ग्लोबल वायसेज़ को चाहिये एक विडियो संपादक ग्लोबल वायसेज़ एक विडियो एडीटर की भर्ती करना चाहता है। विडियो संपादक पर दुनिया भर के सिटीज़न निर्मित आनलाईन विडियो पर नज़र रखने और सप्ताह में 2-3 दफा ग्लोबल वायसेज़ के जालस्थल पर प्रकाशित लेखों में इसे प्रस्तुत करने का दायित्व रहेगा। विडियो संपादक शेष ग्लोबल वायसेज़ संपादकीय विभाग (कार्यकारी, क्षेत्रिय व भाषाई संपादक) के साथ तारतम्य में काम करेगा तथा उसे आनलाईन संपादकीय बैठकों में नियमित भागीदारी करनी होगी। चुंकि ग्लोबल वायसेज़ एक वर्चुअल यानि आभासी संस्था है अतः विडियो संपादक अपने वर्तमान निवास स्थान से काम कर सकेंगे। परंतु हाय स्पीड इंटरनेट की लगातार उपलब्धता इस कार्य के निर्वहन के लिये एक महत्वपूर्ण कारक है। हमारे आदर्श प्रत्याशी का दृष्टिकोण अंतर्राष्ट्रीय होना चाहिये तथा ब्लॉगिंग तथा आनलाईन सिटीजन मीडीया, और खास तौर पर आनलाईन विडीयो के क्षेत्र में उसे बढ़िया अनुभव होना चाहिये। अंग्रेज़ी लेखन, संपादन में सिद्धहस्तता अनिवार्य है पर नवीनतम टूल्स, जालस्थलों और दुनिया में आनलाईन विडियो के रुख की जानकारी होना ज्यादा अहम है। प्रत्याशी में बिना किसी पर्यवेक्षण के स्वतंत्र रूप व जिम्मेदारी से काम करने की क्षमता होनी चाहिये। आदर्श स्थिति में प्रत्याशी में अंग्रेज़ी के अलावा कम से कम एक और भाषा पढ़ने लिखने की क्षमता होनी चाहिये और दूसरी भाषाओं का काम चलाउ ज्ञान होना चाहिये। अमेरिका तथा दक्षिणी युरोप के बाहर के प्रत्याशियों को वरीयता दी जायेगी। आवेदन करने हेतु अपना सीवी तथा आवेदन पत्र editor@globalvoicesonline. आवेदन की अंतिम तिथि है 24 अगस्त 2007। मिस्र: लिओनार्डो डा विंची अरब थे? इंसांडर अल अमरानी एक लेख की ओर ईशारा करते हैं जिसमें दावा किया गया है कि लिओनार्डो डा विंची शायद अरबी मूल के थे। बोस्निया व हर्जे़गोविना: "ज़िंदगी का लुत्फ लो" विडियो अभियान अंतर्जाल पर नकारात्मक रवैये की बहुलता के बारे में बोस्निया ब्लॉग लिखता है, "गूगल या यूट्यूब पर साधारण सी खोज करें और आप को नतीजे मिलेंगे आतंकवादियों, युद्ध और जातिसंहार के बारे में"। पर "अच्छी चीज़ें" भी विद्यमान हैं और उनको दिखाना ही "एंजॉय लाईफ" यानि "ज़िंदगी का लुत्फ लो" विडियो अभियान का उद्देश्य है। जमैका: 45 साल बाद जमैका ने हाल ही में अपनी आज़ादी की 45वीं वर्षगाँठ मनाई। डेनिस जोन्स इस देश की प्रगति का जायजा ले रहे हैं। चीन: गूगल और बायडू का पैरोडी संग्राम विलियम लाँग ने गूगल और बायडू द्वारा निर्मित कुछ पैरोडी विडियो पोस्ट किये हैं जिनमें गूगल ने बायडू को "हंड्रेड पॉयज़न" यानि ज़हरीला पुकारा तो बायडू ने गूगल को विदेशी बाहरी कंपनी कह कर चिढ़ाया। चीन के विज्ञापनों में स्पूफ या पैरोडी एक लोकप्रिय विधा बन गई है। ट्रिनिडाड व टोबैगो: तकनीक का फंदा? नोप्रोज़ ने हमारे जीवन पर तकनलाजी के प्रभाव पर कई सवाल उठाये हैं पर ये भी कहते हैं, "एक चीज तो पूर्णतः स्पष्ट है, हम एक बार में केवल एक ही काम कर सकते हैं"। मालदीव: बाल यौन शोषकों का गुप्त आश्रय मालदीव में हाल ही में एक न्यायाधीश द्वारा चार बलात्कारियों को हल्की सज़ा देने की घटना पर खासा बवाल मचा है। न्यायाधीश ने निर्णय इस आधार पर लिया कि पीड़ित बालिका ने शोर नहीं मचाया या चिल्लाई नहीं इसलिये इस व्यभिचार में उसकी सहमती शामिल थी। तिस पर बलात्कारियों को दूसरे द्वीप समुदाय पर निर्वासित कर दिया गया जहाँ वे दूसरे बच्चों को अपना शिकार बना सकते हैं। एक अन्य घटना में हाई स्कूल की एक छात्रा ने आरोप लगाया कि उसके गणित के शिक्षक ने ट्यूशन के दौरान उसका यौन शोषन किया। शाला प्रशासन ने घटना को खास महत्व न देते हुये किसी जाँच के पहले ही विदेशी शिक्षक को देश छोड़ने की अनुमती दे दी। एक और घटना में दूरस्थ गोईधू द्वीप से कई लड़कियों ने आरोप लगाया कि उनके कुरान के शिक्षक, जो द्वीप का ईमाम भी है, ने उनका दैहिक शोषण किया है। एक संक्षिप्त जाँच के बाद ईमाम को समुदाय में लौटने की इजाज़त दे दी गई। मालदीव हेल्थ ब्लॉग ने मामले का ज़िक्र करते हुये लिखा फिर वही मामला। उन्होंने ये पहले स्वीकारा है। और ये दुबारा हुआ। इस दफा एक बारह वर्षीय बालिका को दुष्ट बलात्कारियों के साथ यौन संबंध बनाने की "अनुमती देते" पाया गया। सिर्फ इसलिये कि वो चिल्लाई नहीं, इसका ये मतलब तो नहीं कि उसने सहमती दी। ये बेहद हास्यास्पद है। मुझे बेहद गुस्सा आता है। एक बारह साल की बच्ची तो इतना सहम जायेगी कि उसके मुंह से आवाज़ क्या निकलेगी। ब्लॉग का कहना है कि मालदीव की सरकार "मालदीव में बच्चों के यौन शोषण पर चुप्पी साधे बैठी है"। जा का चिट्ठा न्यायाधीश के निर्णय, कि बलात्कार में लड़की की सहमती थी, की आलोचना करता है मैं अक्सर मालदीव कि खबरें पढ़ता रहता हूँ और आजकल चलते पागलपन को बर्दाश्त करने की चेष्टा करता हूँ पर किसी भी और घटना ने मुझे इतना उद्वेलित और क्रोधित नहीं किया जितना कि 4 खूंख्वार दरिंदों द्वारा यौन शोषित एक 12 वर्षीय बालिका पर दिये निर्णय की खबर ने। मालदीव्ज़ टुडे ने "बाल यौन शोषकों का स्वर्ग" नामक अपनी प्रविष्टि में मालदीव में बाल यौन शोषण के इतिहास का वर्णन किया है और ये नतीज़ा बताया है कि मालदीव की सरकार का आरोपित बाल यौन शोषकों को माफी देने और अपराधियों को सज़ा न देने का लंबा इतिहास है। ये चिट्ठा देश के तानाशाह मोमून अब्दुल गय्यूम के आरोपियों के प्रति ढीले रवैये की निंदा करता है बाल अधिकारों पर संधि CRC के हस्ताक्षरक होने के नाते मालदीव को संस्था द्वारा देश में बाल अधिकारों की शोचनीय स्थिति पर लताड़ा गया है। अब्दुल गय्यूम ने न केवल बच्चों के शोषकों को खुला समर्थन दिया है बल्कि अपने तीन दशक के राज में एक भी ऐसे कानून का प्रावधान नहीं किया जो बच्चों के दैहिक शोषण से रक्षा कर सके। नतीजन मालदीव में बाल यौन शोषण का प्रचुरोद्भवन हुआ है। इस वर्ष प्रकाशित एक सर्वेक्षण में मालदीव में बाल यौन शोषण की बहुतायत पर प्रकाश डाला गया है। इसके नतीजों के मुताबिक, 15 से 49 आयुवर्ग में हर तीन में से एक औरत को शारीरिक या यौनिक शोषण का सामना करना पड़ा है जबकि 15 साल से कम आयुवर्ग में हर 6 में से एक औरत यौन शोषण का शिकार हुई है। ये सर्वेक्षण केवल स्त्रियों पर केंद्रित था इसलिये सामाजिक कार्यकर्ताओं का यह कहना सही है कि बाल यौन शोषण के आँकड़ें कहीं अधिक होंगे। अगर समस्त बच्चों के आँकड़ों को लिया जाय तो मालदीव में बाल यौन शोषण के मामले शायद दक्षिणी एशिया में सर्वाधिक होंगे, शायद ये विश्व में भी सर्वाधिक हों। बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जिम्मेवारी संभालती मंत्री एइसाथ मुहम्मद दीदी, जो तानाशाह के काबिना में शामिल होने के पूर्व यूनिसेफ में काम करती थीं, ने सर्वेक्षण के नतीजों को खास महत्व नहीं दिया। दीदी ने मिनिवैन न्यूज़ को बताया है कि बच्चों के यौन शोषन के आँकड़ों में दूसरे देशों की ही तरह कमी आई है। बाल यौन शोषकों की तरफदारी करते एक तानाशाह और उसके मंत्री के होते मालदीव के चिट्ठाकार कड़े मुकाबले का सामना कर रहे हैं। पर कम से कम चिट्ठासंसार में तो इस स्वर्ग में बाल यौन शोषण का छुपाया गया राज़ अब राज़ नहीं है। कोरिया में आयु गणना के दो तरीके हैं, कोरियाई तरीका और पश्चिमी तरीका। आधिकारिक रूप से कोरियाई तरीका ही मान्य है। जैसे ही आपका जन्म होता है आप एक साल के हो जाते हैं। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आप किस माह पैदा हुये (जैसे कि 31 दिसंबर), अगले वर्ष (यानि 1 जनवरी को) आपकी आयु दो साल हो जायेगी। आयु गणना के इस कोरियाई तरीके से कुछ समय पहले तक न तो दिक्कते थीं और न ही कोरियाई लोग इस की शिकायत करते थे। पर जैसे जैसे कोरियाई लोगों के अन्य जगह के लोगों से मिलने के अवसर बढ़ते जा रहे हैं अपनी आयु बताने के मामले में वे उतना ही चकरा जाते हैं। और उन्हें ये एहसास हो रहा है की समान आयु के गैर कोरियाई लोगों की तुलना में उन्हें बड़ा माना जाता है। इसके अलावा, आयु गणना में इस भेद और असम्मति से कम्फर्ट वुमेन (दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानी सैनिक वैश्यालयों में कार्यरत औरतें) के वक्तव्य को हाल ही में लगभग झूठे कथन मान लिया गया। एक जाल प्रयोक्ता ने आयु गणना के कोरियाई तरीका को पश्चिमी तरीके से एकीकृत करने की अपील एक जालस्थल "नेटीज़न अपील" में की। इस अपील के कई जवाब मिले। नाईजीरिया: अश्वेत महाशक्ति? ये बात तो सर्वज्ञात है कि नाईजीरिया अफ्रीका में सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है और दक्षिण अफ्रीका में सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति भी। ये भी काफी हद तक व्यापक तथ्य है कि नाईजीरिया की सेना क्षेत्र के सामरिक महत्व के इलाकों में हस्तक्षेप कर रही है। पर जो तथ्य ज्यादातर लोगों को मालूम नहीं वो यह है कि नाईजीरिया की फिल्में अब अफ्रीका भर में वैसे ही धूम मचा रही हैं जैसी धूम 80 के दशक में बॉलीवुड का सिनेमा नाईजीरिया में मचा रहा था। ये सब जोड़ कर देखें, आपको एक अश्वेत महाशक्ति मिल जायेगी। चीन: सेक्स और संस्कृति का इतिहास शंघाइस्ट ब्लॉग्स की केनेथ टैन ने शंघाई में शीघ्र आयोजित सेक्सपो और पुरातन चीन में सेक्स व संस्कृति के इतिहास पर लिउ डालिन की वार्ता के बारे में लिखा है। आर्मीनिया: विश्व बैंक ने दिया जवाब भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही विश्व बैंक ने अब आर्मीनियाई चिट्ठाकार ओनिक क्रिकोरियन को औपचारिक जवाब भेजा है। हालांकि ओनिक मानते हैं कि अगर वो कुछ छुपा नहीं रही है तो उसे आधिकारिक रूप से कारणों की खुली छानबीन शुरु करनी चाहिये। पाकिस्तानः इमरजेंसी नहीं जब पूरा मुल्क ही पाकिस्तान में इमरजेंसी लागू करने की आशंका जता रहा है इस बीच आल थिंग्स पाकिस्तान को उम्मीद है कि ये सिर्फ एक अफवाह है। आज वैसे ये खबर पक्की हो गई कि पाक सरकार इमरजेंसी लागू करने पर विचार नहीं कर रही थी। बांग्लादेश: बाढ़ और तबाही इंपरफेक्ट वर्ल्ड 2007 ने ढाका हवाई अड्डे के आसपास के हवाई चित्र प्रकाशित किये हैं जिनसे पता चलता है कि काफी बड़े इलाके अब भी पानी की चपेट में हैं। कुवैत: पजामे फैशन में बोर्ड कुवैती समझ नहीं पा रहे हैं कि कुछ लोग पजामे पहन कर घर से कैसे निकल जाते हैं। भारतः तसलीमा नसरीन पर हमला निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन पर हैदराबाद में एक बलवाई भीड़ ने हमला किया जिसमें मजलिस इत्तेहाद‍ उल मुस्लीमीन पार्टी के तीन राज्य विधान सभा सदस्य भी शामिल थे। इंडीक्विल और जानकारी दे रहे हैं। यूक्रेनः दुनिया का सबसे लंबा इंसान इटरनल रेमाँट दुनिया के सबसे लंबे आदमी का बारे में लिख रही हैं जो है यूक्रेन का एक 37 वर्षीय युवक। स्लोवेनियाः अच्छा भी, बुरा भी द ग्लोरी आफ कारलिओला स्लोवेनिया के बारे में पाँच अच्छी और पाँच बुरी बातें बता रही हैं। हाँगकाँग : फ़र का त्याग विश्व की शीर्ष मॉडल जोआना कृपा ने हाँगकाँग में "नो फ़र" अभियान के तहत अपनी नग्न तस्वीर खिंचवाई। पर लिटलओस्लो को पोस्टर की डिज़ाइन खास आकर्षक नहीं लगी। उज़्बेकिस्तान: रूस की मदद खाड़ी में कामगार अधिकारों पर वृत्तचित्र ट्यूनिशियाः बक्लवा के समाचारपत्र ये एक ट्यूनिशियाई अखबार में छपा विज्ञापन है जिसमें पाठकों को ग्राहक बनने के एवज़ में बादाम से बने बक्लवा (पतली पेस्ट्री, सूखे मेवे के कतरों और शहद से बने मिष्ठान्न) का पैकेट भेजने की पेशकश की गई है। हमें ये भी मालूम नहीं कि इस पर सनियम विक्रय के नियम लागू होते हैं या फिर कि ये विपणन की आधुनिक तकनीकों का हिस्सा है. जो भी हो, प्रतिस्पर्धा के दरवाज़े खोलने की ओर यह बढ़िया कदम है और इसके बाद हम और बेहतर चीज़ों की भी अपेक्षा रख सकते हैं, मसलन "इस अंक के साथ एक परिशिष्ट और एक केक मुफ्त पाईये" या "पैगंबर के जन्मदिन के पहले पाठक बनने वालों को और मिष्ठान्न" या फिर "क्या आपकी पत्नी गर्भवती हैं? अभी पाठक बनें और एक उपहार मुफ्त पायें"। सूडान में काँडोम की खरीदी सूडान में काँडोम साथ रखने को विवाहेत्तर यौन संबंध बनाने की तैयारी माना जा सकता है। पर जीजू लिखते हैं कि वे हर जगह काँडोम बिकते देख रहे हैं ‍दवा की दुकानों में, किराने की दुकानों में, नाई के यहाँ। "मैं प्रभावित हूं", वे लिखते हैं, "इन सरकारी अधिकारियों से जो अपने सेवाभाव के कारण (काँडोम के प्रचार करने का) खतरा उठा रहे हैं"। जापान: भीमकाय पुतला एडो पिंक टेंटकल स्थित विशालकाय याँत्रिकी पुतले ओ-न्यूडो से परिचय करा रहे हैं। ओ-न्यूडो एक जापानी पौराणिक राक्षस है जिसके बारे में यह धारणा है कि उसकी ओर देखने से भी लोग बीमार पड़ जाते हैं। सिएरा लिओन: कुछ चुनावी तथ्य सिएरा लिओन में हो रहे चुनाव के बारे में कुछ तथ्यः आधे से ज्यादा मतदाता 35 वर्ष से कम आयु के हैं राष्ट्रपति पद के लिये 7 दावेदार मैदान में हैं 112 संसदीय सीटों के लिये 566 उम्मीदवार हैं मतपत्रों को ट्रकों, डोंगियों, कुलियों के द्वारा तकरीबन 6176 सवाना, जंगलों और पहाड़ों स्थित मतदान स्थलों तक पहुंचाया गया। मिस्र: भारी सफ़र ज़िनोबिया मज़ाक में लिखती हैं कि मिस्र के लोग जब छुट्टी में भ्रमण पर निकलते हैं तो अपना सारा घर ही पैक कर साथ ले जाते हैं। बाहरीन: 36वां स्वाधीनता दिवस महमुद अल युसुफ लिखते हैं कि बाहरीन अंग्रेज़ों से स्वाधीन होने की 36वीं वर्षगाँठ मना रहा है। मंगोलियाः बेघर बच्चों की करुण व्यथा बोनी वायेड वर्ल्ड विज़न के एक विडियो का पता दे रही हैं जो मंगोलिया के बेघर बच्चों की व्यथा कथा बताता है। मोलडोवाः प्रवासी कामगार और अर्थव्यवस्था मोलडोवा मैटर्स के मुताबिक, "टोगो के बाद मोलडोवा ऐसे देशों की कतार में दूसरा है जिनकी अर्थव्यवस्था प्रवासी कामगारों द्वारा विदेश से भेजे धन पर निर्भर है" पाकिस्तान: तालिबानीकरण केओ पाकिस्तान के तालिबानीकरण की टाईमलाइन प्रस्तुत करते हैं, "ये कोई कल ही की बात नहीं है कि ये आया और सहसा समूचे देश के सर पर वज्रपात की तरह गिरा, ये काफी दिनों से पक रहा था"। जापान में गर्भनिरोधक नीओमार्क्सिस्मे जापान में गर्भनिरोधकों के उपयोग के बारे में लिखती हैं, "जापान दुनिया के उन गिने चुने देशों में से है जहाँ 90 के दशक में काँडोम का प्रयोग घटा है और 70 फीसदी जापानी औरतें गर्भनिरोधक गोलियों लेने की सोचती भी नहीं". जिंबाबवे: ग्लोबल वायसेज़ आनलाईन काली सूची में जिंबाबवे की सरकार ने ग्लोबल वायसेज़ आनलाईन को काली सूची में डाल दिया है, "स्पष्टतः, ग्लोबल वायसेज़ एंग्लो सैक्स्न्स के खिलाफ हमारे न्यासंगत आंदोलन को अनुचित साबित करने के "द्रोही दुष्प्रचारकों" में से एक है"। ZANU-PF सरकार द्वारा काली सूची में डाले गये 41 जालस्थलों में से हमारा चिट्ठा और हमारे जिम्बाबवे संवाददाता, ज़िमपंडित का निजी चिट्ठा भी शामिल है। ट्रिनिडाड व टोबैगो: विंडीज़ की दिक्कत वनीसा बक्श सोचते हैं कि वेस्ट इंडीज़ क्रिकेट बोर्ड को कप्तान रामनरेश सर्वन की बात सुननी चाहिये कि वेस्ट इंडीज़ क्रिकेट की दिक्कत क्या है। रूसः जातिवाद अर्जेंटीना: कारपूल की साईट "ब्लॉग पासा एन ब्यूनस आयर्स" एक नये जालस्थल "कोम्पार्ते कोच" के बारे में लिखते हैं जो ब्यूनस आयर्स नगर में कारपूलिंग के लिये जोड़ीदार खोजने में यात्रियों की मदद करेगा। तुर्की ने वर्डप्रेस डॉट कॉम पर रोक लगाई लोकप्रिय व मुफ्त ब्लॉगिंग प्लेटफार्म वर्डप्रेस डॉट कॉम पर तुर्की में रोक लगा दी गई है और आगंतुकों को ये संदेश दिख रहा है, "निर्णय क्रः 2007/195 के तहत इस जालस्थल की पहुंच स्थगित कर दी गई है। वर्डप्रेस के संस्थापक मैथ्यू मुलेनवेग ने कहा, "मुझे पता न था कि तुर्की के पास चीन की तरह ग्रेट वॉल आफ फायरवाल है। ये बेहद दुर्भाग्यशाली बात है क्योंकि तुर्की का ब्लॉगर समुदाय काफी सक्रिय है और हमें तकरीबन 12 करोड़ पेजव्यू वहाँ से मिलते हैं। पाकिस्तान फिल्मों के 60 साल मेट्रोब्लॉगिंग लाहौर, लाहौर स्थित पाकिस्तानी फिल्म उद्योग के साठ साल पूर्ण होने पर। भारत : चेन्नई में तमिल ब्लॉग कैम्प चेन्नई, भारत में 5 अगस्त 2007 को तमिल ब्लॉगर्स. ऑर्ग ने एक ब्लॉग-कैम्प आयोजित किया. ब्लॉग-कैम्प में आशा से दुगुनी संख्या में - तीन सौ से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया. पिछले साढ़े चार वर्षों से तमिल चिट्ठे लोकप्रियता की नई सीढ़ियों पर निरंतर चढ़ते चले आ रहे हैं. आरंभ में तमिल चिट्ठों को नेट पर प्रचारित के लिए सभी तरह के उपाय किये गए. बाद में ऐसे ही प्रयास सिंगापुर से लेकर टोरंटो और सिडनी से भी किए गए. और जब लोगों में रूचि जगी तो तमिल भाषा के चिट्ठाकार दिन दूनी रात चौगुनी के दर पर बढ़ने लगे. इससे पहले, कोयम्बटूर, तमिलनाडु में मई 2007 में एक छोटा सा चिट्ठा सम्मेलन आयोजित किया गया था. उस सम्मेलन ने चेन्नई में 5 अगस्त 2007 को ब्लॉग कैम्प आयोजित करने हेतु उत्प्रेरक का कार्य किया. लगभग 30 चिट्ठाकारों ने पिछले कई माह से इस आयोजन के लिए दिनरात कार्य किया और इस हेतु कोई 1000 ईमेल संदेशों का आदान-प्रदान इसके ई-पत्र समूह में हुआ. आयोजन की सफलता के लिए सभी ने हर स्तर पर अपने तईं प्रयास किए. और, कैम्प आयोजित हुआ भी एक सुंदर स्थान पर! मद्रास विश्वविद्यालय ने ब्लॉग कैम्प आयोजित करने हेतु अपने परिसर के इस्तेमाल की सहर्ष अनुमति दी. इंटरनेट सेवा प्रदाता सिफी ने मुफ़्त इंटरनेट की सुविधा प्रदान की. व्यापारिक संस्थाओं तथा चिट्ठाकारों से चंदा और अनुदान प्राप्त हुए. यह ब्लॉग कैम्प दो भिन्न स्तरों पर हुआ. एक तो वर्तमान चिट्ठाकारों के लिए था जहाँ चर्चाएँ असम्मेलन (unconference) शैली में होती रहीं. ऐसे कैम्पों की सफलता का पैमाना होते हैं – उनके प्रतिभागी. इस मायने में यह ब्लॉग कैम्प भी पूर्णतः सफल रहा. प्रतिभागियों में से बहुतों ने कैम्प में ही जीमेल खाता प्रारंभ करने के तत्काल बाद अपना तमिल चिट्ठा प्रारंभ किया. बहुतों ने तो इंटरनेट पर तमिल को पहली बार सुखद अनुभूति से देखा. उन्हें ऑडियो पॉडकास्ट के बारे में बताया गया. प्रतिभागियों में से सिर्फ ये ही नहीं थे जिन्होंने अपने टेलिफोन नंबरों का आदान-प्रदान किया. आमतौर पर प्रत्येक प्रतिभागी को व्यक्तिगत सहायता उपलब्ध करवाई गई. आयोजकों को उम्मीद है कि 50-100 नए तमिल चिट्ठाकार इस कैम्प के जरिए बनेंगे. किसी भी और चीज से ज्यादा, इस ब्लॉग-कैम्प ने एक बड़े उत्प्रेरक का कार्य किया है और तमाम विश्व के तमिल चिट्ठाकार अपने अपने शहरों में अपने साथी चिट्ठाकारों से चर्चारत हैं कुछ इसी किस्म के आयोजनों के लिए. चेन्नई के बाहर के लगभग सभी चिट्ठाकारों ने जिन्होंने इस समारोह में हिस्सा लिया, वे अपने शहरों में ऐसे ही ब्लॉग-कैम्प आयोजन के लिए खासे उत्सुक नजर आए. अगले ब्लॉग कैम्प की घोषणा सुनने के लिए तमिल चिट्ठा संसार बेसब्र है. कुछ स्मारक प्रतीकों के साथ ही तमिल में लिखने के आवश्यक अनुप्रयोगों के सॉफ्टवेयर सीडी प्रतिभागियों को प्रदान किए गए. दिलचस्प बात ये रही कि नाश्ते व दोपहर के भोजन युक्त इस कैम्प के लिए प्रतिभागियों से कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया गया. इस प्रविष्टि को लिखने के लिए निम्न चिट्ठा प्रविष्टियों से संदर्भ लिए गए: 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15. इराकः कार धमाके की गवाह अपने परिवार के साथ मछली पकड़ने के ट्रिप पर निकलने के कुछ घंटों पहले ही इराकी चिट्ठाकार सनशाइन अपने पड़ोस में हुये कार बम के धमाके से दहल गईं। कुवैतः तेल का पैसा गया कहाँ? कुवैत से ज़ेड आश्चर्य प्रकट करते हैं कि तेल से बनाया पैसा अरब देश आख़िर कहाँ खरचते हैं, जबकि विश्व के 500 शीर्ष शिक्षा संस्थानों में केवल एक ही अरब विश्वविद्यालय शामिल है। बाहरीन: आतंवादियों का आयात बाहरीनी चिट्ठाकार ईमूड्ज़ हैरत जताते हैं कि कैसे एक कथित आतंकवादी का, सउदी अरब में आतंकवाद के पूर्व मामले दर्ज होने के बावजूद, बाहरीन में स्वागत किया गया। ग्लोबल वॉयसेज़ शोः अंक 5 (एमपी3) : चलाये | पॉपअप में चलायें | डाउनलोड करें (एएसी) : चलाये | पॉपअप में चलायें | डाउनलोड करें आखिरकार, ग्लोबल वॉयसेज़ का पाँचवा अंक आ ही गया! इस के अलावा सुनिये ये गीतः को चाओ चिंग का "ब्लैक हार्ट" तथा गॉर्डन सूटकेस का "इन डेव्हलपमेंट"। इन दोनों गीतों को रीमिक्स किया है मोशांग ने और ये रीमिक्स "एशियन वेरिएशंस" संग्रह से लिये गये हैं। ग्लोबल वॉयसेज़ शो का ये अंक निम्नलिखित प्रारूपों में उपलब्ध हैः: एमपी3 (16:50 मिनट; 15. 5 एमबी) एन्हैंस्ड एएसी (16:50 मिनट; 16. 6 एमबी) - जिसमें चित्र व कड़ियां समाविष्ट हैं। ये आईट्यून्स तथा आईपॉड के नये मॉडलों के लिये है। या फिर निम्नलिखित कड़ियों द्वारा पॉडकास्ट के नियमित श्रोता बनें: एमपी3 (सभी ग्लोबल वॉयसेज़ पॉडकास्ट) - आरएसएस | आईट्यून्स (पॉडकास्ट पृष्ठ) | आईट्यून्स (सीधी सब्सक्रिप्शन कड़ी) | ओडियो एएसी (ग्लोबल वॉयसेज़ शो) - आरएसएस | आईट्यून्स (पॉडकास्ट पृष्ठ) | आईट्यून्स (सीधी सब्सक्रिप्शन कड़ी) Podcast: Play in new window | Download बंगाली चिट्ठे : चहुँओर तसलीमा बांग्लादेश की निर्वासित, तेजतर्रार लेखिका, तसलीमा नसरीन के ऊपर एमआईएम (मजलिस - ए - इत्तेहादुल - मुसलिमीन) के कार्यकर्ताओं ने हैदराबाद, भारत के एक प्रेस क्लब में हो रहे एक कार्यक्रम के दौरान हमला किया. एमआईएम का दावा था कि लेखिका ने पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान इस्लाम के विरुद्ध घिनौने वक्तव्य दिए जिससे हमला भड़का. उस समूह ने तसलीमा के विरुद्ध पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवाई जिसके आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड विधान की धारा 153-अ के अंतर्गत (विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता भड़काने की) रपट दर्ज कर ली है. हैदराबाद के प्रेस क्लब में बंगाली लेखिका तसलीमा नसरीन को आक्रमणकारियों से बचाया जा रहा है (फोटो: नोआह सलीम/एएफपी) इधर दूसरी तरफ़ जनता और मीडिया ने इस हमले की तीख़ी भर्त्सना की है और हमलावरों पर नरम रूख अपनाने के मुद्दे पर सरकारी रवैये की आलोचना की है. यह घटना तेजी से राजनीतिक आयाम लेती जा रही है. स्थानीय चुनाव निकट हैं, और विशेषज्ञों का कहना है कि एमआईएम इसे मुसलिम वोटों की लामबंदी के लिए एक औजार के रूप में इस्तेमाल कर रही है. इस हमले ने बांग्ला चिट्ठाजगत् में भी हलचल पैदा की है . द हिडन गॉड ने लेखिका पर हमले की तीख़ी भर्त्सना की है. बांग्लादेश: छात्र संघर्ष और कर्फ्यू ढाका विश्वविद्यालय में उपद्रव के पश्चात बांग्लादेश में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। रेज़वान घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी दे रहे हैं। भारत : ऑरकुट और एक किशोर की मौत मुम्बई के 16 वर्षीय अदनान पत्रवाला की हालिया मृत्यु पर भारतीय ऑनलाइन समुदाय हिल गया है. प्रकटतः, अदनान को उसके दोस्तों ने ही ऑरकुट पर प्रलोभन दिया था और बाद में उनकी हत्या हो गई. क्या ऑरकुट को इस किशोर की हत्या के लिये जिम्मेदार ठहराया जा सकता है? भारत में ऑरकुट के लाखों उपयोक्ता हैं. पुलिस की खोजबीन से ये पता चला है कि अदनान को मारने की योजना ऑरकुट में बनी और मुख्य-धारा की मीडिया अपनी ऊंगली ऑरकुट की ओर उठा रही है तथा अदनान की असामयिक मृत्यु के लिए इस सामाजिक साइट को किसी न किसी रूप में जिम्मेदार मान रही है. ऑरकुट एंड मीडिया, में अपने पोस्ट में तपन शाह ने इंगित किया है कि तकनॉलाज़ी किसी भी रूप में अदनान की मृत्यु के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराई जा सकती. ऐसा लगता है कि अन्य मीडिया, इंटरनेट को एक वैध मीडिया के रूप में स्वीकार करने में असफल रहे हैं. मुख्य-धारा की मीडिया (टेलिविजन तथा समाचार पत्र - देशी तथा अंग्रेज़ी दोनों ही) की इस मानसिकता को मैंने पहले भी महसूस किया है कि जब भी समाज में कुछ गलत हो जाए तो या तो समस्या को खड़ा कर दो या तकनॉलाज़ी के सिर मढ़ दो? द रेड पेंसिल के विवेक लिखते हैं: यह घटना निश्चित रूप से ऑनलाइन समुदाय में कंपन पैदा करने का कारण बनेगी. एक शिक्षक और अध्यापक के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने विद्यार्थियों को ऐसी घटनाओं से सुरक्षित रखें. इसके लिये सही कदम यह होगा कि ऑरकुट तथा फेसबुक जैसी साइटों पर स्कूलों में पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. इस घटना की प्रतिक्रिया स्वरूप ऐसा कुछ हो यह मुझे नहीं लगता. एक बेहतर उपाय यह हो सकता है कि लोगों को अविवेकी ऑनलाइन व्यवहार के संभावित खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित किया जाए जैसे कि विद्यार्थियों को यौन शिक्षा के बारे में बताया जाए. विद्यार्थियों को अदनान के इस दुर्भाग्यशाली जैसी घटनाओं का उदाहरण लेकर शिक्षित किया जाए कि कैसे और किस प्रकार के खतरे मौजूद रहते हैं. किसी अजनबी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी किसी सूरत में नहीं देनी चाहिए और न ही ऐसे लोगों से कोई भोज्य पदार्थ स्वीकारना चाहिए. वैसे भी, कम्प्यूटर स्क्रीन का कोई आभासी व्यक्ति जो व्यक्तिगत रूप से मीलों दूर होता है तो उसके व्यवहार की पहचान आप किसी सूरत नहीं कर सकते. ए व्हिमसिकल माइंड के वाणी को अदनान के इस दुर्भाग्यशाली मृत्यु पर अचरज है. उन्होंने लिखा है : ऐसी क्या वजहें होती है जो किशोरों को इंटरनेट पर अजनबियों से मिलने को ललचाती हैं? या तो संभवतः यह हो सकता है कि जो तेज जिंदगी वो जीना चाहते हैं या एड्रेनलीन का तीव्र रसाव उन्हें अजनबियों से मिलने को उत्प्रेरित करता है. तो इसके लिये हम किसे अपराधी ठहराएँ? क्या उन्नत तकनॉलाज़ी को अपराधी ठहराएँ या आसान पैसे को? अनियंत्रित वेबसाइटों को या फिर उनके पालकों को जिन्हें यह नहीं पता होता कि उनके बच्चे क्या कर रहे होते हैं. नामीबिया: विकास के डिजीटल उपकरण जेरार्ड नामीबिया के लर्नलिंक परियोजना के बारे में लिखते हैं,"मैं लर्नलिंक से ही शुरुवात करुंगा, खास तौर पर उनके "नामीबिया" प्रकल्प से"। अफ्रीका का पिंड छोड़ो कम्यूनिस्ट सॉक्स एंड बूट्स हर बच्चे को लैपटॉप (OLPC) की खबर ले रहे हैं, "ये इस गलत अनुमान पर आधारित है कि बच्चे इसे अपने साथ शिकार पर ले जायेंगे या मिट्टी की दीवारों वाली पाठशालाओं में इनका इस्तेमाल करेंगे या कि उन्हें अंग्रेज़ी से स्थानीय भाषाओं में सरल अनुवाद की ज़रूरत होगी। ज़ाम्बिया: दान के पैसे से कार व आईपॉड ज़ाम्बिया में अधिकाँश लोग कार और आईपॉड चाहते हैं और, पॉज़िटिवली ज़ाम्बियन लिखते हैं, चुंकि दान का पैसा आसानी से उपलब्ध हो जाता है इसलिये वे गरीबी का सामना करने के नाम पर फर्ज़ी संस्थायें बना लेते हैं। दक्षिण अफ्रीकाः गूगल के बाद कौन आ रहा है? विनी उम्मीद जता रही हैं कि भविष्य में दक्षिण अफ्रीका में और इंटरनेट कंपनियाँ अपना आशियाना बनायेंगी, "दक्षिण अफ्रीकी इंटरनेट प्रयोग में पिछले वर्ष की तुलना में 120 फीसदी बढ़त हुई है और वो दिन दूर नहीं जब ईबे, याहू और अन्य गूगल और अमेज़ॉन (अमेज़ान के केपटाउन कार्यालय ने ही ईसीटू बनाया है) की तरह दक्षिण अफ्रीका में डेरा डाल दें। मेडागास्कर: बूंद बूंद से सागर बूंद बूंद से सागर बनता है: "एक गाँव के चार अफ़्रीकी चिट्ठाकारों ने बदलाव लाने हेतु मिलकर एक प्रकल्प शुरु किया है। और वे सिर्फ बातें ही नहीं कर रहे हैं, वाकई काम भी कर रहे हैं। ट्रिनीडाड व टोबैगो: काँडोम का तर्क "सचाई ये है कि लोग यौन संबंध बना रहे हैं, चाहे अवैध हों या नहीं, और इनमें से भयावह तादात में हमारे मुल्क के लोग एचआईवी तथा अन्य STI (यौन जनित संक्रमण) से संक्रमित हो रहे हैं"। रैंबलिंग एंड रीज़न युवाओं को यौनिक रूप से जिम्मेदार बनाने के बारे में तर्क देते हुये लिखते हैं। इतना बड़ा तो नहीं आईफिल टावर लेबनीस मार्क, जो कुवैत में रहते हैं, अपने पेरिस भ्रमण के दौरान आईफिल टॉवर से कुछ खास प्रभावित नहीं हुये और लिखा, "मैं उम्मीद लगाये बैठा था कि ये काफी बड़ा होगा। " चीन: अश्लील साहित्य हटाने की मुहीम, फिक्शन भी चपेटे में DANWEI की माया चीन में कामुक आनलाईन फिक्शन को जाल से हटाने की कानूनी कार्यवाही के बारे में लिखती हैं। ये मुहीम ओलंपिक्स के पहले की "सफाई" पर दिये जा रहे खास ध्यान का हिस्सा है। जमैका: तूफानी डीन के बाद जमैका में डीन नामक अंधड़ से बचने के बाद सिटीगर्ल लिखती हैं, "दरअसल बड़ी नाइंसाफी लगती है बिजली के 4 दिनों के कष्टकर इंतज़ार के बारे में शिकायत करना सिर्फ इसलिये कि मुझे टीवी देखना और अंतर्जाल सर्फिंग करनी है। आखिरकार, ऐसे लोग भी हैं जो इस तूफान से किसी तरह बचे हैं और उन्हें रहने का ठिकाना तक मयस्सर नहीं। इरान: फॉक्स अटैक्स रॉबर्ट ग्रीनवॉल्ड निर्मित लघुचित्र "फॉक्स अटैक्सः इरान" में फॉक्स टीवी स्टेशन के प्रसारण से सबूत पेश किये गये हैं, जिनमें इराक युद्ध के पहले की उनकी रिपोर्टिंग की इरान से संबंधित उनकी वर्तमान रिपोर्टिंग से तुलना की गई है। यूनान में दावानल आपने संभवतः ये खबर सुन ली होगीः यूनान (ग्रीस) जल रहा है। आज दावानल प्राचीन नगर ओलंपिया तक जा पहुंचा जो ओलम्पिक्स की जन्मभूमी है। साथ ही यहाँ यूनान की प्राचीन पुरातात्विक संग्रहों को समेटे ओलंपिया संग्रहालय भी है। एथेंस लपटों में (फ्लिकर प्रयोक्ता का चित्र) एथेंस की बाहरी सीमाओं पर आग अब भी बेकाबू जल रही है। इलासडेविल ने एक प्रमुख युनानी अखबार की सुर्खी प्रकाशित की जिसमें सिर्फ ये लिखा था कोई शब्द नहीं हैं। यूनान में रहे रहे एक अमरीकी केलिफॉर्निया कैट ने एक विस्तृत प्रविष्टि लिखी है जिसमें अब तक हुये भीषण अग्निकाँडों की सूची और आग के कारणों का ब्यौरे के अलावा बताया गया है कि लोग किस तरह मदद कर सकते हैं। मिट्टी का छिड़काव करता रूसी हेलीकॉप्टर (फ्लिकर प्रयोक्ता का चित्र) एथेंस की टीना लिखती हैं कि ग्लोबल वार्मिंग और आगजनी इस अग्निकाँड की वजहें हैं। पिछले दो दिनों से जब से ये जंगल की आग यूनान में फैली है मुझे बेहद दुख और गुस्सा आ रहा है। मानव जीवन, जंगलों और पर्यावरण का नुकसान मुझे मर्माहत कर देता है। ये यूनान ही नहीं समूचे भूमध्यसागरीय क्षेत्र के लिये एक अभूतपूर्व पर्यावरणीय आपदा है। मैंने घटना के संभावित अनेक कारण सुने हैं पर आगजनी ही मुख्य कारण प्रतीत होती है। लगता है कई लोग यूनान को मिटाने पर तुले हैं। बीटाबग एथेंस स्थित अपने घर से आँखों देखा हाल सुनाते हैं एथेंस के नज़दीकी इलाकों में दावानल फिर भड़क उठा है। हमारी बिल्डिंग के उपर अग्निशामक वायूयान मंडरा रहे हैं। हम छत पर गये और हमने कुछ कनाडाई और रूसी हवाईजहाज और एक हेलीकॉप्टर देखा। बहुत सारा धुंआ है और वाईमिटोस के अलावा (जिसे हम स्पष्ट देख सकते हैं) बहुत बड़ा पीला गुबार छाया हुआ है, न जाने ये धुंआ है या बादल। ईविया में दावानल का धुंआ (फ्लिकर प्रयोक्ता का चित्र) रोमानियाई एस्क्वेर अगले सप्ताह एस्क्वेर पत्रिका का रोमानियाई संस्करण जारी होने जा रहा है। आउलस्पॉटिंग लिखते हैं, "एस्क्वेर रोमानिया के पत्रिका बाज़ार में एक नवीन उत्पाद है और दीर्घ आकार के लेखों व गल्पशैली की पत्रकारिता पेश करने वाला पहला माध्यम होगा। इरान: टीवी के लोकप्रिय कार्यक्रम फर्नाम बिद्गोली इरानी टेलीविज़न के कुछ लोकप्रिय कार्यक्रमों के बारे में बता रहे हैं और ये भी कि वे लोकप्रिय क्यों हैं। मिस्र : क्या मुबारक की मौत हो चुकी है? "मुझे देर रात एक मित्र का फोन आया, 'क्या होस्नी मुबारक* मर चुके हैं? मुझे नहीं पता कि उसे ये खबर कहाँ से मिली पर ये अफवाह गर्म है कि होस्नी उर्फ द ग्रेट डिक्टेटर को वायुयान द्वारा जर्मनी के एक अस्पताल में ले जाया गया और उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है। अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि उनकी मृत्यु हो चुकी है", मिस्र के चिट्ठाकार डी बी शोबरेवी लिखते हैं। ओमान: एक ही दिन हो रमज़ान ओमानी चिट्ठाकार स्लीपलेस उम्मीद जता रहे हैं कि सभी इस्लामी देश रमज़ान की शुरुवात एक ही दिन करना तय करेंगे। वे लिखते हैं "उम्मीद की जाय कि इस बार हम पूरे अरब व इस्लामी विश्व में एक ही दिन पर रज़ामंद होंगे बजाय इसके कि बेवकूफ बनें और फिर कहें कि हमें तो चाँद दिखा ही नहीं। कॉपीड्यूड रूस में व्याप्त ऐसे अनेक तरीकों का ज़िक्र कर रहे हैं जिनके द्वारा रेस्तरां मालिक विदेशियों के साथ बदसलूकी करते हैं। वे लिखते हैं कि इन्हें कुछ भी अंदाज़ा नहीं कि बदनामी से उनका क्या नुकसान हो सकता है, "ग्राहक सेवा शोध के अनुसार एक असंतुष्ट ग्राहक कम से कम आठ लोगों को अपना बुरा अनुभव बताता है। ब्लॉगिंग के युग में शायद हमें इस संख्या को शायद 80 के आसपास रखना चाहिये। फिलिस्तीन: तुर्की में इक गुल फिलिस्तीनी चिट्ठे कबाबफेस्ट के फय्याद तुर्की कें नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अब्दुल्ला गुल के बारे में लिखते हैं, "विडंबना है कि तुर्की में कुछ धर्मनिरपेक्ष चरमपंथियों को भी गुल की बेगम हैरुन्निसा का हिजाब, जिस पर तुर्की के सभी सार्वजनिक संस्थानों में पाबंदी है, पहनना नागवार गुज़र रहा है, खासतौर पर जब वे राष्ट्रपति के महल में ये पहन दाखिल होंगी। एड्स के रोगी जिंदा दफ़्न इस्राईल से स्मूदस्टोन एक रपट के बारे में बता रहे हैं जिसमें बताया गया है कि संक्रमण के डर से पापा न्यू गिनी में एड्स संक्रमितों को जीवित दफनाया गया। बांग्लादेश : पूर्व प्रधान मंत्री जेल के सींखचों में लोगों का कहना है कि बांग्लादेश की राजनीति में कोई भी दिन नीरस नहीं होता है. आज (सितम्बर 3, 2007) तड़के बांग्लादेश की सेना-समर्थित (केयर-टेकर) अंतरिम सरकार ने भूतपूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया. उनके पुत्र को भी इसी आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया. ऑर हाउ आई लर्नड टू स्टॉप वरीइंग ने उन घटनाओं की विस्तृत समयरेखा दी है जिसने खालिदा को जेल तक पहुँचाया है. आश्चर्यजनक रूप से यह टीवी प्रधान घटना रही चूंकि गिरफ़्तारी का समाचार पहले ही लीक हो गया था और मीडिया के लोग समाचार को कवर करने के लिए खालिदा जिया के घर की ओर जा रही सुरक्षा दस्ते के पीछे हो लिये थे. इससे पहले, मध्यरात्रि में उनके विरुद्ध एक प्रकरण दर्ज किया गया था कि जब वो सत्ता में थीं तो उन्होंने अपनी शक्ति का इस्तेमाल गलत तरीके से करके एक स्थानीय कंपनी को ठेका देकर अपने पुत्र को फ़ायदा पहुँचाया था. उनका ज्येष्ठ पुत्र पहले से ही सींखचों के भीतर है और उस पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं. वे पार्लियामेंट परिसर के कामचलाऊ कैदखाने में अपनी राजनीतिक चिर प्रतिद्वंद्वी, एक अन्य पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ रहेंगी जो पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोप में बंद हैं. सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी तथा बांग्लादेश की राजनीति को स्वच्छ करने के अभियान के तहत उच्च स्तर के दर्जनों राजनीतिज्ञों और व्यापारियों को जेल में बंद कर दिया गया है. बांग्लादेश में 11 जनवरी 2007 से, जब से यह अंतरिम सरकार बनी है, आपातकाल लागू है. बंगलादेशी चिट्ठाजगत् में इस मामले पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ हुईं हैं. इम्परफ़ेक्ट|वर्ल्ड|2007 के शफ़ीउर इस ख़बर को सुन कर खुश हो रहे हैं और वे नेट पर मिष्टी (मिठाई) बांट रहे हैं . वो तथा उनके पुत्र कोको अपने विभिन्न वित्तीय गतिविधियों के प्रति ज्यादा मुखर तो नहीं ही थे और उम्मीद है कि उनके लिए सुरक्षित विशिष्ट क्षेत्र में अधिक पारदर्शी होने में ये मददगार तो होंगे . कोई डेढ़ माह पूर्व से जब से शेख हसीना को गिरफ़्तार किया गया था तब से लोगों के बीच यह चर्चा का विषय था कि खालिदा जिया के विरुद्ध क्यों कोई आरोप नहीं लगाए गए हैं. ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कुछ क्षेत्र इन राजनीतिक प्रतीकों से छुटकारा प्राप्त कर सृजित रिक्ति का इस्तेमाल शक्ति हासिल करने में लेना चाहते हैं. वाइस ऑव बांग्लादेशी ब्लॉगर की टिप्पणी है: अंततः बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री, भ्रष्टाचार की अम्मा को सैन्य समर्थित केयर टेकर सरकार ने गिरफ़्तार कर ही लिया था. अपनी गिरफ़्तारी के कुछ घंटों पहले खालिदा जिया ने bdnews24. com को दिए एक अनन्य साक्षात्कार में बताया था: “मुझे गिरफ़्तारी से कोई भय नहीं है. जनता मेरे साथ है. मेरे विरुद्ध फर्जी प्रकरण बनाए गए हैं. खालिदा जिया के वक्तव्य पर ढाका ब्लॉग की टिप्पणी है : यह मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता कि जब भी कोई राजनेता अपने राजनीतिक कर्मों की वजह से कठिनाई में आता है तो वो यही रोना रोता है - “मेरे विरुद्ध फर्जी प्रकरण बनाया गया है” तथा “साजिश की गई है”. यदि बांग्लादेश में सचमुच में इतनी “साजिशें” होतीं तो हमारा जीडीपी थोड़ा ज्यादा ही होता! परंतु प्रश्न अभी मुंहबाए खड़ा है कि क्या इससे बांग्लादेश में प्रजातंत्र की वापसी का रास्ता आसान होगा . दृष्टिपट चिट्ठे में रूमी ने व्यंग्यात्मक लहजे में लिखा है: बांग्लादेश की सारी समस्या के लिए बहुत से लोग दो मुख्य राजनीतिक दल के नेताओं पर दोषारोपण करते रहे हैं. तो अब चूंकि दोनों ही मुख्य बुराइयाँ (पार्टियों के नेता) अब जेल में हैं तो अब क्षितिज में दैवीय चिर शान्ति का सूर्य उदित हो जाना चाहिए. जनता को अब असीम आनंद, शांति व खुशी में जीना चाहिए. अब इस देश में कहीं भी अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, गरीबी, ग़ैरकानूनी कार्य, भुखमरी, अपराध नहीं होने चाहिएँ. फिर तो सदा सर्वदा के लिए शान्ति स्थापित हो जाना चाहिए. इस प्रविष्टि को भी पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएँ मिलीं. कुछेक ने उल्लासमय प्रतिक्रिया दी और सरकार की प्रशंसा की तो एक ने प्रश्न किया: यह सचमुच रोचक है - हम बांग्लादेशी परिस्थिति का मूल्यांकन दिल से करते हैं, दिमाग से नहीं. देश उच्च मुद्रास्फ़ीति से पीड़ित है और अभी हाल ही में एक विश्वविद्यालय कैंपस से सेना के कैम्प को हटाने के विवाद पर दंगा फसाद हो गया और कर्फ्यू लगाने की नौबत आ गई. केयर-टेकर सरकार ने वादा किया है कि नए मतदाता पहचान पत्र बनाने के भारी भरकम परियोजना के पूरा हो जाने के बाद 2008 के अंत में चुनाव करवाए जाएंगे. इराकः क्या इस्लाम ही हल है? इराक द मॉडल पूछते हैं क्या इराक में हिंसा के खात्मे का हल इस्लाम है? उनका जवाब है, "सचाई यह है कि राजनीतिक इस्लाम समस्या का हल नहीं वरन जड़ है। और ये केवल ईराक ही नहीं इस क्षेत्र के अन्य अनेक देशों के बारे में सच है जहाँ राजैनतिक इस्लामिक आंदोलनों की बहुतायत रही है। किसी भी लिहाज से वो स्वर्ण युग तो नहीं था। क्यूबा: पावारोती का देहांत बबालू ब्लॉग दिवंगत लुसिआनो पावारोती को श्रद्धांजलि देते लिखते हैं, "वे एक मौलिक टेनर (ऊंचे सुर के गायक) थे। ओपेरा और संगीत सम्मेलनों में उनकी उपस्थिति हमेशा रहती थी और उन्होंने लगभग अपने दम पर ओपेरा को अमेरिका तथा विश्व संस्कृति की मुख्यधारा में स्थान दिलाया। अरब देश: रमजान के लिए उलटी गिनती शुरू मुसलमानी कैलेण्डर में रमजान एक पवित्र महीना है जिसे सभी मुसलिम देशों में उत्सव के रूप में मनाया जाता है. चार सप्ताह के उपवास के बाद ईद का पवित्र पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस पूरे महीने में मुसलमानों के लिए आवश्यक होता है कि वे सूर्योदय तथा सूर्यास्त के बीच के समय में खाना, पीना बंद रखें तथा सेक्स व 'अशुद्ध' विचारों से अपने को दूर रखें. चिट्ठाकार इस महीने के लिए किस तरह से तैयार हैं ? जॉर्डन: अपने देश में इस पवित्र माह में बारों, शराब दुकानों, नाइट क्लबों, रेस्तराओं में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने तथा दिन के समय रेस्तराओं व कॉफ़ी शॉप को बन्द रखने के बारे में खबर पढ़ कर जॉर्डन में नसीम तरवन रमजान की पवित्रता पर एक निगाह डाल रही हैं. उनका कहना है “बहरहाल, इस विषय में मेरी कोई विशिष्ट धारणा नहीं है. प्रकटतः इस तरह के कुछ हद तक प्रतिबंध तो मुझे स्वीकार्य हैं परंतु मैं कोई यथार्थवादी व्यक्ति नहीं हूँ, और मुझे पता है कि ऐसा कभी होगा भी नहीं. और इसीलिए मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इन्हें खुला रहने देना चाहिए या बन्द. मुझे यह भी पता है कि पूरा रमजान शराब से तरबतर रहेगा. एक एक बूंद शराब के लिए अरबी (विदेशी सैलानी नहीं) पूरे शहर की खाक छान मारेंगे . यह एक सच्चाई है कि ज्यादातर शराब पीने वाले जॉर्डनियाई हैं, और किसी भी परिभाषा से, यदि उन्हें नशेड़ी नहीं तो बॉर्डरलाइन-एल्कोहलिक्स तो कहा ही जा सकता है. ‘केजुअल ड्रिंक’ अस्तित्व विहीन है. शराब की आलमारियाँ संभवतः पूरी भरी जा चुकी होंगीं. जहां तक रमजान का सवाल है, मेरा यही कहना है… अब तो कुछ भी पवित्र नहीं रह गया है. और, ये बात मुझे कतई आश्चर्यचकित नहीं करती”. मोरक्को: लेडी मैकलोद, जो कि मोरक्को में रहती हैं को इस महीने का बेसब्री से इंतजार है परंतु वे रबात में महिलाओं के पहनावे को लेकर व्याकुल हो रही हैं. उन्होंने लिखा- “शनिवार को मदीना (शहर) में दवाई (प्रिस्क्रिप्शन ड्रग) तथा दही ढूंढते ढूंढते मुझे भीड़ भरी सड़कों पर राजनीति और चूचुकें ही नजर आईं. क्या पुरुषों को ये सेक्सी लगीं? कहने का अर्थ यही कि रबात मदीना में रमजान के दो सप्ताह पहले के शनिवार को चलते फिरते ये सब देखना क्या सही है. पकड़ें. नक्शे में देखें. सोचें कि आप कहाँ हैं. मैं कोई मोरक्कन नहीं हूँ और न ही मुसलमान, फिर भी मुझे अच्छा नहीं लगा”. लेडी मैकलोद मुसलमान नहीं हैं, मगर इस माह में वे रोजा रखना चाहती हैं. वे स्पष्ट करती हैं - “दवाई दुकान की उस भद्र महिला ने मुझे बताया कि रमजान में सिर्फ दो सप्ताह बचे हैं. मुझे अपने कैलेण्डर की जांच कर लेनी चाहिए क्योंकि मेरा विचार इस साल भी रोजा रखने का है. पिछले साल मुझे यह बहुत ही आध्यात्मिक किस्म का लगा था. रमजान की पवित्रता को पूरे देश के द्वारा सम्मान दिया जाना बहुत ही प्रेरक है. इसके प्रभाव के बावजूद, पिछले साल रमजान के दिनों मेरी दोस्त रेबेका, जो कि मुसलमान है, का पर्स लूट लिया गया. मुझे उसकी प्रतिक्रिया बहुत प्यारी लगी - वह लुटेरे पर चिल्लाई - “ दोगले, मैं एक मुसलमान हूँ, और ये रमजान का महीना है! ” तो भले ही हर एक को पवित्रता का बोध भले ही न होता है, मेरे लिए तो यह मेरे अपने विश्वासों को याद करने के लिए बढ़िया काम आता है. यहां पर वैसे तो कोई बौद्ध मंदिर नहीं है, परंतु मेरे पास मेरी पूजा वेदिका है तथा वे चाहे किसी भी धर्म में हों, प्यार और करुणा एक ही होते हैं. है कि नहीं? ”. सीरिया: सीरिया से मुस्तफा हमीदो स्पष्ट कर रहे हैं कि उनके लिए रमजान का क्या महत्व है. वे कहते हैं: “अगले सप्ताह रमजान है. सीरिया और मध्य-पूर्व में रहने वाले मुसलमानों तथा कुछ हद तक ईसाइयों के लिए भी जो हमारे साथ रहते हैं, इसका विशेष महत्व है. आप कह सकते हैं कि यह पूरे महीने भर का उत्सव है, जिसके तीसवें दिन को महोत्सव के रूप में मनाया जाता है. यह सिर्फ सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का उपवास मात्र नहीं है. यह उस जीवन से पूर्णतः भिन्न होता है जो हम बाकी के साल भर जीते हैं. बहारिन से सिली बहारिनी गर्ल इस माह के तथा ईद मनाने के अपने अनुभवों को फास्ट फारवर्ड करती हुई बताती हैं कि चन्द्रदर्शन के धार्मिक कारणों में मतभिन्नता की वजह से रमजान विश्व के सभी मुसलिम देशों में एक ही दिन से प्रारंभ नहीं होता है . “जब हम बड़े होने लगते हैं तो कई-कई दिनों तक चलने वाला ईद का त्यौहार हमारे लिए शानदार होता है जो कि उस बात पर निर्भर करता है कि आपको कौन सी पगड़ी सही लगती. यह हमें पहले दिन नॉन-ऑब्जरवेंट मित्रों से मिलने का सुअवसर देता (जो कि आमतौर पर बहारिन द्वारा आधिकारिक रूप से घोषित किया हुआ दिन होता है), फिर दूसरे दिन किसी परिवार के साथ दोपहर का भोजन और तीसरे दिन किसी अन्य तीसरे परिवार में! वास्तव में समस्या तब होती है जब हर कोई ईद को पहले ही दिन मना लेता है और फिर आपको लाखों लोगों से एक छोटे से दिन में ही मिलना होता है. चलिए, ऐसा करते हैं कि एक सिक्का उछालते हैं और अंदाजा लगाते हैं कि इस साल क्या हो सकता है. या एक ऐसा ईद होगा जो कई दिनों तक मनाया जाता रहेगा जिसके लिए लंबी दाढ़ियाँ और चमकीली पगड़ियाँ लड़ाइयाँ लड़ेंगें? आह. जो भी हो, मैं तो उस दिन ईद मनाऊंगी जिस दिन मुझे वह सबसे उपयुक्त लगेगा. ! ” जापान: जो बोया सो काटा एंपोन्टेन जापान में पैसे, राजनीति और सरकार की लंबे समय से जारी साँठगाँठ के बारे में लिखते हैं जिसमें उन्होंने कृषि मंत्री मात्सुओका तोशीकात्सू पर आधारित एक पुस्तक के बारे में एक चिट्ठे का अनुवाद किया है। जापानी राजनीति में हुये पैसों के असंख्य घोटालों का ज़िक्र करते हुये वे कहते हैं, "ये सभी बदनाम लोग डाएट# में अपनी सीटें बचाये रखने में सफल रहे। जैसा की कहावत है, जनता को वैसी ही सरकार मिलती है जिसके वे लायक होते हैं। और जापानी मतदाता इसी के लायक है। ओमानः मुद्रा स्फीति में बढ़त मस्काटी लिखते हैं कि ओमान में मुद्रा स्फीति की दर बढ़ रही है, "एक महीने में खाने की कीमतें 11. 1 फीसदी इसमें जोड़ दें तो सिर्फ मई जून में ही 20 प्रतिशत बढ़त है यह। जॉर्डन: यूटयूब बना नौकरी तलाश करने का ज़रिया जॉर्डन से हातेम लिखते हैं, "आजकल नौकरी पाने के उत्सुक यूट्यूब जैसी जगहों पर अपनी काबलियत बता रहे हैं और नियोक्ताओं से उन्हें अच्छी प्रतिक्रिया भी मिल रही है"। इरानः पाकिस्तान, तुर्की और हम पूर्व उप राष्ट्रपति मुहम्मद अली अब्ताही कहते हैं कि पाकिस्तान तथा तुर्की के हालिया राजनैतिक अनुभव इरान में स्वतंत्रता के प्रति आशंकित अधिकारियों के लिये फायदेमंद है। दम घोंटू राजनैतिक वातावरण तथा छात्रों, कामगारों, महिलाओं, इंटरनेट, युवाओं तथा राजनैतिक सक्रियतावादियों के खिलाफ आक्रामक रुख देश की सुरक्षा के लिये खतरनाक है। जापान: बंदूकनुमा लाईटर कांड पर विवाद किक्को उस किस्से के बार में लिख रहे हैं (जापानी पोस्ट) जिसमें एक योकोहामा में एक कार्यविरत अधिकारी को इसलिये गिरफ्तार किया गया क्योंकि उसने कथित तौर पर बंदूकनुमा लाईटर को लहराते एक लड़के को पीटा। किक्को बताते हैं कि मीडिया ने घटना को तोड़ मरोड़ कर पेश किया, दरअसल वो लड़का और उसके कुछ दोस्त लाईटर से मज़ाक कर रहे थे और उन्हें ट्रेन स्टेशन के कर्मचारी ने रोका जिसकी बात उन्होंने मानी भी। पर इस अधिकारी ने लड़के को हंसते देखा और इस बात पर, कि लड़के को कोई पछतावा नहीं है, उसे इतना गुस्सा आया कि उसने लड़के को पीट दिया। ईरान : गिरफ़्तारियाँ कुत्तों की ईरानी पुलिस द्वारा 9 सितम्बर को देश को 'पश्चिमी प्रभाव' तथा 'निर्लज्जता' से मुक्त करने के नाम पर कुत्तों की गिरफ़्तारियों पर चिट्ठाकार दास्तान ने रपट दी है. कुत्तों के मालिकों को इससे सदमा पहुँचा है और वे अपने पालतू कुत्तों के भविष्य के प्रति आशंकित हैं. साथ ही दास्तान यह भी लिखते हैं कि कुत्तों को न तो खाना दिया जा रहा है न पानी. नीचे दिए गए कुछ चित्र बताते हैं कि कुत्तों को गिरफ़्तार कर उन्हें किस अवस्था में रखा गया है. चिट्ठाकार कमनगीर ने कुत्तों के कुछ चित्र पोस्ट किए हैं और उन्होंने लिखा है स्पष्ट है कि कुत्तों को उस लिहाज से तो नहीं ही रखा गया है जैसा उन्हें रखा जाना चाहिए, परंतु फिर, वे मनुष्यों से भी इससे बेहतर व्यवहार कहां करते हैं. कमनगीर की चिट्ठाप्रविष्टि में कुत्तों की गिरफ़्तारियों के कारणों को स्पष्ट करती हुई एक टिप्पणी है जिसका मत है इस्लाम में कुत्ते अशुद्ध हैं अतः कोई भी व्यक्ति जो कुत्ते पालता है, तो उदाहरण के लिये, यदि वो कुत्ते को पुचकारता है तो उसे इसके तत्काल बाद अपने हाथ धो लेने चाहिएँ. मेरे विचार में उन्हें अपने कालीन को धो लेना चाहिए यदि नमाज पढ़ने से पहले कुत्ता उसमें 7 मर्तबा पैर रख चुका है, इत्यादि. और इसी कारण आईआरआई कुत्तों को घर में पाले जाने के विरुद्ध है, और उनका मानना है कि यदि कोई कुत्ता पालता है तो वो एक अच्छा मुसलमान नहीं हो सकता. पालतू कुत्ते कितने अच्छे होते हैं. एक अन्य टिप्पणीकार टेडर्स कुछ प्रासंगिक प्रश्न पूछते हैं जिसमें यह भी है “क्या “अच्छा” मुसलमान कोई एकाध पालतू जानवर घर में रख सकता है? या यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसलाम की कौन सी शाखा या कौन सा मुल्ला इस बात को निर्धारित करता है? कुछ मीडिया रपटें भी हैं कि एक युवा को अपने खो गए कुत्ते का अता पता पाने के लिए अपने पड़ोस में सूचना लगाने के कारण गिरफ़्तार कर लिया गया. तेहरान में एक युवा ईरानी जो अपने गुमशुदा कुत्ते को खोज रहा था, उस पर 'चरित्र भ्रष्ट' होने का आरोप लगा कर गिरफ़्तार कर लिया गया. तेहरान के दैनिक समाचार पत्र एतमाद मेली, के मुताबिक, उस युवा को उस समय पकड़ा गया जब वह उसके गुमशुदा कुत्ते को ढूंढ लाने वाले को ईनाम देने विषयक एक सूचना चिपका रहा था. चीन: मुक्त वाणी का अदालती मामला लिउ झिआओ युआन, जो एक वकील भी है, ब्लॉग होस्टिंग कंपनी सोहू डॉट कॉम पर अपने पोस्ट नष्ट कर देने के कारण दायर मामले के बारे में लिख रहे हैं। 12 सितंबर को अदालत ने मामला खारिज कर दिया तो उन्होंने स्थानीय मीडिया को यह जानकारी दी पर किसी भी समाचार पत्र ने खबर को प्रकाशित करने लायक नहीं समझा। भारत: रामायण के राम वर्णम हालिया सेतुसमुद्रम विवाद पर लिखते हैं कि राम वाकई थे कि नहीं ये पता करने के केवल पुरात्तविक प्रमाण ही देने के प्रयास में एएसआई ने इतिहासकारों को नकार दिया। पाकिस्तानः ट्राम की यादें आल थिंग्स पाकिस्तान उन दिनों की याद कर रहे हैं जब कराँची में ट्राम चला करती थी। क्रिकेट : ट्वेंटी20 मैच में वेस्टइंडीज़ पर बांग्लादेश की विजय जो लोग बांग्लादेश की क्रिकेट पर टीम दया दृष्टि डालते हुए अब तक उसे 'छोटा बच्चा' मानते रहे हैं, अब उनके पैर उनके ही मुँह के भीतर हैं. अब जबकि बांग्लादेश की टीम आईसीसी ट्वेंटी20 विश्वकप टूर्नामेंट में वेस्टइंडीज को शानदार छः विकेटों से हराकर द्वितीय चरण में धमाके के साथ पहुँच गई है तो बांग्ला चिट्ठाकार भी आनंदित हैं और वे अपनी खुशियाँ अपने चिट्ठों के जरिए व्यक्त कर रहे हैं. चिट्ठाकार अरशद बादशाह तथा बहुत से अन्य इस बात से रोमांचित हैं कि बांग्लादेश की घरेलू टीम ने कैरिबियाई खिलाड़ियों को हराकर इतिहास रचा है. पगला बाबू ने बांग्लादेशी टीम के ‘सुपर आठ' में पहुँचने पर टीम को बधाई दी है. इनका मानना है कि अंततः इन दोनों खिलाड़ियों ने अपनी खरी क्षमताओं को प्रदर्शित किया है. लुतफुर रहमान हमें ब्रायन लारा के पहले के बयान को याद दिलाते हैं. सन् 2004 में ब्रायन लारा ने कहा था कि यदि उनकी टीम बांगलादेश से हार जाती है तो वे क्रिकेट खेलना छोड़ देंगे. रहमान को अंदेशा है कि क्या लारा ने दीवार पर लिखी उस इबारत को पढ़ा भी है और क्या लारा ने कभी यह कल्पना की थी कि किसी दिन सचमुच उनकी टीम इन बाघ के बच्चों के सामने घुटने टेक देगी. बांग्लादेश के उत्सव मनाने के एक और कारण की ओर चिट्ठाकार निंदुक इंगित करते हैं. अंतर्राष्ट्रीय ट्वेंटी20 मैच में तीव्रतम 50 रन ( 20 गेंदों में) बनाने का रेकॉर्ड अब बांगलादेश की टीम के अशरफुल के पास है. अफ्रीका: औपनिवेशिक सच औपनिवेशिक इतिहास, एकोसो लिखते हैं, अगर उपनिवेशी की नज़र से देखा जाय तो कुछ बयां किया जा सकता हैः आई केम, आई सॉ, आई कांकर्ड। देन आई लाईड अबाउट इट (मैं आया, मैंने देखा, मैंने विजय प्राप्त की। और फिर मैंने इसके बारे में झूठ कहा)। जापान: माँजू रिएक्टर मामले की सुनवाई शुरु टोक्योडो-2005 जापान के फुकुई प्रीफेक्चर के माँजू फास्ट ब्रीडर रिएक्टर में 1995 में हुये कुख्यात सोडियम रिसाव और अग्निकाँड और दुर्घटना के तुरंत बाद लिये विडियो को छुपाने के मामले के बारे में लिखते हैं (जापानी पोस्ट)। वे बताते हैं कि 20 सितंबर से मामले की तोकियो उच्च न्यायालय में सुनवाई प्रारंभ हो चुकी है। बाहरीन: कठिन तलाश नौकरी की बाहरीन के टीटो 84 नौकरी की तलाश में हैं और हमें बाहरीन में नौकरी की तलाश करने वालों की तकलीफों से रूबरू करा रहे हैं जहाँ पढ़े लिखे उम्मीदवारों को भी महज़ 200 बाहरीनी दीनार (यानि 530 डॉलर या लगभग दस हज़ार रुपये) की माहवार तनख्वाह की पेशकश की जा रही है। युद्ध विरोध रैली से इराकी ही नदारद इराक पंडित वाशिंगटन में एक युद्ध विरोध रैली में शामिल हुये पर, "मुझे इराकियों के वहाँ होने के संकेत ही नहीं मिले, भले कुछ वहाँ रहे हों। इराकियों ने इस मार्च का कोई लाभ नहीं उठाया कि वे अमेरीका पर इराक से सेना वापस लेने की माँग रखें। दरअसल आप रैली के बीचोंबीच खड़े होते, जैसे कि मैं था, और इराकियों को कोई ज़िक्र नहीं सुनते। कम से कम मैंने तो नहीं सुना। सऊदी अरब: फुटपाथ पर भी लिंगभेद फिलिस्तीनी चिट्ठाकार हैथम सबाह एक समाचार के हवाले से बता रहे हैं कि सऊदी अरब में जल्द ही लिंग के आधार पर बंटे साईडवॉक (फुटपाथ) दिखने लगेंगे। "क्या पैगंबर मुहम्मद ने दो साईडवॉक बनाने का हुक्म जारी किया, एक मर्द के लिये एक और के लिये? औरतों के लिये अलग साईडवॉक इस विचार में ही कितनी विडंबना है. फुटपाथ गुलाबी रंग में रंगकर? ", वे लिखते हैं। पर्यावरण : अफ़्रीका का हरित दृश्य और पर्यावरण प्रेमी बन सकते हैं? इस साल 12 अक्तूबर को चिट्ठाकारी संबंधित कौन सा कार्यक्रम रखा गया है? अफ़्रीका को दान किए गए उन सारे कम्प्यूटरों का क्या हुआ? इन असामान्य प्रश्नों के उत्तर अफ़्रीका के चिट्ठाकारों ने इस सप्ताह दिए हैं. नेट दक्षिण अफ़्रीका से साभार, जहाँ से हम कार्ल निनाबर के साथ शुरूआत करते हैं. जो एक स्वयंभू ‘कार नट' हैं और जो अपने चिट्ठे का इस्तेमाल पर्यावरण मित्र कारों की खोजबीन और उनके बारे में बताने के लिए करते हैं. उनके पन्ने के बारे में में परिपूर्ण परिचय है, इस अवलोकन सहित दक्षिण अफ़्रीका की मुख्यधारा की मोटरिंग मीडिया अभी भी बहुत कुछ पारंपरिक “पेट्रोल हेड” प्रतिमान में ही है, जहां किसी कार की प्रमुख विशेषता उसकी गति व प्रदर्शन क्षमता को ही माना जाता है. दक्षिण अफ़्रीका के कार संबंधी प्रकाशनों में जब भी पर्यावरण मित्र ऑटोमोबाइल तकनॉलाजी बातें छपती हैं तो उनमें एक अप्रसन्नता की झलक सी दिखाई देती है (”हरित” विकास को कुछ इस तरह से लिया जाता है जैसे कि कारों में से फन फैक्टर को निकाल बाहर कर दिया गया हो ) या कभी उनमें प्रशंसा का भाव भी होता है तो उपभोक्ता को होने वाली बचत के बारे में होता है. उदाहरण के लिए, ईंघन दक्षता के बारे में जब ध्यान दिया जाता है तो उसके पर्यावरणीय फ़ायदों की नहीं, बल्कि उससे हो रही क़ीमत में फ़ायदों की बात पर ध्यान दिया जाता है. उनके अन्य पोस्टों में एक में दक्षिण अफ़्रीका में हो रहे कार रेस सितम्बर 2008 सोलर चैलेंज के बारे में है जिसके प्रति वे आशान्वित हैं कि '. यूअर ग्रुप ऑफ वेब एडिक्ट्स चिट्ठे में इस साल 12 अक्तूबर को पर्यावरण बचाने के लिए मनाए जाने वाले ब्लॉग एक्शन डे के लिए स्मरण दिलाया जा रहा है. नीचे दिए गए चित्र में क्लिक कर आप भी इसमें भाग ले सकते. अतः आपसे गुजारिश है कि टिप्पणी में अवश्य बताएँ और फिर हम निश्चित रूप से 12 अक्तूबर को यह देखेंगे कि उस दिन (और अन्य किसी भी दिन,) आपने पर्यावरण पर अपने क्या विचार व्यक्त किए . अर्बन स्प्राउट का एक पोस्ट कोएलिशन अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी (नाभिकीय ऊर्जा के विरुद्ध संयुक्त उपक्रम) - सीएएनई के बारे में है. पोस्ट की टिप्पणियों को अवश्य पढ़ें चूंकि उनमें पेबल बेड रिएक्टरों की सुरक्षा विषयक एक अच्छी बहस हुई है. हमारा पुख्ता विश्वास है कि हमें केबिनेट के इस एक पक्षीय निर्णय का विरोध करना ही होगा जो हम सभी के रेडियोएक्टिव भविष्य को निर्धारित करेगा. आम जन को इसके बारे में पता होना चाहिये और हमारे संवैधानिक अधिकारों - विशेषकर रेडियो एक्टिव प्रदूषणों से मुक्त पर्यावरण के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए न कि उसे खत्म किया जाना चाहिए. केन्या एनवायरो ब्लॉग में केन्या में ई-कचरा पर एक परिपूर्ण निगाह डालते हुए बताया गया है कि यह एक टाइमबम है जिसे और खराब होने के लिए सेट किया गया है इस लिहाज से भी कि ‘केन्या आईटी क्रांति के किनारे पर है और मोबाइल फ़ोन इंडस्ट्री में सत्तर लाख से अधिक सक्रिय लाइनें हैं. ' फिल इस स्थिति का बयान कुछ इस तरह करते हैं- नैरोबी के ईस्टलैंड क्षेत्र में कुख्यात डंडोरा कूड़ास्थल इलेक्ट्रानिक कचरे से अटा पड़ा है जिसमें पुराने टेलिविजिन सेट, कम्प्यूटर, फ्रिज से लेकर मोबाइल फ़ोन और बैटरियों तक के भयंकर जहरीले पदार्थों युक्त कचरे हैं. केन्याई लोगों द्वारा फेंके गए कचरे के अलावा देश में अन्य देशों द्वारा सैकड़ों कंटेनरों में ई-कचरा 'दान' के बहु-रूप में प्राप्त होता है. उन्होंने बहुत से कड़ियों को भी दिया है जहाँ से पाठकों को ई-कचरा के बारे में और भी जानकारियाँ हासिल हो सकती हैं तथा विशेष रूप से इनसे निपटने के उपाय देखे जा सकते हैं बसावाद्स सफारी नोट्स के उमर ने ध्रुवीय भालुओं की दुर्दशा के बारे में संक्षिप्त उद्धरण देते हुए पोस्ट लिखा है जिसमें उन्होंने कुछ लेखों की कड़ियों को भी दिया है. अंत में उन्होंने लिखा - इस धरती के सभी पशु और अन्य जीव-जन्तु पर्यावरण पर और अपने आसपास के वातावरण, जहां पर वे रहते हैं, पूरी तरह निर्भर होते हैं. पर्यावरण और वातावरण जिसके लिए हम मनुष्य जिम्मेदार माने जाते रहे हैं उसे हम योजनाबद्ध तरीके से और निश्चित तौर पर बर्बाद कर रहे हैं. पर्यावरण : जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त-राष्ट्र सम्मेलन न्यूयॉर्क के यूनाइटेड नेशंस भवन से मैं यह चिट्ठा लिख रही हूँ. सम्मेलन के कुछ हिस्सों को मैं ट्वीट करूंगी और जैसे जैसे सम्मेलन का कार्यक्रम आगे बढ़ेगा, वैसे वैसे इसके बारे में चिट्ठा लिखती रहूंगी. एक संक्षिप्त परिचय तथा उन सत्रों, जिनमें मैं भाग लेने वाली हूँ, की सूची यहाँ पर उपलब्ध है. पर्यावरण : जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त-राष्ट्र सम्मेलन भाग 1 - थीमेटिक प्लेनेरी I - एडॉप्टेशन - फ्रॉम वल्नेरेबिलिटी टू रेजिलिएंस. फ़ैसिलिटेटर - डॉ. आशा-रोज़ मिगिरो उप महा सचिव सह सभापति आदरणीय श्री आंदेर्स फॉग रासमुसेन, प्रधान मंत्री, डेनमार्क आदरणीय श्री ओवेन आर्थर, प्रधान मंत्री, बारबादोस ट्वीट यहाँ पर हैं, सम्मेलन जारी है और साथ ही साथ यह पोस्ट भी जोड़ा जा रहा है. मीटिंग के दौरान राष्ट्रपतियों व प्रधानमंत्रियों ने अपने अपने राष्ट्रों के बारे में बताते हुए पैनल को संबोधित किया. कुछेक ने बताया कि वे (नीदरलैंड, मॉरीशस तथा अन्य) किस तरह जलवायु परिवर्तनों के साथ अपने आप को ढाल रहे हैं. कुल मिलाकर सभी नेताओं ने यह माना कि जलवायु में परिवर्तनों से धरती पर बड़ा खतरा मंडराने लगा है. एक अपवाद भी रहा. चेक गणराज्य के प्रतिनिधि ने कहा कि उन्हें भरोसा नहीं है कि इंटर गवर्नमेंट पेनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रपट संतुलित है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिक आधारों में सर्वसम्मति नहीं है तथा इस हेतु आईपीसीसी के विरोधाभासी तर्कों व निष्कर्षों की जांच पड़ताल के लिए यूएन को एक पैनल गठित किया जाना चाहिए. उन्होंने साफ साफ यह मानने से इंकार किया कि ग्लोबल वार्मिंग कोई समस्या है. माहौल तालियों से भरा हल्काफुल्का तब हो गया जब उन्होंने यह चुटीला छोड़ा कि लोगों को ऊर्जा बचाना चाहिए और अपने कमरे को ठंडा रखना चाहिए. अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधियों ने अपने अपने देशों में हो रहे जलवायु परिवर्तनों के प्रभावों के उदाहरण दिए. घाना के राष्ट्रपति द्वारा दिया गया निम्न वक्तव्य अन्य अफ़्रीकी देशों के नेताओं द्वारा बताए गए विवरणों के प्रतिबिम्ब स्वरूप रहा कि मौजूदा परिस्थिति कैसी है. अफ़्रीका तथा अन्य विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन की वजह से जीवन की आवश्यकताओं की गारंटी के लिए पहले से ही मुश्किलें पैदा होने लगी हैं. ये देश जिनमें मेरा देश घाना भी शामिल है, पहले से ही पर्यावरण के बारे में ग़लत जानकारियों की वजह से तथा औद्योगिक देशों के उत्सर्जनों की वजह से परिवर्तनों के प्रभावों को महसूस कर रहे हैं. बारिश की ऊंच-नीच, सूखा, मरूस्थलीकरण, बाढ़ तथा अन्य मौसम आधारित विपदाएँ सीधे सीधे मनुष्य के जीवन पर खतरा पैदा कर रहे हैं और कृषि उत्पादन, भोजन और पानी की सुलभता को भी कम कर रहे हैं. कुछ उदाहरण मिले हैं कि किस तरह देशों ने अपने आपको जलवायु परिवर्तन के अनुरूप ढाला है. नीदरलैंड के प्रधानमंत्री ने बताया कि उनका देश कुछ अभिनव समाधानों जैसे कि उन्नत जल प्रबंधन, बांध निर्माण व तैरते घरों इत्यादि के जरिए पर्यावरण के दुष्प्रभावों से काफी लंबे समय से बचने के उपाय करता आ रहा है. जलवायु परिवर्तन के अनुरूप ढलने के लिए और क्या किए जाने चाहिएँ - कुछ उदाहरण: पुनः जंगल उगाना, नवीन ऊर्जा स्रोतों जैसे कि पवन चक्कियाँ, सूर्य तथा बायोमॉस (मारीशस तथा मेडागास्कर के प्रतिनिधियों द्वारा जिक्र किया गया) का इस्तेमाल. जलवायु परिवर्तनों के कारण द्वीपों की स्थिति भी बहुत गंभीर है तथा बारबाडोस के प्रधान मंत्री ने अपने संदेश को समाप्त करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तनों से जूझना अब जीवन के लिए जूझने जैसा हो गया है. ट्वीट का भाग 2 यहाँ है टीप: इस वर्ष पहले ही यूएन के इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने रपट जारी कर दी है कि जलवायु परिवर्तन का ‘सर्वाधिक बुरा प्रभाव अफ्रीका में महसूस किया जाएगा. और अधिक जानकारियाँ यूएन से जीवंत देखें . चक दे इंडिया पिछले महीने रिलीज हुई बॉलीवुड की फिल्म चक दे इंडिया ने भारतीयों के मानस पटल पर क्या जबरदस्त प्रभाव डाला. भारत में चक दे इंडिया को जादुई मंत्र की तरह लिया गया है और अब इस फिल्म को अपने पाठ्यक्रम में जोड़ने के बारे में बिजनेस स्कूलों में विचार हो रहा है. फिल्म एक ऐसे हॉकी कोच की कहानी है जिसकी दूरदृष्टि तथा दृढ़ संकल्प ने खिलाड़ियों के टीम स्पिरिट और सोच को कुछ इस तरह बदल कर रख दिया कि अंतत: टीम विश्वकप जीत लेती है. सामान्यतः भारतीयों की वीरता क्रिकेट के अलावा दूसरे किसी खेल में अनजाना सा ही है. क्रिकेट की दुनिया में भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों ने ठीक ठाक ही मैच खेले हैं और बहुत कम ही मैच जीते हैं. हालांकि हाल ही में जोहेन्सबर्ग में सम्पन्न हुए ट्वेंटी20 विश्वकप में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने कमाल कर दिखाया और 23 साल बाद विश्वकप जीता. बहुत से चिट्ठाकारों को लग रहा है कि हाल ही में क्रिकेट, फुटबाल और हॉकी में भारत को मिली जीत संभवतः चक दे इंडिया के प्रभाव के कारण तो नहीं है ? संजय गोयल post के पोस्ट में इस वाक्य में बहुतेरे चिट्ठाकारों के विचार महसूस किए जा सकते हैं : “जो भी हो, शाहरूख़ खान अभिनीत चक दे इंडिया के रिलीज के साथ साथ ही भारतीय खेल जगत ने अपना सबसे बढ़िया समय देखा है ” के वर्ल्ड के कार्तिक भी कुछ इसी तरह के विचार रखते हैं और सोचते हैं कि क्या सचमुच चक दे इंडिया को खेल जगत में भारत की जीत के लिए प्रेरक के रूप में मान सकते हैं. क्या सचमुच कोई फिल्म देश के लिए सौभाग्य लेकर आ सकती है ? इस प्रश्न का कोई भी तर्कसंगत उत्तर तो “नहीं” में ही होगा. और, सिर्फ “नहीं”, बल्कि “नहीं! पर, फिर भी, आइए इस समय पंक्ति पर जरा चलके देखें- 10 अगस्त, 2007 - शाहरूख़ की चक दे इंडिया रिलीज हुई 29 अगस्त, 2007 - फुटबाल में भारत ने नेहरू कप जीता 9सितम्बर, 2007 - हॉकी में भारत की नेहरू कप में विजय 24सितम्बर, 2007 - क्रिकेट में भारत ने टी20 विश्वकप जीता अब आपको कार्तिक के चिट्ठे को आगे पढ़ना होगा उनके विश्लेषण को जानने के लिए कि बॉलीवुड की इस फिल्म और भारतीय खेलों की टीम के बीच आपसी संबंध क्या हैं. मटरिंग दैट मैटर अपने पोस्ट चक दे इंडिया में लिखते हैं : “इस जीत ने दोनों को पार्श्व में कर दिया चूंकि मैं पिछले पूरे 22 सालों से इस खुशी के मौके का इंतजार कर रहा था. टीम इंडिया को बधाई - टी20 चैम्पियन …चक दे इंडिया …. आनंद कृष्णन्स म्यूसिंग्स लिखते हैं : “सोने में सुहागा यह है कि पिछले कुछ महीनों में भारतीय टेनिस, बैडमिंटन, हॉकी तथा फुटबाल ने भारत को उस स्तर पर पहुँचाया है जहाँ गैर भारतीय द्वीप के देश अब तक सम्बद्ध रहे थे. यह भारतीय खेलों की वो “चहुँओर फैलती रैली” है जो मुझे ये कहने को मजबूर करती है - “चक दे इंडिया”! चक दे इंडिया का प्रभाव दवे के यात्रा चिट्ठे में भी बरकरार है. दवे जो कि बेसबाल प्रमी हैं, सोचते हैं कि वे अब क्रिकेट प्रेमी बनने के कगार पर हैं. उन्होंने अपने चक दे इंडिया शीर्षक वाले पोस्ट में जोहान्सबर्ग में भारत तथा पाकिस्तान के बीच हुए फाइनल मैच के दौरान इन दोनों देशों के मिजाज को कुछ यूँ पकड़ा है. “यह मेरा सौभाग्य था कि मैच देरी से प्रारंभ हुआ और मैं पाकिस्तान की प्रचण्ड वापसी का गवाह बनने समय पर पहुँच गया. वे बस जीत के करीब ही थे और पूरे देश में उदासी छाती जा रही थी कि अचानाक भारत ने चमत्कारिक जीत हासिल कर ली! जैसे ही अंतिम गेंद को कैच कर लिया गया, मुम्बई में चहुँओर पटाखे फूटने लगे. और जब विजेता भारतीय टीम कल मुम्बई वापस आई तो उनके शानदार स्वागत में शहर थम सा गया. क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब टीम शहर में दाखिल हो रही थी तो पार्श्व में कौन सा गाना बज रहा था? चक दे इंडिया. हिन्दी : क्रिकेटिया माहौल और एक शहीद की याद 24 सितम्बर की शाम को दिल्ली में खुशियों का सैलाब तब बह निकला जब श्रीसंथ ने मिशाब-उल-हक का वो कैच पकड़ा जिसने भारत को पहले ट्वेंटी20 विश्वकप में शानदार जीत दिला दी! मेरी पलक झपकी भी नहीं थी कि आस पड़ोस पटाखों की आवाजों से पट गया! बीसीसीआई (बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल इन इंडिया) अध्यक्ष शरद पवार ने तत्काल ही टीम के लिए आठ करोड़ रुपयों तथा युवराज सिंग के उसके ट्वेंटी20 क्रिकेट में पहली दफा एक ओवर में 6 छक्के लगाने के लिए एक करोड़ रुपयों के पुरस्कारों की घोषणा कर दी. दो दिन बाद जब टीम मुम्बई के सहारा एयरपोर्ट पर उतरी और एक खुली बस में जुलूस के रूप में निकली तो सड़कें जाम थीं - टीम की एक झलक पाने के लिए लाखों लोग सड़कों पर मौजूद थे. यही नहीं, सम्बन्धित राज्यों की सरकारों को क्रिकेट के पीछे पगलाए इस देश में यहाँ भी वोट बैंक दिखाई दे गया नतीजतन विजयी टीम के खिलाड़ियों पर इनामों (नकद राशि, भूमि इत्यादि) की बौछारें कर दी गईं. ऐसे अनुराग व पुरस्कारों की बौछारों ने बहुतों को अप्रसन्न भी किया. बहुत से लोगों ने राज्य सरकारों द्वारा इस तरह नकद पुरस्कारों की बौछारों पर प्रश्न किया कि जब वे अन्य खेलों के लिए तथा राज्य में खेलों के लिए इतर सुविधाएँ प्रदान करने के लिए फंड का रोना रोते रहते हैं तो क्या ये वाजिब हैं. इनमें से बहुत से चिट्ठाकार भी हैं, जैसे कि नीरज, जिन्होंने राष्ट्रीय खेल हॉकी की लापरवाही भरी स्थिति पर प्रश्न किया जिनके खिलाड़ियों को पुरस्कार स्वरूप क्रिकेट खिलाड़ियों के चौथाई हिस्से भी कभी नहीं मिले. मीडिया के लोग जैसे कि राजेश ने मौका नहीं चूका और गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी को लपेटा कि उन्होंने राज्य के क्रिकेट खिलाड़ी पठान बंधुओं के लिए कोई पुरस्कारों की घोषणा क्यों नहीं की. इरफान पठान ने फ़ाइनल मैच में 3 महत्वपूर्ण विकेट लेकर विश्वकप विजय में प्रमुख भूमिका निभाई थी. राजनीतिक तथा मीडिया क्षेत्रों की आलोचनाओं से आशंकित, मोदी सरकार ने अंततः मौजूदा समय के भगवानों - पठान बंधुओं - के लिए नकद पुरस्कारों की घोषणा कर ही दी. अब जब यह मुद्दा हल हो गया तो राजेश ने क्रिकेट खिलाड़ियों को भगवान के तौर पर मानने व हॉकी खिलाड़ियों की उपेक्षा करने के नाम पर फिर से सरकार की जमकर खिंचाई की ! यह तो तीव्रतम टाक अबाउट टर्न अराउन्ड था जिसे मैंने देखा! बात अभी पूरी नहीं हुई. भारतीय हॉकी टीम के कुछ सदस्यों ने उनकी हाल ही की एशिया कप विजय पर पुरस्कारों के टोटे, जबकि राज्य सरकारों द्वारा क्रिकेटरों को पुरस्कारों से लादने के विरोध में अनशन की चेतावनी दी! इस बीच, चूंकि क्रिकेट व हॉकी के बीच इनामों व पुरस्कारों के मुद्दे पर बहुत कुछ लिखा गया, जीतू ने अपने बचपन के दिनों में क्रिकेट के साथ किए गए प्रयोगों के बारे में लिखा. आखिरकार, क्रिकेट तो भारतीयों की सांसों में बसा हुआ है! 28 सितम्बर को भारत ने उस महान सपूत की जन्म शताब्दी मनाई जिसने लायलपुर (अब पाकिस्तान में फैसलाबाद) में 100 वर्ष पहले जन्म लिया था. इस बालक को नाम दिया गया था भगत सिंह , एक नाम जिसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान शहीद के रूप में जाना जाता है. भगत सिंह 23 साल की उम्र में ब्रिटिश सरकार से भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए शहीद हुए थे. उन्हें 23 मार्च 1931 को उनसे अपेक्षाकृत कम प्रसिद्ध, उनके दो क्रांतिवीर दोस्तों सुखदेव तथा राजगुरू के साथ फांसी दी गई थी. इस अवसर पर अमर शहीद भगत सिंह के बारे में अपने विचारों को बहुत से चिट्ठाकारों ने लिखा परंतु मुझे सुखदेव तथा राजगुरू जिन्हें भगत सिंह के साथ उसी, एक ही कारण से फॉसी दी गई थी, के बारे में कोई एक बात भी कहीं लिखी नजर नहीं आई. न ही मुझे 15 मई को सुखदेव के प्रति कोई श्रद्धांजलि दिखाई दी - जिस दिन 1907 को - भगत सिंह से ठीक 4 महीने व 13 दिन पहले यह अमर शहीद जन्मा था! इस बात से मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा और मैंने आगे भगत सिंह की श्रद्धांजलि स्वरूप पोस्टों को नहीं पढ़ा. अमर शहीद के प्रति मेरे मन में ऐसा कुछ भी नहीं है, मगर मुझे लगता है कि उनके दो निष्ठावान दोस्तों जो एक ही विचारधारा के थे और साथ जिए साथ मरे, उन्हें उनके हिस्से की प्रसिद्धि नहीं मिली जो उन्हें मिलनी ही चाहिए थी! कड़ियाँ साभार: नारद अरबी : आपका धर्म क्या है? कुछ अरब देशों में दफ़्तरशाही जीवन का अभिन्न अंग है. मिस्र के चिट्ठाकार नोरा यूनिस ने हमें दिखाया है कि जब दफ़्तरशाही के कामकाज धार्मिकता के साथ जुड़ते हैं तब क्या हो जाता है. इस पोस्ट में मैंने अरबी से अनुवाद किया है. वहाँ मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब मुझे यह मालूम हुआ कि वहाँ मुझे अपने तथा अपने वकील के धर्म का प्रमाणीकरण करना होगा. मुझे अपने वकील से अभी कोई शादी-वादी नहीं बनानी थी, अतएव इससे पहले उसके बारे में मुझे खयाल ही नहीं आया था कि उसका धर्म क्या है. मुझे तो बस उचित फीस में एक सक्षम वकील की आवश्यकता थी और मुझे ऐसा लगता है कि मुझे या मिश्र राज्य को इससे कोई फ़र्क़ पड़ता हो कि वो यहूदी है, या शिन्तो है या फिर किसी खास पवित्र किए हुए गाजर का अनुयायी! चूंकि ऐसा कोई कानून नहीं है कि कोई गैर मुसलिम किसी मुसलिम को या कोई गैर कोप्टिक किसी कोप्टिक को नियुक्त नहीं कर सकता, परिस्थिति की व्याख्या मुझसे नहीं हो सकी सिवाय इसके कि मिस्र राज्य अपने नागरिकों को एक दूसरे के प्रति भेदभाव रखने के लिए बाध्य करती है, भले ही नागरिक ऐसा न करना चाहें. मेरे दिमाग में कभी यह खयाल आया ही नहीं कि कोई दिन ऐसा भी आएगा कि लोग अजनबियों से उनका धर्म पूछने लगेंगे. जापान: सुमो कुश्ती पर संकट के बादल जापान के "राष्ट्रीय खेल" - सुमो कुश्ती के लिए यह महीना कुछ अच्छा नहीं रहा. सबसे पहले तो मंगोलियाई पहलवान असाशोरयू, दो योकोजुना (शीर्ष क्रम की कुश्ती कक्षा) में से एक से अपने घर वापस चला गया. जहाँ उसे ड्यूटी बजाने में बीमारी का बहाना बनाकर कोताही बरतने की आलोचनाओं के चलते पैदा हुई अपनी मानसिक बीमारी की चिकित्सा करवानी थी, पर उसे वहां पर फुटबाल खेलते हुए फिल्माया गया. मीडिया के कुछ हिस्सों में इस बात की निन्दा की गई कि किस तरह “जापान का पारंपरिक खेल” इन “विदेशी पहलवानों” के द्वारा खतरे में पड़ता जा रहा है. संकट में इजाफ़ा तब हुआ जब यह घटना सामने आई कि जून के महीने में तदाशी साइतो (उसका पहलवानी नाम तोकिताइजान था) नाम के एक सत्रह वर्षीय पहलवान जो कि हाल ही में सुमो की कठिन दुनिया में आया था, की मृत्यु एक ट्रेनिंस सत्र के बाद हो गई थी. पहले तो उसके रिंगमास्टर तोकित्सुकाजे ने तर्क दिया था कि मृत्यु थकान के कारण हुई है, परंतु अब यह मालूम हो चला है कि तोकिताइजान की मृत्यु प्रदर्शन हेतु "दबाव" डाले जाने के कारण हुई, और इस वजह से उसके रिंगमास्टर को सुमो संगठन द्वारा निकाल बाहर कर दिया गया. बहुत से चिट्ठाकारों ने उस किशोर पहलवान के ऊपर किए गए अतिरेकी व्यवहार - जिनमें शामिल है - उसे बीयर की खाली बोतल से मारा जाना - के बारे में विमर्श किए हैं. उदाहरण के लिए, एक चिट्ठाकार ने लिखा है: उत्सव, दावत और मुस्कुराहटों का दान बीते शनिवार को तमाम विश्व के मुसलमानों ने रमजान की समाप्ति पर ईद-उल-फित्र का त्यौहार मनाया. चेन्नई के चिट्ठाकार अबुल कलाम अपना अनुभव बांट रहे हैं. उनकी सबसे छोटी पुत्री अपने गैर-मुसलिम दोस्तों की सहायता से रमजान के बारे में एक विस्तृत प्रोजेक्ट तैयार कर रही है. आजाद सोच रहे हैं कि किसी दिन उनकी बेटी जरूर ही अपने दोस्तों के साथ मिल कर इसी तरह के प्रोजेक्ट, दीपावली पर काम करेगी. मलेशिया के . :माइफ्रेंड:. केतुपत, के बारे में बता रहे हैं जो कि मलेशिया में ईद-उल-फित्र त्यौहार का प्रमुख हिस्सा है. अक्तूबर के महीने से हिंदुओं के त्यौहारों की शुरूआत हो रही है. सबसे पहले नवरात्रि का त्यौहार आता है जिसका शाब्दिक अर्थ है - नौ रातें. इस दौरान स्त्री शक्ति स्वरूपा देवी दुर्गा की पूजा की जाती है. कोलु तमिलनाडु में भारतीय शैली के गुड़ियों को कोलु नाम की सीढ़ियों पर प्रदर्शित किया जाता है. तमिलनाडु की नानानी अपने पुराने दिनों के अनुभवों को याद कर रही हैं कि वो कैसे अपने बच्चों की मदद से इस तरह की प्रदर्शनियाँ लगाती थीं. जबकि तुलसी का पालतू बिल्ला गोपालकृष्णन हम सभी को निमंत्रित कर रहा है कि हम न्यूजीलैंड में उनके घर पर प्रदर्शित किए जा रहे कोलु को देखने जाएं. श्रीलंका में नवरात्रि श्रीलंका में नवरात्रि का त्यौहार कुछ अलग तरीके से मनाया जाता है. सेली, ऑस्ट्रेलिया ने विस्तार से लिखा है कि स्कूलों में यह त्यौहार प्रधानता से कैसे मनाया जाता है. उनका कहना है कि श्रीलंका में कोलु जैसी प्रदर्शनियाँ तो नहीं लगाई जातीं, परंतु प्रत्येक सुबह स्कूलों, घरों व मंदिरों में प्रार्थनाएँ व भजन होते हैं. दसवें दिन स्कूलों में तमाम तरह के पकवान परोसे जाते हैं. घरों में भी कुछ इसी तरह, परंतु थोड़े से कम प्रमाण में यह उत्सव मनाया जाता है. अपने बचपन के दिनों के खूबसूरत पलों को कन्न प्रभा याद कर रही हैं. फावा बीन्स सुंदल उक्कराई सीयालम त्यौहारों, विशेष तौर पर नवरात्रि के दौरान एक से बढ़कर एक पकवान तैयार किए जाते हैं. जयश्री गोविंदराजन, मुम्बई कुछ पारंपरिक रसोई के नुसखों को सभी से साझा कर रही हैं. नवरात्रि में विशेष पकवानों को तैयार करने में मसूर का विशेष तौर पर प्रयोग किया जाता है. जयश्री ने नवरात्रि के उपलक्ष्य में बहुत से पकवान बनाए जिसमें शामिल हैं उक्कराई, तथा मीठा और मसालेदार सीयालम. सामान्यतः सुंदल हर घर में बनाया व बांटा जाता है. जयश्री ने आज मोच्चाई पायरू सुंदल l (फावा बीन्स सुंदल ) परोसा है. जिव्हा फ़ॉर इनग्रेडिएंट (जेएफआई) मासिक भारतीय पकवान-ब्लॉग के लिए वर्तमान थीम नवरात्रि है. जेएफआई की प्रेरणास्रोत इंदिरा ऑफ महानंदी, भी इस माह एक बढ़िया प्रोजेक्ट में सहयोग दे रही हैं. उन्होंने फीड अ हंग्री चाइल्ड (एफएएचसी) परियोजना प्रारंभ किया है और चिट्ठाकारों से आग्रह किया है कि वे बच्चों के लिए कुछ मुस्कान दान करें. इंदिरा कहती हैं, स्वयंसेवकों की सहायता से एफएएचसी ने केरल, भारत के पलक्कड़ जिले में अप्रैल 2007 से 14 बच्चों व उनके परिवारों को भोजन प्रदान करना प्रारंभ किया है. अब एफएएचसी को आपकी सहयता की जरूरत है. चंदे के जरिए $ 3,360 का कोष जमा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है. मुझे लगता है कि हम इसे आसानी से प्राप्त कर लेंगे. कृपया इस साइट के शीर्ष दाएँ कोने में चिप इन बटन को क्लिक करें और जो भी बन पड़े, सहयोग दें. यदि आप सहयोग हेतु अतिरिक्त प्रोत्साहन चाहते हैं तो फीडिंग किट के विवरणों को देखें. उन्होंने अपने साथी रसोई-चिट्ठाकारों के साथ मिलकर रैफल टिकटों की व्यवस्था की है जिसमें से अधिकतम टिकटों को प्रसिद्ध कुक-बुक लेखक व शेफ सुवीर सरन ने दान दिया है. इनमें से एक बड़ा पुरस्कार है सुवीर सरन के न्यूयॉर्क स्थित रेस्त्रां "देवी" में रात्रिभोज (वाइन सम्मिलित). विस्तृत विवरण यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं. ग्यूटेमाला: घर की याद आती है ग्यूटेमाला में आंतरिक या बाहरी देशों को देशान्तरण आम बात है। संघर्ष और गंभीर गरीबी व हिंसा के सालों में अनेको ग्यूटेमालाई लोगों ने पाया कि उनके देश में अब संभावनायें नहीं बची हैं। नतीजतन असंख्य लोगों ने जीने के अन्य मौकों की तलाश में और अपने जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिये अपना घर छोड़ कर राजधानी या उत्तर की ओर रुख किया। निःसंदेह अपने परिवार व दोस्तों और अपने घर से दूर रहने को मजबूर कईयों की जिंदगी में अभूतपूर्व बदलाव भी आये। डाएरियो मेरिडियानो घर छोड़ने का निर्णय ले चुकी एक लड़की की कहानी बयां करते हैं: विदेश में रह रहे चिट्ठाकारों के लिये अपने गाँव की यादें ताज़ा करना तो जरूरी है हीः रात में मैंने सारे संदेशे और कवितायें पढ़ीं जो प्यारे क्युकुनसेस कुलिको के रहवासी ने लिखे और मुझे लगा ज्यों मैं उस छोटे से गाँव में पहुँच गया हूँ जहाँ हमारी जवानी बीती, जहाँ हम शनिवार को पार्टियाँ मनाया करते। वो खुशनुमा लम्हें कभी नहीं भूल सकता। आर्मीनियाः खुला पत्र तुर्की लेखक व चिट्ठाकार मुस्तफा अक्योल की आर्मीनियाई जातिसंहार विषय पर आप्रवासी आर्मीनियाई को लिखे खुले पत्र का जवाब "लाईफ इन आर्मीनिया" चिट्ठे के लेखक रफी ने तुर्की नागरिकों को लिखे अपने खुले पत्र से दिया है। 1915 से 1917 के बीच हुई घटनाओं को जातिसंहर का दर्जा देते हुये वे लिखते हैं कि इस बकाया घटना का हमेशा के लिये हल निकालने का यह सही समय है ताकि आर्मीनियाई और तुर्क आगे बढ़ सकें और "अंततः एक दूसरे का साथ शाँतिपूर्वक जीना शुरु कर सकें"। उज़बेकिस्तान: पुरातन कृषि जोशुआ फाउस्ट रपट दे रहे हैं कि लंदन स्थित उज़बेकिस्तानी दूतावास ने नाराज़ शब्दों में उन खबरों का खंडन किया है जिनमें ये आरोप लगाये गये थे कि वहाँ कपास चुनने के लिये बच्चों का इस्तेमाल होता है या उन्हें इस काम के लिये मजबूर किया जाता है। पाकिस्तान में आपातकालः खबरों व इंटरनेट पर रोक राष्ट्रपति मुशर्रफ ने पाकिस्तान में आपातकाल की घोषणा कर दी है। खबरों के मुताबिक और चीज़ों के अलावा इसका मतलब है कि "नागरिकों के मौलिक अधिकार अब निरस्त किये जा चुके हैं, सभी खबरों के चैनलों पर रोक लगा दी गई है और मोबाइल फोन तथा इंटरनेट कनेक्शन जैम किये जा चुके हैं"। आल थिंग्स पाकिस्तान पर हो रही जोरदार चर्चा से पता चलता है कि चिट्ठाजगत में इस घोषणा के क्या असरात हैं। पाकिस्तान पॉलिसी ब्लॉग बता रहा है कि सेना ने सर्वोच्च न्यायालय का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है, सभी मुख्य समाचार संस्थाओं के दफ्तरों को घेर लिया हैं और कई नेताओं को गिरफ्तारी या नज़रबंदी में रख छोड़ा है। ब्लॉग घोषणा पर टिप्पणी करते लिखता हैः अपनी घोषणा में राष्ट्रपति मुशर्रफ, जिसमें उन्होंने खुद की सेना के मुखिया के रूप में पहचान की है, राष्ट्रपति के रूप में नहीं, ने राष्ट्र में बढ़ती हिंसा को मार्शल लॉ लगाने का कारण बताया है। लेकिन घोषणा में न्यायपालिका को इसके लिये जिम्मेवार ठहराया गया है और विधानमंडल और कार्यपालिका के काम में कथित दखलंदाज़ी करने पर इसे लताड़ा गया है। रेडडायरीपीके वर्तमान शासन के इरादों और सैन्य शासन के नतीजों के बारे में लिखता है न्यायपालिका, मीडिया और पाकिस्तान की जनता पर मुशर्रफ के तात्कालिक, राजद्रोहिक और असंवैधानिक हमलों ने राष्ट्रपति शासन के तानाशाही रूप को सामने ला दिया है। ये अब साबित हो चुका है कि सेना को राजनीति से अलग किये बगैर पाकिस्तान कभी भी जनतंत्र बनने की राह पर बढ़ नहीं सकता। सेना के साथ किसी भी प्रकार की डील या समझौते की कोशिश से जनतंत्र बनाने के संघर्ष को आघात ही लगेगा। साजा फोरम इस पोस्ट पर टिप्पणियों को प्रकाशित कर लिखता है, "भारतीय टीवी चैनल कह रहे हैं कि ये आपातकाल से बढ़कर है। ये मार्शल लॉ की ही घोषणा है क्योंकि देश के संविधान को रद्द कर दिया गया है। " कुछ और लोग बता रहे हैं कि समाचार चैनलों को पाकिस्तान में बंद कर दिया गया है। चपाती मिस्ट्री आपाताकाल क्या है ये समझा रहे हैं अगला कदम? मार्शल लॉ। और बमबारी। और पिछले 8 सालों में जो भी संपदा राष्ट्र ने अर्जित की, उसका विनाश। जिंबाबवे, हम आ रहे हैं। शायद कुछ स्थिति संवरे अगर अमेरिका और चीन होश में आयें और कुछ वास्तविक कूटनीति का मुज़ाहरा करें। स्थिति अस्पष्ट है। मान लें कि मुशर्रफ इस्तीफा दे कर चले जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट चुनाव की तारीख घोषित करता है, नई सरकार बलुचिस्तान समस्या सुलझा लेती है, अमेरिका अफगानिस्तान में फिर सेना की भारी तैनाती कर देता है (और इसे बरकरार रखता है), पाकिस्तानी सेना देश के शहरों और पहाड़ों पर मुकाबले करती है। युद्ध। अफरातफरी। अनिश्चितता। और ये, मेरे प्रिय पाठकों, तो भी अच्छी स्थिति होगी। जिस बात की वाकई होने का अंदेशा है वो है 2005 के मुगाबे के जिंबाबवे और इंदिरा गाँधी के 1976 के भारत नुमा कोई सैन्य राष्ट्र। मेट्रोब्लॉगिंग लाहौर, पिक्ल्ड पॉलीटिक्स और मेट्रोब्लॉगिंग इस्लामाबाद पर टिप्पणीयाँ भी पढ़ें। केओ "तानाशाही की वापसी" के बारे में लिखते हैं ये बड़ा विरोधाभास है। पाकिस्तान पर पिछले 8 सालों से एक सैन्य तानाशाह की हुकुमत रही है, लेकिन इस तानाशाह ने लोकतंत्र के कुछ गुण बचा कर रखे, मसलन मुक्त प्रेस और विपक्ष, सिर्फ नेताओं की ही नहीं वरन तालीबान जैसी निजी सेनाओं का भी जो देश भर में मज़े से घूमते फिरते रहे। कमेंट इज़ फ्री में अली इतेराज़ आपातकाल के संदर्भ में लिखते हैं पारंपरिक रूप से, PCO ऐसा आदेश है जो संविधान को निरस्त कर देता है और न्यायपालिका और शासन को भंग कर नागरिक अधिकारों को ख़त्म कर देता है। फर्क यह है कि मुशर्रफ के PCO ने शासन को बरकरार रखते हुये केवल न्यायपालिका को,अपनी सीमायें तोड़ने और आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में रोकटोक के कारण, भंग किया है। तो वर्तमान स्थिति मार्शल लॉ से कमतर है। और इसे आपातकाल कहना भी गलत होगा क्योंकि इसमें PCO शामिल नहीँ। इस बीच की स्थिति को "इमरजेंसी प्लस" कहा जा रहा है। और हाँ ये समय है पाकिस्तान में इंटरनेट सेंसरशिप के खिलाफ समाज के सक्रीय होने का भी। डॉ अवाब अल्वी ने सुझाव दिया मेरा विचार है कि पाकिस्तान स्थित सभी चिटठाकारों को ब्लॉगिंग बंद कर सावधान रहना चाहिये क्योंकि ये साफ है कि मार्शल लॉ लग चुका है। अपने ब्लॉग अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टरों और चिट्ठाकारों के सुपुर्द कर उन्हें जारी रखें। हमें खतरा नहीं उठाना चाहिये। मुझे मालूम है कि कितना लिखना चाहिये पर ध्यान रहे कि ये मार्शल लॉ है। अवाब अल्वी का चिट्ठा फिलहाल आंगे चला रहे हैं जिसमें स्थिति की ताज़ा जानकारी उपलब्ध है। भारतः टॉयलेट नक्को इंडिया डेली विवरण दे रहा है कि किस तरह 80 फीसदी भारतीय बिना शौचालय के काम चलाते हैं। ज़िक्र करने का मौका भी दुरुस्त है क्योंकि इसी हफ्ते भारत में सातवाँ विश्व शौचालय महासम्मलेन भी आयोजित हो रहा है। रूस: मदिरा में लिप्त विंडो आन यूरेशिया के मुताबिक रूसी विश्व स्वास्थ्य संस्था द्वारा खतरनाक घोषित सीमा से तीन गुना ज्यादा शराब पीते हैं और अमरीकियों की तुलना में आठ गुना ज़्यादा। द बॉब्स: और विजेता हैं. आपने बेचैनी से इंतज़ार किया। अपने कंप्यूटर पर डटे रहे। और शायद आप बर्लिन की उड़ान भी भर आये, जी हाँ बर्लिन में ही दायचे वेले द्वारा आयोजित और ग्लोबल वॉयसेज़ द्वारा सह प्रायोजित द बॉब्स यानि बेस्ट आफ ब्लॉग्स प्रतियोगिता 15 नवंबर को संपन्न हुई। इस साल की विजेता रहीं बेलारूस की राजधानी मिंस्क की उभरती फोटो जर्नलिस्ट, 23 वर्षीय ज़ीनिया अविमोवा। उनका चिट्ठा फोटो ग्रिफैन्यूरेई, जिसका अंग्रेज़ी तजुर्मा होगा फोटो मैनीएक, मिंस्क और आसपास की झलक दिखाते श्वेत श्याम चित्रों का संग्रह है। चिट्ठे का बारे में डायचे वेले के कार्यक्रम निदेशक क्रिश्चन ग्राम्श्च ने कहा, "यह उत्कृष्ट ब्लॉग कम शब्दों में बेलारूस के लोगों के नित्य जीवन को दर्शाने में सफल रहा है। " इनाम पाने के बाद खुद अविमोवा का कहना था, "बेलारूस में स्वतंत्र समाचार पत्रों और अन्य मंचों की खास तादात नहीं है जहाँ लोग अपने विचार प्रकट कर सकें। यही कारण है कि अनेक युवा अपने ब्लॉग में लिखते हैं। इराक की राजधानी के दैनिक जीवन पर आधारित एक लोकप्रिय विडियो ब्लॉग अलाइव इन बगदाद को श्रेष्ठ विडियोब्लॉग पुरस्कार से नवाज़ा गया। श्रेष्ठ अंग्रेज़ी ब्लॉग पुरस्कार का विजेता रहा वैलर आईटी, एक ऐसा चिट्ठा जो घायल अमरीकी सैनिकों के लिये लैपटॉप खरीदने हेतु धन जुटाता है। अनाम चिट्ठाकार जॉटमैन, जिनकी थाईलैंड में 2006 के विद्रोह और बर्मा के हालिया विरोध प्रदर्शनों की रपटें कई बार मुख्यधारा की खबरों से भी बेहतर मानी गईं, को खास रिपोटर्स विदआउट बार्डर्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया। log सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग स्पैनिशः A mis 95 años द बॉब्स की वेबसाईट पर कुल मिलाकर एक लाख लोग गयें और तकरीबन 7000 नामांकनों में से अपने पसंदीदा ब्लॉग को वोट किया। तो यदि आप भी चिट्ठाकारी करते हैं तो टाईप करते रहें क्योंकि अगली प्रतियोगिता में साल भर से भी कम समय बचा है और आप इसका हिस्सा बन सकते हैं। जापानः फिंगरप्रिंटिग तकनीक एडो जापान में विदेशियों की फिंगर प्रिंटिंग नीति के तकनीकी पक्ष की जानकारी दे रहे हैं। मिस्र: क्या इज़्राइल भयभीत है? "मुझे इस बात का कारण समझ नहीं आता कि इज़्राइल अरब या किसी भी अन्य इस्लामी देश के पास अपना परमाणु कार्यक्रम होने की बात पर इतना खौफ़जदा रहे। मुझे कोई तार्किक कारण नहीं नज़र आता जो इज़्राइली कर रहे हैं चाहे हो इरान के खिलाफ विश्व को बरगलाने की बात हो या मिस्र या KSA की शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम शुरु करने की घोषणा करने पर निंदा हो। मंगलवार से बिना इंटरनेट जी रहीं और साइबरकैफे से ब्लॉगिंग कर रही गैबरीला ज़ागो ब्राज़ीलियाई टेलिकॉम सेवा को अब तक की सबसे खराब सेवा करार देती हैं, "उन्होंने हमें फोन से इत्तला दी केबल चोरी हो गये हैं और अगले दिन समस्या को सुलझा लिया जायेगा, जबकि अगले दिन यानि गुरुवार को प्रोक्लेमेशन डे की छुट्टी थी। " उन्हें यकीन है कि समस्या एक हफ्ते से पहले नहीं सुलझने वाली। चीनः विश्वविद्यालयों में गोल्फ संस्कृति झ्यूयाँग चीनी विश्वविद्यालयों में गोल्फ संस्कृति की निंदा करते हैं। उन्होंने पाया कि अन्य देशों में छात्र ऐसे खेलों का आनंद लेते हैं जिनमें शारीरिक चुनौती पर बल दिया जाता हो जैसे फुटबॉल य बास्केटबॉल जबकि गोल्फ बस अपनी "क्लास" दिखाने का खेल भर है। गाँधी के बाद भारत लॉ एंड थिंग्स रामचंद्र गुहा की किताब "इंडिया आफ्टर गाँधी" की विभिन्न समीक्षाओं के बारे में लिख रहे हैं। ब्राज़ीलः चिट्ठाकार ही करतें हैं बहस शुरु एमलॉग एक समाचार के बारे में बता रहे हैं जिसमें ये रपट दी गई है कि ब्राज़ीलियाई इंटरनेट पर होने वाली बहसों का एक तिहाई हिस्सा ब्लॉगमंडल से ही शुरु होता है। "तर्क देने के अलावा जब वे ब्राँड या उपभोग के रुख के बारे में के बारे में लिखते हैं तो उपभोक्ताओं के निर्णय पर भी प्रभाव छोड़ते हैं। ब्राज़ीलः सुरक्षा की कलई खुली पीई बॉडी काउंट एक ऐसे मामले की रपट दे रहे हैं जिससे पेरनांबुको, ब्राज़ील में सुरक्षा व्यवस्था के नदारद होने का पता चलता है। वहाँ सामाजिक सुरक्षा विभाग के सचिव सेर्विल्हो पाईवा की सरकारी कार ही चोरी हो गई। कार अगली सुबह बरामद हो गई पर उसमें से दोनों सुरक्षा गार्डों की बंदूकें गायब थीं। लेबनानः पंथ बनी पहचान? लेबनानी चिट्ठाकार एम बीबीसी पर भीड़ का अनुसरण करने का आरोप लगाते हैं क्योंकि वो जिन लोगों का साक्षात्कार लेती है उनकी पहचान उनके संप्रदाय से करती है। यूक्रेनः प्रदर्शनी का सच? मॉस्को में होलोडोमोर प्रदर्शनी में कलाविध्वंस (वैंडेलिज़्म) की घटना पर वहाँ के मेयर युरी लुज़कोव ने कहा, "मुझे लगता है कि इस प्रदर्शनी का बस एक ही मकसद थाः रूसी और युक्रेनी लोगों का एका तोड़ना और उनमें दरार पैदा करना। इरानः अमरीकी सैनिक और इराकी बच्चे रज़ेनो ने इराक में बच्चों की देखरेख करते अमरीकी सैनिकों की कई तस्वीरें प्रकाशित की हैं। इस चिट्ठाकार का कहना है कि इरानी मीडिया कभी ऐसी तस्वीरें नहीं छापता। भले ही युद्ध एक स्याह दास्तां हो पर इनमें मानवीय संवेदनायें भी तो शामिल रहती हैं। हाँगकाँगः पॉप स्टार ने की रक्षा यूट्यूब और अन्य स्थानीय विडियो शेयरिंग जालस्थलों पर हाँगकाँग के पॉप स्टार एंडी लाउ द्वारा एक प्रशंसक की अपने ही सुरक्षा गार्डों से रक्षा करते दिखाता एक विडियो खासा चर्चित है। फोटो ब्लॉगर कुसुफ़ ने एक गंदी दीवार के चित्र प्रकाशित किये हैं जहाँ महमूद अहमदिनेज़ाद के 2005 के राष्ट्रपति पद के चुनाव प्रचार के समय के पोस्टर अब भी दिखते हैं। कुसुफ़ पूछते हैं कि उन नारों का क्या हुआ? विंडो ओन यूरेशिया रूसी मुसलमानों के वोट डालने के रूख के बारे में लिखते हैं, "Islam. ru के शोध विभाग के प्रमुख अब्दुल्ला रिनात मुखामेतोव के मुताबिक मुसलमानों ने यूनाईटेड रशिया के लिये वोट दिया और इस तरह पुतिन का साथ दिया, यह दिखाने के लिये कि वे एक शक्तिशाली, एकजूट और समाज के प्रति दायित्व निभाने वाले राज्य के पक्ष में हैं और उन आरोपों को झुटलाने के लिये जिनमें मुसलमानों को अलगाववाद, आतंकवाद जैसी चीजों से जोड़ा जाता है। "अगले 28 दिनों में स्लोवेनिया को अगले 6 महीनों के लिये यूरोपियन यूनियन के राष्ट्रपति की जिम्मेवारी मिलने वाली है और यह पहला ऐसा मौका है क्योंकि स्लोवेनिया कुछ 1300 दिन पहले ही यूरोपियन यूनियन का सदस्य बना है। तो समय है इस अक्सर भुला दिये जाते देश के बारे में कुछ जानकारी बढ़ाने का, जैसे कि स्लोवेनिया का इंटरनेट टॉप लेवल डोमेन (TLD) क्या है", लिख रहे हैं टेल्स फ्रॉम द यूरोपियन अंडरबेली के जोनाथन न्यूटन। मिस्रः यूट्यूब ने बहाल किया खाता. पर मिस्र के चिट्ठाकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता वेल अब्बास के यूट्यूब और याहू खातों को बहाल कर दिया गया है जिन्हें मिस्र की पुलिस द्वारा कथित रूप से प्रताड़ित लोगों के विडियो पोस्ट करने के कारण स्थगित कर दिया गया था। पर वे खुश क्यों नहीं हैं यह जानने के लिये उनका चिट्ठा पढ़ें। मलेशियाः दूसरों के बैग से रखें परहेज़ रॉकी मलेशियाई लड़कियों को आगाह करते लिखते हैं कि वे विदेश प्रवास के समय दूसरों के बैग ढोने से बचें। रोपर्ट एमस्टर्डम ब्लॉग लाईवजर्नल को हाल में खरीदने वाली कंपनी एसयूपी के निदेशक से सीएमएस वायर द्वारा लिये साक्षात्कार की निंदा करते हुये लिखता है, "रिपोर्टर ने बड़े नर्म सवाल पूछे और खास मुद्दों पर कोई पूछताछ नहीं की, मसलन अगर सुरक्षा एंजेसियाँ खास चिट्ठाकारों की व्यक्तिगत जानकारी चाहे तो एसयूपी की नीति क्या होगी। मिस्रः लालची सेना "इस बात के सबूत मिल रहे हैं की सेना सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण के बारे में और लालची होती जा रही है, खास तौर पर जब मौके की ज़मीन और व्यवसायों की बात हो। " लिखते हैं मिस्र से द अरेबिस्ट जो सेना द्वारा कैरो के नज़दीक कुरसाया द्वीप के अधिग्रहण की योजना के बारे में खबर दे रहे हैं। जमैका: कौड़ियों के दाम जिस्म स्टनरर्स एफ्लिक्शन कहते हैं, "जी हाँ, ये नौ से ग्यारह जमात की लड़कियाँ अपने जिस्म महज़ 10 जमैकन डॉलर (लगभग 0. 14 अमरीकी डॉलर या साढ़े 5 रुपये) में बेच रही हैं। सूडानः एड्स से लड़ने का गलत तरीका सूडान में जे़रबा एक पोस्टर को "मौत का पोस्टर" पुकारते हुये निंदा करते हैं जिसमें इलाज व बचाव के तरीके बताये बगैर मानव खोपड़ी और हड्डियों के सहारे लोगों को एड्स के खतरों के प्रति अगाह किया गया है। वे लिखते हैं कि एड्स अब कोई मौत की सज़ा नहीं रह गई है। गलत संदेश से "वायरस और बढ़ेगा" और "संक्रमितों को और अधिक कलंकित" माना जाने लगेगा। रूसः कास्परोव राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर गैरी कास्परोव ने राष्ट्रपति पद की चुनावी दौड़ से खुद को बाहर कर लिया है क्योंकि वे समूह मीटिंग के लिये कोई स्थल नहीं खोज पाये। "मेरा अनुमान है कि कास्परोव के निर्णय का असल कारण है कि उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिये ज़रूरी २० लाख हस्ताक्षर जुटाने की कोई उम्मीद नहीं थी और अगर वे इस प्रयास में ही असफल हो जाते तो ये राजनीतिक आत्महत्या ही हो जाती। केन्याः वोटरों के तीन विष कुमेकूचा किन्याई वोटरों की तीन दिक्कतों पर ध्यान दिलाते हैं, "कबिलाई, भष्ट्राचार और छोटी याद्दाश्त। ये तीन विष हैं जो हमें 27 को वोट डालने के पहले अपने शरीर से झाड़ उतारने होंगे। टर्किश इंवेज़न ओका नामक कार के बारे में लिखते हैं, "मास्को में पिज्ज़ा डेलिवरी के लिये ओका कार का भारी प्रयोग होता है, क्योंकि जाहिर तौर पर सर्दियों में बाईक चलाने की तुलना में यह ज्यादा गर्म रहता है। नई ओका कार की कीमत लगभग 3000 डॉलर यानि तकरीबन 1. 20 लाख रुपये है। " मोज़ाम्बीकः स्कूल फिर शुरु, पर सबके लिये नहीं जूलियो मोज़ाम्बीक में, जहाँ अनेक बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, पाठशालाओं के नये सत्र की शुरुवात और देश में शिक्षा की दिक्कतों के बारे में लिखते हैं। "मैं तो शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में भी बात नहीं कर रहा। मैं सिर्फ बात कर रहा हूँ इस देश के हज़ारों बच्चों और युवाओं तक शिक्षा के पहुंच की। उद्देश्यपूर्ण ब्लॉगिंग: ब्लॉग एडवोकेसी की ग्लोबल वायसेज़ मार्गदर्शिका डाउनलोड करने हेतु चित्र पर क्लिक करें ग्लोबल वायसेज़ सहर्ष घोषणा करता है अनाम चिट्ठाकारी और सामाजिक व राजनैतिक बदलाव के लिये इंटरनेट आधारित औजारों के प्रभावी प्रयोग जैसे विषयों पर अनेक विचारित मार्गदर्शिकाओं में से दूसरी मार्गदर्शिका के विमोचन का। "ब्लॉग फॉर अ कॉज़ः द ग्लोबल वायसेज़ गाइड आफ ब्लॉग एडवोकेसी" जानकारी देती है कि किस तरह सक्रिय प्रतिभागी अपने चिट्ठों को विश्व में हो रहे अन्याय के खिलाफ अभियान चलाने में प्रयुक्त कर सकते हैं। ब्लॉगिंग से उन्हें कई तरह से मदद मिल सकेगी। इंटरनेट पर पहचान बनाने, किसी उद्देश्य के बारे में जानकारी प्रसारित करने और निर्णय लेने वालों पर दबाव बनाने हेतु कार्यक्रम बनाने का यह आसान और सस्ता तरीका है। ब्लॉग फॉर अ कॉज़ के दोतरफा उद्देश्य हैं, सूचना देना और प्रेरित करना। इस मार्गदर्शिका को प्रायोगिक तथा आसान पहुँच हेतु बनाया गया है, जिससे प्रतिभागियों को अपनू उद्देश्य प्राप्ति हेतु ब्लॉग का प्रयोग करने के आसान नुक्ते दिये जा सकें। इस मार्गदर्शिका को पाँच भागों में विभाजित किया गया हैः ब्लॉग एडवोकेसी के बारे में आम तौर पर पूछे जाने वाले सवाल व उनके उत्तर यानि एफएक्यू सफल एडवोकेसी ब्लॉग के पाँच मुख्य तत्व एडवोकेसी ब्लॉग बनाने की ओर चार कदम अपने ब्लॉग को सक्रीय स्वयंसेवकों का जीवंत समुदाय कैसे बनायें एडवोकेसी ब्लॉग प्रतिभागियों की आनलाईन सुरक्षा हेतु टिप्स इस जानकारी के अतिरिक्त यह मार्गदर्शिका दुनिया भर से एडवोकेसी ब्लॉग के उदाहरणों से अटी पड़ी है, जिससे पाठकों को यह देख कर प्रेरणा मिल सके कि क्या करना संभव है। इन ब्लॉगों के विभिन्न उद्देश्य हैं, सऊदी अरब में सलाखों के पीछे बंद ब्लॉगर की रिहाई की माँग से लेकर हाँगकाँग में पर्यावरण की रक्षा और डार्फर में संघर्ष की खिलाफत तक। इस मार्गदर्शिका की लेखिका हैं मेरी जोएस जो बॉस्टन, अमरीका में डिजिटल एक्टीविज़्म की छात्रा हैं। इसे ग्लॉबल वॉयसेज़ आनलाईन के सेंसरशिप विरोधी प्रकल्प ग्लोबल वायसेज़ एडवोकेसी द्वारा तैयार कराया गया है। यदि यह मार्गदर्शिका आपको अपने ब्लॉग अभियान को स्थापित करने में मदद करती हैं तो हमें ईमेल द्वारा बतायें। और अधिक जानकारी के लिये कृपया मेरी से MaryCJoyce gmail com पर या ग्लोबल एडवोकेसी समन्वयक सैमी बेन घार्बिया से advocacy globalvoicesonline org पर संपर्क साधें। पाकिस्तानः कार्यस्थल और महिलायें मेट्रोब्लॉगिंग इस्लामाबाद, पाकिस्तान में कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीड़न पर। भारतः कॉपीराईट और कानून लॉ एंड अदर थिंग्स, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय पर जिसमें निर्णय दिया गया है कि न्यायालय के निर्णयों और फैसलों के रॉ टेक्सट यानि कच्चे मसौदे पर कोई कॉपीराईट यानि प्रकाशनाधिकार लागू नहीं होता। कलकत्ता में नागरिक पत्रकारों का कमाल नेबरहुड डॉयरीज़ परियोजना शुरु हुये आठ हफ्ते गुज़र चुके हैं। हर सोमवार शाम 6 से 8 बजे तक प्रतिभागी कोलकाता के बोउबाजार हाई स्कूल की तीसरी मंजिल पर जमा होते हैं। अब तक केवल एक ही सत्र का बिजली जाने के कारण समय बदलना पड़ा। कुल मिलाकर सात सत्र पूरे हो चुके हैं। उनका पाठ्यक्रम विस्तारित है और तरीके अनोखे भी हैं और प्रभावशाली भी। बड़ा अच्छा होगा अगर इन्हें एकत्रित कर दुनिया भर में नागरिक पत्रकारों के प्रशिक्षण हेतु एक मार्गदर्शिका तैयार की जा सके। उनके परियोजना चिट्ठे से कुछ अंशः हम हर सत्र की शुरुवात में गोला बनाकर बैठ पिछले हफ्तों के पढ़ाई साझा करते हैं। इसके बाद हम इंटरैक्टिव गतिविधियों, परिचर्चा, समूह खेलों और कभी कभार व्यक्तिगत या सामूहिक लेखन के माध्यम से अगले नियत कार्य की ओर बढ़ते हैं। सोमवार के हमारे संध्याकालीन सत्रों की झलक नीचे देखें। छठे सत्र के विवरणः पाँचवे सत्र का नियत काम बोउबाजार के विविध व्यक्तित्वों और पात्रों पर खोज और साक्षात्कार। सत्र में हुई चर्चा के फलस्वरूप युवा पत्रकारों के तय किये व्यक्तित्व थे गुंडे, लाभभोगी, साहसी उत्तरजीवी और भाषणबाज। नीचे प्रस्तुत हैं इन प्रतिभागियों द्वारा इन किरदारों के चरित्रचित्रण के कुछ अंश। मूल लेख बाँग्ला में थे जिनका नेबरहुड डॉयरीज़ परियोजना लीडरों ने अनुवाद किया है। तानिया और ज्योत्सना ने चित्रांकन किया मनोरंजन दास नामक एक दरियादिल लाभभोगी काः "वो शीतकाल में गरीब और ज़रुरतमंदों को कंबल बाँटता है। ज़रूरत पड़ने पर अपनी दुकान से लोगों को दवाईयाँ भी देता है। सुप्रिया और पिंकी उत्तरजीवी महिला तुलसी माशी के बारे में लिखती हैं "वो केवल एक ही बात याद करती है कि एक समय ऐसा भी था जब उसे खाना भीख में माँगना पड़ता था। पर अब वह अपने पैरों पर खड़ी हो सकी है। उसने एक लंबी दूरी तय की है। परियोजना ब्लॉग में हाल ही में प्रतिभागियों द्वारा समुदाय में रहने के अनुभवों पर और लेख जोड़े गये हैं। सुरोजीत एक कपड़ा विक्रेता के बारे में लिखते हैं "घरेलू दिक्कतों के कारण उसे आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी। अब वो 24 साल का है और शियालदाह ओवर ब्रिज के नीचे कपड़े बेचता है। घरे में माँ बाप और दो बहनें हैं। उनकी जिम्मेवारी उसी पर है। पढ़ाई पूरी न करने के कारण उसे अच्छी नौकरी मिल नहीं पाई। उसे यकीन है कि उसकी बहन स्वतंत्र होने पर उसका साथ देगी और अपने माता पिता का ख्याल रखेगी। पिंकी एक घरेलू नौकरानी की व्यथा कथा लिखती हैं "कमरे में दो बिस्तर हैं, एक उपरी टायर पर, एक नीचे। अगर कोई ऊपरी बंक लेता है तो माहवार खर्च है 1450 रुपये जबकि निचले बंक की कीमत 1300 रुपये है। तो बुली ने निचला बंक लेने का ही निर्णय लिया। तानिया मंडल एक मछली विक्रेता के संघर्ष के बारे में लिखती हैं "टापा बचपन से इस व्यवसाय में हैं। अपनी पहचान के बारे में उसे कोई शर्म नहीं। वो निचले मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखता है। उसका कमरा किसी कबूतर के अंधेरे घोंसले सा है। मुशा दा को याद भी नहीं कि कमरे की दिवार का रंग क्या था। 6 बटै 4 फीट का कमरा है यह। कोई खाट नहीं है, फर्श पर एक चटाई और तकिया भर है। दीवारें साड़ियों और अन्य कपड़ों के ढेर से लगभग ढंकी हुई हैं। रसोई अलग से नहीं बनी है, गुसलखाने पर परदा टाँग कर एक छोटा किचन बना लिया गया है। कमरे में चमड़े, जूते की पालिश और सीलन की मिलीजुली गंध बरपा है। बाहर से पता नहीं चलता, पर जब आप कमरे में आते हैं तो यूं लगता है कि घुसते ही कमरा खत्म भी हो गया। और अंजली ज्योत्सना नाम की एक वैश्या की करुण दास्तान बयां करती हैं "ज्योत्सना बस दो जमात पढ़ी है। पढ़ाई में उसका मन नही लगता था, इसलिये छोड़ दिया। जब वो ग्यारह बारह बरस की थी तब उसका ब्याह करा दिया गया। विवाह के 3 - 4 महीने बाद उसका यौवनारंभ हुआ। इसके आगे की कहानी आप यहाँ पढ़ सकते हैं, कि कैसे उसके पति ने आत्महत्या कर ली और किस तरह अपनी बेटी का पेट भरने के लिये उसे वैश्यावृत्ति के कीचड़ में उतरना पड़ा। सातवें सत्र के नियत कार्य में प्रतिभागियों को अपने आस पड़ोस में परिवर्तन लाने के तरीके बतलाये गये। पढ़ाने का एक तरीका यह है कि इन उभरते पत्रकारों को अपने इलाके में किसी नई उपजती समस्या की पहचान कर अपनी समझ के अनुसार उसका संभव हल निकालने को कहा जाता है। उन्हें गृहकार्य के तौर पर इस समस्या और उसके समाधान पर एक लेख तैयार करने को कहा गया। हमें यकीन है कि इन चमत्कारी कार्यशालाओं से ये नागरिक पत्रकार न केवल अच्छे लेखक बन सकेंगे बल्कि इससे उनके ज्ञान और मानवीय गुणों में भी इज़ाफा होगा। फरवरी और मार्च में नेबरहुड डायरीज़ के प्रतिभागी अपने स्कूली परीक्षाओं की तैयारी हेतु छुट्टी पर रहेंगे पर अप्रेल में उनकी वापसी का हमें इंतज़ार रहेगा। ईरानः पत्थर से मारी जायेंगी दो बहनें नार्मब्लॉग के मुताबिक ईरान के उच्चतम न्यायालय ने परगमन के आरोप में कैद दो ईरानी बहनों की पत्थर मार कर कत्ल की सज़ा बरकरार रखी है। पूरी खबर यहाँ पढ़ें। भारत: राजनीति और गुंडे इंडिया डेली राज ठाकरे पर, एक ऐसे राजनेता जो शायद हर समस्या गुंडे भेजकर सुलझाते हैं। श्रीलंकाः आर्थर सी क्लार्क की याद आर्थर सी क्लार्क (1917 - 2008) के निधन के बाद विज्ञान कथा के उत्कट पाठकों और क्लार्क के संपर्क में आये अनेक लोगों ने चिट्ठों में अपने विचार लिखे हैं। श्रीलंकाई ब्लॉगर एक स्वप्नदर्शी और भविष्यवादी के रूप में उन्हें प्रेमपूर्वक याद कर रहे हैं। क्लार्क अंग्रेज़ थे पर 1956 से श्रीलंका में ही निवास कर रहे थे। वर्ड्स आफ अमरुवन के लेखक बताते हैं कि कैसे क्लार्क के लेखन से वे विज्ञान कथा के प्यार में पड़ गयेः सर आर्थर क्लार्क के कारण ही विज्ञान कथा से मेरा अनुराग हुआ। जब मैं दस बरस का था तब पहली बार उनकी प्रसिद्ध लघुकथा "द सेंटिनल "पढ़ी। और फिर तो मुझे उनकी कृतियाँ पढ़ने की लत ही पड़ गई। और ये आसान न था। सर आर्थर बहुसर्जनात्मक लेखक थे, असंख्य निबंधों और लघुकथाओं के अलावा सौ से ज्यादा किताबें उन्होंने लिखी थी। विकीपीडिया पर भी उनकी पुस्तकों की सूची आंशिक ही है। उनकी खासियत यह थी कि भले ही उनकी कथाओं में आला दर्जे का विज्ञान होता था, उनका लेखन बेहद सरल, मनोरंजक और प्रभावी था। उनकी कहानियाँ विज्ञान से ज्यादा कहानी के बारे में ही होती थीं। भारत से अल्ट्राब्राउन लिखते हैं उनकी लिखी सुंदर और मार्मिक लघुकथा "डॉग स्टार", जो कि चंद्रमा स्थित औबसर्वेटरी पर रहने के लिये रवाना होते समय अपने प्यारे कुत्ते से बिछुड़ते एक आस्ट्रोनॉट के बारे में थी, ने मेरी आँखों को पहली बार नम किया। बहरीन : अनेकता में बनी हुई सौहार्द्रता सैकड़ों वर्षों से बहरीन शान्ति का स्वर्गस्थल बना हुआ है जहां तमाम वर्ण, जाति, और धर्म के लोग भाईचारे के साथ रहते आए हैं. क्राइस्ट ब्लड उस स्थल का चित्र (ऊपर) देते हुए लिखते हैं : - الدائره الاولي علي اليسار هي لجامع الفاروق للطائفه السنيه . - المساحه المفتوحه هي مقبره ومسجد تابع للطائفه الشيعيه . - اما الدائره الصغيره التي ترونها فهي عباره عن حائط يحمل صليب الكنيسه الانجيليه . इस चित्र ने मेरा ध्यान इस लिए आकर्षित किया क्योंकि इस क्षेत्र में मौजूद भवनों में अंतर्निहित प्रतीकात्मकता है. इससे पहले मेरा इस क्षेत्र से कई मर्तबा गुजरना हुआ था मगर तब इस क्षेत्र की विशेषता के बारे में पता नहीं था. - बाईं ओर के पहले वृत्त में अल फ़ारूक़ मस्ज़िद है, जो कि सुन्नी सम्प्रदाय का है. - जो खुला क्षेत्र दिखाई दे रहा है वो शिया सम्प्रदाय का कब्रगाह व दरगाह है. - इन दोनों के बीच जो छोटा सा वृत्त आप देख पा रहे हैं वो ईसाईयों का चर्च है. जाहिर है, ये स्थापत्य जो प्रत्येक कोई 100 वर्षों से अधिक समय से मौजूद हैं, आपसी सामंजस्य और सौहार्द्रता को गहरे में प्रतिबिम्बित करते हैं. और, ये इस संसार के महज़ एक छोटे से हिस्से में एकत्र हैं. श्रीलंकाः बम धमाका और अनवरत संघर्ष श्रीलंकाई सरकार के एक महत्वपूर्ण मंत्री और वरिष्ठ सांसद जयराज फर्नांडोपुल्ले की लिट्टे ने हत्या कर दी। बम धमाका करने वाला एक मेराथन धावक का भेस धरकर आया था। डिफेंसनेट ने घटना की जानकारी दी है पर इस पोस्ट पर कुछ गर्म बहस भी हई और यह आम श्रीलंकाई नागरिक के मानस की भी झलक भी दिखलाती है जो अब बम धमाकों में मरते लोगों की खबरों के आदि हो चुके हैं। पोस्ट पर कुछ टिप्पणियाँ इस प्रकार थीं: ठीक? अब चलो आगे बढ़ें। माईशेडोः हाँ मैं पागल हो चुका हूँ। कितने और देशवासी मारे जायेंगे? कितने और बम धमाके इस देश में होते रहेंगे? आप कहते हैं कि "हम किसी एक इंसान की मौत का मातम मनाते नहीं रह सकते", आप अपने कंप्यूटर के सामने बैठ यह लिख सकते हैं। हज़ारों लोग मर रहे हैं। हो सकता है आप विदेश में हैं और भलेचंगे हैं। हो सकता है आपको मृतकों की फिक्र ही नहीं। कोई और मरा है, और आप कहते हैं चलो आगे बढ़ें। इस धमाके में मंत्री के अलावा दस और लोग भी जान गंवा बैठे और इनमें श्रीलंका के राष्ट्रीय एथलेटिक कोच लक्ष्मण डे अल्विस और मेराथन के राष्ट्रीय चैंपियन करुणसेना भी थे जिन्हें मेराथन कारु के रूप में जाना जाता था। अबाउट श्रीलंका में इस धमाके में मृत जानेमाने लोगों का इस पोस्ट में ज़िक्र है। इस बीच श्रीलंका में युद्ध बदस्तूर जारी है, सरकार लिट्टे के अनेक लोगों को मारने का दावा कर सही है, तो लिट्टे इन दावों का खंडन कर रहा है। इस बीच जिन खबरों के बारे में लोग जान नहीं पाते वो इस युद्ध के कारण विस्थापित लोगों की हैं, जो शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं और जिन्हें उत्तरी श्रीलंका की स्वतंत्रता के सरकारी दावों के बावजूद जीवनयापन हेतु मूलभूत चीजें तक मयस्सर नहीं हैं। ग्राउंड व्यू उत्तरी श्रीलंका के मुसलमानों और अन्य लोगों द्वारा दो दशकों से झेली जा रही दुर्दशा के बारे में लिखते हैं तो ट्रांसकरेंट उनकी सुरक्षा व्यवस्था में खामियों की और ध्यान दिलाते हैं। भारत : ओलंपिक मशाल और तिब्बत लगता है लोगों के दिलो-दिमाग से तिब्बत का निकल पाना मुश्किल है. भारत की आभासी दुनिया में इसे न सिर्फ जनता का जबर्दस्त समर्थन हासिल हो रहा है, बल्कि तिब्बत समस्या पर गर्मागर्म बहसें बातचीत का प्रमुख विषय बनी रही हैं. भारत के प्रसिद्ध फुटबॉल खिलाड़ी बाइचुंग भूटिया ने अप्रैल के मध्य में होने वाले ओलंपिक मशाल दौड़ में शामिल होने से मना कर दिया है. बौद्ध धर्म के अनुयायी भूटिया, भारतीय राज्य सिक्किम से हैं. उन्होंने भारतीय मीडिया से कहा कि तिब्बती जनता को समर्थन देने का यह उनका अपना तरीका है. जाहिर है, भूटिया के इस कदम को बहुत से भारतीय चिट्ठाकारों का भी समर्थन मिला है. इंसैनिटी रीडिस्कवर्ड के सुशभ लिखते हैं कि वे भूटिया के ओलंपिक मशाल लेकर दौड़ने का बहिष्कार करने के निर्णय से वे अपने आप को गौरवान्वित अनुभव करते हैं वहीं सुदर्शन लिखते हैं कि उन्हें इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि भारतीय फुटबॉल टीम विश्वकप फ़ाइनल में पहुंच पाती भी है या नहीं, पर भूटिया के निर्णय से वे गौरवान्वित महसूस हो रहे हैं. पेट्रिक्स लिखते हैं कि अंततः हमारे पास एक ऐसा सेलेब्रिटी है जो चीन के विरुद्ध सरेआम खड़ा होने की ताक़त दिखा सकता है. जबकि अविनाश के विचार दूसरे हैं और वे लिखते हैं कि तिब्बत पर चर्चा होनी चाहिए, परंतु अभी नहीं, क्योंकि ओलंपिक तो वैश्विक घटना है. उनका मानना है कि बीजिंग ओलंपिक और तिब्बत को अलग करके देखना चाहिए- क्योंकि ये दोनों ही विषय अलहदा हैं. इधर जबकि भूटिया ने ओलंपिक मशाल को लेकर दौड़ने से मना किया है, बॉलीवुड कलाकार आमिर खान ने घोषणा की है कि वे ओलंपिक मशाल लेकर दौड़ेंगे. आमिर का यह निर्णय चहुँ ओर चर्चा का विषय बना हुआ है. आमिर, (संभवतः देश का एकमात्र फ़िल्मी सितारा जो चिट्ठा लेखक भी हैं) अपने निर्णय के बारे में खुलासा करते हुए लिखते हैं : "मेरा स्पष्ट रूप से यह मानना है कि मैं पूरी तरह से किसी भी क़िस्म की हिंसा के विरुद्ध हूँ, तथा यह भी कि निश्चित रूप से मुझे दुनिया के किसी भी कोने में हो रहे मानवाधिकारों के हनन की घटनाएं मुझे व्यक्तिगत रूप से परेशान करती हैं. वे आगे लिखते हैं: "जिन्होंने भी मुझसे ओलम्पिक मशाल रैली में भाग लेने से मना किया है मैं उन सभी से ये निवेदन करना चाहता हूँ कि जब मैं 17 अप्रैल को ओलंपिक मशाल लेकर दौड़ूंगा तो यह चीन के समर्थन में कतई नहीं होगा. वस्तुतः यह दौड़ मेरे दिल में तिब्बतियों और विश्व के उन तमाम व्यक्तियों के लिए जो मानवाधिकार हिंसा के शिकार रहे हैं, के प्रति प्रार्थना सहित होगी. आमिर के इस चिट्ठे में चिट्ठाकारों की प्रतिक्रियाओं की बौछारें लग गईं. रमन्स स्ट्रेटेजिक एनॉलिसिस आमिर को लिखे अपने खुले खत में लिखते हैं : "विश्व में आपके लाखों करोड़ों प्रशंसक हैं. और आपका निर्णय चाहे जो भी हो, आपके लाखों करोड़ों प्रशंसक बने रहेंगे. परंतु बहुतों के मन में आपके प्रति शून्य का वह भाव भी जागेगा जिसमें आपकी वो असफलता झलकेगी जिसमें आपकी सही और गलत की पहचान ही नहीं थी. वे लिखते हैं: "(आमिर) वे इस तथ्य को छुपा नहीं सकते कि उनके निर्णय में व्यावसायिक मजबूरियाँ हैं, न कि ऊंचे विचार. या शायद इराक और अफ़गानिस्तान पर अमेरिकी अत्याचार अथवा मोदी सरकार के खिलाफ नर्मदा बचाओ आंदोलन जैसी बातें ही आमिर के दिल में भावात्मकता को झंकृत करती हैं. जो भी हो, ये तो तय बात है कि वामपंथी बुद्धिजीवियों के लिए सेलेक्टिव हार्ट ब्लीडिंग करना तो उनकी प्रामाणिकता रही है. " पाकिस्तान: शादी पर बरबादी आल थिग्स पाकिस्तान शादी ब्याह के अवसर पर खाने की बेतहाशा बरबादी की निंदा कर रहा है। नेपाल: वक्त चुनाव का नेपाल में आगामी 10 अप्रेल को आम चुनाव होने जा रहे हैं। रेडियेंट स्टार इस मौके का जायजा ले रहा है। दक्षिण अफ़्रीकी चिट्ठा पुरस्कार केप टाउन में 2 अप्रैल को दक्षिण अफ़्रीकी ब्लॉग पुरस्कार समारोह आयोजित हुआ जिसमें विजेता और प्रतिभागी समेत बड़ी संख्या में चिट्ठाकार उपस्थित हुए. यह रहा दक्षिण अफ़्रीकी चिट्ठाकारों द्वारा आयोजन समारोह पर लिखे गए चिट्ठों के सारांश- इश! तथा 123 ब्लॉग माइसेल्फ़ दोनों ही समारोह में उपस्थित थे. 123 ब्लॉग माइसेल्फ़ : यूटीसी टेनिस क्लब, ब्लॉग पुरस्कार समारोह स्थल से मैं अभी ही घर वापस लौटा हूँ. बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए! कुछ नामचीन चिट्ठों के चिट्ठाकारों से मिलना आनंददायी रहा और नए चमत्कृत करने वाले शख्सियतों से परिचय भी हुआ. za के सीजेसी से प्रत्यक्ष मिलना बहुत ही सुखद रहा. यह तो वास्तव में मेरे साथ हुए छोटे छोटे चमत्कारों के संयोग से ही संभव हो पाया कि मैं : * (अ) अपना हुलिया ठीक करने के लिए काम से सही समय पर छूट गया * (ब) जटिल दिशा-निर्देशों के बावजूद मुझे टेनिस क्लब जल्दी ही मिल गया तथा * (स) उसके बाद मुझे घर वापस आने में कोई परेशानी नहीं हुई. मैं रॉक्सी को विशेष धन्यवाद देना चाहूंगा जिसने मुझे पहुँचने का रास्ता बताया. रिप्ली को भी धन्यवाद देना चाहूँगा जिसने एक परी की तरह मुझे वापस हाइवे तक का रास्ता बताया. धन्यवाद, आप सभी का. आप सभी जबर्दस्त हैं! इश! ऑनलाइन कैलेण्डर वर्ष के लिए दक्षिण अफ़्रीकी चिट्ठा पुरस्कार एक विशिष्ट आयोजन होता है. भीड़ से सराबोर समारोह स्थल तथा देश भर से आए हुए अंतिम दौर के प्रतिभागी व इसमें रुचि रखने वाले चिट्ठाकार इस बात के गवाह हैं. समारोह पूरी तरह अनौपचारिक था, जैसा कि चिट्ठाकार समुदाय से उम्मीद की जाती रही है और सम्मान समारोह से पहले और बाद में साथी चिट्ठाकारों, मीडिया तथा वेब में रुचि रखने वालों को सौहार्दपूर्ण वातावरण में आपसी वार्तालाप के लिए ढेरों समय मिला. 30 बजे हुई तो विजेताओं को आश्चर्य मिश्रित खुशी का ठिकाना उस समय नहीं रहा जब उन्हें पता चला कि न सिर्फ वे अपने ब्लॉग पर 'दक्षिण अफ़्रीकी चिट्ठा पुरस्कार 2008 ' का प्रतीक चिह्न साल भर लगा सकेंगे, उन्हें कुछ ईनाम इकराम भी मिलेंगे. प्रमुख विजेता को वारविक एस्टेट से सुरा, स्टोडेल से विशिष्ट वृक्ष, डेल की तरफ से सपाट स्क्रीन मॉनीटर, माइक्रोसॉफ़्ट से एक्सबॉक्स360 मिला. और जाहिर है इस घोषणा के साथ अनायास ही वातावरण उत्तेजना से परिपूर्ण हो गया ! डरबन के ईस्ट कोस्ट रेडियो, मेल तथा गार्जियन जिन्होंने चिट्ठाकारी माध्यम को अपनाया, प्रमुख विजेताओं में रहे. यह नया माध्यम, प्रतीत होता है कि न सिर्फ दक्षिण अफ़्रीकी चिट्ठाकारी पुरस्कार में, बल्कि दक्षिण अफ़्रीकी समाज में पहुँच बनाने में उन्हें बढ़िया प्रतिफल देने लगा है. हालांकि इस वर्ष ‘मुख्य धारा की मीडिया' ने बहुत से पुरस्कार बटोर लिए, मगर छोटे, व्यक्तिगत चिट्ठाकारों के लिए भी खूब संभावनाएं थीं. वस्तुतः पुरस्कृतों में बड़े और महान चिट्ठाकारों के बीच अपने आप को पाना बहुत से चिट्ठाकारों को स्वप्न सदृश्य महसूस हो रहा था और वे पूरी शाम चमत्कृत से हो रहे थे. वैसे, इस वर्ष यह सुगबुगाहट बनी रही थी कि मुख्य धारा की मीडिया के चिट्ठों को पुरस्कारों से अलग किया जाना चाहिए, मगर पिछले वर्ष के पुरस्कारों के बाद ऐसे कोई तेजाबी खयाल जोरों से बहे नहीं. कुल मिलाकर यह एक शानदार शाम रही. विजेताओं को बधाईयाँ और जो रह गए हैं, उनके लिए संदेश कि वे अगले वर्ष के लिए जुट जाएँ ! और विजेता हैं … वर्ष का सर्वश्रेष्ठ दक्षिण अफ़्रीकी चिट्ठा दक्षिण अफ्रीका का सर्वश्रेष्ठ चिट्ठा विजेता: blog. thoughtleader. विजेता: blog. za/breakfast सर्वश्रेष्ठ दक्षिण अफ़्रीकी विदेशी चिट्ठा विदेशी दक्षिण अफ़्रीकी का सर्वश्रेष्ठ चिट्ठा विजेता: blog. सर्वश्रेष्ठ दक्षिण अफ़्रीकी राजनीतिक चिट्ठा विजेता: blog. सर्वश्रेष्ठ दक्षिण अफ़्रीकी नव चिट्ठा सर्वश्रेष्ठ दक्षिण अफ़्रीकी चिट्ठा जो वर्ष 2007 में प्रारंभ हुआ विजेता: blog. za/newswatch माइक स्टॉपफोर्थ आयोजकों को बधाई देते हैं : आयोजन यूटीसी टेनिस क्लब में हुआ जिसमें जीवन के हर क्षेत्र के लोग सम्मिलित हुए. इसके लिए जॉन चेरी तथा उनकी टोली विशेष रूप से बधाई के पात्र हैं जिन्होंने पवित्र मन से यह आयोजन सम्पन्न किया ( यह सभी महसूस कर सकते हैं कि जॉन ने इस दौरान कभी भी चेरीफ्लावा या चेरीपिका को विज्ञापित नहीं किया). विंसेंट मेहर, जो समाचार श्रेणी में पुरस्कृत हुए, लिखते हैं : मैं अपने आप को निरा मूर्ख नहीं कहूं तो और क्या - आखिरी समय में मैंने और मैट ने कैप टाउन के अपने दक्षिण अफ़्रीकी चिट्ठा पुरस्कार समारोह प्रवास को रद्द कर दिया और जानते हैं, वहाँ हमें 4 पुरस्कार मिले. - मैथ्यू बकलैंड को सर्वश्रेष्ठ व्यापारिक चिट्ठे का, अमाटोमू को सर्वश्रेष्ठ साइट प्रमोशन चिट्ठे का तथा थॉट लीडर को सर्वश्रेष्ठ राजनीतिक चिट्ठे का पुरस्कार मिला. मुझे उस पुरस्कार उत्सव पार्टी में नहीं पहुँच पाने का खासा अफ़सोस हुआ परंतु इस सम्मान से मैं घोर प्रसन्नता का भी अनुभव कर रहा हूं. इसके लिए मेरी नजर में जो व्यक्ति सर्वाधिक धन्यवाद का पात्र है वो है सख़्त मिजाज मुख्य संपादक रियान वूलमरान्स , जिसे मैं आज की तिथि में सर्वाधिक व्यस्त व्यक्ति के रूप में जानता हूँ. और, अंत में चेरीफ्लावा ने सभी प्रायोजकों तथा उन सभी व्यक्तियों के प्रति जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में भूमिका निभाई, धन्यवाद ज्ञापित किया . कुल मिलाकर यह एक बेहद शानदार आयोजन रहा तथा यह दक्षिण अफ़्रीकी चिट्ठा पुरस्कारों तथा दक्षिण अफ़्रीकी चिट्ठों दोनों के लिए आने वाले समय के लिए मील का पत्थर साबित होगा. 2009 के लिए बेसब्री से इंतजार रहेगा. फ्लिकर पर वीडियो : विरोध के तीख़े सुर अभी फ्लिकर वीडियो सेवा को चालू हुए सत्रह घंटे भी नहीं बीते हैं कि “फ्लिकर में कोई वीडियो नहीं चलेगी नहीं चलेगी ” नाम के फ्लिकर समूह में 5475 से अधिक सदस्य और 670 वस्तुएँ एकत्र हो चुके हैं. इससे भी ज्यादा आश्चर्यजनक यह है कि, “फ्लिकर में वीडियो हमें नहीं चाहिए “ नाम के समूह में जो कि पहले बताए गए समूह के दो घंटे बाद बनाया गया, दोगुने से ज्यादा सदस्य हैं. और, जैसे कि इन समूहों के नाम से जाहिर है, ये फ्लिकर में वीडियो अपलोड की दी गई सुविधा का विरोध कर रहे हैं. इन समूहों के सदस्य फ्लिकर प्रयोक्ता हैं जिन्हें फ्लिकर के पारंपरिक फोटो साझा सुविधा में वीडियो साझा सुविधा जोड़ा जाना रास नहीं आ रहा है. जबकि वर्तमान स्थिति में फ्लिकर में अपलोड करने वाले समूह सदस्यों की संख्या ले देकर 30 तक ही पहुँची है. आखिर वे क्या वजहें हो सकती हैं जिसके कारण याहू और फ्लिकर के द्वारा वीडियो अपलोड करने की सुविधा दी जाने के निर्णय के प्रति उपयोक्ता असंतुष्ट से रहे हैं? इन समूहों के अधिकतर उपयोक्ताओं को अंदेशा है कि वीडियो अपलोड की सुविधा से फ्लिकर में चित्रों को ब्राउज़ करने, डाउनलोड-अपलोड करने की गति में कमी और कठिनाईयाँ आ सकती हैं. कुछ को इसलिए क्रोध है कि चूंकि वे फ्लिकर को सिर्फ फोटोग्राफ़ी का प्लेटफ़ॉर्म मान कर इसमें शामिल हुए थे, न कि वीडियो के लिए. उनका अंदेशा है कि उन्होंने जो सहयोगी समुदाय फ्लिकर में बनाया हुआ है वो खत्म हो जाएगा और “ जो बाकी बच रहेगा वो लोगों के विश्वासों, इरादों तथा क्षमताओं पर आग लगाने जैसे काम में ही आएगा. ” इस परिदृश्य के अन्य चिट्ठों को आप इस कड़ी में जाकर पढ़ सकते हैं. हालांकि इन समूहों में से कुछेक का ये भी मानना है कि चूंकि सिर्फ उन्नत उपयोक्ताओं को ही वीडियो अपलोड की सुविधा प्रदान की गई है, यह एक तरह से गुणवत्ता छन्नी के जैसा काम करेगा और यह फ्लिकर में सिर्फ वीडियो अपलोड करने की खातिर आने वाले नए लोगों को आकर्षित नहीं करेगा. कुछ अन्य को विश्वास है कि यह छायाकारों के लिए उनके चित्रों के स्लाइड शो तथा चलचित्र एनीमेशन तैयार करने में मददगार होगा और इस तरह उनके उत्पादों में मूल्य जोड़ेगा. वहां पर इस विषय में स्पेनी भाषा में चर्चा करने के अनुरोध भी हैं, तथा जिस याचिका को लगाने हेतु वे हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं उसका अनुवाद भी वहां है. तो, अब तक किस तरह की सामग्रियाँ वहां अपलोड की गई हैं ? , क्रीपीस्लीप ने एक किशोर के पैर के गहरे जख़्म के इलाज का वीडियो अपलोड किया है, और ये दक्षिणी सूडान के जीवन के बहुत से अपलोड किए वीडियो में से एक है. एक अन्य वीडियो यूनी, बोलीविया के उन बच्चों का है जो पर्यटकों के मनोरंजन के लिए गा-बजा रहे हैं , इसे अपलोड किया है आई-रेन इशि ने. फ्रॉस्टेड ने नीचे दिया गया वीडियो अपलोड किया है जिसमें आप विएतनाम की सड़क पर चमकीले नीले रंग के कचरागाड़ी को इसके ट्रेडमार्क गीत के साथ देख सकते हैं. इनके ऐसे दर्जनों अन्य क्रिएटिव कॉमन्स लाइसेंस युक्त वीडियो तमाम विश्व में विविध स्थानों पर उपलब्ध हैं. यह आखिरी वीडियो जो नीचे दिखाया गया है वो वस्तुतः फ्लिकर टोली द्वारा वीडियो! वीडियो! समूह के लिए फ्लिकर के अब तक के चंद सर्वश्रेष्ठ वीडियो उदाहरणों के रुप में चुना गया है. और यह वीडियो है “शिनकानसेन से माउन्ट फुजी ” जिसे अपलोड किया है by एंटीमेगा ने. अब आपके विचार चाहे जो हों - कि फ्लिकर में वीडियो रहे या नहीं, फ्लिकर के उपयोक्ता इस नए विकल्प का प्रयोग करने लगे हैं और अपने वीडियो अपलोड करने लगे हैं : अब यह देखना दिलचस्प होगा कि याहू और फ्लिकर इस परिवर्तन से अप्रसन्न हुए समूहों से कैसे निपटता है. लघुछवि चित्र फ्लिकर में कोई वीडियो नहीं है जो by द मंकी 2332 का है. पाकिस्तान: मीडिया और रोकटोक ने राष्ट्रपति मुशर्रफ द्वारा मीडिया पर नवंबर 2007 में आपातकाल के समय लगाये गये कड़े प्रतिबंधो को पाकिस्तान की नई सरकार द्वारा हटाये जाने पर लिखा है। जापान : यौन दासियों की लंबित मांगों पर ध्यान खींचते वीडियो द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होने के साठ साल से अधिक बीत जाने के बाद भी जापानी सेना के आदेशों के तहत अपहृत की गई स्त्रियाँ अब भी न्याय की बाट जोह रही हैं. इन स्त्रियों को सैनिक "आराम गृहों (कम्फ़र्ट स्टेशन) " में यौन दासियों के रूप में जबरिया सेवा देने हेतु अपहृत किया गया था. सरकार द्वारा सार्वजनिक माफ़ी मांगे जाने तथा समुचित हरजाना दिए जाने की अब भी आस लगाए बैठी स्त्रियों की मांगों पर सरकार कान नहीं दे रही है क्योंकि जापानी सरकार का कहना है कि इन किस्म के वेश्यालयों के पीछे उसका हाथ कभी भी नहीं रहा है. जब युद्ध समाप्त हुआ था तो इन स्त्रियों को जिन्हें सेना की सेवा के लिए रखा गया था, उन्हें उनके हाल पर, जहाँ वे थीं, यहाँ तक कि विदेशों में भी, वहीं का वहीं छोड़ दिया गया था और कुछ मामलों में उनकी हत्या कर दी गई थी. कुछ ऑनलाइन वीडियो के जरिए आपको इन “मिलिट्री कंफ़र्ट वीमन ” की तब की गंभीर स्थिति तथा इस विषय को प्रकाश में लाने के प्रयासों का अंदाजा लग सकता है. जापान की इन यौन दासियों पर सर्वाधिक देखे गए वीडियो में से एक है विटनेस' द हब . द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सेना में अनिवार्य भरती के नाम पर स्त्रियों को जबरदस्ती अपहृत किया गया और उन्हें बलपूर्वक यौन दासी के रूप में वेश्यावृत्ति करवाई गई. उस दौरान न सिर्फ जापान, बल्कि इम्पीरियल जापान के अंतर्गत आने वाले चीनी, कोरियाई तथा अन्य क्षेत्रों की स्त्रियों को भी बलपूर्वक जापानी सेना के वेश्यालयों में जबरन भेजा गया. इस वीडियो में ऐसे चित्र हैं, उन स्त्रियों द्वारा लिखी गई चिट्ठियों के ऐसे हिस्से हैं जिनसे यह पता चलता है कि ये स्त्रियाँ अपने जीवन के किन कठिनतम दौर से उस वक्त गुजरी होंगी. वीडियो नीचे दिया गया है या फिर आप इसे यहां क्लिक कर हब में देख सकते हैं . प्रयोग में लिया गया लघुछवि जापानी नेवल झंडा है जिसे futureatlas. जापान में हर जगह दुग्ध उत्पाद खोजते उपभोक्ता बस यही आर्तनाद कर रहे हैं, "कहाँ गया मक्खन? दूध के उत्पादन में भारी कमी और उसके साथ बीज का दामों में दुग्ध उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय खपत में बदलावों के कारण जापान में मक्खन की भारी कमी हो गई है। एक अन्य प्रविष्टि में कोबो कमी के मुख्य कारण बताते हैं फ्रांस जैसे युरोपिय देशों में दुग्ध निर्यात पर अब सब्सिडी नहीं दी जाती और पहले जापान जैसे देशों को निर्यात किये जाने वाले मक्खन को अब घरेलु खपत के लिये आवंटित किया जाता है। जब तक राष्ट्रीय स्तर पर दुग्ध उत्पादों की माँग खपत में संतुलन लाने के आपाय नहीं किये जाते ऐसी कमियाँ फिर होती रहेंगी। डोमिनिकन रिपब्लिकः नई मेट्रो सेवा पर पहला सफ़र ब्लॉग सैंटो डोमिन्गो की लारा डोमिनिकन रिपब्लिक की राजधानी में नवचालित मैट्रो रेल सेवा के उपयोग के अपने पहले अनुभव के बारे में लिखती हैं। (लेख स्पेनी भाषा में है पर उसके साथ के चित्र आप ज़रूर देखना चाहेंगे। अरबी : चिट्ठा-पाठकों की बारीकी से पड़ताल पिछले महीने बहुत से अरबी चिट्ठाकारों ने बारीकी से पड़ताल की कि उनके चिट्ठे कौन पढ़ते हैं और कहां से, कैसे, किस विधि से पढ़ने के लिए आते हैं. इस बारे में बहरीन, सऊदी अरब, लेबनान तथा मिस्र के चिट्ठाकारों का क्या कहना है यह हम इस छोटी सी समीक्षा में देखने की कोशिश करते हैं. बहरीन: सिली बहरीनी गर्ल ने जब अपने चिट्ठे के पाठकों के आवाजाही आंकड़ों को देखा तो असभ्य अरबी लोगों पर वह एक तरह से अपने चिट्ठे पर बरस पड़ीं. वे स्पष्ट करती हैं: यह बात हम अरबी लोगों के लिए, जिसमें मैं भी शामिल हूं, वाकई शर्मनाक है कि हमें इंटरनेट की सुविधा मिली हुई है . अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए व्यक्ति किसी बिल्ली को भी मार कर देख सकता है, परंतु यहाँ इंटरनेट पर तो स्थिति और भी गंभीर है. मैंने सिर्फ ये देखने की कोशिश की कि लोग किन शब्दों को खोजते हुए मेरे चिट्ठे पर आते हैं, और परिणाम ये रहे. ये 250 शीर्ष के कुंजीशब्द हैं जिन्हें इंटरनेट सर्च पर प्रयोग कर पाठक मेरे चिट्ठे पर पहुँचे. इससे तो एक बारगी मुझे ऐसा लगने लगा कि क्यों न मैं अपनी सेंडल उतार कर फेंक दूं और एक वैश्यालय खोल लूं. मैं आखिर चिट्ठाकारी क्यों कर रही हूं, चिट्ठाकारिता को क्यों प्रमोट कर रही हूं और लोगों को क्यों ये बताती फिरती हूं कि चिट्ठे उन्हें अपनी अभिव्यक्ति को प्रकट करने का शसक्त माध्यम प्रदान कर रहे हैं? इसके बाद वे उन 250 शब्दों की सूची प्रस्तुत करती हैं जिनके जरिए पाठक उनके चिट्ठे पर पहुँचे. सऊदी अरब : सऊदी अरब की अमरीकन बेदू अपने चिट्ठे पर आने वाले पाठकों के बारे में अपने विचारों को कुछ यूं साझा करती हैं : सऊदी राज्य के दैनिंदनी अनुभवों को साझा करने के अतिरिक्त मैं अपने चिट्ठे पर शब्दों के जरिए सर्च कर आने वाले पाठकों पर भी ध्यान रखती हूं. ब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म के लिए वर्डप्रेस का प्रयोग करने वालों के लिए यह एक बहुत बड़ी सुविधा है, जिसे मेरे जैसे गैर तकनीकी लोग भी आसानी से प्रयोग और प्रबंधित कर सकते हैं. यह आपको आपके चिट्ठा पाठकों के दैनिक, साप्ताहिक, मासिक तथा वार्षिक आंकड़े देता है. इससे ये तो पता चलता ही है कि नित्य कितने पाठकों ने आपके चिट्ठे को पढ़ा बल्कि ये भी कि वे कौन सी पोस्टें पढ़ते हैं. जैसा कि मैंने शुरूआत में बताया है, मुझे नित्य के खोजे गए शब्दों की सूची भी मिलती है जिनके जरिए मेरे चिट्ठों पर पाठक पहुंचते हैं. इन शब्दों की समीक्षा करने पर कभी कभी मुझे ये लगता है कि जो शब्द पाठकों को आकर्षित कर रहे हैं और जिनके लिए वे खोजबीन कर रहे हैं उन पर पोस्ट लिखा जाना चाहिए तो मैं लिखती भी हूं. और कभी कभी किन्हीं खोजे गए शब्दों को देख कर ये भी लगता है कि सर्च इंजिनों ने इन शब्दों में ऐसा क्या पाया कि उन्होंने पाठकों को मेरे चिट्ठे पर भेज दिया! लेबनान: जब लेबनानी चिट्ठाकार एंटोउन को यह पता चला कि उनके चिट्ठे के कोई 20 प्रतिशत पाठक लेबनानी पॉप स्टार हाइफ़ा वेहबे के ऊपर लिखे गए चिट्ठे के कारण आकर्षित हुए तो उन्होंने ईंट का जवाब पत्थर से देने की ठानी और अपने चिट्ठे पर लेबनान के हॉट स्टारों के और चित्रों को पोस्ट किया. वे स्पष्ट करते हैं: मैंने यह पाया है कि कम से कम 20 प्रतिशत हिट्स जो मेरे चिट्ठे को मिलते हैं वो कामुक व्यक्तियों (पुरुषों, तथा कुछ मात्रा में स्त्रियों ) के होते हैं जो हाइफ़ा वेहबे के चित्रों के लिए सर्च करते हुए आते हैं. पिछले सप्ताह मैंने हाइफ़ा वेहबे तथा राजनीतिक इस्लाम के बारे में एक पोस्ट लिखा था. मैं आपको बताता हूँ कि इस चिट्ठे पर गूगल के जरिए खोज कर आने वाले इन कामुकों ने खोज के लिए किन शब्दों का प्रयोग किया था: * हाइफ़ा वाहबी, सेक्स * f****d हाइफ़ा वेहबे के चित्र * हाइफ़ा के अच्छे फोटो * चित्र सेक्स हाइफ़ा अब आपको अंदाजा हो गया होगा. मैंने लेबनान और इसकी क्षेत्रीयता की समस्याओं के बारे में गंभीरता से चर्चा करने के बजाए अपने चिट्ठे पर मैंने हाइफ़ा के और ढेर सारे चित्र लोड कर दिए. मैंने नैंसी अजराम तथा एलिसा के चित्र भी अपने चिट्ठे में टांग दिए. कभी कभी आपूर्ति भी आवश्यकता को न्यायोचित बनाती है. यदि मैं कुछ पाठकों को आकर्षित कर पाता हूं तो संभवतः वे कुछ देर मेरे चिट्ठे पर रुकें, देखें और, ब्राउज़िंग के दौरान, हो सकता है एकाध गंभीर विषय को पढ़ भी लें. मिस्र: और जब उन्होंने पाया कि उनका अब तक का सबसे बढ़िया ‘डेलिसियस' पोस्ट लोगों की निगाहों में नहीं चढ़ा तो उन्होंने इसे फिर से प्रकाशित करने का निर्णय लिया. शोब्रावे अपने इस कदम को कुछ यूं स्पष्ट करते हैं: यदा कदा मैं अपने साइट के पाठकों के आवाजाही के आंकड़ों पर नजर मारता हूँ और यह समझने की कोशिश करता हूँ कि वे क्या पढ़ना चाहते हैं और वे किस विधि से मेरी साइट पर आए. आज मैंने देखा तो पाया कि ताजातरीन पोस्टों हमस तथा फालाफेल के युद्ध, हॉट मिस्री लड़कियाँ तथा हिलेरी क्लिंटन और बराक ओबामा के बारे में लिखे मेरे सभी पोस्टों को तो लोग पढ़ रहे हैं, परंतु मेरे पसंदीदा पोस्ट पर न तो सर्च इंजिन का और न ही लोगों का ध्यान गया है. और वह पोस्ट तो मेरा सबसे बढ़िया पोस्ट है, यह मैं कह सकता हूं. मैंने आज इसे फिर से पढ़ा तो लगा कि इसे किसी और ने लिखा है और यह वाकई लाजवाब है. तो मैं इसे फिर से पोस्ट कर रहा हूँ ताकि जिनसे छूट गया हो वे पढ़ सकें. भारत: जयपुर बम धमाका, आतंकवाद और सरकार 13 मई को लगातार हुए बम धमाकों ने जयपुर को हिलाकर रख दिया . विविध रपटों के अनुसार, कोई 60 से अधिक लोग मारे गए व 150 से अधिक लोग घायल हुए. जयपुर जो कि अपेक्षाकृत एक शांत शहर है, के बारे में तथा धमाकों से हुए अफरातफरी के बारे में माइजोन लिखते हैं- पंद्रह मिनट के भीतर हुए पांच बम धमाकों ने अविश्वास का सदमा सा पहुंचाया और उससे हुई क्षति के बारे में जानकर मन बुझता गया. जयपुर ने अपने तीन सौ वर्षों के इतिहास में पहली बार आतंकवाद के घाव का दर्द सहा. धमाकों के तुरंत बाद हमारे मोबाइल फोन चिंतित पालकों व रिश्तेदारों के फोन कालों से लगातार घनघनाने लगे और वे जल्दी से जल्दी सुरक्षित घर लौट आने की गुहार मचाने लगे. ऐसे में मोबाइल नेटवर्क जाम हो गए और, हमारे जैसे कुछ ही लोग भाग्यशाली रहे जिनके फोन काल लग सके. सारा इलाका देखते ही देखते मिनटों में खाली हो गया और जो स्थल युवाओं की चहल पहल से सदैव गुंजायमान रहता था, अचानक रेगिस्तान सा रिक्त हो गया. भारत के लिए आतंकवाद नया नहीं है और इसके बहुत से शहरों को आतंकवादी हरकतों का निशाना बनाया जा चुका है, परंतु इस तीव्रता का आतंकवादी हमला जयपुर शहर में पहले नहीं हुआ था. बम धमाकों ने भारतीय शहरों व उनके निवासियों पर सदैव बने हुए आसन्न खतरों की बात पुख्ता कर दी है साथ ही सरकारी इंटेलिजेंस एजेंसियों की भी असफलता को भी उजागर किया है. कयास लगाए जा रहे है कि इन धमाकों के पीछे 'अन्य देशों' का हाथ है. पाकिस्तान के एक चिट्ठाकार इस दुखद घटना पर भाईचारा व संवेदना व्यक्त करते हैं और उम्मीद करते हैं कि इस हादसे के लिए भारतीय सरकार पाकिस्तान पर उंगली उठाने की जल्दबाजी न करे. हा'स ब्लॉग जयपुर के अपनी टोली के सदस्यों के लिए चिंतित हैं- जयपुर के हमारे साथी कर्मी चिंतित है और वे सोचने लगे हैं कि इन हमलों की वजह से हम डच के लोग जयपुर को असुरक्षित समझ रहे होंगे. परंतु यह घटना हमें अपने जयपुर की टोली का हौसला बनाए रखने की जिम्मेदारी की याद दिलाता है चूंकि वे हममें से एक हैं! जयपुर, भारत के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विरासतों में से एक है. प्रतिवर्ष लाखों की तादाद में पर्यटक जयपुर आते हैं. राजस्थान और आगरा का नाम तमाम विश्व में भारतीय पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है. देशद्रोही ताकतों में निराशा भरने लगी होगी चूंकि लंबे समय से भारत में कोई धार्मिक दंगा-फसाद नहीं हुआ है. पूर्व के आतंकवादी हमलों की गुत्थियों को सुलझाने में नाकाम रहने पर भारतीय सरकार की असफलता के बारे में इंडियन मुसलिम्स लिखते हैं- इस तरह के आतंकी हमलों के पीछे एक कारण यह भी रहा है कि सरकार इस तरह की घटनाओं को रोक पाने में या पूर्ववर्ती आतंकी घटनाओं की गुत्थियाँ सुलझाने में नाकाम रही है. एक उदाहरण : मक्का मस्जिद बम धमाका. आंध्र प्रदेश सरकार ने जून 2007 में न्यायाधीश भास्कर राव की अधीनस्थता में एक जांच आयोग बैठाया जिसे तीन महीनों में अपनी रपट देनी थी. इस बात को 11 महीने गुजर चुके हैं और इस बारे में हमें कहीं से कोई खबर नहीं है. ऑफ स्टम्प्ड भी सरकारी अकर्मण्यता और उदासीनता के बारे में कुछ इसी तरह के विचार रखते हैं. वहीं सिनिकल इंडियन इस बात पर बल देते हैं कि जनता को ज्यादा जागृत होना होगा. डीजे फादेरेयू जयपुर से ट्विटरिया रहे हैं. वहीं फ़ेसबुक में एक समूह में जैसे जैसे इस घटना के बारे में नई जानकारियाँ सामने आ रही हैं, वैसे वैसे इस बारे में चर्चाओं का दौर चल रहा है. इस घटना के फलस्वरूप चिट्ठासंसार में सौहार्द और भाईचारा बना हुआ है परंतु इसके उलट कहीं कहीं जख़्म पर तेजाब डालने के प्रयास भी हो रहे हैं. कुछ मेनस्ट्रीम मीडिया के संदेश पटल मुसलमानों के विरुद्ध आरोपों से भर गए हैं. भारतः डॉ विनायक सेन और सरकार डॉ सेन सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैं और संप्रति नक्सलवादी आन्दोलन से जुड़े होने के आरोप में जेल में बंद हैं। भारतः क्या गूगल वाकई दुष्ट है? प्रूफी अपने ब्लॉग पर लिख रहे हैं कि आर्कुट पर अश्लील सामग्री पोस्ट करने के आरोप में एक व्यक्ति की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी में सहयोग देना गूगल की कोई दुष्टता नहीं है। इस सप्ताह की चिट्ठाकारा : जिलियन यॉर्क सप्ताह के चिट्ठाकार में आज मोरक्को की लेखिका जिलियन सी यॉर्क से बातें करते हैं जो कि वाइसेज विदाउट वोट्स में भी नियमित लिखती रही हैं. मेकेन्स, मोरक्को में दो साल बिताने के बाद वर्तमान में बोस्टन, अमरीका में निवास कर रहीं जिलियन स्वतंत्र लेखिका हैं, चिट्ठाकारा हैं तथा मोरक्को गाइड बुक की लेखिका भी हैं. लेखन, राजनीति, संगीत, सामाजिक सक्रियता तथा निवासी पत्रकारों (सिटिजन जर्नलिस्ट) के लेखन को पहचान प्रदान करना उनके पसंदीदा विषय रहे हैं. यह रहा जिलियन से लिया गया साक्षात्कार - जिससे आप उनके बारे में बहुत कुछ और जान सकेंगे: आपकी शैक्षणिक पृष्भूमि क्या है? मैंने अमरीका के बिंघमटन विश्वविद्यालय से एक अतिरिक्त विषय नाट्यशास्त्र के साथ, समाजशास्त्र में स्नातक उपाधि प्राप्त की है. मैंने समाजशास्त्र में अपनी पढ़ाई मध्यपूर्व तथा उत्तरी अफ्रीक्री देशों पर केंद्रित की थी तथा अपना शोधग्रंथ 'अमरीकी मीडिया में अरबी लोगों के प्रति दृष्टिकोण' विषय पर पूरा किया. मेरी पढ़ाई के विषय ने मुझे मोरक्को को करीब से देखने का मौका दिया. मैंने अल अखवायन विश्वविद्यालय में ग्रीष्मकालीन अरबी कार्यक्रम में भी हिस्ला लिया था और अमरीका वापस आने के बाद अगले वर्ष वहाँ वापस जाने की कोशिशें जारी रही थीं. आपकी आजीविका क्या है? मैं अभी अपने अंतिम लक्ष्य - पूर्णकालिक लेखिका बनने हेतु प्रयासरत हूं. मोरक्को पहुंचने के थोड़े ही समय के बाद मैंने 'कल्चर स्मार्ट! मोरक्को' (रेंडम हाउस, 2006) लिखा और फिर तब से ढेरों आलेख लिखे. हाल ही में, मुझे मोरक्को में दो वर्ष के लिए अंग्रेजी पढ़ाने का अवसर भी मिला था जो मेरी अब तक की आजीविकाओं में सर्वाधिक आनंददायी रहा था! जिलियन यॉर्क कौन है ? कौन सी चीजें आपको आकर्षित करती हैं और किन चीजों से आपको चिढ़ मचती है ? निश्चित रूप से मैं 'टाइप ए' क़िस्म की व्यक्ति हूं जो अधिक से अधिक काम करने में विश्वास रखते हुए हमेशा व्यस्त रहते हैं. मुझे चिट्ठाकारी व नया मीडिया आकर्षित करता है - मैं पहली चिट्ठाकारा थी जिसने मोरक्को के बारे में अंग्रेजी में पहली मर्तबा लिखा. और जब मैं मोरक्को में थी तो मैंने उदीयमान होते ब्लोगोमा (मोरक्को चिट्ठाजगत्) को देखा जो अब तेजी से पैर पसार रहा है. चिट्ठाकारी एक ऐसा चकित कर देने वाला माध्यम है जो एक साधारण व्यक्ति को भी अपने मन की बात सबके सामने बिना किसी परेशानी के रख देने की सुविधा तो देता ही है, हम सभी को विभिन्न सांस्कृतिक ढांचों के बारे में जानने समझने का बेहतरीन माध्यम भी प्रदान करता है (तब भी जब हम एक दूसरे के लिए अधिक अजूबे न हों! कोई भी अमरीकी जो अमरीका से बाहर हफ़्ता दो हफ़्ता भी गुजार आता है वो ये समझ सकता है कि मुझे कैसा महसूस होता होगा. विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता के मामले में मोरक्को कोई गढ़ तो नहीं है, परंतु वहां पर वैश्विक समाचारों पर आपकी पहुँच यहाँ अमरीका से कहीं ज्यादा बेहतर है. आप कितने समय से चिट्ठाकारी कर रही हैं और क्यों? मैंने 2005 में चिट्ठा लेखन प्रारंभ किया - तब, जब मैं मोरक्को पहली मर्तबा गई थी और तब से मैं अपने उस गोद लिए देश मोरक्को के बारे में लिखती आ रही हूं. पिछले अगस्त में अमरीका वापस आने के बाद भी. आप जीवीओ की सदस्या कब से हैं और क्यों? अप्रैल 2006 से - मैं उगते बढ़ते मोरक्को ब्लॉगमा में ज्यादा से ज्यादा शामिल होना चाहती थी और इसी कारण मैंने जीवीओ के क्षेत्रीय मध्य-पूर्व व उत्तरी अफ्रीकी संपादक अमीरा अल हुसैनी से संपर्क किया. आपके अपने ब्लॉगजगत् को कौन सी चीजें प्रभावित करती हैं ? मोरक्को ब्लॉगोमा के साथ ये सौभाग्य है कि यहाँ के लेखक मनमर्जी के विषय चुनने के लिए पूरे स्वतंत्र हैं. दुर्भाग्यवश, मोरक्को में भी इंटरनेट पर कुछ सेंसरशिप लागू है - जिसमें यूट्यूब, गूगल अर्थ तथा लाइवजर्नल (एक प्रमुख ब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म) पर प्रतिबंध प्रमुख हैं. एक अन्य समस्या है वो ये है कि पश्चिमी सहारा समस्याओं पर ब्लॉग लेखन पर सेंसरशिप - ये प्रतिबंध विरोध के दृष्टिकोणों को प्रसारित प्रचारित होने से रोकने के लिए लगाए गए हैं. चिट्ठाकारी के अपने सबसे बेहतरीन पलों को साझा करना चाहेंगीं? जब ब्रिटनी स्पीयर्स ने इस्लाम धर्म अपनाना चाहा? चलिए, ये तो मजाक था! चिट्ठाजगत् के मेरे यादगार पल वे हैं जब मैं मोरक्को में रहती थी और यूट्यूब जैसी साइटों पर प्रतिबंध लगाए जा रहे थे तब मैं मोरक्को मीडिया में छाई हुई थी. मैंने तब इस महत्वपूर्ण समाचार को बड़े समाचार साइटों से पहले अपने ब्लॉग पोस्ट के जरिए ब्रेक किया था. आप अपना खाली समय कैसे गुजारती हैं? जब भी वो मुझे मिलता है (अब तो यदा कदा ही मिल पाता है ), तो मैं किताबें पढ़ती हूं. मैं अपना बहुत सारा समय (जाहिर है) ऑनलाइन गुजारती हूँ - पर वो किसी न किसी रूप में किसी न किसी कार्य से जुड़ा हुआ होता है. आपकी पढ़ी ताजातरीन किताब कौन सी है? अभी मैं डेव ईगर की किताब 'यू शैल नो योर वेलोसिटी! ' पढ़ रही हूं जो कि उनके संस्मरण - 'अ हर्टब्रेकिंग वर्क ऑफ़ स्टैगरिंग जीनियस' से बिलकुल अलग है. मैंने इस किताब को अभी पढ़ना शुरू ही किया है. परंतु एक बात मैं कहना चाहूंगी कि डेव ईगर का लेखन मुझे कई स्तरों पर प्रभावित करता है. खासतौर पर उनके अनुभाव (और करुणा) जो अगली पीढ़ी के लेखकों को वे देना चाहते हैं. आमतौर पर आप किन विषयों पर चिट्ठा लिखती हैं ? पिछले तीन वर्षों के दौरान मैंने मोरक्को के बारे में ( द मोरक्को रिपोर्ट) पर लिखा है. हालांकि बहुत सारा जो मैंने लिखा है वो मेरे अपने अनुभव व विचार हैं, पर मैंने बहुत से समाचारों की रपट व दुबारा रपट भी दी है. दूसरे चिट्ठाकारों के विचारों के बारे में भी लिखा है. मेरे नए ब्लॉग में भिन्न विषय हैं . मोरक्को के बारे में तीन साल तक लिख चुकने के बाद मुझे लगा कि अब समय आ गया है कि कुछ और विषय लिया जाए. हालांकि मैं द मोरक्को रिपोर्ट में ब्लॉग लेखन जारी रखूंगी, मगर अब मैं बोस्टन में रहती हूं और मैं चाहती हूं कि उसकी कुछ झलक मेरी लेखनी से भी झलके. मोरक्को तथा वहां के चिट्ठाजगत् से आपकी क्या आशाएं हैं? पिछले 50 वर्षों में इस देश ने जो तकनालॉजी में विकास देखे हैं, वो कहीं और 100 वर्षों में भी संभव नहीं हो पाते. मोरक्को नवीनतम तकनालॉजी को विस्मयकारक तेजी से अपनाता है. पिछले सात-आठ वर्षों में इंटरनेट यहाँ एक बहुत बड़ी शक्ति बनकर उभरा है. पिछले तीन वर्षों में सैकड़ों नए ब्लॉग और फ़ोरम बने हैं. मैं जहां तक समझती हूं, कि सभी ब्लॉग महत्वपूर्ण हैं और खासकर ब्लॉगोमा, पर मैं चाहती हूं कि अधिक से अधिक मोरक्कोवासी इस माध्यम का प्रयोग महत्वपूर्ण विषयों पर वादविवाद हेतु करें. दुर्भाग्य से वहां पर चिट्ठों को राजनीतिक प्लेटफ़ॉर्म के रूप में प्रयोग किए जाने के खतरे भी हैं ( फोआद मोरतादा के विरुद्ध हालिया प्रकरण के संदर्भ में ये सही भी प्रतीत होता है). फरवरी में आपने 10 सदस्यीय जीवी कंटिन्जेंट टू वीमीडिया की सदस्यता ली. क्या आप हमें जीवीओ हाउस में अपने ठहरने के तथा अन्य जीवींअर्स के साथ रहने के अनुभवों के बारे में बता सकती हैं? आपका अनुभव क्या रहा? क्या आप अन्य जीवीअर्स से जल्द से जल्द मिलने को बेताब हैं? वीमीडिया का अनुभव शानदार रहा! जब आप इंटरनेट की आभासी दुनिया में इतने सारे लोगों से नित्य मिलते हैं तो लगता है कि आप उन्हें अच्छे से जानते समझते हैं. वहां तो कई ऐसे भी मिले जिनसे मेरी कभी ऑनलाइन मुलाकातें भी नहीं थीं, और हम दोस्त बन गए. इस जून में बुडापेस्ट में होने जा रहे जीवी समिट का मुझे बेसब्री से इंतजार है. कुछ अंतिम विचार? मुझे खुशी है कि मैं ग्लोबल वाइसेज का एक हिस्सा हूं. मैंने कोई साल भर पहले जीवी के लिए लिखना प्रारंभ किया था तो मुझे ये भान नहीं था कि मैं कितनी बड़ी संस्था से जुड़ रही हूं. पर अब मैं अपने उस निर्णय पर खुश हूं! भारतः आम्र महोत्सव कुक्स कॉटेज ने छापे हैं बाल गंधर्व, पुणे में संपन्न आम्र महोत्सव के चित्र। दक्षिण अफ्रीकाः विदेशियों की हत्या का दोषी कौन? दक्षिण अफ्रीका में विदेशी व बाहरी लोगों पर हुये हालिया हमलों के लिये डेविड सरकार को दोषी ठहराते हैं: "विदेशियों से जितनी नफरत दक्षिण अफ्रीकी करते हैं उतना शायद कोई नहीं करता। दक्षिण अफ्रीका आधिकारिक रूप से विश्व का सर्वाधिक ज़ीनोफोबिक (xenophobic) देश माना जाता है। नफरत तक ठीक है पर 50 अप्रवासियों की हत्या के गुनाह का क्या अर्थ है? राष्ट्रपति थाबो म्बेकी ने इस कृत्य को शर्मनाक बताया हे पर मैं मानता हूं कि यह घृणित काम है। यह कानूनन जुर्म है और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिये। यूट्यूब ने नागरिक पत्रकार चैनल प्रारंभ किया सिटिजनन्यूज चैनल की इंचार्ज ओलिविया का निमंत्रण सह प्रस्तुतिकरण देखिए: यहां पर मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि ग्लोबल वाइसेज का अपना स्वयं का यूट्यूब चैनल है जिसमें मेरे द्वारा बनाए हुए बहुत से वीडियो जो मैंने अपने आलेखों के साथ डाले हैं उन्हें पसंदीदा के रूप में चिह्नित भी किया गया है. इस चैनल की ग्राहकी बहुत से निर्माताओं ने ली हुई है जहाँ और भी बहुत से बढ़िया और दिलचस्प वीडियो हैं जो यहाँ इन आलेखों के साथ नहीं आ पाते हैं. यदि आप समझते हैं कि आपके पास ऐसे वीडियो हैं जिनके बारे में इन पृष्ठों पर लिखा जाना चाहिए, तो कृपया मुझे ईमेल करें (ईमेल पता मेरे लेखकीय पृष्ठ पर है) या फिर यहाँ टिप्पणी दे सकते हैं कि आपकी नजरों में यह वीडियो महत्वपूर्ण क्यों है. आपके अनुरोधों को शामिल करने की मेरी पूरी कोशिश रहेगी. भारतः ब्लॉगचोरी और सीनाजोरी com ने ब्लॉग से सामग्री चोरी करने के एक चिट्ठाकार के आरोप का जवाब देने का नया तरीका अपनाया। विस्तृत जानकारी जिंजर एंड मेंगो चिट्ठे पर। चीन: राष्ट्रीय प्रक्षोभ चिट्ठाकार टूकोल्ड कहते हैं (चीनी भाषाई पोस्ट) कि चीनी लोगों को विदेशी मीडिया व विदेशियों की टिप्पणीयों से इतनी आसानी से उत्तेजित नहीं हो जाना चाहिये। चिट्ठाकार ने लिखा है कि चीनी मीडिया ने भी अन्य देशों में घटी ऐसी दुर्भाग्यशाली घटनाओं पर पहले बेदर्दी से टिप्पणीयाँ की हैं। इक्वाडोर : अमेजन के आदिवासी और तेल का खेल अमेजन की एक सुबह… – मार्कजी6 द्वारा क्रिएटिव कॉमन्स एट्रीब्यूशन्स के तहत प्रयोग में लिया गया अमेजन के जंगलों में लोगों की दिलचस्पी अचानक ही फिर से जागृत हो गई है. दरअसल 23 मई को इंटरनेट पर जब घने जंगलों के अंदर, बाहरी दुनिया से अलग कटे हुए आदिवासियों द्वारा एक छायाकार के हवाई जहाज पर तीरों की बौछारों के फोटो छपे तो तमाम दुनिया में उत्सुकता जगी. हालांकि कुछ संगठनों के लिए अमेजन कभी भी उनसे दूर नहीं रहा. आइए, आज हम कुछ वीडियो देखें जिसे आपके लिए अमेजन वाच लेकर आए हैं, जिनमें से कुछ एक को विटनेस के द हब के संपादकीय खण्ड में भी रखा गया है. पहले वीडियो में उन नुकसानों को दिखाया जा रहा है जिसके लिए शेवरॉन-टेक्सको तेल कंपनी के विषैले-कचरा प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसने बरसों से इक्वाडोर के अमेजन बेसिन को प्रदूषित किया है. नीचे दिए गए वीडियो में विभिन्न समूहों के सदस्य अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में बता रहे हैं, कैंसर तथा शेवरॉन-टेक्सको के विरुद्ध अपने प्रकरणों के बारे में चर्चा कर रहे हैं. फिर द हब से संग्रहालयाध्य़क्ष क्रिस माइकल ने दो वीडियो चुना. जिसमें पहला एक एनीमेशन है जहाँ कारपोरेट प्रोपोगंडा वीडियो की खिल्ली उड़ाई जा रही है तथा साथ ही इक्वाडोर में विषैले तेल के कचरे के कारण हुए दुर्घटना के बारे में नए दृष्टिकोण से बात रखी गई है. इसमें दर्शकों को इक्वाडोर में शेवरॉन-टेक्सको के कोर्ट केस, उनके प्रत्युत्तरों, कि उन्होंने कानून की जद में रहकर काम किया है और वे दुर्घटना के प्रति कतई जिम्मेदार नहीं हैं के बारे में बताया गया है. अगला वीडियो यह कहानी दिखा रहा है कि आदिवासी नेता किस तरह से अभी भी इस तरह की दुर्घटना की आशंका को खत्म करने में जुटे हैं. वीडियो में यह भी दिखाया गया है कि इक्वाडोर सरकार किस तरह से आदिवासियों की अनुमति तो दूर, उनके खुले विरोध के बावजूद तेल की खोजों के लिए विशाल भूमि खंडों को कंपनियों को लीज पर दे रही है. तंज़ानिया: तंज़ानियाई खोज इंजन वाईट अफ्रीकन ने दो नये पूर्वी अफ्रीकी जालघरों की खोज की, "बोंगोजा तंज़ानिया के लिये एक नया खोज इंजन है। खास एक देश के लिये खोज इंजन बनाने की बात मुझे हैरत में डालती है। मेरा मानना रहा है कि सामान्यतः बड़े खोज इंजन किसी भी इलाके के लिये पर्याप्त होंगे, पर अगर तंज़ानियाई मसौदे को किसी मानव द्वारा एकत्रित किया जा रहा हो तो मामला अलग हो सकता है, खास तौर पर इसलिये क्योंकि ज्यादातर सामग्री स्वाहिली भाषा में है। भारत : चिट्ठा चोरी के बाद धमकी, धौंसपट्टी और सीनाजोरी जाल जगत् में चिट्ठाकार एक तरह से असुरक्षित ही बने रहते हैं. अनाम या छद्म नामधारी होने के बावजूद मिलने वाली धमकियाँ ये सिद्ध करती हैं कि कोई चिट्ठा कितना महत्वपूर्ण हो सकता है. कॉम के प्रकरण ने चिट्ठासंसार में तूफ़ान सा मचा दिया है. केरल तथा मलयाली भाषा पर आधारित केरल्स. कॉम ने एक चिट्ठाकारा को डराने व धमकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. चिट्ठाकारा इंजी पेन्नु जो जिंजर एंड मैंगो नाम का चिट्ठा लिखती हैं, ने केरल्स. कॉम से बड़े ही नम्रता पूर्वक निवेदन किया कि उनके चिट्ठे से चोरी कर उठाई गई सामग्री को केरल्स. बाद में इंजी ने केरल्स. कॉम के अनपेक्षित प्रत्युत्तर का विरोध किया. इंजी तथा केरल्स. केरल्स. यह तो सचमुच पागलपन था – चिट्ठाकारों को इस तरह आदेशित करना. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के क्या यही मायने हैं? हिन्दी ब्लॉग रिपोर्टर ने लिखा अपने ताजातरीन पोस्ट में उन्होंने साइबर उद्योग के इस पुरातन समूह से प्राप्त धमकी भरे ईमेल के उदाहरण दिए. संक्षिप्त से शोध के उपरांत इंजी को ज्ञात हुआ कि यह समूह पॉर्न साइट तो चलाता ही है, साथ ही अनाथों के लिये कुछ दान दक्षिणाएँ भी मुहैया कराता है. कॉम ने अन्य चिट्ठों से भी सामग्रियों की चोरी की और उनके नाम से प्रकाशित कर दिया जबकि उन्होंने ये सामग्रियाँ लिखी ही नहीं थीं. जयरंजन्स ब्लॉग ने लिखा कॉम द्वारा मलयालम चिट्ठों से सामग्री की चोरी की मैं तीखे शब्दों में भर्त्सना करता हूं. कॉम की सपोर्ट टीम ने उन साथी चिट्ठाकारों, जिन्होंने इस घृणास्पद कार्य की निंदा की, उन्हें धमकाया व उनसे दुर्व्यव्हार किया और, जैसे कि यह काफी नहीं था, उन्होंने साइबरशिकार जैसे प्रयास भी किए. तुलसी ने कुछ गहरी छानबीन की, और लिखा हाल ही में मैंने नोट किया कि माझाथल्ली. उन्होंने मेरे इस चिट्ठे से बगैर मेरी अनुमति या लिखित सहमति के अथवा बगैर मुझे श्रेय दिए, मेरे फोटोग्राफों को नक़ल किया. यही नहीं, उन्होंने मेरे उन चित्रों में केरल्स. इसके बाद मैंने आगे की जांच पड़ताल की तो पाया कि यो दोनों साइटें एक ही कंपनी – अनश्वर कंपनी प्रा. मुझे यह जानकर धक्का लगा कि वह व्यक्ति जिसने मेरे चित्रों की नक़ल की थी, उसमें अपने नाम व अपनी कंपनी के नाम का वाटरमार्क लगाया, वो कोई और नहीं, बल्कि केरल्स. उन्होंने इसी समूह के अन्य जाल स्थलों के बारे में भी कुछ पड़ताल की. जैसा कि अब हम सबको पता है, केरल्स. कॉम पोर्टल के मलयालम खंड में भरने के लिए बहुत से मलयालम चिट्ठों से सामग्री चुराई गई. ( मैंने केरल्स. कॉम के जरिए एक शुभकामना संदेश कुमार को भेजा था तो उसे देखते ही कुमार ने कहा कि यह फोटो उनके फोटो ब्लॉग में प्रकाशित है और बिना अनुमति के प्रयोग किया गया है. फिर उन्होंने केरल्स. ' के हैं जो कि अमरीका तथा भारत के नक़ली पता का इस्तेमाल कर रहे हैं. जब मैंने आज जांच पड़ताल की तो पाया कि http://www. mazhathully. com/ साइट अभी निलंबित स्थिति में है. द ब्रीज ने उल्लेख किया कि केरल्स. कॉम के एक प्रतिनिधि ने इंजी पेन्नु का नाम घसीटा और एक नक़ली वेबसाइट तैयार किया. इराक : श्याम रंग – विषाद का रंग इराकी स्त्रियाँ शोक और विषाद के रंग - काले रंग - की अभ्यस्त हो चुकी हैं. अंधेरे और उदासी के श्याम रंग से इतर अब कुछ युवा स्त्रियाँ भूरे, हरे और गुलाबी परिधानों को अपना रही हैं ! संवाददाता जेनन के मुताबिक: काले रंग के परिधान इराकी स्त्रियों के पसंदीदा परिधान इस लिए नहीं बने हुए हैं क्योंकि ये उन्हें पसंद हैं, बल्कि इसलिए कि वे इसकी अभ्यस्थ हैं. दशकों से इराकी महिलाएँ युद्ध की विभीषिका सहती आई हैं – कई मर्तबा अपने प्रियजनों को युद्ध की आग में खोया है. और इस वजह से वे अपनी गहरी शोक संवेदनाओं को व्यक्त करते रहने के लिए काले रंग का लिबास पहनती रही हैं. इस तरह की प्रथा का अर्थ है व्यापार में तेजी. जेनन का कहना है: बाजार की मांग के अनुरूप इराकी व्यापारी किसी भी अन्य रंग के मुकाबले काले रंग के परिधानों को कहीं ज्यादा मात्रा में आयात करते हैं. “इराकी स्त्रियाँ अपने और कौन से रंगों के वस्त्र पसंद करती हैं ? ” जेनन की प्रतिक्रिया है: जैसा कि पूर्व में स्पष्ट किया गया है, काला रंग सर्वाधिक पसंदीदा रंग है. शोक और मातम के अलावा, काले रंग का प्रयोग पारंपरिक परिधान अबा (गाउन) में भी किया जाता है. 28 वर्षों से नख से शिख तक काले रंग के लिबास में लिपटे रहने के अपने व अपनी मां के निजी अनुभवों को चिट्ठाकारा बयान कर रही हैं. वे लिखती हैं: सन् 1980 से मैं देखती आ रही हूं कि मेरी मां सिर से पैर तक अपने आप को काले रंग के लिबास से ढंकती रही हैं. 28 वर्ष पहले जब मेरे पिता की मृत्यु हुई थी, तब से उन्होंने काले रंग का लिबास पहनना प्रारंभ किया था, और उसके बाद से उन्होंने इस रंग को कभी एक बार के लिए भी नहीं बदला. मेरी मां उन लाखों इराकी स्त्रियों की तरह हैं जिन्होंने अपने पति, भाई, बेटा या अन्य प्रियजनों को खोया है. एक बार मैंने अपनी मां से कहा कि कम से कम वो अपने सिर में सफेद स्कार्फ तो बांध ले. परंतु उन्होंने जवाब दिया: “यदि किसी स्त्री ने अपने किसी प्रियजन को खोया है तो उसका रंगीन वस्त्र पहनना बेहद शर्मनाक है. ” मेरी मां के दिल में ये बात घर कर चुकी है कि उन स्त्रियों को, जिनके प्रियजनों की मृत्यु हो चुकी है, काले रंग के अलावा अन्य किसी रंग के परिधान पहनना ही नहीं चाहिए. तो फिर, जेनन का क्या? उसे क्या पसंद है? वो कबूलती हैं: जहाँ तक मेरा सवाल है, मैं तो रंगीन कपड़े पहनना पसंद करती हूं. मुझे भूरा व हरा रंग पसंद है तथा कभी कभी मैं गुलाबी परिधान पहनना भी पसंद करती हूं! और मेरे लिए रंगीन परिधानों को पहनने के लिए ये कोई जरूरी भी नहीं है कि कोई वार त्यौहार हो. गाउन के अलावा, हम लोग बुरका भी पहनते हैं, और उनके रंग भी उन वस्त्रों से मैच होने चाहिएं जो आप पहनते हैं. गाउन के नीचे आप चाहे जिस रंग के लिबास पहन सकते हैं, परंतु बुरका जो आपके सिर को ढंकता है, उसका रंग गाउन के रंग से मैच होना चाहिए. काले रंग के गाउन के साथ आपको काले रंग का सैंडल पहनना चाहिए. अन्य रंग के वस्त्रों के साथ आप अन्य रंग के जूते-चप्पल पहन सकते हैं. डोमिनिकन रिपब्लिक : स्कूली बच्चों को दिए जा रहे दूध पर प्रश्नचिह्न फोटो - गिले पदिल्ला द्वारा, क्रियेटिव कॉमन्स लाइसेंस के तहत प्रयोग में लिया गया भले ही यह अप्रासंगिक सा प्रतीत होता हो, लेकिन डोमिनिकन रिपब्लिक में दुग्ध घोटाला कांड चहुँओर चर्चा में है. चिट्ठों में लिखा गया कि दूध की जगह स्कूली बच्चों को शक्कर पानी दिया जा रहा है. द डेली डोमिनिकन लिखते हैं: द डोमिनिकन रिपब्लिक सोसाइटी (एसडीपी) ने शिक्षा मंत्रालय का ध्यान इस ओर खींचा है कि खोजी टीवी पत्रकार नुरिया पिएरा ने अपनी जांच पड़ताल में यह पाया है कि स्कूली बच्चों को नाश्ते में दिया जा रहा दूध उनके स्वयं के द्वारा तय किए गए पोषण के न्यूनतम मानक को पूरा नहीं करता. थारसिस हरनांदेज, एसडीपी के अध्यक्ष का कहना है कि मंत्रालय द्वारा आपूर्ति किया जा रहा दूध दूध नहीं है, बल्कि महज शक्कर मिश्रित मीठा पानी है. सेंटो डोमिने चिट्ठा के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय ने बहुत से दूध प्रदायकों को दूध प्रदाय हेतु ठेका दिया है, इनमें डोमिनिकन डेयरी प्रोड्यूसर्स (लेडोम) भी शामिल है. स्कूली बच्चों को प्रदाय किए जा रहे दूध की गुणवत्ता की जांच परख करने वाली कमेटी के सभापति मंत्री अलजेंद्रिना जर्मन हैं, जिनकी सुपुत्री लेडोम में एक प्रसाशनिक अधिकारी हैं. जर्मन का कहना है कि यह द्रव विषैला नहीं है: हंगरी : फोटोब्लॉगिंग बुडापेस्ट में होने जा रहे ग्लोबल वाइसेज सिटिजन मीडिया समिट में अब कोई एक सप्ताह से भी कम समय रह गया है, तो कुछेक हंगरीयाई रसोई ब्लॉगों, की चर्चा करने के बाद, आइए हम कुछ हंगरीयाई फोटोब्लॉगों के दौरे पर चलते हैं. यहाँ बहुत से फोटोब्लॉग हैं और उनकी गुणवत्ता भी अत्यंत उच्च कोटि की है. बुडापेस्ट पर संभवतः सबसे ज्यादा लोकप्रिय ब्लॉग है बुडापेस्ट डेली फोटो , यह ब्लॉग भी द बुडापेस्ट गाइड नाम के ब्लॉग के चिट्ठाकार का है. यही नहीं, इनके फोटोग्राफ उनके फ्लिकर खाता में भी देखे जा सकते हैं. नीचे दिए गए दो फोटो बुडापेस्ट डेली फोटो से लिए गए हैं. बाईं ओर वाला फोटो सेंट लाज्स्लो (सेंट लादिस्लाउस) का है: लादिस्लाउस, हंगरी का एक महान राजा था. गृह युद्ध के लंबे काल के बाद उन्होंने अपने राज्य में कड़े नियम लागू किए और अपने राज्य की शक्ति संगठित की. राज्याभिषेक के बाद लादिस्लाउस को हंगरी के बहादुर राजा के प्रतीक के रूप में जाना जाने लगा. दाईं ओर का चित्र वृक्ष संकेत हैं जो बुदा के जेनोस पहाड़ी के हैं. एक्सप्लोर हंगरी नाम के मल्टीमीडिया ब्लॉग में यात्राओं के चित्र अकसर प्रकाशित होते हैं. इस चिट्ठाकार का फ्लिकर फोटोस्ट्रीम भी है जहाँ हंगरी तथा बुडापेस्ट के बहुत से फोटो मिलते हैं – जैसा कि नीचे दिया गया बुडापेस्ट का फैकेड बिल्डिंग . एरविन स्पर्ला के फोटोब्लॉग में बुडापेस्ट के कुछ उत्कृष्ट, प्रभावी चित्र हैं – जैसा कि नीचे दिया गया चित्र जो कि डेन्यूब नदी पर बनाए जा रहे एक नए पुल का है. इस पुल का पूरा का पूरा फोटो संग्रह आप फ्लिकर फोटोस्ट्रीम पर देख सकते हैं. एक अन्य कलात्मक फोटोब्लॉग है नेकेड आई, जिसमें का नीचे दिया गया चित्र बुडापेस्ट के मध्य क्षेत्र में खड़े इंपाला कार का है. इनके हालिया फोटो संकलन में एक फोटो ऐसा भी है जिसे पिन होल कैमरा से खींचा गया है , तथा दो चित्र हंगरीयाई डिश लेस्को के भी हैं. दिमि के फोटोब्लॉग में बुडापेस्ट के दैनिंदनी क्षणों को अप्रत्याशित अंतरंगता और सच्चाई से खींचे गए चित्र प्रकाशित हैं. नीचे दिया गया चित्र उनके अद्भुत ब्लॉग से लिया गया है. एक अन्य दिलचस्प फोटोब्लॉग एंद्रेय, का है जिसमें बुडापेस्ट के कैफ़े के ढेरों चित्र हैं – जैसे कि यह नीचे दिया गया चित्र. बहुत से हंगरीयाई फोटोब्लॉग एमिनस3 में भी मिलेंगे जो कि एक उच्च गुणवत्ता युक्त फोटोब्लॉंग होस्टिंग सेवा है. उदाहरण के लिए, उपयोक्ता एफएलएमएसटीआरपी ने अपने बुडापेस्ट के आसपास खींचे गए जिंदादिल व्यक्तियों के या शहर के रात्रिकालीन भव्य नजारों के चित्र – जैसा कि यह एक नीचे दिया गया है - अपलोड किए हैं. और उनके लिए जिन्हें इन फोटोब्लॉगों में हंगरी के ज्यादा फोटो नहीं मिले, वे हंगरी स्टार्ट्स हियर फ्लिकर पूल को खंगाल सकते हैं जहाँ नीचे दिए गए बुडापेस्ट केलेटी रेलवे स्टेशन के चित्र जैसे आपको मिल सकते हैं. जापान : 'खाद्यान्न संकट पर प्रीतिभोज' और 'स्काइप पर जी8′ टोकियो, होक्काइदो में त्रिदिवसीय जी8 सम्मेलन 9 जुलाई को सम्पन्न हो गया. कई चिट्ठाकारों के अनुसार, यह सम्मेलन एक तरह से उनके मुँह का स्वाद कड़वा कर गया. इस सम्मेलन के प्रबंधन व सुरक्षा के लिए जितना खर्च किया गया उतनी रकम से लाखों एड्स पीड़ित मरीजों की चिकित्सा संभव हो सकती थी . जी8 सम्मेलन न्यू चिटोस विमानतल (फ्लिकर से – उपयोक्ता मुजितरा द्वारा) बहुत से चिट्ठाकारों ने इस आयोजन के भारी-भरकम खर्चों पर प्रश्नचिह्न तो लगाए ही, यह भी इंगित किया कि सम्मेलन किस तरह पर्यावरण के लिए शत्रुवत् बना रहा. इसके विपरीत, चिट्ठाकार गूरी ने जी8 सम्मेलन के कुछ अच्छे, धनात्मक नतीज़ों के बारे में लिखा: भारत : क्या एचआईवी जाँच जरूरी होनी चाहिए? एचआईवी संक्रमण फैलने की दर में कमी लाने की कोशिशों के तहत महाराष्ट्र सरकार ने साल के शुरूआत में एक विवादास्पद प्रस्ताव दिया जिसके तहत विवाह बंधन मे बंधने जा रहे प्रत्येक जोड़े को विवाह पूर्व एचआईव परीक्षण करवाना अनिवार्य होगा. इसी तरह के कानून अन्य भारतीय प्रदेशों – कर्नाटक, गोआ तथा आंध्र प्रदेश में भी लागू किए गए हैं. प्रस्तावित कानून ने भारत में वादविवाद और परिचर्चाओं का दौर शुरू कर दिया है कि विवाहपूर्व एचआईवीजाँच क्या एचआईवी संक्रमण फैलने से रोकने के लिए प्रभावी माध्यम है भी. भारत में 1990 से एचआईवी संक्रमण दिन-दूनी-रात-चौगुनी की दर से बढ़ता रहा है और ताजा अनुमान के अनुसार कोई 25 लाख भारतीय एचआईवी संक्रमण से ग्रस्त हैं. चेतावनी देती इस दैत्य संख्या के बावजूद नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (एनएसीओ) अभी भी एचआईवी जांच को अतिआवश्यक मानने के बजाए स्वयंसेवी आधार पर करवाने में ही बल देती रही है. नेट इंगित कर रहे हैं कि इस तरह के नियम भारत में नई समस्याएं पैदा करेंगे जिनका हल ढूंढना होगा. “इस तरह के आवश्यक जाँच पड़ताल से एक नए किस्म का दागदार निम्नवर्ग पैदा नहीं होगा? यह कानून किस तरह से भारतीय महिलाओं की रक्षा करेगा – खासकर तब जब वे अपने विश्वासघाती जीवनसाथी के जरिए संक्रमित होती हैं ? फिर क्या एक एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति अपने जीवनसाथी के लिए दूसरे एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को तलाशता फिरेगा? (एक तरीका जो ‘सेरोसॉर्टिंग’ कहलाता है)” सिटिजन न्यूज सर्विस के बॉबी रमाकान्त का तर्क है कि इस तरह के कानून व्यक्तिगत निजता का हनन करते हैं व एचआईवी संक्रमण के पता चलने पर पैदा होने वाली समस्याओं का कोई हल नहीं सुझाते. “इस रोग के रोकथाम और उपचार के मामले में प्रगति का हाल ये है कि सही और प्रभावी ढंग से कुछ भी सोचा नहीं गया है. भारतीय राज्य एचआईवी की रोकथाम के लिए योजनाएँ बनाते तो रहे हैं परंतु उन योजनाओं में एचआईवी पीड़ितों के उपचार, देखभाल, और अवलंबन हेतु प्रावधानों का सर्वथा अभाव रहा है. ” क्वीयर इंडिया एक चरण आगे जाकर, कहते हैं कि यह पूरी तरह हास्यास्पद विचार है. “पागलपन से भरा विचार है यह. जहां की संस्कृति में सुरक्षित सेक्स के बारे में बात करना भी शर्मनाक समझा जाता हो, डर और अज्ञानता का वातावरण जहां हो वहां ऐसे प्रयास निष्फल ही रहेंगे. ” मगर, रीजन फ़ॉर लिबर्टी ने टिप्पणी दी है कि यह कानून पहला सही कदम हो सकता है विशेष रूप से इस लिए भी चूंकि एचआईवी भारतीय मध्यवर्ग में तेजी से पांव पसार रहा है. साथ ही वेश्यावृत्ति को भी कानूनन वैध घोषित किया जाना चाहिए, सेक्स के बारे में ज्यादा खुले रूप में बातचीत होनी चाहिए जो भारत में एचआईवी संक्रमण दर में कमी लाने में सहायक सिद्ध होगी. “तमाम भरोसेमंद तंत्र होने के बावजूद इसे पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता कि भारतीय मध्यवर्ग आज पूरी तरह से सुरक्षित है. सच तो यह है कि मुझे लगता है कि अन्यों के मुकाबले भारतीय मध्यवर्ग में एचआईवी संक्रमण फैलने की संभावनाएं कहीं ज्यादा है. वैवाहिक संबंधों के लिए जहाँ मध्यवर्ग जन्मकुंडली मिलाते फिरते हैं, तो फिर वे विवाह पूर्व एचआईवी जाँच क्यों नहीं करवा सकते? ” महिमा, जो आवश्यक जाँच का समर्थन करती हैं, कहती हैं कि असल सवाल तो ये है कि जाँच परिणाम आखिर क्या और कैसे होंगे? “जिस प्राधिकरण के पास इन जाँचों के परिणाम होंगे – जैसे कि इस मामले में राज्य सरकार, तो क्या इस बात पर भरोसा किया जा सकता है कि इसे एचआईवी-खात्मा के औजार की तरह तो नहीं प्रयोग में लिया जाएगा. और यह कल्पना करने में भी क्या बुराई है कि इस तरह की जांच के कानून के (वर्षों तक आवश्यक बने रहने) रहने से न सिर्फ युवा पीढ़ी बल्कि विवाहित युगलों के यौन व्यवहार को ज्यादा जिम्मेदार बनाने में मदद मिलेगी. वैसे भी यह बीमारी व्यवहार जनित है और यदि पूरी सावधानी बरती जाए तो इससे पूरी तरह बचा जा सकता है. साक्षी ने वादविवाद के दोनों पक्षों का सार दिया. हालांकि जरूरी एचआईवी जाँच पर उनकी आरंभिक प्रतिक्रिया सकारात्मक रही थी, परंतु अब उन्हें घेरे से बाहर बैठना ज्यादा उचित लगता है. “जो भी हो, विवाह पूर्व एचआईवी जाँच नव विवाहितों को सुरक्षित, सुखी वैवाहिक जीवन का भरोसा तो देता ही है. हालांकि हमारे स्वयं के विचार, इस बीमारी के बारे में हमारी अपनी धारणाएं, सामाजिक और सांस्कृतिक विचारों के अवरोध इस जाँच को अपनाने के राह में रोड़ा तो फिर भई बने ही रहेंगे. पर, जब बात जिंदगी और मौत की आती है तो कई बार अपनी बाध्यताओं से हर एक को बाहर निकलना ही होता है. और इसीलिए मेरे विचार में यह पूरी तरह व्यक्तिगत अधिकारों का मसला है. आप क्या सोचते हैं? फोटो महाराष्ट्र पेंटिंग ऑफ़ ब्राइड फ्लिकर पर yashrg द्वारा. भारतः रंगमंच का जादू पूरे सप्ताह अपने काम में बेहद व्यस्त रहने वाले कुछ आईटी कर्मियों ने सप्ताहांत के दौरान भी व्यस्त रहने का काम खोज लिया है। उन्हें रंगमंच के कीड़े ने काट खाया है। "रिबेल्ज़" नामक इस समूह ने अपना एक ही उद्देश्य तय किया है और वह है चैन्नई में बढ़िया अंग्रेज़ी नाटकों का मंचन करना और कला का लुत्फ उठाना। समुह में प्रमुख सदस्यों में से एक विनोद अपने इस उत्साह को छुपा नहीं पाते हैं सप्ताहांत आते ही हम पूर्वाभिनय में मग्न हो जाते हैं। संवाद याद करना, अपने परिधान तय करना, और अपने दृश्यों की तैयारी करना। कॉफी और कोला से हम जगे रहते हैं, एक दूसरे से मज़ाक मस्ती के द्वारा अपनी उर्जा बनाये रखते हैं, आखिरकार हम दूसरों को हंसाने का गंभीर काम जो कर रहे हैं। अगले नाटक "वंस अपॉन अ टाइम इन अरेबिया" का काम शुरु हो चुका है और 26 व 27 जुलाई को चैन्नई में इसके मंचन की दिनरात तैयारियाँ चल रही हैं। अगर आप इस दौरान शहर में रहें तो टिकट्सन्यू से अपनी टिकटें आरक्षित करा सकते हैं। बंगलौर की दीपा हाल में देखे "द वुमन इन मी" को "बेहद भावप्रवण और दिलचस्प नाटक" बताती हैं। यह नाटक एक ऐसे व्यक्ति के बारे में है जिसकी अपनी पत्नि के हालिया देहांत से भावनात्मक संतुलन बिगड़ चुका है। मेटब्लॉग्स पर नाटक की समीक्षा में दीपा नाटक के एक दृश्य में छाया के प्रयोग और उसके परवर्ती दृश्य में संवादों की ताबड़तोड़ बौछार से अचंभित हो गईं "इस नाटक ने मुझे हिला कर रख दिया। मैं इस बात से बेहद प्रभावित हुई कि इतने कमउम्र कलाकारों ने पुरुष व स्त्री की मनःस्थितो को बखूबी चित्रित किया और उस परिस्थिति का सटीक चित्रण किया है जब पुरुषों को यह भान भी नहीं होता के वे अपनी ही पत्नी के साथ बलात्कार कर रहे हैं। तान्या बेहरा ने अपने चिट्ठे "रिमेन कनेक्टेड" में अलायंस फ्रेंकाइज़ द्वारा आयोजित "लखनऊ 76″ की समीक्षा लिखी है। "राजनीति व ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले इस नाटक में एक आम आदमी की निगाह से 1876 और 1976 के लखनऊ शहर में आये बदलावों की बात है। 1876 अंग्रेज़ों के लिये एक मील का पत्थर है क्योंकि इसी साल साम्राज्ञी विक्टोरिया ने इस्ट इंडिया कंपनी से कमान संभाली। 1976 भी महत्वपूर्ण वर्ष रहा क्योंकि इसी साल एक समय लोकतंत्र रहा भारत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाहाना रूप से घोषित इमरजेंसी के चपेट में आ गया था। गीताली तारे हिमवाणी में "द शिमला ट्रेजेडीः मिसिंग थियेटर, मिसिंग ड्रामा" में लिखती हैं "सिनेमा की तरह नाटक एक तरफा, बना बनाया अनुभव नहीं होते। फिल्मों की तरह नाटकों में रिहर्सल के मौके तो मिलते हैं. पर "रीटेक" के नहीं। दर्शकों की तुरंत प्रतिक्रिया मिलती है, कलाकारों के भाव सीधे पहुंचते हैं। एक सधा रंगमंच कलाकार अपनी आवाज़, हावभाव और परिधान से दर्शकों को किसी और दुनिया में ले जा सकता है। दर्शक प्यारेलाल के जाने पर महात्मा गाँधी की खीज, अमृता के लिये ज़ुल्फ़ी की तड़प महसूस कर सकते हैं। वे धंसीजा बाटळीवाला के साथ हंसते भी हैं और मधुकर कुलकर्णी के वाक्छल में फंस जाते हैं। मुंबई थियेटर गाईड इस शहर में रंगमंच से संबंधित गतिविधियों और समीक्षाओं के बारे में बताता एक जालस्थल है। एड्स : 17 वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन - वीडियो आमंत्रण Image by Robert Miller used under cc license. मेक्सिको सिटी में 3 से 8 अगस्त के दौरान सत्रहवां अंतर्राष्ट्रीय एड्स सम्मेलन होने जा रहा है. इस मौके पर विटनेस द हब में समुदाय के सदस्यों व संगठनों द्वारा एचआईवी-एड्स की समस्याओं से निपटने के विविध तरीकों को बयान करते वीडियो अपलोड किए जा रहे हैं. यह पहल सम्मेलन के दौरान, उससे पूर्व व उसके बाद के किए गए कार्यों, प्रशंसा पत्रों, वीडियो व चित्रों को विविध साइटों के जरिए साझा करने रूप में है. द हब के एड्स सम्मेलन के विशिष्ट कवरेज पृष्ठ में भारत, कांगो प्रजातांत्रिक गणराज्य तथा मलावी के कुछ वीडियो पहले ही डाले जा चुके हैं. “लाइव्ज इन फ़ोकस“, नाम के एक भारतीय जाल स्थल में एचआईवी/एड्स के साथ जीवन के उद्धरण हैं जिनमें शामिल है अ मेडिकल मिरेकल , जिसमें एक आश्रय स्थल की एचआईवी पीड़ित किशोरी का वीडियो साक्षात्कार है . आशा के विपरीत, इस बच्ची के लिए प्रथम पंक्ति के एंटी-रीट्रोवाइरल दवाइयाँ जैसे तैसे प्राप्त की गईं, और जैसे कि आमतौर पर एचआईवी/एड्स पीड़ित बच्चों के प्रकरणों में होता है, उसके विपरीत इस बालिका के जीवन को बढ़ाया गया. 4 मिनट के वीडियो में 12 वर्ष की दीप्ति अपनी पसंदीदा गीत गुनगुनाती हुई आश्रम के अपने जीवन के बारे में बताती हैं. प्रजातांत्रिक गणराज्य कांगो से अजेदी-का संगठन दर्शकों को आगाह करता है कि कुछ करने का समय आ गया है और कुछ करना चाहिए. अवेटिंग टुमारो नाम के वीडियो में 25 वर्षीय जीन जेकस पश्चिमी कांगो के बारे में बताते हैं कि सरकार एचआईवी/एड्स पीड़ितों के लिए दवा खरीदी के लिए कोई अनुदान नहीं दे रही है और वो पीड़ितों को बेमौत मार रही है. मलावी के टिजेर्न एड्स सपोर्ट ग्रुप में एक साझा वीडियो प्रकाशित किया गया है जहाँ समूह के लोग अपने अनुभवों के बारे में बता रहे हैं. समूह के बीमार सदस्यों की देखभाल, खेतीबाड़ी की नई तकनीक सिखाने वाली वर्कशॉप – जिसके जरिए वे ताजी सब्जियाँ उगा कर स्वयं भी उपयोग कर रहे हैं व बाजारों में बेच रहे हैं - तथा इस समूह द्वारा उनके वैवाहिक जीवन में डाले गए प्रभाव के बारे में भी अपने अनुभवों को बता रहे हैं. ट्यूब एडवेंचर : यूट्यूब पर एक बहुभाषी, खोजी खेल ट्यूब एडवेंचर, में, हमारा हीरो डबलरोटी खरीदने के लिए अपने घर से निकलता(ती) है तो उसके सिर पर एक मर्तबान आ गिरता है, जिसके कारण उसे स्मृतिलोप की समस्या हो जाती है. अब उसको आपकी मदद की आवश्यकता है ताकि वह बेकरी तक जा सके. इस दौरान वो रास्ते में नाना प्रकार के लोगों से मिलता है जो उसे ढेर सारे काम बताते हैं. अभी तक तो यह वीडियो स्पेनी भाषा में ही है, परंतु टिप्पणियों से प्रतीत होता है कि इसकी अगली खेप बहुभाषी होगी. तलाश के विकल्प तथा निर्देश वैसे तो अंग्रेजी तथा स्पैनी दोनों ही भाषाओं में आते हैं. उपलब्ध विकल्पों के लिए इस खेल को यूट्यूब के भीतर ही खेलना होता है, तो यदि आपको यह खेल खेलना है तो सीधे ही इस वीडियो कड़ी में जाकर खेलें. अपने ब्लॉग में, कोरदेरो टीवी लिखते हैं: क्या बांग्लादेश समुद्र में डूबने वाला है? वातावरण परिवर्तन के दुष्प्रभावों से सर्वाधिक पीड़ित होने वाले राष्ट्रों में बांग्लादेश का नाम सबसे पहले आता है. नदी के डेल्टा में स्थित होने के कारण वैश्वीय ऊष्मीकरण से समुद्री स्तर के बढ़ने के कारण समूचे बांग्लादेश के समुद्र में डूबने का खतरा सबसे ज्यादा है. बांग्लादेश पर जलीय खतरे व आपदाएँ नए नहीं हैं क्योंकि नदियों में अकसर बाढ़ आती रहती हैं और इसकी वजह से तीव्र बाढ़ के दिनों में इस देश का बड़ा हिस्सा पानी में डूब जाता है और लाखों लोग बेघर हो जाते हैं. परंतु इस देश के जीवट नागरिक इन आपदाओं का सामना करते हुए राष्ट्र की प्रगति के लिए हर बार उठ खड़े होते हैं. चित्र साभार : देश कालिंग हालांकि समुद्री जल स्तर के बढ़ने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता, मगर हालिया मीडिया रपटें कुछ ज्यादा ही कह रही हैं कि बांग्लादेश इस सदी के अंत तक समुद्री लहरों में समा जाएगा . इस किस्म के विचारों को मीडिया तथा ब्लॉग जगत में ढेरों आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. लेखक व स्तंभकार अनीजुल हक प्रियो. इस तरह अगले 50 वर्षों में बांग्लादेश के क्षेत्रफल में 1000 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि होगी. बांग्ला ब्लॉगिंग समुदाय सचलयतन में इस विषय ने रोचक वादविवाद को जन्म दिया. हिमू का तर्क था कि यह खतरा महज अफवाह नहीं है, बल्कि इस बात में काफी दम है. पापुआ न्यू गुयाना, ऑस्ट्रेलिया तथा तस्मानिया समुद्री जल स्तर के बढ़ने की इस वजह से ही अलग हुए. सिराज इस पोस्ट में टिप्पणी करते हैं: इस दुनिया में यह बहुत जरूरी है कि आप हमेशा धनात्मक सोचें और साथ में अपनी समस्याओं के हल के लिए काम करते रहें. तो, बांग्लादेश के समुद्र में डूबने का अफवाह फैलाकर लोगों में भय पैदा करने के बजाए, वातावरण परिवर्तन से होने वाले प्रभावित देशों में इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए ठोस उपाय किए जाने चाहिएं और धूर्तता भरी राजनीति नहीं की जानी चाहिए. एड्स 2008 : एचआईवी पीड़ितों को यात्रा प्रतिबंधों से मुक्ति मेक्सिको सिटी में पिछले सप्ताह सत्रहवां अंतर्राष्ट्रीय एड्स सम्मेलन सम्पन्न हुआ. अगला सम्मेलन विएना में 2010 में होगा तब तक के लिए प्रतिभागियों को कई मुद्दों पर ध्यान दिए जाने हेतु अच्छा खासा मसाला मिल गया है. एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर सही में ध्यान दिया जाना आवश्यक है वो है एचआईवी-धनात्मक व्यक्तियों पर विभिन्न देशों में कम या लंबी अवधि के लिए यात्रा व प्रवेश पर प्रतिबंधों के बारे में. सम्मेलन के आयोजकों तथा बहुत से अधिकारियों ने इस तरह के नियमों की भर्त्सना की व इसे घोर शर्मनाक बताया. नेट के सम्मेलन ब्लॉग ने रपट दी: “एड्स 2008 सम्मेलन में जिस एक मुद्दे पर अच्छी खासी बहस चली वो इस पर थी कि बहुत से देशों में एचआईवी-धनात्मक व्यक्तियों के प्रवेश, उनके यात्रा इत्यादि पर प्रतिबंध लगा हुआ है. यूएनएड्स द्वारा अन्य संगठनों के सहयोग से प्रकाशित किए गए एंट्री डिनाइड नाम के एक प्रकाशन - जिसे सम्मेलन में वितरित किया गया – के अनुसार कम से कम 67 ऐसे देश हैं जो एचआईवी/एड्स से पीड़ित व्यक्तियों को अपने यहाँ घुसने ही नहीं देते. मेक्सिको, जहाँ एड्स 2008 सम्मेलन हुआ, वहां एचआईवी/एड्स पीड़ितों की यात्राओं में कोई प्रतिबंध नहीं है , परंतु 65 या अधिक देश ऐसे हैं जहाँ तमाम विश्व के 3. 3 करोड़ एड्स पीड़ितों की यात्रा/प्रवेश पर प्रतिबंध है. यूरोपीय एड्स ट्रीटमेंट ग्रुप के अनुसार, इनमें से ये सात ऐसे देश हैं जहाँ एचआईवी-धनात्मक व्यक्तियों पर पूर्ण प्रतिबंध है – ब्रुनेई, ओमान, कतर, दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात तथा यमन. ये देश यह तर्क देते हैं कि इस तरह के प्रतिबंधों से इस बीमारी की रोकथाम में मदद मिलेगी तथा अन्य देशों के एचआईवी पीड़ित व्यक्तियों के इलाज के खर्चों से बचा जा सकेगा. डेविड कोजाक ने एड्स 2008 सम्मेलन पर मानव अधिकार सत्र के बारे में चिट्ठा लिखा. उनका कहना है कि विशेषज्ञ इस तरह के तर्क से सहमत नहीं हैं- “एचआईवी ग्रस्त व्यक्तियों के यात्रा प्रतिबंध विषयक सत्र के दौरान प्रतिभागियों ने यह बताया कि इस तरह के प्रतिबंधों से कोई लाभप्रद परिणाम मिले हों ऐसे साक्ष्य नहीं होने के बावजूद 67 देश ऐसे हैं जहाँ ये प्रतिबंध अभी भी बरकरार हैं. ऐसे प्रतिबंधों को लागू करने वाले देशों में चीन भी शामिल है. पूरी संभावना थी कि ओलंपिक खेलों से पहले चीन एचआईवी संबंधित यात्रा प्रतिबंधों को खत्म कर देगा परंतु ऐसा नहीं हुआ और देश में खेलों के दौरान प्रतिबंध लागू रहे. उनके वर्तमान नियमों के तहत थोड़े समय के लिए यात्रा करने वाले यात्रियों को आवश्यक रूप से उनके एचआईवी स्थिति को बताना होगा तथा लंबे समय तक रुकने वाले यात्रियों को आवश्यक रूप से खून की जाँच करवानी होगी. और यदि वे एचआईवी-धनात्मक पाए जाते हैं तो उन्हें देश में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. डेन्से पैटर्सन जो थाइलैंड से चिट्ठा लिखते हैं, उनकी चीन में ओलंपिक के दौरान एड्स तथा अन्य बीमारियों से ग्रस्त पर्यटकों पर प्रतिबंध के बारे में टिप्पणी है : ” मानसिक तथा यौन रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों पर प्रतिबंध? यह तो बेहद हास्यास्पद है. यदि चीनी सरकार ये मानती है कि वो ओलंपिक को हर तरीके से नियंत्रित कर सकती है तो बड़े दुख की बात है कि वो गलत है… … विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2007 के आंकड़ो के अनुसार चीन में एचआईवी/एड्स संक्रमण की दर जनसंख्या का 2. 9% रही जो यह इंगित करती है कि प्रतिबंध कहीं कोई काम नहीं आ रहा. हालांकि चीन पर दबाव डाले जा रहे हैं और इस पर कुछ प्रतिक्रियाएँ भी हो रही हैं. चाइना डेली ने रपट दी है कि चीनी सरकार के बीमारी नियंत्रण व रोकथाम ब्यूरो के डिप्टी डायरेक्टर हाओ यांग ने एड्स 2008 में बताया कि दो दशकों से लागू एचआईवी/एड्स व्यक्तियों पर लागू यात्रा प्रतिबंध 2009 में हटा लिया जाएगा. परिवर्तन के लिए चीन अमरीका की राह पर चल रहा प्रतीत होता है. जुलाई में अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने एक निरस्ती विधेयक पर हस्ताक्षर किए जिसे अमरीका में एचआईवी-धनात्मक पर्यटकों, विद्यार्थियों तथा प्रवासियों के लिए प्रवेश पर प्रतिबंध को पूरी तरह से समाप्त करने के एक कदम के रूप में देखा गया है. हालांकि प्रतिबंध को पूरी तरह हटाने के लिए हेल्थ तथा ह्यूमन सर्विस (एचएचएस) विभाग द्वारा जारी प्रतिबंधित बीमारियों की सूची में एचआईवी का नाम अभी भी है जिसे आवश्यक रूप से हटाया जाना बाकी है. इस विधेयक के धनात्मक पक्षों के बारे में टूदसेंटर. कॉम पर केविनएफ लिखते हैं . “बहुत से एड्स विशेषज्ञ और कार्यकर्ता नए विधेयक का स्वागत कर रहे हैं. पहले लगाए गए प्रतिबंध ज्यादा बुरे प्रभाव डाल सकते थे – लोग अपनी एचआईवी स्थिति के बारे में झूठ बोलकर समस्या बढ़ा सकते थे. यह भेदभाव पूर्ण व्यवहार तथा झूठ को बढ़ावा भी देता था. क्रिस्टो ग्रेलिंग का एक वीडियो डेविड मुनार प्रस्तुत करते हैं जिसमें यह बताया गया है कि इस तरह के प्रतिबंध किस प्रकार से नुकसानदेह साबित होते हैं. लारा-के, जिन्होंने एड्स 2008 के युवा साइट के लिए चिट्ठा लिखा - चेतावनी देती हैं कि यूएस का निरस्ती विधेयक एक बड़ा कदम तो है, पर इसे अंतिम नहीं माना जाना चाहिये. “अब यह स्वास्थ्य सचिव के ऊपर है कि इन नए नियमों को लागू करें. संयुक्त राज्य अमरीका में आने वाले व्यक्तियों के लिए प्रतिबंधित बीमारी की सूची में से एचआईवी को हटा लिया जाना चाहिए. कांग्रेसी ली को पूरा भरोसा है कि इसे जल्द ही लागू कर दिया जाएगा. ” वो अपने एड्स 2008 प्रश्नोत्तर काल के दौरान हुए अपने अनुभवों के आधार पर बताती हैं कि इस तरह के यात्रा प्रतिबंधों ने एचआईवी पीड़ितों के लिए कितनी समस्या खड़ी की है. “एक व्यक्ति राज्य के विश्वासघात को व्यक्त करने आया कि किस तरह उसे प्रतिबंधों की वजह से एक नागरिक को देश से बाहर फेंक दिया गया. उसे व्यक्तिगत अनुभव था कि एक अमरीकी नागरिक कनाडा में अपने एचआईवी-धनात्मक जोड़ीदार के साथ रहता था. उसे प्रतिबंधों की वजह से मजबूर किया गया कि या तो वो अपना देश चुन ले या फिर अपना जोड़ीदार – क्योंकि उस एचआईवी-धनात्मक जोड़ीदार को अमरीका में प्रवेश नहीं दिया जा सकता. और इस समस्या से मुक्ति पाने में उसे 20 साल लग गए. रेड ट्रेवलिंग सूटकेस का फोटो tofutti break द्वारा फ्लिकर से. मिस्र : धार्मिक वर्ग-भेद का वीडियो गेम हाल ही में मुसलिम मैसाकर नाम का एक वीडियो गेम जारी किया गया है जिसमें खिलाड़ी नाना प्रकार के हथियारों का उपयोग करते हुए चाहे जितने मुसलमानों को मार सकता है जिसमें सर्वशक्तिमान अल्लाह भी शामिल है. जाहिर है, मिस्री चिट्ठाकारों ने त्वरित प्रतिक्रियाएँ दी हैं. जेनोबिया चेतावनी दे रहे हैं कि युवा पीढ़ी हिंसा को कुछ इस कदर अपना रही है कि वो दूसरे धर्मावलंबियों का नामोनिशान मिटा देने के काल्पनिक खेल में भी मजा ले रही है: क्योंकि इन खेलों को अंततः युवा पीढ़ी ही खेलेगी, और इस खेल के जरिए उनके जेहन में दूसरे धर्मों के प्रति इस कदर तक कड़वाहट भर दी जाएगी कि वे इस दुनिया में उनका नामोनिशान मिटाने के लिए खुलेआम कत्लेआम करने लगेंगे. हिंसा फैलाने का यह खूनी खेल का तरीका, हिंसा की संस्कृति को फैलाने के दूसरे पारंपरिक, खतरनाक तरीकों से कतई भिन्न नहीं है. आमतौर पर वीडियो खेल दिनों दिन खतरनाक होते जा रहे हैं- ग्रांड थैप्ट ऑटो ने उत्तरी अमरीका से लेकर एशिया तक अपराधों की वृद्धि में उत्प्रेरक का काम किया है. कुछ इसी तरह के विचार तारेक के भी हैं: यहाँ सवाल वीडियो गेम का नहीं है. सवाल है कि यह खेल आगे जाने कितने चैन रिएक्शनों को पैदा करेगा. मीडिया ने, कुछ हालिया परिस्थितियों ने और कुछ धार्मिक अतिवादियों के कृत्यों ने आम जनता के दिल में मुसलिम रूढ़िवादियों के प्रति घृणा घर कर रख दी है. और फिर डेनिश कार्टूनिस्ट और इस वीडियो गेम के सृजक जैसे लोग इस घृणा को मीडिया तथा अपने आसपास के लोगों के जरिए भुनाने के प्रयास कर रहे हैं. और मुझे नहीं लगता कि इस तरह का यह अंतहीन पाश कभी समाप्त भी होगा. हालांकि कुछ यथोचित समाचार पत्रों तथा टीवी चैनलों ने इस तरह की बातों पर लगाम कसने के लिए कुछ प्रयास हाल ही में किए हैं. परंतु फिर भी, ये तो उस जिन्न की तरह हो गया है जिसे आप एक बार बोतल से बाहर तो निकाल लेते हैं, परंतु उसे फिर किसी सूरत बोतल में वापस नहीं डाल सकते. पाकिस्तान : जरदारी के फ्लर्ट पर चिट्ठाकारों का रिएक्शन पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी हाल ही में न्यूयॉर्क में अमरीका की उप-राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार सारा पालिन से जब मिले तो उन्होंने बातचीत के दौरान सारा से फ्लर्ट करने वाले शब्दों का खुलकर प्रयोग किया. ऐसा लगा कि राजनीतिक मुलाकात के बजाए कोर्टशिप चल रही है. जरदारी ने सारा पर निम्न टिप्पणी की थी: “आप प्रत्यक्ष देखने में तो और भी खूबसूरत हैं . “अब मुझे समझ में आया कि सारा के पीछे सारा अमरीका दीवाना क्यों है ” जब एक फोटोग्राफर ने जरदारी से सारा से दोबारा हाथ मिलाने के लिए कहा, ताकि वो बढ़िया से फोटो ले सके, तो जरदारी ने कहा: “यदि वो कहे तो मैं आपका आलिंगन भी ले लूं . जाहिर है, पाकिस्तानी चिट्ठाकारों ने इसकी खूब आलोचना की. कुछेक ने इस पर जोक मारा तो कुछ गरियाए. आइए कुछ नजर मारते हैं: द पाकिस्तानी स्पेक्टेटर पर अल्ताफ़ खान लिखते हैं: अपनी दिवंगत पत्नी बेनजीर भुट्टों के प्रति गहरी संवेदना (मुर्दानी चेहरा बनाकर) दिखाने के तत्काल बाद आसिफ अली जरदारी अलास्का सुंदरी से मिले जो अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं. वैसे भी सारा को डेमोक्रेटों ने बार्बी डॉल की संज्ञा दे रखी है. सारा-जरदारी कांड ने राजनीतिक आलोचकों को बखेड़ा खड़ा करने का एक और मुद्दा दे दिया है. चौरंगी पर शाकिर लखानी बताते हैं कि राष्ट्रपति का व्यवहार इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ है: मुझे आश्चर्य है कि किसी इस्लामी गणतंत्र का राष्ट्रपति कैसे किसी ऐसी महिला को आलिंगन में लेने की सोच सकता है जिससे उसका निकट का रिश्ता नहीं है. परंतु जरदारी साहब ने कहा कि वो सारा का आलिंगन कर सकते हैं यदि उन्हें ऐसा करने को कहा जाए (जबकि फोटोग्राफर ने उन्हें सारा के साथ सिर्फ हाथ मिलाने के लिए कहा था ). टीथ मास्ट्रो पर डॉ. वैसे तो यह वही पूरी तरह से लिखी गई बातचीत प्रतीत होती है जैसा कि दुनियावी लोगों ने सारा पालिन और आसिफ जरदारी के मुलाकात से बहुत पहले भविष्यवाणी कर दी थी. पाकिस्तान के कट्टरपंथी धर्मांधों को तो जरदारी के किसी महिला के साथ हाथ मिलाने में भी आपत्तियाँ होंगी. पर, भले ही हम इसे स्वीकारें या नहीं, फ्लर्ट करने वाली टिप्पणियाँ पश्चिमी सभ्यता और परंपरा का हिस्सा बन चुकी हैं परंतु मेरे विचार में यह सब कैमरे के सामने नहीं होना चाहिए. यह बहुत संभव है कि सारा ने इसे प्रशंसा के भाव से लिया हो, परंतु यदि आप वीडियो फुटेज देखेंगे तो पाएंगे कि वो थोड़ी असहज तो हो रही थीं. अदनान सिद्दीकी ने जरदारी पर भड़ास निकाली: हमें जरदारी को धन्यवाद देना चाहिए… उन्होंने अमरीका के सामने पाकिस्तान का और खास तौर पर पाकिस्तानी पुरुषों का प्रतिनिधित्व किया. कल जब जरदारी सारा पालिन से मिले तो वे अपना आवेश खो बैठे और उन्होंने अपने सारे दांत (यह सुनिश्चित नहीं है कि वे असली हैं क्योंकि मैंने सुना है कि जब वे जेल में थे तो उनके सारे दांत तोड़ दिए गए थे) निपोर दिए इसके बाद उन्होंने सारा के सामने अपने प्यार का ऐसा भोंडा प्रदर्शन किया जैसा कि आम पाकिस्तानी आदमी करता. वहाँ मुलाकात के दौरान जरदारी ने बीबी के प्रति कोई शोक संवेदना नहीं जताई जैसा कि वो पाकिस्तान में प्रेस कॉन्फ्रेंसों में करते रहे हैं. भारत : वीडियो स्वयंसेवकों के जरिए सामुदायिक पत्रकारिता सामाजिक समस्या उठाने वाले समाचार व घटना प्रधान वीडियो को यह संस्था समुदाय के हजारों लाखों लोगों के बीच प्रदर्शित करती है, जिससे जन जागृति होती है और लोगों में कुछ कर गुजरने की भावना उभरती है. सामुदायिक वीडियो सामग्री जिसे सामुदायिक वीडियो स्वयंसेवकों द्वारा ही आमतौर पर तैयार किया जाता है, उसे प्रभावी तरीके से जन जन तक पहुँचाने का प्रयास ऑनलाइन वीडियो चैनल चैनल 19 द्वारा बखूबी किया जा रहा है. वीडियो स्वयंसेवकों द्वारा प्रस्तुत नीचे दिए गए ताजातरीन वीडियो में विश्व की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी में हड़ताल के बारे में हालात दर्ज हैं. इस हड़ताल के पीछे शासन का वह निर्णय है जिसके तहत प्रत्येक झुग्गीवासी को प्रति परिवार 400 वर्गफुट जमीन देने के पूर्व के वायदे से पलटकर अब सिर्फ 300 वर्गफुट जमीन दी जा रही है. ब्लैक डे इन धारावी नाम के इस वीडियो में पूरी कहानी दर्ज है. वीडियो स्वयंसेवकों द्वारा चैनल 19 के लिए बनाए गए अन्य वीडियो भी गहरी अंतर्दृष्टि युक्त व प्रेरक बन पड़े हैं. वीमन कैन प्ले टू ! नाम के वीडियो में सामुदायिक पत्रकारों ने झुग्गीवासियों से प्रश्न पूछा कि बच्चे यहाँ किस तरह खेल पाते हैं. पता चला कि लड़के तो भले ही खेल कूद लेते हैं, परंतु लड़कियाँ चौका-बर्तन में ही लगी रहती हैं. तो उन्होंने एक क्रिकेट खिलाड़िन से खेल के महत्व के बारे में बातचीत दर्ज की जिससे लड़कियों को भी खेल के महत्व के बारे में बताया जा सके, और वे भी कुछ प्रेरणा ले सकें. ऐसे ही एक अन्य वीडियो नेवर टू लेट टू टीच में कचरा बीनने वाली एक स्त्री की कहानी है जिसने अपना भविष्य बदलने का निर्णय किया और शिक्षिका बनने के लिए पढ़ना शुरू कर दिया. मिस्र : गूगल ब्लॉगर ने नवारा के ब्लॉग को प्रतिबंधित किया गूगल का ब्लॉगस्पॉट भी इस बैंडबाजे में शामिल हो गया लगता है, और वो भी धूमधड़ाके से. गूगल ब्लॉगस्पॉट ने नवारा नेगम के ब्लॉग (तहयीज ), पर बिना कारण बताए प्रतिबंध लगा दिया. नवारा … गूगल रीडर के आंकड़ों को मानें तो इस ब्लॉग पर प्रति सप्ताह 24. नवारा के अलावा और कौन इतनी संख्या में लाजवाब, विश्लेषणों और नए विचारों से भरपूर पोस्टें प्रकाशित कर सकता है भला? नवारा के पास अपनी अलग, विशिष्ट शैली है जिसमें वो गैर-पारंपरिक अरबी अपभाषा का भरपूर प्रयोग करती रही हैं. मुझे उम्मीद है कि उनका ब्लॉग यथा शीघ्र वापस आ जाएगा – ब्लॉगर पूरी जांच पड़ताल कर ले – उसे नवारा के लिखे में कुछ भी ऐसा नहीं मिलेगा जो गूगल-ब्लॉगर की सेवा शर्तों का उल्लंघन करता हो. परंतु तब तक के लिए हममें से हर किसी के मन में नवारा के ब्लॉग की वापसी का संदेह तो बना ही रहेगा. भारतः शादी के बाज़ार पर भी मंदी की मार उबेर देसी के मुताबिक विश्व के अनेक हिस्सों में अर्थव्यवस्था में सुस्ती का असर भारत में शादियों पर भी पड़ रहा है जहाँ अप्रवासी दुल्हों की माँग में भारी गिरावट आ रही है। नया बाँग्ला यूनिकोडित समाचार एग्रीगेटर ओन अ ट्रेल लेस ट्रैवल्ड ने एक नई साईट काशफूल का ज़िक्र किया है जो बाँग्लादेश व भारत से प्रकाशित बाँग्ला आनलाईन समाचार पत्रों से समाचारों की सुर्खियाँ दिखाता है। आर्मिनिया: संगीतप्रेमी प्रधानमंत्री अनजिप्पड ने स्थानीय चिट्ठाकारों और आर्मीनिया के नये प्रधानमंत्री के बीच हुई अनौपचारिक बातचीत का अंग्रेज़ी सारांश प्रकाशित किया है। अल्खिमिक तथा 517डिज़ाईन की प्रविष्टियों के हवाले से खुलासा किया गया है कि प्रधानमंत्री जी गिटार बजाना जानते हैं और कला केंद्रित फिल्में पसंद करते हैं। इन चिट्ठों में मुलाकात के कुछ चित्र भी प्रकाशित किये गये हैं। मेक्सिकोः यूट्यूब ने बढ़ाया मोची का कारोबार चित्रः इसा विलारियल. बोर्ड पर लिखा है, "यूट्यूब या गूगल पर खोजें शूशाईनर विथ टू ब्रशेज़" मेक्सिको स्थित मोंटेरे के मुख्य शहरी इलाके में एक मोची जुआन लुना बाकी मोचियों से काफी अलग हैं। एस्केबेडो और पाद्रे मियर के चौराहे पर एक छोटा बोर्ड राहगीरों का ध्यान आकर्षित करता है जिसमें उनसे यूट्यूब या गूगल पर "शूशाईनर विथ टू ब्रशेज़" नामक विडियो खोजने का आग्रह किया गया गया है। "यह मेरा ही आईडिया था", अपने ग्राहक के जूते चमकाते हुये वे बताते हैं, "ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिये पुराने रिवाज़ों को तोड़ता हुआ मेरा विज्ञापन"। जुआन खब्बू हैं, अपने दोनों हाथों में ब्रश थाम कर वे दोनों जूते एक साथ चमका लेते हैं। अपने काम के निरालेपन और अपनी काबलियत से वे वाकिफ हैं, वे पॉलिश में टेफ्लॉन मिला देते हैं ताकि जूतों से पानी और धूल दूर रहें। इससे जूते दो हफ्तों तक सुरक्षित रहते हैं। बावजूद इसके, जुआन दूसरों जितना ही पैसे लेते हैं। अपने यूट्यूब विडियो में आप उन्हें दो ब्रश इस्तेमाल करते देख सकते हैं, साथ ही वो चीज़ भी जो उन्हें रोज़ाना प्रोत्साहित करती हैः जो है उनके परिवार का फोटो। यह विडियो विगत छः महीनों से जाल पर है और मई 2008 से इसे अब तक 4500 से ज़्यादा बार देखा जा चुका है। जुआन पिछले दस सालों से यह काम कर रहे हैं पर कुछ महीनों पूर्व उन्होंने मोंटेरे में शादी करवाने वाली एक कंपनी से यह विडियो बनवाया। "मुझे इंटरनेट पर देखने के बाद कई और ग्राहक आने लगे हैं", वे कहते हैं। चाहे संयोगवश देखा हो या किसी की अनुशंसा पर, लोग उनका काम खुद अपनी आँखों से देखने के प्रलोभन से बच नहीं पा रहे। आम चुनावों में लगी जनता की पैनी नज़र यह पोस्ट ग्लोबल वॉइसेज़ पर 2009 के भारतीय चुनावों के विशेष कवरेज का एक हिस्सा है ज्यों ज्यों नवीन मीडिया औजार ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच बना रहे हैं, साधारण लोग भी अपना रुख और अपने इलाके की मौलिक खबरें मीडिया तक पहुंचा रहे हैं। ट्विटर और अन्य सिटिज़न मीडिया औजारों की बदौलत ढेरों जानकारी आजकल तुरत फुरत साझा कर दी जाती है। मुम्बई आतंकी हमलों के दौरान ट्विटर के द्वारा जिस तरह की रियल टाईम यानी ताज़ातरीन जानकारियाँ तुरत-फुरत मिलीं उनका भले ही कोई लेखागार न हो पर यह जानकारियाँ घटनाक्रम के समय सबके काम आईं। और, ऐसे में उशाहिदी के जरिए बहुत कुछ बदला जा सकता है। ‘उशाहिदी’ ("गवाह" के लिये स्वाहिली शब्द) एक ऐसा औजार है जिसका केन्या में 2008 के उत्तरार्ध में चुनाव के बाद हुई हिंसा की खबरों के आधार पर नक्शे बनाने के लिये किया गया। इससे स्थानीय पर्यवेक्षकों को अपने मोबाईल फोन या इंटरनेट द्वारा अपनी रपट दाखिल करने की विधि मिल सकी। इस जानकारी को स्थानीय कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों ने छांट कर इसका लेखागार निर्मित किया और संबंधित घटनाओं को एक जालस्थल पर जियोग्राफिकल मैशअप का प्रयोग करते हुए आम पाठकों के इस्तेमाल हेतु रखा गया। इसकी सफलता को देखते हुए, उशाहिदी को विश्व के अनेक स्थानों पर बाद में आपदा संबंधी खबरों की रपट देने वाले औजार के रूप में प्रयुक्त किया गया। एरिक हर्समेन , जो उशाहिदी प्रकल्प में शामिल बहुत से व्यक्तियों में से एक हैं, उशाहिदी द्वारा जानकारियों को छानने की प्रक्रिया के बारे में बताते हैं: छन्नी की क्राउडसोर्सिंग : आखिर ये काम कैसे करता है? एक अच्छी खबर ये है कि उशाहिदी मॉडल को भारत में भी काम में लिया जा रहा है। उशाहिदी इंजिन पर आधारित, जनता के सहयोग से प्रचालित, चुनावों पर नज़र रखने का एक मंच वोट रिपोर्ट इंडिया बनाया गया है जो भारत में होने जा रहे आम चुनावों पर नज़र रखेगा। एरिक हर्समेन लिखते हैं: उशाहिदी के हमने बहुत से प्रयोग देखे हैं, परंतु गौरव मिश्र द्वारा बनाए गए इस भारतीय प्रकल्प की बात कुछ अलग है। इसे बहुत ही व्यवस्थित बनाया गया है और इसमें ज्यादा से ज्यादा सामुदायिक इनपुट की गुंजाइश रखी गई है. ईमोक्ष, नाम के अ-विभाजन अ-लाभकारी संस्था जो कि जनता के सक्रिय भागीदारी और जानकारी के बल पर गणतंत्र को मजबूत बनाने के क्षेत्र में लगी है, के सेलवम वेलमुरुगन ने इसके तकनीकी हिस्सों को सजाया संवारा है. एक दिलचस्प बात ये है कि भारतीयों के पास पहले से ही ट्विटर जैसी एक सेवा एसएमएस गपशप है जिसके बहुत से चैनलों के लाखों पंजीकृति उपयोक्ता हैं। इसकी टोली देश के बड़े 8 शहरों के लिए (उदाहरण के लिए, वोटरिपोर्टमुम्बई, वोटरिपोर्टदिल्ली इत्यादि…) ट्विटर और एसएमएसगपशप पर अपडेट खाता बना रही है. फिर उपयोक्ता इन शहरों के चुनाव जानकारी संबंधी आरएसएस फीड को इन चार विकल्पों में से किसी एक को चुनकर अपने आप को उन संदेशों से बराबर सजग और सतर्क बनाए रख सकते हैं: ईमेल द्वारा, आरएसएस फीड द्वारा, ट्विटर पर एसएमएस द्वारा या एसएमएसगपशप द्वारा. वोट रिपोर्ट इंडिया के गौरव मिश्र जो कि ग्लोबल वॉइसेज़ के लेखक भी हैं , अपने ब्लॉग में लिखते हैं : मूलतः उपयोक्ता सीधे ही एसएमएस, ईमेल या वेब रपटों के जरिए चुनाव आयोग के मॉडल आचार संहिता (पीडीएफ़) के उल्लंघनों के बारे में बताते हैं. यह मंच फिर तमाम संसाधनों से प्राप्त इन समाचार रपटों, ब्लॉग पोस्टों, फोटो, वीडियो और ट्वीट को व्यवस्थित रूप से एक स्थल पर इंटरेक्टिव नक्शे पर जमा कर रखती है. हमें उम्मीद है कि वोट रिपोर्ट इंडिया भारतीय चुनावों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व बोध को बढ़ाने में सहायक तो होगी ही, साथ में चुनावों के दौरान जनता की आम राय के बारे में एक परिपूर्ण परिदृश्य गढ़ने में सहायक होगी। अपने पिछले पोस्ट में गौरव ने ट्विटर और उशाहिदी की तुलना की थी कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में मोबाइल नागरिक रपट औजार के रूप में इन दोनों में से बेहतर कौन हो सकता है. वोट रिपोर्ट इंडिया को कोई भी भारतीय निम्न चार तरीकों से रपट भेज सकता है: 5676785 को एसएमएस करके report@votereport. in को ईमेल भेज कर हैश टैग #votereport के साथ ट्विटर पर तथा ऑनलाइन इस वेब फार्म के जरिए यह पोस्ट ग्लोबल वॉइसेज़ पर 2009 के भारतीय चुनावों के विशेष कवरेज का एक हिस्सा है भारतीय चुनावों में सेलिब्रिटी शक्ति बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान मुम्बई की एक रैली में काँग्रेस के उम्मीदवार मिलिंद देवरा के लिये चुनाव प्रचार करते हुये चित्र: अल ज़जीरा, क्रियेटिव कॉमंस लायसेंस के तहत प्रयुक्त भारतीय फिल्म कलाकारों और फिल्मकारों का समाज पर खासा प्रभाव रहता है और डैनी बॉयल ने अपनी फ़िल्म स्लमडॉग मिलियनेयर ने इसे नाटकीय ढंग से दर्शाया भी (याद कीजिये टॉयलेट वाला दृश्य)। गौरतलब है कि मनोरंजन व्यवसाय, खास तौर पर मुम्बई स्थित हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री, की राजनीति में भागीदारी कम ही रही है, गिनती के सितारों और फिल्मकारों ही चुनाव प्रचारों में हिस्सा लेते रहे। पर इसका अपवाद था तमिलनाडु। यह विश्व का पहला ऐसा राज्य है जिसने फिल्मों का राजनीतिक उद्देश्यों के लिये दोहन 40 के दशक से ही प्रारंभ कर दिया था। 60वें दशक के उत्तरार्ध में राजनेताओं और तमिल फिल्म व्यवसाय के बीच इस रिश्ते को द्रविड़ मुनेत्र कड़घम (डीएमके) भुनाने में सफल रही। इस रिश्ते ने ही इस राज्य में पहली गैर काँग्रेसी सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त किया। तब से अब तक डीएमके के विभिन्न धड़े तमिलनाडु पर बारी बारी शासन कर चुके हैं। 80 के दशक तक तो राजनीतिक अखाड़े में कलाकारों की सतत अवाजाही चलती रही। कुछ मामलों में उन्होंने चुनाव जीते और राज्य में सरकारें भी बनाईं (मसलन, एन टी रामाराव ‌और आँध्रप्रदेश स्थित उनकी तेलगु देसम पार्टी), कुछ केंद्र सरकार के लिये भी चुने या नामित किये गये। 2009 चुनावों को देखें तो बॉलिवुड और तमिल व तेलगु फिल्म कलाकारों की चुनाव प्रचार में उपस्थिति भारी रही। तेलगु फिल्म अभिनेता चिरंजीवी ने आँध्रप्रदेश में एक नई राजनीतिक दल का गठन किया जबकि बॉलिवुड के संजय दत्त 1993 के मुम्बई बम धमाकों के मामलों मे अपने आपराधिक रिकार्ड के कारण टिकट पाने से वंचित रहे। तमिलनाडु में पूर्व मुख्यमंत्री और अभिनेत्री जयललिता पिछले चुनावों के पराजय के उपरांत पुनः मैदान में हैं। बॉलिवुड महानायक और चिट्ठाकार अमिताभ बच्चन आगामी चुनावों पर अपने विचार कुछ यूं व्यक्त करते हैं: चुनाव आने वाले हैं। विश्व के सबसे बड़े और फलते फूलते जनतंत्र के चुनाव। टीवी पर चुनावों की खबरों के अलावा और कुछ भी नहीं है। एक्ज़िट पोल और विश्लेषण, कौन कहाँ से जीतेगा और किसने किससे क्या और क्यों कहा। यहाँ तक की मीडिया हमसे जो सवाल पूछती है उसमें भी राजनीति पर सवाल भरे हुये होते हैं। दोस्त दुश्मन बन गये हैं और दुश्मन दोस्त बन चले हैं। खेल और हस्तकौशल जो सत्ता में आने की चाहत रखने वाला हर दल खेलता है। ताकि जीतें और अगले 5 साल तक सत्ता पर काबिज़ रहें। उनके लिये राजनीति कामोत्तेजक जैसी है, एक अक्सीर, जो उन्हें यह करने पर विवश करती है। बच्चन की पत्नी जया विगत पाँच सालों से सक्रिय राजनीति में हैं। क्या वजह है कि इतने फिल्म कलाकार अपने कामकाज छोड़ कर इन प्रचार रैलियों में हिस्सा लेते हैं? इंडियन इलेक्शन 2009 के गौरव शुक्ला ने शायद इसका जवाब खोज निकाला है। वे लिखते हैं : जो कलाकार राजनीति से अब तक अपना दामन बचाते रहे इस बार रैलियों में घूम रहे हैं। फिल्म व्यवसाय के विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बदलाव गत नवंबर मुम्बई पर हुये आतंकी हमलों ने लाया है। अमिताभ बच्चन, आमिर खान, जॉन अब्राहम, कमल हासन, राकेश ओमप्रकाश मेहरा, अनुराग कश्यप, श्रेया सरन, श्रुति हासन और सुश्मिता सेन इन लोगों में शामिल है। बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान ने एशोसियेशन फॉर डेमोक्रैटिक रिफॉर्म्स के लिये एक जनजागरण अभियान शुरु किया है जिसका जुमला है, "सच्चे को चुनें, अच्छे को चुनें"। इसके अलावा आमिर ने एक कदम और आगे बढ़ इस प्रचार के लिये विडियो और आडियो के निर्माण का काम खुद संभाला। ये विज्ञापन आमिर खान प्रॉडक्शन द्वारा मुफ्त में बनाये गये हैं। हिन्दी, मराठी, गुजराती, तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम, बांग्ला, असमिया और उड़िया भाषा में बनें इन इश्तहारों में प्रसून जोशी, राकेश मेहरा जैसे लोगहों ने मुफ्त में अपना योगदान दिया है। आमिर भारतीय वोटरों को याद दिलाते हैं कि वे सोच समझकर मतदान करें। वे लिखते हैं: सभी भारतीय के लियेः वोट देना न भूलें और सोच समझकर चुनें। यानि निर्णय लेने के पहले अपने इलाके के सारे उम्मीदवारों के बारे में दरियाफ्त कर लें। खान वैसे मोन्टाना में छुट्टियाँ मना रहे हैं पर खबर है कि 30 अप्रेल को वोट डालने के लिये वे मुम्बई वापस आयेंगे। आमिर के अलावा अनेक बॉलिवुड अभिनेताओं ने चुनाव के बारे में जागरूकता फैलाने वाले कार्यक्रमों में हिस्सेदारी की है। इनमें शायद सबसे महत्वपूर्ण अभियान "जागो रे" है। इस मुनाफा रहित संस्था ने अनेक संक्षिप्त विडियोज़ का निर्माण किया है। इनमें से एक में अभिनेत्री सोनम कपूर कहती हैं कि भारतीय मतदाता की औसत उम्र 23 साल है जबकि एक कैबिनेट मिनिस्टर की औसत उम्र 62 साल की है। या राकेश मेहरा निर्मित यह विडियो देखें जहाँ वे बताते हैं कि राजस्थान में एक नेता महज़ एक वोट से चुनाव जीत गये थे। यह पोस्ट ग्लोबल वॉइसेज़ पर 2009 के भारतीय चुनावों के विशेष कवरेज का एक हिस्सा है चुनावों पर भौगोलिक मैशअप मैपमाईइंडिया ने भारतीय मतदाताओं के लिये एक सेवा शुरु की है जिसके द्वारा वे आगामी लोकसभा चुनावों में सही मत देने हेतु जानकारी पा सकें। इस जालस्थल पर मतदाता अपने मतदान क्षेत्र के बारें में विस्तृत जानकारी पा सकते हैं जिसमें पार्टी और उनके प्रत्याशियों का लेखाजोखा सम्मिलित है। पाकिस्तान में SMS सेवायें प्रतिबंधित होंगी जज़्बा ब्लॉग ने खबर दी है कि पाकिस्तान सरकार एसएमएस सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने का मन बना रही है ताकि इसका प्रयोग आतंकवादी हमलों के लिये न किया जा सके। देश में इस समय 70 फीसदी लोग मोबाइल फ़ोन का उपयोग करते हैं जिनमें एसएमएस संदेशों के उपभोक्ता शामिल हैं। बांग्लादेशः नववर्ष का उल्लास एन आर्डिनेरी सिटिज़न ने बांग्लादेश में बांग्ला नववर्ष पोएला बोइशाख के पारंपरिक उत्सव और सांस्कृतिक धरोहर के बारे में पोस्ट लिखी है। अप्रवासी भारतियों का मतदान अधिकार लॉ एंड अदर थिंग्स चिट्ठे ने विदेशों में काम कर रहे या पढ़ रहे भारतियों को मतदान का अधिकार देने के कानूनी पक्ष की चर्चा करते हुये लिखा है, "इन्हें मतदान का अधिकार देने से उन्हें राजनीतिक रूप से सक्रीय बनाये रखने में मदद मिलेगी। साथ यह भी एहसास भी मिलेगा कि उनका अपने देश के भविष्य निर्माण में योगदान है। आम चुनाव 2009: कुछ तथ्य, कुछ मिथक आज, यानी 16 अप्रेल 2009 को, भारत में आम चुनाव के पहले दौर की शुरुवात होगी और यह सिलिसिला 13 मई, 2009 तक चलेगा। 1947 में प्राप्त आजादी के बाद यह भारत का 15वां आम चुनाव है। 10 लाख से ज़्यादा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें भारत की जनसंख्या में से 71 करोड़ 40 लाख लोग मतदान कर सकते हैं। देश भर में तकरीबन 13 लाख 68 हज़ार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें तैनात की गई हैं। मतदान क्षेत्रों का नवीनीकरण शायद यह पहली बार है जब कुछ राज्यों में जिलों का नवीनीकरण किया गया ताकि उनकी शहरी अबादी को सही प्रतिनिधित्व मिल सके। कर्नाटक, खास तौर में बंगलौर में, इस तरह के मामले हैं जहाँ जिलों के नवीनीकरण के फलस्वरूप शहरी क्षेत्रों में सीटों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में बढ़ी हैं। 4 करोड़ अधिक मतदाता भारत की जनसंख्या 100 करोड़ है और 60 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम आयुवर्ग की है। इसीलिये सोची समझी नीति के तहत मीडिया के द्वारा इस युवा वर्ग तक पहुंच बनाने की कोशिश राजनीतिक दलों ने की है। इस बार चुनाव प्रचार और मतदाता जागरण अभियानों में फिल्मी सितारों और फिल्मकारों की भागीदारी भी अधिक रही है। एक मीडिया रपट के मुताबिक 2994 में संपन्न पिछले चुनाव के मुकाबले इन आम चुनावों में 4 करोड़ नये मतदाता जुड़े हैं। आनलाईन जानकारी की बाढ़ इस बार के आम चुनाव में जो बात स्पष्ट रूप से अलग है वो है विभिन्न मीडिया चैनलों और भाषाओं में वोटरों के लिये उपलब्ध जानकारी की मात्रा। उदाहरण के तौर पर याहू और गूगल जैसे बड़े संस्थानों ने नक्शों के आकर्षक मैशअप, विडियो, आडियो और जानकारी युक्त खास साईटों का निर्माण किया। मुख्यधारा के मीडिया ने अपने आनलाइन, ब्रॉडकास्ट और प्रिंट संस्करणों के लिये चुनावों पर खास सामग्री का संयोजन किया है। और सर्वव्यापी मोबाईल फ़ोन तो है ही जिसका विभिन्न राजनैतिक दल एसएमएस या वॉयेस संदेश भेजकर चुनाव प्रचार हेतु दोहन कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने भी मतदाताओं के लिये अनेक जानकारियाँ अपने जालसथल पर रखी हैं, मतदान के लिये पंजीकरण कैसे करायें से लेकर आम चुनाव में अयोग्य ठहराये गये उम्मीदवारों की सूची तक। एक हज़ार से अधिक राजनैतिक दल मैदान में चुनाव आयोग के मुताबिक 1000 से ज्यादा दल स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ रहे हैं। आयोग द्वारा जारी सूची में सभी दल और उनके चुनाव चिन्ह तो हैं ही, पतंग, प्रेशक कुकर, केतली जैसे ऐसे चुनाव चिन्ह भी शामिल किये गये हैं जो फिलहाल किसी दल द्वारा प्रयोग नहीं किये जाते, पर किये जा सकते हैं। आयोग द्वारा जारी 333 पृष्ठों की एक सूची में 3423 ऐसे प्रत्याशियों के नाम हैं जिन्हें आयोग ने अयोग्य ठहराते हुये उनके चुनाव में भाग लेने पर रोक लगा दी है। एक अन्य जालस्थल नो क्रिमिनल्स में मतदाताओं को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों के बारे में जानकारी दी गई है। एक खबर के मुकाबिक काँग्रेस पार्टी में सबसे अधिक धनी राजनेता हैं, कुल 121 सदस्य। मिथक व पूर्वानुमान भारतीय मतदाताओं के बारे में कई मिथक विगत कई वर्षों से विद्यमान हैं। चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव ने बीबीसी पर अपने लेख में कुछ मिथकों को तोड़ा है। एक मिथक यह कि भारतीय महिलायें पुरुषों की तुलना में ज्यादा मतदान करती हैं। यह भी कि अपने पति की बात सुनकर वोट डालने वाली औरतों की संख्या में कमी आई है। पर वे मानते हैं कि भारतीय महिलायें अब भी वोट डालने का मामले में अपने पति के पदचिन्हों पर चलना पसंद करती हैं। युवा वोटरों पर यादव लिखते हैं कोई प्रमाण नहीं है जिससे यह पता चले कि भारतीय युवा दूसरों की तुलना में राजनैतिक रूप से अधिक सक्रिय हैं। बल्कि तुलनात्मक रूप से वे कम सक्रिय होते हैं क्योंकि उनके जीवन में नौकरी की दौड़भाग जैसी अन्य चिंतायें काबिज़ रहती हैं। एक मिथक जो यादव ने नहीं तोड़ा वो है राजनेताओं और चुवा परिणामों पर ज्योतिष और ज्योतिषियों के प्रभाव की भूमिका। अभी से ही भविष्यवाणियाँ की जाने लगी हैं की इस चुनाव में भी स्पष्ट बहुमत के अभाव में त्रिशंकु संसद बनेगी। क्या वे ओपिनियन पोल के आधार पर यह कह रहे हैं? आप क्या सोचते हैं? दुनिया भर से लोरियाँ, अरोरो में अर्जेंटीना की एक कलाकार ग़ैबरीला गोल्डर ने अरोरो नामक परियोजना के तहत एक बीड़ा उठाया है, दुनिया भर से लोरियाँ खोज कर उन्हें रिकार्ड व संग्रहित करने का। राईसिंग वॉयसेज़ के निदेशक डेविड ससाकी ने 80+1 वेबसाईट पर ग़ैबरीला का साक्षात्कार रिकार्ड तो किया ही साथ ही ग्लोबल वॉयसेज़ के लेखकों और संपादकों को बचपन में सुनी लोरियाँ गा कर रिकार्ड करने की प्रेरणा भी दी। डेविड लिखते हैं: मैं ब्यूनस आयर्स के सैन टेल्मो इलाके में गोल्डर के साथ बैठा तो यह पता लगा कि 200 विडियो तो बनाये भी जा चुके हैं। और यह भी कि अगले दो महीनों में परियोजना की दिशा क्या होगी। परियोजना के अंतिम चरण में ब्यूनस आयर्स व लिंज़ में एक साथ प्रदर्शनी लगाने का कार्यक्रम है। लोरी परियोजना से प्रभावित होकर डेविड ने "स्विंग लो, स्वीट चैरियट" लोरी गाते हुये खुद को रिकार्ड भी किया जिसे गाकर उनके माता पिता उन्हें सुलाया करते थे। डरावने गीत पर मधुर संगीत वाली एक और लोरी है शिमाबारा, जिसका मतलब कुछ ऐसा ह "मैं बहुत गरीब और अनाकर्षक हूँ, मुझे कौन खरीदेगा. . सो जाओ नहीं तो बच्चे पकड़ने वाला तुम्हें उठा ले जायेगा. उरुनबाई" हम सभी लेखों व संपादकों का शुक्रिया अदा करते हैं जिन्होंने अपने बचपन की इन स्मृतियों को साझा किया। आपको यह लेख कैसा लगा? यदि अच्छा लगा तो इंतज़ार कीजिये, भाग 2 लेकर हम जल्द उपस्थित होंगे। महिला सुरक्षा स्वंसेवक क्या भारत में बलात्कार को रोकने का उचित उत्तर हैं? 22 अगस्त 2013 को मुंबई, भारत में, एक पत्रिका के लिए फोटो पत्रकार के रूप में काम कर रही एक 22 वर्षीय प्रशिक्षु के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। इससे वह युवती बुरी तरह घायल हो गयी और उसे अस्पताल में भर्ती कर उसकी शस्त्रक्रिया करनी पड़ी। डाक्टरों के अनुसार लड़की की हालत अब स्थिर बताई जा रही है। बलात्कार कांड से संबंधित पांचो संदिग्ध को गिरफ्तार किया जा चुका है। दिसंबर 2012 मे हुए दिल्ली के सामूहिक बलात्कार के मामले की तरह कल की घटना ने भी राष्ट्रव्यापी आक्रोश और खलबली मचा दी है। सारा देश एक नए सिरे से समाधान की खोज में जुटा हुआ है। मुख्यधारा और सामाजिक मीडिया इन बलात्कारों को रोकने के तरीकों पर विचार विमर्श कर रही है। नेहा संघवी (@nehasanghvi) ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा: “भरे दिन के उजाले में, वह भी मुंबई शहर मे, एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के बारे में सुनने के बाद बहुत भयानक लग रहा है। यह शर्म की बात है। “ ब्लॉग एक्शन दिवस का विषय: मानवाधिकार ब्लॉग एक्शन दिवस पर सन 2007 से ही दुनिया भर के ब्लॉगर्स को "कलम उठाने" की प्रेरणा मिलती है: एक दिन, एक विषय, हज़ारों स्वर। इस वर्ष का विषय है मानवाधिकार - और तारीख है 16 अक्टूबर। इस संयुक्त प्रयास के अंतर्गत ब्लॉगर्स, पॉडकास्टर्स और अन्य लोग इस महत्वपूर्ण वैश्विक विषय पर लिखेंगे - और मानवाधिकारों की महत्ता बताने का इससे अच्छा तरीका और क्या हो सकता है कि उन अधिकारों में से एक का उपयोग किया जाए: "प्रत्येक को स्वतंत्र राय रखने का और अभिव्यक्ति का अधिकार है" (मानवाधिकार घोषणापत्र, अनुच्छेद 20)। ग्लोबल वॉइसेस पर हम अक्सर मानवाधिकारों पर चर्चा करते हैं, विशेषकर ऑनलाइन सेंसरशिप, निगरानी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर। हम इस दिन की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं जिसे एक ऐसे विषय पर सोचने और चर्चा करने के लिये समर्पित किया गया है जिसकी प्रासंगिकता कभी खत्म होती नहीं दिखाई देती। अब तक 14 देशों से 1,377 ब्लॉग्स ने ब्लॉग एक्शन दिवस के लिये रजिस्टर किया है। आज ही अपने ब्लॉग को रजिस्टर कराएं, और वैश्विक संवाद में हिस्सा लें! इस वर्ष के टैग्स हैं #BAD13, #HumanRights, #Oct16। हमेशा की तरह ही हम ग्लोबल वॉइसेस के विश्वभर में फैले लेखकों के योगदानों की सूची जारी करेंगे - यहां आते रहिये! भारत: मरीजों को लुभाने के लिए अस्पतालों में "हैप्पी ऑवर्स" कामायनी जो क्रैकभीजिट की है बतलाती है कि "हैप्पी ऑवर्स डिस्काउंट कन्शेप्ट" की अवधारणा जो बार, रेस्तरां और मल्टीप्लेक्स भर में लोकप्रिय है, अब भारतीय स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में बढ़ रहा है। बंगलौर स्थित एक निजी अस्पताल ने हाल ही में 30-75% तक छूट की पेशकश कम व्यस्त घंटो में करके नैदानिक, रेडियोलोजी (विकिरण चिकित्सा), और परामर्श सहित महत्वपूर्ण सेवाओं पर इसे शुरू कर दिया है। अन्य प्रमुख अस्पतालो की श्रृंखलाएँ जल्द ही इसका पालन करने के लिए तैयारी कर रहे हैं। बंग्लादेश में दक्षिण एशिया के सॅूस का संरक्षण मनीस दत्ता, जो ईडीजीई फेलो हैं, बंग्लादेश में दक्षिण एशिया के नदीओं में रहने वाली सॅूस(डॉल्फिन) को अनेक खतरों से बचाने के लिेए काम कर रहे हैं। एक ब्लौग में वे स्पष्ट करते हैं कि समुद्रतट पर रहने वाले लोगों का एक बड़ा हिस्सा यह नहीं जानता है कि यह सॅूस की एक प्रजाती है और इसे मछली की तरह मारना या इसका उपभोग नहीं करना है। हैती मे भूख क्यों – जब 1995 और 2010 के भूकंप के दौरान कम से कम एक अरब अमेरिकी डॉलर की खाद्य सहायता देश को मिली है - भूखमरी बढ़ रही है? हैती ग्रासरूट्स वाच "शिकायतों, दुरूपयोग की अफवाहों, दुरूपयोग या खाद्य सहायता के नकारात्मक प्रभावों के बारे मे" जाँच करते हैं। लीमा 2019 में पैन अमेरिकी खेलो की मेजबानी करेगा पेरू की राजधानी लीमा को, चीली के सैनटियागो, अर्जेटिना के ला पुंटा और वेनेजुएला के सियुडैड बोलिवर के मुकाबले 31 मतो से 2019 के पैन अमेरिकी खेलो , के मेजबान शहर के रूप मे चुन लिया गया है। ट्वीटर पर कुछ लोग इस समाचार से खुश थे, जैसे नेल्सन पेन्ह्रेरा सी: बहुत खुश हूँ कि 2019 के पैन अमेरिकी खेल लीमा में होगें। चलो तैयार हो जाते हैं! लेकिन संशय भी थे: ये इसका बड़ा हौआ बना रहे हैं जैसे कि कोई वास्तव मे पैन अमेरिकी खेलों पर निगाह रखता हो। कंबोडिया मे 'वर्ल्ड हैबिटैट डे' समारोह Protesters decry land rights violations in Cambodia. Photo from Facebook of Licadho500 से अधिक कंबोडियाई लोगो ने वर्ल्ड हैबिटैट डे के अवसर पर फोनम पेन्ह मे एक विरोध मार्च समारोह मे भाग लिया ताकि वे देश मे हो रहे बलपूर्वक निष्कासन और जमीन विवादो को प्रमुखता से उठा सकें। थाईलैंड शार्क संरक्षण परियोजना थाईलैंड मे शार्क दिखाई देने की घटनाओ में 95 प्रतिशत कमी प्रकाश मे आने के बाद ई-शार्क परियोजना का शुभारंभ थाईलैंड मे किया गया है। थाईलैंड की ई-शार्क परियोजना का इस्तेमाल थाईलैंड मे शार्क की घटती संख्या के बारे मे जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जाएगा। जापान: समुच्चय आंधी जानकारी पर ओपेनस्ट्रीटमैप(खुली सड़क का नक्शा) A screenshot of OpenStreetMap for Izu Oshima island. ओपेनस्ट्रीटमैप(खुली सड़क का नक्शा) के उपयोगकर्ताओं ने, इज़ू ओशिमा द्वीप ,टोक्यो के दक्षिण में एक छोटे से द्वीप, जहां इस हफ्ते की घातक आंधी वीफा के आने से मिट्टी धसकने से एक दर्जन से अधिक लोग मारे गए थे, के संकट का नक्शा स्वेच्छा से बनाने के लिए अपने समय का इस्तेमाल किया। नक्शे पर लाल निशान आपदा राहत, अवरुद्ध सड़कों, और पानी की आपूर्ति के बारे में जानकारी देने के लिए उपयोगकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत रपट का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत में महिलाएँ कैसे सुरक्षित रह सकती हैं। भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहा है। लेखिका और ब्लॉगर शिल्पा गर्ग महिलाओं को सतर्क और सुरक्षित रहने के लिए कुछ सुझाव देती हैं। तिपाईमुख बांध — प्रकृति और स्थानीय संस्कृति के लिए खतरा भारतीय राज्य मणिपुर में बाढ़ नियंत्रण और पनबिजली उत्पादन के लिए, तिपाईमुख बांध की योजना बनाई गई है। लेकिन, इन सर्च फार ग्रीनर पास्चर्स ब्लॉग रपट करता है कि इस बांध से जलवायु में गंभीर परिवर्तन को बढ़ावा मिलेगा और पड़ोसी बांग्लादेश सहित नदी तट के निचले क्षेत्रों में रहने वाले 20 लाख से अधिक लोगों की आजीविका को प्रभावित करेगा और साथ ही इससे तापमान में परिवर्तन को भी बढ़ावा मिलेगा। चीन में डेटिंग करने पर तीन सबक स्पीकींग फ्राम चायना की जॉसलीन इकेनबर्ग ने सांस्कृतिक बेड़ी को पार कर डेटिंग करने के अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने जो तीन सबक सीखे, वे हैं: 1. शब्दों से ज्यादा आपके कार्य मायने रखते हैं; 2. अतीत के रिश्तो को अतीत में ही रहने दें; और 3. माता पिता से मिलना मुश्किल हो जाता है। विडियो: "नो वुमन, नो ड्राईव" स्तब्ध सउदी अरब सउदी अरब के कार्यकर्ताओं ने 26 अक्टूबर को देश में महिलाओं के गाड़ी चलाने पर प्रतिबंध के विरोध में प्रदर्शन किया। जब सामाजिक तंत्र महिलाओं के गाड़ी चलाने के समाचार के बारे में रपट की बढ़ती संख्या के बारे में बातें कर रहा था तब बॉब मार्ले का शानदार पुनःनिर्मित "नो वुमन, नो ड्राईव" बहादुर औरत द्वारा दकिनूस लिंगभेदी विधेयक और छद्म वैज्ञानिक औचित्य के आड़ में स्वतंत्रता का आनंद लेने से निषिद्ध किए जाने को ललकारने के समर्थन में प्रकाश की गति से फैल गया: विडियो: सउदी आदमी ने "बीबी से बात करने पर" कामगार की पिटाई की एक विदेशी कामगार की पिटाई और अपमान करते दिखाने वाला विडियो ऑनलाईन सुर्खियाँ बटोर रहा है। दक्षिण एशियाई कामगार को बीबी से बात करने के आरोप में सउदी व्यक्ति द्वारा उसे गाली देते हुए बार बार थप्पड़ मारने का विडियो है। उस पर थूकते हुए उसे उसने जानवर और कुत्ते का बच्चा कहा। उसके बाद उसने कामगार पर लात घूसे बरसाए और कोड़े मारे जिससे उसकी दर्द से कराहती आवाज सुनाई पड़ रही है। ट्वीटर पर, नेटिजन ने आक्रोश के साथ विडियो पर प्रतिक्रिया दी। अहमद शाबरी लिखते हैं:सऊदी में प्रवासी श्रमिकों के खिलाफ हिंसा अब बराबर होती है। प्रायोजित करने वाली प्रणाली "हिंसा के लिए दरवाजे खोलती है। " मध्य पूर्व मे घरेलू श्रमिक जो अधिकतर एशिया और अफ्रिका से हैं के बारे मे ह्यूमन राइट्स वॉच, IDWN, और ITUC ने जो दस्तावेज तैयार किया है, उसके अनुसार दुर्व्यवहारो की एक विस्तृत श्रृंखला जिसमे बकाया मजदूरी, जहाँ वे काम करते हैं उस घर को छोड़ने पर प्रतिबंध, बिना विश्राम के कार्य के अधिक घंटे शामिल है, का अनुभव अधिकांश श्रमिकों ने किया है। कुछ मनोवैज्ञानिक, शारीरिक या यौन उत्पीड़न का सामना करते हैं, बेगार की स्थितियों में फंसते हैं और उनका अवैध व्यापार किया जा सकता है। रपट आगे कहती है: मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र में लगभग हर देश ने श्रम कानूनों की सुरक्षा में घरेलू श्रमिकों को शामिल नहीं किया है और उनपर प्रायोजन या काफला प्रणाली के तहत उनके नियोक्ताओ को उन पर नियंत्रण के लिए अत्यधिक शक्ति देने के अलावा अपने यहाँ प्रतिबंधात्मक आव्रजन नियमों को लागू किया है। मालद्वीव में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति मालद्वीव उन देशों में की सूची में उपर है जहाँ की सरकारे धार्मिक स्वतंत्रता नहीं देती हैं। मालद्वीव के नागरिकों का मुस्लमान होना आवश्यक है और वे इस्लाम के अलावे किसी और धर्म को नहीं अपना सकते। गैर मुस्लमान विदेशी वोट नहीं कर सकते, सार्वजनिक रूप से पूजा नहीं कर सकते, नागरिकता नहीं हासिल सकते और किसी सरकारी ओहदे पर काबिज़ नहीं हो सकते। पत्रकार हिल्थ रशीद बताते हैं कि मालद्वीव में शायद अगले 50 वर्षों तक धार्मिक स्वतंत्रता नहीं मिल सकती जबतक की नई पीढ़ी के मालद्वीव के नागरिकों के विचारों में परिवर्तन नहीं होता है। युवा रोमानियन ने पूरी तरह से लेगो टुकड़ो से बनी पहली गाड़ी/कार बनाई रोमानिया के 20 वर्ष के रॉल ऑयडा ने ऐसी वस्तु बनाई है जिसके बारे में बच्चे सिर्फ सपना देख सकते हैं। 500,000 लेगो टुकड़ो से इंजिन सहित पूरी गाड़ी बनाई गई है जो वास्तव में दौड़ती है। यह गाड़ी अधिकतम 20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति हासिल कर सकती है लेकिन — यह गाड़ी ईधन के रुप में हवा का प्रयोग करती है! इस युवा कुशाग्रबुद्धि स्वयं सीखने वाले प्रतिभाशाली रोमानियाई ने ऑस्ट्रेलियन उद्यमी स्टीव सामार्टिनो के साथ ऑनलाइन मिल कर इस परियोजना के लिए ट्वीटर पर धन जुटाया और ज़रुरत से दुगना निवेशको को कुछ दिनों मे पा लिया। गाड़ी रोमानिया में बना कर ऑसट्रेलिया लाई गई, जहाँ दोनों असंभावित भागीदार इसे चला कर परीक्षण करने के लिए पहली बार मिलें। गाड़ी का इंजन पूरी तरह लेगो से बनाया गया है। इसमें “चार कक्षीय इंजन और कुल 256 पिस्टन है। ” परियोजना की वेबसाईट के अनुसार इसकी अधिकतम गति 20 से 30 किलोमीटर होने से यह अधिक आकर्षक नहीं है। बनाने वालों ने लिखा "हम लेगो में विस्फोट की आशंका से डर गए थे, इसलिए हमने गाड़ी धीरे धीरे चलाई। " स्टीव और ऑयडा कहते हैं कि यह परियोजना अंतर्जाल के कारण संभव हो सकी। दोनों ऑनलाइन मिलें जब स्टीव ने ऑयडा के स्काइप अनुरोध को मान लिया। “मैं उसको व्यापार के बारे में पढ़ाता हूँ और वह मुझे भौतिकी के बारे में थोड़ा पढ़ा रहा है। सउदी अरब ने फिलिस्तिनी कवि को "नास्तिकता और लम्बे बालों" के कारण जेल में बंद किया फायध के समर्थन में सउदी कलाकार अहमद माटेर ने इस तस्वीर को ट्वीटर पर साझा किया फिलस्तीन के कवि अशरफ फयध नास्तिकता फैलाने और लम्बे बाल रखने के कारण सउदी जेल में हैं। सउदी अरब में पले-बढ़े कवि को पाँच महीने पहले उस समय गिरफ्तार कर लिया गया जब एक पाठक ने यह कहते हुए उनके विरुद्ध शिकायत की कि उनके कविताओं में अनीश्वरवादी विचार हैं। आरोप सिद्ध नहीं होने पर उन्हें छोड़ देने के बाद फिर से 1 जनवरी 2014 को गिरफ्तार कर लिया गया। मीडिया और सामाजिक संजाल पर फयध का मामला सुर्खियों में है और पूरे क्षेत्र के सउदी लेखको की भर्त्सना बटोर रहा है। उनके कुछ मित्रो ने ऑनलाइन लिखा कि उनकी गिरफ्तारी का वास्तविक कारण पाँच माह पहले आभा की धार्मिक पुलिस द्वारा एक युवक की कोड़े से सार्वजनिक पिटाई का विडियो बनाया जाना हो सकता है। अभी कवि किसी आरोप या आगामी मुकदमे के विवरण के बिना हीं जेल में है। नीचे दी गई सउदी अरब के लेखक, कलाकार और अन्य लोगों की भर्त्सना करती प्रतिक्रियाएं, उनके साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए उनके मामले को स्पष्ट करती हैं। @MohammdaLahamdl: अशरफ फयध की गिरफ्तारी इस बात की घोषणा है कि "हम उस स्थिति में आ गए है जिस स्थिति में यूरोप अंधकार युग में था। @WhiteTulip01: क्या आप सोचते हैं कि आपका विश्वास उस समय वास्तविक है जब आप यह सोचते हैं कि ईश्वर को परेशान किया जा सकता है! @MusabUK: अशरफ फयध को नास्तिकता के लिए गिरफ्तार किया गया है। क्या नास्तिकता जुर्म है? क्या विश्वास थोपा जाता है? यह ऐसा है जैसे कि हम मान लें कि आरोप सत्य है। @b_khlil: सिर्फ कवि होने के कारण अशरफ फयध को गिरफ्तार कर अपराधियों और हत्यारो के साथ रखा गया है, यह बताता है कि सामान्य जन और शासन व्यवस्था दोनों रुप में न्याय पर हमारा विशेषाधिकार है। @turkiaz: कवि और कलाकार अशरफ फयध को नास्तिकता और लम्बे बाल रखने के जुर्म सहित 15 आरोपो में जेल में बंद कर दिया गया है। क्यों? क्योंकि उसने धार्मिक पुलिस द्वारा एक युवक को सार्वजनिक रुप से कोड़े मारते समय का फिल्म बनाया था। @AhmedMater: अपनी मिडिया को: क्या हमें इंतज़ार करना चाहिए? कुछ पेशेवर होने से काम हो जाएगा। अशरफ फयध का मामला जल्दी ही अंतर्राट्रीय मीडिया के मुख्य पृष्ठ पर होने जा रहा है। @mohkheder: जब जाँचकर्ता अशरफ फयध पर कोई आरोप सिद्ध नहीं कर पाया तब उसने पूछना शुरु किया कि तुम धूम्रपान क्यों करते हो और तुम्हारे बाल लम्बे क्यों हैं। NSA की निगरानी पर कार्टून जमा कर $1000 का ईनाम जीते - NSA की निगरानी पर कार्टून जमा कर $1000 का ईनाम जीते Commander Keith Alexander on the bridge" Cartoon shared by DonkeyHotey (CC BY-SA 2. कलाकार, रचनात्मक लोग और कार्टूनिस्टों को जुड़ने के लिए द वेव वी वांट(The Web We Want) आमंत्रित करता है। ऑनलाइन निगरानी और निजता के अधिकार के बारे में एक मूल कार्टून बनाकर हम 11 फरवरी 2014 के दिन हम लड़ने के लिए लौटें। कार्टून बड़े पैमाने पर डिजिटल निगरानी के बारें जवाबदेही तय करने तथा NSA के बारे में जागरुकता बढ़ाने के बारे इस प्रकार होनी चाहिए कि लोग उसे क्लिक करने के साथ साथ उसे साझा भी करें। कार्टून जमा करने की अंतिम तिथि 8 फरवरी है। इनाम: प्रथम स्थान: USD $1000 दूसरा स्थान: USD $500 तीसरा स्थान: USD $250 नियम: 1. कोई भी भाग ले सकता है। 2. कार्य जमा करने पर लेखक यह सहमति देता है कि कार्य क्रिएटिव कॉमनस् 4. एक लेखक द्वारा अनेक कार्टून जमा किए जा सकते हैं। 3. कार्य को लेखक आपना नाम या छद्म नाम देगा। जितने वाले को निजी जानकारी देनी होगी, लेकिन उनका वास्तिक नाम उनके अनुरोध पर गुप्त रखा जाएगा। 4. विजेता का नाम 11 फरवरी 2014 को घोषित किया जाएगा। विजेता का चयन द वेब वी वांट की कार्यकारी समिति द्वारा किया जाएगा। 5. विजेता की घोषणा के 30 दिन के अंदर इनाम विजेता को हस्तांतित कर दिया जाएगा। जमा करना: 1. ईमेल द्वारा: grants@webfoundation. org को अपना हाई डिफिनेशन, . उसका विषय लिखें : 8 फरवरी तक कार्टून। 2. 3. अपनी नागरिकता और मूलनिवास के बारे में जानकारी देना ऐच्छिक है, लेकिन देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। हमारी नई वेबसाईट की जाँच में मदद करें: जीतें एक टी-शर्ट हम ग्लोबल वॉयसेस वेबसाईट की नई रुपरेखा बना रहें हैं। हम इस पर आपकी सहायता चाहते हैं कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं। हम अपने सभी दोस्तों, पाठकों और सहयोगकर्ताओं से सुनना चाहते हैं। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के मानव केन्द्रित डिज़ाईन कार्यक्रम के छात्र ग्लोबल वायस का प्रयोग करके, अद्धयन विषय, अति प्रयोगिक जाँच प्रक्रिया कार्यक्रम (HCDE), के लिए तीन अलग- अलग समूह में विभक्त होकर इसका अद्धयन करना चाहते हैं। इसके लिए हर समूह ने एक भिन्न सर्वेक्षण तैयार किया है। हम कुछ लोगो से अपने वेबसाईट को देखने के लिए कहेगें और कुछ को अपने नवीन वेबसाईट को देखनें को कहेगें। अगर आप भाग लेना चाहते हैं तो, कृपया अपना नाम और ईमेल को नीचे दर्ज करें। हम एक भाग्यशाली व्यक्ति को एक ग्लोबल वॉयस टी शर्ट दे रहें हैं! आपके समर्थन के लिए धन्यवाद! Loading. [विडियो] सिर हिलाने का भारतीय रहस्य दो मिनट में जानें अनेक लोग भारतीयों के सिर हिलाने के तरीके और उसका प्रयोग करने के बारे में भ्रमित हो जाते हैं। शायद इसी कारण से गूढ़ रहस्य समझाने वाला यह विडियो वायरस की तरह फैला रहा है। 1:44 मिनट के इस विडियो को जिसका शीर्षक "भारतीय सिर हिलाने का तरीका, क्या मतलब है इसका? " है, को 16 फरवरी 2014 को यू-ट्यूब पर प्रकाशित होने के बाद से 12 लाख बार देखा गया है। इसने विभिन्न सामाजिक मंचो पर दिलचस्प प्रतिक्रियाएं प्राप्त की है, जैसे कि (Reddit) रेडडीट और ट्वीटर (Twitter): मुझे हमेशा से भारतीय सिर हिलाने का तरीका पंसद रहा है - लेकिन अब मैं इससे और अधिक प्यार करता हूँ। यह शानदार है। http://t. co/eHxIyKqJjc — geeta pendse (@geetapendse) March 1, 2014 पॉल मैथ्यू, जो इसके लेखक और निर्देशक हैं, ने बीबीसी को बताया: "अगर हम जानते कि इस विडियो को इतनी संख्या में दर्शक मिलेंगे तो हमनें इसे और बेहतर बनाया होता। श्रीनगर-लेह राजमार्ग: एक रोमांचक सड़क यात्रा 434 किलोमीटर लम्बा श्रीनगर लेह राजमार्ग दर्शनीय और अक्सर भयावह राजमार्ग http://en. यह सड़क जून से नवंबर तक यातायात के लिए खुला रहता है। 1000 मीटर नीचे गिरने के खतरे के साथ पहाड़ के बीच का जो जी-ला दर्रा खतरनाक एक तरफा निकास है। Wild elephant destroys residential houses in Dimapur. Image by Caisii Mao. Copyright Demotix (21/6/2012) हर साल भारत में जंगली हाथियों के हमले के कारण लोग मारे जाते हैं, क्योंकि हाथियों के रहने की जगहें लगातार कम हो रही हैं। प्रकृति संरक्षण प्रतिष्ठान (एनएफसी) के वैज्ञानिक आनंद कुमार और शोधकर्ता गणेश रघुनंदन ने तमिलनाडु के वालपाराई में हाथियों और इंसान के बीच होने वाले इस संघर्ष से बचाव का नया तरीका निकाला है। उन्होंने एक एलिफेंट इन्फर्मेशन नेटवर्क बनाया है, जिससे लोगों को पता चल जाता है कि हाथी किस ओर जा रहे हैं। वालपाराई में एक छोटी सी टीम दिन में हाथियों की जगह के बारे में जानकारी इकट्ठी कर स्थानीय टीवी चैनल को देती है। इस बारे में जानकारी स्थानीय केबल टीवी चैनलों पर हर शाम चार बजे स्क्रॉलिंग न्यूज के तौर पर दिखाई जाती है। इसके अलावा पहले चेतावनी देने वाले भी कई सिस्टम हैं। फाउंडेशन के पास ढाई हजार स्थानीय लोगों का डेटाबेस है। जो भी लोग हाथियों के रास्ते के दो किलोमीटर के दायरे में होते हैं, उन्हें एसएमएस भेजा जाता है। प्रतिष्ठान ने 22 जगहों पर हाथियों से बचाव के लिए लाल एलईडी लाइट लगाई है। जैसे ही एक विशेष नंबर पर मिस कॉल दिया जाता है, लाइटें ऑन हो जाती हैं। ब्लॉगर डेपोंटी कहते हैं: सह अस्तित्व और संघर्ष एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मशहूर फिल्म निर्माता सरवनकुमार वालपाराई पठार में स्थानीय स्तर पर इस्तेमाल की जा सकने वाली और सहज तकनीक के बारे में एक वीडियो के जरिए बताते हैं: इस तरह के उपाय संघर्ष वाले सबसे संवेदनशील इलाकों में स्वागत योग्य हैं। उम्मीद है कि इस सफर में किसी लक्ष्य पर पहुंचने की बजाए सह अस्तित्व की भावना रहेगी। दक्षिण एशिया में अगले साल आ सकता है पहला डेंगू का टीका फिलीपीनी सरकार की आधिकारिक वेबसाइट से। पांच दक्षिण एशियाई देशों में डेंगू टीके का परीक्षण उम्मीदें जगाने वाला रहा। इसके कारण इलाके की सरकारों और शोधकर्ताओं ने घोषणा की कि अगले साल तक डेंगू का सबसे पहला टीका बाजार में आ सकता है। दो से चौदह साल के 10,275 बच्चों पर इंडोनेशिया,मलेशिया,थाईलैंड, वियतनाम और फिलीपींस में टेस्ट किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक तीन डोज़ के बाद बच्चों में डेंगू बुखार होने की आशंका 88. 5 प्रतिशत कम हो गई, यानि डेंगू के कारण अस्पताल में भर्ती होने की आशंका में करीब 67 प्रतिशत कमी आई। अगले साल जुलाई में डेंगू का टीका आने की संभावना http://t. co/07iPGWtIx5 | चार्ल्स बूभन #सेहत #विज्ञान pic. twitter. com/FlSRuxvo9H — Inquirer Group (@inquirerdotnet) July 19, 2014 हाल के दिनों में #मलेशिया में डेंगू के मामले बढ़े हैं जबकि सिंगापुर में #एक व्यक्ति मारा गया। डेंगू एक युद्ध है जिसे सबको लड़ना है! — Dengue. Info Asia (@DengueInfoAsia) July 31, 2014 कई लोगों ने इसका कारण इलाके का तेजी से शहरीकरण बताया। मलेशिया के वायरोलॉजिस्ट दातुक डॉक्टर लाम साई किट डेंगू को शहरी बीमारी बताते हैं: अगर बहुत सारे लोग शहरी इलाके में रहने आ जाते हैं तो बहुत सारे लोग होते हैं जिन्हें संक्रमण हो सकता है. इनमें से कई डेंगू वायरस के संपर्क में आते से ही बीमार हो सकते हैं। फिलीपींस, मलेशिया, और थाईलैंड ने वैक्सीन के सफल परीक्षण की घोषणा की जो डेंगू के चार जीवाणुओं और रक्तस्रावी बुखार, जो बीमारी का एक लक्षण है, को रोक सकता है। यह समाचार ऐसे प्रस्तुत किया गया जैसे हर देश डेंगू वैक्सीन पर शोध में अग्रणी हो। यह दवा कंपनी सानोफी पास्ट्युर है, जिसने पांच दक्षिण एशियाई देशों के साथ सााझेदारी की है। यही कंपनी एशियाई डेंगू वैक्सीन के शोध और परीक्षण पर पिछले दो दशकों से काम भी कर रही है। उनका ताजा शोध नए समाचार रिपोर्टों का आधार भी है, जिसमें डेंगू वैक्सीन के अंतिम परीक्षण दौर के बारे में कहा गया है। लेकिन इसी शोध में टीके की कमियां भी बताई गई हैं। डेंगू के चार प्रकार होते हैं। सानोफी के टीके ने टाइप एक, तीन और चार पर तो अच्छा असर दिखाया लेकिन टाइप दो पर ये सिर्फ 37. 4 प्रतिशत ही असर कर पाई। ये एशिया में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला डेंगू है, जिस पर टीका असर नहीं दिखा सका। शोधकर्ता यह भी टिप्पणी करते हैं कि टीके की क्षमता मरीज की उम्र के साथ बढ़ती है. अगर एशियाई डेंगू का टीका अगले साल तक मिलने लगता है, तो 2020 तक इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने के अभियान में तेज़ी आएगी। संघर्ष और दुखांत से परे फलीस्तीन की जिंदगी दिखाती तस्वीरें इस तस्वीर, का सादा सा नाम है, "गाजा के दृश्य" इसमें दो फलीस्तीनी पुरुष देखे जा सकते हैं जो गाजा में नेस्तनाबूत शहर को देख रहे हैं। जब से ब्रैंडन सैनटन का मशहूर पेज ह्यूमन्स ऑफ न्यूयॉर्क (होनी) नवंबर 2010 में लॉन्च हुआ है, तब से दुनिया भर से हजारों पेज इसकी तर्ज पर बने। करीब करीब सभी पेजों का विषय समान और सादा ही है: एक फोटोग्राफर या फोटोग्राफरों का एक समूह अपने आस पड़ोस में शहरों, गाँवो या देश में घूमते हैं और उनसे सवाल पूछते हैं। यह प्रोजेक्ट रियो डे जेनेरियो से तेहरान तक,एशिया, अफ्रीका यूरोप और अमेरिका के अधिकतर देशों से होता हुआ धरती के हर कोने तक पहुंच चुका है। इस प्रोजेक्ट की जागरूकता बढ़ाने की क्षमता नजरअंदाज नहीं हुई, हाल ही में होनी पर एक तस्वीर के साथ टिप्पणी थी: "मैं इन पोस्ट का हर रोज इंतजार करता हूँ। वो मेरा मानवता में विश्वास बनाए रखते हैं। " इस टिप्पणी को 7,००० लोगों ने पसंद किया। फलीस्तीन के कब्जे वाले इलाकों में जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी है। यही "ह्यूमन्स ऑफ पैलेस्टाइन" कर भी रहे हैं। ग्लोबल वॉयसेस ऑनलाइन ने जब इस समूह के एक सदस्य जाफर जुआबी, से पूछा कि इस समूह के बारे में कुछ बताएँ, उन्होंने कहा: ह्यूमन्स ऑफ पैलेस्टाइन फलीस्तीनी लोगों के रोजमर्रा और उनके सपनों को दिखाने के लिए किया गया। लेकिन जब से संघर्ष शुरू हुआ है, पेज का लक्ष्य मानवता को बनाए रखना हो गया है। फलीस्तीनी लोग स्नेह और प्यार बाँटने वाले, किस्सों और सपने वाले लोगों की बजाए मौत, भूले नामों, जले हुए और विछिन्न शवों तक सीमित हो गए हैं। "यह पहला बच्चा है, जिसकी डिलीवरी मैंने की है। इसका नाम मासेन है। यह मेरे जीवन के सबसे खूबसूरत पलों में है। " (लिंक) इस पेज के फेसबुक पर 22,000 फॉलोअर हैं और 7,500 फॉलोअर ट्विटर पर भी हैं। होनी के जैसे दूसरे पेजों की तुलना में इस पर न केवल फलीस्तीन में रहने वाले फलिस्तीनियों की कहानी है बल्कि उन फलीस्तीनी मूल के लोगों की भी बात है जो शरणार्थी या आप्रवासी हैं। ह्यूमन्स ऑफ पैलेस्टाइन गाजा, पश्चिमी तट, इस्राएल और अरब दुनिया के शरणार्थी शिविरों में रहने वाले फलीस्तीनी मूल के लोगों के जीवन को दिखाता है। ये कैसे काम करता है? जाफर ने बताया: ह्यूमन्स ऑफ पैलेस्टाइन में हम पाँच सदस्यों वाली टीम में काम करते है, पेज को बनाने वाले गाजा के अनास हमरा; वेआम, हानीन और रामल्लाह से मैं; और सीरिया के यारमूक शरणार्थी शिविर से निराज। हमने अपनी बातचीत सकारात्मक विचार के साथ समाप्त की: हमें लगता है कि हम बदलाव ला रहे हैं। हमारा संदेश अरब और पश्चिमी देशों तक हर दिन ज्यादा और ज्यादा पहुँच रहा है। यहां आप देख सकते हैं पेज पर साझा की गई कुछ तस्वीरें: "नूर गाजा की हैं। वह पहले से गाजा में फलीस्तीनी इंग्लिश चैनल शुरू करना चाहती थी। लेकिन वह नहीं जानती थीं कि उनका पहला समाचार गजा पर 'युद्ध' का होगा। नूर एक ऐसी जगह खड़ी हैं जहाँ इस्राएली सेना ने शुजैया नाम के इलाके को नेस्तनाबूत कर दिया। "मैं फलीस्तीनी कार्टूनिस्ट नाजी अल अली की कब्र पर बैठी थी। और उन सब मशहूर लोगों के बारे में सोच रही थी जिन्हें इस्राएल ने नक्शे से हटा दिया है और वो कैसे हमारी जिंदगी से जुड़े हुए हैं। जब मैं उन लोगों के बारे में सोचती हूँ तो ऐसा नहीं सोचती कि वह मर गए हैं। मृत्यु आखिरकार है क्या? जैसा कि घासान कानाफानी बताते हैः आखिर में इंसान सिर्फ एक कारण है। जब मैं शहीद लोगों के बारे में सोचती हूँ तो उन्हें सिर्फ आंकड़ा नहीं मानती। उनकी साझा यादें, परिवार, सपने हैं, जो उनसे छीन लिए गए हैं। यह विचार मेरी दलीलों को कमजोर कर देता है। वो, जिन्होंने अपना जीवन पूरी तीव्रता से जिया, जिनके सपने बहुत क्रूरता से मसल दिए गए, सारी दुनिया के आँसू भी आप सबकी आत्माओं वापिस नहीं ला सकते। मैं आपको सलाम करती हूँ। " (लिंक) - आप खुद के बारे में क्या बताएंगी? - मैं उतनी कंजूस और रौब जमाने वाली नहीं हूं, जितना अधिकतर लोग सोचते हैं। (लिंक) जॉर्जिया के पांच वर्षीय राजकुमार की हुकूमत के लिए तैयारी जॉर्जिया के सिंहासन के उत्तराधिकारी, महामहीम राजकुमार जॉर्जी बगैरेशन बगरातिओनी मुखरनबतोनिशवील (बाएं) और उसके पिता, जॉर्जिया के रॉयल हाउस के प्रमुख, महामहीम राजकुमार डेविट बगैरेशन-मुखरनबतोनी पारंपरिक जॉर्जियाई चोखा पहने हुए। (फोटो: द रॉयल हाउस ऑफ़ जॉर्जिया) तलार किकवेशिविल द्वारा लिखित यूरेशियानेट लिमिटेड से एक भागीदार पोस्ट। अनुमति के साथ पुनर्प्रकाशित। कई स्नेह करने वाले माता-पिता की तरह, पांच साल के जॉर्जी की फेसबुक पर उसके माता-पिता उसके सुंदर चित्र पोस्ट करते हैं : जन्मदिन के केक पर मोमबत्तियां बुझाते या कार के पहिये के पीछे लाल प्लास्टिक के धूप का चश्मा पहने या फिर गाड़ी ड्राइव करने का अभिनय करते हुए । लेकिन चित्रों के नीचे की टिप्पणियों उतनी सादगी नहीं दिखाती। "राजा अमर रहें ! ", कई लिखते हैं। 12 वीं और 13 वीं शताब्दी की शाशक रानी, जो वास्तव में जॉर्जी के दूर की पूर्वज थीं, की बात करते हुए एक प्रशंसक ने लिखा , "उसकी भौहें तक रानी तामार की तरह दिखती हैं "। जॉर्जिया यूरोप का हिस्सा बनने की इच्छा रखता है, और उसकी सरकार के लिए इसका मतलब है यूरोपीय संघ की शैली का लोकतंत्र । लेकिन जॉर्जियाई का एक अल्पसंख्यक समूह चाहता है की उनका देश सहस्राब्दी पुराने राजतंत्र को बहाल करके एक पुरानी यूरोपीय परंपरा का पालन करे। और उनकी आशाएं जॉर्जी - या, जैसा कि उनके फेसबुक पेज उन्हें पुकारता है, जॉर्जिया के रॉयल सिंहासन के वारिस, के छोटे कंधों पर टिकी हैं। राजकुमार गियोर्गी का ऊँचा कद मुख्यतः जॉर्जिया ऑर्थोडॉक्स चर्च पैट्रिआर्क इलिया द्वितीय की वजह से है जिन्होंने 2007 में जॉर्जिया को संवैधानिक राजतंत्र अपनाने का आह्वान किया था उस समय, हालांकि, राह का रोड़ा यह था कि कोई स्पष्ट वारिस ही नहीं था। इलिया ने तब कहा था, "शाही वंश के प्रतिनिधियों में से मुकुट के एक उम्मीदवार को चुना जाना चाहिए और उनका बचपन से राजा बनाने के लिए उचित पालन पोषण होना चाहिए"। बगरातिओनी वंश ने 10वीं से 19वीं शताब्दी की शुरुवात तक जॉर्जिया पर शासन किया था, तदुपरांत रूस ने जॉर्जिया को अपना उपनिवेश बनाकर राजशाही को समाप्त कर दिया था। बगरातिओनी वंश को रूसी अभिजात वर्ग में व्यवस्थित रूप से अवशोषित किया गया था। रूसी क्रांति और सोवियत संघ की स्थापना के बाद ज्यादातर वंशज यूरोप में फैल गए, लेकिन 1991 में जॉर्जिया के आजादी हासिल करने के बाद कुछ लोगों ने वापस आना शुरू किया, और राजशाही की बहाली की कल्पना होने लगी। राजकुमार नुगजर बगरातिओनी ग्रेज़िंस्की जॉर्जिया में रुके रहे बगरातिओनी में से एक के पुत्र है और जॉर्जिया के आखिरी राजा के सीधे उत्तराधिकारी हैं। लेकिन उनकी बेटी आन्ना की बगरातिओनी वंश से बाहर किसी से पहले से ही शादी हो चुकी थी और दो बेटियां भी थीं। हालांकि उसने 2007 में तलाक ले लिया और इलिया ने उसका रिश्ता स्पेन में जन्मे दूर के एक चचेरे भाई, डेविट बगरातिओनी-मुखरनेली, के साथ स्थापित किया। दंपति ने 2009 में त्बिलिसी के पवित्र ट्रिनिटी कैथेड्रल में एक समारोह में शादी की, जिसमें 3,000 मेहमान थे। लेकिन यह विवाह ज्यादा देर टिका नहीं , 2013 में उनका तलाक हो गया। उस समय तक हालांकि उन्होंने जॉर्जी को जन्म दे दिया था। वह 2011 में पैदा हुआ था और मत्सखेता में स्वेतत्सखोवेली के कैथेड्रल में, जहाँ जॉर्जियाई राजाओं को पारंपरिक ताज पहनाया जाता है, उसका बपतिस्मा किया गया। जॉर्जी के जीवन के बारे में शाही परिवार के फेसबुक पेज के अलावा कम ही दस्तावेज हैं । तलाक के बाद, जॉर्जी अपनी मां के साथ त्बिलिसी में एक अपार्टमेंट में रहता है लेकिन उनके पिता उनकी परवरिश में सक्रिय रहते हैं; पिता और बेटे की एक पसंदीदा गतिविधि त्बिलिसी के पूर्व में बसे एक शहर रुस्तवी में ट्रैक पर ऑटो दौड़ देखने की रही है। गियोर्गी की कुछ फेसबुक फ़ोटोज़ उनकी अनूठी परवरिश का जिक्र करते हैं। उनका अक्सर पारंपरिक जॉर्जियाई चोखा पहने हुए कुलपति के साथ फोटो लिया जाता है। राजकुमार पहले से ही जॉर्जियाई, रूसी और स्पेनिश बोलते हैं, और हालाँकि उनके भावी शिक्षा के बारे में अभी भी परिवार के सदस्यों द्वारा चर्चा की जा रही है, राजा होने के अनुरूप राजनीति और सैन्य अध्ययन जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा। वह जल्द ही ख्रिदीली का अध्ययन करना शुरू कर देंगे , जो एक पारंपरिक जॉर्जियाई मार्शल आर्ट है जो देश में पुनरुत्थान कर रहा है। "यह एकाग्रता, संतुलन और धैर्य जैसे विभिन्न कौशल विकसित करता है," बगरातिओनी ने कहा। हालांकि राजशाही की बहाली की संभावना मंद है, लेकिन यह कम से कम सिद्धांत रूप में सार्वजनिक रूप से लोकप्रिय है। जुलाई 2015 में, त्बिलिसी के शोध केंद्र डॉटट्रिना ने एक सर्वेक्षण किया: जिन 560 जॉर्जियाई लोगों ने सर्वेक्षणमें भाग लिया उनमें से लगभग 30 प्रतिशत राजशाही की बहाली का समर्थन करते थे। व्यवहार में, हालांकि, राजशाही बहाली की अवधारणा समर्थन पाने में विफल रही है। राजशाही की वापसी का समर्थन करने वाला राजनीतिक दल रॉयल क्राउन पिछले साल के संसदीय चुनावों में अपनी जमानत जब्त करवा बैठा। पार्टी राजकुमार की तुलना में पुरानी है, लेकिन इसके नेता, वाजा अबादीजेस ने कहा कि वह जॉर्जी के सिंहासन पर दावे का समर्थन करता है। "वह एक बच्चा है, लेकिन मैं देख सकता हूं कि वह एक अद्भुत बच्चा है जो निडर और खुले दिमाग वाला है, और लोग उसे प्यार करेंगे," अबशीदेज़ ने यूरेशियानेट को बताया "हमारा संरक्षक अब जॉर्जिया का कुलपति है, लेकिन स्वाभाविक रूप से वह रूढ़िवादी ईसाईयों के बारे में अधिक ध्यान रखता है। राजा अपने धर्म के बावजूद हर किसी से प्यार करेंगे। " अबिशिडेज़ ने कहा जिस तरह सोवियत संघ के पतन की कोई भविष्यवाणी नहीं कर पाया उसी तरह जॉर्जिया के भाग्य में कोई और नाटकीय मोड़ शायद लोगों की उम्मीदों से कहीं पहले आ जाये। "यह भगवान की इच्छा है और हम नहीं जानते कि यह कब होगा, लेकिन यह निश्चित रूप से होगा," उन्होंने कहा। "हमें सही समय के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है, और यही कारण है कि हमें सिंहासन के लिए बढ़िया रूप से तैयार वारिस की आवश्यकता है। भारतीय टेकी पता लगाते हैं नकली व्हाट्सएप और फेसबुक संदेशों का पंजाब, भारत में मोज़िला एल10 एन हैकाथॉन; छाया: शुभाशीष पानिग्रही, विकीमीडिया के माध्यम से (CC BY-SA 4. दो भारतीय कंप्यूटर प्रोग्रामर एक ऐसी वेबसाइट का निर्माण कर रहे हैं जो व्हाट्सएप और फेसबुक पर व्यापक रूप से साझा किए गए नकली संदेशों को खोजने में मदद करता है। चेक4स्पैम डॉट कॉम नामक यह साइट स्वयंसेवक उपयोगकर्ताओं के साथ उनकी स्वयं की टीम के अनुसंधान और जांच पर निर्भर करती है। उनका समूह कुछ सेवाएं प्रदान करने के लिए पोर्टल की क्षमताओं का विस्तार तकनीकी उपकरणों के माध्यम से करने की उम्मीद करता है। वे परियोजना का वर्णन निम्नानुसार करते हैं: 1. 2. - हम कैसे का करते हैं , check4spam. com (स्पैम) विश्व 2017 में शीर्ष 10 भ्रष्ट राजनीतिक दल: बीबीसी भारत में इंटरनेट उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, यहां तक ​​कि बुजुर्गों के बीच भी। कई नए उपयोगकर्ताओं को अभी तक पता नहीं है कि प्रामाणिक और नकली या दुर्भावनापूर्ण स्रोतों के बीच अंतर कैसे करना है। और उपयोगकर्ता के डिवाइस से जानकारी चोरी करने के लिए क्लिकबेट या ट्रोजन हॉर्स-नुमा सॉफ़्टवेयर के खतरे हैं। बाल कृष्ण बिड़ला और शम्मास ओलियथ, जिन्होंने यह वेबसाइट बनाई, भारतीय शहर बेंगलुरु में रहने वाले अनुभवी तकनीशियन हैं। "मानवता के लिए बिना शर्त सेवा" और "आम आदमी के लिए जीवन को आसान बनाने और स्पैमर्स के लिए जीवन परेशानी भरा बनाने" की एक दृष्टि के साथ, उन्होंने भारत में लोगों को शिक्षित करने के बीड़ा उठाया है जो कि सोशल मीडिया में जारी नकली सन्देशों के शिकार हो जाते हैं। एक अदद प्रमाणीकरण; छवि चेक 4 स्पैम वेबसाइट के माध्यम से। अगस्त 2016 में उन्होंने एक व्हाट्सएप नंबर स्थापित किया जहाँ लोग तथ्य-जांच के लिए उन्हें संदेश भेज सकते हैं। शम्म्स के अनुसार, उन्हें सत्यापन के लिए दिन में लगभग 100 संदेश प्राप्त होते हैं। वे अपने घंटे भर के लंच ब्रेक के दौरान संदेशों को पढ़ते हैं और फिर उन पर शोध शुरू कर देते हैं। Check4Spam एक स्व-वित्त पोषित परियोजना है, उन्हें साइट पर विज्ञापन से कुछ राजस्व प्राप्त होता है जो कि फेसबुक पर प्रोमोशनल पोस्ट्स सहित इसके संचालन लागतों में जाता है। 1. अपने फ़ोन पर +9035067726 जोड़ें 2. संदेहास्पद सामग्री की प्रतिलिपि बनाएं 3. यह सन्देश उन्हें व्हाट्सएप्प पर भेज दें। वे आपको बताएंगे कि क्या यह नकली है या नहीं। Check4spam वर्तमान में उन संदेशों को ही जांचता है जिनमें पाठ, छवि या दोनों होते हैं। क्राउड सोर्सिंग के तहत वे लोगों को स्पैम संदेशों को रिपोर्ट करने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं वर्तमान में ज्ञात संदेशों को इंटरनेट अफवाहों, दुर्घटनाओं, नौकरियों, चिकित्सा, गुमशुदा, सरकारी पहल और विज्ञापन के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है। साइट को एक महीने में ५ लाख पेज व्यूज मिलते हैं। सॉफ्टवेयर इंजीनियर कराये जापानी कच्ची सड़कों पर साईकल सवारी "बढ़े चलो - एक सुंदर घर के सामने मानसेकि और जेमी" मानचित्र और छवि — आस-पास के फ़ोटो. "मियामा के विलक्षण पहाड़ी गांव के लिए सामाजिक सवारी, एक ट्विस्ट के साथ" से अगर आप साइकिल चालन और ग्रामीण जापान की ऐसी झलक देखने में रुचि रखते हैं जिसे ज्यादातर जापानी लोगों ने कभी नहीं देखा तो लेखक और प्रौद्योगिकीविद् जेफरी फ्रेडल का ब्लॉग आपके लिए ही है। क्योटो, जापान के निवासी फ्रेडल नियमित रूप से 100 मील की दूरी पर "सदी की सवारी" (100 मील या 12 घंटों से अधिक की सायकल यात्रा को सेंचुरी राइड्स कहते हैं। क्योटो तीनों ओर जंगली पर्वत श्रृंखलाएं से घिरा है और वहां बहुतायत में खेती की ज़मीन है, जिसका मतलब है कि उनकी साइकिल सचमुच कुछ शानदार भूदृश्य से हो गुज़रती है। उदाहरणतः अप्रैल के अंत में, फ्रैडल मध्य क्योटो के दक्षिण पूर्व में क्योटो और नारा की पहाड़ियों के मध्य स्थित चाय के बागानों वाले क्षेत्रों की ओर यात्रा कर रहे थे: हाल ही में मैंने उजी और वजूका (जापान, क्योटो / नारा के पास) के पहाड़ी रास्तों से एक अच्छी सवारी की। उजी और वजूका दोनों सदियों से अपनी चाय के लिए प्रसिद्ध हैं, और यह पहाड़ अपने ऐसे कोनों और दरारों में चाय के बगान छुपाये बैठे हैं जहां उनका होना अप्रत्याशित हो। वज़ुका, जापान के चाय क्षेत्र। " छाया: जेफरी फ्रेडल। नक्शा और छवि डेटा — आस-पास के फोटो। "सेंचुरी ऑफ़ वज़ुका क्लाइंब्स, भाग 1 ब्लॉग पोस्ट से। सायक्लिंग के अतिरिक्त, फ्रेडल का ब्लॉग कंप्यूटर विज्ञान, फोटोग्राफी और प्रभावी DIY वेब के विकास के बारे में भी गहन जानकारी प्रस्तुत करता है। शायद उनकी तकनीकी पृष्ठभूमि के परिणामस्वरूप फ्रेडल के साइक्लिंग ब्लॉग पोस्ट सावधानी से वर्गीकृत और क्रॉस-रेफरेंस किए गए हैं, जिससे यह जानना आसान हो जाता है कि फ़ोटो कहां ली गई थी, और उसी स्थान या आसपास के अन्य चित्र पाये जा सकते हैं। फ्रेडल अपने मार्गों को स्ट्रॉवा, जो कि एथलीटों के लिए एक सोशल नेटवर्क है जहां वह अपनी यात्राएं दर्ज करते हैं, पर भी नक्शेबद्ध करते हैं। "वकाज़ुका मार्ग नक्शा" स्क्रीनशॉट अनुमति के साथ प्रकाशित। From the blog post From blog post "सेंचुरी ऑफ वज़ुका क्लाइम्ब्स, पार्ट 1. अधिकाधिक पहाड़ियों की चढ़ाई करने के उनके मिशन और भीड़भाड़ वाले राजमार्गों से दूर रहने के प्रयास में फ्रैडल अपने गंतव्य की ओर अक्सर शांत सड़कों से गुजरना पसंद करते हैं। अक्टूबर 2016 के इस पोस्ट में वे क्योटो के उत्तर-पूर्व में, गहन पहाड़ों के मध्य स्थित, मियामा के ग्रामीण इलाकों का सफर कर रहे हैं। "तीन देवियां : कुमीको, स्टेफ़नी, एलिसिया" छाया: जेफरी फ्रेडल। "मियामा के विलक्षण पहाड़ी गांव के लिए सामाजिक सवारी, एक ट्विस्ट के साथ" से "फ्लैट वैली" छाया: जेफरी फ्रेडल। "मियामा के विलक्षण पहाड़ी गांव के लिए सामाजिक सवारी, एक ट्विस्ट के साथ" से फ्रिडल की यात्रा में आम तौर पर रास्ते में नाश्ते, भोजन और ईंधन स्टॉप की तस्वीरें शामिल रहती हैं। यहाँ एक देहाती कॉफी की दुकान पर एक नाश्ते का चित्र है: "नाश्ता - हॉटकैक, आइसक्रीम और कॉफी, नए और अद्भुत जोई के बार में (मोटरसाइकिल चालकों के लिए एक छोटा सा कैफे, हालांकि सभी का स्वागत है)। " छाया: जेफरी फ्रेडल। "मियामा के विलक्षण पहाड़ी गांव के लिए सामाजिक सवारी, एक ट्विस्ट के साथ" से जापान के आसपास फ्रिडल की साइकिल यात्रा का एक इंटरैक्टिव मानचित्र यहां पाया जा सकता है: जेफरी फ्रैडल के ब्लॉग फोटो का मानचित्र फ्रैडल का मानचित्र आपको जापान में स्थान के आधार पर खोज करने की सुविधा देता है। उदाहरण के लिए, क्योटो के पास की गई तस्वीरों (ऊपर) के मानचित्र के अलावा, यहां कुछ तस्वीरें फ्रैडल ने ओबामा के पास जापान के समुद्र तट पर लगभग 100 किलोमीटर उत्तर में ले ली हैं। आप जेफरी फ्रैडल के ब्लॉग को फॉलो कर सकते हैं। चुंकि इनमें लेखों का विशाल संग्रह है, इसलिए इसकी सारणी (टीओसी) सामग्री की तलाश शुरू करने के लिए एक अच्छी जगह है। 70 के दशक का पोलिश टीवी कार्टून आज के विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित की शिक्षा को बढ़ावा दे सकता है विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (जिन्हें अक्सर संक्षेप में STEM कहा जाता है) विषयों को बच्चों के लिए और अधिक आकर्षक कैसे बनाया जा सकता है? 1970 के दशक में निर्मित एक पोलिश टीवी कार्टून श्रृंखला ने साबित कर दिया कि स्टेम विषय साथ ही साथ मनोरंजक और लोकप्रिय हो सकते हैं। पोमीस्लोवी दोब्रोमीर 1973 से 1975 के मध्य रोमन हसको और एडम स्लोडोवी द्वारा पोलैंड में निर्मित एनिमेटेड कार्टून की एक लोकप्रिय श्रृंखला है। इसका शीर्षक "आविष्कारशील दोब्रोमीर" का अमूमन अनुवाद है। पोमीस्लोवी शब्द का मतलब चतुर या सरल भी हो सकता है, जबकि नाम दोब्रोमीर मूल शब्द "डोब्रो" से बना है जिसका सभी स्लाविक भाषाओं में मतलब है "अच्छा"। मुख्य चरित्र दोब्रोमीर एक होशियार बच्चा है जो अपने दादा के खेत पर विभिन्न रोजमर्रा की समस्याओं के समाधान निकलने के बारे में सोचता रहता है। किसी समस्या का विश्लेषण करने के बाद, वह यांत्रिक उपकरणों के मॉडल और प्रोटोटाइप बना देता है। लेकिन अधिक महत्वपूर्ण बात यह है की यह एनीमेशन दोब्रोमीर के बनाये यांत्रिक उपकरणों के बुनियादी सिद्धांतों और उपयोग के बारे में जानकारी देता है। श्रृंखला के 20 एपिसोड बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं। प्रत्येक प्रकरण में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित से जुड़ी अवधारणाओं और उनके व्यावहारिक उपयोग बताये गये हैं, जो वर्तमान स्टेम पाठ्यक्रम के अंतःविषय दृष्टिकोण को दर्शाता है। उन्होंने पोलिश राष्ट्रीय टीवी पर कई दशकों तक "डू-इट-योरसेल्फ" शो की मेजबानी भी की। श्रृंखला पर दिखाए कुछ उपकरणों में पानी के पंप, हार्वेस्टर और घड़ियां शामिल हैं। नीचे दिए कार्टून में देखें कि कैसे दोब्रोमीर इन सरल औजारों का उपयोग कर उपकरणों का निर्माण करने में सफल होता है: शीत युद्ध काल के दौरान आयरन कर्टेन के पीछे गहरे छुपे एक देश के रूप में पोलैंड को सांस्कृतिक निर्यात के लिए ज्यादा मौका नहीं मिला था। हालांकि, इसका कार्टून उद्योग राष्ट्रीय और सोवियत ब्लॉक की सीमाओं पार करने में कामयाब रहा और गैर गठबंधन यूगोस्लाविया सहित सभी मध्य और पूर्वी यूरोप में लोकप्रियता हासिल कर सका। दोब्रोमीर सहित कई पोलिश कार्टून फिल्मों में मुख्य पात्रों के बीच संवाद न के बराबर होते हैं, इस वजह से मूल प्रसारण के दशकों बाद भी उनकी सार्वभौमिक अपील आज भी बरकरार है। इस श्रृंखला के ज्यादातर प्रकरण सरकारी यूट्यूब चैनल पर और उत्साही प्रशंसकों द्वारा पोस्ट किये संस्करणों के माध्यम से ऑनलाइन उपलब्ध हैं। अंतरिक्ष के लिए यात्रा जीती, लेकिन पृथ्वी पर घूमने को स्वतंत्र नहीं ब्रिटिश-मुस्लिम मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता हुसैन मनावर ने एक कमर्शियल अंतरिक्ष यान पर सवारी का एक यात्रा टिकट जीता है। उन्होंने कहा कि अगले साल वे इस ग्रह की उपरी कक्षा में होंगे, लेकिन अंतरराष्ट्रीय उड़ानें लेते वक्त उन्हें हर बार सुरक्षा जाँच में रोका जाता है। (चित्र आभार: हुसैन मनावर) हुसैन सोचते हैं कि शायद किसी मनहूसियत की वजह से उन्हें इतनी बार रोका जाता है। उनसे लॉस एंजेलेस से लेकर मैसेडोनिया तक हवाई अड्डों पर पूछताछ की गई है, लेकिन अब उन्हें नहीं रोका जाता क्योंकि वे सब उन्हें पहचानने लगे हैं, वे मज़ाक में कहते हैं। "मैं सिर्फ यह पता लगाने की कोशिश कर रहा हूँ कि इस धारणा को कि सभी मुस्लिम आतंकवादी हैं को ध्वस्त करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है" वे कहते हैं। मनावर पाकिस्तानी मूल के हैं लेकिन एसेक्स, इंग्लैंड में बड़े हुए हैं। उनकी लिखी एक कविता ने उन्हें एक अंतरिक्ष उड़ान जिताया और वे पहचाने जाने लगे। थाईलैंड में एक भाषण उन्होंने कहा, "मेरा नाम हुसैन मनावर है, और मैं आतंकवादी नहीं हूं। " मनावर कहते हैं यह उन्होंने कई जातीय भेदभाव वाली घटनाओं के अनुभव के जवाब में कहा। यह पूछने पर कि उन्हें कितनी दफा पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है, वे कहते हैं, "मैंने हिसाब रखना छोड़ दिया,"। "मुझे बेशुमार बार रोका गया है। अंतरिक्ष यात्रा जीतने के लिए प्रतियोगिता का आयोजन क्रूगर कवने के उभरता सितारा कार्यक्रम द्वारा 18 से 30 साल के लोगों के लिए किया गया था। 90 से अधिक देशों से तीस हजार प्रतिभागियों ने 2018 में उड़ान भरने वाले XCOR एयरोस्पेस लिंक्स वाणिज्यिक अंतरिक्ष यान पर स्थान पाने के लिए प्रतिस्पर्धा में भाग लिया। विजेता प्रविष्टि एक कविता थी जिसका शीर्षक था "मेरा नाम हुसैन है"। यह एक तीन मिनट का कविता पाठ था जो एक लड़के द्वारा उसकी माँ को लिखे सुसाइड नोट के रूप में शुरू होता है, लेकिन यह बाद में पता चलता है कि वो माता वास्तव में माँ प्रकृति है। यहाँ मनावर निर्णायकों और एक दर्शकों के सामने यह प्रदर्शन कर रहे है: "यही तो मेरा काम है, मैं एक कवि हूँ। मैं मानव जीवन की बेहतरी और सामाजिक व भावनात्मक सीख देने के लिए के लिए कविता लिखता हूँ । यही कारण है कि अंतरिक्ष इस चर्चा में आया। मैं इस प्रतियोगिता में प्रवेश केवल इसलिए करना चाहता था ताकि मेरे काम को अधिक गंभीरता से लिया जाये," मनावर कहते हैं। प्रतियोगिता जीतने के बाद से 26 वर्षीय मनावर इस विषय पर जागरूकता बढ़ाने के लिए व्याख्यान देते रहे हैं। अपने एक दोस्त के अवसाद का निदान किये जाने के पश्चात वो इस मुद्दे के प्रति उत्साही हो गये, लेकिन उनके अपने परिवार को यह बताने में असहज महसूस करते रहे। मनावर अब मानसिक स्वास्थ्य के बारे में नियमित रूप से बाहर बोलते हैं और उम्मीद करते हैं की उनकी अंतरिक्ष यात्रा यह मुद्दा उठाने के लिए उन्हें और अधिक अवसर देगी। "मैं मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बहुत भावुक हूँ। मेरा मानना ​​है कि हम एक सुंदर समय में हैं, तथापि सोचता हूँ कि हम जितने जुड़े हुए हैं उतने ही कटे हुए भी हैं। आजकल दुनिया के किसी दूसरे में बैठे व्यक्ति संपर्क करना ज्यादा आसान है बनिस्बत अपने ही कमरे के दूसरे कोने में बैठे किसी शख्श से बात करना। मनावर का कहना है कि उन्होंने अंतरिक्ष में जाने का कभी सपना नहीं देखा, और हालांकि वह मिले अवसर के लिए आभारी है, उन्हें अभी भी यकीन नहीं कि अंतरिक्ष यात्रा उनके लिए उपयुक्त है। "ईमानदारी से कहुँ तो मैं वास्तव में नहीं जाना चाहता . हालांकि मैं स्पष्ट रूप से इसके साथ आगे जाना चाहता हूँ। " एंड्रिया क्रोसन द्वारा रचित यह कहानी मूल रूप से PRI. दीर्घायु तो हो रहे हैं, पर स्वस्थ नहीं दक्षिण अमेरिका में संभावित खराब स्वास्थ्य में परिवर्तन के बारे में इन्फोग्राफ़, अनुमति के साथ प्रकाशित . दुनिया भर में मरीजों और चिकित्सकों को जोड़ने वाले एक स्वास्थ्य-विशेष मंच मेडिगो ने आयु-संभाविता (life expectancy) पर एक तुलनात्मक वैश्विक अध्ययन पूरा कर लिया है। औसतन, मनुष्य अब पहले से कहीं ज्यादा जीते हैं। लगभग हर देश में 21वीं शताब्दी की शुरुआत से आयु-संभाविता में वृद्धि देखी गई है, 2015 में इसका वैश्विक औसत 71. 4 वर्ष था। लेकिन इसके साथ ही, देशों के मध्य और देश के अंदर भी आयु-संभाविता में भारी विविधताएं हैं। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में, औसत 73 साल हैं, ओशिनिया में यह 71 है, लैटिन अमेरिका में 70 साल, एशिया में 61 साल हैं, और अफ्रीका में यह सिर्फ 55 साल है। हालांकि, मेडिगो ने अपना विश्लेषण एक कदम आगे बढ़ कर यह सवाल पूछने का फैसला किया: विश्व स्वास्थ्य संगठन यह पुष्टि करता है कि हम लंबे समय तक जी रहे हैं, लेकिन क्या हम स्वस्थ रहते हैं? विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) "स्वस्थ आयु-संभाविता" या HALE (Healthy Life Expectancy) के आधार पर यह निर्धारित करता है कि एक स्वस्थ जीवन शैली के साथ एक व्यक्ति कितने वर्षों तक जीवित रहने की उम्मीद कर सकता है। हालांकि हाल के वर्षों में इस रेटिंग में सुधार देखा गया है। 2000 और 2015 के बीच आयु-संभाविता में पांच वर्षों की वृद्धि हुई, जो 1960 के दशक के बाद से सबसे तेज़ वृद्धि है। 1990 के दशक में अफ्रीका में एड्स महामारी और पूर्वी यूरोप में सोवियत संघ के पतन के बाद आयु-संभाविता में गिरावट आई थी। इन्फोग्राफिक्स के माध्यम से, मेडिगो 2000 से वैश्विक रूप से परिवर्तन दिखाते हुये वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक वैकल्पिक माप प्रदान करता है जिसे यह "बैड हेल्थ इयर्स" यानी खराब स्वास्थ्य वाले साल करार देता है। खराब स्वास्थ्य वर्षों के दौरान दुनिया में होने वाली परिवर्तनों के बारे में इन्फोग्राफिक्स (पूर्वानुमति से प्रकाशित)। ग्लोबल वाइसिस के साथ एक संक्षिप्त बातचीत में, मेडिको में ऑनलाइन विपणन प्रबंधक गिलीआ गुट्टेरर ने डब्ल्यूएचओ के पारंपरिक माप और "खराब स्वास्थ्य" माप के बीच के अंतर को समझाया: दरअसल हम कुल आयु संभाविता (जिसका मतलब है कि हमारे कितने साल जीने कि संभावना है, जिसका पता जन्म के समय ही लगाया जाता है) से स्वस्थ आयु संभाविता को घटा देते हैं। इससे हमें औसत वर्ष मिल जाते हैं जितना कोई खराब स्वास्थ वाला व्यक्ति जी सकता है। बैड हेल्थ इयर्स का मतलब है जीवन के वो साल जो आपने बीमारी ओर अशक्तता के साथ जिये। आप मेडिगो की वेबसाइट पर सभी इन्फोग्राफिक्स पा सकते हैं। तीन दशक, 6 फिल्में के बाद भी एलियन का रचनात्मक अनुवाद बाल्कन में नाबाद मेसीडोनियन में आगामी "एलियन" फिल्म का बैनर जिसमें लिखा है, "आठवां यात्री: कोवेनेंट। 18 मई से सिनेमाघरों में। टिकट बिक्री हेतु उपलब्ध। "एलियन" फ्रैंचाइज की एक और किस्त के जल्द ही सिनेमा घरों में प्रदर्शित होने की घोषणा ने पश्चिमी बाल्कन में विज्ञान कथा और सिनेमा प्रशंसकों के बीच चलते रहे एक दीर्घकालिक भाषाई बहस को दुबारा हवा दे दी है। 1979 में जब श्रृंखला की पहली फिल्म जारी की गयी तब स्थानीय भाषा में "अजनबी" या "अलौकिक" शब्द का उपयोग करने के बजाय, यूगोस्लाविया, हंगरी और पोलैंड के वितरकों ने फ़िल्म के शीर्षक का अनुवाद किया "आठवां यात्री"। यह इस तथ्य पर आधारित था कि दरअसल शीर्षक भूमिका निभाने वाला परग्रही अंतरिक्ष यान पर चालक दल के सात सदस्यों के साथ बेटिकट यात्री की तरह सवार था। मूल 1979 यूगोस्लावी फ़िल्म पोस्टर की प्रति, जिसमें सर्ब-क्रोएशियाई अनुवाद और मूल अंग्रेजी शीर्षक दोनों शामिल हैं। लेखक अनाम। तो एलियन सर्बियाई, क्रोएशियाई और बोस्नियाई में "ओस्मी पुत्निक", स्लोवेनियाई में "ओस्मी पोतनिक" और मैसेडोनियन में "ओसमिओत पत्निक" बन गया। हालांकि यह क्षेत्र के सभी देशों के सन्दर्भ में सच नहीं था। अल्बेनियन, बल्गेरियाई, चेक, स्लोवाक और पूर्व सोवियत संघ की सभी भाषाओं में "एलियन" शब्द का लिप्यंतरण या स्थानीय रूप इस्तेमाल किया गया था। और पोलिश शीर्षक, "Obcy – ósmy pasażer Nostromo", ने अंत में अंतरिक्ष यान के नाम को जोड़ने के अलावा दोनों तरीकों के संयोजन का इस्तेमाल किया। हालांकि इसके परिणामस्वरूप नाम थोड़ा लंबा हो गया "एलियन - नस्ट्रोमो का आठवाँ यात्री "। हंगरी के शीर्षक, "A nyolcadik utas: a Halál", जिसका अर्थ है "आठवां यात्री: मौत", से तो फिल्म की कहानी का ही खुलासा हो जाता है। पूर्व यूगोस्लाविया में "आठवां यात्री" नाम प्रचलित हो गया और अगले 30 वर्षों में आने वाले सभी सीक्वलों (उत्तर कथाओं) में इसका इस्तेमाल किया गया, जिसमें आगामी "एलियन: कोवेनेंट" शामिल है। यदा कदा इस क्षेत्र के लोगों में अनुवाद से जुड़ा विवाद फिर शुरु हो जाता है जब कुछ लोग इन शीर्षकों के अनुवाद को अतिरचनात्मक व्याख्या या अनुचित या अप्रचलित मान कर खारिज कर देते हैं। यह परिभाषा सर्बियाई बोलचाल की भाषा के एक ऑनलाइन शब्दकोश वुकेलिआ में परिलक्षित होती है। "ओस्मी पुत्निक" के लिए जहाँ इस शब्दकोश में प्रशंसा है वहीं सवाल भी किया गया है कि "वे बिल्ली को गिनना कैसे भूल गये? " (अंतरिक्ष यान पर सात चालक दल के सदस्यों के अतिरिक्त एक बिल्ली भी थी, जो जाहिरा तौर पर गिनती में शामिल नहीं थी अगर एलियन "आठवाँ यात्री" रहा हो। वाहियात अनुवादों और विदेशी फिल्मों के शीर्षक की सर्बियाई व्याख्याओं के समुद्र में, आठवाँ यात्री बढ़िया फिल्म शीर्षक होने का एक दुर्लभ मामला है। ये लोग मुझे क्रोधित कर देते हैं यह कहकर कि #Alien "आठवां यात्री" था - हलो! यान पर 6 ह्युमनाएड, एक एंड्रॉएड, एक बिल्ली और फिर वह एलियन था। और फिर ये एलियन या ओस्मी पुत्निक है जिसका शाब्दिक अनुवाद है "आठवां यात्री"। इसकी उत्तर कथा का अनुवाद क्या था? और यात्री? मैसेडोनिया में प्रशंसकों ने शीर्षक के अनुवाद के बारे में अपनी मिश्र भावनाओं को साझा किया है: जब वे सिनेमा टिकट पर एलियन की बजाए आठवां यात्री लिखते हैं, मुझे बेहद शर्मिंदगी महसूस होती है। बेहद! दूसरे क्या सोचते हैं मुझे उसकी कोई परवाह नहीं, आठवाँ यात्री इस फिल्म के लिए एक जीनियस शीर्षक है, मूल शीर्षक से 50 गुना बेहतर। इस फिल्म का यूगोस्लाव पॉप संस्कृति पर विज्ञान कथा के क्षेत्र से परे प्रभाव पड़ा। "ओस्मी पुत्निक" पूर्व फेडरेशन के एक नामी हेवी मेटल बैंड का नाम था, जो विभाजित क्रोएशिया में 1985 में स्थापित किया गया था। शायद फिल्म के अनुवादित नाम के ब्रांड की पहचान और उसके अस्तित्व को बनाये रखने में इस बैंड की लोकप्रियता एक कारक रही थी। उनके सबसे प्रसिद्ध गीतों में से एक है "ग्लासनो, ग्लासनिये" (इसे तेज़ बजाओ! और तेज़! )। यहां तक कि राजनीतिक बहसों में भी फिल्म के संदर्भ दिया जाता है। एक मैसेडोनियन ट्वीटर उपयोगकर्ता ने कानून के प्राध्यापक और पूर्व राजनेता ज्यूबोमिर फ्रकोस्की का हवाला दिया जिन्होंने दिसंबर 2016 के चुनावों के ठीक बाद में देश की निर्वाचित सत्तारूढ़ पार्टी की विनाशकारी भूमिका पर चर्चा करते हुए "आठवें यात्री" वाक्यांश का इस्तेमाल अपमानजनक ढंग से किया: "सरकार में VMRO को शामिल करना आपके जहाज पर आठवें यात्री के होने जैसा होगा। जैसे कि जहाज पर कोई एलियन सवार हो। " - फ्रैक्को 'अनट्रांस्लेटेबल' ब्लॉग डाले छोटी भाषाओं की अद्वितीय शब्दावली पर प्रकाश छाया: एंडी सिमंस (CC BY-ND 2. अनट्रांस्लेटेबल नामक एक ब्लॉग भाषा प्रेमियों को दुनिया भर से ऐसे शब्दों की जमात से परिचय स्थापित कर रहा है जिनका अनुवाद करना मुश्किल या असंभव है। ऐसे शब्द हर भाषा में मौजूद हैं: अक्सर वे जटिल या बहुत विशिष्ट परिस्थितियों या भावनाओं को व्यक्त करते हैं। अनुवाद के लिए अयोग्य कुछ शब्द पहले से ही सर्वज्ञात हैं (जैसे कि प्रसिद्ध पुर्तगाली शब्द सॉडाचे), और कुछ अन्य किसी संस्कृति का अभिन्न अंग बन गये हैं (जैसे कि स्पैनिश सोब्रेमेसा)। परन्तु इन सभी पर यह हठ बराबर लागू है कि इनका सीधा सादा अनुवाद करना नामुमकिन है। आप इनका किसी एक शब्द या अभिव्यक्ति से मंतव्य समझा ही नहीं पायेंगे, इसलिए उस एक शब्द में व्यक्त धारणा की गहराई को समझने के लिए एक पूर्ण व्याख्या और कभी-कभी कुछ संदर्भों को जानना भी आवश्यक होता है। इन अद्वितीय शब्दों को ऑनलाइन सूची में लंबे समय से एकत्र किया गया है। हालांकि जहाँ ऐसी सूचियां अक्सर जापानी, जर्मन, फ्रेंच, पुर्तगाली या फिनिश भाषा तक सिमट कर रह जाती हैं, अनट्रांस्लेटेबल के सृजक और भाषाविद् स्टीवन बर्ड ने छोटी भाषाओं पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। उदाहरण के लिए, ब्लॉग वानुआतु से म्वोटलाप भाषा में शब्दों को साझा करता है: "वकास्तेग्लॉक" - बालपन में किये समस्त देखरेख का सम्मान करते हुये अपने माता-पिता की देखभाल करें। और ब्राज़ील के कुछ हिस्सों में बोली जाने वाली हन्सरिक भाषा में ऐसे शब्द: "क्वाडी" - सर्दियों में धूप सेंकने के बाद लगने वाले आलस्य की अनुभूति। अपने ब्लॉग के बारे में बर्ड स्वयं कहते हैं: यह अन्य संस्कृतियों पर प्रकाश डालता है, सोच के विभिन्न नमूने पेश करता है और हमारी जिज्ञासा को बढ़ावा देता है। कभी-कभी यह हमारी अपने आसपास की दुनिया का विश्लेषण और वर्गीकरण करने के तरीकों पर असर डालता है इस साइट पर योगदान करने वाले भाषाविद इन 'अनुवाद के लिए अयोग्य' शब्दों को और अधिक साझा करना चाहते हैं ताकि यह दिखा सकें कि ये छोटी भाषाएं कितनी विशिष्ट, मूल्यवान और शक्तिशाली हैं। अनट्रांस्लेटेबल द्वारा पोषित "बहुमूल्य भाषा" के वक्ताओं को उनके पसंदीदा शब्द प्रस्तुत करने के लिए यहां आमंत्रित किया गया है। अब नेपाल में रिक्शा नहीं पेडीकैब बोलिये हुज़ूर पेडीकैब चालकों के साथ पेडीकैब परियोजना दल। चित्र उनके फेसबुक पेज से । दक्षिणी नेपाल में भगवान बुद्ध के जन्मस्थान लुंबिनी की सड़कों पर पारंपरिक साईकल रिक्शा गाड़ियों की भीड़ में पेडीकैब परियोजना द्वारा निर्मित रिक्शा का आधुनिक संस्करण निश्चित ही आपका ध्यान आकर्षित करेगा। आकर्षक, अत्याधुनिक और भरेपूरे आकार के ये पेडीकैब डेनवर, अमरीका स्थित कैटापल्ट डिजाइन द्वारा निर्मित हैं, जिसके डिजाइन और 60 प्रोटोटाइप के उत्पादन हेतु एशियन डेवेलपमेंट बैंक (एडीबी) द्वारा 350,000 डॉलर (लगभग 3. अप्रैल 2017 में इनकी शुरुवात की गई है, परीक्षण के तौर पर फ़िलहाल 28 पेडीकैब लुम्बिनी में और 28 काठमांडू में चलाये जा रहे हैं। प्रारंभिक पायलट चरण के सफल समापन के बाद, बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए डिजाइन को अंतिम रूप दिया जाएगा, जो ग्राहकों और रिक्शा चालकों दोनों की प्रतिक्रिया पर आधारित होगा। हमारा पेडीकैब डिज़ाइन अंततः उतरा #काठमांडू और लुंबिनी की सड़कों पर! #एडीबी, @नोएलगेलविल्सन, और स्थानीय डिज़ाइन टीम को बधाई! ग्लोबल वॉइसेस नेपाल के लेखक संजीब चौधरी ने पेडीकैब परियोजना के प्रबंधक ब्रैडली श्रोएडर के साथ इन आधुनिक रिक्शा गाड़ियों और नेपाली लोगों के इस रिक्शा को देखने के नज़रिये पर बातचीत की । यहां साक्षात्कार के अंश प्रस्तुत हैं: ग्लोबल वॉइसेस (जीवी): इस परियोजना के पीछे क्या प्रेरणा रही है? ब्रैडली श्रोएडर (बीएस): पेडीकैब (जिसे साइकिल रिक्शा भी कहा जाता है) दक्षिण एशिया के अधिकांश लोगों के लिए आवश्यक गतिशीलता प्रदान करता है। इसी तरह साइकिल रिक्शा का उत्पादन और प्रबंधन करने वाले उद्योग भी गरीबों के लिए रोजगार और आय का एक प्रमुख स्रोत है। मोटर चालित वाहनों के मुकाबले रिक्शा शून्य-उत्सर्जन और शोर-रहित तो हैं ही। जीवी: क्या आप हमें बता सकते हैं कि पेडीकैब कैसे काम करती हैं? वे सामान्य रिक्शा से कैसे अलग हैं? बी एस: पेडीकैब पारंपरिक साईकल रिक्शा का एक आधुनिक संस्करण है। पारंपरिक रिक्शा प्राचीन हो चुके हैं और रंगरूप, सामग्री (वजन) और गियरिंग के संदर्भ में वर्तमान में उपलब्ध सर्वोत्तम तकनीक का उपयोग नहीं करते हैं। परियोजना में हमने आधुनिक डिजाइन के साथ बेहतर गुणवत्ता वाले घटकों के प्रयोग पर ध्यान केंद्रित किया। जीवी: आपने लुंबिनी में पेडीकैब का पहला बैच लॉन्च किया है। यात्रियों और पर्यटकों से मिली प्रारंभिक प्रतिक्रिया कैसी रही? बी एस: आरंभिक प्रतिक्रिया अच्छी रही है। सिर्फ पेडल से चलने रिक्शा की तुलना में बिजली की सहायता से चलने वाला संस्करण निश्चित रूप से अधिक लोकप्रिय है। रिक्शा चालक और पर्यटक दोनों इसे पसंद करते हैं। कुछ छोटी मोटी चीजें हैं, जिनको आगामी पेडीकैब में बदलने के बारे में कैटापल्ट सुझाव देगा। यह ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि ये प्रोटोटाइप वाहन थे इसलिए कुछ शुरुआती समस्याएं हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह एक सॉलिड वाहन है। मुझे लगता है कि सबसे अच्छी बात यह रही कि "साईकल के पहिये नहीं निकले"। जीवी: यह काम कैसे करता है? क्या आप मुफ्त में पेडीकैब दे रहे हैं? पेडिकैब चालकों को आपने कैसे चुना? बी एस: जैसा मैंने कहा ये प्रोटोटाइप वाहन थे, इसलिए उन्हें चालकों को मुफ्त दिया गया। जब तक वाहनों की उपयोगिता साबित न हो न हो तब तक उनकी कीमत पाने की अपेक्षा रखना नैतिक नहीं होता। भावी पेडीकैब का वितरण अधिक स्थायी मॉडल जैसे कि पुनर्पूंजीकरण या वित्तपोषण के माध्यम से होगा। जीवी: क्या यह परियोजना बहुत महंगी नहीं है? आपको 60 पेडीकैब डिजाइन करने के लिए 350,000 डॉलर दिए गए हैं, जबकि बाजार में सामान्य दर पर इसी तरह के बैटरी संचालित रिक्शा उपलब्ध हैं। क्या आप हमारे साथ परियोजना का मूल्य-लाभ विश्लेषण साझा कर सकते हैं? बी एस: कैटापल्ट डिजाइन ने मौजूदा बाजार में उपलब्ध विकल्पों पर व्यापक शोध किया और पाया कि कोई भी उपलब्ध मॉडल दक्षिण एशिया के बाजार की जरूरतों के अनुरूप नहीं है। जब आप वाहन की लागत के बारे में बात करते हैं तो आप सिर्फ 350,000 डॉलर को 60 से भाग नहीं दे सकते; आपको इकाइयों की कम संख्या ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन, मूल्यांकन और निर्माण आदि का खर्च भी जोड़ना चाहिए। यदि हम बड़े पैमाने पर उत्पादन करें तो पेडीकैब की कीमत मौजूदा रिक्शा की कीमत से टक्कर लेगी, हमारी कीमत 10% से ज़्यादा नहीं होगी। माइकल लिंडे एक पेडीकैब के साथ। चित्र उनके फेसबुक पेज से । जीवी: आपकी भविष्य की योजनाएं क्या हैं? आप पेडीकैब को कहाँ ले जाना चाहते हैं? बी एस: परियोजना का अंतिम चरण मूल्यांकन है। उस समय सुझाव दिए जाएंगे और यदि आवश्यक हो तो डिजाइन संशोधित किया जाएगा। पेडीकैब का डिज़ाइन (एडीबी द्वारा बताई आवश्यकता के मुताबिक) मुक्त-स्रोत है तो कोई भी निर्माता इसका इस्तेमाल कर सकेगा। दक्षिण पूर्व एशियाई बाजार इतना बड़ा है कि यदि डिजाइन खरा साबित होता है तो लोग इसकी नकल बनायेंगे ही। उसके बाद बाजार बल उसका भविष्य तय करेगा । अगर यह परियोजना सफल हो जाती है, तो हम निकट भविष्य में बांग्लादेश और फिलीपींस जैसे देशों में सैंकड़ों नए, आधुनिक पेडीकैब चलते देखेंगे। जापान के प्लास्टिक फूड मॉडल सिर्फ रेस्तरां तक सीमित नहीं जापान में एक रेस्तरां के बाहर प्लास्टिक के भोजन के नमूने. छाया : फ़्लिकर उपयोगकर्ता सेयोट. 0 जेनेरिक (CC BY 2. जापान में लगभग प्रत्येक भोजनालय के बाहर भोजन के प्लास्टिक के मॉडल लगा होना आम है। संभावित ग्राहकों को मेनू में शामिल पकवानों के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रवेश द्वार के पास शोकुहीन सैनपुरु (食品サンプル, “भोजन के नमूने”) रखे जाते हैं जो रेस्तरां में दी गई सभी डिश व्यंजनों की विस्तृत प्रतिकृतियां होती हैं। ग्राहक भोजन के नमूनों को देखकर यह तय करते हैं कि खाने के लिए इसी दुकान में प्रवेश किया जाये या किसी अन्य विकल्प की तलाश की जाये। इन खाद्य नमूनों को बनाने के लिए एक समूचा समर्पित उद्योग है। टोक्यो के पड़ोस में कप्पाबाशी (किचन नगरी) प्लास्टिक के भोजन के नमूनों को बनाने वाले इन छोटे व्यवसायों का प्रमुख गढ़ है, जिसे 20 से अधिक वर्षों पहले जर्मन फिल्म निर्माता विम वेंडर्स ने अपनी वृत्तचित्र फिल्म टोकियो-गा में दर्ज़ किया था। वैसे तो प्लास्टिक के भोजन के नमूने जापानी लोगों के लिए इतने सामान्य बात है कि वे इस पर ध्यान भी नहीं देते पर जापान में इनसे जुड़ा एक नया रुझान देखा जा रहा है जिसमें इन नमूनों को आकर्षक सेलफोन एक्सेसरीज़ और दिखावटी गहनों में बदला जा रहा है। नावर मटोमी नामक ब्लॉग पर चिट्ठाकार इतिनी ने सैनपुरु की इस विधा पर तस्वीरों के साथ विभिन्न सामाजिक मीडिया लिंक इकट्ठा किए हैं। अब बिक्री पर: किचिजोजी टोक्यो डिपार्टमेंट स्टोर में इस्तेमाल किए जाने वाले खाद्य नमूनों के आधार पर बने नये स्मार्टफोन स्ट्रैप। खाद्य नमूने विभिन्न प्रकार के भड़कीले संग्रहणीय वस्तुओं (कलेक्टिबल्स) में बदल दिए गए हैं, मसलन, रेफ्रिजरेटर पर लगाए जाने वाले मैग्नेट: टोक्यो स्टेशन पर एक डिस्प्ले में प्रदर्शित कुछ शोकुहीन के नमूना फ्रिज मैग्नेट। भोजन के नमूनों में नवीनता का उछाल तेजी से व्यापक होता जा रहा है। इस मामले में, कैसें-डॉन (एक लोकप्रिय सीफूड राइस बाउल) के एक नमूने को स्मार्टफोन के स्टैंड में बदल दिया गया है। हमें इस त्रिकोणीय सर्विंग डिश के नमूने को स्मार्टफोन स्टैंड के रूप में इस्तेमाल करने का बढ़िया तरीका मिला है। हमने इसे टोक्यो स्टेशन प्रदर्शनी के लिए बनाया है। और यहां, यह एक सेब है जो आपके स्मार्टफोन को पकड़े रखता है: एक कटे सेब की तरह दिखने वाला इस स्मार्टफ़ोन स्टैंड का डिज़ाइन अद्भुत है। खाने के नमूनों के अजीबोगरीब इतर प्रयोगों की तो यह बस एक शुरुआत है। कुछ स्मार्टफोन स्टैंड और बक्सों के डिज़ाइनर आपको कला का अपना नमूना बनाने की सुविधा भी देते हैं, मसलन इकुरा या सैल्मन रो का नमूना (यह चावल के साथ खाया जाने वाला एक लोकप्रिय टॉपिंग है)। पर एक ट्विटर उपयोगकर्ता को संदेह है: क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो कहने वाला है, "वाह, बढ़िया, मैं अपना स्मार्टफोन केस सैल्मन रो से कस्टमाइज़ कर सकता हूँ? " मुझे नहीं लगता है कि मेरे अलावा कोई और यह कहेगा। नकली खाद्य एक्सेसरी में उछाल कई बार अरुचिकर रूप भी ले सकता है, जैसे कि सहकर्मियों और परिवार के सदस्यों को चौंका देने के लिए बने नमूने। हमारा नवीनतम स्मार्टफोन स्टैंड पिघलते आइसक्रीम के रूप में आता है। हमारे पास राइस बॉल (ओनिगिरी) की बालियां और एक सूखी सैल्मन मछली के रूप वाला स्मार्टफोन का पट्टा भी है। फर्जी भोजन के और अधिक विचित्र उपयोग देखने के लिए, इतिनी के नावर मटोमी के ब्लॉग पोस्टदेखें, या फिर ट्विटर हैशटैग #食品サンプル और #ストラップ को फॉलो करें। यह सब कैसे शुरू हुआ यह जानने के लिए यह वीडियो देखें जो टोक्यो में कप्पाबाशी की एक झलक प्रदान करता है: साथ ही इस वीडियो का भी अवलोकन करें, जिसमें आप जान सकेंगे कि जापानी भोजन के नमूनों को दरअसल बनाया कैसे जाता है। पुरानी जापानी पुस्तकों में मिले रहस्यमयी बुकमार्क्स आपको चौंका देंगे फुकुई, जापान में एक इस्तेमाल की गई किताबों की दुकान। छायाः नेविन थॉम्पसन। क्या आपने सेकंडहैंड यानि पुरानी किताबों की दुकान से कभी कोई ऐसी किताब खरीदी जिसमें आपको कुछ अनपेक्षित चीज मिली हो, जिसका पुस्तक के पिछले मालिक ने बतौर बुकमार्क (पृष्ठ स्मृति) इस्तेमाल किया था? अगर आपके साथ ऐसा हुआ है तो हैरान न हों, तो आप ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं हैं। नावर मैटम के एक प्रयोक्ता ने अपने एक ब्लॉग पोस्ट "28 सेकंड्स में मिलें अद्वितीय प्रतिभाशालियों से" (28秒に一人の逸材さん) में जापान में मिले इस तरह के बुकमार्क्स की पूरी फेहरिस्त बना रखी है। ट्विटर पर साझा किए गये तस्वीरों में खोजे जाने से पहले कई बुकमार्क्स, जापान में इस्तेमाल किए गए किताबों की दुकानों की एक राष्ट्रव्यापी श्रृंखला बुक ऑफ़ से खरीदी किताबों में पाये गये थे। मैंने ओत्सूची की किताब "ग्रीष्मकाल, आतिशबाजी, और मेरा शव", जो मुझे आखिरकार घर वापसी की ट्रेन सवारी के दौरान बुक ऑफ़ में मिली, पढ़ ली। लेखक ने कुछ बहुत ही विशद चीजों को बड़े उदासीन तरीके से वर्णित किया है, किताब के हिंसात्मक अंत से तो मैं हक्का बक्का रह गया, लेकिन सबसे ज्यादा डरावनी बात थी आखिरी पृष्ठों के बीच बना डूडल। नावर मैटम ब्लॉग पोस्ट में प्रदर्शित अन्य बुकमार्क अप्रकट और कभी-कभी बेचैन कर देने वाले होते हैं। मेरी सैकंड हैंड किताब में एक कागज़ का टुकड़ा था जिस पर एक रहस्यमय कोड अंकित था . मैं वाकई डरा हुआ हूं। (डूडल में भ्रामक, अजीबोग़रीब जापानी भाषा में कुछ लिखा है) ट्वीट: मैंने एक पुस्तक खरीदी है और इसमें निहित पागलपन को महसूस कर सकता हूँ। कुछ और ज़्यादा सनक भरे हैं: मेरी सैकंड हैंड पुस्तक में एक छोटी सी तस्वीर थी . जबकि अन्य बहुत रचनात्मक हैं: मेरी सैकंड हैंड पुस्तक में यह हस्तनिर्मित बुकमार्क (एक सुपरमार्केट विज्ञापन की कतरन) शानदार है। कुछ ऐसे बुकमार्क्स भी हैं जो उस पुस्तक से यकबयक मेल खाते हैं जिनमें वे पाये गये थे: हे भगवान, डोगरा मेग्रा की इस प्रति, जिसे मैंने बुक ऑफ़ में खरीदा था, कुछ है। एक हैलो किट्टी (सैनरियो) बुकमार्क। बुकमार्क पर दर्ज हैं पढ़ने में मुश्किल अक्षर और ठीक उनके पास बारीक लिखाई में उनके उच्चारण मार्गदर्शक। यमनेयो क्यूसाकु के अतिवादी जासूसी उपन्यासों का पाठक होने के नाते मैं अपने उत्साह को छिपा नहीं पा रहा! प्रयुक्त पुस्तकें कमाल की होती हैं! कभी-कभी बुक ऑफ़ पर अप्रत्याशित पुरस्कार भी मिल जाते हैं: तो मैंने बुक ऑफ़ से 108 येन (लगभग 60 रुपये) में एक किताब खरीदी और मुझे इसके अंदर 4000 येन (लगभग 2280 रुपये) मिले। पर समझ नहीं आया कि इसमें 1000 येन के नये और पुराने दोनों नोट क्यों थे। खैर जो भी हो, कुछ तो मिला। कई दफ़ा ये बुकमार्क्स किताब के पिछले मालिक के जीवन के बारे में भी कुछ बयाँ कर जाते हैं। यह किसी मांगा (जापानी कॉमिक्स) में था जिसे मैंने बुक ऑफ़ से खरीदा था। तस्वीरें 1 9 मार्च 1995 को ली गई थीं। नावर मैटम ब्लॉग पोस्ट में और भी अजीब बुकमार्क पाए जा सकते हैं। वियतनाम सरकार की खिलाफत करने वाली कार्यकर्ता को 9 साल की सजा पुलिस की एक टीम जनवरी में त्रण थू नेगा के घर से उन्हें गिरफ्तार कर ले जाते हुये। (फोटो: बा सैम) डॉन ले का यह लेख समाचार वेबसाइट और वियतनाम के ऑनलाइन रेडियो परियोजना लोआ से है, जो वियतनाम के बारे में कहानियां प्रसारित करता है। यह सामग्री-साझाकरण समझौते के भाग के रूप में ग्लोबल वॉयसेज़ द्वारा पुन: प्रकाशित किया गया है। सरकार के प्रति असंतोष के खिलाफ वियतनामी अधिकारियों ने अपने भारी-भरकम दंड देने के रवैये को जारी रखते हये एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता को लंबे कारावास सजा सुनाई है। 25 जुलाई को हां वियत प्रांत में पीपुल्स कोर्ट ने "राज्य के खिलाफ प्रचार करने के अपराध में" त्रण थू नेगा को जेल में नौ साल और पांच साल उनके घर की नज़रबंद रखने की सजा सुनाई। "यह एक अनुचित निर्णय है, नेगा दोषी नहीं है जैसा कि अदालत ने कहा है," नेगा के वकील हां हय सुन्ग ने रॉयटर्स को बताया। अंतर्राष्ट्रीय अधिकार संगठनों ने उसकी गिरफ्तारी के लिए हनोई की कड़ी आलोचना की है। ह्यूमन राइट्स वॉच के उप-एशिया निदेशक फिल रॉबर्टसन ने उनकी सजा से पहले एक बयान जारी किया। वियतनाम सरकार लगातार अपने आलोचकों को चुप कराने के लिए बर्बरता बरत रही है। त्रण थू नेगा जैसे कार्यकर्ताओं पर फर्जी आरोप लगाकर वह लंबी कैद की सजा से उन्हें और उनके परिवार का उत्पीड़न कर रहे हैं। चश्मदीद गवाहों ने बताया कि न्यायालय के बाहर एकत्र नेगा के समर्थकों को रोकने के लिए सैकड़ों पुलिसवालों ने न्यायालय को चारों ओर से घेर रखा था। एक फ्लाईकैम वीडियो ने सुरक्षा पुलिस को आसपास की सड़कों को अवरुद्ध करते दिखाया। नेगा के पति और दो छोटे बेटों को न्यायालय में प्रवेश करने से रोक दिया गया और उन्हें बाहर इंतजार करना पड़ा। फेसबुक पर एक पोस्ट में उनके पति, फन वन फाँग ने लिखा: अदालत ने हमें प्रवेश करने नहीं किया, इसलिए हम सड़कों के आसपास भटकते रहे। हम थके हुए थे, इसलिए मेरे दोनों बच्चे बाहर पेड़ की छाया में बैठे रहे। इस सार्वजनिक मुकदमे में शामिल होने से रोके जाने के बावजूद दर्जनों कार्यकर्ता अन्यायपूर्ण प्रक्रियाओं के विरोध में और नेगा की रिहाई की मांग करते हुये न्यायालय के बाहर धरना दिये बैठे रहे। उनके हाथों "नेगा निर्दोष है" की तख्तियाँ थीं। कई वीडियो में सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी को शांतिपूर्ण रूप से धरना दे रहे प्रदर्शनकारियों से तख्तियाँ को छीन कर फाड़ते देखा गया। उनकी सजा स्वतंत्र अभिव्यक्ति के पक्षधर कार्यकर्ताओं लिए चिंताजनक प्रवृत्ति का प्रतीक है। जून 2017 में, एक प्रमुख ब्लॉगर न्यूयेन नगोक नहू क्विन, जो "मदर मशरूम" के कलम नाम से लिखते थे, को इसी तरह के आरोपों के तहत १० साल की कारावास की सजा सुनाई गई थी। हनाम पीपल्स कोर्ट के बाहर कार्यकर्ताओं का विरोध (फोटो: फेसबुक/Nguyễn Thuý Hạnh) किर्गिस्तानी बहू के इंस्टाग्रामिय नाच गाने से पता चली दुल्हनों की दुर्दशा 21 वर्षीय इंस्टाग्राम प्रयोक्ता सेकाल जुमालियेवा किर्गिस्तानी दुल्हनों की दुर्दशा पर ध्यान दिलाने के लिये एक परंपरागत किर्गिस्तानी तंबू के बाहर 'स्टेयिंग अलाइव' गाते हुये। चित्र विकिपीडिया कॉमन्स, 2006 के अधिकार से। बी जीज़ के एक क्लासिक पश्चिमी डिस्को गीत स्टेयिंग अलाइव को गाते हुये एक किर्गिस्तानी ग्रामीण दुल्हन का एक वीडियो मध्य एशिया में वायरल हो गया है। इसे अब तक लगभग 83000 लोगों ने देखा है और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा किया है। विडियो के द्वारा इस पूर्व सोवियत गणराज्य में लड़कियों के जल्द विवाह की समस्या और ग्रामीण दुल्हनों के जीवन की कठोर वास्तविकता सामने आती है। "गांव का जीवन रात दिन का है। वे हफ्ते के सातों दिन चौबीसों घंटे खटती रहती हैं। " केंद्रीय एशियाई गणराज्यों में लड़कियों का जल्द विवाह, गैरकानूनी होने के बावजूद एक आम समस्या है जहां, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, कम उम्र लड़कियों को मां बाप द्वारा विवाह के लिए मजबूर किया जाता है। इसके अलावा किरगिज़ और कज़ाख लड़कियां दुल्हनों के अपहरण अपराधों से भी पीड़ित हैं। किर्गिस्तान में करीब 12 फीसदी लड़कियों की उनके 18वें जन्मदिन से पहले शादी कर दी जाती है। इस क्षेत्र में अधिकांश नवविवाहित महिलायें अपनी सास ससुर के साथ रहते हैं और पूरे परिवार के लिए खाना पकाने से लेकर घर की साफ सफाई जैसे घर के सारा कामकाज नई दुल्हन के कंधे पर आ पड़ते हैं। समाज उम्मीद रखता है दुल्हन अपने पति के परिवार की सेवा करेगी। ऐसे में वे अपनी स्वतंत्रता, पढ़ाई के अवसर और अधिकांश मामलों में नौकरी करने का अधिकार भी खो बैठती हैं। दुल्हने घरेलू शारीरिक शोषण का शिकार होती हैं और उनकी सास खास तौर पर उनके खिलाफ मनोवैज्ञानिक हिंसा का इस्तेमाल करती रहती हैं। राज्य द्वारा वित्त पोषित राष्ट्रीय कार्यक्रमों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्त पोषित नागरिक समाज की पहल के बावजूद, इस मुद्दे पर उठाये कदम इतने प्रभावी नहीं हुये हैं जिससे इन महिलाओं के जीवन पर स्थायी प्रभाव पड़े। इस किर्गिस्तानी कीजी (किर्गिस्तानी भाषा में लड़की) के इंस्टाग्राम नृत्य जैसे अभिनव तरीके ग्रामीण किर्गिस्तान में दुल्हनों की कठोर वास्तविकताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने में अधिक प्रभावी हैं। गैरकानूनी गिरफ्तारी व पुस्तकों की जब्ती के लिए मलेशियाई राजनीतिक कार्टूनिस्ट ज़ुनार ने पुलिस पर मुकदमा ठोका ज़ुनार ने पुलिस से अपनी 1,187 पुस्तकों और 103 टी-शर्ट वापस करने की मांग की है, जो उनकी गिरफ्तारी के दौरान 17 दिसंबर, 2016 को जब्त किए गए थे। फोटो ज़ुनार कार्टूनिस्ट फैन क्लब के फेसबुक पेज से। अनवरुल हक़, जो ज़ुनार के नाम से प्रख्यात हैं, ने पुलिस पर 17 दिसंबर, 2016 को उन्हें गिरफ्तार करने और कार्टून की किताबें और टी-शर्ट जब्त करने के मामले पर मुकदमा दर्ज किया है। ज़ुनार ने अभियोग लगाया है कि पुलिस ने एक फंड रेसिंग आयोजन के दौरान उनकी अवैध रूप से गिरफ्तारी कर कुल उनसे 1,187 पुस्तकों और 103 टी-शर्ट की। उन्होंने मामला दायर करने का कारण बताया: मेरी पुस्तकें प्रतिबंधित नहीं हैं और मैं केवल फंड रेसिंग आयोजन के अतर्गत अपने प्रशंसकों को यह पुस्तकें उन्हें बेच रहा था। इसमें गलत क्या है? सरकार की नीतियों की आलोचना करने वाले उनके कार्टूनों के कारण पिछले कुछ सालों में ज़ुनार को देशद्रोह का आरोप लगाकर कई बार गिरफ्तार किया गया है। 1950 के दशक के बाद से मलेशिया की राजनीति पर हावी रहे सत्ताधारी गठबंधन द्वारा नागरिक स्वतंत्रता का हनन कर सत्ता का दुरुपयोग किया जाता रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर ज़ुनार की कई कार्टून कितानें अधिकारियों ने जब्त कर ली हैं। ज़ुनार ने एक प्रेस स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपने देश में और बाहर भी मान्यता प्राप्त की है। उन्हें पत्रकारों की सुरक्षा करने वाली समिति, ह्यूमन राइट्स वॉच, और कार्टूनिस्ट राइट्स नेटवर्क इंटरनेशनल से सराहना भी मिली है। उनकी दिसंबर की गिरफ्तारी दंड संहिता की धारा 124 सी के तहत "संसदीय लोकतंत्र के लिए हानिकारक गतिविधियों" के लिए पुलिस की एक जांच से जुड़ी हुई थी। उनसे छह घंटे तक पूछताछ की गई और पुलिस ने उन्हें बताया कि "मेरी सभी पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाने के लिए वे कानून लागू करेंगे। " रिहा होने के तुरंत बाद उन्होंने यह बयान जारी किया: प्रतिभा उपहार नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। भ्रष्टाचार और अन्याय को बेनकाब करने के लिए कार्टूनिस्ट के रूप में मेरी जिम्मेदारी है। क्या मुझे जेल से डर लगता है? हाँ, लेकिन जिम्मेदारी का भाव डर से बड़ा है। आप मेरी पुस्तकों पर प्रतिबंध लगा सकते हैं, आप मेरे कार्टून को रोक सकते हैं, लेकिन आप मेरे दिमाग पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं। मैं अपनी स्याही की आखिरी बूंद तक चित्र बनाता रहूंगा। ज़ुनार संभवतः भ्रष्टाचार के उस घोटाले का जिक्र कर रहे हैं जिसमें प्रधान मंत्री और एक सरकारी स्वामित्व वाली निवेश कंपनी 1MDB शामिल है। प्रधान मंत्री पर आरोप है कि 1MDB द्वारा किए गए कथित असंतोषजनक लेनदेन के माध्यम से 680 मिलियन अमरीकी डालर (लगभग 4,524 करोड़ रुपये) की हेरफेर की गई है। ज़ुनार के वकील एन सुरेंद्रन ने कहा कि पुलिस के खिलाफ मामला दर्ज करना इरादा अधिकारियों को इस तरह की अवैध गिरफ्तारी के खिलाफ चेतावनी देना है: सरकारी अधिकारियों की आलोचना को अपराध मानकर किसी व्यक्ति के खिलाफ किया गैरकानूनी व्यवहार अब और सहन नहीं की जायेगा। यह हर मलेशियाई का लोकतांत्रिक अधिकार है। नये ऐप द्वारा अब दृष्टिहीन भी देख पायेंगे सौर ग्रहण एप्लिकेशन का एक प्रोटोटाइप संस्करण। आभार: कैरोलिन बेयलर/पीआरआई। कैरोलिन बेयलर का यह लेख 11 अगस्त, 2017 को पीआरआईआईजी पर प्रकाशित हुआ था। इसे पीआरआई और ग्लोबल वाइसेज़ की साझेदारी के अंतर्गत पुनः प्रकाशित किया गया है। यह एक पहेली की शुरुआत की तरह लगता है। भला कोई व्यक्ति, जो नेत्रहीन हो, वह अमरीका में 21 अगस्त को होने वाले सूर्य ग्रहण को "देख" कैसे सकता है? इस सवाल का जवाब एक सौर्य खगोलविज्ञानी (एस्ट्रोफिसीसिस्ट) हेनरी "ट्रे" विंटर ने कई महीनों पहले ही खोजना शुरू कर दिया था जब एक अंधे सहयोगी ने उनसे पूछा कि ग्रहण कैसा होता है। "मैं पूरी तरह से सकपका गया था," विंटर ने कहा। "मुझे ज़रा भी सूझ नहीं रहा था कि किसी ऐसे व्यक्ति को यह किस तरह समझा सकूं कि ग्रहण के दौरान क्या होता है, जिसने अपने पूरे जीवन में ग्रहण कभी देखा ही न हो। विंटर को अपने मित्र का बताया एक किस्सा याद आया, कि कैसे ग्रहण के दौरान, जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढंक लेता है, तो भरी दुपहरी में भी झिंगुर अपनी कर्कश ध्वनि शुरू कर देते हैं। तो, उसने अपने सहयोगी को यही किस्सा बयाँ किया। "उसकी प्रतिक्रिया जोरदार थी, और मैं उसी विस्मय की भावना को देश के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहता हूं," विंटर ने कहा। तो विंटर, जो कि कैम्ब्रिज के मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय स्थित हार्वर्ड-स्मिथसोनियन खगोल भौतिकी केंद्र में काम करते हैं, ने यह करने के लिए एक ऐप बनाने का निर्णय लिया जो नेत्रहीन लोगों को इस ग्रीष्मकाल के ग्रहण का अनुभव कराने में मदद करे। कैम्ब्रिज के मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय स्थित हार्वर्ड-स्मिथसोनियन खगोल भौतिकी केंद्र में सौर्य खगोलविज्ञानी हेनरी "ट्रे" विंटर सूर्य का चित्र दर्शाता एक विडियो वॉल दिखाते हुये। आभार: कैरोलिन बेयलर/पीआरआई। " समुदाय को परंपरागत रूप से खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी से बाहर ही रखा गया," विंटर ने कहा, "और मुझे लगता है कि यह एक स्पष्ट चूक है कि अब इसका उत्तर देने का समय आ गया है। ऍकलिप्स साउंडस्केप्स, जो 10 अगस्त को आईपैड और आईफ़ोन के लिए लॉन्च किया गया, उपयोगकर्ता के स्थान के लिए ग्रहण के विभिन्न पहलुओं का समयबद्ध रियल टाइम वर्णन देता है। ऐप में मौजूद एक "रंबल मैप" द्वारा उपयोगकर्ता पिछले ग्रहणों के चित्र स्पर्श कर उस समय की घटनाओं को सुन और महसूस कर सकते हैं। जब आप चित्र में अंधेरे क्षेत्रों, जैसे चंद्रमा के ठोस काले चेहरे, स्पर्श करते हैं, तो वे शांत होते हैं। चंद्रमा के नीचे से बाहर निकलने वाली सूर्य के प्रकाश की तरंगे हल्की गुनगुनाहट उत्पन्न करती हैं और चाँद की घाटियों के पीछे से निकलती प्रकाश की झांकी जैसे उज्ज्वल क्षेत्रों को छूने से उच्च आवृत्तियों का निर्माण होता हैं। इस ध्वनि को कंपन के साथ जोड़ा जाता है, गहरे क्षेत्रों के लिए नर्म और उज्ज्वल स्थानों के लिए अधिक तीव्र कंपन। ऐप के ऑडियो इंजीनियर मिल्स गॉर्डन ने कहा, "हम इस तरह की आवृत्तियों को बनाने में कामयाब रहे जिससे फोन की बॉडी में प्रतिध्वनि हो, इसलिए फोन पूरी तरह स्पीकर का इस्तेमाल कर थरथराता है। भविष्य लिए एक प्रोटोटाइप "इस ऐप का लक्ष्य किसी दृष्टिहीन को वह अनुभव देना नहीं है जो किसी सामान्य दृष्टि वाले व्यक्ति को मिलता है," विंटर ने कहा। "यह प्रोटोटाइप पहला कदम है, जिसके द्वारा हम उपकरण के अगले सेट के निर्माण हेतु सीख ले सकते हैं। दृष्टिहीन लोगों को ग्रहण का अनुभव देने वाले स्पर्शनीय नक्शे और पुस्तकों जैसे अन्य उपकरण भी हैं, लेकिन इन्हें अभी भी विज़ुअल यानि दृश्य प्रस्तुति के पैमानों पर ही समझा जाता है। ग्रहण के साथ साथ होने वाले तापमान, मौसम और वन्यजीवों के व्यवहार में बदलावों पर ध्यान देने वाले उपकरण ना के बराबर हैं। चांसी फ्लीट, जिन्होंने विंटर से कई महीनों पूर्व एक सम्मेलन में ग्रहण का वर्णन करने के लिए कहा था, को जब इस ऐप के बारे में पता चला तो उन्हें इस विचार पर यकीन नहीं था। आभार: कैरोलिन बेयलर/पीआरआई। "यह लगभग एक मजाक की तरह लगता है। " वांडा डियाज़ मर्सिड गामा किरण विस्फोटों पर अपने शोध के दौरान प्रकाश डाटा को आवाज़ में बदलती हुईं। उन्होंने ऐप के नेविगेशन व एक्सेसिबिलिटी सुविधाओं पर सहायता प्रदान की। आभार: कैरोलिन बेयलर/पीआरआई। "इसके बारे में पढ़ा और सुना तो बहुत है अब मैं इसे इस्तेमाल करने के लिए उत्सुक हूं। ", फ्लीट ने कहा, "कोई भी चीज़ कभी भी सिर्फ विज़ुअल नहीं होती। ऐप डेवलपमेंट दल ने वांडा डियाज़ मर्सिड, जो स्वयं एक दृष्टिहीन खगोल भौतिकीविद् हैं, से भी मदद ली ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सॉफ्टवेयर पर नेविगेट करना आसान रहे। उनका मानना है कि यह ऐप लोगों को दिखाएगा कि ग्रहण दिन दहाड़े होते डरावने अंधेरे से कहीं बढ़ कर है। "लोगों को पता चल जाएगा, ओह, मैं यह भी सुन सकता हूं! ", डियाज़ मर्सिड ने कहा, "और, मैं भी इसे छू सकता हूं! "यह बहुत, बहुत, बहुत महत्वपूर्ण है," उन्होनें कहा। धान खेत और भैंस: फिलीपींस के ग्रामीण जीवन की एक झलक सुनिये, क्या आप खेतों और पहाड़ों से आने वाले नए जीवन के गीत सुन सकते हैं? छायाः लिटो अकाम्पो, पूर्वानुमति से प्रकाशित। प्रसिद्ध फोटोग्राफर और एकटिविस्ट लिटो अकाम्पो फिलिपींस के राजधानी मनीला के शोर और धूल से बचने के लिए लुज़ोन आइलैंड के मध्य भाग में स्थित अपने जन्मस्थान पाम्पंगा में अक्सर घूमने जाते हैं। उनकी ये यात्रा उन्हें अपने जन्मस्थान के उस अनोखे सौंदर्य का आनंद देता है जो उन्हें अपने बचपन की याद दिलाती है। अकाम्पो ने ग्लोबल वॉयसेज़ के साथ जो फोटो साझा किये हैं, वे सिर्फ सपाट कृषि क्षेत्र का दृश्य ही नहीं प्रस्तुत करते हैं, वरन अनजाने में ही फिलिपींस की कृषि की दशा भी बयां करते हैं। इसका एक उदाहरण, अभी भी भैंस द्वारा खेत जोतना देश की कृषि क्षेत्र के पिछड़े हालात को दर्शाता है। फसलों को सुखाने के लिए सड़कें के उपयोग से किसानों को उपलब्ध सुविधाओं की कमी के संकेत मिलते हैं। सुस्ताये ग्रामीण जीवन के नज़ारों के साथ ही अकाम्पो अन्य युवा छायाकारों को याद दिलाते हैं कि वे गाँव के निवासियों की दुर्दशा को भी महसूस करें, खासकर किसानों के बारे में, जो कि इस देश के सबसे गरीब समुदायों में से एक हैं और खेतों में कमरतोड़ मेहनतकशी करने के कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के शिकार होते हैं। जब शहरीकरण फैल रहा हैं, तब अकाम्पो के गाँव की तरह किसी भी गाँव या हरे भरे इलाके को वाणिज्य भूमि या पर्यटन स्थल में तुरत फुरत बदलना कोई बड़ि बात नहीं। अकाम्पो की तस्वीरें का इस्तेमाल लोगों को भूमि उपयोग से जुड़ी समस्याओं व भूमि सुधार कार्यक्रमों की स्थिति के बारे में जागरूक करने और पर्यावरण की सुरक्षा की जरूरत के बारे में चेताने के लिए भी किया जा सकता है। पाम्पाँगा प्रदेश के स्टा. रिटा अंचल में एक आभासी यात्रा में चले: मछुआरों के बाद, फिलीपींस के किसान देश के सबसे गरीब हैं। छायाः लिटो अकाम्पो। छायाः लिटो अकाम्पो। छायाः लिटो अकाम्पो। छायाः लिटो अकाम्पो, पूर्वानुमति से प्रकाशित। बिजली के तारों पर गौरैया, चावल के खेत पर हमला करने की प्रतीक्षा कर रहे। छायाः लिटो अकाम्पो, पूर्वानुमति से प्रकाशित। धान खेत में गौरैया की ताक झाँक। छायाः लिटो अकाम्पो, पूर्वानुमति से प्रकाशित। भैंसों का तबेला। सिंचाई के लिये निर्मित एक नहर। छायाः लिटो अकाम्पो। पूर्वानुमति से प्रकाशित। बांग्लादेशी शादियों में सांस्कृतिक बदलाव के चलते बदल रहा है खानपान दुल्हा और दुल्हन अपनी शादी में पोज़ करते हुये। चित्रः सनीम हक़। पूर्वानुमति से प्रकाशित। तिस पर यदि आप खाने पीने के शौकीन हैं तो किसी बांग्लादेशी शादी में भाग लेने का मौका नहीं छोड़ना चाहेंगे। बंगालियों को अपने खान पान से वैसे ही प्यार है तो यह आश्चर्य की बात नहीं कि वे अपने विवाह समारोहों मे व्यंजनों के बारे में कोई कसर नहीं छोड़ते। बांग्लादेश में शादी का मौसम आम तौर पर दिसंबर से जनवरी तक चलता है, जब तापमान में ठंडक रहती है। अमूमन हर शादी के मेनू में पुलाव, बिरयानी, भुना हुआ चिकन, कोरमा, कबाब, रज़ाला और बोर्हानी जैसे खाद्य पदार्थ शामिल रहते ही हैं। मीठे में मीष्टी दोई (मीठी दही), पायेश (खीर), जॉर्दा और विभिन्न प्रकार की मिठाइयां शामिल होती हैं। जब दूल्हा बारात लेकर पहुंचता है तो उसका शर्बत और मिठाई के साथ स्वागत किया जाता है। उपन्यासकार और पत्रकार इराज़ अहमद अपने बचपन की याद करते लिखते हैं : गली की शरुवात में लाल, अतिथियों का स्वागत करता सफेद और हरे कपड़े से लिपटा एक विशाल द्वार खड़ा होगा। चिलचिलाती धूप में, बिरयानी से लबालब विशाल देगचियाँ ईंटों के कच्चे चूल्हों पर चढ़ी होंगी। पूरा इलाका चूल्हों के धुएं से सराबोर होगा। छत पर, तिरपाल के नीचे हल्के भूरे रंग की कुर्सियां और टेबल लगाये गये होंगे। आप विभिन्न लोगों को मधुमक्खियों की तरह कार्यों में व्यस्त देख सकेंगे। और कुछ भरपेट भोजन के पश्चात अपने त्योहारी कपड़ों पर करी के दाग लगाये समारोह स्थल से बाहर आयेंगे। अनजाने ही वे स्थानीय दुकान पर सेवनअप (पेय) या एक पान खरीदने के लिए आगे बढ़ चलेंगे। आबोहवा खुशी से भर जायेगी। कई साल पहले तक यह ढाका में एक विशिष्ट शादी का दृश्य हुआ करता था। उन दिनों में लोग यह मानते थे कि मेहमानों को किसी केटरर द्वारा भोजन परोसना बुरी बात है, हालांकि अब लोग वर्तमान समय की वास्तविकता के साथ कदमताल करने लगे हैं। पश्चिम बंगाल के सिद्धार्थ मुखोपाध्याय, बंगाली शादियों में आये परिवर्तन के बारे में लिखते हैं: अब मेजबान केटरर को ही सारी ज़िम्मेदारी देकर आतिथ्य के बारे में सुनिश्चित हो जाना चाहते हैं। मेहमानों की व्यक्तिगत रूप से आवभगत करने की प्रवृत्ति भी बदल गई है। पहले तो रिवाज़ था कि अगर आपने मेहमानों को उनके घरों में जाकर व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित नहीं किया, तो समझ लीजिये कि वे आयेंगे ही नहीं। अब, यह कभी-कभी फ़ोन कॉल के माध्यम से होता है और आजकल तो लोग फेसबुक या व्हाट्सएप के माध्यम से भी शादी के निमंत्रण स्वीकार कर रहे हैं! बांग्लादेशी शादी के नये मेनू की एक झलक शादी की संस्कृति में बदलाव के साथ, बांग्लादेशी व्यंजनों में शादी के खाद्य पदार्थों में भी बदलाव आ गया है। इससे पहले सादे व्यंजन, जैसे पुलाव, भुना चिकन, मसालेदार मटन रेजाला (करी), बीफ फ्राई, टिकिया (मटन कीमा से बनी पैटी), टमाटर और ककड़ी और बोरानी के साथ सलाद, और मीठे में जॉर्दा या चावल का हलवा परोसे जाते थे। अब, ज्यादातर मुगल व्यंजन बिरयानी जैसे जटिल और भव्य व्यंजन चुने जा रहे हैं। दूल्हे के लिए भी विशेष व्यवस्था होती है। संपन्न परिवारों में रिवायत है कि दुल्हे के लिए एक समूचे भेड़ का भुना माँस परोसा जाये। दूल्हे का मिठाई के साथ स्वागत। छायाः सनीम हक़। लैंब रोस्ट छायाः सनीम हक़। जमाई के स्वागत के लिये। छायाः सनीम हक़। सादा पुलाव यह लोकप्रिय मुख्य पकवान लगभग सभी बंगाली शादियों में परोसा जाता रहा है। सादा पुलाव प्याज़, हरी मिर्च, मटर, घी और कभी-कभी अन्य परिवर्धन के साथ सुगंधित चावल (बासमती, चिनीगुरा आदि) से बनता है। यह भुने हुये या रसेदार गोश्त के साथ परोसा जाता है (अलग व्यंजन)। सादा पुलाव - एक साधारण मसालेदार चावल पकवान। छायाः सनीम हक़। छायाः सनीम हक़। बिरयानी दक्षिण एशियाई मिश्रित चावल के पकवान बिरयानी को परोसना अब लाज़मी बन गया है। पूर्वानुमति से प्रकाशित। छायाः सनीम हक़। बिरयानी बनाने के लिए बासमती जैसा सुगंधित चावल, मांस (चिकन, मटन, बीफ या मछली), घी और अन्य मसालों को परत दर परत जमाकर पकाया जाता है। पूर्वानुमति से प्रकाशित। पुलाव (जिसे भुने या रसेदार व्यंजनों के साथ खाया जाता है) के विपरीत बिरयानी में मांस और मसालों (और सब्जियों) का समावेश होता है। ग्लोबल वॉयसेज़ शिखर सम्मेलन, कोलंबो, २०१७ सेः "इन टू द डीप" पॉडकास्ट दिसंबर २०१७ में कोलंबो, श्रीलंका के एक छोटे होटल के गेम रूम में — जहाँ एकोस्टिक ठीकठाक था और बाहर चल रहे अंधड़ का पता न चलता था — दुनिया भर से ग्लोबल वॉयसेज़ के दस लेखक जमा हुये अंतर्राष्ट्रीय दोस्ती, अंतर-सांस्कृतिक सहयोग और समुदाय के महत्व के बारे में चर्चा करने के लिये। वे मीडिया, समुदाय और संगठन के भविष्य पर चर्चा करने के लिए द्विवार्षिक ग्लोबल वॉयसेज़ शिखर सम्मेलन के लिए माउंट लैविनिया होटल में एकत्र हुए 60 देशों के सौ लेखकों, अनुवादकों और संपादकों में से थे। इन टू द डीप हमारा पॉडकास्ट है जहां हम एक ऐसे विषय में गहरी पड़ताल करते हैं जिसे मुख्यधारा के मीडिया का कवरेज नहीं प्राप्त हो रहा है। और इस पॉडकास्ट में हम आपको नवीनतम ग्लोबल वॉयसेज़ शिखर सम्मेलन की एक झलक बता रहे हैं। ग्लोबल वॉयसेज़ जुनूनी लोगों का एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है जो अपने क्षेत्रों में होने वाली ऑनलाइन बातचीत पर नज़र रखते हैं। 1400 से अधिक योगदानकर्ता, जिनमें ज्यादातर स्वयंसेवक हैं, 167 देशों से खबरें कवर करते हैं और उनका 30 से अधिक भाषाओं में अनुवाद करते हैं। 2005 से हम अपनी डिजिटल रिपोर्टिंग के माध्यम से "आपसी समझ के पुलों" का निर्माण करते आये हैं। इस कड़ी में, हमने Free Music Archive से Creative Commons licensed संगीत का उपयोग किया है, जिनमें शामिल हैं केविन मैक्लियोड द्वारा रचित, राइट आफ पैसेज, क्वासी मोशन, और टिकोपिया. फ़ीचर में प्रयुक्त चित्र फैरिस एडम ग्लोबल वॉयसेज़ शिखर सम्मेलन में ली गई एक सेल्फ़ी है। पूर्वानुमति से प्रकाशित। एक भारतीय प्राध्यापक बना रहे हैं प्लास्टिक कचरे से टिकाऊ सड़कें टोड रेबॉल्ड द्वारा रचित यह लेख मूल रूप से अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय समाधान के क्रियान्वयन पर ध्यान देते प्रकाशन Ensia. प्लास्टिक प्रदूषण दुनिया के समक्ष प्रस्तुत सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। पिछले हफ्ते, विज्ञान पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट्स में लिखने वाले वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि ग्रेट पैसिफ़िक में जमे कचरे के मलबे का वजन हमारे अनुमान से चार से 16 गुना अधिक था। इसका मतलब यह है कि प्लास्टिक कचरे का पुनर्चक्रण यानि रीसायक्लिंगऔर उसके पुन: उपयोग करने के तरीकों को ढूंढना अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। भारत के मदुरई शहर स्थित त्यागराज कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में प्रोफेसर राजगोपालन वासुदेवन ने पूरे देश में प्लास्टिक कचरे की लगातार बढ़ती समस्या देखकर एक ऐसी विधि का ईजाद किया जिससे रीसाइकल किये और कटे हुए प्लास्टिक कचरे को टिकाऊ सड़कों में बदला जा सके। जब मैंने काम शुरू किया, तो कुछ अमेरिकी कंपनियों को इस बात की भनक लगी और मुझे बहुत सारा पैसे देने की पेशकश की गई। वे चाहते थे कि प्रौद्योगिकी उन्हें दी जाए, लेकिन मैंने कहा नहीं, मैं इस प्रौद्योगिकी को अपने देश को मुफ्त देना चाहता हूं। अब तक, भारत में हजारों किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण उनकी खोजी तकनीक से किया गया है, जिससे प्लास्टिक कचरे की मात्रा को कम किया जा सका जो अन्यथा पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता। 1 मिलियन) किलोमीटर लंबे मार्ग हैं पर इस तकनीक का प्रयोग करते हुये केवल 1 लाख किमी सड़कों का ही डामरीकरण किया गया है। यह तकनीक अन्य सड़कों के डामरीकरण के लिये प्रेरणा सिद्ध हो सकती है। इस वीडियो को बुडापेस्ट, हंगरी स्थित फिल्म निर्माता सेठ कोलमन ने बनाया व संपादित किया।