग को दोहराया । वहाँ रहने के लिए कोई जगह थी, तो मैं अपने कंप ् यूटर रखा, मैं चला गया, कुछ महीने के बाद वापस आ गया बच ् चों को उसमे खेलते पाया । जब वे मुझे, देखा था उन ् होंने कहा कि, "हम एक तेज प ् रोसेसर और एक बेहतर माउस चाहते हैं." (हँसी) तो मैंने कहा, "" आखिर तुम कैसे यह सब जानते हो? "" और उन ् होंने बहुत दिलचस ् प चीज कही । एक परेशान आवाज ़ में, उन ् होंने कहा कि, "" तुमने हमें एक मशीन दी है जो केवल अंग ् रेजी में काम करती है, तो हमे इसे उपयोग करने के लिए अपने आप को अंग ् रेजी सिखानी पड़ी "" (हँसी) पहली बार, एक शिक ् षक के रूप में, मैंने ये शब ् द "" अपने आप को सिखाने "" इतनी आसानी से सुने । यहाँ एक संक ् षिप ् त झलक उन वर ् षों से है । यह दीवार में छेद पर पहला दिन है । अपने दाहिने तरफ में एक आठ वर ् षीय है. उसके बाएँ उसकी छात ् र है.वह छह साल की है. वह उसे सिखा रहा हैं कैसे ब ् राउज ़ करे. फिर देश के अन ् य भागों पर, मैंने यह बार बार दोहराया, बिल ् कुल वहीँ परिणाम मिल रहे थे जो हमे पहले मिल रहे थे । ["" दीवार में छेद फिल ् म - 1999 ""] एक आठ वर ् षीय, उसकी बड ़ ी बहन कह रही है क ् या करना हैं. और आखिरी में एक लड ़ की मराठी में बता रही हैं ये क ् या हैं, और कहा, "" इसके अंदर एक प ् रोसेसर है. "" तो मैंने प ् रकाशन शुरू कर दिया । मैं हर जगह प ् रकाशित किया. मैंने लिखा और सब कुछ मापा, और मैंने कहा, नौ महीने में, बच ् चों का एक समूह किसी भी भाषा में एक कंप ् यूटर के साथ अकेला छोड ़ दिया गया पश ् चिम में कार ् यालय सचिव के स ् तर तक पहुंच जाएगा. मैंने इसे बार बार होते देखा । लेकिन मैं जानने को उत ् सुक था, और वे क ् या कर सकते हैं यदि वे इतना कर सकता है? मैं अन ् य विषयों के साथ प ् रयोग शुरू कर दिया, उनमें से, उदाहरण के लिए, उच ् चारण । दक ् षिणी भारत में बच ् चों का एक समुदाय है जिसका अंग ् रेजी उच ् चारण बहुत बुरा है, और उन ् हें अच ् छे उच ् चारण की जरूरत है क ् योंकि ये उनके काम में सुधार होगा । मैं उन ् हें एक कंप ् यूटर में आवाज़ से शब ् द इंजन दिया था, और मैंने कहा, "" इससे बात करते रहे जब तक वो टाइप न करे जो आप कहते हैं. "" (हँसी) उन ् होंने वो किया, और यह एक छोटा सा देखो । कंप ् यूटर: आपसे मिलकर अच ् छा लगा. बच ् चे: आपसे मिलकर अच ् छा लगा. Sugata मित ् रा: कारण मैंने इस युवा महिला के चेहरे के साथ समाप ् त की है, क ् योंकि मुझे लगता आप में से कई उसे जानते हैं. वह अब हैदराबाद में एक कॉल सेंटर में शामिल हो गयी है और आपको आपके क ् रेडिट कार ् ड के बिल के पूछताछ के बारे में पीड़ा दी हों एक बहुत स ् पष ् ट अंग ् रेजी लहजे में । तो लोगों ने कहा, ठीक है, यह कितनी दूर जा सकता हैं? यह कहाँ खत ् म होगा? मैंने फैसला किया मैं अपना खुद का तर ् क नष ् ट करूँगा एक बेतुका प ् रस ् ताव बनाने के द ् वारा । मैंने एक परिकल ् पना, एक हास ् यास ् पद परिकल ् पना की है । एक दक ् षिण भारतीय भाषा तमिल है, और मैंने कहा, एक भारतीय गांव में तमिल भाषी बच ् चे अंग ् रेजी में डीएनए प ् रतिकृति के जैव प ् रौद ् योगिकी सीख सकते हैं एक वितर ् कों कंप ् यूटर से? और मैंने कहा, मैं इसे मापुंगा उन ् हें शून ् य मिलेगा. मैं इसे कुछ महीने के लिए छोड ़ दूँगा, मैं वापस जाऊंगा, उन ् हें एक और शून ् य मिल जाएगा. मैं प ् रयोगशाला में वापस जाऊंगा और कहूँगा, हमे शिक ् षकों की जरूरत है. मैं एक गांव पाया । यह दक ् षिण भारत में Kallikuppam कहा जाता था । मैंने वहाँ दीवार में छेद वाले कंप ् यूटरों को डाल दिया, सभी प ् रकार के डीएनए प ् रतिकृति के बारे में जानकारियां इंटरनेट से डाउनलोड किया, जिनमे से बहुत मुझे समझ में नहीं आया । बच ् चे दौड़ते हुए आये, पूछा, "" यह सब क ् या है? "" तो मैंने कहा, "" यह बहुत ही सामयिक, है बहुत महत ् वपूर ् ण । लेकिन यह सब अंग ् रेजी में है. "" तो उन ् होंने कहा, "" कैसे हम इस तरह बड़े अंग ् रेजी शब ् द समझ सकते हैं और चित ् र और रसायन विज ् ञान? "" तो अब तक, मैंने एक नयी शैक ् षणिक पद ् धति विकसित की थी, तो मैंने वही लागू की.मैंने कहा, "" मुझे पता नहीं है. "" (हँसी) "और वैसे भी, मैं दूर जा रहा हूँ." (हँसी) तो मैं उन ् हें कुछ महीने के लिए छोड ़ दिया । उन ् हें शून ् य मिला होता । मैं उन ् हें एक परीक ् षण दिया था । मैं दो महीने के बाद वापस आ गया और बच ् चों ने कहाँ, "" हमे कुछ भी नहीं समझ आया है. "" तो मैंने कहा, "" ठीक है, मैंने क ् या उम ् मीद की थी? "" तो मैंने कहा, "" ठीक है, लेकिन आपके लिए इसने कितना समय लिया यह फैसला लेने के पहले कि आप कुछ भी समझ नहीं कर सकते? "" तो उन ् होंने कहा, "" हम अभी भी कोशिश कर रहे हैं "". हम इसे हर रोज देखते हैं. "" तो मैंने कहा, "" क ् या? आपको यह स ् क ् रीन समझ में नहीं आती और आप इसे दो महीने से घूर रखें हैं? किसके लिए? "" तो एक छोटी सी लड ़ की जिसे आपने अभी देखा, उसने हाथ उठाया, और उसने मुझे टूटी हुई तमिल और अंग ् रेज ़ ी में कहा, उसने कहा, "" ठीक है, इस तथ ् य के अलावा कि डीएनए अणु के अनुचित प ् रतिकृति रोग का कारण बनते है, हमें कुछ समझ में नहीं आया है. "" (हँसी) (तालियाँ) तो मैंने उन ् हें परीक ् षण किया । मुझे एक शैक ् षिक असंभव मिला, शून ् य से 30 प ् रतिशत दो महीनों में उष ् णकटिबंधीय गर ् मी में एक पेड ़ के नीचे एक कंप ् यूटर उस भाषा में जो उन ् हें पता नहीं थी अपने समय से एक दशक आगे की चीज़ करते हुए बेतुका । लेकिन मुझे विक ् टोरियन आदर ् श का पालन करना था । तीस प ् रतिशत असफलता है । मैं उन ् हें पारित कैसे करता? मुझे उन ् हें 20 और अधिक अंक प ् राप ् त करवाने थे । मुझे एक शिक ् षक नहीं मिला । मुझे एक दोस ् त मिला जो उनके पास था, एक 22 वर ् षीय लड ़ की जो एक मुनीम थी और वह हर समय उनके साथ खेलती थी । तो मैंने लड ़ की से पूछा, "" आप उन ् हें मदद कर सकते हैं? "" तो वे कहती हैं, "" बिल ् कुल नहीं । मैंने स ् कूल में विज ् ञान नहीं पढ़ा । मुझे पता नहीं है वे उस पेड ़ के नीचे दिन भर क ् या कर रहे हैं । मैं आपकी मदद नहीं कर सकती. "" मैंने कहा, "" मैं आपको बताता हूँ । दादी की विधि उपयोग करिये. "" तो, उसने कहा "" वो क ् या हैं "" मैंने कहा, "" उनके पीछे खड ़ े रहों । जब भी वे कुछ करे, आप सिर ् फ कहे, 'ठीक है, वाह, मेरा मतलब है, तुमने ये कैसे क ् या किया? अगला पृष ् ठ क ् या है? जब मैं तुम ् हारी उम ् र की थी, हे भगवान, मैं कभी यह नहीं कर सकती थी. 'तुम ् हें पता है दादियाँ क ् या करती हैं. "" तो वह उसने और दो महीने के लिए किया । स ् कोर 50 प ् रतिशत तक पहुँच गया । Kallikuppam ने बराबरी कर ली थी नई दिल ् ली में मेरे नियंत ् रण स ् कूल के साथ, एक प ् रशिक ् षित जैव प ् रौद ् योगिकी शिक ् षक के साथ एक अमीर निजी स ् कूल,. जब मैंने ग ् राफ को देखा, मैं जानता था कि एक खेल के मैदान को स ् तर करने के लिए एक तरीका है. यहाँ Kallikuppam है । (बोलते हुए बच ् चों) न ् यूरॉन ् स.. संचार । मेरे कैमरा का कोण गलत है. वह केवल एक प ् रारंभिक हैं लेकिन वो क ् या कह रही हैं, जैसा कि आप जान सकते हैं, न ् यूरॉन ् स के बारे में थी, उसके हाथ उस तरह थे और वो कह रह थी न ् यूरॉन ् स संवाद करते हैं. 12 पर । तो नौकरी किस तरह की होने जा रहे हैं? ठीक है, हम जानते हैं क ् या वे आज किस तरह की हैं । सीखना किस तरह का होगा? हम जानते हैं कि यह आज किस तरह का है, एक हाथ से बच ् चे अपने मोबाइल फोन उठा रहे हैं और फिर अनिच ् छा से स ् कूल के लिए दूसरे हाथ से किताबें उठा रहे हैं. यह कल क ् या होगा? यह हो सकता है कि हमे स ् कूल जाने की जरूरत नहीं हों? यह हो सकता है, अगर तुम ् हें कुछ पता करने की जरूरत है आप दो मिनट में पता कर सकते हैं? यह - एक विनाशकारी प ् रश ् न हो सकता है, एक सवाल है जो मेरे लिए निकोलस Negroponte द ् वारा बनाया गया था- यह हो सकता है कि हम उस ओर बढ ़ रहे हैं या शायद एक भविष ् य में है जहाँ ज ् ञान अप ् रचलित हों? लेकिन वह भयानक है.हम इंसान हैं. जानते हुए, वो ही हमें वानर से अलग करता हैं. लेकिन इसे इस तरह देखो । 100 मिलियन वर ् ष प ् रकृति ने ले लिया बंदर को खड ़ े करने के लिए और होमोसेपिएन ् स बनाने में । हमें केवल 10000 लगे ज ् ञान को अप ् रचलित बनाने के लिए । यह एक उपलब ् धि है । लेकिन हम यह हमारे भविष ् य में एकीकृत करना होगा । प ् रोत ् साहन महत ् वपूर ् ण हो रहा है । यदि आप कुप ् पम पर देखो, यदि आप मेरे द ् वारा किये गए सभी प ् रयोगों को देखो, यह बस कह रहा हैं, "" वाह, "" सीखने को सलाम । तंत ् रिका विज ् ञान से सबूत है । सरीसृप भाग हमारे मस ् तिष ् क का, जो हमारे मस ् तिष ् क के केंद ् र में बैठता है, जब यह डरा हुआ होता है, यह सब कुछ बन ् द कर देता हैं, यह prefrontal प ् रांतस ् था को बंद कर देता हैं जो सीखता हैं, यह उसका सब बंद कर देता हैं । सजा और परीक ् षाओं की धमकी के रूप में देखा जाता है । हम अपने बच ् चों को लेके, उनके दिमाग को बंद कर देते हैं, और फिर हम कहते हैं कि, "" प ् रदर ् शन करो. "" वे इस तरह की एक प ् रणाली क ् यों बनाते हैं? क ् योंकि यह आवश ् यक था । साम ् राज ् यों के समय एक ऐसा समय था जब आपको उन लोगों की जरूरत थी जो खतरे में जीवित रह सके । जब आप एक खाई में अकेले खड ़ े हो, अगर आप बच सकते थे, आप ठीक थे, आपको पारित कर दिया जाता. अगर आप नहीं, आप असफल होते । लेकिन साम ् राज ् यों का समय चला गया है । हमारे समय में रचनात ् मकता को क ् या होता है? हमे उस संतुलन को वापस बदलने की जरूरत हैं खतरे से आनंद की ओर । मैं इंग ् लैंड में वापस आया, ब ् रिटिश दादी का पता लगाने. मैंने नोटिस और कागजात डाले ये कहने वाले, यदि आप एक ब ् रिटिश दादी, यदि आपके पास ब ् रॉडबैंड और एक वेब कैमरा हैं, क ् या आप मुझे अपने समय से सप ् ताह में एक घंटे मुफ ् त दे सकते हैं? मुझे पहले दो हफ ् तों में 200 मिले । मैं ब ् रह ् मांड में किसी से भी अधिक ब ् रिटिश दादीयों को जानता हूँ । (हँसी) वे दादी बादल कहलाते हैं । दादी बादल इंटरनेट पर बैठती है । अगर मुसीबत में एक बच ् चा है, हम उसे एक दादी देते हैं । वह Skype पर चली जाती है और वह समाधान करती है. मैंने देखा है उन ् हें यह Diggles नामक एक गांव से करते हुए उत ् तर-पश ् चिमी इंग ् लैंड में, भारत, तमिल नाडु के अंदरूनी एक गाँव में, 6000 मील दूर । वह यह अपने पुराने उम ् र के तरीके से करती हैं । "इश." ठीक? यह देखो । दादी: तुम मुझे पकड ़ नहीं सकते | आप इसे कहे । तुम मुझे पकड ़ नहीं सकते । बच ् चे: तुम मुझे पकड ़ नहीं सकते । दादी: मैं जिंजरब ् रेड हूँ | बच ् चे: मैं जिंजरब ् रेड हूँ दादी: अच ् छी तरह से किया! बहुत अच ् छा. एस. एम.: तो क ् या यहाँ क ् या हो रहा है? मुझे लगता है कि हमे जो देखने की जरूरत हैं वो हैं हम सीखने पर ध ् यान देने की जरूरत हैं शैक ् षिक स ् वयं संगठन के उत ् पाद के रूप में । यदि आप अनुमति दे, शैक ् षिक प ् रक ् रिया को स ् वयं को संगठित करने के लिए, फिर सीखना उभरता हैं । यह सीखना को संभव करने के बारे में नहीं है. यह ऐसा होने देने के बारे में है. शिक ् षक प ् रस ् ताव में प ् रक ् रिया सेट करता है और फिर वह वापस विस ् मय में खड़ी होती है और देखती हैं सिखने को होते हुए. मुझे लगता है कि यह इस ओर इशारा कर रहा है । लेकिन हमें कैसे पता चलेगा? हम पता कैसे लगेगा? ठीक है, मेरा निर ् माण करने का इरादा है इन स ् वयं संगठित सीखने के वातावरण को. वे मूल रूप से ब ् रॉडबैंड, सहयोग और प ् रोत ् साहन एक साथ हैं । मैं यह कई, कई स ् कूलों में की कोशिश की है । यह पूरी दुनिया और शिक ् षकों पर अपनाया गया हैं यह एक वापस आता हैं और कहता हैं, "" यह अपने आप होता है? "" और मैंने कहा, "" हाँ, यह अपने आप होता हैं. "" "" आपको वह कैसे पता? "" मैंने कहा, "" आप बच ् चों को जिन ् होंने मुझसे कहा उनपर विश ् वास नहीं करेंगे और वे कहाँ से हैं. "" यहाँ एक SOLE कार ् यरत है. (बच ् चे बात कर रहे हैं) यह एक इंग ् लैंड में है । वे कानून और व ् यवस ् था बनाये रखते हैं, क ् यूंकि याद रखे, वहाँ कोई शिक ् षक नहीं है. लड ़ की: इलेक ् ट ् रॉनों के कुल सख ् यां प ् रोटॉन के बराबर नहीं हैं - एस. एम: ऑस ् ट ् रेलिया लड ़ की: - इसे सकारात ् मक या नकारात ् मक बिजली के आवेश देने से । एक आयन पर कुल आवेश बराबर होता है प ् रोटॉनों की संख ् या से आयन के इलेक ् ट ् रॉनों की संख ् या को घटाने पर । एस. एम.: अपने समय से एक दशक आगे । तो SOLE, मुझे लगता है कि हम बड ़ े सवालों के एक पाठ ् यक ् रम की आवश ् यकता हैं । आप पहले से ही उस के बारे में सुन चुके है । आपको पता है इसका मतलब । एक समय था जब पत ् थर युग पुरुष और महिलाए आकाश में देखते हैं और कहते थे, "कि वो जगमगाती रोशनी क ् या हैं?" उन ् होंने पहले पाठ ् यक ् रम का निर ् माण किया है, लेकिन हम उन चमत ् कारिक सवालों की दृष ् टि को खो दिया है । हम इसे एक कोण की स ् पर ् शज ् या तक नीचे लाया हैं । लेकिन वह काफी रोमांचक नहीं है । आपको एक नौ वर ् षीय से पूछना होगा, "" अगर एक उल ् का पृथ ् वी से टकराने जा रही थी, तुम कैसे पता चलेगा अगर यह करने के लिए जा रहा थी या नहीं? "" और अगर वे कहते हैं, "" ठीक है, क ् या? कैसे? "" आप कहते हैं, "" एक जादुई शब ् द है । इसे एक कोण की स ् पर ् शज ् या कहते है "" और उसे अकेला छोड ़ दें । वह इसे ढूँढ ़ लेंगे । तो यहाँ से छवियाँ हैं SOLE से मैं अविश ् वसनीय, अविश ् वसनीय सवालों की कोशिश की है- "" दुनिया कब शुरू हुई? यह कैसे खत ् म होगी? "" - नौ साल के बच ् चों के लिए । उस हवा को क ् या होता हैं जो हम सांस में लेते हैं इसके बारे में हैं. यह किसी भी शिक ् षक की मदद के बिना बच ् चों द ् वारा किया जाता है । शिक ् षक सिर ् फ सवाल ही पूछते हैं, और फिर वापस खड़े होते हैं और जवाब की तारीफ करते हैं तो मेरी क ् या इच ् छा है? मेरी इच ् छा है कि हम सीखने के भविष ् य को डिजाइन करे । हम स ् पेयर पार ् ट ् स होना नहीं चाहते एक महान मानव कंप ् यूटर के लिए, क ् या हम? तो हम अध ् ययन के भविष ् य को डिजाइन करने की जरूरत है । और मुझे — पर, रुको मुझे ये शब ् द सही रूप में कहने हैं, क ् योंकि, तुम ् हें पता है, यह बहुत महत ् वपूर ् ण है । सीखने के एक भविष ् य के डिजाइन में मदद करने के लिए मेरी इच ् छा है पूरी दुनिया में बच ् चों का समर ् थन करके उनके आश ् चर ् य और उनके एक साथ काम करने के कौशल को पकड़ कर. मुझे इस विद ् यालय के निर ् माण में मदद कीजिये । यह बादल में स ् कूल बुलाया जाएगा । यह एक स ् कूल होगा जहाँ बच ् चे इन बौद ् धिक रोमांच पर जायेंगे बड़े सवालो से संचलित जो उनके मध ् यस ् थों द ् वारा पूछे जायेंगे । जिस तरह से मैं यह करना चाहता हूँ वो हैं एक सुविधा का निर ् माण जहाँ मैं यह अध ् ययन कर सकता है । यह एक सुविधा है जो व ् यावहारिक रूप से मानव रहित है. वहाँ सिर ् फ एक ही दादी है जो स ् वास ् थ ् य और सुरक ् षा प ् रबंधन करती हैं । इसके अलावा बाकी बादल से है. रोशनी चालू और बंद बादल के द ् वारा की जाती हैं आदि, आदि, सब कुछ बादल से किया जाता है । लेकिन मैं आपको एक और उद ् देश ् य के लिए चाहता हूँ । आप Self-Organized Learning Environments कर सकते हैं घर पर, स ् कूल, स ् कूल, क ् लबों में बाहर में । यह बहुत आसान है । वहाँ एक महान दस ् तावेज ़ है जो आपको बताता है कि यह कैसे करना हैं टेड द ् वारा उत ् पादित । यदि आप कर सके तो कृप ् या, कृप ् या यह करे सभी पांच महाद ् वीपों भर में और मुझे डेटा भेजे, तो मैं यह सब एक साथ रख दूँगा इसे बादलों के स ् कूल में भेजूंगा, और सीखने के भविष ् य को बनाऊंगा । यह मेरी इच ् छा है । और सिर ् फ एक अंतिम बात । मैं आपको हिमालय के शीर ् ष में ले जाऊँगा । 12000 फीट पर जहां हवा पतली है, मैंने एक बार दो दीवार में छेद वाले कंप ् यूटर बनाये थे, और बच ् चे वहाँ आते रहे । और यह छोटी लड ़ की है जो मेरे आसपास रहती । मैंने उससे कहा, "" तुम ् हें पता है, मैं सब लोगो को, हर बच ् चे को एक कंप ् यूटर देना चाहता हूँ. मुझे पता नहीं, मुझे क ् या करना चाहिए? "" मैं उसकी एक तस ् वीर चुपचाप लेने की कोशिश कर रहा था. वह इस तरह अचानक उसके हाथ उठाया, और मुझ से कहा, इसके साथ चले जाओ. "" (हँसी) (तालियाँ) मुझे लगता है कि यह अच ् छी सलाह थी. मैं उनकी सलाह का पालन करूँगा.मैं बात करना बंद करूँगा. धन ् यवाद. बहुत-बहुत धन ् यवाद. (तालियाँ) धन ् यवाद. धन ् यवाद. (तालियाँ) बहुत बहुत धन ् यवाद. वाह. (तालियाँ) मैं मीडिया के बदले हुए परिदृश ् य के बारे में बात करना चाहता हूँ, और यह उन के लिए क ् या मायने रखता है जिन के पास कोई संदेश है जो वे भेजना चाहते हैं दुनिया में कहीं भी. और मैं इसे कुछ कहानियां सुना कर स ् पष ् ट करना चाहता हूँ उस बदलाव के बारे में. मैं यहां से शुरू करूँगा. पिछ ् ले नवंबर में राष ् ट ् रपति का चुनाव था. शायद आपने उसके बारे में अखबारों में कुछ पढा होगा. और ये आशंका थी कि देश के कुछ भागो में वोटिंग में गड ़ बड़ हो सकती है. तो वोटिंग को विडियो करने की योजना बनी. और विचार यह था कि प ् रत ् येक नागरिक जिन के पास विडियो बनाने वाला या फ़ॊटो लेने वाला फ़ोन था अपने मतदान केंद ् रों का ब ् योरा रखेंगे, और किसी प ् रकार की गड़बड़ के लिए सतर ् क रहेंगे. और वो उसे एक केंन ् द ् रीय जगह पर अपलोड करेंगे. और यह एक प ् रकार से नागरिक अवलोकन की तरह काम करेगा. नागरिक वहाँ केवल अपने व ् यक ् तिगत वोट डालने के लिए नहीं होंगे. बल ् कि वोट की समग ् र पवित ् रता को निश ् चित करने के लिए भी. तो यह एक ख़ाका है जो यह सोच कर चलता है कि हम सब इस में एक साथ हैं. जो यहां मायने रखता है वो तकनीकि धन नहीं है. वो सामाजिक धन है. ये उपकरण सामाजिक तौर पे मज़ेदार नहीं बनते जब तक वो तकनीकी रूप से उबाऊ नहीं बन जाते. एसा नहीं है कि जब चमकीले नए उपकरण आते हैं तो उनका उपयोग समाज में रिसना शुरू हो जाता है. एसा तब होता है जब सब उनको साधारण मानने लगते हैं. क ् योंकि अब मीडिया तेज़ी से सामाजिक हो रहा है, नवोन ् मेष कहीं भी हो सकता है जहाँ लोग इस बात पर आसानी से यकीन कर सकें कि हम सब इस में एक साथ हैं. तो हमें एक मीडिया परिदृश ् य दिखाई देना शुरू हो रहा है जिस में नवोन ् मेष हर जगह हो रहा है. और एक जगह से दूसरी जगह जा रहा है. यह एक विशाल परिवर ् तन है. इस की गहराई में जाए बिना, जिस पल में हम जी रहे हैं, जिस पल में हमारी ऎतिहासिक पीढ़ी जी रही है अपनी भावनाओं को प ् रगट करने की क ् षमता में सबसे बड़ी वृद ् धि वाला है मानव इतिहास में. यह एक बड़ा दावा है. मैं इसे साबित करने की कोशिश करूँगा. पिछ ् ले ५०० सालों में केवल चार काल एसे हैं जहाँ मीडिया का बदलाव इतना रहा है कि उसे क ् रांति कहा जा सके. इनमें पहला मशहूर है, छपाई की प ् रेस. बदली किए जा सकने वाला टंकण, तेल आधारित श ् याही, नवाचारों का वो समूह जिन ् होंने मुद ् रण को संभव बनाया और १४०० की शताब ् दी के मध ् य से शुरू होकर यूरोप की काया पलट दी. फ़िर कुछ सौ साल पहले दो तरफ़ा संचार में नवाचार हुआ. संवादी मीडिया, पहले तार, फ़िर दूरभाष. धीमे, लिखित संवाद, फ़िर वास ् तविक समय में ध ् वनि आधारित संवाद. फ़िर, लगभग १५० साल पहले, छ ् पाई के इलावा आलेखित मीडिया में क ् राँति हुई. पहले तस ् वीरें, फ़िर ध ् वनि की रिकार ् डिंग, फ़िर चलचित ् र, सब भौतिक वस ् तुओं पे प ् रतिबिंबित. और अंत में लगभग १०० साल पहले, विद ् युत चुम ् बकीय वर ् णक ् रम का वशिकर ् ण ध ् वनि और चित ् रॊं को हवा, रेडियो और टेलीविजन के माध ् यम से भेजने के लिए. यह मीडिया का परिदृश ् य है जैसे हम २०वी सदी में जानते थे. हम मे से वो जो कि एक निश ् चित उम ् र के हैं इसी के साथ बड़े हुए हैं, और इसी की हमें आदत है. पर यहाँ पे एक विचित ् र सी विशम ् ता है. मीडिया जो बातचीत के निर ् माण में अच ् छी है समूहों के निर ् माण में अच ् छी नही है. और जो समूहों के निर ् माण में अच ् छी है बातचीत के निर ् माण में अच ् छी नहीं है. अगर आप बातचीत करना चाहते हैं तो इस दुनिया में आप को ये किसी एक और व ् यक ् ति के साथ करनी पड़ेगी. अगर आप एक समूह को संबॊधित करना चाहते हैं, तो आप वही संदेश लेते हैं और समूह में सब को दे देते हैं. चाहे आप ये प ् रसारण टावर के माध ् यम से कर रहे हैं या मुद ् र ् ण यंत ् र के. यह था मीडिया का परिदृश ् य जैसा बीसवीं सदी में हमारे पास था. और ये है वो जो बदल गया. ये चीज़, जो गाड़ी के शीशे से टकराया हुआ मोर लगता है दरअसल बिल चेसविक द ् वारा इन ् टरनेट का मानचित ् र है. वो व ् यक ् तिगत नेटवर ् क के किनारों को दिखाते हुए उनको अलग रंगों से दर ् शाता है. इन ् टरनेट इतिहास का पहला माध ् यम है जिस में समूहों के लिए जन ् मजात समर ् थन है और साथ साथ वार ् तालाप के लिए. जब कि दूर ् भाष नें हमें एक से एक का खा ़ का दिया. और टेलिविज़न, रेडियो, पत ् रिकाओं और किताबों नें हमें एक से अनेक का खा ़ का दिया. इन ् टरनेट हमें अनेक से अनेक का खा ़ का देता है. पहली बार मीडिया जन ् मजात रुप से इस तरह की वार ् तालाप के समर ् थन में अच ् छा है. ये बड़े बद ् लावों में से एक है. दूसरा बड़ा बदलाव है कि सभी मीडिया का डिजिकरण हो जाता है इन ् टरनेट वाहन भी बन जाता है बाकि सभी मीडिया के लिए. मतलब कि फ़ोन की कौलें इन ् टरनेट को विस ् थापित हो जाती हैं. पत ् रिकाएं इन ् टरनेट को विस ् थापित हो जाती हैं. फ़िल ् में इन ् टरनेट को विस ् थापित हो जाती हैं. और इसका मतलब है कि हर माध ् यम हर दूसरे माध ् यम के ठीक बराबर है. दूसरी तरह कहा जाए तो, मीडिया तेजी से सूचना का स ् रोत कम और समन ् वय का स ् थान ज ् यादा बनता जा रहा है. क ् योंकि समूह जो किसी चीज़ को सुनते या देखते हैं अब एकत ् रित हो कर एक दूसरे से बात भी कर सकते हैं. और तीसरा बड़ा बदलाव है कि भूतपूर ् व दर ् शक, जैसा कि डैन गिलमोर उन ् हें बुलाते हैं, अब निर ् माता भी हो सकते हैं उपभोगता नहीं. हर बार एक नया ग ् राहक मीडिया के इस परिदृश ् य से जुड़ ् ता है तो एक नया निर ् माता भी जुड़ ् ता है. क ् योंकि वही उपकर ् ण, फ़ोन, कंप ् यूटर, आप को उपभोग और निर ् माण करने देते हैं. ये ऎसा है जैसे आपने एक किताब ख़रीदी हो, और उन ् हॊंने साथ में मुद ् र ् ण यंत ् र मुफ़ ् त में दे दिया हो. जैसे कि आप के पास फ़ोन हो जिसे आप रेडियो में बदल सकें अगर आप सही बटन दबा सकें. ये एक बहुत बड़ा बदलाव है मीडिया परिदृश ् य में जिसकी हमें आदत है. और यह सिर ् फ़ इन ् टरनेट के होने या न होने कि बात नहीं है. हमारे पास इन ् टरनेट उसके सार ् वजनिक रूप में तकरीबन २० साल से है. और वह अभी भी बदल रहा है जैसे मीडिया और सामाजिक बन रहा है. वह अभी भी अपने ख़ाके बदल रहा है उन समूहॊं में भी जो इन ् टरनेट का इस ् तेमाल अच ् छे से जानते हैं. दूसरी कहानी. पिछली मई, चीन के शिचुआन राज ् य में ७.९ तीव ् रता का भयंकर भूचाल आया, बड़े इलाके में भारी तबाही, रिक ् टर पैमाने के मुताबिक. और भूचाल के आने के दौरान ही उसकी ख़बर दी जा रही थी. लोग अपने फोन से संदेश भेज रहे थे. वो ईमारतों की तस ् वीरे ले रहे थे. वो हिलती हुई ईमारतों के विडियो बना रहे थे. और उन ् हें क ् यू क ् यू पर अपलोड कर रहे थे, जो चीन की सबसे बड़ी इन ् टरनेट सेवा है. और उसको ट ् विटर कर रहे थे. तो, जैसे भूचाल आ रहा था ख़बर दी जा रही थी. और सामाजिक रिश ् तों की वजह से चीनी छात ् र दूसरी जगह आ कर स ् कूल जा रहे थे. या बाकि दुनिया के व ् यापार चीन में दफ़ ् तर खोल रहे थे. पूरी दुनिया में लोग सुन रहे थे, और समाचार पा रहे थे. बी बी सी को चीनी भूकंम की पहली ख़बर ट ् विटर से मिली. ट ् विटर नें भूकंप की घॊशणा कर दी थी इस से कुछ मिनिट पहले अमेरिकी भूवैज ् ञानिक सर ् वेक ् षण नें इसके बारे में कुछ ओनलाइन डाला जो कोई पढ सके. पिछली बार जब चीन में इस तीव ् रता का भूकंप आया था तो उन ् हें ये मानने में तीन महीने लगे थे कि एसा कुछ हुआ है. (ठहाके) अब यहां वो ये करना चाहते होंगे, इन तस ् वीरों को औनलाइन जाते देखने के बजाए. पर उन ् हें यह विकल ् प नही दिया गया. क ् योंकि उनके नागरिक उन से तेज़ निकले. सरकार नें भी भुकंप के बारे में अपने नागरिकों से सुना, बजाए ज़िनहुआ समाचार एजेंसि के. और यह जंगल में आग की तरह फ़ैल गयी. कुछ देर के लिए वहाँ पे १० सबसे ज ् यादा क ् लिक होने वाले लिंक ट ् विटर पे, जो कि दुनिया की सरल संदेश सेवा है, १० मे से नौ लिंक भूकंप के बारे में थे. लोग सूचना एकत ् रित कर रहे थे, लोगों को समाचार के स ् रॊतों की तरफ़ इशारा कर रहे थे, अमेरिकी भूवैज ् ञानिक सर ् वेक ् षण की ऒर इशारा कर रहे थे. १०वीं लिंक एक बिल ् ली के बच ् चे के बारे में थी, जो एक ट ् रेड ् मिल पर चढी हुई थी, पर इन ् टरनेट ऐसा ही है. (ठहाके) लेकिन उन पहले घण ् टॊं में १० में से नौ. और आधे दिन के अंदर दान लेने की वेब ् साइट तैयार हो गई थीं. और दुनिया में चारों तरफ़ से दान आ रहे थे. यह एक अविश ् वसनीय, समन ् वित वैश ् विक प ् रतिक ् रिया थी. और फ़िर चीनिओं नें, मीडिया के खुलेपन की एक अवधि के दौरान यह फ़ैसला कर लिआ कि वो इसे जाने देंगे. और वो नागरिकों द ् वारा इस तरह से ख़बरें दिए जाने देंगे. और यही हुआ. शिचुआन प ् राँत में लोगों नें यह अनुमान लगाया, कि इसका कारण कि इतनी सारे स ् कूलों की ईमारतें गिर गईं, क ् योंकि दुर ् भाग ् य से भूकंप एक स ् कूल के दिन के दौरान हुआ इसका कारण कि इतनी सारे स ् कूलों की ईमारतें गिर गईं यह है कि भ ् रष ् ट कर ् मचारियों नें रिश ् व ् त ली थी उन ईमारतों को निर ् देशों से घटिया मापद ् ण ् ड पे बनने देने के लिए. और इस तरह उन ् होंने, नागरिक पत ् रकारों नें इसकी भी सूचना देनी शुरू कर दी. और वहँ एक विचित ् र तस ् वीर थी. आपनें न ् यू यार ् क टाइम ् स के मुख ् य पृश ् ठ पर एक देखी होगी. एक स ् थानीय अधिकारी सचमुच सड़ ् क पर लेट गया, इन प ् रदृशनकारियों के सामने. जिससे वो चले जाएं. अनिवार ् य रूप से कहने के लिए, "" हम कुछ भी करने के लिए तैयार हैं आप को शांत करने के लिए. बस क ् रृपा कर के सार ् वजनिक प ् रदृशन रोक दो. "" लेकिन ये वो लोग थे जो कट ् टरपंथी बन गए थे. क ् योंकि इकलौते बच ् चे वाली नीति की वजह से उन ् होंने अपनी अगली पीढी में सब को खो दिया. किसीने जब अपने इकलौते बच ् चे की मौत देखी हो उसके पास अब खोने को कुछ नहीं रह जाता. तो अवरोध जारी रहे. और आखिर चीनी सरकार उन पर टूट पडी. नागरिक मीडिया काफ़ी हो गई थी. तो उन ् होंनें आन ् दोलनकारियों को पकड ् ना शुरू कर दिया. उन ् होंने वो माध ् यम बंद करने शुरु कर दिए जिन पर विरोध हो रहे थे. चीन शायद सबसे सफ़ल प ् रबंधक है इन ् टरनेट पे सेंसर का, दुनिया में, उसके इस ् तेमाल के द ् वारा, जिसे चीन की महान फ़ायरवौल कहा जाता है. और चीन की महान फ़ायरवौल अवलोकन बिंदुओं का समूह है जो यह मान के चलता है कि मीडिया का निर ् माण पेशेवरों द ् वारा होता है, वो ज ् यादातर बाहर की दुनिया से अंदर आती है, वो अपेक ् षाकृत छोटे हिस ् सों में आती है, और अपेक ् षाकृत धीरे आती है. और इन चार विषेश ् ताओं कि वजह से वो सक ् षम हैं इसको छानने में जैसे यह देश के अंदर आती है. लेकिन मैगिनौट रेखा की तरह, चीन की महान फ़ायरवौल गलत दिशा कि तरफ़ मुख कर रही थी इस चुनौति के लिए. क ् योंकि इन चारों चीज़ों में से इस परिवेश में कोई भी सही नहीं था. मीडिया का न ् रिर ् माण स ् थानीय तौर पे हो रहा था. उसका निर ् माण नौसिखियों द ् वारा हो रहा था. निर ् माण तेज़ी से हो रहा था. और निर ् माण अविश ् वसनीय बहुतायत से हो रहा था और कोई तरीका नहीं था कि उसके बनते ही उसे छाना जा सके. तो अब चीनी सरकार, जो १२ साल से सफ़लता के साथ वेब को छान रहे थे, अब अवस ् था में है यह फ़ैसला करने की कि क ् या पूरी सेवाएं चलने दें या बंद कर दें. क ् योंकि शौकिया मीडिया के लिए परिवर ् तन इतना विशाल है कि वे इसके साथ किसी भी अन ् य तरीके से निपटा नहीं कर सकता है. और बलकि यह इस हफ़ ् ते हो रहा है. टिआनामेन की २० वीं वर ् षगांठ पर दो ही दिन पहले उन ् होंनें घोषणा की कि वह ट ् विटर का उपयोग बाध ् य कर रहे हैं. क ् योंकि कोई तरीका नहीं है कि इसे फ़िल ् टर किया जा सके. उन ् हें नल ् का बिल ् कुल बंद करना पडा. अब ये परिवर ् तन सिर ् फ़ उन लोगों को प ् रभावित नहिं करते जो संदेशों को सेंसर करना चाहते हैं. ये उन ् हें भी प ् रभावित करते हैं जो संदेश भेजना चाहते हैं. क ् योंकि यह दरअसल पारिस ् थितिकी तंत ् र का पूर ् णतः परिवर ् तन है. केवल एक विशेष रणनीति नहीं. बीसवीं सदी की ठेठ मीडिया समस ् या यह है कि किस तरह एक संस ् था जिस के पास एक संदेश है जो वे देना चाहते हैं लोगों के समूह को जो एक तानाबाने के किनारों में फ़ैले हुए हैं. और यह रहा बीसवीं सदी का जवाब. संदेश को एकत ् रित कर दो. वही संदेश सब को भेज दो. राषट ् रीय संदेश. लक ् षित व ् यक ् ति. अपेक ् षाकृत विरल उत ् पादकों की संख ् या. करने में बहुत महंगा. तो ज ् यादा प ् रतियोगिता नहीं है. एसे आप लोगों तक पहुँच सकते हैं. वह सब ख़त ् म हो गया है. हम तेज़ी से एसे परिदृश ् य में जा रहे हैं जहाँ मीडिया वैश ् विक है. सामाजिक, सर ् वस ् व और सस ् ता. अब ज ् यादातर संगठन जो संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं बाहर की दुनिया को, दर ् शकों के विस ् तृत समूह को, अब इस बदलाव को इस ् तेमाल कर रहे हैं. दर ् शक वापस बात कर सकते हैं. और यह थोड़ा अजीब है. पर आपको कुछ देर में इसकी आदत पड़ सकती है, जैसे लोगों को हो जाती है. पर यह वह उन ् मादी बदलाव नहीं है जिस के बीचों बीच हम रह रहे हैं. असली उन ् मादी बदलाव यहां है. वह यह तथ ् य है कि वे अब आपस में बेजोड़ नहीं हैं. ये तथ ् य कि भूतपूर ् व उपभोगक ् ता अब उत ् पादक हैं. ये तथ ् य कि दर ् शक अब सीधे आपस में बात कर सकते हैं. क ् योंकि पेशेवरों कि तुलना में शौकिया लोग ज ् यादा हैं. और नेटवर ् क के आकार की वजह से, नेटवर ् क की जड़िलता दरअसल गुनिया है भाग लेने वालों कि संख ् या का. मतलब कि जब नेटवर ् क बड़ा हो जाता है, तो बहुत बहुत बड़ा हो जाता है. अभी पिछले दशक तक, ज ् यादातर मीडिया जो आम जनता के लिए उपल ् बध थी पेशेवरों के द ् वारा उत ् पादित थी. वो दिन अब ख़त ् म हो गए हैं और कभी वापस नहीं आएंगे. अब तो हरी रेखाएं हैं, जो मुफ़ ् त सामग ् रि के स ् रोत हैं. जो कि मुझे अपनी आखिरी कहानी पर ले आती है. हम कुछ कल ् पनाशील प ् रयोग देखा सामाजिक मीडिया का ओबामा के चुनाव प ् रचार के दौरान. और मेरा मतलब राजनीति में कल ् पनाशील प ् रयोग नहीं है. मेरा मतलब है सबसे कल ् पनाशील कहीं भी. और एक चीज़ जो ऒबामा नें करी, कि मशहूर तौर पे, ओबामा प ् रचार नें, महशूर तौर पे, माए बराक ऒबामा डोट कौम, माएबीओ.कौम और लाखों नागरिक भाग लेने के लिए उमड पड़े, और यह समझने के लिए कि वे किस तरह से मदद कर सकते हैं. और वहाँ एक अविश ् व ् स ् नीय वार ् ता उभर के आई. और फ़िर, पिछ ् ले साल इसी समय, ओबामा नें घोषणा करी कि वो फ़ीसा पे अपना मत बदलने जा रहे थे, विदेशी खु ़ फ़िया निगरानी एक ् ट. उन ् होंने जनवरी में कहा कि वो एक बिल पर हस ् ताक ् षर नहीं करेंगे जो दूरसंचार को बिना वारंट के जासूसी करने के लिए प ् रतिरक ् षा दे अमरीकी लोगों पर. गर ् मीयों तक, आम चुनाव प ् रचार के बीच में, उन ् होंने कहा, "" मैंने इस विषय में और सोचा हैए. मैंने अपना मत बदल लिया है. मैं इस बिल को अपना मत दूंगा. "" और उनके कई समर ् थक उनकी ही साइट पर सार ् वजनिक रूप से बेलगाम हो गए. जब उन ् होंने इसे बनाया तो वह सेनेटर ऒबामा था. बाद में उन ् होंने नाम बदल दिया. कृप ् या फ़िसा को सही तरह से लें. इस समूह के बनने के कुछ ही दिनों बाद वह मायबीऒ.कौम पर सबसे तेज़ी से बढ़ ् ता हुआ समूह था. बनने के कुछ ही हफ़ ् तों बाद यह सबसे बड़ा समूह था. ओबामा को एक प ् रेस विज ् ञप ् ति जारी करनी पड़ी. उन ् हें ज़वाब देना पड़ा. और उन ् होंने मूलतः कहा, "" मैने इस विषय के बारे में सोचा है. मैं समझता हूँ आप के विचारों का आधार क ् या है. लेकिन इस सब के बारे में सोचने के बाद, मैं अभी भी अपना मत उसी तरह ड़ालूँगा. लेकिन मैं आप तक पहूंचना चाहता था यह कहने के लिए, मैं समझता हूं कि आप मुझ से सहमत नहीं हैं, और इसे मैं झेल लूँगा. "" इस से कोई खुश ़ नहीं हुआ. पर फ़िर इस वार ् तालाप में एक मज़ेदार बात हुई. उस समूह में लोगों को यह एहसास हो गया कि ओबामा नें उन ् हें कभी बंद नहीं किया. ओबामा प ् रचार में किसी नें कभी इस समूह को छिपाने की कोशिश नहीं करी या इसमें मिलना मुशकिल बनाया, या इसके अस ् तित ् व को नकारा, या मिटाने की कोशिश करी, उस को साइट से निकालने की. वो ये समझ गये थे कि उनकी भूमिका माएबीओ.कौम के साथ उनके समर ् थकॊं को एकत ् रित करना था पर उनके समर ् थकों को नियंत ् रित करना नहीं. और यह वो अनुशासन है जो लगता है सुलझा हुआ इस ् तेमाल करने का इस मीडिया का. मीडिया, मीडिया का परिदृश ् य जो हम जानते थे, जो जाना पहचाना था, संकल ् पित तौर पे आसान था इस विचार से निपटना कि पेशेवार प ् रसारण संदेशों का गैर पेशेवार लोगों को हाथ से निकलता जा रहा है. एक दुनिया में जहां मीडिया वैश ् विक, सामजिक, सर ् वत ् र और सस ् ती है, एक दुनिया में जहां पहले के दर ् शक अब तेज़ी से पूरे प ् रतिभागी बन रहे हैं, उस दुनिया में, मीडिया कम से कम एक अकेले संदेश के बनाने के बारे मे है जो अकेले व ् यक ् तियों द ् वारा उपभोग किया जाए. ये ज ् यादा से ज ् यादा एक तरीका है आयोजन के लिए एक माहौल बनाने का और समूहों को सहायता देने के लिए. और जो विकल ् प हमारे सामने हैं, मेरा मतलब कोई भी जिसके पास कोई संदेश है जो वे सुनाना चाहते हैं दुनिया में कहीं भी, यह नहीं है कि क ् या यह मीडिया का परिवेश है जिस में हम काम करना चाहते हैं. यही मीडिया का परिवेश है जो हमारे पास है. सवाल जो हमारे सामने है वो ये है, "" हम इस मीडिया का सर ् वोत ् म इस ् तेमाल कैसे कर सकते हैं? य ् द ् यपि इसका मतलब हमें अपना पुराना तरीका बदलना हो. "" बहुत बहुत धन ् यवाद. तालियां) आपको शायद यह एहसास ना हो, लेकिन हमारे संपूर ् ण आकाशगंगा में जितने सितारे हैं उससे ज ् यादा आपके शरीर में जीवाणु हैं । हमारे भीतर मौजूद जीवाणुओं की यह अद ् भुत दुनिया हमारे स ् वास ् थ ् य का एक अभिन ् न अंग है, ओैर हमारी तकनीक इतनी तेजी ् से विकसित हो रही हॆै कि आज हम इन जीवाणुओं को उसी प ् रकार प ् रोग ् राम कर सकते हेैं जैसे की कम ् प ् यूटर को | मेैं जानता हूं कि यह किसी प ् रकार का खेल दिख रहा हेै, लेकिन असल में यह मेरे बनाए गए पहले जीवाणू-संबंधी प ् रोग ् राम का खाका हेै अौर जिस प ् रकार सॉफ ् टवेयर लिखते हेैं, उसी प ् रकार DNA को हम जीवाणू के अन ् दर विभिन ् न एल ् गोरिथ ् म एवं प ् रोग ् राम में छाप एवं लिख सकते हेैं यह प ् रोग ् राम लयपूर ् ण तरीके से फ ् लोरोसेंट प ् रोटीन पॆैदा करता हेै अौर एक छोटा अणु उत ् पन ् न करता हेै जो जीवाणू को संवाद करने एवं समक ् रमिक होने में मदद करता हेै, जेैसा आप इस चलचित ् र में देख रहे हेैं | यहाँ दिख रही जीवाणूओं की बढ ़ ती हुइ बस ् ती लगभग मनुष ् य के बाल की चौड ़ ाई जितनी हॆै | अब, जो आप नहीं देख सकते वह यह कि हमारा आनुवंशिक प ् रोग ् राम इन जीवाणूओं को छोटे-छोटे अणु पॆैदा करने का निर ् देष देता हॆै, अौर यह अणु हजारों अकेले जीवाणूओं के बीच से यात ् रा करते हुए उन ् हें चालू एवं बन ् द होने का संकेत देते हॆैं | अौर इस स ् तर पर जीवाणु भली भांती समक ् रमिक होते हॆैं, लेकिन चूंकि इन जीवाणूओं को समक ् रमिक रखने वाला यह अणु केवल सीमित रफ़ ् तार से यात ् रा कर सकता हॆै, परिणामस ् वरूप बड ़ ी बस ् तियों में एक दूसरे से दूर स ् थित जीवाणूओं के बीच यात ् रा-संबंधी लहरें उत ् पन ् न होती हॆैं, अौर आप इन लहरों को स ् क ् रीन पर दाहिनी ओर से बाईं तरफ़ जाते हुए देख सकते हॆैं | अब, हमारा आनुवंशिक प ् रोग ् राम 'कोरम सेनसिग' नामक एक प ् राकृतिक घटना पर आश ् रित हॆै, जिसमें महत ् वपूर ् ण घनत ् व पर पहुँच कर जीवाणू समायोजित एवं कभी-कभी विषमय व ् यवहार का प ् रदर ् षन करते हैं | इस चल-चित ् र में आप कोरम सेंसिग को होते हुए देख सकते हॆैं, जहाँ जीवाणुओं की बढ ़ ती हुई बस ् ती महत ् वपूर ् ण अथवा अधिक घनत ् व पर पहुँच कर चमकने लगती हॆै | जेैसे-जॆैसे कॉलोनी बाहर की तरफ बढती हॆै, हमारा आनुवंशिक प ् रोग ् राम इन फ ् लोरोसेंट प ् रोटीन की लयबद ् ध पैटर ् न का निर ् माण जारी रखता हॆै | इस विशेष फिल ् म और प ् रयोग को हम सुपरनोवा कहते हैं, क ् योंकि यह एक विस ् फोटित सितारे की तरह लगता है । अब, इन खूबसूरत पैटर ् न को प ् रोग ् राम करने के अलावा हम इन बैक ् टीरिया से और क ् या करवा सकते हॆैं? और मॆैने यह जानने का फैसला किया कि कैसे हम हमारे शरीर में कैंसर जॆैसे रोगों का पता लगाने और उनके इलाज के लिए बैक ् टीरिया को प ् रोग ् राम कर सकते हैं | बैक ् टीरिया के बारे में एक आश ् चर ् यजनक बात यह हॆै कि वे स ् वाभाविक रूप से ट ् यूमर के अंदर बढ ़ सकते हैं | ऐसा इसलिए क ् योकि आमतौर पर ट ् यूमर के अन ् दर प ् रतिरक ् षा प ् रणाली की पहुँच नहीं होती है, इसलिए बैक ् टीरिया बढ ़ ने और पनपने के लिए इन ट ् यूमर को खोज कर उनका सुरक ् षित स ् थान के रूप में उपयोग करते हॆैं हमने सुरक ् षित एवं स ् वास ् थ ् य के लिए लाभदायक प ् रोबायोटिक बैक ् टीरिया का उपयोग शुरू किया और पाया कि जब इन ् हें मौखिक रूप से चूहों को दिया गया तब यह प ् रोबायोटिक ् स चुनिंदा तौर पर जिगर ट ् यूमर के अंदर विकसित होने लगे । हमने महसूस किया कि प ् रोबायोटिक ् स की उपस ् थिति, फ़लस ् वरूप, ट ् यूमर की उपस ् थिति को उजागर करने का सबसे आसान तरीका है कि इन बैक ् टीरिया से एक संकेत का उत ् पादन करवाया जाए जो मूत ् र में पता लग जाए, और इसलिए हमने विशेष रूप से इन प ् रोबायोटिक ् स को प ् रोग ् राम किया जिससे वे एक अणु का निर ् माण करें जो आपके मूत ् र का रंग बदल कर कैंसर की उपस ् थिति का संकेत करे | हमने यह भी प ् रदर ् षित किया यह तकनीक संवेदनशील और विशेष रूप से लीवर कैंसर का पता लगा सकती हॆै, जिसका पता लगाना अन ् यथा चुनौतीपूर ् ण हॆै | चूँकि यह बैक ् टीरिया विशेषत: ट ् यूमर के प ् रति स ् थानीय होते हॆैं, हम उन ् हें न केवल कैंसर का पता लगाने बल ् कि उनसे ट ् यूमर वातावरण के भीतर से चिकित ् सीय अणुओं का उत ् पादन करवा के, जो मौजूदा ट ् यूमर को छोटा करते हेैं, उन ् हें कैंसर के इलाज के लिए भी प ् रोग ् राम करते हैं, और हम ऐसा कोरम सेंसिंग प ् रोग ् राम ् स का उपयोग कर के करते हॆैं, जॆैसा आपने पिछली फिल ् मों में देखा | कुल मिलाकर, कल ् पना कीजीए कि भविष ् य में एक प ् रोग ् राम ् ड प ् रोबायोटिक कैंसर या अन ् य बीमारियों का पता लगा कर उनका इलाज कर सकता है । बैक ् टीरिया एवं जीवन को प ् रोग ् राम करने की हमारी क ् षमता कैंसर अनुसंधान के क ् षेत ् र में नए क ् षितिज खोलती है, और इस दृष ् टि को साझा करने के लिए मैंने कलाकार विक मुनिझ के साथ काम किया ब ् रह ् मांड का प ् रतीक बनाने के लिए, जोकि पूरी तरह बैक ् टीरिया या कैंसर कोशिकाओं से बना हॆै । अंत में, मेरी आशा है कि इस सूक ् ष ् म ब ् रह ् मांड का सौंदर ् य और उद ् देश ् य कैंसर अनुसंधान के भविष ् य के लिए नए और रचनात ् मक तरीकों को प ् रेरित कर सके । धन ् यवाद | (वाहवाही) आप क ् या सोचते है, रहने के लिए दुनिया एक बेहतर होगी अगले सालया अगले दशक में? क ् या हम भूख को ख़त ् म कर सकते है, लेंगिक भेदभाव मिटा सकते है, जलवायु परिवर ् तन को रोक सकते है, आने वाले १५ सालों मे? दुनिया की सरकारों के अनुसार, हाँ हमकर सकते पिछले कुछ सालों में, विश ् व के नेतागण, चर ् चा कर रहे हैराष ् ट ् रसंघ, न ् यूयॉर ् क मे, और सहमत हुए है विश ् व के नए लक ् ष ् यों पर २०३० तक दुनिया में विकास के लिए और वे लक ् ष ् य है: ये लक ् ष ् य, बहुत लम ् बी चर ् चाओं की देन है वैश ् विक लक ् ष ् य वे है जो हम पाना चाहते है यह योजना है? पर क ् या हम वहाँ पहुँच सकते है? तो, बेहतरीन दुनिया का हमारा सपना पूरा होगा? में यहाँ हूँ क ् योंकि हम अंकों में खेलते है और जवाब है, आश ् चर ् यजनक रूप से, हाँ शायद, हम प ् सकते है परन ् तु, वैसे नहीं जैसे पहले से करते आये है अब यह विचार की दुनिया बेहतर जगह हो जावेगी थोड़ा, ख ् वाबी सो लगता है यदि हम समाचारों को देखे तो, और सही मायने मे इन बड़ी बड़ी घोषणाओं में उलझना बहुत आसान है लगता है राष ् ट ् रसंघ का यह विचार परन ् तु, एक पल के लिए आप इस पर विश ् वास करें क ् योंकि पहले २००१ में राष ् ट ् र संघ ने सहमति की थी शहस ् त ् राब ् दी लक ् ष ् यों पर और मुख ् य लक ् ष ् य था - २०१५ तक आधी करना संख ् या गरीबी में रह रहे लोगो की और इसके लिए संख ् या का आधार था १९९० का साल जब दुनिया की ३६% आबादी गरीबी में रहती थी, इस साल उस गरीबी के प ् रतिशत को १८ करना था क ् या हमने यह लक ् ष ् य प ् राप ् त कर लिया? नही, हम नहीं कर पाये हम इससे आगे निकल गए इस साल दुनिया में गरीबी का १२% रह गया पर अब तो यह भी पर ् याप ् त नहीं है, क ् योंकि दुनिया में अभीभी ढेरों समस ् याएँ है गलत ही है निराशावादी लोग, जो मानते है कि दुनिया बेहतर नही हो सकती, तो हमने यह सफलता कैसे प ् राप ् त की? इसमे बड़ा भाग, आर ् थिक वृद ् धि के कारण से है गरीबी में सबसे अधिक कमी थी चीन व भारत मे जहाँ आर ् थिक विकास तेजी से हुआ है, वही तरीका हम फिर से लगा सकते है क ् या आर ् थिक विकास इस प ् रश ् न का जवाब देने के लिये, एक आधार तय करना होगाकि दुनिया और यह भी तय करें की हमें कितना देय जाना है पर यह सब इतना आसान नहीं है, क ् योंकि वैश ् विक लक ् ष ् य केवल महत ् वाकांक ् षी ही नहीं, वरन बहुत जटिल भी है १७ से अधिक लक ् ष ् य व उसमे १६९ उद ् देश ् य सही मायने मे वे है कई सौ सूचक और तो और कुछ लक ् ष ् य बहुत स ् पष ् ट है... भूख का अंत तो कुछ धुंधले से है शांतिपूर ् ण व असहिष ् णु समाज को बढावादेना, तो आधार के रेखांकन में हमारी मदद के लिए मे "" सोशल प ् रोग ् रेस इंडेक ् स "" काममें लूँगा जिससे वैश ् विक लक ् ष ् यों को माप सकते है सबके योग को आधार मानकर, "" सोशल प ् रोग ् रेस इंडेक ् स "" तीन सवाल करता है समाज के विषय मे पहला, क ् या सबके पास है, आवश ् यक सुविधाएँ? जैसे भोजन, पानी, रहवास, सुरक ् षा है दूसरा, क ् या उनके पास बेहतर जीवनका आधार है? हम इस विषय पर बहुत विविधता पाते है वर ् तमान दुनिया मे, क ् योंकि आपने ध ् यान दिया होगा, इसमें कोई भी आर ् थिक सूचक नहीं है; जिन ् होंने इन अंकों को बताया और जाँचा, हाँ, यह एक बुरी खबर है तो क ् या निराशावादी सही है? सामाजिक प ् रगति सूचकके पास भी अच ् छी खबर है क ् योंकि इस सूचक में भी कुछ अच ् छी बात है यह है जीडीपी ओर सामाजिक प ् रगति का सम ् बंध हमारी अंतिम भविष ् यवाणी परन ् तु जैसा आपने देखा ही है, परन ् तु बहुत सी सामाजिक समस ् याएँ है चीन में आर ् थिक विकास का गुब ् बार छाया है पर ् यावरण व मानव अधिकार पर कुछ खास नहीं भारत के पास अंतरिक ् ष कार ् यक ् रम तो है, दूसरी तरफ ऐसे देश है जिनकी सामाजिक प ् रगति तेज है जीडीपी की अपेक ् षा कोस ् टारीका ने प ् राथमिकता दी है, फलतः वहाँ है तेज व बेहतर सामजिक प ् रगति, केवल सामान ् य जीडीपी होने के बावजूद भी और कोस ् टारीका अकेला ऐसा देश नही है पहला, हमारे पास इसके समाधान पहले से है बहुत सी ऐसी समस ् याएँ यदि हम खुशहाली को प ् राथमिकता दे, तो हम बहुत प ् रगति कर सकते है वह जीडीपी से नहीं आती, कुछ तय करना होगा कितना? इन लक ् ष ् यों तक पहुँचने के लिये? अच ् छा, कुछेक अंकों को देखते है आज दुनिया का सामाजिक प ् रगति अंक है ६१ और ७५ अंक की जिस जगह पर हम जाना चाहते है हम यदि केवल आर ् थिक वृद ् धि पर विश ् वास करें, हम ६२.४ तक पहुँच जायेंगे चलो मानले की कमजोर सामाजिक प ् रगति वाले देश अब हम और स ् पष ् ट व दावे से बात करें हम उन ् हें उसी वचनबद ् धता पर रखें जरूरत है वचनबद ् धता की, उन ् हें जवाबदेह बनाकर में अपनी बातको समाप ् त करता हूँ, आपको बताकर उसका एक रास ् ता है, लोगों का प ् रगति पत ् रक उनको जिम ् मेवार ठहराना इसमे अंक मिलते है वैश ् विक लक ् ष ् यों पर '६' से '१' की स ् केल पर जिसमे ६ का मतलब है निकृष ् टतम हमारी दुनिया का आज का अंक है "" ३ "" और वैश ् विक लक ् ष ् य है "" १ "" पाना इसलिए इस प ् रगति पत ् रकको हम हरसाल जांचेंगे, दुनियाभर के लिए और प ् रत ् येक देश के लिये तो, हम अपने नेताओं को जिम ् मेवार ठहरा सकें इस लक ् ष ् य और इस वचन को पूरा करने के लिये वैश ् विक लक ् ष ् य की प ् राप ् ति तभी होगी यदि नेता कार ् यों को अलग तरीके से करेंगें, उसके लिये, जरुरत है, की इसे हमे मांगे तो हम परम ् परागत तरीको को नकारें, आओ हम एक अलग राह या अलग तरीके की मांग करें आओं हम अपने पसंद की दुनिया चुने (तालियां) ब ् रूनो गिउस ् सानी: धन ् यवाद माइकल केवल एक सवाल: सहस ् त ् राब ् दी लक ् ष ् य १५ साल पहले नियत किये गए थे जो सभी देशों के लिए मान ् य थे यह बड़ते हुए देशों के लिए परिणामों सा होगया अब नए वैश ् विक लक ् ष ् य स ् पष ् टतः अब "" वैश ् विक लक ् ष ् य "" सार ् वभोमिक है वे सबसे अपने काम व प ् रगति बताने को कहें यह प ् रगति पत ् र मेरे क ् या काम आयेगा कार ् य के लिए दबाव पैदा करके? यह गरीब देश या गरीबी केबारे में ही नहीं है दुनिया के प ् रत ् येक देश के लिये तब हम देख सकेंगे, हम कैसा कम कर रहे है? ऐसा नही है की अमीर देशों को सीधे "" १ "" मिलेगा मेरे मत में, यही देता है "" केंद ् र बिंदु "" धन ् यवाद | (तालियां) बारह वर ् ष पूर ् व, मैं गलियों में अपना नाम लिखता था । यह बताने के लिए कि, मैं हूँ, मेरा अस ् तित ् व है । फिर मैं लोगों की तस ् वीर खींच कर उन ् हें गलियों में लगाने लगा । यह बताने के लिए कि, उनका भी अस ् तित ् व है । पेरिस के उपनगरों से ईजराएल तथा फिलिस ् तीन की दीवार तक किनीया की छतों से रिओ शहर की झुग ् गीयों तक कागज व गोंद — बस इतना ही सरल । पिछले वर ् ष मैंने एक प ् रश ् न पूछा था: क ् या कला विश ् व मे परिवर ् तन का साधन बन सकती है? मैं आपको बताता हूँ, विश ् व मे परिवर ् तन लाने के संदर ् भ में इस वर ् ष बहूत प ् रतिस ् पर ् धा है, क ् योंकि "" अरब स ् प ् रिंग "" अभी भी फैल रहा है, "" यूरोजोन "" का पतन हो चूका है... और क ् या? जगह घेराव आन ् दोलन को एक दिशा मिली है, और मुझे अभी भी अंग ् रेजी बोलनी पड ़ ती है । तो काफी कुछ बदल चुका है । तो गत वर ् ष जब मैंने अपनी TED ईच ् छा बताई थी, मैने कहा था कि, मैं अपनी अवधारणा को परिवर ् तित करूगां । अब आप तस ् वीरें खींचेगें । आप उन ् हें मुझ तक भेजेगें । मैं उनको छपवा कर आपको वापिस भेजूंगा । फिर आप स ् वयं उनको उचित स ् थान पर चिपकाऐंगें ताकि आप अपनी बात उचित तरीके से कह सकें । इसे मैं अन ् दर से बाहर उलटना (Inside Out) कहता हूँ । इस वर ् ष एक लाख पोस ् टर छापे गए । देखियें ये इस तरह के पोस ् टर हैं । हम लगातार हर दिन अधिकाधिक पोस ् टर भेज रहे हैं । यह इनका आकार है । केवल एक साधारण कागज और उस पर छपी कुछ स ् याही । यह हैती देश से है । गत वर ् ष जब मैंने अपनी यह ईच ् छा अभिव ् यक ् त की थी, बहूत से लोग खड़े हुए थे, हमारी सहायता के लिए । मैंने कहा, मदद उन ् हीं शर ् तो पर होगी जिन पर मैनें हमेशा काम किया है । कोई श ् रेय नहीं, कोई प ् रतीक चिह ् न नहीं, कोई प ् रायोजक नहीं, एक सप ् ताह बाद, मुठ ् ठी भर लोग हमारी मदद को तत ् पर थे तथा उन असमर ् थ लोगों को समर ् थ ् बनाने को जो विश ् व को परिवर ् तित करना चाहते हैं । आज उन ् ही लोगों के बारे में मैं आपको बताऊगाँ । मेरे पिछले भाषण के दो सप ् ताह बाद, टयूनिशिया में, कई सौ तस ् वीरें बनाई गई । और लोगों ने वहाँ के तानाशाह की तस ् वीरों पर अपनी तस ् वीरों चिपकाई । बूम! इसका परिणाम यह हुआ । Slim और उसके मित ् र पूरे देश में घूमे और हर स ् थान पर हजारों तस ् वीरों चिपकाई देश की विविधता दिखाने के लिए । उन ् होने मेरे प ् रकल ् प (प ् रोजैक ् ट) को अपना प ् रकल ् प बना लिया । वास ् तव में यह तस ् वीर एक थाने में लगी है । और जब आप जमीन पर देखें तो आपको उन लोगों के पहचान पत ् र दिखेगें जिन ् हें पुलिस ढूढँ रही है । रूस । चाड रूस में समलैंगिकता के डर के खिलाफ लड ़ ना चाहता था । वह अपने मित ् रों के साथ यूरोप में स ् थित रूसी दूतावासों के सामने तस ् वीरों के साथ खड ़ ा हुआ ये कहने के लिए कि, "" हमारे भी अधिकार हैं "" उन ् होंने Inside Out को अपने विरोध का मंच बनाया कराची, पाकिस ् तान । शारमीन वहाँ पर है । उसने वहाँ TEDx कार ् यक ् रम आयोजित किया और शहर के अनजाने चेहरों को शहर की दीवारों पर लगाया । मैं उनका धन ् यवाद करता हूँ । उत ् तरी डकोटा, Standing Rock Nation इस कछुओं के द ् वीप [नाम साफ नहीं], इस उत ् तरी डकोटा के एक कबीले के लोग दिखाना चाहते थे कि मूल अमेरीकी अभी भी वहँ रहते हैं । उनकी सातवीं पीढी ब भी अपने अधिकारों के लिए संघर ् षरत है । उसने अपने क ् षेत ् र में तस ् वीरें लगाई । और वो आज यहाँ उपस ् थित है । हर बार जब मुझे New York में एक दीवार मिलती है, मैं अपने इस प ् रोजैक ् ट को वहाँ तस ् वीरें लगा कर बढाता हूँ । Juarez: आपने इस सरहद का नाम सुना है — दुनिया की सबसे खतरनाक सरहदों में से है । मोनिका ने एक फोटोगराफरों के समूह के साथ हजारों तस ् वीरों से पूरी सीमा को भर दिया है । क ् या आप जानतें हैं कि यह करने में कितना प ् रयास लगता है? लोग, शक ् ति, गोंद बनाना, टीम इक ् कठा करना । यह बहुत रोमांचक था । उसी समय ईरान में Abololo — सही नाम नहीं है — ने एक औरत का चेहरा चिपकाया सरकार के प ् रति विरोध प ् रदर ् शित करने के लिए । मुझे ये सब करने के खतरों के बारे में बताने की आवश ् यकता नहीं है । बहुत सारे स ् कूलों के प ् रोजैक ् ट भी हैं । हमें २० प ् रतिशत पोस ् टर स ् कूलों से प ् राप ् त हुए हैं । शिक ् षा अनिवार ् य है । बच ् चे सिर ् फ तस ् वीरें लेतें हैं । शिक ् षक उन ् हें उन से लेकर स ् कूल में चिपकाते हैं । यहाँ उन ् हें अग ् निशमन करने वालों से भी मदद मिली । और अधिक स ् कूलों को भी इस तरह के प ् रोजैक ् ट करने चाहिए । निसंदेह, हम फिर से इजराइल तथा फिलिस ् तीन जाना चाहते थे । तो हम वहां एक ट ् रक में गए जिसमें तस ् वीरें छापी जा सकती थी । आप इस ट ् रक के पीछे जाएं, ये आपका फोटो खींचेगा, ३० सैकेंड बाद आप अपना फोटो लें, और आप तैयार हैं । हजारों लोग इनका प ् रयोग करते हैं और वे सभी दो-देशों के शांतिप ् रिय समाधान पर हस ् ताक ् षर करते हैं और गलियों में विलीन हो जाते हैं । यह एक पदयात ् रा है, 450,000 पदयात ् री — सितमंबर की शुरूआत । सभी के हाथ में उनकी एक तस ् वीर है जो उनका निवेदन है । दूसरी ओर, लोग गलियों व इमारतों को तस ् वीरों से ढक रहे हैं । यह हर जगह है । क ् रपया मुझे ये न कहिए की आप वहाँ शांति समझौते के लिए तत ् पर नहीं हैं । गत वर ् ष में इस तरह के प ् रोजैक ् टो ने हजारों कार ् य किए हैं, लाखों लोगों ने इसमें हिस ् सा लिया है, और करोड ़ ों ने इसे देखा है । यह दुनिया का सबसे बड ़ ा कला का प ् रोजैक ् ट है जिसमें सभी शामिल हो सकतें हैं । तो प ् रश ् न पर वापिस आते हैं, क ् या कला विश ् व में परिवर ् तन का मार ् ग बन सकती है? शायद एक वर ् ष में नहीं । यह शुरूआत है । परन ् तु शायद हमें प ् रश ् न को बदलना चाहिए । क ् या कला लोगों के जीवन में परिवर ् तन का मार ् ग बन सकती है? और इस वर ् ष जो भी मैंने देखा है, उत ् तर है, हाँ यह सिर ् फ शुरूआत है । आओ विश ् व को अन ् दर से बाहर उलटा करें । धन ् यवाद । तालियाँ. ठीक है. ♫ सेंट ् रल पार ् क में टहलते हुए ♫ ♫ हर कोई आज बाहर है ♫ ♫ दैसिएस और दोग ् वूड ् स खिले हैं ♫ ♫ ओह, क ् या शानदार दिन है ♫ ♫ पिकनिक और फ ् रिस ् बीस और रोलर स ् कतेर ् स हैं ♫ ♫ दोस ् तों और प ् रेमियों और अकेले धूप सेंकने के लिए ♫ ♫ हर कोई जनवरी मैं मगन मैनहट ् टन में बाहर है ♫ (हँसी) (तालियाँ) ♫ मैं बर ् फीली चाय लायी हूँ ♫ ♫ क ् या आप खटमल स ् प ् रे लाये? ♫ ♫ मक ् खियां आपके सिर के नाप की हैं ♫ ♫ ताड ़ के पेड ़ के पास हैं ♫ ♫ क ् या आप 'मगरमच ् छ देखा है ♫ ♫ खुश और पेट उसका भरा है ♫ ♫ हर कोई जनवरी मैं मगन मैनहट ् टन में बाहर है ♫ (सीटी) सब लोग! (सीटी) (हंसी) ♫ मेरे उपदेशक ने कहा ♫ ♫ तुम चिंता क ् यों करती हो ♫ ♫ वैज ् ञानिकों को सब गलत पता है ♫ ♫ और, किसे परवाह है, जो यहाँ सर ् दिया हैं ♫ ♫ और मैंने पहना छोटा टॉप है ♫ ♫ और मैंने पहना छोटा टॉप है ♫ ♫ हर कोई जनवरी मैं मगन मैनहट ् टन में बाहर है ♫ (तालियां) क ् रिस एंडरसन: जिल सोबुले! मैं वाशिंगटन, डी.सी. मे रहता हूँ, मगर में भारत के उड ़ ीसा राज ् य के सिंधकेला नाम के गाँव में पला बढ ़ ा. मेरे पिता एक सरकारी कर ् मचारी थे. मेरी माँ पढ ़ लिख नहीं सकती, मगर वो मुझसे हमेशा कहती थी कि, "" एक राजा अपने राज ् य में ही पूजा जाता है | एक कवि की इज ् ज ़ त हर जगह होती है. "" तो मैं बड ़ ा होकर एक कवि बनना चाहता था. मगर मैं लगभग कभी भी कॉलेज नहीं गया जबतक एक मौसी ने मुझे आर ् थिक तौर पर मदद करने की पेशकश नहीं की. मैं संबलपुर पढने चला गया, उस क ् षेत ् र का सबसे बड ़ ा शहर, जहा, कॉलेज में, मैंने टीवी (दूरदर ् शन) पहली बार देखा. मेरा सपना था मैं यूनाइटेड स ् टेट ् स जाऊ उच ् च शिक ् षा प ् राप ् त करने के लिए. जब वह अवसर आया, तब मैं २ महासागरों को पार कर, उधार लिए पैसों से एक यात ् रा की टिकेट और केवल २०डॉलर का नोट जेब में था. यू.एस. मे, मै अनुसंधान केंद ् र में कार ् य करता था, और खाली समय में, अर ् थशास ् त ् र के लेक ् चर लेता था. और जो भी कुछ मैं कमाता था, मै अपने खर ् चे उठता था और फिर मै उन पैसों को घर अपने भाई और पिता के पास भेज देता था. मेरी कहानी कोई अनोखी नहीं है. लाखों लोग हर साल प ् रवासी होते हैं. परिवार की मदद से, वो महासागरो को पार, रेगिस ् तान, नदी, पहाड ़ सब को पार करते हैं. वे अपनी ज ़ िन ् दगी जोखिम में डाल ख ् वाब को वास ् तविकता में बदलते है और वो ख ् वाब बड ़ ा ही सीधा सा है, एक नौकरी होना, जिससे घर वापस कुछ पैसे भेज सके और परिवार की मदद कर सके, जिन ् होंने उनकी पहले मदद की थी. दुनिया में २३.२ करोड ़ ऐसे लोग है जो अंतररास ् ट ् रीय प ् रवास करते हैं, ये वो लोग है जो उस देश में रहते है जहाँ उनका जन ् म नहीं हुआ. अगर एक ऐसा देश बनाया जाए जिसमे सिर ् फ इसी तरह के लोग हो, तो वहा की जन संख ् या इतनी ज ् यादा होगी जो ब ् राज ़ ील जैसे देश को पीछे छोड ़ दे. अर ् थशास ् त ् र के हिसाब से ये फ ् रांस को भी पीछे छोड ़ देगा. करीब १८ करोड ़ लोग, गरीब देशो से हैं, जो उनके घरो में पैसे लगातार भेजते रहते है. यह पैसे रेमित ् तान ् सस (प ् रेषण) कहलाते है. तथ ् य जो आपको आश ् चर ् य में डाल सकते है: ४१३ बिलियन (अरब) डॉलर रेमित ् तान ् सस थे पिछले साल के प ् रवासियों द ् वारा विकासशील देशो में भेजा जाने वाला पैसा विकासशील देशो के प ् रवासियों द ् वारा, विकासशील देशो में भेजा जाने वाला ४१३ बिलियन (अरब) डॉलर. यह एक उल ् लेखनीय संख ् या है क ् यूंकि यह ३ गुना है कुल विकास सहयता पैसों का. और फिर भी, आप और मै, मेरे सहयोगी वाशिंगटन से, हम अन ् तहीन चर ् चा और वार ् ता करते है विकास सहायक की, जबकि हम रेमित ् तान ् सस को अनदेखा कर देते है. सत ् य है कि, लोग २०० डॉलर हर माह तक भेजते हैं औसतन किंतु, हर माह लगातार, लाखो लोगो द ् वारा, यह पैसा विदेशी मुद ् रा के चलन में जुड़ जाता हैं तो पिछले साल भारत को $७२ अरब मिले, उसके आय.टि. निर ् यात से ज ् यादा. सुएझ कनाल के उत ् पन ् न से । ताजिकीस ् तान मे, भेजी गाई राशी जी.ड़ि.पी के ४२ प ् रतिशत है । और गरीब, छोटे, नाजूक स ् तिथीवाले, टकराव करनेवाले देशो मे, भेजा गया उत ् त ् पन ् न जीवन रेखा है । जैसे कि सोमालिया या हैती । अचंभित करने वाला नही कि इतनी बडी नगद का अर ् थव ् यवस ् था और गरीब लोगो पर बडा असर होता होगा । भेजी गइ नगद, निजी निवेश जैसी, वह वापस नहीं जाती जब देश के मुसीबत के इशारे हो | असल में यह बिमा की तरह काम करती है | जब घरवाले मुसीबत में होते है, कठिनाई से जूझते है, भेजी जानेवाली नगद बढती है, यह बिमा की तरह काम करती है | विस ् थापित और पैसे भेजते है | विकाश के लिए मदद राशि की तरह, उसे शासकीय संस ् था के माध ् यम से, सरकार के माध ् यम से नहीं जाना होता, भेजे जानी वाली नगद सीधा गरीबो तक, और घरवालो तक पहुँचती हैं, और बहुत बार व ् यावसायिक सलाह के साथ | तो नेपाल में, गरीबो का हिस ् सा १९५५ में ४२ प ् रतिशत था, गरीबों का हिस ् सा पूरी आबादी में | २००५ से, दस साल बाद, सरकारी और पैसो की समस ् या के समय गरीब लोगो का हिस ् सा ३१ प ् रतिशत तक गिरा | दारिद ् र ् य में यह गिरावट, बहुत हद तक, लगभग उसमे से आधा, भारत से भेजी गई नगदी से था एक और गरीब देश | साल ् वाडोर में, शाला छोड़ने वालो की बच ् चो की संख ् या उन परिवारों में कम हैं जहाँ भेजी गई नगद प ् राप ् त होती हैं | मेक ् सिको और श ् री लंका में, नवजात शिशु के वजन उन परिवारों में ज ् यादा हैं जहाँ भेजी जाने वाली नगद आती हैं | भेजी जाने वाली नगद ध ् यान से लपेटे डॉलर ् स है | विस ् थापित घर पे पैसे खाना, जरुरी चीजे खरीदना, घर बनाना, शिक ् षा निधी, बड़ो का स ् वास ् थ ् य, व ् यवसाय निवेश दोस ् त और कुटुंब के लिए | विस ् थापित लोग और पैसे भेजते है | अगर कोई शादी या ऑपरेशन होता है | और विस ् थापित लोग पैसे बहुत बार भेजते है, अप ् रत ् याशित मृत ् यु जिसमें वो नहीं जा सकते | यह सभी अच ् छे के लिए ही जाता है, भेजे जाने वाले नगदी पे कुछ प ् रतिबन ् ध है ४०० अब ् ज डॉलर ् स भेजे जानी वाली नगद | उसमे से सबसे बड़ी पैसे भेजने के लिए लगने वाली बड़ी कीमत | पैसे भेजने वाली कंपनिया शुल ् क गरीबो के हिसाब से रखते है | वे कहेंगे, "" ५०० डॉलर ् स तक भेजने के लिए ३० डॉलर ् स शुल ् क है | अगर आप गरीब है और आप को सिर ् फ २०० डॉलर ् स भेजने है आप को $३० शुल ् क भरना ही पड़ेगा | दुनिया का भेजे जाने का शुल ् क औसत आठ प ् रतिशत है | इसका मतलब आप १०० डॉलर ् स भेजते हो, आप के कुटुंब तक सिर ् फ ९२ डॉलर ् स पहुचेंगे | अफ ् रीका में पैसे भेजने का शुल ् क और ज ् यादा है | १२ प ् रतिशत | अफ ् रीका के अंदर पैसे भेजने के लिए उससे भी ज ् यादा पैसे लगते है, २० प ् रतिशत से ज ् यादा | उदाहरनार ् थ, बेनिन से नाइज़रिया पैसे भेजने के लिए | और फिर वेनेज़ुएला जहाँ पे विनिमय नियंत ् रण की वजह से, आप १०० डॉलर ् स भेजते हो और आप भाग ् यशाली है और आप के कुटुंब को १० डॉलर ् स भी मिलते है तो | सच है, वेनेज़ुएला को कोई भी सरकारी व ् यवस ् था से पैसे नहीं भेजता | सभी सूटकेस में से ही जाता है | जहाँ भी शुल ् क ज ् यादा है, पैसा निचे से जाता है | और इससे भी खराब, बहुत से विकाशशील देशो में दुसे देशो में पैसे भेजने पे पाबंदी है | बहुत से धनवान देशो में भी कुछ ही देशो को पैसे भेजने की अनुमति है | तो वहा पैसे भेजने के लिए कोई पर ् याय, सस ् ता पर ् याय, नहीं है? है | केनिया में एम ् - पेसा लोगो को पैसे भेजने का तरीका है और मिलने का शुल ् क सिर ् फ ६० सेंट (पैसे) प ् रति लेन-देन | अमरिकी फेड ने मेक ् सिको के साथ मेक ् सिको में पैसे भेजने के व ् यवसाय के लिए ६७ सेंट प ् रति लेन-देन शुल ् क लगाया है | और फिर भी, यह जल ् द, सस ् ते, अच ् छे तरीके अंतरराष ् ट ् रीय लागू नहीं कर सकते क ् यूंकि काले धन को वैध बनाने के भय से, थोडा डाटा होते हुए भी किसी भी संबंध को समर ् थन देने के लिए, कोई भी काला धन वैध करने का माध ् यम और छोटी भेजी जाने वाली नगद के बीच. बहुत से बड़े बैंक आज कल सावधानता से बैंक व ् यावसायिक खाता संभालते है, मुख ् यतर जो सोमालिया से है | सोमालिया, एक देश जहा सालाना प ् रति व ् यक ् ति आय २५० डॉलर ् स है | प ् रतिमाह सोमालिया जाने वाली नगदी उससे ज ् यादा बड़ी है | भेजे जाने वाली नगद सोमालिया की जीवनावश ् यक है और यह एक उदाहरण है दाया हाथ बहुत मदद कर रहा है और बाया हाथ जीवनावश ् यक चीज को मार दे रहा है उनके अर ् थव ् यवस ् था के नियमों के माध ् यम से | उसके बाद गाँव के मेरे जैसे गरीब लोगो की स ् थिति. गाव में, सिर ् फ डाक सेवा से पैसे पहुचाने का मार ् ग है | दुनिया के बहुत से सरकार ने उनके डाक सुविधा को पैसे भेजने वाले कंपनियों के साथ साझेदारी की है | तो अगर मुझे मेरे पिताजी को गाव में पैसे भेजने है, मुझे पैसे भेजने वाली कंपनी से ही पैसे भेजने पड़ेंगे | कीमत अधिक भी क ् यों न हो | मै कोई और सस ् ता तरीका नहीं ले सकता | यह बदलना चाहिए | तो हमने अंतरराष ् ट ् रिय संगठनों और सामजिक व ् यवसायिको के साथ पैसे भेजने का सस ् ते उपाय ढूंढे? पहला, १००० डॉलर ् स से भी कम भेजे जाने वाले कीमत के उपर नियम न लगाए | सरकार को वह पता चलना चाहिए कि छोटी नगदी कला धन नहीं होता | दूसरा, सरकार ने पैसे भेजने वाली कंपनिया और डाक की साझेदारी बंद करनी चाहिए | उस के लिए डाक और कोई भी राज ् य की बैंकिंग सुविधा जिसका सबसे बड़ा संघ है जो गरीबो की सेवा करती है | असल में, उन ् होंने प ् रतियोगिता लानी चाहिए, साझेदारी चालु करने की, उससे मूल ् य कम कर सकते है, जैसे कि हमने किया उन ् होंने किया, दूरसंचार इंडस ् ट ् री में | आपने देखा होगा कि वहां क ् या हुआ है | तिसरा, बड़े मनुष ् य के हित और बिना लाभ के लिए काम करने वाले संस ् थाए पैसे भेजे जाने वाला तरीका विना मूल ् य की तौर पर चालु करना चाहिए | उन ् होंने विना मूल ् य पैसे भेजने के लिए मंच बनाना चाहिए जिससे वो कम से कम मूल ् य में पैसा भेज सके दुनिया के सभी मिश ् रित नियमों को सामने रख कर | समुदाय के विकास का विचार करके भेजे जाने वाले पैसे पर लगने वाला मूल ् य को अभी के आठ प ् रतिशत से एक तक कम करने का लक ् ष ् य रखना चाहिए | अगर हमने मूल ् य एक प ् रतिशत तक कम किया, तो हम हर साल ३० अरब डॉलर ् स बचा सकते है | ३० अरब डॉलर ् स, तो अफ ् रीका के वार ् षिक द ् विपक ् षीय मदद बजट से ज ् यादा है | यह लगभग समान या थोडा अमरीका के कुल मदद बजट से ज ् यादा है जो कि दुनिया के सबसे ज ् यादा दानी है | असल में, बचत ३० अब ् ज डॉलर ् स से ज ् यादा हो सकती है क ् यूंकि पैसे भेजनेवाले चैनल भी मदद के लिए, व ् यापार या निवेश के लिए उपयोग कर सकते है | और पैसे भेजने घर तक पहुचने के लिए एक बड़ी बाधा यह है कि बड़ी और अत ् यधिक और चुनने का अवैध मूल ् य, मूल ् य जो विस ् थापित भरते है, विस ् थापित कामगार उनके नौकरी देनेवालो को पैसे देते है | मैं कुछ साल पहले दुबई में था | मैं कामगारों के कैंप में गया था | वह समय रात के ८ बजे थे अँधेरा, गर ् मी, उमस | कामगार काम पे कठिन दिन के बाद वापिस आ रहे थे, और मेरा बांग ् लादेशी कंस ् ट ् रक ् शन कामगार के साथ संवाद हुआ | वो निश ् चिंत था कि वो पैसे घर भेज रहा था, वो कुछ महीनो से पैसे भेज रहा था | और बहुत सा पैसा भरती एजेंट या कामगार एजेंट को जाता जिसने उसको जॉब दिया था | और मेरे मन में यह चित ् र देख सकता हूँ पत ् नी भेजे जाने वाले पैसे का इन ् तेजार कर रही है | पैसे आते है | वो पैसे लेती है और नियुक ् ती एजेंट के हाथ में देती है | और बच ् चे देख रहे है | यह रुकना चाहिए | यह सिर ् फ बांग ् लादेश के कंस ् ट ् रक ् शन कामगार के लिए नहीं यह सभी लाखो कामगारों के लिए है | जिनको यह बाधा होती है | बंगलादेशी कंस ् ट ् रक ् शन कामगार औसत ४००० डॉलर ् स नियुक ् ती एजेंट को फी देता है जिस जॉब से उसको सिर ् फ २००० डॉलर ् स सालाना मिलते है | इसका मतलब दो या तीन साल के लिए वो पैसे भेजता है नियुक ् ती फी भरने के लिए | कुटुंब को इसमें कुछ देखने को भी नहीं मिलता यह सिर ् फ दुबई के बारे में नहीं दुनिया के सब बड़े शहरो के पीछे की बात है | यह सिर ् फ बांग ् लादेशी कंस ् ट ् रक ् शन कामगारों की नहीं, बल की दुनिया के सभी कामगारों की स ् थिति है | सिर ् फ आदमी नहीं | अधिकतम महिलाए इस रिक ् रूटमेंट में वेदनीय है | एक सबसे अच ् छी और नई भेजे जाने वाले पैसे की घटना हो रही है कि, कैसे नए इनोवेशन से जुटाया जाए लेन देन का प ् रचार | विस ् थापित घर पैसे भेजते है वे जहाँ रहते है वहां भी वे ज ् यादा पैसे बचाते है | सालाना, प ् रस ् थापित लोगो की बचाई हुई नगद ५०० अरब डॉलर ् स है | सबसे ज ् यादा नगदी बैंक डिपॉजिट ् स में है जो कि आपको शून ् य प ् रतिशत ब ् याज देते है | अगर कोई देश देता है और तीन या चार प ् रतिशत व ् याज देता है और वे कहते है कि, पैसे पाठशाला बनाने, रस ् ते, हवाई अड ् डे, रेलवे सुविधाए बनाने के लिए उस पैसो का उपयोग करेंगे मुल देश के, बहुत से विस ् थापित रूचि रखते होंगे कि उनके पैसो से अलग करते होंगे क ् यूंकि यह सिर ् फ पैसे मिलाने के लिए नहीं कि जो उनको पैसे बचाने का मौका उनके देश के उन ् नति में सलग ् न होने को देती है | पैसे भेजने वाले चैनल का इस ् तेमाल यह सबंध बेचने के लिए कर सकते है कारण जब वो आते है हर महिना नगदी भेजते है, तभी आप उनको वह बेचते है | आप यही कर सकते है लेनदेन जुटाने का प ् रचार कर सकते है | मुझे भारत के बुलेट ट ् रेन में निवेश करना अच ् छा लगेगा और मुझे मेरे गाँव में मलेरिया के खिलाफ योगदान देना अच ् छा लगेगा | भेजे जाने वाली नगदी एक अच ् छा तरीका है जिससे सबसे ज ् यादा जरुरत मंद को उससे सहायता मिले | भेजे जाने वाली नगद लोगो को ताकतवर बनाती है | हम सबने मिलके भेजी जाने वाली नगद और रिक ् रूटमेंट सस ् ता और सुरक ् षित बनाना चाहिए | और यह सब कर सकते है | मेरे बारे में देखा जाए, मै दो दशक से भारत से दूर हूँ | मेरी पत ् नी वेनुज़ुएला से है | मेरे बच ् चे अमरीकी है | बहुत ् तर मुझे वैश ् विक नागरिक जैसे महसूस होता है | और फिर भी, मैं बहुत याद करता हूँ अपने मातृभूमि को | मैं एक ही समय भारत और अमेरिका में रहना चाहता हूँ | मेरे माँ बाप अब नहीं है | मेरे भाई और बहने आगे जा चुके है | मुझे घर पैसे भेजने के लिए कोई शीघ ् र जरूरत नहीं है | और फिर भी, समय से समय, मैं दोस ् तों को, परिवारों को, गाव वालो को, पैसे भेजता हूँ, वहाँ होने के लिए, जुड़े रहने के लिए | यह मेरी पहचान का हिस ् सा है | और अभी भी मैं कवि बनने के लिए कोशिश कर रहा हूँ और कष ् ट उठाने वाले विस ् थापित उनको दरिद ् र ् यता के चक ् र के संघर ् ष से मुक ् त करने के लिए | धन ् यवाद | (तालियाँ) भावनाएँ हैं, अतः हमें तुरंत रेगिस ् तान की ओर नहीं बढ़ना चाहिए । इसलिए, पहले, एक छोटा सी घरेलू घोषणा: कृपया आपके दिमाग में इंस ् टॉल सही अंग ् रेजी जाँचने वाले प ् रोग ् राम ् स बंद कर दें । (तालियाँ) तो, गोल ् डन डेज़र ् ट, भारतीय रेगिस ् तान में आपका स ् वागत है । जहाँ देश में सबसे कम बारिश होती है, न ् यूनतम वर ् षा । यदि आप इंच से भलीभाँति परिचित हैं, नौ इंच, सेण ् टीमीटर, 16 इंच । जलस ् तर 300 फ़ीट, 100 मीटर नीचे है । और अधिकांश भागों में यह खारा है, पीने योग ् य नहीं है । तो आप हैण ् ड पम ् प नहीं लगा सकते या कुएँ नहीं खोद सकते, अधिकांश गाँवों में बिजली भी नहीं है । लेकिन मान लें कि आप हरित तकनीक का उपयोग करते हैं, सौर पम ् प — वे इस क ् षेत ् र में उपयोगी नहीं हैं । तो, गोल ् डन डेज़र ् ट में आपका स ् वागत है । इस भूभाग में बादल कभी कभी ही आते हैं । लेकिन यहाँ बोली जाने वाली भाषा में बादलों के 40 अलग-अलग नाम हैं । वर ् षा संरक ् षण की यहाँ कई तकनीकें हैं । यह नया काम है, एक नया कार ् यक ् रम है । लेकिन डेज़र ् ट सोसायटी के लिए यह कोई कार ् यक ् रम नहीं; उनकी ज़िन ् दगी है । और वे बहुत तरीकों से बारिश जमा करते हैं । तो, यह है वो पहला उपकरण जिसका वे उपयोग करते हैं वर ् षा संरक ् षण में । इन ् हें कुण ् ड कहा जाता है; कुछ जगह इन ् हें टांका भी कहते हैं । और आप देख सकते हैं इन ् हें एक बनावटी जलग ् रह जैसा बनाया गया है । रेगिस ् तान है, रेत का टीला, एक छोटा मैदान । और यह खड़ा हुआ बड़ा प ् लेटफ़ॉर ् म । आप देख सकते हैं छोटे छेद पानी इस जलग ् रह में गिरता है, और वहाँ एक ढ़लान है । कई बार हमारे इंजीनियर और वास ् तुकार स ् नानघर में ढ़लान पर ध ् यान नहीं देते लेकिन यहाँ वे अच ् छी तरह से देंगे । और पानी जहाँ जाना चाहिए वहीं जाता है । और यह 40 फ़ीट गहरा है । अच ् छे से वाटरप ् रूफ़िंग की गई है, हमारे शहर के ठेकेदारों से बढ़िया, क ् योंकि पानी की कोई बूँद भी इसमें बर ् बाद नहीं जानी चाहिए । ये एक मौसम में 100 हज़ार लीटर पानी इकट ् ठा कर लेते हैं । और शुद ् ध पीने का पानी । उसके नीचे बहुत खारा पानी है । लेकिन अब साल भर के लिए आपके पास यह है । ये हैं दो घर । एक शब ् द है जिसे हम अधिकतर काम में लेते हैं कानूनन । क ् योंकि हमें लिखी हुई चीज़ों की आदत है । लेकिन यह है जो कानून में लिखित नहीं है । और लोग अपने घर बनाते हैं, और पानी के टैंक । इस स ् टेज की तरह वे अपने प ् लेटफ़ॉर ् म खड़े करते हैं । वास ् तव में वे 15 फ़ीट नीचे जाते हैं, और छत से पानी इकट ् ठा करते हैं, एक छोटा पाइप है, और अपने आँगन से । अच ् छे मानसून में यह 25 हज़ार के लगभग संरक ् षण भी कर सकता है । एक और बड़ा, यह निस ् संदेह एक पूर ् णतया रेगिस ् तानी इलाके से बाहर है । यह जयपुर के पास है । इसे कहते हैं जयगढ़ किला । और यह एक मौसम में 60 लाख गैलन बारिश का पानी इकट ् ठा कर सकता है । यह 400 साल पुराना है । अर ् थात, 400 सालों से यह हर मौसम में लगभग साठ लाख गैलन पानी आपको दे रहा है । आप इस पानी की कीमत का अंदाज़ा लगा सकते हैं । यह 15 किलोमीटर लंबी नाल से पानी लाता है । देखिये एक आधुनिक सड़क, मुश ् किल से 50 साल पुरानी । कभी-कभी टूट जाती है । लेकिन ये 400 साल पुरानी नाल, जिसमें पानी बहता है, कई पीढ़ियों से बरकरार है । हाँ यदि आप अन ् दर जाना चाहते हैं, तो दोनों दरवाज़े बंद हैं । लेकिन TED वालों के लिए ये खोले जा सकते हैं । (हँसी) हम उनसे निवेदन कर सकते हैं । यहाँ एक आदमी आ रहा है पानी के दो कनस ् तरों के साथ । और पानी का स ् तर — ये खाली कनस ् तर नहीं हैं — जल स ् तर यहाँ तक है । इससे कई नगरपालिकाओं को जलन हो सकती है, पानी के रंग, स ् वाद, शुद ् धता से । और ये उस तरह का है जिसे वे ज़ीरो बी पानी कहते हैं, क ् योंकि यह बादलों से आता है, शुद ् ध आसव पानी । हम एक छोटे से कमर ् शियल ब ् रेक के लिए रुकेंगे, और फिर पारंपरिक प ् रणालियों पर वापस आएँगे । सरकार ने सोचा कि यह बहुत पिछड़ा इलाका है और हमें चाहिए कि एक मल ् टी-मिलियन डॉलर का प ् रोजेक ् ट लाएँ हिमालय से पानी लाने के लिए । यही कारण है कि मैंने कहा यह एक कमर ् शियल ब ् रेक है । (हँसी) लेकिन हम वापस आ गए हैं, दोबारा, पारंपरिक मुद ् दे के साथ । तो, 300, 400 किलोमीटर दूर से पानी, जल ् द ही ऐसा होता है । बहुत से भाग में, पानी के पौधे इस तरह से इन बड़े नाल को ढ़क लेते हैं । हाँ कुछ इलाके हैं जहाँ पानी पहुँच रहा है, मैं नहीं कह रहा कि यह बिल ् कुल नहीं पहुँच रहा । लेकिन सबसे बाद का छोर, जैसलमेर इलाका, आप बीकानेर में इस तरह की चीज़ें देखेंगे: जहाँ पानी के पौधे नहीं उग सके इन नालों में रेत बह रही है । इसका बोनस ये है कि आपको इसके आसपास वन ् यजीव मिल सकते हैं । (हँसी) फ़ुल-पेज विज ् ञापन थे, कुछ 30 साल, 25 साल पहले जब यह नाल आई । जिनमें कहा गया था कि अपनी पारंपरिक प ् रणालियों को हटा दो, ये नए सीमेण ् ट टैंक आपको पाइप का पानी प ् रदान करेंगे । यह एक सपना है । और यह एक सपना ही हो गया । क ् योंकि पानी इन इलाकों तक नहीं पहुँच सकता था । और लोगों ने अपने ही ढ़ाँचे को पुनः बनाना शुरु किया । ये सब पारंपरिक पानी के ढाँचे हैं, जिन ् हें एक छोटे से समय में हम नहीं समझ सकेंगे । लेकिन आप देख सकते हैं कि इन पर कोई औरत नहीं खड़ी है । (हँसी) और यहाँ काम कर रही है । (तालियाँ) जैसलमेर । रेगिस ् तान का दिल । यह शहर 800 साल पहले बनाया गया था । उस समय जब शायद ही मुम ् बई या दिल ् ली, या चेन ् नई या बैंगलोर थे । तो, सिल ् क रूट के लिए यह टर ् मिनल पॉइंट था । अच ् छे से जुड़ा हुआ, 800 साल पहले, यूरोप से । हम में से कोई भी यूरोप नहीं जा सकता था, लेकिन जैसलमेर इससे अच ् छे से जुड़ा था । और यह है 16 सेण ् टीमीटर वाला क ् षेत ् र । बहुत ही कम वर ् षा, पर इन क ् षेत ् रों में ज़िंदगी काफ़ी रंगो भरी है । इस स ् लाइड में आपको पानी नहीं मिलेगा । लेकिन वह अदृश ् य है । यहाँ से कोई नदी या नाला कहीं बह रहा है । या, यदि आप रंग भरना चाहें, तो आप सारा नीला भर सकते हैं क ् योंकि इस तस ् वीर में दिख रही सभी छतें बारिश की बूँदें इकट ् ठी करती हैं और कमरों में जमा करती हैं । लेकिन इस प ् रणाली के अलावा, उन ् होंने इस कस ् बे में 52 सुन ् दर पानी के होद बनाए । और जिन ् हें हम प ् राइवेट पब ् लिक पार ् टनरशिप कहते हैं आप इसमें एस ् टेट भी जोड़ सकते हैं । तो, एस ् टेट, पब ् लिक और प ् राइवेट एण ् टरप ् राइज़ इस सुन ् दर पानी की होद को बनाने में एक साथ काम करते हैं । और यह सभी मौसमों के लिए एक प ् रकार की पानी की होद है । आप इसकी प ् रशंसा करेंगे । साल भर इस सुंदरता को निहार सकते हैं । भले ही पानी का स ् तर ऊपर या नीचे हो, सुंदरता बनी रहती है । एक और पानी की होद, निश ् चित ही सूखती है, गर ् मी के दौरान, लेकिन आप देख सकते हैं कि पारंपरिक समाज किस प ् रकार दिल से इंजीनियरिंग में सुंदरता मिलाता है । ये प ् रतिमाएँ, शानदार प ् रतिमाएँ, आपको पानी के स ् तर की जानकारी देती हैं । जब बारिश होती है तो पानी इस टैंक में भरना शुरू हो जाता है, और इन सुन ् दर प ् रतिमाओं को डुबा लेता है जिसे आज हम अंग ् रेजी में "" मास कम ् यूनिकेशन "" कहते हैं । यह मास कम ् यूनिकेशन के लिए था । कस ् बे का हर आदमी जान लेगा कि हाथी डूब चुका है, मतलब अब सात महीने, नौ महीने या 12 महीने तक इसमें पानी रहेगा । और फिर वे आएँगे और कुण ् ड की पूजा करेंगे, सम ् मान देंगे, धन ् यवाद देंगे । एक और छोटी पानी की होद, जिसे जसेरी कहते हैं । इसका अंग ् रेजी में अनुवाद करना मुश ् किल है, विशेषकर मेरी अंग ् रेजी में तो । लेकिन सबसे निकट होगा "" ग ् लोरी "", एक प ् रतिष ् ठा । रेगिस ् तान में इस छोटी पानी की होद की प ् रतिष ् ठा है कि ये कभी नहीं सूखती । सूखे की गंभीर परिस ् थितियों में भी किसी ने नहीं देखा कि ये पानी की होद सूख गई हों । और संभवतः वे भविष ् य भी जानते थे । यह लगभग 150 साल पहले बनाई गई थी । लेकिन संभवतः वे जानते थे कि छ नवंबर 2009 को एक TED ग ् रीन व ब ् लू सेशन होगा, इसलिए उन ् होंने इसे ऐसा रंग दिया है । (हँसी) (तालियाँ) सूखी होद । बच ् चे इस पर खड़े हैं इस यंत ् र का वर ् णन करना बहुत मुश ् किल है । इसे कुँई कहते हैं । जैसे धरातल का पानी और नींव का पानी होता है । लेकिन यह नींव का पानी नहीं है । नींव का पानी आप कुएँ से प ् राप ् त कर सकते हैं । लेकिन यह कोई सामान ् य कुआँ नहीं है । यह वो नमी सोखता है जो मिट ् टी में होती है । और उन ् होंने इस पानी को तीसरे रूप में बदला है जिसे रेजानी कहते हैं । और इसके नीचे जिप ् सम की पट ् टी चलती है । यह धरती माँ द ् वारा जमा किया गया था, कुछ 30 लाख साल पहले । और जहाँ यह जिप ् सम की पट ् टी है वे इस पानी को जमा कर सकते हैं । यह वही सूखी पानी की होद है, इस समय, आपको कोई रानी नहीं दिखेगी; वे सब विलीन हो चुकी हैं । लेकिन जब पानी नीचे चला जाता है तो वे उन प ् रतिमाओं से पानी ले पाते हैं, साल भर । इस साल केवल छ सेण ् टीमीटर वर ् षा ही हुई । छ सेण ् टीमीटर वर ् षा, लेकिन वे आपको टेलीफ़ोन कर सकते हैं कि यदि आपको अपने शहर में पानी की समस ् या है, दिल ् ली, मुम ् बई, बैंग ् लोर, मैसूर, कृपया हमारे छ सेण ् टीमीटर वाले क ् षेत ् र में आएँ, हम आपको पानी दे सकते हैं । (हँसी) वे इसे कैसे बनाए रखते हैं? तीन बातें हैं: विचार की योजना बनाना, वास ् तविक चीजें बनाना, और उन ् हें बनाए रखना । यह एक संरचना है बनाए रखने के लिए, सदियों के लिए, पीढ़ियों द ् वारा, बिना किसी विभाग के, बिना किसी कोष के, तो रहस ् य है "" श ् रद ् धा "", आदर । आपकी अपनी चीज़, निजी सम ् पत ् ति नहीं, मेरी सम ् पत ् ति, हर बार । तो, यह पत ् थर स ् तंभ आपको बता देंगे कि आप एक पानी की होद वाले क ् षेत ् र में आ गए हैं । थूके नहीं, कुछ गलत न करें, ताकि यह साफ़ पानी भरा जा सके । एक और स ् तंभ, पत ् थर स ् तंभ आपकी दायीं ओर । यदि आप ये पांच छ सीढियाँ चढ़ते हैं तो आपको कुछ बढ़िया दिखाई देगा । यह ग ् यारहवीं सदी में बनाया गया था । और आपको थोड़ा नीचे जाना होगा । यूँ कहें कि यह तस ् वीर हज़ार शब ् द कहती है, तो हम एक हज़ार शब ् द अभी कह सकते हैं, और एक हज़ार शब ् द । यदि पानी का स ् तर नीचे जाता है, आपको और सीढियाँ मिल जाती हैं । यदि यह ऊपर आता है, तो कुछ डूब जाती हैं । तो, साल भर यह सुन ् दर संरचना आपको खुशी देती है । तीन तरफ़ ऐसी ही सीढियाँ, चौथी तरफ़ एक चार मंजिला इमारत जहाँ आप कभी भी ऐसी TED सभाएँ लगा सकते हैं । (तालियाँ) माफ़ कीजियेगा, ये संरचनाएँ किसने निर ् मित कीं? वे आपके सामने हैं । हमारे बेहतरीन सिविल इंजीनियर, बेहतरीन योजना बनाने वाले, बेहतरीन वास ् तुकार । हम कह सकते हैं कि इन ् हीं के कारण, उनके पूर ् वजों के कारण, भारत ने पहला इंजीनियरिंग कॉलेज खोला 1847 में । उस समय कोई इंग ् लिश मीडियम स ् कूल नहीं थे, बल ् कि हिंदी स ् कूल भी नहीं, कोई स ् कूल नहीं । लेकिन इन लोगों ने ईस ् ट इंडिया कम ् पनी को विवश किया, जो यहाँ व ् यापार करने आए थे, एक गंदा व ् यापार... (हँसी) इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने नहीं, लेकिन इनकी वजह से, पहला इंजीनियरिंग कॉलेज बनाया गया एक छोटे गाँव में शहर में नहीं । आखिरी बिंदु, हम सब जानते हैं कि हमारे प ् राथमिक स ् कूलों में ऊँट रेगिस ् तान का जहाज होता है । तो, आप अपनी जीप से ढ़ूँढ़ सकते हैं, ऊँट और ऊँटगाड़ी । यह टायर हवाई जहाज का है । तो आप देखें डेज़र ् ट सोसायटी की सुंदरता जो वर ् षा का पानी जमा कर सकती है, और ऐसा कुछ बना सकती है एक जेट प ् लेन के टायर से, ऊँटगाड़ी के उपयोग हेतु । आखिरी तस ् वीर, यह एक टेटू है, 2000 साल पुराना टेटू । इसका उपयोग शरीर पर किया जाता था । एक समय टेटू कुछ ब ् लैक लिस ् ट हो गया था कुछ बुरी चीज़, लेकिन अब वापस आ गया । (हँसी) (तालियाँ) आप इस टेटू को कॉपी कर सकते हैं । मेरे पास इसके कुछ पोस ् टर हैं । (हँसी) जीवन के केन ् द ् र में पानी है । ये सुन ् दर लहरें हैं । ये सुन ् दर सीढ़ियाँ हैं जिसे हमने अभी एक स ् लाइड में देखा था । ये पेड़ हैं । और ये फूल हैं जो हमारे जीवन में खुशबू फैलाते हैं । तो, यह रेगिस ् तान का संदेश है । आपका बहुत बहुत धन ् यवाद । (तालियाँ) क ् रिस एण ् डरसन: सबसे पहले तो मैं दुआ करता हूँ कि मैं भी आप जितना अच ् छा बोल सकूँ, सच में, किसी भी भाषा में । (तालियाँ) ये शिल ् पकारी और संरचनाएँ बहुत प ् रेरणा देने वाली हैं । क ् या आपको लगता है कि इनका उपयोग और कहीं किया जा सकता है, ताकि इससे दुनिया कुछ सीख पाए? या यह इस जगह के लिए ही सही है? अनुपम मिश ् रा: नहीं, मूल उद ् देश ् य है कि अपने इलाके में गिरने वाले पानी को काम में लेना । इसलिए, कुण ् ड, खुली होद सब जगह हैं, श ् रीलंका से कश ् मीर तक, अन ् य जगहों पर भी । और ये टाँके, जो पानी जमा करते हैं, दो तरह के हैं । एक पुनः बनाते हैं और एक हैं जो जमा करते हैं । तो, यह उस भू-भाग पर निर ् भर करता हैं । लेकिन कुँई, जो जिप ् सम बेल ् ट को काम में लेती है, के लिए आपको कैलेण ् डर में पीछे जाना होगा, तीस लाख साल पहले । यदि वहाँ ऐसा हुआ तो उसे अब भी किया जा सकता है । वरना, नहीं हो सकता । (हँसी) (तालियाँ) CA: आपका बहुत बहुत धन ् यवाद । (तालियाँ) बहुत से लोगो का मानना है कि गाड़ी चलाना सिर ् फ उनका काम है जो देख सकते हैं | एक नेत ् रहीन व ् यक ् ति का सुरक ् षित और स ् वतंत ् र रूप से कार चलाना अब तक एक असंभव काम सोचा जाता था | नमस ् कार, मेरा नाम डेनिस होंग है, और हम नेत ् रहीन व ् यक ् तियों के लिए स ् वाधीनता और आज़ादी ला रहे है दृष ् टीविहीन व ् यक ् तियों के लिए वाहन बना कर | इससे पहले कि नेत ् रहीन व ् यक ् ति की इस कार के बारे में बताऊ, मुझे संक ् षिप ् त में एक और परियोजना के बारे में बताने दे, जिस पर मैंने काम किया है इसका नाम डारपा अर ् बन चैलेन ् ज (DARPA Urban Challenge) है | यह एक रोबोटिक कार बनाने के बारे में है जो स ् वचालित थी | स ् टार ् ट कीजिये और कुछ करने की जरुरत नहीं, और यह अपने गंतव ् य तक खुद ही पहुँच सकती है | 2007 में हमारे दल ने पाँच लाख डालर जीते थे इस प ् रतियोगता में तृतीय (3rd) आ कर | उस समय, नेशनल फेडरेसन ऑफ ़ दी ब ् लाइंड (National Federation of the Blind (NFB)) ने शोध समिति को चुनौती दी एक ऐसी कार बनाने के लिए जिसे नेत ् रहीन व ् यक ् ति सुरक ् षित और स ् वतंत ् र रूप से चला सके | हमने इस बारे में प ् रयास करने का फैसला लिया, क ् युकि हमने सोचा कि ये कितना कठिन हो सकता है | हमारे पास एक स ् वचालित वाहन पहले से है | हमे बस एक नेत ् रहीन को चलाने देना है और काम होगया, है ना? (हंसी) हम इससे ज ् यादा गलत नहीं हो सकते थे | NFB को ऐसा वाहन नहीं चाहिए था जो नेत ् रहीन को इधर उधर ले जा सके, बल ् कि एक ऐसा वाहन जिसे नेत ् रहीन व ् यक ् ति स ् वयं निर ् णय ले कर चला सके | तो हमे सब कुछ कबाड ़ में फेकना पड ़ ा और नए सिरे से शुरुवात करनी पड़ी | इस नई योजना को परिक ् षण करने के लिए हमने एक छोटा dune buggy वाहन का प ् रतिरूप बनाया ऐसे वाहन की संभावना परखने के लिए | 2009 के ग ् रीष ् म ऋतू में हमने सारे देश से बहुत से नेत ् रहीन युवको को बुलाया और उन ् हें प ् रतिरूप वाहन को चलाने का मौका दिया | यह एक सचमुच निराला अनुभव था | लेकिन ऐसी कारो के साथ समस ् या यह थी कि ये सिर ् फ नियंत ् रित परिवेश में चलाने के लिए बनाई गयी थी, सपाट और सीमित गाड़ी रखने के जगह पर जहा रास ् ते भी लाल खंबो से निश ् चित किये गए थे | इस सफलता के साथ, हमने अगला बड ़ ा कदम लेने का निर ् णय लिया, ऐसी सचमुच की कार का निर ् माण करना जो असली रास ् तो पर चलायी जा सके | तो ये कैसे काम करती है? यह एक काफी जटिल प ् रणाली है, लेकिन मैं इसे सरलता से समझाने का प ् रयास करता हूँ इसके 3 चरण है ये है अनुभूति, संगणना दृश ् य के अलावा दुसरे संकेत देना सीधी सी बात है चालक देख नहीं सकता तो इस प ् रणाली को परिवेश को देखना होगा और सूचनाओ को चालक के लिए इकठ ् ठा करना होगा | यह करने के लिए हम एक मापक यंत ् र का उपयोग करते है | यह त ् वरण एवं कोणीय त ् वरण को मापता है एक इन ् सान के कान, अंदुरनी कान की तरह हम यह सुचना GPS यंत ् र के साथ मिलाते है कार की स ् थिति का अंदाज़ा लगाने के लिए | रास ् ते का पता लगाने के लिए हम दो कैमेरो का भी उपयोग करते है | और हम 3 लेजर दूरीमापक का भी उपयोग करते है | लेजर परिवेश में उपस ् थित अवरोधों को खोजता है जैसे आगे या पीछे से आरही कार और कोई भी अवरोध जो रास ् ते पर चल रहा हो, वाहन के आसपास कोई और भी अवरोध | ये सारी सूचनाये एक कंप ् यूटर (computer) को भेजी जाती है यह कंप ् यूटर दो काम करता है पहला सबसे पहले सूचनाओ के अनुसार परिवेश को समझना जैसे रास ् ते की जानकारी या कोई अवरोध और ये सुचना चालक तक पहुँचाना | यह प ् रणाली इतनी बुद ् धिमान है कि कार चलाने का सबसे सुरक ् षित तरीका पता लगा सकती है | इस तरह हम निर ् देश भी दे सकते है कि वाहन के नियंत ् रकों को कैसे चलाये | लेकिन समस ् या यह है कि - हम यह सुचना और निर ् देश कैसे भेजे ऐसे व ् यक ् ति को जो देख नहीं सकता वो भी जल ् द और सही सही, जिससे वो कार चला सके तो इसके लिए हमने दृश ् य के अलावा दुसरे संकेत भेजने वाले अलग अलग तकनीक बनायीं | त ् रि आयामी ध ् वनि निकालने वाले यंत ् र से लेकर कंपन करने वाला अंगरखा, क ् लिक व ् हील (click wheel) ध ् वनि निर ् देश देने के लिए, पैरो के लिए पट ् टी यहाँ तक कि ऐसे जूते जो पैरो पर दबाव डाले | लेकिन आज इनमे से 3 तकनिकीयो के बारे में बात करेंगे | पहली तकनीक का नाम ड ् राइव ग ् रिप (DriveGrip) है | यह दस ् तानो का एक जोड़ा है, जिसमे उंगलियों के पास कंपन करने वाला हिस ् सा है, जिससे आप गाड़ी के मुड ़ ाव, दिशा और तीर ् वता के बारे में निर ् देश भेज सकते है | दुसरे का नाम स ् पीड स ् ट ् रिप (SpeedStrip) है | यह एक कुर ् सी है, असल में कहे तो एक मसाज करने वाली कुर ् सी है | जिसे हमने उधेड़ दिया और विभिन ् न आकृतियों के कंपन करने वाले हिस ् से लगाये है | हम उन ् हें सक ् रिय करते है गति की सुचना देने के लिए और ब ् रेक एवं एक ् सेलटर के लिए निर ् देश देने के लिए भी | यहाँ आप देख सकते है कंप ् यूटर किस तरह परिवेश को समझता है क ् युकि आप कंपन नहीं देख सकते, हमने चालक के ऊपर लाल LED लगायी है, जिससे वो देख सके की क ् या हो रहा है | यह इक ् ठटा की गयी सुचना है, यह सुचना कंप ् यूटर के द ् वारा दुसरे यंत ् रो को भेजी जाती है | ये यंत ् र ड ् राइव ग ् रिप (DriveGrip) और स ् पीड स ् ट ् रिप (SpeedStrip) बहुत कारगर है | लेकिन समस ् या है कि यह निर ् देशों का संकेत देने वाले यंत ् र है | तो यह असली आज़ादी नहीं है, है ना? कंप ् यूटर आपको बताता है कि कैसे चलाना है, दाए मुड ़ ना है, बाये मुड ़ ना है, गति बढानी है या रोकना है | हम इसे छद ् म चालक की समस ् या कहते है | इसलिए हम निर ् देशों का संकेत देने वाले यंत ् र का उपयोग छोड़ रहे है, और अपना ध ् यान केन ् द ् रित कर रहे है सुचना देने वाले यंत ् र पर, एक ऐसे बिना दृश ् य के सुचना देने वाले अच ् छे यंत ् र का नाम एयर पिक ् स (AirPix) है | इसे नेत ् रहीन के लिए दृश ् य दिखाने वाला पर ् दा समझिये | यह एक छोटी पट ् टी है, जिसमे बहुत सारे छेद है, इन छेदों से हवा बाहर निकलती है, इस तरह यह एक छवि बना सकता है | अगर आप नेत ् रहीन है, तो भी इस पर अपना हाथ रख कर, आप रास ् ता और रास ् ते के अवरोध देख सकते है | आप बाहर निकलने वाली हवा की आवृति और इसका तापमान भी बदल सकते है | असल में यह एक बहु आयामी संकेतक है | आप यहाँ वाहन में लगे बाये और दये कैमरे को देख सकते है और ये भी देख सकते है कि कैसे कंप ् यूटर सूचनाओ को समझ कर AirPix को भेजता है | इसके लिए, हम आपको Simulator दिखा रहे है, एक नेत ् रहीन AirPix का उपयोग करके गाड़ी चला रहा है | यह Simulator नेत ् रहीन चालको के प ् रशिक ् षण के लिए भी बहुत उपयोगी है और विभिन ् न प ् रकार के बिना दृश ् य वाले संकेतक के शीघ ् र परिक ् षण के लिए भी बहुत उपयोगी है | तो यह इस तरह काम करता है | सिर ् फ एक महीने पहले 29 जनवरी को, हमने इस वाहन को पहली बार लोगो के सामने प ् रस ् तुत किया विश ् व प ् रसिद ् ध डेटोना इंटरनेशनल स ् पीडवे (Daytona International Speedway) में रोलेक ् स 24 रेसिंग (Rolex 24 racing) प ् रतियोगिता के दौरान | वहाँ कुछ अप ् रत ् याशित भी हुआ | चलिए देखते है | (संगीत) (वीडिओ) उदघोषक: आज एक एतिहासिक दिन है [अस ् पस ् ट] साथियों, वो मुख ् य मंच के तरफ आरहे है | (उत ् साहवर ् धन) (होर ् न की आवाज ़) वहाँ मुख ् य मंच है | और वो [अस ् पस ् ट] उनके सामने चाल रही वैन का पीछा कर रहे है | यह उनका पहला अवरोध है | देखते है, क ् या मार ् क (Mark) इससे बच पाएंगे | उन ् होंने कर दिया, दाए तरफ से टाल दिया | तीसरा अवरोध पर कर लिया | चौथा अवरोध पार कर लिया | वो दो अवरोधों के बीच से आसानी से निकल रहे है | वो वैन के पास आ रहे है उससे आगे निकलने के लिए | चतुराई और साहस के जोशीले प ् रदर ् शन से यह सब हो सकता है | वो इस दौड ़ के अंतिम पड़ाव के तरफ आ रहे है, वो वंहा रखे पीपों के बीच से निकल कर आ रहे है | (होर ् न की आवाज ़) (अभिवादन) डेनिस होंग: मैं आपके लिए बहुत खुश हु मार ् क मुझे होटल तक वापस ले जाने वाले है | मार ् क रिकोबोनो: हाँ (अभिवादन) डेनिस होंग: जब से हमने यह परियोजना शुरू की है, हमे दुनिया के हर कोने से बहुत सारे फोन, चिठ ् ठिया और इ-मेल मिल रहे है | कृतज ् ञता प ् रगट करने के लिए, लेकिन कभी कभी कुछ हास ् यास ् पद ख ़ त भी आते है जैसे "" अब मुझे समझ में आया रास ् ते पर जो ATM है उसमे ब ् रेल लिपि क ् यों है "" (हंसी) लेकिन कभी कभी (हंसी) लेकिन कभी कभी मुझे — मैं उन ् हें घृणा वाले मेल नहीं कहूँगा — यह बड ़ ी चिंता वाले ख ़ त होते है: डॉ होन ् ग क ् या आप पागल होगये है, नेत ् रहीन व ् यक ् तियों को रास ् ते पर जाने दे रहे है? शायद आपका दिमाग ख ़ राब हो गया है "" लेकिन यह वाहन केवल एक प ् रतिरूप है, और असली रास ् तो पर नहीं चलेंगे जबतक इन ् हें सुरक ् षित, आज के वाहनों से ज ् यादा सुरक ् षित साबित नहीं कर देते | और मुझे पूरा विश ् वास है कि यह संभव है | लेकिन फ ़ िर भी क ् या समाज, ऐसे उग ् र सुधारवादी विचारो को स ् वीकार करेगा? हम बीमा संबंधी विषयों को कैसे संभालेंगे? हम ड ् राईवर लाइसेंस (driver 's license) कैसे जारी करेंगे? तकनिकी चुनौतियों के अलावा भी ऐसी बहुत सारी बाधाये है जिनके बारे हमे सोचना है इससे पहले कि यह परियोजना सफल हो | हमारा मुख ् य उद ् देश ् य नेत ् रहीन व ् यक ् ति के लिए कार बनाना था | लेकिन इससे कही ज ् यादा महत ् वपूर ् ण है नयी तकनीक की अन ् य अत ् यधिक उपयोगिता जो इस परियोजना से मिल सकती है | उपयोग में लाये गए सेंसर (Sensor) अँधेरे, कोहरे और बारिश में भी देख सकते है | इन नए तरीके के संकेतको के साथ, हम इस तकनीक का उपयोग कर सकते है और सामान ् य व ् यक ् तियों के लिए ज ् यादा सुरक ् षित कार बना सकते हैं | और नेत ् रहीनो के लिए, रोजमर ् रा के घरेलु उपकरण शैक ् षणिक या दफ ् तर में उपयोग के लिए | ज ़ रा सोचिये, किसी कक ् षा में शिक ् षक ब ् लेक बोर ् ड में कुछ लिखते है और नेत ् रहीन छात ् र वो देख सकता है एवं पढ़ सकता है ऐसे बिना दृश ् य वाले संकेतको का उपयोग करके | यह अमूल ् य है | तो आज जो चीज ़ े मैंने आपको दिखाई वो मात ् र एक शुरुवात है आप सभी का बहुत धन ् यवाद ् | (अभिवादन) तो कुछ दो साल पहले मैंने एक प ् रोग ् राम शुरू किया जिसके तहत यह कोशिश की कि रॉकस ् टार तकनीकी और कलात ् मक लोग एक साल की छुट ् टी लेकर एक ऐसे वातावरण में काम करे जिसमे सब कुछ उन ् हें नापसंद है; हम उन ् हें सरकारी काम करवाते हैं | इस कार ् यक ् रम का नाम है अमरीकी संहिता, यूँ समझिये जैसे कंप ् यूटर की दुनिया में ही रहनेवाले विचित ् र विशेषज ् ञ को शान ् ति सेना में भेज दिया जाए | प ् रत ् येक वर ् ष हम कुछ व ् यक ् तियों को चुनते है और शहरों के प ् रशासन में उन ् हें काम कराते हैं | तीसरी दुनिया में भेजने के बजाय, हम उन ् हें शहर के मुख ् य स ् थल के बीहड़ में भेजते हैं | और वहां वे सरकारी कर ् मचारियों के साथ काम करते है और उत ् कृष ् ट अप ् प ् स या अनुप ् रयोग बनाते हैं | पर असल में वे ये दिखा रहे हैं कि आज के तकनिकी से क ् या कुछ संभव हो सकता है | तो मिलिए एल से. एल बोस ् टन शहर में आग बुझाने का एक उपकरण है | यहाँ वो ऐसा लगता है जैसे कि वो एक साथी ढूँढ रहा है, परन ् तु वह तो बस यह चाहता है कि कोई उस पर पड़ी बर ् फ की परतों को खोद दे, क ् योंकि वह जानता है की जब वह चार फुट बर ् फ में ढका होता है तब उसकी आग बुझाने की क ् षमता पर बुरा असर होता है | अब वह मदद ढूँढने कैसे आएगा वो भी इतने अनोखे तरीके से? पिछले साल अमरीकी संकेतिकरण कार ् यक ् रम के तहत बोस ् टन में हमारे सदस ् यों की एक टीम थी | वे वहां फरवरी के महीने में थे और पिछली फरवरी वहां बहुत बर ् फ़बारी हुई | और उन ् होनें यह देखा कि शहर में कोई भी आग के ह ् य ् द ् रन ् ट ् स (जो एक आग बुझाने का उपकरण होता है) पर से बर ् फ हटाता ही नहीं था | पर एक महाशय थे, जिनका नाम एरिक माइकल -ओबेर था, उनने कुछ और ही देखा, कि फूटपाथ कि बर ् फ शहर के लोग खोदकर इन ् ही आग बुझाने के उपकरणों के सामने डाल रहे हैं | तो उन ् होंने वोही किया जो एक कंप ् यूटर सॉफ ् टवेर बनाने वाला करता, उन ् होंने एक सॉफ ् टवेर या एप ् प लिखा | और ये बड ़ ा प ् यारा सा एप ् प है जहाँ आप उस आग बुझाने के उपकरण को गोद ले सकते हैं | तो आप बर ् फ़बारी के बाद बर ् फ खोदने कि ज़िम ् मेदारी लेते है | अगर आप ऐसा करते है तो आप उस आग के उपकरण का नामकरण कर सकते हैं, और पहले वाले का नाम उन ् होंने एल रखा | और अगर आपने नहीं किया तो कोई उसे आपसे चुरा भी सकता है | इसमें प ् यारी सी खेल गतिकी है | यह एक साधारण, मामूली सा अनुप ् रयोग है | यह शायद उन २१ अप ् प ् स में से सबसे छोटा है जो लोगों ने पिछले साल बनाये थे | लेकिन वो कुछ ऐसा कर रहा है जो सरकारी तंत ् र कहीं भी नहीं कर पाता यह अति तेज ़ रफ़ ् तार से, संक ् रामक रूप से फैल रहा है | होनुलुलू शहर के आई टी विभाग में एक व ् यक ् ति हैं जिन ् होनें इस एप ् प को देखा और उन ् हें लगा कि वो उसका इस ् तेमाल बर ् फ हटाने की बजाय नागरिकों को सुनामी भोंपू / साइरेन अपनाने के लिए कर सकते है | सुनामी भोंपू का ठीक से चलते रहना अति महत ् वपूर ् ण है, किन ् तु लोग उनकी बैट ् री चुरा लेते है | तो उन ् होंने नागरिकों को उसकी देखरेख पर लगाया | और फिर सीऐटल शहर ने इसका इस ् तेमाल करने का निर ् णय लिया ताकि नागरिक तूफानी पानी के निकासी के लिए बनी नालियों को साफ़ कर सकें | और शिकागो ने अभी पहल की जिसमे लोगों को आमंत ् रण दिया, कि वह अपने नाम बर ् फ़बारी में, सार ् वजानिक फुटपाथ में जमी बर ् फ को हटाने के लिए दे | तो हम जानते है ९ शहरों को जो इसे इस ् तेमाल करेंगे | और इसका प ् रसार बहुत आसानी से, बिलकुल प ् राकृतिक और व ् यवस ् थित तरीके से हुआ है | यदि आप सरकारी तंत ् र के बारे में जानते हैं, तो पता होगा कि ज़ ् यादातर ऐसा नहीं होता है | सॉफ ् टवेर बनाने में कई वर ् ष लग जाते हैं | पिछले वर ् ष बोस ् टन में एक कार ् यक ् रम में कार ् यरत एक दल में तीन लोगों ने ढाई महीने लगाये | एक तरीका सुझाया जिससे माता पिता चुन सके कि उनके बच ् चों के लिए कौन सा सार ् वजानिक स ् कूल अच ् छा है | बाद में हमें पता चला कि अगर रोज़मर ् रा कि रफ़ ् तार से यह होता, तो कम से कम दो साल लगते और लगभग बीस लाख डॉलर खर ् च होते | और ये तो कुछ भी नहीं | कैलिफोर ् निया के न ् यायलय में एक योजना इस समय चल रही है जिसका करदाताओं पर आर ् थिक बोझ दो अरब डॉलर है, और वो कामयाब भी नहीं है | और इस तरह कि योजनाएं सरकार के हर स ् तर पर हैं | तो अगर किसी सरकारी संस ् था के लिए एक सॉफ ् टवेर जो दो दिन में लिखा जा सकता है और संक ् रामक रूप से तेज़ी से, किसी एक तीर कि तरह है फैलता है | यह सुझाव देता है कि सरकार बेहतर ढंग से काम कर सकती हैं- निजी कंपनी कि तरह नहीं, यह बहुतों की सोच है | और ना ही किसी तकनीकी कंपनी की तरह, पर बहुत कुछ स ् वयं इन ् टरनेट जैसा | और इसका मतलब अनुमति से मुक ् त, स ् वतंत ् र, खुला, विवृत, उत ् पन ् न करनेवाला | और ये बहुत महत ् वपूर ् ण है | पर इस एप ् प का अहम पहलु यह है कि ये दर ् शाता है कि किस प ् रकार एक नयी पीढ़ी सरकार के कार ् यक ् षमता कि समस ् या का हल निकाल रही है- एक अनम ् य परम ् परागत ढर ् रे पर स ् थिर संस ् था में सुधार आये इस दृष ् टि से नहीं, बल ् कि एकजुट हो कर अपनी सामूहिक कार ् यवाही समझते हुए एक समस ् या का हल खोजने में | और ये अति उत ् तम समाचार है, क ् योंकि यह दिखाई दिया कि हम एकजुट हो बहुत अच ् छा काम कर सकते हैं डिजिटल प ् रौद ् योगिकी द ् वारा | अब, बहुत सारे लोगों का एक समुदाय है जो हमारे लिए ऐसे उपकरण बना रहे है जिनके द ् वारा हम और सक ् षमता से काम कर सके | और ये सिर ् फ अमरीकी संकेतन कि योजना कि बात नहीं, देश में अनेक लोग नागरिकता के लिए उपयोगी ऐप ् प ् स प ् रतिदिन अपने अपने समुदायों में बना रहे हैं | उन ् होंने सरकार से उम ् मीद तोड़ नहीं ली वह सरकार से बहुत परेशान और निराश हैं, पर वो शिकायत नहीं कर रहे है, उसको सक ् षम बनाने का प ् रयास कर रहे है | और ये लोग जानते हैं वो जो हम भूल गए के उन समस ् त भावनाओं के नीचे जैसे राजनीती, डी एम ् वी के बहार कतार और वो सब बातें जो हमें क ् रोधित करती हैं उनके मूल में सरकार ही तो है, टिम ओ रैली के शब ् दों में, 'क ् या हम एक साथ वो कर सकते हैं जो हम अकेले नहीं कर सकते' | अब बहुत लोग ऐसे है जिन ् होनें सरकार को त ् याग दिया, वे सरकार से पूर ् णतया निराश है | और अगर आप उनमे से हैं, तो मैं आप से दोबारा इस मुद ् दे पर गौर करने को कहूँगी, क ् योंकि स ् थिति बदल रही हैं | राजनीती नहीं बदल रही; सरकार बदल रही हैं | और क ् योंकि सरकार कि शक ् ति का स ् रोत अंततः जनता यानि हम हैं — याद कीजिये — हम जनता है? — हमारी सोच इसके बारे में क ् या है हमारी सोच का असर पड़ेगा कि बदलाव कैसे आता है | जब मैंने यह प ् रोग ् राम शुरू किया तो मुझे सरकार के बारे में ज ् यादा पता नहीं था | और बहुत लोगों कि तरह, मैं भी सरकार का मूल कार ् य, वोट देकर, चुनाव करवाकर, लोगों को राज नैतिक पद पर बिठाने का समझती थी. परन ् तु दो वर ् ष के पश ् चात ्, मैं इस नतीजे पर पहुंची हूँ कि सरकार, खासकर स ् थानीय प ् रशासन, ओप ् पोस ् सुम के बारे में है | यह कॉल सेंटर सेवाओं और सुचना की लाइन है | आमतौर पे आपको यही मिलेगी अगर आप अपने शहर में ३११ मिलायेंगे | अगर आपको कभी मौका मिले अपने शहर के कॉल सेंटर काम करने का, जैसे इस योजना के तहत स ् कोट सिल ् वेरमन ने किया — असल में वे सब करते हैं — आप पाएंगे के लोग सरकार को फ ़ ोन करते हैं बड ़ े ही विस ् तृत मुद ् दों पर | यहाँ तक कि अगर आपके घर ओप ् पोसुम फँस गया हो तो भी | तो स ् कॉट को ये कॉल आती है | सरकारी ज ् ञान की कोशिका में वो टाइप करता है — ओप ् पोसुम | उसमे से कुछ नहीं मेल खाता | तो वो पशु नियंत ् रण से शुरू करता है | अंत में वो कहता है, 'देखो क ् या तुम अपने घर के सब खिड ़ की दरवाज़े खोल कर बहुत जोर से संगीत बजा सकते हो फिर देखो की क ् या वह पशु चला जाता है? तो ये तरकीब काम कर गयी .वाह स ् कोट! पर ओप ् पोसुमों की कहानी यहाँ ख ़ तम नहीं हुई | बोस ् टन में एक भी कॉल सेंटर नहीं है | बोस ् टन में एक एप ् प है जो वेब और मोबाइल फ ़ ोन के लिए अनुप ् रयोग है इसका नाम है सिटिज ़ न कोन ् नेक ् ट | यह एप ् प हमने नहीं लिखा | यह काम है बहुत तीव ् रबुद ् धि वालों का जो न ् यू अर ् बन मेकानिक के बोस ् टन स ् थित ऑफिस के लोग हैं | तो एक दिन — ये यथार ् थ घटना है — ये खबर आई: "मेरे कूड ़ ेदान में ओप ् पोसुम है .कहना मुश ् किल है कि वह जिंदा है या मुर ् दा" अब मैं इसे कैसे हट ् वाऊँ? अब सिटिज ़ न ् स कोन ् नेक ् ट अर ् थात नागरिकसम ् बद ् धता में कुछ अलग होता है | तो स ् कोट एक ही आदमी से एक समय में बात करता था | परन ् तु सिटिज ़ न कोन ् नेक ् ट सार ् वजानिक है — सब सुन सकते हैं सब देख सकते हैं | और इस मसले में एक पड़ोसी ने इसको देखा. अगली खबर मिली कि 'मैं उस स ् थान पर गया, घर के पिछवाड ़ े पर कूड ़ ादान मिला. ओप ् पोस ् सुम? जांच की | जिंदा है? हाँ | कूड ़ ेदान को एक ओर से उलट दिया | फिर पैदल चलता हुआ घर गया | प ् यारे ओप ् पोस ् सुम शुभ रात ् री "" | सदन में हंसी की ध ् वनि कितना आसन है | यह तो कमाल है | यह डिजिटल और भौतिक तत ् वों का मेल है | और यह शक ् तिशाली सामूहिक सक ् रियण में सरकार के प ् रवेश का एक उत ् तम उदहारण है | | यही नहीं यह इस बात का भी उदहारण है की सरकार एक मंच की भांति है | यहाँ ज ़ रूरी नहीं कि मेरा तात ् पर ् य प ् रोद ् योगिकी के अर ् थ वाला मंच है | यह एक मंच है जनता के लिए जहाँ लोग इकट ् ठे हो कर एक दुसरे की और अपनी मदद कर पाएं | एक नागरिक ने दुसरे नागरिक कि सहायता की पर सरकार ने एक महत ् वपूर ् ण भूमिका निभाई | उन दोनों को जोड़ने वाली कड़ी सरकार ही थी | और ज ़ रुरत पड़ने पर सरकारी सुविधाएं भी सरकार उस व ् यक ् ति को मुहैय ् या करवाती, परन ् तु पड़ोसी की सहायता सबसे शीघ ् र, सस ् ता और बेहतर विकल ् प है सरकारी कार ् यवाही के मुकाबले में | जब पड़ोसी अपने पड़ोसी की मदद करता है, तब हम अपनी सामाजिक और सामुदायिक सदभाव सुदृढ़ करते हैं | अगर हम पशु नियंत ् रण को फ ़ ोन करें तो उस तरीके में बहुत खर ् चा होता है | अब सरकार से सम ् बंधित एक बहुत महत ् वपूर ् ण बात यह है कि सरकार और राजनीति समानार ् थी नहीं है, वह भिन ् न है | ज़ ् यादातर लोग यह समझ पाते है, पर वे समझते है कि सरकार का सीधा ताल ् लुक राजनीति से है | कि हमारी सरकार में भागीदारी सिर ् फ वोट देने में है | अब हम अनेक बार राजनैतिक नेता चुनते है और कई बार हम बहुत जतन करके एक नए राजनेता का चुनाव करते हैं — और फिर आराम से बैठ जाते है आश ् वस ् त होकर कि सरकार हमारे मूल ् यों के अनुसार काम करेगी और हमारी ज़रूरतों को पूरा भी करेगी | और फिर कुछ नहीं बदलता? क ् योंकि सरकार और प ् रशासन एक विशाल सागर की तरह है और राजनीति केवल उसके ऊपर कि ६ इंची पतली सी परत और उसके नीचे जो है उसे हम अधिकारी तंत ् र कहते हैं | और यह हम कितने तिरस ् कार कि भावना से कहते हैं | पर यह वही तिरस ् कार है जो हमारी अपनी इस चीज ़ को रखता है जिसकी हम कीमत चुकातें हैं उसे हमारे ही विरुद ् ध कर देता है, कि जैसे वो कुछ और ही है और फिर हम अपने को शक ् तिहीन कर लेते हैं | लोग सोचते हैं कि राजनीती उत ् तेजक है आकर ् षक है | अगर हम चाहते है कि यह संस ् था हमारे काम आये, तो हमें नौकरशाही को आकर ् षक बनाना होगा | क ् योंकि सरकार का असली काम तो यहाँ होता है | हमें सरकारी तंत ् र से जुड ़ ना होगा | यही ओकुपाई द एस ई सी संचालन ने किया है | आपने इन महाशयों को देखा है? यह एक चिन ् ताशील नागरिकों का समूह है जिन ् होंने एक बहुत विस ् तृत ३२५ पन ् नों का विवरण लिखा है यह SEC के वित ् तीय सुधार अधिनियम पर टिपण ् णी के अनुरोध का जवाब है | यह राजनैतिक जागरूकता नहीं हैं, यह अधिकारी तंत ् र के प ् रति सक ् रियता है | अब हम में से जो सरकार के प ् रति निराशावादी है, अब समय है, यह अपने से पूछने का कि हम अपने बच ् चों को किस प ् रकार कि विरासत देकर जायेंगे | आपको देखना है कि कितनी विशाल चुनौतियों का उन ् हें सामना करना पड़ेगा | क ् या आपको वाकई लगता है कि हम अपने गंतव ् य पर बिना इस संस ् था को दुरुस ् त किये पहुँच पाएंगे जो हम सबका प ् रतिनिधित ् व कर सकती है? सरकार के बिना हम नहीं चल सकते पर यह हमारे लिए यह जरुरी है कि यह सक ् षम और अधिक कुशल हो | अच ् छी खबर ये है की प ् रोद ् योगिकी से ये सब सहज और संभव हो गया है की सरकार में मूलरूपी नयी सरंचना हो सरकारी कार ् यान ् वयन, कार ् यशैली इस तरीके से ठीक हो की सभ ् य समाज भी सबल बने | और जो पीढ़ी इन ् टरनेट के साथ ही बड ़ ी हुई है वे जानते है की एकजुट हो कर काम करना कठिन नहीं है, बस आपको सही ढंग से प ् रणाली की संरचना बनानी होगी | यहाँ हमारे दल की औसतन उम ् र २५ वर ् ष है, थोड़ी इर ् ष ् या से कहना पड ़ ता है कि मैं, उन सब से मैं करीब २५ साल बड ़ ी हूँ | यह वो पीढ़ी है जो अपनी आवाज ़ सुनने कि आदि है | यह लड ़ ाई जो हमने लड़ी इन ् हें नहीं लड़नी पड़ी कि कौन अपनी बात कह पायेगा; यहाँ सब बोल सकते हैं | अपने विचार व ् यक ् त कर सकते किसी भी चैनल पर कहीं भी, कभी भी और वे करते है | तो जब इनके सामने सरकारी तंत ् र कि समस ् या आती है, तो वो ज ् यादा परवाह नहीं करते अपनी आवाज उठाने की | वो अपने हाथों का इस ् तेमाल करते हैं | वे अपने हाथों का इस ् तेमाल कर रहे हैं | नए अनुप ् रयोगों को लिखने में करते हैं जो सरकार को और बेहतर और प ् रभावी बनाये | और वो अनुप ् रयोग हमें माध ् यम देते हैं अपने समुदाय को बेहतर बनाने में | अब चाहे ये आग के उपकरण से बर ् फ हटाना हो या जंगली घास निकलना या कूड ़ ेदान को उलट कर ओप ् पोस ् सुम निकालना | बेशक हम बर ् फ हटाते भी आ रहे हो सकते हैं, बहुत लोग करते भी है पहले से | अपितु ये अनप ् रयोग छोटे छोटे प ् रोद ् योगिकी के अनुस ् मारक हैं कि हम केवल उपभोक ् ता नहीं है, और हम केवल सरकार के उपभोक ् ता नहीं हैं, जो कर देते हैं और सुविधाएं पाते हैं | हम उससे बढ़ कर कुछ है, हम नागरिक हैं | और हम सरकार को तब तक ठीक या सही नहीं कर सकते जब तक हम नागरिकता को प ् रशस ् त नहीं करते | तो यहाँ आप सब से मेरा प ् रश ् न ये है: जहाँ बड ़ े मुद ् दों कि बात आयेगी जो हमें मिल कर करनी चाहिए क ् या हम सब मिल कर क ् या हम सब बस भीड़ का शोर होंगे, या फिर हम बनेंगे एक हाथों का समूह? धन ् यवाद तालियों की ध ् वनि TED में पिछले साल मैंने LHC का परिचय दिया था । और वापस आकर आपको यह अपडेट देने का वादा भी किया था कि यह मशीन कैसे काम करती है? तो यह लीजिए । और आप में सो जो लोग वहाँ नहीं थे, उनके लिए LHC अब तक का सबसे बड ़ ा वैज ् ञानिक प ् रयोग है — परिधि में 27 किलोमीटर । और इसका काम है उन परिस ् थितियों को पुनः जन ् म देना जो उपस ् थित थी, संसार की शुरुआत के एक सेकंड के अरब भाग में — हर सेकंड में 60 करोड ़ बार । यह काफ़ी महत ् त ् वाकांक ् षी है । यह जेनेवा के नीचे रखी मशीन है । हम अनुवेदकों के अन ् दर छोटे धमाकों की तस ् वीर लेते हैं । इस पर मैंने काम किया है । इसे एटलस अनुवेदक कहते हैं यह 44 मीटर चौड़ा है, और इसका व ् यास 22 मीटर है । एटलस के निर ् माण के समय की कुछ अद ् भुत तस ् वीरें ताकि आप इसकी विशालता का अंदाज़ा लगा सकें । पिछले साल 10 सितम ् बर को हमने इस मशीन को पहली बार चलाया था । और इस तस ् वीर को एटलस ने लिया था । इसकी वजह से नियंत ् रण कक ् ष में काफ़ी उत ् सव भी हुआ था । यह पहली किरण के परमाणु की तस ् वीर है जो LHC का चक ् कर लगा रहा है, और ज ़ बरदस ् ती LHC के एक अंश से टकराता है, और अनुवेदक में परमाणुओं की वर ् षा करता है । दूसरे शब ् दों में, जब हमने 10 सितम ् बर को वह तस ् वीर देखी तो हम समझ गए कि मशीन काम कर गयी है, जो कि एक बहुत बड ़ ी जीत है । मुझे नहीं पता कि इसे ज ् यादा तालियाँ मिली, या उसे, जब कोई गूगल पर गया और उसने देखा कि पहला पन ् ना ऐसा था । इसका मतलब यह है कि हमने सांस ् कृतिक प ् रभाव बनाया और वैज ् ञानिक प ् रभाव भी । हफ ् ते भर बाद हमने मशीन में कठिनाई का सामना किया, जो असल में इन तारों से जुड़ी थी — इन सोने के तारों से । इन तारों में 13 हज़ार एम ् पीयर का करण ् ट होता है जब मशीन अपनी पूरी क ् षमता पर होती है । आप में से जो इंजीनियर हैं, वो इसे देखेंगे और कहेंगे, "ऐसा नहीं हो सकता है । यह तार बहुत छोटे हैं ।" ऐसा हो सकता है क ् योंकि जब ये बहुत ठण ् डे होते हैं तो ये सुपर-कण ् डक ् टिंग तार होते हैं । तो शून ् य से 271 डिग ् री नीचे, जो कि आसमान के तारों के बीच की जगह से भी ठंडा है, यह तार उस करण ् ट को ले जा सकते हैं । LHC के नौ हज़ार चुम ् बकों के बीच के एक जोड ़ में, एक विनिर ् माण दोष था । तो तार थोड ़ े गरम हो गए, और उनके 13 हज़ार एम ् पीयर के करण ् ट को विद ् युत प ् रतिरोध मिल गया । उसका नतीजा यह था । यह ज ् यादा प ् रभावशाली लगता है जब आप यह सोचें कि हर चुम ् बक का वज ़ न 20 टन है, और वे एक फ़ुट के करीब खिसक गए । हमने ऐसे करीब 50 चुम ् बकों को नुकसान पहुँचाया । हमें उन ् हें बाहर निकलना पड ़ ा, जो हमने किया । हमने उन सब को फिर से संगठित किया, ठीक किया । अब वे सब फिर से सतह के नीचे जा रहे हैं । मार ् च के अंत तक LHC फिर से संपूर ् ण हो जाएगा । हम उसे शुरू कर देंगे, और संभवतः जून या जुलाई में हमें आंकड़े मिलने लगेंगे, और अपनी खोज को जारी रखेंगे, यह पता करने के लिए कि ब ् रम ् हांड के मूलभूत अंग क ् या हैं । अब ज ़ ाहिर है, एक तरह से उन दुर ् घटनाओं से बहस फिर से शुरू हो जाती है कि क ् या उच ् च कोटि विज ् ञान और प ् रौद ् योगिकी की यह कीमत सही है? इसका खंडन आसानी से किया जा सकता है । मुझे लगता है कि यह तथ ् य कि यह बहुत मुश ् किल है, यह तथ ् य की हम ज ़ रुरत से आगे जा रहे हैं, ही सही मायने में LHC का सही मोल है । मैं अंत में अँग ् रेज़ वैज ् ञानिक, हम ् फ ् रे डेवी के शब ् द दोहराना चाहूँगा, जो, मुझे लगता है, उन ् होंने अपने छात ् र के बेकार प ् रयोगों का बचाव करते हुए कहे थे, उनके छात ् र थे माइकल फैराडे, उन ् होंने कहा, "" मनुष ् य के दिमाग के विकास में इससे ज़ ् यादा खतरनाक कुछ भी नहीं कि यह मान लिया जाए कि विज ् ञान के बारे में हमारे विचार परिपूर ् ण हैं, प ् रकृति में अब और कोई रहस ् य नहीं है, अब हमारी विजय पूरी हो चुकी है, और यह कि अब ढूँढने के लिए कुछ नहीं है । "" धन ् यवाद । (तालियाँ) मैं हमेशा अनपेक ् षित परिणामों से प ् यार नहीं करता था, लेकिन मैं वास ् तव में उनकी सराहना करना सीखा है. मैंने सीखा है कि वे सार हैं की प ् रगति क ् या है यहां तक ​ ​ कि जब वे भयानक लग रहे हो. और मैं समीक ् षा करना चाहता हूँ कैसे अनपेक ् षित परिणाम अपना भाग निभाते हैं आइये अब हम वर ् तमान से चालीस हजार वर ् ष पहले चलें जब सांस ् कृतिक विस ् फोट हुआ था जब संगीत, कला, तकनीक बहुत सारी वस ् तुएँ जिनका हम उपभोग कर रहे हैं बहुत सारी वस ् तुएँ जिनका वर ् णन इस संस ् था में किया जा चूका है का जन ् म हुआ था और मानव विज ् ञानी "" रान ् डेल व ् हाइट "" ने एक बहुत रुचिकर अवलोकन किया है कि यदि हमारे पूर ् वज चालीस हजार साल पहले ये देखने में सक ् षम होते कि उन ् होंने क ् या किया है तब वे वास ् तव में नहीं समझ पाते. वे जवाब दे रहे थे तात ् कालिक समस ् याओं का वे हमारे लिए संभव बना रहे थे वो कार ् य करना जो वे करते थे फिर भी वे नहीं समझ सके कि उन ् होंने ये कैसे किया आइये अब हम कुछ आगे बढ़कर वर ् तमान से दस हजार साल पहले चलें और यही वो समय है जब चीजें और भी रुचिकर हो जाती हैं अनाजों के निजीकरण के बारे में आपके क ् या विचार हैं? और कृषि के उद ् भव के बारे में आपके क ् या विचार हैं? क ् या हमारे पूर ् वजों ने दस हजार साल पहले कहा होता अगर उनके पास तकनिकी सहायता होती? और मैं अभी ये कल ् पना कर सकता हूँ कि संस ् थाएं उन ् हें सूचित करतीं कि कृषि मानवता को कहाँ लेकर जायेगी. कम से कम अगले सौ सालों में यह बहुत बुरा समाचार था सर ् वप ् रथम खराब पोषण लघु आयु यह औरतों के लिए काफी कष ् टप ् रद था उस कल के मानव अवशेष से यह पता चलता है कि वे सुबह, दोपहर, शाम अनाजों को पीसा करती थीं और सैधांतिक रूप से यह बहुत घृणित था यह शुरुआत थी एक बहुत उपरी स ् तर के असमानता कि यदि उस समय तर ् कसंगत प ् रौद ् योगिकी मूल ् यांकन होता तो मै सोचता हूँ कि तब वे कहते आओ इन चीजों को बंद करते हैं इस समय भी हमारे विकल ् प अनपेक ् षित परिणामों से प ् रभावित हैं ऐतिहासिक रूप से चापस ् टिक ् स -एक जापानी मानव वेत ् ता के अनुसार जिन ् होंने इस पर एक शोध भी लिखा है मिशिगन विश ् वविद ् यालय में दीर ् घकालिक बदलाव आया दांत निकलने में, दांतों में जापानी लोगों के और हम अपने दातों को अभी भी बदल रहे हैं यहं एक साक ् ष ् य है कि मानव मुख और दांत मंद गति से बढ़ रहे हैं यह निश ् चित रूप से गंदे अनपेक ् षित परिणाम नहीं हैं लेकिन मै सोचता हूँ कि नेंदेर ् थल के हिसाब से यहाँ बहुत ज ् यादा अस ् वीकृति होती जल ् दबाजी में सोचे गए चोप ् रों के बारे में जो अब है हम इसलिए ये वस ् तुएं एक तरह से सम ् बंधित हैं जहाँ से हम या हमारे पूर ् वज देख रहे हैं, प ् राचीन कल में अनपेक ् षित परिणामों के प ् रति बहुत श ् रध ् हा थी और वहाँ सतर ् कता का एक बहुत ही स ् वस ् थ भावना थी, जो कि पता चलती है ज ् ञान के पेड से पंडोरा के बॉक ् स में और विशेष रूप से प ् रोमेथियस के मिथक में ये इतना महत ् वपूर ् ण हो गया है प ् रौद ् योगिकी के बारे में हाल ही में रूपकों में. और वह सब बहुत सच है. प ् राचीन समय के भौतिकविद प ् रमुख रूप से मिस ् र के लोग जिन ् होंने सबसे पहले दवाओं के बारे में बताया जैसा कि हम जानते हैं बहुत सतर ् क थे कि वे किसका इलाज कर सकते हैं और किसका इलाज नहीं कर सकते हैं और जीवित ग ् रंथों के अनुवाद का कहना है, "" मैं इसका इलाज नहीं करूँगा .इसका मै इलाज नहीं कर सकता. वे बहुत सतर ् क थे. और यही स ् थिति थी हिप ् पोक ् रेट ् स के अनुयायीयों के साथ हिप ् पोक ् रेटिक पांडुलिपियाँ भी लगातार नए अध ् ययन के अनुसार दिखाती हैं कि कैसे महत ् वपूर ् ण है कोई नुक ् सान न पहुचाना हाल ही में, हार ् वे कुशीनग जिन ् होंने आधुनिक नुरोसुर ् जेरी का विकास किया जिन ् होंने दवा के क ् षेत ् र इसे भिन ् न कर दिया जोकि सर ् जरी से उत ् पन ् न होने वाली मौतों के मामले में बहुमत में था से उसमे, जिसमें वहाँ एक उम ् मीद थी, वह बहुत जागरूक थे कि यह जरुरी नहीं की वह जो कर रहे हैं वो सही है लेकिन उन ् होंने अपना सर ् वस ् वा दिया और उन ् होंने रिकॉर ् ड रखा जिससे की वे दवा की शाखा को बदल सकें अब हम अगर थोडा आगे देखें १९ वीं सदी की तरफ. हम प ् रद ् योगिकी की एक नयी शैली पाते हैं | हम ये पाते हैं की की अब कोई आसान मशीन नहीं हैं लेकिन संसाधन हैं | हम और ज ् यादा मशीनों की जटिल व ् यवस ् था पाते हैं जो की ये कठिन बना देते हैं ये पता करना की क ् या चल रहा है पहले व ् यक ् ति जिन ् होंने ये देखा वे मध ् य १९वीं शताब ् दी के तेलेग ् रफेर ् स थे जो की वास ् तविक हैकर थे. थोमस एडीसन के लिए बहुत सुविधापूर ् ण होता आज के माहौल में काम करना. और इन हमलावरों का एक शब ् द था उन रहस ् यमयी कीड़ों के लिए जो तार सिस ् टम में थे उन ् हें बग कहा जाता था | यहीं से बग शब ् द की उत ् पति हुई | यह चेतना हालाँकि सामान ् य आबादी में बड ़ ने में धीमी थी, तब भी कुछ लोगों को ये बातें पता थीं | सामुएल क ् लिमेंस, मार ् क ट ् विन एक बहत बड़े निवेशक था सबसे जटिल मशीनों में कम से कम १९१८ तक की जो की यु .एस. पेटेंट ओफ़िस में रेजिस ् तेरेड था | वो अविष ् कार था पेज टाइप सेटर था | पेज टाइप सेटर में १८००० भाग थे | पेटेंट में कुल ६४ पृष ् ठ थे और कुल २७१ चित ् र थे यह बहुत उत ् कृष ् ट मशीन थी क ् यूंकि ये वो सरे कार ् य कर सकती थी जो एक मनुष ् य ने किया था प ् रकार की स ् थापना में टाइप को इसकी पुनार ् वस ् था में लाना जो की एक बहुत जटिल कार ् य था और मार ् क ट ् विन जो की टाइप सेटिंग के बारे में सब कुछ जानते थे इस मशीन की वजह से बहुत बुरी तरह से प ् रभावित हुए | दुर ् भाग ् य से वह बहुत दूसरे तरीकों से प ् रभवित था क ् यूंकि इसने उसे दिवालिया बना दिया और उसे विश ् व की यात ् रा करनी पड़ी इस कमी को पूरा करने के लिए और यह एक महत ् वपूर ् ण चीज थी १९ वीं सदी की बारे में, की ये सारे सम ् बन ् ध अलग अलग तरीकों से अछे विचारों को भी खत ् म कर देते थे जबकि यह निर ् णय विशेषज ् ञ लोगों के द ् वारा लिया जाता था | २० वीं सदी के प ् रारम ् भ में कुछ चीजें ऐसी थीं जिन ् होंने इन वस ् तुओं को जटिल बना दिया. और यह वही सुरक ् षा तकनीक थी जो अपने में ही खतरनाक हो सकती थी Titanic ने हमें सिखाया की उस समय के बहुत सम ् दार ् शियों के लिए कि हमारे पास जीवनरक ् षक नौकाएं होनी चाहिए पर ् याप ् त मात ् रा में उन प ् रत ् येक लोगों के लिए जो नाव में हैं. और इसकी वजह से बहुत सारी जानें गयीं उन लोगों कि जो उनमे चढ नहीं पाए. हालाँकि एक और मामला था, Eastland एक जहाज १९१५ में शिकागो हार ् बर में डूब गया और ८४१ लोग मरे गए यह संख ् या १४ अधिक थी Titanic. हादसे में मरे गए लोगों से. इस दुर ् घटना का प ् रमुख कारण वो अधिक जीवन रक ् षक नौकाएं थीं जो रखी गयीं थीं जिसकी वजह से पहले ही अस ् थिर नाव और अस ् थिर हो गयी. और ये फिर से सिद ् ध करता है कि जब आप अनपेक ् षित परिणामों के बारे में बात करते हैं तो इतना आसान नहीं होता ये जानना कि सही उपाय क ् या हैं? निश ् चित रूप से यह प ् रश ् न उस सिस ् टम का है कि किस तरीके नाव भरी गयी थी गिट ् टी और कई अन ् य चीजें. अतः २०वीं सदी ने देखा कि कितना जटिल था यह वास ् तविकता साथ ही एक सकारात ् मक पहलु भी देखा. इसने यह देखा कि अविष ् कार को आपातकाल से फायदा हो सकता है. इसे फायदा हो सकता है त ् रासदियों से. और मेरा प ् रिय उदाहरण जो कि उतना ज ् ञात नहीं है तकनिकी चमत ् कार के रूप में लेकिन यह बहुत महान है और यह है द ् वितीय विश ् व युद ् ध में पेनिसिलिन का तेजी से उपयोग. पेनिसिलिन की खोज १९२८ में कि गयी थी, लेकिन १९४० तक इसकी कोई वाणिज ् यिक और चिकित ् सा उपयोगी मात ् रा उत ् पन ् न नहीं कि जाती थी. बहुत सारी दवा कंपनियां इस पर काम कर रही थीं. वे स ् वतंत ् र रूप से इस पर काम कर रही थीं, और वे किसी निष ् कर ् ष पर नहीं पहुँच पा रही थीं. और सरकार के रिसर ् च ब ् यूरो ने एक साथ प ् रतिनिधियों को लाया और उनसे कहा कि यह कार ् य होना ही चाहिए और तब उन ् होंने न केवल इसे पूरा किया बल ् कि दो साल के अंदर उन ् होंने पेंसिलिन का उत ् पादन बढ़ा दिया प ् रारम ् भ में एक लीटर से १०००० गैलन. इस प ् रकार कम समय में ही पेंसिलिन इतनी तेजी से उत ् पन ् न किया गया और एक महान अविष ् कार हो गया दवाओं के क ् षेत ् र में द ् वितीय विश ् व युद ् ध में भी उपस ् थिति सौर विकिरणों कि जिसका वर ् णन हस ् तक ् षेप के अध ् ययन के द ् वारा किया गया था. जिसका पता लगा था ग ् रेट ब ् रिटेन के रडार स ् टेसन के द ् वारा. अतः आपदाओं में भी लाभ थे हमारे पूर ् ण विज ् ञानं साथ ही साथ व ् यावहारिक विज ् ञानं दोनों को लाभ थे | और दवाओं से भी | अब जब हम द ् वितीय विश ् व युद ् ध के बाद के समय को देखते हैं तो अनपेक ् षित परिणाम और भी रुचिकर हो गए हैं | और इसका उदहारण १९७६ के शुरुआत में शुरू हुआ 'जब इस बात कि खोज हुई कि जीवाणु के कारण Legionnaires रोग हमेशा से ही पानी में मौजूद था | लेकिन यह पानी के तापमान के कारण हीटिंग, वेंतिलेतिंग और वातानुकूलित प ् रणालियों में जो कि अधिकतम प ् रजनन के लिए लेजिओनेल ् ला बसिल ् लुस के खैर, बचाव के लिए प ् रौद ् योगिकी. तो रसायनज ् ञ के लिए काम मिल गया, और उन ् होंने एक जीवाणु को मारने वाली दवा विकसित कि जो उन प ् रणालियों में प ् रयोग होने लगी | लेकिन १९८० कि शुरुआत कुछ और घटित हुआ और वह ये था कि एक रहस ् य मय महामारी टेप ड ् राइव की विफलताओं की पुरे यु .एस.में फ़ैल गयी और IBM, जिसने उसे बनाया था को नहीं पता चल पा रहा था कि वो क ् या करे? उन ् होंने अपने सर ् वश ् रेष ् ठ वैज ् ञानिकों के समूह को बुलाया इस बात का पता लगाने के लिए और उन ् होंने ये पाया कि सरे टेप ड ् राइव वेंटिलेशन नलिकाएं के निकट स ् थित थे वहां ये हुआ था कि जीवाणुओं को मरने वाली दवा का निर ् माण टीन से किया गया था और इन टिन के कणों को टेप हेड में रखा गया था और ये टेप हेड को नष ् ट कर रहे थे इसलिए उन ् होंने जीवाणुओं को नष ् ट करने वाली दवा को पुनह बनाया लेकि न जो तथ ् य मेरे लिए रुचिकर था वो ये था कि यह पहला अवसर था यांत ् रिक उपकरणों में जो कि परोक ् ष रूप से मानव के रोगों से प ् रभावित था अतः ये दर ् शाता है कि हम कहीं न कहीं इस ् में भागीदार थे (सब हँसते हैं) वास ् तव में यह ये भी प ् रदर ् शित करता है कि यद ् यपि हमारी क ् षमता और तकनीक ज ् यामितीय रूप से फ़ैल रही है दुर ् भाग ् य से हमारी उनके व ् यव ् हार को प ् रतिरूपित करने कि क ् षमता जो कि बढ़ रही है केवल गणितीय रूप से बढ़ रही है. अतः हमारे समय का एक महत ् वपूर ् ण समस ् या ये है कि इस अंतर को कैसे कम करें जो कि क ् षमता और दूरदर ् शिता में है दूसरी तरफ सही परिणाम २० वीं सदी कि तकनीक का यद ् यपि एक माध ् यम था जिससे दूसरी तरीके कि घटनाएन सकारात ् मक विकास कि तरफ बढ़ सकती थीं | दो व ् यापार के इतिहासकार मैरीलैंड विश ् वविद ् यालय में, ब ् रेंट Goldfarb और डेविड कर ् सवासर जिन ् होंने बहुत ही रुचिकर कार ् य किया है जिनमे से अभी बहुत सारा छपा नहीं है प ् रमुख नवाचारों के इतिहास पर. उन ् होंने नए विचारों को संगृहीत किया और यह पाया कि सबसे बड ़ ी संख ् या, सबसे बड ़ ी दशक. मुलभुत विचारों कि जैसा कि पता चल रहा था उन सूचियों से जो की दूसरों ने बनायीं थी कुछ सूचियों को उन ् होंने मिलाया था महान अवसाद था कोई नहीं जनता था कि ये ऐसा क ् यूँ था लेकिन एक कहानी इसका कारण बता सकती है यह जीरोक ् स कॉपी मशीन का अविष ् कार था जिसने अपना ५०विन सालगिरह मनाई है पिछले साल | और चेस ् टर कार ् लसन जो कि इसके अविष ् कार थे एक पेटेंट वकील थे. वह चाहता तो नहीं था पेटेंट रिसर ् च के क ् षेत ् र में काम करना लेकिन वे कोई अन ् य तकनिकी नौकरी नहीं पा सके अतः यह एक अच ् छी नौकरी थी जो उसे मिली वह बहुत दुखी था कम गुणवत ् ता और उच ् च लागत मौजूदा पेटेंट प ् रतिकृतियां से और इसलिए उसने विक ् सित करना प ् रारम ् भा कर दिया सूखी फोटोकॉपी की एक प ् रणाली, जो की उसने पेटेंट कि थी १९३० में और जो पहली सूखी photocopier बन गया जो की औद ् योगिक रूपसे प ् रयोग हुई १९६० में अतः हम देखते हैं कि कभी कभी इन अव ् यवस ् थाओं कि वजह से, लोगों कि वजह से जो कि स ् वाभाविक नौकरी छोड़ रहे होते हैं और जा रहे होते हैं कहीं और जहाँ उनकी रचनात ् मकता से वह फर ् क ला सकें उन अवसादों और अन ् य सभी तरह के दुर ् भाग ् यशाली घटनाएँ एक विडंबना सी उत ् तेजक प ् रभाव डाल सकती हैं रचनात ् मकता पर इसका के मतलब है? इसका मतलब मै सोचता हूँ कि ये है कि हम अप ् रत ् याशित संभावनाओं के एक समय में रह रहे हैं. उदाहरण के लिए वित ् तीय दुनिया के बारे में सोचो.. वारेन बफेट, बेंजामिन ग ् राहम की संरक ् षक, मूल ् य निवेश की अपनी प ् रणाली विकसित करी अपनी हानि के कारन | 1929 दुर ् घटना में.. और उन ् होंने वो किताब प ् रकाशित कि १९३० कि शुरुआत में और पुस ् तक अभी भी आगे के संस ् करणों में मौजूद है और अभी भी एक मौलिक पाठ ् यपुस ् तक है. अतः बहुत साडी महत ् वपूर ् ण नयी चीजें घटित हो सकती हैं जब लोग दुर ् घटनाओं से सीखते हैं. अब बड़े और छोटे विपत ् तियों के बारे में सोचें जो कि अब हैं बिस ् तर के कीड ़ े, हत ् यारी मधुमक ् खियों, स ् पैम - और ये भी संभव है कि उनका निराकरण वास ् तव में तत ् काल सवाल से परे का विस ् तार करेगा. यदि हम लुईस पस ् तुरे के बारे में सोचें जिन ् हें १९८० में अध ् ययन करने के लिए कहा गया रेशम के कीड़ों के रोगों पर रेशम उद ् योग के लिए | और उनकी खोज वास ् तव में प ् रारंभ थी रोग के रोगाणु सिद ् धांत की | इसलिए बहुत बार, आपदा के कुछ प ् रकार - कभी कभी परिणाम देते हैं रेशम कीड ़ े की अत ् यधिक खेती जैसे, जो की उन दिनों यूरोप में समस ् या थी किसी बड़े कार ् य के लिए बहुत महत ् वपूर ् ण हो सकता है | अतः इसका मतलब ये हुआ कि हमें अलग तरीके से देखना चाहिए अनपेक ् षित परिणामों को | हमें सकारात ् मक पहलुओं को ध ् यान में रखना चाहिए | हमे ये देखना चाहिए कि वे हमारे लिय क ् या कर सकते हैं | हमें यह सीखना चाहिए उन आंकड़ों से जिनका मैंने उल ् लेख किया है | हमें सीखना चाहिए जैसे की डा. कुशीनग से जिन ् होंने कई रोगियों को मार दिया अपने प ् राम ् भिक शल ् य क ् रिया के दौरान | उन ् होंने कुछ त ् रुटियाँ की | उन ् होंने कुछ गलतियाँ की | और उन ् होंने उन गलतियों से सिखा और परिणाम स ् वरुप जब हम कहते हैं "" यह दिमाग की शल ् य चिकित ् सा है "" तो यह श ् रधांजलि देता है कि यह कितना कठिन था किसी के लिए, अपनी गलतियों से सीखना दवा के क ् षेत ् र में कि वो अपनी संभावनाओं में हतोत ् साहित माना जाता था. और हम याद कर सकते हैं कैसे दवा कंपनियां चाहती थी अपने ज ् ञान को इकठा करना अपने ज ् ञान को वितरित करने के लिए आपातकाल कि स ् थिति में, जिनमें वो सालों तक नहीं पड़े | वो ये कार ् य पहले भी कर सकते थे अतः यह सन ् देश है मेरे लिए अनपेक ् षित परिणामों के बारे में कि अराजकता होती है; आओ इसका उचित प ् रयोग करें. आपका बहुत बहुत धन ् यवाद. (तालियाँ बजती हैं) मुझे भारत के बारे में बात करनी है विचारों के विकास के माध ् यम से. अब मुझे विश ् वास है कि यह इसे देखने का एक दिलचस ् प तरीका है क ् योंकि, हर समाज में, विशेष रूप से एक खुले लोकतान ् त ् रिक समाज में, केवल जब विचार जड ़ लेते हैं कि चीज ़ े बदलती हैं. धीरे धीरे विचार विचारधारा में बदलते हैं, लाते हैं नीतियां जो लाती हैं कार ् यवाही. 1930 में इस देश के एक महान अवसाद आया, जो राज ् य और सामाजिक सुरक ् षा के सभी विचारों को लाया, और अन ् य सभी चीजें जो रूजवेल ् ट के समय में हुई. 1980 के दशक में रीगन क ् रांति आई, जिससे अविनियम आया. और आज, वैश ् विक आर ् थिक संकट के बाद, नियमों का एक नया ढांचा था कि राज ् य को कैसे हस ् तक ् षेप करना चाहिए. तो विचार स ् थिति बदलते हैं. और मैंने भारत को देखा और कहा, वहाँ वास ् तव में चार प ् रकार के विचार हैं जो वास ् तव में भारत पर एक प ् रभाव डालते हैं. पहले, मेरे मन में, हैं "" विचार जो कि आ चुके हैं. "" ये विचार जिन ् होंने एक साथ कुछ लाया है वह जिसने भारत को आज का रूप दिया. दूसरा समूह "" प ् रगति में विचार "" वह विचार जो हमने स ् वीकार किये हैं लेकिन अभी तक लागु नहीं किये. तीसरा समूह हैं विचार जिनके बारे में हम बहस करते हैं यह वह विचार हैं जिनके बारे में हम लड ़ ते हैं, वैचारिक लड ़ ाई, तरीकों को ले कर. और चौथी बात, जो मुझे विश ् वास है कि सबसे महत ् वपूर ् ण है, विचार जिनकी हमें आशा करनी चाहिए. क ् योंकि जब आप एक विकासशील देश हैं दुनिया में जहाँ आप अन ् य देशो की समस ् याएं देख सकते हैं, वास ् तव में आप अंदाजा लगा सकते हैं उन ् होंने क ् या किया अलग तरीके से. अब मैं भारत के मामले में मानता हूँ कि वहाँ छह विचार हैं जो आज के लिए जिम ् मेदार हैं. पहले वास ् तव में लोगों का दृष ् टिकोण है. '६० और' ७०के दशक में हम लोगों को एक बोझ के रूप में देखते थे. एक दायित ् व के रूप में जानते थे. आज हम एक परिसंपत ् ति के रूप में लोगों की बात करते हैं. हम मानवीय पूंजी के रूप में लोगों की बात करते हैं. और मैं मानसिकता में इस परिवर ् तन को, लोगो को बोझ की तरह जानने से मानवीय पूंजी, भारतीय मानसिकता में मौलिक परिवर ् तन है. और मानवीय पूंजी की यह सोच में परिवर ् तन तथ ् य से जुड ़ ा है कि भारत एक जनसांख ् यिकीय लाभांश के माध ् यम से जा रहा है. स ् वस ् थ ् य-देखबाल में जैसे सुधार होता है, शिशु मृत ् यु दर नीचे जाती है, प ् रजनन दर गिरना शुरू होता हैं. और भारत यह देख रहा है. भारत के पास होगा एक जनसांख ् यिकीय लाभांश के साथ कई युवा लोग अगले 30 वर ् षों के लिए. इस जनसांख ् यिकीय लाभांश के बारे में अद ् वितीय है कि भारत दुनिया में अकेला देश होगा इस जनसांख ् यिकीय लाभांश के साथ. दूसरे शब ् दों में, यह एक बूढी दुनिया में अकेला जवान देश होगा. और यह बहुत महत ् वपूर ् ण है. उसी समय अगर आप भारत में जनसांख ् यिकीय लाभांश को हटा दे, वहाँ वास ् तव में दो जनसांख ् यिकीय श ् रेणी है. एक दक ् षिण और पश ् चिम में है, जो पहले से ही पूरी तरह से २०१५ तक व ् यय किया जा रहा है, क ् योंकि देश के इस भाग में, प ् रजनन दर पश ् चिम यूरोपीय देश के लगभग बराबर है. तो फिर वहाँ पूरा उत ् तरी भारत है, जो भविष ् य के जनसांख ् यिकीय लाभांश का बड ़ ा हिस ् सा होगा. लेकिन एक जनसांख ् यिकीय लाभांश उतना ही अच ् छा है जितना आपका मानवीय पूंजी में निवेश. सिर ् फ अगर लोग शिक ् षित हैं, उनके पास अच ् छा स ् वास ् थ ् य है, बुनियादी ढांचा है, काम पर जाने के लिए सड ़ के हैं, अध ् ययन करने के लिए रात में रोशनी है - केवल उन मामलों में आप वास ् तव में लाभ पा सकते है एक जनसांख ् यिकीय लाभांश का. दूसरे शब ् दों में, अगर आप वास ् तव में एक जनसांख ् यिकीय पूंजी में निवेश नहीं कर रहे हैं, वही जनसांख ् यिकीय लाभांश एक जनसांख ् यिकीय आपदा हो सकती है. इसलिए भारत एक महत ् वपूर ् ण बिंदु पर है या तो यह लाभ उठा सकता है इस जनसांख ् यिकीय लाभांश का या यह एक जनसांख ् यिकीय आपदा की ओर जा सकता है. भारत में दूसरी बात परिवर ् तन है उद ् यमियों की भूमिका का. जब भारत स ् वतंत ् र हुआ उद ् यमियों को देखा गया एक बुरे रूप में, वह लोग जो फायदा उठाएँगे. लेकिन आज, ६० वर ् ष से उद ् यमशीलता की वृद ् धि की वजह से, उद ् यमि भूमिका ढ ़ ाचा बन गए हैं, और वे समाज को बड ़ ा योगदान दे रहे हैं. यह परिवर ् तन योगदान दे रहा है जीवन शक ् ति और पूरी अर ् थव ् यवस ् था के लिए. तीसरी बड ़ ी बात, मुझे विश ् वास है, जिसने भारत को बदल दिया है अंग ् रेजी भाषा की ओर हमारा रवैया है. अंग ् रेजी भाषा साम ् राज ् यवाद की भाषा के रूप में देखी गयी थी. लेकिन आज वैश ् वीकरण के साथ, आउटसोर ् सिंग के साथ, अंग ् रेजी आकांक ् षा की भाषा बन गई है. इसने इससे वह बना दिया जिससे सब सीखना चाहते हैं. और अब तथ ् य यह है कि हमारा अंग ् रेजी होना एक बड ़ ी सामरिक सम ् पन ् ति बन गया है. अगली बात प ् रौद ् योगिकी है. चालीस साल पहले, कंप ् यूटर देखा गया निषिद ् ध रूप में, उससे हम डरते थे, वह नौकरियों कम करता था. आज हम एक ऐसे देश में रहते हैं जो अस ् सी लाख मोबाइल फोन एक महीने में बेचता है, उन मोबाइल फोन का ९० प ् रतिशत प ् रीपेड फोन है क ् योंकि लोगों के पास क ् रेडिट इतिहास नहीं है. उन प ् रीपेड फोन के चालीस प ् रतिशत प ् रत ् येक पुनर ् भरण पर १० रूपये से कम डालते हैं. यह पैमाना है जिस पर प ् रौद ् योगिकी ने आज ़ ाद किया और सुलभ बना दिया. और इसलिए प ् रौद ् योगिकी चली गयी है निषिद ् ध रूप से डरावनी से, सशक ् तिकरण करने वाली चीज ़ पर. बीस साल पहले, जब वहाँ बैंक कंप ् यूटरीकरण पर एक रिपोर ् ट थी उन ् होंने रिपोर ् ट को नाम नहीं दिया था कंप ् यूटर पर एक रिपोर ् ट, वे उन ् हें कहते थे "" लेजर की पोस ् टिंग मशीनें. वे वास ् तव में संघ को नहीं बताना चाहते थे कि वह कंप ् यूटर हैं. और जब वे और अधिक उन ् नत, अधिक शक ् तिशाली कंप ् यूटर चाहते थे वे उन ् हें "" उन ् नत लेजर पोस ् टिंग मशीनें "" बुलाते थे. तो हम उन दिनों से एक लंबा सफर तय कर चुके हैं टेलीफोन सशक ् तिकरण का एक साधन है, और वास ् तव में भारतीयों की प ् रौद ् योगिकी के बारे में सोच बदल गई है. और फिर मुझे लगता है कि अन ् य बिंदु है कि भारतीयों आज बहोत अधिक वैश ् वीकरण के साथ आरामदायक हैं. २०० से अधिक वर ् षों के लिए ईस ् ट इंडिया कंपनी के साम ् राज ् यवादी शासन के अधीन रहने के बाद, भारतीयों का वैश ् वीकरण की ओर एक बहुत ही स ् वाभाविक प ् रतिक ् रिया थी कि यह साम ् राज ् यवाद का एक रूप थी. लेकिन आज, जैसे भारतीय कंपनियों विदेश जाती हैं, और दुनिया भर में भारतीय कार ् य करते हैं, भारतीयों को बहुत अधिक विश ् वास आया है और वह महसूस करते हैं कि वैश ् वीकरण में वह भाग ले सकते हैं. और तथ ् य यह है कि जनसांख ् यिकी हमारे पक ् ष में हैं, क ् योंकि हम बूढी हो रही दुनिया में अकेले युवा देश हैं, भूमंडलीकरण सभी भारतीयों के लिए और अधिक आकर ् षक बना देती है. और अंत में, भारत में लोकतंत ् र गहन हुआ है. जब लोकतंत ् र भारत ६० साल पहले आया यह एक विशिष ् ट अवधारणा थी. यह कुछ लोग थे जो लोकतंत ् र लाना चाहते थे क ् योंकि वे विचार लाना चाहते थे यूनिवर ् सल मतदान और संसद और संविधान वगेहरा. लेकिन आज लोकतंत ् र एक नीचे से ऊपर की प ् रक ् रिया बन गयी है जहां हर कोई एहसास करता है एक आवाज होने के लाभ का एक खुले समाज में होने का लाभ. और इसलिए लोकतंत ् र गुथा हुआ बन गया है. मैं इन छह कारकों को मानता हूँ - जनसांख ् यिकीय पूंजी के रूप में जनसंख ् या को देखने के कारण, भारतीय उद ् यमियों की वृद ् धि, आकांक ् षा की भाषा के रूप में अंग ् रेजी की वृद ् धि, सशक ् त बनाने में प ् रौद ् योगिकी की भूमिका, सकारात ् मक कारक के रूप में वैश ् वीकरण, और लोकतंत ् र का गहन होना, इन ् होने योगदान दिया है कि भारत आज आगे बढ ़ रहा है उन दरों पर जो कभी नहीं देखे गए. लेकिन, फिर हम आते हैं उन विचारों पर जो प ् रगति में हैं. यह वो विचार हैं जिनके लिए समाज में कोई तर ् क नहीं है, लेकिन आप उन चीजों को लागू करने में सक ् षम नहीं हैं. और वास ् तव में यहाँ चार चीजें हैं. एक शिक ् षा का सवाल है. किसी कारण से, शायद पैसे की कमी, प ् राथमिकताओं की कमी, एक बड ़ ी धार ् मिक संस ् कृति होने की वजह से, प ् राथमिक शिक ् षा को कभी आवश ् यक ध ् यान नहीं दिया गया था. लेकिन अब मुझे विश ् वास है कि यह एक बिंदु तक पहुँच चूका है जहाँ यह बहुत महत ् वपूर ् ण बन गया है. दुर ् भाग ् य से सरकारी स ् कूल कार ् य नहीं करते, तो बच ् चे निजी स ् कूलों में जा रहे हैं. यहां तक ​ ​ कि भारत की मलिन बस ् तियों में 50 प ् रतिशत से अधिक शहरी बच ् चे निजी स ् कूलों में जा रहे हैं. तो वहाँ स ् कूलों से कार ् य करना एक बड ़ ा चैलेंज है. लेकिन, वहाँ एक विशाल इच ् छा है गरीब सहित सब लोग में, अपने बच ् चों को शिक ् षित करने की. तो मेरा मानना ​ ​ है कि प ् राथमिक शिक ् षा एक विचार है जो आ गया है लेकिन अभी लागू नहीं हुआ है. इसी तरह, बुनियादी सुविधाएँ, एक लंबे समय तक, बुनियादी सुविधाएँ प ् राथमिकता नहीं थीं. आप में से जो भारत गए हैं उन ् होंने देखा है. निश ् चित रूप से यह चीन की तरह नहीं है. लेकिन आज मुझे विश ् वास है कि बुनियादी सुविधाओं में है कुछ जिस पर सहमति है और जो लोग लागू करना चाहते हैं. यह राजनीतिक बयानों में परिलक ् षित होता है. २० साल पहले राजनीतिक नारा था, "" रोटी, कपड ़ ा, और मकान, "" जिसका मतलब था, "" रोटी, कपड ़ ा और मकान "". और आज का राजनीतिक नारा है, "" बिजली, सड ़ क, पानी, "" जिसका मतलब है "" बिजली, सड ़ क और पानी. "" और यह मानसिकता में बदलाव है जहां बुनियादी सुविधाएँ अब स ् वीकार कर ली गयी हैं. तो मुझे विश ् वास है कि यह एक विचार है जो आ गया है, लेकिन लागू नहीं हुआ. तीसरी बात फिर शहरों में है. क ् योंकि गांधी गांवों में विश ् वास करते थे और क ् योंकि ब ् रिटिश शहरों से राज करते थे, इसलिए नेहरू नई दिल ् ली को एक अभारतीय शहर के रूप में देखते थे. हम एक लंबे समय तक हमारे शहरों की उपेक ् षा करते रहे हैं. और उसका नतीजा आप देख सकते हैं. लेकिन आज, अंत में, आर ् थिक सुधारों के बाद, और आर ् थिक विकास, यह प ् रस ् ताव कि शहर इंजन है आर ् थिक विकास के, शहर रचनात ् मकता के इंजन हैं, शहर नवविचार के इंजन हैं, अंत में स ् वीकार कर लिया गया है. और मुझे लगता है कि अब आप हमारे शहरों में सुधार लाने की ओर कदम देख रहे हैं. फिर से, एक विचार जो आ गया है मगर लागु नहीं हुआ है. अंतिम बात, एकल बाजार के रूप में भारत को देखना है - क ् योंकि जब आप भारत को एक बाजार के रूप में नहीं देखते, तुम आप एक एकल बाजार के बारे में परेशान नहीं थे, क ् योंकि इससे फर ् क नहीं पड ़ ता था. और इसलिए आप एक स ् थिति में थे जहां हर राज ् य के पास अपने उत ् पादों के लिए अपने बाजार थे. हर प ् रांत का कृषि के लिए अपना बाजार था. अब तेजी से नीतियां कराधान और बुनियादी ढाचे की, एक एकल बाजार के रूप में भारत बनाने की ओर बढ ़ रही हैं. तो वहाँ आंतरिक वैश ् वीकरण हो रहा है, जो बाहरी वैश ् वीकरण के बराबर महत ् वपूर ् ण है. मेरा मानना ​ ​ है कि इन चार कारकों प ् राथमिक शिक ् षा, बुनियादी ढांचा, शहरीकरण, और एक एकल बाजार भारत में वह विचार हैं जिन ् हें स ् वीकार कर लिया गया है, लेकिन लागू नहीं किया गया है. फिर है वह विचार जो विचार संघर ् ष में हैं. विचार जिन पर हम बहस करते हैं. तर ् क है जो गतिरोध हैं. क ् या है वोह विचार? एक मुझे लगता है, वैचारिक मुद ् दे हैं. ऐतिहासिक भारतीय पृष ् ठभूमि की वजह से, जाति व ् यवस ् था में, और इस वजह से की कई लोगों को जो बाहर छोड ़ दिए गए, राजनीति का बड ़ ा हिस ् सा इस बारे में हैं कि कैसे सुनिश ् चित करें कि हम उन की पूर ् ती करें. और यह आरक ् षण और अन ् य तकनीक का कारण हैं. यह कारण है कि हम अनुवृत ् ति देते हैं, और सभी लेफ ् ट और राईट तर ् क जो हैं. भारतीय समस ् याएँ विचारधाराओं से जुड ़ ी हैं जाति और अन ् य बातों की. यह नीति गतिरोध पैदा कर रही है. यह कारक हैं जो हमें हल करना है. दूसरा है श ् रम नीति, जो मुश ् किल बना रही है उद ् यमियों के लिए कंपनियों में नौकरियों बनाने में कि भारतीय श ् रमिक का ९३ प ् रतिशत असंगठित क ् षेत ् र में है. उनके पास कोई लाभ नहीं है: सामाजिक सुरक ् षा नहीं है; पेंशन नहीं है, हेल ् थ, उन चीजों में से कोई भी नहीं है. यह ठीक होना ज ़ रूरी है, क ् योंकि जब तक आप इन लोगों को औपचारिक कर ् मचारियों में नहीं लाते हैं, आप बहोत लोगों को बेदखल कर रहे हैं. इसलिए हमें नए श ् रम कानून बनाने की जरूरत है, जो आज जैसे कठिन नहीं हैं. साथ ही बहुत अधिक लोगों के औपचारिक क ् षेत ् र होने की नीति बनाये, और लाखों लोगों के लिए नौकरियों बनाएँ जो हमें करने की जरूरत है. तीसरी बात हमारी उच ् च शिक ् षा है. भारतीय उच ् च शिक ् षा पूरी तरह नियंत ् रित है. बहुत मुश ् किल है एक निजी विश ् वविद ् यालय शुरू करना. बहुत मुश ् किल है एक विदेशी विश ् वविद ् यालय के लिए भारत में आना. परिणाम स ् वरुप हमारी उच ् च शिक ् षा भारत की मांगों के साथ तालमेल नहीं रख रही है. इससे बहोत परेशानिया उत ् तपन हो रही हैं. लेकिन सबसे महत ् वपूर ् ण वह विचार हैं जिनका हमें अंदाजा होना चाहिए. यहाँ भारत पश ् चिम की ओर देख सकता है और कहीं और, और देख सकते है कि क ् या किया जाना चाहिए. पहली बात है, हम बहुत भाग ् यशाली हैं कि प ् रौद ् योगिकी ऐसे बिंदु पर है जहां यह और अधिक उन ् नत है अन ् य देशों की तुलना में जब उनका विकास हुआ. तो हम शासन के लिए प ् रौद ् योगिकी का उपयोग कर सकते हैं. हम प ् रत ् यक ् ष लाभ के लिए प ् रौद ् योगिकी का उपयोग कर सकते हैं. हम पारदर ् शिता, और कई अन ् य चीजों के लिए प ् रौद ् योगिकी का उपयोग कर सकते हैं. दूसरी बात है, स ् वास ् थ ् य के मुद ् दे. भारत में उतना ही भयानक है हृदीय मुद ् दे की स ् वास ् थ ् य समस ् याएँ, मधुमेह की, मोटापे की. तो कोई फायदा नहीं है वहाँ गरीब देश के रोगों को बदल अमीर देश के रोगों को लाने का. इसलिए हमें पूरी तरह से स ् वास ् थ ् य पर पुनर ् विचार करना है. हमें वास ् तव में एक रणनीति बनाने की आवश ् यकता है ताकि हम स ् वास ् थ ् य की अन ् य चरम की और न जाये. इसी प ् रकार पश ् चिम में आज आप देख रहे हैं पात ् रता की समस ् या - सामाजिक सुरक ् षा, चिकित ् सा, चिकित ् सा-सहायता की लागत. इसलिए जब आप एक युवा देश हैं, आप के पास मौका है एक आधुनिक पेंशन प ् रणाली बनाने का ताकि आप पात ् रता समस ् याएं नहीं बनाएँ आने वाले समय के लिए. और फिर, भारत के पास आसान विकल ् प नहीं है अपने वातावरण को गन ् दा बनाने का, क ् योंकि यहाँ पर ् यावरण और विकास को साथ चलाना है. सिर ् फ एक विचार देने के लिए, दुनिया को स ् थिर होना है प ् रति वर ् ष २० गिगाटन पर. नौ अरब की आबादी पर हमारी औसत कार ् बन उत ् सर ् जन प ् रति वर ् ष दो टन होनी चाहिए. भारत प ् रति वर ् ष दो टन पर आ चूका है. लेकिन अगर भारत आठ प ् रतिशत पर बढ ़ ता है, प ् रति वर ् ष प ् रति व ् यक ् ति आय २०५० तक १६ गुना बाद जाएगी. तो हम कह रहे हैं: १६ गुना आय और कार ् बन में कोई विकास नहीं. इसलिए हम मौलिक रूप से पर ् यावरण पर पुनर ् विचार करेंगे, जिस तरह से हम ऊर ् जा को देखते हैं, जिस तरह से हम विकास के पूरे नए मापदंड बनाते हैं. अब यह आप के लिए महत ् वपूर ् ण क ् यों है? क ् यों १० हजार मील दूर से आपको फर ् क पड ़ ता है? सबसे पहले, इस वजह से यह एक अरब से अधिक लोगों का प ् रतिनिधित ् व करता है. एक अरब लोग, विश ् व की जनसंख ् या का १ / ६. यह महत ् त ् वपूर ् ण है क ् योंकि यह एक लोकतंत ् र है. और यह साबित करना महत ् वपूर ् ण है कि विकास और लोकतंत ् र असंगत नहीं हैं, कि आप एक लोकतंत ् र में, एक खुले समाज में, विकास कर सकते हैं. यह महत ् वपूर ् ण है क ् योंकि अगर आप इन समस ् याओं को सुलझा पाते हैं, आप दुनिया में गरीबी की समस ् याओं को हल कर सकते हैं. यह महत ् वपूर ् ण है क ् योंकि दुनिया की पर ् यावरण समस ् याओं को हल करने के लिए इसकी जरूरत है. यदि हम वास ् तव में एक बिंदु पर आना चाहते हैं, हम वास ् तव में अपने कार ् बन उत ् सर ् जन पर रोक लगाना चाहते हैं, हम वास ् तव में ऊर ् जा का उपयोग कम करना चाहते हैं - यह भारत जैसे देशो में हल किया जाना है. आप अगर विकास को देखो पश ् चिम में २०० से अधिक वर ् ष, औसत विकास दर दो प ् रतिशत के बराबर रही होगी. यहाँ हम आठ से नौ प ् रतिशत पर बढ ़ रहे देश के बारे में बात कर रहे हैं. और वह एक बड ़ ा फर ् क है. जब भारत ३-३.५ प ् रतिशत पर बढ ़ रहा था और जनसंख ् या दो प ् रतिशत से, इसकी प ् रति व ् यक ् ति आय हर ४५ साल में दोगुनी हो रही थी. जब आर ् थिक विकास आठ प ् रतिशत चला जाता है और जनसंख ् या वृद ् धि १.५ प ् रतिशत पर गिरता है, तो प ् रति व ् यक ् ति आय हर नौ साल में दोगुनी होती है. दूसरे शब ् दों में, आप निश ् चित रूप से तेजी से अग ् रेषण कर रहे हैं पूरी प ् रक ् रिया को एक अरब लोगों की समृद ् धि में जाने की. और आप के पास एक स ् पष ् ट रणनीति होनी चाहिए जो दुनिया के लिए और भारत के लिए महत ् वपूर ् ण है. यही कारण है कि मुझे लगता है कि आप सभी को इसके साथ समान रूप से चिंतित होना चाहिए, जैसे मैं हूँ. बहुत बहुत धन ् यवाद. (अभिवादन) मेरा एक पसंदीदा हास ् य-चित ् र (कार ् टून) पात ् र है स ् नूपी । मुझे अच ् छा लगता है जिस तरह वह अपने घर में बैठता है और ज ़ िन ् दगी के महत ् त ् वपूर ् ण विषयों का चिंतन करता है. तो जब मैंने करूणा के बारे में सोचा, तब मेरा मन तुरंत उसकी एक व ् यंग-चित ् र (कार ् टून स ् ट ् रिप) की ओर गया जिसमे वह वहां लेटा है, और वह कहता है, "" मैं सचमुच समझता हूँ, और मैं सचमुच सराहना करता हूँ किस तरह एक व ् यक ् ति को अपने पडोसी से वैसे ही प ् रेम करना चाहिए जैसे वह खुद से करता है । एक मात ् र परेशानी, वो लोग हैं जो आपके पड़ोस में रहते हैं, मैं उन ् हें बर ् दाश ् त नहीं कर सकता. "" यह एक प ् रकार की चुनौती है कि किस प ् रकार एक अच ् छे विचार का विवेचन करें. हम सभी, मैं सोचती हूँ कि, करुणा में विश ् वास रखते हैं. अगर आप देखते हैं संसार के सभी धर ् मो को, सभी मुख ् य धर ् मो को, आपको उन सब मे करुणा से सम ् बंधित कुछ शिक ् षाएं मिलेंगी. अतः, यहूदी धर ् म में, हमारे तोरा (यहूदी धर ् म ग ् रन ् थ) में, लिखा है कि आपको अपने पडोसी से वैसे ही प ् रेम करना चाहिए जैसा आप खुद से करते है. और यहूदी शिक ् षाओं में, रब ् बी की शिक ् षाओं में, हमारे पास है हिल ् लेल (एक यहूदी धर ् म गुरु) जिन ् होंने सिखाया कि आपको दूसरों के साथ वो व ् यवहार नहीं करना चाहिए जो आप अपने साथ किया जाना पसंद नहीं करते हो और सारे मुख ् य धर ् मो में समान शिक ् षाएं हैं. और पुनः, यहूदी धर ् म में ही, हमारे पास भगवान ् के बारे में एक शिक ् षा है जो करुणामय कहे जातें हैं, परमपिता इन सब के बाद भी, यदि भगवान ् करुणामय ना हो, तो इस विश ् व का अस ् तित ् व कैसे होगा. और हम, जैसा कि तोरा में सिखाया गया है, हम भगवान कि प ् रतिमूर ् ति हैं, अतः हमें भी करुणामय होना है. परन ् तु, इसका क ् या तात ् पर ् य है? हमारे दैनिक जीवन को यह किस प ् रकार प ् रभावित करता है? कभी-कभी, निश ् चित रूप से, करुणामय होना हमारे अंतःकरण में ऐसी भावनाए पैदा कर सकता हैं जिन पर नियंत ् रण करना कठिन है. मैं जानती हूँ कि अनेक बार मैं गयी हूँ और अन ् त ् येष ् टि क ् रिया का सञ ् चालन किया है, और जब मैं बैठी होती हूँ वंचित लोगों के साथ या उनके साथ जो कि मर रहे हैं, मैं अभिभूत हो जाती हूँ दुखः से, कठिनाई से, उस चुनौती से जो परिवार के लिए है, मनुष ् य के लिए है. और यह मुझे छू जाती हैं और मेरी आँखों में आंसू आ जाते हैं. और तब भी, यदि मैं स ् वयं को इन भावनाओ से बोझिल होने दूं, मैं अपना कार ् य नहीं कर पाऊंगी, क ् योंकि मुझे सचमुच उनके साथ वहाँ रहना होगा और यकीन दिलाना है कि अनुष ् ठान हुए है और संस ् कारों का पालन हुआ है. और तब भी, दूसरी तरफ, यदि मैंने करुणा का अनुभव नहीं किया, तब मैं महसूस करती हूँ कि अब मेरे जामा लटकाने का समय आ गया है और रब ् बी होने का परित ् याग कर दूं. और यह अनुभव हम सभी के साथ होता है जब हम संसार का सामना करते हैं. करुणा से कौन द ् रवित नहीं हो सकता, जब हम देखते हैं भयावह आतंक युद ् ध के परिणामो का, या अकाल, या भूकंप, या सुनामी? मैं कुछ लोगों को जानती हूँ जो कहते हैं "" अच ् छा, आप जानते हैं वहां बहूत कुछ है, मैं कुछ नहीं कर सकता. मैं कोशिश भी नहीं करने जा रहा हूँ. "" और कुछ परोपकारी कार ् यकर ् ता भी हैं जो इसे करुणामय श ् रम कहते हैं. कुछ और हैं जो महसूस करते हैं कि वे करुणा का और सामना नहीं कर सकते, और इसलिए, वे अपना दूरदर ् शन बंद कर देते हैं, और नहीं देखते. यहूदी धर ् मं में यद ् यपि, हम हमेशा कहते हैं कि एक बीच का रास ् ता होना चाहिए. आपको, निःसंदेह, दूसरों कि जरूरतों से अवगत होना चाहिए, परन ् तु आपको इस प ् रकार अवगत होना है कि आप उसे अपनी जिंदगी के साथ ले कर चल सकें. और लोगों कि सहायता करें. अतः करुणा का एक पक ् ष, यह समझ है कि क ् या लोगों को जगाती है. और, निःसंदेह, यह आप तभी कर सकते हैं जब आप खुद को थोडा ज ् यादा समझें. और एक प ् यारी रब ् बिनिक व ् याख ् या है सृष ् टि के शुरुआत के बारे में जो कहता है कि जब भगवान ् ने संसार का निर ् माण किया, भगवान ् ने सोचा कि संसार का निर ् माण करना सर ् वोचित होगा केवल न ् याय के दिव ् य गुणों के साथ. क ् योकि, सब से ऊपर, भगवान ् न ् यायसंगत हैं. इसलिए, संपूर ् ण संसार में न ् याय होना चाहिए. और तब भगवान ् ने भविष ् य की ओर देखा और अनुभव किया यदि संसार का निर ् माण केवल न ् याय के साथ होता, तो संसार का कोई अस ् तित ् व नहीं होता. अतः, भगवान ् ने सोचा, "" मैं विश ् व का निर ् माण सिर ् फ करुणा के साथ करने जा रहा हूँ "" और तब भगवान ् ने भविष ् य की ओर देखा और अनुभव किया कि, वास ् तव में, यदि संसार मात ् र करुणा से भरा होता, तो यहाँ सिर ् फ अराजकता और विशृंखलता होती. सभी की सीमाएं होनी चाहिए. रब ् बी इसे एक राजा की तरह होना वर ् णित करते हैं जिसके पास एक सुन ् दर, नाजुक कांच का प ् याला है. यदि आप इसमें बहूत ज ् यादा ठंडा पानी भर दें, यह टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा. यदि आप इसमें उबलता हुआ पानी भर दें, यह टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा. आपको क ् या करना है? दोनों का सम ् मिश ् रण भरें. और इसलिए भगवान ् ने इन दोनों ही संभावनाओं की इस संसार में रखा. यद ् यपि कुछ और भी है जिसे वहां होना है. और वह है भावनाओं का अनुवाद जो हमारे पास हो सकता है करुणा का इस व ् यापक संसार में, कर ् म में, आप जानते हैं, स ् नूपी की तरह, हम वहां पर पड़े नहीं रह सकते अपने पड़ोसियों के बारे में महान विचार नहीं सोच सकते. हमें वास ् तव में इस बारे में कुछ करना है. और इसीलिए, यहूदी में, प ् रेम और दयालुता की भावना भी है जो बहूत ही महत ् वपूर ् ण हो जाती है. अनुसरित होती है. इन तीनो को तब सम ् मिलित होना है न ् याय का विचार, जो हमारे जीवन को सीमाएं देता है और अनुभव देता है, जीवन में क ् या सही है, जीवनयापन में क ् या सही है, हमें क ् या करते रहना चाहिए, सामाजिक न ् याय. अच ् छे कर ् मो को करने की इच ् छा होनी चाहिए, परन ् तु, हमारी स ् वस ् थ मानसिकता की कीमत पर बिलकुल नहीं. आप जानते हैं, किसी के लिए कुछ भी करने का कोई मार ् ग नहीं है, यदि आप हद से ज ् यादा करते हैं. और इन सब को मध ् य में संतुलित करना, करुणा की धारणा है. जिसे वहां होना है, यदि आप चाहें, हमारी मूलों में. हमें करुणा का विचार आता है क ् योंकि हम भगवान ् की प ् रतिमूर ् ति हैं. जो, अंततः, परम करुणामय है. करुणा क ् या बतलाती है? यह बताती है दूसरों का दुःख समझना. परन ् तु उससे भी ज ् यादा, इसका मतलब है इस सम ् पूर ् ण सृष ् टि से अपने सम ् बन ् ध का ज ् ञान. यह ज ् ञान कि हर कोई इस सृष ् टि का एक अंग है, कि एक एकता कायम है सब जो हम देखते हैं, सब जो हम सुनते हैं, सब जो हम अनुभव करते हैं. मैं उस एकता को इश ् वर कहती हूँ. और यह एकता ही है जो सम ् पूर ् ण सृष ् टि को मिलाती है. और, बिलकुल, आधुनिक संसार में, पर ् यावरण संबंधी गतिविधियों के साथ, हम लोग संबंधों से और भी ज ् यादा अवगत होते जा रहे हैं, कि अगर हम कुछ यहाँ करते हैं तो वो वास ् तव में अफ ् रीका में प ् रभाव डालता है, कि यदि मैं अपने कार ् बन वृति का ज ् यादा इस ् तेमाल करती हूँ, तो ऐसा प ् रतीत होता है कि, हम कारण बन रहे हैं, मध ् य और पूर ् वी अफ ् रीका में एक बहूत बड ़ ी बर ् षा की कमी का. अतः एक सम ् बन ् ध है. और मुझे समझना है कि सृष ् टि के एक हिस ् से के अंश के रूप में, इस पक ् ष में कि मैं इश ् वर की प ् रतिमूर ् ति हूँ. और मुझे समझना है कि मेरी आवश ् यकताएं कभी-कभी दूसरी आवश ् यकताओं में परिशोधित होनी हैं. यह १८ मिनट का कार ् य, मुझे पूर ् णतया मोहित करता है. क ् योंकि, यहूदी में, यह शब ् द, संख ् या १८, हिब ् रू अक ् षरों में, ज ़ िन ् दगी के लिए है, शब ् द ज ़ िन ् दगी. अतः, एक तरह से, यह १८ मिनट मुझे यह कहने के लिए ललकार रहे हैं कि जीवन में, यही है जो करुणा के लिये महत ् त ् वपूर ् ण है, परन ् तु कुछ और भी है. वस ् तुतः, १८ मिनट महत ् त ् वपूर ् ण हैं. क ् योंकि अन ् तःगति में, जब हमें सुखी (बिना खमीर की) रोटी खानी होती है, रब ् बी बताते हैं कि क ् या फर ् क है उस लोई में जिससे रोटी (खमीर वाली) बनती है, और उस लोई में जिससे सुखी रोटी (बिना खमीर वाली) बनती है, मत ् ज ़ ा. और वे बताते हैं यह है १८ मिनट. क ् योंकि इतना ही समय लगता है, वे बताते हैं इस लोई में खमीर पैदा होने में. क ् या मतलब है, लोई में खमीर आ जाता है? इसका मतलब है यह गर ् म हवा से भर जाती है. मत ् ज ़ ा क ् या है? सुखी रोटी क ् या है? आप नहीं जानते. प ् रतीकात ् मक रूप से, रब ् बी कहते हैं, अंत समय में, जो हमें करना पड ़ ता है मुक ् त होने के लिए हमारे गर ् म मिजाज ़ से, हमारे अहंकार से, हमारी सोच से कि हम इस सम ् पूर ् ण संसार में सबसे महत ् वपूर ् ण लोग हैं, और यह कि सब कुछ हमारे चारों ओर ही घुमनी चाहिए. अतः हम कोशिश करते हैं और उनसे मुक ् ति पाते हैं, और ऐसा करते हुए, मुक ् ति पाने की कोशिश में आदतों से, भावनाओं से, उस विचार से जो हमें गुलाम बनाती हैं, हमारी आँखें बंद कर देती हैं, हमारी दृष ् टि को संकीर ् ण करती हैं ताकि हम दूसरों की जरूरतों को नहीं देखें, और स ् वयं को स ् वतंत ् र करें और इससे स ् वतंत ् र करें. और वह भी करुणा होने का एक आधार है, विश ् व में हमारा स ् थान समझने के लिए. अब, यहूदी में, एक मनमोहक कथा है एक धनवान व ् यक ् ति की जो एक दिन एक आराधनालय (पूजा स ् थल) में बैठा. और, जैसा कि बहूत लोग करते हैं, वह धर ् मोपदेश के दौरान ऊंघ रहा था. और जब वह ऊंघ रहा था, वे सब तोरह में लेवितिकुस कि पुस ् तक से पढ़ रहे थे. और वे कह रहे थे कि प ् राचीन काल में जेरुसलम के मंदिर में, पुजारियों के पास रोटी होती थी, जिसे वे जेरुसलम के मंदिर में एक विशेष मेज़ पे रखते थे. वह आदमी सोया हुआ था, परन ् तु उसने उन शब ् दों को सुना, रोटी, मंदिर, भगवान ्, और जाग गया. उसने कहा, "" भगवान ् रोटी चाहते हैं. बस इतना ही. भगवान ् रोटी चाहते हैं. मैं जानता हूँ कि भगवान ् रोटी चाहते हैं. "" और वह घर की ओर भागा. थोड ़ े आराम के बाद, उसने १२ रोटियाँ बनायीं. उन ् हें लेकर पूजा स ् थल गया, पूजा स ् थल के अन ् दर गया, वहां रखा संदूक खोला और कहा, "" भगवन, मैं नहीं जानता आप ये रोटियाँ क ् यों चाहते हैं, पर वे यहाँ हैं. "" और उसने उसे संदूक में तोरह की पुस ् तकों के साथ रख दिया. तब वह वापस घर चला गया. सफाई कर ् मचारी पूजा स ् थल में आया. "" हे भगवन, मैं इतने कष ् ट में हूँ. मेरे बच ् चे भूखे हैं. मेरी पत ् नी बीमार है. मेरे पास पैसे नहीं हैं. मैं क ् या कर सकता हूँ. "" वह पूजा स ् थल के अन ् दर जाता है. "" भगवान ् क ् या आप मेरी मदद करोगे? आह!, क ् या अद ् भुत सुगंध है. "" वह संदूक के पास जाता है. वह संदूक को खोलता है. "वहां रोटियाँ पड़ी हैं. भगवान ्, आपने मेरी प ् रार ् थना सुन ली. आपने मेरे प ् रश ् न का उत ् तर दिया है." रोटियाँ लेता है और घर चला जाता है. इस बीच, धनी व ् यक ् ति स ् वयं में सोचता है, "" मैं मूर ् ख हूँ. भगवान ् को रोटी चाहिए? भगवान ्, जो पूरे ब ् रह ् माण ् ड पे राज करते हैं, उन ् हें मेरी रोटी चाहिए? "" वह पूजा स ् थल की ओर भागता है. "" मैं उसे संदूक से निकाल लूँगा इससे पहले कि कोई और उसे ले ले. "" अन ् दर जाता है, और रोटियाँ वहां नहीं हैं. और वह कहता है "" भगवान आपको सचमुच इसकी जरूरत थी. आपको मेरी रोटी चाहिए थी. अगले सप ् ताह, किशमिश के साथ. "" यह सालों तक चला. हर सप ् ताह, वह व ् यक ् ति रोटियाँ और किशमिश लाता था, सारे प ् रकार कि अच ् छी चीज़ों के साथ, संदूक में रखता था. हर सप ् ताह, सफाई वाला आता था. "" भगवान ् आपने पुनः मेरी प ् रार ् थना सुन ली. "" रोटियाँ लेता था. लेकर घर चला जाता था. ये सब नए रब ् बी के आने तक चला. रब ् बी हमेशा चीज़ों को बर ् बाद करते हैं. रब ् बी आये और उन ् होंने देखा कि क ् या हो रहा था. और उन ् होंने उन दोनों को अपने कक ् ष में बुलाया. और उन ् होंने कहा, तुम जानते हो, "" यह हो जो रहा है. "". और धनी व ् यक ् ति — हे प ् रिय — हतोत ् साहित. "आपका मतलब है भगवान ् मेरी रोटी नहीं चाहते थे?" और गरीब मनुष ् य ने कहा "" और आपका मतलब है भगवान ् ने मेरी प ् रार ् थना नहीं सुनी? "" और रब ् बी ने कहा, "" तुम लोगों ने मुझे गलत समझा है. "" "" तुमने पूर ् णतया गलत समझा है "", उन ् होंने कहा. "" निःसंदेह, जो तुम कर रहे हो "", उन ् होंने धनी व ् यक ् ति से कहा, "भगवान ् कि प ् रार ् थना सुनना है कि हमें करुणामय होना चाहिए." "" और भगवान ् "", उन ् होंने गरीब व ् यक ् ति से कहा, "" तुम ् हारी प ् रार ् थना सुन रहे हैं कि लोगों को करुणामय होना चाहिए और दान करना चाहिए. "" उन ् होंने धनी व ् यक ् ति की ओर देखा. उन ् होंने धनी व ् यक ् ति के हाथ पकडे और कहा, "क ् या तुम नहीं समझते?" उन ् होंने कहा, "ये भगवान ् के हाथ हैं." अतः इस प ् रकार मैं अनुभव करती हूँ, कि मैं सिर ् फ कोशिश कर सकती हूँ करुणामय होने की धारणा के पहल की, यह समझने की एक संबंध है, एक एकता है संसार में, कि मैं कोशिश करना चाहती हूँ और सेवा करना चाहती हूँ उस एकता की, और यह कि मैं कोशिश करना चाहती हूँ और एक समझ-बूझ के साथ करना चाहती हूँ, मैं आशा करती हूँ, दूसरों का दर ् द समझने की कोशिश करना, परन ् तु यह समझना कि सीमाएं हैं, लोगों को उत ् तरदायित ् व लेना है, कुछ समस ् याओं की जो उनपे आती हैं, और मुझे समझना है कि मेरी शक ् ति की सीमाएं हैं, देने की जो मैं दे सकती हूँ. मुझे उनका पुनर ् मूल ् यांकन करना है, कोशिश करना है और अलग करना है भौतिकताओं को और मेरी भावनाओ को जो मुझे जकड सकती हैं, ताकि मैं दुनिया को अच ् छी तरह देख सकूं. और तब मुझे यह देखने की कोशिश करना है कि किस प ् रकार से मैं इन ् हें भगवान ् के हाथ बना सकती हूँ. और इस लिए इस विश ् व में जीवन में करुना लाने कि कोशिश करें. अब, यदि राष ् ट ् रपति ओबामा मुझे गणित का राजा बनने के लिये आमंत ् रित करें तब मेरे पास उनके लिये एक सुझाव होगा जो कि मैं सोचता हूँ कि इस देश में गणित की शिक ् षा को बहुत उन ् नत बना देगा और इसको कार ् यान ् वित करना सुलभ है और कम खर ् च वाला भी । गणित का जो पाठ ् यक ् रम हमारे यहाँ है, वह अंकगणित और बीजगणित की नीँव पर आधारित है और उसके बाद जो भी हम सीखते हैं वह उत ् तरोत ् तर एक ही विषय की ओर बढ़ता है । और उस पिरामिड के शिखर पर है - कैलकुलस (समाकलन) और मैं यहाँ यह कहता हूँ कि मेरे विचार से यह पिरामिड का ग़लत शिखर है । सही शिखर - जो छात ् रों को, हर एक माध ् यमिक शिक ् षा स ् नातक छात ् र को जानना चाहिये वह - सांख ् यिकीय होना चाहिये । संभावना-विज ् ञान और सांख ् यिकीय । (तालियोँ की गड़गड़ाहट) मेरा मतलब, मुझे ग़लत मत समझें, समाकलन एक महत ् वपूर ् ण विषय है । यह मानव बुद ् धि की महान उत ् पत ् तियों में से एक है । प ् रकृति के नियमों का उल ् लेख समाकलन की भाषा में किया जाता है, और वे सभी छात ् र जो, गणित, विज ् ञान, अभियांत ् रिकी, अर ् थशास ् त ् र विषयों का अध ् ययन करते हैं, उन ् हें अवश ् य ही अपने स ् नातक के प ् रथम वर ् ष की समाप ् ति तक समाकलन को सीखना चाहिये । परंतु मैं यहाँ, गणित के आचार ् य की हैसियत से कहता हूँ कि बहुत कम व ् यक ् ति वास ् तविकता में समाकलन का प ् रयोग सचेत, अर ् थपूर ् ण रूप में, दैनिक जीवन में करते हैं । दूसरी ओर, सांख ् यिकीय — एक ऐसा विषय जो आप दैनिक जीवन में कर सकते है, और करना चाहिये । ठीक है न? यह जोखिम (को समझने के बारे में) है, यह (संभावनाओं को समझने के बारे में) है । यह प ् रेक ् षणों (डाटा) को समझने का विज ् ञान है । मेरा विचार है कि यदि हमारे विद ् यार ् थियों, सभी माध ् यमिक शिक ् षा विद ् यार ् थियों हमारे सभी अमरीकी नागरिकों को संभावना और सांख ् यिकीय का ज ् ञान होता तो हम (आज) ऐसी बिगड़ी हुयी अर ् थवयवस ् था में न होते जैसे आज हम हैं । न केवल यह — धन ् यवाद — न केवल यह (अपितु) यदि यह सही ढंग से पढाया जाय तब यह मनोरंजक भी हो सकता है । मेरा मतलब संभावना विज ् ञान और सांख ् यिकीय यह खेल और द ् यूत (जुए) का गणित है । यह लक ् षणॉं (आँकलन) के विश ् लेषण के बारे में है, यह भविष ् य के अनुमान के बारे में है । देखिये, विश ् व परिवर ् तित हो चुका है एनालॉग से डिजिटल में । और यह समय है हमारे गणित के पाठ ् यक ् रम के बदलने का एनालॉग से डिजिटल में । अपने शास ् त ् रीय (प ् रचलित), निरंतर की गणित के रूप से अधिक नवीन, अनिरंतर (discrete) गणित असंभावितता की गणित का प ् रेक ् षणों की अनियमितता का और संभावना विज ् ञान और सांख ् यिकीय का सारांश में यह कि हमारे विद ् यार ् थी, बजाय इसके कि, समाकलन की तकनीक सीखें, मैं सोचता हूँ कि यह अधिक महत ् वपूर ् ण होगा कि वे सभी यह जानें कि दो सामान ् य विचलनों का, औसत से क ् या अर ् थ है । और मैं वास ् तव में मेरा मतलब यह ही है । धन ् यवाद । (तालियोँ की गड़गड़ाहट) सत ् तर हजार साल पहले हमारे पूर ् वज नगणनीय जानवर थे | एक महत ् वपूर ् ण बात हमारी पूर ् वजोँ के बारे मे है की वो लोग महत ् वहीन थे | उन लोगों की दुनिया के ऊपर मुद ् रा जेल ् ली मछली या आग मक ् खियो या वुड पेकर से ज ् यादा नहीं था | आज इसके व ् यतिरेक हम इस ग ् रह पर काबू पालिये | और प ् रश ् न ये है कि: हम वहाँ से यहाँ कैसे पहुंच गये? हम अपने आप को कैसे मोड लिये ताकी हम आफ ् रिका के कोने में अपने काम देखने वाले नगणनीय वानर से इस दुनिया के शासक कैसे बनगये? आम तौर पर, हम व ् यक ् तिगतस ् तर पर दूसरे जानवर और हमलोगोँ मे फर ् क देखते है | हमलोग ये मानना चाह ् ते है — मैँ ये मानना चाह ् ता हूँ — कि मुझ मेँ कुछ खास बात है, मेरे शरीर मे, मेरे दिमाग मे, जो मुझे एक कुत ् ता, एक सुवर, या एक चिँपाँजी से कई ज ् यादा बेहतर बनाता है | लेकिन सच तो ये है कि व ् यक ् तिगत स ् तर पर मैँ शर ् मानक, चिँपाँजी समान रूप मे हूँ | और अगर तुम मुझे और एक चिँपाँजी को एक सुनसान द ् वीप मे रखोँगे | और अगर हम को जीने के लिए सँघर ् ष करना पडा, और कौन बेहतर बचता मै अपना शर ् त निश ् चित रूप से चिँपाँजी के ऊपर, रखूँगा परन ् तु मेरे ऊपर नहीँ | और मुझमें व ् यक ् तिगत रूप से कोई कमी नहीँ है | मुझे लगता है, अगर वेआप में से किसी एक को लेते और तुमको अकेले चिँपाँजी के साथ कोई द ् वीप मे रखते तो चिँपाँजी आप से बेहतर काम करेगा | असली फर ् क मनुष ् य और बाकी सारी जानवर के बीच अंतर व ् यक ् तिगत स ् तर पर नहीँ है; बल ् कि सामजिक स ् तर पर है | मनुष ् य धर ् ती को काबू मे रख सकते है क ् योँ कि वे सिर ् फ ऐसी जानवर है जो ज ् यादा सँख ् या मे सहयोग और लचील ढँग से मदद कर सकते हैँ | अब, दूसरे जानवर है - जैसे कि समाजिक कीडे, मखियाँ, चीटियाँ — जो ज ् यादा सँख ् या मे साथ देते हैं, पर इतना लचीले ढँग से नहीँ करते | उनका साथ देना कठिन हैं | मूल ् र रूप से एक ही रास ् ता है जिस तरीके से मधु मक ् खी काम कर सकती हैँ | और अगर वहाँ कोई नया अवसर या नया खतरा हो, मधु मक ् खी समजिक व ् यवस ् था का पुन: कल ् पना रातोँ रात नहीँ कर सकते | उदाहरणार ् थ, वो अपने राणी को फासि नहीं देसक ् ते और एक राज ् य का स ् थापना नहीं कर सकते या श ् रामिक मक ् कियो का तांशाही साम ् यवादी नहीं बना सकते दूसरे जानवर जैसे सामाजिक स ् थनधारियों भेदियों, हाथियों, दाल ् फिंस, चिपांजीस — वो ज ् यादा लचीले ढंग से समर ् थन देते हैं | लेकिन वो ऐसे बहुत कम संख ् या मे करते है, क ् योंकि चिन ् म ् पांजियोँ में साथ देना उन दोनो को एक दूसरोँ को समझने पर है | मै एक चिन ् म ् पांजी हूँ और तुम एक चिन ् म ् पांजी हो, और मै तुम ् हारे साथ मिलकर काम करना चाहता हूँ | मुझे तुम ् हे व ् यक ् तिगत रूप से जानना जरूरी है | किस तरह के चिम ् पांजी हो तुम? तुम एक अच ् छा चिम ् पांजी हो? क ् या तुम एक दुष ् ट चिम ् पांजी हो? क ् या तुम भरोसा के लायक हो? अगर मै तुम ् हे नही जानता मै तुम ् हारे साथ कैसे दे सकता हूँ? ऐसे एक हीं जानवर है जो इन दोनो क ् षमतावो को मिला सकता है और लचीले ढंग से भी और ज ् यादा संख ् या मे भी साथ दे सकते है वो है हम मानव जाती | एक का एक, या दस का दस, चिंपांजी हम से बेहतर हो सकते है | पर, अगर तुम १००० लोग को १००० चिंपांजियों के सामने रखोगे तो, मानव आसानी से जीत जायेंगे, इसका कारण सरल है कि १००० चिंपांजियों एक दूसरे के साथ नहीं दे सकते | और अगर तुम १००,००० चिंपांजियों को एक साथ ऑक ् सफ़ोर ् ड स ् ट ् र ् रीट या वेम ् ब ् ले स ् टेडियम या टियनानमें स ् क ् वेअर या व ् हेटिकन मे ठूसना तुम को पूरा अस ् थ ् व ् यस ् थता मिलेगि कल ् पना करो १,००,००० चिंपांजियों से भरा वेम ् ब ् ले स ् टेडियम को पूरा पागलपन मिलेगा इसके उलते मे लोग वहाँ हजारोँ मे इकट ् टा होते हैँ, और हमे आम तौर पर अस ् वस ् थता नहीँ मिलेगी | हमे अत ् यन ् त सुविग ् न और प ् रभावी सहयोगी को नेटवर ् क मिलेगा | मनुष ् य चरित ् रमे सभी बडे उपलब ् धियँ यदी पिरमिड की निर ् माण हो या चांद की यात ् रा हो व ् यक ् तिगत सामर ् थ ् य पर आधार नहीँ हैं, पर एक दूसरे की लचीले ढंग से मदद कर ने की ऊपर आधारित है | अब मै जो सम ् भाषण दे रहा हूँ उसके बारे मे सोचिये: मै यहाँ लगबग ३०० या ४०० श ् रोताओँ के सामने खडा हूँ, तुम मे से ज ् यादा लोग मेरे लिये बिलकुल अजनबी हो | ऐसे ही मै उन लोगोँ को नहीँ जानता जो इसका इंतेजाम ् किया और इस कार ् यक ् रम के ऊपर काम किया | मै पैलट और हवाइ जहाज की सभ ् ययोँ को नहीं जानता जो मुझे यहाँ लेके आये और कल लँडन को लेके गये | मै उन लोगोँ को नहीं जानता जो इस मैक ् रोफोन और केमेरा का आविष ् कार किये, और ् बना दिये जो इस वक ् त मेरे बातोँ को रिकॉर ् ड कर रहे है | मै उन लोगोँ को नहीँ जानता जो सब किताबेँ और लेख लिखे जो मै इस सँ भाषण के लिये तैयार होते हुये पढा था | और मै उन सभी लोगोँ को बिलकुल भी नहीँ जानता जो नयी दिल ् ली या ब ् युनोस ऐरस ् से इन ् टरनेट पर ये संभाषण देख रहें होंगे | फिर भी हम एक दूसरे को ना जानते हुये भी हम इस विचारों का अदला बदली वैश ् विक स ् तर पे कर सकते है | ये सब कुच चिंपांजियों नहीँ कर सकते | वो बेशक संसूचित करते हैँ, पर तुम एक चिंपांजी को कोई दूर की बैंड के लिये हाथियोँ या कोई और चीज जो चिंपांजियों को दिलचस ् प लगे, उसके बारे मे भाषण देने के लिये जाते हुये नहीँ देख सकते. अब साथ देना हमेशा अच ् छी बात नहीं होती; सभी दारूण चीज पूरी चरित ् र मे मनुष ् य जो कर रहे है — और हम जो बहुत हीं गलत चीज जो हम कर रहे हैँ — वो सभी चीज भी बड ़ े पैमाने पर सहयोग पर आधारित है | जैल एक तरफ के सहयोग है; बूचड ़ खाने भी एक सहयोग की प ् रणाली है; कारा शिविर एक सहयोग की प ् रणाली है | चिंपांजियों के पास बूचड ़ खाने, जैल और, कारा शिविर नहीँ होते | अब अगर मैने शायद आपको यकीन दिलाया कि हाँ, हम इस दुनिया को काबू मे कर सकते क ् योँकि हम एक दूसरे का समर ् थन लचीले ढंग से बडी सँख ् या मे करते हैँ | अगला प ् रश ् न जो तुरंत उठता है एक कुतूहली श ् रोता के मन मे कि हम ये कैसे करते हैँ? पूरी जानवरोँ मे क ् या है जो सिर ् फ हमे योग ् य बनाता है कि हम एक दूसरे की समर ् थन कर सकते? इसकी उत ् तर है हमारी कल ् पना शक ् ती | हम अनगिनत सँख ् या मे अजनबियोँ की मदद कर सकते हैँ, क ् योँकि इस ग ् रह के सारी जानवरोँ मे सिर ् फ हम हैँ, कुछ बना सकते हैँ, कल ् पनावोँ, और कल ् पनात ् मक रचनावोँ को मानते हैँ | और जब तक सभी लोग उस कल ् पना को मानते हैँ, सब लोग एक ही नियम, एक ही मानद ् न ् डोँ, और एक ही मूल ् योँ का अनुसरण करते है | बाकी सब जानवर सिर ् फ वास ् तविकता का वर ् णन करने के लिये अपनी संचार व ् यवस ् था इस ् तेमाल करते हैँ | एक चिंपांजी कह सकता है "" देखो! वहाँ एक शेर है, चलो हम भागते हैँ! "" या, "" देखो! वहाँ एक केले की पेढ है! आओ हम चले और केले लाये "" मनुष ् य उसके विपरीत, अपने भाषा सिर ् फ सच का विवरण देने के लिये ही नहीं बल ् कि नया सच, सच की कल ् पना करने के लिये भी इस ् तेमाल करते है | एक मनुष ् य ये बोल सकता "" देखो, बादल के ऊपर वहाँ एक भगवान है "" और मै ने जो बोला अगर तुम वो नहीं करोगे, जब तुम मरोगे, भगवान तुम ् हे दँड देगा और नरक मे भेजेगा | और अगर तुम सब मेरे इस कहाँनी, जो मै ने बनाया, पर यकीन करोगे तब तुम मानदंडों और कानूनों और मूल ् यों का पालन करोगे, और तुम अपना सहयोग दे सकते | ये सिर ् फ मनुष ् य ही कर सकता है | तुम एक चिंपांजी को कभी तुम ् हे एक केला देने के लिए नहीँ मना सकते ये वादा कर ् ते हुए कि "" तुम जब मरोगे तो तुम चिँपाँजियोँ का स ् वर ् ग जाओगे... "" (हँसी) ""... और तुम ् हे बहुत सारे केले मिलेँगे तुम ् हारी अच ् छे कामोँ के लिए | इसलिए मुझे अब ये केला दे दो | "" कोई चिंपांजी कभी भी ये कहानी पर यकीन नहीँ करेग | सिर ् फ़ मनुष ् य ही ऐसे कहानियों पर यकीन करते हैँ | इसीलिए हम इस दुनिया पर काबू पा लिए लेकिन चिंपांजी चिडियघरोँ और अनुसंधान प ् रयोगशालाओं मेँ ताले के पीछे है | अब तुम ये मानलोगे कि हाँ, आध ् यात ् मिक क ् षेत ् र मेँ मनुष ् य एक ही कल ् पना मे यकीन कर एक दूसरे की समर ् थन करते हैँ | लाखोँ मे लोग इकट ् टे होते है एक बडा गिरजा या मस ् जीद का निर ् माण करने के लिए या जिहाद या धर ् मयुद ् ध मे लडने के लिए क ् योँ कि वे सबलोग एक ही कहानी मे यकीन करते हैँ | जो भगवान, स ् वर ् ग और नरक के बारे मे हैँ | पर मै जिस पर जोर देना चाह ् ता हूँ वह ये है कि मनुष ् य की दूसरे भडी समर ् थन मे भी ये ही काम करता है ना कि सिर ् फ आध ् यात ् मिक क ् षेत ् र | उदाहरणार ् थ, न ् याय व ् यवस ् था मेँ देखिए, ज ् यादातर न ् याय व ् यवस ् थाएँ आज दुनिया मेँ मानव हक मेँ यकीन रखने पर आधारित हैँ | लेकिन मानव हक क ् या हैँ? मानव हक, सिर ् फ एक कहानी है, जो हमने कल ् पना की जैसे कि भगवान और स ् वर ् ग को. वह तो वस ् तुगत सच ् चाई नहीँ हैँ | ये कुछ होमो सेपियन ् स के बारे मेँ जैविक प ् रभाव नहीँ हैँ | एक मनुष ् य को काटो, खोलो, अंदर देखो, तुमको दिल, किड ् नी, न ् यूराँन ् स, हारमोन, डी एन ए, लेकिन तुम ् हेँ कोई हक नहीँ दिखेगा | ये हक कहानियोँ मेँ ही खोज कर सकते है जो हमलोगोँ ने, अविष ् कार किया और पिछले कुछ शताब ् दोँ मेँ विस ् तार किया | ओ बहुत सकारात ् मक कहानियाँ, बहुत अच ् छे कहानियाँ, पर ओ भी कल ् पनात ् मक रचनाएँ जो हमने आविष ् कार किया है | ये बात राजकीय क ् षेत ् र मेँ भी लागू होती है, आधुनिक राजकीय मेँ राष ् ट ् र और देश दो बहुत ही खास कारक है | पर राष ् ट ् र और देश क ् या हैँ? ओ वस ् तुगत सच ् चाई नहीँ है | ये पर ् वत वस ् तुगत सच ् चाई है | आप उसको देख सकते, आप उसको छू सकते, आप उसको कभी सूँघ सकते | लेकिन एक देश या एक राष ् ट ् र जैसे इज ् राइल, या इरान, या फ ् रांस या जर ् मनी, ये एक कहानी है जो हम ने आविश ् कार किया और उसके साथ हम अत ् यंत जुड गए आर ् थिक क ् षेत ् र मे भी समान सूत ् र चलता है | विश ् व अर ् थव ् यवस ् था मे महत ् व पूर ् ण आज हैँ कंपनियों और निगमों आज तुम मे से ज ् यादा लोग शायद कोई निगमोँ के लिये काम करते होंगे जैसे गूगल, या टोयोटा या मैक डोनाल ् ड ् स असल मे ये सब चीज क ् या हैँ? ओ जिन ् हे वकील न ् याय कल ् पना बुलाते हैँ | ओ कथायेँ शक ् तिशाली मेधावी जिसको हम वकील कहते हैँ से आविष ् कार किया गया और बनाए रखा | (हँसी) और निगम क ् या करते है? ज ् यादातर ओ पैसे बनाने की सोचते हैँ | मगर येपैसे क ् या है? फिर से, पैसे एक वस ् तुगत सच ् चाई नही है, उस ् को कोई वस ् तुगत मूल ् य नही है एक हरा कागज का तुकडा, डॉलर बिल लेलो उस ् की तरफ देखो, उसका कोई मूल ् य नही है तुम उसको नही खा सकते तुम उसको नही पी सकते, तुम उसको नही पहन सकते पर तब आये उसके साथ ये उस ् ताद कहानीकारों बड ़ े बैंकरों, वित ् त मंत ् रियों, प ् रधान मंत ् रियों — और ओ बहुत ही कायल कहानियाँ बता ते हैँ "" देखो तुम ये कागज़ का टुकडा देखते हो? ये असल मे 10 केले के लायक है "" और अगर मै उसको मानता हूँ, तुम मानते हो, और सबलोग इसको मानते हैँ ये सचमुच काम करेगा मै इस कागज के बेकार टुकड ़ ा ले सकता हूँ सूपर मार ् केट जा सकता हूँ, एक पूरा अजनबी, जिसे मै इस के पहले कभी मिला नही को दे सकता हू और उसके बदले मे मिलेगा असली केले जिसको मै खा सकता हूँ | ये कुछ अद ् भुत है | तुम चिन ् म ् पांजीस के साथ ये कभी नही कर सकते चिन ् म ् पांजीस बेशक लेनदेन करते हैँ "हाँ, तुम मुझे एक नारियल देदो, मै तुम ् हे एक केला दूंगा" ओ काम कर सकता है पर तुम मुझे एक ् कागज के बेकार टुकड ़ ा दो और तुम मुझे एक केला देने की आशा करते हो बिलकुल नहीं! तुम क ् या सोचते हो मै एक मानव हूँ? (हँसी) पैसे असल में अत ् यन ् त सफल कहानी है जो कभी मनुष ् य द ् वारा आविष ् कार और कहा गया क ् योंकी ये ही एक कहानी है जिसमे हर कोई विश ् वास रखता है | हर कोई भगवान मे विश ् वास नही रखता, हर कोई मानव अधिकार मे विश ् वास नही रखता हर कोई राष ् ट ् रवाद मे विश ् वास नही रखता पर सबलोग पैसोँ मे, डालर बिल ् मे विश ् वास रखते हैँ | ओसामा बिन लदेन को भी लीजिए, वे अमेरिकी राजनीति, अमेरिकी धर ् म और अमेरिकी संस ् कृति से नफ ़ रत करते थे, पर उनको अमेरिकी डाँलर से कोई एतराज नहीँ था | वे उसे सही मे बहुत पसंद कर ् ते थे | (हँसी) अब बात समाप ् त करने के लिए; हम मनुष ् य दुनिया को काबू पाने के लिए हम दोहरी वास ् तविकता मेँ जीते है | बाकी सब जानवर वस ् तुगत सच ् चाई मेँ जीते है | उनकी सच ् चाई मेँ वस ् तुगत संस ् थाओं, जैसे कि नदियाँ और वृक ् षों और शेर और हाथियाँ हैँ | हम मनुष ् य, हम भी वस ् तुगत सच ् चाई मेँ जीते हैँ | हमारी दुनिया मेँ भी नदियाँ और वृक ् षों और शेर और हाथियाँ हैँ | पर शताब ् दों बीतने पर, इस वस ् तुगत सच ् चाई के ऊपर कल ् पनिक जगत की दूसरी परत निर ् मण कर ली हैँ जो कि कल ् पनिक संस ् थाओं, जैसे कि दीशों, जैसे भगवान, जैसे पैसे, जैसे निगमों | और अद ् भुत बात ये है कि जैसे चरित ् र सामने आया, इस कल ् प ् निक सच ् चाई और भी शक ् तिशाली बनगयी इसलिए आज इस दुनिया में सबसे ज ् यादा शक ् तिशाली बल ये कल ् पनिक वस ् तु हैँ | आज नदियाँ और वृक ् षों और शेर और हाथियाँ जीवित रहना काल ् पनिक संस ् थाओं की निर ् ण ् यों और इच ् छाओं पर निर ् भर हैं, जैसे संयुक ् त राज ् य अमेरिका, जैसे गूगल, जैसे वर ् ल ् ड बैंक — जो संस ् थाओं स ् वयं की कल ् पना में ही मौजूद हैं | धन ् यवाद | (तालियाँ) ब ् रूनो गियुस ् सानि: युवल, आपकी नई किताब बाहर आई | सपियन ् स के बाद, आपने एक और किताब लिखा, और वो हेब ् रू में प ् रकाशन हुई पर अभीतक अनुवादित नहीं हुई युवल नो हरारी: मैं अनुवाद कर रहा हूँ जैसे हम बात कर रहे हैं | बी जी: उस किताब मे, अगर मैँ सही समझा आप तर ् क कर रहे थे कि अद ् भुत सफलताओं हम अनुभव कर रहे हैँ"नया वर ् ग और नया वर ् ग संघर ् ष, जैसे औद ् योगिक क ् रांति ने किया" आप इसका विवरण दे सकते? Y.N.H: हाँ औद ् योगिक क ् रांति में हम ने एक नई शहरी सर ् वहारा का खोज देखा | और ज ् यादतर रजकीय और पिछ ् ले दो सौ साल की सामाजिक चरित ् र में इस वर ् ग के साथ क ् या करना है और नये सवाल और सुनहरे अवसर | अब हम एक नये विशाल वर ् ग के बेकार लोगों को देख सकते है | (हँसी) जैसे कंप ् यूटर ् स कई क ् षेत ् रों मे ज ् यादा बेहतर और ज ् यादा बेहतर होते है, कंप ् यूटर मनुष ् य को मात करके उसको ज ् यादातर कार ् यों मे अनावश ् यक बनाने की संभावना है | और इक ् कीस ् वीं शताब ् द की बडा रजनीतिक और आर ् थिक प ् रश ् न ये है कि, "" हमें इंसानों की जरूरत क ् या हैं? "", या तो कम से कम "" हमें इतने सारे मनुष ् यों की जरूरतें क ् या हैं? "" BG: आपके पुस ् तक में इसका जवाब है? YNH: अभी, ड ् र ् ग ् स और कंप ् यूटर खेलों के माद ् यम से उनको खुशी रखना ही सबसे अच ् छा अनुमान है... (हँसी) लेकिन ये आकर ् षक भविष ् य जैसा नहीं दिखता है | BG: ठीक है, महत ् वपूर ् ण आर ् थिक असमानता प ् रक ् रिया की बढ ़ ती सबूत के बारे मे मूल रूप से आपने पुस ् तक मे और अभी जो चर ् चा की वो एक शुरुआत ही है | YNH: फिर, ये भविष ् यवाणी नहीं है; अपने आगे सभी प ् रकार की संभावनाओं को देखना है | बेकार लोगों का नए वर ् ग का सृजन भी एक संभावना है | मानव जाति को जैविक जातियों विभाजन, जैसे कि धनिक को उन ् नत बनाकर आभासी देवताओं के रूप मे और गरीबों को अधोगति कड ़ ाके बेकार लोगों जैसा दिखाने की भी दूसरी संभावना है | BG: मुझे लगता है कि और एक टेड टाक अगले एक दो सालों मे हो सकत है | धन ् यवाद युवल, यात ् रा करने के लिए | वै एन हेच: धन ् यवाद! (तालियाँ) मैं चाहता हूँ आप सभी की दुनिया के बारे में सोच को थोड ़ ा बदलने के लिए, मैं आपको हमारी प ् रकृति में निहित कुछ संरचनाएँ दिखाऊं. तो, ये मेरी पहली स ् लाईड है जिसमें हम बात करेंगे ब ् रह ् माण ् ड कि उत ् पत ् ति के बारे में और उस विषय पर भी, जिसे मैं 'महाविश ् व का घटनाचक ् र अन ् वेषण' कहूँगा, जिसमें हम सृ ् ष ् टि के अवशेषों के माध ् यम से यह अनुमान लगाने का प ् रयास करेंगे कि आरंभ में क ् या हुआ था, फिर उसे अच ् छे से समझने की कोशिश करेंगे. तो एक प ् रश ् न मैंने आपसे पूछा था, कि जब आप चारों ओर नज़र घुमाते हैं तो क ् या पाते हें? आप इस पूरे जगह को देख रहे हैं जिसे डिज़ाईनरों ने बनाया है और लोगों की मेहनत से बना, पर आप जो देख रहे हैं उसमें लगाई गई बहुत सी सामग ् री ऎसी है जो पहले से ही मौजूद थी, केवल उसे एक सुनिश ् चित आकार दिया गया है. अब प ् रश ् न यह है कि ये सामग ् री यहाँ पहुँची कैसे? नए रूप में ढलने से पहले वाली अवस ् था में वो कैसे पहुँची, और उसके पहले वो क ् या थी? तो अब सवाल ये है कि इन तारतम ् यों का आपस में क ् या संबंध है? देखने वाली बातों में ये भी है, कि ब ् रह ् माण ् ड का प ् रारंभ कैसे हुआ और यह इस आकार में कैसे आया? ब ् रह ् माण ् ड की सृष ् टि और उसके विकास की वो प ् रक ् रिया कैसी थी जिससे गुज़र कर हमें इस प ् रकार की सामग ् री मिली? तो ये आज के विषय का एक अंश होगा, और अब आगे मैं आपको हबल अल ् ट ् रा डीप फील ् ड चित ् र दिखाना चाहूँगा. अगर आप इस तस ् वीर को देखें, तो आप इसके अधिकांश भाग में अंधकार के बीच में कुछ चमकीले बिंदु पाएँगे. चमकीले वस ् तुओं में चार सितारे हैं, और आप उन ् हें वहाँ देख सकते हैं — छोटे प ् लस के आकार के. ये सितारा है, ये सितारा है, बाकी सब कुछ आकाशगंगा हैं, ठीक है? तो यहाँ आप हजारों आकाशगंगाओं को अपनी आंखों से आसानी से देख सकते हैं. और जब मैं विशेषकर इस आकाशगंगा को देखता हूँ, जो हमारी आकाशगंगा जैसी लगती है, तो मुझे यह जानने की उत ् सुकता होती है कि क ् या वहाँ भी किसी आर ् ट डिज़ाईन कॉलेज का सम ् मेलन चल रहा है, जहाँ बुद ् धिमान जीव यह सोचविचार कर रहे हैं कि किस तरह के डिज़ाईन बनाए जाएँ, और वहाँ कुछ ब ् रह ् माण ् डविद भी बैठकर सोच रहे हों कि ब ् रह ् माण ् ड की उत ् पत ् ति कहाँ से हुई, और ये भी हो सकता है कि उस आकाशगंगा से कोई हमारी ओर देख रहा हो, और अनुमान लगा रहा हो कि यहाँ क ् या होता होगा. मगर दूसरी और बहुत सारी आकाशगंगाएँ हैं, जिनमें से कुछ पास हैं, और कुछ-कुछ सूर ् य के रंग की ही हैं, जबकि कुछ दूर हैं और इसलिए तुलनात ् मक रूप से ज़ ् यादा नीले प ् रतीत होते हैं. पर अब आपके मन में ये सवाल आएगा — कि इतनी सारी आकाशगंगाएँ क ् यों हैं? चूँकि ये आकाश के एक साफ-सुथरे भाग का चित ् र है, इसमें केवल 1,000 आकाशगंगाएँ हैं. हमारा अनुमान है कि — हबल स ् पेस टेलिस ् कोप से दिख जाने वाले, मतलब यदि आप समय निकालकर चारों तरफ स ् कैन करके देखें तो — क ़ रीब 100 अरब आकाशगंगाएँ देखी जा सकती हैं. ठीक है? आकाशगंगाओं की यह बहुत बड ़ ी संख ् या है. हमारी आकाशगंगा में तारो की संख ् या भी लगभग इतनी ही है. पर जब आप इस तरह की जगहों को देखेंगे, तो पाएँगे कि यहाँ तारों से अधिक आकाशगंगाएँ हैं, जो अपने आप में एक पहेली है. आपके मन में ये सवाल उठना चाहिए कि, वो कैसी डिजाइन थी, और किस तरह की सृजन प ् रक ् रिया, व किस तरह की संरचनाएँ जिसने संसार को ऐसा बनाया? और अब मैं आपको जो दिखाने जा रहा हूँ, वह वास ् तव में और भी जटिल है. हम उसे समझने-बूझने की कोशिश करेंगे. हमारे पास एक साधन है जो इस अध ् ययन में हमारी सहायता करता है, और वो यह कि ब ् रह ् माण ् ड का इतना अकल ् पनीय विशाल होना उसे कुछ मायनों में टाईम मशीन जैसा बना देता है. हमने इन गोलाकृति पिंण ् डों का समूह जैसा मॉडल बनाया है जिसे आप देख रहे हैं. हम पृ ् थ ् वी को इन पिण ् डों का केन ् द ् र मान लेते हैं, इसलिए क ् योंकि हम इसी स ् थान से प ् रेक ् षण कर रहे हैं. चाँद हमसे बस दो सेकण ् ड की दूरी पर है, तो अगर आप साधारण रोशनी में चाँद का चित ् र लें तो ये चाँद की अब से दो सेकण ् ड पहले की अवस ् था है, जिससे बहुत फर ् क नहीं पड ़ ता. दो सेकण ् ड मतलब हाल की ही बात है. सूरज को हम आठ मिनिट बाद देखते हैं. ये भी कोई बड ़ ी बात नहीं है, यदि कोई सौर तूफ ़ ान हमारी ओर नहीं आ रहा हो, और हमें उससे बचना ज ़ रूरी हो. ऐसे में आप पूर ् वचेतावनी रखना चाहेंगे. पर अगर आप बृ ् हस ् पति तक जाएं जो कि 40 मिनिट दूर है. तब समस ् या आती है. आपने मंगल के बारे में सुना होगा कि वहाँ संपर ् क साधना मुश ् किल है क ् योंकि प ् रकाश को वहाँ तक पँहुचने में काफी समय लगता है. पर अब यदि आप सबसे निकटतम तारों को देखें, सबसे पास के 40 या 50 तारों को, वे लगभग 10 प ् रकाशवर ् ष की दूरी पर हैं. याने अगर आप अभी उनका चित ् र खींचे, तो वो दरअसल उनके 10 साल पहले की अवस ् था है. अब अगर आप आकाशगंगा के केन ् द ् र को देखें, तो वो उनकी हज़ारों साल पहले की अवस ् था है. अगर आप एन ् ड ् रोमिडा को देखें, जो हमारी सबसे क ़ रीबी बड ़ ी आकाशगंगा है, वो हमसे बीस लाख प ् रकाशवर ् ष की दूरी पर है. अगर आप बीस लाख साल पहले की पृ ् थ ् वी का चित ् र खींचें, तो वहाँ मनुष ् य का नामोनिशान भी नहीं होगा, क ् योंकि हमें नहीं लगता कि उस समय तक मनुष ् य आए होंगे. ये उदाहरण आपको समय के अंतराल से दूरी का आभास भर देता है. हबल स ् पेस टेलिस ् कोप के ज़रीए हम कई सौ करोड ़ ों, अरबों वर ् षों को देख रहे हैं. पर अगर हम इतने सक ् षम हो जाएँ और ऐसा कुछ कर पाएँ जिससे हम और पीछे देख सकें — ऐसी घटनाएँ जो और पहले घटी हो, मैंने अपने बहुत सारे शोधकार ् य में यही किया, ऐसी तकनीकों के विकास पर काम किया — जिससे हम तारों और आकाशगंगाओं के बनने के युगों पहले की घटनाएँ देख सकें, उस समय की, जब ब ् रह ् माण ् ड गरम और सघन और बहुत ही अलग था. तो घटनाक ् रम कुछ ऐसा ही था, और मेरे पास इसकी एक काल ् पनिक प ् रस ् तुति भी है. इसमें बीच में स ् थित आकाशगंगा हमारी है, जिसे 'मिल ् की वे' कहते हैं, और उसके चारों ओर हबल से दिखने वाली करीबी आकाशगंगाएँ हैं, और यहाँ एक गोलक पिण ् ड है, जिससे अलग-अलग समय को चिन ् हित किया गया है. और उसके पीछे नई आकाशगंगाएँ हैं. क ् या आप इस पूरे परिदृश ् य को समझ पा रहे हैं? समय की उत ् पत ् ति कुछ अजीब है — ये बाहर की ओर है, ठीक? और ब ् रह ् माण ् ड का एक हिस ् सा ऐसा भी है जिसे हम देख नहीं सकते क ् योंकि वो इतना सघन और गरम है, कि उससे प ् रकाश भी बाहर नहीं निकल पाता. कुछ वैसे ही जैसे आप सूर ् य के केन ् द ् र तक देख नहीं सकते, उसके लिए उन तकनीकों का प ् रयोग करना होगा जो बताएं कि सूर ् य के अंदर क ् या घट रहा है. लेकिन आप सूर ् य की सतह को देख सकते हैं, और कुछ इसी तरह से ब ् रह ् माण ् ड को भी हम देख पाते हैं. अब बाहरी भाग के इस मॉडल जैसी जगह को देखिए, ये बिग बैंग से निकला विकिरण (रेडियेशन) है, जो कि अद ् भुत एकरूपता से बिखरा हुआ है. ब ् रह ् माण ् ड लगभग एक सटीक गोले की भांति है, पर उसमें कुछ बहुत ही छोटी अनियमितताएं हैं जिन ् हें हम यहाँ बहुत बढ ़ ाकर दिखा कर रहे हैं. और उनमें से कालानुक ् रम में बढ ़ ते हुए इन छोटी अनियमितताओं से इन बेडौल आकाशगंगाओ, और फिर प ् रारंभिक तारों से विकसित आकाशगंगाओं की ओर से अंततः सौरमंडल में हम यहां तक आते हैं. संरचना की दृष ् टि से ये बहुत बड ़ ी बात है, पर अब हम देखेंगे कि इस समय क ् या चल रहा है. इन परिमापनों (मेज ़ रमेंट ् स) के लिए उपग ् रह समूहों का उपयोग किया गया, जिन ् हें आप यहाँ देख सकते हैं. यहाँ आप कोबे (COBE) उपग ् रह को देख सकते हैं, जिसे 1989 में छोड ़ ा गया था, और जिससे इन अनियमितताओं की खोज हुई. फिर 2000 में, मैप (MAP) उपग ् रह - फिर WMAP — जिससे और अच ् छी तस ् वीरें मिली. और उसके बाद इस साल (2008) के अंत — ये शानदार स ् टेल ् थ वर ् ज़न है, जिसमें बहुत अच ् छी डिज़ाईन क ् षमताएँ हैं, अब देखिए — प ् लैंक उपग ् रह को प ् रक ् षेपित किया जाएगा, जो बहुत अधिक रिज ़ ोल ् यूशन के मानचित ् र उपलब ् ध कराएगा. और इस तारतम ् य से ब ् रह ् माण ् ड के आरंभ की समझ विकसित होगी. हमने इन तस ् वीरों में अनियमितताओं को देखा, जिनसे अंतरिक ् ष में समय के गठन, और ब ् रह ् माण ् ड में निहित अवयवों के रहस ् य उजागर होने लगे, साथ ही सृष ् टि के प ् रारंभ में उसकी उत ् पत ् ति के बारे में भी पता चलने लगा. तो हमारे पास ये बहुत ही अनूठी तस ् वीर है, और अब मैं वापस शुरु से शुरु करता हूँ, जहाँ किसी रहस ् यमयी प ् रक ् रिया से ब ् रह ् माण ् ड की रचना होती है. फिर एक समय ऐसा आता है, जब त ् वरित गति से विस ् तार होता है, और ये ब ् रह ् माण ् ड फैलने लगता है, फिर ये ठंडा होकर उस अवस ् था तक पहुँच जाता है, जब ये पारदर ् शी बन जाता है, फिर अंधकार युग का आरंभ होता है, जिसके बाद सर ् वप ् रथम तारों का जन ् म होता है, जो आकाशगंगाएँ बनाते हैं, फिर उनसे और अधिक विस ् तृ ् त आकाशगंगाओं का विकास होता है. कुछ इसी दौरान हमारा सौर मण ् डल अस ् तित ् व में आने लगता है. और ये आज भी विकसित हो रहा है. और भी कुछ अद ् भुत चीज़ें हैं. ये जो चोगे जैसा आकार है, ये दर ् शाता है कि इस दौरान अंतरिक ् ष में समय का ढाँचा क ् या कर रहा है. ये बहुत ही विचित ् र मॉडल है, है ना? तो फिर किस आधार पर हम इसे सही मान रहे हैं? चलिए मैं आपको प ् रकृ ् ति में निहित कुछ संरचनाएँ दिखाता हूँ जो इसी का परिणाम है. मेरा मानना है कि स ् पेसटाइम अंतरिक ् ष की मुख ् य सारवस ् तु है, जबकि ये आकाशगंगाएँ और तारे सिर ् फ समुद ् र की झाग की तरह है. ये सब संकेत हैं कि हमें कहां रोचक तरंगें मिलेंगी और वहाँ क ् या हुआ होगा. ये है स ् लोअन डिजिटल स ् काई सर ् वे जिससे इस समय हम लाखों आकाशगंगाएँ देख रहे हैं. यहाँ का हर बिन ् दु एक आकाशगंगा है. इसमें टेलिस ् कोप के ज ़ रिए आकाश की तस ् वीरें ली जाती हैं, उनमें से तारों को छांटकर अलग करके आकाशगंगाओं का अध ् ययन किया जाता है, उनकी दूरी का अनुमान लगाकर उन ् हे अंतरि ़ क ् ष के मानचित ् र में डाल दिया जाता है, और फैलते हुए अर ् द ् ध-व ् यास में उनके स ् थिति की दिशा के अनुसार लगा दिया जाता है. आप इन संरचनाओं को देख रहे हैं, इसे हम ग ् रेट वॉल कहते है, पर इसके साथ ही शून ् य स ् थान और वे पदार ् थ भी हैं जो बहुत हल ् के नज़र आते हैं क ् योंकि हमारे टेलिस ् कोप इतने उन ् नत नहीं हैं कि उन ् हें देख पाएं. अब मैं आपको यही चित ् र 3D में दिखाता हूँ. इन तस ् वीरों को धरती की अपनी धुरी पर घूमने के दौरान लिया जाता है, इसलिए ये आपको विस ् तृत आकाश में फैले हुए पंखे के आकार में दिखते हैं. अंतरिक ् ष के कुछ भाग हम अपनी आकाशगंगा के कारण नहीं देख पाते, या फिर इसलिए क ् योंकि उन ् हे दिखा सकनेवाले टेलिस ् कोप अभी बने नहीं हैं. अगली तस ् वीर में हम इस घूमने की प ् रक ् रिया का त ् रि-आयामी (3D) रूपांतरण देखेंगे. क ् या आप आसमान में फैले पंखे के आकार के इन स ् कैन को देख रहे हैं? ध ् यान दें, यहाँ हर एक बिन ् दु एक आकाशगंगा है, आप उन आकाशगंगाओं को भी देख पा रहे हैं जो एक तरह से हमारे पड ़ ोसी हैं, और आप उनकी संरचना को भी देख पा रहे हैं. आप अब उस आकार को देख रहे हैं जिसे हम ग ् रेट वॉल कहते हैं, आप इसकी जटिल बनावट को देख सकते हैं, और इन शून ् य स ् थानों को भी. अंतरिक ् ष में कुछ ऐसे स ् थान हैं जहाँ एक भी आकाशगंगा नहीं है, और कुछ ऐसे जहाँ हज़ारों आकाशगंगाएँ एक साथ ठंसी हुई हैं. ये एक अद ् भुत आकृति है, लेकिन हमारे पास उतने आंकड ़ े उपलब ् द ् ध नहीं है कि हम इसका वास ् तविक स ् वरूप देख सकें. हमारे पास दस लाख आकाशगंगाएँ हैं, ठीक? जैसे हवा में दस लाख गेंदें एकसाथ लटकी हुई हैं. पर इसके पीछे क ् या चल रहा है? इससे मिलता-जुलता एक और सर ् वे किया गया था, जिसे 'टू-डिग ् री फील ् ड ऑफ व ् यू गैलेक ् सी रेडशिफ ् ट सर ् वे' कहा जाता है. अब हम इसके बीच से पलक झपकते ही गुज ़ र जाएंगे. यहां जब भी हमें कोई आकाशगंगा मिलती है — तो हम उस आकाशगंगा के बारे में हमारी उपलब ् द ् ध जानकारी रेडशिफ ् ट परिमापन और इसी तरह के तरीकों से जुटा लेते हैं और उसके आधार पर आकाशगंगा का प ् रकार और रंग दर ् ज कर देते हैं, जिससे यह वास ् तविक प ् रतिरूप बन गया है. आप जब आकाशगंगाओं के बीचोंबीच हों, तो वहाँ से उनकी आकृ ् ति को समझना कठिन है, ये जीवन के बीच फंसे रहने जैसा ही कुछ है. दृश ् य के बीच में स ् थित होकर उसका समूचा विवरण जान लेना बहुत मुश ् किल है, इसलिए हम इसकी आकृति का अनुमान नहीं लगा पाएंगे. तो इसलिए हम बाहर निकलकर इसे वापस पलटकर देखेंगे. फिर पहले हमें इस सर ् वे से निर ् मित विन ् यास दिखेगा, और फिर हम वहाँ दिखने वाली आकाशगंगाओं की संरचना दिखने लगेंगीं. फिर से, पहले हमें आकाशगंगाओं की ग ् रेट वॉल का यह विस ् तार दिख रहा है. लेकिन आप शून ् य स ् थानों को भी देख पा रहे हैं, और इस जटिल बनावट को देख कर शायद आप सोच रहे होंगे, कि ये कैसे बना? मान लीजिए कि आप ब ् रह ् माण ् ड के रचयिता हैं, आप आकाशगंगाओं को इस प ् रकार के विन ् यास में कैसे लगाएंगे? आखिर इन ् हें बिना किसी उद ् द ् देश ् य के यूँ ही तो नहीं फैला दिया गया होगा. इसमें कोई बहुत ही पेचीदा प ् रक ् रिया सम ् मिलित है. आखिर ऐसी रचना हम कैसे बना सकते हैं? अब हमारे सामने मामला गंभीर हो चला है. हमें पूरी गम ् भीरता के साथ ईश ् वर की भूमिका अदा करनी है, सिर ् फ लोगों का जीवन ही नहीं, बल ् कि हमें दुनिया भी बनानी है. अगर ये आपकी ज़िम ् मेदारी हो, तो आप इसे कैसे निभाएँगे? कौनसी तकनीक का इस ् तेमाल करेंगे? उसकी प ् रक ् रिया के चरण क ् या होंगे? अब मैं आपको हमारे द ् वारा बहुत ही विशाल पैमाने पर किए सिम ् युलेशन के परिणाम दिखाऊँगा, जो इस पर आधारित है कि हमारी समझ से ब ् रह ् माण ् ड कैसा हो सकता है, इसमें हमने मुख ् य रूप से कार ् य और रचना के कुछ ऐसे सिद ् धान ् तों को अपनाया है, जिन ् हें मनुष ् य को तो सीखने में बड ़ ी मशक ् कत लगी, पर प ् रकृ ् ति उनसे आदिकाल से ही परिचित थी. और वो बस यह है कि आप एकदम सरलतम उपादानों को साधारण नियमों से इस ् तेमाल करें, पर आपके पास पर ् याप ् त उपादान होने चाहिए ताकि इसे आगे जटिल बनाया जा सके. अब इस प ् रारूप में कुछ बेतरतीबियां सम ् मिलित कीजिए, कुछ अनिश ् चितता और बेतरतीब अनियमितता, फिर आप पाएँगे कि अलग-अलग निरूपणों का अंबार लग गया है. अब मैं आपको पैमानों के फलन के रूप में पदार ् थ का वितरण दिखाना चाहूँगा. ये उसी का नक ् शा है, और अब हमे अंदर की ओर ज़ूम करेंगे. ब ् रह ् माण ् ड के सही निरूपण के लिए हमें इसमें एक और चीज़ जोड ़ ् नी पड ़ ेगी. जिसे हम डार ् क मैटर कहते हैं. ये ऐसा पदार ् थ है जो प ् रकाश से वैसी प ् रतिक ् रिया नहीं करता जैसी सामान ् य पदार ् थ करते हैं, याने जैसे ये रोशनी मुझपर या मंचपर पड ़ रही है. ये पदार ् थ प ् रकाश के लिए पारदर ् शी है, पर आप इसे यहाँ देख सकें, इसलिए हमने उसे सफेद रंग में दर ् शाया है, ठीक है? तो इस तस ् वीर में जो कुछ सफेद रंग में है वह डार ् क मैटर है. हमें इसे अदृश ् य पदार ् थ कहना चाहिए, लेकिन अभी हमने इसे यहाँ दृश ् यमान कर लिया है. पीले रंग में दिखने वाला पदार ् थ, वह सामान ् य पदार ् थ है जो तारों और आकाशगंगाओं में परिवर ् तित हो जाता है. मैं आपको अगली फिल ् म दिखाता हूँ. यहां पर हम फिर ज़ूम करते हैं. इन आकृ ् तियों को ध ् यान से देखिए. हम अब और ज़ ् यादा ज़ूम कर रहे हैं. आप अब इन तंतु जैसे आकारों को, संरचनाओं को और शून ् य स ् थानों को देख रहे हैं. और जब ऐसे बहुत सारे तंतु एक साथ किसी गांठ की जुड ़ जाते हैं, तो आकाशगंगाओं का महागुच ् छ बन जाता है. ये जगह जिस पर अभी हम ज़ूम कर रहे हैं इस छोटे से क ् षेत ् र में क ़ रीब 1 लाख से 10 लाख आकाशगंगाएँ हैं. हम तो बहुत ही उजाड ़ सी जगह में रहते हैं. न तो वह सौरमण ् डल का केन ् द ् र है, न ही हमारी आकाशगंगा का केन ् द ् र और हमारी आकाशगंगा भी अपने आकाशगंगा समूह के केन ् द ् र में नहीं है. हम फिर ज़ूम करते हैं. इस क ् षेत ् र में लगभग 1 लाख से 10 लाख के बीच आकाशगंगाएँ मिल सकती हैं. हम ज़ूम करते रहेंगे. ठीक है? मैं आपको इसका पैमाना बताना भूल गया था. एक पारसेक 3.26 प ् रकाशवर ् ष के समान है. तो एक गीगा-पारसेक 3 अरब प ् रकाश वर ् ष है — और यही हमारा पैमाना है. मतलब प ् रकाश को इस दूरी को तय करने में 3 अरब साल लगेंगे. अब हम इस बिन ् दु से उस बिन ् दु की दूरी पर हैं. ये दूरी हमारे और हमसे निकटतम एन ् ड ् रोमिडा आकाशगंगा के बीच की दूरी है. ये छोटे धब ् बे जैसी चीज़ें आकाशगंगाएँ हैं. अब हम बाहर की तरफ ज़ूम करेंगे, और आप इस संरचना को देख रहे हैं, जो कि बहुत दूर से नियमित आकृति जैसी दिखती है, पर ये बहुत सारी अनियमितताओं से मिलकर बनी हैं. ये संरचना के सरल सारभूत उपादान हैं. इसमें पहले तो एक सरल तरल द ् रव है. इसमें डार ् क मैटर है, सामान ् य पदार ् थ है, उसमें फोटोन और न ् युट ् रिनो हैं, जिनकी ब ् रह ् माण ् ड के उत ् तरार ् द ् ध में ज़ ् यादा उपयोगिता नहीं है. द ् रव बहुत ही सरल है, जो समय के साथ साथ जटिल संरचना में परिवर ् तित हो जाता है. जब आपने पहले इस तस ् वीर को देखा, तो शायद ही ये उतना महत ् वपूर ् ण लगा हो. यहाँ आप समूचे दृश ् यमान ब ् रह ् माण ् ड का एक प ् रतिशत हिस ् सा देख रहे हैं और उसमें आप अरबों आकाशगंगाएँ और उनके समूह देख रहे हैं, लेकिन, आप जान चुके हैं कि ये प ् रमुख संरचना नहीं है. इस ढाँचे का आधार डार ् क मैटर, याने अदृश ् य पदार ् थ है, जिसने पूरी संरचना को एक सूत ् र में बांधे रखा है. हम अब फिर इसके बीच से गुज़रते हैं, और आप देख सकते हैं कि दृश ् य के बीच में बैठकर उसकी संपूर ् ण अवधारणा बनाना कितना कठिन है. तो यहाँ भी हमें वही नतीजा मिलता है. आप ये तंतु देख पा रहे हैं, ये प ् रकाश अदृश ् य पदार ् थ है, और ये पीला रंग तारों या आकाशगंगाओं को दर ् शाता है. अब हम इसके चारों ओर का चक ् कर लगाएंगे, यहाँ आप बीच-बीच में तंतुओं को एक दूसरे में उलझते देख सकते हैं, जिससे आकाशगंगाओं का एक बड ़ ा समूह बन जाता है. अब हम वहाँ जाएंगे जहाँ आकाशगंगाओं का बहुत बड ़ ा समूह है, आप देख सकते हैं कि वो कैसा दिखता है. तो अंदर से ये उतना पेचीदा नहीं लगता है, है ना? पर जब आप इसे बहुत बड ़ े पैमाने पर देखें, और इसका अध ् ययन करें, तो आप पाएंगे कि ये बहुत ही उलझी हुई, महीन, और जटिल रचना है. ये किसी विशेष पद ् धति से पनपी है. तो सवाल ये है, कि ऐसी संरचना का बनना कितना मुश ् किल होगा? कामगारों की कितनी बड ़ ी फौज लगी होगी इस ब ् रह ् माण ् ड को बनाने में? मुद ् दा यही है, है ना? तो शुरु करते हैं. आप देख सकते हैं कि कैसे ये तंतु — देखिए कैसे बहुत सारे तंतु एक साथ मिलकर आकाशगंगाओं का महागुच ् छ बना रहे हैं. यहाँ आपको ये समझना होगा कि वास ् तविकता में ये ऐसा नहीं दिखेगा यदि — पहले तो, आप इतनी तेज़ यात ् रा नहीं कर सकते, उससे सब कुछ विकृ ् त हो जाएगा, लेकिन अभी हम जो देख रहे हैं, वो साधारण ग ् रैफिक आर ् ट के ज़रिए किया निरूपण है. यूँ कह लीजिए कि अगर आप अरबों साल ब ् रह ् माण ् ड के चारों ओर सफर करते, तो दृश ् य आपको कुछ ऐसा दिखता. और वो भी तब, जब आप अदृश ् य पदार ् थ को देख पाते. तो सवाल ये है कि, ऐसा कौनसा तरीक ़ ा हो सकता है, जिससे इस पूरे ब ् रह ् माण ् ड को सरलता से बनाया जा सके? तो शुरू करते हैं इस समझ के साथ कि ये समूचा दृश ् यमान ब ् रह ् मांड, वो पूरा विस ् तार जो हम हबल स ् पेस टेलिस ् कोप और दूसरे उपकरणों के ज़रिए हर दिशा में फैला देखते हैं, एक समय किसी अणु से भी छोटा क ् षेत ् र था. इसकी शुरुआत कुछ बहुत ही सूक ् ष ् म क ् वान ् टम यांत ् रिक उथलपुथल के ज ़ रिए हुई, जो बहुत ही प ् रचंड गति से बढ ़ ने लगी. फिर ये अस ् थिरताएँ महाकाशीय परिमाणों में फैलने लगी, और हमें यही अनियमितताएँ ब ् रह ् माण ् ड में व ् याप ् त माइक ् रोवेव तरंगों के आधार पर दिखती हैं. अब हमें कोई ऐसा तरीका चाहिए जिससे ये अस ् थिरताएँ आकाशगंगाओं और आकाशगंगाओं के समूह में विकसित हो सके, और ये प ् रक ् रिया सतत चलती रहे. मैं अब आपको एक छोटा प ् रारूपण (simulation) दिखाऊँगा. इस प ् रारूपण को 1,000 कम ् प ् युटर प ् रोसेसरों पर एक महीना चलाया गया था ताकि इसे देखने योग ् य प ् रस ् तुति जैसा बनाया जा सके. अब मैं अगली तस ् वीर में आपको एक और प ् रारूपण दिखाता हूँ जिसे चलाने में किसी डेस ् कटॉप कम ् प ् युटर को दो दिन लगते हैं. तो हम बहुत छोटी अस ् थिरताओं से शुरु करते हैं जब ब ् रह ् माण ् ड इस बिन ् दु पर था, अब चार गुना छोटा, और इसी तरह आगे बढ ़ ते हैं. अब आप ये जालसदृश आकृतियां देख पा रहे हैं, और खगौलिक आकृतियों को भी बनते देख रहे हैं. ये बहुत ही सरल संरचना है, क ् योंकि इसमें साधारण पदार ् थ नहीं, केवल डार ् क मैटर है. अब देखिए कैसे डार ् क मैटर पदार ् थ के रूप में इकट ् ठा होने लगता है, और कैसे साधारण पदार ् थ उसका अनुसरण करता है. यहाँ देखिए. शुरुआत में ये बहुत नियमित है. अस ् थिरताएँ केवल 1,00,000 का एक अंश हैं. और कहीं-कहीं 10,000 के एक अंश तक पहुँच रहीं हैं, फिर अरबों सालों में गुरुत ् वाकर ् षण अपना काम करने लगता है. यहाँ घनत ् व बढ ़ रहा है, जिससे आसपास का पदार ् थ इसकी ओर खिंचने लगता है. इससे ये और पदार ् थ को खींचने लगता है, फिर और ज़ ् यादा. पर ब ् रह ् मांड में दूरियाँ इतनी विशाल हैं और समय के पैमाने इतने बड ़ े कि इसे आकार लेने में बहुत समय लग जाता है. यह तब तक होता रहता है जबतक विस ् तार की दृष ् टि से ब ् रह ् माण ् ड आज की अवस ् था के लगभग आधे तक ना पहुँच जाए. वहाँ पहुँचने के बाद, ब ् रह ् माण ् ड रहस ् यमय रूप से बहुत तेज़ी से फैलने लगता है और अपनी वृ ् हदाकार संरचनाएँ रोक देता है. तो हम उतने ही बड ़ े आकार की बनावट देख पा रहे हैं, जितना इस समय तक संभव है, उसके बाद केवल वही चीज़ें आकार लेती रहेंगी जिनका आकार लेना पहले ही शुरू हो चुका है और वही आगे भी विकसित होती रहेंगी. तो हम प ् रारूपण में सफल हैं, लेकिन इसके लिए डेस ् कटॉप कम ् प ् युटर पर दो दिन लगेंगे. हमें 1,000 कम ् प ् युटर प ् रोसेसर पर क ़ रीब 30 दिन लगेंगे इसके पहले दिखाये प ् रारुपण को देखने के लिए. तो अब हमें कुछ-कुछा पता चला है कि ये ब ् रह ् माण ् ड कैसे बनाया जा सकता है, एक बूंद से भी कम सामग ् री लगाकर हर दिशा में दिखने वाली हर चीज़ बनाई जा सकती है, लगभग कुछ नहीं से — क ् योंकि मूलतत ् व इतना सूक ् ष ् म है, इतना सूक ् ष ् म — और ये लगभग परिपूर ् ण ही है, सिवाय इस बात के कि इसमें बहुत छोटी अस ् थिरताएँ हैं, 1,00,000 में एक अंश के बराबर, जिनसे ये अद ् भुत नक ् शे और आकृ ् तियाँ बनीं जो हम रहे हैं, आकाशगंगाओं और तारों जैसे रूपों में. अब हमारे पास एक प ् रारूप है, जिसकी हम गणना कर सकते हैं और उपयोग भी, ब ् रह ् माण ् ड दरअसल दिखता कैसा होगा उसकी रुपरेखा बनाने के लिए. ये रूपरेखा हमारे पहले की कल ् पनाओं के बिल ् कुल विपरीत है. 15 साल पहले हमने कॉसमिक बैकग ् राउन ् ड एक ् सप ् लोरर से शुरुआत की थी — जिससे ऊपर दाएं ओर वाले चित ् र बनाए, जो मूलतः ये बताते हैं कि बहुत बड ़ ी मात ् रा के कुछ उतार-चढ ़ ाव हुए थे, ओर ये उतार-चढ ़ ाव कई पैमानों में थे. आप उसे यहाँ कुछ हद तक देख सकते हैं. उसके बाद हमारे पास WMAP आया, जिसने हमें बस बेहतर कोणीय विश ् लेषण दिया. हम वही विशाल पैमाने की आकृ ् तियाँ देख पा रहे हैं, पर साथ में कुछ छोटे पैमाने की भी. नीचे दाएं ओर की तस ् वीर दर ् शाती है कि अगर उपग ् रह ने पलटकर पृ ् थ ् वी का चित ् र लिया होता तो हमें कैसा चित ् र मिलता. जैसा कि आप देख सकते हैं, आप सारे बड ़ े महाद ् वीपों को देख सकते हैं, लेकिन उससे ज़ ् यादा नहीं. पर हम उम ् मीद कर रहे हैं कि जब हमें प ् लैंक उपग ् रह मिलेगा, तो चित ् रों में स ् पष ् टता लगभग वैसी होगी जैसा कि आप पृ ् थ ् वी के उस चित ् र में देख पा रहे हैं, जिसमें आप पृ ् थ ् वी की जटिल संरचना को स ् पष ् ट रूप से देख पा रहे हैं. साथ ही, किनारों की स ् पष ् टता ये भी दिखा रही है कि महाद ् वीपों को सटाने पर वे एक-दूसरे में अटक सकते हैं, जिससे पृ ् थ ् वी पर कुछ अरेखिय प ् रक ् रियाओं के चलने का भी आभास मिलता है. भूगर ् भ में कुछ प ् रभाव हैं, पृ ् थ ् वी की सतह के प ् लेट ् स के सरकने का. इसका पता आपको इस चित ् र से ही मिल जाएगा. हम ब ् रह ् माण ् ड के आदिकाल के चित ् रों को इतना अच ् छा बनाना चाहते हैं कि उन ् हें देखते साथ ही हमें पता चले कि क ् या किन ् ही अरेखीय प ् रभावों के चलते कोई हलचल, या परिवर ् तन रूप ले रहा है, और साथ ही हमें कुछ भी सुराग मिल सके कि उत ् पत ् ति के समय अंतरिक ् ष में स ् पेसटाइम का सृजन कैसे हुआ होगा. तो आज हम इसी पर काम कर रहे हैं, और मैं आपको इसका छोटा सा स ् वाद चखाना चाहता था. एक अलग सोच देना चाहता था कि ब ् रह ् माण ् ड का नक ् शा और बाकी सब कुछ कैसा होता होगा. धन ् यवाद. (तालियाँ) सुप ् रभात. चलिए एक मिनट के लिए इतिहास के महानतम प ् रवादपुरूष लियोनार ् दो दा विन ् ची की तरफ देखते हैं. हम सभी उनकी अद ् भुत कृ ् तियों से परिचित हैं — उनके रेखाचित ् र, तस ् वीरें, उनके आविष ् कार, उनके लेख. लेकिन हम उनके चेहरे को नहीं जानते. उनके बारे में हज़ारों क ़ िताबें लिखी गईं हैं, पर उन सभी में उनकी शक ् ल-सूरत को लेकर विवाद रहा है. यहाँ तक की बहुत से कला इतिहास बोद ् धा उनकी इस विख ् यात पोट ् रेट को स ् वीकार नहीं करते हैं. तो आपको क ् या लगता है? क ् या यही लियोनार ् दो दा विन ् ची का चेहरा है या नहीं? चलिए पता लगाते हैं. लियोनार ् दो ऎसे व ् यक ् ति थे जो अपने आस पास की हर वस ् तु की तस ् वीर बनाते थे. उन ् होने लोगों की, मानवीय शारीरिक संरचना, पौधे, जानवर, प ् रकृ ् ति, भवन, पानी, हर चीज़ की तस ् वीरें बनाई. पर चेहरों कि नहीं? मुझे ऎसा विश ् वास करना कठिन लगता है. उनके समकालीन चित ् रकारों ने चेहरों की भी तस ् वीरें बनाई, यहाँ दिख रही तस ् वीरों की तरह. पूरा चेहरा या उसका तीन-चौथाई. तो लियोनार ् दो जैसे स ् वतःस ् फूर ् त चित ् रकार ने समय समय पर खुद की तस ् वीरें ज़रूर बनाई होंगी. चलिए उन ् हे ढूँढ निकालते हैं. मुझे लगता है कि अगर हम उनकी सारी कृ ् तियों को उनके स ् वयं की तस ् वीर ढूँढने के लिए छाँटते बैठें, तो हमें उनका चेहरा हमारी और देखता मिल ही जाएगा. तो मैंने उनकी सारे चित ् र, जो 700 से ज़ ् यादा हैं, देख डाले, और पुरूष पोट ् रेट तलाशे. उन तस ् वीरों की संख ् या क ़ रीब 120 है, जिन ् हें आप यहाँ देख रहे हैं. अब इनमें से कौनसी उनकी खु ़ द की तस ् वीरें होंगी? उसके लिए हम उन तस ् वीरों को छांट कर निकालते हैं जिनमें पूरा चेहरा या उसका तीन-चौथाई भाग दिख रहा हो. बाकी तस ् वीरों को हटा देते हैं. उस तस ् वीर में पर ् याप ् त स ् पष ् टता भी होनी चाहिए. इसलिए हम बहुत अस ् पष ् ट या बहुत अधिक शैलीगत तस ् वीरों को भी हटा देते हैं. उनके समय के विवरणों से हमें ये पता है कि लियोनार ् दो बहुत ही सुपुरूष, ख ़ ूबसूरत इंसान थे. तो हम कुरूप या व ् यंग-छवियों को भी निकाल सकते हैं. (हँसी) उसके बाद देखिए क ् या होता है — बस तीन ही दावेदार बचते हैं जो हमारी कसौटी पर खरे उतरते हैं. ये रहे. हाँ, इनमें वो बूढे ़ व ् यक ् ति की तस ् वीर भी शामिल है, उनकी कलम से बनाई विख ् यात रेखा चित ् र 'होमो विट ् रुवियानोस' भी. और आखिरी चित ् र, लियोनार ् दो द ् वारा बनाई किसी पुरूष की एकमात ् र तस ् वीर, 'द म ् युज़िशियन.' इन चेहरों पर जाने से पहले, मुझे ये बताना चाहिए कि मैं किस अधिकार से इस विषय पर बात कर रहा हूँ. मैंने ख ़ ुद क ़ रीब 1,100 से ज़ ् यादा पोट ् रेट बनाए हैं अख ़ बारों के लिए - 300 - माफ कीजिए 30 -बस 30 साल की अवधी में. (हँसी) लेकिन इनकी संख ् या 1,100 है और बहुत ही कम कलाकार इतने सारे चेहरे बनाते हैं. तो इस तरह मैं चेहरों का चित ् र बनाने और उनके विश ् लेषण के बारे में थोड ़ ा बहुत जानता हूँ. अब इन तीन पोट ् रेटों को देखिए. और दिल थाम के बैठिए, क ् योंकि जैसे ही हम इन तस ् वीरों को ज़ूम करते हैं, देखिए कैसे उनमें एक ही तरह का चौड ़ ा माथा, सीधी भौंहें, लंबी नाक, थोड ़ ा घुमाव लिए होंठ और छोटी, सुविकसित ठुड ् डी है. जब मैंने पहली बार इसे देखा तो मुझे अपनी आँखों पर विश ् वास नहीं हुआ. इन पोट ् रेटों के एक जैसे दिखने की कोई वजह नहीं है. हमने बस इतना किया कि ऎसे पोट ् रेट चुनें जिनमें किसी चित ् रकार के स ् वंय के पोट ् रेट होने के गुण हों, जो कि इनमें हैं, और देखिए, इनमें कितनी समानता है. पर क ् या ये सही क ् रम मे बने हैं? युवा की तस ् वीर पहले बनी होनी चाहिए. और जैसा कि आप इनके बनाए जाने के वर ् ष से देख पा रहे हैं, वास ् तव में ऎसा ही हुआ है. इन ् हें सही क ् रम में ही बनाया गया है. उस समय लियोनार ् दो की क ् या उम ् र रही होगी? क ् या वो इन तस ् वीरों से मेल खाती है? बिल ् कुल मेल खाती है. वो 33, 38 और 63 के थे जब ये तस ् वीरें बनीं. तो अब हमारे पास तीन तस ् वीरें हैं, जो कि संभवतः एक ही व ् यक ् ति की हैं उसी उम ् र की, जो कि तस ् वीरों के बनते समय लियोनार ् दो की थी. पर हम ये तस ् दीक ़ कैसे करें कि ये लियोनार ् दो ही हैं, कोई और नहीं? हमें तुलना के लिए किसी स ् वीकृत मानक की आवश ् यकता होगी. और वो ये है — बहुतायत की स ् वीकृ ् ति मिली लियोनार ् दो की एकमात ् र छवि. ये वेरोक ् कियो की बनाई डेविड की मूर ् ति है, जो 15 वर ् ष के लियोनार ् दो को खड ़ ा कर बनाई उनकी प ् रतिकृ ् ति है. अब हम अगर मूर ् ति के चेहरे की तुलना म ् युज़िशियन के चेहरे से करें, तो वही नयन-नक ् श मिलेंगे. ये मूर ् ति हमारा मानक है, और ये लियोनार ् दो की पहचान को उन तीन चेहरों से जोड ़ ती है. देवियों और सज ् जनों, इस कहानी को अभी प ् रकाशित नहीं किया गया है. ये सर ् वथा ही उचित है कि इसे टेड में यहाँ सबसे पहले सुना और देखा जाए. प ् रवादपुरुषों के प ् रवादपुरूष का चेहरा आखिरकार मिल गया है. तो देखिए ये हैं — लियोनार ् दो दा विन ् ची. (तालियाँ) आपने शायद सुना होगा कि क ़ ुरान में स ् वर ् ग की कल ् पना में 72 हूरियाँ हैं. मैं वादा करती हूँ कि इस विषय पर मैं फिर चर ् चा करुँगी. पर यहाँ, उत ् तर-पश ् चिम में, हम कुछ ऎसे वातावरण में रह रहे हैं जो क ़ ुरान में वास ् तव में दिए स ् वर ् ग की कल ् पना से बहुत मेल खाता है, जिसकी व ् याख ् या 36 बार मिलती है 'बहती धाराओं से सिंचित बगीचों' के रूप में. चूंकि मैं लेक युनियन में जा मिलने वाली धारा में एक हाउस-बोट पर रहती हूँ, इसलिए स ् वर ् ग के इस चित ् रण से मैं पूरा इत ् तेफ ़ ाक ़ रखती हूँ. पर ऎसा क ् यूँ है कि अधिकांश लोग इस बारे में जानते नहीं? मैं ऎसे कई नेक ़ नीयत अ-मुस ् लीम लोगों को जानती हूँ जिन ् होने क ़ ुरान पढ ़ ना शुरू तो किया, पर बीच में ही छोड ़ दिया, उसके अलग चरित ् र से परेशान होकर. इतिहासकार थॉमस कारलाईल मुहम ् म ् द को विश ् व के महानतम नायकों में से मानते हैं, लेकिन उनका भी क ़ ुरान के बारे में कहना था, 'मेरी पढ ़ ी कठिनतम क ़ िताब, थका देने वाली, अस ् पष ् ट खिचड ़ ी.' (हँसी) मुझे लगता है कि समस ् या का इक सिरा ये है हम ये समझ लेते हैं कि क ़ ुरान को बाकी क ़ िताबों की तरह पढ ़ ा जा सकता है — बारिश की दोपहरी में सोए हुए पॉपकार ् न का कटोरा साथ लिए, जेसे कि ईश ् वर — समूचा क ़ ुरान मुहम ् म ् द को बताई ईश ् वर की कही बातें हैं — जैसे कि ईश ् वर बाकि बेस ् ट-सेलिंग लेखकों जैसे ही हों! मगर इतने कम लोगों का सच-मुच में क ़ ुरान पढ ़ ना ही वजह है जिससे इतनी आसानी से इसका हवाला दे दिया जाता है — और अक ़ ् सर ग ़ लत हवाला ही दिया जाता है. मूल प ् रसंग से उठाकर वाक ् यांशों कों तोड ़ -मरोड ़ कर ध ् यान आकर ् षण के लिए इस ् तेमाल किया जाता है, ये तरीक ़ ा कठमुल ् लों को भी बहुत सुहाता है और मुस ् लिम विरोधी इस ् लाम से चिढ ़ ने वाले लोगों को भी. तो पिछले बसंत, जब मैं तैयार हो रही थी मुहम ् मद की जीवनी लिखने के लिए, मुझे एहसास हुआ कि पहले मुझे क ़ ुरान अच ् छे से पढ ़ ना चाहिए — जितने अच ् छे से मुझसे संभव हो पाता. मेरा अरबी का ज ् ञान अभी डिक ् शनरी पर आश ् रित था, इसलिए मैंने चार प ् रसिद ् ध अनुवाद लिए और उन ् हें साथ - साथ पढ ़ ने का निश ् चय किया, एक एक आयत अरबी शब ् दों के रोमन लिप ् यांतरण और सातवीं शताब ् दी के मूल अरबी रूप सहित. मेरे पास एक सुविधा थी. मेरी पिछली क ़ िताब शिया-सुन ् नी विभेद की कहानी पर थी, जिसके लिए मैंने प ् राचीनतम इस ् लामी इतिहास पर सघन काम किया था, इसलिए मुझे उन घटनाओं का पता था जिनका क ़ ुरान में बार-बार उल ् लेख है, और उनका परिप ् रेक ् ष भी. मुझे उतना ज ् ञान था, जिससे मैं क ़ ुरान में एक पर ् यटक की भांति विचरणा कर सकती थी — एक जानकार पर ् यटक, थोड ़ ा अनुभवी भी, लेकिन फिर भी बाहर का आदमी, एक अविश ् वासी यहूदी जो किसी दूसरे का धर ् म ग ् रंथ पढ ़ रहा था. (हँसी) तो मैं धीरे-धीरे पढ ़ ने लगी. (हँसी) मैंने इस प ् रोजेक ् ट के लिए तीन हफ ् ते का समय निर ् धारित किया था, इसी को शायद घमण ् ड कहते हैं. (हँसी) क ् योंकि इस काम में तीन महीने लग गए. मैं इस लालच से बचती रही कि अंत के छोटे और स ् पष ् टतः अधिक रहस ् यवादी अध ् यायों पर सीधे पहुँच जाऊँ. लेकिन जब जब मुझे लगने लगता की अब मैं क ़ ुरान को समझने लगी हूँ — लगता कि अब 'ये मेरी पकड ़ में आ रहा है' — तो दूसरे ही दिन ये भावना छू-मंतर हो जाती. और सुबह मैं ये सवाल लिए फिर जुट जाती कि क ् या मैं किसी अजनबी दुनिया में भटक गई हूँ. मगर ये क ् षेत ् र था बहुत ही जाना पहचाना. क ़ ुरान कहता है कि वो टोरा (मुसा कि पाँच क ़ िताबें) और गॉस ् पेल (धर ् मनिर ् देश) में दिए संदेशों को ही दोहराता है. तो उसका एक-तिहाई बाईबल के पात ् रों की कहानियों को ही पुनः बयान करता है जैसे कि अब ् राहम, मुसा, जोसेफ, मेरी, इसा. ईश ् वर ख ़ ुद अपने पहले के यहोवा वाले रूप से परिचित थे — इस इर ् ष ् या में अड ़ े हुए कि दूसरा ईश ् वर नहीं है. ऊंटों, पहाड ़ ों का होना, रेगिस ् तानी कुंएँ और झरने मुझे उस साल की याद दिला रहे थे जो मैंने सिनाई मरूभूमि में भटकते हुए गुज़ारा. और फिर वो भाषा, उसकी लयबद ् ध मूर ् च ् छना, मुझे उन शामों कि याद दिला रहे थे जो मैंने बेदुविन (बद ् दु) प ् रौढ ़ ों से घंटों चलने वाली काव ् यों कथाओं को सुनते हुए बिताईं जो उन ् हें ज़बानी याद थे. और तब मुझे समझ आने लगा कि क ् यों ये कहा जाता है कि क ़ ुरान को क ़ ुरान की तरह जानने का ज़रीया सिर ् फ अरबी है. मसलन फातिहाह को लीजिए, सात आयतों का पहला अध ् याय जो ईश ् वर की प ् रार ् थना के साथ साथ इस ् लाम की प ् रमुख प ् रार ् थना भी है. अरबी में ये सिर ् फ 29 शब ् दों में है, पर अनुवादों में 65 से 72 तक. और जितना आप इसमें शब ् द जोड ़ ते जाते हैं, उतना ही लगता है कि कुछ छूट गया. अरबी उच ् चारणों में मंत ् रमुग ् ध कर देने की क ् षमता है इसलिए इसका प ् रभाव पढ ़ ने से सुनने में ज़ ् यादा आता है, इसे समझने से ज़ ् यादा महसूस करने की ज़रूरत है. इसे सस ् वर उच ् चारित करना होगा, ताकि इसका संगीत कानों और ज़बान को छूँ सके. तो क ़ ुरान अंग ् रेज़ी में अपनी छाया मात ् र है, या जैसा ऑर ् थर आरबेरी ने अपने अनुवाद के बारे में कहा, 'एक व ् याख ् या'. पर अनुवाद में सब कुछ खो गया ऎसा भी नहीं है. जैसा कि क ़ ुरान वादा करता है, सब ् र का फल मिलता है, और कुछ ताज ् जुब करने वाली बातें भी हैं — जैसे थोड ़ ी बहुत पर ् यावरण सचेतनता और मनुष ् य का ईश ् वर की सृष ् टि में निमित ् त मात ् र होने क एहसास, जिनका पर ् याय बाईबल में नहीं मिलता. और जहाँ बाईबल केवल पुरूषों को ही सम ् भाषित करता है, पुल ् लिंग द ् वितीय पुरूष और तृ ् तीय पुरूष के वाचन में, वहीं क ़ ुरान महिलाओं को भी शामिल करता है — जैसे क ़ ुरान बात करता है पुरूषों पर विश ् वास और स ् त ् रियों पर विश ् वास करने पर — सम ् माननीय पुरुष और सम ् माननीय महिलाएँ. या फिर आप उस कुख ् यात आयत को ही लीजिए जिसमें क ़ ाफिरों को मारने की बात कही गई है. हाँ, इसमें ज़रूर ऎसा कहा गया है, लेकिन बहुत ही विशेष संदर ् भ में: पवित ् र शहर मक ़ ् का पर चढ ़ ाई से पहले, जहाँ सामान ् यतः युद ् ध की मनाही थी. पर ये अनुमति भी बहुत सारी शर ् तों और हिदायतों के साथ दी गई. आप क ़ ाफ ़ िरों को मक ़ ् का में नहीं मार सकते, मगर इजाज़त मिले तो ऎसा कर सकते हैं, पर सिर ् फ तब जब रियायत का वक ़ ् त ख ़ त ् म हो गया हो और तब तक कोई दूसरा समझौता भी ना हो पाया हो और वो भी तब जब वो आपको क ़ ाबा जाने से रोकें, और उसमें भी तब जब पहले हमला वो करें. इस पर भी — ईश ् वर दयानिधान है, माफ कर देना सबसे बड ़ ी महानता है — और इसलिए, अनिवार ् य रूप से, बेहतर यही है कि आप ना मारें. (हँसी) सबसे बड ़ ा आश ् चर ् य शायद यही था — कि क ़ ुरान कितना उदार है, कम से कम उनके लिए जो मूलतः रूढ ़ ीवादी नहीं हैं. 'इनमें से कुछ आयतों के अर ् थ स ् पष ् ट हैं', ये कहता है, 'और कुछ के थोड ़ े अस ् पष ् ट. पंकिल हृदय वाले इन अस ् पष ् टताओं का इस ् तेमाल अशांति फैलाने की कवायद में करेंगे, इनकी अपने स ् वार ् थानुसार व ् याख ् या करके. बस ईश ् वर ही है जो सच जानता है. ' ये जुमला, 'ईश ् वर सूक ् ष ् म है' बार बार दोहराया गया है. और सचमुच में, समूचा क ़ ुरान हमें जितना बताया जाता है, उससे काफी ज़ ् यादा सूक ् ष ् म है. मसलन, वो छोटा सा मुद ् दा हूरियों और स ् वर ् ग वाला. यहाँ पूरब की सनातनी सोच का असर दिखता है. जिस शब ् द को चार बार दोहराया गया है वो है 'हूरी', जिनका वर ् णन काली आँखों वाली भारी वक ् ष की कन ् याओं के रूप में या फिर सुंदर, भारी नितंब वाली कुमारियों के रूप में किया गया है. लेकिन मूल अरबी में केवल एक शब ् द है: 'हूरी.' कोई भारी वक ् ष या नितंब नहीं. (हँसी) अब ये पवित ् र जीवात ् माओं के वर ् णन का तरीक ़ ा हो सकता है जैसे कि देवदूत या फिर युनानी कौरो (पुल ् लिंग) या कोरे (स ् त ् रिलिंग) जैसे, चिरयुवा. पर सच ् चाई ये है कि सच क ् या है कोई नहीं जानता और यही ध ् यान में रखने वाली बात है. क ् योंकि क ़ ुरान बहुत स ् पष ् ट है जब वो आपसे कहता है कि आप 'स ् वर ् ग में एक नई सृ ् ष ् टि बनेंगे' और आपका 'आपकी कल ् पना के परे किसी रूप में पुनर ् सृ ् जन होगा', जो मेरे लिए कहीं ज़ ् यादा आकर ् षणीय है किसी हूरी को पाने की तुलना में. (हँसी) और वो 72 का आंकड ़ ा कहीं नहीं आता. क ़ ुरान में कहीं भी 72 हूरियों का उल ् लेख नहीं है. ये कल ् पना 300 साल बाद की है, जिसे ज़ ् यादातर ईस ् लामी बोद ् धा बादलों पर बैठे पंखों वाले हार ् प बजाते लोगों जैसी कल ् पना ही समझते हैं. (क ़ ुरान में) स ् वर ् ग इसके बिलकुल विपरीत है. वो कौमार ् य नहीं, उर ् वरता है, वो प ् राचूर ् य है, उसमें बहती धाराओं से सिंचित बगीचे हैं. धन ् यवाद. (तालियाँ) मैं यहाँ आपको उस सेना में भर ् ती करने आया हूँ जो मानवों और बाकी प ् राणियों की कार ् यप ् रणालियों को नया आयाम दे रही है । बात पुरानी ही है — हमने पहले भी थोडी बहुत सुनी है । प ् रकृति में सबसे ताकतवर ही ज़िंदा बचता है; कंपनियों और देशों की सफ़लता का आधार है किसी को हराना, बरबाद कर देना, और प ् रतिद ् वंदी से आगे बढ जाना; राजनीति का अर ् थ है जीत - किसी की कीमत पर । पर मुझे लगता है कि हम एक नयी कहानी की शुरुवात होती देख रहे हैं । और ये किस ् सा कई सारे क ् षेत ् रों में आम होता, फ़ैलता दिख रहा है, जिसमें कि सहयोग, सामूहिक कार ् य और परस ् पर निर ् भरता ज ् यादा महत ् वपूर ् ण रोल अदा करते हैं । और वो केंद ् रिय, मगर गैर-ज़रूरी, प ् रतिस ् पर ् था का रोल और जीव-जीवस ् य-भोजनम ज़रा कोने में को सिमटे-दुबके बैठे हैं । मैनें सोचना शुरु किया इस रिश ् ते पर - बातचीत-संचार, मीडिया और सामूहिक कार ् य के बीच - जब मैनें 'स ् मार ् ट मॉब ् स' लिखी, और मैं उसके बारे में उसे लिखने के बाद भी सोचता रहा । असल में, अगर आप पीछे जायें, मानव का संवाद, मीडिया और सामाजिक ढाँचे की व ् यवस ् था के बाकी तरीके कुछ समय से परस ् पर विकसित होते रहे हैं । मानवों की उम ् र तो बहुत ज ् यादा है, उस लगभग १०,००० साल से जिसमे व ् यवस ् थित कृषि-आधारित सभ ् यता चली छोटे परिवारों के रूप में । बंजारे शिकारी के रूप में तो हम खरगोश मारते और खाना बटोरते रहे । उस समय धन-संपत ् ति का अर ् थ था ज़िंदा रहने भर को खाने का इंतज़ाम । मगर समय के एक बिंदु पर वो एक दल बने बडा शिकार करने के लिये । और हमें ये तो नहीं पता कि ठीक ठीक कैसे ये हुआ, मगर उन ् होंने निश ् चय ही किसी सामूहिक कार ् य-प ् रणाली का विकास किया होगा; ज़ाहिर है कि आप हाथी और मैमथ जैसे शिकार नहीं कर सकते यदि आप दल के भीतर ही लडते-भिडते रहें । सही है कि ठीक से कुछ नहीं कहा जा सकता है, मगर ये तो साफ़ है कि कोई नया रूप धन-संपत ् ति का ज़रूर निकला होगा । एक शिकारी परिवार के खाने से बहुत ज ् यादा खाना आ चुका था । तो इसने एक सामाजिक प ् रश ् न खडा किया जिसने मेरे हिसाब से कुछ नये सामाजिक समीकरण रचे । क ् या ऐसा हुआ कि जो लोग उस शिकार को खाते थे, वो शिकारी परिवारों के एक प ् रकार के देनदार बन जाते थे? यदि हाँ, तो कैसी पद ् धति बिठायी गयी होगी? कोई सबूत नहीं है मगर ये तो हुआ ही होगा कि किसी तरह की चिन ् ह-आधारित संचार प ् रणाली रही होगी । ज़ाहिर है कि कृषि के साथ ही पहली बडी सभ ् यतायें आयीं, पहले शहर मिट ् टी और ईंट से बने, पहले साम ् राज ् य भी । और इन साम ् राज ् यों के प ् रबंधकों ने ही लोगों को नौकरी दी गेहूँ, भेडों, और शराब की देनदारी का हिसाब रखने के लिये, और कर का हिसाब रखने के लिये कुछ चिन ् ह बना कर जो उस समय मिट ् टी के बने होते थे । जल ् द ही, अक ् षर ईज़ाद हुये । और इस महान नुस ् खे को, हज़ारों सालों तक, आरक ् षित रखा गया उन संभांत आकाओं के लिये (हँसी) जो साम ् राज ् यों का हिसाब रखते थे । और फ़िर एक नयी संचार तकनीक नें नयी मीडिया का सशक ् तीकरण किया: प ् रिंटिंग प ् रेस आ गयी, और कुछ ही दशकों में, दसियों लाख लोग पढना-लिखना सीख गये । और इस साक ् षर जमात से सामूहिक कार ् यों के कई नये रूप उभरे - ज ् ञान के क ् षेत ् र में, धर ् म और राजनीति के क ् षेत ् र में । हमनें वैज ् ञानिक क ् रांतियाँ देखीं, प ् रोटेस ् टेंट उद ् धार देखा, संवैधानिक प ् रजातंत ् र को वहाँ आते देखा जहाँ पहले वो नामुमकिन थे । प ् रिंटिंग प ् रेस ने ये नहीं कर डाला, ये हुआ उस सामूहिक कार ् य से जो साक ् षरता से जन ् मा था । और एक बार फ़िर, धन-संपत ् ति का नया रूप उभरा । देखिये, व ् यापार तो पुरातन है । बाज़ारें भी इतिहास जितनी पुरानी हैं । मगर पूँजीवद, जिस रूप में हम उसे जानते हैं, केवल कुछ ही साल पुराना है, परस ् पर सहयोग और तकनीकों पर टिका, जैसे कि कोई कंपनी जिसके कई हिस ् सेदार हों, सामूहिक जोखिम वाले बीमे जैसा, या फ़िर डबल-एंट ् री अकाउंटिंग जैसा । आज तो निश ् च ् य ही, संबल देने वाली तकनीक इंटरनेट आधारित हैं, और असीमित तंत ् रजाल के ज़माने में, हर डेस ् क ् टॉप कंप ् यूटर खुद में एक प ् रिंटिंग प ् रेस है, एक प ् रसारण केंद ् र, एक संप ् रदाय, या एक बाज़ार । विकास की गति निरंतर बढ रही है । आजकल तो मामला डेस ् कटॉप से हट कर आगे बढ गया है, और बहुत ही जल ् दी, हम देखेंगे कि ज ् यादातर लोग, अगर सब के सब मानव नहीं, घूमते दिखेंगे, किसी सुपर-कंप ् यूटर को लिये हुए या पहने हुए जुडे हुए, ज़बरदस ् त स ् पीड से जिसे हम आजकल ब ् रोडबैंड कहते हैं । जब मैं इस सामूहिक कार ् य के विषय पर गहरे गया, मैनें पाया कि ज ् यादातर शोध उस चीज पर आधारित है जिसे समाज-विज ् ञानी 'सामाजिक कश ् मकश' कहते हैं । और इस सामाजिक कश ् मकश के कई रोचक उदाहरण हैं मैं उन में से दो को यहाँ संक ् षेप में बताऊँगा: कैदी की क ् श ् मकश (prisoner 's dilemma) और सामूहिक त ् रासदी (tragedy of the commons). केविन कैली ने मुझे बताया कि आप में ज ् यादातर जानते हैं कि कैदी की कश ् मकश किसे कहते हैं, इसलिये मैं फ़टाफ़ट थोडे में ही उस के बारे में बता देता हूँ । अगर आप के कोई प ् रश ् न हों तो, कृप ् या केविन कैली से पूँछें । (हँसी) कैदी की क ् श ् मकश असल में एक कहानी है जिसे गेम थियरी से निकली गणित की एक मैट ् रिक ् स पर रखा गया है । ये थ ् योरी परमाणु युद ् ध के बारे में प ् रारंभिक सोच से निकली थी: दो खिलाडी है जिन ् हें एक दूसरे पर विश ् वास नहीं है । ऐसे समझिये कि सारे गैर-गारंटी लेन-देन कैदी की कश ् मकश के ही उदाहरण हैं । एक व ् यक ् ति जिसके पास माल है, दूसरा जिसके पास पैसा है । क ् योंकि उन ् हें परस ् पर विश ् वास नहीं है, वो सौदा नहीं करेंगे । कोई भी पहला कदम नहीं लेना चाहता है क ् योंकि हो सकता है वहाँ धोखा मिले, मगर दोनो ही नुकसान में हैं, ज़ाहिर है, दोनों का ही ध ् येय पूरा नहीं हो पाता है । यदि वो मान जायें, और कैदी की कश ् मकश को किसी आश ् वासन पैदा करने वाले तरीके से जोड दें, तो वो आगे बढ सकते हैं । बीस साल पहले, राबर ् ट एक ् सलरोड ने कैदी की कश ् मकश को प ् राकृतिक विकास के प ् रश ् न पर लागू किया था: यदि हम भीषण प ् रतिस ् पर ् धियों की संतानें हैं, तो सहयोग नाम की चिडिया होती ही क ् यों है? तो उन ् होंने एक कंप ् यूटर टूर ् नामेंट आयोजित किया जहाँ लोग कैदी की कश ् मकश की समस ् या के हल और योजानायें जमा करते थे, उन ् हें आश ् चर ् य हुआ क ् योंकि एक बहुत ही साधारण सी युक ् ति की जीत हुई — उसने पहला टूर ् नामेंट जीता, और सबके सामने आने के बाद भी, फ़िर से उस ने दूसरा टूर ् नामेंट भी जीत लिया — जस को तस । एक और अर ् थ-शास ् त ् र से जुडा गेम है जो कैदी की कश ् मकश जितना मशहूर नहीं है आख़िरी शर ् त का खेल, और ये भी बहुत ही रोचक है ये जानने में कि आखिर लोग कैसे रुपये-पैसे से जुडे फ़ैसले लेते हैं । तो खेल कुछ ऐसा है: दो खिलाडी हैं: उन ् होंने ये खेल पहले कभी साथ में नहीं खेला है, वो दुबारा भी साथ कभी नहीं खेलेंगे, वो एक दूसरे को जानते भी नहीं हैं, और असल में, वो अलग अलग कमरों में बैठे हैं । पहले खिलाडी को सौ रुपये दिये जाते हैं और उन ् हें दो हिस ् सों में बाँटने को कहा जाता है: ५०-५०, या फ़िर ९०-१०, या जो भी वो खिलाडी करना चाहे । दूसरा खिलाडी या तो उस विभाजन को स ् वीकार करता है, दोनों खिलाडियों को पैसा मिलता है, खेल खत ् म हो जाता है — - या फ़िर वो अस ् वीकार कर सकता है - किसी को कुछ नहीं मिलता है और खेल खत ् म हो जाता है । आधुनिक अर ् थशास ् त ् र का मौलिक सिद ् दांत आपको बतायेगा कि आता हुआ एक रुपया सिर ् फ़ इसलिये अस ् वीकार करना गलत है क ् योंकि किसी दूसरे अंजान आदमी को तो ९९ रुपये मिल रहे हैं । लेकिन हज़ारों अमरीकी, यूरोपीय, और जापानी विद ् यार ् थियों के साथ प ् रयोगों में एक बडी संख ् या में वो सारे विभाजन निरस ् त हो गये जो ५०-५० के आसपास नहीं थे । और उन ् हें इस बारे में कुछ नहीं बताया गया था और उन ् हें छाँट कर भी नही लाया गया था और वो पहली बार ये खेल खेल रहे थे, विभाजन कर ् ताओं को भी ये स ् वाभाविक रूप से ये पता था क ् योंकि औसत विभाजन आश ् चर ् यजनक रूप से ५०-५० के करीब ही थे । सबसे रोचक बात तो तब पता चली जब मानव-विज ् ञानी इस खेल को दूसरी संस ् कृतियों में ले गये, और उन ् हें अचरच हुआ कि अमेज़न के काटो-जलाओ खेतिहर और मध ् य एशिया के ख़ानाबदोश चरवाहे और दर ् ज़नों और संस ् कृतियों में — सही बँटवारे के अपने अलग ही मापदंड थे । जिस से ये पता लगा कि किसी स ् वाभाविक न ् याय के मत के बजाय, जो मूल हो हमारी रुपये-पैसे के आदान-प ् रदान का, हम अपने सामाजिक पालन-पोषण से प ् रभावित हैं, चाहे हमें ये पता हो या न हो । सामाजिक कश ् मकश का एक और उदाहरण है सामूहिक त ् रासदी. गैरेट हार ् डिन ने साठ के दशक के दूसरे भाग में जनसंख ् या विस ् फ़ोट पर इसके ज़रिये बात की । उन ् होंने उदाहरण दिया एक सामूहिक चारागाह का जिसे हर व ् यक ् ति ने अपने-अपने जानवर बढा कर अत ् यधिक इस ् तेमाल के चलते नष ् ट कर दिया हो । उनका थोडा दुःख भरा निष ् कर ् ष था कि मानव निश ् चित रूप से उन सभी सामूहिक संसाधनों को न ् ष ् ट कर देगा जिसके इस ् तेमाल की उसे खुली छूट मिलेगी । एलिनर ओस ् ट ् रोम, एक राजनीति विज ् ञानी नें, १९९० में वो रोचक सवाल उठाया जो किसी भी अचछे साइंसदान को पूछ ् ना चाहिये, जो कि ये है: क ् या ये सच है कि मानव सामूहिक संसाधनों को नष ् ट कर देगा? तो वो गयीं और उन ् होंने जानकारी एकत ् र की । उन ् होंने हज़ारों ऐसे उदाहरण देखे जहाँ साझे जल-स ् रोत, वनस ् पति संसाधन, मछली के स ् रोत आदि थी, और पाया कि हाँ, हर जगह, मानवों ने उन ही साझे संसाधनों को नष ् ट किया जिन पर वो आधारित थे । मगर उन ् हें ऐसे भी उदाहरण मिले जहाँ लोग कैदी की कश ् मकश में नहीं फ़ँसे: असल में, सामूहिक त ् रासदी कैदी की कश ् मकश का ही बडा स ् वरूप है । और उन ् होंने कहा कि लोग तब तक कैदी ही रहेंगे, जब तक वो खुद को कैदी मानते रहेंगे । इस से बचने के लिये वो सामूहिक कार ् यों के ढाँचे बना सकते हैं । और उन ् होंने पाया, और मुझे बहुत रोचक लगा, कि उन सभी संरचनाओं में, जो कि सफ़ल थीं, बहुत सारे ऐसे सिद ् धांत थे जो सामूहिकता पर आधारित थे, और ये सिद ् धांत उन जगहों पर गायब थे जो असफ़ल थीं । मैं तेजी से गुज़र रहा हूँ कई सारे क ् षेत ् रों से । जीव-विज ् ञान में, बहुत सारे उदाहरण हैं परस ् पर निर ् भरता (symbiosis) के, सामूहिक निर ् ण ् य के, निश ् चय ही पारंपरिक मनोविज ् ञान को ख़ारिज़ करते हुए । मगर आज इस तथ ् य पर कोई खास संदेह नहीं रह गया है कि सामूहिक व ् यवस ् थायें सतही भूमिका से केंद ् रिय भूमिका की ओर बढ रही हैं जीव-विज ् ञान में, सेल के स ् तर से पर ् यावरण के स ् तर की ओर । और हमारा व ् यक ् तियों को आर ् थिक इकाइयों की तरह देखने का नज़रिया ख़ारिज़ हो चुका है । तर ् कसंगत, अक ् लमंदी भरा स ् वार ् थ हमेशा हमारे फ़ैसलों को आधार नहीं होता है । असलियत है कि लोग धोखेबाज़ को सज़ा देते हैं, भले ही खुद भी उसकी कीमत चुकानी पडे । और हाल ही में, तंत ् रिका-विज ् ञान के आँकडों ने दिखाया है कि जो लोग लेन-देन वाले खेलों में धोखेबाज़ों को सज़ा देते हैं, उनके दिमाग का इनाम वाला भाग सक ् रिय हो जाता है । जिसके आधार पर एक वैज ् ञानिक ने तो ये कह दिया कि परहित वादी सज़ा ही शायद समाज को बाँध कर रखने वाली कडी है । मैं भी इस पर बात करता रहा हूँ कि कैसे नये संचार-माध ् यम और नयी मीडिया ने इतिहास में नयी अर ् थ-व ् यवस ् थाओं को जन ् म दिया है । व ् यापार तो पुरातन है । बाज़ारें भी बहुत पुरानी हैं । पूँजीवाद बहुत नया है; समाजवाद उसकी प ् रतिक ् रिया में जन ् मा है । और अब भी हम नयी उभरती अर ् थ-व ् यवस ् था पर बहुत कम विमर ् श होता हुआ देखते हैं । जिम सुरोवेकी ने संक ् षिप ् त में योचायी बेन ् कलर के ओपन-सोर ् स पर लिखे पेपेर का उल ् लेख किया, एक नये प ् रकार की रचना प ् रणाली - पियर टू पियर - की ओर इशारा करते हुये । मैं बस इतना चाहता हूँ कि आप ये देखें कि यदि इतिहास में, नये प ् रकार की कार ् य-प ् रणालियों और नयी तकनीकों ने नये प ् रकार के धन-वैभव को जन ् म दिया है, तो हम शायद बढ रहे हैं एक ऐसी नयी अर ् थ-व ् यवस ् था की ओर जो पहले की सभी व ् यवस ् थाओं से पूर ् ण ् तः भिन ् न होगी । एकदम संक ् षिप ् त में, कुछ कंपनियों को देखें, आई.बी.एम, जैसा कि आप जानते हैं, एच.पी, सन — आई.टी के क ् षेत ् र के सबसे घातक प ् रतिद ् वंदी ओपन-सोर ् स, मुक ् त रचना विधान अपने सॉफ़ ् ट ् वेयर पर लगा रहे हैं, और समूह को पेटेंट दे रहे हैं । एली लिली ने — ज़बरदस ् त प ् रतिद ् वंदिता वाले औषधि क ् षेत ् र में — औषधि क ् षेत ् र में निदान निकालने का नया बाजार खडा किया है । टोयोटा, अपने आपूर ् तिकर ् ताओं को बाजार की तरह देखने के बजाय, एक तंत ् र की तरह देखती है, और उन ् हें बेहतर उत ् पादों के लिये प ् रशिक ् षिति करती है जब कि इस से टोयोटा के प ् रतिद ् वंदियों का भी फ़ायदा हो रहा है । देखिये ये कंपनियाँ परमार ् थ के लिये ऐसा नहीं कर रही हैं: ये ऐसा कर रही हैं क ् योंकि वो सीख रही हैं कि एक ख़ास तरह का सहयोग उनके फ़ायदे में है । ओपन सोर ् स रचना प ् रणाली नें दिखाया है कि विश ् व-स ् तरीय सॉफ़ ् टवेयर जैसे लिनक ् स और मोज़िला, न तो कंपनियों के नौकरशाही ढाँचों से बनाये जा सकते हैं, न हि पारंपरिक लाभों से जो बाज़ारों ने हमें अब तक दिये हैं । गूगल खुद को बढावा देता है, हज़ारों ब ् लागरों को एड-सेंस के ज़रिये बढावा दे कर । अमेज़न ने अपना प ् रोग ् राम लिखने का इंटरफ़ेस मुक ् त कर दिया है करीब ६०,००० प ् रोग ् रामरों के लिये, और अनगिनत अमेजन दुकानों के लिये । वो दूसरों को सिर ् फ़ परमार ् थ के लिये बढावा नहीं देते, बल ् कि खुद को आगे बढाने के तरीके पाते हैं । ई-बेय ने कैदियों के कश ् मकश में पहला कदम उठा कर एक पूर नया बाज़ार खडा कर दिया, पुराने ग ् राहकों के अनुभव को साझा करने का तरीका निकाल कर - कमेंट, जिसने कैदियों को कश ् मकश को आश ् वासन के खेल में तब ् दील कर दिया । बजाय इसके कि '' हम परस ् पर विश ् वास नहीं रखते, इसलिये हम दोनों को नुकसान होगा, "", बात ये है कि "" आप दिखाइये कि आप विश ् वास योग ् य हैं, और मैं सहयोग करूँगा । "" विकीपीडिया ने हज़ारों स ् वेच ् छा-कर ् मियों के ज़रिये एक मुफ़ ् त विश ् वकोष बना डाला जिसमें १५ लाख लेख है, २०० भाषाओं में, महज़ कुछ ही सालों में । हमने देखा है कि थिंक-साइकिल ने विकासशील देशों की गैर-सरकारी संस ् थाओं को संबल दिया है विश ् व भर के डिज़ाइन विद ् यार ् थियों के समक ् ष गहन समस ् याओं को रखने में, जिनमें से कुछ तो सुनामी राहत कार ् य के लिये आज भी इस ् तेमाल हो रही हैं: ये एक तरीका है फ़िर से पानी देने का कोलरा के रोगियों को, जो कि आसानी से इस ् तेमाल होता है, अनपढ लोग भी इसे इस ् तेमाल कर सकते हैं । बिट-टोरेंट हर उतारू (डाउनलोडर) को चढाऊ (अपलोडर) में बदल देता है, और पूरी प ् रणाली को ज ् यादा प ् रभावशाली बनाता है । दसियों लाख लोगों ने अपने डेस ् कटॉप कंप ् यूटरों को सम ् मिलित किया है जोब वो उसे इस ् तेमाल नहीं कर रहे होते, इंटरनेट से जोड कर एक सुपर-कंप ् यूटर सघन बनाने के लिये जो कि मेडिकल शोधकर ् ताओं को प ् रोटीन के सिमटने की प ् रक ् रिया समझने में मदद कर रहा है — जिसे स ् टेन ् फ़ोर ् ड के फ़ोल ् डिंग @ होम नामे से जानते हैं — जटिल कोड को तोडने, और दूसरे ग ् रहों पर जीवन खोजने के लिये । मुझे लगता है कि अभी तो हम नुक ् ता भर भी नहीं जानते हैं । अभी तो, मुझे लगता है, कि हमने कुछ मौलिक सिद ् दांत तक नहीं ढूँढे हैं, मगर मैं मानता हूँ कि हम इस दिशा में सोचना प ् रारंभ कर सकते हैं । मुझे इतना समय नहीं दिया गया है कि मैं सब बात कर सकूँ मगर अपने फ़ायदे के बारे में सोचिये । ये स ् वार ् थी सोच ही है जो इतना सब बना रही है । एल सालवाडोर मे, जिन दोनो पक ् षों ने सिविल-युद ् ध से वापसी ली, उन ् होंने वही काम किये जो कैदियों की कश ् मकश के निदान हैं । अमरीका में, फ़िलिपींस में, कीन ् या में, सारे विश ् व में, नागरिकों ने खुद को राजनैतिक विरोधों में आयोजित किया और मोबाइल और एस.एम.एस इस ् तेमाल कर के वोट के लिये प ् रचार किया । क ् या सहयोग की अपोलोनुमा योजना संभव है? सहयोग पर एक अंतरविधा शोध? मुझे विश ् वास है कि इससे मोटा फ़ायदा होगा । मैं मानता हूँ कि हमें इस क ् षेत ् र के नये नक ् शे तैयार करने होंगे जिस से कि हम विधाओं के आरपार बतिया सकें । और मेरा ऐसा कोई दावा नहीं है कि सहयोग की समझ हमें बेहतर मनुष ् य बनाएगी — और कई बार लोग बुरे काम के लिये भी सहयोग करते हैं — मगर मै आपको याद दिलाना चाहूँगा कि कुछ सौ साल पहले, लोगों अपने सगे-संबंधियों को उन बीमारियों से मरते देखते थे जो उन ् हें लगता है कि पाप से या फ़िर विदेशियों से, या बुरी आत ् माओं से आती हैं । डेस ् कार ् टेस ने कहा था कि हमें एक पूरी तरह से नयी सोच की आवश ् यकता है । जब विज ् ञान ने वो सोच थी, और जीव-विज ् ञान ने दिखाया कि कीटाणुओं से बीमारी आती है, कई सारी तकलीफ़ें दूर हुईं । किन तकलीफ़ों को दूर किया जा सकता है, धन-वैभव-रईसी के नये रूप क ् या हो सकते हैं यदि हम सहयोग के बारे में कुछ और जान जायें? मुझे नहीं लगता कि ये अंतर ् विधा बहस-विमर ् ष अपने आप हो जायेगा: इसके लिये प ् रयत ् न करना होगा । तो आज मैं आपको अपने सहयोग कार ् यक ् रम में भरती करता हूँ । धन ् यवाद । (तालियाँ, अभिनंदन) दो साल पहले यहां TED पर मैंने हमारी खोज के बारे में बताया था शनि ग ् रह की यात ् रा पर कैसिनी अंतरिक ् षयान द ् वारा एक अनियमित रूप से गर ् म और भौगोलिक दृष ् टि से सक ् रिय क ् षेत ् र देखा गया. शनि के छोटे चांद के दक ् षिणी छोर पर एनसेलेडस पर, इस जगह पहली बार देखे गए इस क ् षेत ् र में कैसिनी द ् वारा 2005 में लिए गए इस चित ् र में, यह दक ् षिण ध ् रुवीय क ् षेत ् र है. बाघ की धारियों जैसी दरारों वाला यह प ् रसिद ् ध क ् षेत ् र दक ् षिणी ध ् रुव के आर-पार जाता है. और इसे हाल में 2008 के अंत में ही देखा गया है. इसी क ् षेत ् र में दोबारा इस स ् थान पर आधे भूभाग में अंधेरा है क ् योंकि दक ् षिणी गोलार ् ध में अगस ् त के आगमन के साथ ही अब शीतकाल शुरू हो गया है. मैंने यह भी बताया था कि हमने यह हैरतअंगेज ़ खोज की है — बहुत लंबे समय के बाद हमने खोज की है इन ऊंचे फव ् वारों की जो दक ् षिणी ध ् रुव की उन दरारों से फूट रहे हैं, इनमें पानी की बर ् फ के सूक ् ष ् म क ् रिस ् टल हैं, तथा जलवाष ् प भी है और कार ् बन डाइऑक ् साइड एवं मीथेन जैसे सरल कार ् बनिक यौगिक हैं. और दो साल पहले उस समय मैंने यह बताया था कि हमारे अनुमान से ये फव ् वारे असल में गीज ़ र ् स हो सकते हैं, जो उन पॉकेट ् स से या सतह के नीचे द ् रव पानी के चैंबरों से फूट रहे हैं. लेकिन हम इस बारे में सुनिश ् चित नहीं थे. हांलांकि, इन परिणामों के तात ् पर ् य ये थे कि इस चांद में ऐसा वातावरण संभव है जो जीवन की उत ् पत ् ति के पूर ् व की रासायनिक अवस ् था को प ् रोत ् साहित करता है, और शायद जीवन की उपस ् थिति को भी, हम इतने उत ् साहित थे कि बीच के दो सालों में हमने एनसेलेडस पर अधिक ध ् यान केंद ् रित किया. हमने कैसिनी यान को इस चांद पर कई बार भेजा है. इन फव ् वारों के और निकट से गुजरते हुए फव ् वारों के सघन क ् षेत ् र में, इस प ् रकार अब हमारे पास कुछ बहुत स ् पष ् ट संयोजनिक गणनाएं हैं. और हमने यह पाया है कि इस चांद से निकल रहे कार ् बनिक यौगिक असल में उनसे भी जटिल हैं जिनके बारे में हमने पहले सूचित किया था. यद ् यपि वे अमीनो ऐसिड नहीं हैं हमें ऐसी चीजें मिल रहीं हैं जैसे प ् रोपेन और बेंजीन, हाइड ् रोजन सायनाइड, और फॉर ् मएल ् डिहाइड. और यहां पानी के सूक ् ष ् म क ् रिस ् टल ऐसे लग रहे हैं जैसे वे नमकीन पानी की जमी हुई बूंदें हैं. और यह खोज यह इंगित करती है कि ये फव ् वारे केवल द ् रव पानी के पॉकेट ् स से ही नहीं निकलते बल ् कि यह भी कि द ् रव पानी चट ् टानों के संपर ् क में है. और यह ऐसी परिस ् थिति है जिससे रासायनिक ऊर ् जा की आपूर ् ति होती है और जीवन की उत ् पत ् ति में सहायक यौगिक बनते हैं. इस प ् रकार इन परिणामों से हम बहुत उत ् साहित हैं. और दो साल पहले की तुलना में हम और अधिक आश ् वस ् त हैं कि हमने यकीनन इस चांद पर दक ् षिणी ध ् रुव के नीचे ऐसा वातावरण या क ् षेत ् र पा लिया है जो सजीव प ् राणियों के लिए अनुकूल है. वहां पर सजीव प ् राणी हैं या नहीं, यह एक अलग विषय है. और इसके लिए हमें एनसेलेडस पर अंतरितक ् षयान की निकट भविष ् य में वापसी की प ् रतीक ् षा करनी होगी. ताकि वह इस प ् रश ् न विशेष का उत ् तर देने के लिए तैयार हो. लेकिन इस बीच मैं आपको आमंत ् रित करती हूं कि उस दिन की कल ् पना करें जब शायद हम शनि के उपग ् रहमंडल की यात ् रा करें और एनसेलेडस के अंतर ् ग ् रहीय गीज ़ र पार ् क में भ ् रमण करें, क ् योंकि हम यह कर सकते हैं. धन ् यवाद. (तालियां) हमारे ग ् रह मंडल के बाहर के ग ् रह मंडल उन दूर के शहरो के तरह हैं जिनकी रौशनी को हम टिमटिमाते हुए देख सकते हैं, लेकिन उनकी सड़को पर हम चल नहीं सकते | उन टिमटिमाती रौशनी को समझ कर, हम सीख सकते कैसे तारे और ग ् रह मिलते हैं अपना खुद का पारिस ् थितिकी तंत ् र बनाने के लिए और आवास बनाने के लिए जो जीवन के लिए सहज हो | टोक ् यो स ् काईलाइन के इस चित ् र में, मेरे पास गुप ् त आकड़े हैं नवीनतम अंतरिक ् ष के ग ् रह खोजने वाले टेलेस ् कोप के, केपलर मिशन (Kepler Mission) क ् या आप इसे देख सकते हैं? यहाँ देखिए | यह अंतरिक ् ष का एक बहुत छोटा हिस ् सा है जिसे केपलर देखता है, जहाँ यह ग ् रहों की खोज करता है 150,000 से ज ् यादा तारो के प ् रकाश को नाप कर, एक साथ में, हर आधे घंटे में, और बहुत सटीकता से | और हम जो देख रहे हैं वो है प ् रकाश में एक छोटा सा धुंधलापन जो इनमें से किसी तारे के सामने से ग ् रह के गुज़रने से और तारो की रौशनी को हम तक पहुँचने से रोकने से होता है | सिर ् फ दो सालो के शोध में, हमे 1,200 से ज ् यादा संभावित नए ग ् रह मंडल दूसरे तारो के आसपास पाये हैं | आपको परिप ् रेक ् ष ् य बताने के लिए, पिछले दो दशको के खोजो में, हमे सिर ् फ 400 के लगभग पता थे केपलर से पहले | जब हम प ् रकाश में यह छोटी सी कमी देखते हैं, हम बहुत से चीज़े पता कर सकते हैं | जैसे हम पता लगा सकते हैं कि वहाँ ग ् रह है, और ये भी कि ग ् रह कितना बड़ा है और यह अपने तारे से कितने दूर है | यह दुरी बहुत महत ् वपूर ् ण है क ् युंकि यह हमे बताती है कितना प ् रकाश यह ग ् रह प ् राप ् त करता है | और यह दुरी और प ् रकाश की मात ् रा महत ् वपूर ् ण है क ् युंकि यह वैसे हैं जैसे मैं या आप किसी अलाव के सामने बैठे है | आप अलाव के इतने पास रहना चाहते हैं कि आप गर ् म रहे, लेकिन ज ् यादा पास नहीं जिससे आप जल जाए | लेकिन, अपने पालक तारे से आप कितना प ् रकाश प ् राप ् त करेंगे के अलावा और भी बाते है जानने के लिए | और मैं आपको बताउंगी क ् यों | यह हमारा तारा है | यह सूर ् य है | यह यहाँ दिखाई देने वाले प ् रकाश में दर ् शाया गया है | यह वो प ् रकाश है जो आप अपनी इंसानी आँखों से देख सकते हैं | आप देखेंगे कि यह बिल ् कुल एक बहुत बड़ी पीली गेंद की तरह दिखता है — जैसे हम बचपन में चित ् र बनाते थे | लेकिन आप कुछ और भी देखेंगे, और वो सूर ् य का चेहरे में धब ् बे है | यह धब ् बे सनस ् पॉट कहलाते हैं, और सिर ् फ एक घटना है सूर ् य के चुंबकीय क ् षेत ् र की | वो तारो के प ् रकाश में बदलाव भी लाते हैं | और हम इसे नाप सकते है केपलर से बहुत बहुत सटीकता के साथ और उनके प ् रभाव देख सकते हैं | लेकिन, यह केवल एक अंश मात ् र है | अगर हमारे पास UV या X-ray आँखे होती, हम सच में देखते गतिय और नाटकीय प ् रभाव हमारे सूर ् य के चुंबकीय गतिविधियों के — इस तरह की चीज़े अन ् य तारो पर भी होती हैं | जरा सोचिये, तब भी जब बाहर बादल हैं, इस तरह कि घटनाये हो रही है आपके ऊपर आकाश में हर समय | तो जब जानना चाहते है कि ग ् रह रहने योग ् य है या नहीं | यह जीवन के लिए उपयुक ् त हो सकता है, हम सिर ् फ यह नहीं जानना कहते कि यह कितना प ् रकाश प ् राप ् त करता है और यह कितना गर ् म है, बल ् कि हम इसके वातावरण के मौसम के बारे में जानना चाहते हैं — यह ऊर ् जा विकरण, UV या X-किरणे जो इसके तारे द ् वारा निर ् मित होती है और इन ऊर ् जा विकरण में स ् नान के बारे में, और, हम उस तरह नहीं देख सकते अन ् य तारो के आसपास ग ् रहों को जितनी विस ् तार से हम अपने सूर ् य मंडल के ग ् रहों को देख सकते हैं | मैं यहाँ शुक ् र, पृथ ् वी और मंगल को दिखा रही हूँ — हमारे सूर ् य मंडल में तीन ग ् रह जो लगभग सामान आकार के है, लेकिन इनमे से केवल एक जीने के लिए उत ् तम स ् थान है | लेकिन हम जो कर सकते है वो है कि अपने तारो से प ् रकाश को नापे और ग ् रह और उनके पालक तारो के बीच संबंधो के बारे में सीखे उन ग ् रहों के सुरागो को जानने के लिए जो उत ् तम स ् थान हो सकते है अंतरिक ् ष में जीवन खोजने के लिए | केपलर हर उस तारे के आसपास ग ् रह नहीं खोजेगा जिसे वो देखता है | लेकिन सच में, हर माप जो यह लेता है बेशकीमती है, क ् युंकि यह हमे तारो और ग ् रहों के संबंधो के बारे में सिखा रहे हैं, और कैसे वास ् तव में तारो का प ् रकाश मंच बनाता है अंतरिक ् ष में जीवन के निर ् माण के लिए | जब यह केपलर टेलेस ् कोप, यंत ् र जो देखता है, यह हम है, जीवन, जो खोज रहे हैं | धन ् यवाद | (अभिवादन) फॉरेस ् ट नोर ् थ: किसी भी सहयोग की शुरुआत एक बातचीत के साथ शुरू होती है. और मैं आप के साथ बाँटना चाहता हूँ वह बातचीत जिसके साथ हमने शुरू किया. मैं एक लॉग केबिन में वाशिंगटन राज ् य में बड ़ ा हुआ मेरे हाथों में बहुत अधिक समय था यवेस बिहार: और मैं सुंदर स ् विट ् जरलैंड में. FN: मुझे हमेशा वैकल ् पिक वाहनों के लिए एक जुनून था. यह नेवादा रेगिस ् तान में एक भूमि नौका दौड ़ रही है. YB: इस आविष ् कार में विंडसर ् फिंग और स ् कीइंग का संयोजन है. FN: और मुझे खतरनाक आविष ् कारों में भी रुचि थी. यह एक 100,000 वोल ् ट टेस ् ला कुंडल है जो कि मैं अपने शयन कक ् ष में बनायी, मेरी माँ बहोत निराश थीं. YB: मेरी माँ भी निराश थी यह खतरनाक किशोर फैशन है. (हँसी) FN: और मैं यह सब एक साथ लाया, वैकल ् पिक ऊर ् जा का यह जुनून और ऑस ् ट ् रेलिया के आर-पार एक सौर कार चलाई अमेरिका और जापान में भी. YB: तो, पवन ऊर ् जा, सौर ऊर ् जा - हमारे पास बात करने के लिए बहुत कुछ था. हमारे पास बहोत था हमें उत ् साहित करने के लिए तो हम एक विशेष परियोजना साथ करने का फैसला किया. इंजीनियरिंग और डिजाइन का गठबंधन... FN: वास ् तव में एक पूरी तरह से एकीकृत उत ् पाद बनाने का, सुंदर कुछ बनाने का. YB: और हमने एक बच ् चा बनाया. (हँसी) FN: आप हमारे बच ् चे को ला सकते हैं? (अभिवादन) यह बच ् चा पूरी तरह से बिजली से चलता है. यह 150 मील प ् रति घंटे पर चल सकता है. यह किसी भी बिजली की मोटर साइकिल से दोगुना है. एक मोटर साइकिल के बारे में वास ् तव में एक रोमांचक बात इंजीनियरिंग और डिजाइन का सुंदर एकीकरण है. इसमें अद ् भुत उपयोगकर ् ता अनुभव है. यवेस बिहार के साथ काम करना अद ् भुत था. उन ् होंने नाम और लोगो का निर ् णय किया. हम मिशन मोटर ् स हैं. और हमें केवल तीन मिनट मिले हैं, लेकिन हम इसके बारे में घंटों बात कर सकते हैं. YB: धन ् यवाद. FN: धन ् यवाद TED. और धन ् यवाद क ् रिस, हमें बुलाने के लिए, धन ् यवाद. (अभिवादन) पिछले डेढ़ साल से, पुश पॉप प ् रेष में मेरी टीम और चार ् ली मेलचेर और मेलचेर मीडिया अल गोर की किताब "" आर चॉइस "" को पहली पूरी लंबाई की इंटरैक ् टिव किताब बनाने का कार ् य कर रहे थे | ये "" एन इंकोंवेनिएंट ट ् रुथ "" के बाद उनकी अगली किताब है और ये उनसभी समाधानों का पड़ताल करती है जो की जलवायु के संकट का समाधान कर सके । ये किताब ऐसे शुरू होती है । ये उसका मुख ् यपृष ् ठ है । जैसे ग ् लोब घूमता है, हम अपना स ् थान देख सकते हैं । फिर हम किताब खोल सकते हैं और किताब को देखने के लिए इस तरह अध ् यायों से जा सकते हैं | या हम नीचे से पन ् ने पलट सकते हैं । और अगर हम किसी पृष ् ठ को बड़ा कर के देखना चहते हैं, तो हम उसे बढ़ा सकते हैं । और जो कुछ भी आप किताब में देखते हैं, उसे आप उसे दो उँगलियों से उठा सकते हैं और पन ् ने से बाहर उठा कर खोल सकते हैं । और अगर आप वापस जाकर किताब को दुबारा पढ़ना चाहते हैं, तो आप उसे मोड़ कर पन ् ने पर वापस रख सकते हैं । तो फिर ये इसी तरह से काम करता है; आप इसे उठा कर खोलते हैं । (ऑडियो) अल गोर: मैं अपने आप को उन बहुसंख ् यकों में समझता हूँ जो पवन चक ् कियों को देख कर यह महसूस करते हैं की वे परिदृश ् य में एक सुंदर सुधार हैं । माइक मतस: तो इस तरह पूरी किताब में, अल गोर आप को अपने साथ लेकर चलेंगे और चित ् रों को समझाएँगे । इस फोटो को आप एक इंटरैक ् टिव मानचित ् र पर देख सकते हैं । इसपर ज़ूम कर के आप देख सकते हैं की ये कहाँ ली गयी है । और पूरी किताब में, एक घंटे से ज ् यादा के वृत ् तचित ् र हैं और इंटरैक ् टिव मुद ् रचित ् रण हैं । तो आप इस वाले को खोल सकते हैं । (औडियो) ए जी: लगभग सभी आधुनिक पवन टर ् बाइनो का बहुत बड़ा भाग... एम एम: ये एकदम चलने लगता है । और जब यह चल रहा है, हम पन ् ने को वापस कम या ज ् यादा कर सकते हैं । और फिल ् म चलती रहती है । और हम इसके बाहर निकाल कर लेखा सूची पे जा सकते हैं, और विडियो चलता रहता है । पर इस किताब की सबसे मज़ेदार बात है इसके इंटरैक ् टिव सूचना - चित ् र ये वाला हवा की संभावनाओ को दर ् शाता है पूरे अमरीका में । लेकिन केवल सूचना दिखने की बजाए, हम अपनी उंगली उठा कर भ ् रमण कर सकते हैं, और एक एक राज ् य को लेकर देख सकते हैं, की वास ् तव में हवा की वहाँ क ् या संभावना है । यही हम कर सकते हैं भू-ताप ऊर ् जा के बारे में और सौर ् य ऊर ् जा के बारे में । ये मेरा पसंदीदा है । तो यह दिखाता है... (हंसी) (तालिया) जब हवा चलती है, पवन चक ् की से आने वाली अतिरिक ् त ऊर ् जा को बैटरि में भेजा जाता है । और जैसे ही हवा कम होने लगती है, तो अतिरिक ् त ऊर ् जा वापस घर के अंदर भेज दी जाती है — तो बत ् तियाँ कभी बंद नहीं होती । और यह पूरी किताब केवल आई पैड पर ही नहीं चलती । ये आइ फोन पर भी चलती है । और तो आप इसे एक कमरे में अपने आई पैड पर पढना शुरू कर सकते हैं और आई फोन पर वहीं से पढना शुरू कर सकते हैं जहां छोड़ा था । और यह बिलकुल उसी तरह काम करती है । आप किसी भी पृष ् ठ को दबा सकते हैं । इसे खोल सकते हैं । तो यह है पुश पॉप प ् रैस का पहला प ् रकाशन अल गोर की "" आवर चॉइस "" । धन ् यवाद । (तालियाँ) क ् रिस एंडर ् सन: यह शानदार है । क ् या आप प ् रकाशक बनना चाहते हैं, या तकनीक का लाइसेंसे देने वाले हैं? तो इसमे व ् यापार कहाँ है? क ् या ये कुछ ऐसा है जो और लोग कर सकते हैं? एम एम: हाँ, हम एक उपकरण बना रहें है जो प ् रकाशकों के लिए इस सामाग ् री को बनाना आसान बना देता है । तो मेलचेर की मीडिया टीम, जो पूर ् वी तट पर है - और हम पश ् चिमी तट पर सॉफ ् टवेर बना रहे हैं - जिसमे हमारे उपकरण के द ् वारा रोजाना, चित ् र और शब ् द को इंटरैक ् टिव किताब में लाते हैं । सी ए: तो आप इसे सॉफ ् टवेर प ् रकाशकों को लाइसेन ् स करना चाहते हैं ऐसी ही सुंदर पुस ् तके बनाने के लिए? (एम एम: हाँ) अच ् छा माइक, बहुत बहुत धन ् यवाद । एम एम: धन ् यवाद । (सी ए: गुड लक ।) (तालियाँ) एक बच ् चे का जन ् म होता है और काफी लम ् बे समय तक वह एक उपभोक ् ता रहता है वो एक सचेतन सहयोगी नहीं हो सकता वो पूरी तरह से निरीह है उसे अपनी रक ् षा करना भी नहीं आता जबकि उसके पास बचे रहने का सहजज ् ञान है उसे जीवित रहने के लिए माँ की जरुरत होती है वो अपने पालनकर ् ता पर संदेह नहीं कर सकता उसे पूर ् ण आत ् मसमर ् पण करना होता है जिस तरह हम ऑपरेशन के पूर ् व अपने को एनेस ् थेटिस ् ट के हवाले करते हैं उसे पूर ् ण आत ् मसमर ् पण करना होता है यह काफी विश ् वसनीयता प ् रणामित करता है अर ् थात भरोसेमंद व ् यक ् ति विश ् वास को तोड़ नहीं सकता जैसे बच ् चा बड ़ ा होता है उसे पता चलता है कि विश ् वसनीय व ् यक ् ति विश ् वास का अतिक ् रमण कर रहा है उसे तो अतिक ् रमण का मतलब भी नहीं पता होता इसलिए बच ् चा खुद को दोषी मानता है अलफ़ाज ़ रहित दोष जिसे हल करना बहुत मुश ् किल है शब ् द रहित आत ् मदोष जैसे जैसे बच ् चा वयस ् क होता है अब तक वो एक उपभोक ् ता था पर मनुष ् य का विकास उसकी सहयोग क ् षमता पर निर ् भर करता है उसके सहभागी या सहयोगी होने पे जबतक हम खुद को सुरक ् षित नहीं समझते हम सहयोग नहीं कर सकते खुद को बड ़ ा महसूस करते हमें लगता हमारे पास काफी है संवेदनशील होना कोई मजाक नहीं है यह सरल भी नहीं है व ् यक ् ति को अपने भीतर विशाल हृदयता तलाशनी होती है विशाल हृदयता हमारे इर ् द गिर ् द केन ् द ् रित होनी चाहिए पैसों के लिहाज से नहीं ना ही अपनी ताकत के लिहाज से और ना ही सामाजिक हैसियत से ये हमारे इर ् द गिर ् द केन ् द ् रित होनी चाहिए स ् वयं आत ् मबोध आत ् मबोध पर केन ् द ् रित, विशाल हृदयता, सम ् पूर ् णता अगर ऐसा नहीं है तो संवेदना एक शब ् द मात ् र और स ् वप ् न मात ् र से ज ् यादा कुछ नहीं आप कभी कभी संवेदनशील, करूणामय हो सकते हैं.. समानुभूति से ज ् यादा द ् रविद होते हैं संवेदनशीलता की तुलना में भगवन का धन ् यवाद की हम समानुभूति रखने वाले हैं जब कोई दर ् द में होता है तो हम उसका दर ् द महसूस करते हैं टेनिस के फ़ाइनल मुकाबले में दो लड़के संघर ् ष करते है हरेक के पास दो गेम होते है मैच का रुख किधर भी मुड सकता है अभी तक उन ् होंने जो पसीना बहाया है संघर ् ष किया है उसका कोई मतलब नहीं रहता एक व ् यक ् ति विजयी होता है टेनिस का शिष ् टाचार यह है की दोनों खिलाडी नेट तक आते हैं और एक दुसरे से हाथ मिलाते है विजेता हवा में मुक ् का उछालता है और जमीन को चूमता है अपनी कमीज ़ फेंकता है जैसे किसी को इसका इंतज ़ ार था (खिलखिलाहट) और इस विजयी खिलाडी को नेट तक आना होता है जब वह नेट पर पहुँचता है, तो आप देखते हैं, उसका पूरा चेहरा बदल जाता है. ऐसा लगता है जैसे कि वह चाह रहा है कि वो न जीतता क ् यों? समानुभूति.. हमदर ् दी ऐसा है मानव हृदय कोई भी मानव हृदय समानुभूति, हमदर ् दी से वंचित नहीं है ¥ कोई धर ् म उसे ध ् वस ् त नहीं कर सकता है कोई संस ् कृति, कोई देश, और राष ् ट ् रवाद कुछ भी उसे छू नहीं सकता क ् योंकि यह समानुभूति है और समानुभूति का सामर ् थ ् य लोगों तक पहुंचने का माध ् यम है आप कुछ ऐसा करें जिससे किसी के जीवन में फर ् क पड ़ ता हो शब ् दों के माध ् यम से या फिर समय से करुणा एक रूप में परिभाषित नहीं है. कोई भारतीय हमदर ् दी नहीं है. न ही कोई अमेरिकी सहानुभूति यह देश, लिंग, उम ् र के बंधन के परे है क ् यों? क ् योंकि यह सब में है. यह कभी कभार लोग अनुभव करते हैं तब ये यदा-कदा सहानुभूति की बात हम नहीं कर रहे हैं ये यदा-कदा नहीं रह सकती जनादेश करके, आप एक व ् यक ् ति दयालु नहीं कर सकते आप यह नहीं कह सकते "" कृपया मुझे प ् यार करो. "" प ् रेम का अहसास धीरे धीरे होता है यह एक क ् रिया नहीं है लेकिन अंग ् रेजी भाषा में, यह एक क ् रिया भी है. मैं इस पर बाद में आऊँगा तो व ् यक ् ति को एक पूर ् णता तलाशनी होती है मैं परिपूर ् णता की संभावना का हवाला देने जा रहा हूँ जो हमारे अनुभव के दायरे के भीतर है, हर किसी के अनुभव के दायरे के भीतर एक बहुत ही दुखद जीवन के बावजूद, हम खुश होते हैं कुछ ही क ् षण के लिए जो काफी देर बाद आते हैं और जो कोई खुश है, एक भद ् दे मजाक पर भी अपने आप को स ् वीकार करता है, और उन परिस ् थितियों को भी, जिनमें वह एक अपने आप को पाता है. यानि पूरे ब ् रह ् मांड को, जानी अनजानी चीज ़ ों को, सब के सब पूरी तरह से स ् वीकार किए जाते हैं क ् योंकि आप अपने आप में अपनी पूर ् णता पा लेते हो कर ् त ् ता, मैं और प ् रयोजन, परिस ् थितियां सब एक हो जाते हैं एक अनुभव जिससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता है एक सर ् वसामान ् य अनुभव यह अनुभव, जो पुष ् टि करता है कि, हमारी सभी सीमाओं के बावजूद, ™ हमारी सारी अतृप ् त इच ् छाओं और चाहतों, क ् रेडिट कार ् ड और छंटनी, और, अंत में गंजापन के बावजूद, आप खुश रह सकते हो लेकिन इस तर ् क का विस ् तार है कि खुश रहने के लिए अपनी इच ् छा को पूरा करने की जरूरत नहीं है आप स ् वयम ही वह आनन ् द हो, वो पूर ् णता हो जो तुम बनना चाहते हो इस में कोई विकल ् प नहीं है. ये सिर ् फ हकीकत की पुष ् टि है कि तुम पूर ् णता से अलग नहीं हो पूर ् णता तुम ् हारे बिना पूर ् ण नहीं हो सकती वो समपूर ् णता तुम ही तो हो तुम पूर ् णता का हिस ् सा नहीं होते हुए पूर ् ण नहीं हो सकते आपके खुशी के क ् षण इस वास ् तविकता को प ् रकट करते हैं वह बोध, वह स ् वीकृति शायद मैं ही सम ् पूर ् णता हूँ शायद स ् वामी सही है. शायद स ् वामी सही है. आप अपना नया जीवन शुरू करते हैं. तब सब कुछ सार ् थक हो जाता है. फिर मेरे पास अपने आप को दोष देने का कोई कारण नहीं रहता अगर आप खुद को दोष देते हैं तो इसके हजारों कारण है लेकिन अगर मैं कहता हूँ, मेरे शरीर सीमित होने के बावजूद अगर यह काला है तो सफेद नहीं है, यदि यह सफेद है तो काला नहीं है, किसी भी दृष ् टिकोण से शरीर सीमित है. सीमाबद ् ध तुम ् हारा ज ् ञान सीमित है, स ् वस ् थ सीमित है और इसलिए तुम ् हारा सामर ् थ ् य सीमित है और तुम ् हारी प ् रसन ् नचित ् तता भी सीमित रहेगी तुम ् हारी संवेदना भी सीमित होगी सब कुछ असीम रहेगा तुम संवेदना को आदेश नहीं दे सकते जब तक तुम असीमित नहीं होते, और कोई भी अपरिमित नहीं बन सकता या तो तुम हो या नहीं हो. विराम और तुम ् हारे असीम नहीं होने का भी कोई रास ् ता नहीं है आपके खुद के अनुभव प ् रकट करते हैं की सभी सीमाओं के बावजूद आप सम ् पूर ् ण हो और ये परिपूर ् णता आपकी सच ् चाई है जब तुम दुनिया से सम ् बन ् ध बनाते हो वह पहले प ् यार है जब तुम दुनिया से सम ् बन ् ध बनाते हो पूर ् णता की गतिशील अभिव ् यक ् ति जिसे हम प ् रेम कहते है और वह संवेदना में परिवर ् तित हो जाता है अगर वो वस ् तु आप में वह भावना जगाती है और फिर उसके बाद देने और सहभागिता में परिवर ् तित हो जाये आप खुद को अभिवयक ् त करते हो क ् यूंकि आप में संवेदना है दया और संवेदना को खुद में तलाशने और तराशने के लिए आपको दयालु होना होगा देने और बांटने का समर ् थ तलाशने के लिए आपको दानी और बाँटनेवाला होना होगा कोई छोटा रास ् ता नहीं है. ये तैर कर तैराकी सिखने जैसा है आप तैर कर ही तैराकी सीखते हैं आप दरी पर तैराकी सीख कर पानी में नहीं उतर सकते (खिलखिलाहट) आप तैर कर ही तैराकी सीखते हैं. साइकिल चलाना आप साइकिल चला कर ही सीखते हैं आप खाना बनाना खाना बना कर सीखते हैं आपने आसपास के दयालु लोगों को आपना बनाया खाना खिला कर (खिलखिलाहट) और, इसलिए मैं कहता हूँ आपको कुछ बनाने के लिए नक़ल करना होगा (खिलखिलाहट) और कोई चारा नहीं है मेरे पूर ् वाधिकारी ने भी यही कहा आपको ऐसा बर ् ताव करना होगा आपको सहानुभूतिपूर ् ण बर ् ताव करना होगा दया, संवेदना के लिए कोई क ् रिया नहीं है पर संवेदना के लिए एक क ् रिया विशेषण है यह मुझे काफी रोचक लगता है आप सहानुभूति पूर ् वक कार ् य करो पर आप सहानुभूति पूर ् वक कार ् य कैसे करोगे अगर आप में करुणा न हो यहीं पर आप नक़ल कर सकते हैं नक़ल करके बन जाइये. यही तो अमेरिका का मन ् त ् र है (खिलखिलाहट) नक़ल करके बन जाइये आप सहानुभूति पूर ् वक कार ् य करो, जैसे आप में करुणा हो अपने दाँत पीसो अपनी समर ् थन प ् रणाली से पूरी मदद लें अगर तुम ् हें प ् रार ् थना करना आता है तो प ् रार ् थना करो. इश ् वर से करुणा मांगो मुझे सहानुभूति पूर ् ण और करुणामय व ् यवहार करने दो ऐसा करो तुम करुणा को खोज लोगे और धीरे धीरे पहले की तुलना में दया, और धीरे धीरे, शायद अगर तुम सही शिक ् षण मिल, तुम ् हें पता चलेगा कि करुणा एक गतिशील अभिव ् यक ् ति है तुम ् हारे यथार ् थ की, सम ् पूर ् णता और एकता, और वही तो तुम हो इन ् हीं शब ् दों के साथ, बहुत बहुत धन ् यवाद (प ् रशंसा ध ् वनि) खबरें किस तरह हमारे दुनिया देखने के तरीके को आकार देती हैं? यह है दुनिया, आकार पर आधारित — भूमि फल पर आधारित. और यह है अमरीकी कैसे देखते हैं ख ़ बरों के आधार पर. यह नक ् षा — (तालियाँ) — दिखाता है की, कितने सेकंड अमरीकी चॅनल और केबल समाचार संगठनों ने ख ़ बरों को समर ् पित करे, देशों के आधार पर, फ ़ रवरी २००७ में — केवल एक साल पहले अब, यह वह महिना था जब उत ् तरी कोरिया ने अपनी परमाणु इकाइयों को नष ् ट करने का निर ् णय लिया. इंडोनेशिया में भयंकर बाढ ़ आई. और पेरिस में, आईपीसीसी ने भूमंदालिया उष ् मीकरण पर मानव प ् रभाव की पुष ् टि करने वाली अपनी रिपोर ् ट जारी की. अमेरिका का हिस ् सा कुल ख ़ बरों का ७९ प ् रतिशत था. और अगर हम अमेरिका को हटा दें और बाकि २१ प ् रतिशत ख ़ बरों को देखें, तो हम काफी बड ़ ा भाग इराक का देखते हैं — वह बड ़ ा सा हरा भाग है उस तरफ — और थोडा बहुत कुछ और उदाहरण के लिए रूस, चीन और भारत का संयुक ् त कवरेज, केवल एक प ् रतिशत तक पहुंचा. जब हमने सब ख ़ बरों का विश ् लेषण किया और सिर ् फ एक खबर हटाई, तो विश ् व ऐसा दिखने लगा अन ् ना निकोल स ् मिथ की मृत ् यु की खबर. इस खबर ने इराक के अलावा सब को पीछे छोड ़ दिया और इसे आईपीसीसी रिपोर ् ट के मुकाबले दस गुना कवरेज मिला और चक ् र जारी है; जैसा की हम सभी जानते, हैं ब ् रिटनी आजकल काफी सुर ् खियों में है. तो क ् यों हमने दुनिया के बारे में और कुछ नहीं सुना है? एक कारण यह है कि समाचार संगठनों ने अपने विदेशी ब ् यूरो की संख ् या आधी कर दी है. इसके अकेले अपवाद हैं एबीसी के नैरोबी, नई दिल ् ली और मुंबई के एक व ् यक ् ति वाले छोटे ब ् यूरो. तमाम अफ ् रीका, भारत और दक ् षिण अमेरिका में कोई भी समाचार संगठन ब ् यूरो नहीं है. — वह हिस ् से जो दो अरब से ज ् यादा लोगों का घर हैं. वास ् तविक ् ता यह है की ब ् रिटनी पर खबर लिखना सस ् ता है. और वैश ् विक ख ़ बरों की यह कमी और भी चिंताजनक है जब हम यह देखते हैं की लोग ख ़ बरों के लिए कहाँ जाते हैं. स ् थानीय टीवी बड ़ ा अंश है, और दुर ् भाग ् य से केवल १२ प ् रतिशत अंतरराष ् ट ् रीय समाचारों को समर ् पित करता है. और वेब का क ् या? सबसे लोकप ् रिय समाचार साइटें ज ् यादा बेहतर नहीं है. पिछले वर ् ष, पियु और कोलम ् बिया जे-स ् कूल ने १४,००० ख ़ बरों का विश ् लेषण किया जो गूगल समाचार के मुख ् य प ् रुष ् ट पर थी. और उन ् होंने दरअसल उन ् ही २४ घटनाओं पर खबर दी थी. इसी प ् रकार, एक वेब-सामग ् री के अध ् ययन से पता चला की अमरीकी समाचार रचनाकारों की ज ् यादातर वैश ् विक खबरें एपी समाचार संगठन और रॉयटर ् स की ख ़ बरों का पुनर ् नवीनीकरण हैं और ऐसा कोई सन ् दर ् भ नहीं देती है की लोगों को उनका संबंध समझ में आये. तो अगर हम सब कुछ एक साथ रख कर देखें तो समझ सकते हैं की क ् यों आजकल के कॉलेज स ् नातक और कम पड़े लिखे अमरीकी,, दोनों ही, दुनिया के बारे में अपने २० साल पुराने समकक ् षों से कम जानते हैं. और अगर आपको यह लगता है की हमें कोई दिलचस ् पी नहीं है, तो आप गलत होंगे. हाल के वर ् षों में, विश ् व समाचारों पर अधिक रूप से गौर करने वाले अमरीकी लोगों की संख ् या में ५० प ् रतिशत से ज ् यादा वृध ् ही हुई है असली सवाल: क ् या हम अमरीकियों के लिए दुनिया देखने का विकृत तरीका हमारे इस अत ् यधिक जुड़े हुए विश ् व में चाहते हैं? मुझे पता है कि हम बेहतर कर सकते हैं और क ् या ऐसा ना करने की हमारे पास गुंजाइश है? धन ् यवाद. मैं एक अन ् य ग ् रह की खोज में हूँ जहाँ जीवन पाया जाता हो । मैं इस ग ् रह को केवल अपनी आँखों से नहीं देख सकती और न ही हमारे पास उपलब ् ध किसी शक ् तिशाली दुर ् बीन द ् वारा । किन ् तु मैं जानती हूँ की वह है । प ् रकृति में पाये जानेवाले अंतर ् विरोधों को समझने से हमें उसे ढूंढने में मदद मिलेगी । हमारे ग ् रह पर, जहां पानी है, वहाँ जीवन है । तो हम ऐसे ग ् रहों को खोजते हैं जो अपने तारे से सही दूरी पर परिक ् रमा करते हैं । विभिन ् न तापमान वाले तारों के लिए नीले रंग से दिखाई गयी है, ग ् रह इतने गर ् म हो सकते हैं कि पानी उनकी सतह पर झीलों और महासागरों के रूप में बह सके जहां जीवन संभव हो । कुछ खगोलशास ् त ् री अपना समय और शक ् ति ऐसे ग ् रहों को खोजने में केंद ् रित करते हैं । मेरा काम शुरू होता है जहाँ उनका समाप ् त होता है । मैं सूयर ् मंडल से बाहर के ग ् रहों की जलवायु के मॉडल बनाती हूँ । और यह महत ् वपूर ् ण इसलिए है क ् यूंकि: तारे से दूरी के अलावा बहुतसे अन ् य तत ् व हैं जो निर ् धारित करते हैं कि किसी ग ् रह पर जीवन संभव हो सकता है या नहीं । अब शुक ् र ग ् रह को लीजिये । इसका नाम रोम की प ् रेम और सुंदरता की देवी के नाम पर रखा गया है, क ् यूंकि यह आसमान में बहुत ही सौम ् य और अलौकिक प ् रतीत होता है । किन ् तु अन ् तरिक ् षयानों के माप कुछ और ही दर ् शाते हैं । सतह का तापमान लगभग ९०० डिग ् री फ़ारेनहाइट के बराबर है, ५०० सेल ् सियस । इस तापमान पर तो सीसा भी पिघल जाये । इसका घना वातावरण ही ऊँचे तापमान का कारण है, न की सूर ् य से इसकी दूरी, यह रासायनिक विशेषों पर ग ् रीनहाउस प ् रभाव डालता है, सूर ् य की गर ् मी को कैद करके ग ् रह की सतह को झुलसा देता है । वास ् तविकता ने प ् रारम ् भिक अवधारणाओं को पूर ् ण रूप से खंडित कर दिया है । हमारे सौरमंडल के इस सबक से हमने सीखा कि ग ् रह का वातावरण उसकी जलवायु और जीवन के आयोजन के लिए अत ् यंत महत ् वपूर ् ण है । हमें नहीं मालूम कि इन ग ् रहों का वातावरण कैसा है क ् यूंकि ग ् रह अपने तारों से बहुत छोटे और धुंधले हैं और हम से बहुत दूर हैं । उदहारण के लिए, एक सबसे नज़दीकी ग ् रह जहां पानी की सम ् भावना हो सकती है — उसका नाम है ग ् लीस ६६७ सी सी — आकर ् षक नाम है, है ना, किसी नाम के लिए अच ् छा फ़ोन नंबर है — यह २३ प ् रकाश वर ् ष दूर है । तो यह १०० पदम मील से ज ् यादा दूर है । सौर मंडल के बाहर के ग ् रह के वातावरण का संघटन ज ् ञात करना मुश ् किल है जब वह अपने मेज़बान तारे के आगे से गुज़र रहा हो । यह उतना ही मुश ् किल है जितना कि कार की हेडलाइट के सामने गुज़र रही छोटी मक ् खी को देखना । अब सोचिये वह कार हमसे १०० पदम मील दूर हो, और आप उस छोटी सी मक ् खी का एकदम सही रंग जानना चाहते हो । पानी और जीवन की सम ् भावना होने केलिए ग ् रह पर किस प ् रकार का वातावरण होना चाहिए, इसकी गणना करने के लिए मैं कंप ् यूटर मॉडल का प ् रयोग करती हूँ । पृथ ् वी को सन ् दर ् भ में रखते हुए यह एक चित ् रकार की धारणा है, ग ् रह केपलर -६२ ऍफ़ के बारे में । यह १२०० प ् रकाश वर ् ष दूर है, ज ् ञात किया कि यह इतना गर ् म है कि यहां खुला पानी पाया जा सके । तो मैं चाहूंगी की भविष ् य के दूरदर ् शन यन ् त ् र इस ग ् रह की खोज करें जीवन को ढूढ़ने के लिए । ग ् रह की सतह पर बर ् फ का होना भी महत ् वपूर ् ण है जलवायु के लिए । बर ् फ प ् रकाश की अधिक लम ् बी और लाल तरंगदैधर ् य को सोख लेती है और छोटी, नीली तरंगों को प ् रतिबिंबित करती है । इसीलिए, इस चित ् र में हिमशैल अधिक नीला दिखाई दे रहा है । सूर ् य से आने वाली लाल रोशनी रास ् ते में बर ् फ के द ् वारा सोख ली जाती है । केवल नीली रोशनी नीचे तक पहुँच पाती है । फिर वह वापिस प ् रतिबिंबित होती है हमारी आँखों की ओर और हमें नीली बर ् फ दिखाई देती है । मेरे मॉडल दर ् शाते हैं कि ठंडे तारों की परिक ् रमा करने वाले ग ् रह वास ् तव में उन ग ् रहों से गर ् म हो सकते हैं जो गर ् म तारों की परिकर ् मा करते हैं । एक और अंतर ् विरोध भी है — बर ् फ ठन ् डे तारों से अधिक लम ् बी तरंगदैधर ् य रौशनी सोख लेती है और वह रौशनी, वह ऊर ् जा, बर ् फ को सेकती है । हर जगह जीवन की खोज के लिए अत ् यंत महत ् वपूर ् ण है कि जलवायु मॉडल ् स का प ् रयोग करके यह जाना जाये कि यह अंतर ् विरोध कैसे किसी ग ् रह की जलवायु को प ् रभावित करते हैं । और यह कोई आश ् चर ् य की बात नहीं है कि यह मेरी विशेषता है । मैं एक अफ़ ् रीकी -अमेरिकन महिला खगोलशास ् त ् री हूँ और एक पारम ् परिक ढंग से प ् रशिक ् षित कलाकार जिसे श ् रृंगार करना और फैशन पत ् रिकाएं पढ़ना पसंद है, तो मैं एक विशिष ् ट ढंग से प ् रकृति के अंतर ् विरोधों की सराहना कर सकती हूँ — (हंसी) (तालियां) — और वह हमारी एक ऐसे ग ् रह की खोज जहाँ जीवन हो, को कैसे पूर ् व सूचित कर सकते हैं । मेरा संगठन, राइजिंग स ् टारगर ् ल ् स, नाट ् यकला, लेखन और दृश ् य कला के द ् वारा माध ् यमिक विद ् यालय की गहरे वर ् ण वाली छात ् रों को खगोलशास ् त ् र पढ़ाता है । यह एक और अंतर ् विरोध है — विज ् ञानं और कला एक साथ हमेशा नहीं चलते, किन ् तु इन दोनों को एक साथ गूंथना मदद कर सकेगा इन छात ् राओं को पूर ् ण रूप से सीखने के लिए और शायद एक दिन, यह भी वह खगोलशास ् त ् री बन जाएँ जो अंतर ् विरोधों से भरे होते हैं, और अपनी पृष ् ठभूमि का इस ् तेमाल करके यह खोज निकालें, कि इस ब ् रह ् माण ् ड में हम सच में अकेले नहीं हैं । धन ् यवाद । (तालियां) मैं अंत मे तकिया ले कर रो पड ़ ता हूँ । मैं इस सब का उल ् लेख कर रहा हूँ, की हम शांत रह पायें और करियर की चिंताओं से खुद को मुक ् त रख सकें मैं देखना चाहता हूँ, अगर मैं कर सकता हूँ तो.. हम इन कैरियर संकटों के शिकार क ् यों हो सकते है, हम मिथ ् याभिमानी (झूठा अभिमान करने वाले) लोगों से घिरे हैं । मुख ् य रूप से उसके लिए जो बाहर से ऑक ् सफोर ् ड आ रहा है, बुरी खबर यह है कि ये सच नहीं है और दंभ का प ् रमुख प ् रकार (हँसी) जरुरी नहीं है कि आप कि और कहने को मेरी माँ हो.. लेकिन सामान ् य रूप से प ् यार, आदर और यही एक सबसे बड ़ ा कारण है जिसकी वजह से हम अपने करियर के बारे में इतना अधिक सोचते हैं आपको मालूम है, हमें अक ् सर कहा जाता है की हम भौतिक समय में रह रहे हैं पर मैं ऐसा नहीं सोचता कि हम सभी भौतिकवादी हैं, हमदर ् दी रखे, घृणा नहीं. कुछ और भी कारण हैं जिसकी वजह से शायद आज ये बहुत मुश ् किल है और इसके साथ साथ एक समानता का भाव भी है; हम सब वास ् तव में एक समान हैं पर इसके साथ जुडी हुयी एक बड ़ ी समस ् या भी है पहचानने की प ् रक ् रिया में, वहां पर ईर ् ष ् या का और अधिक खतरा होता है. जो एक बहुत ही तनावपूर ् ण स ् थिति को पैदा कर सकता है ऐसा १७ वीं सदी में होने कि संभावना नहीं थी. कि आप फ ् रेंच अभिजात वर ् ग के रेंक को स ् वीकार करोगे. एक वास ् तविक संबंध एक समाज के बीच में जो कि लोगों को बताता है कि वे कुछ भी कर सकते है और साथ में, कम आत ् म सम ् मान का अस ् तित ् व. तो यह एक दूसरा तरीका है जिसमें कुछ है जो काफी सकारात ् मक है कुछ और कारण हैं जिनकी वजह से हो सकता हैं हम बहुत उद ् विघन महसूस कर रहे हों और यह, फिरसे किसी अच ् छी चीज के साथ जुड़ा हुआ है और इसी कारण से आपकी असफलता ज ् यादा दुखदायी और दर ् द देने वाली है आप जानते हैं, कि मध ् य युग में इंग ् लैंड में, आजकल, विशेष रूप से संयुक ् त राज ् य अमेरिका में,एक बदकिस ् मत और लूज ़ र में एक बहुत ही प ् रमुख अंतर है और वो अंतर समाज में 400 वर ् षों के विकास को दर ् शाता है और हमारा विश ् वास कि कौन हमारे ऐसे जीवन के लिए जिम ् मेदार है यह सब बहुत ही अच ् छा महसूस करने वाला है, अगर आप खुद बहुत अच ् छा कर रहे हों और बहुत ही कुचला हुआ अगर आप बहुत अच ् छा नहीं कर रहे हैं, (अपने काम में) दुनिया के किसी अन ् य भाग में की तुलना में यह विचार जो कहता है, की हर किसी को वो पाना चाहिए जिसका वो हकदार है मुझे लगता है यह एक पागल विचार है, पूरी तरह से पागल लेकिन मुझे लगता है की ये पागलपन ही होगा की हम कभी भी वहां और भी कई आकस ् मिक कारक है: दुर ् घटनाएं, जन ् म की दुर ् घटनाएं, लोगो के सिर पर गिरने वाली चीजों से दुर ् घटनाएं, बीमारियाँ, आदि. और ना ही कभी इंसानों को, जैसा की उन ् हें होना चाहिए मैंने St. Augustine के द ् वारा कही कही गयी एक कहावत से बहुत प ् रभावित हुआ; "" परमेश ् वर का शहर "" ये उनका एक अज ् ञात हिस ् सा हो सकता है और हमें ऐसा व ् यवहार नहीं करना चाहिए कि हम ये जानते है. और उनके अनुसार सहानभूति का एक स ् तर भी मैंने उन ् हें महोदया Bovary की कथावस ् तु (plotline) दी. हँसीहँसी तालियां एक तरह से, अगर आपको पसंद हो, सहानभूति के इन रंगों के एक तरफ आपको tabloid (ख़बरों को बड ़ ा चढ ़ ा कर लिखने वाला) अख ़ बार मिल गया है आधुनिक समाज के बारे में अन ् य बात यह है कि हमारे पास गैर मानव (मनुष ् य से हटकर) के केंद ् र में कुछ भी नहीं है हम ऐसी दुनिया के पहले समाज में रह रहे है यह हमारे खुद के बीच की प ् रतियोगिता से भागने का एक रास ् ता है और हमारे अपने खुद के नाटकों से भी भागने का और इसलिए हम ग ् लेशियरो और महासागरों को देखकर आनंद लेते है मुझे क ् या लगता है कि मैं वास ् तव में सफलता और विफलता के बारे में बात कर रहा हूँ. तो सफलता के लिए चाहे कोई भी दृष ् टिकोण हो जो यह स ् पष ् ट करती है कि हम क ् या चाहते है और हम खुद को कैसे देखते है. जब हमें यह बताया गया कि बैंकिंग एक बहुत ही सम ् मानित पेशा है हममे से बहुत से लोग बैंकिंग में जाना चाहते है. लेकिन जब बैंकिंग इतना सम ् मानजनक पेशा नहीं रह गया है, तो हमने बैंकिंग में अपनी रूचि खो दी है. लेकिन हमें ये पक ् का करना होगा कि ये विचार हमारे खुद के हैं और पक ् का करना होगा इ हम उनके मालिक हैं पर मैं अभी भी जो बात जोर डालके कहना चाहता हूँ लेकिन उसके लिए हमें अपने विचारों में से कुछ की विचित ् रिता को अपनाना होगा बहुत, बहुत धन ् यवाद. (तालियां). एक हारे हुए आदमी की तरह किसी के बारे में सोचना, यह बुरा है Alain de Botton: हाँ मुझे लगता है कि यह केवल आकस ् मिकता हैऔर नेता हमेशा न ् याय के बारे में बात करते है. और उसी के लिए मैं जगह बनाने की कोशिश कर रहा हूँ क ् या आपको लगता है कि आप नहीं कर सकते हो? ये सोचना की लोगो को डरा के काम निकलना सबसे बेहतर तरीका है और एक तरीके से पर ् यावरण भी बहुत कठोर हो जायेगा और ये बहुत ही कठिन परिस ् तिथि है बनाने के लिए केवल दो चरम संभावनाओं को छोड़करऔर दूसरी तरफ, न वह कठोर हो और ना जिनके कोई नियम हो मैं यहाँ आ कर बहुत गौरवान ् वित महसूस कर रही हूँ, और जैसा क ् रिस ने कहा, मुझे अफ़ ् रीका में काम करते हुए करीब २० वर ् ष हो गये हैं । अफ़ ् रीका से मेरा परिचय अबिदजान हवाई-अड ् डे पर आइवरी-कोस ् ट की एक उमस भरी सुबह हुआ था । मैनें वॉल-स ् ट ् रीट हाल ही में छोडा था, अपने बाल मार ् गरेट मीआड जैसे कटवाए थे, अपना लगभग सब कुछ दान कर चुकी थी, और सिर ् फ़ आवश ् यक चीज़ों के साथ आयी थी — कुछ कविताएँ, थोडे कपडे, और ज़ाहिर है - एक गिटार — क ् योंकि उसके बिना मैं दुनिया को कैसे बचाती, और मैने सोचा कि मैं बस अब अफ़ ् रीक में काम शुरु कर दूँगी । पर आने के कुछ ही दिनों की भीतर मुझे बताया गया, वो भी सीधे मेरे मुँह पर, कई पश ् चिमी अफ़ ् रीकन औरतों द ् वारा, कि अफ ् रीका को किसी की ज़रूरत नहीं है, बहुत बहुत धन ् यवाद, मगर आपकी तो बिलकुल भा नहीं है । मैं बहुत छोटी थी, शादी भी नहीं हुई थी, न ही कोई बच ् चे थे, और मुझे अफ़ ् रीक के बारे में खास नहीं पता थी, मेरी फ़ ् रेंच एकदम बेकार थी । और इसलिए, वो मेरे जीवन का बहुत ही दर ् द-भरा और दुःखदायी समय था । और तब भी वो समय मुझमें ये बडप ् पन ला पाया कि मैं दूसरे को सुन सकूँ । मुझे लगता है कि असफ़लता प ् रोत ् साहन की बहुत ही बडी ताकत बन कर उभर सकती है, और इसलिये मै कीन ् या चली गयी, और युगान ् डा में काम करने लगी, और वहाँ मुझे रवान ् डा की औरतों का एक समूह मिला, जिन ् होंने मुझसे कहा, १९८६ में, कि मैं किगालि आ कर उनके लिये एक लघु-ऋण की संस ् था शुरु करूँ । तो मैने वही किया, और हमने उसका नाम रखा ड ् यूटेरिम ् बरे, जिसका अर ् थ होता है '' उत ् साह से आगे बढना "" । और जब हम इसे बना रहे थे, मुझे महसूस हुआ कि एसी बहुत सी व ् यावसायिक इकायियाँ नहीं थीं जो कि औरतों द ् वारा शुरु की गयी हो, और इसलिये शायद मुझे एक व ् यावसायिक इकाई चलानी चाहिये । और खोज़बीन से पता लगा कि एक बेकरी है, जिसे २० वेश ् याएँ मिल कर चलाती हैं । और क ् योंकि मुझे ये अजीब लगा था, मैं उनसे मिलने चली गयी, और वहाँ मुझे २० गैर-शादीशुदा माँएं मिली जो कि किसी तरह जीवन चला रही थीं । और ये मेरे लिये भाषा की ताकत को समझने की शुरुवात थी, और हम सिर ् फ़ एक गलत शब ् द (वेश ् या) का प ् रयोग करके लोगों को स ् वयं से दूर कर देते हैं, और उन ् हें छोटा बना देते हैं । मैने ये भी पाय कि वो बेकरी बिल ् कुल भी व ् यवसाय की तरह नहीं चलायी जाती थी, बल ् कि, वो एक पारंम ् परिक धर ् माथ संस ् था की तरह एक अच ् छी नियत वाले व ् यक ् ति द ् वार चलायी जाती थी जो कि हर महीने करीब ६०० डॉलर का खर ् चा इस पर करता था जिससे कि इन २० महिलाओं को हस ् तशिल ् प और बेकरी का सामान बनाने के बहाने रोज़गार मिलता रहे, और ये वही २० रुपैये प ् रतिदिन पर जीवित रहें, गरीब की गरीब । तो मैने इन औरतो के साथ एक सौदा किया । मैनें कहा, "" देखो, हमें ये धर ् माथ संस ् था के तरह काम करना बंद करना होगा और इसे एक व ् यवसाय की तरह चलाना होगा, और इसमें मैं तुम ् हारी मदद करूँगी । "" वो लोग थोडी घबराहट के साथ मान गये, और हमने घबराते हुए शुरुवात कर दी, ज़ाहिर है कि काम करना सिर ् फ़ कह देने से ज ् याद मुश ् किला होता है । हमने सोचा कि सबसे पहले हमें एक बिकी करने वाला दल बनान होगा, और हमें ये नहीं आता है, तो ऐसा करते हैं कि — - मैने ये सारा प ् रशिक ् षण दिया, और उसका सार ये था कि जब मैं गलियों मे निकली, न ् यामिराम ् बो की, जो कि किगाली की एक प ् रसिद ् ध जगह है, एक बाल ् टी के साथ, और जब मैनें लोगों को सामान बेचा, और वापस आयी, और मैनें कहा, "" देखा, ऐसे बेचते हैं! "" तो उन औरतों ने कहा, "" देखो, जकलिन, न ् यामिरम ् बों में कौन ऐसा होगा जो कि एक नारंगी बाल ् टी ले कर चलती हुई लम ् बी अमरीकी औरत के हाथ से सामान खरीदना नहीं चाहेगा? "" (हँसी) ये बात सोलह आने सही थी । तो फ़िर मैने वही अमरीकी तरीका अपनाया, कि हमारे प ् रतिद ् वन ् दी कौन है, कार ् यदल कौन है, अकेले क ् या करना होगा । और वो पूरी तरह असफ़ल हुआ, मगर धीरे धीरे इन औरतों ने अपने हिसाब से बेचना सीख लिया । और उन ् होंने बाज़ार की माँग को भी सुनना शुरु किया, और फ़िर उन ् होंने फ़ैसला किया कि केले और कसावा के चिप ् स बना कर बेचेंगे और ज ् वार की रोटी भी, और पलक झपकते ही हमने किगालि की बाज़ार पर कब ् ज़ा कर लिया था, और ये औरतें राष ् ट ् रीय औसत आय से तीन से चार गुना अधिक कमा रही थीं । और इस नये विश ् वास के साथ, मैने सोचा, कि वक ् त आ गया है एक असली बेकरी बनाने का, तो चलो पेन ् ट करते हैं । और औरतों ने कहा, "" ये बढिया रहेगा । "" और मैनें पूछा, "" अरे, हम कौन से रँग से रगेंगे? "" उन ् होंने कहा, "" आप ही बता दीजिये । "" और मैने कहा, "" नहीं, नहीं, मै आपकी बात सुनना सीख रही हू — आप ही बताइये । ये आपकी बेकरी है, आपकी गली है, आपका देश है, मेरा नहीं । "" मगर उन ् होंने कोई जवाब ही नहीं दिया । तो एक हफ़ ् ता बीत, फ़िर दो हफ़ ् ते, और फ़िर तीन हफ़ ् ते निकल गये, और हार कर मैने कहा, "" नीला रँग कैसा रहेगा? "" और उन सब ने कहा, "" हाँ हाँ, नीला बहुत सुन ् दर होग, चलो नीला ही रँग देते हैं । "" तो मै दुकान पर गयी, और गौडेन ् स नाम की औरत को साथ ले गयी, क ् योंकि वो सबसे नटखट थी और हम ढेर सारा पेंट और परदे बनानेके लिये कपडा ले कर आये, और निर ् धारित दिन पर हम सभी न ् यामिरम ् बो में इकट ् ठे हुए, और ये सोचा कि हम उसे सफ़ेद पेंट करेंगे नीली पट ् टियों के साथ, बिलकुल किसी फ़ ् रेन ् च बेकरी की तरह. मगर वो उतना मस ् ती भरा नहीं था जितना कि पूरी दीवार को नीले रँग से रँग डालना । तो फ़िर सब नीला नीला हो गया । एकदम नीला; दीवारें भी नीली, खिडकियाँ भी नीली, और बाहर का गलियारा भी नीला । और अरीथा फ़ ् रेंकलिन चीख रही थी "" आर ई एस पी ई सी टी - रेस ् पेक ् ट "" "" (आत ् म-सम ् मान) और औरतें कमर मटका रही थीं और छोटे बच ् चे पेंट के ब ् रश को छीनने की कोशिश कर रहे थे, मगर वो दिन उनक अपना दिन था । और उसके अंत में, हम गली के दूसरे तरफ़ खडे हो कर देख रहे थे, कि हमने क ् या किया है, और मैने कहा, "" य तो बहुत खूबसूरत है, "" और सारी औरतों ने कहा, "" हाँ, सच में खूबसूरत है । "" और मैने कहा, "" और ये रँग भी एकदम ठीक चुना गया है, "" और उन सब ने हामी भरी, सिवाय गाडेन ् स के, तो मैनें पूछा, "" क ् या हुआ? "" और उसने कहा, "" कुछ नहीं, "" और मैने फ़िर पूछा, "" क ् या? "" तो उसने कहा, "" देखिये, रँग सुन ् दर है, मगर हमारा (यूनीफ़ार ् म का) रँग तो हरा है । "" और — (हँसी). और मुझे ये पता लगा कि दूसरों को सुनने में सिर ् फ़ धैर ् य ही काम नहीं आता है, क ् योंकि जब आप सारी ज़िन ् दगी दूसरों की दी गयी सहायता पर काटते है, तो कुछ भी फ़ैसला ले पाना मुश ् किल होता है । और क ् योंकि कभी किसी ने आपसे कुछ पूछा ही नहीं होता है, जब वो ऐसा करते हैं, तो आपको विश ् वास ही नहीं होता है कि वो वाकई सच जानना चाहते हैं । और मैने ये सीखा कि सुनने के लिये सिर ् फ़ इंतज़ार करना ही काफ़ी नहीं होता है,, बल ् कि ये भी ज़रूरी है कि आप सही प ् रश ् न पूछें । तो, मैने किगालि में करीब दो वर ् ष बिताये, यही सब करते हुए, और वो मेरे जीवन का असाधारण समय था । और उसने मुझे कुछ चीज़े सिखायी जो मुझे लगता है हमारे लिये आज जाननी ज़रूरी हैं, और जो काम मैं करती हूँ, उसमे तो बेहद ज़रूरी । सबसे पहली बात ये कि आत ् म-सम ् मान मानव के लिये धन से ज ् यादा महत ् वपूर ् ण है । जैसा कि एलेनी ने कहा, जब लोगों के पस आय होती है, तब ही उनकी पास विकल ् प होते हैं, और ये आत ् म-सम ् मान के लिये मूल आवश ् यकता है । पर इंसान होने के नाते, हम एक दूसरे को देखना चाहते हैं, और एक दूसरी द ् वारा सुने जाने के इच ् छुक होते हैं, और हमें ये कभी भी नहीं भूलना चाहिये । दूसरी बात ये कि पारंपरिक पर ् माथ और धर ् माथ और सहायता राशि से कभी भी गरीबी के समस ् याये ख ् त ् म नहीं होंगी । और क ् योंकि एन ् ड ् रीयू ने इसके बारे में विस ् तार से बताया है, मैं तीसरी बात पर आती हूँ, जो कि ये है कि केवल बाज़ार भी गरीबी की समस ् या को सुलझा नहीं पायेगा । हाँ, हम इसे व ् यवसाय की तरह ही चलाते थे, मगर कहीं ने कहीं से निःस ् वार ् थ सहायता भी चाहिये थी जो कि ट ् रेनिंग और प ् रबंधन के रूप में मिली, योजना बनाने में मदद करने के लिये मिली और शायद सबसे ज़रूरी रूप में, नये लोगों से जान-पहचान, परिचितों के ताने-बाने, और नई बाज़ारों तक पहुँचने में मिली । तो इसलिये, इकाई के स ् तर पर, ये आवश ् यक है कि बाज़ार-निहित निवेश और परोपकार के बीच संधि स ् थापित हो । और बडे स ् तर पर, कुछ वक ् ताओं ने सुझाव दिया है कि स ् वास ् थ सेवाओं का भी निजीकरण करा जाना चाहिये । ऐसे पिता की बेटी होने के नाते जिन ् हें दिल की बीमारी थी और ये पता लगने पर कि हमारे परिवार की वो हैसियत नहीं थी, जो उन ् हें आवश ् यक इलाज दे सके, और एक दोस ् त के द ् वारा मदद किये जाने पर, मुझे पक ् का विश ् वास है कि सभी लोगों को अच ् छे इलाज का अधिकार है उस कीमत पर जो वो दे सकें । मुझे लगता है कि बाज़ार हमें इस का जवाब दे सकता है, मगर साथ ही उसका एक परोपकारी कोण भी होना चाहिये नहीं तो मुझे नहीं लगता कि हमारा समाज वैसा होगा जैसा कि हम चाहते हैं । और इसलिये, अफ़ीका में मिले अनुभव के आधार पर ही मैनें ये फ़ैसला लिया कि मैं अक ् यूमन फ़ंद बनाउँगी, करीब छः साल पहले । ये गरीबों केलिये एक गैर-मुनाफ़ाकारी उपक ् रम पूँजी निधि है, और ये वाक ् य विरोधाभास से भरा है । मूलतः ये पर ् माथ हेतु दान जुटाता है लोगोम से, निगमों से, और संस ् थानों से, और फ़िर उसे ऋण देने के लिये या फ़िर पूँजी निवेश के लिये इस ् तेमाल करता है मुनाफ़े के लिये या बिना मुनाफ़े के काम करने वाली संस ् थाओं में जो कि वहन करने योग ् य स ् वास ् थ सेवा, घर, बिजली, या साफ़ पानी मुहैया करवाता है दक ् षिणी अफ़ ् रीका और एशिया के गरीब लोगों को, जिससे कि वो लोग अपनी इच ् छानुसार जीवन यापन करे सकें । हमने अब तक करीब २० मिलियन डॉलर (८० करोड रुपैये) लगभर २० उपक ् रमों में लगाये हैं । और ऐसा करके, करीब २०,००० रोजगार के मौके पैदा किये हैं, और करोडों सेवायें लोगो तक पहुँचायी हैं जो कि इसके बिना कभी उन ् हें नहीं पा पाते । मैं आपको दो कहानियाँ सुनाना चाहती हूँ । दोनो ही अफ़ ् रीका से हैं । दोनो में ही उन उद ् यमियों की योजनाओं में पैसा निवेश करने के बारे में हैं जो कि सेवा के लिये वचनबद ् ध हैं, और जिन ् हें बाजार की जानकारी है । दोनो ही कहानियाँ स ् वास ् थय-सेवाओं और उद ् यमिता के जुडाव की कहानियाँ हैं, और दोनो ही, क ् योंकि वे उत ् पादन से संबंधित हैं, सीधे रोज़गार पैदा करती हैं, और आय बढाती हैं, और क ् योंकि वो मलेरिया से जुडी है, और अफ़ ् रीका करीब १३ मिलियन डॉलर हर साल मलेरिय के चलते गँवाता है । लोग जैसे जैसे स ् वस ् थ होते जाते है, वो धनी भी होते जाते हैं । पहली कहानी है 'एड ् वान ् सड बायो-एक ् स ् ट ् रेक ् टस लिमिटिड' की । ये केन ् या की एक लगभग सात साल पुरानी कंपनी है, जिसे एक महान उद ् यमी पैट ् रिक हेन ् फ़ ् री और उनके तीन साथियों ने शुरु किया था । ये पुराने किसान हैं जिन ् होंने कृषि से जुडे उतार-चढाव को देखा है केन ् या में लगभग पिछले ३० सालों से । देखिये, ये आर ् टमीसिया का पौधा है, और ये आर ् टमीसिया का मुख ् य अवयव है, जो कि मलेरिया का सबसे बेहतरीन इलाज है । ये चीन और पूर ् वी विश ् व का मूल पौधा है, परन ् तु क ् योंकि अफ़ ् रीका में मलेरिया की बहुतायत है, पैट ् रिक और उनके साथियों ने कहा, "" चलो, इसे अफ़ ् रीका लाते हैं, क ् योंके ये बहुत फ़ायदेमंद उत ् पाद है । "" किसानों को इससे मक ् के के मुकाबले तीन से चार गुना बेहतर पैदावार मिलती है । इसलिये, धैर ् यवान पूँजी को इस ् तेमाल करके, यानि वो पूँजी जो कि वो आसानी से जुटा सके, जिसे बाजार से कम फ़ायदा मिला, और जो कि लम ् बे समय तक निवेशित रहने को तत ् पर थी, और प ् रबंधन, और योजना के हिसाब से निवेशित रहने को तत ् पर थी, उन ् होंने एक कंपनी बनायी जो कि ७५०० किसानों से उत ् पाद खरीदती है । तो कम से कम ५०,००० लोगों का जीवन बदलता है । और मेरे ख ् याल से आप में कुछ यहाँ गये होंगे — इन किसानों को किक-स ् टार ् ट और टेक ् नोसर ् व से मदद मिलती है, जो उन ् हें और भी स ् वाबलम ् बी बनाती है । ये उसे खरीदते है, सुखाते है, और इस फ़ैक ् ट ् री तक लाते है जो कि कुछ भाग में, नोवार ् टिस द ् वारा दी गयी धैर ् यवान पूँजी द ् वारा खरीदी गयी थी, जिसकी उस पाउडर में वाणिज ् यिक रुचि थी. जिससे कि वो कोआर ् टम बना सकें । अक ् यूमन इस कंपनी के साथ पिछले करीब साल-डेड साल से काम कर रहा है, एक नयी व ् यवसाय-योजना पर, और इस कंपनी को और आगे बढाने पर, प ् रबंधन में मदद करके, और उन ् हें टर ् म-शीट बनाने और पूँजी जुटाने में मदद करके । और मुझे समझ आया कि धैर ् यवान पूँजी की भावात ् मक महत ् ता क ् या है, पिछले महीने के आसपास । क ् योंकि ये कंपनी केवल दस दिन दूर थी ये साबित करने से कि जो उत ् पाद उन ् होंने बनाया है, वो विश ् व-स ् तर का है कोआर ् टम बनाने के लिये, जबकि वो अपने इतिहास की सबसे बडी नकदी से जुडी समस ् या से भी जूझ रहे थे । और हमने, हम जितने भी सामाजिक निवेशकर ् ताओं को जानते थे, सबसे बात की । देखिये, इनमें से कुछ सामाजिक निवेशकर ् ता वाकई अफ़ ् रीका में रुचि रखते हैं और खेती-बाडी का महत ् व समझते हैं, और उन ् होंने कई किसानों की मदद भी की है । लेकिन हमारे ये बताने पर भी, कि इस कंपनी के बंद होने का मतलब होगा, सारे के सारे ७५०० लोगों का बेरोज़गार हो जाना, कभी कभी व ् यावसायिक और सामाजिक सोच में बहुत फ़र ् क आ जाता है । और अब समय आ गया है कि हम और रचनात ् मक हो कर सोचें कि उन दोनो का मिलन कैसे हो सकता है । तो अक ् यूमल ने, एक नहीं बल ् कि दो, ब ् रिज लोन दिये, और अच ् छी खबर ये है कि न सिर ् फ़ उन ् होंने अपने उत ् पाद के विश ् व-स ् तर को साबित ही किया, वो आजकल २० मिलियन डॉलर के एक निवेश के अंतिम चरण में हैं, और मुझे लगता है कि ये पूर ् वी अफ़ ् रीका की महत ् वपूर ् ण कंपनियों में से एक होगी । ये सैमुअल हैं । ये एक किसान हैं । ये असल में किबेरा झुग ् गी में रहते थे जब इनके पिता ने इन ् हें आर ् टमीसिया के बारे में, और उससे जुडी संभावनाओं के बारे में बताया । तो वो वापस खेती-बाडी में लग गये, और संक ् षेप में, अब उनके पास करीब सात एकड का खेत है । सैमुअल के बच ् चे प ् राइवेट स ् कूल में पढते हैं, और अब वो और भी किसानों को इस धंधे के बारे में बता रहे हैं — आत ् म-सम ् मान धन से ज ् यादा महत ् वपूर ् ण होता है । और अब दूसरी कहानी, जो कि आप में से कई को पता भी होगी । मैनें इसके बारे में ऑक ् सफ़ार ् ड में बात की थी, करीब दो साल पहले, और आप में से कुछ लोग ए टू ज़ेड उत ् पादन में गये भी हैं, ये भी पूर ् वी अफ़ ् रीका की कुछ महान कंपनियों में से एक है । ये भी स ् वास ् थय और उद ् यमिता के जोड पर खडी है । और ये कहानी निजी और सरकारी प ् रयासों के साथ आनी की एक सफ़ल कहानी है । ये कहाने जापान में शुरु हुई । सुमितोमो ने एक ऐसे तकनीक अविष ् कार किया जो कि पोलिथीन के धागे में एक कीटनाशक दवाई भर सकने में सक ् षम थी, लिहाजा आप ऐसा मच ् छरदानी बना सकते थे, जो कि पाँच साल चले, और जिसे बार-बार कीटनाशक में डुबोना भी न पडे । ये बदलाव ला सकती थी, पर आर ् टमीसिया की ही तरह, इसे भी केवल पूर ् वी अफ़ ् रीका में ही बनाया गया, और सामजिक जिम ् मेदारी के तहत सुमिटोमो ने कहा, "" क ् यों न हम ये प ् रयोग करें कि इसे क ् या हम अफ़ ् रीक में अफ़ ् रीकनों के लिये बना सकते हैं? "" यूनिसेफ़ ने आगे बढ कर कहा, "" हम ज ् यादातर मच ् छरदानियों को खरीद लेंगे और फ़िर उन ् हें हम ग ् लोबल फ़न ् ड और यू.एन. की गर ् भवती महिलाओं और बच ् चों को दी जाने वाली मदद के रूप में मुफ़ ् त बाँटेंगे । "" अक ् यूमन इसमें अपनी धैर ् यवान पूँजी ले कर आया, और हमने इसके लिये उपयुक ् त उद ् यमी को ढूँढने में भी मदद की, जिसके साथ हम सब साझेदारी करेंगे अफ़ ् रीका में, और एक ् सोन ने इसके लिये प ् रारंभिक गोंद मुहैया करवायी । और उद ् यमी को ढूँढ ् ने में, हमें सारी धरती पर अनुज शाह से बेहतर कोई नहीं मिल सकता था, ए टू जेड उत ् पादन कंपनी में । ये चालीस साल पुरानी कंपनी है, इसे उत ् पादन की समझ है । और इसने समाजवादी तनज़ानिया से पूँजीवादी तनज़ानिया, के बदलाव को झेला है । इसमें करीब १,००० कर ् मचारी थे जब इसे हमने शुरु किया । और फ़िर, अनुज ने अफ़ ् रीका में इसमे एक उद ् यमी की तरह खतरा मोल लिया । और एक सामाजिक उत ् पाद बनाया जो कि एक मददगार संगठन ने खरीद लिया मलेरिया के खिलाफ़ । और फ़िर संक ् षेप में, वो बहुत सफ़ल हैं । पहले साल ही में, पहली मच ् छरदानी अक ् टूबर २००३ में बनी । हमने सोचा था कि हम स ् वयं को सफ़ल मानेंगे यदि हम १५०,००० मच ् छरदानियाँ हर साल बना सके । इस साल हम ८ मिलियन मच ् छरदानियाँ प ् रतिवर ् ष की दर परा बना रहे हैं । और करीब पाँच हज़ार लोगों को रोज़गार दे रहे हैं, जिसमें से ९० प ् रतिशत औरतें है, और ज ् यादातर अप ् रशिक ् षित । ये सुमोटोमो के साथ मिला-झुला उपक ् रम है । और इसलिये, उद ् यमिता की नज़र से अफ़ ् रीका में, और समाज के स ् वास ् थय की नज़र से, ये असली सफ़लता है । लेकिन ये अधूरी कहानी है अगर हम गरीबी की समस ् या सुलझाने की बात करते हैं, क ् योंकि ये दीर ् घकालिक रूप से कायम रहने वाली नहीं है । ये ऐसी कंपनी है जिसका कि सिर ् फ़ एक ही बडा ग ् राहक है । और मान लीजिये कि एवियन फ़ ् लू, या ऐसे ही किसी और कारण से यदि ये फ़ैसला हो गया कि मलेरिया पर काम करना उतना ज़रूरी नहीं है, तो सब चौपट । और इसलिये, अनुज और अक ् यूमन इसका निजी क ् षेत ् र में प ् रयोगात ् मक तौर पर परीक ् षण करना चाहते हैं, क ् योंकि मददगार संगठन द ् वारा ये माना गया है कि, देखो, तनज़ानिय जैसे देश में, करीब ८० प ् रतिशत आबादी प ् रतिदिन दो डॉलर से भी कम कमाती है । जबकि इसे बनाने की ही कीमत करीब छः डॉलर आती है, और इसे उपयोगकर ् ता तक पहुँचाने में और छः डॉलर लगते है, तो बाज़ार में इसकी कीमत करीब १२ डॉलर प ् रति मच ् छरदानी होगी । ज ् यादातर लोग इसे खरीद नहीं सकते, इसलिये चलिये इसे मुफ़ ् त बाँट देते हैं । और हमने कहा, "" रुकिये, एक और तरीका हो सकता है । "" बाज़ार को एक श ् रवण-यंत ् र की तरह इस ् तेमाल करते है, और ये समझने की कोशिश करते है कि लोग इसके लिये कितना दे सकते है, जिससे कि लोगों को अपने मन-मुताबिक फ़ैसला लेने का अधिकार मिले । और फ़िर हम स ् थानीय स ् तर पर आवंटन शुरु कर सकते हैं, और असल में, सरकारी क ् षेत ् र में ये कम कीमत में मिलेगा । "" और हम धैर ् यवान पूँजी के निवेश के दूसरे दौर में आये, एक ऋण और एक मदद दोनों के रूप में, जिस से कि ए टू जेड कीमत के साथ खेल सके और बाजार को सुन सके, और हमें कई सारी बातें पता चली । पहली ये कि अलग अलग लोग अलग अलग कीमतें देंगे, पर यदि कीमत एक डॉलर हो तो, कई एक लोग आगे आयेंगे और खरीदने का निर ् णय करेंगे । और जब आप सुनने को तैयार होते है, तो लोगों के पास कहने के लिये बहुत कुछ होता है कि उन ् हें क ् या पसंद है, और क ् या नहीं, और ये कि कुछ माध ् यम जो हमने सोचे थे कि काम करेंगे, सफ़ल नहीं हुए । पर क ् योंकि बाज़ार के साथ प ् रयोग करने और भूलें करने की अनुमति थी, क ् योंकि पूँजी का स ् वभाव धैर ् यवान था, हम पता लगा पाये कि निजी क ् षेत ् र में एक डॉलर लगेगा इसे बाँटने में, और एक डॉलर लगेगा इसे खरीदने में । और इसलिये, योजना के नज़रिये से, जब आप बाज़ार से शुरुवात करते हैं, तो आपके पास विकल ् प होता है । आप १२ डॉलर लगेगा ये सोच कर बैठे रह सकते है, और ग ् राहक को मुफ़ ् त बाँट सकते हैं, या फ़िर कम से कम प ् रयोग तो कर ही सकते है कुछ लोगों से एक डॉलर ले कर, जिससे कि सरकारी क ् षेत ् र को छः डालर कीमत आये, लोगों को विकल ् प का आत ् म-सम ् मान मिले, और एक आवंटन तंत ् र बने जो कि समय के साथ, आत ् म-निर ् भर हो जाये । हमें इस प ् रकार सोचना आरंभ करना होगा, और मुझे नहीं लगता कि बाजार का उपयोग करने का इससे बेहतर रास ् ता हो सकता है, और लोगों को उसके हिसाब से रह पाने में मदद करने का । जब भी मैं ए टू जेड जाती हूँ, मै अपनी दादी स ् टेला के बारे में सोचती हूँ । वो काफ़ी हद तक इन औरतों जैसी ही थीं, जो कि इन सिलाई-मशीनों पर काम कर रही हैं । वो ऑस ् ट ् रिया के एक फ़ार ् म पर पली बढी थीं, बेहद गरीबी में, कुछ खास शिक ् षा भी नहीं हुई थी । वो अमरीका आ गयीं जब वो मेरे दादा से मिलीं, जो कि सीमेंट पीसने का काम करते थे, और उनके नौ बच ् चे हुए, जिसमें से तीन बचपन में ही मर गये । मेरी दादी को टीबी की बीमारी थी, और वो एक सिलाई-कारखाने में काम करती थीं करीब १० सेंट प ् रति घन ् टे के हिसाब से कमीजें बनाती थीं । वो, ए टू जेड में काम करने वाली तमाम औरतों की तरह ही, हर दिन बहुत मेहनत करती थी, और समझती थीं कि दर ् द क ् या होता है, भगवान में विश ् वास रखती थीं, और अपने बच ् चों से प ् यार करती थीं और कभी भी दया का दिया एक भी पैसा नहीं स ् वीकार करती थीं । पर क ् योंकि उनके पास बाजार की पहुँच था, और वो ऐसे समाज में रहती थीं जो कि सुरक ् षा देता था स ् वास ् थय और शिक ् षा की, उनके बच ् चे और नाती-पोते ऐसी ज़िन ् दगी जी सके जिसमें एक साधना थी, और जो कि सच ् चे सपने साध सकते थे । मैं अपने बहन-भाइयों को देखती हूँ - और मैं कहती हूँ, हमारे जैसे कई और लोग हैं — और मैं शिक ् षकों, संगीतज ् ञों, डिजाइनरों, और फ़ंड-मैनेजरों को देखती हूँ । एक बहन जो कि दूसरों की इच ् छाओं को सच कर देती हैं । और मेरी इच ् छा, जब मैं इन औरतों को देखती हूँ, और उन किसानों से मिलती हूँ, और मैं इस महाद ् वीप पर रहने वाले तमाम लोगों के बारे में सोचती हूँ जो रोज़ाना बहुत मेहनत करते हैं, ये है कि उनके पास विकल ् प हों और संभावनाएँ हों, और उन ् हें विश ् वास हो, और सेवाओं तक उनकी पहुँच हो जिससे कि उनके बच ् चे भी किसी उद ् देश ् य या प ् रयोजन से भरा जीवन जी सकें । ये इतना मुश ् किल काम नहीं है । पर इसमें हम सब को वचनबद ् ध होना होगा बेकार की पूर ् वधारणाओं से आगे सोचने के लिये, अपने विचारों की कैद से बाहर आने के लिये । इसमें उन उद ् यमियों पर निवेश करना होगा जो कि प ् रतिज ् ञाबद ् ध हैं सेवा के लिये, और सफ़ल होने के लिये । हमें अपनी दोनो बाहों को विस ् तार से फ़ैलाना होगा, और बदले में बहुत कम अपेक ् षा करनी होगी, पर जवाबदेही पर ज़ोर देना होगा, और काम करने वालों में जिम ् मेदारी की आदत डालनी होगी । और सबसे ज ् यादा, हर चीज़ से ज ् यादा ज़रूरी है कि हम सब में हिम ् मत और धैर ् य हो, चाहे हम गरीब हों या अमीर, अफ़ ् रीकन हों या गैर-अफ़ ् रीकन, स ् थानीय हों या प ् रवासी, वामपंथी हों या पूँजीवादी, एक दूसरे की बात सुन सकने का । धन ् यवाद । (तालियों सहित अभिवादन) यह पिछले वर ् ष अप ् रैल की बात है । मैं एक शाम मित ् रों के साथ गयी थी उनमे से एक का जन ् मदिन मनाने । हम लोग कुछ हफ़ ् तों से नहीं मिले थे; वो एक अच ् छी शाम थी, क ् योंकि सब एक बार फिर साथ थे । शाम के अन ् त पर, मैंने लन ् दन के उस पार जाने वाली आख़िरी भूमिगत रेलगाड़ी पकड़ी । मेरा सफर अच ् छा था । मैं अपने स ् थानीय स ् टेशन पहुँची और मैंने घर की ओर १० मिनट चलना शुरू किया । जैसे ही मैंने अपनी गली का मोड़ लिया, मेरा घर मुझे सामने दिख रहा था, मैंने पीछे क़दमों की आहट सुनी जो पता नहीं कहाँ से आ गए और जिनकी गति बढ़ती जा रही थी । इससे पहले कि मैं यह समझ पाती कि हो क ् या रहा है, एक हाथ ने मेरे मुह को भींच दिया मैं साँस भी नहीं ले पा रही थी, और मेरे पीछे खड़े युवक ने मुझे ज़मीन की ओर घसीटा, मेरे सर को बार-बार फुटपाथ पर मारा जब तक मेरे चेहरे से खून नहीं निकलने लगा, मेरी पीठ और गरदन पर लाथे मरते हुए उसने मुझ पर हमला करना शुरू किया, मेरे कपड़े फाड़ कर मुँह बन ् द रखने के लिए कहा, जब मैंने मदद के लिए चीखने का संघर ् ष किया । मेरे सर की ठोस ज़मीन के साथ हुई हर टक ् कर पर एक प ् रश ् न मेरे दिमाग में गूँज रहा था जो मुझे आज तक डराता है: "क ् या यही अन ् त है?" मुझे तो यह पता भी नहीं था, कि मेरा पूरे रास ् ते पीछा हुआ था उस पल से जब मैं स ् टेशन से निकली थी । और घंटों बाद, मैं निर ् वस ् त ् र, पुलिस के सामने खड़ी थी, मेरे निर ् वस ् त ् र तन पर लगे घावों की फोटो खींचवाते हुए अदालती प ् रमाण के लिये । हाँ हैं कुछ शब ् द उन गहरी भावनाओं का वर ् णन करने के लिए, उस आलोचना, अपमान, अशान ् ति और अन ् याय की, जिन में मैं डूबी हुई थी उस क ् षण में और आने वाले कई हफ़ ् तों में । लेकिन इन भावनाओं को कम करने की चाह में, ऐसी व ् यवस ् था में लाने के लिए जिसमें मैं आगे बढ़ूँ, मैंने वो करना तय किया जो मुझे प ् राकृतिक लगा मैंने उसके बारे में लिखा । यह एक शुद ् धिकरण की तरह आरम ् भ हुई । मैंने अपने हमलावर को एक पत ् र लिखा, उसका मानवीकरण "" तुम "" से करते हुए, उसको उसी समुदाय से उसकी पहचान देते हुए जिसका वो हिस ् सा था जिसका उसने क ् रूरता से उस रात दुष ् प ् रयोग किया । उसके कर ् म से हुए लहरदार प ् रभाव पर ज़ोर डालते हुए, मैंने लिखा: क ् या तुमने कभी अपने नज़दीकी लोगों के बारे में सोचा? मैं नहीं जानती तुम ् हारे जीवन में कौन लोग हैं । मैं तुम ् हारे बारे में कुछ भी नहीं जानती । पर मैं इतना जानती हूँ: उस रात तुमने केवल मुझ पर हमला नहीं किया । मैं एक बेटी हूँ, एक मित ् र हूँ, एक बहिन हूँ, एक छात ् र हूँ, एक चचेरी बहिन, भान ् जी हूँ, एक पड़ोसी हूँ; एक कर ् मचारी हूँ जिसने सबको कॉफ़ी परोसी है रेल-मार ् ग के नीचे वाले कैफ़े में । और वो सब लोग जो मुझसे यह रिश ् ते बनाते हैं उनसे मेरा समुदाय बनता है । और तुमने उस हर एक व ् यक ् ति पर हमला किया है । तुमने उस सत ् य का उल ् लंघन किया जिसकी लड़ाई मैं नहीं छोडूँगी और जिसका यह सब लोग प ् रतिनिधित ् व करते हैं कि विश ् व में बुरे लोगो से अनन ् त रूप से ज़ ् यादा, अच ् छे लोग हैं । "" पर यह एक हादसा मेरे विश ् वास को न हिला पाए, इस निश ् चय के साथ, मेरे समुदाय की एकजुटता में या पूरी इन ् सानियत में, मैंने ७ जुलाई २००५ में लन ् दन यातायात पर हुए आतंकवादी बम विस ् फोटों को याद किया, और कैसे उस समय लन ् दन के मेयर ने, बल ् कि मेरे खुद के माता-पिता ने, आग ् रह किया था कि हम सब अगले ही दिन ट ् यूब (रेल) से सफर करें, ताकि हम उनके द ् वारा परिभाषित ना हों जिन ् होंने हमें असुरक ् षित मेहसूस कराया । मैंने अपने हमलावर को बताया, "" तुमने अपना हमला पूरा कर लिया, लेकिन अब मैं अपनी ट ् यूब पर वापस जा रही हूँ । मेरा समुदाय अँधेरे में घर चल कर जाते हुए असुरक ् षित महसूस नहीं करेगा । हम घर के लिए आखिरी ट ् यूब लेंगे, और हम अपनी गलियों में अकेले चलेंगे, क ् योंकि हम खुद को इस विचार के आधीन नहीं होने देंगे कि हम ऐसा कर के खुद को खतरे में डाल रहे हैं । हम एक सेना की तरह एक साथ रहेंगे, जब भी हमारे समुदाय के किसी सदस ् य को धमकाया जयेगा । और यह एक ऐसी लड़ाई है जो तुम कभी नहीं जीतोगे । "" इस पत ् र को लिखते समय — (वाहवाही) धन ् यवाद । (वाहवाही) इस पत ् र को लिखते समय, मैं ऑक ् सफर ् ड में परीक ् षा के लिए पढ़ती थी और मैं वहाँ के स ् थानीय छात ् र अख़बार पर काम करती थी । इतनी भाग ् यशाली होने के बाद भी, कि मेरे मित ् र और परिवार मेरे साथ थे, यह एक अकेलेपन का समय था । मैं किसी को नहीं जानती थी जो ऐसी स ् थिति से गुज़रा हो; कम से कम मुझे ऐसा लगता था । मैं खबरें पढ़ती थी, आँकड़े, और यह जानती थी कि यौन उत ् पीड़न कितना आम था, फ़िर भी एक ऐसे व ् यक ् ति का नाम नहीं बता पाती जिसको मैंने इस तरह के अनुभव के बारे में खुल के बोलते हुए सुना हो । तो एक कुछ-कुछ सहेज निर ् णय लेते हुए, मैंने अपने पत ् र को छात ् र अख़बार में प ् रकाशित करने का फैसला किया, ऑक ् सफ़र ् ड में औरों तक पहुँचने की आशा में जिनके साथ कोई समान घटना घटी हो और उन को भी ऐसी ही अनुभूति हो रही हो । पत ् र के अन ् त में, मैंने औरों को उनके अनुभव बारे में लिखने के लिए कहा हैशटैग "" # मैंदोषीनहीं "" के साथ, ज़ोर देने के लिए कि उत ् पीडन सहे हुए लोग खुद को अभिव ् यक ् त पाएं, बिना शर ् म या अपराध की भावना के अपनी आपबीती बता सकते थे — दिखाते हुए कि हम सब यौन उत ् पीड़न के खिलाफ खड़े हो सकते है मुझे इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं था कि लगभग रातों-रात, यह प ् रकाशित पत ् र आग की तरह फैल जायेगा । जल ् द ही, हम को सैंकड़ों कहानियाँ मिल रही थीं दुनिया भर के स ् त ् रियों और पुरुषों से, जिन ् हें हम मेरी बनायी हुई वेबसाइट पर प ् रकाशित करने लगे । और वह हैशटैग एक आन ् दोलन बन गया । एक ४० से ऊपर की उम ् र वाली ऑस ् ट ् रेलियाई माँ थीं जिन ् होंने बताया कि कैसे एक शाम, उन का स ् नानघर की ओर पीछा किया एक पुरुष ने जो बार बार उनकी ऊसन ् धि को पकड़ता रहा । एक पुरुष था नीदरलैंड में जिसने बताया कैसे लन ् दन यात ् रा पर उसका भेंट-बलात ् कार हुआ और उसने जिसको भी यह घटना बताई, किसी ने उसे सच नहीं माना । मुझे भारत और दक ् षिण अमेरिका से लोगों के व ् यक ् तिगत फेसबुक सन ् देश आये, पूछते हुए कि इस आन ् दोंलन का सन ् देश वहाँ कैसे ला सकते हैं? जिसने बताया कि बचपन में उसके पिता ने ही उसका यौन शोषण किया । और मेरे मित ् र मुझे बताने लगे ऐसी घटनाओं के बारे में जो उनके साथ पिछले सप ् ताह से लेकर वर ् षों पहले हुई थीं, जिनके बारे में मुझे कुछ पता ही नहीं था । और जितने ज़ ् यादा हमें ऐसे सन ् देश मिलने लगे, उतने ही ज़ ् यादा हमें आशा भरे सन ् देश भी मिले — लोग सशक ् त महसूस कर रहे थे इन आवाज़ों के समुदाय से जो यौन शोषण व पीड़ित को दोष देने के खिलाफ खड़ी हो रही थीं । एक ओलिविया नाम की महिला ने, यह बताने के बाद कि कैसे उसका शोषण किया एक ऐसे व ् यक ् ति ने जिसकी वह बहुत समय से परवाह करती थी, लिखा, "" मैंने यहाँ लिखी बहुत कहानियाँ पढ़ी हैं, और मैं आशावान हूँ कि अगर इतनी सारी स ् त ् रियाँ आगे बढ़ सकती हैं तो मैं भी बढ़ सकती हूँ । मुझे बहुतों से प ् रेरणा मिली और मुझे आशा है कि मैं भी उनके जितनी सबल बनूँ । मुझे यकीन है, बनूँगी । "" दुनिया भर के लोग इस हैशटैग के साथ ट ् वीट करने लगे, और मेरा पत ् र राष ् ट ् रीय अख़बार ने प ् रकाशित किया, उसका दुनिया भर की अन ् य कई भाषाओं में अनुवाद भी किया जा रहा था । पर मुझे मीडिया का दिया जा रहा वह महत ् व कुछ अलग लगा जिसे यह पत ् र आकर ् षित कर रहा था । किसी बात को मुख ् य-पृष ् ठ समाचार बनने के लिए, "" समाचार "" शब ् द ही अपने आप में ऐसा है, कि हम सोचते हैं कि कुछ नया या कुछ अप ् रत ् याशित होगा । और फ़िर भी यौन उत ् पीड़न कोई नयी बात नहीं है । और कई प ् रकार के अन ् याय की तरह यौन उत ् पीड़न भी, जनसंचार में हमेशा संवंदित होता है । लेकिन आन ् दोलन के ज़रिये, इन अन ् यायों को केवल खबर के रूप में अँकित नहीं किया गया, यह प ् रत ् यक ् ष अनुभव थे जिन ् होंने वास ् तविक लोगों को प ् रभावित किया था, जो दूसरों की सुदृढ़ता से वो बना रहे थे, जो चाहिए था लेकिन पहले उनके पास नहीं था: अपनी बात खुल कर कहने का मंच, यह आश ् वासन के वो अकेले नहीं थे या जो उनके साथ हुआ उसका दोष देने के लिए और खुल के ऐसी चर ् चा करने के लिए, जो इस समस ् या के साथ जुड़े कलंक को कम कर सके । इस संवाद में सबसे आगे उनकी आवाज़ें थीं जिन पर ऐसी घटनाओं का सीधा प ् रभाव पड़ा था- सामाजिक जनसंचार के पत ् रकारों या समीक ् षकों की नहीं । और इसलिए यह एक समाचार बन गया था । हम अविश ् वसनीय रूप से जुड़े विश ् व में रहते हैं, सोशियल मीडिया के तेज़ी से बढ़ने के कारण, जो बेशक सामाजिक बदलाव की आग जलाने के लिए एक बहुत ही अच ् छा माध ् यम है । लेकिन इससे हम प ् रतिक ् रियाशील भी होते जा रहे हैं, छोटी-छोटी बातों से लेकर, जैसे, "" ओह, मेरी रेल देरी से जाएगी, "" से लेकर बड़े-बड़े युद ् ध, नरसंहार, आतंकवादी हमले जैसे अन ् यायों के लिए । किसी भी कष ् ट पर प ् रतिक ् रिया करने के लिए हम सबसे पहले जल ् द से जल ् द ट ् वीट, फेसबुक, हैशटैग करते हैं — कुछ भी जिससे सबको पता चले कि हमने भी प ् रतिक ् रिया दी है । कि कभी-कभी इसका यह अर ् थ भी हो सकता है कि हम कोई जवाब दें ही न, कम से कम उसके बारे में कुछ करने की भावना से तो नहीं । इससे हमें तो अच ् छा लग सकता है कि हमने सामूहिक कष ् ट या ज़ुल ् म के विरुद ् ध योगदान दिया, पर इससे असल में कुछ नहीं बदलता । और तो और, कभी-कभी यह उनकी ही आवाज़ कुचल देता है जिनके ऊपर उस अन ् याय का सीधा असर पड़ा है, जिनकी ज़रूरतों को सुना जाना चाहिए । चिन ् ता की बात यह प ् रवृत ् ति भी है, कि अन ् याय के विरुद ् ध कुछ प ् रतिक ् रियाएँ और दीवारें खड़ी करने की होती हैं, जो तुरन ् त दूसरों को दोष देती हैं जटिल समस ् यायों के आसान उपाय देने की आशा के साथ । एक छोटे ब ् रिटिश अख़बार ने मेरे पत ् र को प ् रकाशित करके ऐसा शीर ् षक लिखा, "ऑक ् सफोर ् ड छात ् रा ने शुरू किया हमलावर को शर ् मिंदा करने का ऑनलाइन आन ् दोलन ।" पर वो तो कभी किसी को शर ् मिंदा करने का था ही नहीं वो तो लोगों को बोलने का और दूसरों को सुनने का मौका देने के लिए था । मतभेद पैदा करते ट ् विटर ट ् रोल ने जल ् दी से और भी ज़ ् यादा अन ् याय पैदा किया, मेरे हमलावर की जाती और दर ् जे पर टिप ् पणी करके, अपनी ही धारणाओं से निमित ् त लक ् ष ् यों के लिए । और कुछ ने तो मुझे एक मनघडंत कहानी रचने का भी दोष दिया यह कहकर कि मैं इससे पूरा करना चाहती हूँ मेरा, "पुरुष-घृणा का नारीवादी लक ् ष ् य ।" (खिलखिलाहट) सच में, है ना? जैसे मैं कहूँगी, "" सुनो, मुझे माफ़ करना, मैं नहीं आ पाऊँगी, मैं सारी नर जाती से नफरत करने में व ् यस ् त हूँ, अपने ३० साल के होने तक । "" (खिलखिलाहट) अब, मुझे लगभग पूरा विश ् वास है कि यह लोग यह बातें आमने-सामने नहीं बोलेंगे । पर ऐसा लगता है जैसे क ् योंकि वो एक पर ् दे के पीछे हैं, अपने घर के आराम में, जब सोशियल मीडिया पर हैं, तो लोग भूल जाते हैं कि वो एक सार ् वजानिक काम कर रहे हैं, कि अन ् य लोग उसको पढ़ेंगे और उससे प ् रभावित होंगे । मेरे रेल पर वापस जाने की बात पर फिर से आते हुए, मेरी दूसरी मुख ् य चिन ् ता उस शोर के बारे में है, जो बढ़ता है हमारे अन ् याय के लिए ऑनलाइन जवाबों से कि यह बहुत ही आसानी से हमें प ् रभावित व ् यक ् ति की तरह चित ् रित कर सकता है, जिससे हमें हारने की भावना हो सकती है, एक सकारात ् मक या बदलाव के मौके को देखने से रोकने वाले मानसिक अवरोध की तरह, एक नकारात ् मक घटना के बाद । इस आन ् दोलन के शुरू होने के कुछ माह पहले या मेरे साथ यह सब होने से पहले मैं ऑक ् सफर ् ड में TEDx में गयी थी वहाँ मैंने ज़ेल ् डा ला ग ् रान ् जे को सुना, जो नेल ् सन मंडेला की भूतपूर ् व निजी सचिव थीं । एक बात उन ् होंने बोली जो मेरे साथ रह गयी । उन ् होंने मंडेला को अदालत ले जाने का बताया दक ् षिणी अफ ् रीका रग ् बी संघ द ् वारा, उनके खेल जगत की जाँच के आदेश देने के बाद । अदालत में, वो दक ् षिणी अफ ् रीकन रग ् बी संघ के वकीलों के पास गए, उनसे हाथ मिलाया और हर एक से उसकी अपनी भाषा में बात की । ज़ेल ् डा विरोध करना चाहती थीं, कह कर कि वो उनके आदर के अधिकारी नहीं थे उनके साथ ऐसा अन ् याय करने के बाद । वह उनकी तरफ मुड़े और बोले, "तुम ् हें कभी शत ् रु को युद ् ध का मैदान तय करने की अनुमति नहीं देनी चाहिये ।" यह शब ् द सुनने के समय मुझे अंदाज़ा नहीं था कि क ् यों इनका इतना महत ् व था, पर मुझे लगा कि थे, और मैंने उन ् हें अपने पास एक पुस ् तक में लिख लिया । पर मैंने इस कथन के बारे में तब से बहुत सोचा है । बदला, या नफरत की अभिव ् यक ् ति उनकी तरफ जिन ् होंने हमारे साथ अन ् याय किया, उस गलत के विरुद ् ध मानवीय प ् रवृत ् ति की तरह लग सकती है, पर हमें इस चक ् र से बाहर निकलना पड़ेगा अगर हम अन ् याय की नकारात ् मक घटनाओं को बदलना चाहते हैं सकारात ् मक सामाजिक परिवर ् तन में । अन ् यथा करना, शत ् रु को युद ् ध का मैदान निर ् धारित करते रहने देता है, एक दोहरा प ् रभाव बनाता है जहाँ जिन ् होंने अन ् याय सहा, वही प ् रभावित बन जाते हैं अपराधी के विरुद ् ध खड़े हुए । और जिस तरह हम अपनी रेल पर वापस चले गए, उसी तरह हम अपने सम ् बन ् धों और समुदायों के माध ् यमों को हम हार मान जाने वाली जगह नहीं बनने दे सकते । पर मैं सोशियल मीडिया पर प ् रतिक ् रिया को हतोत ् साहित भी नहीं करना चाहती, क ् योंकि मैं # मैंदोषीनहीं आन ् दोलन के विकास के लिए, ऋणी हूँ लगभग पूरी तरह सोशियल मीडिया की । पर मैं ज़ ् यादा संवेदनशील तरीके को बढ़ावा देना चाहती हूँ जिसका प ् रयोग अन ् याय पर प ् रतिक ् रिया के लिए हो । शुरुवात के लिए, हमें खुद से दो बातें पूछनी चाहियें । पहली: मुझे इस अन ् याय की भावना क ् यों होती है? मेरे लिये इसके कई उत ् तर थे । किसीने मुझे व मेरे नज़दीकी लोगों को दुख दिया था, इस धारणा के साथ कि उनको उसका उत ् तरदायी नहीं माना जायेगा, या जो क ् षति की उसे पहचाना नहीं जायेगा । यही नहीं, हज़ारों स ् त ् री और पुरुष हर रोज़ क ् षतिग ् रस ् त होते हैं यौन उत ् पीड़न से, ज़ ् यादातर चुपचाप । फिर भी, यह आज भी एक ऐसी समस ् या है जिसकी हम बाकियों जितनी चर ् चा नहीं करते । यह आज भी ऐसी समस ् या है जिसका दोष लोग पीड़ित को देते है । दूसरा, खुद को पूछिये: इन कारणों से पहचान करके मैं इन ् हें समाप ् त कैसे करूँ? हमारे लिए, यह मेरे हमलावर, और कई औरों को उत ् तरदायी बनाने से था । जो असर उनके कर ् म से हुआ, उसके लिए ज़िम ् मेदार ठहराने में । यौन शोषण की समस ् या पर खुल कर बातचीत का मौका देने में था, मित ् रों, परिवारों, जनसंचार में उस चर ् चा को शुरू करने में था, जो बहुत ज़ ् यादा समय से बन ् द थी, ज़ोर देते हुए कि पीड़ित दोष देने में बुरा न माने, जो उनके साथ हुआ उसके लिए । शायद इस समस ् या को सुलझाने के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है । लेकिन इस तरह से, हम सोशियल मीडिया का प ् रयोग सामाजिक न ् याय के साधन जैसे शुरू कर सकते है, शिक ् षा के साधन की तरह, संवाद प ् रेरित करने के, आधिकारिक लोगों को समस ् याओं से अवगत कराने के उन लोगों के माध ् यम से जो उससे सीधा प ् रभावित हुए हैं । क ् योंकि कभी-कभी इन प ् रश ् नों के उत ् तर आसान नहीं होते । बल ् कि, बहुत ही कम होते हैं । पर इसका अर ् थ फ़िर भी यह नहीं है कि हम इनको संवेदनशील उत ् तर न दे सकें । ऐसी स ् थितियों में जब आप ये नहीं सोच पा रहे कि आप इस अन ् याय के एहसास का अन ् त कैसे करें, आप ऐसा ज़रूर सोच सकते हैं, शायद ये नहीं कि आप क ् या करें, पर ये कि आप क ् या नहीं करें । आप और ज़ ् यादा दीवारें खड़ी नहीं कर सकते, और ज़ ् यादा पक ् षपात, और नफरत द ् वारा अन ् याय से लड़ के । आवाज़ उनसे ऊँची नहीं कर सकते जो उस अन ् याय से सीधा प ् रभावित हुए हैं । और आप अन ् याय पर प ् रतिक ् रिया नहीं कर सकते अगर आप उसे अगले दिन भूल जायेंगे, इसलिए क ् योंकि ट ् विटर पर बाकी सब आगे बढ़ चुके हैं । कभी-कभी एकदम प ् रतिक ् रिया न करना ही, सबसे अच ् छा कदम है जो हम उठा सकते हैं । क ् योंकि हम अन ् याय से क ् रोधित, दुःखी और उत ् तेजित हो सकते हैं, लेकिन सोच-समझ कर प ् रतिक ् रिया करना ज़रूरी है । हमें लोगों को उत ् तरदायी बनाना है, बिना एक ऐसी संस ् कृति बनाकर खुद के साथ अन ् याय करे जो औरों को शर ् मिंदा करने पर जीती हो । हमें यह अन ् तर याद रखना है, जो इन ् टरनेट पर लोग अकसर भूल जाते हैं, आलोचना और अपमान के बीच का । हम बोलने से पहले सोचना नहीं भूलना है, सिर ् फ इसलिए के हमारे सामने एक पर ् दा हो सकता है । और जब हम सोशियल मीडिया पर शोर मचाएँ, वो प ् रभावित लोगों की ही ज़रूरतों को ना डुबा दे, बल ् कि उनकी आवाज़ों को और बढ़ाये, ताकि इन ् टरनेट एक ऐसी जगह बने जहाँ आप इसलिए अपवाद न हों, अगर आप किसी ऐसी घटना की बात करते हैं जो आपके साथ सच में हुई हो । यह सब अन ् याय से लड़ने के लिए संवेदनशील तरीके वही सिद ् धान ् त जागृत करते हैं जिन पर इन ् टरनेट बना था संपर ् क के लिये, सिग ् नल के लिये, जुड़ने के लिये यह सारे शब ् द जिनका अर ् थ लोगों को साथ लाना है, उनको दूर करना नहीं । क ् योंकि अगर आप "" अन ् याय "" शब ् द को शब ् दकोश में खोजेंगे, सज़ा मिलने से पहले, कानून या अदालत के सामने, तो आप यह पाएंगे: "जो सही है उसका संरक ् षण ।" और मुझे लगता है कि दुनिया में थोड़ी ही चीज़ें है जो ज़ ् यादा "" सही "" हैं, लोगों को साथ लाने से, संघो से । और अगर हम सोशियल मीडिया को ऐसा करने दें, तो वह निस ् संदेह, न ् याय का एक बहुत ही शक ् तिशाली रूप प ् रदान कर सकता है । आपका बहुत-बहुत धन ् यवाद । (वाहवाही) मैं कल ् पना भी नहीं कर सकती थी कि वो 19 वर ् ष का आत ् मघाती हमलावर मुझे एक महत ् वपूर ् ण सबक दे कर जायेगा । परन ् तु उसने ऐसा किया । उसने मुझे सिखाया कि जिस व ् यक ् ति के विषय में आप कुछ नहीं जानते उसके विषय में कुछ भी धारणा मत बनाईये । जुलाई २००५ के एक गुरुवार की सुबह वह हमलावर और मैं, जाने अनजाने एक ही ट ् रेन में एक ही समय पर सवार हुए, हम एक दूसरे से कुछ फीट की दूरी पर खड़े थे । मैंने उसे नहीं देखा । वास ् तव में मैंने किसी को भी नहीं देखा । आप जानते हैं कि ट ् यूब में आप को किसी को नहीं देखना है, पर मेरा ख ् याल है कि उसने मुझे देखा । मेरा ख ् याल है कि उसने हम सबकी ओर देखा, और फिर विस ् फोट करने के लिए बटन को दबाया । मैं कई बार ये सोच का हैरान होती हूँ कि वह क ् या सोच रहा था? विशेषत: इन अंतिम क ् षणों में । मुझे पता है कि यह निजी नहीं था । वह मुझे जिल हिक ् स को मारने या विकलांग करने नहीं आया था । मेरा मतलब, वो मुझे जानता तक नहीं था । नहीं । बल ् कि उसने मुझे एक अनुचित और अवांछित नाम दे दिया । मैं उसकी दुश ् मन बन गई । उसके लिए मैं 'कोई दूसरी' थी, 'हम' के स ् थान पर 'वो' थी । वह नाम 'दुश ् मन' उसे हमें मारने के लिए पर ् याप ् त था । यह उसे वह बटन दबाने के लिए पर ् याप ् त था । और वह चयनात ् मक नहीं था । अकेले मेरे ही डिब ् बे में छब ् बीस अमूल ् य जाने गई, और मैं लगभग उनमें से एक थी । श ् वास लेने में जितना समय लगता है उतने समय में हम लोग गहरे अंधकार में गोते लगा रहे थे कि वह लगभग वास ् तविक था, जिसकी कल ् पना मैं टार पर चलते समय कर रही थी । हम नहीं जानते थे कि हम दुश ् मन हैं । हम बस रोज के आने जाने वाले यात ् री थे जो कुछ मिनिटों पहले ट ् यूब के शिष ् टाचारों का पालन कर रहे थे: कोई आँखों का संपर ् क नहीं, कुछ बोलना नहीं और कोई बातचीत नहीं । परन ् तु अन ् धकार बढ़ने के साथ हम एक दूसरे तक पहुँच रहे थे । हम एक दूसरे की मदद कर रहे थे । हम हमारे नाम पुकार रहे थे, एक प ् रकार की उपस ् थिति दर ् ज करने की तरह, प ् रतिउत ् तर की प ् रतीक ् षा में । "" मैं जिल हूँ । मैं यहाँ हूँ । मैं जिंदा हूँ । ठीक है । "" "" मैं जिल हूँ । यहाँ जिंदा ठीक है । "" मैं एलिसन को नहीं जानती थी । पर मैं प ् रत ् येक कुछ मिनिटों में उसकी उपस ् थिति को सुनती थी । मैं रिचर ् ड को नहीं जानती थी । पर वो जिंदा है यह बात मेरे लिए मायने रखती थी । मैं जो उनके साथ साझा किया वो था मेरा नाम । वो नहीं जानते थे कि मैं डिजाईन काउंसिल की विभागाध ् यक ् ष हूँ । और यहाँ मेरा प ् रिय ब ् रीफ़केस है, जिसे भी उस सुबह बचाया गया । वो नहीं जानते थे कि मैं आर ् किटेक ् चर और डिजाईन पत ् रिकाएं प ् रकाशित करती हूँ, और मैं रॉयल सोसाइटी ऑफ़ आर ् ट की सदस ् य हूँ, और मैंने काला परिधान पहना है अभी भी — और मैं सिगारिलो पीती हूँ । अब मैं सिगारिलो नहीं पीती । अब मैं जिन पीती हूँ और TED टॉक ् स देखती हूँ नि: संदेह मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं यहाँ खडी रहूंगी कृत ् रिम पैरों पर संतुलन बनाती हुई, व ् याख ् यान देती हुई । मैं एक तरुण ऑस ् ट ् रेलियाई महिला थी जो लन ् दन में असाधारण कार ् य कर रही थी । और मैं उस सब के लिए अंत तक तैयार नहीं थी । मैंने जीवित रहने का दृढ़ निश ् चय कर लिया था कि मैंने अपने स ् कार ् फ से पैरों को हर तरफ से रक ् त बहाव रोकने के लिए बांध लिया था, और मैंने खुद को आत ् मकेंद ् रित कर लिया था खुद की आवाज़ सुनने के लिए केवल अंत: प ् रेरणा से मार ् ग दर ् शन प ् राप ् त करने के लिए । मैंने अपनी श ् वास गति कम की । अपनी जांघों को ऊपर किया खुद को सीधा खड़ा किया और अपनी आँखे बंद करने की तीव ् र इच ् छा पर नियंत ् रण किया । मैं ऐसी स ् थिति में लगभग एक घंटा थी, एक घंटा अपनी पूरी जिंदगी को ध ् यान से देखने के लिए उस क ् षण तक । शायद मुझे इससे ज ् यादा करना चाहिए था । शायद मुझे और अधिक जीना था, और अधिक देखना था । शायद मुझे दौड़ने जाना चाहिए था, नृत ् य करना चाहिए था और योगाभ ् यास भी । पर मेरी प ् राथमिकता और केंद ् र बिंदु हमेशा से मेरा काम था । मैं काम करने के लिए जीती थी । मैं अपने बिज़नस कार ् ड पर क ् या थी वो मेरे लिए मायने रखता था । पर उस सुरंग में इसके कोई मायने नहीं थे । जब तक मैंने पहला स ् पर ् श महसूस किया मुझे बचाने वाले का मैं बोलने में असमर ् थ थी एक छोटा सा शब ् द 'जिल' कहने में भी । मैंने अपने शरीर को उन ् हें समर ् पित कर दिया । मैं जो कुछ कर सकती थी सब किया और अब मैं उनके हाथों में थी । मैंने समझा कि मानवता कौन और क ् या है, जब पहली बार मैंने अपना ID टैग देखा जो मुझे अस ् पताल में भर ् ती करते समय दिया गया था । और उस पर लिखा था: "एक अज ् ञात अनुमानित महिला" एक अज ् ञात अनुमानित महिला वो चार शब ् द मेरे लिए उपहार थे । जिन ् होंने मुझे स ् पष ् ट कहा कि मेरी जिंदगी बचाई गई है, केवल इसलिए कि मैं एक मनुष ् य हूँ । किसी भी प ् रकार के अंतर से अंतर नहीं पड़ता उन असाधारण कार ् यो पर जो मेरे बचावकर ् ता करने को तैयार थे मुझे बचाने के लिए, उन अज ् ञात लोगों को बचाने के लिए जिन ् हें वो बचा सकते थे और खुद की जिंदगी दांव पर लगाते हुए । उनके लिए मेरा धनी या निर ् धन होना मेरी त ् वचा का रंग मेरा महिला या पुरुष होना मेरी यौन उन ् मुखता मैंने किसे मत दिया मैं पढ़ी लिखी हूँ या नहीं मुझमें विश ् वास है या नहीं मायने नहीं रखता था । कुछ भी मायने नहीं रखता था सिवाय इसके कि मैं अमूल ् य मनुष ् य जीवन हूँ । मैं खुद को एक जीवित तथ ् य की तरह देखती हूँ मैं प ् रमाण हूँ कि बिना शर ् त के प ् रेम और आदर से ना केवल जीवन बचाया जा सकता है बल ् कि इससे जीवन बदला भी जा सकता है । यह मेरा और मेरे बचावकर ् ता का एक शानदार चित ् र है पिछले साल लिया हुआ । उस घटना के १० वर ् ष बाद हम लोग एक साथ हैं हाथों में हाथ लिए हुए । इस सारी उथल-पुथल के बीच मेरा हाथ घनिष ् ठता से पकड़ा हुआ था । मेरा चेहरा हल ् के से सहलाया गया । मुझे क ् या महसूस हुआ? मुझे प ् रेम महसूस हुआ । वह क ् या था जिसने मुझे घृणा और प ् रतिकार से बचाया, किस ने मुझे यह कहने की शक ् ति दी: यह मेरे साथ समाप ् त होता है प ् रेम ने । मुझे प ् रेम महसूस हुआ । मैं एक सकारात ् मक बदलाव की ताकत में विश ् वास रखती हूँ जो बहुत बड़ा है क ् योंकि मैं जानती हूँ कि हम क ् या कर सकते हैं । मैं जानती हूँ कि मानवता की चमक क ् या होती है । यह मुझे कुछ बड़ी वस ् तुओं पर विचार करने और हम लोगों को कुछ प ् रश ् नों पर गौर करने के लिए छोड़ देती है: क ् या जो हम सब को एक करता है वो उससे बड़ा नहीं है जो हमें विभाजित करता है? क ् या हमें किसी त ् रासदी अथवा दुर ् घटना की आवश ् यकता है 'मनुष ् य' नाम की प ् रजाति के रूप में एक दूसरे से गहराई से जुड़ने के लिए? और कब हम अपने युग की बुद ् धिमत ् ता का आलिंगन करेंगे मात ् र सहिष ् णुता से ऊपर उठ कर स ् वीकार ् यता की ओर चलने के लिए उन सब के लिए जो सिर ् फ एक नाम हैं तब तक जब तक हम उन ् हें नहीं जानते हैं? धन ् यवाद (तालियाँ) यह 11 सितंबर के बाद एक साल से भी कम था, और मैं गोलीबारी और हत ् या पर शिकागो ट ् रिब ् यून में लिख रहा था, और इससे मैं काफी निराश मैंने कॉलेज में कुछ सक ् रियतावाद किया था, तो मैंने एक स ् थानीय समूह के साथ दरवाजों पर पशु परीक ् षण के खिलाफ दस ् तक-कुंडी लटकाने का फैसला किया । मैंने सोचा कुछ सकारात ् मक करने के लिए यह एक सुरक ् षित तरीका होगा, लेकिन मेरी बुरी किस ् मत, हम सभी को गिरफ ् तार किया गया । पुलिस ने सबूत के रूप में मेरी यह पत ् रक पकड ़ े हुए एक धुँधली तस ् वीर ली । मेरे आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन कुछ ही हफ ् तों बाद, दो एफ.बी.आई एजेंटों ने मेरे दरवाजे पर दस ् तक दी, और कहा कि यदि मैं विरोध समूहों पर जासूसी में उनकी मदद नहीं करता, तो वे मुझे एक घरेलू आतंकवादी सूची में डाल देते । यह बताने में मुझे खुशी होगी कि मैं विमुख नहीं हुआ, लेकिन मैं डर गया था, और जब मेरा डर थम गया, तो मैं यह खोजने में लग गया कि यह कैसे हुआ, कैसे पशु अधिकार और पर ् यावरण कार ् यकर ् ता जिनहोने किसी को हानी नहीं पहुंचाई एफ.बी.आई के सर ् व-प ् रथम घरेलू आतंकवाद खतरे बन गए । कुछ साल बाद, मुझे अपने प ् रतिवेदन के बारे में कांग ् रेस के सामने प ् रमाण प ् रस ् तुत करने के लिए आमंत ् रित किया गया, और मैंने विधि-निर ् माताओं से कहा कि, जब हर कोई पर ् यावरण की बात कर रहा है, कुछ लोग जंगलों की रक ् षा के लिए और तेल पाइपलाइनों को रोकने के लिए अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं वे शारीरिक रूप से अपने आप को व ् हेल मछली और उनकी बर ् छी के बीच डाल रहे हैं । ये रोज ़ मर ् रा के लोग है, जैसे इटली के वो प ् रदर ् शनकारी जो कुत ् तों को पशु परीक ् षण से बचाने के लिए सहजता से कंटीले तारों की बाड ़ पर चढ ़ गए । और इस तरह के आंदोलन अविश ् वसनीय रूप से प ् रभावी और लोकप ् रिय हो गए है, तो 1985 में उनके विरोधियों ने हमारा नज ़ रिया बदलने के लिए एक नये शब ् द का ईजाद किया - पर ् यावरण आतंकवादी । अब इन कंपनियों ने "" पशु उद ् योग आतंकवाद अधिनियम "" जैसे नए कानूनों का समर ् थन किया है जो सक ् रियतावाद को आतंकवाद में बदलता है अगर इनसे मुनाफे में नुकसान हो रहा हो । अब कांग ् रेस के सदस ् यों सहित ज ् यादातर लोगों ने इस कानून के बारे में कभी न सुना हो । एक से भी कम प ् रतिशत सदस ् य हाज ़ िर थे जब सदन में यह पारित किया गया । बाकी लोग एक नए स ् मारक पर बाहर थे । वे डॉ. किंग को सराह रहे थे जैसे कि सक ् रियता कि उनकी शैली को आतंकवाद करार दिया जाएगा यदि वो जानवरों या पर ् यावरण के नाम पर किया जाए । समर ् थक कहते है कि इस तरह से कानून निष ् ठुर, दहन अपराधी, उग ् र सुधारवादी जैसे चरमपंथियों के लिए आवश ् यक हैं । लेकिन अभी, ट ् रांस ् कनाडा जैसी कंपनियां पुलिस को इस तरह कि प ् रस ् तुतियों में विवरण दे रही है कि कैसे अहिंसक प ् रदर ् शनकारियों पर आतंकवाद का मुकदमा चलाया जाए । पर ् यावरण के आतंकवाद पर एफ.बी.आई के प ् रशिक ् षण दस ् तावेज हिंसा के बारे में नहीं हैं, वे जनता के संबंधों के बारे में हैं । एमी मेयर नामक एक जवान महिला थी, एक खतरे सामान है । माध ् यम से मुझे ज ् ञात हुआ किऔर भाषणों की निगरानी कर रहा है । हर रोज़, मैं ऐसी दुखद कहानियां सुनती हूँ खतरनाक सीमाओं और किन ् तु एक कहानी है जो और वह है डोआ की कहानी । एक १९ वर ् षीया, सीरिया की शरणार ् थी, वह मिस ् र में दिहाड़ी पर काम करते हुए उसके पिता हमेशा सीरिया में अपने सम ् पन ् न जिसके एक बम ने चिथड़े उड़ा दिए थे । और जिस समुदाय ने कभी उनका वहां स ् वागत किया था एक समय की महत ् वाकांक ् षी विद ् यार ् थी अब हर समय डरी हुई रहती थी । बासेम भी मिस ् र में संघर ् ष कर रहा था, "" आओ, हम यूरोप चलें; शरण और सुरक ् षा मांगे । और उसने उसके पिता से किन ् तु वह जानते थे कि यूरोप जाने के लिए भूमध ् य सागर को पार करना, अपने हाथ काट कर तस ् करों को देना, उस वर ् ष अगस ् त का महीना था, भूमध ् य सागर को पार करते हुए मर चुके थे,और उसने सोचा, "" शायद हम भी पहुँच सकते हैं । ""और बासेम ने अपनी उम ् र भर की कमाई — तस ् करों को दे दी । और उन ् हें बस में बिठाकर ५०० लोगों को नाव में भर दिया गया, १०० बच ् चे, ६ वर ् षीय सैंड ् रा को मिलाकर — और १८ महीने का मासा । पाँव से पाँव । बासेम उसका हाथ पकड़े था । और अशांत समुद ् र तीसरा दिन, डोआ को एक पूर ् वाभास हुआ । मुझे लगता है नाव डूबने वाली है । "" हम स ् वीडन पहुंचेंगे, और हमारा एक भविष ् य होगा । "" वे कमज़ोर और निढाल थे । डंडे फेंकने लगे, और उन ् हें बैठने को बोलने लगे, माता पिता अपने बच ् चों और उन सबने उतरने से वे गुस ् से में किश ् ती को ले गए, आधे घंटे के बाद, वापिस आकर जान बूझ कर डोआ की नाव ठीक नीचे, जहां वह और उसने उनकी चीखें सुनी, डेक के नीचे के ३०० लोगों का जीवन तो डोआ ने नाव को पकड़ रखा था और एक छोटे से बच ् चे को नाव के प ् रोपेलर बासेम ने उससे कहा, "" कृपया छोड़ दो, नहीं तो तुम भी खींची जाओगी और याद है — वह तैर नहीं सकती । यह सोचते हुए कि, "" यह तैरना है । "" नौ महीने का — मालेक । उन पडोसी देशों के पास वापिस चलते हैं जिन ् होंने अनेकों को शरण दी । और डोआ देखती रही अपनी ही आँखों के सामने अपनी जान को पानी में डूबते हुए । एक महिला को दो छोटे बच ् चों के साथ देख कर वह हैरान थे । और यूनानी नर ् सें उसके पास रही, उसे मैं डॉ डेविड हेनसन हूँ, और मैं चरित ् र वाले रोबोट बनाता हूँ | और इससे, मेरा मतलब है कि मैं ऐसे रोबोट बनाता हूँ जो कि चरित ् र है, लेकिन फिर भी रोबोट जो अंतत: आपसे सहानुभूति दिखायेंगे | तो हम विभिन ् न तरह की तकनीकियों के साथ शुरू कर रहे हैं जो बात करने वाले रोबोट के रूप में मिल जाते है जो चेहरे देख सकते है, आपके साथ नज़रे मिलाते हैं, विभिन ् न तरह के चेहरे के भाव बनाते है, बात को समझते है, और आप जो महसुस कर रहे हैं और जो आप है उसका प ् रतिरूप बनाना शुरू करते हैं, और आपके साथ रिश ् ते बनाता है | मैंने बहुत सी तकनीकियां बनायीं है जो रोबोट को ज ् यादा वास ् तविक चेहरे के भावो को बनाने में सक ् षम करता है पहले की अपेक ् षा, कम ऊर ् जा में, जिसने दो पैरों वाले रोबोट ् स को सक ् षम बनाया है, पहले यंत ् र-मानव (androids) | तो, यह चेहरे के सारे प ् रकार के भाव इंसानी चेहरे के मुख ् य मांसपेशियों का प ् रतिरूपण करते है, बहुत छोटी बैटरी पर चलते है, बहुत कम वजन | ऐसी सामग ् री जो बैटरी से संचालित चेहरे के भावो को बना सके को हम फ ् रब ् बर (Frubber) कहते है, और इस सामग ् री के तीन मुख ् य अविष ् कार हैं जो ऐसा होना संभव करते हैं | एक वर ् गीकृत छिद ् र है | और दूसरी बहुत छोटे स ् तर की आणविक छिद ् रिलता है | यहाँ यह चलना शुरू कर रहा है | यह Korean Advanced Institute of Science and Technology में है | मैंने सर बनाया | उन ् होंने शरीर बनाया | तो यहाँ मशीनों में संवेदनशीलता हासिल करना लक ् ष ् य है, और सिर ् फ संवेदनशीलता नहीं, बल ् कि सहानुभूति | हम Machine Perception Laboratory के साथ काम कर रहे हैं U.C. San Diego में | उनके पास सच में असाधारण चेहरे के भावो की तकनीक है जो चेहरे के भाव को पहचानती है, कौन से भाव आप बना रहे हैं | यह इसे भी पहचानता है कि आप कहाँ देख रहे है, और आपका सर किस तरफ है | हमने सभी मुख ् य चेहरों के भाव का प ् रतिरूपण किया है, और फिर इसे सॉफ ् टवेयर से नियंत ् रित करते है जिसे हम Character Engine कहते है | और यहाँ उस तकनीकी का छोटा हिस ् सा जो इसमें है | वास ् तव में, इस वक ् त — यहाँ से लागाईये और फिर वहाँ से लागाईये, और अब चलिए देखते है क ् या यह मेरे चेहरे के भाव जान पता है | ठीक है | तो मैं मुस ् कुरा रहा हूँ | (हँसी) अब मैं अब तेवर दिखा रहा हूँ | और सच में यहाँ पीछे का बहुत प ् रकाश हैं | ठीक है, चलिए देखते है ओह, यह दुखी है | ठीक है, तो आप मुस ् कुराइए, तेवर दिखाईये | तो आपके भावुक अवस ् था की इसकी अनुभूति मशीनों के लिए बहुत महत ् वपूर ् ण है प ् रभावशाली रूप से सहानुभूति दिखाने के लिए | मशीन भयानक रूप से कुछ चीज़ों के योग ् य बन रही है जैसे की हत ् या | हैं ना? उन मशीनों के पास संवेदना की कोई जगह नहीं है | और उन पर करोड़ो डालर खर ् च हो रहे है | चरित ् र वाली रोबोटिक ् स बीज रोपित कर सकती है उन रोबोट ् स के लिए जिनके पास संवेदना हो | तो, अगर वो मानवीय बुद ् धिमत ् ता के स ् तर को प ् राप ् त कर ले या, संभव है, मानवीय बुद ् धिमत ् ता के स ् तर से ज ् यादा, यह भविष ् य की आशा के बीज हो सकते हैं | तो, हमे पिछले आठ सालो में 20 रोबोट ् स बनाये हैं, Ph.D. के पढाई के दौरान | और तब मैंने हेनसन रोबोटिक ् स की शुरुवात की, जो बड़ी मात ् रा में उत ् पादन के लिए इस तरह की चीज़े बना रहा है | यह हमारे रोबोट ् स में से एक है जिसे हमने में दो साल पहले प ् रदर ् शित किया था | और यह एक दृश ् य में बहुत से लोगो को देखता है, याद रखता है हर व ् यक ् ति क ् या क ् या कर रहा था, और हर व ् यक ् ति को देखता है, लोगो को याद रखता है | तो, हम दो चीज़ों को मिला रहे है | पहली लोगो का अनुभव | और दूसरा, प ् राकृतिक संपर ् क, संपर ् क का प ् राकृतिक रूप, जिससे आपके लिए रोबोट से संपर ् क करना सहज हो | आप विश ् वास करना शुरू करते है कि यह जीवित और सचेत है | तो मेरी पंसदीदा योजनओं में से एक था इन चीज़ों को साथ में लाना विज ् ञान परिकल ् पना लेखक फिलिप के डीक के यंत ् र मानव के कलात ् मक प ् रर ् दशन के लिए, जिन ् होंने बहुत अच ् छा लिखा है जैसे "" Do Androids Dream of Electric Sheep? "" जो कि फिल ् म "" Bladerunner "" का आधार था | इन कहानियों में, रोबोट ् स अक ् सर सोचते है कि वो इंसान है, और वो जीवित हो जाते है | तो हमने उनके लेखन, खत, उनके साक ् षात ् कार, पत ् राचार, को हज़ारो पन ् नों के संग ् रह में रखा है, और फिर कुछ प ् राकृतिक भाषा संगणना का उपयोग किया आपको उनके साथ वास ् तव में बात कराने के लिए | यह एक तरह से डरावना था | क ् युंकि वो ऐसी चीज़े कहेगा जिससे आपको लगेगा वो सच में आपको समझते है | और सबसे ज ् यादा रोमांचक योजना थी जिसका हम निर ् माण कर रहे थे | जो कि इसके चरित ् र का हिस ् सा है अनुकूल कृत ् रिम बुद ् धिमत ् ता के लिए, अनुकूल मशीनी बुद ् धिमत ् ता के लिए | और हम इसका बड़ी मात ् रा में उत ् पादन कर रहे हैं | हमने इसे इस तरह से बनाया है कि इसमें सामग ् रियों का कम से कम खर ् चा हो, जिससे यह बच ् चों के बचपन का साथी बन सके | इंटरनेट में उनके साथ संपर ् क करे, आने वाले सालो में यह और भी बुद ् धिमान होगा | जैसे कृत ् रिम बुद ् धिमत ् ता विकसित होगी, इसकी बुद ् धिमत ् ता भी विकसित होगी | क ् रिस एंडरसन: बहुत धन ् यवाद | यह अद ् भुत है | (अभिवादन) साल १९०१ में, ऑगस ् ते नामक महिला को ले जाया गया फ ् रैंकफर ् ट में एक चिकित ् सा शरण के लिए । अगस ् टे भ ् रमित हो गयी थी और याद नहीं कर पाती उसके जीवन का बुनियादी विवरण । उसे डॉक ् टर अलोइसने उपचार किया । अलोइस को, पता नहीं था कैसे मदद करे लेकिन वह उस पर उपचार करता रहा अफसोस है, उसका १९०६ में निधन हो गया । वह मरने के बाद अलोइसने उसके शव का विच ् छेदन किया और अजीब सजीले टुकड ़ े पाये अगस ् टे के मस ् तिष ् क में उल ् झे - जो की उन ् हे पहले कभी नहीं देखे थे । यह अचरज कि बात थी । अगस ् टे आज जीवित होती तो हम उसे और अधिक मदद नही कर सकते थे जितनी अलोइसने ११४ साल पहले कि थी । डॉ अलोइस का नाम था डॉ अलोइस अल ् झायमर ऑगस ् ते डीटर वह पहली मरीज थी जिसे अल ् झायमर होने कि पुष ् टी मिली थी १९०१ के बाद से, दवा बहुत प ् रगत हुई हमने एंटीबायोटिक और टीकों की खोज की है संक ् रमण से बचाने के लिए, कैंसर के लिए कई उपचार है एचआईवी के लिए एनीरेट ् रो वायरल हृदयरोग के लिए स ् टैटिन तथा अन ् य कई दवा । लेकिन हमने कोई प ् रगति नही की है अल ् झायमर रोग के उपचार में । जो मिलकर काम कर रहे है एक दशक से अधिक अल ् जाइमरके इलाज खोजने । इस समय मेरा अनुमान । अल ् जाइमर अब प ् रभावित करता है दुनिया भर में ४० लाख लोगों को । लेकिन २०५० तक, यह प ् रभावित करेगा १५० करोड ़ लोगों को - जिसमे शायद आप हो सकते है ८५ साल कि उमरतक आप जीवित रहेतो तो अलझ ् य ् मार होने की संभावना दो मेसे एक होगी दूसरे शब ् दों में, बाधाओं के साथ आप अपने सुनहरे साल खर ् च करेंगे या तो अल ् जाइमर से पीड ़ ित होंगे या अपने दोस ् त या प ् रिय जन के लिए मदद करेंगे जो अल ् जाइमर से पिडीत है पहले से ही अकेले सामरिक में, अल ् जाइमर देखभाल की लागत २०० अरब डॉलर है हर साल । हर पांच में से एक को अल ् जाइमर चिकित ् सापर खर ् च करणे पडते है कई डॉलर । आजकी यह सबसे महंगी बीमारी है, i और इसका खर ् च २०५० तक पांच गुना बढेगा आज के बच ् चे बडे होनेपर सीधे शब ् दों में कहें तो आपको आश ् चर ् य हो सकता है अल ् जाइमर हमारी पीढ ़ ी के लिए चिकित ् सा और समाज के लिये बडी चुनोती है । लेकिन इसके निरूपण लिये लिए काम कम हुआ है । आज के शीर ् ष १० दुनिया भर में मौत के कारण मे, अल ् जाइमर केवल एक ही है जिसका इलाज नाही कर सके न उसे धीमा कर सकेi विज ् ञानमे अल ् जाइमर के बारे अन ् य रोगों के अलावा कम जानते हैi हमने इसके अनुसंधान में बहुत कम धन और समय दिया हैii अमेरिकी सरकार १० गुना अधिक सालाना खर ् चा करती हैi अल ् जाइमर की तुलना में कैंसर अनुसंधान पर इस तथ ् य के बावजूद की अल ् जाइमर मे हमें और अधिक धन लागता है समान संख ् या का कारण बनता है कैंसर के रूप में होने वाली मौतों की तहर हर साल । संसाधनों की कमी एक और अधिक मौलिक कारण से उपजा है: जागरूकता की कमी है । यहां कुछ लोगों को पता है लेकिन हर किसी को पता करना चाहिए: अल ् जाइमर, एक बीमारी है और हम इसे ठीक कर सकते है । पिछले ११४ सालसे गलती से वैज ् ञानिकों सहित हर कोई, उलझन में थे उन ् हें लगता था यह बुढ ् पासे होता है | वह जराग ् रत होता है | जीवनका एक पड़ाव है | यह चित ् र देखो इसमें एक स ् वस ् थ मस ् तिष ् क की अल ् ज ् यामर पीड़ित मस ् तिष ् क से तुलना की है | वास ् तव में क ् या खराबी होती है यह जाननेके लिए | मानसिक क ् षमता तथा स ् मृति क ् षति में सुधार करने मस ् तिष ् क को हुई क ् षति की जानकारी लेने ज ् योकी आयु को कम करके मौत समीप ले आती है | स ् मरण करे डॉ. अल ् झायमर को अजीब सजीले टुकड ़ े मिले थे अगुस ् टे के मस ् तिष ् क में एक शतक पहले शतक बिट गया लेकिन इसकी जानकारी नहीं कर पाए हम i आज हम जानते है की वो प ् रोटीन के रेणु होते है i यह प ् रोटीन रेणु होता है पेपर के टुकडे जैसा जिससे कलात ् मक आकृतिया बन सकती इस पेपर पर चिप चिपाये धब ् बे होते है जब इसे बराबर मोड़ दिया जाता है ये धब ् बे अंदर चले जाते है कभी इससे विपरीत होता है यानि गलतीसे वह बहार आ जाते है i जिससे प ् रोटीन रेणु आपसमे जुड़ जाते है | जिससे एक गुच ् छा बन जाता है ज ् योकी बढ़ता रहता है | ज ् योकी अल ् झायमर से बीमार व ् यक ् ति में दिखाई देते है i कैम ् ब ् रिज यूनिवर ् सिटी में १० साल हमने अनुसधान किया यह जानने कसे मस ् तिष ् क ने गडबडी होती है i बहुतसे स ् तर पर जानने की कोशिश की इसे न होने देने पर यह जटिल समस ् या है जैसे कोई बम ् ब बेकार करना, कोई एक वायर हटा देना जिससे विस ् फोट न हो | अन ् य वायरो से छेड़खानी करनेपर विस ् फोट होता है इसतरह हमे कारगर तरीका ढूँढना होगा | जिससे हम प ् रभावी दवा बना सके | तबतक हमे यही करना पड़ेगा वायर काटने का काम यश प ् राप ् तीतक हमारे साथ इस कार ् य में जुटे है कि विभिन ् न व ् यवसायी केमिस ् ट, जीव भौतिक विशारद, इंजिनिअर गणितीकर, डॉक ् टर ् स साथ मी काम करके हमने इस बिमारीमी एक विवेचनात ् मक अवस ् था खोजी है | हम परीखन कर रहे है एक दवाका जो असरदार हो जीससे यह अवस ् थासे आगे बिमारी न बढे | व ् ही रुक जाये | हमारे अनुसंधान के कूछ परिणाम देखे | हमारे प ् रयोग ् शालासे बाहर किसीने आजतक नही देखे चलचित ् र देखे हमने ये द ् वाका कृमिपर प ् रयोग किया | यह स ् वस ् थ कृमी है | उनका सामान ् य संचरण होता है | दुसरे जो कृमी है उनमे अंदरसे प ् रोटीन रेणू चीप के है जसे मनुष ् य मे होते है आप देख सकते है वे कैसे चीप ् के है | रोग के शुरू मेही हम अगर ये नई दवा दे कृमिको तो वो सामान ् य बन जाते है अपना सामान ् य जीवन जिते है | याह प ् राथमिक खोज है जीससे पता चालता है अल ् झायमर एक बिमारी है जिसका इलाज संभव है | ११४ सल ् के प ् रतीक ् षा के बाद एक नई आशा जगी है आगळे १९ या २० सालो मे | इस बिमारिका इलाज हो जायेगा याह मेरे जैसे वैज ् ञानिक कि बात नही आपकी भी बात है | अल ् झायमर एक बिमारी है यह हमे लोगोको बताना होगा उसे प ् रयास से पराजित कर सकते है | अन ् य रोगो कि तरह | रुग ् ण तथा उसके परिवार ने आगे आकर सरकार तथा दवाई कंपनी पर दबाव दालना चाहिये जैसे नियामक और वैज ् ञानिक ने किया १९८० मे एचआयव ् ही कि प ् रगत उपचार प ् रणाली खोजने के लिये ऐसाही जण जागरण हुआ है कर ् करोग के लिये | अल ् झायमर के रोगी अपनेआप नही बोल सकते उसके परिवारके लोग जो रात दिन लागे रहते है वह भी छिपे शिकार होते है वो भो कु छ नही करना चाहते | जीससे आपण निराश हो जाते है | यह आनुवंशिक नाही किसीके मस ् तिष ् क को यह हो सक ् त है | ऑगस ् ते, जैसे आज ४० दशलक ् ष लोग इससे पिडीत है | जो अपनी अवस ् थामे कोई बदलाव नही कर सकते उनसे बात करो | बिमारीसे मुक ् त होने मदत करो | धन ् यवाद | (तालियाँ) अफगानिस ् तान के लिए मेरी यात ् रा बहुत वर ् षों पहले, मेरे देश की पूर ् वी सीमा पर शुरू हुई, मेरी मातृभूमि, पोलैंड की । मैं मेरी दादी माँ की कहानियों के जंगल में चल रही थी । एक देश जहाँ हर जगह एक कब ् र छुपी है, जहां लाखों लोग मारे या निर ् वासित कर दिये गये थे २० वीं सदी में । विनाश के पीछे, मैं ने स ् थान की आत ् मा को पाया । मैं विनम ् र लोगों से मिली । उनकी प ् रार ् थनाएँ सुनी और उनकी रोटी खाई । फिर २० सालों से मैं पूर ् व की ओर जा रही हुँ — पूर ् वी यूरोप से मध ् य एशिया — काकेशस पहाड ़ ों के रास ् ते, मध ् य पूर ् व अरब उत ् तरी अफ ् रीका रुस । मैं और विनम ् र लोगों से मिली । उनकी संग भी भोजन और प ् रार ् थना करी और इसलिए मैं अफगानिस ् तान गयी । एक दिन मैंने ओक ् सस नदी के उपर एक पुल पार किया । मैं अकेली पैदल थी और अफ ़ ग ़ ान सैनिक तो मुझे देख कर इतने हैरान थे कि वह मेरे पासपोर ् ट पर मुहर लगाना ही भूल गया परंतु उसने मुझे एक कप चाय दी और मैं समझ गयी कि उसकी हैरानी ही मेरी सुरक ् षा है । तो मैं यात ् रा करती जा रही हुँ घोड ़ ों पर, याक पर, ट ् रक में, लिफ ् ट ले, ईरान की सीमा से नीचे तक, वखन के गलियारे के किनारे तक । और इस तरह मैंने एक नूर पाया, अफगानिस ् तान कि वो छुपी किरण । मेरा एकमात ् र शस ् त ् र थे मेरी पुस ् तक और मेरा कैमरा । मैंने सूफी विनम ् र मुसलमानों की प ् रार ् थनाएँ सुनी, जो तालिबान को पसंद न थी । छुपी हुई, रहस ् यवादी नदी जिब ् राल ् टर से भारत तक । मस ् जिद जहां श ् रद ् धालु विदेशी पर दुआओं और खुशी के आंसुओं से, उपहार की तरह स ् वागत किया जाता हैं । हम क ् या जानते हैं इस देश और लोगों के बारे में जिसकी सुरक ् षा का हम नाटक करते हैं, उन गाँवों के बारे मे जहाँ सिर ् फ ़ अफीम ही भूख और दर ् द को मारने की दवा है । ये अफीम अादी लोग है काबुल की छतों पर, हमारे युद ् ध के १० वर ् ष बाद । ये घुमक ् कड ़ लड ़ कियां हैं जो अफ ़ घानि व ् यापारियों के लिये वेश ् या बन गयीं । हम उन महिलाओं के बारे में क ् या जानते है १० साल के युद ् ध के बाद? नायलॉन बैग पहने, चीन में बनाया गया, बुर ् के के नाम से । मैंने एक दिन देखा, अफगानिस ् तान में सबसे बड ़ ा स ् कूल, एक लड ़ कियों का स ् कूल । १३,००० लड ़ कियाँ पढ ़ ती हुईं भूमिगत कमरों में बिच ् छूओ के बीच । और पढ ़ ाई के लिए उनका प ् यार इतना था कि मैं रो पड ़ ी । क ् या हमें तालिबान द ् वारा मौत की धमकियों के बारे पता है जो लोगों के दरवाज ़ ों पर आती है जो अपनी बेटियों को स ् कूल भेजते है जैसे कि बल ् ख में? वह क ् षेत ् र सुरक ् षित नहीं है बल ् कि तालिबानियों से भरा है, और उन ् होने किया है । मेरा उद ् देश ् य आवज ़ देना है, उन ् हें जो चुप हैं महान खेल के पर ् दे के पीछे छिपी रोशनी दिखाना । मीडिया और वैश ् विक संघर ् ष के भविष ् यद ् वक ् ताओं द ् वारा नजरअंदाज करी गयी दुनिया । धन ् यवाद । (तालियाँ) नमस ् ते, मैं यहाँ आपसे प ् रशंसा, आभार और धन ् यवाद के महत ् व के बारे में बातें करने आयी हूँ, और इसे विशिष ् ट और वास ् तविक रखेंगे | और जिस तरह इसमें मेरे रूचि बढ़ी वो था, मैंने खुद में देखा जब मैं बड़ी हो रही थी, और कुछ सालो पहले तक, कि मैं किसी को धन ् यवाद कहना चाहती थी, मैं उनकी प ् रंशसा करना चाहती थी, मैं उनसे अपनी प ् रशंसा सुनना चाहती थी और वहीँ रुक गयी होती | और मैंने खुद से पूछा, क ् यों? मुझे शर ् मिंदगी महसूस हुई | और फिर मेरा सवाल बन गया, क ् या मैं अकेली हूँ जो ये करती है? तो मैंने जानने की ठानी | मैं भाग ् यशाली थी कि मैंने पुनर ् वसन केंद ् र में काम किया, मुझे उन लोगो को जानने का मौका मिला जिनका जीवन और मृत ् यु नशे की जकड़ में था | और कभी कभी यह ् इतना साधारण होता था कि उनका सबसे बड़ा दुख था कि उनके पिता की मृत ् यु हो गई बिना कभी कहे कि उन ् हें उन पर गर ् व था | लेकिन उन ् होंने यह परिवार और दोस ् तों से सुना था कि उनके पिता ने बाकी सबसे कहा था कि उन ् हें उन पर गर ् व है, लेकिन कभी अपने बेटे से नहीं कहा | ऐसा हुआ क ् युंकि उन ् हें पता ही नहीं था कि उनका बेटा यह सुनना चाहता है | तो मेरा सवाल है, हम उन चीजों के लिए क ् यों नही पूछते जो हमे चाहिए? मैं एक सज ् जन को जानती हूँ जो 25 सालो से शादीशुदा है जो तड़प रहे है अपनी पत ् नी से सुनने के लिए, "धन ् यवाद घर के आजीविका चलने के लिए जिससे मैं बच ् चो के साथ घर में रह सकी" लेकिन पूछेंगे नहीं | मैं एक महिला को जानती हूँ जो इसमें अच ् छी है | वह, हफ ् ते में एक बार, अपने पति से मिल कर कहती है, "मैं सच में चाहुंगी कि तुम मुझे धन ् यवाद करो उन सब चीजों के लिए जो मैंने घर में और बच ् चो के साथ की" और वो शुरू हो जाते है "" यह बढ़िया है, यह बढ़िया है "" और प ् रशंसा सच में वास ् तविक होनी चाहिए, लेकिन वो उसकी जिम ् मेदारी लेती है | और मेरे एक मित ् र, अप ् रिल, जिन ् हें में नर ् सरी से जानती हूँ, वो बच ् चों को उनका काम करने के लिए धन ् यवाद करती है | और कहती है "" मैं क ् यों ना धन ् यवाद करू, भले ही उन ् हें ये करना ही है? "" तो सवाल है कि मैं क ् यों इसे रोक रही थी? क ् यों दुसरे लोग इसे रोक रहे थे? मैं कह सकती हूँ कि "" मुझे कैसा खाना चाहिए, मुझे जूते 6 नंबर के चाहिए "" लेकिन मैं नहीं कहूँगी, "क ् या तुम इस तरह मेरी तारीफ करोगे?" और ये इसीलिए क ् युंकि मैं आपको अपने बारे में बता रही हूँ | मैं आपको बता रही हूँ कि मैं कहाँ असुरक ् षित हूँ | मैं आपको बता रही हूँ कि मुझे कहाँ आपकी मदद चाहिए | और आपसे ऐसे बर ् ताव कर रही हूँ, मेरे अंदुरनी क ् षेत ् र में, जैसे आप मेरे दुश ् मन है | क ् युंकि आप मेरे में जान कर क ् या कर सकते हैं? आप मेरी उपेक ् षा कर सकते हैं | आप इसका दुरूपयोग कर सकते हैं | या असल में आप मेरी जरूरत पूरी कर सकते हैं | और मैं अपनी सायकल को दुकान ले गयी - मुझे ये अच ् छा लगा — वही सायकल, और वहां पर वो चक ् को को सीधा करते हैं | उस आदमी ने कहा "" क ् या आप जानती है, चक ् को को कब सीधा करते है "" यह सायकल को पहले काफी बेहतर बनायेगा "" मैंने वही सायकल वापस ली, और उन ् होंने चक ् को के छोटे मोटे टेड़ेपन को ठीक कर दिया यह सायकल ठाई साल पुरानी थी, और अब नयी के समान हो गयी | तो मैं आप सबको चुनौती दूंगी | मैं चाहती हूँ आप अपने चक ् को को सीधा करे: और ईमानदार रहे उस प ् रशंसा के बारे में जो आप सुनना चाहता हैं | आप क ् या सुनना चाहते है? घर में पत ् नी के पास जाइये, उससे पूछिए, उसे क ् या चाहिए? घर में अपने पति के पास जाइये — उसे क ् या चाहिए? घर जाइये और ये सवाल पूछिए और फिर अपने आसपास के लोगो की मदद कीजिये | और यह आसान है | और हम इसकी चिंता क ् यों करे? हम विश ् व शांति की बाते करते हैं | हम विभिन ् न संस ् कृतियों और विभिन ् न भाषाओ के साथ विश ् व में कैसे शांति हो सकती है? मैं सोचती हूँ यह घर से शुरू होती है, एक ही छत के नीचे | तो चलिए इसे अपने आसपास ठीक करते है और मैं आप सभी श ् रोताओ का धन ् यवाद करती हूँ अच ् छे पति, अच ् छी माँ, दोस ् त, बेटी, बेटा होने के लिए | और शायद किसी ने आप से कभी नहीं कहा, लेकिन आपने सच में बहुत अच ् छा काम किया हैं | और धन ् यवाद यहाँ आने के लिए, और अपने विचारों से दुनिया बदलने के लिए | धन ् यवाद | (अभिवादन) जब मैं १० वर ् ष कि थी, तो मुझे मेरा चचेरा भाई अपने चिकित ् सा विद ् यालय का दौरा कराने ले गया | और एक भेंट के रूप में उसने मुझे पैथोलॉजी लैब में एक वास ् तविक मनुष ् य मस ् तिष ् क एक जार से बहार निकाल मेरे हाथों में थमा दिया | और मैं उसे देखती रही, मानव चेतना का निवास स ् थल, मनुष ् य शरीर का ऊर ् जा स ् त ् रोत, मेरे हाथों में | और उस दिन मैं जान गयी कि जब मैं बड़ी होउंगी, तो मैं बनूंगी एक मस ् तिष ् क चिकित ् सक, वैज ् ञानिक, या इन ् हीं में से कुछ | सालों बाद, जब मैं अंततः बड़ी हुई, मेरा सपना सच हो गया | और जब मैं अपनी पी.एच.डी. कर रही थी बच ् चों में डिस ् लेक ् सीअ के तंत ् रिका संबंधी कारणों पर, तो एक आश ् चर ् यजनक बात मेरे सामने आई जोकि मैं आज आप सबको बताना चाहूंगी | ऐसा अनुमान है कि छः में से एक बच ् चा छः में से एक, विकासात ् मक विकलांगता से पीड़ित है | इस प ् रकार की विकलांगता बच ् चे का मानसिक विकास धीमा कर देती है और स ् थायी रूप से मानसिक क ् षति पहुंचाती है | इसका मतलब है कि आज आप में से हर एक शक ् श कम से कम एक ऐसे बच ् चे को जानता है जोकी विकासात ् मक विकलांगता से पीड़ित है | किन ् तु मुझे एक बात कि हैरानी है | हालांकि इस तथ ् य के बावजूद कि ऐसी हर एक विकलांगता मस ् तिष ् क में उत ् पन ् न होती है, इनमे से ज़ ् यादातर विकलांगताओं कि जांच सिर ् फ प ् रत ् यक ् ष व ् यवहार के आधार पर ही की जाती है | किन ् तु मस ् तिष ् क विकार कि जांच मस ् तिष ् क को देखे बिना करना सामान ् य है एक ह ् रदय रोगी का इलाज़ करना उसके शारीरिक लक ् षणों के आधार पर, बिना इ.सी.जी. या एक ् स-रे लिए उसके ह ् रदय को देखने के लिए | यह मुझे बहुत सहज लगा. मस ् तिष ् क विकारों का निदान और इलाज सही से करने के लिए, मस ् तिष ् क को सीधे ही देखना आवश ् यक होना चाहिए. सिर ् फ और सिर ् फ व ् यवहार को देखने में पूरी पहेली का कोई महत ् वपूर ् ण अंश छूट सकता है जिस से बच ् चे की दिक ् कतों का अधूरा यहाँ तक की गलत अनुमान भी लगाया जा सकता है. चिकित ् सा क ् षेत ् र में तमाम विकास के बावजूद, मस ् तिष ् क विकारों का निदान छः में से एक बच ् चों में अब भी काफी सीमित है. और तब मैं मिली हार ् डवर ् ड युनिवर ् सिटी की एक टीम से जिन ् होंने ऐसी ही एक प ् रगतिशील चिकित ् सा तकनीक का उपयोग किया, मस ् तिष ् क अनुसंधान कि जगह, बच ् चों में मस ् तिष ् क विकारों का निदान करने के लिए. उनकी उन ् नतिशील तकनीक मस ् तिष ् क कि इ.इ.जी. या विद ् युत गतिविधि मापती हैं वास ् तविक समय में, जिस से कि हम मस ् तिष ् क को विभिन ् न कार ् य करते हुए देख सकें और सूक ् ष ् म से सूक ् ष ् म विकारों को पकड़ सकें, इन में से किन ् ही भी कार ् यों में, दृष ् टि, ध ् यान, भाषा और श ् रवण. फिर मतिष ् क विद ् युत गतिविधि मानचित ् रण नामक एक क ् रमादेश मस ् तिष ् क कि विकार ् ता कि जड़ का पता लगता है. फिर एक दूसरा क ् रमादेश, सांख ् यिकीय संभाव ् यता मानचित ् रण, यह गणना करता है कि इनमे से कोई विकार नैदानिक रूप से महत ् वपूर ् ण है कि नहीं, जिस से कि हमें और भी सटीक स ् नायविक निदान प ् राप ् त हो बच ् चे के लक ् षणों का. और इस तरह मई बन गयी नयूरोफिसियोलौजी कि प ् रमुख इस टीम कि नैदानिक शाखा के लिए. अब अंततः हम इस तकनीक का प ् रयोग कर सकते हैं मस ् तिष ् क विकारों से पीड़ित बच ् चों कि मदद करने के लिए. और मुझे खुशी है कहते हुए कि मई अब इस तकनीक कि स ् थापना भारत में करने की प ् रक ् रिया में हूँ. मई आपको ऐसे ही एक बच ् चे के बारे में बताना चाहूंगी, जिसकी खबर ऐ.बी.सी. न ् यूज ़ ने भी दिखाई थी. सात वर ् षीय जस ् टिन सैनिगर हमारे चिकित ् सालय बहुत ही गंभीर स ् वलीनता के साथ आया था. कई स ् वलीन बच ् चों कि तरंह उसका मस ् तिष ् क उसके शरीर में बंद था. कई बार वह कुछ क ् षणों के लिये बिलकुल ही खो जाता था. और चिकित ् सकों ने उसके माता-पिता को बताया कि वह कभी सामाजिक रूप से संवाद या संचार नहीं कर पायेगा, और शायद ही कभी वह भाषा सीख पायेगा. जब हमने इस उल ् लेखनीय इ.इ.जी. तकनीक का प ् रयोग जस ् टिन के मस ् तिष ् क को देखने के लिये किया, तो परिणाम चौंकाने वाले थे. यह सामने आया कि जस ् टिन स ् वलीन था ही नहीं. वह मस ् तिष ् कीय दौरों से पीड़ित था ज ् योंकि नग ् न आँखों से देखने असंभव थे, लेकिन वास ् तव में स ् वलीनता के लक ् षणों कि तरंह दीखते थे. जस ् टिन को दौरों कि दवाइयां देने के बाद, उसमे परिवर ् तन अद ् भुत था. ६० दिन कि अवधि के भीतर ही, उसकी शब ् दावली मात ् र २-३ शब ् दों से ३०० शब ् द हो गयी. और उसके संवाद और सामाजिक संचार में इतना नाटकीय रूप से सुधार आया, कि उसे सामान ् य विद ् यालय में दाखिला मिल गया और वह कराटे शूरवीर भी बन गया. अनिसंधान दिखता है कि ५० प ् रतिशत बच ् चे, प ् रायः ५० प ् रतीचत बच ् चे जिनमे स ् वलीनता के लक ् षण पाए जाते हैं असल में छुपे हुए मस ् तिष ् कीय दौरों से पीड़ित होते हैं. यह उन बच ् चों के चहरे हैं जिनका मैंने परिक ् षण किया है ज ् योकी जस ् टिन कि ही तरंह थे. ये सभी बच ् चे हमारे चिकित ् सालय आये थे स ् वलीनता, ध ् यान आभाव विकार, मानसिक मंदता, और भाषा समस ् यायों के इलाज के लिये. बजाय इसके, हमारी इ.इ.जी. जांच से पता लगा उनके मस ् तिष ् क में छुपी बहुत ही विशिष ् ठ समस ् यायों का ज ् योकी व ् यवहारिक अलान ् कानों से कतई सामने नहीं आ सकते थे. तो इन इ.इ.जी. जांचों ने हमें सक ् षम बनाया इन बच ् चों को काफी सटीक न ् यूरोलॉजिकल निदान और लक ् षित उपचार प ् रदान करने के. बहुत लंबे समय से, विकासात ् मक विकलांगता से पीड़ित बच ् चे गलत निदान से कष ् ट सहते आये हैं जबकि उनकी वास ् तविक समस ् याओं का पता ना चलने के कारण वह और खराब होती चली गईं. और भी लंबे समय से, ये बच ् चे और उनके माता पिता अनावश ् यक निराशा और हताशा को सहते रहे हैं. लेकिन हम अब तंत ् रिका विज ् ञान के एक नए युग में हैं, जिसमे हम सीधे ही मस ् तिष ् क कार ् यों को वास ् तविक समय में सक ् रामक प ् रकार से देख सकते हैं बिना किसी जोखिम या दुष ् प ् रभाव के, और खोज सकते हैं बच ् चों में विकलांगताओं के सही स ् त ् रोत को. तो अगर आज मैं आप दर ् शकों में से एक छोटे से अंश को भी प ् रेरित कर सकूँ, कि वह यह अग ् रणी नैदानिक दृष ् टिकोण किसी विकासात ् मक विकलानाता से पीड़ित बच ् चे के माता पिता के साथ बाँट सके, तो संभवतः एक और मस ् तिष ् क में एक और पहेली हल हो जायेगी. एक और दिमाग का टला खुल जायेगा. और एक और बच ् चा जिसका प ् रणाली द ् वारा गलत या कोई निदान नहीं हुआ है अंततः अपनी असली क ् षमता का एहसास करेगा जबकि उसके मस ् तिष ् क को ठीक होने में देर न हुई हो. और ये सब सिर ् फ बच ् चे कि मस ् तिष ् क तरंगे देखने से. धन ् यवाद. (तालियाँ) (अन ् ना ऑक ् सीजन द ् वारा संगीत) (संगीत: मिरह द ् वारा "" शेल ् स "") ♪ आपने सीखा कैसे गोताखोर बनना चाहिए ♪ ♪ एक मुखौटा चढ ़ ा लो, और विश ् वास करो ♪ ♪ मेरे लिए शेल ् स का एक रात का खाना इकट ् ठा कर लो ♪ ♪ टैंक को नीचे ले जाएँ ताकि आप सांस ले सकें ♪ ♪ नीचे ♪ ♪ गतिविधियां धीमे ♪ ♪ आप एक द ् वीप हैं ♪ ♪ तब तक सभी रहस ् य ♪ ♪ जिज ् ञासुक हुए मैंने उन ् हें थामे रखा ♪ ♪ जब तक वे स ् थिर न हुए ♪ ♪ जब तक वे स ् थिर न हुए ♪ ♪ जब तक वे स ् थिर न हुए ♪ (संगीत) (कैरोलीन लुफ ् किन द ् वारा संगीत) (अन ् ना ऑक ् सीजन द ् वारा संगीत) ♪ स ् वप ् न समय, मैं तुम ् हे ढून ् ढ लूंगी ♪ ♪ आप नए हैं, छायादार हैं ♪ ♪ मैं सुबह में उतनी अच ् छी नहीं हूँ ♪ ♪ मैं बहुत स ् पष ् ट रूप से देख सकती हूँ ♪ ♪ मुझे रात का वक ़ ् त पसंद है ♪ ♪ गहरा और धुन ् धला ♪ ♪ गिरती रात ♪ ♪ मँडरा प ् रकाश ♪ ♪ पुकारती रात ♪ ♪ मँडरा प ् रकाश ♪ ♪ चांदनी के समय मैं अपना जीवन त ् याग दूँगी ♪ ♪ और गहरे सपनों में ♪ ♪ आप मुझे पाएंगे ♪ (तालियाँ) ["" मिथक और इंफ ् रास ् ट ् रक ् चर "" से कुछ अंश] ब ् रूनो गिउस ् सानी: वापस आ जाओ । मीवा मात ् रेयक! (तालियाँ) मैं एक कहानी से शुरुवात करना चाहती हूँ, सेठ गोदिन की तरह, उन दिनों की कहानी जब मैं १२ साल की थी । मेरे अंकल एड ने मुझे एक खूबसूरत नीला स ् वेटर दिया था — कम से कम मुझे तो वो सुंदर ही लगता था । और उसमें पेट वाले हिस ् से पर चलते हुए ज़ेबराओं का धुँधला डिज़ाइन बना था, और किलिमंज़ारो पर ् वत और मेरु पर ् वत सीने के आसपास थे, मगर वो भी धुंधले से । और मैं उसे पहनने को आतुर रहती थी, मुझे अपनी सारी चीज़ों में वो सबसे कमाल का लगता था । नवीं कक ् षा के उस दिन तक, जब मैं बहुत सारे फ़ुट ् बाल खिलाडियों के साथ खडी थी । और ज़ाहिर है कि मेरा शरीर बदल रहा था, और मैट मुसोलिना, जिस से हाई-स ् कूल में मेरी हमेशा स ् पर ् धा रहती थी, ने गूँजती हुई आवाज़ में कहा कि अब हमें स ् किंग के लिये दूर जाने की ज़रूरत नहीं पडेगी, क ् योंकि हम सब नोवाग ् रात ् ज़ पर ् वत पर स ् कींग कर सकेंगे । (हँसी) और मुझे इतना अपमान और शर ् मिंदगी महसूस हुई कि मैं सीधे भाग कर अपनी माँ के पास गयी और उनसे झगडा किया कि उन ् होनें मुझे ये घटिया स ् वेटर क ् यों पहनने दिया । हम गुड ् विल गये और हमने उस स ् वेटर को फ़ेंक दिया काफ़ी आयोजित से तरीके से, मैने सोचा था कि अब मुझे ना तो उस स ् वेटर के बारे में कभी सोचना है न ही उसे कभी देखना है । ठीक ग ् यारह साल बाद, मैं २५ साल की हो चुकी थी । मैं किगाली, रवांडा में काम कर रही थी, और ढलान पर दौडते हुए मैने देखा कि मुझसे सिर ् फ़ दस फ़ीट की दूरी पर, एक छोटा सा ११ साल का लडका — मेरी तरफ़ भाग रहा था, मेरा ही स ् वेटर पहने हुए । और मैने सोचा, नहीं, ये तो हो ही नहीं सकता । पर उत ् सुक ् तावश, मैं उस लडके के पास गयी - और बिल ् कुल उस बेचारे बच ् चे के होश उडाते हुए - उसका कॉलर पकड कर उलट कर देखा, और वहाँ मेरा नाम था उस स ् वेटर के कॉलर पर लिखा हुआ । मैं ये कहानी हमेशा बताती हूँ, क ् योंकि इसने हमेशा ही मुझे एक उदाहरण दिया है इस बात का कि हम किस हद तक जुडे हुए हैं अपनी धरती पर रहने वाले सब लोगों से । हम अक ् सर नज़रअंदाज़ करते है कि हमारे शामिल होने, और हमारी तटस ् थता से उन लोगों पर क ् या असर पडेगा जिन ् हें हमें लगता है कि हम कभी नहीं देखेंगे, न जानेंगे । मैं इस कहानी को इसलिये भी कहती हूँ क ् योंकि ये एक बडी संदर ् भीय कहानी है इस बात की, कि अनुदान आखिर क ् या है, और क ् या हो सकता है । कि कैसे ये स ् वेटर वर ् जिनिया के गुड ् विल तक पहुँचा, और वहाँ से और बडी इकाई में, जो कि उस समय दसियों लाख टन पुराने कपडे अफ़ ् रीका और एशिया में पहुँचा रही थी । जो कि एक बहुत ही सार ् थक काम था, सस ् ते वस ् त ् र उपलब ् ध करवाना । और ठीक उसी समय, रवांडा में तो निश ् चय ही, उसने स ् थानीय कपडा बाज़ार का क ् रिया-कर ् म कर डाला । मैं ये नहीं कह रही कि कपडे नहीं बँटने चाहिये थे, मगर ये कि हमें उन प ् रश ् नों के बेहतर उत ् तर देने होंगे जो कि उस समय उठते हैं जब हम सोचते हैं निष ् कर ् शों और प ् रतिक ् रियाओं के बारे में । तो, मैं रवांडा में बिताये अपने १९८५ और १९८६ साल पर ही रहूँगी, जहाँ कि मैं दो काम कर रही थी । मैनें २० अविवाहित माओं के साथ मिल कर एक बेकरी शुरु की थी । हमें "" बेड न ् यूज़ बियर ् स "" कहा जाता था, और हमारा ध ् येय थी कि हम किगाली के चाट-पकोडे के धंधे के उस ् ताद बन जायें, जो कि इतना कठिन नहीं था क ् योंकि हम से पहले कोई बाज़ार में था ही नहीं । और क ् योंकि हम एक अच ् छी योजना पर काम कर रहे थे, हम उस ् ताद हो भी गये, और मैनें, छोटे स ् तर पर ही सही, इन औरतों का रूपांतरण होते देखा । पर उसी समय, मैने एक लखु-वित ् त बैंक (micro-finance bank) भी शुरु किया था, और कल इकबाल क़ादिर "" ग ् रामीण "" के बारे में बात करेंगे, जो कि सारे लघु-वित ् त बैंको के पिता हैं, जो कि अब एक अखल विश ् व में होती क ् रांति है - हर गली कूचे में - मगर तब ये एक नयी चीज़ थी, ख़ासकर ऐसी वित ् त-व ् यवस ् था में जो कि वस ् तु-विनिमय से व ् यवसाय की ओर बढना ही शुरु कर रही थी । हम बहुत सी चीज़ें सही कर पा रहे थे । हमने एक विधिवत व ् यवसाय योजना पर ध ् यान केंद ् रित किया, और जान की बाज़ी लगा कर काम किया । औरतें ही ये तय करती थीं कि अंततः उन ् हें कैसे इस ऋण की सुविधा का इस ् तेमाल करना है अपना व ् यापार बढाने में, और अपनी कमाई बढाने में जिससे कि वो अपने परिवारों का बेहतर ख ् याल रख सकें । हमें जो समझ नहीं आया, और जो हमारे आसपास हो रहा था, जाति-आधारित विवादों, फ़ैलते डर के माहौल और अनुदान के खेल की मिलीभगत को, अगर आप ध ् यान से देखें, जो कि धीरे-धीरे फ़ैल रही थी = ज ् यादातर अदृश ् य रूप में मगर निश ् चय ही रवांडा में वास ् तविक रूप में, और ये कि उस समय, रवांडा के पूरे बजट का ३० प ् रतिशत विदेशी अनुदान था । रवांडा में नरसंहार १९९४ में हुआ, उस पल के सात साल बाद जब ये औरतें एकजुट हुईं इस सपने को पूरा करने के लिये । और बढिया ख ़ बर ये है कि हमारी संस ् था, हमारा बैंक, उसके बाद भी जीवित रह सका । और तो और, वो बहाली के लिये ऋण देने वाला रवांडा का सबसे बडा संस ् थान बना । हाँ, बेकरी ज़रूर जड से ख ् त ् म हो गयी थी, पर मैनें उस से सीखा कि जवाबदेही काम करती है — मुझे जमीन पर लोगों के साथ मिल कर कुछ बनाने का मौका मिला, व ् यावासायिक योजनाओं के चलते, जहाँ, जैसा कि स ् टीवन लेविट कहेंगे, "" बेहतर काम, बेहतर फ़ायदा "" का सिद ् धांत काम करता है । समझिये, कि हम चाहे कितने भी पेचीदा क ् यों न हों, प ् रेरित होने पर आगे बढेंगे ही । तो जब क ् रिस ने मुझे दिखाया कि कितना बढिया काम इस दुनिया में हो रहा है, और ये कि हम सामाजिक चेतना को जागृत कर रहे हैं, मैं एक तरफ़ तो उस से सहमत हुई, और बहुत उत ् साहित हुई जो भी जी-८ के साथ हुआ, उसे देख कर — कि ये संसार, टोनी ब ् लेयर और बोनो और बॉब गेडोल ् फ़ जैसे लोगों के कारण — संसार वैश ् विक गरीबी की बात कर रहा है, और दुनिया भर में अफ़ ् रीका की बात हो रही है उस अंदाज़ में, जिसमें आज तक नहीं हुई । ये बिलकुल रोमांचकारी अनुभव है । पर ठीक इसी समय, मुझे जो चिंता रातों को जगाए रहती है वो ये है कि हम जी-८ की उपलब ् धियों को देखेंगे — अफ़ ् रीका के अनुदान में ५० बिलियन डॉलर का इज़ाफ़ा, माफ़ किये ऋण के रूप में ४० बिलियन डॉलर — उन जीतों की तरह जो सिर ् फ़ पहले अध ् याय पर ही अंत होंगी, और हमारी नैतिक जिम ् मेदारी से छुटकार दिलाएँगी । और सच ये है कि, हमें इसे सिर ् फ़ पहले अध ् याय के रूप में ही देखना होगा, उसकी खुशी मनानी होगी, फ़िर उसे बंद कर के दूसरे अध ् याय की तरफ़ बढना होगा जो कि गरजने के बजाय बरसने का अध ् याय है - कि कैसे वो करें जिसका आश ् वासन दिया है । और यदि आप आज की मेरी बातचीत से सिर ् फ़ एक बात याद रखना चाहें, तो वो ये होगी कि गरीबी को जड से ख ् त ् म करने का एक ही रास ् ता है, कि ज़मीनी सच ् चाई से जुडी ऐसी प ् रणालियाँ बनायीं जाएँ जो ज़रूरी उत ् पाद और सेवाओं को गरीबों तक वहनीय दामों में पहुँचायें, वित ् तीय रूप से पोषक और तरक ् कीशुदा तरीकों से । यदि हम ऐसा करेंगे, तो हम सच में गरीबी को इतिहास में बदल सकेंगे । और इसी परिकल ् पना ने ही मुझे अपनी उस कोशिश को शुरु करने के लिये प ् रेरित किया जिसे अक ् यूमन फ़ंड नाम से जाना जाता है, जो कि ऐसी छोटी-छोटी योजनाएँ बना रहा है कि कैसे हम जल, स ् वास ् थ, और आवास की समस ् याओं का पाकिस ् तान, भारत, कीन ् या, तन ् ज़ानिया और मिश ् र में निदान करें । और मैं इस बारे में उदाहरणबद ् ध तरीके से कुछ और बातें कहूँगी जिससे कि आप समझ सकें कि हम क ् या कर रहे हैं । पर इस से पहले कि मैं ये करूँ - और ये भी मेरा चहेता विषय है — मैं इस बारे में बात करूँगी कि वास ् तव में गरीब का क ् या अर ् थ है । क ् योंकि हम अक ् सर उनके बारे में ऐसे बात करते हैं मानो वो कोई मजबूत, विशाल जनसमूह है जो कि आज़ादी चाहता है, जबकि सच ् चाई बहुत ही अलग और आँखें खोलने वाली है । बडे स ् तर पर, पृथ ् वी पर करीब चार बिलियन (चार सौ करोड) लोग प ् रतिदिन चार डॉलर से कम कमाते हैं । हम उन सबको गरीब मानते हैं । यदि आप हिसाब लगायें, तो ये संसार की तीसरी सबसे बडी अर ् थ-व ् यवस ् था होगी, और तब भी इन में अधिकांश लोग अदृश ् य हैं । जहाँ हम काम करते हैं, वहाँ सामान ् यतः लोग करीब एक से तीन डॉलर प ् रतिदिन कमाते हैं । लेकिन ये लोग हैं कौन? ये किसान हैं, और कारखाने के कारीगर हैं । ये सरकारी नौकर हैं । ये ड ् राइवर हैं । ये घर पर रहने वाले लोग हैं । और इन ् हें भी ज़रूरी उत ् पाद और सेवाएँ जैसे कि पानी और स ् वास ् थ-सेवा, या आवास खरीदना पडता है, और ये करीब ३० से ४० गुना ज ् यादा कीमत अदा करते है, मध ् यवर ् गीय लोगों की अपेक ् षा — कम से कम कराँची और नैरोबी के लिये तो ये आँकडा सच है । गरीब भी बढिया फ़ैसले लेना चाहते हैं, यदि आप उन ् हें ये मौका दें तो । देखिये, दो उदाहरण हैं । एक तो भारत से, जहाँ कि करीब चौबीस करोड किसान हैं, जो कि प ् रतिदिन दो डॉलर से भी कम कमाते हैं । हम जहाँ औरंगाबाद में काम करते है, ज़मीन असाधारण रूप से सूख चुकी है । वहाँ ऐसे लोग भी है जो कि आधे डॉलर से एक डॉलर के बीच कमाते है । ये गुलाबी कपडों में अमी तबर नाम के सामाजिक उद ् यमी हैं । उन ् होंने देखा कि कैसे इज़रायल में बडे स ् तर पर योजना बना कर काम हो रहा था, और ये सीखा कि ड ् रिप-सिंचाई कैसे करें, जो कि पानी को सीधे पौधे की जड में पहुँचाने का एक तरीका है । पर पहले ये सिर ् फ़ बडे पैमाने के खेतों में ही संभव था, तो अमी तबर ने इसे एक एकड के आठवें भाग जितने बडे खेत में लगाने लायक बनाया । कुछ एक मूल सिद ् धांत हैं — लघु बनाइये । उसे गरीबों के लिये वहनीय और, असाधारण रूप से बढत लायक बनाइये । सरिता और उसके पति के इस परिवार ने १५ डॉलर की एक इकाई खरीदी जब वो तीन दीवारों के कमरे में टीन के छत डाल कर बसर कर रहे थे । और एक ही फ़सल के बाद, उन ् होंने अपनी कमाई इतनी बढा ली है कि वो अब एक और इकाई खरीद कर चौथाई एकड के दो टुकडों में काम कर सकते हैं । कुछ साल बाद मैं उनसे मिली । और अब वो करीब चार डॉलर प ् रतिदिन की कमाई करते हैं, जो कि भारत के मध ् यवर ् ग के बराबर है, और उन ् होंने मुझे पक ् की नींव दिखायी जो उन ् होंने अभी डाली है अपन घर बनाने के लिये । और मैं गवाह खडी हूँ, उस औरत की आँखों मे बुनते हुए भविष ् य की । ये ऐसा कुछ है जिसमें मैं सच में विश ् वास रखती हूँ । आज आप गरीबी की बात मलेरिया-रोधक मच ् छरदानियों को अनदेखा कर के नहीं कर सकते, और मैं फ़िर से हार ् वाड के जैफ़ ् री साक ् स को इसे बनाने के लिये तहेदिल से शुक ् रिया देती हूँ - इसके इस पागलपन से भरे ध ् येय के लिये - कि आप पाँच डॉलर में एक जीवन बचा सकते हैं । मलेरिया हर साल कम से कम १० से ३० लाख लोगों की जान लेता है । ३० से ५० करोड लोगों को ये बीमारी हर साल होती है । अंदाजन सिर ् फ़ अफ़ ् रीका में ही करीब १३ बिलियन डॉलर हर वर ् ष इस बीमारी की बलि चढता है । पाँच डॉलर से एक जीवन बच सकता है । जब हम लोगों को चाँद पर भेज सकते है, और ये जानना चाहते है मंगल ग ् रह पर जीवन है या नहीं — तो हम ५० करोड लोगों तक पाँच डॉलर में बनी मच ् छरदानी क ् यों नहीं दे सकते? प ् रश ् न ये नहीं है कि हम क ् यों नहीं दे सकते, प ् रश ् न ये है कि हम अफ़ ् रीकी लोगों को ही स ् वयं ये करने में मदद कैसे करें? बहुत सारी बाधायें हैं । पहली: उत ् पादन क ् षमता बहुत कम है । दूसरी: दाम बहुत ज ् यादा है । तीसरी: ये हमारी फ़ैक ् ट ् री के पास की एक अपेक ् षाकृत बेहतर सडक है । आवंटन किसी बुरे सपने जितना भयानक है, मगर असंभव नहीं है । हमने शुरुवात की ३५० हज़ार डॉलर का ऋण दे कर अफ़ ् रीका के सबसे बडे मच ् छरदानी निर ् माता को जिसके कि वो जापान से तकनीक खरीद सकें और पाँच साल तक चलने वाली मच ् छरदानियाँ बना सकें । ये फ़ैक ् ट ् री की कुछ तस ् वीरें हैं । आज, तीन साल बाद, इस कंपनी में हजार और महिलाएँ काम करती हैं । ये करीब ६०० हज़ार डॉलर तन ् ख ् वाहों के रूप में तनज़ानिया की वित ् त-व ् यवस ् था में देती है । ये तन ् ज़ानिया की सबसे बडी कंपनी है । और १५ लाख मच ् छरदानियाँ प ् रतिवर ् ष की दर पर उत ् पादन हो रहा है, जो कि इस साल के अंत तक ३० लाख तक पहुँच जाएगा । और अगले साल के अंत तक ये ७० लाख तक पहुँच जायेगा । तो उत ् पादन की समस ् या पर काम हो रहा है । आवंटन की समस ् या पर, अभी भी, एकजुट हो कर, हमें बहुत काम करना है । इस समय, इन मच ् छरदानियों का ९५% यू.एन. द ् वारा खरीदा जाता है, और फ़िर अफ़ ् रीका में लोगों को बाँट दिया जाता है । और हम चाहते है निर ् माण करना अफ़ ् रीका के सबसे कीमती संसाधन - लोगों का - उपयोग करके । वहाँ की औरतों की शक ् ति का उपयोग करके । और इसलिये मैं आपको जैकलीन से मिलवाना चाहती हूँ, मेरे ही नाम की हैं, २१ साल उम ् र की । अगर इसका जन ् म तनजानिया के अलावा कहीं भी हुआ होता, तो मैं साक ् षी हूँ, ये लडकी वॉल स ् ट ् रीट को नचा रही होती । ये दो लाइन चलाती है, और इसने इतना पैसा बचा लिया है कि ये अपनी घर के लिये अग ् रणी जमाराशि का भुगतान कर सके । ये करीब दो डॉलर प ् रतिदिन कमाती है, एक शिक ् षा-निधि तैयार कर रही है, और इसने मुझे बताया कि न तो ये शादी करेगी न ही बच ् चे जब तक कि ये इन चीज़ों को पूरा न कर ले । और इसलिये, जब मैने उसे अपनी योजना बतायी — कि हो सकता है कि हम अमरीका की तरह ही एक समूह में औरतों को बाहर भेज कर ये मच ् छरदानियाँ बेच सकें — उसने तुरंत हिसाब लगाया कि उस से वो कितने पैसे कमायेगी और हमसे जुड गयी । हमने आई.डि.ई.ओ. (आइडियो), जो कि हमारी चहेती कंपनियों में से हैं, से सीखा और तुरंत इस का एक प ् रारूप बनाय, और जैकलीन के पास ले गये, जहाँ वो रहती है । वो अपने साथ दस औरतों को तैयार कर के लाई जिनके साथ वो इन मच ् छरदानियों को पाँच डॉलर में बेच कर देखना चाहती थी, लोगों के यह कहने के बावजूद कि कोई इन ् हें नहीं खरीदेगा, और हमने बिक ् री करना सीखा । ये अजीब ही लगेगा लेकिन, उसने एकदम अंत तक मलेरिया के बारे में बात ही नहीं की । पहले, उसने आराम, रुतबे और सुंदरता के बारे में बात की । उसने कहा, कि इन ् हें चाहो तो फ़र ् श पर लगा दो, तो घर से कीडे भाग जाते हैं । बच ् चे सारी रात आराम से सो सकते है, घर सुंदर दिखता है, अगर आप उन ् हें खिडकियों में लगा दें । और अब तो हमने ऐसे पर ् दे भी बनाना शुरु कर दिये, और न सिर ् फ़ ये सुंदर ही हैं, बल ् कि लोग उसे सामाजिक रुतबे से जोड कर भी देखते हैं - कि आप अपने बच ् चों की ठीक देखभाल करते हैं । और फ़िर आखिर में उसने अपने बच ् चों की जान बचाने के बारे में बात की । ये इस बात की बेहतरीन शिक ् षा है कि कैसे हम गरीबों को उत ् पाद और सेवायें बेचें । आखिर में, मैं यह ही कहना चाहूँगी कि हमारे पास गज़ब का मौका है गरीबी को जड-मूल सहित नष ् ट कर डालने का । ऐसा करने के लिये, हमें ऐसी व ् यावसायिक योजनाओं को अंजाम देना होगा जिनमें बढत का माद ् दा हो, और जो अफ़ ् रीकी और भारतीय लोगों के साथ, और विकासशील देशों के लोगों के साथ काम कर सके, जो कि खुद ये सब करने में सक ् षम हैं । क ् योंकि अंततः ये उन ् हें साथ ले कर चलने की बात है । और ये इस बात को समझने की बात है कि लोगों को भीख नहीं चाहिये. बल ् कि वो खुद अपने फ़ैसले लेने की ताकत चाहते हैं, और अपनी समस ् याओं का निदान खुद करना चाहते हैं, और उन ् हें साथ ले कर चलने से न सिर ् फ़ हम उनके लिये ही स ् वाभिमान पैदा करेंगे, बल ् कि अपने लिये भी । और इसलिये मैं आप सब से विनती करती हूँ कि अगली बार ये ज़रूर सोचें कि इस योजना और मौके का इस ् तेमाल जो हमारे पास है - गरीबी को नष ् ट कर देने का — इस प ् रक ् रिय का हिस ् सा बन कर और हम-ऐसे-और-वो-वैसे वाली दुनिया से अलग हट कर और ये समझ कर कि ये हम सब के बारे में है, और हमारे अपने संसार के बारे में है, जिसमें हम रहना चाहते हैं । धन ् यवाद । (अभिवादन) मैने तमाम सारी शिक ् षा नीतियों को देखा है अलग अलग नज़रियों से । उनमें कुछ अच ् छे रहे । और हमें पता है कि बच ् चे क ् यों पढाई छोड देते हैं । हमें पता है कि बच ् चे क ् यों नहीं सीखते हैं । या तो गरीबी, या स ् कूल नहीं आ पाना, या बहुत ही कम करते हैं रिश ् तों को समझना भर है । इस कमरे में बैठे सब लोगों पर असर डाला है मैने अच ् छे से अच ् छे और खराब से खराब शिक ् षकों को देखा है । "" मुझे बच ् चों को पसंद करने के लिये पैसे नहीं मिलते । मैने उस से कहा, ठहाका तालियाँऔर मैने उस से कहा, "" ह ् म ् म ् म,,, तुम ् हारा साल काफ़ी लम ् बा और वैसा ही हुआ । कुछ लोगों को लगता है कि उन ् होंने कहा था कि बस कुछ चीजें करनी होंगी, जैसे पहले दूसरों को समझो कभी सोचा आपने इस के बारे में? एक बार मैने अनुपात का एक पाठ पढाया । मैने पूरा पाठ गलत पढा दिया । आय एम सॉरी । "" मुझे ऐसी क ् लासे पढाने को मिली हैं, और उसकी पढाई सुधारना एक ही साथ कैसे होगा? मैने अपने सारे विद ् यार ् थीयों से कहा, "" तुम ् हें मेरी क ् लास के लिये खास चुना गया हैऔर तुम सब से अच ् छे विद ् यार ् थी,जिस से हम सब को दिखा सकें कि पढाई कैसे होती है । ""ठहाका और मैने उन ् हें एक नारा दिया: "" मुझमें कुछ बात है । मैं ताकतवर हूँ, मजबूत हूँ । मुझे इस पढाई का हक है जो मुझे यहाँ मिले रही है । मुझे काम करना है, लोगों पर अपनी छाप छोडनी है,अगर आप बार बार कहें, मैने कहा, "" हाँ । ""मैने कहा, "" क ् योकि तुम बहुत बढिया कर रहे हो । तुम ् हारे पूरे दो सवाल सही है । सारे के सारे गलत नहीं है । ""मैने कहा, "" और जब हम इसे दोबारा करेंगे, उसने कहा, "" हाँ मैम, बिल ् कुल मैं बेहतर करूँगा । "" देखिये, "" - १८ "" देख कर आपकी सारी हिम ् मत ख ् त ् म हो जायेगी । "+ २" आपसे कहता है, "इतना भी बुरा नहीं है ।" अपने डेस ् क में रखते हुए उन बच ् चों के लिये जिन ् हें ज़रूरत होती, और एक तौलिया और कुछ साबुन उन के लिये जिनसे बदबू आ रही होती थी । और बच ् चे बहुत क ् रूर हो सकते हैं । और कई साल बाद, उनके रेटायरमेंट के बाद,उनसे कहते सुना, "" आपको पता नहीं, मिस वाकर, आप ने मेरे जीवन में कितना बडा बदलाव लाया । आपने मुझे जताया कि मैं भी कुछ था, तो उनके बहुत सारे विद ् यार ् थी उनके अंतिम संस ् कार पर पहुँचे,जो कभी ख ् त ् म नहीं होगी । क ् या हम रिश ् तों पर और ध ् यान दे सकते हैं? बिल ् कुल । कभी भी नहीं । और आप उन सब को पसंद भी नहीं करेंगे और बिगडैल वाले आते ही खास वजह से हैं । रिश ् ते ही सब हैं । जुडाव से ही सब है । तो शिक ् षकों महान एक ् टर भी बन जाते हैं और हम तब भी क ् लास जाते हैं जब हमारा बिल ् कुल मन नहीं होता,मगर हम फिर भी पढाते हैं । हम फिर भी पढाते रहते हैं, क ् योंकि हमारा वही काम है । पढना-पढाना खुशी देने वाला होना चाहिये । अगर हमारे बच ् चे जोखिम से न डरें, सोचने से पीछे न हटें, हर बच ् चे को इसका हक है, ऐसा कोई जो कभी उन ् हें अकेला न छोडे, जो रिश ् तों की अहमियत समझे, हम दुनिया को बदलने के लिये ही जन ् मे हैं । बहुत बहुत धन ् यवाद । तालियाँ यूँ अपना लछ ् य बताने में आप अच ् छा महशुस करते हैं ना? 1926 कर ् ट लेविन (Kurt Lewin), सामाजिक मनोविज ् ञान के संस ् थापक ने और 2009 में और जब उनसे लछ ् य प ् राप ् ति के बारे में पूंछा गया उन ् होंने औसत 33 मिनट में कार ् य छोड़ दिया था, अपने लछ ् य की स ् वीकृति से मिलने वाली (तालियाँ) मैं न ् यू योर ् क में रोबिन हुड नामक एक स ् वयं सेवी संस ् था का मुखिया हूँ जब मैं गरीबी के खिलाफ नहीं लड ़ रहा होता, तब एक स ् वयंसेवी आग बुझाने वाले समूह के सह कप ् तान के रूप में आग से लड ़ ता हूँ | अब हमारे शहर में, जहाँ स ् वयंसेवक अत ् यधिक कुशल अग ् निशमन कर ् मियों की सहायता करते हैं, कुछ करने लिए आपको आग की जगह बहुत जल ् दी जाना पड ़ ता हैं | मुझे अपना पहला अवसर याद हैं मैं आग की जगह पर दूसरा स ् वयंसेवक था, तो एक अच ् छा मौका था कि मुझे अंदर जाने मिले लेकिन फ ़ िर भी अन ् य स ् वयंसेवकों के साथ कड ़ ा मुकाबला था दल के कप ् तान तक पहुँचने का और अपना कार ् य जानने का | मैंने जब दल के कप ् तान को खोज लिया, तब वो घर के मालकिन के साथ जरुरी बाते कर रहे थे, जिसके लिए यह उसकी जीवन का सबसे बुरा दिन था, वो आधी रात के समय बाहर बारिश में, छाते के नीचे खड ़ ी थी, उसने पायजामा पहने हुए थे, नंगे पाव थी, जबकि उसका घर आग की लपटों से घिरा था एक और स ् वयंसेवक जो मुझसे थोड ़ े पहले ही आया था — उसका नाम लेक ् स लूथर रख लेते हैं — (हंसी) कप ् तान तक पहले पहुँच गया और उसे अंदर भेजा गया मालकिन के कुत ् ते को बचाने के लिए कुत ् ता! मैं जलन के कारण भौचक ् का रह गया वो एक वकील या मैनेजर था जो अब जिंदगी भर लोगो को बताएगा कि वो एक जलती हुई ईमारत के अंदर गया था किसी की जान बचाने के लिए, सिर ् फ इसीलिए क ् युकि उसने मुझे 5 सेकंड से हरा दिया | अब मेरी बारी थी | कप ् तान ने मुझे इशारा किया | उन ् होंने कहा "" बेज ़ ोस, तुम घर के अंदर जाओ, ऊपर की तरफ जाना, आग को पार करना और इस महिला के लिए जूते लेकर आओ (हंसी) सच में तो ये वैसा नहीं था जैसी मुझे आशा थी लेकिन मैं फ ़ िर भी गया — ऊपर की तरफ, बरामदे में, असली अग ् निशमन कर ् मियों को पार करके, जिन ् होंने अब आग पर काफी हद तक नियंत ् रण कर लिया था, घर में मुख ् य शयनकक ् ष में जूते लाने के लिए | मैं जानता हूँ आप क ् या सोच रहे हैं, लेकिन मैं कोई नायक नहीं हूँ | (हंसी) मैं अपना सामान लेकर नीचे की तरफ गया मुख ् य द ् वार के पास मैं अपने अजेय प ् रतिद ् वंद ् वी और उस कीमती कुत ् ते से मिला | हम अपने अपने सामान बाहर मालकिन के पास ले गए, जहाँ, आश ् चर ् य की बात नहीं हैं कि उसे मुझसे ज ् यादा आदर मिला | कुछ सप ् ताह के बाद, विभाग को उसके घर को बचाने में साहसिक प ् रदर ् शन के लिए आभार प ् रगट करने के लिए घर की मालकिन का ख ़ त आया | नेकी का जो कृत ् य उन ् होंने सबसे ऊपर लिखा था: किसी ने उनके लिए जूते भी आग से बचाए (हंसी) मेरे रोबिन हुड के कार ् य में और मेरे अग ् निशमन कर ् मी की स ् वयं सेवा में मैंने बहुत बड ़ ी मात ् रा में उदारता और दया के कृत ् य देखे हैं, मैंने व ् यक ् तिगत स ् तर पर अनुग ् रह और साहस के कृत ् य भी देखे हैं और आपको बताना चाहूँगा कि मैंने इनसे क ् या सिखा हैं इन सबका महत ् व हैं मैं इस कमरे उन लोगो को देखता हूँ जिन ् होंने अपार सफलता अर ् जित कर ली हैं या करने वाले हैं, मैं उन ् हें यह याद दिलाना चाहूँगा: प ् रतीक ् षा मत कीजिये प ् रतीक ् षा मत कीजिये कि जब तक किसी के जीवन में बदलाव लाने के लिए लाखो ना कमा ले अगर आपके पास देने के लिए कुछ हैं, तो अभी दीजिये किसी भूखे को खाना दीजिये, पड ़ ोसी का उद ् यान साफ़ करिये मार ् गदर ् शक बनिये हर दिन हमे मौका नहीं मिलेगा किसी की जान बचाने का, लेकिन हर दिन मौका देता हैं किसी को प ् रभावित करने का तो आप भी इसमें भाग लीजिये, जूते बचाइये धन ् यवाद ् (अभिवादन) ब ् रुनो ज ् युसानी (Bruno Giussani): मार ् क, मार ् क, वापस आ जाओ (अभिवादन) मार ् क बेज ़ ोस: धन ् यवाद ् ऐड ् स और बर ् ड फ ़ ् लू पर चिंता करना जायज ़ है और इनके बारे में हम बुद ् धिमान डॉ. ब ् रिलिएंट से बाद में सुनेंगे — आज मैं कुछ दूसरी महामारियों के बारे में बताना चाहता हूंकम-से-कम 95% व ् यक ् तियों में इन रोगों को केवल आहार और जीवनशैली में परिवर ् तन लाकर बढ ़ ने से रोका जा सकता है. देखने में यह आ रहा है कि इन रोगों का वैश ् वीकरण हो रहा है एवं अन ् य लोग हमारी तरहउदाहरण के लिए, एक ही पीढ ़ ी में एशिया में हृदय रोग, मोटापा, और डाइबिटीज ़ न ् यूनतम से अधिकतम के स ् तर पर पहुंच चुके हैं.होनेवाली मृत ् युदर HIV और AIDS के कारण होनेवाली मौतों से भी अधिक हो चुकी है. अब हमारे सामने यह संकटपूर ् ण अवसर आ गया है कि हम ऐसे रचनात ् मक परिवर ् तन लाएं जिनसे लाखों व ् यक ् तियों के जीवन में बदलाव आए और विश ् व में रोगनिवारक औषधि के उपयोग को हृदय एवं रक ् त वाहिनियों की बीमारियां न केवल इस देश मेंजबकि हर व ् यक ् ति को इनसे पूरी तरह से बचाया जा सकता है. इन ् हें न केवल रोका जा सकता है बल ् कि वास ् तव में इनका उपचार भी किया जा सकता है. और पिछले लगभग 29 वर ् षों से हमकिस प ् रकार कम लागत और साधारण तकनीक का प ् रयोग करकेये है क ् वांटिटेटिव आर ् टेरियोग ् राफ ़ ी, एक साल पहले और एक साल के बाद, और हमने कुछ महीने पहले यह दिखाया — हमने पहली रिसर ् च प ् रकाशित की जो दिखाती है कि आहार और जीवनशैली में बदलाव लाकरउसका बढ ़ ना कम हो गया, जबकि नियंत ् रित समूह में यह केवल 9% ही कम हुआ. और इन MRI या MR स ् पेक ् ट ् रोस ् कोपी में अब मोटापा एक महामारी बन गया है. दो-तिहाई वयस ् क और 15% बच ् चे इससे ग ् रस ् त हैं. सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि पिछले दस वर ् षों में इसमें 70% की बढ ़ त हुई है और शायद यह पहली पीढ ़ ी होगी जिसमें बच ् चों की आयु हमारी आयु से कम होगी. यह बहुत दुखद है और इसे रोका जा सकता है. ये किसी चुनाव के आंकड ़ े नहीं हैं, ये उन व ् यक ् तियों की संख ् या है जो हर राज ् य में मोटापे का शिकार हैंसे लिए गए हैं — फिर 1988 से लेकर 1991 तक — हमारे सामने नई श ् रेणी आ गई है — फिर 1992 से 1996 क ् रमशः 1997 से लेकर 2001 तक — स ् थिति गंभीर हो रही है. इस सबके जिम ् मेदार हम ही हैं. अब हम क ् या कर सकते हैं? हमने यह पाया है कि एशियन आहार को प ् रोत ् साहन देकर हम हृदयरोग और कैंसर में कमी ला सकते हैं. लेकिन एशिया के निवासियों ने भी हमारी भोजन संबंधित आदतें अपना लीं हैं जिसका परिणाम यह है कि वे भी हमारी तरह बीमार होने लगे हैं. इसलिए मैं कुछ बड ़ ी आहार कंपनियों के साथ काम कर रहा हूं. वे स ् वास ् थ ् यप ् रद आहार को अधिक स ् वादिष ् ट, जायकेदार, फैशनेबल, और सुविधाजनक बना सकते हैं.डेलमोंटे के परामर ् शदाता बोर ् ड में हूं और वे इसमें अच ् छे बिजनेस की संभावना मैकडॉनल ् ड ् स में मिलने वाला सलाद इसी से विकसित हुआ है — वे एशियन सलाद भी प ् रस ् तुत करनेवाले हैं. पेप ् सी के लाभ का दो-तिहाई अंश उनके सेहतमंद आहार से आया है. इस प ् रकार यदि हम इस कार ् य में सफल रहे तोधन जुटाने की व ् यवस ् था कर सकते हैं और बर ् ड फ ़ ् लू की रोकथाम कर सकते हैं. धन ् यवाद. नमस ् कार । मैं समझ के बारे में बात करना चाहता हूँ, समझ की प ् रकृति के बारे में, और समझ के मूल के बारे में, क ् योंकि समझ, हम सभी का लक ् ष ् य है । हम चीज़ों को समझना चाहते हैं । मेरा दावा है कि समझ का सम ् बन ् ध, अपना दृष ् टिकोण बदल पाने की क ् षमता से है । अगर आप वो नहीं कर सकते तो आपके पास समझ नहीं है । ये मेरा दावा है । और मैं गणित पर केंद ् रित होना चाहता हूँ । हम में बहुत से लोग, गणित को योग, घटान, गुणा, भाग, भिन ् न, प ् रतिशतता, ज ् यामिति, बीजगणित की तरह देखते हैं । पर असल में, मैं गणित के मूल के बारे में भी बात करना चाहता हूँ । और मेरा दावा है कि गणित का सम ् बन ् ध, आकृतियों से है । मेरे पीछे, आप एक सुन ् दर आकृति देख रहे हैं, और यह आकृति केवल वृत ् तों को एक विशेष रूप से बनाने से उभरती है । तो गणित की जो परिभाषा मैं आम तौर पर प ् रयोग करता हूँ, वो यह है: पहली बात, कि वो आकृतियों को खोजने से सम ् बंधित है । और "" आकृति "" से मेरा तात ् पर ् य है, एक सम ् बन ् ध एक संरचना, कोई एकसमानता, कुछ नियम, जो हम जो देखते हैं उसे संचालित करते हैं । दूसरा ये, मेरे हिसाब से उसका सम ् बन ् ध इन आकृतियों को एक भाषा द ् वारा चित ् रित करने में है । हमारे पास वो भाषा नहीं होती, तो हम उसे बना लेते हैं, और गणित में ये ज़रूरी है । वो धारणाएँ बनाने, और फिर उनके साथ खेलने से भी सम ् बंधित है, सिर ् फ ये देखने के लिए कि होता क ् या है । हम ये बहुत जल ् द करेंगे । और अंततः, वो मज़ेदार चीज़ें करने से सम ् बन ् धित है । गणित हमें कितना कुछ करने में सक ् षम बना देता है । तो आइये, इन आकृतियों को देखते हैं । अगर आपको टाई की गाँठ बाँधनी हो, उसमे आकृतियाँ होती हैं । टाई की गांठों के नाम होते हैं । और आप टाई की गाँठ बाँधने की गणित भी कर सकते हैं । इसे बाएं-बाहर, दाएं-अन ् दर, बीच-बाहर और बाँधना है । यह बाएं-अन ् दर, दाएं-बाहर, बाएं-अन ् दर, बीच-बाहर और बाँधना है । यह भाषा हमने टाई की गांठों की रचनाये के लिए बना ली है । और आधा-विंडसर, ये सब है । यह एक विश ् वविद ् यालय स ् तर की, गणित की पुस ् तक है, जो फीते बाँधने के बारे में है क ् योंकि फीतों में आकृतियाँ होती हैं । आप इसको कई भिन ् न तरीकों से बाँध सकते हैं । इसका विश ् लेषण कर सकते हैं । हम इसके लिए भाषाएँ बना सकते हैं । और इसको पूरे गणित में दर ् शाया गया है । यह लाईबनेज़ का, १६७५ में किया हुआ अंकन है । उसने प ् रकृति की आकृतियों की भाषा का आविष ् कार किया । जब हम कुछ हवा में उछालते हैं, तो वो नीचे गिर जाता है । ऐसा क ् यों? पक ् का तो नहीं पता, लेकिन हम इसको एक आकृति की रूप में, गणित से दर ् शा सकते हैं । यह भी एक ढाचा है । यह भी एक आविष ् कार की हुई भाषा है । क ् या आप बता सकते हैं, किसलिये? यह असल में नृत ् य के लिये एक अंकन प ् रणाली है, टाप-डान ् स के लिये । यह उसको एक नृत ् यरचना-कार के रूप में मज़ेदार और नई चीज़ें करने में सक ् षम करती है, क ् योंकि उसने उसको दर ् शाया है । मैं चाहता हूँ कि आप सोचें कि किसी चीज़ को दर ् शाना करना कितना अद ् भुद होता है । यहाँ जो शब ् द लिखा है, वो "" गणित "" है । पर असल में तो ये सिर ् फ कुछ बिंदु ही हैं, है ना? तो ये बिन ् दु इस शब ् द को आखिर कैसे दर ् शा सकते हैं? लेकिन दर ् शाते हैं । ये "" गणित "" शब ् द को दर ् शाते हैं । और ये चिन ् ह भी उसको दर ् शाते हैं । और ये, इसे हम सुन सकते हैं । इसकी ध ् वनि ऐसी होती है । (ध ् वनि) ये ध ् वनि भी इस शब ् द और इस सिद ् धान ् त को दर ् शाती है । पर ये होता कैसे है? चीज़ों को दर ् शाना बहुत अद ् भुत होता है । तो मैं उस जादू के बारे में बात करना चाहता हूँ, जो कुछ दर ् शाने पर होता है । यहाँ आप सिर ् फ अलग-अलग चौड़ाई की रेखाएँ देख रहे हैं । ये एक पुस ् तक की संख ् या को दर ् शाते हैं । और मैं सलाह दूँगा कि आप इस पुस ् तक को पढें, ये बहुत अच ् छी है । (खिलखिलाहट) मुझ पर भरोसा कीजिये । तो आइये, एक परिक ् षण करते हैं, कुछ सीधी रेखाओं के साथ खेलने के लिए । यह एक सीधी रेखा है । चलिये एक और बनाते हैं । तो हम हर बार एक मात ् रा नीचे और एक मात ् रा आगे बढ़ेंगे, और हम एक नई सीधी रेखा बनाएँगे, ठीक है? और हम ये बार बार करेंगे, और फिर आकृतियाँ खोजेंगे । इससे ये आकृति उभरती है, और ये काफी अच ् छी आकृति है । ये एक वक ् र की तरह दिखता है, है ना? केवल कुछ सीधी रेखाएँ खींचने से । अब अगर मैं अपना दृष ् टिकोण बदल कर, इसे घुमा दूँ, तो अब इस वक ् र को देखिये । अब ये किसकी तरह दिखता है? क ् या यह एक वृत ् त का हिस ् सा है? नहीं, यह वृत ् त का हिस ् सा नहीं है । तो मुझे अपनी खोज जारी रखते हुए, सही आकृति को ढूँढना है । अगर मैं इसकी प ् रति बनाकर इससे कोई चित ् रकारी करूँ तो? नहीं, ये नहीं । शायद मुझे इन रेखाओं को और लंबा कर देना चाहिए और उसमे आकृति ढूंढनी चाहिए । चलिये और रेखाएँ बनाते हैं । हम ये करते हैं, और फिर इसे दूर करके अपना दृष ् टिकोण फिर से बदलते हैं । अब हम सच में ये देख सकते हैं कि जो मात ् र सीधी रेखाएँ बनाने से शुरू हुआ था, वो असल में वक ् र है जिसे अनुवृत ् त कहते हैं । यह एक सुन ् दर आकृति है और इसे एक सरल समीकरण से दर ् शाते हैं । तो हम ये काम करते हैं । हम आकृतियाँ ढूँढते हैं, और उनको दर ् शाते हैं । मुझे लगता है ये एक अच ् छी परिभाषा है । पर आज, मैं और थोड़ी गहराई में जा कर ये देखना चाहता हूँ कि इसकी प ् रकृति है क ् या । ये संभव कैसे होता है? एक बात है जो थोड़ी गहरी है, और उसका सम ् बन ् ध, अपने दृष ् टिकोण को बदल पाने से की क ् षमता से है । और मेरा दावा है कि जब आप अपना दृष ् टिकोण बदलते हैं, और किसी और नज़रिये से सोचते हैं, तो आप जो देखते या सुनते हैं, उसके बारे में, कुछ नया सीखते हैं । और ये एक बहुत महत ् वपूर ् ण काम है, जो हम हमेशा करते हैं । तो चलिये, इस सरल समीकरण को देखते हैं, x + x = २ • x यह एक अच ् छी आकृति भी है, और सच भी, क ् योंकि ५ + ५ = २ • ५, इत ् यादि । हमने इसे बहुत बार देखा है, और इसे हम ऐसे दर ् शाते हैं । लेकिन गौर कीजिये, ये एक समीकरण है । ये कहता है कोई चीज़, किसी और चीज़ के समान है, और ये दो भिन ् न दृष ् टिकोण हैं । एक यह, कि ये एक योगफल है । ऐसा कुछ जिसका जोड़ किया हो । और दूसरी तरफ, ये एक गुणन है, और ये दो भिन ् न दृष ् टिकोण हैं । और मैं तो यहाँ तक कहूँगा कि इस तरह का हर समीकरण, गणित की हर समिका, जहाँ आप समता का चिन ् ह प ् रयोग करते हैं, वह असल में एक रूपक है । वो दो चीज़ों के बीच समरूपता है । आप बस किसी चीज़ को, दो भिन ् न नज़रियों से देख रहे हैं, और आप उसको एक भाषा में व ् यक ् त कर रहे हैं । इस समिका को देखिये । ये एक बहुत ही सुन ् दर समिका है । ये केवल इतना कहती है कि, दो वस ् तुएँ हैं, दोनों -१ हैं । बाएं तरफ जो वास ् तु है वो -१ है, और दाएं तरफ वाली भी । और ये गणित का बहुत ज़रूरी हिस ् सा है, कि आप भिन ् न नज़रियों से देखें । तो चलिये इससे खेलते हैं । एक संख ् या लेते हैं । हमें चार-तिहाई पता है । हमें पता है चार-तिहाई क ् या होता है । वो १.३३३ होता है, लेकिन वो तीन बिन ् दु लगाने ज़रूरी हैं, नहीं तो वो पूरा चार-तिहाई नहीं होगा । पर ये केवल १० के आधार में होता है । संख ् या पद ् धति में हम १० अंक प ् रयोग करते हैं । अगर हम इसको बदल कर केवल दो अंकों का प ् रयोग करें, उसे बायनरी सिस ् टम कहते हैं । उसको ऐसे लिखते हैं । और संख ् या है, चार-तिहाई । हम इसे ऐसे लिख सकते हैं, और हम इसका आधार बदल सकते हैं, अंकों की संख ् या बदल सकते हैं, और इसको भिन ् न तरह से लिख सकते हैं । तो ये सब एक ही संख ् या को भिन ् न तरह से दर ् शाते हैं । हम इसको केवल ऐसे भी लिख सकते हैं, जैसे १.३ या १.६ । ये सब आपके अंकों की संख ् या पर निर ् भर करता है । या फिर हम बस इसको सरलता से ऐसे लिखें । मुझे ये पसंद है क ् योंकि ये कहता है चार तीन से विभाजित । और ये संख ् या, दो संख ् याओं के सम ् बन ् ध को व ् यक ् त करती है । एक तरफ आपके पास चार है, और दूसरी तरफ तीन । और इसकी आप बहुत तरह से कल ् पना कर सकते हैं । अब मैं इस संख ् या को भिन ् न नज़रियों से देख रहा हूँ । मैं इससे खेल रहा हूँ । हम किसी चीज़ को जैसे देखते हैं मै उसके साथ खेल रहा हूँ । और मैं ये सब जान - बूझकर कर रहा हूँ । एक ग ् रिड को लेते हैं । अगर ये चार माप आगे, और तीन ऊपर हो, तो इस रेखा का माप पाँच होगा, हमेशा । ऐसा ही होगा । ये एक बहुत सुन ् दर आकृति है । चार, तीन और पाँच । और ये आयत, जो ४ x ३ है, इसे आपने बहुत बार देखा होगा । कम ् प ् यूटर चित ् रपट ऐसे माप का होता है । टेलीविजन या कम ् प ् यूटर का चित ् रपट, ८०० x ६०० या १६०० x १२०० होता है । तो ये सब अच ् छी तरह दर ् शाया गया है, पर मैं थोड़ा और आगे जा कर, इस संख ् या से और खेलना चाहता हूँ । यहाँ आप दो वृत ् त देख रहे हैं । मैं इनको ऐसे घुमाऊँगा । ऊपर बाएं वाले पर गौर कीजिये । वो थोड़ा ज़ ् यादा तेज़ चल रहा है, है ना? आप ये देख सकते हैं । वो असल में दूसरे से पूरा चार-तिहाई तेज़ है । जिसका मतलब है कि जब वो ४ चक ् कर पूरे करता है, तो दूसरा ३ करता है । अब दो रेखाएँ बनाते हैं, और जहाँ वो मिलती हैं, वहाँ ये बिंदु बना देते हैं । अब हमारा बिंदु नृत ् य कर रहा है । (खिलखिलाहट) और ये बिन ् दु इस संख ् या से आया है । है ना? अब इसकी छाप लेनी चाहिये । इसकी छाप लेकर देखते हैं, क ् या होता है । गणित इसी से सम ् बंधित है । ये देखने से कि होता क ् या है । और चार-तिहाई से ये उभरता है । मैं कहूंगा कि ये चार-तिहाई की छवि है । ये ज़ ् यादा सुन ् दर है । धन ् यवाद! (वाहवाही) ये कुछ नया नहीं है । ये बहुत पहले से विदित है, लेकिन — (खिलखिलाहट) लेकिन चार-तिहाई ये है । चलिये एक और परिक ् षण करते हैं । इस बार एक ध ् वनि लेते हैं, ये ध ् वनि । ये एक उत ् तम A है, ४४० हर ् ट ् ज । इसको दो से गुणा करते हैं । तो हमें ये ध ् वनि मिलती है । अगर हम दोनों ध ् वनि साथ बजाएँ, तो ऐसा सुनाई देता है । ये एक सप ् टक है, है ना? हम ये खेल खेल सकते हैं । हम एक ध ् वनि बजाएँ, वही A बजाएँ । उसको ३ / २ से गुणा करें । (बीप) इसको सही पाँचवा कहते हैं । (बीप) ये दोनों साथ बहुत अच ् छे सुनाई देते हैं । चलिये इस ध ् वनि को चार-तिहाई से गुणा करते हैं । अब क ् या होगा? आपको ये ध ् वनि मिलेगी । ये सही चौथा है । अगर पहला A है, तो ये D है । ये साथ में ऐसे सुनाई पड़ते हैं । ये चार-तिहाई की ध ् वनि है । अब मैं क ् या कर रहा हूँ? मैं अपना दृषिकोण बदल रहा हूँ । मैं एक संख ् या को दूसरे नज़रिये से देख रहा हूँ । मैं ऐसा ताल के साथ भी कर सकता हूँ, है ना? मैं एक ताल को तीन बार एक साथ बजा सकता हूँ, कुछ समय के लिए, और मैं उसी वक ् त एक दूसरी ध ् वनि चार बार बजा सकता हूँ । (झनकार) ये ध ् वनि थोड़ी उबाऊ है, पर इनको साथ सुनिये । (ध ् वनि) (खिलखिलाहट) तो देखा आपने? (खिलखिलाहट) मैं इसे थोड़ा हाई-हैट भी बना सकता हूँ । (ध ् वनि) सुना आपने? तो ये चार-तिहाई की ध ् वनि है । और ये एक ताल के रूप में है । (ध ् वनि) और मैं इस संख ् या के साथ खेलते हुए ये सब करता रह सकता हूँ । चार-तिहाई एक बहुत ही अच ् छी संख ् या है और मुझे बहुत पसंद है । (खिलखिलाहट) यह संख ् या सच में अनमोल है । तो अगर आप एक गोला लें, और उसके आयतन को देखें, तो वो एक सिलेंडर का चार-तिहाई होता है । तो एक गोले में चार-तिहाई होता है । वो उस गोले का आयतन होता है । तो अब मैं ये सब कर क ् यों रहा हूँ? क ् योंकि अब मैं कुछ समझने के अर ् थ के बारे में बात करना चाहता हूँ, और कुछ समझने से हमारा मतलब क ् या है । मेरा लक ् ष ् य ये है । और मेरा दावा ये है, कि आप कुछ समझते हैं, अगर आप में उसको भिन ् न नज़रियों से देखने की क ् षमता है तो । चलिये इस अक ् षर को देखते हैं । ये एक सुन ् दर R है, है ना? और ये आप कैसे जानते हैं? इसलिए, क ् योंकि आपने बहुत सारे R देखे हैं, और आपने उन सबका सामान ् यीकरण और सार करके एक आकृति खोज ली है । इसलिए आपको पता है कि ये एक R है । तो मेरा लक ् ष ् य यहाँ ये कहना है, कि समझना और अपना दृश ् टिकोण बदलना, आपस में कैसे जुड़ा है । मैं एक शिक ् षक और प ् रवक ् ता हूँ, और मैं इसे कुछ सिखाने के लिये प ् रयोग कर सकता हूँ, क ् योंकि जब मैं किसी और को, कोई और कहानी, रूपक या समरूपता सुनाऊंगा, अगर मैं एक कहानी भिन ् न दृष ् टिकोण से सुनाऊंगा, तो मैं समझ को सक ् षम करूँगा । मैं समझ को संभव बनाऊंगा, क ् योंकि आप जो भी देखते या सुनते हैं उसका सामान ् यीकरण करते हैं, और अगर मैं आपको दूसरा नजरिया दूंगा, तो ये आपके लिए आसान हो जायेगा । चलिये दोबारा एक सरल उदहारण को देखते हैं । ये चार और तीन है । ये चार त ् रिभुज हैं । तो ये एक तरह से चार-तिहाई है । चलिये इसको साथ जोड़ देते हैं । अब हम एक खेल खेलेंगे, हम इनको एक तीन आयामी संरचना में मोड़ देंगे । मुझे ये बहुत पसंद है । ये एक वर ् ग पिरामिड है । चलिये दो वर ् ग पिरामिड लेकर एक साथ रखते हैं । इसको अष ् टफलक कहते हैं । ये पांच में से एक सैद ् धान ् तिक ठोस है । अब हम वस ् तुतः अपना दृष ् टिकोण बदल सकते हैं, क ् योंकि हम इसको सारी धुरियों पर घुमा सकते हैं और इसको भिन ् न दृष ् टिकोण से देख सकते हैं । और मैं धुरी बदल कर, इसको दूसरे नज़रिये से देख सकता हूँ, ये चीज़ वही है, पर दिखती अलग है । मैं ऐसा दोबारा भी कर सकता हूँ । मैं ऐसा जितनी बार भी करता हूँ, कुछ नया दिखाई देता है, तो मैं इस वस ् तु के बारे में और सीख रहा हूँ, जब मैं अपना नज़रिया बदलता हूँ । मैं इसको समझ का निर ् माण करने के साधन की तरह प ् रयोग कर सकता हूँ । मैं इन दो आकृतियों को एक साथ ऐसे रख के देख सकता हूँ, कि होता क ् या है । और ये थोड़ा थोड़ा अष ् टफलक की तरह दिखता है । देखिये, अगर मैं इसे ऐसे घुमाऊं तो, क ् या होता है? अगर आप इन दो आकृतियों को लेकर साथ जोड़ देते हैं और घूमाते हैं, तो आपका अष ् टफलक फ़िर से ये रहा, एक सुन ् दर संरचना । अगर आप इसको धरती पर रख दें, तो ये एक अष ् टफलक है । ये अष ् टफलक की लेखाचित ् र संरचना है । और मैं ये करता रह सकता हूँ । आप एक अष ् टफलक आस-पास तीन बड़े वृत ् त बना सकते हैं, और उनको घुमा सकते हैं, तो ये तीन बड़े वृत ् त असल में अष ् टफलक से सम ् बन ् धित हैं । और अगर मैं एक साईकल का पम ् प लूँ, और इसमें हवा भर दूँ, तो आप देख सकते हैं कि ये भी कुछ-कुछ अष ् टफलक की तरह है । तो आपने देखा मैंने क ् या किया? मैं हर बार दृष ् टिकोण बदल रहा हूँ । तो अब एक कदम पीछे लेते हैं, और एक कदम पीछे लेना, असल में एक रूपक है, और देखिये कि हम क ् या कर रहे हैं । मैं रूपकों से खेल रहा हूँ । मैं नज़रियों और समानता से खेल रहा हूँ । मैं एक कहानी को भिन ् न तरह से सुना रहा हूँ । मै कहानियाँ सुना रहा हूँ । मैं एक कहानी बना रहा हूँ; मैं कई कहानियाँ बना रहा हूँ । और ये सब समझ को सक ् षम करते हैं । ये असल में कुछ समझने का मूलतत ् त ् व हैं । मेरा ये सच में मानना है । तो अपना दृष ् टिकोण बदलने की ये बात, ये मनुष ् य के लिए निश ् चित रूप से मूल है । चलिये धरती के साथ खेलते हैं । सागर को और बड़ा करके, उसको देखते हैं । हम ऐसा किसी भी वस ् तु के साथ कर सकते हैं । हम सागर को पास से देख सकते हैं । हम लहरों को देख सकते हैं । हम तट पर जा सकते हैं । हम सागर को दूसरे नज़रिये से देख सकते हैं । जितनी बार भी हम ये करते हैं, हम सागर के बारे में कुछ नया सीखते हैं । अगर हम तट पर जायें तो जैसे हम उसे सूंघ सकते हैं, है ना? हम लहरों का शोर सुन सकते हैं । अपनी ज़ुबान पर नमक महसूस कर सकते हैं । तो ये सब भिन ् न दृष ् टिकोण हैं । और ये वाला सबसे अच ् छा है । हम पानी के अंदर जा सकते हैं । हम पानी को अन ् दर से देख सकते हैं । और पता है क ् या? ये गणित और कम ् प ् यूटर विज ् ञान में निश ् चित रूप से आवश ् यक है । अगर आप किसी संरचना को अन ् दर से देख सकते हैं, तो आप सच में उसके बारे में सीख सकते हैं । किसी वजह से यही किसी वस ् तु का मूल होता है । तो जब हम ये करते हैं, और ये सागर के अन ् दर की यात ् रा पूरी करते हैं, तो हम अपनी कल ् पना का उपयोग करते हैं । इसमें थोड़ी और गहराई होती है, और ये अपना नजरिया बदलने के लिए ज़रूरी है । हम एक खेल खेलते हैं । कल ् पना कीजिये कि आप वहाँ बैठे हैं । आप कल ् पना कर सकते हैं कि आप यहाँ ऊपर हैं, और यहाँ बैठे हैं । आप खुद को बाहर से देख सकते हैं । ये एक बहुत ही अनोखी बात है । आप अपना दृष ् टिकोण बदल रहे हैं । आप अपनी कल ् पना का उपयोग करके, खुद को बाहर से देख रहे हैं । इसके लिए कल ् पना-शक ् ति की ज़रूरत होती है । गणित और कम ् प ् यूटर विज ् ञान सबसे ज़ ् यादा कल ् पनाशील कला का रूप हैं । और अपना दृष ् टिकोण बदलने की ये बात, आपको थोड़ी जानी-पहचानी लग रही होगी, क ् योंकि हम ये रोज़ करते हैं । और हम इसको सहानुभूति कहते हैं । जब मैं दुनिया को आपके नज़रिये से देखता हूँ, तो मुझे आपसे सहानुभूति होती है । अगर मैं सच में समझ पाता हूँ, कि दुनिया आपके नज़रिये से कैसी दिखती हैं, तो मुझ में सहानुभूति है । इसके लिए कल ् पना-शक ् ति की ज़रूरत होती है । और ऐसे हम समझ को प ् राप ् त कर पाते हैं । ये पूरे गणित में हैं, यही पूरे कंप ् यूटर विज ् ञान में हैं, और सहानुभूति और इन विज ् ञान का बहुत गहरा सम ् बन ् ध है । तो मेरा निष ् कर ् ष ये है: किसी चीज़ को उसकी गहराई तक समझने का सम ् बन ् ध अपने दृष ् टिकोण को बदलने की क ् षमता से होता है । तो मेरी आपको सलाह है कि: आप अपने दृष ् टिकोण को बदलने की कोशिश करें । आप गणित पढ़ सकते हैं । ये अपनी बुद ् धि तेज़ करने का बहुत अच ् छा तरीका है । दृष ् टिकोण बदलना आपके दिमाग को और लचीला बनाता है । आपको नई चीज़ों के लिये सहनशील बनाता है, और आपको नई चीज़ें समझने में सक ् षम करता है । और अगर मैं एक और रूपक का प ् रयोग करूँ तो: बुद ् धि पानी की तरह होनी चाहिये । वो अच ् छा होता है । धन ् यवाद । (वाहवाही) मैं आपको बता रही हूँ मानव अधिकारों के उलंघन के सबसे गंदे रूप के बारे में, तीसरा सबसे बड ़ ा संगठित अपराध, एक १० अरब डॉलर का उद ् योग. मैं आपको बता रही हूँ आधुनिक दासत ् व के बारे में. मैं आपको कहानी सुनाना चाहूंगी इन तीन बच ् चों की, प ् रणिता, शाहीन और अंजलि. प ् रणिता की मां एक वेश ् या थी, एक वेश ् यावृत व ् यक ् ति. वह HIV से संक ् रमित हो गयी, और जीवन के अंतिम समय में, जब वह एड ् स की अंतिम अवस ् था में थी, वह वेश ् यावृति नहीं कर सकती थी, अतः उसने चार साल की प ् रणिता को एक दलाल को बेच दिया. जब तक हमने यह सूचना पाई, हम वहां पहुंचे, तब तक प ् रणिता का बलात ् कार तीन लोगों के द ् वारा हो चुका था. शाहीन की पिछली जिंदगी के बारे में मैं जानती तक नहीं हूँ. हमने उसे रेल की पटरियों पर पाया था, कितने ही लोगों के द ् वारा बलात ् कृत, मैं नहीं जानती कितने. परन ् तु उसके शरीर पर इसके संकेत यह थे कि उसकी अंतड ़ ियाँ उसके शरीर के बाहर थीं. और जब हम उसे अस ् पताल ले गए उसे बत ् तीस टांकों कि जरूरत पड़ी थी उसकी अंतड ़ ियों को उसके शरीर के अन ् दर डालने में. हम अभी तक नहीं जानते हैं कि उसके माता-पिता कौन हैं, वह कौन है, हम सिर ् फ यह जानते हैं कि सैंकड ़ ों लोगों ने उसका निर ् दयता से उपभोग किया था. अंजलि के पिता, एक शराबी, अपने बच ् चे को अश ् लील चित ् रों के लिए बेच दिया. आप यहाँ तसवीरें देख रहे हैं तीन साल, चार साल, और पांच साल के बच ् चों की जो व ् यावसायिक यौन शोषण के लिए बेचे गए हैं. इस देश में, और पूरे विश ् व में, सैंकड ़ ों और हजारों बच ् चे, तीन साल की उम ् र के, चार साल की उम ् र के, यौन दासत ् व के लिए बेचे जाते हैं. परन ् तु यह मनुष ् यों के व ् यापार का एक मात ् र कारण नहीं है. वे गोद लेने के नाम पर बेचे जाते हैं. वे अंग व ् यापार नाम पर बेचे जाते हैं. वे बेचे जाते हैं श ् रमिक नाम पर, ऊंट सवार, कुछ भी, सब कुछ. मैं व ् यावसायिक यौन शोषण के मुद ् दे पर काम करती हूँ. और मैं आपको वहां की कहानियाँ सुना रही हूँ. इन बच ् चों के लिए काम करने की मेरी अपनी यात ् रा एक किशोर बालिका के रूप में शुरू हुई. मैं १५ बर ् ष की थी जब ८ लोगों ने मेरा सामूहिक बलात ् कार किया था. मेरा बलात ् कार मुझे उतनी अच ् छी तरह याद नहीं है जितना की उसके बाद का गुस ् सा. हाँ, वे ८ लोग थे जिन ् होंने मुझे अपवित ् र किया, मेरा बलात ् कार किया, परन ् तु उसने मेरी चेतना को कुंठित नहीं किया. मैंने स ् वयं को कभी शिकार नहीं समझा, ना तब और ना अब. परन ् तु, तो तब से अब तक साथ रहा — मैं अब ४० की हूँ — यह महत अपमानजनक क ् रोध. दो बर ् षों तक, मैं बहिष ् कृत थी, मैं निन ् दित थी, मैं अकेली थी, क ् योंकि मैं एक शिकार थी. और यह है जो हम करते हैं उन सारे लोगों के साथ जो व ् यापारीकरण से बचाए गए हैं. हम, एक समाज के रूप में, हमारे पास PhD है शिकारों का शिकार करने में. १५ बर ् ष की आयु से, जब मैंने अपने आस पास देखना शुरू किया, मैंने सैंकड ़ ो हजारों महिलाओं और बच ् चों को देखना शुरू किया जो यौन-दासत ् व जैसे व ् यवसायों में फंसे हुए हैं, परन ् तु वे निसहाय हैं, क ् योंकि हम उन ् हें (अपने समाज में) आने की स ् वीकृति नहीं देते हैं. उनकी यात ् रा कहाँ से शुरू होती है? उनमे से बहुतेरे उन परिवारों से आते हैं जिनके पास कई सारे विकल ् प हैं, गरीब (परिवारों) से नहीं. आप कभी-कभी माध ् यम वर ् ग के लोगों का भी बाजारीकरण देखेंगे. मेरे पास यह IAS अफसर की बेटी थी, जो १४ बर ् ष की है, कक ् षा ९ में पढ़ती है, जिसका बलात ् कार हुआ था एक व ् यक ् ति से बातचीत (इन ् टरनेट चैट) के कारण, और वह अपने घर से भाग गयी क ् योंकि वह एक अभिनेत ् री बनना चाहती थी, उसका बाजारीकरण हो गया. मेरे पास सैंकड ़ ो और हजारों ऐसी कहानियां हैं बहूत ही संपन ् न परिवारों की, और बच ् चों की जो संपन ् न परिवारों से हैं, जिनका व ् यवसाय हो रहा है. ये लोग ठगे हुए हैं, विवश हैं. उनमे से ९९.९ प ् रतिशत लोग वेश ् यावृति को अपनाने में विरोध जताते हैं. कुछ इसका मूल ् य चुकाते हैं. वो मार दिए जाते हैं; हम उनके बारे में पता भी नहीं चलता. वे मूक हैं, अनाम लोग हैं. परन ् तु बाकी, जो इसमें फँस जाते हैं, हर दिन यातनाओं से गुजरते हैं. क ् योंकि जो लोग उनके पास आतें हैं वे उनमे से नहीं हैं जो आपको अपनी प ् रियतमा बनाना चाहते हैं, या जो आपके साथ परिवार बसाना चाहते हैं. ये वो लोग हैं जो आपको खरीदते हैं एक घंटे के लिए, एक दिन के लिए, आपका इस ् तेमाल करते हैं, आपको छोड़ देते हैं. हर लड़की जिसे मैंने बचाया है — मैंने ३२०० से अधिक लड ़ कियों को बचाया है — उनमे से हर एक मुझे एक आम कहानी बताती है... (तालियाँ) एक कहानी एक आदमी के बारे में, कम से कम, उसकी योनि में मिर ् च का चूर ् ण डालता है, एक आदमी जो उसे सिगरेट से जलाता है, एक आदमी जो उसे पीटता है. हम उन लोगों के बीच में रहते हैं, वे हमारे भाई, पिता, चाचा, भतीजे, हमारे चारों ओर हैं. और हम उनके बारे में चुप हैं. हम सोचते हैं कि यह पैसा बनाने का आसान मार ् ग है. हम सोचते हैं कि यह छोटा मार ् ग है. हम सोचते हैं कि वो वही करना चाहती है जो वह कर रही है. परन ् तु जो अतिरिक ् त लाभ वो पाती है वे हैं बहुतेरे संक ् रमण, यौन संचारित संक ् रमण, HIV, एड ् स, उपदंश, सुजाक, आप नाम लीजिये, मादक द ् रव ् यों का सेवन, नशीले पदार ् थ, सब कुछ. और एक दिन वो आपको और मुझे छोड ़ देती है, क ् योंकि हमारे पास उनके लिए कोई विकल ् प नहीं है. और इस लिए वो इस उत ् पीडन कि आदि हो जाती है. वो मानती है "" हाँ, अब यही है, यही मेरा भाग ् य है. "" और यह सामान ् य है, एक दिन में १०० लोगो के द ् वारा बलात ् कृत होना. और किसी की शरण में जाना असामान ् य है. पुनर ् वासित होना असामान ् य है. मैं इसी विषय में काम करती हूँ. इसी विषय में मैं बच ् चों को बचाती हूँ. मैंने तीन साल के बच ् चों को बचाया है, और मैंने ४० साल की औरतों को बचाया है. जब मैंने उन ् हें बचाया, एक सबसे बड ़ ी चुनौती जो मेरे सामने थी कि मैं कहाँ से शुरू करूँ. क ् योंकि मेरे पास बहूत सारे थे जो पहले से ही HIV से संक ् रमित थे. एक तिहाई लोग जिन ् हें मैं बचाती हूँ HIV संक ् रमित हैं. और इसीलिए मेरी चुनौती थी यह समझना कि कैसे मैं बहार निकालूँ इस दर ् द से शक ् ति को. और मेरे लिए, मैं अपनी महानतम अनुभव थी. स ् वयं को समझना, स ् वयं कि पीड़ा को समझना, मेरा अपना अकेलापन, मेरा सबसे बड ़ ा शिक ् षक था. क ् योंकि जो हमने इन लड ़ कियों के साथ किया वह है इनकी क ् षमता को समझना. आप यहाँ एक लड़की को देख रहे हैं जो एक झाल लगाने वाली के रूप में प ् रशिक ् षित की गयी है. वो एक बहूत बड ़ े संगठन के लिए काम करती है, हैदराबाद की एक कार ् यशाला में, जो फर ् नीचर बनाती है. वो लगभग १२,००० रूपए कमाती है. वो एक अनपढ़ लड़की है, प ् रशिक ् षित, युक ् त एक झाल लगाने वाली के रूप में. झाल लगाना की क ् यों, कंप ् यूटर क ् यों नहीं? हमने अनुभव किया, एक चीज ़ जो इन लड ़ कियों के पास थी वह है अमित साहस. उनके शरीर पर कोई पर ् दा नहीं था, उनमे कोई शर ् म नहीं थी, उन ् होंने इसकी सीमाएं लाँघ ली हैं. और इसलिए वे एक पुरुष-प ् रभुत ् व संसार में काम कर सकती थीं, बहूत ही आसानी से, और वे इसमें किसी शर ् म का अनुभव नहीं करतीं. हमने लड ़ कियों को प ् रशिक ् षित किया है बढई के रूप में, राजमिस ् त ् री के रूप में, सुरक ् षा पहरेदार के रूप में, टैक ् सी चालक के रूप में. और उनमे से हर एक अग ् रगण ् य है अपने चुने हुए क ् षेत ् र में, आत ् मविश ् वास पा रही है, इज ् ज ़ त पा रही है, और अपने जीवन में आशाएं जगा रही है. ये लड़कियां बड ़ े निर ् माण संगठनो में काम कर रही हैं जैसे राम-की कंस ् ट ् रक ् शन, राजमिस ् त ् री के रूप में. मेरी चुनौती क ् या रही है? मेरी चुनौती वो देह-व ् यापारी नहीं रहे हैं जो मुझे पीटते हैं. मैं अपनी जिंदगी में १४ बार से ज ् यादा पिट चुकीं हूँ. मैं अपने दायें कान से सुन नहीं सकती हूँ. मैंने अपना एक कार ् यकर ् ता खो दिया जिसे मार दिया गया जब वो एक बचाव कार ् य पर था. मेरी सबसे बड ़ ी चुनौती है समाज. यह है आप और मैं. मेरी सबसे बड ़ ी चुनौती है इन भुक ् तभोगियों को स ् वीकार करने में आपकी बाधाएं हमारे अपनों की तरह. मेरी एक बहूत ही मददगार मित ् र, मेरा भला चाहने वाली, मुझे हर महीने, २,००० रूपए दिया करती थी सब ् जियों के लिए. जब उसकी माँ बीमार पड़ी तो उसने कहा, "" सुनीता, तुम ् हारे बहूत अच ् छे संपर ् क हैं. क ् या तुम किसी को मेरे घर में काम करने के लिए ला सकती हो, ताकि वो मेरी माँ की देखभाल कर सके? "" और कुछ देर तक शांति थी. और तब वो कहती है, "" हमारी लड ़ कियों में से किसी एक को नहीं. "" मानव व ् यवसायों के बारे में बातें करना काफी शौकिया है, इस अच ् छे से वातानुकूलित कक ् ष में. यह बहूत अच ् छा है वाद-विवाद के लिए, प ् रवचन के लिए, चलचित ् रों के लिए और सभी बातों के लिए. पर उन ् हें अपने घरों में लाने के लिए अच ् छा नहीं है. उन ् हें अपने कारखानों और संगठनों में रोजगार देना उचित नहीं है. उनके बच ् चों का हमारे बच ् चों के साथ पढना उचित नहीं है. वहां सब ख ़ त ् म हो जाता है. वही मेरी सबसे बड ़ ी चुनौती है. अगर मैं आज यहाँ हूँ, तो मैं यहाँ सिर ् फ सुनीता कृष ् णन के रूप में नहीं हूँ. मैं यहाँ पर देह व ् यापार के भुक ् तभोगियों एवं उससे बचाए गए लोगों की आवाज ़ बन कर आई हूँ. उन ् हें आपकी करुणा की जरूरत है. उन ् हें आपकी सहानुभूति की जरूरत है. इन ् हें सबसे ज ् यादा जरूरत है, आपकी स ् वीकृति. बहूत बार, जब मैं लोगों से बातें करती हूँ, मैं उन ् हें एक ही बात कहती हूँ: मुझे वो सौ रास ् ते मत बताईये कि आप इस समस ् या से क ् यों नहीं जूझ सकते हैं. क ् या आप अपने दिमाग को उस एक दिशा में ले जा सकते हैं जिससे कि आप इस समस ् या से जूझ सकें? और इसीलिए मैं यहाँ पर हूँ, आपका सहयोग मांगने के लिए, आपका सहयोग का दावा करने के लिए, आपके सहयोग की विनती करने के लिए. क ् या आप अपनी चुप ् पी की संस ् कृति को तोड़ सकते हैं? क ् या आप कम से कम दो लोगों को इस कहानी के बारे में बता सकते हैं? उन ् हें ये कहानी सुनाईये. उन ् हें यह कहानी दो और लोगों को सुनाने के लिए राजी कीजिये. मैं आप सभी लोगों को महात ् मा गाँधी बनने के लिए नहीं कह रही हूँ या मार ् टिन लूथर किंग, या मेघा पाटेकर, या उनकी तरह कुछ. मैं आप से मांग रही हूँ, आपके सीमित संसार में, क ् या आप अपना मन खोल सकते हैं? क ् या आप अपना दिल खोल सकते हैं? क ् या आप इन लोगों को भी स ् वीकार कर सकते हैं? क ् योंकि वो भी हममे से एक हैं. वो भी इस संसार का हिस ् सा हैं. मैं आपसे कह रही हूँ, इन बच ् चों के लिए, जिनका चेहरा आप देख रहे हैं, इस संसार में नहीं हैं. वे पिछले साल एड ् स से मर गए. मैं आपसे उनकी मदद करने के लिए कह रही हूँ, इंसान के रूप में स ् वीकार करने के लिए कह रही हूँ, लोक-कल ् याण की तरह नहीं, परोपकार की तरह नहीं, परन ् तु इंसानों की तरह जिनका हमारे सहयोग पर हक बनता है. मैं यह आपसे इसलिए कह रही हूँ क ् योंकि कोई बच ् चा, कोई इंसान, उसका हक़दार नहीं है जो इन बच ् चों पे गुजरी है. धन ् यवाद. (तालियाँ) जलवायु परिवर ् तन पहले ही वज ़ नदार विषय है, और अब तो और भी वज ़ नदार हो रहा है, क ् योंकि हम समझने लगे हैं कि हमें जितना कर रहे हैं उससे ज ् यादा करना चाहिए. हकीकत में, हम समझने लगे हैं, कि हम में से वो जो विकसित देशों में रहते हैं उन ् हें वाकई में अपने एमिशन (उत ् सर ् जन) पूरी तरह से बंद कर देने चाहियें. मगर वास ् तव में, सचाई यह है, कि ऐसा नहीं हो रहा है. और बहुत ज ़ बरदस ् त अनुभूति होती है जब हम देखते हैं कि आजकल की वास ् तविकता क ् या है और हमारे सामने खड ़ ी इस समस ् या का गुरुत ् व क ् या है. और जब हमारे सामने ज ़ बरदस ् त समस ् याएं होती हैं, तब हम सरल समाधान ढूंढते हैं. और मेरे ख ़ याल से यही हमने जलवायु परिवर ् तन के विषय में किया है. हम देखते हैं कि एमिशन (उत ् सर ् जन) कहाँ से आ रहे हैं — वो हमारी गाड ़ ियों के पाइपों या चिमनियों या ऐसी ही चीज ़ ों से आ रहे हैं, और हम कहते हैं, अच ् छा भई, समस ् या यह है कि यह एमिशन उन जीवाश ् म ईंधनों से आ रहे हैं जो हम जलाते हैं, और इसलिए, इस का उपाय यह है कि हम इन जीवाश ् म ईंधनों की जगह ऊर ् जा के विशुद ् ध स ् त ् रोतों का प ् रयोग करें. तो हालांकि हमें विशुद ् ध ऊर ् जा की अवश ् य ज ़ रुरत है, फिर भी मैं आपसे कहूँगा कि हो क ् या रहा है कि जलवायु परिवर ् तन की समस ् या को विशुद ् ध ऊर ् जा के उत ् पादन के नज ़ रिए से देखने के कारण, हम उसे हल करने की बजाय हल नहीं कर रहे हैं. और कारण यह है कि हम एक ऐसे ग ् रह पर रहते हैं जिसका तेजी से नगरीकरण हो रहा है. यह हमारे लिए कोई नयी खबर नहीं है. पर कभी-कभी मुश ् किल होता है उस नगरीकरण का विस ् तार ध ् यान रखना. इस सदी के मध ् य तक, संसार में ८ अरब — या उस से भी ज ् यादा — लोग होंगे जो शहरों में — या उनसे एक दिन की दूरी पर — रहेंगे. हम एक ज ़ बरदस ् त रूप से शहरी नस ् ल होंगे. तो फिर जुटा पाने के लिए ऐसी ऊर ् जा जिसकी ज ़ रुरत होगी ऐसे शहरों में रहने वाले ८ अरब लोगों को जो लगभग कुछ हद तक उन शहरों जैसे हैं जिनमें हम जैसे सार ् वभौमिक उत ् तरी इलाकों के लोग आजकल रहते हैं, उसके लिए हमें उत ् पन ् न करनी होगी एक बेहद आश ् चर ् यजनक दर ् जे की ऊर ् जा. हो सकता है कि हम पैदा भी न कर पाएं इतनी अधिक मात ् रा में विशुद ् ध ऊर ् जा. तो अगर हम जलवायु परिवर ् तन को काबू में करने की बात गंभीरता से लेते हैं एक ऐसे ग ् रह पर जिसका तेजी से शहरीकरण हो रहा है, तो हमें उन समाधानों के लिए किसी और दिशा में देखना होगा. यह समाधान शायद हमारे अनुमान से कहीं अधिक पास हैं. क ् योंकि वो सब शहर जो हम बना रहे हैं हमारे लिए एक सुअवसर हैं. हर शहर काफी हद तक यह निर ् धारित करता है कि उसके निवासी कितनी ऊर ् जा का इस ् तेमाल करेंगे. हम अक ् सर ऊर ् जा के इस ् तेमाल को एक रवैय ् य ् ये के तौर पर देखते हैं — मैं इस बिजली के स ् विच को चालू करने का निर ् णय लेता हूँ — जबकि सच ् चाई यह है कि हमारा ऊर ् जा का अधिकतर इस ् तेमाल पूर ् वनिर ् धारित होता है उन समूहों और शहरों से जिनमें हम रहते हैं. मैं आज आपको बहुत सारे ग ् राफ ़ (रेखाचित ् र) नहीं दिखाऊँगा, पर अगर मैं एक पल के लिए सिर ् फ इस पर ध ् यान केन ् द ् रित करूँ, तो यह वाकई हमें बहुत कुछ ऐसा बताता है जो हमें जानने की ज ़ रुरत है — जोकि सरल भाषा में यह है, कि अगर आप उदाहरण के लिए, परिवहन को देखें, जो वातावरण के उत ् सर ् जन का एक बड ़ ा वर ् ग है, तो आप पाएंगे कि एक सीधा सम ् बन ् ध है एक शहर की आबादी की सघनता, और उन मौसमी उत ् सर ् जनों के बीच जो उसके निवासी हवा में प ् रवाहित करते हैं. और परस ् पर सम ् बन ् ध वाकई यह है, कि सघन क ् षेत ् रों में उत ् सर ् जन की मात ् रा कम होती है — और अगर आप इसके बारे में सोचें, तो यह समझना कोई बहुत मुश ् किल नहीं है. मूलतः, हम अपने जीवन में, उन चीज ़ ों की प ् रतिस ् थापना करते हैं जिन तक हम पहुंचना चाहते हैं. हम जा कर अपनी कारों में कूद कर बैठते हैं और उन ् हें चला कर जगह जगह जाते हैं. और हम मूल रूप से गतिशीलता का प ् रयोग उस पहुँच के लिए करते हैं जो हमें चाहिए. पर जब हम एक सघन समुदाय में रहते हैं, तब हमें अचानक पता चलता है, सच, कि जो चीज ़ ें हमें चाहियें, वो हमारे पास ही हैं. और क ् यूंकि सबसे चिरस ् थायी यात ् रा वही है जो तुम ् हें करनी ही न पड ़ े, इसलिए अचानक हमारे जीवन भी अधिक चिरस ् थायी हो जाते हैं. और सच तो यह है कि बहुत संभव है, हमारे आस पास के समुदायों की सघनता बढ ़ ाना. कुछ स ् थान ऐसा कर रहे हैं नए पर ् यावरणीय जिले बना कर, जहाँ वो बिलकुल नए चिरस ् थायी मोहल ् ले बना रहे हैं, जोकि अच ् छी बात है अगर आप उसे कर सकें, पर ज ़ ् यादातर समय असल में हम जो बात कर रहे हैं, वो है, उसी शहरी ढाँचे में फेरबदल करने की, जो हमारे पास है. तो हम बातें करते हैं इनफिल विकास की: जोकि तेज ़, छोटे बदलाव हैं इस तरह के कि हम कहाँ इमारतें बनाएं, कहाँ विकास करें. शहरी रेट ् रो-फिट: यानि पुराने में नया फिट करना: कुछ अलग तरह के स ् थान बनाना, और जो स ् थान हैं उनका नए तरह से इस ् तेमाल करना. हम लगातार समझते जा रहे हैं कि हमें एक पूरे शहर को भी सघन करने की ज ़ रुरत नहीं है. बल ् कि हमें तो ज ़ रुरत है एक औसत सघनता की जो इस स ् तर तक बढ ़ जाए जब हमें गाड ़ ी चलाने की ज ़ ् यादा ज ़ रुरत न हो, इत ् यादि. और यह किया जा सकता है कुछ ख ़ ास स ् थलों की सघनता को बहुत ज ़ ् यादा बढ ़ ा कर. तो आप इनकी तुलना कर सकते हैं टेन ् ट के खम ् भों से जो पूरे शहर की सघनता को ऊंचा उठा देते हैं. और हमने देखा है कि जब हम ऐसा करते हैं, तब हम वाकई कुछ ऐसे स ् थान बनाते हैं जो अत ् यंत सघन हैं उन व ् यापक क ् षेत ् रों के बीच में जो शायद थोड ़ े ज ़ ् यादा खुले हुए, आरामदेह हैं और हमें वही परिणाम मिलते हैं. अब यह भी हो सकता है कि हमें ऐसे स ् थान मिलें जो बहुत, बहुत सघन हैं और फिर भी अपनी कारों से जुड ़ े हुए हैं, मगर सच ् चाई यह है कि अधिकतर, जब हम बहुत सारे लोगों को सही स ् थितियों के साथ करीब लाते हैं, तो हम देखते हैं एक सीमारेखा प ् रभाव, जब लोग वाकई गाड ़ ी चलाना कम कर देते हैं, और लगातार, अधिक से अधिक लोग, अगर ऐसी जगहों में होते हैं जो उन ् हें घर का अनुभव देती हैं, गाड ़ ी चलाना बिलकुल ही छोड ़ देते हैं. और यह एक बहुत, बहुत बड ़ ी ऊर ् जा की बचत है, क ् योंकि जो धुआं गाड ़ ी के टेल-पाइप से निकलता है वो तो सिर ् फ कहानी की शुरुआत है — गाड ़ ियों के मौसमी उत ् सर ् जन की. इसके अलावा होता है गाड ़ ी का उत ् पादन, गाड ़ ी की बिक ् री, उनकी पार ् किंग और चौड ़ े रास ् ते और सारा झमेला. जब आप इन सबसे छुट ् टी पा जाते हैं क ् योंकि कोई इन सब का इस ् तेमाल वाकई नहीं करता, तब आप पाते हैं कि आप परिवहन से सम ् बंधित उत ् सर ् जनों को सच में कम कर सकते हैं करीब ९० प ् रतिशत तक. और लोग इसे सच में अपना रहे हैं. पूरे संसार में, अब हम देख रहे हैं कि ज ़ ् यादा से ज ़ ् यादा लोग इस चलने वाली ज ़ िन ् दगी को अपना रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि यह बेहतर घर के सपने को बदल रहा है बेहतर पड ़ ोस के सपने में. और जब आप इस पर एक परत चढ ़ ाते हैं उस तरह के सर ् वव ् यापी संदेशों की, जो अब हमें हर तरफ ़ दिखने लगे हैं, तब आपको दिखता है कि वाकई, स ् थानों में अब बहुत अधिक पहुँच फैल गयी है. उसमें से कुछ है परिवहन की पहुँच. यह एक मैपनिफिसेंट नक ् शा है जो मुझे दिखाता है, इस सन ् दर ् भ में, कि मैं अपने घर से ३० मिनट में कितनी दूर पहुँच सकता हूँ सार ् वजनिक परिवहन का इस ् तेमाल कर के. उसमें से कुछ है चलने के बारे में. अभी सब कुछ दोषरहित नहीं है. यह हैं गूगल चलने के नक ़ ् शे. मैंने पूछा कि बड ़ ी रिजवे को करने का क ् या तरीका है, और इसने मुझे गेर ् नसी की ओर से जाने का रास ् ता बताया. यह ज ़ रूर बताया कि इस रास ् ते पर शायद फुटपाथ या पैदल चलने वालों की पगडंडियाँ नहीं होंगी. (हंसी) पर अब तकनीकें बेहतर होती जा रही हैं, और अब हम इस सञ ् चालन को लोकमत से चलाने लगे हैं. और जैसा कि हमने पहले सुना, वाकई, हम यह भी सीख रहे हैं कि जानकारी को कैसे मूक वस ् तुओं पर प ् रदर ् शित किया जाये. वो वस ् तुएं जिनमें कोई भी तार आदि नहीं हैं, उन ् हें भी हम शामिल करना सीख रहे हैं इन नए संकेत और सञ ् चालन के तरीकों में. जो हम सीख रहे हैं, उसका एक भाग यह भी है कि जो हमारे हिसाब से मुख ् य सार था उत ् पादन और उपभोग का, कि कैसे बहुत सारी चीज ़ ें प ् राप ् त की जाएँ, वाकई में वो तरीका नहीं है, जिससे हम सघन इलाकों में अच ् छी तरह से रहते हैं. हमें पता चल रहा है कि हम चाहते हैं चीज ़ ों की क ् षमता तक अपनी पहुँच. मेरा बेहतरीन उदाहरण है एक ड ् रिल (छेदन यन ् त ् र). यहाँ किस के पास है एक ड ् रिल, एक घरेलू पॉवर ड ् रिल? ओके. मेरे पास भी है. सामान ् य घरेलू पॉवर ड ् रिल करीब ६ और २० मिनिट के बीच इस ् तेमाल होती है अपने पूरे जीवन में, अलग अलग तरह के लोगों के हाथों में. और हम क ् या करते हैं कि यह ड ् रिल खरीदते हैं जिसकी संभावित शक ् ति करीब हज ़ ारों घंटों का ड ् रिल-समय होती है, उसे एक या दो बार दीवार में छेद करने के लिए इस ् तेमाल करते हैं और फिर छोड ़ देते हैं. इसी तरह, मैं आपसे कहूँगा, हमारे शहर भी ज ़ रुरत से ज ़ ् यादा क ् षमताओं के भण ् डार हैं. और हांलाकि हम कोशिश कर सकते हैं कि इन क ् षमताओं को इस ् तेमाल करने के नए तरीके ढूँढें — जैसे कि खाना बनाना या बर ् फ की प ् रतिमा बनाना या फिर माफिया की टक ् कर भी — पर शायद हमें पता चलेगा कि असल में इन उत ् पादों को सेवाओं में बदलना जिन ् हें हम जब चाहें इस ् तेमाल कर पाएं, वाकई कहीं अधिक चतुर तरीका है. असल में, स ् थान भी अब एक सेवा में बदलता जा रहा है. हम देख रहे हैं कि लोग एक ही स ् थान को बाँट सकते हैं, खाली स ् थान के साथ कई काम कर सकते हैं. इमारतें अब सेवाओं की पोटली बनती जा रही हैं. अब हमारे पास नए डिज ़ ाइन हैं जो हमें उन यांत ् रिक चीज ़ ों को, जिन पर हम पहले बहुत ताकत लगाते थे — जैसे गर ् माहट या शीतलन आदि — ऐसी चीज ़ ों में बदलने में मदद करते हैं जिन पर हम कोई ताकत नहीं खर ् च करते. तो हम अपनी इमारतों को दिन के उजाले से प ् रकाशित करते हैं. हम उन ् हें हवाओं से ठंडा करते हैं. हम उन ् हें धूप से गरम करते हैं. असलियत में, जब हम यह सब करते हैं, तो हमने देखा है कि कुछ मामलों में, एक इमारत का ऊर ् जा- उपयोग ९० प ् रतिशत तक भी गिर सकता है. जिससे दूसरा सीमारेखा प ् रभाव निकलता है मैं उसे भट ् टी का मूल ् य गिराना कहूँगा, जोकि यह है कि अगर आपके पास ऐसी इमारत है जिसे भट ् टी से गर ् म होने की ज ़ रुरत नहीं है, तो आप सीधे सीधे ही काफी पैसे बचा लेते हैं. यह चीज ़ ें वाकई बनाने में ज ् यादा सस ् ती हो जाती हैं बाकी विकल ् पों के मुकाबले. अब जब हम यह काबिलियत देखते हैं कम उत ् पाद इस ् तेमाल करने की, कम वाहन इस ् तेमाल करने की, इमारत में कम ऊर ् जा इस ् तेमाल करने की, तो यह सब बहुत अच ् छा है, पर फिर भी पीछे कुछ छूट जाता है. और अगर हम वाकई, सचमुच चिरस ् थायी शहर बनाना चाहते हैं, तो हमें कुछ अलग तरह से सोचना होगा. ऐसा करने का एक तरीका है. वैनकूवर ने प ् रचार किया है कि वह कितना हरा शहर है. और वाकई बहुत से लोगों के दिल में यह बात घर कर गयी है कि एक चिरस ् थायी शहर का हरा-भरा होना बहुत ज ़ रूरी है. तो हम इस तरह की कल ् पना करते हैं. हम इस तरह के सपने देखते हैं. इस तरह की कल ् पना करते हैं. ये सब बहुत अच ् छी योजनायें हैं. पर इन सब में एक बहुत महत ् त ् वपूर ् ण बात चूक गयी है, जो सिर ् फ ऊपर की पत ् तियों के बारे में नहीं है, बल ् कि अन ् दर की व ् यवस ् थाओं के बारे में है. उदाहरण के लिए, क ् या वो बारिश के पानी को बचाते हैं जिससे पानी की बचत हो सके? पानी ऊर ् जा का गहन प ् रयोग है. क ् या वो शायद मूलभूत व ् यवस ् थाओं के मामले में हरे हैं, ताकि हम बाढ ़ को इस ् तेमाल कर सकें और उस पानी को भी जो हमारे घरों से निकलता है और उन ् हें साफ ़ कर के और छान कर के शहर की सड ़ कों पर पेड ़ उगा सकें? क ् या वो हमें हमारे चारों ओर के ईको-सिस ् टम (परितंत ् र) से जोड ़ ते हैं जैसे, उदाहरणार ् थ, हमें नदियों से जोड ़ कर और पुनःस ् थापन की अनुमति दे कर? क ् या वो पौलिनेशन की अनुमति देते हैं, पौलिनेटर पथ बना कर ताकि मधुमक ् खियाँ और तितलियाँ आदि हमारे शहरों में वापस आ सकें? क ् या वो कभी उस रद ् दी-करकट को लेते हैं जो हमारे खाने और रेशों आदि से निकलता है, और उसे वापस खाद में बदलते हैं और कार ् बन को पृथक करते हैं — हवा से कार ् बन को निकल कर जब हमारे शहरों का इस ् तेमाल हो रहा हो, तब? मैं आपसे कहना चाहूँगा कि ये सब चीज ़ ें अब सिर ् फ मुमकिन ही नहीं हैं, बल ् कि अब करी भी जा रही हैं, और यह बहुत ही बढ ़ िया बात है. क ् योंकि इस समय, हमारी अर ् थव ् यवस ् था कुल मिला कर ऐसे चलती है जैसे पॉल हौकेन ने कहा था, "" भविष ् य को चुरा कर, वर ् तमान में बेच कर और उसे जी डी पी (सकल घरेलू उत ् पाद) का नाम दे कर. "" और अगर हमारे पास आठ अरब अतिरिक ् त या सात अरब, या ६ अरब भी अतिरिक ् त लोग हों, एक ग ् रह के निवासी, जिनके शहर भी उनका भविष ् य चुरा रहे हों, तो हम अपने भविष ् य को बहुत जल ् दी खो देंगे. पर अगर हम अलग तरीके से सोचें, तो मुझे लगता है कि वाकई में हम ऐसे शहर बना सकते हैं जहाँ न सिर ् फ कोई उत ् सर ् जन न होगा, बल ् कि अंतहीन संभावनाएं भी होंगी. बहुत बहुत धन ् यवाद. (तालियाँ) तो मैने सोचा, "" मैं मौत पर बात करूँगी । "" आज का ख़ास विषय यही लगता है । असल में, मेरी बात मौत के बारे में नहीं है । वो तो होगी ही । मै ये कहना चाहती हूँ कि मैं हैरान हूँ उस अमूल ् य विरासत पर लोग अपने पीछे छोड जाते हैं और में उस पर ही कुछ कहना चाहती हूँ । आर ् ट बुच ् वल ् ड अपनी हास ् य की विरासत को एक विडियो में छोड गये जो उन ् के मरने के बाद आया । मरते वक ् त वो बोले, "हेलो! मैं आर ् ट बुच ् वल ् ड हूँ और मैं बस अभी अभी मरा हूँ ।" और माइक, जो मुझे गुल ् पगोस में मिले, जो टेड आयोजित यात ् रा थी, वो इंटरनेट पर अपनी डायरी लिख रहे हैं कैंसर से अपनी लडाई की कहानी कहते हुये । और मेरे पिता हाथ की लिखाई की विरासत छोड गये चिट ् ठियों और एक नोटबुक के ज़रिये । अपने आख़िरी दो सालों में, जो बीमारी में बीते उन ् होंने मुझ पर अपने विचारों से एक नोटबुक भर डाली । उन ् होनें मेरी अच ् छाईयों और कमियों पर लिखा, और सुधार के नुस ् ख़े सुझाये, ख़ास किस ् सों की याद दिलाते हुए, और मुझे आइना सा दिखाते रहे । जब वो चले गये, मैने पाया कि कोई मुझे चिट ् ठी ही नहीं लिखता हाथ-की-लिखाई लुप ् त होती कला हो गयी है । मतलब ईमेल और सोचते हुये टाइप करते जान बढिया है मगर पुरानी आदतों को नई के लिये क ् यों दरकिनार कर दें? हम चिट ् ठियाँ और ईमेल दोनों ही क ् यूंँ नहीं लिख सकते हैं? कभी कभी लगता है कि वो सारे साल जो व ् यस ् तता में बिना पिता से बात किये, हँसे-बोले निकल गये कोई ले ले, और बस एक बार उन ् हें कस के गले लगाने दे, मगर अब देर हो चुकी है । मगर इन ् हीं लम ् हों में मैं उनके लिखे ख़त निकाल कर पढती हूँ, और वो काग़ज़ के टुकडे जो उन ् होंने छुये थे, उन ् हें छू कर उनसे जुडाव महसूस करती हूँ । हो सकता है कि हम सब को अपने बच ् चों के लिये कुछ ज़ायदाद छोड ् नी ही चाहिये, - रुपये-पैसे के अलावा अपनेपन से भरी चीजों की कद ् र — कोई ऑटोग ् राफ़ की किताब, कोई छू जाने वाली चिट ् ठी टेड में आये महत ् वपूर ् ण लोगों में से केवल कुछ ही अगर सुंदर सा काग़ज़ ले कर — — जॉन, ये रि-सायकल ् ड होगा — एक ख़ूबसूरत सा ख़त लिखें किसी को जिस से प ् यार हो, हो सकता है कि हम एक बदलाव ले आयें जहाँ हमारे बच ् चे बकायदा सुलेख सीखने लगें । तो मेरा क ् या प ् लान है अपने बेटे के लिये? -आटोग ् राफ़ जोडना । और यहाँ आये लेखकों को मैं उनके लिये तंग भी कर चुकी हूँ — और सी डी भी, (ट ् रेसी!) मैं अपनी नोटबुक छपवाना चाहती हूँ । जब मैने अपने पिता के शरीर को अग ् नि के हवाले होते देखा, मैंने उनकी चिता के पास बैठ कर लिखा । जाने कैसे ये होगा पर मैं अपने और पिता के विचारों को एकत ् र करूँगी एक किताब में और उसे अपने बेटे के लिये छपवा कर छोड जाऊँगी । अंत में अपनी कुछ पंक ् तियाँ कहूँगी जो मैने पिता कें अंतिम संस ् कार पर लिखीं भाषाविद मेरी भूलों को माफ़ करें, क ् योंकि पिछले दस सालों में मैने इन ् हें कभी नहीं खोला और आज यहाँ आने के लिये ही ख़ास निकाला । फ़ ् रेम में तस ् वीर, बोतल में राख़, बोतल मॆ जैसे भर दी हो आग़, खोले असलियत का ढक ् कन, कहती देखो, आया बडप ् प ् न, तुम देते सुनाई, मुझे होना है दृढ, मगर दम है घुट ् ता, जाती हूँ लड भावनाओं से भरे - दहाडते ये समंदर, रूह को भिगोते, उभरते इस कदर फिर बढी हूं आगे, निखरती निडर जैसा तुमने कहा दिन भर हर पहर । हौसलों की फ़ुस ् फ़ुसाहट, मेरे गम-भँवर में, तुम ् हीं हो वो नौका, ले चलो तक सहर, जिये जाना अच ् छा निरंतर निरंतर । "" धन ् यवाद! मैं आज मेरे काम से साथ जुड ़ े मॉडल के कुछ एक वीडियो दिखाना चाहती हूँ वे सभी सही आकार में हैं, और उन ् मे वसा का एक औंस भी नहीं है क ् या मैंने उल ् लेख किया था वे बहुत खूबसूरत हैं? और वे वैज ् ञानिक मॉडल हैं? (हंसते हुए) जैसा कि आप अंदाज ़ ा लगा सकते हैं, मैं एक ऊतक इंजीनियर हूँ, और यह दिल की धड ़ कन का एक वीडियो है जिसे मैंने प ् रयोगशाला में बनाया है. और हमें उम ् मीद है कि एक दिन ये ऊतक मानव शरीर के लिए प ् रतिस ् थापन भागों के रूप में सेवा कर सकते हैं. लेकिन मैं तुम ् हें आज जिसके बारे में बताने जा रही हूँ कि कैसे इन ऊतकों से कमाल के मॉडल बनाते है. ठीक है, चलो एक पल के लिए दवा स ् क ् रीनिंग की प ् रक ् रिया के बारे में सोचते हैं. आप दवा तैयार करने, प ् रयोगशाला परीक ् षण, पशु परीक ् षण से गुजरते हैं, और फिर नैदानिक परीक ् षण, जिसे आप मानव परीक ् षण कह सकते हो, दवाओं के बाजार में आने से पहले किया जाता है. जिसमें पैसे की, समय की बहुत लागत आती है, और कभी कभी, यहाँ तक कि जब एक दवा बाजार में आती है, तो वह अप ् रत ् याशित रूप से भी कार ् य करती है और वास ् तव में लोगों को नुकसान पहुंचाती हैं. और बाद में यह विफल रहती है, तो बुरे परिणाम होते हैं. यह सब दो मुद ् दों में सिमट जाता हैं. एक, मनुष ् य चूहे नहीं हैं, और दो, एक दूसरे के लिए हमारे अविश ् वसनीय समानता के बावजूद, तुम ् हारे और मेरे बीच के वास ् तव में छोटे अंतर बहुत प ् रभावी हैं कि कैसे हम दवाओं पचाते हैं और वो दवाएं हमें कैसे प ् रभावित करती हैं. तो अगर हमारी प ् रयोगशाला में बेहतर मॉडल होते जो हमें न केवल चूहों की तुलना में बेहतर नकल कर सकते हैं लेकिन हमारी विविधता को दर ् शायें? चलो देखते हैं कि हम इसे कैसे ऊतक इंजीनियरिंग के साथ कर सकते हैं. महत ् वपूर ् ण प ् रौद ् योगिकियों में एक जो वास ् तव में महत ् वपूर ् ण है -जिसे प ् रेरित pluripotent स ् टेम सेल कहा जाता है. वे बहुत हाल ही में जापान में विकसित किया गया है. ठीक है, प ् रेरित pluripotent स ् टेम सेल. वे भ ् रूण स ् टेम कोशिकाओं की तरह बहुत कुछ कर रहे हैं विवाद को छोड ़ कर. हम कोशिकाओं को प ् रेरित करके, ठीक है, उदाहरण के लिए, त ् वचा कोशिकाएं, उन ् हे मैं कुछ जीन जोड ़ कर, उन ् हें संवर ् धन के द ् वारा, और फिर उन ् हें कटाई करेंगे. इसलिए वे त ् वचा कोशिकाओं को धोखा दिया जा सकता है, सेलुलर भूलने की बीमारी की तरह, एक भ ् रूण अवस ् था में की तरह. तो विवाद के बिना, यह एक अच ् छी बात है. और दूसरी बात, आप ऊतक के किसी भी प ् रकार का विकास कर सकते हैं उनमें से: मस ् तिष ् क, हृदय, जिगर, क ् या तस ् वीर आपके सामने आ रही है, लेकिन यह सब अपने ही कोशिकाओं से. तो हम अपने दिल, अपने मस ् तिष ् क का एक मॉडल बना सकते हैं, एक चिप पर. उम ् मीद के मुताबिक घनत ् व और व ् यवहार के ऊतक बनाना दूसरा भाग है, और वास ् तव में महत ् वपूर ् ण हो जाएगा इन मॉडलों को दवाओं की खोज के लिए अपनाने की दिशा में. और यह एक bioreactor की रुपरेखा हैं जिसे हम प ् रयोगशाला में विकसित कर रहे हैं अधिक मॉड ् यूलर, स ् केलेबल रास ् ते में ऊतकों को बनाने में मदद के लिए. भविष ् य में, एक व ् यापक समानांतर संस ् करण की कल ् पना कीजिये मानव ऊतकों के हजारों टुकड़ों के साथ. यह एक चिप पर एक नैदानिक परीक ् षण होने की तरह होगा. लेकिन इन प ् रेरित pluripotent स ् टेम सेल के बारे में एक और बात वह यह है कि अगर हम कुछ त ् वचा कोशिकाओं ले, चलो मान ले, एक आनुवांशिक बीमारी से ग ् रसित लोगों से और हम उनके ऊतकों को इंजीनियरिंग करते हैं, हम वास ् तव में ऊतक इंजीनियरिंग तकनीक का उपयोग कर सकते हैं प ् रयोगशाला में उन बीमारियों के मॉडल उत ् पन ् न करने में. यहाँ हार ् वर ् ड में केविन एगान प ् रयोगशाला से एक उदाहरण है. उन ् होंने न ् यूरॉन ् स उत ् पन ् न किये इन प ् रेरित pluripotent स ् टेम सेल से रोगियों से जो Lou Gehrig के रोग से पीड़ित है, और वह उन ् हें न ् यूरॉन ् स में तबदील कराते है, और क ् या आश ् चर ् यजनक है यह है कि ये न ् यूरॉन ् स भी इस रोग के लक ् षण दिखाते है. तो इस तरह के मॉडल के साथ, हम वापस लड ़ सकते हैं कभी पहले की तुलना में तेजी से और रोग बेहतर ढंग से समझने में पहले की तुलना में, और शायद दवाओं की खोज भी तेजी से हों. यह रोगी विशेष स ् टेम कोशिकाओं का एक और उदाहरण है रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा से ग ् रसित ऊतक से बनाये गए थे. यह रेटिना के अध: पतन है. यह एक रोग है जो कि मेरे परिवार में चलता है, और हम सच में आशा करते है कि इन जैसे कोशिकाओं से हमें एक इलाज खोजने में मदद मिलेगी. तो कुछ लोगों को लगता है कि इन मॉडलों को और अच ् छी तरह से इस ् तमाल किया जा सकता है, लेकिन पूछते हैं, "" खैर, क ् या ये सच में चूहे की तरह अच ् छे हैं? "" चूहा एक पूरा जीव है, आखिर में, अंगों के आपस में बात करते नेटवर ् क के साथ. दिल के लिए एक दवा जिगर में परिवर ् तित हो सकती है, और byproducts कुछ वसा में संग ् रहित किये जा सकते है क ् या ये सभी इन ऊतक इंजीनियरड मॉडलों के साथ नहीं होता? खैर, इस क ् षेत ् र में एक और प ् रवृत ् ति है. Microfluidics के साथ ऊतक इंजीनियरिंग तकनीक के संयोजन के द ् वारा, क ् षेत ् र वास ् तव में इसी दिशा में विकसित हो रहा है कि, शरीर के पूरे पारिस ् थितिकी तंत ् र की एक मॉडल, कई अंग प ् रणालियों के साथ संपूर ् ण यह परीक ् षण करने में सक ् षम हो कि कैसे एक दवा जो आप अपने रक ् तचाप के लिये लेते हों, आपके जिगर को प ् रभावित कर सकती है या एक antidepressant आपके दिल को प ् रभावित कर सकता है. ये प ् रणाली वास ् तव में निर ् माण करना मुश ् किल हैं, लेकिन हम उसे पाने के लिए सक ् षम होने के लिए शुरू कर चुके हैं, और हां, तो देखते रहो. लेकिन वह भी यह सब नहीं है, क ् योंकि एक बार एक दवा को मंजूरी दे दी है, ऊतक इंजीनियरिंग तकनीक वास ् तव में अधिक व ् यक ् तिगत उपचार विकसित करने के लिए मदद कर सकती हैं. यह एक उदाहरण है कि आप इसके बारे में किसी दिन सोचेगे, और मुझे आशा है कि आप कभी नहीं करे, क ् योंकि सोचियें अगर तुम ् हें कभी कॉल आता है जो आपको बुरी खबर देता हैं कि आपको कैंसर हो सकता है. क ् या आप उन कैंसर दवाओं को परीक ् षण करना नहीं चाहोंगे अगर आप जो लेने वाले हैं वो कैंसर पर काम करने वाली हैं? यह करेन Burg प ् रयोगशाला से एक उदाहरण है, जहां वे inkjet प ् रौद ् योगिकी का उपयोग कर स ् तन कैंसर की कोशिकाओं प ् रिंट और उनके बढ ़ ाव और उपचार का अध ् ययन कर रहे हैं. और Tufts में हमारे सहयोगी मॉडलो को मिश ् रित कर रहे हैं इन जैसे ऊतक इंजीनियरड हड ् डी के साथ ये देखने के लिए कि कैसे कैंसर शरीर के एक भाग से दूसरे में फैल सकता है, और आप बहु-ऊतक चिप ् स के उन प ् रकार की कल ् पना कर सकते हैं जो इस प ् रकार के अध ् ययन की अगली पीढ ़ ी हो. और मॉडल जिनकी कि हमने अभी चर ् चा की है उनके बारे में सोचते है, आप देख सकते हैं, भविष ् य में, ऊतक इंजीनियरिंग वास ् तव में दवा स ् क ् रीनिंग में क ् रांतिकारी बदलाव में मदद करने वाली हैं पथ के हर कदम पर: रोग मॉडल बेहतर दवा फार ् मूलों के लिए बन रही है, व ् यापक समानांतर मानव ऊतकों मॉडल, प ् रयोगशाला परीक ् षण में क ् रांतिकारी बदलाव के लिए मदद के लिए, नैदानिक परीक ् षणों में जानवर और मानव परीक ् षण को कम करने के लिए, और चिकित ् सा को व ् यक ् तिगत करने में जो बाधित करती हैं जो हम किसी दिन बाजार में लाने पर विचार करें. मूलतः, हम नाटकीय रूप से उस प ् रतिक ् रिया को तेज कर रहे हैं जो एक अणु के विकास और यह मानव शरीर में कैसे काम करता है के बारे में सीखने के बीच हैं यह करने के लिए हमारी प ् रक ् रिया अनिवार ् य रूप से बदल रही है जैव प ् रौद ् योगिकी और औषध विज ् ञान को सूचना प ् रौद ् योगिकी में, हमे दवाओं की जल ् दी खोज और मूल ् यांकन करने में मदद कर रही हैं अधिक सस ् ते और अधिक प ् रभावी ढंग से. यह मॉडल के लिए पशु परीक ् षण के खिलाफ नया अर ् थ देता है, क ् या यह वह नहीं करता है? धन ् यवाद. (तालियाँ) दो हफ ् ते पहले मैं पैरिस के अपने स ् टूडियो में था, और फ ़ ोन बजा और मैंने सुना, "" अरे, जे आर, तुम ् हें २०११ का टेड प ् राइज ़ मिल गया है. तुम ् हें दुनिया को बचाने के लिए एक कामना करनी है. "" मैं हैरान हो गया. मैं दुनिया को कहाँ बचाऊँगा; कोई भी नहीं बचा सकता. दुनिया के तो बुरे हाल हैं. देखो न, तानाशाह दुनिया भर में राज कर रहे हैं, आबादी लाखों में बढती जा रही है, समुद ् र में कोई मछली नहीं बची, उत ् तरी ध ् रुव पिघल रहा है, और जैसा कि पिछले टेड प ् राइज ़ विजेता ने कहा, हम सब मोटे होते जा रहे हैं. (हंसी) शायद फ ् रेंच लोगों को छोड ़ कर. खैर जो भी हो. तो मैंने फ ़ ोन वापस घुमाया और उनसे कहा, "" देखो एमी, टेड वालों से बोल दो मैं आऊँगा ही नहीं. मैं दुनिया को बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर सकता. "" उसने कहा, "" अरे, जे आर, तुम ् हारी कामना दुनिया को बचाने के लिए नहीं, उसे बदलने के लिए है. "" "ओह, फिर ठीक है." (हंसी) "यह तो मजेदार है." मेरा मतलब टेक ् नोलोजी, राजनीति, उद ् योग दुनिया को बदलते तो हैं — हमेशा सही ढंग से नहीं, पर बदलते तो हैं. तो कला का क ् या? क ् या कला दुनिया को बदल सकती है? मैंने उसे १५ साल की उम ् र से शुरू किया. और उस समय मैं दुनिया को बदलने के बारे में नहीं सोच रहा था. मैं तो ग ् राफिटी कर रहा था... दीवारों पर हर जगह अपना नाम लिखते हुए, पूरे शहर को अपना कैनवस बना रहा था. मैं पैरिस की सुरंगों में जा रहा था, उसकी छतों पर भी, अपने दोस ् तों के साथ. हर अवसर एक सैर जैसा था, एक दुस ् साहसी अनुभव. वो समाज पर अपनी छाप छोड ़ ने जैसा काम था, जैसे किसी इमारत के ऊपर कहना हो, "" मैं यहाँ था "". तो जब मुझे एक दिन ट ् रेन में एक सस ् ता कैमरा पड ़ ा मिला, तब मैंने अपने मित ् रों के साथ हुए इन अनुभवों को उस पर उतारना शुरू किया और उन ् हें फोटो-कॉपी बना कर वापस देना भी — वाकई छोटे फोटो, बस इतने बड ़ े. और इसी तरह, १७ साल की उम ् र में, ने उन ् हें चिपकाना शुरू किया. और मैंने अपना पहला 'एक ् सपो-दे-रू' किया, जिसका मतलब है फुटपाथ की प ् रदर ् शनी. और मैंने उसे रंगीन फ ् रेम दिया ताकि लोग उसे विज ् ञापन समझने की भूल न करें. मेरा मतलब है, शहर मेरी निगाह में सबसे बेहतरीन प ् रदर ् शन-स ् थल है. मुझे कभी भी किताब बना कर किसी प ् रदर ् शन-स ् थल को देने की ज ़ रुरत नहीं पड ़ ी कि वो निश ् चय करें कि मेरा काम लोगों को दिखाने लायक था कि नहीं. मैं तो सीधे जनता के साथ उसे परखता गलियों में. तो यह है पैरिस. मैं बदल देता था — हम जहाँ जा रहे हों, उसके हिसाब से — अपनी प ् रदर ् शनी का नाम. यह है शौं एलिज ़ ी पर. इस पर मुझे काफी गर ् व था. क ् योंकि मैं सिर ् फ १८ बरस का था और मैं शौं एलिज ़ ी के ठीक ऊपर लगा था. फिर जब फोटो निकल गया, तब भी फ ् रेम वहीँ लगा रहा. (हंसी) नवम ् बर २००५: सड ़ कों पर आग लगी हुई है. दंगे-फसाद की एक लहर पैरिस के पहले प ् रोजेक ् ट ् स में फ ़ ैल गयी थी. हरेक व ् यक ् ति टीवी पर जमा हुआ था, वो दुखद, भयावनी तसवीरें देखते हुए जो मोहल ् लों की सीमाओं से ली गयी थीं. मेरा मतलब है, ये जवान बच ् चे, काबू से बाहर, पेट ् रोल बम फ ़ ेंक रहे थे, पुलिस और दमकल वालों पर, और दुकानों से जो भी लूट सकते थे, लूट रहे थे. यह थे अपराधी, उचक ् के, खतरनाक लोग अपने वातावरण को फैलाते हुए लोग. और अचानक मैंने देखा — क ् या यह मुमकिन था? — एक दीवार पर मेरा लगाया फोटो एक जलती हुई कार से प ् रकाशित — जो मैंने करीब एक साल पहले लगाया था — गैर कानूनी — मगर वहीँ लगा हुआ. मेरा मतलब, यह मेरे दोस ् तों के चेहरे थे. मैं इन लोगों को जानता था. यह सब फ ़ रिश ् ते नहीं हैं, मगर राक ् षस भी नहीं हैं. तो बड ़ ा अजीब सा लग रहा था उन तस ् वीरों और उन आँखों का टीवी से मेरी तरफ देखना. तो मैं वापस वहाँ गया एक २८ मिमी लेंस के साथ. उस वक ़ ् त मेरे पास वही लेंस था. मगर उस लेंस के साथ, चेहरे से सिर ् फ १० इंच की दूरी रखनी पड ़ ती है. इसलिए यह फोटो सिर ् फ उनके भरोसे से ही लिया जा सकता है. तो मैंने ला बस ् क ् वे के लोगों की चार तस ् वीरें लीं. वो डरावने चेहरे बना रहे थे अपने आप को हास ् यास ् पद दिखने के लिए. और फिर मैंने उनके बड ़ े बड ़ े पोस ् टर हर जगह लगाए पैरिस के मध ् यवर ् गी इलाकों में उनके नाम, उम ् र, बिल ् डिंग नंबर तक के साथ हर व ् यक ् ति के. एक साल बाद, वो प ् रदर ् शनी पैरिस के सिटी हॉल के ठीक सामने लगाई गयी. और हम उन तस ् वीरों से आगे बढ ़ ते हैं, जिन ् हें मीडिया ने चुरा कर उनका रूप विकृत कर दिया है, और पाते हैं कि वो लोग अब गर ् व से अपनी तस ् वीरों के अधिकारी बन रहे हैं. उस वक ़ ् त मैंने समझा कागज ़ और गोंद का महत ् व. तो क ् या कला दुनिया को बदल सकती है? एक साल बाद, मैं सारा शोर सुन रहा था मध ् य-पूर ् वी क ् षेत ् र के संघर ् ष के बारे में. मेरा मतलब, उस समय, सही मानिए, सब लोग सिर ् फ इजराइल और फिलिस ् तीन के संघर ् ष की बात ही कर रहे थे. तो अपने दोस ् त मार ् को के साथ मैंने वहाँ जाने का निर ् णय लिया ताकि हम देख सकें कि कौन असली फिलिस ् तीनी हैं और कौन असली इजराइली. क ् या वो इतने अलग हैं? जब हम वहाँ पहुंचे, तो गलियों में निकल गए, और हर जगह लोगों के साथ बात करने लगे, और हमने जाना कि असली स ् थिति काफी फ ़ र ् क थी उस प ् रचार से जो हमने मीडिया में सुना था. तो हमने निश ् चय किया कि हम तसवीरें लेंगे फिलिस ् तीनी और इजराइली — दोनों लोगों की — जो एक ही धंधे में हैं — टैक ् सी-चालक, वकील, बावर ् ची. और हमने उनसे एक ख ़ ास तरह का चेहरा बनाने को कहा, वायदे के तौर पर. मुस ् कान नहीं — उससे वाकई नहीं पता चलता कि आप कौन हैं और कैसा महसूस कर रहे हैं. सबने मंज ़ ूर कर लिया कि एक दूसरे के साथ उनकी तस ् वीर लगाई जाए. मैंने उन तस ् वीरों को चिपकाने का निर ् णय लिया आठ इजराइली और फिलिस ् तीनी शहरों में और सरहद के दोनों तरफ. इस तरह हमने सबसे बड ़ ी गैरकानूनी कला- प ् रदर ् शनी शुरू कर दी. हमने उसे नाम दिया — प ् रोजेक ् ट आमने-सामने. विशेषज ् ञों ने कहा, "" कभी नहीं. लोग कभी नहीं स ् वीकार करेंगे. फ ़ ौज तुम पर गोली चलाएगी, और हमस वाले तुम ् हारा अपहरण कर लेंगे. "" हमने कहा, "" चलो, कर के तो देख ही लेते हैं कि कहाँ तक पहुँचते हैं. "" मुझे बहुत अच ् छा लगता है जब लोग पूछते हैं, "मेरा फोटो कितना बड ़ ा होगा?" तुम ् हारे घर जितना बड ़ ा होगा भई. "" जब हमने सरहद की दीवार पर काम शुरू किया, तो पहले फिलिस ् तीनी ओर से. तो हम बस अपनी सीढ ़ ियाँ ले कर पहुँच गए और फिर हमने देखा कि उनकी ऊँचाई कम पड ़ रही थी. तो फिलिस ् तीनी लोग कहते हैं, "शांत रहो. नहीं, रुको. हम तरीका ढूँढ निकालेंगे." और एक आदमी बाल यीशु के चर ् च तक गया और एक पुरानी सीढ ़ ी ले कर आया जो इतनी पुरानी थी कि शायद यीशु के जन ् म के समय भी वहीँ रही होगी. (हंसी) हमने पूरा प ् रोजेक ् ट आमने-सामने समाप ् त किया, और हमारे पास थे सिर ् फ ६ दोस ् त, दो सीढ ़ ियाँ, दो ब ् रश, एक किराए की कार, एक कैमरा और २०००० वर ् गफुट कागज ़. हमें तरह-तरह की मदद मिली तरह-तरह के लोगों से. जैसे देखिये, उदाहरण के तौर पर, ये फिलिस ् तीन है. हम इस समय रमल ् लाह में हैं. हम तसवीरें चिपका रहे हैं — ताकि दोनों चित ् र सड ़ कों पर दिखाई दें, इस भीड ़ -भाड ़ वाले बाज ़ ार में. लोग हमें घेर कर पूछने लगते हैं, "तुम लोग यहाँ क ् या कर रहे हो?" "" ओह, हम लोग एक कला-परियोजना कर रहे हैं और हम एक ही धंधा कर रहे एक इजराइली और एक फिलिस ् तीनी को यहाँ लगा रहे हैं. जैसे ये दोनों लोग दो टैक ् सी-चालक हैं. "" इन शब ् दों के बाद हमेशा एक सन ् नाटा होता था. "" तुम ् हारा मतलब तुम एक इजराइली चेहरा चिपका रहे हो — ठीक यहाँ पर? "" "जी हाँ, बराबर, बराबर, यह इस परियोजना का हिस ् सा है." और मैं हमेशा एक पल ठहरता था, और फिर हम उन लोगों से पूछते थे, "तो क ् या आप बता सकते हैं कि कौन कहाँ से है?" और अधिकतर लोग नहीं बता पाते थे. (तालियाँ) हमने इजराइल की फौजी मीनारों पर भी तसवीरें चिपका दीं, और कुछ नहीं हुआ. जब आप एक तस ् वीर चिपकाते हैं, तो वो सिर ् फ कागज ़ और गोंद होती है. लोग उसे फाड ़ सकते हैं, उस के ऊपर कुछ और लगा सकते हैं, या उस पर पेशाब भी कर सकते हैं — हाँलाकि कुछ ज ़ रा ऊंची लगी होती हैं इसके लिए, मगर सड ़ क पर चलते लोग, वही असली संरक ् षक होते हैं. बारिश और हवा वैसे भी उन ् हें नष ् ट कर देगी. वो हमेशा के लिए तो लगी नहीं रहने वाली. पर ठीक चार साल बाद भी, वो तस ् वीरें, अधिकतर अभी भी वहीं हैं. आमने-सामने ने प ् रमाणित कर दिया, कि जो हम नामुमकिन समझते थे वो मुमकिन था — और पता है आपको, आसान भी. हमने कोई सीमा नहीं तोड ़ ी, हमने बस यह दिखा दिया कि हम लोगों की उम ् मीदों से कहीं आगे हैं. मध ् य-पूर ् वी क ् षेत ् र में मैंने अपने काम का तजुर ् बा किया ऐसी जगहों पर जहाँ (ज ् यादा) संग ् रहालय नहीं थे. इसीलिये सड ़ कों से मिली यह जानकारी मेरे लिए बहुत दिलचस ् प थी. तो मैंने इस दिशा में आगे जाने का निर ् णय ले लिया और उन जगहों में जाने का, जहाँ कोई भी संग ् रहालय नहीं है. जब आप इन विकासशील इलाकों में जाते हैं, तो वहाँ औरतें अपने समुदायों की बुनियाद होती हैं, पर आदमी अभी भी सड ़ कों के मालिक होते हैं. तो हमें एक ऐसा प ् रोजेक ् ट करने की इच ् छा हुई जहां सब आदमी औरतों के लिए अपना आभार प ् रकट करेंगे उनकी तस ् वीरें लगा कर. मैंने इस प ् रोजेक ् ट को नाम दिया 'नारियाँ हैं सर ् वोत ् तम'. जब मैंने वो सारी कहानियाँ सुनीं, सारे महादेशों में घूमते हुए, तब मैं अक ् सर नहीं समझ पाता था उनके संघर ् ष के पेचीदा हालात, मैं सिर ् फ ध ् यान से देखता था. कभी कभी कोई शब ् द नहीं होते थे, कोई वाक ् य नहीं, सिर ् फ आंसू. मैं सिर ् फ उनकी तसवीरें उतारता और चिपका देता था. 'नारियाँ हैं सर ् वोत ् तम' मुझे सारे विश ् व में ले गया. अधिकतर उन जगहों पर जहाँ मैं गया मैंने इसलिए जाने का निर ् णय लिया क ् योंकि मैंने मीडिया के द ् वारा उनके बारे में सुना था. जैसे कि, जून २००८ में मैं पैरिस में बैठा टीवी देख रहा था, जब मैंने वो भयानक खबर सुनी जो रिओ द जनिरो में हुई थी. ब ् राजील के प ् रोविदेंसिया नामक पहले मोहल ् ले में. तीन बच ् चे — वो तीनों छात ् र थे — फ ़ ौज के द ् वारा रोक लिए गए क ् योंकि उनके पास अपने कागजात नहीं थे. और फ ़ ौजी उन ् हें पकड ़ कर, उन ् हें पुलिस स ् टेशन ले जाने के बजाय, एक विरोधी मोहल ् ले में ले गए जहां उन ् हें छोटे छोटे टुकड ़ ों में काट दिया गया. इस खबर ने मुझे दहला दिया. सारे ब ् राज ़ ील को दहला दिया. मुझे पता लगा कि वह सबसे ज ् यादा हिंसापूर ् ण मोहल ् लों में से एक था, क ् योंकि नशीले पदार ् थों के व ् यापारियों का सबसे बड ़ ा समूह उस को चलाता है. तो मैंने वहाँ जानेका निश ् चय किया. जब मैं पहुंचा — अब मैं किसी गैर सरकारी संस ् था के माध ् यम से तो गया नहीं था. वहाँ कुछ था भी नहीं — न टूरिस ् ट एजेंट, न कोई गैर सरकारी संस ् था, कुछ भी नहीं — कोई चश ् मदीद गवाह नहीं. तो हम बस घूमते रहे, फिर एक औरत से मिले और मैंने उसे अपनी किताब दिखाई. और उसने कहा, "" क ् या आप जानते हैं? हम संस ् कृति के भूखे हैं. हमें यहाँ संस ् कृति चाहिए. "" तो मैं वहाँ गया और मैंने बच ् चों के साथ काम शुरू किया. मैंने सिर ् फ बच ् चों की कुछ तसवीरें लीं, और अगले दिन मैं पोस ् टर बना कर लाया और हमने उन ् हें चिपका दिया. एक दिन बाद, मैं वापस आया और देखा कि वो खरोंचे जा चुके थे. पर यह चलता है. मैं उन ् हें यह अनुभव कराना चाहता था कि यह कला उनकी अपनी धरोहर है. फिर अगले दिन, मैंने मुख ् य चौक पर एक मीटिंग की और कुछ औरतें आ गयीं. वो सब उन तीन बच ् चों से जुड ़ ी थीं जो मारे गए. उनमें से एक माँ थी, एक नानी, और एक दोस ् त. वो सब उस कहानी को चीख-चीख कर सुनाना चाहती थीं. उस दिन के बाद से, उस मोहल ् ले के सब लोगों ने मुझे हरी झंडी दिखा दी. मैंने और तसवीरें खींचीं, और हमने प ् रोजेक ् ट शुरू कर दिया. नशीले पदार ् थों के व ् यापारी कुछ परेशान थे कि हम वहाँ तस ् वीरें क ् यों खींच रहे हैं, तो मैंने उनसे कहा, "" आप जानते हैं? मैं यहाँ की हिंसा और हथियारों की तसवीरें खींचने में दिलचस ् पी नहीं रखता. वो तो मीडिया में बहुत बार दिख जाते हैं. मैं तो यहाँ की आश ् चर ् यजनक ज ़ िन ् दगी को दिखाना चाहता हूँ. और वाकई मैं पिछले कुछ दिनों से उसे अपने चारों ओर देख रहा हूँ. "" तो यह वाकई एक प ् रतीकात ् मक प ् रदर ् शनी है क ् योंकि यह हमारी पहली ऐसी प ् रदर ् शनी है जो शहर से नहीं दिखाई देती. और यह वो जगह है जहाँ वो तीन बच ् चे पकड ़ े गए थे, और यह उनमें से एक की नानी हैं. और उन सीढ ़ ियों पर, वहाँ अवैध व ् यापारी हमेशा खड ़ े होते हैं और हमेशा गोलाबारी होती है. वहाँ का हर निवासी इस प ् रोजेक ् ट को समझ गया. और हमने हर जगह तसवीरें चिपका दीं — पूरी पहाड ़ ी पर. (तालियाँ) दिलचस ् प बात यह थी कि मीडिया वहाँ बिलकुल नहीं घुस पाया. मतलब, आप ज ़ रा देखिये. वो हमें काफी दूर से हेलिकोप ् टर के अन ् दर से फिल ् माते थे काफी लम ् बे कैमरा लेंस के साथ, और हम अपने आपको टीवी पर देखते, तसवीरें चिपकाते हुए. और फिर वो एक नंबर दिखाते. "" कृपया इस नंबर पर फ ़ ोन करिए अगर आपको कुछ भी जानकारी हो कि प ् रौविदेंसिया में क ् या हो रहा है. "" हम सिर ् फ एक प ् रोजेक ् ट कर के आ गए ताकि मीडिया को पता न लगे. तो हम प ् रोजेक ् ट के बारे में पता कैसे लगा सकते हैं? तो उन ् हें जा कर औरतों से मिलना पड ़ ा ताकि कुछ पता चल सके कि क ् या हो रहा था. इस तरह से एक सम ् बन ् ध शुरू हो गया — मीडिया और गुमनाम औरतों के बीच. हम सफ ़ र करते रहे. हम गए अफ ् रीका, सूडान, सिएरा लियों, लाइबेरिया, कीन ् या. मोनरोविया जैसे युद ् ध-ग ् रस ् त इलाकों में, लोग सीधे आपके पास आते हैं. मेरा मतलब है, वो जानना चाहते हैं कि आप क ् या कर रहे हैं. उन ् होंने बार-बार मेरे से पूछा, "" आपके प ् रोजेक ् ट का प ् रयोजन क ् या है? क ् या आप गैर सरकारी संस ् था से हैं? क ् या आप मीडिया से हैं? "" कला. सिर ् फ कला दिखा रहे हैं. कुछ लोग पूछते हैं, "" यह तस ् वीरें रंगीन क ् यों नहीं हैं? क ् या फ ़ ् रांस में रंग नहीं होते? "" (हंसी) या फिर पूछते हैं, "" क ् या यह सब मृत व ् यक ् ति हैं? "" कुछ लोग जो प ् रोजेक ् ट को समझ जाते हैं, वो औरों को समझा देते हैं. और एक बार एक ऐसे व ् यक ् ति से जो समझ नहीं पाया था, मैंने किसी को कहते सुना, "" जानते हो, तुम यहाँ कुछ घंटों से हो समझने की कोशिश में, अपने लोगों से बात-चीत करते हुए. इस समय में, तुमने इस बारे में नहीं सोचा है कि कल क ् या खाने वाले हो. यही कला है. "" मैं सोचता हूँ यह लोगों की जिज ् ञासा ही है जो उन ् हें प ् रेरित करती है एक प ् रोजेक ् ट में आने के लिए. और फिर वो कुछ और बढ ़ जाती है. और वो बन जाती है एक कामना, एक ज ़ रुरत, एक (अस ् पष ् ट). इस पुल पर, जो मोराविया में है, एक पूर ् व-विद ् रोही फौजी ने हमारी तसवीरें चिपकाने में मदद की एक ऐसी औरत की जिसका शायद युद ् ध के दौरान बलात ् कार हुआ था. औरतों के साथ हमेशा सबसे पहले अत ् याचार होता है किसी भी संघर ् ष में. यह है किबेरा, कीन ् या में, अफ ् रीका की सबसे बड ़ ी गंदी बस ् तियों में से एक. आपने शायद यहाँ हुई चुनावों के बाद की हिंसा के चित ् र देखे होंगे जो २००८ में हुई थी. इस बार हमने घरों की छतें ढक दीं, पर कागज ़ नहीं इस ् तेमाल किया, क ् योंकि कागज ़ बारिश नहीं रोकता घर के अन ् दर टपकने से — विनाइल रोकता है. तब कला काम में भी आती है. तो लोगों ने उसे रखा. आपको पता है मुझे क ् या बहुत पसंद है, जैसे, जब आप वहाँ उस सबसे बड ़ ी आँख को देखते हैं, वहाँ (कितने) सारे घर हैं उसके अन ् दर. और मैं वहाँ कुछ महीने पहले गया — तसवीरें अभी भी वहीँ थीं — और उनमें से आँख का एक हिस ् सा गायब था. तो मैंने लोगों से पूछा कि ऐसा कैसे हुआ. "ओह, वो परिवार यहाँ से चला गया." (हंसी) जब छतें ढक गयीं, तो एक औरत ने मजाक में कहा, "अब भगवान मुझे देख सकते हैं." आज जब आप किबेरा को देखते हैं, तो वो आप को देखता है. अच ् छा, भारत. यह शुरू करने से पहले, आप यह जान लें, हर बार जब हम एक नयी जगह जाते हैं, तब हमारे पास कोई टूरिस ् ट एजेंट नहीं होता, तो हम छापामारों की तरह काम करते हैं — हम कुछ दोस ् त हैं जो वहाँ पहुँचते हैं, और हम दीवारों पर चिपकाने की कोशिश करते हैं. पर कई जगहें हैं जहाँ आप दीवारों पर कतई नहीं चिपका सकते. भारत में चिपकाना एकदम नामुमकिन था. मैंने सुना सांस ् कृतिक तौर से और कानूनन भी, पहली बार चिपकाने पर ही हम गिरफ ् तार हो जाते. तो हमने सफ ़ ेद तसवीरें चिपकाने का निर ् णय लिया, दीवारों पर सफेदी. तो कल ् पना कीजिये गोरे लोग सफ ़ ेद कागज ़ चिपका रहे हैं. तो लोग हमारे पास आते और पूछते, "अरे, आप भला क ् या कर रहे हैं?" "ओह, देखिये, हम तो बस कला दिखा रहे हैं." "कला?" बेशक, वो चकरा जाते. पर आप जानते हैं भारत की सड ़ कों पर कितनी धूल होती है, और जितनी अधिक धूल उड ़ ती जाती हवा के साथ, उस सफ ़ ेद कागज ़ पर जो मुश ् किल से दिख रहा था, पर यहाँ है वह चिपचिपा भाग ठीक स ् टिकर के पीछे वाले भाग जैसा. तो जितनी ज ् यादा धूल उड ़ ेगी, उतनी ही ज ् यादा तस ् वीर दिखेगी. तो अगले कुछ दिन हम सिर ् फ सड ़ क पर टहलते रहे और तसवीरें अपने आप दिखती गयीं. (तालियाँ) धन ् यवाद. तो इस बार हम नहीं पकड ़ े गए. हर प ् रोजेक ् ट, यह एक फिल ् म है 'नारियाँ हैं सर ् वोत ् तम' से. (संगीत) अच ् छा. हर प ् रोजेक ् ट के लिए हम बनाते हैं एक फिल ् म. और जो आप देख रहे हैं, उस में से अधिकतर भाग 'नारियाँ हैं सर ् वोत ् तम "" का ट ् रेलर है — उसकी तसवीरें, फोटोग ् राफी, एक के बाद एक ली हुईं. और तस ् वीर हमारे बाद भी चलती रही. (हंसी) (तालियाँ) उम ् मीद है, आप फिल ् म देखेंगे, और इस प ् रोजेक ् ट का प ् रयोजन समझ सकेंगे और यह भी कि लोगों को कैसा लगा जब उन ् होंने यह तसवीरें देखीं. क ् योंकि यह उसका एक बड ़ ा हिस ् सा है. हर तस ् वीर के पीछे कई परतें हैं. हर छवि के पीछे एक कहानी है. 'नारियाँ सर ् वोत ् तम हैं' ने एक नयी सक ् रियता शुरू की हर एक समुदाय में, और हमारे जाने के बाद औरतों ने वो सक ् रियता कायम रखी. उदाहरण के तौर पर, हमने किताबें लिखी थीं — बिक ् री के लिए नहीं — जो सारे समुदाय को मिलतीं. पर उन ् हें पाने के लिए, उन ् हें किसी भी एक स ् त ् री से हस ् ताक ् षर (करवाने) ज ़ रूरी थे. हमने अधिकतर जगहों पर यही किया. हम नियमित रूप से वापस जाते हैं. तो जैसे प ् रौविदेंसिया के मोहल ् ले में, उदाहरणार ् थ, हमने एक नियंत ् रित सेंटर चला रखा है. किबेरा में हर साल हम और ज ् यादा छतें ढकते हैं. क ् योंकि असलियत में, जब हम जाने लगे, तो प ् रोजेक ् ट की सीमा पर रह रहे लोगों ने पूछा, "अरे, मेरी छत का क ् या होगा?" तो हमने अगले साल दोबारा आने का निर ् णय लिया ताकि प ् रोजेक ् ट चलाते रहें. मेरे लिए एक बहुत महत ् त ् वपूर ् ण बात यह है कि मैं किसी भी ब ् रैंड या कॉर ् पोरेट प ् रायोजक का इस ् तेमाल नहीं करता. इसलिए मैं बिलकुल उत ् तरदायी नहीं हूँ किसी के लिए भी नहीं, बस अपने लिए और अपने पात ् रों के लिए. (तालियाँ) और यह मेरे लिए इस काम की सबसे महत ् वपूर ् ण वस ् तुओं में से एक है. मेरे विचार से आजकल, परिणाम जितना ही महत ् वपूर ् ण है आप के काम करने का तरीका. और यह हमेशा मेरे काम का एक खास भाग रहा है. और दिलचस ् प चीज ़ है वह सूक ् ष ् म रेखा जो हमेशा मैंने रखी है तस ् वीर और विज ् ञापन के बीच. हमने अभी लॉस एंजिलीस में तसवीरें चिपकायीं पिछले हफ ़ ् तों में, एक और प ् रोजेक ् ट के लिए. और मुझे मोका (MOCA) संग ् रहालय को ढकने के लिए भी बुलाया गया था. पर कल शहर के अधिकारियों ने उन ् हें बुलाया और कहा, "" देखिये, हमें इसे गिराना तो ज ़ रूर पड ़ ेगा. क ् योंकि इसे विज ् ञापन कहा जा सकता है, और कानून के अनुसार, इसे नीचे ही गिराना होगा. "" अब आप बताइए, किस चीज ़ का विज ् ञापन है यह? जिन लोगों की तस ् वीर मैं खींचता हूँ उन ् होनें इस प ् रोजेक ् ट में गर ् व से हिस ् सा लिया ताकि समुदाय में उनकी तस ् वीर लग सके. पर उन ् होनें मुझसे एक वादा लिया. उन ् होनें कहा, "" कृपया हमारी कहानी को अपने साथ घूमने दीजिये. "" तो मैंने वही किया. यह पैरिस है. यह रियो है. हर जगह में हमने एक कहानी के साथ प ् रदर ् शनी लगाई, और कहानी फैलती गयी. तो आप इस प ् रोजेक ् ट का पूरा प ् रयोजन समझ रहे हैं. यह लन ् दन है, न ् यूयॉर ् क. और आज, आपके साथ लौंग बीच में. अच ् छा, हाल ही में मैंने एक सार ् वजनिक कलात ् मक प ् रोजेक ् ट शुरू किया. जहाँ मैं अपना काम बिलकुल नहीं इस ् तेमाल करता. मैं इस ् तेमाल करता हूँ मैन रे, हेलेन लेविट, गियाकोमेली, और लोगों की कला. इस बात से कोई फ ़ र ् क नहीं पड ़ ता कि वो आपकी कला है या नहीं. महत ् वपूर ् ण बात यह है कि आप क ् या करते हैं उन छवियों के साथ, जहाँ चिपकाते हैं वहाँ क ् या बयान होता है. तो जैसे उदाहरण के लिए, मैंने मीनार की छवि चिपकाई स ् विट ् ज ़ रलैंड में ठीक उस वक ़ ् त जब उन ् होनें हाल ही में मीनारों पर रोक लगा दी थी. (तालियाँ) यह गैस मास ् क पहने तीन आदमियों की तस ् वीर पहले चेर ् नोबिल में ली गयी थी, और फिर मैंने इसे दक ् षिण इटली में लगाया, जहाँ माफिया कभी कभी कूड ़ े को ज ़ मीन के नीचे दबा देता है. कुछ हद तक, कला दुनिया को बदल सकती है. कला का काम दुनिया को बदलना नहीं है, या व ् यावहारिक चीज ़ ों को बदलना भी नहीं, वो तो सिर ् फ विचारधारा को बदल सकती है. कला बदल सकती है उस नज ़ रिए को जिससे हम दुनिया देखते हैं. कला एक उपमा को रच सकती है. असलियत में यह सचाई कि कला दुनिया को नहीं बदल सकती, उसे एक ऐसा निष ् पक ् ष स ् थान बना देती है जहाँ आदान-प ् रदान और वाद-विवाद हो सकें, और इस तरह से वो आप को दुनिया बदल डालने के योग ् य बना देती है. जब मैं अपना काम करता हूँ, तो मुझे दो तरह की प ् रतिक ् रियाएं मिलती हैं. लोग कहते हैं, "" अरे, आप ईराक या अफगानिस ् तान क ् यों नहीं जाते? वो बहुत काम आयेंगे. "" या फिर, "" हम कैसे मदद कर सकते हैं? "" मैं आशा करता हूँ कि आप सब दूसरी श ् रेणी में आते हैं, और यह अच ् छी बात है, क ् योंकि उस प ् रोजेक ् ट के लिए, मैं आप सबसे पूछूंगा कि आप तसवीरें लें और उन ् हें चिपकायें. तो अब मेरी कामना है कि: (बनावटी ढोल की आवाज ़) (हंसी) मेरी कामना है कि आप सब उठ खड ़ े हों उस बात के लिए जिस की आप परवाह करते हों, और एक विश ् वव ् यापी कलात ् मक प ् रोजेक ् ट में भाग लें, और इस तरह एक साथ मिल कर हम दुनिया को उलट-पुलट कर डालेंगे. और यह अभी शुरू होता है. हाँ, कमरे में बैठा हर व ् यक ् ति. हर दर ् शक. मैं चाहता था कि यह कामना वास ् तव में अभी से शुरू हो. तो कोई भी विषय जिस के बारे में आप भावुक हों, कोई व ् यक ् ति जिस की कहानी आप सुनना चाहते हों, या फिर अपनी खुद की तसवीरें — मुझे बताइए कि आप किस बात के लिए खड ़ े होते हैं. तसवीरें लीजिये, छवियाँ लीजिये, उन ् हें अपलोड कीजिये — मैं सारी जानकारी भेज दूंगा — और मैं आपके पोस ् टर आपको वापस भेज दूंगा. इकट ् ठे आइये और दुनिया को चीज ़ ें दिखाइए. वेबसाईट पर पूरी जानकारी है. इन ् साइडआउटप ् रोजेक ् ट.नेट (insideoutproject.net) जो आज से शुरू हो रहा है. जो हम देखते हैं, वो हमें बदल डालता है. जब हम एक साथ काम करते हैं, तो उसका पूरा असर अलग अलग भागों के जोड ़ से कहीं ज ् यादा होता है. तो मैं उम ् मीद करता हूँ कि एक साथ, हम सब कुछ ऐसा रचेंगे जिसे दुनिया याद रखेगी. और यह अभी शुरू होता है और आप पर निर ् भर करता है. धन ् यवाद. (तालियाँ) धन ् यवाद. (तालियाँ) भारत में, परिवार बहुत बडे होते हैं । आप सब ने इसके बारे में सुना ही होगा । जिसका मतलब है कि बहुत सारे पारिवारिक समारोह होते हैं । तो बचपन में, मेरे माँ-बाप मुझे इन समारोहों में ले जाते थे लेकिन एक चीज ़ जिसके लिए मैं हमेशा उतावली रहती थी, वह थी मेरे भाई-बहनों के साथ खेलना और एक चाचा है जो हमेशा होते है । हमेशा तैयार, हमारे साथ उछल-कूद करते हमारे साथ खेल खेलते, हम बच ् चों के साथ बहुत मौज-मस ् ती करते यह आदमी बहुत कामयाब था: वे दबंग और ताकतवर थे । पर फिर मैंने इस चुस ् त और तंदुरुस ् त आदमी की सेहत को बिगड ़ ते देखा । उन ् हे पार ् किंसंस रोग हो गया था । पार ् किंसंस रोग में तंत ् रिका तंत ् र की अधोगति होती है । मतलब कि जो इंसान पहले आत ् मनिर ् भर हुआ करता था, अब अचानक उसे सरल कार ् य, जैसे कॉफी पीना, झटकों के कारण, मुश ् किल लग रहे हैं मेरे चाचा ने चलने के लिए वॉकर का प ् रयोग करना शुरू किया और मुड ़ ने के लिए उन ् हें सचमुच एक बार में एक कदम लेना पड ़ ता, ऐसे, और इसमें अर ् सा बीत जाता । तो यह इंसान, जो सबके ध ् यान का केंद ् र का हुआ करते, पारिवारिक समारोहों में, अब लोगों के पीछे छिपने लगा । वे लोगों की आँखों में दिख रही दया से छिप रहे थे । और यह ऐसे इकलौते नही हैं दुनिया में हर साल, 60,000 लोगों को पार ् किंसंस रोग हो जाने की सूचना दी जाती है । और यह संख ् या सिर ् फ बढ ़ ती जा रही है । डिज ़ ाइनर होने के नाते, हम यह ख ् वाब देखते हैं कि हम इन बहुमुखी समस ् याओं को सुल ् झाएँ एक उपाय जो सब कुछ सुलझा दे, लेकिन हर बार ऐसा होना ज ़ रूरी नही आप आसान समस ् याओं को निशाना बना सकते हो । और उनके लिए छोटे उपाय निकाल सकते हो, जिसका अंततः कोई बड ़ ा प ् रभाव पड ़ े । तो मेरा मकसद पार ् किंसंस रोग का इलाज करना नही था, बल ् कि उनके दैनिक कार ् य सरल करना था, और फिर उनके जीवन पर असर करना तो फिर, सबसे पहली समस ् या जिसे निशाना बनाया जाए वह है झटक, है न? मेरे चाचा ने बताया कि उन ् होने बाहर जाकर चाय-काॅफी पीना बंद कर दिया सिर ् फ शर ् मिंदगी के मारे तो फिर क ् या, मैंने एक ऐसा कप बनाया जिससे कुछ न गिरे यह सिर ् फ अपने आकार के बल पर काम करता है जब भी उनको झटके आते है, तब ऊपर का वक ् र पेय को अंदर ही धकेल देता है साधारण कप की तुलना में, इसमें पेय कप के भीतर ही रहता है पर अहम बात यह है कि यह चीज ़ खास तौर पर पार ् किंसंस के मरीज ़ के लिए नही है यह तो किसी ऐसे कप की तरह दिखता है जो आप, मैं या कोई भी अनाड ़ ी इस ् तेमाल कर सकता है और यह उन ् हें इसका उपयोग करने के लिए तसल ् ली देती है और वे लोगों में घुल-मिल सकते है तो खैर, एक मुसीबत सुलझ गई और कई बाकी है । इतना वक ् त जब मैं उनका इंटरव ् यू ले रही थी, उनसे सवाल कर रही थी तब मुझे ज ् ञात हुआ कि मुझे बस ऊपर-ऊपर की जानकारी मिल रही थी या सिर ् फ मेरे सवालों के जवाब मिल रहे थे पर नया नज ़ रिया पाने के लिए मुझे और गहराई में जाना होगा तो फिर मैंने सोचा, चलो, उनके रोज ़ के कामों को ज ़ रा ग ़ ौर से देखते है जब वह खा रहे है, दूरदर ् शन देख रहे है और जब मैं उन ् हे खाने के मेज की ओर चलते देख रही थी । तब मुझे यह खयाल आया कि यह आदमी, जिसके लिए समतल ज ़ मीन पर चलना इतना मुश ् किल है, वह सीड ़ ियाँ कैसे चढ ़ ता होगा? क ् योंकि भारत में खास कटघरे नहीं होते आपको सीढ ़ ियाँ चढ ़ ने के लिए जैसे विकसित देशों में होते हैं बंदे को असल में सीढ ़ ियाँ चढ ़ नी पड ़ ती है । तो उन ् होने मुझे बताया । "अच ् छा, मैं तुम ् हें दिखाता हूँ कैसे करते है" देखते हैं कि मैंने क ् या देखा तो उन ् हे यहाँ पहुँचने में बहुत वक ् त लगा । और इस दौरान मैं सोच रही हूँ क ् या ये वाकई, सच में, बिना अपने वाॅकर के यह करनेवाले है? "" और फिर... (हँसी) और मोड ़, कितनी आसानी से ले लिए उन ् होंने तो — - चौंक गए? खैर, मैं भी चौकी थी । तो यह इंसान, जो समतल ज ़ मीन पर चल नहीं पा रहा था, अचानक वह सीढ ़ ियाँ चढ ़ ने में माहिर था इस पर अनुसंधान करने पर मुझे पता चला कि यह निरंतर गतिवान के कारण है एक और आदमी है जिसके लक ् षण भी यही थे, और वह वॉकर का उपयोग करता है पर उसे साइकिल पर रखते ही उसके सारे लक ् षण गायब हो जाते हैं क ् योंकि यह निरंतर गतिवान है तो मेरे लिए अहम बात थी सीढ ़ ियाँ चढ ़ ने के इस एहसास का अनुवाद करना समतल ज ़ मीन पर चलने में और उन पर बहुत सारी तरकीबें आज ़ माई और जाँची गई पर आखिरकार जो काम आई वह यह थी । चलिए देखते हैं (हँसी) (तालियाँ) वह और तेज ़ चले, है न? (तालियाँ) मैं इसे सीढ ़ ियों की माया कहती हूँ और सचमुच जब यह सीढ ़ ियों की माया अचानक खत ् म हुई, तब वह तुरंत रुक गए और इसे कहते है चाल का जमना तो यह बहुत बार होता है, तो क ् यों न सीढ ़ ियों की यह माया हर कमरे में हो ताकि वे और भी आश ् वस ् त हो? जानते हैं, टैकनोलजी हर बात का जवाब नहीं है जिसकी हमे ज ़ रूरत है वे हैं मनुष ् य-केंद ् रित उपाय बड ़ ी आसानी मैं इसे फलाव बना सकती थी, या फिर गूगल ग ् लास, या वैसा कुछ लेकिन मैं आसान फर ् श पर छापने पर अड ़ ी रही यह छपाई अस ् पतालों में ले जाई जा सकती है ताकि वे निश ् चिंत रहें । मैं चाहती हूँ कि पार ् किंसंस रोग का हर मरीज ़ वैसा महसूस करे, जैसा मेरे चाचा ने उस दिन किया उन ् होंने मुझे बताया कि मैंने उन ् हे पहले जैसा महसूस कराया आज की दुनिया में, "" स ् मार ् ट "" और हैटेक पर ् यायवाची बन चुके हैं, और दुनिया दिन प ् रतिदिन और भी स ् मार ् ट होती जा रही है किंतु स ् मार ् ट कुछ आसान, फिर भी प ् रभावशाली क ् यों नही हो सकता? हमें बस थोड ़ ी सी हमदर ् दी, और थोड ़ ी सी जिज ् ञासा की ज ़ रूरत है वहाँ पहुँचने के लिए, ग ़ ौर से देखने के लिए पर वहाँ रुकना नहीं हैं चलिए, हम सब इन जटिल मसलों को ढूँढ ़ ते हैं इनसे डरिए मत उन ् हें छोटी-छोटी समस ् याओं में तोड ़ दीजिए और उनके लिए सरल उपाय ढूँढिए उन उपायों को परखना, ज ़ रूरत पड ़ े तो नाकामयाब ही क ् यों न हो जाना पर नए नज ़ रिए के साथ, उसे बेहतर करने के लिए ज ़ रा सोचिए, अगर हम सब आसान उपाय ढूँढ लाए, तो हम क ् या-क ् या कर सकते हैं कैसी होती यह दुनिया अगर हम अपने सारे आसान उपायों को इकट ् ठा करते? चलिए, एक और भी स ् मार ् ट दुनिया बनाते हैं, मगर सादगी के साथ धन ् यवाद । (तालियाँ) मोटर रेसिंग एक अजीब व ् यवसाय है. हम हर साल एक नई कार बनाते हैं और फिर बाकी समय बिताते हैं ये समझने में की हमने क ् या बनाया है । और उसे अधिक तेज़ और बेहतर बनाने में. और फिर अगले साल, हम फिर से शुरू करते हैं. अब, आप के सामने काफी जटिल कार है. चेसिस, 11,000 घटकों से बना है इंजन और 6000 से, साड़े आठ हजार इलेक ् ट ् रॉनिक ् स. तो 25,000 चीज ़ ें हैं जो गलत हो सकती हैं. तो मोटर रेसिंग विस ् तार पर ध ् यान के बारे में है. विशेष रूप से, फॉर ् मूला 1 में हम हमेशा कार बदलते रहते हैं. हम हमेशा इसे तेज बनाने के लिए कोशिश करते हैं. हर दो हफ ् ते, हम 5000 नए घटक कार में फिट करने के लिए बनायेंगे. पांच से 10 प ् रतिशत रेस कार हर दो सप ् ताह में बदल जाएँगी. यह हम कैसे करते हैं? हम रेसिंग कार के साथ शुरू करते हैं. चीजों को मापने के लिए कार पर बहुत सेंसर होते हैं. यहाँ आप के सामने रेस कार पर एक दौड ़ में जाने से पहले 120 सेंसर होते हैं. यह कार के आस - पास हर तरह की चीजों को मापता है. उससे डेटा लॉग होता है. तकरीबन 500 मापदंड डेटा सिस ् टम के भीतर, 13,000 स ् वास ् थ ् य मानक और घटनाऐ बताने के लिए की चीज़े काम नहीं कर रही हैं, और हम डेटा भेज रहे हैं वापस गेराज में प ् रति सेकंड 2-4 megabits के दर पर, टेलीमेटरी का उपयोग कर. तो एक, दो घंटे की दौड ़ के दौरान एक कार भेजेगी 750 मिलियन संख ् याए. यह दोगुना है हमारे जीवनकाल में बोले शब ् दों से. यह डेटा की एक बड ़ ी मात ् रा है. लेकिन सिर ् फ जानकारी होना और मापना पर ् याप ् त नहीं है. आप इसके साथ कुछ करने में सक ् षम भी होने चाहिए. इसलिए हमने बहोत समय और प ् रयास दिया है डेटा से कहानिया बनाने में इंजन की सही स ् थिति जानने के लिए टायर कैसे जल रहे हैं ईंधन की खपत क ् या है? तो यह सब डेटा ले जा रहा है और ज ् ञान में बदल हम इस पर कार ् रवाई कर सकते हैं. चलिये डेटा के एक हिस ् से पर नजर डालते हैं. यह डेटा लेते हैं एक तीन महीने की उम ् र के रोगी से. यह एक बच ् चा है, और आप यहाँ देख रहे हैं वास ् तविक डेटा और दाएँ हाथ की ओर, सब कुछ भयावह हो रहा है यह एक अप ् रत ् याशित घटना थी. इसकी कोई भविष ् यवाणी नहीं कर सकता था लेकिन हम जब जानकारी को देखते हैं, चीज़े अजीब हो रही थी हृदय के दौरे से पांच मिनट पहले. हम छोटे परिवर ् तन देख सकते हैं दिल की दर में. ये सामान ् य रूप से दिखते नहीं थे डेटा में. तो सवाल है, यह हमें दिखते क ् यों नहीं थे? क ् या यह पूर ् वकथनीय घटना थी? क ् या हम डेटा में पैटर ् न देख सकते हैं बेहतर रूप से कार ् य करने के लिए? यह एक बच ् चा है इस रेसिंग कार की ही उम ् र का, तीन महीने. यह दिल की समस ् या का रोगी है. अब, आप ऊपर स ् क ् रीन पर डेटा देखे, धड ़ कन, नाड ़ ी, ऑक ् सीजन, श ् वसन दर, एक सामान ् य बच ् चे के लिए सब असामान ् य हैं लेकिन वे वहाँ एक बच ् चे के लिए सामान ् य हैं इसलिए स ् वास ् थ ् य के क ् षेत ् र में चुनौती है, मैं मरीज को कैसे देख सकता हूँ उसके लिए विशिष ् ट रूप से पता लगा सकूं जब चीज़े बदलनी शुरू हो चीज़े जब खराब हो? क ् योंकि एक रेसिंग कार की तरह, किसी भी मरीज के साथ, हालात खराब होने पर समय बहोत कम होता है कुछ करने के लिए. तो हमने एक डेटा प ् रणाली ली जो हम फॉर ् मूला 1 में साल में दो सप ् ताह चलाते हैं और हमने अस ् पताल के कंप ् यूटर में इसे डाला बर ् मिंघम में बच ् चों के अस ् पताल में. हमने बिस ् तर उपकरणों से डेटा लिया बाल गहन चिकित ् सा देखभाल से ताकि हम वास ् तविक समय में डेटा देख सकेइसलिए कि हम उससे सीखना शुरू करें. और फिर, हमने शीर ् ष पर एक आवेदन लगाया जो हमें डेटा में पैटर ् न देखने देता वास ् तविक समय में, तो हम क ् या हो रहा था देख सकें हम देख सके जब चीज़े बदलना शुरू करती हैं. मोटर रेसिंग में, हम सब महत ् वाकांक ् षी होते हैं दुस ् साहसिक, कभी कभी अभिमानी, इसलिए हमने भी बच ् चों को देखा जब वेह सघन चिकित ् सा के लिए ले जाये जा रहे थे. उनके अस ् पताल में पहुचने तक हम इंतज़ार क ् यों करें और इसलिए हमने एक वास ् तविक समय में लिंक स ् थापित किया एंबुलेंस और अस ् पताल के बीच, सामान ् य 3 जी टेलीफोनी का उपयोग कर एम ् बुलेंस एक बाहरी बिस ् तर बन गया गहन देखभाल में. और फिर हमने डेटा पर तलाश शुरू की. तो शीर ् ष पर हिलती टेढ़ी मेढ़ी रंगीन लाइने, एक मॉनीटर पर सामान ् य प ् रकार से दिखेगी - हृदय गति, नाड ़ ी, रक ् त के भीतर ऑक ् सीजन, और श ् वसन. नीचे, नीले और लाल लाइने यह दिलचस ् प होते हैं. पूर ् व चेतावनी स ् कोर का जो बर ् मिंघम बच ् चों के अस ् पताल में पहले से ही चल रहा था. और पहले से ही हृदय के दौरे रोक दिए थे और अस ् पताल के अंदर का संकट. ब ् लू लाइन एक संकेत है पैटर ् न बदलने के समय का, और इससे पहले कि हम शुरू करते क ् लिनिकी व ् याख ् या देखना, हम देख सकते हैं की डाटा हमसे बात करता है. यह बता रहा है की कुछ गलत हो रहा है. लाल और हरे रंग के गोले, यह विभिन ् न डाटा घटकों को रच रहा है एक दूसरे के सामने. हरा हमें उस बच ् चे के लिए सामान ् य क ् या है दिखा रहा है. इसे सामान ् य के बादल कहते हैं. और जब चीज़े बदलना शुरू होती हैं, स ् थिति खराब होती है, हम लाल रेखा में चले जाते हैं. यहाँ कोई रॉकेट विज ् ञान नहीं है. यह पहले से मौजूद डाटा को एक अलग तरीके से प ् रदर ् शित करना है इसे बढ ़ ाना, डॉक ् टरों को संकेत प ् रदान करने के लिए, नर ् सों के लिए, वो जान सके क ् या हो रहा है. जिस तरह एक अच ् छा रेसिंग ड ् राइवर संकेतों पर निर ् भर करता है ब ् रेक लगाने के लिए, एक कोने में मुड़ते हुए, हमें चिकित ् सकों और नर ् सों की मदद करनी है बात बिगड ़ ने से पहले. तो यह एक बहुत ही महत ् वाकांक ् षी कार ् यक ् रम है. हम कुछ अलग करने की दौड ़ पर हैं. हम बड़ा सोच रहे हैं. यह सही चीज़ है. एक दृष ् टिकोण है, अगर यह सफल होता है यह अस ् पताल के बहार और जगह भी इन दिनों वायरलेस कनेक ् टिविटी के साथ, कोई कारण नहीं है की मरीज, डॉक ् टरों और नर ् स हमेशा एक ही जगह पर हो एक ही समय पर. और इस बीच, हम अपने छोटे से तीन माह के बच ् चे को ले ट ् रैक पर जायेंगे, इसे सुरक ् षित रखेंगे और इसे तेज़ और बेहतर बनायेंगे. बहुत बहुत धन ् यवाद. (तालियां) और मैं बहुत इमानदारी से कहता हूँ, आंशिक रूप से इसलिए क ् यूंकि — (झूठे आंसू) — मुझे इनकी ज ़ रुरत है (हँसना). अब हवाई जहाज़ पर चढ ़ ने के लिए, मुझे अपने जूते उतारने पड ़ ते हैं. अपने आप गाड़ी चलाते हुए मुझे पता है कि आपको यह एक छोटी बात लगती है, पर — (हंसना) — और तब वहां बैठे आदमी ने कहा, "" इन ् हें भी कैसे दिन देखने पड़ रहे हैं, नहीं? "" (हंसना) यह आविर ् भाव की एक श ् रंखला हो गयी है मैं एक जी-५ विमान से उड़ कर नाईजीरिया एक भाषण देने गया उर ् जा के विषय पर, लागोस शहर में और वह कागज़ का एक टुकड़ा लहरा रहा था, और चिल ् ला रहा था, पर हुआ यह था कि मेरा सहायक दल काफी नाराज ़ था क ् यूंकि टिप ् पर कह रही थी, "" एक और बर ् गर, फ ् राइस के साथ! "" मैं इस बारे में कभी और बात कर सकता हूँ. (तालियाँ) मैं इसमें नयी छवियों को जोड ़ ता हूँ क ् यूंकि हर बार मैं इसके बारे में कुछ नया सीखता हूँ केवल पिछले दो दिनों में, हमें जनवरी के तापमान के लिए नए कीर ् तिमान मिले हैं हमारी पहुँच में है.कार ् यकुशलता और संरक ् षण: लेकिन इमारतों से आता भुमंडलिय उष ् मीकरण प ् रदूषण ज ् यादा है कार और ट ् रक बहुत महत ् वपूर ् ण हैं, और हमारे मानक दुनिया में न ् यूनतम स ् तरों पर हैं कठोर प ् रभाव वाली चीज़ों या कम मेरी सक ् रिय भागीदारी के साथ, दुनिया के बेहतरीन सॉफ ् टवेर लेखक और आप विकल ् पों को वहीँ से खरीद पायेंगे अगले, अपने व ् यापार को कार ् बन-तटस ् थ बनाएं. फिर से, हम में से कुछ ने ऐसा किया है, चिरस ् थायी निवेश करें.मजोरा ने इसका उल ् लेख किया था और हम उन सभी के लिए हर हफ ् ते इस स ् लाइड शो का अद ् यतन करेंगे (तालियाँ) यह एक बंद व ् यवस ् था नहीं है. इस ् तेमाल कर पायेंगे. 07: 45 पर मैंने एक इमारत के लिए दरवाजे खोल दिए हैं. निर ् माण के लिए समर ् पित दरवाजे अभी तक केवल मुझे तोड ़ देते हैं. मैं हॉल के रास ् ते से गुजरता हूं जो चौकीदार रोज साफ करते हैं लेकिन मुझमैं उनके नाम का सम ् मान करने के लिए शालीनता नहीं है. लाकर ् स खुला छोड ़ दिया है, जैसे खुला रह जाते हैं लड ़ कों के मुंह जब लड ़ कियाँ पहनती हैं वस ् त ् र जो केवल असुरक ् षा के कुछ अंग छिपाने के लिये बने हैं. मर ् दानगी का मजाक पुरुषों द ् वारा उड ़ ाया जो बिना पिता के साथ बड ़ े हुए हैं. बदमाश छलावरण पहने हैं जो खतरनाक हथियारों से लैस हैं लेकिन उनको गले लगने की जरूरत है. शिक ् षक यह उनके यहां होने की लागत से भी कम का भुगतान किया जाता है. किशोरों के महासागरों सबक प ् राप ् त करने के लिए यहां आते हैं लेकिन, तैरना कभी नहीं सीखते. जब लाल सागर घंटी बजती है यह एक प ् रशिक ् षण जमीन है. मेरा हाई स ् कूल, शिकागो है विविध और अलग अभिप ् रायपूर ् वक. सामाजिक लाइनों कांटेदार तार हैं. "" नियमित "" और "" सम ् मान "" की तरह के लेबल गूंजते हैं. मैं एक ऑनर ् स हूँ लेकिन मैं नियमित छात ् रों के साथ घर जाता हूँ जो उस क ् षेत ् र में सैनिक हैं और उनके मालिक हैं. यह एक प ् रशिक ् षण जमीन है, नियमित को ऑनर ् स से अलग करने के लिए. यह एक चक ् र है इसे प ् रणाली का कचरा पुनरावृत ् ति करने के लिए बनाया गया है. कम उम ् र में फायदा उठाने के लिए प ् रशिक ् षित पत ् र पढ ़ ाया जाता है कि पूंजीवाद आपको जन ् म देता है लेकिन तुम वहाँ तक पहुँचने के लिए किसी और पर कदम रखना है. यह एक प ् रशिक ् षण जमीन है, जहां एक समूह को नेतृत ् व करने के लिए सिखाया जाता है और दूसरे को पालन करने के लिए सिखाया किया जाता है. कोई आश ् चर ् य नहीं है, मेरे लोग सलाखों को थूकते हैं. क ् योंकि सच ् चाई को निगलना मुश ् किल है डिग ् री के लिए जरूरत ने कई लोगों को जमे हुए छोड ़ दिया गया है. होमवर ् क तनावपूर ् ण है, लेकिन आप हर दिन घर जाओ और अपका घर अपका काम है, आप किसी भी कार ् य को लेना नहीं चाहते. पाठ ् य पुस ् तकें पढ ़ ना तनावपूर ् ण है, लेकिन पढ ़ ने से भावनाओं के ऊपर कोई फर ् क नही होता, आपका वृत ् तांत पहले से ही लिखा है, या तो मृत या तो आरक ् षित. परीक ् षा तनावपूर ् ण हैं, लेकिन एक Scantron में बुदबुदाना गोलियां फोड ़ ना बंद नहीं करता है. मैंने सुना है शिक ् षा प ् रणाली असफल हो रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि वे जो वे करने के लिए बने हैं वे उसमें सफल रहे हैं आपको प ् रशिक ् षित करने के लिए, आप रास ् ते पर रखने के लिए, एक अमेरिकी सपने पर नज ़ र रखने के लिए जो हम में से कई लोगों के लिए असफल हो गया है. (तालियां) आप शायद कभी नहीं सुने होंगे केनेमा, सिएरा लियॉन या अरुआ, नाइजीरिया पर मैं उन ् हें पृथ ् वी पर सबसे असाधारण स ् थानों में से दो के रूप में जानती हूँ । वहां के अस ् पतालों में, नर ् सों, चिकित ् सकों और वैज ् ञानिकों के एक समुदाय है जो कि सालों से चुपचाप लड़ रहे हैं दुनिया के सबसे बड़े खतरे से: लस ् सा वाइरस । लस ् सा वाइरस काफी हद तक इबोला की तरह ही है । यह एक गंभीर बुखार का कारण बन सकता है और अक ् सर घातक भी हो सकता है । पर यह लोग, हर दिन अपनी जान जोखिम में डालते हैं ताकि अपने समुदाय के लोगों की रक ् षा कर सकें और ऐसा करके, हम सभी की भी । लेकिन उनके सबसे असाधारण कामों में से एक चीज़ जो मैंने सीखी अपनी पहली यात ् रा पर वहां, बहुत सालों पहले यह थी कि वे शुरू अपनी हर सुबह — इन चुनौतीपूर ् ण, असाधारण दिन रंगभूमि पर — गा के करते थे । वे एक साथ इकट ् ठा होते हैं और अपनी खुशी जाहिर करते हैं । वे उनकी भावना व ् यक ् त करते हैं । और पिछले कुछ सालों से, साल दर साल बाद मैं उन ् हें मिलने जाती थी और वे मुझे मिलने आते थे, मैं उनके साथ इकट ् ठा होती थी और गाती थी और हम लिखते थे और पसंद करते थे, क ् योंकि यह हमें याद दिलाता है कि हम सिर ् फ वहाँ विज ् ञान के खातिर नहीं हैं; हम एक साझा मानवता के माध ् यम से बंधे हैं । और बेशक, जैसा की आप कल ् पना कर सकते हैं, अत ् यंत महत ् वपूर ् ण हो जाता है, ​ जरूरी भी, क ् यूंकि चीज़ें बदलनी शुरू हो जाती हैं । और वह बहुत हद तक बदली थी २०१४ के मार ् च में, जब गिनी में, इबोला का प ् रकोप घोषित किया गया था । यह पश ् चिम अफ ् रीका में पहली प ् रकोप थी, सीमा के पास सिएरा लियोन और लाइबेरिया के । और यह डरावना था, हम सभी के लिए । कि लस ् सा और इबोला अधिक थे बड ़ े पैमाने पर जितना सोचा था, और हमने सोचा कि किसी दिन केनेमा भी आ सकता है । और मेरी टीम तुरंत निकली वहां के लिए और शामिल हो गयी डॉ. हमरर खान और उनकी टीम को, और हमने प ् रबंध किया निदान का, ताकि संवेदनशील आणविक परीक ् षण कर सकें जो दिखाये इबोला अगर वह आये सीमा पार और सिएरा लियोन में । हमने पहले भी ऐसा प ् रबंध किया था लस ् सा वाइरस के लिए, जानते हैं कैसे करना है, टीम बेहतरीन है । हमें खाली उपकरण और इबोला सर ् वेक ् षण के लिए जगह देना था । और दुर ् भाग ् य से, वह दिन आया । २३ मई २०१४ को, एक औरत की जाँच हुई अस ् पताल के प ् रसूति वार ् ड में, और टीम ने वह महत ् वपूर ् ण आणविक परीक ् षण किये और उन ् होंने सिएरा लियोन में इबोला के सबसे पहले मामले की पुष ् टि की । यह काम जो हुआ था काफी सराहनीय था । वे अब तुरंत निदान करने में सक ् षम थे, ताकि सुरक ् षित रूप से रोगी का इलाज कर सकें और ताकि जान पाये कि क ् या चल रहा है कांटेक ् ट ट ् रेसिंग के द ् वारा । यह कुछ हद तक तो रोक सकता था । लेकिन जब तक वह दिन आया, प ् रकोप पहले से ही महीनो से प ् रजनन कर चुका था । सैकड ़ ों मामलों के साथ, यह पहले से ही पिछले प ् रकोपों को ग ् रहण कर चुका था । और यह सिएरा लियोन में आया उस विलक ् षण मामले के रूप में नहीं, पर ज ् वार की लहर के रूप में । हमे काम करना पड़ा अंतरराष ् ट ् रीय समुदाय, स ् वास ् थ ् य मंत ् रालय और केनेमा के साथ ताकि इन मामलों से निपट सके, क ् यूंकि अगले ही सप ् ताह ३१ आये, फिर ९२, और फिर १४१ — सभी आ रहे थे केनेमा में, सिएरा लियोन के केवल स ् थानों में से एक जो इस के साथ निपट सके । हमने हर दिन काम करके जितना कर सकते थे उतना करने का प ् रयत ् न किया, लोगों की मदद करने की कोशिश की, ध ् यान आकर ् षित करने की कोशिश की, पर उसके साथ एक सरल काम भी किया । हमने जो नमूना लिया था एक रोगी के रक ् त से इबोला का पता लगाने के लिए जाहिर है कि वह हम छोड़ सकते हैं । दूसरी चीज़ हम कर सकते हैं, उसे एक रासायनिक में डाल कर और निष ् क ् रिय करके, फिर डब ् बे में डाल कर, जहाज के साथ सागर पार भेज सकते हैं, और यही हमने किया । हमने बोस ् टन भेजा, जहाँ मेरी टीम काम करती है । और हमने भी पूरा दिन काम किया, दिन के बाद दिन, और हमने तुरंत ही ९९ जीनोम उत ् पन ् न कर लिया वाइरस के । यह खाका है — वाइरस का जीनोम ही खाका है । यह हम सबके पास हे । यह सब कुछ बताता है जिससे हम बने हैं, और इतनी सारी जानकारी हमे देता है । इस तरह के कामों का परिणाम सरल एवं शक ् तिशाली है । हम वास ् तव में इन ९९ अलग वाइरस को ले सकते हैं, देख कर तुलना कर सकते हैं, और हम देख सकते हैं, वास ् तव में, तीन जीनोम की तुलना कर के, जो कि पहले गिनी से प ् रकाशित हुई थी, हम दिखा सकते हैं कि प ् रकोप उभरा गिनी से महीनों पहले, एक बार मानव आबादी में, और फिर वहां से प ् रसारण हो रहा है मानव से मानव में । अब, यह बहुत ज ़ रूरी हो जाता है जब आप हस ् तक ् षेप करने की कोशिश कर रहे हों, पर महत ् वपूर ् ण काम कांटेक ् ट ट ् रेसिंग है । हम यह भी देख सकते हैं कि जब वाइरस मानवों के बीच घूमता है, वह परिवर ् तित होता रहता है । और प ् रत ् येक परिवर ् तन बहुत ही महत ् वपूर ् ण है, क ् योंकि निदान, टिका, उपचार, जो हम प ् रयोग कर रहे हैं, सब उस जीनोम अनुक ् रम पर आधारित है, मौलिक — इसी के कारण हो पाता है । और तो वैश ् विक स ् वास ् थ ् य विशेषज ् ञों को ध ् यान देना होगा, विकसित करना होगा, सब कुछ जांचना होगा जो भी वह कर रहे हैं । लेकिन जिस तरह विज ् ञानं काम करता है, जिस स ् थिति में, मैं थी, मेरे पास डेटा था, और मैं कई, कई महीनों तक काम कर सकती थी एक साइलो में, डेटा विश ् लेषण करती सावधानी से, धीरे धीरे, प ् रकाशन के लिए कागज प ् रस ् तुत करती, ज़रा ओर अनुसंधान करती, और फिर अंत में जब कागज आता, वह डेटा जारी हो सकता था । इस तरह यथास ् थिति काम करती है । खैर, वह काम नहीं करता इस स ् थिति में, है ना? हमारे दोस ् त रंगभूमि में थे, और जाहिर है, उन ् हें हमारी मदद चाहिए, ढेर साड़ी मदद । जो पहला काम हमने किया, जैसे ही अनुक ् रमण आये मशीनों से, हमने वेब में प ् रकाशित कर दिया । हमने सिर ् फ यह दुनिया में जारी किया और कहा, "" मदद कीजिये "" । और मदद आया । इससे पहले की हम जानते, लोगों ने पुरी दुनिया से हमें संपर ् क किया, डेटा देख के सब आश ् चर ् य थे । जल ् द ही दुनिया के कुछ सबसे बड़े वाइरस ट ् रैकर ् स हमारे समुदाय का हिस ् सा बन गए । हम एक साथ इस आभासी तरह से काम कर रहे थे, साझा, नियमित कॉल, संचार, हर मिनट वाइरस को ही देखा जा रहा था, ताकि तरीका खोजा जा सके उन ् हें रोकने का । और वहां बहुत सारे तरीके हैं जिस से हम उनकी तरह समुदाय बना सकते हैं । सब लोग, विशेष रूप से जब प ् रकोप पुरी दुनिया में विस ् तार होना शुरू हुआ था, सीखने के लिए, भाग लेने के लिए, संलग ् न करने के लिए पहुँच रहे थे । हर कोई मदद करना चाहता था । मानव क ् षमता की राशि वहाँ बस कमाल है, और हम को इंटरनेट ने संपर ् क में रखा । और क ् या आप कल ् पना कर सकते हैं कि यह एक दूसरे से डरने के बजाय, सबने इतना कहा की, "" चलो यह करते हैं । चलो एक साथ करते हैं और इसे सच करते हैं "" । लेकिन समस ् या यह है कि जो डेटा हम उपयोग कर रहे हैं, गूगलिंग वेब पर, सीमित है करने के लिए जो हमें करना है । और कितने सारे अवसर चूक जाते हैं जब ऐसा होता है । तो महामारी के प ् रारंभिक भाग में केनेमा से, हमने १०६ नैदानिक रिकॉर ् ड किया था रोगियों से, और फिर से हमने दुनिया भर में सार ् वजनिक रूप से उपलब ् ध किया । और हमारी प ् रयोगशाला में, हम दिखा सकते हैं कि आप उन १०६ रिकॉर ् ड ले सकते हैं, हम कंप ् यूटर के द ् वारा इबोला रोगियों का पूर ् वानुमान करीब १०० प ् रतिशत सटीकता से कर सकते हैं । और हमने एक अप ् प बनाया जो कि यह जारी कर सके, ताकि स ् वास ् थ ् य देखभाल श ् रमिकों को उपलब ् द करवा सके । लेकिन बस १०६ पर ् याप ् त नहीं है इसे शक ् तिशाली और मान ् य करने के लिए । तो उसे जारी करने के लिए हम ओर डेटा का इंतज़ार कर रहे हैं । और डेटा अभी भी नहीं आया है । हम अब भी इंतज ़ ार कर रहे हैं, एक साथ काम करने के बजाय अलग हो के सिलोस में । और यह सिर ् फ — हम स ् वीकार नहीं कर सकते । है ना? आप, आप सब, स ् वीकार नहीं कर सकते । हमारा जीवन जोखिम में है । और वास ् तव में, कई जीवन खो गए थे, कई स ् वास ् थ ् य देखभाल श ् रमिकों, मेरे प ् रिय सहयोगियों सहित, पांच साथियों: म ् बलू फोननिे, एलेक ् स मोइगबोई, डॉ.हमरर खान, ऐलिस कोवोमा और मोहमद फुल ् लाह । ये केनेमा से सिर ् फ पाँच हैं कई स ् वास ् थ ् य देखभाल श ् रमिकों में से और उसके परे मर गए जबकि दुनिया इंतजार कर रही थी और हम सब काम कर रहे थे, चुपचाप और अलग-अलग । देखो, इबोला, सब की तरह खतरा हैं मानवता पर, यह बढ़ता है अविश ् वास और व ् याकुलता और विभाजन से । जब हम खुद के बीच बाधाओं का निर ् माण करते हैं और हम खुद के बीच लड ़ ाई करते हैं, वाइरस पनपता है । लेकिन सभी खतरों के विपरीत, इबोला एक है जिसके सामने हम वास ् तव में सभी समान हैं । हम सब इस लड ़ ाई में एक साथ हैं । एक व ् यक ् ति के दरवाजे पर इबोला जल ् द हमारे पर हो सकता है । और इस जगह में एक ही कमजोरियों, ताकतों, आशंका, उम ् मीदों के साथ, मुझे आशा है कि हम खुशी के साथ मिलकर काम करेंगें । मेरी एक स ् नातक छात ् र सिएरा लियोन के बारे में पुस ् तक पढ ़ रही थी, और उसे पता चला कि शब ् द "" केनेमा, "" जो चिकित ् सालय में हम काम और सिएरा लियॉन के जिस शहर में हम काम कर रहे हैं, वह मेंडे शब ् द पर नामित है "" नदी कि तरह स ् पष ् ट, पारदर ् शी और खुला है सार ् वजनिक आंखों के लिए "" । यह वास ् तव में हमारे लिए गहरा था, क ् योंकि जानने के बिना भी, हम महसूस करते थे लोगों का सम ् मान करने के लिए केनेमा में, हमे खुले तौर पर काम करना था, साझा करना था और एक साथ काम करना था । और हमे इसे करना ही है । हम सबको खुद से और दूसरों से आशा रखनी है कि — जब एक प ् रकोप आएगा, हम खुले तौर पर काम करेंगे और इस लड़ाई को हम एक साथ लड़ेंगे । क ् योंकि यह इबोला का पहला प ् रकोप नहीं है, यह अंतिम भी नहीं है, और वहाँ कई अन ् य रोगाणुओं है जो इंतज़ार कर रहे हैं, जैसे कि लस ् सा वाइरस और बाकी । और अगली बार जब ऐसा होगा, यह लाखों लोगों के शहर में हो सकता है, यह वहाँ शुरू हो सकता है । यह कुछ भी हो सकता है जो हवा के द ् वारा प ् रेषित हो । यह जानबूझकर फैलाया हुआ भी हो सकता है । और मुझे पता है कि यह भयावह है, मैं समझती हूँ, लेकिन मैं भी जानती हूँ, और इस अनुभव से पता चलता है कि, हम प ् रौद ् योगिकी है और हम में क ् षमता है जीतने का इस से, जीतने का और शक ् तिशाली स ् थिति रखने का वाइरस के ऊपर से । लेकिन यह केवल हो सकता है अगर हम साथ काम करेंगे और खुशी के साथ करेंगे । तो डॉ खान के लिए और उन सभी के लिए जिन ् होंने अपने जीवन का बलिदान दिया रंगभूमि पर इस लड ़ ाई में हमारे साथ हमेशा, हमें उनके साथ इस लड ़ ाई में हमेशा हो । और हमे दुनिया को एक वाइरस के विनाश से नहीं, पर अरबों दिलों और दिमागों की एकता से परिभाषित करना है । धन ् यवाद । (तालियाँ) कार ् लोस, एक पूर ् व सैनिक हैं जिन ् हें विएतनाम की लड ़ ाई में तीन अवसरों पर गोलियाँ लगी उनके शरीर में कारतूस के इतने छर ् रे इकट ् ठे हो गये थे कि १९७१ में उनको सेवा निवृत ् त कर दिया गया अगले ४२ साल तक उन ् हें अकेलेपन उदासी और बेचैनी का सामना करना पड ़ ा उन ् होने शराब का सहारा भी लिया उनकी तीन बार शादी और तलाख भी हुआ कार ् लोस को पोस ् ट ट ् रमॅटिक सिंप ् टम डिसॉर ् डर था १० सालों से पी.टी.एस.डी. से पीड़ित मरीजों का इलाज़ कर रहा हूँ. पी.टी.एस.डी. विज ् ञान का एक नया विषय है हमें इसके बारे में ज़ ् यादा नहीं पता था कुछ मरीजों को हमने तेज़ दवाइयां दी कुछ को अस ् पताल में आम इलाज़ दिया और कुछ को तोह बस यह कहा की घर जाओ और सब भूलने की कोशिश करो हाल ही में हमने इलाज के नए प ् रयोग किये जैसे मरीजों को सुंदर जगहों पे भेजना, घर में पालतू जानवर रखना, लेकिन यह सब कारगर सिद ् ध नहीं हुए लेकिन अब हालात बदल गए हैं और आज में आप सब से यही जानकारी बांटने आया हूँ, की हम पी.टी.एस.डी से कैसे निजाद पा सकते हैं आधुनिक वैज ् ञानिक तकनीकों से अब हम पता लगा सकते हैं की कौन कौनसी तरकीबें कारगर सिद ् ध हो रही हैं पी.टी.एस.डी ठीक करने में वही तकनीकें काम आती हैं जो युद ् ध के प ् रशिक ् षण में इस ् त ् माल होती हैं पारंपरिक रूप से हम युद ् ध की कला में माहिर रहे हैं हम युद ् ध पौराणिक काल से लड़ते आ रहे हैं और अस ् त ् र-शस ् त ् र में बड़ी प ् रगति की है और इन अस ् त ् रों का उपयोग करने के लिए हम अपने सिपाहियों को नवीनतम प ् रशिक ् षण देते हैं हम युद ् ध में माहिर हैं हम प ् रशिक ् षण में माहिर हैं लेकिन अगर हम युद ् ध से लौटने वाले सैनिकों पर ध ् यान दें, हम उनको उनकी वापसी के लिए उचित रूप से तैयार नहीं कर पाए हैं आखिर क ् यों? हमारे प ् राचीनकालीय पूर ् वज द ् वंद ् व वहीँ करते थे जहाँ वे रहते थे इस ही कारण से, पहले कभी युद ् ध से लौटने के बाद के जीवन से सामना करने का प ् रशिक ् षण किसी को नहीं दिया जाता था लेकिन आजकल आधुनिक तकनीकों के द ् वारा हम अपने अमरीकी सैनिकों को लड़ने के लिए दुनिया में कहीं भी ले जा सकते हैं और युद ् ध पूरा होने पर सुरक ् षित देश वापिस ला सकते हैं पर सोचिये एक सैनिक पे क ् या बीत ती होगी कुछ पूर ् व सैनिकों ने मुझे बताया की उदाहरण के तौर पे किसी दिन वे अफगानिस ् तान में घमासान लड़ाई लड़ रहे थे, और तीन दिन में घर वापिस आकर बच ् चों के स ् कूल में जा कर उनका खेल देख रहे थे यह पागलपन से कम नहीं था (श ् रोता काहकहाते हुए) इस अनुभव का यह उचित वर ् णन है यह बिल ् कुल सटीक हैं हमारे सैनिक युद ् ध में प ् रशिक ् षित हैं, लेकिन कइयों को असैनिक जीवन बिताने का भी प ् रशिक ् षण चाहिए पी टी इस डी चिकित ् सा को बार बार करवाना पड़ता है सेना में जब सैनिक भर ् ती होते हैं उन ् हें विस ् तार में प ् रशिक ् षण मिलता है उन ् हें बार बार है कई तरह की परिस ् थितियों का प ् रशिक ् षण दिया जाता जब तक वे शस ् त ् र और हथियार को किसी भी परिस ् थिति में पूरी सक ् षमता से इस ् तिमाल करना ना सीख जाएँ उनके इलाज में भी ऐसा ही कुछ करना पड़ता है इन में सबसे पहले आती है संज ् ञानात ् मक चिकित ् सा यह मानसिक अंशशोधन की तरह है जब पूर ् व सैनिक घर लौट के आते हैं, वह दुनिया और परिस ् थितियों को एक युद ् ध स ् थल की तरह ही भांपते हैं उनके इस नज़रिये को साधारण अवस ् था में लाना आसान नहीं होता उन ् हें खतरा दिखता है वे सब पे शक करते हैं वैसे आम जीवन में खतरे होते हैं लेकिन युद ् ध के मुकाबले आम जीवन में खतरों की सम ् भावना कम होती है हम उनको अचानक बदलने को नहीं कहते हम उन ् हें उनकी स ् थिति के हिसाब से सतर ् क रहने को कहते हैं जैसे अगर आप सुनसान जगह पे हैं तोह ख़ास सावधानी बरतें लेकिन परिवार के साथ खाने जाएं तोह चिंता ना करें हम उन ् हें विचारपूर ् ण होना सिखाते हैं ताकि वह खतरे के हिसाब से ही सावधानी बरतें अभ ् यास करने से आदत दाल जाती है अगला प ् रशिक ् षण, एक ् सपोजर थेरेपी, एक कारगर और तेज़ तकनीक है आपको कार ् लोस याद होगा उसने यही उपचार चुना था हमने उसकी शुरुआत कुछ चुनौतीपूर ् ण अभ ् यासों से करी, जैसे दरवाज़े पर पीठ करे हुए दुकान में खड़े रहना या रेस ् तरां में बैठना और इस प ् रकार के वातावरण ज़ ् यादा समय बिताना शुरुआत में वह कुछ घबराये वह ऐसी जगह बैठना चाहते थे जहाँ से वो दरवाज़े और लोगों को देख सकें यह उनके लिए कठिन था सैनिक प ् रशिक ् षण का अनुभव होने के कारण उन ् होंने खुद को प ् रोत ् साहन दिया धीरे धीरे करके वह ऐसी स ् तिथि तक पोहोंच गए जहाँ वे सार ् वजनिक जगहों पर आराम और इत ् मीनान से बैठ पाएं कई बार उन ् होंने अपने युद ् ध अनुभव के रिकॉर ् डिंग भी सुने जब तक उन ् हें सुनके कोई उत ् तेजना ना महसूस हो उन ् होंने अपनी मानसिकता हो इतना बदला की नींद में उन ् हें युद ् ध के सपने आना बंद हो गए जब मैं उनसे एक साल बाद मिला उन ् होंने कहा "" डॉक ् टर, ४३ सालों में पहली बार मुझे अब डरावने सपने नहीं आते "" यह यादाश ् त मिटाने से अलग है सैनिक युद ् ध के अनुभव भुला तोह नहीं सकते, लेकिन उनसे पोहोंचने वाले दुःख को कम ज़रूर कर सकते हैं अब वे उन अनुभवों से मानसिक तनाव में नहीं आते यह हमेशा आसान नहीं होता सब पे कारगर भी नहीं होता इसमें विश ् वास बोहोत ज़रूरी है मुझसे पुछा जाता है कि "" बिना युद ् ध अनुभव के आप यह कैसे कर लेते हैं "" लेकिन असैनिक जीवन पर शिक ् षा देने के लिए युद ् ध अनुभव की ज़रुरत नहीं है आप को बस यह पता होना चाहिए की असैनिक जीवन कैसे जीना है पिछले दस साल से हर रोज़ मैं युद ् ध के कई दर ् दनाक किस ् से सुन चुका हूँ यह आसान नहीं है कभी कभी यह मेरी क ् षमता से बाहर हो जाता था लेकिन इस प ् रकार का प ् रशिक ् षण और सैनिकों की बहाली बड़ा संतोष प ् रदान करता हैं इससे लोगों का उद ् धार हो जाता है कार ् लोस अब अपने बाल बच ् चों के साथ हंस खेल के घूम फिर सकते हैं ताज ् जुब की बात है की ४३ सालों की पीड़ा १० हफ़ ् तों के प ् रशिक ् षण से ठीक हो गयी मैं जब उनसे मिला, तो उन ् होंने कहा "" मैं अपने ४३ साल तो वापस नहीं ला सकता, लेकिन अपने बचे हुए दिन शान ् ति से बिता सकता हूँ आशा करता हूँ की युवा सैनिकों को ऐसी सहायता समय पर मिल पायेगी क ् योंकि जीवन छोटा है, और अगर आप युद ् ध की आपदाओं से गुज़र चुके हैं, तोह बाकी जीवन सुख और शान ् ति से बिताना आपका अधिकार है "" लेकिन किसी को इस प ् रशिक ् षण के इंतज़ार में नहीं बैठना चाहिए सबसे बेहतर तोह यही होगा की युद ् ध न हो लेकिन वो मंज़िल अभी दूर है तब तक, हम युद ् ध से होने वाली पीड ़ ा से अपने भाइयों और बहनो को निजाद दिला सकते हैं और अच ् छा होगा अगर जितना विज ् ञान और धन हम युद ् ध में लगाते हैं, उतना लौटने वाले सैनिकों की खुशहाली में लगाएं उनको घर वापसी में कम से कम परेशानी हो, इस बात के हम ऋणी हैं धन ् यवाद. (तालियां) एक पूर ् वस ् नातक पाठ ् यक ् रम शुरू किया । और जिन प ् रश ् नों से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला उनमें से एक था: और ये स ् वेडिश छात ् रों के परिणाम थे । मैंने इसे किया था इसलिए एक प ् रोफेसर की ज ़ रूरत थी । तो मैंने अपनी खोज के बारे में महसूस किया । (हँसते हुए) क ् योंकि अगर मैं चिंपैंजी को दो केले दे दूँ, तो वह श ् रीलंका और टर ् की जब मैं उनसे पूछ ् ता हूँ, 1962 तक हमारे पास बहुत अच ् छे आंकड़े हैं – 1960 में सभी देशों के परिवार के आकार ् । और 1962 में यहाँ देशों का एक समूह था । वे औधोगिक देश थे, जिनमें परिवार छोटे और जीवन आयु लम ् बी होती थी । वे उस कोने से निकलकर आगे बढ़े और 90 में हम एचआईवी की भयंकर आपदा झेलते हैं और परिवार छोटे हैं, और हमारा एक पूर ् णतया नया संसार बनता है । मुझे सीधे संयुक ् त राष ् ट ् र अमेरीका और वियतनाम में तुलना करने दो । जीवन प ् रत ् याशा में सुधार आया । साल के अंत तक, आर ् थिक परिवर ् तन की अपेक ् षा सामाजिक परिवर ् तन में पहले देखने को मिला । के वितरण को देख सकते हैं । यह विश ् व के लोगों की आय का वितरण है । और अगर हम वहाँ देखें जहाँ आय ख ़ त ् म होती है- यह आय विश ् व की वार ् षिक आय की 100 प ् रतिशत है, कुल सबसे अधिक अमीर 20 प ् रतिशत हैं कि यह लोग इन लोगों को सहायता राशि प ् रदान कर रहे हैं, लेकिन बीच में आप देखोगे कि जैसे-जैसे जनसंख ् या बढ़ेगी, और हम उन ् हें अलग-अलग रखेंगे । और हम इस अक ् ष रेखा का विस ् तार कर सकते हैं, सामाजिक मूल ् य, बाल जीवन को शामिल कर, और यहाँ मैं इसे एक नया परिमाण दे सकता हूँ, और जब यह फूटता है, तो देश के बुलबुले का आकार जनसंख ् या का आकार होता है । यूगांडा में विकास अनुदान, यहाँ समय का निवेश, यहाँ से में दक ् षिण अफ ् रीका को अलग कर सकता हूँ । बीच में भारत एस बड़ा बुलबुला है । लेकिन अफगनिस ् तान और श ् रीलंका में एक बहुत बड़ा अंतर है अनिश ् चितता की गुंजाइश है, लेकिन हम यहाँ अंतर देख सकते हैं: यह ट ् से-तुन ् ग है, जो चीन में स ् वास ् थ ् य लेकर आया और फिर उसका स ् वर ् गवास हो गया । और अगर हम फिर वापिस यहाँ आयें, और उनका, इस तरह अनुसरण करें,बिल ् कुल अलग है, और राष ् ट ् र क ़ रीबन-क ़ रीबन उसी दर से और दिखा सकते हैं कि, आप संयुक ् त अरब अमीरात के मार ् ग पर चल सकते हैं । वह खनिज पदार ् थ वाल देश के रूप में प ् रस ् तुत हुआ । उसने अपने तेल को भुनाया, इसलिए हम विश ् व की मुख ् यधारा की सम ् भावना के बारे में बहुत कुछ जान चुके हैं, कि आज सभी देश अतीत की अपेक ् षा अपने धन को कहाँ युगांडा में पूर ् णतया अंतर है । यह युगांडा का सार है । अफ ् रीका में वह सब विधमान है जो इस दुनिया में है । और आप चूँकि आंकड़े डेटाबेस में छिपे हैं लोग इन ् हें इंटरनेट पर देख सकते हैं सार ् वजनिक -निधि गणनायें शामिल नहीं हैं । लेकिन लोग उन पर पैसा चार ् ज करते हैं, अरोचक पासवर ् ड बनाते हैं, और गणनाएँ भी ऊबाऊ होती हैं । (हँसते हुए) (करतल ध ् वनि) कुछ देश यह स ् वीकार करते हैं कि उनका डाटाबेस विश ् व में प ् रसारित किया जा सकता है, और पूरे विश ् व में प ् रसारित कर सकते हैं । और जब हमें अपने आस-पास क ् या सुनने को मिलता है? वह सिर ् फ ़ इतना कहता है कि, "" हम यह नहीं कर सकते । ""और वह बहुत ही बुद ् धिमान व ् यक ् ति है? (हँसते हुए) तो आने बाले सालों में हम बहुत सारा डाटा देख सकते हैं । हम एक बिल ् कुल नये तरीक ़ े से आय वितरण को देख सकेंगे । और यह 1970 में यूनाइटेड स ् टेटस का आय वितरण है । सम ् भवता एक भूत की तरह? यह बहुत ही अजीब है । लेकिन मुझे लगता है कि ये सारी सूचनाएँ रखना बहुत ज ़ रूरी हैं । मैं प ् रति 1000 इंटरनेट उपयोगकर ् ता को दिखाकर समाप ् त करना चाहूँगा । लेकिन शीर ् ष पर, आप आसानी से अपना पसन ् दीदा परिवर ् तन प ् राप ् त कर सकते हैं । जहां आप उन ् हें आसानी से समझ सकते हैं, में मदद करता है । अब गणनाकार इसे पसन ् द नहीं करते, क ् योंकि वे कहते हैं । कि यह- और मैं उस संसार के साथ समाप ् त करता हूँ जहाँ इंटरनेट आ रहा है । करतल ध ् वनि मैं बहुत बहुत खुश हूँ ऎसे लोगों के बीच आकर — इस रोशनी से मेरे आँखों में तक ़ लीफ़ हो रही है और ये मेरे चश ् मे में भी बुरी तरह पड ़ रही है. मैं बहुत ही ख ़ ुश और सम ् मानित अनुभव कर रहा हूँ इतने सारे अनूठे और बुद ् धिमान लोगों के बीच आकर. पहले के तीन वक ् ताओं की बातें मैंने सुनी, और जानते हैं क ् या हुआ? हर वो बात जो मैं कहना चाहता था, वो पहले ही कह चुके हैं, और ऎसा लगता है कि मेरे पास कहने को कुछ नहीं बचा. (ठहाका) पर मेरे यहाँ एक कहावत है कि अगर कोई कली पेड ़ से बिना कुछ कहे कर गिर जाए, तो वो कली कच ् ची है. इसलिए मैं — चूँकि मैं कच ् ची उमर का नहीं हूँ और मेरी काफी उमर हो गई है, मैं कुछ ज़रुर कहूँगा. हम इस सम ् मेलन का आयोजन बहुत ही सटीक समय पर कर रहे हैं क ् योंकि बर ् लिन में एक और सम ् मेलन का आयोजन किया जा रहा है. जी-8 शिखर सम ् मेलन. जी-8 शिखर सम ् मेलन ने प ् रस ् ताव दिया है कि अफ़ ् रीका की समस ् याओं का समाधान बड ़ ी मात ् रा मे अनुदान देने में है, कुछ कुछ मार ् शल प ् लान जैसा ही. दुर ् भाग ् य से व ् यक ् तिगत तौर पर मेरा मार ् शल प ् लान में विश ् वास नहीं है. पहले तो इसलिए कि मार ् शल प ् लान के फायदों को बढ ़ ा-चढ ़ ा कर आँका गया. इसका सबसे ज़ ् यादा लाभ उठाने वाले देश जर ् मनी और फ ् राँस थे, और ये उनके सकल घरेलू उत ् पाद का केवल 2.5 प ् रतिशत था. एक औसत अफ ् रिकी देश को मिला विदेशी अनुदान उसके सकल घरेलू उत ् पाद का 13 से 15 प ् रतिशत तक होता है, जो कि धनी से ग ़ रीब देशों को सौंपे गये वित ् तीय संसाधनों की अभूतपूर ् व मात ् रा है. मैं कहना चाहूँगा कि यहाँ हमें दो चीज़ें जोड ़ कर देखनी होंगी. किस तरह से पश ् चिमी मीडिया वहाँ अफ़ ् रीका को प ् रस ् तुत करती है, और उसके परिणाम. हताशा, बेबसी और निराशा दिखाकर मीडिया अफ़ ् रीका का सच ही बता रही है, और ये सच ही है. लेकिन, मीडिया पूरा सच नहीं बता रही है. क ् योंकि हताशा, गृ ् हयुद ् ध, भूख और अकाल, जहाँ अफ़ ् रीकी वास ् तविकता का हिस ् सा हैं, वहीं, केवल यही अफ ् रिका की वास ् तविकता नहीं है. और दूसरे, ये वास ् तविकता का सबसे छोटा भाग हैं. अफ ् रिका में 53 देश हैं. इनमें से केवल 6 गृ ् हयुद ् ध पीड ़ ित हैं, जिसका मतलब है कि मीडिया केवल छह देशों की ही सूचना दे रही है. अफ ् रिका में अपार संभावनाएँ हैं, जो उस हताशा और बेबसी के जाल से बाहर नहीं पहुँच पातीं जिसे पश ् चिमी मीडिया अपने दर ् शकों को परोसती है. ऐसी प ् रस ् तुति का असर यही होता है कि ये संवेदना मांगती है. ये दया मांगती हे, ये दान मांगती है. नतीज़ा - अफ़ ् रीका की आर ् थिक समस ् याओं का पश ् चिमी मानस पटल में ग ़ लत चित ् रण होता है. यह ग ़ लत छवि इस सोच का परिणाम है कि अफ़ ् रीका एक हताशा भरी जगह है. हम उसका क ् या करें? हमें भूखों को खाना देना चाहिए. हमें बीमारों के लिए दवाई मुहैया करानी चाहिए. हमें शान ् ति सेना भेजनी चाहिए गृ ् हयुद ् ध से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए. और इस पूरी प ् रक ् रिया में अफ़ ् रीका से 'स ् वंयं करो' वाली भावना छिन ् न-भिन ् न हो गई है. मैं कहना चाहूँगा कि इस बात को पहचानना ज़रूरी है कि अफ़ ् रीका की कुछ आधारभूत कमज़ोरियाँ हैं. पर साथ ही, उसमें संभावनाएँ भी हैं और अवसर भी. अफ़ ् रीका आज जिस चुनौति का सामना कर रहा है, उसे हमें नए सिरे से समझने की ज़रुरत है, एक हताशाभरी चुनौती से हटकर, वो हताशा जिसे हम ग ़ रीबी उन ् मूलन का नाम देते हैं, उसे एक आशावादी चुनौती में बदलना होगा. यह आशावादी चुनौती होगी संपद निर ् माण की, और इसे बनाना अति-आवश ् यक है. अफ़ ् रीका में रुचि रखने वाले हर शख ् स के आगे सवाल ग ़ रीबी मिटाने का नहीं है बल ् कि संपदा सृ ् ष ् टि का है. एक बार हम इन दो चीज़ों को बदल दें — अगर आप ये कहें कि अफ ् रिकी लोग ग ़ रीब हैं और उन ् हें ग ़ रीबी से मुक ् ति चाहिए, तो सद ् भावनाओं का अंतर ् राष ् ट ् रिय समुदाय इस महाद ् वीप में घुस पड ़ ेगा, साथ में क ् या लेकर? ग ़ रीबों के लिए दवाईयाँ, भूखों के लिए खाना, गृ ् हयुद ् ध से जूझ रहे लोगों के लिए शान ् ति सेना. और इस पूरी प ् रक ् रिया की किसी भी चीज़ की उपयोगिता सचमुच में नहीं है क ् योंकि आप लक ् षणों का उपचार कर रहे हैं, अफ ् रिका के मूल समस ् याओं का नहीं. किसी को स ् कूल भेजने से या दवाईयाँ देने से, देवियों और सज ् जनों, उनके लिए संपत ् ति सृष ् टि नहीं होती. संपत ् ति आय से पनपति है, और आय आती है किसी लाभजनक व ् यवसायिक अवसर या किसी अच ् छी तन ् ख ् वाह की नौकरी से. अब जब हम अफ ् रिका में संपत ् ति सृ ् ष ् टि के बारे में बात करने लगे हैं तो हमारी दूसरी चुनौति है, किसी समाज मे संपत ् ति निर ् माण करने वाले कौन होते हैं? वो हैं उद ् यमी. [अस ् पष ् ट] ने कहा है कि उद ् यमी हमेशा जनसंख ् या का लगभग चार प ् रतिशत होतें हैं, पर इनमें से 16 प ् रतिशत अनुकरणकारी हैं. पर इन लोगों को भी उद ् यमिता में सफलता मिल जाती है. तो हमें पैसे कहाँ डालने चाहिए? हमें निवेश वहाँ करना चाहिए जहाँ ये लाभजनक रूप से बढ ़ सके. अफ ् रिका में घरेलू और विदेशी, दोनों ज़रीयों से निजी निवेश का समर ् थन करें. शोध संस ् थाओं का समर ् थन करें, क ् योंकि संपत ् ति के निर ् माण में ज ् ञान की बहुत महत ् वपूर ् ण भूमिका है. पर आज अंतर ् राष ् ट ् रिय अनुदान समुदाय अफ ् रिका के साथ क ् या कर रही है? ये बड ़ ी बड ़ ी धन राशियाँ फेंक रहे हैं प ् राथमिक स ् वास ् थ ् य, प ् राथमिक शिक ् षा, खाद ् य सहायता के लिए. पूरे महाद ् वीप को एक हताश जगह में तब ् दील कर लिया गया है, जिसे दान की ज़रूरत है. देवियों और सज ् जनों, क ् या आप ऎसे किसी के बारे में बता सकते हैं जिसे आप जानते हैं, कोई पड ़ ौसी, दोस ् त, या रिश ् तेदार जो अचानक दान लेकर रईस हो गए हों? भीख के कटोरे में दान लेकर? क ् या आप दर ् शकों में से कोई ऎसे किसी को जानते हैं? क ् या आप ऎसे किसी देश के बारे में जानते हैं जो दूसरे देशों की उदारता और दान पर आगे बढ ़ ा हो? चूँकि मुझे कोई हाथ उठा नहीं दिख रहा है, तो लगता है कि मैंने सही बात कही. बोनो: हाँ! एन ् ड ् र ् यू मवेन ् डा: मैं देख रहा हूँ बोनो कह रहा है कि वो उस देश को जानता है. कौनसा देश है वो? बोनो: आयरलैण ् ड. (ठहाका) बोनो: [अस ् पष ् ट] धन ् यवाद. पर मैं आपसे कुछ कहना चाहूँगा. बाहरी कारण आपके लिए अवसर तैयार कर सकते हैं. लेकिन उस मौके को काम में लगाकर इसका लाभ उठाना आपकी आंतरिक क ् षमताओं पर निर ् भर करता है. अफ ् रिका को काफी अवसर मिले हैं, जिनमें से बहुतों से हमें ज़ ् यादा लाभ नहीं हुआ है. क ् यों? क ् योंकि हमारे पास वो आंतरिक व ् यवस ् था या नीतियों की रुपरेखा नहीं है जिससे हम इन विदेशी संबंधों का लाभ उठा सकें. मैं एक उदाहरण देता हूँ. कोटुनो समझौता जिसे पहले लोमे आचार कहा जाता था, के अंतर ् गत युरोप ने अफ ् रिकी देशों को युरोपियन युनियन बाज़ारों में बिना कर के माल निर ् यात का मौका दिया है. मेरे देश युगान ् डा को 50,000 मेट ् रिक टन चीनी युरोपियन युनियन के बाज़ारों में निर ् यात करने का कोटा मिला है. हम लोगों ने अब तक एक किलो का निर ् यात भी नहीं किया है. हम ब ् राज़ील और क ् यूबा से 50,000 मेट ् रिक टन चीनी का आयात करते हैं. दूसरी तरफ, उसी समझौते के बीफ प ् रोटोकॉल के अंतर ् गत बीफ (गो-मांस) उत ् पादन करने वाले अफ ् रिकी देशों को बीफ के युरोपियन युनियन बाज़ारों में कर रहित निर ् यात के लिए कोटे दिए गए हैं. अफ ् रिका के सबसे समृ ् द ् ध देश बोत ् स ् वाना सहित एक भी अफ ् रिकी देश कभी भी अपना कोटा पूरा नहींकर पाया है. मैं आज पूरे दावे के साथ ये कहना चाहूँगा कि अफ ् रिका के बाकी विश ् व के साथ सकरात ् मक संबंध न बना पाने का कारण उसकी व ् यवस ् था और नीतियों की कमज़ोरी है. किसी भी तरह के हस ् तक ् षेप को समर ् थन की ज़रूरत होती है, ऎसी संस ् थाओं का विकास जो संपत ् ति सृ ् ष ् टि कर सकें, ऎसी संस ् थाओं का विस ् तार जो उत ् पादकता बढ ़ ा सके. हम शुरुवात कहाँ से करें और अनुदान इसके लिए बुरा क ् यों है? अनुदान का तरीक ़ ा बुरा है, जानते हैं क ् यों? क ् योंकि विश ् व की हर सरकार को गुज़ारे के लिए धन की आवश ् यकता है. क ़ ानून और व ् यवस ् था बनाए रखने जैसे साधारण कामों के लिए धन की आवश ् यकता है. कानून और व ् यवस ् था बनाए रखने के लिए सेना तथा पुलिस को धन देने की आवश ् यकता होती है. चूँकि हमारी ज़ ् यादातर सरकारें तानाशाह हैं, उन ् हें अपने विरोधियों को कुचलने के लिए सेना की आवश ् यकता होती है. दूसरे तो आपको अपने राजनैतिक चमचों को भी पैसे देने पड ़ ते हैं. लोग सरकार का समर ् थन क ् यों करे? इसलिए क ् योंकि ये उन ् हें अच ् छी तन ् ख ् वाह वाली नौकरियां दिलाती हैं. या फिर भ ् रष ् टाचार से लाभ उठाने के अनुचित मौके. तथ ् य यह है, कि दुनिया की कोई भी सरकार, ईदी अमीन जैसों को छोड ़ कर, केवल ताक ़ त के दम पर शासन नहीं कर सकती. [अस ् पष ् ट] के बहुत सारे राष ् ट ् रों को मान ् यता चाहिए. मान ् यता पाने के लिए शासकों को प ् राथमिक शिक ् षा, प ् राथमिक स ् वास ् थ ् य, सड ़ क जैसी चीज़ें मुहैया करानी होती हैं, अस ् पताल और दवाखाने बनाने होते हैं. अगर किसी सरकार का आर ् थिक अस ् तित ् व अपने देश के लोगों से ही अर ् थ संग ् रहण पर निर ् भर करता है, तो एसी सरकार अपने आत ् महित में ही अधिक सचेतनता के साथ शासन करने का प ् रयास करेगी. वो उन लोगों के साथ बैठेगी जो संपद सृ ् ष ् टि करते हैं. उनसे पूछेगी कि उन ् हे किस तरह की नीतियों और संस ् थाओं की आवश ् यकता है जिससे वो अपने व ् यवसाय की परिधी और अनुपात को विस ् तार दे सकें ताकि उनसे अधिक कर की आमदनी हो सके. अफ ् रिकी महाद ् वीप की समस ् या और अनुदान उद ् योग की समस ् या यही है कि उसने अफ ् रिकी सरकारों के आगे आनुपातिक प ् रतिफल की संभावनाओं को ही बिगाड ़ के रख दिया है. हमारे सरकार के लिए आय की संभावनाओं में लाभ के अवसर घरेलू अर ् थव ् यवस ् था से नहीं, बल ् कि अंतर ् राष ् ट ् रिय दान-दाताओं से हैं. बजाय इसके कि युगान ् डाई लोगों से बैठक की जाए — (तालियाँ) बजाय इसके कि बैठक की जाए युगान ् डाई उद ् योगपतियों से, या फिर घाना के व ् यवसायियों से या दक ् षिण अफ ् रिका के उद ् योगों में अग ् रणी भूमिका निभाने वालों से, हमारी सरकारें ज़ ् यादा फ ़ ायदेमंद पाती हैं IMF (अंतर ् राष ् ट ् रिय मुद ् रा कोष) या वर ् ल ् ड बैंक से बात करने में. मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि अगर आपके पास दस पी.एच.डी हो, तो भी आप कंप ् युटर उद ् योग की समझ में बिल गेट ् स का मुक ़ ाबला नहीं कर सकते. क ् यों? क ् योंकि जिस ज ् ञान की आवश ् यकता होती है किसी उद ् योग के विस ् तार के लिए ज़रूरी क ़ दमों को समझने के लिए, उसके लिए आपको उन लोगों की राय लेनी पड ़ ेगी, जो उस उद ् योग के निजी क ् षेत ् र से जुड ़ े हों. अफ ् रिकी सरकारों को मौका दिया गया है अंतर ् राष ् ट ् रिय समुदाय द ् वारा, कि वे अपने ही नागरिकों से सकरात ् मक संबंध बनाने से बचे, और बजाय उसके, IMF एवं वर ् ल ् ड बैंक से अनगिनत समझौते करते रहें और फिर IMF एवं वर ् ल ् ड बैंक ही उन ् हे बताए कि उनके नागरिकों की ज़रूरतें क ् या हैं. इस तरह हम, अफ ् रिका के साधारण लोग, दरकिनार कर दिए गए हैं हर तरह हे नीति निर ् धारण, दिशा निर ् णयन और नीतियों के कार ् यान ् वयन की सारी प ् रक ् रियाओं से. हमारी क ् षमता सीमित है, क ् योंकि धन देने वाला नियम भी बनाता है. IMF, वर ् ल ् ड बैंक एवं विश ् व भर की सद ् भावना समुदाय ने हमसे हमारे नागरिक अधिकार छीन लिए हैं, और इस कारण हमारी सरकारें अनुदान निर ् भर होने के कारण यही कर रहीं हैं कि अपने नागरिकों के बजाए अंतर ् राष ् ट ् रिय देनदारों की बातों को तवज ् जो दे. पर यहाँ मैं एक चेतावनी भी जोड ़ ना चाहूँगा, वो यह है कि यह सच नहीं कि अनुदान का नतीजा हमेशा नकरात ् मक होता है. कुछ अनुदानों से अस ् पताल बने होंगे, या किसी गाँव की भूख मिटी होगी. उससे सड ़ कें बनी होंगी जिसकी बहुत उपयोगिता रही होगी. अंतर ् राष ् ट ् रिय अनुदान उद ् योग की चूक यह है कि सफलता के ऎसे छिट-पुट घटनाओं को ही नियम मानकर इनमें पहले तो करोड ़ ों - अरबों डॉलर झोंक दे और फिर इन नक ् शों को विश ् व भर मैं दोहराने लगें, ये सोचे बग ़ ैर कि हर गाँव की अपनी अनोखी और विशिष ् ट परिस ् थिति होती है, उनके हुनर, रिवाज, मान ् यताएँ और आदतें, जो किसी छोटे अनुदान प ् रोजेक ् ट को सफल बनाते हैं — जैसे की कीन ् या के साओरी गाँव में जहाँ जेफरी साक ़ काम कर रहे हैं — और इस तरह के एक-आध अनुभवों को ही सामान ् य मानकर हर किसी का अनुभव मान लेना. अनुदान किसी सरकार को उपलब ् द ् ध संसाधन बढ ़ ाता है, जिससे सरकार में काम करना, बतौर पेशा किसी भी अफ ् रिकी व ् यक ् ति के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है. किसी राष ् ट ् र के राजनैतिक आकर ् षण बढ ़ ् ने से, वो भी हमारे जैसे जातियों में विभाजित अफ ् रिकी समाजों में, अनुदान जातिगत तनावों को बढ ़ ा देता है. क ् योंकि हर एक जाति का गुट सरकार में शामिल होने की कोशिश करेगा ताकि उसे विदेशी अनुदान में हिस ् सा मिल सके. देवियों और सज ् जनों, अफ ् रिका के सबसे उद ् यमी लोगों को व ् यापार और रोज़गार के अवसर नहीं मिल पाते क ् योंकि व ् यवस ् था और नीतियों का माहौल व ् यापार विरोधी है. सरकार उनमें बदलाव नहीं ला रही है. क ् यों? क ् योंकि उन ् हें अपने नगरिकों से बात करने की ज़रूरत नहीं पढ ़ ती. वे अंतर ् राष ् ट ् रिय दान-दाताओं से बात करते हैं. तो सबसे उद ् यमी अफ ् रिकी अंततः सरकार के लिए ही काम करते पाए जाते हैं, जिसने हमारे देशों में राजनैतिक तनाव बढ ़ ा दिए हैं, सिर ् फ इसलिए क ् योंकि हम अनुदान पर आश ् रित हैं. मैं यह भी कहना चाहूँगा कि ज़रूरी है कि हम इस बात पर भी ग ़ ौर करें कि पिछले 50 सालों से अफ ् रिका को अनुदान मिलता आया है अंतर ् राष ् ट ् रिय समुदाय से तकनीकि या वित ् तीय सहायता के रूप में, और अनुदान के और सभी प ् रकारों से. 1960 और 2003 के बीच हमारे महाद ् वीप को 60,000 करोड ़ डॉलर की राशि अनुदान में मिली, और तब भी हमें आज भी ये कहा जाता है कि अफ ् रिका में बहुत ग ़ रीबी है. ये सारा अनुदान आखिर गया कहाँ? मैं अपने देश युगान ् डा का ही उदाहरण देना चाहूँगा और बताना चाहूँगा अनुदान ने वहाँ किस तरह के प ् रतिफल दिए हैं. 2006-2007 के बजट में, अनुमानित आय 2,50,000 करोड ़ शिलींग. अनुमानित विदेशी अनुदान: 1,90,000 करोड ़. युगान ् डा के पुनर ् रावर ् ती (बार बार होने वाले) ख ़ र ् च — पुनर ् रावर ् ती से मैं क ् या कहना चाहता हूँ? सिर ् फ़ गुज़ारे के लिए — 2,60,000 करोड ़ है. युगान ् डा सरकार अपने बजट में अपने आय का 110 प ् रतिशत क ् यों ख ़ र ् च कर देती है? क ् योंकि विदेशी अनुदान के नाम पर कोई है जो इसकी भरपाई करती है. पर ये इस बात को ज़रूर दिखाती है कि युगान ् डा की सरकार अपनी आय को उत ् पादन-सक ् षम निवेशों मैं खर ् च करने को समर ् पित नहीं है, बल ् कि इस आय को वह सरकारी तंत ् र चलाने में ही ख ़ र ् च कर देती है. सरकारी व ् यवस ् था, जो ज़ ् यादातर प ् रश ् रय-पालन पर चलता है, 69,000 करोड ़ लेती है. सेना, 38,000 करोड ़. कृ ् षि में, जो 18 प ् रतिशत ग ़ रीब नागरिकों की जीविका है, सिर ् फ़ 18,000 करोड ़ लगते हैं. व ् यापार और उद ् योग में 4,300 करोड ़ लगते हैं. अब मैं दिखाना चाहूँगा कि सरकारी ख ़ र ् चों में — बल ् कि युहान ् डा में सरकारी व ् यवस ् था चलाने के ख ़ ् रर ् चों में — क ् या शामिल है? तो देखिए. 70 केन ् द ् रीय मंत ् री, 114 राष ् ट ् रपति सलाहकार — जो कि, राष ् ट ् रपति को कभी नहीं देख पाते, सिवाय टेलिविज़न पे. (ठहाका) (तालियाँ) और जब वो उन ् हे साक ् षात देख पाते हैं, ऎसे ही किसी सार ् वजनिक सभाओं में, तब भी, सलाह तो राष ् ट ् रपति ही उन ् हें देते हैं. (ठहाका) हमारे स ् थानीय सरकार में 81 खन ् ड हैं, और हर स ् थानीय सरकार केन ् द ् रीय सरकार की तर ् ज़ पर गठित है — अधिकारी-वर ् ग, मंत ् री-मण ् डल, संसद, और राजनैतिक पिछ-लग ् गुओं के लिए ढेर सारा काम. ऎसे 56 खण ् ड थे, और जब हमारे राष ् ट ् रपति ने संविधान संशोधन कर इनके कार ् य काल की सीमा हटानी चाही, उन ् हें 25 नए ज़िले बनाने पड ़ े, जिससे अभी खन ् ड कुल मिलाकर 81 हो गए हैं. 333 संसद सदस ् य. हमारे संसद की सभा के लिए वेम ् ब ् ली स ् टेडियम की ज़रूरत पड ़ ेगी. 134 आयोग और अर ् ध-शासित सरकारी संस ् थाएँ, जिनमें से हर किसी में निर ् देशक हैं, और गाड ़ ियाँ — और ये आख ़ िरी बात मैं बोनो महाशय को बताना चाहूँगा. इस पर अपने काम के ज़रीए वो हमारी मदद कर सकते हैं. युगान ् डा सरकार पर हाल ही में किए एक जाँच में पाया गया कि 3,000 चार-पहिए की मोटर गाड ़ ियाँ स ् वास ् थ ् य मंत ् रालय के मुख ् यालय में हैं. युगान ् डा में 961 उप-ज़िले हैं, हर एक में एक दवाखाना है, जिनमें से एक के पास भी एम ् ब ् युलेन ् स नहीं है. मुख ् यालय के ये चार पहिए वाहन मंत ् रियों को, स ् थायी सचिवों को, अधिकारियों को और अनुदान प ् रोजेक ् ट पर काम करने वाले अंतर ् राष ् ट ् रिय अनुदान अधिकारियों को लाने-ले जाने के काम आता है, जबकि बिना एम ् ब ् युलेन ् स और दवाईयों के ग ़ रीब मर रहे हैं. अंत में, मैं कहना चाहूँगा कि यहाँ बोलने आने से पहले मुझे बताया गया था कि टेड ग ् लोबल का सिद ् धांत ये है कि एक अच ् छा भाषण मिनी स ् कर ् ट की तरह होना चाहिए — उतना ही छोटा जिससे कौतूहल जगे, पर उतना लम ् बा जिससे विषय को समेटा जा सके. मैं उम ् मीद करता हूँ कि में ऎसा कर पाया. (ठहाका) आप सभी का धन ् यवाद. (तालियाँ) मैं जेस ् सी हूँ और यह मेरा सूटकेस है | पर इससे पहले मैं आपको बताऊ कि इसके अंदर क ् या है, मैं आपके सामने एक बात स ् वीकार करुँगी, और वो है, कि मैं पोशाकों के लिए पागल हूँ | उन ् हें खोजना, पहनना और आजकल, फोटो (photo) लेना और लिखना हर मौके के लिए एक अलग रंगीन पोशाक पहनना मुझे अच ् छा लगता है | लेकिन मैं कुछ भी नया नहीं खरीदती | मैंने अपने सारे पुराने कपड ़ े सस ् ती और पुरानी चीजों के दुकान से लेती हूँ | ओह धन ् यवाद | पुरानी चीजों कि खरीददारी मुझे अवसर देती है कि पर ् यावरण और मेरे बटुवे पर कपड़ो का प ् रभाव कम हो सके | मुझे बहुत से अच ् छे लोगों से मिलने का मौका मिलता है; मेरे पैसे अच ् छे कामो में खर ् च होते हैं; मैं बहुत ही अलग दिखती हूँ और यह मेरी खरीददारी को एक खजाने की खोज बना देती है | मतलब की जैसे मुझे आज क ् या पसंद आएगा? क ् या यह मेरे नाप का होगा? क ् या मुझे रंग पसंद आएगा? क ् या यह 20 डालर से कम का होगा? और अगर सभी जवाब हाँ है, तो मुझे जीत का अहसास होता है | मैं अब अपने सूटकेस के बारे बात करुँगी और बताना चाहूंगी कि इसमें क ् या रखा है TED में इस रोमांचक हफ ् ते के लिए | ऐसे पोशाको के साथ कोई अपने साथ क ् या लेकर आ सकता है? मैं आपको दिखाने वाली हूँ कि आखिर में मैं क ् या ले कर आयी हूँ मैं अंत: वस ् त ् र के 7 जोड़े लाये है और बस इतना ही | सिर ् फ एक हफ ् ते के लिए अंत: वस ् त ् र ही है मेरे सूटकेस में | मैंने अनुमान लगाया था कि जो कुछ भी मुझे पहनने का मन होगा पाम स ् प ् रिंग (Palm Springs) आने के बाद मुझे मिल सकता है | और आपने मुझे TED में ऐसी महिला के रूप में नहीं देखा जो अंत: वस ् त ् रो में घूम रही हो — (हंसी) इसका अर ् थ है कि मैंने कुछ चीजे खोज ली | और मैं अब आपको इस पुरे हफ ् ते की पोशाके अभी दिखाना चाहूंगी क ् या यह ठीक है? (अभिवादन) ये दिखाते हुए, मैं आपको जीवन से जुड़े कुछ उपदेश भी बताउंगी यकीन करिए या नहीं, ये मैंने सीखे हैं कुछ भी नया ना पहनने के रोमांचक अनुभव से | तो चलिए रविवार से शुरू करते हैं | मैं इसे शाइनी टाइगर (Shiny Tiger) कहती हु | अच ् छा दिखने के लिए आपको ज ् यादा खर ् च करने की जरुरत नहीं है | 50 डालर से कम में भी आप हमेशा बहुत उम ् दा दिख सकते हैं | यह पुरी पोशाक, जैकेट के सांथ मुझे 55 डालर में मिली, और यह सबसे महंगी चीज थी जो मैंने पुरे हफ ् ते पहनी सोमवार: रंग प ् रभावशाली है | शारारिक दृष ् टी से लगभग असंभव है कि आप उदास हो जाए जब आपने चमकदार लाल रंग के कपडे पहने हुए हों | (हंसी) अगर आप खुश हैं, तो दुसरे खुश लोगो को अपनी तरफ आकर ् षित करेंगे मंगलवार: ताल मेल बैठाने को जरुरत से ज ् यादा महत ् व दिया जाता है | मैं अपने पुरे जीवन भर वही रहने की कोशिश की है जैसी हूँ वैसी ही रहूँ और सांथ में ताल मेल बैठा कर भी रहूँ | आप वही रहिये जो आप हैं | अगर आपके आसपास अच ् छे लोग हैं, तो वो ना सिर ् फ इसे समझेंगे बल ् कि इसकी सराहना भी करेंगे बुधवार: अपने भीतर के बच ् चे को साथ रखिये | कभी कभी लोग मुझे कहते है कि ऐसा लगता है जैसे मैं पोशाको के साथ खेल रही हूँ, या फ ़ िर मैं उन ् हें उनकी 7 साल की बेटी कि याद दिलाती हूँ | मैं मुस ् कुरा कर कहती हु "" धन ् यवाद "" गुरुवार: आत ् मविश ् वास महत ् वपूर ् ण है | अगर आपको लगता है किसी पोशाक में आप अच ् छे दिखते है, तो आप सचमुच में अच ् छे लगते है | और अगर आपको लगता है किसी पोशाक में आप अच ् छे नहीं दिखते हैं, तो भी आप लगभग सही हैं | बचपन में मेरी माँ ने हर दिन मुझे यही सिखाया | लेकिन जब मैं 30 की हो गयी तब ही मुझे इसका असली अर ् थ समझ में आया | मैं आपको इसे 1 सेंकेंड में आसान करके बताउंगी | अगर आप यकीन रखते है कि आप अंदर और बाहर से सुन ् दर इन ् सान है, तो कोई भी ऐसा रूप नहीं है जिसमे आप नहीं दिख सकते हम सभी श ् रोताओ में से किसी के लिए भी कोई बहाना नहीं है | हम कुछ भी अच ् छा कर सकते है जो हम करना चाहते हैं | धन ् यवाद (अभिवादन) शुक ् रवार: एक सार ् वभौमिक सच - कुछ शब ् द आपके लिए सुनहरे सितारे सभी के साथ अच ् छे लगते हैं | और आखिर में, शनिवार: अपना खुद का अलग फैशन बनाना एक बेहतरीन तरीका है दुनिया को अपने बारे में बताने का वो भी बिना कोई शब ् द कहे | यह बार बार मेरे लिए साबित हुआ है जब इस हफ ् ते लोग मुझसे मिलने आये बस मेरे पहनावे की वजह से | और बहुत सी अच ् छी वार ् तालाप हुई | सीधी सी बात है इतना सब मेरे छोटे से सूटकेस में नहीं आएगा | अपने घर ब ् रुकलिन जाने से पहले मैं यह सब दान में दे दूंगी क ् युकि इस हफ ् ते मैं सबक सिखने की कोशिश कर रही हूँ कि उन ् हें खो देना ठीक है | मुझे इन चीजो से भवनात ् मक रूप से जुड़ने की कोई जरुरत नहीं है क ् युकि और कंही, हमेशा कोई दूसरी एक अलग, रंगीन चमकदार पोशाक मेरा इंतज़ार कर रही है, अगर मैं अपने दिल में थोडा स ् नेह रख कर देखू आप सभी का बहुत धन ् यवाद | (अभिवादन) धन ् यवाद (अभिवादन) (संगीत) (तालियाँ) (संगीत) (तालियाँ) (संगीत) (तालियाँ) (संगीत) (तालियाँ) पिछले हफ़ ् ते फ़ाउण ् डेशन संबंधी बातों को लेकर मैंने एक पत ् र लिखा, कुछ समस ् याओं का ज़िक ् र करते हुए । और वारेन बफ़ेट ने मुझे सुझाव दिया कि मैं यह करता हूँ — क ् या अच ् छा हुआ, क ् या नहीं इस बारे में ईमानदार रहते हुए, और इसे एक सालाना क ् रम बनाते हुए । मेरा उद ् देश ् य था उन समस ् याओं पर काम करने के लिए अधिक लोगों को लाना, क ् योंकि मुझे लगता है कि कुछ समस ् याएँ बहुत महत ् वपूर ् ण हैं जिन पर अपने आप काम नहीं हो सकता । अर ् थात वैज ् ञानिकों, संचारकों, विचारकों, सरकारों को सही चीज़ें करने के लिए बाज़ार प ् रेरित नहीं करता । केवल इन चीज़ों पर ध ् यान देकर और बेहतर लोगों को साथ लेकर जो समझते हैं और दूसरे लोगों को भी समझाकर क ् या हम उतना आगे बढ़ सकते हैं जितना ज़रूरी है । तो आज सुबह मैं उनमें से दो समस ् याएँ बाटूँगा और बात करेंगे उनकी स ् थिति के बारे में । लेकिन उन पर जाने से पहले मैं यह स ् वीकारना चाहता हूँ कि मैं आशावादी हूँ । कितनी भी मुश ् किल समस ् या हो, मैं मानता हूँ कि हल की जा सकती है । और इसी संदर ् भ में मुझे लगता है कि एक ज़रिया है अतीत में देखा जाए । पिछली सदी से, औसत जीवनकाल दुगुने से भी ज़ ् यादा हो गया है । एक और आंकड़ा जो मुझे पसंद है, बाल मृत ् युदर को देखें । 1960 के दौरान, 11 करोड़ बच ् चे पैदा हुए और उनमें से 2 करोड़ पाँच साल से ज़ ् यादा जीवित नहीं रहे । पाँच साल पहले, साढ़े 13 करोड़ बच ् चे पैदा हुए थे — इसी तरह, और — और उनकी संख ् या 1 करोड़ से कम थी जो पाँच साल से ज़ ् यादा जीवित नहीं रहे । तो ये दिखाते है कि बाल मृत ् युदर पहले से आधी हो गयी है । यह वास ् तव में कमाल है । उनमें से हर एक की ज़िंदगी बहुत कीमती है । और प ् रमुख कारण जिसकी वजह से यह हो सका सिर ् फ़ बढ़ती आमदनी नहीं थी बल ् कि कुछ महत ् वपूर ् ण सफ़लताएँ हैं: टीके, जिनका उपयोग व ् यापक रूप से किया गया । उदाहरण के लिए, खसरे से चालीस लाख मौत हुई थी 1990 के दौरान और अब 4,00,000 से भी कम है । हम वाकई बदलाव ला सकते हैं । अगली उपलब ् धि है उस एक करोड़ को आधा करना. और मुझे लगता है कि यह 20 से कम सालों में हो जाएगा । क ् यों? क ् योंकि कुछ ही बीमारियाँ हैं जो इनमें से अधिकांश मौतों का कारण हैं: डायरिया, निमोनिया और मलेरिया । तो इस प ् रकार हम उस समस ् या पर आते हैं जिसका ज़िक ् र मैं सुबह करने वाला हूँ, वो यह कि किस प ् रकार हम मच ् छरों द ् वारा फ़ैलाई जाने वाली जानलेवा बीमारी को रोक सकते हैं? इस बीमारी का इतिहास क ् या है? यह हज़ारों सालों से एक भयंकर बीमारी रही है । वास ् तव में, यदि हम इसकी उत ् पत ् ति देखें, केवल यही बीमारी हम देखते हैं जिसके लिए अफ़ ् रीका निवासियों ने मलेरिया से हुई मौतों से बचने के लिए कई चीज़ों का विकास किया । मौतें वास ् तव में 1930 वाले काल के दौरान बढ़कर सबसे ज़ ् यादा पचास लाख हो गई । तो यह यकीनन बहुत भारी थी । और बीमारी दुनिया भर में फैली थी । एक भयानक बीमारी । जो अमेरिका में थी । जो युरोप में थी । 1900 के शुरुआत में लोग नहीं जान पाए कि इसका कारण क ् या है, तब एक ब ् रिटिश सैनिक ने पता लगाया कि यह मच ् छरों से थी । इसलिए सब जगह थी । और दो उपकरणों ने मृत ् यु दर को नीचे लाने में सहयोग दिया । एक था डीडीटी से मच ् छरों को मारना । दूसरा था कुनैन और कुनैन सजातीय द ् वारा मरीजों का इलाज करना । और इस प ् रकार मृत ् यु दर नीचे आई । अब, विपरीत तरीके से देखें कि क ् या हुआ, इसका खात ् मा परिमित क ् षेत ् रों से किया गया, जहाँ सम ् पन ् न देश आते हैं । तो हम देखते हैं: 1900, यह सब जगह है । 1945, अभी तक अधिकांश स ् थानों में है । 1970, यूएस और अधिकांश यूरोप इससे छुटकारा पा चुके हैं । 1990, अधिकांश उत ् तरी क ् षेत ् र इससे मुक ् त हैं । और हाल ही में आप देख सकते हैं कि यह सिर ् फ़ भूमध ् य रेखा के आसपास है । और इसी लिए यह इस विरोधाभास पैदा करता है कि क ् योंकि यह बीमारी केवल गरीब देशों में है, इसमें ज़ ् यादा निवेश नहीं हो पाता । उदाहरण के लिए, गंजेपन की दवाइयों पर ज़ ् यादा धन लगाया जाता है मलेरिया के मुकाबले । गंजापन, एक भयंकर चीज़ है । (हँसी) और अमीर लोग पीड़ित हैं । और इसी कारण से प ् राथमिकता तय हुई है । लेकिन, मलेरिया — एक साल में मलेरिया से करोड़ मौतें होने पर भी इसके प ् रभाव को बहुत ही कम आंका गया है । एक समय में 20 करोड़ से भी ज़ ् यादा लोग इससे ग ् रस ् त रहते हैं । यानी इन क ् षेत ् रों में आपको अर ् थव ् यवस ् था अच ् छी नहीं मिलेगी क ् योंकि इसने काफ़ी समय से जकड़ रखा है । मलेरिया, वास ् तव में मच ् छरों द ् वारा फैलता है । कुछ को मैं लेकर आया हूँ, ताकि आप इसे अनुभव कर सकें । इन ् हें थोडा ऑडिटोरियम में चारों ओर घूमने देते हैं । (हँसी) यह अनुभव भला केवल गरीब लोग ही क ् यों लें । (हँसी) (तालियाँ) वैसे ये मच ् छर संक ् रमित नहीं हैं । तो हम कुछ नई चीज़ें लेकर आए । मच ् छरदानी । और मच ् छरदानी एक बेहतरीन साधन है । मतलब ये कि माँ और बच ् चे को रात में मच ् छरदानी में रहना है, ताकि रात को काटने वाले मच ् छर उन तक न पहुँच सकें । और जब आप डीडीटी युक ् त स ् प ् रे का उपयोग घर में करते हैं और इन मच ् छरदानियों का तो आप 50 प ् रतिशत मौतें कम कर सकते हैं । और कुछ देशों में यह हो रहा है । यह देखकर बहुत अच ् छा लगता है । लेकिन हमें सावधान रहना होगा क ् योंकि मलेरिया — बीमारी पनपती है और मच ् छर भी । तो प ् रत ् येक साधन जिसे हम पहले काम में ले चुके हैं एक समय पर अप ् रभावी हो जाते हैं । और इस तरह आपके पास अंत में दो विकल ् प रहते हैं । यदि आप एक ऐसे देश में जाते हैं जहाँ सही साधन और सही तरीके हैं, आप खुलकर रहते हैं, आप वास ् तव में स ् थानीय समाधान प ् राप ् त कर सकते हैं । और वहाँ हम देखते हैं कि मलेरिया का दायरा कम है । या, यदि आप किसी बेमन वाली जगह जाते हैं, तो कुछ समय के लिए आप इस बीमारी का बोझ कम कर दें, लेकिन धीरे-धीरे वो साधन अप ् रभावी हो जाएँगे, और मृत ् युदर वापस बढ़ने लगेगी । और जब दुनिया में ऐसा हुआ तब इस पर ध ् यान दिया गया और फिर ध ् यान नहीं दिया । अब हम बढ़ रहे हैं । मच ् छरदानी का कोश बढ़ रहा है । नई दवाई की खोज जारी है । हमारी फ़ाउण ् डेशन ने एक वैक ् सीन पर काम किया है जो तीसरे ट ् रायल के दौर में है जो आने वाले महीने में शुरु होगा । और जो संभवतः दो तिहाई से अधिक जान बचाएगा यदि प ् रभावी रहा तो । तो हमारे पास ये नए उपकरण होने वाले हैं । लेकिन केवल यह ही हमें रास ् ता नहीं दिखाता । क ् योंकि इस बीमारी से बचने के रास ् ते में बहुत सी चीज़ें हैं । इसमें आवश ् यकता है संचारकों की जो कोश एकत ् रित कर सकें, सोच बनाए रखने के लिए, सफलता की कहानियाँ सुनाने के लिए । आवश ् यकता है सामाजिक वैज ् ञानिकों की, ताकि हम जान सकें कि मच ् छरदानी का उपयोग केवल 70 प ् रतिशत लोगों तक न रहे, बल ् कि 90 प ् रतिशत हो । हमें आवश ् यकता है गणितज ् ञों की जो आगे आएँ और इसे सुलझाएँ, कुछ मोण ् टे कार ् लो करें यह समझने के लिए कि किस तरह इन उपकरणों को मिलाकर एक साथ काम किया जाए । बेशक हमें आवश ् यकता है दवा कंपनियों की जो हमें अपनी विशिष ् टता दें । हमें आवश ् यकता है दुनिया की अमीर सरकारों की जो इन चीज़ों में सहायता प ् रदान करने के लिए उदार बनें । और इस तरह ये सभी एक साथ होकर, मैं इसे लेकर आशावादी हूँ कि हम मलेरिया को जड़ से मिटा देंगे । चलिए मैं अब एक दूसरे प ् रश ् न की ओर बढ़ ् ता हूँ, एक बिल ् कुल अलग प ् रश ् न, लेकिन मैं कहूँगा उतना ही महत ् वपूर ् ण । वो यह: कैसे एक महान अध ् यापक बनाएँ? यह ऐसा प ् रश ् न है जिस पर लोग काफ़ी समय खर ् च करेंगे, और हम यह अच ् छी तरह समझते हैं । और उत ् तर है, सचमुच हम नहीं जानते । चलिए इससे शुरु करते हैं कि यह क ् यों महत ् वपूर ् ण है । मुझे विश ् वास है कि, हम सभी जो इस समय यहाँ हैं, के कुछ अध ् यापक महान थे । हमें बहुत अच ् छी शिक ् षा मिली है । यही एक कारण है कि हम आज यहाँ हैं, इसी कारण की वजह से हम सफल हैं. हालांकि मैं कॉलेज ड ् रॉप-आउट हूँ पर फिर भी यह कह सकता हूँ । मेरे अध ् यापक महान थे । वास ् तव में, यूनाइटेड स ् टेट ् स में, शिक ् षण प ् रणाली ने बहुत अच ् छा काम किया है । यहाँ सीमित स ् थानों में बहुत प ् रभावशाली अध ् यापक हैं । इसलिए श ् रेष ् ठ 20 प ् रतिशत छात ् रों ने अच ् छी शिक ् षा प ् राप ् त की है । और वो 20 प ् रतिशत दुनिया में सर ् वश ् रेष ् ठ हैं, यदि आप दुनिया के अन ् य श ् रेष ् ठ 20 प ् रतिशत से तुलना करें । और उन ् होंने सॉफ़ ् टवेयर और बायोटेक ् नॉलोजी में क ् रांति उत ् पन ् न की है और यू एस को सबसे आगे बानाए हुए हैं । अब, उन 20 प ् रतिशत की ताकत तुलनात ् मक रूप से कम होना शुरु हो गई है, लेकिन उससे अधिक चिंताजनक है शिक ् षा का संतुलन जो लोग प ् राप ् त कर रहे हैं । वह न सिर ् फ़ कमज़ोर है; कमज़ोर हो रहा है । और यदि आप अर ् थव ् यवस ् था को देखें, यह केवल उन लोगों को अवसर प ् रदान कर रही है जिनके पास बेहतर शिक ् षा है । और हमें इसे बदलना है । हमें इसे बदलना है ताकि लोगों को समान अवसर मिले । हमें इसे बदलना है ताकि देश मजबूत हो और हमेशा आगे रहे उन चीज़ों में जो उन ् नत शिक ् षा द ् वारा संचालित हैं, जैसे विज ् ञान और गणित । जब मैंने सबसे पहले सांख ् यिकी सीखा मैं चौंक गया था कि चीज़ें कितनी बुरी हैं । 30 प ् रतिशत से अधिक बच ् चे हैं जिन ् होंने उच ् च स ् कूली शिक ् षा पूरी नहीं की । और यह काफ़ी लम ् बे समय तक छुपाया गया क ् योंकि वे हमेशा ड ् रॉपआउट दर को एक ऐसी संख ् या के रूप में लेते थे जिन ् होंने सीनियर वर ् ष में शुरु किया और इसकी तुलना की जाती थी उस संख ् या से जिन ् होंने सीनियर वर ् ष पूरा किया. क ् योंकि वे यह ट ् रैक नहीं कर रहे थे कि उससे पहले बच ् चे कहाँ थे । लेकिन अधिकाँश ड ् रॉपआउट उससे पहले हो चुके थे । उन ् हें कथित ड ् रॉपआउट दर को बढ़ाना पड़ा जैसे ही ट ् रैकिंग पूरी हुई 30 प ् रतिशत से अधिक । अल ् पसंख ् यक बच ् चों के लिए, यह 50 प ् रतिशत से अधिक है । और भले ही आप हाई स ् कूल से ग ् रेजुएट हों, यदि आपकी निम ् न-आय है, तो आपके लिए कॉलेज डिग ् री पूरी करने की संभावना 25 प ् रतिशत से भी कम है । यदि यूनाइटेड स ् टेट ् स में आपकी निम ् न-आय है, तो आपके जेल जाने की ज ् यादा संभावना है एक चार साल की डिग ् री प ् राप ् त करने के मुकाबले । और यह सब पूरी तरह से ठीक नहीं लगता । तो, आप किस तरह शिक ् षा को बेहतर बनाएँगे? फ़िलहाल, हमारी फ़ाउण ् डेशन ने, पिछले नौ सालों से, इस पर काफ़ी काम किया है । बहुत से लोग इसमें जुटे हैं । हमने छोटी स ् कूलों पर काम किया, छात ् रवृत ् ति प ् रदान की, हमने लाइब ् रेरियों पर काफ़ी चीज़ें की । बहुत सी चीज़ों का प ् रभाव अच ् छा रहा । लेकिन हमने जितना ज़ ् यादा देखा, हमने पाया की बेहतरीन शिक ् षकों की आवश ् यकता बहुत मुख ् य चीज़ थी । और हम कुछ लोगों से मिले जो इस पर काम कर रहे थे कि शिक ् षकों के बीच कितनी असमानता है, मसलन, शीर ् ष एक चौथाई भाग — सबसे बेहतर — और निचले एक चौथाई । एक स ् कूल में या स ् कूलों के बीच कितनी असमानता है? और जवाब यह है कि ये असमानताएँ वास ् तव में अविश ् वसनीय हैं । शीर ् ष एक चौथाई शिक ् षक अपनी कक ् षा का प ् रदर ् शन बढ़ाते हैं — परीक ् षा परिणामों पर आधारित — एक साल में 10 प ् रतिशत से अधिक । इसका क ् या मतलब है? इसका मतलब है कि यदि पूरा यू एस, दो सालों के लिए, श ् रेष ् ठ एक चौथाई शिक ् षक रखे, तो हमारे और एशिया के बीच का पूरा अंतर खत ् म हो जाएगा । चार सालों के भीतर हम दुनिया में सभी को परे बिठा देंगे । तो, यह आसान है । बस ज़रूरत है उन श ् रेष ् ठ एक चौथाई शिक ् षकों की । और इस तरह आप कहेंगे, "" वाह, हमें इन लोगों को पुरस ् कार देना चाहिए । हमें इन लोगों को प ् रोत ् साहन देना चाहिए । हमें पता लगाना चाहिए कि वे क ् या कर रहे हैं और उनकी योग ् यता को दूसरे लोगों में विकसित करना चाहिए । "" लेकिन, मैं आपको बताता हूँ कि आज ऐसा बिल ् कुल नहीं हो रहा है । इस श ् रेष ् ठ एक चौथाई की क ् या विशेषताएँ हैं? ये कैसे लगते हैं? आप सोच रहे होंगे कि ये बहुत सीनियर शिक ् षक होने चाहिए । लेकिन जवाब है नहीं । जब कोई हमें तीन साल पढ़ाता है उसकी पढ़ाने की गुणवत ् ता लगातार नहीं बदलती । बहुत, बहुत कम बदलाव आता है । आप सोचेंगे कि ये लोग मास ् टर डिग ् री वाले हैं । वे जा चुके हैं और उन ् होंने अपनी शिक ् षा की मास ् टर उपाधि प ् राप ् त कर ली है । इस चार ् ट में चार अलग अलग कारक हैं । और देखते हैं कि ये शिक ् षण गुणवत ् ता को कैसे समझाते हैं । सबसे नीचे, जो दिखाता है कि वहाँ कोई प ् रभाव नहीं है, वो मास ् टर डिग ् री है । अभी, जिस तरह आय प ् रणाली काम करती है दो चीज़ों को पुरस ् कृत किया जाता है । पहली है वरिष ् ठता । क ् योंकि आपकी आय बढ़ती है और आप अपनी पेंशन बनाते हैं । दूसरी है उन लोगों को अधिक धन देना जिनके पास मास ् टर डिग ् री है । लेकिन यह किसी भी तरीके से एक अच ् छे शिक ् षक होने से संबंधित नहीं है । अमेरिका के लिए पढ़ाएँ: इससे थोड़ा प ् रभाव पड़ेगा । गणित शिक ् षकों के लिए गणित में विशिष ् टता से थोड़ा बेहतर प ् रभाव पड़ेगा । लेकिन, पूरे ज़ोर से, यह आपका पिछला प ् रदर ् शन है । कुछ लोग हैं जो इसमें बहुत अच ् छे हैं । और हमने लगभग कुछ नहीं किया यह पढ़ने में कि यह क ् या है और इसे आकार देने में और आधार देने में, औसत सामर ् थ ् य बढ़ाने के लिए — या लोगों को प ् रोत ् साहन देने में कि वो इस प ् रणाली में बने रहें । आप कह सकते हैं, "" क ् या अच ् छे शिक ् षक रहते हैं और बुरे शिक ् षक छोड़ जाते हैं? "" उत ् तर है, औसत रूप से, थोड़े से बेहतर शिक ् षक प ् रणाली छोड़ देते हैं । और यह प ् रणाली है बहुत उच ् च बिक ् री युक ् त है । अभी, कुछ स ् थान हैं — बहुत कम — जहाँ महान शिक ् षक बनते हैं । एक अच ् छा उदाहरण है विशेष स ् कूलों का एक समूह के आई पी पी । के आई पी पी अर ् थात नॉलेज इज़ पावर । यह एक अविश ् वसनीय चीज़ है । उनके 66 स ् कूल हैं — अधिकाँश माध ् यमिक स ् कूल, कुछ उच ् च स ् कूल — और जो हो रहा है वो है बेहतरीन शिक ् षा । वे सबसे गरीब बच ् चों को लेते हैं, और उनके 96 प ् रतिशत से भी अधिक उच ् च स ् कूल ग ् रेजुएट चार-वर ् षीय कॉलेजों में जाते हैं । और उन स ् कूलों में उत ् साह और रवैया सामान ् य पब ् लिक स ् कूल से बहुत अलग है । वे शिक ् षण टीम हैं । वे लगातार अपने शिक ् षकों को बेहतर बना रहे हैं । वे डाटा, परीक ् षा प ् राप ् तांक लेते हैं, और शिक ् षक से कहते हैं, "" जनाब, इस बढ़त के लिए आप जिम ् मेदार हैं । "" वे शिक ् षण को बेहतर बनाने में पूरी तरह से लगे हुए हैं । वास ् तव में जब आप इनमें से किसी एक कक ् षा में जाते हैं और बैठते हैं, पहली बार में बड़ा बेतुका लगता है । मैं बैठे हुए सोच रहा था, "" यह क ् या हो रहा है? "" शिक ् षक चारों तरफ़ दौड़ रहा था, और कमाल की ऊर ् जा थी । मुझे लगा, "" मैं किसी खेलकूद रैली जैसी जगह पर हूँ । क ् या हो रहा है ये? "" और शिक ् षक लगातार यह पता लगाने के लिए देख रहा था कि कौन से बच ् चे ध ् यान नहीं दे रहे, कौन बोर हो रहे थे, और तेज़ी से बच ् चों को कह रहा था, मेरा ध ् यान सब पर है । बहुत ही गतिशील वातावरण था, क ् योंकि विशेष रूप से माध ् यमिक स ् कूल के उन वर ् षों में — पांचवी से आठवीं तक — लोगों को जोड़े रखने के लिए और एक लय बनाने के लिए ताकि कक ् षा में सभी ध ् यान दें, कोई भी इसका मज़ाक न बनाए या उस बच ् चे का स ् थान ले जिसका ध ् यान कहीं और है । सभी को ध ् यान देने की ज़रूरत है । और यही के आई पी पी कर रहा है । इसकी तुलना एक सामान ् य स ् कूल से कैसे की जा सकती है? एक आम स ् कूल में शिक ् षकों को यह नहीं बताया जाता कि वे कितने अच ् छे हैं । डाटा इकट ् ठा नहीं किया जाता । शिक ् षक के कॉण ् ट ् रैक ् ट में, प ् रिंसीपल के कक ् षा में आने की सीमा तय की जाती है — कई बार साल में सिर ् फ़ एक बार । और उन ् हें ऐसा करने से पहले सूचना देनी होती है । तो सोचिये एक फ़ैक ् ट ् री है जहां काम करने वाले हैं, जिनमें से कुछ घटिया काम करते हैं और मैनेजमेंट से कहा जाता है, "" साहब, आप साल में केवल एक बार आ सकते हैं, लेकिन आपको हमें पहले बताना होगा, क ् योंकि यदि हम आपको मूर ् ख बना रहे हों, तो हम उस बड़े क ् षण में अच ् छा काम करने की कोशिश करें । "" बल ् कि एक शिक ् षक जो अच ् छा करना चाहता है उसके पास उपकरण नहीं है करने के लिए । उनके पास परीक ् षा प ् राप ् तांक नहीं हैं, और एक पूरी चीज़ है जो डाटा ब ् लॉक करने की कोशिश करती है । उदाहरण के लिए, न ् यूयॉर ् क में एक कानून पास हुआ जिसमें कहा गया कि शिक ् षक सुधार डाटा उपलब ् ध नहीं किया जाएगा और काम में नहीं लिया जाएगा शिक ् षकों के पद की अवधि निर ् धारण हेतु । और यह विपरीत दिशा में हो रहा काम है । लेकिन मैं इस बारे में आशावादी हूँ, मुझे लगता है कि कई साफ़ चीज़ें हैं जो हम कर सकते हैं । सबसे पहले, अच ् छे खासे परीक ् षण करने की ज़रूरत है, ताकि हम सही तस ् वीर देख पाएँ कि हम कहाँ हैं । और उससे हम यह मझ पाएँगे कि कौन अच ् छा कर रहा है, और उन ् हें बुलाकर, पता लगाएँ कि वे कौनसी तकनीकें हैं । बेशक, डिजीटल वीडियो अब काफ़ी सस ् ता है । कुछ कैमरे कक ् षा में लगाकर और बताकर कि रिकॉर ् डिंग नियमित रूप से की जाएगी सभी पब ् लिक स ् कूलों के लिए बहुत प ् रायोगिक है । और इस तरह शिक ् षक सप ् ताह में कभी बैठें और बताएँ, "" हाँ, इस क ् लिप में मुझे लगता है कि अच ् छा हुआ है । इस क ् लिक में मुझे लगता है मैंने गलत किया । मुझे बताएँ — उस बच ् चे के वैसा करने पर मुझे क ् या करना चाहिए था? "" और वे सब एक साथ बैठकर उन समस ् याओं पर काम कर सकते हैं । आप सबसे बेहतरीन शिक ् षक ले सकते हैं और इस तरह की गतिविधि कर सकते हैं, ताकि सब जान पाएँ कि इस बात को समझाने में कौन सबसे बेहतर है । आप वे बेहतरीन कोर ् स लेकर उन ् हें उपलब ् ध करा सकते हैं ताकि कोई बच ् चा जा सके और वह कोर ् स देख सके, उससे सीख सके । यदि कोई बच ् चा है जो कमज़ोर है, आप जानकर विषय को देखने और दोहराने के लिए उसे वह वीडियो निर ् दिष ् ट कर सकते हैं । और, ये मुफ़ ् त कोर ् स केवल इंटरनेट पर ही उपलब ् ध न रहे, आप डीवीडी बना सकते हैं जो हमेशा उपलब ् ध रहे, और इस तरह हर कोई जिसके पास डीवीडी प ् लेयर है उसके पास बेहतरीन शिक ् षक है । और इसे एक निजी सिस ् टम के रूप में सोचते हुए, हम और बेहतर कर सकते हैं । एक किताब है, के आई पी पी पर — एक जगह जहाँ ऐसा होता है — जे मैथ ् यूज़, एक समाचार पत ् रकार, ने लिखी है — "" वर ् क हार ् ड, बी नाइस । "" और मुझे लगा कि यह बहुत अच ् छी है । यह आपको बताती है कि एक अच ् छा शिक ् षक क ् या करता है । यहाँ आए सभी लोगों को मैं इस किताब की एक प ् रति मुफ़ ् त दूँगा । (तालियाँ) हमने शिक ् षा पर काफ़ी खर ् च किया है, और मुझे वाकई लगता है कि शिक ् षा सबसे महत ् वपूर ् ण चीज़ है देश के हित में और एक मजबूत भविष ् य बनाने में जैसा कि होना चाहिए । वास ् तव में हमारा एक उकसाने वाला विधेयक है — रुचिकर है — इन डाटा सिस ् टम के लिए हाउस संस ् करण ने इसमें धन लगाया है, और यह सीनेट में लिया गया है क ् योंकि कुछ लोग हैं जो इन चीज़ों से भयभीत हैं । लेकिन मैं — मैं आशावादी हूँ । मुझे लगता है कि लोग यह अनुभव करने लगे हैं कि यह कितना महत ् वपूर ् ण है, और यह वाकई लाखों लोगों की ज़िंदगी में एक बदलाव ला सकता है, यदि हम इसे कर पाए । मेरे पास केवल इतना ही समय था कि इन दो समस ् याओं पर बात कर सकूँ । इस तरह की बहुत सी समस ् याएँ और हैं — एड ् स, निमोनिया — मैँ देख रहा हूँ कि आप उत ् सुक हैं, इन जैसे कई नामों को लेकर । और इन चीज़ों से निपटने के लिए दक ् षता बहुत व ् यापक है । आप जानते हैं, सिस ् टम अपने आप कुछ नहीं करता । सरकारें अपने आप सही तरीके से ये चीज़ें नहीं चुनतीं । प ् राइवेट सेक ् टर इन चीज़ों में अपने आप अपने संसाधन नहीं लगाता । तो इसमें ज़रूरत है आप जैसे बेहतरीन लोगों की इन चीज़ों को पढ़ने के लिए, दूसरे लोगों को लाने के लिए — और आप समाधान निकालने में सहायक बन रहे हैं । और इसके साथ, मुझे लगता है कई बेहतरीन चीज़ें हैं जो निकलकर आएँगी । धन ् यवाद । (तालियाँ) चलिये आपको एक दूसरी ही दुनिया में ले चलूँ । और आपको सुनाऊँ एक ४५ साल पुरानी प ् रेम-कथा गरीब लोगों से प ् रेम की कथा, जो कि प ् रतिदिन एक डॉलर से भी कम कमाते हैं । मैं एक बेहद संभ ् रांत, खडूस, महँगे कॉलेज में पढा, भारत में, और उसने मुझे लगभग पूर ् णतः बरबाद कर ही दिया था । सब फ़िक ् स था - मैं डिप ् लोमेट, शिक ् षक, या डॉक ् टर बनता — सब जैसे प ् लेट में परोसा पडा था । साथ ही, मुझे देख कर ऐसा नहीं लगेगा, मैं स ् क ् वैश के खेल में भारत का राष ् ट ् रीय चैंपियन था तीन साल तक लगातार । (हँसी) सारी दुनिया के अवसर मेरे सामने थे । सब जैसे मेरे कदमों में पडा हो । मैं कुछ गडबड कर ही नहीं सकता था । और तब, यूँही, जिज ् ञासावश मैने सोचा कि मैं गाँव जाकर, रहना और काम करना चाहता था बस समझने के लिये कि गाँव कैसा होता है । इसलिये १९६५ में, मैं बिहार गया - वहाँ अब तक का सबसे भीषण अकाल पडा था, और मैनें भूख और मौत का नंगा नाच देखा, पहली बार ठीक मेरे सामने लोग भूख से मर रहे थे । उस अनुभव ने मेरा जीवन बदल डाला । मैं वापस आया, और मैने अपनी माँ से कहा, "मैं एक गाँव में रहना और काम करना चाहता हूँ ।" माँ कोमा में चली गयी । (हँसी) "" ये क ् या कह रहा है? सारी दुनिया के अवसर तेरे सामने हैं, और भरी थाली में लात मार कर तू एक गाँव में रहना और काम करना चाहता है? मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आखिर तुझे हुआ क ् या है? "" मैनें कहा, "" नहीं, मुझे सर ् वश ् रेष ् ठ शिक ् षा मिली है । उसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया है । और मैं कुछ वापस देना चाहता हूँ अपने ही तरीके से । "" "" पर तू आखिर एक गाँव में करेगा क ् या? न रोजगार है, न पैसा है, न सुरक ् षा, न ही कोई भविष ् य । "" मैने कहा, "" मै गाँव में रह कर पाँच साल तक कुँए खोदना चाहता हूँ । "" "" पाँच साल तक कुँए खोदेगा? तू भारत के सबसे महँगे स ् कूल और कॉलेज में पढा है, और अब पाँच साल तक कुँए खोदना चाहता है? "" उन ् होंने मुझसे बहुत लम ् बे समय तक बात तक नही की, क ् योंकि उन ् हें लगा कि मैंने अपने खानदान की नाक कटवा दी है । लेकिन इसके साथ ही, मुझे सीखने को मिला दुनिया के सबसे बेहतरीन ज ् ञान और कौशल जो बहुत गरीब लोगों के पास होते हैं, मगर कभी भी हमारे सामने नहीं लाये जाते — जो परिचय और सम ् मान तक को मोहताज़ रहते हैं, और जिन ् हें कभी बडे रूप में इस ् तेमाल ही नहीं किया जाता । और मैनें सोचा कि मैं बेयरफ़ुट कॉलेज की शुरुवात करूँगा — एक कॉलेज केवल गरीबों के लिये । गरीब लोग क ् या सोचते है, ये मुख ् य मसला था, यही इस कॉलेज की नीव भी थी । इस गाँव में यह मेरा पहला दिन था । बडे-बूढे मेरे पास आये और पूछा, "" क ् या पुलिस से भाग कर छुपे हो? "" मैने कहा, "" नहीं । "" (हँसी) "परीक ् षा में फ़ेल हो गये हो?" मैने कहा, "" नहीं । "" "तो सरकारी नौकरी नहीं मिल पायी होगी?" मैनें कहा, "वो भी नहीं ।" "" तब यहाँ क ् या कर रहे हो? यहाँ क ् यों आये हो? भारत की शिक ् षा व ् यवस ् था तो आपको पेरिस और नई-दिल ् ली और ज़ुरिख़ के ख़ ् वाब दिखाती है; तुम इस गाँव में क ् या कर रहे हो? तुम कुछ तो ज़रूर छिपा रहे हो हमसे? "" मैने कहा, "" नहीं, मैं तो एक कॉलेज खोलने आया हूँ, केवल गरीबों के लिये । गरीब लोगों को जो ज़रूरी लगता है, वही इस कॉलेज में होगा । "" तो बुज़ुर ् गों नें मुझे बहुत नेक और सार ् थक सलाह दी । उन ् होंने कहा, "" कृपा करके, किसी भी डिग ् री-होल ् डर या मान ् यता-प ् राप ् त प ् रशिक ् षित व ् यक ् ति को अपने कॉलेज में मत लाना । "" लिहाज़ा, ये भारत का इकलौता कॉलेज है जहाँ, यदि आप पी.एच.डी. या मास ् टर हैं, तो आपको नाकारा माना जायेगा । आपको या तो पढाई-छोड, या भगोडा, या निलंबित होना होगा हमारे कॉलेज में आने के लिये । आपको अपने हाथों से काम करना होगा । आप को मेहनत की इज़ ् जत सीखनी होगी । आपको ये दिखाना होगा कि आपके पास ऐसा हुनर है जिस से कि लोगों का भला हो सकता है और आप समाज को कोई सेवा प ् रदान कर सकते हैं । तो हमने बेयरफ़ुट कॉलेज की स ् थापना की, और हमने पेशेवर होने की नई परिभाषा गढी । आख़िर पेशेवर किसको कहा जाये? एक पेशेवर व ् यक ् ति वो है जिसके पास हुनर हो, आत ् म-विश ् वास हो, और भरोसा हो । ज़मीन-तले पानी का पता लगाने वाला पेशेवर है । एक पारंपरिक दाई एक पेशेवर है । एक कढाई गढने वाला पेशेवर है । सारी दुनिया में ऐसे पेशेवर भरे पडे हैं । ये आपको दुनिया के किसी भी दूर-दराज़ गाँव में मिल जायेंगे । और हमें लगा कि इन लोगों को मुख ् यधारा में आना चाहिये और दिखाना चाहिये कि इनका ज ् ञान और इनकी दक ् षता विश ् व-स ् तर की है । इसका इस ् तेमाल किया जाना ज़रूरी है, और इसे बाहरी दुनिया के सामने लाना ज़रूरी है — कि ये ज ् ञान और कारीगरी आज भी काम की है । तो कॉलेज में महात ् मा गाँधी की जीवन-शैली और काम के तरीके का पालन होता है । आप ज़मीन पर खाते हैं, ज़मीन पर सोते हैं, ज़मीन पर ही चलते हैं । कोई समझौता, लिखित दस ् तावेज़ नहीं है । आप मेरे साथ २० साल रह सकते है, और कल जा भी सकते हैं । और किसी को भी $१०० महीने से ज ् यादा नहीं मिलता है । यदि आप पैसा चाहते हैं, आप बेयरफ़ुट कॉलेज मत आइये । आप काम और चुनौती के लिये आना चाहते हैं, आप बेयरफ़ुट आ सकते हैं । यहाँ हम चाहते हैं कि आप आयें और अपने आइडिया पर काम करें । चाहे जो भी आपका आइडिया हो, आ कर उस पर काम कीजिये । कोई फ़र ् क नहीं पडता यदि आप फ़ेल हो गये तो । गिर कर, चोट खा कर, आप फ़िर शुरुवात कीजिये । ये शायद अकेला ऐसा कॉलेज हैं जहाँ गुरु शिष ् य है और शिष ् य गुरु है । और अकेला ऐसा कॉलेज जहाँ हम सर ् टिफ़िकेट नहीं देते हैं । जिस समुदाय की आप सेवा करते हैं, वो ही आपको मान ् यता देता है । आपको दीवार पर काग़ज़ का टुकडा लटकाने की ज़रूरत नहीं है, ये दिखाने के लिये कि आप इंजीनियर हैं । तो जब मैंने ये सब कहा, तो उन ् होंने पूछा, "" ठीक है, बताओ क ् या संभव है. तुम क ् या कर रहे हो? ये सिर ् फ़ बतकही है जब तक तुम कुछ कर के नहीं दिखाते । "" तो हमने पहला बेयरफ़ुट कॉलेज बनाया सन १९८६ में । इसे १२ बेयरफ़ुट आर ् किटेक ् टों ने बनाया था, जो कि अनपढ थे, $1.5 प ् रति वर ् ग फ़ुट की कीमत में । १५० लोग यहाँ रहते थे, और काम करते थे । उन ् हें २००२ में आर ् किटेक ् चर का आगा ख़ान पुरस ् कार मिला । पर उन ् हें लगता था, कि इस के पीछे किसे मान ् यता प ् राप ् त आर ् किटेक ् ट का हाथ ज़रूर होगा । मैने कहा, "" हाँ, उन ् होंने नक ् शे बनाये थे, मगर बेयरफ़ुट आर ् किटेक ् टों ने असल में कॉलेज का निर ् माण किया । "" शायद हम ही ऐसे लोग होंगे जिन ् होंने $50,000 का पुरस ् कार लौटा दिया, क ् योंकि उन ् हें हम पर विश ् वास नहीं हुआ, और हमें लगा जैसे वो लोग कलंक लगा रहे हैं, तिलोनिया के बेयरफ़ुट आर ् किटेक ् टों के नाम पर । मैनें एक जंगल-अफ़सर से पूछा — मान ् यता प ् राप ् त, पढे-लिखे अफ़सर से — मैने कहा, "" इस जगह पर क ् या बनाया जा सकता है? उसने मिट ् टी पर एक नज़र डाली और कहा, "" यहाँ कुछ नहीं हो सकता । जगह इस लायक नहीं है । न पानी है, मिट ् टी पथरीली है । "" मैं कठिन परिस ् थिति में था । और मैने कहा, "" ठीक है, मैं गाँव के बूढे के पास जा कर पूछूँगा कि, 'यहाँ क ् या उगाना चाहिये?' "" उसने मेरी ओर देखा और कहा, "तुम ये बनाओ, वो बनाओ, ये लगाओ, और काम हो जायेगा ।" और वो जगह आज ऐसी दिखती है । मैं छत पर गया, और सारी औरतों ने कहा, "" यहाँ से जाओ । आदमी नहीं चाहिये क ् योंकि हम इस तरकीब को आदमियों को नहीं बताना चाहते । ये छत को वाटरप ् रूफ़ करने की तकनीक है । "" (हँसी) इसमें थोडा गुड है, थोडी पेशाब है और ऐसी कई चीजें जो मुझे नहीं पता है । लेकिन इसमें पानी नहीं चूता है । १९८६ से आज तक, पानी नहीं चुआ है । इस तकनीक को, औरतें मर ् दों को नहीं बताती हैं । (हँसी) ये अकेला ऐसा कॉलेज है जो पूर ् णतः सौर-ऊर ् जा पर चलता है । सूरज से ही सारी बिजली आती है । छत पर ४५ किलोवाट के पैनल लगे हैं । और सब कुछ अगले २५ सालों तक सिर ् फ़ सौर-ऊर ् जा से चल सकता है । तो जब तक दुनिया में सूरज है, हमें बिजली की कोई समस ् या नहीं होगी । मगर सबसे बढिया बात ये है कि इसे स ् थापित किया था एक पुजारी ने, एक हिंदु पुजारी ने, जो सिर ् फ़ आठवीं कक ् षा तक पढे हैं — कभी स ् कूल नहीं गये, कभी कॉलेज नहीं गये । इन ् हें सौर-तकनीकों के बारे में ज ् यादा जानकारी है विश ् व के किसी भी और व ् यक ् ति के मुकाबले, ये मेरी गारंटी है । भोजन, यदि आप बेयरफ़ुट कॉलेज में आयेंगे, आपको सौर-ऊर ् जा से बना मिलेगा । मगर जिन लोगों ने उस सौर-चूल ् हे को बनाया है, वो स ् त ् रियाँ हैं, अनपढ स ् त ् रियाँ, जो अपने हाथ से अत ् यंत जटिल सौर-चूल ् हा बनाती हैं । ये परवलय (पैराबोला) आकारा का बिना रसोइये का चूल ् हा है । दुर ् भाग ् य से, ये आधी जरमन हैं, वो इतनी सूक ् ष ् मता से नाप-झोक करती हैं । (हँसी) आपको भारतीय महिलायें इतनी सूक ् ष ् म नाप-तोल करती नहीं मिलेंगी । बिलकुल आखिरी इंच तक, वो उस चूल ् हे को बना सकती हैं । और यहाँ साठ व ् यक ् ति दिन में दो बार सौर-चूल ् हे का खाना खाते हैं । हमारे यहाँ एक दंत-चिकित ् सक हैं — वो दादी-माँ है, अनपढ है, और दाँतों की डाक ् टर हैं । वो दाँतों की देखभाल करती हैं करीब ७००० बच ् चों के । बेयरफ़ुट टेक ् नॉलाजी: ये १९८६ है - किसी इंजीनियर, या आर ् किटेक ् ट इस बारें में नहीं सोचा — मगर हम बारिश के पानी को छत से इकट ् ठा कर रहे थे । बहुत ही कम पानी बर ् बाद होता है । सारी छतों को ज़मीन के नीचे बने ४००,००० लीटर के टैंक से जोडा हुआ है । और पानी बर ् बाद नहीं होता । यदि हमें चार साल लगातार भी सूखे का सामना करना पडे, तो भी हमारे पास पानी होगा, क ् योंकि हम बारिश के पानी को इकट ् ठा करते हैं । ६०% बच ् चे स ् कूल इसलिये नहीं जा पाते, क ् योंकि उन ् हें जानवरों की देखभाल करनी होती है — भेड, बकरी — घर के काम । तो हमने सोचा कि एक स ् कूल खोला जाये रात में, बच ् चो को पढाने के लिये । क ् योंकि तिलोनिया के रात के स ् कूलों में ७५,००० बच ् चों से ज ् यादा रात को पढ चुके है, क ् योंकि ये बच ् चों की सहूलियत के लिये है; ये शिक ् षकों की सहूलियत के लिये नही है । और हम यहाँ क ् या पढाते हैं? प ् रजातंत ् र, नागरिकता, अपनी ज़मीनों की नाप कैसे करें, अगर आपको पुलिस पकड ले, तो क ् या करें, यदि आपका जानवर बीमार हो जाये, तो क ् या करें । यही हम रात के स ् कूलों में पढाते हैं । क ् योंकि सारे स ् कूल मे सौर-ऊर ् जा है । हर पाँच साल में, हम चुनाव करते हैं । ६ से ले कर १४ साल तक के बच ् चे इस प ् रजातांत ् रिक प ् रणाली में हिस ् सा लेते हैं, और वो एक प ् रधानमंत ् री चुनते हैं । प ् रधानमंत ् री की उम ् र है १२ वर ् ष । वो सुबह २० बकरियों की देखभाल करती है, मगर शाम को वो प ् रधानमंत ् री हो जाती है । उसका अपना मंत ् रिमंडल है, शिक ् षा मंत ् री, बिजली मंत ् री, स ् वास ् थ-मंत ् री । और वो असल में देखभाल करते है करीब १५० स ् कूलों के ७००० बच ् चों की । पाँच साल पहले उसे विश ् व बालक पुरस ् कार से नवाजा गया था, और वो स ् वीडन गयी थी । पहली बार गाँव से बाहर निकली थी । कभी स ् वीडन देखा नहीं । लेकिन आसपास की चीज़ों से ज़रा भी प ् रभावित नहीं । और स ् वीडन की रानी, जो वहीं थीं, मेरी ओर मुडी, और कहा, "" क ् या आप इस बच ् ची से पूछेंगे कि इतना आत ् म-विश ् वास कहाँ से आता है? ये केवल १२ साल की है, और किसी से प ् रभावित नहीं होती । "" और वो लडकी, जो उनके बायें ओर है, मेरी ओर मुडी, और रानी की आँखों में आँखे डाल कर बोली, "" कृप ् या इन ् हें बता दीजिये कि मैं प ् रधानमंत ् री हूँ । "" (हँसी) (अभिवादन) जहाँ साक ् षरता बहुत कम है, हम कठपुतलियों का इस ् तेमाल करते हैं । कठपुतिलियों के सहारे हम अपनी बात रखते हैं । हमारे पास जोखिम चाचा है, जो करीब ३०० साल के हैं । ये मेरे मनोवैज ् ञानिक हैं । ये ही मेरे शिक ् षक हैं । यही मेरे चिकित ् सक हैं । यही मेरे वकील हैं । यही मुझे दान देते हैं । यही धन भी जुटाते हैं, मेरे झगडे भी सुलझाते हैं । ये मेरे गाँव की समस ् या का समाधान करते हैं । यदि गाँव में तनाव हो, या फ़िर स ् कूलों में हाज़िरी कम हो रही हो और अध ् यापकों और अभिभावकों के बीच मनमुटाव हो, तो ये कठपुतली अध ् यापकों और अभिभावकों को सारे गाँव के सामने बुलाती है और कहती है, "" हाथ मिलाइये । हाज़िरी कम नहीं होनी चाहिये । "" ये कठपुतलियाँ विश ् व-बैंक की बेकार पडी रिपोर ् टों से बनी हैं । (हँसी) (अभिवादन) तो इस विकेंद ् रित, और पारदर ् शी तरीके से, गाँवों को सौर-ऊर ् जा देने के तरीके से, हमने सारे भारत में काम किया है लद ् दाख से ले कर भूटान तक — सब जगहों पर सौर-ऊर ् जा उन लोगों द ् वारा लायी जिन ् हें प ् रशिक ् षण दिया गया । और हम लद ् दाख गये, और हमने एक महिला से पूछा — कि आप, -४० डिग ् री सेंटिग ् रेट पर, छत से बाहर आयी हैं, क ् योंकि बर ् फ़ से आजू-बाजू के रास ् ते बंद है — और हमने इस से पूछा, "" आपको क ् या लाभ हुआ सौर ऊर ् जा से? "" और एक मिनट तक सोचने के बाद, उसने कहा, "ये पहली बार है कि मैं सर ् दियों में अपने पति का चेहरा देख पायी ।" (हँसी) हम अफ़ ् गानिस ् तान गये । भारत में हमेने एक बात ये सीखी कि मर ् दों को आप कुछ नही सिखा सकते । (हँसी) आदमी उछ ् छंखल होते हैं, आदमी महत ् वाकांक ् षी होते हैं, वो एक जगह टिक कर बैठना नहीं पाते, और उन सबको एक प ् रमाण-पत ् र चाहिये होता है । (हँसी) दुनिया भर में, यही चाहत है आदमियों की, एक प ् रमाण-पत ् र चाहिये । क ् यों? क ् योंकि वो गाँव छोडना चाहते हैं, और शहर जाना चाहते हैं, नौकरी करने के लिये । तो हमने इस का एक बेहतरीन तरीका निकाला "" बूढी दादियों को प ् रशिक ् षण देने का । अपनी बात दूर दूर तक फ़ैलाने का आज की दुनिया में क ् या तरीका है? टेलीविजन? नहीं । टेलीग ् राफ़? नहीं । टेलीफ़ोन? नहीं । एक स ् त ् री को बता दीजिये बस! (हँसी) (अभिवादन) तो हम पहली बार अफ़ ् गानिस ् तान गयी, और हमने तीन स ् त ् रियों को चुना और कहा, "" हम इन ् हें भारत ले जाना चाहते हैं । "" उन ् होंने कहा, "" असंभव । ये तो अपने कमरे तक से बाहर नही निकलती हैं, और तुम भारत ले जाने की बात करते हो । "" मैने कहा, "" मैं एक छूट दे सकता हूँ । मैं उनके पतियों को भी साथ ले जाऊँगा । "" तो मैं उनके पतियों को भी ली आया । ज़ाहिर है, औरतें आदमियों से कहीं ज ् यादा बुद ् धिमान होती हैं । छः महीने के भीतर, हम इन औरतों को कैसे बदल दें? इशारों की भाषा से । तब आपक लिखित चीज़ों पर भरोसा नहीं करते । बोलचाल की भाषा से भी काम नहीं बनता । आप इशारों की भाषा इस ् तेमाल करते हैं । और छः महीनों में, वो सौर-इंजीनियर बन गयीं । वो वापस जा कर अपने गाँव में सौर-बिजली ले आयीं । इस स ् त ् री ने वापस जा कर, पहली बार किसी गाँव में सौर-बिजली लगायी, एक कारखाना लगाया — अफ़ ् गानिस ् तान का पहला गाँव जहाँ सौर-बिजली आयी तीन औरतों द ् वारा किया गया था । ये स ् त ् री एक महान दादी माँ है । ५५ साल की उम ् र में इसने अफ़गानिस ् तान में २०० घरों को सौर-बिजली दी है । और ये खराब भी नहीं हुई है । ये असल में अफ़ ् गानिस ् तान के इंजीनियरिंग विभाग गयी, और वहाँ के मुख ् य-अधिकारी को बता कर आयी कि ए.सी. और डी.सी. में फ़र ् क क ् या होता है । उसे नहीं पता था । इन तीन औरतो ने २७ और औरतों को प ् रशिक ् षण दिया है, और अफ़ ् गानिस ् तान के १०० गाँवों में सौर-बिजली लगवा दी है । हम अफ़ ् रीका गये, और हमने यहे किया । ये सारी औरतें जो एक मेज पर बैठी हैं, अलग अलग आठ देशों की हैं, सब बतिया रही हैं, मगर बिना एक भी शब ् द समझे, क ् योंकि वो सब अलग अलग भाषा बोल रही हैं । मगर इनकी भाव-भंगिमायें गजब की हैं । ये एक दूसरे से बतिया भी रही है, और सौर-इंजीनियर बन रही हैं । मैं सियरा ल ् योन ग ् याअ, और वहाँ एक मंत ् री से मिला जो रात के घनघोर अँधेरे में ड ् राइविंग कर रहे थे — एक गाँव पहुँचा । वापस आया, गाँव पहुँचा, और कहा, "" इस की क ् या कहानी है? "" उन ् होंने कहा, "" इन दो दादी-मांओं ने... "" "" दादियों ने? "" मंत ् री साहब को भरोसा ही नहीं हुआ । "वो कहाँ गयी थी?" "भारत से लौट कर आयी हैं ।" वो सीखे राष ् ट ् रपति के पास गया । उसने कहा, "" आपको पता है कि सियरा ल ् योन में एक सौर-बिजली युक ् त गाँव है? "" जवाब मिला, "" नहीं । "" अगले दिन आधे से ज ् यादा मंत ् रिमंडल इन औरतों से मिलने आ गया । "कहानी क ् या है?" तो उन ् होंने मुझे बुलाया और कहा, "" क ् या आप मेरे लिये १५० दादियों को प ् रशिक ् षण दे सकते हैं? "" मैने कहा, "" जी नहीं, महामहिम । मगर ये दे सकती हैं । ये दादियाँ । "" तो उन ् होंने सियरा ल ् योन में मेरे लिये पहला बेयरफ़ुट ट ् रेनिंग सेंटर बनवाया । और १५० दादियं को सियरा ल ् योन में प ् रशिक ् षण मिल चुका है । गाम ् बिया: हम गाम ् बिया में एक दादी माँ को चुनने के लिये गये । एक गाँव में पहुँचे । मुझे पता था कि मैं किस स ् त ् री को चुनना चाहता हूँ । सब लोग साथ जुटे और उन ् होंने कहा, "" इन दो स ् त ् रियों को ले जायें । "" मैने कहा, "" नहीं, मैं तो उसे ले जाना चाहता हूँ । "" उन ् होंने कहा, "" क ् यों? उसे तो भाषा भी नहीं आती । आप उसे जानते नहीं हैं । "" मैने कहा, "" मुझे उसकी भाव-भंगिमायें और बात करने का तरीका अच ् छा लगता है । "" "उसका पति नहीं मानेगा: नहीं होगा ।" तो पति को बुलाया गया, वो आया, अकड से चलता हुआ, नेताओं की तरह, मोबाइल लहराता हुआ । "" नही होगा । "" "क ् यों नहीं?" उसे देखो, वो कितनी सुंदर है । " मैने कहा, "" हाँ, बहुत सुंदर है । "" "अगर किसी भारतीय आदमी के साथ भाग गयी तो?" ये उसका सबसे बडा डर था । मैने कहा, "" वो खुश रहेगी, और तुम ् हें मोबाइल पर कॉल करेगी । "" वो दादी माँ की तरह गयी और एक शेरनी बन कर वापस लौटी । वो हवाई-जहाज से बाहर निकली और प ् रेस से ऐसे बतियाने लगी जैसे सदा से यही करती रही हो । उसने राष ् ट ् रीय प ् रेस को सम ् हाला, और वो प ् रसिद ् ध हो गयी । और जब मैं छः महीने बाद उस से मिला, मैने कहा, "" तुम ् हारा पति कहाँ है? "" "अरे, कहीं होगा, उस से क ् या फ़र ् क पडता है ।" (हँसी) सफ़लता की कहानी । (हँसी) (अभिवादन) मैं अपनी बात ये कह कर ख ् त ् म करना चाहूँगा कि मुझे लगता है कि समाधान आपके अंदर ही होता है । समस ् या का हल अपने अंदर ढूँढिये । और उन लोगों की बात सुनिये जो आप से पहले समाधान कर चुके हैं सारी दुनिया में ऐसे लोग मौजूद हैं । चिंता ही मत करिये । विश ् व बैंक की बात सुनने से बेहतर है कि आप ज़मीनी लोगों की बातें सुनें । उनके पास दुनिया भर के हल हैं । मैं अंत में महात ् मा गाँधी की कही बात दोहराना चाहता हूँ । "" पहली वो आपको अनसुना कर देते हैं, फ़िर वो आप पर हँसते हैं, फ़िर वो आपसे लडते हैं, और फ़िर आप जीते जाते हैं । "" धन ् यवाद । (अभिवादन) १८ मिनट की समय सीमा बहुत निर ् दयी है, इस लिये मै सिधे मुद ् दे पर आता हूँ. जैसे ही मै इसे काम करा सकूँ. आइये चलें. मैं ५ अलग चीज़ों के बारे में बात करूंगा. मैं बताऊंगा कि उम ् र को हराना क ् यों जरूरी हैं. मैं बताऊंगा कि क ् यों हमें सावधान होना होगा, और इसके बारे में और अधिक बातें करनी चाहिये. निसंदेह मैं सम ् भावनाऒं के बारे में भी बोलूँगा. मैं बताऊंगा कि क ् यॊं हम इतने भाग ् य ् वादी कयों हैं जहां तक उम ् र के बारे मे कुछ करने का प ् रश ् न है. और फिर शायद मैं वार ् ता का दूसरा भाग ये बताने मे लगाऊं कि कैसे हम शायद भाग ् यवाद को गलत साबित कर सकें, वास ् तव में इसके बारे में कुछ कर के. इसे मैं दो भागों में करूंगा. पहले मैं इस बारे में बात करूंगा कि कैसे जीवन काल में छोटी सी व ् रिधी से शुरू कर के — जिसे मैं उन लॊगॊं के संदर ् भ में ३० साल की अवधी मानता हूं जो शुरुआत में पहले से ही अधेडावस ् था में हॊं — ऐसी स ् थीति में पहूंचा जा सकता है जिसे वास ् तव में बुढापे को पराजित करना समझा जा सकता है. मूलत:, इसका मतलब उस रिशत ॓ को समाप ् त करना है जो आपकी उम ् र और अगले साल आपकी संभावित मर ् त ् यु के बीच है — या बीमार होने के. और आखिर में मैं बात करूंगा कि कैसे उस माध ् यमिक कदम तक पहूंचा जा सकता है, ३० साल उम ् र में वृधि के. तो मैं इस बात से शुरु करूंगा कि हमें यह क ् यों करना चाहिय ॑. अब मैं एक सवाल पूछना चाहत ् ता हूं. श ् रोताओं में कोई हैं जो मलरिया के ह ् क मे हैं तो अपने हाथ खडे करें. यह तो आसान था. ठीक है. अच ् छा हाथ उठाएं श ् रोताओं में से कोई जो यह नहीं जानते कि मलेरिआ एक अच ् छी चीज़ है या बुरी? अच ् छा. तो हम सब ये सोचते हैं कि मलेरिया एक बुरी चीज़ है. यह तो बहुत अच ् छी खबर है, क ् योंकि मैंने सोचा था कि जवाब यही होना चाहिए. अब जो मैं आपको बताना चाह ् ता हूं कि हमारे द ् वारा मलेरिया को बुरे समझे जाने का मुख ् य कारण मलेरिया की वो विशेषता के कारण है जो बूढे होने से मिलती जुलती है. और वह विशेषता यह है. अंतर मात ् र ये है कि उम ् र का बढ ् ना मलेरिया से कहीं ज ् यादा लोगों की जान लेता है. मैं श ् रोताओं के बीच, खास तौर से ब ् रिटेन में, लोमडी के शिकार से तुलना के बारे में बात करना पसंद करता हूं. जिसे एक लंबे संघर ् ष के बाद प ् रतिबंधित किया गया था, सरकार के द ् वारा, कुछ ही महीने पहले. मैं जानता हूं दर ् शकों मे सहानुभूति है, लेकिन, जैसा कि हमें पता है, बहुत से लोग इस तर ् क से सहमत नहीं हैं. और मुझे लगता है यह काफ़ि अच ् छी तुलना है. काफ़ी लोगों नें कहा, "" ऐसा है, शहरी लोग कौन होते हैं हम ग ् रामीण लोगों को बताने बाले कि अपने समय के साथ क ् या करें. यह हमारी जीवन शैली का एक परंपरागत हिस ् सा है, और हमें यह करते रहने देना चाहिये. यह वातावर ् ण के लिये अच ् छा है; यह लोमडियों की संख ् या को अधिक बढ ् ने से रोकता है. "" लेकिन अंत में चली तो सरकार की ही, क ् योंकि अधिकांश ब ् रिटिश जनता, और निसंदेह सांसदों का बहुमत, इस निष ् कर ् ष पर पहूंचा कि यह ऐसी चीज़ है जो सभ ् य समाज में सहन नहीं करी जा सकती. और मैं समझता हूं कि इन ् सान का बूढा होना इन सभी विशेशताओं के काफी समान है. इसमें से कौनसी बात लोग नहीं समझ पाते? निसंदेह यह केवल जीवन के बारे में नहीं है — (ठ ् हाके) यह स ् वस ् थ जीवन के बारे में है — कमज़ोर, दयनीय और आश ् रित होने में कोई आनंद नहीं है, चाहे मरने में आनंद हो या न हो. इसका वर ् णन मैं ऐसे करना चाहूंगा. यह एक वैश ् विक भ ् रम है. ये वैसे ही अविश ् वसनीय तर ् क हैं जैसे लोग बूढे होने के संदर ् भ में देते हैं. मैं यह नहीं कह रहा कि यह तर ् क पूरी तरह से बेकार हैं. इन में कुछ अच ् छे तर ् क भी हैं. जिनके बारे में हमें सोचना चाहिए, प ् रायोजन करना चाहिए जिससे कुछ भी बेकार न जाए, और जब हम बूढे होने का इलाज ढूंढ लें तो कम से कम उथल पुथल हो. लेकिन ये उस समय पागलपन लगता है, जब आप अनुपात की भावना का ध ् यान रखते हैं. यह तर ् क, ये वह चीज़ें हैं जिनके बारे में चिंतित होना जायज़ है. लेकिन सवाल यह है, क ् या ये इतने खतरनाक हैं — बूढे होने के बारे में कुछ करने के जोखिम — कि इससे विपरीत करने के नुक ् सान को नज़रअंदाज़ किया जा सके, यानि, बूढे होने को एसे ही छोड दिया जाए? क ् या ये इतने बुरे हैं कि इनसे बेहतर है १००,००० लोगों को हर रोज़ बेवजह अकस ् मात मर ् त ् युद ् ण ् ड दिया जाए. यदि आपके पास इससे बडा कोई तर ् क नहीं है, तो मैं कहता हूं कि मेरा समय बर ् बाद न करें. (ठहाके) हां एक तर ् क है जो कुछ लोगों के विचार में सचमुच प ् रबल है, और वह ये है. लोग जनसंख ् या व ् रिधी के बारे में चिंता करते हैं; वे कहते हैं, "" अगर हम बूढे होने का इलाज निकाल लेते हैं, तो शायद ही कोई मरेगा, या कम से कम मरने वालॊं की संख ् या बहुत कम होगी, सिर ् फ़ यमराज से पंगा लेने पर. और इसकी वजह से हम ज ् यादा बच ् चे पैदा नहीं कर पाएंगे, और ज ् यादातर लोगों के लिये बच ् चे बहुत मायने रखते हैं. "" और यह सच है. और मालूम है, बहुत से लोग जान कर भी इस सवाल का गलत जवाब देते हैं, कुछ इस तरह से. मैं इन जवाबों से सहमत नहीं हूं. मेरे ख ् याल से ये बुनियादी तौर से काम नहीं करते. मैं समझता हूं, हमें इस संबंध में दुविधा का सामना करना पडेगा. हमें यह तय करना हॊगा कि हमें जन ् म दर कम चाहिये, या मर ् त ् यु दर ज ् यादा. उच ् च मर ् त ् यु दर, निसंदेह, केवल इन उपचारों को नकार के बहुत से बच ् चे पैदा को स ् वीकारने से ही हो जाएगा. और, मैं कहता हूं यह ठीक है — मानवता के भविष ् य को यह निर ् णय लेने का हक है. ™ लेकिन भविष ् य की ओर से हमारे द ् वारा यह तय करना ठीक नहीं है. अगर हम संकोच करेंगे या डोलेंगे, और दरअसल इन उपचारों का विकास नहीं करेंगे, तो हम लोगों की एक बडी संख ् या कॊ सज़ा दे रहे हैं — जो इन इलाज के तरीकों से फ़ायदा उठाने के लिये जवान और स ् वस ् थ होते लेकिन नहीं होंगे, क ् योंकि हमने इन ् हें संभावित तेज़ी से विकसित नहीं किया — हम इन लोगों को अनिश ् चित तौर से लम ् बे जीवनकाल से वंचित रख रहे हैं, और मैं समझता हूं कि यह अनुचित है. अधिक जनसंख ् या के सवाल का यह मेरा ज़वाब है. अच ् छा. तो अगली चीज़ है, कि हमें इस पर थोडा और सक ् रीय क ् यों होना चाहिए? और बुनियादी ज़वाब यह है कि बुढापे के हित में लोगों का भ ् रम इतना मूर ् खतापूर ् ण नहीं है जितना दिखता है. यह असल में बूढे होने का सामना करने का एक समझदारीपूर ् ण तरीका है. उम ् र का बढ ् ना भयानाक किन ् तु निश ् चित है, इस लिए, हमें इसे अपने दिमाग से निकालने का कोई तरीका ढूंढना है, और एसा करने के लिए हमें जो भी करना पडे वह सही है. जैसे, उदाहरण के लिए, ये हास ् यासपद तर ् क देना कि क ् यों उम ् र का बढ ् ना असल में अच ् छी बात है. लेकिन यह तभी काम कर सकता है जब हमारे पास ये दोनों भाग हों. और जैसे ही अपरिहार ् यता वाला भाग कुछ साफ़ होता है, और हम बढ ् ती उम ् र के बारे में कुछ करने की स ् थिती में हो सकते हैं, यह समस ् या का एक हिस ् सा बन जाता है. बुढापे के हित में लोगों का भ ् रम ही है जो हमें इन चीज़ों के बारे में आन ् दोलन करने से रोकता है. और इसलिए हमें इस के बारे में काफ़ी चर ् चा करनी है — मैं तो यहां तक कहूंगा इसका प ् रचार करना है — जिस से हम लोगों का ध ् यान आकर ् शित कर सकें, और उन ् हें यह आभास दिला सकें कि वे इस मामले में भ ् रम में हैं. तो इसके बारे में मैं इतना ही कहूंगा. अब मैं बात करूगा व ् यवहार ् यता की और हमारे यह सोचने का कि उम ् र का बढ ् ना निश ् चित है का बुनियादी कारण अभी मेरे द ् वारा दिये जाने वाली उम ् र के बढ ् ने की परिभाशा मे संक ् षिप ् त है. एक बहुत ही सरल परिभाशा. उम ् र का बढना जीवित होने का एक अतिरिक ् त असर है, कहा जाए तो चयापचय, या हमारे शरीर के विभिन ् न अंगों का अपना अपना काम करना. यह केवल शब ् दॊं का खेल नहीं है; यह एक उचित कथन है. उम ् र का बढ ् ना एक ऐसी प ् रक ् रिया है जो गाडियों जैसी निर ् जीव वस ् तुओं के साथ होता है, और यह हमारे साथ भी होता है, बावज़ूद इसके कि हमारे शरीर के पास बहुत से चतुर तंत ् र हैं जिन से वह स ् वयं की मरम ् म ् त कर सकता है, क ् योंकि ये तंत ् र परीपूर ् ण नहीं हैं. तो बुनियादी तौर पे चयापचय, जिसकी परिभाशा है हर चीज़ जो हमें दिन प ् रतिदिन जीवित रखती है, के कुछ अतिरिक ् त असर होते हैं. ये असर एकत ् रित होते रहते हैं और अंततः बीमारी पैदा करते हैं. यह अच ् छी परिभाशा है. तो हम इन शब ् दों में कह सकते हैं: हम कह सकते हैं, ये घटनाओं की श ् रृंखला है. और प ् रायः दो मत हैं, अधिकतर लॊगॊं के, उम ् र के बढ ् ने को टालने को लेकर. ये हैं जिन ् हें मैं ग ् रेंटोलॊजी दृष ् टिकोण और जेरिऎट ् रिक ् स या जराचिकित ् सा दृष ् टिकोण कहूंगा. जराचिकित ् सक की बारी बाद में आएगी, जब बीमारी जाहिर हो रही होगी, और जराचिकित ् सक वक ् त के बढ ् ते हुए कदमों को रोकने का प ् रयास करेगा, और अतिरिक ् त प ् रभावों को इतनी जल ् दी बीमारी पैदा करने से रोकने का. निसंदेह, यह एक अल ् प-कालीन रणनीति है, एक हारी हुई लडाई, क ् योंकि बीमारी पैदा करने वाले कारण वक ् त के साथ अधिक होते जा रहे हैं. ऊपरी तौर पर ग ् रेंटोलोज़ि का रास ् ता अधिक आशाजनाक लगता है, क ् योंकि, जैसा आप जानते हैं, बचाव उपचार से बेहतर है. दुर ् भाग ् यतापूर ् ण बात यह है कि हम चयापचय को बहुत अच ् छी तरह समझते नहीं हैं. बल ् कि जीवों की कार ् यशौली के बारे में हमारी समझ काफ़ी कमज़ोर है - कोशिकाओं के बारे में भी हम अभी बहुत अच ् छे नहीं हैं. उदाहरण के तौर पे हमनें आर एन ए हस ् तक ् षेप जैसी चीज़ों के बारे में कुछ साल पहले ही जाना है, और ये तो कोशिकाऒं के काम काज का बुनियादी भाग है. अंतत:, ग ् रेन ् टोलोजी एक अच ् छा रास ् ता है, पर वह सामयिक नहीं है जब हम हस ् तक ् षेप के बारे में बात करते हैं. तो हमें इसके बारे में क ् या करना चाहिए? मेरा मतलब है, यह तर ् क अच ् छा है, और काफ़ी पक ् का है, है ना? किन ् तु ऐसा नहीं है. इससे पहले कि मैं आपको बताऊं कि यह क ् यों नहीं है, मै कुछ बात करूंगा उस बारे मे जिसको मैं दूसरा कदम कह रहा हूं. कल ् पना करिये, जैसे कि — आज, केवल उदाहरण के लिये — हमें ३०साल अतिरिक ् त सेहतमंद जीवन प ् रदान करने की क ् षमता मिल जाती है उन लोगॊं कॊ जॊ पहले ही अ ् धेडावस ् था में हैं, मसलन ५५ साल के. मैं उसे मजबूत मानव कायाकल ् प कहुंगा. ठीक है. इसका असली मतलब क ् या होगा आज विभिन ् न आयु वाले लोग कितनी देर तक — या यों कहें, विभिन ् न आयु के उस समय जब ये उपचार उपलब ् ध हो जाती हैं वास ् तव में जियेंगे? इस सवाल का जवाब देने के लिए — आप भले ही सोचें कि ये आसान है, किन ् तु ये आसान नहीं है.. हम यह नहीं कह सकते, "" अगर वे इन उपचारॊं का लाभ उठाने लायक उम ् र में है, तो वे ३० साल अधिक जियेंगे. "" यह गलत जवाब है. और इसके गलत जवाब होने का कारण प ् रगति है. दॊ तरह की तकनीकि प ् रगति हैं इस मायने में. बुनियादी, बडी सफ़लताएं, और इन सफ़लताऒं का वृद ् धिशील शोधन. और इन में काफ़ी अंतर है समय काल के अनुमान लगाए जाने कॊ लेकर. बुनियादी सफ़लताएं: अनुमान लगाना बहुत मुशकिल है कि कितना समय लगेगा बुनियादि सफ़लता पाने में. हमनें यह बहुत समय पहले तय कर लिया था कि उडने में मज़ा आयेगा, और हमें १९०३ तक का समय लगा पता लगाने के लिए कि यह कैसे किया जाए. लेकिन उसके बाद यह काफ़ी संतुलित और सामान ् य हो गया. मैं समझता हूं कि यह उस घटनाक ् रम का जायज़ ब ् य़ॊरा है जो संचालित उडान की प ् रगति में हुआ. यह भी सोचा जा सकता है कि इन में हर एक पिछले चरण के आविश ् कारक की कल ् पना के परे है. वृद ् धिशील विकास का नतीजा इस तरह का है जो वृद ् धिशील नहिं रहा. आप इस तरह की चिज़ किसी बुनियादी सफ़लता के बाद देख सकते हैं. आप इन ् हें कई तरह की तकनीकों में देख सकते हैं. क ् म ् पयूटर के मामले में भी आप को सामान ् तर समय रेखा देखने को मिलेगी, अपितु कुछ देर बाद. आप चिकित ् सा संभाल को देख सकते हैं. मेरा मतलब है स ् वच ् छता, टीके, एंटीबायोटिक — यानि कि, उसी तरह का समय सीमा इस लिये मै सोचता हूं, असल में दूसरा कदम, जिसे मैंने अभी अभी कदम बॊला था, कदम नहीं है. वॊ लॊग जिन की उम ् र इतनी कम है कि वे इन चिकित ् साऒं से लाभ उठा सकें जो यह थॊडा सा जीवन काल को बढा सकते हैं, यद ् य ् पि जब ये चिकित ् साएं आएं तो वे अधेडावस ् था में पहुंच चुके हों, एक तरह से बीच की स ् थीति में होंगे. वे आम तौर पे उन ् न ् त उपचार पाने तक बच जाएंगे जो उन ् हें ३०या५० साल और दे देगा. यानि कि वे इस खेल में आगे रहेंगे. चिकित ् सा में इस गति से तेजी से सुधार हो जाएगा जिस गति से चिकित ् सा में शेष खामियां उभर रही हैं. यह बहुत महत ् वपुर ् ण मुद ् दा है जो मैं समझाना चाहता हूं. ♫ क ् यॊंकि अधिकतर लोग जब यह सुनते हैं कि मैं यह भविश ् यवाणी करता हूं कि आज जीवित बहुत से लॊग १,००० साल या अधिक जियेंगे, वॊ सोचते हैं मैं कह रहा हुं कि हम अगले कुछ दशकॊं में उपचारों का आविश ् कार करने जा रहे हैं जो उम ् र के बढ ् ने को पूरी तरह से समाप ् त कर देंगे और ये उपचार हमें १,००० साल या अधिक जीवित रहने देंगे. मैं यह बिलकुल भी नहीं कह रहा हुं. मैं कह रहा हूं कि इन उपचारॊं में सुधार की दर पर ् याप ् त होगी. ये कभी भी परिपूर ् ण नहीं हॊंगी, लेकिन हम उन चीज़ॊं को ठीक कर पाएंगे जिन से २०० साल के लॊग मरते हैं, इससे पहले कोई २०० साल के हों. और इसी तरह से ३००, ४०० और अधिक. मैंने इसे यह छोटा सा नाम दिया है, "दीर ् घायु escape velocity." (ठहाके) लगता है बात समझ में आती है इससे. तो यह पथ रेखाएं दर ् शाती हैं कि हमारी अपेक ् षा में लोग कैसे जियेंगे, शेष जिवन प ् र ् त ् याशा के संदर ् भ में, जैसा कि उन के स ् वस ् थ से नापा जा सकता है, दी गयी आयु के लिये जब ये उपचार आये जो उनकी थी. अगर आप पहले से १०० साल, या ८० साल के भी हैं — एक औसत ८० वर ् षीय व ् यक ् ति, तो शायद हम इन उपचारो से आप के लिए कुछ अधिक ना कर पाएं, क ् योंकि आप मौत के दरवाज़े के बहुत करीब हैं और यह प ् रयॊग के तौर पे किये गए शुरुआती उपचार आप के लिए काफी नहीं होंगे. आप उन ् हें सह नहीं पाऎंगे. लेकिन यदि आप केवल ५० साल के हैं, तो संभावना है कि आप को लुड ् कने से बचाया जा सके — (ठहाके) बाहर निकाला जा सके. और सही मायने में जैविक तौर से जवान बनने लगें, शारीरिक और मानसिक तौर से जवान, और उम ् र संबंधी कारणॊं से मरने के आपके खतरे के मायने में. अवश ् य, अगर आप उससे कुछ छॊटे हैं, तो आप कभी भी सचमुच उम ् र संबंधी कारणों से मरने लायक कमज़ॊर अवस ् था में भी नहीं होंगे. तो मैं इस सच ् चे निष ् कर ् ष पर पहुंचा हूं, कि पहला १५० साल का व ् यक ् ति - हम नहीं जानते कि वह इन ् सान आज कितने साल का है, क ् योंकि हमें नहीं पता कि कितना समय लगेगा इन पहली पीढ ़ ी के उपचार पाने में. लेकिन चाहे वह उम ् र कितनी भी हो, मैं यह दावा कर रहा हूं कि १,००० साल तक जीवित रहने वाला पहला व ् यक ् ति - वैष ् विक आपदाओं को ध ् यान में रखते हुए - वास ् त ् व में पहले १५० साल के व ् यक ् ति से शायद केवल १० वर ् ष कम आयु का है. और यह सोचने लायक है. अच ् छा तो अंत में मैं बाकी की वार ् ता मेरे अंतिम साढे सात मिनट, पहले कदम पर बिताऊंगा; यानि कि, वास ् तव में हम जीवन में यह मामूली सी व ् र ् धी कैसे पा सकते हैं जो हमें मनचाही गति प ् राप ् त करने देगा? और यह करने के लिये, मुझे कुछ देर चूहों के बारे में बात करने की आव ् श ् य ् क ् ता है. मेरे पास मजबूत मानव कायाकल ् प से मिलता जुलता मानक है. मैं उसे मजबूत चूहा कायाकल ् प बुला रहा हूं, जो ज ् यादा कल ् पनाशील नहीं है. और वह ये है. मैं कहता हूं कि हम एक लंबे जीवन वाले चूहे का प ् रकार लेंगे, जिसका मूलतः अर ् थ है चूहे जॊ औसतन तीन साल तक जीते हैं. जब तक वो दॊ साल के हों हम उनको कुछ ना करें. और फ़िर हम उन के साथ काफ़ी कुछ करें, और इन उपचारों के साथ, हम उन ् हें जीवित रखें, औसतन, उनके पांचवे जन ् म दिन तक. तो, अन ् य शब ् दों में. हम दो वर ् ष बढा दें — हम उनके बाकि जीवन काल को तीन गुना कर दें, उस समय से शुरू कर के जब से हमनें उपचार शुरू करा. प ् र ् शन यह है कि, इसका समय संद ् र ् भ के लिए क ् या अभिप ् राय है जब तक कि हम मनुषयों के मानक तक पहुंच सकें जिसके बारे में मैंने बात की थी? जिसे कि, जैसा मैंने समझाया, मजबूत मानव कायाकल ् प या मनचाही गति बराबरी से कहा जा सकता है. दूसरा, इसका आम धारणा के लिये क ् या अभिप ् राय है इस बारे में कि हमें इन चीज़ॊं तक पहुंचने में कितनी देर लगेगी, चूहे मिलने से शुरू कर के? और तीसरे, सवाल यह है, यह क ् या करेगा लॊगॊं की इसके लिये चाह के लिये? और मुभे यह लगता है कि पहला सवाल केवल जीव विग ् यान का है और इसका जवाब देना बहुत मुशकिल है. इन ् सान को सॊचना पड ़ ता है, और मेरे कई मित ् र कहेंगे कि हमें इस प ् रकार सोचना नहीं चाहिए, कि हमें अधिक जानकारी प ् राप ् त करने तक सब ् र करना चाहिए. मैं कहता हूं यह बकवास है. मैं कहता हूं कि अगर हम इस पर चुप रहें तो यह गैर जिम ् मेदाराना होगा. हमें इस समय के संदर ् भ के बारे मे बेहतरीन अनुमान लगाना चाहिए, लोगों को अनुपात की भावना देने के लिये जिससे वे अपनी प ् राथमिकताऒं का आंकलन कर सकें. तो मैं कहता हूं कि हमारे पास ५० / ५० मौका है इस पडाव पर पहुंचने का, मजबूत मानव कायाकल ् प, १५ साल के अन ् दर उस समय से जब हम मजबूत चूहा कायाकल ् प तक पहुंच जाएं. १५ साल चूहे के बाद. लोगों का दृषिटकॊण शायद उससे कुछ बेहतर होगा. लोग विग ् य़ान की मुश ् किलों का पूरी तरह से आंकलन नहीं कर पाते. तो वो सोचते हैं वो पांच साल दूर है. वे गलत होंगे, लेकिन असल में उसका ज ् यादा फ़रक नहीं पड़ेगा. आखिरकार, निसंदेह, मैं सोचता हूं यह कहना जायज़ होगा कि लोग उम ् र के बढ़ ् ने के बारे में दोहरे विचार क ् यों रखते हैं का बड़ा कारण है वैश ् विक भ ् रम जिसके बारे में मैंने पहले बात करी थी, मुकाबला करने की रणनीति. वो यहां इतिहास बन जाएगी, क ् योंकि अब यह विशवास करना मुमकिन नहीं होगा कि उम ् र का बढ़ ् ना इन ् सानों के लिए अपरिहार ् य है, चूंकि चूहों मे उसे कुशलता से टाला गया है. तो हम लोगों के स ् वभाव में एक मज़बूत बदलाव देख सकते हैं, निसंदेह इसके काफ़ी बडे ़ परिणाम हो सकते हैं. तो आपको यह बताने के लिए कि हम उन चूहॊं तक कैसे पहुंचेंगे, मै अपने द ् वारा दिए गए उम ् र के बढ़ ् ने के विवर ् ण की कुछ व ् याख ् या करूंगा. मैं "" नुक़ ् सान "" श ़ ब ् द का प ् रयोग करूंगा उन माध ् यमिक चीज़ॊं को जाहिर करने के लिए जो चयापचय के कारण होती हैं, और अंततः विकृति पैदा करती हैं. क ् यॊंकि इसमें ज़रूरी बात यह है कि चाहे नुक ् सान अंत में विकृति को जन ् म देता है, यह नुक ् सान खुद अपनेआप लगातार जिंदगी भर चलता रहता है, पैदा होते ही शुरू होकर. पर यह चयपचय का हिस ् सा नहीं है. और यह बात बहुत काम आ सकती है. क ् योंकि इस तरह से हम मूल चित ् रों को दुबारा बना सकते हैं. हम कह सकते हैं, मूलतः, कि ग ् रेंटालाजी और जेरियाट ् रिक ् स में अंतर यह है कि ग ् रेंटालाजी उस गति को कम करने की कोशिश करता है जिस गति से चयपचय इस नुक ् सान को करता है. और मैं समझाता हूं कि यह नुक ् सान दरअसल क ् या है स ् पष ् ट जैविक तौर पे, एक मिनट में. और जेरियाट ् रिक ् स वक ् त के प ् रवाह को रोकने की कोशिश करता है इस नुक ् सान को विकृति बनने से रोक कर. और यह एक हारी हुई लडा ़ ई है क ् योंकि नुक ् सान जमा होता जाता है. तो एक तीसरा रास ् ता है, अगर हम इस तरह से देखें. हम इसे यात ् रिकि रास ् ता कह सकते हैं. और मैं दावा करता हूं कि यांत ् रिकि रास ् ता सीमा के अन ् दर है. यांत ् रिकि रास ् ता किसी प ् रक ् रिया में हस ् तक ् षेप नहीं करता. वो इस प ् रक ् रिया में हस ् तक ् षेप नहीं करता, य़ा इस में. और यह अच ् छा है क ् यॊंकि इसका मतलब है कि यह हारी हुई लडा ़ ई नहीं है, और यह एसा कुछ है जो कि हमारे द ् वारा करे जाने कि सीमा में है, क ् योंकि इसमें बेहतरी या विकास शामिल नहीं होते. यांत ् रिकि रास ् ता सिर ् फ़ कहता है, "" हमें थोडी ़ थोडी ़ देर में सभी प ् रकार के नुक ् सानों की मरम ् मत करनी चाहिये — जरूरी नहीं पूरी तरह से, पर काफ़ी हद तक उनकी मरम ् मत, जिससे हम नुक ् सान का स ् तर उस दहलीज़ के नीचे रहे जिसका होना ज़रूरी है, जो इसे रोगजनक बना देता है. "" हमें पता है कि यह दहलीज़ मौज़ूद है, क ् योंकि मध ् यम आयु में पहुंचने तक हमें उम ् र संबंधी बिमारियां नहीं होती, यद ् यपि पैदा होने के समय से ही नुकसान इकट ् ठा हो रहा है. मैं क ् यों कहता हूं कि हम सीमा के अंदर हैं? वो मूलतः इसलिए. इस स ् लाइड का सार नीचे है. अगर हम यह कहने की को ् शश करें कि चयपचय के कौनसे भाग उम ् र बढ ़ ने के लिए महत ् वपूर ् ण हैं, तो हमे सारी रात यहां रहना पडे ़ गा, क ् योंकि मूलतः पूरा चयपचय किसी न किसी तरह से उम ् र बढ़ ् ने के लिए महत ् वपूर ् ण है, यह केवल उदाहर ् ण के लिए है, यह अधूरा है. दाहिने तरफ़ वाली सूची भी अधूरी है. यह सूची उम ् र संबंधी अलग अलग विकृतियों की है, और यह सिर ् फ़ एक अधूरी सूची है. लेकिन मैं आप से यह दावा करना चाहूंगा कि ये बीच वाली सूची पूर ् ण है, ये उन चीज़ों की सूची है जो नुक ् सान होने के काबिल कहे जा सकते हैं, चयपचय के दुष ् प ् रभाव जो अंत में विकृतियं पैदा करते हैं. या जो विकृतियां पैदा कर सकते हैं. और ये केवल सात हैं. ये चीज़ों की श ् रेणियां हैं, पर सिर ् फ़ सात हैं. कोषिकाओं का नुक ् सान, गुणसूत ् रों में उत ् परिवर ् तन, माइटोकॊंड ् रिया में उत ् परिवर ् त, न आदि. सबसे पहले, मैं तर ् क देना चाहूंगा कि ये सूची पूर ् ण क ् यों है. हां, निश ् च ् य ही हम जैविक बहस कर सकते हैं. हम कह सकते हैं, ठीक है, हम किन चीज़ों के बने हैं? हम कोशिकाओं और उनके बीच के सामान के बने हैं. नुक ् सान किन में जमा हो सकता है? जवाब है, दीर ् घायु अणु, क ् योंकि अगर लघु आयु वाले अणु को नुक ् सान होता है, लेकिन अणु बरबाद हो जाता है — जैसे प ् रोटीन प ् रोटेओलाइसिस से ध ् वस ् त हो रहा है — तो नुक ् सान भी खत ् म हो जाता है. वह निश ् चित ही दीर ् घायु अणु होंगे. तो, यह सात चीज़ें ग ् रेंटॊलॊजी में काफ़ी समय से चर ् चित रही हैं और यह काफ़ी अच ् छी खबर है, क ् योंकि इसका मतलब है, कि हम इन २० सालों में जीव विज ् ञान में काफ़ी प ् रगति कर चुके हैं, तो ये बात कि हमनें इस सूची को बढ़ाया नहीं है इस बात का अच ् छा सबूत है कि इसे बढ़ाया जाने लायक कुछ नहीं है. बल ् कि, इस से भी बेहतर है, हमे असल में पता है कि इन सब को ठीक कैसे करना है चूहों में, सिद ् धांत के तौर पे - और सिद ् धांत से मेरा मतलब है, कि शायद हम वास ् तव में इन उपचारों को एक दशक में लागू कर सकते हैं. इनमें से कुछ, ऊपर वाले, आंशिक तौर पे लागू हो चुके हैं. मेरे पास सब के बारे मे बताने का वक ् त नहीं है, लेकिन मेरा निषकर ् श यह है कि, अगर हमें इसके लिए उपयुक ् त धन मिल जाए, तो शायद हम १० साल में ही मजबूत जन कायाकल ् प का विकास कर सकते हैं, लेकिन हमें इसके बारे में गंभीर होना पड़ेगा. हमें कोशिश करनी शुरू कर देनी चाहिए. नि: संदेह, दर ् शकों में कुछ जीवशास ् त ् री हैं, और मैं आपके कुछ संभावित सवालों का जवाब देना चाहूंगा. आप इस वार ् ता से असंतुष ् ट हुए हो सकते हैं, लेकिन मौलिक तौर पे आप को जाकर इस चीज़ को पढ़ना है. मैने इसपर काफ़ी कुछ लिखा है; मैं उन प ् रयोगिक कार ् यों का हवाला देता हूं, जिन पर मेरा आशावाद आधारित है, और इन में काफ़ी विस ् तृत ब ् यौरा है. ये ब ् यौरा ही मुझ में आत ् मविश ् वास जगाता है इन आक ् र ् मक समय संदर ् भों का जिनकी मैं भविष ् य वाणी कर रहा हूं. तो अगर आप सोचते हैं कि मैं गलत हूं, तो बेहतर हो आप जाकर पता लगाएं कि आप ऎसा क ् यॊं सोचते हैं. नि: सेदेह, मुख ् य बात यह है कि आपको उन लोगों पर विश ् ववास नहीं करना चाहिए जो अपने आप को ग ् रेन ् टोलोजिस ् ट कह ् ते हैं क ् योंकि, जैसा कि किसी भी क ् षेत ् र में पहले की सोच से घोर प ् रस ् थान में होता है, आप मुख ् र ् य धारा में लोगों से अपेक ् षा करते हैं कि वो अवरोध करेंगे और इसे गंभीरता से नहीं लेंगे. तो, पता है, आप को वास ् त ् व में अपनी तैयारी करनी पड ़ ती है, यह समझने के लिए कि क ् या यह सच है. और हम कुछ चीज़ों के साथ समापन करेंगे. एक, पता है, अगले सत ् र में आप एक शक ् स को सुनेंगे जिसने कुछ समय पहले कहा था कि वह मानव जीनोम को कुछ ही समय में अनुक ् रम कर सकता है, और सब ने कहा, "" ज़ाहिर है यह मुमकिन नहीं है. "" और आप को पता है क ् या हुआ. तो, पता है, एसा होता है. हमारे पास अलग अलग रणनितियां हैं - मतूशेलह माउस पुरुस ् कार है, जो मूलतः कुछ नया करने के लिए प ् रोत ् साहन है, और वो करने के लिए जो आप सोचते हैं काम करेगा, और अगर आप जीत जाते हैं तो आपको उसके लिए पैसे मिलते हैं. एक प ् रस ् ताव है वास ् तव में एक संस ् थान तैयार करने का. यही है जिसमें थोडा ़ पैसा लगेगा. पर, मेरा मतलब है, देखिए — इराक युद ् द में इतना खर ् च करने में कितना समय लगता है? ज़ ् यादा समय नहीं. ठीक है. ठहाके और यह परोपकारी होना चाहिए, क ् योंकि मुनाफ़ा जीवन शास ् त ् र से ध ् यान बंटाता है, पर इसे सफ़ल होने की ९० प ् रतिशत संभावना है, मेरे ख ् याल से. और मैं सोचता हूं हमें पता है कि यह कैसे करना है. और मैं यहीं रुकता हूं. धन ् यवाद. तालियां क ् रिस एन ् डरसन: अच ् छा, मुझे पता नहीं कि कोई सवाल होंगे कि नहीं पर मैने सोचा मैं लोगों को मौका दूं. दर ् शक: आपने बढ ़ ती उम ् र और उसे हराने की बात की, पर ऎसा क ् यॊं है कि आप अपने आप को एक वृद ् ध व ् यक ् ति की तरह जता रहे हैं? ठहाके ए जी: क ् योंकि मैं वृद ् ध हूं. मैं दर असल १५८ साल का हूं. ठहाके तालियां दर ् शक: नस ् लें इस ग ् रह पर प ् रतिरक ् षा प ् रणाली के साथ विकसित हुई हैं बिमारियों से लड ़ ने के लिए जिससे लोग प ् रज ् न ् न हेतु जीवित रह सकें. लेकिन, जहां तक मैं जानता हूं, सभी नस ् लें अस ् ली में मरने के लिए ही विकसित हुई हैं, तो जब कोषाणुं विभाजित होते हैं, तो तेलोमेरेज़ छोटे होते हैं, और अंततः नस ् लें मर जाती हैं. तो क ् यों - विकास नें - लगता है अमरता के खिलाफ ़ चुनाव किया है, जब कि यह इतनी फ़ायदेमंद है, या विकास अभी अधूरा है? ए जी: उत ् तम. एसा सवाल पूछने के लिये शुक ् रिया जिसका ज ़ वाब मैं गैर-विवादास ् पद रूप में दे सकता हूं. मैं आपके सवाल का असली मुख ् य धारा वाला जवाब देने जा रहा हूं, जिस से मैं भी सहमत हूं. जॊ कि यह है कि, नहीं, उम ् र का बढ ़ ना चुनाव का हिस ् सा नहीं है; विकास केवल विकासीय उपेक ् षा का परिणाम है. अन ् य शब ् दो में, हमारी उम ् र बढ ़ ती है क ् योंकि उसका न बढ ़ ने में मेहनत लगती है; आप को अधिक आनुवंशिक राहें चाहिए होती हैं, आप के आनुवंश में अधिक परिषकार अगर उम ् र को और धीरे बढ ़ ना हो तो, और यह सच रहता है जितनी देर तक आप यह चाहें. तो, उस मामले में विकास से कोई फ़र ् क नहीं पड ़ ता, परवाह नहीं करता चाहे आनुवंश व ् यक ् तियों द ् वारा पारित हों, जो लंबे समय तक जीवित रहें, या उत ् पत ् ति द ् वारा, इसमें कुछ मात ् रा में समता है, इसलिए अलग नस ् लों के अलग जीवनकाल होते हैं, और इसलिए कोई अमर नस ् लें नहीं हैं. सी ए: आनुवंश परवा नहीं करते पर हम करते हैं? ए जी: सही. दर ् शक: मैंने कहीं पढा ़ था कि पिछ ् ले २० सालों में, धरती पे किसी का भी औसत जीवनकाल १० साल बढ ़ गया है. अगर मैं इसका व ् याख ् यान करूं, तो मैं सोचता हूं कि अगर मैं अपनी मोटरसाइकल पे टक ् कर ना मारूं, तो मैं १२० साल तक जीवित रहूंगा. इसका मतलब है कि मैं आपके उन लोगों में से हूं जो १००० साल के हो सकते हैं? ए जी: अगर आप अपना वजन थोडा ़ कम कर लेते हैं तो. ठहाके आपके अंक कुछ गलत हैं. मानक आंकडे ़ कहते हैं कि जीवनकाल हर दश ् क में एक से दो साल तक बढ़ रहे हैं. तो, यह वैसा नहीं है जैसा आप सोचें - आप उम ् मीद करें. पर मेरा इरादा जल ् द से जल ् द इसे बढा ़ कर एक साल प ् रति साल करना है. दर ् शक: मुझे बताया गया था कि दिमाग के कई कोषाणु जो हमारे पास व ् यस ् क ् ता में होते हैं वो वास ् तव में मानव भ ् रूण में होते हैं, और दिमाग के कोषाणु ८० साल तक चलते हैं. अगर यह सच है तो, क ् या जीवन शास ् त ् र में इसके कायाकल ् प की दुनिया में निहितार ् थ हैं? अगर मेरे शरीर में कोषाणु हैं जो पूरे ८० साल जीते हैं, बनिस ् प ् त साधारण तौर पे, पता है, कुछ महीने? ए जी: इसके तकनीकि निहितार ् थ ज़रूर हैं. बुनियादि तौर पे हमें कोषाणु बदलने हैं दिमाग के उन कुछ हिस ् सों में जो इन ् हे जायज़ दर से खोते हैं, खास तौर से न ् युरान, लेकिन हम उन ् हें इस से तेज़ बदली नहीं करना चाह ् ते या बहुत ज ् यादा तेज ़ तो नहीं, क ् योंकि इन ् हे बहुत तेज ़ बदलने से संज ् ञानात ् मक कार ् य पर दुष ् प ् र ् भाव पडेगा. पहले मैंने जो कोई बूढ़े न होने वाली नस ् ल न होने की बात करी थी वो कुछ ज ् यादा ही सरलीकरण था. कुछ नस ् लों की उम ् र नहीं बढ़ ् ती - जैसे कि हाइड ् रा - पर वे ऎसा करते हैं क ् योंकि उनमें नरवस सिस ् ट ् म नहीं होता - और कोई ऊतक नहीं होती जो अपने कार ् य के लिये आश ् रित हो लंबे समय तक जीवित रहने वाले कोषाणुओं पर. (संगीत) (वाहवाही) (वाहवाही) (संगीत) (वाहवाही) (संगीत) (वाहवाही) क ् रिस एंडरसन: आप लोग अद ् भुत थे । अद ् भुत! (वाहवाही) यह हर दिन सुनने को नहीं मिलता है । (हंसी) उस ् मान, असली कहानी यह है कि आपने गिटार बजाना सीखा जिमी पेज को यूट ् यूब पर देखकर. उस ् मान रियाज: हाँ, यह पहला था. और फिर मैं... यह पहली बात मैंने सीखीं थी, और फिर मैंने प ् रगति करना शुरू कर दिया । और मैंने काकी किंग को देखना शुरू किया, और वह हमेशा प ् रेस ् टन रीड को एक बड ़ े प ् रभाव के रूप में पेश करती, इसलिए मैंने उनके वीडियो को देखना शुरू कर दिया, और अब मुझे विश ् वास नहीं हो रहा... (हंसी) (वाहवाही) सी.ए.: अभी जो संगीत था, अपने उनका यह गीत सीखा था, या यह कैसे हुआ? यू.आर.: मैं यह पहले कभी नहीं सीखा था, लेकिन उसने मुझे बताया कि हमे मंच पर बजाना होगा, तो मैं इससे परिचित था, तो इस कारण इतना अधिक मज ़ ा आया सिखने में । और अब जाकर हुआ, तो... (हंसी) सीए: प ् रेस ् टन, अपके नज ़ रिये से, मेरा मतलब है, आपने 20 साल पहले इसका आविष ् कार किया? आप इससे देखकर कैसे महसूस करते हैं? आपके कला लेकर उसके साथ इतना ज ् यादा कर रहा है? प ् रेस ् टन रीड: यह महान है, और मुझे वास ् तव मे गर ् व और सम ् मान महसूस हो राहा हैं । और यह एक अद ् भुत संगीतकार है, तो अच ् छा है । (हंसी) सीए: मुझे नहीं लगता कि तुम लोग एक मिनट का कोई अन ् य संगीत सुना सकते हो? क ् या सुना सकते हैं? आप जाम कर सकते हैं? क ् या आप कुछ और कर सकते है? पी.आर.: हमने कुछ भी तैयारी नहीं की । सी.ए.: नहीं है पर.. यदि आपके पास 30 या 40 सेकंड है, और आपके पास और 30 या 40 सेकंड है, और हम बस देख रहे हैं कि... मुझे बस लगता है कि.. मैं यह महसूस कर सकता हूँ.. हम और एक छोटा सा गीत सुनना चाहते हैं । अगर यह पूरी तरह गलत हो गया, तो भी कोई चिंता नही । (वाहवाही) (हंसी) (संगीत) (वाहवाही) भूमंडलीकृत कैसे हम कर रहे हैं, कैसे भूमंडलीकृत हम नहीं कर रहे हैं, इसलिए यह महत ् वपूर ् ण है करने के लिए सही हो उन के प ् रकार आकलन कर में. और इस पर देखने के प ् रमुख बिंदु, चाहे मापा बेची गई पुस ् तकों की संख ् या से मीडिया में उल ् लेख है, या सर ् वेक ् षण कि मैं से लेकर समूहों के साथ भाग लिया विश ् व व ् यापार संगठन के प ् रतिनिधियों को अपने छात ् रों, इस दृश ् य है कि राष ् ट ् रीय सीमाओं वास ् तव में बहुत ज ् यादा नहीं बात नहीं है, सीमा पार से एकीकरण पूरा करने के लिए करीब है, और हम एक दुनिया में रहते हैं. क ् या इस दृश ् य के बारे में दिलचस ् प है यह एक विचार है कि समर ् थक globalizers द ् वारा आयोजित है टॉम फ ् राइडमैन तरह, जिनकी किताब इस बोली जाहिर है अंश से, लेकिन यह भी विरोधी globalizers, जो इस विशाल देखते द ् वारा आयोजित है भूमंडलीकरण सूनामी है कि हमारे जीवन के मलबे के बारे में करने के लिए है अगर यह पहले से ही ऐसा नहीं किया है. कि यह एक नया विचार नहीं है. मैं इतिहास को देखा पहला उल ् लेख देखने की कोशिश कर रहा पहली बार यह उद ् धृत किया गया पहले डेविड लिविंगस ् टोन द ् वारा उद ् धृत, कैसे रेल, स ् टीमर के बारे में 1850 के दशक में लेखन, और तार पूर ् वी अफ ् रीका के संयोजन कर रहे थे दुनिया के बाकी हिस ् सों के साथ. अब स ् पष ् ट रूप से, डेविड लिविंगस ् टोन अपने समय से आगे था, लेकिन यह उपयोगी है अपने आप से पूछना है, "बस कैसे वैश ् विक हम कर रहे हैं?" इससे पहले कि हम सोचते हैं, जहां हम चले. सबसे अच ् छा तरीका है मैं कोशिश कर रहे लोगों के पाया है को गंभीरता से लेने के विचार, दुनिया फ ् लैट नहीं हो सकता है, फ ् लैट के करीब नहीं हो सकता है, यहां तक ​ ​ कि कुछ डेटा के साथ है. पिछले कुछ वर ् षों में संकलन डेटा, कि या तो हो सकता है राष ् ट ् रीय सीमाओं के भीतर या राष ् ट ् रीय सीमाओं के पार, मैं सीमा पार से घटक में देखा है कुल का एक प ् रतिशत के रूप में. मैं डेटा दिखाने के लिए नहीं जा रहा हूँ, कुछ डेटा अंक दिखा. सूचना प ् रवाह का एक तरह, लोगों के प ् रवाह का एक प ् रकार, पूंजी के प ् रवाह की तरह एक, और, ज ़ ाहिर है, उत ् पादों और सेवाओं में व ् यापार. तो चलो सादे पुराने टेलीफोन सेवा के साथ शुरू. दुनिया में सभी आवाज फोन मिनट की, क ् या प ् रतिशत के लिए जिम ् मेदार थे सीमा पार से फोन द ् वारा? अपने मन में एक प ् रतिशत उठाओ. जवाब दो प ् रतिशत है. यदि आप इंटरनेट टेलीफोनी शामिल यह संख ् या छह या सात प ् रतिशत हो सकता है, यह लोग क ् या अनुमान है के पास कहीं भी नहीं है. या चलो देखते हैं, कितने लोगों को सीमा पार से चलते हैं. हम पर लग सकता है लंबे समय तक लोगों के आव ् रजन, क ् या प ् रतिशत है दुनिया की आबादी का पहली पीढ ़ ी के प ् रवासियों द ् वारा? आप एक प ् रतिशत का चयन करें. पता चला है थोड ़ ा अधिक हो. यह वास ् तव में तीन प ् रतिशत है. सभी वास ् तविक निवेश कि दुनिया में 2010 में चला गया. क ् या प ् रतिशत के लिए जिम ् मेदार था प ् रत ् यक ् ष विदेशी निवेश के द ् वारा? काफी नहीं दस प ् रतिशत. और फिर अंत में, एक परिगणन विद ् या - संबंधी कि मुझे संदेह है इस कमरे में लोगों की कई देखा है: निर ् यात के लिए सकल घरेलू उत ् पाद के अनुपात. यदि आप सरकारी आंकड ़ ों पर दिखेगा, वे आम तौर पर संकेत मिलता है 30 प ् रतिशत से ऊपर है. हालांकि, सरकारी आंकड ़ ों के साथ एक बड ़ ी समस ् या है, कि अगर, उदाहरण के लिए, एक जापानी घटक सप ् लायर चीन के लिए कुछ करने के लिए एक आइपॉड में डाला जा भेजता है, और फिर आइपॉड अमेरिका के लिए भेज दिया जाता है, कि घटक कई बार गिना जाता है. तो कोई नहीं जानता कि कैसे यह बुरा पूर ् वाग ् रह साथ सरकारी आंकड ़ ों वास ् तव में है, तो मैंने सोचा कि मैं होता व ् यक ् ति जो प ् रयास अग ् रणी है पूछना पास ् कल लेमी, विश ् व व ् यापार संगठन के निदेशक, क ् या उसका सबसे अच ् छा लगता है सकल घरेलू उत ् पाद का एक प ् रतिशत के रूप में निर ् यात, के बिना डबल और ट ् रिपल गिनती, और यह वास ् तव में शायद एक सा है 20 प ् रतिशत के तहत, बजाय बजाय 30 प ् रतिशत तो यह बहुत स ् पष ् ट है कि अगर आप इन नंबरों को देखो या अन ् य सभी संख ् या है कि मैं अपनी किताब में के बारे में बात करते हैं, "" विश ् व 3.0, "" कि हम बहुत, बहुत से दूर रहे हैं कोई सीमा प ् रभाव बेंचमार ् क, जो संकेत होगा 85 के आदेश के अंतरराष ् ट ् रीयकरण का स ् तर, 90, 95 प ् रतिशत. तो जाहिर है, इलहाम के तौर पर दिमाग लेखकों मामले अतिरंजित है. लेकिन यह एक उनमें से कुछ नहीं है, से अधिक का अनुमान है जो दर ् शकों सर ् वेक ् षण दुनिया के विभिन ् न भागों में इन नंबरों के लिए लगता है. एक सर ् वेक ् षण के परिणाम हार ् वर ् ड बिजनेस रिव ् यू क ् या लोगों के अनुमान थे. टिप ् पणियों के बाहर खड ़ े हो जाओ वहाँ कुछ त ् रुटि के एक सुझाव है. ठीक है. (हँसी) दूसरा, ये बहुत बड ़ ी त ् रुटियाँ हैं. चार मात ् रा के लिए जिनकी औसत मूल ् य के 10 प ् रतिशत से भी कम है, आप लोगों को तीन, चार गुना के स ् तर पर है कि अनुमान लगा रहा है. हालांकि मैं एक अर ् थशास ् त ् री हूँ, मुझे लगता है कि एक बहुत बड ़ ी त ् रुटि है. और तीसरा, यह सिर ् फ पाठकों के लिए ही सीमित नहीं है हार ् वर ् ड बिजनेस रिव ् यू के. विभिन ् न भागों में कई दर ् जन ऐसे सर ् वेक ् षण दुनिया की, और सभी मामलों में एक को छोड ़ कर, जहां वास ् तव में एक समूह को कम करके आंका व ् यापार के लिए सकल घरेलू उत ् पाद के अनुपात, लोगों को इस प ् रवृत ् ति अधिक आकलन की ओर, और इसलिए मैंने सोचा एक नाम दे, और वह है गहरे नीले रंग की सलाखों के बीच globaloney अंतर, के रूप में और हल ् के भूरे रंग सलाखों. आप में से कुछ अभी भी हो सकता है एक छोटा सा दावों की उलझन में, मुझे लगता है कि यह महत ् वपूर ् ण है कुछ मिनट के लिए लगता है क ् यों हम globaloney लिए प ् रवण हो सकता है. अलग अलग कारणों से एक जोड ़ ी के लिए मन में आते हैं. सबसे पहले, वहाँ बहस में एक डेटा की वास ् तविक कमी है चलो मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ. जब मैं पहली बार प ् रकाशित इन आंकड ़ ों के कुछ साल पहले कुछ एक पत ् रिका 'फॉरेन पॉलिसी' में एक व ् यक ् ति जो सहमत नहीं था टॉम फ ् राइडमैन था.मेरे लेख का शीर ् षक था "" क ् यों दुनिया फ ् लैट नहीं है, "" वह भी आश ् चर ् य की बात नहीं थी. (हँसी) मेरे लिए बहुत आश ् चर ् य की बात थी क ् या टॉम आलोचना था, जो था, "" Ghemawat डेटा संकीर ् ण है. "" और यह मुझे मेरे सिर खरोंच के कारण होता है, क ् योंकि मैं अपनी पुस ् तक पढ ़, मैं एक एकल आंकड ़ ा, चार ् ट, टेबल नहीं मिल सकता है, संदर ् भ या फुटनोट. तो मेरी बात है, मैं डेटा का एक बहुत यहाँ नहीं प ् रस ् तुत किया है आपको समझाने की है कि मैं सही हूँ, लेकिन मैं आप से आग ् रह करता हूं होगा जाने के लिए और अपने स ् वयं के डेटा के लिए देखो कोशिश करते हैं और वास ् तव में का आकलन है कि अंतर ् दृष ् टि है कि हम देख रहे हैं वास ् तव में सही हैं. तो बहस में डेटा की कमी एक कारण है. एक दूसरा कारण साथियों के दबाव के साथ नहीं है. मुझे याद है, मैं अपने लिखने का फैसला किया लेख "" क ् यों दुनिया फ ् लैट नहीं है. "" मैं मुंबई में टीवी पर साक ् षात ् कार किया जा रहा था, और साक ् षात ् कारकर ् ता मेरे लिए पहला सवाल था, "" प ् रोफेसर Ghemawat, तुम क ् यों अभी भी विश ् वास करते हैं कि दुनिया गोल है? "" और मैं हँस शुरू कर दिया, क ् योंकि मुझे लगता है कि बोली भर में नहीं आया था. (हँसी) और वैसे भी मैं हँस रहा था, मैं सोच रहा था, मैं वास ् तव में अधिक सुसंगत प ् रतिक ् रिया की जरूरत है, विशेष रूप से राष ् ट ् रीय टीवी पर. मैं बेहतर इस बारे में कुछ लिखना चाहते हैं. (हँसी) लेकिन, मैं क ् या तुम नहीं दिखा सकते हैं दया और अविश ् वास जिसके साथ साक ् षात ् कारकर ् ता उसके सवाल पूछा. परिप ् रेक ् ष ् य था, यहाँ इस गरीब प ् रोफेसर है. वह पिछले 20,000 साल के लिए एक गुफा में रह गया है. वह सच में नहीं पता है क ् या वास ् तव में दुनिया में चल रहा है के रूप में. तो यह अपने मित ् रों और परिचितों के साथ बाहर की कोशिश करो, आप पाएंगे कि यह बहुत अच ् छा है कहने के लिए, दुनिया एक किया जा रहा है, आदि. यदि आप के बारे में सवाल उठाने, आप वास ् तव में एक बिट के एक प ् राचीन माना जाता है । और फिर अंतिम कारण है, जो मैं उल ् लेख, विशेष रूप से एक टेड दर ् शकों करने के लिए, कुछ घबराहट के साथ, साथ क ् या करना है "" तकनीकी सम ् मोहन है. "" यदि आप लंबे समय के लिए तकनीकी संगीत को सुनो, यह अपने brainwave गतिविधि के लिए काम करता है । (हँसी) ऐसा ही कुछ हो रहा है अतिशयोक ् तिपूर ् ण धारणाएं कैसे के साथ प ् रौद ् योगिकी बहुत ही तत ् काल चलाने में प ् रबल करने के लिए जा रहा है सभी सांस ् कृतिक बाधाओं को, सभी राजनीतिक बाधाओं को, सभी भौगोलिक बाधाओं, क ् योंकि इस समय मैं जानता हूँ कि तुम मुझसे सवाल पूछने की अनुमति नहीं कर रहे हैं, लेकिन जब मैं अपने व ् याख ् यान में अपने छात ् रों के साथ इस बात पर आते, हाथों के ऊपर जाना है, और लोग मुझसे पूछते हैं, "हाँ, लेकिन क ् या Facebook के बारे में?" और मैं अक ् सर पर ् याप ् त कि इस सवाल है मैंने सोचा था कि मैं फेसबुक पर कुछ शोध किया था. क ् योंकि कुछ मायने में, यह आदर ् श की तरह प ् रौद ् योगिकी का है, के बारे में सोचने के लिए । सैद ् धांतिक रूप से, यह बनाता है यह आसान के रूप में दुनिया भर में दोस ् ती बनाने के लिए अगले दरवाजे के बजाय. फेसबुक पर लोगों के मित ् रों का प ् रतिशत क ् या वास ् तव में जहां के अलावा अन ् य देशों में स ् थित हैं हम का विश ् लेषण कर रहे हैं लोगों के लिए कर रहे हैं? जवाब है शायद कहीं के बीच 10 से 15 प ् रतिशत । गैर-नगण ् य, तो हम एक पूरी तरह से स ् थानीय में नहीं रहते या राष ् ट ् रीय दुनिया है, लेकिन बहुत, बहुत दूर के 95 प ् रतिशत स ् तर कि आप की उम ् मीद है, और कारण बहुत सरल होगा. हम, यादृच ् छिक पर दोस ् ती नहीं बनाते हैं फेसबुक पर.प ् रौद ् योगिकी रखी है है कि हम रिश ् तों के एक पूर ् व मौजूदा मैट ् रिक ् स पर, और उन रिश ् तों के क ् या प ् रौद ् योगिकी रहे हैं काफी विस ् थापित नहीं करता । उन रिश ् तों के कारण कर रहे हैं हम हमारे दोस ् तों में से अब तक कम से कम 95 प ् रतिशत प ् राप ् त जहाँ हम कर रहे हैं के अलावा अन ् य देशों में स ् थित किया जा रहा है । तो यह सब मायने रखता है? या globaloney है और अधिक ध ् यान देने के लिए हो रही लोगों की बस एक हानिरहित तरीके वैश ् वीकरण से संबंधित मुद ् दों के लिए? मैं सुझाव चाहते हैं, globaloney आपके स ् वास ् थ ् य के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है । पहले के सभी, पहचानने कि गिलास केवल 10 से 20 प ् रतिशत पूरा देखने के लिए महत ् वपूर ् ण है है कि वहाँ अतिरिक ् त लाभ के लिए संभावित हो सकता है अतिरिक ् त एकीकरण से, जबकि अगर हमने सोचा कि हम पहले से ही वहाँ थे, कठिन धक ् का करने के लिए कोई विशेष बात होगी । जैसे हम एक सम ् मेलन नहीं रहा होगा, यह एक छोटा सा है अगर हम पहले से ही सोचा था कि कट ् टरपंथी खुलेपन पर हम पूरी तरह से खुले थे प ् रभाव है कि के बारे में बात की जा रही के सभी प ् रकार के लिए इस सम ् मेलन में । तो कैसे सीमित स ् तर हैं वैश ् वीकरण के बारे में सटीक किया जा रहा महत ् वपूर ् ण करने के लिए भी नोटिस कर रहा है कि वहाँ और अधिक कुछ के लिए जगह नहीं हो सकता है, कुछ है जो विश ् व कल ् याण के लिए आगे योगदान होगा । जो मुझे मेरी दूसरी बात को लाता है । अधिक बयान से बचना भी बहुत उपयोगी है क ् योंकि यह कम कर देता है और कुछ मामलों में भी पराजयों आशंका है कि वैश ् वीकरण के बारे में लोगों में से कुछ । इसलिए मैं वास ् तव में से अधिकांश खर ् च मेरे "" दुनिया 3.0 "" पुस ् तक बाजार विफलताओं और भय की एक लीटानी के माध ् यम से काम कर रहे है कि लोगों को कि वे वैश ् वीकरण चिंता बढ ़ ा रहा है । मैं जाहिर है कि आप के लिए आज क ् या करने में सक ् षम होना करने के लिए नहीं जा रहा हूँ, तो मुझे आप के लिए सिर ् फ वर ् तमान दो सुर ् खियों में हैं क ् या मैं मन में है का एक उदाहरण के रूप में । फ ् रांस और आव ् रजन के बारे में वर ् तमान बहस के बारे में सोचो । जब आप क ् या प ् रतिशत फ ् रांस में लोगों से पूछो की फ ् रेंच जनसंख ् या आप ् रवासियों है, जवाब के बारे में 24 प ् रतिशत है । कि उनके अनुमान है । हो सकता है साकार है कि संख ् या सिर ् फ आठ प ् रतिशत है क ् रोध को कम करने में मदद कर सकता है कि हम आप ् रवास समस ् या के आसपास देखें । या और भी अधिक हड ़ ताली उदाहरण के लिए, जब विदेशी संबंधों पर शिकागो परिषद अमेरिकियों, के एक सर ् वेक ् षण से उन ् हें लगता है कि करने के लिए पूछ रहा था संघीय बजट का क ् या प ् रतिशत विदेशी सहायता करने के लिए चला गया, अनुमान है कि 30 प ् रतिशत है, जो है था थोड ़ ा वास ् तविक स ् तर से अधिक- ("" वास ् तव में के बारे में... 1% "") (हंसी) - अमेरिकी संघीय सहायता करने की सरकारी प ् रतिबद ् धताओं । इस विशेष सर ् वेक ् षण के बारे में बात कि सुकून मिलता था, जब यह लोगों के लिए कितनी दूर बताया गया था उनके अनुमान से वास ् तविक डेटा थे, उनमें से कुछ-सब के सब नहीं-बनने के लिए लग रहा था पर विचार करने के लिए और अधिक इच ् छुक विदेशी सहायता में बढ ़ जाती है । तो विदेशी सहायता वास ् तव में एक शानदार तरीका है यहाँ, क ् योंकि लपेटन के तरह का यदि आप यह है, क ् या मैं आज के बारे में बात कर रहा है के बारे में लगता है कि इस धारणा है - बहुत अर ् थशास ् त ् रियों के बीच अविवादास ् पद - सबसे बातें कि हैं बहुत घर पक ् षपाती । "विदेशी सहायता ज ् यादातर मदद गरीब लोगों के लिए है" आप पा सकते हैं सबसे अधिक घर पक ् षपाती बात के बारे में है । यदि आप ओईसीडी देशों में देखो और कितना वे घरेलू गरीब व ् यक ् ति प ् रति खर ् च करते हैं, और कितना वे खर ् च के साथ तुलना गरीब देशों में गरीब व ् यक ् ति प ् रति, अनुपात-Branko Milanovic विश ् व बैंक में परिकलन किया — पता चला है कि 30,000 के लिए एक हो. हम में से कुछ देखना चाहेंगे, अनुपात नीचे लाया जा रहा है है-के लिए-एक करने के लिए । मैं सुझाव है कि हम उद ् देश ् य के लिए की जरूरत नहीं करना चाहते कि कहाँ से काफी प ् रगति बनाने के लिए हम कर रहे हैं । अगर हम सिर ् फ एक के लिए यह अनुपात करीब 15000 के लिए नीचे लाया, हम सहमत हुए थे उन सहायता लक ् ष ् यों की बैठक हो जाएगा रियो में 20 साल पहले शिखर सम ् मेलन कि शिखर सम ् मेलन कि पिछले सप ् ताह खत ् म हो गया पर कोई आगे प ् रगति हुई । तो सारांश, जबकि कट ् टरपंथी खुलापन महान है में, कैसे बंद हम कर रहे हैं को देखते हुए, यहां तक कि वृद ् धिशील खुलापन बातें कर सकता नाटकीय रूप से बेहतर है । बहुत-बहुत धन ् यवाद. (तालियाँ) (तालियाँ) दृष ् टि सबसे महत ् वपूर ् ण है और हमारी प ् राथमिक समझ का स ् रोत है | हम अपने आसपास की दुनिया में लगातार देखते हैं, और जल ् द ही हम पहचान और समझ लेते हैं कि हमने क ् या देखा | चलिए इस तथ ् य को एक उदाहरण के साथ शुरू करते हैं । मैं आपको एक व ् यक ् ति की तस ् वीर दिखाउँगी, सिर ् फ एक या दो सेकंड के लिए, और मैं चाहुंगी की आप पहचानें कि उसके चहरे पर कौन सी भावना है? तैयार? पेश है | अपनी सहज प ् रवृत ् ति का पालन करें । ठीक है । आपने क ् या देखा? खैर, हमने वास ् तव में 120 से अधिक व ् यक ् तियों का सर ् वेक ् षण किया, और परिणाम अनिर ् णायात ् मक रहे । लोगो में सहमती नहीं थी कि कौन सी भावनाऎं उनहोने उसके चेहरे पर देखीं । हो सकता है कि आपने बेचैनी देखी । यही सबसे अधिकतम प ् रतिक ् रिया थी जो हमें प ् राप ् त हुइ । लेकिन अगर आपने अपनी बाईं तरफ वाले व ् यक ् ति से पूछा, तो हो सकता है कि उन ् होंने अफसोस या संदेह कहा हो, और आपने, आपके दाईं तरफ किसी को अगर पूछा, हो सकता है कि उन ् होंने पूरी तरह से कुछ अलग कहा हो, जैसे कि अाशा या सहानुभूति । तो हम सब देख रहे हैं फिर से उसी चेहरे को । हो सकता है कि हम देखें पूरी तरह से कुछ अलग, क ् यूंकि धारणा व ् यक ् तिपरक है । जो हम सोचते हैं कि हमने देखा वास ् तव में फ ़ िल ् टर ् ड है हमारे अपने मन की आंखों के माध ् यम से । बेशक, कई अन ् य उदाहरण हैं कि कैसे हम दुनिया को देखते है, अपने मन की आंखों से । सेब बड ़ ा देखते हैं उन लोगों की तुलना में जो कैलोरी की गिनती नहीं कर रहे हैं | सॉफ ् टबॉल खिलाड ़ ी गेंद छोटे रूप में देखते हैं यदि वे बस एक मंदी से बाहर आए हैं, उन लोगों की तुलना में जो अच ् छा कर रहे हैं । हमारी राजनीतिक धारणा पर भी यह निर ् भर करता है कि हम व ् यकतियों को और राजनेताओं को कैसे देखते हैं | तोह मेरे अन ् वेषण टीम और मैने यह प ् रश ् न की परीक ् षा का निर ् णय लिया २००८में, बराक ओबामा पहली बार राष ् ट ् रपती चुनाव केलीये लढ रहे थे, और हमने कई अमिरिकियों का एक महिना पहले सर ् वेक ् षण किया | यह सर ् वेक ् षण में हमे पता चला की, क ् या कुछ लोग, क ् या कुछ अमरीकी फोटोग ् राफ का ऐसा विचार कर सकते ओबामासच में कैसे देखते है | उसमे से ७५% लोग ओबमाजी केलिए असल में मत दिया | बाकी लोग, फिरभी ऐसे फोटोग ् राफ ् स विचार किया सच में ओबामा कैसे दीखते है | उसमे से ८९% लोगो ने मैक ् केनको मत दिया | हमने ओबामा के बहुतसे फोटोग ् राफ ् स दिखाए एक के बाद एक तो लोगो को समजा नहीं की, हम फोटोग ् राफ बदल रहे थे एक से अगले वाले तक या कृत ् रिम किरणोंसे या त ् वचा ज ् यादा काली बनाकर | तो ये कैसे संभव है? मैं जब किसी व ् यक ् ती, वस ् तू, या घटना देखती हूँ, उस समय दुसरे किसी को दीखता है, उससे कुछ अलग ही मुझे दीखता है | ये कैसे हो सकता है? वैसे तो बहुतसारे कारण है लेकिन उसमे से एक कारन के लिए आँखों का कार ् य अधिक समजना जरुरी है तो दृष ् टी वैज ् ञानिक जानते है की सच में एक क ् षण में देखि हुई हमे मिलने वाली कोई माहिती वैसे तोह बहुत कम होती है | जो हम सूक ् ष ् म, स ् वच ् छऔर अचूक देखते है, वो केवल हमने दूर पकडे हुए हात के अंगुठे के सामान ही रहता है | उसके आजूबाजु का सभी अंधुक होता है | उसकी वजह से हमारे आँखों के सामे आई हुई बहुतसे संदिग ् ध होते है | लेकिन हमने क ् या देखा यह स ् पष ् टकर के उसका अर ् थ निकलना पड़ता है | और ओना मन खाली जगह भरने को मदद करता है उसकी वजह से धरना व ् यक ् तिसक ् षेप होती है | और उसी वजह से जो हम देखते है वो अपने मन का चित ् र होता है तो मैं एक सामाजिक मानसशास ् त ् रज ् ञ हूँ | और ऐसे प ् रश ् न मेरा ध ् यान ले लेलते है | व ् यक ् तिगत मतभेद मुझे मुग ् ध करते है ये कैसे हुआ होगा? किसीको ग ् लासआधा भरा हुआ दिख सकता है तो किसीको वह आधा खाली दिखाई दे सकता है | किसी व ् यक ् ति के विचार या भावनाए क ् या होगी? की जिसकी वजह से उसको पूरी दुनिया अलग दिखती होगी? और उससे सच में कोई फरक होता है क ् या? यह प ् रश ् न को हल निकलने केलिए हमने शुरुवात की मैं और मेरे ग ् रुपने एक विषय में घर सोचने का निर ् णय लिया पूरी दुनिया का लक ् ष ् य खीचने वाला वह विषय अपना आरोग ् य और स ् वास ् थ ् य | दुनियाभार ् के लोग वजन नियत ् रंण में रखने केलिए काम कर रहे है और वजन न बढे इसीलिए अनेक प ् रकार के उपाय अपने मदद केलिए हाजिर है उदाहरणार ् थ, हम पक ् का करते, छुट ् टियोंके बाद व ् यायाम शुरू करेंगे, लेकी असल में, बहुतसे अमेरिकन लोगो को अपने नए साल की संकल ् पना वैलेंटाइनडे तक तोड़ दी होती है | हम अपने आपको उत ् तेजन देते रहेते है बताते रहते है यह साल फिरसे आकार में आएँगे लेकिन अपना वजन काबू में लाने केलिए इतना काफी नहीं रहता तो, ऐसा क ् यूँ? देखा जाए तो इसका कोई आसन उत ् तर नहीं है | लेकिन अपने विरोध में जानेवाली अपने मन की दृष ् टी ही इसके पीछे का एक कारण है | ऐसा मेरा युक ् तिवाद है | कुछलोगो को व ् यायाम बहुत कठिन लगता है तो कुछ लोगो को बड़ा आसान | तो यह प ् रश ् न की परीक ् षा लेते हुए, पहली स ् टेप हमने लोगो की प ् रकृति वस ् तुनिष ् ठ मापन इकट ् ठा किया | हमने उनके कमर की साइज़ गिनी, उनके नितम ् ब के परिघ के तुलना में कमर से नितम ् ब गुणोत ् तर ज ् यादा होना बुरा आरोग ् य का लक ् षण है | यह मापन इकठ ् ठाकरने के बाद हमने सहभागी लोगो को एक रेखा में थोडा ज ् यदा वजन उठा के चलते जाने को कहा, एक तरह की रेस ही | लेकिन वैसा करने से पहले उनको अंतिम रेखा तक कितना अंतर, इसका अंदाज लेने को कहा | हमे लगा की उनको, यह अंतर कितना मेह ् सूस होता है यह उनके शारीरिक स ् वास ् थ ् यपर निर ् भर होता है | और हमे क ् या मिला? तोह, कमर से नितंब गुणोत ् तर इसका सच में अंतर का कारण था | शारीरिकदृष ् ट ् या अक ् षम लोगो को अंतिम रेखातक अंतर सच में बहुत ज ् यादा दिख रहा, सुदृढ़लोगो के तुलना में | लोगो का स ् वास ् थ ् य, उनकी परिस ् थिति की धरना बदल रही थी | लेकिन वैसे ओना मन भी बदल सकता है | हाला की अपना शारीर और मन मिलके काम करते है और उससे अपने परिस ् थिति की धरना रखते है इससे हमे ऐसा लगा की, व ् यायाम की प ् रेरणा, और ध ् येय होने वाले लोगो में अन ् तिमे रेखा असल में पास दिखती होगी कम प ् रेरणा रखने वाले लीगी को उससे ज ् यादा नजदीक दिखती होगी | तो, प ् रेरणाओ के धारणापर कुछ परिणाम होता है क ् या? यह देखने केलिए हमने दूसरा एक निरिक ् षण किया फिरसे हमने लोगो के स ् वास ् थ ् य की जानकारी इकठ ् ठा कियी | उनके कमर का घेरा गिना और उनके नितंब का घेरा गिना और उनको कुछ स ् वास ् थ ् य के परिक ् षाए लेने को कहा | यह चाच ् नियो के बारे में हमारा मत सुनके कुछ लोग बोले की इसके पर हमे व ् यायाम की प ् रेरणा नहीं मिल रही | अपने स ् वास ् थ ् य का ध ् येय पूरा हुआ ऐसे उनको लग रहा था और उससे ज ् यादा उनको कुछ करना नहीं था | ये लोगो के पास प ् रेरणा नहीं थी | लेकी बकियोनेहमारा मत सुनके, व ् यायाम की प ् रेरणा मिली बताया | अंतिम रेखा तक पहुचना मुख ् य उद ् देश था | लेकिन फिरसे, अंतिम रेखा तक पहुचने से पहले उनको दुरी का अंदाज लगाने को कहा अंतिम रेखा कितनी दूर होगी? और फिर से पहले निरिक ् षणके जैसे देखा की, कमर से नितंब का गुणोत ् तर ही अंतर के धरना सच है | अक ् षम लोगो को ज ् यादा लगा, अंतिम रेखा ज ् यादा दूर लगी, स ् वस ् थ लोगो की तुलना में फिर भी महत ् वपूर ् ण, जिन लोगो के पास व ् यायाम करने की प ् रेरणा नहीं थी, उसके साथ भी ऐसा ही हुआ | दूसरी जगह, व ् यायाम के बारे में कठोर प ् रेरणा रखनेवाले लोगो को अंतर कम दिखा | सबसे कम अक ् षम कोगो को भी अंतिम रेखा उतनी ही नजदीक दिखी | शायद स ् वस ् थ लोगो को उससे ज ् यादा पास. तो अपना स ् वास ् थ ् य, अंतिम रेखा कितनी दूर दिखती है, बदल सकता है | लेकिन जिन लोगोने ध ् येय मुमकिन है ऐसा सोचा था उनको वोह जल ् दी पूरा करना शक ् य हुआ जिनको वोह पूरा करने में हम पात ् र है ऐसा लग रहा था, उनको व ् यायाम सच में आसन लग रहा था | इससे हमे यह प ् रश ् न आया की, ऐसी कोई युक ् ति हम कर सकते या लोगो को सिखा सकते क ् या जिसकी वजह से दुरी की धारणा बदलेगी? और उनको व ् यायाम आसन लगे? तो हमने विज ् ञान साहित ् य के ओरदेखा क ् या करे धुंडने केलिए और यह वाचन के सहाय ् यसे हमे एक युक ् ति सूझी उसका नाम रखा "" ध ् येयपे ध ् यान रखे "" यह एक प ् रेरणादायी विज ् ञापन घोषणा नहीं है | एक मार ् गदर ् शक तत ् व है अपने परिस ् थितीके ओर कैसे देखे, इसके बारे में | हमने युक ् ति जो लोगो को सिखाई उनको बताया अंतिम रेखा पर लक ् ष ् यकेन ् द ् रित करे | यहा वहा न देखे | ऐसा सोचे की वः ध ् येय पर एक प ् रकाश है और उसके बाजू का अंधुक है | या दिखना कठिन है | हमे लगा की, यह युक ् ति से व ् यायाम आसन लगने लगेगा | यह लोगों के समूह की तुलना हमने एक संदर ् भ गत से की उनको हमने बताया आपके आजू बाजु देखें ऐसे ही, आसानी से आपको अंतिम रेखा तो दिखेगी ही लेकिन शायद आपको दाहिने बाजु का कचरे का डिब ् बा भी दिखेगा | या बाए बाजू का लाइट का खम ् बा और वो लोग हमे लगा की यह युक ् ति लगाने वालो को अंतर ज ् यादा ही लगेगा तोह हमे क ् या समझमें आया? उनको अंतरकितना होगा सोचने को कहा लेकिन उनकी धारणा बदलने यह युक ् ती कामयाब हुई क ् या? हां | जो लोगोने ध ् येय पे लक ् ष ् य रखा, उनको अंतिम रेखा ३०% नजदीक दिखी | जो लोगो ने आजू बाजू देखा उनके तुलना में | यह हमे बहुत अच ् छा लगा बहुत आनंद हुआ, इसका मतलब यह की यह युक ् ति से व ् यायाम आसान लगने लगा लेकिन मत ् वपूर ् ण प ् रश ् न यह की, इससे व ् यायाम सचमे आसान होगा क ् या? इससे व ् यायाम का दर ् जा भी सुधारेगा क ् या? इसके बाड़ी सहभागियो को बताया की अब आपको ज ् यादा वजन उठा के अंतिम रेखा तक पहुचना है | हमने दोनों पैरोपे वजन लगाया | उनके वजन के १५% | हमने उनको दोनों घुटने उठाके अंतिम रेखा तक जलद गती से अंतिम एर ् ख तक पहुचने को कहा यह व ् यायाम हमने कठिन बनाया था, लेकिन सिर ् फ थोडासा ही | अशक ् य तो था ही नहीं | बाकी व ् यायाम जैसे, जो सचमे अपना स ् वास ् थ ् य सुधारते है तो महत ् वपूर ् ण प ् रश ् न यह की ध ् येय पे नजर रख के और अंतिम रेखापर लक ् ष ् य केन ् द ् रित करके उनका व ् यायाम का अनुभव बदला क ् या? हां | बदला | जो लोंगोने ध ् येय पर नजर राखी थी, उन ् होंने हमे बाद में बताया, व ् यायाम करने केलिए १७% मेहनत कम करनी लगी | जो लोग ऐसे ही आजू बाजू देख रहे थे, उनकी तुलना में | इससे उनके व ् यायाम का व ् यक ् ति निष ् ठअनुभव ् बदला | वैसेही उनके व ् यायाम का स ् वरुप भी बदला जो लोगो ने दये पे नजर रखी थी, वे असल में १५ प ् रतिशक जल ् दी चल रहे थे, जो लोग ऐसे ही आजू बाजू देख रहे थे, उनकी तुलना में | इसका अर ् थ देखा जाए तो, २३% बढ़ना मतलब, १९८० साल के शेव ् ही सायटेशन के बदले में २०१५ साल की शेव ् हरोले कॉरव ् हेट मिलाना | इससे हम बहुत आनंदी हुए | क ् यूंकि इसका अर ् थ यह था की, बिना खर ् च के युक ् ति से बड़ा बदल लाया था | इसके अलावा वह आचरण में लाना भी अआसा थी | लोग सुदृढ़ हो या उसके लिए प ् रयत ् न करने वाले | ध ् येय पर नजर रखें की वजह से व ् यायाम आसान लगने लगा | वैसे वह समय भी, जब लोग ज ् यादा तेज चलने केलिए ज ् यादा मेहनत ले रहे थे | अब मुझे पता है की, अच ् छा आरोग ् य का मतलब सिर ् फ ज ् यादा तेजी से चलना नहीं तो ध ् येय पर नजर रखने की एक ज ् यादा युक ् ति आप लगा सकते है निरोगी जीवनशैली को बढ़ावा देने केलिए | हम अपने मन के दृशी से दुनिया देखते है इसके बारे में अभी भी आप भ ् रमित होंगे, तोह में एक आखिर का उदाहरन देती हूँ | स ् टॉकहोल ् म का रस ् ते का छाया चित ् र है | वः दो कार है | पीछे की कर आगे की कार से बहुत बड़ी दिख रही है असल में दोनों एक ही आकर के है लेकी अपने को वः वैसे दिख नहीं रही? इसका अर ् थ क ् या? अपने दृष ् टी में कुछ बिघडा हुआ है या अपने मस ् तिष ् क में गडबड है? नहीं. इसका अर ् थ बिलकुल ऐसा नहीं है | अपनी दृस ् थी ऐसे ही काम करती है, बस ् स | शायद हमे दुनिया अलग दिखती होगी कधी उसके वस ् तुस ् थितिसे मिलाप नहीं होगा | इसक अर ् थ ऐसा नहीं की, कोई एक बराबर और कोई दूर गलत | हम अपने मन की दृष ् टीसे दुनिया देखते है लेकिन हम उसको अलग तरीके से देखना सिखा सकते है जैसे मेरे आयुष ् य की बुरे दिनों की यादें | मैं थकी हुई, नाराज, परेशान थी और बहुत से काम बाकी थे | और मेरे सिरपर एक बड़ा काला आसमान होता है | और ऐसे बुरे दिनों में मुझे मेरे आजू बाजू के लोग नाराज दीखते है 'मैंने कोई काम को ज ् यादा समय माँगा की मेरे सहकारी चिडे हुए दीखते | मेरी मीटिंग देर से होने से मै लंच देरसे गयी की मेरी दोस ् त परेशान दिखती और दिन के आखिर में मेरा पति निराश दिखता है | क ् यूँ की सिनेमा जाने के आलावा सोना होता है और ऐसे जब मुझे सभी नाराज अस ् वस ् थ और नाराज दीखते, तब मई इसकी तरफ दूसरी नजर से देखने को याद दिलाती हूँ शायद मेरा सहकारी परेशां होगा, या मेरी दोस ् त, और पति को मेरी सहानुभूति लगती होगी | इसका मतलब हम सभी मन के द ् र ् सुती से दुनिया देखते है | और यह कई बार, यह दुनिया धोकादायक, कठिन या भयानक दिखती भी होगी | लेकिन हर बार ऐसे ही दिखेगी ऐसा नहीं यह देखने केलिए नजर बदलना सिख सकते है और जग बदलने का मार ् ग मिला की यह हो भी सकता है धन ् यवाद सवाल यह नहीं है आज: हमने अफगानिस ् तान पर आक ् रमण क ् यों किया? सवाल यह है: हम क ् यों अभी भी अफगानिस ् तान में हैं एक दशक बाद? हम क ् यों खर ् च कर रहे हैं १३५ अरब डॉलर? हम जमीन पर क ् यों 130.000 सैनिकों को रखे हैं? क ् यों और अधिक लोग मारे गए थे पिछले महीने किसी भी पिछले महीने की तुलना में इस संघर ् ष से? यह कैसे हुआ है? पिछले २० वर ् षों हस ् तक ् षेप के वर ् ष रहे हैं, और अफगानिस ् तान बस एक है पांच कार ् य त ् रासदी में. हम शीत युद ् ध के अंत के बाहर आये निराशा में. हमने रवांडा का सामना किया; हमें बोस ् निया का सामना करना पड ़ ा; और तब हमने अपने आत ् म विश ् वास की खोज की. तीसरे, हम बोस ् निया और कोसोवो में गए और हम सफल होने लगे. चौथे हमारे अभिमान के साथ, हमारे अति आत ् मविश ् वास में, हमने इराक और अफगानिस ् तान पर आक ् रमण किया. और पांचवें में, हम एक अपमानजनक गंदगी में कूद पड ़ े. तो सवाल यह है: हम क ् या कर रहे हैं? हम अभी भी अफगानिस ् तान में क ् यों अटके हैं? और जवाब, ज ़ ाहिर है, कि हमें दिया जा रहा है निम ् नानुसार है. हमें कहा गया की हम अफगानिस ् तान गए ९ / ११ की वजह से, और हम वहाँ हैं क ् योंकि तालिबान एक अस ् तित ् व का खतरा बना हुआ है वैश ् विक सुरक ् षा के लिए. राष ् ट ् रपति ओबामा के शब ् दों में, यदि तालिबान फिर राज करने लगा, वे अल - कायदा को वापस आमंत ् रित करेंगे, जो हमारे कई लोगों को मारने की कोशिश करेंगे जितना संभव हो. "" जो कहानी हमें कही गयी है कि वहाँ एक हल ् का पदचिह ् न था - दूसरे शब ् दों में, हम एक ऐसी स ् थिति में पहुच गए जहाँ हमारे पास पर ् याप ् त सैनिक नहीं थे, हमारे पास पर ् याप ् त संसाधन नहीं थे, कि अफगान निराश थे. उन ् होंने महसूस किया कि वहाँ पर ् याप ् त प ् रगति नहीं थी और आर ् थिक विकास और सुरक ् षा, इसलिए तालिबान वापस आ गया. कि हमने २००५ और २००६ में जवाब दिया सेना की तैनाती के साथ, लेकिन हमने तब भी पर ् याप ् त सैनिकों को जमीन पर नहीं रखा. और २००९ तक भी नहीं थे, जब राष ् ट ् रपति ओबामा ने भारी उछाल पर हस ् ताक ् षर किए, अंत में, सचिव क ् लिंटन के शब ् दों में, रणनीति, नेतृत ् व और संसाधनों, तोराष ् ट ् रपति अब हमें आश ् वस ् त करते हैं, की हम हमारे लक ् ष ् यों को प ् राप ् त करने के लिए अग ् रसर हैं. यह सब गलत है. उनका हर बयान गलत है. अफगानिस ् तान नहीं है एक अस ् तित ् व का खतरा वैश ् विक सुरक ् षा के लिए. यह अत ् यंत असम ् भाव ् निये है की तालिबान कभी भी देश पर राज करने लगेगा - बहुत असम ् भाव ् निये है की वे काबुल जब ् त करने में सक ् षम होगी. उनके पास एक पारंपरिक सैन ् य विकल ् प नहीं है. और अगर वे ऐसा करने में सक ् षम हैं भी, यहाँ तक कि अगर मैं ग ़ लत हूँ, यह संभावना नहीं है तालिबान वापस अल - कायदा को आमंत ् रित करेगा. तालिबान के परिप ् रेक ् ष ् य से, यह उनकी सबसे बड ़ ी गलती थी. अगर उन ् होंने अल कैदा को वापस आमंत ् रित नहीं किया होता, वे अभी भी सत ् ता में होते. और यहां तक कि अगर मैं उन दो चीज ़ ों के बारे में गलत हूँ, भले ही वे वापस देश लेने के लिए सक ् षम थे, भले ही वे वापस अल - कायदा को आमंत ् रित करते हैं यह संभावना नहीं है कि अल - कायदा वृद ् धि करेगा संयुक ् त राज ् य अमेरिका को नुकसान करने की क ् षमता में या यूरोप को. क ् योंकि यह १९९० का दशक के नहीं है. यदि अल - कायदा का आधार गजनी के पास स ् थापित होगा, हम उन ् हें बहुत करारी मार देंगे, और यह बहुत मुश ् किल होगा तालिबान के लिए उन ् हें बचाना. इसके अलावा, यह सच नहीं है कि अफगानिस ् तान में क ् या गलत हुआ वोह था हल ् का पदचिह ् न. मेरे अनुभव में, वास ् तव में, हल ् का पदचिह ् न बहुत ही मददगार है. और यह सैनिक जिन ् हें हम लाये हैं डेविड बेकहम की एक महान तस ् वीर हैं उप मशीन बंदूक पर - इसने स ् थिति को बेहतर नहीं बदतर बना दिया. जब मैं अफगानिस ् तान के पार गया २००१-२००२ की सर ् दियों में, मैंने देखा इस तरह दृश ् य. एक लड ़ की, अगर तुम भाग ् यशाली हो, एक अंधेरे कमरे के कोने में - कुरान को देख पाने में भाग ् यशाली. लेकिन उन शुरुआती दिनों में जब हमें कहा कि पर ् याप ् त सैनिक और पर ् याप ् त संसाधन नहीं है, हमने अफगानिस ् तान में बहूत प ् रगति की. कुछ महीनों के भीतर, वहाँ स ् कूल में २५ लाख अधिक लड ़ कियां थी. Sangin जहाँ मैं २००२ में बीमार था, निकटतम स ् वास ् थ ् य क ् लिनिक तीन दिनों के पैदल रास ् ते पर था. आज, वहाँ 14 स ् वास ् थ ् य क ् लीनिक हैं सिर ् फ उस क ् षेत ् र में. वहाँ अद ् भुत सुधार था. हम लगभग शुन ् य अफगान तालिबान के दौरान, मोबाइल फोन वाले लगभग रातोंरात ऐसे स ् थिति में थे, जहाँ ३० लाख अफगान मोबाइल टेलीफोन थे. और हमने स ् वतंत ् र मीडिया में प ् रगति की. हमने चुनावों में प ् रगति की - तथाकथित हलके पदचिह ् न के साथ. लेकिन, जब हमने अधिक पैसे लाने शुरू किये जब हम करने के लिए अधिक संसाधनों का निवेश करना शुरू किया, चीजें बेहतर नहीं बदतर हुई. कैसे? यदि आप 125 अरब डॉलर एक वर ् ष में डाल दोगे अफगानिस ् तान जैसे देश में जहां अफगान राज ् य का पूरा राजस ् व एक अरब डॉलर हर वर ् ष है, आप सब कुछ डुबो दोगे. यह सरल भ ् रष ् टाचार और क ् षय नहीं है आपके द ् वारा; आप अफगान सरकार की प ् राथमिकताऐ बदल देते हो, निर ् वाचित अफगान सरकार की, सुक ् ष ् म-ब ् रबंधक प ् रवृत ् तियों के साथ विदेशियों के पर ् यटन में उनकी अपनी प ् राथमिकताओं के साथ. और सैनिकों के लिए भी यह सच है. जब मैं अफगानिस ् तान के पार गया, मैं इस तरह के लोगों के साथ रहा. यह हैं कमेन ् न ् ज से सेनानायक हाजी मलें मोहसिन खान सेनानायक हाजी मलें मोहसिन खान एक महान मेजबान था. वह बहुत उदार था कई अफगानियों की तरह जिनके साथ मैं रहा. लेकिन वह काफी अधिक रूढ ़ िवादी थे, काफी अधिक विदेश-विरोधी, काफी अधिक इस ् लामवादी हमारे स ् वीकार करने की तुलना में. उदाहरण के लिए, यह आदमी, मुल ् ला मुस ् तफा, ने मुझे मारने की कोशिश की. औरमैं इस तस ् वीर में उलझन में इसलिए दिख रहा हूँ क ् युकी मैं डर गया था, इस अवसर पर काफी डर गया था की उनसे पूछ न सका, की रेगिस ् तान में एक घंटे चलाने के बाद और इनके घर में शरण लेने के बाद, वह क ् यों बदल गए और मेरे साथ तस ् वीर खिच ् वानी चाही. लेकिन 18 महीने बाद, मैंने उनसे पूछा वह मुझे गोली मारने की कोशिश क ् यूँ की. और मुल ् ला मुस ् तफा - कलम और काग ़ ज ़ के साथ वह आदमी - ने मुझे समझाया कि वे आदमी जो आप के तुरंत बाये बैठा है, नादिर शाह ने उससे शर ् त लगायी की वह मुझे नहीं मार सकते. अब इसका मतलब यह नहीं की अफगानिस ् तान मुल ् ला मुस ् तफा जैसे लोगों से भरा है. यह एक बढ ़ िया जगह है, अविश ् वसनीय ऊर ् जा और बुद ् धि से भरी. लेकिन यह एक जगह है जहां सैनिकों को डालना हिंसा को बदन है, न की गिराना. 2005, एंथोनी फित ् ज ् हेर ् बेर ् ट, एक कृषि इंजीनियर, हेलमंड के माध ् यम से यात ् रा करते हैं, नाद अली, संगीन और घोरेश में रह सकते हैं, जो अब वेह गांवों हैं जहां लड ़ ाई चल रही है. आज, वह ऐसा नहीं कर सकते. तो हमारा सैनिकों को तैनात करना तालिबान विद ् रोह के जवाब में गलत है. उग ् रवाद से फलने की बजाये, तालिबान सेना तैनाती के बाद आये. और जहाँ मैं चिंतित हूँ, सेना तैनाती उनकी वापसी का कारण बना. अब यह एक नया विचार है? नहीं, कई लोगो ने पिछले सात वर ् षों में यह कहा है. मैं हार ् वर ् ड में एक केंद ् र चलता था २००८ से २०१० तक. और माइकल सेम ् प ् ले जैसे कई लोग वहाँ थे जो अफगान भाषा साफ ़ बोलते हैं, जो देश में लगभग हर जिले में गए हैं. एंड ् रयू वाइल ् डर, उदाहरण के लिए, पाकिस ् तान ईरानी सीमा पर पैदा हुए, अपने पूरे जीवन सेवा में थे पाकिस ् तान और अफगानिस ् तान में. पॉल फिश ् स ् तें जो १९७८ से वहाँ काम करते हैं - सेव डा चिल ् ड ् रन में, चलते थे अफगान अनुसंधान और मूल ् यांकन इकाई. ये लोग हैं जो लगातार कहते थे कि विकास सहायता में वृद ् धि अफगानिस ् तान को कम सुरक ् षित बना रही है, और अधिक सुरक ् षित नहीं- कि आतंकवाद विरोधी रणनीति काम नहीं कर रही थी, न करेगी. और तब भी, किसी ने उनकी बात न सुनी. इसके बजाय, वहाँ आश ् चर ् यजनक आशावाद था. २००४ में शुरू, हर सेनापति ने कहा, मैंने एक निराशाजनक स ् थिति विरासत में ली है, लेकिन मेरे पास सही संसाधन और सही रणनीति है, जो वितरित करेगी. "" २००४ में जनरल बरनो के शब ् दों में, "निर ् णायक वर ् ष." सोचिये? यह नहीं था. लेकिन यह जनरल अबुजैद को रोकने के लिए पर ् याप ् त नहीं था कहने से कि उनके पास रणनीति और संसाधन थे २००५ में वितरित करने के लिए, "निर ् णायक वर ् ष." या जनरल डेविड रिचर ् ड ् स २००६ में कहते हैं उनके पास रणनीति और संसाधन हैं वितरित करने के लिए "" मुश ् किल वर ् ष में "" या २००७ में, नार ् वेजियन उप विदेश मंत ् री, एस ् पेन एइडे, कि वह "" निर ् णायक वर ् ष. "" में वितरित करेंगे या २००८ में, मेजर जनरल चम ् पौक ् स आते हैं और कहते हैं कि वे उद ् धार करेंगे "" निर ् णायक वर ् ष. "" में या २००९ में, मेरे महान दोस ् त, जनरल स ् टेनली म ् च ् चर ् य ् स ् तल, जो कहते हैं कि वह "" निर ् णायक वर ् ष में घुटने तक डूबे थे. "" या २०१० में, ब ् रिटेन के विदेश सचिव, डेविड मिलिबंद, जो कहते हैं कि वह उद ् धार करेंगे "" निर ् णायक वर ् ष में. "" और आप २०११ में सुन कर खुश होंगे, की आज, कि गुइदो वेस ् तेर ् वेल ् ले, जर ् मन विदेश मंत ् री हमें भरोसा दिलाते हैं कि हम हैं "" निर ् णायक वर ् ष. "" में (तालियाँ) हम कैसे अनुमति दें इस में से कुछ भी होने के लिए? जवाब, ज ़ ाहिर है, अगर आप 125 अरब या 130 अरब खर ् च करते हैं एक देश में एक साल में, आप हर चीज ़ में भागिदार हैं, हर सहायता एजेंसि - जो पैसे का एक विशाल राशि प ् राप ् त करती है अमेरिका और यूरोपीय सरकारों से स ् कूलों और क ् लीनिकों का निर ् माण करने के लिए - वह कुछ हद तक विमुख हैं इस विचार से कि अफगानिस ् तान एक अस ् तित ् व खतरा नहीं है वैश ् विक सुरक ् षा के लिए. वे, दूसरे शब ् दों में चिंतित हैं, कि अगर किसी ने माना कि यहएक खतरा नहीं है - ऑक ् सफेम, सेव डा चिल ् ड ् रन - को पैसे नहीं मिलेंगे उनके अस ् पतालों और स ् कूलों के निर ् माण के लिए. और मुश ् किल है सेनापति का सामना करना उसकी छाती पर पदक के साथ. यह एक राजनीतिज ् ञ के लिए बहुत मुश ् किल है, क ् योंकि आप को डर है कि कई जीवन व ् यर ् थ में खो गए हैं. आपको गहरा अपराध लगता है. तुम अपने डर को बड ़ ा चड ़ ा के बताते हैं. और आप अपमान के बारे में डर रहे हैं हार के. इस का हल क ् या है? इस का हल है कि हम एक रास ् ता खोजे माइकल सेम ् प ् ले के जैसे लोग, या उन से अन ् य लोग, जो सच कह रहे हैं, जो देश को जानते हैं, जिन ् होंने जमीन पर 30 साल बिताये हैं- और सबसे महत ् वपूर ् ण बात, इस घटक से लापता - खुद अफगान, जो समझते हैं कि क ् या हो रहा है. हम किसी भी तरह उनका संदेश पहुचाना है नीति निर ् माताओं तक. और यह करना बहुत मुश ् किल है हमारी संरचनाओं के कारन. पहली बात हम बदंलनी है हमारी सरकार की संरचना. बहुत, बहुत दुख की बात है, हमारे विदेशी सेवाएँ, संयुक ् त राष ् ट ् र, इन देशों की सेनाए को कम विचार है की क ् या हो रहा है. औसत ब ् रिटिश सैनिक केवल छह महीने दौरे पर है; इतालवी सैनिकों, चार महीने टूर पर; अमेरिकी सैन ् य, 12 महीने टूर पर. राजनयिकों दूतावास यौगिकों में बंद हैं. जब वे बाहर जाते हैं, वे इन उत ् सुक बख ् तरबंद वाहनों में यात ् रा करते हैं इन कुछ धमकी भरी सुरक ् षा टीमों के साथ जो अग ् रिम में तैयार हैं २४ घंटे जो कहते हैं कि तुम केवल एक घंटे जमीन पर रह सकते हो. अफगानिस ् तान में ब ् रिटिश दूतावास में २००८ में, ३५० लोगों के एक दूतावास में, वहाँ केवल तीन लोग दारी बोलते थे, अफगानिस ् तान में एक सभ ् य स ् तर पर, मुख ् या भाषा. और वहाँ एक भी पश ् तो वक ् ता नहीं था. लंदन में अफगान अनुभाग में जमीन पर अफगान नीति शासित करने की लिए जिम ् मेदार, मुझे पिछले साल कहा गया कि वहाँ एक भी स ् टाफ सदस ् य नहीं था उस अनुभाग में विदेश कार ् यालय में जिसने कभी सेवा की हो अफगानिस ् तान में पोस ् टिंग पर. तो हमें यह संस ् थागत संस ् कृति को बदलने की जरूरत है. और मैं संयुक ् त राज ् य अमेरिका के बारे में यही आकलन करता हूँ और संयुक ् त राष ् ट ् र. दूसरे, हम जनरलों के आशावाद से दूर जाने की जरूरत है. हमें थोडा बहोत शक बनाने की जरूरत है, कि हम समझे की वह आशावाद सेना के डीएनए में है, कि हम इसे न उत ् तर दें इतनी तत ् परता के साथ. और तीसरे, हमें कुछ विनम ् रता की जरूरत है. हमें ऐसी स ् थिति से शुरू करने की जरूरत है कि हमारा ज ् ञान, हमारी शक ् ति, हमारे वैधता सीमित है. इसका मतलब यह नहीं कि दुनिया भर में हस ् तक ् षेप एक आपदा है. ऐसा नहीं है. बोस ् निया और कोसोवो सफलताएँ थीं, महान सफलता. आज जब आप बोस ् निया जायेंगे यह लगभग असंभव है विश ् वास करना कि १९९० के दशक में हमने जो देखा. यह लगभग असंभव है विश ् वास करना प ् रगति पर १९९४ के बाद से. रिफ ् यूजी की वापसी, जो शरणार ् थियों के लिए संयुक ् त राष ् ट ् र उच ् चायोग सोचा था कि असंभव होगी, बड ़ े पैमाने पर हुई है. एक लाख संपत ् ति लोटाई गयी है. बोस ् निअक क ् षेत ् र के बीच बॉर ् डर और बोस ् नियाईसर ् ब क ् षेत ् र शांत है. राष ् ट ् रीय सेना सिकुड ़ गई है. बोस ् निया में अपराध दर आज स ् वीडन से कम है. यह किया गया है एक अविश ् वसनीय, सैद ् धांतिक प ् रयास के द ् वारा अंतर ् राष ् ट ् रीय समुदाय द ् वारा, और, ज ़ ाहिर है, सब से ऊपर बोस ् निंस द ् वारा स ् वयं. लेकिन आप को संदर ् भ में देखने की जरूरत है. और यह हमने अफगानिस ् तान और इराक में खो दिया है. आप उन स ् थानों में समझें क ् या महत ् त ् वपूर ् ण था सबसे पहले, तुद ् मन और मिलोसेविक की भूमिका समझौते में, और फिर तथ ् य की वह पुरुष गए, क ् षेत ् रीय स ् थिति सुधारने में, कि यूरोपीय संघ बोस ् निया की पेशकश कर सकता कुछ असाधारण: हिस ् सा बनने का मौका एक नया क ् लब का, कुछ बड ़ े में शामिल होने का. और अंत में, हमें समझना चाहिए की बोस ् निया और कोसोवो में, रहस ् य की बात है, हमारी सफलता का रहस ् य, थी हमारी विनम ् रता - हमारी सगाई की अस ् थायी प ् रकृति. हम लोगों ने बोस ् निया की बहुत आलोचना की युद ् ध अपराधियों काफी धीमी गति से कार ् यवाही के लिए. हमने उनकी आलोचना की शरणार ् थियों को लौटने में धीमी गति के लिए. लेकिन यहसुस ् ती, यह सावधानी, यह तथ ् य कि राष ् ट ् रपति क ् लिंटन ने शुरू में कहा कि अमेरिकी सैनिकों केवल एक वर ् ष के लिए तैनात किये जायेंगे, एक ताकत बन गया है, और इसने हमें हमारी प ् राथमिकताओं को सही करने में मदद की. सबसे दुखद बात अफगानिस ् तान में हमारी भागीदारी के बारे में यह है की प ् राथमिकताओं मेल से बहार हैं. हम अपने संसाधनों को हमारी प ् राथमिकताओं से नहीं मिला रहे हैं. क ् योंकि अगर हमें आतंकवाद में रुचि है, पाकिस ् तान अफगानिस ् तान की तुलना में कहीं अधिक महत ् वपूर ् ण है. यदि हमें क ् षेत ् रीय स ् थिरता में रुचि है, मिस ् र कहीं अधिक महत ् वपूर ् ण है. अगर हमें गरीबी और विकास की चिंता है, उप सहारा अफ ् रीका कहीं अधिक महत ् वपूर ् ण है. इसका मतलब यह नहीं है कि अफगानिस ् तान से फर ् क नहीं पड ़ ता, लेकिन वेह दुनिया के 40 देशों में से एक है जिसके साथ हमें संलग ् न की जरूरत है. तो अगर मैं हस ् तक ् षेप के लिए एक रूपक के साथ समाप ् त करता हूँ, हम जिस बारे में सोच सकते हैं है पहाड ़ बचाव की तरह कुछ. पहाड ़ बचाव क ् यों? क ् योंकि, जब लोगहस ् तक ् षेप के बारे में बात करते हैं वे कल ् पना करते हैं कुछ वैज ् ञानिक सिद ् धांत की - रेंड निगम 43 पिछले विद ् रोह गिनता है गणितीय सूत ् रों का निर ् माण कर यह कह की आप को एक प ् रशिक ् षित काउंटर-विद ् रोही की जरूरत है आबादी के हर 20 सदस ् यों के लिए. यह इसे देखने का गलत तरीका है. आप इसे पहाड ़ बचाव की तरह देखने की जरूरत है. जब आप पहाड ़ बचाव करते हैं, आप पहाड ़ बचाव में डॉक ् टरेट नहीं लेते, आप किसी जानने वाले को ढूँढ ़ ते हो. यह संदर ् भ के बारे में है. आप समझते हैं कि आप तैयार कर सकते हैं, लेकिन जितनी तैयारी आप कर सकते हैं सीमित है. आप कुछ पानी और एक नक ् शा ले सकते हैं, आप एक बस ् ता ले सकते हैं. लेकिन क ् या सचमुच मायने रखता है हैं दो प ् रकार की समस ् याएं - समस ् याएं जो पहाड ़ ों पर होती हैं जो आप प ् रतिआशा नहीं कर सकते, उदाहरण के लिए, एक ढलान पर बर ् फ, लेकिन जिन ् हें आप समझ सकते है, और समस ् याएं जिनकी आप आशा नहीं कर सकते और जिन ् हें आप समझ नहीं सकते है, अचानक आया एक बर ् फानी तूफान या एक हिमस ् खलन या मौसम में परिवर ् तन. और इसकी कुंजी एक गाइड है जो कि पहाड ़ पर गया है, हर तापमान में, हर अवधि में - एक गाइड, जो, जानता है कि कब वापस मुड ़ ना है, जो लगातार आगे नहीं बढेगा जब स ् थिति उनके खिलाफ हो. हम क ् या ढूँढ ़ ते हैं फायरब ् रिगेड वालों में, पर ् वतारोहियों में, पुलिसकर ् मियों में, और हमें हस ् तक ् षेप के लिए क ् या ढूदना चाहिए, है बुद ् धिमानी से जोखिम उठाने वाले ऐसे लोग नहीं, जो चट ् टान से अंधी में कूद जाते हैं ऐसे लोग नहीं, जो एक जलते हुए कमरे में कूद जाएं, लेकिन जो अपने जोखिम नापते हैं, अपनी जिम ् मेदारिया तौलते हैं. क ् योंकि हमने अफगानिस ् तान में सबसे बुरा जो किया है है यह विचार कि विफलता एक विकल ् प नहीं है. यह विफलता को अदृश ् य बनाता है, समझ से बाहर है और अपरिहार ् य है. और अगर हम विरोध कर सकते हैं इस पागल नारे का, हमें पता चलेगा - सीरिया में, मिस ् र में, लीबिया में, और कहीं और हम दुनिया में जाएँ - कि अगर हम अक ् सर जितना दिखाते हैं उससे कम करें, हम अपने दर से कही अधिक कर सकते हैं. बहुत बहुत धन ् यवाद. (तालियाँ) धन ् यवाद. बहुत बहुत धन ् यवाद. धन ् यवाद. बहुत बहुत धन ् यवाद. धन ् यवाद. धन ् यवाद. धन ् यवाद. (तालियाँ) धन ् यवाद. धन ् यवाद. धन ् यवाद. धन ् यवाद. (तालियाँ) ब ् रूनो गिउस ् सानी: रोरी, तुमने अंत में लीबिया का उल ् लेख किया है. संक ् षेप में, वर ् तमान घटनाओं पर अपने विचार बताओ और हस ् तक ् षेप पर? रोरी स ् टीवर ् ट: ठीक है, मुझे लगता है कि लीबिया उत ् कृष ् ट समस ् या है. लीबिया में समस ् या है कि हम हमेशा पूर ् ण काले या सफेद के लिए जोर दे रहे हैं. हमारी कल ् पना में वहां केवल दो विकल ् प हैं: या तो पूर ् ण कार ् य और सेना तैनाती या पूर ् ण अलगाव. और हम हमेशा लालच में हैं. हम अपने पैर की उंगलिया डालते हैं और हमारी गर ् दन फस जाती है. हमें लीबिया में क ् या करना चाहिए था हमें संयुक ् त राष ् ट ् र के प ् रस ् ताव पर रुकना चाहिए था. हमें खुद को बहुत, बहुत सख ् ती से सीमित करना चाहिए था बांघज ़ ी में नागरिक आबादी के संरक ् षण के लिए. हम वह कर सकते थे. हमने ४८ घंटे के भीतर उड ़ ान प ् रतिबंधित क ् षेत ् र बना दिया था क ् योंकि गद ् दाफी के पास कोई विमान नहीं थे ४८ घंटे के भीतर. इसके बजाय, हमने खुद को लालच में आने दिया है शासन परिवर ् तन की दिशा में. ऐसा करने में, हमने सुरक ् षा परिषद में हमारी विश ् वसनीयता को नष ् ट कर दिया है, जिसका मतलब है कि यह बहुत मुश ् किल है सीरिया पर एक प ् रस ् ताव प ् राप ् त करना, और हम एक बार फिर विफलता न ् योत रहे हैं. एक बार और, विनम ् रता, सीमाएं, ईमानदारी, यथार ् थवादी उम ् मीदें और हम कुछ गौरवपूर ् ण हासिल कर सकते थे. BG: रोरी, आपका बहुत बहुत धन ् यवाद. RS: शुक ् रिया. (BG: शुक ् रिया.) बाहरी दिखावे के अनुसार, जॉन (John) के लिए सब सही हो रहा था | उसने अभी अभी अपने न ् यू योर ् क (New York) के घर को बेचने के लिए अनुबंध किया था वो भी 6 अंकीय लाभ पर और यह घर उसने 5 साल पहले ही लिया था | विश ् वविद ् यालय जहाँ से उसने स ् नातकोत ् तर उपाधि ली थी उसने वहाँ पढाने का प ् रस ् ताव दिया था, जिसका अर ् थ है ना केवल वेतन, बल ् कि और भी फायदे, जो पहली बार हुआ था | फ ़ िर भी जॉन (John) के लिए सब अच ् छा होते हुए भी, वो खुद से लड ़ ते हुए संघर ् ष कर रहा था, अपने व ् यसन और जकड़ते हुए अवसाद से, 11 जून (June) 2003 की रात को, वो मेनहट ् टन पुल (Manhattan Bridge) की बाहरी दीवार पर चढ ़ गया और जोखिम भरे पानी की ओर छलांग लगा दी | असाधारण रूप से नहीं, चमत ् कारिक रूप से वो बच गया | छलांग से उसका सीधा हाथ टूट के बिखर गया, उसकी सारी पसलियाँ टूट गयी, फेफड ़ ो में छेद हो गया, और बेहोशी में वो बहता गया वो ईस ् ट रिवर (East River) तक बहता गया, ब ् रुकलिन पुल (Brooklyn Bridge) के नीचे और स ् टेटन आइलैंड फेरी (Staten Island Ferry) के रास ् ते पर, जहाँ फेरी के यात ् रियों ने उसका दर ् द से कराहना सुन कर, फेरी के कप ् तान को सुचना दी उसने कोस ् ट गार ् ड (Coast Guard) को सुचना दी कोस ् ट गार ् ड ने उसे ईस ् ट रिवर से बाहर निकाला और उसे बेलव ् व ् यु (Bellevue) अस ् पताल लेकर गए | और अब यहाँ से हमारी कहानी शुरू होती है | क ् युकि जब जॉन अपने जीवन को वापस पाने के लिए प ् रतिबद ् ध हुआ पहले शारीरिक रूप से फ ़ िर भावनात ् मक रूप से, और फ ़ िर आध ् यात ् मिक रूप से तब उसने पाया कि उन लोगों के लिए बहुत कम साधन उपलब ् ध थे जिन ् होंने आत ् महत ् या का प ् रयास किया हो जिस तरह उसने की थी | शोध के अनुसार 20 में से 19 व ् यक ् ति जो आत ् महत ् या का प ् रयास करते हैं वो विफल होते हैं | लेकिन जो लोग विफल होते है उनके दूसरे प ् रयास में सफल होने की संभावना 37 गुना अधिक होती है | यह सच में संकट में फंसे लोग हैं जंहा इनकी सहायता के लिए बहुत कम साधन है | और होता यह है कि जब ये लोग फ ़ िर से जीवन से जुड़ने की कोशिश करते है, तब हमारे आत ् महत ् या से जुड़े अलगाव के कारण, हम नहीं जानते की क ् या कहें, और इसिलए हम प ् राय: चुप रहते हैं | और ये अकेलेपन को और भी बड ़ ाता है जिसमे जॉन जैसे लोग खुद को पाते है | मैं जॉन की कहानी अच ् छे से जानता हूँ क ् युकि मैं ही जॉन हूँ | और आज किसी भी सार ् वजनिक मंच पर पहली बार मैंने स ् वीकार किया है जो यात ् रा जो मैंने तय की है | लेकिन 2006 में एक प ् रिय शिक ् षक को खोने के बाद और पिछले साल एक अच ् छे दोस ् त की आत ् महत ् या के बाद, और पिछले साल TEDActive में बैठे हुए, मुझे पता था कि मुझे अपनी चुप ् पी तोड ़ नी होगी और अपने अलगाव को पीछे छोड़ना होगा एक बाँटने योग ् य विचार के बारे में बात करने के लिए और ये वो विचार है जिन ् होंने कठिन चुनाव किया है जीवन में वापस आने का उन ् हें साधन और हमारी सहायता की जरुरत है | जैसा ट ् रेवर (Trevor) परियोजना का कहना है, ये बेहतर हो जाता है | ये और भी बेहतर हो जाता है | और मैंने आज एक अलग तरह के एकांत से बाहर आने का फैसला किया है आप लोगों को प ् रोत ् साहित करने के लिए, आप से आग ् रह करने के लिए कि अगर आप कोई ऐसे व ् यक ् ति हैं जिसने आत ् महत ् या का विचार या प ् रयास किया है, या आप ऐसे किसी व ् यक ् ति को जानते है, तो इसके बारे में बात कीजिये, सहायता लीजिये | यह एक अमूल ् य वार ् तालाप है और एक बाँटने योग ् य विचार है | धन ् यवाद ् (अभिवादन) ये लुकास क ् रनाक एल ् डर की १६ वीं सदी से एक पेंटिंग है । यह युवाओं के प ् रसिद ् ध फाउंटेन सा लगता हैं । आप इसके पानी पीने से या इस में स ् नान करने से, स ् वास ् थ ् य और यौवन मिल जाएगी । हर संस ् कृति, हर सभ ् यता अनन ् त युवाओं को खोजने का सपना देखा है । ऐसे भी कोई लोग है जैसे कि अलेक ् झंडर या पोनसे डे लोन, एक अन ् वेषक जो अपने जीवन के अधिकंश भाग फाउनटेन ऑफ यूथ की पीछा किए हैं | उनलोग को ये नहीं मिला | लेकिन यह करने के लिए कुछ वहाँ क ् या था? क ् या युवाओं की इस फाउंटेन के लिए कुछ नहीं तो क ् या होगा? मैं उम ् र बढ ़ ने के अनुसंधान के क ् षेत ् र में अद ् भुत विकास के बारे में बात करना चाहता जो उम ् र बढ ् ने के बारे में हमारे विचार में क ् रांतिकारी परिवर ् तन लाकर और हमें भविष ् य में उम ् र संबंधित बीमारियों की इलाज में बढावा दे सकती है । यह उन प ् रयोगोँ से शुरू हुआ जो दिखाया, बढ ् ने के बारे मेँ किये गये ताजा अध ् यनोँ मेँ, कि जानवर — बुढे चूहोँ — जो युवा चूहोँ के साथ रक ् त अपूर ् ती बांटते हैँ फिर से युवा बन जाते हैँ | यह मनुष ् योँ मेँ, सियमीस जुडवा बच ् चोँ मेँ, जो देख सकते हैँ उस के समान है, और मैँ जानता हूँ यह थोडा डरावना लगता है | लेकिन जैसे टाम रांडो, एक स ् टेम-सेल शोधकर ् ता ने, २००७ मेँ सूचना दिया था कि, अगर आम संचलन के माध ् यम से युवा खून से अवगत कराया तो चूहा की पुरानी पेशी को फिर से युवा बना सकते | यह अमी वागेर ् स से हार ् वार ् ड पर दोबारा दिखाया गया, और दूसरे लोग भी अग ् न ् याशय, जिगर और दिल मेँ भी समान कायाकल ् प प ् रभाव देख सकते हैँ | लेकिन जिस ् के बारे मेँ मैँ कई अन ् य प ् रयोगशाला सब से ज ् यादा उत ् साहित हैँ कि, यह शायद मस ् तिष ् क के लिये भी लागू हो सकता है | इसलिये, हम ने क ् या पायाकि एक व ् रुद ् ध चूहा पाराबायोसिस नाम की इस नमूने मेँ, युवा वतावरण को अवगत करवाया तो वह एक युवा मस ् तिष ् क और एक मस ् तिष ् क जो और बेहतर काम करता है दिखायेगा मैं फिर से कह रहा हूँ: साझा संचलन के माध ् यम से एक बूढा माउस को युवा खून मिलता है दिख ् नने में युवा और अपने मस ् तिष ् क कार ् यो में भी युवा लग रहा है । तो जब हम बूढा होंगे — हम मानव अनुभूति के विभिन ् न पहलुओं पर देख सकते हैं, आप यहाँ इस स ् लाइड पर देख सकते हैं, हम तर ् क, मौखिक क ् षमता और वगैरा वगाइरा देख सकते हैं । और उम ् र ५० या ६० के आसपास आने तक सभी बरकरार काम करते हैं, और मैं इस कमरे में युवा दर ् शकों को देखने से वलगता है कि हम सभ अभी भी ठीक हैं । (हँसी) लेकिन ये सभी घटता दक ् षिण की ओर जाते हुए देखना डरावना है । और जब हम बूढे होंगे, जैसे कि अल ् जाइमर या दूसरे बीमारियाँ आ सकते है । हम जानते हैं कि उम ् र के साथ, न ् यूरॉन ् स के बीच कनेक ् शन - जैसे कि न ् यूरॉन ् स एक दूसरे से बात करते, चेतोपागम — वे खराब होना शुरू होजाते है; न ् यूरॉन ् स मरना, मस ् तिष ् क सिकुड ़ ना शुरू होजाते है, और इन न ् यूरॉजेंरेटिव बीमारियों में वृद ् धि की संवेदनशीलता है । हमरी एक बड ़ ी समस ् या यह है कि - वास ् तव में यह कैसे काम करता है समझने की कोशिश एक बहुत ही आणविक, यंत ् रवत स ् तर पर — हम जीवित लोगों में, विस ् तार से दिमाग का अध ् ययन नहीं कर सकते हैं । हम संज ् ञानात ् मक परीक ् षण कर सकते हैं, हम इमेजिंग कर सकते हैं — सभी तरह के परिष ् कृत परीक ् षण । लेकिन आमतौर पर हमको व ् यक ् ति मरने तक इंतेजार करना पडेगा मस ् टिष ् क को पाने के लिये और ये देखने के लिये कैसे यह उम ् र या बीमारी के साथ बदल जाता है | उदाहरण के लिये यही सब न ् यूरोपाथालजिस ् ट ् स जो करते हैँ | तो, ये कैसा है कि हम मस ् तिष ् क को बडे जेव की हिस ् सा सोचने लगे | हम आण ् विक स ् तर पर मस ् तिष ् क में क ् या होता है के बारे में संभवत: अधिक समझ सकते हैँ अगर हम मस ् टिष ् क को पूरे जिस ् म का हिस ् सा समझेंगे? तो अगर जिस ् म बढेगा या बीमार हो जाता है तो वह क ् या मस ् तिष ् क को प ् रभावित करेगा? और ठीक इस ् के विपरीत: जैसे मस ् तिष ् क बडी हो जाती तो क ् या उसका प ् रभाव शरीर पर होता है? और शरीर के सभी विभिन ् न टिस ् यूस को कौन जोडता है कि खून है | रक ् त ऐसा ऊतक है जो न केवल ऑक ् सीजन परिवहन करने वाले कोशिकाओं को लेजाते हैं, जैसे कि लाल रक ् त कोशिकाओं, या संक ् रामक रोगों से लड ़ ता है, लेकिन यह दूत अणुओं को भी लेजाता हैं, हार ् मोन की तरह कारकों कि परिवहन जानकारी एक कोशिका से दूसरे, एक ऊतक से दूसरे के लिए, मस ् तिष ् क को भी लेजाता है । अगर हम रोग या उम ् र में रक ् त का परिवर ् तन पर नजर डालें तो, क ् य हम मस ् तिष ् क के बारे में कुछ सीख सकते हैं? हमें पता है कि जैसे हम बडे हो जाते हैँ, रक ् त मेँ भी परिवर ् तन आते हैँ, इसलिये जैसे हम बडे हो जाते हैँ हार ् मोन की तरह कारकोँ भी बदल जाते हैँ | और सब मिलाकर, फाक ् टर ् स जो ऊतकों के विकास के लिए, ऊतकों के रखरखाव के लिए — जरूरत हैँ, वे कम होना शुरू हो जाते हैँ जैसे हम बडे हो जाते हैँ, जबकि फाक ् टर ् स जो मरम ् मत मेँ, चोट मेँ और सूजन मेँ शामिल हैँ — वे व ् रुद ् धी हो जाते हैँ जैसे हम बडे हो जाते है | अगर तुम देखो तो, अच ् छे और बुरे फाक ् टर ् स के बीच ये असंतुलन होता है । और हम उस के साथ संभावित क ् या कर सकते हैं इसका वर ् णन करने के लिए, हम ने जो प ् रयोग किया उसके माध ् यम से बात करना चाहता हूँ । हमारे पास स ् वस ् थ मनुष ् य के लगभग ३०० रक ् त नमूने थे २० से ८९ साल के उम ् र के, और हमने इन संचार कारकों में से १०० से अधिक मापा था, इन हार ् मोन की तरह प ् रोटीन जो ऊतकों के बीच जानकारी परिवहन करते हैँ | और हमने सबसे पहले किस बात पर ध ् यान दिया कि सबसे कम उम ् र के और सबसे पुराने समूह के बीच, लग-भग आधा फाक ् टर ् स काफी बदल गये हैँ | जब हम बड ़ े होते तो हमारे शरीर एक अलग वातावरण में रहता है, जब इन फाक ् टर ् स की बात आती है | और सांख ् यिकीय या जैव सूचना विज ् ञान कार ् यक ् रम इस ् तेमाल कर के, हम उन फाकर ् स का खोज करने की कोशिश कर सकते जो सब से अच ् छा उम ् र का अंदाजा लगाते — एक तरह से, एक व ् यक ् ति के सापेक ् ष उम ् र का वापस की गणना | और कैसे यह लगता है इस ग ् राफ ् मेँ दिखाया गया | तो, एक आक ् सिस पर जो आदमी जिंदा है उस का असली उम ् र, कालानुक ् रमिक उम ् र । तो, कितने साल वे रहते थे | और फिर हम ने इन शीर ् ष कारकोँ को लिया जो मै आप को दिखाया, और हम ने उनके सापेक ् ष उम ् र, उनके जैविक उम ् र की गणना किया । और आप ने क ् या देखा कि एक बहुत अच ् छा संबंध है, तो हम बहुत अच ् छी से एक व ् यक ् ती का सापेक ् ष उम ् र का अंदाजा लगा सकते हैँ | लेकिन पराया आदमी वास ् तव में रोमांचक हैं, क ् योंकि वे तो अक ् सर जीवन में हैं । आप यहाँ एक व ् यक ् ति, जिन ् हें मैं हरे रंग की बिंदी के साथ प ् रकाश डाला, को देख सकते जिनका उम ् र लगभग ७० साल लेकिन हम जो यहाँ क ् या कर रहे हैं, वो वास ् तव में सच होने से उनकी जैविक उम ् र केवल ४५ साल लगता है | तो क ् या ये व ् यक ् ति वास ् तव में उनकी सई उम ् र से बहुत कम उम ् र के लगते है? लेकिन अधिक महत ् वपूर ् ण बात यह है: क ् या ये व ् यक ् ति कम जोखिम में हो सकता है जो एक उम ् र से संबंधित रोग विकसित हो और एक लंबे जीवन हो सकता - १०० या अधिक साल जी सकेगा? दूसरी ओर, व ् यक ् ति जो यहाँ, जिनपर लाल बिंदी के साथ प ् रकाश डाला, ४० भी नहीं, लेकिन उन ् हें ६५ साल की जैविक उम ् र है । क ् या यह व ् यक ् ति उम ् र से संबंधित रोग विकसित होने का ज ् यादा जोखिम में है? तो हमारी प ् रयोगशाला में, हम इन कारकों को बेहतर समझने की कोशिश कर रहे हैं, और कई अन ् य समूहों, समझने की कोशिश कर रहे हैं, उम ् र बढ ़ ने के सई कारण क ् या हैं, और उम ् र से संबंधित बीमारियों के बारे में पता करके क ् या उनकी भविष ् यवाणी कर सकते हैं? इसलिए मैं अब तक तुम ् हें जो दिखाया हूँ, क ् या सही है, केवल सहसंबंधी है? तुम बस कह सकते हैं कि "" ठीक है, इन कारकों उम ् र के साथ बदलते हैं "", लेकिन आप वास ् तव में नहीं पता है कि वे उम ् र बढ ़ ने के बारे में कुछ करते हैं । तो क ् या अब मैं तुम ् हें दिखाने जा रहा हूँ वो बहुत उल ् लेखनीय है और इस से पता चलता है कि ये कारकों वास ् तव में एक ऊतक की उम ् र को ठीक कर सकते हैं । और हम वापस पाराबिओसिस नामक इस मॉडल के लिए आते हैं । तो, पाराबैओसिस चूहे मे किया गया था शस ् त ् र चिकित ् सा के साथ दो चूहोँ को एक साथ जोड दिया गया था, और यह एक साथ, एक साझा रक ् त प ् रणाली को तो जाता है, जहाँ हम अब पूछ सकते हैँ, "" पुराने मस ् तिष ् क कैसे प ् रभावित हो जाता है युवा खून से जोखिम होने से? "" और इस उद ् देश ् य से हम, युवा चूहोँ जो २०- साल की- उम ् र में लोगों की समानक, और बडे चूहोँ जो मानव वर ् षों में लगभग ६५ साल बडे को इस ् तेमाल किए हैँ । हम ने जो पाया वह काफी उल ् लेखनीय है | हम ने देखा उन बडे मस ् तिष ् क मेँ नये न ् यूरांस को बनानेवाले अधिक न ् यूरल स ् टेम कोशिकाओं हैँ | वहाँ सिनाप ् सेस का गतिविधि बडगया है, जो न ् यूरांस को जोडती है | शामिल होने के लिए जाना जाता है कि व ् यक ् त अधिक जीन होते हैं नई यादों के गठन में । और जो बुरा सूजन थी वहाँ कम थी | लेकिन हम इन जानवरों के दिमाग में कोई कोशिकाओं प ् रवेश करते हुए नहीं देखा । जब हम उन ् हें कनेक ् ट करते हैं, इस मॉडल में, वास ् तव में कोई कोशिकाओं पुराने मस ् तिष ् क में नहीं जाते हैं । इसके बजाय, हम तर ् क दिया है, फिर, कि यह घुलनशील कारकों होना चाहिए, इसलिये, हम रक ् त का गलाऊ अंश जिसे प ् लास ् मा कहा जाता है बस इकाट ् ठा कर सकते हैँ, और या तो युवा प ् लास ् मा या बुडे प ् लास ् मा को इन चुहोँ मेँ इंजेक ् ट कर सकते हैँ, और हम ये कायाकल ् प प ् रभावोँ को फिर से पैदा कर सकते, लेकिन हम अब और भी क ् या कर सकते हैँ किहम चूहोँ के साथ स ् मृति परीक ् षण कर सकते हैँ | जब चूहेँ बूढे होते, जैसे हम लोग होते हैँ, उन को स ् म ् रुति समस ् यायेँ आते हैँ | उनका पता लगाना कठिन है, लेकिन मैँ एक मिनट मेँ आप ् को दिखाता हूँ हम उसे कैसे करते | लेकिन हम इसे एक कदम आगे लेजाना चाहते हैँ, सम ् भवत मनुष ् य के लिये अनुरूप होने मेँ एक कदम नजदीक | मैँ आप को जो दिखारहा हूँ वह अप ् रकाशित अध ् ययन है, जहाँ हम ने इंसान का प ् लास ् मा, युवा इन ् सान का प ् लास ् मा इस ् तेमाल किया, और कंट ् रोल के रूप मेँ सलैन, और बूडे चूहेँ मेँ इंजेक ् ट किया, और पूछा था कि, हम फिर से इन बूढे चूहोँ को जीवंत कर सकते हैँ? क ् या हम उनको चतुर बना सकते? ऐसा करने के लिये, हम ने एक टेस ् ट का इस ् तेमाल किया, यह बार ् न ् स मेज़ कहते | यह एक बडा टेबल है जिस मेँबहुत सारे छेद हैँ, और उस के चारोँ ओर मार ् गदर ् शन के निशान हैँ, और एक उज ् वल लैट है, जैसे इस मंच पर है चूहेँ इसको पसंद नही करते और वे उससे बचना चाहते हैँ, और एक छेद जिसे आप देख रहे हैँ जिसे एक तीर के साथ में बताया, जहां एक ट ् यूब के नीचे मुहिम शुरू की है, जहां वे पलायन कर सकते हैँ और एक अंधेरे छेद मेँ आराम से रहा सकते हैँ इसलिये हम उनको सिखाते हैँ, कई दिन, इस जगह मेँ दिये संकेत पर इस जगह को खोजने के लिये और इस को आप इनसान को एक खरीदारी के व ् यस ् त दिन बाद कार एक पार ् किंग लाट मेँ डूंढने की तुलना कर सकते हैँ | (हँसी) हम मेँ से कई लोगोँ को शायद इससे कुछ समस ् यायेँ होते थे | तो, हम यहाँ एक बुढे चुहा को देखेंगे | यह एक बुढा चूहा जिस को स ् म ् रुति समस ् याओँ हैँ, जैसे आप एक पल मेँ नोटीस करेंगे | वह हर एक छेद मेँ देखेगा, लेकिन वह ये स ् पेशियल नक ् षा नही बनाया जो उसको याद दिलाता है वह पिछले परीक ् षण या पिछले दिन कहाँ था | इसके विपरीत, यहाँ इस चूहा का एक ही उम ् र के एक भाई है, लेकिन इसको तीन सप ् ताह के लिए युवा मानव प ् लाज ् मा के साथ इलाज किया गया था छोटे इंजेक ् शन के साथ हर तीन दिन । और, जैसा कि आप देखा, यह लगभग चारों ओर देखता है "" मैं कहाँ हूँ? "" — और फिर सीधा छेद के पास चलता है और पलायन करता है | इसका मतलब, वह छेद कहा है यह याद रख सकता है | तो लगता है पूरी तरह से, यह बूढा चूहा फिर से युवा हो गया — यह ज ् यादातर एक युवा चूहा की तरह काम कर रहा है | और यह ये भी संकेत देता है कि ना केवल युवा चूहा की प ् लास ् मा मेँ, बल ् कि युवा इंसान प ् लास ् मा मे भी कुछ तो है जिसको यह पुराना मश ् तीष ् क की मदद करने की ताकत है | तो संक ् षिप ् त रूप मेँ, हम बूढे चूहा और उसकी मस ् तिष ् क को विशेष रूप से आघातवर ् धनीय पाते है | वे पथर से बना हुआ नहीँ हैँ; हम वास ् तव मेँ उसे बदल सकते है | उसे फिर से युवा बना सकते हैँ | युवा रक ् त फाक ् टर ् स उम ् र बढने को रोक सकते हैँ, और मैँ ने आप ् को जो नही दिखाया — इस मोडल मेँ, युवा चूहा वास ् तव मेँ बुढे से जोखिम होने से पीडित है | तो वहाँ बूढे रक ् त कारकोँ हैँ जो बूढापे मेँ तेजी ला सकते हैँ | और सबसे ज ् यादा जरूरी है, मनुष ् य मेँ भी इसी तरह कारकोँ हो सकते हैँ, क ् योँ कि हम युवा मनुष ् य रक ् त को भी लेसकते और एक समान प ् रभाव पा सकते हैँ | बूढे इंसान के रक ् त को, मैँ ने आप को नही दिखाया, इस तरह का प ् रभाव नही होता; वह चूहोँ को और युवा नही बनाता | तो, ये जादू मनुष ् य को हस ् तांतरणीय है? हम स ् टांफर ् ड मेँ एक छोटा सा नैदानिक अध ् ययन चलारहे हैँ, जहाँ हम हल ् के अल ् ज़ेमिर ् स मरीजोँ का इलाज करते हैँ २०-साल-के युवा स ् वयँसेवकोँ का एक पिंट प ् लास ् मा के साथ, और चार हफ ् तोँ तक हफ ् ते मेँ एक बार करते हैँ, और फिर हम इमेजेस के साथ उनकी मस ् तिष ् क मेँ देखते हैँ | हम ने उन ् हे संज ् ञानात ् मकपरीक ् षा किया, और हम उनके देखभाल करने वालों को उनके जीने की दैनिक गतिविधियों के बारे मेँ पूछा | हम क ् या आशा करते हैँ कि वहाँ सुधार के कुछ संकेत इस इलाज से होंगे | और अगर यह मामला है, वह हमे उम ् मीद दे सकती है कि जो मैँ ने दिखाया चूहोँ मेँ काम करती है इन ् सान मेँ भी काम कर सकता है | अब, मुझे लगता है हम हमेशा के लिये तो नही रहेंगे | लेकिन हम ने शायद खोज किया कि वास ् तव मेँ फौंटैन आफ यूथ हमारे भीतर ही है, और वह बस सूख गया | और अगर हम इसे थोडा पीछे घुमा सकते तो, शायद हम उन कारकोँ को डूंढ सकते जो इन प ् रभावों को मध ् यस ् थता कर रहे हैँ, हम इन कारकोँ को क ् रुत ् रिम रूप से उत ् पादन कर सकते हैँ और हम उम ् र के साथ बढने वाले रोग जैसे आल ् जिमीर ् स रोग या अन ् य मनोभ ् रंश का, इलाज कर सकते हैँ | बहुत बहुत धन ् यवाद । (तालियाँ) हम सब डॉक ् टरों के पास जाते हैं । और ये हमारी उम ् मीद और अंध विश ् वास है कि डॉक ् टरों जाँच की आदेश और द ् वाइयाँ निर ् धारित करना परीक ् षण के आधार पर करते है — सबूत जो हमें मदद करने के लिए बनाया गया है । हालांकि, वास ् तविकता ये है कि हमेशा सभी को ये स ् थिति नही हो सकती । यदि मैं तुमसे कहती कि पिछली सदी में जो चिकित ् सा विज ् ञान की खोज हुई वह केवल आधी आबादी के आधार पर हुई? मैं एक संकटकाल चिकित ् सा डॉक ् टर हूँ । मैं चिकित ् सा आपात स ् थिति को निपटने के लिए प ् रशिक ् षित कियी गयी थी । यह जीवन को बचाने के बारे में है । कितना मजेदार है? ठीक है, बहती नाक और टोंटदार पंजों को हम बहुत देखते है, लेकिन कोई फर ् क नहीं पड़ता दर ् वाजे से ER में कोई भी आये, लिंग के बारे में कभी सोचे बिना ही हमारे मरीजों को एक प ् रकार के परीक ् षण करने के लिए कहते है, हम एकसमान दावा लिख देते है, हम ऐसे क ् यों करते है? हमें कभी नहीं पढाया गया कि पुरुषों और महिलाओं के बीच कोई फ ़ र ् क है । हाल ही में एक सरकार के जवाबदेही अध ् ययन से पता चला है कि दवाओं में से ८० प ् रतिशत महिलाओं पर दुष ् प ् रभाव के कारण बाजार से वापस ले लिए गये हैं | तो चलो एक मिनट के लिए उस के बारे में सोचते हैं । केवल एक दवा बाजार में जारी करने के बाद ही क ् यों हम खोज करते है कि इस दवाई से महिलाओं पर क ् या दुष ् प ् रभाव होगा? आपको पता होगा कि कई साल लग जाते हैं एक दवा की कल ् पना के लिए विचार से एक प ् रयोगशाला में कोशिकाओं पर परीक ् षण तक, उसके बाद जानवरों पर अध ् ययन, आगे मनुष ् यों पर नैदानिक परीक ् षण, अंतमें उसे एक नियामक मंजूरी की प ् रक ् रिया प ् राप ् त करनी पड़ती है, उसके बाद ही दवा, आप को निर ् धारित करने के लिए डॉक ् टर के पास उपलब ् ध होती है? इस प ् रक ् रिया के माध ् यम से जाने के लिए धन की लाखों और अरबों डॉलरों की निधीकरण होगी | तो हम आधी आबादी पर अस ् वीकार ् य दुष ् प ् रभाव बरे में, जब उस के माध ् यम से चला जाने के बाद क ् यों खोज रहे है? ये क ् या हो रहा हैं? खैर, यह पता चला है कि प ् रयोगशाला में जो कोशिकाओं इस ् तेमाल करते, वे पुरुष कोशिकाओं थे, और जानवरों के अध ् ययन में प ् रयुक ् त जानवर, पुरुष जानवरों थे, और नैदानिक परीक ् षण केवल पुरुषों पर ही प ् रदर ् शन किया गया है । कैसे पुरुष मॉडल चिकित ् सा अनुसंधान के लिए हमारे ढांचा बन गया है? हम एक उदाहरण पर नजर डालते हैं जो मीडिया में लोकप ् रिय हुआ था, और यह सोने के लिए सहायता करने वाली आम ् बियन के बारे में है । आम ् बियन, २० साल पहले बाजार में जारी किया गया था, और तब से, सौ मिलियन ् स नुस ् खे मुख ् य रूप से महिलाओं के लिए लिखे गए है क ् योंकि महिलाओं पुरुषों की तुलना में अधिक नींद संबंधी विकार ग ् रस ् त हैं । परंतुलेकिन अभी यह पिछले साल, खाद ् य एवं औषधि प ् रशासन, केवल महिलाओं को आधी खुराक काटने की सिफारिश की, क ् योंकि उन ् हें एह ् सास हुआ कि सिर ् फ महिलाओं को पुरुषों की तुलना में धीमी दर पर दवा रस प ् रक ् रिया होती है, जिसकी वजह से उनकी व ् यवस ् था में अधिक सक ् रिय दवा सुबह जागृत होने की समय होती हैं । और फिर वे नींद से भरे हुए थे और कार के पहिये के पीछे थे, और वे मोटार वाहन दुर ् घट ् नाओँ के लिये खतरे पर थे | और मैँ एक आपत ् कालीन वैद ् य होने के नाते मदद तो नही, पर सोच सकता हूँ, मेरे रोगोयोँ, जिनको मैँ सालोँ से परवाह कर रहा हूँ, जिन ् मेसे कितने एक मोटार वाहन दुर ् घटना मेँ शामिल थे, जिसको शायद रोका जा सकता था अगर इस तरह की विश ् लेषण २० साल पहले किया और इस पर काम किया गया होता जब ये दवाई पहले जारी किया गया था | कितने अन ् य बातों के लिंग के आधार पर विश ् लेषण करने की आवश ् यकता है? हम और क ् या छोड रहे हैँ? द ् वितीय विश ् व युद ् ध ने बहुत सारे चीजोँ को बदल दिया, और उनमेँ से एक लोगोँ को सूचित सहमति के बिना चिकित ् सा अनुसंधान के शिकार बनने से बचाने की जरूरत थी | तो कुछ बहुत जरूरी दिशा-निर ् देश या नियमों स ् थापित किए गए थे, और उस का हिस ् सा प ् रसव उम ् र की महिलाओं कोई भी चिकित ् सा अनुसंधान अध ् ययन मेँ प ् रवेश करने से रक ् षा के लिए इस इच ् छा थी | वहाँ डर थी: क ् या होगा अगर अध ् यन के समय भ ् रूण के साथ कुछ हुआ? कौन जिम ् मेदार होगा? और वैज ् ञानिकों ने इस बार सचमुच सोचा ये छद ् म वेष में एक आशीर ् वाद थी, क ् योँ कि हम उसका सामना करेंगे — पुरुषों के शरीर समरूप होते हैं । उनके पास लगातार हार ् मोन के स ् तर में उतार-चढ ़ ाव नहीँ होते वह साफ डेटा को गडबड कर देता जो उनको केवल पुरुष होने से मिल सकता था | यह आसान था | यह सस ् ता था | इसके अतिरिक ् त, इस समय, एक सामान ् य धारणा है कि पुरुषों और महिलाओं हर तरह से एक जैसे थे, उनके प ् रजनन अंगों और सेक ् स हार ् मोन के अलावा । तो इसका निर ् णय लिया गया था: पुरुषों पर चिकित ् सा अनुसंधान किया गया था, और परिणाम बाद में महिलाओं पर लागू किया गया । यह महिलाओं के स ् वास ् थ ् य की धारणा के लिए क ् या किया? महिलाओं के स ् वास ् थ ् य के प ् रजनन के साथ पर ् याय बन गया है: स ् तनों, अंडाशय, गर ् भाशय, गर ् भावस ् था । यही श ् ब ् द है जिसको अब हम "" बिकिनि दवा "" के रूप मेँ जिक ् र करते हैँ | और यह 1980 तक इसी रूप मेँ रहा, जब ये अवधारणा को चिकित ् सा समुदाय और सार ् वजनिक स ् वास ् थ ् य नीति निर ् माताओं द ् वारा चुनौती दी गयी तो उनको अहसास हुआ कि सब चिकित ् सा अनुसंधान अध ् ययन से महिलाओँ को बाहर करने से हम वास ् तव मेँ उनको एक नुकसान कर रहे हैँ, उस मेँ प ् रजनन मुद ् दों को छोडकर, महिला रोगी की अद ् वितीय जरूरत के बारे मेँ लगभग कुछ भी नही जाना जाता था | उस समय से, भारी मात ् रा मेँ सबूत बाहर आया है वह हमेँ महिलाओँ और पुरुषोँ हर तरह से कितने अलग है ये दिखाता है | आप जानते हैँ, वैद ् यक-शास ् र मेँ हमारे पास ये कहावत है: बच ् चे सिर ् फ छोटे आदमी नही होते हैँ | और हम इसको खुद को याद दिलाने केलिये कहते हैँ कि बच ् चोँ को वास ् तव मेँ सामान ् य वयस ् कोँ से अलग शरीर क ् रिया होती है | और इसके वजह से बाल रोग चिकित ् सा विशेषता प ् रकाश में आया था । और अब हम उनके जीवन में सुधार लाने के लिए बच ् चों पर अनुसंधान का संचालन करते | और मुझे पता है कि वहीं चीज महिलाऑ के बारे में कह सकते हैं | महिलाओं को सिर ् फ स ् तन और ट ् यूबों के साथ नहीं हैं । लेकिन वे स ् वयं के चीरफाड ़ और शरीर विज ् ञान है जिसे वहीं तीव ् रता के साथ अध ् ययन किया जाना चाहिए । उदाहरण के लिए, हृदय प ् रणाली लेते हैं । चिकित ् सा के इस क ् षेत ् र में यह पता लगाने की कोशिश बहुत हुई है कि पुरुषों और महिलाओं में पूरी तरह से अलग दिल के दौरे क ् यों आते है । हृदय रोग, पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक नंबर का हत ् यारा है, लेकिन अधिकतर महिलाओं पुरुषों से ज ् यादा दिल का दौरा होने से एक साल के भीतर मर जाते हैं । पुरुषों के सीने में दर ् द की पेराई की शिकायत करेंगे - जैसे कि एक हाथी उनके सीने पर बैठा है । और हम इसे विशिष ् ट कहते हैं । महिलाओँ को भी चाती मेँ दर ् द होती है | लेकिन महिलाओँ से ज ् यादा पुरुष "" बस, ठीक मेहसूस नहीँ हो रहा है "" की शिकायत करते हैँ, "" काफी हवा पर ् याप ् त नहीँ कर सकते "", "" हाल ही मेँ बहुत थक जाता हूँ "" | और कुछ कारण हम इसे असामान ् य कहते हैँ, हालाँ कि, जैसे मै ने कहाँ, महिलायेँ जंसंख ् या मेँ आधी हैँ | और इन मतभेदोँ के कुछ हिस ् सोँ को समझाने के लिये सबूत का कुछ हिस ् सा कहाँ है? अगर हम शरीर रचना विज ् ञान देखेंगे, दिल की चारों ओर रक ् त वाहिकाओं, पुरुषोँ की तुलना में महिलाओं में छोटे होते हैं और जिस तरीके से उन रक ् त वाहिकाओँ व ् याधि को शुरू करते हैँ महिलाओँ मेँ पुरुषोँ की तुलना मेँ ये अलग है | और जो परीक ् षा किसी को दिल का दौरा पड ् ने के लिए खतरा है निर ् थारित करने के लिये उपयोग करते, खैर, वे शुरू में बनाये गये, परीक ् षण किये और पुरुषों में सिद ् ध किये गये थे, और इसलिए महिलाओं में उसको निर ् धारित करने के लिये अच ् छा नही है । और फिर अगर हम दवाई के बारे मेँ सोचे तो — साधारण दवाई हम उपयोग करते हैँ, जैसे आस ् प ् रिन | हम आस ् प ् रिन स ् वस ् थ पुरुषोँ को उनको दिल का दौरा पडने से रोकने के लिये देते हैँ, लेकिन आप जानते हैँ कि अगर आप आस ् प ् रिन एक स ् वस ् थ महिला को देते हैँ, वह वास ् तव मेँ हानिकारक है? ये क ् या कर रहा है कि केवल हमेँ बता रही है कि हम सतह को खरोच रहे हैँ | आपातकालीन चिकित ् सा एक तेज गति व ् यापार है । चिकित ् सा के कितने जीवन रक ् षक क ् षेत ् रों में, कैंसर और स ् ट ् रोक की तरह, पुरुषों और महिलाओं के बीच महत ् वपूर ् ण फर ् क को हम उपयोग कर रहे हैं? या फिर भी, क ् यों कुछ लोगों को दूसरों से ज ् यादा बहती नाक मिलता ह, या हम क ् यों उन टोंटदार पैर की उंगलियों को दे दर ् द की दवा जो कुछ लोग पर काम करती है और दूसरों पर नहीं क ् यों? चिकित ् सा संस ् थान कहा है कि हर कोशिका में एक यौन संबंध है । इसका क ् या मतलब है? सेक ् स DNA है | समाज मेँ लिंग के द ् वारा ही कोई भी खुद को प ् रस ् तुत करते हैँ | और ये दोनोँ हमेशा नहीँ मिल सकते, जैसे हम विपरीत लिंग आबादी के साथ देख सकते हैँ | लेकिन यह गर ् भाधान के समय से महसूस करना महत ् वपूर ् ण है, हमारे शरीर में हर कोशिका — त ् वचा, बाल, दिल और फेफड ़ ों — हमारे अपने अनोखा डीएनए होता है, और वह डीएनए में गुणसूत ् रों निर ् धारित करते है कि हम क ् या बनेंगे यदि पुलिंग या स ् त ् रीलिंग, पुरुष या स ् त ् री । यह सोचा करते थे कि जो लिंग-निर ् धारण क ् रोमोसोम ् स यहाँ चित ् रित किये गये हैँ — XY अगर आप पुरुष हैँ, XX अगर आप महिला हैँ — आप अंडाशय या वृषण के साथ पैदा होंगे केवल ये निर ् धार ् ण करने के लिये थे, और जो सेक ् स हार ् मोंस वे अंगोँ उत ् पादन करते हैँ विपरीत लिंगोँ मेँ जो भेद हम देखते हैँ उनके लिये वे जिम ् मेदार हैँ | लेकिन अब हम जानते हैँ कि वह सिद ् धांत गलत है — या कम से कम वह थोडा अधूरा है | और शुक ् र है, व ् हाइटहेड संस ् थान से वैज ् ञानिकों जैसे डॉ.पेज, जो Y क ् रोमोसोम पर काम कर रहे हैँ, और डाक ् टर यांग उक ् ला से, उनको साक ् ष ् य मिला है जोहमेँ कहता है कि वे लिंग- निर ् थारण क ् रोमोसोम ् स जो हमारे शरीर मेँ हर कोशिका मेँ हैँ हमारे पूरे जीवन सक ् रिय रहने के लिये जारी रहेंगे और जो हम अंतर देखते हैँ उनके लिये ये जिम ् मेदार हो सकते हैँ दवाइयोँ के मात ् रा मेँ, या पुरुष और महिलाओँ मेँ बीमारियों की संवेदनशीलता और गंभीरता मेँ क ् योँ अंतर हैँ | ये नयी जानकारी जोहै वह खेल-परिवर ् तक है, और ये वैज ् ञानिकों पर निर ् भर है कि वे सबूत को डूँढने की काम जारी रखेँ, लेकिन ये चिकित ् सकोँ पर निर ् भर है कि वे डाटा का अनुवाद शुरू करेँ बिस ् तर के पास से, आज ही | अभी | और इसे कर ने मेँ मदद करने के लिये, मैं एक सह-संस ् थापक हूँ एक राष ् ट ् रीय संगठन की जिसको सेक ् स और जेंडर महिला स ् वास ् थ ् य सहयोगी कहते हैँ, और हम ये सब डाटा इकट ् ठा करते हैँ ताकि ये शिक ् षण के लिये उपलब ् ध रह सके और रोगी की देख ् भाल के लिये | और हम चिकित ् सा शिक ् षकोँ को मेजे के पास एक साथ लाने की काम कर रहे हैँ | वह बडा काम है | चिकित ् सा प ् रशिक ् षण अपनी स ् थापना से जैसे कर रहे हैँ वह बदल रहा है | लेकिन मुझे उन मेँ विश ् वास है | मुझे लगता है वे लिंग लेंस को वर ् तमान पाठ ् यक ् रम में शामिल करने की मूल ् य देखने जा रहे हैँ | यह सही ढंग से भविष ् य स ् वास ् थ ् य सेवा प ् रदाताओं के प ् रशिक ् षण के बारे में है । और क ् षेत ् रीय, मैँ एक सह- निर ् माता हूँ यहाँ ब ् रौन विश ् वविद ् यालय के पास, एक विभाग आपत ् कालीन चिकित ् सा मेँ, सेक ् स और लिंग नाम का, आपातकालीन चिकित ् सा विभाग के अंदर और हम खोज का आचरण करते हैँ महिलओँ और पुरुषोँ के बीच अंतर निर ् धारित करने के लिये आकस ् मिक स ् थिती मेँ, जैसे हृदय रोग और स ् ट ् रोक और पूति और मादक द ् रव ् यों के सेवन, लेकिन हम ये भी मानते हैँ कि शिक ् षा सर ् वोपरि है । हम लोग शिक ् षा के एक 360-डिग ् री का नमूना तैयार किया | हमारे पास वैक ् योँ के लिये, नर ् सोँ के लिये, छात ् राओँ के लिये और मरीजोँ के लिये कार ् यक ् रम हैँ | क ् योँ कि इसे स ् वास ् थ ् य देखभाल के अग ् रलेख के लिये नहीँ छोडा जा सकता | हम सभी को बदलाव लाने मेँ भूमिका है | लेकिन मुझे आप को चेतावनी देनी है: ये आसान नही है | वास ् तव मेँ, ये बहुत कठिन है | चिकित ् सा और तबियत और खोज के बारे मेँ हमारी जो सोच है यह बदल रही है | यह स ् वास ् थ ् य देखभाल प ् रणाली के साथ हमारे सम ् बंध बदल रही है | लेकिन वापस जाना नही है | हम अब हम इसे ठीक नहीं कर रहे थे कि पता करने के लिए अभी पर ् याप ् त पता है । मार ् टिन लूथर किंग, जूर. ने कहा, "" बदलाव अनिवार ् यता के पहियों पर रोल नहीँ होती, लेकिन निरंतर संघर ् ष के माध ् यम से आता है । "" और बदलाव के तरफ पहला कदम है जागरूकता | यह सिर ् फ महिलाओँ के लिये चिकित ् सा देखभाल मेँ सुधार लाना नहीँ है | यह हर एक के लिये व ् यक ् तिगत, निजीक ् रुत स ् वास ् थ देख ् भाल के बारे मेँ है | यह जागरूकता मेँ पुरुषोँ और महिलाओँ के लिये चिकित ् सा देख भाल बदलने की शक ् ती है | और अबसे, मैँ चाहती हूँ कि आप अपने वैद ् य से पूछेँ कि क ् या जो इलाज आप को कर रहे हैँ वह आप की लिंग और जेंडर के लिये विशिष ् ट है | शायद वे जवाब नही जानते — अभी तक | लेकिन बातचीत शुरू हो गया है और हम एक साथ सब सीख सकते हैं ।...... याद रखिये, इस क ् षेत ् र मेँ मुझे और मेरे सहयोगी के लिये, आप की लिंग और जेंडर मायने रखता है | धन ् यवाद । (तालियाँ) कुछ साल पहले, मै ने सच मेँ बहुत ही हिम ् मत का काम किया, या कोई उसे बेवकूफी कहते हैँ | मैँ कॉंग ् रेस के लिये दौडा | बहुत साल तक, मैँ राजनीति मेँ सुरक ् षित रूप से परदे के पीछे रहा एक फंड रैसर के रूप मेँ, एक आयोजक के रूप मेँ, लेकिन मेरे मन मेँ, मैँ हमेषा दौडना चाहती थी | मेरे जिले मेँ १९९२ से काँग ् रेस वुमन थी | उन ् होँ ने कभी रेस नही हारी, और कोई भी उनके सामने डेमोक ् रटिक प ् रैमरी से नही खडे थे | लेकिन मेरे मन मेँ, ये एक अंतर लाने के लिये, यथास ् थिति को बधित करने के लिये, मेरी तरीका थी | मगर पोल ् स कुछ अलग एक कहाँई बतारहे थे | मेरे पोल ् स ् टर ् स ने कहा मैँ पागल हूँ, किये रेस दौड रही हूँ, और कोई रस ् ता नही हैँ कि मैँ जीत सकू | लेकिन वैसे भी मैँ ने दौडा, और २०१२ मेँ, मैँ न ् युयार ् क सिटी कॉंग ् रेशनल रेस मेँ एक नवोत ् थान हुआ | मैँ ने ठान ली कि मैँ जीतूंगी | मुझे न ् युयार ् क डैली न ् युज से समर ् थन मिला, वाल स ् ट ् र ् र ् ट जर ् नल ने चुनाव के दिन मेरे चित ् रोँ को छापा, और CNBC ने इसे देश के सबसे भडकीला रेसोँ मेँ एक बताया | मैंने मेरे सभी पहचान वालोँ से पैसे इकट ् टे किये, इंडियन आंटीस को मिलाकर जो बहुत खुश हुये कि एक इंडियन लडकी दौड रही है | लेकिन चुनाव के दिन, पोल ् स सही थे, और मुझे सिर ् फ १९ प ् रतिशत वोट मिले हैँ, और वोही पेपर ् स जो मुझे एक बढ ् ती राजनैतिक सितारा बताया अब कहरहे थे कि मैँ ने ६३२१ वोट ् स पर 1.3 मिलियन डॉलर व ् यर ् थ किए | आप माथ मत कीजिए | यह अपमांजनक था | अब, इससे पहले कि आप को कोई गलत विचार आये, यह विफलता के महत ् व के बारे मेँ एक बोल नही है | नाही यह लगन के बारे मेँ है | मैँ एक कहाँई बता रही हूँ जहाँ मैँ कैसे कॉंग ् रेस के लिये दौडा क ् योँ कि मैँ ३३ साल की हूँ और ये पहली बार है मेरी पूरी जिंदगी मेँ मैँ ने कुछ किया जो सच मेँ बहदूरी का काम था, जहाँ मैँ ने उत ् तम होने की चिंता नही किया | और मैँ अकेली नही हूँ: बहुत सारे महिलायेँ जिसके साथ मैँ ने बात किया ने कहा कि वे ऐसे कारियर और प ् रोफेषन के तरफ झुकते हैँ जिसमे वे जानते हैँ वे महान होंगे, जिसमे वे जानते हैँ वे सही होंगे, और यह कोई आश ् चर ् य नही है क ् योँ | अधिक लडकियोँ को जोखिम और विफलता से बचने के लिये सिखाया जाता है | हम लोगोँ को सुंदर हसी सिखाया जाता है, सुरक ् षित रहना, सभी A 's आना चाहिये | लडकोँ को, दूसरे ओर, किसी ना किसी तरह खेलने और उच ् छ उडने को सिखाया जाता है, मंकी बार ् स के ऊपर और उधर से पहले सिर से कूदने को कहा जाता है | और जब तक वे वयस ् क बन जाते हैँ, वे पैसे बडाने की बात कर रहे हैँ या किसी को डेट के लिये बाहर बुला रहे हो, वे जोखिम के बाद जोखिम लेने की आदि हो चुके होंगे | वे इसके लिए पुरस ् कित किये जाते हैँ | सिलिकान वाली मेँ अक ् सर ये कहा जाता है, कोई भी आप को गम ् भीरता से नही लेंगे जब तक आप के पास दो असफल अंकुर परिश ् रमा हो | दूसरे शब ् दोँ मेँ, हम अपने लडकियोँ को उत ् तम बनने के लिये बढा रहे हैँ, और अपने लडकोँ को बहादूर बनने के लिये बढा रहे हैँ | कुछ लोग हमारी संघीय घाटा के बारे मेँ सोचते हैँ, लेकिन मैँ, हमारी बहादूरी घाटा के बारे मेँ सोचती हूँ | हमारी समाज, हमारी अर ् थ ् व ् यवस ् था हम खो रहे हैँ क ् योँ कि हम हमारी लडकियोँ को बहादूर नही बना रहे हैँ | ये बहादूरी घाटा है जिस ् के वजह से महिलायेँ स ् टेम मेँ, C-स ् यूट ् स मेँ, बोर ् डरूम ् स मेँ, कॉंग ् रेस मेँ, और कई जगह मेँ उंडर ् रिप ् रसेंटेड हैँ | १९८० मेँ, मनोविज ् ञानी कार ् लो ड ् वेक ने देखा कैसे पांचवी कक ् षा के चतुर छात ् र काम को सम ् भालते हैँ जो उन के लिये बहुत कठिन थी | उन ् होँ ने देखा कि जो चतुर लडकियाँ जो हैँ उनको सबसे पहले छोडने की जल ् दी थी | IQ जितनी ज ् यादा थी, उतनी ही उनकी छोडने की सम ् भावना थी | दूसरी ओर, चतुर लडकोँ को ये मुश ् किल चीज एक चुनौती लगती थी | उन ् हे यह स ् फूर ् तिदायक लगती थी | वे अपने प ् रयासोँ को बढाने की सम ् भावना थी | यहाँ क ् या चल रहा है? खैर, पांचवी कक ् ष ् या के स ् तर पर, लडकियाँ हर विषय मेँ लडकोँ को मात करते हैँ, गैत और विज ् ञान सहित, इसलिए यह क ् षमता की सवाल नही है | अंतर लडके और लडकियोँ के एक चुनौती के तरफ द ् रुष ् टिकोण मेँ हैँ | और ये सिर ् फ पांचवी कक ् ष ् या मेँ खतम नही होता | एक रिपोर ् ट मेँ पाया गया कि पुरुष अगर योग ् यता मेँ 60 प ् रतिशत मिल गये तो नौकरी के लिये आवेदन करते हैँ, लेकिन महिलायेँ, महिलायेँ शर ् तेँ सिर ् फ १०० प ् रतिशत मिलने पर ही आवेदन करते हैँ | १०० प ् रतिशत | ये अध ् ययन आम तौर पर सबूत के रूप मेँ लागू होता है कि, खैर, महिलाओँ को थोडा और आत ् मविश ् वास की जरूरत है | लेकिन मुझे लगता है ये सबूत है कि महिलायेँ पूर ् णता की कामना के लिये सामाजीक ् रुत किये गये हैँ, और वे बहुत ही सावधान रहते हैँ | (तालियाँ) और तब भी जब हम महत ् वकाँक ् षा होंगे, हमारे व ् रुत ् ती मेँ भी, पूर ् णता की सामाजीकरण हमे हमारे करियर मेँ कम जोखिम लेने की कारण बना हुआ है | और अभी ये जो ६००,००० नौकरी खुले हैँ कम ् प ् यूटिंग और टेक मेँ, महिलायेँ पीछे छोड दिये गयेँ हैँ, और इसका मतलब है हमारी अर ् थव ् यवस ् था भी पीछे छोड ् दिये गये सभी नवाचार और समस ् यायेँ जो महिलायेँ सुलझाते अगर वे बहादूर होने के लिये सामाजिक होते नाकि उत ् तम होने के लिये सामाजिक होते | (तालियाँ) इसलिये मैँ ने लडकियोँ कोड करना पढाने के लिये २०१२ मेँ एक कम ् पनी शुरू किया, और मैँ ने क ् या देखा कि उनको कोड करना पढाते हुए मैँ ने उन ् हे सामाजिक ् रुत बहादूर बनाया | कोडिंग, सही जगह पर सही आदेश देने की कोशिश करने की कभी कभी सिर ् फ एक सेमिकालन के साथ सफलता और विफलता के बीच अंतर बनाये रखने की एक परीक ् षण और गलती की एक अंतहीन प ् रक ् रिया है, | कोडे टूटता है और फिर यह बिखर जाता है, और यह अक ् सर बहुत, बहुत कोशिश लेता है उस जादूई क ् षण तक जब आप जो कोशिश कर रहे हैँ वह जिंदा हो जाता है | इस के लिए द ् रुढता की आवश ् यकता है | इसको अपूर ् णता चाहिये | हम उरंत देखते हैँ कि हमारे कार ् यक ् रम मेँ हमारे लडकियाँ सही नही होने से नही डरते, सई नही होने से नही डरते | हर लडकी जो कोड करती है शिक ् षक ये ही कहानी बताती है | पहले सप ् ताह के दौरान, जब लडकियाँ कोड कैसे करते हैँ सीख रहे हैँ, एक छात ् रा उनको बुलाती है और वे कहती है, "क ् या कोड लिखना है मैँ नही जानती |" शिक ् षक उनके स ् क ् रींन के तरफ देखती है, और एक खाली टेक ् स ् ट एडिटर को देखती है | अगर उन ् हे पता नही होता, वे सोचती कि उनकी चात ् रा पिछले २० मिनट सिर ् फ स ् क ् रीन घूरते हुये बिताया | लेकिन अगर वे अनडू को दबया, वे देखेंगे कि उनकी छात ् रा ने कोड लिखा फिर उसको डिलिट किया | उन ् होने कोशिश किआ, वे बहुत करीब आयी, लेकिन उसको वह बिलकुल सही नही आया | इसके बजाय जो प ् रगती उन ् होँ ने बनाया वो दिखाये, वह कुछ भी नही दिखाती | पूर ् णता या कुछ भी नही | हमारे लडकियाँ वस ् तव मे कोडिंग मेँ अच ् छे हैँ, लेकिन उनको सिर ् फ कोडिंग करना सिखाना काफी नही है | मेरे दोस ् त लेव ब ् रे, जो यूनोवर ् सिटी आफ कोलम ् बिया मेँ एक अध ् यापक है, और जावा का परिचय पढाते हैँ, कम ् प ् यूटर स ् टूडेंट ् स के साथ उनका कार ् यालय मेँ बीता समय मुझे बताते हैँ | जब लडके कोईकाम के साथ संघर ् ष करते हैँ, वे अंदर आते हैँ और वे कहते हैँ, "प ् रोफेसर, मेरे कोड के साथ कुछ गलत है |" लडकियाँ अंदर आयेंगे और बोलेंगे, "प ् रोफेसर, मेरे साथ कुछ गलत है" हम लोगोँ को पूर ् णता की सामाजीकरण को समाप ् त करना शुरू करना चाहिये, लेकिन हम उसको एक महिला संघ की निर ् माण के साथ मिलाना चाहिये ताकि लडकियाँ ये जान सके कि वे अकेले नही हैँ | क ् योँकि कठिन कोशिश एक टूटी प ् रणाली को जोड नही सकती | मैँ ए नही बता सकती कितने महिलायेँ मुझे बोलती, "" मैँ अपनी हाथ उठाने से डरती हूँ, मैँ सवाल पूछने से डरती हूँ, क ् योँ कि मैँ ये नही चाहती कि सिर ् फ मैँ अकेली नही रहना चाहती जिसको समझ मेँ नही आरही है, केवल एक जो संघर ् ष कर रही है | जब हम लडकियोँ को बहादूर होने के लिये पढाते हैँ और हमारे पास एक सहायक नेट ् वर ् क जो उनका जयकार करेँ, वे अविश ् वसनीय चीजों का निर ् माण करते हैँ, और मैँ ये रोज देखती हूँ | उदाहरण के लिये हमारी दो है स ् कूल छात ् रावोँ को लीजिये, जिसने टाम ् पन रन नाम का एक गेम बनाया — जी हाँ, टॅम ् पन रन — मासिक धर ् म वर ् जित और गेमिंग मेँ सेक ् सिसम के खिलाफ लडने के लिये | या सिरयन शरणार ् थी जो अपने नये देश के प ् रति अपना प ् रेम दिखाने की हिम ् मत रखती है एक आप का निर ् माण करके जो अमेरिकंस को पोल ् स मेँ मदद करती है | या एक १६-साल-की उम ् र की लडकी जिसने एक अल ् गारिथम बनाया जो एक कैंसर सौम ् य या घातक है पता लगाने मेँ मदद करती है ताकि वे अपने पिता के जिंदगी बचा सके क ् योँ कि उन ् हे कैंसर है | ये हजारोँ मेँ सिर ् फ तीन उदाहरण हैँ, हजारोँ लडकियाँ जो सामाजीक ् रुत अपूर ् ण हैँ, जो कोशिश करते रहना सीखा, जो हठ सीखा है | और अगर वे कोडर ् स बनेँ या अगले हिलरी क ् लिंटन या बेयांस, वे अपने सपनोँ को नही टालेंगे | और वे सपनेँ हमारे देश के लिये कभी भी महत ् वपूर ् ण नही थे | अमेरिकन अर ् थ व ् यवस ् था, किसी भी अर ् था व ् यवस ् था के लिये, सच मेँ नवीनता लाने के लिये, हम हमारे आधी आबादी को पीछे नही छोड सकते | हमेँ हमारे लडकोयोँ को मेल ् जोल मेँ अपूर ् णता के साथ आराम से रहना सिखाना चाहिये, और ये हम अभी करना चाहिये | हम उनको बहादूर बनना सीखने के लिये इंतेजार नही कर सकते जैसे मैँ ने कियी जब मैँ 33 साल की थी | हमेँ उन ् हे पाठशालाओँ मेँ बहादूर बनना सिखाना चाहिए और जल ् दी अपने करियेर मेँ, जब यह उनके जीवन को प ् रभावित करने के लिए सबसे अधिक संभावित है और दूसरोँ के जिंदगियाँ, और हमेँ उन ् हे दिखाना होगा कि वे प ् यार किये जायेंगेऔर स ् वीकार किये जायेंगे पूर ् ण रहने के लिये नही बल ् कि बहादूर बनने के लिये | और आप हर एक जवान औरत जिसको आप जानते हो उनको बताना जरूरत है ‌ — अपनी बहन, अपनी भतीजी, अपनी कर ् मचारी, अपनी सहयोगी — अपूर ् णता के साथ आराम से रहने के लिये, क ् योँ कि जब हम लडकियोँ को अपूर ् ण होने के लिये सिखाते हैँ, और हम उन ् हें यह लाभ उठाने में मदद, जवान औरतेँ जो बहादूर हैँ उनका हम एक संचलन का निर ् माण कर रहे हैँ और जो खुद के लिये और हम में से हर एक के लिए एक बेहतरीन दुनिया का निर ् माण कर रहे हैँ | शुक ् रिया | (तालियाँ) शुक ् रिया | क ् रिस एंडरसन: रेश ् मा, शुक ् रिया | ये आपका एक शक ् तिशाली द ् रुष ् टिकोण है | बताइयेये कैसा चल रहा है | आप के कार ् यक ् रम मेँ कितने लडकियाँ लिप ् त हैँ? रेश ् मा सुजानी: जी हाँ | २०१२ मेँ, हम ने २० लडकियोँ को सिखाया | इस साल हम ४०००० को सिखायेंगे सभी ५० राष ् ट ् रोँ मेँ | (तालियाँ) और ये संख ् या बहुत ही शक ् तिशाली है, क ् योँ कि पिछले साल हम ने सिर ् फ ७५०० महिलाओँ को कम ् प ् यूटर सैंस मेँ स ् नातक किया | जैसे, वो समस ् या इतनी बुरी थी कि हम ने उस तरह की बदलाव जल ् दी ला सके | CA: और आप तो इस कमरे मेँ कुछ कम ् पनीस के साथ काम भी कर रहे हैँ, जो आप के कार ् यक ् रम से स ् नातक का स ् वागकर रहे हैँ? RS: जी हाँ, हमारे पास लग ् भग ८० भागीदार हैँ, ट ् विट ् टर से लेके फेस ् बुक तक अडोब के लिये आईबीयम के लिये मैक ् रोसाफ ् ट ् के लिये पिक ् सर के लिये डिस ् नी के लिये, मेरा मतलब, हर एक कम ् पनी जो वहाँ है | और अगर आप साइन नही किया, मैँ आप को ढूँढूँगी, हमेँ हर एक टेक कम ् पनी चाहिये लडकियोँ को एम ् बेड करने के लिये जो अपने आफीस मेँ कक ् ष ् या का कोड करते | CA: और आप के पास उन कम ् पनीस से कुछ कहाँनियाँ हैँ कि आप जब इनजिनीरिंग टीम ् स मेँ अधिक लिंग संतुलित मिश ् रण करेंगे अच ् छे बातेँ होते हैँ | RS: महान बातेँ होते हैँ | मेरामतलब है, कि मुझे ये पागल लगता ये विषय सोचते हुये कि उपभोक ् ता खरीदोँ मेँ ८५ प ् रतिशत महिलायँ करते हैँ | महिलायेँ सामाजिक मीडिया को पुरुषोँ स ६०० प ् रतिशत ज ् यादा रेट मेँ इस ् तेमाल करते हैँ | हम इंटर ् नेट को अपनाते हैँ, और हम लोगोँ को कल के कम ् पनीस का निर ् माण करना चाहिये | मैँ सोचती जब कम ् पनीस के पास अनेक टीम ् स होंगे, और उनके पास अद ् भुत महिलायेँ जो उनके इनजिनीरिंग टीम ् स के हिस ् सा होंगे, CA: रेश ् मा, आप ने वहाँ का प ् रतिक ् रिया देखा आप बहुत ही महत ् वपूर ् ण काम कर रहे हैँ | याहाँ पूरी समुदाय आप पर जयकार करता है । आप को और शक ् ती मिले | शुक ् रिया | RS: शुक ् रिया | (तालियाँ) मैं आजकल गति और जीवन ् तता के साथ बहुत काम कर रहा हूँ, और मैं एक पुराना डीजे और एक संगीतकार भी हूँ । इसलिए संगीत के चलचित ् र मुझे हमेशा दिलचस ् प लगते हैं, परन ् तु वो हमेशा प ् रतिक ् रियाशील प ् रतीत होते हैं । इसलिए मैं सोच रहा था, क ् या आप हमें रचियता ना बना कर और संगीत को ही आवाज़ बनाने की कोशिश कर सकते हैं और जीवन ् तता इसका अनुकरण करे? दो रूपकारों, तोल ् गा और करिसटीना, के साथ मिलकर मैंने ऑफिस में एक गाना चुना — आप सब में काफी लोग इसे शायद जानते होंगे । यह लगभग 25 साल पुराना है गाना है, और यह डेविड ब ् य ् रने और ब ् रियन एनो हैं — और हमने यह छोटी सी जीवन ् तता की । और मैं सोचता हूँ की यह दिलचस ् प भी हो सकता है, कि यह दो जटिल मुददों से जुड़ा है, जो बढ़ता हुआ पानी और धरम हैं । गाना: "" िबफोर गोड डिस ् टरोएड द पीपल अॅन द अर ् थ "" नोआह को बड ़ ा जहाज़ बनाने की चेतावनी दी थी । और जब नोआह ने बड ़ ा जहाज़ बना लिया, मुझे यकीन है की भगवान ् ने नोआह को लोगों को चेतावनी देने की लिया कहा था कि उन ् हें अपने सभी दुष ् ट तरीके बदलने पड़ेंगे इससे पहले की वो यहाँ आ कर उन ् हें नष ् ट करें । और जब नोआह ने बड ़ ी जहाज़ बना ली, मैं समझता हूँ की कोई एक गीत चिल ् लाने लगा । और मैं ऐसा समझता हु कि यह गाना ऐसे चलने लगा । और जब नोआह ने बड ़ ी जहाज़ बना ली.... चलते रहो... वास ् तव में.. चिंता है.. और जब वो थक गए, अँधेरा हो गया और बारिश आ गयी; वो ऊब गए और थक गए । और तब उसने एक बुजुर ् ग औरत के घर का दरवाज़ा खटखटाया । और एक बुजुर ् ग औरत दरवाज़े पे आई और बोली, "" कौन है? "" जैक ने कहा, "" मैं, मामा-सान, क ् या हम यहाँ रात व ् यतीत कर सकते है? क ् योंकि हम घर से बहुत दूर हैं, हम बहुत थके हुए हैं । "" और बुजुर ् ग औरत ने कहा, "" हाँ, अन ् दर आ जाईऐ । अँधेरा हो गया हैं और बारिश भी आ गयी है, यह आपको ऊबाऊ और थका हुआ बना देगी । (तालियाँ) बचपन में मुझे कार बहुत पसंद थी | जब मैं 18 का हुआ, तब मैंने अपने सबसे अच ् छे मित ् र को सड़क दुर ् घटना में खो दिया | इस तरह | तब मैंने निश ् चय किया कि मैं अपना जीवन सालाना 10 लाख लोगो के जीवन को बचाने में समर ् पित करूँगा | मैं अभी तक सफल नहीं हुआ हूँ, यह केवल प ् रगति का विवरण है, लेकिन मैं यहाँ आपको स ् वचालित कार के बारे में थोडा बहुत बताऊंगा | मैंने सबसे पहले यह विचार DARPA प ् रतियोगिता में देखा जिसमे US सरकार ने इनाम की घोषणा की ऐसी स ् वचालित कार बनाने के लिए जो रेगिस ् तान में चल सके | वहाँ सौ से भी ज ् यादा समूह होने के बावजूद भी, ऐसी कार नहीं बन सकी | तो हमने स ् टानफोर ् ड (Stanford) में एक अलग स ् वचालित कार बनाने का निर ् णय लिया | हमने हार ् डवेयर और सॉफ ् टवेयर बनाया | इसे हमने सिखाया और रेगिस ् तान में आज़ाद छोड़ दिया | और फ ़ िर अकल ् पनीय घटना हुई यह पहली कार बनी जो DARPA प ् रतियोगिता में सफल हुई और स ् टानफोर ् ड के लिए 20 लाख डालर जीते | हाँ, अभी तक मैं कोई जीवन नहीं बचा पाया क ् युकि हम केन ् द ् रित थे ऐसी कार बनाने जो खुद से कही भी जा सके केलिफोर ् निया के किसी भी सड़क पर | हम इसे 140,000 मील चला चुके हैं | हमारी कार में सेंसर (Sensor) लगे हैं जो जादुई रूप से अपने आसपास सब देख सकते हैं और गाड़ी चलाने के बारे में कोई भी निर ् णय ले सकते हैं यह गाड़ी चलाने की आदर ् श प ् रक ् रिया है | हमने इसे शहरो में चलाया है जैसे यहाँ पर सैन फ ् रांसिस ् को में हमने इसे हाईवे 1 पर सैन फ ् रांसिस ् को से लॉस एंजेलेस तक चलाया है हमारा सामना हुआ है लोगो से, व ् यस ् त हाईवे से, टोल नाके से, और बिना किसी व ् यक ् ति के भागीदारी के इस कार ने खुद को चलाया है | असल में जब हमने इसे 140,000 मील चलाया इस पर किसी का ध ् यान भी नहीं गया | पहाड़ी रास ् ते, दिन और रात, यहाँ तक कि सैन फ ् रांसिस ् को के क ् रुकड लोम ् बारड स ् ट ् रीट पर भी | (हंसी) कभी कभी हमारी कार पागल भी हो जाती है, वो थोड ़ े करतब भी दिखाती है | (वीडियो) आदमी: हे भगवान, क ् या? दूसरा आदमी: ये खुद ही चल रही है | सेबस ् टियन थरन: मैं अपने दोस ् त हेरोल ् ड (Harold) को वापस नहीं ला सकता, लेकिन मैं कुछ कर सकता हूँ उन सभी के लिए जो मर चुके हैं | क ् या आपको पता है सड़क दुर ् घटनाये जवान लोगो के मृत ् यु का सबसे बड ़ ा कारण हैं? और क ् या आपको इस बात का अहसास है कि लगभग सारी दुर ् घटनाएं मानवीय भूल के कारण होती हैं ना कि मशीनी त ् रुटि के कारण, और क ् या ये मशीनों से रोकी जा सकती हैं? क ् या आपको एहसास है कि हम हाईवे की क ् षमता दो या तीन गुना बढ ़ ा सकते हैं अगर हम रास ् ते पर रहने के लिए मानवीय योग ् यता पर निर ् भर ना रहें तो — गाड़ी की स ् थिति को बेहतर बना सकते हैं और इस तरह एक दुसरे के करीब रहते हुए गाड़ी चला सकते हैं थोड ़ े सकरे रास ् तों पर, और हाईवे में होने वाले ट ् रैफिक जाम से मुक ् ति पा सकते हैं? क ् या आपको एहसास है, आप TED श ् रोतागण सामान ् यत: हर दिन 52 मिनट ट ् रैफिक में बिताते हैं, रोज आने जाने में समय बर ् बाद करते हैं? आप इस समय को वापस पा सकते हैं | अकेले इस देश में 400 करोड ़ घंटे व ् यर ् थ चले जाते हैं | और 240 करोड ़ गैलन ईंधन भी बर ् बाद होता है | मैं सोचता हु यहाँ एक संभावना है, एक नयी तकनीक की, मैं आने वाले एक ऐसे समय की उम ् मीद करता हूँ जब हमारी आने वाली नस ् ले हमे देखेंगी और कहेगी कि इंसान कितनी बुरी तरह से गाड़ी चलाते थे | धन ् यवाद (अभिवादन) मैं आपके लिये लाया हूँ एक संदेश दसियों हज़ार लोगों का, गाँवों और झुग ् गियों से, देश के ह ् रदय से, जिन ् होंने समस ् याओं को सुलझाया है अपनी खुद की बेमिसाल सोच से, बिना किसी बाहरी मदद के । हमारे गृह-मंत ् री ने अभी कुछ हफ़ ् ते पहले ही लडाई छेड दी करीब एक-तिहाई भारत के साथ, लगभग २०० ऐसे ज़िलों के नाम ले कर, जिन ् हें वो शाषन के काबिल ही नही समझते, वो सच ् चाई को बिलकुल भूल ही गये । ऐसी सच ् चाई जिसे हम सामने ला रहे हैं पिछले २१ वर ् षों से और वो सच ् चाई है कि लोग भले ही रूप से गरीब हों, वो दिमागी रूप से गरीब नहीं हैं । दूसरे शब ् दों में, गरीबी में गुज़र-बसर करने वाला मष ् तिश ् क सोच से गरीब नहीं होता है । यही वो संदेश है, जिसका प ् रसारण हमने ३१ साल पहले शुरु किया था । और इससे हुआ क ् या? चलिये, मैं आपको अपनी जीवन-यात ् रा के बारे में बताता हूँ, जो मुझे यहाँ तक ले कर आई है । ८५ से ८६ तक मैं बाँगलादेश में था वहाँ की सरकार और शोध-समिति के सलाहकार के रूप में कैसे वैज ् ञानिक काम करें ज़मीन से जुड कर, गरीब लोगों के साथ मिल कर और कैसे शोध-आधारित तकनीकें विकसित की जायें, जो कि आम लोगों के ज ् ञान पर आधारित हों । मैं ८६ में वापस आ गया । मुझ में एक शक ् तिशाली नव-चेतना का संचार हो चुका था उस देश में मौजूद ज ् ञान और रचनात ् मक ् ता को देख कर, जहाँ कि ६० प ् रतिशत लोगों के पास ज़मीन तक नहीं है । लेकिन अद ् भुत रचनात ् मकता की कोई कमी नहीं है । मैने अपने काम पर गौर करना शुरु किया । वो सारा काम जो कि मैनें पिछले दस वर ् षो में किया था, लगभग हर बार, मैनें लोगों के पारम ् परिक ज ् ञान का इस ् तेमाल किया था जो के लोगों ने बेझिझक बाँटा था । और तो और, मुझे सलाहकार के रूप में, बहुत पैसे मिलते थे, फिर मैनें अपने आयकर पर ध ् यान दिया और स ् वयं से ये सवाल पूछा - "" मेरे आयकर में से कितना हिस ् सा उन लोगों के भले के लिये खर ् च हुआ है जिन ् होंने मुझसे अपना ज ् ञान बाँटा था, और मेरे काम को संभव बनाया था? "" क ् या मैं इतना होनहार था कि मुझे ये पुरस ् कार मिल रहा था? या कि मैं बहुत अच ् छा लिखता था इसलिये? या फ़िर इसलिये कि मैं अपनी बात ढँग से कह पाता था? हो सकता है इसलिये कि मैं आँकलन में माहिर था? या फिर केवल इसलिये कि मैं एक प ् रोफ़ेसर था, और इस नाते मेरे प ् रति समाज की कुछ ज़िम ् मेदारियाँ थीं? मैनें स ् वयं को समझाने का प ् रयत ् न किया, "" नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, मैंने नीति-परिवर ् तन के लिये कार ् य किया है । जिससे कि नीति ऐसे हो जायेगी कि गरीबों के प ् रति संवेदनशीलता बढेगी, और इसलिये, मैने सोचा कि सब ठीक है । "" मगर साथ ही मुझे ये भी आभास हुआ कि इतने सालों से मैं शोषण के खिलाफ़ ही तो काम कर रहा था, जमींदारों द ् वारा शोषण, साहूकारों द ् वारा, व ् यापारियों द ् वारा, इससे मुझे ये लगा कि कहीं ना कहीं मैं भी एक शोषणकर ् ता ही हूँ, क ् योंकि मेरी आय का कोई भी भाग उन लोगों तक नहीं पहुँच रहा था जिनके ज ् ञान के फलस ् वरूप ये आय हुई थी, उन लोगों तक जिन ् होंने अपने ज ् ञान के भंडार को, और अपने विश ् वास को मुझे सौंप दिया था, कुछ भी उन लोगों तक वापस नहीं पहुँचा । यहाँ तक कि, मेरे काम का ज ् यादातर भाग उस समय तक अँग ् रेज़ी भाषा में था । जिन लोगों से मैने सीखा था, उनमे से अधिकांश अँग ् रेज़ी नहीं जानते थे । तो मै किस प ् रकार से अपना योगदान दे रहा था? मैं समाजिक न ् याय की बात कर रहा था, और वास ् तव में, मैं एक पेशेवर था जो कि हद दर ् ज़े का अन ् यायपूर ् ण काम कर रहा था, भले-पूरे लोगों के ज ् ञान को ले कर उनका वज़ूद ख ् त ् म कर के, उस ज ् ञान के सहारे पैसे कमा कर, उसे बाँट के, सलाह दे कर, ज ् ञातपत ् र लिख कर, छपवा कर, बढिया सम ् मेलनों मे आमंत ् रित हो कर, और पैसा और नये कामों को पा कर, और भगवान जाने क ् या क ् या कर के । ये सोच कर मेरे दिमाग में एक दुविधा उठ खडी हुई, कि यदि मैं शोषण ही कर रहा हूँ, तो ये ठीक नहीं है; जीवन ऐसे नहीं चल सकता । और ये क ् षण मेरे लिये पीडादायक था क ् योंकि मैं उस तरह, शोषणकर ् ता का जीवन नहीं बिता सकता था । तो मैंने फिर से समझना शुरु किया, सामाजिक-विज ् ञान में निहित मूल ् यों की लडाई और नैतिक विरोधाभासों को, और करीब १०० से भी अधिक ज ् ञातपत ् र पढे और लिखे । और मैं इस नतीज़े पर पहुँचा कि, मेरी दुविधा मुझे अकेले की नहीं है, लकिन इस दुविधा का समाधान खास होना चाहिये । और एक दिन - ना जाने क ् या हुआ कि - दफ़ ् तर से वापस आते समय मैनें एक मधुमक ् खी देखी, और तत ् क ् षण मुझे लगा, कि क ् यों न मैं इस मधुमक ् खी जैसा बन जाऊँ, जीवन कितना खुशनुमा हो जाएगा । मधुमक ् खी क ् या करती है: परागण की प ् रक ् रिया में मदद, एक फूल का पराग ले कर, दूसरे फूल तक पहुँचाना, जिससे परागण हो सके । और जब वो पराग लेती है, फूलों को ठगा हुआ सा महसूस नहीं होता । बल ् कि, फूल उल ् टा मधुमक ् खी को अपनी ओर आकर ् षित करते हैं । और मधुमक ् खियाँ सारा शहद भी सिर ् फ़ अपने लिये ही बचा कर नहीं रखती हैं । "" हनी बी नेटवर ् क "" के तीन मूल सिद ् धान ् त हैं — कि जब भी हम लोगों से कुछ सीखेंगे, उसे उनके साथ उनकी ही भाषा में बाँटेंगे । उनके वजूद को गुप ् त नहीं रखेंगे । और मैं आपको बताऊँ, कि बीस साल बाद भी, मैनें एक प ् रतिशत भी इस सिद ् धान ् त को कार ् यान ् वित नहीं कर पाया है । ये एक दुखद सत ् य है जिसे मैं आज भी ढो रहा हूँ, और मैं चाहूँगा कि आप सब इस बात को फैलायें, कि हमारा पेशा आज भी इस बात को नज़रअंदाज़ करता है कि लोगों का ज ् ञान बिना उन ् हें कोई पहचान दिये इस ् तेमाल होता है, और उनके वजूद का खात ् मा करता है । अमरीकी राष ् ट ् रीय साइंस अकादमी के दिशा-निर ् देश या ब ् रिटिश शोध समिति के, या कि भारतीय विज ् ञान शोध समिति के, ये मुकम ् मल नहीं करते हैं कि जब भी आप लोगों से सीखें, आप उनके साथ वापस बाँटें । और हम बात कर रहें हैं जिम ् मेदार समाज की, जो कि न ् यायपूर ् ण और बराबरी पर आधारित है । और ज ् ञान-क ् षेत ् र में न ् याय नहीं करते हैं । भारत ज ् ञान-आधारित समाज के रूप में अपने पहचान बनना चाहता है । कैसे भारत ऐसा कर पायेगा? ज़ाहिर है, कि आप न ् याय के दो सिद ् धान ् त नहीं अपना सकते, एक अपने लिये और एक बाकी सब के लिये । एक ही सिद ् धान ् त बनाना होगा । आप पक ् षपात नहीं कर सकते हैं । आप केवल अपने मूल ् यों के पक ् ष में नहीं सोच सकते हैं, जो कि उन सिद ् धान ् तों से दूर है, जिनका पालन दूसरे लोग करते हैं । न ् यायपूर ् णता एक के लिये कुछ और, और दूसरे के लिये कुछ और नहीं हो सकती है । इस तस ् वीर को देखिये । क ् या आप बता सकते है कि ये कहाँ से ली गयी है, या इसे क ् यों लिया गया है, कोई बताना चाहेगा? देखिये मैं एक शिक ् षक हूँ, मुझे पूछ ् ने का पूरा अधिकार है । कोई भी? कोई तीर-तुक ् का? माफ़ कीजिये? (दर ् शक: राजस ् थान) । अनिल गुप ् ता: मगर इसे किसलिये इस ् तेमाल किया गया है? (फुसफुसाहट) माफ़ कीजिये? शायद आपका जवाब पूरी तरह से ठीक नहीं है । इनका अभिवादन करना चाहिये । क ् योंकि इन ् हें पता है कि हमारी सरकार कितनी संवेदनाहीन है । देखिये इसे । ये भारत सरकार का साइट है । और ये पर ् यटकों को आमंत ् रित कर रहा है हमारे देश के शर ् मनाक पहलुओं को देखने के लिये । मैं ऐसा कहने के लिये माफ़ी चाहता हूँ । ये एक सुंदर चित ् र है — या फ़िर ये एक बेहद खराब चित ् र है? ये इस बात पर निर ् भर करता है कि आप लोगों के जीवन पर क ् या नज़रिया रखते हैं । इस औरत को अपने सर पर पानी ढोना पडता है मीलों तक, दूर दूर तक, और ये बात उत ् साहित हो कर बताने लायक नहीं है । हमें इसके लिये कुछ करना होगा । और मैं आपको बता दूँ, कि विज ् ञान और तकनीक के इतने विकास के बावजूद, दसियों लाख औरतें आज भी सर पर इसी तरह पाने ढो रही हैं । और हम ये प ् रश ् न ही नहीं उठाते । आपने आज सुबह चाय तो पी ही होगी । एक मिनट के लिये सोचिये । चाय की पत ् तियाँ, झाडियों से तोडी गयी पत ् तियाँ । आपको पता है कि यहाँ क ् या हो रहा है? एक औरत कुछ पत ् तियोँ को तोड कर, उन ् हें अपनी पीठ पर टँगी डलिया में डालती है । केवल इसे काम को दस बार कर के देखिये; और आपको अपने कंधे में दर ् द महसूस होगा । और वो औरत हजारों हजार बार यही दोहराती है हर दिन जो चावल आपने आज खाया, या खायेंगे उसे औरतें ही रोपित करती है एक बेहद अजीब ढँग से झुक कर, दसियों लाख औरतें, हर साल धान के मौसम में, जब वो धान रोप रही होती है, अपने पाँव पाने में डाल कर, तो उनके पाँवों में फफूँदी लग जाती है, संक ् रमण हो जाता है । और उसमें दर ् द होता है क ् योंकि कीडे खास वहीं पर काटते हैं । और हर साल, ९९.९ प ् रतिशत धान हाथ से ही लगाया जाता है । कोई मशीन नहीं बनाई गयी है इस काम के लिये । और इस बारे में वैज ् ञानिकों की चुप ् पी, तकनीशियनों और नीति बनाने वालों का दम साध लेना, बदलाव जिन ् हें लाना है, उनके चुप रहने ने हमारा ध ् यान आकर ् षित किया कि समाज का ये ढँग बिलकुल सरासर गलत है । देखिय, हमारा संसद ऐसा नहीं कर सकता । हमारे पास रोजगार के लिये एक योजना है । इसके तहत २५ करोड लोगों को साल में १०० दिन का रोजगार देने के लिये हमारा देश वचनबद ् ध है । लेकिन कैसा रोजगार? पत ् थर तोडना, गड ् ढे खोदना । तो हमने अपनी सरकार से एक सवाल पूछा, कि, क ् या गरीब लोगों के पास दिमाग नहीं होता है? क ् या गरीब लोगों के पास सिर ् फ़ मुँह और हाथ होते है, मगर दिमाग गायब होता है? इसलिये हनी बी नेटवर ् क उन संसाधनों को बढावा देता है जिनमें गरीब जनता सक ् षम है । और इससे क ् या हुआ? अन ् जान, अनाम व ् यक ् ति नेटवर ् क से जुडा और उसने एक पहचान पाई । यही हनी बी नेटवर ् क का काम है । और ये नेटवर ् क स ् वेच ् छा से आगे बढा है, स ् वेच ् छा पर ही आगे बढ रहा है, और इसने करोडों लोगों के दिमाग को पढा है, अपने देश में और विश ् व के अनेक भागों मे, जहाँ भी रचनात ् मक ् ता है । ये रचनात ् कमक ् ता शिक ् षा के संदर ् भ में हो सकती है; या फिर संस ् कृति से जुडी हो सकता है कि ये संस ् थानों से जुडी हो, पर काफ़ी सारा काम तकनीकी रचनात ् मक ् ता से जुडा मिला है, नये प ् रयोगों से, चाहे वो आज के प ् रयोग हों, या फिर पारंपरिक ज ् ञान पर आधारित । और ये सब शुरु होता है जिज ् ञासा से । केवल जिज ् ञासा से । एक व ् यक ् ति, जो हमें मिले, और जिन ् हें देख सकेंगे वेबसाइट www.sristi.org पर, ये एक जनजातीय व ् यक ् ति हैं, उनकी एक इच ् छा थी । और उन ् होंने कहा, "" यदि मेरी इच ् छा पूर ् ण होती है "" — कोई वहाँ बीमार था, और ये उसकी देखभाल कर रहे थे — "ईश ् वर, इन ् हें अच ् छा कर दो ।" और यदि ये अच ् छे हो गये, तो मैं अपनी दीवार रँग दूँगा । "" और एसे उन ् होंने अपनी दीवार पर रोगन किया । कल किसी व ् यक ् ति ने मास ् लोवियन वर ् गीकरण की बात की थी । उससे ज ् यादा गलत कुछ हो ही नहीं सकता है । उससे ज ् यादा गलत कुछ हो ही नहीं सकता है । क ् योंकि इस देश में गरीब लोगों के लिये ज ् ञान के द ् वार खुले हैं । कालवी, रहीम, और सारे महान सूफ़ी संत, सब गरीब थे, मगर उनके पास सुलझी हुई सोच थी । कृपया ऐसा कभी मत सोचिये कि केवल जब आप अपनी शारीरिक और आर ् थिक ज़रूरतें पूरे कर लेंगे, तब ही जा कर आप अपनी आध ् यातमक ज़रूरतों के बारे में सोचेंगे । कोई भी व ् यक ् ति कहीं भी इस काबिल है कि वो अपनी उपलब ् धियों के चरम पर पहुँचे, केवल यदि वो ठान ले कि उसे कुछ पाना है । इस पर ध ् यान दीजिये । हमें शोध यात ् रा में ये देख ् ने को मिला । हर छठे महीने हम पदयात ् रा करते हैं देश के विभिन ् न भागों में । मैने पिछले १२ सालों में करीब ४४०० कि.मी. की यात ् रा पद-यात ् रा की है । और इस दौरान, हमने गोबर के उपले देखे, जो कि ईंधन की तरह इस ् तेमाल होते है । इस स ् त ् री ने, उपलों के ढेर की दीवार पर चित ् रकारी की है । इसके पास यही इकलौती जगह है जहाँ ये अपनी रचनात ् मक ् ता को अभिव ् यक ् त कर सके । और ये स ् त ् री बेहतरीन कलाकार है । एक और स ् त ् री, राम तिमारी देवी, अनाज़ के ढेर पर, चम ् पारन में शोध-यात ् रा के दौरान वहाँ चलते समय, उस भूमि पर जहाँ गाँधीजी गये थे दुख, दर ् द सुनने नील की खेती करने वालों का भाभी महतो, पुरिलिया, बनकुरा से । देखिये इन ् होंने क ् या किया है । ये पूरी दीवार इनका चित ् रपटल है । और ये वहाँ एक झाडू ले कर बैठी हैं । ये कारीगर हैं या कि एक कलाकार? बिलकुल ये एक कारीगर हैं, एक रचनात ् मक व ् यक ् ति । यदि हम इन कलाकारों के लिये बाज़ार बना सकें, तो हमें इनसे गड ् ढे खुदवाने और पत ् थर तोडने के काम नहीं करवाने होंगे । उन ् हें उस चीज़ के लिये पैसे दिये जाएँगे जिसमें वो पारंगत है, उसके लिये नहीं जो उन ् हें नहीं आता । अभिवादन देखिये, रोज़ादीन ने क ् या किया है । मोतिहारी, चम ् पारन में, कई लोग हैं जो छोटे-मोटे ढेलों पर चाय बेचते हैं और ज़ाहिर है, कि चाय की बाज़ार सीमित है, हर सुबह आप चाय पीते है, और कॉफ़ी भी । तो उसने सोचा, कि क ् यों न मैं एक प ् रेशर-कुकर को कॉफ़ी मशीन में बदल दूँ । तो ये रही आपकी कॉफ़ी मशीन, जो कि सिर ् फ़ कुछ सौ रुपये में उलपब ् ध है । लोग अपना कुकर ले कर आते हैं, रोज़ादीन उसमें एक वाल ् व और भाप की एक नली जोड देता है, और अब वो आपको एस ् प ् रेसो कॉफ़ी मुहैया करवाता है । और देखिये, ये सब वास ् तविक है, और जेब-खर ् च के भीतर कॉफ़ी मशीन जो कि गैस पर काम करती है । अभिवादन देखिये शेख़ जहाँगीर का कमाल । कई गरीब लोगों के पास इतना अनाज़ नहीं होता है कि वो उसे पिसवाने जायें । तो जहाँगीर क ् या करते हैं कि आटा पीसने की एक चक ् की को एक दुपहिया वाहन पर ले कर आते हैं । अगर आपके पास ५०० ग ् राम, या एक किलो अनाज़ है, तो वो आपके लिये उसे पीस देगा; चक ् कीवाला इतने कम अनाज़ को नहीं पीसेगा । कृपया गरीब लोगों के समस ् या को समझिये । उनकी आवश ् यकताएँ हैं जिन ् हें रूप से पूरा करना है बिजली, कीमत, गुणवत ् ता आदि को ध ् यान में रख कर । उन ् हें खराब स ् तर के उत ् पाद नहीं चाहिये । लेकिन अच ् छी क ् वालिटी के उत ् पाद बनाने के लिये आपको अपनी तकनीक को उनके अनुसार बदलना होगा । और यही शेख़ जहाँगीर ने किया । पर ये काफ़ी नहीं है । यहाँ देखिये क ् या हुआ है । अगर आपके पास कपडे हैं, मगर उन ् हें धोने का समय नहीं है, तो वो आपके लिये वाशिंग-मशीन लाये हैं ठीक आपके दरवाजे पर, दुपहिया वाहन पर लगी हुई । ये एक ढाँचा है जो कि दुपहिया वाहन पर... वो आपके दरवाजे पर आपके कपडे धो और सुखा रहा है । (अभिवादन) आप अपना पानी लाइये, साबुन दीजिये । मैं आपके कपडे धो देता हूँ, पचास पैसे या एक रुपये में एक गट ् ठर । व ् यवसाय का एक नया प ् रारूप निकल सकता है । और ये ही हमें चाहिये । और इसके आगे, वो लोग जो कि इसे कई गुना बडे स ् तर पर कर सकें । आगे देखिये । ये एक सुंदर तस ् वीर है । पर ये क ् या है? कोई पहचान सकता है? भारतीयों को तो पता ही होगा । ये एक तवा है । मिट ् टी से बना हुआ तवा । देखिये, इसकी खासियत क ् या है? जब आप नॉन-स ् टिक तवा लेते हैं, तो उसकी कीमत आती है, करीब २५० रुपये, पाँच, छः डॉलर । और ये एक डॉलर से कम का है । और ये भी 'नॉन-स ् टिक' है । इस पर परत चढाई गयी है खाद ् य-स ् तर के पदार ् थ की । और सबसे बढिया बात ये है कि, जब आप महँगा नॉन-स ् टिक तवा इस ् तेमाल करते हैं, तो आप टेफ़ ् लान या टेफ़ ् लान जैसे पदार ् थ को खाते हैं । क ् योंकि कुछ दिन बाद वो गायब हो जाता है. और वो कहाँ जाता है? आपके पेट में । वो आपके पेट में जाने लायक नहीं है । और देखिये, इस मिट ् टी के तवे में, वो कभी भी आपके पेट में नहीं जाएगा, तो बेहतर है, सुरक ् षित है; जेब-खर ् च के भीतर है; और सीमित ऊर ् जा से बनता है । दूसरे शब ् दों में, ज़रूरी नहीं कि गरीबों के लिये बनाये गये उत ् पाद घटिया हों, या फ़िर सिर ् फ़ जुगाड कर के किसी तरह बना दिये गये हों । उन ् हें तो बेहतर होना होगा, और ज ् यादा गुण ् वत ् ता परक होना होगा, उन ् हें सस ् ता होना होगा । और बिलकुल यही मनसुख प ् रजापति ने कर दिखाया है । उन ् होंने ये हत ् था-लगी प ् लेट बनाई है । और अब आप एक डॉलर में एक बेहतर चीज पा सकते हैं बाज़ार में उपलब ् ध चीज़ों से बेहतर । इन महिला को देखिये, इन ् होंने वनस ् पति पर आधारित कीटनाशक बनाया है । हमने इस के लिये पेटेंट की अर ् ज़ी दी है, नेशनल इन ् नोवेशन फ़ाउन ् डेशन में । और क ् या पता एक दिन, कोई इस तकनीक का लाइसेंस ले कर बाजार के लायक उत ् पाद बनाये, और इस महिला को पैसे मिलें । एक बात कहनी यहाँ बहुत ज़रूरी है । मेरे हिसाब से हमें विकास का बहु-केन ् द ् रीय ढाँचा बनाना होगा, जहाँ कई प ् रयास देश के विभिन ् न भागों में और विश ् व के विभिन ् न भागों में, स ् थानीय समस ् याओं का निदान कर रहे हों सुचारु और अनुकूलित तरीकों से । जितना ही स ् थानीय जुडाव होगा, उतना ही ज ् यादा संभव होगा इसे आगे बढाना । और आगे बढने में एक स ् वाभाविक विशिष ् टता है कि वो स ् थानीय स ् वाद से परे होती जाती है, धीरे धीरे जैसे जैसे आप अपनी पूर ् ति बढाते हैं । तो लोग इस बात को स ् वीकार करने को तैयार क ् यों हैं? देखिये चीज़ें आगे बढ सकती हैं, और बढी भी हैं । मिसाल के तौर पर, मोबाइल फोन: हमारे देश में ४० करोड मोबाइल फ़ोन हैं । हो सकता है कि मैं अपने फोन के सिर ् फ़ दो ही बटन इस ् तेमाल करता हूँ, और फोन की सिर ् फ़ तीन ही सुविधाएँ इस ् तेमाल करता हूँ । उसमें ३०० सुविधाएँ हैं; मैं ३०० सुविधाओं की कीमत चुकाता हूँ, लेकिन सिर ् फ़ तीन इस ् तेमाल करता हूँ । लेकिन मैं इसके लिये तैयार हूँ, और इसलिये, ये आगे बढ सका है । लेकिन अगर मुझे खास अपने लिये एक फोन चाहिये होता, तो जाहिर है, कि मुझे एक अलग नमूने का फोन लेना पडता । तो हम ये कहना चाह रहे हैं कि विशाल बनने के चक ् कर में चीज़ें ख ् त ् म नहीं हो जानी चाहियें । दुनिया में एक स ् थान होना चाहिये सिर ् फ़ स ् थानीय-संदर ् भ के समाधानों के लिये, फ़िर भी, उन पर पैसा लगाया जा सके । हमने एक बडे परीक ् षण में पाया कि कई बार निवेशक ये सवाल पूछते हैं — "इस युक ् ति के विशाल हो पाने की संभावना क ् या है?" जैसे कि समाज की वो ज़रूरतें जो कि खास समय और जगह के लिये है और केवल स ् थानीय ज़रूरतें हैं, उन ् हे मुफ़ ् त पाने का किसी को कोई अधिकार ही नहीं है, बस इसलिये कि वो प ् रचुर मात ् रा में विशालता प ् राप ् त नहीं कर सकते । तो या तो आप अपनी ज़रूरतों को बदल डालिये या चुपचाप खेल से बाहर खडे रहिये । लेकिन प ् रतिष ् ठित ढाँचा (लाँग-टेल मॉडल) ये बताता है कि थोडा विक ् रय, उदाहरण के लिये, कई सारी किताबें अगर थोडी थोडी बिकें, भी व ् यावसायिक रूप से साध ् य होगा । और हमें वो तरीका ढूँढना होगा जिसमें कि लोग एक साथ मिल कर आगे आयें, और निवेश कर पायें, जहाँ अलग अलग नये प ् रयोग कम लोगों के पास उनके अपने स ् थानों पर जाएँ, और तब भी, ये सब व ् यावसायिक रूप से सुकर रहे । देखिये यहाँ क ् या हो रहा है । सैदुल ् ला साहिब गजब के व ् यक ् ति हैं । ७० बरस की उम ् र में, ये कुछ बेहद रचनात ् मक कर रहे हैं । (संगीत) सैदुल ् लासाहिब: मुझसे नाव का इंतज़ार नहीं होता था । मुझे अपनी माशूका से मिलना ही था । इस इश ् क ने ही मुझे अविष ् कारक बना डाला । मोहब ् बत को भी तकनीक से सहारा चाहिये । ये नये प ् रयोग मेरी बेग़म नूर का हक़ है । नये अविष ् कार मेरे जीवन की साथ हैं । मेरी तकनीक । (अभिवादन) अनिल गुप ् ता: सैदुल ् लासाहिब भी चम ् पारन, मोतिहारी के ही गजब के इंसान हैं, और आज भी, उम ् र की इस दहलीज़ पर, साइकिल पर शहद बेच कर गुज़ारा करते हैं क ् योंकि हम ये वाटर-पार ् क वालों, झील वालों इत ् यादि को ये समझा नहीं सके । और हम अग ् निशमन विभाग के लोगों को ये समझा नहीं सके मुम ् बई में, जहाँ कुछ साल पहले बाढ आयी थी, और लोगों को बीस बीस कि.मी. तक पानी में चल कर जाना पडा था, कि, देखिये, आपके अग ् निशमन केंद ् र में ये साइकिल होनी चाहिये, क ् योंकि ये आपको उन गलियों मे ले जाएगी जहाँ आपकी बसें और बडे वाहन नहीं जा पाएँगे । तो हमने अभी तक इस समस ् या को नहीं सुलझाया है कि कैसे इसे हम बचाव-कार ् य के उपयुक ् त बनायें, या फ़िर फेरी लगाने के लिये इस ् तेमाल करें पूर ् वी भारत की बाढों के दौरान, जब आपको चीज़ें पहुँचानी होती है, अलग अलग टापुओं पर, जहाँ लोग अटके पडे होते हैं । मगर इस अविष ् कार में दम है: बिलकुल दम है । देखिये अप ् पचन ने क ् या किया है! अप ् पचन, दुर ् भाग ् यवश, इस दुनिया में नहीं हैं, मगर अपना संदेश छोड कर गये हैं, एक शक ् तिशाली संदेश अप ् पचन: मैं रोज़ इस दुनिया को जगते हुए देखता हूँ । (संगीत) ऐसा नहीं है कि मेरे सर पर एक नारियल गिरा, और मुझे ये निदान समझ आ गया । पढाई के पैसे नहीं होने की वजह से, मैं नई ऊँचाइयों पर चढा । अब सब मुझे स ् थानीय स ् पाइडरमैन कहते हैं । मेरी तकनीक । (अभिवादन) अनिल गुप ् ता: आप में से कई लोगों के ये विश ् वास नहीं होगा कि हमने इन उत ् पादों को अंतर ् रष ् ट ् रीय बाज़ारों में भी बेचा है — इसे हम G2G कहते हैं, grassroot to global (गाँव से विश ् व-भर में) और मेसेच ् यूसेट ् स विश ् वविद ् यालय के एक प ् रोफ़ेसर ने, जीव विज ् ञान विभाग के, ये मशीन खरीगी क ् योंकि वो चाहती थीं कीटों की विविधता का अध ् ध ् यन करना पेड के ऊपर और इस उत ् पाद से ये संभव हुआ कि वो अपने नमूने ऊँचे खजूर के पेडों से ले सकें, कुछ नमूनों के मुकाबले ज ् यादा नमूने, इसके बिना उन ् हे ईंटों से मचान बनानी होती थी और फिर उनके शोध-छात ् रों को उस पर चढना होता था । तो, देखिये, हम लोग विज ् ञान को भी बढावा दे रहे हैं । रेम ् या जोस ने — - आप यूट ् यूब पर जा कर 'इन ् डिया इन ् नोवेट ् स' देखिये, और वहाँ आपको ये सब विडियो मिल जाएँगे । उस लडकी ने अद ् भुत अविष ् कार किया जब वो दसवीं में थी: वाशिंग-मशीन और कसरत की मशीन एक साथ । श ् री खरारी जो कि विकलांग हैं, केवल एक फ़ुट छः इन ् च ऊँचाई के है, पर उन ् होंने एक दुपहिये वाहन को ऐसे बदना कि वो खुद को आज़ादी, इधर-उधर जाने की क ् षमता दे सकें । ये अविष ् कार रायो (ब ् राज़ील) की झूग ् गियों से आया है । और ये व ् यक ् ति, श ् री उबिराजरा, मेरे ब ् राजील के दोस ् त हैं. प ् रश ् न है कि इसे ढाँचे को चीन और ब ् राज़ील में कैसे बडा किया जाये । और हमारे पास बडा गतिशील नेटवर ् क है, खासकर चीन में, पर हम ब ् राजील और दुनिया के और भी भागों में काम कर रहे हैं । अगले पहियों पर लगा ये स ् टैण ् ड, आपको किसी साइकिल पर नहीं मिलेगा । भारत और चीन में सबसे ज ् यादा संख ् या में साइकिलें हैं । मगर ये ईज़ाद हुई है ब ् राजील में । मुद ् दा ये है कि हम से किसी को भी देश और राष ् ट ् रीयता को ले कर इतना कडा नहीं होना चाहिये कि हम चाहें कि सारे अच ् छी योजनायें हमारे ही देश से आयें । बल ् कि, हमें तो सीखने के सर झुका कर खडा होना चाहिये, सबसे, गरीबों से, जहाँ से भी हो । और यहाँ साइकलों पर आधारित एक पूरा जमावडा है अविष ् कारों का: साइकिल जिससे छिडकाव होता है, साइकिल जो कि सडक पर लगने वाले झटकों से बिजली पैदा करती है । मैं रोड की स ् थिति नहीं सुधार सकता; लिहाजा, मैं अपनी साइकिल को ही तेज़ दौडाउँगा । यही कनक दास ने कर दिखाया है । और दक ् षिणी अफ़ ् रीका मे, हमने अपने अविष ् कारकों को वहाँ के अविष ् कारकों के साथ ज ् ञान बाँटने के लिये मिलवाया कि कैसे अविष ् कार बन सकता है एक ज़रिया आज़ादी का खराब ज़िन ् दगी से, जो लोग जी रहे हैं । ये एक गधा-गाडी है जिसे विकसित किया है । इस में एक एक ् सल लगा है, करीब, ३० से ४० किलोग ् राम का, जो कि किसी काम का नहीं था । उसे हटाया, और अब गाडी को केवल एक ही मवेशी की ज़रूरत है । ये चीन है । यहाँ इस लडकी को साँस लेने के लिये मशीन चाहिये । गाँव के इन तीन लोगों ने मिल-बैठ कर सोचने का फ़ैसला किया कि, "कैसे हम इस बच ् ची की ज़िन ् दगी को और लम ् बा बना सकेंगे?" वो उस बच ् ची से जुडे हुए नहीं थे, मगर उन ् होने ये फ़ैसला लिया, कि वाशिंग-मशीन का पाइप किस तरह से, एक साइकिल के साथ, साँस लेने के मशीन में तब ् दील हो सकता है । और इस मशीन ने जानें बचाई हैं, और वो बहुत मानी जाती है । यहाँ अविष ् कारों का मेला लगा हुआ है । ऐसे कार जो कि हवा के दबाव से चलती है छः पैसे प ् रति किलोमीटर । असम, कनक गोगोई । और आपको ये कार अमरीका या यूरोप में नहीं दिखेगी, मगर भारत में ये मौज़ूद है । और ये स ् त ् री, जो कि कताई का काम करती थी पोचमपल ् ली साडी के लिये । एक दिन में, १८००० बार, इसे ये लपेटना पडता था दो साडियाँ बनाने के लिये । ये उसके बेटे ने किया है सात साल की कोशिशों के बाद । स ् त ् री ने कहा, "" अपना पेशा बदल लो । "" और बेटे ने कहा, "" नहीं बदल सकता हूँ, मैं यही जानता हूँ मगर मैं इसे करने के लिये एक मशीन बनाऊँगा । "" जिस से कि तुम ् हारी समस ् या हल हो जाएगी । "" और देखिये उसने ये किया, ये सिलाई मशीन, उत ् तर-प ् रदेश में सो, सृष ् टि ये कहना चाहते है कि, "मु ् झे खडे होने की एक जगह दे दो, मैं धरती को ही हिला दूँगा ।" मैं आपको एक प ् रतियोगिता के बारे में बताता हूँ जो कि हम बच ् चों के बीच करवा रहे हैं रचनात ् मक ् ता के लिये । हमने उत ् पादो को विश ् व भर में बेचा है, यूथोपिया से ले कर के अमरीका तक । कुछ उत ् पाद बाज़ार तक पहुँचे हैं । ये वो लोग हैं जिनके ज ् ञान के कारण हरबावेट क ् रीम का निर ् माण सँभव हुआ । और यहाँ एक कम ् प ् नी है जिसने इस कीटनाशक का लाइसेन ् स लिया, और अविष ् कारक का चित ् र उत ् पाद के पैकेट पर लगाया जिसे से कि जब भी कोई उसे इस ् तेमाल करे, उसे लगे कि वो खुद भी अविष ् कारक बन सकता है । अगर आपके पास कोई अविष ् कार है, तो हमें उसे के बार में बताइये । "" इसलिये, रचनात ् मक ् ता का मूल ् य है, ज ् ञान क महत ् व है, अविष ् कारों से बदलाव आते है, और शाबासी हौसला-अफ ् ज़ाई करती है । और शाबासी, सिर ् फ़ रुपये पैसे के रूप में ही नहीं, बल ् कि उसके अलावा भी । धन ् यवाद । (तालियों सहित अभिवादन) आज मेरी सिर ् फ ़ एक प ् रार ् थना है. कृप ् या मुझसे ये मत कहना कि में एक साधारण व ् यक ् ति हू. अब में आपको मेरे भाइयों से मिलवाना चाहती हू. रेमी २२ साल का है, लंबा चौड ़ ा और बहुत तंदुरुस ् त. वो बोल नही सकता पर उसकी खुशी बोलती है और वो किसी वक ् ता से कम नही है. रेमी को पता है कि प ् यार क ् या है. और वो आसंबंध और बेपरवाह होके प ् यार करता है. वो लालची नही है. उसे रंग में भेद भाव नही समझता. वो मज ़ हबी भेद भाव नही समझता., और एक बात: उसने कभी झूठ नही बोला है. जब वो हमारे बचपन के गीत गाता है, मुझे याद नही वो शब ् द बोलने की कोशिश करता है, तब वो मुझे एक चीज़ की याद दिलाता है: हम दिमाग ़ के बारे में कितना कम जानते है, और कितनी खूबसूरत होगी वो चीज ़ े जो हम जानते नही. सॅम ् यूल १६ साल का है. वो भी लंबा चौड ़ ा और तंदुरुस ् त है. उसके पास पूर ् ण रूप से सही स ् मरणशक ् ति है. मगर वो चयनात ् मक है. उसे याद नही रहता के उसने मेरा चौकलेट बार चोरी किया है, पर उसे मेरे आई पॉड के हर गाने का साल याद रहता है, वो चार साल का था तब की हुई हमारी बाते, और टेलेटुब ् बिएस देखते हुए मेरे हाथ को गीला करना, और लेडी गागा का जन ् म दिन. क ् या वो दोनो अविश ् वश ् नीय नहीं हैं? पर बहुत से लोग ये नही मानते. और असल में, क ् योकि उनका दिमाग ़ इस समाज के साधारण रूप में नही बैठता, अक ् सर समाज उनको बाहर निकलता है या ग ़ लत समझता है. पर जो मेरे दिल को भाया और जिसने मेरे आत ् मा को शक ् ति दी वो ये है, भले ही उनकी ये हालत है, हालाँकि उनको सामान ् य रूप से नही देखा गया, इसका एक ही मतलब हो सकता है: कि वो असाधारण थे — स ् वालिन और असाधारण. अब आप लोग जो "" स ् वालिन "" शब ् द के बारे मे कम जानते है, ये एक पेचीदा दिमागी विकार है, जो सामाजिक संपर ् क, नई चीज ़ सीखने पे और शारीरिक कुशलता पे प ् रभाव डालता है. ये हर इंसान में अलग तरह से प ् रदर ् शित होता है, इसी कारण से रेमी सॉम से इतना अलग है. और दुनिया में, हर २० मिनट में, एक नये व ् यक ् ति में स ् वालिनता का निदान होता है, और हालाँकि ये दुनिया में एक तेजी से बढ ़ ता हुए मानसिक विकास से संबंधित विकार है, जिसका कोई कारण या उपचार नही है. मुझे वो पल याद नही जब मेरा पहली बार स ् वालिनता से सामना हुआ, पर एसा एक दिन नही जो मेंने उसके बिना बिताया हो. मैं सिर ् फ ़ ३ साल की थी जब मेरा भाई इस दुनिया में आया, और में इतनी खुश थी कि मेरे साथ कोई नया मौजूद था. और फिर थोड ़ े महीनो के बाद, मुझे मालूम पड ़ ा के वो थोड़ा अलग है. वो बहुत चिल ् लाता था. बाकी बच ् चो की तरह खेलना उसको पसंद नही था, और सच ् चाई तो ये है, उसको मुझमें ज ़ रा भी दिलचस ् पी नही थी. रेमी अपने ही दुनिया में जीता और राज करता था, उसके अपने नियमो के साथ, और वो छोटी छोटी चीज ़ ो में आनंद पाता था, जेसे कमरे के इर ् दगिर ् द लाइन मे मोटर गाड ़ ियों को लगाना और वॉशिंग मशीन को घूरते रहना और बीच मे जो मिले वो खाना. और वो जैसे ही बढ ़ ता गया, और भी अलग होता गया, और उसकी असमानता स ् पष ् ट दिखने लगी. मगर उसके गुस ् से का आवेश और निराशा के बावजूद और उसका कभी ना ख ़ तम होने वाला जोश बहुत ही अनोखा था: बहुत ही शुद ् ध और सरल विचार, एक लड ़ का जो जमाने को बिना किसी पूर ् वधारना से देखता था, एक इंसान जिसने कभी झूट नही बोला था. विलक ् षण. अब ये ग ़ लत नही है कि हमारे परिवार मे बहुत सारी कठिन पल आये थे, ऐसी पल जिनमे मैं प ् रार ् थना करती थी, वो मेरे जैसे हो. पर फिर में मेरा दिमाग ़ उन चीज ़ ो पे लाती हू जो उन ् होने मुझे सिखाई है व ् यक ् तित ् वा, संपर ् क और प ् यार, और मुझे ये समझ मे आया है कि ये सब चीज ़ े मैं साधारणता के लिए नही बदल सकती. साधारणता असाधारण सुंदरता को अनदेखा करती है. और सच ् चाई तो ये है के हम असाधारण है इसका मतलब ये नही के हम मे से एक ग ़ लत है. इसका मतलब ये है की दोनो अलग तरह से सही है. और में अगर एक चीज ़ रेमी को बता सकु और सैम को भी और आप को भी वो ये है कि आपको साधारण होने की ज ़ रूरत नही है. आप असाधारण भी हो सकते है. क ् योंकि स ् वालिन हो या नही, हम लोगो मे जो भिन ् नता है — हमे एक बक ् षिश मिला है, सबको आपने अंदर एक भेट मिली है, और इस सब मे सच ् चाई, साधारणता का पीछा, हमारे कार ् यक ् षमता का बलिदान है. महान होने की, या आगे बढ ़ ने की, सब बदलने की संभावना उसी समय खत ् म हो जाती है जब हम किसी और की तरह होना चाहते है. कृप ् या, मुझे ये मत बताइए कि मैं साधारण हू. धन ् यवाद (तालिया) (तालिया) ये समझने के लिये कि पौराणिक कथाओं का मामला और मुख ् य विश ् वास अधिकारी का काम क ् या है, आपको एक कहानी सुननी होगी भगवान गणेश की कहानी, भगवान गजानन - हाथी के सर वाले भगवान की कहानी जो कि कथावाचकों के सरताज़ हैं, और उनके भाई, देवताओं के सेनापति कार ् तिकेय । एक दिन दोनो भाइयों में एक प ् रतियोगिता हुई - एक दौड पूरे ब ् रह ् माण ् ड के तीन चक ् कर लगाने की दौड कार ् तिकेय अपने मोर पर सवार हुए और महाद ् वीपों को नाप डाला फिर पहाडों को, फिर सागरों को, उन ् होंने ब ् रह ् माण ् ड का पहला चक ् कर लगाया, फिर दूसरा और फिर तीसरा चक ् कर भी लगा डाला । पर उनके भाई, गणॆश ने मात ् र अपने माता-पिता की परिक ् रमा की एक बार, दो बार, और तीन बार, और एलान कर डाला, "" मैं जीत गया । "" कार ् तिकेय ने पूछा, "" कैसे? "" और तब गणेश ने कहा, "" तुमने 'ब ् रहमाण ् ड' की परिक ् रमा की । और मैने 'अपने ब ् रह ् माण ् ड' की । "" संसार और मेरे संसार में ज ् यादा महत ् व किसका है? यदि आप 'संसार' और 'मेरे संसार' के बीच के अंतर को समझ सके, तो आप 'सही' और 'मेरे लिये सही' के अंतर को समझ सकेंगे । 'संसार' लक ् ष ् य-निर ् धारित है, तार ् किक है, तथ ् यात ् मक है, संपूर ् ण है, वैज ् ञानिक है । 'मेरा संसार' व ् यक ् तिपरक है. यह भावुक है. यह निजी है. इसके अपने दृष ् टिकोण, विचार हैं - अपननी भावनाएँ और अपने सपने है । ये जीवन मूल ् यों का एक ढाँचा है जिससे अंतर ् गत हम जीवन व ् यतीत करते हैं । यह मिथक है कि हम तटस ् थ हो कर रह रहे हैं । 'संसार' हमें बताता है कि क ् या चल रहा है, सूरज उग कैसे रहा है, हम पैदा कैसे होते हैं । 'मेरा संसार' बताता है कि सूरज क ् यों उग रहा है, हम क ् यों पैदा हुए । हर संस ् कृति स ् वयं को ही समझने की कोशिश कर रही है, "हम अस ् तित ् व का कारण क ् या है?" और हर संस ् कृति ने अपने अपने जवाब ढूँढे हैं, अपनी समझ के अनुरूप पौराणिक गाथाओं के रूप में । संस ् कृति प ् रकृति के प ् रति हमारी प ् रतिक ् रिया है, और इस प ् रतिक ् रिया की समझ, हमारी पूर ् वजों के अनुसार पीढी दर पीढी चलती आ रही है कथाओं, प ् रतीकों और अनुष ् ठानों के रूप में, जिन ् हें तर ् क, कारण और विश ् लेषणॊं से कोई मतलब नहीं है । और जब आप इसमें गहरे उतरेंगे, तो आपको पता चलेगा कि दुनिया के अलग अलग लोग दुनिया को अपने अलग ढँग से समझते हैं । अलग अलग लोग एक ही चीज़ को: अलग अलग दृष ् टिकोणों से देखते हैं । एक हुई मेरी दुनिया और एक हुई आपकी दुनिया, और मेरी दुनिया हमेशा मुझे आपकी दुनिया से बेहतर लगती है, क ् योंकि देखिये, मेरी दुनिया तर ् कसंगत है और आपकी अंधविश ् वास पर आधारित, आपकी मात ् र विश ् वास पर चलती है तर ् क पर आधारित नहीं है । यही सभ ् यताओं के संघर ् ष की जड ़ है । 326 ईसा पूर ् व में भी यह बहस एक बार हुई थी । सिंधु नदी के तट पर, जो कि अब पाकिस ् तान में है । इस नदी से ही इण ् डिया को उसका नाम मिला है । सिन ् धु - हिन ् दु - इन ् दु - इन ् डिया । सिकंदर, युवा मकदूनियन, वहाँ ऐसे व ् यक ् ति से मिला जिसे उसने 'जिमनोसोफ़िस ् ट' कहा है, जिसका अर ् थ है 'नंगा फ़कीर' हम नहीं जानते कि वह कौन था । शायद कोई जैन साधु रहा हो, जैसे कि बाहुबली, यहीं पास में ही, गोमतेश ् वर बाहुबली, मैसूर से ज ् यादा दूर नहीं है उनकी छवि । या फ़िर शायद वो कोई योगी रहा हो, चट ् टान पर बैठा, आसमान को ताकता, और सूरज और चाँद को निहारता । सिकंदर ने पूछा, "" आप क ् या कर रहे हैं? "" और नंगे फ़कीर ने जवाब दिया, "मैं शून ् यता का अनुभव कर रहा हूँ." फिर फ़कीर ने पूछा, "आप क ् या कर रहे हैं?" और सिकंदर ने जवाब दिया, "" मैं दुनिया पर विजय प ् राप ् त कर रहा हूँ । "" और फिर वो दोनो हँसने लगे । दोनो एक दूसरे को मूर ् ख समझ रहे थे । फ़कीर ने पूछा कि वो दुनिया को जीतने क ् यों चाहता है । वो व ् यर ् थ है । और सिकंदर ने सोचा, "ये साधु यहाँ बैठ कर वक ् त क ् यों गँवा रहा है?" सारे जीवन को व ् यर ् थ कर रहा है । इन दोनों के विचारों के फ़र ् क को समझने के लिये हमें समझना होगा कि सिकंदर का अपना सत ् य समझना होगा: और उन मिथकों को, जिन ् होने उस सत ् य को जन ् म दिया । सिकंदर के माँ-बाप और उसके शिक ् षक अरस ् तु ने उसे होमर के इलियाड की कहानियाँ सुनाई थीं । महान नायक अचिलस की कहानी, जिसका लडाई में होना भर, विजय सुनिश ् चित करता था, पर यदि वो लडाई में न हो, तो हार भी निश ् नित होती थी । "" अचिलस वो व ् यक ् ति था जो इतिहास बदलने की क ् षमता रखता था, नियति को काबू कर लेने वाला, और सिकंदर, तुम ् हें उस जैसा बनना चाहिये । "" उसने ये सुना था । "" और तुम ् हें क ् या नहीं बनना चाहिये? तुम ् हें सिसिफस नहीं बनना चाहिये, जो कि दिन भर भारी चट ् टान को पहाड पर चढाता है और हर रात, चट ् टान वापस लुढक जाती है । ऐसा जीवन मत जियो जो साधारण हो, औसत, निरर ् थक हो । भव ् य बनो! — ग ् रीक नायकों की तरह, जैसे जेसन, जो कि समंदर पार गया अरगोनाट ् स के साथ और सुनहरी ऊन ले कर आया । महान बनो जैसे थीसियस, जिसने नर ् क में घुस कर भैंसे के सिर वाले राक ् षस मिनोटोर को मार गिराया । जब जब प ् रतियोगिता में भाग लो, जीतो! — क ् योंकि जीत की प ् रसन ् नता, उसकी अनुभव देवों के सामीप ् य का सबसे प ् रत ् यक ् क ् ष अनुभव होगा । "" देखिय, ग ् रीक ये मानते थे कि आप केवल एक बार जीते है और जब आपकी मृत ् यु होती है, आप स ् टिक ् स नदी पार करते हैं, और यदि आपने भव ् य जीवन जिया है, तो आपको अलीसियम (स ् वर ् ग) में आमंत ् रित किया जायेगा, या जिसे फ़ ् रांसीसी लोग 'शाम ् पस-अलीयसीज़' (पेरिस की प ् रसिद ् ध बाज़ार) कहते हैं — (हँसी) — महापुरोषों का स ् वर ् ग । पर ये वो कहानियाँ नहीं थी जो हमारे फ़कीर ने सुनी थीं । उसने बहुत अलग कहानियाँ सुनी थीं । उसने भरत नाम के व ् यक ् ति के बारे में सुना था, जिसकी नाम पर इण ् डिया को भारत भी कहते है । भरत ने भी विश ् व-विजय प ् राप ् त की थी । और तब वो संसार के केंन ् द ् र-बिन ् दु पर स ् थित सबसे बडे पहाड की सबसे ऊँची चोटी पर गया, जिसका नाम था मेरु । और वो वहाँ अपने नाम का झंडा फहराना चाहता था, "मैं यहाँ आने वाला पहला व ् यक ् ति था ।" पर जब वो मेरु पर ् वत पर पहुँचा, तो उसने उसे अनगिनत झंडों से ढका पाया, उससे पहले आने वाले विश ् व-विजयिओं के झंडों से, हर झंडा दाव कर रहा था "" मैं यहाँ सबसे पहले आया... ... ऐसा मैं सोचता था जब तक मैं यहाँ नहीं आया था । "" और अचानक, अनन ् ता की इस पृष ् ठभूमि में, भरत ने स ् वयं को क ् षुद ् र, नगण ् य़ पाया । ये उस फ़कीर का सुना हुआ मिथक था । देखिय, फ़कीर के भी अपने नायक थे, जैसे राम - रघुपति राम और कृष ् ण, गोविन ् द, हरि । परन ् तु वो दो अलग अलग पात ् र दो अलग अलग अभियानों पर निकले दो अलग अलग नायक नहीं थे । वो एक ही नायक के दो जन ् म थे । जब रामायण काल समाप ् त होता है, तो महाभारत काल प ् रारंभ होता है । जब राम यमलोक सिधारते है, कृष ् ण जन ् म लेते है । जब कृष ् ण यमलोक जाते है, तो वो पुनः राम के रूप में अवतार लेते हैं । भारतीय मिथकों में भी एक नदी है जो कि जीवितों और मृतकों की दुनिया की सीमारेखा है । पर इसे केवल एक बार ही पार नहीं करना होता है । इस के तो आर-पार अनन ् ता तक आना जाना होता है । इस नदी का नाम है वैतरणी । आप बार-बार, बारम ् बार आते जाते है । क ् योंकि, आप देखिये, भारत में कुछ भी हमेशा नहीं टिकता, मृत ् यु भी नहीं । इसलिये ही तो, हमारे भव ् य आयोजनों में देवियों की महान मूर ् तियाँ तैयार की जाती हैं, उन ् हें दस दिन तक पूजा जाता है... और दस दिन के बाद क ् या होत है? उसे नदी में विसर ् जित कर दिया जाता है । क ् योंकि उसका अंत होना ही है । और अगले साल, वो देवी फिर आयेगी । जो जाता है, वो ज़रूर ज़रूर लौटता है और ये सिर ् फ़ मानवों पर ही नहीं, बल ् कि देवताओं पर भी लागू होता है । देखिये, देवताओं को भी बार बार कई बार अवतार लेना होगा, राम के रूप में, कृष ् ण के रूप में न सिर ् फ़ वो अनगिनत जन ् म लेते हैं, वो उसी जीवन को अनगिनत बार जीते हैं जब तक कि सब कुछ समझ ना आ जाये । ग ् राउन ् डहॉग डे (इसे विचार पर बनी एक हॉलीवुड फ़िल ् म) । (हँसी) दो अलग मिथयताएँ इसमें सही कौन सी है? दो अलग समझें, दुनिया को समझने के दो अलग नज़रिये । एक सीधी रेखा में और दूसरा गोलाकार एक मानता है कि केवल यही और सिर ् फ़ यही एक जीवन है । और दूसरा मानता है कि यह कई जीवनों में से एक जीवन है । और इसलिये सिकंदर के जीवन की तल-संख ् या 'एक' थी । और उसके सारी जीवन का मूल ् य इस एक जीवन में अर ् जित उसकी उपलबधियों के बराबर था । फ़कीर के जीवन की तल-संख ् या 'अनन ् त, अनगिनत' थी । और इसलिये, वो चाहे इस जीवन में जो कर ले, सब जीवनों में बँट कर इस जीवन की उपलब ् धियाँ नगण ् य थीं । मुझे लगता है कि शायद भारतीय मिथक के इसी पहलू के ज़रिये भारतीय गणितज ् ञों ने 'शून ् य' संख ् या की खोज की होगी । क ् या पता? और अब हम आते है कारोबार के मिथक पर । यदि सिकंदर का विश ् वास उसके व ् यवहार पर असर डाल सकता है, यदि फ़कीर का विश ् वास उसके जीवन पर प ् रभाव डालता है, तो निश ् चय ही ये उन कारोबारों पर भी प ् रभाव डालेगा जिनमें वो लगे थे । देखिये, कारोबार असल में इस बात का ही तो परिणाम है कि बाज़ार ने कैसा व ् यवहार किया और संगठनों ने क ् या व ् यवहार किया? यदि आप दुनिया भर की संस ् कृतियों पर एक नज़र डालें, और उनके अपने अपने मिथकों को समझे, तो आप को उनका व ् यवहार और उनका कारोबार का ढँग समझ आ जाएगा । धयान से देखिये । अगर आप एक ही जीवन वाली संस ् कृति से नाता रखते हैं तो आप देखेंगे कि वो 'पूर ् णतः सही या पूर ् णतः गलत' के विचारधार से आसक ् त हैं, निर ् धारित पूर ् ण सत ् य, मानकीकरण, संपूर ् णता, सीधी रेखा पर आधारित ढाँचे । पर यदि आप जीवन की पुनरावृत ् ति वाली गोलाकार संस ् कृति को देखेंगे आप देखेंगे कि वो अस ् पष ् ठता के सहज हैं, अनुमानों के साथ, विषयक सोच के साथ, 'लगभग' के साथ, संदर ् भों पर आधारित मानकों के साथ — (हँसी) ज ् यादातर । (हँसी) चलिये, कला पर नज़र डालते हैं । बैले नर ् तकी को देखिये । कैसे उसकी जुम ् बिश सीधी रेखाकार होती है । और भारतीय सस ् कृतिक नर ् तकी को देखिये, कुचिपुडि, भरतनाट ् यम नर ् तकों को देखिये, घुमावदार । (हँसी) और धंधे के तरीके देखिये । मानकों पर आधारित ढाँचा: अवलोकन, लक ् ष ् य, मूल ् य, विधियाँ लगता है जैसे किसी ऐसे यात ् रा की कल ् पना है जो कि जंगल से सभ ् य समाज तक ले जाती है, एक नेता के दिये गये निर ् देशों के अनुसार । यदि आप निर ् देशों का पालन करेंगे, स ् वर ् ग प ् राप ् त होगा । पर भारत में कोई एक स ् वर ् ग नहीं है, बहुत सारे अपने अपने स ् वर ् ग हैं, आप समाज के किस हिस ् से से हैं, इस के हिसाब से आप जीवन के किस पडाव पर हैं, इस के हिसाब से देखिये, कारोबार संगठनों की तरह नहीं चलाये जाते, किसी एक व ् यक ् ति के निर ् देशानुसार । वो हमेशा पसन ् द के अनुसार चलते हैं । मेरे अपनी खास पसंद के अनुसार । जैसे, भारतीय संगीत, मिसाल के तौर पर, उसमें अनुरूपता, स ् वर-संगति की कोई जगह नहीं है । वादकों के समूह का कोई एक निर ् देशक नहीं होता है । एक कलाकार प ् रदर ् शन करता है, और बाकी सब लोग उसका अनुगमन करते हैं । और आप कभी भी उसके प ् रदर ् शन को बिलकुल वैसे ही दुबारा प ् रस ् तुत नहीं कर सकते । यहाँ लिखित प ् रमाणों और अनुबंधों का खास महत ् व नहीं है । यहाँ बातचीत और विश ् वास पर ज ् यादा ज़ोर है । यहाँ नियमों के पालन से ज ् यादा ज़रूरी है 'सेटिंग', बस काम पूरा होना चाहिये, चाहे नियम को मोड कर, या उसे तोड कर - अपने आसपास मौजूद भारतीयों पर नज़र डालिये, देखिये सब मुस ् करा रहे हैं, उन ् हे पता है मैं क ् या कर रहा हूँ । (हँसी) और अब ज़रा उन ् हें देखिये जिन ् हें भारत में व ् यवसाय किया है, उनके चेहरे पर रोष छुपाये नहीं छुप रहा । (हँसी) (अभिवादन) देखिये, आज का भारत यही है । धरातल की सच ् चाई दुनिया को देखने के इसी गोलाकार नज़रिये पर टिकी है । इसीलिये ये लगातार बदल रही है, विविधताओं से परिपूर ् ण है, अस ् त-व ् यस ् त है, अनुमान से परे है । और लोगबाग इसे ठीक पाते हैं । और अब तो वैश ् वीकरण हो रहा है । आधुनिक संगठननुमा सोच की माँग बढ रही है । जो कि रेखाकार सीधी सभ ् यता की जड है । और एक वैचारिक मुठभेड होने वाली है, जैसे कि सिन ् धु नदी के तट पर हुई थी । इसे होना ही है । मैनें खुद इसका अनुभव किया है । मैं एक प ् रशिक ् षित चिकित ् सक हूँ । मुझे सर ् जरी पढने का कतई मन नहीं था, और मत पूछिये क ् यों । मुझे मिथक बहुत प ् रिय हैं । मैं मिथकों को ही पढना चाहता था । मगर ऐसा कोई जगह नहीं है जहाँ ऐसा होता हो । तो मुझे स ् वयं को ही पढाना पडा । और मिथकों से कमाई भी नहीं होती थी, कम से कम अब तक । (हँसी) तो मुझे नौकरी करनी पडी । और मैनें औषधि के उद ् योग में काम लिया । फिर मैने स ् वास ् थय - उद ् योग में भी काम किया । मैनें मार ् कटिंग में काम किया, सेल ् स में काम किया । तकनीकी जानकार के रूप में, प ् रशिक ् षक के रूप में, और विषय-वस ् तु तैयार करने का काम भी किया । मै एक व ् यावसायिक सलाहकार भी रहा हूँ- योजना और दाँव-पेंच तैयार करता रहा हूँ । और मुझे असंतुष ् टि दिखती है अपने अमरीकन और यूरिपियन साथियों में जब वो भारत में काम करते हैं । उदाहरण के तौर पर: कृपया हमें बताइये कि हम हॉस ् पिटलों को बिल कैसे भेजें । पहले A करें - फ़िर B करें - फ़िर C करें - ज ् यादातर ऐसे ही होता है । (हँसी) अब आप 'ज ् यादातर' की क ् या परिभाषा लिखेंगे? 'ज ् यादातर' को साफ़ ् ट ् वेयर में कैसे डालेंगे? नहीं कर सकते । मैं उन ् हें अपना दृष ् टिकोण बताना चाहता था । मगर कोई भी सुनने को तैयार नहीं था, देखिये, जब तक मैं फ़ ् यूचर समुदाय के किशोर बियानी से नहीं मिला । देखिये, उन ् होंने बिग बाजार नामक फुटकर बिक ् री की सबसे बडी श ् रंखला की स ् थापना की है । और इसे कम से कम २०० अलग अलग तरीकों से भारत के करीब ५० शहरों और कस ् बों में चलाय जाता है । और वो बहुत ही विविध और सक ् रिय बाजारों से काम कर रहे थे । और उन ् हें सहजता से पता था, कि उत ् कृष ् ट कार ् य-प ् रणालियाँ जो कि जापान, चीन, यूरोप और अमरीका में बनी हैं भारत में काम नहीं करेंगी । उन ् हें पता था कि भारत में संस ् थागत सोच नहीं चलेगी । यहाँ व ् यक ् तिगत सोच चलेगी । उन ् हें भारत की मिथकीय बनावट की सहज समझ थी । तो, उन ् होंने मुझसे मुख ् य विश ् वास अधिकारी बनने को कहा, और ये भी कहा, "मैं चाहता हूँ कि आप सबके विश ् वास को एक धुरी पर लाएँ ।" कितना आसान सा लगता है ना । मगर विश ् वास को मापा तो नहीं जा सकता । और ना ही उस पर प ् रबंधन तकनीके लागू हो सकती हैं । तो आप कैसे विश ् वास की आधार-शिला रखेंगे? कैसे आप लोगों में भारतीयता के प ् रति संवेदना बढाएँगे भारतीयों के लिये भी भारतीयता इतनी सहज या नहीं होती है । तो, मैनें संस ् कृति का एक सर ् वव ् यापी ढाँचा तैयार करने का प ् रयास किया, जो था - कहानियों का विकास करना, चिन ् हों का विकास करना, और रीति-रिवाजों का विकास करना । और मैं ऐसे एक रिवाज के बारे में आपको बताता हूँ । देखिये ये हिन ् दुओं की 'दर ् शन' रीति पर आधारित है । हिन ् दु धर ् म में कोई धर ् मादेश नहीं होते हैं । इसलिये जीवन में जो आप करते हैं, उसमें कुछ गलत या सही नहीं होता है । तो आप ईश ् वर के सम ् मुख पापी हैं या पुण ् यात ् मा, ये किसी को नहीं पता । तो आप जब मंदिर जाते है, आप सिर ् फ़ ईश ् वर से मिलना चाहते हैं । बस सिर ् फ़ दो मिनट के लिय एक मुलाकात करना । आप सिर ् फ़ उनके 'दर ् शन' करना चाहती है, और इसलिये ईश ् वर की बडी बडी आँखें होती हैं, विशाल अपलक टक टक ताकने वाले नेत ् र, कभी कभी चाँदी के बने हुए, जिससे वो आप को देख सकें अब क ् योंकि आपको भी ये नहीं पता कि आप सही थे या गलत, आप केवल देवता से समानुभूति की उम ् मीद करते हैं । "बस जान लीजिये कि मैं कहाँ का हूँ, मैने जुगाड क ् यों लगाई ।" (हँसी) "" मैने ये सेटिंग क ् यों भिडाई, मैं इतना नियम कानून की परवाह क ् यों नहीं करता, थोडा समझिये । "" तो इस आधार पर हमने अगुआ लोगों के लिये कुछ रिवाज बनाए । जब उसका प ् रशिक ् षण समाप ् त होता है, और वो अपने दुकान का दारोमदार लेने वाला होता है, हम उस की आँखों पर पट ् टी बाँधते है, और उसे घेर देते हैं, ग ् राहकों से, उसके परिवारजनों से, उसके दल से, उसके अफसर से । और हम उसकी जिम ् मेदारियों और उससे अपेक ् षित प ् रदर ् शन की बात करके उसे चाबी सौंप देते हैं, और फिर उसकी पट ् टी हटाते हैं । और हमेशा, एक आंसू उसकी आँखों में तैरता दिखता है, क ् योंकि वो समझ चुका होता है । उसे समझ आ जाता है कि सफल होने के लिये, उसे कोई पेशेवर वयवसायी बनने की जरूरत नहीं है, उसे अपनी भावनाओं को मारने की कतई ज़रूरत नहीं है, उसे बस सब लोगों को साथ ले कर चलना है, उसकी दुनिया के अपने लोगों को, और उन ् हें खुश रखना है, अपने अफसर को खुश रखना है, सब लोगों को खुश रखना है । ग ् राहक को प ् रसन ् न रखना ही है, क ् योंकि ग ् राहक ईश ् वर का रूप है । इस स ् तर की संवेदनशीलता की आवश ् यकता है । एक बार ये विश ् वास घर कर ले, व ् यवहार भी आने लगता है, धंधा भी चलने लगता है । और चला है । वापस सिकंदर की बात करते हैं । और फकीर की । और अक ् सर मुझसे पूछा जाता है, "" सही रास ् ता क ् या है - ये य वो? "" और ये बहुत ही खतरनाक प ् रश ् न है । क ् योंकि ये आपको हिंसा और रूढिवादिता के रास ् ते पर ले जाता है । इसलिये, मैं इसका उत ् तर नहीं दूँगा । मैं आपको इसका भारतीयता-पूर ् ण उत ् तर दूँगा, हमारा प ् रसिद ् ध सिर हिलाने का इशारा । (हँसी) (अभिवादन) संदर ् भ के अनुसार, कार ् य के परिणाम के हिसाब से, अपना दृष ् टिकोण चुनिये । देखिये, क ् योंकि दोनो ही नज़रिये इंसानी कल ् पनाएँ हैं । सांस ् कृतिक कल ् पनाएँ हैं, न कि कोई प ् राकृतिक सत ् य । तो जब अगली बार आप किसी अजनबी से मिलें, एक प ् रार ् थना है: समझियेगा कि आप संदर ् भ-आधारित सत ् य में जीवित हैं, और वो अजनबी भी । इसे बिलकुल जहन में उतार लीजिये । और जब आप ये समझ जाएँगे, आप एक शानदार रत ् न पा लेंगे । आपको इसका भान होगा कि अनगिनत मिथकों के बीच परम सत ् य स ् थापित है । संपूर ् ण ब ् रह ् माण ् ड को कौन देखता है? वरुण हज़ार नेत ् रों का स ् वामी है । इन ् द ् र, सौ नेत ् रो का । आप और मैं, केवल दो नेत ् रों के । धन ् यवाद (अभिवादन) मैं पिछले २० वर ् षों से गरीबी से जुडे मसलों पर काम करती आयी हूँ, और बडी विडंबना है कि मेरी सबसे बडी समस ् या रही है कि गरीबी की सही परिभाषा आखिर क ् या है? गरीबी का अर ् थ क ् या है? तो, अक ् सर हम रुपये-पैसे से मापते हैं — जो लोग एक या दो डॉलर रोज़ाना से कम कमा पाते हैं । लेकिन ये समस ् या इतनी जटिल है कि इसे कमाई से आगे जा कर देखना होगा । क ् योंकि, मौलिक रूप से, ये प ् रश ् न है विकल ् पों की उपलब ् धि, और स ् वतंत ् रता की कमी का मेरे एक अनुभव ने मुझे उस रूप मे इसे समझने में मदद की जिस रूप में मैं आज इसे समझती हूँ । मैं तब कीन ् या में थी, और मैं आज इस अनुभव को आपसे बाँटना चाहती हूँ । मैं अपनी एक फ़ोटोग ् राफ़र दोस ् त, सूज़न मेसालस, के साथ थी, माथेरा घाटी की झुग ् गियों में । देखिये, माथेरा घाटी अफ़ ् रीका की सबसे पुरानी झुग ् गियों में से है । ये राजधानी नैरोबी से करीब तीन मील बाहर है, और ये खुद एक मील लम ् बी और २०० गज चौडी है, जहाँ करीब ५ लाख लोग टीन के डब ् बों जैसे घरों में ठुँसे रहते है, पीढी दर पीढी, उनका किराया देते हुए, करीब आठ से दस लोग प ् रति कमरे की दर पर । और ये घाटी वेश ् यावृत ् ति, हिंसा, और नशीली दवाओं का गढ है । यहाँ पलना-बढना कठिन अनुभव है । और जन हम यहाँ की पतली पतली गलियों में चल रहे थे, तो ये असंभव था कि हमारे पाँव घरों के साथ लगे टट ् टी के खुले ढेरों और कूडे के जमावडों में न पडें । पर साथ ही, हमारे लिये ये भी असंभव था कि वहाँ मौजूद मानव उत ् साह को अनदेखा करें, वहाँ रहने वाले लोगों की उतकंठाओं और महत ् वाकाक ् षाओं को अनदेखा करें । बच ् चों को नहलाती, कपडे धोती सुखाती औरतें । वहाँ मैं एक औरत से मिली - मामा रोज़, जिसने पिछले ३२ साल से टीन के छोटे से कमरे को किराये पर लिया हुआ था, और अपने सात बच ् चों के साथ जीवन यापन कर रही थी । चार लोग एक डबल बेड में सोते थे, और तीन मिट ् टी और लिनोलियम के फ़र ् श पर । और वो उन सब को पढा रही थी, उसी घर से पानी बेच कर, और साबुन और ब ् रेड बेच कर । वो दिन उद ् ‍ घाटन का अगला दिन भी था, और मुझे ये भी दिखा कि मथारे घाटी अभी भी दुनिया की घटनाओं से जुडी है । मुझे गली के नुक ् कडों पर बच ् चे दिखे, जो कह रहे थे, "" ओबामा, वो तो हमारा ही भाई है! "" और मैने कहा, "" हाँ, ओबामा मेरा भी भाई है, और इस तरह तुम भी मेरे भाई हुए । "" तो वो कौतुहल से मेरी ओर देख के कहते, "" ये हुई न बात! "" और ऐसे ही माहौल में मेरी मुलाकात जेन से हुई । मुझे जेन के चेहरे में निहित दयाभावना और सद ् ‍ भाव ने सहज ही छू लिया, और मैने उन से अपनी कहानी सुनाने के लिये कहा । उसने शुरुवात ही अपने सपनों से की । उसने कहा, "" देखिये, मेर दो सपने थे । "" मेर पहला सपना था कि मैं डॉक ् टर बनूँ, और दूसरा था कि एक ऐसे अच ् छे आदमी से शादी करूँ जो मेरे और मेरे परिवार के साथ रहे । क ् योंकि मेरी माँ अकेली थीं, और मेरे स ् कूल की फ़ीस नहीं दे पाती थीं, मुझे अपना पहला सपना छोडना पढा, और मैनें दूसरे वाले पर ध ् यान दिया । "" जेने की शादी १८ वर ् ष में हो गयी, और तुरंत ही एक बच ् चा भी । और बीस साल की उम ् र मे, वो दोबारा पेट से थी, उसकी माँ का देहान ् त हो चुका था, पति ने उसे छोड कर दूसरी औरत से शादी कर ली थी । तो वो वापस माथेरा में थी, बिना किसी हुनर के, बिना पैसे के, और बिना कमाई के । और लिहाज़ा, उसने वेश ् यावृत ् ति अपना ली । और जैसा हम अक ् सर सोचते हैं, वैसा विधिवत बंदोबस ् त नहीं था वो रात को करीब २० लडकियों के साथ शहर में जाती थी, काम ढूँढती थी, और कई बार केवल कुछ पैसे ले कर ही लौटती थी, और कई बार, बिना कुछ कमाये भी । उसने कहा, "" पता है, गरीबी उतना नहीं सताती जितनी कि बेज ् जती और ऐसा करने की शर ् म । "" २००१ में उसका जीवन बदल गया । उसकी एक सहेली थी, जिसने जामी बोरा नामक संस ् था के बारे में सुना था । ये संस ् था आपको कर ् ज़ा देती थी, चाहे आप कितने भी गरीब क ् यों न हों, बस आपके पास कुछ बचाया हुआ धन होना चाहिये । तो उसने एक साल मेहनत करके ५० डॉलर (२००० रुपैये) बचाये, और कर ् ज़ लेना शुरु किया, और धीरे धीरे सिलाई मशीन खरीद ली । और उसने दर ् ज़ीगिरि शुरु कर दी । और वहीं से शुरुवात उसके आज की, जहाँ वो पुराने कपडे खरीदती है, और करीब सवा तीन डॉलरों में एक पुराना गाउन खरीदती है । हो सकता उसमें कुछ आपके द ् वारा दान किये गये हों । और वो इन ् हें फ़िर से रिबन और पट ् टियाँ लगा कर सुंदर बनाती है, और उन सुंदर गाउनों को औरतों को बेच देती है, उनकी बेटियों के सोलहवें जन ् मदिन या किसी और मौके के लिए — जिसे लोग खुशनुमा ढँग से मनाना चाहते हैं, चाहे अमीर हों या गरीब । और उसका धंधा बढिया चलता है । मैने उसे खुद गलियों में फ़ेरी लगाते देखा है । और पलक झपकते ही, उसके आसपास औरतों की भीड जुट जाती है, उसका सामान खरीदने के लिए । और मैं सोच रही थी, जैसे मैं जेन को कपडे और गहने बेचते देख रही थी, कि अब तो जेन रोज़ाना चार डॉलर से ज ् यादा ही कमाती होगी । और कई परिभाषाओं के हिसाब से वो अब गरीब नहीं है । मगर वो अब भी मथारे घाटी में ही रहती है । और वो अब भी वहाँ से नहीं निकल सकती है । वो अब भी उस सारी असुरक ् षा के साथ रहती है, और जनवरी के दंगों मे, उसे घर से भगा दिया गया था, और उसे दूसरा ठिकाना ढूँढना पडा जहाँ वो अब रहेगी । जामी बोरा संस ् था ये समझती है । और ये भी कि जब हम गरीबी की बात करते हैं, तो हमें सारे आर ् थिक स ् तरों के गरीबों को ध ् यान में लेना होगा । और इसलिये अक ् यूमन और ऐसी और संस ् थाओं की धैर ् यवान पूँजी, कर ् ज़ और निवेश से, जो कि लम ् बे समय तक साथ देने को तैयार हैं, जामी बोरा ने एक कम-खर ् च रिहायशी इलाका विकसित किया है, नैरोबी सेन ् ट ् रल से करीब एक घन ् टे की दूरी पर । और उन ् होनें इसे अभिकल ् पित करते समय जेन जैसे ग ् राहकों के बारे में सोचा है, और जिम ् मेदारी और उत ् तरदायित ् व पर दबाव डाला गया है । इसलिये, जेन को घर की दस प ् रतिशत कीमत — करीब ४०० डॉलर (१६००० रुपैये), अपनी बचत से चुकाना पडा । और फ़िर उन ् होंने उसकी मासिक किस ् त को उसके किराये जितना ही कर दिया । अगले कुछ हफ़ ् तों मे, वो इस रिहायिशी इलाके में आने वाले पहले २०० परिवारों मे से एक होगी । जब मैनें उस से पूछा कि क ् या वो किसी बात से डरती है, या फ़िर मथारे की किस बात की उसे याद आयेगी, तो उसने कहा, "" मुझे ऐसा कौन सा डर लग सकता है जो मैनें अब तक न झेला होगा? मुझे एड ् स है । वो भी मैने झेल लिया । "" और उसने कहा, "" मुझे क ् या याद आयेगा? आपको लगता है कि मुझे खून-खराबा या नशीली दवायें याद आयेंगी? या पूरी तरह से खुले में रहना? क ् या आपको लगता है कि मैं याद रखना चाहूँगी बच ् चों के घर वापस न आने का डर? "" उसने कहा, "" अगर आप मुझे दस मिनट दें, "" तो मैं चलने के तैयार हो सकती हूँ । "" मैने पूछा, "" और तुम ् हारे सपने? "" और उसने कहा, "" पता है, मेरे सपने वैसे नहीं हैं जैसे तब थे जब मैं बच ् ची थी । लेकिन अब सोचने पर लगता है, कि पति की मेरी चाहत असल में ऐसे परिवार के लिये मेरी झटपटाहट थी जहाँ प ् यार मिले । और मैं अपने बच ् चों को, वो मुझे, बहुत प ् यार करते हैं । "" उसने कहा, "" मुझे लगता था कि मैं डॉक ् टर बनना चाहती थी, पर वास ् तव में मैं ऐसा कुछ बनना चाहती थी जो सेवा करे, इलाज करे, और बीमारी हटाये । और जो भी आज मेरे पास है, मुझे बहुत भाग ् यशाली महसूस करवाता है, मैं भाग ् यशाले हूँ कि हफ़ ् ते में दो दिन मैं एड ् स मरीज़ों को सलाह देती हूँ । और मैने कहा, "" मेरी तरफ़ देखो । तुम खत ् म नहीं हो चुकी हो । तुम अभी जीवित हो, और इसलिये तुम ् हें सेवा करनी ही चाहिये । "" और उसने कहा, "" मैं दवाई देने वाली डॉक ् टर तो नहीं हूँ । "" मगर शायद मैं और भी ज ् यादा कीमती कुछ देती हूँ क ् योंकि मैं आशा बाँटती हूँ । "" और आर ् थिक मंदी के इस दौर में, जहाँ हम सब बस चुपचाप भागना चाहते है, डर के मारे, मुझे लगता है कि हमें जेन से कुछ सीखना चाहिये, और ये समझना चाहिये कि गरीब होने क मतलब साधारण होना नहीं है । क ् योंकि जब व ् यवस ् था टूट चुकी होती है, जैसा कि हम आज दुनिया में देख रहे हैं, तो वो मौका होता है अविष ् कार का और नव-रचना का । ये एक मौका है वास ् तव में ऐसी दुनिया बनाने का जहाँ हम सेवाओं और उत ् पादों को हर व ् यक ् ति तक ले जा पाएँगे, जिससे कि वो अपने फ़ैसले ले सकें और उनके पास विकल ् प हों । मैं मानती हूँ कि यहीं से स ् वाबलम ् बन शुरु होता है । हमें विश ् व में जेन जैसे लोगों का आभारी होना चाहिये । और उतना ही ज़रूरी है कि हम भी अपना कर ् तव ् य निभायें । धन ् यवाद । तालियाँ और अभिवादन तो आज, मैं आपका ध ् यान इस पीढ ़ ी के लड ़ कों की दिशा में ले जाना चाहता हूँ लड ़ कों शैक ् षिक के मोर ् चे पर असफल रहे हैं वो सामाजिक तौर पे लड ़ कियों से अलग होते जा रहे हैं.. और यौनिक तौर पर औरतों के साथ. उसके अलावा, वहाँ किसी भी तरह की कोई अन ् य समस ् या नहीं है तो डेटा क ् या है? तो स ् नातक से बाहर छोड ़ ने पर डेटा अद ् भुत है. लड ़ कियों की तुलना में लड़कों की school drop आउट करने की सम ् भावना ३०% ज ् यादा रहती है कनाडा में तीन लड ़ कियों के मुकाबले पांच लड़के स ् कूल छोड़ देते हैं! लड़कियां हर क ् षेत ् र में लड़कों को पीछे छोड़ रही हैं चाहे वो प ् राथमिक स ् कूल हो चाहे स ् नातक विद ् यालय एक 10 प ् रतिशत का अंतर सभी जगह है BA की डिग ् री लेने से हर graduate प ् रोग ् राम में लड़के, लड ़ कियों से पीछे छूटते जा रहे हैं विशेष सुधारात ् मक कार ् यकमो में दो तिहाई हिस ् सा लड़कों का ही होता है और जैसा की आप सब जानते ही हैं लड़कों में लड ़ कियों की तुलना में पांच गुना ज ् यादा द ् यान घाटा विकार (Attention deficit disorder) कहे जाने की सम ् भावना होती है और इसलिए हमें उन ् हें रितालिन (अच ् छे ध ् यान के लिए) नाम की दवा देनी पड़ती है और इस चीज के ख ़ तम होने के लिए हमारे पास क ् या सबूत हैं? सबसे पहला है; अंतरंगता से डर लगना अंतरंगता से मेरा मतलब है, शारीरिक और भावनात ् मक संबंध किसी और के साथ विशेष रूप से जब कोई विपरीत लिंग से होता है जो की अस ् पष ् ट, विरोधाभासी तथा आकर ् षित करने वाले संकेत देता है (हंसी) और हर साल पर ये शोध किया जाता है कि कॉलेज जाने वाले छात ् रों में इस खुद कबूल की शर ् म के कारण क ् या हैं? और हम लड़कों के बीच एक स ् थिर वृद ् धि देख रहे हैं. जो कि दो प ् रकार कि है यह एक सामाजिक भद ् दापन है और पुराने समय में शर ् म कुछ और नहीं बल ् कि अस ् वीकृति का डर था. यह एक सामाजिक भद ् दापन की तरह है अगर आप एक विदेशी देश में एक अजनबी हो. वो नहीं जानते उन ् हें क ् या कहना है, वो नहीं जानते उन ् हें क ् या करना है विशेष रूप से जब आमने सामने विपरीत लिंग से बात करने कि बारी आती है वे चेहरे से संपर ् क करने की भाषा को नहीं समझते वो सारे तरीके जो की बोलकर और बिना बोले आपको किसी से आराम से बात कराने में सहायक होते हैं और सामने वाले की बात समझने में भी. मैं कुछ विकसित करने का प ् रयास रहा हूँ जिसे हम "" सोशियल इंटेन ् सिटी सिंड ् रोम "" कह सकते हैं जो की ये बताने का प ् रयास करेगा की क ् यूँ लड़के लड ़ कियों की तुलना में लड़कों के साथ मेल मिलाप को अहमियत देते हैं और ये निकल के आता है की बचपन से ही लड़के और उसके बाद पुरुष लड़कों के साथ ही रहना पसंद करते हैं शारीरिक साथ और वहाँ वास ् तव में एक मस ् तिष ् का संबंधी उततेज ़ ना हम देख रहे हैं, क ् योंकि लड़के ज ् यादातर लड़कों के साथ ही रहे हैं चाहे वो टीम ् स हों, क ् लब ् स हों, गैंग हों या फिर बिरादरी विशेष रूप से मिलिटरी और उसके बाद फिर पब ् स में और ये सबसे ज ् यादा होता है सुपर रविवार खेल में जहाँ की लड़के किसी अजनबी के साथ बार में होना ज ् यादा पसंद करेंगे बजाये पूरी तरह से कपडे पहने हुए ग ् रीन बे पॅकर ् स की एरोन रॉडजर ् स को देखने के और पूरी तरह से नग ् न जेन ् निफर लोपेज ़ को उसके बेडरूम में देखने के लिए नहीं इस समस ् या का कारण ये है की वो अब पसंद करते हैं asynchronistic इंटरनेट की दुनिया बजाए की सहज बातचीत के सामाजिक संबंधों में इस के कारण क ् या हैं? खैर, यह एक अनपेक ् षित परिणाम है मुझे लगता है कि यह एक अत ् यधिक वीडियो गेम और अत ् यधिक इंटरनेट का उपयोग करने के परिणाम हैं, अत ् यधिक पोर ् नोग ् राफी पर बहुत ज ् यादा पहुंच मुख ् य समस ् या इन उत ् तेजक व ् यसनों से है मादक पदार ् थों की लत हों, तो आप बस और अधिक चाहते हैं. उत ् तेजना की लत हों, तो बस आप कुछ अलग चाहते हैं. और अगर ड ् रग ् स की लत हो तो कुछ उसीसे ज ़ ् यादा चाहिए, अलग तरह से तो आपको कुछ नयापन चाहिए हर उस उततेज ़ ना को बनाये रखने के लिए और समस ् या है की आज के उद ् योग ये सब मुहैया करा रहे हैं Jane McGonigal ने पिछले साल कहा था कि जब तक लड ़ के २१ साल के होते हैं वो १०००० घंटे तक वीडियो गेम ् स खेल चुके होते हैं वो भी अधिकतर अकेलेपन में जैसा कि आपको याद होगा Cindy Gallop कहा था पुरुषों को फर ् क नहीं पता है अश ् लीलता और प ् रेम करने के बीच औसतन एक लड ़ का एक सप ् ताह में ५० अश ् लील विडियो क ् लिप ् स देख लेता है और स ् वाभाविक है कि कुछ लोग १०० से ज ् यादा भी देख लेते हैं.. (हंसी) और ये अश ् लील उद ् योग अमेरिका का सबसे तेजी से बढता उद ् योग है 15 - अरब सालाना कि दर से हर ४०० फिल ् मो कि तुलना में जो hollywood में बनती हैं आजकल ११००० अश ् लील विडियो बनाये जा रहे हैं.. इसका असर अगर हम जल ् दी से बताएँ तो ये एक नये प ् रकार की उततेज ़ ना है लड ़ को के दिमाग ़ तारों को एक डिजिटल तरीके से एक बार फिर जोड ़ ा जा रहा है और ये बदलाव उततेज ़ ना में नवीनता और लगातार उततेज ़ ना के लिए है.. इसका मतलब है कि वे पूरी तरह से पारंपरिक कक ् षाओं से बाहर महसूस कर रहे हैं जो की आनलॉग, रुका हुआ और बातचीत की प ् रक ् रिया के लिए निष ् क ् रिय कहा जा सकता है वो पूरी तरह से असफल रहे हैं रोमॅंटिक रिश ् तों को समझने में जो की धीरे धीरे और आसानी से बनाए जाते हैं तो इस चीज ़ का समाधान क ् या है? ये मेरा काम नहीं.. मैं यहाँ आप लोगो इस से अवगत करा रहा हूँ, ये आपका काम है इसे हल कैसे किया जाए (हँसी) (तालियाँ) पर किसे इस बात की चिंता है? जिन लोगो को इसकी चिंता करना चाहिए.. वो उन लड ़ के और लड ़ कियों के माता पिता हैं.. शिक ् षकों, gamers, फिल ् म निर ् माताओं, और वो स ् त ् रियाँ जो की एक सच ् चे आदमी को पसंद करती हैं जिसके साथ वो बात कर सके और नाच सकें जो की प ् यार धीरे धीरे कर सकें... और विकास के इस दवाब में योगदान कर सकें.. और हमारी प ् रजाति को बनाना स ् लग (एक प ् रकार का सुस ् त जीव) से उपर रख सके.. बनाना स ् लग के मालिकों से माफी चाहूँगा.. धन ् यवाद (तालियाँ) मैं एक अंतर ् जलीय गोताखोर हूँ, विशेष रूप से गुफा गोताखोर | लेकिन वह मेरे लिए उपलब ् ध नहीं था, क ् यूंकि मैं कैनेडा में पली-बढ़ी हूँ | लेकिन जैसे समय बीतता है, हम अन ् तरिक ् ष के बारे में और जानते हैं बजाये उन भूमिगत जलमार ् गों के बारे में जो हमारे ग ् रह के अंदर से बहते हैं जो हमारे धरती माँ के जीवन शक ् ति हैं | इसलिए मैंने कुछ असाधारण करने का निर ् णय लिया | बाहरी अंतरिक ् ष की खोज करने की जगह, मैं अंदर के स ् थान खोजना चाहती थी | अब आपको बहुत से लोग बताएंगे कि गुफा में गोता लगाना शायद सबसे खतरनाक प ् रयत ् नों में से एक है | मतलब, कल ् पना कीजिये, इस कमरे में अगर आप अचानक से अँधेरे में डूब जाएं, बाहर निकलने के एक ही उद ् देश ् य के साथ, कभी इन बड़े स ् थानो में से तैर निकलना, और कभी कुर ् सियों की नीचे से रेंगते हुए निकलना, सिर ् फ एक पतले से मार ् गदर ् शन की सहायता लिए, जीवन के सहायता यन ् त ् र के इंतज़ार में, कि वो अगली सांस का प ् रबंध करेगा | जी हाँ, यह मेरा कार ् य स ् थान है | लेकिन मैं आज सभी को जो सिखाना चाहती हूँ वह यह कि हमारी दुनिया एक बड़ा पत ् थर नहीं है | यह एक बड़े स ् पंज की तरह है | मैं हमारे धरती के स ् पंज में अनेक छेदों में से तैर सकती हूँ, लेकिन जहाँ मैं नहीं जा सकती, वहाँ दूसरे जीव जंतु और पदार ् थ मेरे बिना सफर तय कर लेते हैं | और आज मैं आप सभी को धरती माँ के अंदर की बातों के बारे में सिखाने वाली है | मेरे पास कोई गाइडबुक नहीं थी, जब मैंने अंटार ् टिका आईसबर ् गस ् में गुफागोता लगाने वाला पहला इंसान बनने का निर ् णय लिया | सन २००० में यह दुनिया का सबसे तेज़ चलने वाला वस ् तु था | यह रॉस हिम चट ् टान से टूट अलग हो गया था, और हम वहाँ नीचे बर ् फ बढ ़ त पारिस ् थिति का पता लगाने, और अतिरिक ् त जीव जंतु की तलाश में गए थे | हम रीब ् रिदर ् स नामक तकनीक इस ् तेमाल करते हैं | यह एक बहुत भयानक तकनीक है जो अंतरिक ् ष सैर के लिए प ् रयोग की गयी थी | यह तकनीक हमें गहरा जाने में मदद करती है जिसकी हमने १० साल पहले कल ् पना भी नहीं की थी | हम असाधारण गैसों का उपयोग करते हैं, और हम 20 घंटे के लंबे समय तक पानी के नीचे रहने का मिशन बना सकते हैं । मैं बायोलॉजिस ् ट ् स के साथ काम करती हूँ | ऐसा साबित होता है कि गुफाएं अद ् भुत जीव रूपों का भंडार हैं, जहाँ ऐसे जातियों का अस ् तित ् व जो हम कभी नहीं जानते थे | इनमे से कई जीव रूप असामान ् य रूप से रहते हैं | कई मामलों में, उनका कोई रंग और आँखें नहीं होती, और यह जानवर बहुत लम ् बी उम ् र जीते हैं | वास ् तव में, आज की तारीख में गुफाओं में तैरने वाले जानवर फॉसिल यानि कि जीवाश ् म रिकॉर ् ड के समान हैं जो डायनासौर की विलुप ् त होने से पहले के हैं | तो कल ् पना कीजिये: ये तैरने वाले नन ् हे डायनासौर हैं | वे हमें क ् रमिक विकास और मौत से बचने के बारे में क ् या सिखा सकते हैं? जब हम एक जानवर को देखते हैं, इस जार में तैरते हुए रेमीपेड की तरह, हम उसके विष से भरे हुए विशाल दांत देख सकते हैं | वह वास ् तव में, अपने से ४० गुना बड़े जीव पर हमला कर उसे मार सकता है | अगर वह बिल ् ली के आकर जितना होता, वह हमारे ग ् रह पर सबसे खतरनाक जीव होता | यह जानवर बेहद खूबसूरत जगहों में रहते हैं, और कुछ मामलों में, जहाँ गुफाएं बहुत कम उम ् र की हैं, फिर भी, वहां जानवर प ् राचीन हैं | वे वहां कैसे पहुचें? मैं भौतिक वैज ् ञानिकों के साथ भी काम करती हूँ, और वे अक ् सर जलवायु परिवर ् तन में दिलचस ् पी रखते हैं | वे चट ् टानों को गुफाओं के अंदर ले जा सकते हैं, और उनके टुकड़े कर अंदर की परतों को देखते हैं, एक पेड़ के छल ् लों की तरह, जिससे वो इतिहास में पीछे जाते हैं हमारे ग ् रह की जलवायु स ् थिति, अलग अलग समय पर, समझने के लिए | इस तस ् वीर में जो लाल रंग आप देख रहे हैं वह बास ् तव में सहारा के रेगिस ् तान की मिटटी है | यह हवा द ् वारा उठा कर, अटलांटिक महासागर के पार उड़ा दी गयी | और इस मामले में, बारिश द ् वारा नीचे बहमास में, अबको द ् वीप में आ पहुंची है यह ज़मीन द ् वारा सोख ली जाती है और इन गुफाओं के छत ् तों पर जमा हो जाती है | और जब हम इन चट ् टनों की परतों में देखें, तो हम वो समय ढूंढ सकते हैं और हम सैकड़ों हज़ारों साल पीछे जा सकते हैं जब धरती पर जलवायु बेहद सूखा था | प ् राचीन काल का शोध करने वाले वैज ् ञानिक भी यह जानने में उत ् सुक हैं कि धरती पर पहले सी लेवल कहाँ तक था | यहाँ बरमूडा में, मैंने और मेरी टीम ने इस क ् षेत ् र में सबसे गहरी गोता लगाने की हिम ् मत की, हम उन जगहों की तलाश में थे जहाँ आज से सैकड़ों साल पहले, समुद ् री स ् तर तटरेखा से हज़ारों फ़ीट नीचे टकराता था | मैं जीवाश ् म वैज ् ञानिक और पुरातत ् त ् ववेत ् ता के साथ भी काम करती हूँ | बहमास में जगहें, जैसे कि मेक ् सिको, और क ् यूबा में हम गुफाओं में संस ् कृति और इंसानो के अवशेष ढूंढ रहे हैं, और वो हमें उस क ् षेत ् र के सबसे पहले निवासियों के बारे में बताते हैं | लेकिन मेरा सबसे पसंदीदा प ् रोजेक ् ट कुछ १५ साल पुराना है जब मैं एक ऐसे टीम का हिसा थी जिसने सबसे पहला, सटीक और भूमिगत सतह का ३ डायमेंशनल मैप बनाया था | यह यन ् त ् र जो मैं गुफा में से चला रही हूँ वह वास ् तव में एक ३ डी मॉडल बना रहा है | हमने कम फ ् रीक ् वेंसी रेडियो इस ् तेमाल किया ताकि हम अपना गुफा के अंदर का सही स ् थान प ् रसारित कर पाएं | तो मैं घरों, उद ् योगों, बोलिंग अलयस, और गोल ् फ कोर ् सेज, यहाँ तक कि सोनि 'स बारबेक ् यू रेस ् टोरेंट, के नीचे से तैरती हूँ जिसने मुझे एक बात सिखाई कि जो भी हम धरती की सतह पर करते हैं वह हम तक पीने वाले पानी द ् वारा वापस आएगा | हमारा पानी से भरा ग ् रह सिर ् फ नदी, तालाब और महासागर तक सीमित नहीं है, यहाँ भूमिगत जल का बहुत बड़ा जाल है जो हम सब को बांधे रखता है, यह एक ऐसी बांटी हुई संपत ् ति है जिससे हम पानी पीते हैं और जब हम, इंसानो का सम ् बन ् ध भुमिगत जल और इस ग ् रह की सारी जल संपत ् ति से समझ लेंगे, तब हम इस समस ् या पर काम करना शुरू करेंगे जो कि इस सदी की सबसे बड़ी विपदा है मैं एक अंतरिक ् ष यात ् री नहीं बन पायी जो मैं हमेशा से बनाना चाहती थी लेकिन यह मैपिंग डिवाइस ज़रूर बनेगा जो डॉ. बिल स ् टोन द ् वारा बनाया गया है | वास ् तव में यह बदला गया है | अब यह एक आत ् म तैराकी स ् वतन ् त ् र रोबोट है, जो आर ् टिफिशिअल ् ली इंटेलीजेंट है, और उसका अंतिम लक ् ष ् य बृहस ् पति के चंद ् रमा यूरोपा के लिए जाना है और उसकी जमी हुई सतह के नीचे छुपे महासागरों की खोज करना है | और वह बहुत अद ् भुत है । (अभिवादन) पिछले ५० सालों में पहली बार पिछले अक ् तूबर में हैती में हैजा फैलने की जानकारी मिली । कोई रास ् ता नही था जिसके द ् वारा यह पता किया जा सके कि यह पानी के द ् वारा कितनी दूर तक फैल सकती हैं और हालात कितने बूरे हो सकते हैं । इस बात से अंजान की कहाँ मदद की जरुरत थी यह हमेशा सुनिश ् चित करे कि जहाँ मदद की सब से ज ् यादा ज ़ रुरत होती हैं वहाँ मदद की आपूर ् ति हमेशा कम होती हैं । हमें पूर ् वानुमान और तूफानों के लिए तैयार रहना चाहिए ताकि निर ् दोष जाने ना जाए और अपरिवर ् तनीय क ् षति ना पहुँचे लेकिन हम अभी भी पानी के लिए कुछ नही कर पाए हैं और इसलिए यह अभी अगर हम खेतों में पानी का परीक ् षण करना चाहे तो हमें प ् रशिक ् षित तकनीशियन ऐसे महंगे उपकरनों की ज ़ रुरत पड ़ ती हैं और एक दिन इंतज ़ ार करना पड ़ ता हैं ताकि रासायनिक प ् रतिक ् रियाए कोई परिणाम बता सके । यह बहुत धीमा हैं इससे पहले कि परिस ् थिती की तस ् वीर मिले वो बदल जाती हैं और जिन जगहों पर परीक ् षण की जरुरत होती हैं वहाँ यह बहुत ही महँगा पड ़ ता हैं और इस बीच हम यह भूल जाते हैं कि लोगों को पानी की अभी भी जरुरत हैं । ज ् यादातर जानकारी जो हैजा फैलने पर हमें मिली हैं वो पानी की जाँच द ् वारा नही मिली, यह उन प ् रलेखित रूपों से आई हैं जिन में उन लोगों का नाम हैं जिन की मदद करने में हम असफल रहे । अनगिनत जानों को कोयले की खानों में कैनरी से बचा लिया गया एक बहुत ही साधारण और अमुल ् य रास ् ता खनिकों को बताने के लिए कि वो सुरक ् षित हैं । जब मैं सबसे मेहनती और प ् रतिभाशाली लोगों के साथ इस समस ् या पर काम कर रहा था । तो मैं उन की काम के प ् रति सादगी से प ् रेरित हुआँ । हमें लगता हैं कि इस समस ् या का एक सरल समाधान हैं जो उन लोगों के लिए हैं जो इस तहर के हालातों का रोज ़ सामना करते हैं । यह अभी अपनी प ् रांरभिक अवस ् था में हैं लेकिन देखने में अभी ऐसा हैं । हम इसे पानी की कैनरी कहते हैं । यह बहुत ही सस ् ता और तेज ़ यंत ् र हैं जो कि एक महत ् वपूर ् ण सवाल का जवाब देता हैं कि क ् या यह पानी दूषित हैं? इसके लिए किसी विशेष परीक ् षण की भी जरुरत नही हैं और रासायनिक प ् रतिक ् रियाओं का इंतज ़ ार करने के बजाए, यह बत ् ती का उपयोग करता है इसका मतलब यह कि रासायनिक प ् रतिक ् रियाओं का इंतज ़ ार नही करना पड ़ ेगा । अभिकर ् मकों के उपयोग की भी जरुरत नही और कारवाई की जानकारी पाने के लिए एक विशेषज ् ञ होने की भी जरुरत नही । पानी का परीक ् षण करने के लिए, बस एक नमुना डाले और कुछ ही पलों में यह लाल बत ् ती प ् रदर ् शित करता हैं जिसका मतलब की पानी दूषित हैं या फिर हरी बत ् ती जिसका मतलब की पानी सुरक ् षित हैं । यह किसी के लिए भी संभव हैं कि वो जीवन रक ् षा जानकारी एकत ् रित करे और पानी की गुणवत ् ता पर नज ़ र रख सके । उस पर हम जीपीएस और जीएसएम को एक सस ् ते उपकरण वायरलेस प ् रसांर से एकीकृत करते हैं । इसका मतलब हैं कि प ् रत ् येक अध ् ययन को अपने आप ही सही समय में संचरित कर सर ् वर तक पहुँचाया जा सकता हैं । पर ् याप ् त उपयोगकर ् ताओ के साथ, इस तरह के नक ् शे से निवारक कार ् रवाई संभव हो सकती हैं, खतरों से युक ् त इससे पहले कि यह आपात स ् थिती में पहुँचे जिससे उबरने में सालों लग जाए । और फिर जिस खबर को पहुँचने में कई दिन लग जाते थे स ् वंय ही उन लोगों तक पहुँच जाएगी जिन ् हे इसकी जरुरत हैं । हमने देखा हैं कि कैसे विपरित प ् रसार, बड ़ े आंकड ़ े और जानकारी समाज को बदल सकती हैं । मुझे लगता हैं कि अब वक ् त आ गया हैं कि हम इसे पानी पर इस ् तेमाल करे । "अगले वर ् ष हमारा लक ् ष ् य होगा कि पानी की कैनरी को खेतों के लिए तैयार किया जा सके और धातु सामाग ् रि का स ् रोत करे ताकि\ हर कोई विकास और मूल ् यांकान में अपना योगदान दे सके तो हम इस समस ् या से मिलकर निपट सके ।" धन ् यवाद (अभिवादन) ये है न ् यू यॉर ् क राष ् ट ् र का नक ् शा जो १९३७ मे जनरल ड ् राफ ् टिंग कंपनीने बनाया था | ये मानचित ् रकारी नर ् ड के बीच एक अत ् यंत प ् रसिद ् ध है, नक ् शा क ् योँ कि यहाँ नीचे काटस ् किल पहाड ़ ों तल पर, एक छोटा कस ् बा रोस ् कोए नाम से है — वास ् तव में उसे यहाँ रख दो तो आसान हो जायेगा — वहाँ रोस ् कोए है, और ठीक ऊपर रोस ् कोए रॉकलैंड, न ् यूयार ् क, और फिर ठीक ऊपर छोटे से शहर अग ् लोए, न ् यूयार ् क के अग ् लोए, न ् यूयार ् क, नक ् शानवीस के लिये प ् रसिद ् ध है. क ् योँ कि ओ एक कागज का कस ् बा है. ओ सर ् वाधिकार जाल भी जाना जाता है. नक ़ ् शानवीस — क ् योँकि तुम ् हारा न ् यूयार ् क का नक ् शा और मेरा न ् यूयार ् क नक ् शा इसी तरह लग रहा है, न ् यूयॉर ् क के आकार के कारण — अक ् सर, नक ़ ् शानवीस अपने नक ् शे मे नकली स ् थानों डालते हैँ, अपने कॉपी राइट बचाने के लिये क ् योँकि तब, अगर मेरा नकली जगह तुम ् हारे नक ् शे पे दिखाता है, मैं अच ् छी तरह से और सही मायने में सुनिश ् चित किया जा सकता आप मुझे लूट लिया अग ् लोए दो लोगोँ का जिन ् होँने नक ् शा बनाया नाम के पहले अक ् षर के मुद ् रण है, एर ् नेस ् ट आल ् पर ् स और ओट ् टो [जि] लिंड ् बर ् ग, और उन ् होँने इस नक ् शे को १९३७ मे जारी की दशकों बाद, एक नक ् शा रांड मेकनाल ् लीने जारी कीया अग ् लोए के साथ, न ् यू यार ् क उस पर, एक ही सटीक चौराहे कहीं से भी दो गंदगी सड ़ कों बीच की आप खुशी की कल ् पना कर सकते हैं सामान ् य मसौदा तैयार करने में ओ तुरन ् त रांड मेक ् नाली को बुलाया, और उन ् होने कहा, "" हमने तुम ् हें पकड ़ लिया है! हमने अग ् लोए, न ् यू यार ् क का निर ् माण किया. ओ कागजपर स ् थित एक नकली जगह है हम तुम पर मुकदमा करने जा रहे हैं! "" और रांड मेक ् नाली कहता, "" नही, नही, नही, नही, अगलोए असली है "" लोगों उस गँदे चौराहे तक जा रहे हैँ — (हंसी) वीराने में, अग ् लोए नाम का एक जगह वहाँ होने वाले की उम ् मीद मे — किसी ने अग ् लोए, न ् यूयार ् क, नाम का एक जगह का निर ् माण किया (हंसी) उसके पास एक गैस स ् टेशन, बिसातख ़ ाना, चरम पर दो घर हैँ (हंसी) और ए बेशक एक उपन ् यासकार के लिए एक पूरी तरह से अनूठा रूपक है, क ् योँ कि हम सभी विश ् वास करना चाहते हैं कि हम कागज पर जो विषय लिखते हैँ ओ दुनिया जिस मे हम जीते हैँ को बदल सकती है, इसी लिये इसीलिये मेरी तीसरी किताब "" पेपर टाउन "" कहा जाता है | पर अंततः मुझे अधिक दिलचस ् पी माध ् यम से है जिसमें यह हुआ, यह घटना ही है | ये बहुत आसान है ये बोलना कि ये दुनिया हमारी दुनिया के नक ् षे को रूप देते, हैना? जैसे दुनिया के समग ् र आकार जाहिर है हमारे नक ् शे को प ् रभावित करने जा रहे हैँ पर मुझे क ् या ज ् यादा दिल ् चस ् प लगाकि जो तरीका जिस तरीके से नक ् शे हमने बनाये उससे दुनिया में परिवर ् तन आयेगा क ् योंकी वास ् तव मे दुनिया एक अलग ही जगह होगी अगर उत ् तर नीचे होंगे और दुनिया वास ् तव मे एक अलग ही जगह होगी अगर अलस ् का और रष ् या नक ् शे के विपरीत दिशा में नही होते और दुनिया एक अलग जगह होती अगर हम यूरोप को उसकी असली परिमाण मे दिखाते ये दुनिया बदल गयी है हमारे बनाये दुनिया की नक ् षे से हम जिस तरीके से चुनते — एक तरह की, हमारी व ् यक ् तिगत नक ् षा बनाने का उद ् यम है जो हमारे जीवन के नक ् शेको आकार भी देते है, और वो हमारे जीवन को भी आकार देता है | मेरा विश ् वास है किजो हम नक ् षे बनाते हैँ ओ हमारी जिंदगी को बदल देगा | और मेरा मतलब ये नही कि कुछ विषय मे, जैसे, सीक ् रेट-ओप ् राःकी आनजेल ् स नेट ् वर ् क, जैसे, तुम-जैसा-चाहो-वैसा-सोच-सकते- क ् षती -के भावना बाहर- पर मै विश ् वास रखता हू कि नक ् षे तुम जिंदगी मे कहा जाओगे ए नही बतायेंगे, ओ तुम जहां आप जाना हो बता सकते हैँ | आप शायद ही कभी एक जगह पर जायेंगे जो व ् यक ् तिगत नक ् षे पर ना हो | मै वास ् तव में एक डरावना छात ् र था जब मै छोटा था | मेरा जी पी ए लगातार दो से नीछे है | और मेरे सोच में बात लगातार थी मै एक डरावना छात ् र हूँ | शिक ् षा एक श ् रृंखला है जो जकड रही है यह सोच सामने आती रहती और मुझे वयस ् कता प ् राप ् त करने के लिए उसे पर करना था | और मैं वास ् तव में इस दौड ़ में कूद ् ना नहीं चाहता, क ् योंकि वे पूरी तरह मनमाने ढंग से लग रहा, मैं अक ् सर नहीं करता, और तुम ् हे पता है, फिर लोग मुझे धमकी देते है इस बारे में मुझे चेतावनी दी गयी "" स ् थायी रिकार ् ड पर जायेगा "", या "" तुम ् हे कभी अच ् छा नौकरी नही मिलेगी "" मै अच ् छी नौकरी नही चाहता था! जब तक मुझे याद है ग ् यारह या बारह साल के उम ् र मे, जैसे, अच ् छी नौकरी वाले लोग सुबह जल ् दी उठते हैँ | (हंसी) और जो अच ् छे नौकरीवाले है सब से पहले एक चीज करते हैँ वः कपड ़ ों की एक परत डीएम घुतानेवाली अपनी गर ् दन के आसपास लगते हैँ | सचमुच में वे खुद पर फंदा डालते हैँ और फिर वे अपनी नौकरी के लिए चलेजाते, जो कुछ भी वे कर रहे | ये एक सुखी जीवन के लिए एक नुक ् सा नहीं है | ये लोग -प ् रतीक का दीवाना, मेरे बारह वर ् षीय कल ् पना में जो लोग खुद को गला घोट रहे हैँ पहले चीजों में से एक वे हर सुबह करते हैं, वे संभवतः खुश नहीं हो सकते | मैं क ् यों कूदना चाहता हू इन सभी बाधाओं के पर और अंत क ् या यही होना है? यह एक भयानक अंत है! और फिर, जब मैं दसवीं कक ् षा में था, मैं इस स ् कूल के लिए चला गया भारतीय स ् प ् रिंग ् स स ् कूल, एक छोटे से बोर ् डिंग स ् कूल, बर ् मिंघम, अलबामा के बाहर और यकायक मैं एक शिष ् य बन गया और मैं एक शिष ् य बन गया, क ् योंकि मैं अपने आप को शिष ् योँ के एक समुदाय मे पाया मैं अपने आप को लोगों से घिरा पाया बौद ् धिकता मनाने वाले, वचनबद ् धता, और जो सोचा है कि मेरी विडंबना ओह-तो-शांत मुक ् ति चतुर, या हास ् यास ् पद, नहीं लेकिन, जैसे, यह एक सरल और साधारण प ् रतिक ् रिया बहुत जटिल और सम ् मोहक समस ् याओं के लिए और मैं सीखना शुरू कर दिया, क ् योँकि सीखना शांत था मैंने सीखा कि कुछ अनंत सेट अन ् य अनंत सेट से भी बड ़ ा है, मैंने सीखा कि पंचपदी पद ् य क ् यों मानव कान के लिए ए इतना अच ् छा लगता है | मैने सीखा कि सिविल युद ् ध एक राष ् ट ् रीय ् करण प ् रभाव है, मै कुछ भौतिक सीखा, मै ने सीखा कि सहसँबँध करणीय के साथ भ ् रमित नही होना चाहिये — ये सबचीजे, जो हैँ वैसे, मेरे जीवन को सम ् रुद ् ध कर दिये हैँ दैनिक आधार पर | और ए सच है कि मै उन ् हे मेरी "" नौकरी "" के लिए इस ् तेमाल नही करता हूँ पर ए मेरे लिये के बारे मे नही है ए नक ् षनवीसी के बारे मे है नक ् षनवीसी की प ् रक ् रिया क ् या है? है, तुम ् हे पता, कुछ भूमी पर नौकायान करना, और सोचना, "" मै सोचता हूँ मै भूमी के टुकडा का चित ् र बनाऊँगा, "" और फिर सोचना कि "" शायद वहा और भी भूमी है चित ् र बनाने के लिये "" और मेरा सीखना असल मे तब शुरू हुआ | ये सच है कि मेरे पास गुरू थे जो मुझ पर हार नही माने, और मै बहुत भाग ् यशाली था जो ऐसे गुरू मुझे मिले क ् योँकि मै अक ् सर उनको सोचने का कारण देता मुझ में निवेश करने का कोई कारण नहीं | लेकिन मैं हाई स ् कूल में जो बहुत कुछ सीखा था वो जो कक ् षा के अंदर में हुआ, उसके बारे में नहीं था, लेकिन जो कक ् षा के बाहर में हुआ उसके बारे मे था | मै आपको उदाहरण बताता हूँ कि "" प ् रकाश की एक निश ् चित सर ् दियों की दोपहर — यही कारण है कि वज ़ न की तरह अंधेर कैथेड ् रल धुनों का ये नही कि मै ने एमिली डिकिंसन को याद किया जब मैं हाय स ् कूल मे था, बल ् कि इसलिये कि जब मै हाय ल मे था वहा एक लडकी थी, उसकी नाम थी अमांडा, और मै उस को पसंद करता था, और ओ एमिली डिकिंसन कविताओँ को पसंद करती थी मै आप को सही मौके का कीमत इसलिये बता सकता हू, क ् योँकि एक दिन जब मै सूपर मारिओ कार ् ट मेरे कौच पर बजारहा था, मेरा दोस ् त एम ् मेट अंदर आया, और उसने कहा, "कितने देर से तुम सूपर मारिओ कार ् ट बजा रहे हो?" और मैने कहा "" मुझे नही पता, शायद, छे घँटे? "" और उसने कहा, "" क ् या तुम को एहसास है कि तुम अगर बास ् किन-रोब ् बिंस मे छे घंटे काम करोगे तुम ३० डॉलर ् स कमा सकते थे, कुछ मायनों में, तुमने सूपर मारिओ कार ् ट बजाने के लिये ३० डॉलर ् स दे दिये "" और मै जैसे, "" मै उस सौदा को लेता हूँ | "" (हंसी) लेकिन मैं समझा अवसर का लागत क ् या है । और धीरे धीरे मेरे जीवन का नक ् शा बेहतर हुआ । यह बड ़ ा हो गया; इसमे अधिक स ् थान शामिल हुए । वहाँ अधिक बाते हो सकते थे, मेरे पास अधिक वायदा हो सकता है । यह एक औपचारिक, संगठित, सीखने की प ् रक ् रिया नहीं था और मैं खुशी से ए मानता हूँ यह असमान था, यह असंगत था, बहुत कुछ था जो मै नही जानता था मैं शायद जानता, तुम ् हें पता है, कैंटर के विचार कि कुछ अनंत सेट अन ् य अनंत सेट की तुलना में बड ़ े होते हैं, लेकिन इस विचार के पीछे पथरी मेरी समझ में नहीं आया मैं, शायद अवसर लागत का विचार जानता हू, लेकिन मुझे रिटर ् न ह ् रासमान के कानून पता नहीं था । लेकिन सीखने को नक ् शानवीसी जैसे कल ् पना करने में बडी बात यह है, उसको गतिरोध न समज़ कर है तुम ् हर पर करना है, समुद ् र तट देखने से, तुम ् हे और ज ् यादा दुरीपर देखने के लिये प ् रेरणा मिलेगी और इसलिए अब कम से कम मुझे पता है सभी विषय के पीछे का कुछ गणना तो, मेरे पास एक शिक ् षण समुदाय था हैस ् कूल मे, तब मै दूसरे के पास कालेज केलिये गया, और फिर मै एक और के पास गया, जब मै काम करना शुरू किया "" बुक लिस ् ट "" नाम के मैगझीन के लिए और फिर मैने एक किताब लिखा था और जैसे सभी लेखकों करने का सपना होता है, मैने तुरंत अपनी नौकरी छोड ़ दी | (हंसी) और हाई स ् कूल के बाद से पहली बार के लिए, मैं एक सीखने के समुदाय के बिना अपने आप को पाया और वह दुखी था । मुझे इससे नफ ़ रत थी । इस दो साल की अवधि के दौरान मै बहुत, बहुत किताबें पढ़ी मैं, स ् टालिन के बारे में किताबें पढ़ी और किताबे पढ़ी उज ़ ् बेक लोग कैसे मुसलमानों की पहचान करते है और मैं परमाणु बम बनाने के बारे में किताबें पढ़ी लेकिन यह महसूस हुआ कि जैसे मैं मेरी खुद की बाधाओं को बना रहा था, और फिर, उन पर से कूदना बजाय अपने आप उत ् तेजना महसूस करने की, शिक ् षार ् थियों के एक समुदाय का हिस ् सा होने के कारण, लोगों का एक समुदाय जो एक साथ लगे हुए हैं कार ् टोग ् राफिक उद ् यम में हमारे आसपास की दुनिया को बेहतर समझने की और नक ् शा बनाने का कोशिश और फिर, २००६ मे, मै उस शक ् श से मिला | उसका नाम है ज़ी फ ् रांक मै असल मे उस ् से मिला नही, केवल इंटरनेट पर | ज़ी फ ् रांक उस समय "" शो ज़ी फ ् रांक के साथ "" नाम का एक शो चलारहा था और मै ने शो की खोज किया, और मै फिरसे पूर ् ववत एक समुदाय शिक ् षार ् थी बन गया | विडियो में झे लास वेगास के बारे में कहते है: (विडियो) जे फ ् रान ् क: लास वेगास विशाल रेगिस ् तान के मध ् य में बनाया गया था । यहाँ सब कुछ कहीं और से लाया गया अन ् यथा — इस तरह के चट ् टानों, पेड ़ ों, झरने नहीं होते । ये मछलियाँ और मेरी सुअर बाहर से हैं । चिलचिलाती रेगिस ् तान के विपरीत जो इस जगह को चारों ओर से घेरे तो यहा कि लोग हैं, दुनिया भर के चीजें से यहाँ पुनर ् निर ् माण किया गया, अपने इतिहास से दूर, और लोगों से दूर उन ् हें अलग तरह का अनुभव करते । कभी-कभी सुधार किए गए थे - यहां तक कि स ् फिंक ् स को नौकरी मिल गई । यहाँ, कुछ भी कमी महसूस करने की कोई कारण नहीं है | न ् यूयार ् क मेरे लिए वैसाही मान ् यता रखता है जो हर किसी को लगता । सब कुछ संदर ् भ से बाहर है, और इसका मतलब संदर ् भ सब कुछ को अनुमति देता: सेल ् फ पार ् किंग, ईवेन ् ट ् स सेंटर, शार ् क रीफ । इस जगह की निर ् माण दुनिया की सबसे बड ़ ी उपलब ् धियों में से एक हो सकता है, क ् योंकि कोई भी यहाँ के नहीं है; सभी करते । मैं आज सुबह चले वक ् त देखता रहा ज ् यादातर इमारतो के विशाल दर ् पण सूरज की रोशनी परिवर ् तित करके रेगिस ् तान बनी लगे लेकिन सब दर ् पण के विपरीत, एक जगह में खुद को बाहर के दृश ् य के साथ एम ् बेडेड किए बिना इन दर ् पण वापस खाली आते हैं । जॉन ग ् रीन: यदि आप ऑनलाइन वीडियो में पिक ् सल को दिखा कर मुझे कुछ दिनों के लिए उदासीन बनाते है । (हंसी) झे एक महान सार ् वजनिक बुद ् धिजीवी ही नहीं बल ् कि एक शानदार समुदाय बिल ् डर है, और इन वीडियो के द ् वारा लोगों के समुदाय का निर ् माण हुआ वो कई मायनों में शिक ् षार ् थियों के एक समुदाय था । सहयोग के साथहमने शतरंज में ज ़ ी फ ् रैंक को हरा दिया । हम संयुक ् त राज ् य में एक सड ़ क यात ् रा पर एक युवक को भेजने के लिए खुद को संगठित किया । हम पृथ ् वी को सैंडविच के रूप में बदल दिये, एक व ् यक ् ति को पृथ ् वी के एक बिंदु पर रोटी का एक टुकड ़ ा पकडडे हुए, और पृथ ् वी की टीक विपरीत बिंदु पर, रोटी का एक टुकड ़ ा पकड ़ े किसी अन ् य व ् यक ् ति के लिए है । मैं एहसास करता हूँ कि ये मूर ् ख विचार है, लेकिन वे शिक ् षा की अच ् छी कलपनये है, और वहीं जो मेरे लिए बहुत रोमांचक था, और आप अगर ऑनलाइन जाते हो, आप सभी जगह पर इस तरह के समुदायों पा सकते हैं टम ् बलर पर पथरी टैग का अनुसरण करें, और हाँ, आप लोग पथरी के बारे में शिकायत करते देखेंगे, लेकिन आप लोगों को उन शिकायतों-ब ् लॉगिंग फिरसे करते हुए भी देखेंगे, कि तर ् क करते हुए पथरी रोचक और सुंदर है, और यहाँ आप के न सुलझा हुआ समस ् या के बारे में सोचने के लिए एक रास ् ता है । आप रेडिट जैसी जगह जा सकते है और उप- रेडिट पा सकते हैं, जैसे "" इतिहासकार को पूछो "" य "" शास ् र को पूछो "", जहा तुम लोगोँ को जो इस क ् षेत ् रोँ मे हैँ सवालों की एक विस ् तृत श ् रृंखला, बहुत गंभीर सवाल से बहुत बेवक ़ ूफ ़ सवाल तक पर मेरे लिये, बहुत दिलचस ् पी शिक ् षार ् थियों के एक समुदाय जो इंटरनेट पे विस ् तार हो रहा है अभी युट ् युब पर, और बेशक, मैं पक ् षपाती हूँ । लेकिन मुझे लगता है, यूट ् यूब पेज बहुत मामलों में एक कक ् षा से मिलता-जुलता है । उदाहरण के लिए देखो "" मिनट भौतिकी, "" जो एक पुरुष, भौतिक विज ् ञान के बारे में दुनिया पढ ़ ा रहा है: (वीडियो) चलो हम पीछा करते हैं । 4 जुलाई 2012 की स ् थिति के अनुसार, हिग ् स बोसॉन कण भौतिकी के मानक मॉडल के अंतिम मौलिक टुकड ़ ा प ् रयोगात ् मक की खोज की जा रही थी । लेकिन आप पूछ सकते कि क ् यों हिग ् स बोसॉन को मानक मॉडल में अच ् छी तरह से ज ् ञात कणों जैसे इलेक ् ट ् रॉनों और फोटोन और क ् वार ् कों के साथ शामिल किया गया. यह १९७० के दशक में तो पता नहीं किया गया तो क ् या होगा? अच ् छा प ् रश ् न । दो मुख ् य कारण हैं । सबसे पहले, जैसे इलेक ् ट ् रॉन इलेक ् ट ् रॉन क ् षेत ् र में एक उत ् तेजना है, हिग ् स बोसॉन बस एक कण है जो हर जगह- फैलने वाले हिग ् स क ् षेत ् र के एक उत ् तेजना है बदले में हिग ् स क ् षेत ् र हमारे मॉडल में कमजोर परमाणु शक ् ति के लिये पूरा भूमिका निभाता विशेषत:, हिग ् स फील ् ड यह इतना कमजोर क ् यों है समझाने में मदद करता है | बाद के वीडियो में इसके बारे में बात करेंगे, लेकिन कमजोर परमाणु सिद ् धांत १९८० में पुष ् टि की गई है, भले ही समीकरणों में, हिग ् स क ् षेत ् र कमजोर बल के साथ अलंघनीय उलझा हुआ था, कि अब तक हम उसके वास ् तविक और स ् वतंत ् र अस ् तित ् व की पुष ् टि करने में असमर ् थ है | जेजी: या यहाँ एक वीडियो है "" क ् राश कोर ् स "" के हिस ् से के रूप में: प ् रथम विश ् व युद ् ध के बारेमे (वीडियो) तत ् काल कारण ज ़ ाहिर था ऑस ् ट ् रियन आर ् कड ् यूक फ ् रांज फर ् डिनेंड केसाराजेवो में हत ् या, है कि बीसवीं सदी के पहले बड ़ ा युद ् ध आतंकवाद के एक कृत ् य के साथ शुरू हुआ है फ ् रांज फर ् डिनें अपने चाचा सम ् राट फ ् रांज जोसेफ को विशेष रूप से पसंद नहीं था, वाह क ् या मूंछें है! लेकिन फिर भी, इस हत ् या ने, ऑस ् ट ् रिया को सर ् बिया को चेतावनी देने के लिए मजबूर किया सर ् बियाने ऑस ् ट ् रिया की कुछ मांगे स ् वीकार की लेकिन सभी नहीं, मजबूरन ऑस ् ट ् रिया ने सर ् बिया के खिलाफ युद ् ध की घोषणा की और फिर रूस की सर ् बों के साथ अपने गठबंधन के वजह से, अपनी सेना जुटाए जर ् मनी, क ् योंकि ऑस ् ट ् रिया के साथ गठबंधन किया, रूस से जुटाने को रोकने के लिए कहा, रूस ऐसा करने में विफल हुआ, तो फिर जर ् मनी, अपनी ही सेना को जुटाए, रूस के खिलाफ युद ् ध की घोषणा कर दी, तुर ् क के साथ गठबंधन पुख ् ता, और फिर फ ् रांस पर युद ् ध की घोषणा की जैसे कि, आप को पता है, फ ् रांस (हंसी) और यह सिर ् फ भौतिकी और दुनिया की इतिहास नहीं जो लोगों को यूट ् यूब के माध ् यम से जानने के लिए चयन कर रहे हैं यहाँ गणित सार के बारे में एक वीडियो है । (व ् हिडीओ) तो तुम मेरे हो, और आप फिर से गणित वर ् ग में हैं, क ् योंकि वे आप को हरदिन जाने जैसे बनायेंगे और तुम मैं नहीं जानता, अनंत श ् रृंखला की रकम के बारे में सीख रहे हो यह एक हायस ् कूल की विषय है, ठीक है? जो अजीब है क ् योँकि ए एक शांत विषय है, लेकिन वे जैसे-तैसे इसे बर ् बाद कर सकेँ इसलिए मुझे लगता कि वे पाठ ् यक ् रम में अनंत श ् रृंखला की अनुमति देते तो, विनोद की जरूरत काफी समझ आती है, आप डूड ् लिंग रहे हो और "" श ् रृंखला "" का बहुवचन क ् या होना चाहिये, ए अधिक सोच रहे हैँ नाकि उपलब ् ध विषय के बारे मे: "" सिरीसे "", "" सिरीस "", "" सिरीसेँ "", और "" सिरी? "" या एकवचन की परिवर ् तित किया जाना चाहिए: एक "" सिरी, या "", सीरम "", जैसे "" शीप "" की एकवचन "" शूप "" होना चाहिये लेकिन चीजों की पूरी विचार जैसे 1 / 2 + 1 / 4 + 1 / 8 + 1 / 16 और इत ् यादि एक दृष ् टिकोण है, यह उपयोगी है, अगर,प ् रत ् येक अगले एक की पूंछ पकदे है: सामान ् य हाथी, युवा हाथी, हाथी के बच ् चे, कुत ् ते के आकार हाथी, पिल ् ला आकार हाथी, सभी तरहश ् री दाँत और पार जो थोडा सा विस ् मय की बात है क ् योंकि आप असंख ् य हाथियाँ एक पंक ् ति में, प ् राप ् त कर सकते है, और फिर भी यह एक नोटबुक पेज भर में फिट किया है जेजी: और अंत में, यहां डेस ् टिन "" होशियार हर दिन "" से है, कोणीय गति के संरक ् षण के बारे में बात कर रही है, और, क ् योंकि ये यूट ् यूब है, बिल ् ली: (व ् हिडीओ) हे, यह डेस ् टिन है, "" होशियार हर दिन "" मे आपका स ् वागत है तो आप शायद देखा है कि बिल ् लियों लगभग हमेशा अपने पैरों लांड करते है आज का सवाल है: क ् यों? सबसे आसान सवालों की तरह, एक बहुत ही जटिल जवाब है । उदाहरण के लिए, मुझे इस सवाल को कैसे एक बिल ् ली गिरती सतह पर निचे पैर रखकर ऊपर छलांग लगाती है बिना कोणीय संवेग नियम बदले? (हंसी) जेजी: तो, यहाँ इन सभी चार वीडियो मे आम कुछ है: इन सभी को यूट ् यूब पर आधे लाख से ज ् यादा भी लोग इन ् हे देखे हैं और उन लोग कक ् षाओं में देख नही रहे हैं, पर वे सीखने के समुदायों का हिस ् सा हैं जोकि इन चैनलों द ् वारा स ् थापित किए गये हैं । और जैसे मैं पहले कहा था, यूट ् यूब मेरे लिए एक कक ् षा जैसी है और कई मायनों में यह है, क ् योंकि यहां प ् रशिक ् षक है — यह पुराने-जमाने की कक ् षा की तरह है: यहां प ् रशिक ् षक है, और फिर प ् रशिक ् षक के नीचे छात ् रों हैं, और वे सभी बातचीत कर रहे हैं । और मैं जानता हू यूट ् यूब व ् याख ् या को बहुत बुरा प ् रतिष ् ठा है इंटरनेट की दुनिया में, लेकिन वास ् तव में, आप अगर इन चैनलों के व ् याख ् या के लिये चलते हैं, आप क ् या पाएंगे कि लोग विषय वस ् तु को लगे रहते है, कठिन, जटिल सवाल पूछते रहते है, जो विषय वस ् तु के बारे में हैँ और फिर अन ् य लोग उन सवालों का जवाब दे | और क ् योंकि यूट ् यूब पेज की स ् थापना की है ताकि मै जिस पेज मे आप से बात कर रहा हू वो ठीक — जगह जहा मै आप से बात कर रहा हू वो ठीक उसी पेज पर है अपनी टिप ् पणी के रूप में, आप एक जीवित और वास ् तविक और सक ् रिय रास ् ते मे वार ् तालाप में भाग ले रहे हैं क ् योंकि मैं आमतौर पर टिप ् पणी कर रहा हूँ, मै आप के साथ भाग ले सकता हूँ और तुम को यह पता चलेगा यदि वो दुनिया के इतिहास है, या गणित, या विज ् ञान, या वो जो कुछ भी है आप युवा लोगों को उपकरणो का और इंटरनेट की शैलियों का बौद ् धिक वचनबद ् धता के लिए स ् थानों बनाने के क ् रम में उपयोग करते हुए भी देखा हैं, बजाय विडंबना टुकड ़ ी के हो सकता कि हम में से ज ् यादातर मेमस और अन ् य इंटरनेट सम ् मेलनों -के साथ सँबंध रखते हैँ आप को पता है "" ऊब गया | पथरी का आविष ् कार किया । "" या, यहां हनी बू बू औद ् योगिक पूंजीवाद की निंदा करते हुए: "" उदार पूंजीवाद बिल ् कुल मानवता की भलाई के लिए नहीं है | बिल ् कुल इसके विपरीत; यह बर ् बर, विनाशकारी शून ् यवाद का वाहन है । ""] यदि तुम नहीं देख सकते वह क ् या कहती — - हाँ । मैं सचमे मानता हू कि इन स ् थानों का, इन समुदायों, शिक ् षार ् थियों की एक नई पीढ ़ ी बन गए हैं, समुदायों की तरह, कार ् टोग ् राफिकसमुदायों की तरह जो मेरे पास थे जब मैं हाई स ् कूल में था, और उसके बाद फिर मैं कॉलेज में था | और एक वयस ् क के रूप में, इन समुदायों को फिर से खोजना मुझे फिर से शिक ् षार ् थियों के एक समुदाय को पेश किया और मुझे वयस ् कता में भी एक शिक ् षार ् थी बने रहने के लिए प ् रोत ् साहित किया है और अब मुझे बिलकुल लगता नहीं कि सीखना सिर ् फ युवा के लिए आरक ् षित कियागया है | वि हार ् ट और "" मिनट भौतिकी "" मुझे सभी प ् रकार की चीजेँ जो पहले मै नही जानता था परिचय करादी | और मै जानता हू कि हम सभी ज ् ञानोदय में पेरिस सैलून के दिनों में वापस सुन सकते हैँ | या आल ् गोंक़ुइन गोलमेज को, और इच ् छा, "" ओह, मैं इस बात का एक हिस ् सा हो सकता था, मैं चाहता हू कि डोरोथी पार ् कर के चुटकुलों पर हँसे सकू "" लेकिन मैं ये कहना चाहता हूँ कि ये स ् थानों मौजूद हैं, वे अभी भी मौजूद हैं । वे इंटरनेट के कोनों में मौजूद हैँ, जहां बुजुर ् ग आदमी को चलने के लिए डर लगता है । (हंसी) और मैं सही मायने मे विश ् वास कारता हूँ कि जब हम अग ् लू, न ् यू यार ् क का १९६० में, आविष ् कार किया, हम अग ् लोए को वास ् तविक बानाया, हम बस शुरू हो रहे थे | धन ् यवाद. (तालियाँ) मै एक बावर ् ची और एक खाद ् य नीति निर ् माता हूँ | पर मै एक शिक ् षकों के खानदान से हूँ | मेरी बहन शिकागो में विशेष ज़रूरतों वाले बच ् चों को पढ़ाती है | मेरे पिता ने २५ साल तक पांचवी कक ् षा को पढ़ाने के बाद हालही मे सेवानिवृति ली है | मेरे चाचा व चाची प ् रोफेसर हैं | मेरे भाई-बेहन सब पढ़ाते हैं | यानि मुझे छोड़ के, मेरे परिवार के सभी लोग पढ़ाते हैं | उन ् होंने मुझे सिखाया की सही जवाब जानने के लिए सही सवाल पूछना ज़रूरी है | तो यह हमारे बच ् चों की शिक ् षा के परिणामों को सुधारने के लिए सही सवाल कोंन से हैं? ज़ाहिर बात है की महत ् व क सवाल कई सारे हैं, पर हम यहाँ से शुरुवात करते हैं: एक बच ् चे के बढ़ते मष ् तिस ् क और बढ़ते शरीर के बीच क ् या संबंध है? हम अपने बच ् चों से क ् या सीखने की उम ् मीद कर सकते है अगर उनका आहार चीनी से भरा है और ज़रूरी पोषण से रहित है? वो क ् या सीख पायेंगे अगर उनके शरीर भीतर से भूके हैं? और जिस तरीके से हम विद ् यालयों के मामले मे पैसा बहाते हैं, हमे ठहर कर अपने आप से पूछना चाहिए: क ् या हम सचमुच अपने बच ् चों को सफलता के लिए तैयार कर पा रहे है? कुछ साल पहले, मै एक खाना बनाने की प ् रतियोगिता का जज था, जिसका नाम "" चौप ् ड "" था | इस प ् रतियोगिता में चार बावर ् चियों को चुनौती दी जाती है कि रहस ् यमयी सामग ् री मगर यह कार ् यक ् रम कुछ अलग था — कुछ खास था | मुझे इस बारे में खास अंदाज़ा नहीं है — (हंसी) यह बावर ् ची विद ् यालयों में खाना बनाते थे — आप जानते ही होंगे, जिन महिलायों को आप "" लंच लेडीज "" बुलाते थे, जिन ् हें मै "" स ् कूल शेफ "" (विद ् यालय का बावर ् ची) बुलाता हूँ. ये महिलाएं — भगवान भला करे इनका — अपना हर दिन हज़ारों बच ् चों के लिए खाना बना कर निकलती हैं, नाश ् ता और दोपहर का खाना, सिर ् फ $२.६८ (180 ₹) प ् रति भोजन, जिसमे से खाने के सामान की तरफ सिर ् फ एक $(70 ₹) जाता है | इस कार ् यक ् रम मे रहस ् यमय सामग ् री थी 'क ् विन ् वा' | अब, मै जानता हूँ आप सब को स ् कूल का खाना खाए काफी समय हो चूका है, और हमने पोषकता के मामले मे काफी उन ् नति करली है. मगर आज भी क ् विन ् वा स ् कुलो के कैंटीनों में लोकप ् रिय नही है | (हंसी) तो यह सचमुच एक चुनोती थी | पर एक पकवान जो मै कभी नहीं भूलूंगा वह एक महिला ने बनाया था जिनका नाम था शेरिल बारबरा | शेरील कनेक ् टिकट के हाई स ् कूल में पोषण निर ् देशक थी | उन ् होंने एक स ् वादिष ् ट पास ् ता बनाया था | वो सचमुच स ् वादिष ् ट था | उसमे इटालियन सॉसेज के साथ पापरडैली पास ् ता था, साथ मे केल और पर ् मेसन चीज़ | वह बहूत ही स ् वादिष ् ट था, यानि रेस ् टोरेंट मे परोसे जाने लायक स ् वादिष ् ट मगर उन ् होंने क ् विन ् वा को बिना पकाए ही पास ् ता में दाल दिया था | यह एक अनोखा चुनाव था, और यह बहुत ही कुरकुरा था | (हंसी) तोह मैंने एक दोष लगाने डाले टीवी जज की तरह बोला और उनसे पूछा कि उन ् होंने ऐसा चुनाव क ् यों किया. शेरील बोलीं, "" पहले तोह, मुझे पता नही है कि क ् विन ् वा क ् या है | "" (हंसी) "" पर मुझे यह पता है कि आज सोमवार है, और मेरे विद ् यालय, 'हाई स ् कूल इन द कम ् युनिट' मे, मै सोमवार को हमेशा पास ् ता बनती हूँ | "" शेरील ने समझाया कि उनके बच ् चों में से कईं के लिए, शनिवार और रविवार को खाना नही मिलता था | ना शनिवार को | ना रविवार को | तोह वह पास ् ता बनातीं थी क ् यूंकि वह ये सुनिश ् चित करना चाहती थी कि वह कुछ ऐसा बनाएं जो बच ् चे ज़रूर खाएं | जिससे उनका पेट भर जाए | जिससे वह संतुष ् ट हो जाएँ | जबतक सोमवार आता था, उनके बच ् चों को इतनी भूक लग रही होती थी कि वो पढ़ने के बारे में सोच भी नही सकते थे | वह सिर ् फ कुछ खाना चाहते थे | सिर ् फ खाना | दुर ् भाग ् यता से, आँकड ़ े भी यही कहानी सुनाते है | हम इसे एक बच ् चे के संदर ् भ में देखेंगे | और हम अपना ध ् यान केन ् द ् रित करेंगे दिन के सबसे महत ् वपूर ् ण भोजन की ओर: नाश ् ता मिलिए ऐलिसन से | ऐलिसन १२ साल की है, उसका दिमाग बहुत तेज़ है और वह बड़े होकर भौतिक शास ् त ् री बनना चाहती है | अगर ऐलिसन ऐसे विद ् यालय जाए जहाँ सब बच ् चों को एक पौष ् टिक नाश ् ता मिलता है, हमे यह देखने को मिलेगा | उसे पौष ् टिक आहार मिलने की सम ् भावना बड़ जायेगी, ऐसा आहार जिसमे फल और दूध हो, और चीनी व ् नमक की मात ् रा कम हो | ऐलिसन के अन ् य बच ् चों के मुकाबले मोटा होने के कम आसार होंगे | उसको चिकित ् सक के पास कम जाना पड़ेगा | उसे अवसाद (डिप ् रेशन) की बिमारी होने के आसार कम होंगे | उसका व ् यवहार बेहतर होगा | उसकी हाजिरी ज ् यादा होगी, और वह समय पर उपस ् थित होगी | क ् यों? क ् योंकि वहां एक पौष ् टिक आहार उसका इंतज़ार कर रहा है | यानी की, ऐलिसन का स ् वास ् थ एक सामान ् य छात ् र से बेहतर होगा | पर उस बच ् चे के बारे मे क ् या जिसके लिए एक पौष ् टिक आहार इंतज़ार नही कर रहा? मिलिए टॉमी से | वह भी १२ साल का है | टॉमी एक लाजवाब बच ् चा है | वह एक चिकित ् सक बनना चाहता है | जब टॉमी बाल विहार में आता है, वह गणित में खराब प ् रदर ् शन दिखाना शुरू कर चूका है | जबतक वह तीसरी कक ् षा में पोहोंचता है, उसे गणित के साथ साथ पढने में भी परेशानी आ रही है | ११ साल की उम ् र तक सम ् भावना है की टॉमी एक साल दोहरा चूका होगा | शोध से पता चला है कि जिन बच ् चों को लगातार पोषण नही मिलता है, खासकर के नाश ् ते मे, उनकी मानसिक क ् षमता कमज़ोर रहती है | तोह यह समस ् या किस पैमाने पे प ् रचलित है? दुर ् भाग ् य से, यह काफी फैली हुयी है | मै दो आंकड़े देना चाहूँगा जो एक दुसरे के विपरीत प ् रतीत होंगे, पर असल में एक ही मुद ् दे के दो पहलु हैं | एक तरफ, ६ में से १ अमेरिकन को पौष ् टिक आहार नही मिलता, यानी १ करोड़ ६० लाख बच ् चों — तक़रीबन २० प ् रतिशत — को सही पोषण नही मिलता | इस शहर, न ् यू यॉर ् क सिटी में, १८ साल की आयु के नीचे ४,७४,००० बच ् चे हर साल भूख का सामना करते है | यह पागलपन है | दूसरी और, आहार और पोषण इस देश में मौत और बिमारी का सबसे बड़ा ऐसा स ् रोत है जिसे रोका जा सकता है | और आज हम जिन बच ् चों की बात कर रहे हैं, उनमे से एक तिहाई को अपने जीवन में डायबिटीज का सामना करना पढ़ सकता है | अब, जो बात समझना मुश ् किल है पर ज़रूरी भी, वह है की इन दोनों पहलुओं में बच ् चे एक ही हैं | यह बच ् चे हानिकारक और सस ् ती मोटापा बढ़ने वाली चीज़ें खाते है जो उनके समुदाय में उपलब ् ध है और जिन ् हें उनके परिवार खरीदने में समर ् थ हैं | पर फिर महीने के आखिर तक, राशन कार ् ड की सीमा ख़तम हो जाती है या काम में कुछ घंटों की कटौती हो जाती है, और अब उनके पास खाने की बुनियादी ज़रूररत के लायक पैसे नही बचते | पर फिर तोह हमारे पास इस परेशानी को सुधारने का उपाय होना चाहिए, हैना? हमे पता है की उपाय क ् या हैं | वाइट हाउस में काम करते समय हमने एक योजना बनायीं, जिसमे हर ऐसा विद ् यालय जिसमे ४० प ् रतिशत से अधिक कम आए वाले परिवारों के बच ् चे हैं, उनमे हम हर बच ् चे को नाश ् ता और खाना मुफ ् त मे उपलब ् ध कराएँगे | ये योजना बहुत ही सफल साबित हुयी है, क ् योंकि इसने हमे बच ् चों को एक सेहतमंद नाश ् ता प ् रदान करने से जुडी एक बेहद ज़रूरी बाधा पार करने में मदद दी | और वो बाधा थी कलंक की | गरीबी का कलंक | देखिये, विद ् यालय नाश ् ता पढाई शुरू करने से पहले देते हैं, और सिर ् फ गरीब वर ् ग के बच ् चों को देते हैं | तोह सबको पता चल जाता था कि कौन गरीब है और किसे सरकारी मदद की ज़रूरत है अब, हर बच ् चे मे, चाहे उनके माता पिता कम कमाते हों या ज ् यादा, अभिमान ज़रूर होता है | तोह इस योजना से क ् या हुआ? जिन विद ् यालयों ने इस योजना को अपनाया, उनमे गणित और पढ़ने के अंकों में १७.५ प ् रतिशत की बढौतरी हुयी | १७.५ प ् रतिशत | और शोध ये बताती है की जब बच ् चों को लगातार रूप से पौष ् टिक नाश ् ता मिलता है, उनके विद ् यालय से उत ् तीर ् ण होने की सम ् भावना २० प ् रतिशत बढ़ जाती है | २० प ् रतिशत | जब हम अपने बच ् चों को ज़रूरी पोषण उपलब ् ध कराते है, हम उन ् हें कामयाब होने का एक मौका देते हैं, कक ् षा के अन ् दर और बाहर भी | आपको इस मामले में मेरा विशवास करने की ज़रूरत नही है, पर आपको डॉना मार ् टिन से बात करनी चाहिए | मुझे डॉना मार ् टिन बेहद पसंद है | डॉना मार ् टिन वाय ् नेस ् बोरो, जॉर ् जिया की बर ् क काउंटी के विद ् यालयों में पोषण निर ् देशक हैं | बर ् क काउंटी इस देश के पांचवे सबसे गरीब राज ् य के सबसे गरीब विभागों में से एक है, और डॉना के तक़रीबन १०० प ् रतिशत छात ् र गरीबी की रेखा के नीचे रहते हैं | कुछ साल पहले, डॉना ने निश ् चय किया कि वह आने वाले नए मापदंडों से एक कदम आगे चलेंगीं, और अपने पोषण के मापदंडों में खुद सुधार लायेंगी | उन ् होंने भोजन में फल, सब ् जियां और अनाज लाकर एक सुधार लाया | उन ् होंने अपने सारे छात ् रों को नाश ् ता उपलब ् ध कराया | उन ् होंने रात ् रिभोज की योजना भी शुरू की | क ् यों? क ् योंकि उनके बहुत से छात ् रों को घर पे रात को खाना नही मिलता था | तोह इस योजना पे बच ् चों की कया प ् रतिक ् रिया थी? बच ् चों ने खाना बहुत पसंद किया | उन ् होंने बेहतर पोषण, और भूका न रहना भी पसंद किया | मगर डॉना के सबसे बड़े समर ् थक एक अप ् रत ् याशित जगह से आए | उनका नाम था एरिक पार ् कर, और वह बर ् क काउंटी बेअर ् स के फुटबॉल कोच (प ् रशिक ् षक) थे | कोच पार ् कर सालों से मामूली टीमों को सीखते आ रहे थे | उनकी टीम 'बेअर ् स' ज़ ् यादातर मध ् य श ् रेणी में रह जाती थी — जो एक फुटबॉल के प ् रति उत ् साहिक प ् रदेश में एक बड़ी निराशा थी | मगर जिस साल डॉना ने यह योजना अपनाई, 'बेअर ् स' न सिर ् फ अपनी श ् रेणी में जीते, उन ् होंने राज ् य प ् रतियोगिता मे भी जीत हासिल की, जिसके लिए उन ् होंने पीच काउंटी ट ् रोजन ् स को २८-१४ से मात दी | (हंसी) और कोच पार ् कर ने इस जीत का श ् रे डॉना मार ् टिन को दिया | जब हम अपने बच ् चों को ज़रूरी पोषण देते हैं, वह फलते-फूलते हैं | और यह सिर ् फ इस दुनिया की शेरील बार ् बराओं और डॉना मार ् तिनों की ज़िम ् मेदारी नही है | हम सब इसमें भागीदार हैं | और हमारे बच ् चों को सही पोषण देना सिर ् फ एक शुरुवात है | जो नमूना मैंने आज सामने रखा है वह वर ् तमान के कईं एहम मुद ् दों के लिए उचित है | यदि हम स ् वयं को सही पोषण देने के एक आसान लक ् ष ् य पर अपना ध ् यान केन ् द ् रित करें, हम एक ज ् यादा स ् थिर और सुरक ् षित दुनिया की ओर कदम रखेंगे; हम अपनी आर ् थिक उत ् पादकता को सुधार पायेंगे; हम अपनी चिकित ् सक प ् रणाली में अछे बदलाव ला सकेंगे और हम यह सुनिश ् चित कर पायेंगे की पृथ ् वी आने वालीं कई पीढ़ियों से अपने उपहार बाँट सके | भोजन एक ऐसा शेत ् र है जहाँ हमारा सामोहिक प ् रयास सबसे बड़ा प ् रभाव ला सकता है | हमे खुद से पूछना होगा: सही सवाल क ् या है? क ् या होगा अगर हम ज ् यादा पौष ् टिक और संपोषित कृषि द ् वारा उगाया हुआ खाना खाएं? इसका असर क ् या होगा? शेरील बारबरा, डॉना मार ् टिन, कोच पार ् कर और बर ् क काउंटी बेअर ् स — उन ् हें इसका जवाब पता है | आप सबका बहुत बहुत शुक ् रिया | (तालियाँ) तो यह मेरी भतीजी है उसका नाम याहली है उसकी उम ् र नौ महीने है उसकी माँ डाॅक ् टर है, और पिता वकील है जब तक याहली काॅलेज जाने लगेगी, उसके माँ-बाप के पेशे का रुख काफी अलग होगा 2013 में, ऑक ् सफोर ् ड यूनिवर ् सिटी के शोधकर ् ताओं ने काम के भविष ् य का अध ् ययन किया था उसका निष ् कर ् ष निकला कि लगभग दो में से एक पेशे को मशीनों द ् वारा स ् वचालित होने का खतरा है मशीन शिक ् षा की टेकनोलोजी इस व ् यवधान के लिए ज ़ िम ् मेदार है यह आर ् टिफ ़ िशियल इंटेलिजेन ् स की सबसे ताकतवर शाखा है, जो मशीनों को जानकारी द ् वारा शिक ् षा देती है व इंसानों द ् वारा किए गए कार ् यों की नकल करना सिखाती है मेरी कंपनी, कागल, आधुनिक मशीन शिक ् षा पर काम करती है हम हज ़ ारों विशेषज ् ञों को इकट ् ठा करते हैं उद ् योग और शिक ् षा की महत ् वपूर ् ण समस ् याएँ सुलझाने के लिए इससे हमें अनोखा नज ़ रिया मिल जाता है, कि मशीनें क ् या कर सकती हैं और क ् या नही और किस पेशे को वे स ् वचालित बनाने का खतरा देंगे मशीन शिक ् षा ने उद ् योग में अपना स ् थान 1990-2000 की शुरुआत में बनाया इसकी शुरुआत ज ़ ् यादतर आसान कार ् यों से हुई पहले-पहले इससे कर ् ज ़ की अर ् ज ़ ी में उधारी के खतरे आंके जाते थे, हस ् तलिखित ज ़ िप कोड के वर ् ण को पढ ़ कर पत ् रों को छाँटा जाता था पिछले कुछ सालों में, हमने बहुत उन ् नति की है मशीन शिक ् षा अब इससे कई गुना ज ़ ् यादा जटिल कार ् य कर सकती है 2012 में, केगल ने अपनी बिरादरी को चुनौती दी कि वे ऐसा एल ् गोरिथम बनाए जो उच ् च विद ् यालय के लेखों को जाँच सके जीतने वाले एल ् गोरिथमों के दिए गए अंक, मानव शिक ् षकों के दिए गए अंकों से मिल रहे थे पिछले साल हमने एक और भी मुश ् किल चुनौती रख दी क ् या आप आँखों की तस ् वीर ले कर उस रोग का निदान कर सकते हैं जिसका नाम है डायबेटिक रेटिनोपैथी? इस बार फिर, जीतने वाले एल ् गोरिथमों का निष ् कर ् ष, मानव नेत ् र चिकित ् सकों के किए गए निदान से मिल रहा था अब, सही जानकारी देने पर, मशीने इंसानों को मात देंगी जब ऐसे कामों की बात हो एक शिक ् षक को 10,000 लेख पढ ़ ने में शायद 40 साल लग जाए इतने वक ् त में एक डॉक ् टर शायद 50,000 आँखें देखे एक मशीन लाखों लेख पढ ़ सकती है और लाखों आँखें देख सकती है वो भी चुटकियों में हम मशीनों के सामने कुछ भी नहीं है बार-बार होनेवाले, भारी मात ् रा के कार ् यों में पर ऐसी भी चीज ़ ें हैं, जो हम कर सकते हैं, और मशीने नही कर सकती और जहाँ मशीनों ने, नवीन स ् थितियाँ संभालने में, ज ़ ् यादा प ् रगति नहीं की जो चीज ़ ें उन ् होंने ज ़ ् यादा बार देखी नही है, उन ् हे वे संभाल नही पाते मूल रूप से, मशीन शिक ् षा की सीमा यह है कि सीखने के लिए उन ् हें भारी मात ् रा में पिछली जानकारी की ज ़ रुरत है अब इंसानों को इसकी ज ़ रूरत नही हममें यह काबिलियत है कि हम असमान धागों को जोड ़ कर पहले न देखी हुई समस ् याओं को भी सुलझा सकते पर ् सी स ् पेंसर एक भौतिकज ् ञ था जो दूसरे विश ् व युद ् ध के दौरान रेडार पर काम कर रहा था जब उसने देखा कि मैग ् नेट ् राॅन के कारण उसका चॉकलेट पिघल रहा है वह अपनी विद ् युत चुम ् बकीय विकिरण की समझ को खाना बनाने की समझ से जोड ़ पाया और आविष ् कार कर पाया - अंदाज ़ ा लगाइए किसका - माइक ् रोवेव ओवन का अब यह सृजनात ् मकता का अद ् भुत उदाहरण है पर इस किस ् म का परागण हमारे लिए छोटे तरीकों में दिन में हज ़ ार बार होता है मशीने हमसे मुकाबला नही कर सकती जब नई परिस ् थितियों को संभालने की बात हो और यह उन मानवी कार ् य पर सीमा डालती है जो मशीनों के कारण स ् वचलित हो सकती है तो इसका काम के भविष ् य के संदर ् भ में क ् या मतलब है? किसी भी नौकरी के भविष ् य की दशा इस सवाल के जवाब से जुड ़ ी है: वह नौकरी में किस हद तक बार-बार होनेवाले और भारी मात ् रा के कार ् य है और किस हद तक नए हालातों का सामना करना पड ़ ता हैं? बार-बार होनेवाले व भारी मात ् रा के कार ् यों में मशीनें और होशियार होती जा रही हैं आज वे लेखों को अंक देते हैं, रोगों का निदान करते हैं आने वाले सालों में वे हमारी लेखा परीक ् षा लेंगे और कानूनी अनुबंधों के बॉयलरप ् लेट पढ ़ ेंगे मुनीम और वकील की ज ़ रूरत फिर भी होगी कर की जटिल संरचना के लिए उनकी आवश ् यकता होगी, अग ् रणी मुकदमों के लिए पर मशीनों के कारण उनके पद कम होंगे और ऐसी नौकरियाँ पाना मुश ् किल होगा अब, जैसा मैं कह चुका हूँ नई परिस ् थितियों में मशीन ज ़ ् यादा प ् रगति नहीं कर रही सभी को नमस ् ते मैं वास ् तव में बहुत ही छोटे-छोटे जन ् तुओ के साथ काम करती हूँ जिन ् हे कोशिका कहते हैं । और मैं आप को बताना चाहती हूँ कि प ् रयोगशाला में इन कोशिकाओं को कैसे बढा किया जाता हैं । मैं प ् रयोगशाला में इन कोशिकाओं को इनके असली वातावरण से बाहर लेकर आती हूँ । हम इन ् हे बर ् तनो में रखते हैं जिन ् हे पेट ् री बर ् तन भी कहते हैं । फिर निसंदेह हम उन ् हे रोगाणुनाशक कोशिका संवर ् धन नामक खाना खिलाते हैं और उन ् हे इन ् क ् यूबेटर में बढ ़ ा करते हैं । मैं ऐसा क ् यों करती हूँ? हम बर ् तनों की सतह पर पड ़ ी इन कोशिकाओं का निरीक ् षण करते हैं । लेकिन वास ् तव में हम मेरी प ् रयोगशाला में इन कोशिकाओं से ऊतक बनाने का प ् रयास करते हैं । पर इस का क ् या मतलब हैं? मतलब यह जैसे कि एक वास ् तविक दिल या कहिए एक हड ् डी का टुकड ़ ा बढ ़ ा करना ताकि उसे शरीर में डाला जा सके । ना सिर ् फ यह बल ् कि इन ् हे बीमारी के माडल के लिए भी इस ् तेमाल किया जा सकता हैं । पर इस के लिए पांरपरिक कोशिका संवर ् धन तकनीक काफी नही हैं कोशिकाएं गृहातुर महसूस करती हैं; बर ् तन इन ् हे अपने घर जैसे नही लगते । इसलिए हमे जरुरत हैं कि उन ् हे उनके प ् राकृतिक वातावरण के प ् रतिरुप रखे ताकि वो बढ ़ सके । हम इसे प ् रकृति अभिप ् रेरित निर ् माण कहते है । प ् रयोगशाला में वातावरण की नकल करना । चलिए अब दिल का उदाहरण ले लिजिए जो ज ् यादातर मेरी शोध का हिस ् सा रहा हैं । दिल को क ् या अद ् वितीय बनाता हैं? जी दिल की धड ़ कन चलती है, लय में, बिना थके, ईमानदारी से । हम प ् रयोगशाला में इसकी नकल करते हैं ताकि विद ् युत-द ् वार के साथ कोशिका संवर ् धन को सजाया जा सके । यह विद ् युत-द ् वार छोटे गतिनिर ् धारक का काम करते है जो कोशिका को प ् रयोगशाला में धड ़ कने में मदद करता हैं । हम दिल के बारे में और क ् या जानते हैं? दिल की कोशिकाएं बहुत ही लालची होती हैं । कुदरत हमारे दिल की कोशिकाओं को बहुत ही गाढ ़ े रक ् त के सहारे जीवत रखती हैं । प ् रयोगशाला में, हम वाहिका को बायोमैटीरियल ् स में सूक ् ष ् म आकार देते हैं जिन से हम उन ् हे बढ ़ ा करते हैं और यह हमें अनुमति देता हैं कि हम कोशिका संवर ् धन जोकि कोशिकाओं का खाना हैं उसे मचान ़ के द ् वारा प ् रवाहित करें जहां हम इन ् हे बढ ़ ाते हैं जैसे कि हम अपने दिल की केशिका से उमीद करते हैं । तो इस तरह मैं अपने पहले सबक तक पहुँचती हूँ । जीवन थोड ़ े में ही बहुत कुछ कर सकता हैं । चलिए अब वैद ् युत का उदाहरण ही ले लीजिए । और देखिए यह आधारभूत तथ ् य कितने ताकतवर हो सकते हैं । दाहिने तरफ हम एक दड ़ कते हुए दिल का छोटा सा ऊतक देख रहे हैं, जो मैंने एक चूहे की कोशिका से बनाया हैं । यह एक छोटे से मासशमैलो जितना हैं । और एक हफ ् ते बाद यह धड ़ क रहा हैं । आप इसे ऊपरी दाहिने तरफ देख सकते हैं । पर चिन ् ता ना करे अगर आप इसे अच ् छे से ना देख पाए तो । यह आश ् चर ् यजनक हैं कि यह कोशिकाएं धड ़ क रही हैं । पर यह और भी अद ् भुत हैं कि जब इन कोशिकाओं को वैद ् युत से उत ् तेजित करते हैं जैसे कि गतिनिर ् धारक से तो यह और भी तेज ़ धड ़ कने लगते हैं । तो इस तरह मैं अपने दूसरे सबक तक पहुँचती हूँ । 'कोशिकाएं सारे काम स ् वंय ही कर लेती हैं । एक मायने में, ऊतक इंजीनियरों की यहाँ उनकी पहचान पर बन आई हैं । क ् योंकि संरचनात ् मक इंजीनियर पुल और बड ़ ी चीज ़ े बनाते हैं । कंप ् यूटर इंजीनियर, कंप ् यूटर । पर हम यहाँ कोशिकाओं के लिए एक सक ् षम तकनीक बना रहे हैं । पर इस सब का हमारे लिए क ् या मतलब हैं? चलिए बहुत ही साधारण काम करते हैं । हम अपने आप को यह याद दिलाते हैं कि कोशिकाएं काल ् पनिक धारणा नही हैं । याद रखिए कि असल में हमारी कोशिकाएं ही हमें पालती हैं । "" हम वो हैं जो हम खाते हैं "" इसे आसानी से वर ् णित किया जा सकता हैं कि "" हम वो हैं जो हमारी कोशिकाएं खाती हैं "" और अगर हमारी आंत में वनस ् पति की बात की जाए तो यह कोशिकाएं मनुष ् य नही हैं । पर एक और बात पर ध ् यान देना चाहिए कि कोशिकाएं हमारे जीवन के अनुभव के मध ् यस ् थ हैं । आवाज ़, दृष ् टि, स ् पर ् श, सूंघने और स ् वाद के पीछे एक कोशिकाओं का समूह होता हैं जो इस जानकारी को हम तक पहुँचाता हैं । यहां एक सवाल उठता हैं कि क ् या हमें अपनी पर ् यावरण प ् रबंधन योग ् यता को बढ ़ ाना चाहिए ताकि हमारे शरीर के परितंत ् र को इस में शामिल किया जा सके । मैं इस विष ् य पर आगे बात करने के लिए आप को आमंत ् रित करती हूँ । बाकि इस समय मैं आप सब को शुभकामनाएँ देती हूँ । मैं उमीद करती हूँ कि आपकी कोई भी गैर-कैंसर कोशिका लुप ् तप ् रायः प ् रजाति ना बने । धन ् यवाद (अभिवादन) मेरा नाम जोशुवा वाल ् टर ् स हैं मैं एक कलाकार हूँ | (मुंह से आवाज ़ निकालना) (हंसी) (अभिवादन) लेकिन एक कलाकार होने के साथ मुझे मनोदशा अस ् थिरता से ग ् रसित पाया गया था | मैं इसे अच ् छी बात की तरह देखता हूँ, क ् युकि स ् टेज पर मैं जितना सनकी होता हूँ, मैं उतना ही मनोरंजक हो जाता हूँ | सैन फ ् रांसिस ् को में जब मैं 16 का था मेरे पागलपन का सबसे बड ़ ा दौर आया जिसमे मुझे लगता था कि मैं जीजस क ् राइस ् ट (Jesus Christ) हूँ शायद आप सोचे की यह भयावह हैं, लेकिन ऐसा कोई भी नशा नहीं हैं जो आपको इतना उन ् माद दे कि आप सोचने लगे आप जीजस क ् राइस ् ट हैं (हंसी) मुझे एक जगह भेजा गया, मनोवैज ् ञानिक चिकित ् सालय, और मनोवैज ् ञानिक चिकित ् सालय में, हर व ् यक ् ति अपना एकल नाटक कर रहा होता है | (हंसी) वहाँ, यहाँ की तरह कोई दर ् शक नहीं होते जो उनके अभ ् यास के समय को उचित ठहराए वो सिर ् फ अभ ् यास कर रहे हैं एक दिन वो यहाँ आयेंगे जब मैं बाहर आया, मनोचिकित ् सक ने मेरा निरिक ् षण किया और दवाइया दी | "" तो जोश (Josh) क ् यों ना हमे तुम ् हे क ् यों ना हमे तुम ् हे Zyprexa (दवा का नाम) दे ठीक है? मैंने लिखा तो यही है "" (हंसी) आप में से कुछ इस क ् षेत ् र में हैं मैं देख सकता हूँ | मैं आपका शोर महसुस कर सकता हूँ | मेरे हाई स ् कुल का पहला भाग इस पागलपन के दौर का संघर ् ष था, और दूसरा भाग इन दवाइयों का अतिसेवन, जहाँ मैं अपने हाई स ् कुल में सो रहा था | दूसरा भाग क ् लास में ली गयी एक बड ़ ी झपकी थी | जब मैं बाहर आया मेरे पास एक विकल ् प था | कि मैं अपनी मानसिक बीमारी को नकार सकता था या गले लगा सकता था अपनी मानसिक योग ् यता को | (बिगुल की आवाज ़) आजकल एक अभियान चल रहा है मानसिक बीमारी को अच ् छी नज़र से देखने का कम से कम हाइपोमैनियक (hypomanic) बढ़त वाला हिस ् सा अगर आपको नहीं पता कि हाइपोमैनियक क ् या है, यह एक बिना नियंत ् रण के इंजिन के सामान है, शायद एक फेरारी (Ferrari) का इंजिन, बिना ब ् रेक के यहाँ बहुत सारे वक ् ता, आप श ् रोताओ में से बहुतो के पास वो रचनात ् मक बढ़त है, अगर आप जानते हैं मैं क ् या कह रहा हूँ | आप कुछ करने के लिए प ् रेरित हैं जिसे सबने कहा हैं कि वो असंभव है | एक किताब है जॉन गार ् टनर (John Gartner) जॉन गार ् टनर ने लिखा है इसका नाम द हाइपोमैनियक एड ् ज (The Hypomanic Edge) है जिसमे क ् रिस ् टोफर कोलंबस, टेड टर ् नर और स ् टीव जाब ् स इन सब उद ् योगपतियो के पास प ् रतियोगी बढ़त है कुछ समय पहले ही एक दूसरी किताब लिखी गयी है 90 के दशक के मध ् य में के रेड ् फिल ् ड जमिसन (Kay Redfield Jamison) के द ् वारा लिखी गयी टच ् ड विथ फायर (Touched With Fire) जिसमे रचनत ् मक नजरिये से देखा गया कि किस तरह मोजार ् ट (Mozart) और बीथोवेन (Beethoven) और वान गाग (Van Gogh) ये सभी इस मानसिक अवसाद से ग ् रसित थे इनमे से कुछ ने आत ् महत ् या भी की तो इस बीमारी के सिर ् फ अच ् छे पहलु ही नहीं हैं | अभी हाल में ही, इस क ् षेत ् र में और भी उन ् नति हुई है | न ् यू योर ् क टाइम ् स (New York Times) में एक लेख लिखा गया था सितंबर 2010 में, जिसके अनुसार: "संतुलित सनक" बस इतने ही सनकी रहे जिसमे निवेशक वो उद ् यमी देख सके जिसमे इस प ् रकार का विस ् तार हो — आप समझ रहे है मैं जो बता रहा हूँ — पुरी तरह से मानसिक अस ् थिरता नहीं पर वो मानसिक अस ् थिरता के विस ् तार में हैं जिसमे एक तरफ तो आप खुद को जीजस समझते हैं, और दूसरी तरफ वो आपके लिए खुब सारे पैसे कमा सकते हों | (हंसी) आपका चुनाव | आपका चुनाव | और हर कोई इसके बीच में कहीं है हर कोई इसके बीच में कहीं है तो शायद आप यह समझे कि ऐसी कोई चीज नहीं है जो सनक है, और मानसिक बीमारी से ग ् रसित पाए जाने का अर ् थ यह नहीं कि आप सनकी हैं | शायद इसका अर ् थ केवल यह है कि आप ज ् यादा भावुक हैं जिसे बहुत से लोग देख या महसुस नहीं कर सकते | शायद कोई सनकी है ही नहीं | सभी लोग बस थोड ़ े से पागल हैं | कितना निर ् भर करता है कि आप इस विस ् तार में कहा पर हैं कितना निर ् भर करता है कि आप कितने भाग ् यशाली हैं | धन ् यवाद (अभिवादन) अगर आप आज यहां मौजूद हैं और मैं बहुत ख ़ ुश हूं कि आप यहां हैं - सबसे बड ़ ा भोजन वितरण कें ‍ द ् र, साथ ही अन ् य उद ् योग जिनके कारण 60: 00 (हंसते हैं) (प ् रशंसा करते हैं) किसी एक समुदाय को किसी अन ् ‍ य समुदाय की तुलना में अधिक पर ् यावरण के बोझ से दबाना नहीं चाहिए कि यहां पर पार ् क या पेड ़ ों जैसी अच ् छी चीज ़ ें देखी जा सकती हैं इससे हमें प ् रदूषण द ् वारा स ् वास ् थ ् य संबंधी समस ् याएं होती हैं इससे अधिक घिनौनापन तब होता है जब हमें उन काली नस ् ल और लेटिन युवाओं को अगर आपको पहले ही बता दिया जाए कि आपके समुदाय के लिए कुछ अच ् ‍ छा नहीं होने वाला है पुराने क ् षेत ् रिय वर ् गीकरण तथा ज ़ मीन के इस ् तेमाल संबंधी नियम क ़ ानून आज तक प ् रयोग किए जा रहे हैं जो कि मेरे आसपास प ् रदूषण उत ् पन ् न कर रहे हैं । जिससे ये शहरों में पाईप डालने वाले महंगे उपायों को भी घटाते हैं – परंतु अगर आप जानना चाहते हैं तो मैं आपको बाद में बताऊंगी राजतैनतिक दृष ् टि से सुभेद ् य समुदायों का अत ् यधिक शोषण करते हैं । एनेरीक पेनलोसा नामक एक प ् रभावशाली मेयर हुए थे । सहारे को जनतांत ् रिक बनाने और सभी को इकट ् ठा करने में मेरी सहायता करें, नमस ् कार! आज मैं आपके साथ एक प ् रयोग के बारे में बातचीत करने आया हूँ । कि कैसे हम मनुष ् य की एक गहन समस ् या को जड से ख ़ त ् म कर सकते हैं । ये प ् रयोग वास ् तव में डॉ. वेनकटस ् वामी की कहानी है । उनके लक ् ष ् य और उनके संदेश को आज हम अरविन ् द आई केयर के अवतार में साक ् षात देख सकते हैं । मेरे हिसाब से सबसे पहले दृष ् टिविहीनता को सही मायनों में समझना ज़रूरी है । संगीत स ् त ् री: जहाँ भी मैं काम माँगने गयी, लोगों ने मना कर दिया, एक अंधी औरत हमारे किस काम की? सूई में धागा डालने जैसे काम तो दूर की बात थी, मैं तो अपने बाल की जूँ तक नहीं देख सकती थी । अगर मेरे भात (चावल) में चींटी गिर जाती, तो भी मुझे पता नहीं चल सकता था । तुलसीराज रविल ् ला: नहीं देख पाना तो एक भीषण समस ् या है ही, लेकिन अंधापन व ् यक ् ति से उसका रोज़गार, और यहाँ तक कि उसका स ् वाभिमान तक छीन लेता है, ना उसकी अपनी कोई आज़ादी बचती है और ना ही उसके परिवार में उसका कोई महत ् व । तो आपने देखा कि ये स ् त ् री उन लाखों लोगों में से एक है जो देख नहीं सकते । और विडम ् बना ये है कि इसे इस दुःख को झेलने की कतई ज़रूरत नहीं है । एक साधारण-सी, कई सालों से चली आ रही शल ् य-क ् रिया से लाखों लोगों की दृष ् टि वापस आ सकती है । और उससे भी साधारण तरीका, एक चश ् मा, जाने कितने ही और लोगों को देखने लायक बना सकता है । अगर यहाँ बैठे लोगों के स ् तर पर बात की जाय जो कि चश ् मे के कारण कार ् य-कुशल है, तो लगभग हर पाँच में से एक भारतीय को नेत ् र-चिकित ् सा की आवश ् यकता है, लगभग २० करोड लोगों को । मौजूदा स ् थिति ये है कि हम इनमें से १० प ् रतिशत तक भी नहीं पहुँच सके हैं । अरविन ् द की कहानी का यही संदर ् भ है करीब ३० साल पहले डॉ. वी ने रिटायरमेंट (अवकाश-प ् राप ् ति) के बाद एक बीडा उठाया । उन ् होनें बिना किसी पूँजी के शुरुवात की । उन ् हें अपने जीवन की सारी बचत, सारी संपत ् ति गिरवी रखनी पडी थी तब जा कर बैंक से लोन मिल पाया था । और धीरे-धीरे, हम पाँच अस ् पतालों के समूह में विकसित हो गये, ज ् यादातर, तमिलनाडु और पुड ् डुचेरी में, और फिर, हमने विज़न सेंटरों को विकसित करना शुरु किया उप-अस ् पतालों के रूप में । और अब हमनें अस ् पतालों का प ् रबंधन करना भी शुरु किया है, देश के दूसरे भागों में और देश के बाहर भी हमने अस ् पतालों की स ् थापना शुरु की है पिछले तीन दशकों में हमने करीब ३५ लाख नेत ् र ऑपरेशन किये हैं, उसमें से अधिकतर गरीब लोगों के लिये । आज हम हर साल लगभग ३ लाख ऑपरेशन करते हैं । किसी भी दिन औसतन हम लोग अरविन ् द में एक हज़ार ऑपरेशन करते हैं । और लगभग ६ हज़ार मरीज़ देखते हैं, हम अपनी टीमों को गाँव-गाँव भेजते है, वहाँ से ज़रूरतमंद मरीज़ों को लाते हैं, कई बार दूर-संचार के माध ् यम से भी इलाज करते हैं, और इस सब को कर पाने के लिये, बडे पैमाने पर प ् रशिक ् षण भी देते हैं । उन डाक ् टरों और तकनीशियनों को, जो कि आगे चल कर अरविन ् द के कार ् यकर ् ता बनते हैं । और फिर, हम यही काम दिन-रात, रात-दिन, बारम ् बार करते जाते हैं, और बेहतर करते जाते हैं, इसके लिये बहुत तगडे मनोबल और कमरतोड मेहनत करने की ज़रूरत होती है मै ये मानता हूँ कि ये सब संभव है उस नींव की बदौलत जो डॉ. वी ने रखी कुछ अडिग मौलिक सिद ् धान ् त, एक सुचारु व ् यवस ् था-क ् रम और कुछ नया करने की संस ् कृति संगीत डॉ. वी: मैं गाँव-देश के आम लोगों के साथ बहुत उठा-बैठा हूँ क ् योंकि मैं ख़ुद भी एक ग ् रामीण ही हूँ और अचानक ऐसा लगता है जैसे आप इस व ् यक ् ति की अंतरात ् मा से जुड रहे हों, आप उसके साथ मिल कर एक हो रहे हों । उस आम आदमी की आत ् मा में विश ् वास की सादगी भरी होती है । डाक ् टर, जो भी आप कहेंगे, मैं करने को तैयार हूँ । मैं आप में अपना पूर ् ण विश ् वास रखता हूँ और आप उस विश ् वास को किसी भी हालत में तोड नहीं सकते । मेरे सामने एक बूढी औरत है जिसे मुझमें संपूर ् ण विश ् वास है, मेरा कर ् तव ् य है कि मैं पूरी कोशिश करूँ । जब हम आत ् मा को चेतन करते हैं, हम सारे संसार को स ् वयं का हिस ् सा समझने लगते हैं, इसलिये लेन-देन का सवाल ही नहीं उठता । हम तो स ् वयं अपनी ही मदद कर रहे होते हैं । हम तो स ् वयं अपना ही इलाज कर रहे होते हैं । अभिवादन इन विचारधारा से प ् रेरित होकर हमें पूर ् णतः रोगी-केंद ् रित और आदर ् श संस ् था बनाई और वो सारे प ् रबंध किये जिनकी ज़रूरत थी मगर... ऐसी संस ् था चलाने के लिये आपको सर ् वोत ् तम सेवा सुचारु रूप से देनी पडती है, और अजीब लगेगा पर मुझे इसकी प ् रेरणा मक ् डोनॉल ् डस ् ‌ से मिली । डॉ. वी: देखिये, मक ् डोनॉल ् डस ् का सिद ् धान ् त साधारण सा है । उन ् हें लगता है कि वो दुनिया भर के लोगों को प ् रशिक ् षण दे सकते हैं, अलग-अलग धर ् मों, संस ् कृतियों वगैरह वगैरह के बावजूद, अपने व ् यंजनों को उसी ख़ास तरह से तैयार करने का और उसी ख़ास तरह से प ् रस ् तुत करने का वो भी सैकडों अलग अलग जगहों पर । लैरी ब ् रिलियन ् ट: वो हमेशा मक ् डोनल ् ड और हैम-बर ् गर की बात करते रहते थे, और हमें कुछ भी समझ नहीं आता था । वो उप-संस ् थानो का निर ् माण करना चाहते थे, आँखों के इलाज को मुहैया करने का प ् रबंध मक ् डोनॉल ् डस ् जितनी सुचारू व ् यवस ् था से । डॉ. वी.: मान लीजिये मैं आँखों के इलाज का एक अदद तरीका निकाल लूँ, सारी तकनीकें, सारी कार ् यप ् रणालियाँ, बिलकुल एक सी, और उसे बंद-डिब ् बा रूप में दुनिया के हर कोने में पहुँचा सकूँ । अँधेपन की समस ् या हो गयी गायब, चुटकी बजाते ही । टी.आर.: यदि आप बारीकी से सोचें, तो आँखों की पुतली एक सी ही होती है, चाहे अमरीकन हो या फिर अफ़ ् रीकन, समस ् या भी एक सी है, इलाज भी एक सा हो सकता है । तो फिरे कोई वजह नहीं कि गुणवत ् ता और सेवा में इतना ज ् यादा फर ् क हो, और हमने यही मूल सिद ् धान ् त अपनाया जब हमने सेवाओं पद ् धति का विकास किया । और सच है कि ये एक बहुत विशाल चुनौती थी, हम करोंडों लोगों की बात कर रहे हैं, बहुत ही कम संसाधनों के ज़रिये, और तंगी व प ् रचालन की समस ् याओं के एक पूरे पहाड के ख़िलाफ़ । और फिर लगातार हमें नई से नई जुगाड लगानी होती थी । हमने शुरु में ही एक ज़बरदस ् त युक ् ति निकाली, जो कि आज भी प ् रयोग में है, हमने समस ् या का हल निकालने का ज़िम ् मा पूरे समुदाय पर डाल दिया, और उसके बाद उन ् हें बाकयदा एक हिस ् सेदार के रूप में शामिल किया और ये ऐसा ही एक आयोजन है, ये एक सामुदायिक शिविर है जो सबने मिल कर लगाया है, जहाँ उन ् होनें ही जगह ढूँढी, उन ् होंने ही स ् वयं-सेवियों को बुलाया और फिरे हमने अपना योगदान दिया जो था - उनकी नज़रों की जाँच, फिर डॉक ् टर पता लगाते है कि आखिर समस ् या क ् या है फिर आगे की प ् रक ् रिया का निर ् धारण, और फ़िर उस प ् रक ् रिया का उन तकनीशियनों द ् वारा निर ् वाह जो कि चश ् में के लिये पडताल करते हैं, या फिर काँचबिन ् दु (ग ् लूकोमा) के लिये जाँच करते है । और अंततः, सारी जाँचों के नतीज़े के आधार पर डॉक ् टर निर ् णय ले कर इलाज का निर ् णायक तरीका सुझाते हैं, यदि किसी को चश ् मे की ज़रूरत है, तो उसे शिविर में ही तुरंत चश ् मा दिया जाता है, हालांकि ये सब ज ् यादातर एक पेड के नीचे ही होता है, तब भी, उन ् हें चश ् में का ढाँचा उनकी रुचि के अनुसार ही दिया जाता है, ये बहुत ज़रूरी है क ् योंकि मुझे लगता है कि चश ् मा, लोगों को आँखों की रोशनी देने के अलावा, रोज़मर ् रा की सज-धज का महत ् वपूर ् ण अंग भी है, और लोग इसके लिये खर ् च करते हैं । उन ् हें करीब बीस मिनट में चश ् मा पूरी तरह तैयार हो कर मिल जाता है और जिन ् हें शल ् य-चिकित ् सा की आवश ् यकता होती है, उन ् हें चिकित ् सीय सलाह दी जाती है, बगल में ही बसें लगी होती हैं, जो कि रोगियों को मुख ् य अस ् पताल तक ले जाने के लिये तैयार होती हैं । खरी बात ये है कि यदि इस हद तक सेवा उपलब ् ध न हो, तो इनमें से बहुत से लोगों कभी भी चिकित ् सा नहीं पा पायेंगे, सही वक ् त पर तो बिलकुल भी नहीं । शल ् य चिकित ् सा भी सलाह देने के ठीक दूसरे दिन ही दी जाती है, उसके बाद उन ् हें एक दो दिन तक देखभाल के लिये रोका जाता है, फिर उन ् हीं बसों से वापस भेज दिया जाता है, जहाँ से वो आये थे, और जहाँ उनके परिवारजन बेसब ् री से उन ् हें वापस ले जाने के इन ् तज़ार में होते हैं । तालियों सहित अभिवादन और ये पूरी प ् रक ् रिया साल मे कई हज़ार बाद होती है । आप सब हर ् षित होंगे कि हम बहुत रोगियों का इलाज कर रहें हैं, हमारी कार ् यप ् रणाली अत ् यंत सुचारु है, पर हमने सोचा कि क ् या हम वास ् तव में समस ् या हल कर पा रहे हैं? हमने एक अध ् ययन किया - वैज ् ञानिक पद ् धति से, और हमें बहुत आश ् चर ् य हुआ जब हमें ये पता चला कि हम सिर ् फ़ सात प ् रतिशत ज़रूरतमंदों तक ही पहुँच रहे थे, और लिहाज़ा, हम समस ् या को उसकी विशालता के अनुरूप हल नहीं कर रहे थे । जाहिर था कि हमें कुछ अलग और नया करना पडा, तो हमने प ् राथमिक नेत ् र चिकित ् सा केन ् द ् र, दृष ् टि केंद ् र खोले । ये सच में क़ागज़-रहित कार ् यालय हैं पूर ् णतः इलैक ् ट ् रानिक दस ् तावेज़ वगैरह । इनके द ् वारा व ् यापक नेत ् र जाँच उपलब ् ध होती है । हमने एक तरह से साधारण डिजिटल कैमरे को आँख के अंदर झाँकने के यंत ् र में बदल डाला, इस तरह हर रोगी को नेत ् र-विशेषज ् ञ से सीधे जोडा जा सका । इसका असर ये हुआ, कि पहले ही साल में, हम सात से चालीस प ् रतिशत ज़रूरतमंद लोगों तक पहुँच पाने में सक ् षम हो गये, जो कि पचास हज़ार लोगों से भी ज ् यादा का समुदाय है । और दूसरे साल में, हम पचहत ् तर प ् रतिशत तक पहुँच गये । तो मैं समझता हूँ कि हमने ऐसी प ् रक ् रिया बना ली है जिससे हम विशाल स ् तर पर हर एक ज़रूरतमंद तक पहुँच सकते है, यही नहीं, इस तकनीक के प ् रयोग से हम ये भी सुनिश ् चित करते हैं कि ज ् यादा से ज ् यादा लोगों को अस ् पताल आने के ज़रूरत न पडे । और इसके लिये उन ् हें कितने पैसे देने होंगे? हमने एक दाम पक ् का किया, ये देखा कि वो शहर ना आने से कितने पैसे बचा रहे है, तो वो हमें देते हैं कुल बीस रुपये, और इसके बदले में तीन बार डॉक ् टरों से मिल सकते हैं । तालियों सहित अभिवादन एक और चुनौती थी, कि कैसे उच ् च-तकनीकी सेवा और इलाज़ उपलब ् ध करवाया जाय? हमने एक वीसेट जडी वैन तैयार की, जिसके ज़रिये रोगी की तस ् ‍ वीरें सीधे मुख ् य अस ् पताल को भेजी जाती हैं, जहाँ डॉक ् टर जाँच करते हैं, और रोगी के देखते ही देखते, उसकी रिपोर ् ट भी वापस वैन तक आ जाती है, प ् रिंट हो जाती है, और रोगी को मिल भी जाती है, और विशेषज ् ञ की सटीक सलाह उन ् हें मिलती है, यानि, अभी तुरंत डॉक ् टर से मिलिये, या फिर छः महीने बाद जाँच कराइये, और ये सब होता है नवीन तकनीक को आम जनता तक पहुँचा कर । इसक एक असर ये भी है कि जरूरतमंदों की संख ् या भी बढी है, इस तकनीक ने कई लोगों को चिकित ् सा की आवश ् यकता के प ् रति जागरुक किया है, और यही नहीं, चिकित ् सा को उन तक पहुँचाया भी है, इस तरह से हम सार ् थक विस ् तार भी कर रहे हैं । इस सबका दूसरा पहलू ये है कि ये सब सुचारु रूप से कैसे चलाया जाय जबकि आपके पास केवल मुट ् ठी भर नेत ् र-विशेषज ् ञ हैं? इस वीडियो में आप शल ् य-चिकित ् सा होते देख रहे हैं और दूसरी तरफ आप देखेंगे कि एक और रोगी तैयार हो रहा है । जैसे ही ये क ् रिया समाप ् त होगी, सूक ् ष ् म-दर ् शी को उस तरफ घुमा दिया जाएगा, मेज़ों को परस ् पर सही दूरी पर टिकाया गया है, हमें इस हद तक सोचना होता है क ् योंकि केवल इस तरह से सोच कर ही, हम एक शल ् य-चिकित ् सक की औसत क ् षमता को चौगुने से भी ज ् यादा बढा सकते हैं । लेकिन इस रफ़ ् तार पर काम कर रहे चिकित ् सक के लिये एक टीम की ज़रूरत होती है । इसलिये हमनें ग ् रामीण लडकियों को प ् रशिक ् षित किया, और अब वो ही हमारी संस ् था की रीढ बन चुकी हैं । वो सारे के सारे कौशल-आधारित नित ् य कर ् म करने में सक ् षम हैं । एक बार में एक कार ् य करती हैं, और सर ् वोच ् च गुणवत ् ता के साथ । नतीजा ये होता है कि हमारी उत ् पादक ् ता बहुत बढ जाती है, सर ् वोच ् च गुण ् वत ् ता, सबसे कम लागत पर । तो, कुल मिला कर, होता ये है कि हमारे कर ् मचारियों की उत ् पादक ् ता विश ् व-स ् तर पर सर ् वोच ् च है । तालियों सहित अभिवादन ये बहुत ही व ् यस ् त मेज़ है, मगर इसका संदेश ये है कि जब बात गुणवत ् ता की आती है, हम बहुत ही उच ् च-स ् तर की गारंटी देते हैं । इसलिये, हम यूनाइटेड किन ् गडम ् ‌ जैसे देशों के मुकाबले भी बहुत कम ही केसों में पेचीदा स ् थितियों का सामना करते है, ऐसे नतीज़े आपको बहुत कम देखने को मिलेंगे । तालियों भरा अभिवादन अब आते हैं पहेली के आखिरी हिस ् से पर, इस सब को आर ् थिक रूप से संभव कैसे बनाया जाय, ख़ासतौर पर तब, जब कि लोग पैसे देने में सक ् षम हैं ही नहीं? तो हमने अपनी सुविधाओ मे से ज ् यादातर को मुफ़ ् त ही बाँटा, और जिन ् होंने हमें पैसे दिये भी, उन ् होंने बाजार के दामों पर ही दिये, न ज ् यादा, और न ही कम, और बाज़ार कभी भी हमसे उत ् पादक ् ता में मुकाबला नहीं कर पाये । शायद हमारी सफ़लता की कुंची यही है, आज भी । असल में, आपके पास जो फालतू पडा है, उसे बाँटने के लिये एक खास मानसिकता की ज़रूरत होती है । परिणाम ये है कि साल दर साल, जहाँ हमारा खर ् च दिन दूना रात चौगुना बढा है, वहीं हमारी आमदनी उससे भी ज ् यादा रफ़तार से बढी है, जिससे हमें एक अच ् छा मुआवज़ा मिला है जबकि हम तमाम लोगों का मुफ़ ् त इलाज़ भी कर रहे हैं । मैं मोटा मोटा हिसाब बताता हूँ, पिछ ् ले साल, हमने करीब दो करोड डॉलर की आमदनी की, और खर ् च करीब डेढ करोड का, मतलब चालीस प ् रतिशत मुनाफ़ा तालियो सहित अभिवादन मगर असली मुद ् दा इस सब के आगे है कि हमने क ् या करते हैं, या हमने अब तक क ् या किया है, यदि हमें इस अंधेपन की समस ् या को जड से उखाड फेंकना है । हमने जो किया वो सामन ् य समझदारी भरी सोच से बिल ् कुल परे है । हमने खुद अपने लिये चुनौतियाँ खडी कीं, और नेत ् र-चिकित ् सा को सबकी पहुँच के भीतर लाये कम-खर ् च में पाये जा सकने वाली तकनीक ईज़ाद कर के हमने ज़ोर-शोर से पर एक व ् यवस ् थित अंदाज में इन तकनीकों को भारत के कई एक अस ् पतालों में लागू किया और भारत के बाहर भी । तकनीक को सबके साथ बाँटने से हुआ ये कि हमारे साथ काम करने के दूसरे ही साल में, अस ् पतालों की क ् षमता दुगुनी हो गयी, और आर ् थिक रूप से भी वो सक ् षम हो गये । अलावा इसके, एक समस ् या है तकनीक की कीमत में वृद ् धि की? एक समय था कि हम लाख चाहने पर भी कृत ् रिम लेंस को कम कीमत पर उपलब ् ध नहीं करवा पाये, तो हमने उन ् हें खुद ही बनाने की ठान ली । और फिर, धीरे-धीरे, हम उनकी कीमत को कम करने में समर ् थ हो गये हम ने उसकी कीमत को पहले के मुकाबले पचास गुना कम कर डाला । आज हम विश ् व भर की माँग के सात प ् रतिशत की आपूर ् ति अकेले ही करते हैं, और हमारे लेंस एक सौ बीस से ज ् यादा देशों में इस ् तेमाल होते हैं । पर जो हम करते हैं, उसका कोई स ् तर भी है, या केवल विकासशील देशों या भारत में ही हम तीसमारखाँ बने फिरते हैं? तो हमने अरविन ् द और यूके का एक तुलनात ् मक अध ् ययन किया । हमें ये पता लगा कि हम यूके का लगभग साठ प ् रतिशत काम अकेले ही कर लेते हैं, पूरा यूके लगभग पाँच लाख शल ् य-क ् रियाएँ करता है । और हम करीब तीन लाख । इसके ऊपर हम हर साल करीब पचास नेत ् र-विशेषज ् ञों को प ् रशिक ् षित भी करते हैं जबकि पूरे यूके में सत ् तर ऐसे विशेषज ् ञ प ् रशिक ् षित होते हैं, और हमारी गुणवत ् ता कहीं से भी कम नहीं है - न ही प ् रशिक ् षण में, न ही सेवा में । तो हम ठीक ही तुलना कर रहे हैं । फिर हमने लागत की तुलना की । खिलखिलाहट अभिवादन इस हिसाब से मेरा मत है कि ये कहना कि ये सब भारत में है, इसलिये सँभव है, गलत है । बात इस से आगे भी है । कई पहलुओ पर विमर ् श की ज़रूरत है । हो सकता है कि — बढती कीमतों का जवाब उच ् चतम उत ् पादक ् ता में हो सकता है, या कि सुचारु कार ् यप ् रणाली में, या फ़िर पद ् धति के पालन में, या फिर रोगी लेंस के लिये या और सुविधाओं के लिये कितना दाम दे रहे हैं, या फिर, बेहतर कानूनों मे, या रक ् षात ् मक कार ् यप ् रणालियों में इस समस ् या को यदि सुलझा लिया जाय तो विकसित देशों को भी कई हल मिल सकते हैं यू.एस, और शायद ओबामा को लोग दोबारा चाहने लगें । ठहाका मैं आपको मंथन के लिये एक और विचार देना चाहता हूँ, जब समस ् या गहन और विशाल हो, और सारे आर ् थिक स ् तरों के लोग उससे जूझ रहे हों, तो एक हल मिल सकता है, मेरे ख ् याल से जो पद ् धति मैनें बताई है, जैसे कि, उत ् पादक ् ता, गुणवत ् ता, रोगी-केन ् द ् रित सेवा, वो इसका हल बन सकती है, और कई समस ् याएँ हैं जिन पर ये पद ् धति लागू हो सकती है । दँत चिकित ् सा या श ् रवण समस ् या, या फिर जच ् चा-बच ् चा इत ् यादि अनेकों समस ् याओं का हल इस पद ् धति में छुपा बैठा है, पर मुझे लगता है कि इस पद ् धति की सबसे बडी कठिनाई है भावनाओं से जुडी हुई आप करुणा की भावना कैसे पैदा करेंगे? कैसे आप लोगों से दूसरों की समस ् याओं को अपनाने की बात कहेंगे, कैसे आप उन ् हें कुछ करने के लिये प ् रेरित करेंगे? ये बहुत गहन मसले हैं । और मुझे विश ् वास है कि यहाँ बैठे लोगों में हल निकालने की काबलियत है । मैं अपनी बातचीत का अंत इसी विचार के साथ करता हूँ और आपको चुनौती देता हूँ । डॉ. वी.: जब आप आत ् म चेतना के रास ् ते पर बढते है, आप पूरे संसार को अपना परिवार मानने लगते है इसलिये लेन-देन का सवाल ही नहीं उठता । हम तो स ् वयं अपनी ही मदद कर रहे होते हैं । हम तो स ् वयं अपना ही इलाज कर रहे होते हैं । टी. आर.: बहुत बहुत धन ् यवाद अभिवादन एक ऐसे आदमी की जो अपने तीन बेटों के लिये १७ ऊँटों की विरासत छोड गया था । दूसरे के लिये, एक तिहाई; अब अगर आप इस कहानी पर गौर करें, हम सब एक परिवार हैं । हम अपने गहरे पैठे हुए मतभेदों से कैसे निपटें, दुनिया भर में सफ़र करते हुए बिताये हैं, आसान नहीं है, मगर साधारण है । मैं उदाहरण के रूप में एक किस ् सा सुनाता हूँ । काफ़ी हद तक आदिमानवों सरीका जीवन व ् यतीत करने वाले, या फ़िर, विवाद करने वाले सुलह न कर लें । और यदि तब भी गुस ् सा शांत न हो, परिवार के सदस ् य, पडोसी । उसी कमरे में जहाँ युगोस ् लावी युद ् ध अपराधों की कचहरी क ् योंकि हो सकता है आप पर भी युद ् ध-अपराधों का मुकदमा चले । "" यहाँ हम बालकनी में जाने की बात कैसे सोच सकेंगे? इस के कई सौ गुना लोग मरते हैं ४००० साल पहले, एक आदमी और उसके परिवार वो हम सब का पिता था । मगर मसला सिर ् फ़ ये नहीं कि वो क ् या पूजता था, बल ् कि ये कि उसका संदेश क ् या था । सबके आपस में जुडे होने का, और सबके बीच एकता का । क ् योंकि अब ् राहम सत ् कार भावना का प ् रतीक है — देखिये सिर ् फ़ कहानी सुना भर देना काफ़ी नहीं है — और यहीं से पहले कदम की शुरुवात है । इसिलिये, जब मसले हल करते समय, स ् थिति कठिन हो जाती है, लोग जंगलों में पद-यात ् रा के लिये निकल जाते हैं । जिसका इतिहास अब ् राहम से जुडा है । आप में से कितनों को ऐसा अनुभव हुआ है जोर ् डन में, तुर ् की में, सीरिया में । और उम अहमद नाम की इस महिला, जो कि उत ् तरी जोर ् डन में इस रास ् ते पर ही रहती है । काफ़ी हद तक दृष ् टि-विहीन है, उसका पति काम नहीं कर सकता है, जो कि आसपास के खेतों में उगने वाले मसालों से बना होता है । और ऐसे कई सौ समुदाय है और उस हिसाब से, अब ् राहम पथ जिसका काफ़ी बडा हिस ् सा मैने, शिकागो में पैदा होने के बावजूद, और एक साझी अर ् थव ् यवस ् था के चलते । तो मेरा प ् रश ् न है, कि यदि ये यूरोप में किया जा सकता है, क ् यों नहीं, जबकि वहाँ भी एक साझी पहचान है — यही अब ् राहम के नक ् श-ए-कदम पर चलना है । हेतान पटेल: (चीनी में) युयू रौ: नमस ् ते, मेरा नाम हेतान है । मैं एक कलाकर हूँ । और यह युयू हैं, जो एक नर ् तकी है जिसके साथ मैं काम करता हूँ । मैने इसे मेरे लिये अनुवाद करने के लिये कहा हैं । हे.प.: (चीनी में) युयू रौ: अगर आपकी आज ् ञा हो तो, मैं आपको मेरे बारे में और मेरी कलाकृति के बारे में बताना चाहूँगा । हे.प.: (चीनी में) युयू रौ: मुझे इंग ् लेंड में मॅनचेस ् टर के पास में जन ् म दिया गया था और बड ़ ा किया गया था, लेकिन मैं आपसे यह अंग ् रेज ़ ी में नहीं कहूँगा, क ् योंकि मैं किसी भी मान ् यताओं से बचने की कोशिश कर रहा हूँ जो मेरे उत ् तरी लहजे से बनाई जाएँगी । (हंसी) हे.प.: (चीनी में) युयू रौ: इसे चीनी मैन ् डरिन से छुपाने की एक ही समस ् या यह है कि मैं सिर ् फ यह पैरा बोल सकता हूँ जो मैने याद कर चुका हूँ जब मैं चीन गया था । (हंसी) तो मैं सिर ् फ यह कर सकता हूँ कि इसे मैं अलग-अलग स ् वर में दोहराते रहूँ और यह आशा करू कि आप नोटीस ना करे । (हंसी) हे.प.: (चीनी में) (हंसी) युयू रौ: केहने कि ज ़ रूरत तो नहीं है, परंतु मैं कोई भी मैन ् डरिन बोलनेवाले से माफी माँगना चाहूँगा । जब मैं एक बच ् चा था, मुझे भारतीय कुर ् ता पाजामा पहनाया जाए, इससे मुझे नफरत थी क ् यूँकि मैं यह सोचता था कि यह 'कूल' नहीं था । मुझे यह थोड ़ ा गर ् ली लगता था, एक लड ़ की के कपड ़ ो कि तरह, और उसमें यह बॅगी पतलून वाला हिस ् सा था जिसे बहुत कस कर बांधना पड ़ ता था ताकि उनके गिरने कि शर ् मिंदगी से बचा जा सके । मेरे पिताजी यह कभी नहीं पेहेंते थे, तो मुझे यह समझ नहीं आता कि मुझे क ् यों ऐसा करना पड ़ ता । तथा, मुझे बेआरामी मेहसूस होती है, कि लोग मान लेते है कि मैं कुछ मूलताया से भारतीय दर ् शाता हूँ जब मैं इसे पहनता हूँ, क ् योंकि मैं ऐसा मेहसूस नहीं करता । हे.प.: (चीनी में) युयू रौ: वास ् तव में, मुझे यह पहनते हुए तभी आरामदायक लगता है जब मैं यह नाटक करता हूँ कि यह एक कुंग-फू योधा की पोशाक है जैसे ली मू बाई, उस फिल ् म से "क ् राउचिंग टाइगर, हिडन ड ् रॅगन" (संगीत) अच ् छा । तो मेरी कलाकृति पहचान और भाषा के बारे में है, जो आम धारणाओ को चुनौती देती है जो हम कैसे दिखते है, कहा से है, लिंग, जाती, श ् रेणी पर आधारित होते हैं । वैसे भी, कौनसी चीज ़ हमें वह बनती है जो हम है? हे.प.: (चीनी में) युयू रौ: मैं स ् पाइडर-मॅन कॉमिक ् स पढ ़ ा करता था, कुंग-फू फिल ् मे देखा करता था, और ब ् रूस ली से फिलॉसोफी में सबक लेता था । वह कुछ इस तरह की बातें करते — ह.प.: अपना मन खाली करो । (हंसी) निराकर बनो, पानी की तरह । अब तुम पानी को कप में डालो । वह कप बन जाता है । तुम पानी को बॉटल में डालो, वह बॉटल बन जाता है । उसे चायदानी में डालो, वह चायदानी बन जाता है । अब, पानी बह सकता है या टकरा सकता है । पानी बनो, मेरे दोस ् त । युयू रौ: इस साल, मेरी उम ् र ३२ वर ् ष की है, यही ब ् रूस ली की उम ् र थी, जब उसकी मृत ् यु हुई थी । मैं हाल ही में सोच रहा था, की अगर वह अभी ज ़ िंदा होता, तो वह मुझे क ् या सलाह देता इस TED टॉक को बनाने के बारे में । हे.प.: मेरी आवाज ़ की नकल मत उतारो । यह मुझे अपमानित करता है । (हंसी) युयू रौ: अच ् छी सलाह है, परंतु मुझे फिर भी ऐसा लगता है की हम जो हैं दूसरो की नकल उतारने के कारण है । किसने अपने माता, पिता, या अपने बचपन के हीरो की मैदान में नकल नहीं उतारी है? मैने उतारी है । हे.प.: कुछ साल पहले, अपनी कला का यह वीडियो बनाने के लिए, मैने अपने बाल मुँडवा लिए, ताकि मैं अपने पिताजी के बालो के समान उन ् हे वापस उगालु जब वह पहली बार भारत से 1960s में यू.के. आए थे । उनके पास एक साइड पार ् टिंग और एक साफ मूंछ थी । शुरुआत में तो सब कुछ ठीक जा रहा था । मुझे तो भारतीय दुकानों में छूट भी मिलने लगी । (हंसी) लेकिन फिर बहुत ही जल ् द, मैं अपनी मूंछ उगाने की ताकत को अनडरएस ् टीमेट करने लगा, और वह बहुत बड ़ ी हो गई । अब यह भारतीय नहीं लग रही थी । इसकी बजाय, दुनियाभर के लोग सड ़ क के दूसरी ओर से ऐसी चीज ़ े केहते — युयू रौ और हे.प.: अररिबा! अररिबा! आंडले! आंडले! (हंसी) हे.प.: दरअसल, मुझे तो यह भी नहीं पता कि मैं ऐसे क ् यों बात कर रहा हूँ । मेरे पिताजी के पास भी अब भारतीय उच ् चारण नहीं रहा । अब वह ऐसे बात करते हैं । मैने सिर ् फ अपने पिताजी कि नकल नहीं उतारी है । कुछ साल पहले जब मैं कुछ महीनों के लिए चीन गया था, मैं चीनी नहीं बोल सकता था, और यह बात मुझे सताती थी इसलिए मैने इसके बारे में लिखा, और इसका चीनी में अनुवाद करवाया और उसके बाद उसे ठीक से याद किया संगीत की तरह । युयू रौ: यह वाक ् यांश अब मेरे मन को रट गया है, मेरे बॅंक के पिन नंबर से भी ज ़ ् यादा स ् पष ् ट ताकि मैं बेधड ़ क चीनी बोलने का नाटक कर सकता हूँ । जब मैने यह वाक ् यांश याद किया था, मैने इसे एक कलाकर को सुनाया, ताकि मैं यह जान सकु की मैं कितनी शुद ् धता से यह बोल रहा था । मैने यह वाक ् यांश बोला, और वह हंसा, और उसने मुझसे कहा, "" हाँ, बहुत बढ ़ िया लेकिन यह ऐसा लगता है मानो कोई औरत मोल रही हो । "" मैने कहा, "" क ् या? "" उसने कहा, "" हाँ, क ् या तुमने किसी औरत से यह सीखा है? "" मैने कहा, "" हाँ, तो? "" उसने फिर मुझे यह बताया कि एक मर ् द और एक औरत के स ् वर बहुत अलग और विशिष ् ट होते हैं, और यह कि मैने वाक ् यांश को बहुत अच ् छी तरह से सीखा था, पर एक औरत कि आवाज ़ में उसे सीखा था । (हंसी) (तालियाँ) हे.प.: ठीक है. तो यह नाटक करने के कार ् यों में जोखिम ज ़ रूर है । यह हमेशा योजना के मुताबिक नहीं जाता, चाहे कोई प ् रतिभावान अनुवादक का साथ ही क ् यों ना हो । पर मैं नकल उतारता रहूँगा, क ् योंकि आमतौर पर जो माना जाता है उसके विपरीत, किसी कि नकल उतारने से कोई अनोखी चीज ़ हमारे सामने आ सकती है । इसलिये हर बार जब मैं अपने पिताजी कि तरह बनने में असफल होता हूँ, मैं और भी ज ़ ् यादा खुद की तरह बन जाता हूँ । हर बार जब मैं ब ् रूस ली की तरह बनने में नाकामयाब होता हूँ, मैं और भी विश ् वस ् त रूप से अपने जैसा बन जाता हूँ । यह मेरी कला है । मैं प ् रमाणिकता हासिल करने का प ् रयास करता हूँ, चाहे यह एक अप ् रत ् याशित आकार में ही अपने आप को पेश क ् यों ना करे । मैने हाल ही में यह समझना शुरू किया है कि मैं ऐसे बैठना इसलिए नहीं सीखा क ् योंकि मैं भारतीय हूँ. मैने यह स ् पाइडर-मॅन से सीखा है । (हंसी) धन ् यवाद । (तालियाँ) आपके सामने एक ऐसी औरत खडी है जो सार ् वजनिक तौर पर दस साल से ख़ामोश रही । ज़ाहिर है, वो ख़ामोशी टूट रही है, और ये हाल में ही शुरु हुआ है । तब से कुछ महीने बीत चुके हैं जब मैने पहली बार सार ् वजनिक रूप से कुछ बोला फ़ोर ् ब ् स थर ् टी अंडर थर ् टी सम ् मेलन में: ३० साल से कम उम ् र के १५०० प ् रतिभाशाली लोगों के सामने अंदाज़ा लगाइये कि १९९८ में इन में से सब से बडे लोग भी बमुश ् किल 14 साल के रहे होंगे, और सब से छोटे तो बस चार बरस के । मैने मज़ाक में उन से कहा कि आप मे कुछ ने तो मेरा नाम सुना भी होगा तो सिर ् फ़ र ् रैप गानों में । जी हाँ-मैं रैप गानों में बकायदा मौज़ूद हूँ । लगभग ४० रैप गानों में । (हँसी) पर जिस रात मैनें वो भाषण दिया, एक अचरच भरी बात हुई । ४१ साल की उमर में मेरे करीब आने की कोशिश की २७ साल के एक लडके नें । बाप रे! है न? वो बहुत अच ् छा था और मैं काफ़ी खुश महसूस कर रही थी, मगर मैने बात वहीं खत ् म कर दी । पर पता है उसने मुझसे क ् या कहा? कि वो मुझे फिर से 22 जैसा महसूस करवाएगा । (ठहाका) (अभिवादन) मैने उस रात बाद में सोचा, कि शायद मैं ऐसी अकेली ४० साल के व ् यक ् ति हूँ जो फिर से कभी २२ की नहीं होना चाहती । (ठहाका) (अभिवादन) २२ साल की उम ् र में, मुझे अपने बॉस से प ् यार हो गया, और २४ की उम ् र में, मैने उसके भयानक नतीज़े झेले । क ् या यहाँ बैठे लोगों में से वो शख ् स हाथ उठायेंगे जिनसे २२ की उम ् र में कोई गल ् ती नहीं हुई या ऐसा कुछ जिसका उन ् हें पछतावा नही है? बिलकुल । मैने ठीक सोचा था कि ऐसा कोई नहीं होगा । तो मेरी ही तरह, २२ साल में, आप में कुछ लोग गलत मोडों पर मुडे होंगे और गलत लोगों के प ् यार में पडे होंगे, हो सकता अपने बॉस के प ् यार में । लेकिन मेरी तरह शायद आपके बॉस अमरीका के राष ् ट ् रपति नहीं रहे होंगे । सच है कि ज़िंदगी अजूबों से भरी पडी है । एक दिन भी ऐसा नहीं जाता जब मुझे अपनी गलती याद नहीं करायी जाती, और मुझे अपनी गलती का भरपूर पश ् चाताप भी है । १९९८ में पहले मैं ऐसे रोमांस के भँवर में फ़ँसी जिसका अंत होना ही नहीं था, और फिर ऐसे भयानक राजनीतिक, कानूनी और मीडिया के भँवर में फ़ँसी जैसा मैने कभी न देखा था न सोचा था । याद कीजिये, कि १९८८ से सिर ् फ़ कुछ साल पहले तक ही, समाचार सिर ् फ़ तीन जगहों से मिलते थी: अखबार या मैगज़ीन पढ कर, रेडियो सुन कर, या टीवी देख कर । बस । मगर मेरे भाग ् य में कुछ और था । इस स ् कैंडल की खबर आप तक डिजिटल क ् रांति के ज़रिये आई । जब हम चाहें, जहाँ हम चाहें, और जब जनवरी १९९८ में ये खबर निकली, तो वो ऑनलाइन निकली । पहली बार ऐसा हुआ कि पारंपरिक मीडिया को इंटरनेट ने पछाड दिया था एक बडी खबर को ले कर एक क ् लिक जो सारी दुनिया में गूँज उठी थी । मैं पहली शिकार थी; अपनी सारी प ् रतिष ् ठा सारे विश ् व में एक क ् षण में गँवा देने की इस नयी बीमारी की । फ़ैसला सुनाने की इस दौड को टेक ् नॉलजी ने और हवा दी । वर ् चुअल पथराव करने वालों की तो मानो भीड इकट ् ठा हो गयी थी । हालांकि तब तक सोशल मीडिया का ज़माना नहीं आया था, मगर तब भी लोग ऑन ् लाइन कमेंट कर सकते थे, ईमेल में जानकारी और भद ् दे कमेंट भेज सकते थे । समाचार मीडिया नें मेरी तस ् वीरों को हर जगह चिपका डाला अखबार और ऑनलाइन बैनर विज ् ञापन बेचने के लिये, और लोगों को टीवी से चिपकाने के लिये । आपको मेरी कोई ख़ास तस ् वीर याद आती है, वो बेरेट टोपी पहनी हुई? देखिये, मैं अपनी गलती मानती हूँ ख़ासकर उस टोपी को पहनने की । मगर जो छीेछालेदर मेरी की गयी, इस खबर की नही, बल ् कि व ् यक ् तिगत तौर पर मेरी, वो सच में ऐतिहासिक थी । मेरी ब ् रांडिग कर दी गयी - बदचलन, आवारा, वेश ् या, स ् लट, वेबकूफ़, और, ज़ाहिर है, "" उस टाइप की औरत "" । बहुत लोगों ने मुझे देखा, मगर बहुत कम ने मुझे जाना । और मैं समझ सकती हूँ: बहुत आसान है ये भूलना कि "" उस टाइप की औरत "" का एक वज़ूद था, उसकी भी अत ् मा थी, और एक ज़माने में वो ऐसी टूटी हुई बिखरी हुई नहीं थी । जब १७ साल पहले मेरे साथ ये हुआ, इस के लिये कोई नाम नहीं था । अब हम इसे साइबर-बुलीइंग और ऑन ् लाइन उत ् पीडन कहते हैं । आज मैं आप के साथ अपने कुछ अनुभव बाँटना चाहती हूँ, और उन अनुभवो की रोशनी में अपने कल ् चर पर कुछ टिप ् पणियाँ करना चाहती हूँ, और बताना चाहती हूँ कि मैं कितनी आशा रखती हूँ कि इस के ज़रिये ऐसा बदलाव आयेगा जिस से कुछ और लोगों के जीवन में कुछ परेशानी कम होगी । १९९८ मे, मैने अपनी प ् रतिष ् ठा और आत ् म-सम ् मान खो दिया । मेरा लगभग सब कुछ लुट गया था और मैने अपनी जीवन भी लगभग खो ही दिया था । मैं आप के लिये एक दृश ् य रचती हूँ । सितंबर १९९८ है । मैं बिना किसी खिडकी वाले दफ़ ् तरनुमा कमरे में बैठी हूँ इन ् डिपेंडेट काउंसल के ऑफ़िस मे, बजबजाती हुई ट ् यूबलाइटों की रोशनी में मैं अपनी ही आवाज़ सुन रही हूँ, उन फ़ोन कॉल से आती मेरी आवाज़ जो गुप ् त रूप से टेप किये गये थे मेरे एक तथाकथित दोस ् त के द ् वारा - लगभग एक साल पहले । मैं वो सुन रही हूँ क ् योंकि कानूनन मुझे उन ् हें सुनना ही पडेगा निजी रूप से २० घंटे लंबे उन टेपों की वैधता सुनिश ् चित क ् ररने के लिये । पिछले आठ महीनों से इन टेपों में जमा सामग ् री मेरे ऊपर तलवार की तरह उल ् टी लटक रही थी । मतलब, कौन याद रख सकता है कि एक साल पहले उस ने क ् या कहा था? सहमी हुई और बेज ् ज ् त, मै सुन रही हूँ, सुन रही हूँ उस दिन की आपाधापी; सुन रही हूँ खुद को, राष ् ट ् रपति के प ् रति अपने प ् यार का इज़हार करते हुए, और फिर अपने दिल टूट ् ने का जिक ् र करते हुए; कभी कभी तेज-तर ् रार, कभी बस नासमझी भरी कभी खराब बर ् ताव करती, कभी असभ ् य; सुन रही हूँ, अंदर तक, गहरे भीतर तक शर ् मिंदा, अपने सबसे खराब स ् वरूप का सामना करती, ऐसा रूप जिसे मैं पहचान तक नहीं पाती । कुछ दिन बाद, संसद में स ् टार ् र रिपोर ् ट पेश होती है, और वो सारे टेप, वो चुराये गयी बातचीत, उसमें सम ् मिलित हैं । ये डरावना है कि लोग उन सब बातों को पढ सकते हैं, और कुछ हफ़ ् तों बाद,, वो ऑडियो टेप टीवी पर सुनाये जाते हैं, और उस में ज ् यादातार हिस ् सा ऑनलाइन रिलीज़ होता है । पब ् लिक में होने वाला अपमान दर ् दनाक था । जीवन ढोया नहीं जाता था । और १९९८ में ऐसे किस ् से हरदिन नहीं होते थे, और ऐसे किस ् से का अर ् थ है चोरी से - लोगों के निज़ी वार ् तालाप और निज़ी क ् रियाकलापो की और फ़ोटो की, और फ़िर उन ् हें सार ् वजनिक करने से — बिना इजाज़त के सार ् वजनिक करने से — बिना किसी संदर ् भ के सार ् वजनिक करने से — और बिना किसी संवेदना के सार ् वजनिक करने से । 12 साल आगे चलते है 2010 में, और एक नया सोशल मीडिया जन ् म ले चुका है । दुर ् भाग ् य से, मेरे साथ जो हुआ, वो आम बात हो चुकी है, भले ही किसी ने कोई गल ् ती की हो या नहीं, भले ही ये पब ् लिक फ़िगर हो या आम आदमी । कुछ लोगो के लिये इस के नतीज़े बहुत ही ज ् यादा बुरे साबित हुए हैं । मैं अपनी माँ से फ़ोन पर बात क ् रर रही था सितंबर २०१० में, और हम उस ख़बर का ज़िक ् र कर रहे थे रुट ् गर यूनिवर ् सिटी के फ़र ् स ् ट इयर के युवा छात ् र, टाइलर क ् लेमेंटी के बारे में । प ् यारा, संवेदनशील और रचनात ् मक टाइलर का एक ऐसा वि ् डियो उसके रूम मेट ने बना लिया जिसमें वो एक और आदमी के साथ अंतरंग होता दिखता था । जब ऑनलाइन दुनिया को इस वाकये की खबर लगी, तो भद ् दी बेज ् जती और साइबर-बु ् लींग का विस ् फ़ोट हो गया । कुछ दिन बाद, टाइलर ने जार ् ज वाशिंगटन पुल से छलांग लगा कर जान दे दी । वो महज़ 18 साल का था । मेरी माँ अपना आपा खो बैठी थीं टाइलर और उसके परिवार के बारे में सोच कर । और असहनीय दुःख से भर गयी थीं, और पहलेपहल मुझे ये समझ नही आया लेकिन धीरे धीर ् रे मैने महसूस किया कि वो १९९८ को फिर से जी रही थीं, वो समय जब वो हर रात मेरे सिरहाने बैठ कर बिताती थीं, वो समय जब वो मुझे बाथरूम का दरवाज़ा बंद नहीं करने देती थीं और वो समय जब मेरे माता -पिता को हरदम डर लगता था कि इतनी बदनामी मेरी जान ले कर रहेगी, सचमुच । आज, बहुत सारे माता-पिता को ये मौका ही नहीं मिल पाता है कि वो अपने बच ् चों को बचा पाये । बहुत लोगों को अपने बच ् चों की परेशानी का पता तब लगता है जब बहुत देर हो चुकी होती है । टाइलर की दुख ् द, बेमतलब मौत मेरे लिये बहुत बडा क ् षण बनी । उस घटना ने मेरे अनुभवों को एक नया संदर ् भ दिया, और मैने अपने आसपास फ़ैले शोषण और ज़ोर-जबरदर ् स ् ती को महसूस किया, और नए सिरे से देखना शुरु किया । १९९८ में हमारे पास ये जानने का कोई तरीका नहीं था कि ये नयी तकनीक जिसे हम इंटरनेट कहते थे, हमें कहाँ ले जायेगी? तब से, इंटरनेट ने लोगों को नये तरीकों से जोडा है, बिछडे भाई-बहनों को मिलवाया है, जाने बचायी है, आंदोलन शुरु करवाये हैं, मगर जो अँधेरा, साइबर-बुलींग, और स ् लट बता की गयी शमिंदगी मैने देखी, वो कई गुना बढी है । हर दिन, ऑनलाइन, खास तौर पर कम उम ् र के लोग, जो कि इस से निपटने के लिये तैयार तक नहीं हैं, इतने शोषित और प ् रताडित होते हैं कि वो अगले दिन तक जीना भी नहीं चाहते, और कुछ तो, सच में, जीते भी नहीं, और ये ऑन ् लाइन नहीं, असली दुनिया में होता है यू.के. की एक संस ् था जो कि कई तरह से युवाओं की मदद करती है, चाइल ् डलाइन ने पिछले साल एक तथ ् य ज़ारी किया था: २०१२ से २०१३ के बीच, ८७ प ् रतिशत बढत देखी गयी है साइबर-बुलींग से जुडी ईमेल और फ़ोन कॉल में । नीदरलैंड में की गयी एक जाँच में पहली बार ये पता लगा कि साइबर-बुलींग खुद ् कुशी की बडी वजह बन रहा है, ऑफ़ ् लाइन बुलींग के मुकाबले । हालांकि इस में अचरच की बात नहीं हैं, लेकिन मुझे ये जान कर बडा झटका लगा कि एक और जाँच ने पता लगाया कि प ् रताडित किए जाने की भावना को लोग ज ् यादा महसूस कर रहे हैं बजाये खुशी के, और बजाय गुस ् से के । दूसरों के प ् रति निष ् ठुरता कोई नयी बात नहीं है, मगर ऑन ् लाइन, तकनीकी तरीकों से करे जाने पर ये कई गुना बढ जाती है, बेकाबू हो जाती है, और हर समय होती रहती है । पहले तो शर ् मिंदगी सिर ् फ़ आस-पासपरिवार, गाँव, स ् कूल या नजदीकी समाज तक सीमित थी, मगर अब ये ऑनलाइन भी होती है । लाखों लोग, बिन जान-पहचान के, आपको अपने शब ् दों से छलनी करते हैं, और ये बहुत पीडादायी होता है, और इसकी कोई बाउंडरी नही है कि कितने लोग आपको देख सकते हैं, और आप पर सार ् वजनिक रूप से कमेंट कर सकते हैं । बहुत निजी तौर चुकानी होती है सार ् वजनिक शर ् मिंदगी की, और इंटरनेट के चलते चुकाई गयी कीमत कई गुना बढ चुकी है । लगभग पिछले दो दशकों से, हम धीरे धीरे शमिंदगी और सार ् वजनिक बेज ् जती के बीज बोते आ रहे हैं अपनी संस ् कृति की ज़मीन मे ऑन ् लाइन और ऑफ़ ् लाइन दोनो तरह से । गप ् प-गॉसिप वेबसाइट, पापारात ् ज़ी कैमरा, रियलटी टीवी, राजनीति समाचार मीडिया और कभी कभी हैकर भी, इस प ् रताडना का हिस ् सा बनते हैं । संवेदन हीनता की इज़ाजत सी मिल गयी है ऑनलाइन दुनिया में जिस से, दादागिरी, निजता के हनन, और साइबर-बुलींग को बढावा मिल रहा है । इस से कुछ ऐसा पैदा हुआ है जिसे प ् रोफ़ेसर निकोलस मिल ् स प ् रताडना के कल ् चर का नाम देते हैं । पिछले छः महीनों के कुछ बडे उदाहरण ले कर देखिये । स ् नैप-चैट, एक ऑन ् लाइन सर ् विस जो ज ् यादातर युवा इस ् तेमाल करते हैं, और जो संदेशों को मिटाने का दावा करती है कुछ ही क ् षणॊं में । आप समझ सकते है कि किस तरह के संदेश वहाँ चलते होंगे । एक तीसरी कंपनी जो स ् नैप-चैटर के यूज़र को मैसेज सेव करने देती थी हैक की गयी और एक लाख निज़ी बातचीतें और फ़ोटो और विडियो ऑन ् लाइन लीक हो गये और अब वो सदा सदा के लिये सार ् वजनिक हो गये हैं । जेनिफ़र लारेंस और कई और फ़िल ् म कलाकारों का आई-क ् लाउड हैक हो गया, और उनके निजी, नग ् न फ़ोटो सारी इंटरनेट पर पब ् लिक हो गये बिना उनकी इजाजत के । एक ग ् प ् प-गॉसिप वेबसाइट पर 50 लाख बार हिट हुआ सिर ् फ़ इस एक खबर के लिये । और सोनी पिक ् चर की हैकिंग? जिन दस ् तावेजों को सबसे अधिक देख गया वो निजी ईमेल था जिनमे सबसे ज ् यादा शमिंदा करने की क ् षमता थी । मगर प ् रताडना के इस कल ् चर में, सार ् वजनिक शमिंदगी से प ् राइस-टैग भी जुडे है और ये प ् राइस-टैग पीडित द ् वारा चुकाई गयी कीमत को नही नापते, जो टाइलर और कई और लोगों को, खासकर, औरतो और अल ् प-संख ् यकोंको चुकानी पडती है । और एल.जी.बी.टी.क ् यू लोगों ने चुकाई है, मगर ये प ् राइस-टैग बखूबी नापता है इस से पैदा होने वाले मुनाफ़े को । दूसरों पर किया गया हमला जैसे कच ् चा माल है, हमला जो क ् रूर ् ता और दक ् षता से होता है, और पैकेज कर के मुनाफ़े में बेचा जाता है एक बाज़ार विकसित हुआ है जहाँ सार ् वजनिक शमिंदगी बिकती है और प ् रताडना एक इंडस ् ट ् री बन गयी है । और पैसा बनता कैसे है? क ् लिक ् स से । जितनी शर ् मिंदगी, उतने क ् लिक ् स । जितने क ् लिक ् स, उतने विज ् ञापनी डॉलर । हम खतरनाक भँवरजाल में हैं । जितना ही हम इस तरह की चीजों को क ् लिक करेंगे, उतना हे संवेदनशील हम होंगे, उन खबरों के पीछे छुपे इंसानों के प ् रति, और जितन हम संवेदना हीन हेगे, उतना ही हम क ् लिक करेंगे । और पूरे समय, कोई इस से पैसा कमा रहा होगा किसी और के दुख परेशानी और उत ् पीडन के ज़रिये । हर क ् लिक के ज़रिये हम एक विकल ् प चुनते हैं जितना ही हम अपने क ् लचर को सार ् वजनिक शमिंदगी से भरेंगे, उतना ही स ् वीकार ् य ये होती जायेगी, और उतनी ही साइबर-बुलींग हम देखेंगे, उतनी ही हैकिंग, और धमकीगर ् दी । और ऑनलाइन उत ् पीडन । क ् यों? क ् योंकि इन सबके जडोंमें शर ् मिंदगी है । ये बर ् ताव उस कल ् चर का लक ् षण है जो हमने रचा है थोडा सोच कर देखिये । बर ् ताव में बदलाव शुरु होता है बदलते मूलोंसे । हमने ये होते देखा है रेसिस ् म, होमोफ़ोबिया, और ऐसे ही कई और चीज़ोंमें, आज और इतिहास में । और हमारे नज़ ् ररियों मे बदलाव आया है - सम-लैंगिक शादियों को ले कर । ज ् यादा से ज ् यादा लोगों को बराबरी मिली है । जब हम निरंतरता को तवज ् जो देने लगते है, ज ् यादा से ज ् यादा लोग कूडे को रिसाइकिल करने लगते हैं । तो जहाँ तक हमारे कल ् चर के प ् रताड ् ना वाले हिस ् से का सवाल है, हमे एक सांस ् कृतिक आंदोलन की ज़रूरत है । सार ् वजनिक शमिर ् द ् गी का ये खूनी खेल बंद करना ही पडेगा । और समय आ गया है कि इंटरनेट के कल ् चर में हस ् तक ् षेप करने का । शुरुवात किसी छोटी चीज़ से होगी, और ये आसान नहीं होगा । हमें संवेदनशीलता और सहानुभूति की ओर वापस जाना होगा । ऑन ् लाइन दुनिया में, सहानुभूति और संवेद ् ना की गहरी कमी है, लगभग अकाल है । शोधकर ् ता ब ् रेन ब ् राउन का कहना है, "प ् रताड ् ना संहानुभूति के सामने नहीं ठहर सकती ।" प ् रताडना सहानुभूति के सामने नहीं ठहर सकती । मैने अपने जीवन में कुछ बहुत खराब अँधेरे से पटे दिन देखे हैं और ये मेरे परिवार, दोस ् तों और साथियों की सहानुभूति और संवेदना ही थी, और कभी कभी, अजनबियों की भी - कि मै बच सकी । एक इंसान से आती सहानुभूति भी बडा फ़र ् क ला सकती है । माइनर ् टी इन ् फ़ ् लुएंस की थियरी, सामजिक मनोविज ् ञानी सेर ् गे मोस ् कोविसी द ् वारा दी गयी है, और कहती है कि बहुत कम संख ् या में ही सही, जब लम ् बे समय तक कुछ चले, तो बडा फ़र ् क आ सकता है । ऑन ् लाइन दुनिया मे, हम इस माइनर ् टी इन ् फ़ ् लुएंस को ला सकते हैं खिलाफ़त क ् रर के । खिलाफ़त करने का मतलब है चुपचाप खडे नहीं रह जाना । हम किसी के लिये सकारत ् मक कमेंट कर सकते है, साइबर बुलींग होती देख कर शिकायत दर ् ज़ कर सकते हैं । मेरा यकीन मानिये, सकारात ् मक कमेंट से नकारात ् मक ् ता ख ् त ् म होती है । हम एक खिलाफ़त का कल ् चर भी ला सक ् ते है उन संस ् थाओं को सहारा दे कर जो इन मुद ् दो पर काम कर रही हैं, जैसे कि यू.एस. की टाइलर क ् लेमेंटी फ़ाउंडेशन यू. के. में एंटी-बुलींग प ् रो है, आस ् ट ् रेलिया में, प ् रोजेक ् ट रोकिटहै । हम अपने फ़ ् रीडम ओफ़ एक ् स ् प ् रेश ् न के बारे में अत ् यधिक सचेत हो कर बात करते हैं मगर हमें ये भी बात करनी होगी कि फ़ ् रीडम ऑफ़ एक ् स ् प ् रेशन के प ् रति हमारे कर ् त ् व ् य क ् या हैं हम सब चाहते हैं कि हमें सुना जाये मगर उद ् देश ् य से बोलने में और ध ् यान आकर ् षित करने के लिये बोलने में फ़र ् क है इंटरनेट अभिव ् यक ् ति का सुपर हाई-वे है, मगर ऑन ् लाइन, दूसरों के प ् रति संवेदनशील होने से हम सबका भला होगा, और एक बेहतर, सुरक ् षित दुनिया कायम होगी । हमें ऑन ् लाइन बर ् ताव में सहानुभूति लानी होगी, समाचारों को संवेदना के साथ कनस ् यूम करना होगा, और सोच-समझ कर क ् लिक करना होगा । फ़र ् ज़ कीजिये कि आप किसी और के हेड-लाइन में एक मील चल रहे हैं । मै दिल की बात कह कर जाना चाहूँगी पिछले नौ महीनों मे, मुझ ् से जो प ् रश ् न सबसे ज ् यादा पूछा गया है वो है, "" क ् यो? "" अब क ् यो? अब मैं अपना सर इतने साल के बाद क ् यो उठा रही हूँ? इन प ् रश ् नों में निहित बातों को आप समझ सकते है । और मेरे जवाब का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है । मेरा एक ही जवाब है, और वो है कि - अब समय आ गया है । समय आ गया है कि मैं अपने अतीत से छुप छुप कर भागना बंद करूँ: अपमानित हो कर जीने का समय ख ् तम हो गया है; और समय आ गया है कि मैं अपनी कहानी पर वापस अपना अधिकार पाऊँ और ये सिर ् फ़ मेरे अकेले के बारे में नहीं है । कोई भी जो शर ् म और सार ् वजनिक रूप से उत ् पीडित है, ये एक बात जान ले: कि वो उस से लड सकता है और आगे बढ सकता है । मुझे पता है कि ये बहुत मुश ् किल है । बहुत दर ् द भरा, आसान बिल ् कुल भी नहीं, और लम ् बा सफ़र । मगर आप अपनी कहानी को एक अलग अंत दे सकते हैं । अपने प ् रति सहानुभूति और संवेदना रख के । हम सब संवेदना के पात ् र हैं, और ऑन ् लाइन और ऑफ़ ् लाइन, संवेदनाशील दुनिया में रहने के हकदार हैं । मेरी बात सुनने के लिये धन ् यवाद । (अभिवादन और तालियाँ) "" संक ् रामक "" एक अच ् छा शब ् द है. H1N1 के समय में भी, मैं इस शब ् द को पसंद करती हूँ. हसीं संक ् रामक है. जोश संक ् रामक है. प ् रेरणा संक ् रामक है. हमने कुछ विलक ् षण वक ् ताओं से कुछ असाधारण कहानियां सुनी हैं. परन ् तु मेरे लिए, जो उन सब के बारे में संक ् रामक था वे सब संक ् रमित थे जिसे मैं कहती हूँ "" मैं कर सकता / सकती हूँ "" कीड ़ ा. इसलिए, प ् रश ् न यह है कि, वे ही क ् यों? एक अरब से ज ् यादा लोगों के देश में, थोड ़ े से (इतने कम) क ् यों? क ् या यह भाग ् य है? क ् या यह संयोग है? क ् या हम व ् यवस ् थित रूप से और जान-बूझकर संक ् रमित नहीं हो सकते? अतः, अगले ८ मिनट में मैं आपको अपनी कहानी बताना चाहूंगी. मैं संक ् रमित हुई जब मैं १७ साल कि थी, जब, रचना महाविद ् यालय कि एक छात ् रा के रूप में मैं उन युवकों से मिली, जो वास ् तव में मेरे विचारों से सहमत थे, मुझे चुनौती दी, और हमने एक साथ बहूत सारी चाय पी. और मैं इस आश ् चर ् यजनक अनुभव से प ् रभावित हुई, और वह अनुभव कितना संक ् रामक था. मुझे यह एहसास भी हुआ कि मुझे तभी संक ् रमित हो जाना चाहिए था जब मैं सात साल की थी. इसलिए, जब मैंने १० साल पहले रिवरसाइड (Riverside) विद ् यालय शुरू किया तो यह एक प ् रयोगशाला बन गयी, रचना कार ् यविधि को मूल रूप देने और सुधारने की प ् रयोगशाला जो ज ् ञात रूप से दिमाग को "" मैं कर सकता हूँ "" के कीड ़ े से संक ् रमित कर सके. और मैंने पाया, कि यदि शिक ् षा को वास ् तविक जीवन से जोड ़ दिया जाये, कि यदि आप विद ् यालय और जीवन के बीच की रेखा को धुंधली करते हैं, तब बच ् चे जानकारी की एक यात ् रा से गुजरते हैं, जहाँ वे बदलाव को देख सकते हैं, सक ् षम होते हैं, बदलते हैं, और तब समर ् थ होते हैं, बदलाव का नेतृत ् व करते हैं. और इसने छात ् रों की भलाई को बढाया. बच ् चे ज ् यादा निपुण हुए, और कम असहाय हुए परन ् तु यह सब सामान ् य बोध था. इसलिए मैं आपको एक छोटी सी झलक दिखाना चाहूंगी जो सामान ् य अभ ् यास रिवरसाइड (Riverside) में दिखता है. एक छोटी पृष ् ठभूमि: जब मेरे कक ् षा पांच के बच ् चे बाल अधिकारों के बारे में जान रहे थे, उनसे आठ घंटों तक सुगन ् धित तीलियाँ, अगरबत ् तियां बनवाई जा रही थी ताकि वे अनुभव कर सकें कि बाल श ् रमिक होना क ् या होता है. इसने उन ् हें बदल दिया. जो आप देखेंगे यह उनकी यात ् रा है और तब उनकी पूर ् ण धारणा है कि वे बाहर जा सकते हैं और संसार को बदल सकते हैं (संगीत) ये वे हैं अगरबत ् तियां बनाते हुए. और दो घंटे में, जब उनकी कमर टूट गयी, वे बदल चुके थे. और जब ऐसा हुआ, वे शहर में लोगों को मना रहे थे कि बाल श ् रम पूर ् णतया समाप ् त होना चाहिए. और राघव को देखिये, उस समय जब उसके चेहरे पे बदलाव आता है क ् योंकि वह यह समझने में सक ् षम हो गया कि उसने उस मनुष ् य की मानसिकता बदल दी है. और वह एक कक ् षा में संभव नहीं हो सकता. इसलिए, जब राघव ने यह अनुभव किया तो उसका मन "" शिक ् षक ने यह कहा "" से "" मैं यह कर रहा हूँ "" की ओर गया. और यही है "" मैं कर सकता हूँ "" मानसिक परिवर ् तन और यह एक प ् रक ् रिया है जिसे शक ् ति दी जा सकती है और पोषण किया जा सकता है. परन ् तु, हमारे पास कुछ माता-पिता आये जिन ् होंने कहा, "" ठीक है, हमारे बच ् चों को अच ् छा इंसान बनाना बहूत अच ् छा है, परन ् तु, गणित, विज ् ञान और अंग ् रेजी के बारे में क ् या? हमें उनकी प ् रगति दिखाईये. "" और हमने किया. आंकड़े निर ् णयात ् मक थे. जब बच ् चे सशक ् त होते हैं, वे सिर ् फ अच ् छा नहीं करते, वे अच ् छी तरह से करते हैं, वास ् तव में बहूत अच ् छा करते हैं, जैसा कि आप इस राष ् ट ् रीय मानदण ् ड मूल ् यांकन में देख सकते हैं जो कि भारत के २,००० विद ् यालयों से लिया गया है, रिवरसाइड (Riverside) के बच ् चों ने भारत के १० सबसे अच ् छे विद ् यालाओं को गणित, अंग ् रेजी और विज ् ञान में मात दे रहे हैं अतः, इस युक ् ति ने काम किया. अब समय आ गया था इसे रिवरसाइड (Riverside से बाहर लाने का. अतः, अगस ् त १५, स ् वतंत ् रता दिवस, २००७ को, रिवरसाइड (Riverside) के बच ् चे अहमदाबाद को संक ् रमित करने को बाहर आये. अब यह रिवरसाइड (Riverside) विद ् यालय के बारे में नहीं था. यह सारे बच ् चों के लिए था. इसलिए, हम लोग निर ् ल ् ल ् ज ़ थे. हम लोग नगरपालिका, पुलिस समाचार पत ् रों, व ् यवसायों के कार ् यालयों में गए और मूल रूप से कहा "" आप कब जागेंगे और प ् रत ् येक बच ् चे के भीतर छिपी शक ् ति को पहचानेगें. कब आप बच ् चों को शहर में सम ् मिलित करेंगें? मूलतया, अपने दिलों और दिमागों को बच ् चे के लिए खोलें. "" तो, शहर ने अपनी प ् रतिक ् रिया कैसे दिखाई? २००७ से हर दुसरे महीने शहर अपने सबसे व ् यस ् त रास ् तों को यातायात के लिए बंद कर देती है और इसे बच ् चों और बचपन के क ् रीड ़ ास ् थल में बदल देती है. यहाँ एक शहर अपने बच ् चे से कह रहा था, "" तुम कर सकते हो. "" अहमदाबाद में संक ् रमण की एक झलक. चलचित ् र: [अस ् पष ् ट] अतः, व ् यस ् त रास ् ते बंद कर दिए गए. हमारे साथ हैं यातायात पुलिस और नगर पालिका कर ् मचारी हमारी मदद करते हुए. यह सब बच ् चों के द ् वारा किया गया है. वे स ् केटिंग कर रहे हैं. वे नुक ् कड़ नाटक कर रहे हैं. वे खेल रहे हैं, बिलकुल आजाद, सारे बच ् चों के लिए. (संगीत) अतुल करवाल: Aproch एक संस ् था है जो बच ् चों के लिए पहले काम कर चुकी है. और हम इसे शहर के दुसरे हिस ् सों में फ़ैलाने को सोचतें हैं. (संगीत) किरण बीर सेठी: और शहर अपना खाली समय देगी. और अहमदाबाद को संसार का पहला बच ् चों-के-अनुकूल जेब ् रा क ् रोसिंग मिला. गीत सेठी: जब शहर अपने बच ् चों को देता है भविष ् य में बच ् चे शहर को वापस देंगे. (संगीत) KBS: और इसी कारण से, अहमदाबाद भारत में पहले बाल-अनुकूल शहर के रूप में जाना जाता है. अतः, आपको एक नमूना मिल रहा है. पहले २०० बच ् चे Riverside में. फिर ३०,००० बच ् चे अहमदाबाद में, और बढ़ रहे है. अब समय था भारतवर ् ष को संक ् रमित करने का. अतः, अगस ् त १५ को, पुनः, स ् वतंत ् रता दिवस, २००९, समान प ् रक ् रिया से सशक ् त हो कर, हमने १००,००० बच ् चों को यह कहने के लिए सशक ् त किया कि "" मैं कर सकता हूँ "". कैसे? हमने एक साधारण साधन नियत किया, उसे आठ भाषाओं में बदला, और ३२,००० विद ् यालयों में पहुंचे. हमने मूलतः बच ् चों को एक बहूत ही साधारण चुनौती दी. हमने कहा, एक विचार लो, कुछ भी जो तुम ् हे परेशान करता हो, एक सप ् ताह चुनो, और करोड़ों जिन ् दगियों को बदलो. और उन ् होंने किया. बदलाव की कहानियां पूरे भारत से आने लगी पूरब में नागालैंड से, पश ् चिम में झुनझुन तक, उत ् तर में सिक ् कम से, दक ् षिण में कृष ् णागिरी तक. बच ् चे विभिन ् न समस ् याओं के समाधानों का निर ् माण कर रहे थे. अकेलेपन से लेकर गली में गढ ् ढे भरने तक, अधिक मदिरा पीने से उत ् पन ् न रोगों तक, और ३२ बच ् चे जिन ् होंने १६ बाल विवाह रोके राजस ् थान में. मेरा मतलब है, यह अतुलनीय था. वस ् तुतः पुनः पुष ् टि करता हुआ कि जब बड ़ े बच ् चों में विश ् वास करें और कहें कि "" तुम कर सकते हो "", तब वे करेंगें. भारत में संक ् रमण. यह राजस ् थान में है, एक गाँव. बच ् चा: हमारे माता-पिता अनपढ़ हैं और हम उन ् हें पढना लिखना सिखाना चाहते हैं. KBS: पहली बार एक ग ् रामीण विद ् यालय में जमघट एवं नुक ् कड़ नाटक — अनसुना — अभिभावकों को यह बताने के लिए कि साक ् षरता क ् यों महत ् वपूर ् ण है. देखिये उनके माता-पिता क ् या कहते हैं. पुरुष: यह कार ् यक ् रम आश ् चर ् यजनक है. हम लोग बहूत अच ् छा महसूस करते हैं कि हमारे बच ् चे हमें पढना लिखना सीखा सकते हैं. महिला: मैं बहूत खुश हूँ कि मेरे छात ् रों ने यह अभियान चलाया. भविष ् य में, मैं कभी अपने छात ् रों कि क ् षमता पर संदेह नहीं करूंगी. देखिये? उन ् होंने कर दिखाया है. KBS: हैदराबाद शहर का एक विद ् यालय. बालिका: ५८१. यह मकान संख ् या ५८१ है.... हमें ५५५ से संग ् रह शुरू करना है. KBS: लड़कियां और लड़के हैदराबाद में, बाहर निकलते हुए, बहूत कठीन है, परन ् तु उन ् होंने किया. महिला: जब कि वे इतने छोटे हैं, उन ् होंने इतना अच ् छा काम किया है. पहले उन ् होंने आस-पास को स ् वच ् छ किया है, फिर हैदराबाद होगा, और जल ् दी ही भारत. महिला: यह मेरे लिए एक रहस ् योद ् घाटन था. यह मुझे नहीं सूझा कि उनके अन ् दर इतना कुछ था. बालिका: धन ् यवाद, बहनों एवं भाईयों. नीलामी में हमारे पास आपके लिए कुछ आश ् चर ् यजनक चित ् र हैं, एक बहूत ही अच ् छे अभियोग के लिए, जो पैसे आप हमें देंगे वह श ् रवण यन ् त ् र खरीदने के काम आएंगे. देवियों और सज ् जनों क ् या आप तैयार हैं? दर ् शकगन: हाँ! बालिका: क ् या आप तैयार हैं? दर ् शकगन: हाँ! बालिका: क ् या आप तैयार हैं? दर ् शकगन: हाँ! KBS: अतः, करुणा का प ् राधिकार यहाँ से शुरू होता है. नुक ् कड़ नाटक, नीलामी, याचना. मेरा मतलब है, वे जिंदगियां बदल रहे थे. यह अतुलनीय था. फिर, हम अब भी बचे हुए कैसे रह सकते हैं? कैसे हम उस जोश, ऊर ् जा और उत ् साह से बचे रह सकते हैं? मैं जानती हूँ यह स ् पष ् ट है, परन ् तु मुझे अंत करना है बदलाव के सबसे शक ् तिशाली प ् रतीक से, गांधीजी. ७० साल पहले एक इंसान ने पूरे राष ् ट ् र को संक ् रमित किया "" हम कर सकते हैं "" की शक ् ति से. अतः आज कौन है जो १००,००० बच ् चों से भारत के २० करोड़ बच ् चों में संक ् रमण फैलाएगा? अंततः, मैंने सुना है, प ् रस ् तावना कहती है, "" हम, भारत के लोग, "" है ना? अतः, यदि हम नहीं, तो कौन? यदि अब नहीं, तो कब? जैसा कि मैंने कहा, "" संक ् रामक "" एक अच ् छा शब ् द है. धन ् यवाद. (तालियाँ) आज मैं काम के बारे में बात करने वाला हूँ | और जो प ् रश ् न में पूछना चाहता हूँ और उत ् तर ये है: "हम क ् यों काम करते हैं?" क ् यों हम अपने आपको बिस ् तर से खींच कर बाहर ले आते हर सुबह बजाय हमारे जीवन जीने की जो TED-जैसा एक साहस से दूसरा तक उछल से भरा हो? (हँसी) आप अपने आप को ये हीं प ् रश ् न पूछ ् ते होंगे | अभी, मुझे मालूम है बेशक हमें जीना हैं, लेकिन, इस कमरे में जो भी उपस ् थित है, कोई ये नहीं मानते कि ये हीं इस प ् रश ् न का उत ् तर है, "हम काम क ् यों करते?" उनलोगों के सामने जो इस कमरे में है, हम जो काम करते हैँ वो चुनौतीपूर ् ण है, वो मनोहर है, वो उत ् तेजक है, और वो सार ् थक है | हम अगर भाग ् यशाली होते तो ये काम आवश ् यक भी हो सकता है | इसलिए, भुगतान न पाने से हम काम नहीं करते, लेकिन, हम जो करते है उसका वजह ये नहीं हो सकता | और सामान ् य रूप से, मैं सोचता कि हम सोचते हैं कि सामग ् री पुरस ् कार ही काम करने के लिए बहुत बुरा कारण हो सकते हैं | जब हम किसी के बारे में कहते है कि वो "" पैसे के लिए काम कर रहा है "", हम सिर ् फ वर ् णनात ् मक नहीं किया जा रहे है | (हँसी) अभी, मैं सोचता ये पूरी तरह से स ् पष ् ट है कि, लेकिन इसकी बहुत प ् रत ् यक ् षता ही मेरे लिए एक अविश ् वसनीय गहरा सवाल है | क ् योँ, ए अगर इतना ही स ् पष ् ट है, क ् योँ इस दुनिया के भारी बहुमत लोगों जो काम करते हैँ, उसमे कोई भी ऐसे विशेषताओं नही हैँ जो उन को बिस ् तर से उठाके हर सुबह आफीस भेज दे? ऐसा क ् या है कि हम इस दुनिया के अधिक संख ् या के लोगों को काम करने की जो नीरस, अर ् थहीन, और आत ् मा-शामक है, अनुमती देते हैँ? ऐसा क ् योँ है कि जैसे सम ् पत ् तिवाद विकसित की है, यह वस ् तुओं और सेवाओं की, उत ् पादन की एक विधा बनाया जिस मेँ अभौतिक संतुश ् टीकरण जो काम से आ सकते थे हटा दिये गये? श ् रमिकों जो इस तरह के काम करते हैँ, यदि ओ काम करते होँ, कारखानोँ मे, या काल सेंटर ् स मे, या फिर पूर ् ति गोदामों मे, वेतन के लिये करते हैँ उन लोग जो काम कर रहे हैँ उसके लिये ऐसा कोई सांसारिक कारण नही है सिवाय वेतन के | तो सवाल ये है कि, "" क ् योँ? "" और जवाब इधर है: जवाब है प ् रौद ् योगिकी अब, मै जानता हू, मै जानता हूँ —, हाँ, हाँ, हाँ, प ् रौद ् योगिकि, स ् वचालन, शिकंजा लोग, ब ् ला, ब ् ला — मेरा मतलब वो नहीं था | मै उस तरह की प ् रौद ् योगिकि के बारे मे बात नही कर रहा हू जो हमारे जिंद ् गियोँ पर छागयी, और जिस के बारे मे सुनने केलिये लोग TED के लिये आते मै चीजोँ के प ् रौद ् योगिकि के बारे मे बात नही कर रहा हूँ वह हालाँकि गहरा है | मै अन ् य तकनीक के बारे मे बात कर रहा हूँ | मै विचारों की तकनीक के बारे मे बात कररहा हूँ | मै उसको "" विचारोँ की तकनीक "" बुलाऊंगा — मै कितना चतुर हूँ | (हँसी) चीजोँ को बनाने के साथ, शास ् त ् र विचारोँ को भी बनाती है | शास ् त ् र समझ ् ने के रा स ् ते बनाती है | और सामाजिक विज ् ञान मे जो समझने के तरीके बना दिये गये हैँ वो खुद को समझने के तरीके हैं । और उनका हम कैसे सोचते हैँ, हमारी ख ् वाहिश, और हम कैसे काम करते हैँ | अगर तुम सोचते हो किअपनी गरीबी भगवान के चाह तो तुम प ् रार ् थना करोगे | अगर तुम सोचते हो कि गरिबि तुम ् हारी खुद की असमर ् थता है, तुम निराशा में हटोगे | और अगर आप सोचते है कि उत ् पीड ़ न और वर ् चस ् व गरीबी की एक परीणाम है, तो आप विद ् रोह के लिये उठेंगे | चाहे आपका गरीबी केलिये प ् रतिक ् रिया इस ् तीफे हो या क ् रांति, तुम अपना गरीबी का सूत ् रोँ को समझने पर निर ् भर करता है | ये भूमिका विचार निभाते हैँ लोगोँ को मनुष ् य के रूप में हमें आकार देने मे, और इसीलिये विचार तकनीकि सबसे गहराई से महत ् वपूर ् ण तकनीकि है जो विज ् ञान ने हमे दिया है | और विचार तकनीकि में कुछ खास है, जो उसको चीजोँ की तकनीकि से अलग बनाता है | चीजोँ के साथ, अगर तकनीकि चूस लिया, वो गायब हो जाता है, है ना? प ् रौद ् योगिकी गायब हो जाता है । योजनाओँ के साथ — लोगोँ के बारे मे जो गलत विचार है वो दूर नहीं जायेंगे अगर लोग उसे सच मानने लगेंगे | क ् योँकि अगर लोग मानने लगेंगे कि ओ सच हैँ, वो रहन सहन के तरीके और सँस ् थानोँ को ऐसे बनायेंगे जो संगत करेंगे झूठी विचारोँ के साथ | और लगता है औद ् योगिक क ् रांति ऐसे कारखाना व ् यवस ् था शुरू किया जिसमे आपको वास ् तव मे आपके काम से संभवतः कुछ नही मिलनेवाला है, बजाय वेतन के जो दिन के अंत मे मिलेगा | क ् योँकि पिता — पिता मेँ से एक औद ् योगिक कि, आडम स ् मित — यकीन करते थे कि मनुष ् य अपने स ् वभाव से आलसी हैँ, और ऐसा कुछ नही करेंगे जब तक आप उनके समय को लायक नही बनाते, और आप उनके समय को लायक प ् रोत ् साहित, द ् वारा उन ् हे पुरस ् कार देकर करेंगे | वो एक ही कारण है कोई भी व ् यक ् ती काम करने की | इसीलिये हमने एक कारखाना व ् यवस ् था जो गलत नजर के साथ संगत है | पर एक बार वो उत ् पादन की व ् यवस ् था अपनी जगह में था, कोई अन ् य तरीका वास ् तव में नहीं था लोगों को संचालित करने के लिए, बजाय इसके जो संगत है आडम स ् मित के द ् रुश ् टि के साथ | तो ये काम का उदाहरण तो सिर ् फ एक उदाहरण है कि कैसे झूठे विचार बना सकते हैँ एक परिस ् थिति जो समाप ् त होता है उन ् हे सच बनाकर | ये सच नहीं है कि आपको "" बस अबअच ् छी मदद नही मिल सकता | "" ये सच है कि आप को "" अब और अच ् छी मदद नही मिल सकता "" जब आप लोगोँ को काम देते हो करने के लिये जो नीचा दिखा निष ् प ् राण हो | और काफी दिलचस ् प है, एडम स ् मिथ - वो ही शक ् स जो हमे दिया है ये अविश ् वसनीय आविष ् कार बड ़ े पैमाने पर उत ् पादन, और श ् रम विभाजन के — ने यह समझ लिया | उन ् होँने कहा, लोग जो काम करते हैँ समनुक ् रम मेँ, पुरुष जो काम करते है समनुक ् रम मेँ, वो कहाँ: "ओ आमतौर पर बेवकूफ बनजाता है जो सँभव है एक इनसान को बनने के लिये |" अब, ध ् यान देनेवाले शब ् द "" बनना "" | "" वो आमतौर पर बेवकूफ बनजाता है जो सँभव है एक इनसान को बनने के लिये "" | चाहे उनके इरादा है या नही, आडम स ् मिथ क ् या बता रहा था हमसे वहाँ, कि सँस ् था का आकार जिसमेँ लोग काम करते हैँ लोगोँ को ऐसा बनाता है जो उस सँस ् था की मांग मेँ लगे हैँ और लोगोँ को मौकोँ से वंचित करता है उनको काम से जो संतुष ् टि मिलती है जो हम बिना प ् रमाण मान लेते हैँ | शास ् त ् र के बारे मे बात — प ् राक ् रुतिक शास ् त ् र — ये है कि हम ब ् र ् ह ् मांडोँ के बारे मेँ अद ् भुत सिद ् धंतोँ के जाला बून सकते हैँ, और पूरी आत ् मविस ् वास रख सकते हैँ कि ये ब ् र ् ह ् मांड पूरी तरह से हमारे सिद ् धंतोँ के प ् रति उदासीन है | वो इसी तरह काम करते रहेगा कोईबात नही क ् या सिद ् धांत ब ् र ् ह ् मांड केबारे मेँ हमारे पास हैँ | लेकिन हमेँ चिंतित होने की जरूरत है जो सिद ् धांत मानव स ् व ् भाव के बारे मे हैँ, क ् योँकि मानव स ् वभाव बदल जायेगा हमारे पास सिद ् धांतोँ से जिसको मनुष ् य को समझाने और समझाने मे मदद करने के लिये रूपांकित किया गया | प ् रतिष ् टित मानवविज ् ञानी, क ् लिफर ् ड गीर ् ट ् ज़, ने कहाँ, सालोँ पहले, कि मनुष ् य "" अधूरा जानवर हैँ | "" और उनका क ् या मतलब है कि ये सिर ् फ मानव स ् वभाव है मानव स ् वभाव होना जो उत ् पाद है समाज की जिसमे लोग रहते हैँ | वह मानव स ् वभाव, कहने का मतलब हमारा मानव स ् वभाव, को ज ् यादातर बनाया गया नाकी खोज किया गया | हम सँस ् थाओँ के रचना करने के द ् वारा मानव स ् वभाव की रचना करते हैँ जिसमेँ लोग जीते हैँ और काम करते हैँ | और इसलिये तुम लोग — बहुत ज ् यादा निकटतम मैँ अभी तक जासका ब ् रह ् मांड के स ् वामी साथ — तुम लोग अपने आपसे एक सवाल पूछना चाहिये, जैसे आप घर जाते हैँ आपके सँगठन चलाने केलिये | तो आप किस तरह का मानव स ् वभाव रचना करने केलिये मदद करेंगे? धन ् यवाद | (तालियाँ) धन ् यवाद | केन ् या में, सन १९८४ 'कटोरे-वाला साल' कहके पहचाना जाता है, या गोरो-गोरो-वाला साल. गोरो-गोरो उस बर ् तन का नाम है, जिससे बाज ़ ार में दो किलोग ् राम मकई का आटा मापा जाता है, और इस मकई के आटे से बनती है 'उगाली', एक तरह की टिक ् की (यूरोपी 'पोलेंटा' जैसी) जो सब ् ज ़ ियों के साथ खाई जाती है. मकई और सब ् ज ़ ियाँ दोनों ही केन ् या के ज ़ ् यादातर खेतों में उगाई जाती हैं, जिसका मतलब यह निकला कि ज ़ ् यादातर परिवार अपने ही खेतों से खुद को खिला सकते हैं. एक गोरो-गोरो तीन वक ् त के खाने के बराबर है, एक सामान ् य परिवार के लिए, और सन १९८४ में पूरी फसल बस एक गोरो-गोरो को भर पाई. वह जो सुखा पड ़ ा था, तब और अब भी सबसे बुरे अकालों में गिना जाता है जो अब याददाश ् त में हैं. अब आज, मैं किसानों को उस कटोरे-वाले साल जैसे सूखे के ख ़ िलाफ ़ बीमा दिलाती हूँ, या ख ़ ास तौर पर, वर ् षा-बीमा दिलाती हूँ. मैं जिस परिवार से आती हूँ, वह धर ् म-प ् रचारकों का है, जिन ् होंने इंडोनेशिया में अस ् पताल बनवाए, और मेरे पिताजी ने एक मनोवैज ् ञानिक अस ् पताल बनवाया तंज ़ ानिया में. यह मैं हूँ, पाँच साल की उम ् र में, उस अस ् पताल के सामने. मुझे नहीं लगता कि उन ् होने सोचा होगा कि मैं बड ़ ी होकर बीमा बेचूंगी. (हंसी) तो मुझे बताने दीजिये कि यह हुआ कैसे. सन २००८ में, मैं रवांडा के कृषि मंत ् रालय में काम कर रही थी, और तब ही जो मुझसे उच ् च-पद पर थीं, वे पद-वृद ् धि पाकर मंत ् री बनीं थीं. उन ् होंने एक महत ् त ् वाकांक ् षी योजना शुरू की, अपने देश में एक हरित क ् रांति के आरंभ के लिए, और बस मानिए हम तुरंत ही कई टनों की भारी मात ् रा में खाद और बीज का आयात कराने लगे थे, और किसानों को बता रहे थे कि उस खाद को बोने में कैसे अपनाया जाए. दो हफ ़ ् ते बाद, अंतर ् राष ् ट ् रीय मुद ् रा कोष के सदस ् य हमारे पास आए, और उन ् होंने मेरी मंत ् री से पूछा, "" मंत ् रीजी, यह तो बड ़ ी ही अच ् छी बात है कि आप किसानों को खाद ् य-सुरक ् षा पाने की ओर सहायता दे रही हैं, मगर बारिश नहीं हुई तो? "" मेरी मंत ् री ने गर ् व से और ज ़ रा ललकार के स ् वर में कहा, "मैं बारिश की दुआ करूंगी!" उसी से बहस ख ़ त ् म हो गयी. जब हम गाड ़ ी में मंत ् रालय लौट रहे थे, तब वे मेरी तरफ मुड ़ कर कहीं, "" रोस, पूंजी के मामलों में हमेशा तुम ् हें दिलचस ् पी रही है. जाकर हमारे लिए कुछ बीमा ढूंढकर लाओ. "" तबसे छह साल बीते हैं, और पिछले साल मेरा यह सौभाग ् य था कि मैं एक ऐसी मंडली का भाग रही, जिसने केन ् या और रवांडा में एक लाख पचासी हज ़ ार से अधिक किसानों को सूखे के ख ़ िलाफ ़ बीमा दिलवाई. उनके पास औसतन आधे एकर की ज ़ मीन थी, और उन ् होंने औसतन दो यूरो का बीमा-किस ् त (प ् रीमियम) चुकाया. यह लघु-बीमा है. अब, व ् यावहारिक तौर पर चली आ रही बीमा-पद ् धति तो दो या तीन यूरो के बीमा-क ़ िस ् त से तो नहीं चलेगी, क ् योंकि परम ् परागत बीमा खेतों की जांच के दौरों पर निर ् भर है. यहां जर ् मनी के किसान के यहां खेत की जांच के दौरे आते हैं, ऋतु के आरम ् भ में, मध ् य में, और अंत में, और फिर एक बार अगर नुकसान हुआ हो तो, घाटे का जायज ़ ा लेने. अफ ् रीका के मध ् य में एक लघु-स ् तरीय किसान के मामले में, ऐसे दौरों का हिसाब संभाला नहीं जा सकता. इसलिए इसके बदले, हम तकनीक और आंकड ़ ों का सहारा लेते हैं. यह उपग ् रह यह पता लगवाता है कि बादल थे या नहीं, क ् योंकि, ज ़ रा सोचिये: अगर बादल हैं, तो थोड ़ ी वर ् षा हो सकती है, लेकिन अगर बादल नहीं हैं, तो वास ् तव में वर ् षा असंभव है. यह तसवीरें केन ् या में इस साल के बारिश के मौसम की शुरुआत दिखाती हैं. आप देख सकते हैं कि ६ मार ् च के आस-पास, बादल प ् रवेश करते हैं और फिर गायब हो जाते हैं, और फिर ११ मार ् च के आस-पास, बादल सचमुच में आने लगते हैं. वे, और वे बादल, ही इस साल के बारिश के मौसम की शुरुआत हैं. इस उपग ् रह की दृष ् टि पूरी अफ ् रीका पर है और इसके द ् वारा सन १९८४ से लेकर के मौसम की जानकारी उपलब ् ध है, और यह बहुत अहम है, क ् योंकि जब आप जानते हैं कि किसी जगह में पिछले तीस सालों में कितने बार सुखा पड ़ ा था, तब आप काफी अच ् छा अनुमान लगा सकते हैं कि भविष ् य में अकाल की संभावनाएं क ् या हैं, और इसका मतलब यह है कि आप सूखे की जोखिम को आर ् थिक हानि के रूप में तोल सकते हैं. सिर ् फ आँकड ़ े काफी नहीं हैं. हम कृषि-शास ् त ् र पर आधारित संगणकीय कलन विधियों की युक ् ति करते हैं, जो हमें बताती हैं कि किसी फसल को कितने बारिश की ज ़ रुरत है और किस समय में. मिसाल के तौर पर, मकई को बोते समय, आपको दो दिन की बारिश चाहिए ताकि किसान बो सकें, और उसके बाद हर दो हफ ् ते बारिश की ज ़ रुरत है ताकि फसल ठीक से उगे. उसके बाद, हर तीन हफ ् ते में बारिश होनी चाहिए ताकि फसल के पत ् ते निकलें, और कलियाने के समय, और अक ् सर बारिश होनी चाहिए लगभग १० दिन में एक बार, ताकि पसल में भुट ् टे बन सके. और ऋतु के अंत में, आप असल में बारिश नहीं चाहेंगे, क ् योंकि तब बारिश फसल को नुक ् सान पहुंचा सकती है. ऐसे बीमा आवरण की रचना तो कठिन है ही, मगर असली चुनौती यह निकली की बीमा को कैसे बेचा जाए. बीमा को कैसे बेचा जाए. हमने खुद के सामने बहुत ही सामान ् य लक ् ष ् य रखे, कि ५०० किसान बीमा द ् वारा सुरक ् षित हों, हमारी पहली ऋतु के बाद. दो महीनों के ज ़ ोरदार विज ् ञापन के बाद, हमनें कुल-मिलाकर १८५ किसान भरती करवाए थे. मैं निराशा और असमंजस में थी. सब मुझे बताते रहे कि किसान बीमा चाहते हैं, मगर हमारे प ् रमुख ग ् राहक तो खरीद ही नहीं रहे थे. वे रुके थे यह देखने कि होता क ् या है, बीमा उद ् योगों पर भरोसा नहीं करते थे, या सोचते थे, "" इतने सालों से तो मैं संभालता रहा. अब क ् यों मैं बीमा खरीदूंगा? "" अब आप में से काफी लोग लघु-उधार (micro-credit) से परिचित हैं, जो गरीब लोगों को छोटे क ़ र ् ज ़ प ् रदान करने की प ् रक ् रिया है जिसका आविष ् कार किया था मोहम ् मद यूनुस ने, जिन ् होंने नोबेल शान ् ति पुरस ् कार जीता था ग ् रामीण बैंक के साथ अपने काम के लिए. वास ् तव में, लघु-उधार बेचना और बीमा बेचना एक जैसी बातें नहीं हैं. उधार के लिए, एक किसान को बैंक के भरोसे को कमाने की ज ़ रुरत है, और अगर कामयाबी मिली, तो बैंक उसे अग ् रिम राशि देगी. यह एक आकर ् षक प ् रस ् ताव है. बीमा के लिए, किसान को बीमा निगम पर भरोसा करना पड ़ ता है, और बीमा निगम को अग ् रिम राशि के रूप में पैसा देना पड ़ ता है. यह बहुत अलग मूल ् यों पर आधारित प ् रस ् ताव है. और इसलिए बीमा का जमाव काफी धीमा रहा है, जिसमें अब तक सिर ् फ ४.४ प ् रतिशत अफ ् रीकियों ने सन २०१२ में बीमा को अपनाया, और इस संख ् या में से आधे एक ही देश से हैं, दक ् षिण अफ ् रीका. हमनें कुछ साल बीमा को सीधे किसानों को बेचने की कोशिश की, जिसके विज ् ञापन के खर ् च बहुत ज ़ ् यादा थे और सफलता बहुत सीमित थी. फिर हमारे ध ् यान में आया कि ऐसे कई संगठन हैं जो किसानों के साथ काम कर रहे थे, जैसे बीज उद ् योग, लघु-उधार संस ् थाएं, मोबाइल फ ़ ोन उद ् योग, सरकारी संस ् थाएं. वे सब किसानों को क ़ र ् ज ़ प ् रदान कर रहे थे, और अक ् सर, क ़ र ् ज ़ को पक ् का करने से ठीक पहले, किसान कहते, "" मगर बारिश नहीं हुई तो? आप कैसे उम ् मीद रख सकते हैं कि मैं क ़ र ् ज ़ चुका पाऊंगा? "" ज ़ ् यादातर संस ् थाएं जोखिम खुद ही उठाए थे, और बस इस उम ् मीद पर कायम थे, कि उस साल की हालत सबसे बदतर नहीं होगी. मगर ज ़ ् यादातर संस ् थाएं कृषि-क ् षेत ् र में अपना विस ् तार सीमित ही रख रहे थे. वे ऐसे जोखिम उठा नहीं सकते थे. यही संस ् थाएं हमारे ग ् राहक बने, और जब उधार और बीमा का समावेश किया जाए, तो दिलचस ् प चीज ़ ें होने लगती हैं. मुझे आप एक कहानी सुनाने दीजिये. फ ़ रवरी २०१२ की शुरुआत में पश ् चिम केन ् या में, बारिश शुरू हुई, और जल ् दी शुरू हुई, और जब बारिश जल ् दी शुरू होती है, तो किसानों को बढ ़ ावा मिलता है, क ् योंकि आम तौर पर इसका मतलब यह है कि मौसम अच ् छा होने वाला है. इसलिए वे क ़ र ् ज ़ निकालकर बोए. अगले तीन हफ ़ ् तों में, एक बूँद बारिश भी नहीं हुई, और जो फसल इतनी अच ् छी तरह उगे थे, मुरझाकर मर गए. हमने कर ् ज ़ ों पर बीमा लागू की थी, उस लघु-उधार संस ् था के जिसने क ़ र ् ज ़ दिए थे उस इलाके के ६००० किसानों को, और हमने उन ् हे फ ़ ोन करके कहा, "" देखिए, हमें सुखे के बारे में पता है. हम आपका साथ देंगे. हम आपको इस ऋतु के अंत में २००,००० यूरो देंगे. "" उन ् होंने कहा, "" वाह, बढ ़ िया है, मगर ऐसे तो बहुत देर हो जाएगी. क ् या आप हमें अभी पैसे दे सकते हैं? अगर ऐसा हो, तो किसान अभी भी वापस बीज बो सकते हैं और इस ऋतु की फसल पा सकते हैं. "" इसलिए हमने अपने बीमा-साझेदारों को राज ़ ी करवाया, और कुछ समय बाद उस अप ् रैल में, इन किसानों ने पुनः बीजारोपण किया. इस वापस बीज बोने के सुझाव को हम एक बीज उद ् योग के पास ले गए, और उन ् हे मनवाया कि वे बीमा के दाम को बीज के एक बोरे के दाम में जोड ़ लें, और हर एक बोरे में हमने जमा किया एक कार ् ड जिसमे एक अंक था, और जब किसान वह कार ् ड खुलवाते थे, वे उस अंक को SMS द ् वारा भेजते थे, और वह अंक असल में हमारे काम आता उस किसान के ठिकाने का पता लगाने में, और उन ् हें उपग ् रह-चित ् र के उचित बिंदु में दर ् ज करने में. एक उपग ् रह फिर आनेवाले तीन हफ ़ ् तों की वर ् षा का अनुमान करता, और अगर बारिश नहीं हुई, तो हम उन ् हें नए बीज मुआवज ़ े में दे देते थे. पहले ही के कुछ — - (तालियां) — - ज ़ रा रुकिए, मैं आखिर तक नहीं पहुँची! इस पुनः बीजारोपण आश ् वासन के पहले लाभ-भोगियों में से एक थे बॉस ् को म ् विन ् यि. हमने उनके खेत का दौरा किया उसी अगस ् त में कुछ समय बाद, और काश मैं आपको उनके चहरे की मुस ् कान दिखा पाती जब उन ् होंने हमें अपनी फसल दिखाई, क ् योंकि यह मुस ् कान मेरे दिल को छू गयी और मुझे यह एहसास दिलवाई कि बीमा बेचना कितनी अच ् छी चीज ़ हो सकती है. मगर आप देखिए, उन ् होंने आग ् रह किया कि हम उनके पूरे फसल को तस ् वीर में लाएं, और इसलिए हमें काफी दूर से तस ् वीर खींचनी पडी. इस ऋतु में बीमा ने उनके फसल को सुरक ् षित रखा, और मैं मानती हूँ कि आज, हमारे पास सभी साधन हैं जिनके सहयोग से अफ ़ ् रीकी किसान खुद के तक ़ दीर के मालिक बन सकते हैं. फिर कभी 'कटोरे-वाले साल' नहीं आने चाहिए. उसके बदले मैं, राह देख रही हूँ, किसी तरह, 'बीमा-वाले साल' की, या 'शानदार फसल-वाले साल' की. धन ् यवाद. (तालियां) तो सबसे पहले मैं आपको क ् या दिखाने वाला हूँ, जितनी जल ् दी मैं दिखा सकता हूँ,ये है सीड ् रैगन । और ये संग ् रह कितना बड ़ ा है या ये तस ् वीरें कितनी बड ़ ी हैं । इनमें से अधिकांशत: सामान ् य डिजिटल कैमरे से ली गई तस ् वीरें हैं, क ् योंकि केवल एक ही चीज ़ इस तरह के सिस ् टम के प ् रदर ् शन को सीमित कर सकती है हम कुछ ऐसे कर सकते हैं, जिससे आपको वास ् तविक रुप से पता लगे कुछ किया है । हमने बहुत उच ् च विभेदन का एक नकली विज ् ञापन बना लिया है — जो भी आपको एक साधारण विज ् ञापन में मिलता है, उसकी तुलना में बहुत उच ् च — अगर आप इस कार की विशेषताओं को देखना चाहते हैं, तो आप यहाँ देख सकते हैं । बेशक, इस तरह की तक ़ नीक ़ के लिये मानचित ् रण और इसके बारे में, मैं वास ् तव में इस पर अपना और समय नहीं बिताना चाहूँगा, इसलिये चलिये अब किसी और विषय पर बात करते हैं । वास ् तव में यह अब वेब पर उपलब ् ध है; आप जाकर निरीक ् षण कर सकते हैं । इस परियोजना का नाम है फ़ोटोसिन ् थ, और अन ् य हैं कुछ बहुत सुन ् दर कम ् प ् यूटर दृश ् य अनुसंधान कम ् प ् यूटर दृष ् टि एल ् गोरिदम एक साथ, इन छवियों को पंजीकृत किया हैसभी को ग ् रासी झील के पास कनाडा के राकीज ़ में लिया गया था — मैं निश ् चित नहीं हूँ अगर मेरे पास आपको किसी अन ् य के वातावरण को दिखाने के लिए समय है । और इसलिये ये सभी फ़ ् लिकर की तस ् वीरें हैं, और इनको इस प ् रकार से स ् थानिक रूप से जोड ़ ा गया है । और हम इस साधारण तरीक ़ े से बढ़ सकते हैं । (तालियाँ) मुझे लगता है कि आप देख सकते हैं इसलिये इनमें से बहुत से चेहरों के कारण रुक गये थे और इसी तरह । उनकी स ् वयं की फ ़ ोटो उस मेटा डेटा के साथ जुड़ रही हैं और वो भी अन ् य सभी की तस ् वीरों के प ् रयोग के, अति समृद ् ध आभासी मॉडल होगा, जिसे और ये ऐसा, उन तस ् वीरों के अन ् दर निहित हमारे जींस को बदलने का एक तरीका है नए जींस बनाना, जैसा कि क ् रैग वेंटर ने बहुत ही खूबसूरत तरीके से दिखाया है । दूसरा तरीका है अपनी जीवन शैली को बदलना । और अब हमें यह समझ में आ रहा है यह बदलाव इतने ताकतवर और सक ् रिय हैं, कि आपको फायदा देखने के लिए काफी देर इंतज ़ ार नहीं करना पड ़ ेगा । जब आप स ् वस ् थ खाना खाते हैं, मानसिक दबाव को संभालते हैं और ज ् यादा कसरत और प ् यार करते हैं, तब आपके मस ् तिष ् क में ज ् यादा खून और ऑक ् सीजन जाती है । परन ् तु इससे भी ज ् यादा यह की आपका दिमाग पर ् याप ् त मात ् रा में बड ़ ा हो जाता है । जो चीज ़ ें कुछ वर ् ष पहले असंभव मानी जाती थी आज उनको नापा- तोला जा सकता है । यह रोबिन विल ् लिंस ने खोजा था हम सब बाकी लोगों से कुछ साल पहले । तो अब, कुछ चीज ़ ें जो आप अपना सकते हैं अपने मस ् तिष ् क की कोशिकाओं को विकसित करने के लिए । कुछ मेरी मनपसंद चीज ़ ें, जैसे चोकलेट और चाय, ब ् लूबेरी, शराब नियंत ् रित मात ् रा में, मानसिक दवाब पर नियंत ् रण, और गांजा में पाए जाने वाले कन ् नबिनोइद ् स । मैं तो सिर ् फ सन ् देश वाहक हूँ । (हंसी) हम किस बारे में बात कर रहे थे? (हंसी) और वो चीज ़ ें जो मस ् तिष ् क विकास को बदतर कर सकती हैं, जो आपके मस ् तिष ् क की कोशिकाओं को नष ् ट कर सकती हैं । प ् रचलित संदेहास ् पद, जैसे की संतृप ् त हुई चर ् बी और चीनी, तम ् बाकू, अफीमयुक ् त मादक द ् रव ् य, नशीले पदार ् थ, अत ् याधिक मात ् रा में शराब और लगातार मानसिक दवाब । जब आप अपनी जीवनशैली बदलते हैं, तब आपकी त ् वचा में ज ् यादा खून जाता है, इसलिए आपको बुढ ़ ापा देर से आता है. आपकी त ् वचा में कम झुर ् रिया पड ़ ती हैं । आपके दिल में ज ् यादा खून जाता है । हम ने यह प ् रदर ् शित किया है कि आप वास ् तविकता में अपने दिल की बीमारी को ठीक कर सकते हैं । यह अवरोधित रक ् तवाहिनियाँ जो आप ऊपर बायीं तरफ देख रहे हैं, केवल एक साल के बाद ही कम अवरोधित हो जाती हैं । और यह हृदय पेट स ् कैन जो नीचे बायीं तरफ दिखाया गया है, नीले का तात ् पर ् य है कि यहाँ खून नहीं जाता है । एक साल बाद - नारंगी और सफ ़ ेद का तात ् पर ् य है कि यहाँ अधिकतम खून जाता है । हमने यह प ् रदर ् शित किया है कि आपके लिए यह संभव है कि आप आरंभिक प ् रोस ् टेट कैंसर और स ् तन कैंसर के विकास को रोक भी सकते हैं और विपरीत दिशा में भी बदल सकते हैं, सिर ् फ यह कुछ बदलाव अपनाने से । हमने यह भी पाया है कि in vitro (शरीर के बाहर-प ् रयोगशाला में) अध ् ययन में टयूमर का विकास रुक गया, समूह के 70 प ् रतिशत लोगों मै जिन ् होने इन परिवर ् तनों लागू किया, जबकि तुलनात ् मक समूह के सिर ् फ नौ प ् रतिशत लोगों में यह देखा गया । यह अंतर बहुत महत ् वपूरण है । आपके यौन अंगों को भी ज ् यादा खून जाता है, इसलिए आपकी जननक ् षमता बढती है । एक सर ् वाधिक प ् रभावकारी धूम ् रपान विरोधी विज ् ञापन जो स ् वास ् थ ् य सेवा विभाग ने बनाया था, यह दर ् शाता था कि तम ् बाकू जो आपकी रक ् तवाहिनी को संकुचित कर देता है, जो आघात और दिल के दौरे का कारण बन सकता है, परन ् तु यह नपुंसकता का कारण भी बन सकता है । जो लोग धुम ् रपान करते है, उन मैं से पचास प ् रतिशत लोग नपुंसक होते हैं । यह कितना कामोत ् तेजक है? अब हम एक अध ् ययन भी प ् रकाशित करने वाले हैं — पहला अध ् ययन जो यह प ् रदर ् शित करता है की आप प ् रोस ् टेट कैंसर से पीड ़ ित पुरुषों में जीन की अभिव ् यक ् ति बदल सकते हैं । इसे ताप मानचित ् र कहते हैं — और यह विभिन ् न रंग — और दाहिनी तरफ विभिन ् न जीन हैं । और हमने यह पाया की 500 से ज ् यादा जीन प ् रशंसात ् मक तरीके से बदल गए थे — वस ् तुतः, अच ् छे जीन और बीमारी को रोकने वाले जीन उत ् तेजित हो गए, बीमारी बढाने वाले जीन बंद हो गए । और इसलिए मैं सोचता हूँ की यह जांच परिणाम बहुत ताकतवर हैं, बहुत लोगों को नयी उम ् मीद और नए विकल ् प दे रहे हैं । और कम ् पनियाँ जैसे नेविजेनिक ् स और डीएनए दीरेक ् ट और 23एंडमी, जो आपको आपकी आनुवंशिक रूपरेखा दे रहे हैं, कुछ लोगों को यह महसूस करवा रहे हैं, "" हे भगवान, अच ् छा तो मैं इस बारे मैं क ् या कर सकता हूँ? "" देखिये, हमारे जीन (पित ् रैक) हमारा भाग ् य नहीं है, और अगर हम यह बदलाव करते हैं - यह एक प ् रवृति हैं — मगर यदि हम बहुत ज ् यादा बदलाव करते हैं उस तुलना में जितना हम सामान ् य तरह से करते हैं, हम वास ् तविकता में अपने जीन (पित ् रैक) की अभिव ् यक ् ति को बदल सकते हैं । धन ् यवाद । (तालियाँ) तुम जैसे अनेकों की तरह, मैं भी योगदान करने की कोशिश करना चाहता हूँ अफ ् रीका के पुनर ् जागरण में अफ ् रीका की कायापलटने का सवाल असल में एक नेतृत ् व का सवाल है केवल जागरूक नेता ही अफ ् रीका की काया पलट सकते हैं और मेरी यही सोच है की जिस तरह हम अपने नेताओं को शिक ् षित करें, वह इस महाद ् वीप की तरक ् की का मूलभूत है. अपने विचारों की व ् याख ् या करने के लिए मैं आपको कुछ कहानियाँ सुनाना चाहता हूँ कल हम सभी ने कहानियों के महत ् व के बारे में चर ् चा की है इस साल, मेरी एक अमरीकन सहेली ने घाना में नर ् स की हैसियत से स ् वेच ् छा से काम किया और 3 महीनों में ही वह उस निष ् कर ् ष पहुँच गई, अफ ् रीका के नेतृत ् व की स ् तिथी के बारे में, जिसे समझने में मुझे दस साल से ज ़ ् यादा लगे. दो बार वो ऐसी सर ् जरीस में शामिल थी जिसके दौरान अस ् पताल में बिजली चली गई आपातकालीन जेनरेटर शुरू नहीं हुए न कोई रौशनी, न दीया, न लालटेन. घोर अंधेरा. रोगी का शरीर खुला हुआ — दो बार. पहली बार एक सीज ़ ेरियन था. शुक ् र है, शिशु बहार आ गया — जच ् चा-बच ् चा दोनों जीवित बच गए. दूसरी बार के उपचार में बेहोश करने की आवश ् यकता थी रोगी ज ़ ् यादा समय तक बेहोशी में न रहा, उसे दर ् द महसूस हुआ वो रो रहा है, चिल ् ला रहा है, प ् रार ् थना कर रहा है घोर अंधेरा, न कोई दीया, न कोई रौशनी जबकि वह अस ् पताल टॉर ् च खरीद सकता था वह अस ् पताल इन सब चीज ़ ों को खरीदने में सक ् षम थे, मगर उन ् होने ऐसा न किया और ऐसा दो बार हुआ एक दूसरी बार, वे यह देख कर भयभीत हो गयी की नर ् स को एक रोगी को मरते हुआ देख रही थी, क ् योंकि उन ् होंने ऑक ् सिजन देने से इनकार कर दिया, जोकि उनके पास था और फिर, तीन महीनों के बाद, उनके अमरीका लौटने के कुछ ही समय पहले, अक ् रा की नर ् से हड ़ ताल पर चली गईं. और उनकी यही सलाह है कि इस मौके का सही लाभ उठकार इन सभी नुर ् सों को बाहर कर दिया जाए और एक नई शुरुआत करें एक नयी शुरुआत इस सभी का नेतृत ् व से क ् या संबंध है? देखिए, स ् वास ् थ मंत ् रालय का दोष, अस ् पताल प ् रशासन, डॉक ् टर, नर ् सों यह सभी उन चुनिंदा पाँच प ् रतिशत लोगों में हैं, जिन ् हें माध ् यमिक स ् तर से ऊपर शिक ् षा मिलती है ये समाज के उत ् कृष ् ट भाग के सदस ् य हैं, यही हमारे नेता हैं इन ् के निर ् णय, इन ् के कार ् य, माइने रखते हैं और जब ये लोग असफल होते हैं, एक राष ् ट ् र पीड ़ ा से करहाता है तो जब मैं नेतृत ् व की बात करता हूँ, मैं सिर ् फ ़ राजनीतिक नेताओं की बात नहीं कर रहा हमने उसके बारे में बहुत सुना है मैं कुलीन लोगो की बात कर रहा हूँ वे लोग जिन ् हे प ् रशिक ् षित किया गया है जिनका कर ् म है समाज के संरक ् षक बनना वकील, न ् यायाधीश, पुलिस, डॉक ् टर, इंजिनियर, प ् रशासनिक सेवक - यही लोग नेता हैं और हमें इन ् हे सही तरह से प ् रशिक ् षित करना है घाना में नेतृत ् व के साथ मेरा सबसे पहला यादगार अनुभव घटा, जब मैं 16 साल का था हमारे यहाँ तभी ही सैन ् य विद ् रोह हुआ था और सैनिक समाज में हर तरफ फैले हुए थे उनकी उपस ् थिति व ् यापक थी और एक दिन मैं अपने पिता से मिलने हवाई अड ् डे गया और जैसे ही मैं कार पार ् किंग से घास से ढके ढलान पर चलता हुआ टर ् मिनल भवन की ओर गया AK-47 हथियार बद ् ध दो सैनिकों ने मुझे रोका और उन ् होने मुझे लोगों की भीढ ़ में शामिल होने का आदेश दिया जो की इस बाँध पर यहाँ-वहाँ भाग रहे थे क ् यों? क ् योंकी जो रास ् ता पर मैं जा रहा था, उसमे प ् रवेश निषिद ् ध था और इस संबंध में कोई संकेत न था मैं 16 साल का था | मैं घबरा गया कि मेरे सहकर ् मी मेरे बारे में क ् या सोचेंगे अगर वे मुझे ऐसे # पहाड ़ ी पर इधर-उधर भागते हुए देखेंगे मुझे ख़ासकर यही चिंता थी की लड ़ कियाँ क ् या सोचेंगी. और ईससी कारण से मैने इन सैनिकों से बहस करनी शुरू कर दी यह लापरवाही वाली बात थी, मगर जैसा मैने आपको बताया, मैं 16 साल का था मैं भाग ् यशाली रहा घाना एरवेस का एक पाइलट इसी दुविधा में पड ़ गया उसकी वर ् दी को देख, सैनिकों ने उससे ढंग से बात करनी शुरू कर दी सैनिकों ने समझाया की वे सिर ् फ ़ अपने आदेशों का पालन कर रहे थे पाइलट ने सैनिकों का रेडियो लिया, उनके साहब से बात की, और हम सभी को छुड ़ वा दिया इस अनुभव से हमे क ् या सीख मिलती है? मुझे कई सीख मिलीं नेतृत ् व महत ् वपूर ् ण है | वे सैनिक पालन कर रहे हैं अपने से उच ् च अधिकारी के आदेश मैने साहस के बारे में कुछ सीखा यह महत ् वपूर ् ण था की उन बंदूकों को न देखा जाए और मैने यह भी सीखा की लड ़ कियों के विषय में सोचना भी हमारे लिए सयाहक हो सकता है (हँसी) तो इस घटना के कुछ साल बाद, मैने घाना छोड ़ दिया छात ् रवृति पर स ् वारतमोरे कॉलेज में शिक ् षी पाने के लिए यह ताज ़ ी हवा में साँस लेने के समान था आप जानते हैं, वहाँ के शिक ् षक नही चाहते थे की हम सिर ् फ ़ जानकारियाँ ही याद करें और उन ् हे वापस दौहराएँ, जैसा की मैं घाना में किया करता था वे चाहते थे की हम गंभीरता से सोचें वे चाहते थे की हम विश ् लेषणात ् मक बनें वे चाहते थे की हम सामाजिक विषयों के बार सोचें मुझे अर ् थशास ् त ् र की कक ् षाओं में अधिक अंक मिले मेरी आधारभूत अर ् थशास ् त ् र की समझ के लिए. लेकिन मैने इससे भी अधिक और गहरा कुछ सीखा यह कि जो नेता हैं - घाना की अर ् थव ् यवस ् था के प ् रबंधक- वे अत ् यंत ही बुरे निर ् णय ले रहे थे जिनके कारण हमारी अर ् थव ् यवस ् था पतन के कगार पर पहुँच गई और फिर यहाँ पर एक और शिक ् षा थी कि - नेतृत ् व महत ् वपूर ् ण है यह बहुत माइने रखता है मगर मैं पूरी तरह यह नही समझ सका की मेरे साथ स ् वारतमोरे में क ् या हुआ मुझे हल ् का सा अंदेशा था परंतु, यह मैं पूरी तरह नही एहसास कर सका जब तक में कार ् यस ् थल पर नहीं गया और मैं माइक ् रोसॉफ ् ट कॉर ् पोरेशन में काम करने गया और मैं इस टीम का हिस ् सा था - एक सोचने वाली, सीखने वाली टीम जिसका कार ् य था नए सॉफ ् टवेर को डिज ़ ाइन और लागू करना जिसका इस दुनिया में कोई मूल ् य हो. इस टीम का हिस ् सा होना शानदार था शानदार था और मुझे एहसास हुआ की मेरे साथ स ् वारतमोरे में क ् या हुआ था यह बदलाव - मुश ् किल, जटिल समस ् याओं का सामना करने की क ् षमता, और इन समस ् याओं का समाधान कि रूप-रेखा खीचने कि. निर ् माण करने की क ् षमते सबसे सशक ् त है, जो एक व ् यक ् ति को हो सकती है और मैं इसका हिस ् सा था अब, जब मैं माइक ् रोसॉफ ् ट के लिए काम कर रहा था, कंपनी की सालाना कमाई रिपब ् लिक ऑफ घाना के जीडीपी से अधिक हो गई थी. और हाँ, यह जारी रहा मेरे छोड ़ ने के बाद यह फासला और भड ़ गया मैने इसके एक कारण के बारे में पहले ही बात की मतलब, वहाँ के लोग बहुत महनती हैं दृढ ़, रचनात ् मक, अधिकारिक है. लेकिन कुछ अन ् य बाहरी पहलू भी है: मुक ् त व ् यापार, क ़ ानून के नीयम, बुनियादी सुविधाएँ ये सब चीज ़ ें संस ् थाओं द ् वारा मुहिया की गई थीं जिन ् हें चला रहे थे वे लोग जिन ् हे मैं नेता कहता हूँ जबकि वे नेता खुद-ब-खुद नही उभरे किसी ने उन ् हें अपना कार ् य करने में प ् रशिक ् षित किया जब मैं माइक ् रोसॉफ ् ट में था, एक मज ़ ाकिया चीज ़ हुई मैं पिता बन गया और पहली बार, अफ ् रीका पहले से सबसे ज ़ ् यादा माइने रखने लगा क ् योंकि मुझे यह एहसास हुआ की अफ ़ ् रीकन महाद ् वीप की स ् तिथि मेरी बच ् चों को और उनके बच ् चों के लिए माइने रखेगी की दुनिया की स ् तिथि - दुनिया की स ् तिथि अफ ् रीका के हालत पर निर ् भर करती है जहाँ तक मेरे बच ् चों का सवाल है और जब इस बार मैं सोच विचार कर रहा था उस अरसे पर, जिसे मैं अपना पूर ् व मध ् य जीवन का संकट कहता हूँ अफ ् रीका अ व ् यवस ् थित था समालीया में आराजकता छा गयी थी. रवांडा नरसंहार जंग के दर ् द मे था और मुझे ऐसा लगा की वही ग ़ लत दिशा थी और मुझे वापस जाकर मदद करनी चाहिए मैं सिर ् फ ़ सेऐटल में बैठा अपने बच ् चों को बड ़ ा नही कर सकता एक उक ् छ-मध ् यम वर ् गीय पड ़ ोस में बैठे और इस बात के सोचकर अच ् छा महसूस करूँ यह वह दुनिया नही है जिसमे मैं अपने बच ् चों को बड ़ ा करना चाहता हूँ तो मैने इसमे जुड ़ ने का निर ् णय लिया, और सबसे पहले जो मैने किया वह था घाना वापस आकर बहुत लोगों से बात करना और वास ् तव में मुद ् दों को संपूर ् ण ढंग से समझना और हर समस ् या पर तीन चीज ़ ें उभरती रहीं: भ ् रष ् टाचार, कमज ़ ोर संस ् थाएँ और वे लोग जो इन ् हे चलाते हैं - नेता अब, मुझे थोड ़ ा डर लग रहा था क ् योंकि जब आप उन तीन समस ् याओं को देखते हो, आपको लगता है की इनका सामना करना बहुत कठिन है और कुछ लोग कहते है, देखो, कोशिश भी करने कि मत सोचना. मगर, मेरे लिए, मैने सवाल यह पूछा "" ये नेता कहाँ से आ रहे हैं? वो क ् या बात है घाना के बारे में, की जो नेता उभरते हैं वे अनैतिक होते हैं, और समस ् याओं का समाधान नहीं निकल पाते "" तो मैं देखने गया की हमारी शिक ् षा प ् रणाली में क ् या चल रहा है और वही था - रट-रट कर सीखना प ् राथमिक शिक ् षा से लेकर कॉलेज तक नीतिशास ् त ् र पर बहुत कम ज ़ ोर और एक साधारण, विशिष ् ठ ग ् रेजुएट घाना के विश ् वविद ् यालय के पास अधिक भावना पात ् रता की है, न की ज ़ िम ् मेदारी की यह ग ़ लत है तो मैंने यह निर ् णय लिया इस विशेष समस ् या में जुड ़ ने का क ् योंकि मुझे लगता है कि हर समाज, हर समाज अपने नेताओं को प ् रशिक ् षित करने में बहुत सोच-विचार करता है मगर घाना इसमे ज ़ ् यादा ध ् यान नही दे रहा था और यह बात पुरे सब-सहारी अफ ् रीका में सच है तो मैं अभी यह कर रहा हूँ मैं अपने सवॉर ् तमोर के अनुभव को अफ ् रीका लाने की कोशिश कर रहा हूँ काश अफ ् रीका के हर देश में एक आदार कला (लिबरल आर ् ट ् स) का कॉलेज होता मुझे लगता है कि बहुत फर ् क पड ़ ता और अशेसी विश ् वविद ् यालय की कोशिश है की नैतिक और उग ् यमि नेताओं कि एक नई पीढ ़ ी को परीक ् षित किया जाए हम ईमानदार नेताओं को परीक ् षित करने की कोशिश कर रहे हैं जिन ् के पास कठिन समस ् याओं से जूझने की क ् षमता है, सही सवाल पूछने की, और उचित समाधान ढूड ़ ने की मैं स ् वीकार करता हूँ कि ऐसे क ् षण आते हैं जब लगता है कि यह "" मिशन असंभव "" है लेकिन हमें यह विश ् वास करना होगा कि यह बच ् चे समझदार हैं और कि अगर हम इन ् हें शिक ् षा में शामिल करते हैं अगर हम इन ् हें चर ् चा कराते हैं - उन सही मुद ् दों पर जिनका वे सामना करते हैं और पूरा समाज सामना करता है - और अगर हम इन ् हें दुनिया से जुड ़ ने की कुशलताएँ प ् रदान करते हैं तब वह जादू हो सकता है. एक महीना हुआ है इस परियोजना के शुरू हुए, हमने कक ् षाए बस शुरू ही की थी मैंएक महीने बाद ऑफीस आया और मुझे एक छात ् र का ईमेल मिला और उसमे लिखा था, बहुत सरल ढंग में, "" मैं अब सोच रहा हूँ "" और अंत में लिखा था, "" धन ् यवाद "" इतना सरल वाक ् य है मगर मुझे तो आँसू ही आ गए क ् योंकि मैं समझ गया की इस नौजवान के साथ क ् या हो रहा था और इसका हिस ् सा होना एक गर ् व है. किसी को इस तरह समर ् थ बनाने में मैं अब सोच रहा हूँ इस वर ् ष, हमने अपने छात ् रों को चुनौती दी एक आचार संहिता के निर ् माण करने की हमारे विश ् वविध ् यालय में एक अहम चर ् चा चल रही है अगर उनके लिए कोई आचार संहिता होनी चाहिए या नहीं और अगर होनी चाहिए, तो वह कैसी होगी एक छात ् र ने एक सवाल पूछा, जिससे मेरा दिल पिघल गया क ् या हम एक परिपूर ् ण समाज बना सकते हैं? उसकी समझ थी कि छात ् रों द ् वारा बनाए गए नीयम परिपूर ् णता की ओर जाने का गठन करते हैं - यह अद ् भुत बात है हम समाज में परिपूर ् णता नहीं पा सकते मगर अगर हम उसे पाने की कोशिश करें, हम श ् रेष ् ठता ज ़ रूर पा सकते हैं मैं नही जानता की अंत में वे लोग क ् या करेंगे मैं नही जानता कि वे यह नीयम योजना तय ् यार करेंगे या नहीं मगर जो बातचीत वे आज कर रहे हैं - कि एक अच ् छा समाज कैसा होना चाहिए, उनका अपना श ् रेष ् ट समाज कैसा होना चाहिए - बहुत अच ् छी बात है क ् या मेरा समय समाप ् त हो गया? ठीक मैं बस यह स ् लाइड वहीं रखना चाहता हूँ क ् योंकि यह महत ् वपूर ् ण है कि हम इसके बारे में सोचें मैं उत ् तेजित हूँ यह जानकार कि अशेसी विश ् वविद ् यालया का हर छात ् र-छात ् रा, ग ् रेजुएट होने से पहले सामाजिक सेवा करते हैं कि बहुतों के लिए, यह ज ़ िंदगी बदलने का अनुभव रहा है इन जवान नेताओं को समझ आ रहा है नेतृत ् व का सच ् चा हिसाब-किताब नेतृत ् व का सच ् चा विशेषाधिकार जो कि मानव की सेवा करना है इससे ज ़ ् यादा, मैं इस बात से बहुत रोमांचित हूँ की पिछले साल हमारे छात ् र शासन ने एक नारी को चुना छात ् र शासन के प ् रधान के रूप में यह घाना के इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी नारी को एक छात ् र शासन के प ् रधान के रूप में चुना गया हो किसी विश ् वविद ् यालय में यह बात हमें उस नारी के बारे में बहुत बताती है यह बात हमें कैम ् पस पर पनपती संस ् कृति के बारे में बहुत बताती है यह बात हमें उन मतदाताओं के बारे में बहुत बताती है जिन ् होंने उसे निर ् वाचित किया. वह 75% के मतों से जीती और यह बात मुझे बहुत आशा देती है ऐसा समझ आता है कि मश ् चिमी अफ ् रीका भी हमारे छात ् रों की प ् रगती को सराहता है अभी तक हमारे विश ् वविद ् यालय से दो कक ् षाएँ ग ् रॅजुयेट हुई हैं और हर एक छात ् र को नौकरी मिली है और हमें सूचनाएँ मिल रही हैं घाना से, पश ् चिमी अफ ् रीका से और वे सबसे ज ् यादा प ् रभावित उनकी कार ् य शैली से हुए है. उन ् हें अपने काम से लगाव है. दृढ ़ ता, अस ् पष ् ता को झेलने की क ् षमता, ऐसी समस ् याओं की, जिसे उन ् होने पहले देखा नहीं, उन ् हे झेलने की क ् षमता आप जानते हैं: यह अच ् छा है पिछले पाँच सालों में, ऐसे क ् षण आए हैं जब मुझे लगा की यह "" मिशन असंभव "" है और इतना अच ् छा है यह देखना की आशा की किरण क ् या हो सकती है, अगर हम अपने बच ् चों को सही परिषिक ् षित करें मुझे लगता है की अफ ् रीका के वर ् तमान और भविष ् य के नेताओं के पास एक अद ् बूध मौका है इस महाद ् वीप में पुनर ् जागरण आंदोलन करने का यह एक अद ् बूध अवसर है ऐसे बहुत अवसर दुनिया में नहीं हैं मुझे लगता है की अफ ् रीका एक नए मोड ़ पर आ गया है जहा लोकतंत ् र और मुक ् त व ् यापार की व ् यापकता हो गयी है. वो क ् षण आ गया है जिससे उभर सकता है एक पीढ ़ ी में से एक महान समाज. यह प ् रेरित नेतृत ् व पर निर ् भर करेगा और मेरी यही सोच है कि जिस ढंग से हम अपने नेताओं को प ् रशिक ् षित करेंगे सारा बदलाव लाएगा धन ् यवाद... भगवान भला करे (तालियाँ) अगर संसार को बांटे तो सबसे सामान ् य विभाजन है एक जो ईश ् वर को मानते हैं और दूसरे जो नहीं मानते — यानि कि आस ् तिक और नास ् तिक! और पिछ ् ले कुछ दशको से ये साफ़ है कि नास ् तिक होने का मतलब क ् या है । कुछ काफ़ी स ् पष ् टवादी नास ् तिक हुए हैं जो ये कहते हैं कि धर ् म केवल गलत ही नहीं बल ् कि बेतुका भी है । ये लोग, जिनमे से कई उत ् तरी ओ ़ क ् स ् फ़ोर ् ड मे रहे हैं ये तर ् क देते हैं कि ईश ् वर मे विश ् वास करना परियों की कहानियों को सच मानने जैसा है और सही मायने मे ये सब एक बचकाने खेल जैसा है । अब मेरे हिसाब से ये कुछ ज ् यादा ही सरल है. मेरे विचार से इस तरह से धर ् म की पूरी तरह से उपेक ् षा करना बहुत आसान है. ये इतना आसान है जितना गंजे के सर के जुयें मारना. और आज मै जिसका उदघाटन करने जा रहा हूं वो है नास ् तिक बनने का एक नया तरीका — और अगर आप चाहें तो अनीश ् ‍ वरवाद के इस नये रूप को अनीश ् वर ् वाद २.० कह सकते हैं । अब ये अनीश ् वरवाद २.० है क ् या? वैसे तो ये बहुत सीधी सी बात से शुरु होता है. ये माना कि कोई भगवान नही है. माना कि कोई देवता या अलौकिक शक ् ति नही है और ना ही फरिश ् ते वगैरा । तो ठीक है पर अब इससे आगे बढा जाये, क ् योंकि कहानी यहां खतम नही हुई है, बल ् कि ये तो एकदम शुरुआत है । अब मै खासकर उन लोगो के बारे मे कहना चाहूंगा जो कुछ इस तरह सोचते हैं: जैसे, "" मैं ये सब कुछ नहीं मानता. मै किसी सिद ् दान ् त को नहीं मानता. मुझे नही लगता कि ये सिद ् धान ् त सही हैं. लेकिन, एक बात है, "" मुझे त ् योहार मनाना बहुत पसन ् द है. मुझे रंगोली की सजावाट बहुत अच ् छी लगती है और पुराने मन ् दिर और चर ् च भी बहुत सुहावने लगते है मुझे गीता / बाइबल के उपदेश भी अच ् छे लगते है "" या जो भी ऐसा कुछ, आप समझ गये ना मै क ् या कहना चाह रहा हूं — लोगो को धर ् म का सांस ् कृतिक, नैतिक और सामजिक पहलू तो आकर ् षित लगता है लेकिन वो सिद ् दान ् तो को नही झेल सकते. अब तक इन लोगो के पास बहुत ही अप ् रिय विकल ् प रहा है. और ये ऐसा है कि या तो आप सिद ् दान ् तों को माने और तब आप इन सारी कलात ् मक चीजों का आनन ् द ले सकते है, या फ़िर आप इन सिद ् धान ् तों को अस ् वीकार करें और एक आध ् यात ् मिक तौर पर बंजर जैसी जगह मे रहें जिसे सी एन एन और वालमार ् ट चलाते हैं. तो ये वाकई एक कठिन चुनाव है. मेरे विचार से हमे चुनाव करने की जरूरत ही नही है. एक दूसरा रास ् ता है. मेरे खयाल से धर ् म से कुछ (अच ् छा) चुराने के — अब मैं एक साथ बहुत भद ् र भी बन रहा हूं और पापी भी — कई तरीके हैं. और अगर आप धर ् म मे विश ् वास नही करते तो धर ् म के अच ् छे गुण चुनकर कुछ अपने विचारों से मिलाने मे कुछ गलत नही है. और मेरे लिये, ये नया अनीश ् वरवाद दोनो पहलुओ के लिये है, जैसा कि मैने कहा, एक आदरपूर ् ण और अभद ् र तरीके से, धर ् म की जांच करना और सोचना, "" यहां हमारे काम की कोइ चीज है क ् या? "" इस लौकिक दुनिया मे कई कमियां हैं. और मेरे हिसाब से हम बहुत बुरी तरह से सांसारिक हो गये हैं । और यदि हम धर ् म का बारीकी से अध ् ययन करें तो हमे जीवन के कई उलझे हुये पहलुओं के बारे में काफ़ी ज ् ञान मिलेगा. और आज मै उनमे से कुछ के बारे मे बात करूंगा. चलिये शुरुआत शिक ् षा से करते हैं. शिक ् षा एक ऐसा क ् षेत ् र है जिसमे लौकिक दुनिया बहुत आस ् था रखती है. जब भी हम दुनिया को बेहतर बनाने की सोचते है, हम शिक ् षा के बारे मे ही सोचते हैं और उसपे बहुत खर ् चा भी करते हैं. शिक ् षा से हमें वाणिच ् यिक, औद ् योगिक योग ् यता तो मिलेगी ही, ये हमे बेहतर इन ् सान भी बनायेगी. आप तो जानते ही है किसी उदघाटन समारोह या दीक ् षान ् त समारोह मे, कितने काव ् यात ् मक ढंग से शिक ् षा और पूरी शैक ् षिक पद ् धति — खासकर उच ् च शिक ् षा की — हमे बेहतर और महान इन ् सान बनाने की क ् षमता का गुणगान किया जाता है. ये कितना सुन ् दर विचार है. और इस विचार की शुरुआत भी काफ़ी रोचक है. 19वीं शताब ् दी की शुरुआत में पश ् चिमी युरोप में चर ् च मे आने वालों की संख ् या बडी तेज़ी से घटना शुरु हो गयी, इतनी कि लोग घबरा गये. उन ् होने अपने आप से ये सवाल पूछे. उन ् होने कहा, कि अब लोग नैतिकता कहां से सीखेंगे, उन ् हें मार ् गदर ् शन कहां से मिलेगा, और वो सांत ् वना की खोज मे कहां जायेंगे? और फ़िर एक प ् रभावशाली आवाज़ में उत ् तर आया. उत ् तर था: संस ् कृति. हमें मार ् गदर ् शन, सांत ् वना और नैतिकता के लिये अपनी संस ् कृति का सहारा लेना चाहिये. आप शेक ् सपीयर के नाटक देख लीजिये या प ् लूटो के संवाद या जेन आस ् टिन के उपन ् यास. इन सबमें आपको वो सारा सत ् य मिलेगा जो पहले हमने सेंट जोन के उपदेशों मे पाया था. अब मुझे लगता है कि ये बहुत ही सुन ् दर और सच ् चा विचार है. वे ग ् रन ् थों को संस ् कृति से प ् रतिस ् थापित करना चाहते थे. और ये वाकई बहुत ही यथार ् थवादी विचार है. और हम इसी विचार को भूल गये हैं यदि आप एक उत ् कृष ् ट विश ् वविद ् यालय मे पढे हैं मान लो, हार ् वार ् ड या ओक ् सफ़ोर ् ड या केम ् ब ् रिज — और ये कहते हैं, "" मैं यहां नैतिकता, मार ् गदर ् शन और सान ् त ् वना की खोज मे आया हूं; मै जीने का सही तरीका जानना चाहता हूं. "" तो लोग आपको पागलखाने का रास ् ता दिखायेंगे! हमारे सबसे भव ् य और श ् रेष ् ठ संस ् थान भी ये बताना जरूरी नहीं समझते. क ् यॊं? उन ् हें लगता है कि हमे इसकी जरूरत ही नही है. उन ् हें नही लगता कि हमे तुरन ् त मदद की जरुरत है. उनके हिसाब से हम सब वयस ् क हैं, बुद ् धिमान वयस ् क! हमें तो बस सूचना चाहिये. और कोइ सहायता नहीं, बस आंकडे. जबकि धर ् म एकदम अलग जगह से शुरु होता है. सभी धर ् म, सारे बड ़ े धर ् म, अनेक बार हमे "" बच ् चा "" कहकर संबोधित करते हैं. और ये मानते हैं कि बच ् चों की तरह ही हमे भी मदद की गंभीर जरुरत है. हम बस किसी तरह काम चला रहे हैं. शायद सिर ् फ़ मैं ही या शायद आप भी. पर जो भी हो बस किसी तरह सब काम चला रहे हैं. और हम सबको सहायता चाहिये. वाकई हमें मदद चाहिये. और इसलिये हमे मार ् गदर ् शन और उपदेशों की जरुरत है. 18वीं शताब ् दी मे U.K. में जोन वेस ् ले नामक बहुत महान धार ् मिक उपदेशक हुआ जो पूरे देश मे घूम घूम कर लोगों को उपदेश देता और उन ् हें जीने का सही तरीका बताता. उसने माता-पिता के बच ् चों के प ् रति और बच ् चों के माता-पिता के प ् रति क ् या कर ् तव ् य है, अमीर का गरीब और निर ् धन का धनवान के प ् रति क ् या कर ् तव ् य है इन सब का उपदेश दिया. उसने लोगों को धर ् म प ् रचार के पारम ् परिक तरीके यानि कि अपने उपदेशों के माध ् यम से जीने का सही तरीका बताने की कोशिश की. अब हमने उपदेश देने वाला विचार तो छोड ही दिया है. अगर आप एक आधुनिक, उदारतावादी व ् यक ् ति से कहेंगे, "अरे सुनिये, मैं आपको एक उपदेश देना चाहता हूं?" वो कहेंगे, "" नहीं नहीं, मुझे उपदेश-वुपदेश नही चाहिये. मैं एक स ् वतन ् त ् र व ् यक ् ति-विशेष हूं. "" एक उपदेश और व ् याख ् यान, जो कि हमारा आधुनिक धर ् मनिरपेक ् ष तरीका है मे क ् या अन ् तर है? एक उपदेश आपका जीवन बदलना चाहता है और एक व ् याख ् यान आपको बस थोडी जानकारी देना चाहता है. और मुझे लगता है कि हमें उपदेश की प ् रथा को वापस लाना चाहिये. उपदेश की प ् रथा अत ् यधिक मूल ् यवान है, क ् यों कि हमें मार ् गदर ् शन, नैतिकता और सांत ् वना की सख ् त जरूरत है — और धर ् म ये बात जानते हैं. शिक ् षा के बारे मे एक और बात: इस आधुनिक लौकिक दुनिया मे हमें ऐसा लगता है कि यदि हम एक बात किसी को एक बार बतायेंगे तो वो उसे याद रखेगा. कक ् षा मे बिठा के, बीस साल की आयु मे उन ् हें, आप प ् लूटो के बारे मे बताइये, फ़िर 40 साल की आयु मे उन ् हें प ् रबंधन सलाहकर बनने भेज दीजिये और तब भी वो पाठ उन ् हें याद रहेगा. धर ् म कहते हैं, "" बकवास. तुम ् हे दिन मे 10 बार अपने पाठ को दोहराने की जरूरत है. तो अपने घुटनों पे बैठो और अपना पाठ दोहराओ. "" सारे धर ् म हमें यही करने को कहते हैं: तो झुको और रोज़ 10, या 20 या 15 बार अपना पाठ दोहराओ. "" नही तो हमारे छ ् लनी जैसे दिमाग से सब निकल जायेगा. तो धर ् म मे पुनरावृत ् ति का चलन है. वो वही महासत ् य बार बार घुमा फ़िरा के कहते रहते हैं. पर पुनरावृत ् ति से हमें बोरियत होती है. हमे हमेशा कुछ नया चाहिये. नया हमेशा पुराने से अच ् छा है. अगर मै आपसे कहूं, "" ठीक है भाई, आज से नया TED नही होगा. हम बस वही पुराने TED TALK बार बार दोहरायेंगे और और उसे पांच बार देखेंगे क ् यूंकि कि वो सब कितने सच ् चे हैं. हम एलिज़ाबेथ गिल ् बर ् ट को पांच बार देखेंगे क ् योंकि वो जो कहतीं हैं वो बहुत अच ् छा है, "" आप छला हुआ महसूस करेंगे. लेकिन अगर आप धार ् मिक विचारधारा अपनायेंगे तो ऐसा नही होगा. धर ् म एक और काम करता है, और वो है समय व ् यवस ् था. सभी बडे धर ् मों ने हमे केलेन ् डर दिये है. केलेन ् डर क ् या है? केलेन ् डर यह निश ् चित करने का एक तरीका है कि आपको पूरे साल के दौरान कुछ महत ् वपूर ् ण विचारों का ध ् यान रखें. केथोलिक केलेन ् डर मे, हर मार ् च के अन ् त मे आप सन ् त जेरोमी के बारे मे सोचेंगे और उनके सद ् ‍ गुणों, सदाचरण और गरीबों के प ् रति दयाभाव के बारे मे सोचेंगे. और ये कोइ इत ् तेफ़ाक से नहीं होगा, बल ् कि इसलिये होगा क ् यों कि आपको ऐसा करने को कहा गया है. पर अब हम ऐसा नही सोचते. धर ् मनिरपेक ् ष संसार मे हम मानते हैं, "" अगर कोई बात जरूरी है तो हम उस पर अमल करेंगे. हम इसे खुद ही समझने की कोशिश करेंगे. "" लेकिन धार ् मिक लोग इसे बकवास मानेंगे. धार ् मिक मत के हिसाब से हमें कलेन ् डर चाहिये, समयबद ् धता चाहिये, और इसी के हिसाब से हम किसी बात पर विचार करेंगे. और ये तब भी दिखता है जब धर ् म मे रीति रिवाजों को खास भावनाओं से जोडा जाता है. अब चन ् द ् रमा को ही ले लीजिये. इसे देख ् नना महत ् वपूर ् ण है. और आप जानते हैं कि जब आप चांद देखते है, तो सोचते है, "" मै कितना तुच ् छ हूं, मेरी समस ् यायें क ् या है? "" इससे चीजों का एक नजरिया बनता है. हमें चांद को कई बार देखना चाहिये, पर हम नही देखते. क ् यों नहीं? क ् यों कि हमसे कोई ये कहने वाला ही नही है, "" चांद को देखो "". लेकिन अगर आप एक जेन बुद ् ध है तो सितम ् बर के बीच मे आपको एक खास मंच पे खडे होना पडेगा, और आप सुकिमी का त ् योहार मनायेंगे, जिसमे आपको चांद के सम ् मान और समय के चक ् र और जीवन की भंगुरता के बारे मे याद दिलाने के लिये कवितायें पढने को दी जायेगी. फ़िर आपको चावल का केक दिया जायेगा. और चांद और उसका प ् रतिबिम ् ब आपके दिल मे हमेशा के लिये बस जायेगा. ये वाकई बहुत अच ् छी बात है. दुसरी बात जो धर ् म अच ् छी तरह समझते हैं वो है: अच ् छी वाणी — जो मै यहां बहुत अच ् छा नही कर पा रहा हूं — वाक ् पटुता तो वाकई धर ् म का मूल है. इस भौतिकतावादी दुनिया मे, आप विश ् वविद ् यालय पद ् धति मे पढ के, अच ् छे वक ् ता न होने के बावजूद एक अच ् छा जीवन बना सकते हैं. लेकिन धार ् मिक दुनिया ऐसा नही सोचती आप जो भी कहें उसे अच ् छे विश ् वसनीय तरीके से कहना बहुत जरूरी है तो यदि आप दक ् षिण अमेरिका के किसी अफ़ ् रीकी अमेरिकी पेन ् टेकोस ् टल चर ् च मे जायेंगे और उनकी बातें सुनेगे तो जान जायेगें कि वे वाकई बहुत ही अच ् छे से बात करते हैं. हर निश ् चयात ् मक बात के बाद सब "" आमीन आमीन आमीन "" कहते हैं. और हर उत ् साहपूर ् ण बात के बाद सब खडे होके कहेंगे. "" शुक ् रिया जीजस, शुक ् रिया क ् राइस ् ट, शुक ् रिया तारणहार "". अगर हम भी ऐसे ही करें जैसे वो करते हैं — हम ऐसा करते नही हैं पर बस सोचिये अगर हम ऐसे करें — मैं आपसे ऐसा कुछ कहूं जैसे "" ग ् रन ् थों को संस ् कृति से प ् रतिस ् थापित कर देना चाहिये "". और आप सब कहें, "" आमीन, आमीन, आमीन. "" और मेरी बात के अन ् त मे सब खडे होकर कहें "" शुक ् रिया प ् लूटो, शुक ् रिया शेक ् सपीयर, शुक ् रिया जेन औस ् टिन. "" और हमे लगे कि हम वाकई सुर मे सुर मिला रहे हैं. तो कैसा लगेगा! (प ् रसंशा) एक और चीज जो धर ् म जानते है कि हमारे अन ् दर सिर ् फ़ एक मन ही नही एक शरीर भी हैं और जब वो कोइ पाठ पढायेंगे तो वो शरीर से ही होके जायेगा. जैसे कि उदाहरण के लिये यहूदी लोगों का क ् षमादान. यहूदी क ् षमा करने मे और नयी शुरुआत करने मे बहुत विश ् वास करते हैं. और इसका केवल उपदेश नही देते. वो केवल किताबो या बातो मे ये करने को नही कहते. वो हमे स ् नान करने को कहते है. एक कट ् टर यहूदी समाज मे आप हर शुक ् रवार एक मिक ् वे मे जाते हैं. आप पानी मे डुबकी लगाते है और ये भौतिक कर ् म एक दार ् शनिक विचार को बल देता है. लेकिन हम ऐसा नही करते. हमारे विचार एक जगह पे है और हमारा व ् यवहार हमारे शरीर के साथ कहीं और है. धर ् म इन दोनो को बडे अद ् भुत तरीके से मिलाने की कोशिश करते हैं. आईये अब कला के बारे मे बात करते हैं कला को इस लौकिक दुनिया मे हम बहुत श ् रेष ् ठ मानते हैं. हमारे खयाल से कला वाकई बहुत ही महत ् वपूर ् ण हैं. हमारा बहुत सारा अतिरिक ् त धन संग ् रहालयों को दिया जाता है. हमें कई बार तो ये सुनने को भी मिलता है कि सन ् ग ् रहालय हमारे नये चर ् च हैं. आपने कई बार ये सुना होगा. मेरे हिसाब से वहां कोई बात तो है, लेकिन हमने खुद को पुरी तरह निराश किया है. और निराशा की वजह ये है कि हमने इस बात को ठीक से जाना ही नही है कि धर ् म कला को कैसे चलाते हैं. दो बहुत बडी गलतफ़हमियां दुनिया मे प ् रचलित हैं जो कला से शक ् ति पाने की हमारी क ् षमता को रोक रही हैं: एक तो ये कि कला सिर ् फ़ कला मात ् र के लिये ही होनी चहिये — जो कि एकदम बेहूदा खयाल है — और ये कि कला को तो सन ् यासियों की दुनिया मे रहना चाहिये और इस दुखी सन ् सार के लिये कुछ नही करना चाहिये. मैं ये बिल ् कुल नही मानता. एक और बात ये है कि हम मानते हैं कि कला को खुद को व ् यक ् त नही करना चाहिये, कि कलाकार को अपनी कला के बारे मे कुछ नही कहना चाहिए, क ् योंकि अगर उन ् होंने बता दिया तो उसका सारा रहस ् य खुल जायेगा और हमे वो बहुत आसान लगने लगेगा. इसीलिये जब भी हम सन ् ग ् रहालय मे होते है तो हमे ऐसा लगता है — आज मान ही लेते हैं — कि "" मुझे कुछ समझ मे नही आता कि ये सब क ् या है "" लेकिन कोइ गम ् भीर व ् यक ् ति ये स ् वीकार नही करता है. लेकिन ये भावना समकालीन कला का संरचनात ् मक हिस ् सा बन गयी है. धर ् मों का कला के प ् रति काफ़ी साफ़ नज़रिया है. उन ् हें ये बताने मे कोइ परेशानी नही है कि कला किस बारे मे है. कला के सभी मुख ् य मतो मे दो उद ् देश ् य हैं. पहला, ये आपको याद दिलाने की कोशिश करती है कि दुनिया मे कुछ प ् यार करने के लिये भी है. और दूसरा, हमे ये बताने के लिये कि हमे किससे डरना चाहिये और बचना चाहिये. और यही कला का उद ् देश ् य है. कला हमारी आस ् था के विचारो का शारीरिक रूप है. तो जब आप किसी चर ् च, मस ् जिद या गिरिजाघर के पास से गुजरते हैं, तो आप क ् या सीखते हैं, आप वही सीखते हैं जो आप अपनी आंखों से देखते हैं, महसूस करते है, वो सच जो अन ् यथा आपके पास दिमाग के रास ् ते से आता है, शरीर के नहीं. ये वस ् तुत: एक तरह का प ् रचार है. रेम ् ब ् रान ् ट ईसाईयों की नज़र मे एक प ् रचारक है. प ् रचार शब ् द सुनते ही हम सतर ् क हो जाते हैं. हम हिटलर और स ् टालिन के बारे मे सोचते हैं. पर ये जरूरी नही है. प ् रचार किसी चीज के बारे मे ज ् ञान देने का तरीका है. और अगर वो चीज अच ् छी है तो इसमे कुछ गलत नही है. मेरे हिसाब से संग ् रहालयों को धर ् म से इस बारे मे सीखना चाहिये. और इस बात का ध ् यान रख ् नना चाहिये कि जब भी आप संग ् रहालय मे जायें — अगर मै वहां का अध ् यक ् ष होता, तो मै प ् रेम के लिये एक अलग कक ् ष बनाता और एक उदारता के लिये. सभी कलाकृतियां हमे कुछ सिखाती हैं. यदि हम अपने आस पास की दुनिया को इस तरह से व ् यवस ् थित कर सकें जहां हमे कई कलाकृतियां देखने मिलें और हमे ये सिखाया जाये कि हम अपने विचारों को और प ् रगाढ करने मे इन कलाकृतियों का प ् रयोग करें, तो हम कला से बहुत कुछ पा सकते हैं. कला पहले की तरह ही अपना काम खुद कर लेगी, पर हमने अपनी गलतफ़हमियों के कारण इस बात की उपेक ् षा की है. कला समाज मे सुधार लाने का एक साधन है. कला निर ् देशात ् मक होनी चाहिये चलिये किसी और चीज के बारे मे सोचते है. इस आधुनिक लौकिक संसार मे, जो लोग आत ् मा, मन और ऐसे उच ् च आत ् मीय विषयों मे रुचि लेते है, अक ् सर वो अकेले ही होते है. जैसे कि कवि, दार ् शनिक, फ़ोटोग ् राफ़र और फ़िल ् मकार. और वो अक ् सर स ् वावलम ् बी होते है. वो हमारे लघु उद ् योगो की तरह अकेले और असुरक ् षित है. और वे खुद ही दुखी और उदास होते रहते है और वो ज ् यादा बदलते भी नही है. अब आप धर ् म के बारे मे सोचिये, संगठित धर ् म के बारे मे. धार ् मिक संगठन क ् या करते है? वो समूह बनाकर संस ् थान बनाते हैं. और इसके बहुत सारे फ़ायदे हैं सर ् वप ् रथम विशालता और शक ् ति. वालस ् ट ् रीट के अनुसार केथोलिक चर ् च ने गत वर ् ष 97 बिलियन डालर एकत ् रित किये. ये विशालकाय तन ् त ् र है. वे सहयोगिक हैं, ब ् रान ् डेड हैं और बहुराष ् ट ् रीय हैं. और वो बहुत ही अनुशासित हैं. ये सब बहुत अच ् छे गुण हैं. हम उन ् हें एक निगम की तरह मानते हैं. और निगम बहुत कुछ धर ् मों की तरह ही है, बस इतना फ़र ् क है कि वो आवश ् यकता के पिरामिड मे सबसे नीचे हैं वे हमें जूते और कार बेच रहे है. जबकि जो लोग हमे उच ् च श ् रेणी की चीजें बेच रहे हैं — जैसे कि योगाचार ् य या कवि — बस खुद पर ही चल रहे है और उनके पास कोइ शक ् ति नही है, उनके पास कोइ बल नही है. तो धर ् म ऐसी संस ् था का सबसे बडा उदाहरण है जो मन मे चलने वाली चीजों के लिये लड ़ रही है. अब हो सकता है हम वो ना माने जो धर ् म हमें सिखाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन हम उनके इस संस ् थागत तरीके की सराहना तो कर ही सकते हैं. केवल किताबों से, एकाकी व ् यक ् तियों द ् वारा लिखी गयी किताबों से कुछ नही बदलने वाला. हम सबको एक साथ इकट ् ठा होने की जरुरत है. अगर आप दुनिया को बदलना चाहते हैन तो आपको एक साथ मिल कर संगठित होना पडेगा. और यही काम धर ् म करते है. जैसा कि मैने कहा, वे बहुराष ् ट ् रीय हैं ब ् रान ् डेड हैं और उनकी एक साफ़ पहचान है. इसलिये वो इस व ् यस ् त दुनिया मे खो नही जाते. और ये चीज हम उनसे सीख सकते हैं. मैं अब निष ् कर ् ष पर आता हूं. वस ् तुत: मैं जो कहना चाहता हूं, वो आप मे से जो लोग विभिन ् न क ् षेत ् रो मे काम कर रहे हैं, उनके लिये है, कुछ ऐसा है जो आप धर ् म से सीख सकते हैं — भले ही आप उसकी किसी बात पर विश ् वास नही करते हैं, फ़िर भी. अगर आप कोइ ऐसा काम करते है जो सामुदायिक है, जिसमे बहुत सारे लोग मिलके काम करते हैं, तो धर ् म मे आपके लिये कई चीजे हैं. अगर आप किसी तरह से एक पर ् यटन उद ् योग से जुड़े हैं, तो तीर ् थस ् थानों को देखिये. ध ् यान से देखिये. अभी तो हमे हलका सा भी अन ् दाजा नही हुआ है कि पर ् यटन क ् या बन सकता है, क ् योंकि अभी तक हमने इस बात पर ध ् यान ही नही दिया कि धर ् म पर ् यटन को कैसे प ् रभावित करता है. यदि आप कला की दुनिया मे हैं तो उन उदाहरणो को देखिये तो धर ् म के कला पर प ् रभाव को दिखाते हैं. अगर आप शिक ् षक है तो देखिये कि धर ् म किस तरह से विचारों का प ् रसार करते हैं. आप भले ही विचारों से सहमत ना हों, पर ये कुछ करने की वाकई बहुत ही प ् रभावशाली विधियां हैं. तो मेरा निष ् कर ् ष आखिर मे ये है कि भले ही आप धर ् म से सहमत ना हों, परन ् तु आखिरकार, धर ् म इतने सूक ् ष ् म और जटिल हैं और बहुत सी बातों मे इतने आगे हैं कि उन ् हें यह कहकर कि ये सिर ् फ़ धार ् मिक लोगों के लिये हैं, नही छोडा जा सकता वो हम सबके लिए हैं. बहुत बहुत धन ् यवाद! (तालियां) क ् रिस एन ् डरसन: ये वाकई बडी साहसिक बात है, क ् योंकि आप एक तरह से खुद मज़ाक बनवाने का इन ् तज़ाम कर रहे हैं. ए. बो.: आप दोनो तरफ़ से मारे जायेंगे. आपको कोइ कट ् टर नास ् तिक भी मार सकता है, और कोई पूर ् ण आस ् तिक भी. क ् रिस ए.: उत ् तरी ओक ् सफ़ोर ् ड से कभी भी मिसाइल आ सकती है. ए. बो.: बिल ् कुल. क ् रि ़ स ए.: लेकिन आपने धर ् म का एक पहलू छोड दिया जो कि कई लोग कहना चाहेंगे आपका अजेन ् डा उससे कुछ ले सकता है, जो कि एक खास भाव है - जो कि वास ् तव मे किसी भी धार ् मिक व ् यक ् ति के लिये सबसे महत ् वपूर ् ण चीज है — और वो है आत ् मिक अनुभव, एक विशेष बन ् धन, जो कि खुद से भी बढकर है. उस अनुभव के लिये अनीश ् वर ् वाद 2.0 मे कोई स ् थान है? ए. बो.: अवश ् य. मै, आपकी तरह ही, कई लोगों से मिलता हूं जो कहते हैं, "" लेकिन कोई चीज तो है जो हम सबसे बडी है. कुछ और? "" और मै कहता हूं, "" अवश ् य. "" और वो कहते हैं, "" तो फ़िर आप भी एक तरह से धार ् मिक नहीं हुये? "" और मै कहता हूं, "" नहीं "". ये जरूरी तो नही है कि ये रहस ् य, ये अनन ् त ब ् रह ् मांड कि विशालता का एकसास, किसी आध ् यात ् मिक भावना से जोडा जाये? विज ् ञान और सही अवलोकन हमे बिना इसके ही ये एहसास दिला सकते हैं, तो मुझे तो किसी आध ् यात ् मिकता की जरूरत नही लगती. संसार बहुत विशाल है और हम बहुत तुच ् छ, तो हमे और किसी धार ् मिक महासंरचना की जरूरत नही है. हमे आत ् मिक अनुभूति तो आत ् मा मे विश ् वास किये बिना भी मिल सकती है. क ् रिस ए.: मै एक सवाल पूछ ् ना चाहूगा. यहां बैठे कितने लोग ये कहेंगे कि धर ् म उनके लिये महत ् वपूर ् ण है? क ् या कोई ऐसा तरीका है जिससे आप जो कह रहे हैं और जो आप उनसे कहना चाहेंगे, के बीच कोइ सम ् बन ् ध स ् थापित हो सके? ऐ. बो.: मेरे खयाल से ऐसे बहुत तरीके हैं, लौकिक जीवन मे बहुत कमियां है जो कि पूरी की जा सकती हैं. और, जैसा कि मैने कहा, ऐसा भी नही कि या तो आप धार ् मिक हो और आपको सारी तरह की बातें माननी पड़ेंगी, या अगर आप नास ् तिक हैं तो आपको सभी अच ् छी चीजों से वंचित होना पडेगा. ये बहुत दुख की बात है कि हम हमेशा कहते रहते हैं कि "" मै नास ् तिक हूं इसलिये मै किसी समुदाय का हिस ् सा नही बन सकता, मै नैतिकता से दूर हूं, और इसलिये मै तीर ् थयात ् रा पर नही जा सकता. "" लोग कहना चहते हैं, "" बकवास. क ् यों नही? "" और यही मेरी बात का सार है. यहां हमारे सीखने के लिये कितना कुछ है! अनीश ् वरवाद को खुद को धर ् म की अच ् छी चीजो से अलग नही रखना चाहिये. क ् रिस. ए.: मुझे ऐसा लगता है कि TED समुदाय मे काफ़ी लोग ऐसे हैं जो नास ् तिक हैं. लेकिन उनमे से ज ् यदातर निश ् चित तौर पर ये मानते हैं कि धर ् म निकट भविष ् य में तो कहीं नही जाने वाला और वो एक ऐसी भाषा चाहते हैं जिससे वो एक रचनात ् मक संवाद कर सकें और एक दूसरे से बात भी कर सकें और कम से कम वो चीजें जो समान हैं उन ् हें बांट सकें. क ् या ये आशा करना कि एक ऐसी दुनिया हो जिसमे धर ् म लोगो को बांटने और युद ् ध करवाने के, बजाय एक दुसरे से जोडने का माध ् यम बनेगा, मूर ् खतापूर ् ण है? ए. बो.: नहीं, हमे बस अपने मतभेदों का आदर करना चाहिये. विनम ् रता जैसे महत ् वपूर ् ण गुण की लोग उपेक ् षा कर देते है और इसे ढोंग समझते हैं. लेकिन हमें एक ऐसे स ् तर पर आने की जरुरत है जहां आप एक नास ् तिक हैं और अगर कोइ कहे "" पता है, मैने तो उस दिन प ् रार ् थना की थी, "" और आप उसे विनम ् रता पूर ् वक टाल देते हैं. और आगे बढ जाते हैं. क ् योंकि आपने 90 प ् रतिशत बातें मान ली हैं, और आप कितनी बातों पर एकमत हैं, और आप विनम ् रतापूर ् वक अपनी असहमति भी व ् यक ् त कर देते हैं. और मेरे खयाल से यही चीज धर ् मयुद ् धों ने नही समझी है. उन ् होने सद ् ‍ भावपूर ् ण असहमति की सम ् भवना को पूरी तरह से नकार दिया है. क ् रिस. ए.: और अन ् त मे, ये जो नयी चीज आप सुझा रहे हैं जो कि धर ् म नही बल ् कि कुछ और ही है, क ् या इसे किसी नेता की जरुरत है, या आप खुद ही पोप बनने वाले हैं? (हंसी) ए.बो.: एक तो ये बात है कि हम अकेले नेताओं को सन ् देह की दृष ् टि से देखते हैं. इसे इसकी जरुरत नही है. मैं सिर ् फ़ एक ढांचा बनाने की कोशिश कर रहा हूं और आशा करता हूं कि लोग इस पर कुछ बनायें. मैने तो एक विस ् तृत रुपरेखा तैयार की है. लेकिन आप जहां भी हों, जैसा कि मैने कहा, अगर आप पर ् यटन मे हैं तो थोडा घूमें. अगर आप किसी सामुदायिक उद ् योग मे हैं तो धर ् म को देखें और कुछ सामुदायिक करें. तो ये एक विकी परियोज़ना की तरह है. (हंसी) क ् रिस. ए.: ऎलेन, इतने दिलचस ् प संवाद के लिये शुक ् रिया. (तालियां) मैंने वो स ् लाइड शो जो मैंने यहाँ क ़ रीब दो साल पहले दिया था क ़ रीब २००० बार किया था । मैं आज सुबह एक छोटा स ् लाइड शो दे रहा हूँ जो कि मैं पहली बार दे रहा हूँ, इसलिए — वैसे ऐसा नहीं है कि- मैं नहीं चाहता या बार उठाने की ज ़ रूरत नहीं है; मैं वास ् तव में इस बार को कम करने की कोशिश कर रहा हूँ क ् योंकि मैंने इसे एक साथ एकत ् रित करने के लिए प ् रयास किया है जिससे हम इस सत ् र की चुनौती को पूरा कर सकें । और केरेन आर ् मस ् ट ् रांग की शानदार प ् रस ् तुति ने मुझे याद दिलाया था कि धर ् म जिसे वास ् तव में ठीक से समझा गया है वो विश ् वास के बारे में नहीं वरन, लेकिन व ् यवहार के बारे है शायद हमें आशावाद के बारे में भी यही बात कहनी चाहिए । हमने आशावादी होने की हिम ् मत कैसे की? आशावाद को कभी-कभी एक विश ् वास, एक बौद ् धिक मुद ् रा के रूप में चित ् रित किया जाता है जैसा कि महात ् मा गांधी ने प ् रसिद ् ध रुप से कहा है, "जो परिवर ् तन आप दुनिया में देखना चाहते हैं वो परिवर ् तन पहले स ् वयं में होना चाहिए ।" और नतीजा है जिसके बारे में हमारी आशावादी होने की इच ् छा केवल विश ् वास से पैदा होने वाली नहीं है बल ् कि विश ् वास इस हद तक होना चाहिये कि वो नये व ् यवहार को जन ् म दे सके लेकिन शब ् द "" व ् यवहार "" को भी मैं सोचता हूँ, कि कभी-कभी इस संदर ् भ में इसे ग ़ लत समझा जाता है । मैं प ् रकाश बल ् ब बदलाव की पूरी तरह वका ़ लत करता हूँ और संकर और टिपर ख ़ रीदता हूँ, मैंने अपने घर पर 33 सौर पैनल लगा रखे हैं । और जियोथर ् मल कुओं खोदना वगैरा, और वह सब अन ् य सभी काम करता हूँ । लेकिन प ् रकाश बल ् ब बदलना जितना महत ् वपूर ् ण है, क ़ ानून बदलना उससे अधिक महत ् वपूर ् ण है । और जब हम, हमारे दैनिक जीवन में व ् यवहार परिवर ् तन करते हैं हम कभी-कभी नागरिकता का और लोकतन ् त ् र का हिस ् सा बाहर छोड ़ देते हैं इस बारे में आशावादी होने के लिये हमें अपने लोकतन ् त ् र में नागरिक के रुप में अविश ् वसनीय रुप से सक ् रिय होना होगा । जलवायु संकट को हल करने के लिए हमें लोकतंत ् र का संकट हल करना होगा । (तालियाँ) । और हमारे पास हल है । मैं एक लंबे समय के लिए इस कहानी को सुनाने की कोशिश कर रहा था । हाल ही में एक महिला ने मुझे याद दिलाया था जिस मेज ़ पर मैं बैठा हुआ था वो उसके पास से गुज ़ री, मेरी तरफ़ घूरते हुए, वो लगभग 70 वर ् ष की लगती थीं, उसका चेहरा बहुत दयालु है । मैंने इसके बारे में कुछ भी नहीं सोचा था जब तक मैंने अपनी आँखों के कोने से देखा वह विपरीत दिशा से चल रही थीं अभी भी मुझे घूर रही थीं । और इसलिए मैंने कहा, "" आप कैसी हो? "" और उसने कहा, "" तुम जानते हो, अगर तुम अपने बाल काले रंग लो, तो तुम अल गोर की तरह लगने लगोगे । "" (हंसना) । कई साल पहले, जब मैं एक युवा कांग ् रेसी था, मैं परमाणु हथियारों पर नियंत ् रण की - परमाणु हथियारों की दौड ़ की चुनौती से निपटने के लिये बहुत समय ख ़ र ् च किया । और सैन ् य इतिहासकारों ने उस खोज के दौरान मुझे सिखाया कि आम तौर पर सैन ् य संघर ् ष को तीन श ् रेणियों में रखा जा सकता है, स ् थानीय लड ़ ाई, क ् षेत ् रीय या थिएटर यु ् द ् ध और दुर ् लभ पर सबसे अधिक महत ् वपूर ् ण वैश ् विक, विश ् व युद ् ध । सामरिक संघ और संघर ् ष के प ् रत ् येक स ् तर को संसाधनों के एक अलग आवंटन की आवश ् यकता है एक अलग दष ् टिकोण एक अलग संगठन मॉडल । पर ् यावरण चुनौतियों में भी वही तीन श ् रेणियाँ होती हैं और हम जिनके बारे में अधिकांशत: सोचते हैं वो हैं स ् थानीय पर ् यावरणीय समस ् या जैसे के वायु प ् रदूषण, जल प ् रदूषण, ख ़ तरनाक अपशिष ् ट म ् लानता । लेकिन वहाँ क ् षेत ् रीय पर ् यावरणीय समस ् या भी है जैसे अम ् ल वर ् षा मिडवेस ् ट से पूर ् वोत ् तर, और पश ् चिमी यूरोप से आर ् कटिक, और मिडवेस ् ट से मिसिसिपी की खाड ़ ी मैक ् सिको के मृत क ् षेत ् र में बाहर । और ऐसे बहुत से उदाहरण हैं । लेकिन जलवायु संकट ये दुर ् लभ है, पर सर ् वाधिक महत ् वपूर ् ण भी है वैश ् विक या सामरिक संघर ् ष सभी कुछ प ् रभावित हुआ है । और हमे अपने प ् रतिउत ् तर को सही ढंग से आयोजित करना है । हमें एक विश ् वव ् यापी, वैश ् विक गतिशीलता की ज ़ रूरत है नवीकरणीय ऊर ् जा, संरक ् षण, कार ् यक ् षमता के लिए और एक वैश ् विक संक ् रमण से एक कम कार ् बन अर ् थव ् यवस ् था के लिए । हमें काम करना है । और हम संसाधन और राजनीतिक इच ् छा जुटा सकते हैं लेकिन राजनीतिक इच ् छा को संसाधन जुटाने के लिए अभिप ् रेरित करना चाहिये । मैं आपको यहाँ ये स ् लाइड दिखाना चाहूँगा । मुझे लगता है कि मुझे लोगो के साथ शुरू करना चाहिये । यहाँ क ् या नहीं है, बेशक, उत ् तर ध ् रुवीय बर ् फ ़ की चोटी । ग ् रीनलैंड रहता है । 28 साल पहले, ध ् रुवीय बर ् फ ़ की चोटी इस तरह थी उत ् तर ध ् रुवीय बर ् फ ़ की चोटी- विषुव में गर ् मियों के अंत में इस तरह दिखती थी । यह पिछले पतझड़ में, मैं बोल ् डर कोलोराडो में स ् नो एन ् ड आइस डाटा सेन ् टर गया था और यहाँ मॉनरी में नौसेना स ् नातकोत ् तर प ् रयोगशाला में शोधकर ् ताओं से बात की पिछले 28 सालों में यह सभी कुछ हुआ है | इस परिप ् रेक ् ष ् य में, ये पिछला रिकॉर ् ड था और पिछले पतझड़ में ये हुआ था । और इससे खोजकर ् ता वास ् तव में परेशान हो गये । उत ् तर ध ् रुवीय बर ् फ ़ कैप भौगोलिक रुप से एक ही आकार का है । बिल ् कुल उसी आकार का नहीं लगता लेकिन अगर हम एरिजो ़ ना का राज ् य हटा दें तो ये यह वास ् तव यूनाइटेड स ् टेटस के आकार के बराबर ही है जो राशि 2005 में गा ़ यब हो गई वो सब कुछ मिसिसिपी के पूर ् वी के आकार के बराबर थी । जो अतिरिक ् त राशि पिछले पतझड़ में गा ़ यब हो गई वो इसी के बराबर थी । यह वापस सर ् दियों में आती है, लेकिन स ् थायी रूप से बर ् फ ़ के रूप में नहीं बल ् कि पतली बर ् फ ़ के रूप में । असुरक ् षित । यह शेष राशि पूरी तरह गर ् मियों से ख ़ त ् म हो सकती है वो भी पाँच साल जैसे कम समय में । यह ग ् रीनलैंड पर बहुत दबाव डालता है । पहले से ही है, आर ् कटिक सर ् कल के चारों ओर — यह अलास ् का में एक प ् रसिद ् ध गांव है । यह न ् यूफ़ाउन ् डलैन ् ड का एक शहर है । अंटार ् कटिका । नासा से नवीनतम अध ् ययन । एक मध ् यम से भारी बर ् फ ़ पिघलने की राशि कैलिफोर ् निया के आकार के एक क ् षेत ् र को बराबर की थी । "" वे इस समय के सबसे अच ् छे थे, वे समय के सबसे ख ़ राब थे "" अंग ् रेजी ़ साहित ् य का प ् रसिद ् ध शुरुआती वाक ् य मैं संक ् षिप ् त आपको बताना चाहूँगा, "" टेल ऑफ़ टू प ् लैनेटस "" पृथ ् वी और शुक ् र बिल ् कुल एक ही आकार के होते हैं । पृथ ् वी का व ् यास लगभग 400 किमी अधिक है, पर अनिवार ् य रूप से एक ही आकार है । उनमें वास ् तव में कार ् बन एक ही मात ् रा का है । लेकिन फ ़ र ् क ़ ये है, पृथ ् वी पर, कार ् बन समय के साथ वातावरण में से निकल कर, कोयला, तेल, प ् राकृतिक गैस आदि के रूप में ज ़ मीन में जमा हो गया । शुक ् र पर इसका अधिकांश भाग वातावरण में है । अन ् तर यह है कि हमारा तापमान औसत 59 डिग ् री सेल ् सियस है । शुक ् र पर यह 855 है । यह हमारी मौजूदा नीति के लिए प ् रासंगिक है कि ज ़ ् यादा कार ् बन के जल ् दी से जल ् दी ज ़ मीन से बाहर ले जाना चाहिये और वातावरण में डाल देना चाहिये । ऐसा इसलिये नहीं है कि शुक ् र सूर ् य के थोड ़ ा क ़ रीब है । यह बुध की तुलना में तीन गुना अधिक गर ् म है, जो सूरज के बगल में है । अब, संक ् षेप, यहाँ आप एक छवि देख रहे हैं जो आपने शायद किसी पुराने चित ् रों में भी देखी है, लेकिन मैं उसे दिखा रहा हूँ क ् योंकि मैं आपको संक ् षिप ् त सीएसआई देना चाहता हूँ: जलवायु । वैश ् विक वैज ् ञानिक समुदाय कहते हैं, आदमी द ् वारा बनाया गया ग ् लोबल वार ् मिंग प ् रदूषण, वातावरण में, अधिक निवर ् तमान अवरक ् त डालता है । आप सभी ये जानते हैं । अन ् त में आईपीसीसी का सारांश, वैज ् ञानिक कहना चाहते हैं, "आप कितने निशचित हैं?" वो उत ् तर देना चाहते हैं कि "99 प ् रतिशत ।" चीनी लोगों ने इस पर विरोध व ् यक ् त किया, और इस तरह समझौता हुआ "90 प ् रतिशत से अधिक पर" अब, कुछ सनकी लोगों ने कहा, "" ओह, एक मिनट रुको, सूर ् य से आने वाली इस ऊर ् जा में अन ् तर हो सकता है । "" अगर ये सत ् य था कि तो स ् ट ् रैटोस ् फ़ेयर भी निचले वातावरण के समान ही गर ् म होगा अगर ऊर ् जा अधिक आ रही है तो । लेकिन अगर ये जाने वाले रास ् ते पर अधिक है, तब आप ये उम ् मीद कर सकते हैं कि यहाँ पर गर ् म और वहाँ पर अधिक ठंडा होगा । निचला वातावरण ये है । और स ् ट ् रेटोस ् फ़ेयर ये है: अधिक ठंडा । सीएसाआई: जलवायु । अब एक अच ् छी ख ़ बर है । 68 प ् रतिशत अमेरिकी अब ये विश ् वास करते हैं कि ग ् लोबल वार ् मिंग के लिये मानव गतिविधियाँ ही उत ् तरदायी हैं । 69 प ् रतिशत ये विश ् वास करते हैं कि पृथ ् वी उल ् लेखनीय रुप से गर ् म हो रही है । इसमें प ् रगति हुई है, लेकिन कुन ् जी ये है कि: जब भी हम उन चुनौतियों की सूची बनाते हैं, जिनका हमें सामना करना है, तो उसमें ग ् लोबल वार ् मिंग का स ् थान लगभग सबसे अन ् त में होता है । जो चीज ़ नहीं है वो है एक अत ् यावश ् यकता की भावना । अगर आप इस तथ ् यात ् मक विशलेषण से सहमत हैं, लेकिन आप अत ् यावश ् यकता की भावना को महसूस नहीं करते, वो आप कहाँ रह जाते हैं? वैसे, एलायन ् स फ़ॉर क ् लाइमेट प ् रोटेक ् शन, जिसका मैं अध ् यक ् ष हूँ उन ् होंने करन ् ट टी वी के साथ, जिन ् होंने ये शुरुआत की है दुनिया भर में प ् रतियोगिता आयोजित की, ये विज ् ञापन करने के लिये कि इस बारे में कैसे वार ् तालाप किया जाये । और ये विजेता रहे । एनबीसी — मैं आपको यहाँ सभी नेटवर ् क दिखाऊँगा — एनबीसी के उच ् च पत ् रकार ने राष ् ट ् रपति पद के उम ् मीदवारों से 2007 में 956 प ् रशन पूछे जिनमें से दो जलवायु समस ् या के विषय में थे । एबीसी: 844 प ् रशन, जिसमें से दो जलवायु समस ् या के विषय में थे । फ़ॉक ् स: दो, सीएनएन: दो । सीबीएस: शून ् य । हँसी से आँसू की ओर । ये तम ् बाकू का विज ् ञापन है । तो हम ये सभी कुछ कर रहे हैं । इन सभी देश लेकिन ये सिर ् फ़ विकसित देशों में ही नहीं है । विकासशील देश अब हमारा अनुसरण कर रहे हैं और अपनी गति बढा ़ रहे हैं । और वास ् तव में, उनके संचयी उत ् सर ् जन इस वर ् ष उतने ही हैं जितने हमारे 1965 में थे । वो नाटकीय रुप से आगे बढ़ रहे हैं सन ् पूर ् ण सान ् द ् रता 2025 तक वो वहाँ होंगे जहाँ हम 1985 में थे अगर धनी देश तस ् वीर से पूरी तरह गा ़ यब हो जायेंगे तब भी हमारे समक ् ष समस ् या होगी । लेकिन विकासशील देशों को तक ़ नीक ़ और सोचने के तरीके हमने ही दिये हैं, जो समस ् या उत ् पन ् न कर रहे हैं । ऐसा वोलिविया में है । क ़ रीब — क ़ रीब ३० साल पहले । ये कुछ सेकन ् ड में बडी ़ मछली पकड़ने के समान है । 60, 70, 80, और 90 के दशक में । हमें इसे रोकना होगा । और अच ् छी ख ़ बर ये है कि हम ये कर सकते हैं । हमारे पास प ् रौधोगिकी है । हमें एक दृष ् टिकोण रखना होगा कि हमें इस विषय पर कैसे काम करना है: दुनिया में ग ़ रीबी के ख ़ िलाफ़ संघर ् ष और धनी देश उत ् सर ् जन कटौती की चुनौती, सभी का एक, और बहुत सरल उपाय है । लोग कहते हैं, "" क ् या उपाय है? "" ये है । कार ् बन का मूल ् य रख दें । हमें co2 पर टैक ् स की ज ़ रूरत है, समान राजस ् व जो रोजगार के टैक ् स की जगह होना चाहिये, जिसका अविष ् कार बिस ् मार ् क ने किया था — और 19वीं शताब ् दी से कुछ चीज ़ ें बदल गई हैं । ग ़ रीब दुनिया में, हमें ग ़ रीबी के प ् रति दी गई प ् रतिक ् रियाओं को जलवायु समस ् या से जोड़ना होगा । युगान ् डा में ग ़ रीबी से लड़ने की योजना विवादास ् पद है अगर हमने जलवायु की समस ् या को नहीं सुलझाया । लेकिन गरीब देशों में इन प ् रतिक ् रियाओं से बहुत बडा ़ अन ् तर पड़ सकता है । ये एक सुझाव है जिस पर यूरोप में बहुत चर ् चा हुई । ये नेचर मैगजीन से था । ये सौर नवीकरणीय ऊर ् जा संयंत ् रों पर ध ् यान केन ् द ् रित कर रहे हैं । जो तथाकथित सुपरग ् रिड से जुडे ़ थे जो विकसित देशों से पूरे यूरोप को विधुत वितरण करते हैं । उच ् च वोल ् टेज डीसी करन ् ट ये "" आकाश से तारे तोड़ने "" के समान नही हैं, ऐसा हो सकता है । हमें इसे अपनी ही अर ् थव ् यवस ् था में करने की आवश ् यकता है । नवीनतम आंकडे ़ कहते हैं कि पुराना तरीका ़ काम नहीं कर रहा है । ऐसे बहुर से बडे ़ निवेश हैं जो आप कर सकते हैं । अगर आप टार रेत या शैल के तेल में निवेश कर रहे हैं तब आपका एक पोर ् टफ़ोलियो है जो कम मुख ् य कार ् बन उत ् पादों से भरा हुआ है । और ये पुराने तरीके पर आधारित है । नशेड ़ ियों को अपने घुटनों में नसों का अहसास हुआ, जब वो अपने हाथों और पैरों पर खडे ़ होने लायक नही रहे । टार रेत या कोल शैल का विकास करना भी इसके समान है । ये कुछ ऐसे निवेश हैं जिनके बारे में मैं व ् यक ् तिगत रुप से सोचता हूँ कि वो मतलब रखते हैं । मैंने यहाँ एक दाँव लगाया था, इसलिये वहाँ एक अस ् वीकरण है । लेकिन जियोथर ् मल, सान ् द ् र सौर फ़ोटोवाल ् टिक, कुशलता और संरक ् षण बढा ़ ता है । आपने ये स ् लाइड पहले भी देखी है, परन ् तु इसमें एक परिवर ् तन है । केवल दो देशों ने इस बात की पुष ् टि नहीं की — और अब केवल एक ही है । आस ् ट ् रेलिया में चुनाव हुए । और आस ् ट ् रेलिया में एक अभियान चल रहा था जिसमे टेलीविजन, इंटरनेट और रेडियो के विज ् ञापन भी शामिल थे जिससे वो वहाँ के लोगों में अत ् यावश ् यकता की भावना को उठा सकें । और हमने आस ् ट ् रेलिया के हर गाँव और शहर में स ् लाइड शो करने के लिये 250 लोगों को प ् रशिक ् षित किया । इसमें बहुत सी अन ् य चीज ़ ों का योगदान दिया गया, लेकिन नये प ् रधानमन ् त ् री ने घोषणा की कि उनकी पहली प ् राथमिकता है क ् योटो में आस ् ट ् रेलिया की स ् थिति बदलना, और उन ् होंने ऐसा किया । और अब अपने यहाँ पडे ़ भयंकर सूखे के बाद उनमें कुछ जागृति की भावना आई है । यह लेक लैनियर है । मेरे मित ् र हीदी कलिन ् स कहते हैं कि अगर हम सूखे को भी नाम दे दें जैसे हम तूफ़ान को देते हैं उत ् तर पूर ् व में आये तूफ़ान को अब हम कैटरीना कह सकते हैं, और हम कहेंगे कि ये अटलांटा की तरफ़ बढ़ गया । हम सूखे के प ् रकार का इन ् तजा ़ र नही कर सकते । आस ् ट ् रेलिया को हमारी राजनीतिक संस ् कृति बदलनी होगी । और अब एक और अच ् छी ख ़ बर है । यूएस का क ् योटो में समर ् थन करने वाले शहर अब 780 हैं — और मैंने सोचा कि मैं एक देखना चाहूँगा, केवल इसके स ् थानीयकरण के लिये । जो एक अच ् छी ख ़ बर है । अब इसे ख ़ त ् म करने के लिये, हमने कुछ समय पहले सुना था किसी व ् यक ् तिगत बहादुरी का इतना सामान ् य मूल ् य बना देने के बारे में कि ये रोज ़ मर ् रा की बात लगने लगे । हमें ज ़ रूरत है एक अन ् य हीरो पीढी ़ की । हममें से जो यूनाइटेड स ् टेटस ऑफ़ अमेरिका में रहते हैं विशेषकर आज, और साथ ही शेष दुनिया को को किसी प ् रकार समझना होगा कि इतिहास ने हमारे समक ् ष विकल ् प रखा है — जिस प ् रकार जिल बोल ् टे टेलर ने पता लगाया था कि उसके जीवन को उस समय कैसे बचाया जाये, जब वो एक अदभुत अनुभव से गुज ़ रने के कारण विचलित हो रही थी । अब हम व ् याकुलता की एक संस ् कृति हैं और हमारे समक ् ष ग ् रहों की आपातस ् थिति है और हमें एक रास ् ता ढूँढ ़ ना है, जिससे हम आज की जीवित पीढी ़ में एक नई पीढी ़ मिशन की भावना जाग ् रत कर सकें । मैं उम ् मीद करता हूँ कि मुझे ये व ् यक ् त करने के लिये शब ् द मिल पायें । ये अन ् य बहादुर पीढी ़ है जो इस ग ् रह पर लोकतंत ् र को लेकर आई है । एक अन ् य जिन ् होंने दासता का अन ् त किया । और जिन ् होंने स ् त ् रियों को वोट करने का अधिकार दिया । हम ये कर सकते हैं । मुझसे मत कहियेगा कि हममें ये करने की क ् षमता नहीं है । अगर हममें सिर ् फ़ एक सप ् ताह के लिये उतनी क ् षमता हो जो हमने इराक युद ् ध पर ख ़ र ् च की थी, तो हम इस चुनौती को अच ् छी तरह से सुलझाने के रास ् ते पर बढ़ सकते हैं । हममें ये करने की क ् षमता है । एक अन ् तिम बिन ् दु । मैं आशावान हूँ, क ् योंकि मैं जानता हूँ कि हममें क ् षमता है, और महान चुनौतियों के क ् षणों में हम उन व ् याकुलता के कारणों को अलग रख सकते हैं और खडे ़ हो सकते हैं उन चुनौतियों के समक ् ष जो इतिहास हमारे समक ् ष रख रहा है । कभी-कभी मैंने देखा है कि लोग जलवायु समस ् या से जुडे ़ विचलित तथ ् यों का जवाव ये कहकर देते हैं, "" ओह, कितने दुख की बात है । हमारे ऊपर कितना बडा ़ बोझ है । "" मैं आपसे कहना चाहूँगा कि आप इस प ् रशन को दोबारा बानायें । मानव इतिहास की कितनी पीढि ़ यों को ये अवसर मिला है कि वो ऐसी चुनौतियों के समक ् ष खडे ़ हो सकें जो हमारे सर ् वश ् रेष ् ठ प ् रयास के लायक ़ हैं? एक ऐसी चुनौती जो हमसे वो निकाल सकें जो हम जानते हैं कि हम कर सकते हैं? मैं सोचता हूँ कि हमें इस चुनौती को अत ् यधिक प ् रसन ् नता और कृतज ् ञता से स ् वीकार करना चाहिये कि हम वो पीढी ़ हैं जिसके विषय में आज से हजा ़ र साल बाद, फ़िलहारमोनिक वाध वृन ् द, कवि और गायक ये कहेंगे कि ये उनमें से एक हैं जिन ् होंने समस ् या को सुलझाने का रास ् ता स ् वयं निकाला और साथ ही एक शानदार और आशावान भविष ् य की नींव रखी । चलिये ये करते हैं । बहुत-बहुत धन ् यवाद । क ् रिस एन ् डरसन: TED में बहुत से लोगों के लिये, बहुत दुख का विषय है कि एक सामान ् य डिजा ़ इन के तथ ् य ने — दिन के अन ् त में, एक डिजा ़ इन तथ ् य जिस पर चुनाव हुआ था — एक ख ़ राब डिजा ़ इन तथ ् य का अर ् थ है कि आपकी आवाज ़ सुनी ही नहीं गई इसी प ् रकार एक ऐसी स ् थिति में पिछले आठ सालों में जिसमें आप इन सभी चीज ़ ों को सच कर सकते थे । ये दुख देता है । अल गोरे: तुम सोच भी नहीं सकते । सीए: जब आप देखते हैं कि आपकी पार ् टी के उच ् च प ् रत ् याशी क ् या कर रहे हैं — मेरा मतलब है, कि वहाँ — कि क ् या आप ग ् लोबल वार ् मिंग के विषय में उनकी योजनाओं से उत ् साहित हैं? एजी: इस प ् रश ् न का उत ् तर मेरे लिये कठिन है क ् योंकि, एक हाथ पर, मैं सोचता हूँ कि हमें अच ् छा महसूस करना चाहिये इस तथ ् य के बारे में कि रिपब ् लिकन उम ् मीदवार — कोई उम ् मीदवार जॉन मैक ् केन, और डेमोक ् रेटिक नामांकन के दोनों उम ् मीदवार — उन तीनों की जलवायु समस ् या के बारे में बहुत अलग और आगे बढ़ ् ती हुई स ् थिति है । तीनों को ही नेतृत ् व का अवसर दिया गया है, और तीनों की सोच ही वर ् तमान प ् रशासन के दृष ् टिकोण से बहुत अलग हैं । और मैं सोचता हूँ कि तीनों ही अपनी योजनाओं और प ् रस ् तावों को सामने रखने के मामले में ज ़ िम ् मेदार हैं । लेकिन अभियान संवाद कि — जैसा कि प ् रश ् नों में वर ् णन किया गया है — और जिसे लीग ऑफ़ कनवरसेशन वोटर द ् वारा सामने रखा गया और वैसे सभी प ् रश ् नों का विश ् लेषण और वैसे, सभी वाद-विवाद किसी ऐसी चीज ़ द ् वारा प ् रायोजित हैं जो ऑरवेलियेन लेवल द ् वारा जाता है "" क ् लीन कोल "" क ् या किसी ने इस पर ध ् यान दिया? हर किसी वाद-विवाद को "" क ् लीन कोल "" ने प ् रायोजित किया है । "अब, कम एमिशन भी!" इस संवाद की समृद ् धि और परिपूर ् णता ने हमारे लोकतंत ् र में उस बहादुरी की प ् राथमिकता का आधार रखा है जिसकी वास ् तव में आवश ् यकता है । इसलिये वो सही चीज ़ ें कह रहे हैं और हो सकता है — उनमें से जिसका भी चयन किया जाये- वो शायद सही चीज ़ कर सकें, लेकिन मैं आपको बताना चाहूँगा: जब मैं 1997 में क ् योटो से वापस आया बहुत ज ़ ् यादा खु ़ शी की भावना के साथ कि हमें वहाँ शुरुआत मिल गई, और फिर मैने संयुक ् त राज ् य की सीनेट का सामना किया, तो 100 सीनेटर में से सिर ् फ़ एक व ् यक ् ति वोट करने को तैयार था केवल निश ् चित और प ् रमाणित करने के लिये । जो भी प ् रत ् याशी कहते हैं उसे जो भी लोग कहते हैं उसके साथ रखना चाहिये । चुनौती हमारी संपूर ् ण सभ ् यता का हिस ् सा है । CO2 वास ् तव में हमारी सभ ् यता का दम निकाल रही है । और अब हमने इस प ् रक ् रिया का यंत ् रीकरण कर दिया है । इस तरीके ़ को बदलने के लिये एक लक ् ष ् य, एक माप और बदलाव की गति की आवश ् यकता है जो उस सभी से आगे है जो कुछ भी हमने पहले किया है । इसलिये मैं ये कह कर शुरुआत करुँगा, कि आप जो भी करें उसके लिये आशावान रहें, बल ् कि साथ ही एक सक ् रिय नागरिक भी बनें जरुरी है — तो प ् रकाश बल ् ब बदलें, लेकिन का ़ नून भी बदलें । वैश ् विक सन ् धियों को बदलें । हमें बोलना होग । हमें इस लोकतंत ् र को सुलझाना होगा — ये — हमारे लोकतंत ् र में कठिनाइयाँ हैं । और हमने उसे बदला है । इंटरनेट का प ् रयोग करिये । इंटरनेट पर जाइये । लोगों से जुडि ़ ये । और नागरिक के रुप में बहुत सक ् रिय बनिये । एक अधिस ् थगन रखिये — हमें कोई भी कोयला उत ् पन ् न करने वाले पौधे नही रखने चाहिये जो CO2 को इकठ ् ठा नहीं कर सकते । जिसका मतलब है कि हमें जल ् दी ही अक ् षय स ् त ् रोतों का निर ् माण करना होगा । अब, कोई भी उस पैमाने पर बात नहीं कर रहा है । लेकिन मुझे विश ् वास है कि अभी से नवंबर के मध ् य ये मुमकिन है । ये एलायन ् स फ़ॉर क ् लाइमेट प ् रोटेक ् शन एक राष ् ट ् रव ् यापी अभियान शुरू करने जा रहा है — ज ़ मीनी स ् तर से गतिशीलता, टेलीविज ़ न विज ् ञापन, इंटरनेट विज ् ञापन, रेडियो, समाचार पत ् र — सभी के साथ भागीदारी करिये बालिका स ् काउट से लेकर शिकारी और मछुआरों तक से । हमें मदद चाहिये । हमें मदद चाहिये । सीए: आपकी स ् वयं की व ् यक ् तिगत भूमिका के बारे में आगे बढ़ते हुए, एल, क ् या कुछ और ऐसा है जो आप करना चाहेंगे? एजी: मैने प ् रार ् थना की है कि मैं इस प ् रश ् न का उत ् तर पा सकूँ मैं क ् या कर सकता हूँ? बकमिन ् स ् टर फ़ुलर ने एक बार लिखा था, "" अगर मानव जाति का भविष ् य मुझ पर निर ् भर करता तो मैं क ् या करता? मैं कैसा होता? "" ये हम सभी पर निर ् भर करता है, लेकिन फिर भी, सिर ् फ़ प ् रकाश बल ् बों के साथ नहीं । यहाँ हममें से अधिकांश व ् यक ् ति अमेरिकी हैं । हमारा एक लोकतंत ् र है । हम चीज ़ ें बदल सकते हैं, पर हमें सक ् रियता से बदलना होगा । जिस चीज ़ की वास ् तव में आवश ् यकता है वो है एक उच ् च स ् तर की चेतना । और ये कठिन है — ये उत ् पन ् न करना कठिन है — परन ् तु ये आ रहा है । एक अफ़ ् रीकी कहावत है जिसे शायद आपमें से कोई जानता हो जो कहता है, "" अगर आप जल ् दी चलना चाहते हैं, तो अकेले चलिये; अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं, तो साथ चलिये "" हमें जल ् दी ही दूर तक जाना है । तो हमें अपनी चेतना में बदलाव लाना ही होगा । प ् रतिबद ् धता में बदलाव । अत ् यावश ् यकता की नवीन भावना । इस सुविधा के लिये नवीन प ् रशंसा के हम इस चुनौती को स ् वीकार कर रहे हैं । सीए: अल गोर TED आने ले लिये आपका बहुत धन ् यवाद । एजी: धन ् यवाद । बहुत धन ् यवाद । (तालियां) मैंने कहा, "" मैं बढ ़ िया हूं । मैं ठीक हूँ । "" जब मैं १९ वर ् ष की हुई, तब मैंने अपनी जीविका आरम ् भ करी पहली महिला छाया पत ् रकार की तरह फिलिस ् तीन की गाज़ा पट ् टी में एक महिला छायाकार के रूप में मेरा काम एक गंभीर अपमान माना गया स ् थानीय परंपराओं के लिए यह स ् थायी कलंक बन गया मेरे और मेरे परिवार के लिए पुरुष प ् रधान क ् षेत ् र ने हर संभव तरीके से मेरी उपस ् थिति को अनिष ् ट कर दिया उन ् होंने स ् पष ् ट कर दिया कि एक महिला को पुरुषों का काम नहीं करना चाहिए गाज़ा में छाया संस ् थानों ने मुझे प ् रशिक ् षित करने से मना कर दिया मेरे लिंग की वजह से "" नहीं "" काफी स ् पष ् ट था मेरे तीन सहकर ् मी मुझे जंग के खुले मैदान में जितनी दूर हों सके लेकर गए जहाँ मैं सिर ् फ विस ् फोट की ध ् वनियाँ ही सुन पा रही थी हवा में धूल उड़ रही थी और मेरे नीचे की ज़मीन झूले की तरह हिल रही थी मुझे बाद में एहसास हुआ कि हम वहाँ घटना को दस ् तावेज़ करने नहीं गए थे जब वो तीनों बख ़ ् तरबंद जीप में बैठ के मेरी ओर हाथ हिलाकर, मुस ् कुराते हुए वापिस चले गये मुझे जंग के खुले मैदान में अकेला छोड़कर एक क ् षण के लिए, मुझे भयभीत अपमानित महसूस हुआ, खुद के लिए काफी खेद हुआ मेरे सहकर ् मियों के द ् वारा दी गयी मौत की धमकी पहली नहीं थी परन ् तु सबसे खतरनाक थी. गाज़ा में महिलाओं के जीवन की धारणा निष ् क ् रीय है हाल ही तक, काफी महिलाओं को काम या शिक ् षा प ् राप ् त करने की अनुमति नहीं थी ऐसे दुगने युद ् ध के समय जिसमें महिलाओं पर सामाजिक प ् रतिबंध था और इजरायल - फिलीस ् तीनियों में संघर ् ष, महिलाओं की काली एवम चमकदार कहानियाँ लुप ् त होती जा रहीं थी पुरुषों के लिए, महिलाओं की कहानियाँ महत ् वहीन थी. मैने गाज़ा में महिलाओं के जीवन पर करीब से ध ् यान देना शुरू कर दिया मेरे लिंग की वजह से मुझे वहाँ जाने की अनुमति थी जहाँ मेरे सहकर ् मियों का जाना वर ् जित था सपष ् ट दर ् द और संघर ् ष के परे, एक स ् वस ् थ खुराक थी हँसी और उपलब ् धियों की गाज़ा शहर में पुलिस परिसर के सामने गाजा में पहले युद ् ध के दौरान एक इजरायली हवाई हमला, परिसर को नष ् ट करने में और मेरी नाक तोड़ने में कामयाब रहा. एक क ् षण के लिए तो मुझे सब कुछ सफ़ेद, चमकदार सफ़ेद दिखाई दिया, इन रोशनियों की तरह मुझे लगा या तो में अंधी हो गयी हुँ या स ् वर ् ग में आ गयी हुँ जब तक मैने अपनी आँखें खोली तब तक मैने उस क ् षण को दर ् ज कर लिए था मुहम ् मद खादर, एक फिलिस ् तीनी कार ् यकर ् ता जिन ् होने दो दशक इसराइल में गुज़ारे, अपनी सेवानिवृत ् ति योजना के रूप में, उन ् होने एक चार मंजिल घर बनाने का फैसला किया, उनके पड़ोस में पहले मैदानी ऑपरेशन के दौरान उनका घर भूमि पर चपटा हो गया कबूतरों को छोड़कर कुछ भी नहीं बचा और एक स ् पा, एक बाथटब वह तेल अवीव से लाये थे मुहम ् मद बाथटब को उठा कर मलबे के शीर ् ष पर ले आये और अपने बच ् चों को हर प ् रातः उसमें बुलबुला स ् नान देना शुरू कर दिया मेरा काम युद ् ध के निशान छिपाना नहीं, बल ् कि गाज़न ् स की अनदेखी कहानियों को पूर ् ण रूप से दिखाना है एक फिलिस ् तीनी महिला फोटोग ् राफर के रूप में, संघर ् ष, उत ् तरजीविता और रोजमर ् रा की जिंदगी ने मुझे समुदाय वर ् जना से उभरने के लिए प ् रेरित किया है और युद ् ध और उसके परिणाम के अलग पक ् ष को देखने के लिए प ् रेरित किया है मैं एक विकल ् प के साथ एक गवाह बन गई: या तो भाग जाऊं या निस ् तभता से खड़ी रहूँ धन ् यवाद! (तालियाँ) "" बचकाना "" कहलाया जाना एक आम बात है. गैरजिम ् मेदार व ् यवहार दिखाते हैं, या कोई और लक ् षण दिखाते हैं तब हमें बचकाना कहा जाता है, आखिर, इन घटनाओं पर एक नज ़ र डालिए: साम ् राज ् यवाद और उपनिवेशन, विश ् व युद ् ध, जॉर ् ज डब ् लू बुश, आप खुद से पूछिए: कौन ज ़ िम ् मेदार है? वयस ् क. अब बच ् चों ने क ् या किया है? ऐन फ ् रांक ने करोड ़ ों लोगों का दिल छुआ यहूदियों के विध ् वंस के अपने सशक ् त वर ् णन से, रूबी ब ् रिजिस ने अमरीका में पृथकतावाद को ख ़ त ् म करने में मदद की, और अभी हाल ही में, चार ् ली सिम ् पसन ने अपने प ् रयत ् न से उम ् र का इससे कोई सम ् बन ् ध नहीं है. जो लक ् षण "" बचकाना "" शब ् द संबोधित करता है शायद आपने भी कभी बड ़ ी भारी योजनायें बनाई होंगी, संभावना की सीमाओं को आगे बढाती है. उसमें एक प ् रोग ् राम है जिसका नाम है 'बच ् चे शीशे के डिज ़ ाइन बनाएं' या शायद इटली के फूलदानों के बारे में,टूटे-दिल वाले साँपों के क ् षेत ् र में और इसका सम ् बन ् ध विश ् वास से, या उसकी कमी से है. अब, अगर आप किसी पर विश ् वास नहीं करते, तो आप उस पर प ् रतिबन ् ध लगाते हैं, है न? जब तक वो अपना क ़ र ् ज ़ नहीं चुका देती. (हंसी) बच ् चों के लिए एक प ् रतिबंधात ् मक रवैय ् या होता हैस ् कूल के इन ् टरनेट के इस ् तेमाल पर लगे प ् रतिबंधों तक. फिर भी बच ् चों को नियम बनाने का बिलकुल नहीं, या बहुत कम, मौका मिलता है जबकि यह रवैय ् या दो-तरफा होना चाहिए, अब प ् रतिबन ् ध से भी ज ् यादा बुरा है कि बड ़ े अक ् सर बच ् चों की योग ् यताओं को कम महत ् व देते हैं. "बस के पहिये गोल-गोल घूमें" धन ् यवाद बिल गेटस और धन ् यवाद माँ. और मैं उन ् हें छपवाना चाहती थी. इस अपरम ् परागत इच ् छा पर हंसने के बजाय या एक कहने की बजाय कि रुको, पहले तुम बड ़ ी हो जाओ, मेरे माँ-बाप ने पूरी तरह सहयोग दिया. विडम ् बना यह, कि बच ् चों के एक बड ़ े प ् रकाशक ने कहा कि वे बच ् चों के साथ काम नहीं करते हैं. हज ़ ारों शिक ् षकों को भाषण देती हूँ, कि बच ् चे बड ़ ों से कई गुना बेहतर हैं — बच ् चे बड ़ े हो कर आप ही की तरह वयस ् क बन जाते हैं. या एकदम आपकी तरह से, वाकई? जो एक चुनौतीपूर ् ण काम है कि नयी पीढियां और नए दौर आगे आते हैं और पहले वालों से बेहतर हो जाते हैं. इसीलिए तो अब हम अन ् धकार-युग में नहीं हैं. यह ज ़ रूरी है कि आप बच ् चों के लिए अवसर पैदा करें. ताकि हम बड ़ े हो कर आपको उड ़ ा सकें. (हंसी)आपको बच ् चों से सुनना और सीखना चाहिए हम पर भरोसा करना चाहिए और हमसे अपेक ् षाएं भी रखनी चाहियें. और उसका मतलब होता है दुबारा बचपन से गुज ़ रना, अब दुनिया को नए अवसरों की ज ़ रुरत है — बच ् चों को नेतृत ् व और कामयाबी के नए मौकों की ज ़ रुरत है (तालियाँ) dhanyavaad. dhanyavaad. आप में से कितने लोगों को ताल पसंद है? ओह हाँ, ओह हाँ । ओह हाँ. (चियर ् स) (ढोल) मैं सभी प ् रकार के तालों को पसंद करता हूँ । मैं जेज ़ बजाना पसंद है, थोड़ा सा 'फंक', और हिप हॉप, थोड़ा सा पॉप, थोड़ा सा 'आर & बी'. थोड़ा सा लैटिन, अफ ् रीकी । और यह जो धुन है, "" क ् रीसेंट सिटी "" की है, पुरानी दूसरी पंक ् ति । (चियर ् स) अब, एक बात है इन सब लय में समान है, गणित । और मैं इसे कहता हूॅँ "" अ-रिद-मेटिक "" क ् या आप मेरे बाद दोहरा सकते हैं? "" अ-रिद-मेटिक "" दर ् शक: "" अ-रिद-मेटिक "" क ् लेटन कैमरून: "" अ-रिद-मेटिक "" दर ् शक: "" अ-रिद-मेटिक "" क ् लेटन कैमरून: "" अ-रिद-म अ-रिद-म "" दर ् शक: "" अ-रिद-म अ-रिद-म "" क ् लेटन कैमरून: "" अ-रिद-मेटिक "" दर ् शक: "" अ-रिद-मेटिक "" क ् लेटन कैमरून: जी हाँ । अब सभी उन प ् रकारों की लय चार चार करके गिनते है और फिर तीन से भाग करदेते है ़ । क ् या? हाँ. तीन एक जादुई संख ् या है । तीन एक मदमस ् त संख ् या है । तीन एक हिप हॉप संख ् या की तरह है । लेकिन "" तीन से भाग करने "" का क ् या मतलब है? और चार चार में गिनतियाँ करने का? ठीक है, देखो, इसे इस तरह सोचो । संगीत को डॅालर के रुप में नापो । अब एक डालर में चार चवन ् नी, सही है? और तो संगीत का 4 / 4 हुआ । इसमें चार चवन ् नी हुई । अब, कैसे आप प ् रतिभाग करते हैं? अब यह कल ् पना करे: तीन डॉलर के मूल ् य की चवन ् नीं हैं । आप के पास तीन के चार समूह है, और आप गिनेगें... एक-दो-तीन-चार, एक-दो-तीन-चार, एक-दो-तीन-चार । एक साथ । सभी: एक-दो-तीन-चार, एक-दो-तीन-चार, एक-दो-तीन-चार । अब आपको लगता है कि, ठीक है? अब चलो ये चार के तीन समूहों को लेते है और इन ् हें तीन के चार समूह बनाते है । और इसे सुनो । एक-दो-तीन-चार, एक-दो-तीन-चार, एक-दो-तीन-चार, मेरे साथ । पर, तुम सब लोग एक-दो-तीन-चार, एक दो तीन, आओ! सभी: एक-दो-तीन-चार, एक-दो-तीन-चार, एक-दो-तीन-चार, आह । यह हुई न बात । ठीक है, दूसरी पंक ् ति । एक-दो-तीन-चार, एक दो तीन । एक-दो-तीन-चार, एक दो तीन । एक-दो-तीन-चार, एक दो तीन । एक-दो-तीन-चार, एक दो तीन । हाँ. अब, इसे कहता हुँ में "" अ-रिद-मेटिक "" आप यह कह सकते हैं? "" अ-रिद-मेटिक "" दर ् शक: "" अ-रिद-मेटिक "" "अ-रिद-मेटिक" दर ् शक: "अ-रिद-मेटिक" "अ-रिद-मेटिक" दर ् शक: "अ-रिद-मेटिक" "अ-रिद-मेटिक" दर ् शक: "अ-रिद-मेटिक" हाँ । अब स ् विंग उठाओ, और वैसे ही करो । एक, दो, एक, दो, एक-दो-तीन-चार । हाँ. हम...! एक दो तीन, एक दो तीन, एक दो तीन, एक दो तीन । वू । तो मैं दूसरी लाइन की ताल लेता हूँ और पहली ताल और उन ् हें एक साथ रखा, और यह कुछ इस तरह लगता है । अहा । "अ-रिद-मेटिक" दर ् शक: "अ-रिद-मेटिक" "अ-रिद-मेटिक" दर ् शक: "अ-रिद-मेटिक" "अ-रिद-मेटिक" दर ् शक: "अ-रिद-मेटिक" "अ-रिद-मेटिक" दर ् शक: "अ-रिद-मेटिक" हाँ । हिप हॉप । अब तीन के समूह का तेज ़ ी से उपयोग होगा हम इसे एक "" ट ् रीपलेट "" कहते हैं । "" ट ् रीपलेट "" - "" ट ् रीपलेट "" मेरे संग कहे । सब: "" ट ् रीपलेट "" - "" ट ् रीपलेट "" "" ट ् रीपलेट "" - "" ट ् रीपलेट "" । "" ट ् रीपलेट "" - "" ट ् रीपलेट "" । तो मैं आपको पहले सुनाई हुई सब लय लूँगा, हम उन ् हें एक साथ डालेगे और वे ध ् वनि इस तरह की होगी । "अ-रिद-मेटिक" (तालियों सहित अभिवादन) नमस ् ते, मेरा नाम मार ् सिन है किसान, प ् रौद ् योगिकीविद ् मेरा जन ् म पोलैंड में हुआ था, अब मैं अमेरिका में रहता हूँ मैंने एक समूह शुरू किया ओपन सोर ् स इकोलॉजी हमने 50 सबसे महत ् वपूर ् ण मशीनों की पहचान की है जो हमें लगता हैं कि आधुनिक जीवन के अस ् तित ् व के लिए है चीज़ें जैसे कि ट ् रैक ् टर रोटी ओवन, सर ् किट निर ् माताओं तो फिर हम बनाने के लिए तयार हुए एक खुला स ् रोत, DIY, यह अपने आप करने योग ् य संस ् करण कि कोई भी निर ् माण कर सकता है और बनाए रख सकता है लागत का एक अंश में हम इसे ग ् लोबल विलेज निर ् माण सेट कहते हैं तो मैं तुम ् हें एक कहानी सुनाता हूँ जब मैंने अपना बीसवां वर ् ष पूरा किया पी एच डी, fusion energy के साथ और मुझे पता चला कि मैं बेकार था मेरे पास कोई व ् यावहारिक कौशल नहीं था दुनिया मुझे विकल ् पों के साथ प ् रस ् तुत हुयी और मैंने उन ् हें ले लिया मुझे लगता है कि आप इसे उपभोक ् ता जीवन शैली कह सकते हैं । तो मैं मिसौरी में एक खेत शुरू कर दिया और खेती के अर ् थशास ् त ् र के बारे में सीखा । मैं एक ट ् रैक ् टर खरीदा - यह ख़राब होगया । मैं इसके मरम ् मत के लिए भुगतान किया - यह फिर से ख़राब होगया । तो बहुत जल ् द ही, मैं भी टूट गया था । मुझे एहसास हुआ कि वास ् तव में उचित, कम लागत के उपकरण जिनकी मुझे जरूरत हैं एक टिकाऊ कृषि और निपटान शुरू करने के लिए बस अभी तक अस ् तित ् व में नहीं था । मुझे उपकरण जो कि मजबूत, मॉड ् यूलर थे उनकी जरूरत है, अत ् यधिक कुशल और अनुकूलित है, कम लागत हो, स ् थानीय और पुनर ् नवीनीकरण सामग ् री से बना है, जो कि एक जीवनकाल तक चले अप ् रचलन के लिए तैयार नहीं । मैंने पाया कि मुझे उन ् हें खुद से निर ् माण करना होगा । इसलिए मैंने ऐसे ही किया । और मैं उन ् हें परीक ् षण किया । और मुझे लगता है कि औद ् योगिक उत ् पादकता एक छोटे पैमाने पर हासिल की जा सकती है । तो फिर मैंने प ् रकाशित की 3 डी डिजाइन, योजना-आरेख, अनुदेशात ् मक वीडियो और बजट विकी पर । तब दुनिया भर से योगदानकर ् ताओं ने दिखाना शुरू किया, नई मशीनों के प ् रोटोटाइप समर ् पित परियोजना यात ् राओं के दौरान । अब तक, हमारे पास 50 मशीनों के आठ नमूने है । और अब परियोजना अपने दम पर विकसित होना शुरू हो गया है । हम जानते हैं कि खुला स ् रोत सफल रहा है ज ् ञान और रचनात ् मकता के प ् रबंधन के लिए उपकरणों के साथ । और यह ही हार ् डवेयर के साथ भी होने लगा है । हम हार ् डवेयर पर ध ् यान केंद ् रित कर रहे हैं क ् योंकि यह हार ् डवेयर है जो कि लोगों के जीवन को बदल सकते हैं इस तरह के ठोस सामग ् री मायनों में । हम खेती के लिए बाधाओं को कम कर सकते हैं, निर ् माण, विनिर ् माण, फिर हम मानव क ् षमता का सिर ् फ भारी मात ् रा दिलाने कर सकते हैं । सिर ् फ विकासशील देशों में ही नहीं | हमारे उपकरण बनाये जा रहे हैं अमेरिकी किसान, बिल ् डर, उद ् यमी, निर ् माता के लिए । हम इन लोगों से उत ् साह के बहुत से देखा है, जो अब एक निर ् माण व ् यवसाय शुरू कर सकते हैं, भागों के निर ् माण, जैविक सीएसए या सिर ् फ ग ् रिड को वापस बिजली बेचने के लिए | हमारा लक ् ष ् य प ् रकाशित डिजाइन का भंडार है इतना स ् पष ् ट है, इसलिए पूरा, कि एक भी लिखित डीवीडी प ् रभावी रूप से एक सभ ् यता स ् टार ् टर किट है । मैंने एक दिन में एक सौ पेड ़ लगाए गए हैं । मैंने एक दिन में 5,000 ईंटों दबाया है मेरे पैरों के नीचे गंदगी से और छह दिनों में एक ट ् रैक ् टर का निर ् माण किया । मैंने क ् या देखा है, यह केवल शुरुआत है । अगर यह विचार सही मायने में मजबूत है, तो तब निहितार ् थ महत ् वपूर ् ण हैं । उत ् पादन के साधन का एक बड ़ ा वितरण, पर ् यावरण के लिए मजबूत आपूर ् ति श ् रृंखला, और एक नव प ् रासंगिक उपकरण निर ् माता संस ् कृति पार करने की उम ् मीद कर सकते हैं कृत ् रिम कमी । हम सीमा की खोज कर रहे हैं हम सब क ् या कर सकते हैं एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए खुला हार ् डवेयर प ् रौद ् योगिकी के साथ । धन ् यवाद । (तालियाँ) जब हम बड़े पार ् किंग की जगह पर पार ् क करते है, हम कैसे याद रखते हैं कि हमने कहाँ कार पार ् क की है? यह वो समस ् या है जिससे होमर जूझ रहे है | और हम समझने की कोशिश करेंगे कि उनके मस ् तिस ् क में क ् या हो रहा है | तो हिप ् पोकैम ् पस के साथ शुरू करेंगे, पीले रंग में दर ् शित, जो स ् मृति का अंग है | अगर आपके इस हिस ् से पर कोई चोट है, जैसे अल ् जाइमर के, आप चीजों को याद नहीं रख सकते जैसे आपने कार कहाँ पार ् क की है | इसका नाम "" समुद ् री घोड़े "" के लेटिन नाम पर रखा गया है, जिसके साथ इसकी समानता है | और मस ् तिस ् क के बाकी हिस ् से की तरह, यह न ् यूरोन से बना है | मानव के मस ् तिस ् क में लगभग हज़ारो करोड़ो न ् यूरोन ् स हैं | और न ् यूरोन ् स एक दूसरे से बाते करते हैं एक दूसरे को जोड़ो के द ् वारा बिजली की छोटी छोटी तरंगे भेज कर | हिप ् पोकैम ् पस कोशिकाओं की दो परतों से बना है, जो कि बहुत सघनता से एक दूसरे से जुड़ी है | और वैज ् ञानिकों ने समझना शुरू कर दिया है स ् थानिक स ् मृति कैसे काम करती है, चूहों में विभिन ् न न ् यूरोन ् स से रिकॉर ् ड करके जब वे किसी वातावरण में भोजन के लिए पता लगाने जाते हैं | तो हम कल ् पना करने जा रहे हैं कि हम एक न ् यूरोन से रिकॉर ् ड कर रहे है इस चूहे के हिप ् पोकैम ् पस में | और जब यह बिजली कि छोटी तरंग भेजता है, वहाँ एक लाल धब ् बा और क ् लिक होगा | तो हम जो देखते है वो है कि यह न ् यूरोन जान जाता है जब भी यह चूहा अपने वातावरण में किसी खास जगह पर जा चुका होता है तो | और मस ् तिस ् क के बाकी हिस ् से को संकेत देता है एक छोटी बिजली की तरंग भेज कर | तो हम इस न ् यूरोन के तरंग भेजने की दर को दिखा सकते है जंतु के स ् थान के फलन के रूप में | और अगर हम विभिन ् न न ् यूरोन ् स से रिकॉर ् ड करे तो, हम देखेंगे कि विभिन ् न न ् यूरोन संकेत भेजते है जब जंतु अपने वातावरण के विभिन ् न स ् थानों पर जाता है, जैसे यहाँ दिखाया गया वर ् गाकार बॉक ् स | तो साथ में वो एक नक ् शा बनाते है मस ् तिस ् क के बाक़ी हिस ् से के लिए, मस ् तिस ् क को निरंतर बताने के लिए, "मैं अपने वातावरण में कहाँ हूँ?" जगहों की कोशिकाएं मनुष ् यों में भी रिकॉर ् ड होती हैं | तो एपीलेप ् सी के मरीज़ को कभी कभी उनके मस ् तिस ् क में बिजली की हरकत की जरुरत होती है | और इनमे से कुछ मरीज़ एक वीडियो गेम खेलते है जिसमे वो एक छोटे शहर में गाड़ी चलाते है | और जगहों की कोशिकाएं उनके हिप ् पोकैम ् पी में क ् रियाशील हो जाती है, बिजली के तरंग भेजना शुरू कर देती हैं जब भी वो इस शहर के किसी खास जगह पर गाड़ी चलाते है | तो जगह की कोशिका कैसे जानती है चूहा या व ् यक ् ति अपने वातावरण के भीतर ही है? यहाँ दो कोशिकाएं है जो हमे वातावरण की सीमाएं दिखाती है बहुत महत ् वपूर ् ण है | तो जो ऊपर की तरफ है उस बक ् से की दीवारों के बीच में तरंग भेजती है जिसमे चूहा है | और जब बक ् से को बड़ा करते है, तरंग भेजने की जगह भी बढती है | और जो नीचे है वो तरंग भेजती है जब भी दक ् षिण की तरफ पास में कोई दीवार है और अगर आप बक ् से के अंदर एक और दीवार बना दे तब कोशिका दोनों ही जगहों पर तरंग भेजती है जब भी दक ् षिण के तरफ दीवार होती है जंतु इस बक ् से के अंदर इधर उधर जाते रहने के कारण | तो यह भविष ् यवाणी करती है आपके आसपास की सीमाओं की दिशाओं और उनसे आपकी दुरी की — बढ़ी हुई इमारते और इस तरह — हिप ् पोकैम ् पस के लिए यह बहुत महत ् वपूर ् ण है | और वास ् तव में, हिप ् पोकैम ् पस को दी जाने वाली सुचना के लिए, कोशिकाएं पायी गयी है जो हिप ् पोकैम ् पस में कल ् पना करती हैं, जो अच ् छी तरह से प ् रतिक ् रिया देती है सीमाओं और किनारों को खोजने में चूहे से किसी विशेष दुरी और दिशा में जैसे जैसे यह आसपास घूमता है तो यह कोशिका बायीं तरफ है, आप देख सकते हैं, यह तरंग भेजती है जब भी जंतु पूर ् व की ओर दीवार या सीमा के पास होता है, चाहे वो किनारा हो या वर ् गाकार बक ् से की दीवार या वृत ् ताकार बक ् से कि वृत ् ताकार दीवार या टेबल के किनारे पर बूंद, जिसके आसपास जंतु घूम रहे हैं | और दायी तरफ की कोशिका तरंग भेजती है जब भी दक ् षिण की ओर सीमा हो, चाहे वो टेबल की किनारे पर बूंद हो या दीवार या फिर दो दुरे रखे टेबल के बीच का अंतराल | तो एक तरीका है जिस तरह हम सोचते है जगहों की कोशिकाएं पता लगाती हैं कि जंतु अपने आसपास के वातावरण में कहाँ है | हम चीज़े कहाँ है इसके बारे में भी परीक ् षण कर सकते है, जैसे यह गोल फ ् लैग, साधारण वातावरण में — या वास ् तव में, कहाँ आपकी कार होगी | तो हम लोगो को वातावरण में घूमने के लिए कह सकते है और जगहों को देखने दे जिन ् हें उन ् हें याद रखना है | और फिर, हम उन ् हें फिर से उसी वातावरण में ले जाए, साधारणत: वो जगहों को पहचानने में काफी अच ् छे थे जहाँ उन ् हें लगा की फ ् लैग या उनकी कार थी | लेकिन उसी परीक ् षण में, हम वातावरण की आकृति और आकार बदल सकते थे जैसे हमने जगह की कोशिका के साथ किया | इस तरह हम देख सकते है कैसे वो सोचते हैं कि कहाँ फ ् लैग बदल गया है वातावरण के आकृति और आकार के बदलाव के फलन की रूप में | और आप जो देखते है, उदाहरण के लिए, अगर फ ् लैग वहाँ पर था जहाँ पर क ् रॉस था एक छोटे वर ् गाकार वातावरण में, और फिर आप लोगो से पूछे वो कहाँ था, लेकिन आपने वातावरण को बड़ा कर दिया है, जहाँ उन ् हें लगता है फ ् लैग पहले था उसी तरह से फैल जाता है जिस तरह से जगहों की कोशिकाओं की तरंगे फैल जाती है | जैसे आप अगर याद रखते है फ ् लैग कहाँ था जगहों की कोशिकाओं के तरंग भेजने के तरीके को संग ् रहण करके सभी जगहों पर, और फिर आप उसी जगह पर वापस जा सकते है इधर उधर घूम के जिससे आप जगहों की कोशिकाओं के तरंगे भेजने के तरीके को मिला सके संग ् रहित तरीके से | जो आपको उस जगह पर वापस लेके जाता है जिसे आप याद रखना चाहते हैं | लेकिन हम अपने गति के कारण यह भी जानते है कि हम कहाँ हैं | तो हम अगर बाहर जाने वाला रास ् ता लेते हैं — शायद हम पार ् क करे और घूमते रहे — हम अपनी गति की वजह से जानते है, जो हम इस रास ् ते के साथ लगभग मिला सकते है जो वापस जाने वाली दिशा है | और जगह की कोशिकाओं को इस तरह से रास ् ते मिलाने के संकेत भी मिलते है एक तरह की कोशिकाओं से जिन ् हें ग ् रिड कोशिका कहा जाता है | अब ग ् रिड कोशिकाएं पायी गयी है, फिर से, हिप ् पोकैम ् पस को संकेत देने के लिए, और वो थोड़ी सी जगह की कोशिकाओं की तरह हैं | लेकिन अब जैसे चूहा आसपास घूमता है, अलग अलग हर कोशिकाएं तरंग भेजती है विभिन ् न जगहों के पूरे समूहों में जो पूरे वातावरण में मौजूद है एक आश ् चर ् यजनक त ् रिकोणीय ग ् रिड के रूप में | और अगर आप बहुत से ग ् रिड कोशिकाओं से रिकॉर ् ड करे — यहाँ पर विभिन ् न रंगों में दर ् शित — पूरे वातावरण में सभी एक ग ् रिड की तरह तरंग भेजती हैं, और हर कोशिका की ग ् रिड के तरह तरंग भेजने का तरीका बाकी कोशिकाओं से थोड़ा अलग है | तो लाल वाली तरंग इस ग ् रिड पर भेजती है और हरी वाली इस पर और नीली वाली इस पर | तो साथ में, यह ऐसे है जैसे चूहा तरंग भेजने की एक काल ् पनिक ग ् रिड रख सकता है पूरे वातावरण में — नक़ ् शे पर पाये जानी वाली अक ् षांश और देशांतर रेखाओं की तरह, लेकिन त ् रिकोण को उपयोग करके | और यह जैसे खिसकता है, बिजली की तरंगे जा सकती है इनमे से एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक यह कहाँ पर है इसका ध ् यान रखने के लिए, इस तरह यह अपने बदलाव को उपयोग कर सकता है वातावरण में अपनी स ् थिति जानने के लिए | क ् या इंसानों में ग ् रिड कोशिकाएं होती है? क ् युंकि सारी ग ् रिड की तरह तरंग भेजने के तरीको का एक ही सममिति का अक ् ष है, का एक ही अभीविन ् यास है, यहाँ नारंगी रंग में दर ् शित, इसका मतलब यह हैं कि सभी ग ् रिड कोशिकाओं की कुल क ् रिया मस ् तिस ् क के एक खास हिस ् से पर बदलनी चाहिए हमारे इन छै दिशाओं के साथ भागने पर या इन छै में से किसी एक दिशा के साथ भागने पर | तो हम लोगो को MRI स ् कैनर पर रख सकते है और उन ् हें एक छोटा वीडियो गेम खेलने दे जैसा कि मैंने आपको दिखाया था और संकेतों को देखे | और वास ् तव में, आप इसे मानवीय एंटोर ् हिनल कोर ् टेक ् स में देखते है, जो कि मस ् तिस ् क का वहीँ हिस ् सा है जो आपने चूहों में ग ् रिड कोशिकाओं में देखा था | तो होमर के बारे में फिर से | शायद उन ् हें याद है कि उनकी कार कहाँ है दुरी और दिशा के आधार पर उन बढ़ी हुई इमारते और सीमाओं के हिसाब से जिस जगह पर कार पार ् क थी | और जो दर ् शाया जायेगा सीमाएं दर ् शाने वाली कोशिकाओं के तरंग भेजने से | उन ् हें वो रास ् ता भी याद है जो उन ् होंने बाहर आते वक ् त लिया था, जो दर ् शाया जायेगा ग ् रिड कोशिकओं के तरंग भेजने से | अब इन तरह की दोनों कोशिकाएं जगह की कोशिका को तरंग भेजने के लिए कह सकती है | और वे उस जगह पर लौट सकते है जहाँ कार पार ् क थी घूमते हुए वो जगह खोजने के लिए जहाँ पर तरंग भेजने के तरीके से सबसे ज ् यादा अच ् छा मिलान हो उनके मस ् तिस ् क के जगह की कोशिकाओं के साथ जिन ् होंने कार कहाँ पार ् क हुई है उसका तरीका संचित किया है | और यह उन ् हें वापस उसी जगह पर ले जाता है दिखने वाले संकेतों की परवाह किये बिना जैसे क ् या सच में उनकी कार वहाँ है | शायद वो वहाँ से हटाई जा चुकी है | लेकिन उन ् हें पता है कि वो कहाँ थी, तो वहाँ जाने और इसे पाने के बारे में उन ् हें पता है तो स ् थानिक स ् मृति के आगे, अगर हम ग ् रिड के जैसे तरीके को देखे पूरे मस ् तिस ् क में, अब जगहों की पूरी श ् रृखंला देखेंगे जो कि हमेशा सक ् रीय है जब सभी तरह की आत ् मकथात ् मक स ् मृति की कसरत करेंगे, जैसे यह याद करना आप आखिरी वक ् त शादी पर कब गये थे, उदाहरण के लिए | तो यह न ् यूरल तंत ् र हो सकता है हमारे आसपास की जगह को दर ् शाने के लिए दृश ् य की छवियों को बनाने में भी उपयोग हो सकता है जिससे हम स ् थानिक द ् रश ् य फिर से बना सके, कम से कम, उन घटनाओं की जो हमारे साथ हुई जब हम उनकी कल ् पना करे | तो अगर यह होता है, आपकी स ् मृति जगह की कोशिकाओं को क ् रियाशील करने से शुरू हो सकती है उनके बीच घने आपसी संपर ् को से और तब सीमाओं की कोशिकाओं को भीर से क ् रियाशील करके स ् थानिक सरंचना बनाने के लिए आपके दृष ् टीकोण के हिसाब से | और ग ् रिड कोशिकाएं इस दृष ् टीकोण को यहाँ वहाँ ले जा सकती है | एक और तरह की कोशिका, सर की दिशा की कोशिका, जिसके बारे में मैंने बात नहीं की, वो कम ् पास की तरंग भेजती है जिस तरफ आप देख रहे है उसके हिसाब से | वो देखने की दिशा निर ् धारित कर सकती है जहाँ से आप एक छवि बनाना चाहे आपके दृश ् य की कल ् पना के लिए, तो आप कल ् पना कर सकते कि उस शादी में क ् या हुआ, उदाहरण के लिए | तो यह सिर ् फ एक उदाहरण है एक नए युग का कोगनिटिव न ् यूरोसाइंस में जहाँ हम समझना शुरू कर रहे हैं साइकोलोजिकल प ् रक ् रियों को जैसे आप कैसे याद या कल ् पना या सोचते है हमारे मस ् तिस ् क को बनाने वाले करोड़ो विभिन ् न तरह के न ् यूरोन की क ् रियाओं के आधार पर | बहुत बहुत धन ् यवाद | (अभिवादन) यह बढ ़ िया नहीं है? (तालियाँ) मैंने उस विशाल राक ् षस की अोर देखा मैं इसे छुपा सकती हूं | कुछ साल बाद मैंने एक चुटकुला सुना तो उन ् होंने अपना सारंगी उठाया और कहा, (हंसी) मैं ये कह कर शुरु करना चाहूँगा, कि ह ् यूस ् टन, हम मुश ् किल में हैं. इन ् सान की अंतरिक ् ष यात ् रा को लेकर हम ठहराव की दूसरी पीढ ़ ी में पहुँच रहे हैं. सच ् चाई ये है कि हम पीछड ़ गए हैं. हम बहुत बड ़ ा मौका गँवाने वाले हैं अपने युवाओं को प ् रेरित करने का, जिससे कि वो इस बहुत ही महत ् वपूर ् ण काम को जारी रख सकें जो कि हमने मानव होने के नाते हमेशा किया. हम बड ़ ी सहजता से निकल पड ़ े और मुश ् किल चढ ़ ाईयाँ लांघ ली, दुर ् गम से दुर ् गम स ् थान तक पहुँच गए, और बाद में, हैरत के साथ महसूस किया, कि यही तो हमारे जीने का मकसद था. मैं बड ़ ी शिद ् दत से महसूस करता हूँ कि ये बिल ् कुल सही नहीं है कि हम बच ् चों की ऎसी पीढ ़ ियाँ बनाँए जिनकी अपेक ् षाँए वीडियो वाले बेहतर सेल-फोन तक सीमित हों. उन ् मे अनुस ् न ् धान की इच ् छा होनी चाहिए, संगठित होने की सोच होनी चाहिए, नई खोज के लिए उत ् सुकता होनी होगी. ये इन बच ् चों के लिए ज़रूरी है. हमें उन ् हे प ् रोत ् साहित करना होगा, क ् योंकि वे ही आगे रहकर भविष ् य में हमारा अस ् तित ् व बनाए रखने में भूमिका निभाएंगे. नासा नए बुश सिद ् धांतो को लेकर अभी जो कर रही है, उससे मुझे बेहद परेशानी है, जिससे कि- अगले डेढ ़ दशक का समय - ओह, मैंने गड ़ ब ़ ड ़ कर दि. हमें ख ़ ास हिदायत दी गई थी कि हम यहाँ राजनीति पर चर ् चा ना करें. (ठहाका) हमेँ जिस चीज़ की अपेक ् षा है — (तालियाँ) तो हम जो उम ् मीद कर रहे हैं वह सिर ् फ हमारे बच ् चों का प ् रोत ् साहन ही नहीं है, बल ् कि अभी योजना यह भी है कि कैसे इस देश के सबसे रचनात ् मक लोग — बोईंग और लॉकहीड के स ् पेस इंजीनियरों को नई चुनौति और नए प ् रयोगों से रोका जा सके. हम चाँद पे फिर से जा रहे हैं — 50 साल बाद — पर जा रहे हैं नया कुछ ना सीखने की विशिष ् ट योजना लेकर. मुझे इस बात से बड ़ ी परेशानी होती है. वैसे भी — मैं आज आपसे जो बातें करना चाहता हूँ वो इसी मुद ् दे पर आधारित हैं, कि हम कैसे उन लोगों को प ् रभावित करते हैं जो कि भविष ् य में हमारे महान नेता बनेंगे. मेरे अगले 15 मिनटों की बातों का विषय यही है. मुझे लगता है प ् रेरणा की शुरुवात बहुत बचपन से होती है; तीन-साल-की उमर, 12 साल तक, 14 साल की उमर. जो हम — वो क ् या देखते हैं, यही सबसे महत ् वपूर ् ण है. चलिए वायु-यात ् रा की एक झलक लेते हैं. एक छोटा सा समयकाल था, शानदार चार ‌ सालों का, जिनमें ग ़ ज़ब की चीज़ें हुंई. इसकी शुरुवात 1908 मैं हुई, जब राईट बंधुओं ने पैरिस में उड ़ ान भरी, और सभी ने कहा, 'ओह, ये तो हम भी कर सकते हैं.' बहुत ही गिने-चुने लोग 1908 के शुरुवात में उड ़ ान भर सकते थे. अगले चार सालों में 39 देशों के पास सैंकड ़ ों हवाई जहाज़ थे, और हज़ारों विमान चालक. हवाई जहाज़ों का आविष ् कार एक स ् वाभाविक प ् रक ् रिया के तहत हुआ. आप आज ये कह सकते हैं कि सूक ् ष ् म डिज़ाईनों के ज़रीए हमारे आज के वायु-यान डिज़ाईन किए जाते हैं, लेकिन वायु-यानों के उन पहले दिनों में ऎसे सू ़ क ् ष ् म डिज़ाईन उपलब ् द ् ध नहीं थे. कम से कम 30,000 अलग अलग चीज़ें आज़माई गई होंगी, और उनके क ् रैश होने और विमान चालक की मौत के बाद ही ये समझ आया होगा कि ये तरीक ़ ा नहीं चलेगा. कुछ वायु-यान उड ़ े और ठीक-ठाक उतर भी सके पर उनमे भी कोई प ् रशिक ् षित चालक नहीं होते थे जिन ् हे वायु-यान उड ़ ाने का सही तरीक ़ ा पता हो. तो हमने, हज़ारों बार कोशिश करते करते, उन चार सालों में वह सारे सिद ् धान ् तों का आविष ् कार किया जिनकी बदौलत आज हम विमान चलाते हैं. वायु-यात ् रा इसी कारण सुरक ् षित बन पाई, क ् योंकि हमने क ् या सही है, ये पता लगाने के लिए काफी ़ प ् रयोग किए. पर अंतरिक ् ष में उड ़ ान भरने के मामले में ऎसा नहीं हुआ. सिर ् फ दो ही सिद ् धान ् तों का परीक ् षण किया गया — अमरीकियों द ् वारा दो और रूसियों द ् वारा एक. तो बताईए, उस समय इस विषय पर किन लोगों ने उत ् साह दिखाया था? 'एवियेशन वीक' ने मुझे एक सूचि बनाने का काम दिया जिसमें मुझे हवाई उड ़ ान के पहले 100 वर ् षों में मुख ् य भूमिका निभाने वालों को चुनना था. मैंने सूचि बनाई और बाद में पाया कि उन में से हर किसी का बचपन हवाई यात ् रा में जागरण के उस अद ् भुत समयकाल में बीता था. ख ़ ैर, जब मैं बच ् चा था, तब भी कुछ महत ् वपूर ् ण चीज़ें घटीं. जेट युग शुरु हुआ, मिसाईल युग का प ् रदुर ् भाव हुआ. वॉन ब ् रौन ने मंगल ग ् रह पर जाने की तरकी ़ ब बताई — ये सब स ् पुटनिक के पहले की बात है. और अस समय मंगल को लेकर आज से ज़ ् यादा कौतुहल था. हमें लगता था वहाँ जानवर होंगे, हम लगभग जानते थे कि वहाँ पौधे भी मिलेंगे, अलग रंगों के, है ना? पर क ् या करें, नासा ने पूरा मामला ही गड ़ बड ़ कर दिया, रोबोट तो भेजे लेकिन उन ् हे उतारा केवल रेगिस ् तानों में! (ठहाका) अगर आप देखें — ये छोटी काली रेखा दर ् शाती है कि इंसान ने कितनी रफ ् तार से उड ़ ान भरी, ये लाल रेखा सबसे अच ् छे मिलिटरी विमानों को दर ् शाती है और ये नीली रेखा व ् यवसायिक हवाई यातायात की है. आप देख सकते हैं कि यहाँ एक बड ़ ा उछाल है. जब मैं छोटा था — मुझे लगता है कि कहीं तो इस बात ने मुझे हिम ् मत भी जुगाई कि मैं निकल पड ़ ूँ और ऎसा कुछ करूँ जिसे करने की हिम ् मत अब तक किसी ने नहीं दिखाई हो. तो, बचपन में मैंने ऎसा क ् या किया? मैं तेज़ गाड ़ ियों, लड ़ कियों या डिस ् को के पीछे नहीं भागता था. उन दिनों ड ् रग ् स नहीं मिला करते थे. पर मैंने वायु-यान के मॉडलों की प ् रतियोगिताओं में भाग लिया. मैंने क ़ रीब सात साल ग ़ ुज़ारे वियेतनाम युद ् ध के दौरान वायु सेना के यानों की उड ़ ान-क ् षमता का परीक ् षण करते हुए. इसके बाद मैंने बड ़ े मज़े से ऎसे प ् लेन बनाने लगा जिन ् हे लोग अपने गैरेज में ही जोड ़ सकते थे. उनमें से क ़ रीब 3,000 उड ़ ान भर रही हैं. हाँ, 'अराऊन ् ड द वर ् ल ् ड वॉयेजर भी उन ् ही विमानों में से एक है. मैंने सन' 82 में एक और कंपनी की स ् थापना की, जो अब मेरी कंपनी है. हमने 1982 से लेकर हर साल एक से ज़ ् यादा नई तरह के वायु-यान बनाए हैं. उनमें से बहुत से ऎसे हैं जिन ् हे मैं इस चार ् ट पर नहीं दिखा सकता. मेरे हिसाब से किसी वायु-यान का अब तक का सबसे प ् रभावशाली नक ् शा जेट विमानों के चालु होने के सिर ् फ 12 साल बाद बन गया था. इसे ज़ंग पड ़ कर उड ़ ने के नाक ़ ाबिल हो जाने तक सेवा में रखा गया, फिर हटा दिया गया. '98 में हम' 56 में विकसित की हुई चीज़ को वापस ले आए. क ् या? सबसे शानदार अंतरिक ् ष यान, मेरे हिसाब से, ग ् रुम ् मान लुनर लैण ् डर थी. ये — जैसा की आप जानते हैं, चाँद पर उतरी, चाँद से वापस आई, और इसे रख-रखाव की ज़रूरत नहीं पड ़ ी — कमाल की बात है. हमने वो क ् षमता खो दी है. हमने सन '72 में ही उसका त ् याग कर दिया था. इसका नक ् शा 1961 में गैगारिन की पहली अंतरिक ् ष यात ् रा के तीन साल बाद बनाया गया था. सिर ् फ तीन सालों में, और आज हम वो नहीं कर पा रहे जो हमने तब किया. अजीब बात है. अगर हम नवप ् रवर ् तन चक ् रों की चर ् चा करें, तो ज़ोर पकड ़ ने वाली विचारधाराएँ भी दूसरी विचारधाराओं से प ् रतिस ् थापित होकर लुप ् त हो जाति हैं. यह परिवर ् तन हर 25 साल में होता है, 40 साल लंबे अंतरछादित चक ् रों में. यह सिद ् धांत सभी तरह की तकनीकों पर लागु होता है. इसमें ध ् यान देने वाली बात — यानी गति, माफ कीजिए, तीव ् र-गति से यात ् रा इन प ् रवर ् तन चक ् रों का शीर ् षक है. यहाँ ऎसा कुछ भी नही ़ है. इन दो नये विमानों की गति उतनी ही है जितनी 1958 के DC8 की. मुद ् दे की बात यह है कि ये प ् रवर ् तन चक ् र आपको उपलब ् द ् ध नहीं होंगे अगर सरकार ही उन ् हे बनाए और सरकार ही उनका प ् रयोग करे. इसका सबसे अच ् छा उदाहरण है 'DARPA नेट' (प ् राथमिक नेटवर ् क जिससे आजके ईंटरनेट का विकास हुआ) कंप ् युटरों का पहले इस ् तेमाल युद ् ध सामग ् रीयों के लिए किया गया, फिर IRS (करारोपण और कर संग ् रहण देखने वाली अमरीकि सरकारी एजेन ् सी) के लिए. पर जब हमें वो मिली, तो हमने हर कार ् य क ् षेत ् र में उसका पूरा लाभ उठाया. ये काम निजी क ् षेत ् र का होता है. ये ध ् यान में रखियेगा. मैंने प ् रवर ् तन को — मैंने अंतरिक ् ष के विषय पर प ् रवर ् तन चक ् रों की खोज की, और मुझे कुछ नहीं मिला. उसी साल जिस साल गैगारिन ने अंतरिक ् ष यात ् रा की, और उसके चंद हफ ् तों बाद एलन शेफर ् ड ने भी, पूरे विश ् व से पाँच मानव चालित यान अंतरिक ् ष में छोड ़ े गए थे, पहले ही साल में. 2003 में अमरीका ने जितने भी व ् यक ् ति अंतरिक ् ष में भेजे, सभी मारे गए. 2003 में केवल तीन या चार उड ़ ाने भरी गईं थी. 2004 में, केवल दो उड ़ ानें भरी गईं: दो रूसी सोयूज़ विमान जो कि अंतर ् राष ् ट ् रिय मानव चालित स ् टेशन में भेजी गईं. पर मुझे मोहावे में तीन उड ़ ानें अपने चौबीस लोगों के छोटे से दल को लेकर भरनी पड ़ ी ताकि कुल उड ़ ानों की संख ् या पाचँ तक पहुँच सके, जो कि 1961 में भरी उड ़ ानों के बराबर था. कोई बढ ़ ौतरी नहीं. कोई हलचल नही. कुछ भी नहीं. ये 'स ् पेस शिप वन' से खींची हुई तस ् वीर है. इस तस ् वीर को औरबिट (अंतरिक ् ष यान का कक ् षपथ) से खींचा गया. हमारा उद ् देश ् य यह है कि हम वहाँ तक पहुँच सकें ताकि आप इस तस ् वीर का आनंद उठा सकें. आज हम कक ् षाओं से नीचे भी सुरक ् षित उड ़ ान भर सकते हैं. कम से कम पहले दौर के वायु-यानों में उड ़ ान जितनी सुरक ् षा के साथ. अब मैं यह ् बताना चाहूँगा कि कैसे एक छोटी कंपनी होने के बावजूद हमने हिम ् मत दिखाई. तो, आगे क ् या होने वाला है? उद ् योग के शुरुवाती दौर में काम की मात ् रा अधिक होगी, और उद ् योग में निवेश करने वालों की भी. पिछले हफ ् ते ही एक और नए निवेश की घोषणा हुई. और ये सब कक ् षा के नीचे उड ़ ने वाली उड ़ ानों के लिए होगा. ऎसा इसलिए होगा, क ् योंकि हमारे पास सुरक ् षा के पर ् याप ् त साधन नहीं हैं जिससे हम आम जनता को कक ् षाओं में उड ़ ान भरवा सकें. ये काम सरकार कर रही है — तीन सरकारें 45 सालों से कर रही हैं, फिर भी वायुमण ् डल के बाहर जाने वाले चार फिसदी लोगों की मौत हुई है. तो — आप सुरक ् षा के ऎसे परिणाम लेकर व ् यवसाय चलाना नहीं चाहेंगे. यह व ् यवसाय बड ़ े पैमाने का होगा, हमें लगता है कि 2020 तक क ़ रीब 1,00,000 लोग ऎसी उड ़ ानें भरेंगे. ये कब शुरु होगा मैं आपको नहीं बता सकता, क ् योंकि मैं अपने प ् रतिद ् वन ् द ् वियों को मेरे कार ् यक ् रम की जानकारी नहीं देना चाहूँगा. पर मुझे लगता है कि एक बार ये शुरु हो जाए, हमें रास ् ते मिलने लगेंगे. और बहुत जल ् द, आपको कक ् षा में ही होटल, रिसॉर ् ट मिलने लगेंगे. बहुत आसानी से आप चाँद का चक ् कर लगा कर उसके नज़ारे का आनंद उठा पाएंगे. बहुत दिलचस ् प मामला होगा. चूँकि चाँद में वायुमण ् डल नहीं है — आप चाहें तो उससे सिर ् फ 10 फीट की दूरी पर उसकी अण ् डाकार परिक ् रमा भी लगा सकते हैं. ओह, बड ़ ा मज़ा आएगा. (ठहाका) ओके. मेरे आलोचक कहते हैं कि 'ये रूटान तो बस अमीरों के पैसों से अमीरों के मौज का सफर जुटाने में लगा है. ये सब है क ् या? ये कोई सफर का ज़रीया नहीं, बल ् कि केवल मनोरंजन का साधन है. "" मुझे ये सुनकर तक ़ लीफ होती थी, पर तब मैंने सोचा, एक मिनट. मैंने अपना पहला एपल कंप ् युटर 1978 में ख ़ रीदा था और इसलिए ख ़ रीदा था ताकि मैं कह सकूँ कि, "" मेरे घर में कंप ् युटर है और तुम ् हारे घर नहीं. "" आप उससे क ् या करते हैं? "" आई देखिए. उससे फ ् रॉगर (एक कंप ् युटर गेम) खेल सकते हैं. "" ओके. (ठहाका) बैंक या लौकहीड का कंप ् युटर नहीं, घर का कंप ् युटर सिर ् फ गेम ् स खेलने के लिए था. एक पूरे दशक तक कंप ् युटर सिर ् फ मनोरंजन के लिए था — हमें ये भी नहीं पता था कि इसका क ् या इस ् तेमाल हो. पर इसके बाद जो हुआ, हम जो इतना बड ़ ा उद ् योग खड ़ ा कर पाए, ज़ ् यादा विकास, बड ़ े सुधार, अधिक सक ् षमता, और भी ऎसा बहुत कुछ, और जैसे जैसे कंप ् युटर ज़ ् यादा से ज़ ् यादा घरों में पहुँचने लगा, उसने हमें नए आविष ् कारों के लिए तैयार कर दिया. और ये आविष ् कारक इन श ् रोताओं में से कोई भी हो सकता है. अल गोर ने इंटरनेट का आविष ् कार किया और उसी की वजह से, जिसका की हमने पूरे एक साल — माफ कीजिएगा, जिसका पूरे एक दशक तक हमने सिर ् फ मनोरंजन के इस ् तेमाल किया, हमारा सब कुछ बन गया — हमारा वाणिज ् य, हमारा अनुसंधान, हमारा संपर ् क-साधन और, अगर गुगल के लोगों को बस दो हफ ् ते और सोचने दें, तो इस सूची में दर ् जन भर चीज़ें और जुड ़ जाएँगी. जल ् द ही ऎसे दिन भी आएँगे जब हम बच ् चों को विश ् वास नहीं दिला पाएँगे कि हमेशा हमारे घरों में कंप ् युटर नहीं हुआ करते थे. तो, मनोरंजन का समर ् थन किया ही जा सकता है. ओके, मैं अब आपको एक व ् यस ् त सा चार ् ट दिखाना चाहूँगा, जिसमें कि मैंने बताने चाहा है कि भविष ् य में क ् या होने वाला है. और यहाँ ये अपने साथ एक विषय और सामने लाता है. कुछ लोग हैं जो आगे आए हैं — आप उनमें से हर किसी को नहीं जानते — पर जो लोग सामने आए हैं उन ् हें उनके बचपन में, यही, तीन से 15 साल की उमर में हमारे उस दौरान की अंतरिक ् ष और चाँद की यात ् रा से प ् रेरणा मिली थी पॉल ऎलेन, एलान मस ् क, रिचार ् ड ब ् रैन ् सन, जेफ बेज़ोस, अन ् सारी परिवार जो कि अब रूसी उप-कक ् षाओं की उड ़ ानों के लिए आर ् थिक मदद दे रहे हैं. बॉब बिजेलौ, एक निजी स ् पेस स ् टेशन और कार ् माक. ये लोग पैसे लेकर उसे एक दिलच ् स ् प क ् षेत ् र में लगा रहे हैं, जो मेरे हिसाब से किसी बेहतर सेल-फोन या ऎसी किसी चीज़ में लगाने से अच ् छा है — पर ये इसे बहुत ही [अस ् पष ् ट] क ् षेत ् रों में लगा रहे हैं जो हमें इतना क ़ ाबिल बना देगी, कि हम अगली बड ़ ी सीढ ़ ी तक पहुँच सकें, और नए आयामों को ढूँढ सकें. मुझे लगता है, कालांतर में संघबद ् ध होने में और अवलुप ् ति से बचने में भी सहायक होगी. ये लोग बड ़ ी उन ् नतियों से प ् रेरित हुए थे. पर ज़रा उस समय के बाद हुए विकास को देखिए. यहाँ दो उदाहरण देखे जा सकते हैं. मिलिटरी सैनिकों के पास सबसे बेहतरीन मिलिटरी विमान SR71 था. इस विमान ने अपना जीवन चक ् र पूरा किया, पुराना होकर उड ़ ने के अयोग ् य हो गया, और तब इसे सेवा से हटा दिया गया. कॉनकार ् ड ने हवाई यात ् रा की गति को दुगना कर दिया. उसने अपना पूरा जीवन-चक ् र बिना प ् रतिस ् पर ् धा के पूरा किया; और फिर उसे सेवा से हटा लिया गया. और आज भी हम मिलिटरी विमानों की वही पुरानी क ् षमता पर ठहरे हुए हैं, उसी व ् यवसायिक हवाई यात ् रा पद ् धति का उपयोग कर रहे हैं जो हम '50 वी दशक के आखिर में किया करते थे. पर आज हमारे बच ् चों को प ् रोत ् साहित करने के लिए हमारे पास कुछ नया है. चाहे आपका बच ् चा एकदम शिशु हो या 10-साल तक की उमर तक का. कुछ बहुत ही अद ् भुत चीज़ें होने वाली हैं. जल ् द ही, आप टिकट ख ़ रीद कर आज के सबसे अच ् छे मिलिटरी विमानों से ज़ ् यादा ऊँची और ज़ ् यादा तेज़ उड ़ ान भर सकेंगे. ऎसा पहले कभी नहीं हुआ. अपनी कार ् य-क ् षमता को एक स ् तर पर लाकर ठहर जाने की वजह यही (सोच) है कि भई, अगर आप 12 मिनट में कोई युद ् ध जीत सकते हैं, तो इससे बेहतर करने की ज़रूरत क ् या है? पर जब आप लोग टिकट ख ़ रीद कर अंतरिक ् ष में कक ् षा से नीचे की उड ़ ाने भरने लगेंगे, बहुत ही जल ् द — एक मिनट, देखिए, हमारे पास कक ् षा से नीचे उड ़ ने वाले मिलिटरी विमान भी होंगे और बहुत ही जल ् द ये सुविधा भी. पर इसमें ग ़ ौर करने वाली बात ये है, कि पहले व ् यवसायिक लोग ये काम करेंगे. ओके, मैं उम ् मीद कर रहा हूँ एक ऎसे दौर की, जिसे चाहे तो आप नया 'पूँजिवादी अंतरिक ् ष प ् रतिस ् पर ् धा' कह सकते हैं. आप को याद होगा, '60 के द ् शक की अंतरिक ् ष प ् रतिस ् पर ् धा देशाभिमान का मुद ् दा था, पर उसमें हम पहले दो चरण हार गए. हमारी हार तकनीकि कारणों से नहीं थी. चूँकि हमारे पास वो सारे संसाधन मौजूद थे, जिससे हम अंतरिक ् ष यान कक ् षा में भेज सकें, जो कि हमने वॉन ब ् रौन को अंतरिक ् ष में भेज कर सिद ् ध भी किया, यही बताते हैं कि ये हार तकनीकि नहीं थी. स ् पुटनिक तकनीकि हार नहीं, बल ् कि प ् रतिष ् ठा की हार थी. अमरीका — विश ् व ने देखा अमरीका तकनीक में सबसे आगे नहीं है, और ये बहुत बड ़ ी बात है. हमने गैगारिन की अंतरिक ् ष यात ् रा के कुछ ही हफ ् तों के अंदर ऎलन शेफर ् ड को अंतरिक ् ष भेजा, महीनों या दशकों बाद नहीं. तो वो क ् षमता थी हमारे पास. पर अमरीका हार गया. हम हार गए. और इस वजह से, अपनी प ् रतिष ् ठा फिर स ् थापित करने के लिए हमने बहुत बड ़ ी छलांग लगाई. फिर भी, मुद ् दे की बात यही है कि हम पहले ही रूसियों से शुरु के दो मक ़ ाम हार चुके हैं. आप आज भी अंतरिक ् ष की यात ् रा का टिकट अमरीका में नहीं ख ़ रीद सकते — पर आप उसे रशिया में ख ़ रीद सकते हैं. आप रूसी संसाधनों से अंतरिक ् ष यात ् रा कर सकते हैं, जो कि इस लिए उपलब ् द ् ध है क ् योंकि रूसी अंतरिक ् ष कार ् यक ् रम में धन की ज़बरदस ् त कमी है, और एक सीट के बदले बीस मिलियन डॉलर की राशि का वो खुले दिल से स ् वागत करेंगे. ये विशुद ् ध व ् यवसाय है. इसे आप अंतरिक ् ष पर ् यटन भी कह सकते हें. ये लोग चाँद के चारों ओर दौरा लगाने का भी प ् रस ् ताव रख रहे हैं, जैसे एपोलो आठ से किया गया था. 100 मिलियन डॉलर — और हाँ, मैं चाँद जा सकता हूँ. पर जैसा कि आपने '60 के दशक में सोचा होगा, जब ये अंतरिक ् ष प ् रतिस ् पर ् धा पूरे ज़ोर पर था, कि पहला आम पूँजिवादियों के तरह का काम यही टिकट ख ़ रीद कर चाँद पर जाना — ये रूसी संसाधनों के ज़रीए होगा? और क ् या आपने अंदाज़ा लगाया होगा, या रूसियों ने भी कल ् पना की होगी, कि जब वो पहली बार अपने पूर ् ण विकसित संसाधनों के ज़रीए चाँद पर जाएँ, तो उनके यान में बैठने वाला कोई रूसी नहीं होगा? बल ् कि कोई जापानी या अमरीकी करोड ़ पति होगा? सच में ये बहुत अजीब लगेगा. ख ़ ैर, मैं सोचता हूँ हमें उन ् हे फिर हराना चाहिए. मुझे लगता है कि हम एक बहुत ही सफल अंतरिक ् ष यात ् रा उद ् योग देखने वाले हैं. इसमें इस बात से कुछ आता नहीं की हम पहले हैं या नहीं. रूसियों ने कॉनकार ् ड से पहले ही आवाज़ से तेज़ गति में चलने वाला यान बना लिया था. उससे उन ् होने कुछेक मालवाही यात ् राएँ करवाईं, ओर फिर उसे सेवा से बाहर कर दिया. आप ऎसे उदाहरण वाणिज ् यिक चीज़ों में भी पाएँगे. ठीक, तो अब हम मनुष ् य के अंतरिक ् ष यात ् रा के वाणिज ् यिक पक ् ष पर बात करेंगे. ये छोटी सी चीज़ बताती है कि नासा जो 2020 में करेगी, ये उसका कम से कम पाँच गुना होगी. मैं बताना चाहूनासा जो 2020 में चाहूँगा कि अब तक विश ् व भर में कम से कम डेढ ़ बिलियन से एक दशमलव सात बिलियन डॉलर का निवेश निजी अंतरिक ् ष यात ् रा के क ् षेत ् र में हो चुका है, जिसका सरकारों से कोई सरोकार नहीं. अगर आप पढ ़ ना चाहें — गूगल में ढूँढना चाहें, आप को इससे लगभग आधे का आंकड ़ ा मिलेगा, पर असल में उससे दुगनी राशि को इस परियोजना के लिए चिन ् हित किया जा रहा है — अभी ख ़ र ् च नहीं हुई है, पर अगले चंद सालों की योजनाओं के लिए निर ् धारित की जा रही है. बहुत बड ़ ी राशि है. मेरा अनुमान है कि ये उद ् योग बहुत ही लाभजनक होगा — फायदा होना ही है जब आप लोगों से 200,000 डॉलर लेकर उन ् हें यात ् रा करवाएँ जबकि पूरी व ् यवस ् था को चलाने का ख ़ र ् च केवल उसका दसवां हिस ् सा हो, या उससे भी कम — बहुत फायदे का सौदा है. मेरा अनुमान ये भी है कि इसमें होने वाला निवेश उस राशि के आधे से भी कम होगा जो अमरीकी करदाता नासा के मानव चालित अंतरिक ् ष यान के काम में ख ़ र ् च करता है. और तुलनात ् मक रूप से इस काम में लगने वाले हर डॉलर का कम से कम 10 से 15 गुणा बेहतर इस ् तेमाल होगा. इसके मायने ये होंगे कि हमारे ठीक से समझने के पहले ही, इंसान की अंतरिक ् ष यात ् रा में प ् रगति, बिना करदाताओं के पैसे के, कम से कम पाँच गुना हो जाएगी नासा के आज के इंसानी अंतरिक ् ष यात ् रा के लिए बनाए गए बजटों से. और इसका सीधा सा कारण हैं हम. निजी उद ् योग. आप इस तरह की चीज़ों के लिए कभी सरकार पर आश ् रित नहीं हो सकते — हम ये बहुत दिनों से करते आए हैं. नासा के पहले NACA (पहले की सरकारी कमीटी जो वैमानिकी में अमरीकी सरकार को परामर ् श देती थी) ने न तो किसी विमान को बनाया और न ही किसी विमान संस ् था को चलाया. पर नासा अंतरिक ् ष यान बना रही है, हमेशा से बनाती आई है, और अंतरिक ् ष यात ् रा का ज़रीया केवल उन ् ही को उपलब ् द ् ध है. पर हम उससे बचते आए हैं क ् योंकि हमें उससे डर लगता है. लेकिन जून 2004 के बाद, जब मैंने दिखाया कि एक छोटा सा दल भी ये काम कर सकता है, जिससए उसकी स ् थापना की शुरुवात होती है, उस समय से सब कुछ बदल गया. ओके, बहुत धन ् यवाद आप सभी का. (तालियाँ) सब कुछ जुड ़ ा हुआ है । शिनाकौक इंडियन समुदाय में पैदा होने के कारन, बचपन से ही यह मुझे समझाया गया था । हम एक छोटे से मछली पकड ़ ने के जनजाति हैं अमेरिका के लांग आईलैंड के दक ् षिणी सिरे पर स ् थित न ् यूयॉर ् क में साउथेम ् प ् टन के शहर के पास । जब मैं छोटी थी, एक दिन गर ् मी के मौसम में मेरे दादाजी मुझे बाहर धूप में बैठने ले गये । आसमान में कोई बादल नहीं थे । और कुछ समय बाद मुझे पसीना आने लगा । और, दादाजी आकाश की ओर दिखाते हुए कहा, "" देखो, तुमहे दिख रहा हैं? वह तुम ् हारा एक हिस ् सा है । तुम ् हारा पसीना बादल बनाने में मदत कर रहा है पौधों के लिए बारिश हो जाता है जानवरों को खिलाता है । "" प ् रकृति के विषयों के मेरे निरंतर अन ् वेषण में सब कुछ एक दूसरे से सम ् बंदिथ होने का उदाहरण देता है मैंने 2008 में तूफानों का पीछा करना शुरू किया था मेरी बेटी के कहने पर, "" माँ, तुम ् हे यह करना चाहिए । "" और तीन दिन बाद, एक गाड ़ ी को तेजी से चलते हुए, मैंने अपने आप को सुपर सेल नामक एक विशाल बादल का पीछा करते हुए पाया जिसमे अंगूर के साइज़ का ओलों उत ् पादन करने की क ् षमता थी और शानदार बवंडर, हालांकि केवल दो प ् रतिशत वास ् तव में करते हैं । ये बादलों 50 मील चौड ़ ा हो सकते हैं और वातावरण में 65000 फीट तक पहुँच सकते हैं इतना बड ़ ा बन सकता है, कि दिन के उजाले के बीच में आ सकता है बहुत ही अंधेरा और अजीब वातावरण होता है उनके नीचे तूफान का पीछा करते हुए एक बहुत स ् पर ् श अनुभव है । वहाँ एक गर ् म, नम हवा अपनी पीठ पर बह रही होती है और मिट ् टी, गेहूं, घास की गंध । और तब वहाँ बादलों में रंग होते हैं हरे और नीले. मैंने बिजली का सम ् मान करना सीखा है. मेरे बाल सीधे हो जाते थे. (हँसी) मैं मजाक कर रही हूँ । (हँसी) वास ् तव में इन तूफानों के बारे में मुझे उनके आंदोलन, चक ् कर, स ् पिन और लहराना, उत ् तेजित करते है उनके रंगीन बादल. वे बहुत ही प ् यारे राक ् षस बन जाते हैं. जब में उनकी फोटो लेते हूँ, मुझे दादाजी की वोह बात याद आती है जब मैं उनके नीचे कड़ी होती हूँ, मुझे सिर ् फ एक बादल नहीं दिख ् ता हैं, मेरा ये सौभाग ् य है की यह वही शक ् ति है जिसने हमारी आकाशगंगा, हमारे सौर प ् रणाली, हमारे सूरज बनाया है और यहां तक ​ ​ कि यह पृथ ् वी ग ् रह. मेरे सभी संबंधी । धन ् यवाद. (तालियाँ) और उनके साथ में आनादित होते थे मै उस रिचर ् ड फेय ् न ् मन के बारे में बताऊंगा जिन ् हें मैं जानता था मैं उन व ् याख ् यानों में भी भी सौभाग ् य से शामिल था. एक और विशाल अहंकारी के लिए जगह थी (हंसी) तो उसने दो दार ् शनिकों को भी बुलाया था. की वो इसे भी दर ् शन शास ् त ् र की तरह देख रहे थे जबकी उन ् हें विज ् ञानं के बारे में विचार करना चाहिए किसी समय दिक ् आश ् वस ् त हो गया और मैंने कहा "" मेरे असली हीरो पिताजी थे "". पिछले साल, हर कोई एक ही शो देख रहा था, मैं किसी टीवी शो की बात नहीं कर रही, मैं बात कर रही हुँ एक सत ् य और भयानक घटनाचक ् र की जो बाडीही चित ् ताकर ् षक साबित हुयी है । यह शो खुनियों ने बनाया है! और इंटरनेट के द ् वारा दुनियाभर में देखा गया है । उनके नाम अब जाने पहचाने से हो गए है: जेम ् स फोली, स ् टीवन सौतलोफ ् फ़, डेविड हैंस, एलन हेनिंग, पीटर केसिग हरुना युकवा, केंजी गोटो जोगो इनका 'इस ् लामिक स ् टेट' द ् वारा किया गया शिरच ् छेद बेहद ही जंगली था, मगर यह सोचना की वे आदिम थे किसी पुराने ज़माने से तो गलत होगाI वह अनूठे आधुनिक किस ् म के थे, क ् योंकि उन ् होंने अच ् छी तरह से ये समझ लिया था की लाखों लोग इसे देखना चाहेंगे । सुर ् खियोंने उन ् हें वहशी और जंगली बताया । क ् योंकि एक चित ् र जहा एक व ् यक ् ति दूसरे व ् यक ् ति पर हावी हो रहा है, चाकू से उसका गला काट रहा है, हमारे प ् राचीन और आदिम प ् रथाओं की कल ् पना से मेल खाता है, जो हमारी संस ् कृत और शहरी जिंदगी से बील ् कुल उल ् टा है । हम ऐसी हरकते नहीं करते । पर यही तो विचित ् र है । हमें लगता है की शिरच ् छेद से हमारा कोई लेना देना नहीं, जब की हम उसे देखने हेतु बटन दबाते है । लेकिन हमारा उससे लेना देना है । इस ् लामिक स ् टेट द ् वारा शिरच ् छेद यह कोई प ् राचीन या दुर ् गम घटना नहीं । यह वैश ् विक, इक ् कीसवी शताब ् दी की घटना है, इक ् कीसवी शताब ् दी की घटना हमारे बैठकखाने में, हमारे मेज़ पर, हमरे कंप ् यूटर पर घटित होती है । वे पूरी तरह से निर ् भर है आधुनिक तकनीक पर, हम से जुड़ने के लिए । और हमें पसंद हो या न हो, जो कोई इस शो को देखता है, वह उसका हिस ् सा है । और बोहोतसे लोग देखते है । अचूक संख ् या पता नहीं । और पता लगाना भी मुश ् किल है । पर जब इंग ् लैंड में मतदान हुआ, अगस ् त २०१४ को, तो पाया गया की १२ लाख लोगोंने, जेम ् स फोले का शिरच ् छेद होते देखा । ठीक उसके प ् रकाशित होने के बाद । वह भी सिर ् फ पहले कुछ दिनों में । और यह सिर ् फ इंग ् लैंड की बात है । एक वैसाही मतदान अमेरिका में भी हुआ, नवम ् बर २०१४ को । पता लगा की उनमे से नौ प ् रतिशत लोगों ने, शिरच ् छेद के व ् हिडीओ देखे । और अगले २३ प ् रतिशत लोगोने व ् हिडीओ देखे मगर ठीक मौत दिखाने से पहले देखना बंद कर दिए । नौ प ् रतिशत एक अल ् पसंख ् या हो सकती है उन लोगोंमें जो ऐसी वीडियोस देख सकते थे, मगर फिर भी यह एक बड़ी संख ् या है । और यह संख ् या हर वक ् त बढ़ती जा रही है, क ् योंकि हर सप ् ताह, हर वक ् त, ज ् यादा से ज ् यादा लोग डाउनलोड करते रहेंगे और देखते रहेंगे । अगर ११ साल पीछे जाये, यु ट ् यूब और फेसबुक जैसी साइट ् स जन ् म लेने से पहले, तब भी कुछ ऐसीही कहानी थी । जब कुछ मासूम नागरिक जैसे,वो व ् हिडीओ 'इराक वॉर' दरमियान दिखाए गए । निक बर ् ग का क़त ् ल जल ् द ही इंटरनेट पर सब से ज ् यादा खोजे जाने वाले विषयों में एक बन गया । एक दिन के अंदर यह विषय गूगल, लाइकोस, याहू जैसे साइट ् स पर सबसे ज ् यादा खोजा गया । निक बर ् ग के क़त ् ल के एक सप ् ताह बाद, ये विषय अमेरिका में पहले १० में खोजे जाने वाले बन गए. बर ् ग का कत ् ल पुरे एक सप ् ताह इंटरनेट पर सबसे ज ् यादा प ् रसिद ् ध रहा, और वह एक पूरा मई महीना, दूसरा सबसे ज ् यादा प ् रसिद ् ध विषय बन गया । उसके बाद सिर ् फ 'अमेरिकन आइडल' इस टीवी शो का नंबर आता है । 'अल कायदा' से जुडी वेबसाइट जिसने सबसे पहले निक बर ् ग का क़त ् ल दिखाया, बंद करनी पड़ी, क ् योकि वहा काफी भीड़ हो चली थी । एक डच वेबसाइट के मालक ने बताया की उसकी रोजाना देखे जाने का अकड़ा ३०,००० से ७५०,००० तक जा पंहुचा जब भी इराक में क़त ् ल दिखाया जाता तब । उसने १८ महीने बाद संवाददाताओं को बताया की, वह वीडियोस लाखो बार डाउनलोड भी किये गए है । और यह सिर ् फ एक वेबसाइट की बात है । ऐसा स ् वरुप बारबार देखा गया जब क़त ् ल के व ् हिडीओ 'इराक वॉर' दरम ् यान प ् रकाशित किये गए । सोशल मीडिया इसे देखने का आसान ज़रिया बन गया, पर जब हम इतिहास में पीछे मुडकर देखे, तो पता लगेगा की कैमरा ने सबसे पहले अनोखी भीड जमा की हमारे शिरच ् छेद के इतिहास में, एक तमाशे के रूप में । जैसे ही कैमरा का अविष ् कार हुवा, पुरे कालचक ् र पूर ् व, १७ जून, १९३९ में, उसका एक विशेष प ् रभाव पड़ गया । उस दिन, शिरच ् छेद का वीडियो पहले फ ् रांस में बनाया गया । वह शिरच ् छेद का मृत ् यु दंड था एक जर ् मन सीरियल किलर, युजिन वाईग ् मन का वेर ् सल ् लिएस के सेंट-पिएर ् रे नामक कारागृह के बाहार । वाईग ् मन का शिरच ् छेद सुबह होते ही होने वाला था, वह उस समय पारम ् परिक था, पर मृत ् यु दंड देने वाला काम पर नया था । और उसने सोचा की वह काम करने मे उसे ज ् यादा वक ् त नहीं लगेगा । तो वाईग ् मन का सुबह ४: ३० बजे शिरच ् छेद किया गया । उस समय जून के सुबह, फोटोग ् राफ ् स लेने जितना प ् रकाश तो था ही, भीड़ में देखनेवालोंने उसका चित ् रण किया, वह प ् राधिकारियोंसे अनजान थे । बहोतसे फोटोस भी लिए गए, और आप अब भी उसका विडिओ ऑनलाइन देख सकते है और फोटोज भी देख सकते है । वाईग ् मन के मृत ् युदंड के समय की भीड़ को प ् रेस ने 'असभ ् य' और 'घिनौना' बताया, पर यह कुछ भी नहीं उन अनकहे हज़ारों लोगों के मुकाबले जो अब उस कार ् य का अभ ् यास भी कर सकते है बारबार हर एक हरकत को कैद भी कर सकते है । कॅमेराने शायद इन दॄष ् योंको अब ज ् यादा सुलभ बनाया, पर यह सिर ् फ कॅमेरा की बात नहीं है । अगर हम पीछे इतिहास में बड़ी छलांग ले, हम देखेंगे की जब भी जनता की अदालत में मृत ् युदंड दिए गए, तब तब बहोत भीड़ हुई उसे देखने हेतु । लंडन में कुछ १९ वी शताब ् दी की शुरुवात में, वहां ४ या ५ हज़ार लोग आये थे एक अच ् छे स ् तर की फांसी देखें के लिए । एक प ् रसिद ् ध खुनी को देखने ४०,००० या ५०,००० लोग आ सकते है । और शिरच ् छेद उस समय इंग ् लैंड में नया था, तो और ज ् यादा आकर ् षण हुआ । मई १८२० को, पांच आदमी कैटो स ् ट ् रीट कांस ् पिरेटर इस नाम से जाने जाते थे उन ् हें मृत ् युदंड दिया गया ब ् रिटिश सरकार सदस ् यो की हत ् या के षड़यंत ् र में । वे लटकाये जाने के बाद सिर कटवाए गए । वह घृणास ् पद दृष ् य था । एक के बाद एक सिर उखाड़के लोगोंको दिखाया गया । और १००,००० लोग जो की वेम ् बली स ् टेडियम में फिट भी नहीं हो पा रहे थे, देखने के लिए खड़े हो गए । सड़के भर गयी थी । लोगोंने खिड़किया और छत की चोटी को भाड़े से लिया । लोग सड़क पर खडी गाड़ियों पर चढ़ गए । लोग दीपक पदोंपर चढ़ गए । जाना गया है की उस प ् रसिद ् ध दिन कुछ लोग भीड़ में दबकर मारे गए । प ् रमाण दिखाते है की हमारे पुरे इतिहास में सार ् वजनिक शिरच ् छेद और मृत ् युदंड के समय, जो लोग देखने आये थे वे या तो उत ् साही थे या यूँ कहे संवेदनहीन थे । उनमे घृणा तुलनात ् मक दृषिकोण से कुछ काम थी । और जब लोग घृणा और भयाकुल से भरे भी हो, तब भी वह उन ् हें ये सब साथमें देखने से रोक नहीं सकता । शायद एक बड़ा उदहारण होगा इंसान के गुण का, जो शिरच ् छेद देखता है और उसे दुःख तक नहीं होता और अफ़सोस तो दूर की बात वह उदाहरण है फ ् रांस में १७९२ में गिलोटिन इस मशीन के दिखावे का, एक प ् रसिद ् ध सिर कलम करने वाली मशीन । हमें आज २१ वी सदी में, गिलोटिन एक शैतानी करामात लगेगी, पर जब पहले लोगोंकी भीड़ ने उसे देखा तो वे निराश हो गए । वे ऐसी चीजे देखते थे जहा लम ् बी और बड़ी दर ् ददायक सज़ा दी जाती हो, जिस पर लोगों की काट-छांट की जाती और धीरे से उन ् हें तोडा जाता । उनको गिलोटिन का कार ् य देखना बडा हि तेज था, और देखने लायक कुछ भी नहीं था । ब ् लेड गिरती है और उसके बाद बास ् केट में सिर गिरता है और मालूम भी नहीं होता, और वे लोग चिल ् लाते है, "हमें हमारी मचान वापस दो, हमें हमारी लकड़ी की मचान वापस दो" सार ् वजनिक दर ् ददायक मृत ् युदंड का यूरोप और अमेरिका में अंत होना थोड़ा गुनहगारों के साथ इंसानियत दिखाना था, और थोड़ा इसलिए की, लोगोंने बिल ् कुल नकार दिया था बरताव करना जैसा की उन ् होंने करना चाहिए । बहोत बार, मृत ् यु दंड एक गंभीर रसम से ज ् यादा एक आनंदोत ् सव बन गया था । आज, अमेरिका और यूरोप में मृत ् युदंड सोचनेपर मजबूर नहीं करता, लेकिन कुछ घटनाएँ ऐसीभी है जब हम सतर ् क हो जाते है हमारी सोच पर की अब बात अलग है और हम अब वैसी हरकते नहीं करते । उदहारण के तौर पर, आत ् महत ् या को उकसानेवाली घटनाए लीजिये । जब लोग जमा होते है एक व ् यक ् ति को देखने जो ईमारत के शिखर पर चढ़ा है खुद को ख़त ् म करने हेतु, और निचे लोग चिल ् लाते और ताने मारते है, "चलो अब कूदो भी, जल ् दी कूदो!" यह बात तो सबको पताही है । १९८१ में एक वर ् तमान पत ् र ने पाया की २१ में से १० आत ् महत ् या की कोशिशों मे, आत ् महत ् या को उकसानेवाली और भीड़ में से ताना मारनेवाली घटनाएँ थी । और ऐसीही घटनाएँ इस साल भी पायी गई है । यह घटना बहोत बार पायी गई है टेलफ़ोर ् ड और श ् रोप ् षायर मे इसी साल के मार ् च महीने में । और जब ये आज के समय घटता है, तो लोग फ़ोन पर उसका फोटो और व ् हिडीओ लेने चले आते है और इंटरनेट पर भी डालते है । जब दुष ् ट खुनी लोग शिरच ् छेद के वीडिओज़ पोस ् ट करते है, तो इंटरनेट पर अजीब सी भीड़ उमड़ पड़ती है । आज घटना सुदूर स ् थान और समय पर घटित होती है, जो दर ् शक को असम ् बन ् ध की भावना महसूस करता है, पुरे अलग होने की भावना । इससे मेरा कुछ लेनदेन ही नहीं । यह तो पहलेही हो चूका है । हमें अभूतपूर ् व व ् यक ् तिगत अनुभूति का प ् रस ् ताव भी दिया जाता है । आज हम सब को पहली सीटें भी प ् रदान की जाती है । हम सब एकांत में हमारे अपने समय और जगह पर देख सकते है, और किसी को पता नहीं चलेगा की हमने क ् या देखा । यह अलगाव की भावना — दूसरे लोगोंसे, और उस घटना से भी — लगता है की यह मुख ् य बात है हमारी देखने की क ् षमता को जानने की, और बहोतसे मार ् ग है जहा इंटरनेट अलगाव की भावना बनाता है जो शायद हमारी व ् यक ् तिगत नैतिक जिम ् मेदारी को ख़त ् म करता है । बहोतबार हमारा ऑनलाइन पर बरताव हमारी असल जिंदगीसे बिलकुल भिन ् न होता है, जैसे की जो हम ऑनलाइन करते है वह कुछ कम असल होता है । हम खुद को कम जिम ् मेदार पाते है हमारी हरकत के लिए जब कभी हम ऑनलाइन होते है तब । उस वक ् त एक अनामिकता और अदृष ् यपन की भावना होती है, इसलिए हम खुद को कम जिम ् मेदार समझते है । और इंटरनेट बहोत आसानी से हमें एक से दूसरे चीज पर ले जाता है, ऐसी चीजे जो शायद हम रोज़मर ् रा की जिन ् दगीमे न करे । आज व ् हिडीओ चालू हो जाता है और वो भी बिना आपके जाने । या आपको लालसा हो वो देखने की जो आप असल जिन ् दगीमे नहीं देखते या आप वो नहीं देखेंगे जब आप किसीके साथ हो । और जब घटना पहलेसे ही रिकॉर ् ड है और दूर जगह और समय में घटित हुई है, उसे देखना कुछ गलत बात नहीं लगाती । मै इसके बारे में कुछ नहीं कर सकता । यह तो पहलेही हो चूका है । और ये सारी बाते एक इंटरनेट के यूजर के नाते आसान हो जाती है हमारे लिए यह हमारे मृत ् यु के विषय मे हमारी उत ् सुकता को शांत करना, हमारी व ् यक ् तिगत सिमारेखा से बाहर आना, और हमारी सगमेकी अनुभूति को आजमाना, उसका परिक ् षण करना बस यही है । पर हम निष ् क ् रिय नहीं होते जब हम वह देखते है । उसके उल ् टा, हम खुनी की देखे जाने की इच ् छापूर ् ति करते है । जब क़त ् ल का पीड़ित बंधा और असहाय होता है, वह बस एक प ् यादा बन जाता है उन खुनी शो का । यह किसी ट ् रॉफी से विपरीत है जो लड़ाई में जीती जाती है, जो लड़ाई को जितने की कुशलता और नसीब को दर ् शाती है, जब शिरच ् छेद दिखाया जाता है, जब वह थिएटर का एक प ् रमुख हिस ् सा होता है, खुनी को उन स ् वागतोंसे ताकत मिलती है जब वह शिरच ् छेद प ् रस ् तुत करता है । दूसरे शब ् दोंमें, देखना भी उस क ् रिया का हिस ् सा बन जाता है । घटना एकहि जगह ज ् यादा देर नहीं होती वक ् त के एक बिंदु पर वह चूका होता है और कभी हो रहा भी होता है । अब घटना खींची गयी है, समय और जगह के ढांचे में, और जो कोई वह देखता है वह उसका हिस ् सा है । हमें देखना बंद करना चाहिए, मगर हम नहीं करेंगे । इतिहास बताता है, हम नहीं करते, और खुनी भी यह जानते है । धन ् यवाद । (तालियाँ) ब ् रूनो गिसानी: धन ् यवाद । फिर से कहता हु । धन ् यवाद । चलो यहाँ आए, तब तक वे अगले वक ् ता के लिए तैयारी करेंगे, मै आपको एक प ् रश ् न पूछना चाहता हु जो यहाँ सभी चाहेंगे, आपको इस विषय में रूचि उत ् पन ् न कैसे हुई? फ ् रांसिस लार ् सन: म ् यूजियम में काम करती थी, पिट रिवर ् स म ् यूजियम, ऑक ् सफ़ोर ् ड में, जो की प ् रसिद ् ध था साउथ अमेरिका में सिकुड़े सीरोंके प ् रदर ् शन के लिए । लोग कहते थे, "" आह, सिकुड़े सीरोंका म ् यूजियम, सिकुड़े सीरोंका म ् यूजियम! "" और उस समय मै खोपडियोंके वैज ् ञानिक संग ् रहों के इतिहासपर काम कर रही थी । मै कपालीय संग ् रहों पर काम कर रही थी, और वह मेरे मन को लगा की लोग यहाँ घिनौने, आदिम और वहशी संस ् कृति को देखने आते है वे सारे लोग अजीब सपनोमे खो जाते है बिना यह समझे की वे क ् या देख रहे है, और ये सभी बहोतसे मतलब हजारोंगुणा आए ख़ोपड़िया हमारे म ् यूजियम में पुरे यूरोप और प ् रांतोंसे आये हुए जैसे की भर रहे हो एक ज ् ञान के खोज को जो वैज ् ञानिक तर ् क से जुड़ा है । तो मुझे उसे थोड़ा मोड़नेकी इच ् छा हुई और कहने की, "" देखो हमारी तरफ । "" हम इन सिकुड़े खोपडियों को कांच की धानी से देख रहे है । चलो देखे हमारे इतिहास और हमारी इनसे जुडी सांस ् कृतिक उत ् सुकता पर । ब ् रू गि: यह बताने के लिए धन ् यवाद । फ ् रा ला: धन ् यवाद । (तालियाँ) ऐसे राजपर मै विश ् वास करती हू जो बडे सुखेमेभी ज ् यादा फसलों का उत ् पादन करत है. जो दुनिया में खाद ् य सुरक ् षा प ् रदान करने के लिए किसी तरह जाना चाहिए, जिसमे मृतवत वनस ् पती को जीवनदान मिले, एक अत ् यंत सूखे राज ् य में, यहाँ चित ् र किया गया | आप सोचते होंगे कि ये पौधे मरे हुये दिखते हैँ, लेकिन वे नहीँ हैँ | उनको पानी दीजिये, और वे 12 से 48 घंटोँ मेँ जी उठेंगे, हरे हो जायेंगे, बढना शुरू करेंगे | अब, मैँ ने क ् योँ सुझाव दिया कि सूखा सहिष ् णु फसलों के उत ् पादन खाद ् य सुरक ् षा प ् रदान करने की दिशा में जायेगा? खैर, अभी दुनिया की जनसंख ् या लगभग 7 अरब हैँ | और ये अंदाजा लगाया जाता है कि 2050 तक, अफ ् रीका में हो रहा इस वृद ् धि का थोक के साथ, हम 9 और 10 अरब लोगोँ के बीच मेँ होंगे | खाद ् य और कृषि दुनिया के संगठनों ने सुझाव दिया कि उस मांग को पूरा करने के लिये हमेँ वर ् तमान क ् रुषि अभ ् यास मेँ 70 प ् रतिशत की व ् रुद ् धी चाहिये | यह देखते हुए पौधों कि खाद ् य श ् रृंखला के आधार पर कर रहे हैं, उसमेँ अधिक पौधोँ से आना चाहिये | उस 70 प ् रतिशत जलवायु परिवर ् तन के संभावित प ् रभावको ध ् यान में नहीं लेता है । ये सब डाय से किया गया एक अध ् ययन जो 2011 मेँ प ् रकाशित हुआ से लिया गया है, जहाँ उसने ध ् यान मेँ लिया जलवायु परिवर ् तन के सभी संभावित प ् रभाव और अन ् य बात के बीच- उन ् हें व ् यक ् त किया - बारिश की कमी या अभाव के कारण शुष ् कता की व ् रुद ् धी हुई है | यहाँ जो जगह लाल मेँ दिखाये गये, वो जगह थोडे दिन पहले तक खेती-बाडी केलिये सफलतापूर ् वक इस ् तेमाल किये जारहे थे, लेकिन बारिश की कमी के कारण अभी इस ् तेमाल नही होते | यह स ् थिति 2050 में होने की भविष ् यवाणी की है | अफ ् रीका के ज ् यादातर, वास ् तव में, दुनिया की अधिक भाग, मुसीबत में होने जा रहा है । हम खाद ् य उत ् पादन के कुछ बहुत चालाक तरीके के बारे में सोचने जा रहे हैं । और बेहतर होगा, उनके बीच कुछ सूखा सहिष ् णु फसल होंगे | दूसरे बात आफ ् रिका के बारे मेँ याद रखने की है कि उनकी कृषि के अधिक भाग वर ् षा आधारित है । अब, सूखा सहिष ् णु फसलों को बनाना दुनिया में सबसे आसान बात नहीं है । और इसका कारण है पानी | पानी इस ग ् रह पर के जीवन के लिये बहुत जरूरी है | सब जीवित, सक ् रिय रूप से चयापचय करीयोवले जीव जीवाणू से लेकर आप और मैँ, मुख ् य रूप से पानी से बने हैँ | सभी जीवन प ् रतिक ् रियाओं पानी में होती हैं । और छोटी सी पानी की कमी भी मौत की परिणाम हो सकता है | आप और मैँ 65 प ् रतिशत पानी है — हम उसमेँ एक प ् रतिशत खो दिये, हम मर जायेंगे | लेकिन हम उससे बचने के लिये व ् यवहार मेँ बदलाव ला सकते हैँ | पौधे नही कर सकते | वे जमीन में फंस गये । और इसलिये पहले उदाहरण मेँ उनके पास हम से थोडा ज ् यादा पानी है, लग भग 95 .प ् रतिशत पानी, और वे हम से थोडा ज ् यादा खो सकते हैँ, जैसे 10 से लग भग70 प ् रतिशत तक प ् रजातियोँ पर निर ् भर करता है, लेकिन सिर ् फ कम समय तक | उनमेँ से ज ् यादा या तो विरोध या पानी के नुकसान से बचने की कोशिश करेंगे । तो प ् रतिरोधों के चरम उदाहरण सरस में पाया जा सकता है । वे बहुत ही आकर ् षक, छोटे हो जाते हैं, लेकिन वे ऐसे महान कीमत पर अपने पानी पर पकड ़ रखते हैँ कि वे बहुत ही धीरे से बडः जाते हैँ | पानी की कमी से बचाव के उदाहरण पेड ़ ों और झाड ़ ियों में पाए जाते हैं । बहुत गहरायी तक उनकी जडे जाती है भूमिगत पानी की आपूर ् ति हर समय पानीको उनमे प ् रवाहित करती है लिए, अपने आप को हैड ् रेटेड रखने के लिये | जो दाय ओर है वो एक बावोबाब कहलाता है | ओ ऊपर से नीचे के पेड ़ भी कहलाता है, सिर ् फ इसलिये कि उसकी जडोँ से शाखाओँ का अनुपात इतना महान है कि वे पेड को ऊपर से नीचे लगाया जैसा लगता है | और बेशक पेड की हैड ् रेशन के लिये जडोँ की जरूरत है | और शायद परिहार का सबसे आम रणनीति वार ् षिक में पाया जाता है । वार ् षिक से हमारे संयंत ् र खाद ् य आपूर ् ति के थोक बनता है । मेरे देश के पश ् चिमी तट तक, साल की ज ् यादातर भाग मेँ आप ज ् यादा वनस ् पति विकास नही देख सकते । लेकिन वसंत बारिश आयेगा, तो आपको ये मिलेगा: रेगिस ् तान के फूल | वार ् षिक मेँ रणनीति, केवल बरसात के मौसम में विकसित करने के लिए है । उस मौसम की अंत ् मेँ वे एक बीज उत ् पादन करते हैँ, जो सूखा हो, 8 से10 प ् रतिशत पानी हो, लेकिन एकदम जिंदा हो | और जो भी हो जो सूखा और फिर भी सजीव हो, उसे हम सुखाना- सहिष ् णु कहते हैँ | सूखा स ् थिति मेँ, बीज क ् या कर सकते हैं कि समय की लंबी अवधि के लिए पर ् यावरण के चरम में लेटे रहते है | अगले बार बारिष का मौसम आयेगा, वे अंकुरित होके और बढेंगे, औरपुरा चक ् र बस फिर से शुरू होगा । विस ् तार रूप से येमाना जाता है कि सुखाना सहिष ् णु बीजों का विकास भूमि परफूल वाले पौधों की या वनस ् पतियों उपनिवेशवाद और विकिरण की अनुमति दी । लेकिन वार ् षिक को वापस हमारा खाद ् य आपूर ् ति के प ् रमुख हिस ् सा बनाया | घेहूँ, चावल और मक ् का हमारा आहार अपूर ् ती मेँ 95 प ् रतिशत हिस ् सा लेते हैँ | और ये एक बहुत ही महान रणनीति है क ् योँकि कम समय की अवधि मेँ आप बहुत सारा बीज का उत ् पादन कर सकते हैँ | बीज शक ् ती से भरपूर इसीलिये वहा आहार का कालरीस बहुत हैँ, आप उन ् हे अकाल के समय के लिये जब ज ् यादा आते हैँ तब बचाके रख सकते हैँ, लेकिन एक असुविधा भी है | वनस ् पति ऊतकों, वार ् ष ् कोँ के झडोँ और पत ् तोँ मेँ, निहित प ् रतिरोध, परिहार या सहिष ् णुता विशेषताओं के माध ् यम से ज ् यादा नही हैँ | उनको उसकी जरूरत नही हैँ | वे बारिष के मौसम मेँ बढ जाते और साल भर जीवित रहने मेँ उनकी मदद करने के लिये एक बीज होता है | और कृषि के क ् षेत ् र में ठोस प ् रयास के बावजूद बेहतर गुण प ् रतिरोध, परिहार और सहिष ् णुता के साथ फसल बनाने के लिये विशेष रूप से प ् रतिरोध और परिहार क ् योँ कि हमारे पास अच ् छी नमूने हैँ उनकी काम करने की तरीका समझने के लिये — हमारे पास फिर भी ऐसे छवियाँ हैँ | आफ ् रिका मेँ मक ् का की फसल, दो हफ ् ते बिना बारिष के और वह मर गया | एक समाधान है: जी उठने की पौधे | ये पौधे 95 प ् रतिशत उनकी सेल ् युलर पानी खो सकते हैँ, एक सूखे, मरे- जैसे स ् थिति मेँ महीने से सालोँ तक रह सकते हैँ, और आप उन ् हे पानी दीजिये, वे हरे हो जायेंगे और फिर से बढना शुरू करेंगे | बीज जैसे, ये भी सुखाना सहिष ् णु हैँ । बीज जैसे ये भी पर ् यावरण की चरम स ् थिति का सामना कर सकते हैँ । और ये एक बहुत ही दुर ् लभ घटना है । वहाँ केवल 135 फूल पौधों की प ् रजातियाँ ही यह कर सकते हैं । मैँ आप को एक वीडियो दिखाने वाली हूँ इन तीन प ् रजातियों में से जी उठने की प ् रक ् रिया उस क ् रम मेँ | और सब से नीचे, समय एक की अक ् सिस है इसलिये आप देख सकते हैँ वह कितनी जल ् दी होजाता है | (तालियाँ) बहुत अद ् भुत है, है ना? इसलिये मैँ ने पिछले पंद ् रह साल वे यह कैसे करते हैँ समझने की कोशिश मेँ बिताया | ये पौधे बिना मरे सूखे कैसे हो जाते हैँ? और मैँ तरह तरह के जी उठने के पौधे पर काम किया, यहाँ दिखाया हैड ् रेटेड और सूखे स ् थिति मेँ, कई वजह से । उन मेँ से एक है कि हर पौधा एक फसल के लिये एक नमूना जैसा काम करती जिसे मैँ सूखा-सहनीय बनाना चाहती हूँ | इसलिये ऊपर बाय तरफ किनारे पर, उदाहरण के लिये, है एक घास ्, उसे एराग ् रोस ् टिस निंडेंसिस बुलाते हैँ, उसको एक नजदीकी रिस ् तेदार उसे एराग ् रोस ् टिस टेफ बुलाते हैँ — आप मेँ से बहुत लोग उसे "" टेफ ् "" की नाम से जानते — ओ इथ ् योपिया मेँ एक मूल भोजन है, यह लस- मुक ् त है, और वे कुछ हम सूखा सहिष ् णु बनाना चाहते हैं । दूसरे पौधौँ के तरफ देखने की कोई और वजह ये है कि, कम से कम पहले, मैँ ये जानना चाहती थी: वे वही काम करते हैँ क ् या? वे सब सभी पानी खोकर और जीवित रहसकने के लिये वही तंत ् र इस ् तेमाल करते हैँ? इसलिये मैँ ने सुखाना सहिष ् णुता की, एक व ् यापक समझ पाने के लिए सिस ् टम जीव विज ् ञान दृष ् टिकोण का शुरू किया जिस मेँ हम सब कुछ देखते हैँ आण ् विक पूरे संयंत ् र, इकोफिजियोलाजिकल के स ् तर पर । उदाहरण के लिये जैसे पौधे सूखते है उनके शरीर रचना तथा अतिसूक ् ष ् म अंगके बदलाव हम ट ् रांस ् क ् रिप ् टोम के तरफ देखते, जो प ् रौद ् योगिकी के लिये बस एकशब ् द जिस मे हम जींस को देखते हैँ जो सुखाने के जवाब में चालू या बंद होते रह ् ते हैँ | अधिकतर जींस प ् रोटीन के कोड होनेपर प ् रोटीओमके बारेमे सोचेंगे. सूखने के जवाब मेँ प ् रोटींस ने क ् या किया हैँ? कुछ प ् रोटींस विकर के लिये कोड करेंगे जो चयापचयक बनाते हैँ, इसलिये हमउनका विचार करेंगे | अब, ये बहुत जरूरी है क ् योँ कि पौधे जमीन मेँ फसे हुये रहते हैँ | वे एक बेहद खतरनाक रसायन जिसे मैँ अर ् सिनल बुलाती हूँ इस ् तेमाल करते हैँ उनके वतावरण के तनाव से खुद को बचाने के लिये | तो जरूरी है कि हम ये देखेँ कि सूखने की क ् रिया मेँ क ् या रसायनिक परिवर ् तन शामिल हैँ | और सब से पीछे सूक ् ष ् म स ् तर पर हम ने जो अध ् ययन किया, हम लिपिडोम पर देखा — सूखने की जवाब मेँ लिपिड परिवर ् तन | और वो भी जरूरी है क ् योँ कि सब जैविक झिल ् लियों लिपिड ् स से बनाये गये हैँ | वे झिल ् ली के रूप में लगे रहे क ् योँ कि वे पानी मेँ हैँ | पानी को निकालिये, वे झिल ् ली गिर जायेंगे | लिपिड ् स जींस को आन करने के लिये संकेत के रूप मेँ भी काम करते हैँ फिर हम ने शारीरिक और रसायनिक अध ् ययन इस ् तेमाल किया ख ् यात प ् रोटेक ् टेंट ् स का काम कोषिश और समझने के लिये जो हम ने दूसरे अध ् ययन मेँ आविष ् कार किया | और फिर सभी का उपयोग किया ये समझने के लिये पौधे अपने प ् रक ् रुतिक वातावरण मेँ कैसे बचती है | मेरा हमेशा ये मानना है कि मुझे एक ओयापक समझ की जरूरत है सुखाना सहिष ् णुता के तंत ् र का एक जैविक आवेदन के लिए सार ् थक सुझाव देने के लिये । मुझे यकीन है आप मेँ से कुछ सोचते होंगे, "" जैविक आवेदन से उनकी मतलब आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलेँ बनाने जारहे हैँ? "" और ये प ् रश ् न का उत ् तर है: ये आप के अनुवंशिक संशोधन की परिभाषा पर निर ् भर करती है | हम जो आज खाते हँ गेहूँ, चावल, और मक ् का, सभी फसल उनके पूर ् वजों से अधिक आनुवंशिक रूप से संशोधित किये गये, लेकिन हम उन ् हे अनुवंशिक रूप से संशोधित नही मानते क ् योँकि वे पारंपरिक प ् रजनन द ् वारा उत ् पादित किये जा रहे हैं । अगर आप का मतलब, क ् या मैँ फसलों में जी उठने संयंत ् र जीन डालने वाली हूँ, आप की जवाब है हाँ | समय का संक ् षेप में, हम उस दृष ् टिकोण से कोशिश की है । उचित रूप से, UCT में मेरे सहयोगियों में से कुछ, जेन ् निफर थाम ् सन, सुहैल रफुदीन, उस दृष ् टिकोण में जुट गया और मैँ बहुत जल ् द आप ् को वो डाटा दिखाने वाली हूँ | लेकिन हम एक अत ् यंत महत ् वाकांक ् षी दृष ् टिकोण पर लगने वाले हैँ, जिसमेँ हम पूरी जीन की सुइट ् स को बदलने की उद ् देश ् य मेँ हैँ जो पहले से हर एक फसल मेँ मौजूद हैँ | वे कभी चरम सूखे स ् थिती मेँ भी नही बदले | उनको GM बोलना है या नही इसका फैसला मैँ आप के ऊपर छोड ् ती हूँ | मैँ अभी आपको पहले द ् रुष ् टिकोण से कुछ डाटा देनेवाली हूँ | और ऐसे करने के लिये मुझे जींस कैसे काम करते हैँ ये थोडा सा बताना पडेगा | तो आप सभी शायद जानते होंगे कि जींस डबल-स ् ट ् रांडेड DNA से बने हैँ | वे क ् रोमोसोम ् स के अंदर कस के घुमाये गये जो आपके शरीर या पौधे के शरीर के हर सेल मेँ मौजूद हैँ | अगर आप उस DNA को पीछे घुमाओ तो, आप ् को जींस मिलेंगे | और हर एक जीन के पास प ् रमोटर होगा, जो सिर ् फ एक आन-आफ स ् विच है, जीन कोडिंगक ् षेत ् र होगा, और फिर एक टर ् मिनेटर, जो ये बताता है कि ये इस जीन का अंत है, दूसरा जीन शुरू होगा | अब, प ् रमोटर ् स सिर ् फ आन- आफ स ् विचेस नही हैँ | उस जीन स ् विच चालू होने से पहले उनके लिये सही ट ् युनिंग, और बहुत सारी सही चीज रहना है | तो बैयो टेक अध ् ययन मेँ आम तौर पर क ् या होता कि हम एक इंड ् युकिबल प ् रमोटर का इस ् तेमाल करते हैँ जिसका स ् विच आँन करना हम जानते हैँ | हम उसको लाभ वाली जींस मेँ जोडते हैँ और उसको एक पौधे मेँ लगाके ओ पौधा कैसे प ् रतिक ् रिया देती देखते हैँ | एक अध ् ययन बारे मेँ मैँ बात करनेवाली हूँ, मेरे सहयोगियों ने एक सूखे प ् रेरित इस ् तेमाल की की, जिसको हम ने एक पुनरूत ् थान संयंत ् र में खोज की । इस प ् रमोटर की एक अच ् छी बात ये है कि हम कुछ नही करते | पौधा अपने आप अनावृष ् टी का अनुभव करती है | और हम जी उठने के पौधों से एंटीऑक ् सीडेंट जीन ड ् राइव करने के लिए यह प ् रयोग किया है | एंटिआँक ् सिडेंट जींस क ् योँ? सभी तनावों, विशेष रूप से सूखे तनाव, मुक ् त कण के गठन में परिणाम है, या प ् रतिक ् रियाशील ऑक ् सीजन प ् रजातियों, जो बहुतही हाँइकारक हैँ और फसल को मार मार सकते हैँ | एटाक ् सिडेंट ् स उस नुकसान को रोकते हैँ | तो यहाँ एक मक ् का के तनाव से कुछ डेटा है जो अफ ् रीका में बहुत लोकप ् रिय है | तीर के बायाँ तरफ हैँ पौधे बिना जींस के, दायँ तरफ हैँ — पौधे एंटिआक ् सीडेंट जींस के साथ | तीन हफ ् ते बिना पानी के बाद, जो जींस के साथ हैँ वे बहुत अच ् छा करेंगे | अब आखरी द ् रुष ् टिकोण | मेरे शोध से पता चला है काफी समानता है बीज और जी उठने के पौधों में सुखाना सहिष ् णुता के तंत ् र में । तो मैँ एक सवाल पूछती हूँ, वे वही जींस इस ् तेमाल करते हैँ? या थोडा अलग फ ् रेसड, जी उठने पौधों उनके पत ् ते और जडोँ मेँ बीज सुखाना सहिष ् णुता में विकसित जीन का उपयोग कर रहे हैं? वे जी उठने की पौधोँ के झडोँ और पत ् तोँ को इन बीज के जींस को रीटास ् क किया है क ् या? और मैँ उस सवाल का जवाब देती हूँ, मेरे ग ् रूप के बहुत अध ् ययन के परिणाम से और हाल ही में नेथेर ् लांड ् स की हेंक हिल ् हार ् स ् टसे किया गया सहयोग से युनैटेड स ् टेट ् स की मेल आलिवर और फ ् रांस मेँ जुलिया ब ् युटिंक से | जवाब है हाँ, कि वहाँ एक कोर सेट जींस के हैँ जो दोनो मेँ शामिल किया गया | मैँ मक ् का के लिए बहुत ही कुदरती तौर उदाहरण देकर स ् पष ् ट करने वाली हूँ, जहाँ आफ ् स ् विच के नीचे की क ् रोमोसोम ् स सुखाना सहिष ् णुता के लिए सभी जीनों जो आवश ् यक हैं उनकी प ् रतिनिधित ् व करते हैं । इसलिये विकास के अपने अवधि के अंत में, जब मक ् के की बीज सूखते हैँ, वे इन जींस के स ् विच आन करते हैँ जी उठने के पौधे ये ही जीन स ् विच आन करते हैँ जब वे सूखते हैँ | सभी आधुनिक फसल, इसलिये अपने झडोँ और पत ् तोँ मेँ ये जींस रखते हैँ, उन ् हे कभी स ् विच आन नही करते | वे सिर ् फ बीज कणोँ मेँ स ् विच आँन करते हैँ | इसलिये अब हम कोशिश करते वातावरण और पेशीय संकेतोँको समझने की पौधोँमेँ जींस कैसे स ् विच आँन करते हैँ, उनको उठाने इस प ् रक ् रिया को नकल करने के लिए । और फिर एक आखरी विचार | हम तेजी से क ् या करने की कोशिश कर रहे हैँ कि जो प ् रक ् रिति ने कुछ 10 से 40 मिलियन सालोँ पहले जी उठने की पौधोँ मेँ जो किया था उसको फिर से दोहरा रहे हैँ | मेरे पौधों और मैं आपका ध ् यान के लिए धन ् यवाद करते हैँ । (तालियाँ) यह कथन अपने आप में स ् पष ् ट है. मैंने इस कथन से शुरुआत कुछ 12 साल पहले की थी, और शुरुआत की थी विकासशील देशों में, पर आप लोग दुनिया के हर एक कोने से यहाँ आये हैं. अगर आप अपने देश के मानचित ् र को देखेंगे, तो ये पायेंगे कि धरती पर हर एक देश के लिए, आप छोटे-छोटे क ् षेत ् र चुन सकते हैं, "ये वो क ् षेत ् र हैं जहाँ अच ् छे शिक ् षक नहीं जाते." ऊपर से, ये ऐसी जगह हैं जहाँ अपराध पनपता है. तो यह एक व ् यांगिक समस ् या है. अच ् छे शिक ् षक उन ् ही जगहों पर नहीं जाना चाहते जहाँ उनकी ज ़ रुरत सबसे ज़ ् यादा है. 1999 में मैंने एक प ् रयोग द ् वारा इस समस ् या को सुलझाने की कोशिश की, जो बहुत ही साधारण सा प ् रयोग था नई दिल ् ली में. मैंने नई दिल ् ली की एक झोपड ़ -पट ् टी में दीवार में एक कंप ् यूटर जड़वा दिया. यहाँ के बच ् चे स ् कूल नहीं जाते थे. उन ् हें अंग ् रेजी नहीं आती थी. उन ् होंने पहले कभी कंप ् यूटर नहीं देखा था, और उन ् हें ये भी नहीं पता था कि इंटरनेट क ् या होता है. मैंने उसे उच ् चतम इन ् टरनेट से जोड़ दिया — ये ज ़ मीन से लगभग तीन फीट ऊपर है — कंप ् यूटर चलाया और वहीँ छोड़ दिया. इसके बाद, हमने कुछ दिलचस ् प चीज़ें देखी, जो आप भी देखेंगे. पर मैंने इसे पूरे भारत में दोहराया और उसके बाद विश ् व के एक बड ़ े हिस ् से में, और यह निष ् कर ् ष निकाला कि बच ् चे वो चीज़ें सीख जायेंगे जो वो सीखना चाहते हैं. यह हमारा पहला प ् रयोग था — आपके दाहिने ओर एक 8 साल का लड ़ का एक 6 साल की लड़की को browse (ब ् राउस) करना सिखा रहा था. यह मध ् य भारत का लड ़ का — राजस ् थान के एक गाँव में, यहाँ बच ् चों ने अपना खुद का संगीत रिकॉर ् ड किया और उसे एक दूसरे को सुनाया, और इस प ् रक ् रिया में, बच ् चों ने खूब मजे लिए. उन ् होंने ये सब केवल चार घंटों में कर लिया, वो भी कंप ् यूटर को पहली बार देखने के बाद. दक ् षिण भारत के एक और गाँव में, इन लड़कों ने एक विडियो कैमरा जोड़ लिया और एक मधुमक ् खी की तस ् वीर लेने की कोशिश कर रहे थे. उन ् होंने इसे Disney.com (डिस ् नी डाट कौम) या ऐसी ही कोई वेबसाईट से डाउनलोड किया था. यह उन ् होंने गाँव में कंप ् यूटर लगने के सिर ् फ 14 दिन में कर लिया था. आखिरकार, हमने निष ् कर ् ष निकला कि बच ् चों के समूह अपने आप कंप ् यूटर और इंटरनेट चलाना सीख सकते हैं, चाहे वो कोई भी हों या कहीं से भी हों. इसके बाद, मैं थोड़ा और महत ् वाकांक ् षी हो गया और ठान ली ये देखने की कि बच ् चे कंप ् यूटर के साथ और क ् या कर सकते हैं. हमने हैदराबाद, भारत में एक प ् रयोग से शुरुआत की, जहाँ मैंने एक बच ् चों के समूह को — वे एक तगड ़ े तेलेगु उच ् चारण में अंग ् रेजी बोलते थे. मैंने उन ् हें एक कंप ् यूटर दे दिया जिसमें आवाज़ को लेखन में बदलने वाला सोफ ् टवेयर था, जो अब windows (विंडोस) के साथ आता है, और उन ् हें इसमें बोलने को कहा. जब उन ् होंने इसमें बोला, तब कंप ् यूटर ने बेमतलबी शब ् द दिखाए तो उन ् होंने कहा, "" यह कंप ् यूटर हमारी कोई भी बात नहीं समझता. "" तो मैंने कहा, "" हाँ, मैं इसे दो महीने के लिए यहाँ छोड़ देता हूँ. आप अपने आप को कंप ् यूटर द ् वारा समझने लायक बनवाइए. "" तो बच ् चों ने कहा, "" हम ये कैसे करें. "" और मैंने कहा, "असल में, मुझे नहीं पता." (ठहाके) फिर मैं चला गया. (ठहाके) दो महीने बाद — और अब इसका दस ् तावेज भी है Information Technology (सूचना प ् रोद ् योगिकी) के अंतर ् राष ् ट ् रीय विकास पत ् रिका में — कि उनके अंग ् रेजी उच ् चारण बदल गए थे और सामान ् य ब ् रिटिश उच ् चारण के काफी करीब थे जिसमें मैंने आवाज़ को लेखन में बदलने वाले यन ् त ् र को अभ ् यास कराया था. दूसरे शब ् दों में, वे सब James Tooley (जेम ् स टूली) की तरह बोल रहे थे. (ठहाके) मतलब वे अपने आप ऐसा कर पाए. उसके बाद, मैंने कई और चीज़ों के साथ प ् रयोग करने शुरू किये, चीज़ें जो वे शायद अपने आप करना सीख जायेंगे. एक बार मुझे कोलम ् बो से एक दिलचस ् प फोन कॉल आई, अब मृत Arthur C. Clarke (आर ् थर सी. क ् लार ् क) से जिन ् होंने कहा, "" मैं जानना चाहता हूँ आप क ् या कर रहे हैं. "" वे यात ् रा नहीं कर सकते थे, तो मैं ही उनके पास गया. उन ् होंने दो दिलचस ् प बातें कही, "एक अध ् यापक जिसका स ् थान एक मशीन ले सके, उसे लेने देना चाहिए." (ठहाके) दूसरी बात — "" अगर बच ् चे चाहें तो, शिक ् षा अपने आप मिल जाती है. "" और मैं इसी बात पर अमल कर रहा था, तो मैं जब भी इसे होते हुए देखता तो उनके बारे में सोचता था. (विडिओ) आर ् थर सी. क ् लार ् क: और ये बच ् चे यक़ीनन लोगों की मदद कर सकते हैं, क ् योंकि बच ् चे जल ् द ही यन ् त ् र चलाना और उनकी मनपसंद चीज़ें ढूँढना सीख लेते हैं. और जहां दिलचस ् पी हो, वहाँ शिक ् षा भी मिल जाती है. मित ् रा: मैं इस प ् रयोग को दक ् षिण अफ ् रीका ले गया. यह 15 वर ् ष का एक लड ़ का है. (विडिओ) लड ़ का:... मैं खेल खेलता हूँ मुझे जानवर पसंद हैं, और मैं संगीत सुनता हूँ मित ् रा: फिर मैंने उससे पुछा, "" क ् या तुम ई-मेल भेजते हो? "" उसने कहा, "" हाँ, और वे समुन ् दर पार जाती हैं. "" यह कम ् बोडिया में है, ग ् रामीण कम ् बोडिया — एक साधारण सा गणित का खेल है, जिसे कोई बच ् चा कक ् षा में या घर पर नहीं खेलेगा. वे इस खेल को आप पर वापस फेंक देंगे. कहेंगे, "" ये दिलचस ् प नहीं है. "" अगर आप इस खेल को फर ् श पर रख दें, और सारे बढ ़ े कहीं और चले जाएँ, फिर ये एक दूसरे को दिखाएँगे कि ये क ् या कर सकते हैं. ये बच ् चे यही कर रहे हैं. ये गुना करने की कोशिश कर रहे हैं, मेरे ख ् याल से. पूरे भारत में, लगभग दो साल के बाद, बच ् चे अपने घर पे पाठ गूगल पर पूरे करने लगे थे. फलस ् वरूप, अध ् यापकों ने बच ् चों की अंग ् रेजी में विशाल सुधार देखे — (ठहाके) तेज ़ सुधार और सभी किस ् म के परिवर ् तन. उन ् होंने कहा, "" बच ् चे गंभीर विचारक बन गए हैं, और फलाना फलाना. "" (ठहाके) और वास ् तव में वो बन गए थे. मतलब, अगर चीज़ें गूगल पर मिल जाएँ, तो उन ् हें अपने दिमाग में याद करने की क ् या ज ़ रुरत है? अगले चार सालों के अंत में, मैंने पाया कि बच ् चों के समूह शिक ् षा पाने के लिए इन ् टरनेट अपने आप चला सकते हैं. उस समय, बहुत सारा पैसा न ् यूकैसल विश ् वविद ् यालय में भारत में शिक ् षा सुधारों के लिए आया था. तो न ् यूकैसल ने मुझे कॉल किया. मैंने कहा, "" मैं दिल ् ली से काम करूंगा. "" उन ् होंने कहा, "" किसी भी तरीके से आप दिल ् ली में बैठे-बैठे विश ् वविद ् यलाय के करोडों रूपए खर ् च नहीं कर सकते. "" इसीलिए 2006 में, मैंने एक भारी ओवरकोट ख़रीदा और न ् यूकैसल चला आया. मैं इस पद ् धति की सीमाएं जाचना चाहता था. न ् यूकैसल से जो मैंने पहला प ् रयोग किया वो दरअसल भारत में किया गया था. और मैंने अपने लिए एक नामुमकिन लक ् ष ् य तय किया: क ् या 12 -साल के तमिल बोलने वाले, एक दक ् षिण भारतीय गाँव का बच ् चे अंग ् रेजी में खुद को जीव-तकनीकी (biotechnology) सिखा सकते हैं? मैंने सोचा, "" मैं बच ् चों की परीक ् षा लूँगा. वे फेल हो जायेंगे. मैं उन ् हें पढाई की सामग ् री दूंगा, वापस आऊँगा और फिर उनकी परीक ् षा लूँगा. वे फिर फेल हो जायेंगे. मैं भारत वापस जाऊंगा और कहूँगा, "" हाँ, कुछ चीज़ों के लिए हमें अध ् यापक चाहियें. "" मैंने 26 बच ् चों को बुलाया. वे सब वहां आये, और मैंने उनसे कहा कि इस कंप ् यूटर पर कुछ बहुत कठिन पाठ ् यक ् रम है. मुझे आश ् चर ् य नहीं होगा अगर आप कुछ भी समझ न पाएं. सब कुछ अंग ् रेजी में है, और मैं जा रहा हूँ. (ठहाके) तो मैंने उन ् हें कंप ् यूटर के साथ छोड़ दिया. मैं दो महीने बाद लौटा, और वो 26 बच ् चे चुपचाप मेरे पास आये. मैंने पूछा, "" तो बच ् चों, क ् या तुमने कंप ् यूटर पर कुछ देखा? "" उन ् होंने कहा, "" हाँ, हमने देखा. "" "कुछ समझ में आया?" "नहीं, कुछ भी नहीं." तो मैंने पूछा, "" यह निर ् णय करने के पहले कि तुम ् हे कुछ समझ नहीं आया तुमने कितने समय तक अभ ् यास किया? "" उन ् होंने कहा, "" हम इसे हर रोज ़ देखते हैं. "" तो मैंने पूछा, "" दो महीने से आप एक ऐसी चीज ़ देख रहे हैं जो आपको समझ नहीं आई? इस पर एक 12 वर ् ष की लड़की ने अपना हाथ उठाया और बोली, सचमुच, (अंग ् रेजी में) "" इसके अलावा कि डी.एन.ए अणु की अनुचित प ् रतिकृति से आनुवंशिक बीमारी होती है, हमने और कुछ नहीं सीखा. "" (ठहाके) (अभिवादन) (ठहाके) मुझे इस परिणाम को प ् रकाशित करने में 3 साल लगे. हाल ही में इसे शिक ् षा प ् रोद ् योगिकी की ब ् रिटिश पत ् रिका में प ् रकाशित किया गया. एक पंच, जिन ् होंने इस लेख का मूल ् यांकन किया, ने कहा, "यह वास ् तविक होने के लिए कुछ ज़ ् यादा ही अच ् छा है," ये बात मुझे अच ् छी नहीं लगी. एक लड़की ने खुद को अध ् यापक बनना सिखा दिया. वो वहाँ पर यह लड़की है. याद रखिये, ये बच ् चे अंग ् रेजी नहीं पढ ़ ते. मैंने विडियो का आखिरी अंश बदल दिया है जिसमें मैंने पूछा, "" न ् यूरोन कहाँ है? "" उसने बोला, "" न ् यूरोन? न ् यूरोन? "" फिर मेरी तरफ देखा और ऐसे इशारा किया. लेकिन उसके इशारे कुछ अच ् छे नहीं थे. इन बच ् चों के अंक शून ् य से बढकर तीस प ् रतिशत हो गए थे, जो कि इन हालातों में असंभव है. लेकिन तीस प ् रतिशत से कोई पास नहीं होता. फिर मैंने पाया कि उनकी एक दोस ् त है, एक स ् थानीय मुनीम, एक युवा लड़की, और वे उसके साथ फुटबाल खेलते थे. मैंने उस लड़की से पूछा, "" क ् या तुम इन ् हें इतनी जीव-तकनीकी सिखाओगी कि ये पास हो जाएँ? "" उसने कहा, "" मैं ये कैसे करूंगी? मुझे तो यह विषय नहीं आता. "" मैंने कहा, "" नहीं, दादीमाँ का तरीका अपनाओ. "" उसने पूछा, "" और वो क ् या है? "" मैंने कहा, "" तुम ् हे करना यह है कि उनके पीछे खड ़ ी हो जाओ और उनकी प ् रशंसा करती रहो. उन ् हें बस ये कहो, "" बहुत खूब. लगे रहो. वो क ् या है? क ् या तुम इसे दोबारा कर सकते हो? क ् या तुम मुझे थोड़ा और दिखा सकते हो? "" उस लड़की ने ऐसा दो महीने तक किया. अब अंक 50 तक बढ़ गए, जो कि नई दिल ् ली के आलिशान स ् कूलों में बच ् चों को मिल रहे थे, जहाँ काबिल जीव-तकनीकी के अध ् यापक हैं. मैं इन परिणामों के साथ न ् यूकैसल वापस लौटा और मैंने पहचाना कि यहाँ कुछ अलग हो रहा है जो निश ् चित ही गंभीर होता जा रहा है. तो हर तरह की दूर-दराज़ जगहों पर प ् रयोग करने के बाद, मैं ऐसी जगह पर आया जो मेरी कल ् पना में सबसे दूर-दराज़ में है. (ठहाके) दिल ् ली से लगभग 8000 किलोमीटर दूर गेट ् सहैड नामक एक छोटा शहर है. गेट ् सहैड में, मैंने 32 बच ् चे लिए, और मैं अपनी तकनीक को तराशने लगा. मैंने उन ् हें चार-चार के समूहों में बाँट दिया. मैंने कहा, "" तुम खुद अपने चार-चार के समूह बनाओ. हर एक समूह एक ही कंप ् यूटर का इस ् तेमाल कर सकता है, चार का नहीं. "" आपको याद होगा - दीवार में जड ़ ा हुआ कंप ् यूटर. "" आप समूह बदल सकते हैं. अगर आपको अपना समूह पसंद न आये तो आप कोई दूसरे समूह के पास जा सकते हैं. किसी दूसरे समूह के पास जाकर आप झाँक कर देख सकते हैं कि वो क ् या कर रहे हैं, फिर अपने समूह में आकर दावा कर सकते हैं कि वह आपका खुद का विचार था. "" मैंने उन ् हें समझाया कि आपको पता है? कितने ही वैज ् ञानिक अनुसंधान इसी तरह किया जाते हैं. (ठहाके) (अभिवादन) उन बच ् चों ने उत ् साहित होकर मुझसे पूछा, "आप हमसे क ् या करवाना चाहते हैं?" मैंने उन ् हें छह GCSE के सवाल दिए. पहले समूह ने, जो सबसे अच ् चा समूह था, सारे सवाल 20 मिनट में हल कर दिए. सबसे ख ़ राब समूह ने 45 मिनट लिए. उन ् हें जितना ज ् ञान था उस सबका उन ् होंने इस ् तेमाल किया - समाचार, गूगल, विकिपीडिया, Ask Jeeves अध ् यापकों ने पूछा, "" क ् या यह गहन शिक ् षा है? "" मैंने कहा, "" चलो, परख लेते हैं. मैं दो महीने बाद लौटूंगा. हम उन ् हें एक कागज ़ ी परीक ् षा देंगे — कोई कंप ् यूटर नहीं, एक-दूसरे से बातचीत नहीं, फलाना, फलाना. "" जब मैंने कंप ् यूटर और समूहों के साथ यह किया तो औसतन अंक 76 प ् रतिशत थे. जब मैंने दो महीने बाद यह प ् रयोग किया, जब परीक ् षा ली, तो उनके अंक फिर 76 प ् रतिशत थे. बच ् चों के दिमाग में तस ् वीरों के रूप में चीज़ें याद रह गईं, शायद इसलिए क ् योंकि बच ् चे आपस में चर ् चा कर रहे थे. एक अकेला बच ् चा कंप ् यूटर के सामने बैठा हुआ कभी ऐसा नहीं करेगा. मेरा पास और भी परिणाम हैं, अंकों के जो वक़ ् त के साथ बढ ़ ते हैं, जो कि एक दम अविश ् वसनीय हैं. उनके अध ् यापक बताते हैं ऐसा इसलिए होता है क ् योंकि प ् रयोग ख ़ तम होने के बाद भी, बच ् चे गूगल का इस ् तेमाल जारी रखते हैं. मेरे कुप ् पम प ् रयोग के बाद, यहाँ ब ् रिटेन में, मैंने ब ् रिटिश दादियों के लिए इश ् तेहार बटवाए. आपको तो पता ही है, ब ् रिटिश दादियाँ कितनी व ् यवसायिक होती हैं. 200 दादियाँ तुरंत आगे आ गईं. (ठहाके) समझौता यह था कि वे घर पर बैठे हुए हफ ् ते में एक दिन, मुझे इन ् टरनेट पर अपना एक घंटा देंगी. उन ् होंने ऐसा ही किया. और पिछले दो सालों के दौरान, कुल 600 घंटों का शिक ् षण स ् काइप (Skype) पर हुआ है, इसके द ् वारा जिसे मेरे छात ् र दादीमाँ का बादल (granny cloud) कहते हैं. दादीमाँ का बादल यहाँ बैठता है. मैं इन दादियों को किसी भी स ् कूल से जोड़ सकता हूँ. अध ् यापिका (अंग ् रेजी में): तुम मुझे नहीं पकड़ सकते. अब तुम बोलो. तुम मुझे नहीं पकड़ सकते. बच ् चे (अंग ् रेजी में): तुम मुझे नहीं पकड़ सकते. अध ् यापिका (अंग ् रेजी में): मैं जिंजरब ् रेड मैन हूँ. बच ् चे (अंग ् रेजी में): मैं जिंजरब ् रेड मैन हूँ. अध ् यापिका: शाबाश. बहुत अच ् छे... मित ् रा: और पीछे गेट ् सहैड में, एक दस साल की लड़की 15 मिनट में हिंदुत ् व के केंद ् र तक पहुँच गई. इतनी गहराई में, जिसका मुझे कुछ अता-पता नहीं. दो बच ् चों ने एक TEDTalk देखी. वो पहले फुटबाल खिलाडी बनना चाहते थे. आठ TEDTalks देखने के बाद, वो लिओनार ् दो डा विन ् ची बनना चाहता है. (ठहाके) (अभिवादन) यह काफी सरल बात है. मैं अब ऐसी चीज़ें बना रहा हूँ. इन ् हें SOLEs (सोल ् स) या स ् व-संगठित शिक ् षा वातावरण कहा जाता है. फर ् नीचर इस तरह बनाया गया है कि बच ् चे समूहों में, बड ़ े पर ् दों और तेज ़ इन ् टरनेट के सामने बैठ सकें. अगर वो चाहें, तो दादीमाँ के बादल को बुला सकते हैं. यह न ् यूकैसल में एक सोल है. यह मांझी भारत से है. तो हम किस हद तक जा सकते हैं? बस एक आखिरी बात. मैन मई में ट ् यूरिन गया. मैंने सभी शिक ् षकों को मेरे दस-साल के बच ् चों से दूर कर दिया. मैं केवल अंग ् रेजी बोलता हूँ, वे केवल इतालवी, हमारे पास बातचीत करने का कोई भी तरीका नहीं था. मैंने ब ् लैकबोर ् ड पर अंग ् रेजी सवाल लिखने शुरू कर दिए. बच ् चों ने उसकी तरफ देखा और कहा, "" क ् या? "" मैंने कहा, "" इसे हल करो. "" उन ् होंने उसे गूगल पर टाइप किया, इतालवी में उसका अनुवाद किया, और फिर इतालवी गूगल पर वापस गए. 15 मिनट बाद... अगला सवाल: कोलकाता कहाँ है? इसके लिए उन ् हें सिर ् फ 10 मिनट लगे. फिर मैंने एक बहुत कठिन सवाल चुना. Pythagoras (पाइथागोरस) कौन थे और उन ् होंने क ् या किया? कुछ देर के लिए ख़ामोशी थी, और फिर वो बोले, "" आपने गलत लिखा है. Pitagora (पीतागोरा) होना चाहिए. "" और फिर, 20 मिनट में, समकोण त ् रिकोण कंप ् यूटर पर दिखाई देने लगे. यह देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए. ये सिर ् फ दस साल के बच ् चे हैं. और 30 मिनट में तो ये रिलेटिविटी के सिद ् धांत तक पहुँच जायेंगे. उसके बाद क ् या? (ठहाके) (अभिवादन) मित ् रा: क ् या आप जानते हैं ये क ् या हुआ? मेरे ख़याल से हमने एक अपने आप संगठित होने वाला प ् रणाली खोज निकाली है. एक स ् व- संगठनीय प ् रणाली वो होती है जिसमें स ् पष ् ट बाहरी हस ् तक ् षेप के बिना ही एक आकार नज़र आता है. ऐसी प ् रणालियाँ हमेशा उभारता भी दर ् शाती हैं - यह प ् रणाली ऐसी चीज़ें करने लगती है, जिसके लिए इसे कभी बनाया ही नहीं गया था. इसीलिए आप इस तरह की प ् रतिक ् रिया कर रहे हैं, क ् योंकि यह असंभव लगता है. मेरे ख ् याल से मैं अब एक अंदाजा लगा सकता हूँ. शिक ् षा एक स ् व-संगठनीय प ् रणाली है, जिसमें सीखना एक उभरती घटना है. मुझे इसे प ् रायौगिक ढंग में साबित करने में कुछ साल लगेंगे, पर मैं कोशिश करूंगा. लेकिन इस बीच एक तरीका है. 100 करोड ़ बच ् चों के लिए हमें 10 करोड ़ मांझी चाहियें — इस धरती पर उससे कहीं ज ् यादा हैं — एक करोड ़ सोल ् स, 18 हज़ार करोड ़ डॉलर और दस साल. हम सब कुछ बदल सकते हैं. धन ् यवाद. (अभिवादन) तो सुरक ् षा दो अलग बातें हैं: ये एक तरफ एहसास है और दूसरी तरफ सच ् चाई और वो अलग अलग हैं आप सुरक ् षित महसूस कर सकते हैं भले ही आप ना हो और आप सुरक ् षित हो सकते हैं भले ही आप ऐसा महसूस ना करें सच में हमारे पास दो अलग धारणाये हैं जो कि एक ही शब ् द से जुड़े हैं और मैं इस व ् याख ् यान में इन ् हें अलग अलग करना चाहता हूँ ये पता लगाऊं कि वो कब अलग अलग होते हैं और कैसे मिल जाते हैं और भाषा यहाँ पे एक समस ् या है | बहुत सारे शब ् द उपलब ् ध नहीं हैं उन धारणाओ के लिए जिनके बारे में हम बातें करने वाले है | तो अगर आप सुरक ् षा के बारे में सोचें आर ् थिक रूप में यह चीज ़ ो को चुनने की दुविधा हैं हर बार जब आपको सुरक ् षा मिलेगी, उसके बदले में आप कुछ और दे रहे होंगे चाहे ये आपका व ् यक ् तिगत निर ् णय हो चाहे आप अपने घर में चोरी से बचने वाला अलार ् म लगवाने वाले हो, या फिर राष ् ट ् रीय फैसला जहाँ आप दुसरे देश पे आक ् रमण करने वाले हो, उसके बदले में आप कुछ न कुछ दे रहे होंगे | चाहे पैसा हो, समय हो, सहूलियत हो या योग ् यता हो या शायद आधारभूत स ् वतंत ् रता और जो सवाल हमे पूछना चाहिए जब हम सुरक ् षा के बारे में सोचते हैं, ये नहीं कि ये हमे सुरक ् षित बनाएगा, पर ये कि क ् या ये इस लायक हैं कि हम इसके बदले किसी दूसरी चीज ़ को दे दे | आपने सुना होगा पिछले कई सालो में, दुनिया सुरक ् षित हो गई है क ् यूंकि सद ् दाम हुस ् सेन सत ् ता में नहीं हैं ये सच हो सकता है लेकिन पूरी तरह से तर ् क संगत नहीं है | सवाल यह कि क ् या यह इस योग ् य था? और आप खुद के निर ् णय ले सकते हैं, और उसके बाद फैसला कर सकते हैं कि क ् या ये आक ् रमण सही था आप सुरक ् षा के बारे में ऐसे सोचते हैं व ् यापारिक लेन देन के रूप में अब यहाँ सामान ् यत: कोई सही या गलत नहीं होता हमसे कुछ लोगों के यहाँ चोर अलार ् म होता हैं कुछ के यहाँ पर नहीं | और ये निर ् भर करता है हम कहाँ रहते हैं, क ् या हम अकेले रहते हैं या फिर परिवार के साथ, हमारे पास कितने अच ् छे अच ् छे सामान हैं, हम किस हद तक तैयार हैं चोरी का खतरा उठाने को राजनीति में भी अलग अलग विचार हैं, ज ् यादातर समय विनिमय की ये दुविधा सुरक ् षा के अलावा दुसरे कारणों से होते हैं, और मैं ये सोचता हूँ कि ये बहुत जरुरी हैं | अब लोगों के पास पाकृतिक ज ् ञान हैं इस विनिमय का, हम ये हर दिन करते हैं जैसे कि, कल रात जब मैंने अपने होटल रूम के दरवाजे को दुबारा बंद किया, या आपने अपनी कार में किया जब आप यहाँ पर पहुंचे, या जब हम खाना खाने जाते हैं और सोचते हैं की खाना अच ् छा है तो हम खा लेंगे | हम ये विनिमय बार बार करते हैं दिन में कई बार | हम कई बार इन पर ध ् यान भी नहीं देते हैं | ये तो बस एक हिस ् सा है जीवित होने का, हम सब करते हैं | हर प ् रजाति करती हैं | कल ् पना कीजिये एक खरगोश मैदान में घास खा रहा हैं, अब अगर खरगोश लोमड ़ ी को देखता है | तो वो तुरंत एक सुरक ् षा विनिमय करेगा, "मैं यहाँ रुकूं?" या "मै यहाँ से भाग जाऊ?" और अगर आप इस बारें में सोचे तो वो खरगोश जो अच ् छे होते हैं इस तरह के विनिमय में वो ज ् यादा समय तक जिन ् दा रहते हैं और प ् रजनन करते हैं | और वो खरगोश जो अच ् छे नहीं होते हैं वो या तो शिकार बन जाते हैं या भूख से मर जाते हैं | तो अब आप सोचेंगे, कि हम, सफल प ् रजाति होने के नाते, आप, मैं, हम सब इस तरह के विनिमय में बहुत अच ् छे हैं | ऐसा होने पर भी बार बार प ् रतीत होता है, कि हम लोग निराशापूर ् ण रूप से अच ् छे नहीं हैं | और मैं ये सोचता हूँ कि ये एक आधारभूत रोचक सवाल है | मैं आपको बहुत ही छोटा सा जवाब दूंगा | जवाब यह है कि हम लोग प ् रतिक ् रिया करते है सुरक ् षा की भावना पर ना कि सुरक ् षा की सच ् चाई पर | हाँ ज ् यादातर समय ये काम करती हैं | क ् यूंकि ज ् यादातर समय सुरक ् षा की भावना और सुरक ् षा की सच ् चाई एक सी ही होती हैं | निश ् चित तौर पे ये सच हैं ज ् यादातर प ् रागतिहासिक मानव के लिए | हमने ये योग ् यता विकसित की हैं क ् यूंकि ये हमारे विकसित होने से जुड़ी हुई है | एक तरीका ऐसे सोचने का हैं कि हम लोग बहुत ही ज ् यादा परिष ् कृत हैं ऐसे खतरों से भरे निर ् णय लेने में जो छोटे परिवारों में रहने वालो के लिए रोजमर ् रा की बात होती थी १०००० इ पूर ् व, पूर ् वी अफ ् रीकन मैदोनो में — २०१० में न ् यू योर ् क इस तरह का नहीं हैं | अब खतरे को समझना बहुत तरह से पक ् षपात पूर ् ण है | बहुत सारे अच ् छे प ् रयोग हुए हैं | और आप देख सकते हैं इस पक ् षपात (झुकाव) को बार बार आते हुए | तो मैं आपको चार प ् रयोग बताऊंगा | हमारा झुकाव होता हैं असाधारण और विरले खतरों को बढ ़ ा चढ ़ ा कर बताने की ओर और सामान ् य खतरों की अहमियत कम करने की ओर, जैसे हवाई जहाज की अपेक ् षा कार का सफ ़ र | अनजाने खतरों को हम परिचित खतरों से ज ् यादा खतरनाक समझते हैं एक उदाहरण हो सकता है कि लोग अनजान लोगो के द ् वारा अपहरण से डरते हैं, जबकि आंकड़े बतलाते हैं कि रिश ् तेदारों के द ् वारा अपहरण होना ज ् यादा सामान ् य है | यह आंकड़े बच ् चो के लिए हैं | तीसरा, खतरे जिन ् हें चेहरे दिए गए हो गुमनाम खतरे की अपेक ् षा ज ् यादा खतरनाक लगते हैं तो बिन लादेन डरावना है क ् यूंकि उसका नाम है | और चौथा, लोग खतरों को कम कर के आंकते हैं उन परिस ् थितिओ में जिनको वो नियंत ् रित कर सकते हैं और बढ ़ ा चढ ़ ा कर आंकते है उन परिस ् थितिओ में जिनको वो नियंत ् रित नहीं कर सकते हैं | तो जब आप स ् काय डाइविंग या धुम ् रपान के लिए जाते हैं आप खतरों को कम कर के आंकते हैं | अगर आप पर कोई खतरा थोपा जाता हैं जैसे कि आतंकवाद एक अच ् छा उदहारण हैं तो आप बढ ़ ा चढ ़ ा कर प ् रतिक ् रिया देते हैं, क ् युकि आपको ये आपके नियंत ् रण में नहीं लगता हैं | ऐसे ही बहुत सारे पक ् षपात करते हैं विशेषतः दिमागी पक ् षपात जो हमारे खतरों से जुड़े निर ् णयों पर प ् रभाव डालते हैं | हमारे पास अपने अनुभव की उपलब ् धता हैं जिसका असल में मतलब हैं कि, हम किसी चीज ़ के होने की प ् रायिकता का अनुमान इस बात से लगाते हैं कि उससे जुड ़ ी घटनाओ को कितनी सरलता से हम सोच सकते हैं तो आप ये कल ् पना कर सकते हैं कि ये कैसे काम करती हैं, जैसे कि अगर आपने बाघों के आक ् रमण के बारे में बहुत सुना हैं तो बहुत सारे बाघ आस पास ही होंगे अगर आपने शेरो के आक ् रमण के बारे में नहीं सुना है तो बहुत सारे शेर आस पास नही होंगे | यह काम करता हैं जब तक समाचार पत ् र इजाद नहीं हुए थे | क ् यूंकि समाचार ् पत ् र जो करते हैं वो ये कि वो बार बार दुहराते हैं विरले खतरों को | मैं लोगो से कहता हूँ कि अगर ये समाचार हैं तो इससे डरने की जरुरत नहीं क ् यूंकि परिभाषा से समाचार वो हैं जो ज ् यादातर कभी भी घटित नहीं होता | (हंसी) जब चीज़े इतनी सामान ् य हो जाये तो वो समाचार नहीं रह जाती, कार का टकराना, घरेलु हिंसा ये सारे खतरें हैं जिनकी आपको चिंता करनी चाहिए | हम भी कहानी बताने वालों की प ् रजाति हैं, हम आंकड ़ ो की अपेक ् षा कहनियों पर ज ् यादा प ् रतिक ् रिया देते हैं और कुछ मूलभूत अज ् ञानता अभी भी चल रही हैं | मेरा मतलब हैं कि चुटकुला "" एक, दो, तीन और कई "" कुछ हद तक सही हैं हम छोटे संख ् याओ पर बहुत अच ् छे हैं, एक आम, दो आम, तीन आम, १०००० आम, १००००० आम, अभी भी बहुत से आम हैं जिन ् हें ख ़ राब होने के पहले खाया जा सकता है तो १ / २, १ / ४, १ / ५ हम इनमे अच ् छे हैं | लाखो में एक, करोड ़ ो में एक ये दोनों लगभग कभी नहीं होते | तो हमे उन खतरों से परेशानी होती हैं जो इतने सामान ् य नहीं हैं | और ये दिमागी पक ् षपात हमारे और सच ् चाई के बीच में छलनी की तरह कार ् य करता हैं | और परिणाम ये कि जब अचानक अहसास और सच ् चाई बाहर आते हैं तो वो अलग अलग होते हैं | तो अब पहले से ज ् यादा सुरक ् षित होने का अहसास हो सकता हैं सुरक ् षित होने का एक झूठा भाव या फिर दूसरी तरफ असुरक ् षित होने का एक झूठा भाव मैंने "" सुरक ् षित थेअटर "" के बारे में बहुत लिखा है जो ऐसे उत ् पाद हैं जो लोगों को महसूस कराते हैं कि वो सुरक ् षित हैं, जबकि वास ् तविकता में वो कुछ नहीं करते | ऐसी चीज ़ के लिए कोई भी शब ् द नहीं हैं जो हमे सुरक ् षित तो करे लेकिन सुरक ् षित होने का अहसास ना कराये | शायद हमारे लिए सी. आई. ऐ. का यही काम हैं तो वापस चलते हैं अर ् थशास ् त ् र की तरफ यदि अर ् थशास ् त ् र, यदि बाज़ार, चलाते हैं सुरक ् षा को और यदि लोग विनिमय करते हैं अपने सुरक ् षित होने के अहसास के आधार पर, तब जो समझदारी भरा काम जो कंपनियां कर सकती हैं, आर ् थिक फायदों के लिए वो ये कि वो लोगों को सुरक ् षित महसूस कराये | और ये करने के दो तरीके हैं पहला कि आप लोगों को असलियत में सुरक ् षित रखे और उम ् मीद रखे कि उन ् हें पता चले | या दूसरा कि आप लोगों को बस सुरक ् षित महसूस कराये और ये उम ् मीद रखे कि उन ् हें पता नहीं चले | तो ऐसा क ् या हैं जिससे लोग को पता चलता हैं? कई चीज़ों से: सुरक ् षा की समझ, खतरों की समझ, आतंक की समझ, और उपायों की, वो कैसे काम करते हैं | लेकिन अगर आप चीज़ों को समझते हैं तब ज ् यादा सम ् भावना हैं कि आपके अहसास सच ् चाई के जैसे ही होंगे | पर ् याप ् त वास ् तविक उदहारण मदद करेंगे | अभी हम सब अपने आस पड़ोस में जुर ् म की दर जानते हैं, क ् यूंकि हम वहां रहते हैं और हमे वहां का अहसास है जो सच ् चाई के साथ बिलकुल सही बैठता है | तो सुरक ् षा के थेअटर का तब पर ् दाफाश हो जाता हैं जब ये साफ़ हो जाये कि ये ठीक से काम नहीं कर रहा | अच ् छा तो ऐसा क ् या हैं जिससे लोगों को पता नहीं चलता, तंत ् र की कम समझ यदि आप खतरों को नहीं समझेंगे तो आप कीमत नहीं समझेंगे और संभवत: गलत विनिमय करेंगे | और आपका अहसास सच ् चाई के जैसा नहीं होगा | ज ् यादा पर ् याप ् त उदहारण नहीं हैं | ये कम प ् रायिकता वाली घटनायो के साथ एक अंदरूनी समस ् या हैं | उदहारण के लिए, आतंकवाद लग भग नहीं के बराबर ही घटित होता है, तो आतंकवाद विरोधी उपायों के प ् रभाविकता का आंकलन करना बहुत ही कठिन है | इसीलिए तो आप virgins का बलिदान देते आ रहे हैं और इसीलिए तो आपका unicorn पे आधारित बचाव बहुत अच ् छा काम कर रहा है | यहाँ असफलता के बहुत पर ् याप ् त उदहारण नहीं हैं | साथ ही साथ भावनाए जो धुंधला कर रही हैं, जैसे की, दिमागी पक ् षपात, जिसके बारे में मैंने पहले बात की, डर, स ् थानीय विश ् वास, वो असल में सच ् चाई का एक अपर ् याप ् त नमूना है | तो मुझे चीज़ों को जटिल बनाने दे | मेरे पास अहसास और सच ् चाई हैं | अब मैं एक तीसरा अवयव जोड़ना चाहता हूँ | मैं "" नमूना "" जोड ़ ना चाहूँगा | अहसास और नमूना हमारे दिमाग में और सच ् चाई बाहर दुनिया में | ये नहीं बदलती हैं, ये सच हैं | तो अहसास हमारे सहज ज ् ञान पर आधारित हैं | नमूना तर ् क पर आधारित हैं | इन दोनों के बीच में यही मूल भिन ् नता हैं | आदिम और सरल दुनिया में नमूने के लिए वास ् तविकता में कोई तर ् क नहीं है | क ् यूंकि अहसास सच ् चाई के बहुत करीब है | तो आपको नमूने की जरुरत नहीं है | लेकिन एक नए और जटिल दुनिया में आपको नमूनों की जरुरत हैं - उन खतरों को समझने के लिए जिनका हम सामना करते हैं | जीवाणुओं के लिए हममे कोई अहसास नहीं होता | आपको एक नमूने की जरुरत होगी उन ् हें समझने के लिए | तो ये नमूना सच ् चाई का एक समझदारी भरा प ् रस ् तुतीकरण है | ये, बिलकुल बंधा हुआ है विज ् ञान से, तकनीक से | जीवाणुओं को देखने के लिए, माइक ् रोस ् कोप का इजाद होने से पहले हमारे पास बीमारियों के लिए जीवाणु का सिद ् धांत नहीं हो सकता था ये बंधा हुआ है हमारे दिमागी पक ् षपात से | लेकिन इसके पास योग ् यता है कि ये हमारे अहसासों को रद ् द कर सकता है | तो ये नमूने हमको कहाँ से मिलेंगे? हमको ये दूसरो से मिलते हैं | हमे धर ् मं, संस ् कृति, शिक ् षक और बड ़ े बुजुर ् गो से ये नमूने मिलते हैं | कुछ साल पहले मैं द. अफ ् रीका में जंगल की सैर पर था, मैं जिस शिकारी के साथ था वो क ् रूगर राष ् ट ् रीय पार ् क में बड ़ ा हुआ था, उसके पास जंगल में जीवन को बचाने के बहुत ही जटिल नमूने थे और ये निर ् भर करते हैं कि अगर आप पर हमला किसी शेर ने या तेंदुआ ने या गेंडे ने या एक हाथी ने किया हैं — और कब आपको भागना होगा और कब आपको किसी पेड ़ पे चढ़ना होगा | जब आप पेड ़ पर कभी चढ ़ ही नहीं सकते तो मैं वहां एक दिन में मर गया होता, लेकिन वो वहां पैदा हुआ था और वो समझता था कि कैसे जीवित रहा जाए मै न ् यू योर ् क शहर में पैदा हुआ था, अगर मै उसे अपने साथ यहाँ ले आया होता और वो यहाँ एक दिन में मर गया होता | (हंसी) क ् यूंकि हमारे नमूने अलग अलग हैं, जो हमारे अलग अलग अनुभवों पर आधारित है | नमूने संचार के माध ् यम से आ सकते हैं हमारे चुने हुए अधिकारीयों से | सोचें जरा आतंकवाद के नमूने को, बच ् चो के अपहरण के नमूने को, हवाई जहाज सुरक ् षा, कार सुरक ् षा, नमूने आ सकते हैं उद ् योग से | जो दो मै सोच रहा हूँ वो हैं निगरानी कैमरा और आई. डी. कार ् ड ् स, बहुत सारे कंप ् यूटर सुरक ् षा के नमूने यही से आये हुए हैं | कई नमूने विज ् ञान से आये हुए हैं | स ् वास ् थ ् य के नमूने अच ् छे उदाहरण हैं | कैंसर, बर ् ड फ ् लू, स ् वीन फ ् लू, स.अ.र.स. के बारे में सोचिए | इन बीमारियों के बारे में हमारे सुरक ् षा के सारे अहसास उन नमूनों से आते हैं, जो हमे दिए जाते हैं, असल में संचार माध ् यम के द ् वारा छान हुए विज ् ञान से | तो नमूने बदल सकते हैं | नमूने स ् थायी नहीं है जैसे जैसे हम अपने वातावरण में ज ् यादा आरामदायक महसूस करते हैं, हमारा नमूना हमारे अहसासों के और करीब होता जाता है | तो एक उदहारण हो सकता है, अगर आप १०० साल पीछे जाएँ जब पहली बार बिजली सामान ् य हो रही थी, तब इसके बारे में कई डर थे | मेरा मतलब, कई लोग डरते थे दरवाजे की घंटी बजाने से क ् यूंकि उसमे बिजली थी और उनके लिए वो खतरनाक थी हमारे लिए बिजली से जुड ़ ी चीजे बहुत आसान हैं हम बिजली के बल ् ब बदलते हैं बिजली के बारे में बिना सोचे हुए | बिजली के लिए हमारा सुरक ् षा नमूना कुछ ऐसा है जिसमे हम पैदा हुए हैं | हमारे बड ़ े होने के साथ यह बदला नहीं है और हम इसमें अच ् छे हैं | या सोचिये इन ् टरनेट के विभिन ् न पीढियों के लिए खतरे के बारे में — आपके परेंट ् स इन ् टरनेट सुरक ् षा के बारे में कैसे सोचते हैं, और आप कैसे सोचते हैं और आपके बच ् चे कैसे सोचेंगे | पृष ् टभूमि में नमूने आख़िरकार गायब हो जायंगे सहज ज ् ञान का दूसरा नाम परिचित होना है | तो अगर नमूना सच ् चाई के करीब है और ये हमारे अहसासों से मिल जायेंगे, और जयादातर समय आपको पता भी नहीं चलेगा | तो एक अच ् छा उदहारण इसका आता है पिछले साल स ् वीन फ ् लू से | जब स ् वेन फ ् लू पहली बार आया तब पहले पहले समाचार ने जरुरत से ज ् यादा प ् रतिक ् रिया पैदा की | अब इसका नाम है जिसने इसको और डरावना बना दिया सामान ् य फ ् लू से भले ही ये ज ् यादा घातक था | और लोगों ने सोचा डाक ् टर ् स इस लायक है कि वो इसका उपाय ढूंढ ़ लेंगे | तो यहाँ पे एक अहसास था की स ् थिति नियंत ् रण से बाहर है | और इन दोनों चीज़ों ने खतरों को वास ् तविकता से बड ़ ा बना दिया | जैसे जैसे अनूठापन गया, महीने बीतें, सहन करने की क ् षमता बढ़ी, और लोगों को इसकी आदत हो गयी अब कोई नए आंकड़े नहीं थे, लेकिन फिर भी डर कम था | शरद ऋतू के आते तक लोंगो ने सोचा कि डाक ् टर ् स ने इसे सुलझा लिया होगा | और यहाँ एक प ् रकार का द ् वि विभाजन है, लोगों को चुनना था डर और सच को स ् वीकार करने में असल में डर और उदासीनता के बीच में, उन ् होंने एक प ् रकार से संदेह चुना | और जब पिछले ठण ् ड में टीका आया, बहुत से लोग ऐसे थे - बहुत ज ् यादा - जिन ् होंने टीका लेने से मना कर दिया — एक अच ् छा उदहारण लोगों के अहसास कैसे बदलते हैं, नमूने कैसे बदलते हैं, अजीबोगरीब रूप से, कोई नयी सूचना ना होने के बाद भी, कोई नयी सूचना नहीं, ये अक ् सर होता है | मैं एक नयी जटिलता देने वाला हूँ, हमारे पास अहसास है, नमूने हैं, सच ् चाई हैं | मेरे पास सुरक ् षा का परस ् पर दृश ् य है | मैं सोचता हूँ ये देखने वाले पर निर ् भर करता है | और जयादा सुरक ् षा निर ् णयों में बहुत से लोग शामिल रहते हैं | और भागीदार जिनकी अपनी विनिमय शर ् ते हैं निर ् णय को प ् रभावित करने की कोशिश करते है | और मैं इसके उनका अजेंडा कहता हूँ | और आप देख सकते हैं कि उनका अजेंडा, ये दुकानदारी, ये राजनीति कोशिश करती रहती है कि आप एक नमूने के ऊपर दुसरे को चुने | कोशिश करते है कि आप एक नमूने को नजर अंदाज करें और अपनी भावनाओं का भरोसा करें, उन लोगों प ् रभावहीन करना जो उस नमूने का समर ् थन करते हैं जिनको आप नहीं पसंद करते | ये बहुत अनोखा नहीं है | एक उदाहरण, एक बहुत बढ ़ िया उदाहरण है, धुम ् रपान का खतरा | पिछले ५० सालों के इतिहास में, धुम ् रपान का खतरा बतलाता है एक नमूना कैसे बदलता है, और ये भी कि एक उद ् योग कैसे लड ़ ता है एक नमूने से जिसको वो पसंद नहीं करता | उसी पुरानी धूम ् रपान की बहस की तुलना में — शायद लगभग २० साल पहले | सीट बेल ् ट के बारे में सोचें | जब मैं बच ् चा था तब कोई भी सीट बेल ् ट नहीं पहनता था | आज कल कोई बच ् चा आपको गाडी चलाने नहीं देगा अगर आपने सीट बेल ् ट ना लगायी हो तो | एयर बैग की बहस की तुलना में — शायद लग भग ३० साल पहले | सारे उदाहरण नमूनों के बदल रहे है | हमने ये सीखा कि नमूनों को बदलना कठिन है | नमूनों को शक ् ति से हटाना कठिन है | अगर वो आपकी भावनाओं के करीब है तो आपको पता भी नहीं चलेगा की आपके पास एक नमूना है | और यहाँ पे एक और दिमागी पक ् षपात है, जिसे मैं कहूँगा "" सुनिश ् चित पक ् षपात "" जहाँ हम उन आंकड ़ ो को स ् वीकार करते हैं जो हमारे विशवास से मिलते हैं और उन आंकड़ों को अस ् वीकार कर देते हैं जो हमारे विश ् वासों के खिलाफ होते हैं | संभवत: हम इन ् हें नज ़ र अंदाज़ कर देंगे भले ही वो बहुत सही हो इसको बहुत ही जयादा अकाट ् य होना पड़ेगा इसके पहले की हम ध ् यान देना शुरू करें | नए नमूने जो इतने लम ् बे समय तक चलते हैं वो कठिन होते हैं | ग ् लोबल वार ् मिंग एक अच ् छा उदाहरण है | हम लोग बहुत ही भयानक है ऐसे नमूने में जो ८० साल का है | हम लोग अगली फसल तक ये कर सकते है | हम तब तक ये कर सकते है जब तक हमारे बच ् चे बड ़ े नहीं होते | लेकिन फिर भी ८० सालों के बाद भी हम लोग इसमें अच ् छे नहीं है | तो स ् वीकार करने के लिए ये एक बहुत ही कठिन नमूना है | हम दोनों नमूनों को अपने दिमाग में एक साथ रख सकते हैं, या उस समस ् या को जहाँ हम अपने विश ् वास या दिमागी असंगति को एक साथ रख रहे हैं, आखिरकार, नया नमूना पुराने की जगह ले लेगा | मजबूत अहसास एक नमूना बना सकते है | सितम ् बर ११ ने एक सुरक ् षा नमूना बनाया बहुत सारे लोगों के दिमाग में | जुर ् म के साथ खुद के अनुभव भी ये काम कर सकते हैं | खुद के स ् वास ् थ ् य का डर, समाचारों में स ् वास ् थ ् य का डर | आप देखेंगे की ये "" फ ् लेश बल ् ब "" घटनाये कहलाती हैं मनोचिक ् त ् सिक की भाषा में | वे तुरंत नमूने बना सकते है क ् यूंकि वे बहुत ही भावोत ् तेजक होते है तो इन तकनिकी दुनिया में हमारे पास अनुभव नहीं होते ताकि हम नमूनों का आंकलन कर सके | और हम दूसरों पे निर ् भर रहते हैं | हम प ् रतिनिधि पे भरोसा करते हैं | मेरा मतलब ये तब तक काम करता है जब तक ये दूसरो को ठीक करे | हम शासकीय संस ् थाओ पे भरोसा करते हैं ये बताने के लिए कि pharmaceuticals सुरक ् षित है | मैं कल ही यहाँ हवाई जहाज से आया, मैंने हवाई अड ् डे पे जांच नहीं की, मैंने दुसरे समूह पे भरोसा किया, ये पता लगाने के लिए की क ् या मेरा जहाज उड़ने के लिए सुरक ् षित है | हम लोग यहाँ है, हम में से किसी को भी डर नहीं है कि ये छत हमपे गिर सकती है | इसलिए नहीं की हमने जांच की है लेकिन हम लोग बिलकुल ये जानते है की इमारतों के मानक यहाँ अच ् छे है ये एक नमूना है जो हम स ् वीकार करते हैं बहुत कुछ बस अपने विश ् वास से | और ये सही है | अब हम जो चाहते है वो ये की लोग परिचित हो जाए अच ् छे नमूनों से और ऐसे की वो प ् रतिबिम ् बित हो उनके अहसासों में ताकि वो सुरक ् षा के विनिमय कर सके | और जब ऐसा होता है तब आपके पास दो विकल ् प होते हैं पहला, आप लोगों के अहसासों को ठीक करें, सीधे उनके अहसासों पर काम करें | ये हेराफेरी है लेकिन ये काम करती है दूसरी, ज ् यादा इमानदार तरीका, ये की आप अपना नमूना ठीक करें | बदलाव धीरे धीरे होता है | धुम ् रपान की बहस ने ४० साल लिए और जबकि वो आसान थी | इसमें से कुछ चीज़ें कठिन हैं, मेरा मतलब सच में कठिन, ऐसा लगता है कि सूचना हमारी सबसे बढ ़ िया उम ् मीद है | और मैंने झूठ बोला | याद है जब मैंने कहा भावनाएं, नमूने, सच ् चाई | और मैंने कहा था सच ् चाई नहीं बदलती है | असल में ये बदलती है | हम तकनिकी दुनिया में रहते हैं; सच ् चाई हर समय बदलती रहती है | तो हम शायद — पहली बार इस प ् रजाति में — भावनाए पीछा करती हैं नमूने का, नमूने पीछा करते हैं सच ् चाई का, और सच ् चाई भाग रही है — तो वो कभी ना मिल पायें | हम नहीं जानते | लेकिन लम ् बे समय में दोनों अहसास और सच ् चाई महत ् वपूर ् ण है | और मैं दो छोटी कहानियों के साथ इसे समाप ् त करना चाहूँगा | १९८२ - मैं नहीं जनता लोगों को ये याद भी है या नहीं — एक tylenol विष की छोटी महामारी अमेरिका में फैली थी ये एक भयानक कहानी है | किसी ने एक बोतल ली tylenol की उसमे विष भर दिया, उसे बंद किया, और उसे दराज में वापस रख दिया | किसी और ने उसे खरीदा और मर गया | इसने लोगों को डरा दिया | उसके बाद कई नक़ल हमले हुए | उसमे कोई भी असली खतरा नहीं था लेकिन लोग डरे हुए थे और इस तरह छेड़ छाड ़ सुरक ् षित drug उद ् योग इजाद हुई | छेड़ छाड ़ सुरक ् षित ढक ् कन इसी से आये | ये एक सम ् पूर ् ण सुरक ् षा थेअटर है | गृहकार ् य के रूप में इसको हराने के १० तरीके सोचिये | मैंने आपको एक बताता हूँ, एक सुई लेकिन इसने लोगों को सुरक ् षित महसूस कराया | इसने उनके सुरक ् षित होने के अहसास को और करीब लाया सच ् चाई के | आखिरी कहानी, कुछ साल पहले, मेरी एक दोस ् त ने बच ् चे को जन ् म दिया | मैं उससे मिलने हॉस ् पिटल गया, मुझे पता चला कि जब बच ् ची का जन ् म हो गया है तो, उन ् होंने एक आर. अफ. आई. दी. कंगन पहना दिया बच ् ची को, और एक वैसा ही बच ् ची की माँ को ताकि उसको माँ को छोड़कर और कोई बच ् ची को बाहर ले जाये तो एक अलार ् म बज जायेगा | मैंने कहा अच ् छा, ये बढ ़ िया है | मैं सोचा बच ् ची को चुराना नियंत ् रण से कितना बाहर है हास ् पिटल के बाहर? मैं घर गया और देखा इसके बारे में | ये असल में कभी हुआ ही नहीं | लेकिन अगर आप इसके बारे में सोचें, आप हास ् पिटल में हैं और आपको बच ् ची को माँ से दूर ले जाना हैं दुसरे कमरे में ताकि आप कोई परिक ् षण कर सके तो या तो आपके पास कोई अच ् छा बेहतर सुरक ् षा थेअटर होना चाहिए नहीं तो उसे आपका हाथ काटना पड़ेगा | (हंसी) तो ये हमारे लिए जरुरी हैं, उन लोगों के लिए जो सुरक ् षा की रचना करते हैं, जो सुरक ् षा के नियमो को देखते हैं, या बल ् कि जो जनता के नियमो को देखते हैं उन तरीको से जिससे ये सुरक ् षा पर प ् रभाव डालते हैं | ये केवल सच ् चाई नहीं हैं ये अहसास और सच ् चाई हैं | जो जरुरी हैं वो ये वे एक से रहे | ये जरुरी है अगर हमारे अहसास सच ् चाई से मिले तो हम अच ् छे सुरक ् षा विनिमय कर सकते हैं | धन ् यवाद (अभिवादन) द हाईलाइन (The Highline) एक पुरानी, ज ़ मीन से उठी हुई रेल है तीन km लम ् बी ये लाइन मैनहैटन शहर के बीच से गुज़रती है पहले ये एक माल ढोने की लाइन थी जो दसवें एवेन ् यू पर चलती थी और यह "" मौत का एवेन ् यू "" कहलाने लगी बहुत लोग रेल के नीचे आ जाते थे इसीलिए एक घुड ़ सवार किराए पर रखा गया, और वह "" वैस ् ट साइड काओबोय "" कहलाने लगा. घुड ़ सवार के होते हुए भी लगभग एक महीने में एक आदमी मर जाता था इसलिए लाइन ऊंची कर दी गई उन ् होंने इसे हवा में तीस फीट ऊपर बनाया, शहर के बिलकुल बीच में लेकिन अंतर-राज ् य ट ् रकों के बढ ़ ने से इसका इस ् तेमाल कम से कम होने लगा और 1980 में आखिरी ट ् रेन चली लोग कहते हैं, ट ् रेन जमी हुई टर ् कियों से लदी हुई थी - यह मांस पैक करने वाले जिले से थैंक ् सगिविंग त ् यौहार के लिए आ रही थी. उसके बाद इसे त ् याग दिया गया. मैं इसी इलाके में रहता हूँ और मैंने इसके बारे में पहली बार न ् यू योर ् क टाइम ् स में पढ़ा, एक लेख में इसे गिराने की बात थी. मैंने मान लिया की कोई इसे बचाने की कोशिश कर रहा होगा और मैं उनका साथ दे दूंगा पर कोई कुछ नहीं कर रहा था मैं अपनी पहली सामाजिक बोर ् ड की बैठक में गया जिसमें मैं आज तक नहीं गया था — मैं जोशुवा डेविड (Joshua David) नामक एक व ् यक ् ति के पास बैठा, जो एक यात ् रा लेखक हैं बैठक ख ़ तम होने के बाद, हमने जाना कि अकेले हम दोनों ही को इस काम में दिलचस ् पी थी; ज़ ् यादातर लोग इसे गिराना चाहते थे. तो हमने व ् यापार कार ् ड एक दूसरे को दिए, एक दूसरे से बातचीत करते रहे और एक संस ् था शुरू करने का फैसला किया, हाई लाइन के दोस ् त. शुरुआत में लक ् ष ् य सिर ् फ उसे गिरने से बचाना था, पर ये भी सोचना था की इसके साथ हम क ् या कर सकते थे. जिसने मुझे सबसे पहले आकर ् षित किया, वो यह दृश ् य था — ये स ् टील का ढांचा, जंग खाया हुआ यह औद ् योगिक अवशेष. पर मैं जब ऊपर गया तो तीन km लम ् बी जंगली फूलों की कतार देखी मैनहैटन के बीचों-बीच गुज़रती हुई एम ् पायर स ् टेट बिल ् डिंग, स ् टैचू ऑफ ़ लिबर ् टी और हडसन नदी के दृश ् यों के साथ और यहाँ से हमारी असली शुरुआत हुई विचार ये था कि इसे एक उद ् यान बनाया जाए और पार ् क की प ् रेरणा ली जाए इस जंगली दृश ् य से. उस समय, इसको लेकर बहुत विरोध था मेयर गिलानी इसे गिराना चाहते थे. मैं तेज़ी से आगे बढूंगा, बहुत सारे मुकद ् दमे हुए और बहुत सारी सामूहिक बैठकें. फिर मेयर ब ् लूमबर ् ग नियुक ् त हुए वे बढे सहायक थे, पर हमें अभी भी एक आर ् थिक तर ् क बनाना था. यह 9 / 11 के बाद की बात है; शहर मुश ् किल दौर में था. तो हमने एक आर ् थिक साध ् यता अध ् ययन का अभियान किया तर ् क बनाने की कोशिश में. पर हमारे आंकड़े गलत निकले. हमे लगा था कि निर ् माण में 10 करोड ़ डॉलर लगेंगे. अभी तक 15 करोड ़ डॉलर लग चुके हैं. और मुख ् य तर ् क यह था कि, इससे शहर को अच ् छा आर ् थिक लाभ होगा. 20 साल के समय में, शहर को प ् रोपर ् टी के दाम बढ ़ ने से और टैक ् स आय बढ ़ ने से कुल 25 करोड ़ डॉलर का लाभ होगा. इतना ही काफी था. शहर अब पूरी तरह से इसके पीछे था. पर हम गलत थे. अब लोगो के अनुमान से इसने करो की आय में 50 करोड ़ बढ ़ ा दिए थे या बढ ़ ा देने वाले था हमने एक डिजाइन प ् रतियोगिता रखवाई, एक डिजाइन दल चुना. उनके साथ मिलकर एक डिजाइन रचा जो उस जंगली फूलो की कतार से प ् रेरित था. उद ् यान के तीन भाग हैं. हमने पहला भाग 2009 में खोला. यह हमारे सपनो से परे कामियाब हुआ. पिछले साल यहाँ 20 लाख लोग आये, जो हमारे अनुमान से 10 गुना ज ् यादा था. ये मेरे सबसे पसंदीदा भागों में से एक है. ये दसवें एवन ् यू के ठीक ऊपर जो अखाड ़ ा है. और पहला भाग फिलहाल बीसवी स ् ट ् रीट पर ख ़ तम होता है. एक बात और, इसने, यक़ीनन, बहुत आर ् थिक लाभ करवाया है; इसने कई प ् रसिद ् ध आर ् किटेक ् चर को भी प ् रेरित किया है. एक ऐसी जगह है, जहाँ खड़े होकर आप Frank Gehry, Jean Nouvel, Shigeru Ban, और Neil Denari की डिजाइन की हुई इमारतें देख सकते हैं. द व ् हिटनी म ् यूस ् यम शहर में आ रहा है वे अपना नया म ् यूस ् यम ठीक द हाई लाइन के नीचे बना रहे हैं. और इसका डिजाइन Renzo Piano ने किया है. वे निर ् माण कार ् य मई में शुरू करने वाले हैं. और हमने तो दूसरे भाग का निर ् माण कार ् य भी शुरू दिया है. यह मेरा सबसे पसंदीदा दर ् शन है, यह फ ् लाईओवर जहाँ आप 8 फीट द हाई लाइन की तह से ऊपर हैं, वृक ् षों के एक मंडप से गुज ़ रते हुए. द हाई लाइन पहले विज ् ञापनों से ढकी रहती थी, तो हमने इसे एक हास ् य मोड ़ दिया, जहां, विज ् ञापनों की जगह लोगों को शहर के दृश ् यों में दिखाया जाएगा. ये पिछले महीने ही बना था. और फिर अंतिम भाग रेल यार ् ड के चारों ओर चलने वाला था, जो कि मैनहैटन में सबसे बड ़ ी अविकसित जगह है. शहर ने योजना बनाई है - अच ् छे या बुरे के लिए — 1.2 करोड ़ वर ् ग फीट जगह का विकास करने की जिसके आसपास द हाई लाइन एक मुद ् रिका बनाएगी. पर मेरे हिसाब से, द हाई लाइन को विशेष बनाने वाले लोग हैं. ओर सच में, हालांकि जो हम डिजाइन बना रहे थे वो मुझे बेहद पसंद है, मुझे हमेशा डर था कि मुझे यह पसंद नहीं आएगा, क ् यूंकि मुझे उस जंगली फूलो की कतार से प ् यार हो गया था — और वह जादू कोई कैसे दोबारा बना सकता? लेकिन मैंने पाया कि यह तो लोगों पर निर ् भर है, वो इसे कैसे इस ् तेमाल करते हैं यह बात, मेरे लिए, इसे अत ् यंत विशेष बनती है. एक छोटा सा उदहारण - पार ् क खोलने के तुरंत बाद ही मैंने देखा कि लोग लाइन पर हाथ पकड़ कर चल रहे थे. और फिर मुझे याद आया कि न ् यू यार ् क के लोग हाथ नहीं पकड़ते; हम वो चीज ़ बाहर करते ही नहीं हैं. पर आप यह द हाई लाइन पर होते हुए देखते हैं, और मैं समझता हूँ यही क ् षमता है एक सार ् वजनिक जगह की जो बदल सकती है कि कैसे लोग शहर का आनंद लेते हैं और एक दूसरे से बातचीत करते हैं. धन ् यवाद. (अभिवादन)