बहुत बहुत धन्यवाद,क्रिस. और यह सच में एक बड़ा सम्मान है कि मुझे इस मंच पर दोबारा आने का मौका मिला. मैं बहुत आभारी हूँ मैं इस सम्मलेन से बहुत आश्चर्यचकित हो गया हूँ, और मैं आप सबको धन्यवाद कहना चाहता हूँ उन सभी अच्छी टिप्पणियों के लिए, जो आपने मेरी पिछली रात के भाषण पर करीं. और मैं बहुत इमानदारी से कहता हूँ, आंशिक रूप से इसलिए क्यूंकि -- (झूठे आंसू) -- मुझे इनकी ज़रुरत है (हँसना) . आप अपने आप को मेरी स्थिति में रखें ! मैं आठ साल तक उप-राष्ट्रपति था अब हवाई जहाज़ पर चढ़ने के लिए, मुझे अपने जूते उतारने पड़ते हैं. (हंसना) (तालियां) मुझे कैसा मह्सूस हो रह है, इस्के लिये मै आपको एक छोटी कहानी सुनाता हूँ. यह एक सच्ची कहानी है. इसका हर एक शब्द सच है टिप्पर और मेरे छोड़ने के ठीक बाद --(झूठे आंसू)-- व्हाइट हाउस --(हँसना )-- हम अपने नैशविल के घर से अपने एक छोटे से फार्म की तरफ गाडी में जा रहे थे नैषविल से पचास मील पूरब में अपने आप गाड़ी चलाते हुए मुझे पता है कि आपको यह एक छोटी बात लगती है ,पर --(हंसना) -- मैंने गाड़ी के शीशे में पीछे देखा, और अचानक मुझे यह आभास हुआ. कि पीछे गाड़ियों का कोई काफिला नहीं था. आपने कभी भूतिए दर्द का नाम सुना है? (हँसना ) यह एक किराये कि फोर्ड टौरस थी. और रात के के भोजन का समय हो गया था और हमने खाना खाने के लिए एक जगह ढूँढनी शुरू कर दी हम आई-४० पर थे.हमने लेबनन, तेंनेस्सी कि ओर जाने वाली २३८क्रमांक सड़क पकड़ी हम उस सड़क से उतर गए, और ढूँढने लगे ---हमें एक शोने भोजानालय मिल गया . जो नहीं जानते हैं, उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि यह एक कम आय वाले परिवारों के लिए भोजनालय श्रृंखला है. हम अन्दर गए और जाकर अपनी मेज़ पर बैठ गए , ओर तब एक महिला बैरा हमारे पास आ गयी टिपर को लेकर एक बड़ा हंगामा किया. (हंसना) उसने हमारे भोजन का आदेश लिया और फिर हमारी पास वाली मेज़ पर बैठे युगल के पास चली गयी और उसने अपनी आवाज़ इतनी धीमी कर ली, कि वह क्या कह रही है, यह सुनने के लिए मुझे काफी जोर लगाना पड़ा और उसने कहा," हाँ यह पूर्व उप-राष्ट्रपति अल गोर और उनकी पत्नी टिप्पर हैं" और तब वहां बैठे आदमी ने कहा, "इन्हें भी कैसे दिन देखने पड़ रहे हैं , नहीं ? "(हंसना) यह आविर्भाव की एक श्रंखला हो गयी है इस सच्ची घटना को आगे बढाते हुए , अगले दिन ही मैं एक जी-५ विमान से उड़ कर नाईजीरिया एक भाषण देने गया उर्जा के विषय पर, लागोस शहर में मैने अपना भाषन पिछिलि रात कि कहानी से शुरु किया जो नैषविल में हुआ था और मैंने उन्हें करीब करीब वही बताया जो मैंने अभी आपको बताया टिप्पर और मैं गाड़ी में जा रहे थे, शोनी'स, कम आय वाले परिवारों के लिए भोजनालय श्रृंखला, पुरुष ने क्या कहा था -- वे हँसे. मैंने अपना भाषण दिया और फिर घर की तरफ उड़ान भरने के लिए हवाई अड्डे चला गया. मैं हवाई जहाज़ पर सो गया, करीब आधी रात तक, हम अजोरेस द्वीप पर इंधन भरने के लिए उतरे. मैं उठा, उन्होंने द्वार खोला , मैं ताज़ी हवा के लिए बाहर निकला , और मैंने देखा की विमान पट्टी पर एक आदमी दौड़ रहा है. और वह कागज़ का एक टुकड़ा लहरा रहा था, और चिल्ला रहा था , "वॉशिंगटन से संपर्क करें !वॉशिंगटन से संपर्क करें! " और मैंने मन ही मन सोचा, आधी रात में , एटलांटिक के बीच में आखिर क्या गड़बड़ हो सकती है वॉशिंगटन में ? फिर मुझे याद आया की कई सारी चीज़ें हो सकती हैं. (हँसना) पर हुआ यह था कि मेरा सहायक दल काफी नाराज़ था क्यूंकि नाईजीरिया में एक समाचार सेवा ने मेरे भाषण के ऊपर एक कहानी प्रस्तुत करी थी . और वह संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के सभी शहरों में छप चुकी थी -- वह मोंटेरे में छपी थी , मैंने जांच करी थी. और कहानी ऐसे शुरू हुई थी , "पूर्व उप-राष्ट्रपति अल गोर ने कल नाईजीरिया में यह एलान किया कि, 'मेरी पत्नी टिप्पर और मैंने कम आय वाले परिवारों के लिए भोजनालय श्रंखला खोली है, जिसका नाम शोनी'स है . और हम उसे खुद ही चलाएंगे . "(हँसना) इससे पहले कि मैं अमेरिका की धरती पर कदम रखता , डेविड लेटरमेन और जे लेनो पहले ही शुरू हो गए थे -- उनमें से एक ने मुझे रसोइये कि बड़ी सफ़ेद टोपी पहने हुए दर्शाया, टिप्पर कह रही थी, " एक और बर्गर , फ्राइस के साथ !" तीन दिनों बाद मुझे, एक सुन्दर, लम्बा, अपने दोस्त और भागीदार के हाथों लिखा ख़त मिला जिसमें बिल क्लिंटन कह रहे थे," नए भोजनालय पर बधाईयाँ , अल !" (हँसना) हमें जीवन में एक दूसरे की सफलता का जश्न मनाते हैं . मैं जानकारी पारिस्थितिकी के बारे में बात करने जा रहा था पर मैंने सोचा कि , क्यूंकि मैं टेड पर जीवन भर आने कि आदत डालने वाला हूँ , मैं इस बारे में कभी और बात कर सकता हूँ . (तालियाँ ) क्रिस एंडरसन : यह सौदा पक्का! ! अल गोर : मैं उस पर ध्यान केन्द्रित करना चाहता हूँ जिस पर आपमें से कई लोगों ने मुझसे विस्तार माँगा है .™ आप जलवायु संकट के बारे में क्या कर सकते हैं? मैं शुरुआत करना चाहूँगा -- मैं कुछ नयी तसवीरें दिखाऊंगा , और मैं केवल चार या पांच को दोहराऊंगा. अब, स्लाइड शो की बारी. हर बार इसे दिखाने से पहले मैं इसे सुधारता हूँ. मैं इसमें नयी छवियों को जोड़ता हूँ क्यूंकि हर बार मैं इसके बारे में कुछ नया सीखता हूँ यह एक तरह से समुद्रतट को छानने समान है. हर बार जब लहरें आकर पीछे जाती हैं, आप कुछ और सीपियाँ पाते हैं. केवल पिछले दो दिनों में , हमें जनवरी के तापमान के लिए नए कीर्तिमान मिले हैं यह सिर्फ संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के लिए ऐतिहासिक औसत है. जनवरी का ३१ डिग्री है. पिछले महीने ३९.५ डिग्री था. अब, मुझे पता है कि आप पर्यावरण के बारे में कुछ और भी बुरी खबर सुनना चाहते थे. --मैं मजाक कर रहा हूँ --लेकिन ये पुनर्कथन स्लाइड हैं, और फिर आप क्या कर सकते हैं, यह समझाने के लिए मैं तथ्य बताऊगा मगर मैं इनमें से दो बातो को विस्तार से समझाना चाहता था सबसे पहले, यह अनुमान है भुमंडलिय उष्मीकरण में अमेरिका के योगदान का हमेशा की तरह.बिजली और हर प्रकार की उर्जा के उपयोग में कार्य-कुशलता हमारी पहुँच में है.कार्यकुशलता और संरक्षण: यह एक कीमत नहीं, एक लाभ है. इस पर निशान गलत है यह सकारात्मक है नकारात्मक नहीं.इस प्रकार के निवेश खुद अपनी लागत का भुगतान कर देते हैं और यह काफी प्रभावी हैं , हमें हमारे रास्ते से मोड़ने में. कारों और ट्रकों -- इनके बारे में बात करी हैं मैंने स्लाइड शो में, पर मैं चाहता हूँ की आप इसे अपने परिप्रेक्ष्य में रखें. यह चिंता का एक आसान, दीखई देने वाला चिन्ता का विषय है, और होना भी चाहिए लेकिन इमारतों से आता भुमंडलिय उष्मीकरण प्रदूषण ज्यादा है कारों और ट्रकों से आने वाले से . कार और ट्रक बहुत महत्वपूर्ण हैं, और हमारे मानक दुनिया में न्यूनतम स्तरों पर हैं और हमें इस बारे में सोचना चाहिए.लेकिन यह पहेली का सिर्फ एक हिस्सा है. अन्य परिवहन क्षमता में कार्यकुशलता कारों और ट्रकों के समान ही महत्वपूर्ण है. तकनीकी दक्षता के वर्तमान स्तर पर नवीकरणीय इतना फर्क कर सकते हैं, और विनोद, जॉन दोएर्र एवं अन्य लोग आप में से कई -- कई सारे लोग इसमें सीधे तरीके से शामिल हैं-- की सहायता से यह वर्तमान अनुमानों से कई तेजी से नीचे गिर सकती है. कार्बन कैद और ज़ब्ती -- यह ककस का सिद्धांत है -- यह एक महान खोज हो सकती है जो हमें एक सुरक्षित रूप में जीवाश्म ईंधन का उपयोग करते रहने में सक्षम करेगी. अभी हम वहां तक नहीं पहुंचे हैं. ठीक है. अब आप क्या कर सकते हैं ? अपने घरों से उत्सर्ग कम कीजिये इनमे से कई सारे खर्चे लाभदायक भी हैं. विसंवाहन, बेहतर रचना,जहाँ आप कर सकें वहाँ प्राकृतिक उर्जा खरीदें. मैंने मोटर-गाड़ियों का ज़िक्र किया था -- हाइब्रिड खरीदें.हल्की रेल का उपयोग करें कुछ अन्य, बेहतर विकल्पों के बारे में सोचें. यह ज़रूरी है. एक प्राकृतिक उपभोक्ता बनें. आपके पास हर चीज़ जो आप खरीदते हैं, उसके लिए विकल्प हैं कठोर प्रभाव वाली चीज़ों या कम कठोर प्रभाव , विश्व की जलवायु पर, वाली चीज़ों के बीच. यह सोचें. एक कार्बन-तटस्थ जीवन जीने का निर्णय करें. आप में से जो विज्ञापन करने में अच्छे हैं, मैं आपकी सलाह और मदद चाहूँगा कि कैसे यह ज्यादा से ज्यादा लोगों को समझाया जा सके. जितना आप सोचते हैं, यह उससे आसान है. वाकई आसान है. हम में से कई लोगों ने यह निर्णय लिया है और यह वाकई काफी आसान है. कई विकल्पों के ज़रिये अपने कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करें, और जो पूरी तरह कम नहीं हो सके हैं, उनके लिए विकल्प खरीदें. इसे विस्तार से climatecrisis.net पर समझाया गया है . वहाँ एक परिकलित्र (कैलकुलेटर) है. पार्टिसिपांट प्रोडक्शन्स ने बुलाया मेरी सक्रिय भागीदारी के साथ, दुनिया के बेहतरीन सॉफ्टवेर लेखक कार्बन गणना के इस रहस्यमय विज्ञान पर, ताकि वो बना सकें उपभोक्ता के अनुकूल कार्बन कैलकुलेटर. आप बहुत सटीक गणना कर सकते हैं अपने CO2 उत्सर्जन की, और फिर आपको कम करने के लिए विकल्प दिए जायेंगे. और जिस समय मई में फिल्म बाहर आएगी, यह 2.0 में अद्यतन किया जाएगा. और आप विकल्पों को वहीँ से खरीद पायेंगे अगले, अपने व्यापार को कार्बन-तटस्थ बनाएं . फिर से, हम में से कुछ ने ऐसा किया है, और जितना आपको लगता है, यह उतना कठिन नहीं है.अपने सभी नवाचारों में जलवायु समाधान को एकीकृत करें, चाहे आप प्रौद्योगिकी में हो ,मनोरंजन में या डिजाइन और वास्तुकला समुदाय में. चिरस्थायी निवेश करें.मजोरा ने इसका उल्लेख किया था यदि आपने प्रबंधकों के साथ पैसे का निवेश किया है, जिन्हें आप वार्षिक प्रदर्शन के आधार पर वेतन देते हैं, फिर कभी तिमाही रिपोर्ट के सीईओ प्रबंधन के बारे में शिकायत नहीं करना. समय के साथ, लोग उतना ही करते हैं, जितने के लिए आप उन्हें वेतन देते हैं.और यदि वे अनुमान लगाना चाहें कि उन्हें कितना वेतन मिलेगा उस पूँजी पर जो उन्होंने निवेश की है अल्पकालिक लाभ के आधार पर, तो वे अल्पकालिक निर्णय ही लेंगे. इस बारे में और भी काफी कहा जाएगा. परिवर्तन के एक उत्प्रेरक बनें.दूसरों को सिखाएं , खुद सीखें , इस बारे में बात करें फिल्म प्रदर्शित होने जा रही है -- फिल्म उस स्लाइड शो का एक फिल्म संस्करण है जो मैंने दो रात पहले दिया था, पर यह काफी अधिक मनोरंजक है .और यह मई में प्रदर्शित होने जा रही है आप में से कई लोगों के पास अवसर है यह सुनिश्चित करने का कि कई लोग इसे देखें, किसी को नैषविल भेजने पर विचार करें. ध्यान से चुनें . और मैं व्यक्तिगत रूप से लोगों को यह स्लाइड शो देने की शिक्षा दूंगा,थोडा अलग जिसमें कुछ व्यक्तिगत कहानियों को एक सामान्य दृष्टिकोण से बदल दिया जाएगा, और -- यह केवल स्लाइड के बारे में नहीं है , यह उनके मतलब के बारे में है. और वह कैसे एक दुसरे से जुड़ती हैं , उसके बारे में है इसलिए मैं गर्मियों में एक पाठ्यक्रम आयोजित करूंगा उन लोगों के समूह के लिए, जिन्हें अलग अलग लोगों ने मनोनीत किया है , ताकि वो आयें और फिर दें सामूहिक रूप में , देश के सभी समुदायों में, और हम उन सभी के लिए हर हफ्ते इस स्लाइड शो का अद्यतन करेंगे जिससे कि यह हमेशा आधुनिक रहे. लेर्री लेस्सिग के साथ काम करते करते , इसे किसी समय पर उपकरणों और सीमित उपयोग प्रकाशनाधिकार के साथ पेश किया जाएगा, ताकि नौजवान इसे बदल कर अपने तरीके से कर सकें. (तालियाँ) किसी को ऐसा क्यों लगता है की उन्हें राजनीति से दूर रहना चाहिए? इसका मतलब यह नहीं है की अगर आप रिपब्लिकन हैं तो मैं आपको मना रहा हूँ डेमोक्रेट बनने के लिए.हमें रिपब्लिकन्स की भी ज़रुरत है. यह एक द्विदलीय मुद्दा हुआ करता था, और मैं जानता हूँ की इस दल में यह वाकई ऐसा है.राजनीति में सक्रिय बनें . हमारे लोकतंत्र को चलायें उस तरह जिस तरह उसे चलना चाहिए. CO2 उत्सर्जन,भुमंडलिय उष्मीकरण प्रदूषण को कम करने के ख्याल का समर्थन करें ऐसे व्यापार का भी समर्थन करें.इसका यह कारण है : जब तक संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया की प्रणाली से बाहर है, यह एक बंद व्यवस्था नहीं है. अमेरिकी भागीदारी से जब यह एक बंद व्यवस्था हो जाती है तब हर कोई जो एक कंपनी का निर्देशक है -- यहाँ पर कितने लोग एक कंपनी के निर्देशक के रूप में कार्यरत हैं ? जब यह एक बंद व्यवस्था हो जायेगी , तब आप कानूनन जिम्मेदार होंगे , अगर आप अपने मुख्य कार्यकारी अधिकारी से आग्रह नहीं करेंगे कि वह कार्बन उत्सर्जन ,जिससे बचा जा सकता है, को कम करके ज्यादा से ज्यादा मुनाफा बनाएं . अगर हम इस काम को पूरा करते हैं, तो बाज़ार खुद इस समस्या का हल निकाल लेगा. वसंत में शुरू होने वाले जन अनुनय अभियान में मदद करें. हमें अमेरिकी लोगों के विचारों को बदलना पड़ेगा.क्यूंकि अभी राजनीतिज्ञों के पास जो कार्य करना चाहिए, वह करने कि अनुमति नहीं है . और हमारे आधुनिक देश में, अब कारण एवं तर्क कि भूमिका धन और सत्ता तरह के बीच मध्यस्थता करना नहीं रही है अब यह टीवी पर आने वाले ३० सेकंड, २८ सेकंड के विज्ञापन का दोहराव है हमें ऐसे कई विज्ञापन खरीदने पड़ेंगे . जैसा कि आप में से कईयों ने सुझाव दिया है ,भुमंडलिय उष्मीकरण को एक नए नज़रिए से देखें . मैं जलवायु पतन के बजाय जलवायु संकट को ज्यादा चाहता हूँ, लेकिन एक बार फिर से, आप में जो विज्ञापन में अच्छे हैं, मुझे आपकी मदद कि ज़रुरत है . किसी वैज्ञानिक ने मुझे बताया कि हमारे सामने जो परीक्षा है, कि क्या हम अपने दिमाग का सही इस्तेमाल कर पायेंगे . यह सच है. मैंने यह पिछली रात को भी कहा था और फिर से दोहराता हूँ: यह एक राजनितिक मसला नहीं है यहाँ मौजूद रिपब्लिकन्स , यह द्विदलीय मुद्दा नहीं होना चाहिए. तुम्हारे पास, हम में से जो कुछ डेमोक्राट्स हैं, से अधिक प्रभाव है . यह एक मौका है.सिर्फ यही नहीं, परन्तु यहाँ पर दुसरे ख्यालों से जुडा भी उन्हें और अनुकूल बनाएं हम एक हैं. आपका बहुत बहुत धन्यवाद. मैं बहुत आभारी हूँ (तालियाँ) ऐड्स और बर्ड फ़्लू पर चिंता करना जायज़ है और इनके बारे में हम बुद्धिमान डॉ. ब्रिलिएंट से बाद में सुनेंगे -- आज मैं कुछ दूसरी महामारियों के बारे में बताना चाहता हूं जैसे हृदयरोग, डाइबिटीज़, ब्लड प्रेशर -- कम-से-कम 95% व्यक्तियों में इन रोगों को केवल आहार और जीवनशैली में परिवर्तन लाकर बढ़ने से रोका जा सकता है. देखने में यह आ रहा है कि इन रोगों का वैश्वीकरण हो रहा है एवं अन्य लोग हमारी तरह भोजन ले रहे हैं, जी रहे हैं, और मर रहे हैं. उदाहरण के लिए, एक ही पीढ़ी में एशिया में हृदय रोग, मोटापा, और डाइबिटीज़ न्यूनतम से अधिकतम के स्तर पर पहुंच चुके हैं. अफ़्रीका के अनेक देशों में हृदयरोगों के कारण होनेवाली मृत्युदर HIV और AIDS के कारण होनेवाली मौतों से भी अधिक हो चुकी है. अब हमारे सामने यह संकटपूर्ण अवसर आ गया है कि हम ऐसे रचनात्मक परिवर्तन लाएं जिनसे लाखों व्यक्तियों के जीवन में बदलाव आए और विश्व में रोगनिवारक औषधि के उपयोग को बढ़ावा मिले. हृदय एवं रक्त वाहिनियों की बीमारियां न केवल इस देश में बल्कि पूरे विश्व में अन्य रोगों से होनेवाली मौतों के योग से भी अधिक संख्या में लोगों को अपना शिकार बना रही हैं जबकि हर व्यक्ति को इनसे पूरी तरह से बचाया जा सकता है. इन्हें न केवल रोका जा सकता है बल्कि वास्तव में इनका उपचार भी किया जा सकता है. और पिछले लगभग 29 वर्षों से हम इन अत्याधुनिक और महंगे उपकरणों द्वारा सफलतापूर्वक यह दिखा रहे हैं और सिद्ध कर रहे हैं कि केवल आहार तथा जीवनशैली मे परिवर्तन लाकर किस प्रकार कम लागत और साधारण तकनीक का प्रयोग करके इनकी रोकथाम की जा सकती है. ये है क्वांटिटेटिव आर्टेरियोग्राफ़ी, एक साल पहले और एक साल के बाद, और ये कार्डियक PET स्कैन हैं. हमने कुछ महीने पहले यह दिखाया -- हमने पहली रिसर्च प्रकाशित की जो दिखाती है कि आहार और जीवनशैली में बदलाव लाकर हम प्रोस्टेट कैंसर की बढ़त को रोक सकते हैं या कम कर सकते हैं और ट्यूमर की बढ़त में 70% तक की कमी आई या उसका बढ़ना कम हो गया, जबकि नियंत्रित समूह में यह केवल 9% ही कम हुआ. और इन MRI या MR स्पेक्ट्रोस्कोपी में प्रोस्टेट ट्यूमर गतिविधि लाल रंग से दिखाई गई है -- आप इसे एक साल बाद घटता हुआ देख सकते हैं. अब मोटापा एक महामारी बन गया है. दो-तिहाई वयस्क और 15% बच्चे इससे ग्रस्त हैं. सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि पिछले दस वर्षों में इसमें 70% की बढ़त हुई है और शायद यह पहली पीढ़ी होगी जिसमें बच्चों की आयु हमारी आयु से कम होगी. यह बहुत दुखद है और इसे रोका जा सकता है. ये किसी चुनाव के आंकड़े नहीं हैं, ये उन व्यक्तियों की संख्या है जो हर राज्य में मोटापे का शिकार हैं क्रमशः 1985, 1986, 1987 के -- ये CDC की वेबसाइट से लिए गए हैं -- फिर 1988 से लेकर 1991 तक -- हमारे सामने नई श्रेणी आ गई है -- फिर 1992 से 1996 क्रमशः 1997 से लेकर 2001 तक -- स्थिति गंभीर हो रही है. इस सबके जिम्मेदार हम ही हैं. अब हम क्या कर सकते हैं? हमने यह पाया है कि एशियन आहार को प्रोत्साहन देकर हम हृदयरोग और कैंसर में कमी ला सकते हैं. लेकिन एशिया के निवासियों ने भी हमारी भोजन संबंधित आदतें अपना लीं हैं जिसका परिणाम यह है कि वे भी हमारी तरह बीमार होने लगे हैं. इसलिए मैं कुछ बड़ी आहार कंपनियों के साथ काम कर रहा हूं. वे स्वास्थ्यप्रद आहार को अधिक स्वादिष्ट, जायकेदार, फैशनेबल, और सुविधाजनक बना सकते हैं. मैं मैकडॉनल्ड्स, पेप्सिको, कॉनएग्रा, सेफवे, और जल्द ही डेलमोंटे के परामर्शदाता बोर्ड में हूं और वे इसमें अच्छे बिजनेस की संभावना देख रहे हैं. मैकडॉनल्ड्स में मिलने वाला सलाद इसी से विकसित हुआ है -- वे एशियन सलाद भी प्रस्तुत करनेवाले हैं. पेप्सी के लाभ का दो-तिहाई अंश उनके सेहतमंद आहार से आया है. इस प्रकार यदि हम इस कार्य में सफल रहे तो हम ऐड्स, HIV और मलेरिया के उपचार के लिए धन जुटाने की व्यवस्था कर सकते हैं और बर्ड फ़्लू की रोकथाम कर सकते हैं. धन्यवाद. क्या आप कभी बिलकुल ही घबरा जाते हैं जब आपके सामने कोई पेचीदा समस्या आती है? देखिये, मैं कोशिश करूँगा कि करीब तीन मिनट में इसे बदल सकूँ। तो, मै आशा करता हूँ कि आपको विश्वास दिला पाऊँगा कि जटिल का मतलब हमेशा उलझाऊ नहीं होता। जैसे कि मेरे लिए, ओवन से ताजा निकला बगे जटिल है, मगर 'केरी-अनियन-ग्रीन-ओलोव-पोप्पी-चीज़-ब्रेड' उलझाऊ है। मैं एक परिस्थिति-विज्ञानी हूँ, और मैं पेचीदगी का अध्ययन करता हूँ। मुझे तो जटिलता से इश्क सा है। और मैं प्राकृतिक दुनिया में, प्रजातियों के आपसी रिश्तों की पेचीदगी का ही अध्ययन करता हूँ। देखिये, ये आहार-जाल है, या फ़िर भोगी-भोज्य के रिश्तों का नक्शा उन प्रजातियों के बीच जो कि कैलिफ़ोर्निया के पहाडों की एल्पाइन झील में रहते हैं। और ये होता है इस आहार-जाल के साथ यदि इस झील में उन मछलियों को रखा जाये जो यहाँ प्राकृतिक रूप से नहीं पाई जातीं। स्लेटी रंग में दिखायी गयी सारी पुरानी प्रजातियाँ लुप्त हो जाती हैं। कुछ तो प्रलुप्त होने के कगार पर हैँ। और मछली से भरी झीलों में ज्यादा मच्छर होते हैं, जबकि वो उन्हें खाती भी हैं। ये सारा असर पहले से नहीं सोचा गया था, और तब भी हमें पता लग रहा है कि इनकी भविष्यवाणी की जा सकती है। मैं आपके साथ कुछ मुख्य सूत्र बाँटना चाहता हूँ जटिलता के बारे में, जो हमने प्रकृति का अध्ध्ययन कर के सीखी हैं, जो कि शायद कुछ और भी समस्याओं पर लागू हों। पहली है नमूने तैयार करने के तरीकों में निहित ताकत जटिलता को सुलझा कर पेश करने की और आपको उन प्रश्नों को पूछने पर मज़बूर करने की जो शायद आप पहले न पूछते। मिसाल के लिये, आप कार्बन के बहाव का नक्शा बना सकते हैं निगमों के पर्यावरण में मौजूद आपूर्ति-कडियों के आरपार, या फ़िर उन रिहायशी जगहों के बीच रिश्त जहाँ कि लुप्तप्रायः प्रजातियाँ रहती है, योसेमाएट राष्ट्रीय उद्यान में। दूसरी ये कि, यदि आप पूर्वानुमानित करना चाहें एक प्रजाति का दूसरी पर असर, और आप केवल उस ही कडी पर ध्यान दें, और बाकी को हटा कर सोचेंगे, तो आपका अनुमान उतना सटीक नहीं होगा जितना कि तब जब आप पूरे सिस्टम को एक साथ देखेंगे - सारी प्रजातियों और सारी कडियों को -- और वहाँ से, आप केंद्रित होंगे उन पर जिनका सबसे ज्यादा महत्व है। और हम अपने शोध से खोज रहे हैं कि अक्सर आप अपनी शोध के वस्तु के बस एक दो कदम आसपास ही जाते हैं। तो जितना आप जटिलता को स्वीकार करेंगे, उतनी ही संभावना बढेगी आपके साधारण सीधे-सादे उत्तर पाने की, और कई बार ये उन सीधे उत्तरों से अलग होंगे जिनसे आपने शुरुवात की थी। तो चलिये गियर बदलते हैं और एक बहुत ही जटिल समस्या को देखते हैं अमरीकी सरकार के सौजन्य से। ये अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका की आतंकरोधी रणनीती का आरेखण है। कुछ महीने पहले ये न्यूयोर्क टाइम्स के मुख्य पृष्ठ पर छपा था -- और उसी समय मीडिया द्वारा नकार दिया गया था इतना जटिल होने के लिये। और इसका मकसद था लोगों का समर्थन बढाना अफ़ग़ानी सरकार के लिये। ज़ाहिर है कि समस्या जटिल है, मगर क्या ये उलझाऊ भी है? जब मैने इसे टाइम्स के पहले पन्ने पर देखा, तो मैने सोचा, "बढिया। कुछ तो मिला जिससे मैं जुडाव महसूस कर सकता हूँ। इसे बैठ कर घन्टों चबाया जा सकता है।" तो चलिये कूदते हैं इसमे। तो पहली बार आपके सामनी आ रहा है इस लचीले नूडल नुमा आरेख-चित्र का सीधा स्वरूप। गोले से चिन्हित प्वाइंट पर हम प्रभाव डालना चाहते हैं -- सरकार के लिये लोगों का समर्थन। तो हम एक कदम तक देख सकते हैं, दो कदम तक, तीन कदम उस प्वाइंट से हट कर भी और इस चित्र के तीन-चौथाई हिस्से को सीधे हटा सकते हैं। और इस वृत्त में भी, बहुत से प्वाइंटों का हम कुछ नहीं कर सकते, जैसे कि कठिन पहाडी इलाका, और बहुत ही कम प्वाइंट हैं जो कि फ़ौज़ का प्रयोग करने वाले हैं। ज्यादातर अहिंसक है, और वो भी दो तरह के हैं: गुटों और धार्मिक विश्वासों से सीधे दो-दो हाथ करना और नैतिक, पारदर्शी आर्थिक विकास और सेवाएँ मुहैया करवाना। मुझे इस के बारे में कुछ नहीं पता, लेकिन मैं इस रेखाचित्र से ये पता कर सका मात्र २४ सेकन्ड में। जब भी आप ऐसा कोई आरेखण/ चित्र देखें, तो मैं चाहूँगा कि आप डरें नहीं। मैं चाहूँगा कि आप उत्साहित हों। मैं चाहूँगा कि आप राहत महसूस करें। क्योंको शायद आपको साधारण उत्तर मिलने वाले हैं। प्रकृति के अध्ययन से हमें पता चलता है कि सहजता अक्सर जटिलता के उस पार ही मिलती है। तो किसी भी समस्या के लिये, यदि आप संपूर्ण जटिलता को स्वीकार करेंगे, तो आप गहरे उतर सकेंगे उन तहों तक जिनका महत्व सबसे ज्यादा होगा। धन्यवाद। तालियों सहित अभिवादन मैं काम के बारे में बात करने जा रहा हूँ विशेष रूप से क्यों लोग काम पर काम खत्म करते हुये नहीं दिखते , जो एक समस्या हम सभी को किसी न किसी तरह से है| लेकिन, एक तरह से, शुरुआत में शुरू करते है| हमारे पास कंपनियां और गैर लाभ और दान और ये सभी समूह हैं| जिनके पास कर्मचारी या किसी प्रकार के स्वयंसेवक हैं| और वे उम्मीद करते है कि ये लोग जो उनके लिये काम करते है, महान काम करें कम से कम, इतना मैं आशा करूंगा, कम से कम अच्छा काम, उम्मीद है, यह अच्छा काम है- उम्मीद है, यह महान काम है| और इसलिए वे आम तौर पर वे निर्णय लेते है कि इन सभी लोगों को एक साथ आने की जरूरत है वह काम करने के लिए| तो एक कंपनी या एक चैरिटी, या किसी भी तरह का एक संगठन, वे आम तौर पर - अगर आप अफ्रीका में काम नहीं कर रहे हैं, यदि आप ऐसा करने के लिए वास्तव में भाग्यशाली हैं - ज्यादातर लोगों को रोज़ दफ्तर जाना है| और इसलिए ये कंपनियां, वे दफ्तर बनाते हैं| वे बाहर जाते हैं और एक इमारत खरीदते हैं, या एक इमारत किराए पर ले लेते हैं, या वे कुछ स्थान पट्टे पर ले लेते हैं, और वे सामान से जगह को भर देते हैं| वे इसे, टेबल, डेस्क, कुर्सियाँ, कंप्यूटर उपकरण, सॉफ्टवेयर, इंटरनेट पहुँच शायद एक फ्रिज, शायद कुछ अन्य चीजों, से भर देते हैं, और वे अपने कर्मचारियों, या उनके स्वयंसेवकों से उस स्थान पर हर दिन आकर महान काम करने की उम्मीद करते हैं| ऐसा लगता है जैसे यह पूछना बिल्कुल उचित है| हालांकि, अगर आप असल में लोगों से बात करें और यहां तक ​​कि अपने आपसे सवाल करें, और आप खुद से पूछें, आप कहाँ जाना चाहेंगे जब आपको सच मैं कुछ काम पूरा करना हो? आप पायेंगे कि लोग वो नहीं कहते जो कि व्यापार सोचते हैं कि लोग कहेंगे| अगर आप लोगो से यह सवाल पूछें कि, वे कहाँ जाना चाहेंगे जब उन्हे सच मैं कुछ काम पूरा करना हो? आमतौर पर आपको तीन अलग अलग प्रकार के जबाब मिलते हैं| पहला एक तरह का स्थान या कोई जगह या एक कमरा दूसरा है एक चलती हुई वस्तु और तीसरा है एक समय| तो यहाँ कुछ उदाहरण है| जब मैं लोगो को पूछता हूँ और मैं यह सवाल 10 साल से पूछता आ रहा हूँ मैं उन्हे पूछता हूँ, " आप कहना जाते हो जब आपको सच मैं कुछ काम पूरा करना होता है?" मुझे ऐसी चीजे सुनने को मिलती हैं, जैसे कि एक बरामदा, डेक रसोई घर| मुझे ऐसी चीजे सुनने को मिलती जैसे कि घर में एक आतिरिक्त कमरा बेसमेंट, कॉफी की दुकान, पुस्तकालय| और तब आपको ऐसे चीजे सुनने को मिलती हैं जैसे कि रेलगाड़ी, हवाईजहाज, कार-- इसलिये आना जाना| और तब आप लोगो को ये भी बोलते हुये सुनेंगे, खैर मैं कहाँ हूँ इससे वास्तव में कोई फर्क नहीं पड़ता जब तक कि यह बहुत ही सुबह या बहुत ही रात या सप्ताह के अंत में है|" आप किसी को कार्यालय कहता हुआ लगभग कभी नहीं सुनते| लेकिन व्यवसाय ये कार्यालय नाम के स्थान पर ये सारा पैसा खर्च कर रहे हैं और वे लोगो को हर समय यही जाने को कह रहे है अभी तक लोग कार्यालय में काम नहीं करते| वह किसके बारे में है? वह क्यूं है? वह क्यूं हो रहा है? और आपको क्या पता चलता है कि, अगर आप थोड़ा गहराई में जाएं आप पाते हैं कि लोग-- ये है जो कि होता है-- लोग काम पर जाते हैं, और वे मूल रूपसे उनके कार्यदिवस में व्यापार कर रहे है एक काम क्षणों की श्रृंखला के लिए ये है जो कि ऑफीस में होता है. तुम्हारे पास कुछ भी कार्यदिवस नहीं है तुम्हारे पास काम के लम्हे है यह ऐसे है जैसे ऑफीस के सामने का दरवाज़ा है आप अंदर जाते है और आपका दिन टुकडो में बट जाता है, क्यूंकि आपके पास १५ मिनिट्स यहाँ और ३० मिनिट्स वहां हैं, तब कुछ हो जाता है तुम अपने काम से खीच लिए जाते हो और करने को मिल जाता है, तब आपके पास २० मिनिट्स हैं, तब यह लंच हो जाता है। तब आपको कुछ और करना है। तब आपके पास १५ मिनिट्स हैं, और कोई आपको बाजू मे खीच लेता है और आपसे सवाल पूछता है और इससे पहले कि आपको पता चलता है, ५ बज जाते हैं, और आप दिन को वापस देखते हैं, और आपको आभास होता है कि आप कुछ भी पूरा नहीं कर पाये। मेरा मतलब है, हम सब इससे गुजर चुके हैं। हम शायद कल ही इससे गुजरे थे, या एक दिन पहले, या उससे भी एक दिन पहले। आप अपने दिन पर वापस देखते हैं, और आप पाते हैं कि मैने आज कुछ भी नहीं किया मैं काम पर था। मैं अपनी मेज पर बैठा था, मैने महंगा कंप्यूटर इस्तेमाल किया। मैने वो सॉफ्टवेर इस्तेमाल किया जो कि मुझे बोला गया। मैं इन मीटिंग्स मैं गया जिसमे मुझे जाने को बोला गया। मैने ये कान्फरेन्स कॉल्स किये। मैने यह सब काम काम किया। लेकिन मैने सच मैने कुछ नहीं किया। मैने केवल कई काम किये। मैने सच मैं कोई मतलब का काम नहीं किया। और आपको क्या पता चलता है कि खासतौर से रचनात्मक लोग-- डिज़ाइनर्स, प्रोग्रामर्स, राइटर्स, इंजिनीयर्स, थिंकर्स-- कि कोई काम पूरा करने के लिये लोगों को सच में बिना बाधा वाले लम्बे अंतराल की आवश्यकता है आप किसी को १५ मिनिट में रचनात्मक होने और सच में एक समस्या के बारे मैं सोचने को नहीं पूछ सकते शायद आपको एक त्वरित विचार होगा, पर एक समस्या के बारे मे गहराई से सोचने मे और एक समस्या का ध्यान से विचार करने के लिए आपको बिना बाधावाले लंबे अतराल की आवश्यकता है और हालांकि एक कार्यदिवस प्राय: आठ घंटे के हॉट है, यहाँ कितने लोगों के पास उनके लिये ऑफीस मैं कभी भी आठ घंटे हैं। सात घंटे? छ्ह:? पांच? चार? आखिरी बार कब आपके पास अपने लिये ऑफीस में तीन घंटे थे? दो घंटे? एक, शायद? बहुतकाम लोगों के पास सच मैं बिना बाधावाले लंबे अंतराल हैं। और यह कारण है लोग घर पर काम करने का चयन करते है या वे शायद ऑफीस जाते हैं, लेकिन वो ऑफीस सच में बहुत सुबह जाते हैं, या रात मे देर से जाते है जब कोई भी आसपास नही होता है रुके रहते है जब तक बाकी लोग चले नहीं जाते या सप्ताह के अंत मैं जाते हैं, या वे जहाज पर काम पूरा करते हैं, या वे कार या रेलगाड़ी मैं काम पूरा करते है क्यूंकि वहां कोई बाधा नहीं है। अब, अलग तरह की बाधाएं हैं, लेकिन सच मैं बुरी तरह की बाधाएं नहीं हैं जिनके बारे मैं बस एक मिनिट में बात करूंगा और इस तरह काम करने के लिये छोटे छोटे लम्हे होने की पूरा घटना मुझे दूसरी चीज की याद दिलाती है जो काम नहीं करती जब आपको बाधित होते हैं। और वह है नींद। मैं सोचता हूँ कि नींद और काम बहुत पास से सम्बंधित हैं, और ये केवल यह नहीं है की जब आप सो रहे है तब आप काम कर सकते है और जब आप काम कर रहे है तब आप सो सकते है सच मैं वह मेरा मतलब नहीं है। मैं विशेष रूप से एक सच की बात कर रहा हूँ कि नींद और काम अवस्था-संबंधित हैं, या मंच-संबंधित, घटनायें. अत: नींद नींद की अवस्था या मंच के बारे में है-- कुछ लोग उन्हें अलग-अलग चीजें बुलाते हैं। ये पांच प्रकार की हैं, और सच मे गहरीवाली सच मे मतलब वाली पाने के लिये आपको पहले वाले से जाना पड़ेगा। और अगर आप तब बाधित हो जायें जब आप पहले वाले से गुजर रहे हों-- यदि कोई आपको बिस्तर में टकरा जाता है, या यदि वहां एक आवाज़, या कुछ भी हो जाता है तुम वहां से शुरू कर ही नही पाते जहा तुम्हे छोड़ा था यदि तुम बाधित होते हो और जग जाते हो, तुम्हे पुन: शुरू करना पड़ता है। अत: तुम्हे कुछ अवस्था पीछे जाना पड़ता है और पुन: शुरू करना पड़ता है। और अंत मैं क्या होता है--किसी समय तुम्हारे ऐसे दिन हो सकते हैं जब तुम सुबह ८ बजे जागे, या जब भी तुम उठते हो, और आप ऐसे होते हो जैसे की मैं ठीक से सोया नहीं मैने सोने का काम किया मैं बिस्तर पे गया, मैं लेट गया लेकिन मैं सच में सोया नहीं। लोग कहते हैं तुम सोने जाओ, लेकिन सच में तुम सोने नहीं जाते हो, तुम सोने की ओर जाते हो। इसको थोड़ा समय लगता है। तुम्हे इन अवस्थाओं और चीजो से होकर जाना पड़ता है, और अगर तुम बाधित होते हो, तुम ठीक से सो नहीं पाते। तो हम कैसे आशा करते हैक्या यहा कोई किसी केअच्छे से सोने कीआशा करता है यदि वे पूरी रात बाधित रहें? मुझे नहीं लगता कोई हन कहेगा. हम क्यूं लोगो को अच्छे से काम करने की आशा रखते हैं| यदि वे पूरे दिन ऑफीस मैं बाधित होते रहते हैं? हम कैसे लोगो को उनका काम करने की आशा कर सकते हैं यदि वे ऑफीस बाधित होने जा रहे हैं? वह मुझे ऐसा नहीं लगता जिसका कोई मतलब निकलता है। सो ये क्या बाधायें हैं जो ऑफीस में होती है जो दूसरी जगहों पर नहीं होती? क्यूंकि दूसरी जगहो मै तुम्हे बाधाएँ हो सकती है जैसे, तुम्हारे पास टीवी हो सकती है, या तुम टहलने निकल सकते हो, या वहां नीचे एक फ्रिड्ज है, या तुम्हारा खुद का काउच है ओर जो कुछ भी तुम करना चाहो। और यदि आप कुछ मॅनेजर्स से बात करो, वे आपको बोलेंगे की वे कर्मचारियों को घर पे काम नहीं करने देना चाहते इन बाधाओं की वजह से वे ये भी बोलेंगे-- किसी समय वे यह भी बोलेंगे, "अच्छा, यदि मैं किसी व्यक्ति को देख नहीं सकता, तो मुझे कैसे पता चलेगे कि वे काम कर रहे है?" जो कि बकवास है, बेशक, लेकिन यह एक बहाना है जो मॅनेजर्स देते हैं। और मैं इनमे से एक मॅनेजर हूँ। मैं समझता हूँ यह कैसे चलता है। हम सभी को इस तरह की चीजों पर सुधार करने की जरूरत है। लेकिन आमतौर पर वे बढाइएं दिखायेंगे। "मैं किसी की घर पर काम करने नहीं दे सकते। वे टीवी देखेंगे। वे यह दूसरा काम करेंगे" या पता चलता है की सच मैं ये वो चीजे नहीं हैं जो ध्यान भांग कर रही हैं। क्यूंकि ये स्वैच्छिक बाधाएँ हैं। तुम फैसला करते हो कब तुम टीवी से बाधित होना चाहते हो तुम फैसला करते हो कब तुम कुछ चालो करना चाहते हो। तुम फैसला करते हो कब तुम नीचे या टहलने जाना चाहते हो ऑफीस मैं, ज्यदातर बाधाएं और रुकावटें जो की सच मैं लोगो को काम नहीं करने देतीं स्वैच्छिक होती हैं। तो आओ वियासे कुछ उदाहरण देखें। अब, मॅनेजर्स और बॉस तुम्हे आमतौर पर ये लगाएंगे की काम पर सच्ची बाधाएँ ये चीजे जैसे फसेबूक और ट्विटर और यूट्यूब और अन्य वेबसाईट्स, और सच में, वे इतना दूर चले जायेंगे की सच मैं एक साइट्स को प्रतिबंद कर दें। आपमे से कुछ उनस्थानो परभी काम कर सकते है जहा आपको ये साइट्स नही मिल सकती मेरा मतलब है, क्या ये चाइना है? यहाँ ये हो क्या रहा है? तुम एक वेबसाइटे पर नहीं जा सकते काम पर, यह समस्या लोगों को काम करके नही मिल रहा है क्यूंकि फसेबूक पर जा रहे है और ट्विटर पर जा रहे है? यह एक तरह से बकवास है। यह एक पूरी तरह से फंदा है। और आज के फसेबूक और ट्विटर और यू ट्यूब, ये चीजें केवल आधुनिक युग की धूम्रपान विराम हैं। किसी ने लोगो के १५ मिनिट के धूम्रपान विराम लेने पर ध्यान नहीं दिया १० साल पेहले, तो क्‍यूं हर कोई फसेबूक पर यहाँ और वहां जाने का ध्यान रखता है, या ट्विटर पर यहा वहां, या युट्यूब पर यहाँ वहा ऑफीस में वे असली समस्या नहीं हैं । असली समस्या हैं जिन्हे मैं केहना चाहूंगा एम & एम्स, मैनेजर्स और मीटिंग्स, वो सच्ची समस्याएं हैं आज आधुनिक ऑफिस मैं। और इसलिये काम पर चीजें पूरी नहीं होती. यह एम & एम्स की वजह से है, अब दिलचस्प क्या है कि, यदि तुम सारे स्थानोंको सुनो जिनके बारे में लोग काम करने के लिये बात करते हैं-- जैसे कि घर, या कर में, या जहाज में, या रात को डर से, या जल्दी सुबह में-- तुम्हें मैनेजर्स और मीटिंग्स नहीं मिलते। तुम्हे कई सारी दूसरी बाधायें मिलती हैं, लेकिन तुम्हे मैनेजर्स और मीटिंग्स नही मिलते सो ये चीजें है तुम्हे कहीं और नहीं मिलती, लेकिन तुम्हें ऑफिस में पक्का मिलती हैं। और मैनेजर्स मूल रूप से इंसान हैं जिनका काम लोगों को बाधा पहुंचाना है। ज्यादातर यही है जिसके लिये मैनेजर्स है वे लोगो को रुकवत देने के लिये है वे सच मैं काम नहीं करते, सो उन्हें यह सुनिश्चित कर्ण होता हैकि बाकी सभी काम कर राहा हैं, जॉ कि एक रुकावट है। और हमरे यहान दुनिया मै बहुत सारे मैनेजर्स है और दुनिया मैं बहुत सारे लोग हैं, इन मैनेजर्स कि वजह से दुनिया मै अब बहुत सारी बाधाये भी है। उन्हे जाँचना होता है:"यह कैसा चल रहा है? दिखाओ मुझे कितना हुआ,"और उस तरह कि चीजें और वे तुम्हे गलत समय पर बाधित करते रहते है जब तुम अच मैं कुच करने कि कोशिश कर रहे होते हो जिसके लिये वे तुम्हे भुगतान करते है वे तुमको बधित करते हैं। यह एक तरह से बुरा है। लेकिन और भी बुरी यह बात है कि मेनेजर्स सबसे ज्यादा करते हैं, जिसे कि मीटिंग्स बोलते हैं। और मीटिंग्स सिर्फ विशाक्त, भयानक, जहरीली चीज हैं, काम पर दिन के दौरान| हम सबको पता है यह सच है, और तुम्हे कभी कर्मचारियों द्वारा बुलायी गायी सहज मीटिंग नहीं मिलेगी। यह उस तरह काम नहीं करता। मेनेजर मीटिंग बुलाता है सो सारे कर्मचारी एक साथ आ सकें, और यह एक अविश्वशनीय विनाशक चीज है लोगो के साथ करने को कहना है," हे, देखो, हम १० लोगो को एक साथ लाने वेल हैं अभी और हमारी एक मीटिंग है। मुझे फरक नहीं पड़ता तुम क्या कर रहे हो। सिर्फ तुम्हे जो कर रहे हो उसे बंद करना है सो तुम यह मीटिंग ले सको। मेरा मतलब है क्या संयोग है की सारे १० लोग रुकने के लिये तैयार है? क्या यदि वे कुछ जरूरी सोच रहे हों? क्या यदि वे कुछ जरूरी काम कर रहे हों? एक दम से तुम उन्हे वह करना रोकने के लिये बोल रहे हो कुछ और करवाने के लिये। सो वे एक मीटिंग रूम मैं जाते हैं, वे साथ मैने मिलते हैं, और वे ना फरक पड़ने वाली चीओं के बारे मैं बात करते हैं। क्यूंकि मीटिंग्स काम नहीं हैं। मीटिंग्स उन चीजों प्र बात करने का स्थान है जिन्हे तुम्हे बाद मैं करना है। लेकिन मीटिंग्स पैदा भी करती हैं। सो एक मीटिंग दूसरी मीटिंग की ओर ले जाती है। और दूसरी मीटिंग की ओर ले जाती है। वहां मीटिंग्स मैं बहुत सारे लोग होते हैं, और वे संस्था को बहुत ज्यादा महंगे भी होते हैं। कम्पनियाँ आमतौर पर एक घंटे की मीटिंग एक घंटे की मीटिंग की तरह सोचती हैं। लेकिन यह सच नहीं है, जब तक की उस मीटिंग मैं केवल एक व्यक्ति है। यदि मीटिंग मैं १० लोग है यह १० घंटे की मीटिंग है; यह १ घंटे की मीटिंग नहीं है। यह १० घंटे की उत्पादकता लेना है बाकी संगठन से यह १ घंटे की मीटिंग करने के लिये। जो की शायद २ या ३ लोग कर सकते थे कुछ मिनिट्स के लिये बात करके लेकिन उसके बजाय, वहां लम्बी अनुसूचित मीटिंग है। क्यूंकि मीटिंग्स ऐसे रखी जाती हैं जैसे सॉफ्टवेर काम करते हैं, जो की १५ मिनिट, या ३० मिनिट या एक घंटे की वृद्धि मैं हैं। तुम ८ घंटे की मीटिंग नहीं रखते हो आउटलुक से तुम नहीं कर सकते। मुझे नहीं पता अगर तुम कर सकते हो। तुम १५ मिनट, ३० मिनट, या ४५ मिनट या एक घंटे के लिये जा सकते हो। और सो हम इन समय को पूरा करते हैं जब चीजें सच मैं काफी जल्दी होनी चाहिये। सो मीटिंग्स और मेनेजेर्स २ बड़ी समस्याएं हैं व्यवसाय मैं आज, खासतौर से ऑफिसस को। ये चीजें ऑफीस के बाहर नहीं मिलती। सो मेरे कुछ सुझाव हैं स्थिति को ठीक करने के लिये। मेनेजर्स क्या कर सकते हैं-- प्रबुद्ध मेनेजर्स, उम्मीद से-- वे ऑफीस को लोगो के कमा करने के लिये अच्छा स्थान कैसे बना सकते हैं, सो यह अंतिम आश्रय नहीं है, लेकिन यह प्रथम आश्रय है? यह है जो की लोग बोलना शुरू करते हैं, जब मुझे सचमै काम करना होता है मैं ऑफीस जाता हू। क्यूंकि ऑफिसर्स अच्छी तरह से लैस हैं, उन्हें अपने काम करने के लिए सब कुछ वहाँ होना चाहिए, पर वे आयी वहां जाना नहीं चाहते, सो हम कैसे वह बदलें? मेरे पास ३ सुझाव हैं मैं आप लोगो के साथ शेयर करूंगा। मेरे पास ३ मिनिट हैं, सो वह पूरी तरह से फिट होगा। हम सबने आरामदायक शुक्रवार चीज के बारे मैं सुना है। हम सबने आरामदायक शुक्रवार चीज के बारे मैं सुना है। लेकिन कोई बात नहीं- गुरुवार के बारे मैं क्या खयाल है? इसके बारे मैं क्या खयाल है-- एक महीने मैं एक गुरुवार चुनें और उस दिन को आधे मैं काट दे और सिर्फ दोफर कहें-- मैं इसे तुम्हारे लिये बहुत आसान बना दूंगा। सो सिर्फ दोपहर, एक गुरुवार। मास का पहला महीना-- सिर्फ दोपहर-- कोई भी ऑफीस मैं एक दूसरे से बात ना करे। सिर्फ सन्नाटा, बस यह। और आपको क्या मिलेगा कि एक बहुत सरा काम सच मैं हो जाता है, जब कोई किसी से बात नहीं करता। यह है जब लोगो को सच मैं काम करके मिलता है, यह है जब कोई उन्हे परेशान नहीं करता है, जब कोई उन्हे बाधित नहीं करता। और आप किसी को दे सकते हो किसी को ४ घंटे का बीना रुकावट वाला समय देना यह सबसे उत्तम उफ़ार है जॉ आप किसी को काम पर दे सकते हो यह एक कम्प्यूटर से बेहतर है। यह एक नये मॉनीटर से बेहतर है। यह नये सॉफ़टवेयर से बेहतर है, या जो भी लोग अमतौर पे इस्तेमाल करते हैं। उन्हे ऑफीस मैं ४ घंटे का शान्त समय देना अविश्वसनीय रूप से मूल्यवान है। अगर आप वाह कोशिश करते हो मुझे लगता है तुम पाओगे की तुम सहमत होते हो। और शयद, उम्मीद से तुम ऐसा कई बार कर पाओ। सो शायद यह हर दूसरे हफ़्ते हो, या हर हफ़्ते, हफ़्ते मैं एक बार। दोपहर मैं कोई एक दूसरे से बात ना करे। यह कुच चीज है जिसे की आप सही मैं उपयोगी पायेंगे। दोसरी चीज तुम कोशिश कर सकते हो सक्रिय संचार और कोलैबोरेशन से स्विच करना, जो की फेस-टू-फेस सामान की तरह है, कंधे पर लोगों को ट्टैपिंग करना, उन्हे हाँ बोलना, मीटिंग्स करना, और , संचार के और अधिक निष्क्रिय मॉडल के साथ उसे बदलें, चीजें जैसे इमेल और इंस्टेंट मेसेजिंग इस्तेमाल करना, या कॉलॅबोरेशन प्रॉडक्ट्स उस तरह की चीजें। अब कुछ लोग केह सकते हैं ईमेल सच मैं बाधा देने वाला है और आइ. एम. सच मैं बाधा देने वाला है, और ये अन्य चीन सच मैं बाधा देने वाली हैं, लेकिन वे तुम्हारे समय के अनुसार और तुम्हारे अनुसार बाधा देती है। आप ईमेल एप्लिकेशन छोड़ सकते हैं; आप अपने बॉस को नहीं छोड़ सकते। आप आइ. एम. छोड़ सकते हैं; आप अपने मेनेजर को नहीं छुपा सकते। आप इन चीजों को अलग रख सकते हैं, और तब आप अपने खुद की अनुसूची के अनुसार बाधित हो सकते है, अपने खुदके समय पर जब आप उपलब्ध हैं, जब आप दोबारा जाने के लिये तयार हैं। क्यूंकि काम जैसे की सोना, चरणो मैं होता है सो आप एक तरह से उपर जा रहे होते हो और कुछ काम कर रहे होते हो, और तब आप उस काम के लिए नीचे आ रहे होते हो, और तब शायद यह ईमेल चेक करने कासमय हो जाता है, या उस आइ. एम. को चेक करने का और वहां बहुत बहुत काम चीजें हैं जो की अति आवश्यक हैं जो की होनी हैं, जो की ठीक इसी समय उत्तर होनी हैं। सो अगर आप एक मेनेजर हैं, लोगो को आइ. एम. और ईमेल जैसे चीजें इस्तेमाल करने को प्रोत्साहित करें और दूसरी चीजें जो कोई और अलग रख सके और आपके पास वापिस आ सके उनके अपने हिसाब से। और एक अंतिम सलाह मेरी है वो यह है की, अगर आपकी एक मीटिंग है जो आने वाली है, यदि आपके पास शक्ति है, बस रद्द करें. बस उस अगली बैठक को रद्द करें आज शुक्रवार है--सो सोमवार, आमतौर पर लोगो की सोमवार को मीटिंग होती है। सिर्फ इसे मत लो। मेरा मतलब यह नहीं है इसे फिर कभी कर दो; मेरा मतलब है इसे सिर्फ याद्‌दाश्त से मिटा दो, यह गयी। और तुम पाओगे कि सब कुछ ठीक हो जायेगा। ये सभी चर्चा और निर्णय तुमने सोचा तुम्हे करने थे वो इस समय सोमवार को सुबह ९ बजे, सिर्फ उनके बारे मैं भूल जाओ, और चीजें ठीक हो जाएंगी। लोगो के पास ज्यादा खुली सुबह होती है वे जितना सच मैं सोच सकते है आपको पता लगेगा की शायद ये सारी चीजें जो तुमे सोची तीन तुम्हे करनी तीन, तुम्हें सच मैं नहीं करनी हैं। सो वो सिर्फ ३ शीघ्रा सुझाव हैं जो मैं आप लोगो को देना चाहता था इसके बारे मैं सोचने को। और मैं सोचता हूँ की इनमे से कुछ विचार कॅम से कॅम उत्तेजनक थे मेनेजर्स, बॉस और व्यवसाय के मालिकों के लिए और आयोजक और लोग जो की दूसरे लोगो के प्रभारी हैं एक छोटा सा बंद बिछाने के बारे में सोचने के लिए और लोगो को थोड़ा और काम करने के लिये कुछ और समय देने के लिये. और मैं सोचता हूँ की यह अंत मै भुगतान करेगा। सुनने के लिए धन्यवाद| (तालियाँ) ह्म्म, कठिन मध्यस्थता का मसला मुझे मेरी एक पसंदीदा कहानी की याद दिलाता है, मध्यपूर्वी दुनिया से, एक ऐसे आदमी की जो अपने तीन बेटों के लिये १७ ऊँटों की विरासत छोड गया था। पहले बेटे के लिये उसने आधे ऊँट मुकर्रर किये थे; दूसरे के लिये, एक तिहाई; और सबसे छोटे बेटे के लिये, ऊँटों का नवाँ हिस्सा। तीनों बेटे ऊँटों का फ़ैसला करने बैठे। १७ न तो दो से भाग खाता है। न ही उसे तीन भागों में बाँटा जा सकता है। और ९ से भी उसे भाग नहीं दिया जा सकता। अब भाइयों में अन-बन शुरु हो गयी। और अंत में, मरता क्या न करता, वो एक बुद्धिमान बुढिया के पास सलाह के लिये पहुँचे। बुद्धिमान बुढिया ने उनकी समस्या पर देर तक विचार किया, और फ़िर उसने वापस आ कर कहा, "देखो, मुझे नहीं पता कि मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ या नहीं, लेकिन अगर तुम्हें चाहिये, तो तुम मेरा ऊँट ले जा सकते हो।" तो अब उनके पास १८ ऊँट हो गये। पहले बेटे ने अपना आधा हिस्सा ले लिया - १८ का आधा ९ होता है। मंझले बेटे ने एक-तिहाई ले लिया - १८ का तिहाई ६ होता है। और सबसे छोटे बेटे ने नवाँ हिस्सा लिया -- १८ का नवाँ हिस्सा दो होता है। ९, ६, और २ मिला कर कुल १७ होते हैं। तो उनके पास एक ऊँट बच गया। और उसे उन्होंने उस बुढिया को वापस कर दिया। (हँसी) अब अगर आप इस कहानी पर गौर करें, तो ये काफ़ी करीब है उन स्थितियों के, जो हमें समझौते करते समय झेलनी होती हैं। वो इसी १७ ऊँटों वाली स्थिति से शुरु होती है - जिनका निपटान असंभव लगता है। कैसे भी हो, हमें करना ये होता है कि हम उन स्थितियों से बाहर निकल कर देखें, बिलकुल उस बुद्धिमान बुढिया की तरह, और एक नये नज़रिये से स्थितियों पर गौर करें और कहीं से उस अट्ठारहवें ऊँट को प्रकट करें। दुनिया के कठिन मसलों में इस अट्ठारहवें ऊँट की खोज़ ही मेरे जीवन की साधना रही है। मुझे मानव-जाति इन तीन भाइयों जैसी ही लगती है; हम सब एक परिवार हैं। और ये तो वैज्ञानिक तौर पर भी साबित हो चुका है, और सूचना क्रान्ति के चलते, इस ग्रह के सारे कबीले, लगभग १५,००० कबीले, एक दूसरे से संपर्क में आ गये हैं। और ये बहुत बडा पारिवारिक सम्मेलन है। और बिलकुल पारिवारिक सम्मेलनों की तरह, इसमें सब कुछ केवल शांति से, मज़े से नहीं होता है। बहुत विवाद भी उत्पन्न होते हैं। और असली प्रश्न तो ये है, कि हम इन विवादों से कैसे निपतें? हम अपने गहरे पैठे हुए मतभेदों से कैसे निपटें, जब कि हम लोग हरदम लडने को तैयार रहते हैं और मानव महान ज्ञाता हो गया है हाहाकार मचा सकने वाले हथियारों का। प्रश्न असल में ये है। जैसा कि मैने लगभग पिछले तीस साल -- या शायद चालीस -- दुनिया भर में सफ़र करते हुए बिताये हैं, अपना काम करते हुए, विवादों का हिस्सा बनते हुए युगोस्लाविया से ले कर मध्य-पूर्व तक, चेचेन्या से ले कर वेनेज़ुअला तक, हमारी दुनिया के कुछ सबसे बडे और कठिन विवादों के दरम्यान, और मै स्वयं से हमेशा यही प्रश्न पूछता आया हूँ। और शायद कुछ हद तक मुझे ये पता लग गया है, कि शान्ति का राज़ क्या है। ये असल में आशचर्यजनिक रूप से साधारण है। आसान नहीं है, मगर साधारण है। और तो और, ये नया भी नहीं है। हो सकता है कि ये हमारी प्राचीन मानव-संस्कृति का अहम हिस्सा रहा हो। और शान्ति का राज हम खुद हैं। ये हम सब ही हैं जो कि समाज के रूप में विवादों के आसपास मौजूद हो कर एक सकारात्मक भागीदारी निभा सकते हैं। मैं उदाहरण के रूप में एक किस्सा सुनाता हूँ। करीब २० साल पहले, मैं दक्षिणी अफ़्रीका में था, वहाँ के विवाद में शामिल गुटों के साथ काम करते हुए, और मेरे पास एक महीन का अतिरिक्त समय था, तो मैने वो समय सैन बुश्मैन आदिवासियों के साथ बिताया। मैं उनके बारे में जानने में उत्सुक था, खासकर कि वो अपने विवाद कैसे हल करते हैं। क्योंकि, जितना मुझे पता था, वो सब शिकारी या संग्रहजीवी थे, काफ़ी हद तक आदिमानवों सरीका जीवन व्यतीत करने वाले, जैसा कि मानवों ने अपने ९९ प्रतिशत इतिहास में बिताया है। और इनके पास जहर-बुझे तीर होते हैं जिन्हें ये शिकार के लिये इस्तेमाल करते हैं-- एकदम मारक तीर। तो ये कैसे अपने विवादों का हल ढूँढते हैं? और पता है, मैनें क्या पाया -- कि जब भी उनके दलों में लोगों को गुस्सा आता है, कोई जाकर पहले वो ज़हर-बुझे तीर झाडियों में छुपा देता है, फ़िर सब लोग एक गोला बना कर ऐसे बैठ जाते हैं, और फ़िर वो बातचीत करते जाते है, करते जाते हैं, करते जाते हैं। इसमें उन्हें दो दिन, तीन, या फ़िर चार दिन भी लग सकते हैं, मगर वो तब तक नहीं रुकते जब तक कि उन्हें कोई हल न मिल जाये, या फ़िर, विवाद करने वाले सुलह न कर लें। और यदि तब भी गुस्सा शांत न हो, तो वो किसी को अपने रिश्तेदारों से मिलने भेज देते हैं शांत होने के लिये। और मेरे ख्याल से इसी व्यवस्था के चलते, हम सब आज तक जीवित बचे है, हमारी लडाकू पॄवत्तियों के मद्देनज़र। इस व्यवस्था को मैं तीसरा-पक्ष कहता हूँ। क्योंकि यदि आप ध्यान दें, अक्सर जब भी हम विवाद के बारे में सोचते हैं, या बताते हैं, तो उस में हमेशा दो पक्ष निहित होते हैं। अरब बनाम इस्राइली, मज़दूर बनाम प्रबंधन, पति बनाम पत्नी, रिपब्लिकन बनाम डेमोक्रेट, मगर अक्सर जो हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं, वो ये है कि हमेशा एक तीसरा पक्ष होता है। और वो तीसरा पक्ष है आप और मैं, आसपास का समाज, दोस्त, और सहयोगी, परिवार के सदस्य, पडोसी। और हम सब उसमें अभूतपूर्व सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं। शायद सबसे मौलिक तरीका जिस से कि तीसरा पक्ष मदद कर सकता है, ये है कि विवादी जुटों को बतायें कि दाँव पर क्या लगा है। बच्चों के लिये, परिवार के लिये, समाज के लिये, और भविष्य के लिये, हमें लडना छोड कर, बातचीत शुरु करनी होगी। क्योंकि, मुद्दा ये है, कि जब हम लडाई का हिस्सा होते हैं, तो अपना आपा खोना बहुत आसान होता है। तुरंत भडक उठना भी बहुत आसान होता है। और मानव-जाति तो जैसे प्रतिक्रिया की मशीन है। जैसा कि कहा जाता है, जब आप गुस्सा हैं, तो आप वो बहतरीन भाषण देंगे जिसका आपको हमेशा पछतावा रहेगा। और इसलिये तीसरा पक्ष हमेशा हमें ये याद दिलाता रह सकता है। ये तीसरा पक्ष हमें बालकनी में जाने में मदद करता है, जो कि सोच-विचार की जगह का रूपक है जहाँ हम सोच सकें कि हमें असल में चाहिये क्या। मैं आपको अपने खुद के मध्यस्तता के अनुभव से एक किस्सा सुनाता हूँ। कुछ साल पहले, मैं एक मध्यस्त के रूप में एक बहुत कठिन वार्ता में शामिल था रूस के नेताओं और चेचेन्या के नेताओं के बीच। और जैसा कि आपको पता ही है, उस समय एक युद्ध चल रहा था। और हम हेग्य में मिले, शांति महल में (पीस पैलेस), उसी कमरे में जहाँ युगोस्लावी युद्ध अपराधों की कचहरी चल रही थी। और हमारी बातचीत शुरुवात में ही हिचकोले खाने लगी जब चेचेन्या के उप-राष्ट्रपति ने रूसियों की तरफ़ उँगली उठा कर कहा, "आपको यहीं बैठे रहना चाहिये, क्योंकि हो सकता है आप पर भी युद्ध-अपराधों का मुकदमा चले।" और फ़िर वो मेरी ओर मुखातिब हो कर बोले, "तुम तो अमरीकी हो। देखो तुम अमरीकियों ने प्यूर्टो रिको में क्या किया है।" और मेरे दिमाग ने तुरंत सोचना शुरु किया, "प्यूर्टो रिको? इसकी बात का मैं क्या जवाब दूँ?" मैने प्रतिक्रिया करनी शुरु कर दी थी, मगर तभी मुझे बालकनी मे जाने वाली बात याद आ गयी। और जब उन्होंने बोलना बंद किया, और सभी ने मेरी ओर जवाबी प्रतिक्रिया के लिये देखा, बालकनी वाली सोच के चलते, मैं उनक उल्टा धन्यवाद देने में सक्षम हो सका, और मैने कहा, "मैं अपने देश के प्रति आपकी आलोचना का सम्मान करता हूँ, और इसे मित्रवत व्यवहार का लक्षण मानता हूँ कि कम से कम हम खुल कर मन की बात बोल तो रहे हैं। और आज हम यहाँ प्यूर्टो रिको या किसी और बात के लिये नहीं मिल रहे हैं। हम यहाँ इसलिये हैं कि हम एक हल ढूँढ सकें जिस से कि चेचेन्या में हो रह दुख और खून-खराबा बंद हो सके।" बातचीत फ़िर से राह पर आ गयी। तीसरे पक्ष का यही काम होता है, कि वो विवाद में फ़ंसे पक्षों को बालकनी तक जाने में मदद करें। चलिये मैं आपको ले चलता हूँ विश्व के सबसे कठिन माने जाने वाली बहस के, या शायद वास्तव में सबसे कठिन बहस के, ठीक बीच मध्य-पूर्व में। प्रश्न है: यहाँ तीसरा पक्ष कहाँ है? यहाँ हम बालकनी में जाने की बात कैसे सोच सकेंगे? अब मैं ये नाटक नहीं करूँगा कि मेरे पास मध्य-पूर्व समस्या का समाधान है, पर मेरे ख्याल से मेरे पास समाधान की ओर जाने का पहला कदम है, वस्तुतः पहला कदम, ऐसा कुछ जो हम सब तीसरे पक्ष के रूप में कर सकते हैं। चलिये आप से पहले एक प्रश्न पूछता हूँ। आप में कितनों ने पिछले सालों में स्वयं को पाया है मध्य-पूर्व की चिंता करते और ये सोचते कि कोई क्या कर सकता है? उत्सुक्तावश, कितने आप में से? ठीक, तो हम में ज्यादातर लोगों ने। और ये हम से इतना दूर है। हम आखिर इस विवाद पर इतना ध्यान क्यों देते हैं? क्या ये अत्यधिक लोगों की मृत्यु के चलते है? इस के कई सौ गुना लोग मरते हैं अफ़्रीका के विवादों में। नहीं, ये इस से जुडी कहानी की वजह से है, कि हम सब व्यक्तिगत तौर पर जुडे महसूस करते हैं इस कहानी से। चाहे हम ईसाई हों, मुसलमान हों, या फ़िर यहूदी, और आस्तिक हों या नास्तिक, हमें लगता है कि हमारा कुछ हिस्सा इसमें शामिल है। कहानियों की अपनी महत्ता होती है। एक मानव-विज्ञानी होने के नाते मैं जानता हूँ। हम कहानियों के ज़रिये अपने ज्ञान को आगे देते हैं। उनसे हमारे जीवन को अर्थ मिलता है। इसलिये ही हम सब यहाँ टेड में हैं, कहानियाँ सुनाने। कहानियाँ सबसे महत्वपूर्ण हैं। और मेरा प्रश्न है, हाँ, चलिये कोशिश करके सुलझाते हैं राजनीतिक उलझन जो मध्य-पूर्व में है, लेकिन एक नज़र उस कहानी पर भी डालते हैं। चलिये मसले की जड तक पहुँचने की कोशिश करते हैं। चलिये देखते हैं कि क्या इस पर तीसरा पक्ष लागू होगा। इसका क्या मतलब हुआ? यहाँ कहानी क्या है? मानव विज्ञानी होने के नाते, हमें पता है कि हर संस्कृति के उद्गम की एक कहानी होती है। मध्य-पूर्व के उद्गम की कहानी क्या है? सीधे सीधे, कहानी ये है: ४००० साल पहले, एक आदमी और उसके परिवार ने मध्य-पूर्व के आरपार पद-यात्रा की और दुनिया हमेशा हमेशा के बदल गयी। और वो आदमी, जैसा कि सर्वविदित है, अब्राहम था। और वो एकता का पुजारी थी, उसके परिवार की एकता। वो हम सब का पिता था। मगर मसला सिर्फ़ ये नहीं कि वो क्या पूजता था, बल्कि ये कि उसका संदेश क्या था। उसका मूल संदेश भी एकता का ही था, सबके आपस में जुडे होने का, और सबके बीच एकता का। और उसका मौलिक मूल्य था सम्मान, और अन्जान लोगों के प्रति दया का भाव। वो इसिलिये जाना जाता है, अपनी सत्कार भावना के लिये। तो इस लिहाज से, वो तीसरे पक्ष का प्रतीक है मध्य-पूर्व के लिये। वो हमें ये याद दिलाता है कि हम सब एक बडी परिकल्पना के हिस्से मात्र हैं। तो आप कैसे -- थोडा रुक कर सोचिये। आज हम आतंकवाद का बोझा ढो रहे हैं। आतंकवाद आखिर है क्या? आतंकवाद है कि एक मासूम अजनबी को पकडिये, और उसे उस दुश्मन के माफ़िक मानिये जिसे आप मार देंगे डर पैदा करने के लिये। और आतंकवाद का विपरीत क्या है? ये कि आप एक मासूम अजनबी से मिले, और उससे उस दोस्त के माफ़िक बर्ताव किया, जिसे आप अपने घर बुलायेंगे उस के साथ दख-सुख बाँटेंगे, और समझ बढायेंगे, सम्मान देंगे, प्यार देंगे। तो अगर ऐसा हो कि आप अब्राहम की कहानी उठायें, जो कि तीसरे पक्ष की कहानी है, और अगर उसे ऐसा कर दें -- क्योंकि अब्राहम सत्कार भावना का प्रतीक है -- क्या हो अगर ये आतंकवाद के खिलाफ़ एक दवाई हो जाये? क्या हो अगर ये कहानी टीका बन जाये मजहबी असहिष्णुता के खिलाफ़? आप उस कहानी में जीवन कैसे फ़ूँक सकेंगे? देखिये सिर्फ़ कहानी सुना भर देना काफ़ी नहीं है -- वो काफ़ी शक्तिशाली है -- मगर लोगों को कहानी को अनुभव कर पाना ज़रूरी है। उन्हें उस कहानी को जी पाना ज़रूरी है। वो आप कैसे करेंगे? और ये मेरी सोच थी कि ऐसा कैसे होगा। और यहीं से पहले कदम की शुरुवात है। क्योंकि एक साधारण तरीका ये कर पाने का है कि आप पद-यात्रा के लिये निकल पडें। आप अब्राहम के पदचापों का अनुसरण करते हुये पदयात्रा पर निकलें आप अब्राहम के रास्ते चलें। क्योंकि पदयात्रा में बडी ताकत होती है। मैं, एक मानव-विज्ञानी होने के नाते, जानता हूँ कि पद-यात्राओं ने ही हमें मनुष्य बनाया है। ये गजब है कि जब आप चलते हैं, तो आप अगल-बगल चलते हैं एक ही दिशा में। और अगर मै आपके सामने से आऊँ और इतना करीब आ जाऊँ, तो आपको भय महसूस होगा। लेकिन अगर मैं आपके कंधे से कंधा मिला कर चलूँ, चाहे आपको बिल्कुल छूते हुये भी, तो कोई समस्या नहीं है। अगल बगल चलते समय आखिर कौन लडता है? इसिलिये, जब मसले हल करते समय, स्थिति कठिन हो जाती है, लोग जंगलों में पद-यात्रा के लिये निकल जाते हैं। तो मुझे ये विचार आया कि क्यों न मैं प्रेरित करूँ ऐसा रास्ता -- सिल्क रूट जैसा, या अप्लेशियन रास्ते के जैसा -- जो कि ठीक वो ही हो जो अब्राहम ने लिया था। लोगों ने कहा, "ये पागलपन है। नहीं हो सकता। तुम अब्राहम के रास्ते पर नहीं चल सकते। ये बहुत खतरनाक है। आपको तमाम सारी सीमाओं को पार करना होगा। ये मध्य-पूर्व के करीब दस अलग अलग देशों से गुज़रता है, क्योंकि ये उन सब को जोडता है।" तो हमने हार्वार्ड में इस विचार पर अध्ययन किया। बारीकी से इसे समझा। और फ़िर कुछ साल पहले, हम ने एक दल बना कर, करीब १० देशों के २५ लोगों का, ये देखने का फ़ैसला किया कि क्या हम अब्राहम के रास्ते पर चल पायेंगे, उनके जन्मस्थान उर्फ़ा शहर से शुरु कर, जो दक्षिणी तुर्की, उत्तरी मेसोपोटामिया में है। तो हमने एक बस ली और थोडी पैदल यात्रा के उपरांत हम हर्रान पहुँचे, जहाँ से, बाइबिल के अनुसार, उन्होंने अपनी यात्रा शुरु की थी। फ़िर हमने सीमा पार की और सीरिया गये, फ़िर अलेप्पो, जिसका नाम अब्राहम पर ही पडा है। हम दमसकस गये, जिसका इतिहास अब्राहम से जुडा है। फ़िर हम उत्तरी जोर्डन गये, येरुसलम गये, जो कि पूरी तरह से अब्राहम से बारे में है, फ़िर बेतलेहम, और फ़िर आखिर में वहाँ जहाँ वो दफ़न हैं, हब्रोन में। तो हम लगभग गर्भाशय से कब्र तक गये। हमने ये दिखाया कि ऐसा हो सकता है। ये बहुत ही गजब की यात्रा थी। आपसे एक प्रश्न पूछता हूँ। आप में से कितनों को ऐसा अनुभव हुआ है कि किसी अजनबी जगह में, या अजनबी देश में, पूरी तरह से, सौ प्रतिशत अनजान व्यक्ति, आप तक आये और आपसे प्यार की दो बात करे, आपको अपने घर बुलाये, कुछ खातिरदारी करे, कॉफ़ी पिलाये, या फ़िर खाने का निमंत्रण दे? आप में से कितनों के साथ ऐसा हुआ है? देखिये यही है मुद्दे की बात, जो अब्राहम-पथ में निहित है। क्योंकि आप यही होता पाते है, जब आप मध्य-पूर्व के इन गाँवों मे जाते हैं जहाँ आप बुरे बर्ताव की आशा रखते हैं, और आपको आश्चर्यजनक स्वागत मिलता है, और सब अब्राहम से जुडे होने से। अब्राहम के नाम पर, "आइये मैं आपको कुछ खाने को देता हूँ।" तो हमें ये पता लगा कि अब्राहम महज एक किताबी किरदार नहीं है इन लोगों के लिये, वो जीवित है, उनके बीच रोज़ाना। और संक्षेप में कहूँ, तो पिछले कुछ सालों में, हज़ारों लोगों ने अब्राहम-पथ के कुछ भागों पर मध्य-पूर्व में चलना शुरु कर दिया है, वहाँ के लोगों का स्वागत-सत्कार स्वीकार करते हुए। उन्होने चलना शुरु किया है इज़रायल और फ़िलिस्तीन में, जोर्डन में, तुर्की में, सीरिया में। ये बेहद अलग अनुभव है। आदमी, औरत, युवा, वृद्ध -- आदमियों से ज्यादा औरतें, सच में। और जो चल नहीं सकते, जो वहाँ अभी तक नहीं जा सकते, उन लोगों ने पद-यात्राएँ आयोजित करना शुरु कर दिया है अपने शहरों, और अपने ही देशों मे। सिनसिनाती में, उदाहरण के लिये, एक पद-यात्रा आयोजित होती है एक चर्च से एक मस्जिद से होते हुए, एक यहूदी मंदिर तक और फ़िर सब साथ में अब्राहम-भोज करते है। उसे अब्राहम पथ दिवस कहा जाता है। साओ पालो, ब्राज़ील में तो ये वार्षिक उत्सव बन चुका है, हज़ारों लोगों के दौडने के लिये, एक कल्पित अब्राहम पथ पर, अलग अलग समुदायों को जोडने के लिये। मीडिया भी इस पर खूब लिखती है, उन्हें ये बेहद पसंद है। वो अपना ध्यान इस पर लुटाते है क्योंकि ये देखने में बेहतरीन है, और इस विचार को आगे बढाता है, कि अब्राहम की तरह ही स्वागत और दया की भावना अजनबियों के प्रति रखी जाये। और अभी कुछ हफ़्ते पहले ही, एन.पी.आर ने इस पर कहानी लिखी थी। पिछले महीने, इस पर गार्डियन अखबार ने लिखा था, मैनचेस्टर से निकलने वाले गार्डियन ने -- पूरे दो पन्नों की रपट। और उन्होंने एक ग्रामीण का संदेश भी शामिल किया था जिसने कहा, "ये पद-यात्रा हमें दुनिया से जोडती है।" उसने कहा कि ये एक रोशनी की तरह है जो हमारे जीवन में उजाला करती है हमें आशा दे कर। और देखिये इसी सब पर ये आधारित है। मगर ये सिर्फ़ मनोवैज्ञानिक नहीं है, ये आर्थिक भी है, क्योंकि जब लोग चलते है, तो वो पैसे भी खर्च करते हैं। और उम अहमद नाम की इस महिला, जो कि उत्तरी जोर्डन में इस रास्ते पर ही रहती है। ये बेहद गरीब है। काफ़ी हद तक दृष्टि-विहीन है, उसका पति काम नहीं कर सकता है, और उस के सात बच्चे हैं। मगर वो एक काम कर सकती है - खाना पकाना। तो उसने पद-यात्रियों के दलों के लिये खाना पकाना शुरु कर दिया है, जो उसके गाँव से निकलते है, और उसके घर में खाना खाते हैं। वो ज़मीन पर बैठते है। उस के पास मेज़ ढकने का कपडा तक नहीं है। और वो बहुत ही स्वादिष्ट खाना पकाती है जो कि आसपास के खेतों में उगने वाले मसालों से बना होता है। और इस वजह से और भी पद-यात्री वहाँ आते हैं। और अब तो उसने पैसे कमाने भी शुरु कर दिये है, अपने परिवार के सहारे के लिये। और उसने वहाँ हमारी टीम को बताया, "आपने मुझे उस गाँव में इज़्ज़्त दिलायी है जहाँ एक समय पर लोग मेरी तरफ़ देखने में भी झिझकते थे।" ये है अब्राहम-पथ की शक्ति। और ऐसे कई सौ समुदाय है पूरे मध्य-पूर्व में , इस रास्ते के आसपास। देखिये इसमें संभावना है पूरा मुद्दा बदल देने की और मुद्दा बदलने के लिये आपको माहौल बदलना होगा, जिस तरह हम देखते हैं-- माहौल बदलना होगा दुश्मनी से दोस्ती में आतंकवाद से पर्यटन में। और उस हिसाब से, अब्राहम पथ मुद्दा बदलने की संभावना से ओत-प्रोत है। चलिये मैं आपको कुछ दिखाता हूँ। मेरे पास एक छोटा सा बाँजफ़ल है जो मैनें ऐसे ही रास्ते पर चलते हुए उठा लिया था इस साल की शुरुवात में। अब ये फ़ल बलूत के पेड से जुडा है, बिलकुल -- क्योंके ये उस पर उगता है, जो कि अब्राहम से जुडा है। ये पथ आज इस फ़ल की तरह है; अपने शुरुवाती दौर में। और बलूत का पूरा पेड कैसा दिखेगा? जब मैं अपने बचपन के बारे में सोचता हूँ, जिसका काफ़ी बडा हिस्सा मैने, शिकागो में पैदा होने के बावजूद, यूरोप में गुज़ारा। अगर आप मान लीजिये, कि लंदन के खंडहरों में १९४५ मे, या फ़िर बर्लिन मे, गये होते, तो आपने कहा होता, आज से साठ साल बाद, ये धरती का सबसे शांत, सबसे धनी इलाका होगा," तो लोग सोचते कि आप निश्चय ही पागल हैं। मगर ऐसा हुआ - यूरोप की एक साझी पहचान के चलते, और एक साझी अर्थव्यवस्था के चलते। तो मेरा प्रश्न है, कि यदि ये यूरोप में किया जा सकता है, तो मध्य-पूर्व में क्यों नहीं? क्यों नहीं, जबकि वहाँ भी एक साझी पहचान है -- जो कि अब्राहम की कहानी से आती है -- और ऐसी साझी अर्थव्यवस्था से जो कि पर्यटन पर टिकी हो? मैं अंत में यही कहूँगा कि पिछले ३५ सालों में, मैने काम किया है कुछ बहुत ही खतरनाक, कठिन और उलझे हुए विवादों - पूरे विश्व में, और आज तक मैं ऐसे विवाद को नहीं देख सका जिसे देख कर मुझे लगा हो कि ये हल नहीं हो पायेगा। बिलकुल, ये आसान नहीं है, लेकिन ये संभव है। ऐसा दक्षिणी अफ़्रीका में किया गया है। उत्तरी आयरलैण्ड में भी किया गया है। और ऐसा कहीं भी किया जा सकता है। सब कुछ हम पर ही निर्भर करता है। हमारा ही कर्तव्य है कि हम तीसरा पक्ष बनें। तो मैं आप को आमंत्रित करता हूँ कि तीसरे पक्ष की भूमिका निभाने को एक छोटी शुरुवात के रूप में देखें। थोडी ही देर में हम एक छोटा सा मध्यांतर लेंगे। उस में किसी ऐसे से मिलिये जो दूसरी संस्कृति, दूसरे देश से हो, अलग जाति से हो, कुछ अलग हो, और उनके साथ बातचीत कीजिये; उन्हें ध्यान से सुनिये। यही तीसरे पक्ष का कार्य है। यही अब्राहम के नक्श-ए-कदम पर चलना है। टेडवार्ता की बाद, क्यों न एक टेडयात्रा भी करें? जाते जाते मैं आपको तीन संदेश दे कर जाऊँगा। एक, ये कि शांति का राज़ है तीसरा पक्ष। और तीसरा पक्ष मै आप, हम में हर एक है, और एक छोटे से कदम से ही, हम दुनिया को बदल सकते है, उसे शांति के और करीब ला सकते हैं। एक पुरानी अफ़्रीकन कहावत है: "अगर मकडियों के जाले एकजुट हो जायें, तो वो शेर को भी रोक सकते हैं।" अगर हम सब एकत्र कर सकें, अपने तीसरे पक्ष के जाले, तो हम युद्ध के शेर को भी रोक सकते हैं। बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियाँ अभिवादन) मैं न्यू यार्क शहर में पला, हार्लेम और ब्रोंक्स के बीच में | जब मैं बड़ा हो रहा था, तब हमें सिखाया जाता था कि मर्दों को कड़क होना चाहिए, ताकतवर होना चाहिए, साहसी होना चाहिए, हर बात पर हुकूमत चलाना चाहिए -- ना कोई दर्द, ना कोई जज़बात, सिवाय गुस्से के -- और डर हरगिज़ नहीं ; कि अधिकार सदैव पुरुषों के हाथों में है, यानि महिलाओं के हाथों में नहीं है ; कि नेतृत्व पुरुष करते हैं, और आप केवल हमारा अनुसरण कर हमारी बात मानते हैं; कि पुरुष श्रेष्ठ हैं, और महिलाएं तुच्छ; कि पुरुष बलवान हैं, और महिलाएं निर्बल ; कि महिलाओं का महत्त्व कम है, वे पुरुषों की संपत्ति हैं, और मात्र वस्तु हैं, खासकर यौन वस्तु | बाद में मैंने जाना कि यह पुरुषों की एक सामूहिक सामाजिक परिभाषा है जो 'मर्दाना डिब्बा'(man box) के नाम से जाना गया है | देखिये, इस मर्दाने डिब्बे (man box) में वे सभी सामान मौजूद हैं जिनसे हम मर्द को परिभाषित करते हैं | अब मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि निस्संदेह, कुछ बढ़िया, बढ़िया, बहुत ही बढ़िया चीज़े हैं पुरुष होने के बारे में| मगर उसी वक्त, कुछ ऐसी भी चीज़ें हैं बुरी तरह से टेड़ी हैं (श्रोताओं की हंसी) और जिनका हमें सचमुच मुकाबला करना होगा, और देखरेख कर इस विषय के विश्लेषण और पुनर्विचार की प्रक्रिया शुरू करनी होगी, जिसे हम मर्दानगी के नाम से जानते हैं | यह मेरे दो बच्चे हैं, केंडाल और जे | उनकी उम्र 11 और 12 वर्ष है | केंडाल जे से १५ महिने बड़ा है | एक समय था जब मेरी बीवी -उनका नाम टैमी है - और मैं सचमुच इतने व्यस्त हो गए और...धूम धाम धमाका - केंडाल और जे हो गये| (हंसी) और जब वे पांच और छह साल के थे, चार और पांच साल के, जे मेरे पास आया करती थी, रोते हुए | बात भले कोई भी हो जिसके बारे में वह रोती थी; वह मेरे गोद में बैठ सकती थी, मेरी कमीज़ गीली कर सकती थी और खुलकर रो सकती थी, जी भर के रो सकती थी | पापा तुम्हारा पूरा ख्याल रखेंगे | बस यही मायने रखता था | अब दूसरी ओर केंडाल - जो जैसे मैंने कहा, जे से बस 15 महिने बड़ा है - अगर मेरे पास रोते हुए आता, तो उसके रोने की आवाज़ सुनते ही मानो मैं सांसें गिनने लग जाता था | उस लड़के को मैं शायद 30 सेकण्ड का वक्त देता था, जिसका मतलब यह है कि जब तक वह मेरे पास आता, मैं कुछ ऐसे सवाल करने लगता, "क्यों रो रहे हो ? सिर ऊंचा करो | मेरी ओर देखो | समझाओ मुझे कि मसला क्या है | बताओ मुझे कि क्या गलत हुआ | मैं तुम्हें नहीं समझ पा रहा हूँ | क्यों रो रहे हो ?" और उसे एक पुरुष के रूप में निर्माण करने की मेरी भूमिका और मेरी जिम्मेदारी में निराश होने के कारण, ऐसे पुरुष के रूप में जो 'मर्दाने डिब्बे' (man box) के नियम और ढाँचे में ढल सके , मैं खुद को कुछ इस प्रकार की चीज़ें कहते हुए पाता, "बस, जाओ अपने कमरे में | चलो निकलो, चले जाओ अपने कमरे में | बैठो, खुद पर काबू पाओ और तभी वापस आओ और मुझसे बात करो जब तुम...." किसकी तरह बात कर सकते हो ? (श्रोता : मर्द की तरह) मर्द की तरह | और वह पांच साल का था | और जिन्दगी में और सीखने पर, मैं खुद से पूछने लगता हूँ, "हे भगवान यह मुझे क्या हो गया है ? मैं क्या कर रहा हूँ ? मैं ऐसे क्यों करता हूँ ?" और मैं याद करने लगता हूँ | मेरी याद पहुँचती है मेरे पिताजी तक | मेरे जीवन में वह समय था जो मेरे परिवार के लिए बेहद दु:खद घड़ी थी | मेरे भाई हेनरी बहुत ही दु:खद परिस्थितियों में गुज़र गया जब हम किशोर थे | हम न्यू योर्क शहर में रहा करते थे, जैसे मैंने कहा था | हम उस समय ब्रांक्स में रहा करते थे, और उसे लॉन्ग आइलैंड नामक जगह में दफनाया जाना था, जो शहर से तकरीबन दो घंटे की दूरी पर थी | और जब हम कब्र से वापस लौटने के लिए तैयार हो रहे थे, तब गाड़ियां शौचालय के बाहर रुकीं , ताकि लोग चैन से इस लम्बे सफ़र के लिए तैयार हो सकें | और देखते ही देखते हमारी गाडी खाली हो गयी | मेरी माँ, बहन, चाची, सब बाहर निकले, मगर मैं और मेरे पिताजी गाड़ी में ही ठहरे और जैसे ही सब महिलाएं गाड़ी से निकलीं, मेरे पिताजी फूट-फूटकर रोने लगे | वे मेरे सामने नहीं रोना चाहते थे, मगर उन्हें पता था कि शहर पहुँचने तक वे खुद पर काबू नहीं रख पाएंगे, और उनके लिए बेहतर यही था कि मेरे सामने रोएँ, नाकि महिलाओं के सामने, जिनके सामने यह भावनाएं व्यक्त करने की इजाज़त वे खुद को हरगिज़ नहीं दे सकते थे | और यह वही आदमी था जो, १० मिनट पहले, अपने जवान लड़के को ज़मीन में गाड़ चूका था, जिस बात की मैं कल्पना भी नहीं कर सकता | एक बात, जो सबसे ज़्यादा मेरे मन में टिकी, वह यह है कि मेरे सामने रोने के लिए वे मुझसे माफी मांग रहे थे, और उसी वक्त, मुझे संभाल रहे थे और मुझे सहारा दे रहे थे ताकि मैं न रोऊँ| मैंने इस रवैये में हमारे इस डर को पहचाना, जो हम मर्द के तौर पर महसूस करते हैं, वही डर जो हमें निस्तब्ध बना देता है और इस मर्दाने डिब्बे में और इस मर्दाने डिब्बे में मैं याद कर सकता हूँ मेरी बातचीत एक 12 बरस के लड़के के साथ, जो फ़ुटबाल का खिलाड़ी था, और मैंने उससे पूछा, "तुम्हें कैसे लगेगा अगर, बाकी सब खिलाड़ियों के सामने, तुम्हारे कोच ने कहा कि तुम लड़की की तरह खेल रहे हो?" अब मेरा अनुमान यह था कि वह कहेगा कि मैं दुखी होऊंगा; या पगला जाऊंगा; या गुस्से में आ जाऊंगा, या ऐसा कुछ | नहीं, उस लड़के ने मुझसे कहा - उस लड़के ने मुझसे कहा, "उससे तो मैं बर्बाद हो जाऊंगा|" और मैंने खुद से पूछा, "हे भगवान्, अगर उसे लड़की कहना उसे बर्बाद कर देगा, तो हम उसे लड़कियों के बारे में क्या सिखा रहे हैं ?" (तालियाँ ) यह बात मेरी याद को उस समय तक ले गयी जब मैं 12 बरस का था | मैं शहर की भीतरी इलाकों की कोठरियों में पला | उस समय हम ब्रोंक्स में रहते थे, और हमारे नज़दीक वाले इमारत में जॉनी नाम का लड़का रहता था | वह तकरीबन १६ बरस का था, और हम सब १२ के आस-पास थे - उससे छोटे लड़के थे | और हम छोटे लड़कों के साथ उसका काफी वक्त बिताना होता था | और उसके हाल-चाल कुछ अच्छे नहीं थे | वह इस किस्म का लड़का था जिसके बारे में माँ-बाप फ़िक्र करने लगेंगे कि "यह 16 साल का लड़का इन १२ साल के लड़कों के साथ क्या कर रहा है ?" और वह बहुत सारा वक्त बुरे हाल-चाल में बिताता था | वह एक परेशान बच्चा था | उसकी माँ हेरोइन नशे की ज़हरीली मात्रा लेने से चल बसी थी | उसकी नानी ही उसे पाल रही थीं | उसके पिता उसके साथ नहीं थे | उसकी नानी दो-दो नौकरियां करती थीं | वह घर में अक्सर अकेले रहता था | मगर मुझे आपको यह कहना ही होगा कि हम छोटे लड़के इस बन्दे की इज्ज़त करते थे यार ! वह मस्त था | वह शानदार था | बहनें तो वही कहती थीं, "वह शानदार था |" लड़कियों के साथ उसके जिस्मानी रिश्ते थे | उसे हम सब उसे इज्ज़त की नज़रों से देखा करते थे | तो एक दिन, मैं घर के सामने बाहर कुछ कर रहा था - खेल में रहा था, कुछ तो कर रहा था- क्या पता क्या कर रहा था | उसने खिड़की से बाहर देखा और मुझे बुलाया; वह बोला, "हे एंथनी!" मुझे बचपन में एंथनी बुलाया करते थे | "हे एंथनी चल ऊपर आ |" जॉनी ने बुलाया, तो जाना हैं तो मैं फौरन सीडियों से ऊपर भागा | और दरवाज़ा खोलकर उसने मुझसे कहा, "तुझे मज़ा लेना है ?" और मैं तुरंत समझ गया कि उसका मतलब क्या था | क्योंकि मेरे लिए उन हालात में पलने और मर्दाने डिब्बे के साथ हमारे रिश्ते की वजह से "तुझे मज़ा लेना है ?" के दो ही मतलब हो सकते थे : कोई जिस्मानी मामला या फिर नशा - और हमें नशे की आदत तो थी नहीं | अब मर्दाने डिब्बे में मेरी जगह को, उस डिब्बे में पहुँचने के मेरी कार्ड को ही तुरंत खतरा था | दो चीज़ें | पहली बात तो यह कि मुझे ज़रा भी यौन अनुभव नहीं था | हम उसके बारे में पुरुष की तरह बाते नहीं करते| सिर्फ हमारे सबसे जिगरी, नज़दीकी दोस्त को बताते हैं, ज़िंदगी भर इसे राज़ रखने का वादा लेकर, कि हमारा सबसे पहला यौन अनुभव कहाँ हुआ था | बाकी सब की नज़रों में तो, हम ऐसे चलते-फिरते हैं कि मानो हम दो साल की उम्र से इन मामलों में माहिर हैं | पहली बार नाम की कोई चीज़ ही नहीं है | (हंसी ) दूसरी बात यह थी कि मैं उसे यह हरगिज़ नहीं कह सकता था कि मुझे नहीं चाहिए | वह तो और भी बदतर बात थी | हम मानते थे कि हमें हमेशा शिकारी बनकर फिरना चाहिए | महिलाएं तो केवल शिकार की चीज़ें थीं, जो सिर्फ जिस्मानी तौर पर मायने रखती थीं | खैर, तो मुझे उससे ये सब चीज़ें कहना मुमकिन नहीं था | तो, जैसे माँ कहा करती थीं, कहानी को ज़्यादा खीचे बगैर, मैंने जॉनी से सीधा कह दिया, "हाँ !" उसने मुझे उसके कमरे में जाने को कहा | मैं उसके कमरे में गया | उसके बिस्तर पर पड़ोस की शीला नाम की लड़की लेटी थी | वह १६ बरस की थी | और अब बिना कपड़ों के पडी थी | आज-कल मेरी जानकारी के हिसाब से उसे मानसिक रोगी माना जाएगा, और उसके चाल-ढाल कभी ठीक-ठाक लगते थे और कभी उतने नहीं | हम उसे कई किस्मों के अनुचित नामों से पुकारा करते थे | खैर, जॉनी अभी-अभी उसके साथ सहवास को अंजाम दे चुका था | सच पूछो तो उसने बलात्कार किया, मगर वह कहता था कि उसने उसके साथ सहवास किया है | क्योंकि, अगर मान भी लें कि शीला ने कभी ना नहीं कहा था , बात यह है कि उसने कभी हाँ भी नहीं कहा था | तो वह मुझे वही चीज़ करने का मौका दे रहा था | तो जब मैं कमरे में गया, मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया | दोस्तों, मैं पथरा गया था | मैं दरवाज़े पर पीठ करके खडा हो गया ताकि जॉनी ज़बरदस्ती कमरे में घुस न पाए और उसे यह पता न लगे कि मैं कुछ भी नहीं कर रहा हूँ | और मैं वहां उतनी देर तक खडा रहा, जितनी देर में मेरा सचमुच कुछ करना मुमकिन था | तो अब मेरे सामने सवाल यह नहीं था कि अब क्या करना है, मगर मैं यह सोच रहा था कि अब किस तरह मैं इस कमरे से बाहर निकलूँ | तो, १२ बरस की समझदारी को अपनाकर, मैंने अपनी चेन खोल दी और कमरे से बाहर निकला तो, और मुझे क्या नज़र आया ? जब मैं कमरे में शीला के साथ था, तब जॉनी खिड़की के सामने खडा दूसरे लड़कों को ऊपर बुला रहा था | तो अब बैठक छोकरों से भर चुकी थी | लग रहा था कि यह किसी डॉक्टर के कार्यालय में इंतज़ार का कमरा है | और उन्होंने पूछा कि कैसा था, और मैंने उनसे कहा, "अच्छा था" और उनके सामने चेन बंद किया और दरवाजे की ओर चला | अब मैं यह सब कुछ पछतावे के साथ कह रहा हूँ, और उस वक्त भी मैं भयंकर पछतावा महसूस कर रहा था, मगर एक कश्मकश में था, क्योंकि पछतावे के साथ-साथ मुझे इस बात का उत्साह था कि मैं पकड़ा नहीं गया | मगर मुझे अब पता था कि मुझे इस घटना पर बहुत अफसोस हो रहा था | इस डर ने, मर्दाने डिब्बे से बाहर निकलने के डर ने, मुझे पूरी तरह घेर लिया था | मुझे सबसे ज़्यादा परवा थी, खुद की और मेरे मर्दाने खुद की और मेरे मर्दाने डिब्बे की कार्ड की नाकि शीला की न इसके बारे में कि उसपर क्या गुज़र रही थी | देखिये सामूहिक तौर पर, हम मर्दों को यह सिखाया जाता है कि महिलाओं को मूल्यहीन समझें और उन्हें वस्तु और मर्दों की संपत्ति की तरह देखें| ऐसे समीकरण का नतीजा है महिलाओं के विरुद्ध हिंसा | हम मर्द, भले मर्द, मर्दों की बहुतांश संख्या हम इसी सामूहिक परिभाषा की आधारशिला पर व्यवहार करते हैं | हम खुद को इससे अलग समझते हैं, मगर हम भी इसके सहभागी हैं | यह देखिये, हम यह समझ चुके हैं कि यह मूल्यहीन, वस्तु-रूपी और संपत्ति-रूपी दृष्टि ही हिंसा की बुनियाद है, जिसके बिना हिंसा हो ही नहीं सकती | तो हम समाधान के उतने ही हिस्से हैं, जितने हम समस्या के हैं | रोग नियंत्रण केंद्र का यह कहना है कि मर्दों द्वारा महिलाओं के विरुद्ध हिंसा अब संक्रामक मात्रा धारण कर चुकी है, और इस देश में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महिलाओं के स्वास्थ्य को इसी से सबसे ज़्यादा खतरा है | तो जल्दी, मैं बस यह कहना चाहूंगा, यह है मेरी ज़िंदगी का प्यार, मेरी बेटी जे | मैं उसके लिए जिस दुनिया की कल्पना करता हूँ - उसमें मैं पुरुषों का कैसा चलन और व्यवहार देखना चाहूंगा ? मुझे इसमें आपका सहयोग चाहिए | आपको मेरा साथ देना होगा | ज़रुरत है आपको मेरे साथ काम करने की, और मुझे आपके साथ ताकि हम हमारे बेटों को ऐसे पुरुष बनना सिखाएं, यह कहकर - हर वक्त हुकूमत न चलाना बिलकुल ठीक है, कि भावुक होना कोई अपराध नहीं है, कि समता का प्रचार करना मान्य है, कि इस बात में कोई आपत्ति नहीं है कि महिलाओं के साथ मात्र मित्रता का रिश्ता हो, कि सम्पूर्ण व्यक्ति बनना ठीक है, कि पुरुष होने के नाते मेरा उद्धार महिला होने के नाते आपके उद्धार के साथ पूरी तरह बंधा है | (तालियाँ ) मुझे याद है जब मैंने एक नौ साल के लड़के से पूछा, मैंने एक नौ साल के लड़के से पूछा, "तुम्हारी ज़िंदगी कैसी होगी, अगर तुम्हें इस मर्दाने डिब्बे में चिपके नहीं रहना पड़े ?" उसने मुझसे कहा, "मैं आज़ाद हो जाऊंगा |" शुक्रिया दोस्तों | (तालियाँ ) मै अभी आपको एक कहानी सुनाने वाली हूँ. ये कहानी है एक भारतीय नारी और उसके जीवन की मैं शुरुवात करुँगी अपने माता पिता से मैं इन्ही की देंन हूँ! दूरदर्शी माँ और मेरे पिता, जब मेरा जन्म पचास के दशक में हुआ पचास और साठ का दशक भारत में महिलाओं का नहीं था! वह पुरुषों का था वह पुरुषों का था जो उद्यम करते थे और जिन्हें व्यापार विरासत में मिलता था! और महिलाओं की गुडिया बनके शादी करवा दी जाती थी मेरा परिवार, मेरे शहर में या शायद सारे देश में एक अनोखा परिवार था हम चार थे एक नहीं और हम में से कोई भी लड़का नहीं था हम चार लड़कियां थी और कोई लड़का नहीं मेरे परिवार के पास खानदानी ज़मीन थी मगर मेरे पिता ने उनके दादाजी की बात न मानकर ज़मीन लगभग खो दी थी क्योंकि उन्होंने निर्णय ले लिया था की वो पढाएंगे हम चारों को उन्होंने हमे शहर के सब से अच्छे स्कूलों में भेजा और हमे बेहतरीन शिक्षा दिलवाई. जैसा की मै कह चुकी हूँ हम जन्म लेते समय अपने माता पिता नहीं चुन सकते! उसी तरह जब हम स्कूल जाते हैं तो हम अपनी स्कूल भी नहीं चुनते! बच्चे अपनी स्कूल नहीं चुनते वे उसी स्कूल में जाते हैं जो उनके माता पिता अपने लिए चुनते हैं तो ये मेरे आधार का समय था जो मुझे मिला ! मै ऐसे बड़ी हुई और कुछ ऐसी ही थी मेरी बहेनो की कहानी और उस समय मेरे पिता कहा करते थे, "मैं अपनी चार बेटियों को दुनियों के चार कोनों में देखना चाहता हूँ" मुझे नहीं पता की वे यही चाहते थे या नहीं परन्तु येही हुआ मैं अकेली हूँ जो भारत में बची हूँ! एक ब्रिटेन में है, दूसरी अमेरिका में और तीसरी कनाडा में तो हम चारों दुनिया के चार कोनों में है और क्योंकि मैंने कहा वे मेरे आदर्श हैं मैंने उनकी दो बातें हमेशा याद रखी एक , उन्होंने कहा , "जीवन हमेशा झुका रहता है " या तो आप ऊपर जाओगे , और या नीचे की ओर और दूसरी बात, जो मेरे साथ आज भी है , जो मेरे जीवन का मूल बनी जिसने मुझे यहाँ तक पहुँचाया वह थी अगर आपके जीवन में सौ चीज़े होती हैं अच्छी या बुरी उनमे से नब्बे आप खुद बनाते हैं अगर वे अच्छी है, आपने बनाई हैं उनका आनंद लें! और बुरी हैं तब भी आपने बनायीं हैं उनसे सीखें दस ऐसी होती हैं, जो प्रकृति बनती है , जो आपके नियंत्रण से बाहर हैं जैसे किसी रिश्तेदार की मृत्यु या कोई तूफ़ान , या कोई बवंडर या भूकंप आप इनका कुछ नहीं कर सकते आप केवल परिस्थितियों के अनुसार कार्य कर सकते हैं लेकिन वो प्रतिक्रिया उन्ही ९० प्रतिशत चीज़ों से आती है ! क्योंकि मैं इस सिद्धांत का नतीजा हूँ ९०/१० और दूसरी बात की जीवन हमेशा झुकाव रहता है मै ऐसे ही बड़ी हुई हूँ ! उन चीजों का आदर करना जो मुझे मिली है ! मैं नतीजा हूँ उन अवसरों का उन बिरले अवसरों का जो पचास और साठ के दशक में जो दूसरी लड़कियों को नहीं मिलते थे ! और मुझे इस बात का अहसास था की मुझे मेरे परेंट्स जो दे रहे हैं , वो अनोखा था! क्यूंकि मेरे सारे पक्के दोस्तों को सजाया जा रहा था , ताकि उनकी शादी हो सके बहुत सारे दहेज़ के साथ , और मैं यहाँ थी , एक टेनिस के राच्केट के साथ और स्कूल जाती हुई , और सारे तरह के खेल कूद करती हुई ! मुझे लगा मुझे ये जरूर बताना चाहिए आप लोगों को , मैंने क्यूँ कहा की ऐसा मेरा अतीत है तो ये है जो अब अगला भाग आता है मैंने भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुई एक सख्त महिला की तरह एक अजेय बलवाली महिला क्यूंकि मुझे आदत थी अपने टेनिस शीर्षक के लिए दौड़ने की .. लेकिन मैं भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुई और उसके बाद निगरानी करने में एक नए तरह का नमूना आ गया मेरे लिए निगरानी करना का मतलब था सही करने की शक्ति रोकने की शक्ति और पहचानने की शक्ति ये कुछ ऐसा था की भारत में पोलिसिंग को नयी परिभाषा दे दी गयी हो.. रोकने की शक्ति क्यूंकि जादातर के यही कहा जाता था , की पहचानने की शक्ति , और बस या दण्डित करने की शक्ति लेकिन मैंने निश्चय किया , नहीं , ये रोकने की शक्ति है , क्यूंकि यही मैंने सीखा जब मैं बड़ी हो रही थी तो मैं कैसे रोकूँ चीजों को १० (जिनपे मेरा नियंत्रण नहीं है ) पे और इससे कभी भी १० से बढ़ने ना दूं ? तो ये ऐसे मेरे सेवा में आ गया! और ये बिलकुल अलग था पुरुषो से मैं नहीं चाहती थी की यह पुरुषो से अलग हो लेकिन ये अलग था ! क्यूंकि ये वोही तरीका था जिससे मैं अलग थी और मैंने भारत में पोलिसिंग के कांसेप्ट को नयी परिभाषा दी ! मैं आप लोगों को दो यात्रयों पे ले जाउंगी , मेरी पोलिसिंग की यात्रा और मेरी जेल के समय की यात्रा . जब आप देखते हैं , अगर आप शीर्षक पढेंगे , जो कहता है , "प्रधान मंत्री की कार रोक ली गयी " ये पहली बार था की भारत के प्रधान मंत्री को एक पार्किंग टिकेट दिया गया ! हंसी भारत में ये पहली बार हुआ, और मैं बता सकती हूँ , ये आखिरी बार है आप ऐसी घटना के बारे में सुन रहे हैं ! ये भारत में दुबारा कभी नहीं होगा , क्यूंकि अब ये एक बार हमेशा के लिए हो गया है और नियम था , क्यूंकि मैं संवेदनशील थी मुझमे करुना थी , मैं संवेदनशील थी अन्याय के लिए और मैं बहुत बड़ी समर्थक थी न्याय की यही कारण था की , महिला होने पर भी , मैं भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुई ! मेरे पास दुसरे विकल्प भी थे लेकिन मैंने उन्हें नहीं चुना . तो अब आगे बढ़ते हैं ! ये पूरी बात है कठोर पोलिसिंग और समान पोलिसिंग की अब मैं जानी जाती थी एक महिला है जो किसी की नहीं सुनेगी तो (परिणाम स्वरुप ) मुझे सारे अविवेकपूर्ण स्थानों पर पद मिले ऐसे स्थान जहाँ जाने से दुसरे तुरंत "नहीं " कह दे मैं गयी थी एक पुलिस अधिकारी के तौर पे एक जेल के कार्य पे सामान्यतः पुलिस ऑफिसर जेल में काम नहीं करते हैं! उन्होंने मुझे जेल (के एक पद ) में भेज दिया (ताकि मैंने वहीँ रह जाऊं) ये सोचते हुए की अब कोई कारें नहीं होंगी और कोई भी VIP नहीं मिलेगा (पार्किंग ) टिकेट देने को उसे वही रहने दो . तो यहाँ मुझे जेल का कार्य मिला ! ये एक जेल का कार्य था जिसमे बहुत बड़ा समूह था मुजरिमों का बिलकुल , ये था लेकिन दस हज़ार आदमी , जिसमे केवल ४०० ही महिलाये थी -- सो दस हज़ार में ९००० और ६०० करीब आदमी थे आतंकवादी , बलात्कारी चोर , गुंडे , कुछ ऐसे थे की मैंने खुद उन्हें जेल भेजा था पुलिस ऑफिसर होने के नाते . और मैंने कैसे उनका सामना किया पहले दिन जब मैं अन्दर गयी (जेल के ) मुझे नहीं पता था उनको देखू कैसे और मैंने कहा , "क्या तुम प्रार्थना करते हो ? " जब मैंने समूह की तरफ देख कर कहा , "क्या तुम प्रार्थना करते हो ? " उन्होंने देखा की एक नयी महिला , छोटी (ऊंचाई ) में भूरे कपडे पहने हुए और मैंने कहा , "क्या तुम प्रार्थना करते हो ?" और उन लोगों ने कुछ नहीं कहा ! मैंने कहा , "तुम तुम प्रार्थना करते हो ?" , "क्या तुम प्रार्थना करना चाहते हो ?" उन्होंने कहा "हाँ " , और मैंने कहा " बढ़िया , चलो प्रार्थना करते हैं " मैंने उनके लिए प्रार्थना की और चीज़ों में बदलाव की शुरुआत होने लगी . ये एक दृश्य था जेल के अन्दर शिक्षा का! दोस्तों , ये कभी नहीं हुआ , जहाँ हर एक आदमी जेल में पढता है मैं इसे समाज के सहारे से शुरू किया सरकार के पास कोई budget नहीं था ये अपने आप में एक बहुत ही उम्दा , और बड़ी स्वयं सेवा थी दुनिया के किसी भी दुसरे जेल की तुलना में इसकी शुरुआत हुई थी देल्ही जेल में तुम एक नमूना देख सकते हो की एक मुजरिम एक कक्षा को पढ़ा रहा है और वो सौ की संख्या में कक्षाए थी ९ से ११ , हर एक मुजरिम शिक्षा प्रोग्राम में आ गया उसी अद्ददे (जेल ) में जहाँ कभी वो लड़ते थे वो मुझे सलाखों के पीछे छोड़ देते और चीज़ें हमेशा के लिए भुला दी जाती (ऐसा भी हो सकता था) हमने इसे आश्रम में बदल दिया एक जेल से आशरम में शिक्षा के सहारे मैं सोचती हूँ ये एक बड़ा बदलाव है ! ये बदलाव की शुरुआत है! शिक्षक ही मुजरिम थे ! शिक्षक स्वयम सेवक थे ! किताबें दान में दी हुई स्कूल किताबों से आती थी stationary भी दान से आती थी ! हर चीज़ दान से आती थी ! यूँ की इस जेल के लिए कोई budget नहीं था (सरकार के पास ) अब अगर मैंने ये नहीं किया होता तो ये नरक का घर ही रहता . ये दूसरा चिह्न है! मैं आप लोगों को मेरी यात्रा के अतीत के कुछ पलो को दिखाना चाहूंगी जो शायद तुम्हे कहीं , कभी भी किसी दूसरी जगह इस दुनिया में देखने को ना मिले पहला तो जो आंकड़े हैं जो आपको कभी देखने को ना मिले दूसरा ये कांसेप्ट ये जेल के अन्दर एक ध्यान का कार्यक्रम था ! जिसमे हजारों मुजरिम थे ! १००० मुजरिम उस ध्यान में शामिल हुए , बैठे ये एक बहुत ही साहसपूर्ण कदम था मैंने इसे लिया एक जेल के राज्यपाल की तरह और ये इस तरह रूपांतरित हो गया अगर आप इसके बारे में ज्यादा जानना चाहते हैं जाइये एंड देखिये मूवी "doing time doing vipassana". आप इसके बारे में सुनेगे एंड आप इसे पसंद करेंगे ! और मुझे लिखिए किरंबेदी .कॉम पे और मैं आपको जवाब दूँगी ! मैं आपको दूसरी slide दिखाती हूँ मैं वोई सावधानी का विचार यहाँ भी लिया है क्यूंकि मैंने क्यूँ लाया ध्यान को भारतीय जेल में ? क्यूंकि अपराध एक विकृत दीमाग की उपज है ये एक प्रकार की विकृति है जिसको नियंत्रित रखना बहुत जरुरी है उपदेशो से नहीं , बताने से नहीं पढने से नहीं , नहीं दीमाग को बोल के मैं वोई चीज़ पोलिसे में ले के गयी क्यूंकि पोलिसे भी मुजरिम है दीमाग के , बराबरी से वो भी वैसे ही महसूस करते हैं हमारी तरह और वो और आदमी सहयोग नहीं करते हैं इसने काम किया! ये एक जान कारी बॉक्स है जिसे petition बॉक्स कहते हैं ये एक कांसेप्ट है जो मैंने लाया है ताकि मैं शिकायते सुन सकूं , दुःख तकलीफ सुन सकूं ये एक जादू भरा बॉक्स है ये एक संवेदनशील बॉक्स है ये ऐसा है जैसे मुजरिम महसूस करते हैं जेल के बारे में अगर आप किस्सी को देखें हाँ ये आदमी वो एक मुजरिम है और वो एक शिक्षक है और आप देखेंगे , हर कोई व्यस्त है , समय ख़राब करने को है ही नहीं इससे समाप्त करती हूँ मैं अभी आन्दोलन में हूँ शिक्षा के आन्दोलन में जो की कुपोषित बच्चो के लिए जो की हजारो में हैं , भारत में हमेशा बात हजारो में ही होती है दुसरे की , भ्रष्टाचार विरुध्ध आन्दोलन भारत में ये एक बहुत बड़ा काम है हम , एक छोटा समूह कार्यकर्ताओ का ने एक लोकपाल बिल भारत सरकार के लिए तैयार किया है दोस्तों , इसके बारे में आप बहुत सुनेगे यही आन्दोलन मैं अभी इस समय चला रही हूँ यही आन्दोलन और मह्तावाकंषा है मेरी जिन्दगी की ! धन्यवाद (तालिया ) धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद मैं काफ़ी समय से पढा़ रही हूँ, और ऐसा करते हुए, बच्चों और सीखने की प्रक्रिया संबंधी ऐसा अनुभव का भण्डार इकट्ठा कर चुकी हूँ जो कि मैं चाहती हूँ ज्यादा से ज्यादा लोग समझें विद्यार्थियों की काबलियत और शक्यता के बारे में। १९३१ में मेरी दादी -- निचली पंक्ति में बाँए तरफ़ -- ने आठवीं पास की। वो जानकारी लेने विद्यालय जाती थी क्योंकि जानकारी विद्यालय में ही होती थी। ज्ञान किताबों मे होता था, जानकारी शिक्षक के दिमाग में बसेरा करती थी। और उन्हें उसे ग्रहण करने के लिये वहाँ जाना ही होता था, क्योंकि तब ऐसे ही सीखते थे। सीधे एक पीढी बाद: ये एक कमरे का विद्यालय है, ओक ग्रूव, जहाँ मेरे पिता ने शिक्षा ग्रहण की। और उन्हें भी स्कूल जाना होता था अपने शिक्षक से जानकारी प्राप्त करने के लिये, फिर उन्हें उसे अपने दिमाग में दर्ज करना होता था, जो कि उस समय का एकमात्र उपलब्द्ध पेन-ड्राइव था, और तभी वे उसे अपने साथ ले जा पाते थे, क्योंकि उन दिनों जानकारी को बाँटने का यही ज़रिया था शिक्षक से विद्यार्थी को, और फ़िर दुनिया में इस्तेमाल होने के लिये। जब मैं बच्ची थी, हमारे घर में एक पूरा विश्वकोष था। उसे उसी साल ख़रीदा गया जिस साल मैं पैदा हुई. और वो असाधारण था, क्योंकि मुझे फ़िर जानकारी के लिये पुस्तकालय जाने का इंतज़ार नहीं करना होता था; जानकारी मेरे घर पर ही उपलब्द्ध थी और ये ज़बरदस्त था। ये बिलकुल ही अलग था पिछली दो पीढियों के अनुभव से, और उसने मेरे जानकारी इस्तेमाल करने के तरीकों को बदल डाला भले ही कितने ही छोटे स्तर पर। पर जानकारी मेरे निकट थी। मैं कभी भी उसे प्राप्त कर सकती थी। जो समय गुज़रा मेरे हाई-स्कूल के ज़माने से ले कर मेरे शिक्षक बनने के बीच, उसमें हमने इंटरनेट का आगमन देखा। ठीक जिस समय इंटरनेट एक शिक्षण की विधा के रूप में उभर रहा था, मैं विस्कोन्सिन से निकल कर कान्सास आ गयी - कानसास के उपनगरीय इलाकों में, जहाँ मुझे पढाने का अवसर मिला एक छोटे, प्यारे से उपनगर में ग्रामीण कान्सास के विद्यालय में, जहाँ मैं अपना मनपसंद विषय पढा रही थी, अमरीकी सरकारतंत्र। मेरा पहला साल -- मस्तमौला मज़ेदार - अमरीकी सरकारतंत्र पढा़ने जाना, और मेरा राजनीतिक उपक्रम से बेहद लगाव। बारहवीं के बच्चे: उतना कुछ खास उत्साहित नहीं थे अमरीकी सरकार को समझने में। दूसरा साल: कुछ चीज़ें सीखी -- अपने तरीके बदलने पड़े। और मैनें उनके सामने एक असल अनुभव रखा जो कि उन्हें खुद सीखने का मौका देता था। मैने उन्हें नहीं बताया कि क्या और कैसे करें। मैने बस उनके सामने एक समस्या रखी, जिसमें उन्हें अपने आसपास के समुदाय में एक चुनाव करवाना था। उन्होंने पर्चे छापे, कार्यालयों को फ़ोन किया, समय-सारिणियाँ बनाईं, सचिवों से मुलाकातें कीं, और फ़िर चुनाव की पुस्तिका निकाली पूरे शहर को उनके उम्मीदवारों पर जानकारी देने के लिये। उन्होंने सबको विद्यालय में बुलाया एक शाम भर बातचीत करने के लिये सरकार और राजनीति पर और गलियाँ ठीक से बनीं थीं जैसी बातों पर भी, और इस दौरान इन बच्चों ने सच में सुदृढ अनुभव-आधारित शिक्षा पायी। पुराने शिक्षक -- जो कि ज्यादा अनुभवी थी -- मुझे देखते थे और कहते थे, "देखो इसे। कितना प्यारी है। और ये वो ये सबकुछ करवाने की कोशिश कर रही है।" (हँसी) "इसे अंदाज़ा ही नहीं है कि इसके साथ क्या होने वाला है।" मगर मुझे पता था कि बच्चे ज़रूर आयेंगे। और इसमें मेरा दृढ विश्वास था। और मैं उन्हें हर हफ़्ते बताती कि मेरी क्या अपेक्षा है। और उस रात, सारे के सारे ९० बच्चे -- ढँग के कपडे पहने, अपना काम कर रहे थे, उसे अपना काम समझ कर। मुझे सिर्फ़ बैठ कर देखना था। वो उनका खुद का काम था। वो अनुभव-आधारित था। वो सोलह आने खरा था। और वो उनके लिए मायने रखता था। और वो आगे बढेंगे। कान्सास से, मैं ख़ूबसूरत एरिज़ोना चली गयी. जहाँ मैंने फ़्लैगस्टाफ़ में कई साल तक पढाया, और इस बार माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों को। सौभाग्यवश, मुझे उन्हें अमरीकी सरकार के बारे में नहीं पढाना था। मैं उन्हें भूगोल जैसा अधिक रोमांचक विषय पढा़ रही थी। और फ़िर से, और सीखने को आतुर थी। मगर दिलचस्प बात एरिज़ोना में मिली इस नौकरी में, ये थी कि मुझे एक सचमुच असाधारण समझ वाले बच्चों के साथ काम करने को मिला एक सचमुच के पब्लिक स्कूल में। और हमें कुछ ऐसे क्षण मिले जिन्होंने हमें कुछ गजब के अवसर दिये। और एक अवसर था जाकर पौल रुसेसाबगिना से मिलना, जो कि वही व्यक्ति हैं जिनकी कहानी पर होटल रवांडा नाम की पिक्चर बनी थी। वो हमारे बगल के हाई-स्कूल में बोलने आ रहे थे। हम तो बस पैदल ही वहाँ चले गये; बस का किराया भी नहीं लगा। बिल्कुल मुफ़्त। बिलकुल सटीक अध्ययन-यात्रा। असली समस्या ये थी कि सातवीं और आठवीं के बच्चों से नरसंहार पर कैसे बात करें और कैसे इस विषय से निपटें, जिम्मेदारी और सम्मान के साथ, जिससे कि बच्चों को भी समझ में आये। और इसलिये हमने पौल रुसेसबगिना को ऐसे व्यक्ति के उदाहरण के रूप में लिया जिन्होंने लीक से हटकर भी अपने जीवन का सकारात्मक इस्तेमाल किया। फ़िर मैनें बच्चों से कहा कि अपने जीवन से, या उनकी अपनी कहानी और उनकी अपनी दुनिया से ऐसे लोगों को ढूँढे जिन्होंने पौल जैसा ही कुछ किया हो। मैने उनसे इस विषय पर एक चलचित्र बनाने के लिये कहा। हम पहली बार ऐसा कुछ कर रहे थे। किसी को नहीं पता था कि कमप्यूटर पर चलचित्र कैसे बनाते हैं। मगर बच्चे लगन से काम करने लगे। और मैने उन्हें अपनी खुद की आवाज़ इस्तेमाल करने को कहा। ये ऐसा क्षण था जिसने मेरी आँखें खोल दीं कि जब आप बच्चों से खुद की आवाज़ इस्तेमाल करने को कहते हो और उन्हें अपने मन की बात बोलने को कहते हो, वो बहुत ही गजब की बातें बाँटते हैं। इस प्रयोग का आखिरी सवाल था: कैसे आप अपने जीवन से दूसरों पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे? वो बातें जो बच्चे बोलते हैं यदि आप उनसे पूछें और समय निकाल कर सुनें, असाधारण होती हैं। और फ़िर सीधे पेन्सिलवेनिया, जहाँ मैं आजकल हूँ। मैं विज्ञान नेतृत्व अकादमी (साइंस लीडरशिप अकादमी) में पढाती हूँ, जो कि एक साझेदारी है फ़ैंकलिन संस्थान और फ़िलेडेल्फ़िया विद्यालय डिस्ट्रिक्ट के बीच। हम पब्लिक स्कूल हैं नवीं से बारहवीं तक, मगरह हम थोडा सा अलग हैं। मेरे वहाँ जाने का मुख्य कारण था ऐसे शिक्षण पर्यावरण का हिस्सा बनना जो कि उसी पद्धति को स्थापित करता है, जिससे मेरी समझ से, बच्चे सचमें सीखते हैं जो कि पूरी तरह खोजना चाहे उसे जो कि संभव है तब जब आप तैयार हो पुराने नज़रिये को दरकिनार करके सोचने के लिये, जानकारी के अभाव के जमाने के नज़रिये, तब के जब मेरी दादी स्कूल में थीं, तब के मेरे पिता स्कूल में थे, और तब के भी जब मैं भी स्कूल में थी, और सुलभ-जानकारी के ज़माने के नज़रिये को अपना लें। तो हमें क्या करना चाहिये जब आसपास जानकारी और ज्ञान पटा पडा हो? क्यों आप बच्चों को विद्यालय बुलायेंगे जब कि उन्हें जानकारी के लिये आने की ज़रूरत ही नहीं है? फ़िलेडेल्फ़िया में हम वन-टू-वन लैपटॉप कार्यक्रम चलाते हैं, इसलिये बच्चे अपने साथ हर रोज़ लैपटॉप लाते हैं, घर ले जाते हैं, जानकारी प्राप्त करते हैं। और आप को इस बात के साथ साम्य अनुभव करना होगा कि जब आपने बच्चों को ज्ञान पाने का ज़रिया दे दिया है, तो आपको इस बात से समझौता करना होगा कि बच्चे का असफ़ल होना, सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा है। हम आजकल ऐसे शिक्षण वातावरण से जूझ रहे हैं जो कि ग्रसित है 'एक ही सही उत्तर है' की संस्कृति से, जिससे की किसी उत्तर-पुस्तिका के खानों में चिन्ह लगाया जा सके, और मैं आपको ये बताना चाहती हूँ, कि ये सीखने की प्रक्रिया नहीं है। ये गलत से भी गलत है कि हम बच्चों से कभी भी गलती न करने को कहें। उन्हें हमेशा केवल सही उत्तर देने के लिये प्रोत्साहित करने से उन्हें सीखने का मौका नहीं मिलता है। तो हमने एक योजना कार्यान्वित की, और ये इस कार्यक्रम में बनी एक कृति है। मैं शायद ही कभी इसे दिखाती हूँ क्योंकि ये असफ़ल होने से जुडा है। मेरे विद्यार्थियों ने इन जानकारियों के चित्रणों को बनाया एक कार्यशाला के तहत जो हमने साल के अंत में करने का निर्णय लिया था तेल-रिसाव पर प्रतिक्रिया देने के लिये। मैनें उनसे उन उदाहरणों को देखने को कहा जो कि जानकारी का चित्रण कर रहे थे तमाम संपर्क-साधनों में, और ये देखने के लिये कि उनके रोचक भाग कौन से हैं, और फ़िर खुद कुछ बनाने के लिये अमरीकी इतिहास की किसी अलग मानव-निर्मित विपत्ति पर। और उनके पास ये करने के लिये एक ढाँचा भी था। उन्हें ये थोडा कठिन लग रहा था, क्योंकि ऐसा पहले किसी ने नहीं किया था, और उन्हें नहीं पता था कि करना क्या है। वो बहुत अच्छा बोलते है - धाराप्रवाह तरीके से, और वो लिखते भी बहुत अच्छा हैं - सच में बहुत ही अच्छा, पर अपने विचारों को इतने अलग अंदाज़ में बयान करना थोडा कठिन था। पर मैनें उन्हें मौका दिया बस कर डालने का। जाओ, बनाओ। देखो क्या निकलता है। देखते हैं कि हम क्या कर सकते हैं। और जो विद्यार्थी हमेशा सबसे अच्छा चित्र बनाता था, उसने निराश नहीं किया। ये करीब दो या तीन दिन में किया गया काम है। और ये उस विद्यार्थी का काम है जो हमेशा अच्छा चित्रण करता था। और जब मैनें अपने विद्यार्थियों से पूछा, "किसका सबसे अच्छा है?" तो एक्दम सबने कहा, "ये वाला।" किसी ने कुछ पढा नही। सीधे कहा "ये वाला।" और मैने कहा, "ये वाला सबसे अच्छा क्यों है?" तो उन्होंने कहा, "इसका डिजाइन बढिया है, इसमें बढिया रँग हैं। और इसमें ये है, वो है..." और उन्होंने वो सब कहा जो सामने से दिख रहा था। और मैने कहा, "अब जाओ, उसे पढो।" तब उन्होंने कहा, "ह्म्म, ये शायद उतना अच्छा नहीं है।" और फ़िर हम दूसरे वाले पर गये -- उसमें चित्रण उतना अच्छा नहीं था, मगर वो बहुत ज्ञानप्रद था -- और करीब एक घंटा तक हमने सीखने की प्रक्रिया पर बात की, क्योंकि बात ये नहीं थी कि कौन सा बेहतर है, या मैं क्या बना पाया; इस में उन्होंने स्वयं के लिये रचना की। और इसने उन्हें असफ़ल होने दिया, और उस अनुभव से सीखने दिया। और जब हम इस साल फ़िर से मेरी कक्षा में ये करेंगे विद्यार्थी बेहतर काम कर पायेंगे। शिक्षण-प्रक्रिया में असफ़लता का पुट होना अत्यावश्यक है, क्योंकि असफ़लता से ही सही निर्देश मिल पाते है। यहाँ लाखों तस्वीरें है जिन्हें मैं दिखा सकती हूँ, और मुझे सावधानी से चुनना पडा -- ये मेरी मनपसंद तस्वीर है -- सीखते हुए बच्चों की, और सीखना कैसा हो सकता है यदि हम इस दकियानूसी विचार का चोगा उतार फ़ेंके कि बच्चों को सीखने के लिये विद्यालय आने की ज़रूरत है, और इसके बजाय, उनसे ही पूछें कि उन्हें क्या करना है। उनसे रोचक प्रश्न पूछें। वो आपको निराश नहीं करेंगे। उनसे अलग अलग जगहों पर जाने के लिये कहिये, चीज़ों को खुद समझने के लिये कहिये, खुद अनुभव करने के लिये कहिये, खेलने के लिये, जिज्ञासु होने के लिये कहिये। ये भी मेरी सबसे पसंदीदा तस्वीरों में से है, क्योंकि ये उस मंगलवार को ली गयी थी, जब मैने बच्चों से वोट डालने के लिये कहा। ये है रोबी, और ये इसका वोट डालने का पहला मौका है, और ये सबको बताना चाहता था और वोट करना चाहता था। मगर ये भी तो सीखना ही है, क्योंकि हम उन्हें असल जगहों पर जाने के लिये कह रहे हैं। असल मुद्दा ये है कि, यदि हम शिक्षा का मतलब सिर्फ़ विद्यालय आना और जानकारी प्राप्त करना समझते रहे, बजाय अनुभवशील शिक्षा के, बजाय विद्यार्थियों को सुनने के, और बजाय असफ़लता को स्वीकार करने के, हम बहुत पीछे छूट जायेंगे। और वो सब जिसके बारे में आज सबलोग बात कर रहे हैं बिल्कुल संभव नहीं होगा यदि हम ऎसी शिक्षा-प्रणाली को पालते रहेंगे जो इन गुणों का मूल्य ही नहीं आँक पाती है, क्योंकि एक धुरी और मानक पर चलने वाले प्रश्नोत्तरीय तरीके से कुछ नहीं होगा, और न ही 'सही उत्तर पर चिन्ह लगाओ' की संस्कृति हमें कुछ देगी। हम जानते है कि इस से बेहतर कैसे हो सकता है, और अब समय आ गया है बेहतर बनने का। (तालियों सहित अभिवादन) मैं कम्प्यूटर्स को हमारी दुनिया के बारे में बातचीत करने में मदद करती हूँ. ये करने के कई सारे तरीके हैं, मैं कम्प्यूटर्स को उन चीजों के बारे में बात करना सिखाती हूँ, जिन्हें वे देखते और समझते हैं. ये तस्वीर दिखाने पर, एक आधुनिक कम्प्यूटर का दृष्टि अल्गोरिदम आपको ये बता सकता है कि तस्वीर में एक महिला और कुत्ता हैं. ये आपको बता सकता है कि वह महिला मुस्कुरा रही है. ये आपको बता सकता है कि वह कुत्ता बहुत क्यूट है. मैं इस प्रश्न पर विचार करती हूँ, कि मनुष्य विश्व को कैसे देखते और समझते हैं. ऐसे चित्र को देखकर इंसान को किस तरह के विचार, यादें और कहानियां याद आएँगी. इससे ताल्लुक रखने वाली सब परिस्थितियाँ. शायद आपने ऐसा कुत्ता कहीं देखा हो, या बीच पर ऐसे दौड़ लगायी हो, और पुरानी छुट्टियों की यादें ताज़ा हो गयी हों, बीच पर बिताया हुआ समय, दूसरे कुत्तों के साथ भागते हुए. मेरा एक निर्देशक सिद्धांत ये है कि, अगर हम कंप्यूटर को इन अनुभवों को समझने के काबिल बना सकें, और ये सिखा सकें कि हमारे विचार और भावनाएं क्या हैं, और हम क्या साझा करना चाहते हैं, तो हम कम्प्यूटर तकनीक को उस तरह से विकसित करने की स्तिथि में होंगे जो हमारे अनुभवों के लिए पूरक सिद्ध होगी. इस विषय पर गहराई में जाने के लिए, कुछ साल पहले, मैंने कम्प्यूटर को, तस्वीरों की श्रृंखला से, मनुष्यों जैसे कहानियां बनाना सिखाया. एक दिन, मैंने अपने कम्प्यूटर से पुछा कि उसका, ऑस्ट्रेलिया जाने के बारेमें क्या विचार है. उसने तस्वीरों में कोआला को देखा. उसे नहीं पता था कि कोआला क्या है पर उसने कहा कि यह एक दिलचस्प जीव है. फिर मैंने एक जलते हुए घर की तस्वीर दिखाई. उसको देखकर उसने कहा, "ये एक विस्मयकारी एवं विहंगम दृश्य है!" यह सुनकर मुझे बहुत डर लगा. ये एक भयानक, जीवन-विध्वंसक, जीवन-परिवर्तक घटना को देखकर सोच रहा है कि यह सकारात्मक है. मुझे समझ आया कि उसने तस्वीर के कंट्रास्ट को देखा, लाल और पीले रंग, और सोचा कि इस पर सकारात्मक बोलना चाहिए. और ये ऐसे इसलिए कर रहा था क्यूँकि मैंने जो भी तस्वीरें उसको दी थीं, ज्यादातर सकारात्मक थीं. लोग हमेशा अपने अनुभवों पर बात करते हुए, सकारात्मक तस्वीरें ही साझा करते हैं. क्या आपने कभी शवयात्रा पर ली हुई सेल्फी देखी है? मैंने जाना कि जैसे मैं AI के विकास पर कार्य कर रही थी, मैं उसमें पाठ-दर-पाठ, बड़ी कमियाँ पैदा कर रही थी, उसकी समझने की क्षमता में बड़ी कमी छोड़ रही थी. ऐसा करते हुए, मैं उसमे कई तरह के पूर्वाग्रह डाल रही थी. पूर्वाग्रह जो सीमित दृष्टिकोण दर्शाते हैं, जो सिर्फ़ एक तथ्य तक सीमित हैं - लोगों के पूर्वाग्रह दर्शाते हैं, जो डेटा से मिलते हैं, जैसे कि पक्षपात और विचार बद्धता. मैंने विचार किया कि तकनीकि विकास कैसे हुआ और कैसे, प्रथम रंगीन तस्वीरों में त्वचा के रंग को पश्चिमी देशोंकी गोरी महिला के रंग से नापा गया, मतलब, रंगीन तस्वीरें काली चमड़ी के हिसाब से नहीं बनायी गयीं थी. और यह पूर्वाग्रह, 90 के दशक में भी विद्यमान था. और यही पूर्वाग्रह आज भी मौजूद है, चेहरा पहचान करनेवाली तकनीक में, कैसे विभिन्न रंग के चेहरों की पहचान होती है. मैंने सोचा - कैसे हम आधुनिक खोजों में भी, अपनी सोच को एक समस्या के हिसाब से सीमित रखते हैं. ऐसे में, हम कई कमियों और पूर्वाग्रहों को छोड़ रहे हैं जो AI से अधिक विस्तारित हो जायेंगी. मुझे लगा कि हमें यह विचार करना चाहिए कि जिस तकनीक को हम आज विकसित कर रहे हैं, वह 5-10 साल बाद कैसी होगी. मनुष्य का विकास धीरे होता है, और पर्यावरण के साथ सामंजस्य बिठाने में होने वाली समस्याओं को सुलझाने का पर्याप्त समय होता है. इसके विपरीत, AI तेजी से विकसित हो रहा है. इसका मतलब यह है कि, हमें आज ही इस विषय पर ध्यान देने की जरुरत है - कि हम अपने पूर्वाग्रहों के बारे में सोच विचार करें, और देखें कि कैसे हम आज विकसित होने वाली तकनीक में इसको सम्मिलित कर रहे हैं, और तर्क करें कि भविष्य में इस तकनीक का कैसे इस्तेमाल होगा. वैज्ञानिकों और CEOs ने AI तकनीक पर गहन चिंतन किया हुआ है. स्टीफन हौकिंग सावधान करते हैं - "AI मानव जाति को खत्म कर सकती है" एलोन मस्क इसे अस्तित्व सम्बन्धी सबसे बड़ा खतरा बताते हैं. बिल गेट्स का कहना है - "मुझे समझ नहीं आता की लोग इस बारे में चिंतित क्यों नहीं हैं." यह सब विचार - इस प्रक्रिया का भाग हैं. वह गणित, वह तंत्र, जो AI तकनीक के मूलभूत खंड हैं, जिनपर हमारी पहुँच है और जिसपर हम काम कर रहे हैं. मशीनों को सिखाने के लिए ओपन-सोर्स सॉफ्टवेर में हम सब योगदान दे सकते हैं. और हम अपने अनुभव साझा कर सकते हैं. तकनीक को लेकर हमारे अनुभव साझा कर सकते हैं कि हमें कैसे चिंतित करता है, अथवा कैसे हमें जोश दिलाता है. पसंद के विषय पर संवाद कर सकते हैं. दूरदृष्टि रखते हुए, तकनीक के फायदेमंद और समस्याजनक पहलुओं पर विचार कर सकते हैं. भविष्य के बारे में सोचते हुए अगर हम AI पर संवाद करें तो सामान्यजन को इस तकनीक के आज के स्वरुप और भविष्य की संभावनाओ से अवगत कराया जा सकता है, और विचार किया जा सकता है कि कैसे उपयोगी परिणाम खोजे जाएँ. हम समझते हैं कि कैसे इस तकनीक का आज इस्तेमाल हो रहा है. हम स्मार्ट फोन, डिजिटल असिस्टेंट (सीरी) और रूम्बा का इस्तेमाल करते हैं. क्या वे बुरे हैं? कभी कभी, शायद हाँ. क्या वे फायदेमंद हैं? हाँ, वह भी है. और ये पहले जैसे नहीं हैं. आप सोच सकते हैं कि भविष्य में ये कैसे होंगे. हम आज जो निर्माण कर रहे हैं, भविष्य उसपर निर्भर करता है. हमें आगे की चाल तय करनी है, कि AI तकनीक में आगे क्या होगा. हम आज तय करेंगे कि, भविष्य में AI कैसा होगा. वह तकनीक जो संवर्धित सत्यता (ऑगमेंटेड रियलिटी) से पुरानी दुनिया से हमें अवगत कराती है. वह तकनीक जो लोगों को अनुभव साझा करने में मदद करती है, जब वह बात करने कि स्थिति में नहीं होते. वह तकनीक, जो कैमरे से दुनिया को समझ कर, बिना ड्राईवर के चलने वाली कार का निर्माण करने में मदद करती है. वह तकनीक, जो तस्वीरों को समझ कर, भाषा में परिवर्तित करती है, जिससे नेत्रहीन व्यक्तियों का जीवन आसान हो पायेगा. हम ये देख रहे हैं कि तकनीक समस्याएं भी पैदा कर रही है. हमारे पास तकनीक है जो हमारी पैदाईशी प्राकृतिक गुणों, जैसे - चमड़ी का रंग या चेहरे की बनावट - का अध्ययन करके बताती है कि हम अपराधी या आतंकवादी तो नहीं. हमारे पास तकनीक है जो हमारे व्यक्तिगत आंकड़ों से जैसे- लिंग अथवा प्रजाति- से यह तय करती है, कि हम लोन के हकदार हैं या नहीं. आज जैसे आप जनते हो , वह भविष्य में इसके विकास का संकेतक है. क्यूँकि हम आज जहाँ हैं, वहाँ से कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विकास तेजी से होगा. इसलिए आज हम जो करेंगे वह भविष्य के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होगा. अगर हम AI को मानवता की भलाई के लिए इस्तेमाल होता देखना चाहते हैं तो हमें इसके लक्ष्य और रणनीति अभी तय करने होंगे. मैं देखना पसंद करुँगी कि AI, मानवता, सभ्यता और पर्यावरण के साथ घुलमिल जाए. AI वह तकनीक हो, जो गंभीर रूप से बीमार या विकलांगों का जीवन सहज कर सके. AI वह तकनीक हो, जो चमड़ी के रंग या प्रजाति के आधार पर भेद किये बिना काम करे. आज मेरा ध्यान है कि यह तकनीक 10 साल बाद कैसे इस्तेमाल होगी. AI कई दिशाओं में विकसित हो सकती है. पर यह ऐसी अपने-आप चलनेवाली कार न हो, जिसकी कोई मंजिल नहीं. इस कार को हम चला रहे हैं. हम तय करेंगे कि कब तेज या धीरे चलानी है. हम तय करेंगे कि कब मुड़ना है. हम तय करेंगे कि AI का भविष्य कैसा होगा. भविष्य में AI कैसा होगा, इसकी कई संभावनाएं हैं. ये कई रूप ले सकता है. और ये हमें तय करना है, कि AI का उपयोग कैसे हो, और इसके परिणाम ऐसे हों, जो हम सबके लिए बेहतर हो. धन्यवाद. (तालियाँ और प्रशंसा) एक गर्म अगस्त की सुबह,हरारे में फराइ, एक 24 वर्षीय दो बच्चों की माँ, पार्क बेन्च की और चलती हुई। वह दुःखी और हारी हुई दिखती है। अब ,उस बेन्च पर 82 वर्षीय महिला बैठी है, जो समाज में ग्रेंडमदर जैक के नाम से जानी जातीं हैं । फराइ ग्रेंडमदर जैक को की्ल्निक नर्स का लिफ़ाफ़ा पकडाती है। ग्रेंडमदर जैक फराइ को बैठने का निमंत्रण देतीं हैं जैसे वे लिफ़ाफ़ा खोलकर पढने लगतीं हैं। करीब तीन मिनट तक खामोशी जब वे पढती हैं काफी लम्बे अंतराल के बाद ग्रेंडमदर जैक एक गहरी सांस लेतीं हैं, फराइ की ओर देखतीं हैं और कहतीं हैं, "मैं तुम्हारे लिए हूँ। क्या तुम अपनी कहानी मेरे साथ बांटना चाहोगी ?" फराइ शुरू करती है, उसकी आँखों आंसुओं से भर जातीं हैं। वह कहती है, " ग्रेंडमदर जैक, मैं एच आइ वी पॉजिटिव हूँ। मैं पिछले चार साल से एच आइ वी के साथ रह रही हूँ मेरे पति ने एक साल पहले मुझको छोड़ दिया। मेरे दो बच्चे हैं जो पाँच साल के भी नहीं हैं मैं बेरोज़गार हूँ। मैं मुश्किल से बच्चों का ध्यान दे पाती हूँ।" उसकी आँखों से आंसू बहनें लगते हैं । और जवाब में ग्रेंडमदर जैक उसके और नज़दीक जाती है फराइ पर अपना हाथ रखती हैं, और कहतीं हैं, "फराइ, रोने में बुराई नहीं है तुमने बहुत कुछ सहा है। क्या तुम मेरे साथ और बाँटना चाहती हो ?" और फराइ बात जारी रखती है। "पिछले तीन हफ्तों में, मुझको ख़ुद को मार डालने के ख़्याल बार बार आए , अपने दोनों बच्चों के साथ। मैं और नहीं झेल सकती। की्ल्निक नर्स मुझे आपके पास भेजा है." दोनों के बीच लगभग 30 मिनट तक आदान प्रदान चलता रहा। अंत त: ग्रेंडमदर जैक कहतीं हैं, "फराइ, मुझे लगता है कि तुम्हारे सारे लक्षण कुफुंगिसिसा के हैं " "कुफुंगिसिसा" शब्द से आंसुओं की बाढ सी आ गई। डिप्रेशन को स्थानीय भाषा में कुफुंगिसिसा कहते हैं मेरे देश में। इसका यथा शब्द मतलब है "बहुत ज़्यादा सोचना।" वल्ड हेल्थ औरगनाइज़ेशन अनुमान करता है कि 300 लाख लोग पूरे संसार में, आज,डिप्रेशन से ग्रस्त हैं, या जिसे मेरे देश में कुफुंगिसिसा बुलाया जाता है । और वल्ड हेल्थ औरगनाइज़ेशन यह भी बताता है कि हर 40 सैकेंड में दुनिया में कोई कहीं आत्महत्या करता है क्योंकि वे दुःखी हैं, ज्यादातर डिप्रेशन या कुफुंगिसिसा के कारण। और ज़्यादातर ये मौतें निचले और मध्यम आय वाले देशों में हो रही हैं । वास्तव में वल्ड हेल्थ औरगनाइज़ेशन ने यहाँ तक कहा है कि जब आप 15 से 29 उम्र को देखेंगे, मौत का प्रमुख कारण वास्तव में आत्महत्या है। पर और गहरे घटनाएं हैं डिप्रेशन तक पहुंचने के लिए और कुछ परिस्थितियों में, आत्महत्या, जैसे शोषण, मतभेद, हिंसा, अलगाव, अकेलापन - सूची अंतहीन है। पर एक चीज़ जो हम ज़रूर जानते हैं वह है कि डिप्रेशन का इलाज किया जा सकता है और आत्महत्याएं टाली जा सकती है । पर मुश्किल यह है कि हमारे पास उतने मनोंचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक हैं इस काम को करने के लिए। उदाहरण के लिए, ज़्यादातर कम व मध्यम आय वाले देशों में जनसंख्या के अनुपात में मनोंचिकित्सक लगभग ढेड लाख लोगों के लिए एक है, जिसका वास्तव में मतलब है कि 90 प्रतिशत लोगों को मानसिक स्वास्थ्य सेवा की आवश्यकता है पर नहीं मिल पाएगी। मेरे देश में 12 मनोंचिकित्सक हैं और मैं उनमें से एक हूँ, जहाँ। जनसंख्या करीब 14 लाख है। यदी मैं इसे संदर्भ में कहूँ । एक शाम जब मैं घर पर था, मुझे ई आर से कॉल आया, या आपात काल कक्ष, एक शहर जो करीब 200कि.मी दूर था जहाँ मैं रहता था। और ई आर डॉक्टर कहता है, "आपका एक मरीज़, जिसका आपने चार महीने पहले इलाज किया था, अभी दवाई अधिक मात्रा में लिया है, और वे अभी ई आर विभाग में हैं, रक्त स्राव आदी ठीक लग रहा है, परन्तु मनश्चिकित् के मूल्यांकन की आवश्यकता है ।" अब ज़ाहिर सी बात है कि बीच रात में मैं गाडी चला कर 200 कि.मी नहीं जा सकता। तो जितना बन पडा उतना किया, ई आर डॉक्टर के साथ फोन पर, मूल्यांकन किया। हम ध्यान देते हैं कि आत्महत्या की टिप्पणी ठीक जगह पर हों। हम ध्यान देते हैं कि एंटीडिप्रेसेंट का पुन: निरीक्षण करें जो यह मरीज़ ले रहा है, और हम इस निष्कर्ष। पर पहुंचे कि जैसे ही एरिका-- यही उसका नाम, 26 वर्षीय -- जैसे ही एरिका संभलेगी उसे ई आर से बाहर ले जाया जाएगा, वह अपनी माँ के साथ सीधे मेरे पास आएगी, और मैं मूल्यांकन करूँगा और स्थापित करूँगा क्या करना होगा और हमनें अनुमान लगाया कि इस में एक हफ़्ता लगेगा। एक हफ़्ता गुज़रा। तीन हफ्ते गुज़रे। एरिका का पता नहीं। और। एक दिन एरिका की माँ। का फोन आया, उन्होंने कहा, "एरिका ने तीन दिन पहले आत्महत्या कर ली। उसनें आम के पेड़ पर लटकर जान दे दी घर के बगीचे में।" बिना सोचे मैं एकदम, पूछ। बैठा, "पर आप हरारे क्यों नहीं आई, जहाँ मैं रहता हूँ ? हम सहमत थे कि जैसै ही ई आर से निकलेंगी, आप मेरे पास आएंगी।" उनका जवाब छोटा सा था। "हमारे पास बस का किराया 15 डॉलर नहीं थे हरारे आने के लिए।" अब आत्महत्या असामान्य घटना नहीं है मानसिक स्वास्थ्य की दुनिया में। पर एरिका की मौत में कुछ था जो मुझे अंदर तक महसूस हुआ। एरिका की माँ का वाक्य: "हमारे पास बस का किराया 15 डॉलर नहीं थे आप के पास आने के लिए ," ने मुझे एहसास कराया कि यह कारगर तरीका नहीं है, मेरा उम्मीद करना कि लोग मेरे पास आएंगे। और मैं आत्मचिंतन की स्थिति में पड गया, अपनी भूमिका की खोज करने लगा अफ्रीका में एक मनोंचिकित्सक के नाते। और। काफी सलह मशवरा और आत्मचिंतन के बाद, सह कर्मियों, दोस्तों व परिवारजनों से बातचीत के बाद अचानक आभास हुआ कि असल में अफ्रीका में सबसे विश्वसनीय संसाधन हैं दादीमाऐं। हां, दादीमाऐं। और मैंने सोचा, दादीमाऐं हर समुदाय में होतीं हैं। हज़ारों होंगी । और -- (लोगों की हंसी) और वे अपना समुदाय नहीं छोडतीं, बेहतर जीवन की खोज में । (लोगों की हंसी) वे सिर्फ एक बार ही जाती हैं बेहतर जिंदगी के लिए,जिसे कहते हैं स्वर्ग । (लोगों की हंसी) तो मैंने सोचा, क्यों ना दादीमांओ को प्रशिक्षण दिया जाए सबूत पर बात चीत कर चिकित्सा, जो एक बैंच। पर बैठ कर दिया जा सके ? उन्हें सशक्त करें सुनने के कौशल से, सहानुभूति दिखाना, वो सब जो संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी की जड है; उन्हें सशक्त करें व्यवहार सक्रियण कौशल से, गतिविधि क्रमांक; और डिजिटल तकनीक से उनकी मदद करें। आप जानते हैं, मोबाइल फोन टेकनोलोजी। आज ज़्यादातर अफ्रीका में सब के पास मोबाइल फोन है। तो सन् 2006 में, मैंने पहला ग्रूप शुरू किया दादीमाओं का। (तालियाँ) धन्यवाद। (तालियाँ) आज, हज़ारों दादीमांए हैं 70 से अधिक समुदायों में काम कर रहीं हैं। और सिर्फ पिछले साल में, 30,000 से ज़्यादा लोगों ने उपचार लिया है दोस्ती की बेंच पर ज़िमबाबवे के एक समुदाय की दादी माँ से। (तालियाँ) और हाल ही में, दादीमाओं के द्वारा किये काम को हमने छपवाया अमरिकी मेडिकल एसोसिएशन के जरनल में। और -- (तालियां) हमारे परिणाम दिखाते हैं कि छ:महीनों के उपचार के बाद दादी माँ के द्वारा, लोग अभी भी लक्षण मुक्त हैं: डीप्रेशन नहीं, आत्महत्या की सोच भी काफी कम हुए। बल्कि, हमारे नतीजे-- यह नैदानिक परीक्षण था -- इस नैदानिक परीक्षण से देखा गया कि दादीमाऐं ज़्यादा कारगर साबित हुई डिप्रेशन के इलाज में डॉक्टरों से ज़्यादा और-- (लोगों। की हँसी) (तालियाँ) और इसलिए, अब हम इस कार्यक्रम को बढाने का काम कर रहे हैं । अभी विश्व में 600 लाख से अधिक लोग 65 साल की उम्र से ऊपर हैं । और सन् 2050 तक, 1.5 अरब लोग 65 साल और उसके ऊपर होंगे । सोचिये यदि हम विश्व स्तर पर दादी माँओं का नेटवर्क बना सकें दुनिया के हर प्रमुख शहर में, जिन्हें सबूत पर बात चीत कर चिकित्सा में प्रशिक्षण दिया गया हो, डिजीटल प्लेट फार्म की मदद से, नेटवर्क द्वारा। और वे समुदायों में अंतर लाएंगी। वे चिकित्सा की दूरी को कम करेंगी मानसिक, तंत्रिका संबंधि व नशीले पदार्थों के उपयोग जैसे विकार आखिर में, ये ग्रेंडमदर जैक की फाइल फोटो है। तो, फराइ ने छ: सत्र पूरे किये उस बेंच पर ग्रेंडमदर जैक के साथ। आज, फराइ नौकरी पेशा है। उसके दोनों बच्चे स्कूल जाते हैं। और ग्रेंडमदर जैक, एक फरवरी की सुबह, हम उम्मीद थी कि वे अपने 257 क्लाइंट को बेंच पर मिलेंगी वे नहीं आईं। वे और सुंदर जगह गईं, स्वर्ग। पर मेरा विश्वास है कि ग्रेंडमदर जैक, वहाँ ऊपर से, दूसरी दादीमांओ की हौसला अफज़ाइ कर रही हैं -- दादीमांओ की बढती तादाद जो अंतर पैदा कर रहीं हैं हज़ारो लोगों के जीवन में। और मुझे यकीन है कि वे आश्चर्य करती होंगी जब यह जानेंगी कि वे सबसे पहली थीं कुछ ऐसा करने में जो अब दूसरे देशों में फैल रहा है, जैसे मालावी, ज़ेनज़ीबार द्वीप और घर के करीब यहाँ यूनाइटेड स्टेटस में न्यूयॉर्क शहर में। उनकी आत्मा को शांति मिले। धन्यवाद। (तालियाँ) (जयकार) (तालियाँ) तो, मैं इससे शुरूआत करूँगी : एक दो साल पहले, एक ईवैंट प्लानर ने मुझे फोन किया क्योंकि मैं एक भाषण कार्यक्रम करने जा रही थी तो उसने फोन किया, और कहा, "मैं वाकई बहुत परेशानी में हूँ कि तुम्हारे बारे में विज्ञापन के पर्चे में क्या लिखुँ ।" और मैंने सोचा, "भई, परेशानी क्या है? " तो उसने कहा, "भई मैंने तुम्हें भाषण देते हुए देखा है, और मेरे ख्याल से मैं तुम्हें एक खोजकर्ता का नाम देने वाली हूँ पर मुझे डर है कि अगर मैंने तुम्हें एक खोजकर्ता का नाम दिया तो कोई नहीं आएगा, कयोंकि वे सोचेंगे कि तुम नीरस हो और किसी काम की नहीं हो ।" (हंसी) चलो ठीक है । फिर उसने कहा, "पर मुझे एक बात तुम्हारे भाषण में अच्छी लगी कि तुम कहानी जैसी बातें करती हो तो मेरे ख्याल में मैं ऐसा करती हूँ कि तुम्हें बस कहानी सुनाने वाली कहूँगी।" और ज़ाहिर है कि मेरे पढ़ाकू, असुरक्षित मन ने सोचा कि, "क्या ? क्या कहोगी तुम मुझे ? " तो वो बोली, " मैं तुम्हें कहानी सुनाने वाली कहूँगी।" तो मैंने सोचा, " हां भई परी मां क्यों नहीं ?" (हंसी) मैंने कहा, "मुझे इस बारे में एक घड़ी सोचने दो ज़रा।" मैंने पूरी हिम्मत से अपने अंदर की आवाज़ सुनने की कोशिश की । और मैंने सोचा, मैं एक कहानी सुनाने वाली ही हूँ । मैं एक क्‍वालीटेटिव खोजकर्ता हूँ । मैं कहानियाँ इक्कठा करती हूँ, यही मेरा काम है। और शायद कहानियाँ बस ऐसे आंकड़े भर हैं जिनकी आत्मा होती है। और शायद मैं बस एक कहानी सुनाने वाली ही हूँ। तो मैंने कहा, "क्या ख्याल है ? तुम ऐसा क्यों नहीं कहतीं कि मैं एक खोजकर्ता-कहानी सुनाने वाली हूँ।" तो वो हंसने लगी, " हा हा ऐसी कोई चीज़ नहीं होती।" (हंसी) तो, मैं एक खोजकर्ता-कहानी सुनाने वाली हूँ, और मैं आज आपसे बात करूँगी -- हम समझ बढ़ाने के बारे में बात करेंगे -- और इसलिए मैं आपसे बात करना चाहती हूँ और कुछ कहानियाँ सुनाना चाहती हूँ अपनी खोज के एक हिस्से के बारे में जिसने बुनियादी तौर पर मेरी समझ को बढ़ा दिया और वाकई मेरे जीने और प्रेम करने के तरीके को बदल दिया और काम करने और बच्चों को पालने के तरीके को भी। और यहाँ से मेरी कहानी शुरू होती है। जब मैं एक कम उम्र खोजकर्ता थी, आचार्य की शिक्षा पा रही थी, मेरे पहले वर्ष में मेरे एक खोज के प्रोफैसर थे जिन्होंने हमसे कहा, "ऐसा है, कि जिसे आप माप नहीं सकते, वो चीज़ है ही नहीं।" मैंने सोचा कि वो बस मुझसे बना रहे हैं। मैंने सोचा, "अच्छा?" और उन्होंने जताया "बिलकुल।" तो अब आपको समझना होगा कि मेरे पास समाज सेवा में स्नातक, और समाज सेवा में स्नातकोत्तर की डिग्री है, और मुझे समाज सेवा में आचार्य की उपाधि मिलने वाली थी, तो मेरा सारा विद्यार्थी जीवन ऐसे लोगों के बीच गुज़रा जिनका ऐसा मानना था कि ज़िंदगी उल्टी पुल्टी है, इससे प्यार करो। और मेरा ऐसा मानना था, कि ज़िंदगी उल्टी पुल्टी है, इसे संवारो, करीने से तहाओ और इसे करीने से एक सन्दूक में बंद कर दो (हंसी) और बस समझ लीजिए कि मुझे मेरा रास्ता मिल गया था, एक ऐसा काम मिल जाना जो मेरे मतलब का था-- वाकई, समाज सेवा में सबसे बड़ी कहावतों में से एक है काम की बेआरामी में समा जाओ और मेरा ये हाल था, बेआरामी का दरवाज़ा खटखटाओ और इसे हटा कर सारे नंबर पाओ ये मेरा मंत्र था। तो इससे मैं बड़ी उत्साहित थी। तो इसलिए मैंने सोचा, बस, यही मेरा काम है, क्योंकि मेरी दिलचस्पी कुछ उल्टे पुल्टे विषयों में है। पर मैं चाहती हूँ कि मैं उन्हें सीधा सादा बना सकूँ मैं उन्हें समझना चाहती हूँ। मैं उन चीज़ों का राज़ जानना चाहती हूँ जो मेरे विचार में महत्वपूर्ण हैं और उस राज़ को सबके सामने ले आना चाहती हूँ तो मेंने जहाँ से शुरुआत की वो था संपर्क। क्योंकि 10 सालों तक समाज सेवा करने के बाद, आप समझ जाते हैं कि संपर्क की वजह से ही हम यहाँ हैं । ये हमारे जीवन को उद्देश्य और अर्थ प्रदान करता है। इस सबका मतलब यही है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप उन लोगों से बात करें जो सामाजिक न्याय और मानसिक स्वास्थ और उत्पीड़न तथा उपेक्षा के क्षेत्र में काम करते हैं, जिसका हमें पता है वो यही संपर्क ही है, जुड़ा हुआ होना महसूस करने कि योग्यता, है -- न्यूरोबायोलाजिकल स्तर पर हम ऐसे ही जुड़े हैं -- यही कारण है कि हम यहाँ हैं । तो मैंने सोचा कि चलो मैं संपर्क से ही शुरू करती हूँ । आपको तो वो हालात मालूम ही हैं जब आपकी बॉस आपके काम को परखती है, और वो आपको उन 37 चीजों के बारे में बताती है जो आप वाकई बहुत अच्छी करते हैं, और एक चीज़ -- सुधरने का मौका ? (हंसी) और आप एक ही बात सोच रहे होते हैं कि सुधार, कहे का ज़ाहिर है कि मेरा काम भी ऐसे ही चल रहा था, क्योंकि, जब हम लोगों से प्रेम के बारे में पूछते हैं, तो वो हमें दिल टूटने के बारे में बताते हैं। जब आप लोगों से किसी रिश्ते के बारे में पूछते हैं, तो वो आपको अपने सबसे दुखदायी अनुभव बताते हैं उन्हें शामिल नहीं किए जाने के बारे में। और जब आप लोगों से संपर्क के बारे में पूछते हैं, तो जो कहानियाँ उन्होने मुझे बतायीं वो संपर्क टूटने के बारे में थीं। तो संक्षेप में -- असल में तकरीबन इस खोज को करते हुए छ्ह हफ्ते हुए थे -- मैं इस बिना नाम की चीज़ से टकरा गयी जिसने संपर्क को बिलकुल तार तार कर दिया इस तरह से कि जैसा मैंने ना कभी समझा था ना देखा था। इस वजह से मैंने यह खोज बंद कर दी और सोचा, कि मुझे ये पता लगाना है कि ये है क्या। और ये चीज़ शर्म निकली। और शर्म को बहुत आसानी से संपर्क टूटने के डर के रूप में समझ सकते हैं। क्या मुझमें कुछ ऐसा है कि अगर दूसरे लोग इसे जान जाएंगे या देख लेंगे, तो मैं संपर्क के काबिल नहीं रहूँगा । मैं आपको इस बारे में ये बता सकती हूँ : ये पूरे संसार में मौजूद है; ये हम सब में है। सिर्फ उन्ही लोगों को शर्म महसूस नहीं होती जिनमे इंसानी हमदर्दी या संपर्क के लिए कोई क्षमता नहीं होती। कोई इसके बारे में बात नहीं करना चाहता, और जितना कम आप इसके बारे में बात करते हैं उतनी ज़्यादा ये आप में बढ़ती है। इस शर्म का आधार क्या है, ये कि "मैं उतनी अच्छी नहीं हूँ जितना होना चाहिए," -- इस एहसास को हम सब जानते हैं: "मैं उतनी ब्लैंक नहीं हूँ, उतनी पतली नहीं हूँ, उतनी अमीर नहीं हूँ, उतनी सुंदर नहीं हूँ, उतनी समझदार नहीं हूँ, मुझे उतना बढ़ावा नहीं दिया जाता।" जो चीज़ इसका आधार बनी वो थी बहुत दर्दनाक अतिसंवेदनशीलता, इसका विचार, संपर्क को संभव बनाने के लिए, हमें खुद को देखे जाने की इजाज़त देनी होगी, वाकई में देखा जाना। और आपको मालूम है कि अतिसंवेदनशीलता के बारे में मुझे क्या महसूस होता है। मुझे उससे नफरत है। और मैंने ऐसा सोचा, यही मेरा मौका है अपने मापदंड से इसे हारने का । मैं तैयार हूँ, और मैं इसका पता लगा के रहूँगी, मैं एक साल लगाऊँगी, मैं शर्म को पूरी तरह तबाह कर दूँगी, मैं ये समझ लूँगी कि अतिसंवेदनशीलता कैसे काम करती है, और मैं इसे अपनी अक्ल से हरा दूँगी। तो मैं तैयार थी, और मैं वाकई बहुत उत्साहित थी। जैसा कि आप जानते हैं, इसका नतीजा कुछ खास अच्छा नहीं होने वाला। (हंसी) आप जानते हैं। तो मैं आपको शर्म के बारे मैं बहुत कुछ बता सकती हूँ, पर मुझे बाकी सबका समय उधार लेना पड़ेगा। पर इसका जो निचोड़ है उसे मैं आप सबको बता बता देती हूँ -- और शायद ये उन सब चीजों में से सबसे महत्वपूर्ण है जो मैंने इस खोज में बिताए एक दशक के दौरान सीखी हैं। मेरा एक साल छ्ह सालों में बादल गया। हजारों कहानियाँ, सैकड़ों लंबे साक्षात्कार, फोकस ग्रुप्स। एक वक़्त ऐसा था कि जब लोग मुझे पत्रिकाओं के पृष्ठ भेजा करते थे और मुझे अपनी कहानियाँ भेजा करते थे -- छ्ह सालों में आंकड़ों के हजारों टुकड़े। और मुझे इसका कुछ अंदाज़ा सा हो गया था। मुझे कुछ कुछ समझ आ गया था, कि शर्म इसे कहते हैं, ये ऐसे काम करती है। मैंने एक किताब लिखी, मैंने एक सिद्धान्त प्रकाशित किया, पर कोई चीज़ थी जो ठीक नहीं थी -- और वो चीज़ ये थी कि, अगर मैं उन लोगों को लूँ जिनका मैंने साक्षात्कार किया और उन्हें उन लोगों में विभाजित करूँ जिनमें वाकई पात्रता का एक एहसास था -- उसका नतीजा यही निकलता है, पात्रता का एक एहसास -- उनमें प्रेम और किसी का होने का एक मजबूत एहसास होता है -- और वो लोग जो इसके लिए संघर्ष करते हैं, और वो लोग जो हमेशा सोचते रहते हैं कि क्या वो उतने अच्छे हैं कि नहीं। सिर्फ एक ही फर्क था जो उन लोगों को अलग करता है जिनमें प्रेम और किसी का होने का एक मजबूत एहसास होता है उन लोगों से जो इसके लिए वाकई संघर्ष करते हैं। और वो फर्क ये था कि वो लोग जिनमें प्रेम और किसी का होने का एक मजबूत एहसास था यकीन करते थे कि वे प्रेम और किसी का होने के योग्य हैं। यही बात है। उन्हें यकीन है कि वे इस काबिल हैं। और मेरे लिए, मुश्किल हिस्सा उस एक चीज़ का जो हमें संपर्क से बाहर रखती है है हमारा ये डर कि हम संपर्क के काबिल नहीं हैं, ये एक ऐसी चीज़ थी जिससे, व्यक्तिगत रूप से और व्यावसायिक रूप से मुझे महसूस हुआ कि मुझे ज़्यादा बेहतर तरीके से इसे समझने कि ज़रूरत है तो मैंने क्या किया कि मैंने उन सभी साक्षातकारों को लिया जिनमें मैंने पात्रता को देखा, जिनमें मैंने लोगों को उस तरह से जीते देखा, और बस उन पर नज़र डाली। इन लोगों मैं कौन सी बात एक जैसी थी ? मुझमें ऑफिस की चीजों को लेकर थोड़ा पागलपन है, पर इस बारे में फिर कभी बात करेंगे। तो मेरे पास एक मनीला फोंल्डर था,, और मेरे पास एक शार्पी थी। और मैं ये सोच रही थी, कि मैं इस खोज को क्या नाम दूँगी? और वो पहले शब्द जो मेरे दिमाग में आए वो थे पूरे दिल से। ये थे पूरे दिल वाले लोग, जो योग्य होने कि गहरी भावना के साथ जी रहे थे। तो मैंने उस मनीला फोंल्डर के ऊपर लिखा, और मैंने आंकड़ों को देखना शुरू किया । असल में मैंने इसे पहले किया चार दिन के आंकड़ों के एक बहुत गहन विशलेषण में, जिसमें मैं वापस लौटी, इन साक्षात्कारों को निकाला, कहानियों को निकाला, घटनाओं को निकाला। विषय क्या है? बनावट क्या है? मेरे पति बच्चों को लेकर शहर छोड़ कर चले गए क्योंकि मैं हमेशा गब्बर बन जाती हूँ, जब भी कुछ लिख रही होती हूँ और अपने खोजकर्ता के अवतार में होती हूँ तो मैंने ये पाया। उनमें जो चीज़ एक सी थी वो थी करेज (साहस) की भावना । और मैं एक क्षण के लिए आपकी खातिर करेज और बहादुरी में फर्क करना चाहूंगी। करेज, करेज की मूल परिभाषा जब ये शब्द पहली बार अँग्रेजी भाषा में आया -- यह लेटिन शब्द कर से है, जिसका अर्थ है दिल -- और मूल परिभाषा थी आप कौन हैं इसकी कहानी अपने पूरे दिल दे सुनना तो इन लोगों के पास बस था साहस त्रुटिपूर्ण होने का । उनके पास जज़्बा था पहले अपने आप पर और फिर दूसरों पर दया करने का, क्योंकि, जैसा कि ज़ाहिर है, हम दूसरे लोगों के प्रति जज़्बात नहीं जता सकते जब तक कि हम खुद से अच्छा बर्ताव नहीं करें। और आखरी बात थी कि वे संपर्क में थे, और -- ये मुश्किल हिस्सा था -- सच्चा होने की वजह से, वे उस सोच को छोड़ने को तैयार थे कि उन्हें ऐसा होना चाहिए वो होने के लिए जो वो थे, जो आपको हूबहू करना है संपर्क बनाने के लिए। एक और चीज़ जो उनमें सामान्य थी वो थी उनहोंने पूरी तरह अपनी अतिसंवेदनशीलता को अपनाया। उनको यकीन था कि जिस चीज़ ने उन्हें अतिसंवेदनशील बनाया था उसी ने उन्हें खूबसूरत बनाया था। उन्होंने अतिसंवेदनशीलता के आरामदायक होने के बारे में बात नहीं की, ना ही उन्होंने इसके दर्दनाक होने के बारे में बात की -- जैसा कि मैंने इससे पहले शर्म के संबंध में हुए साक्षात्कारों में सुना था। उन्होंने बस इसके ज़रूरी होने के बारे में बात की । उन्होंने इच्छा होने की बात की "मैं तुमसे प्यार करता हूँ " कहने की सबसे पहले, इच्छा कुछ करने की वहॉं जहॉं कोई गारंटी नहीं है, इच्छा डॉक्टर के बुलाने तक इंतज़ार के दौरान सॉंस लेते रहने की अपने मैमोग्राम के बाद । वे उस रिश्ते में निवेश करने को तैयार हैं जो हो सकता है कामयाब हो या न हो। उन्होंने यह सोचा कि यह बुनियादी है। मैं ज़ाती तौर पर यह सोचती थी कि ये धोखा है । मुझे विश्वास नहीं हुआ कि मैंने अपनी वफादारी अनुसंधान के प्रति रखी -- अनुसंधान की परिभाषा है नियत्रण करना और अनुमान लगाना, घटनाओं का अध्‍ययन करना, स्पष्ट कारणों के लिए नियंत्रण करना और अनुमान लगाना। और अब मेरे मिशन नियंत्रण करना और अनुमान लगाना का नतीजा यह मिला था कि जीने का तरीका है अतिसंवेदनशीलता के साथ और नियंत्रण करना और अनुमान लगाना बंद करना । इससे छोटी सी समस्या हो गई -- (हंसी) -- जो बल्कि कुछ ऐसी दिखती थी । (हंसी) और इसने किया। मैं इसे ब्रेकडाउन कहती थी, और मेरी थैरेपिस्‍ट इसे आत्मिक जागरण कहती है। सुनने में एक आत्मिक जागरण ब्रेकडाउन से बेहतर लगता है, पर मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि ये एक ब्रेकडाउन ही था। और मुझे अपने आंकड़ो को परे हटाना पड़ा और जाकर अपने दिमाग का इलाज करवाना पड़ा । मैं आपको एक बात बता दूँ : आपको मालूम होता है कि आप कौन हैं जब आप अपने दोस्तों से बात करते है और कहते हैं, "मुझे लगता है मुझे इलाज की ज़रूरत है" क्‍या आपकी नज़र में कोई है?" क्योंकि मेरे करीब पॉंच दोस्तों की प्रतिक्रिया थी, "हे भगवान। मुझे तुम्‍हारा थैरेपिस्‍ट नहीं बनना है।" (हंसी) मुझे लगा, "मतलब क्या है इसका?" और उनका कहना था "मैं बस कह रही हूँ, मतलब। अपनी राय अपने पास रखना।" मैंने कहा, "ठीक है भई।" तो मुझे एक थैरेपिस्‍ट मिल गया । मेरी उसके साथ पहली मुलाकात थी, डायना -- मैं अपनी सूची साथ लेकर आई थी दिल से जीने वालों के तरीके के बारे में, और मैं बैठी। और उसने कहा,"आप कैसी हैं?" मैंने कहा,"मैं बढ़िया हूं। मैं ठीक हूँ ।" उसने कहा, "और क्या चल रहा है?" और ये एक ऐसी थेरेपिस्ट है जो थैरेपिस्‍टों का इलाज करती है, क्योंकि हम लोगों को इनके पास जाना पड़ता है, क्योंकि उनका बकवास भांपने का यंत्र अच्छा होता है । (हंसी) तो मैंने कहा, "बात ऐसी है, मैं मुश्किल में हूँ ।" तो उसने कहा, "मुश्किल क्‍या है ?" तो मैंने कहा, "मेरी अतिसंवेदनशीलता के बारे में एक समस्‍या है। और मैं जानती हूँ कि अतिसंवेदनशीलता मूल में है शर्म और डर के और योग्‍य बनने के हमारे संघर्ष के, पर ऐसा लगता है कि ये जन्मभूमि है आनंद की, सृजनात्मक्ता की, किसी का होने के एहसास की, प्रेम की । और मेरे ख्‍याल में मैं मुश्किल में हूँ, और मुझे कुछ मदद चाहिए। " और मैंने कहा, "पर एक बात है, परिवार के बारे में बात नहीं होगी, बचपन के बारे में कोई बकवास नहीं होगी।" (हंसी) "मुझे बस कुछ रणनीतियों की ज़रूरत है। " (हंसी) (तालियाँ) शुक्रिया। तो उसने ऐसे किया । (हंसी) और फिर मैंने कहा, "बुरा हाल है, है ना?" तो उसने कहा, "ये न तो अच्छा है, न बुरा।" (हंसी) "ये जो है बस वही है ।" और मैंने सोचा, "हे भगवान, बेड़ा गर्क होने वाला है ।" (हंसी) और बेड़ा गर्क हुआ, और नहीं भी हुआ । इसमें तकरीबन एक साल लगा । और आप तो जानते हैं कि ऐसे लोग होते हैं कि, जब उन्हें पता चलता है कि अतिसंवेदनशीलता और कोमलता महत्वपूर्ण हैं, वे हथियार डाल देते हैं और इसे मान लेते हैं । पहली बात: मैं ऐसी नहीं हूँ, और दूसरी बात: मैं ऐसे लोगों से दोस्ती भी नहीं रखती । (हंसी) मेरे लिए, ये साल भर चलने वाले दंगे जैसा था। ये एक कुश्ती जैसा था । अतिसंवेदनशीलता ने ज़ोर लगाया, मैंने भी ज़ोर लगाया। मैं हार गई, पर शायद मैंने अपनी ज़िंदगी वापस जीत ली। और फिर मैं अपनी खोज में वापस चली गई और मैंने अगले एक दो साल वाकई में ये समझने में बिता दिए कि वे, पूरे दिल से वाले लोग, किन चीज़ों को चुन रहे थे, और हम क्या कर रहे हैं अतिसंवेदनशीलता के साथ । हम इसके साथ संघर्ष क्‍यों करते हैं ? क्या मैं अतिसंवेदनशीलता के साथ अपने संघर्ष में अकेली हूँ ? नहीं । तो मुझे ये पता चला । हम अतिसंवेदनशीलता को सुन्न कर देते हैं -- जब हम फोन का इंतज़ार कर रहे होते हैं । ये बहुत मज़े की बात थी, मैंने ट्विटर और फेसबुक पर कुछ लिखा क्या लिखा, "आप अतिसंवेदनशीलता को कैसे परिभाषित करोगे ?" कौन सी चीज़ आपको अतिसंवेदनशील बनाती है ?" और डेढ़ घंटे के भीतर, मुझे 150 जवाब मिले। क्‍योंकि मैं जानना चाहती थी क्या चल रहा है । अपने पति से मदद मॉंगने पर मजबूर होना, क्योंकि मेरा दिमाग खराब है, और हमारी नई नई शादी हुई है; अपने पति से संभोग की शुरूआत करना; अपने पति से संभोग की शुरूआत करना; मना कर दिया जाना; किसी को घूमने चलने के लिए पूछना; डॉक्टर के फोन का इंतज़ार करना; नौकरी से निकाल दिया जाना, लोगों को नौकरी से निकालना -- यही वो दुनिया है जिसमें हम रहते हैं । हम एक अतिसंवेदनशील दुनिया में रहते हैं । और जिन तरीकों से हम इसका मुकाबला करते हैं उनमें से एक है कि हम अतिसंवेदनशीलता को सुन्‍न कर देते हैं और मेरे विचार में इसका प्रमाण है -- और यह इकलौता कारण नहीं है कि यह प्रमाण मौजूद है, पर मेरे विचार में यह एक बहुत बड़ा कारण है -- हम अमेरीका के इतिहास में सबसे ज़्यादा कर्ज़ में डूबी, मोटे लोगों की, नशे के आदि और दवाईयॉं लेने वाले लोगों की व‍यस्क पीढ़ी हैं। समस्या ये है -- और मैंने यह अनुसंधान से सीखा है -- कि आप भावनाओं को चुन चुन कर सुन्‍न नहीं कर सकते । आप यह नहीं कह सकते, कि ये ख़राब चीज़ें हैं । ये अतिसंवेदनशीलता है, ये दुख है, ये शर्म है, ये डर है, ये निराशा है, मैं इन्हें महसूस नहीं करना चाहता । मैं एक दो बीयर पीता हूँ और एक आलू का परांठा खा लेता हूँ । (हंसी) मैं इन्हें महसूस नहीं करना चाहता । और मैं जानती हूँ कि इसे हंसी को जानना कहते हैं। मैं रोज़ी रोटी के लिए आपकी ज़िंदगियों में सेंध लगाती हूँ । हे भगवान। (हंसी) आप इन बुरे एहसासों को सुन्न नहीं कर सकते प्रभावों को, हमारी भावनाओं को सुन्न किए बिना। आप चुन चुन कर सुन्न नहीं कर सकते। तो जब हम इन्हें सुन्न कर देते हैं, हम आनंद को सुन्न कर देते हैं । हम आभार को सुन्न कर देते हैं, हम खुशी को सुन्न कर देते हैं, और फिर हमारी हालत खराब हो जाती है, और हम उद्देश्‍य और अर्थ की खोज करने लगते हैं, और फिर हमें अतिसंवेदनशीलता का एहसास होता है, तो फिर हम एक दो बीयर पीते हैं और एक आलू का परांठा खा लेते हैं। और यह एक खतरनाक चक्र बन जाता है । एक और चीज़ है जिसके बारे में मेरे हिसाब से सोचा जाना चाहिए वो ये कि हम क्यों और कैसे सुन्न हो जाते हैं । और ज़रूरी नहीं है कि यह नशे की लत ही हो। और दूसरी चीज़ें जो हम करते हैं कि हम हर अनिश्चित चीज़ को निश्चित बना देते हैं। धर्म आस्था और अनदेखी चीज़ों में विश्वास न रह कर निश्चितता बन गया है । मैं सही हूँ, तुम ग़लत हो, चुप रहो। बस। बस निश्चित। जितना अधिक हम डरते हैं, उतने अधिक हम संवेदनशील होते हैं, उतना ही अधिक हम डरते हैं । आजकल राजनीति भी कुछ ऐसी ही लगती है । अब वार्तालाप नहीं होता । कोई बातचीत नहीं होती । बस इल्ज़ाम है । आप जानते हैं इल्ज़ाम की व्याख्या अनुसंधान में कैसे की जाती है ? दर्द और बेआरामी को खत्म करने का एक तरीका । हम त्रुटिहीन हैं । अगर ऐसा कोई है जो अपनी ज़िंदगी को ऐसा बनाना चाहता है तो वो मैं हूँ, पर इससे काम नहीं चलता । क्योंकि हम क्या करते हैं कि हम अपने पिछवाड़े से चर्बी निकालते हैं और अपने गालों में डाल लेते हैं। (हंसी) जिसके बारे में, मुझे उम्मीद है कि एक सौ साल के बाद, लोग इस पर नज़र डालेंगे और कहेंगे, "वाह।" (हंसी) और हम में कोई खराबी नहीं है, और सबसे ख़तरनाक बात, हमारे बच्चे। मैं आपको बताती हूँ कि हम बच्चों के बारे में क्या सोचते हैं । जब वो इस दुनिया में आते हैं तो पहले से ही संघर्ष के लिए तैयार होते हैं । और जब आप इन त्रुटिहीन छोटे बच्चों को अपने हाथों में उठाते हैं, हमारा काम यह कहना नहीं है, "देखो तो इसे, ये बच्‍ची त्रुटिहीन है ।" मेरा काम बस उसे त्रुटिहीन रखना है -- इसका ख्याल रखना है कि वो पॉंचवी कक्षा तक टैनिस की टीम में शामिल हो जाए और सातवीं तक येल में दाखिल हो जाए।" ये हमारा काम नहीं है । हमारा काम है देखना और ये कहना, "पता है? तुममें खामियॉं हैं, और तुम्हारी नियती संघर्ष करना है, पर तुम प्यार और किसी का बनने के काबिल हो।" ये हमारा काम है। मुझे बच्चों की इस प्रकार पाली गई एक पीढ़ी दिखा दीजिए, और मुझे लगता है कि हम आज देखी जाने वाली समस्याओं को खत्म कर देंगे। हम ऐसा दिखाते हैं कि हम जो करते हैं उसका असर लोगों पर नहीं पड़ता । हम ऐसा अपनी निजी ज़िंदगी में करते हैं । हम ऐसा कंपनियों में करते हैं -- चाहे वो कंपनी को उबारना हो, तेल का रिसाव हो, एक याद -- हम ऐसा जताते हैं कि हम जो कर रहे हैं उसका दूसरे लोगों पर कोई बड़ा असर नहीं होता । मैं कंपनियों से कहना चाहूँगी, ये हमारा पहला त्यौहार नहीं है भाई लोग। हम बस चाहते हैं कि आप सच्चे और वास्तविक रहें और कहें, "हमें अफसोस है । हम इसे ठीक कर देंगे । " पर एक और तरीका है, और मैं आपको बता कर जा रही हूँ। मुझे ये पता चला है: अपने आप को दिखने देना, गहनता से दिखने देना अतिसंवेदनशीलता से दिखने देना; अपने पूरे दिल से प्यार करना, चाहे कोई भी गारंटी नहीं हो -- और यह बहुत मुश्किल है, और एक मॉं होने के नाते मैं आपको बता सकती हूँ, यह बहुत दर्दनाक तरीके से मुश्किल है-- आभार और आनंद महसूस करना आतंक के उन क्षणों में, जब हम सोच रहे होते हैं, "क्या मैं तुम्हें इतना प्यार कर सकता हूँ ?" क्‍या मैं इसमें इस शिद्दत से विश्वास कर सकता हूँ? क्या मैं इस बारे में इतना क्रुद्ध हो सकता हूँ ?" सिर्फ अपने को रोक पाना, जो हो सकता है उसे मुसीबत बनाए बगैर, ये कह पाना, "मैं बस बहुत आभारी हूँ, क्योंकि ऐसा महसूस करने का अर्थ है मैं ज़िंदा हूँ।" और अंत में, जो मेरे विचार में शायद सबसे महत्वपूर्ण है, है यकीन करना कि हम काफी हैं । क्योंकि जब हम किसी स्थान से काम करते हैं हमें विश्वास है कि जो कहता है, "मैं काफी हूँ," फिर हम चीखना बंद कर देते हैं और सुनना शुरू कर देते हैं, हम अपने आसपास के लोगों के प्रति और दयालू और सहृदय हो जाते हैं, और हम अपने प्रति और अधिक दयालू और सहृदय हो जाते हैं। बस इतना ही मुझे कहना है । शुक्रिया । (तालियाँ) मेरा शानदार सुझाव दरअसल एक बहुत, बहुत ही छोटा सा निश्कर्ष है जो पट खोल सकती है ऎसे करोड़ों बड़ी योजनाओं की जो इस समय हमारे अंदर सोई पड़ी हैं. और मेरा वो छोटा सा सुझाव, जिससे ये सब कुछ संभव हो पाएगा, है नींद. (ठहाका) (तालियाँ) इस कमरे में बहुत व्यस्त कैरियर वाली सफल महिलाएँ हैं. कमरे भर कम नींद की मारी महिलाएँ. मैंने भुगत कर जाना कि नींद का क्या महत्व है. क़रीब ढाई साल पहले, मैं मारे थकान के बेहोश हो गई. मेरा सर मेज़ से टकरा गया, मेरी ढुड्डी की हड्डी टूट गई, मुझे दाहिने आँख पर पाचँ टाँकें पड़े. और तब मैंने शुरु की नींद के मूल्य को फिर से समझने की यात्रा. इस कोशिश में, मैंने इस पर अध्ययन किया, चिकित्सकों और शोधकर्ताओं से मुलाक़ात की, जिसके बाद मैं आपको बता सकती हूँ कि एक सफल, उर्जा भरी, ज़्यादा ख़ुशहाल ज़िन्दगी पाने का रास्ता है पर्याप्त नींद लेना. (तालियाँ) और अब हम महिलाएँ, इस महिलावादी मुद्दे पर आन्दोलन का रास्ता दिखाएँगी. यूँ कह लीजिए कि हम सोते सोते शीर्ष तक पहुँचेंगे. (ठहाका) (तालियाँ) क्योंकि दुर्भाग्य से, पुरुषों के लिए कम नींद लेना पुरुषत्व की निशानी बन गई है. हाल ही में मैं एक ऎसे शख्स के साथ डिनर पर गई थी जिन्होने बड़ी डींगें हाँकी कि पिछली रात वो बस चार घंटे सोए. मुझे लगा कि मैं उनसे कहूँ -- हालाकिं मैंने कहा नहीं -- पर मेरा मन हुआ कहने का कि, 'जानते हैं? अगर आपने पाँच घंटे सोए होते, तो ये डिनर कुछ कम उबाऊ होता.' (ठहाका) आजकल कम नींद लेने की होड़ चली है. ख़ासकर यहाँ, वाशिंगटन में, अगर आप किसी से ब्रेकफास्ट पर मिलना चाहें, और पूछें, 'आठ बजे कैसा रहेगा?' मुमकिन है कि वो आपसे कहे, 'मेरे हिसाब से आठ बजे मतलब काफी देर हो जाएगी, खैर ठीक है, तब तक मैं एक गेम टेनिस का और कुछ मीटिंग कर लूँगा, फिर आपसे आठ बजे मिलता हूँ.' उन्हें लगता है कि इस सब का मतलब है कि वो बहुत ज़्यादा व्यस्त और कार्यक्षम हैं, पर सच ये है कि ऎसा बिलकुल नहीं है, क्योंकि हम ने आज तक ऎसे बहुत से प्रतिभाशाली नेताओं को देखा है व्यवसाय में, अर्थ-व्यवस्था में, राजनीति में, जिन्होने बहुत ख़राब निर्णय लिए. तो सिर्फ आई.क्यु ज़्यादा होने का मतलब ये नहीं कि आप अच्छे नेता भी बन जाते हैं, क्योंकि नेतृत्व-क्षमता का सार ये है कि आप हिमशैल को टाईटैनिक से टकराने से पहले ताड़ सकें. हमने ऎसे बहुत हिमशैल देखें हैं हमारे टाईटैनिकों से टकराते हुए. सच कहूँ तो मुझे लगता है कि अगर लेमैन ब्रदर्स (लेमैन भाई) लेमैन ब्रदर्स एंड सिसटर्स (लेमैन भाई एवं बहनें) होते, तो शायद वो आज भी चल रहे होते. (तालियाँ) क्योंकि जिस समय सारे भाई 24 घंटे, सातों दिन ज़बर्दस्त संपर्क साधन में व्यस्त होते, उसी समय शायद उनकी किसी बहन को हिमशैल दिख जाता, क्योंकि वो साड़े सात या आठ घंटे की भरपूर नींद लेकर पूरे परिदृश्य को समझने में सक्षम होती. आज जहाँ हम विश्व में एकाधिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, तब जो उपाय व्यक्तिगत स्तर पर ज़्यादा ख़ुशी, आभार, और सार्थकता से हमारे जीवन को भर दे और हमारे जीवनयापन के लिए भी सबसे लाभकर हो, वही पूरे विश्व के लिए भी सबसे अच्छा होगा. इसलिए मैं आपसे अनुरोध करती हूँ कि अपनी आँखें बंद कीजिए और उन अनोखे विचारों को ढूँढ निकालिए जो हमारे अंदर छुपी हैं, अपने मशीनों को बंद करिए, और नींद की ताक़त को जानिए. धन्यवाद. (तालियाँ) आपने शायद सुना होगा कि क़ुरान में स्वर्ग की कल्पना में 72 हूरियाँ हैं. मैं वादा करती हूँ कि इस विषय पर मैं फिर चर्चा करुँगी. पर यहाँ, उत्तर-पश्चिम में, हम कुछ ऎसे वातावरण में रह रहे हैं जो क़ुरान में वास्तव में दिए स्वर्ग की कल्पना से बहुत मेल खाता है, जिसकी व्याख्या 36 बार मिलती है 'बहती धाराओं से सिंचित बगीचों' के रूप में. चूंकि मैं लेक युनियन में जा मिलने वाली धारा में एक हाउस-बोट पर रहती हूँ, इसलिए स्वर्ग के इस चित्रण से मैं पूरा इत्तेफ़ाक़ रखती हूँ. पर ऎसा क्यूँ है कि अधिकांश लोग इस बारे में जानते नहीं? मैं ऎसे कई नेक़नीयत अ-मुस्लीम लोगों को जानती हूँ जिन्होने क़ुरान पढ़ना शुरू तो किया, पर बीच में ही छोड़ दिया, उसके अलग चरित्र से परेशान होकर. इतिहासकार थॉमस कारलाईल मुहम्म्द को विश्व के महानतम नायकों में से मानते हैं, लेकिन उनका भी क़ुरान के बारे में कहना था, 'मेरी पढ़ी कठिनतम क़िताब, थका देने वाली, अस्पष्ट खिचड़ी.' (हँसी) मुझे लगता है कि समस्या का इक सिरा ये है हम ये समझ लेते हैं कि क़ुरान को बाकी क़िताबों की तरह पढ़ा जा सकता है -- बारिश की दोपहरी में सोए हुए पॉपकार्न का कटोरा साथ लिए, जेसे कि ईश्वर -- समूचा क़ुरान मुहम्म्द को बताई ईश्वर की कही बातें हैं -- जैसे कि ईश्वर बाकि बेस्ट-सेलिंग लेखकों जैसे ही हों! मगर इतने कम लोगों का सच-मुच में क़ुरान पढ़ना ही वजह है जिससे इतनी आसानी से इसका हवाला दे दिया जाता है -- और अक़्सर ग़लत हवाला ही दिया जाता है. मूल प्रसंग से उठाकर वाक्यांशों कों तोड़-मरोड़ कर ध्यान आकर्षण के लिए इस्तेमाल किया जाता है, ये तरीक़ा कठमुल्लों को भी बहुत सुहाता है और मुस्लिम विरोधी इस्लाम से चिढ़ने वाले लोगों को भी. तो पिछले बसंत, जब मैं तैयार हो रही थी मुहम्मद की जीवनी लिखने के लिए, मुझे एहसास हुआ कि पहले मुझे क़ुरान अच्छे से पढ़ना चाहिए -- जितने अच्छे से मुझसे संभव हो पाता. मेरा अरबी का ज्ञान अभी डिक्शनरी पर आश्रित था, इसलिए मैंने चार प्रसिद्ध अनुवाद लिए और उन्हें साथ - साथ पढ़ने का निश्चय किया, एक एक आयत अरबी शब्दों के रोमन लिप्यांतरण और सातवीं शताब्दी के मूल अरबी रूप सहित. मेरे पास एक सुविधा थी. मेरी पिछली क़िताब शिया-सुन्नी विभेद की कहानी पर थी, जिसके लिए मैंने प्राचीनतम इस्लामी इतिहास पर सघन काम किया था, इसलिए मुझे उन घटनाओं का पता था जिनका क़ुरान में बार-बार उल्लेख है, और उनका परिप्रेक्ष भी. मुझे उतना ज्ञान था, जिससे मैं क़ुरान में एक पर्यटक की भांति विचरणा कर सकती थी -- एक जानकार पर्यटक, थोड़ा अनुभवी भी, लेकिन फिर भी बाहर का आदमी, एक अविश्वासी यहूदी जो किसी दूसरे का धर्म ग्रंथ पढ़ रहा था. (हँसी) तो मैं धीरे-धीरे पढ़ने लगी. (हँसी) मैंने इस प्रोजेक्ट के लिए तीन हफ्ते का समय निर्धारित किया था, इसी को शायद घमण्ड कहते हैं. (हँसी) क्योंकि इस काम में तीन महीने लग गए. मैं इस लालच से बचती रही कि अंत के छोटे और स्पष्टतः अधिक रहस्यवादी अध्यायों पर सीधे पहुँच जाऊँ. लेकिन जब जब मुझे लगने लगता की अब मैं क़ुरान को समझने लगी हूँ -- लगता कि अब 'ये मेरी पकड़ में आ रहा है' -- तो दूसरे ही दिन ये भावना छू-मंतर हो जाती. और सुबह मैं ये सवाल लिए फिर जुट जाती कि क्या मैं किसी अजनबी दुनिया में भटक गई हूँ. मगर ये क्षेत्र था बहुत ही जाना पहचाना. क़ुरान कहता है कि वो टोरा (मुसा कि पाँच क़िताबें) और गॉस्पेल (धर्मनिर्देश) में दिए संदेशों को ही दोहराता है. तो उसका एक-तिहाई बाईबल के पात्रों की कहानियों को ही पुनः बयान करता है जैसे कि अब्राहम, मुसा, जोसेफ, मेरी, इसा. ईश्वर ख़ुद अपने पहले के यहोवा वाले रूप से परिचित थे -- इस इर्ष्या में अड़े हुए कि दूसरा ईश्वर नहीं है. ऊंटों, पहाड़ों का होना, रेगिस्तानी कुंएँ और झरने मुझे उस साल की याद दिला रहे थे जो मैंने सिनाई मरूभूमि में भटकते हुए गुज़ारा. और फिर वो भाषा, उसकी लयबद्ध मूर्च्छना, मुझे उन शामों कि याद दिला रहे थे जो मैंने बेदुविन(बद्दु) प्रौढ़ों से घंटों चलने वाली काव्यों कथाओं को सुनते हुए बिताईं जो उन्हें ज़बानी याद थे. और तब मुझे समझ आने लगा कि क्यों ये कहा जाता है कि क़ुरान को क़ुरान की तरह जानने का ज़रीया सिर्फ अरबी है. मसलन फातिहाह को लीजिए, सात आयतों का पहला अध्याय जो ईश्वर की प्रार्थना के साथ साथ इस्लाम की प्रमुख प्रार्थना भी है. अरबी में ये सिर्फ 29 शब्दों में है, पर अनुवादों में 65 से 72 तक. और जितना आप इसमें शब्द जोड़ते जाते हैं, उतना ही लगता है कि कुछ छूट गया. अरबी उच्चारणों में मंत्रमुग्ध कर देने की क्षमता है इसलिए इसका प्रभाव पढ़ने से सुनने में ज़्यादा आता है, इसे समझने से ज़्यादा महसूस करने की ज़रूरत है. इसे सस्वर उच्चारित करना होगा, ताकि इसका संगीत कानों और ज़बान को छूँ सके. तो क़ुरान अंग्रेज़ी में अपनी छाया मात्र है, या जैसा ऑर्थर आरबेरी ने अपने अनुवाद के बारे में कहा, 'एक व्याख्या'. पर अनुवाद में सब कुछ खो गया ऎसा भी नहीं है. जैसा कि क़ुरान वादा करता है, सब्र का फल मिलता है, और कुछ ताज्जुब करने वाली बातें भी हैं -- जैसे थोड़ी बहुत पर्यावरण सचेतनता और मनुष्य का ईश्वर की सृष्टि में निमित्त मात्र होने क एहसास, जिनका पर्याय बाईबल में नहीं मिलता. और जहाँ बाईबल केवल पुरूषों को ही सम्भाषित करता है, पुल्लिंग द्वितीय पुरूष और तृ्तीय पुरूष के वाचन में, वहीं क़ुरान महिलाओं को भी शामिल करता है -- जैसे क़ुरान बात करता है पुरूषों पर विश्वास और स्त्रियों पर विश्वास करने पर -- सम्माननीय पुरुष और सम्माननीय महिलाएँ. या फिर आप उस कुख्यात आयत को ही लीजिए जिसमें क़ाफिरों को मारने की बात कही गई है. हाँ, इसमें ज़रूर ऎसा कहा गया है, लेकिन बहुत ही विशेष संदर्भ में: पवित्र शहर मक़्का पर चढ़ाई से पहले, जहाँ सामान्यतः युद्ध की मनाही थी. पर ये अनुमति भी बहुत सारी शर्तों और हिदायतों के साथ दी गई. आप क़ाफ़िरों को मक़्का में नहीं मार सकते, मगर इजाज़त मिले तो ऎसा कर सकते हैं, पर सिर्फ तब जब रियायत का वक़्त ख़त्म हो गया हो और तब तक कोई दूसरा समझौता भी ना हो पाया हो और वो भी तब जब वो आपको क़ाबा जाने से रोकें, और उसमें भी तब जब पहले हमला वो करें. इस पर भी -- ईश्वर दयानिधान है, माफ कर देना सबसे बड़ी महानता है -- और इसलिए, अनिवार्य रूप से, बेहतर यही है कि आप ना मारें. (हँसी) सबसे बड़ा आश्चर्य शायद यही था -- कि क़ुरान कितना उदार है, कम से कम उनके लिए जो मूलतः रूढ़ीवादी नहीं हैं. 'इनमें से कुछ आयतों के अर्थ स्पष्ट हैं', ये कहता है, 'और कुछ के थोड़े अस्पष्ट. पंकिल हृदय वाले इन अस्पष्टताओं का इस्तेमाल अशांति फैलाने की कवायद में करेंगे, इनकी अपने स्वार्थानुसार व्याख्या करके. बस ईश्वर ही है जो सच जानता है.' ये जुमला, ' ईश्वर सूक्ष्म है ' बार बार दोहराया गया है. और सचमुच में, समूचा क़ुरान हमें जितना बताया जाता है, उससे काफी ज़्यादा सूक्ष्म है. मसलन, वो छोटा सा मुद्दा हूरियों और स्वर्ग वाला. यहाँ पूरब की सनातनी सोच का असर दिखता है. जिस शब्द को चार बार दोहराया गया है वो है 'हूरी', जिनका वर्णन काली आँखों वाली भारी वक्ष की कन्याओं के रूप में या फिर सुंदर, भारी नितंब वाली कुमारियों के रूप में किया गया है. लेकिन मूल अरबी में केवल एक शब्द है: ' हूरी.' कोई भारी वक्ष या नितंब नहीं. (हँसी) अब ये पवित्र जीवात्माओं के वर्णन का तरीक़ा हो सकता है जैसे कि देवदूत या फिर युनानी कौरो (पुल्लिंग) या कोरे (स्त्रिलिंग) जैसे, चिरयुवा. पर सच्चाई ये है कि सच क्या है कोई नहीं जानता और यही ध्यान में रखने वाली बात है. क्योंकि क़ुरान बहुत स्पष्ट है जब वो आपसे कहता है कि आप 'स्वर्ग में एक नई सृ्ष्टि बनेंगे' और आपका ' आपकी कल्पना के परे किसी रूप में पुनर्सृ्जन होगा', जो मेरे लिए कहीं ज़्यादा आकर्षणीय है किसी हूरी को पाने की तुलना में. (हँसी) और वो 72 का आंकड़ा कहीं नहीं आता. क़ुरान में कहीं भी 72 हूरियों का उल्लेख नहीं है. ये कल्पना 300 साल बाद की है, जिसे ज़्यादातर ईस्लामी बोद्धा बादलों पर बैठे पंखों वाले हार्प बजाते लोगों जैसी कल्पना ही समझते हैं. (क़ुरान में) स्वर्ग इसके बिलकुल विपरीत है. वो कौमार्य नहीं, उर्वरता है, वो प्राचूर्य है, उसमें बहती धाराओं से सिंचित बगीचे हैं. धन्यवाद. (तालियाँ) शानदार कहानी ये है: इसकी शुरुआत लगभग 40 साल पहले हुई, जब मेरे माता-पिता कनाडा आये. मेरी माँ ने केन्या में नैरोबी छोड़ा. मेरे पिता भारत में अमृतसर के बाहर एक छोटे से गाँव से आये थे. वे यहाँ 1960 के दशक के अंत में आये थे. टोरंटो के पूर्व में एक घंटे की दूरी पर उन्होंने छायादार अंचल में अपना घर बसाया. और उन्होंने एक नयी ज़िंदगी की शुरुआत की. उन्होंने पहली बार डेंटिस्ट को यहीं देखा, पहला हैमबर्गर यहाँ खाया, और उनके बच्चे भी यहीं हुए. मैं और मेरी बहन यहीं पले-बढ़े, और हमने शांत व सुखद बचपन बिताया. हमारा परिवार एकजुट था, अच्छे दोस्त थे, और शांत मोहल्ला था. हमने उन चीज़ों के महत्व को नहीं जाना जिनके हमारे माता-पिता के जीवन में बड़ा महत्व था जब वे बड़े हो रहे थे -- जैसे हमारे घर में बिजली कभी नहीं जाती थी, स्कूल सड़क के दूसरी ओर था, अस्पताल थोड़ी दूरी पर था, पिछवाड़े में आइस कैंडी मिल जाती थी. हम पले-बढ़े, और जवान हुए. मैं हाई स्कूल गया. कालेज में पढाई की. घर से बाहर निकला, नौकरी ढूंढी, प्रेम में पड़ा और सैटल हो गया - ऐसा लगता है जैसे ये किसी घटिया धारावाहिक या कैट स्टीवंस के गाने से सुनकर बोल रहा हूँ. (हंसी) लेकिन जिंदगी बढ़िया गुज़र रही थी. सब कुछ अच्छा चल रहा था. 2006 का साल बहुत अच्छा बीता. टोरंटो के अंगूरी बागानों में खुले आसमान के नीचे जुलाई में, मेरा विवाह हो गया, जिसमें 150 परिजनों और मित्रों ने शिरकत की. 2007 भी बहुत अच्छा साल था. मैं कॉलेज से निकल गया, और मेरे सबसे करीबी दो मित्रों के साथ लम्बी सड़क यात्रा पर निकल पड़ा. ये मेरे मित्र क्रिस के साथ मेरी फोटो है, प्रशांत महासागर के तट पर. हमने कार की खिड़की से बाहर सील मछलियाँ भी देखीं, और उनकी फोटो लेने की कोशिश में गाड़ी रोकी पर वे हमारे बड़े-बड़े सिरों के पीछे छुप गयीं. (हंसी) जैसा कि आप यहाँ पर देख रहे हैं, लेकिन यकीन मानिए, यह सब बहुत मजेदार था. (हंसी) 2008 और 2009 कुछ कठिन साल थे. न सिर्फ मेरे लिए बल्कि कुछ लोगों के लिए, वे और भी कठिन थे. पहली बात तो यह है कि ये बहुत बड़ी खबर थी. अभी भी ये बड़ी बात है, उससे पहले भी यह बड़ी बात थी, लेकिन जब आप अखबार खोलते हैं या टीवी ऑन करके देखते हैं, तो वहां मुख्यतः ध्रुवीय बर्फ पिघलने की, दुनिया में जंग छिड़ने की, भूकंप, तूफ़ान के आने की, और लड़खड़ाती हुई अर्थव्यवस्था की खबर दिखती है, और अंततः यह ध्वस्त हो जाती है, और फिर अचानक हमारे घर, हमारी नौकरियां, सेवानिवृत्ति की योजनाएं, और रोजीरोटी गायब हो जाती है. 2008 और 2009 मेरे लिए कुछ अन्य कारणों से भी मुश्किल थे. उस दिनों मैं बहुत सी व्यक्तिगत समस्याओं का सामना कर रहा था. मेरा वैवाहिक जीवन सुखद नहीं था, और हम दोनों एक-दूसरे से दूर होते जा रहे थे. एक दिन मेरी पत्नी ऑफिस से घर आयी और हिम्मत जुटाकर अपनी आँखों में आंसू लिए हुए, उसने खुले दिल से बात करने के लिए कहा. उसने कहा, "मैं तुम्हें अब प्यार नहीं करती". आज तक ये मेरे द्वारा सुने गए सबसे कष्टप्रद शब्द हैं और निस्संदेह दिल को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाते हैं, लेकिन इसी के एक महीने के भीतर, मैंने दिल को इससे भी ज्यादा आहत करनेवाली खबर सुनी. मेरा दोस्त क्रिस, जिसके साथ खींची फोटो मैंने आपको अभी दिखाई थी, वह कुछ समय से मानसिक रोग से लड़ रहा था. और आप लोगों में से वे जिनके जीवन को मानसिक रोग ने किसी भी तरह से प्रभावित किया है, वे समझ सकते हैं कि यह कितना चुनौतीपूर्ण है. एक रविवार की रात को मैंने उससे फोन पर 10:30 बजे बात की. हमने एक टीवी कार्यक्रम के बारे में बात की जो हमने उस शाम को देखा था. सोमवार की सुबह मुझे पता चला कि क्रिस इस दुनिया में नहीं रहा. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उसने आत्महत्या कर ली. वह समय मेरे लिए बहुत कठिन था. ऐसे ही काले बादल मेरी ज़िंदगी पर छाये हुए थे, और ऐसे में कुछ भी बेहतर करने के बारे में सोचना बहुत मुश्किल लग रहा था, तब मैंने यह तय किया कि मुझे कैसे भी करके सकारात्मक चीज़ों पर ही ध्यान देना चाहिए. तो एक रात मैं जब काम से वापस आया, और मैंने अपना कम्प्युटर चालू किया, मैंने एक छोटी सी वेबसाईट 1000awesomethings.com बनाई. मैं स्वयं को सरल, सहज, सार्वत्रिक छोटी-छोटी खुशियों की याद दिलाना चाहता था जिन्हें हम पसंद करते हैं, पर जिनके बारे में हम ज्यादा बात नहीं करते -- वे चीज़ें जैसे होटल में वेटरों द्वारा कुछ कहे बिना ही मुफ़त में ज्यादा सर्व कर देना, किसी विवाह भोज में सबसे पहले भोजन करने का आमंत्रण मिलना, ड्रायर से हाल में ही निकला गरम अंडरवियर पहनना, और जैसे ही ग्रोसरी स्टोर में एक बंद पड़ा भुगतान काउंटर खुल जाता है तो लपक के उस लाइन में सबसे पहले नंबर पर खड़े हो जाना - भले ही हम पिछली लाइन में सबसे पीछे खड़े थे, वहां फ़ौरन झपट्टा मारना. (हंसी) समय बीतते-बीतते, मुझे यह सब अच्छा लगने लगा. आप जानते हैं कि हर दिन 50,000 नए ब्लॉग बन रहे हैं. और मेरा ब्लॉग भी उन 50,000 में से एक था. मेरी माँ को छोड़कर उसे कोई नहीं पढता था. हांलांकि मुझे यह कहना चाहिए कि मेरे ब्लॉग का ट्रेफिक रॉकेट की तरह 100% बढ़ गया जब मेरी माँ ने मेरे पिता को इसे पढ़ने के लिए सुझाया. (हंसी) जब इसपर रोजाना हिट्स आने लगीं तो मैं उत्साहित हो गया. फिर मुझे इसपर दर्ज़नों, सैंकड़ों, हज़ारों, और फिर लाखों हिट्स मिलने शुरू हो गए तो मैं और अधिक जोश में आ गया. यह और अधिक विशाल और विस्तृत होता गया. और फिर एक दिन मुझे एक फोन आया, और फोन के दूसरे सिरे पर किसी ने मुझसे कहा, "आपको दुनिया के सबसे शानदार ब्लॉग का पुरस्कार मिला है". ये कुछ ऐसा था जैसे ये कोई फ़र्जी फोन कॉल हो! (हंसी) (तालियाँ) आप किस अफ्रीकी देख में अपना सारा पैसा भिजवाना चाहते हैं? (हंसी) लेकिन यह सच था और मैं हवाई जहाज पे सवार हुआ, और कुछ ही समय के भीतर मैं सारा सिल्वरमैन, जिम्मी फैलन, और मार्था स्टीवर्ट के साथ रेड कारपेट पर चल रहा था. और इस तरह मैं बैस्ट ब्लॉग के लिए वेबी अवार्ड लेने के लिए स्टेज पर चढ़ा. और इस सबसे होने वाली हैरत और विस्मय तब छोटी पड़ गयीं जब टोरंटो लौटने पर मुझे मेरे मेलबौक्स में 10 प्रकाशन एजेंटों के प्रस्ताव मिले जो इसे किताब के रूप में छापने के लिए मुझसे मिलना और बात करना चाहते थे. हम अगले साल में कूद पड़ें तो मेरी किताब "The Book of Awesome" लगातार बीस हफ़्तों तक नंबर एक की बैस्ट सैलर बन चुकी थी. (तालियाँ) देखिये, मैंने कहा था कि आज मैं आपको तीन बातें बताना चाहता हूँ. मैंने कहा था कि मैं आपको 'शानदार' (Awesome) कहानी बताना चाहता था, मैं आपको 'A' से शुरू होनेवाली उन तीन चीज़ों के बारे में बताकर आपकी सोच को जागृत करना चाहता था. तो मैं आपको उन तीन चीज़ों के बारे में बताता हूँ. पिछले कुछ सालों के दौरान, मुझे अच्छे से सोच-विचार करने के लिए समय नहीं मिल सका. पर हाल ही में मुझे थोड़ा ठहरकर सोचने का अवसर मिला और मैंने खुद से पूछा: पिछले कुछ सालों में ऐसा क्या हुआ जिससे न केवल मेरी वेबसाईट प्रसिद्द हो गयी, बल्कि मुझमें भी विकास हुआ. फिर मैंने अपने व्यक्तित्व के अनुसार मुख्यतः तीन चीज़ें चुनीं, जिन्हें मैं तीन A's कहता हूँ. वे हैं attitude (नजरिया), awareness (जागरूकता) और authenticity (प्रमाणिकता). मैं आपको इन तीनों के बारे में संक्षेप में बताऊंगा. नजरिया के बारे में, देखिये, हम सभी गिरते-पड़ते हैं, और चोट खाते हैं. हम लोगों में से कोई भी भविष्य का कथन नहीं कर सकता, लेकिन एक बात हम जानते हैं वह यह है कि हमारी योजनाओं के अनुसार कुछ नहीं होता. हम सभी भरपूर ख़ुशी और मजे के साथ अपने पास कॉलेज से निकलने, शादियों में डांस करने, और डिलीवरी रूम के भीतर से स्वस्थ बच्चे के चिल्लाकर रोने जैसे गर्वीले लम्हों पर मुस्कुराते हैं, लेकिन इन बेहतरीन लम्हों के बीच कहीं कोई दर्द, कोई कसक भी बनी रहतीं हैं. यह दर्दनाक है और इसके बारे में बात करना अच्छा नहीं लगता, पर किसी का पति उसे छोड़ सकता है, किसी की प्रेमिका बेवफा निकल सकती है, आपका सिरदर्द किसी भयानक बीमारी में तब्दील हो सकता है, या सड़क पर कोई गाड़ी आपके कुत्ते को टक्कर मार सकती है. ये कोई अच्छा विचार नहीं है, पर आपके बच्चे बुरे लोगों के साथ या गलत जगहों में फंस सकते हैं. आपकी माँ को कैंसर हो सकता है, आपके पिता बेहद स्वार्थी निकल सकते हैं. और ऐसा भी हो सकता है कि यह ज़िंदगी आपको अंधे कुँए में धकेल दे, और आपके पेट में निवाला न हो या दिल में कोई बीमारी घर कर ले. और जब कभी ऐसे बुरी ख़बरें आपको झकझोर दें, ऐसे दर्द आपको पछाड़ दें, तब मैं यह उम्मीद करता हूँ कि आपके पास हमेशा दो विकल्प होने चाहिए. पहला, आप दबें, टूटें, गिरें, और खाक में मिल जाएँ, या दूसरा, आप शोक मनाएं और उठकर भविष्य को नयी दृष्टि से देखें. बड़ा नजरिया रखने का संबंध दूसरे विकल्प से है, और इसका चयन करने से है भले यह कितना ही कठिन हो. आपको कितनी ही गहरी चोट क्यों न लगी हो, आगे बढ़ने के विकल्प का चुनाव करना भविष्य की ओर नन्हा कदम बढाने जैसा ही है. अब हम जागरूकता की बात करेंगे. मुझे तीन-वर्षीय बच्चों के साथ खेलना पसंद है. मैं उनके दुनिया देखने के तरीके को पसंद करता हूँ, क्योंकि वे इससे पहली बार मुखातिब हो रहे हैं. सड़क के किनारे रेंगते कीड़े को वे जिस कौतूहल से देखते हैं वह मुझे अच्छा लगता है. मुझे अच्छा लगता है जब वे बेसबाल के पहले गेम में हैरत से मुंह बाए हुए, हॉटडॉग्स और पीनट्स खाते हुए अपनी आँखें गेंद पर टिकाकर हांथों में दास्ताने पहनकर बल्ले की दरार को टटोलते हैं. मुझे अच्छा लगता है जब वे पिछवाड़े में देर-देर तक फूल चुनते हैं और फिर उन्हें थैंक्सगिविंग डिनर के लिए सैंटरपीस पर सजाते हैं. मैं दुनिया को देखने के उनके तरीके को पसंद करता हूँ, क्योंकि वे इस दुनिया को पहली बार देख रहे हैं. मन में जागरूकता का भाव जगाने का संबंध अपने भीतर उस तीन-वर्षीय बालक का अनुभव करने से है. क्योंकि हम सभी किसी समय तीन साल के थे. तीन-वर्षीय वह बच्चा अभी भी हमारा ही अंश है. तीन-वर्षीय वह बच्चा अभी भी हमारा ही अंश है. वे सब यहीं हैं. और जागरूक होने का तात्पर्य यह याद करने में है कि हमने भी हर वस्तु कभी सबसे पहली बार देखी थी. तो ऐसा कभी पहले हुआ था जब आपने ऑफिस से घर लौटते समय सड़क पर लगातार कई हरी लाइटें पार कीं. ऐसा भी कभी पहली बार ही हुआ जब आप बेकरी के भीतर गए और उसकी नायब गंध ने आपका मन मोह लिया, या ऐसा पहली बार हुआ जब आपको पुरानी जैकेट की जेब में 20 डॉलर का नोट मिल गया और आप चहक उठे, "मुझे पैसे मिले!" तीसरी बात है प्रामाणिकता. इसे बताने के लिए मैं आपको एक कहानी सुनाना चाहूँगा. चलिए हम अतीत में 1932 में जाते हैं जब जॉर्जिया के एक मूंगफली फ़ार्म में, रूजवेल्ट ग्रीयर नामक एक बालक का जन्म हुआ. रूजवेल्ट ग्रीयर को लोग रोजी ग्रीयर भी बुलाते थे, वह जब बड़ा हुआ तो NFL फुटबाल लीग में 300 पौंड वजनी छः फुट पांच इंच लंबा लाइनब्रेकर बना. इस फोटो में उसने 76 नंबर की शर्ट पहनी है. यहाँ इस चित्र में वह "चार-खूंखार" (Fearsome Foursome) में से एक है. ये चारों 1960 के दशक में L.A. Rams में थे जिनसे भिड़ना बहुत खतरनाक था. वे फुटबाल के प्रेमी खिलाड़ी थे जिनका शौक था फ़ुटबाल के मैदान में कंधों से कंधे मिलाकर लोगों की हड्डियाँ चटकाना. लेकिन रोजी ग्रीयर का एक और शौक था, अपने दिल की गहराइयों से, उसे नीडलपॉइंट (बुनाई-कढ़ाई) करना पसंद था. उसे बुनाई-कढ़ाई से प्रेम था. वह कहता था कि उसे इससे शांति मिलती थी, सुकून मिलता था, इसने उसके दिल से उड़ान का डर निकल दिया और हसीनाओं से दोस्ती करने में मदद की. यह सब उसने ही कहा था. उसे इस सबसे इतना प्रेम था किNFL से रिटायरमेंट लेने के बाद उसने बुनाई-कढ़ाई क्लब ज्वाइन कर लिया. और उसने एक किताब भी लिखी, "पुरुषों के लिए रोजी ग्रीयर की नीडलपॉइंट पुस्तक" (Rosey Grier's Needlepoint for Men). (हंसी) (तालियाँ) इस किताब के शानदार कवर पर, यदि आप गौर करें, वह स्वयं का चेहरा ही काढ़ रहा है. (हंसी) इस कहानी में मुझे यह पसंद है कि रोज़ी ग्रीयर असल में बहुत प्रामाणिक, बहुत जेनुइन आदमी है. और वास्तविक प्रामाणिकता ऐसी ही होती है. इसका अर्थ है कि भीतर से आप जैसे हैं उसमें ख़ुशी पायें. और मुझे लगता है कि जब आप प्रामाणिक होते हैं तब आप अपने दिल की राह पर चलते हैं, और आप उन स्थानों, परिस्थितियों, और वार्तालापों में रूझान लेते हैं जिन्हें आप पसंद करते हैं और जिनका आप आनंद लेना चाहते हैं. आप उन लोगों से मिलते हैं जिनसे बातें करना आपको अच्छा लगता है. आप उन जगहों पर जा आते हैं जिनका आप सपना देखते हैं. आप अपने दिल की मानते हैं और संतृप्त, संतुष्ट अनुभव करते हैं. यही इन तीन बातों का सार है. समापन से पहले मैं आपको मेरे माता-पिता के कनाडा आगमन के दौरान ले जाना चाहूँगा. मैं नहीं जानता कि बीस साल की उम्र के दौरान किसी नए देश में जाकर रहने की अनुभूति कैसी होती है. मुझे नहीं मालूम, क्योंकि मैंने ऐसा कभी नहीं किया. लेकिन मेरी कल्पना है कि मैं ऐसा बड़े खुले नज़रिए के साथ करूंगा. मैं कल्पना करता हूँ कि ऐसे में हमें अपने परिवेश के प्रति बहुत चौकस रहना पड़ता है और इस नयी दुनिया के छोटे-छोटे करिश्मों का मोल आंकना पड़ता है जो हम देखनेवाले हैं. मुझे यह भी लगता है कि हमें बहुत प्रामाणिक रहना पड़ता है, हमें अपने प्रति ईमानदार रहना पड़ता है ताकि हम नए परिवर्तनों का बेहतरी से सामना कर सकें. मैं अपनी TEDTalk को दस सैकंड के लिए रोकना चाहूँगा क्योंकि हमें जीवन में यह करने के मौके बार-बार नहीं मिलते, और मेरे माता-पिता पहली पंक्ति में बैठे हुए हैं. यदि उन्हें बुरा न लगे, तो मैं चाहता हूँ कि वे खड़े हों. और मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूँ. (तालियाँ) जब मैं बड़ा हो रहा था, मेरे पिता अक्सर मुझे अपने कनाडा आगमन के पहले दिन के किस्से सुनाया करते थे. पहले दिन की बातें बताते थे. यह बहुत रोचक कहानी है, क्योंकि हुआ यह कि वे टोरंटो एयरपोर्ट पर विमान से उतरे, और एक नौन-प्रौफिट समूह ने उनका स्वागत किया, जिसे, मुझे यकीन है, इस कमरे में मौजूद कोई व्यक्ति ही चलाता है. (हंसी) और इस नौन-प्रौफिट समूह ने कनाडा आनेवाले आप्रवासियों के स्वागत में एक भोज का आयोजन किया था. और मेरे पिता बताते हैं कि विमान से उतरने के बाद वे सीधे उस भव्य भोज में पहुंचे. वहां पर ब्रेड थी, डिल का बारीक अचार, जैतून, और छोटे सफ़ेद प्याज भी थे. वहां टर्की और हैम के कोल्ड-कट रोल थे, भुने हुए बीफ के कोल्ड-कट रोल, और छोटे-छोटे चीज़ क्यूब्स भी थे. वहां पर टूना सलाद सैंडविच, और एग सलाद सैंडविच थे, और सालमन सलाद सैंडविच भी थे. वहां लाजान्या था, कैसेरोल थे, ब्राउनीज़ थीं, बटर टार्ट्स थे, पाईज़ भी थीं, तरह-तरह की पाईज़ थीं! और जब मेरे पिता मुझे यह बताते हैं, वे कहते हैं, "मजेदार बात यह थी कि ब्रेड को छोड़कर मैंने उनमें से कोई भी चीज़ पहले कभी देखी भी नहीं थी! (हंसी) मुझे पता नहीं था कि कौन सी डिश मीटवाली और कौन सी शाकाहारी थी; मैं जैतून को पाईज़ के साथ खा रहा था. (हंसी) "मैं यकीन ही नहीं कर सकता था कि वहां इतनी तरह की चीज़ें हो सकतीं थीं!" (हंसी) जब मैं पाच साल का था, तब मेरे पिता मुझे ग्रॉसरी स्टोर तक शॉपिंग के लिए लेकर जाते थे. और वे वहां फलों और सब्जियों पर लगे स्टीकर्स को आश्चर्य से देखते थे. वे कहते थे, "देखो, यकीन नहीं होता कि ये आम मैक्सिको से आये हैं! और ये सेब साउथ अफ्रीका से यहाँ तक आये हैं. क्या तुम यकीन कर सकते हो कि ये खजूर मोरक्को के हैं?" वे फिर कहते, "क्या तुम्हें पता है कि मोरक्को कहाँ है?" और मैं कहता, "मैं तो सिर्फ पांच साल का हूँ और मुझे यह भी नहीं पता कि हम कहाँ हैं. क्या यह A&P स्टोर है?" फिर वह कहते, "मुझे भी नहीं पता कि मोरक्को कहाँ है, चलो मिलकर ढूंढें". तो खजूर खरीदकर हम दोनों घर वापस चले गए. और हमने सच में शेल्फ से एटलस निकाली, और इसमें तबतक ढूंढते रहे जब तक हमें वह रहस्यमय देश नहीं मिल गया. और जब हमने उसे ढूंढ लिया, तब मेरे पिता ने कहा, "क्या तुम यकीन कर सकते हो कि वहां कोई आदमी पेड़ पर चढ़ा, उसने खजूर तोड़े, उन्हें ट्रक में रखा, और बंदरगाह तक लेकर आया, फिर वे जहाज में तैरते हुए अटलांटिक सागर के पार आ गए, यहाँ उन्हें दूसरे ट्रक में उतारकर हमारे घर के बाहर उस छोटे से ग्रोसरी स्टोर तक उन्हें लाया गया, ताकि वे इसे 25 सेंट्स में बेच सकें". और मैंने कहा, "मुझे यकीन नहीं होता!" मेरे पिता बोले, "मुझे भी यकीन नहीं होता! ये बातें कितनी अद्भुत हैं! खुश रहने के लिए दुनिया में बहुत सी चीज़ें हैं!" जब मैं ठहरकर इसके बारे में सोचता हूँ तो उन्हें सही पाता हूँ; यहाँ खुश रहने के लिए बहुत सी चीज़ें हैं. जहाँ तक हम जानते हैं, केवल हम ही पूरे ब्रह्माण्ड में इस पृथ्वी पर ऐसी प्रजाति हैं जो इतनी सारी ऐसी चीज़ों का अनुभव कर सकते हैं. मेरा मतलब है, केवल हम ही स्थापत्य और कृषि के बारे में जानते हैं. केवल हमें ही आभूषणों और लोकतंत्र के बारे में पता है. हमारे पास वायुयान हैं, हाइवे लेन हैं, इंटीरियर डिजाइन और राशियों के चिह्न हैं. हमारे पास फैशन पत्रिकाएं हैं और घरेलू पार्टियों के दृश्य हैं. हम भयानक दैत्यों वाली डरावनी फ़िल्में देख सकते हैं. हम शास्त्रीय संगीत और धुंआधार गिटार वादन सुन सकते हैं. हमारे पास, किताबें, स्वल्पाहार, रेडियो तरंगें, खूबसूरत दुल्हनें और रोलरकोस्टर सवारी हैं. हम निर्मल चादरों पर सो सकते हैं. हम फ़िल्में देखने जा सकते हैं और अच्छी सीट पा सकते हैं. हम बेकरी की गंध महसूस कर सकते हैं, बारिश में बाल तर कर सकते हैं, बबल पैक फोड़ सकते हैं और, चोरी से एक झपकी ले सकते हैं. हमारे पास इतना कुछ है, पर इसका मजा लेने के लिए बमुश्किल 100 साल ही मिलते हैं. यही बात सबसे बुरी है. ग्रोसरी स्टोर पर बैठा कैशियर, फैक्ट्री का फोरमैन, हमारी गाड़ी से चिपककर चलते ड्राइवर, भोजन के वक़्त फोन करनेवाले कॉल सेंटर कर्मी, हमें पढ़ा चुके हर शिक्षक, हमारे करीब जागने वाले शख्स, हर देश के राजनेता, हर फिल्म के कलाकार, हमारे परिवार का हर व्यक्ति, हर व्यक्ति जिससे आप प्यार करते हैं, इस कमरे में मौजूद हर आदमी, और आप 100 सालों के भीतर चल बसेंगे. ज़िंदगी बहुत खूबसूरत है पर हमें इसे मीठा बनानेवाले छोटे-छोटे लम्हों का लुत्फ़ उठाने और इसका अनुभव लेने के लिए बहुत कम समय मिलता है. और यही वह समय है, और ये लम्हें छूटते जा रहे हैं, ये लम्हे हमेशा, हमेशा, हमेशा, पल भर में बिखर जाते हैं. आप आज जितने जवान फिर कभी नहीं होंगे. इसलिए मेरा विश्वास है कि यदि जीवन में आप बड़ा नजरिया रखकर, आगे बढ़ने का तय करके, जिंदगी की हर दुश्वारियों से लड़कर, अपनी दुनिया में हो रही हलचल की जागरूकता के साथ अपने भीतर के तीन-वर्षीय बालक को गले से लगायेंगे और अपने प्रति ईमानदार और प्रमाणिक रहकर जीने के लिए ज़रूरी छोटे-छोटे सुख उठाएंगे, और आप जैसे हैं उसी में ख़ुशी तलाशकर, उसे स्वीकार करके, उन कामों को अंजाम देंगे जिन्हें दिल से करने में आप भरपूर आनंद पाते हैं, तो मुझे लगता है कि आप परिपूर्ण और संतुष्टिदायक जीवन जियेंगे, और मेरी नज़र में ऐसी ज़िंदगी वाकई शानदार और कमाल की होगी. धन्यवाद. मैं आप सबको यह बताना चाहती हूं कि आप सब वास्तव में साईबोर्ग हैं, लेकिन वैसे साइबोर्ग नहीं जैसा आप सोचते हैं. आप रोबोकॉप या टर्मिनेटर नहीं हैं, लेकिन जब आप कम्प्यूटर स्क्रीन को देखते या अपने सैलफ़ोन का इस्तेमाल करते हैं, तब आप साइबोर्ग बन जाते हैं. तो फिर साइबोर्ग की अच्छी परिभाषा क्या है? इसकी प्रचलिच परिभाषा यह है कि यह एक जीवधारी है "जिसमें कुछ बाहरी भौतिक अवयव या अंग जोड़े गए हैं ताकि ये स्वयं को नए वातावरण के अनुकूल बना सके." ये परिभाषा 1960 के अंतरिक्षयात्रा के एक पेपर में थी. क्योंकि, यदि आप विचार करें, अंतरिक्ष बहुत अजीब है; आम लोग इसमें नहीं जा सकते. लेकिन मनुष्य जिज्ञासु हैं और अपने शरीर में चीजें लगा सकते हैं इस प्रकार वे आल्प्स पर्वत पर जा सकते हैं और समुद्र में भी मछली की तरह तैर सकते हैं. चलिए हम पारंपरिक मानवशास्त्र की धारणाओं को देखें. कोइ व्यक्ति किसी दूसरे देश जाता है, और कहता है "ये लोग कितने रोचक हैं ऐर इनके औज़ार शानदार हैं, इनकी संस्कृति अद्भुत है". और फिर वे इसके बारे में लिखते हैं जिसे कुछ मानवशास्त्री भी पढ़ते हैं, और हमें यह सब बहुत आकर्षक लगता है. वास्तव में यह हो रहा है कि हमने एकाएक नयी प्रजाति खोज निकाली है. एक साइबोर्ग मानवशास्त्री के रूप में मैंने अचानक कहा, "अरे वाह, हम तो एकाएक होमो सेपियंस की नई प्रजाति बन गए हैं!" आप इन आश्चर्यचकित करनेवाली संसकृतियों का अवलोकन करें. और इनकी रोचक प्रथाओं को देखिए जो सारे व्यक्ति इस टैक्नोलॉजी के इर्द-गिर्द कर रहे हैं. स्क्रीन पर देखते हुए वे सभी चीजों पर क्लिक कर रहे हैं. मैं इसका अध्ययन पारंपरिक मानवशास्त्र के विपरीत कर रही हूं, इसके पीछे कुछ कारण हैं. और वह कारण यह है कि प्रारंभ से लेकर हजारों साल तक साधनों का उपयोग हमारे आत्म के भौतिक रूपांतरण के रूप में होता आया है. इसने हमारी भौतिक परिसीमाओं का विस्तार किया है, हमें फुर्तीला और कठोर बनाया है, पर इसकी भी कई सीमाएं हैं. परंतु अब हम जो कुछ देख रहे हैं वह हमारी भौतिक परिसीमाओं का विस्तार नहीं है, बल्कि हमारे मानसिक आत्म का विस्तार है. और इसके कारण हम तेज सफ़र कर सकते हैं, और विभिन्न प्रकार से संवाद कर सकते हैं. दूसरी चीज़ जो हो रही है वह यह है कि हम सभी अपने साथ छोटी मेरी पौपिंस टैक्नोलौजी लेकर घूम रहे हैं. हम इसके भीतर जो चाहे वह डाल सकते हैं पर इसका वजन नहीं बढ़ता, और फिर हम इसमें से चीज़ें निकाल भी सकते हैं. हमारे भीतर का कम्प्युटर कैसा दिखता है? यदि आप इसे प्रिंट कर सकें तो हज़ारों पौंड्स की सामग्री जैसा दिखेगा जिसे हम अपने साथ हर समय लेकर चल रहे हैं. और यदि हम यह सूचनाएँ खो दें तो इसका अर्थ यह होगा कि हम इसे अपने मन के भीतर खो बैठे, और तब एकाएक यह लगेगा कि हमने कुछ खो दिया है, फर्क सिर्फ यह होगा कि हम इसे देख नहीं पायेंगे, यह सब बहुत अजीब मनोभाव होंगे. दूसरी बात जो हमारे साथ होती है वह यह है कि हमारा एक दूसरा आत्म बन जाता है. चाहे आप इसे पसंद करें या नहीं, आप ऑनलाइन दिखने लगते हैं, और लोग आपके दूसरे आत्म के साथ वार्तालाप करने लगते हैं, जब आप वहां नहीं होते. और आपको सावधान रहना पड़ता है कि आप अपनी फ्रंट लाइन खुली न रखें, जो कि मूलतः आपकी फेसबुक वाल है, ताकि लोग इसपर आधी रात को ही कुछ लिखने न लग जाएँ -- क्योंकि यह उसके समतुल्य ही है. और अचानक ही हमें हमारे दूसरे आत्म को बनाए रखना पड़ता है. हमें अपने डिजिटल जीवन को उसी तरह से प्रस्तुत करना पड़ता है जैसे हम अपने अनालौग जीवन को करते हैं. तो जिस तरह हम जागते हैं, नहाते हैं, और कपडे बदलते हैं, हमें यही सब अपने डिजिटल जीवन में भी करना सीखना पड़ता है. अब समस्या यह है कि बहुत से लोग, विशेषकर किशोरवय के लोगों को दो किशोरावस्था से गुज़रना पड़ रहा है. वे अपने प्राथमिक किशोरावस्था से गुज़रते हैं जो पहले से ही अजीब है, और फिर वे अपने दूसरे आत्म की किशोरावस्था में कदम रखते हैं. लेकिन यह पहले वाली से भी अधिक अजीब है क्योंकि यहाँ हमारी ऑनलाइन गतिविधियों का पूरा इतिहास दिखाई देता है. इस समय जो कोई भी तकनीक के संपर्क में पहली बार आ रहा है, वह कोई ऑनलाइन किशोर ही है. इसलिए यह बहुत अजीब है, और उनके लिए यह सब करना बहुत कठिन होता है. जब मैं छोटी थी तब मेरे पिता मुझे रात में पास बिठाकर कहते, "मैं तुम्हें भविष्य के टाइम और स्पेस के बारे में बताने जा रहा हूँ". और मैं कहती, "वाह! ". और एक दिन उन्होंने कहा, "दो बिन्दुओं के बीच में न्यूनतम दूरी क्या है? ". मैंने कहा, "एक सीधी रेखा उन्हें जोड़ देती है. आपने मुझे कल ही यह बताया था. मुझे यह बड़ी बुद्दिमानी की बात लगी". उन्होंने कहा, "नहीं, नहीं, इसका एक बेहतर तरीका भी है". उन्होंने एक कागज़ लिया, उसपर एक ओर A और B लिखा और कागज़ को मोड़कर A और B को आपस में मिला दिया. फिर वे बोले, "यह दो बिन्दुओं के बीच न्यूनतम दूरी है". तब मैंने कहा, "पापा, पापा आपने यह कैसे कर दिया? ". उन्होंने कहा, "देखो, हमने अभी समय और स्पेस को मोड़ दिया था, ऐसा करने के लिए अपार ऊर्जा चाहिए, और इसे इसी तरह किया जा सकता है". तब मैंने कहा, "मैं यह करना चाहती हूँ". उन्होंने कहा, "अच्छा, ठीक है". और इसके बाद अगले दस या बीस सालों तक, मैं रात को सोने के वक़्त सोचती रहती, "मैं वर्महोल बनानेवाला पहला व्यक्ति बनना चाहती हूँ, ताकि चीज़ें बहुत तेज चलें. और मैं टाइम मशीन भी बनाना चाहती हूँ". मैं हमेशा अपने भविष्य के आत्म को टेप रिकार्डर के ज़रिये सन्देश भेजा करती थी. लेकिन कॉलेज पहुँचने के बाद मुझे यह अहसास हुआ कि टैक्नौलोजी केवल इसलिए नहीं अपनाई जाती है क्योंकि इससे काम लिया जाता है; यह इसलिए अपनाई जाती है क्योंकि हम इसे प्रयुक्त करते हैं और यह मनुष्यों के लिए बनी है. तब मैंने मानवशास्त्र पढ़ना शुरू किया. जब मैं सैलिफोन पर अपना शोधपत्र लिख रही थी, मुझे लगा कि सभी व्यक्ति अपनी जेबों में वर्महोल लिए घूम रहे थे. वे इससे अपने भौतिक शरीर को नहीं बल्कि अपने मानस को कहीं और भेज पा रहे थे. एक बटन दबाते ही A और B तत्काल ही एक-दूसरे से जुड़ पा रहे थे. और मैंने सोचा, "वाह! मैंने खोज लिया! ये शानदार है!" तो समय बीतने के साथ ही टाइम और स्पेस इसके कारण संकुचित हो गए हैं. आप दुनिया के एक कोने में खड़े होकर फुसफुसाते हैं और इसे दूसरे कोने में सुना जा सकता है. एक और विचार जो सामने आता है वह ये कि हर वह डिवाइस जो हम इस्तेमाल में लाते हैं उसका समय अलग प्रकार का होता है. ब्राउज़र की हर टैब का समय अलग तरह का होता है. और इस सबके कारम हम अपनी बाहरी यादों को टटोलने लगते हैं कि हमने उन्हें कहाँ छोड़ दिया? तो अब हम सभी जीवाश्म वैज्ञानिकों की तरह उन चीज़ों को खोदकर निकाल रहे हैं जिन्हें हमने अपने बाह्य मष्तिष्क में गुम कर दिया था और जो अब हमारी जेब में हमारे साथ घूम रही हैं. लेकिन यह एक भूलभुलैया में ले आता है. अरे, वह चीज़ कहाँ चली गयी? हम सभी लुसिल बाल की तरह सूचनाओं की विशाल असेम्बली लाइन पर हैं, और इससे निकल नहीं पा रहे हैं. फिर यह होता है कि जब हम यह सब सोशल स्पेस पर ले आते हैं, तो हम हर समय अपने फोन चैक करके देखने लगते हैं. हम इसे व्यापक अंतरंगता कहते हैं. ऐसा नहीं है कि हम हर समय एक दूसरे से कनेक्टेड हैं, पर किसी भी समय हम जिससे भी चाहें उससे कनेक्ट हो सकते हैं. अब आप यदि अपने सैल्फों में मौजूद हर व्यक्ति को प्रिंट कर पायें, तो कमरे में जगह नहीं बचेगी. सरल अर्थों में आप इन सभी व्यक्तियों से संपर्क साध सकते हैं -- ये सभी व्यक्ति जिनमें आपके परिजन और मित्र शामिल हैं जिनसे आप कनेक्ट हो सकते हैं. इस सबके कारण हमारे ऊपर कुछ मनोविज्ञानिक प्रभाव पड़ते हैं. जिस प्रभाव के कारण मैं चिंतित हूँ वह यह है कि लोगों मानसिक चिंतन के लिए समय नहीं निकाल रहे हैं, और यह भी कि वे थम नहीं रहे, रुक नहीं रहे, और कमरे में मौजूद लोगों के साथ हर समय मौजूद रहकर ध्यान आकर्षित करने के लिए एक ही समय में इंटरफेस, जीवश्मिकी, या भूलभुलैया के बीच प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. वे वहां आराम से बैठे हुए नहीं हैं. और वास्तव में जब आप पर कोई बाह्य इनपुट नहीं होता, तब उस समय निज-आत्म की रचना होती है, तब आप दूरगामी योजनायें बना सकते हैं, आप स्वयं के भीतर झांककर देख सकते हैं कि आप कौन हैं. और जब आप यह करते हैं तब आप यह देख सकते हैं कि आप बिना किसी हड़बड़ी के 'कि मुझे यह करना है, अरे मुझे वह भी करना है और भी बहुत कुछ करना है', आप अपने दूसरे आत्म को किस प्रकार एक तर्कसंगत रूप में प्रस्तुत करें. इस प्रकार यह बहुत महत्वपूर्ण है. मैं बहुत चिंतित हूँ क्योंकि आजकल, विशेषकर बच्चे इस डाउन टाइम से निपट नहीं पा रहे हैं, वे झटपट बटन दबानेवाले कल्चर में धंस गए हैं, और यह कि हर चीज़ उनके पास आती है, और वे इसके लिए बहुत उत्साहित होते हैं और इसके आदी हो जाते हैं. यदि आप इसके बारे में सोचें, तो दुनिया थम नहीं गयी है. इसकी अपनी बाहरी प्रोस्थेटिक युक्तियाँ हैं, जो हम सभी को एक दूसरे से संवाद स्थापित करने और वार्तालाप करने में मदद करतीं हैं. लेकिन यदि आप असल में इन्हें देखने की कोशिश करेंगे, तो ये वे सब कनेक्शन हैं जो हम इस समय कर रहे हैं -- ये इंटरनेट के मानचित्रण की एक छवि है -- यह तकनीकी नहीं बल्कि वास्तव में जीवंत प्रतीत होती है. मानव के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि हम सभी एक-दूसरे से इन तरीकों से जुड़ रहे हैं. और ऐसा नहीं है कि मशीनों हमें गुलाम बना रहीं हैं, बल्कि वे तो हमें और अधिक मानवीय बनने, और एक-दूदरे से जुड़ने में में मदद कर रहीं हैं. सबसे सफल तकनीकें वे हैं जो अपने मार्ग से हटकर हमें जीवन जीने में सहायक होती हैं. वास्तव में, हम तकनीक नहीं बल्कि और बेहतर मनुष्य बनते हैं, क्योंकि हम सभी हर पल एक दूसरे को रच रहे हैं. यही वह सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है जिसका मैं अध्ययन करना चाहती हूँ: वह यह है कि चीज़ें सुन्दर हैं, जुड़ाव अभी भी मानवीय हैं; बस इनका तरीका बदल गया है. हम केवल अपनी मानवीयता का भोगौलिकता की सीमा के परे एक दूसरे से जुड़ने की क्षमता का विस्तार कर रहे हैं. इन्हीं कारणों से मैं साईबोर्ग मानवशास्त्र का अध्ययन कर रही हूँ. धन्यवाद. (तालियाँ) (हँसी) मैं नारीत्व से डरती थी॰ ऐसा नहीं है कि मुझे अब डर नहीं लगता, लेकिन अब मैंने दिखावा सीख लिया है. मैंने लचीला होना सीख लिया है. वास्तव में, मैंने कुछ दिलचस्प उपकरण विकसित किया है मुझे इस डर के साथ निपटने में मदद करने के लिए. मैं समझाता हूँ. '50 और '60 के दशकों में, जब मैं बड़ा हो रहा था, छोटी लड़कियों दयालु और विचारशील समझी जाती थीं. और सुंदर और कोमल और नरम. और हम सब भूमिकाओं में ढलने वाले समझे जाते थे जो कि धुंधले से थे. वास्तव में स्पष्ट नहीं था की हमें क्या होना चाहिए. (हँसी) हमारे आसपास बहुत सारे.अच्छे उदाहरण थे. हमारी माताओं, हमारी दादी, चाची, हमारी बहनों वगैरह, और हां, हर जगह मौजूद मीडिया हमारे ऊपर छवियों और शब्दों की बौछार करता हुआ, हमें बताते हुए की हमे कैसा होना चाहिए. . अब मेरी माँ अलग था. वह एक गृहिणी थी, लेकिन वह और मैं बाहर जाकर वो सब चीज़ें नहीं करते थे जो लड़कियों को करना चाहिए था. और उन्होने मेरे लिए गुलाबी रंग के कपड़े नहीं खरीदे. इसके बजाय, वह जानती थी कि मैं क्या चाहती थी, और वह मेरे लिए कार्टून की एक पुस्तक खरीदकर लाई. और मैंने उसे चाट डाला. मैं लगातार चित्र बनती रही और बनती रही. और क्योंकि मैं जानती थी कि हास्य मेरे परिवार में स्वीकार्य था, मैं चित्र बना सकती थी, जो चाहती थी कर सकती थी, प्रदर्शन करने की या बात करने की ज़रूरत के बिना - मैं बहुत शर्मीली थी - और मुझे फिर भी सब पसंद करते थे. मेरा कार्टूनिस्ट बनने का सफर शुरू हो गया. जब हम जवान होते हैं, हमे हमेशा पता नहीं होता है - हम जानते हैं कि वहाँ कुछ नियम हैं, लेकिन हमें हमेशा पता नहीं होता है - हम उन्हें सही तरह से निभाते नहीं हैं, यद्यपि हम जन्म से अंकित होते हैं इन बातों के साथ, और हमें कहा जाता है दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण क्या रंग है. हमें बताया रहे हैं की हमारा आकार कैसा होना चाहिए (हँसी) हमें बताया जाता है की क्या पहनना चाहिए - (हँसी) और अपने बाल कैसे बनाने है - - (हँसी) - और कैसा व्यवहार करना चाहिए अब जिन नियमों कि मैं बात कर रहा हूँ संस्कृति उनपर लगातार नजर रखे हुए है. हम सही किया जा रहा है. और सबसे बड़ी थानेदार महिलाएं हैं, क्योंकि हम परंपरा के वाहक हैं. हम उन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी आगे देते चले जाते हैं . इतना ही नहीं, हममें हमेशा यह अस्पष्ट धारणा रही है कि कुछ हमसे कुछ आशा की जाती है. और अगर ये नियमों काफी नहीं हैं, वे बदलते भी रहते हैं. (हँसी) आधे समय हम नहीं जानते कि क्या हो रहा है, तो यह हमे बहुत कमजोर स्थिति में डाल देते हैं. (हँसी) अब अगर आप इन नियमों पसंद नहीं करते, और हम में से कई नहीं करते हैं - मैं जानती हूँ कि मैं नहीं करती थी, और अब भी नहीं करती हूँ, जब की मैं आधा समय उनका पालन करती हूँ, बिना सचमुच ये जाने की मैं उनका पालन कर रही हूँ - उन्हे बदलने का हास्य से अच्छा और क्या तरीका है? हास्य किसी समाज की परंपराओं पर निर्भर होता है. यह हमारी जानकारी को लेकर उसे घूमा देता है. यह व्यवहार और पोशाक के तौर तरीकों को लेता है, और उन्हे अप्रत्याशित बना देता है, और यही हंसी पैदा करता है. अब अगर आप महिलाओं और हास्य को एक साथ दाल दें? मुझे लगता है कि आप परिवर्तन ला सकते हैं. क्योंकि महिलाएँ ज़मीनी स्तर पर हैं, और हम परंपराओं को अच्छी तरह से जानती हैं, हम चर्चा में एक अलग आवाज़ बन सकती हैं. तो मैंने चित्र बनाने शुरू कर दिये बहुत सारी अव्यवस्था के बीच में. मैं यहाँ से नजदीक वॉशिंगटन डी.सी. में पली बड़ी हुई नागरिक अधिकार आंदोलन, हत्या के दौर में. वाटरगेट सुनवाई और नारीवादी आंदोलन के समय. और शायद मैं चित्र बनती थी यह पता लगाने की कोशिश में कि क्या चल रहा था . और फिर मेरे परिवार में भी गदर था. और मैं अपने परिवार को एक साथ लाने की कोशिश में चित्र बनती थी - (हँसी) - हँसी से अपने परिवार को एक साथ लाने के प्रयास में. यह काम नहीं आया. मेरे माता पिता के तलाक हो गया, और मेरी बहन को गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन मुझे अपनी जगह मिल गई. मैंने पाया कि मुझे ऊँची एड़ी के जूते पहनने कि ज़रूरत नहीं थी, मुझे गुलाबी रंग पहनने कि ज़रूरत नहीं थी, और मैं जैसे मैं सब के साथ फिट बैठ सकती थी . अब जब मैं थोड़ी बड़ी हुई, 20 एक साल कि, मैंने महसूस किया कि बहुत सारी महिलाएं कार्टून नहीं बनती हैं. और मैंने सोचा, "शायद हो सकता है की मैं पार कर सकूँ, कार्टून बनाने की इस लक्ष्मण रेखा को।" और मैंने ऐसा ही किया; मैं एक कार्टूनिस्ट बन गयी. और फिर अपने चालीसवे साल से मैं सोचने लगी, "क्यों न मैं कुछ ऐसा करूँ? मुझे राजनीतिक कार्टून हमेशा बहुत पसंद थे, तो क्यों ना मैं अपने कार्टूनों की सामग्री के साथ कुछ करूँ जिस से लोग उन मूर्खतापूर्ण नियमों के बारे में सोचें जिनका हम पालन कर रहे हैं और साथ साथ हसें?" अब मेरा नज़रिया विशेश तौर पे - (हंसी) मेरा नज़रिया विशेष तौर पे अमरीकी नज़रिया है. क्योंकि मैं यहाँ रहती हूँ. यद्यपि मैंने बहुत घूमा है, मैं अभी भी एक अमरीकी महिला की तरह सोचती हूँ. लेकिन मुझे विश्वास है की जिन नियमों की मैं बात कर रही हूँ वो सभी जगह पाये जाते हैं, ये ज़रूर है - की हर संस्कृति की अपनी अलग आचार संहिता है और वेश भूषा और परम्पराएँ, और हर औरत को इन सब चीजों का सामना करना पड़ता है जो हम यहाँ अमरीका में करती हैं फलस्वरूप, हमारे पास - औरतों के पास, क्योंकि हम सतह पे होती हैं, हमे रीति रिवाज पता होते हैं - हमारे परखने की क्षमता बहुत अच्छी होती है. अब हल का मेरा काम रहा है अन्तराष्ट्रिय कार्टूनिस्ट्स के साथ सहयोग करना रहा है, जिसमे मुझे बहुत आनंद आता है. और उसने मुझे बेहतर सराहना दी है कार्टूनों की शक्ति की सत्य तक पाहुचने के लिए, जल्दी और संक्षेप में मुद्दों तक पाहुचने के लिए. यही नहीं, ये दर्शक तक पहुच सकते हैं केवल दिमाग के रास्ते ही नहीं, पर दिल के रास्ते भी. मेरे कम ने मुझे इजाज़त दी है सहयोग करने की दुनिया भर की महिला कार्टूनिस्ट्स से - देश जैसे के सऊदी अरबिया, ईरान, टर्की, अर्जेंटीना, फ़्रांस, -- और हम एकट्ठे बैठ के हँसे हैं, और अपनी कठिनाइयो के बारे मे बात की है और उन्हे बांटा है. और ये औरतें अपनी आवाज़ सुनने के लिए इतनी मेहनत कर रही हैं बहुत मुश्किल हालात में. लेकिन उनके साथ कम करके मैं अपने आप को भाग्यशाली समझती हूँ. और हम बात करते हैं इस बारे में कि कैसे औरतों के इतने सबल दृष्टिकोण होते हैं, हमारी नाज़ुक स्थिति के कारण और परंपरा के रखवाले होने के कारण कि हम में बहुत संभावनाएं हैं बदलाव के कारक होने की. और मैं सोचती हूँ की मुझे ये सच्चा विश्वास है, कि हम इसको बदल सकते हैं एक एक हंसी करके. धन्यवाद. (तालियाँ) "मैं जो करूँगी" मैं तुम्हारे युद्ध के नगाड़े की थाप पर नहीं नाचूँगी. तुम्हारे युद्ध के उस नगाड़े को न मैं अपनी आत्मा दूँगी, न अपनी अस्थियाँ. उस ताल पर मैं नहीं थिरकूँगी. मैं जानती हूँ उस ताल को. उसमें जान नहीं है. उस ख़ाल को बखू़बी पहचानती हूँ मैं जिसे तुम पीट रहे हो. कभी वो ज़िन्दा थी, शिकार की गई, चुराई गई, खींची गई. तुम्हारे मचाए युद्ध की ताल पर मैं नहीं नाचूँगी. न उछलूँगी, न घूमूँगी, न हरक़त लूँगी, तुम्हारे लिए. तुम्हारे लिए नफरत नहीं करूँगी. और न तुमसे नफरत करूँगी. मैं तुम्हारे लिए नहीं मारूँगी. ख़ासकर, मैं नहीं मरूँगी तुम्हारे लिए. मरे हुओं का श्राद्ध क़त्ल या ख़ुदकुशी से नहीं करूँगी. सिर्फ इतनी वजह से तुम्हारा साथ नहीं दूँगी या बमों को लेकर भी नहीं नाचूँगी कि बाकि सभी नाच रहे हैं. सभी ग़लत हो सकते हैं. ज़िन्दगी हक़ है, मातहत नहीं, इत्तेफ़ाक़ नहीं. मैं नहीं भूलूँगी कि मैं कहाँ से आई हूँ. मेरा नगाड़ा मैं ख़ुद बनाऊँगी. अपने क़रीबियों को पास खींच लूँगी, हमारे गीत हमारा नृत्य बनेंगे. हमारा गुनगुनाना हमारी थाप होगी. मैं खिलवाड़ नहीं बनूँगी. अपना नाम या अपनी गत मैं तुम्हारे ताल को नहीं दूँगी. मैं नाचूँगी और खिलाफत करूँगी और नाचूँगी और डटी रहूँगी और नाचूँगी. दिल की ये धड़कन मौत से ज़्यादा शोर करती है. तुम्हारे युद्ध के नगाड़ों की आवाज़ इस साँस से तेज़ नहीं. ' हा...' क्या हुआ TED के लोगों? मुझे आपकी आवाज़ सुननी है. (तालियाँ) शांतिवादियों का झुण्ड. कुछ असमंजस में, प्रतिष्ठा ढूँढते शाँतिवादि. मैं समझती हूँ. हाल के दौरान मैं काफी बार ग़लत रही. काफी बार. इसलिए मैं नहीं समझ पा रही थी कि मैं आज क्या पढूँ. मतलब, मैं कहती रही हूँ कि मैं तैयारी कर रही हूँ. याने अपने कपड़ों की तैयारी, (हँसी) तैयारी की दिशा, ये समझने की कोशिश कि मैं कहाँ पीछे रह जा रही हूँ और किसका सामना कर रही हूँ. ये काम कविता करती है. ये आपको तैयार कर देती है. आपको लक्ष्य दे देती है. तो अब मैं ऎसी कविता पढ़ने जा रही हूँ जो अभी चुनी गई है. पर मैं चाहती हूँ कि आप बस 10 मिनट बैठें और उस महिला को अपने क़रीब थाम लें जो अभी यहाँ नहीं है. उसे यहाँ अब अपने साथ ही थामे रखें. उसका नाम बताने की ज़रूरत नहीं, बस उसे थामे रहिए. क्या आप उसको थामे हैं? ये है ' 'तोड़ दो (संकलन)' सारा पवित्र इतिहास प्रतिबंधित है. ना लिखी क़िताबों ने भविष्यवाणियाँ की, बीते कल को दिखाया. पर मेरी सोच जाती है सीमाहीन सी लगने वाले इंसानी हिंसा की कलाकारी पर. किसका बेटा जाएगा? कौनसा पुरूष शावक अगले दिन नष्ट होगा? हमारे लड़कों की मौत हमें प्रेरित करती हैं. हम शवों को संजोते हैं. हम औरतों का सोक मनाते हैं, अजीब है. ये सब साली रोज़ पिटती हैं. स्थापित पयगंबर, उपेक्षित पयगंबर. जंग और एनामेल किए दाँत और नींबू में नमक छीड़के बचपन. सारे रंग छूट जाते हैं, हम में से कोई ठोस नहीं. मेरे पीछे परछाई मत ढूँढो. मैं उन्हें अन्तस् में लिए चलती हूँ मैं उजाले और अंधेरे के चक्र जीती हूँ. लय में आधी ख़ामोशी है. मेंने अब जाना, कि ऎसा कभी नहीं था कि मैं एक थी और दूसरी नहीं. बीमारी, स्वास्थ्य, नरमी, हिंसा. अब लगता है कि मैं कभी पवित्र नहीं थी. आकार लेने से पहले मैं झंझावत थी, अंधी, अपढ़ -- आज भी हूँ. इंसानियत ने खुद से क़रार कर रखा है अंधेपन, विद्वेष का. मैं कभी पवित्र थी ही नहीं. पकने से पहले नष्ट लड़की. भाषा मेरा गणित नहीं समेट सकती. मैं अनंत गहराईयों तक महसूस करती हूँ. सबकुछ ही सबकुछ है. एक औरत 15, या शायद 20 अपनों को खो देती है. एक औरत 6. एक औरत अपना आपा खो देती है. एक औरत मलबा छानती है. एक औरत कचड़ा बीन कर खाती है. एक औरत गोली से अपना चेहरा उड़ा देती है. एक औरत अपने पति को. एक औरत खुद को बांध लेती है. एक औरत बच्चे को जन्म देती है. एक औरत सीमाओं को. एक औरत को लगता है उसे कभी प्यार नहीं मिलेगा. एक औरत को कभी नहीं मिलता. ये पनाहगीरों के दिल कहाँ जाते हैं? टूटे, अपमानित, वहाँ आरोपित जहाँ उनकी जड़ें नहीं, थोड़ी परवाह तलाशते. खालीपन से जूझते. हम हर एक का सोक मनाते वरना हम एक दूसरे के कुछ नहीं लगते. मेरे रीढ़ की हड्डी किसी बेल की तरह मुड़ती है. इंसानों की ओर और इंसानों से भागती हुई खाई. छूटे हुए क्लस्टर बम. असल लैण्ड माईन. सुलगता मातम. दूषित तंबाकू की फसल काट लो. बम कि फसल काट लो. दूध के दाँतों की फसल काट लो. हथेलियों की फसल काट लो, धुँआ है. गवाहों की फसल काट लो, धुँआ है. समाधान, धुँआ है. मुक्ति, धुँआ है. मुआवज़ा, धुँआ है. साँस लो. उससे मत डरो जो फट चुका है. अगर डरना ही है, डरो उससे जो अभी फटा नहीं. धन्यवाद. (तालियाँ) मैंने ये सोचा था की मैं एक साधारण अनुरोध के सांथ प्रारंभ करूँ | मैं चाहता हूँ की आप सभी एक पल के लिए शांत हों , और कमजोर मनहूसों , अपने दुखी अस्तित्व को परखो | (हँसी) यह सलाह पांचवी सताब्दी में संट बेनेडिक्ट ने अपने अनुयायियों को दी थी | जब इस सलाह को मैंने पालन करने का फैसला किया तब मैं ४० वर्ष का था | तब तक मैं एक उत्कृष्ट कॉर्पोरेट योद्धा था | मैं बहूत ज्यादा खा रहा था , मैं बहूत ज्यादा पी रहा था मैं बहूत ज्यादा मेहनत कर रहा था, और अपने परिवार की उपेछा कर रहा था | और फिर मैंने अपने जीवन में परिवर्तन लाने का प्रयत्न करने का फैसला किया | मैंने विशेषकर यह निर्णय लिया की मैं कार्य और जीवन में समन्वय के जटिल मुद्दे पर ध्यान दूंगा | इस लिए मैंने नौकरी छोड़ दी और मैंने १ वर्ष घर पर अपनी पत्नी और चार छोटे बच्चों के सांथ व्यतीत किये | किन्तु उस एक वर्ष में कार्य और जीवन में समन्वय के बारे में मैंने यह सीखा कि तब कार्य और जीवन में समन्वय रखना काफी सरल था जब मेरे पास नौकरी नहीं थी | (हंसी) यह एक उपयोगी कला नहीं है विशेष रूप से जब आपके पैसे खत्म होने लगें | इसलिए मैंने फिर से नौकरी प्रारंभ कर दी | और मैं संघर्ष के सांथ पिछले सात वर्षों से कार्य और जीवन में समन्वय के बारे में अध्यन और लेखन कर रहा हूँ | और इस पर मेरे चार निष्कर्ष हैं जो कि मैं आज आप लोगों को बताऊंगा | सबसे पहले है , यदि समाज को इस विषय में प्रगति करना है , तो इसके लिए हमें ईमानदारी से सोचना होगा | किन्तु समस्या यह कि कार्य और जीवन में समन्वय के बारे में बहूत से लोग बहुत सी व्यर्थ बातें करते हैं | ऑफिस का समय आप के अनुसार हो , शुक्रवार का परिधान आप के अनुसार हो और आप के पिता बनने पर छुट्टी मिलाना ये सारी चर्चाएँ उस मुख्य विषय को दर्शाती हैं जो यह है कि कुछ कार्य और कार्य क्षेत्र में विकास के विकल्प मौलिक रूप से अनुचित हैं जिसमे एक परिवार के सांथ प्रतिदिन सार्थक रूप से सकारात्मक रहा जा सके | किसी भी समस्या के समाधान का प्रथम चरण है कि हम स्थिति की वास्तविकता को स्वीकार करें | और जिस समाज में हम रहे रहें हैं उसकी वास्तविकता यह है कि यंहा हजारों लोग हैं जो कि चुपचाप एक हताश जिन्दगी जी रहें हैं जन्हाँ वो कठिन परिश्रम के सांथ देर तक काम करते हैं ऐसी नौकरी पर हैं जो उन्हें पसंद नहीं है उस नौकरी से ऐसे चीजें खरीदने में सक्षम होते हैं जिसकी उन्हें जरुरत नहीं है | उस नौकरी में ऐसे लोगों को प्रभावित करते हैं जिन्हें वो पसंद नहीं करते हैं | (हंसी) (तालियाँ) मेरा तर्क यह है कि शुक्रवार को जींस और टी-शर्ट में कार्यालय जाना वास्तव में समस्या का समाधान नहीं है | (हंसी) मेरा दूसरा अवलोकन यह है कि हमें सच का सामना करना होगा कि प्राशसन और प्रबन्धन हमारे लिए इस समस्या का समाधान नहीं करेंगे | हमें इसके लिए दूसरों पर निर्भर नहीं होना है ; यह व्यक्तिगत रूप से हम पर निर्भर है कि हम इसे नियंत्रित करने की जिम्मेदारी लें कि हम किस प्रकार का जीवन जीना चाहते हैं | यदि आप अपने जीवन की रचना स्वयं नहीं करेंगे , तो कोई और आप के लिए इसकी रचना करेगा, और कार्य और जीवन में समन्वय के उनके विचार आप को पसंद ना आयें | यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है -- यह इन्टरनेट पर नहीं है ना,मुझे नौकरी से निकल दिया जायेगा -- यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि आप कभी अपने जीवन की गुणवत्ता व्यावसायिक प्रबंधनो के हाँथ में ना दें | मैं सिर्फ ख़राब कंपनियों की बात नहीं कर रहा हूँ -- जिन्हें मैं मनुष्य की आत्मा का कसाईखाना कहता हूँ | (हंसी) मैं सारी कंपनियों की बात कर रहा हूँ क्योंकि व्यावसायिक कंपनियां स्वाभाविक रूप से ऐसी बनाई गई हैं कि आप से जितना ज्यादा हो सके उतना कार्य कराया जाये यह उनके स्वभाव में है, यह उनके डीएनए में है, और वो यही करती हैं -- अच्छी और नेक कंपनियां भी यही करती हैं | एक ओर कार्यालय में बच्चों के देख रेख की सुविधा प्रदान करना बहुत अच्छा है | पर दूसरी ओर यह एक बुरे स्वप्न की तरह है ; इसके कारण आप ऑफिस में और ज्यादा समय व्यतीत करते हैं | अपने जीवन की सीमाओं को स्थापित करने और लागू करने के लिए हमें स्वयं ही उत्तरदायी होना होगा | तीसरा अवलोकन है कि हमें सावधानी के सांथ समय सीमा निर्धारित करना चाहिए जिसमे हम जीवन में समन्वय का आकलन करें | दोबारा ऑफिस में कार्य प्रारंभ करने से पहले जब एक वर्ष के लिए मैं घर पर था , तब एक दिन मैंने बैठ कर विस्तार से चरणबद्ध विवरण लिखा कि मैं किस प्रकार के एक आदर्श संतुलित दिन की अभिलाषा रखता हूँ | जो कि इस प्रकार है : रात की एक अच्छी नींद के बाद अछे विश्राम के बाद सुबह जागूं | सेक्स करूँ | सुबह की सैर पर जाऊं अपनी पत्नी और बच्चों के सांथ सुबह का नाश्ता करूँ | फिर से सेक्स करूँ | (हंसी) ऑफिस जाते हुए बच्चों को स्कूल ले कर जाऊं तीन घंटे तक ऑफिस में काम करूँ | दोपहर को दोस्तों के सांथ खेल का आनन्द लूँ | और तीन घंटे तक ऑफिस में काम करूँ | शाम को दोस्तों से पब में मिलूं | पत्नी और बच्चों के सांथ रात्रि भोजन के लिए घर जाऊं | आधे घंटे योग करूँ | सेक्स करूँ | शाम की सैर पर जाऊं | फिर से सेक्स करूँ | और फिर सोने जाऊं | (तालियाँ) आप क्या सोचते है कितनी बार मैंने ऐसा दिन व्यतीत किया होगा ? (हंसी) हमें वास्तविक होना होगा | आप सब कुछ एक ही दिन में नहीं कर सकते | हमें समय सीमा को बढाना होगा जिसमे हम कार्य और जीवन में समन्वय का सही आकलन कर सकें किन्तु हमें समय सीमा बढाते हुए इन बातों से खुद को बचाना होगा कि "मेरे जीवन में आनन्द होगा जब मैं रिटायर हो जाऊंगा जब मेरे बच्चे घर पर नहीं होंगे , मेरी पत्नी मुझे तलाक दे चुकी होगी , मैं बीमार रहने लगूंगा , मेरे कोई दोस्त नहीं होंगे और मुझे कोई इच्छाएं नहीं होंगी |" (हंसी) एक दिन बहूत कम है ,और रिटायर होना बहुत दूर है | हमें एक बीच का रास्ता चुनना होगा | चौथा अवलोकन: हमें समन्वय स्थापित करने के लिए संतुलित दृष्टिकोण की जरूरत है | पिछले वर्ष मेरी एक मित्र मुझे मिली-- यह बात बताने में वह बुरा नहीं मानती -- पिछले वर्ष मेरी एक मित्र मुझे मिली और मुझसे बोली ,"नाइजेल मैंने तुम्हारी किताब पढ़ी है | और मुझे अहसास हुआ कि मेरे जीवन में बिलकुल भी संतुलन नहीं है | मेरे जीवन में सिर्फ कार्य का ही वर्चस्व है | मैं 10 घंटे काम करती हूँ , प्रतिदिन 2 घंटे सफ़र में व्यतीत करती हूँ | मैं अपने सारे रिश्तों में विफल रही | मेरी जिंदगी में काम के अलावा कुछ भी नहीं है | इस लिए मैंने इसे ठीक करने का फैसला लिया है | इसलिए मैं एक व्यायामशाला(gym) जाने लगी हूँ | " (हंसी) मैं दिखावटी नहीं होना चाहता किन्तु एक स्वस्थ, 10 घंटे ऑफिस में काम करने वाला कर्मचारी होना समन्वयित होना नहीं है, यह स्वस्थ होना है | (हंसी) स्वस्थ होना बहुत अच्छा है , किन्तु जीवन में और बहुत कुछ है | एक बौद्धिक पछ है, भावनात्मक पछ है , एक आध्यात्मिक पछ है | और समन्वयित होने के लिए मैं समझता हूँ कि हमें इन सभी क्षेत्रों में ध्यान देना चाहिए -- सिर्फ 50 दंडबैठक पर ही नहीं | यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है. क्योंकि लोग यह कहते हैं "मेरे पास खुद को स्वस्थ रखने का समय नहीं है | और तुम कहते हो मैं चर्च जाऊं और अपनी माँ की देख रेख करूँ" मैं समझता हूँ | मैं सच में समझता हूँ यह कितना चुनौतीपूर्ण है | किन्तु कुछ वर्षों पहले की एक घटना ने मुझे एक नया परिप्रेक्ष्य दिया. मेरी पत्नी ,जो की आज दर्शक दीर्घा में मौजूद है , मुझे ऑफिस में फ़ोन किया और बोली "नाइजेल ,तुम हमारे सबसे छोटे बेटे हैरी को स्कूल से घर ले जाना " क्योंकि उस शाम को उसे और तीन बच्चों के सांथ कंही और जाना था | तो मैं एक घंटे पहले ऑफिस से निकल गया और हैरी को स्कूल लेने गया | हम एक उद्यान में घूमने गए , झुला झूले, कुछ खेल खेले | फिर हम एक कैफ़े पर गए , और हमने वंहा चाय पी और पिज्जा खाया | फिर हम पहाड़ी रास्तों से नीचे आपने घर को आये | मैं उसे नहलाया उसे उसका batman पजामा पहनाया फिर मैंने उसे Roald Dahl की "James and the Giant Peach." की कहानी पढ़ कर सुनाई | मैंने उसे उसके बिस्तर पर सुलाया और उसके माथे को चूम कर बोला "शुभ रात्रि दोस्त " और उसके कमरे से बाहर आ गया | जब मैं उसके कमरे से बाहर आ रहा था , तो उसमे बोला : "डैड ?" मैं उसके पास गया और बोला "हाँ बेटा " उसने कहा "डैड ये मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन था " | सबसे अच्छा | मैंने कुछ भी नहीं किया था | मैं उसे डिस्नी वर्ल्ड नहीं लेकर गया था, या playstation नहीं ख़रीदा था | मेरा यह मानना है कि छोटी छोटी चीजों का बहुत महत्व है | समन्वयित होने का यह मतलब नहीं है , की आप के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन हो | आप एक बहुत छोटा सा निवेश सही जगह पर करके , अपने सम्बन्धों की गुणवत्ता में और अपने जीवन की गुणवत्ता में मौलिक परिवर्तन ला सकते हैं | इसके अलावा मुझे लगता है, यह पुरे समाज को बदल सकता है | क्योंकि यदि पर्याप्त लोग इसे करते हैं, तो हम समाज की सफलता की उस परिभाषा बदल सकते हैं जो कि बहूत ही बचकानी साधारण धारणा पर आधारित है कि वह व्यक्ति जो सबसे ज्यादा धन के सांथ मरता है वह जीतता है , हम इसे एक विचारशील और संतुलित परिभाषा दे सकते हैं कि एक अच्छा जीवन कैसा होता है | और मैं सोचता हूँ , कि यह एक विचार है जो प्रसार के लायक है | (तालियाँ) मैं चाहती हुँ आप इस शिशु को देखें आप इसकी आखों की ओर आकर्शित होते हैं और यह त्वचा जिसे आप छूना चाहेंगे पर आज मैं आप से बात करूँगी एसी चीज़ के बारे में जो दिखाई नहीं देती, कि उसके नन्हें दिमाग में क्या चल रहा है. मस्तिष्क विज्ञान के आधुनिक उपकर्ण यह प्रदर्शित कर रहे हैं कि वहाँ ऊपर क्या चल रहा है यह रॉकेट विज्ञान से कम नहीं है. और जो हम सीख रहे हैं कुछ प्रकाश डालेगा उसपर जिसे रोमाँटिक लेखक और कवि "दिव्य खुलापन" के रूप में वर्णित करते हैं बच्चे के दिमाग के बारे में हम यहाँ देख रहे हैं भारत में एक माँ, और वो कोरो में बात कर रही है जो कि एक नई खोजी गई भाषा है और वह अपने शिशु से बात कर रही है. जो बात यह माँ - और दुनिया भर में वो ८०० लोग जो कोरो बोलते हैं - समझते हैं कि, इस भाषा को बचाने के लिए, उन्हें इसे शिशुओं से बोलने की ज़रुरत है. और उसमें एक महत्वपूर्ण पहेली है एसा क्यों है कि आप किसी भाषा का संरक्षण नहीं कर सकते उसे व्यस्कों से - आपसे और हमसे बोलकर? दरअसल इसका संबंध आपके दिमाग से है. जो हम यहाँ देख रहे हैं वो यह है कि भाषा को सीखने के लिए एक विषेश समय होता है. इस स्लाइड को पढ़ने का तरीका है कि आप अपनी उम्र को क्षैतिज अक्ष पर देखें. (ठहाके) और ह्म ऊर्ध्वाधर पर देखेंगे दूसरी भाषा सीखने का हुनर. शिशु और बच्चे प्रतिभाशाली होते हैं जब तक वे सात साल के नहीं हो जाते, और फिर वहाँ एक व्यवस्थित गिरावट है. यौवन के बाद, हम नक्शे से बाहर हो जाते हैं. कोई वैज्ञानिक इस वक्र से विवाद नहीं करते लेकिन दुनिया भर कि प्रयोगशालाएं यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि एसा क्यों होता है मेरी प्रयोगशाला में काम केंद्रित है विकास के पहले विशेष समय पर - और ये वो समय है जिसमें शिशु उन स्वरों में माहिरता हासिल करने की कोशिश करते हैं जो उनकी भाषा में प्रयोग होते हैं. हमारे विचार में इस बात का अध्ययन करके कि स्वर कैसे सीखे जाते हैं, हमारे पास बाकि भषा के लिए मापद्न्ड होगा. और शायद बचपन के दौरान मह्त्वपूर्ण समय के लिए सामाजिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक विकास के लिए तो हम उन शिशुओ का अध्ययन करते रहे हैं दुनिया भर में एक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए और सभी भाषाओं के स्वरों का। बच्चा अपने माता पिता की गोदी में बैठता है, और हम उन्हें प्रशिक्षित करते हैं अपने सर घुमाने के लिए जब भी कोई स्वर बदलता है - जैसे "आह" से "ई" अगर वे ऐसा उचित समय पर करते हैं, तो काले बक्से की बत्ती जल जाती है और एक पांडा भालू एक ढ़ोल पीटता है एक छह महीने के शिशु को यह काम बहुत भाता है. हमने क्या सीखा? कि दुनिया भर के बच्चे हैं जो मैं कहना पसंद करती हूँ विश्व के नागरिक; और वो सभी भाषाओं के सभी स्वरों में भेद कर सकते हैं, चाहे हम किसी भी देश में परीक्षण कर रहे हों और कोई भी भाषा इस्तेमाल कर रहे हों. औरी यह असाधार्ण है क्योंकि आप और मैं ये नहीं कर सकते. हमारे सुनने की शक्ति संस्कृति से जुड़ी है. हम अपनी भाषा के स्वर पहचान सकते हैं, लेकिन विदेशी भाषाओं के नहीं. तो सवाल यह उठता है, ये विश्व के नागरिक कब हम जैसे भाषा से बंधे सुनने वाले बन जाते हैं? और जवाब : उनके पहले जन्मदिन से पहले. आप यहाँ जो देख रहे हैं वो है सर घूमने वाले कार्य पे प्रदर्शन टोक्यो और अमरीका में परखे गए शिशुओं के लिए, यहाँ सियाट्ल में, जैसे वो "रा" और "ला" को सुनते हैं -- स्वर जो अँग्रेजी में महत्वपूर्ण हैं, पर जापानी में नहीं. तो छह से आठ महीने तक बच्चे बिलकुल बराबरी पर हैं. दो महीने बात एक विचित्र बात होती है. अमरीका में बच्चे बेहतर होते जा रहे हैं, और जापान में बदतर, लेकिन शिशुओं के ये दोनों समूह ठीक उसी भाषा की तैयारी कर रहे हैं जो वे सीखने जा रहे हैं. तो सवाल यह है की क्या हो रहा है इस दो महीने की विशेष अवधि में? यह अवधि है स्वर विकास की, लेकिन वहाँ ऊपर क्या हो रहा है? तो दो चीज़ें हो रही हैं. पहली यह की शिशु ध्यान से हमे सुन रहे हैं, और हमें बात करते सुन कर गणना कर रहे हैं -- वो गणना कर रहे हैं. तो सुनिए दो माताओं को माओं की विशेष भाषा में बात करते हुए -- वह सार्वलौकिक भाषा जो हम सब बच्चों से बात करते हुए इस्तेमाल करते हैं -- पहले अँग्रेजी में और फिर जापानी में. (वीडियो) अँग्रेजी माँ : आह, मुझे तुम्हारी बड़ी नीली आँखें बहुत प्यारी लगती हैं -- कितनी सुंदर और अच्छी. जापानी माँ : [जापानी] पाइट्रिशिया कुहल : भाषा की उत्पत्ति में, जब शिशु सुनते हैं, तब दरअसल वो गणना कर रहे होते हैं सुनाई देने वाली भाषा पर. और ये वितरण बढ़ते रहते हैं. और हमने यह सीखा है कि बच्चे इन गाण्णा के बारे में संवेदनशील होते हैं, और जापानी और अँग्रेजी के आंकड़े बहुत, बहुत अलग होते हैं. अँग्रेजी में बहुत से र और ल होते हैं वितरण यह दिखाता है. और जापानी का वितरण बिलकुल अलग हैं, जहां हम माध्यम स्वरों के झुंड देखते हैं, जिसे जापानी र कहा जाता है. तो बच्चे सोख लेते हैं भाषा के आंकड़े और यह उनके दिमाग को बदल देता है; वह उन्हे विश्व के नागरिक से बदल देता है हम जैसे संस्कृति से बंधे सुनने वालों में. लेकिन व्यसको की तरह हम अब उन आंकड़ों को सोख नहीं रहे. हम अपनी यादों में उन अभ्यावेदन से बंधे हुए हैं जो हमने प्रारम्भिक विकास में बनाए थे. तो जो हम यहाँ देख रहे हैं वह हमारे मॉडेल बदल रहा है इस बारे में कि महत्वपूर्ण अवधि क्या है. हम गणित कि दृष्टि से इस बारे में बहस कर रहे हैं कि भाषा सीखने कि प्रक्रिया धीरे हो जाती है जब हमारा वितरण स्थिर हो जाता है. यह द्विभाषिक लोगों के बारे में बहुत से प्रश्न खड़े कर रहा है. द्विभाषीय लोगों को एक समय पर आंकड़ो के दो सेट दिमाग में रखने पड़ते हैं और उनके बीच बदलते रहना पड़ता है, एक के बाद एक, इस बात को देखते हुए कि वो किस से बात कर रहे हैं. तो हमने अपने आप से पूछा, क्या शिशु एक बिलकुल नयी भाषा के आंकड़े ले सकता है? और हमने इसे परखा अमरीकी बच्चों को जिन्हों ने कभी दूसरी भाषा नहीं सुनी थी मंदारिन भाषा से परिचित कराया विशेष अवधि के दौरान. हमे पता था कि जब एक भाषा बोलने वालों को परखा गया था ताइपेई और सेयाट्ट्ल में मंदारिन भाषा के स्वरों पर, तो उनहोने वही साँचा दिखाया. 6 - 8 महीने, वे बिलकुल बराबर होते हैं. दो महीने बाद कुछ अजीब हो जाता है. लेकिन ताईवानी बच्चे बेहतर हो रहे हैं, अमरीकी बच्चे नहीं हमने इस दौरान अमरीकी बच्चों को इस दौरान अनुभव दिलाया मंदारिन भाषा का ये ऐसा था जैसे मदारिन रिश्तेदार एक महीने के लिए मिलने आए हों और आप के घर में रहें और 12 सेशन्स के लिए शिशुओं से बात करें. और प्रयोगशाला में यह ऐसा दिखता है. (विडियो) मंदारिन भाषी : [मंदारिन] पी के : तो हमने इनके नन्हें दिमागों को क्या किया ? (ठ्हाके) हमें एक नियंत्रित समूह भी रखना पड़ा यह यकीन करने के लिए की मात्र प्रयोगशाला में आने से आपके मंदारिन के कौशल बेहतर नहीं हो जाते तो शिशुओं का एक समूह आकर अँग्रेजी सुनतता था। और हम रेखा चित्र से देख सकते हैं की अँग्रेजी से संपर्क से उनकी मंदरीन भाषा सुधरी नहीं. पर उन शिशुओं को देखिये क्या हुआ जिनहे 12 सेशन के लिए मंदरीन से संपर्क कराया गया वो ताइवान वाले शिशुओं जीतने अच्छे थे जो इसे साढ़े दस महीने से सुन रहे थे. इस बात नें यह दर्शाया की शिशु नयी भाषा के आंकड़े लेते हैं. आप जो भी उनके सामने रखें, वो उनपर आंकड़े लेंगे. पर हम विचार कर रहे थे की क्या भूमिका होती है इन्सानों की इस सिखलाई की कवायद में. तो हमने बच्चों के एक और समूह पर प्रयोग किया जिसमे बच्चों को वही खुराक मिली, वही 12 सेशन, लेकिन टीवी के ज़रिये और एक और समूह जिनको सिर्फ आवाज़ सुनाई गयी परदे पर टेडी बीयर देखते हुए. और हमने उनके दिमाग के साथ क्या किया? आप यहाँ देख रहें हैं परिणाम के स्वर - बिलकुल कोई सिखलाई नहीं - और वीडियो परिणाम - कोई सिखलाई नहीं. सिर्फ इन्सानों से ही बच्चे अपने आंकड़े लेते हैं. सामाजिक दिमाग नियंत्रण करता है जब बच्चे अपने आंकड़े ले रहे होते हैं. हम उनके दिमाग के अंदर घुस कर यह होते हुए देखना चाहते हैं जब बच्चे टीवी के सामने होते हैं, बजाए इसके की इन्सानों के सामने. शुक्र है हमारे पास एक नया यंत्र है, मग्नेटोएंकेफलोग्राफी, जो हमें यह करने देता है. यह मंगल ग्रह से आया बाल सुखाने वाला यंत्र लगता है. लेकिन यह बिलकुल सुरक्षित है, बिलकुल शांत और गैर भेदी. और हम मिलिमीटर शुद्धता की बात कर रहे हैं स्पेसिय और मिलीसेकंड शुद्धता के बारे में 306 स्कूइड्स का प्रयोग करते हुए - ये सुपर क्ंड्क्टिंग क्वांटम इंटरफ़ेस यंत्र होते हैं - चुंबकीय संकेत पकड़ने के लिए जो हमारे सोचते हुए बदल जाते हैं. हमने विश्व में पहल करी है शिशुओं को रिकार्ड करने में एम ई जी यंत्र के द्वारा जब वो सीख रहे होते हैं. तो यह नन्ही एम्मा है. ये छह महीने की है. और ये अलग भाषाओं को सुन रही है उसके कानों में लगे इयरफोन से. आप देख सकते हैं, वो चल फिर सकती है. हम उसके सिर पर नजर रख रहे हैं एक टोपी के अंदर छोटे छोटे छर्रों की सहायता से, तो वो स्वेछा से पूरी तरह से हिलने के काबिल है. यह तकनीकी शक्ति का प्रदर्शन है. हम क्या देख रहे हैं? हम शिशु का दिमाग देख रहे हैं. जैसे ही शिशु अपनी भाषा का स्वर सुनती है तो स्वरों वाला हिस्से में प्रकाश हो जाता है, और फिर उसके आस पास वाले हिस्सों में जो हम सोचते हैं अनुकूलता से संबन्धित है, दिमाग के अलग भागों को समन्वित करना, और करणीय संबंध दिमाग का एक हिस्सा दूसरे को सक्रिय करता है. हम चल पड़े हैं एक महान और स्वरणीय युग की ओर ज्ञान और बच्चों के दिमाग के विकास के बारे में. हम बच्चे के दिमाग को देख पाएंगे जैसे वे किसी भावना का अनुभव कर रहे होंगे, जब वो पढ़ना लिखना सीख रहे हों, जैसे वो गणित का सवाल हल कर रहे हों, जैसे उन्हे कोई विचार आए. और हम दिमाग पे आधारित हस्तक्षेपों का आविष्कार कर सकेंगे उन बच्चों के लिए जिनहे सीखने मे मुश्किल होती है. जैसे कवियों और लेखकों ने वर्णन किया है, मैं सोचता हूँ हम देख पाएंगे, वह शानदार खुलापन निरी और पूरी तरह खुलापन बच्चे के दिमाग का. बच्चों के दिमाग के बारे में छानबीन करते हुए, हम गहरी सच्चाईयों को खोल पाएंगे इस बारे में कि इंसान होने का मतलब क्या है, और इस दौरान, हो सकता है हम अपने दिमागों को सीखने के लिए खुला रख पाएँ अपनी पूरी ज़िंदगी. धन्यवाद. (तालियाँ) मैं दस वर्ष का था जब एक दिन, मुझे पिताजी की पुरानी चीज़ों का एक बक्सा मिला। उसके अंदर, उनकी कॉलेज की किताबों के नीचे, काली कॉर्डरॉय की बेल-बॉटम पैंट पड़ी हुई थी। पैंट बहुत खराब दशा में थी... बासी और कीड़ों ने खाई हुई। और बस, वह मुझे भा गई। मैंने उस जैसा पहले कभी कुछ नहीं देखा था। उस दिन तक, मैंने बस स्कूल की वर्दी ही देखी और पहनी थी, जिसके लिए मैं वास्तव में बड़ा शुक्रगुज़ार था, क्योंकि बहुत ही छोटी उम्र से, मुझे एहसास हो गया था कि मैं कुछ अलग हूँ। मैं हमेशा अपने हम-उम्र लड़कों से अलग था खेल-कूद में बदतर, शायद सबसे नामर्द नन्हा बालक था। (हंसी) मुझपर बहुत धौंस जमाई जाती थी। और, इसलिए मैंने हिसाब लगाया कि मुझे अदृश्य होना होगा, और वर्दी से मुझे मदद मिली कि मैं किसी अन्य बच्चे से अलग ना लगूँ। (हंसी) खैर, लगभग। यह मेरी हर रोज़ की प्रार्थना बन गई: "भगवान, मुझे सबके जैसे बना दो।" मुझे लगता है मेरी प्रार्थना सीधे भगवान तक पहुँच गई। (हंसी) और आखिरकार, सब स्पष्ट हो गया कि मैं वैसा बेटा नहीं बन रहा था जैसा मेरे पिताजी हमेशा चाहते थे। माफ़ करना, पापा। नहीं, मुझ में जादुई परिवर्तन नहीं होने वाला था। और समय के साथ, मेरा यकीन खत्म होने लगा कि मैं सच में ऐसा चाहता था। इसलिए, जिस दिन वह काली कॉर्डरॉय पैंट मेरे जीवन में आई, कुछ हो गया। मैंने पैंट नहीं देखी; मैंने देखा अवसर। अगले ही दिन, मैं उसे पहनकर स्कूल जाना था, चाहे जो भी हो। और जब मैंने वह भयानक पैंट पहनी और टाइट बेल्ट बाँधी, उसी क्षण ही, मेरी चाल में एक ठनक सी पैदा हो गई। (हंसी) स्कूल जाते और वापिस आते समय, क्योंकि मुझे उसी पल वापिस भेज दिया गया... (हंसी) मैं तो एक नन्हा ब्राउन रॉक स्टार बन गया। (हंसी) आखिर मुझे कोई परवाह नहीं थी कि मैं उन जैसा नहीं बन पाया। उस दिन, अचानक मैं उस बात का जश्न मना रहा था। उस दिन, अदृश्य होने के बजाय, मैंने कुछ अलग पहनकर चुना कि मैं सबकी नज़र में आऊँ। उस दिन, मैंने जाना पहनावे की ताकत क्या है। उस दिन, मैंने जाना फैशन की ताकत, और तबसे वह मुझे भा गई। संसार को हमारे विचारों में भिन्नता फैशन बतला सकता है। और इस साधारण सी सच्चाई से, मुझे एहसास हुआ कि ये भिन्नताएँ... ये हमारी शर्मिंदगी नहीं रहे। ये हमारी अभिव्यक्ति बन गईं, हमारी अनूठी पहचान की अभिव्यक्ति। और हमें स्वयं को व्यक्त करना चाहिए, जो चाहें वही पहनना चाहिए। आखिर कितना बुरा हो सकता है? पुराने फैशन के कपड़े पहनने पर फैशन पुलिस आपको पकड़कर ले जा सकती है? (हंसी) हाँ। अगर फैशन पुलिस को कोई और मतलब ना हो तो। अक्तूबर २०१२ में नोबल पुरस्कार विजेता मलाला ने तालीबान आतंकवादियों का सामना किया। अक्तूबर, २०१७ में उन्होंने एक अलग दुश्मन का सामना किया, जब लोगों ने ऑनलाइन उनकी फ़ोटो पर हमला किया जिसमें २०-वर्षीय मलाला उस दिन जीन पहने थी। टिप्पणियों में, उन्हें जिस नफरत का सामना करना पड़ा, "उनमें कितनी देर लगेगी स्कार्फ उतरने में?" से लेकर, "इसी वजह से कुछ समय पहले गोली सीधे तुम्हारे सिर में लगी थी" शामिल थीं। जब मिलान, लंदन, न्यू यॉर्क, पैरिस जैसी जगहों में हममें से अधिकतर लोग जीन पहनने का निर्णय लेते हैं, हम यह नहीं सोचते कि यह कोई विशेषाधिकार है; कुछ ऐसा जिसके कारण किसी और जगह पर कुछ और परिणाम मिल सकते हैं, कुछ ऐसा जो किसी दिन हमसे छीन लिया जा सकता है। मेरी दादी एक ऐसी महिला थीं जिन्हें सजने-सवरने का बहुत शौक था। वह हमेशा रंगीन फैशन करती थीं। रंगीन कपड़े पहनना उन्हें बहुत पसंद था और यही उनकी असली बात थी, जिस मामले में वह एकदम स्वतंत्र थीं, क्योंकि भारत में अपनी पीढ़ी की अधिकतर महिलाओं की तरह, रीति-रिवाज और परम्परा के द्वारा निर्धारित किए जाने के अलावा उनका कोई अस्तित्व ही नहीं था। १७ वर्ष की आयु में उनका विवाह कर दिया गया था, और शादी के ६५ सालों के बाद जब अचानक एक दिन मेरे दादा की मृत्यु हुई, उनका दुख असहनीय था। पर उस दिन, वह कुछ और भी खोने वाली थीं, जो उनकी इकलौती खुशी कभी हुआ करती थी रंगों में सजना। भारत में रीति-रिवाज के अनुसार, जब एक हिंदु महिला विधवा हो जाती है, पति की मौत के बाद उसे बस सफेद पहनने की इजाज़त है। मेरी दादी को किसी ने सफेद पहनने को नहीं कहा। जबकि, उनसे पहले जो भी महिलाएँ विधवा हुई थीं, उनकी अपनी माँ भी, उन सबने सफेद ही पहना था। यह दमन इतना अधिक आत्मगत था, इसकी जड़ें इतनी गहरी थीं, कि उन्होंने खुद ही कोई विकल्प नहीं चुना। वह इस साल गुज़र गईं, और उन्होंने अपने आखिरी पल तक बस सफेद ही पहना। मेरे पास उनके साथ एक फ़ोटो है पहले के खुशी भरे दिनों की। इसमें, आप देख नहीं सकते कि वह क्या पहने हुए थीं... फ़ोटो ब्लैक एंड व्हाइट है। परंतु, जिस तरह वह मुस्करा रही हैं, आप जान लेंगे कि उनके कपड़े रंगीन हैं। फैशन की यह भी ताकत है। फैशन हमें खुशियों से भर सकता है, यह चुनने की स्वतंत्रता कि हम कैसे दिखना चाहते हैं, हम कैसे जीना चाहते हैं... ऐसी स्वतंत्रता जिसके लिए लड़ सकते हैं। और स्वतंत्रता के लिए लड़ने, विरोध करने के कई तरीके हैं। भारत में मेरी दादी जैसी हज़ारों विधवाएँ, वृंदावन नामक शहर में रहती हैं। इसलिए, कई सदियों से वहाँ जैसे सफेदी छाई है। परंतु, हाल ही में, २०१३ में, वृंदावन की विधवाओं ने होली मनाना शुरू कर दिया है, भारत में रंगों का त्यौहार, जिसके मनाने की उन्हें इजाज़त नहीं थी। मार्च में होली के दिन, ये महिलाएँ त्यौहार का परम्परागत रंग लेकर एक-दूसरे को रंग देती हैं। मुठी भर रंग हर बार हवा में उछलते ही उनकी साड़ियों में धीरे-धीरे रंग भरने लगता है। और वे तब तक नहीं रुकती जब तक वे पूरी तरह इंद्रधनुष के हर रंग में रंग नहीं जाती जिसकी उनके लिए मनाही है। अगले दिन वह रंग धुल जाता है, परंतु, समय के उस पल में, यह उनकी सुंदर सा व्यवधान है। यह व्यवधान, किसी तरह का मतभेद, दमन के खिलाफ़ इस युद्ध में हमारी पहली चाल हो सकता है। और फैशन... यह हमारे लिए दृश्य व्यवधान बना सकता है... सच कहें तो, हम पर। फैशन के महान क्रांतिकारियों द्वारा ही सफलतापूर्वक विरोध के पाठ पढ़ाए गए हैं: फैशन के डिज़ाइनरों के द्वारा। जॉन पॉल गॉल्टिये ने हमें सिखाया कि महिलाएँ भी राजा बन सकती हैं। थॉम ब्राउन ने... हमें सिखाया कि पुरुष भी एड़ी वाले जूते पहन सकते हैं। और अपने १९९९के स्प्रिंग शो में एलेक्ज़ेंडर मैक्वीन के रनवे के बीच में दो बड़ी रोबॉट बाँहें थी। और जब मॉडल, शैलॉम हार्लो ने उनके बीच घूमना शुरू किया, यह दो बड़ी बाँहें... पहले धीरे से और फिर खूब ज़ोर से, उस पर रंग बिखेरने लगीं। इस तरह अपनी जान लेने से पहले मैक्वीन ने, हमें सिखाया कि हमारा शरीर एक कैन्वस है, एक ऐसा कैन्वस जिसे हम जैसे चाहें रंग सकते हैं। करार नुशी को फैशन के संसार से बहुत लगाव था। वह इराक के एक छात्र और कलाकार थे। उन्हें अपने भड़कीले, सारग्रही कपड़े बेहद पसंद थे। परंतु, जल्द ही अपने परिधान की वजह से उन्हें मौत की धमकियाँ मिलने लगीं। वह शांत रहे। वह शानदार बने रहे, जुलाई २०१७ तक, जब करार को बगदाद में एक व्यस्त सड़क पर मृत पाया गया। उनका अपहरण कर लिया गया था। उन्हें यातनाएँ दी गई थीं। और गवाहों का कहना है कि उनके शरीर पर कई घाव थे। चाकू के घाव। दो हज़ार मील दूर पेशावर में, मई २०१६ में पाकिस्तानी विपरीतलिंगी कार्यकर्ता अलीशा को गोलियाँ मारी गईं। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, परंतु क्योंकि वह औरतों के कपड़े पहनती थीं, उन्हें ना पुरूषों और ना ही महिलाओं के वार्ड में जगह मिली। हम जीवन में कौन सा पहनावा चुनते हैं कई बार सचमुच हमारी मौत का कारण बन सकता है। और कई बार तो मरकर भी हमें चुनाव करना नहीं मिलता। अलीशा उस दिन गुज़र गईं और उन्हें पुरूष की तरह दफनाया गया। यह संसार कैसा है? इसमें भयभीत होना, इस निगरानी से डरना, हमारे शरीरों के खिलाफ़ यह हिंसा और हम क्या पहनते हैं, सब प्राकृतिक है। परंतु, उससे बड़ा डर यह है कि एक बार हमने सम्पर्ण कर दिया, उसमें मिल गए और एक के बाद एक करके गुम होते चले गए, यह झूठी अनुरूपता अधिक सामान्य दिखेगी, यह उत्पीड़न कम घिनौना महसूस होगा। जिन बच्चों को हम बड़ा कर रहे हैं, उनके लिए आज का अन्याय कल की आम बात बन जाएगा। उन्हें इसकी आदत हो जाएगी, और उन्हें जो चीज़ अलग हो वह गंदी लगने लगेगी, उससे नफरत करेंगे, उसे बुझा देना चाहेंगे, जैसे शमा को बुझा देते हैं, एक-एक करके, जब तक अँधकार ही जीवन ना बन जाए। परंतु, अगर आज मैं, और आप कल, और शायद किसी दिन हम में से और लोग, अगर हम अपने इस अधिकार को अपना लें कि हम जैसे हैं वैसा ही दिखना है, तो इस संसार में जिसपर बुरी तरह से सफेदी पोती गई है, हम वृंदावन की उन विधवाओं की तरह, बाहर निकलने की कोशिश करते हुए रंगों की चुभन जैसे बन जाएँगे। फिर कैसे, हम सबके होते हुए, करार, मलाला, या अलीशा, किसी बंदूक का निशाना बनेंगी? क्या वे हम सबको मार सकते हैं? अब समय आ गया है साहस दिखाने का, सबसे अलग दिखने का। जहाँ समानता में ही सुरक्षा है, पहनावे जैसी साधारण सी बात लेकर भी, हम सबकी नज़रों का निशाना बन सकते हैं यह कहकर कि संसार में भिन्नताएँ हैं, और हमेशा रहेंगी। इसकी आदत डाल लें। और हम यह बिना कोई शब्द कहे कह सकते हैं। फैशन हमें असहमति की भाषा दे सकता है। यह हमें साहस दे सकता है। फैशन सच में हमें अपना साहस दिखाने की इजाज़त दे सकता है। तो उसे पहनो। कवच की तरह पहनो। पहनो क्योंकि वह मायने रखता है। और पहनो क्योंकि आप मायने रखते हैं। धन्यवाद। (तालियाँ) दो हफ्ते पहले मैं पैरिस के अपने स्टूडियो में था, और फ़ोन बजा और मैंने सुना, "अरे, जे आर, तुम्हें २०११ का टेड प्राइज़ मिल गया है. तुम्हें दुनिया को बचाने के लिए एक कामना करनी है." मैं हैरान हो गया. मैं दुनिया को कहाँ बचाऊँगा; कोई भी नहीं बचा सकता. दुनिया के तो बुरे हाल हैं. देखो न, तानाशाह दुनिया भर में राज कर रहे हैं, आबादी लाखों में बढती जा रही है, समुद्र में कोई मछली नहीं बची, उत्तरी ध्रुव पिघल रहा है, और जैसा कि पिछले टेड प्राइज़ विजेता ने कहा, हम सब मोटे होते जा रहे हैं. (हंसी) शायद फ्रेंच लोगों को छोड़ कर. खैर जो भी हो. तो मैंने फ़ोन वापस घुमाया और उनसे कहा, " देखो एमी, टेड वालों से बोल दो मैं आऊँगा ही नहीं. मैं दुनिया को बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर सकता." उसने कहा, " अरे, जे आर, तुम्हारी कामना दुनिया को बचाने के लिए नहीं, उसे बदलने के लिए है." "ओह, फिर ठीक है." (हंसी) "यह तो मजेदार है." मेरा मतलब टेक्नोलोजी, राजनीति, उद्योग दुनिया को बदलते तो हैं -- हमेशा सही ढंग से नहीं, पर बदलते तो हैं. तो कला का क्या? क्या कला दुनिया को बदल सकती है? मैंने उसे १५ साल की उम्र से शुरू किया. और उस समय मैं दुनिया को बदलने के बारे में नहीं सोच रहा था. मैं तो ग्राफिटी कर रहा था...दीवारों पर हर जगह अपना नाम लिखते हुए, पूरे शहर को अपना कैनवस बना रहा था. मैं पैरिस की सुरंगों में जा रहा था, उसकी छतों पर भी, अपने दोस्तों के साथ. हर अवसर एक सैर जैसा था, एक दुस्साहसी अनुभव. वो समाज पर अपनी छाप छोड़ने जैसा काम था, जैसे किसी इमारत के ऊपर कहना हो, "मैं यहाँ था". तो जब मुझे एक दिन ट्रेन में एक सस्ता कैमरा पड़ा मिला, तब मैंने अपने मित्रों के साथ हुए इन अनुभवों को उस पर उतारना शुरू किया और उन्हें फोटो-कॉपी बना कर वापस देना भी -- वाकई छोटे फोटो, बस इतने बड़े. और इसी तरह, १७ साल की उम्र में, ने उन्हें चिपकाना शुरू किया. और मैंने अपना पहला 'एक्सपो-दे-रू' किया, जिसका मतलब है फुटपाथ की प्रदर्शनी. और मैंने उसे रंगीन फ्रेम दिया ताकि लोग उसे विज्ञापन समझने की भूल न करें. मेरा मतलब है, शहर मेरी निगाह में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन-स्थल है. मुझे कभी भी किताब बना कर किसी प्रदर्शन-स्थल को देने की ज़रुरत नहीं पड़ी कि वो निश्चय करें कि मेरा काम लोगों को दिखाने लायक था कि नहीं. मैं तो सीधे जनता के साथ उसे परखता गलियों में. तो यह है पैरिस. मैं बदल देता था -- हम जहाँ जा रहे हों, उसके हिसाब से -- अपनी प्रदर्शनी का नाम. यह है शौं एलिज़ी पर. इस पर मुझे काफी गर्व था. क्योंकि मैं सिर्फ १८ बरस का था और मैं शौं एलिज़ी के ठीक ऊपर लगा था. फिर जब फोटो निकल गया, तब भी फ्रेम वहीँ लगा रहा. (हंसी) नवम्बर २००५: सड़कों पर आग लगी हुई है. दंगे-फसाद की एक लहर पैरिस के पहले प्रोजेक्ट्स में फ़ैल गयी थी. हरेक व्यक्ति टीवी पर जमा हुआ था, वो दुखद, भयावनी तसवीरें देखते हुए जो मोहल्लों की सीमाओं से ली गयी थीं. मेरा मतलब है, ये जवान बच्चे, काबू से बाहर, पेट्रोल बम फ़ेंक रहे थे, पुलिस और दमकल वालों पर, और दुकानों से जो भी लूट सकते थे, लूट रहे थे. यह थे अपराधी, उचक्के, खतरनाक लोग अपने वातावरण को फैलाते हुए लोग. और अचानक मैंने देखा -- क्या यह मुमकिन था? -- एक दीवार पर मेरा लगाया फोटो एक जलती हुई कार से प्रकाशित -- जो मैंने करीब एक साल पहले लगाया था -- गैर कानूनी -- मगर वहीँ लगा हुआ. मेरा मतलब, यह मेरे दोस्तों के चेहरे थे. मैं इन लोगों को जानता था. यह सब फ़रिश्ते नहीं हैं, मगर राक्षस भी नहीं हैं. तो बड़ा अजीब सा लग रहा था उन तस्वीरों और उन आँखों का टीवी से मेरी तरफ देखना. तो मैं वापस वहाँ गया एक २८ मिमी लेंस के साथ. उस वक़्त मेरे पास वही लेंस था. मगर उस लेंस के साथ, चेहरे से सिर्फ १० इंच की दूरी रखनी पड़ती है. इसलिए यह फोटो सिर्फ उनके भरोसे से ही लिया जा सकता है. तो मैंने ला बस्क्वे के लोगों की चार तस्वीरें लीं. वो डरावने चेहरे बना रहे थे अपने आप को हास्यास्पद दिखने के लिए. और फिर मैंने उनके बड़े बड़े पोस्टर हर जगह लगाए पैरिस के मध्यवर्गी इलाकों में उनके नाम, उम्र, बिल्डिंग नंबर तक के साथ हर व्यक्ति के. एक साल बाद, वो प्रदर्शनी पैरिस के सिटी हॉल के ठीक सामने लगाई गयी. और हम उन तस्वीरों से आगे बढ़ते हैं, जिन्हें मीडिया ने चुरा कर उनका रूप विकृत कर दिया है, और पाते हैं कि वो लोग अब गर्व से अपनी तस्वीरों के अधिकारी बन रहे हैं. उस वक़्त मैंने समझा कागज़ और गोंद का महत्व. तो क्या कला दुनिया को बदल सकती है? एक साल बाद, मैं सारा शोर सुन रहा था मध्य-पूर्वी क्षेत्र के संघर्ष के बारे में. मेरा मतलब, उस समय, सही मानिए, सब लोग सिर्फ इजराइल और फिलिस्तीन के संघर्ष की बात ही कर रहे थे. तो अपने दोस्त मार्को के साथ मैंने वहाँ जाने का निर्णय लिया ताकि हम देख सकें कि कौन असली फिलिस्तीनी हैं और कौन असली इजराइली. क्या वो इतने अलग हैं? जब हम वहाँ पहुंचे, तो गलियों में निकल गए, और हर जगह लोगों के साथ बात करने लगे, और हमने जाना कि असली स्थिति काफी फ़र्क थी उस प्रचार से जो हमने मीडिया में सुना था. तो हमने निश्चय किया कि हम तसवीरें लेंगे फिलिस्तीनी और इजराइली -- दोनों लोगों की -- जो एक ही धंधे में हैं -- टैक्सी-चालक, वकील, बावर्ची. और हमने उनसे एक ख़ास तरह का चेहरा बनाने को कहा, वायदे के तौर पर. मुस्कान नहीं -- उससे वाकई नहीं पता चलता कि आप कौन हैं और कैसा महसूस कर रहे हैं. सबने मंज़ूर कर लिया कि एक दूसरे के साथ उनकी तस्वीर लगाई जाए. मैंने उन तस्वीरों को चिपकाने का निर्णय लिया आठ इजराइली और फिलिस्तीनी शहरों में और सरहद के दोनों तरफ. इस तरह हमने सबसे बड़ी गैरकानूनी कला- प्रदर्शनी शुरू कर दी. हमने उसे नाम दिया -- प्रोजेक्ट आमने-सामने. विशेषज्ञों ने कहा, "कभी नहीं. लोग कभी नहीं स्वीकार करेंगे. फ़ौज तुम पर गोली चलाएगी, और हमस वाले तुम्हारा अपहरण कर लेंगे." हमने कहा, "चलो, कर के तो देख ही लेते हैं कि कहाँ तक पहुँचते हैं." मुझे बहुत अच्छा लगता है जब लोग पूछते हैं, "मेरा फोटो कितना बड़ा होगा?" तुम्हारे घर जितना बड़ा होगा भई." जब हमने सरहद की दीवार पर काम शुरू किया, तो पहले फिलिस्तीनी ओर से. तो हम बस अपनी सीढ़ियाँ ले कर पहुँच गए और फिर हमने देखा कि उनकी ऊँचाई कम पड़ रही थी. तो फिलिस्तीनी लोग कहते हैं, "शांत रहो. नहीं, रुको. हम तरीका ढूँढ निकालेंगे." और एक आदमी बाल यीशु के चर्च तक गया और एक पुरानी सीढ़ी ले कर आया जो इतनी पुरानी थी कि शायद यीशु के जन्म के समय भी वहीँ रही होगी. (हंसी) हमने पूरा प्रोजेक्ट आमने-सामने समाप्त किया, और हमारे पास थे सिर्फ ६ दोस्त, दो सीढ़ियाँ, दो ब्रश, एक किराए की कार, एक कैमरा और २०००० वर्गफुट कागज़. हमें तरह-तरह की मदद मिली तरह-तरह के लोगों से. जैसे देखिये, उदाहरण के तौर पर, ये फिलिस्तीन है. हम इस समय रमल्लाह में हैं. हम तसवीरें चिपका रहे हैं -- ताकि दोनों चित्र सड़कों पर दिखाई दें, इस भीड़-भाड़ वाले बाज़ार में. लोग हमें घेर कर पूछने लगते हैं, "तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो?" "ओह, हम लोग एक कला-परियोजना कर रहे हैं और हम एक ही धंधा कर रहे एक इजराइली और एक फिलिस्तीनी को यहाँ लगा रहे हैं. जैसे ये दोनों लोग दो टैक्सी-चालक हैं." इन शब्दों के बाद हमेशा एक सन्नाटा होता था. "तुम्हारा मतलब तुम एक इजराइली चेहरा चिपका रहे हो -- ठीक यहाँ पर?" "जी हाँ, बराबर, बराबर, यह इस परियोजना का हिस्सा है." और मैं हमेशा एक पल ठहरता था, और फिर हम उन लोगों से पूछते थे, "तो क्या आप बता सकते हैं कि कौन कहाँ से है?" और अधिकतर लोग नहीं बता पाते थे. (तालियाँ) हमने इजराइल की फौजी मीनारों पर भी तसवीरें चिपका दीं, और कुछ नहीं हुआ. जब आप एक तस्वीर चिपकाते हैं, तो वो सिर्फ कागज़ और गोंद होती है. लोग उसे फाड़ सकते हैं, उस के ऊपर कुछ और लगा सकते हैं, या उस पर पेशाब भी कर सकते हैं -- हाँलाकि कुछ ज़रा ऊंची लगी होती हैं इसके लिए, मगर सड़क पर चलते लोग, वही असली संरक्षक होते हैं. बारिश और हवा वैसे भी उन्हें नष्ट कर देगी. वो हमेशा के लिए तो लगी नहीं रहने वाली. पर ठीक चार साल बाद भी, वो तस्वीरें, अधिकतर अभी भी वहीं हैं. आमने-सामने ने प्रमाणित कर दिया, कि जो हम नामुमकिन समझते थे वो मुमकिन था -- और पता है आपको, आसान भी. हमने कोई सीमा नहीं तोड़ी, हमने बस यह दिखा दिया कि हम लोगों की उम्मीदों से कहीं आगे हैं. मध्य-पूर्वी क्षेत्र में मैंने अपने काम का तजुर्बा किया ऐसी जगहों पर जहाँ (ज्यादा) संग्रहालय नहीं थे. इसीलिये सड़कों से मिली यह जानकारी मेरे लिए बहुत दिलचस्प थी. तो मैंने इस दिशा में आगे जाने का निर्णय ले लिया और उन जगहों में जाने का, जहाँ कोई भी संग्रहालय नहीं है. जब आप इन विकासशील इलाकों में जाते हैं, तो वहाँ औरतें अपने समुदायों की बुनियाद होती हैं, पर आदमी अभी भी सड़कों के मालिक होते हैं. तो हमें एक ऐसा प्रोजेक्ट करने की इच्छा हुई जहां सब आदमी औरतों के लिए अपना आभार प्रकट करेंगे उनकी तस्वीरें लगा कर. मैंने इस प्रोजेक्ट को नाम दिया 'नारियाँ हैं सर्वोत्तम'. जब मैंने वो सारी कहानियाँ सुनीं, सारे महादेशों में घूमते हुए, तब मैं अक्सर नहीं समझ पाता था उनके संघर्ष के पेचीदा हालात, मैं सिर्फ ध्यान से देखता था. कभी कभी कोई शब्द नहीं होते थे, कोई वाक्य नहीं, सिर्फ आंसू. मैं सिर्फ उनकी तसवीरें उतारता और चिपका देता था. 'नारियाँ हैं सर्वोत्तम' मुझे सारे विश्व में ले गया. अधिकतर उन जगहों पर जहाँ मैं गया मैंने इसलिए जाने का निर्णय लिया क्योंकि मैंने मीडिया के द्वारा उनके बारे में सुना था. जैसे कि, जून २००८ में मैं पैरिस में बैठा टीवी देख रहा था, जब मैंने वो भयानक खबर सुनी जो रिओ द जनिरो में हुई थी. ब्राजील के प्रोविदेंसिया नामक पहले मोहल्ले में. तीन बच्चे -- वो तीनों छात्र थे -- फ़ौज के द्वारा रोक लिए गए क्योंकि उनके पास अपने कागजात नहीं थे. और फ़ौजी उन्हें पकड़ कर, उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाने के बजाय, एक विरोधी मोहल्ले में ले गए जहां उन्हें छोटे छोटे टुकड़ों में काट दिया गया. इस खबर ने मुझे दहला दिया. सारे ब्राज़ील को दहला दिया. मुझे पता लगा कि वह सबसे ज्यादा हिंसापूर्ण मोहल्लों में से एक था, क्योंकि नशीले पदार्थों के व्यापारियों का सबसे बड़ा समूह उस को चलाता है. तो मैंने वहाँ जानेका निश्चय किया. जब मैं पहुंचा -- अब मैं किसी गैर सरकारी संस्था के माध्यम से तो गया नहीं था. वहाँ कुछ था भी नहीं -- न टूरिस्ट एजेंट, न कोई गैर सरकारी संस्था, कुछ भी नहीं -- कोई चश्मदीद गवाह नहीं. तो हम बस घूमते रहे, फिर एक औरत से मिले और मैंने उसे अपनी किताब दिखाई. और उसने कहा, "क्या आप जानते हैं? हम संस्कृति के भूखे हैं. हमें यहाँ संस्कृति चाहिए." तो मैं वहाँ गया और मैंने बच्चों के साथ काम शुरू किया. मैंने सिर्फ बच्चों की कुछ तसवीरें लीं, और अगले दिन मैं पोस्टर बना कर लाया और हमने उन्हें चिपका दिया. एक दिन बाद, मैं वापस आया और देखा कि वो खरोंचे जा चुके थे. पर यह चलता है. मैं उन्हें यह अनुभव कराना चाहता था कि यह कला उनकी अपनी धरोहर है. फिर अगले दिन, मैंने मुख्य चौक पर एक मीटिंग की और कुछ औरतें आ गयीं. वो सब उन तीन बच्चों से जुड़ी थीं जो मारे गए. उनमें से एक माँ थी, एक नानी, और एक दोस्त. वो सब उस कहानी को चीख-चीख कर सुनाना चाहती थीं. उस दिन के बाद से, उस मोहल्ले के सब लोगों ने मुझे हरी झंडी दिखा दी. मैंने और तसवीरें खींचीं, और हमने प्रोजेक्ट शुरू कर दिया. नशीले पदार्थों के व्यापारी कुछ परेशान थे कि हम वहाँ तस्वीरें क्यों खींच रहे हैं, तो मैंने उनसे कहा, "आप जानते हैं? मैं यहाँ की हिंसा और हथियारों की तसवीरें खींचने में दिलचस्पी नहीं रखता. वो तो मीडिया में बहुत बार दिख जाते हैं. मैं तो यहाँ की आश्चर्यजनक ज़िन्दगी को दिखाना चाहता हूँ. और वाकई मैं पिछले कुछ दिनों से उसे अपने चारों ओर देख रहा हूँ." तो यह वाकई एक प्रतीकात्मक प्रदर्शनी है क्योंकि यह हमारी पहली ऐसी प्रदर्शनी है जो शहर से नहीं दिखाई देती. और यह वो जगह है जहाँ वो तीन बच्चे पकड़े गए थे, और यह उनमें से एक की नानी हैं. और उन सीढ़ियों पर, वहाँ अवैध व्यापारी हमेशा खड़े होते हैं और हमेशा गोलाबारी होती है. वहाँ का हर निवासी इस प्रोजेक्ट को समझ गया. और हमने हर जगह तसवीरें चिपका दीं -- पूरी पहाड़ी पर. (तालियाँ) दिलचस्प बात यह थी कि मीडिया वहाँ बिलकुल नहीं घुस पाया. मतलब, आप ज़रा देखिये. वो हमें काफी दूर से हेलिकोप्टर के अन्दर से फिल्माते थे काफी लम्बे कैमरा लेंस के साथ, और हम अपने आपको टीवी पर देखते, तसवीरें चिपकाते हुए. और फिर वो एक नंबर दिखाते. "कृपया इस नंबर पर फ़ोन करिए अगर आपको कुछ भी जानकारी हो कि प्रौविदेंसिया में क्या हो रहा है." हम सिर्फ एक प्रोजेक्ट कर के आ गए ताकि मीडिया को पता न लगे. तो हम प्रोजेक्ट के बारे में पता कैसे लगा सकते हैं? तो उन्हें जा कर औरतों से मिलना पड़ा ताकि कुछ पता चल सके कि क्या हो रहा था. इस तरह से एक सम्बन्ध शुरू हो गया -- मीडिया और गुमनाम औरतों के बीच. हम सफ़र करते रहे. हम गए अफ्रीका, सूडान, सिएरा लियों, लाइबेरिया, कीन्या. मोनरोविया जैसे युद्ध-ग्रस्त इलाकों में, लोग सीधे आपके पास आते हैं. मेरा मतलब है, वो जानना चाहते हैं कि आप क्या कर रहे हैं. उन्होंने बार-बार मेरे से पूछा, "आपके प्रोजेक्ट का प्रयोजन क्या है? क्या आप गैर सरकारी संस्था से हैं? क्या आप मीडिया से हैं?" कला. सिर्फ कला दिखा रहे हैं. कुछ लोग पूछते हैं, "यह तस्वीरें रंगीन क्यों नहीं हैं? क्या फ़्रांस में रंग नहीं होते?" (हंसी) या फिर पूछते हैं, "क्या यह सब मृत व्यक्ति हैं?" कुछ लोग जो प्रोजेक्ट को समझ जाते हैं, वो औरों को समझा देते हैं. और एक बार एक ऐसे व्यक्ति से जो समझ नहीं पाया था, मैंने किसी को कहते सुना, "जानते हो, तुम यहाँ कुछ घंटों से हो समझने की कोशिश में, अपने लोगों से बात-चीत करते हुए. इस समय में, तुमने इस बारे में नहीं सोचा है कि कल क्या खाने वाले हो. यही कला है." मैं सोचता हूँ यह लोगों की जिज्ञासा ही है जो उन्हें प्रेरित करती है एक प्रोजेक्ट में आने के लिए. और फिर वो कुछ और बढ़ जाती है. और वो बन जाती है एक कामना, एक ज़रुरत, एक (अस्पष्ट). इस पुल पर, जो मोराविया में है, एक पूर्व-विद्रोही फौजी ने हमारी तसवीरें चिपकाने में मदद की एक ऐसी औरत की जिसका शायद युद्ध के दौरान बलात्कार हुआ था. औरतों के साथ हमेशा सबसे पहले अत्याचार होता है किसी भी संघर्ष में. यह है किबेरा, कीन्या में, अफ्रीका की सबसे बड़ी गंदी बस्तियों में से एक. आपने शायद यहाँ हुई चुनावों के बाद की हिंसा के चित्र देखे होंगे जो २००८ में हुई थी. इस बार हमने घरों की छतें ढक दीं, पर कागज़ नहीं इस्तेमाल किया, क्योंकि कागज़ बारिश नहीं रोकता घर के अन्दर टपकने से -- विनाइल रोकता है. तब कला काम में भी आती है. तो लोगों ने उसे रखा. आपको पता है मुझे क्या बहुत पसंद है, जैसे, जब आप वहाँ उस सबसे बड़ी आँख को देखते हैं, वहाँ (कितने) सारे घर हैं उसके अन्दर. और मैं वहाँ कुछ महीने पहले गया -- तसवीरें अभी भी वहीँ थीं -- और उनमें से आँख का एक हिस्सा गायब था. तो मैंने लोगों से पूछा कि ऐसा कैसे हुआ. "ओह, वो परिवार यहाँ से चला गया." (हंसी) जब छतें ढक गयीं, तो एक औरत ने मजाक में कहा, "अब भगवान मुझे देख सकते हैं." आज जब आप किबेरा को देखते हैं, तो वो आप को देखता है. अच्छा, भारत. यह शुरू करने से पहले, आप यह जान लें, हर बार जब हम एक नयी जगह जाते हैं, तब हमारे पास कोई टूरिस्ट एजेंट नहीं होता, तो हम छापामारों की तरह काम करते हैं -- हम कुछ दोस्त हैं जो वहाँ पहुँचते हैं, और हम दीवारों पर चिपकाने की कोशिश करते हैं. पर कई जगहें हैं जहाँ आप दीवारों पर कतई नहीं चिपका सकते. भारत में चिपकाना एकदम नामुमकिन था. मैंने सुना सांस्कृतिक तौर से और कानूनन भी, पहली बार चिपकाने पर ही हम गिरफ्तार हो जाते. तो हमने सफ़ेद तसवीरें चिपकाने का निर्णय लिया, दीवारों पर सफेदी. तो कल्पना कीजिये गोरे लोग सफ़ेद कागज़ चिपका रहे हैं. तो लोग हमारे पास आते और पूछते, "अरे, आप भला क्या कर रहे हैं?" "ओह, देखिये, हम तो बस कला दिखा रहे हैं." "कला?" बेशक, वो चकरा जाते. पर आप जानते हैं भारत की सड़कों पर कितनी धूल होती है, और जितनी अधिक धूल उड़ती जाती हवा के साथ, उस सफ़ेद कागज़ पर जो मुश्किल से दिख रहा था, पर यहाँ है वह चिपचिपा भाग ठीक स्टिकर के पीछे वाले भाग जैसा. तो जितनी ज्यादा धूल उड़ेगी, उतनी ही ज्यादा तस्वीर दिखेगी. तो अगले कुछ दिन हम सिर्फ सड़क पर टहलते रहे और तसवीरें अपने आप दिखती गयीं. (तालियाँ) धन्यवाद. तो इस बार हम नहीं पकड़े गए. हर प्रोजेक्ट, यह एक फिल्म है 'नारियाँ हैं सर्वोत्तम' से. (संगीत) अच्छा. हर प्रोजेक्ट के लिए हम बनाते हैं एक फिल्म. और जो आप देख रहे हैं, उस में से अधिकतर भाग 'नारियाँ हैं सर्वोत्तम" का ट्रेलर है -- उसकी तसवीरें, फोटोग्राफी, एक के बाद एक ली हुईं. और तस्वीर हमारे बाद भी चलती रही. (हंसी) (तालियाँ) उम्मीद है, आप फिल्म देखेंगे, और इस प्रोजेक्ट का प्रयोजन समझ सकेंगे और यह भी कि लोगों को कैसा लगा जब उन्होंने यह तसवीरें देखीं. क्योंकि यह उसका एक बड़ा हिस्सा है. हर तस्वीर के पीछे कई परतें हैं. हर छवि के पीछे एक कहानी है. 'नारियाँ सर्वोत्तम हैं' ने एक नयी सक्रियता शुरू की हर एक समुदाय में, और हमारे जाने के बाद औरतों ने वो सक्रियता कायम रखी. उदाहरण के तौर पर, हमने किताबें लिखी थीं -- बिक्री के लिए नहीं -- जो सारे समुदाय को मिलतीं. पर उन्हें पाने के लिए, उन्हें किसी भी एक स्त्री से हस्ताक्षर (करवाने) ज़रूरी थे. हमने अधिकतर जगहों पर यही किया. हम नियमित रूप से वापस जाते हैं. तो जैसे प्रौविदेंसिया के मोहल्ले में, उदाहरणार्थ, हमने एक नियंत्रित सेंटर चला रखा है. किबेरा में हर साल हम और ज्यादा छतें ढकते हैं. क्योंकि असलियत में, जब हम जाने लगे, तो प्रोजेक्ट की सीमा पर रह रहे लोगों ने पूछा, "अरे, मेरी छत का क्या होगा?" तो हमने अगले साल दोबारा आने का निर्णय लिया ताकि प्रोजेक्ट चलाते रहें. मेरे लिए एक बहुत महत्त्वपूर्ण बात यह है कि मैं किसी भी ब्रैंड या कॉर्पोरेट प्रायोजक का इस्तेमाल नहीं करता. इसलिए मैं बिलकुल उत्तरदायी नहीं हूँ किसी के लिए भी नहीं, बस अपने लिए और अपने पात्रों के लिए. (तालियाँ) और यह मेरे लिए इस काम की सबसे महत्वपूर्ण वस्तुओं में से एक है. मेरे विचार से आजकल, परिणाम जितना ही महत्वपूर्ण है आप के काम करने का तरीका. और यह हमेशा मेरे काम का एक खास भाग रहा है. और दिलचस्प चीज़ है वह सूक्ष्म रेखा जो हमेशा मैंने रखी है तस्वीर और विज्ञापन के बीच. हमने अभी लॉस एंजिलीस में तसवीरें चिपकायीं पिछले हफ़्तों में, एक और प्रोजेक्ट के लिए. और मुझे मोका (MOCA) संग्रहालय को ढकने के लिए भी बुलाया गया था. पर कल शहर के अधिकारियों ने उन्हें बुलाया और कहा, "देखिये, हमें इसे गिराना तो ज़रूर पड़ेगा. क्योंकि इसे विज्ञापन कहा जा सकता है, और कानून के अनुसार, इसे नीचे ही गिराना होगा." अब आप बताइए, किस चीज़ का विज्ञापन है यह? जिन लोगों की तस्वीर मैं खींचता हूँ उन्होनें इस प्रोजेक्ट में गर्व से हिस्सा लिया ताकि समुदाय में उनकी तस्वीर लग सके. पर उन्होनें मुझसे एक वादा लिया. उन्होनें कहा, "कृपया हमारी कहानी को अपने साथ घूमने दीजिये." तो मैंने वही किया. यह पैरिस है. यह रियो है. हर जगह में हमने एक कहानी के साथ प्रदर्शनी लगाई, और कहानी फैलती गयी. तो आप इस प्रोजेक्ट का पूरा प्रयोजन समझ रहे हैं. यह लन्दन है, न्यूयॉर्क. और आज, आपके साथ लौंग बीच में. अच्छा, हाल ही में मैंने एक सार्वजनिक कलात्मक प्रोजेक्ट शुरू किया. जहाँ मैं अपना काम बिलकुल नहीं इस्तेमाल करता. मैं इस्तेमाल करता हूँ मैन रे, हेलेन लेविट, गियाकोमेली, और लोगों की कला. इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि वो आपकी कला है या नहीं. महत्वपूर्ण बात यह है कि आप क्या करते हैं उन छवियों के साथ, जहाँ चिपकाते हैं वहाँ क्या बयान होता है. तो जैसे उदाहरण के लिए, मैंने मीनार की छवि चिपकाई स्विट्ज़रलैंड में ठीक उस वक़्त जब उन्होनें हाल ही में मीनारों पर रोक लगा दी थी. (तालियाँ) यह गैस मास्क पहने तीन आदमियों की तस्वीर पहले चेर्नोबिल में ली गयी थी, और फिर मैंने इसे दक्षिण इटली में लगाया, जहाँ माफिया कभी कभी कूड़े को ज़मीन के नीचे दबा देता है. कुछ हद तक, कला दुनिया को बदल सकती है. कला का काम दुनिया को बदलना नहीं है, या व्यावहारिक चीज़ों को बदलना भी नहीं, वो तो सिर्फ विचारधारा को बदल सकती है. कला बदल सकती है उस नज़रिए को जिससे हम दुनिया देखते हैं. कला एक उपमा को रच सकती है. असलियत में यह सचाई कि कला दुनिया को नहीं बदल सकती, उसे एक ऐसा निष्पक्ष स्थान बना देती है जहाँ आदान-प्रदान और वाद-विवाद हो सकें, और इस तरह से वो आप को दुनिया बदल डालने के योग्य बना देती है. जब मैं अपना काम करता हूँ, तो मुझे दो तरह की प्रतिक्रियाएं मिलती हैं. लोग कहते हैं, "अरे, आप ईराक या अफगानिस्तान क्यों नहीं जाते? वो बहुत काम आयेंगे." या फिर, "हम कैसे मदद कर सकते हैं?" मैं आशा करता हूँ कि आप सब दूसरी श्रेणी में आते हैं, और यह अच्छी बात है, क्योंकि उस प्रोजेक्ट के लिए, मैं आप सबसे पूछूंगा कि आप तसवीरें लें और उन्हें चिपकायें. तो अब मेरी कामना है कि: (बनावटी ढोल की आवाज़) (हंसी) मेरी कामना है कि आप सब उठ खड़े हों उस बात के लिए जिस की आप परवाह करते हों, और एक विश्वव्यापी कलात्मक प्रोजेक्ट में भाग लें, और इस तरह एक साथ मिल कर हम दुनिया को उलट-पुलट कर डालेंगे. और यह अभी शुरू होता है. हाँ, कमरे में बैठा हर व्यक्ति. हर दर्शक. मैं चाहता था कि यह कामना वास्तव में अभी से शुरू हो. तो कोई भी विषय जिस के बारे में आप भावुक हों, कोई व्यक्ति जिस की कहानी आप सुनना चाहते हों, या फिर अपनी खुद की तसवीरें -- मुझे बताइए कि आप किस बात के लिए खड़े होते हैं. तसवीरें लीजिये, छवियाँ लीजिये, उन्हें अपलोड कीजिये -- मैं सारी जानकारी भेज दूंगा -- और मैं आपके पोस्टर आपको वापस भेज दूंगा. इकट्ठे आइये और दुनिया को चीज़ें दिखाइए. वेबसाईट पर पूरी जानकारी है. इन्साइडआउटप्रोजेक्ट.नेट (insideoutproject.net) जो आज से शुरू हो रहा है. जो हम देखते हैं, वो हमें बदल डालता है. जब हम एक साथ काम करते हैं, तो उसका पूरा असर अलग अलग भागों के जोड़ से कहीं ज्यादा होता है. तो मैं उम्मीद करता हूँ कि एक साथ, हम सब कुछ ऐसा रचेंगे जिसे दुनिया याद रखेगी. और यह अभी शुरू होता है और आप पर निर्भर करता है. धन्यवाद. (तालियाँ) धन्यवाद. (तालियाँ) यह क्रांति 2 .0 है | कोई भी नायक नहीं था | कोई भी नायक नहीं था | क्योंकि सभी लोग नायक थे | सभी ने कुछ न कुछ किया है | हम सभी विकिपीडिया (Wikipedia ) का उपयोग करते हैं | अगर आप विकिपीडिया की अवधारणा के बारे में सोचें जन्हा सभी लोग विषय-वस्तु पर सहयोग करते हैं | और इस तरह एक दिन आपने संसार का सबसे बड़ा विश्वकोश बना दिया है | सिर्फ एक विचार से जो कि एक पागलपन जैसा लगा था , उससे आपके पास संसार का सबसे बड़ा विश्वकोश है | और इजिप्त(Egypt ) की क्रांति में क्रांति 2 .0 में सभी ने कुछ न कुछ सहयोग प्रदान किया था -- छोटा या बड़ा, उनके सहयोग से हमें मानव इतिहास की प्रेरणादायक कहानियों में से एक कहानी मिली है जो कि हर क्रांति में याद की जाएगी | सारे इजिप्त वासियों का पूर्ण रूप से परिवर्तन देखना सच में प्रेरणादायक था | यदि आप इजिप्त कि स्थिति देखें तो यह 30 वर्षों से बहोत ही बुरी स्थिति में था और इसका पतन हो रहा था | सब कुछ बुरा हो रहा था | सब कुछ गलत हो रहा था | हमारी गिनती सबसे आगे होती थी जब भी गरीबी भ्रष्टाचार की बात होती थी , अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कमी, राजनीतिक सक्रियता की कमी ये सब हमारे महान शासन की उपलब्धियां थी | फिर भी कुछ नहीं हो रहा था | यह इस लिए नहीं कि लोग खुश थे या लोग निराश नहीं थे | वास्तव में लोग बहुत ज्यादा निराश थे | मेरे अनुसार सबके चुप रहने का कारण डर की मनोवैज्ञानिक बाधा थी | सभी डरे हुए थे | सभी नही | कुछ बहादुर इजिप्त वासी भी थे मैं उन्हें बहादुर होने के लिए धन्यववाद देता हूँ -- वे लोग विरोध प्रदर्शन करने जाते थे , उन्हें मारा गया और गिरफ्तार किया गया | किन्तु वास्तव में अधिकांश लोग डरे हुए थे | वास्तव में लोग मुश्किल में नहीं पड़ना चाहते थे | एक तानाशाह डर बनाये बिना नहीं रह सकता | वे लोगों को डरा कर रखना चाहते थे | और डर की मनोवैज्ञानिक बाधा बहुत वर्षों तक रही, और फिर इन्टरनेट आया, टेक्नोलोजी, BlackBerry, SMS यह हम सब को जोड़ने में सहायक है | युट्यूब (YouTube), ट्विट्टर (Twitter ), फेसबुक(Facebook ) हमारी बहुत मदद कर रहे थे | क्योंकि इनके माध्यम से हमें आभास हुआ कि हम अकेले नहीं हैं | यंहा बहुत सारे लोग हैं जो कि निराश हैं | यंहा बहुत सारे लोग हैं जो कि निराश हैं | यंहा बहुत सारे लोग हैं जिनका एक ही सपना है | यंहा बहुत सारे लोग हैं जो कि आजादी चाहते हैं | वे शायद दुनिया में सबसे अच्छा जीवन जी रहे हैं | उनके जीवन में ख़ुशी है | वे अपने बंगलों में रह रहे हैं | वो खुश हैं , उन्हें कोई समस्या नहीं है | फिर भी वो इजिप्त वासियों के दर्द को अनुभव करते हैं | हम में से बहुत से लोग खुश नहीं हैं | जब हम इजिप्त के एक आदमी को देखते हैं , जो कि गरीबी में जी रहा है , जबकि दुसरे लोग अरबों इजिप्तियन पाउंड देश की संपत्ति से चुरा रहे हैं | इन्टरनेट की बहूत मुख्य भूमिका रही है , इसकी मदद से लोगों ने अपनी मन की बात कही लोग एक सांथ आये और एक सांथ सोचना प्रारम्भ किया | यह एक शैक्षिक अभियान था | खालीद सईद को जून 2010 को मार दिया गया | मुझे अभी भी तस्वीर याद है | मुझे अभी भी उस तस्वीर का हर एक विवरण याद है | वह तस्वीर भयानक थी | उस पर अत्याचार किया गया था, उसे बेरहमी से मार दिया गया था | पर उसके बाद प्रशासन का क्या जवाब था ? हैश के ढेर में उसका दम घुट गया था | या था उनका जवाब | वह एक अपराधी है | वह इन सब बुरी चीजों को लेकर भाग गया था | किन्तु लोगों को यह अप्रासंगिक लगा | लोगों ने इस पर विश्वास नहीं किया | इन्टरनेट के कारण सच सामने आ गया और सब को सच्चाई का पता चल गया | और सभी सोचने लगे कि "यह आदमी हमारा भाई भी हो सकता है " वह मध्यमवर्गीय परिवार से था | उसकी तस्वीर हम सभी को याद थी | फेसबुक पर एक पेज बनाया गया एक गुमनाम संचालक लोगों को उस पेज में शामिल होने के लिए सन्देश भेजने लगा | और वहाँ कोई योजना नहीं थी. हम क्या करने जा रहे थे? "मुझे नहीं पता" कुछ ही दिनों में हजारो लाखो लोग वंहा थे -- नाराज इजिप्त वासी जो कि गृह मत्रालय से मांग कर रहे थे कि "बहोत हो गया जिसने उस व्यक्ति की हत्या की है उन्हें पकड़ो और उन्हें सजा दो |" पर उन्होंने यह फरियाद नहीं सुनी | यह एक अद्भुत कहानी थी -- कैसे सभी में स्वामित्व की भावना आ गई | वह पेज अब सभी का था | लोगों ने विचारों का योगदान प्रारंभ कर दिया | सबसे हास्यास्पद सुझाव यह था कि दोस्तों , चलो शांति से खड़े रहते हैं | लोगों को बुलाते हैं और घर से बहार निकलते हैं समुद्र को देखते हुए खड़े हो जाते हैं , काले कपडे पहनते हैं, और एक घंटे तक शांति से खड़े रहते हैं, कुछ भी नहीं करेंगे और फिर घर वापस चले जायेंगे | कुछ लोगों के लिए यह ऐसा था ," वाह, शांति से खड़े रहना और अगली बार हिलते हुए खड़े होंगे "| लोग उस विचार का मजाक उड़ा रहे थे | किन्तु जब सच में लोग सड़कों पर आये -- पहली बार अलेक्सांद्रिया में हजारों लोग थे -- ऐसा प्रतीत हुआ कि --यह अदभुत था | क्योंकि इसने लोगों को आभासी दुनिया में जोड़ा और वास्तविक दुनिया में एक सांथ लेकर आया, एक ही सपने के सांथ, वही निराशा , वही क्रोध, और वही आजादी की चाह | और वो उसके लिए कार्य कर रहे थे | किन्तु क्या प्रशासन ने इसे समझा? बिलकुल नहीं | वास्तव में वो उन पर हमला कर रहे थे | वो उन्हें प्रताड़ित कर रहे थे , जबकि वो लोग शांतिपूर्ण थे वो तो विरोध भी नहीं कर रहे थे | और तब तक क्रोध विकसित होता रहा जब तक तुनिसियन क्रांति हुई | फेसबुक पेज एक बार फिर लोगों के द्वारा संचालित होने लगा | एक गुमनाम संचालक लोगों के विचार एकत्रित कर रहा था, लोगों से उन विचारों पर राय ले रहा था और उन लोगों को बता रहा था कि वो लोग क्या कर रहे हैं | लोग घटनाओ की तस्वीर ले रहे थे ; और इजिप्त में मानव अधिकार के हनन की शिकायत कर रहे थे; लोग सुझाव दे रहे थे, वो लोग उन सुझावों पर अपना मत व्यक्त कर रहे थे, और फिर वो उन सुझावों पर अमल कर रहे थे; लोग विडियो बना रहे थे | सब कुछ लोगों के द्वारा लोगों के लिए किया जा रहा था , और यह इन्टरनेट की ताकत थी | वंहा कोई भी नायक नहीं था | उस पेज पर सभी नायक थे | जैसे आमिर कह रहे थे ,एक तुनिसियन प्रयोग ने हम सभी को प्रेरित किया और हमें एक राह दिखाई | हाँ हम कर सकते हैं | हम कर सकते हैं | हम सभी की एक ही समस्या है हम विरोध करने सडकों पर आ सकते हैं | और जब मैंने 25 को लोगों पर सड़कों पर देखा तब मैं वापस गया और बोला , 25 तारिक से पहले का इजिप्त अब कभी भी 25 तारिक के बाद वो इजिप्त नहीं होगा | क्रांति हो रही है | यह अंत नहीं है , यह अंत की शुरुवात हो रही है | मुझे 27 की रात को हिरासत में लिया गया था | मैंने जगह और सब कुछ बताया पर उन्होने मुझे हिरासत में ले लिया | मैं अपने अनुभव के बारे में बात नहीं करूँगा, क्योंकि यह मेरे बारे में नहीं है | मैं १२ दिन हिरासत में था आंखों पर पट्टी बंधी थी, हथकड़ी लगी हुई थी | मैंने कुछ भी नहीं सुना | मुझे कुछ भी नहीं पता था | मैं किसी से बात नहीं कर सकता था | और फिर मैं बाहर आया दुसरे दिन मैं तहरीर में था | तहरीर चौक में जो परिवर्तन मैंने देखा, उससे मुझे लगा जैसे १२ साल हो गये हों मैंने यह कभी नहीं सोचा था की मैं इजिप्त वासियों को ऐसे देखूंगा अदभुत इजिप्त वासी | डर अब डर नहीं रहा | वह वास्तव में अब शक्ति था | लोग बहुत सशक्त थे | यह बहुत आश्चर्यजनक था कि लोग सशक्त कैसे हुए और अब अपने अधिकारों की मांग रहे थे | पूरी तरह से विपरीत | अतिवाद अब सहनशीलता बन गया था | 25 से पहले किसने ऐसा सोचा होगा, कि जब हजारों ईसाई प्रार्थना करने जा रहे थे तब हजारों मुस्लिम उनकी रक्षा कर रहे थे , और जब हजारों मुस्लिम नमाज के लिए जा रहे थे तब हजारों ईसाई उनकी रक्षा कर रहे थे | यह बहुत आश्चर्यजनक था | सारे रूढीवादी आरोप जो प्रशासन हम पर लगा रहा था और उनका प्रसार मुख्य संचार माध्यम से कर रहा था, वो सब गलत साबित हुए | पूरी क्रांति ने हमें दिखा दिया कि प्रशासन कितना कुरूप था और इजिप्त के नर ,नारी कितने महान और अदभुत हैं , कितने सादे और आश्चर्यजनक होते हैं ये लोग जब भी ये कोई स्वप्न देखते हैं | जब मैंने यह देखा तब मैंने वापस जाकर फेसबुक पर लिखा और वह मेरा व्यक्तिगत विश्वास था, क्या हो रहा था उसकी परवाह किये बिना , बिना किसी जानकारी के मैंने कहा "हम जीतने वाले हैं | हम जीतने वाले हैं क्योंकि हमें राजनीती समझ नहीं आती है | हम जीतने वाले हैं क्योंकि हम उनकी तरह गलत चाल नहीं चलते हैं | हम जीतने वाले हैं क्योंकि इसमे हमारा कोई निजी स्वार्थ नहीं है | हम जीतने वाले हैं क्योंकि जो आंसू हमारी आँखों से आते हैं वास्तव में वो हमारे दिल से आते हैं | हम जीतने वाले हैं क्योंकि हमारे पास एक सपना है | हम जीतने वाले हैं क्योंकि हम अपने सपने को सच करने के लिए तैयार खड़े हैं |" और वही हुआ | हम जीत गए | और यह किसी और कारण नहीं था, पर इसलिए क्योंकि हमें आपने सपने पर विश्वास था | विजय इस बात की नहीं थी कि राजनीतिक दृष्टि से यंहा क्या होने वाला है | यह विजय इजिप्त वासियों के प्रतिष्ठा की जीत है | एक टैक्सी चालक ने मुझसे कहा मैं आजादी महशुस कर रहा हूँ | मुझे मेरी प्रतिष्ठा मिल गई है जो मैंने इतने वर्षो में खो दी थी | मेरे लिए यह जीत है , और किसी चीज की मुझे परवाह नहीं है | मेरे अंतिम शब्द एक ध्हेय वाक्य है जिस पर मुझे विश्वास है , जिसे इजिप्त वासियों ने सत्य साबित किया है , वह यह है कि जनता की शक्ति, शक्ति पर आसीन लोगों से बहुत ज्यादा होती है | धन्यवाद | (तालियाँ) ख़ान अकादमी जानी जाती है अपने तमाम विडियो के संग्रह के लिये, तो इस से पहले मैं कुछ कहूँ मैं आपको छोटी से झलक दिखाता हूँ (विडियो) सलमान ख़ान: तो त्रिकोण का कर्ण होगा पाँच इस प्राणी के अवशेष दक्षिणी अमरीका के सिर्फ़ इस हिस्से में मिलते हैं -- ये जो नीली पट्टी दिख रही है -- और अफ़्रीका के इस भाग में। इस का समाकलन इस सतह पर कर सकते हैं, और ज्यादातर इसे बडे सिग्मा अक्षर से दिखाते हैं। राष्ट्रीय असेंबली: ये ही जन सुरक्षा कमेटी का गठन करते हैं, जो कि काफ़ी अच्छी सी कमेटी लगती है। ध्यान दीजिये, कि ये अल्डीहाइड है, और ये एल्कोहल है। इन मे से कुछ एफ़ेक्टर और कुछ मेमोरी सेलों मे बँटने लगते हैं। आकाश गंगा। ये एक और आकाश गंगा। और देखो! एक और अकाश गंगा। और डॉलरों में, उनके तीन करोड, और अमरीकी निर्माता के २ करोड। अगर ये आपका दिमाग सन्न नहीं कर रहा है, तो आपमे भावना ही नहीं है। (हँसी) (तालियाँ) सलमान ख़ान: आज हमारे पास संग्रह है करीब २२०० विडियो का बुनियादी अंकगणित से ले कर वेक्टर कैल्कुलस (कलन) तक और उसका एक हिस्सा आपने अभी देखा। हर महीने करीब दस लाख छात्र हमारा वेबसाइट इस्तेमाल करते हैं, और हर दिन करीब एक से दो लाख विडियो देखते हैं। मगर आज जो बात हम करने जा रहे हैं, वो ये है कि हम इस से अगले स्तर तक कैसे पहुँच सकते हैं। मगर उस के पहले, मैं बताना चाहता हूँ कि मैने शुरुवात कैसे की थी। और आप में कुछ शायद जानते हों, कि पाँच साल पहले मैं एक हेज फ़ंड में काम करता था, और मैं बॉस्टन में रहता था, और मैं न्यू औरलियन्स के अपने कुछ रिश्तेदारों को दूर से पढाता था। और मैनें पहले कुछ यूट्यूब विडियो अपलोड करने शुरु किये बस ये सोच के, कि ये कुछ अच्छा रहेगा, मेरे उन रिश्तेदारों की कुछ मदद हो जायेगी -- ऐसा कुछ जिसे वो बार बार इस्तेमाल कर सकेंगे। और जैसे ही मैने वो पहले यूट्यूब विडियो लगाये, कुछ मज़ेदार सा घटने लगा -- असल में, काफ़ी सारी मज़ेदार बातें हुईं। सबसे पहले तो मेरे रिश्तेदारों की प्रकिया। उन्होनें मुझे बताया कि वो मुझे सच में देखेने के बजाय यूट्यूब पर देखना ज्यादा पसंद करते हैं। (हँसी) और अगर आप इस पर सोचें, तो वो कुछ बहुत गहरी बात कह रहे थे, वो ये कह रहे थे कि उन्हें अपने रिश्तेदार का ऑटोमैटिक रूप ज्यादा पसंद था, ख़ुद उस रिश्तेदार के बजाय। सबसे पहले तो, ये बहुत ही उल्टी बात है, मगर यदि आप उनके दृष्टिकोण से देखें, तो ये बिल्कुल ही सीधी बात लगेगी। अब स्थिति ये हो गयी थी कि वो अपने रिश्तेदार को जहाँ चाहें रोक सकते थे, और दोहरा सकते थे, बिना इस चिंता के - कि वो मेरा समय खराब कर रहे हैं। अगर उन्हें किसी चीज़ को दोहराना हो, चो कि उन्हें कुछ हफ़्ते पहले कर लेनी चाहिये थी, या कूछ साल पहले सीख लेनी चाहिये थी, तो उन्हें शर्मिंदा नहीं होना होगा, और अपने रिश्तेदार से नहीं पूछना पडेगा। वो सीधे उन विडियों को देख सकते थे। और अगर वो बोर हो रहे हों, तो वो आगे भी बढ सकते थे। उसे वो मनचाहे समय पर, अपनी स्पीड या गति पर देख सकते थे। और जिस बात पर हम सबसे कम गौर करते है वो ये आइडिया है कि पहली बार, सबसे पहली बार, आप अपने दिमाग में ये बात अनुभव कर रहे है, कि इस की कोई ज़रूरत ही नहीं है कि कोई दूसरा मनुष्य ये कहे, "क्या आपको समझ आया?" और मेरे और मेरे रिश्तेदारों के बीच पहले यही होता रहता था, और अब वो उसे चुपचाप सीख सकते थे अपने कमरे में अकेले बैठ कर। दूसरी बात जो हुई - वो ये कि जब मैने उन्हें यूट्यूब पर डाला -- तो मुझे उन्हें प्राइवेट रखने का कोई कारण नही दिखा, तो मैने उन्हें आम जनता के लिये खोल दिया, और लोग उन विडियो तक पहुँचने लगे, और मुझे कमेंट और चिट्ठियाँ आने लगीं और तमाम सारे सुझाव भी सारी दुनिया के अंजान लोगों से। और उनमें से कुछ ये हैं। ये असल में कैलकुलस के पहले विडियों से है। और किसी ने यूट्यूब पर ही लिख दिया था -- ये एक यूट्यूब कमेंट था: "पहली बार डेरिवेशन का सवाल करते हुई मैं मुस्करा रहा था।" (हँसी) अब यहाँ रुकते हैं। इस व्यक्ति ने डेरिबेशन का सवाल क्या और फिर मुस्कराया। और फ़िर इस के जवाब में - ये उस ही विडियो से है। आप यूट्यूब पर जा कर ये कमेंट देख सकते हैं -- किसी और ने लिखा: "हाँ, मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। असल में मैं पूरी दिन खुश हो कर इधर से उधर डोलता रहा। क्योंकि मुझे याद है कि ये सारा कुछ मैने क्लास में देखा था, मुझे लगता है जैसे, 'मुझे कुंग-फ़ू आता है।" (हँसी) और इस तरह के तमाम सुझाव टिप्पणियाँ हमें आते रहते हैं। ज़ाहिर है कि इस से लोगों की मदद हो रही थी। मगर फिर हमारे दर्शकों के संख्या बढती ही चली गयी, मुझे तमाम लोगों से चिट्ठियाँ आने लगीं, और ये साफ़ होने लगा कि ये बस ऐसे ही छोटी सी चीज़ से ज्यादा बडा कुछ है। ये बस एक हिस्सा है चिट्ठियों में से एक का। "मेरा १२ साल के बच्चे को ऑटिस्म (स्वालीनता) है और उसे गणित में बहुत दिक्कत होती रही है। हमने हर तरह की कोशिश के, सब कुछ देखा, हर चीज़ खरीदी। मगर आपके दशमलव (डेसिमल) के विडियो कारगर रहे। फिर हम डरावने फ़्रैक्शन (भिन्न) तक गये। उसे वो भी समझ आ गया। हमें विश्वास ही नहीं हुआ। और वो बहुत खुश और जोश में है।" और आप सोच सकते हैं कि, मैं एक हेज़ फ़ंड में काम करने वाला व्यक्ति था। मेरे लिये इस तरह का कुछ सामाजिक सा करना बिलकुल नया था। (हँसी) (तालियाँ) मगर इस ने मुझे बहुत जोश दिया, और मैं लगातार यही करता रहा। और फिर कुछ और चीज़ें मुझ तक पहुँचीं। कि, न सिर्फ़ ये मेरे रिश्तेदारों की ही मदद कर सकता है, य फ़िर उन लोगों की जो ऐसे पत्र भेज रहे हैं, बल्कि ये विडियो तो कभी पुराने ही नहीं होंगे, कि इस से इन बच्चों की मदद हो सकती है, और इन बच्चों के होने वाले नाती पोतों की भी। अगर आइज़ैक न्यूटन ने यूट्यूब पर कैलकुलस के विडियों बना दिये होते, तो मुझे नहीं बनाने पडते। (हँसी) मतलब अगर वो इतने अच्छे विडियो बना पाते - क्या पता? (हँसी) दूसरी बात जो हुई -- और अब तक भी, मुझे यही लग रहा था, "ठीक है, पढाई के साथ थोडी मदद के लिये ये विडियो ठीक हैं।" ये बस प्रेरित और उत्सुक छात्रों के लिये ही ठीक हैं। या केवल घर पर पढने वालों के लिये ही हैं।" मगर मुझे नहीं लगता था कि ये चीच सामान्य क्लासरूम तक भी पहुँच जायेगी। मगर फिर मुझे टीचरों की चिट्ठियाँ आनी शुरु हो गयीं। और टीचर लिखते थे, "हमने आपके विडियो के ज़रिये क्लासरूम को उलट दिया। क्योंकि पाठ तो आपने पढा डाला, तो हम अब क्या करते है --" और कल ऐसा अमरीका के हर क्लास में हो सकता है -- "...अब हम केवल होमवर्क में पाठ का विडियो दे देते है, और जो होमवर्क होता था, वो अब हम बच्चों के साथ क्लास में करते हैं।" और मैं थोडी देर यहाँ रुकना चाहता हूँ -- (तालियाँ) मैं यहाँ एक सेकेंड के लिये रुकना चाहता हूँ, क्योंकि यहाँ कुछ ध्यान देने लायक चीज़ें हैं। एक तो ये कि जब ये टीचर ऐसा करते हैं, तो सीधा सीधा फ़ायदा तो है ही -- कि ये बच्चे भी मेरे रिश्तेदारों की तरह इन विडियो को देख सकते हैं। उन्हें रोक सकते हैं, अपनी गति पर दोहरा सकते हैं, अपने समय पर कर सकते हैं। मगर इस के आगे भी जो मज़ेदार है -- वो ये है कि क्लासरूम मे टेक्नॉलाजी के इस्तेमाल के क्षेत्र में बिलकुल नयी बात है -- क्लासरूम से सबके लिये एक ही जैसे पाठ को हटा देने वाली बात है छात्रों को घर पर उनकी अपनी गति से पढने दिया जाये, और जब वो क्लास जायें तो वहाँ वो ज्ञान का उप्योग करें और टीचर बस उनकी मदद के लिये रहें, और छात्र एक दूसरे की मदद कर सकें, इन टीचरों ने टेक्नॉलाजी का इस्तेमाल कर के क्लासरूम का मानवीयकरण कर दिया था। उन्होंने मूल रूप से अमानवीय काम को लिया ३० बच्चे होठों पर उँगलियाँ रख कर बैठे हैं, एक दूसरे से बात नहीं कर सकते हैं। किसी भी टीचर को, चाहे वो कितना ही अच्छा हो, सब के लिये एक ही लेक्चर देना होना है पूरे ३० छात्रों को -- मुर्दा चेहरे, थोडे चिढे हुए चेहरे -- और अब ये एक मानवीय अनुभव लगता है। अब वो एक दूसरे से बातचीत कर सकते हैं। तो एक बार खान अकादमी -- मैने अपनी नौकरी छोड दी और हमने इसे एक असल संस्था का रूप दिया -- हम एक नॉट फ़ॉर प्राफ़िट (एन.जी.ओ.) हैं -- और सवाल ये है कि हम इसे अगले स्तर तक कैसे ले जायें? हम उन टीचरों के काम से शुरुवात कर के उसे उसके सही निष्कर्श तक कैसे ले जायें? और जो मैं आपको यहाँ दिखा रहा हूँ, वो असल में कुछ सवाल हैं जो मैने अपने रिश्तेदारों के लिये तैयार किये थे। जो मैने शुरु में तैयार किये थे, वो बहुत ही सरल से थे। ये उसका थोडा विकसित रूप है। मगर मुख्य बात है कि हम तब तक नये नये सवाल पूछते रहेंगे जब तक कि आप अपने पाठ को समझ न जायें, जब तक कि आप १० सवाल लगातार सही न कर लें। और ये ख़ान अकादमी के विडियो हैं। आपको सवाल पूर करने के लिये बीच के सारे कदम दिखाये जाते हैं, अगर आप को नहीं समझ आता कि उसे कैसे करना है। मगर ये आइडिया, ऐसा लगता है कि बहुत साधारण सी बात है: जब दसों सवाल सही हो जाये, आगे बढो। मगर ये आज कल के क्लासरूम से मूलतः अलग बात है। एक पारंपरिक क्लासरूम में, कुछ होमवर्क होता है, होमवर्क, लेक्चर, होमवर्क, लेक्चर, और फ़िर एक बडी परीक्षा होती है। और वो परीक्षा, चाहे आपको ७० प्रतिशत आये, या ८० प्रतिशत, या ९० प्रतिशत या फ़िर ९५ प्रतिशत, आप अगली क्लास में पहुँच जाते हैं। और जिनके ९५% आये थे, वो क्या ५% था जो उन्हें भी समझ नहीं आया था? हो सकता है कि उन्हें नहीं पता हो कि किसी अंक को ज़ीरो का घात देने पर क्या होता है। और आप ये नज़रअंदाज़ कर के अगले पाठ पर चले जाते हैं। ये कुछ ऐसा ही हुआ कि सोचिये आप बायसायकिल चलाना सीख रहे हों, और मान लीजिये मैने आपको पहले से एक लेक्चर दे दिया, और मैने आपको दो हफ़्ते के लिये वो सायकिल दी। और फिर दो हफ़्ते बाद मैन वापस आया, और मैने कहा, "ह्म्म्म! तो आप बायें हाथ की तरफ़ नहीं मुड पा रहे हैं। और ब्रेक लगाना भी नहीं जानते। आप ८०% सायकिल चलाना सीख गये हैं।" तो मैं आपके माथे पर बडा सा "सी" छाप दूँ और कहूँ, "ये है आधा सायकिल सवार!" ये बहुत बेवकूफ़ी भरा लगता है, मगर बिल्कुल यही हो रहा है आज के हमारे क्लासरूम में। और आयडिया ये है कि आप जल्दबाजी करते हैं और अच्छे छात्र भी अचानक बीजगणित में फ़ेल होने लगते हैं और कैल्कुलस में फ़ेल होने लगते हैं, जबकि वो मेधावी होते है, और अच्छे टीचरों द्वार पढाये गये होते हैं, और ये इसलिये कि जैसे स्विस चीज़ में होते हैं, वैसे बडे बडे छेद रह जाते है जो कि उनकी नींव को ही खोखला करते रहते हैं। तो हमारा तरीका है कि गणित वैसे सीखिये जैसे आप कुछ भी और सीखते हैं, जैसे आप सायकिल चलाना सीखते हैं। सायकिल पर सवार होयिए। उस पर से गिर कर देखिये। और तब तक ऐसा करिये जबतब आप को सब कुछ न आ जये। पारंपरिक तरीक, आपको दंड देता है कि आप प्रयोग कर के फ़ेल हो गये, मगर वो आपसे निपुण होने की उम्मीद ही नहीं रखता। हम आपको प्रयोग करने के लिये बढावा देते हैं। हम आपको बार बार असफ़ल होने के लिये उत्साहित करते हैं। मगर हमे उम्मीद है कि आप उस्ताद बनें। ये हमारा एक और कोर्स है। ये ट्रिगनोमेट्री या त्रिकोणमिति है। ये शिफ़्टिंग और रेफ़्लेक्टिंग फ़ंकशन हैं। और ये सब एक दूसरे से जुडे हैं। अब तक हमारे पास करीब ९० ऐसे कोर्स हैं। और आप इस वक्त साइट पर जा सकते हैं। ये सब मुफ़्त है। मैं कुछ बेच नहीं रहा हूँ। मगर मूल विचार है कि ये सब ज्ञान के एक ताने बाने में बैठते हैं। ये सबसी ऊपर का प्वाइंट, ये एक अंक की संख्या को जोडना है। जैसे १ और १ जुड कर २ होते हैं। और आइडिया है कि एक बार आप दस सवाल लगातार सही कर लेंगे तो, आपको और ज्यादा आगे के स्तर पर ये अपने आप लेता जायेगा। और जैसे जैसे आप ज्ञान के इस ढाँचे में नीचे की ओर बढेंगे, आप उच्च स्तर की अंकगणित तक पहुँचते हैं। और नीचे, आप बीज-गणित की शुरुवात तक पहुँचते हैं। और नीचे, आप बीजगणित के पहले और दूसरे पाठ तक पहुँचते हैं, और फ़िर कुछ कुछ कैलकुलस तक। और आयडिया ये है कि, इस तरीके से हम असल में कुछ भी पढा सकते हैं -- मतलब वो सब जिसे पढाया जा सकता है इस तरह के तरीके या ढाँचे में। तो आप सोच सकते हैं -- और इसी पर हम काम कर रहे हैं -- कि इस ज्ञान के ढाँचे में आप तर्कशास्त्र है, कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग है, व्याकरण है, आनुवांशिकी है, और सब उसी मूल जड पर आधारित है, अगर आप को ये और ये पता है, तो आप इस अगले पाठ के लिये तैयार हैं। अब एक अकेले छात्र के लिये तो ये काम कर जायेगा, और मैं चाहूँगा कि आप अपने बच्चों के साथ प्रयोग कर के देखें, मगर मैं चाहूँगा कि ऑडियंस में बैठे लोग इसे खुद भी कर के देखे। आपके खाने की मेज़ पर होने वाली बातचीत बदल जायेगी। मगर मैं जो करना चाहता हूँ वो ये है कि मै क्लासरूम उलटने का फ़ायदा उठा सकूँ जैसा कि शुरुवाती दौर के उन टीचरों ने मुझे ईमेल किया था। और इसलिये मैं यहाँ आपको जो दिखा रहा हूँ, वो असली आँकडे है लॉस अल्टोस में हुए एक पायलट से, जहाँ हमने पाँचवी और सातवी की दो क्लासों से उनका पुराना पाठयक्रम बिल्कुल ही हटा दिया। ये बच्चे अब पाठ्यपुस्तक इस्तेमाल नहीं करते, और इन्हें कोई सबके-लिये-एक-सा लेक्चर भी नहीं मिलता। ये ख़ान अकादमी इस्तेमाल करते है, और ये इस सॉफ़्टवेयर इस्तेमाल करते हैं, लगभग अपनी आधी गणित की क्लासों में। और मैं ये भी साफ़ कर देना चाहता हूँ, हम इसे गणित की संपूर्ण शिक्षा के रूप में नहीं देखते हैं। इस से क्या होता है - और लॉस अल्टोस में जो होता दिखा -- इस से समय बचता है। ये कसरतें और अभ्यास है, जिस से आपको समझ आ जाये कि समीकरणों के सिस्टम में कैसे आगे पीछे आते जाते हैं, और इस से समय बचता है असली दुनिया में इनका उपयोग समझने के लिये, रोबोट बनाने के लिये, यंत्रों के निर्माण के लिये, और छाया देख कर ये अंदाज़ा लगाने के लिये कि पहाड कितना ऊँचा है। मूल विचार है कि टीचर हर दिन आयें, हर बच्चा अपने हिसाब और गति से पढे -- और ये असल डैशबोर्ड है लॉस अल्टोस स्कूल के इलाके का -- और वो इस डैशबोर्ड को देखें। हर लेटी पंक्ति एक स्टूडेंट है। हर खडा कॉलम एक पाठ या कोर्स का एक ब्लाक है। हरे रंग का मतलब है कि बच्चा उस्तादी हो चुका है। नीले रंग का मतलब है कि वो सीख रहा है - चिंता की कोई बात नहीं है। लाल रंग का मतलब है कि वो अटक गया है। और टीचर को सिर्फ़ इतना करना है कि वो लाल रंग वाले बच्चों पर ध्यान दें। या इस से भी बेहतर, "चलो एक हर वाले बच्चे को, जो कि पहले ही उस्तादी पा चुका है उस पाठ में, पहला प्रयास करने देते हैं और अपने दोस्त को पढाने देते हैं।" (तालियाँ) अब मैं आँकडों के आधार पर ही बात कर रहा हूँ, इसलिये हम नहीं चाहते कि टीचर बच्चे का पास जाये और उन से अजीब से सवाल करें: "ओह, आप क्या नहीं समझ रहे हैं?" या "आप क्या समझ चुके हैं?" और इस तरह के बाकी सवाल। हमारा आयडिया है कि हम टीचरों को बच्चो पर जितना हो सके आँकडे दें -- आँकडे, जो किसी भी और क्षेत्र में, स्वाभाविक है, अगर आप वाणिज्य में, या विपणन में, या उत्पादन में हों -- और तब टीचर असल में जान सकेंगे कि बच्चों के साथ गडबड आखिर हो कहाँ रही है जिस से कि वो बच्चों के साथ अपने समय को ज्यादा से ज्यादा लाभदायक बना सकें। तो अब टीचरों को सही सही पता है कि बच्चों ने क्या किया क्या नहीं किया, कितनी देर वो रोज़ पढे, कितने विडियों उन्होंने वाकई देखे, कहाँ कहाँ उन्होंने विडियो रोके, और क्या क्या उन्होंने रुक कर देखा, कौन से सवाल उन्होंने किये, उन्होनें किन बातों पर ध्यान दिया? ये बाहरी गोला दिखा रहा है कि किन सवालों पर उन्होंने ध्यान दिया। अंदरूनी गोना दिखा रहा है कि किन विडियो पर उन्होनें ध्यान दिया। और ये आँकडे काफ़ी सटीक हैं जिस से कि आप देख सकते है कि किसी छात्र ने कौन से सवाल सही किये।और कौन से गलत किये। लाल रंग गलत सवाल है, नीला रंग सही सवाल है। सबसे बायें वो सवाल है जिसे करने का छात्र ने सब से पहले प्रयास किया। बिलकुल यहाँ उन्होंने विडियो देखा। और फिर आप देख सकते है, कि कैसे उन्होंने लगातार दस सवाल सही किये। जैसे कि आप उन्हें अपने सामने वो आखिरी दस सवाल करते देख पा रहे हों। और उनकी गति भी बढती गयी। इस की ऊँचाई से पता लग रहा है कि उन्हें कितनी देर लगी। तो जब आप अपनी गति से सीखने की बात करते हैं, वो सबके लिये उपयुक्त लगता है - शिक्षाविदों की भाषा में - डिफ़रेंशियेटिद लर्निंग -- मगर ये बहुत अलग सा अनुभव है यदि आप इसे क्लासरूम में देखें। क्योंकि जब भी हमने इसे कियी है, और जिस भी कक्षा में किया है, बार बार, हर बार, पाँच दिन इसे करने के बाद, बच्चों का एक समूह आगे निकल जाता है और एक समूह है जो थोडा धीरे सीखता है। और पारंपरिक तरीके मे, अगर आप एक ही परीक्षा ले रहे होते, तो आप कहते, "ये मेधावी छात्र है, और ये दूसरे कमज़ोर हैं। इन्हें दूसरी स्पीड पर पढाना चाहिये। शायद इन्हें अलग क्लासों में ही डाल देना चाहिये।" मगर जब आप हर छात्र को अपनी गति पर काम करने देते हैं -- और हमने बार बार ऐसा होते देखा है -- देखिये जिन बच्चो में थोडा ज्यादा समय लिया किसी एक पाठ पर, मगर जब वो उसे समझ गये, तो वो तेज़ी से आगे निकल गये। और वही बच्चे जो छः हफ़्ते पहले धीरे चल रहे है, अचानक आप उन्हें मेधावी कहने लगेंगे। और हम ये सब बार बार होते देख रहे हैं। और ये देख कर आप सोचते हैं कि हम पर जो इतने तमाम तमगे और लांछन लगे, उनमें से कितने बस समय का संयोग भर थे। और भली ही इस के जैसा महत्वपूर्ण कुछ लॉस अल्टोस में हो, हमारा मकसद है टेक्नालाजी को इस्तेमाल कर के उस सब का मानवीयकरण करना, न सिर्फ़ लॉस अल्टोस मे, बल्कि सारी दुनिया में, जो शिक्षा में हो रहा है। और असल में, ये हमे बहुत ही रोचक मोड पर ले आता है। क्लास रूम के मानवीयकरण की बहुत सारी कोशिशें छात्र और टीचरों के अनुपात पर केंद्रित हैं। हमारे दिमाग में, काम की चीज़ है छात्रों का अनुपात उस समय से जो टीचर के साथ ढँग से बिताया गया। तो एक पारंपरिक तरीके में, टीचर का ज्यादातर समय लेक्चर और ग्रेडिंग वगैरह करते हुए बीतता है। हो सकता है कि उन का केवल पाँच प्रतिशत समय ही बच्चों के साथ बीत पाता हो. सच में उन के साथ काम करते हुए। और अब उन का सौ प्रतिशत समय असल काम में लगता है। तो फ़िर से, टैक्नालाजी को इस्तेमाल कर के, केवल क्लासरूम को उलटा ही नहीं जा रहा है, मैं कहूँगा कि आप क्लासरूम का मानवीयकरण कर रहे हैं करीब पाँच से दस गुना तक। जैसे कि लॉस अल्टोस में इस की बहुत अहमियत है, सोचिये ये उस प्रोढ विद्यार्थी के कितनी बडी बात होगी जिसे वापस स्कूल जा कर वो सब सीखने में हिचक होती है जो उन्हें बहुत पहले, कॉलेज जाने के पहले ही सीख लेना चाहिये था। सोचिये इस का क्या अर्थ हो सकता है कलकत्ता में सडक पर रहने वाले बच्चे के लिये जिसे दिन में अपने परिवार की मदद करनी होती है, और इसलिये वो स्कूल नहीं जा सकता या जा सकती। अब वो दिन में दो घंटे लगा कर ही, शिक्षा पा सकेंगे बाकी लोगों जितना सीख सकेंगे, और शर्मिंदा नहीं होंगे कि उन्हें क्या आता है, और क्या नहीं। अब सोचिये क्या होगा जब -- हमने छात्रों द्वारा एक दूसरे को पढाने की बात की क्लासरूम के अंदर। मगर ये पूरा एक ही सिस्टम है। कोई कारण नहीं है कि ये एक दूसरे को पढाने का तरीका क्लासरूम से बाहर न जाये। सोचिये क्या होगा यदि कलकत्ता का वो छात्र अचानक आप के बेटे को ट्यूशन देने लगे, या आपका बेटा कलकत्ता के उस बच्चे को पढाने लगे? और मुझे लगता है कि आप को दिखेगा कि एक ग्लोबल क्लासरूम का आयडिया उभर सकता है। और वास्तव में, हम वही बनाना की कोशिश कर रहे हैं। धन्यवाद। (तालियाँ) बिल गेट्स: मैने इस सिस्टम मे कुछ चीज़ें देखीं हैं जो आप उत्साह बढाने और सलाह देने के लिये इस्तेमाल कर सकते है -- जैसे एनर्ज़ी प्वाइंट, मेरिट बैज। मुझे बताइये कि आप क्या सोच रहे हैं। सलमान ख़ान: बिलकुल। असल में , हमारे पास एक अद्भुत टीम है। और मैं स्पष्ठ कर दूँ कि अब मैं अकेले ही नहीं हूँ। विडियो अभी भी मैं ही करता हूँ, लेकिन हमारे पास साफ़्टवेयर बनाने के लिये गजब की टीम है। और हम ने इस में कुछ गेम्सनुमा चीज़ें भी डाली है, जहाँ आप बैज प्राप्त कर सकते हैं, और अब हम लोग हर विषय के लीडरों का पटल बनायेंगे और आपको प्वाइंट मिल सकेंगे। असल में, ये काफ़ी रोचक लगता है। उन बैज़ो का क्या नाम रखा है, या फ़िर कितने प्वाइंट उन्हें दिये गये, और हम ये पूरे सिस्टम पर देखते हैं, दसियों हज़ार पाँचवें या छठे के बच्चों को इधर से उधर भेज देता है, कि आपने उन्हें कौन सा बैज दिया। (हँसी) बिल गेट्स: और जो आप लॉस अल्टोस में कर रहे हैं, वो कैसे हुआ? सलमान ख़ान: लॉस अल्टोस, वो तो अजब ही था। एक बार फ़िर, मुझे लगा नहीं था कि लोग इसे असल क्लास में इस्तेमाल करेंगे। उनके बोर्ड से कोई आया, और उसने कहा, "अगर आपको पूरी आज़ादी हो, तो आप क्लासरूम में क्या करेंगे?" और मैने कहा, "देखिये, मै तो हर छात्र को उसकी अपनी गति पर काम करने दूँगा और मैं ऐसा एक डैशबोर्ड दे दूँगा।" और उन्होंने कहा, "ओह, ये तो एक्दम अलग सोच है। हमें सोच कर बताना होग।" और मुझे और हमारी टीम को लगा, "ये कभी हमें ऐसा नहीं करने देंगे।" मगर ठीक अगले ही दिन, उन्होंने कहा, "क्या आप दो हफ़्ते में अपना प्रोग्राम चालू कर सकते हैं?" (हँसी) बिल गेट्स: तो पाँचवें की गणित पर आजकल काम हो रहा है? सलमान ख़ान: दो पाँचवी क्लासें और दो सातवीं क्लासें। और ये पूरे डिस्ट्रिक्ट लेवेल पर भी कर रहे हैं। मुझे लगता है कि वो इस बात से प्रेरित हैं कि वो इन बच्चों पर नज़र रख सकेंगे। ये सिर्फ़ स्कूल तक ही सीमित नहीं है। हमने तो ख़ास क्रिसमस के दिन भी बच्चों को पढते देखा। और हम हर चीज़ देख सकते हैं। और जैसे जैसे ये प्रोग्राम डिस्ट्रिक्ट में लागू होगा, हम उसे भी देख सकेंगे। गर्मियों की छुट्टियों के दौरान, जैसे टीचर बदलेंगे, आपके पास ये आँकडे फिर भी सुरक्षित रहेंगे जिस से कि पूरी डिस्ट्रिक्ट के स्तर पर भी इसे देखा जा सके। बिल गेट्स: तो इस में कुछ जो हमने देखा, तो टीचरों के लिये था जिस से वो हर बच्चे की बढत पर नज़र रख सकें। तो आपको क्या कुछ सलाह मिल रही है कि टीचर उन्हें देख कर क्या समझ रहे हैं? सलमान ख़ान: हाँ बिल्कुल। इस में ज्यादातर टीचरों के सहयोग से ही बनाये गये हैं। हमने इन में से कुछ छात्रों के लिये भी बनाये हैं जिस से कि वो अपने आँकडे देख सकें मगर टीचरों के साथ जुड कर ही सारा डिज़ाइन तैयार किया गया है। और वो कह रह है कि, "ये काफ़ी अच्छा है, मगर..." जैसे एक ग्रुप में, काफ़ी टीचरों ने कहा, "उन्हें लगता है कि बहुत से बच्चे बस इधर से उधर कूद रहे हैं और किसी एक विषय पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।" तो हमने फ़ोकस डायग्राम बनाये। तो टीचरों ने ही इसे आगे बढाया है। बहुत ही अद्भुत सफ़र रहा है ये। बिल गेट्स: क्या ये मुख्य पढाई के लिये तैयार है? क्या आप को लगता है कि अगले साल बहुत सारे स्कूल इसे इस्तेमाल कर के देखेंगे? सलमान खान: हाँ, ये तैयार है। हमारे साइट पर करीब दस लाख लोग हैं, और हम कुछ और लोगों को भी शामिल कर सकते हैं। (हँसी) कोई कारण नहीं है इसके अमरीका के हर क्लासरूम तक नहीं पहुँचने का। बिल गेट्स: और इस का आगे का विज़न क्या है? आइडिया ये है कि, अगर मैं किसी पाठ को ले कर कन्फ़्यूज़ हूँ, मुझे वहीं साइट पर ही कुछ लोग मिल जायेंगे जो सहायता करने को तैयार होंगे, उनके काम की रेटिंग देख कर मैं उन से समय ले सकूँ और उन लोगों से सीधे जुड सकूँ? सलमान ख़ान: बिल्कुल। बल्कि मैं कहूँगा कि ऑडियंस में बैठा हर व्यक्ति ऐसा करे। जो डैश्बोर्ड टीचरों के पास है, आप उस में लागिन कर सकते हैं और आप एक टीचर बन सकते हैं अपने बच्चों के, या भतीजे-भांजो या रिश्तेदारों के, या बाय्ज़ एंड गर्ल्स क्लब के कुछ बच्चों के। और हाँ आप सलाहकार बन सकते है, शिक्षक बन सकते हैं, तुरंत ही। और, सब कुछ तैयार है। बिल गेट्स: ये वाकई शानदार है। मुझे लगता है हमें शिक्षा के भविष्य की एक झलक देखने को मिली है। धन्यवाद। (सलमान ख़ान: धन्यवाद।) (तालियाँ) मैं न्यू योर्क में रोबिन हुड नामक एक स्वयं सेवी संस्था का मुखिया हूँ जब मैं गरीबी के खिलाफ नहीं लड़ रहा होता, तब एक स्वयंसेवी आग बुझाने वाले समूह के सह कप्तान के रूप में आग से लड़ता हूँ | अब हमारे शहर में, जहाँ स्वयंसेवक अत्यधिक कुशल अग्निशमन कर्मियों की सहायता करते हैं, कुछ करने लिए आपको आग की जगह बहुत जल्दी जाना पड़ता हैं | मुझे अपना पहला अवसर याद हैं मैं आग की जगह पर दूसरा स्वयंसेवक था, तो एक अच्छा मौका था कि मुझे अंदर जाने मिले लेकिन फ़िर भी अन्य स्वयंसेवकों के साथ कड़ा मुकाबला था दल के कप्तान तक पहुँचने का और अपना कार्य जानने का | मैंने जब दल के कप्तान को खोज लिया, तब वो घर के मालकिन के साथ जरुरी बाते कर रहे थे, जिसके लिए यह उसकी जीवन का सबसे बुरा दिन था, वो आधी रात के समय बाहर बारिश में, छाते के नीचे खड़ी थी, उसने पायजामा पहने हुए थे, नंगे पाव थी, जबकि उसका घर आग की लपटों से घिरा था एक और स्वयंसेवक जो मुझसे थोड़े पहले ही आया था -- उसका नाम लेक्स लूथर रख लेते हैं -- (हंसी) कप्तान तक पहले पहुँच गया और उसे अंदर भेजा गया मालकिन के कुत्ते को बचाने के लिए कुत्ता! मैं जलन के कारण भौचक्का रह गया वो एक वकील या मैनेजर था जो अब जिंदगी भर लोगो को बताएगा कि वो एक जलती हुई ईमारत के अंदर गया था किसी की जान बचाने के लिए, सिर्फ इसीलिए क्युकि उसने मुझे 5 सेकंड से हरा दिया| अब मेरी बारी थी | कप्तान ने मुझे इशारा किया| उन्होंने कहा " बेज़ोस, तुम घर के अंदर जाओ, ऊपर की तरफ जाना, आग को पार करना और इस महिला के लिए जूते लेकर आओ (हंसी) सच में तो ये वैसा नहीं था जैसी मुझे आशा थी लेकिन मैं फ़िर भी गया -- ऊपर की तरफ, बरामदे में, असली अग्निशमन कर्मियों को पार करके, जिन्होंने अब आग पर काफी हद तक नियंत्रण कर लिया था, घर में मुख्य शयनकक्ष में जूते लाने के लिए| मैं जानता हूँ आप क्या सोच रहे हैं, लेकिन मैं कोई नायक नहीं हूँ | (हंसी) मैं अपना सामान लेकर नीचे की तरफ गया मुख्य द्वार के पास मैं अपने अजेय प्रतिद्वंद्वी और उस कीमती कुत्ते से मिला| हम अपने अपने सामान बाहर मालकिन के पास ले गए, जहाँ, आश्चर्य की बात नहीं हैं कि उसे मुझसे ज्यादा आदर मिला | कुछ सप्ताह के बाद, विभाग को उसके घर को बचाने में साहसिक प्रदर्शन के लिए आभार प्रगट करने के लिए घर की मालकिन का ख़त आया | नेकी का जो कृत्य उन्होंने सबसे ऊपर लिखा था: किसी ने उनके लिए जूते भी आग से बचाए (हंसी) मेरे रोबिन हुड के कार्य में और मेरे अग्निशमन कर्मी की स्वयं सेवा में मैंने बहुत बड़ी मात्रा में उदारता और दया के कृत्य देखे हैं, मैंने व्यक्तिगत स्तर पर अनुग्रह और साहस के कृत्य भी देखे हैं और आपको बताना चाहूँगा कि मैंने इनसे क्या सिखा हैं इन सबका महत्व हैं मैं इस कमरे उन लोगो को देखता हूँ जिन्होंने अपार सफलता अर्जित कर ली हैं या करने वाले हैं, मैं उन्हें यह याद दिलाना चाहूँगा: प्रतीक्षा मत कीजिये प्रतीक्षा मत कीजिये कि जब तक किसी के जीवन में बदलाव लाने के लिए लाखो ना कमा ले अगर आपके पास देने के लिए कुछ हैं, तो अभी दीजिये किसी भूखे को खाना दीजिये, पड़ोसी का उद्यान साफ़ करिये मार्गदर्शक बनिये हर दिन हमे मौका नहीं मिलेगा किसी की जान बचाने का, लेकिन हर दिन मौका देता हैं किसी को प्रभावित करने का तो आप भी इसमें भाग लीजिये, जूते बचाइये धन्यवाद् (अभिवादन) ब्रुनो ज्युसानी(Bruno Giussani): मार्क, मार्क, वापस आ जाओ (अभिवादन) मार्क बेज़ोस: धन्यवाद् मैं सिर्फ चार साल का था जब मैंने अपनी माँ को वाशिंग मशीन में कपड़े डालते देखा उनके जीवन में यह पहली बार था | वो मेरी माँ के लिए एक बेहतरीन दिन था | मेरे माता पिता वर्षों से पैसे बचा रहे थे वाशिंग मशीन खरीदने के लिए | और यह पहला दिन था जब इसका उपयोग होना था, मेरी दादी माँ भी आमंत्रित थी वाशिंग मशीन देखने के लिए | और दादी माँ सबसे ज्यादा उत्साहित थी | उनके पूरे जीवन भर वो लकड़ियो को जला कर पानी गरम करती थी, और हाथ से सातो बच्चो के कपड़े धोती थी | और वो देखने वाली थी बिजली को वहीँ काम करते हुए | मेरी माँ ने सावधानी से दरवाजा खोला, और मशीन के अंदर कपड़े डाले, इस तरह | और फिर, जब उन्होंने दरवाजा बंद किया, दादी माँ ने कहा "नहीं नहीं नहीं नहीं " मुझे, मुझे बटन दबाने दो | और दादी माँ ने बटन दबाया, और उन्होंने कहा "शानदार मैं इसे देखना चाहती हूँ | मुझे एक कुर्सी दो | मुझे एक कुर्सी दो | मैं इसे देखना चाहती हूँ | और वो मशीन के सामने बैठ गयी, और उन्होंने कपड़े धोने के पूरी प्रक्रिया देखी | वो मंत्रमुग्ध हो गयी थी | मेरी दादी माँ के लिए, वाशिंग मशीन एक जादू था | आज, स्वीडन और दूसरी अमीर देशो में, लोग बहुत से अलग तरह की मशीन का उपयोग करते हैं | देखिए, घर मशीनों से भरे पड़े है; मैं उन सब का नाम भी नहीं ले सकता | और तब भी जब वो उड़ना चाहते हैं, वो हवा में उड़ने वाली मशीन का उपयोग करते हैं जो उन्हें दूर स्थानों तक ले जा सकती है | और अभी भी दुनिया ऐसे बहुत से लोग हैं जो आग जला कर पानी गर्म करते हैं, और आग पर ही अपना खाना बनाते हैं | कभी कभी उनके पास पर्याप्त खाना भी नहीं होता | और गरीबी रेखा के नीचे जीते है | दो सौ करोड़ ऐसे लोग है जो दो डालर प्रतिदिन से कम पर जीवित रहते हैं | और कुछ ऐसे अमीर लोग भी हैं -- सौ करोड़ लोग -- जो रहते है उसके ऊपर, जिसे मैं एयरलाइन(हवाई रेखा) कहता हूँ, क्युंकि वो एक दिन में 80 डालर से ज्यादा खर्च करते हैं अपनी उपभोग की वस्तुओ पर | लेकिन ये सिर्फ एक, दो, तीन सौ करोड़ लोग हैं, स्पष्ट रूप से इस दुनिया में सात सौ करोड़ लोग हैं, तो एक, दो, तीन, चार सौ करोड़ ऐसे लोग होने चाहिए, जो गरीबी रेखा और हवाई रेखा के बीच में रहते हैं | उनके पास बिजली है, लेकिन प्रश्न यह कि क्या उनके पास वाशिंग मशीन हैं? मैंने बाज़ार के आकड़ो का सूक्ष्म परीक्षण किया है, और मैंने पाया है, वास्तव में, वाशिंग मशीन ने हवाई रेखा के नीचे सेंध लगा ली है, और आज अन्य सौ करोड़ लोग ऐसे है जो वाश लाइन के ऊपर रहते है | (हँसी) और वो रोज 40 डालर से ज्यादा खर्च करते हैं | तो दो सौ करोड़ लोग ऐसे हैं जिनके पास वाशिंग मशीन है | और बाकी बचे पांच सौ करोड़, वो कपड़े कैसे धोते हैं? या और भी सही सवाल, दुनिया भर के ज्यादातर महिलाये कपड़े कैसे धोती हैं? क्युंकि यह महिलाओ के लिए मुश्किल काम है | वो इस तरह धोती है: हाथ से | यह एक मेहनत और समय लेने वाला काम है, जो हर हफ्ते घंटो करना पड़ता है | और कभी कभी उन्हें पानी भी दूर से लेकर आना पड़ता है घर में कपड़े धोने के लिए | या उन्हें धोने के कपड़े किसी दूर के पानी के स्रोत के पास लाने पड़ते है | और उन्हें वाशिंग मशीन चाहिए | वो अपने जीवन का ज्यादा समय बर्बाद नहीं करना चाहते इस मुश्किल काम को करने में इतनी कम उत्पादकता के साथ | और उनकी चाह में कुछ भी अलग नहीं है मेरे दादी माँ की चाह से | यहाँ देखिए, स्वीडन में दो पीढ़ियों पहले नदी की धारा से पानी निकलते हुए, आग से पानी गरम और इस तरह कपड़े धोते हुए | बिल्कुल उसी तरह इन्हें भी वाशिंग मशीन चाहिए | लेकिन जब मैं पर्यावरण के बारे चिंतित छात्रों को यह उपदेश देता हूँ, वो मुझसे कहते हैं "नहीं, दुनिया में सबके पास कार और वाशिंग मशीन नहीं हो सकती " हम यह उस महिला को कैसे कह सकते हैं जिसे वाशिंग मशीन नहीं मिलने वाली हैं? और तब मैं छात्रों से पूछता हूँ, मैंने उनसे पूछा है --पिछले दो सालो में पूछा है, "आप में से कितनो के पास कार नहीं हैं?" और उनमें से कुछ गर्व से अपना हाथ उठाते हैं और कहते हैं "मेरे पास कार नहीं है" और तब मैं कठिन सवाल पूछता हूँ: "आप से कितने अपने जींस और चादरों को हाथ से धोते है?" और किसी ने हाथ नहीं उठाया | यहाँ तक कि कट्टरपंथी पर्यावरणविद भी वाशिंग मशीन का उपयोग करते हैं | (हँसी) तो कैसे जिस चीज़ को सभी उपयोग में लाते हैं और वो सोचते है कि दूसरे उपयोग करना नहीं छोड़ेंगे; क्या खास है इसमें? मुझे पूरी दुनिया में उपयोग होने वाली ऊर्जा का विश्लेषण करना पड़ा | और वो यह है | यहाँ देखिए, आप सात सौ करोड़ लोगो को यहाँ ऊपर देखेंगे: हवाई लोग, वाशिंग मशीन वाले लोग, बल्ब वाले लोग और आग वाले लोग | इस तरह की एक इकाई जीवाश्म ईंधन के ऊर्जा की इकाई है -- तेल, कोयला या गैस | और इतनी ऊर्जा और बिजली पूरे दुनिया में हैं | और 12 इकाईया पूरी दुनिया में उपयोग होती हैं, और अमीर सौ करोड़, उनमे से 6 उपयोग करते हैं | आधी ऊर्जा दुनिया के आबादी के सातवें हिस्से के द्वारा उपयोग में लायी जाती है | और वो जिनके पास वाशिंग मशीन हैं, लेकिन घर में बाकी मशीने नहीं हैं, 2 उपयोग में लाते हैं | यह समूह 3 उपयोग करते हैं, प्रत्येक के लिए एक | और उनके पास बिजली भी हैं | और वहां पर वो प्रत्येक के लिए 1 भी उपयोग में नहीं लाते | इस तरह पूरे 12 हो गए | लेकिन मुख्य चिंता पर्यावरण के लिए चिंतित छात्रो के लिए --और वो सही है -- भविष्य के बारे में है | रुझान कैसे है? अगर हम रुझानो को बढ़ा कर देखे, बिना किसी असली आधुनिक विश्लेषण के, 2050 में, ऐसी दो चीज़े हैं जो ऊर्जा का उपयोग बढ़ा सकती हैं | पहली, जनसख्यां में वृद्धि | दूसरी, आर्थिक प्रगति | जनसख्यां वृद्धि मुख्यत: इन गरीब लोगो के बीच होगी, क्युंकि उनके लिए बच्चों की मृत्यु दर ज्यादा हैं और उनके लिए प्रति महिला बच्चे ज्यादा हैं | और उसके आपको अन्य 2 इकाई ऊर्जा मिलेगी, लेकिन यह ऊर्जा का उपयोग उतना नहीं बदलेगी | और जो होगा वो हैं आर्थिक प्रगति | उभरती अर्थ व्यवस्था के सबसे बढिया यहाँ पर हैं -- मैं उन्हें न्यू इस्ट(New East) कहता हूँ -- वो हवाई रेखा में कूद जायेंगे | "वुप्प " वो कहेंगे | और ये उतनी ही ऊर्जा का उपयोग शुरू करेंगे जितनी ओल्ड वेस्ट(Old West) पहले से कर रहा हैं और ये लोग, इन्हें वाशिंग मशीन चाहिए | मैंने कहा था | ये वहां जायेंगे | और ऊर्जा का उपयोग दुगुना कर देंगे | और हमे उम्मीद हैं कि गरीब लोगो के पास प्रकाश के लिए बिजली होगी | और उनके दो ही बच्चे होंगे जनसख्यां वृद्धि पर बिना रोक लगाये | लेकिन ऊर्जा की कुल खपत 22 इकाई तक बढ़ जायेगी | और इन 22 इकाइयों में से ज्यादातर अमीर लोग ही उपयोग करेंगे | तो क्या करना चाहिए? खतरे के कारण, मौसम के बदलाव की संभावना सत्य है | यह सत्य है | अवश्य ही और भी ज्यादा ऊर्जा कुशल होना होगा | उन्हें उसी तरह व्यव्हार बदलना होगा | उन्हें वैकल्पिक ऊर्जा का उत्पादन शुरू करना होगा, और भी ज्यादा वैकल्पिक ऊर्जा | लेकिन जब तक उनके लिए प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत उतनी ही हैं, उन्हें किसी और को उपदेश नहीं देना चाहिए -- कि क्या करना है और क्या नहीं | (अभिवादन) यहाँ हम और वैकल्पिक ऊर्जा पा सकते हैं | हमारी यह उम्मीद पूरी हो सकती हैं | यह भविष्य के लिए असली चुनौती है | लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि फवाला इन रियो की यह महिला इस महिला को वाशिंग मशीन चाहिए | वह अपने ऊर्जा मंत्री से बहुत खुश है जिसने सभी को बिजली प्रदान की -- इतना खुश कि उसके लिए वोट भी किया | और वो डील्मा रौसेफ़ राष्ट्रपति बन गयी, दुनिया के एक बड़े लोकतंत्र की -- ऊर्जा मंत्री से बढ़ कर राष्ट्रपति | अगर लोकतंत्र है, तो लोग वाशिंग मशीन के लिए वोट करेंगे | वो उनसे प्यार करते हैं | और इसके साथ क्या जादू है? मेरा माँ ने इस मशीन का जादू समझाया पहले दिन ही | उन्होंने कहा " अब हेंस, हमने कपड़े डाल दिये है; अब मशीन काम करेगी | और अब हम पुस्तकालय जा सकते हैं" क्युंकि यही जादू है : आपने कपड़े डाले, और मशीन से आपको क्या मिलता है? मशीन से आपको किताबे मिलती हैं, बच्चों की किताबे, और माँ को समय मिला मेरे लिए पढ़ने के लिए | उन्हें यह पसंद है | मुझे "ABC" मिल गया यहाँ पर ही मैंने प्राध्यापक के रूप में अपना जीवन शुरू किया, जब मेरी माँ के पास मेरे लिए पढ़ने का समय था | उन्होंने मेरे लिए किताबे भी लायी | उन्होंने अंग्रेजी भी पढ़ी और उसे विदेशी भाषा के रूप में सिखा | और उन्होंने बहुत सारे उपन्यास पढ़े, बहुत सारे उपन्यास | और सच में, सच में हम इस मशीन से प्यार करते हैं | और जो हमने कहा, मैंने और मेरी माँ ने, "औद्योगिकीकरण धन्यवाद | स्टील के कारखानों धन्यवाद | बिजली केंद्रों धन्यवाद | और रसायन संसाधन उद्योग धन्यवाद जिसने हमे किताबे पढ़ने का समय दिया " आप सभी का बहुत धन्यवाद | (अभिवादन) मुझे पता है कि आपको क्या लग रहा है। आप सोच रहे हैं कि मैं रास्ता भूल गयी हूँ, और अभी कोई मंच पर आयेगा और मुझे चुपचाप वापस अपनी सीट तक पहुँचा जाएगा। (ठहाका) दुबई में ये अक्सर मेरे साथ होता है। "छुट्टी में आयी हैं?" (हँसी) "बच्चों से मिलने आयी हैं?" "कितने दिन रुकेंगी?" असल में, मैं काफ़ी दिन और रुकना चाहती हूँ। मैं खाडी में रह रही हूँ और पढा रही हूँ करीब पिछले तीस साल से भी ज्यादा से। (ठहाका) और इतने समय में, मैनें बहुत सारे बदलाव देखे हैं। और इसकी संख्या काफ़ी चौंकाने वाली है। और आज मैं आपसे बात करना चाहती हूँ भाषाओं के खोने के बारे में और इंग्लिश के सारी दुनिया में फ़ैलने के बारे में। मैं आपको अपने एक दोस्त के बारे में बताना चाहती हूँ जो कि अबु धाबी में व्यस्कों को इंग्लिश पढाते हैं। और एक दिन, उन्होंने सोचा कि उन सब को बगीचे में ले जा कर प्राकृतिक वस्तुओं के नाम आदि सिखायेंगी। मगर असल में उन्हें ही सीखने को मिले तमाम अरब शब्द उन सब स्थानीय पौधों के, और उनके इस्तेमाल भी -- दवाई के रूप में, सौंदर्य प्रसाधन के रूप में, खाने में, आदि। इन विद्यार्थियों को ये जानकारी कहाँ से मिली थी? ज़ाहिर है, अपने दादा-दादी, नाना-नानी से और परदादा, परनाना से भी। अलग से ये बताना ज़रूरी नहीं कि कितना महत्वपूर्ण है कि हम बातचीते करें पीढियों के बीच। मगर दुखद है कि, आज, भाषाओं मर रही हैं बहुत तेज़ दर से। हर १४ दिन में एक भाषा लुप्त हो जाती है। और ठीक वहीं, इंग्लिश विश्व-भाषा बन कर उभर रही है। क्या ये बातें संबंधित हैं? मुझे नहीं पता। मगर मैं ये जानती हूँ कि मैनें बहुत सारे बदलाव देखे हैं। जब मैं पहली बार खाडी में आई, तो मैं कुवैत गयी उन दिनों में जब वहाँ जाना कठिन था। असल में, उतनी पुरानी बात नहीं है। थोडा ही पहले की बात है। मगर फ़िर भी, मुझे ब्रिटिश काउंसिल ने नौकरी दी थी २५ और अध्यापकों के साथ। और हम पहले गैर-इस्लामी लोग थे जिन्होने कुवैत के सरकारी स्कूलों में पढाया। हमें इंग्लिश पढाने के लिये लाया गया था क्योंकि सरकार देश को आधुनिक बनाना चाहती थी और नागरिको को क्षमता देना चाहती थी, शिक्षा के ज़रिये। और बिलकुल ही, यू.के. ने फ़ायदा उठाया तमाम सारे तेल के संसाधनों का। ओके। और जो बदलाव मैने देखा है वो ये है कि- कैसे इंगलिश पढाना बदला है दोनो ओर को फ़ायदे देने वाली क्रिया से इतने बडे वैश्विक व्यापार में, जो आज वो है। वो सिर्फ़ स्कूल के कोर्स में पढायी जाने वाली विदेशी भाषा नहीं रह गयी है। न ही वो बपौती रह गयी है इंग्लैण्ड की। वो ऐसी पार्टी बन गयी है जिसमें इंग्लिश बोलने वाले हर राष्ट्र को शामिल होना ही है। और क्यों न हो? आखिरकार, सबसे बढिया शिक्षा -- विश्व के विद्यालयों की लिस्ट के हिसाब से --- उन विश्वविद्यालयों में -- जो कि यू.के. और यू.एस. में हैं। तो हर कोई इंग्लिश की पढाई करना चाहता है, ज़ाहिर तौर पर। मगर यदि आप इंगलिश के मूल-वक्ता नहीं हैं, तो आपको एक परीक्षा देनी होती है। क्या यह सही हो सकता है कि कि किसी विद्यार्थी को इसलिये दाखिला न मिले कि उसकी भाषा पर पकड ठीक नही है? शायद कोई ऐसा कम्प्यूटर वैज्ञानिक हो जो जीनियास हो। क्या उसे भाषा-कौशल की उतनी ही ज़रूरत पडेगी, जितनी कि, एक वकील को? देखिये, मुझे तो ऐसा नहीं लगता। हम इंग्लिश के अध्यापक अक्सर ऐसे लोगों को हटा देते हैं। उनके सामने रुको का साइन-बोर्ड लगा कर, और उन्हें हम उनके रास्ते में ही रोक देते हैं। वो अपने सपनों को साकार नहीं कर सकते, जब तक कि वो इंग्लिश न सीख लें। चलिये, दूसरी तरह से कहती हूँ, अगर मुझे सिर्फ़ एक भाषा बोलने वाल डच व्यक्ति मिले, जिसके पास कैंसर का इलाज है, तो क्या मैं उसे ब्रिटिश विश्वविद्यालय में आने से रोकूँगी? मैं तो बिलकुल भी नहीं रोकूँगी। मगर सच मे, हम बिलकुल यही कर रहे हैं। हम इंग्लिश अध्यापक वो चौकीदर हैं। और पहली आपको हमें संतुष्ट करना होगा कि आपकी अंग्रेजी ठीक-ठाक है। ये बहुत खतरनाक हो सकता है कि हम बहुत ज्यादा ताकत दे दें समाज के एक छोटे से हिस्से को। शायद ये रुकावट सारे विश्व में फ़ैल जाये। है न? मगर, आप कहेंगे, कि "शोध के बारे में मेरी क्या राय है? वो तो पूरा ही अंग्रेजी में है।" तो सारी किताबें इंग्लिश में हैं, सारे जर्नल इंग्लिश में हैं, मगर ये खुद को ही स्थापित करते जाने वाली बात है। ये तर्क और भी ज्यादा अंग्रेजी जानने को बढावा देता है। और ये इसी तरह बढता जाता है। मैं आपसे पूछती हूँ, अनुवाद का क्या हुआ? अगर आप इस्लाम के स्वर्ण काल के बारे में सोचें, तो आप पायेंगे कि तब बहुत अनुवाद होता था। वो लेटिन और ग्रीक से अनुवाद करते थे, अरबी मे, फ़ारसी में, और फ़िर वहाँ से आगे, यूरोप की जर्मन मूल की भाषाओं मे, और रोमन भाषाओं में। और इस तरह से ही यूरोप का अँधकार-युग ख्त्म हुआ। देखिये, मुझे गलत मत समझिये; मैं इंग्लिश पठन-पाठन के ख़िलाफ़ नहीं हूँ, अँग्रेज़ी अध्यापक ध्यान दें। मुझे ये बात बहुत अच्छी लगती है हमारे पास एक वैश्विक भाषा है। आज हमें ऐसी वैश्विक भाषा की ज़रूरत है। मगर मैं उसके रुकावट के रूप में विकसित होने के ख़िलाफ़ हूँ। क्या हम सच में चाहते हैं कि केवल ६०० भाषाएँ हों और मुख्य भाषा इंग्लिश हो, या चीनी हो? हमें उस से ज्यादा चाहिये। हम कहाँ पर लाइन खींचें? आज का सिस्टम बुद्धिमत्ता को इंगलिश की जानकारी से कनफ़्यूज़ करता है, जो कि बिल्कुल ही गलत है। (अभिवादन) और मैं आपको याद दिलाना चाहती हूँ कि उन महान हस्तियों को, जिनके कंधों पर आज के ज्ञान और बुद्धि टिकी है, इंगलिश नहीं पढनी पडती थी, न हि उन्हें इंग्लिश की कोई परीक्षा पास करनी होती थी। मिसाल के तौर पर, आइंस्टाइन। और उन्हें तो स्कूल में बुद्धू समझा जाता था क्योंकि असल में, वो डिस्लेक्सिक थे। मगर ये संसार का सौभाग्य ही था, कि उन्हें अँग्रेज़ी की परीक्षा नहीं देनी पडी। क्योंकि सन १९६४ तक टोफ़ेल (TOEFL) परीक्षा की शुरुवात ही नहीं हुई थी, जो कि अमरीकी परीक्षा है अंग्रेज़ी की। और अब तो उसके बिना कुछ होता ही न। इंग्लिश-कौशल मापने के आज तमाम तरीके हैं और कई लाख विद्यार्थी उनमें शरीक हो रहे है, साल दर साल। और आपको और मुझे लग सकता है, कि उनमें लगने वाली फ़ीस, ठीक ही है, बहुत महँगी नहीं,. मगर वो रुकावट पैदा करती है करोंडों गरीब लोगों की राह में। तो इसलिये, उन्हें तो हम बिना परीक्षा के ही भगा दे रहे हैं। (अभिवादन) मुझे एक खबर याद आ रही है, हाल ही की: शिक्षा: विभाजन का ज़रिया अब मुझे समझ आया है। मैं समझती हूँ कि क्यों लोग इंग्लिश पर इतना ध्यान देते हैं वो अपने बच्चों को सफ़लता प्राप्त करने लायक बनाना चाहते हैं। और वो करने के लिये, उन्हें पाशचात्य शिक्षा की आवश्यकता है। क्योंकि, ज़ाहिर है, सबसे अच्छी नौकरियाँ उन्हीं को मिलती हैं जो पश्चिमी विश्वविद्यालयॊं में पढ्ते है, जैसा मैने पहले कहा था। ये एक घुमावदार मृग-मरीचिका है । ठीक है? चलिये मैं आपको दो वैज्ञानिकों की कहानी सुनाती हूँ, दो इंग्लिश वैज्ञानिकों की।\ वो एक प्रयोग कर रहे थे जैनेटिक्स पर, जानवरो के अगले पाँवों और पिछले पाँवो पर आधारित। मगर उन्हें वो निष्कर्श नहीं मिल रहे थे जो वो चाहते थे। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि वो आखिर क्या करें, जब तक कि एक जर्मन साइंसदान नही आया, जिसने ये देखा कि वो लोग दो अलग अलग शब्दों से अगले और पिछले पाँवो के बारे में बात कर रह थे. जबकि जैनेटिक्स को पाँवो के अगले या पिछले होने से फ़र्क नहीं पडता, और न ही जर्मन भाषा को। बस धडाके से समस्या हल हो गयी। यदि आप कोई विचार सोच नहीं पायेंगे, तो आप अटक जायेंगे। मगर यदि दूसरी भाषा वो विचार सोच सके, तो साझेदारी से बहुत कुछ पाया जा सकता है, और सीखा जा सकता है। मेरी बेटी, इंगलैंड से कुवैत यी थी। उसने विज्ञान और गणित अरबी भाषा में सीखा है। एक अरबी विद्यालय में। और उसे उस ज्ञान को अंग्रेजी में अनुवादित करना पडा अपने व्याकरण विद्यालय में। और वो कक्षा में अव्वल थी इन विषयों में। जिस से ये पता चलता है कि जब विद्यार्थी विदेश से हमारे पास आता है, हम शायद उनके ज्ञान को यथोचित सम्मान नहीं दे रहे है, और उन्हें ज्ञान अपनी भाषा में होता है। जब एक भाषा की मृत्यु होती है, हमें नहीं पता चलता है कि उस भाषा के साथ हम क्या खो रहे हैं। पता नहीं आपने सी.एन.एन पर देखा या नहीं -- वो हीरो पुरस्कार देते हैं- एक कीन्या के चरवाहे लडके को जो कि अपने गाँव में रात को पढ नही पाता था, क्यों तमाम और बच्चों की तरह ही उसका मिट्टी तेल का दिया, धुँआ करता था, और आँखें खराब करता थी। और ऐसे भी, उस के पास पर्याप्त तेल नहीं होता थी, क्योंकि एक डालर प्रतिदिन में आप क्या क्या खरीद सकते हैं? तो उसने अविष्कार किया एक मुफ़्त सौर-लालटेन का। और अब, उसके गाँव के बच्चे, वही नंबर लाते है, जो कि वो बच्चे जिनके घरों में बिजली है। (अभिवादन) जब उसे वो पुरस्कार मिला, उसने ये प्यारे शब्द कहे: "बच्चे अफ़्रीक को बदल सकते हैं - एक अंधकार-युक्त महाद्वीप से, एक रोशनी भरे महाद्वीप में" एक छोटा सा आयडिया, मगर उसके कितने बडा असर हो सकता है। जिन लोगों के पास रोशनी नहीं है, चाहे दिये की या फ़िर ज्ञान की, वो हमारे अंग्रेजी की परीक्षाओं को पास नहीं कर सकते हैं, और हमें कभी पता नहीं लगेगा कि उनके पास क्या ज्ञान है। आइये उन्हें और स्वयं को अँधकार से निकालें। विविधता का सम्मान करें। अपनी जुबान पर काबू करें। उसे महान विचारों को फ़ैलाने में इस्तेमाल करें। (अभिवादन) धन्यवाद। (अभिवादन) बचपन में मुझे कार बहुत पसंद थी| जब मैं 18 का हुआ, तब मैंने अपने सबसे अच्छे मित्र को सड़क दुर्घटना में खो दिया| इस तरह| तब मैंने निश्चय किया कि मैं अपना जीवन सालाना 10 लाख लोगो के जीवन को बचाने में समर्पित करूँगा | मैं अभी तक सफल नहीं हुआ हूँ , यह केवल प्रगति का विवरण है, लेकिन मैं यहाँ आपको स्वचालित कार के बारे में थोडा बहुत बताऊंगा| मैंने सबसे पहले यह विचार DARPA प्रतियोगिता में देखा जिसमे US सरकार ने इनाम की घोषणा की ऐसी स्वचालित कार बनाने के लिए जो रेगिस्तान में चल सके | वहाँ सौ से भी ज्यादा समूह होने के बावजूद भी, ऐसी कार नहीं बन सकी | तो हमने स्टानफोर्ड(Stanford) में एक अलग स्वचालित कार बनाने का निर्णय लिया | हमने हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर बनाया | इसे हमने सिखाया और रेगिस्तान में आज़ाद छोड़ दिया| और फ़िर अकल्पनीय घटना हुई यह पहली कार बनी जो DARPA प्रतियोगिता में सफल हुई और स्टानफोर्ड के लिए 20 लाख डालर जीते | हाँ, अभी तक मैं कोई जीवन नहीं बचा पाया क्युकि हम केन्द्रित थे ऐसी कार बनाने जो खुद से कही भी जा सके केलिफोर्निया के किसी भी सड़क पर | हम इसे 140,000 मील चला चुके हैं | हमारी कार में सेंसर(Sensor) लगे हैं जो जादुई रूप से अपने आसपास सब देख सकते हैं और गाड़ी चलाने के बारे में कोई भी निर्णय ले सकते हैं यह गाड़ी चलाने की आदर्श प्रक्रिया है | हमने इसे शहरो में चलाया है जैसे यहाँ पर सैन फ्रांसिस्को में हमने इसे हाईवे 1 पर सैन फ्रांसिस्को से लॉस एंजेलेस तक चलाया है हमारा सामना हुआ है लोगो से, व्यस्त हाईवे से, टोल नाके से, और बिना किसी व्यक्ति के भागीदारी के इस कार ने खुद को चलाया है | असल में जब हमने इसे 140,000 मील चलाया इस पर किसी का ध्यान भी नहीं गया| पहाड़ी रास्ते, दिन और रात, यहाँ तक कि सैन फ्रांसिस्को के क्रुकड लोम्बारड स्ट्रीट पर भी| (हंसी) कभी कभी हमारी कार पागल भी हो जाती है, वो थोड़े करतब भी दिखाती है | (वीडियो) आदमी: हे भगवान, क्या? दूसरा आदमी: ये खुद ही चल रही है| सेबस्टियन थरन: मैं अपने दोस्त हेरोल्ड(Harold) को वापस नहीं ला सकता, लेकिन मैं कुछ कर सकता हूँ उन सभी के लिए जो मर चुके हैं | क्या आपको पता है सड़क दुर्घटनाये जवान लोगो के मृत्यु का सबसे बड़ा कारण हैं ? और क्या आपको इस बात का अहसास है कि लगभग सारी दुर्घटनाएं मानवीय भूल के कारण होती हैं ना कि मशीनी त्रुटि के कारण, और क्या ये मशीनों से रोकी जा सकती हैं ? क्या आपको एहसास है कि हम हाईवे की क्षमता दो या तीन गुना बढ़ा सकते हैं अगर हम रास्ते पर रहने के लिए मानवीय योग्यता पर निर्भर ना रहें तो -- गाड़ी की स्थिति को बेहतर बना सकते हैं और इस तरह एक दुसरे के करीब रहते हुए गाड़ी चला सकते हैं थोड़े सकरे रास्तों पर, और हाईवे में होने वाले ट्रैफिक जाम से मुक्ति पा सकते हैं? क्या आपको एहसास है, आप TED श्रोतागण सामान्यत: हर दिन 52 मिनट ट्रैफिक में बिताते हैं , रोज आने जाने में समय बर्बाद करते हैं ? आप इस समय को वापस पा सकते हैं | अकेले इस देश में 400 करोड़ घंटे व्यर्थ चले जाते हैं | और 240 करोड़ गैलन ईंधन भी बर्बाद होता है| मैं सोचता हु यहाँ एक संभावना है, एक नयी तकनीक की, मैं आने वाले एक ऐसे समय की उम्मीद करता हूँ जब हमारी आने वाली नस्ले हमे देखेंगी और कहेगी कि इंसान कितनी बुरी तरह से गाड़ी चलाते थे| धन्यवाद (अभिवादन) हम अक्सर सुनते हैं कि लोगों को कोई फ़र्क नहीं पडता। कितनी बार आपको बताया गया है कि वास्तविक और ठोस बदलाव संभव ही नहीं है क्योंकि ज्यादातर लोग इतने स्वार्थी, या बेवकूक, या आलसी हैं कि अपने समाज के बारे में बिलकुल नहीं सोचते? आज मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि उदासीनता को जिस रूप में हम जानते हैं, उदासीनता वैसी नहीं है, बल्कि, मैं कहता हूँ लोगों को फ़िक्र है, मगर हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जो कि तत्परता से भागीदारी को हतोत्साहित करती है, लगातार हमारे रास्ते में रोडे-रुकावटें पैदा कर के। और मैं आपको इस का उदाहरण देता हूँ। टाउन-हाल से शुरु करते हैं। इन में से एक आपने पहले देखा ही होगा? ये एक अखबारी विज्ञापन है। ये एक नयी ऑफ़िस की इमारत बनाने के लिये क्षेत्रीकरण बदलने का नोटिस है जिस से कि आसपडोस वाले जान जायें कि क्या हो रहा है। जैसा कि आप देख रहे है, इसे पढना नामुमकिन है। आपको कम से कम आधे पन्ने तक जाना होगा सिर्फ़ ये जानने के लिये कि बात कहाँ की हो रही है, और फ़िर और नीचे, एकदम चींटीं बराबर अक्षरों में पढना होगा कि आप कैसे हिस्सेदारी निभा सकते हैं। सोचिये यदि निज़ी कंपनियों के विज्ञापन ऐसे होते -- अगर नाइकी एक जोडी जूते बेचना चाहता और अखबार में ऐसा विज्ञापन निकालता। (ठहाका) और ऐसा कभी भी नहीं होगा। आप को कभी भी ऐसा विज्ञापन देखने को नहीं मिलेगा, क्योंकि नाइकी वाकई चाहता है कि उसके जूते बिकें। लेकिन टोरंटों शहर की सरकार , ज़ाहिर तौर पर, नहीं चाहती कि आप योजना में शामिल हों, नहीं तो उनके विज्ञापन कुछ इस तरह के दिखते -- सारी जानकारी सुचारु रूप से प्रस्तुत की गयी होती। जब तक शहर की सरकार ऐसे नोटिस निकालती रहेगी लोगों से भागीदारी माँगने के लिये, तब तक लोग, बिलकुल भी, शामिल नहीं होंगे। लेकिन ये उदासीनता नहीं है; ये जानबूझ कर आपको हटाया जा रहा है। सार्वजनिक स्थान। (ठहाका) हमारे द्वारा की जाने वाली सार्वजनिक स्थानों की बेकद्री भी बहुत बडी रुकावट है, किसी भी प्रगतिवादी राजनैतिक बदलाव के रास्ते में। क्योंकि हमने असल में अभिव्यक्ति की कीमत लगा दी है। जिसके पास सबसे ज्यादा पैसा है, उस की आवाज़ सबसे ऊँची हो जाती है, और वो पूरे दृश्य और मानिसिक परिवेश पर छा जाता है। इस मॉडल के साथ समस्या ये है कि कुछ ऐसे संदेश हैं जिन्हें जनता तक पहुँचाना अनिवार्य है मगर मुनाफ़े के हिसाब से फ़ायदेमंद नहीं है। इसलिये वो संदेश कभी भी आपको होर्डिंग पर नहीं दिखेंगे। मीडिया की भारी भूमिका है राजनैतिक बदलाव से हमारी रिश्तेदारी विकसित करने में, मुख्यतः ज़रूरी राजनैतिक आंकलन को नज़रअंदाज़ कर के, स्कैंडलों और सेलिबिट्रियों के समाचारों पर केंद्रित हो कर। और जब वो बात करते भी हैं महत्वपूर्ण मुद्दों पर, तो ऐसे कि लोग हिस्सेदारी निभाने से कतराने लगें। और मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ: द नाओ मैगज़ीन पिछले हफ़्ते की -- टोरंटो की प्रगतिवादी, शहरी साप्ताहिक मैगज़ीन। ये इसकी कवर स्टोरी है। ये एक थियटर प्रस्तुति की रपट है, और ये उसके बारे में मूल जानकारी से शुरु होती है कि ये कहाँ होगी, - कि अगर आप जाना चाहें और देखना चाहें इस रपट को पढने के बाद --- कहाँ , कब, वेब्साइट। यहाँ भी वही है --- ये एक फ़िल्म की आलोचना है, एक आर्ट रपट, एक किताब पर रपट -- इसकी रीडिंग कहाँ है, यदि आप शामिल होना चाहें। एक रेस्त्रां - हो सकता आप सिर्फ़ पढना ही नही चाहते, बल्कि कभी जाना भी चाहें इस रेस्त्रां में। तो वो बताते हैं कि, कहाँ है, दाम कितने हैं, पूरा पता, फ़ोन नंबर वगैरह। अब इनके राजनैतिक लेख देखिये। ये एक बढिया लेख है जल्द ही होने वाले एक चुनावी बहस पर। ये उम्मीदवारों के बारे में बताता है - बहुत बढिया लिखा है -- मगर जानकारी गायब है, न कोई आगे की बात, कोई वेब्साइट नहीं, न ही ये कि कब है ये बहस, कहाँ इस का ऑफ़िस है। ये एक और बढिया लेख है परिवहन के निज़ीकरण के विरोध में होने वाले आंदोलन पर बिना किसी जानकारी के, कि भाग कैसे लें। मीडिया का संदेश लगता है ये है कि पाठकगण खाना तो चाहेंगे, हो सकता है किताब भी पढना चाहें, या फ़िल्म देखना, मगर समाज में हिस्सेदारी तो नहीं लेंगे। और आपको लग सकता है कि ये तो छोटी सी बात है, मगर मुझे लगता है कि ये एक पृथा को जन्म देती है, और इस खतरनाक मानसिकता को बढावा देती है कि राजनीति तो दूर से देखने की चीज़ है। नायक: हम नेतृत्व को कैसे देखते हैं? इन दस फ़िल्मों को देखिये। इनमें क्या बात एक सी है? कोई बतायेगा? इन सब के हीरों भाग्य द्वार चुने गये थे। कोई उन तक आया और कह गया, "आप तो महान हैं। आपका जन्म दुनिया को बचाने के लिये हुआ था।" और फ़िर ये जा कर विश्व का संकट हर लेते है, क्योंकि कोई उन्हें बता गया था, और साथ में एक दो लोग और होते हैं। इस से मुझे समझ आता है कि क्यों बहुत सारे लोग खुद को नेतृत्व के काबिल नहीं समझते हैं। क्योंकि ये बहुत गलत संदेश देती है कि नेतृत्व आखिर है क्या। वीरता भरा प्रयास दरअसल एक पूरे दल का प्रयास होता है, पहली बात। दूसरी बात, कि ये पूर्णतः मंझा हुआ नहीं होता; और न ही गलैमरस; और ये अचानक शुर और अंत नहीं हो जाता है। ये ताज़िंदगी लगातार चलने वाला कार्यक्रम होता है। मगर सबसे ज़रूरी, ये स्वेचछा से अपनाया गया होता है। स्वेच्छा इसमें सबसे महत्वपूर्ण होती है। जब तक हम अपने बच्चों को ये पढाते हैं कि आप तब ही नेतृत्व कर सकते हैं जब आपके माथे पर कोई आ कर निशान लगाये, या फ़िर कोई आ कर बताये कि आपको विशेष रूप से इस के लिये बनाया गया है, तब तक वो लोग नेतृत्व का मूल गुण ही नहीं सीख पायेंगे, जो कि ये है कि नेतृत्व की ललक भीतर से आती है। नेतृत्व अपने सपनों को साकरा करने के बारे में है -- बिना निमंत्रण, बिन बुलाये -- और फ़िर दूसरों के साथ मिल कर उन सपनों को साकार करना । राजनैतिक पार्टियाँ - बाप रे! राजनैतिक पार्टिया को होना चाहिये और वो हो सकती हैं एक अच्छा रास्ता लोगों के राजनीति में शामिल होने का। बजाय इसके, दुःख की बात है कि वो बन गयी है, निराशाजनक और गैर-रचनात्मक संगठन जो कि पूरी तरह पर मार्किट-रिसर्च और पॉलिंग और वोट-बैंकों पर केंद्रित हैं, और अपना सारा समय बस वही कहने में लगाती हैं, जो कि हम सुनना चाहते है पहले से, बजाय कुछ वास्तविक और चुनौती भरे सुझावों के। और लोग ये समझते है, और इस से निराशा बढती है। (अभिवादन) चैरिटी होना: कनाडा में जो दल चैरिटी घोषित हो चुके हैं, वो विज्ञापन नहीं दे सकते। ये एक भारी समस्या है, और बदलाव के रास्ते की रुकावट भी, क्योंकि इसका मतलब है कि सबसे ज्यादा समझदार और जज़्बे वाली आवाजों को बिलकुल ही खामोश कर दिया गया, खासकर चुनावों के समय। और अब आखिरी वाला, जो कि है हमारे चुनाव। आपने ध्यान दिया होगा, कनाडा में चुनाव सिर्फ़ एक मज़ाक है। हम प्राचीन बेकार प्रणालियाँ इस्तेमाल करते हैं जो कि पक्षपाती हैं और बेतरतीबी नतीज़ें देती हैं। कनाडा में आज जिस पार्टी की सरकार है, उसे ज्यादातर कनाडावासी नहीं चाहते। हम कैसे लोगों को वोट डालने के लिये उकसायें जब कि वोटों का कनाडा में कोई मतलब ही नहीं? आप ये सब एक साथ कर सोचिये तो ठीक ही लगेगा कि लोग उदासीन हैं। भागीदारी करना चट्टान में सिर मारने जैसा लगता है। देखिये, मैं नकारात्मक नहीं हूँ कि इन सब बातो को आप के सामने प्रस्तुत करने पर भी। उसका ठीक उल्टा: मै असल में मानता हूँ कि लोग रचनात्मक और बुद्धिमान हैं, और उन्हें सच में फ़र्क पढता है। मगर ये, जैसा कि मैने कहा, कि हम ऐसी दुनिया में हैं जहाँ ये सारी रुकावटे हमारे रास्ते में अडी हैं। जब तक हम ये मान कर बैठे रहेंगे कि हमारे लोग, हमारे पडोसी, खुदगर्ज़ है, बेवकूक हैं, या आलसी हैं, तो फ़िर कोई आशा बाकी नहीं रहेगी। मगर हम उन चीजों को बदल सकें जो मैने अभी कहीं। हम टाउन हाल को जनता-जनार्दन के लिये सच में खोल दें। हम अपने चुनाव की प्रक्रिया को बदलें। हम अपने सार्वजनिक स्थानों को प्रजातांत्रिक बनायें। मेरा मुख्य संदेश है कि, यदि हम उदासीनता को किसी गहरे पैठे मर्ज़ की तरह नहीं देखें, बल्कि हमारी संस्कृति और आदत में शुमार रुकावटों के रूप में लें, जो कि उदासीनता को बढावा देती हैं, और यदि हम उन्हें ढंग से पहचानें, परिभाषित करें, कि वो क्या रुकावटें है, और फ़िर यदि हम साथ मिल कर उन रुकावटों को उखाड फ़ेंके, तो कुछ भी संभव है। ध्न्यवाद। (अभिवादन) अपने अधिकांश वयस्क जीवन में मुझे एक सवाल हैरान करता रहा है और मैं उसपर अपने विचार लिखती रही हूँ - क्यूँ कुछ बड़े संकट हमें झटका देके जगाते है हैं और परिवर्तन के लिए प्रेरित करते हैं, जबकि कुछ हमें हल्का धक्का तो देते हैं, किन्तु परिवर्तन नहीं ला पाते. जिन झटकों की बात मैं कर रही हूँ वे बहुत बड़े हैं - शेयर बाज़ार में बहुत बड़ी गिरावट, बढ़ता फासिस्टवाद, या बड़ी औद्योगिक दुर्घटना जो भारी पैमाने पर जहर फैलाकर जानें ले ले. ऐसी घटनाएं सामूहिक घडी की घंटी होती है जगानेवाली . अचानक, खतरा देखकर, हम संगठित हो जाते हैं. हम वो ताकत और संकल्प ढूंढ लेते हैं, जो पहले अकल्पनीय थी. हम चलने नहीं, बल्कि कूदने लगते हैं. लेकिन फिर, वह सामूहिक अलार्म घडी खराब हो जाती है. संकट के समय हम अक्सर बिखर जाते हैं या पीछे हट जाते हैं, और यह लोकतंत्र-विरोधी ताकतों को मौका देता है, समाज को पीछे धकेलने, असमान और अस्थायी बनाने का. 10 साल पहले मैंने समाज के इस विपरीत दिशा में जाने के बारे में लिखा, जिसे मैं धक्का तन्त्र" कहती हूँ. ये किस बात पर निर्भर करता है कि संकटकाल में हम किस राह को चुनते हैं? क्या हम तेज़ी से बढ़ते हैं और शक्तिशाली बनते हैं, या ठोकर खाकर पीछे हट जाते हैं? मेरा मानना है कि आज के समय में ये महत्त्वपूर्ण सवाल है. क्यूँकि स्थिति काफी चौंकानेवाली हैं. रिकॉर्ड तोड़नेवाले तूफ़ान, डूबते शहर, भयानक आगज़नी जो सब निगल जाएँ, हजारों विस्थापितों का लहरों में डूब जाना, और खुलेआम उच्चता आंदोलनों का बढ़ना. कई देशों में बड़े आंदोलनों हुए हैं. अब ऐसे लोगों की कमी भी नहीं है, जो इन घटनाओं पर चेतावनी दे रहे हैं. पर एक समाज के रूप में, हम ये नहीं कह सकते कि हम उस तेज़ी से इन समस्याओं को उत्तर दे पा रहे हैं, जो ये हमसे चाहती हैं. इतिहास हमें बताता है कि, संकटकाल से बड़ी विकासकारक छलांग जन्म ले सकती हैं. संकटकाल की प्रगतिशील शक्ति की सबसे असाधारण मिसाल है - 1929 की महामंदी . शेयर मार्केट झटके से धराशायी हुआ, फिर पीछे-पीछे और कई धक्के लगे, जिसमे लाखों लोगों का सब कुछ लुट गया और उन्हें भुखमरी के दिन देखने पड़े. इस घटना से लोगों को यह सन्देश मिला कि, सिस्टम में बहुत गलतियां हैं. कई लोगों ने इसपर विचार किया और चीज़ें ठीक करने के लिए कदम उठाये. अमेरिका और कुछ अन्य देशों की सरकारें सुरक्षा कवच बनाने में जुट गईं, ताकि दोबारा अगर यह स्थिति बने तो सामजिक सुरक्षा के कार्यक्रम लोगों की मदद करने में सक्षम हों. बड़े पैमाने पर रोज़गार पैदा करने वाले निवेश किये गये . गृह-निर्माण, बिजली-परियोजनाएं और यातायात के लिए. बैंकों को नियंत्रित करने के लिए आक्रामक कानूनों को लागू किया गया. हालाँकि ये सुधार एकदम सटीक नहीं थे. USA में अफ़्रीकी मूल के मजदूर, प्रवासी नागरिक और महिलाएं, इससे बाहर रखे गए थे. लेकिन भीषण मंदीका का यह काल, उसमे हुए परिवर्तन और, द्वितीय विश्व युद्ध के समय किये गए उपाय हमें यह दिखाते हैं कि जटिल समाज को तेज़ी से रूपांतरित किया जा सकता है, अगर सबके ऊपर सामूहिक खतरा मंडरा रहा हो. जब हम 1929 के बारे में बताते हैं तो उसका एक सादा तरीका होता है कि एक बड़ा झटका लगा, जिससे लोग जागृत हुए और समाज ने सुरक्षित जगह पर छलांग लगा दी. अगर यह इतना ही सादा होता, तो अब क्यूँ नहीं काम कर रहा? क्यूँ आज के ये लगातार पड़ रहे झटके, कुछ ठोस कदम उठाने के लिए उद्वेलित नहीं कर रहे? क्यूँ वो छलांगें जन्म नहीं ले रहीं? खासकर, जलवायु परिवर्तन के मामले में. मैं आज यहाँ बताना चाहूंगी कि धक्कादायक घटनाओं से गहरे बदलाव लाने का पक्का तरीका क्या है. और मैं दो ख़ास भागों पर ध्यान केन्द्रित करुँगी, जो इतिहास में दर्ज नहीं होती. पहली है, कल्पना और दूसरा, संगठन. क्यूँकि इन दोनों की परस्पर क्रिया में ही क्रांतिकारी शक्ति विद्यमान है. पहले कल्पनाशक्ति की बात करते हैं. नये सौदे की अचानक जीत नहीं हुई क्यूँकि सबको एकदम से कुछ-न-करने की नीति से होने वाले नुकसान की समझ आ गयी थी. उस काल में, जबरदस्त वैचारिक उथल पुथल हुई जिनमे समाज को एकत्रित करने के कई तरीकों पर खुलेआम विचार हुआ. ऐसा समय जिसमे मानवता ने बड़ा सोचने की हिम्मत की थी, भांति भांति के भविष्यों पर, जिसमे कई मौलिक रूप से समानतावादी थे. सारे विचार अच्छे नहीं थे, किन्तु यह विस्फोटक कल्पनाओं का काल था. इसका मतलब, बदलाव की मांग करनेवाले आंदोलनों को पता था वे किसके खिलाफ हैं - अत्यंत गरीबी, बढती हुई असमानता - लेकिन साथ साथ उन्हें ये भी पता था कि उनको क्या चाहिए. उनको अपनी हाँ और ना का पता था. उस समय में राजनितिक संगठन का ढंग आज के मुकाबले अलग था. अनेक दशकों से, सामाजिक और श्रमिक आन्दोलन पनप रहे थे, और अपनी सदस्यता बढ़ा रहे थे, जिससे उनके लक्ष्य जुड़ गए और उनकी शक्ति बढ़ गयी. जिस समय क्रैश हुआ, तब तक एक बड़ा और सर्वांगिक आन्दोलन बन चुका था, जिसके हड़ताल करने पर न सिर्फ़ कारखाने, बल्कि पूरा शहर बंद पड़ सकता था. नये सौदे की जीत, वास्तव में सुलह के लिए की जाने वाली प्रस्तुति थी. अथवा बड़ी क्रांति की अपेक्षा की जा रही थी. तो जरा उस समीकरण को ठीक करते हैं. एक बड़ा झटका + आदर्शवादी कल्पना + आन्दोलन की शक्ति = तेज सामाजिक छलांग. आज की परिस्थिति कैसी दिखती है? हम असाधारण राजनितिक परिस्थितियों में जी रहे हैं. राजनीती जन-साधारण का जूनून है. प्रगतिशील आन्दोलन व्यापक रूप लेकर बड़ी हिम्मत से विरोध प्रकट कर रहे हैं. लेकिन इतिहास बताता है कि सिर्फ़ "ना" काफी नहीं. कुछ "हाँ" भी उभर रहे हैं. और तेज़ी से प्रभावशाली भी हो रहे हैं. पहले पर्यावरणविद बल्ब बदलने की बात कर रहे थे, पा अब हम 100% उर्जा, सूर्य, वायु, और लहरों से पैदा करने की बात कर रहे हैं, और वह भी बड़ी जल्दी ही. पुलिस द्वारा की जानेवाली हिंसा के विरोधी, पुलिस के सैन्यीकरण का, सामूहिक कैद, और गुलामी के प्रायश्चित की मांग कर रहे हैं. विद्यार्थी बढती फीस का ही विरोध नहीं कर रहे, बल्कि, चिली, कनाडा और ब्रिटेन तक, फीस के खात्मे और कर्जामाफी की मांग कर रहे हैं. लेकिन यह सब मिलकर भी संपूर्ण और व्यापक विश्व की कल्पना, जो हमारे पूर्वजों ने की थी, तक नहीं पहुँच पाता. ऐसा क्यूँ है? हमारी राजनीतिक बदलाव की परिभाषा सीमित विभागों में सिमट गयी है. पर्यावरण, असमानता, प्रजाति और लैंगिक न्याय अलग विभाग हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य अलग विभाग हैं. और हर विभाग में हजारों की संख्या में गुट और NGO हैं, जो एक दूसरे से श्रेय, पहचान और संसाधनों के लिए लड़ रहे हैं. हम ब्रांड्स की तरह कार्य कर रहे हैं. इसे अक्सर गुटों की लड़ाई कहा जाता है. गुटबंदी स्वाभाविक है. वे हमारी जटिल दुनिया को, प्रबंध करने योग्य खण्डों में बाँटते हैं. वे हमें अस्त-व्यस्त होने से बचाते हैं. लेकिन इस प्रक्रिया में, वे हमारे दिमाग को, ऐसे शिक्षित करते हैं, कि जब कभी किसी और के मुद्दों को सहायता की आवश्यकता होती है तो, हमारा दिमाग उनके बारे में सोचना बंद कर देता है. और वे हमें एक दूसरे के मुद्दों में समानता देखने से भी वंचित करते हैं. जैसे कि, गरीबी और असमानता के खिलाफ लड़ने वाले लोग, जलवायु परिवर्तन पर सोचते ही नहीं जबकि यह देखा गया है कि, गरीब ही अत्यंत गर्मी या सर्दी से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. पर्यावरण के लिए लड़ने वाले लोग, युद्धों के बारे में बात नहीं करते. जबकि हम समझते हैं कि तेल और कोयले का लालच कई युद्धों का कारण बना है. पर्यावरण आन्दोलनकारी ये जरुर बताते हैं, कि वह देश जो जलवायु परिवर्तन से अतिप्रभावित हैं, वह ज्यादातर अफ़्रीकी या एशियाई देश हैं. लेकिन जब अफ़्रीकी मूल के लोगों पर अत्याचार होते हैं, जेलों, स्कूलों या गलियों में, तो वे कभी आवाज़ नहीं उठाते. हमारे इन खण्डों के बीच की दीवारें, यह सुनिश्चित करती हैं कि हमारी तकलीफों के हल अगर निकलते हैं, तो वह भी एक दूसरे से अलग अलग होंगे. हर तरह के आन्दोलनकारी के पास अपनी मांगों की लम्बी लिस्ट है, उनकी "हाँ" का उन्हें पता है. इस सबमे हम, दुनिया की स्पष्ट तस्वीर से चूक रहे हैं, जिसकी हमने कल्पना की है. वह कैसी दिखेगी और महसूस होगी, और खासकर उसकी मूल मान्यताएं क्या होंगी, वह बहुत मायने रखता है. क्यूँकि जब विशाल आपदाएं हम पर आएँगी, और हमें किसी सुरक्षित जगह पर कूदने की जरुरत पड़ेगी, तो वह कौन सी जगह हो, उस पर सहमती नहीं बनेगी. और मंजिल की जानकारी के बिना कूदना, एक स्थान पर ऊपर-नीचे कूदने जैसा है. (हँसी) सौभाग्यवश, इन गुटों को आपस में मिलकर लड़ने के लिए कई प्रकार के प्रयोग और वार्तालाप चल रहे हैं. मैं उनमे से एक के बारे में बताना चाहूंगी. कुछ वर्ष पहले, कनाडा के एक ग्रुप ने सोचा कि हम इन अलग अलग प्रयासों से ज्यादा हासिल नहीं कर पा रहे हैं. हमने दो दिन विचार विमर्श करके हमारी समानताओं का पता लगाने का प्रयत्न किया. उस समय ऐसे लोग मौजूद थे जो कभी एक दूसरे के साथ काम नहीं करते. वहां बूढ़े और जवान विस्थापितों की समस्या पर विचार कर रहे थे. वहां ग्रीनपीस के नेता के साथ-साथ मजदूरों की यूनियन के नेता भी थे. वहां धार्मिक नेताओं के साथ साथ महिलावादी भी थे. हमने खुदको एक महत्वकांक्षी कार्य सौंपा: एक लघु वाक्य बनाना जो हम सबकी विजय के बाद के विश्व का वर्णन करता हो. साफ़ अर्थव्यवस्था और न्यायपूर्ण समाज बनने के बाद के विश्व की परिकल्पना. दूसरे शब्दों में, लोगों को, ठोस कदम न उठाने पर, आनेवाले बुरे दिनों के बारे में डराने के बजाय, हमने उनको, ठोस कदम उठाने पर होने वाले बदलाव के बारे में बताया. अक्लमंद हमेशा से बताते रहे हैं कि बदलाव छोटी छोटी किश्तों में आता है, कि राजनीति में कुछ भी संभव है, और "अतिउत्तम" को "अच्छे" का दुश्मन नहीं होना चाहिए. हमने इन सबको नकार दिया. हमने अपना घोषणापत्र लिखा और उसको नाम दिया "द लीप". मैं कहना चाहूंगी कि ह मारे साझा "हाँ" पर एकमत होना, इतने विभिन्न प्रकार के लोगों के साथ, और दर्दनाक इतिहास को मद्देनजर रखते हुए, बहुत ही मुश्किल था. लेकिन बहुत रोमांचक भी था. जैसे ही हमने खुदको सपने देखने की अनुमति दी, हमारे काम को जोड़ने वाले धागे साफ़ नज़र आने लगे. जैसे, हमने जाना कि, लाभ के पीछे अंधाधुंध दौड़, जो लोगों को हफ्ते में 50 घंटे से ज्यादा काम करने पर मजबूर कर रही है, (बिना पेंशन अथवा बीमा के) और जो निराशा की बीमारी को बढ़ावा दे रही है, यह वही लाभ के लिए अंधाधुंध दौड़ है, जो पर्यावरण सम्बन्धी आपदाएं ला रही है, और पृथ्वी को अस्थिर कर रही है. यह भी समझ में आ गया कि हमें करना क्या है. हमें ऐसी संस्कृति की स्थापना करनी होगी, जिसमे सबका ध्यान रखा जाए और किसी को उपेक्षित न किया जाए. जिसमे सबकी अहमियत और सारे "इकोसिस्टम" बुनियादी हों. हमने लोगों का मंच तैयार किया - - चिंता न करें, मैं इसको यहाँ पूरा पढने वाली नहीं हूँ, अगर आप इच्छुक हैं तो theleap.org पर पढ़ सकते हैं. पर मैं कुछ अंश आपके साथ साझा करुँगी. हम चाहते हैं कि जल्द ही 100% अक्षय उर्जा का ही उपयोग हो. पर हम दो कदम और आगे गए, हमने नए व्यापारिक समझौतों की मांग की, हमने आश्वस्त वार्षिक आय पर ठोस कदम उ ठाने की मांग की. प्रवासी मजदूरों के संपूर्ण अधिकारों की बात करी. राजनीती से उद्योग जगत का पैसा हटाने की मांग की. मुफ्त पालनाघरों और चुनाव सम्बन्धी सुधारों के लिए आवाज़ उठाई. हमने पाया कि हम में से कई लोग ब्रांड से ज्यादा, एक आन्दोलन की तरह काम करना चाहते हैं. क्यूँकि आन्दोलन ख्याति की चिंता नहीं करते. वो अच्छे विचारों को दूर सुदूर तक फैलाना चाहते हैं. मुझे "द लीप" में ख़ास ये लगता है, कि ये आपदाओं का पदक्रम तय नहीं करता, कि ये एक लड़ाई को दूसरी से ऊपर नहीं मानता, या इंतज़ार नहीं करवाता. हालाँकि इसका जन्म कनाडा में हुआ, हमने पाया कि इसका फैलाव सब जगह है. जबसे "द लीप" का आरम्भ हुआ है, विश्व में कई देशो में ऐसे मंच बने हैं - नुनावत, ऑस्ट्रेलिया नॉर्वे, UK, USA, लॉस अन्जेलेस में इसका स्थानीयकरण हो रहा है. रूढ़िवादी ग्रामीण इलाकों में भी इसे अपनाया जा रहा है, जहाँ राजनीति लोगों को समाधान नहीं दे पा रही है. मैंने दो दशकों तक आपदाओं का अध्ययन किया आपदायें हमारी कड़ी परीक्षा लेती हैं. हम या तो अलग होकर हार जाते हैं, या तेज़ी से आगे बढ़ते हैं. अपने अन्दर की उर्जा और क्षमता को ढूंढ पाते हैं, जो हमें ज्ञात नहीं होती. जो भयावह घटनाएं हमें आज डराती हैं, वह हमें और विश्व को परिवर्तित कर सकती हैं. पर हमें उस विश्व की कल्पना करनी होगी, जो हमें चाहिए हैं. और उसका सपना हमें मिलकर देखना होगा. अभी, हमारे घर के सारे अलार्म एकसाथ बज रहे हैं. ये उनको सुनने का समय है. यह एक छलांग लगाने का समय है. धन्यवाद. (तालियाँ और प्रशंसा) नमस्ते, मेरा नाम मार्सिन है किसान, प्रौद्योगिकीविद् मेरा जन्म पोलैंड में हुआ था, अब मैं अमेरिका में रहता हूँ मैंने एक समूह शुरू किया ओपन सोर्स इकोलॉजी हमने 50 सबसे महत्वपूर्ण मशीनों की पहचान की है जो हमें लगता हैं कि आधुनिक जीवन के अस्तित्व के लिए है चीज़ें जैसे कि ट्रैक्टर रोटी ओवन, सर्किट निर्माताओं तो फिर हम बनाने के लिए तयार हुए एक खुला स्रोत, DIY, यह अपने आप करने योग्य संस्करण कि कोई भी निर्माण कर सकता है और बनाए रख सकता है लागत का एक अंश में हम इसे ग्लोबल विलेज निर्माण सेट कहते हैं तो मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ जब मैंने अपना बीसवां वर्ष पूरा किया पी एच डी, fusion energy के साथ और मुझे पता चला कि मैं बेकार था मेरे पास कोई व्यावहारिक कौशल नहीं था दुनिया मुझे विकल्पों के साथ प्रस्तुत हुयी और मैंने उन्हें ले लिया मुझे लगता है कि आप इसे उपभोक्ता जीवन शैली कह सकते हैं। तो मैं मिसौरी में एक खेत शुरू कर दिया और खेती के अर्थशास्त्र के बारे में सीखा। मैं एक ट्रैक्टर खरीदा - यह ख़राब होगया। मैं इसके मरम्मत के लिए भुगतान किया - यह फिर से ख़राब होगया। तो बहुत जल्द ही, मैं भी टूट गया था। मुझे एहसास हुआ कि वास्तव में उचित, कम लागत के उपकरण जिनकी मुझे जरूरत हैं एक टिकाऊ कृषि और निपटान शुरू करने के लिए बस अभी तक अस्तित्व में नहीं था। मुझे उपकरण जो कि मजबूत, मॉड्यूलर थे उनकी जरूरत है, अत्यधिक कुशल और अनुकूलित है, कम लागत हो, स्थानीय और पुनर्नवीनीकरण सामग्री से बना है, जो कि एक जीवनकाल तक चले अप्रचलन के लिए तैयार नहीं। मैंने पाया कि मुझे उन्हें खुद से निर्माण करना होगा। इसलिए मैंने ऐसे ही किया। और मैं उन्हें परीक्षण किया। और मुझे लगता है कि औद्योगिक उत्पादकता एक छोटे पैमाने पर हासिल की जा सकती है। तो फिर मैंने प्रकाशित की 3 डी डिजाइन, योजना-आरेख, अनुदेशात्मक वीडियो और बजट विकी पर। तब दुनिया भर से योगदानकर्ताओं ने दिखाना शुरू किया, नई मशीनों के प्रोटोटाइप समर्पित परियोजना यात्राओं के दौरान। अब तक, हमारे पास 50 मशीनों के आठ नमूने है। और अब परियोजना अपने दम पर विकसित होना शुरू हो गया है। हम जानते हैं कि खुला स्रोत सफल रहा है ज्ञान और रचनात्मकता के प्रबंधन के लिए उपकरणों के साथ। और यह ही हार्डवेयर के साथ भी होने लगा है। हम हार्डवेयर पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि यह हार्डवेयर है जो कि लोगों के जीवन को बदल सकते हैं इस तरह के ठोस सामग्री मायनों में। हम खेती के लिए बाधाओं को कम कर सकते हैं, निर्माण, विनिर्माण, फिर हम मानव क्षमता का सिर्फ भारी मात्रा दिलाने कर सकते हैं। सिर्फ विकासशील देशों में ही नहीं| हमारे उपकरण बनाये जा रहे हैं अमेरिकी किसान, बिल्डर, उद्यमी, निर्माता के लिए। हम इन लोगों से उत्साह के बहुत से देखा है, जो अब एक निर्माण व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, भागों के निर्माण, जैविक सीएसए या सिर्फ ग्रिड को वापस बिजली बेचने के लिए| हमारा लक्ष्य प्रकाशित डिजाइन का भंडार है इतना स्पष्ट है, इसलिए पूरा, कि एक भी लिखित डीवीडी प्रभावी रूप से एक सभ्यता स्टार्टर किट है। मैंने एक दिन में एक सौ पेड़ लगाए गए हैं। मैंने एक दिन में 5,000 ईंटों दबाया है मेरे पैरों के नीचे गंदगी से और छह दिनों में एक ट्रैक्टर का निर्माण किया। मैंने क्या देखा है, यह केवल शुरुआत है। अगर यह विचार सही मायने में मजबूत है, तो तब निहितार्थ महत्वपूर्ण हैं। उत्पादन के साधन का एक बड़ा वितरण, पर्यावरण के लिए मजबूत आपूर्ति श्रृंखला, और एक नव प्रासंगिक उपकरण निर्माता संस्कृति पार करने की उम्मीद कर सकते हैं कृत्रिम कमी। हम सीमा की खोज कर रहे हैं हम सब क्या कर सकते हैं एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए खुला हार्डवेयर प्रौद्योगिकी के साथ। धन्यवाद। (तालियाँ) मेरे छात्र अक्सर मुझसे पूछते हैं, "क्या है समाजशास्त्र?" और मैं उन्हें बता ता ,"यह एक अध्ययन का तरीका है जिसमें हम निरीक्षण करते हैं की मनुष्य जो चीज़ें नहीं देखते वे कैसे उन्हें प्रभावित करती हैं और वे पूछते हैं, "मैं एक समाजशास्त्री कैसे बन सकता हूँ? मैं उन अदृश्य शक्ति ओ को समझ सकता हूँ? " और मैं कहता हूँ,सहानुभूति सहानुभूति के साथ शुरू करो. यह सब सहानुभूति के साथ शुरू होता है अपने आप को अपनी जगह से बाहर लो, और अपने आप को किसी अन्य व्यक्ति की जगह में देखो. यहाँ, मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ. मैं अपने जीवन की कल्पना करता हु अगर एक सौ साल पहले चीन दुनिया में सबसे शक्तिशाली राष्ट्र रहा होता और वे कोय्लेकी तलाकश में अमेरिका आये होते और उन्हें मिलजाता ,और , वास्तव में,याहि मिलजाता और बहोत जल्दी,वे ये कोयला शिपिंग करना सुरु करते है टन बाय टन रेल गाड़ी या और जहाज भर भर के आपने देश चीन में और दुनी याके बाकी हिसोमे ले जाते ओर वे इश वजहसे बहोत ही अमीर देश बनजाते ओर उन्होंने बहोत ही सुंदार शहर बनाये साब कोयले की ताकत पे खड़े हुए और यहाँ अमेरिका में हमने आर्थिक मंदी देखि , अछत देखि ये देख रहा था मई में लोगोको मामूली चीजो केलिये संघर्ष करते हुऐ देखरहा था कुछ पता नहीं था क्या हो रहा है और क्या होने वाला है और फिर मेने आपने आपको ये सवाल किया मैं कहता , "क्या यह संभव है कि हम आपने ही देश अमेरिका में इतने ग़रीब कैसे हो सकते है, जावब था कोयला ,जोकि बहोत ही कीमती था जो बहोत सारा पैसा था और मुझे एहसास हुआ, क्यों के यहाँ पर चीनी ओने सम्बन्ध बना लिया था याहा पार अमेरिका में छोटेसे वर्ग के साथ जिन्हों ने खुद केलिए, हमरी सारा पैसा ओर धन हाडाप लिया था और हम में से बाकी, हम में से अधिकांश, मामूली चीजो केलिए संघर्ष कर रहे है. और चीन ने हमें ये छोटासा अभिजात शासक वर्ग दिया था और बहोत सा सैन्य हथियार एव अत्याधुनिक तकनीकिया दी ये सुनिश्चित करने के लिए के मेरे जेसे लोग उन लोगोके खिलाफ अपना मु न खोल पाए क्या ये कही पर सुना हुआ लग रहा है ? और उन्हों ने ये चालाकी की , अम्रिकियोको तालीम दी क्यों के वो कोइले की रक्षा कर शके और जहा देखा वाहा पार बश चीन के निशान दिखने लगे और हर जगह वो हमें ये याद दिलाते रहते और वहा चाइना में वो लोग क्या कहते है चाइना में? कुछ नहीं .. वो हमरे बारे में बात नहीं करते , वो कोइले के बारे में बात नहीं करते. अगर आप उनसे पूछे वे तो यही कहेंगे , अजी आप कोइले के बारेमे तो जानते ही है , हमें कितनी जरूरत है कोइले की . ये तो सरासर हद हो गई , मेरा गोस्सा कम नहीं होने वाला. और काप को ऐसा लगना भी नहीं चेही ऐ." क्यों के ये बात पे मुझे बहोत ही अधिक ग़ुस्सा आता है जेसे बहोत सारे आम आदमी यो कोभी आता है . और हमने सामने लदत दी , और उशने बहोत ही गन्दा रूप धारण किया और चीन ने उसका बहोत ही गन्दा जावाब दिया और उष शे पहेलेकी हमें पता चले , उन्होंने टोपे भेजदी और फिर सेना भेज दी और भोत सरे लोग मर रहे है और ये बहोत ही मुस्किल परिस्थिति है क्या आप कल्पना कर सकते है के आपको केसा महेसुस होगा ? अगर आप मेरी जागा होते तो ! ! क्या आप ये इमारत से बहार जा पाते ? ? और देखते की तोप खडी हुई है या फिर सैनिको से भरी ट्रक ! ! और जरा महसूस की जिए के आपको केसा लगेगा क्यों की आपको पता हे के वो यहा पे क्यों है ? और आपको येभी पता है के वो यहा क्या कर राहे है . और आपको बहोत गूस भी आता है और आपको डरा भी लगता है अगर आप ये महसूस कर सकते है तो , वो सहानुभूति - ये सहानुभूति है आपने अपनी जगा छोड़ी और मेरी नजार से देखा , आपको बस ये महेसुस करना होगा ठीक है,तो ये थी शुरूवाद सिर्फ शुरूवाद अभी हम करेगे सही शुरूवाद असली कट्टरपंथी प्रयोग. तो में मेरे इश लेक्चर के भाग रूप , में आपको अपने आपको किशी साधारण अरब मुस्लिम के जगा रखो जो की मध्यपूर्व में रहेता है विशेष रूप से,इराक में और इसलिए आपको मदद करने के लिए, शायद आप बगदाद में इस मध्यम वर्ग के परिवार के एक सदस्य हो और आप चाहते हैं, जो अपने बच्चों के लिए सबसे अच्छा है आप अपने बच्चों केलिए एक बेहतर जीवन चाहते है और आप समाचार देखते हो ,आप ध्यान देते है आप अख़बार पढ़ते है , आप अपने दोस्तोके साथ काफ्फी शॉप जाते हो , और आप दुनिया भारके अख़बार पढ़ते हो . और कभी कभी आप टीवी भी देखते हो , अमेरिका से सीएनएन भी देखते है तो आपको ये पता है के अमरीकी लोग केसा सोचते है आपके बारे मई मगर सही मई , आपतो अपने लिए सिर्फ एक अछि ज़िन्दगी चाहते है आप यही तो चाहते हो आप इराक में आरहे रहे इस अरब मुस्लिम हो . आप अपने लिए अच्छी ज़िन्दगी चाहते हो तो यहाँ , मैं आपकी मदद करता हु मैं आपको सोचने मई मदद करता हु जो शायद आप सोच रहे हो. सबसे पहेले तो :अपने देश में ये आक्रमण ये पिछले बिष साल , और उसके पहलेभी क्या कारण है के कोईभी आपके देश में इतनी दिलचश्पी क्यों ले , और खास करके अम्रीका ही क्यों ? तेल(आयल) ईश तेल(आयल) की वजह से; आप ये जानते है ,साब लोग ते जानते है क्यों के आपके साधनों केलिए किसी ओरके पास योजना थी किसी ओरके पास योजना थी मगर ये आपके साधन थे ,किसी ओरके नहीं ! ! ये आपकी जमीं है , आपके साधन है मगर ये किसी ओरकी योजना थी और आप जान ते है उन्होंने ये योजना क्यों बनायीं? आप जानते है उनकी नजार किश चीज़ पे थी ! उनकी पूरी आर्थिक व्यवस्था जोकि पूरी तरहसे ईश तेल पे ताकि हुई थी परदेशी तेल पे तेल जोकि दुनियाके अलग देशो से आता ,जो उनका नहीं था और क्या सोचते है आप इन लोगोके बारे मई अमेरिकेन लोग , बहोत ही पैसे वाले है. क्या बात करते हो , वो बड़े बंगलोमें रहते हे , बड़ी गाडी मे गुमते है क्या बात करते हो , उनके पास बड़े बंगले है बड़ी गाडिया है आप ये सोच तै है , मगर ये सच नहीं है मगर ये मीडिया की छाप थी ,और आपको यही साच लागता उनके पास बड़े सहर है सहर जो आयल पे चल ते है और यहाँ आप के घर में आप क्या देखते है गरीबी, निराशा, संघर्ष देखो , आप नहीं जी रहे हो एक आमिर देश में यह इराक है आपको यहाँ येही दिखाई देगा आप लोगो को संगर्ष करते देखते है . मेरा मतलब है, के ये आसान नहीं है;यहाँ बहुत ही गरीबी है और आओ इसके बारे में कुछ महेसुस करते हो . इन लोगो के पास आपके साधनों केलिए योजना है और परिणाम रूप आप ये देखते है अमेरिकेन इश बारे मई बात नहीं करते , मागर आप करते है अमेरिकेन इश बारे मई बात नहीं करते , मागर आप करते है वहाँ ये बात है, दुनिया का सैन्यीकरण और यह ठीक अमेरिका में केंद्रित है. और अमेरिका दुनियुआ भरके आधे से ज्यादा सैन्य खर्च केलिए जिम्मेदार है सैन्य खर्च केलिए जिम्मेदार है और उनकी आबादीसिर्फ दुनियाकी चार ताका ही है और आप ये महेसुस करते है ,आप हर रोज ये देखते है ये आपकी जिंदगी का हिस्सा बन गई है और आप इसके बारे मई आपके दोषतो से बात करते है आप पढ़ते है इस बारे मे और जब सद्दाम हुसैन सत्ता में था, अमेरिकियों को उसके अपराधों के बारे में परवाह नहीं थी . जाब वो कुर्दों और इरान जला रहा था उन्हें इश बात की पर्व नहीं थी जाब बात तेल की आई केसे करके , अचानक ये बातो पे वे गौर करने लगे और आप क्या देखते हो ,कुछ अलग ही अमेरिका दुनिउया का लोकशाही केंद्र हाकीकतमे लगता नहीं के वो दुनिया भरमे सभी लोकशाही देशो की मदद कर रहा हे दुनिया में बहोत सरे देश हे ,तेल उत्पादन करते देश है जोकि लोकशाही नहीं है , मगर फिरभी अमेरिका उनको मदद करता है येतो बहोत ही अजीब है ओह ये घुसपैठ ये दो युद्ध ये १० सलोका प्रतिबन्ध ये ८ स्लो का कब्ज़ा ये आपके खिलाफ किया हुआ विद्रोह हजारो लाखो लोगोकी हत्या साब इस तेल की वजहसे आप ये सोचे बिना रहे नहीं साकते आप इसके बारे मई बात करते है ये हमेसा आपके दिमाग मई रहता है आप सोचते है " ये के से मुमकिन है " ये इंसान, इस के सारे आदमी आपके दादा , आपके चाचा आपके पिता ,आपका बेटा आपके पडोशी ,आपके अध्यपाक , आपका छात्र कभी जो जिंदगी खुशि और सुख से भारिथि आचानक उसमे दुःख और आसू आपके देश के सभी लोग हिंसा, खून, दर्द, आतंक के शिकार थे आपके देश में कोई ऐसा नहीं था जो इस से अछुता रहे गया हो जो इस से अछुता रहे गया हो. मागर कुछ था , इन लोगो के बारे मई कुछ था ये अमेरिकेन जो यहाँ पर थे कुछ अलग था इन लोगो के बारे में जो आप देख साक ते थे ,मागर वो नहीं और आप क्या देखा साकते थे , व ईसाई थे व ईसाई थे(च्रिस्तियन ) वे ईसाई भगवान् को पूजते थे ,उनके पास क्रोस थे , वो बाइबल लेके गूम ते थे उनकी बाइबल पे एक सिक्का था जिश पे लिखा था " अमरीकी सेना" और उनके नेता,उनके लीडर उसके पहेले की वो आपने बेटे बेटियों को भेजे आपके देशमे लड़ने केलिए आप जानते थे इस का कारन उसके पहेले के वो उन्हें यहाँ भेजे वो उनके ईसाई चर्च में जाते और उनके ईसाई भगवानको पूजते और वो अपने लिए सुरक्षा और मार्गदर्शन मागते क्यों ? ये तो ज़ाहिर था के,जाब लड़ाई में लोग मारे गे , वो तो मुस्लिम और इराकी होगे वो अमेरिकेन नहीं होगे आप नहीं चाहते के अमेरिकेन मरे , आप अपनी टुकड़ी की खेरियात चाहते हो और आप कुछ महेसुस करते हो इस बारे में -- ज़रूर करते हो . और वो वहापे बहोत ही बढ़िया चीजे करते है . और आप उसके बारे में पढ़ते है, सुनते है वो वहा पार स्कूल बनाते है , लोगोकी मदद कर ते है, और यही तो वे करते है वो बहोत ही अच्छा काम करते है , माग्र वो बुरा काम भी कारते है और आप इस का भेद नहीं परख सकते और ये आदमी , लियूतेनंत जेनरल विलियम बोय्की जे सा आदमी मिलता है आप को में ये कहेना चाहता हु के, या हा एक आदमी है जो कहेता है आपका का भगवान् गालात है आप का भगवान् गलात है , इसका भगवान् सही है उश्के हिसाब से , मिद्दल ईस्ट के सारी मुसीबतो का हाल येहे , के सारे मुस्लीमो को इशाई बाना दो तुम्हारे धर्मं को मिटा दो और आप को पता है ! अमेरिकेन इस आदमीके बारे मई नहीं पढ़ते वो इश के बारेमें कुछ नहीं जानते , मागर आप जानते हो . आप ये बात फेलाते हो , आपने आसपास फेलाते हो में कहेता हु ये बहोत ही गंभीर मामला है इराक पर दुशरे हामलेमें ये मुख्या कमांडर था तो आप ये सोचा ते हो के , " ओ भगवन , अगर ये आदमी ऐसा सोचता है तो सारे सेंनिक ऐसा सोचते होगे ". और ये शब्द , जोर्ज बुश ने इश लड़ाई को धर्म की लड़ाई बताई यार, अमेरिकन , वे तो बस, जैसे ये ", धर्मयुद्ध. जो भी हो. मुझे नहीं मालूम. आप जानते हैं इसका क्या मतलब है . यह मुसलमानों के खिलाफ एक पवित्र युद्ध है देखो, आक्रमण, उनके वश में है, अपने संसाधन ले लो. अगर वे नहीं मान ते तो , मार डालो उन्हें सब इसी केलिये हीतो है और आप सोचते हो , हे भगवान् ये ,ईसाई हमें मारने केलिए आरहे है . ये तो बहोतही भयानक है आप डरे हु ऐ है , सचमे डरे हुए है और ये आदमी तेर्री जोंनस : ये आदमी है जो की कुरान जलना चाहता है और अमेरिकेन, " ओह , येतो एक सरफिरा आदमी है " ये एक होटल मेनेजर रहे चूका है उशके साथ उशकी चर्च के ३ दाजन लोग है वो उसपे हस्ते है, मगर आप उसको मजाक में नहीं लेते क्योंकि बाकी सब के संदर्भ में, सारी कडिय बांध बेठ ती है मेरा निश्चित रूपसे ये मतलब है , की अमेरिकेन उसे ऐसे ही समजते है इश हिसाब से सारे मिडल इस्तके के लोग , नाकि सिर्र्फ तुम्हारे देश के लोग इस का विद्रोह कर रहे है "वो कुरान जलना चाहते है , हमारा धर्मं पुस्तक " ये इसाई , कोन हैं ये इसाई? वे बहोत ही बुरे है, और बहोत मतलबी भी यही है उनकी पाहेचान है" येही सोचते है आप एक आरब मुस्लिम हो ने के नाते , इराकी होने के नाते . इस में दो मात नहीं के आप ऐसा सोचेगे . और फिर आपका भाई कहे गा " भाई ये देखो ये वेब साईट " तुहे ये देखना चाही ये " बाइबल का अखाडा " ये इसाई सारे पागल है. ये उनके छोटे छोटे बच्चो को इशु के धर्म शेनिक बना रहे है और ये उन छोटे बच्चोको लेजाते है , और उनसे येसाब करवाते है . जब टाक वे उन्हें सिखाना दे " सर, येश, सर " और ऐसि चीजे, के बंम केसे फेका जाता है, और हथियारों के देखभाल केसे करते है और आप वेबसाइट देखे वहा पार साफ़ लिखा है " अमरीकी सेना" मेरा मतलब ये ,इसाई , ये पागल है , ये अक़पने छोटे छोटे बच्चो के साथ ऐसा केसे कर सकत है . और आप ये वेब साईट देख रहे हो और ज़ाहिर है , यहाँ अमरीका में इसाई , और कोई भी यही कहे गा " ओह , ये तो एक मामुलिसा छोटासा चुर्च है जो कोई जानता भी नहीं ." आप ये नहीं जानते आपके लिए तो , सभी इसाई उसके जेसेही है . ये स्ब जगा पर है , बाइबल का अखाडा. और ये देखि ये : वे उनके बचो को भी याही सिखाते है -- वे उनके बच्चो को वेसिही तालीम देते है जेसे के अमरीकी नौका दाल देता है क्या ये दिलचश्प नहीं है ? और ये आपको डाराता है , भयभीत करता है. और इन लोगो को , आप देखते है . आप देखे , में, सेम रिचर्ड , ये जानताहू के ये लोग कोन है ये मेरे च्चात्र है , मेरे दोस्त है . मेये जानताहु के आप क्या सोच रहे है " के आप ये नहीं जान ते " जाब आप उनको देखते है , वे कुछ अलग है , वे कुछ अलग है . आप केलि ये तो वे यही है . हम यहाँ अम्रीका में उनको ऐसे नहीं देखते , मगार आप उन्हें ऐसे देखते हो . तो यहाँ पर . आप बिलकुल ही गलत सोच रहे हो . आप साब को एकजेसा मानते है , ये तो गलत है आप अमेरिकेन को आछी तराह नहीं जानते ये इसाईयो की गुशपेठ नहीं है हम वहापे सिर्फ आयल की वाज़ह्से नहीं है ,हम वहा और कई कारणों की वाज़ह्से है आप ने गलत समजा है , आप ने समजने में चुक की है और सच में , आप में से ज्यादा तर विद्रोह का साथ नहीं देते : आप अम्रेरिकां की हत्या नहीं चाहते ; आप आतंकवादकों सुप्पोर्ट नहीं करते . बिलकुल आप नहीं कारते , बहोत कम लोग करते है मगर आपमें से कुछ कक़रते है और ये एक सम्भावना है . ठीक है, अभी , यहाँपर हम ये करेंगे की . आपनि जगह छोड़े, के आप सही हो और आप अपनी पहेली स्थिति में आके देखो यहाँ कमरे में बेठे साभी लोग , ठीक है. अब यहाँ कट्टरपंथी प्रयोग आता है. तो हम सब वापस घर आ गये. यह फ़ोटो: यह औरत, यार, मैं उसे महसूस कर सकता हु मैं उसे महसूस कर सकता हु वो मेरी बहन है मेरी बीवी , मेरी चचेरी बाहेन , मेरी पदोषण , वो मेरी कोईभी है ये आदमी जो फोटो में खाडा है ,सब कोई जो फोटो में है . यार , में इस फोटो को महेसुस कर सकताहू . तो आब में जेसा कहेता हु आप वेसा करे तो चलो , जो मेने पहेले चीन का उदाहरण दिया था वहा वापस चले में चाहता हु आप वहा वापस जाये तो ये सब कोयले की वाज़ह्से है ,तो इसी वजह से चानिस यहाँ पर अमरिकामे है और में चाहता हु के इश ओउरत को आप एक चनिस ओउरत के रूप में देखे एक चीनी झंडा प्राप्त करते हु ऐ क्योकि उसका कोई चाहने वाला अमेरिका में मारा गया है कोयले के विद्रोह मई और सेनिक चनिस है , और सभी चीनी है एक अमेरिकेन होनेके नाते आपको केसा महेसुस हो रहा है ? इस द्रश्य के बारे में आप क्या सोच ते है ? चलो, ये करके देखो , उसे वापस ले आओ ये द्रश्य हे यहाँ पर , वो एक अमरीकी है , अमरीकी सेनिक , अमरीकी महिला जिसने अपना चाहने वाला खोया है मिडल ईस्ट , इराक और अफगानिस्तान मई . अब उसकी जगा आपने आपको रख के सोचे , उसकी जगा से सोचे एक अरब मुस्लिम जो की इराक में रहेता है . आप क्या महेसुस कर रहे है और सोच रहे है इश तस्वीर के बारे मई , और इश महिला के बारे मई ? ठीक है . अब मेरी इस बात पे ध्यान दे , क्यों के यहाँ में बहोत ही बड़ा जोखम उठा रहा हु . सो में आपको भी ये जोखम उठाने केलिये आमंत्रित करता हु . यहाँ पर ये सज्जन हे , वो एक विद्रोहि है . वे अमेरिकेन सेनिको के हाथ पकडे जाते है , अमरीकियों को मारने के प्रयास मई . और सायद वे कामियाब भी हुए ,सायद वे कामियाब भी हुए . अब आप एक अमेरिकेन सेनिक की जगह से सोची ये जिन्होंने इन्हें पकड़ा है . क्या आप गुस्सा महेसुस कर सकते है ? क्या आप को ऐसा महेसुस होता है की इनको पकडके उनकी गर्दन मरोड़ दे उनकी गर्दन मरोड़ दे ? क्या आप वहा जा सकते है ? ये इतना मुस्किल नहीं होना चाही ऐ . आप जेसे की -- मार दलु इन्हें ! अब , अपने आप को इनकी जगा रख के देखे . क्या वे खुखर हत्यारे है ? और देश के रखेवाले है ? कोन है ? क्या आप उनका क्रोध महेसुस कर सकते है , उनका डर, उनका आक्रोश , और उनके देश में जो हुआ ? क्या आप कल्पना कर सकते है इनमेसे एक इस सुबह जुक के अपने बच्चे को गले लगा के कहा होगा ,"मेरे प्यारे में देरसे वापस आऊंगा . में तुम्हारी आज़ादी और जिन्दगी केलिए लड़ने जारहा हु . में बहार जा रहा हु आपने, और अपने देश के भविष्य केलिए क्या आप ऐसा सोच सकते है क्या आप ये कल्पना कर सकते है क्या आप वहा जा सकते है क्या आप वहा जा सकते है ? देखि ये , ये हे सहानुभूति . और ये समज्दारिभी है . और सायद आप ये पूछे भी . और सायद आप पूछे , आप इस किसम के काम क्यों करते हो ? आप सारे उदहारण नो में से यही उदहारण क्यों लिया ? और में कहुगा .. क्यों के ... क्यों के . आपके इन लोगो से नफ़रत करने का अधिकार है . आपको पूरी छुट है उनसे नफरत करनेकी आप के हर एक अंग्से . अगर में आप को लेजाऊ उनकी जगह और एक कदम भी चलने को कहू एक छोटा सा कदम , ताब महेसुस करे वो समाजशास्त्रीय विश्लेषण. जो की आप जिन्दगी के हर इक पहेलु में कर सकते है . आप एक मिल चल सकते है जब आपको ये समाज आये गा के वो आदमी क्यों ४० माइल की गति से गाड़ी चला रहा है इश छोटेसे रस्ते पे और आप का नाबालिक बेटा , और आपका पडोशी जो आपको परेशां करता है इतवार के दिन सुबह आवाज कर के . कोई भी चीज हो , आप वो महेसुस कर सको गे . और में आपने च्चात्रो को ये कहे ता हु आप आपनी छोटी दुनियासे बहार देखे आप किशी की छोटी सी दुनिया में देखे और फिरसे करिए फिरसे करिए फिरसे करिए . और अचानक ये छोटी छोटी दुनिया , एक उलज़े हुऐसे जाल में बदल जाए गी . और उन्हों ने बहोत ही बड़ी और अटपटी दुनिया बनाली और अचनाक आपको पता भी नहीं चला आप दुनिया को आलग नजरिये से देख रहे हो सब कुछ बदल गया है. आपके जीवन में सब कुछ बदल गया है और स्चमई यही तो है वो . दूसरे के जीवन में भाग ले और उसे दुश्रे लोगो को सुने आपने आप को जागृत करे में ये नहीं कहे रहा हु के में आतंकवादकों सुप्पोर्ट कर रहा हु लेकिन एक समाजविज्ञानी के रूप में, मई जो कहे रहा हु जो मई समाज रहा हु और अब शायद - शायद - आप भी करते हैं धन्यवाद तालियाँ १९९५ की बात है, मैं महा-विद्यालय में हूँ, और एक दोस्त के साथ सड़क यात्रा पर जाती हूँ प्रोविडेंस, र्होड़े द्वीप से पोर्टलैंड, ओरेगोन तक. हम जवान और बेरोजगार थे, तो हम पुरे रस्ते छोटे रास्तों से गए राजिये पार्को में और राष्ट्रीय वनों में -- मतलब सबसे लम्बा रास्ता जो हम ले सकते थे. दक्षिण डकोटा के बीच में कहीं, मैंने अपनी दोस्त को देखा और एक सवाल पुछा जो मुझे परेशां कर रहा था पिछले २००० मील से . "यह चीनी शब्द क्या है जो बार बार सड़क किनारे दीखता है ?" मेरी दोस्त ने मुझे देखा , आश्चर्य से . यहाँ एक संज्जन हैं जो बिलकुल उसकी नक़ल कर रहे हैं . खिल-खिलाहट मैंने कहा , "मतलब , वे सभी निशाँ जो हमें दीखते हैं जिन पर चीनी में कुछ लिखा है " वो मुझे देखती है कुछ पल के लिए, और फिर जोर से हसने लगती है , क्योकि वोह समझ जाती है मैं क्या कह रही हूँ . और में इसके बारे में बात कर रही थी. हंसी हाँ , यह है मशहूर चीनी पिकनिक का चिन्ह. हंसी मैंने अपनी ज़िन्दगी के पांच साल बिताए हैं परिस्थितियों के बारे में सोचते हुए बिलकुल ऐसी ही -- क्यों हम गलत समझ जाते हैं अपने आस पास के चिन्हों को , और हम कैसा व्यहवार करते हैं जब ऐसा होता है , और यह सब क्या मानव स्वभाव के बारे में हमें क्या बताता है. दूसरे शब्दों में, जैसा कि आपने क्रिस को कहते सुना है , मैंने पिछले पांच साल बिताए है गलत होने के बारे में सोचते हुए . यह आपको एक अजीब व्यवसाय लगेगा, लेकिन यह वास्तव में एक महान लाभ है: कोई नौकरी प्रतियोगिता नहीं. हंसी वास्तव में, हम सब कुछ करते हैं अपनी गलतियों के बारे में सोचने से बचने के लिए, या कम से कम संभावना के बारे में सोचने से बचने के लिए कि हम खुद गलत हो सकते हैं. हम तत्त्व में चले जाते हैं. हम सभी जानते हैं इस कमरे में हर कोई गलती करता है. मानव प्रजाति, सामान्य में, अपूर्ण है - यह ठीक है . लेकिन जब यह "मेरे" ऊपर आती है , मेरी मान्यताओं पर, वर्तमान काल में यहाँ, अचानक तत्त्व में अपूर्णता की यह सराहना खिड़की से बाहर चली जाती है - और मैं वास्तव में खुद गलत हूँ, इस के बारे में सोच नहीं सकती. और बात है, वर्तमान काल है जहां हम रहते हैं. हम वर्तमान में बैठकों में जाते हैं; हम वर्तमान में परिवार की छुट्टियों पर जाते हैं; हम चुनाव में वोट करते हैं वर्तमान काल में. तो प्रभावी ढंग से, हमारा जीवन निकल जाता है , इस छोटे बुलबुले में फंस सब कुछ के बारे में बहुत सही महसूस कर. मुझे लगता है कि यह एक समस्या है. मुझे लगता है कि यह एक व्यक्ति के रूप में हम में से प्रत्येक के लिए एक समस्या है, हमारे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में, और मुझे लगता है कि यह हमारे लिए सांस्कृतिक रूप से एक सामूहिक समस्या है. तो मैं यह चाहती हूँ की सब से पहले बात करू इस बारे में की हम अटक क्यों जाते हैं सही जा रहे हैं, इस भावना के अंदर . और दूसरा, यह एक ऐसी समस्या क्यों है. और अंत में, मैं आप को विश्वास करना चाहती हूँ कि यह संभव है उस अहसास से कदम बहार रखना, की अगर आप ऐसा कर सकते हैं , यह सबसे बड़ा एकल है नैतिक, बौद्धिक और रचनात्मक छलांग आप कर सकते हैं. तो हम क्यों अटक जाते हैं सही जा रहा है की इस भावना में? एक कारण वास्तव में गलत जा रहा है की भावना के साथ है . तो मुझे आप लोगों से कुछ पूछना है- या वास्तव में, मुझे आप लोगों से कुछ पूछना चाहिए, क्योंकि आप यहीं हो : भावनात्मक तौर पर - यह कैसा लगता है - आप गलत हो कैसा महसूस होता है? भयानक. नीचे अंगूठा. शर्मनाक है. ठीक है, बढ़िया, अच्छा है . भयानक, नीचे अंगूठा, शर्मनाक - शुक्रिया, इन बढ़िया जवाब रहे हैं, लेकिन वे एक अलग सवाल के जवाब हैं. तुम लोग सवाल का जवाब दे रहे हैं: की कैसा लगता है जब एहसास होता है की तुम गलत हो? हंसी अहसास होना की तुम गलत हो ऐसा लगता है, और भी बोहोत कुछ लगता है, ठीक है ना? मेरा मतलब यह विनाशकारी हो सकता है, यह अन्दर महसूस हो सकता है , यह वास्तव में काफी मजेदार हो सकता है , मेरी बेवकूफ चीनी चरित्र गलती की तरह . लेकिन सिर्फ गलत होना कुछ भी महसूस नहीं करता है. मैं तुम्हें एक सादृश्य दूँगी. क्या आप है कि लूनी धुन कार्टून याद है जहां इस दयनीय कोयोट जो हमेशा पीछा करता था एक पक्षी का, और उसे कभी भी पकड़ नहीं पता था? इस कार्टून के हर प्रकरण में, वहाँ एक पल है जहाँ कोयोट पक्षी का पीछा कर रहा है और पक्षी एक चट्टान पर से भाग जाता है , जो ठीक है, वह एक पक्षी है, वह उड़ सकता है. लेकिन बात यह है, कोयोट भी उसके बाद चट्टान के आगे भाग जाता है. और क्या अजीब बात है - आप कम से कम छह साल की उम्र हो अगर - ये कि कोयोट पूरी तरह से ठीक भी है. वह सिर्फ भागता रहता है - उस पल तक जब तक वह नीचे देखता है और एहसास करता है की वह मध्य हवा में है. यही कारण है कि वह गिरता है. जब हम किसी चीज़ के बारे में गलत हो जब तक हमें एहसास है, उससे पहले - हम उस कोयोट की तरह हैं जब वह चट्टान से आगे चला गया है और इससे पहले कि वह नीचे देखता है. तुम्हें पता है, हम पहले से ही गलत हैं , हम पहले से ही मुसीबत में हैं, लेकिन हमें लगता है जैसे हम ठोस जमीन पर हो. इसलिए मुझे ठीक करना चाहिए जो मैंने एक पल पहले कहा था. गलत होना महसूस होता है ; यह सही होने जैसा महसूस होता है. (हँसी) तो यह एक कारण है, एक संरचनात्मक कारण है, हम सच्चाई की इस भावना के अंदर क्यों अटक जाते हैं . मैं इस त्रुटि अंधापन कहती हूँ. अधिकांश समय, हमें आंतरिक इशारा नहीं होता की हम किसी बारे में गलत कर रहे हैं, जब तक बहुत देर हो चुकी है. लेकिन वहाँ एक दूसरा कारण है कि हम इस अहसास में क्यों अटक जाते है - और यह एक सांस्कृतिक है. प्राथमिक स्कूल के बारे में एक पल के लिए वापस सोचो. तुम वहाँ कक्षा में बैठे हो, और अपने शिक्षक वापस प्रश्नोत्तरी कागजात सौंप रहे हैं, और उनमें से एक इस तरह दिखता है. यह मेरा तरीका नहीं है. हंसी तो तुम ग्रेड स्कूल में हो और आप जानते हैं कि वास्तव में क्या सोचना है उस बच्चे के विषय में जिसे यहपत्र मिला. यह गूंगा बच्चा, उपद्रवी, जो अपने होमवर्क करता है कभी नहीं . तो जिस समय से आप नौ साल के हैं, आप पहले से ही सब सीख चुके हैं, कि जो लोग गलती करते हैं आलसी, गैर जिम्मेदाराना बेवक़ूफ़ हैं - और दूसरा, कि जिस तरह से जीवन में सफल होते हैं वो है किसी भी गलतियाँ नहीं करना. हम वास्तव में अच्छी तरह से इन वास्तव में बुरे सबको को सीखते हैं . और हम में से बहुत - और मुझे संदेह है, विशेष रूप से इस कमरे में हम में से बहुत - उनसे समझोता करते हैं, बन कर, उत्तम छात्र बन कर, सब कुछ सही करने वाले, अधिक-कामयाब. ठीक है, श्री सीएफओ, खगोल शास्त्री, अल्ट्रा पहलवान? हंसी आप सभी हैं सीएफओ, खगोल शास्त्री, अल्ट्रा पहलवान. ठीक है, तो ठीक है. पर तब नहीं, जब हम सनक जाते हैं इस संभावना से, कि हम ने कुछ गलती कर दी है. क्योंकि इस के अनुसार, कुछ गलत करना इस का अर्थ है हमारे साथ कुछ गड़बड़ है. तो हम बस जिद करते हैंकि हम सही हैं, क्योंकि यह महसूस करता है हमें स्मार्ट और जिम्मेदार और धार्मिक और सुरक्षित है तो मैं तुम्हें एक कहानी सुनती हूँ. दो वर्ष पहले, एक औरत बैठ इसराइल देकोनेस मेडिकल सेंटर में सर्जरी के लिए आती है. बैठ बोस्टन में है. यह हार्वर्ड के लिए शिक्षण अस्पताल है - देश के सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों में से एक. तो इस महिला में आती है और वह ऑपरेटिंग कमरे में ले जाई गयी. वह बेहोश है, सर्जन अपना काम करता है - उसे वापस टाँके लगा, उसे भेजता है दुसरे के कमरे में . सब कुछ ठीक ठाक हुआ और वह जाग, खुद पर नज़र डालती है, और वह कहती हैं, "पट्टियों मेरे शरीर के गलत साइड पर क्यों है? " वैसे उसके शरीर के गलत साइड पट्टीयों में है क्योंकि सर्जन ने एक बड़ा ऑपरेशन किया गया है उसे सीधे के बजाय उसके बाएं पैर पर हुआ है. जब स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता के लिए बैठ इसराइल के उपाध्यक्ष इस घटना के बारे में बात करते हैं, उन्होंने कहा कि कुछ बहुत ही रोचक . उन्होंने कहा, "जो भी कारण हो, सर्जन ने बस महसूस किया कि वह रोगी के सही पक्ष पर था. " हंसी इस कहानी का मर्म है कि बहुत ज्यादा अहसास पर भरोसा किसी भी चीज़ के सही पक्ष पर होने का बहुत खतरनाक हो सकता है . सच्चाई की यह आंतरिक भावना जो हम सब बहुत अक्सर अनुभव करते हैं एक विश्वसनीय गाइड नहीं है उस चीज़ के लिए जो वास्तव में बाहरी दुनिया में चल रही है. और जब हम ऐसे कार्य करते हैं जैसे की वो हो, और हम मानना बंद कर देते हैं की हम गलत हो सकते हैं , तब हम चीज़े करते हैं जैसे मैक्सिको की खाड़ी में 200 मिलियन गैलन तेल की डंपिंग की तरह , या वैश्विक अर्थव्यवस्था हिलाना. तो यह एक बड़ी व्यावहारिक समस्या है. लेकिन यह भी एक बड़ी सामाजिक समस्या है. एक पल के लिए सोचो, कि सही होना कैसा लगता है . इसका मतलब है कि आपको लगता है कि आपके विश्वास पूरी तरह से वास्तविकता को प्रतिबिंबित करते हैं. और जब तुम उस तरह महसूस करते हो, आप के पास एक समस्या है सुलझाने के लिए, जो है, आप कैसा बताएँगे उन लोगों को जो आप के साथ असहमत हैं? यह पता चला है, हम में से ज्यादातर उन लोगों को एक ही तरीके से बताएँगे , दुर्भाग्यपूर्ण मान्यताओं की एक श्रृंखला का सहारा ले कर . सबसे पहले, आम तौर जब कोई हमारे साथ सहमत नहीं होता हम मान लेते हैं कि वे अज्ञानी हैं . उनके पास जानकारी नहीं है, और जब हम उदारता से उनके साथ जानकारी का योगदान कर लेते हैं , हम मानते हैं की वे समझ कर हमारी टीम मेंआ जाएँगे, जब वह काम नहीं करता, जब पता लगता है उन लोगों को सब तथ्य है और वे अभी भी हमारे साथ असहमत हैं , तो हम एक दूसरी धारणा की और कदम बढ़ाते हैं, जो है कि वे बेवकूफ हैं. हंसी उनके पास पहेली के सभी टुकड़े हैं, मगर वेह मूर्ख हैं और वे उन्हें एक साथ सही से नहीं डाल पा रहे . और जब वह काम नहीं करता, जब पता लगता है कि जो लोग हमारे साथ असहमत हैं उन के पास तथ्य भी हैं और वास्तव में वह बहुत चालाक भी हैं , तो हम एक तीसरी धारणा पर कदम रखते hain: वे सच जानते हैं, और वे जान - बूझकर उसे विकृत कर रहे हैं अपने स्वयं के द्रोही प्रयोजनों के लिए. तो यह एक त्रासदी है. हमारी अपनी सच्चाई के लिए यह आसक्ति हमें गलतियों को रोकने से रोकती है जब हमें उसकी सख्त जरूरत होती है और हमें एक दूसरे को बहुत बुरा व्यवहार करने पर मजबूर करती है. लेकिन मेरे लिए यह सबसे चोकने वाला है और इस बारे में सबसे दुखद है कि यह इंसानियत की सारी बात भूला देती हैं. ऐसा लगता है कि हम कल्पना करना चाहते हैं कि हमारे दिमाग बस पूरी तरह से पारदर्शी खिड़कियों हैं और हम सिर्फ उन से बाहर टकटकी लगा दुनिया का वर्णन कर रहे हैं. और हम चाहते हैं की बाकी सब भी उसी एक खिड़की से बाहर देखे और बिलकुल वही एक ही बात देखें. यह सच नहीं है, और अगर यह होता, तो जीवन अविश्वसनीय रूप से उबाऊ होगा . अपने मन का चमत्कार यह नहीं है की तुम दुनिया को जैसा है वैसा देख सकते हो. वो है कि आप दुनिया को वैसे देख सकते हैं जैसा वो नहीं है. हम अतीत को याद कर सकते हैं, और हम भविष्य के बारे में सोच सकते हैं, और हम सोच सकते हैं यह कैसे होगा कुछ अन्य जगह में कुछ अन्य व्यक्ति होना. और हम सब यह थोड़ा अलग करते हैं, इसलिए हम सभी एक ही रात्रि आकाश को देख सकते हैं और यह देख सकते हैं और यह भी और यह भी. और हाँ, यह भी कारण है कि हम चीजों को गलत समझते हैं. १२०० साल पहले डेसकार्टेस ने यह प्रसिद्ध बात कही "मैं सोचता हूँ इसलिए मैं हूँ" यह आदमी, सेंट औगुस्तिने, बैठे और लिखा "Fallor ergo sum" - "मैं गलती करता हूँ इसलिए मैं हूँ." ऍगस्टीन समझते थे कि हमारी खराब करने की क्षमता, यह शर्मनाक दोष नहीं है मानव प्रणाली में, कुछ हम उन्मूलन या दूर कर सकते हैं. यह पूरी तरह से जो हम हैं, मौलिक है. क्योंकि, भगवान की तरह , हम वास्तव में क्या हो रहा है, नहीं जान सकते. और सभी अन्य जानवरों से अलग, हम उसे समझने की कोशिश कर रहे हैं. मेरे लिए, यह जुनून स्रोत और जड़ है हमारी उत्पादकता और रचनात्मकता का. पिछले वर्ष विभिन्न कारणों से, मैं कई एपिसोड सुने "यह अमेरिकन लाइफ" पब्लिक रेडियो शो के. और मैं सुनती रही और सुनती रही, और कुछ बिंदु पर, मैं महसूस करने लगी की सभी कहानियों गलत होने के बारे में हैं . और मेरी पहली सोच थी, "मैंने दिमाग खो दिया है. मैं बन गयी हूँ पागल गलती वाली औरत. मैंने उसे सब जगह मंगदत कर लिया है." जो हुआ है. दो महीनों बाद , मैंने वास्तव में ईरा ग्लास, जो शो के मेजबान है, उनका साक्षात्कार किया . और मैंने उनसे इसका उल्लेख किया, और उन्होंने कहा, "नहीं, वास्तव में, यह सच है. वास्तव में," वे कहते हैं , एक कर्मचारी के रूप में, हम मजाक करते हैं की हमारा हर क्रमांकन उसी विषय पर है. और वह विषय है: "मुझे लगा एक चीज़े होगी मगर कुछ और हुआ" और असल बात यह है, "इरा ग्लास ने कहा, "हमें यह चाहिए, यह पल आश्चर्य और परिवर्तन और गलतियों के इन कहानियों का काम बनाने के लिए. " और बाकी हम सब दर्शक गन के लिए श्रोता के रूप में, पाठकों के रूप में, हम इसे पसंद करते हैं. हम विषय पलट कहानिया पसंद करते हैं और आश्चर्य अंत. जब बात हमारी कहानियों की है , हमें गलतियों से प्यार है. लेकिन, तुम्हें पता है, हमारी कहानियों इस तरह हैं क्योंकि हमारे जीवन इस तरह हैं. हमें लगता है कि ऐसा होने वाला है और बजाय कुछ और होता है. जॉर्ज बुश ने सोचा था कि वह इराक पर आक्रमण करेंगे , सामूहिक विनाश के हथियारों का एक गुच्छा मिल जाए, लोगों को आजाद करेंगे और मध्य पूर्व के लिए लोकतंत्र लायेंगे. और कुछ और हुआ . और होस्नी मुबारक सोचा था कि वह मिस्र के तानाशाह हो अपने जीवन के बाकी साल काटेंगे, जब तक वह बहुत बूढ़े या बहुत बीमार हो और उनके बेटे को सत्ता दे सकते हैं . और कुछ और हुआ . और शायद आपने सोचा आप बड़े हो कर उच्च विद्यालय की अपनी प्रेमिका से शादी करोगे और अपने पुराने शहर में वापस जा कर बच्चों का एक झुंड बढ़ा करोगे . और कुछ और हुआ . और मुझे आप को बताना है कि मैंने सोचा था कि मैं एक अविश्वसनीय अध्ययनशील किताब लिख रही हूँ ऐसे विषय पर जिसे कोई पसंद नहीं करता एक श्रोता गन के लिए यह कभी नहीं हो सकता और कुछ और ही हुआ . हंसी मेरा मतलब है, यह जीवन है. अच्छे के लिए और बुरे के लिए, हम इन अविश्वसनीय कहानियों को उत्पन्न करते हैं हमारी दुनिया के बारे में, और फिर दुनिया मुडती है और हमें आश्चर्य में दाल देती है. कोई अपमान नहीं है, लेकिन यह पूरा सम्मेलन एक अविश्वसनीय स्मारक है हमारे गलत होने की क्षमता के लिए. हमने एक पूरे सप्ताह नवाचार और प्रगति के बारे में बात की है और सुधार, लेकिन आप जानते हैं कि क्यों हमें उन नवाचारों की जरूरत है और प्रगति और सुधार? क्योंकि आधा सामान कि आश्चर्यजनक और दुनिया में फेरबदल करने वाला है - TED १९९८ - एह. (हँसी) वैसा हुआ नहीं जैसा हम चाहते थे. (हँसी) मेरे जेट पैक कहाँ है, क्रिस? (हँसी) (अभिनन्दन) हम फिर यहीं हैं और यह ऐसे चलता है. हम एक और विचार के साथ आगे आते हैं . हम एक और कहानी बताते हैं. हम एक और सम्मेलन का आयोजन करते हैं. इस वाली का विषय, जो आप लोग अब तक सत्तर लाख बार सुन चुके हैं, है आश्चर्य के पुन्हा-खोज. और मेरे लिए, अगर तुम सच में आश्चर्य पुन्हा-खोज करना चाहते हो, तुम्हे बाहर कदम रखना होगा उस छोटे, डरे हुए सच्चाई के अंतरिक्ष से और अपने आस पास, और एक दुसरे को देखो बहार विशालता को देखो और जटिलता और रहस्य ब्रह्मांड के और कहने के लिए सक्षम हो, "वाह, मुझे नहीं मालूम. शायद मैं गलत हूँ" धन्यवाद. अभिनन्दन आप लोगों को धन्यवाद. अभिनन्दन मैं आज आपसे कुछ कहना चाहता हूँ जो उन महानतम साहसिक कार्यो में से एक है जिसे मनुष्य जाति ने प्रारम्भ किया, वह जिज्ञासा है ब्रह्माण्ड को समझने की और उसमे हमारी अवस्थिति को जानने की। इस विषय मे मेरी रुचि, और मेरी दिवानगी, अकस्मात घटित हुई। मैने यह पुस्तक खरीदी, "यह ब्रह्माण्ड और डाक्टर आइंस्टाइन" -- वह पतली जिल्द वाली सिएटल की एक पुरानी पुस्तको की की दुकान से थी। उसके कई वर्षो बाद, बैंगलोर में, एक रात मुझे नींद नहीं आ रही थी, तब मैने उस पुस्तक को उठाया, यह सोचते हुए की वह १० मिनेट में मुझे निंद्रा की गोद में पहुंचा देगी। मगर हुआ यह की, मैने आधी रात से सुवह ५ बजे तक एक झटके में उसे पढ डाला। वह मेरे अंदर यह तीव्र भाव छोड़ गई जो उतेजना और आनन्द से भरी हुइ थी ब्रह्माण्ड के विषय में और हमारी अपनी समझने की क्षमता जो आज है। और उस भावना से मैं अभी तक मुक्त नही हो पाया हूँ। वह भावना मेरे लिए कारण बनी अपने पेशे को परिवर्तन करने की -- एक सॉफ्टवेयर इन्जीनीयर से मैं विज्ञान लेखक बन गया -- ताकि मैं विज्ञान के आनन्द में सम्मलित हो सकूँ, तथा औरों को बताने के आनन्द प्राप्त कर सकूँ। इसी भावना ने मुझे अभिप्रेरित भी किया एक अलग प्रकार की तीर्थ यात्रा के लिए, अक्षरसः कहे तो दुनिया के किनारो तक जाना देखने के लिए दुरबीन, अन्वेषणयन्त्र, एवं उपकरण जो लोग बना रहे हैं या बना चुके थें, ब्रह्माण्ड के अन्वेषण के लिए अधिक से अधिक व्यापकता के साथ । यह खोज मुझे चीली जैसी जगह ले गई -- चीली देश की आटाकामा मरुभूमि से -- साइवेरिया तक, भूमिगत खदानों मे, जापान की एल्प पर्वतमाला से उत्तरी अमेरिका तक, अंटार्कटिका तक और फिर दक्षिणी ध्रुव तक । और आज मैं आपसे कुछ बाँटना चाहता हूँ कुछ छाया-चित्र, तथा उन यात्राओं कि कहानियाँ । वस्तुतः पिछले कुछ वर्षो से मैं व्यस्त था उन प्रयासो के अभिलेखन में जो कुछ अति वीर पुरुष एवं महिलाएँ अंजाम तक पहुँचा रहे थे, कभी कभी, अपनी जान पर खेलकर वह दुर्गम एवं कठिनाई भरे स्थानों पर काम कर रहे थें ताकि वह बह्माण्ड से प्राप्त होने वाले सूक्ष्मत्तम संकेतो को ग्रहण कर सके जिससे हम ब्रह्माण्ड को समझ सके । प्रारम्भ में मैं एक वृतखण्ड रेखा चित्र प्रस्तुत करुंगा। विश्वास दिलाना चाहूँगा कि यह एक मात्र रेखा चित्र है पूरे प्रस्तुतीकरण में । लेकिन यह हमारे मानस को ब्रह्माण्ड का विषय समझने कि स्थिति में ले आएगा । भौतिकी के सम्पूर्ण सिद्धान्त जो हमारे पास हैं ठीक ढंग से व्याख्या करते है कि "सामान्य पदार्थ" किसे कहते है -- जिस चीज से हम बने हैं -- और उसकी मात्रा ब्रह्माण्ड मे सिर्फ ४ प्रतिशत हैं। खगोलज्ञ, ब्रह्माण्डज्ञ तथा भौतिकीज्ञ सोचते है कि इस ब्रह्माण्ड में कुछ ऐसा है जिसे वे श्याम (डार्क) पदार्थ कहते हैं, उसकी मात्रा ब्रह्माण्ड में २३ प्रतिशत है, और ऐसा कुछ जिसे श्याम ऊर्जा कहते हैं, और जो समय-स्थान की संरचना मे व्याप्त हैं, वह शेष ७३% मात्रा में है । तो आप इस वृतखण्ड रेखा-चित्र में, ब्रहृमाण्ड के ९६% हिस्से को आज तक हम खोज रहे हैं, वह अज्ञात एवं हमारी समझ के परे है । और अधिकांश प्रयोग, दुरबीन जो मै देखने गया था वह किसी रुप मे इसी प्रश्न को संबोधन करते हैं, इन दो रहस्यों को, श्याम पदार्थ तथा श्याम उर्जा को। अब मै आपको एक भूमिगत खदान की ओर ले चलता हूँ उत्तरी मिनेसोटा में जहां लोग खोज रहे है उसे जिसे श्याम पदार्थ कहा गया । और उद्देश्य है उस संकेत को पकड़ना जब श्याम पदार्थ का एक कण उनके संसूचक से टकराएगा । और भूमिगत होने का कारण यह है कि, यदि यह प्रयोग पृथ्वी पर किया जाए तो, यह प्रयोग उन संकेतो से गडमड हो जाएगा जो ब्रह्माण्डीय किरणो जैसी चीज के कारण होता है, या फिर वातावरणीय रेडियो विकिरण से, या फिर हमारे शरीर की वजह से । आप मानेंगें नही, लेकिन हमारे शरीर में यथेष्ट रेडियो विकिरण है जो इस प्रयोग में विघ्न डाल सकता है । इस लिए वह भूमि के अन्दर गहरे उतरते है एक प्रकार का वातावरणीय मौन हासिल करने के लिए जिससे वे सुन पाएँगे संसूचको पर श्याम पदार्थ के कण की छोटी सी टकराहट । और मैं एक ऐसा प्रयोग देखने गया, और वास्तव में - इसे देखना न हो पाएगा और उसका कारण है की वहां धुप्प अंधकार है। वह एक बडी गुफा है जिसे खनिको ने त्याग दिया सन १९६० मे खदान छोड़ते समय । और तब भौतिज्ञ यहां आए और इसका प्रयोग करने लगे सन १९८० के साल में पिछली सदी के शुरु मे खनिक यहां मोमवती के प्रकाश में काम करते थें । और आज, आप इस खदान के अन्दर देख सकते है, जो आधा मील भूमि के अन्दर है । यह विश्व की अधिकत्तम गहराइ की भूमिगत प्रयोगशालाओं में से एक है । और, अन्य चीजो के साथ वह यहां श्याम पदार्थ की खोज कर रहे हैं । एक और तरीका है श्याम पदार्थ को खोजने का, जो अप्रत्यक्ष है । यदि श्याम पदार्थ का अस्तित्व हमारे ब्रहृमाण्ड में है, हमारी आकाशगंगा में है, तो उसके कण आपस मे टकराते होंगे और अन्य कणो की रचना करेंगें जिसे हम पहचानते हैं -- वैसा एक है जिसे न्युट्रोनो कहते है । और न्युट्रोनो की आप टोह ले सकते है उस हस्ताक्षर द्धारा जिसे वह छोड जाते है जब वह पानी के अणुकणिकाओं से टकराते हैं । जब न्युट्रोनो पानी के अणुकणिका से टकराता है तो एक तरह का नीला प्रकाश निकलता है, नीले प्रकाश की एक चमक, और इस नीले प्रकाश को देख कर, तो आप अनिवार्य रुप से न्युट्रानो के बारे में कुछ जान पाएगें और फिर, अप्रत्यक्षतः, कुछ श्याम पदार्थ के बारे में जिसमें सम्भवतः इस न्युट्रोनो को सृजन हुआ होगा । लेकिन आपको अत्याधिक परिमाण में पानी की आवश्यकता पडेगी इस प्रयोग के लिए -- आपको आवश्यक पड़ेगी कई करोड़ टन पानी की -- लगभग एक अरब टन पानी -- न्युट्रान को पकड़्ने के लिए किसी भी अवसर को पाने के लिए। इस विश्व में आपको इतना पानी कहाँ मिलेगा - हाँ रुस के पिछवाडे में ऐसा एक भण्डार है । यह बेकाल झील है । यह विश्व की सब से बडी झील है । यह ८०० किलोमीटर लम्बी है । यह ४० से ५० कि.मि. चौडी है कई स्थानों पर, और १-२ कि.मि. गहरी है । और रुस के लोग यहां संसूचको का निर्माण कर रहे हैं और उसे झील की सतह से १ कि.मि. गहरे में डुबाते है ताकि उन्हें नीले प्रकाश के चमक की झलक मिल जाए । और जब मैं वहां पहुँचा तो मैनें यह दृश्य देखा । यह बेकाल झील है साइबेरीयाई ठण्ड के उच्चत्तम बिन्दु पर । यह झील पूरी तरह जमी हुई है । और वह काली बिन्दुओं की पंक्ति जो आप पार्श्व में देख रहे है, वह बर्फ-तम्बू है जहाँ भौतिकीज्ञ काम कर रहे हैं । उन्हें जाड़े में इसलिए काम करना होता है क्योंकि गर्मी और बसन्त ऋतु में काम करने के लिए उनके पास यथेष्ट पैसा नहीं होता है, अगर, वे ऐसा करे तो, उन्हें जहाज और पनडुब्बियों की आवश्यकता होगी । अतः वे जाडे का इन्तजार करते हैं-- जब वह झील पूरी तरह जम जाती है -- और वे इस मीटर चौडाई वाले बर्फ की परत का प्रयोग करते हैं एक प्लेटफारम की तरह, जिस पर अपना बर्फ-तम्बु निर्माण कर वे अपना काम कर सकते है । तो यहाँ रुस के लोग बर्फ पर काम कर रहे हैं साइबेरियाई ठण्ड के उच्चत्तम बिन्दु पर । उन्हें बर्फमें छेद करना पड़ता है, फिर उस ठण्डे, ठण्डे पानी में डूबकी लगाते हैं -- अपने उपकरणो को पकड़ कर बाहर निकालते हैं, आवश्यक मरम्मत सम्भार करने के लिए, बर्फ पिघलने के पूर्व वापस डाल कर बाहर आते। क्योकि ठोस बर्फ का चरण दो महीने ठहरता है और वह दरारों से भरा है । आप कल्पना करें, एक सागर के समान झील है पैरों के नीचे, चलायमान मेरी समझ के परे है कि क्यो वह रुसी नंगी छाती काम कर रहा है, इससे ज्ञात होता है कि वह कितनी मेहनत कर रहा है । और यह, मुट्ठी भर लोग, बीस वर्षो से काम कर रहे है, उन कणों को खोजते जिनका अस्तित्व हो भी सकता है और नहीं भी। और उन्होंने इसमें अपना जीवन समर्पित कर दिया है। केवल एक धारणा के लिए, उन्होने बीस वर्षों में २० करोड़ खर्च किया है । यह बेहद कठोर स्थिति है । वे नगण्य आय-व्यय पर काम कर रहे है । वहां शौचालय के नाम पर भूमि मे छेद है, जो काठ की पटरी से ढकी है । और यह उतनी बुनियादी भर है, लेकिन वे प्रत्येक वर्ष यह करते है । साइबेरिया से ले कर चीली की अटाकामा मरुभूमि तक, देखने के लिए जिसे बहत विशाल दुरवीन कहते हैं । एक बहत विशाल दुरवीन यह एक काम है जो ये खगोलज्ञ करते है -- वे बगैर कल्पनाशीलता के अपनी दुरवीन का नामाकरण करते हैं । मैं आपको एक तथ्य बताता हूं, वह जो अगली की योजना बना रहे हैं । उसे अति विशाल दुरवीन कहते हैं । (हंसी) और आप विश्वास नहीं करेंगें, लेकिन इसके बाद वाले का जबरदस्त विशाल दुरवीन कहेंगें । लेकिन जो भी हो, यह इन्जीनियरींग का असाधारण नमूना हैं। वहां चार ८.२ मीटर की दुरवीनें हैं । और ये दुरबीनें, अन्य चीजों के साथ, उनका प्रयोग इस अध्ययन के लिए हो रहा है कि ब्रह्माण्ड का विस्तार समय के साथ कैसे परिवर्तित हो रहा है। और आप जितना अधिक उसे समझते हैं, उतना ही बेहतर आप समझेंगें श्याम पदार्थ क्या है -- ब्रह्माण्ड जिससे बना -- उस सम्बन्ध में इन्जीनियरींग का एक नमूना जो आपसे कहूँगा इस दुरबीन के बारे में वह दर्पण है । प्रत्येक दर्पण, जो कुल चार हैं, वे एक ही दर्पण के टुकडे से बने हैं, उच्च तकनीकी मृतिका की एक अखण्ड रचना, जिसे इतनी विशुद्धता के साथ घिसा और पालिस किया गया है एक हीं तरीका है उसे समझने का आप कल्पना करें पेरिस शहर का, उसकी उँची अट्टलाकिओं और एफील मिनार के साथ, अगर आप उसे इतनी विशुद्धता के साथ घिसे, आपके पास सिर्फ एक मिलीमिटर उंचाई का उभार बच जाए वैसी घिसाई इन दर्पणों को झेलनी पडी है । ऐसी असाधारण दुरबीनों का समूह। यहां उसका एक अन्य दृश्य। आपको ऐसी दुरबीनें बनानी पड़ती है अटाकामा मरुभूमि जैसी जगह में क्योंकी वह है उँचे स्थान की मरुभुमि। यहां की खुश्क हवा दुरबीनों के लिए अच्छी है, और साथ हीं, बादलों का ढकना पर्वत शिखर के नीचे है जिससे दुरबीनों को लगभग ३०० दिन खुला आकाश मिलता है । अन्ततः, मै आपको अंटार्कटिका लिए चलता हूँ । मैं अपना अधिकत्तम समय विश्व के इस भाग में बिताना चाहता हूँ। यह ब्रह्माण्ड शास्त्र की अन्तिम छोर है। कुछ अत्यन्त विस्मयकारी प्रयोग, कुछ अत्यन्त गहन प्रयोग, यहां अंटार्कटिका में किए जा रहे हैं । मैं वहा लम्बी-अवधि वाले गुब्बारे की उड़ान के अवलोकन के लिए था, जो मूलतः दुरबीन एवं उपकरणो को ले जाता है वायुमण्डल के ऊपरी भाग तक, ऊपरी समतापमण्डल, ४० किलोमिटर ऊपर। और वही जगह है, जहाँ वे अपने प्रयोग करते हैं, और तब उस गुब्बारे, उस अंतरिक्ष उपकरण, को नीचे लाया जाता है । तो हम अंटार्कटिका के रॉस हिम परत पर अवतरण कर रहे हैं । यह एक अमेरिकी सि-१७ खेप विमान है जिसने हमें न्यूज़ीलैण्ड से उडान भराई अंटार्कटिका के मैक्मुर्डो प्रांत की ओर । और यहाँ हम अपने बस में सवार होने की तैयारी में हैं। और मुझे पत्ता नहीं कि आप अंकित अक्षरो को पढ सकते हैं, लेकिन, यहां लिखा है "इभान द टेरीबस"। और यह हमे मैक्मुर्डो ले जा रही है। और यह वह दृश्य है जो मेक्मुर्डो में आपका स्वागत करता है । और आपको अनुमान लगाना कठिन होगा यहां की कुटिया के सम्बन्ध में । यह कुटीया रोबर्ट मैलकन और उनके आदमियों द्वारा बनाई गई थी जब वह पहली बार अंटार्कटिका आए थे दक्षिण ध्रुब की ओर जाने वाले उनके प्रथम अभियान में। क्योंकि यहाँ इतनी ठण्डी है, कुटीया की सभी वस्तुएं बिल्कुल वैसे ही हैं, जैसा उन्होनें छोड़ी थी, उनके द्वारा बनाए गए अंतिम भोजन का अवशेष भी अभी तक वहां पडा है यह असाधारण स्थान है। मैक्मुर्डो यही है। ग्रीष्म ऋतु में यहां करीब हजार लोग काम करते हैं, और सर्दी मे तकरीबन 200 जब यहां पूर्ण अन्धकार होता है, छः महीने के लिए। मैं यहां उड़ान देखने के लिए आया था इस विशेष प्रकार के उपकरण की यह एक अन्तरिक्ष किरण सम्बन्धी प्रयोग है जिसे उच्चतर समतापमण्डल मे प्रक्षेपित किया गया है ४० किलोमिटर की ऊँचाई पर । मैं आपको कल्पना कराना चाहता हूँ की इसका भार 2 टन है। और आप एक गुब्बारे का प्रयोग कर रहे हैं दो सौ टन भार वहन के लिए वह भी 40 किलोमीटर की ऊँचाई तक। इंजीनीयर, तकनीशियन, भौतिकीज्ञगण सभी को रॉस हिम परत पर एकत्र होना पड़ता है क्योंकि यह अंटार्कटिका है -- मै कारणो मे नही जाऊँगा -- लेकिन यह गुब्बारों की उड़ान के लिए सर्वाधिक अनुकुल स्थान है, सर्दी के मौसम के अतिरिक्त। मौसम, जैसा की आप कल्पना कर सकते हैं, यह ग्रीष्म ऋतु है, और आप 200 फीट बर्फ पर खडे हैं। और पीछे एक ज्वालामुखी है, उसके शिखर पर हिमनदीयां हैं। उनको क्या करना है कि उस गुब्बारे के सभी पुर्जो को आपस मे जोड़ना है -- कपडा, अवतरण छतरी तथा अन्य सभी सामाग्री -- बर्फ पर और फिर उसमें हिलीयम भरना। इस प्रक्रिया में करीब 2 घण्टे लगते हैं। और जब वे पुर्जो को जोड़ रहे होते है तब मौसम बदल सकता हैं उदाहरणस्वरूप, यहां वह पीछे की और गुब्बारे के कपडे को बिछा रहे हैं, जिसमे अन्ततः हीलियम भरा जाएगा । वो जो दो ट्रक आप सबसे अंत मे देख रहे हैं वह प्रत्येक 12 टंकी संकुचित हिलीयम का भार लिए हुए है। अब, यदि उडान से पूर्व मौसम परिवर्तन हो जाए तो, उन्हें सब कुछ वापस बक्सो मे डालना होगा और वापस मैक्मुर्डो स्टेशन ले जाना होगा। और यह खास गुब्बारा, क्योंकि इसे 2 टन भार वहन के साथ उडान भरनी है, एक अत्यंत विशाल गुब्बारा है । इसके कपडे मात्र का वजन 2 टन है। भार घटाने के लिए, यह बेहद पतला है, भोजन लपेटने वाले कागज जितना पतला। और यदि उन्हें इसे वापस गठरी बनानी पडे, उन्हे वापस बक्सो मे डालना होगा और पतर चढानी होगी ताकि वह बक्सो मे ठीक से बैठ जाए -- अपवाद यह है कि, जब यह प्रथम बार किया गया, यह टेक्सास राज्य मे किया जाना था। यहां, उन जूत्तो को पहन कर नहीं किया जा सकता जो वे पहने हैं, अतः उन्हे जूत्ते निकालने पड़ते हैं, इतनी ठंड में नंगे पैर बक्सो मे उतरना होता है और इस प्रकार का काम करना पड़ता है। ऐसी निष्ठा है इन व्यक्तियों में । यहां गुब्बारे मे हीलियम भरा जा रहा है, इस भव्य द्दश्य को आप देख सकते हैं। यह है वह द्दश्य जहां से आप गुब्बारे को उसके भार के साथ शुरु से अंत तक देख सकते हैं। तो दायीं तरफ गुब्बारे मे हिलियम भरी जा रही है, और वह कपडा बिल्कुल मध्य तक फैला है जहां इलेक्ट्रोनिक सामाग्री तथा विस्फोटक रखे हैं अवतरण छतरी से जोडी जा रही है, और वह अवतरण छतरी भार के साथ जोडी जा रही है । और स्मरण रहे, सम्पूर्ण तारो को जोडा जा रहा है लोगो द्वारा चरम ठंड मे, शून्य से नीचे के तापक्रम में। वे खुद 15 किलो के वस्त्र पहने हैं, और यह सब करने के लिए उन्हे अपने पंजे उतारने पड़ते हैं। और मै आपको सहभागी बनाउंगा एक उडान के अनुभव में (चलचित्र) आकाशवाणी : ठीक है, गुब्बारा छोड़ो, गुब्बारा छोड़ो, गुब्बारा छोड़ो । अनिल अनंथस्वामी : और अंततः दो दृश्य आपके समक्ष रखना चाहूँगा । यह हिमालय मे स्थित एक वेधशाला है, भारत के लद्दाख में एक चीज की ओर आप देखिए उपर बांयी तरफ एक दुरबीन है और बिल्कुल दायीं तरफ वहां एक ४०० वर्ष प्राचीन बौद्ध विहार है । बौद्ध विहार के एकदम समीप का दृश्‍य है यह । मै विस्मित हो गया यह निकटता देख कर मानव जाति की दो विपुल विधाओ के बीच एक बाह्य अंतरिक्ष मे खोज रही है, और दूसरी हमारे भीतर के अस्तित्व को और दोनो को एक प्रकार का मौन चाहिए और मुझे इसने विस्मित किया कि प्रत्येक स्थान में जहाँ मै दुरबीन देखने गया, खगोलज्ञ तथा ब्रह्माणडज्ञ विशेष प्रकार का मौन खोज रहे है, चाहे वह विकिरण प्रदूषण से मौन हीं क्यो न हो अथवा प्रकाश प्रदूषण से या जिस किसी से। यह सुस्पष्ट था यदि पृथ्वी पर इन मौनता वाले स्थानो को हम नष्ट कर देंगे तो, हमे ऐसे ग्रह पर रहना होगा जहां हमारे पास बाह्य पक्ष को देखने की क्षमता न होगी, क्योंकि हम बाह्य अन्तरिक्ष से आने वाले संकेतो को नहीं समझ पाएँगे। धन्यवाद । (तालियाँ) सोचिये एक बडे विस्फ़ोट के बारे में जब आप ३००० फ़ीट की ऊँचाई से ऊपर जा रहे हों। कल्पना कीजिये धुँए से भरे एक हवाई-जहाज़ की। सोचिये इंजन की क्लैक क्लैक क्लैक करती आवाज़, क्लैक क्लैक क्लैक क्लैक क्लैक क्लैक वो बहुत डरावनी आवाज़ होती है। खैर, मैं उस दिन एक ख़ास सीट पर था। १-डी। मैं ही एक ऐसा व्यक्ति था जो कि फ़्लाइट परिचारकों से बात कर सकता था। तो मैनें उनकी तरफ़ देखा, और उन्होंने कहा, "कोई दिक्कत नहीं है। शायद कोई चिडिया टकरा गयी है।" पायलट नें तब तक जहाज़ को वापस मोड लिया था, और हम बहुत दूर नहीं थे। आप मैनहैटन को देख सकते थे। दो मिनट बाद, तीन चीजें एक साथ घटित हुईं। पायलट ने जहाज़ को हडसन नदी की सिधाई में कर लिया। ज्यादातर, ये रास्ता नहीं होता है। (हँसी) उसने इंजन बंद कर दिये। अब सोचिये ऐसे जहाज़ में होना जिसमें कोई आवाज़ न हो। और फ़िर उसने तीन शब्द कहे --- सबसे भावनाहीन तीन शब्द जो मैनें कभी भी सुने। उसने कहा, "ब्रेस फ़ॉर इम्पैक्ट" (झटके के लिये तैयार हों) इसके बाद मुझे फ़्लाइट परिचारकों से बात करने की आवश्यकता नहीं रह गयी थी। (हँसी) मैं उसकी आँखें पढ सकता था, आतंक साफ़ झलक रहा था। जीवन का अंत हो रहा था। अब मैं आपके साथ वो तीन बातें बाँटना चाहता हूँ जो मुझे उस दिन अपने बारे में पता लगीं। मैने सीखा कि सब कुछ एक क्षण में बदल जाता है। हम सब के पास ये लिस्ट होती है, कि हमें मरने के पहले ये काम तो करने ही हैं, और मैने सोचा उन सब लोगों के बारे में जिनसे मिलना मैं टालता आया था, और वो सारे टूटे रिश्ते जो मैं जोडना चाहता था, और वो सारे अनुभव जो मैं लेना चाहता था, मगर लिये नहीं। और जब मैनें बाद में उन के बारे में सोचा, तो मैने एक लाइन कही, --- "मैं बेकार शराब इकट्ठा करता हूँ" क्योंकि अगर वाइन है, और वो व्यक्ति भी है, तो उसे मत बचाओ। अब मैं जीवन में कुछ भी बाद के लिये नहीं टालना चाहता हूँ। और ये जल्दबाजी, और कुछ करने की ललक, इसने मेरा जीवन बदल दिया है। दूसरी बात जो मैने उस दिन सीखी -- और ये तब सीखी जब हम जार्ज़ वाशिंगटन पुल के ऊपर थे, कुछ खास ऊपर नही --- मैने सोचा , वाह! मुझे असल में केवल एक ही दुःख है। मैनें अच्छा जीवन जिया है। और अपनी इंसानी गल्तियों के बीच भी, मैनें हर काम को बेहतर करने की कोशिस की है। लेकिन अपने इंसान होने में, मैने अपने दंभ को भी बीच में आने दिया है। और मुझे पछतावा हुआ उस सब समय के लिये जो मैने बरबाद किया उन चीजों पर, जिनका कोई महत्व नही है, उन लोगों के साथ, जो वाकई महत्वपूर्ण थे। और मैनें अपनी पत्नी के साथे अपने रिश्ते के बारे में सोचा, अपने दोस्तों के साथ रिश्तों के बारे मे, लोगों के साथ रिश्तों के बारे में। और उस के बाद, जब मैने ये सब सोचा, मैने फ़ैसला किया कि मैं अपनी जीवन से नकारात्मकता को निकाल फ़ेंकूँगा। मेरा जीवन बिल्कुल आदर्श तो नहीं, लेकिन बेहतर ज़रूर है। पिछले दो सालों मे मेरा अपनी पत्नी से एक बार भी झगडा नहीं हुआ। ये बहुत बढिया लगता है। मैं बहस नहीं करता हूँ; हमेशा सही सिद्ध होना नहीं चाहता हूँ। मैं सिर्फ़ खुश रहना चाहता हूँ। तीसरी बात जो मैने सीखी -- और ये तब जब मेरे दिमाग में उलटी गिनती चलने लगी थी १५, १५, १३, और पानी ऊपर आता दिख रहा था। मै कह रहा था, "विस्फ़ोट ही हो जाये।" मैं नहीं चाहता कि ये जहाज़ २० टुकडों में बँट जाये जैसा कि तमाम डाक्यूमेंट्रियों में दिखता है। और जैसे जैसे हम नीचे आ रहे थे, मुझे लगा कि, अरे! मरना डरावना नहीं होता। ऐसा लग रहा था जैसे कि हम सारी ज़िंदगी इस के लिये ही तैयारी कर रहे थे। मगर वो बहुत दुख भरा था। मुझे अपना जीवन प्रिय था। मैं उसे ख्त्म नहीं होने देना चाहता था। और ये दुख सिर्फ़ एक ही विचार के रूप में उभरा कि मुझे बस एक ही इच्छा है मैं सिर्फ़ ये चाहता था कि मैं अपने बच्चों को बडा होते देखूँ। करीब एक महीने बाद, मैं अपनी बेटी को स्टेज पर देख रहा था --- पहले दर्ज़े में है, और कुछ खास कलात्मक भी नहीं है --- फ़िर भी।\ (हँसी) और मैं बिल्कुल रो रहा था, एक छोटे से बच्चे की तरह रो रहा था। और मुझे वो सब करना बिल्कुल ही ठीक लग रहा था। और तब मैने जाना इन दो बिंदुओं को मिला कर, कि मेरे जीवन में बस एक ही चीज़ महत्वपूर्ण है अच्छा पिता बन पाना। हर चीज़ से ऊपर, सबसे ऊपर मेरे जीवन का एक ही उद्देश्य है कि मैं एक अच्छा पिता बनूँ। मुझे एक चमत्कारिक देन मिली, उस दिन मैं बच गया। मुझे एक और देन मिली, जो कि भविष्य में जाकर वापस लौट पाने की देन भी, और अलग तरह से जी पाने की देन। मैं उन सब लोगों से कहता हूँ जो आज उड रहे हैं, कि आप अपने जहाज के साथ ये होता हुआ सोनिये, भगवान न करे --- मगर सोचिये --- कि आप को वो कैसे बदल देगा? आप वो क्या चीजे करेंगे जो आप अभी तक टालते आये है< क्योंकि आप सोचते हैं कि आप तो अमर हैं? आप अपने रिश्ते कैसे बदलेंगे और उन्हें कैसे सकारात्मक बनायेंगे? और सबसे बडी बात, क्या आप सबसे अच्छे अभिभावक बनने रहे हैं? धन्यवाद। अभिवादन तो सुरक्षा दो अलग बातें हैं : ये एक तरफ एहसास है और दूसरी तरफ सच्चाई और वो अलग अलग हैं आप सुरक्षित महसूस कर सकते हैं भले ही आप ना हो और आप सुरक्षित हो सकते हैं भले ही आप ऐसा महसूस ना करें सच में हमारे पास दो अलग धारणाये हैं जो कि एक ही शब्द से जुड़े हैं और मैं इस व्याख्यान में इन्हें अलग अलग करना चाहता हूँ ये पता लगाऊं कि वो कब अलग अलग होते हैं और कैसे मिल जाते हैं और भाषा यहाँ पे एक समस्या है| बहुत सारे शब्द उपलब्ध नहीं हैं उन धारणाओ के लिए जिनके बारे में हम बातें करने वाले है| तो अगर आप सुरक्षा के बारे में सोचें आर्थिक रूप में यह चीज़ो को चुनने की दुविधा हैं हर बार जब आपको सुरक्षा मिलेगी, उसके बदले में आप कुछ और दे रहे होंगे चाहे ये आपका व्यक्तिगत निर्णय हो चाहे आप अपने घर में चोरी से बचने वाला अलार्म लगवाने वाले हो, या फिर राष्ट्रीय फैसला जहाँ आप दुसरे देश पे आक्रमण करने वाले हो, उसके बदले में आप कुछ न कुछ दे रहे होंगे | चाहे पैसा हो, समय हो, सहूलियत हो या योग्यता हो या शायद आधारभूत स्वतंत्रता और जो सवाल हमे पूछना चाहिए जब हम सुरक्षा के बारे में सोचते हैं, ये नहीं कि ये हमे सुरक्षित बनाएगा, पर ये कि क्या ये इस लायक हैं कि हम इसके बदले किसी दूसरी चीज़ को दे दे | आपने सुना होगा पिछले कई सालो में, दुनिया सुरक्षित हो गई है क्यूंकि सद्दाम हुस्सेन सत्ता में नहीं हैं ये सच हो सकता है लेकिन पूरी तरह से तर्क संगत नहीं है| सवाल यह कि क्या यह इस योग्य था? और आप खुद के निर्णय ले सकते हैं, और उसके बाद फैसला कर सकते हैं कि क्या ये आक्रमण सही था आप सुरक्षा के बारे में ऐसे सोचते हैं व्यापारिक लेन देन के रूप में अब यहाँ सामान्यत: कोई सही या गलत नहीं होता हमसे कुछ लोगों के यहाँ चोर अलार्म होता हैं कुछ के यहाँ पर नहीं| और ये निर्भर करता है हम कहाँ रहते हैं, क्या हम अकेले रहते हैं या फिर परिवार के साथ, हमारे पास कितने अच्छे अच्छे सामान हैं, हम किस हद तक तैयार हैं चोरी का खतरा उठाने को राजनीति में भी अलग अलग विचार हैं, ज्यादातर समय विनिमय की ये दुविधा सुरक्षा के अलावा दुसरे कारणों से होते हैं, और मैं ये सोचता हूँ कि ये बहुत जरुरी हैं| अब लोगों के पास पाकृतिक ज्ञान हैं इस विनिमय का, हम ये हर दिन करते हैं जैसे कि, कल रात जब मैंने अपने होटल रूम के दरवाजे को दुबारा बंद किया, या आपने अपनी कार में किया जब आप यहाँ पर पहुंचे, या जब हम खाना खाने जाते हैं और सोचते हैं की खाना अच्छा है तो हम खा लेंगे | हम ये विनिमय बार बार करते हैं दिन में कई बार| हम कई बार इन पर ध्यान भी नहीं देते हैं| ये तो बस एक हिस्सा है जीवित होने का, हम सब करते हैं| हर प्रजाति करती हैं| कल्पना कीजिये एक खरगोश मैदान में घास खा रहा हैं, अब अगर खरगोश लोमड़ी को देखता है| तो वो तुरंत एक सुरक्षा विनिमय करेगा, "मैं यहाँ रुकूं?" या "मै यहाँ से भाग जाऊ?" और अगर आप इस बारें में सोचे तो वो खरगोश जो अच्छे होते हैं इस तरह के विनिमय में वो ज्यादा समय तक जिन्दा रहते हैं और प्रजनन करते हैं| और वो खरगोश जो अच्छे नहीं होते हैं वो या तो शिकार बन जाते हैं या भूख से मर जाते हैं| तो अब आप सोचेंगे, कि हम, सफल प्रजाति होने के नाते, आप, मैं, हम सब इस तरह के विनिमय में बहुत अच्छे हैं | ऐसा होने पर भी बार बार प्रतीत होता है, कि हम लोग निराशापूर्ण रूप से अच्छे नहीं हैं| और मैं ये सोचता हूँ कि ये एक आधारभूत रोचक सवाल है| मैं आपको बहुत ही छोटा सा जवाब दूंगा| जवाब यह है कि हम लोग प्रतिक्रिया करते है सुरक्षा की भावना पर ना कि सुरक्षा की सच्चाई पर | हाँ ज्यादातर समय ये काम करती हैं | क्यूंकि ज्यादातर समय सुरक्षा की भावना और सुरक्षा की सच्चाई एक सी ही होती हैं | निश्चित तौर पे ये सच हैं ज्यादातर प्रागतिहासिक मानव के लिए | हमने ये योग्यता विकसित की हैं क्यूंकि ये हमारे विकसित होने से जुड़ी हुई है | एक तरीका ऐसे सोचने का हैं कि हम लोग बहुत ही ज्यादा परिष्कृत हैं ऐसे खतरों से भरे निर्णय लेने में जो छोटे परिवारों में रहने वालो के लिए रोजमर्रा की बात होती थी १०००० इ पूर्व, पूर्वी अफ्रीकन मैदोनो में -- २०१० में न्यू योर्क इस तरह का नहीं हैं | अब खतरे को समझना बहुत तरह से पक्षपात पूर्ण है | बहुत सारे अच्छे प्रयोग हुए हैं| और आप देख सकते हैं इस पक्षपात ( झुकाव ) को बार बार आते हुए | तो मैं आपको चार प्रयोग बताऊंगा | हमारा झुकाव होता हैं असाधारण और विरले खतरों को बढ़ा चढ़ा कर बताने की ओर और सामान्य खतरों की अहमियत कम करने की ओर, जैसे हवाई जहाज की अपेक्षा कार का सफ़र | अनजाने खतरों को हम परिचित खतरों से ज्यादा खतरनाक समझते हैं एक उदाहरण हो सकता है कि लोग अनजान लोगो के द्वारा अपहरण से डरते हैं, जबकि आंकड़े बतलाते हैं कि रिश्तेदारों के द्वारा अपहरण होना ज्यादा सामान्य है | यह आंकड़े बच्चो के लिए हैं| तीसरा, खतरे जिन्हें चेहरे दिए गए हो गुमनाम खतरे की अपेक्षा ज्यादा खतरनाक लगते हैं तो बिन लादेन डरावना है क्यूंकि उसका नाम है| और चौथा, लोग खतरों को कम कर के आंकते हैं उन परिस्थितिओ में जिनको वो नियंत्रित कर सकते हैं और बढ़ा चढ़ा कर आंकते है उन परिस्थितिओ में जिनको वो नियंत्रित नहीं कर सकते हैं | तो जब आप स्काय डाइविंग या धुम्रपान के लिए जाते हैं आप खतरों को कम कर के आंकते हैं | अगर आप पर कोई खतरा थोपा जाता हैं जैसे कि आतंकवाद एक अच्छा उदहारण हैं तो आप बढ़ा चढ़ा कर प्रतिक्रिया देते हैं, क्युकि आपको ये आपके नियंत्रण में नहीं लगता हैं | ऐसे ही बहुत सारे पक्षपात करते हैं विशेषतः दिमागी पक्षपात जो हमारे खतरों से जुड़े निर्णयों पर प्रभाव डालते हैं | हमारे पास अपने अनुभव की उपलब्धता हैं जिसका असल में मतलब हैं कि, हम किसी चीज़ के होने की प्रायिकता का अनुमान इस बात से लगाते हैं कि उससे जुड़ी घटनाओ को कितनी सरलता से हम सोच सकते हैं तो आप ये कल्पना कर सकते हैं कि ये कैसे काम करती हैं, जैसे कि अगर आपने बाघों के आक्रमण के बारे में बहुत सुना हैं तो बहुत सारे बाघ आस पास ही होंगे अगर आपने शेरो के आक्रमण के बारे में नहीं सुना है तो बहुत सारे शेर आस पास नही होंगे | यह काम करता हैं जब तक समाचार पत्र इजाद नहीं हुए थे | क्यूंकि समाचार् पत्र जो करते हैं वो ये कि वो बार बार दुहराते हैं विरले खतरों को| मैं लोगो से कहता हूँ कि अगर ये समाचार हैं तो इससे डरने की जरुरत नहीं क्यूंकि परिभाषा से समाचार वो हैं जो ज्यादातर कभी भी घटित नहीं होता| ( हंसी ) जब चीज़े इतनी सामान्य हो जाये तो वो समाचार नहीं रह जाती, कार का टकराना, घरेलु हिंसा ये सारे खतरें हैं जिनकी आपको चिंता करनी चाहिए | हम भी कहानी बताने वालों की प्रजाति हैं, हम आंकड़ो की अपेक्षा कहनियों पर ज्यादा प्रतिक्रिया देते हैं और कुछ मूलभूत अज्ञानता अभी भी चल रही हैं | मेरा मतलब हैं कि चुटकुला "एक, दो, तीन और कई" कुछ हद तक सही हैं हम छोटे संख्याओ पर बहुत अच्छे हैं, एक आम, दो आम, तीन आम, १०००० आम, १००००० आम, अभी भी बहुत से आम हैं जिन्हें ख़राब होने के पहले खाया जा सकता है तो १/२ , १/४, १/५ हम इनमे अच्छे हैं | लाखो में एक, करोड़ो में एक ये दोनों लगभग कभी नहीं होते | तो हमे उन खतरों से परेशानी होती हैं जो इतने सामान्य नहीं हैं | और ये दिमागी पक्षपात हमारे और सच्चाई के बीच में छलनी की तरह कार्य करता हैं | और परिणाम ये कि जब अचानक अहसास और सच्चाई बाहर आते हैं तो वो अलग अलग होते हैं| तो अब पहले से ज्यादा सुरक्षित होने का अहसास हो सकता हैं सुरक्षित होने का एक झूठा भाव या फिर दूसरी तरफ असुरक्षित होने का एक झूठा भाव मैंने "सुरक्षित थेअटर" के बारे में बहुत लिखा है जो ऐसे उत्पाद हैं जो लोगों को महसूस कराते हैं कि वो सुरक्षित हैं, जबकि वास्तविकता में वो कुछ नहीं करते | ऐसी चीज़ के लिए कोई भी शब्द नहीं हैं जो हमे सुरक्षित तो करे लेकिन सुरक्षित होने का अहसास ना कराये | शायद हमारे लिए सी. आई. ऐ. का यही काम हैं तो वापस चलते हैं अर्थशास्त्र की तरफ यदि अर्थशास्त्र, यदि बाज़ार, चलाते हैं सुरक्षा को और यदि लोग विनिमय करते हैं अपने सुरक्षित होने के अहसास के आधार पर, तब जो समझदारी भरा काम जो कंपनियां कर सकती हैं, आर्थिक फायदों के लिए वो ये कि वो लोगों को सुरक्षित महसूस कराये | और ये करने के दो तरीके हैं पहला कि आप लोगों को असलियत में सुरक्षित रखे और उम्मीद रखे कि उन्हें पता चले | या दूसरा कि आप लोगों को बस सुरक्षित महसूस कराये और ये उम्मीद रखे कि उन्हें पता नहीं चले | तो ऐसा क्या हैं जिससे लोग को पता चलता हैं? कई चीज़ों से : सुरक्षा की समझ, खतरों की समझ, आतंक की समझ, और उपायों की, वो कैसे काम करते हैं| लेकिन अगर आप चीज़ों को समझते हैं तब ज्यादा सम्भावना हैं कि आपके अहसास सच्चाई के जैसे ही होंगे | पर्याप्त वास्तविक उदहारण मदद करेंगे| अभी हम सब अपने आस पड़ोस में जुर्म की दर जानते हैं, क्यूंकि हम वहां रहते हैं और हमे वहां का अहसास है जो सच्चाई के साथ बिलकुल सही बैठता है | तो सुरक्षा के थेअटर का तब पर्दाफाश हो जाता हैं जब ये साफ़ हो जाये कि ये ठीक से काम नहीं कर रहा | अच्छा तो ऐसा क्या हैं जिससे लोगों को पता नहीं चलता, तंत्र की कम समझ यदि आप खतरों को नहीं समझेंगे तो आप कीमत नहीं समझेंगे और संभवत: गलत विनिमय करेंगे | और आपका अहसास सच्चाई के जैसा नहीं होगा | ज्यादा पर्याप्त उदहारण नहीं हैं | ये कम प्रायिकता वाली घटनायो के साथ एक अंदरूनी समस्या हैं | उदहारण के लिए, आतंकवाद लग भग नहीं के बराबर ही घटित होता है, तो आतंकवाद विरोधी उपायों के प्रभाविकता का आंकलन करना बहुत ही कठिन है | इसीलिए तो आप virgins का बलिदान देते आ रहे हैं और इसीलिए तो आपका unicorn पे आधारित बचाव बहुत अच्छा काम कर रहा है | यहाँ असफलता के बहुत पर्याप्त उदहारण नहीं हैं| साथ ही साथ भावनाए जो धुंधला कर रही हैं, जैसे की , दिमागी पक्षपात, जिसके बारे में मैंने पहले बात की, डर, स्थानीय विश्वास, वो असल में सच्चाई का एक अपर्याप्त नमूना है | तो मुझे चीज़ों को जटिल बनाने दे | मेरे पास अहसास और सच्चाई हैं | अब मैं एक तीसरा अवयव जोड़ना चाहता हूँ | मैं "नमूना" जोड़ना चाहूँगा | अहसास और नमूना हमारे दिमाग में और सच्चाई बाहर दुनिया में | ये नहीं बदलती हैं, ये सच हैं | तो अहसास हमारे सहज ज्ञान पर आधारित हैं| नमूना तर्क पर आधारित हैं | इन दोनों के बीच में यही मूल भिन्नता हैं | आदिम और सरल दुनिया में नमूने के लिए वास्तविकता में कोई तर्क नहीं है | क्यूंकि अहसास सच्चाई के बहुत करीब है | तो आपको नमूने की जरुरत नहीं है | लेकिन एक नए और जटिल दुनिया में आपको नमूनों की जरुरत हैं - उन खतरों को समझने के लिए जिनका हम सामना करते हैं | जीवाणुओं के लिए हममे कोई अहसास नहीं होता | आपको एक नमूने की जरुरत होगी उन्हें समझने के लिए | तो ये नमूना सच्चाई का एक समझदारी भरा प्रस्तुतीकरण है | ये, बिलकुल बंधा हुआ है विज्ञान से, तकनीक से | जीवाणुओं को देखने के लिए, माइक्रोस्कोप का इजाद होने से पहले हमारे पास बीमारियों के लिए जीवाणु का सिद्धांत नहीं हो सकता था ये बंधा हुआ है हमारे दिमागी पक्षपात से | लेकिन इसके पास योग्यता है कि ये हमारे अहसासों को रद्द कर सकता है | तो ये नमूने हमको कहाँ से मिलेंगे? हमको ये दूसरो से मिलते हैं | हमे धर्मं, संस्कृति, शिक्षक और बड़े बुजुर्गो से ये नमूने मिलते हैं | कुछ साल पहले मैं द. अफ्रीका में जंगल की सैर पर था, मैं जिस शिकारी के साथ था वो क्रूगर राष्ट्रीय पार्क में बड़ा हुआ था, उसके पास जंगल में जीवन को बचाने के बहुत ही जटिल नमूने थे और ये निर्भर करते हैं कि अगर आप पर हमला किसी शेर ने या तेंदुआ ने या गेंडे ने या एक हाथी ने किया हैं -- और कब आपको भागना होगा और कब आपको किसी पेड़ पे चढ़ना होगा | जब आप पेड़ पर कभी चढ़ ही नहीं सकते तो मैं वहां एक दिन में मर गया होता, लेकिन वो वहां पैदा हुआ था और वो समझता था कि कैसे जीवित रहा जाए मै न्यू योर्क शहर में पैदा हुआ था, अगर मै उसे अपने साथ यहाँ ले आया होता और वो यहाँ एक दिन में मर गया होता | (हंसी) क्यूंकि हमारे नमूने अलग अलग हैं, जो हमारे अलग अलग अनुभवों पर आधारित है | नमूने संचार के माध्यम से आ सकते हैं हमारे चुने हुए अधिकारीयों से | सोचें जरा आतंकवाद के नमूने को, बच्चो के अपहरण के नमूने को, हवाई जहाज सुरक्षा, कार सुरक्षा, नमूने आ सकते हैं उद्योग से | जो दो मै सोच रहा हूँ वो हैं निगरानी कैमरा और आई. डी. कार्ड्स , बहुत सारे कंप्यूटर सुरक्षा के नमूने यही से आये हुए हैं | कई नमूने विज्ञान से आये हुए हैं | स्वास्थ्य के नमूने अच्छे उदाहरण हैं | कैंसर, बर्ड फ्लू, स्वीन फ्लू, स.अ.र.स. के बारे में सोचिए | इन बीमारियों के बारे में हमारे सुरक्षा के सारे अहसास उन नमूनों से आते हैं, जो हमे दिए जाते हैं, असल में संचार माध्यम के द्वारा छान हुए विज्ञान से | तो नमूने बदल सकते हैं | नमूने स्थायी नहीं है जैसे जैसे हम अपने वातावरण में ज्यादा आरामदायक महसूस करते हैं, हमारा नमूना हमारे अहसासों के और करीब होता जाता है | तो एक उदहारण हो सकता है, अगर आप १०० साल पीछे जाएँ जब पहली बार बिजली सामान्य हो रही थी, तब इसके बारे में कई डर थे | मेरा मतलब, कई लोग डरते थे दरवाजे की घंटी बजाने से क्यूंकि उसमे बिजली थी और उनके लिए वो खतरनाक थी हमारे लिए बिजली से जुड़ी चीजे बहुत आसान हैं हम बिजली के बल्ब बदलते हैं बिजली के बारे में बिना सोचे हुए | बिजली के लिए हमारा सुरक्षा नमूना कुछ ऐसा है जिसमे हम पैदा हुए हैं | हमारे बड़े होने के साथ यह बदला नहीं है और हम इसमें अच्छे हैं| या सोचिये इन्टरनेट के विभिन्न पीढियों के लिए खतरे के बारे में -- आपके परेंट्स इन्टरनेट सुरक्षा के बारे में कैसे सोचते हैं, और आप कैसे सोचते हैं और आपके बच्चे कैसे सोचेंगे | पृष्टभूमि में नमूने आख़िरकार गायब हो जायंगे सहज ज्ञान का दूसरा नाम परिचित होना है| तो अगर नमूना सच्चाई के करीब है और ये हमारे अहसासों से मिल जायेंगे, और जयादातर समय आपको पता भी नहीं चलेगा | तो एक अच्छा उदहारण इसका आता है पिछले साल स्वीन फ्लू से | जब स्वेन फ्लू पहली बार आया तब पहले पहले समाचार ने जरुरत से ज्यादा प्रतिक्रिया पैदा की | अब इसका नाम है जिसने इसको और डरावना बना दिया सामान्य फ्लू से भले ही ये ज्यादा घातक था | और लोगों ने सोचा डाक्टर्स इस लायक है कि वो इसका उपाय ढूंढ़ लेंगे| तो यहाँ पे एक अहसास था की स्थिति नियंत्रण से बाहर है | और इन दोनों चीज़ों ने खतरों को वास्तविकता से बड़ा बना दिया | जैसे जैसे अनूठापन गया, महीने बीतें, सहन करने की क्षमता बढ़ी, और लोगों को इसकी आदत हो गयी अब कोई नए आंकड़े नहीं थे, लेकिन फिर भी डर कम था | शरद ऋतू के आते तक लोंगो ने सोचा कि डाक्टर्स ने इसे सुलझा लिया होगा | और यहाँ एक प्रकार का द्वि विभाजन है, लोगों को चुनना था डर और सच को स्वीकार करने में असल में डर और उदासीनता के बीच में, उन्होंने एक प्रकार से संदेह चुना | और जब पिछले ठण्ड में टीका आया, बहुत से लोग ऐसे थे - बहुत ज्यादा - जिन्होंने टीका लेने से मना कर दिया -- एक अच्छा उदहारण लोगों के अहसास कैसे बदलते हैं, नमूने कैसे बदलते हैं, अजीबोगरीब रूप से, कोई नयी सूचना ना होने के बाद भी, कोई नयी सूचना नहीं, ये अक्सर होता है | मैं एक नयी जटिलता देने वाला हूँ, हमारे पास अहसास है, नमूने हैं, सच्चाई हैं | मेरे पास सुरक्षा का परस्पर दृश्य है | मैं सोचता हूँ ये देखने वाले पर निर्भर करता है | और जयादा सुरक्षा निर्णयों में बहुत से लोग शामिल रहते हैं | और भागीदार जिनकी अपनी विनिमय शर्ते हैं निर्णय को प्रभावित करने की कोशिश करते है | और मैं इसके उनका अजेंडा कहता हूँ | और आप देख सकते हैं कि उनका अजेंडा , ये दुकानदारी, ये राजनीति कोशिश करती रहती है कि आप एक नमूने के ऊपर दुसरे को चुने | कोशिश करते है कि आप एक नमूने को नजर अंदाज करें और अपनी भावनाओं का भरोसा करें, उन लोगों प्रभावहीन करना जो उस नमूने का समर्थन करते हैं जिनको आप नहीं पसंद करते | ये बहुत अनोखा नहीं है | एक उदाहरण, एक बहुत बढ़िया उदाहरण है, धुम्रपान का खतरा | पिछले ५० सालों के इतिहास में, धुम्रपान का खतरा बतलाता है एक नमूना कैसे बदलता है , और ये भी कि एक उद्योग कैसे लड़ता है एक नमूने से जिसको वो पसंद नहीं करता | उसी पुरानी धूम्रपान की बहस की तुलना में -- शायद लगभग २० साल पहले | सीट बेल्ट के बारे में सोचें | जब मैं बच्चा था तब कोई भी सीट बेल्ट नहीं पहनता था | आज कल कोई बच्चा आपको गाडी चलाने नहीं देगा अगर आपने सीट बेल्ट ना लगायी हो तो | एयर बैग की बहस की तुलना में -- शायद लग भग ३० साल पहले | सारे उदाहरण नमूनों के बदल रहे है | हमने ये सीखा कि नमूनों को बदलना कठिन है | नमूनों को शक्ति से हटाना कठिन है | अगर वो आपकी भावनाओं के करीब है तो आपको पता भी नहीं चलेगा की आपके पास एक नमूना है| और यहाँ पे एक और दिमागी पक्षपात है, जिसे मैं कहूँगा " सुनिश्चित पक्षपात " जहाँ हम उन आंकड़ो को स्वीकार करते हैं जो हमारे विशवास से मिलते हैं और उन आंकड़ों को अस्वीकार कर देते हैं जो हमारे विश्वासों के खिलाफ होते हैं | संभवत: हम इन्हें नज़र अंदाज़ कर देंगे भले ही वो बहुत सही हो इसको बहुत ही जयादा अकाट्य होना पड़ेगा इसके पहले की हम ध्यान देना शुरू करें | नए नमूने जो इतने लम्बे समय तक चलते हैं वो कठिन होते हैं | ग्लोबल वार्मिंग एक अच्छा उदाहरण है | हम लोग बहुत ही भयानक है ऐसे नमूने में जो ८० साल का है | हम लोग अगली फसल तक ये कर सकते है | हम तब तक ये कर सकते है जब तक हमारे बच्चे बड़े नहीं होते | लेकिन फिर भी ८० सालों के बाद भी हम लोग इसमें अच्छे नहीं है | तो स्वीकार करने के लिए ये एक बहुत ही कठिन नमूना है | हम दोनों नमूनों को अपने दिमाग में एक साथ रख सकते हैं, या उस समस्या को जहाँ हम अपने विश्वास या दिमागी असंगति को एक साथ रख रहे हैं, आखिरकार, नया नमूना पुराने की जगह ले लेगा | मजबूत अहसास एक नमूना बना सकते है | सितम्बर ११ ने एक सुरक्षा नमूना बनाया बहुत सारे लोगों के दिमाग में | जुर्म के साथ खुद के अनुभव भी ये काम कर सकते हैं | खुद के स्वास्थ्य का डर , समाचारों में स्वास्थ्य का डर | आप देखेंगे की ये "फ्लेश बल्ब " घटनाये कहलाती हैं मनोचिक्त्सिक की भाषा में | वे तुरंत नमूने बना सकते है क्यूंकि वे बहुत ही भावोत्तेजक होते है तो इन तकनिकी दुनिया में हमारे पास अनुभव नहीं होते ताकि हम नमूनों का आंकलन कर सके | और हम दूसरों पे निर्भर रहते हैं | हम प्रतिनिधि पे भरोसा करते हैं | मेरा मतलब ये तब तक काम करता है जब तक ये दूसरो को ठीक करे | हम शासकीय संस्थाओ पे भरोसा करते हैं ये बताने के लिए कि pharmaceuticals सुरक्षित है | मैं कल ही यहाँ हवाई जहाज से आया, मैंने हवाई अड्डे पे जांच नहीं की, मैंने दुसरे समूह पे भरोसा किया, ये पता लगाने के लिए की क्या मेरा जहाज उड़ने के लिए सुरक्षित है | हम लोग यहाँ है, हम में से किसी को भी डर नहीं है कि ये छत हमपे गिर सकती है | इसलिए नहीं की हमने जांच की है लेकिन हम लोग बिलकुल ये जानते है की इमारतों के मानक यहाँ अच्छे है ये एक नमूना है जो हम स्वीकार करते हैं बहुत कुछ बस अपने विश्वास से | और ये सही है | अब हम जो चाहते है वो ये की लोग परिचित हो जाए अच्छे नमूनों से और ऐसे की वो प्रतिबिम्बित हो उनके अहसासों में ताकि वो सुरक्षा के विनिमय कर सके | और जब ऐसा होता है तब आपके पास दो विकल्प होते हैं पहला, आप लोगों के अहसासों को ठीक करें , सीधे उनके अहसासों पर काम करें | ये हेराफेरी है लेकिन ये काम करती है दूसरी, ज्यादा इमानदार तरीका, ये की आप अपना नमूना ठीक करें | बदलाव धीरे धीरे होता है | धुम्रपान की बहस ने ४० साल लिए और जबकि वो आसान थी | इसमें से कुछ चीज़ें कठिन हैं, मेरा मतलब सच में कठिन, ऐसा लगता है कि सूचना हमारी सबसे बढ़िया उम्मीद है | और मैंने झूठ बोला | याद है जब मैंने कहा भावनाएं, नमूने, सच्चाई | और मैंने कहा था सच्चाई नहीं बदलती है| असल में ये बदलती है | हम तकनिकी दुनिया में रहते हैं ; सच्चाई हर समय बदलती रहती है | तो हम शायद -- पहली बार इस प्रजाति में -- भावनाए पीछा करती हैं नमूने का, नमूने पीछा करते हैं सच्चाई का, और सच्चाई भाग रही है -- तो वो कभी ना मिल पायें | हम नहीं जानते | लेकिन लम्बे समय में दोनों अहसास और सच्चाई महत्वपूर्ण है | और मैं दो छोटी कहानियों के साथ इसे समाप्त करना चाहूँगा | १९८२ - मैं नहीं जनता लोगों को ये याद भी है या नहीं -- एक tylenol विष की छोटी महामारी अमेरिका में फैली थी ये एक भयानक कहानी है| किसी ने एक बोतल ली tylenol की उसमे विष भर दिया, उसे बंद किया, और उसे दराज में वापस रख दिया | किसी और ने उसे खरीदा और मर गया | इसने लोगों को डरा दिया | उसके बाद कई नक़ल हमले हुए | उसमे कोई भी असली खतरा नहीं था लेकिन लोग डरे हुए थे और इस तरह छेड़ छाड़ सुरक्षित drug उद्योग इजाद हुई | छेड़ छाड़ सुरक्षित ढक्कन इसी से आये | ये एक सम्पूर्ण सुरक्षा थेअटर है | गृहकार्य के रूप में इसको हराने के १० तरीके सोचिये | मैंने आपको एक बताता हूँ, एक सुई लेकिन इसने लोगों को सुरक्षित महसूस कराया | इसने उनके सुरक्षित होने के अहसास को और करीब लाया सच्चाई के | आखिरी कहानी, कुछ साल पहले, मेरी एक दोस्त ने बच्चे को जन्म दिया | मैं उससे मिलने हॉस्पिटल गया, मुझे पता चला कि जब बच्ची का जन्म हो गया है तो, उन्होंने एक आर. अफ. आई. दी. कंगन पहना दिया बच्ची को, और एक वैसा ही बच्ची की माँ को ताकि उसको माँ को छोड़कर और कोई बच्ची को बाहर ले जाये तो एक अलार्म बज जायेगा | मैंने कहा अच्छा, ये बढ़िया है | मैं सोचा बच्ची को चुराना नियंत्रण से कितना बाहर है हास्पिटल के बाहर ? मैं घर गया और देखा इसके बारे में | ये असल में कभी हुआ ही नहीं | लेकिन अगर आप इसके बारे में सोचें , आप हास्पिटल में हैं और आपको बच्ची को माँ से दूर ले जाना हैं दुसरे कमरे में ताकि आप कोई परिक्षण कर सके तो या तो आपके पास कोई अच्छा बेहतर सुरक्षा थेअटर होना चाहिए नहीं तो उसे आपका हाथ काटना पड़ेगा | (हंसी ) तो ये हमारे लिए जरुरी हैं, उन लोगों के लिए जो सुरक्षा की रचना करते हैं, जो सुरक्षा के नियमो को देखते हैं , या बल्कि जो जनता के नियमो को देखते हैं उन तरीको से जिससे ये सुरक्षा पर प्रभाव डालते हैं | ये केवल सच्चाई नहीं हैं ये अहसास और सच्चाई हैं | जो जरुरी हैं वो ये वे एक से रहे | ये जरुरी है अगर हमारे अहसास सच्चाई से मिले तो हम अच्छे सुरक्षा विनिमय कर सकते हैं | धन्यवाद (अभिवादन) पिछले डेढ़ साल से, पुश पॉप प्रेष में मेरी टीम और चार्ली मेलचेर और मेलचेर मीडिया अल गोर की किताब "आर चॉइस" को पहली पूरी लंबाई की इंटरैक्टिव किताब बनाने का कार्य कर रहे थे | ये "एन इंकोंवेनिएंट ट्रुथ" के बाद उनकी अगली किताब है और ये उनसभी समाधानों का पड़ताल करती है जो की जलवायु के संकट का समाधान कर सके। ये किताब ऐसे शुरू होती है। ये उसका मुख्यपृष्ठ है। जैसे ग्लोब घूमता है, हम अपना स्थान देख सकते हैं। फिर हम किताब खोल सकते हैं और किताब को देखने के लिए इस तरह अध्यायों से जा सकते हैं | या हम नीचे से पन्ने पलट सकते हैं। और अगर हम किसी पृष्ठ को बड़ा कर के देखना चहते हैं, तो हम उसे बढ़ा सकते हैं। और जो कुछ भी आप किताब में देखते हैं , उसे आप उसे दो उँगलियों से उठा सकते हैं और पन्ने से बाहर उठा कर खोल सकते हैं। और अगर आप वापस जाकर किताब को दुबारा पढ़ना चाहते हैं, तो आप उसे मोड़ कर पन्ने पर वापस रख सकते हैं। तो फिर ये इसी तरह से काम करता है; आप इसे उठा कर खोलते हैं। (ऑडियो) अल गोर: मैं अपने आप को उन बहुसंख्यकों में समझता हूँ जो पवन चक्कियों को देख कर यह महसूस करते हैं की वे परिदृश्य में एक सुंदर सुधार हैं। माइक मतस: तो इस तरह पूरी किताब में, अल गोर आप को अपने साथ लेकर चलेंगे और चित्रों को समझाएँगे। इस फोटो को आप एक इंटरैक्टिव मानचित्र पर देख सकते हैं। इसपर ज़ूम कर के आप देख सकते हैं की ये कहाँ ली गयी है। और पूरी किताब में, एक घंटे से ज्यादा के वृत्तचित्र हैं और इंटरैक्टिव मुद्रचित्रण हैं। तो आप इस वाले को खोल सकते हैं। (औडियो) ए जी : लगभग सभी आधुनिक पवन टर्बाइनो का बहुत बड़ा भाग ... एम एम : ये एकदम चलने लगता है। और जब यह चल रहा है, हम पन्ने को वापस कम या ज्यादा कर सकते हैं। और फिल्म चलती रहती है। और हम इसके बाहर निकाल कर लेखा सूची पे जा सकते हैं, और विडियो चलता रहता है। पर इस किताब की सबसे मज़ेदार बात है इसके इंटरैक्टिव सूचना - चित्र ये वाला हवा की संभावनाओ को दर्शाता है पूरे अमरीका में। लेकिन केवल सूचना दिखने की बजाए, हम अपनी उंगली उठा कर भ्रमण कर सकते हैं, और एक एक राज्य को लेकर देख सकते हैं, की वास्तव में हवा की वहाँ क्या संभावना है। यही हम कर सकते हैं भू-ताप ऊर्जा के बारे में और सौर्य ऊर्जा के बारे में। ये मेरा पसंदीदा है। तो यह दिखाता है ... (हंसी) (तालिया) जब हवा चलती है, पवन चक्की से आने वाली अतिरिक्त ऊर्जा को बैटरि में भेजा जाता है। और जैसे ही हवा कम होने लगती है, तो अतिरिक्त ऊर्जा वापस घर के अंदर भेज दी जाती है -- तो बत्तियाँ कभी बंद नहीं होती। और यह पूरी किताब केवल आई पैड पर ही नहीं चलती । ये आइ फोन पर भी चलती है। और तो आप इसे एक कमरे में अपने आई पैड पर पढना शुरू कर सकते हैं और आई फोन पर वहीं से पढना शुरू कर सकते हैं जहां छोड़ा था। और यह बिलकुल उसी तरह काम करती है। आप किसी भी पृष्ठ को दबा सकते हैं। इसे खोल सकते हैं। तो यह है पुश पॉप प्रैस का पहला प्रकाशन अल गोर की "आवर चॉइस"। धन्यवाद। (तालियाँ) क्रिस एंडर्सन: यह शानदार है। क्या आप प्रकाशक बनना चाहते हैं, या तकनीक का लाइसेंसे देने वाले हैं ? तो इसमे व्यापार कहाँ है? क्या ये कुछ ऐसा है जो और लोग कर सकते हैं? एम एम: हाँ, हम एक उपकरण बना रहें है जो प्रकाशकों के लिए इस सामाग्री को बनाना आसान बना देता है। तो मेलचेर की मीडिया टीम, जो पूर्वी तट पर है - और हम पश्चिमी तट पर सॉफ्टवेर बना रहे हैं - जिसमे हमारे उपकरण के द्वारा रोजाना, चित्र और शब्द को इंटरैक्टिव किताब में लाते हैं । सी ए : तो आप इसे सॉफ्टवेर प्रकाशकों को लाइसेन्स करना चाहते हैं ऐसी ही सुंदर पुस्तके बनाने के लिए? (एम एम : हाँ) अच्छा माइक, बहुत बहुत धन्यवाद। एम एम: धन्यवाद। (सी ए : गुड लक। ) (तालियाँ) मेरा नाम अरविंद गुप्ता है, और मैं एक खिलौने-वाला हूँ। मैं पिछले ३० सालों से खिलौने बना रहा हूँ। सत्तर के दशक की शुरुवात में, मैं कॉलेज में था। वो बडा ही क्रांतिकारी समय था। राजनैतिक अस्थिरता का समय -- पेरिस की गलियों में विद्यार्थी क्रान्ति कर रहे थे, सत्ता के खिलाफ़ बगावत। अमरीका हिला हुआ था वियतनाम-खिलाफ़त आंदोलन से, नागरिक अधिकारों के लिये आंदोलन से। भारत में, नक्सलवादी आंदोलन चल रहा था, जय प्रकाश नारायण आंदोलन। पर जैसा कि आपको पता है, जब भी समाज का राजनैतिक मंथन होता है, तो बहुत ऊर्जा निकलती है। भारत का राष्ट्रीय आंदोलन इस बात का खडा सबूत था। कई लोगों नें अपनी बडी तनख्वाह वाली नौकरियाँ छोड दीं, और राष्ट्रीय आंदोलन का हिस्सा बन गये। इधर सत्तर के दशक के पूर्वार्ध में, भारत में एक महान कार्यक्रम चला, प्राण-वायु फ़ूँकने का, गाँव के स्कूलों में प्राथमिक विज्ञान शिक्षा में। एक व्यक्ति थे, अनिल सदगोपाल, कैलटेक विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. कर के, एक मोलिक्यूलर बायोलोजिस्ट की रूप में भारत के तेज-तर्रार शोध संस्थान, टी. आई. एक. आर. लौटे। ३१ साल की उम्र में उन्होंने स्वयं को असमर्थ पाया अपनी शोध को जोड पाने में, जो वो कर रहे थे, आम आदमी के जीवन से। तो उन्होंने एक ग्रामीण विज्ञान कार्यक्रम का नमूना बनाया और उसे शुरु किया। इस से कई लोग उत्साहित हुये। सत्तर के शुरुवाती सालों का नारा था "लोगों के पास जाओ। उनके साथ रहो, उनसे दिल मिलाओ। जो तुम्हें आता है, वहाँ से शुरुवात करो। जो उन्हें पता है, उसे आगे बढाओ।" ये नारा जीवन की दिशा परिभाषित करने वाला था। खैर, मैनें एक साल खपाया। मैने टेल्को कंपनी में भर्ती ली, टाटा के ट्रक बनाये, पुणे से नज़दीक ही। वहाँ मैने दो साल काम किया, और फ़िर मैने महसूस किया कि मेरा जन्म ट्रक बनाने के लिये नहीं हुआ था। अक्सर लोगों को पता नहीं होता कि वो क्या करना चाहते हैं, मगर इतना भी पर्याप्त है कि पता हो कि आप क्या करना नहीं चाहते। तो मैनें एक साल की छुट्टी ली, और मैं एक गाँव के विज्ञान कार्यक्रम में शरीक हुआ। और वहीं से मेरी दिशा बदल गयी। वो एक छोटा सा गाँव था -- एक साप्ताहिक हाट बाज़ार जहाँ लोग, बस हफ़्ते में एक बार, अपने सारे सामान इकट्ठा करते हैं। तो मैने कहा, "मै यहीं पर एक साल बिताऊँगा।" तो मैनें एक एक नमूना खरीदा हर उस चीज़ का, जो कि सडक के किनारे मिल रही थी। और एक चीज जो मुझे मिली वो थी ये काली रबड। इसे साइकिल का वाल्व ट्यूब कहते हैं। जब आप साइकिल में हवा भरते है, तो इसका कुछ इस्तेमाल होता है। और इन ढाँचों में से कुछ -- आप बस थोडे से साइकिल वाल्व ट्यूब लें, और उस में दो दियासलाइयाँ ऐसे लगा दें, और आपने एक लचकदार जोड बना दिया। ये ट्यूबों का जोड है। इस से आप कोणों के बारें में पढाना शुरु कर सकते हैं -- ये न्यून कोण (अक्यूट एंगल), ये समकोण (राइट एंगल), ये अधिक कोण (आबट्यूस एंगल), और ये रेखा कोण (स्ट्रेट एंगल)। इनका अपना खुद का जोड-तोड भी है। अगर आपके पास ऐसे तीन है, तो उन्हें जोड दीजिये, और ये बना त्रिभुज (ट्रायंगल)। चार मिला कर, आप एक वर्गाकार (स्कवायर) बना सकते है, ऐसे पँचकोण (पेंटागन), और फ़िर, षठकोण (हेक्सागन), और आप हर तरह की बहुभुजीय आकृतियाँ (पॉलीगन) बना सकते हैं। और इन सब की मजेदार खासियतें है। अगर आप षठकोण (हेक्सागन) को देखें, मिसाल के तौर पर, ये एक अमीबा की तरह है, जो लगातार अपनी रूपरेखा बदलता है। इसे थोडा खींच दीजिये, ये आयताकार (रेक्टेंगल) हो गया। इसे थोडा धक्का दीजिये, और ये बन गया समानांतर चतुर्भुज (पैरालैलोग्राम)। मगर इसमें बहुत झोल है। पँचकोण (पेंटागन) का उदाहरण लेते हैं, इसे बाहर खेंचिये --- ये एक नौका के आकार का असमांतर चतुर्भुज बन (ट्रेपीज़ियम) गया। इसे थोडा धकेल दीजिये, और ये झोपडी जैसा हो गया। ये बन गया समद्धिबाहु त्रिभुज (आइसोसेलेस ट्रायंगल) -- फ़िर से, इसमें भी बहुत झोल है। और ये वर्गाकार (स्क्वायर) लगता है बहुत ठोस। इसे थोडा स धक्का दो - ये समचतुर्भुज (रोम्बस) में बदल जाता है। ये पतंग जैसा लगने लगता है। मगर किसी बच्चे को एक त्रिभुज (ट्रायंगल) पकडा दीजिये, उसके साथ तोड-मरोड करना मुश्किल है। तो त्रिभुज (ट्रायंगल) का इस्तेमाल क्यों करें? क्योंकि त्रिभुज (ट्रायंगल) ही एकमात्र ठोस आकार है। हम वर्गाकार (स्क्वायर) से पुल नहीं बना सकते, क्योंकि जैसे ही रेलगाडी आयेगी, वो नाचने लगेगा। साधारण लोगों को ये ज्ञान है, क्योंकि जब आप भारत के गाँवों में जायेंगे, तो शायद वो इंजीनियरिंग न पढे हों, मगर कोई भी इस तरह की छत नहीं बनाता है। क्योंकि जब वो इस पर खपरैल डालेंगे, ये टूट जायेगी। वो हमेशा त्रिकोण (ट्रायंगल) के आकार की छत बनाते हैं। देखिये, ये लोक-विज्ञान है। अगर आप यहाँ छेद कर दें और एक तीसरी दियासलाई भी लगा दें, तो आपको टी-जोड मिल गया। और अगर इसकी तीनों टाँगों में छेद करूँ इनके तीन कोनों में, तो मैनें चतुष्फ़लक (टेट्राहेड्रन) बना दिया। तो आप हर प्रकार के त्रिआयामी आकार बना सकते हैं। आप ऐसा चतुष्फ़लक (टेट्राहेड्रन) बना सकते हैं। और एक बार आप ये बना लें, तो आप एक छोटा सा घर भी बना सकते हैं। इसे ऊपर रख दीजिये। आप चार का जोड भी बना सकते हैं। आप छः का जोड भी बना सकते हैं। आपको बस एक काँटा चाहिये। और ये -- आप छः का जोड बनाइये, आप ने समद्धिबाहु चतुष्फ़लक (आइकोसहेड्रन) बना डाला। अब इस के साथ जो चाहे करिये। ये तो इग्लू बन गया। और ये सब हो रहा है १९७८ में। मैं २४ वर्षीय युवा इंजीनियर था। और मैने सोचा कि ये सब ट्रक बनाने के मुकाबले बेहतर है। (अभिवादन) और, असल में, आप चार कंचे डाल दीजिये, आपने मिथेन का रासायनिक ढाँचा, बना लियी , सी.एच.४ हाइड्रोजन के चार अणु, चतुष्फ़लक के चार कोनों पर, जो कि कार्बन अणु को दर्शा रहे हैं। और तब से ही, मैने ये सोचा कि मैं बडा किस्मती हूँ कि मुझे २००० स्कूलों में जाने का मौका मिला -- गाँव के स्कूल, सरकारी विद्यालय, नगर निगम के स्कूलों में, आईवी लीग स्कूलों मे भी -- उनमें से ज्यादातर मुझे बुला चुके हैं। जब भी मैं किसी स्कूल में जाता हूँ, मुझे बच्चों की आँखों में एक चमक दिखती है। मुझे आशा दिखती है। मुझे उनके चेहरों में खुशी दिखती है। बच्चे चीज़ें बनाना चाहते हैं। बच्चे कुछ करना चाहते हैं। और ये देखिये, हम बहुत से पम्प बनाते हैं। ये एक छोटा सा पम्प है जिससे कि आप गुब्बारा फ़ुला सकते हैं। ये असली है। इस से सच में गुब्बारा फ़ूल जाता है। और हमारा एक नारा है कि खिलौने के साथ बच्च सबसे अच्छा काम उसे तोड कर ही करता है। तो क्या करना है --- ये असल में थोडा सा चुनौती भरा वक्तव्य है --- ये पुराना साइकिल का ट्यूब, और ये पुरान प्लास्टिक का पाइप ये टोपी बडे आराम से पुराने साइकिल के ट्यूब पर फ़िट हो जायेगी। और ऐसे हे तो वाल्व बनता है। थोडा सा चिपकने वाला टेप। बस एक दिशा वाला ट्रफ़िक हो गया। हम बहुत सारे पम्प बनाते हैं। और ये भी पम्प है -- बस एक नली लीजिये, और उसमें एक लकडी डाल दीजिये, और दो जगह आधा काट दीजिये। और फ़िर क्या कीजिये, इन्हें मोड कर त्रिभुज में बदल दीजिये, और फ़िर थोडा सा टेप लगा दीजिये। बस बन गया पम्प। और अगर ये पम्प आपके पास है, तो ये एक छिडकाव की मशीन बन गयी। जैसे कि बडी से मथनी। अगर आप किसी चीज को घुमायेंगे, तो वो बाहर की तरफ़ उडेगी। (अभिवादन) देखिये, अगर आप आंध्र प्रदेश में हो, तो आप पाल्मैरा की पत्तियों से इसे बनायेंगे। हमारे अधिकांश ग्रामीण खिलौने विज्ञान के मूल सिद्धांतो पर ही काम करते हैं। अगर आप कुछ घुमायेंगे, तो वो बाहर की तरफ़ भागेगा। दोनो हाथों से करने में बडा मज़ा आता है, मिस्टर उडाकू को देखिये। ठीक? ये एक खिलौना है जो कागज से बना है। मज़ेदार है । इस में चार चित्र हैं। देखिये ये कीट-पतंगे, फ़िर मेढक, साँप, चील, तितली, मेंढक, साँप, चील। इस कागज के टुकडें को हार्वाड के एक गणितज्ञ ने १९२८ मे डिजाइन किया था, आर्थर स्टोन, मार्टिन गार्डनर ने इसका उल्लेख अपनी कई किताबों में किया है। मगर बच्चों को इसमें बहुत मज़ा आता है। वो उस से भोजन-व्यवस्था के बारे में सीख सकते है। कीटों को मेंढक खाते है, उन्हें साँप खा जाते हैं; साँपों को चीलें खा जाती हैं। और ये हो सकता है, अगर आपके पार फ़ोटोकॉपी का कागज हो, ए फ़ोर (A 4) कागज हो -- आप एक नगर निगम के या कि सरकारी स्कूल में हो सकते है -- एक कागज, एक स्केल, एक पेंसिल, न गोंद, न कैंची। तीन मिनट में आप इसे मोड लेंगे। और आप इस का क्या उपयोग करें, ये आपकी रचनात्मकता पर है। अगर आप छोटा कागज लें, तो आप छोटा वाला बनायेंगे। बडे कागज से बडा बन जायेगा। ये एक पेंसिल है जिसमें कुछ खाँचे बने हैं। यहाँ छोटा सा पँखा लगा देते हैं। और ये करीब सौ साल पुराना खिलौना है। इस पर शोध के छः बडे दस्तावेज लिखे जा चुके हैं। देखिये, यहाँ कुछ खाँचे हैं। और अगर मैं एक टुकडा लूँ, और इसे घिसूँ, तो कुछ अद्बुत होता है। इस पर शोध के छः दस्तावेज? असल में, बचपन में, फ़ेन्मेन इस से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने इस पर एक दस्तावेज लिखा है। और ये करने के लिये तीन अरब लागत का हाड्र्न कोलाइडर नहीं चाहिये और ये करने के लिये तीन अरब लागत का हाड्र्न कोलाइडर नहीं चाहिये ये हर बच्चे के लिये है, हर बच्च इस का लुत्फ़ उठा सकता है। अगर आप रंग-बिरंगा चक्का लगा दे, तो ये सातों रंग मिल कर दिखते हैं। और इस के बारे में न्यूटन ने चार सौ साल पहले बात की थी, कि सफ़ेद रोशनी में सात रंग होते हैं, बस इसे घुमा कर समझ आ जाता है। ये प्लास्टिक का पतला पाइप है। हमने क्या किया, हमने इस के दोनो किनारे टेप से सील कर दिये, दायें किनारे को काट दिया, और निचले बायें किनारे को भी, तो इसमे उल्टे कोनों पर छेद हैं, और यहाँ छोटा सा छेद है। ये एक तरह का फ़ूँकने वाला पाइप है। और मैनें इसे ऐसे अंदर डाल दिया। अब यहाँ एक छेद है, और मैं इसे बंद कर देता हूँ। और इसे बनाने में बहुत कम पैसे लगते हैं -- बच्चों के लिये बहुत मजेदार है। हम क्या करते हैं कि हम एक साधारण सा बिजली का मोटर बनायेंगे। ये शायद दुनिया का सबसे साधारण मोटर है। इसमें सबसे महँगी चीज है इसकी बैटरी। अगर आपके पास बैटरी है, तो इसे बनाने में करीब दो रुपये का खर्च आता है। ये साइकिल का ट्यूब है, जो कि आपको एक चौडा रबड बैंड देता है, और दो सेफ़्टी पिन. ये है चुंबक। जब भी इस कौइल से करंट बहता है, ये एक चुंबक बन जाती है। और इन दोनों चुंबकों के आपस की खींचतान से ही ये मोटर चलता है। हमने ऐसे ३०,००० मोटर बनाए। शिक्षक सालों से मानों जानवरों को साइंस पढा रहे हों, बस परिभाषा रटो, और उगल दो। जब शिक्षक इसे बनाते हैं, तो बच्चे भी इसे बनाते है, और आपको उनकी आँखों में एक चमक दिखेगी। उन्हें रोमांच होता है साइंस के बारे में जानने में। और ये वाली साइंस सिर्फ़ किसी रईस आदमी के लिये नहीं है। एक लोकतांत्रिक देश में, विज्ञान सबसे दबे-कुचले लोगों तक पहुँचना चाहिए, उन बच्चों तक जो दूर-दराज इलाकों में हैं। ये कार्यक्रम १६ विद्यालयों से शुरु हुआ और जल्दी ही करीब १५०० सरकारी स्कूलों में फ़ैल गया। करीब एक लाख बच्चे इस तरीके से विज्ञान सीखते हैं। और हम लोग सिर्फ़ ये देखना चाह रहे है कि क्या क्या संभव हो सकता है। देखिये, ये टेट्रा-पैक है -- पर्यावरण के लिहाज से बहुत ही खराब चीज। इसमें छः सतहें हैं --- तीन प्लास्टिक की, और अलम्यूनियम की -- जिन्हें एक साथ सीलबंद कर दिया गया है। इन्हें ऐसा चिपकाया गया है, कि आप इन्हें अलग नहीं कर सकते। अब आप ऐसा एक जाल बना सकते हैं और उन्हें मोड कर चिपका सकते हैं और इस से एक आप ने समद्धिबाहु चतुष्फ़लक (आइकोसहेड्रन) बना सकते हैं। तो जो कि कूडा था, समुद्री पक्षियों के लिये जहर था, उसे आपने बहुत ही खुशी देने वाले --- साइंस संबंधी सारे आकार इस प्रकार बनाये जा सकते हैं। ये एक छोटा सा पाइप है, और आप इसके दो कोनों को थोडा सा काट दीजिये, और ये मगरमच्छ के बच्चे क मुँह बन गया। इसे आप अपने मुँह में रखिये, और फ़ूंकिये। (बाजे की आवाज) ये एक बच्चे का खजाना, और एक शिक्षक का सरदर्द बन सकता है। आप देख नहीं सकते कि आवाज कहाँ से आ रगी है, क्योंकि वो चीज तो आपके मुँह के भीतर है। अब मै इसे बाहर रखूँगा, बाहर फ़ूंकने के लिये। और मैं हवा भीतर खीचूंगा। (बाजे की आवाज) तो किसी को भी ये रटने की ज़रूरत नहीं कि ध्वनि कैसे बनती है कंपन क्या होता है। और आप फ़ूँकते रहिये, और आवाज निकालते रहिये, और इसे काटते जाइये। और कुछ बहुत ही मजेदार होता है। (आवाज) (अभिवादन) और जब ये एकदम ज़रा सा बचे -- (आवाज) ये सब आपको बच्चे सिखा सकते हैं। आप भी ये कर सकते हैं। और आगे कुछ भी कहने से पहले, आपको कुछ दिखाता हूँ। ये नेत्रहीन बच्चों की स्लेट है। ये वल्क्रों की पट्टियाँ है, ये मेरी ड्राइंग स्लेट है, और ये मेरा पेन है, जो कि एक फ़िल्म का डिब्बा है। ये मछली पकडने के काँटे जैसा है, मछुआरे के काँटे सा। और थोडी सी ऊन है। अगर मैं ये हैन्डल घुमाऊँ, तो ये ऊन अंदर चली जायेगी। और एक नेत्रहीन बालक इस तरह से कुछ चित्रकारी कर सकता है। ऊन वेल्क्रो पर चिपक जाती है। हमारे देश में एक करोड २० लाख बच्चे देख नहीं सकते -- (अभिवादन) जो कि अंधकार में रहते हैं। और ये उनके लिये वरदान हो सकता है। मानो कोई फ़ैक्ट्री सी है जो हमारे बच्चों को अंधा बना रही है, उन्हें खाना पूरा न दे कर, उन्हें विटामिन ए न दे कर। लेकिन ये उन बच्चों के लिये वरदान है। कोई पेटैन्ट नहीं है। चाहे जो इसे बनाये। ये बहुत साधारण है। ये देखिये, ये एक जेनेरेटर है। ये दो चुंबकें हैं। एक बडी सा चक्का बनाया गया है दो पुरानी सीडियों के बीच रबर फ़ँसा कर। छोटी से चक्की और दो ताकतवर चुंबकें। और ये धागा एक एल.ई.डी. से जुडे तार को घुमाता है। अगर मैं इस चक्की को घुमाऊं, तो छोटा वाला तेज़ी से घूमेगा। और यहाँ एक घूमता हुआ विद्युत क्षेत्र बन जाएगा। उस विद्युत क्षेत्र में ये तार दखल देखा, बल पैदा होगा। और जैसा आप देख रहे है, ये एल.ई.डी. जल उठेगी। तो ये एक छोटा सा जेनेरेटर है। ये देखिये, फ़िर से, एक छोटा सा स्टील का गोला है, और स्टील के नट भी। और आप क्या करिये कि बस इसे हल्का स घुम दीजिये, और ये चलते ही जायेंगे। और ज़रा कुछ बच्चो के बारे में सोचिये, जो गोले में खडे हो कर इस रिंग के उन तक आने का इंतजार कर रहे हों। और वो ये करते समय सौ प्रतिशत प्रसन्न होंगे। और आखिर में, हम ये भी कर सकते हैं, कि हम पुराने अखबारों का इस्तेमाल करें टोपियाँ बनाने के लिये। इस वाली को तो सचिन तेंदुलकर पहन सकता है। ये गजब की क्रिकेट टोपी है। जब आप पहले नेहरू या फ़िर गाँधी को देखते हैं, तो ये रही नेहरू टोपी - बस आधे अखबार से बनी। हम अखबारों से बहुत से खिलौने बना सकते हैं, और ये उन में से एक है। ये देखिये, जैसा कि स्पष्ठ है -- ये एक पँख फ़डफ़डाती चिडिया है। अब हम सारे पुराने अखबारों , को छोटे छोटे वर्गाकारों मे काट देंगे। और अब आपके पास ये चिडिया आ गयी -- जापान में बच्चे सदियों से ये चिडिया बना रहे हैं। और जैसा कि आप देख रहे हैं, ये पँखेनुमा पूँछ वाली चिडिया है। और मैं अब एक कहानी के साथ ख्त्म करना चाहूँगा। इसे कहते है "कप्तान के हैट की कहानी" ये कप्तान एक समुद्री जहाज का कप्तान था। वो बहुत धीरे धीरे चलता है। और जहाज पर बहुत सारे यात्री थे, और वो बोर हो रहे थे, तो कप्तान नें उन्हें डेक पर बुलाया। "अपने रंग-बिरंगे कपडे पहनिये, और नाचिये, गाइये, और मैं आपको बढिया खानपान करवाऊँगा।" और कप्तान भी हर रोज एक टोपी पहन कर उत्सव में शामिल होने लगा। ठीक पहले दिन, उसने छतरी जैसी बडी टोपी पहनी, जैसे एक कप्तान की टोपी होती है। उस रात, जब सारे यात्री सो जाते थे, तो वो उसे एक बार और मोडता था, और फ़िर दूसरे दिन, वो अग्निशमक की टोपी पहना नज़र आता -- जिस में से ये पूँछ निकली होती, फ़ैशनेबल टोपी की तरह, क्योंकि इस से रीढ की हड्डी सुरक्षित रहती है। और दूसरी रात, वो उसे टोपी को लेता था, और फ़िर से मोड देता था। और तीसरे दिन, वो शिकारी-टोप पहन कर आता --- जैसे किसी साहसिक कार्यक्रम पर जाने वाले की टोपी होती है। और तीसरी रात, फ़िर वो उसे दो बार मोड देता था -- और ये बहुत बहुत ही प्रसिद्ध टोपी बन जाती है, अगर आपने बालीवुड की पिक्चरें देखी हों, तो यही टोपी पुलिस वाले पहनते है, इसे पान्डु टोपी कहते हैं। और इसे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हो चुकी है। और हमें ये नहीं भूलना चाहिये कि वो एक जहाज का कप्तान था। तो ये रहा उसका जहाज। और अब अंत आ गया था। सब लोगों ने यात्रा का बहुत आनंद उठाया था। वो सब नाच गा रहे थे। तभी वहाँ एक तूफ़ान आ गया, और बडी बडी लहरें आ गयीं। और जहान बस लहरों के साथ हिचकोले खाने लगा। और तभी एक भयानक लहर ने जहाज के सामने से प्रहार किया और उसे हिला दिया। और फ़िर एक और लहर आयी, और उसने पीछे से प्रहार किया। और फ़िर तीसरी लहर आयी। उसने पूरे जहाज पर ऊपर से वार किया और उसे गिरा दिया। और अब जहाज डूब रहा था, और कप्तान का सब कुछ खो चुका था, मगर बस एक लाइफ़-जैकेट ही बची थी। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। (अभिवादन) जब मैं एक बच्चा था, मैं हमेशा एक सुपर हीरो बनना चाहता था मैं दुनिया को बचाना चाहता था और सब को खुश करना चाहता था परन्तु मैं जानता था कि मुझे अलौकिक शक्तियों की ज़रुरत होगी अपने सपनों को साकार करने के लिए तो मैं काल्पनिक यात्राओं पर चला जाता था कृप्टन ग्रह से अंतर ग्रहीय वस्तुओ को ढूंढने, जो बहुत मज़ेदार था, परन्तु ज्यादा परिणाम नहीं मिला जब मैं बड़ा हुआ और जाना कि वैज्ञानिक कहानियां अलौकिक शक्तियों का अच्छा स्त्रोत नहीं है, मैंने वास्तविक विज्ञान के सफ़र करने का निर्णय किया, अधिक उपयोगी सच को खोजने के लिए मैंने अपना सफ़र कैलिफोर्निया से शुरू किया यु सी बर्कले में एक तीस साल के देशांतरिय अध्ययन से जिसमें विद्यार्थियों की तस्वीरों को परखा गया एक पुरानी वर्ष-पुस्तिका से और उनकी सफलता और सुख समृद्धि को नापने की कोशिश की गयी उनके संपूर्ण जीवन की विद्यार्थियों की मुस्कुराहटों को माप कर, शोधकर्ता पूर्वानुमान लगाने में सक्षम हुए कि कितना संतुष्ट और लम्बा विवाहित जीवन किसी व्यक्ति का होगा, कितने अच्छे अंक वो पायेगी सुख समृद्धि के मानकित परीक्षा में और कितनी प्रेरणाप्रद रहेंगी. मुझे संयोग से बेर्री ओबामा की तस्वीर मिली जब मैंने पहली बार उसकी तस्वीर देखी मैंने सोचा उसकी अलौकिक शक्ति उसकी शानदार कॉलर से आती है पर अब मैं जानता हूँ वो सब उसकी मुस्कान में था एक और अहा क्षण आया वायने स्टेट यूनिवर्सिटी की एक शोध परियोजना से जिसमें 1950 से पहले के बेसबाल कार्डों को देखा गया मेजर लीग खिलाड़ियों के. शोध- कर्ताओं ने पाया कि खिलाड़ियों की मुस्कान की चौड़ाई से वास्तव में उनकी उम्र की लम्बाई का पूर्वानुमान लगा सकते हैं जो खिलाड़ी अपनी तस्वीरों में मुस्कुरा नहीं रहे थे औसतन, केवल, 72.9 साल जिए जबकि, दीप्तिमान मुस्कान वाले खिलाड़ी औसतन लगभग 80 साल जिए (हंसी) अच्छा समाचार यह है कि हम मुस्कुराते हुए पैदा होते हैं 3D पराध्वनिक चित्रण का उपयोग कर के अब हम देख सकते हैं कि विकसित होते हुए बच्चे मुस्कुराते हुए लगते हैं गर्भ में भी जब वे पैदा होते हैं, बच्चे मुस्कुराना जारी रखते हैं-- शुरुवात में, अधिकतर नींद में. और तो और अंधे बच्चे भी मुस्कुराते हैं, मानवीय आवाज़ सुनने पर. मुस्कराहट एक अति बुनियादी, समरूप जैविक मानवीय अभिव्यक्ति है पापुआ न्यू गिन्नी में किये गए शोध में, पॉउल एक्मान, मुख-भावों पर विश्व के सबसे प्रख्यात शोधकर्ता , ने पाया कि फोरे जनजाति के सदस्यों ने भी, जो पश्चिमी संस्कृति से पूरे असंगत थे, और अपने असाधारण नरभक्षण रिवाजों के लिए जाने जाते हैं, मुस्कराहट को परिस्थितियों का चित्रण माना बिलकुल वैसे जैसे हम और आप करते तो पापुआ न्यू गिन्नी से, हॉलीवूड तक, बीजिंग के मोडर्न आर्ट तक, हम काफी मुस्कुराते हैं, और आप मुस्कुराते हैं ख़ुशी और संतोष व्यक्त करने के लिए. इस कमरे में कितने लोग एक दिन में 20 बार से अधिक मुस्कुराते हैं? अपना हाथ उठाईये अगर आप करते हैं. अरे वाह! इस कमरे से बाहर हम में से एक तिहाई से ज्यादा एक दिन में 20 बार से ज्यादा मुस्कुराते हैं जबकि 14 प्रतिशत से कम लोग 5 बार से कम मुस्कुराते हैं असल में, वो जो सबसे अदभुत अमानवीय शक्ति के साथ हैं वो बच्चे हैं जो दिन में अधिक से अधिक 400 बार मुस्कुराते हैं आपने कभी सोचा है क्यूँ बच्चों के आस पास रहने से, जो इतना मुस्कुराते हैं, आपको भी मुस्कुराने पर मजबूर कर देते हैं? स्वीडेन में उपसाला यूनिवर्सिटी में एक नए अध्यनन में पाया गया कि तेवर दिखाना मुश्किल हो जाता है जब हम किसी मुस्कुराते हुए व्यक्ति को देख रहे हों आप पूछिए, क्यूँ ? क्यूंकि मुस्कुराना विकासमूलक रूप से संक्रामक है, और ये दबा देता है वो नियंत्रण जो हमारा अपने चेहरे की पेशियों पर होता है मुस्कुराहट की नक़ल करना और उसे प्राक्रतिक रूप से अनुभव करना हमें समझने में मदद करता है कि हमारी मुस्कान असली है या नकली तो हम समझ सकते हैं भावनात्मक स्थिति मुस्कुराने वाले की. नक़ल पर एक नये अस्ध्ययन में, फ्रांस की यूनिवर्सिटी ऑफ़ क्लेरमोंट - फेरांड में, व्यक्तियों को निर्णय लेने को बोला गया कि एक मुस्कान असली है या नकली, जब उन्होंने अपने मुहं में एक पेंसिल पकड़ी हो मुस्कान वाली मॉस-पेशियाँ दबाने के लिए. पेंसिल के बिना, लोग ठीक आंकलन कर पाए लेकिन मुहं में पेंसिल रखने पर जो मुस्कान उन्होंने देखी, वो उसकी नक़ल नहीं कर पाए तब उनका आंकलन सही नहीं हुआ (हंसी) "द ओरिजिन ऑफ़ स्पिशिस" में उद्विकास के सिद्धांत के साथ चार्ल्स डार्विन ने द फेशियल फीडबैक रिस्पोंस थिओरी भी लिखी उनका सिद्धांत व्यक्त करता है कि मुस्कुराने की क्रिया स्वयं में ही हमें बेहतर महसूस करवाती है बजाये बस अच्छा महसूस करने का एक परिणाम होने के. अपने शोध में डार्विन ने वास्तव में दृष्टान्त दिया एक फ़्रांसिसी स्नायु-विशेषज्ञ, गुइल्लौमे दुचेन्ने का जो विद्युती झटकों का प्रयोग चेहरे के मॉस पेशियों पर करता था मुस्कराहट प्रवृत करने और बढाने में कृपया घर में इसकी कोशिश न करें (हंसी) एक सम्बंधित जर्मन शोध में, शोध कर्ताओं ने ऍम आर आई ईमाजिंग का प्रयोग किया मस्तिष्क की गतिविधि मापने के लिए बोटोक्स डालने के पहले और बाद मुस्कान दबाने के लिए. इस जांच परिणाम नें डार्विन के सिद्धांत की पुष्टि की पुनर्निवेशन स्नायु संबन्धी ये दिखा कर कि चेहरे की अतिपुष्टि स्नायु सम्भंधी प्रसंस्करण को परिवर्तित करता है, दिमाग के भावनात्मक सार को इस तरह से कि हम बेहतर महसूस करते हैं जब हम मुस्कुराते हैं. मुस्कुराना हमारे मस्तिष्क के पुरूस्कार प्रकिया को उत्तेजित करता है ऐसे, जैसे की चोकलेट भी जो एक जाना-माना आनंद लाने वाला तत्व है, उसकी तुलना नहीं कर सकती ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने पाया कि एक मुस्कान उस स्तर का मस्तिष्कउत्तेजन पैदा करता है जितना 2000 चोक्लेट करते हैं (हंसी) रुकिए. इसी शोध में पाया गया कि मुस्कुराना हमें उतना उत्तेजित करता है जितना हम 16,000 पौंड्स नकद में मिलने पर होते हैं ये ऐसे है जैसे एक मुस्कान के २५ हज़ार. ये बुरा नहीं है . और इसके बारे में ऐसे सोचिये 25,000 गुणा 400 बहुत सारे बच्चे रोज़ मार्क जकरबर्ग जैसा महसूस करते हैं और चोकलेट के विपरीत बहुत मुस्कुराना आप को असल में अधिक सेहतमंद बना सकता है मुस्कुराना मदद करता है घटाने में तनाव बढाने वाले हारमोन के स्तर को जैसे कॉर्टिसोल, अद्रेनालिन और डोपामीन, मनोदशा अच्छा करने वाले हर्मोंनस के स्तर को बढाता है जैसे एन्दोफ्राइन और, कुल-मिलाकर रक्त-चाप को घटाता है. और अगर ये भी काफी ना हो, तो मुस्कुराना सच में अच्छा दिखता है दूसरों को. पेन्न स्टेट यूनिवर्सिटी में एक नए शोध में पाया गया कि जब आप मुस्कुराते हैं आप ना केवल ज्यादा पसंद आते हैं और विनीत लगते हैं बल्कि आप ज्यादा सक्षम भी लगते हैं तो जब भी आप अच्छे और सक्षम दिखना चाहें, अपना तनाव कम करना चाहें या अपनी शादी-शुदा जीवन को बेहतर बनाना चाहें या बस ये महसूस करना चाहें के आपने अभी एक अच्छे चाकलेट का पूरा पैकेट खाया बिना कैलोरी लेने का नुक्सान उठाये या जैसे आपको एक जेब में २५ हज़ार मिल गए हों अपनी एक पुरानी जैकेट में जिसे आपने सालों से ना पहना हो या जब भी आप एक असामान्य शक्ति का प्रयोग करना चाहें जो आपकी और आपके आस पास लोगों की मदद करे अधिक लम्बी, स्वस्थ और खुश जीवन जीने में, मुस्कराहट (अभिवादन) जब मुझे यह करने के लिए कहा गया तब मैंने फैसला किया, कि मैं सच में जिस बारे में बोलना चाहता था वह मेरे दोस्त रिचर्ड फेय्न्मन के बारे में था | मै उन सौभाग्यशाली व्यक्तियों में से हूँ जो वाकई उन्हें जानते थे और उनके साथ में आनादित होते थे मै उस रिचर्ड फेय्न्मन के बारे में बताऊंगा जिन्हें मैं जानता था मुझे पता है यहाँ ऐसे और लोग होंगे जो उस रिचर्ड फेय्न्मन्न के बारे में बता सकते हैं जिन्हें वो जानते थे और शायद वो अलग रिचर्ड फेय्न्मन्न हो रिचर्ड फेय्न्मनएक जटिल आदमी थे उनके कई, कई अंश थे सबसे पहले वो एक बहुत, बहुत महान वैज्ञानिक थे वो एक अभिनेता थे, उनके अभिनय आपने देखे हैं. मैं उन व्याख्यानों में भी भी सौभाग्य से शामिल था. ऊपर बालकनी में. वह विलक्षण थे वह एक दार्शनिक थे वो ड्रम बजाया करते थे उनके पढ़ाने का ढंग अत्युत्तम था रिचर्ड फेय्न्मन एक शोमैन भी थे एक बड़ा शोमैन वह ढीठ था, असभ्य वह काफी शक्तिशाली थे , वो किसी से अकेले ही भिड ले इस प्रकार के यौवनशील थे | उसे बौद्धिक लड़ाई से प्यार था. उसका अहंकार विशाल था मगर किसी तरह उस आदमी में खुद से कम लोगों के लिए बहुत जगह थी मेरा कहने का मतलब यह है बहुत सारी जगह, मेरे किस्से में, मैं किसी और के लिए बोल नहीं सकता लेकिन मेरे सिलसिले में एक और विशाल अहंकारी के लिए जगह थी उनके जीतनी बड़ी नहीं, मगर काफी बड़ी. दिक फेय्न्मन के सांथ मुझे हमेशा अच्चा लगता था. उनके साथ हमेशा मजा आता था. उनके साथ मैं अपने आप को होनहार महसूस करता था. ऐसा आदमी आपको कैसे बुद्धिमान महशूस करा सकता है ? किसी तरह उनमे यह क्षमता थी. उन्होंने मुझे बुद्धिमान महसूस कराया | उन्होंने मझे महशूस कराया कि वो बुद्धिमान थे | उन्होंने मुझे अहसास कराया कि हम दोनों बुद्धिमान थे | और हम दोनों किसी भी समस्या का समाधान कर सकते थे | और कभी-कभी हमने साथ में भौतिक विज्ञानं पर काम किया | हमने कभी कोई शोध कार्य सांथ में प्रकाशित नहीं किया मगर हमने सांथ में काफी मजे किये | उनको जीतना बहुत पसंद था. कही-कभी हम शक्ति प्रदर्शन के खेल खेला करते थे , सिर्फ मेरे साथ नहीं, हर प्रकार के लोगों के संग - तो वो हमेशा जीता करते थे | जब नहीं जीतते थे , जब हार जाते थे तो हंस देते, जैसे उतना ही मजा आ रहा हो जैसे वो जीत गए हों | मुझे याद है एक बार उन्होंने मुझे एक कहानी सुनाई थी, एक मजाक के बारे में, जो उनके छात्रों ने उनके सांथ किया था | वो उन्हें ले गए - शायद उनके जनम दिन पर - बाहर भोजन के लिए | वो उनको भोजन के लिए लेकर गए पासादेना में किसी सेंडविच की दुकान पर मुझे नहीं मालूम शायद वह दुकान अभी भी हो | सेलिब्रिटी सैंडविच उनकी खासियत थी | आप मर्लिन मुनरो सेंडविच ले सकते थे | हम्फ्रे बोगार्ट सेंडविच ले सकते थे. उनके छात्र पहले से ही वंहा थे | उन्होंने तय किया था की वे सब फेय्न्मन सेंडविच लेंगे. एक के बाद एक वे अन्दर आये और उन्होंने फेय्न्मन सेंडविच माँगा | फेय्न्मन को यह कहानी बहुत पसंद थी | उन्होंने मुझे यह कहानी सुनाई, और वो काफी खुश थे | जब कहानी ख़तम हुई तब मैंने कहा डिक, फेय्न्मन संविच और सुसस्किंद संविच में क्या अंतर होगा? और तुरंत उन्होंने कहा लगभग एक जैसे ही होंगे फर्क सिर्फ इतना है की सुस्स्किंद संविच में बहुत ज्यादा हैंम होगा हैंम, जैसे बुरा अभिनेता (हंसी) उस दिन मैं बहुत तेज था और मैंने कहा ' हाँ, पर बहुत कम बलोनी!' (बलोनी याने बकवास) (हंसी) सच तो यह है की फेय्न्मन सेंडविच में बहुत हैम है, बलोनी बिलकुल नहीं. फेय्न्मन को सबसे बुरी चीज़ बौद्धिक दिखावा लगती थी. ढोंग, झूठी परिष्कार, शब्दजाल. मुझे याद है, कही अस्सी के दशक में मध्य अस्सी डिक, मैं और सिडनी कालेमन, कई बार मिले संफ्रंसिस्को के किसी अमीर आदमी के घर में खाना खाने के लिए और पिछली बार जब उसने बुलाया था तो उसने दो दार्शनिकों को भी बुलाया था. वो मन के दार्शनिक थे. उनकी खासियत थी चेतना. वो हर प्रकार के शब्दजाल इस्तेमाल करते मैं शब्द याद करने की कोशिश कर रहा हूँ वेदांत, द्वैतवाद, हर प्रकार की श्रेणियाँ मैं उनका मायने नहीं जनता था, ना दिक जनता था और सिडनी भी नहीं तो हम क्या बोलते? खैर, मन के बारे में बात करो तो क्या बोलो? एक बात तो स्पष्ट है क्या मशीन मन बन सकती है? क्या आप कोई ऐसी मशीन बना सकते हैं जो मनुष्य जैसे सोचे? जो सचेत हो? बैठ कर हमने यह बातें कीं, कोई निष्कर्ष पर नहीं पंहुचे पर दार्शनिकों के साथ यह दिक्कत है की वो इसे भी दर्शन शास्त्र की तरह देख रहे थे जबकी उन्हें विज्ञानं के बारे में विचार करना चाहिए आखिर यह विज्ञान का सवाल है ऐसा करना एक बहुत, बहुत ख़तरनाक काम था वो भी दिक् फेय्न्मन की सामने. फेय्न्मन ने उनको दे दिया - दोनों बैरल, ठीक आँखों के बीच क्रूर था, बहुत मजे का था...ओह क्या मजे का था! मगर था क्रूर उनका गुब्बारा फट गया लेकिन कमाल की बात यह है फेय्न्मन को थोड़े जल्दी जाना था उनकी तबियत ठीक नहीं थी, थो उन्हें जल्दी जाना था और सिडनी और मैं उन दो दार्शनिकों के साथ छूट गए और कमाल की बात यह है की वो तो हवा में उड़ रहे थे इतने खुश कि जैसे किसी महान आदमी से मिल रहे हों किसी महान व्यक्ति ने जैसे उन्हें निर्देश दिए हों उन्हें बहुत मजा आया था अपना मुह काला करके यह कुछ ख़ास था मुझे महसूस हुआ कितने असाधारण थे फेय्न्मन ऐसे समय भी जब उन्होंने ऐसा किया दिक् मेरा दोस्त था, मैं उसे दिक् कहता था दिक् और मेरा मेल था हो सकता है डिक्क और मेरा ख़ास संबंध था हम एक दूसरे को पसंद थे, हमे एक सी चीजें पसंद थीं. मुझे बौद्धिक खेल भी पसंद थे कभी मै जीतता था , ज्यादा तर वो ही जीता करता था पर मजा दोनों को आता था किसी समय दिक् आश्वस्त हो गया की हममें व्यक्तित्व समानता है मुझे नहीं लगता की वो सही था. मुझे लगता है हम दोनों में सिर्फ इतनी समानता है की हमे अपने बारे में बात करना पसंद है! मगर वो इस के प्रति आश्वस्त थे और वह उत्सुक था वो आदमी बेहद उत्सुक था उनको समझना था क्या है, क्यों है की ऐसा अजीब संबंध था एक दिन हम साथ चल रहे थे, फ्रांस में. हम ला जौचे में थे ऊपर पहाड़ों में थे हम, 1976. पहाड़ों में ऊपर थे और फेय्न्मन ने मुझसे कहा लेओनार्दो लेओनार्दो बुलाने की वजह यह थी, की हम यूरोप में थे और वह फ्रेंच अभ्यास कर रहा था उन्होंने कहा, "लेओनार्दो, तुम अपने माता या पिता, किसके ज्यादा करीब थे बचपन में? और मैंने कहा "मेरे असली हीरो पिताजी थे". वह एक काम करने वाले आदमी थे पांचवी कक्षा तक पढ़े थे | वह एक मास्टर मैकेनिक था और उसने मुझे सिखाया कि उपकरणों का उपयोग कैसे हो. उन्होंने मुझे औजार उपयोग करना सिखाया. उन्होंने मुझे पयेथागोरस प्रमेय भी सिखाया. उन्होंने उसे कर्ण नहीं कहा उन्होंने उसे शॉर्टकट बुलाया". और फेय्न्मन की आँखें एकदम खुल गयीं एक प्रकाश बल्ब की तरह उन्होंने कहा कि बिलकुल वैसे ही सम्बन्ध उनका अपने पिता से था | एक समय वो आश्वस्त हो गए थे कि अच्छा भौतिक विज्ञानी होने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण था कि आप के पिता से आपके वैसे सम्बन्ध हों | मैं सेक्सिस्ट बातचीत के लिए माफी माँगता हूँ,, मगर ऐसा ही हुआ था | उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह आश्वस्त थे कि यह जरूरी था - एक युवा भौतिक विज्ञानी के बचपन का आवश्यक हिस्सा. और क्योंकि वो दिक् थे इसलिए वो इसे परखना चाहते थे | वो एक प्रयोग करना चाहते थे | तो ऐसा ही किया उन्होंने एक प्रयोग किया उन्होंने अपने सभी अच्छे भौतिक विज्ञानियों से पूछा तुम्हारी माँ या पिता तुम किससे प्रभावित थे? और हर आदमी - सब आदमी ही थे - हर एक आदमी ने कहा "माँ" (हंसी) यह ख्याल सीधे एतिहास के कचरे के डब्बे में गया | मगर वो उत्तेजित थे कि आखीर कोई मिला जिसका वैसा ही सम्बन्ध रहा अपने पिता से जैसा उनका था | और कुछ समय तक वो आश्वस्त थे की इस वजह से ही हमारी दोस्ती थी मुझे नहीं पता, शायद, कौन जानता है ? पर मैं आप को कुछ बताता हूँ भौतकी विज्ञानी फेय्न्मन के बारे में | फेय्न्मन का इस्टाइल - नहीं इस्टाइल सही शब्द नहीं है - इस्टाइल से आपको लगता होगा वो जिस प्रकार टाई पहनते थे या जिस प्रकार का सूट पहनते थे | इससे कंही अहम् बात है, मगर मैं दूसरा शब्द नहीं सोच पा रहा हूँ फेय्न्मन का वैज्ञानिक ढंग हमेशा किसी समस्या के समाधान के लिए सबसे प्रारंभिक तरीके पर कार्य करने का था अगर उससे मुमकिन न था, तो किसी जटिल समाधान के बारे में सोचते थे . बेशक इसमें उन्हें यह दिखाने में बहूत ख़ुशी होती थी कि कैसे वो दूसरों से अधिक सरलता से सोच सकते थे उन्हें गहरा विश्वास था, सच में विश्वास था कि अगर कुछ सरलता से नहीं समझा सकते तो फिर आप ने उसे समझा ही नहीं | १९५० में लोग यह पता लगा रहे थे की सुपेर्फ्लुइड हेलियम कैसे काम करता है एक सिद्धांत था रूस के गणितीय भौतिक विज्ञानी द्वारा दिया हुआ एक जटिल सिद्धांत वह मैं अभी आप को बताता हूँ बहुत जटिल सिद्धांत था बहुत मुश्किल सूत्रों से भरा और गणित वगरह थोडा काम करता था, मगर पूरी तरह से नहीं काम सिर्फ तब करता था, जब हेलियम परमाणुओं में बहुत दूरी हो हेलियम परमाणुओं में बहुत दूरी जरूरी थी मगर अफसोस की तरल हेलियम परमाणु बिलकुल एक के ऊपर एक हैं फेय्न्मन ने सोचा की एक शौकिया हेलियम भौतिक विज्ञानी होकर वे उसे समझना चाहेंगे उनका विचार था, एकदम साफ विचार, कि वो यह समझने का प्रयत्न करेंगे कि इतने सारे एक जैसे परमाणुओं का क्वांटम समारोह क्या है वो इसकी कल्पना कुछ सिद्धांतों के द्वारा निर्देशित कुछ बहूत ही सरल सिधान्तों द्वारा करने का प्रयत्न करेंगे | पहला था कि जब हीलियम अणु एक दुसरे के संपर्क में आते ही दूर चले जाते हैं निष्कर्ष यह था कि उनका wave function शुन्य होगा जब हीलियम अणु एक दुसरे को स्पर्श करते हैं | अन्य तथ्य यह था की सबसे काम ऊर्जा की स्थिति में wave function शुन्य नहीं होता | उसमे सबसे कम हलचल होता है . तो वो बैठे - मेरे ख्याल में उनके पास सिर्फ एक कागज का टुकड़ा और कलम थे जिससे उन्होंने लिखने की कोशिश की, और लिखा सबसे सरल प्रमेय जो वह सोच सकते थे जिसमे कुछ सीमा शर्ते थी | wave function शुन्य हो जाता है जब चीजें स्पर्श करती हैं पर उसके पहले यह समतल होता है उन्होंने एक साधारण बात लिखी वह बहूत सरल था जिसे एक हाई स्कूल का विद्यार्थी भी बिना किसी गणना के समझ लेता जो उन्होंने लिखा. उन्होंने जो लिखा वह इतना सरल था कि उससे तरल हीलियम के बारे में उस समय जो भी मालूम था सब स्पस्ट हो जाता था | में हमेशा सोचता था कि जिनका भौतिकीय वैज्ञानिक जो तरल हीलियम पर कार्य करते थे क्या वो शर्मिंदा हुए होंगे | उनके पास उनकी सबसे शक्तिशाली तकनीक थी , और वो इससे बेहतर नहीं कर पाए संयोग से, में आपको बता दूँ वह तकनीक क्या थी वेह थे फेय्न्मन तकनीकी चित्र थे (हंसी) उन्होंने १९६८ में फिर दोहराया १९६८ में, मेरे ही विश्वविद्यालय में, उस समय मैं वंहा नहीं था, १९६८ में, वो लोग प्रोटॉन की संरचना की खोज कर रहे थे प्रोटॉन तो साफ है कि कई छोटी चीजों से बना है. इतना तकरीबन पता था. और उसका विश्लेषण फेय्न्मन चित्र से होता था. उसी के लिए फेय्न्मन चित्र बने थे कण को समझने के लिए प्रयोग जो हो रहे थे वो बहूत ही सरल थे आप सिर्फ एक प्रोटान लेकर उसे एक इलेक्ट्रॉन के साथ तेजी से टकराते हैं | उसके लिए थे फेय्न्मन चित्र थे | सिर्फ एक कठिनाई थी कि फेय्न्मन चित्र बहुत जटिल हैं उसमे काफी जटिलता है | अगर आप उन्हें कर सकते थो आप के पास एक सटीक ज्ञान होगा | मगर यह संभव नहीं था, वो बहुत जटिल थे लोग कोशिश कर रहे थे आप एक पाश चित्र कर सकते थे, एक, दो, या तीन पाश चित्र कर सकते थे मगर उनके आगे कुछ नहीं कर सकते थे | फेय्न्मन ने कहा "भूल जाओ उसको, सिर्फ प्रोटान के बारे में सोचो एक छोटे कणों की जमघट के रूप में छोटे कणों का एक झुंड उन्होंने उसे प्रोटान कहा | उन्होंने कहा "बस सोचो यह प्रोटान का झुण्ड है जो तेजी से बढ़ रहे" क्योंकि वह तेजी से बढ़ रहे हैं सापेक्षता का कहना है कि आंतरिक गति बहुत धीमी गति से चलते हैं. इलेक्ट्रॉन इसे अचानक टकराता है यह एक प्रोटॉन की एक बहुत ही अचानक स्नैपशॉट लेने की तरह है आप क्या देखते हो ? परतों में जमा हुआ प्रोटान का एक गुच्छा | वो हिलते नहीं हैं , और क्योंकि हिलते नहीं हैं तो प्रयोग के दौरान आपको इस बात की फ़िक्र करने की जरुरत नहीं की वो हिलते कैसे हैं | आप को उनके बीच के तनाव के बारे में सोचने की जरुरत नहीं है | आप इसे सिर्फ इस तरह सोचो कि यह समूह है जमे हुए परतों की यह इन प्रयोंगो के विश्लेषण की महत्वपूर्ण बात थी | अत्यंत प्रभावी किसी ने कहा क्रांति बुरा शब्द है. शायद हो, तो में क्रांति नहीं कहूँगा पर निश्चित रूप से इससे हमारी प्रोटोन की समझ में बहूत ज्यादा विकास हुआ और उससे भी छोटे कणों को समझने में | वैसे मेरे पास और भी कुछ था जो मैं बताने वाला था मेरे और फेय्न्मन के रिश्तों के बारे में वो कैसे थे, मगर हमारे पास ठीक आधा मिनट है मै अब समाप्त करता हूँ यह कह कर कि मुझे नहीं लगता फेय्न्मन को ऐसा समारोह अच्छा लगता मेरे ख्याल में वो कहते " मुझे इसकी जरूरत नहीं है" पर हम फेय्न्मन का आदर कैसे करें? सच में उनका आदर सम्मान कैसे करें? मेरे ख्याल में फेय्न्मन का आदर करने के लिए हमें बहूत सारा बलोनी (बकवास) अपने सेंडविच से निकाल देना चाहिए | धन्यवाद (तालियाँ) मैं समझता हूँ कि TED के श्रोतागण एक अद्भुत संग्रह हैं जिसमे विश्व कुछ बहूत से प्रभावशाली ,बुद्धिमान बुद्धिजीवी, लौकिक और अभिनव प्रतिभा के व्यक्ति शामिल हैं | और मैं यह सोचता हूँ कि यह सच है | किन्तु , मुझे ऐसा विश्वास है कि आप में से अधिकांश लोग जूते गलत तरह से बांधते हैं | (हंसी) मुझे पता है यह हास्यास्पद प्रतीत होता है | मुझे पता है यह हास्यास्पद है | और मेरा विश्वास कीजिये , मैं यह दुखी जीवन , कुछ पिछले तीन वर्षों तक जिया है | और हुआ यह था कि मैंने अपने लिए बहुत ही मंहगे जूते खरीदे थे | किन्तु उन जूतों में नायलॉन के फीते थे , जिन्हें मैं बंधा हुआ नहीं रख पता था | तो मैं दुकान पर वापस गया और दुकानदार से बोला , "मुझे जूते अच्छे लगे पर इसके फीते अच्छे नहीं हैं |" उसने देखा और बोला " आप इसे गलत तरह से बांध रहे हैं |" अब तक उस पल तक मैं सोचता था कि 50 साल की उम्र में जीवन कि कलाओं में जो मैंने सच में सीखा था वह था कि जूते कैसे बांधे | लेकिन ऐसा नहीं था --मैं आपको दिखता हूँ | यह तरीका है जिस तरह से हमें जूते बांधना सिखाया गया था | धन्यवाद | रुकिए ,अभी और भी कुछ है | अब ऐसा है कि , गांठ का एक मजबूत रूप होता है और एक कमजोर रूप होता है | और हमें कमजोर रूप को बंधना सिखाया गया था | और गांठ के रूप को इस तरह बताया जा सकता है | अगर आप गांठ के नीचे किनारों को खीचे, तो आप देखेंगे कि फीते की बो जूते के समान्तर अक्ष में घूम जाती है | यह गांठ का कमजोर रूप है | पर चिंता की बात नहीं है | अगर हम फिर से प्रारंभ करें और दूसरी दिशा से बो की ओर घुमा कर लायें , तो हमें यह मिलता है ,गांठ का मजबूत रूप | और अगर आप गांठ के नीचे किनोरों को खींचे , तो आप देखेंगे कि गांठ की बो जूते के अनुप्रस्थ अक्ष (तिरछा) में घूम जाती है | यह सबसे मजबूत गांठ है | यह बहुत कम खुलती है | यह आप को कम निराश करेगी | और इतना ही नहीं , यह ज्यादा अच्छी भी दिखती है | हम इसे एक बार और करेंगे | (तालियाँ) सामान्य रूप से प्रारंभ करें, गांठ की दूसरी ओर से घुमा कर लायें | बच्चों के लिए यह थोडा कठिन है , पर मैं सोचता हूँ आप लोग इसे कर सकते हैं | गांठ को खींचे | और यह है जूते की गांठ का मजबूत रूप | और अब आज के विषय को ध्यान में रखते हुए , मैं बताना चाहूँगा -- जो की आप जानते ही हैं -- कभी कभी जीवन में किसी जगह कोई छोटी सी श्रेष्ठता जीवन में कंही और बहुत अच्छे परिणाम दे सकती है | आप सभी का जीवन मगलमय हो | (तालियाँ) आज मैं आप सब के साथ बाँटना चाहती हूँ, ईरानी कलाकार होने की चुनौती की कहानी, ईरानी महिला कलाकार होने की चुनौती की कहानी, मैं जो कि एक ईरानी महिला कलाकार हूँ, और देश-निकाला भुगत रही हूँ। सोचा जाये तो इसके फ़ायदे हैं और नुकसान भी हैं। नकारात्मक पहलू देखें तो राजनीति कभी भी हम जैसे लोगों को शांति से नहीं रहने देती। हर ईरानी कलाकार, किसी न किसी तरीके से, राजनीति से जुडा है। राजनीति ही हमारे जीवन को परिभाषित कर रही है। यदि आप ईरान में रह रहे हों, तो आपको तमाम सेंसरशिप (नियंत्रण), और अत्याचारों को सहना होगा, गिरफ़्तारी, शारीरिक उत्पीडन -- और कभी कभी, तो कत्ल या सजा-ए-मौत भी। और यदि आप मेरी तरह वहाँ से दूर रह रहे हों, आप के सामने देश-निकाले के जीवन की चुनौती है -- दर्द है याद का छटपटाहट है अपनों से दूर होने की परिवार से अलग होने की। इसलिये, हम वंचित हैं उस मौलिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और राजनैतिक आराम से, जो हमें इस सच्चाई से दूर रखे कि हमारी सामाजिक ज़िम्मेदारी बनती है। अजीब सी बात है, मेरे जैसी एक कलाकार स्वयं को उस किरदार में पाती है, जो आवाज़ है मेरे देश के लोगों की, जबकि, सच में, मेरा अपने देश में जाना तक मना है। और ये भी, कि मेरे जैसे लोग, दो अलग अलग लडाइयाँ लड रहे हैं। हम पश्चिमी सभ्यता की आलोचना करते हैं, विरोध करते है पाश्चात्य नज़रिये का अपनी पहचान के बारे में -- और उस अक्स का जो हमारे आसपास बना दिया गया है, हमारी स्त्रियों के बारे में, हमारी राजनीति के बारे में, हमारे धर्म के बारे में। तो हम एक तरफ़ इस सब के गर्व की लडाई कर रहे हैं, और सम्मान माँग रहे हैं। ठीक उसी समय, हम एक और लडाई लड रहे हैं। वो है हमारी अपनी शासन पद्धति से, हमारी अपनी सरकार से -- हमारी अपनी अत्याचारी सरकार से, जिसने हर सँभव अपराध किया है सिर्फ़ सत्ता में बने रहने भर के लिये। हमारे कलाकार खतरे में हैं। हम बडी विपत्ति में फ़ँसे हैं। हम खुद भी खतरा बन गये हैं, अपनी ही सरकार और शासन के लिये। और विडंबना ये है कि, इस स्थिति ने हमें शक्ति दी है, क्योंकि हमें, कलाकार होने के नाते, ज़रूरी माना जाता है सांस्कृतिक, राजनैतिक, और सामाजिक विमर्श के लिये, ईरान में। हमारा काम हो गया है प्रोत्साहित करना, ललकारना, बढावा देना, और अपने लोगों तक आशा की किरणों को पहुँचाना। हम अपने लोगों के हाल बयां करने के ज़िम्मेदार हैं, हम उनके संवाददाता हैं बाहरी दुनिया के लिये। कला हमारा हथियार है। संस्कृति हमारे विरोध का ज़रिया है। कभी कभी तो मुझे पाश्चात्य कलाकारों से जलन सी होती है उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी को देख कर -- और इस बात पर कि कैसे वो खुद को दूर कर लेते हैं राजनैतिक सवालात से -- और इस बात से कि वो केवल एक ही तरह के लोगों के लिये कार्यरत हैं, मु्ख्यतः पाश्चात्य सांस्कृति के लिये। पर साथ ही, मैं पश्चिम को ले कर चिंतित भी हूँ, क्योंकि अक्सर इन देशों मे, इस पाश्चात्य विश्व में खतरा दिखता है, संस्कृति के मात्र मनोरंजन में बदल कर रह जाने का। हमारे लोग अपने कलाकारों पर निर्भर हैं, और संस्कृति तो संवाद के परे है। एक कलाकार के रूप में मेरी यात्रा बहुत ही व्यक्तिगत जगह से आरंभ हुई थी। मैने सीधे शुरु नहीं किया था सामाजिक टिप्पणी करना अपने देश पर। जो पहला वाला आप देख रहे हैं ये असल में मैनें ईरान लौट कर बनाया था पूरे १२ साल इस से अलग रहने के बाद। ये इस्लामिक क्रांति के बाद हुआ, जो १९७९ में हुई थी। जब मैं ईरान से बाहर थी, ईरान में इस्लामिक क्रांति आ गयी और उसने पूरे देश को बदल कर रख दिया फ़ारसी संस्कृति से इस्लामिक संस्कृति में। मैं तो बस अपने परिवार के साथ रहने आयी थी, और फ़िर से इस तरह से जुडने कि मैं समाज में अपना एक स्थान पा सकूँ। बजाय उसके, मुझे एक ऐसा देश मिला जो पूर्णतः एक खास सिद्धांत से चल रहा था और जिसे मैं अपना ही नहीं पायी। और तो और, मेरी इसमें बहुत रुचि पैदा होती गयी क्योंकि मेरे सामने अपने व्यक्तिगत असमंजस और प्रश्न खडे थे, मेरी रुचि बढती ही गयी इस्लामिक क्रांति के अध्ययन में -- कि कैसे, असल में, इस ने अविश्वसनीय ढँग से बदल दिया ईरानी औरतों के जीवन को। मुझे ईरानी स्त्रियों का विषय बहुत ही तेजी से खींच रहा था, कि किस तरह से ईरानी औरतों ने, इतिहास में, राजनैतिक बदलाव को अपनाया है। तो एक तरह से, औरतों का अध्ययन करके, आप एक देश के ढाँचे और सिद्धांत को पढ सकते हैं। तो मैनें कुछ काम किया जिस से कि अचानक ही मेरे सारी दुविधा सामने आ गयी, और उसने मेरे काम को एक बडे विमर्श के कटघरे में ला खडा किया -- शहादत के विषय पर, उन लोगों के विषय पर जो अपनी मर्ज़ी से दुराहे पर खडे होते हैं एक तरफ़ ईश्वर से प्रेम, और विश्वास की राह पर, और साथ ही हिंसा, अपराध और क्रूरता की राह पर। मेरे लिये ये अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया। और तब भी, मेरी इस पर थोडी अलग स्थिति थी। मैं एक बाहरी व्यक्ति थी जो कि ईरान आयी थी अपनी जगह खोजती हुई, मगर मैं इस स्थिति में नहीं थी कि मैं सरकार की आलोचना कर सकूँ या फ़िर इस्लामिक क्रांति के सिद्धांतो की। धीरे धीरे ये सब बदला और मुझे अपनी आवाज मिली और मैने उन चीज़ों को खोज़ा जो मुझे कभी नहीं लगा था कि मैं खोज पाऊँगी। और मेरी कला थोडी और ज्यादा आलोचनात्मक हो गयी। मेरा खंज़र थोडा और तीखा हो गया। और मैं फ़िर से देश-निकाले का जीवन जीने पर मजबूर कर दी गयी। अब मैं एक खानाबदोश कलाकार हूँ। मैं मोरक्को में, तुर्की में, मेक्सिको में काम करती हूँ। मै हर जगह में ईरान को खोजती फ़िरती हूँ। अब मैं फ़िल्मों पर भी काम कर रही हूँ। पिछले साल, मैने एक फ़िल्म ख्त्म की है जिसका शीर्षक है "आदमियों बगैर औरतें" ये फ़िल्म इतिहास में वापस जाती है, मगर ईरानी इतिहास के एक दूसरे ही हिस्से में। ये जाती १९५३ तक जब कि अमरीकी सी.आई.ए. ने तख्तापलट करवाया था और लोकतंत्र द्वारा चुने गये एक राजनीतिक नेता को हटवा दिया था, डॉ. मोस्सदेघ ये किताब एक ईरानी औरत ने लिखी है, शाहर्मुश पारसिपुर ये जादुई सी किताब यथार्थवादी उपन्यास है। इस किताब पर सरकारी रोक है, और उस लेखिका ने अपने पाँच साल जेल में बिताये। मैं इस किताब के लिये पागल हूँ, और मेरे इस किताब को फ़िल्म में तब्दील करने का कारण है इसका एक साथ कई प्रश्नों को कुरेद पाना। औरत होने का प्रश्न -- पारंपरिक रूप से, ऐतिहासिक रूप से ईरानी औरत होना -- और चार ऐसी औरतों का स्थिति जो एक नयी विचारधारा की खोज में हैं -- बदलाव की, आजादी की, और प्रजातंत्र की -- जबकि ईरान देश, साथ, एक और किरदार के रूप में, एक नयी विचारधारा की तलाश में है - प्रजातंत्र और आजादी की, और विदेशियों द्वारा दखलअंदाजी से आजादी पाने की। मैने ये फ़िल्म बनायी क्योंकि मुझे लगा कि ये ज़रूरी है कि ये पश्चिमी लोगों को बताये कि एक देश के रूप में हमारा इतिहास कैसा था। ये कि आप सब केवल उस ईरान को याद रख के बैठे हैं जो कि इस्लामिक क्रांति के बाद का ईरान है। ये कि ईरान एक ज़माने में धर्मनिरपेक्ष समाज था, और हमारा देश लोकतांत्रिक था, और हमसे इस प्रजातंत्र को छीन लिया अमरीकी सरकार ने, ब्रिटिश सरकार ने। ये फ़िल्म ईरानी लोगों से भी कुछ कहती है उनसे गुज़ारिश करती है अपने इतिहास में वापस जाने की और इस्लामीकरण से पहले के अपने व्यक्तित्व को एक नज़र देखने की -- कि हम कैसे दिखते थे, कैसे हम मौसीकी का लुत्फ़ उठाते थे, कैसे हमारे लोग बुद्धि-विषयक थे। और सबसे बडी बात, कि कैसे हमने प्रजातंत्र के लिये लडाई की थी। ये मेरी फ़िल्म के कुछ दृश्य हैं। और ये तख्तापलट के कुछ दृश्य हैं। हमने ये फ़िल्म कासाब्लान्का (मोरक्को) में बनायी है, सारे दृश्यों का पुनर्निमाण कर के। ये फ़िल्म कोशिश करती है कि एक संतुलन सा कायम हो एक राजनैतिक कहानी कहने के, और साथ ही, एक स्त्रीवादी कहानी कहने के बीच। एक दृश्य कलाकार होने के नाते, सच में, मैं कला के प्रसारण में सबसे ज्यादा रुचि रखती हूँ -- ऐसी कला जो आर पार जा सके राजनीति के, धर्म के, स्त्रीवाद के प्रश्नों के, और महत्वपूर्ण हो जाये, शाश्वत हो जाये, और कला का संपूर्ण सार्वकालिक उदाहरण बन जाये। मेरे सामने चुनौती ये है कि ये कैसे किया जाये -- कैसे एक राजनैतिक कहानी कही जाये रूपक व्याकरण में -- कैसे अपने भावों को उचित चित्रण किया जाये, पर साथ ही दिमाग से सोच कर काम हो। ये कुछ दृश्य है और फ़िल्म के कुछ किरदार। ये देखिये हरी क्रांति आती हुई -- २००९ की गर्मी, और मेरी फ़िल्म का विमोचन होता है -- तेहरान की सडको पर विद्रोह भडक रहा है। अविश्वसनीय विडंबना ये है कि जिस समय की कहानी हमने फ़िल्म में दिखाने की कोशिश की है, प्रजातंत्र की माँग की और सामाजिक न्याय की माँ की, वो स्वयं को दोहरा रहा है तेहरान में। हरी क्रांति ने सारी दुनिया को दृढता के साथ प्रोत्साहित किया है। उस के द्वारा उन ईरानियों पर ध्यान केंद्रित हुआ है जो कि मौलिक मानवाधिकारों के लिये खडे हैं, और प्रजातंत्र की लडाई लड रहे हैं। मेरे लिये इस सब में सबसे सार्थक ये था कि एक बार फिर, औरतों की मौजूदगी दाखिल हुई है। ये मेरे लिये बहुत ही बडी हौसला-अफ़ज़ाई है। अगर इस्लामिक क्रांति के दौरान, औरतों का चित्रण किया गया था दबे कुचले स्वरूप में, और बेआवाज़ इकाई की तरह, तो आज हम स्त्रीवाद की नयी अभिव्यक्ति देख रहे हैं तेहरान की सडको-गलियों में -- औरतें जो शिक्षित हैं, गैर-पारंपरिक हैं, नयी सोच रखती हैं, सेक्सुअली खुले विचारों की हैं, डर से परे हैं, और गंभीर रूप से स्त्रीवादी हैं। ये औरतें और ये युवा पुरुष ईरानियों को एकजुट कर रहे हैं सारे संसार में ईरान में और बाहर भी। और फ़िर मुझे पता लगा कि आखिर क्यों मै इतना उत्साह पाती हूँ ईरानी औरतों से। वो इसलिये, कि हर हाल में, उन्होंने किनारे के लडाई लडी है। उन्होनें सत्ता को लगातार ललकारा है। उन्होंने हर थोपा गया नियम तोडा है छोटे से छोते और बडे से बडे रूप में। और एक बार फ़िर, उन्होंने खुद को साबित कर दिखाया है। आज मैं यहाँ खडी हूँ ये कहने के लिये कि ईरानी औरतों ने एक नयी आवाज़ पायी है, और उनकी आवाज़ ही मुझे अपनी आवाज़ देती है। ये मेरे लिये गौरव की बात है कि मैं एक ईरानी स्त्री हूँ, और एक ईरानी कलाकार हूँ, चाहे मुझे कुछ दिन के लिये पश्चिम को ही अपनी कर्मभूमि क्यों न बनाना पडे। आपक बहुत ध्न्यवाद। (अभिनंदन) (संगीत) (तालियां) (संगीत) (तालियां) बहुत से लोगो का मानना है कि गाड़ी चलाना सिर्फ उनका काम है जो देख सकते हैं | एक नेत्रहीन व्यक्ति का सुरक्षित और स्वतंत्र रूप से कार चलाना अब तक एक असंभव काम सोचा जाता था | नमस्कार, मेरा नाम डेनिस होंग है, और हम नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए स्वाधीनता और आज़ादी ला रहे है दृष्टीविहीन व्यक्तियों के लिए वाहन बना कर | इससे पहले कि नेत्रहीन व्यक्ति की इस कार के बारे में बताऊ, मुझे संक्षिप्त में एक और परियोजना के बारे में बताने दे, जिस पर मैंने काम किया है इसका नाम डारपा अर्बन चैलेन्ज (DARPA Urban Challenge) है| यह एक रोबोटिक कार बनाने के बारे में है जो स्वचालित थी| स्टार्ट कीजिये और कुछ करने की जरुरत नहीं, और यह अपने गंतव्य तक खुद ही पहुँच सकती है| 2007 में हमारे दल ने पाँच लाख डालर जीते थे इस प्रतियोगता में तृतीय(3rd) आ कर| उस समय, नेशनल फेडरेसन ऑफ़ दी ब्लाइंड (National Federation of the Blind (NFB)) ने शोध समिति को चुनौती दी एक ऐसी कार बनाने के लिए जिसे नेत्रहीन व्यक्ति सुरक्षित और स्वतंत्र रूप से चला सके | हमने इस बारे में प्रयास करने का फैसला लिया, क्युकि हमने सोचा कि ये कितना कठिन हो सकता है| हमारे पास एक स्वचालित वाहन पहले से है| हमे बस एक नेत्रहीन को चलाने देना है और काम होगया, है ना? (हंसी) हम इससे ज्यादा गलत नहीं हो सकते थे | NFB को ऐसा वाहन नहीं चाहिए था जो नेत्रहीन को इधर उधर ले जा सके, बल्कि एक ऐसा वाहन जिसे नेत्रहीन व्यक्ति स्वयं निर्णय ले कर चला सके | तो हमे सब कुछ कबाड़ में फेकना पड़ा और नए सिरे से शुरुवात करनी पड़ी | इस नई योजना को परिक्षण करने के लिए हमने एक छोटा dune buggy वाहन का प्रतिरूप बनाया ऐसे वाहन की संभावना परखने के लिए| 2009 के ग्रीष्म ऋतू में हमने सारे देश से बहुत से नेत्रहीन युवको को बुलाया और उन्हें प्रतिरूप वाहन को चलाने का मौका दिया| यह एक सचमुच निराला अनुभव था| लेकिन ऐसी कारो के साथ समस्या यह थी कि ये सिर्फ नियंत्रित परिवेश में चलाने के लिए बनाई गयी थी, सपाट और सीमित गाड़ी रखने के जगह पर जहा रास्ते भी लाल खंबो से निश्चित किये गए थे | इस सफलता के साथ, हमने अगला बड़ा कदम लेने का निर्णय लिया, ऐसी सचमुच की कार का निर्माण करना जो असली रास्तो पर चलायी जा सके| तो ये कैसे काम करती है? यह एक काफी जटिल प्रणाली है, लेकिन मैं इसे सरलता से समझाने का प्रयास करता हूँ इसके 3 चरण है ये है अनुभूति, संगणना दृश्य के अलावा दुसरे संकेत देना सीधी सी बात है चालक देख नहीं सकता तो इस प्रणाली को परिवेश को देखना होगा और सूचनाओ को चालक के लिए इकठ्ठा करना होगा| यह करने के लिए हम एक मापक यंत्र का उपयोग करते है| यह त्वरण एवं कोणीय त्वरण को मापता है एक इन्सान के कान, अंदुरनी कान की तरह हम यह सुचना GPS यंत्र के साथ मिलाते है कार की स्थिति का अंदाज़ा लगाने के लिए| रास्ते का पता लगाने के लिए हम दो कैमेरो का भी उपयोग करते है| और हम 3 लेजर दूरीमापक का भी उपयोग करते है| लेजर परिवेश में उपस्थित अवरोधों को खोजता है जैसे आगे या पीछे से आरही कार और कोई भी अवरोध जो रास्ते पर चल रहा हो, वाहन के आसपास कोई और भी अवरोध| ये सारी सूचनाये एक कंप्यूटर(computer) को भेजी जाती है यह कंप्यूटर दो काम करता है पहला सबसे पहले सूचनाओ के अनुसार परिवेश को समझना जैसे रास्ते की जानकारी या कोई अवरोध और ये सुचना चालक तक पहुँचाना| यह प्रणाली इतनी बुद्धिमान है कि कार चलाने का सबसे सुरक्षित तरीका पता लगा सकती है| इस तरह हम निर्देश भी दे सकते है कि वाहन के नियंत्रकों को कैसे चलाये| लेकिन समस्या यह है कि - हम यह सुचना और निर्देश कैसे भेजे ऐसे व्यक्ति को जो देख नहीं सकता वो भी जल्द और सही सही, जिससे वो कार चला सके तो इसके लिए हमने दृश्य के अलावा दुसरे संकेत भेजने वाले अलग अलग तकनीक बनायीं| त्रि आयामी ध्वनि निकालने वाले यंत्र से लेकर कंपन करने वाला अंगरखा, क्लिक व्हील (click wheel ) ध्वनि निर्देश देने के लिए, पैरो के लिए पट्टी यहाँ तक कि ऐसे जूते जो पैरो पर दबाव डाले| लेकिन आज इनमे से 3 तकनिकीयो के बारे में बात करेंगे| पहली तकनीक का नाम ड्राइव ग्रिप (DriveGrip) है| यह दस्तानो का एक जोड़ा है, जिसमे उंगलियों के पास कंपन करने वाला हिस्सा है, जिससे आप गाड़ी के मुड़ाव, दिशा और तीर्वता के बारे में निर्देश भेज सकते है| दुसरे का नाम स्पीड स्ट्रिप (SpeedStrip) है| यह एक कुर्सी है, असल में कहे तो एक मसाज करने वाली कुर्सी है| जिसे हमने उधेड़ दिया और विभिन्न आकृतियों के कंपन करने वाले हिस्से लगाये है| हम उन्हें सक्रिय करते है गति की सुचना देने के लिए और ब्रेक एवं एक्सेलटर के लिए निर्देश देने के लिए भी| यहाँ आप देख सकते है कंप्यूटर किस तरह परिवेश को समझता है क्युकि आप कंपन नहीं देख सकते, हमने चालक के ऊपर लाल LED लगायी है, जिससे वो देख सके की क्या हो रहा है| यह इक्ठटा की गयी सुचना है, यह सुचना कंप्यूटर के द्वारा दुसरे यंत्रो को भेजी जाती है| ये यंत्र ड्राइव ग्रिप (DriveGrip) और स्पीड स्ट्रिप (SpeedStrip) बहुत कारगर है| लेकिन समस्या है कि यह निर्देशों का संकेत देने वाले यंत्र है| तो यह असली आज़ादी नहीं है, है ना? कंप्यूटर आपको बताता है कि कैसे चलाना है, दाए मुड़ना है, बाये मुड़ना है, गति बढानी है या रोकना है| हम इसे छद्म चालक की समस्या कहते है| इसलिए हम निर्देशों का संकेत देने वाले यंत्र का उपयोग छोड़ रहे है, और अपना ध्यान केन्द्रित कर रहे है सुचना देने वाले यंत्र पर, एक ऐसे बिना दृश्य के सुचना देने वाले अच्छे यंत्र का नाम एयर पिक्स(AirPix) है| इसे नेत्रहीन के लिए दृश्य दिखाने वाला पर्दा समझिये| यह एक छोटी पट्टी है, जिसमे बहुत सारे छेद है, इन छेदों से हवा बाहर निकलती है, इस तरह यह एक छवि बना सकता है| अगर आप नेत्रहीन है, तो भी इस पर अपना हाथ रख कर, आप रास्ता और रास्ते के अवरोध देख सकते है| आप बाहर निकलने वाली हवा की आवृति और इसका तापमान भी बदल सकते है| असल में यह एक बहु आयामी संकेतक है| आप यहाँ वाहन में लगे बाये और दये कैमरे को देख सकते है और ये भी देख सकते है कि कैसे कंप्यूटर सूचनाओ को समझ कर AirPix को भेजता है| इसके लिए, हम आपको Simulator दिखा रहे है, एक नेत्रहीन AirPix का उपयोग करके गाड़ी चला रहा है| यह Simulator नेत्रहीन चालको के प्रशिक्षण के लिए भी बहुत उपयोगी है और विभिन्न प्रकार के बिना दृश्य वाले संकेतक के शीघ्र परिक्षण के लिए भी बहुत उपयोगी है| तो यह इस तरह काम करता है| सिर्फ एक महीने पहले 29 जनवरी को, हमने इस वाहन को पहली बार लोगो के सामने प्रस्तुत किया विश्व प्रसिद्ध डेटोना इंटरनेशनल स्पीडवे(Daytona International Speedway) में रोलेक्स 24 रेसिंग(Rolex 24 racing) प्रतियोगिता के दौरान| वहाँ कुछ अप्रत्याशित भी हुआ| चलिए देखते है| (संगीत) (वीडिओ) उदघोषक: आज एक एतिहासिक दिन है [अस्पस्ट] साथियों, वो मुख्य मंच के तरफ आरहे है| (उत्साहवर्धन) (होर्न की आवाज़) वहाँ मुख्य मंच है| और वो [अस्पस्ट] उनके सामने चाल रही वैन का पीछा कर रहे है| यह उनका पहला अवरोध है| देखते है, क्या मार्क(Mark) इससे बच पाएंगे| उन्होंने कर दिया, दाए तरफ से टाल दिया| तीसरा अवरोध पर कर लिया| चौथा अवरोध पार कर लिया| वो दो अवरोधों के बीच से आसानी से निकल रहे है | वो वैन के पास आ रहे है उससे आगे निकलने के लिए| चतुराई और साहस के जोशीले प्रदर्शन से यह सब हो सकता है | वो इस दौड़ के अंतिम पड़ाव के तरफ आ रहे है, वो वंहा रखे पीपों के बीच से निकल कर आ रहे है| (होर्न की आवाज़) (अभिवादन) डेनिस होंग: मैं आपके लिए बहुत खुश हु मार्क मुझे होटल तक वापस ले जाने वाले है| मार्क रिकोबोनो: हाँ (अभिवादन) डेनिस होंग:जब से हमने यह परियोजना शुरू की है, हमे दुनिया के हर कोने से बहुत सारे फोन, चिठ्ठिया और इ-मेल मिल रहे है| कृतज्ञता प्रगट करने के लिए, लेकिन कभी कभी कुछ हास्यास्पद ख़त भी आते है जैसे "अब मुझे समझ में आया रास्ते पर जो ATM है उसमे ब्रेल लिपि क्यों है" (हंसी) लेकिन कभी कभी (हंसी) लेकिन कभी कभी मुझे -- मैं उन्हें घृणा वाले मेल नहीं कहूँगा -- यह बड़ी चिंता वाले ख़त होते है : डॉ होन्ग क्या आप पागल होगये है, नेत्रहीन व्यक्तियों को रास्ते पर जाने दे रहे है? शायद आपका दिमाग ख़राब हो गया है" लेकिन यह वाहन केवल एक प्रतिरूप है, और असली रास्तो पर नहीं चलेंगे जबतक इन्हें सुरक्षित, आज के वाहनों से ज्यादा सुरक्षित साबित नहीं कर देते| और मुझे पूरा विश्वास है कि यह संभव है| लेकिन फ़िर भी क्या समाज, ऐसे उग्र सुधारवादी विचारो को स्वीकार करेगा? हम बीमा संबंधी विषयों को कैसे संभालेंगे ? हम ड्राईवर लाइसेंस(driver's license) कैसे जारी करेंगे? तकनिकी चुनौतियों के अलावा भी ऐसी बहुत सारी बाधाये है जिनके बारे हमे सोचना है इससे पहले कि यह परियोजना सफल हो| हमारा मुख्य उद्देश्य नेत्रहीन व्यक्ति के लिए कार बनाना था | लेकिन इससे कही ज्यादा महत्वपूर्ण है नयी तकनीक की अन्य अत्यधिक उपयोगिता जो इस परियोजना से मिल सकती है | उपयोग में लाये गए सेंसर(Sensor) अँधेरे, कोहरे और बारिश में भी देख सकते है| इन नए तरीके के संकेतको के साथ, हम इस तकनीक का उपयोग कर सकते है और सामान्य व्यक्तियों के लिए ज्यादा सुरक्षित कार बना सकते हैं | और नेत्रहीनो के लिए, रोजमर्रा के घरेलु उपकरण शैक्षणिक या दफ्तर में उपयोग के लिए | ज़रा सोचिये, किसी कक्षा में शिक्षक ब्लेक बोर्ड में कुछ लिखते है और नेत्रहीन छात्र वो देख सकता है एवं पढ़ सकता है ऐसे बिना दृश्य वाले संकेतको का उपयोग करके| यह अमूल्य है | तो आज जो चीज़े मैंने आपको दिखाई वो मात्र एक शुरुवात है आप सभी का बहुत धन्यवाद्| (अभिवादन) मैं जेस्सी हूँ और यह मेरा सूटकेस है| पर इससे पहले मैं आपको बताऊ कि इसके अंदर क्या है, मैं आपके सामने एक बात स्वीकार करुँगी, और वो है, कि मैं पोशाकों के लिए पागल हूँ | उन्हें खोजना, पहनना और आजकल, फोटो(photo) लेना और लिखना हर मौके के लिए एक अलग रंगीन पोशाक पहनना मुझे अच्छा लगता है| लेकिन मैं कुछ भी नया नहीं खरीदती| मैंने अपने सारे पुराने कपड़े सस्ती और पुरानी चीजों के दुकान से लेती हूँ | ओह धन्यवाद | पुरानी चीजों कि खरीददारी मुझे अवसर देती है कि पर्यावरण और मेरे बटुवे पर कपड़ो का प्रभाव कम हो सके | मुझे बहुत से अच्छे लोगों से मिलने का मौका मिलता है; मेरे पैसे अच्छे कामो में खर्च होते हैं ; मैं बहुत ही अलग दिखती हूँ और यह मेरी खरीददारी को एक खजाने की खोज बना देती है| मतलब की जैसे मुझे आज क्या पसंद आएगा? क्या यह मेरे नाप का होगा? क्या मुझे रंग पसंद आएगा? क्या यह 20 डालर से कम का होगा? और अगर सभी जवाब हाँ है, तो मुझे जीत का अहसास होता है| मैं अब अपने सूटकेस के बारे बात करुँगी और बताना चाहूंगी कि इसमें क्या रखा है TED में इस रोमांचक हफ्ते के लिए| ऐसे पोशाको के साथ कोई अपने साथ क्या लेकर आ सकता है? मैं आपको दिखाने वाली हूँ कि आखिर में मैं क्या ले कर आयी हूँ मैं अंत: वस्त्र के 7 जोड़े लाये है और बस इतना ही | सिर्फ एक हफ्ते के लिए अंत:वस्त्र ही है मेरे सूटकेस में | मैंने अनुमान लगाया था कि जो कुछ भी मुझे पहनने का मन होगा पाम स्प्रिंग (Palm Springs) आने के बाद मुझे मिल सकता है| और आपने मुझे TED में ऐसी महिला के रूप में नहीं देखा जो अंत:वस्त्रो में घूम रही हो -- (हंसी) इसका अर्थ है कि मैंने कुछ चीजे खोज ली| और मैं अब आपको इस पुरे हफ्ते की पोशाके अभी दिखाना चाहूंगी क्या यह ठीक है? (अभिवादन) ये दिखाते हुए, मैं आपको जीवन से जुड़े कुछ उपदेश भी बताउंगी यकीन करिए या नहीं, ये मैंने सीखे हैं कुछ भी नया ना पहनने के रोमांचक अनुभव से| तो चलिए रविवार से शुरू करते हैं | मैं इसे शाइनी टाइगर(Shiny Tiger) कहती हु| अच्छा दिखने के लिए आपको ज्यादा खर्च करने की जरुरत नहीं है| 50 डालर से कम में भी आप हमेशा बहुत उम्दा दिख सकते हैं | यह पुरी पोशाक, जैकेट के सांथ मुझे 55 डालर में मिली, और यह सबसे महंगी चीज थी जो मैंने पुरे हफ्ते पहनी सोमवार: रंग प्रभावशाली है| शारारिक दृष्टी से लगभग असंभव है कि आप उदास हो जाए जब आपने चमकदार लाल रंग के कपडे पहने हुए हों | (हंसी) अगर आप खुश हैं , तो दुसरे खुश लोगो को अपनी तरफ आकर्षित करेंगे मंगलवार: ताल मेल बैठाने को जरुरत से ज्यादा महत्व दिया जाता है| मैं अपने पुरे जीवन भर वही रहने की कोशिश की है जैसी हूँ वैसी ही रहूँ और सांथ में ताल मेल बैठा कर भी रहूँ | आप वही रहिये जो आप हैं | अगर आपके आसपास अच्छे लोग हैं , तो वो ना सिर्फ इसे समझेंगे बल्कि इसकी सराहना भी करेंगे बुधवार: अपने भीतर के बच्चे को साथ रखिये| कभी कभी लोग मुझे कहते है कि ऐसा लगता है जैसे मैं पोशाको के साथ खेल रही हूँ , या फ़िर मैं उन्हें उनकी 7 साल की बेटी कि याद दिलाती हूँ | मैं मुस्कुरा कर कहती हु "धन्यवाद" गुरुवार: आत्मविश्वास महत्वपूर्ण है | अगर आपको लगता है किसी पोशाक में आप अच्छे दिखते है, तो आप सचमुच में अच्छे लगते है| और अगर आपको लगता है किसी पोशाक में आप अच्छे नहीं दिखते हैं , तो भी आप लगभग सही हैं | बचपन में मेरी माँ ने हर दिन मुझे यही सिखाया| लेकिन जब मैं 30 की हो गयी तब ही मुझे इसका असली अर्थ समझ में आया| मैं आपको इसे 1 सेंकेंड में आसान करके बताउंगी| अगर आप यकीन रखते है कि आप अंदर और बाहर से सुन्दर इन्सान है, तो कोई भी ऐसा रूप नहीं है जिसमे आप नहीं दिख सकते हम सभी श्रोताओ में से किसी के लिए भी कोई बहाना नहीं है| हम कुछ भी अच्छा कर सकते है जो हम करना चाहते हैं | धन्यवाद (अभिवादन) शुक्रवार:एक सार्वभौमिक सच - कुछ शब्द आपके लिए सुनहरे सितारे सभी के साथ अच्छे लगते हैं | और आखिर में, शनिवार: अपना खुद का अलग फैशन बनाना एक बेहतरीन तरीका है दुनिया को अपने बारे में बताने का वो भी बिना कोई शब्द कहे| यह बार बार मेरे लिए साबित हुआ है जब इस हफ्ते लोग मुझसे मिलने आये बस मेरे पहनावे की वजह से| और बहुत सी अच्छी वार्तालाप हुई| सीधी सी बात है इतना सब मेरे छोटे से सूटकेस में नहीं आएगा| अपने घर ब्रुकलिन जाने से पहले मैं यह सब दान में दे दूंगी क्युकि इस हफ्ते मैं सबक सिखने की कोशिश कर रही हूँ कि उन्हें खो देना ठीक है | मुझे इन चीजो से भवनात्मक रूप से जुड़ने की कोई जरुरत नहीं है क्युकि और कंही , हमेशा कोई दूसरी एक अलग, रंगीन चमकदार पोशाक मेरा इंतज़ार कर रही है, अगर मैं अपने दिल में थोडा स्नेह रख कर देखू आप सभी का बहुत धन्यवाद| (अभिवादन) धन्यवाद (अभिवादन) यह कहानी कल्पना को गंभीरता से लेने के बारे में है | 14 साल पहले, एक साधारण वस्तु से मेरा सामना हुआ, मछली पकड़ने का जाल, जो सालो से एक ही रूप उपयोग में आ रहा है | आज मैं इसका उपयोग कर रही हूँ स्थायी, तरंगित, आकर्षक, बड़ी इमारतो के आकार के दुनिया भर के शहरो में कला के नमूनों को बनाने में | मेरे इस काम को करने की संभावना बहुत कम थी | मैंने कभी भी मूर्तिकला की पढाई नहीं की, अभियांत्रिकी या शिल्प कला की भी नहीं | वास्तव में, स्कुल के बाद मैंने सात कला महाविद्यालयों के लिए आवेदन किया और सातो ने मुझे अस्वीकृत कर दिया | मैंने खुद से ही कलाकार बनने की शुरुवात कर दी, और 10 सालो तक चित्रकारी की | जब मुझे भारत के लिए फुलब्राइट(Fullbright) शिक्षावृत्ति मिली, मुझे मेरी चित्रकला की प्रदर्शनी का मौका भी मिला, मैंने अपने रंग जहाज से भेजे और महाबलीपुरम पहुँची प्रदर्शनी की आखिरी तिथि आ गयी थी -- लेकिन मेरे रंग नहीं पहुंचे थे | मुझे कुछ तो करना था | यह मछुवारो का गाँव मूर्तिकला के लिए प्रसिध्द था | तो मैंने कांस्य की ढलाई का प्रयास किया | लेकिन बड़ी मुर्तिया बनाना काफी भारी और महँगा था | मैं समुद्र के किनारे टहलने के लिए गयी, मछुवारो को रेत पर उनके जालो को टीले जैसे गठ्ठा लगाते हुए देखने के लिए | मैंने इसे हर रोज़ देखा होगा, लेकिन इस वक्त मैंने इसे अलग तरह से देखा -- मूर्तिकला के लिए एक नया दृष्टीकोण, बड़ी आकृतियां बनाने का एक तरीका भारी और ठोस सामग्री के बिना | मेरी पहली संतोषजनक आकृति इन मछुवारो के सहयोग से बनी थी | यह एक आत्मचित्र था जिसका नाम वाइड हिप्स(Wide Hips) था | (हँसी) फोटो लेने के लिए हमने उनसे खंबो पर उठाया | मैंने पाया कि उनकी मुलायम सतह हवा के हर झोंके को प्रकट कर रही थी हर पल बदलते आकृतियों से | मैं मंत्रमुग्ध हो गयी थी | मैंने शिल्प परंपराओं का अध्धयन ज़ारी रखा और शिल्पकारों के साथ कार्य करती रही , उसके बाद लिथुआनिया में फीते बनाने वालो के साथ | वो बारिकियां मुझे पसंद आयी जो इसने मेरे काम को दी | लेकिन मैं उन्हें और बड़ा बनानी चाहती थी -- एक चीज़ जिसे आप देखते हैं उससे बदल कर एक चीज़ जिसमे आप खो जाये | उन मछुवारो के साथ कम करने के लिए भारत लौट आयी, हमने लाखो और हाथ से बंधी हुई गांठो से एक जाल बनाया -- जो कि मैड्रिड(Madrid) में स्थापित है हज़ारो लोगो ने इसे देखा हैं, और उनमे से एक थे शहरो के विशेषज्ञ मैनुअल सोला-मोरालेस जो पुर्तगाल के पोर्टो शहर में नदी के किनारे को फिर से डिज़ाइन कर रहे थे | उन्होंने मुझसे उस शहर के लिए एक स्थायी कलाकृति बनाने के लिए पूछा | मुझे नहीं पता था कि क्या ऐसी कलाकृति को बना और सुरक्षित रख सकती हूँ टिकाऊ, अभियांत्रित, स्थायी -- ये सभी विरोधी हैं विशेष, नाज़ुक और अल्पकालिक के | दो सालो के लिए मैंने ऐसे रेशे की तलाश की जो पराबैंगनी किरणों, हवा से और प्रदूषण से बच सके, और साथ में उचित मात्रा में मुलायम भी रहे हवा में बहने के लिए | हमें जाल को ऊपर रखे रहने के लिए कुछ चाहिए था वो भी ट्रैफिक सर्कल के बीच में | तो इस 20 हज़ार किलो ग्राम के स्टील के छल्ले को हमने ऊपर उठाया | हमे इसे अभियांत्रित करना था सामान्य हवा में शालीनता से बहने के लिए और तूफानी हवाओ से बचने के लिए | लेकिन छिद्रित और गतिमान वस्तु के प्रतिरूप के लिए कोई अभियांत्रिकी सॉफ्टवेयर उपलब्ध नहीं थे | मैं एक वैमानिक अभियंता से मिली जो अमेरिका कप नौका प्रतियोगिता के लिए नौका डिजाईन करते हैं उनका नाम पीटर हेप्प्ल है | उन्होंने मुझे सटीक आकार और सरल गति की जुड़वाँ चुनौतियों को हल करने में सहायता की | मैंने इसे अपने तरीके से नहीं बना सकती थी, क्युंकि हाथ से बंधी हुई गाठे तूफानी हवाओ का सामना नहीं कर सकती थी | तो मैंने उद्द्योगिक जाल बनाने वाली फ्रैक्ट्री से संबंध बनाये, उनकी मशीनो के बारे सिखा, और रास्ता निकाला उनके साथ फीते बनाने का | ऐसी कोई भाषा नहीं थी जो प्राचीन और विशेष हाथ से बनी कलाकृतियो का मशीनों चलाने वालो के लिए अनुवाद कर सके | तो हमे ही एक बनानी थी | तीन साल और दो बच्चो के बाद, हमने 50,000 वर्गफीट के फीते के जाल को ऊपर उठाया | यह विश्वास करना कठिन था जिसकी मैंने कल्पना की थी वो अब स्थायी रूप से बन गया था, और इसके अनुवाद में कुछ नहीं खोया | (अभिवादन) यह चौराहा पहले नीरस और बेनाम था | अब इसकी पहचान है | मैं इसके नीचे चली थी पहली बार | जब मैं हवा के द्वारा निर्देशित नृत्य को प्रकट होते देखा, मुझे आश्रित होने का अहसास हुआ और ठीक उसी समय मैं असीम आकाश से भी जुड़ी | मेरा जीवन अब पहले की तरह नहीं रहने वाला था | मैं इन कलाकृतियों का उद्यान बनाना चाहती हूँ दुनिया भर के शहरो के आकाश पर | मैं आपके साथ दो दिशाए बाँटना चाहूंगी जो मेरे काम में नए हैं | ऐतहासिक फिलाडेल्फिया सिटी हॉल: यह एक ईमारत है, मुझे लगा कि कलाकृति के लिए सामान्य जाल से हल्की सामग्री की जरुरत थी तो हमने प्रयोग किये पानी की आयनित छोटी बूंदों के साथ सूखे धुंध को बनाने के लिए जो हवा के अनुसार आकार बदले | और परीक्षणों ने पाया कि यह उन लोगो के द्वारा भी आकार बदलते थे जो इनके संपर्क में आते थे और इनके बीच से सूखे रह कर गुजरते थे | मैं इस कलाकृति बनाने की सामग्री का उपयोग ज़मीन के ऊपर सबवे ट्रेन के रास्ते के अनुगमन करने के लिए उसी समय पर -- शहर के परिसंचार तंत्र को दिखाने वाले एक्स-रे की तरह | अगली चुनौती, अमेरिका के डेन्वर शहर के द्विवार्षिक सांस्कृतिक कार्यकम ने मुझसे पूछा कि क्या मैं पश्चिमी गोलार्द्ध के 35 राष्ट्रों और उनके आपसी संबंध को दर्शा सकती हूँ एक कलाकृति में | (हंसी) मुझे नहीं पता था कि कहाँ से शुरुवात करे, लेकिन मैंने हाँ कह दिया | मैंने हाल ही के चिली के भूकंप के बारे में पढ़ा और उस सुनामी के बारे जिसने प्रशांत महासागर में उथल पुथल मचा दी थी | इसने पृथ्वी के टेक्टोनिक प्लेट्स को सरका दिया, और हमारे ग्रह की चक्रीय गति बढ़ा दी थी और सच मुच में दिन की लंबाई कम कर दी | तो मैंने NOAA से संपर्क साधा, और मैंने उनसे सुनामी के बारे में उनके आकड़े देने के लिए पूछा, और इसमें बदल दिया | इसका नाम "1.26" है यह माइक्रोसेकण्ड की उस संख्या को दर्शाता है जिससे पृथ्वी में दिन की लंबाई कम हो गयी | मैं इसे अपने पुराने तरीके स्टील के छल्ले के साथ नहीं बना सकती थी | इसका आकार अब काफी जटिल था | तो मैंने धातु के लच्छे को बदल दिया स्टील से 15 गुना ज्यादा मजबूत रेशे के मुलायम और बढिया जाल से | कलाकृति अब पूरी तरह से मुलायम हो सकती थी, जिसने इस इतना हल्का बना दिया कि इसे इमारतों के बीच बांधा जा सके -- सच मुच में शहर का अभिन्न हिस्सा बन जाये | ऐसा कोई सोफ्टवेयर नहीं था जो इन जाल के जटिल आकारों को बना सके और गुरुत्व के अनुसार प्रतिरूप बना सके | तो हमे ही इसे बनाना पड़ा | फिर मुझे न्यू योर्क शहर से कॉल आया पूछने के लिए कि क्या मैं इन अवधारणाओ को टाइम्स स्क्वेयर या हाईलाइन के हिसाब से बदल सकती हूँ | नए मुलायम निर्माण के तरीके ने सक्षम बनाया कि प्रतिरूप बन सके और यह कलाकृति बन सके ऊँची इमारतों के आकार में | उनके पास अभी तक इसके लिए धन नहीं है, लेकिन अब मेरा सपना है कि इन्हें दुनिया भर के शहरो में लगाया जा सके जहाँ इनकी ज्यादा जरुरत हैं | 14 साल पहले, मैंने सुंदरता की तलाश की परंपरागत चीजों में, शिल्प रूपों में | अब मैंने उन्हें उच्च तकनीक और अभियांत्रिकी से जोड़ दिया है आकर्षक, तरंगित और बड़ी इमारतो के आकार के कला रूपों को बनाने में | मेरा कलात्मक क्षितिज लगातार बढ़ रहा है | इस कहानी के साथ मैं आपसे विदा लुंगी | मुझे फिनिक्स से एक दोस्त का कॉल आया | अपने कार्यालय में एक वकील जिसे कला में बिल्कुल भी रूचि नहीं थी, जो कभी स्थानीय कला संग्रहालय भी नहीं जाती थी, अपने कार्यालय से जितने लोग हो सके उन्हें बाहर खींच लायी और उन्हें उस कलाकृति के नीचे लेटने के लिए ले आयी | वो सभी अपने कार्यालयीन वस्त्रों में थे, घास में लेटे हुए, हवा के साथ बदलते आकारों को देख रहे थे उन लोगों के साथ जिन्हें वो जानते भी नहीं थे, आश्चर्य के पुनः प्राप्ति को बाँट रहे थे | धन्यवाद | (अभिवादन) धन्यवाद | धन्यवाद | धन्यवाद | धन्यवाद | धन्यवाद | (अभिवादन) बाहरी दिखावे के अनुसार, जॉन(John) के लिए सब सही हो रहा था | उसने अभी अभी अपने न्यू योर्क(New York) के घर को बेचने के लिए अनुबंध किया था वो भी 6 अंकीय लाभ पर और यह घर उसने 5 साल पहले ही लिया था | विश्वविद्यालय जहाँ से उसने स्नातकोत्तर उपाधि ली थी उसने वहाँ पढाने का प्रस्ताव दिया था, जिसका अर्थ है ना केवल वेतन, बल्कि और भी फायदे, जो पहली बार हुआ था | फ़िर भी जॉन(John) के लिए सब अच्छा होते हुए भी, वो खुद से लड़ते हुए संघर्ष कर रहा था, अपने व्यसन और जकड़ते हुए अवसाद से, 11 जून(June) 2003 की रात को, वो मेनहट्टन पुल (Manhattan Bridge) की बाहरी दीवार पर चढ़ गया और जोखिम भरे पानी की ओर छलांग लगा दी| असाधारण रूप से नहीं, चमत्कारिक रूप से वो बच गया | छलांग से उसका सीधा हाथ टूट के बिखर गया, उसकी सारी पसलियाँ टूट गयी, फेफड़ो में छेद हो गया, और बेहोशी में वो बहता गया वो ईस्ट रिवर (East River )तक बहता गया, ब्रुकलिन पुल(Brooklyn Bridge) के नीचे और स्टेटन आइलैंड फेरी (Staten Island Ferry) के रास्ते पर, जहाँ फेरी के यात्रियों ने उसका दर्द से कराहना सुन कर, फेरी के कप्तान को सुचना दी उसने कोस्ट गार्ड(Coast Guard) को सुचना दी कोस्ट गार्ड ने उसे ईस्ट रिवर से बाहर निकाला और उसे बेलव्व्यु(Bellevue)अस्पताल लेकर गए| और अब यहाँ से हमारी कहानी शुरू होती है| क्युकि जब जॉन अपने जीवन को वापस पाने के लिए प्रतिबद्ध हुआ पहले शारीरिक रूप से फ़िर भावनात्मक रूप से, और फ़िर आध्यात्मिक रूप से तब उसने पाया कि उन लोगों के लिए बहुत कम साधन उपलब्ध थे जिन्होंने आत्महत्या का प्रयास किया हो जिस तरह उसने की थी | शोध के अनुसार 20 में से 19 व्यक्ति जो आत्महत्या का प्रयास करते हैं वो विफल होते हैं | लेकिन जो लोग विफल होते है उनके दूसरे प्रयास में सफल होने की संभावना 37 गुना अधिक होती है | यह सच में संकट में फंसे लोग हैं जंहा इनकी सहायता के लिए बहुत कम साधन है | और होता यह है कि जब ये लोग फ़िर से जीवन से जुड़ने की कोशिश करते है, तब हमारे आत्महत्या से जुड़े अलगाव के कारण, हम नहीं जानते की क्या कहें , और इसिलए हम प्राय: चुप रहते हैं | और ये अकेलेपन को और भी बड़ाता है जिसमे जॉन जैसे लोग खुद को पाते है | मैं जॉन की कहानी अच्छे से जानता हूँ क्युकि मैं ही जॉन हूँ | और आज किसी भी सार्वजनिक मंच पर पहली बार मैंने स्वीकार किया है जो यात्रा जो मैंने तय की है| लेकिन 2006 में एक प्रिय शिक्षक को खोने के बाद और पिछले साल एक अच्छे दोस्त की आत्महत्या के बाद, और पिछले साल TEDActive में बैठे हुए, मुझे पता था कि मुझे अपनी चुप्पी तोड़नी होगी और अपने अलगाव को पीछे छोड़ना होगा एक बाँटने योग्य विचार के बारे में बात करने के लिए और ये वो विचार है जिन्होंने कठिन चुनाव किया है जीवन में वापस आने का उन्हें साधन और हमारी सहायता की जरुरत है| जैसा ट्रेवर(Trevor)परियोजना का कहना है,ये बेहतर हो जाता है| ये और भी बेहतर हो जाता है| और मैंने आज एक अलग तरह के एकांत से बाहर आने का फैसला किया है आप लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए, आप से आग्रह करने के लिए कि अगर आप कोई ऐसे व्यक्ति हैं जिसने आत्महत्या का विचार या प्रयास किया है, या आप ऐसे किसी व्यक्ति को जानते है, तो इसके बारे में बात कीजिये, सहायता लीजिये| यह एक अमूल्य वार्तालाप है और एक बाँटने योग्य विचार है | धन्यवाद् (अभिवादन) हम आपको एक अदभुत यात्रा पर ले चलते हैं। उन जीवों से मिलवाते हैं जिन्हें हम पूर्वज कहते हैं। हम उन्हें पूर्वज का संबोधन इसलिये करते हैं कि १५० लाख वर्ष पहले उन्होंने वायु की आक्सीजन तीन गुना बढ़ा दी थी। जिससे जीवन का विकास प्रारम्भ हुआ। जिससे हम सब बने। उन्हें हम पूर्वज कहते हैं शायद आप उन्हें प्लावकों के नाम से जानतेहैं (हंसी) अब सिमोनी एक भौतिक शास्त्री है और मैं एक अविष्कारक। कुछ वर्ष पहले, मैं मेरे अविष्कार के बारे में व्याख्यान दे रहा था त्री डी माइक्रोस्कोप के और सिमोनी श्रोताओं में था। उसे लगा कि मेरा ये माइक्रोस्कोप उसकी एक बड़ी समस्या हल कर सकता है। जो प्लावकों की तीव्र गतियों का मापन कैसे करें ? के बारे में था। इसके लिये उसने गणितीय विधियोँ से उनकी संवेदनशीलता और व्यव्हार का अध्ययन किया मुझे अपने माइक्रोस्कोप की उपयोगिता सिद्ध करने के लिये इसकी आवश्यकता थी (हंसी) ये जैसे चॉकलेट में मूंगफली मिलाने जैसा था। (हंसी) इसलिये हम साथ काम करने लगे, इन अदभुत जीवों का अध्ययन करने लगे। और हमें लगा कि कुछ नया हम खोजने वाले हैं। और इसी कारण हम आज यहाँ पर हैं। और मैं आपके साथ कुछ करना चाहता हूं। अब, कृपया केवल १ सेकेंड के लिए अपनी सांस रोक लीजिये। जी हाँ , सांस रोक कर रखिये ये प्लावक रहित संसार है। प्लावक सूर्य की सहायता से हमारेलिए दो तिहाई आक्सीजन उत्पन्न करते हैं ठीक है ,अब आप सांस ले सकते हैं, क्योंकि अब तक वो यहीं हैं ठीक है। सिमोनी बिआन्को : आप में से अधिकांश लोग जानते हैं , वर्ष १९५० से , पृथ्वी की सतह का औसत तापक्रम एक डिग्री सेन्टीग्रेड बढ़ गया है। समस्त कार्बन डाई आक्साइड की वजह से जो हम हवा में उत्सर्जित करते हैं अब हो सकता है कि ये तापक्रम में वृद्धि हमें महत्वपूर्ण ना लगे। लेकिन ये प्लावकों के लिये है। अप्रत्यक्ष मापनों से ये ज्ञात हुआ है कि वैश्विक प्लावको की संख्या वर्ष १९५० और २०१० के बीच लगभग ४० प्रतिशत घट गयी है। कारण है जलवायु परिवर्तन। और आप देखिये, ये एक समस्या भी है क्योंकि उन्हें खाने वाली मछलियो को भूखे रहना पडता है। और लगभग दुनिया के 1अरब लोग मछलियों पर निर्भर हैं मुख्यतया प्रोटीन के लिये जो जंतुओं से आता है। इसलिये आप देखिये ये केवल साँस लेने की बात नहीं है प्लावको का अभाव मतलब मछलियों का अभाव। फिर हमें बहुत सारे वैकल्पिक भोजन की जरूरत होगी। कुछ और है जो बहुत अधिक रोचक है। आज हम जो कार्बन जलाते हैं वह ज्यादातर हमारे प्लावकों पूर्वजों के शरीर में से आता है। ये एक विडम्बना ही है, अगर आप मुझसे पूछेंगे। क्योंकि आज हवा में उपस्थित प्लावक वायु के कार्बन का निस्तारण करते हैं। आप देखिये उन्हें इसका मलाल भी नहीं हैं (हंसी ) समस्या ये है कि वो अब और नहीं कर पा रहे हैं। बहुत अधिक मात्रा में कार्बन वायुमंडल में उत्सर्जित करते जा रहे हैं। इस सब का क्या मतलब है ? इसका मतलब है ये हमारे कार्बन के पदचिन्ह हैं जो उन जीवों को नष्ट कर रहा है जो हमें जीवन देते हैं। ये सच है जैसा टॉम ने कहा। आधे जीवों को हम नष्ट कर रहे हैं जो हमें सांस लेने के लिये वायु देते हैं। ये बहुत महत्वपूर्ण बात है। शायद आपके मन में ये प्रश्न हो : इसके बारे में हम कुछ कर क्यों नहीं रहे ? हमारा मत है कि प्लावक सूछमजीवी हैं। और वास्तव में इसका देखभाल करना मुश्किल है जिन्हें आप देख नहीं सकते एक उद्धरण है , ये मुझे पसंद है "नन्हा राजकुमार " जो इस तरह है, "जो आवश्यक है वो आँख के लिये अदृश्य है।" हमें पूर्ण विश्वास है कि और अधिक लोग जुड़ें सीलिया युक्त प्लावकों की रक्षा के लिए, बहुत संभव है कि हम सब साथ प्रदर्शन कर सकें और इन जीवों की रक्षा करें जो पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। टी जि : बिल्कुल सही , सीमोनी। इसलिए ये करने के लिये , हम आपके लिए लगाने जा रहे हैं प्लावकों के साथ स्कूबा डुबकी। लेकिन मैं चाहूंगा कि आप सिकुड़ जायें लगभग १००० गुना, उस अनुपात में जहां पर मनुष्य के एक बाल मेरे हाथ जितना बडा हो। और मैंने ऐसा ही एक यन्त्र खोजा है जो ये कर सकता है।\ स बि : यहाँ किसी को याद है "अदभुत यात्रा " या "आंतरिक अनुभुति ?" हाँ , हाँ , मार्टिन शार्ट मेरे हमेशा से पसंदीदा अभिनेता रहे है और अब ये-- ये ठीक इस तरह से। टी जेड : बिल्कुल सही। जब मैं छोटा था , मैंने देखी थी "अदभुत यात्रा, " और मुझे ये पसंद था कि मैं रक्त प्रवाह के साथ कैसे यात्रा करूं और देखूं कि जैविकी कोशिकाओं के स्तर पर कैसे काम करती है। मुझे हमेशा प्रेरणा मिली है विज्ञान कथाओं से। एक अविष्कारक के रूप में, मैं कोशिश करता हूं कल्पनाओं को वास्तविकता में बदलने की। और एक बार मैंने ये दस्ताने खोजे जिसने मुझे यात्रा करने और मदद करने का अवसर दिया आपके समान उन लोगों की जो आभासी संसार का अविष्कार कर रहे। इसलिये अब मैंने इस मशीन का अविष्कार किया उस अदृश्य संसार का अन्वेषण करने के लिये। ये आभासी नहीं है , ये वास्तविक है। एकदम वास्तविक , वास्तव में सूछ्म। ये उस सूछ्मदर्शी से प्राप्त की गयी है जिसने सीमोनी का ध्यान आकर्षित किया था। तो, ये देखिये ये कैसे काम करता है। इसमें एक आकृति संवेदक लगा है जैसा आपके सेलफोन में लेंस पीछे लगा है। और अब मैं एक छोटी ट्रे लेता हूं प्लावकों के जल वाली जैसे इसे आप नदी से ले सकते हैं या मेरी मछली के टैंक से जिसका पानी मैं कभी नहीं बदलता। (हंसी ) क्योंकि मैं प्लावकों से प्यार करता हूं। (हंसी) और नीचे इसमें एक एलईडी लाइट है जो प्लावकों की छाया सेंसर पर बनायेगी। और ये चमकदार चीज एक एक्स वाई प्लॉटर है। में आकृति संवेदक की सहायता से प्लावकों का पीछा कर सकता हूं जहाँ वो तैर कर जाते हैं। अब कल्पना का भाग आता है। (हंसी) मैं हेलमेट पर लगे सेंसर को थोड़ा घुमाता हूं मैं नियंत्रित कर सकता हूं सूछ्मदर्शी को सिर को घुमा कर। आइये ये वीडियो देखते है जो इस आकृति संवेदक से मिला है। ये सभी प्लावक हैं। ये एक छोटी ट्रे में हैं। और मैं अपने सिर की सहायता से सूछ्मदर्शी को दूसरे स्थान पर ले जा सकता हूं। तो अब हम तैयार हैं प्लावकों के साथ स्कूबा गोताखोरी के लिये। मेरा सिर इसका पथप्रदर्शन करेगा। और सीमोनी यात्रा के गाइड होंगे। स बि : ठीक है। (हंसी) आइये पानी की एक बूँद में विद्यमान जीवों के इस अदभुत संसार मे आपका स्वागत है। वास्तव में , जैसा आप देख सकते हैं , इस यंत्र की सहायता से हम केवल पानी की एक बूँद तक ही सीमित नहीं हैं। ठीक है, चलिए कुछ ढूंढ़ते हैं। सूछमजीवी आप देखिये स्क्रीन के बीचोंबीच दिखाई दे रहे हैं, ये रोटिफेरस हैं। ये हमारे जल में अपशिष्ट के संग्राहक हैं। जो कार्बनिक पदार्थों का विघटन करते हैं। और वातावरण में पुनः लौटा देते हैं। अब आप जान चुके हैं कि प्रकृतिमें पुनःचक्रित करने की अदभुत क्षमता है। संरचनाएं निरन्तर निर्मित होती हैं, विघटित और पुनःचक्रित होती रहती हैं। ये सब सम्पोषित होता है सौर ऊर्जा से। लेकिन जरा सोचिये। सोचिये क्या होगा यदि, हमारे अपशिष्ट संग्राहक लुप्त हो जायें। कुछ और ? आइये कुछ और देखते हैं। अरे , अब इसे देखिये ! आपको बड़ी सी आइसक्रीम के कोन के समान आकृति दिख रही है ? ये स्टेनटर हैं , ये अदभुत जीव हैं। आप जानते हैं ये बड़े हैं लेकिन एक कोशकीय हैं। आपको स्मरण है अभी हमने रोटिफेरस देखे थे ? जो लगभग आधे मिलीमीटर है , ये लगभग १००० कोशिकायें हैं -- इनमें से १५ मस्तिस्क १५ आमाशय के लिये हैं और आप जानते हैं, यही बात इनके जनन के बारे में, ये अच्छा मिला जुला रूप है अगर आप मुझसे पूंछे। (हंसी) लेकिन। ...देखिये ? टी जेड : मैं सहमत हूं। स.बि : लेकिन केवल स्टेनटर एक कोशकीय है। और ये वातावरण की अनुभूति कर वातावरण से प्रतिक्रिया प्रदर्शित कर सकता है। आप देखिये , ये खुश होने पर आगे की ओर तैरने लगता है। ये पीछे जाने लगता है जब ये किसी चीज से दूर जाना चाहता है। जैसे , आप समझिये एक विषैले रसायनसे। बीचोबीच में अपने दोस्तों के साथ कोशिकाओं के निर्माण के लिए और राष्ट्रीय विज्ञान प्रतिष्ठान की मदद करते हुये। हम स्टेनटर का उपयोग भोजन और जल में संक्रमण का परिक्षण करने के लिए करते हैं , मैं सोचता हूं ये वाकई अदभुत है। बहुत अच्छा , अब अंतिम। आप ये बिन्दु देखिये वहां पर वो देखिये, कह सकते हैं, सब चीजों के पीछे। ये शैवाल हैं। ये वो जीव हैं जो देते हैं वायु में अधिकांश आक्सीजन। ये सौर ऊर्जा को बदल देते हैं कार्बोनडाईऑक्साइड में आक्सीजन में जो भरी है इस समय आपके फेफड़ों में। आप देखिये , हमें साँस शैवालों से मिली हैँ। टी जेड : (साँस बहार निकलते हैं) एस बि : ये बात (हंसी) आप देखिये , इसमें कुछ रोचक है। लगभग एक खरब वर्ष पहले , प्राचीन वनस्पतियों में प्रकाशसंश्लेषण की क्षमता विकसित हुई सूछ्म प्लावक समाहन से कोशिकाओं में जा पहुंचते हैं। ये अपनी छत पर सोलर पैनेल लगाने जैसा है। तो आप देखिये, कि सूछ्मता का ये संसार विज्ञान कथा से भी अधिक रोमांचक है। टी जेड : ओह , निश्चित रूप से। आपने देखा कि प्लावक हमारे जीवन के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। और हमें उनकी कितनी अधिक आवश्यकता है। अगर हम प्लावकों को मार देंगे, तो हम भी नहीं रहेंगे आक्सीजन की कमी , भुखमरी के कारण , ऐसा ही है, मुझे मालूम है ये दुखद है, हाँ है। (हंसी) प्लावकों के इस खेल में या आप जीतेंगे या मरेंगे। (हंसी) अब, जो अचंभित कर रहा है, हम ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जान चुके हैं। सौ वर्षो से अधिक समय से। जब से स्वीडिश वैज्ञानिक अररहिनियस , ने गणना की है जीवाश्म ईंधन के जलने का प्रभाव पृथ्वी के तापक्रम पर। हम इसके बारे में बहुत समय से जानते हैं लेकिन अभी भी निर्णय लेने में देर नहीं हुई है। हाँ ,हाँ , मुझे ज्ञात है, मुझे ज्ञात है, हमारी दुनिया जीवाश्म ईंधन से चल रही है, लेकिन हम अपने समाज को अनुकूलित कर सकते हैं सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा के पुनर्चक्रण के लिए। स्वनियंत्रित विधियों के सृजन से सुरक्षित भविष्य निर्मित करने के लिये। ये इन नन्हें जीवों प्लावकों के लिये अच्छा है। और हमारे लिये भी अच्छा है - क्योंकि तीन प्रमुख समस्याएं हैं पूरे विश्व लोगों की विशेषरूप से हैं काम , हिंसा और स्वास्थ्य। काम से अभिप्राय है भोजन और निवास। इन जीवों को देखिये , ये सब तरफ तैर रहे हैं , ये स्थान ढूंढ रहे हैं, भोजन और प्रजनन केलिये। यदि एक कोशिका ऐसा कर पाने में सक्षम हो जाती है तो इसमें आश्चर्य नहीं कि ३० खरब कोशिकाओं का भी यही लक्ष्य हो। हिंसा। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता एक देश के लिये घातक हो सकती है। यही विवाद का कारण है हमारे तेलीय संसाधन दूसरी ओर सौर ऊर्जा , पूरी पृथ्वी पर वितरित है , और कोई सूर्य को रोक भी नहीं सकता , (हंसी) और अंत में, स्वास्थ्य। जीवाश्म ईंधन तो वैश्विक सिगरेट की तरह है। और मेरे विचार से, जैसे कोयला एक अपरिष्कृत ईंधन है। अब,ये सिगरेट पीने के सामान ही है, इसे बंद करने का सबसे अच्छा समय क्या हो सकता है ? दर्शक : अभी। टी जेड : अभी ! फेफड़े का कैंसर होने के बाद नहीं अब मैं ये जान चुका हूं, अगर आप चारों तरफ कुछ लोग तथ्यों और कारणों पर ध्यान नहीं देते। जब तक वो ग्रसित न हो जाएं। (हंसी) हाँ , वो तथ्यों और कारणों पर ध्यान नहीं देते। लेकिन ग्रसित होने पर स्वतः , बदलने के लिये बाध्य हो जाते है। लेकिन इसकी बजाय हमें उपयोग करना चाहिए , अपना नियोकार्टेक्स , नया मस्तिस्क , अपने पूर्वजों को बचाने , कुछ प्राचीनतम पृथ्वी के जीव। और हमें विज्ञान की सहायता से, ऊर्जा को संरक्षित करना चाहिये। जो पूर्वजों को ऊर्जा प्रदान कर रहा हैं लाखों वर्षों से -- हमारा सूर्य। धन्यवाद। (तालियां ).. वे दो जगह जहाँ मुझे सबसे ज़्यादा आज़ाद महसूस होता है वे असल में जगह नही हैं वे लम्हें हैं पहला नृत्य में हैं गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ बढ़ने और अपने नीचे हवा को महसूस करने के बीच में कहीं होता है अपने शरीर से प्यार करना मैं नाच रहा हूँ और हवा मुझे ले जा रही है जैसे मैं कभी नीचे नहीं आ सकता। वह दूसरी जगह जहाँ मुझे आज़ाद लगता है वह है फुटबॉल के पिच पर गोल स्कोर करने के बाद मेरे शरीर रसायन भर जाता है जो एपिपेन में डालते हैं, मृत को फिर से जीवित करने के लिए, और मैं भारहीन हो जाता हूँ, बेरंग यह है मेरी कहानी: मैं एक समकालीन कला केंद्र में क्यूरेटर हूँ पर असल में मेरा उस कला में विश्वास ही नही है जिससे खून, पसीना या आँसू नही बहते मैं फर्ज़ करता हूँ कि मेरे बच्चे ऐसे ज़माने में जीएँगे जहाँ ताज़ा पानी और हमदर्दी सबसे कीमती चीज़े होंगी मुझे सुंदर नृत्य और भव्य मूर्तिकला पसंद है, उतना ही जितना हर किसी को पसंद है, पर मुझे उसके साथ कुछ और चाहिए | मुझे सौंदर्य की उत्कृष्टता से मोहित करो और मुझे कोई अभ्यास या उपकरण दो जिससे उस प्रेरणा को समझ और कार्य में बदला जा सकता है जैसे मैं एक थिएटर का निर्माता हूंँ, पर मुझे खेल-कूद बहुत पसंद है जब मैं अपनी नई रचना, पीलोटा, पर काम कर रहा था, मैंने बहुत सोचा कि अमेरिका के नए संदर्भ में, फुटबॉल कैसे मेरे अपने आप्रवासी परिवार के लिए निरंतरता, सामान्यता और एक समुदाय की भावना पैदा करने का माध्यं था इस स्थिति में जहाँ लोग विदेशियों से घृणा करते थे व आप्रवासी होने की पहचान पर हमला हो रहा था, मैं यह सोचना चाहता था कि कैसे यह खेल एक सकारात्मक साधन बन सकता है, पहली पीढ़ी के अमेरिकी व परदेशवासी बच्चों के लिए, उन्हें यह एहसास दिलाने के लिए कि फ़ील्ड पर हो रहे चाल-चलन भी सामाजिक व राजनीतिक सीमाओं पर हो रहे यात्रियों के चाल-चलन जैसे ही हैं चाहे फ़ुटबॉल खिलाड़ी हो या न हो अमेरिका में आप्रवासी जिस ज़मीन पर खेलते हैं वह खतरे से भरी ही होती है | मैं बच्चों को यह ही समझाना चाहता था कि जिस ताकत के बल पर वे अगले गोल की योजना बनाते हैं उस ही से वे अगले ब्लाॅक तक का रास्ता भी ढूँढ सकते हैं | मेरी नज़र में, आज़ादी जिस्म में होती है | हम इसके बारे में संक्षेप में और विभाजित होकर भी बात करते हैं, जैसे "हमारे स्वतंत्रता की रक्षा करो", "यह दीवार बनाओ", "हमारी आज़ादी के कारण वे हमसे नफरत करते हैं" हमारे पास यह सारे सिस्टम्स हैं, जो खूबसूरती से डिज़ाइन किए गए हैं हमें क़ैद करने या देश से निकालने के लिए, पर आज़ादी को कैसे डिज़ाइन किया जा सकता है? इन बच्चों के लिए,मैं इस सोच को उनके अंदर बसी किसी ऐसे चीज़ से जोड़ना चाहता था जो उनसे कोई छीन नही सकता, तो मैंने एक ऐसा पाठ्यक्रम बनाया, जिसका एक भाग है राजनीति-विज्ञान की कक्षा व दूसरा हिस्सा है फुटबॉल की प्रतियोगिता एक कला उत्सव के तहत | यह पीलोटा के पूछताछ के क्षेत्र का उपयोग करता है, युवकों के लिए खेलों पर आधारित एक राजनीतिक कार्य-योजना बनाने के लिए इस परियोजना का नाम है "मूविंग आॅन्ड पासिंग" | यह पाठ्यक्रम के विकास, स्थिति-विशिष्ट व्यवहार, व खुशियों की राजनीति को संघटित करती है, फुटबॉल को रूपक के तौर पर उपयोग करते हुए, आप्रवासी युवकों के बीच हो रही छेड़छाड़ के तत्काल प्रश्न के लिए | कल्पना कीजिए कि आप होंडुरास से आए एक 15 साल के बच्चे हो हो और अब आप हार्लेम में रह रहे है, या फिर आप वाशिंगटन डीसी में पैदा हुई दो नाइजीरियाई आप्रवासियों की 13 साल की बच्ची हो |आपको यह खेल पसंद है | आप अपने लोगों के साथ मैदान में है | आप बस कुछ 15 मिनिट से शंकुओं में से ड्रिबल करने का अभ्यास कर रहे है, और तब ही, एक बैंड मुँह उठाए मैदान में चला आता है मैं इस खेल की खुशी को संस्कृति के उत्साह के साथ जोड़ना चाहता हूँ, इस खेल के खुशी के स्थान को उस ही भौतिक स्थान पर पाने के लिए, जहाँ हम कला के कारण राजनीतिक रूप से अवगत होते है, आज़ादी के लिए घास पर बिछाई हुई रंगभूमि | हम एक हफ़्ता बिताते हैं यह समझने में कि मिडफील्डर ब्लैक लाइव्स मैटर की व्याख्या कैसे करेगा, या फिर गोलकीपर बंदूक के नियंत्रण की व्याख्या कैसे करेगा, या फ़िर एक डिफेंडर का अंदाज़ अमेरिकी असाधारणता की सीमाओं को कितने उप्युक्त प्रकार से दर्शाता है जैसे हम मैदान में पदों की जाँच करते हैं, हम अपनी स्वतंत्रताओं को नाम भी देते हैं और उनकी कल्पना भी करते हैं | पता नहीं, यार, फ़ुटबॉल इस दुनिया में वह इकलौती चीज़ है जो हम सब एक साथ करने के लिए तैयार हो सकते हैं जानते हो आप? यह जैसे इस घूमते हुए गोले का आधिकारिक खेल है | मैं ऐसी स्थिति में होना चाहता हूँ कि मैं इस खेल की खुशी को उस हमेशा चलने वाले फुटबॉलर के साथ जोड़ सकू, उस चलते फुटबॉलर को उन आप्रवासियों के साथ जोड़ सकू जो भी बेहतर जगह की तलाश में चले थे | इन बच्चों के बीच, मैं उनके परिवार के इतिहास को गोल करनेवाले के आनंद के साथ जोड़ना चाहता हूँ, एक परिवार, जैसे वह एहसास जब गेंद गोलकीपर को पार कर जाता है, आज़ादी के सबसे करीब जानेवाली चीज़ | शुक्रिया ( तालियाँ ) मैं बच्चो के लिए कहानियाँ लिखता हूँ , और शायद मैं अमेरिका का सबसे ज्यादा पढ़े जाना वाला बच्चो का लेखक हूँ, सच में और मैं हमेशा लोगो से कहता हूँ कि मैं किसी वैज्ञानिक की तरह नहीं दिखना चाहता| आप मुझे किसान के रूप में देख सकते है या इस चमड़े की पोशाक में, और अभी तक किसी ने किसान के रूप को नहीं चुना| आज मैं आपसे चक्र और आत्मबोध के बारे में बाते करूँगा| और आप जानते हैं , आत्मबोध एक ऐसी चीज़ है जो शायद आप कही खो देते हैं | आपको इसे आस पास ही खोजना होता है इसे आत्मबोध की तरह देखने के लिए| यह एक चक्र की तस्वीर है| जिसे मेरे एक मित्र रिचर्ड बोलिंगब्रोक(Richard Bollingbroke) ने बनायीं है| यह एक तरह का जटिल चक्र है जिसके बारे में मैं आपको बताने वाला हूँ | यह चक्र 60 के दशक में शुरू हुआ था ओहियो(Ohio) में स्टोव(Stow) के हाई स्कुल में जहाँ मैं अपनी क्लास में सबसे अलग था | हर हफ्ते लडको के प्रसाधन कक्ष में मुझे बुरी तरह पिटा जाता था, जब तक मुझे एक शिक्षिका ने नहीं बचाया | उन्होंने मुझे शिक्षिको के प्रसाधन कक्ष में जाने दिया और मेरी जान बचायी | उन्होंने ये बात गुप्त रखी, उन्होंने ये 3 साल तक किया, और मुझे शहर से बाहर जाना पड़ा | मेरे पास एक अंगूठा और 85 डालर थे, और मैं सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया आ गया अपनी प्रेमिका से मिला और 80 के दशक में मैंने जरुर समझा कि AIDS संस्थाओ पर काम शुरू करू | लगभग 3-4 साल पहले, मुझे आधी रात को एक फ़ोन(phone) आया उसी शिक्षिका का, श्रीमती पोस्टन(Mrs. Posten) उन्होंने कहा "मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ " मैं दुखी हूँ कि तुम्हारे बड़े होने के बाद हम कभी मिले ही नहीं | क्या तुम ओहियो(Ohio) आ सकते हो, और उस आदमी को भी लेकर आना मैं जानती हु जिसे अब तुमने खोज लिया होगा | और मैं तुम्हे बताना चाहूंगी कि मुझे केंसर(cancer) है, क्या तुम जल्द यहाँ आ सकते हो" तो हम अगले ही दिन क्लीवलैंड(Cleveland) चले गए हम उनसे मिले, साथ में हँसे, साथ में रोये, हमे पता था उन्हें अस्पताल में होना चाहिए था| हम उन्हें एक अस्पताल में लेकर गए, उनकी देख रेख की और उनके परिवार का भी ख्याल रखा, क्युकि ये जरुरी था, और हमे पता था कि ये कैसे करना है | और वो मुझे बड़े होने के बाद मुझसे मिलना चाहती थी जो वो मिल पायी, उसके बाद वो राख के कलश में बदल गयी जो कि मेरे हाथो पर रखा था | और तब वो चक्र पूरा हो गया था, ये वो चक्र बन गया और आत्मबोध जिसके बारे में मैंने आपको बताया और यंहा दिखाया आत्मबोध यह है कि मृत्यु जीवन का हिस्सा है | उन्होंने मुझे बचाया था, मैंने और मेरी संगिनी ने उन्हें बचाया | और आप जानते हैं , जीवन के इस हिस्से को वही सब चाहिए जो बाकी जीवन को चाहिए| इसे सत्य और सौंदर्य चाहिए, और मैं बहुत खुश हूँ कि आज हमने इसके बारे में इतनी सारी बात की | इसे और कुछ भी चाहिए इसे गरिमा, स्नेह और आनंद चाहिए | और यह सब बाटना हमारा कर्तव्य है | धन्यवाद (अभिवादन) मेरा नाम जोशुवा वाल्टर्स हैं मैं एक कलाकार हूँ | (मुंह से आवाज़ निकालना) (हंसी) (अभिवादन) लेकिन एक कलाकार होने के साथ मुझे मनोदशा अस्थिरता से ग्रसित पाया गया था | मैं इसे अच्छी बात की तरह देखता हूँ, क्युकि स्टेज पर मैं जितना सनकी होता हूँ, मैं उतना ही मनोरंजक हो जाता हूँ| सैन फ्रांसिस्को में जब मैं 16 का था मेरे पागलपन का सबसे बड़ा दौर आया जिसमे मुझे लगता था कि मैं जीजस क्राइस्ट(Jesus Christ) हूँ शायद आप सोचे की यह भयावह हैं, लेकिन ऐसा कोई भी नशा नहीं हैं जो आपको इतना उन्माद दे कि आप सोचने लगे आप जीजस क्राइस्ट हैं (हंसी) मुझे एक जगह भेजा गया, मनोवैज्ञानिक चिकित्सालय , और मनोवैज्ञानिक चिकित्सालय में, हर व्यक्ति अपना एकल नाटक कर रहा होता है | (हंसी) वहाँ, यहाँ की तरह कोई दर्शक नहीं होते जो उनके अभ्यास के समय को उचित ठहराए वो सिर्फ अभ्यास कर रहे हैं एक दिन वो यहाँ आयेंगे जब मैं बाहर आया, मनोचिकित्सक ने मेरा निरिक्षण किया और दवाइया दी| "तो जोश(Josh) क्यों ना हमे तुम्हे क्यों ना हमे तुम्हे Zyprexa(दवा का नाम) दे ठीक है ? मैंने लिखा तो यही है " (हंसी) आप में से कुछ इस क्षेत्र में हैं मैं देख सकता हूँ | मैं आपका शोर महसुस कर सकता हूँ | मेरे हाई स्कुल का पहला भाग इस पागलपन के दौर का संघर्ष था, और दूसरा भाग इन दवाइयों का अतिसेवन, जहाँ मैं अपने हाई स्कुल में सो रहा था | दूसरा भाग क्लास में ली गयी एक बड़ी झपकी थी | जब मैं बाहर आया मेरे पास एक विकल्प था | कि मैं अपनी मानसिक बीमारी को नकार सकता था या गले लगा सकता था अपनी मानसिक योग्यता को | (बिगुल की आवाज़) आजकल एक अभियान चल रहा है मानसिक बीमारी को अच्छी नज़र से देखने का कम से कम हाइपोमैनियक(hypomanic) बढ़त वाला हिस्सा अगर आपको नहीं पता कि हाइपोमैनियक क्या है , यह एक बिना नियंत्रण के इंजिन के सामान है , शायद एक फेरारी(Ferrari) का इंजिन, बिना ब्रेक के यहाँ बहुत सारे वक्ता, आप श्रोताओ में से बहुतो के पास वो रचनात्मक बढ़त है , अगर आप जानते हैं मैं क्या कह रहा हूँ | आप कुछ करने के लिए प्रेरित हैं जिसे सबने कहा हैं कि वो असंभव है | एक किताब है जॉन गार्टनर(John Gartner) जॉन गार्टनर ने लिखा है इसका नाम द हाइपोमैनियक एड्ज(The Hypomanic Edge) है जिसमे क्रिस्टोफर कोलंबस, टेड टर्नर और स्टीव जाब्स इन सब उद्योगपतियो के पास प्रतियोगी बढ़त है कुछ समय पहले ही एक दूसरी किताब लिखी गयी है 90 के दशक के मध्य में के रेड्फिल्ड जमिसन(Kay Redfield Jamison) के द्वारा लिखी गयी टच्ड विथ फायर(Touched With Fire) जिसमे रचनत्मक नजरिये से देखा गया कि किस तरह मोजार्ट(Mozart) और बीथोवेन(Beethoven) और वान गाग(Van Gogh) ये सभी इस मानसिक अवसाद से ग्रसित थे इनमे से कुछ ने आत्महत्या भी की तो इस बीमारी के सिर्फ अच्छे पहलु ही नहीं हैं| अभी हाल में ही, इस क्षेत्र में और भी उन्नति हुई है | न्यू योर्क टाइम्स(New York Times) में एक लेख लिखा गया था सितंबर 2010 में, जिसके अनुसार: "संतुलित सनक" बस इतने ही सनकी रहे जिसमे निवेशक वो उद्यमी देख सके जिसमे इस प्रकार का विस्तार हो-- आप समझ रहे है मैं जो बता रहा हूँ-- पुरी तरह से मानसिक अस्थिरता नहीं पर वो मानसिक अस्थिरता के विस्तार में हैं जिसमे एक तरफ तो आप खुद को जीजस समझते हैं, और दूसरी तरफ वो आपके लिए खुब सारे पैसे कमा सकते हों | (हंसी) आपका चुनाव| आपका चुनाव| और हर कोई इसके बीच में कहीं है हर कोई इसके बीच में कहीं है तो शायद आप यह समझे कि ऐसी कोई चीज नहीं है जो सनक है , और मानसिक बीमारी से ग्रसित पाए जाने का अर्थ यह नहीं कि आप सनकी हैं| शायद इसका अर्थ केवल यह है कि आप ज्यादा भावुक हैं जिसे बहुत से लोग देख या महसुस नहीं कर सकते | शायद कोई सनकी है ही नहीं | सभी लोग बस थोड़े से पागल हैं | कितना निर्भर करता है कि आप इस विस्तार में कहा पर हैं कितना निर्भर करता है कि आप कितने भाग्यशाली हैं | धन्यवाद (अभिवादन) आईये एक काळपनिक प्रयोग के वारे में सोचें। कळपना कीजिए की यह भविष्य में ई० ४००० है। संस्कृति जैसी की हम जानते हैं मौजूद नहीं हैं। कोई किताबें, न इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, न Facebook या Twitter अंग्रेजी भाषा और वर्णमाला का सभी ज्ञान खो गया है। अब कल्पना कीजिए की पुरातत्त्ववेत्ता हमारे एक शहर के खंडहर में खुदाई कर रहे हैं। वे क्या ढूंढ़ सकते हैं? शायद प्लास्टिक के आयताकार टुकड़े और उन पर अकिंत कुछ चिह्न। शायद धातु के गोल टुकड़े, शायद कुछ बेलनाकार बर्तन और उन पर अंकित कुछ चिन्ह। शायद एक पुरातत्त्ववेत्ता एक पल में प्रसिद्ध हो जाता है क्योंकि उसने उत्तरी अमेरिका की पहाड़ियों में बहुत बड़े आकार के वहीं चिह्न ढूंढ़ निकाले हैं। अब स्वयं से पूछें ऐसे चिह्न हमें ई० ४००० साल आगे की सभ्यता के बारे में हमें क्या बता सकते हैं? यह कोई काल्पनिक सवाल नहीं है। वास्तव में, इसी तरह के सवाल हमारे सामने आते हैं जब हम सिंधु घाटी सभ्यता को समझने की कोशिश करते है, जो ४००० साल पहले अस्तित्व में थी, सिंधु घाटी सभ्यता बेहतर जानी जाने वाली मिस्र और मेसोपोटामिया सभ्यताओं के साथ समकालीन थी, लेकिन यह इन दो सभ्यताओं से कहीं बड़ी थी। यह लगभग दस लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली थी, जहाँ वर्तमान में पाकिस्तान, पश्चिमोत्तर भारत, अफगानिस्तान और ईरान के कुछ हिस्सें हैं। यह देखते हुए कि यह एक ऐसी विशाल सभ्यता थी, हम शक्तिशाली शासकों, और उनको महिमामयी करते विशाल स्मारकों को खोजने की उम्मीद कर सकते हैं। लेकिन पुरातत्त्ववेत्तों को एसा कुछ नहीं मिला है। उन्होंने इस तरह की इन छोटी वस्तुओं की ही पाया है। यहाँ इन वस्तुओं में से एक का उदाहरण है। स्पष्ट है कि यह एक प्रतिकृति है। लेकिन यह व्यक्ति कौन है? एक राजा? एक देवता? एक पुजारी? या शायद एक साधारण व्यक्ति, अाप और मुझे जैसा? हम नहीं जानते। लेकिन सिंधु लोग कुछ कलाकृतियां जिन पर कुछ लिखा है, भी पीछे छोड़ गये हैं। प्लास्टिक के टुकड़े नहीं, लेकिन पत्थर की मोहरें, तांबे की पटियाँ, मिट्टी के बर्तन. और, हैरान करने वाला, एक बड़ा बोर्ड, जो एक शहर के फाटक के पास दफन था। हम नहीं जानते कि इस पर हॉलीवुड लिखा है, या फिर बात के लिए बॉलीवुड। हम ये भी नहीं जानते कि इन वस्तुओं का क्या अर्थ है। क्योंकि सिंधु लिपि पढ़ी नहीं जा सकी है। हम नहीं जानते कि इन प्रतीकों क्या का मतलब है। ये प्रतीक अधिकतर मुहरों पर पाए जाते हैं। तो अाप वहाँ एक ऐसी वस्तु देखें। स वर्गाकार वस्तु पर इकसिंगें की तरह का जानवर है। यह कला का एक शानदार नमूना है। तो आपको यह कितना बड़ा लगता है? शायद इतना बड़ा है? हो सकता है कि इतना? मैं आपको दिखाता हूँ। यहाँ एक ऐसी मुहर की एक प्रतिकृति है। यह आकार में केवल एक इंच लंबी व चौड़ी है - बहुत छोटी। तो इनका क्या इस्तेमाल होता था? हम जानते हैं कि ये मिट्टी के टैगो के मुद्रांकन के लिए इस्तेमाल किये जाते थे जो माल के गट्ठों, जिनको एक जगह से दूसरे को भेजा जाता था, पर लगे होते थे। एक पैकिंग रसीद जैसा जो आप अपने FedEx बक्से पर पाते है? ये पैकिंग रसीद बनाने के लिए इस्तेमाल किये जाते थे। आप शायद जानना चाहेंगें कि इन वस्तुओं पर क्या लिखा है। शायद यह प्रेषक का नाम या माल के बारे में कुछ जानकारी है जो एक स्थान से दूसरे करने के लिए भेजा जा रहा था - हम नहीं जानते। इस प्रशन का उत्तर देने के लिए हमें यह लिपि समझने की जरूरत है। इस लिपि का गूढ़ रहस्य जानना सिर्फ एक बौद्धिक पहेली नहीं है; वास्तव में यह सवाल गहराई से जुङ गया है दक्षिण एशिया की राजनीति व सांस्कृतिक इतिहास के साथ। असल में, यह लिपि एक प्रकार से युद्ध का मैदान बन गयी है तीन अलग अलग समूहों के बीच। सबसे पहले, उन लोगों का समूह है जो दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि सिंधु लिपि एक भाषा का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं। इन लोगों का मानना है यह प्रतीक चिह्न यातायात संकेत चिह्नों के समान हैं या फिर उनके जो ढालों पर मिलते हैं। दूसरे समूह के लोग मानते हैं कि सिंधु लिपि एक भारतीय - यूरोपीय भाषा का प्रतिनिधित्व करती है। यदि आप वर्तमान भारत के नक्शे को देखें, तो आप देखेंगे कि उत्तर भारत में बोली जाने वाली अधिकतर भाषाएें भारत - यूरोपीय भाषा परिवार की है। तो कुछ लोगों मानते हैं कि सिंधु लिपि एक प्राचीन भारत - यूरोपीय भाषा जैसे संस्कृत, का प्रतिनिधित्व करती है। एक अौर समूह है जिसके लोग मानते हैं कि सिंधु लोग वर्तमान दक्षिण भारत में रहने वाले लोगों के पूर्वजों थे। इन लोगों का मानना है कि सिंधु लिपि एक प्राचीन भाषा है द्रविड़ भाषा परिवार की, और वर्तमान दक्षिण भारत की अधिकांश भाषाएें द्रविड़ भाषा परिवार की है। इस सिद्धांत के समर्थक उत्तर में स्थित द्रविड़ भाषित एक छोटे क्षेत्र, जो अफगानिस्तान के निकट है, की अोर संकेत करते हैं वे कहते हैं कि शायद अतीत में, पूरे भारत में द्रविड़ परिवार की भाषाएें प्रचलित थी और यह बताता है कि शायद सिंधु सभ्यता भी द्रविड़ थी। इन अवधारणाऔं में से कौन सी सच है? हमें नहीं पता, लेकिन शायद अगर आप सिंधु लिपि समझले, तब आप इस सवाल का जवाब देने में सक्षम होगें। लेकिन लिपि का गूढ़ रहस्य एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम है। सबसे पहले, यहाँ कोई कुंजी नहीं है। मेरा मतलब एक अनुवादक सॉफ्टवेयर से नहीं है; मेरा मतलब एक प्राचीन पुरावशेष से है जिसमें एक ही वाक्य एक ज्ञात व अज्ञात भाषा में लिखा हो। हमारे पास इस तरह का पुरावशेष नहीं है। और इसके अलावा, हम भी नहीं जानते कि वे क्या भाषा बोलते थे। और मामले बदतर बनाने के लिए, हमारे पास बहुत कम वाक्य हैं। जैसा मैंने आपको दिखाया है, और ये आमतौर पर इन मुहरों पर पाये जाते हैं जो बहुत बहुत छोटी हैं। और इसलिए इन दुर्जेय बाधाओं को देखते हुए, यह आश्चर्य और चिंता होती है कि क्या हम कभी सिंधु लिपि समझने में सक्षम होगें अपने शेष भाषण में, मैं आपको बताना चाहूँगा कि कैसे मैंने चिंता करना बंद किया और सिंधु लिपि समझने की चुनौती को प्यार करना सीखा। मैं तब से सिंधु लिपि की ओर आकर्षित था जब से मैंने एक माध्यमिक विद्यालय की पाठ्यपुस्तक में इसके बारे में पढ़ा। और मैं क्यों इतना आकर्षित हो गया था? यह प्राचीन दुनिया की अंतिम महत्वपूर्ण लिपि है जो समझी नहीं गयी है। मैं जीविका पथ बढते हुए एक कम्प्यूटेशनल न्यूरोसाइंटिस्ट बन गया, दैिनक कार्य में अब मैं मस्तिष्क के कंप्यूटर मॉडल बनाता हूँ और समझने का पर्यतन करता हूँ कि कैसे मस्तिष्क भविष्यवाणियों करता है, कैसे मस्तिष्क निर्णय करता है, कैसे मस्तिष्क सीखता है। परन्तु 2007 में, सिंधु लिपि फिर से मेरे रास्ते में आई। जब मैं भारत में था, और मुझे अद्भुत अवसर मिला कुछ भारतीय वैज्ञानिकों से मिलने का जो कंप्यूटर मॉडल के उपयोग से इस लिपि का विश्लेषण कर रहे थे। और तब मुझे एहसास हुआ कि वहाँ मेरे लिए एक अवसर था इन वैज्ञानिकों के साथ सहयोग करने का, और इसलिए मैंने उस अवसर नहीं गवाँया। और अब मैं कुछ परिणामों का वर्णन करना चाहता हूँ जो हमें मिले हैं। या बेहतर ये होगा कि हम इन परिणामों को ईक्ठ्ठे खोजें। क्या आप तैयार हैं? एक लिपि को समझने के लिए पहला कार्य जो आपको करना है वह ये कि लेखन की दिशा का अनुमान लगाने की कोशिश करनी है। यहाँ दो वाक्य हैं जिन पर कुछ चिन्ह हैं। क्या आप मुझे बता सकते हैं कि लेखन की दिशा बाएँ से दाएँ है या दाएँ से बाएँ? मैं आपको कछ समय देता हूँ. ठीक है। दाएँ से बाएँ, कितने? ठीक है। ठीक है। बाएँ से दाएँ? ओह, यह लगभग 50/50 है। ठीक है। जवाब है: अगर आप दोनों मुहरें के बाएं ओर देखें, तब आप पाएगें कि वहाँ के चिन्ह बहुत सटे हुए हैं, और ऐसा लगता है कि 4,000 साल पहले जब लिपिक दाईं से बाईं ओर लिख रहा था, स्थान कम रह गया था। सलिए उसे चिन्हों को सटाना पङा। एक चिन्ह ऊपर के वाक्य के नीचे भी है। इससे यह पता चलता है कि लेखन की दिशा शायद दाएँ से बाएँ थी। यह प्राथमिक ज्ञान हैं कि दिशात्मकता भाषाई लिपियों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। और सिंधु लिपि में भी अब यह विशेष गुण है। भाषाओं के कौन से अन्य गुण इस लिपि में है? भाषाओं में पैटर्न होते हैं। यदि मैं आपको एक वर्ण Q दूँ और आपसे पूछूँ कि अगला वर्ण क्या होगा? आप में से अधिकांश कहेगें U, जो सही है। अब अगर मैं आप से ओर एक वर्ण की भविष्यवाणी करने को कहूँ, आपको क्या लगता है क्या होगा? अब वहाँ कई संभावनाऐं हैं। E हो सकता है, I हो सकता है। A भी हो सकता है। लेकिन निश्चित रूप से B, C या D नहीं होगा, है ना? सिंधु लिपि भी इस तरह के पैटर्न को दर्शाती है। बहुत से वाक्य इस हीरे के आकार के चिन्ह के साथ शुरू होते हैं। और इस चिन्ह के बाद यह उद्धरण जैसा निशान है। और यह बहुत कुछ एक Q और U के उदाहरण जैसा है। इस चिन्ह के बाद इन मछली की तरह के चिन्ह और कुछ अन्य चिन्ह आ सकते हैं, लेकिन ये दूसरे चिन्ह कभी नहीं। और इसके अलावा, वहाँ कुछ और चिन्ह है जो वाक्य या पृष्ठ के अंत में आते हैं, जैसे कि यह जग जैसा चिन्ह। यह चिन्ह वास्तव में इस लिपि में सबसे अधिक प्रयोग हुआ है. इस तरह के पैटर्न को देखते हुए, हमने यह विचार किया। हमने कंप्यूटर के उपयोग से इन पैटर्नो को जानने की योजना बनाई, और इसलिए हमने मौजूदा वाक्यों को कंप्यूटर में फीड किया। और कंप्यूटर में एक सांख्यिकीय मॉडल बनाया जो बताता है कि कैसे ये चिन्ह एक वाक्य में एक साथ होते हैं और कौन से एक दूसरे के बाद मे आते हैं। कंप्यूटर मॉडल को देखते हुए, हम प्रश्न पूछ कर मॉडल का परीक्षण कर सकते हैं। तो हमने जानबूझकर कुछ चिन्हों को मिटा दिया, और मॉडल को मिटे हुए चिन्हों को ढूँढने को कहा। यहाँ कुछ उदाहरण हैं। आप सोचेगें कि यह शायद सबसे प्राचीन खेल है भाग्य चक्र का। हमने पाया कि कंप्यूटर 75 प्रतिशत सफल रहा सही चिन्ह ढूँढने में। बाकी मामलों में, आमतौर पर दूसरा या तीसरा सबसे अच्छा पूर्वानुमान सही जवाब था। व्यावहारिक उपयोग भी है इस विशेष प्रक्रिया का। बहुत से वाक्य व पृष्ठ क्षतिग्रस्त हैं यहाँ एक ऐसे ही वाक्य का एक उदाहरण है और हम अब कंप्यूटर मॉडल का उपयोग कर सकते हैं इस वाक्य को पूरा करने के लिए। यहाँ एक प्रतीक को कंप्यूटर से पूरा करने का उदाहरण है. और यह वास्तव में उपयोगी हो सकता है इस लिपि को समझने में अगर हम और अधिक डेटा उत्पन्न करके उसका विश्लेषण करें तो। अब यहाँ एक अन्य विश्लेषण आप कंप्यूटर मॉडल के साथ कर सकते हैं। तो एक बंदर की कल्पना कीजिए टाईपिंग करते हुए। यह बंदर कुछ इस तरह का अक्षरों का अनियमित क्रम अंकित करेगा। अक्षरों के इस तरह के अनियमित क्रम को एक बहुत उच्च एन्ट्रापी का क्रम कहा जाता है। एन्ट्रापी एक भौतिकी और सूचना विज्ञान का शब्द है। लेकिन सिर्फ कल्पना कीजिये कि यह एक अनियमित क्रम है। आप में से कितनो ने कभी कुंजीपटल पर कॉफी गिराई है? और आपको अटकी हुई कुंजीयों की समस्या का सामना करना पड़ा हो - जिससे एक ही चिन्ह बार बार दोहराया जा रहा है। यह एक बहुत कम एन्ट्रापी का क्रम है क्योंकि इसमे कोई बदलाव नहीं है। दूसरी तरफ भाषा, की एन्ट्रापी एक मध्यवर्ती स्तर पर है; यह न तो बहुत नियमित है, और न ही अनियमित। सिंधु लिपि का क्या? यह ग्राफ बहुत से अनुक्रमों की एन्ट्रापी दृशित करता है। बहुत शीर्ष पर अनियमित अनुक्रम हैं, जो बेतरतीब पङे अक्षर हैं -- और दिलचस्प बात है कि हम मानव जीनोम के डीएनए और वाद्य संगीत अनुक्रम भी इस ग्राफ में पाते हैं। ये दोनों बहुत, बहुत लचीले हैं, जिसके कारण आप उन्हें बहुत उच्च श्रेणी में पाते हैं। ग्राफ के निचले भाग में, आप एक बहुत नियमित अनुक्रम, इसमे सभी अक्षर A हैं, इसमे एक कंप्यूटर प्रोग्राम भी है, जो फोरट्रान भाषा में है, जो वास्तव में कड़े नियमों का अनुसरण करता है। भाषाई लिपियाँ बीच की श्रेणी में आती हैं। अब सिंधु लिपि के बारे में क्या? हमने पाया है कि सिंधु लिपि वास्तव में भाषाई लिपियों की सीमा के भीतर ही है। जब यह परिणाम प्रकाशित किया गया था, तब यह बेहद विवादास्पद था। कुछ लोगों ने हल्ला मचाया, ये वह लोग हैं जो मानते हैं कि सिंधु लिपि भाषा का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। मुझे नफरत भरे ई-मेल भी मिलने शुरू हो गए। मेरे छात्रों ने कहा कि मुझे गंभीरता से कुछ संरक्षण प्राप्त करने पर विचार करना चाहिए। किसने सोचा होगा कि सिंधु लिपि के गूढ़ रहस्य को समझना एक खतरनाक पेशा हो सकता है? यह परिणाम वास्तव में क्या दिखाता है? यह दिखाता है कि सिंधु लिपि में भाषाओं का एक महत्वपूर्ण गुण है। तो जैसे एक पुरानी कहावत है, यदि एक भाषाई लिपि की तरह लग रही है और यह एक भाषाई लिपि की तरह काम करती है, तो शायद यह एक भाषाई लिपि है। क्या अन्य प्रमाण हैं कि यह लिपि वास्तव में भाषा को सांकेतिक शब्दों में बदल सकती है? भाषाई लिपियां वास्तव में एक से अधिक भाषाओं को सांकेतिक शब्दों में बदल सकती हैं। तो उदाहरण के लिए, यहाँ एक ही वाक्य अंग्रेजी में लिखा है और फिर वही वाक्य डच भाषा मे लिखा है दोनों मे एक ही वर्णमाला उपयोग की गयी है। यदि आप डच नहीं जानते हैं और आप केवल अंग्रेजी जानते हैं और मैं आप को डच में कुछ शब्द दूँ, आप मुझे बताओगे कि इन शब्दों में कुछ बहुत ही असामान्य पैटर्न हैं। कुछ बातें सही नहीं हैं, और आप कहेंगे कि शायद ये अंग्रेजी शब्द नहीं हैं। ऐसी ही बात सिंधु लिपि के मामले में है। कंप्यूटर को कई वाक्य मिले है -- उनमें से दो यहाँ दिखाए गऐ हैं - जिनमें बहुत ही असामान्य पैटर्न हैं उदाहरण के लिए प्रथम वाक्य मेंः इस जग जैसे चिन्ह का दोहरीकरण किया है। यह चिन्ह सबसे अधिक मिलता है सिंधु लिपि में, और यह केवल इस वाक्य में इसका दोहरीकरण किया गया है। ऐसा क्यों है? हमने फिर विशलेषण किया और देखा कि ये विषेश वाक्य कहाँ मिले थे, और यह पता चला कि वे पाए गए थे सिंधु घाटी से बहुत दूर। वे वर्तमान इराक और ईरान में मिले थे। और वे वहाँ क्यों मिले? मैने आपको नहीं बताया है कि सिंधु लोग बहुत, बहुत उद्यमी थे। वे सूदूर जगहों के लोगों के साथ व्यापार करते थे। और इसलिए यहाँ, वे समुद्र के रास्ते मेसोपोटामिया, वर्तमान इराक की यात्रा कर रहे थे। और यहाँ लगता है कि सिंधु व्यापारी, इस लिपि का उपयोग एक विदेशी भाषा लिखने में कर रहे थे। यह हमारे अंग्रेजी और डच के उदाहरण की तरह है। और यही वजह है कि हमें ये अजीब पैटर्न मिले हैं जो उन पैटर्नो से बहुत अलग हैं जो सिंधु घाटी में पाए गऐ हैं। इससे यह पता चलता है कि एक ही लिपि, सिंधु लिपि, विभिन्न भाषाओं को लिखने के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। इन परिणामो से हम अभी तक यही निष्कर्ष निकालते है कि सिंधु लिपि शायद एक भाषा का प्रतिनिधित्व करती है। यदि यह एक भाषा का प्रतिनिधित्व करती है, तो हम इन चिन्हों को कैसे पढ़ें? यह हमारी अगली बड़ी चुनौती है। तो आप ध्यान दे कि अधिकांश चिन्ह मिलते जुलते हैं मनुष्यों, कीड़ों, मछलियों और पक्षियों से। अधिकांश प्राचीन लिपियाँ रिबास सिद्धांत का उपयोग करती हैं, जिसके अनुसार शब्दों को चित्रों द्वारा लिखा जाता है। उदाहरण के रूप में, यहाँ एक शब्द है। क्या आप इसे चित्रों द्वारा लिख सकते हैं? मैं आप को कुछ समय देता हूँ। समझे? ठीक है। यह मेरा समाधान है। आप मधुमक्खी (bee - बी) के तस्वीर के पीछे एक पत्ती (leaf- लीफ) की एक तस्वीर रखें - और यह शब्द है "belief - बीलीफ" ठीक है। इसके दूसरे अन्य समाधान भी हो सकते हैं. सिंधु लिपि के मामले में, समस्या उल्टी है। आपको इन चित्रों की आवाज़ का अनुमान लगाना है इस पूरे अनुक्रम को समझने के लिए। तो यह सिर्फ एक पहेली की तरह है बस यह सभी पहेलियों की माँ है, और दांव बहुत ऊंचे लगे हैं यदि आप इसे हल कर सकें. मेरे सहकर्मियों, इरावतम महादेवन और असको परपोला ने इस विशेष समस्या को हल करने में कुछ प्रगति की है। मैं आपको परपोला के काम का एक त्वरित उदाहरण देना चाहूँगा। यहाँ एक बहुत छोटा वाक्य है। समें सात ऊर्ध्वाधर रेखाओं के पीछे एक मछली का चिन्ह है। और मैं आपको बता दूँ कि इन मुहरों का प्रयोग मिट्टी के टैगो के मुद्रांकन के लिए होता था जो माल के गठ्ठों पर लगे होते थे, तो यह काफी संभावना है कि कुछ टैगो पर व्यापारियों के नाम अंकित हैं। यह पहले से पता है कि भारत में एक लंबी परंपरा है कि नाम कुंडली और जन्म के समय मौजूद तारामंडलों के आधार पर रखे जाते हैं द्रविड़ भाषाओं में, मछली को "मीन" भी कहते हैं जो सितारे के लिए प्रयुक्त शब्द की तरह उच्चारित होता है। और इसलिए सात सितारों का अर्थ हुआ "ईलूमीन" जो द्रविड़ शब्द है सप्तऋषि नक्षत्र के लिए। इसी तरह, एक छह सितारों का अनुक्रम है, जिसका अनुवाद होगा "ईरूमीन" जिसका प्राचीन द्रविड़ भाषा मे अर्थ है प्लीएडेस तारामंडल। और अंत में, एक और संरचना है जिसमें मछली के शीर्ष पर एक छत जैसा चिन्ह है। इसका अनुवाद "मेयमीन" हो सकता है जो शनि ग्रह के लिए प्राचीन द्रविड़ नाम है। तो यह बहुत रोमांचक था। ऐसा लगता है जैसे हम कुछ प्रगति कर रहे हैं। लेकिन इससे क्या यह साबित होता है इन मुहरों पर द्रविड़ भाषा में ग्रहों और तारामंडलों के नाम अंकित हैं? अभी तक तो नहीं। वास्तव में कोई तरीका नहीं है इन विशेष अनुवादों को मानित करने का लेकिन अगर और भी एसे अनुवाद समझ बनाना शुरू कर दें, और लम्बें अनुक्रम भी सही प्रतीत हों, तब हमें पता चलेगा कि हम ठीक रास्ते पर हैं। व्रतमान में हम TED जैसे शब्द मिस्र की हाईरोगलाइफीकस और कीलाकार लिपि में लिख सकते हैं, क्योंकि इन दोनों को समझ लिया गया था १९ वीं सदी में। इन दोनों लिपियों के स्पष्टीकरण से इन सभ्यताओं से सीधे बात करना संभव हुआ। मायन सभ्यता से हमारी बातचीत 20 वीं सदी में शुरू हुई, लेकिन सिंधु सभ्यता अभी तक चुप है। हमें क्यों परवाह करनी चाहिए? सिंधु सभ्यता सिर्फ दक्षिण भारतीयों या उत्तर भारतीयों या पाकिस्तानियों की नहीं है; यह हम सभी की है। ये हमारे पूर्वजों हैं - आपके और मेरे। वे खामोश हैं इतिहास के एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के कारण। यदि हम यह लिपि समझले, हम उनसे बात करने में फिर से सक्षम होगें। वे हमें क्या बताएगें? हम उनके बारे में क्या जानेगें? हमारे अपने बारे में? मैं यह खोजने के लिए बेसब्र हूँ। धन्यवाद। (सरहाना व हर्षध्वनि) द हाईलाइन(The Highline) एक पुरानी, ज़मीन से उठी हुई रेल है तीन km लम्बी ये लाइन मैनहैटन शहर के बीच से गुज़रती है पहले ये एक माल ढोने की लाइन थी जो दसवें एवेन्यू पर चलती थी और यह "मौत का एवेन्यू" कहलाने लगी बहुत लोग रेल के नीचे आ जाते थे इसीलिए एक घुड़सवार किराए पर रखा गया, और वह "वैस्ट साइड काओबोय" कहलाने लगा. घुड़सवार के होते हुए भी लगभग एक महीने में एक आदमी मर जाता था इसलिए लाइन ऊंची कर दी गई उन्होंने इसे हवा में तीस फीट ऊपर बनाया, शहर के बिलकुल बीच में लेकिन अंतर-राज्य ट्रकों के बढ़ने से इसका इस्तेमाल कम से कम होने लगा और 1980 में आखिरी ट्रेन चली लोग कहते हैं, ट्रेन जमी हुई टर्कियों से लदी हुई थी - यह मांस पैक करने वाले जिले से थैंक्सगिविंग त्यौहार के लिए आ रही थी. उसके बाद इसे त्याग दिया गया. मैं इसी इलाके में रहता हूँ और मैंने इसके बारे में पहली बार न्यू योर्क टाइम्स में पढ़ा, एक लेख में इसे गिराने की बात थी. मैंने मान लिया की कोई इसे बचाने की कोशिश कर रहा होगा और मैं उनका साथ दे दूंगा पर कोई कुछ नहीं कर रहा था मैं अपनी पहली सामाजिक बोर्ड की बैठक में गया जिसमें मैं आज तक नहीं गया था -- मैं जोशुवा डेविड(Joshua David) नामक एक व्यक्ति के पास बैठा, जो एक यात्रा लेखक हैं बैठक ख़तम होने के बाद, हमने जाना कि अकेले हम दोनों ही को इस काम में दिलचस्पी थी; ज़्यादातर लोग इसे गिराना चाहते थे. तो हमने व्यापार कार्ड एक दूसरे को दिए, एक दूसरे से बातचीत करते रहे और एक संस्था शुरू करने का फैसला किया, हाई लाइन के दोस्त. शुरुआत में लक्ष्य सिर्फ उसे गिरने से बचाना था, पर ये भी सोचना था की इसके साथ हम क्या कर सकते थे. जिसने मुझे सबसे पहले आकर्षित किया, वो यह दृश्य था -- ये स्टील का ढांचा, जंग खाया हुआ यह औद्योगिक अवशेष. पर मैं जब ऊपर गया तो तीन km लम्बी जंगली फूलों की कतार देखी मैनहैटन के बीचों-बीच गुज़रती हुई एम्पायर स्टेट बिल्डिंग, स्टैचू ऑफ़ लिबर्टी और हडसन नदी के दृश्यों के साथ और यहाँ से हमारी असली शुरुआत हुई विचार ये था कि इसे एक उद्यान बनाया जाए और पार्क की प्रेरणा ली जाए इस जंगली दृश्य से. उस समय, इसको लेकर बहुत विरोध था मेयर गिलानी इसे गिराना चाहते थे. मैं तेज़ी से आगे बढूंगा, बहुत सारे मुकद्दमे हुए और बहुत सारी सामूहिक बैठकें. फिर मेयर ब्लूमबर्ग नियुक्त हुए वे बढे सहायक थे, पर हमें अभी भी एक आर्थिक तर्क बनाना था. यह 9/11 के बाद की बात है; शहर मुश्किल दौर में था. तो हमने एक आर्थिक साध्यता अध्ययन का अभियान किया तर्क बनाने की कोशिश में. पर हमारे आंकड़े गलत निकले. हमे लगा था कि निर्माण में 10 करोड़ डॉलर लगेंगे. अभी तक 15 करोड़ डॉलर लग चुके हैं. और मुख्य तर्क यह था कि, इससे शहर को अच्छा आर्थिक लाभ होगा. 20 साल के समय में, शहर को प्रोपर्टी के दाम बढ़ने से और टैक्स आय बढ़ने से कुल 25 करोड़ डॉलर का लाभ होगा. इतना ही काफी था. शहर अब पूरी तरह से इसके पीछे था. पर हम गलत थे. अब लोगो के अनुमान से इसने करो की आय में 50 करोड़ बढ़ा दिए थे या बढ़ा देने वाले था हमने एक डिजाइन प्रतियोगिता रखवाई, एक डिजाइन दल चुना. उनके साथ मिलकर एक डिजाइन रचा जो उस जंगली फूलो की कतार से प्रेरित था. उद्यान के तीन भाग हैं. हमने पहला भाग 2009 में खोला. यह हमारे सपनो से परे कामियाब हुआ. पिछले साल यहाँ 20 लाख लोग आये, जो हमारे अनुमान से 10 गुना ज्यादा था. ये मेरे सबसे पसंदीदा भागों में से एक है. ये दसवें एवन्यू के ठीक ऊपर जो अखाड़ा है. और पहला भाग फिलहाल बीसवी स्ट्रीट पर ख़तम होता है. एक बात और, इसने, यक़ीनन, बहुत आर्थिक लाभ करवाया है; इसने कई प्रसिद्ध आर्किटेक्चर को भी प्रेरित किया है. एक ऐसी जगह है, जहाँ खड़े होकर आप Frank Gehry, Jean Nouvel, Shigeru Ban, और Neil Denari की डिजाइन की हुई इमारतें देख सकते हैं. द व्हिटनी म्यूस्यम शहर में आ रहा है वे अपना नया म्यूस्यम ठीक द हाई लाइन के नीचे बना रहे हैं. और इसका डिजाइन Renzo Piano ने किया है. वे निर्माण कार्य मई में शुरू करने वाले हैं. और हमने तो दूसरे भाग का निर्माण कार्य भी शुरू दिया है. यह मेरा सबसे पसंदीदा दर्शन है, यह फ्लाईओवर जहाँ आप 8 फीट द हाई लाइन की तह से ऊपर हैं, वृक्षों के एक मंडप से गुज़रते हुए. द हाई लाइन पहले विज्ञापनों से ढकी रहती थी, तो हमने इसे एक हास्य मोड़ दिया, जहां, विज्ञापनों की जगह लोगों को शहर के दृश्यों में दिखाया जाएगा. ये पिछले महीने ही बना था. और फिर अंतिम भाग रेल यार्ड के चारों ओर चलने वाला था, जो कि मैनहैटन में सबसे बड़ी अविकसित जगह है. शहर ने योजना बनाई है - अच्छे या बुरे के लिए -- 1.2 करोड़ वर्ग फीट जगह का विकास करने की जिसके आसपास द हाई लाइन एक मुद्रिका बनाएगी. पर मेरे हिसाब से, द हाई लाइन को विशेष बनाने वाले लोग हैं. ओर सच में, हालांकि जो हम डिजाइन बना रहे थे वो मुझे बेहद पसंद है, मुझे हमेशा डर था कि मुझे यह पसंद नहीं आएगा, क्यूंकि मुझे उस जंगली फूलो की कतार से प्यार हो गया था -- और वह जादू कोई कैसे दोबारा बना सकता? लेकिन मैंने पाया कि यह तो लोगों पर निर्भर है, वो इसे कैसे इस्तेमाल करते हैं यह बात, मेरे लिए, इसे अत्यंत विशेष बनती है. एक छोटा सा उदहारण - पार्क खोलने के तुरंत बाद ही मैंने देखा कि लोग लाइन पर हाथ पकड़ कर चल रहे थे. और फिर मुझे याद आया कि न्यू यार्क के लोग हाथ नहीं पकड़ते; हम वो चीज़ बाहर करते ही नहीं हैं. पर आप यह द हाई लाइन पर होते हुए देखते हैं, और मैं समझता हूँ यही क्षमता है एक सार्वजनिक जगह की जो बदल सकती है कि कैसे लोग शहर का आनंद लेते हैं और एक दूसरे से बातचीत करते हैं. धन्यवाद. (अभिवादन) कुछ वर्षों पहले मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी उदास दिनचर्या में फंसा हुआ था, इसलिए मैंने महान अमेरिकन दार्शनिक; म़ोरगन स्परलोंक के दिखाए रास्ते पर चलने का फैसला किया, और 30 दिनों तक कुछ नया करने का प्रयास किया | यह विचार बहुत ही सरल है | ऐसे किसी चीज के बारे में सोचिये जिसे आप हमेशा अपने जीवन में करना चाहते थे और उसे अगले 30 दिनों तक करने का प्रयास कीजिये | यह पता चला है कि 30 दिन पर्याप्त समय है, कोई नयी आदत डालने या किसी आदत को छुड़ाने के लिए अपने जीवन में से -- जैसे कि समाचार देखना | इस 30 दिन की चुनौतियों के दौरान मैंने कुछ बातें सीखी हैं | पहला था कि, बजाय इसके के महीने यूँ ही भूलते हुए गुजर जाएँ वह समय बहुत ज्यादा यादगार था | यह उस चुनौती का एक हिस्सा था जिसमे प्रतिदिन मैंने एक फोटो ली और मुझे याद है मैं उस दिन कहाँ था और क्या कर रहा था | मैंने यह भी पाया कि जैसे जैसे मैं 30 दिनों की कठिन चुनौतियों को अपनाने लगा मेरा आत्म विश्वास बढ़ता गया | मैं एक कंप्यूटर पर काम करके कुर्सियां तोड़ने वाले बेवकूफ से एक ऐसा आदमी बना जो साइकल से काम पर जाता है मजे करने के लिए | यंहा तक की पिछले साल मैं किलिमंजारो अफ्रीका में उच्चतम पर्वत पर पैदल चढ़ा | मैं कभी इतना उत्साही नहीं था मेरी इस 30 दिन की चुनौतियों को प्रारंभ करने से पहले मुझे यह भी पता चला कि यदि आप किसी चीज को पाने की दिली तमन्ना रखते हो तो आप उसे 30 दिन में कर सकते हो | क्या कभी आपने एक उपन्यास लिखने के बारे में सोचा है ? हर नवम्बर में हजारों लोग 50 ,000 शब्दों का उपन्यास 30 दिनों में लिखने का प्रयास करते हैं | होता यह है कि आप को एक दिन में 1 ,667 शब्द एक महीने तक लिखने होते हैं | तो मैंने किया | वैसे राज की बात यह है कि तब तक सोने नहीं जाना होता था जब तक आप एक दिन के शब्दों को पूरा नहीं लिख लेते | आप को शायद सोने न मिले पर आप अपनी उपन्यास पूरी कर लेंगे | अब क्या मेरी किताब अमेरिका की अगली प्रसिद्ध उपन्यास होगी ? बिलकुल नहीं , मैंने इस एक माह में लिखा है | यह बहुत ही ख़राब है | पर मैं अपनी पूरी जिंदगी में , अगर जॉन होगमैन से TED पार्टी में मिलता हूँ, तो मुझे यह नहीं कहना होगा कि "मैन एक कंप्यूटर वैज्ञानिक हूँ |" नहीं अगर मुझे कहना होगा तो मै कह सकता हूँ कि "मैं एक उपन्यासकार हूँ " (हंसी) एक आखरी बात जो मैं बताना चाहूँगा | इससे मैंने यह सिखा कि जब मैंने छोटे ,कायम रहने वाले परिवर्तन किये ऐसे कार्य जो मैं करते रह सकता था , उनकी हमेशा साथ रहने की संभावना बहुत अधिक होती है बड़ी चुनौतियों को अपनाने में कोई गलत बात नहीं है उसमे तो ज्यादा मजा है | पर उनके हमेशा सांथ रहने की संभावना कम होती है | जब मैंने शक्कर 30 दिनों के लिए छोड़ी तब इकतीसवां दिन कुछ ऐसा था | (हंसी) तो मेरा सवाल आप लोगों से यह है कि: आप किस बात का इंतजार कर रहे हो ? मेरा विश्वास कीजिये 30 दिन यूँ निकल जायेंगे चाहे आप उसे पसंद करें या ना करें तो क्यों ना कुछ सोचा जाये जो आप हमेशा करना चाहते थे और उसे अगले 30 दिनों तक करने का प्रयास करते हैं | धन्यवाद (अभिवादन) क्या आपको पता हैं फूल वाले पौधों की कितनी प्रजातियाँ होती हैं? ढाई लाख -- कम से कम इतनो के बारे में हम जानते हैं -- फूल वाले पौधों की ढाई लाख प्रजातियाँ हैं. और फूल बहुत बदमाश हैं. पौधों के लिए उन्हें पैदा करना सबसे मुश्किल काम है. इनके लिए बहुत सारी उर्जा और साधन की जरुरत होती हैं. तो वो इतनी परेशानी क्यों उठाते हैं? और बेशक जवाब है, जैसे दुनिया में कई चीज़ों के लिए होता है, संभोग. मुझे पता है इन तस्वीरों को देख कर आप के दिमाग में क्या आ रहा है. और इसका कारण है कि यौन प्रजनन इतना महत्वपूर्ण है कि-- कई चीज़े हैं जो पौधे प्रजनन के लिए कर सकते हैं. आप पौधों की कलम ले सकते हैं; वो एक प्रकार से अपने आप से संभोग कर सकते हैं; वो अपने आप को अंकुरित कर सकते हैं. लेकिन असल में, उन्हें अपनी प्रजाति को फैलाना होता है दूसरी प्रजातियों के साथ मिश्रण करने के लिए, ताकि वो पर्यावरण की भिन्नता के साथ मेल बिठा सके. क्रमिक विकास ऐसे काम करता है. अब पौधे जिस प्रकार यह सूचना फैलाते हैं वो हैं पुष्प रेणु (pollen) के द्वारा. आप में से कुछ लोगों ने यह तसवीरें पहले देखी होंगी. मेरा कहना है, हर घर में एक इलेक्ट्रो माइक्रोस्कोप (विद्युत सुक्ष्म-दर्शक-यन्त्र) होना चाहिए इन्हें देखने के लिए. पुष्प रेणु उतने ही प्रकार के हैं जितने प्रकार के फूल वाले पौधों की प्रजातियाँ हैं. और यह फोरेंसिक के लिए बहुत उपयोगी है. ज़्यादातर पुष्प-रेणु जो हमारे लिए "हे फीवर" का कारण हैं उन पौधों से आते हैं जो हवा का इस्तेमाल करते हैं पुष्प-रेणु का प्रसार करने के लिए. और वह एक बहुत प्रभावहीन प्रक्रिया है, इसी वजह से यह हमारी नाक में इतना चढ़ता है. क्युंकि आपको बहुत सारा पुष्प-रेणु बाहर फैकना होगा, इस उम्मीद में कि आपकी सेक्स कोशिकाएं, आपकी पुरुष सेक्स कोशिकाएं, जो पुष्प-रेणु के अन्दर हैं, किसी तरह किस्मत से अन्य फूल तक पहुँच जाए. तो सभी घास, जिसका मतलब है सभी अनाज फसलें, और ज्यादातर पेड़ो के पास हवा में उड़ने वाले पुष्प-रेणु हैं. लेकिन ज्यादातर प्रजातियाँ असल में अपने प्रजनन के लिए कीड़ो का प्रयोग करती हैं. और यह एक तरह से ज्यादा बुद्धिमानी है, क्युंकि उन्हें ज्यादा पुष्प-रेणु की ज़रुरत नहीं है. कीड़े और दूसरी प्रजातियाँ पुष्प-रेणु को अपने साथ ले जा कर, सही जगह पहुँचा सकते हैं. तो बेशक हमें संबंधों का ज्ञान है कीड़े और पौधों के बीच. यह एक सहजीवी रिश्ता है, चाहें वो मक्खी या पक्षी या मधुमक्खी का हो, उन्हें बदले में कुछ मिल रहा है, और आमतौर पर, वो कुछ पराग है. कभी कभी वह सहजीवन अद्भुत रूपान्तरों को जन्म देता है - हमिंगबर्ड हौक-मोथ(एक प्रकार का कीट) अपने अनुकूलन में खूबसूरत है. पौधों को कुछ मिलता हैं, और हौक-मोथ पुष्प-रेणु कहीं और फैला देता है. पौधे विकसित हो गए हैं एक छोटी अवतरण -पट्टी बनाने के लिए उन मधु-मक्खियो के लिए जो अपना रास्ता भूल गयी हों. कई पौधों पर निशान होते हैं जो कीड़ो जैसे दीखते हैं. यह लिली के पराग-कोश हैं, चतुरतापूर्ण, ताकि जब अनजान कीड़े उस पर उतरता है, पराग कोष उछल कर उसकी पीठ से टकराते हैं बहुत सारे पुष्प-रेणु के साथ जो उसके साथ दुसरे पौधे तक चले जाते हैं. और एक ऑर्किड(पौधे का नाम) है आप को ऐसा लगेगा जैसे कि इसके दांत हो. यह ऐसा है कि यह कीड़े को इस प्रकार रेंगने पर मजबूर करता है, कि वह पुष्प-रेणु में ढक जाता है और उसे कहीं और ले जाता हैं. ऑर्किड की कम से कम २०००० प्रजातियाँ हैं -- आश्चर्यजनक रूप से विविध . और वे सब प्रकार की चाले चलते हैं . उन्हें पुष्प-रेणु फैलाने वालो को आकर्षित करना होता है अपना प्रजनन करवाने के लिए. यह ऑर्किड, इसे डार्विन का ऑर्किड कहते हैं, क्युंकि उन्होंने इसका अध्धयन किया था और उसे देखकर एक अद्भुत भविष्यवाणी की . आप देख सकते हैं कि वहां एक बहुत लम्बी पराग नली है जो नीचे आती है ऑर्किड से. और मूल रूप से कीट को क्या करना है -- हम फूल के बीच में हैं -- इसे अपनी छोटी नली डालनी होती है इसके मध्य में और पराग नली के अंत तक पराग तक पहुँचने के लिए . और डार्विन ने कहा, फूल को देख कर, "मुझे लगता है कोई इसके साथ सह-विकसित हुआ है" और बेशक, यहाँ है यह कीट . और, सामान्य तौर पर यह इसे लिपट कर रहता हैं, लेकिन सीधा हो के, यह ऐसा दिखता है. आप कल्पना कर सकते हैं अगर पराग इतना बहुमूल्य है और पौधों के लिए इसे बनाना महंगा है और यह बहुत सारे पुष्प-रेणु फैलाने वाले कीटों को आकर्षित करता है तो, बिल्कुल इंसानी संभोग की तरह, लोग धोखा कर सकते हैं. वह कह सकते हैं, "मेरे पास पराग है. क्या आपको यह चाहिए?" यह एक पौधा है. यह एक ऐसा पौधा है जिसे दक्षिण अफ्रीका के कीट बहुत पसंद करते हैं. और इन्होने एक लम्बी सूंड विकसित कर ली है तली में पराग तक पहुँचने के लिए. और यह नकलची है. तो यह पौधा एक दुसरे पौधे की नक़ल करता है. यह लम्बी नली वाली मक्खी है जिसे इस नकलची फूल से पराग नहीं मिला है. क्युंकि यह नकलची इसे पराग देता ही नहीं है. इसे लगा कुछ मिलेगा. तो मक्खी को ना ही पराग मिला है इस नकलची पौधे से, बल्कि - अगर आप गौर से देखे ऊपर की तरफ, आप देख सकते हैं इससे थोडा पुष्प-रेणु मिला है जो यह दुसरे पौधों तक पहुचाएगी. अगर सिर्फ कोई वनस्पति-वैज्ञानिक नहीं आया होता और इसे एक नीले पत्ते पर नहीं लगा दिया होता . (हँसी) छल पौधों के पूरे राज्य में चलता है. यह फूल अपनी काली बिंदियों के साथ : यह हमें काली बिंदी की तरह दिखती हैं, लेकिन, एक पुरुष कीड़े को, यह दो मादाओ की तरह दिखती हैं जो कि बहुत, बहुत आकर्षक हैं . (हँसी) और जब कीड़ा वहां पहुच कर उस पर उतरता है, अपने आप को पुष्प-रेणु में डुबो कर, जो बेशक, यह कहीं और ले जायेगा, और जब आप इसे करीब से देखते हैं, तो आप देख सकते हैं यहाँ एक सांचा है, जो त्रि-आयामी है शायद यह कीड़े को अच्छा महसूस भी होता है, और सुन्दर दिखता भी है. यह इलेक्ट्रो माइक्रोस्कोप की तस्वीर -- यह एक ऑर्किड कीड़े की नक़ल कर रहा है -- आप इसकी संरचना के विभिन्न हिस्से देख सकते हैं हमारी आखो के लिए अलग बनावट और अलग रंग के हैं , काफी अलग बनावट कीड़े के अनुभव से . और यह विकसित हुआ है नक़ल करने के लिए एक चमकदार धातु सतह की जो आप कुछ प्रकार के झींगुर पर देखते हो, और इलेक्ट्रो माइक्रोस्कोप के नीचे, आप देख सकते हैं यह सतह -- काफी अलग दिखती है उन सतहो से जो हमने देखी है. कभी कभी पूरा पौधा कीड़ों की नक़ल करता है, हमारी आँखों के लिए भी. शायद यह एक उड़ने वाले जानवर जैसा दिखता है. यह आश्चर्यजनक, अद्भुत है. यह पौधा चतुर है. इसे कहते हैं ओब्सीडियन. मुझे यह इन्सिदियम लगता है. मधु मक्खी की कुछ प्रजातियों को, यह एक आक्रामक मक्खी की तरह दिखती है, और वे उसे सर पर कई बार मारती हैं भगाने के लिए, और, बेशक, अपने आप पर पुष्प-रेणु लपेट लेती है. यह एक और चीज़ करता है यह पौधा एक दुसरे ऑर्किड की नक़ल करता है वो ऑर्किड एक अच्छा भंडार है कीड़ो के खाने का . और इस नकलची के पास कुछ नहीं है. तो यह दो तरह से धोखा देता है -- शानदार . (हँसी) यह है य्लंग य्लंग, कई इत्रों में इस्तेमाल होने वाला. आज किसी ने लगाया भी है. इस पौधे को इतना रंग बिरंगा होने की ज़रुरत नहीं है. यह विलक्षण विस्तार की खुशबुएँ फैला रहा है हर कीड़े के लिए जो सूंघ सकता है. यह वाला इतना अच्छी गंध नहीं देता. यह एक फूल है जो बहुत, बहुत दुर्गन्ध देता है और फिर ऐसे विकसित हुआ है, ताकि या सड़े हुए मांस के जैसे दिखे . तो मक्खिया इसे पसंद करती हैं. यह आती हैं और पुष्प-रेणु फैलाती हैं. यह हेलिकोदिक्रोस है, इससे मृत -घोड़े वाला फूल भी कहते हैं. मुझे पता नहीं, मृत घोड़े की दुर्गन्ध कैसी होती है, मगर इसकी दुर्गन्ध कुछ वैसी ही होती होगी. यह सच में भयंकर है . और यह मक्खी अपने आप को रोक नहीं सकती. वह उड़ कर इसमें पहुँच जाती हैं, और इसमें नीचे तक जाती हैं. इसमें अपने अंडे देती हैं, इसे कोई लाश समझ कर, इससे अनजान कि यहाँ कोई खाना नहीं है अन्डो के लिए, कि अंडे मर जायेंगे, लेकिन पौधे को फायदा हो गया है, क्युंकि बाल खुल गए और मक्खी उड़ गयी दूसरे फूलो में पुष्प-रेणु फैलाने के लिए -- शानदार. यह अरुम है, अरुम मचुलातुम, इसे कहते हैं स्वामी और भद्र-महिला, या फिर कोयल का प्याला ब्रिटेन में. मैंने यह तस्वीर पिछले हफ्ते डोरसेट में ली थी. यह गरम हो जाता है व्यापक तापमान से लगभग १५ डिग्री -- कमाल है. और अगर आप ऊपर से देखेंगे, वहां एक बाँध जैसा है, मक्खियाँ गर्मी से आकर्षित होती है -- जो उबल रहा है रसायनों से, छोटे कीड़े -- इसमें फस जाते हैं. वह यह पराग पीते हैं और फिर वह सब चिपचिपे हो जाते हैं. रात में वह पुष्प-रेणु में लिपट जाते हैं, जो उन पर बरसता है उपर से, और वह बल जो हमने देखे थे, वो लटक जाते है और इन छोटे कीड़ों को बाहर आने देते हैं, पुष्प-रेणु में लिपटे -- शानदार चीज़ . अगर वह शानदार था, तो यह मेरा पसंदीदा है. यह फिलोदेंद्रों सेल्लौम है. अगर आप ब्राजील से हैं, आप इसे जानते होंगे. यह सबसे अद्भुत है . यह कलम जैसी चीज़ एक फूट लम्बी है. और यह कुछ करती है जो कोई दूसरा पौधा नहीं कर सकता जब इसमें फूल खिलता है -- वहां बीच में सूंड है -- करीब २ दिन के लिए, यह इस तरह से पाचन करती है जो कि काफी कुछ स्तन-पायी जानवरों जैसा है. स्टार्च (मादी) की जगह जो पौधों का खाना है यह भूरी वसा (चिकनाई) जैसी एक चीज़े लेती है और उसे ऐसे दर पे जलाती है कि यह वसा जला रही होती है एक छोटी बिल्ली की दर के समान. और यह दो गुणा उर्जा उत्पादन है, वजन के हिसाब से, एक हमिंगबर्ड पक्षी के मुकाबले बिलकुल आश्चर्यजनक . और यह चीज़े कुछ और भी असामान्य करती है. यह अपने आप को ११५ डिग्री फारेनहाईट तक तपा लेती है, ४३-४४ डिग्री सेल्सियस, 2 दिन के लिए, लेकिन यह स्थिर तापमान रखती है. यहाँ एक ताप-विनियमन तंत्र है जो तापमान को स्थिर रखता है. अब यह ऐसा क्यों करता है? आप जानना चाहते होंगे. आप को पता नहीं है, कुछ झींगुर जिन्हें उस तापमान पर संभोग करना बहुत पसंद है वह अन्दर जाते हैं, और शुरू हो जाते हैं. (हँसी) पौधे उन पर पुष्प-रेणु की बौछार कर देते है और वह पुष्प-रेणु फैलाने निकल पड़ते हैं. कितनी लाजवाब चीज़ है. अब ज्यादातर पुष्प-रेणु फैलाने वाले हमें लगता है कीड़े होंगे, पर गरम देशो में, कई पक्षी और तितलियाँ पुष्प-रेणु फैलाते हैं. और कई ट्रोपिकल फूल लाल होते हैं, क्युंकि पक्षी और तितलियाँ हमारी तरह देखते है, और लाल रंग बहुत अच्छे से देख सकते हैं. अगर आप प्रकाश विस्तार देखें, पक्षी और हम, लाल, हरा और नीला देखते हैं और वही प्रकाश विस्तार देखते हैं. कीड़े हरा, नीला और परा-बैंगनी देखते हैं, और वह देखते हैं परा-बैंगनी के कई रंग. यहाँ कुछ जो है जो हमसे परे है. "जबरदस्त होगा, अगर हम यह देख सके", आप सोच रहे होंगे यह हो सकता है. कीड़े को क्या दीखता है? पिछले हफ्ते मैंने चट्टानी गुलाब की यह तस्वीरे ली है, हेलिंनठेमुम, डोरसेट में . यह छोटे पीले फूल हैं, सब जगह फैले हुए है. और यह प्रकट प्रकाश में ऐसे दीखते हैं. अगर आप लाल निकाल दो तो यह ऐसे दीखते हैं. ज़्यादातर मधु-मक्खियाँ लाल नहीं देख सकती. और फिर मैंने अपने कैमरे पर परा-बैंगनी छन्नी लगा दी और लम्बा अनावरण लिया परा-बैंगनी की विशेष आवृतियों पर और मुझे यह मिला . यह एक विलक्षण दृश्य है. हमें नहीं पता है मधु-मक्खी को क्या दीखता है, जैसे आप को नहीं पता मैं क्या देख रहा हूँ जब मैं इससे लाल कहता हूँ. हमें नहीं पता एक कीड़े के दिमाग में क्या चल रहा है, इंसान की तो बात ही छोड़ दो . मगर विपरीत कुछ ऐसा दिखेगा. पृष्ठ-भूमि से अलग . यह एक और छोटा फूल है -- अलग तरह की परा-बैंगनी आवृतियाँ, अलग छन्नी पुष्प-रेणु फैलाने वाले की जोड़ीदार. और इसे ऐसा दीखता होगा. अगर आप सोच रहे हैं कि सभी पीले फूल ऐसे होते हैं -- इन चित्रों को लेते समय इनमे से किसी फूल को नुकसान नहीं पहुँचा है; यह सिर्फ तिपाई से जुड़ा था, मारा नहीं गया -- फिर परा-बैंगनी के नीचे, देखिये. और यह एक धूप-अवरोधक का काम कर सकती है , क्युंकि धूप-अवरोधक परा-बैंगनी को सोखता है. शायद इसका रसायन काम का होगा. आखिर में, यह एक चित्र है प्रिम्रोसे की जो मुझे नार्वे से ब्जोर्न रोर्सलेट ने भेजी है -- शानदार छिपा प्रतिमान . मुझे गुप्त होने का विचार पसंद है . यहाँ कुछ काव्यगत है. कि यह चित्र परा-बैंगनी छननी से लिए गए हैं, उस छननी का मुख्य काम खगोलविदों को शुक्र की तस्वीर लेने में मदद करना है-- असल में शुक्र के बादल की. यह इस छलनी का मुख्य काम है. शुक्र, प्यार और प्रजनन का देवता है, जो एक फूल की भी कहानी है. जैसे फूल बहुत श्रम लगाते हैं पुष्प-रेणु फैलाने वालों से अपना काम करने में, उन्होंने हमें भी किसी तरह मना लिया है उन्हें बहुत तादाद में उगाने के लिए और एक दुसरे को देने में जीवन और मृत्यु के समय, और खासकर शादियों पर, अगर आप गौर करे, एक क्षण है जिसमे अनुवांशिक तत्त्व का आदान-प्रदान होता है एक जीव से दूसरे को. बहुत बहुत धन्यवाद (अभिवादन) सभी को नमस्ते मैं वास्तव में बहुत ही छोटे-छोटे जन्तुओ के साथ काम करती हूँ जिन्हे कोशिका कहते हैं। और मैं आप को बताना चाहती हूँ कि प्रयोगशाला में इन कोशिकाओं को कैसे बढा किया जाता हैं। मैं प्रयोगशाला में इन कोशिकाओं को इनके असली वातावरण से बाहर लेकर आती हूँ। हम इन्हे बर्तनो में रखते हैं जिन्हे पेट्री बर्तन भी कहते हैं। फिर निसंदेह हम उन्हे रोगाणुनाशक कोशिका संवर्धन नामक खाना खिलाते हैं और उन्हे इन्क्यूबेटर में बढ़ा करते हैं। मैं ऐसा क्यों करती हूँ? हम बर्तनों की सतह पर पड़ी इन कोशिकाओं का निरीक्षण करते हैं। लेकिन वास्तव में हम मेरी प्रयोगशाला में इन कोशिकाओं से ऊतक बनाने का प्रयास करते हैं। पर इस का क्या मतलब हैं? मतलब यह जैसे कि एक वास्तविक दिल या कहिए एक हड्डी का टुकड़ा बढ़ा करना ताकि उसे शरीर में डाला जा सके। ना सिर्फ यह बल्कि इन्हे बीमारी के माडल के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता हैं। पर इस के लिए पांरपरिक कोशिका संवर्धन तकनीक काफी नही हैं कोशिकाएं गृहातुर महसूस करती हैं; बर्तन इन्हे अपने घर जैसे नही लगते। इसलिए हमे जरुरत हैं कि उन्हे उनके प्राकृतिक वातावरण के प्रतिरुप रखे ताकि वो बढ़ सके। हम इसे प्रकृति अभिप्रेरित निर्माण कहते है। प्रयोगशाला में वातावरण की नकल करना। चलिए अब दिल का उदाहरण ले लिजिए जो ज्यादातर मेरी शोध का हिस्सा रहा हैं। दिल को क्या अद्वितीय बनाता हैं? जी दिल की धड़कन चलती है, लय में, बिना थके, ईमानदारी से। हम प्रयोगशाला में इसकी नकल करते हैं ताकि विद्युत-द्वार के साथ कोशिका संवर्धन को सजाया जा सके। यह विद्युत-द्वार छोटे गतिनिर्धारक का काम करते है जो कोशिका को प्रयोगशाला में धड़कने में मदद करता हैं। हम दिल के बारे में और क्या जानते हैं? दिल की कोशिकाएं बहुत ही लालची होती हैं। कुदरत हमारे दिल की कोशिकाओं को बहुत ही गाढ़े रक्त के सहारे जीवत रखती हैं। प्रयोगशाला में, हम वाहिका को बायोमैटीरियल्स में सूक्ष्म आकार देते हैं जिन से हम उन्हे बढ़ा करते हैं और यह हमें अनुमति देता हैं कि हम कोशिका संवर्धन जोकि कोशिकाओं का खाना हैं उसे मचाऩ के द्वारा प्रवाहित करें जहां हम इन्हे बढ़ाते हैं जैसे कि हम अपने दिल की केशिका से उमीद करते हैं। तो इस तरह मैं अपने पहले सबक तक पहुँचती हूँ। जीवन थोड़े में ही बहुत कुछ कर सकता हैं। चलिए अब वैद्युत का उदाहरण ही ले लीजिए। और देखिए यह आधारभूत तथ्य कितने ताकतवर हो सकते हैं। दाहिने तरफ हम एक दड़कते हुए दिल का छोटा सा ऊतक देख रहे हैं, जो मैंने एक चूहे की कोशिका से बनाया हैं। यह एक छोटे से मासशमैलो जितना हैं। और एक हफ्ते बाद यह धड़क रहा हैं। आप इसे ऊपरी दाहिने तरफ देख सकते हैं। पर चिन्ता ना करे अगर आप इसे अच्छे से ना देख पाए तो। यह आश्चर्यजनक हैं कि यह कोशिकाएं धड़क रही हैं। पर यह और भी अद्भुत हैं कि जब इन कोशिकाओं को वैद्युत से उत्तेजित करते हैं जैसे कि गतिनिर्धारक से तो यह और भी तेज़ धड़कने लगते हैं। तो इस तरह मैं अपने दूसरे सबक तक पहुँचती हूँ।' कोशिकाएं सारे काम स्वंय ही कर लेती हैं। एक मायने में, ऊतक इंजीनियरों की यहाँ उनकी पहचान पर बन आई हैं। क्योंकि संरचनात्मक इंजीनियर पुल और बड़ी चीज़े बनाते हैं। कंप्यूटर इंजीनियर, कंप्यूटर। पर हम यहाँ कोशिकाओं के लिए एक सक्षम तकनीक बना रहे हैं। पर इस सब का हमारे लिए क्या मतलब हैं? चलिए बहुत ही साधारण काम करते हैं। हम अपने आप को यह याद दिलाते हैं कि कोशिकाएं काल्पनिक धारणा नही हैं। याद रखिए कि असल में हमारी कोशिकाएं ही हमें पालती हैं। "हम वो हैं जो हम खाते हैं" इसे आसानी से वर्णित किया जा सकता हैं कि "हम वो हैं जो हमारी कोशिकाएं खाती हैं" और अगर हमारी आंत में वनस्पति की बात की जाए तो यह कोशिकाएं मनुष्य नही हैं। पर एक और बात पर ध्यान देना चाहिए कि कोशिकाएं हमारे जीवन के अनुभव के मध्यस्थ हैं। आवाज़, दृष्टि, स्पर्श, सूंघने और स्वाद के पीछे एक कोशिकाओं का समूह होता हैं जो इस जानकारी को हम तक पहुँचाता हैं। यहां एक सवाल उठता हैं कि क्या हमें अपनी पर्यावरण प्रबंधन योग्यता को बढ़ाना चाहिए ताकि हमारे शरीर के परितंत्र को इस में शामिल किया जा सके। मैं इस विष्य पर आगे बात करने के लिए आप को आमंत्रित करती हूँ। बाकि इस समय मैं आप सब को शुभकामनाएँ देती हूँ। मैं उमीद करती हूँ कि आपकी कोई भी गैर-कैंसर कोशिका लुप्तप्रायः प्रजाति ना बने। धन्यवाद (अभिवादन) मैं इंटरनेट से प्यार करता हूँ. यह सच है. सोचो यह हमारे लिए क्या लाया है. सभी सेवाओं के बारे में सोचो, सभी संपर्क, सभी मनोरंजन, सभी व्यापार, सभी वाणिज्य. और यह हमारे जीवन काल के दौरान हो रहा है. मुझे यकीनन लगता है कि एक दिन हम इतिहास की पुस्तकों में लिख सकता हैं अब से सैकड़ों वर्ष पहले . इसी समय हमारी पीढ़ी याद कि जाएगी उस पीढ़ी के रूप में जो कि ऑनलाइन है, वह पीढ़ी जिसने बनाया वास्तव में कुछ वैश्विक. लेकिन हाँ, यह भी सच है कि इंटरनेट की समस्याए, बहुत गंभीर समस्याएं हैं, सुरक्षा के साथ समस्या और गोपनीयता के साथ समस्या. मैं अपने कैरियर खर्च किया है इन समस्याओं से लड़ने में. तो चलो मैं तुम्हें कुछ दिखाता हूँ . यहाँ यह ब्रेन. यह एक फ्लॉपी डिस्क है पांच और चौथाई इंच फ्लॉपी डिस्क ब्रेन अ द्वारा संक्रमित है . यह पहली वायरस है जो हमने पाया है पीसी कंप्यूटर के लिए. और हम वास्तव में जानते हैं ब्रेन जहां से आया है. हम जानते हैं क्योंकि यह ऐसा कहता है कोड के भीतर. चलो एक नज़र देखते हैं. ठीक है. यह एक संक्रमित फ्लॉपी का बूट सेक्टर है. और अगर हम करीब से देखते हैं, हम वहाँ देखेंगे, यह कहते हैं, "तहखाने में आपका स्वागत है . " और फिर , कहता है , 1986, बासित और अमजद. और बासित और अमजद पहला नाम हैं, पाकिस्तानी पहला नाम. वास्तव में, वहाँ एक फोन और पाकिस्तान का एक पते की संख्या है . (हँसी) अब, 1986. अब है २०११. यह 25 साल पहले है. पीसी वायरस की समस्या अब 25 वर्ष पुरानि है. तो एक आधे साल पहले, मैंने पाकिस्तान खुद जाने का फैसला किया. तो चलो देखते हैं, यहाँ मैं लिए कुछ चित्र, जबकि मैं पाकिस्तान में था यह लाहौर शहर से है, जो करीब 300 किमी दक्षिण है अब्बोत्ताबाद से जहां ओसामा बिन लादेन पकड़ा गया था. यहाँ एक ठेठ सड़क दृश्य है. और यहाँ सड़क इस इमारत के लिए अग्रणी है , जो 730 निजाम ब्लॉक अल्लामा इकबाल टाउन में है. और मैंने दरवाजे पर दस्तक दी. (हँसी) आप को मालूम है कि दरवाजा किसने खोला? बासित और अमजद, वे अब भी वहाँ हैं. (हँसी) (तालियाँ) तो यहाँ खड़े बासित है. नीचे बैठे हैं भाई अमजद. ये लोग हैं जिन्होंने पहला पीसी वायरस लिखा. बेशक अब, हम ने एक बहुत ही रोचक चर्चा की. मैंने उन से पूछा, क्यों?. मैंने उनसे पूछा कि वह कैसा महसूस करते हैं उस के बारे में जो उन्होंने शुरू किया. और मुझे संतोष मिल गया जानने में कि दोनों बासित और अमजद ने अपने कंप्यूटर को दर्जनों बार संक्रमित होते देखा था पूरी तरह से असंबंधित अन्य वायरस के द्वारा इन वर्षों में. तो वहाँ न्याय है दुनिया में . अब, वायरस जो हम देखते थे १९८० और १९९० के दशक में जाहिर है, अब समस्या नहीं हैं. तो चलो मैं आप को सिर्फ उदाहरण के लिए दिखता हूँ वे कैसे लगते थे . मैं चला रहा हूँ एक प्रणाली, जो मेरे कंप्यूटर को सक्षम बनाता है एक आधुनिक कंप्यूटर पर उम्र के पुराने कार्यक्रमों को चलाना. तो मुझे बस यह लगाना है . यहाँ है पुराने वायरस की एक सूची है. तो मुझे सिर्फ अपने कंप्यूटर पर कुछ वायरस को चलाना है . उदाहरण के लिए, चलो चालीसपद वायरस का प्रयास करते हैं. और आप स्क्रीन के शीर्ष पर देख सकते हैं, वहाँ आपके कंप्यूटर के पार एक चालीसपद स्क्रॉल है जब आप का कंप्यूटर संक्रमित हो. आप को पता है कि आप संक्रमित हो, क्योंकि यह वास्तव में पता चलता है . यहाँ एक और है. यह वायरस का नाम है क्रैश १९९२ में रूस में अविष्कारक. यह है जो वास्तव में कुछ ध्वनि करता है . (बाला शोर) और आखरी उदाहरण के लिए, सोचो वाकर वायरस क्या करता होगा. हाँ, वहाँ एक आदमी अपनी स्क्रीन के पार चलने लगता है जब आप संक्रमित हो. तो आसान है पता करने में की आप संक्रमित हो एक वायरस से, जब वायरस शोकियों द्वारा लिखा गया था और किशोरों द्वारा. आज, वे अब लिखे नहीं जा रहे हैं शोकियों और किशोरों के द्वारा . आज, वायरस एक वैश्विक समस्या है. हम देख रहे हैं यहाँ पृष्ठभूमि में हमारे सिस्टम का एक उदाहरण, जो हम हमारी प्रयोगशालाओं में चलते हैं, हम कहाँ वायरस के संक्रमण को दुनिया भर में ट्रैक करते हैं. तो हम वास्तव में वास्तविक समय में देख सकते हैं कि हमने सिर्फ स्वीडन और ताइवान में अवरुद्ध किये है वायरस को और रूस और अन्य जगहों में . वास्तव में, अगर मैं सिर्फ हमारी प्रयोगशाला प्रणालियों में सम्बन्ध करून वेब के माध्यम से, हम वास्तविक समय में देख सकते हैं वायरस के कुछ प्रकार, कितने मैलवेयर के नए उदाहरण हम हर रोज पाते हैं . यहाँ हमने पाया है नवीनतम वायरस सर्वर डोट ईक्सइ किसी फ़ाइल में . और हमने इसे यहाँ तीन सेकंड पहले पाया है - उससे पहले एक, छह सेकेंड पहले. और अगर हम सिर्फ चारों देखें, यह बड़े पैमाने पर है. हमें हजारों मिलेंगे, यहां तक कि सैकड़ों हज़ार हैं. और वह मैलवेयर के पिछले 20 मिनट हर एक दिन. तो कहाँ से आ रहे हैं यह? आज, यह संगठित आपराधिक गिरोहों का काम है यह वायरस लेखन क्योंकि वे उनके वायरस के साथ पैसा बनाते हैं. यह गिरोह हैं जैसे - चलो देखते हैं GangstaBucks.com . यह मॉस्को में चल रही एक वेबसाइट है जहां यह लोगों के संक्रमित कंप्यूटर खरीद रहे हैं. तो अगर आप एक वायरस लेखक हैं और आप विंडोज कंप्यूटर को संक्रमित करने में सक्षम रहे हैं, लेकिन आप नहीं जानते कि उनके साथ क्या करना है, आप उन संक्रमित कंप्यूटर को बेच सकते हैं - किसी और का कंप्यूटर - इन लोगों को. और वे वास्तव में आप को उन कंप्यूटरों के लिए भुगतान करेंगे . तो यह लोग पैसे कैसे कमाते हैं उन संक्रमित कंप्यूटर से ? वैसे वहाँ कई अलग अलग तरीके हैं , जैसे बैंकिंग ट्रोजन्स, जो आपके ऑनलाइन बैंकिंग खातों से पैसे चोरी करता है जब आप ऑनलाइन बैंकिंग करते हैं , या केय्लोग्गेर्स. केय्लोग्गेर्स चुपचाप आपके कंप्यूटर पर बैठे, आख से छिपा, और वे सब रिकॉर्ड करते हैं जो आप टाइप करते हैं . तो आप अपने कंप्यूटर पर बैठे हैं और आप गूगल खोज कर रहे हैं . हर एक गूगल खोज आप करें बचाया और अपराधियों को भेजा. हर एक ईमेल जो आप लिखते हैं बचाया और अपराधियों को भेजा. हर एक पासवर्ड भी . लेकिन वे वास्तव में सबसे अधिक देख रहे हैं सत्र जहाँ आप ऑनलाइन जाएँ और किसी भी ऑनलाइन स्टोर में ऑनलाइन खरीद करते हैं . क्योंकि जब आप ऑनलाइन स्टोर में खरीद करते हैं आप अपना नाम, पता टाइप करते हैं, आपके क्रेडिट कार्ड नंबर और क्रेडिट कार्ड का सुरक्षा कोड. और यहाँ एक फ़ाइल का एक उदाहरण है हम एक सर्वर से कुछ हफ़्ते पहले मिली. यह है क्रेडिट कार्ड नंबर, यह है समाप्ति की तारीख, यह है सुरक्षा कोड, और यह है कार्ड के मालिक का नाम है. एक बार जब आप अन्य लोगों के क्रेडिट कार्ड की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं, तुम सिर्फ ऑनलाइन जाओ और जो आप जाहो खरीद सकते हैं इस जानकारी के साथ. और वह, जाहिर है, एक समस्या है. अब हमारे पास एक पूरा भूमिगत बाजार है और व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र ऑनलाइन अपराध के दम पर बनाया गया. एक उदाहरण की कैसे यह लोग वास्तव में अपने अभियान से पैसे कमाने में सक्षम हैं. हम जानेने के लिए इंटरपोल के पन्नों पर एक नज़र डालते हैं और सर्च करते हैं अप्रधिओं के लिए. हम ब्योर्न सुन्दीन जैसे लोग, जो मूल रूप से स्वीडन से हैं मिलेंगे, और अपराध में उनके साथी, इंटरपोल पर सूचीबद्ध हैं , श्री शैलेश्कुमार जैन, एक अमेरिकी नागरिक है . ये लोग एक IMU नाम का आपरेशन चला रहे थे, एक इन्टरनेट का अपराधिक आपरेशन जिसके माध्यम से वे लाखों कमा रहे थे. वे दोनों अब फरार हैं . कोई नहीं जानता कि वे कहाँ हैं. अमेरिकी अधिकारियों, सिर्फ दो हफ्ते पहले, एक स्विस बैंक खाते को सील करते हैं श्री जैन से संबंधित, और उस बैंक खाते पर १४९ लाख अमरीकी डॉलर था. तो ऑनलाइन अपराध की उत्पन्न राशि काफी बड़ी है. और इसका मतलब है कि ऑनलाइन अपराधि वास्तव में उनके हमलों में निवेश के लिए खर्च कर सकते हैं. हम जानते हैं कि ऑनलाइन अपराधि प्रोग्रामर की भर्ती कर रहे हैं, परीक्षण के लोगों को काम पर रख रहे हैं, अपने कोड का परीक्षण कर रहे हैं , SQL डेटाबेस के साथ अंत प्रणालियों का इस्तमाल कर रहे हैं . और वह वहां कर सकते हैं हमारे काम के तरीके को समझने में - सुरक्षा लोग कैसे काम करते हैं - और अपने तरीके उस में ढालते हैं कोई भी सुरक्षा सावधानी जिसका हम निर्माण कर सकते हैं. वह इंटरनेट की वैश्विक प्रकृति का उपयोग भी करते हैं अपने लाभ के लिए. मेरा मतलब है, इंटरनेट अंतरराष्ट्रीय है. इसलिए हम इसे इंटरनेट कहते हैं . और अगर आप बस इसे देखें ऑनलाइन दुनिया में क्या हो रहा है, यहाँ एक वीडियो स्पष्ट नेटवर्क द्वारा बनाया गया है, जो दिखाता है कि कैसे एक एकल मैलवेयर परिवार दुनिया भर में स्थानांतरित होने में सक्षम है. यह आपरेशन, एस्टोनिया से मूल माना जा रहा है , एक देश से दूसरे देश चलता हैं जैसे ही वेबसाइट को बंद करने की कोशिश की जाती है. तो आप इन लोगों को नहीं बंद कर सकते हैं. वे एक देश से दूसरे के लिए स्विच हो जाएगा, एक कानूनी क्षेत्र से दूसरे में - दुनिया भर में चलता है, इस तथ्य का उपयोग कर, की हममे क्षमता नहीं है विश्व स्तर पर इस तरह से संचालन को पुलिस करने के लिए. तो इंटरनेट ऐसा है जैसे किसी को मुफ्त हवाई जहाज का टिकट दिया गया हो दुनिया के सभी ऑनलाइन अपराधियों के लिए . अब, अपराधी जो हम तक पहुँचने में पहले सक्षम नहीं थे हम तक पहुँच सकते हैं. तो आप वास्तव में कैसे ऑनलाइन अपराधियों को खोजते हैं? कैसे आप वास्तव में उन्हें पकड़ते हैं. मैं एक उदाहरण देता हूँ . यहाँ है एक एक्सप्लॉइट फ़ाइल. यहाँ, मैं एक छवि फ़ाइल के हेक्स डंप को देख रहा हूँ, जिसमें एक एक्ष्प्लोइत है. और है कि मूल रूप से मतलब है, अगर आप अपने विण्डोज़ कंप्यूटर पर इस छवि फ़ाइल को देखने की कोशिश कर रहे हैं, यह वास्तव में आपके कंप्यूटर पर राज करने लगता है और कोड चलाता है . अब, यदि आप इस छवि फ़ाइल को एक नज़र देखोगे - वहाँ है छवि हेडर, और वहाँ हमले का वास्तविक कोड शुरू होता है. और वह कोड एन्क्रिप्टेड है, तो चलो इसे डिक्रिप्ट करते हैं. यह XOR 97 समारोह के साथ एन्क्रिप्टेड है . आप को बस मुझ पर विश्वास करना होगा , यह है, यह है. और हम यहाँ जा सकते हैं और वास्तव में यह देक्र्यप्तिंग शुरू करते हैं . खैर अब कोड के पीले भाग देक्र्यप्तेद है. और मुझे पता है, यह वास्तव में मूल से बहुत अलग नहीं लगता है. लेकिन इसे देखते रहे. आप वास्तव में है कि यहाँ नीचे देखेंगे आप एक वेब पता देख सकते हैं: unionseek.com/d/ioo.exe और जब आप अपने कंप्यूटर पर इस छवि को देखने के यह वास्तव में यह उस प्रोग्राम को ला के चलाने लगता है. और यह एक पिछला दरवाजा है जो आपके कंप्यूटर पर राज करने लगेगा. लेकिन इससे भी अधिक दिलचस्प है, अगर हम देक्र्यप्तिंग जारी रखते हैं , हमें यह रहस्यमय स्ट्रिंग मिल जाएगा जो O600KO78RUS कहता है . वेह कोड एन्क्रिप्शन के नीचे वहाँ है एक हस्ताक्षर के रूप में. यह किसी भी चीज़ के लिए इस्तेमाल नहीं होता है. और मैं उसे देख रहा था, इसका क्या मतलब है पता लगाने की कोशिश कर रहा था. तो जाहिर है मैं इसके लिए गूगल किया. मुझे कुछ नहीं मिला, वहाँ नहीं था. तो मैं लैब में लोगों के साथ बात की. और हमारी प्रयोगशालाओं में कुछ रूसी लोगोंहैं, और उनमें से एक उल्लेख किया , यह रूस की तरह स में समाप्त होता है. और ७८ शहर का कोड है सेंट पीटर्सबर्ग शहर का . उदाहरण के लिए, आप इसे कुछ फोन नंबर पर पा सकते हैं कार और लाइसेंस प्लेट और इस तरह की जगहों पर. तो मैं सेंट पीटर्सबर्ग में संपर्कों के लिए देख रहा था. और एक लम्बे माध्यम से, हम अंततः यह एक विशेष वेबसाइट पर पहुचे. यहाँ इस रूसी आदमी है जो कई वर्षो से ऑनलाइन काम कर रहा है जो अपनी वेबसाइट चलता है , और वह लोकप्रिय लाइव जर्नल के तहत एक ब्लॉग चलाता है. और इस ब्लॉग पर, वह अपने जीवन के बारे में ब्लॉग करता है, सेंट पीटर्सबर्ग में अपने जीवन के बारे में - वह अपने प्रारंभिक २० वर्षों में है - अपनी बिल्ली के बारे में, उसकी प्रेमिका के बारे में. और वह एक बहुत अच्छी कार चलता है. वास्तव में, इस आदमी चलता है मर्सिडीज बेंज S600 V12 छह लीटर इंजन के साथ ४०० से अधिक अश्वशक्ति के साथ . अब यह सेंट पीटर्सबर्ग में एक 20 - कुछ साल के बच्चे के लिए एक काफी अच्छी कार है . मैं इस कार के बारे में कैसे जानता हूँ ? क्योंकि वह कार के बारे में भी ब्लॉग करता है. वह वास्तव में एक कार दुर्घटना में था . शहर सेंट पीटर्सबर्ग में, वास्तव में एक अन्य कार में उसकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी. और वह कार दुर्घटना के बारे में उसने ब्लॉग पर तस्वीरें डाली - यह है उसकी मर्सिडीज - यह वह लाडा समारा जिसमे उसकी तकर हुई . और आप वास्तव में देख सकते हैं कि समारा के लाइसेंस प्लेट 78RUS में समाप्त होता है. और अगर आप वास्तव में दृश्य चित्र पर एक नज़र डालें , आप देख सकते हैं कि मर्सिडीज का नंबर O600KO78RUS है. अब मैं एक वकील नहीं हूँ, लेकिन अगर मैं होता, इस जगह मैं कहता, "मैं अपने मामले आप के सुपुर्द करता हूँ." (हँसी) तो क्या होता है जब ऑनलाइन अपराधियों पकड़े जाते हैं? वैसे ज्यादातर मामलों ऐसा होता नहीं है . ऑनलाइन अपराध के मामलों की ज्यादातर, हम यह भी नहीं जान पाते की यह किस महाद्वीपसे आ रहे हैं. और भले ही हम ऑनलाइन अपराधियों को खोजने में सक्षम रहे हो, अक्सर वहाँ कोई परिणाम नहीं होता . स्थानीय पुलिस कुछ करती नहीं है, अगर वे करते हैं, वहाँ पर्याप्त सबूत नहीं है, या किसी कारण से हम उनका कुछ नहीं कर सकते हैं. काश यह आसान होता; दुर्भाग्य से यह नहीं है. लेकिन चीजें भी बदल रही हैं बहुत ही तीव्र गति पर . आप सब ने Stuxnet तरह की चीजों के बारे में सुना है. तो अगर आप Stuxnet को देखो, उसने क्या किया है कि उसने इन्हें संक्रमित किया है. यह एक Siemens S7-400 पीएलसी, क्रमादेश तर्क नियंत्रक. और यह हमारे बुनियादी ढांचे चलाती हैं . यह हमारे आस पास सब कुछ चलाता है . पीएलसी, यह छोटे बक्से जिनमे कोई प्रदर्शन नहीं है , कोई कुंजीपटल नहीं, जो क्रमादेशित हैं, जगह में खड़े हैं , और वे अपना काम करते हैं. उदाहरण के लिए, इस इमारत में लिफ्ट सबसे अधिक संभावना है, इन में से एक के द्वारा नियंत्रित हो रही है . और जब Stuxnet इनमें से एक को संक्रमित करेगा, वेह एक विशाल क्रांति है उन जोखिमों के बारे में जिनकी चिंता करने की ज़रुरत है . क्योंकि सब कुछ हमारे आसपास इन के द्वारा चलाया जा रहा है . मेरा मतलब है, हमारे पास महत्वपूर्ण अवसंरचना है. आप किसी भी कारखाने, किसी भी बिजली संयंत्र को देखिये किसी भी रासायनिक संयंत्र, किसी भी खाद्य प्रसंस्करण संयंत्र को देखिये, आप चारों ओर देखिए - सब कुछ कंप्यूटर द्वारा चलाया जा रहा है . सब कुछ कंप्यूटर द्वारा चलाया जा रहा है . इन कंप्यूटरों पर सब कुछ निर्भर है . हम बहुत निर्भर हो गए हैं इंटरनेट पर, बिजली जैसी बुनियादी चीज़ों पर, जाहिर है, कंप्यूटर के काम करने पर. और यह वास्तव में कुछ बड़ा है जो पूरी तरह से हमारे लिए नई समस्याएं पैदा करता है. हमारे पास कोई रास्ता होने चाहिए काम जारी रखने के भले ही कंप्यूटर असफल हो जाए. (हँसी) (तालियाँ) तो तैयारियों का मतलब है कि हम सामना कर सकते हैं तब भी जब बुनियादी चीज़े वहाँ नहीं हैं. यह वास्तव में बहुत बुनियादी सामान है - निरंतरता के बारे में सोच, बैकअप के बारे में सोच, उन चीज़ों के बारे में सोचना जो वाकई ज़रूरी हैं. अब मैंने आप से कहा था - (हँसी) मैं इंटरनेट से प्यार करता हूँ. सभी ऑनलाइन सेवाओंके बारे में सोचो. सोचो अगर वे आप से छीन ली जाये , एक दिन अगर आप वास्तव में न रहे किसी भी कारण से . मैं भविष्य में इंटरनेट की सुंदरता को देखता हूँ, लेकिन मैं चिंतित हूँ कि हम शायद देख न पाए. मुझे चिंता है कि हम समस्याओं में जा रहे हैं ऑनलाइन अपराध की वजह से . ऑनलाइन अपराध वह एक चीज़े है कि इन बुनियादी चीज़ों कोहम से दूर ले जाये . (हँसी) मैं अपना जीवन बिताया है इंटरनेट का बचाव करते हुए. और मैं महसूस करता हूं कि अगर हम ऑनलाइन अपराध से लड़ाई नहीं करते हैं, हम यह सब खोने का जोखिम को उठा रहे हैं . हमें यह विश्व स्तर पर करना है, और हमें इसे अभी करना है. हम चाहिए अधिक वैश्विक, अंतरराष्ट्रीय कानून प्रवर्तन ऑनलाइन आपराधिक गिरोहों को खोजने के लिए - इन संगठित गिरोहों जो लाखों बना रहे हैं उनके हमलों से . यह बहुत अधिक महत्वपूर्ण है विरोधी वायरस या फायरवॉल चलाने से . वास्तव में असर होता है इन हमलों के पीछे कोण लोग हैं उनका पता लगाने से. और भी अधिक महत्वपूर्ण, हम लोगों के लिए है खोजना उन लोगो को जो बनने वाले हैं अपराध की इस ऑनलाइन दुनिया का हिस्सा, लेकिन अभी तक बने नहीं हैं. हम दूंदना है लोगो को jinke पास कौशल है , लेकिन अवसरों के बिना और उन्हें अवसर देने हैं अच्छे के लिए अपने कौशल का उपयोग करने के लिए. बहुत बहुत धन्यवाद. तालियाँ यह एक तस्वीर है कलाकार माइकल नज्जार द्वारा, और यह असली है, मतलब कि वह अर्जेंटीना गए इस फोटो के लिए. लेकिन यह एक कथा भी है. इसमें बहुत काम हुआ है. और उन्होंने एक नया डिजिटल आकार दिया है पहाड़ों की सभी आकृति को डो जोंस सूचकांक के मुताबिक बनाया है. तो आप देख रहे हैं, कि करारा, घाटी के साथ कि उच्च करारा , 2008 का वित्तीय संकट है . यह फोटो बनाया था जब हम वहाँ घाटी में थे. मुझे नहीं पता है हम अब कहाँ हैं. यह है हैंग सेंग सूचकांक हांगकांग के लिए . और इसी तरह की स्थलाकृति. मैं सोचता हूँ क्यों. और यह कला. यह रूपक है. लेकिन मुझे लगता है कि मुद्दा है कि यह दाँत के साथ रूपक है. और उन दांत के साथ मैं आज प्रस्ताव करना चाहता हूँ कि हम पुनर्विचार करें - समकालीन गणित की भूमिका के बारे में - न सिर्फ वित्तीय गणित, लेकिन सामान्य में गणित. कि इसका संक्रमण दुनिया से निकाले जाने वाली चीज़ से दुनिया को आकृति देने वाली चीज़ में हो रहा है - हमारे बहार और हमारे अंदर की दुनिया. और यह विशेष रूप से है एल्गोरिदम (कलनविधि), जो मूल रूप से गणित कर रहे हैं जो कंप्यूटर उपयोग करें. वे सत्य की संवेदनशीलता का अधिग्रहण करते हैं, क्योंकि वे दोहराते हैं बार-बार. और वे मुलायम-सख़्त होते हैं बार-बार, और फिर वे असली हो जाते हैं. और मैं इस बारे में सोच रहा था, एक ट्रान्साटलांटिक उड़ान पर दो वर्ष पहले, क्योंकि मैं बैठा हुआ हो मेरी उम्र के एक हंगरी के भौतिक विज्ञानी के साथ और हम बात कर रहे थे जीवन कैसा था शीत युद्ध के दौरान हंगरी में भौतिकविदों के लिए. और मैंने कहा, "तो आप क्या कर रहे थे?" और उन्होंने कहा, "हम ज्यादातर छल तोड़ रहे थे." और मैंने कहा, "यह एक दिलचस्प काम है.. कैसे काम करता है? " वह समझने के लिए, आप को छल कैसे काम करता है यह समझना पड़ेगा. और इसलिए यह सरलीकरण है - लेकिन ऐसा नहीं है की आप एक रडार संकेत पारित कर सकें आकाश में 156 टन इस्पात के आर-पार. यह बस गायब नहीं होने वाला. लेकिन अगर तुम इस बड़ी चीज़े को ले कर, और इसे बदल सकते हो लाखों छोटी चीज़ों में- पक्षियों के एक झुंड की तरह - तो वह रडार जो उसे देखने की कोशिश कर रहा है सक्षम होना चाहिए आकाश में पक्षियों के हर झुंड को देखने में. और अगर आप एक रडार हैं, यह एक बुरा काम है. उन्होंने कहा, "हाँ, लेकिन यह तब यदि आप एक रडार हों. तो हमने एक रडार का उपयोग नहीं किया; हमने एक ब्लैक बॉक्स बनाया जो विद्युत संकेतों को ढूँढता है, इलेक्ट्रॉनिक संचार. और, जब भी हमें पक्षियों के झुंड इलेक्ट्रॉनिक संचार करते दीखते हैं हमने सोचा कि शायद इसमें अमेरिकियों का हाथ है." और मैंने कहा, "हाँ. यह अच्छा है. तो आप ने नकार दिए है हवाबाज़ी अनुसंधान के 60 साल. आप आगे क्या करेंगे? बड़े होकर? " और उन्होंने कहा, वित्तीय सेवाएँ. और मैंने कहा, "ओह." क्योंकि वे हाल ही में खबर में थीं . और मैंने कहा, "कि यह कैसे काम करता है?" उन्होंने कहा, "वॉल स्ट्रीट पर 2,000 भौतिकवादी हैं, और मैं उनमें से एक हूँ. " और मैंने कहा, "वॉल स्ट्रीट के लिए ब्लैक बॉक्स क्या है? " और उन्होंने कहा, "अजीब बात है कि आप ने यह पूछा, क्योंकि इसे वास्तव में ब्लैक बॉक्स व्यापार कहते हैं. और कभी कभी इसे अलगो व्यापार भी कहा जाता है, एल्गोरिथमिक व्यापार. " और एल्गोरिथमिक व्यापार विकसित हुआ क्योंकि संस्थागत व्यापारियों की वही समस्या है जो कि संयुक्त राज्य वायु सेना की थी, जो है कि वे इन पदों को हिला रहे हैं - अगर यह प्रॉक्टर एंड गैंबल या एक्सेंचर, या कोई और - वे कुछ दस लाख शेयर हिला रहे हैं बाजार के माध्यम से. और अगर वे यह सब एक बार में करेंगे , यह पोकर में सारे पत्ते खोल देने जैसा है. तुम बस अपने हाथ दिखाओ और इसलिए रास्ता खोजना ज़रूरी था - और वे इसके लिए एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं - उस बड़ी चीज़ को तोड़ने के लिए दस लाख छोटे लेनदेन में. और उस के जादू और अत्यंत भय यह है कि एक ही गणित जिससे आप बड़ी चीज़ को तोड़ते हो दस लाख में उसके इस्तमाल से दस लाख छोटी चीजें ढून्ढ आप उन्हें एक बना सकते हो और बाज़ार का आकलन कर सकते हो. तो अगर आप को आकलन करना है की इस वक़्त शेयर बाजार में क्या हो रहा है, आप देख सकते हैं की यह एल्गोरिदम का एक गुच्छा है जो छिपाने के लिए क्रमादेशित हैं, और कुछ एल्गोरिदम जो उन्हें खोजने के लिए क्रमादेशित हैं. और यह सब महान है, ठीक है. वह 70 प्रतिशत है संयुक्त राज्य अमेरिका के शेयर बाजार का, ऑपरेटिंग सिस्टम का 70 प्रतिशत पूर्वता जिस आपकी पेंशन कहते थे, आपका र्रिन. और क्या गलत हो सकता है? और क्या गलत हो सकता है? कि एक साल पहले, पूरे बाजार के नौ प्रतिशत सिर्फ पांच मिनट में गायब हो जाते हैं, और वे इसे २:४५ का अजब-गजब बुलाते हैं. अचानक, नौ प्रतिशत गायब, और इस दिन तक कोई नहीं सहमत हो पाता है की क्या हुआ, क्योंकि न ही किसी ने इसका आदेश दिया, न माँगा. किसी का इस पर नियंत्रण नहीं था. उन के पास सिर्फ था बस एक पर्दा जिस पर संख्या थी और सिर्फ एक लाल बटन जिस पर लिखा था, "बंद करो." और वह बात है, कि हम लिख रहे हैं, हम इन चीज़ों को लिख रहे हैं जिन्हें हम पढ़ नहीं सकते. और हमने ऐसी चीज़ तैयार करी है अस्पष्ट. और हम समझ खो चुके हैं क्या वास्तव में हो रहा है इस दुनिया में जो हमने बनायीं है. और हम आगे बढ रहे हैं. बोस्टन में एक कंपनी है नानेक्स, और वे गणित और जादू का उपयोग करते हैं और मुझे नहीं पता वे सभी बाजार के आंकड़ों में पहुँच और वे पाते हैं, कभी कभी, इन एल्गोरिदमों में कुछ . उन्हें खोज बहार निकालते हैं और वे उन्हें तितलियों की तरह दीवार से चिपका देते हैं . और वे वही करते हैं जो हम हमेशा करते हैं जब भारी मात्रा में आकडे सामने आते हैं और हमें समझ नहीं आते -- वे उन्हें एक नाम दे देते हैं और एक कहानी. तो यह एक है , वे उसे चाकू बुलाते हैं , आनंदोत्सव, बोस्टन पैर घसीटनेवाला, संध्या. और झूठ है कि, ये सिर्फ बाजार के माध्यम से नहीं चल रहे हैं. आप इन प्रकार की चीजों को सब जगह पा सकते हैं, यह जान की इन्हें कैसे ढूँढ़ते हैं. आप इन्हें यहाँ पा सकते हैं: इस पुस्तक में मक्खियों के बारे में जो आप अमेज़न पर देख सकते हैं. आपने इन्हें देखा होगा जब इसकी कीमत 17 लाख डॉलर पर थी. यह अभी भी ... - प्रिंट से बाहर है (हँसी) यदि आप ने इसे 17 पर खरीदा होगा, यह एक अच्छा सौदा होता. कुछ घंटे बाद, यह था 236 लाख डॉलर , और डाक का खर्च. और सवाल है: इसे कोई खरीदने या बेचने वाला नहीं था, क्या हो रहा था? और आप अमेज़न पर इस व्यवहार को देख सकते हो जैसे आप इसे वॉल स्ट्रीट पर देखते हैं. और जब आप इस तरह के व्यवहार को देखते हैं , आप देखते हो सबूत एल्गोरिदम के संघर्ष का, एक दूसरे के साथ लूप्स में बंद एल्गोरिदम, किसी मानव निरीक्षण के बिना, किसी भी वयस्क पर्यवेक्षण के बिना असल में, 17 लाख बहुत है. (हँसी) और जैसे अमेज़न के साथ है, वैसे है नेत्फ्लिक्स के साथ. और नेत्फ्लिक्स ने देखे हैं पिछले कुछ वर्षों में कई अलग अलग एल्गोरिदम . वे सिनेमत्च के साथ शुरू हुए, और कई अलग चीज़ों की कोशिश की. "डायनासौर ग्रह" है, वहाँ "गुरुत्वाकर्षण" है. अब वे "व्यावहारिक अराजकता" का उपयोग कर रहे हैं. व्यावहारिक अराजकता नेत्फ्लिक्स के अन्य एल्गोरिदम की तरह, एक ही बात करने की कोशिश करता है. यह आपको समझ पाने की कोशिश कर रहा है, मानव खोपड़ी को अंदर से , ताकि यह सिफारिश कर सके कोन सी फिल्म आप अगली बार देखना चाहो - जो एक बहुत, बहुत कठिन समस्या है. लेकिन समस्या की कठिनाई और तथ्य यह है कि हम वास्तव में वहां पहुचे नहीं हैं, यह नहीं कर सकता है व्यावहारिक अराजकता के प्रभाव से. व्यावहारिक अराजकता, सभी नेत्फ्लिक्स एल्गोरिदम की तरह , अंत में निर्धारित करता है, ६० प्रतिशत फिल्मे जो आप किराए पर लेते हैं. तो कोड का एक टुकड़ा तुम्हारे बारे में एक विचार से उन फिल्मों के ६० प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है . लेकिन अगर आप उन फिल्मों को अनुपात कर सकते इससे पहले कि वह बने? वेह काम का नहीं होगा? ब्रिटेन के कुछ डेटा विज्ञानिक हॉलीवुड में हैं, और उनके पास है कहानी एल्गोरिदम - एक कंपनी है एपगोगिक्स. और आप उस के माध्यम से अपनी स्क्रिप्ट चला सकते हैं, और वे आपको बता कर सकते हैं, आंकलन कर, कि यह ३०० लाख डॉलर की फिल्म है या एक २००० लाख डॉलर की. और बात है कि यह गूगल नहीं है. यह जानकारी नहीं है. ये वित्तीय आँकड़े नहीं हैं, यह संस्कृति है. और आप यहाँ देख रहे हैं, जो आप सामान्यता नहीं देखते हैं, कि यह संस्कृति की भौतिकी है . और अगर यह एल्गोरिदम, वॉल स्ट्रीट के एल्गोरिदम की तरह , सिर्फ एक दिन दुर्घटनाग्रस्त हो जाये और धराशायी हो जाये, हमें कैसे पता चलेगा, यह कैसा दिखेगा? और वे आप के घर में हैं. यह दो एल्गोरिदम आप के कमरे के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं . ये दो अलग सफाई रोबोट हैं जिनका सफाई का मतलब बहुत अलग है. और आप इसे देख सकते हैं यदि आप इसे धीमा करें और उन्हें रोशनी दें. वे आपके शयन कक्ष में गुप्त आर्किटेक्ट की तरह हैं . और विचार है कि खुद वास्तुकला किसी तरह एल्गोरिथम अनुकूलन पर निर्भर करती है दूर की कौड़ी नहीं है. यह असली है और यह आप के आसपास हो रहा है. आप इसे सबसे अधिक महसूस करते हैं जब आप एक मोहरबंद धातु बक्से में होते हैं, एक नई शैली का एलेवेटर, इसे गंतव्य नियंत्रण लिफ्ट कहते हैं. ये हैं जहाँ आप अपनी मंजिल पहले बताते हैं इससे पहले कि आप लिफ्ट में जाएँ. और यह एक बिन पैकिंग एल्गोरिथ्म का उपयोग करता है. तो कोई पागलपन नहीं हर किसी को पसंद की कार में जाने देने का. हर कोई जो १०वीं मंजिल पर जा रहा हो कार नंबर दो में जाता है, और तीसरी मंजिल वाले कार पांच में. और उस के साथ समस्या कि लोग डर जाते हैं. आतंक में. और देख सकते हो क्यों. क्योंकि एलेवेटर में बटन की तरह कुछ महत्वपूर्ण उपकरण है लापता. (हँसी) चीजें जो लोग उपयोग करते हैं. इसमें सिर्फ है संख्या जो ऊपर या नीचे जाती है और वे लाल बटन जो कहता है, "बंद करो. " और यह है जिसके लिए हम डिजाइन कर रहे हैं . हम डिजाइन कर रहे हैं इस मशीन बोली के लिए . और इसे हम कितनी दूर ले जा सकते हैं? आप इसे वास्तव में बहूत दूर ले जा सकते हैं . वापस वॉल स्ट्रीट चलते हैं. क्योंकि वॉल स्ट्रीट की एल्गोरिदम सब से ऊपर एक गुणवत्ता पर निर्भर हैं, जो गति है. और वे क्षंड के लाखवे या करोड़वे हिस्से पर कार्य करते हैं. सिर्फ आप को उस गति का स्वाद देने के लिए, आप को ५ लाख मिक्रोसेकांड्स लगते हैं सिर्फ एक माउस क्लिक करने में. लेकिन अगर आप एक वॉल स्ट्रीट एल्गोरिथ्म हैं और आप पाँचमिक्रो सेकंड पीछे रहे हैं, आप हारे हुए हैं. तो अगर आप एक एल्गोरिथ्म होते, आप इस तरह का वास्तुकार ढूँढ़ते जो मुझे फ्रैंकफर्ट में मिला जो एक गगनचुंबी इमारत को खाली कर रहा था - सभी फर्नीचर बाहर फेंक, मानव उपयोग के बुनियादी ढांचे सहित और फर्श पर सिर्फ इस्पात लगा रहा था सर्वर के ढेर लगाने के लिए - इतना सब एक एल्गोरिथ्म को इंटरनेट के करीब लाने के लिए. आप इन्टरनेट को एक वितरित प्रणाली केरूप में देखते हो. और हां, यह है, लेकिन कुछ स्थानों से वितरित है. न्यू यॉर्क में, यह कहाँ से वितरित है: कैरियर होटल हडसन स्ट्रीट पर स्थित. और यह जगह है जहाँ सारे तार शहर में आ रहे हैं. और वास्तविकता यह है कि आप उससे जितने दूर हैं, आप हर बार कुछ मिक्रोसेकांड्स पीछे हैं. वॉल स्ट्रीट पर ये लोग, मार्को पोलो और चेरोकी नेशन, वे आठ मिक्रोसेकांड्स पीछे हैं इन से खाली इमारतों में जा कैरियर होटल के आसपास . और वह होता रहेगा. हम उन्हें खाली करते रहेंगे, क्योंकि यह, इंच दर इंच और पाउंड दर पाउंड, और डॉलर दर डॉलर, आप में से कोई भी इतना राजस्व नहीं निचोड़ सकते हैं बोस्टन पैर घसीटनेवाले की तरह. लेकिन अगर आप दूर से देखो, लेकिन अगर आप दूर से देखो, आप एक 825 मील की खाई को देखोगे न्यूयॉर्क सिटी और शिकागो के बीच जो पिछले कुछ वर्षों में बनाई गयी है एक कंपनी द्वारा - "सपरेड नेटवर्क". यह एक फाइबर ऑप्टिक केबल है जो उन दो शहरों के बीच रखी गई थी बस एक संकेत को यातायात देने के लिए एक माउस क्लिक से ३७ गुना तेज़ - बस इन एल्गोरिदम के लिए , बस कार्निवल और नैफ के लिए. और जब आप इस बारे में में सोचते हैं, कि हम संयुक्त राज्य अमेरिका के आर-पार चल रहे हैं डायनामाइट और पत्थर आरी के साथ सिर्फ इसलिए की एक एल्गोरिथ्म सौदा कर सके तीन मिक्रोसेकांड्स तेज, एक संचार ढांचे के लिए जो कभी किसी इंसान को नहीं पता चलेगा, जो प्रकट भाग्य का एक प्रकार है और हमेशा एक नया मोर्चा तलाशेगा . दुर्भाग्य से, हमारे पास बहूत काम है . यह सिर्फ सैद्धांतिक है. यह एमआईटी में कुछ गणितज्ञ हैं. और सच यह है की मैं यह समझ नहीं सकता के हम किस बारे में बात कर रहे हैं. यह प्रकाश शंकु और क्वांटम उलझन है, और मैं वास्तव में उस में कुछ नहीं समझता. लेकिन मैं इस नक्शे को पढ़ सकता हूँ. यह नक्षा कहता है की अगर आप बाजार में लाल डॉट्स पर पैसे बनाने की कोशिश करते हैं, वहां लोग हैं, जहां शहर हैं, आपको सर्वर जहां नीले डॉट्स हैं वहां रखने होंगे प्रभावी ढंग से काम करने के लिए. और आप उन नीले डॉट्स के बारे में देख सकते हैं कि उनमें से बहुत समुद्र के बीच में हैं . तो, हम बुलबुले या कुछ और निर्माण करेंगे, या प्लेटफार्म. हम वास्तव में पानी को काट देंगे पैसे हवा से बाहर खींचने के लिए, क्योंकि यह एक उज्जवल भविष्य है यदि आप एक एल्गोरिथ्म हैं. (हँसी) और वास्तव में पैसा दिलचस्प नहीं है . पैसा क्या प्रेरित करता है, वे है. कि हम वास्तव में ज़मीन बना रहे हैं ज़मीन पर एल्गोरिथम दक्षता के साथ . और उस प्रकाश में, तुम वापस जाओ और आप माइकल नज्जार की तस्वीरों को देखो, आप को पता चलता है कि वे रूपक नहीं, भविष्यवाणी हैं . वे भविष्यवाणी हैं भूकंपीय, स्थलीय प्रभाव की गणित की, जो हमने बनाया है. और परिदृश्य हमेशा बना था इस अजीब, बेचैन सहयोग से प्रकृति और मनुष्य के बीच . लेकिन अब यह तीसरे सह-विकासवादी बल हैं: एल्गोरिदम - बोस्टन-पैर-घसीटनेवाला, "कार्निवल". और हमें उन्हें प्रकृति के रूप में समझना होगा . और एक तरह से, वे हैं. धन्यवाद. (तालियाँ) यह मानव जाति के लिए एक सपना है एक पंछी की तरह उड़ान भरना. पक्षी बहुत फुर्तीले होते हैं. वे घूमने वाले उपकरणों के साथ नहीं उड़, इसलिए वे केवल अपने पंख फड़फड़ा कर उड़ते हैं. तो हमने पक्षियों को देखा, और हमने एक मॉडल बनाने की कोशिश करी जोकि शक्तिशाली और बहुत कालका हो, और इसमें बहुत अच्छा वायुगति-विज्ञानिक गुण होना चाहिए जोकी अपने आप उड़ सके और केवल अपने पंख फड़फड़ा कर. तो क्या सबसे बेहतर होगा उपयोग करना हर्रिंग गुल,अपनी आजादी में समुद्र के चक्कर और उसमे छलांग लगाते हुए, और उसे एक नमूने के रूप में उपयोग करना. तो हमने एक टीम बनाई. वहाँ सामान्यज्ञ और विशेषज्ञ दोनों हैं वायुगति-विज्ञानं के क्षेत्र में ग्लाइडर्स निर्माण के क्षेत्र में. और निर्माण कार्य था एक बहुत हल्का अन्दर उड़ने वाला नमूना जोकि आपके सिर के ऊपर उड़ान भर सके . तो बाद में सावधान रहें. और यह एक मुद्दा था: इसे इतना हल्का बनाना कि किसी को भी चोट न लगे अगर यह नीचे गिर जाये. तो हम यह सब क्यों कर रहे हैं? हम स्वचालन के क्षेत्र में एक कंपनी हैं, और हम बहुत हलकी संरचनाएं करना चाहते हैं क्युकी यह ऊर्जा कुशल है और हम अधिक जानना चाहते हैं वायुचालित और हवा के प्रवाह का तथ्य. तो अब मैं चाहता हूँ की आप अपनी सीट बेल्ट [डाल] लें और अपनी टोपी लगा लें. तो हम एक बार कोशिश करते हैं स्मार्टबर्ड को उड़ने की. धन्यवाद. (तालियाँ) (तालियाँ) (तालियाँ) तो अब हम स्मार्टबर्ड को देख सकते हैं. तो यहाँ एक त्वचा के बिना है . इसके पंख दो मीटर के हैं. लंबाई एक मीटर और छह है, और वजन, केवल 450 ग्राम. और यह कार्बन फाइबर का है. बीच में एक मोटर है, और इसके एक गियर भी है . और हम गियर का उपयोग करते हैं मोटर के संचालन के हस्तांतरण के लिए. तो मोटर के भीतर, तीन हॉल सेंसर हैं, इसलिए हम जानते हैं, बिलकुल किस जगह इसका पंख है. और अगर अब हम ऊपर और नीचे चलाएं ... संभावना है एक पंछी की तरह उड़ान भरने की. तो अगर तुम नीचे जाओ, प्रणोदन का एक बड़ा क्षेत्र है. और अगर आप ऊपर जाते हैं, पंख उतने बड़े नहीं हैं, और उठाना आसान है. अगली चीज़ हमने की, या चुनौतियों हमने उठाई इस चाल का समन्वय किया . हमें इसे पलटना है, ऊपर और नीचे चलने के लिए. एक विभाजित पंख है. विभाजित पंख के साथ हमें ऊपरी पंख पर उठाव मिलता है, और हमें निचले पंख पर प्रणोदन मिलता है. इसके अलावा, हम देखते हैं हम वायुगति-विज्ञानिक दक्षता कैसे मापते हैं. हमें ज्ञान था विद्युत दक्षता का और फिर हम गणना कर सकते हैं वायुगति-विज्ञानिक दक्षता की. इसलिए तो, यह निष्क्रिय मरोड़ से सक्रिय मरोड़ करने के लिए उठता है, ३० प्रतिशत से ८० प्रतिशत तक. अगली चीज़ हम करना चाहते हैं, हम नियंत्रण और विनियमित करना चाहते हैं पूरे ढांचे को. अगर आप इसे सिर्फ नियंत्रण और विनियमित करें, आप को वह वायुगति-विज्ञानिक दक्षता मिल जाएगी. तो ऊर्जा की समग्र खपत टेकऑफ़ पर २५ वाट है और उड़ान में १६ से १८ वाट. धन्यवाद. (तालियाँ) ब्रूनो गिउस्सानी: मरकुस, मुझे लगता है कि हमें इसे एक बार और उड़ना चाहिए. मरकुस फिशर: हाँ, ज़रूर. (हँसी) (हांफते हुए) (चीयर्स) (तालियाँ) सवाल यह नहीं है आज: हमने अफगानिस्तान पर आक्रमण क्यों किया? सवाल यह है: हम क्यों अभी भी अफगानिस्तान में हैं एक दशक बाद? हम क्यों खर्च कर रहे हैं १३५ अरब डॉलर? हम जमीन पर क्यों 130.000 सैनिकों को रखे हैं? क्यों और अधिक लोग मारे गए थे पिछले महीने किसी भी पिछले महीने की तुलना में इस संघर्ष से? यह कैसे हुआ है? पिछले २० वर्षों हस्तक्षेप के वर्ष रहे हैं, और अफगानिस्तान बस एक है पांच कार्य त्रासदी में. हम शीत युद्ध के अंत के बाहर आये निराशा में. हमने रवांडा का सामना किया; हमें बोस्निया का सामना करना पड़ा; और तब हमने अपने आत्म विश्वास की खोज की. तीसरे , हम बोस्निया और कोसोवो में गए और हम सफल होने लगे. चौथे हमारे अभिमान के साथ , हमारे अति आत्मविश्वास में, हमने इराक और अफगानिस्तान पर आक्रमण किया. और पांचवें में, हम एक अपमानजनक गंदगी में कूद पड़े. तो सवाल यह है: हम क्या कर रहे हैं ? हम अभी भी अफगानिस्तान में क्यों अटके हैं? और जवाब, ज़ाहिर है, कि हमें दिया जा रहा है निम्नानुसार है. हमें कहा गया की हम अफगानिस्तान गए ९/११ की वजह से, और हम वहाँ हैं क्योंकि तालिबान एक अस्तित्व का खतरा बना हुआ है वैश्विक सुरक्षा के लिए. राष्ट्रपति ओबामा के शब्दों में, यदि तालिबान फिर राज करने लगा , वे अल - कायदा को वापस आमंत्रित करेंगे, जो हमारे कई लोगों को मारने की कोशिश करेंगे जितना संभव हो." जो कहानी हमें कही गयी है कि वहाँ एक हल्का पदचिह्न था - दूसरे शब्दों में, हम एक ऐसी स्थिति में पहुच गए जहाँ हमारे पास पर्याप्त सैनिक नहीं थे, हमारे पास पर्याप्त संसाधन नहीं थे, कि अफगान निराश थे. उन्होंने महसूस किया कि वहाँ पर्याप्त प्रगति नहीं थी और आर्थिक विकास और सुरक्षा, इसलिए तालिबान वापस आ गया. कि हमने २००५ और २००६ में जवाब दिया सेना की तैनाती के साथ , लेकिन हमने तब भी पर्याप्त सैनिकों को जमीन पर नहीं रखा. और २००९ तक भी नहीं थे, जब राष्ट्रपति ओबामा ने भारी उछाल पर हस्ताक्षर किए, अंत में, सचिव क्लिंटन के शब्दों में, रणनीति, नेतृत्व और संसाधनों, तोराष्ट्रपति अब हमें आश्वस्त करते हैं, की हम हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अग्रसर हैं. यह सब गलत है. उनका हर बयान गलत है. अफगानिस्तान नहीं है एक अस्तित्व का खतरा वैश्विक सुरक्षा के लिए. यह अत्यंत असम्भाव्निये है की तालिबान कभी भी देश पर राज करने लगेगा - बहुत असम्भाव्निये है की वे काबुल जब्त करने में सक्षम होगी. उनके पास एक पारंपरिक सैन्य विकल्प नहीं है. और अगर वे ऐसा करने में सक्षम हैं भी, यहाँ तक कि अगर मैं ग़लत हूँ, यह संभावना नहीं है तालिबान वापस अल - कायदा को आमंत्रित करेगा. तालिबान के परिप्रेक्ष्य से, यह उनकी सबसे बड़ी गलती थी. अगर उन्होंने अल कैदा को वापस आमंत्रित नहीं किया होता, वे अभी भी सत्ता में होते. और यहां तक कि अगर मैं उन दो चीज़ों के बारे में गलत हूँ, भले ही वे वापस देश लेने के लिए सक्षम थे, भले ही वे वापस अल - कायदा को आमंत्रित करते हैं यह संभावना नहीं है कि अल - कायदा वृद्धि करेगा संयुक्त राज्य अमेरिका को नुकसान करने की क्षमता में या यूरोप को. क्योंकि यह १९९० का दशक के नहीं है . यदि अल - कायदा का आधार गजनी के पास स्थापित होगा , हम उन्हें बहुत करारी मार देंगे, और यह बहुत मुश्किल होगा तालिबान के लिए उन्हें बचाना. इसके अलावा, यह सच नहीं है कि अफगानिस्तान में क्या गलत हुआ वोह था हल्का पदचिह्न. मेरे अनुभव में, वास्तव में, हल्का पदचिह्न बहुत ही मददगार है. और यह सैनिक जिन्हें हम लाये हैं डेविड बेकहम की एक महान तस्वीर हैं उप मशीन बंदूक पर - इसने स्थिति को बेहतर नहीं बदतर बना दिया. जब मैं अफगानिस्तान के पार गया २००१-२००२ की सर्दियों में, मैंने देखा इस तरह दृश्य. एक लड़की, अगर तुम भाग्यशाली हो, एक अंधेरे कमरे के कोने में - कुरान को देख पाने में भाग्यशाली. लेकिन उन शुरुआती दिनों में जब हमें कहा कि पर्याप्त सैनिक और पर्याप्त संसाधन नहीं है, हमने अफगानिस्तान में बहूत प्रगति की. कुछ महीनों के भीतर , वहाँ स्कूल में २५ लाख अधिक लड़कियां थी. Sangin जहाँ मैं २००२ में बीमार था, निकटतम स्वास्थ्य क्लिनिक तीन दिनों के पैदल रास्ते पर था. आज, वहाँ 14 स्वास्थ्य क्लीनिक हैं सिर्फ उस क्षेत्र में. वहाँ अद्भुत सुधार था. हम लगभग शुन्य अफगान तालिबान के दौरान, मोबाइल फोन वाले लगभग रातोंरात ऐसे स्थिति में थे, जहाँ ३० लाख अफगान मोबाइल टेलीफोन थे. और हमने स्वतंत्र मीडिया में प्रगति की. हमने चुनावों में प्रगति की - तथाकथित हलके पदचिह्न के साथ. लेकिन, जब हमने अधिक पैसे लाने शुरू किये जब हम करने के लिए अधिक संसाधनों का निवेश करना शुरू किया, चीजें बेहतर नहीं बदतर हुई. कैसे? यदि आप 125 अरब डॉलर एक वर्ष में डाल दोगे अफगानिस्तान जैसे देश में जहां अफगान राज्य का पूरा राजस्व एक अरब डॉलर हर वर्ष है, आप सब कुछ डुबो दोगे. यह सरल भ्रष्टाचार और क्षय नहीं है आपके द्वारा ; आप अफगान सरकार की प्राथमिकताऐ बदल देते हो, निर्वाचित अफगान सरकार की, सुक्ष्म-ब्रबंधक प्रवृत्तियों के साथ विदेशियों के पर्यटन में उनकी अपनी प्राथमिकताओं के साथ. और सैनिकों के लिए भी यह सच है . जब मैं अफगानिस्तान के पार गया, मैं इस तरह के लोगों के साथ रहा. यह हैं कमेन्न्ज से सेनानायक हाजी मलें मोहसिन खान सेनानायक हाजी मलें मोहसिन खान एक महान मेजबान था. वह बहुत उदार था कई अफगानियों की तरह जिनके साथ मैं रहा. लेकिन वह काफी अधिक रूढ़िवादी थे, काफी अधिक विदेश-विरोधी, काफी अधिक इस्लामवादी हमारे स्वीकार करने की तुलना में. उदाहरण के लिए, यह आदमी, मुल्ला मुस्तफा , ने मुझे मारने की कोशिश की. औरमैं इस तस्वीर में उलझन में इसलिए दिख रहा हूँ क्युकी मैं डर गया था, इस अवसर पर काफी डर गया था की उनसे पूछ न सका, की रेगिस्तान में एक घंटे चलाने के बाद और इनके घर में शरण लेने के बाद , वह क्यों बदल गए और मेरे साथ तस्वीर खिच्वानी चाही. लेकिन 18 महीने बाद, मैंने उनसे पूछा वह मुझे गोली मारने की कोशिश क्यूँ की. और मुल्ला मुस्तफा - कलम और काग़ज़ के साथ वह आदमी - ने मुझे समझाया कि वे आदमी जो आप के तुरंत बाये बैठा है, नादिर शाह ने उससे शर्त लगायी की वह मुझे नहीं मार सकते. अब इसका मतलब यह नहीं की अफगानिस्तान मुल्ला मुस्तफा जैसे लोगों से भरा है. यह एक बढ़िया जगह है, अविश्वसनीय ऊर्जा और बुद्धि से भरी. लेकिन यह एक जगह है जहां सैनिकों को डालना हिंसा को बदन है, न की गिराना. 2005, एंथोनी फित्ज्हेर्बेर्ट, एक कृषि इंजीनियर, हेलमंड के माध्यम से यात्रा करते हैं, नाद अली, संगीन और घोरेश में रह सकते हैं, जो अब वेह गांवों हैं जहां लड़ाई चल रही है . आज, वह ऐसा नहीं कर सकते. तो हमारा सैनिकों को तैनात करना तालिबान विद्रोह के जवाब में गलत है. उग्रवाद से फलने की बजाये, तालिबान सेना तैनाती के बाद आये. और जहाँ मैं चिंतित हूँ, सेना तैनाती उनकी वापसी का कारण बना. अब यह एक नया विचार है? नहीं, कई लोगो ने पिछले सात वर्षों में यह कहा है. मैं हार्वर्ड में एक केंद्र चलता था २००८ से २०१० तक. और माइकल सेम्प्ले जैसे कई लोग वहाँ थे जो अफगान भाषा साफ़ बोलते हैं, जो देश में लगभग हर जिले में गए हैं . एंड्रयू वाइल्डर, उदाहरण के लिए, पाकिस्तान ईरानी सीमा पर पैदा हुए , अपने पूरे जीवन सेवा में थे पाकिस्तान और अफगानिस्तान में. पॉल फिश्स्तें जो १९७८ से वहाँ काम करते हैं - सेव डा चिल्ड्रन में, चलते थे अफगान अनुसंधान और मूल्यांकन इकाई. ये लोग हैं जो लगातार कहते थे कि विकास सहायता में वृद्धि अफगानिस्तान को कम सुरक्षित बना रही है, और अधिक सुरक्षित नहीं- कि आतंकवाद विरोधी रणनीति काम नहीं कर रही थी, न करेगी. और तब भी, किसी ने उनकी बात न सुनी . इसके बजाय, वहाँ आश्चर्यजनक आशावाद था. २००४ में शुरू, हर सेनापति ने कहा, मैंने एक निराशाजनक स्थिति विरासत में ली है, लेकिन मेरे पास सही संसाधन और सही रणनीति है, जो वितरित करेगी. " २००४ में जनरल बरनो के शब्दों में, "निर्णायक वर्ष." सोचिये? यह नहीं था. लेकिन यह जनरल अबुजैद को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं था कहने से कि उनके पास रणनीति और संसाधन थे २००५ में वितरित करने के लिए, "निर्णायक वर्ष." या जनरल डेविड रिचर्ड्स २००६ में कहते हैं उनके पास रणनीति और संसाधन हैं वितरित करने के लिए "मुश्किल वर्ष में" या २००७ में, नार्वेजियन उप विदेश मंत्री, एस्पेन एइडे, कि वह "निर्णायक वर्ष." में वितरित करेंगे या २००८ में, मेजर जनरल चम्पौक्स आते हैं और कहते हैं कि वे उद्धार करेंगे "निर्णायक वर्ष." में या २००९ में, मेरे महान दोस्त, जनरल स्टेनली म्च्चर्य्स्तल, जो कहते हैं कि वह "निर्णायक वर्ष में घुटने तक डूबे थे . " या २०१० में, ब्रिटेन के विदेश सचिव, डेविड मिलिबंद, जो कहते हैं कि वह उद्धार करेंगे "निर्णायक वर्ष में." और आप २०११ में सुन कर खुश होंगे, की आज, कि गुइदो वेस्तेर्वेल्ले, जर्मन विदेश मंत्री हमें भरोसा दिलाते हैं कि हम हैं "निर्णायक वर्ष ." में (तालियाँ) हम कैसे अनुमति दें इस में से कुछ भी होने के लिए? जवाब, ज़ाहिर है, अगर आप 125 अरब या 130 अरब खर्च करते हैं एक देश में एक साल में, आप हर चीज़ में भागिदार हैं, हर सहायता एजेंसि - जो पैसे का एक विशाल राशि प्राप्त करती है अमेरिका और यूरोपीय सरकारों से स्कूलों और क्लीनिकों का निर्माण करने के लिए - वह कुछ हद तक विमुख हैं इस विचार से कि अफगानिस्तान एक अस्तित्व खतरा नहीं है वैश्विक सुरक्षा के लिए. वे, दूसरे शब्दों में चिंतित हैं, कि अगर किसी ने माना कि यहएक खतरा नहीं है - ऑक्सफेम, सेव डा चिल्ड्रन - को पैसे नहीं मिलेंगे उनके अस्पतालों और स्कूलों के निर्माण के लिए . और मुश्किल है सेनापति का सामना करना उसकी छाती पर पदक के साथ . यह एक राजनीतिज्ञ के लिए बहुत मुश्किल है , क्योंकि आप को डर है कि कई जीवन व्यर्थ में खो गए हैं. आपको गहरा अपराध लगता है. तुम अपने डर को बड़ा चड़ा के बताते हैं. और आप अपमान के बारे में डर रहे हैं हार के. इस का हल क्या है? इस का हल है कि हम एक रास्ता खोजे माइकल सेम्प्ले के जैसे लोग, या उन से अन्य लोग, जो सच कह रहे हैं, जो देश को जानते हैं, जिन्होंने जमीन पर 30 साल बिताये हैं- और सबसे महत्वपूर्ण बात, इस घटक से लापता - खुद अफगान, जो समझते हैं कि क्या हो रहा है. हम किसी भी तरह उनका संदेश पहुचाना है नीति निर्माताओं तक. और यह करना बहुत मुश्किल है हमारी संरचनाओं के कारन. पहली बात हम बदंलनी है हमारी सरकार की संरचना. बहुत, बहुत दुख की बात है, हमारे विदेशी सेवाएँ, संयुक्त राष्ट्र, इन देशों की सेनाए को कम विचार है की क्या हो रहा है. औसत ब्रिटिश सैनिक केवल छह महीने दौरे पर है; इतालवी सैनिकों, चार महीने टूर पर; अमेरिकी सैन्य, 12 महीने टूर पर. राजनयिकों दूतावास यौगिकों में बंद हैं. जब वे बाहर जाते हैं, वे इन उत्सुक बख्तरबंद वाहनों में यात्रा करते हैं इन कुछ धमकी भरी सुरक्षा टीमों के साथ जो अग्रिम में तैयार हैं २४ घंटे जो कहते हैं कि तुम केवल एक घंटे जमीन पर रह सकते हो. अफगानिस्तान में ब्रिटिश दूतावास में २००८ में, ३५० लोगों के एक दूतावास में, वहाँ केवल तीन लोग दारी बोलते थे, अफगानिस्तान में एक सभ्य स्तर पर, मुख्या भाषा. और वहाँ एक भी पश्तो वक्ता नहीं था. लंदन में अफगान अनुभाग में जमीन पर अफगान नीति शासित करने की लिए जिम्मेदार, मुझे पिछले साल कहा गया कि वहाँ एक भी स्टाफ सदस्य नहीं था उस अनुभाग में विदेश कार्यालय में जिसने कभी सेवा की हो अफगानिस्तान में पोस्टिंग पर. तो हमें यह संस्थागत संस्कृति को बदलने की जरूरत है. और मैं संयुक्त राज्य अमेरिका के बारे में यही आकलन करता हूँ और संयुक्त राष्ट्र. दूसरे, हम जनरलों के आशावाद से दूर जाने की जरूरत है. हमें थोडा बहोत शक बनाने की जरूरत है, कि हम समझे की वह आशावाद सेना के डीएनए में है, कि हम इसे न उत्तर दें इतनी तत्परता के साथ . और तीसरे, हमें कुछ विनम्रता की जरूरत है. हमें ऐसी स्थिति से शुरू करने की जरूरत है कि हमारा ज्ञान, हमारी शक्ति, हमारे वैधता सीमित है. इसका मतलब यह नहीं कि दुनिया भर में हस्तक्षेप एक आपदा है. ऐसा नहीं है. बोस्निया और कोसोवो सफलताएँ थीं, महान सफलता. आज जब आप बोस्निया जायेंगे यह लगभग असंभव है विश्वास करना कि १९९० के दशक में हमने जो देखा . यह लगभग असंभव है विश्वास करना प्रगति पर १९९४ के बाद से. रिफ्यूजी की वापसी, जो शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग सोचा था कि असंभव होगी, बड़े पैमाने पर हुई है . एक लाख संपत्ति लोटाई गयी है. बोस्निअक क्षेत्र के बीच बॉर्डर और बोस्नियाईसर्ब क्षेत्र शांत है. राष्ट्रीय सेना सिकुड़ गई है. बोस्निया में अपराध दर आज स्वीडन से कम है. यह किया गया है एक अविश्वसनीय, सैद्धांतिक प्रयास के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा, और, ज़ाहिर है, सब से ऊपर बोस्निंस द्वारा स्वयं. लेकिन आप को संदर्भ में देखने की जरूरत है. और यह हमने अफगानिस्तान और इराक में खो दिया है. आप उन स्थानों में समझें क्या महत्त्वपूर्ण था सबसे पहले, तुद्मन और मिलोसेविक की भूमिका समझौते में, और फिर तथ्य की वह पुरुष गए, क्षेत्रीय स्थिति सुधारने में , कि यूरोपीय संघ बोस्निया की पेशकश कर सकता कुछ असाधारण: हिस्सा बनने का मौका एक नया क्लब का, कुछ बड़े में शामिल होने का. और अंत में, हमें समझना चाहिए की बोस्निया और कोसोवो में, रहस्य की बात है, हमारी सफलता का रहस्य, थी हमारी विनम्रता - हमारी सगाई की अस्थायी प्रकृति. हम लोगों ने बोस्निया की बहुत आलोचना की युद्ध अपराधियों काफी धीमी गति से कार्यवाही के लिए. हमने उनकी आलोचना की शरणार्थियों को लौटने में धीमी गति के लिए. लेकिन यहसुस्ती, यह सावधानी, यह तथ्य कि राष्ट्रपति क्लिंटन ने शुरू में कहा कि अमेरिकी सैनिकों केवल एक वर्ष के लिए तैनात किये जायेंगे, एक ताकत बन गया है , और इसने हमें हमारी प्राथमिकताओं को सही करने में मदद की. सबसे दुखद बात अफगानिस्तान में हमारी भागीदारी के बारे में यह है की प्राथमिकताओं मेल से बहार हैं. हम अपने संसाधनों को हमारी प्राथमिकताओं से नहीं मिला रहे हैं . क्योंकि अगर हमें आतंकवाद में रुचि है, पाकिस्तान अफगानिस्तान की तुलना में कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. यदि हमें क्षेत्रीय स्थिरता में रुचि है, मिस्र कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. अगर हमें गरीबी और विकास की चिंता है, उप सहारा अफ्रीका कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. इसका मतलब यह नहीं है कि अफगानिस्तान से फर्क नहीं पड़ता, लेकिन वेह दुनिया के 40 देशों में से एक है जिसके साथ हमें संलग्न की जरूरत है. तो अगर मैं हस्तक्षेप के लिए एक रूपक के साथ समाप्त करता हूँ, हम जिस बारे में सोच सकते हैं है पहाड़ बचाव की तरह कुछ. पहाड़ बचाव क्यों? क्योंकि, जब लोगहस्तक्षेप के बारे में बात करते हैं वे कल्पना करते हैं कुछ वैज्ञानिक सिद्धांत की - रेंड निगम 43 पिछले विद्रोह गिनता है गणितीय सूत्रों का निर्माण कर यह कह की आप को एक प्रशिक्षित काउंटर-विद्रोही की जरूरत है आबादी के हर 20 सदस्यों के लिए. यह इसे देखने का गलत तरीका है. आप इसे पहाड़ बचाव की तरह देखने की जरूरत है. जब आप पहाड़ बचाव करते हैं, आप पहाड़ बचाव में डॉक्टरेट नहीं लेते, आप किसी जानने वाले को ढूँढ़ते हो. यह संदर्भ के बारे में है . आप समझते हैं कि आप तैयार कर सकते हैं, लेकिन जितनी तैयारी आप कर सकते हैं सीमित है. आप कुछ पानी और एक नक्शा ले सकते हैं , आप एक बस्ता ले सकते हैं. लेकिन क्या सचमुच मायने रखता है हैं दो प्रकार की समस्याएं - समस्याएं जो पहाड़ों पर होती हैं जो आप प्रतिआशा नहीं कर सकते, उदाहरण के लिए, एक ढलान पर बर्फ , लेकिन जिन्हें आप समझ सकते है , और समस्याएं जिनकी आप आशा नहीं कर सकते और जिन्हें आप समझ नहीं सकते है, अचानक आया एक बर्फानी तूफान या एक हिमस्खलन या मौसम में परिवर्तन. और इसकी कुंजी एक गाइड है जो कि पहाड़ पर गया है , हर तापमान में, हर अवधि में - एक गाइड, जो, जानता है कि कब वापस मुड़ना है, जो लगातार आगे नहीं बढेगा जब स्थिति उनके खिलाफ हो. हम क्या ढूँढ़ते हैं फायरब्रिगेड वालों में, पर्वतारोहियों में, पुलिसकर्मियों में, और हमें हस्तक्षेप के लिए क्या ढूदना चाहिए , है बुद्धिमानी से जोखिम उठाने वाले ऐसे लोग नहीं, जो चट्टान से अंधी में कूद जाते हैं ऐसे लोग नहीं, जो एक जलते हुए कमरे में कूद जाएं, लेकिन जो अपने जोखिम नापते हैं, अपनी जिम्मेदारिया तौलते हैं. क्योंकि हमने अफगानिस्तान में सबसे बुरा जो किया है है यह विचार कि विफलता एक विकल्प नहीं है. यह विफलता को अदृश्य बनाता है , समझ से बाहर है और अपरिहार्य है. और अगर हम विरोध कर सकते हैं इस पागल नारे का, हमें पता चलेगा - सीरिया में, मिस्र में, लीबिया में, और कहीं और हम दुनिया में जाएँ - कि अगर हम अक्सर जितना दिखाते हैं उससे कम करें, हम अपने दर से कही अधिक कर सकते हैं. बहुत बहुत धन्यवाद. (तालियाँ) धन्यवाद. बहुत बहुत धन्यवाद. धन्यवाद. बहुत बहुत धन्यवाद. धन्यवाद. धन्यवाद. धन्यवाद. (तालियाँ) धन्यवाद. धन्यवाद. धन्यवाद. धन्यवाद. (तालियाँ) ब्रूनो गिउस्सानी: रोरी, तुमने अंत में लीबिया का उल्लेख किया है. संक्षेप में, वर्तमान घटनाओं पर अपने विचार बताओ और हस्तक्षेप पर? रोरी स्टीवर्ट: ठीक है, मुझे लगता है कि लीबिया उत्कृष्ट समस्या है. लीबिया में समस्या है कि हम हमेशा पूर्ण काले या सफेद के लिए जोर दे रहे हैं . हमारी कल्पना में वहां केवल दो विकल्प हैं: या तो पूर्ण कार्य और सेना तैनाती या पूर्ण अलगाव. और हम हमेशा लालच में हैं. हम अपने पैर की उंगलिया डालते हैं और हमारी गर्दन फस जाती है. हमें लीबिया में क्या करना चाहिए था हमें संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर रुकना चाहिए था. हमें खुद को बहुत, बहुत सख्ती से सीमित करना चाहिए था बांघज़ी में नागरिक आबादी के संरक्षण के लिए. हम वह कर सकते थे. हमने ४८ घंटे के भीतर उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र बना दिया था क्योंकि गद्दाफी के पास कोई विमान नहीं थे ४८ घंटे के भीतर. इसके बजाय, हमने खुद को लालच में आने दिया है शासन परिवर्तन की दिशा में. ऐसा करने में, हमने सुरक्षा परिषद में हमारी विश्वसनीयता को नष्ट कर दिया है, जिसका मतलब है कि यह बहुत मुश्किल है सीरिया पर एक प्रस्ताव प्राप्त करना, और हम एक बार फिर विफलता न्योत रहे हैं. एक बार और, विनम्रता, सीमाएं, ईमानदारी, यथार्थवादी उम्मीदें और हम कुछ गौरवपूर्ण हासिल कर सकते थे. BG: रोरी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद. RS: शुक्रिया. (BG: शुक्रिया.) व्यापार और अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में काफी साल बिताने के बाद, चार साल पहले, मैंने स्वयं को मानवी निर्बलता की सीमाओं पर काम करते हुए देखा. और मैं उन जगहों पर गई जहां लोग ज़िंदा रहने के लिए लड़ रहे हैं , पर उन्हें एक वक्त का भोजन भी नहीं मिल रहा है. यह लाल प्याला रवांडा से है और फेबियन नामक एक बालक का है. और मैं इसे हर जगह ले आती हूँ एक प्रतीक के रूप में, सचमुच, हमारी इस चुनौती का और उम्मीद का भी. क्योंकि दिन में एक प्यालाभर खाना फेबियन की ज़िन्दगी को पूरी तरह बदल देता है. पर मैं आज जो बात करना चाहूंगी, वह इस हकीकत के बारे में है, कि इस सुबह, पृथ्वी पर एक अरब लोग - या हर सात लोगों में से एक - यह जाने बिना नींद से जागे हैं कि इस प्याले को कैसे भरा जाए. हर सात व्यक्तियों में से एक. पहले, मैं आपसे पूछूंगी, आपको इस बात की परवाह क्यों होनी चाहिए? हम इस बात की परवाह क्यों करें? ज़्यादातर लोगों को, जब वे भूख के बारे में सोचते हैं, अपने ही पारिवारिक इतिहास में ज़्यादा दूर मुड़कर नहीं देखना पडेगा - शायद उन्ही के जीवनकाल में या उनके माँ-बाप या दादा-दादियों के जीवनकाल में - भूख के किसी अनुभव को याद करने के लिए. बहुत ही असामान्य तौर पर ही मुझे ऐसे श्रोतागण मिलते हैं जिनके अतीत में भूख के अनुभव देखने के लिए और पीछे ढूंढना पड़ता है. कुछ लोग शायद यह मानते हैं कि भूखों की ओर हमदर्दी से पेश आना इंसानियत का एक बुनियादी फ़र्ज़ गिना जाना चाहिए. जैसे गांधीजी ने कहा, "भूखे इंसान की नज़र में रोटी का टुकड़ा ईश्वर का चेहरा है." अन्य लोग चिंतित हैं विश्व की शान्ति, सुरक्षा और स्थिरता के विषय में. हमने देखा है 2008 के दंगों को जो खाने के अभाव से हुए, जब मेरे शब्दों में, भूख के एक खामोश बाढ़ ने दुनिया को लपेट लिया था, जब रातों रात खाद्य-पदार्थों के दाम दुगुने हो गए थे. भूख का अस्थिरताजनक प्रभाव मानवी इतिहास के दौरान भली-भाँति जाना गया है. सभ्यता के मूलभूत कर्तव्यों में से एक है यह सुनिश्चित करना, कि लोगों को पर्याप्त भोजन प्राप्त हो. अन्य लोग माल्थस द्वारा बताई गयी भयानक संभावनाओं को लेकर चिंतित हैं. क्या हम खिला पाएंगे ऐसी आबादी को जो मात्र कुछ ही दशकों में नौ अरब तक जा पहुंचेगी ? भूख नाम की चीज़ के साथ समझौता मुमकिन नहीं है. लोगों को भोजन तो चाहिए ही. और लोगों की संख्या कुछ ज़्यादा ही होनेवाली है. इसका एक मतलब यह है कि इससे ऊंचे और निचले स्तर दोनों में काफी नौकरियां और मौके पैदा होते हैं. मगर वास्तव में मैं इस समस्या की ओर एक अलग रस्ते से पहुँची. यह मेरी और मेरे तीन बच्चों की तस्वीर है. सन 1987 में मैं पहली बार मां बनी. मेरा पहला बच्चा हुआ, और मैं उस को दूध पिला रही थी, जब इससे बहुत मिलता-झुलता एक चित्र दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ. इथिओपिया फिर एक बार सूखे से ग्रस्त था. इससे दो साल पहलेवाले सूखे से दस लाख से अधिक लोग मरे थे. मगर मैं इस चीज़ से कभी इस तरह प्रभावित नहीं हुई जैसे मैं उस पल में हुई क्योंकि उस चित्र में एक महिला थी जो अपने बच्चे को दूध पिलाने की कोशिश में थी, और उसके पास पिलाने के लिए दूध नहीं था. एक माँ के तौर पर , उस बच्चे के रोने की आवाज़ ने मुझे भीतर तक आहत कर दिया. और मैंने सोचा, कि मन पर टिकनेवाली और गहरी वेदना नहीं हो सकती, जैसे एक बच्चे के रोने की है, जिसका जवाब खाने से नहीं दिया जा सकता - खाना, जो हर इंसान की बुनियादी उम्मीद है. और उसी क्षण में मैं भर गयी विरोध और उत्तेजना की भावना से इस बात पर, कि हम इस समस्या का समाधान वास्तव में अब ही जानते हैं. यह कोई अजीब बीमारी नहीं है जिसका इलाज हमारे पास नहीं है. हम भूख का इलाज जानते हैं. सौ साल पहले हम यह नहीं जानते थे. अब वाकई हमारे पास ज़रूरी प्रौद्योगिकी और व्यवस्थाएं मौजूद हैं. और मैं इस बात से चकित हुई कि यह कितना अनुचित है. हमारे इतिहास के इस दौर में यह चित्र अनुचित हैं. खैर आपका क्या अनुमान है? यह पिछले हफ्ते की बात है उत्तरी केन्या से. फिर एक बार, विशाल स्तर पर भुखमरी का चेहरा दिखाई दे रहा है जिसके कारण नब्बे लाख लोग इस सवाल से जूझ रहे हैं कि क्या वे कल तक जीवित रह पाएंगे. असल में, हम अब यह बात जानते ही हैं कि हर दस सेकण्ड में हम भुखमरी के कारण एक बच्चे को खोते हैं. यह HIV एड्स , मलेरिया और ट्यूबरकुलोसिस की मौतों की कुल गिनती से अधिक है. और हम जानते हैं कि समस्या केवल भोजन के उत्पादन का नहीं है. मेरे जीवन के मार्गदर्शकों में से एक हैं नार्मन बोर्लोग , जिन्हें मैं महापुरुष मानती हूँ. मगर आज मैं बात करनेवाली हूँ भोजन पाने की क्षमता के विषय में, क्योंकि वाकई इस साल और पिछले साल और 2008 की संकटमय खाद्य परिस्थिति में भी, पृथ्वी पर पर्याप्त भोजन उपलब्ध था सबको 2700 किलोकैलोरी मिलती थी. तब क्यों अब एक अरब लोग हैं जो भोजन पाने में असमर्थ हैं? और मैं एक और विषय पर चर्चा करना चाहूंगी, जिसे मैं 'नई जानकारी का बोझ' कहती हूँ. सन 2008 में लैंसेट पत्रिका ने सारे संशोधन का संकलन कर यह ठोस सबूत पेश किया कि अगर किसी बच्चे को अपने पहले हज़ार दिनों में - गर्भाधान से लेकर दो साल की उम्र तक - पर्याप्त पोषण प्राप्त नहीं है, तो इसका दुष्परिणाम बेइलाज है. उनके मस्तिष्क और शरीर का विकास बाधित रह जाता है. और यहाँ आप देख रहे हैं दो बच्चों के मस्तिष्क के छान-बीन का छायाचित्र - एक का, जिसे पर्याप्त पोषण प्राप्त था, और एक अलग बच्चे का, जो बुरी तरह कुपोषित था. और यह दिखाई देता है कि ऐसे बच्चों के दिमाग का आकार सामान्य बच्चों से 40 प्रतिशत तक कम है. और इस पृष्ठ पर आप देख रहे हैं कि दिमाग के न्यूरॉन और उनके जोड़ निर्मित नहीं होते. और अब हम जो एक चीज़ जानते हैं वह यह है कि इसका हमारी अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा असर पड़ता है, जिसकी बात मैं बाद में करूंगी. मगर एक और बात यह है कि इन बच्चों की कमाने की क्षमता कटकर आधी रह जाती है उनके जिंदगीभर, छोटी उम्र में कुपोषण द्वारा दबोच लिए जाने के कारण. तो मैं इसी जानकारी के बोझ से प्रेरित हूँ. क्योंकि वाकई हम इसका सरल इलाज जानते हैं. और इसके बावजूद, कई जगहों में, एक तिहाई बच्चों को, तीन साल की उम्र तक पहुंचने पर ही, इसी वजह से जीवन में कठिनाइयां झेलनी पड़ती है. मैं बात करना चाहूंगी कुछ चीज़ों के बारे में जिन्हें मैंने देखा हैं भूख के खिलाफ जंग के मोर्चों में, कुछ चीज़ें जो मैंने सीखी हैं, मेरे व्यापारिक तथा अर्थशास्त्रीय ज्ञान और निजी क्षेत्र के अनुभव को इस क्षेत्र में लाकर. मैं बताना चाहूंगी कि इस जानकारी में अवरोध कहाँ है. खैर सबसे पहले मैं पृथ्वी पर पोषण की सबसे पुरानी प्रक्रिया के विषय में बात करना चाहूंगी, जो है, स्तनपान. आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि हर 22 सेकण्ड में एक बच्चे को बचाया जा सकता है, अगर सभी को जीवन के पहले छह महीनों में स्तनपान मिल पाए. मगर नाइजर में, मिसाल के तौर पर, सात प्रतिशत से भी कम बच्चे जीवन के पहले छह महीनों में केवल और केवल स्तनपान ही पाते हैं. मौरितानिया में यह संख्या तीन प्रतिशत से भी कम है. इन हालातों में जानकारी से बदलाव लाया जा सकता है. इस सूचना, इस वार्ता, को हम प्रसारित कर सकते हैं कि यह मात्र बीते कल के जीने का ढंग नहीं, बल्कि आपके बच्चे की जान बचाने का उत्तम उपाय है. और आज हम ध्यान देते हैं न केवल भोजन का वितरण करने में, बल्कि यह निश्चित करने में कि माएँ पर्याप्त पोषण पा रही हैं और उन्हें स्तनपान के विषय में जानकारी प्राप्त है. दूसरी एक चीज़ है जिसके बारे में मैं बात करना चाहूंगी - अगर आप दूर-दराज़ के किसी गाँव में रहते हों, अगर आपके बच्चे को विकलांगता हो, अगर आपके क्षेत्र में सूखा हो या बाढ़ हो, और अगर आप ऐसी स्तिथि में हों जहां भोजन पदार्थों में विविधता का अभाव है, तो आप क्या करेंगे ? क्या आप सोचते हैं कि आप किसी दूकान में जाकर आपके पसंदीदा 'पॉवर बार' खरीद सकते हैं, जैसे हम यहाँ कर सकते हैं, और आपकी ज़रूरतों से मिलता-जुलता सही माल चुन सकते हैं ? मुझे नज़र आते हैं भुखमरी की रणभूमि में जूझ रहे माँ-बाप, जो यह जानते हैं कि इस लड़ाई में उनके बच्चे हार का सामना कर रहे हैं. और मैं जाती हूँ उन दुकानों में, अगर वे हों तो, या बाहर खेतों में, यह देखने कि उन्हें क्या मिल सकता है, और उन्हें पौष्टिकता उपलब्ध नहीं हैं. अगर उन्हें पता भी हो कि उन्हें करना क्या है, यह पदार्थ उन्हें उपलब्ध नहीं हैं. और मुझे उत्साह है इस बात का, क्योंकि एक काम जिसमें हम लगे हुए हैं, वह है भोजन उद्योग क्षेत्र में उपलब्ध प्रौद्योगिकी का परिवर्तन, ताकि यह पारंपरिक फसलों के लिए भी उपलब्ध हों. यह बना है चना, निर्जल दूध और कई विटामिन के मिश्रण से, जो मस्तिष्क की आवश्यकताओं से पूरा मिलता है. और इसके उत्पादन में हमारे सिर्फ 17 सेंट खर्च होते हैं, यह बनाने में, जिसे मैं 'मानवता का अन्न' कहती हूँ | हमने यह किया भारत और पाकिस्तान के भोजन-वैज्ञानिकों के साथ - सचमुच बस तीन लोगों के ज़रिये. मगर इससे परिवर्तन हो रहा है 99 प्रतिशत बच्चों में, जो इसे पा रहे हैं. एक पैकेट, रोज़ 17 सेंट के दाम में, और उनके कुपोषण का निवारण हो जाता है. तो मैं निश्चित हूँ कि अगर समृद्ध विश्व में आम तौर पर पाई जानेवाली प्रौद्योगिकी का पूरा उदघाटन और विस्तार किया जाए, तो एक खाद्य-क्रान्ति संभव है. और यह किसी मौसम में नहीं बिगड़ता. इसे प्रशीतक की आवश्यकता नहीं है, न जल की, जिसका अक्सर अभाव है. और इस प्रकार की प्रौद्योगिकी में, मैं मानती हूँ, यह क्षमता है पूरी तरह चेहरा ही बदल देने की, भूख, कुपोषण और पोषण का, वहीं जहां इनके खिलाफ जंग जारी है. अगली चीज़ जिसके बारे में मैं बात करना चाहूंगी, वह है शालेय भोजन. दुनिया के 80 प्रतिशत लोगों के लिए भुखमरी से बचानेवाला कोइ सुरक्षा जाल नहीं है. किसी भी विपत्ति के समय - जब अर्थव्यवस्था बर्बाद है, जब लोग नौकरी खो बैठते हैं , बाढ़, जंग, तनाव , कुशासन , जैसी स्तिथियों में - उन्हें सहारा लेने का कोई ठिकाना नहीं है. और आम तौर पर संस्थाएं - गिरजे, मंदिर इत्यादि - उस सामग्री से संपन्न नहीं हैं जिससे वे सुरक्षा जाल प्रदान कर पाएंगे. विश्व बैंक के साथ काम करते समय हमें यह पता लगा है कि गरीब इंसान के लिए सुरक्षा जाल, और सबसे बेहतर निवेश, है शालाओं में भोजन की व्यवस्था. और अगर आप इस प्याले को लघु कृषकों के स्थानीय उत्पाद से भरें, तो इसका परिणाम परिवर्तनशील होगा. दुनिया में ऐसे बहुत सारे बच्चे हैं जो स्कूल नहीं जा पाते क्योंकि उन्हें एक वक्त के खाने के लिए भी भीख मांगनी पड़ती है. मगर जब यह खाना मौजूद है, तो इससे बदलाव आता है. 25 सेंट से भी कम खर्च होता है, एक बच्चे के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए. मगर सबसे कमाल की बात है लड़कियों पर असर. उन देशों में जहां लडकियां स्कूल नहीं जातीं, अगर वहां स्कूल में एक वक्त का खाना दिया जाता है, तो आप देखेंगे कि भरती की संख्या में 50 प्रतिशत लडकियां और लड़के हैं. लड़कियों की हाज़िरी में भी बदलाव नज़र आता है | और यह ज़रा भी बहस की बात नहीं है, क्योंकि यह फायदे की बात है. परिवारों को मदद की ज़रुरत है. और हम यह देखते हैं कि अगर हम लड़कियों को ज़्यादा दिन स्कूल में रखें , वे 16 साल की उम्र तक स्कूल में पढ़ेंगी, और जब स्कूल में भोजन हो, वे शादी करने के लिए मजबूर नहीं होंगी. अगर हफ्ते के आखिर में उन्हें भोजन का अधिक हिस्सा दिया जाए -जिसका खर्च 50 सेंट के आस-पास होगा - तो लडकियां स्कूल में पढाई जारी रखेंगी, और एक अधिक स्वस्थ बच्चे को जन्म देंगी, क्योंकि कुपोषण का सिलसिला पीढ़ी-दर-पीढ़ी जारी रहता है. हम जानते हैं कि भूख के मामले में भरमार और अभाव के सिलसिले जारी हैं. हम यह जानते हैं. इसी वक्त उत्तरपूर्वी अफ्रीका में, और इससे पहले भी, हम इसका अनुभव कर चुके हैं. तो क्या यह अभियान पूरी तरह नाउम्मीद है ? हरगिज़ नहीं. मैं बात करना चाहूंगी, उनके बारे में, जिन्हें मैं 'आशा के भण्डार' कहती हूँ. कैमेरून, उत्तरी कैमेरून में भूख के भरमार और अभाव के सिलसिले जारी हैं, प्रतिवर्ष कई दशकों के लिए. भोजन की सहायता प्रतिवर्ष आ पहुँचती है जब लोग सूखे मौसम में भूखे हैं. दो साल पहले, हमनें निर्णय लिया कि हम भुखमरी के विरुद्ध हमारी रणनीति बदल देंगे, और खाद्य सहायता का दान करने के बजाय हम इसे भोजन बैंक में जमा करेंगे. और हमने कहा, सुनिए, सूखे मौसम में इस भोजन को बाहर निकालिए. इन्हें आप ही संभालिये ; गाँव के स्तर पर ही इन भंडारों का संचालन होता है. और फसल काटने के समय, उसे भण्डार को लौटाइए, मुनाफे के साथ, खाद्य मुनाफा सहित. वहां जमा कीजिए प्रतिशत अधिक, या 10 प्रतिशत अधिक अनाज. पिछले दो सालों में ऐसे 500 गाँव हैं , जिन्हें खाद्य सहायता की आवश्यकता नहीं रही है - अब वे स्वावलंबी हैं. और भोजन के भण्डार भी बढ़ रहे हैं. और गाँव के वासियों द्वारा शालाओं में भोजन के कार्यक्रम का भी आरम्भ हो रहा है. मगर इनके पास अब तक मूलभूत व्यवस्थाएं और संसाधन निर्माण करने की क्षमता नहीं थी. मुझे यह सुझाव अतिप्रिय है क्योंकि यह ग्रामीय स्तर से आया - भण्डार खोलने के लिए तीन चाबियाँ. यहाँ खाना ही सोना है. और ऐसे सरल सुझाव चेहरा ही बदल सकते हैं , सिर्फ छोटे इलाकों के नहीं, बल्कि दुनियाभर के बड़े इलाकों के. मैं बात करना चाहूंगी उसके बारे में, जिसे मैं 'डिजिटल फ़ूड' (अंकीय भोजन ) कहती हूँ. प्रौद्योगिकी द्वारा खाद्य असुरक्षितता का चेहरा ही बदल रहा है, उन इलाकों में जो ऐतिहासिक तौर पर सूखे से ग्रस्त हैं. अमर्त्य सेन ने नोबेल पुरस्कार यह कहकर जीता कि, "बात यह है कि भोजन के मौजूद होने पर भी भुखमरी हो सकती है, क्योंकि लोगों के पास उसे खरीदने का सामर्थ्य नहीं है." बेशक हमनें 2008 में यही देखा. हम अब यही देख रहे हैं उत्तरपूर्वी अफ्रीका में जहां खाद्य पदार्थों के दाम पिछले साल में 240 प्रतिशत बढ़ गए हैं. खाना शायद हो भी, मगर लोग खरीद नहीं पा रहे हैं. खैर यह तस्वीर - मैं हेब्रोन में थी एक दुकान में, इस दुकान में, जहां भोजन पहुंचाने के बजाय, हम अंकीय भोजन लाते हैं, एक कार्ड के ज़रिये. यह अरबी में कहता है "शुभ आहार!" कोई महिला यहाँ आ सकती हैं और इस कार्ड के ज़रिये नौ तरह के खाद्य सामान खरीद सकती है. यह पौष्टिक होना चाहिए, और स्थानीय उत्पाद से बना हुआ. और हुआ यह, बस पिछले साल में, कि डेरी उद्योग में - जहां इस कार्ड का इस्तेमाल दूध, दही, अंडे और हम्मस (पीसे छोले) के लिए होता है- वहां डेरी उद्योग में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई. दुकानदार ज्यादा लोगों को नौकरी दे रहे हैं. यह सब के लिए फायदे का मामला है, और इससे खाद्य अर्थव्यवस्था की गति भी बढ़ती है. हम खाना पहुंचाते हैं तीस से अधिक देशों में, सेल-फ़ोन के माध्यम से, जिससे इन मुल्कों में मौजूद शरणार्थियों की स्तिथि में भी बदलाव आया है, अन्य कई माध्यमों के साथ ही. शायद मुझे सबसे ज़्यादा स्फूर्ति दिलानेवाला सुझाव यह है जिसका बिल गेट्स, हावर्ड बफेट और अन्य लोगों ने साहस से समर्थन किया है, यह प्रश्न पूछकर कि - क्यों ना, भूखे लोगों को पीड़ित के रूप में देखने के बजाय - और इनमें ज़्यादातर लोग छोटे किसान हैं जो न पर्याप्त अनाज उगा पाते हैं न उसे बेच पाते हैं अपने ही परिवारों को संभालने के लिए भी - हम क्यों ना इन्हें इस समस्या के समाधान के रूप में देखें, भूख के विरुद्ध युद्ध में जनबल के रूप में ? क्यों ना अफ्रीका की महिलाओं से, जो अनाज बेच नहीं पा रही हैं - यहाँ न सड़क हैं, न भण्डार न अनाज को उठाने के लिए तिरपाल- क्यों ना हम उन्हें ताकद दिलानेवाला एक माहौल पैदा करें जिसमें वे भोजन प्रदान कर सकेंगी अन्य इलाकों के भूखे बच्चों को खिलाने में ? और आज 'पर्चेसिंग फॉर प्रोग्रेस' (प्रगति के लिए क्रय ) 21 देशों में चालू है. और इसका नतीजा ? लगभग हर एक के मामले में, जब गरीब किसानों को आश्वासन दिलाया जाता है कि उनके माल के लिए बाज़ार मौजूद है - अगर आप कहेंगे, "हम इस माल के 300 मेट्रिक टन खरीदेंगे. इसका परिवहन हम करेंगे. हम इसका सही तरह से संचय करेंगे." - तो उनकी उपज दुगुनी, तिगुनी, चौगुनी तक हो जाती है और यह कर दिखाने में वे सफल हो जाते हैं, क्योंकि यही पहली बार है उनके जीवन में, जब उन्हें एक ऐसा भरोसेमंद मौका मिला है. और हम देखते हैं कि लोग अपने जीवन में परिवर्तन ला रहे हैं. आज, खाद्य सहायता, हमारी खाद्य सहायता, - एक महान गतिशील साधन - का 80 प्रतिशत क्रय विकासशील विश्व में होता है. यह संपूर्ण परिवर्तन है जो वास्तविक तौर पर सुधार ला सकता उन्हीं लोगों के जीवन में जिन्हें इस भोजन की आवश्यकता है. अब शायद आप पूछेंगे, क्या यह और बड़े स्तर पर ऐसा आयोजन संभव है ? यह बढ़िया सुझाव हैं, ग्राम्य स्तर पर. मैं बताना चाहूंगी ब्राज़ील के बारे में, क्योंकि मैंने ब्राज़ील की यात्रा की है पिछले दो सालों में, जब मैंने पढा कि ब्राज़ील भूख पर जीत पा रहा है, इस समय पृथ्वी के किसी भी राष्ट्र से अधिक तेज़ी से. और मैं जान सकी हूँ कि पैसों को खाद्य अनुदान अथवा अन्य चीज़ों में लगाने के बजाय, उन्होंने शालेय भोजन कार्यक्रमों में निवेश किया है. और वे यह लागू करते हैं कि इस भोजन का एक तिहाई भाग उन छोटे किसानों से आए, जिन्हें अब तक मौक़ा ही न मिला हो. और वे यह कर रहे हैं विशाल स्तर पर, जबसे राष्ट्रपति लूला ने अपने इस लक्ष्य की घोषणा की, कि सबको तीन वक्त का खाना मिलना ही होना चाहिए. और यह शून्य भूख योजना का खर्च, कुल देशी उत्पाद के आधे प्रतिशत से कम है और इससे कई लाखों लोगों का भूख और गरीबी से उद्धार हुआ है. इससे ब्राज़ील में भूख का चेहरा बदल रहा है, यह विशाल स्तर पर हो रहा है, और यह नए मौके पैदा कर रहा है. मैं वहां गयी हूँ, और मेरी मुलाक़ात हुई है उन छोटे किसानों से जिन्होंने अपना रोज़गार निर्माण किया है, इसके द्वारा मिले अवसर और आधार पर. अब अगर हम इस विषय की आर्थिक अनिवार्यता पर नज़र डालें, तो यह केवल करुणा का विषय नहीं है. हकीकत यह है, कि संशोधन द्वारा पता लगा है, कि भूख और कुपोषण से होनेवाला नुक्सान - जिसकी कीमत समाज को चुकानी पड़ती है, जिस बोझ को संभालना पड़ता है - प्रतिवर्ष के कुल देशीय उत्पाद का औसतन छह प्रतिशत है, और कुछ देशों में 11 प्रतिशत तक है. और अगर आप नज़र डालेंगे उन 36 देशों पर जो कुपोषण का सबसे भारी बोझ उठा रहे हैं, तो कुल मिलाकर 260 अरब का नुक्सान होता है उपजाऊ अर्थव्यवस्था से, हर साल. खैर, विश्व बैंक का अनुमान है कि 10 अरब डालर 10.3 -- लगेंगे इन देशों में कुपोषण को निबटाने में. आप ज़रा इसके फायदे और नुक्सान का हिसाब कीजिए, और मैं सपना देखती हूँ इस मुद्दे को प्रस्तुत करने का, केवल दया के वाद द्वारा नहीं, बल्कि विश्व के वित्त मंत्रियों के सामने रखने, और यह कहने, कि सम्पूर्ण मानव-जाति को पर्याप्त और अल्प-लागत भोजन दिलाने के लिए निवेश करने से इनकार करना, यह हमारे लिए असहनीय है. एक गज़ब की बात जो मैंने जानी है, वह यह है, कि विशाल स्तर पर कुछ नहीं बदल सकता एक नेता के दृढ़ निश्चय के बिना. जब कोई नेता कहते हैं, "मेरे होते हुए हरगिज़ नहीं! ", तो सब कुछ बदलने लगता है | और अब दुनियाभर के लोग आ सकते हैं यहाँ साधक वातावरण और अवसर निर्माण करने. और यह बात कि फ्रांस ने G20 में भोजन को केन्द्रीय स्थान दिया है, सचमुच अहम है. क्योंकि भोजन की समस्या का समाधान व्यक्तिगत तौर पर या राष्ट्रीय तौर पर भी नहीं पाया जा सकता. हमें एकजुट होकर खड़ा होना होगा. हम देख रहे हैं अफ्रीका के कुछ देशों को. 30 देशों से विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) अब बाहर निकल पाया है क्योंकि इन देश के वासियों ने वहां भूख का चेहरा बदल दिया है. मैं यहाँ आपके सामने पेश करना चाहूंगी एक चुनौती. मैं मानती हूँ कि हम मानवी इतिहास के ऐसे समय में जी रहे हैं, जब हमें ऐसी स्तिथि बिलकुल मान्य नहीं है, जिसमें बच्चे जागते हैं और यह नहीं जानते कि प्यालाभर खाना कहाँ मिलेगा. बस वही नहीं, पर भूख की स्तिथि में परिवर्तन लाने का अवसर मौजूद है, मगर हमें हमारी मनोवृत्ति बदलनी होगी | मैं खुद को सम्मानित समझती हूँ, यहाँ विश्व के श्रेष्ठ आविश्कारियों और विचारकों के बीच आकर. और मैं आपसे आग्रह करना चाहूंगी कि आप भी शामिल होइए पूरी मानवजाति के साथ यह रेखा खीचने और कहने में, कि, " अब और नहीं. इससे आगे हम यह नहीं बर्दाश करेंगे." और हमें बताना है हमारे बच्चों के बच्चों को, कि इतिहास में ऐसा एक भयानक समय था जब एक तिहाई तक के बच्चों के मस्तिष्क और शरीर कुपोषण से दबोचे जाते थे, मगर ऐसे हालात के अब नाम औ निशाँ नहीं रहे | धन्यवाद. (तालियाँ) मैं एक लेखक और निर्देषक हूँ, जो सामाजिक बदलाव की कहानियाँ सुनाती है| क्युँकि मेँ समझती हूँ कि कहानियाँ हमारे मन को छूती हैं | कहानियाँ हमें इन्सानियत और सहानुभूति सिखती हैं | कहानियाँ हममें परिवर्तन लाती हैं | जब मैं नाटक लिखती हूँ, मैं कमज़ोर समूहों को आवाज़ देती हूँ | मैं सेंसरशिप के विरुद्ध लड़ रही हूँ, अनेक यूगांडा के कलाकार सामाजिक और राजनीतिक थिएटर से दूर रेहने लगे जब युगांडा के पूर्व राष्ट्रपति ईदी अमीन ने कलाकारों का उत्पीड़न किया | और सबसे महत्वपूर्ण रूप से, मैं चुप्पी तोड़ रही हूँ और बात करना चाहती हूँ उन निषिद्ध मुद्दों पर, जहाँ अक्सर खामोशी में ही खुश्किस्मती मानि जाती है | वार्तालाप महत्वपूर्ण हैं क्यूँकि वह हमारे विचारों को सूचना और चुनौती देती है | और परिवर्तन का प्रारंभ विचारधारा से ही होता है | अक्सर सक्रियता की एक-तरफा प्रकृति मेरे लिये अक्सर एक संघर्ष बन जाती है | येह हमे वैकल्पिक राय से अलग रखती है, हमारी सहानुभूति सुन्न करती है, वैकल्पिक राय रखने वालों को हम या तो अज्ञानी, स्वयं से नफरत करने वाले, गद्दार या फिर मंदबुद्धि समझते है| मेरा मानना ​​है कि कोई भी अज्ञानी नहीं है। हम सभी विशेषज्ञ हैं केवल अलग-अलग क्षेत्रों में। और यही कारण है कि, मेरे लिए यह कह "अपने सच्चाई में रहो " भ्रामक है | क्यूँकि अगर आप अपनी सच्चाई में ही सीमित रहोगे तो कया यह तर्कसंगत नहीं होगा कि जिन्हें आप गलत समझते हैं वे भी अपनी सच्चाई में सीमित हैं तो अब आपके पास दो चरम सीमाएं हैं जो सभी वार्तालाप कि संभावनाएं बंद कर देती हैं| मैं उत्तेजक नाटक और फिल्म बना रहीं हूँ जो असहमत दलों का मानवीकरण करें और उन्हें स्थानांतरित करें वार्तालाप तालिका में जिससे उन्की ग़लतफ़हमिया दूर हों | मुझे पता है कि केवल एक दूसरे के विचार सुनने से सभी समस्याओं का जादुई हल नहीं होगा| लेकिन यह ज़रिया होगा एक साथ मिलकर मानवता की अनेक समस्याओं को हल करने का | मेरा प्रथम नाटक , "मूक आवाज़ें", उत्तर युगांडा युद्ध के पीड़ितों के साथ साक्षात्कार पर आधारित है, जो कि सरकार और जोसफ कोनी के एलआरए विद्रोही समूह के बीच चल रहा था | मैंने संघठन किया पीड़ितों, राजनीतिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक नेताओं, एनेस्टी कमीशन और संक्रमणकालीन न्यायाधीश को , और उन मुद्दों पर बातचीत की जिससे युद्ध अपराध पीड़ितों को न्याय मिले | यूगांडा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है | कई शक्तिशाली परिमाण निकले और उन सबको इस मंच पर शामिल करना मुष्किल होगा युद्ध के पीड़ितों को अवसर दिया गया एम्नेस्टी कमीशन नेतृत्व को अपनी पीड़ाएँ व्यक्त करने का, कि कैसे आयोग ने उन्हें नजरअंदाज करके युद्ध अपराधियों को पुनर्वास की सुविधा प्रदान की | एम्नेस्टी कमीशन ने पीड़ितों के दर्द को स्वीकार किया और उनको अपने दोषपूर्ण दृष्टिकोण का कारण समझाया | एक घटना जो मुझे आज भी याद है जब मेरे उत्तरी युगांडा नाटक के दौरान एक व्यक्ति ने आकर मुझे अपना परिचय दिया जोसेफ कोनी के पूर्व विद्रोही सैनिक के रूप में| उन्होंने मुझसे कहा कि वह नही चाहते थे कि उनकी अनुचित हँसी के कारण मुझे कोई निराशा हो| उन्होने स्पष्टिकरण दिया अपनी शर्मिंदाजनक हँसी का और वह मान्यता थी उनकी शर्मिंदगी की| उन्होंने मंच पर खड़े अभिनेताओं में खुद को देखा और अपने पिछले कार्यों की अर्थहीनता को समझा| इसी लिये मेरा केहना है: अपनी सच्चाइयों को सबके साथ बाँटे| एक दूसरे की सच्चाई को सुनें | मध्याँतर में आपको सशक्त रूप से संयुक्त सत्य का एहसास होगा| जब मैं अमरीका में रेहती थी मेरे कई अमेरिकी मित्र अक्सर चौक जाते थे लैसग्ना जैसे पश्चिमी व्यंजन के प्रति मेरी अज्ञानता को देखकर| (हँसी) और फिर मैं उनसे पूछती थी, "क्या आपको पता है मलकवंग के बारे में?" और फिर मैं उन्हें मलकवंग के बारे में बताती थी, जो की मेरी संस्कृति में एक अनोखी सब्जी से बना पकवान है | और वह मुझे लज़ान्या के बारे में बताते थे| और हम सब ज्ञान के साथ निकलेंगे| इसलिए अपनी सच्चाई के नुस्खे सबके साथ बाँटे| यह एक बेहतर भोजन बनाता है| धन्यवाद| (तालियाँ) हम अपना सुनना खो रहे हैं | हम लगभग अपने वार्तालाप का 60 फीसदी हिस्सा सुनने में बिताते हैं, लेकिन हम इसमें उतने अच्छे नहीं हैं | हम जितना सुनते है उसका केवल 25 फीसदी ही रख पाते हैं | अभी आपके लिए नहीं, इस व्याख्यान के लिए नहीं, लेकिन सामान्यत: यह सच है | चलिए सुनने को परिभाषित करे आवाजों से अर्थ निकालने के रूप में | यह दिमागी प्रक्रिया है, यह निष्कर्ष निकालने की प्रक्रिया है | यह इसके कुछ रोचक तकनीकियों का उपयोग करते है | इनमे से एक आकृतियाँ पहचानना है | (भीड़ का शोर) तो इस तरह की कॉकटेल पार्टी में, अगर मैं कहू " डेविड, सारा, धयान दो " आपमें से कुछ उठ बैठें | हम आकृतियों को पहचानते है शोर में से संदेश अलग करने के लिए, और खास कर हमारा नाम | अंतर निकालना एक और प्रक्रिया है जो उपयोग करते हैं | अगर मैं यह शोर कुछ मिनटों से ज्यादा चालू रहने दू तो आप सच में इसे सुनना बंद कर देंगे | हम अंतर को सुनते हैं, हम उन आवाजों को छोड़ देते हैं जो सामान रहती है | और फिर हमारे पास विभिन्न प्रकार की छलनियाँ है | यह छलनियाँ हमे सुनाई देने वाली सारी आवाजों से उस आवाज़ तक ले जाते है जिसे हम ध्यान दे रहे हैं | बहुत से लोग पूरी तरह से इन छलनियों से अंजान हैं | लेकिन वास्तव में ये एक तरीके से हमारी सच्चाई बनाते हैं, क्युंकि ये हमे बताते हैं कि हम किस पर ध्यान दे रहे हैं | इसका एक उदाहरण देता हूँ: प्रयोजन बहुत जरुरी है आवाज़ों में, सुनने में | जब मैंने अपनी पत्नी से शादी की, मैंने उनसे वादा किया कि मैं उन्हें हर दिन सुना करूँगा जैसे कि यह पहली बार है | अब इसे हर दिन करने में मैं विफल हुआ हूँ | (हँसी) लेकिन महान प्रयोजन है जो किसी रिश्ते में होना चाहिए | लेकिन बस यहीं नहीं है | आवाज़ हमे समय और जगह पर विस्थापित करते हैं | अगर इस कमरे में आप अपनी आँखें बंद करे, आपको इस कमरे के आकार का अंदाज़ा है गूंज से और दीवारों से आवाज़ के टकरा कर वापस आने से | और आपको अंदाज़ा है कि कितने लोग आपके आसपास है आपको सुनाई देने वाले छोटे से शोर के कारण | और आवाज़ हमे समय का ज्ञान भी देता है, क्युंकि आवाज़ों में हमेशा समय भी निहित होता है | असल में, मैं बताऊंगा कि सुनना ही हमारा मुख्य तरीका है जो हम समय के प्रवाह में महसूस करते हैं भूतकाल से भविष्य तक | तो, "गूंज समय और अर्थ है " -- एक महान वाक्य | मैंने शुरू के कहा था, हम अपना सुनना खो रहे हैं | मैंने ऐसा क्यों कहा? इसके बहुत से कारण हैं | सबसे पहले, हमने रिकार्ड करने के तरीके खोजे -- पहले लिखना, फिर ध्वनि रिकॉर्डिंग और अब वीडियो रिकॉर्डिंग भी | सही और सावधानी से सुनने का लाभ आसानी से गायब हो गया है | दूसरा, दुनिया में अब बहुत शोर है. (शोर) इस शोर के साथ दृश्यों में और आवाजों में, सुनना मुश्किल है ; सुनना थकाने वाला है | बहुत से लोग हेडफोन की शरण लेते हैं, लेकिन वो इस तरह के बड़े और सार्वजानिक और साझे आवाज़ों की जगहों को लाखो छोटे, थोड़े व्यक्तिगत आवाज़ों के बुलबुलों में बदल रहे हैं | इस परिदृश्य में, कोई भी किसी को नहीं सुन रहा है | हम अधीर होते जा रहे हैं | अब हम वाक्पटुता नहीं चाहते, हमे बयान चाहिए | और वार्तालाप की कला का स्थान ले रहे हैं -- खतरनाक रूप से, मैं सोचता हूँ -- व्यक्तिगत प्रसारण | मुझे नहीं पता ऐसे वार्तालाप में कितना सुनना होता है, जो कि दुखद रूप से सामान्य है, खास कर U.K. में | हम असवेंदनशील हो रहे हैं | हमारी मीडिया को चीखना होता है इस तरह के शीर्षक के साथ हमारा ध्यान खींचने के लिए | और इसका मतलब है कि हमारे लिए ध्यान देना मुश्किल है शांत को, सूक्ष्म को, शालीन को | यह गंभीर समस्या है कि हम अपना सुनना खो रहे हैं | यह मामूली नहीं है | क्युंकि सुनना समझ का प्रवेश मार्ग है | सचेतता से सुनना हमेशा समझ उत्पन्न करता है | और बिना किसी सचेतता से सुनने से यह सब चीज़े हो सकती हैं -- ऐसी दुनिया जहाँ हम एक दूसरे को नहीं सुनते, असल में यह बहुत डरावनी जगह है | तो आपसे बाटना चाहूँगा पांच साधारण प्रयोग, साधन जो आप अपने साथ ले जा सकते है, अपनी सचेतता से सुनने की योग्यता बढ़ाने के लिए | क्या आप इसे चाहेंगे? (श्रोता: हाँ ) अच्छा | सबसे पहला ख़ामोशी | एक दिन में सिर्फ तीन मिनट की ख़ामोशी एक अद्भुत प्रयोग है अपने कानो को फिर से क्रियाशील और अनुकूल बनाना जिससे आप शांत को सुन सके | अगर पूरी तरह से ख़ामोशी नहीं मिल पाती शांत रहिये, यह पूरी तरह से ठीक है दूसरा, मैं इसे मिक्सर कहता हूँ | (शोर) तो अगर आप इस तरह के शोर वाले वातावरण में है तो भी -- और हम इस तरह के जगहों पर काफी समय व्यतीत करते है -- काफी बार में सुनिए जानने के लिए कि आप कितने आवाज़ों के स्त्रोत को सुन सकते हैं? कितने विभिन्न स्त्रोत को मैं सुन सकता हूँ इस मिश्रण में? आप इस किसी सुंदर स्थान में कर सकते हैं, जैसे एक झील | कितने पक्षियों को मैं सुन रहा हूँ? वो कहाँ हैं? वो लहरे कहा हैं? यह एक महान प्रयोग है आपके सुनने के गुणवत्ता बढ़ाने के लिए | तीसरा, इस प्रयोग को मैं स्वाद लेना कहता हूँ, और यह एक सुंदर प्रयोग है | यह नीरस आवाज़ों का आनंद लेने के बारे में है | यह उदाहरण के लिए, मेरा टम्ब्ल ड्रायर है | (ड्रायर) यह वाल्ट्ज है | एक, दो, तीन | एक, दो, तीन | एक, दो, तीन | मुझे यह पसंद है | या इसे इस्तेमाल करके देखिए | (काफी ग्राइन्डर) अहा ! नीरस आवाज़े भी सच में रोमांचक हो सकती है अगर आप ध्यान दे | मैं इसे छिपा हुआ गीत कहता हूँ | यह हमारे आसपास हर समय रहता है | अगला प्रयोग शायद इन सबमें सबसे महत्वपूर्ण है, अगर आप सिर्फ एक चीज़ अपने साथ ले जाए | यह सुनने का अवस्था -- विचार यह है कि आप अपने सुनने की अवस्था को बदल सकते है आप जो सुन रहे है उसके अनुसार | यह उन छलनियो के साथ खेलना है | क्या आपको याद है,शुरुवात में उनके बारे में आपको मैंने बताया था | यह उनके साथ लीवर की तरह खेलने की, उनके साथ सचेत होने की और उनके विभिन्न स्थानों में ले जाने की शुरुवात है ये सिर्फ सुनने की कुछ अवस्था है, या सुनने के स्थानों का पैमाना, जो आप देख सकते है | ऐसे बहुत से है | इनके साथ मज़े कीजिये | यह बहुत रोमांचक है | और अंत में, एक संक्षित शब्द | आप इसे सुनने में उपयोग कर सकते है, संचार में | अगर आप इनमें से किसी भूमिका में हैं -- और मैं सोचता हूँ कि शायद वेह सभी हैं जो इस व्याख्यान को सुन रहे है -- संक्षिप्त शब्द रस (RASA) है, जो कि एक संस्कृत शब्द है रस और सार के लिए | RASA पूरा अर्थ है Receive (ग्रहण करना) जिसका मतलब है कि व्यक्ति पर ध्यान देना; सराहना कीजिये, हल्की आवाज़े निकलना जैसे हम्म, ओह, ओके; सार प्रस्तुत कर, शब्द "तो" संचार में बहुत महत्वपूर्ण है; और पूछिए, उसके बाद सवाल पूछिए | अब आवाज़ मेरा शौक है, यह मेरी जिंदगी है | मैंने इसके बारे में एक पूरी किताब लिखी है | तो मैं सुनने के लिए जीता हूँ | यह बहुत से लोगो के लिए बड़ा काम है | लेकिन मैं विश्वास करता हूँ कि हर व्यक्ति को जरूरत हैं सचेतता से सुनने की पूरी तरह से जीने के लिए -- समय और अंतरिक्ष में जुड़े रहने के लिए हमारे आसपास की भौतिक दुनिया से, एक दूसरे को समझने से, बताने के जरूरत नहीं आध्यत्मिक रूप से जुड़ी हुई, क्युंकि हर आध्यात्मिक रास्ता जो मुझे पता है सुनना और चिंतन उनके हृदय में हैं | इसीलिए हमे स्कूलों में सुनना सिखाने की जरूरत हैं एक कौशल की तरह यह क्यों नहीं सिखाया जाता? यह अजीब है | और अगर हम सुनना अपने स्कूलों में सिखा सके तो, हम अपने सुनने को उस फिसलन वाले ढाल में संभाल सकते हैं जो कि खतरनाक है, डरावनी दुनिया जिसे बारे में मैंने बात की और ऐसे जगह पर ले जाए जहाँ सभी हमेशा सचेतता से सुन रहे हैं -- या कम से कम इसके योग्य हैं | अब पता नहीं कि इसे कैसे करे, लेकिन यह TED है और मैं सोचता हूँ कि TED समूह कुछ भी करने के योग्य हैं | तो मैं आपको निमंत्रण देता हु मुझसे जुड़ने का, एक दूसरे से जुड़ने का, इस लक्ष्य को आगे बढ़ाने का और स्कूलों में सुनना सिखाया जाना शुरू किया जाए, और दुनिया को सचेतता से सुनने वाली दुनिया की पीढ़ी में बदले -- जुड़ी हुई दुनिया, एक समझने वाली दुनिया और शांति की दुनिया | आज मुझे सुनने के लिए धन्यवाद | (अभिवादन) इस वर्ष के अंत तक, इस ग्रह पर लगभग एक अरब लोग ऐसे होंगे जो सक्रिय रूप से सामाजिक नेटवर्किंग साइटों का उपयोग करेंगे. उन सब में जो एक बात आम है वह है कि वे मरने वाले हैं . हालांकि यह कुछ हद तक एक रुग्ण सोच है , मुझे लगता है कि इसमें कुछ गहरे प्रभाव हैं जो कि तलाश के लायक हैं. मुझे पहली बार इसका ख्याल आया डेरेक के.एच. मिलर द्वारा एक ब्लॉग पोस्ट देखने के बाद, जो एक विज्ञान और प्रौद्योगिकी पत्रकार थे जिनकी कैंसर से मृत्यु हुई. और मिलर ने अपने परिवार और दोस्तों से एक पोस्ट लिखने को कहा अपने मरने के बाद शीघ्र ही पोस्ट करने के लिए. उसके शुरू में उन्होंने लिखा. उन्होंने कहा, "आज यहाँ, मैं मर चूका हूँ. और यह मेरे ब्लॉग पर मेरी आखिरी पोस्ट है. अग्रिम में, मैंने माँगा था कि एक बार मेरा शरीर बंद हो जाए मेरी कैंसर के दंड से, तो मेरे परिवार और दोस्त मेरे द्वारा इस तैयार संदेश को प्रकाशित करें - एक प्रक्रिया का पहला भाग इस सक्रिय वेबसाइट को एक संग्रह बनाने के लिए." अब, एक पत्रकार के रूप में, मिलर का संग्रह बेहतर लिखा हो सकता है और अधिक ध्यान से सम्पादित, इस मामले का तथ्य यह है कि हम में से सभी आज एक संग्रह बना रहे हैं जो कि पूरी तरह से कुछ अलग है जो कुछ आज तक बनाया गया है उसकी तुलना में किसी भी पिछली पीढ़ी के द्वारा. एक पल के लिए कुछ आकड़ों पर विचार करें. अभी यहाँ वीडियो के ४८ घंटे जो हर एक मिनट में YouTube पर अपलोड हो रहे हैं. २००० लाख त्वीट्स हर दिन पोस्ट की जा रही हैं. और औसत Facebook उपयोगकर्ता सामग्री के ९० टुकड़े प्रत्येक महीने बना रहा है. इसलिए, जब आप अपने माता पिता या अपने दादा दादी के बारे में सोचते हैं उन्होंने ज्यादा से ज्यादा बनायें होंगे कुछ तस्वीरें या घर का वीडियो, या एक डायरी जो कि एक बक्से में कहीं रखी है. लेकिन आज हम सब इस अविश्वसनीय रूप से समृद्ध डिजिटल संग्रह बना रहे हैं जो कंप्यूटर बादल में अनिश्चित काल के लिए जियेगा, हमारे चले जाने के वर्षों बाद तक. और मुझे लगता है कि यह कुछ अविश्वसनीय पेचीदा अवसर पैदा करेगा प्रौद्योगिकीविदों के लिए. अब स्पष्ट होने के लिए, मैं एक पत्रकार हूँ और प्रौद्योगिकीवादी नहीं, तो मैं संक्षेप में एक तस्वीर बनाना चाहूँगा कि वर्तमान और भविष्य कैसे दिखने जा रहे हैं. हम पहले से ही कुछ सेवाओं को देख रहे हैं जो हमें तय करने में मदद कर रही हैं हमारे ऑनलाइन प्रोफ़ाइल और हमारे सामाजिक मीडिया खातों का क्या होगा हमारे मर जाने के बाद. उनमें से वास्तव में, संयोग पर्याप्त एक, मुझे मिला जब मैं एक भोजनालय में गया न्यू यॉर्क में foursquare पर . (रिकॉर्डिंग) एडम ओस्त्रो: हैलो. मौत: एडम? ए ओ: हाँ. मौत: मौत आप को कहीं भी, कभी भी पकड़ सकती है, यहां तक कि जैविक में भी. ए ओ: यह कौन है? मौत: ifidie.net पर जाओ इससे पहले कि बहुत देर हो जाए. (हँसी) एडम ओस्त्रो: डरावना है न? तो यह सेवा क्या करती है, बस, यह आप को एक संदेश या एक वीडियो बनाने देती है जो कि आप की मौत के बाद फेसबुक पर पोस्ट किया जा सकता है . एक और सेवा १,००० यादें . और यह आपको अपने प्रियजनों के लिए एक ऑनलाइन श्रद्धांजलि बनाने देती है, फ़ोटो और वीडियो और कहानियों के साथ पूरी जो कि आप मरने के बाद पोस्ट कर सकते हैं . लेकिन मुझे लगता है कि अगला कहीं अधिक रोचक है. आप में से बहुत शायद देब रॉय के साथ परिचित हैं जो मार्च में, दिखा रहे थे कैसे वह घर के ९०,००० से अधिक घंटे के वीडियो का विश्लेषण करने में सक्षम थे. मुझे लगता है कि मशीनों की क्षमता के रूप में मानव भाषा को समझना और विशाल मात्रा में डेटा की प्रक्रिया करना में सुधार हो रहा है, यह संभव हो रहा है एक पूरे जीवन की सामग्री का विश्लेषण करना - त्वीट्स, फोटो, वीडियो, ब्लॉग पोस्ट - जो कि हम इस भारी संख्या में उत्पाद कर रहे हैं. और मुझे लगता है जैसे यह होता है, यह हमारे डिजिटल व्यक्तित्व के लिए संभव हो रहा है असली दुनिया में लंबे समय तक बातचीत जारी रखना, हमारे चले जाने के बाद हमारे द्वारा बनाई सामग्री की मात्रा की विशालता के कारण और प्रौद्योगिकी की इसको समझने की क्षमता के कारण अब हम पहले से ही यहाँ कुछ प्रयोगों देख रहे हैं. एक सेवा "मेरी अगली तवीत(Tweet)" आप के पूरे ट्विट्टर धारा का विश्लेषण करती है, सब कुछ जो आपने ट्विट्टर पर पोस्ट किया है, आप आगे क्या कह सकते हैं उस की भविष्यवाणी करने के लिए. जैसा कि आप देख सकते हैं अभी, परिणाम कुछ हास्यकारक हो सकते हैं. आप कल्पना कर सकते हैं कि यह कुछ इस तरह का लग सकता है अब से पांच, १० या २० साल बाद हमारे तकनीकी क्षमताओं में सुधार के बाद. इसे एक कदम आगे ले कर, एमआईटी मीडिया प्रयोगशाला रोबोट पर काम कर रहा है जो कि इंसानों की तरह बातचीत कर सकते हैं. लेकिन क्या अगर वह रोबोट बातचीत करने में सक्षम हो सकते एक विशिष्ट व्यक्ति की अनूठी विशेषताओं पर आधारित सामग्री के हजारों, सैकड़ों टुकड़े के आधार पर जो कि व्यक्ति अपने जीवनकाल में उत्पादित करता है? अंत में, इस प्रसिद्ध दृश्य के बारे में सोचिये चुनाव रात २००८ से संयुक्त राज्य अमेरिका में, जहां सीएनएन ने एक जीवित होलोग्राम प्रसारित किया अपने स्टूडियो में हिप हॉप कलाकार विल.इ.ऍम का एंडरसन कूपर के साथ एक साक्षात्कार के लिए. क्या होगा अगर हम उस प्रकार की प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में सक्षम होते हमारे चाहने वालों के प्रतिनिधित्व को बीम करने में - एक बहुत जीवित रूप में बातचीत करने के लिए उस सभी सामग्री पर आधारित जो उन्होंने जीवित रहते बनाई थी. मुझे लगता है कि वह पूरी तरह से संभव है हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाले डेटा की राशि और प्रौद्योगिकी की क्षमता उसे समझने के लिए दोनों तेजी से विस्तारित होती हैं. अब समापन में, मुझे लगता है कि हम सब को इस बारे में सोचने की जरूरत है अगर हम चाहते हैं कि यह वास्तविकता बने - और यदि हां, यह जीवन की परिभाषा और उसके बाद के लिए क्या मतलब रखता है. बहुत बहुत धन्यवाद. (अभिवादन) विकसित दुनिया में मनुष्य अपने जीवन का 90 प्रतिशत से अधिक समय बंद दीवारों के अन्दर बिताते हैं, जहां वे साँस लेते और संपर्क में आते हैं कई अरब अदृश्य जीवों के साथ सूक्ष्मजीव. भवन एक जटिल पारितंत्र हैं जो कि एक महत्वपूर्ण स्रोत है हमारे लिए अच्छे सूक्ष्मजीवों का, और कुछ जो कि हमारे लिए बुरे हैं | वह क्या है जो घर के अंदर रोगाणुओं का प्रकार और वितरण निर्धारित करता है? भवन हवा में फैले रोगाणुओं का उपनिवेश है जो खिड़कियों के माध्यम से और यांत्रिक वेंटीलेशन सिस्टम के माध्यम से भीतर आते हैं | और वो मानव और अन्य प्राणियों के द्वारा अंदर लाये जाते हैं | रोगाणुओं का घर के अंदर का भाग्य उनके मनुष्यों के साथ होने वाले जटिल पारस्परिक प्रभाव और मानव निर्मित वातावरण पर निर्भर करता है | और आज, आर्किटेक्ट, और जीव विज्ञानी स्मार्ट इमारत की रूप रेखा बनाने के लिए एक साथ काम कर रहे हैं जिससे हमारे लिए स्वस्थ इमारतों का निर्माण होगा | हम बहोत समय उन इमारतों में व्यतीत करते हैं जिनका वातावरण अत्यंत नियंत्रित होता है, इस इमारत की तरह - यांत्रिक वेंटीलेशन यंत्रो वाले परिवेश जिसमे फ़िल्टरिंग शामिल है, गरमाई और वातानुकूलन. हम जितना समय घर के अन्दर बिताते हैं, उससे यह समझना महत्वपूर्ण है कि कैसे यह हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है | जीवविज्ञान और निर्मित पर्यावरण केंद्र में, हमने एक अस्पताल में अध्ययन किया जहां हमने हवा का नमूना लिया और उस हवा के रोगाणुओं का डीएनए लिया | और हमने कमरों के तीन अलग अलग प्रकार को देखा. हमने यंत्रवत् हवादार कमरे देखे, जो नीले रंग में डेटा बिंदु हैं. हमने स्वाभाविक रूप से हवादार कमरे देखे, जहां अस्पताल ने हमें इमारत के एक हिस्से में यांत्रिक वेंटीलेशन बंद करने दिया और खिड़कियों को खुला रखा जो प्रचलित नहीं थी , लेकिन उन्हें हमारे अध्ययन के लिए प्रचलित किया | और हमने बाहरी हवा का भी नमूना लिया | यदि आप इस ग्राफ के x-अक्ष को देखो, आप देखेंगे कि हम सामान्यतः क्या करना चाहते हैं - वह यह है कि हम बाहरी वातावरण को बहार ही रखते हैं - यह हमने यांत्रिक वेंटीलेशन से किया है | तो अगर आप हरी बिंदुओं को देखोगे, जो बाहर की हवा है, आप देखेंगे कि वहाँ माइक्रोबियल विविधता बहूत ज्यादा है, या माइक्रोबियल प्रकार की विविधता है | लेकिन अगर आप नीले डेटा बिंदुओं को देखो, जो यंत्रवत् हवादार है, यह उतनी विविध नहीं है. लेकिन कम विविध होना हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी नहीं की अच्छा है . यदि आप इस ग्राफ के y-अक्ष को देखो, आप देखेंगे कि यंत्रवत् हवादार हवा में, एक संभावित रोगज़नक़ या रोगाणु से सक्रमित होने की संभावना आप के बाहर खुले में संक्रमित होने से ज्यादा होती है तो समझने के लिए ऐसा क्यों था, हमने अपना डाटा लिया और यह एक समन्वय आरेख में डाल दिया , जो एक सांख्यिकीय मानचित्र है जो आप से कुछ कहता है इस बारे में कि कैसे माइक्रोबियल विभिन्न नमूनों में एक दुसरे समुदायों से संबंधित हैं | डेटा बिंदु जो एक दुसरे के करीब हैं उनमे सूक्ष्म समुदायों में अधिक समानता है उनकी तुलना में जो डेटा बिंदु दूर हैं | और पहली चीज़ जो आप इस ग्राफ से देख सकते हैं अगर आप नीले डेटा बिंदुओं को देखो, जो यंत्रवत् हवादार हवा हैं , वे बस हरी डेटा बिंदुओं का एक भाग नहीं हैं, जो कि बाहरी हवा है. हमने पाया है कि यंत्रवत् हवादार हवा वो है जो इंसानों की तरह लगती है. उस पर रोगाणु हैं जो कि सामान्यतः हमारी त्वचा के साथ जुड़े रहते हैं और हमारे मुंह, हमारे थूक के साथ . और इसका कारण है कि हम सब लगातार रोगाणु बहा रहे हैं | तो आप सभी अभी एक दूसरे के साथ अपने रोगाणुओं को बाँट रहे हैं . और जब आप सड़क पर हो, उस हवा में रोगाणु है जो सामान्यतः पत्तों और गंदगी के साथ जुड़े रहते हैं. इससे फर्क क्यों पड़ता है? क्योंकि स्वास्थ्य देखभाल उद्योग दूसरा सबसे अधिक ऊर्जा प्रधान उद्योग है संयुक्त राज्य अमेरिका में. अस्पताल, दफ्तर की इमारतों की तुलना में ऊर्जा का उपयोग ढाई गुना ज्यादा करते हैं | और मॉडल जिसके साथ हम काम कर रहे हैं अस्पतालों में, और भी कई अलग-अलग इमारतों के साथ , जिसमे बाहरी वातावरण को बाहर रखना है | और यह मॉडल शायद हमारे स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा ना हो | और असाधारण मात्रा में अस्पताल से होने वाले संक्रमण की, या अस्पताल से अधिग्रहित संक्रमण, एक संकेत है कि यह एक अच्छा समय है हमारे मौजूदा तरीकों पर पुनर्विचार करने के लिए | तो जैसे हम राष्ट्रीय पार्क का प्रबंधन करते हैं, जहाँ हम कुछ प्रजातियों के विकास को बढ़ावा देते हैं और हम दूसरों के विकास को बाधित करते हैं, हम इमारतों के बारे में सोच की दिशा में काम कर रहे हैं एक पारिस्थितिकी तंत्र के ढांचे का उपयोग कर जहाँ हम उस प्रकार के रोगाणुओं को बढावा दे सकते हैं जिन्हें हम घर के अंदर चाहते हैं | मैंने किसी को कहते सुना है कि आप उतने स्वस्थ्य होते हैं जितना आपका पेट ठीक होता है | और इस कारण, कई लोग प्रोबायोटिक दही खाते हैं ताकि वे पेट को को स्वस्थ रखने वाले कारकों को विकसित कर सकें | और हम अंततः चाहते हैं कि हम इस अवधारणा का उपयोग करके हमारे अंदर एक सूक्ष्मजीवों के स्वस्थ समूह को विकसित कर सकें | धन्यवाद | (तालियाँ) तो आज, मैं आपका ध्यान इस पीढ़ी के लड़कों की दिशा में ले जाना चाहता हूँ लड़कों शैक्षिक के मोर्चे पर असफल रहे हैं वो सामाजिक तौर पे लड़कियों से अलग होते जा रहे हैं.. और यौनिक तौर पर औरतों के साथ. उसके अलावा, वहाँ किसी भी तरह की कोई अन्य समस्या नहीं है तो डेटा क्या है? तो स्नातक से बाहर छोड़ने पर डेटा अद्भुत है. लड़कियों की तुलना में लड़कों की school drop आउट करने की सम्भावना ३०% ज्यादा रहती है कनाडा में तीन लड़कियों के मुकाबले पांच लड़के स्कूल छोड़ देते हैं! लड़कियां हर क्षेत्र में लड़कों को पीछे छोड़ रही हैं चाहे वो प्राथमिक स्कूल हो चाहे स्नातक विद्यालय एक 10 प्रतिशत का अंतर सभी जगह है BA की डिग्री लेने से हर graduate प्रोग्राम में लड़के, लड़कियों से पीछे छूटते जा रहे हैं विशेष सुधारात्मक कार्यकमो में दो तिहाई हिस्सा लड़कों का ही होता है और जैसा की आप सब जानते ही हैं लड़कों में लड़कियों की तुलना में पांच गुना ज्यादा द्यान घाटा विकार (Attention deficit disorder) कहे जाने की सम्भावना होती है और इसलिए हमें उन्हें रितालिन (अच्छे ध्यान के लिए) नाम की दवा देनी पड़ती है और इस चीज के ख़तम होने के लिए हमारे पास क्या सबूत हैं? सबसे पहला है; अंतरंगता से डर लगना अंतरंगता से मेरा मतलब है, शारीरिक और भावनात्मक संबंध किसी और के साथ विशेष रूप से जब कोई विपरीत लिंग से होता है जो की अस्पष्ट, विरोधाभासी तथा आकर्षित करने वाले संकेत देता है (हंसी) और हर साल पर ये शोध किया जाता है कि कॉलेज जाने वाले छात्रों में इस खुद कबूल की शर्म के कारण क्या हैं? और हम लड़कों के बीच एक स्थिर वृद्धि देख रहे हैं. जो कि दो प्रकार कि है यह एक सामाजिक भद्दापन है और पुराने समय में शर्म कुछ और नहीं बल्कि अस्वीकृति का डर था. यह एक सामाजिक भद्दापन की तरह है अगर आप एक विदेशी देश में एक अजनबी हो. वो नहीं जानते उन्हें क्या कहना है, वो नहीं जानते उन्हें क्या करना है विशेष रूप से जब आमने सामने विपरीत लिंग से बात करने कि बारी आती है वे चेहरे से संपर्क करने की भाषा को नहीं समझते वो सारे तरीके जो की बोलकर और बिना बोले आपको किसी से आराम से बात कराने में सहायक होते हैं और सामने वाले की बात समझने में भी. मैं कुछ विकसित करने का प्रयास रहा हूँ जिसे हम "सोशियल इंटेन्सिटी सिंड्रोम" कह सकते हैं जो की ये बताने का प्रयास करेगा की क्यूँ लड़के लड़कियों की तुलना में लड़कों के साथ मेल मिलाप को अहमियत देते हैं और ये निकल के आता है की बचपन से ही लड़के और उसके बाद पुरुष लड़कों के साथ ही रहना पसंद करते हैं शारीरिक साथ और वहाँ वास्तव में एक मस्तिष्का संबंधी उततेज़ना हम देख रहे हैं, क्योंकि लड़के ज्यादातर लड़कों के साथ ही रहे हैं चाहे वो टीम्स हों , क्लब्स हों, गैंग हों या फिर बिरादरी विशेष रूप से मिलिटरी और उसके बाद फिर पब्स में और ये सबसे ज्यादा होता है सुपर रविवार खेल में जहाँ की लड़के किसी अजनबी के साथ बार में होना ज्यादा पसंद करेंगे बजाये पूरी तरह से कपडे पहने हुए ग्रीन बे पॅकर्स की एरोन रॉडजर्स को देखने के और पूरी तरह से नग्न जेन्निफर लोपेज़ को उसके बेडरूम में देखने के लिए नहीं इस समस्या का कारण ये है की वो अब पसंद करते हैं asynchronistic इंटरनेट की दुनिया बजाए की सहज बातचीत के सामाजिक संबंधों में इस के कारण क्या हैं? खैर, यह एक अनपेक्षित परिणाम है मुझे लगता है कि यह एक अत्यधिक वीडियो गेम और अत्यधिक इंटरनेट का उपयोग करने के परिणाम हैं , अत्यधिक पोर्नोग्राफी पर बहुत ज्यादा पहुंच मुख्य समस्या इन उत्तेजक व्यसनों से है मादक पदार्थों की लत हों, तो आप बस और अधिक चाहते हैं. उत्तेजना की लत हों , तो बस आप कुछ अलग चाहते हैं. और अगर ड्रग्स की लत हो तो कुछ उसीसे ज़्यादा चाहिए, अलग तरह से तो आपको कुछ नयापन चाहिए हर उस उततेज़ना को बनाये रखने के लिए और समस्या है की आज के उद्योग ये सब मुहैया करा रहे हैं Jane McGonigal ने पिछले साल कहा था कि जब तक लड़के २१ साल के होते हैं वो १०००० घंटे तक वीडियो गेम्स खेल चुके होते हैं वो भी अधिकतर अकेलेपन में जैसा कि आपको याद होगा Cindy Gallop कहा था पुरुषों को फर्क नहीं पता है अश्लीलता और प्रेम करने के बीच औसतन एक लड़का एक सप्ताह में ५० अश्लील विडियो क्लिप्स देख लेता है और स्वाभाविक है कि कुछ लोग १०० से ज्यादा भी देख लेते हैं.. (हंसी ) और ये अश्लील उद्योग अमेरिका का सबसे तेजी से बढता उद्योग है 15 - अरब सालाना कि दर से हर ४०० फिल्मो कि तुलना में जो hollywood में बनती हैं आजकल ११००० अश्लील विडियो बनाये जा रहे हैं.. इसका असर अगर हम जल्दी से बताएँ तो ये एक नये प्रकार की उततेज़ना है लड़को के दिमाग़ तारों को एक डिजिटल तरीके से एक बार फिर जोड़ा जा रहा है और ये बदलाव उततेज़ना में नवीनता और लगातार उततेज़ना के लिए है.. इसका मतलब है कि वे पूरी तरह से पारंपरिक कक्षाओं से बाहर महसूस कर रहे हैं जो की आनलॉग, रुका हुआ और बातचीत की प्रक्रिया के लिए निष्क्रिय कहा जा सकता है वो पूरी तरह से असफल रहे हैं रोमॅंटिक रिश्तों को समझने में जो की धीरे धीरे और आसानी से बनाए जाते हैं तो इस चीज़ का समाधान क्या है? ये मेरा काम नहीं.. मैं यहाँ आप लोगो इस से अवगत करा रहा हूँ, ये आपका काम है इसे हल कैसे किया जाए (हँसी ) (तालियाँ) पर किसे इस बात की चिंता है? जिन लोगो को इसकी चिंता करना चाहिए.. वो उन लड़के और लड़कियों के माता पिता हैं.. शिक्षकों, gamers, फिल्म निर्माताओं, और वो स्त्रियाँ जो की एक सच्चे आदमी को पसंद करती हैं जिसके साथ वो बात कर सके और नाच सकें जो की प्यार धीरे धीरे कर सकें... और विकास के इस दवाब में योगदान कर सकें.. और हमारी प्रजाति को बनाना स्लग (एक प्रकार का सुस्त जीव ) से उपर रख सके.. बनाना स्लग के मालिकों से माफी चाहूँगा.. धन्यवाद (तालियाँ) निम्न कथन पर ध्यान दीजिएः मनु्ष्य अपनी दिमागी क्षमता का केवल दस प्रतिशत प्रयोग करते हैं। एक न्यूरो साइंटिस्ट होने के नाते, मैं आपको बता सकती हूँ कि हालांकि मॉर्गन फ्रीमैन ने इस पंक्ति को ऐसी संजीदगी से कहा जिस कारण वह एक महान कलाकार हैं, यह कथन एकदम झूठा है। (हंसी) सच तो यह है, कि मनुष्य अपनी दिमागी क्षमता का सौ प्रतिशत प्रयोग करते हैं। दिमाग अत्यंत कुशल होता है, जिसे उर्जा की अत्यधिक आवश्यकता होती है जो पूर्ण रूप से प्रयुक्त हो जाती है, हालांकि वह पूर्ण क्षमता पर काम कर रहा होता है, उसे अत्यधिक जानकारी की समस्या से जूझना पड़ता है। पर्यावरण में इतना कुछ है कि वह सब कुछ पूरी तरह समझ नहीं सकता। तो इस आधिक्य की समस्या के निवारण के लिए, विकास ने एक समाधान तैयार किया, जो दिमाग की ध्यान देने की प्रणाली है। ध्यान देने से हम दिमाग के कम्यूटेशनल साधनों को देखकर, और चुनकर, उन्हें जो भी उपलब्ध है उसके सबसेट की और निर्देशित कर सकते हैं। हम ध्यान देने को दिमाग का नेता मान सकते हैं। जहाँ हमारा ध्यान जाता है, बाकी का दिमाग उसी ओर चलता है। कुछ मायनों में, यह आपके दिमाग का बॉस है। पिछले 15 सालों से, मैं मनुष्य के दिमाग की ध्यान प्रणाली का अध्ययन कर रही हूँ। हमारे सभी अध्ययनों में, मुझे एक सवाल बहुत रोचक लगा है। अगर यह सच है कि ध्यान यकीनन हमारे दिमाग का बॉस है, क्या यह एक अच्छा बॉस है? क्या यह असल में हमारा सही मार्गदर्शक है? और इस बड़े सवाल के बारे में सोचें तो, मुझे तीन बातों की जानकारी चाहिए थी। सबसे पहले, ध्यान हमारी धारणा को कैसे नियंत्रित करता है? दूसरा, यह हमें निराश क्यों करता है, अक्सर हमें धूमिल या विचलित क्यों छोड़ देता है? और तीसरा, क्या हम इस धूमिलता के बारे में कुछ कर सकते हैं, क्या हम अपने दिमाग को बेहतर ध्यान देने के लिए ट्रेन कर सकते हैं? ताकि जो हम अपने जीवन में काम करते हैं उसमें अधिक मजबूत और स्थिर ध्यान लगा पाएँ। तो मैं आपको एक छोटी सी झलक देना चाहती थी कि हम इसे कैसे समझाएँगे। एक अत्यंत मार्मिक उदाहरण कि हमारे ध्यान का कैसे प्रयोग हो जाता है। और मैं इस उदाहरण में किसी ऐसे का जिक्र करूँगी जिसे मैं भली-भांति जानती हूँ। वह लोगों के एक बड़े समूह में से हैं जिनके साथ हम काम करते हैं, जिनके लिए ध्यान देना मृत्यु और जीवन का मामला है। मेडिकल पेशों के बारे में सोचें या अग्निशमक दल या सैनिक या नौसैनिक। यह एक नौसैनिक कप्तान, कप्तान जेफ़ डेविस की कहानी है। और जो बात मैं आपको बताने वाली हूँ, जैसा कि आप देख सकते हैं, वह उनके युद्धक्षेत्र में बिताए समय के बारे में नहीं है। असल में, वह फ्लोरिडा के एक पुल पर खड़े थे। परंतु अपने आस-पास के प्राकृतिक दृश्य देखने, या खूबसूरत परिदृश्य निहारने और शीतल समुद्री हवाएँ महसूस करने के बजाय, वह तेज़ी से गाड़ी चला रहे थे और पुल से नीचे गिराने की सोच रहे थे। और बाद में उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें पूरी हिम्मत लगानी पड़ी कि वे ऐसा न करें। जानते हैं, वह तभी ईराक से आए थे। और हालांकि वे उस पुल पर खड़े थे, उनका दिमाग, उनका ध्यान, हज़ारों मील दूर था। उन्हें पीड़ा ने जकड़ रखा था। उनका दिमाग चिंतित था और बेचैन था और उसके अंदर तनावपूर्ण यादें थी, और असल में, भविष्य के लिए डर था। और मुझे सच में खुशी है कि उन्होंने अपनी जान नहीं ली। क्योंकि वह, एक नेता होते हुए, जानते थे कि एक वही नहीं थे जो शायद पीड़ाग्रस्त थे; शायद उनके बहुत से साथी नौसैनिक भी पीड़ाग्रस्त थे। और सन् २००८ में, उन्होंने मेरे साथ एक अलग तरह के प्रोजेक्ट में साथ दिया वास्तव में हमें सक्रिय सैन्य कर्मियों के परीक्षण और प्रस्तुती देने की इजाज़त मिली जिसे मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण कहा जाता है। परंतु इससे पहले कि मैं आपको बताऊँ कि दिमागी प्रशिक्षण क्या है, या उस अध्ययन के नतीजे क्या थे, मुझे लगता है यह समझना ज़रूरी है कि ध्यान दिमाग में कैसे काम करता है। तो प्रयोगशाला में हमारे बहुत से ध्यान के अध्ययनों में दिमागी तरंगों की रिकार्डिंगें शामिल होती हैं। इन दिमागी तरंगों की रिकार्डिंगों में, लोग अजीब सी टोपियाँ पहनते हैं जो एक तरह से तैराकों की टोपियों जैसी हैं, जिनमें इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं। ये इलेक्ट्रोड दिमाग में चल रही इलेक्ट्रिक्ल गतिविधियों को पकड़ लेते हैं। और वे यह मिलीसेकंड की परिशुद्धता से करते हैं। तो हम समय के साथ इन छोटे हालांकि पता लगाने योग्य वोल्टेज उतार-चढ़ाव देख सकते हैं। और ऐसा करने से, हम बहुत सटीकता से दिमाग की गतिविधि को प्लॉट कर सकते हैं। हमारे शोध में हिस्सा लेने वालों को स्क्रीन पर एक चेहरा दिखाने के लगभग 170 मिलीसेकंड के बाद, हमें एक बहुत ही प्रत्यक्ष विश्वसनीय दिमागी सिग्नेचर दिखाई देता है। यह खोपड़ी के बिल्कुल पीछे होता है, दिमाग के उन क्षेत्रों के ऊपर जो चेहरे को समझने में शामिल होते हैं। अब, यह इतने भरोसेमंद तरीके से होता है और बिल्कुल संकेत मिलने पर, दिमाग का चेहरा पता लगाने वाला, कि हमने दिमागी-तरंगों के इस संघटक का एक नाम भी रख दिया है। हम इसे एन१७० संघटक कहते हैं। और हम इस अंग को हमारे बहुत से अध्ययनों में इस्तेमाल करते हैं। इसके द्वारा हम देख सकते हैं कि हमारी धारणा पर ध्यान का क्या प्रभाव पड़ता है। हम प्रयोगशाला में वास्तव में जो करते हैं मैं आपको उसकी अनुभूति करवाती हूँ। हम प्रतिभागियों को इस तरह के चित्र दिखाते थे। आपको एक चेहरा और एक दृश्य एक-दूसरे के ऊपर रखा दिखाई देना चाहिए। और हम अपने प्रतिभागियों से पूछते हैं जब वे इस प्रकार के चित्रों की श्रृंखला देख रहे हों, कि वे अपने ध्यान से कुछ करें। कई परीक्षणों में हम उन्हें चेहरे पर ध्यान देने को कहते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे वैसा ही करें, हम उन्हें कहते हैं कि वे बटन दबाकर हमें बताएँ, कि चेहरा महिला का था या पुरुष का। अन्य परीक्षणों में, हम उन्हें बताने को कहते हैं कि दृश्य कैसा था... अंदर का था या बाहर का? और इस तरह से, हम ध्यान को प्रभावित कर सकते हैं और पुष्टि कर सकते हैं कि भाग लेने वाले असल में वही कर रहे हैं जो हमने कहा। ध्यान के बारे में हमारी परिकल्पना निम्न थीः यदि ध्यान यकीनन अपना काम कर रहा है और धारणा को प्रभावित कर रहा है, शायद वह प्रवर्धक की तरह काम करता है। और यह कहने का मेरा मतलब है कि जब हम चेहरे पर ध्यान देते हैं, वह अधिक साफ़ और उभरा हुआ हो जाता है, उसे देखना आसान हो जाता है। परंतु जब हम दृश्य पर केंद्रित करते हैं, तो चेहरे को देख पाना मुश्किल हो जाता है जैसे-जैसे हम दृश्य की जानकारी के बारे में सोचते हैं। तो हम चेहरे को पता लगाने वाले दिमागी-तरंग के अंग, एन१७० को देखना चाहते थे और यह देखना कि क्या उसमें ज़रा भी परिवर्तन आया जब हमारे प्रतिभागी... चेहरे या दृश्य पर ध्यान दे रहे थे। और हमने यह पाया। हमने पाया कि जब वे चेहरे पर ध्यान दे रहे थे, एन170 बड़ा था। और जब वे दृश्य पर ध्यान दे रहे थे, जैसा आप लाल में देख सकते हैं, वह छोटा था। और लाल और नीली रेखाओं के बीच जो अंतर आप देख रहे हैं वह काफ़ी शक्तिशाली है। यह हमें बताता है कि ध्यान, जो अकेली चीज़ है जिसमें यहाँ परिवर्तन हुआ, क्योंकि दोनों ही हालात में उन्होंने वही चित्र देखे... ध्यान धारणा को बदल देता है। और यह बहुत तेज़ी से बदलता है। चेहरे को देखने के 170 मिलीसेकंड के बीच। हमारे अनुवर्ती अध्ययनों में, हम देखना चाहते थे कि क्या होगा, हम इस प्रभाव को बिगाड़ या कम कैसे कर सकते थे। और हमारा अंदाज़ा था कि यदि लोगों को अत्यंत तनावपूर्ण स्थिति में डाल दिया जाए, यदि आप उन्हें परेशान करने वाले नकारात्मक चित्रों से विकर्षित करें, पीड़ा और हिंसा के चित्र... जैसा कि आप खबरों में देखते हैं, दुर्भाग्यवश... कि ऐसा करने से उनका ध्यान वास्तव में प्रभावित होगा। और बेशक, हमने यही पाया। यदि प्रयोग करते समय, हम उन्हें तनावपूर्ण चित्र दिखाएँ, ध्यान का यह अंतर कम हो जाता है, इसकी शक्ति कम हो जाती है। इसलिए अपने कुछ अध्ययनों में, हम देखना चाहते थे, ठीक है, बढ़िया... बढ़िया नहीं, असल में, बुरी खबर कि तनाव दिमाग से यह करवाता है... परंतु यदि ऐसा है कि तनाव का ध्यान पर इतना शक्तिशाली प्रभाव पड़ता है बाहरी विकर्षण के द्वारा, तो क्या होगा यदि हमें बाहरी विकर्षण न चाहिए हो, क्या होगा यदि हम खुद को विकर्षित करें? और ऐसा करने के लिए, हमें एक ऐसा प्रयोग बनाना था जिसमें लोग खुद को विकर्षित कर सकें। इसका मतलब किसी प्रकार का कोई कार्य करते समय ऐसे विचार आना जो कार्य से संबंधित न हों। और दिमाग को भटकाने के लिए यह ज़रूरी है कि आप लोगों को बोर करें। तो आशा है इस समय बहुत से लोंगो के दिमाग भटक नहीं रहे होंगे। जब हम लोगों को बोर करते हैं, लोग स्वयं को व्यस्त रखने के लिए अपने अंदर हर प्रकार की चीज़ों का सृजन कर लेते हैं। तो हमने संसार की सबसे बोरिंग प्रयोग की रचना की। भागीदार स्क्रीन पर बस चेहरों की श्रृंखला देख सकते थे, एक के बाद दूसरा। वे हर बार चेहरा देखते तो बटन दबा देते। बस इतना ही था। एक चाल यह थी कि कभी चेहरा उल्टा होता, और यह कभी-कभार होता था। उन परीक्षणों में उनसे कहा गया कि वे अपने जवाब रोक कर रखें। जल्द ही, हम बता सकते थे कि उनके दिमाग सफलतापूर्वक भटक रहे थे, क्योंकि चेहरा उल्टा होने पर भी वे बटन दबा देते थे। हालांकि, यह देखना इतना आसान था कि चेहरा उल्टा था। तो हम जानना चाहते थे क्या होता है जब लोगों का दिमाग भटकता है। और हमने पाया कि, बाहरी तनाव और बाहरी विकर्षण की तरह, आंतरिक विकर्षण, हमारा दिमाग के खुद भटकने से भी ध्यान का अंतर कम होता है। यह ध्यान की शक्ति को कम कर देता है। तो ये सब अध्ययन हमें क्या बताते हैं? ये हमें बताते हैं कि हमारी धारणा को प्रभावित करने में ध्यान बहुत शक्तिशाली है। हालांकि यह इतना शक्तिशाली है, यह बहुत नाजुक और कमज़ोर भी है। और तनाव तथा दिमाग के भटकने जैसी बातें इसकी शक्ति कम कर देती हैं। परंतु यह तो प्रयोगशाला में नियंत्रित स्थितियों के संदर्भ में है। परंतु असली संसार में क्या है? हमारे दैनिक जीवन में क्या है? अभी के बारे में क्या कह सकते हैं? आपका ध्यान इस समय कहाँ है? उसे एक तरह से वापिस लाने के लिए, बचे कथन काल मे , मैं आपके ध्यान के बारे में एक भविष्यवाणी करना चाहूँगी। आप तैयार हैं? यह रही भविष्यवाणी। अगले आठ में से चार मिनटों में मैं जो कहूँगी आप उससे बेखबर होंगे। (हंसी) यह एक चुनौती है, तो ध्यान दीजिए। अब, मैं ऐसा क्यों कह रही हूँ? मैं यह तो अवश्य मानूँगी कि आप सीटों पर बैठे रहेंगे और शालीनता से अपनी आँखें मुझ पर रखेंगे जब मैं बोल रही हूँ। परंतु बहुत से साहित्यकारों का सुझाव है कि हमारे दिमाग भटकते हैं, हम अपने कार्य से दिमाग को दूर ले जाते हैं, लगभग ५० प्रतिशत जागते हुए पलों में। ये छोटी सी यात्राएँ भी हो सकती हैं, जो हमारे निजी विचार को दूर ले जाती हैं। और जब दिमाग इस तरह भटकता है, यह समस्यात्मक हो सकता है। अब मुझे नहीं लगता आज कुछ गंभीर परिणाम होंगे आप सबके आज यहाँ बैठे रहने से, परंतु कल्पना कीजिए एक सेना का मुखिया सेना की बैठक में चार मिनट के लिए खो जाए। या एक जज का दिमाग बयान के चार मिनटों के दौरान भटक जाए। या एक सर्जन या एक फायरमैन का दिमाग किसी भी समय भटक जाए। उन हालातों में परिणाम गंभीर होंगे। तो हम पूछ सकते हैं कि हम ऐसा क्यों करते हैं? हमारा दिमाग इतना भटकता क्यों है? इसका आंशिक जवाब तो यह है कि हमारा दिमाग समय यात्रा का उत्तम गुरू है। यह बहुत आसानी से समय यात्रा कर सकता है। यदि हम दिमाग को एक संगीत वादक के रूपक की तरह देखें, तो हम यह देखते हैं। हम दिमाग को अतीत में ले जा सकते हैं उन घटनाओं के बारे में दोबारा सोच सकते हैं जो पहले ही घटित हो चुकी हैं, हैं न? या हम भविष्य में जा सकते हैं, हमें जो अगला काम करना हैउसकी योजना बना सकते हैं। और हम इस अतीत और भविष्य के मानसिक समय-यात्रा तरीके में अक्सर पहुँच जाते हैं। और हम वहाँ अनजाने में ही अक्सर पहुँच जाते हैं, अधिकतर बार तो बिना हमें पता भी नहीं चलता। हालांकि हम ध्यान भी देना चाहते हैं। सोचिए, जब आप पिछली बार एक किताब पढ़ने की कोशिश कर रहे थे, पृष्ठ के नीचे तक पहुँच गए बिना यह जाने कि शब्द कह क्या रहे थे। ऐसा हमारे साथ होता है। और जब ऐसा होता है, जब हमारा दिमाग भटकता है बिना यह जाने कि हम ऐसा कर रहे हैं, तो परिणाम होते हैं। हम गलतियाँ करते हैं। कई बार, हम महत्वपूर्ण जानकारी देख नहीं पाते। और हमें निर्णय लेने में मुश्किल होती है। और भी बदतर होता है जब हम तनावग्रस्त हों। जब हम विह्वल हो रहे हों। ऐसा नहीं है कि हम अतीत का चिंतन केवल पीछे की सोचते समय करते हैं, हम अतीत में खो जाते हैं उन घटनाओं के बारे में सोचते, उन्हें दोबारा जीते या पछताते जो पहले ही घटित हो चुकी हैं। या तनाव के दौरान, हम दिमाग को आगे दौड़ाते हैं। केवल उत्पादक ढंग से योजना बनाने के लिए नहीं। बल्कि हम उन घटनाओं के बारे में चिंता करने लग जाते हैं जो अभी घटित ही नहीं हुई और सच कहूँ तो कभी घटित होंगी भी नहीं। तो इस पल, आप यह सोच रहे होंगे, ठीक है, दिमाग का भटकना तो बहुत होता है। अक्सर, यह हमारे बिना जाने हो जाता है। और तनाव में तो, और भी बदतर होता है... हमारा दिमाग बहुत अधिक शक्ति से और अधिक बार भटकता है। क्या हम इसके बारे में कुछ कर सकते हैं? और यह कहने में खुशी हो रही है कि इसका जवाब हाँ है। हमारे कार्य से हम सीख रहे हैं कि एक तनावग्रस्त और भटकते हुए दिमाग के विपरीत है वह दिमाग जो सचेत है। सचेत रहने का संबंध हमारे वर्तमान के अनुभवों पर जागरूकता से ध्यान देने से है। और जो हो रहा है उसके बारे में किसी प्रकार की भावनात्मक प्रतिक्रिया न की जाए। यह बटन को प्ले पर रखने के बारे में है ताकि अपने जीवन के पल-पल को अनुभव कर सकें। और सचेत रहना केवल एक धारणा नहीं है। यह एक तरह का अभ्यास है, किसी भी तरह के फायदे के लिए आपको सचेत रहने के इस अंदाज़ को अपनाना होगा। और हम बहुत सा कार्य जो कर रहे हैं, हम लोगों को कार्यक्रम पेश करते हैं जिनसे प्रतिभागियों को कुछ व्यायाम दिए जाएँगे जो उन्हें रोज़ाना करने होंगे ताकि वे अपने जीवन में सचेत रहने के और भी पलों की रचना कर सकें। और बहुत से समूह जिनके साथ हम काम करते हैं, उच्च तनाव वाले समूह, जैसे कि मैंने कहा... सैनिक, मेडिकल पेशे के लोग... जैसा कि हम जानते हैं उनके लिए दिमाग का भटकना बहुत खतरनाक हो सकता है। इसलिए हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि प्रशिक्षण अनुकूलित करने के लिए हम उन्हें बहुत ही सुलभ, कम समय की बाधाएँ प्रदान कर सकें, ताकि वे उसका फायदा उठा सकें। और जब हम ऐसा करते हैं, हम ढूढ सकते हैं यह देखने के लिए कि क्या होता है, केवल उनके आम जीवन में ही नहीं बल्कि उस कठिन से कठिन परिस्थिति में जिसका उन्हें सामना करना पड़े। हम ऐसा क्यों करना चाहते हैं? उदाहरण के तौर पर, हम वार्षिक परीक्षाओं के समय बच्चों को यह देना चाहते हैं। या हम टैक्स भरने के महीनों में अकाउंटेेटों को प्रशिक्षण देना चाहते हैं। या सैनिकों और नौसैनिकों को, जब वे ड्यूटी पर जा रहे हों। ऐसा क्यों है? क्योंकि यही वे पल हैं जब उनका ध्यान सबसे कमज़ोर होने की संभावना है, तनाव और दिमाग के भटकने के कारण। और यही पल हैं जब हम चाहते हैं कि उनका ध्यान सर्वोत्तम हो ताकि वे अच्छे से अपना कार्य कर सकें। तो हम अपने शोध में उन्हें ध्यान परीक्षणों की एक श्रृंखला लेने को कहते हैं। किसी उच्च-तनाव विराम के दौरान हम उनके ध्यान को ट्रैक करते हैं, और दो महीनों के बाद, हम उन्हें फिर से ट्रैक करते हैं, और हम देखना चाहते हैं कि अगर कोई अंतर है। क्या उन्हें सचेत रहने का प्रशिक्षण देने का कोई फायदा है? क्या हम उच्च तनाव में उत्पन्न होने वाली ध्यान में कमी से बचा सकते हैं? तो हमने यह पाया। उच्च-तनाव के समय, दुर्भाग्यवश, सच तो यह है, कि यदि हम कुछ भी नहीं करते, तो भी ध्यान कम हो ही जाता है, इस उच्च-तनाव के बाद लोगों की हालत पहले से बदतर होती है। परंतु यदि हम सचेत रहने का प्रशिक्षण प्रदान करें, तो वे इससे बच सकते हैं। वे स्थिर रहते हैं, हालांकि, बाकी समूहों की तरह, उन्हें भी उच्च तनाव का अनुभव हो रहा था। और संभवतः और भी प्रभावशाली है कि यदि लोग हमारे प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं जैसे कि, आठ सप्ताह तक, और वे उन सचेत रहने के व्यायामों को रोज़ाना करने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध रहते हैं जिससे वे सीख पाते हैं कि वर्तमान में कैसे जिएँ, समय के साथ वे बेहतर हो जाते हैं, चाहे उच्च तनाव की स्थिति में ही हों। और इस अंतिम बात का एहसास करना सच में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह जिस बात का हमें सुझाव देती है वह यह है कि सचेत रहने के व्यायाम भी शारीरिक व्यायाम की तरह हैं: यदि आप न करें, तो फायदा नहीं होगा। परंतु यदि आप सचेत रहने का अभ्यास करते रहें, जितना अधिक आप करेंगे, उतना अधिक लाभ होगा। और मैं कप्तान जेफ़ डेविस की बात पर वापिस आना चाहती हूँ। जैसा कि शुरू में मैंने आपसे जिक्र किया था, उनके नौसैनिक हमारे सबसे पहले प्रोजेक्ट में शामिल थे, जिसमें हमने सचेत रहने का प्रशिक्षण दिया। और उन्होंने भी यही पैटर्न प्रकट किया, जो अत्यंत उत्साह वर्धक था। हमने उनके ईराक में ड्यूटी पर जाने से पहले उन्हें सचेत रहने का प्रशिक्षण दिया था। और उनकी वापसी पर, कप्तान डेविस ने हमें बताया कि वह जो महसूस कर रहे थे वह कार्यक्रम का ही परिणाम था। उन्होंने कहा कि पिछली बार की तुलना में, इस ड्यूटी में, वे लोग अधिक सचेत थे। वे विचारशील थे। वे इतने प्रतिक्रियात्मक नहीं थे। और कुछ मामलों में, वे सच में उन लोगों के प्रति बहुत अधिक करुणामय थे जिनके साथ वे जूझ रहे थे और एक-दूसरे के साथ भी। उन्होंने कहा कि कई तरह से, उन्हें एहसास हुआ कि जो सचेत रहने का कार्यक्रम हमने करवाया उसने उन्हें एक महत्वपूर्ण औजार दिया ताकि वे पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के शिकार होने से बच पाएँ और उसके बजाय इसे पोस्ट-ट्रॉमैटिक विकास में बदल पाएँ। हमारे लिए, यह अत्यंत अकाट्य था। और आखिर में ऐसा हुआ कि कप्तान डेविस और मैं... जानते हैं, यह एक दशक पहले की बात है, 2008 में... हम इतने सालों से एक-दूसरे के सम्पर्क में हैं। और वह भी रोज़ की दिनचर्या में सचेत रहने का अभ्यास करते रहे हैं। उन्हें मेजर की पदोन्नति मिली, फिर वह नौसेना से सेवानिवृत्त हो गए। उनका तलाक हुआ, दोबारा शादी हुई, बच्चा हुआ, एमबीए की डिग्री प्राप्त की। और अपने जीवन के इन सब चुनौतियों, बदलावों और खुशियों में भी उन्होंने अपने सचेत रहने का अभ्यास जारी रखा। और जैसा कि किस्मत में लिखा था, कुछ महीने पहले. कप्तान डेविस को 46 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ा। और कुछ हफ़्ते पहले, उन्होंने मुझे फ़ोन किया। और उन्होंने कहा, "मुझे आपको कुछ बताना है। मैं जानता हूँ कि जिन डॉक्टरों ने मेरा इलाज किया, उन्होंने मेरे दिल को बचाया लेकिन सचेत रहने के कारण मैं ज़िंदा हूँ। जिस प्रेसेंज़ ऑफ़ माइंड के कारण मैं एंबुलैंस को रोक पाया जिसने मुझे अस्पताल पहुँचाया,",... खुद, कि जब डर और चिंता की स्थिति थी उनका दिमाग स्पष्ट देख पाया और उस सबमें जकड़ नहीं गया... वे बोले, "मेरे लिए, यही सचेत रहने के उपहार थे।" और मुझे इतना सुकून मिला यह जानकर कि वे ठीक थे। परंतु असल में खुशी हुई कि उन्होंने अपना ही ध्यान परिवर्तित कर दिया था। वे एक अत्यंत बुरे बॉस से... जिनका ध्यान उन्हें पुल से नीचे कूदने को कह रहा था... एक उत्कृष्ट नेता और गाइड बन गए थे, और खुद का जीवन बचा पाए थे। तो मैं अंत में आप सबको बताना चाहूँगी कि आपको क्या करना चाहिए। और वह यह है। अपने ध्यान पर ध्यान दें। समझे? अपने ध्यान पर ध्यान दें और मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण को अपने कल्याण की दैनिक दिनचर्या में शामिल करें, ताकि आपका भटकना मन काबू में रहे और आपका ध्यान आपके जीवन का भरोसेमंद मार्गदर्शक बना रहे। धन्यवाद। (तालियाँ) जलवायु परिवर्तन पहले ही वज़नदार विषय है, और अब तो और भी वज़नदार हो रहा है, क्योंकि हम समझने लगे हैं कि हमें जितना कर रहे हैं उससे ज्यादा करना चाहिए. हकीकत में, हम समझने लगे हैं , कि हम में से वो जो विकसित देशों में रहते हैं उन्हें वाकई में अपने एमिशन (उत्सर्जन) पूरी तरह से बंद कर देने चाहियें. मगर वास्तव में, सचाई यह है, कि ऐसा नहीं हो रहा है. और बहुत ज़बरदस्त अनुभूति होती है जब हम देखते हैं कि आजकल की वास्तविकता क्या है और हमारे सामने खड़ी इस समस्या का गुरुत्व क्या है. और जब हमारे सामने ज़बरदस्त समस्याएं होती हैं, तब हम सरल समाधान ढूंढते हैं. और मेरे ख़याल से यही हमने जलवायु परिवर्तन के विषय में किया है. हम देखते हैं कि एमिशन (उत्सर्जन) कहाँ से आ रहे हैं -- वो हमारी गाड़ियों के पाइपों या चिमनियों या ऐसी ही चीज़ों से आ रहे हैं, और हम कहते हैं, अच्छा भई, समस्या यह है कि यह एमिशन उन जीवाश्म ईंधनों से आ रहे हैं जो हम जलाते हैं, और इसलिए, इस का उपाय यह है कि हम इन जीवाश्म ईंधनों की जगह ऊर्जा के विशुद्ध स्त्रोतों का प्रयोग करें. तो हालांकि हमें विशुद्ध ऊर्जा की अवश्य ज़रुरत है, फिर भी मैं आपसे कहूँगा कि हो क्या रहा है कि जलवायु परिवर्तन की समस्या को विशुद्ध ऊर्जा के उत्पादन के नज़रिए से देखने के कारण, हम उसे हल करने की बजाय हल नहीं कर रहे हैं. और कारण यह है कि हम एक ऐसे ग्रह पर रहते हैं जिसका तेजी से नगरीकरण हो रहा है. यह हमारे लिए कोई नयी खबर नहीं है. पर कभी-कभी मुश्किल होता है उस नगरीकरण का विस्तार ध्यान रखना. इस सदी के मध्य तक, संसार में ८ अरब -- या उस से भी ज्यादा -- लोग होंगे जो शहरों में -- या उनसे एक दिन की दूरी पर -- रहेंगे. हम एक ज़बरदस्त रूप से शहरी नस्ल होंगे. तो फिर जुटा पाने के लिए ऐसी ऊर्जा जिसकी ज़रुरत होगी ऐसे शहरों में रहने वाले ८ अरब लोगों को जो लगभग कुछ हद तक उन शहरों जैसे हैं जिनमें हम जैसे सार्वभौमिक उत्तरी इलाकों के लोग आजकल रहते हैं, उसके लिए हमें उत्पन्न करनी होगी एक बेहद आश्चर्यजनक दर्जे की ऊर्जा. हो सकता है कि हम पैदा भी न कर पाएं इतनी अधिक मात्रा में विशुद्ध ऊर्जा. तो अगर हम जलवायु परिवर्तन को काबू में करने की बात गंभीरता से लेते हैं एक ऐसे ग्रह पर जिसका तेजी से शहरीकरण हो रहा है, तो हमें उन समाधानों के लिए किसी और दिशा में देखना होगा. यह समाधान शायद हमारे अनुमान से कहीं अधिक पास हैं. क्योंकि वो सब शहर जो हम बना रहे हैं हमारे लिए एक सुअवसर हैं. हर शहर काफी हद तक यह निर्धारित करता है कि उसके निवासी कितनी ऊर्जा का इस्तेमाल करेंगे. हम अक्सर ऊर्जा के इस्तेमाल को एक रवैय्य्ये के तौर पर देखते हैं -- मैं इस बिजली के स्विच को चालू करने का निर्णय लेता हूँ -- जबकि सच्चाई यह है कि हमारा ऊर्जा का अधिकतर इस्तेमाल पूर्वनिर्धारित होता है उन समूहों और शहरों से जिनमें हम रहते हैं. मैं आज आपको बहुत सारे ग्राफ़ (रेखाचित्र) नहीं दिखाऊँगा, पर अगर मैं एक पल के लिए सिर्फ इस पर ध्यान केन्द्रित करूँ, तो यह वाकई हमें बहुत कुछ ऐसा बताता है जो हमें जानने की ज़रुरत है -- जोकि सरल भाषा में यह है, कि अगर आप उदाहरण के लिए, परिवहन को देखें, जो वातावरण के उत्सर्जन का एक बड़ा वर्ग है, तो आप पाएंगे कि एक सीधा सम्बन्ध है एक शहर की आबादी की सघनता, और उन मौसमी उत्सर्जनों के बीच जो उसके निवासी हवा में प्रवाहित करते हैं. और परस्पर सम्बन्ध वाकई यह है, कि सघन क्षेत्रों में उत्सर्जन की मात्रा कम होती है -- और अगर आप इसके बारे में सोचें, तो यह समझना कोई बहुत मुश्किल नहीं है. मूलतः, हम अपने जीवन में, उन चीज़ों की प्रतिस्थापना करते हैं जिन तक हम पहुंचना चाहते हैं. हम जा कर अपनी कारों में कूद कर बैठते हैं और उन्हें चला कर जगह जगह जाते हैं. और हम मूल रूप से गतिशीलता का प्रयोग उस पहुँच के लिए करते हैं जो हमें चाहिए. पर जब हम एक सघन समुदाय में रहते हैं, तब हमें अचानक पता चलता है, सच, कि जो चीज़ें हमें चाहियें, वो हमारे पास ही हैं. और क्यूंकि सबसे चिरस्थायी यात्रा वही है जो तुम्हें करनी ही न पड़े, इसलिए अचानक हमारे जीवन भी अधिक चिरस्थायी हो जाते हैं. और सच तो यह है कि बहुत संभव है, हमारे आस पास के समुदायों की सघनता बढ़ाना. कुछ स्थान ऐसा कर रहे हैं नए पर्यावरणीय जिले बना कर, जहाँ वो बिलकुल नए चिरस्थायी मोहल्ले बना रहे हैं, जोकि अच्छी बात है अगर आप उसे कर सकें, पर ज़्यादातर समय असल में हम जो बात कर रहे हैं, वो है, उसी शहरी ढाँचे में फेरबदल करने की, जो हमारे पास है. तो हम बातें करते हैं इनफिल विकास की: जोकि तेज़, छोटे बदलाव हैं इस तरह के कि हम कहाँ इमारतें बनाएं, कहाँ विकास करें. शहरी रेट्रो-फिट: यानि पुराने में नया फिट करना: कुछ अलग तरह के स्थान बनाना, और जो स्थान हैं उनका नए तरह से इस्तेमाल करना. हम लगातार समझते जा रहे हैं कि हमें एक पूरे शहर को भी सघन करने की ज़रुरत नहीं है. बल्कि हमें तो ज़रुरत है एक औसत सघनता की जो इस स्तर तक बढ़ जाए जब हमें गाड़ी चलाने की ज़्यादा ज़रुरत न हो, इत्यादि. और यह किया जा सकता है कुछ ख़ास स्थलों की सघनता को बहुत ज़्यादा बढ़ा कर. तो आप इनकी तुलना कर सकते हैं टेन्ट के खम्भों से जो पूरे शहर की सघनता को ऊंचा उठा देते हैं. और हमने देखा है कि जब हम ऐसा करते हैं, तब हम वाकई कुछ ऐसे स्थान बनाते हैं जो अत्यंत सघन हैं उन व्यापक क्षेत्रों के बीच में जो शायद थोड़े ज़्यादा खुले हुए, आरामदेह हैं और हमें वही परिणाम मिलते हैं. अब यह भी हो सकता है कि हमें ऐसे स्थान मिलें जो बहुत, बहुत सघन हैं और फिर भी अपनी कारों से जुड़े हुए हैं, मगर सच्चाई यह है कि अधिकतर, जब हम बहुत सारे लोगों को सही स्थितियों के साथ करीब लाते हैं, तो हम देखते हैं एक सीमारेखा प्रभाव, जब लोग वाकई गाड़ी चलाना कम कर देते हैं, और लगातार, अधिक से अधिक लोग, अगर ऐसी जगहों में होते हैं जो उन्हें घर का अनुभव देती हैं, गाड़ी चलाना बिलकुल ही छोड़ देते हैं. और यह एक बहुत, बहुत बड़ी ऊर्जा की बचत है, क्योंकि जो धुआं गाड़ी के टेल-पाइप से निकलता है वो तो सिर्फ कहानी की शुरुआत है -- गाड़ियों के मौसमी उत्सर्जन की. इसके अलावा होता है गाड़ी का उत्पादन, गाड़ी की बिक्री, उनकी पार्किंग और चौड़े रास्ते और सारा झमेला. जब आप इन सबसे छुट्टी पा जाते हैं क्योंकि कोई इन सब का इस्तेमाल वाकई नहीं करता, तब आप पाते हैं कि आप परिवहन से सम्बंधित उत्सर्जनों को सच में कम कर सकते हैं करीब ९० प्रतिशत तक. और लोग इसे सच में अपना रहे हैं. पूरे संसार में, अब हम देख रहे हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इस चलने वाली ज़िन्दगी को अपना रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि यह बेहतर घर के सपने को बदल रहा है बेहतर पड़ोस के सपने में. और जब आप इस पर एक परत चढ़ाते हैं उस तरह के सर्वव्यापी संदेशों की, जो अब हमें हर तरफ़ दिखने लगे हैं, तब आपको दिखता है कि वाकई, स्थानों में अब बहुत अधिक पहुँच फैल गयी है. उसमें से कुछ है परिवहन की पहुँच. यह एक मैपनिफिसेंट नक्शा है जो मुझे दिखाता है, इस सन्दर्भ में, कि मैं अपने घर से ३० मिनट में कितनी दूर पहुँच सकता हूँ सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल कर के. उसमें से कुछ है चलने के बारे में. अभी सब कुछ दोषरहित नहीं है. यह हैं गूगल चलने के नक़्शे. मैंने पूछा कि बड़ी रिजवे को करने का क्या तरीका है, और इसने मुझे गेर्नसी की ओर से जाने का रास्ता बताया. यह ज़रूर बताया कि इस रास्ते पर शायद फुटपाथ या पैदल चलने वालों की पगडंडियाँ नहीं होंगी. (हंसी) पर अब तकनीकें बेहतर होती जा रही हैं, और अब हम इस सञ्चालन को लोकमत से चलाने लगे हैं. और जैसा कि हमने पहले सुना, वाकई, हम यह भी सीख रहे हैं कि जानकारी को कैसे मूक वस्तुओं पर प्रदर्शित किया जाये. वो वस्तुएं जिनमें कोई भी तार आदि नहीं हैं, उन्हें भी हम शामिल करना सीख रहे हैं इन नए संकेत और सञ्चालन के तरीकों में. जो हम सीख रहे हैं, उसका एक भाग यह भी है कि जो हमारे हिसाब से मुख्य सार था उत्पादन और उपभोग का, कि कैसे बहुत सारी चीज़ें प्राप्त की जाएँ, वाकई में वो तरीका नहीं है, जिससे हम सघन इलाकों में अच्छी तरह से रहते हैं. हमें पता चल रहा है कि हम चाहते हैं चीज़ों की क्षमता तक अपनी पहुँच. मेरा बेहतरीन उदाहरण है एक ड्रिल (छेदन यन्त्र). यहाँ किस के पास है एक ड्रिल, एक घरेलू पॉवर ड्रिल? ओके. मेरे पास भी है. सामान्य घरेलू पॉवर ड्रिल करीब ६ और २० मिनिट के बीच इस्तेमाल होती है अपने पूरे जीवन में, अलग अलग तरह के लोगों के हाथों में. और हम क्या करते हैं कि यह ड्रिल खरीदते हैं जिसकी संभावित शक्ति करीब हज़ारों घंटों का ड्रिल-समय होती है, उसे एक या दो बार दीवार में छेद करने के लिए इस्तेमाल करते हैं और फिर छोड़ देते हैं. इसी तरह, मैं आपसे कहूँगा, हमारे शहर भी ज़रुरत से ज़्यादा क्षमताओं के भण्डार हैं. और हांलाकि हम कोशिश कर सकते हैं कि इन क्षमताओं को इस्तेमाल करने के नए तरीके ढूँढें -- जैसे कि खाना बनाना या बर्फ की प्रतिमा बनाना या फिर माफिया की टक्कर भी -- पर शायद हमें पता चलेगा कि असल में इन उत्पादों को सेवाओं में बदलना जिन्हें हम जब चाहें इस्तेमाल कर पाएं , वाकई कहीं अधिक चतुर तरीका है. असल में, स्थान भी अब एक सेवा में बदलता जा रहा है. हम देख रहे हैं कि लोग एक ही स्थान को बाँट सकते हैं , खाली स्थान के साथ कई काम कर सकते हैं. इमारतें अब सेवाओं की पोटली बनती जा रही हैं. अब हमारे पास नए डिज़ाइन हैं जो हमें उन यांत्रिक चीज़ों को, जिन पर हम पहले बहुत ताकत लगाते थे -- जैसे गर्माहट या शीतलन आदि -- ऐसी चीज़ों में बदलने में मदद करते हैं जिन पर हम कोई ताकत नहीं खर्च करते. तो हम अपनी इमारतों को दिन के उजाले से प्रकाशित करते हैं. हम उन्हें हवाओं से ठंडा करते हैं. हम उन्हें धूप से गरम करते हैं. असलियत में, जब हम यह सब करते हैं, तो हमने देखा है कि कुछ मामलों में, एक इमारत का ऊर्जा- उपयोग ९० प्रतिशत तक भी गिर सकता है. जिससे दूसरा सीमारेखा प्रभाव निकलता है मैं उसे भट्टी का मूल्य गिराना कहूँगा, जोकि यह है कि अगर आपके पास ऐसी इमारत है जिसे भट्टी से गर्म होने की ज़रुरत नहीं है, तो आप सीधे सीधे ही काफी पैसे बचा लेते हैं. यह चीज़ें वाकई बनाने में ज्यादा सस्ती हो जाती हैं बाकी विकल्पों के मुकाबले. अब जब हम यह काबिलियत देखते हैं कम उत्पाद इस्तेमाल करने की, कम वाहन इस्तेमाल करने की, इमारत में कम ऊर्जा इस्तेमाल करने की, तो यह सब बहुत अच्छा है, पर फिर भी पीछे कुछ छूट जाता है. और अगर हम वाकई, सचमुच चिरस्थायी शहर बनाना चाहते हैं, तो हमें कुछ अलग तरह से सोचना होगा. ऐसा करने का एक तरीका है. वैनकूवर ने प्रचार किया है कि वह कितना हरा शहर है. और वाकई बहुत से लोगों के दिल में यह बात घर कर गयी है कि एक चिरस्थायी शहर का हरा-भरा होना बहुत ज़रूरी है. तो हम इस तरह की कल्पना करते हैं. हम इस तरह के सपने देखते हैं. इस तरह की कल्पना करते हैं. ये सब बहुत अच्छी योजनायें हैं. पर इन सब में एक बहुत महत्त्वपूर्ण बात चूक गयी है, जो सिर्फ ऊपर की पत्तियों के बारे में नहीं है, बल्कि अन्दर की व्यवस्थाओं के बारे में है. उदाहरण के लिए, क्या वो बारिश के पानी को बचाते हैं जिससे पानी की बचत हो सके? पानी ऊर्जा का गहन प्रयोग है. क्या वो शायद मूलभूत व्यवस्थाओं के मामले में हरे हैं, ताकि हम बाढ़ को इस्तेमाल कर सकें और उस पानी को भी जो हमारे घरों से निकलता है और उन्हें साफ़ कर के और छान कर के शहर की सड़कों पर पेड़ उगा सकें? क्या वो हमें हमारे चारों ओर के ईको-सिस्टम (परितंत्र) से जोड़ते हैं जैसे, उदाहरणार्थ, हमें नदियों से जोड़ कर और पुनःस्थापन की अनुमति दे कर? क्या वो पौलिनेशन की अनुमति देते हैं, पौलिनेटर पथ बना कर ताकि मधुमक्खियाँ और तितलियाँ आदि हमारे शहरों में वापस आ सकें? क्या वो कभी उस रद्दी-करकट को लेते हैं जो हमारे खाने और रेशों आदि से निकलता है, और उसे वापस खाद में बदलते हैं और कार्बन को पृथक करते हैं -- हवा से कार्बन को निकल कर जब हमारे शहरों का इस्तेमाल हो रहा हो, तब? मैं आपसे कहना चाहूँगा कि ये सब चीज़ें अब सिर्फ मुमकिन ही नहीं हैं, बल्कि अब करी भी जा रही हैं, और यह बहुत ही बढ़िया बात है. क्योंकि इस समय, हमारी अर्थव्यवस्था कुल मिला कर ऐसे चलती है जैसे पॉल हौकेन ने कहा था, "भविष्य को चुरा कर, वर्तमान में बेच कर और उसे जी डी पी (सकल घरेलू उत्पाद) का नाम दे कर." और अगर हमारे पास आठ अरब अतिरिक्त या सात अरब, या ६ अरब भी अतिरिक्त लोग हों, एक ग्रह के निवासी, जिनके शहर भी उनका भविष्य चुरा रहे हों, तो हम अपने भविष्य को बहुत जल्दी खो देंगे. पर अगर हम अलग तरीके से सोचें, तो मुझे लगता है कि वाकई में हम ऐसे शहर बना सकते हैं जहाँ न सिर्फ कोई उत्सर्जन न होगा , बल्कि अंतहीन संभावनाएं भी होंगी. बहुत बहुत धन्यवाद. (तालियाँ) हमारे ग्रह मंडल के बाहर के ग्रह मंडल उन दूर के शहरो के तरह हैं जिनकी रौशनी को हम टिमटिमाते हुए देख सकते हैं, लेकिन उनकी सड़को पर हम चल नहीं सकते | उन टिमटिमाती रौशनी को समझ कर, हम सीख सकते कैसे तारे और ग्रह मिलते हैं अपना खुद का पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए और आवास बनाने के लिए जो जीवन के लिए सहज हो | टोक्यो स्काईलाइन के इस चित्र में, मेरे पास गुप्त आकड़े हैं नवीनतम अंतरिक्ष के ग्रह खोजने वाले टेलेस्कोप के, केपलर मिशन(Kepler Mission) क्या आप इसे देख सकते हैं? यहाँ देखिए | यह अंतरिक्ष का एक बहुत छोटा हिस्सा है जिसे केपलर देखता है, जहाँ यह ग्रहों की खोज करता है 150,000 से ज्यादा तारो के प्रकाश को नाप कर, एक साथ में, हर आधे घंटे में, और बहुत सटीकता से | और हम जो देख रहे हैं वो है प्रकाश में एक छोटा सा धुंधलापन जो इनमें से किसी तारे के सामने से ग्रह के गुज़रने से और तारो की रौशनी को हम तक पहुँचने से रोकने से होता है | सिर्फ दो सालो के शोध में, हमे 1,200 से ज्यादा संभावित नए ग्रह मंडल दूसरे तारो के आसपास पाये हैं | आपको परिप्रेक्ष्य बताने के लिए, पिछले दो दशको के खोजो में, हमे सिर्फ 400 के लगभग पता थे केपलर से पहले | जब हम प्रकाश में यह छोटी सी कमी देखते हैं, हम बहुत से चीज़े पता कर सकते हैं | जैसे हम पता लगा सकते हैं कि वहाँ ग्रह है, और ये भी कि ग्रह कितना बड़ा है और यह अपने तारे से कितने दूर है | यह दुरी बहुत महत्वपूर्ण है क्युंकि यह हमे बताती है कितना प्रकाश यह ग्रह प्राप्त करता है | और यह दुरी और प्रकाश की मात्रा महत्वपूर्ण है क्युंकि यह वैसे हैं जैसे मैं या आप किसी अलाव के सामने बैठे है | आप अलाव के इतने पास रहना चाहते हैं कि आप गर्म रहे, लेकिन ज्यादा पास नहीं जिससे आप जल जाए | लेकिन, अपने पालक तारे से आप कितना प्रकाश प्राप्त करेंगे के अलावा और भी बाते है जानने के लिए | और मैं आपको बताउंगी क्यों | यह हमारा तारा है | यह सूर्य है | यह यहाँ दिखाई देने वाले प्रकाश में दर्शाया गया है | यह वो प्रकाश है जो आप अपनी इंसानी आँखों से देख सकते हैं | आप देखेंगे कि यह बिल्कुल एक बहुत बड़ी पीली गेंद की तरह दिखता है -- जैसे हम बचपन में चित्र बनाते थे | लेकिन आप कुछ और भी देखेंगे, और वो सूर्य का चेहरे में धब्बे है | यह धब्बे सनस्पॉट कहलाते हैं, और सिर्फ एक घटना है सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र की | वो तारो के प्रकाश में बदलाव भी लाते हैं | और हम इसे नाप सकते है केपलर से बहुत बहुत सटीकता के साथ और उनके प्रभाव देख सकते हैं | लेकिन, यह केवल एक अंश मात्र है | अगर हमारे पास UV या X-ray आँखे होती, हम सच में देखते गतिय और नाटकीय प्रभाव हमारे सूर्य के चुंबकीय गतिविधियों के -- इस तरह की चीज़े अन्य तारो पर भी होती हैं | जरा सोचिये, तब भी जब बाहर बादल हैं, इस तरह कि घटनाये हो रही है आपके ऊपर आकाश में हर समय | तो जब जानना चाहते है कि ग्रह रहने योग्य है या नहीं | यह जीवन के लिए उपयुक्त हो सकता है, हम सिर्फ यह नहीं जानना कहते कि यह कितना प्रकाश प्राप्त करता है और यह कितना गर्म है, बल्कि हम इसके वातावरण के मौसम के बारे में जानना चाहते हैं -- यह ऊर्जा विकरण, UV या X-किरणे जो इसके तारे द्वारा निर्मित होती है और इन ऊर्जा विकरण में स्नान के बारे में, और, हम उस तरह नहीं देख सकते अन्य तारो के आसपास ग्रहों को जितनी विस्तार से हम अपने सूर्य मंडल के ग्रहों को देख सकते हैं | मैं यहाँ शुक्र, पृथ्वी और मंगल को दिखा रही हूँ -- हमारे सूर्य मंडल में तीन ग्रह जो लगभग सामान आकार के है, लेकिन इनमे से केवल एक जीने के लिए उत्तम स्थान है | लेकिन हम जो कर सकते है वो है कि अपने तारो से प्रकाश को नापे और ग्रह और उनके पालक तारो के बीच संबंधो के बारे में सीखे उन ग्रहों के सुरागो को जानने के लिए जो उत्तम स्थान हो सकते है अंतरिक्ष में जीवन खोजने के लिए | केपलर हर उस तारे के आसपास ग्रह नहीं खोजेगा जिसे वो देखता है | लेकिन सच में, हर माप जो यह लेता है बेशकीमती है, क्युंकि यह हमे तारो और ग्रहों के संबंधो के बारे में सिखा रहे हैं, और कैसे वास्तव में तारो का प्रकाश मंच बनाता है अंतरिक्ष में जीवन के निर्माण के लिए | जब यह केपलर टेलेस्कोप, यंत्र जो देखता है, यह हम है, जीवन, जो खोज रहे हैं | धन्यवाद | (अभिवादन) मैं हमेशा अनपेक्षित परिणामों से प्यार नहीं करता था, लेकिन मैं वास्तव में उनकी सराहना करना सीखा है. मैंने सीखा है कि वे सार हैं की प्रगति क्या है यहां तक ​​कि जब वे भयानक लग रहे हो. और मैं समीक्षा करना चाहता हूँ कैसे अनपेक्षित परिणाम अपना भाग निभाते हैं आइये अब हम वर्तमान से चालीस हजार वर्ष पहले चलें जब सांस्कृतिक विस्फोट हुआ था जब संगीत ,कला ,तकनीक बहुत सारी वस्तुएँ जिनका हम उपभोग कर रहे हैं बहुत सारी वस्तुएँ जिनका वर्णन इस संस्था में किया जा चूका है का जन्म हुआ था और मानव विज्ञानी "रान्डेल व्हाइट" ने एक बहुत रुचिकर अवलोकन किया है कि यदि हमारे पूर्वज चालीस हजार साल पहले ये देखने में सक्षम होते कि उन्होंने क्या किया है तब वे वास्तव में नहीं समझ पाते. वे जवाब दे रहे थे तात्कालिक समस्याओं का वे हमारे लिए संभव बना रहे थे वो कार्य करना जो वे करते थे फिर भी वे नहीं समझ सके कि उन्होंने ये कैसे किया आइये अब हम कुछ आगे बढ़कर वर्तमान से दस हजार साल पहले चलें और यही वो समय है जब चीजें और भी रुचिकर हो जाती हैं अनाजों के निजीकरण के बारे में आपके क्या विचार हैं? और कृषि के उद्भव के बारे में आपके क्या विचार हैं? क्या हमारे पूर्वजों ने दस हजार साल पहले कहा होता अगर उनके पास तकनिकी सहायता होती ? और मैं अभी ये कल्पना कर सकता हूँ कि संस्थाएं उन्हें सूचित करतीं कि कृषि मानवता को कहाँ लेकर जायेगी. कम से कम अगले सौ सालों में यह बहुत बुरा समाचार था सर्वप्रथम खराब पोषण लघु आयु यह औरतों के लिए काफी कष्टप्रद था उस कल के मानव अवशेष से यह पता चलता है कि वे सुबह ,दोपहर ,शाम अनाजों को पीसा करती थीं और सैधांतिक रूप से यह बहुत घृणित था यह शुरुआत थी एक बहुत उपरी स्तर के असमानता कि यदि उस समय तर्कसंगत प्रौद्योगिकी मूल्यांकन होता तो मै सोचता हूँ कि तब वे कहते आओ इन चीजों को बंद करते हैं इस समय भी हमारे विकल्प अनपेक्षित परिणामों से प्रभावित हैं ऐतिहासिक रूप से चापस्टिक्स -एक जापानी मानव वेत्ता के अनुसार जिन्होंने इस पर एक शोध भी लिखा है मिशिगन विश्वविद्यालय में दीर्घकालिक बदलाव आया दांत निकलने में ,दांतों में जापानी लोगों के और हम अपने दातों को अभी भी बदल रहे हैं यहं एक साक्ष्य है कि मानव मुख और दांत मंद गति से बढ़ रहे हैं यह निश्चित रूप से गंदे अनपेक्षित परिणाम नहीं हैं लेकिन मै सोचता हूँ कि नेंदेर्थल के हिसाब से यहाँ बहुत ज्यादा अस्वीकृति होती जल्दबाजी में सोचे गए चोप्रों के बारे में जो अब है हम इसलिए ये वस्तुएं एक तरह से सम्बंधित हैं जहाँ से हम या हमारे पूर्वज देख रहे हैं, प्राचीन कल में अनपेक्षित परिणामों के प्रति बहुत श्रध्हा थी और वहाँ सतर्कता का एक बहुत ही स्वस्थ भावना थी, जो कि पता चलती है ज्ञान के पेड से पंडोरा के बॉक्स में और विशेष रूप से प्रोमेथियस के मिथक में ये इतना महत्वपूर्ण हो गया है प्रौद्योगिकी के बारे में हाल ही में रूपकों में. और वह सब बहुत सच है. प्राचीन समय के भौतिकविद प्रमुख रूप से मिस्र के लोग जिन्होंने सबसे पहले दवाओं के बारे में बताया जैसा कि हम जानते हैं बहुत सतर्क थे कि वे किसका इलाज कर सकते हैं और किसका इलाज नहीं कर सकते हैं और जीवित ग्रंथों के अनुवाद का कहना है, "मैं इसका इलाज नहीं करूँगा .इसका मै इलाज नहीं कर सकता . वे बहुत सतर्क थे . और यही स्थिति थी हिप्पोक्रेट्स के अनुयायीयों के साथ हिप्पोक्रेटिक पांडुलिपियाँ भी लगातार नए अध्ययन के अनुसार दिखाती हैं कि कैसे महत्वपूर्ण है कोई नुक्सान न पहुचाना हाल ही में, हार्वे कुशीनग जिन्होंने आधुनिक नुरोसुर्जेरी का विकास किया जिन्होंने दवा के क्षेत्र इसे भिन्न कर दिया जोकि सर्जरी से उत्पन्न होने वाली मौतों के मामले में बहुमत में था से उसमे, जिसमें वहाँ एक उम्मीद थी, वह बहुत जागरूक थे कि यह जरुरी नहीं की वह जो कर रहे हैं वो सही है लेकिन उन्होंने अपना सर्वस्वा दिया और उन्होंने रिकॉर्ड रखा जिससे की वे दवा की शाखा को बदल सकें अब हम अगर थोडा आगे देखें १९ वीं सदी की तरफ . हम प्रद्योगिकी की एक नयी शैली पाते हैं| हम ये पाते हैं की की अब कोई आसान मशीन नहीं हैं लेकिन संसाधन हैं| हम और ज्यादा मशीनों की जटिल व्यवस्था पाते हैं जो की ये कठिन बना देते हैं ये पता करना की क्या चल रहा है पहले व्यक्ति जिन्होंने ये देखा वे मध्य १९वीं शताब्दी के तेलेग्रफेर्स थे जो की वास्तविक हैकर थे . थोमस एडीसन के लिए बहुत सुविधापूर्ण होता आज के माहौल में काम करना. और इन हमलावरों का एक शब्द था उन रहस्यमयी कीड़ों के लिए जो तार सिस्टम में थे उन्हें बग कहा जाता था | यहीं से बग शब्द की उत्पति हुई | यह चेतना हालाँकि सामान्य आबादी में बड़ने में धीमी थी, तब भी कुछ लोगों को ये बातें पता थीं| सामुएल क्लिमेंस ,मार्क ट्विन एक बहत बड़े निवेशक था सबसे जटिल मशीनों में कम से कम १९१८ तक की जो की यु .एस. पेटेंट ओफ़िस में रेजिस्तेरेड था| वो अविष्कार था पेज टाइप सेटर था| पेज टाइप सेटर में १८००० भाग थे | पेटेंट में कुल ६४ पृष्ठ थे और कुल २७१ चित्र थे यह बहुत उत्कृष्ट मशीन थी क्यूंकि ये वो सरे कार्य कर सकती थी जो एक मनुष्य ने किया था प्रकार की स्थापना में टाइप को इसकी पुनार्वस्था में लाना जो की एक बहुत जटिल कार्य था और मार्क ट्विन जो की टाइप सेटिंग के बारे में सब कुछ जानते थे इस मशीन की वजह से बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुए | दुर्भाग्य से वह बहुत दूसरे तरीकों से प्रभवित था क्यूंकि इसने उसे दिवालिया बना दिया और उसे विश्व की यात्रा करनी पड़ी इस कमी को पूरा करने के लिए और यह एक महत्वपूर्ण चीज थी १९ वीं सदी की बारे में, की ये सारे सम्बन्ध अलग अलग तरीकों से अछे विचारों को भी खत्म कर देते थे जबकि यह निर्णय विशेषज्ञ लोगों के द्वारा लिया जाता था | २० वीं सदी के प्रारम्भ में कुछ चीजें ऐसी थीं जिन्होंने इन वस्तुओं को जटिल बना दिया. और यह वही सुरक्षा तकनीक थी जो अपने में ही खतरनाक हो सकती थी Titanic ने हमें सिखाया की उस समय के बहुत सम्दार्शियों के लिए कि हमारे पास जीवनरक्षक नौकाएं होनी चाहिए पर्याप्त मात्रा में उन प्रत्येक लोगों के लिए जो नाव में हैं . और इसकी वजह से बहुत सारी जानें गयीं उन लोगों कि जो उनमे चढ नहीं पाए . हालाँकि एक और मामला था, Eastland एक जहाज १९१५ में शिकागो हार्बर में डूब गया और ८४१ लोग मरे गए यह संख्या १४ अधिक थी Titanic. हादसे में मरे गए लोगों से . इस दुर्घटना का प्रमुख कारण वो अधिक जीवन रक्षक नौकाएं थीं जो रखी गयीं थीं जिसकी वजह से पहले ही अस्थिर नाव और अस्थिर हो गयी. और ये फिर से सिद्ध करता है कि जब आप अनपेक्षित परिणामों के बारे में बात करते हैं तो इतना आसान नहीं होता ये जानना कि सही उपाय क्या हैं? निश्चित रूप से यह प्रश्न उस सिस्टम का है कि किस तरीके नाव भरी गयी थी गिट्टी और कई अन्य चीजें. अतः २०वीं सदी ने देखा कि कितना जटिल था यह वास्तविकता साथ ही एक सकारात्मक पहलु भी देखा. इसने यह देखा कि अविष्कार को आपातकाल से फायदा हो सकता है . इसे फायदा हो सकता है त्रासदियों से. और मेरा प्रिय उदाहरण जो कि उतना ज्ञात नहीं है तकनिकी चमत्कार के रूप में लेकिन यह बहुत महान है और यह है द्वितीय विश्व युद्ध में पेनिसिलिन का तेजी से उपयोग. पेनिसिलिन की खोज १९२८ में कि गयी थी , लेकिन १९४० तक इसकी कोई वाणिज्यिक और चिकित्सा उपयोगी मात्रा उत्पन्न नहीं कि जाती थी. बहुत सारी दवा कंपनियां इस पर काम कर रही थीं. वे स्वतंत्र रूप से इस पर काम कर रही थीं , और वे किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पा रही थीं . और सरकार के रिसर्च ब्यूरो ने एक साथ प्रतिनिधियों को लाया और उनसे कहा कि यह कार्य होना ही चाहिए और तब उन्होंने न केवल इसे पूरा किया बल्कि दो साल के अंदर उन्होंने पेंसिलिन का उत्पादन बढ़ा दिया प्रारम्भ में एक लीटर से १०००० गैलन . इस प्रकार कम समय में ही पेंसिलिन इतनी तेजी से उत्पन्न किया गया और एक महान अविष्कार हो गया दवाओं के क्षेत्र में द्वितीय विश्व युद्ध में भी उपस्थिति सौर विकिरणों कि जिसका वर्णन हस्तक्षेप के अध्ययन के द्वारा किया गया था. जिसका पता लगा था ग्रेट ब्रिटेन के रडार स्टेसन के द्वारा . अतः आपदाओं में भी लाभ थे हमारे पूर्ण विज्ञानं साथ ही साथ व्यावहारिक विज्ञानं दोनों को लाभ थे | और दवाओं से भी | अब जब हम द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के समय को देखते हैं तो अनपेक्षित परिणाम और भी रुचिकर हो गए हैं | और इसका उदहारण १९७६ के शुरुआत में शुरू हुआ' जब इस बात कि खोज हुई कि जीवाणु के कारण Legionnaires रोग हमेशा से ही पानी में मौजूद था | लेकिन यह पानी के तापमान के कारण हीटिंग ,वेंतिलेतिंग और वातानुकूलित प्रणालियों में जो कि अधिकतम प्रजनन के लिए लेजिओनेल्ला बसिल्लुस के खैर, बचाव के लिए प्रौद्योगिकी. तो रसायनज्ञ के लिए काम मिल गया, और उन्होंने एक जीवाणु को मारने वाली दवा विकसित कि जो उन प्रणालियों में प्रयोग होने लगी | लेकिन १९८० कि शुरुआत कुछ और घटित हुआ और वह ये था कि एक रहस्य मय महामारी टेप ड्राइव की विफलताओं की पुरे यु .एस.में फ़ैल गयी और IBM, जिसने उसे बनाया था को नहीं पता चल पा रहा था कि वो क्या करे ? उन्होंने अपने सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों के समूह को बुलाया इस बात का पता लगाने के लिए और उन्होंने ये पाया कि सरे टेप ड्राइव वेंटिलेशन नलिकाएं के निकट स्थित थे वहां ये हुआ था कि जीवाणुओं को मरने वाली दवा का निर्माण टीन से किया गया था और इन टिन के कणों को टेप हेड में रखा गया था और ये टेप हेड को नष्ट कर रहे थे इसलिए उन्होंने जीवाणुओं को नष्ट करने वाली दवा को पुनह बनाया लेकि न जो तथ्य मेरे लिए रुचिकर था वो ये था कि यह पहला अवसर था यांत्रिक उपकरणों में जो कि परोक्ष रूप से मानव के रोगों से प्रभावित था अतः ये दर्शाता है कि हम कहीं न कहीं इस्में भागीदार थे (सब हँसते हैं ) वास्तव में यह ये भी प्रदर्शित करता है कि यद्यपि हमारी क्षमता और तकनीक ज्यामितीय रूप से फ़ैल रही है दुर्भाग्य से हमारी उनके व्यव्हार को प्रतिरूपित करने कि क्षमता जो कि बढ़ रही है केवल गणितीय रूप से बढ़ रही है . अतः हमारे समय का एक महत्वपूर्ण समस्या ये है कि इस अंतर को कैसे कम करें जो कि क्षमता और दूरदर्शिता में है दूसरी तरफ सही परिणाम २० वीं सदी कि तकनीक का यद्यपि एक माध्यम था जिससे दूसरी तरीके कि घटनाएन सकारात्मक विकास कि तरफ बढ़ सकती थीं| दो व्यापार के इतिहासकार मैरीलैंड विश्वविद्यालय में, ब्रेंट Goldfarb और डेविड कर्सवासर जिन्होंने बहुत ही रुचिकर कार्य किया है जिनमे से अभी बहुत सारा छपा नहीं है प्रमुख नवाचारों के इतिहास पर. उन्होंने नए विचारों को संगृहीत किया और यह पाया कि सबसे बड़ी संख्या , सबसे बड़ी दशक. मुलभुत विचारों कि जैसा कि पता चल रहा था उन सूचियों से जो की दूसरों ने बनायीं थी कुछ सूचियों को उन्होंने मिलाया था महान अवसाद था कोई नहीं जनता था कि ये ऐसा क्यूँ था लेकिन एक कहानी इसका कारण बता सकती है यह जीरोक्स कॉपी मशीन का अविष्कार था जिसने अपना ५०विन सालगिरह मनाई है पिछले साल| और चेस्टर कार्लसन जो कि इसके अविष्कार थे एक पेटेंट वकील थे. वह चाहता तो नहीं था पेटेंट रिसर्च के क्षेत्र में काम करना लेकिन वे कोई अन्य तकनिकी नौकरी नहीं पा सके अतः यह एक अच्छी नौकरी थी जो उसे मिली वह बहुत दुखी था कम गुणवत्ता और उच्च लागत मौजूदा पेटेंट प्रतिकृतियां से और इसलिए उसने विक्सित करना प्रारम्भा कर दिया सूखी फोटोकॉपी की एक प्रणाली, जो की उसने पेटेंट कि थी १९३० में और जो पहली सूखी photocopier बन गया जो की औद्योगिक रूपसे प्रयोग हुई १९६० में अतः हम देखते हैं कि कभी कभी इन अव्यवस्थाओं कि वजह से ,लोगों कि वजह से जो कि स्वाभाविक नौकरी छोड़ रहे होते हैं और जा रहे होते हैं कहीं और जहाँ उनकी रचनात्मकता से वह फर्क ला सकें उन अवसादों और अन्य सभी तरह के दुर्भाग्यशाली घटनाएँ एक विडंबना सी उत्तेजक प्रभाव डाल सकती हैं रचनात्मकता पर इसका के मतलब है ? इसका मतलब मै सोचता हूँ कि ये है कि हम अप्रत्याशित संभावनाओं के एक समय में रह रहे हैं. उदाहरण के लिए वित्तीय दुनिया के बारे में सोचो .. वारेन बफेट, बेंजामिन ग्राहम की संरक्षक, मूल्य निवेश की अपनी प्रणाली विकसित करी अपनी हानि के कारन | 1929 दुर्घटना में.. और उन्होंने वो किताब प्रकाशित कि १९३० कि शुरुआत में और पुस्तक अभी भी आगे के संस्करणों में मौजूद है और अभी भी एक मौलिक पाठ्यपुस्तक है. अतः बहुत साडी महत्वपूर्ण नयी चीजें घटित हो सकती हैं जब लोग दुर्घटनाओं से सीखते हैं . अब बड़े और छोटे विपत्तियों के बारे में सोचें जो कि अब हैं बिस्तर के कीड़े, हत्यारी मधुमक्खियों, स्पैम - और ये भी संभव है कि उनका निराकरण वास्तव में तत्काल सवाल से परे का विस्तार करेगा. यदि हम लुईस पस्तुरे के बारे में सोचें जिन्हें १९८० में अध्ययन करने के लिए कहा गया रेशम के कीड़ों के रोगों पर रेशम उद्योग के लिए | और उनकी खोज वास्तव में प्रारंभ थी रोग के रोगाणु सिद्धांत की | इसलिए बहुत बार, आपदा के कुछ प्रकार - कभी कभी परिणाम देते हैं रेशम कीड़े की अत्यधिक खेती जैसे, जो की उन दिनों यूरोप में समस्या थी किसी बड़े कार्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है| अतः इसका मतलब ये हुआ कि हमें अलग तरीके से देखना चाहिए अनपेक्षित परिणामों को | हमें सकारात्मक पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए | हमे ये देखना चाहिए कि वे हमारे लिय क्या कर सकते हैं| हमें यह सीखना चाहिए उन आंकड़ों से जिनका मैंने उल्लेख किया है| हमें सीखना चाहिए जैसे की डा . कुशीनग से जिन्होंने कई रोगियों को मार दिया अपने प्राम्भिक शल्य क्रिया के दौरान | उन्होंने कुछ त्रुटियाँ की | उन्होंने कुछ गलतियाँ की | और उन्होंने उन गलतियों से सिखा और परिणाम स्वरुप जब हम कहते हैं "यह दिमाग की शल्य चिकित्सा है " तो यह श्रधांजलि देता है कि यह कितना कठिन था किसी के लिए, अपनी गलतियों से सीखना दवा के क्षेत्र में कि वो अपनी संभावनाओं में हतोत्साहित माना जाता था. और हम याद कर सकते हैं कैसे दवा कंपनियां चाहती थी अपने ज्ञान को इकठा करना अपने ज्ञान को वितरित करने के लिए आपातकाल कि स्थिति में , जिनमें वो सालों तक नहीं पड़े | वो ये कार्य पहले भी कर सकते थे अतः यह सन्देश है मेरे लिए अनपेक्षित परिणामों के बारे में कि अराजकता होती है ; आओ इसका उचित प्रयोग करें . आपका बहुत बहुत धन्यवाद . (तालियाँ बजती हैं ) सभी को नमस्ते | मैं एक कलाकार और पिता हूँ -- दूसरी बार | धन्यवाद | और मैं आपके साथ अपनी नवीनतम कला परियोजना बाँटना चाहूँगा | यह iPad के लिए बच्चो की किताब है | यह थोड़ी विचित्र और बचकानी हैं | इसका नाम Pop-It है | और यह उन चीज़ों के बारे में है जो छोटे बच्चे अपने माता-पिता के साथ करते हैं | (संगीत) तो यह शौच के प्रशिक्षण के बारे में हैं -- आप में से बहुत, मुझे आशा है आप पायदान को बदल सकते हैं | उन्हें शौच करवा सकते हैं | इस तरह की मज़ेदार चीज़े कर सकते हैं | आप बुलबुले फोड़ सकते हैं | आप चित्र बना सकते है, जैसा सबको करना चाहिए | लेकिन आप जानते हैं, बच्चों की किताबो के साथ एक समस्या है: मुझे लगता वो प्रचार से भरे हुए हैं | कम से कम एक भारतीय के लिए, जो पार्क स्लोप में इन अमेरिकन किताबो को ले रहा है, उस के लिए तो रहने ही दो| मैं इस तरह बड़ा नहीं हुआ था | तो मैं कहा "मैं इसका मुकाबला करूँगा अपने प्रचार के साथ" अगर आप ध्यान दे, यह समलैंगिक पुरुषों का जोड़ा बच्चे को बड़ा कर रहा है | आपको यह पसंद नहीं है? इसे हिलाए, और अब समलैंगिक महिलाओं का जोड़ा है | (हँसी) इसे हिलाए,और अब पुरुष और महिला का जोड़ा | आपको पता है, मैं असल में आदर्श परिवार के संकल्पना में विश्वास भी नहीं करता | मुझे आपको मेरे बचपन के बारे में बताना होगा | मैं नन और फादर के द्वारा पढाये जाने वाले¼ इस अच्छे मिशनरी स्कुल में गया | असल में, मुझे नेक आदमी बनने के लिए बढ़ा किया गया, और मैं हूँ | और दिन खत्म होने पर एक परंपरागत हिंदू परिवार में जाता था, जो कि शायद केवल एक ही हिंदू परिवार है एक बहुल मुस्लिम इलाके में | असल में, मैं हर धार्मिक त्यौहार मनाता हूँ | वास्तव में, जब हमारे पड़ोस में शादी थी, हम सभी ने अपनी घरो को शादी के लिए पोता था | मुझे याद है हम बहुत रोये थे जब वो छोटी बकरियाँ जिनके साथ हम खेले थे बिरयानी बन गयी | (हँसी) हम सभी रमजान में उपवास रखते थे | वो खूबसूरत समय था | लेकिन मैं बताऊंगा, मैं कभी नहीं भूलूँगा, जब मैं 13 साल का था, यह हुआ | बाबरी मस्जिद -- सबसे खूबसूरत मस्जिदों में एक, बाबर के द्वारा बनायीं गयी, मैं सोचता हूँ, सोलहवी शताब्दी में -- हिंदू कार्यकर्ताओं के द्वारा गिरा दी गयी | इससे शहर में बहुत दंगे हुए | और पहली बार, मुझे प्रभाव पड़ा इस सांप्रदायिक अशांति से | मेरे पड़ोस का छोटा पांच साल का बच्चा दौड़ते हुए आया, और बोला "रग्स, रग्स" तुम्हे पता है हिंदू हम मुस्लिमो को मार रहे है, सावधान रहो" मैंने कहा "दोस्त, मैं हिंदू हूँ" (हँसी) वोह बोला "हैं" आप जानते हैं, मेरा काम प्रभावित है ऐसी घटनाओ से | यहाँ तक मेरी प्रदर्शनी में, मैं एतिहासिक घटनाओ में वापस जाने की कोशिश कर रहा हूँ जैसे बाबरी मास्जिद, उसके केवल भावनात्मक अवशेषों को निकाल रहा हूँ अपनी ज़िन्दगी को याद कर सोचिये अगर इतिहास को अलग ढंग से सिखाया जाए | वो बच्चो की किताब याद है जहाँ आप हिलाते है और पालको का लिंग बदल जाता है? मेरे पास एक और विचार है | यह बच्चो की किताब भारत के स्वतंत्रता के बारे में है -- बहुत देशभक्तिपूर्ण | लेकिन जब इसे हिलाते है, आपको पाकिस्तान का परिप्रेक्ष्य मिलता है | फिर से हिलायिये, और आपको ब्रिटिश का परिप्रेक्ष्य मिलता है | (अभिवादन) आपको पक्षपात से तथ्य को अलग करना होगा, हैं ना | मेरी बच्चो की किताबो में भी मासूम और धुंधले जानवार हैं | लेकिन वो भूगोलीय राजनीति खेल रहे है | वो इजरायल-फिलिस्तीन खेल रहे है, भारत-पाकिस्तान | आप जानते है, मैं एक बहुत महत्वपूर्ण तर्क दे रहा हूँ | और मेरा तर्क है कि सिर्फ एक तरीका है रचनात्मकता सिखाने का बच्चो को परिप्रेक्ष्य सिखा कर आरंभिक अवस्था में | आखिरकार, बच्चों की किताबे परवरिश पर नियम पुस्तिका है, तो बेहतर है कि आप उन्हें बच्चो की किताबे दे जो उन्हें परिप्रेक्ष्य सिखाए | और उल्टे, सिर्फ जब आप परिप्रेक्ष्य सिखायेंगे एक बच्चा कल्पना करने के योग्य होगा और खुद को किसी और कि अवस्था में रख सकेगा जो उससे अलग है | मैं तर्क दे रहा हूँ कि कला और रचनात्मकता सहानुभूति के लिए जरुरी सामान है | आप जानते है, मैं अपने बच्चे को बिना पक्षपात के जीवन का वादा नहीं कर सकता -- हम सभी पक्षपाती हैं -- लेकिन मैं अपने बच्चे को विभिन्न परिप्रेक्ष्य के साथ पक्षपात का वादा करता हूँ | बहुत बहुत धन्यवाद | (अभिवादन) मेरा विषय है भारत और चीन का अर्थिक विकास। और मैं आपके साथ इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने क प्रयास करूँगा कि ये सही है या गलत कि प्रजातंत्र ने भारत का रोका या बढाया आर्थिक विकास के पथ पर। हो सकता है आप कहें कि ये ठीक नहीं, क्योंकि मैं सिर्फ़ दो देशों की कहानी से प्रजातंत्र के खिलाफ़ तर्क तैयार कर रहा हूँ। असल में, ठीक इसका विपरीत है जो मैं करने जा रहा हूँ। मैं इन दों देशों की तुलना के ज़रिये आर्थिक विकास में प्रजातंत्र के महत्व के पक्ष में अपने तर्क रखूँगा, न कि प्रजातंत्र के ख़िलाफ़। यहाँ पहला सवाल है कि आखिर चीन ने इतनी तेज तरक्की क्यों की भारत की तुलना में। पिछले तीस सालों में, जी.डी.पी. की बढत के दर के हिसाब से, चीन नें भारत से दुगुनी गति से तरक्की की है। पिछले पाँच सालों मे, कुछ कुछ दोनों देश करीब आये हैं आर्थिक विकास में। मगर पिछले तीस सालों में, ये सच है कि चीन ने भारत के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। एक सीधा सरल उत्तर है कि चीन के पास शंघाई है, और भारत के पास है मुंबई। शंघाई के क्षितिज पर एक नज़र डालिये। ये पुडोंग नाम का इलाका है। अब भारत की एक तस्वीर धारावी झुग्गी का इलाका, मुंबई में, भारत में। जो विचार इन तस्वीरों में छुपा है वो ये है कि चीनी सरकार कानून के बाहर भी अमल कर सकती है। वो योजना बना सकती है देश के दीर्घकालिक फ़ायदे के लिये और इस प्रक्रिया में, दसियों लाख लोगों का विस्थापन -- मात्र एक तकनीकी मसला है। जबकि भारत में, आप ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि आपको जनता की आवाज सुननी ही होगी। आप जनाग्रह से बँधे हैं। यहाँ तक कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इस बात को मानते हैं। एक साक्षातकार में, जो कि फ़िनानशियल प्रेस ऑफ़ इंडिया में छपा था, उन्होंने कहा कि वो मुंबई को दूसरा शंघाई बनाना चाहते हैं। ये एक ऑक्सफ़ोर्ड-प्रशिक्षित अर्थशास्त्री है, जो कि मानवीय मूल्यों से ओत-प्रोत है, और फ़िर भी वो सहमत है शंघाई के दबंगई-आधारित तौर-तरीकों से। तो, इसे मैं नाम देता हूँ 'आर्थिक विकास का शंघाई मॉडल', जो कि इन बातों पर ज़ोर देता है आर्थिक बढत हासिल करने के लिये: आधारभूत संरचनायें (इन्फ़्रास्टर्कचर), हवाई-अड्डे, सडकें, पुल, और इस तरह की चीजें। और इसके लिये आपको एक ताकतवर सरकार की ज़रूरत है, क्योंकि इस तरीके में निजी संपत्ति के अधिकारों का महत्व नहीं है। आपको जनाग्रह, और लोगों के विचारों को कोई अहमियत नहीं दे सकते हैं। इसमें राष्ट्र की मिलकियत की आवश्यकता है, ख़ासतौर पर, भूमि-संपत्ति की मिलकियत, जिससे कि बडे निर्माण-कार्य कर सकें, और तेजी के साथ। उस मॉडल का नतीज़ा ये है कि प्रजातंत्र आर्थिक-विकास की रह का रोडा बन जाता है, उसके विकास का सहयोगी बनने के बजाय। यही मुख्य सवाल है। कि कितना ज़रूरी है इन आधारभूत संरचनाओं का सकल निर्माण आर्थिक विकास के लिये? यही मुख्य मुद्दा है। यदि आप मानते है कि ये निर्माण कार्य अत्यधिक महत्वपूर्ण है आर्थिक विकास के लिये, तो आप ताकतवर शासन को ज़रूरी मानेंगे विकास के लिये। यदि आप मान्ते हैं कि आधारभूत संरचनायें इतनी ज़रूरी नहीं हैं जितना लोग सोचते हैं, तो आप कम ज़ोर डालेंगे एक ताकतवर शासन के लिये। तो इस प्रश्न को दिखाने के लिये, मैं आपको दो देशों का उदाहरण देता हूँ। और सरलता के लिये, मैं पहले देश को कहूँगा देश नं० १ और दूसरे देश को देश नं० २। देश १ के पास देश दो के मुकाबले सुव्यवस्थित श्रेष्ठता है आधारभूत संरचनाओं में। देश १ के पास ज्यादा टेलीफ़ोन हैं, और देश १ के पास ज्यादा बडा रेल्वे सिस्टम है। तो यदि मैं आपसे पूँछूं, "इनमें से कौन सा चीन है और कौन सा भारत, और किस देश ने ज्यादा तेज तरक्की की है?" अगर आप संरचना-वादी दृष्टिकोण रखते हैं, तो आप कहेंगे, "देश नं ०१ है चीन। निश्चय ही उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया होगा, आर्थिक विकास में। और देश नं० २ पक्क भारत ही है।" असल में ज्यादा टेलीफ़ोन वाला देश है सोवियत संघ, और ये आँकडे हैं १९८९ के। टेलीफ़ोन के इतने बेहतरीन आँकडे देने के ठीक बाद ये देश ही मटियामेट हो गया। और ये तो अच्छी बात नहीं है। ये तस्वीर है ख्रुशचेव की । मुझे पता है कि १९८९ में वो सोवियत संघ पर शासन नहीं कर रहे थे, मगर मैं उनकी इस से बेहतर तस्वीर नहीं ढूँढ पाया। (हँसी) टेलीफ़ोन और सडकों जैसी संरचनायें आर्थिक विकास की गारंटी नहीं देती हैं। देश नं० २, जिसके पास कम टेलीफ़ोन हैं, चीन है। १९८९ से लगातार, चीन ने दस-प्रतिशत विकास दर से ऊपर का प्रदर्शन किया है हर साल, पिछले पूरे २० साल से। अगर आप चीन और सोवियत-संघ के बारे में सिर्फ़ उनके टेलीफ़ोन के आँकडे जानते हों, तो आप गलत अनुमान लगायेंगे उनके विकास के बारे में, जो वो अगले दो दशकों में करेंगे। देश १, जिसके पास ज्यादा विस्तृत रेलवे प्रणाली है, असल में भारत है। और देश २ चीन है। ये बात बहुत कम लोग जानते हैं इन दो देशों के बारे में। हाँ, ये सच है कि आज चीन की पास बेहतर आधारभूत-संरचनायें हैं भारत के मुकाबले। मगर कई सालों तक, ९० के दशक कें अंत तक, चीन इस मामले में भारत से पीछे था। विकासशील देशों में, यातायात का सबसे प्रचलित साधन रेलवे होता है, और अँग्रेजों नें भारत में मीलों लम्बी प्रणाली बनाये थी। भारत क्षेत्रफ़ल में चीन से छोटा है, और फ़िर भी उसका रेलवे चीन के रेलवे से बडा था ९० के दशक के अंत तक। तो ये भी साफ़ है, कि सिर्फ़ आधारभूत-ढाँचा ही कारण नहीं है चीन के बेहतर प्रदर्शन का, ९० के दशक के पहले, भारत के मुकाबले। बल्कि, यदि आप विश्व-भर के आँकडों पर नज़र डालें, तो ये दृष्टिकोण उजागर होगा कि ढाँचे का विकास असल में आर्थिक विकास का कारण नहीं, नतीज़ा है। अर्थ-व्यवस्था विकसित होती है, सरकारों के पास ज्यादा संसाधन आते हैं, और सरकार तब जा कर ढाँचे में निवेश कर पाती है -- ऐसा नहीं कि ढाँचा बनाते ही आर्थिक विकास आ जाता है। और ज़ाहिर है कि ये ही कहानी है चीन के आर्थिक विकास की। चलिये सीधे इस प्रश्न पर ही आता हूँ। क्या प्रजातंत्र आर्थिक-विकास के लिये खराब है? अब फ़िर से एक नज़र दो देशों पर, देश अ और देश ब। १९९० में, देश अ की प्रति व्यक्ति जीडीपी थी करीब ३०० डॉलर और देश ब में प्रति व्यक्ति जीडीपी थी ४६० डॉलर। २००८ आते आते, देश अ ने देश ब को पीछे छोड दिया था, और उस की प्रति व्यक्ति जीडीपी थी ७०० डॉलर प्रतिद्वंदी देश के ६५० डॉलर प्रति व्यक्ति जीडीपी की तुलना में। दोनों देश एशिया में है। यदि मैं आप से पूँछूं, "ये दो देश कौन से एशियाई देश हैं? और इनमें से किस में प्रजातांत्रिक राज है?" आप शायद कहें, "ह्म्म्म, हो सकता है कि देश अ चीन है और देश ब है भारत।" असल में, देश अ है प्रजातांत्रिक भारत, और देश ब है पाकिस्तान -- वो देश जो बहुत लंबे समय तक फ़ौज़ी शासन में था। और अक्सर हम भारत और चीन की तुलना करते हैं। ये इसलिये कि दोनों देशों की जनसंख्या लगभग बराबर है। मगर सचे में तुलना तो भारत और पाकिस्तान की होनी चाहिये। इन दोनों देशों का भूगोल एक सा है। उनका जटिल पर साझा इतिहास है। इस नज़रिये से तो, प्रजातंत्र बहुत ही ज्यादा पोषक लगता है आर्थिक विकास के लिये। तो फ़िर सारे आर्थ-शास्त्री क्यों सत्तावादी सरकारों के इश्क में पागल रहते हैं? एक कारण ये है कि ये पूर्व-एशियाई मॉडल है। पूर्व एशिया में, हमारे पास कुछ उदाहरण हैं अत्यधिक सफ़ल आर्थिक विकास के जैसे कि कोरिया, ताइवान, हांग-कांग और सिंगापुर। इन में से कुछ अर्थ-व्यवस्थायें सत्तावादी सरकारों द्वारा शासित थी ६० और ७० के दशक तक, और ८० के दशक तक भी। इस दृष्टिकोण का कुछ वैसा हाल है कि आप लाटरी जीतने वाले सारे लोगों से पूछें, "क्या आपने लाटरी जीती?" और वो सब आपसे कहें, "हाँ, हमने लाटरी जीते ली।" और फ़िर आप निषकर्ष निकाल लें कि लाटरी जीतने की संभावना है पूरी सौ प्रतिशत। आप ने तो कभी जा कर हारने वालों से ये पूछने की ज़हमत ही नहीं उठायी, जिन्होंने जतन से लाटरी खरीदी थी और कभी कुछ नहीं जीते। हर एक सत्तावादी आर्थिक सफ़ल सरकार के उदाहरण के लिये, पूर्वी एशिया में, भीषण असफ़लता का कम से कम एक उदाहरण मौजूद है। कोरिया सफ़ल हुआ। उत्तरी कोरिया नहीं हुआ। ताइवान सफ़ल हुआ, माओ जेडोंग शासित चीन नहीं हुआ बर्मा सफ़ल नहीं है। फ़िलिपींस सफ़ल नहीं हो सका। सारे विश्व के सांख्यिकीय आँकडे आपको दिखा देंगे, कि इस विचार का कोई प्रमाण नहीं है कि सत्तावादी ताकतवर सरकारों के पास प्रजातांत्रिक सरकारों के मुकाबले कोई श्रेष्ठता होती है, आर्थिक विकास के मसले में। लिहाज़ा पूर्व एशियाई मॉडल में ये तगडा पक्षपात दिखता है, क्योंकि आप पूरी कहानी पर नज़र ही नहीं डालते -- और हम हमेशा अपने विद्यार्थियों से इस गल्ती से बचने की हिदायत देते हैं। लेकिन फ़िर चीन की इतनी ज़बर्दस्त तरक्की हुई क्यों? चलिये मैं आपको सांस्कृतिक-क्रांति के दौर में ले चलता हूँ, जब चीन पागल हो गया था, और उसकी अर्थ-व्यवस्था की भारत से तुलना करता हूँ, इंदिरा गाँधी के समय के भारत से। अब सवाल ये है: कौन सा देश बेहतर प्रदर्शन कर रहा था, चीन या भारत? चीन बेहतर था, सांस्कृतिक क्रांति के दौरान। उस समय भी ऐसा ही हुआ कि चीन ने भारत से बेहतर विकास किया जीडीपी विकास के हिसाब से करीब प्रति वर्ष २.२ .प्रतिशत ज्यादा तेजी से प्रति व्यक्ति जीडीपी के हिसाब से। और ये तब जब कि सारा चीन पगला गया था। पूरा देश ही उथल-पुथल में था। इस का मतलब है कि चीन में कुछ ऐसा है जो कि आर्थिक विकास को इतना पोषण देता है कि विकास को रोकने वाली चीजों को निष्क्रिय कर देता है जैसे कि सांस्कृतिक क्रांति। और चीन के पास जो सबसे बडी ताकत थी, तो थी मानव-संसाधन की पूँजी -- और कुछ नहीं - केवल मानव-संसाधन-पूँजी। ये आँकडे हैं विश्व विकास सूचक के ९० के दशक के पूर्वार्ध के। और उस से पुराने आँकडॆ मुझे मिले ही नहीं। चीन में व्यस्क साक्षरता दर है ७७ प्रतिशत भारत के ४८ प्रतिशत के मुकाबले। साक्षरता दर में विरोधाभास खासतौर पर ज़ोरदार है चीनी और भारतीय महिलाओं के बीच। मैनें आपको साक्षरता की परिभाषा तो बताई ही नहीं। चीन में, साक्षर उसे मानते हैं जो लिख और पढ सके कम से कम १५०० चीनी चिन्ह। भारत में, साक्षरता की परिभाषा, जो कि गिनती के लिये इस्तेमाल होती है, है काबलियत, मतलब मोटे तौर पर काबलियत, अपना नाम लिख सकने की जो भी आपकी मातृभाषा हो, उसमें। इन दो देशों की साक्षरता दरों में फ़र्क उस से भी गहरा है जितना कि ये आँकडे यहाँ दिखा रहे हैं। यदि आप दूसरे आँकडे देखें जैसे कि मानव विकास सूचकांक, इन आंकडों की कडी, जो कि ७० के दशक के शुरुवात तक जाती है, आप ठीक यही विरोधाभास देखेंगे। चीन के पास बहुत बडा फ़ायदा था मानव संसाधन की गुणवत्ता का, भारत की तुलना में। नागरिकों की आयु: १९६५ में, चीन मे नागरिक-आयु का भी फ़ायदा रहा है। औसतन, चीनी लोग १९६५ में, कम से कम दस साल ज्यादा जीते थे भारतीयों के मुकाबले। तो यदि आपको चुनना हो चीनी और भारतीय होने के बीच, आप चीनी हो जायेंगे जिस से कि आप दस साल ज्यादा जियें। हाँ, यदि आप ये फ़ैसला १९६५ में लेते, तो उसका नुकसान ये होता कि अगले ही साल आप सांस्कृतिक क्रांति की उथल-पुथल में फ़ँस जाते। तो आपको हमेशा बहुत सावधानी से सोचना होता है इन फ़ैसलों के बारे में। यदि आप अपनी नागरिकता नहीं चुन सकते, तो आप भारतीय पुरुष होना पसंद करते। क्योंकि, एक भारतीय पुरुष, करीब दो साल अधिक जीता था, एक भारतीय महिला की तुलना में। ये बहुत ही ज्यादा अजीब तथ्य है। ऐसा बिरला ही कोई देश होगा जहाँ ऐसा नमूना देखा गया हो। ये उजागर करता है विधिवत पक्षपात और शोषण भारतीय समाज में, महिलाओं के खिलाफ़। अच्छी ख़बर ये है कि २००६ तक आते आते, भारत ने खत्म कर दिया इस फ़र्क को आदमी और औरत के बीच, आयु-औसत के आँकडों के हिसाब से। आज, भारतीय महिलाओं की औसत आयु कहीं ज्यादा है भारतीय पुरुषों के मुकाबले। तो भारत बाकी दुनिया सरीका हो रहा है। मगर भारत को अभी भी बहुत काम करना है औरत-मर्द की बराबरी के लिये। ये दो तस्वीरें गुआनडोंग राज्य की गारमेंट फ़ैक्ट्रियों की, और भारत की गारमेंट फ़ैक्ट्रियों में ली गयी हैं। चीन में, महिला कारीगर भरे हैं। ६० से ८० प्रतिशत चीनी श्रमिक महिलायें हैं देश के तटीय इलाकों में, जबकि भारत में, ज्यादातर श्रमिक मर्द हैं। फ़िनान्शियल टाइम्स ने इस तस्वीर को छापा था, जो कि एक भारतीय टेक्सटाइल फ़ैक्ट्री की है, इस शीर्षक के साथ, "भारत चीन को टेक्सटाइल में पीछे छोडने के लिये तैयार।" इन दोनों तस्वीरों को देख कर, मै कह सकता हूँ, नहीं, अभी काफ़ी समय है चीन के पिछडने में। अगर आप बाकी पूर्व एशियाई देशों को देखें, औरतें वहाँ एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं आर्थिक विकास में -- उत्पादन क्षमता के विस्फ़ोटक विकास में, जिसे पूर्व एशिया में देखा गया है। भारत को अभी बहुत सफ़र तय करना है चीन तक पहुँचने के लिये। फ़िर, मसला आता है कि, चीनी राजनैतिक प्रणाली को कैसे देखें? आपने मानव-संसाधन-पूँजी की बात की, आपने शिक्षा, और जन-स्वास्थ की बात की। लेकिन राजनैतिक प्रणाली का क्या? क्या ये सच नहीं है कि एकदलीय राजनैतिक प्रणाली ने चीन का आर्थिक विकास किया है? असल में, इस का जवाब इतना सीधा-साधा नहीं है, जटिल है। ये निर्भर करता है कि आप कहाँ फ़र्क करते हैं राजनैतिक प्रणाली की स्थिर विशेषताओं और चलायमान विशेषताओं के बीच। स्थिरता है कि चीन एकदलीय है, सत्तावादी है -- इस पर तो कोई सवाल ही नहीं है। चलायमान क्या है -- कि ये समय के साथ बदल रहा है, और कम सत्तावादी और ज्यादा लोकतांत्रिक हो रहा है। जब आप किसी बदलाव का कारण खोजते हैं -- जैसे कि, आर्थिक विकास; आर्थिक विकास बदलाव से जुडा होता है -- जब आप बदलाव के कारणॊं की खोज करते हैं, आप बाकी बदलती हुई चीजों का इस्तेमाल करते हैं, न कि रुकी हुई चीजों का। कभी कभी रुकी हुई चीजें भी बदलाव का कारण हो सकती है, मगर वो सिर्फ़ इसलिये कि उस स्थिर चीज के अलावा बाकी चीजें बदल रही होती हैं। राजनैतिक बदलाव के अंतर्गत, चीन में ग्राम-चुनाव शुरु हो गये हैं। संपत्त्ति के अधिकार बेहतर हुये हैं। और उन्होंने सुरक्षा बढा दी है, दीर्घकालिक भूमि-लीज़ की। ग्रामीण चीन में आर्थिक नवीनीकरण हुये हैं। चीन में ग्रामीण उद्यमिता की क्रांति भी आ रही है। मेरे हिसाब से राजनैतिक बदलाव की गति अत्यधिक धीमी है, बहुत ही शिथिल। और मेरा निजी विचार ये है कि चीन को भविष्य में कुछ गंभीर चुनौतियों का सामना करना पडेगा, क्योंकि उन्होंने राजनैतिक बदलाव तेजी से नहीं किये हैं। मगर इस के बावजूद भी, प्रणाली के बदलाव की दिशा उदारपंथी ही है, लोकतांत्रिक दिशा की ओर। आप यही सिद्दांत भारत पर ही लागू कर सकते हैं। और तथ्य ये है कि जब भारत का विकास धीरे हो रहा था -- करीब एक प्रतिशत, दो प्रतिशत प्रति वर्ष -- उस समय भारत सबसे कम लोकतांत्रिक था। इंदिरा गाँधी ने १९७५ में आपातकाल की घोषणा कर डाली थी। भारतीय सरकार का सर्वाधिकार था, सारे के सारे टी.वी. स्टेशनों पर। ९० के दशक के भारत के बारे में कम ही लोग ये जानते है कि इस देश ने न सिर्फ़ आर्थिक दुरुस्ती की, बल्कि राजनैतिक सुधार भी किया ग्रामों मे स्व-शासन लागू कर के, मीडिया का निजीकरण कर के और सूचना अधिकार लागू कर के। तो बदलाव से होने वाले विकास का सिद्धांत चीन और भारत दोनों पर ही लागू होता है कि किस दिशा में उन्हें जाना है। क्यों इतने लोग ये मानते हैं कि भारत में विकास नहीं हो रहा है ? एक कारण ये है कि वो हमेशा भारत की तुलना चीन से करते हैं। मगर चीन तो अपवाद है आर्थिक विकास के मामले में। यदि आप क्रिकेट के खिलाडी है, और आपकी तुलना हमेशा सचिन तेंदुलकर से की जाये, तो लगेगा कि आप कुछ ख़ास नहीं है। पर इसका मतलब ये तो नहीं है कि आप एक खराब क्रिकेट खिलाडी हैं। सर्वश्रेष्ठ अपवाद से तुलना गलत आंकलन है। सच ये है कि यदि आप भारत की तुलना औसत विकसित देश से करें, और आज ही नहीं, और पहले भी, तो भारत में विकास की दर की -- आज भारत आज ८ से ९ प्रतिशत की दर से विकसित हो रहा था -- आज से पहली भी, भारत आर्थिक विकास में विश्व में चौथे स्थान पर था, विकासशील अर्थ-व्यवस्थाओं में। ये साधारण बात नहीं है। चलिये भविष्य पर एक नज़र डालें। चीनी ड्रेगन और हिन्दुस्तानी हाथी का मुकाबला। किस देश के पास विकास का बेहतर आवेग है? चीन, मेरे हिसाब से, अभी भी कुछ मूल बातों में बहुत तगडा है -- जैसे कि सामाजिक व्यवस्था, जन-स्वास्थ, समानता की भावना जो कि आपको भारत में नहीं मिलती। मगर मेरा विश्वास है कि भारत के पास भी आवेग है। उसकी मूल विशेषतायें बेहतर हो रही हैं। सरकार ने प्राथमिक शिक्षा में निवेश किया है, प्राथमिक चिकित्सा में निवेश किया है । मेरा मानना है कि सरकार को और भी करना होगा, मगर कुछ भी हो, जिस दिशा में वो जा रही है, वो सही दिशा है। भारत में संसथान हैं जो आर्थिक विकास को बढावा देते हैं, जबकि चीन अभी भी प्रयत्न कर रहा है राजनैतिक सुधार लाने का। मेरा मानना है कि राजनैतिक व्यवस्था कि दुरुस्ती चीन के लिये अनिवार्य है यदि उसे विकास करते रहना है। और ये राजनैतिक बदलाव अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं, आर्थिक विकास के फ़ायदे को बराबर सबमें बाँटने के लिये। मैं नहीं जानता कि ऐसा होगा या नहीं, मगर मैं आशावादी हूँ। मेरी आशा है, कि पाँच साल बाद मैं, टेड ग्लोबल सेमिनार में कहूँगा कि चीन में राजनैतिक बदलाव ज़रूर आयेगा। आप का बहुत बहुत धन्यवाद। (अभिवादन । तालियों की गडगडाहट) मूलतः, वहाँ एक बड़ी जनसांख्यिकीय घटना घट रही है और यह हो सकता है की ५० प्रतिशत शहरी बिंदु के पार होना एक आर्थिक बिंदु का छोर हो सकता है. तो अब दुनिया संपर्क का नक्शा है. पहले पैरिस और लन्दन और न्यू योर्क दुनिया के सबसे बड़े शहर हुआ करते थे अब हम पश्चिम के चढाव का अंत देख रहे हैं. यह ख़तम हो चुका है कुल संख्या काफी भारी है तो असल में हो क्या रहा है ? असल में , दुनिया के गाँव खाली हो रहे है सवाल है क्यूँ ? और कडवा सच यह है -- की शहर की हवा आपको आज़ाद करती है , ऐसा पुनर्जागरण काल के जर्मनी में कहा गया था .तो कुछ लोग जाते हैं तो कुछ लोग जाते हैं शंघाई , पर ज़्यादातर जाते हैं बस्तियों में जो सौंदर्यवाद में विश्वास रखती हैं और यह सच्चाई में ऐसे लोग नहीं है जो बहुत गरीब हैं यह वो लोग हैं जो गरीबी से जल्दी से जल्दी बाहर निकल रहे है वे प्रमुख बिल्डरों रहे हैं एक बड़ी हद तक, प्रमुक्ख डिज़ाइनर भी वे घर में बनी बुनियादी सुविधाओं के साथ एक जीवंत शहरी जीवन जी रहे है भारत में सकल घरेलू उत्पाद का छठा भाग मुंबई से आ रहा है वे लगातार, उन्नयन कर रहे हैं और कुछ मामलों में, सरकारी मदद मिलती है. शिक्षा एक मुख्या घटना है जो शहरों में भी हो सकती है मुंबई की सड़कों में क्या हो रहा है ? अल गोर जानते हैं. यह मूलत: सब कुछ है बस्तियों में कोई बेरोज़गारी नहीं है. हर कोई काम करता है मानवता का छठा भाग वहां है. जल्दी ही यह इससे बभी ज्यादा होगा तो यह मेरी पहली अंतिम पंक्ति है शहरों ने आबादी के बम को फुस्स कर दिया है और यह मेरी दूसरी अंतिम पंक्ति है . की शहर से खबर यह है .यहाँ यह परिप्रेक्ष्य में है. करोड़ों सालों से ऊपर आसमान में तारे चमक रहे हैं अब चमकने की बारी हमारी है धन्यवाद तो मैं आपको बस अपनी कहानी सुनाने आयी हूँ। मेरा काफ़ी समय जाता है व्यस्कों को ये सिखाने में कि कैसे वो चिन्हों की भाषा और उल्टी-सीधी चित्रकारी का ऑफ़िसों में प्रयोग करें। और ज़ाहिर है, मुझे बहुत विरोध झेलना पडता है, क्योंकि इसे गैर-बुद्धिजीवी और बेवकूफ़ाना माना जाता है और गंभीर-शिक्षा का दुश्मन भी। मगर मैं इस मान्यता के ख़िलाफ़ हूँ, क्योंकि मुझे पता है कि उल्टी-सीधी चित्रकारी का गहरा रिश्ता है हमारे जानकारी को समझने के तरीकों से और हमारे समस्या के समाधान ढूँढने के तरीकों से। तो मुझे बडी जिज्ञासा थी कि क्यों ये विरोधाभास है समाज के इस तरह की चित्रकारी के प्रति रवैये और इस तरह की चित्रकारी के असली महत्व में। लिहाज़ा, मुझे कई सारी मज़ेदार बातें पता चलीं। मिसाल के लिये, डूडल (चील-बिलउये या बेकार की चित्रकारी के लिये आगे यही शब्द उपयोग होगा) को कभी सकारात्मक परिभाषा दी ही नहीं गयी। सत्रहवीं शताब्दी में, डूडल शब्द का अर्थ था कोई बेवकूफ़ या निम्न व्यक्ति -- जैसे कि यैन्की डूडल। अट्ठारहवीं सदी में, ये एक क्रिया के रूप में प्रयोग होने लगा, और उसका मतलब था किसी की खिल्ली उडाना। उन्नीसवीं शताब्दी में इस शब्द का अर्थ था कोई भ्रष्ट राजनीतिज्ञ। और आज के दौर में, शायद जो इस शब्द की सबसे नकारात्मक परिभाषा हो सकती है, कम से कम मेरे लिये, जो कि इस प्रकार है: डूडल करने का अर्थ है समय गँवाना, आलस करना, उच्छंख्ल होना, बेकार के चिन्ह बनाना, और ऐसा काम जिसका कोई उपयोग, महत्व, या आवश्यकता नहीं है, और -- सबसे बढिया अर्थ -- कुछ भी नहीं करना। कोई आश्चर्य नहीं है कि लोग कामकाज के दौरान डूडल करने से कतराते हैं। कुछ भी नहीं करना को ऑफ़िस में बैठ कर हस्तमैथुन करने के समान है; बिलकुल ही गलत, ग़ैर-ज़िम्मेदाराना। (हँसी) साथ ही, मैने कुछ और भयावह कहानियाँ सुनी हैं उन लोगों से जिनके शिक्षकों ने उन्हें कक्षा में डूडल करने के लिये फ़टकारा है। और जिनके ऐसे बॉस लोग हैं जो उन्हें मीटिंग-रूम में डूडल करने के लिये डाँटते हैं। कोई सांस्कृतिक मुहिम ज़ारी हो गयी है डूडलों के खिलाफ़, उन स्थितियों में जहाँ हमसे कुछ सीखने की अपेक्षा की जाती है। और दुर्भाग्यवश, प्रेस भी इसी मान्यता को बढावा देती है जब वो डूडल के बारे में समाचार देती है -- कि कोई वी.आई.पी. किसी ख़ास बहस में -- वो अक्सर ऐसे शब्द इस्तेमाल करते हैं जैसे "पाये गये" या "पकडे गये" या "खोज निकाले गये," जैसे कोई संगीन ज़ुर्म करते पकडे गये हों। सोने पे सुहागा, मनोविज्ञानी भी डूडलों से बैर रखते हैं -- फ़्रायड जी, धन्यवाद। १९३० के दशक में, फ़्रायड जी ने हमें सिखा दिया कि आप लोगों की मानसिकता समझ सकते हैं उनकी उल्टी सीधी चित्रकारी को देख कर। ये सटीक नहीं है, मगर टोनी ब्लेयर के साथ ऐसा ही हुआ था २००५ के डेवोस फ़ोरम में, जब उनके डूडल, संगीन ज़ुर्म की तरह, "पकड लिये गये थे" और उन पर ये संज्ञायें थोप दी गयी थीं। और अब पता लगा है कि ये तो बिल गेट्स की चित्रकारी थी। (हँसी) और बिल भाई, अगर आप यहाँ हैं, हम नहीं मानते कि आप दंभ से भरे हैं। लेकिन ये सब बातें लोगों को अपने डूडल सार्वजनिक करने से रोकती हैं। और अब मुद्दे की बात। मेरा दृढ विश्वास क्या है -- मै मानती हूँ कि हमारी संस्कृति शाब्दिक जानकारी से इतनी प्रभावित है कि हम डूडलों के महत्व के प्रति अँधे हो गये हैं। और मुझे ये बात नागवार गुज़रती है। और ऐसा इसलिये कि इस मान्यता का खात्मा ज़रूरी है, मै यहाँ आपके सामने सच प्रस्तुत करने आयी हूँ। और सच ये है कि: डूडल/ चील-बिलउआ/ उल्टी-सीधी चित्रकारी एक शक्तिशाली माध्यम है, और ऐसा माध्यम जिसे याद रखना और फिर-फिर सीखना अनिवार्य है। तो डूडलों की नयी परिभाषा है: और मेरी आशा है ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी से कोई यहाँ हो, क्योंकि मैं आपसे ज़रूर बात करना चाहूँगी। ये है असली परिभाषा: डूडल करना वास्तव में ऐसे सहज चिन्ह बनाना है जो आपको सोचने में मदद करें। इसलिये दसियों लाख लोग ऐसा करते हैं। और डूडल के बारे में एक और रोचक सत्य ये है कि: जो लोग शब्दों में निहित जानकारी देखते समय डूडल करते हैं, वो उसका ज्यादा बडा हिस्सा याद रख पाते हैं, अपने डूडल-हीन साथियों की तुलना में। ऐसा माना जाता है कि डूडल करने वाले का ध्यान भंग हो चुका है, मगर असलियत ये है कि डूडल बनाने से आपका ध्यान बँटने से बचा रहेगा। साथ ही, इस का गहरा असर पडता है समस्याओं के रचनात्मक निदान में और गहरी जानकारी को समझने में। सीखने वाला चार प्रकार से जानकारी को समझता है, जिससे कि वो उस पर आधारित फ़ैसला ले। ये हैं दृष्य, श्रव्य, पढना-लिखना, और गति-सौंदर्य-बोध। देखिये यदि सच में जानकारी को पचाना और उसका कुछ उपयोग करना है, तो हमें कम से कम इन में दो ज़रियों का इस्तेमाल करना होगा, या फ़िर कम से कम एक ज़रिये के साथ एक भावनात्मक अनुभव का । डूडल का अद्वितीय योगदान ये है कि वो चारों की चारों विधाओं का एक साथ इस्तेमाल करवाता है, साथ ही भावनात्मक अनुभव की संभावना भी रखता है। ये बहुत तगडा योगदान है ऐसे व्यवहार का जिसे 'कुछ नहीं करना' माना जाता रहा हो। ये थोडी किताबी कीडे जैसी बात होगी, मगर जब मुझे इसका पता चला तो मेरे आँसू छलक आये। तो कुछ लोगों ने मानवीय शोध किये कि कैसे बच्चों में कलात्मक गतिविधियों का विकास होता है, और उन्हें पता चला, कि अलग अलग जगहों और समयों में, सारे बच्चे दृश्य के प्रति अपने तर्क का एक सा विकास प्रदर्शित करते हैं, जैसे जैसे वो बडे होते हैं। दूसरे शब्दों मे, उनके पास एक साझी और बढती जटिलता होती है दृश्य भाषा की जो कि एक खास क्रम में आती है। और मुझे लगता है कि ये बहुत ही ज़बर्दस्त बात है। मेरा मानना है कि डूडल बनाना हमारा प्राकृतिक व्यवहार है और हम अपनी इस सुलभ चेष्ठा से स्वयं को वंचित कर रहे हैं। और आखिर में, बहुत लोगों को ये नहीं पता होगा, मगर डूडल पहला कदम रहा है हमारी संस्कृति की कुछ महानतम उपलब्धियों का। मैं सिर्फ़ एक ही उदाहरण देती हूँ: ये महान शिल्पकार फ़्रैंक गेरी द्वारा अबु धाबी में बनाये गये गगेनहेम बिल्डिंग का पहला स्केच है। तो मैं यह कहना चाहती हूँ: किसी भी स्थिति में चील-बुलउआ-कारी पर रोक नहीं होनी चाहिये कक्षाओं में, या कि मीटिंग-रूम में, और युद्ध-कक्षों में भी। इसके विपरीत, डूडल की कला का फ़ायदा उठाना चाहिये इन स्थितियों में जहाँ जानकारी प्रचुर मात्रा और घनत्व में होती है, और उसको समझना निहायत ही महत्वपूर्ण। और मैं तो एक कदम और आगे जाऊँगी। क्योंकि डूडल बना पाना सबके लिये इतना आसान है, और ये उस तरह से नर्वस नहीं करता जैसे अन्य स्थापित कला-विधायें, हम इसे ऐसे मंच के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, जहाँ लोगों को दृष्टि-साक्षरता के ऊँचे आयामों तक पहुँचा जा सके। मेरे मित्रों, डूडल असल में कभी भी बुद्धि, विचार और बुद्धिजीवियों का दुश्मन नहीं रहा है। सच्चाई ये है, कि ये हमारे सबसे घनिष्ठ मित्रों में से एक रहा है। धन्यवाद। (तालियों सहित अभिवादन) 13 जून 2014 एक नियमित शुक्रवार के रूप में दिन की शुरुआत हुई. लाइबेरिया की राजधानी, मोनरोविआ में स्थि.त रिडेम्पशन अस्पताल में रिडेम्पशन अस्पताल शहर का सबसे बड़ा मुफ्त सरकारी अस्पताल है,. हमें लाखो लोगो को सेवा देने के लिए बुलाया गया था., सबसे अच्छे वक़्त में भी हमारे संसाधनों में कमी आजाया करती थी. महीनो की समार्गी हप्ताभर चालती. पीड़ित बग़ैर पलंग के कुर्सियों पै ही बेठते थे. उन गर्मियों में, हमारे पास एक नर्स थी जो काफी दिनों से बीमार थी. इतनी बीमार की उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. हमारा कोई उपचार उसके काम आता नहीं दिख रहा था. उसके रोग के लक्षण बड़ते जा रहे थे दस्त, गंभीर पेट दर्द, बुखार और कमजोरी उस शुक्रवार को, उसने गंभीर श्वसन संकट महसूस किया. और उसकी आंखे बुरी तरह लाल हो गयी थी मेरे साथी डॉक्टरों में से एक, और एक सामान्य सर्जन, उसकी इस हालत से संदिग्ध हो गए थे उसने कहा की इसपे इबोला के लक्षण नज़र आ रहे है | हमने उसपे कड़ी निगाह रखनी शुरू कर दी, हम उसकी मदद करना चाहते थे हम उसका मलेरिया, टायफ़ायड और जठरांत्रकोप का इलाज कर रहे थे हम ये नहीं जानते थे, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी अगली सुबह मैं अपने मरीजों को देखने निकला मैं उसकी आँखों में देखकर ये कह सकता था की वो डर से भरी हुई थी. मैंने उसे आश्वासन दिया, लेकिन कुछ देर के बाद ही वो इबोला से मर गयी. मेरे लिए , उसकी मोत काफी व्यक्तिगत थी. लेकिन ये तो सिर्फ अभी शुरुआत थी. एक आभासी जैविक बम का विस्फोट हो चूका था. शब्द की गती विषाणू गति से ज़्यादा होती है पुरा अस्पताल आतंक का माहोल बन गया. सारे मरीज़ दूर भाग गये थे. फिर, सारी नर्से और डॉक्टर दूर भागे ये हमारी चिकित्सीय तूफान की शुरुआत थी. विनाशकारी इबोला वाईरस ये हमारे देश के इतिहास में न मिटने वाला निशान छोड़ गया. मै इसके लिए प्रशिक्षित नहीं था। मैंने मेडिकल स्कूल से दो साल पहले ही स्नातक किया था. उस समय में, ईबोला के बारे में मेरा कुल ज्ञान एक पृष्ठ आलेख से आया जो मैंने मेडिकल स्कूल में पढ़ा था मैंने इस रोग को बहुत खतरनाक माना, उस एक पृष्ठ के सार ने मुझे आश्वस्त किया था अस्पताल से बाहर भागने के लिए, जब मैंने इबोला के रोगी के बारे में सुना लेकिन जब आखिरकार ये हो चूका, तो मैंने वहा रुककर मदद करने का फेसला किया. और इस तरह कई अन्य बहादुर स्वास्थ्य सेवा देने वाले अनुभवी भी रुके लेकिन हमें एक भरी कीमत चुकानी थी कई व्येक्ती और चिकित्सक उच्च जोखिम संपर्क में आ चुके थे यह वास्तव में संभावित रोग या मौत के लिए 21 दिनों की गिनती थी. हमारे स्वास्थ्य प्रणालिया नाजुक थी. स्वास्थ्य कर्मचारी कुशल व प्रशिक्षित नही थे. इसलिए आने वाले सप्ताह और महीनों में, स्वास्थ्य कर्मचारी अनुपातहीन रूप से इबोला वायरस के रोग से प्रभावित हो रहे थे 400 से अधिक नर्से, डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य पेशेवर संक्रमित हो गए थे दुर्भाग्य से, मेरा दोस्त, एक सामान्य सर्जन जो पहली बार में ही सही लक्षण पहचान लिया करता था पीडितो में से एक बन चूका था 27 जुलाई को, लाइबेरिया के राष्ट्र-पति ने सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्रो में संगरोध लगा दिया उन्होंने सभी विद्यालयों और विश्वविद्यालयों को बंद किया और कई सार्वजनिक कार्यकर्मो को भी चार दिनों बाद संयुक्त राज्य शांति दल ने इबोला की वजह से लाइबेरिया को सिएरा लियॉनइन और गिनी से बाहर खींच लिया अगस्त में, नर्स के मरने के छ: सप्ताह बाद बीमारी की वजह से हर सप्ताह सेकड़ो लोग मर रहे थे लोग रास्तो पै मर रहे थे इसके बाद के महीनो में पश्चिमी अफ्रीका से अपने लाखो लोगो को इबोला की वजह से खो दिया अगस्त में, मैं एक टीम में शामिल हुआ इबोला उपचार यूनिट स्थापित करने के लिए JFK अस्पताल मोनरोविआ में मुझे शेहर में चल रही दूसरी इबोला उपचार यूनिट का प्रभारी बनाया गया था हमारी यूनिट ने लाखो पीडितो, परिवारों और समुदायों को उम्मीद दिलाई मेने सिर्फ देखभाल ही प्रदान नहीं की बल्कि इबोला का सामना किया हर दिन इबोला वायरस रोग संपर्क के जोखिम में रहते थे प्रकोप के सबसे खराब दौरान वो मेरा सबसे ख़राब अनुभव था मैंने हर दिन 21 दिनों की गिनती करनी शुरू कर दी। मैं हर क्षण लक्षणों की शुरुआत से डरा रहता था मैंने अपने शरीर का तापमान कई बार मापा क्लोरिन युक्त पानी से नहाया करता अनुशंसित से ज़्यादा अपने पै केंद्रीत रहता मैंने अपने फोन, पतलून, हाथ और काल सब क्लोरिन में करली थी मेरे कपड़े फीके पड़ने लगे थे उन दिनों तुम अकेले रहते हो लोग एक दुसरे को छूने से भी बहुत डरते हे हर एक को बीमार समझा जाने लगा था जैसे छूना उन्हें बीमार कर देगा मैं एक कलंकित हो गया था लेकिन उसका क्या जो लक्षण मुक्त था कल्पना कीजिये ये लक्षण युक्त के लिए क्या रहा होगा जो इबोला से ग्रस्त था हमें इबोला का सही से उपहार करना सिखाया गया था हमें समाज के कुछ सामान्य नियमो को निलंबित करना पड़ा अगस्त में हमारे राष्ट्रियपति ने आपातकाल की घोषणा कर दी थी और कुछ अधिकारों को निलंबित कर दिया उर राष्ट्रीय पुलिस इबोला प्रतिक्रिया के दोरान ने भी हमारे काम का समर्थन किया फरवरी 2015 में, गैंग के सदस्ये हमारे पास अलगाव के लिए आये हमारी इबोला आइसोलेशन यूनिट में उन्हें मोन्रोविया के वीआईपी लड़कों के रूप में भी जाना जाता था भयंकर और नशीली दवाओं के आदी जिनकी उपस्थिति से भी वहा भय हो गया था हालांकि उह्नोने कानूनी तोर पर बंदूके नहीं ले रखी थी २१ दिनों टक उन्हें बिना गिरफ्तार किये हमारी यूनिट में संगरोध रखा गया हमने पुलिस को खबर करदी थी "अगर आप उन्हें यहाँ गिरफ्तार करते है, वे फिर नहीं आयेंगे, इलाज भी नहीं करा पायेंगे और इबोला वायरस ऐसे ही फेलता रहेंगा " पुलिस ने हमारी बात मानली, हमने फिर उनका इलाज करना जारी रखा और अब उन्हें यूनिट में गिरफ्तार होने का डर भी नहीं था प्रकोप के दौरान, पश्चिम अफ्रीका में करीब 29,000 मामले थे 11,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी और इसमें मेरे 12 अच्छे सहयोगियों भी थे जो मोन्रोविया में जॉन एफ कैनेडी अस्पताल में मरे जून 2016 में, पहले ईबोला रोगी की मृत्यु के 23 माह बाद लाइबेरिया ने अपनी ईबोला प्रकोप समाप्त होने की घोषणा की। हमने सोचा कि एक बार प्रकोप खत्म हो गया, तो समस्याएं भी हुईं हम आशा करते थे कि जीवन वापस सामान्य होगा आज, पश्चिम अफ्रीका में 17,000 से अधिक उत्तरजीवी है लोग वास्तव में इबोला वायरस से ग्रस्त थे वो इसके माध्यम रहते और जी रहे हे haमने जीवित रहने की डर को एक सफलता के रूप में गिना रोगी के लिए पीड़ा का अंत और परिवारों की खुशी यूनिट से एक की छुट्टी भी ख़ुशी का पल होती म से कम हम तो यही सोचते थे सबसे अच्छा वर्णन छुट्टी का पल और क्षण में एक दुर्लभ झलक जो ईबोला के बाद हमारा जीवन परिभाषित करता मेरे मित्र के शब्दों में स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया था और साथी चिकित्सक, फिलिप आयरलैंड, "द टाइम्स" के साथ एक साक्षात्कार में। उन्होंने अपनी रिहाई के समय कहा, " जेएफके अस्पताल से आये वहाँ बहुत सारे लोग थे मेरा परिवार, मेरा बड़ा भाई, मेरी पत्नी वहां थी कई अन्य डॉक्टर वहां थे, और मीडिया के सदस्य भी वहां मौजूद थे। और मैं नेल्सन मंडेला की तरह 'लांग वॉक टू फ़्रीडम' की तरह महसूस कर रहा था उर मैं चला और अपने हाथो को स्वर्ग की तरफ उठाये मेरे जीवन को बचाने के लिए भगवान का शुक्र किया । और फिलिप्पुस ने कहा, "फिर मैंने कुछ और देखा। बहुत लोग रो रहे थे, लोग मुझे देखकर खुश थे लेकिन जब मैं किसी के पास जाता, वे पीछे हट जाता । " कई ईबोला से बचे लोगों के लिए, समाज समर्थन करता नहीं दिख रहा था जैसे ही वे संघर्ष करते सामान्य जीवन के नेतृत्व का इन बचे लोगों के लिए, जीवन की स्वस्थ आपात स्थिति से तुलना की जा सकती थी वे जोड़ और शरीर दर्द से कमज़ोर पड़ सकते है पीड़ा धीरे धीरे अधिक समय के लिए ख़त्म हो जाएगी हालांकि, कितने अनिरंतर दर्द सहना जारी रखेंगे कुछ जीवित लोग अंधा हैं, दूसरों में स्नायविक विकलांगताएं हैं कुछ जीवित लोगों को कलंकवाद का अनुभव है हर दिन, कई मायनों में बहुत सारे बच्चे अनाथ हैं च जीवित लोग अभिघातज के बाद का तनाव विकार का अनुभव कर रहे है और कुछ बचे लोगो के लिए शिक्षा के अवसर कम है यहां तक ​​कि ईबोला के भय से कितने परिवारो का विभाजन हो गया सेक्स के जरिए इबोला वायरस प्रेषित करने के लिए कोई निश्चित इलाज नहीं है हालांकि, सफल हस्तक्षेप रहा है रोकथाम के लिए हमने वीर्य परीक्षण पर कड़ी मेहनत की है, व्यवहार परामर्श, सुरक्षित सेक्स संवर्धन और अनुसंधान पिछले साल से, योन संचरण का कोई मामला नहीं है लेकिन कुछ बचे लोगो ने अपनी पत्नियों को खो दिया है डर की वजह से वे ईबोला से संक्रमित होंगे इसी तरह परिवार टूट जाते है एक और जबरदस्त चुनौती ईबोला से बचे लोगो के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करना है लिखित में, लाइबेरिया की जन स्वास्थ्य सेवाए मुफ्त है वास्तव में, हमारा स्वास्थ्य व्यवस्था धन और हर जगह स्वास्थ्य व्यवस्था न होने से झूझ रही है कितने ही पीड़ित लोग महीनो भर इंतज़ार करते है अपने मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए कुछ काफी दर्द भरा अनुभव भी किया जब प्रवेश हेतु उनके खून का प्रशिक्षण किया गया कुछ लोगो को देर से भर्ती का अनुभव भी रहा सीमित बिस्तर क्षमता के कारण एक और रोगी के लिए कोई बिस्तर उपलब्ध नहीं है यह न तो राष्ट्रीय नीति है और न ही आधिकारिक तौर पर माफ़ किया गया, लेकिन बहुत से लोग अभी भी डरते हैं ईबोला वायरस के छिटपुट पुनरुत्थान से परिणाम दुखद हो सकते हैं मैंने कई बार बीट्राइस, एक इबोला पीड़ित देखी वह 26 साल की थी उसके परिवार के कई सदस्य संक्रमित हो गए थे, वह सौभाग्य से बच गईं। लेकिन 2014 में उस दिन के बाद से उसे छुट्टी दे दी गई थी स्वास्थ्य कर्मियों की ख़ुशी हेतु उसका जीवन कभी भी ऐसा नहीं था वह इबोला के परिणामस्वरूप अंधा हो गई 2014 में, मेरे एक प्रिय मित्र का बच्चा केवल दो महीने का था, जब दोनों माता-पिता और बच्चा भर्ती कराये गए मोनरोविआ के एक इबोला सेंटर में सौभाग्य से, वे बच गए मेरे दोस्त का बच्चा अब लगभग तील साल का हो गया है लेकिन खड़ा नहीं हो सकता, चल नहीं सकता, बोल नहीं सकता वह पनपा नहीं कई छिपे हुए अनुभव हैं और कई कहानियां अभी तक अनकही हैं इबोला से बचे लोग हमारे ध्यान और मदद के हकदार है एकमात्र तरीका से हम इस महामारी को हरा सकते हैं जब हम सुनिक्षित करे की हम ये आखरी जंग भी जीत गए है हमारा सर्वोत्तम अवसर यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक उत्तरजीवी जरूरत के मुताबिक पर्याप्त सेवा ले सके किसी भी प्रकार के कलंक और और व्यक्तिगत रूप से बगेर कीमत के एक समाज स्वयं को अच्छा कैसे कर सकता है जब एक व्यक्ति की पूरी पहचान इस तथ्य से परिभाषित कि गयी हो कि वे ईबोला से बच गया है? एक पिछली बीमारी जो अब उसका हिस्सा नहीं है क्या उसकी पहचान उससे होनी चाहिए उनके पासपोर्ट में चिन्ह जो आपको विदेश में चिकित्सक देखभाल के लिए यात्रा से रोकता है साधारण पहचान जो स्वास्थ्य सेवा से रोक दे या आपको अपने पति या पत्नी के साथ रिश्ते बनाने से रोक दे या आपको अपने परिवार या दोस्त से घर जाने से रोक दे या आपको साधारण नोकरी करने से रोकदे तो आपक खाना या परिवार के लिए छत बना सके जीवन के अधिकार का क्या अर्थ है? जब हमारा जीवन कलंक और बाधाओ से घिरा हो जब तक हमारे पास बेहतर जवाब नहीं है पश्चिम अफ्रीका के उन सवालों का, हमारा काम अभी नहीं ख़त्म होता है लाइबेरियाई लचनशील लोग हैं हम जानते हे केसे एक चुनोती को उठाया जाता हे, खरतनाक चुनोती को प्रकोप की मेरी सबसे अच्छी यादें उन बहुत से लोगों पर केंद्रीत रहना जो बीमारी से बच गए, लेकिन मैं नर्स, डॉक्टर, स्वयंसेवकों और स्टाफ की कड़ी मेहनत को नहीं भूल सकता जो अपनी सुरक्षा को खतरे में डालते थे मानवता की सेवा में और कुछ ने अपनी जान गवा दी सबसे बुरा संवेदना के दौरान, एक चीज़ ने हमें उन खतरनाक चीज़ों को बनाते हुए रखा ईबोला वार्डों में दैनिक यात्राएं हमें जीवन बचने का जूनून था क्या मुझे ईबोला प्रकोप के दौरान डर था? बिलकुल था लेकिन मेरे लिए, अवसर था वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा की रक्षा का और समुदायों को घर और विदेश में सुरक्षित रखना एक सम्मान था इसलिए खतरे अधिक होते गए, हमारी मानवता और मजबूत होती गई हमने अपने डर का सामना किया वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय से साथ काम किया इबोला को हराने का और वह ... जैसे मैं जनता हूँ कि हम उसके परिणाम को हरा सकते हैं हमारे दिलों में, हमारे मन में और हमारे समुदायों में धन्यवाद। (तालियां) मैं एक श्वेत, धर्मनिरपेक्ष और मध्यमवर्गीय परिवार में बड़ा हुआ। यह 1950 के दशक का अमेरिका था। इसका मतलब था चार जुलाई को आतिशबाजी देखना हैलोवीन पर अजीब कपड़े पहनना और क्रिसमस पर पेड़ के नीचे उपहार रखना। पर जब तक मुझे ये परम्परायें समझ आतीं, ये खोखली और कमाई का ज़रिया बन चुकी थीं, जिसने मुझे खालीपन का अहसास करवाया। तो बहुत कम उम्र से ही, मैं अपने अस्तित्व के रिक्त स्थान को भरने का तरीका खोजने लगा, ताकि कुछ ऐसे से जुड़ सकूँ जो मुझसे बड़ा हो। एक सदी तक मेरे परिवार में एक भी यहूदी नहीं था, तो मैंने सोचा क्यों न मैं ही बनकर देखूँ-- (हँसने की आवाज़) बस बरबाद होने के लिये मेरी एक रब्बी से भेंट हुई, लंबे, ईश्वरीय आकृति के साथ लहराते सफ़ेद बाल जिसने मुझसे मेरा उपनाम पूछा ताकि हम एक फॉर्म भर सकें। हाँ, यही हुआ था। (हँसने की आवाज़) मुझे फाउंटेन पेन मिल गया, पर मुझे संबद्धता का बोध और आत्मविश्वास नहीं मिला जिसे मैं खोज रहा था। कई सालों बाद, मैं यह बात सहन नहीं सकता था कि मेरा बेटा 13 साल का हो जाये वह भी बिना किसी तरह की रीत के। तो मुझे उसके 13 वें जन्मदिन पर उसे ट्रिप पर ले जाने का विचार आया, मैंने मर्फी के सामने ऐसी किसी जगह चलने की पेशकश की जो उसके लिये मायने रखती हो। वह उभरता प्रकृतिवादी कछुवे से प्यार करता है, उसने तुरंत गैलापागोस का नाम लिया। और जब मेरी बेटी, केटी, 13 साल की हुई, मैंने और उसने दो सप्ताह ग्रैंड कैन्यन की घाटी में बिताया, जहाँ केटी ने पहली बार सीखा कि वह शक्तिशाली और बहादुर है। उसके बाद, मेरी साथी एश्टन और हमारे बहुत से दोस्त और रिश्तेदार अपने बच्चों को उनके 13वें जन्मदिन पर ट्रिप पर ले गये, सभी ने इसे रूपांतरण करने वाला पाया बच्चों और माता-पिता दोनों के लिये। पहले मैं भगवान का नाम नहीं लेता था। पर पिछले 20 सालों से, हम हर बार खाने से पहले हाथ थामते हैं। यह एक सुन्दर साझा मौन होता है जो हम सभी को उस पल से जोड़ता है। एश्टन सबसे "हल्के से हाथ दबाने" को कहती है, वह भरोसा दिलाती है कि यह धर्म से संबंधित नहीं है। (हँसने की आवाज़) हाल ही में, जब मेरे परिवार ने मुझसे कहा कि मैं 250 से ज़्यादा डिब्बों में भरे सामान का कुछ करूँ जिन्हें मैंने इतने सालों में इकट्ठा किया, तो मेरी परंपरा बनाने की इच्छा जाग उठी। मैंने सोचा क्यों न आख़िरी सफ़ाई से कुछ ज़्यादा किया जाये। "आख़िरी सफ़ाई" स्वीडिश शब्द है जिसमें मरने से पहले, अपना कमरा, कोठरी और अटारी साफ़ की जाती है, ताकि बाद में बच्चों को न करना पड़े। (हँसी की आवाज़) मेरी आँखों के सामने तस्वीर उभर आई कि मेरे बच्चे डिब्बे खोल रहे हैं और सोच में पड़े हैं। (हँसी की आवाज़) तभी उनके हाथ एक ख़ास तस्वीर लगती है जिसमें मैं एक खूबसूरत महिला के साथ हूँ, और कहा,"डैड के साथ कौन है?" (हँसी की आवाज़) वह एक "अहा!" पल था। जिन चीजों को मैंने संभालकर रखा था वह महत्त्वपूर्ण नहीं थीं; बल्कि उनसे जुड़ी कहानियों ने उन्हें अर्थ दिया था। कहानी के लिये चीजों का इस्तेमाल करना एक नयी परिपाटी की शुरुआत बन सकता है, एक परंपरा--13 साल के बच्चे के लिये नहीं, बल्कि भावी पीढ़ी के लिये? तो मैंने प्रयोग करना शुरू किया। मैंने बॉक्स से कुछ चीजें निकालीं, उन्हें कमरे में रख दिया, और लोगों को कमरे के भीतर आने को कहा उनसे पूछा कि कुछ दिलचस्प लगा। नतीजा बड़ा मज़ेदार रहा। एक अच्छी कहानी कहीं गहरी चर्चा का कारण बन गयी, जिसमें मेरे मेहमानों ने अपनी ज़िन्दगी से जुड़ाव महसूस किया। डेरिअस ने पेल्टिअर टी शर्ट के बारे में पूछा जिसे मैं 80 के दशक में बहुत पहनता था, जो कि, अफ़सोस है, आज भी प्रासंगिक है। हमारी बातचीत तेज़ी से आगे बढ़ी, अमेरिकी जेलों में बंद राजनीतिक बंदियों से लेकर, डेरिअस के परिवार का 60 के दशक के अश्वेत स्वतंत्रता आन्दोलन जुड़ा होना, और ज़िंदगी कितनी अलग होती अगर वह तब पैदा होता न कि 30 साल बाद। हमारी चर्चा के अंत में, डेरिअस ने मुझसे पूछा कि क्या वह टी-शर्ट अपने पास रख सकता है। उसे टी-शर्ट देने में मुझे कोई परेशानी नहीं थी। ये चर्चायें सामान्य मंच तैयार करती हैं, ख़ासतौर पर पीढ़ियों के बीच, मैंने महसूस किया कि मैं एक जगह तैयार कर रहा हूँ जहाँ लोग उन चीजों की बात करें जो उनके लिये मायने रखती हों। मेरे उद्देश्य का नवीनीकरण हुआ-- दुनिया से विदा होते बूढ़े की तरह नहीं, बल्कि ऐसे इंसान की तरह जिसका योगदान प्रगति में है। जब मैं बड़ा हो रहा था, लोगों की ज़िंदगी 70 तक ख़त्म हो जाती थी। अब लोग कहीं ज़्यादा जीते हैं, और मानव इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब चार पीढ़ियाँ साथ हैं। मैं 71 साल का हूँ, और किस्मत से अपने वक़्त से 20 या 30 साल आगे हूँ। अपनी चीजों को देना और उन्हें अपने दोस्तों, परिवार और यहाँ तक कि अनजान लोगों से बाँटना अगले पड़ाव पर जाने का सही तरीका लगता है। बिल्कुल वही जो मैं चाह रहा था: एक रीति जो मरने से ज़्यादा दरवाज़ा खोलना है जो भी आगे आने वाला है। शुक्रिया। (तालियों की आवाज़) आगे बढ़ना! (तालियों की आवाज़) सभ्यता का इतिहास, कुछ मायनों में, नक्शे का इतिहास है: हम अपने आसपास की दुनिया कैसे समझते हैं? सबसे मशहूर मानचित्रों में से एक काम करता है क्योंकि यह वास्तव में एक नक्शा नहीं है। [छोटी चीज़ें। बड़ा विचार।] [माइकल बेइरूट लंदन ट्यूब मानचित्र पर] द लंदन अंडरग्राउंड 1908 में बना, जब आठ अलग स्वतंत्र रेलवे का विलय हुआ एक प्रणाली बनाने के लिए। उन्हें उस प्रणाली केलिए एक मानचित्र की आवश्यकता थी तो लोगों को पता चलेगा कि सवारी कहाँ करें। उन्होंने जो नक्शा बनाया वह जटिल है। आप नदियों को देख सकते हैं, पानी, पेड़ और पार्क के निकायों - सभी स्टेशन मानचित्र के केंद्र में ठूंसे थे और कुछ परिधि में बाहर थे, जो नक्शे पर भी फिट नहीं हो पा रहे थे। तो नक्शा भौगोलिक दृष्टि से सटीक था, लेकिन शायद इतना उपयोगी नहीं है। हैरी बेक आए। हैरी बेक 29 वर्षीय इंजीनियरिंग ड्राफ्ट्समैन थे जो लंदन भूमिगत के लिए कभी-कभी काम कर रहे थे। और उसके पास एक महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि थी, और वह था कि लोग ट्रेनों में भूमिगत सवारी उपरोक्त क्या हो रहा है, उसकी वास्तव में परवाह नहीं करते हैं। वे बस एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक सफर करना चाहते हैं- "मैं कहां से मिलता हूं? मैं कहां से निकलता हूं?" यह वह प्रणाली है जो महत्वपूर्ण है, भूगोल नहीं। उसने यह जटिल लिया है, स्पेगेटी की अव्यवस्था की तरह, और उसने इसे सरल बना दिया है। रेखाएं केवल तीन दिशाओं में जाती हैं: वे क्षैतिज हैं, वे लंबवत हैं, या वे 45 डिग्री हैं। इसी तरह, उन्होंने स्टेशनों को समान अन्तराल में बनाया, उसने हर स्टेशन का रंग गाड़ी के रंग के अनुरूप बनाया है, और उसने इसे ठीक कर दिया है ताकि यह वास्तव में अब एक नक्शा नहीं है। यह एक आरेख है, सर्किट्री की तरह, यहां सर्किटरी को छोड़कर इलेक्ट्रॉनों का संचालन तार नहीं है, यह ट्रेनों युक्त ट्यूब है लोगों को जगह से स्थानांतरित करना। 1933 में, अंडरग्राउंड ने आखिरकार हैरी बेक के नक्शे का प्रयोग करने का फैसला किया। अंडरग्राउंड ने इन जेब आकार मानचित्रों का टेस्ट रन एक हजार बार किया था । वे एक घंटे में चले गए थे। उन्होंने महसूस किया कि वे कुछ पर थे, उन्होंने 750,000 और अधिक मुद्रित किए, और यह वह मानचित्र है जिसे आप आज देखते हैं। बेक का डिजाइन वास्तव में टेम्पलेट बन गया जिस तरह से हम आज मेट्रो मानचित्रों के बारे में सोचते हैं। टोक्यो, पेरिस, बर्लिन, साओ पाउलो, सिडनी, वाशिंगटन, डी.सी. - वे सभी जटिल भूगोल बदलते हैं कुरकुरा ज्यामिति में। वे सभी अलग-अलग रंगों का उपयोग करते हैं लाइनों के बीच अंतर करने के लिए, वे सभी सरल प्रतीकों का उपयोग करते हैं स्टेशनों के प्रकारों के बीच अंतर करने के लिए। वे सब हिस्सा हैं, प्रतीत होता है, एक सार्वभौमिक भाषा का। मैं शर्त लगाता हूं हैरी बेक नहीं जानता था एक उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस क्या था, लेकिन यह वास्तव में वह डिजाइन किया गया है और वह वास्तव में उस चुनौती को लिया और इसे तीन सिद्धांतों में तोड़ दिया मुझे लगता है कि लागू किया जा सकता है लगभग किसी भी डिजाइन समस्या में। पहला फोकस है। इस पर फ़ोकस करें कि आप किसके लिए बना रहे हैं। दूसरा सिद्धांत सादगी है। सबसे छोटा रास्ता क्या है उस ज़रूरत को पूरा करने के लिए? अंत में, आखिरी बात यह है कि: एक पार अनुशासनिक तरीके से सोच रहा है। किसने सोचा होगा वह एक विद्युत अभियंता कुंजी पकड़ने वाला व्यक्ति होगा दुनिया में सबसे अधिक जटिल प्रणाली अनलॉक करने के लिए - सब एक आदमी द्वारा शुरू किया एक पेंसिल और एक विचार के साथ। हुडी एक अद्भुत वस्तु है। यह उन कालातीत वस्तुओं में से एक है कि हम शायद उनके बारेमं सोचते भी नहीं हैं, क्योंकि वे बहुत अच्छी तरह से काम करते हैं कि वे हमारे जीवन का अब हिस्सा हैं। हम उन्हें "विनम्र उत्कृष्ट कृति" कहते हैं। [छोटी बात।] ¶ [बड़ा विचार।] [हुडी पर विचार: पाओला एंटोनेलि] ¶ हुडी रहा है -- भले ही इसे इतना नहीं कहा गया था - पूरे इतिहास में एक आइकन रहा है, अच्छे और बुरे कारणों से। सबसे शुरुआती विलरण जिन्हें हम ढूंढ सकते हैं प्राचीन ग्रीस और प्राचीन रोम से हैं। मध्य युग में, आप बहुत सारे भिक्षु देखते हैं वे वस्त्र पहनते थे जो केप की तरह थे, हुड जुड़े हुए थे, इसलिए, "हुडीज"। 17 वीं शताब्दी में महिलाएं हुडी पहनती थीं खुद को छिपाने के लिए जब वे अपने प्रेमी से मिलने जाी थीं। और फिर, ज़ाहिर है, इससे किंवदंती व कल्पना दोनों जुड़े हैं। हुडी की छवि गंभीर रिपर से जुड़ा हुआ है। हुडी की छवि निष्पादक से जुड़ा हुआ है। तो हुडी का अंधेरा पक्ष है। हुडी का आधुनिक अवतार - एक कपड़ा जो बनाया गया है आमतौर पर कपास जर्सी के, उसमें एक हुड संलग्न है एक ड्रॉस्ट्रिंग के साथ; कभी-कभी इसमें एक मार्सूपियल जेब है - 1930 के दशक में पेश किया गया था निक्करबोकर बुनाई कंपनी द्वारा। अब इसे चैंपियन कहा जाता है। यह एथलीट को गर्म रखने के लिए था। बेशक, यह एक कार्यात्मक व आरामदायक परिधान था कि यह बहुत तेजी से अपनाया गया हर जगह कार्यकर्ताओं द्वारा। और फिर, 1980 के दशक के आसपास, यह अपनाया गया हिप-हॉप, बी-लड़कों, स्केटबोर्डर्स द्वारा और इस तरह से यह युवा सड़क संस्कृति में शामिल हुआ। यह एक ही समय में, सुपर आरामदायक था, सड़कों के लिए सही था और उसमें गुमनाम दिखने की भी कला थी, जब आपको इसकी आवश्यकता थी। और फिर मार्क जुकरबर्ग, खारिज कर देतेे हैं की यह व्यवसायियों के लिए सम्मानजनक पोशाक नहीं है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि यह दिखाने का भी एक तरीका है, कि शक्ति कैसे बदल गई है। यदि आप दो टुकड़े सूट पहने हुए हैं, आप अंगरक्षक हो सकते हैं। असली शक्तिशाली व्यक्ति भी टी-शर्ट और जींस के साथ एक हुडी पहन रहे हैं। हुडी के भौतिक पहलुओं के बारे में सोचना आसान है। आप हुड पहनने के फायदे तुरंत सोच सकते हैं, आप इससे गर्मी और सुरक्षा महसूस करते हैं, लेकिन उसी समय, आप इसके मनोवैज्ञानिक पहलुओं को भी महसूस कर सकते हैं। मेरा मतलब है, एक हुडी पहनने के बारे में सोचो, अचानक, आप अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं, आपको लगता है कि आप अपने ही खोल में हैं। हम बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि पिछले कुछ सालों में संयुक्त राज्य अमेरिका में, हुडी क्या संकेत देने लगा है। जब 17 वर्षीय ट्रेवन मार्टिन अफ्रीकी-अमेरिकी बच्चे को, एक पड़ोसी सतर्कता गुट द्वारा गोली मार दी गई थी, मिलियन हूडी मार्च हुआ पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में, जिसमें लोग हुडी हुड के साथ पहने थे और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया। ऐसा अक्सर नहीं होता है कि एक परिधान के लिए है इतनी प्रतीकात्मकता और इतिहास और हुडी तो विभिन्न अलग- अलग जगत का अंग हैै। तो, सभी उपयोगितावादी वस्त्रों की तरह, इसका डिजाइन बहुत बुनियादी है। लेकिन उसी समय, संलग्न संभावनाओं का, यह एक संपूर्ण ब्रह्मांड है। पेंसिल के उपयोग के अनुभव में, ध्वनि की भूमिका बड़ी महत्त्वपूर्ण होती है। उसकी रगड़ की आवाज़ साफ़ सुनाई देती है। (रगड़ की आवाज़) [छोटी चीज़ें। बड़े विचार।] [पेंसिल के बारे में कैरोलिन वीवर के विचार] पेंसिल एक अत्यन्त साधारण वस्तु है। यह लकड़ी से बनती है जिस पर पेंट की कुछ परतें होती हैं रबड़ लगा होता है और भीतर का भाग, ग्रेफाइट, मिट्टी और पानी से बना होता है। हाँ, सैकड़ों लोगों को सदियाँ लग गई इसे यह रूप देने में। और यह सहकार्य का लंबा इतिहास ही इसे एक उत्तम वस्तु बनाता है। पेंसिल की कहानी ग्रेफाइट से शुरू होती है। लोगों ने इस नए पदार्थ के उपयोगी अनुप्रयोगों की खोज की। उन्होंने इसे छोटी छड़ों में काट लिया और इसे धागे या भेड़ की खाल या कागज़ में लपेट दिया और इसे लंदन की गलियों में बेचा लिखने या चित्र बनाने के काम के लिये। कई बार, किसानों और चरवाहों को भी बेचा गया, जो इससे जानवरों पर निशान लगाते थे। फ्रांस में, निकोलस-जैक्स कॉन्टे ने ग्रेफाइट पीसने का तरीका खोजा, उसे चिकनी मिट्टी और पानी के साथ मिलाया। उसके बाद, इस लेई को साँचे में डाला और उसे भट्ठी में पकाया, और नतीजतन ग्रेफाइट बहुत मज़बूत बन गया जो कि टूटता नहीं था, चिकना था, इस्तेमाल में-- उस दौर में मौजूद किसी भी चीज़ से कहीं बेहतर था, और आज भी, पेंसिल बनाने में यही तरीका काम आता है। इस बीच, अमेरिका में, मैसाचुसेट्स के कॉनकॉर्ड में, हेनरी डेविड थोरो ने ग्रेडिंग स्केल बनाया पेंसिल की विभिन्न प्रकार की कठोरता के लिये। इसे एक से चार में वर्गीकृत किया, सामान्य उपयोग के लिये नंबर दो आदर्श कठोरता थी। पेंसिल जितनी नर्म होगी, उसमें ग्रेफाइट उतना अधिक होगा, और उसकी लिखायी उतनी गहरी और साफ़ होगी। पेंसिल जितनी सख्त होगी, उसमें मिट्टी उतनी ज़्यादा होगी और उसकी लिखायी उतनी ही हल्की और पतली होगी। मूलरूप से, जब पेंसिल हाथ से बनती थी, वह गोल होती थी। उन्हें बनाने का आसान तरीका नहीं था, और यह अमेरिकी ही थे जिन्होंने इस कला का मशीनीकरण किया। कई लोग जोसेफ़ डिक्सन को श्रेय देते हैं उन प्रथम अन्वेषक में से एक होने का जिन्होंने असली मशीनों का विकास किया लकड़ी की पतली पट्टी काटने, लकड़ी में छेद करने के लिये, उन पर गोंद लगाने को... और उन्होंने तरीका खोजा इसे आसान बनाने और बरबादी कम करने का। पेंसिल को षट्कोण बनाने का, जो कि उसका मानक बन गया। पेंसिल के शुरूआती दिनों से ही, लोगों को पसंद था कि इससे लिखा मिट जाता है। मूलरूप से, ब्रेड के टुकड़े पेंसिल का लिखा मिटाने के लिये लगाये जाते थे और बाद में, रबर और झांवा। रबड़ को जोड़ने का काम 1858 में हुआ, हाईमन लिपमैन ने पहली पेंसिल पेटेंट करवायी जिसमें रबड़ लगा था, जिसने पेंसिल के मायने ही बदल दिये। दुनिया की पहली पीली पेंसिल कोह-इ-नूर 1500 थी। कोह-इ-नूर ने अजीब प्रयोग किया उन्होंने पेंसिल पर पीले पेंट की 14 परतें चढ़ा दी और उसे 14-कैरट सोने में डुबो दिया। सबके लिये अलग तरह की पेंसिल थी और हर पेंसिल की अपनी कहानी है। ब्लैकविंग 602 प्रसिद्ध है क्योंकि बहुत से लेखक इसे काम में लाते हैं, ख़ासतौर पर जॉन स्टीनबेक और व्लादिमीर नबोकोव। और फिर, आपके पास डिक्सन पेंसिल कंपनी है। उन्होंने डिक्सन टिकॉन्डेरोगा दी। यह एक आइकन है, पेंसिल से यही याद आती है स्कूल से यही याद आती है। और मैं सोचती हूँ पेंसिल सचमुच एक ऐसी चीज़ है, एक औसत उपभोक्ता कभी नहीं सोचता, यह कैसी बनी या क्यों बनी जैसी वह है, क्योंकि यह हमेशा से ऐसा ही रही है। मेरे विचार से, कुछ नहीं किया जा सकता पेंसिल को इससे बेहतर बनाने के लिये। यह उत्तम है। कितने लोग अपने डेस्क पर ऊब गए हैं हर दिन कितने घंटे के लिए और सप्ताह में कितने दिन और साल में कितने सप्ताह उनके जीवन में कितने साल के लिए? [छोटी चीज़ें। बड़ा विचार।] [डैनियल ऎेंगबर्ग पर प्रगति बार] प्रगति पट्टी बस कंप्यूटर पर एक संकेतक है, डिवाइस के अंदर जो कुछ हो रहा है, उसे दर्शाने के लिए। एक क्लासिक क्षैतिज पट्टी जिसका इस्तेमाल वर्षों से किया गया है। मेरा मतलब है, यह पूर्व-कंप्यूटर संस्करणों से पहले की बात है लेजर्स पर, एक क्षैतिज पट्टी जहां लोग बाएं से दाएं भरते थे यह दिखाने के लिए कि कितना काम कारखाने में पूरा हो गया था। स्क्रीन पर यह वही बात है। 70 के दशक में कुछ हुआ जिसे कभी-कभी "सॉफ्टवेयर संकट" के रूप में संदर्भित किया जाता है अचानक, कंप्यूटर अधिक जटिल हो रहे थे बहुत ज्यादा तेज़ी से, हम इसके लिए तैयार नहीं थे, डीजाइन परिप्रेक्ष्य से। विभिन्न तरीकों से लोग प्रतिशत को संकेतक के रूप मॆं इस्तेमाल कर रहे थे । तो आपके पास एक ग्राफिकल उलटी गिनती घड़ी हो सकती है, या तारों की एक पंक्ति हो सकती है, जो बाएं से दाएं स्क्रीन पर भरता हो। लेकिन इन चीजों का एक व्यवस्थित सर्वेक्षण नहीं किया था और पता लगाने की कोशिश की: वे वास्तव में, उपयोगकर्ता का अनुभव कैसे प्रभावित करते हैं कंप्यूटर इस्तेमाल करने का? ब्रैड मायर्स नामक इस स्नातक छात्र, 1985 में, फैसला किया कि वह इसका अध्ययन करेगा। उन्होंने पाया कि वास्तव में कोई फर्क नहीं पड़ता यदि 'प्रतिशत-किया' संकेतक आपको सही प्रतिशत देता है या नहीं। ज़रूरी यह था कि वह मौजूद था। बस इसे वहाँ देखकर लोगों ने बेहतर महसूस किया, और वह सबसे आश्चर्यजनक बात थी। उनके पास ये सभी विचार थे कि वे क्या कर सकते है। शायद यह लोगों को प्रभावी ढंग से आराम करा सकता है। शायद यह लोगों को यह सम्भावना दे कि वे अपनी मशीन से उस अवधि के लिए दूर जा सकें और कुछ और कार्य करें। वे देख कर कहेंगे, "ओह, प्रगति पट्टी आधा हो गया है। इसमें पांच मिनट लग गए। तो अब इस फैक्स को भेजने के लिए, मेरे पास पांच मिनट हैं" या जो भी लोग 1985 में कर रहे थे। दोनों चीजें गलत हैं। जैसे, जब आप प्रगति पट्टी देखते हैं, यह आपके ध्यान को केन्द्रित करता है, और यह प्रतीक्षा के अनुभव को बदलता है, इस रोमांचक कथा में, जो आप अपने सामने देख रहे हैं: कि किसी भी तरह, इस बार आप निराशा में इन्तज़ार नहीं करेंगे, कंप्यूटर के कुछ करने के लिए, इसे नए रूप में पुन: संकल्पित किया गया है: "प्रगति! ओह! महान काम हो रहा है!" [प्रगति ...] लेकिन एक बार जब आप सोचना शुरू कर देते हैं प्रगति पट्टी के बारे में जो कुछ और है प्रतीक्षा के दर्द को कम करने के बारे में, तो मनोविज्ञान के साथ आपका झुकाव स्वयं हो जाएगा । तो अगर आपके पास प्रगति पट्टी है यह सिर्फ एक स्थिर दर पर चलता है - मान लें, यह वास्तव में कंप्यूटर में क्या हो रहा है - जो लोगों को महसूस होगा जैसे यह धीमा हो रहा है। हम ऊब जाते हैं। ठीक है, अब आप इसे बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं और इसे स्थानांतरित करने में आपको लगता है कि यह वास्तव में अधिक तेज़ है, इसे शुरुआत में तेज़ गति से आगे बढ़ाना, एक विस्फोट की तरह। यह रोमांचक है, लोग ऐसा महसूस करते हैं, "ओह! कुछ वास्तव में हो रहा है!" फिर आप प्रगति पट्टी की प्राकृतिक विकास को स्थानांतरित कर सकते हैं आप मान रहे हैं कि लोग ध्यान केंद्रित कर रहे हैं समय बीतने पर - वे घास को उगते हुए देखने की कोशिश कर रहे हैं, वे पानी के एक बर्तन को देखने की कोशिश कर रहे हैं,उबालने के लिए इंतजार कर रहा है, और आप बस कोशिश कर रहे हैं कम उबाऊ बनाने के लिए, बिना दर्द और कम निराशा के जैसा वह पहले था। प्रगति पट्टी कम से कम आपको देता है शुरुआत और अंत की दृष्टि, और आप एक लक्ष्य की ओर काम कर रहे हैं। मुझे कुछ तरीकों से लगता है, यह मौत के डर को कम करता है। बहुत ज्यादा? यदि आप ठीक से करेंगे, तो यह ऐसा सुनाई देगा: टिक-टेट,टिक-टेट, टिक-टेट, टिक-टेट,टिक-टेट,टिक-टेट, यदि आप गलत कर रहें हैं तो यह ऐसा सुनाई देगा: टिक-टेट,टिक-टेट,टिक-टेट. [छोटी वास्तु. बड़ा विचार.] [कायरा गोंत ; रस्सी कूदना पर] रस्सी एक सरल चीज़ है. यह किसी रस्सी या कपडे सुखाने वाली वाइर या मोटी सुतली से बना सकते हैं. इस पर घुमाव होता है, ( हंसी) मुझे मालूम नहीं इसे कैसे समझाऊं. ज़रूरी यह है कि इसका कुछ वज़न होता है. और इसकी एक चाबुक जैसी आवाज़ होती है. ये स्पष्ट नहीं है कि रस्सी के खेल की शुरुआत कब हुई कुछ सबूत बताते हैं कि इसकी शुरुआत प्राचीन मिस्र, फिनिशिया में हुई थी और संभावित ही डच आदिवासी के साथ उत्तरी अमरीका पहुँच गई रस्सी ज्यादा प्रचारित हो गयी जब औरतों के कपडे ज्यादा फिट हो गए और पतलून शुरू हो गयी. और तभी लड़कियां आसानी से रस्सी कूदसकते थे. अब स्कर्ट को रस्सी में फसने का डर नहीं था. गवरनेस ने रस्सी कूदने का इस्तमाल अपने वार्डों को प्रशिक्षित करने में किया. यहां तक ​​कि पूर्व गुलाम बनाये गए अफ्रीकी बच्चों ने भी युद्ध के बाद रस्सी खेलना शुरू किया. 1950 के दशक में हार्लेम, ब्रोंक्स, ब्रुकलिन, क्वींस, बहुत सारी लड़कियों को फुटपाथ पर रस्सी कूदते हुए देखा जा सकता था. कभी कभी वे दो रस्सियों को मिला कर एक रस्सी बनाते थे . लेकिन आप उन्हें अलग कर भी घूमा सकते हैं एक अंडा फेंटने वाली मशीन की तरह. रस्सी कूदना एक एक स्थिर समयरेखा की तरह था. टिक, टिक, टिक, टिक -- जिसपर आप कवताएँ ,गाने और मंत्र जोड़ सकते हैं वो रास्सियाँ एक ऐसा स्थान बनती थीं जहाँ हम कुछ योग्दान देने में सक्षम थे जो एक मोहल्ले से भी ज्यादा बड़ा था . डबल डच रस्सी अभी भी संस्कृति व् पहचान का एक शक्तिशाली चिह्न है काले रंग की महिलायों के लिए. १९५० से १९७० के दशक तक लड़कियों को खेल खेलना नहीं दिया जाता था लडके बेसबॉल बास्केटबॉल और फुटबॉल खेलते , पर लड़कियों को यह इजाज़त नहीं थी. अब समय काफी बदल गया है, पर उस दौर में लड़कियों का खेल के मैदान पर राज था. वे सुनिश्चित करती कि लड़के उसमें हिस्सेदार न हों. यह उनका स्थान है, यह एक नारी-शक्ति स्थान है यह वह जगह है जहां वे रौशनी बिखेरते हैं। मुझे यह भी लगता है कि यह लड़कों के लिए है क्योंकि लड़कों ने उनको सुना इसलिए मुझे लगता है, इतने सारे हिप-हॉप कलाकारो ने काली लड़कियों के गानों से मिसाल ली. (जप) ... ठंडा, मोटी हिला, जैसे आप फ्लिप करने के लिए कैसे जानते हैं, फिश-ओ-फिश, क्वार्टर पाउंडर, फ्रेंच फ्राइज़, ठंडी बर्फ गाड़ा शेक, जैसे आप कूदना जानते हैं नेली का गाना "कंट्री ग्राम्मे"र "क्यों ग्रैमी अवार्ड-जीतने वाला एकल बना क्योंकि लोग पहले से ही उस गाने को जानते थे "वी आर गोइंग डाउन बेबी एक रेंज रोवेर कार में .... " यह शुरात थी " डाउन डाउन, बेबी डाउन दा रोलर कोस्टर ..." स्वीट स्वीट बेबी, आई विल नेवर लेट यू गो." जो लोग किसी भी काले शहरी समुदाय में बड़े हुए हैं वे यह गाना जानते होंगे. और इसलिए यह एक शुरू से ही तैयार हिट था डबल डच रस्सी के खेल ने इन गानों को बनाए रखने में मदद की और इनके मंत्रोंऔर इशारे को बनाए रखा जो बहुत स्वाभाविक है इसे नें कहूँगी "काइनेटिक ओरलिटी " - वर्ड ऑफ़ मौत और वर्ड ऑफ़ बॉडी यह पीदियों द्वारा पास किया जाता है कुछ मायनों में, रस्सी कूदने का खेल इसे ले जाने में मदद करती है आपको याद बदने के लिए कोई चेज़ चाहिए होती है एक रस्सी कई प्रकार से इस्तमाल की जा सकती हैं. यह संस्कृतियों को पार करता है और में समझती हूँ कि यह टिकी क्योंकि लोगों को आगे बदने की जरूरत थी । और मुझे लगता है कि कभी-कभी सबसे सरल वस्तुएं सबसे रचनात्मक उपयोग कर सकते हैं। कोई बुरा बटन नहीं हैं, केवल बुरे लोग हैं। वह कैसा लगता है? ठीक? [छोटी चीज़ें।] [बड़ा विचार।] [आइज़ैक मिज़राही बटन पर] कोई नहीं जानता बटन का आविष्कार किसने किया। यह 2,000 ईसा पूर्व आया होगा। यह शोभा हेतु था जब यह पहली बार शुरू हुआ, बस कुछ सुंदर आपके कपड़े पर सिला। फिर करीब 3,000 साल बाद, किसी ने अंततः बटन छेद का आविष्कार किया, और बटन अचानक उपयोगी हो गए थे। बटन और बटन छेद ऐसे एक महान आविष्कार हैं। न केवल यह बटन छेद में से सरकता ही है, पर फिर यह जैसे अपनी जगह पर टिकता भी है, व अतः आप पूरी तरह से सुरक्षित हैं, जैसे कि यह कभी भी नहीं खुलेगा। मध्य युग के बाद से बटन डिजाइन ज़्यादा नहीं बदला है। इतिहास में यह सबसे अधिक स्थायी डिजाइनों में से एक है। आम तौर पर गोल बटन मेरे लिए सर्वश्रेष्ठ हैं। या तो एक गुंबद बटन है एक छोटे से झटका के साथ, या सिर्फ इस प्रकार की गोल चीज़ है रिम के साथ या बिना रिम, दो या चार छेद. लगभग बटन से ज़्यादा महत्वपूर्ण बटन छेद है। और जिस तरीके से आप पता लगाते हैं: बटन का व्यास और बटन की चौड़ाई, व थोड़ी सी सुविधा . बटन से पहले, कपड़े बड़े थे - वे अधिक प्रकार के अनाकार थे, और लोग, जैसे, उन में लोटते थे या बस खुद को चीज़ों में लपेटते थे। लेकिन फिर फैशन शरीर के करीब चला गया जैसा हमने बटन के उपयोग खोजे।. एक समय शरीर से कपड़े फिट करने का एक ढंग था। मुझे लगता है ऐतिहासिक रूप से इतने लंबे समय तक बटनों के टिकने का कारण, उनका हमारे कपड़ों को बंद रखना है। चेनें टूट जाती हैं; वेल्क्रो बहुत शोर करता है, और यह कुछ समय बाद घिस जाता है। यदि कोई बटन गिर जाता है, तुम सिर्फ सचमुच उसे सी से देते हो। एक तरह से बटन वहाँ लंबे समय के लिए है। यह सिर्फ सदैव सबसे ज़्यादा मौलिक डिजाइन नहीं है, यह भी ऐसी अत्यंत उत्साहपूर्ण फैशन अभिव्यक्ति है। जब मैं एक बच्चा था, मेरी माँ ने यह सुंदर स्वेटर मेरे लिए बुना। मुझे यह पसंद नहीं आया। और फिर मुझे ये बटन मिले, और जैसे ही बटन स्वेटर पर थे, मुझे यह बहुत प्यारा लगा। यदि आपको पता नहीं लगता कि कैसा बटन चुनें, तो किसी और को ऐसा करने दो, तुम्हें पता है? मेरा वही अभिप्रायः है। मैं सोचता हूँ,सीढ़ियाँ सबसे अधिक भावनात्मक रूप से एक लचीली भौतिक तत्व है जिस पर वास्तुविद काम करता है [छोटी चीज़ें,बड़े विचार ] [डेविड रॉकवेल सीढ़ियों पर] इसके सबसे मूल में,एक सीढ़ी रास्ता है बिंदु A से बिंदु B तक जाने के लिए विभिन्न स्तरो पर। सीढ़ियों की एक सामान्य भाषा है। ट्रेड्स,वह चीज़ जिस पर आप चलते हैं। राइज़र,उर्ध्व तत्व है जो दो ट्रेड्स को अलग करता है। कई नोज़िंग होते हैं जो एक प्रकार के किनारे का निर्माण करते हैं। और फिर,जोड़नेवाला टुकड़ा एक स्ट्रिंगर है। ये टुकड़े,विभिन्न रूपों में,सभी सीढ़ियों को बनाते हैं। मैं मानता हूँ कि सीढियाँ आई होंगी जब किसी ने पहली बार कहा , "मैं इस ऊँचे पत्थर पर नीचे के पत्थर से जाना चाहता हूँ। " लोग जो भी उपलब्ध हो उसी के उपयोग से चढ़ते थे : लकड़ी के लट्ठे ,सीढियाँ और प्राकृतिक रास्ते जो कि समय के साथ टूट गए। शुरुवात की कुछ सीढियाँ चिचेन इत्सा के पिरामिड की तरह थी। या चीन के माउंट ताई पर जाने वाले मार्ग की तरह , जो ऊँचे स्तरों पर जाने के लिए हैं , जहाँ लोग पूजा या सुरक्षा के लिए जाते हों। जैसे अभियांत्रिकी विकसित होती गयी,वैसे ही इसकी व्यवहारिकता भी। सीढियाँ सभी प्रकार की सामग्रियों से बनाई जा सकती हैं। यहाँ पर रेखाकार सीढियाँ हैं, घुमावदार सीढियाँ हैं। सीढियाँ आंतरिक भी हो सकती हैं, बाह्य हो सकती हैं। वे निश्चित रूप से आपातकाल में मदद करती हैं। पर वे अपने आप में और स्वयं भी एक कला का रूप हैं। जैसे हम सीढ़ियों पर चलते हैं , उसका रूप नियंत्रित करता है हमारे गति, भावना ,हमारी सुरक्षा हमारे रिश्ते और जुड़ाव हमारे आसपास के स्थान के साथ। तो एक सेकंड लिए,एक क्रमिक,स्मारकीय सीढ़ी पर चलने को सोचिये न्यूयार्क सार्वजानिक ग्रंथालय के सामने उन पदों से , आप के पास पुरे सड़क का और आपके आसपास का नज़ारा होता है। और आपका चलना धीमा और सधा हुआ होता है क्योंकि उसका ट्रेड इतना चौड़ा है। यह की पूरी तरह से अलग ही अनुभव है एक सकरे सीढ़ी पर नीचे चलने से जैसे कि ,एक पुराना पब , जहाँ आप कमरे में फैल जाते हैं। यहाँ पर,आप लम्बे राइज़र्स का सामना करते हैं, तो आप और जल्दी से चलते हैं। सीढ़ियाँ बड़े नाटक जोड़ती हैं। सोचिये कैसे सीढियाँ एक भव्य प्रवेश की ओर इशारा करती हैं और उस क्षण की सितारा होती थीं। सीढियाँ वीरतापूर्ण हो सकती हैं। सीढियाँ जो ११ सितम्बर के बाद भी खड़ी हैं और वर्ल्ड ट्रैड सेंटर पर आक्रमण को "बची हुई सीढ़ियाँ " कहा गया , क्योंकि इसने मुख्य किरदार निभाया था, सैंकड़ों लोगो की सुरक्षा में। पर छोटी सीढ़ियाँ का भी बहुत प्रभाव पड़ता है। स्टूप स्थान है जो पड़ोसियों को इकट्ठा होने आमंत्रित करता है , संगीत और गति में शहर को देखना। यह मुझे आकर्षित करता है कि लोग सीढ़ियों पर मुलाकात करना चाहते हैं। मैं सोचता हूँ कि वे एक गहरी मानव ज़रूरत को पूरा करते हैं एक स्थान पर रहने की जो मैदानी क्षेत्र से अधिक हो। और इसलिए यदि आप आधे रस्ते में बैठने में सक्षम हैं , आप एक प्रकार के चमत्कारिक स्थान पर हैं। मुझे याद है, स्वयम सोचा करती थी, "यह हमारे संवाद के तरीके को बदलने जा रहा है। " [छोटी बात।] ¶ [बड़ा विचार।] [हाइपरलिंक पर मार्गरेट गोल्ड स्टीवर्ट] हाइपरलिंक एक इंटरफ़ेस तत्व है, ¶ और इसका मतलब क्या है, जब आप सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहे हैं अपने फोन या अपने कंप्यूटर पर, इंटरफेस के पीछे बहुत सारे कोड हैं जो कंप्यूटर को निर्देश दे रहा है इसे प्रबंधित करने के तरीके के लिए, लेकिन मनुष्य इंटरफ़ेस से संपर्रक करते हैं। जब हम इस पर दबाएंगे, तो कुछ होता है। जब वे पहली बार आए, वे बहुत सरल थे और विशेष रूप से ग्लैमरस नहीं थे। आज के डिज़ाइनर के पास विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला है। हाइपरलिंक एक मार्कअप भाषा -- एचटीएमएल का उपयोग करता है। कोड की एक छोटी स्ट्रिंग है। और फिर जहां आप व्यक्ति को भेजना चाहते हैं, वहां का पता डालते हैं। यह वास्तव में सीखने के लिए उल्लेखनीय रूप से आसान है । और इसलिए, इंटरनेट पर जानकारी का स्थान दर्शाना, यह हाइपरलिंक का डोमेन है। जब मैं स्कूल में थी - यह इंटरनेट के व्यापक पहुंच से पहले की बात है - अगर मैं एक शोध पत्र करने जा रही थी, मुझे शारीरिक रूप से चलना पड़ता था पुस्तकालय की ओर, और यदि उनके पास इच्छित किताब थी. तब तो बहुत अच्छा है। आपको कभी-कभी इसके लिए बाहर से मंगवाना पड़ता था, इस प्रक्रिया में सप्ताह लग सकता था। अब इसके बारे में सोचो तो यह अजीब लगता है, क्योंकि सभी महान नवविचारों की तरह, जब हम कुछ प्राप्त कर लेते हैं, तो हम उसे सामान्य समझने लगते हैं। सन 1945 में, वन्नेवर बुश थे। वे अमेरिकी सरकार के लिए काम कर रहे थे, और उन्होंने यह विचार रखा था, "वाह, मनुष्य बहुत अधिक जानकारी बना रहे हैं, और हम इसका ट्रैक नहीं रख पाते हैं हमने जो किताबें पढ़ी हैं, या महत्वपूर्ण विचारों के बीचका कनेक्शन। " और "मेमेक्स" उनका विचार था, जहां आप एक व्यक्तिगत पुस्तकालय रख सकते हैं आपके सभी पुस्तकों और लेखों की। और स्रोतों को जोड़ने के विचार ने लोगों की कल्पनाओं पर कब्जा कर लिया। 1960 के दशक में, ¶ टेड नेल्सन ने परियोजना ज़ानाडु की शुरुआत की, और उन्होंने कहा, "ठीक है, क्या होगा अगर यह केवल मेरे पास जो चीजें हैं, उन तक सीमित नहीं होगा? क्या होगा यदि मैं विचारों को जोड़ सकता हूं, औरों के काम से? " 1982 में, मैरीलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक प्रणाली विकसित की जिसे उन्होंने हाइपरटीस कहा। वे पहले थे, एक लिंक मार्कर के रूप में पाठ का उपयोग करने वाले। उन्होंने पाया कि नीला लिंक, ग्रे पृष्ठभूमि पर अच्छी तरह काम करने जा रहा है और लोग इसे देख पाएंगे। एप्पल ने 1987 में हाइपरकार्ड का आविष्कार किया। आपके पास कार्ड के ये ढेर थे, और आप लिंक बना सकते हैं कार्ड के बीच में। हाइपरकार्ड ने वास्तव में सक्षम बनाया कि आप कहानी में आगे पीछे जा सकें। इन तरह के नोनलीनियर कहानी को बड़ा बढ़ावा मिला जब हाइपरलिंक आया, क्योंकि इसने लोगों को कथा को प्रभावित करने का अवसर दिया। इन विचारों और आविष्कारों ने, टिम बर्नर्स-ली को प्रेरित किया, वर्ल्ड वाइड वेब के आविष्कारक। हाइपरलिंक एक लेगो ब्लॉक की तरह महसूस कराता है, यह बहुत ही बुनियादी इमारत ब्लॉक है, दुनिया भर में मौजूद बहुत जटिल वेब में कनेक्शन बनाने के लिए। हाइपरलिंक को जिस तरह बनाया गया था, उनका इरादा था, न केवल कई लोगों द्वारा उपयोग किये जाने के लिए, बल्कि कई लोगों द्वारा बनाया जाने के लिए। मेरे लिए, यह सबसे लोकतांत्रिक डिजाइन में से एक है। आखिर चल क्या रहा है इस बच्चे के दिमाग में? अगर ये सवाल ३० साल पहले किया गया होता, तो ज्यादातर लोग, और मनोवैज्ञानिक कहते कि ये बच्चा बेसमझ है, तर्क नहीं समझता, बस अपने बारे में सोचता है -- और ये दूसरों का दृष्टिकोण नहीं समझ सकता या ये नहीं समझता कि कुछ करने का क्या परिणाम होगा। पिछले बीस सालों में, विकास के विज्ञान ने इस राय को उलट दिया है। आज ये कहा जा सकता है कि, हमें लगता है कि इस बच्चे की सोच दुनिया के सबसे उम्दा साइंस्टिस्टों जैसी ही है। आपको एक उदाहरण देता हूँ। हो सकता है कि एक बात जो कि ये बच्चा सोच रहा है, या उसका दिमाग जो कर रहा है, वो ये समझना चाहता है कि इस दूसरे बच्चे के दिमाग में क्या चल रहा है। आखिरकार, हम सब के लिये सबसे कठिन कामों में से एक है ये पता लगाना कि दूसरे लोग क्या सोच रहे हैं और महसूस कर रहे हैं। और हो सकता है कि सबसे कठिन काम ये समझना हो कि जो दूसरे लोगों की सोच और अनुभव, उस से अलग है जो हम सोचते और महसूस करते हैं। राजनीति पर ध्यान देने वाले लोग बता सकते हैं कि कुछ लोगों के लिये ये समझना कितना मुश्किल है। हम ये जानना चाहते थे कि क्या शिशु और छोटे बच्चे दूसरों से जुडी ऐसी जटिल बात को समझने के काबिल हैं? अब सवाल ये था कि हम बच्चों से ये पूछें कैसे? बच्चे हैं - बोल तो सकते नहीं, और अगर आप तीन साल के बच्चे से कहेंगे कि बताओ तुम क्या सोच रहे हो, तो वो आपको एक खूबसूरत सा अबोध भाषण देगा जन्मदिन की पार्टी, और घोडे और ऐसी ही चीजों पर। तो हम उनसे ये सवाल करें तो कैसे करें? असल में, इस रहस्य का जवाब फूलगोभी में छुपा था। मेरी एक विद्यार्थी बैट्टी रापाचोली, और मैने बच्चों को खाने की दो कटोरियाँ दीं: एक में कच्ची फूलगोभी और एक में स्वादिष्ट गोल्डफ़िश जैसे बिस्कुट। सारी दुनिया के बच्चे, यहाँ तक कि बर्कली के भी, बि़स्कुट पसंद करते हैं, और कच्ची गोभी को नापसंद करते हैं। ठहाका पर फिर बेट्टी ने क्या किया कि हर कटोरी से खाने को चखा। और उसे पसंद या नापसंद करने की ऐक्टिंग की। तो आधी बार, उसने दिखाया कि उसे बिस्कुट पसंद है और गोभी नापसंद -- जैसे कि किसी बच्चे या नार्मल इंसाल को होना चाहिये। मगर आधी बार, वो थोडी से गोभी लेती थी और कहती थे, "वाsssssह, गोsssभीssss! मैने गोभी खाई, वाsssssह।" और फिर वो थोडे से बिस्कुट लेती थी, और कहती थी, "छिः, छिः, बिस्कुट,। मैने बिस्कुट खाया, थू, थू, थू।" तो उसने ये दिखाया कि उसकी रुचि बच्चों की रुचि से उल्टी थी। हमने ये प्रयोग १५ और १८ साल के बच्चों के साथ किया। और फिर वो अपना हाथ आगे कर के कहती थी, "थोडा सा मुझे भी दो ना!" तो सवाल ये था कि बच्चे उसे क्या देंगे, वो जो उसे पसंद है, या वो जो उसे नापसंद है? और ग़जब की बात ये है कि १८ महीने के बच्चे, जो ठीक से चल बोल भी नही पाते, उसे बिस्कुट देते थे, अगर उसे बिस्कुट पसंद थे, और गोभी देते थे अगर उसे गोभी पसंद थी। साथ ही, १५ महीने के बच्चे उस की तरफ़ देर तक टकटकी लगाये रहते थे अगर उसने गोभी पसंद करने की एक्टिंग की थी, जैसे उन्हें समझ नहीं आ रहा हो क्यों मगर थोडी देर तक एकटक देखने के बाद, वो उसे बिस्कुट ही देते थे, जो उन्हें लगता कि सबको पसंद होता होगा। इस प्रयोग में दो बातें बेहद ज़रूरी हैं। पहली ये कि इन छोटे छोटे १८ महीने के बच्चों ने समझ लिया है इंसानी प्रकृति के इस गूढ रहस्य को कि सब लोगों को एक ही चीज़ अच्छी नहीं लगती। खास बात ये है कि उन्हें लगा कि उन्हें वो ही करना चाहिये जो दूसरों को उनकी मनचाही चीज़ पाने में मदद करे। इस से भी खास बात है १५ महीने के बच्चों का ऐसा नहीं करना ये दिखाता है कि १८ महीने के बच्चों ने इतना गूढ, जटिल रहस्य केवल पिछ्ले तीन महीनों में सीखा था। तो बच्चे कहीं ज्यादा जानते और सीखते हैं हमारी आशा के मुकाबले। और पिछले बीस साल में हुये कई हज़ारों प्रयोगों ने इस बात को दर्शाया है। हाँ ये प्रश्न ज़रूर उठता है कि: बच्चे इतना क्यों सीखते हैं? और उनके लिये इतना सीखना संभव कैसे है, वो भी इतने कम समय में? मेरा मतलब है कि, अगर आप बच्चों को ऊपर-ऊपर से देखें तो वो किसी काम के लायक नहीं लगते। और असल में, वो उस से भी बदतर होते हैं क्योंके उल्टे उनमें इतना सारा समय और ताकत लगानी पडती है बस उन्हें जीवित भर रख पाने में। मगर यदि हम विकास के क्रम में इस पहेली का जवाब ढूँढें कि क्यों हम इतना समय इन बेकार बच्चों को पालने में लगाते हैं, तो उसका उत्तर मिलता है। यदि हम तमाम सारे जीवों पर नज़र दौडायें, न सिर्फ़ मानवो पर ही, मगर बाकी स्तनधारियों, चिडियों धानी प्राणियों पर (जो बच्चों को थैली में रखते हैं) जैसे कि कंगारू, एक संबंध दिखता है: इसमें कि एक जीव का बचपन कितना लंबा है और इसमें कि उनका दिमाग उनके शरीर की तुलना में कितना बडा है और वो कितने बुद्धिमान और लोचदार हैं। और सबसे आगे हैं पक्षी। एक तरफ तो ये न्यू कैलेडोनियन कौआ है। और कौए और उसके जैसे जीव, रेवन, रूक्स वगैरह बहुत ज्यादा बुद्धिमान होते हैं। कुछ मायनों में तो वो चिम्पान्ज़ी जितने बुद्धिमान होते हैं। और ये चिडिया जो साइंस के कवर पेज पर है, और जो औजार इस्तेमाल कर के भोजन पाना सीख चुकी है। दूसरी तरफ़, हमारा घरेलू चिकन है। और मुर्गे, बतख, और गीस और टर्की बहुत ज्यादा बेवकूफ़ जीव होते हैं। वो अनाज का दाना ढूँढने में माहिर होते हैं, लेकिन उस से ज्यादा कुछ कर नहीं पाते। और असल में कौओं के बच्चे, पूरी तरह नाकारा होते हैं। वो अपनी माँ पर पूरी तरह निर्भर होते है उनकी छोटी छोटी चोंचों में कीडे डालने के लिये लगभग जन्म के दो साल तक, जो कि एक चिडिया के जीवन में बहुत लम्बा समय है। जबकि मुर्गे बडे हो जाते हैं जन्म के कुछ ही महीनों में। तो बचपन की लंबाई ही कारण है कि कौए साइस के कवर पेज पर हैं और चिकन सूप के कटोरे में। लम्बे बचपन में कुछ तो है जो इसे जोडता है ज्ञान और सीखने की क्षमता से। अब इस को कैसे समझा जाये? कुछ जानवर जैसे कि चिकन, बहुत उपयुक्त हैं, सिर्फ़ एक काम को ढँग से करने में। तो चिकन पूरी तरह माहिर हैं किसी एक तरह के स्थितियों में अनाज ढूँढने में। दूसर जीव जैसे कि कौए, किसी भी काम को पूरी कुशलता से करना नहीं जानते, मगर वो बहुत अच्छे है नयी स्थितियों के नियम सीखने में। और हम मनुष्य तो कौओं वगैरह से बहुत आगे निकल आये हैं। हमारा दिमाग से हमारे शरीर का अनुपात बडा है किसी भी दूसरे जानवर के मुकाबले। हम ज्यादा बुद्धिमान है, हम ढलना जानते हैं, हम ज्यादा सीख सकते है, और हम ज्यादा तरह के पर्यावरणों में जीवित रह सकते है, हम सारी दुनिया में फ़ैले हुए हैं और अंतरिक्ष तक भी पहुँच गये हैं। लेकिन हमारे बच्चे हम पर ही निर्भर रहते हैं किसी भी दूसरे जीव के बच्चों से ज्यादा लम्बे समय तक। मेरा बेटा २३ साल का है। ठहाका और कम से कम जब तक वो २३ साल के नहीं हो जाते, हम कीडे पहुँचाते रहते हैं उनकी छोटी छोटी चोंचों में। तो, हमें ये संबंध क्यों दिखता है? एक आयडिया ये है कि युक्ति लगाना, और इसे सीखना इस दुनिया में जीने के लिये बहुत बहुत ज़रूरी है मगर उस का एक बडा नुकसान है। और वो नुकसान ये है कि जब तक आप सब कुछ सीख नहीं लेते, आप दूसरों पर निर्भर रहेंगे। तो आप नहीं चाहेंगे कि जब कोई हाथी आपको दौडा रहा हो, तो आप खुद से कह रहे हों, "शायद गुलेल काम करेगी, नहीं नहीं, भाला काम करेगा। क्या इस्तेमाल करूँ?" आप को वो सब सीखना जानना होगा इस से पहले कि हाथी आप को दिखे। और जिस तरह से विकास-क्र्म ने इस समस्या को सुलझाया है वो है काम बाँट कर। तो सुझाव ये है कि हमें शुरुवात में कुछ समय मिलता है जब हमें पूरी सुरक्षा मिलती है। हमें खुद कुछ नहीं करना होता। हमें बस सीखना होता है। और फिर व्य्स्कों के रूप में, हम वो सारी विद्या काम में ला सकते हैं जो हमने बचपन में पाई होती है और उस का इस्तेमाल कर के इस दुनिया में अपना काम चला सकते हैं। तो ये कहा जा सकता है कि शिशु और छोटे बच्चे मानवों का रिसर्च एंड डेवेलेप्मेंट विभाग हैं (शोध एवं विकास) तो वो ऐसे साइंसटिस्ट हैं जिनका काम है बस नया कुछ सीखते रहना, और नये आयडिया निकालना, और हम और आप हैं उत्पादन और विपणन (मार्केटिंग) और हमें उन सारे आयडिया को जो हमने बचपन में सीखे थे, इस्तेमाल में लाना होता है। दूसरी बात जो हो सकती है ये है कि बजाय इसके कि बच्चों को व्यस्कों के बेकार रूप माना जाये, हमें ये सोचना चाहिये कि वो हमारी प्रजाति के विकास के अगले स्तर पर हैं -- जैसे कि कैटरपिलर और तितलियाँ -- बस ये अत्यधिक बुद्धिमाल तितलियों जैसे हैं जो कि बगीचे में घूम रही हैं और खोज कर रही हैं, और हम कैटरपिलर जैसे हैं जो धीरे धीरे अपने सधे हुए व्यस्क रास्ते पर चलते जा रहे हैं। अगर ये सत्य है, अगर बच्चों को सीखने के लिये ही निर्मित किया गया है -- और विकास-क्रम की कहानी कह रही है कि बच्चे सीखने के लिये पैदा होते हैं, वो इसी लिये बने हैं -- तो हम ये उम्मीद रख सकते हैं कि वो सीखने के बहुत शक्तिशाली तरीको से लैस होंगे। और असल में, एक बच्चे का दिमाग उस सीखने वाले कंप्यूटर के समान है जो सबसे ताकतवर है इस धरती पर। मगर असली कंप्यूटर भी बहुत बेहतर होते जा रहे हैं। और एक क्रांति हो चुकी है मशीन लर्निंग को ले कर मानव की समझ में। और वो सब इस व्यक्ति के काम से आता है, रेवेरेंड थोमस बेयस, जो कि १८वीं सदी के एक सांख्यितज्ञ और गणितज्ञ थे । और कुल मिला कर उन्होंने क्या किया कि एक गणितीय तरीका निकाला प्रोबेबिलिटी थ्योरी के ज़रिये ये समझने और बताने का कैसे सांसटिस्ट दुनिया को बेहतर समझते जाती हैं। तो साइंस्टिस्ट क्या करते हैं कि एक अनुमानिति हाइपोथेसेस से शुरुवात करते हैं और तथ्यों को उस अनुमान से मिला कर चेक करते हैं। तथ्यों के हिसाब से वो अपने अनुमान में बदलाव लाते हैं। और फिर उस नये अनुमान को चेक करते है और ऐसे ही चलता रहता है। बेयस ने ये दिखाया कि इसे करने का एक गणितीय तरीका है और गणित पर ही आज के मशीन लर्निंग के सबसे अच्छे तरीके निर्भर करते हैं। और कुछ दस साल पहले, मैने सुझाया था कि बच्चे भी यही करते होंगे। तो अगर आप जानना चाहते है कि क्या चल रहा है इन प्यारी सी भूरी आँखों के भीतर, तो वो कुछ ऐसा दिखता है। ये रेवेरेंड बेयस की नोटबुक है। तो मुझे लगता है कि बच्चे असल में बहुत गूढ गणित में जुटे होते हैं कंडिशनल प्रोबेबिलिटी के गणित में , जिसे वो बार बार करते हैं ये समझने के लिये कि दुनिया कैसे काम करती है। ये सत्य है कि इस बात को असल में दिखा पाना बहुत कठिन काम होगा। क्योंकि, अगर आप व्यस्कों से भी सांख्यिकी पर बात करेंगे, तो वो भी बेवकूफ़ाना बातें करते हैं। तो ऐसा कैसे हो सकता है कि बच्चे साँख्यिकी करते हैं? तो इस का पता लगाने के लिये हमने एक मशीन बनाई जिसे हम ब्लिकेट डिटेक्टर कहते हैं। ये एक डब्बा है जिसमें लाइटें हैं और संगीत बजता है जब आप कुछ खास चीजें इस पर रखते हैं। और इस साधारण सी मशीन का इस्तेमाल करके, मेरी प्रयोगशाला में और बाके दर्ज़नों जगहों पर ये दिखाया जा चुका है कि बच्चे कितने कुशल होते हैं इस दुनिया के बारे में सीखने में। मैं एक ऐसे प्रयोग के बारे मे बताता हूँ जो मैने तुमार कुशनेर, मेरे विद्यार्थी, के साथ किया। यदि मैं आपको ये डिटेक्टर दिखाऊँ, तो शायद आप सोचें कि इस डिटेक्टर को चालू करने के लिये इस के ऊपर एक ब्लाक रखना होगा। मगर असल मे, ये डिटेक्टर थोडा अलग तरह से काम करता है। क्यों कि यदि आप आप ब्लाक को इस के ऊपर हिलायेंगे, जो बहुत मुश्किल है कि आप सोचें शुरुवात में, ये सिर्फ़ तीन में से दो बार चालू होगा। जबकि यदि आप ब्लाक को सीधे इसके ऊपर ही रख देंगे, तो वो सिर्फ़ छः में से दो बार ही चालू होगा। अक्सर नहीं होने वाली बात का प्रमाण ज्यादा भरोसेमंद है। ऐसा कहा जा सकता है कि ब्लाक हिलाना बेह्तर तरीका है ब्लाक रखने के मुकाबले। तो हमने बस यही किया: हमने चार साल के बच्चों को ये दिया और उनसे इसे चलाने को कहा। और चार साल के बच्चों ने इसे इस्तेमाल कर के ब्लाक को डिटेक्टर के ऊपर सिर्फ़ हिलाया। अब इस में दो बहुत रोचक बातें सामने आयीं। पहली तो ये, और ये बच्चे बस चार साल के ही हैं, अभी महज गिनती गिनना ही सीख रहे हैं। लेकिन अचेतन रूप से, ये अंदर अंदर इतनी जटिल गणनायें कर रहे हैं जो उन्हें कंडिशनल प्रोबेबिलिटी का अनुमान दे रही हैं। और दूसरी रोचक बात ये है कि वो प्रमाण का इस्तेमाल कर के इस दुनिया के बारे में एक ऐसा अनुमान लगा रहे हैं जो इतना आसान नहीं है। और ऐसे ही कई और प्रयोगों मे, हमने दिखाया है कि चार साल के बच्चे बहुत बेहतर हैं सीधे न दिखने वाले तरीकों तक पहुँचने में बजाय व्यस्कों के, जब दोनों को हूबहू वही काम दिया जाता है। तो इन स्थितियों में, बच्चे सांख्यिकी का इस्तेमाल कर के दुनिया को जान समझ रहे हैं, मगर क्योंकि साइंसटिस्ट प्रयोग करते हैं, तो हम ये जानना चाहते थे कि क्या बच्चे भी प्रयोग करते हैं। जब बच्चे प्रयोग करते हैं, हम उसे "गडबड करना" कहते हैं या फ़िर "खेलना" और कई प्रयोग हुये हैं जिन्होनें दिखाया है कि ये "खेलना" एक तरीके का असलनी का प्रयोगात्मक शोध कार्यक्रम है। ये वाल क्रिस्टीन लेगारे की प्रयोगशाला से है। क्रिस्टीन ने हमारे ब्लिकट डिटेक्टर का इस्तेमाल किया। और बच्चो को दिखाया कि पीले वाले से चलता है, और लाल वाले से नहीं, फ़िर उन्हें कुछ अलग दिखाया। और आप देखेंगे कि ये बच्च पाँच हाइपोथेसिस से गुज़रता है सिर्फ़ दो मिनट के समय में। बच्चा: ऐसे करूँ? जैसे दूसरी तरफ़ किया। ऐलिसन गोपनिक: तो ये हाइपोथेसिस गलत साबित हुई। ठहाका बच्चा: ये जल रहा है, और ये नहीं। ए.जी. : ठीक है, अब उसने अपनी प्रयोग की नोटबुक निकाल ली है। बच्चा: ये जल क्यों रहा है। ठहाका पता नहीं। ए.जी. : हर साइंसटिंस्ट इस भावना को समझ सकता है। ठहाका बच्चा: ओह, तो इसे ऐसे होना चाहिये, और इसे ऐसे होना चाहिये। ए.जी : तो हाइपोथेसिस दो। बच्चा: हाँ, इसलिये। ओह। ठहाका ए.जी: अब ये उसका अगला आइडिया है। उस ने प्रयोग करने वाले को ये करने के लिये कहा, कि उसे दूसरी जगह रखे। यहाँ भी काम नहीं हुआ। बच्चा: ओह, क्योंकि लाइट बस यहीं तक पहुँच रही है, यहाँ नहीं। ओह, इस डब्बे के तले में बिजली भरी हुई है, मगर इस में बिजली नहीं है। एजी: ये है चौथी हाइपोथेसिस बच्चा: अब ये जल रहा है। तो जब आप चार रखते हैं। तो आपको इसे जलाने के लिये चार रखने होते हैं और दो इस पर इसे जलाने के लिये। एजी: पाँचवी हाइपोथेसिस। ये बहुत ही प्यारा बच्चा है -- और ये पयारा है और बातें बोल रहा है, मगर क्रिस्टीन को पता लगा कि ये सामान्य सोच है। अगर आप बच्चों को खेलते देखेंगे, और उन से कुछ पूछेंगे तो वो असल में कुछ प्रयोग ही कर रहे होते हैं। ये चार साल के बच्चों का सामन्य बर्ताव है। ऐसा होना कैसा लगता होगा? ऐसी बुद्धिमान तितली के जैसा होना कैसा होता होगा जो दो मिनट में पाँच हाइपोथेसिस चेक करती हो? अगर आप मनोवैज्ञानिकों और दार्शनिकों की सुने, तो उनमें से बहुतों ने कहा है कि बच्चे और शिशु अचेतन ही रहते है, और यदि वो चेतन होते, और मैं इसका ठीक उल्टा ही सोचता हूँ। मुझे लगता है कि बच्चे और शिशु व्यस्कों के मुकाबले ज्यादा चैतन्य होते हैं। हमें व्यस्कों की चैतन्यता के बारे में ऐसा कुछ पता है। और व्यस्कों का ध्यान और चैतन्यता स्पाट लाइट जैसी होती है। तो व्यस्कों के साथ क्या होता है कि हम ये सोच लेते है कि कुछ चीज़ ज़रूरी है, और हमें उस पर ध्यान देन चाहिये। हमारी उस चीज़ से जुडी चैतन्यता बहुत ज्यादा तेज़ और जीवंत हो जाती है, और बाकी सब जैसे अँधेरे में चला जाता है। और हमें अब ये भी पता है कि दिमाग कैसे ऐसा करता है। तो जब हम किसी बात पर ध्यान देते हैं हमारा प्री-फ़्रंटल कोर्टेक्स, जो दिमाग का क्रियाशील भाग है, एक सिग्नल भेजता है जो हमारे दिमाग के एक खास भाग को ज्यादा रचनात्म्क बना देता है, सीखने के लिये उत्सुक, और बंद कर देता है दिमाग के बाकी सारे हिस्से तो हमार बहुत ही तीक्ष्ण, परिणाम प्रेरित ध्यान होता है। अगर हम बच्चो और शिशुओं को देखें, तो वो अलग तरह से काम करते हैं। मुझे लगता है कि शिशु और बच्चे चैतन्यता की लाल्टेन के साथ काम करते है, बजाय स्पाटलाइट के। तो शिशुओं और बच्चों के लिये असंभव है किसी एक ही बात पर केंद्रित रहना। मगर वो बहुत सारी जानकारी एक साथ ले सकने में माहिर है , वो भी अलग अलग जगहों से एक साथ। और अगर उन के दिमाग को देखें, तो आप देखेंगे कि वहाँ न्यूरो-ट्रांस्मिटर की बाढ आई होती है और इस लिये वो सीखने और ढलने में माहिर होते हैं, और उन्हें किसी काम से रोकने वाले भाग अभी बने ही नहीं होते। तो जब हम कहते हैं कि बच्चे और शिशु ध्यान नहीं दे पाते, हम ये नहीं कहना चाहते कि वो ध्यान नहीं दे पाते बल्कि ये कि वो ध्यान हटा नही पाते उन तमाम रोचक चीजों से जो उनके आसपास हो रही होती हैं और सिर्फ़ एक महत्व्पूर्ण चीज पर ध्यान टिकाने के लिये। वो उस तरह का ध्यान, या उस तरह की चैतन्यता है जो हम सोचते हैं कि मिलेगी उन तितलियों में जिन्हें सीखने के लिये बनाया गया हो। और अगर हम एक तरीका सोचें बच्चों की चैतन्यता का अनुभव लेने के लिये, तो हमें उन स्थितियों के बारे में सोचना होगा जहाँ हम बिलकुल नयी जगहों पर होते हैं, या जब हमें किसी से प्यार हो जाता है, या जब हम किसी नये शहर में पहले बार पहुँचते हैं। और तब हमारी चैतन्यता संकुचित नहीं होती, बल्कि विस्तृत हो जाती है। जिस से कि पेरिस में बिताये वो तीन दिन ज्यादा चैतन्य और अनुभव से भरे लगते है, उन कई महीनों के मुकाबले जो हम रोज़मर्रा के आते-जाते, मीटिंगे करते हुए बिताते हैं। और तो और, कॉफ़ी! जी वही कॉफ़ी जो आप अभी नीचे पी रहे थे, असल में वैसा ही असर पैदा करती है जैसे कि बच्चो के न्यूरो-ट्रांसमिटर। तो बच्चा होना कैसा होता होगा? वैसा ही जैसे इश्क में होना, जैसे पेरिस में पहली बार जाना या जैसे तीन कप डबल एस्प्रेसो पीने के बाद लगता है ठहाका ये बहुत मजेदार है, मगर हो सकता है कि आप सुबह के तीन बजे जागे हुए पाये जायें। ठहाका अब बडे होना ठीक लग रहा है। मैं बहुत नहीं कहना चाहता कि बच्चे कितने गजब के होते हैं। बडा होना भी अच्छा है। हम लोग सडक पार कर सकते है, जूते के फ़ीते बाँध सकते हैं। और ये ठीक ही लगता है कि हम इतनी कोशिश करते है बच्चों को बडों की तरह सोचना सिखाने की। मगर यदि हमें उन तितलियों की तरह होना है, जिनके दिमाग खुले, और सीखने को तैयार हैं, रच्नात्मक, कल्पना शक्ति से भरे, नवीन, तो कम से कम कुछ समय के लिये हमे बडों को बच्चों की तरह सोचना सिखाना होगा। अभिवादन चलिये आपको एक दूसरी ही दुनिया में ले चलूँ। और आपको सुनाऊँ एक ४५ साल पुरानी प्रेम-कथा गरीब लोगों से प्रेम की कथा, जो कि प्रतिदिन एक डॉलर से भी कम कमाते हैं। मैं एक बेहद संभ्रांत, खडूस, महँगे कॉलेज में पढा, भारत में, और उसने मुझे लगभग पूर्णतः बरबाद कर ही दिया था। सब फ़िक्स था - मैं डिप्लोमेट, शिक्षक, या डॉक्टर बनता -- सब जैसे प्लेट में परोसा पडा था। साथ ही, मुझे देख कर ऐसा नहीं लगेगा, मैं स्क्वैश के खेल में भारत का राष्ट्रीय चैंपियन था तीन साल तक लगातार। (हँसी) सारी दुनिया के अवसर मेरे सामने थे। सब जैसे मेरे कदमों में पडा हो। मैं कुछ गडबड कर ही नहीं सकता था। और तब, यूँही, जिज्ञासावश मैने सोचा कि मैं गाँव जाकर, रहना और काम करना चाहता था बस समझने के लिये कि गाँव कैसा होता है। इसलिये १९६५ में, मैं बिहार गया - वहाँ अब तक का सबसे भीषण अकाल पडा था, और मैनें भूख और मौत का नंगा नाच देखा, पहली बार ठीक मेरे सामने लोग भूख से मर रहे थे। उस अनुभव ने मेरा जीवन बदल डाला। मैं वापस आया, और मैने अपनी माँ से कहा, "मैं एक गाँव में रहना और काम करना चाहता हूँ।" माँ कोमा में चली गयी। (हँसी) "ये क्या कह रहा है? सारी दुनिया के अवसर तेरे सामने हैं, और भरी थाली में लात मार कर तू एक गाँव में रहना और काम करना चाहता है? मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आखिर तुझे हुआ क्या है?" मैनें कहा, "नहीं, मुझे सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मिली है। उसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया है। और मैं कुछ वापस देना चाहता हूँ अपने ही तरीके से।" "पर तू आखिर एक गाँव में करेगा क्या? न रोजगार है, न पैसा है, न सुरक्षा, न ही कोई भविष्य।" मैने कहा, "मै गाँव में रह कर पाँच साल तक कुँए खोदना चाहता हूँ।" "पाँच साल तक कुँए खोदेगा? तू भारत के सबसे महँगे स्कूल और कॉलेज में पढा है, और अब पाँच साल तक कुँए खोदना चाहता है?" उन्होंने मुझसे बहुत लम्बे समय तक बात तक नही की, क्योंकि उन्हें लगा कि मैंने अपने खानदान की नाक कटवा दी है। लेकिन इसके साथ ही, मुझे सीखने को मिला दुनिया के सबसे बेहतरीन ज्ञान और कौशल जो बहुत गरीब लोगों के पास होते हैं, मगर कभी भी हमारे सामने नहीं लाये जाते -- जो परिचय और सम्मान तक को मोहताज़ रहते हैं, और जिन्हें कभी बडे रूप में इस्तेमाल ही नहीं किया जाता। और मैनें सोचा कि मैं बेयरफ़ुट कॉलेज की शुरुवात करूँगा -- एक कॉलेज केवल गरीबों के लिये। गरीब लोग क्या सोचते है, ये मुख्य मसला था, यही इस कॉलेज की नीव भी थी। इस गाँव में यह मेरा पहला दिन था। बडे-बूढे मेरे पास आये और पूछा, "क्या पुलिस से भाग कर छुपे हो?" मैने कहा, "नहीं।" (हँसी) "परीक्षा में फ़ेल हो गये हो?" मैने कहा, "नहीं।" "तो सरकारी नौकरी नहीं मिल पायी होगी?" मैनें कहा, "वो भी नहीं।" "तब यहाँ क्या कर रहे हो? यहाँ क्यों आये हो? भारत की शिक्षा व्यवस्था तो आपको पेरिस और नई-दिल्ली और ज़ुरिख़ के ख़्वाब दिखाती है; तुम इस गाँव में क्या कर रहे हो? तुम कुछ तो ज़रूर छिपा रहे हो हमसे?" मैने कहा, "नहीं, मैं तो एक कॉलेज खोलने आया हूँ, केवल गरीबों के लिये। गरीब लोगों को जो ज़रूरी लगता है, वही इस कॉलेज में होगा।" तो बुज़ुर्गों नें मुझे बहुत नेक और सार्थक सलाह दी। उन्होंने कहा, "कृपा करके, किसी भी डिग्री-होल्डर या मान्यता-प्राप्त प्रशिक्षित व्यक्ति को अपने कॉलेज में मत लाना।" लिहाज़ा, ये भारत का इकलौता कॉलेज है जहाँ, यदि आप पी.एच.डी. या मास्टर हैं, तो आपको नाकारा माना जायेगा। आपको या तो पढाई-छोड, या भगोडा, या निलंबित होना होगा हमारे कॉलेज में आने के लिये। आपको अपने हाथों से काम करना होगा। आप को मेहनत की इज़्जत सीखनी होगी। आपको ये दिखाना होगा कि आपके पास ऐसा हुनर है जिस से कि लोगों का भला हो सकता है और आप समाज को कोई सेवा प्रदान कर सकते हैं। तो हमने बेयरफ़ुट कॉलेज की स्थापना की, और हमने पेशेवर होने की नई परिभाषा गढी। आख़िर पेशेवर किसको कहा जाये? एक पेशेवर व्यक्ति वो है जिसके पास हुनर हो, आत्म-विश्वास हो, और भरोसा हो। ज़मीन-तले पानी का पता लगाने वाला पेशेवर है। एक पारंपरिक दाई एक पेशेवर है। एक कढाई गढने वाला पेशेवर है। सारी दुनिया में ऐसे पेशेवर भरे पडे हैं। ये आपको दुनिया के किसी भी दूर-दराज़ गाँव में मिल जायेंगे। और हमें लगा कि इन लोगों को मुख्यधारा में आना चाहिये और दिखाना चाहिये कि इनका ज्ञान और इनकी दक्षता विश्व-स्तर की है। इसका इस्तेमाल किया जाना ज़रूरी है, और इसे बाहरी दुनिया के सामने लाना ज़रूरी है -- कि ये ज्ञान और कारीगरी आज भी काम की है। तो कॉलेज में महात्मा गाँधी की जीवन-शैली और काम के तरीके का पालन होता है। आप ज़मीन पर खाते हैं, ज़मीन पर सोते हैं, ज़मीन पर ही चलते हैं। कोई समझौता, लिखित दस्तावेज़ नहीं है। आप मेरे साथ २० साल रह सकते है, और कल जा भी सकते हैं। और किसी को भी $१०० महीने से ज्यादा नहीं मिलता है। यदि आप पैसा चाहते हैं, आप बेयरफ़ुट कॉलेज मत आइये। आप काम और चुनौती के लिये आना चाहते हैं, आप बेयरफ़ुट आ सकते हैं। यहाँ हम चाहते हैं कि आप आयें और अपने आइडिया पर काम करें। चाहे जो भी आपका आइडिया हो, आ कर उस पर काम कीजिये। कोई फ़र्क नहीं पडता यदि आप फ़ेल हो गये तो। गिर कर, चोट खा कर, आप फ़िर शुरुवात कीजिये। ये शायद अकेला ऐसा कॉलेज हैं जहाँ गुरु शिष्य है और शिष्य गुरु है। और अकेला ऐसा कॉलेज जहाँ हम सर्टिफ़िकेट नहीं देते हैं। जिस समुदाय की आप सेवा करते हैं, वो ही आपको मान्यता देता है। आपको दीवार पर काग़ज़ का टुकडा लटकाने की ज़रूरत नहीं है, ये दिखाने के लिये कि आप इंजीनियर हैं। तो जब मैंने ये सब कहा, तो उन्होंने पूछा, "ठीक है, बताओ क्या संभव है. तुम क्या कर रहे हो? ये सिर्फ़ बतकही है जब तक तुम कुछ कर के नहीं दिखाते।" तो हमने पहला बेयरफ़ुट कॉलेज बनाया सन १९८६ में। इसे १२ बेयरफ़ुट आर्किटेक्टों ने बनाया था, जो कि अनपढ थे, $1.5 प्रति वर्ग फ़ुट की कीमत में। १५० लोग यहाँ रहते थे, और काम करते थे। उन्हें २००२ में आर्किटेक्चर का आगा ख़ान पुरस्कार मिला। पर उन्हें लगता था, कि इस के पीछे किसे मान्यता प्राप्त आर्किटेक्ट का हाथ ज़रूर होगा। मैने कहा, "हाँ, उन्होंने नक्शे बनाये थे, मगर बेयरफ़ुट आर्किटेक्टों ने असल में कॉलेज का निर्माण किया।" शायद हम ही ऐसे लोग होंगे जिन्होंने $50,000 का पुरस्कार लौटा दिया, क्योंकि उन्हें हम पर विश्वास नहीं हुआ, और हमें लगा जैसे वो लोग कलंक लगा रहे हैं, तिलोनिया के बेयरफ़ुट आर्किटेक्टों के नाम पर। मैनें एक जंगल-अफ़सर से पूछा -- मान्यता प्राप्त, पढे-लिखे अफ़सर से -- मैने कहा, "इस जगह पर क्या बनाया जा सकता है? उसने मिट्टी पर एक नज़र डाली और कहा, "यहाँ कुछ नहीं हो सकता। जगह इस लायक नहीं है। न पानी है, मिट्टी पथरीली है।" मैं कठिन परिस्थिति में था। और मैने कहा, "ठीक है, मैं गाँव के बूढे के पास जा कर पूछूँगा कि, 'यहाँ क्या उगाना चाहिये?'" उसने मेरी ओर देखा और कहा, "तुम ये बनाओ, वो बनाओ, ये लगाओ, और काम हो जायेगा।" और वो जगह आज ऐसी दिखती है। मैं छत पर गया, और सारी औरतों ने कहा, "यहाँ से जाओ। आदमी नहीं चाहिये क्योंकि हम इस तरकीब को आदमियों को नहीं बताना चाहते। ये छत को वाटरप्रूफ़ करने की तकनीक है।" (हँसी) इसमें थोडा गुड है, थोडी पेशाब है और ऐसी कई चीजें जो मुझे नहीं पता है। लेकिन इसमें पानी नहीं चूता है। १९८६ से आज तक, पानी नहीं चुआ है। इस तकनीक को, औरतें मर्दों को नहीं बताती हैं। (हँसी) ये अकेला ऐसा कॉलेज है जो पूर्णतः सौर-ऊर्जा पर चलता है। सूरज से ही सारी बिजली आती है। छत पर ४५ किलोवाट के पैनल लगे हैं। और सब कुछ अगले २५ सालों तक सिर्फ़ सौर-ऊर्जा से चल सकता है। तो जब तक दुनिया में सूरज है, हमें बिजली की कोई समस्या नहीं होगी। मगर सबसे बढिया बात ये है कि इसे स्थापित किया था एक पुजारी ने, एक हिंदु पुजारी ने, जो सिर्फ़ आठवीं कक्षा तक पढे हैं -- कभी स्कूल नहीं गये, कभी कॉलेज नहीं गये। इन्हें सौर-तकनीकों के बारे में ज्यादा जानकारी है विश्व के किसी भी और व्यक्ति के मुकाबले, ये मेरी गारंटी है। भोजन, यदि आप बेयरफ़ुट कॉलेज में आयेंगे, आपको सौर-ऊर्जा से बना मिलेगा। मगर जिन लोगों ने उस सौर-चूल्हे को बनाया है, वो स्त्रियाँ हैं, अनपढ स्त्रियाँ, जो अपने हाथ से अत्यंत जटिल सौर-चूल्हा बनाती हैं। ये परवलय (पैराबोला) आकारा का बिना रसोइये का चूल्हा है। दुर्भाग्य से, ये आधी जरमन हैं, वो इतनी सूक्ष्मता से नाप-झोक करती हैं। (हँसी) आपको भारतीय महिलायें इतनी सूक्ष्म नाप-तोल करती नहीं मिलेंगी। बिलकुल आखिरी इंच तक, वो उस चूल्हे को बना सकती हैं। और यहाँ साठ व्यक्ति दिन में दो बार सौर-चूल्हे का खाना खाते हैं। हमारे यहाँ एक दंत-चिकित्सक हैं -- वो दादी-माँ है, अनपढ है, और दाँतों की डाक्टर हैं। वो दाँतों की देखभाल करती हैं करीब ७००० बच्चों के। बेयरफ़ुट टेक्नॉलाजी: ये १९८६ है - किसी इंजीनियर, या आर्किटेक्ट इस बारें में नहीं सोचा -- मगर हम बारिश के पानी को छत से इकट्ठा कर रहे थे। बहुत ही कम पानी बर्बाद होता है। सारी छतों को ज़मीन के नीचे बने ४००,००० लीटर के टैंक से जोडा हुआ है। और पानी बर्बाद नहीं होता। यदि हमें चार साल लगातार भी सूखे का सामना करना पडे, तो भी हमारे पास पानी होगा, क्योंकि हम बारिश के पानी को इकट्ठा करते हैं। ६० % बच्चे स्कूल इसलिये नहीं जा पाते, क्योंकि उन्हें जानवरों की देखभाल करनी होती है -- भेड, बकरी -- घर के काम। तो हमने सोचा कि एक स्कूल खोला जाये रात में, बच्चो को पढाने के लिये। क्योंकि तिलोनिया के रात के स्कूलों में ७५,००० बच्चों से ज्यादा रात को पढ चुके है, क्योंकि ये बच्चों की सहूलियत के लिये है; ये शिक्षकों की सहूलियत के लिये नही है। और हम यहाँ क्या पढाते हैं? प्रजातंत्र, नागरिकता, अपनी ज़मीनों की नाप कैसे करें, अगर आपको पुलिस पकड ले, तो क्या करें, यदि आपका जानवर बीमार हो जाये, तो क्या करें। यही हम रात के स्कूलों में पढाते हैं। क्योंकि सारे स्कूल मे सौर-ऊर्जा है। हर पाँच साल में, हम चुनाव करते हैं। ६ से ले कर १४ साल तक के बच्चे इस प्रजातांत्रिक प्रणाली में हिस्सा लेते हैं, और वो एक प्रधानमंत्री चुनते हैं। प्रधानमंत्री की उम्र है १२ वर्ष। वो सुबह २० बकरियों की देखभाल करती है, मगर शाम को वो प्रधानमंत्री हो जाती है। उसका अपना मंत्रिमंडल है, शिक्षा मंत्री, बिजली मंत्री, स्वास्थ-मंत्री। और वो असल में देखभाल करते है करीब १५० स्कूलों के ७००० बच्चों की। पाँच साल पहले उसे विश्व बालक पुरस्कार से नवाजा गया था, और वो स्वीडन गयी थी। पहली बार गाँव से बाहर निकली थी। कभी स्वीडन देखा नहीं। लेकिन आसपास की चीज़ों से ज़रा भी प्रभावित नहीं। और स्वीडन की रानी, जो वहीं थीं, मेरी ओर मुडी, और कहा, "क्या आप इस बच्ची से पूछेंगे कि इतना आत्म-विश्वास कहाँ से आता है? ये केवल १२ साल की है, और किसी से प्रभावित नहीं होती।" और वो लडकी, जो उनके बायें ओर है, मेरी ओर मुडी, और रानी की आँखों में आँखे डाल कर बोली, "कृप्या इन्हें बता दीजिये कि मैं प्रधानमंत्री हूँ।" (हँसी) (अभिवादन) जहाँ साक्षरता बहुत कम है, हम कठपुतलियों का इस्तेमाल करते हैं। कठपुतिलियों के सहारे हम अपनी बात रखते हैं। हमारे पास जोखिम चाचा है, जो करीब ३०० साल के हैं। ये मेरे मनोवैज्ञानिक हैं। ये ही मेरे शिक्षक हैं। यही मेरे चिकित्सक हैं। यही मेरे वकील हैं। यही मुझे दान देते हैं। यही धन भी जुटाते हैं, मेरे झगडे भी सुलझाते हैं। ये मेरे गाँव की समस्या का समाधान करते हैं। यदि गाँव में तनाव हो, या फ़िर स्कूलों में हाज़िरी कम हो रही हो और अध्यापकों और अभिभावकों के बीच मनमुटाव हो, तो ये कठपुतली अध्यापकों और अभिभावकों को सारे गाँव के सामने बुलाती है और कहती है, "हाथ मिलाइये। हाज़िरी कम नहीं होनी चाहिये।" ये कठपुतलियाँ विश्व-बैंक की बेकार पडी रिपोर्टों से बनी हैं। (हँसी) (अभिवादन) तो इस विकेंद्रित, और पारदर्शी तरीके से, गाँवों को सौर-ऊर्जा देने के तरीके से, हमने सारे भारत में काम किया है लद्दाख से ले कर भूटान तक -- सब जगहों पर सौर-ऊर्जा उन लोगों द्वारा लायी जिन्हें प्रशिक्षण दिया गया। और हम लद्दाख गये, और हमने एक महिला से पूछा -- कि आप, -४० डिग्री सेंटिग्रेट पर, छत से बाहर आयी हैं, क्योंकि बर्फ़ से आजू-बाजू के रास्ते बंद है -- और हमने इस से पूछा, "आपको क्या लाभ हुआ सौर ऊर्जा से?" और एक मिनट तक सोचने के बाद, उसने कहा, "ये पहली बार है कि मैं सर्दियों में अपने पति का चेहरा देख पायी।" (हँसी) हम अफ़्गानिस्तान गये। भारत में हमेने एक बात ये सीखी कि मर्दों को आप कुछ नही सिखा सकते। (हँसी) आदमी उछ्छंखल होते हैं, आदमी महत्वाकांक्षी होते हैं, वो एक जगह टिक कर बैठना नहीं पाते, और उन सबको एक प्रमाण-पत्र चाहिये होता है। (हँसी) दुनिया भर में, यही चाहत है आदमियों की, एक प्रमाण-पत्र चाहिये। क्यों? क्योंकि वो गाँव छोडना चाहते हैं, और शहर जाना चाहते हैं, नौकरी करने के लिये। तो हमने इस का एक बेहतरीन तरीका निकाला" बूढी दादियों को प्रशिक्षण देने का। अपनी बात दूर दूर तक फ़ैलाने का आज की दुनिया में क्या तरीका है? टेलीविजन? नहीं। टेलीग्राफ़? नहीं। टेलीफ़ोन? नहीं। एक स्त्री को बता दीजिये बस! (हँसी) (अभिवादन) तो हम पहली बार अफ़्गानिस्तान गयी, और हमने तीन स्त्रियों को चुना और कहा, "हम इन्हें भारत ले जाना चाहते हैं।" उन्होंने कहा, "असंभव। ये तो अपने कमरे तक से बाहर नही निकलती हैं, और तुम भारत ले जाने की बात करते हो।" मैने कहा, "मैं एक छूट दे सकता हूँ। मैं उनके पतियों को भी साथ ले जाऊँगा।" तो मैं उनके पतियों को भी ली आया। ज़ाहिर है, औरतें आदमियों से कहीं ज्यादा बुद्धिमान होती हैं। छः महीने के भीतर, हम इन औरतों को कैसे बदल दें? इशारों की भाषा से। तब आपक लिखित चीज़ों पर भरोसा नहीं करते। बोलचाल की भाषा से भी काम नहीं बनता। आप इशारों की भाषा इस्तेमाल करते हैं। और छः महीनों में, वो सौर-इंजीनियर बन गयीं। वो वापस जा कर अपने गाँव में सौर-बिजली ले आयीं। इस स्त्री ने वापस जा कर, पहली बार किसी गाँव में सौर-बिजली लगायी, एक कारखाना लगाया -- अफ़्गानिस्तान का पहला गाँव जहाँ सौर-बिजली आयी तीन औरतों द्वारा किया गया था। ये स्त्री एक महान दादी माँ है। ५५ साल की उम्र में इसने अफ़गानिस्तान में २०० घरों को सौर-बिजली दी है। और ये खराब भी नहीं हुई है। ये असल में अफ़्गानिस्तान के इंजीनियरिंग विभाग गयी, और वहाँ के मुख्य-अधिकारी को बता कर आयी कि ए.सी. और डी.सी. में फ़र्क क्या होता है। उसे नहीं पता था। इन तीन औरतो ने २७ और औरतों को प्रशिक्षण दिया है, और अफ़्गानिस्तान के १०० गाँवों में सौर-बिजली लगवा दी है। हम अफ़्रीका गये, और हमने यहे किया। ये सारी औरतें जो एक मेज पर बैठी हैं, अलग अलग आठ देशों की हैं, सब बतिया रही हैं, मगर बिना एक भी शब्द समझे, क्योंकि वो सब अलग अलग भाषा बोल रही हैं। मगर इनकी भाव-भंगिमायें गजब की हैं। ये एक दूसरे से बतिया भी रही है, और सौर-इंजीनियर बन रही हैं। मैं सियरा ल्योन ग्याअ, और वहाँ एक मंत्री से मिला जो रात के घनघोर अँधेरे में ड्राइविंग कर रहे थे -- एक गाँव पहुँचा। वापस आया, गाँव पहुँचा, और कहा, "इस की क्या कहानी है?" उन्होंने कहा, "इन दो दादी-मांओं ने..." "दादियों ने?" मंत्री साहब को भरोसा ही नहीं हुआ। "वो कहाँ गयी थी?" " भारत से लौट कर आयी हैं।" वो सीखे राष्ट्रपति के पास गया। उसने कहा, "आपको पता है कि सियरा ल्योन में एक सौर-बिजली युक्त गाँव है?" जवाब मिला, "नहीं।" अगले दिन आधे से ज्यादा मंत्रिमंडल इन औरतों से मिलने आ गया। "कहानी क्या है?" तो उन्होंने मुझे बुलाया और कहा, "क्या आप मेरे लिये १५० दादियों को प्रशिक्षण दे सकते हैं?" मैने कहा, "जी नहीं, महामहिम। मगर ये दे सकती हैं। ये दादियाँ।" तो उन्होंने सियरा ल्योन में मेरे लिये पहला बेयरफ़ुट ट्रेनिंग सेंटर बनवाया। और १५० दादियं को सियरा ल्योन में प्रशिक्षण मिल चुका है। गाम्बिया: हम गाम्बिया में एक दादी माँ को चुनने के लिये गये। एक गाँव में पहुँचे। मुझे पता था कि मैं किस स्त्री को चुनना चाहता हूँ। सब लोग साथ जुटे और उन्होंने कहा, " इन दो स्त्रियों को ले जायें।" मैने कहा, "नहीं, मैं तो उसे ले जाना चाहता हूँ।" उन्होंने कहा, "क्यों? उसे तो भाषा भी नहीं आती। आप उसे जानते नहीं हैं।" मैने कहा, "मुझे उसकी भाव-भंगिमायें और बात करने का तरीका अच्छा लगता है।" "उसका पति नहीं मानेगा: नहीं होगा।" तो पति को बुलाया गया, वो आया, अकड से चलता हुआ, नेताओं की तरह, मोबाइल लहराता हुआ। "नही होगा।" "क्यों नहीं? "उसे देखो, वो कितनी सुंदर है।" मैने कहा, "हाँ, बहुत सुंदर है।" "अगर किसी भारतीय आदमी के साथ भाग गयी तो?" ये उसका सबसे बडा डर था। मैने कहा, "वो खुश रहेगी, और तुम्हें मोबाइल पर कॉल करेगी।" वो दादी माँ की तरह गयी और एक शेरनी बन कर वापस लौटी। वो हवाई-जहाज से बाहर निकली और प्रेस से ऐसे बतियाने लगी जैसे सदा से यही करती रही हो। उसने राष्ट्रीय प्रेस को सम्हाला, और वो प्रसिद्ध हो गयी। और जब मैं छः महीने बाद उस से मिला, मैने कहा, "तुम्हारा पति कहाँ है?" "अरे, कहीं होगा, उस से क्या फ़र्क पडता है।" (हँसी) सफ़लता की कहानी। (हँसी) (अभिवादन) मैं अपनी बात ये कह कर ख्त्म करना चाहूँगा कि मुझे लगता है कि समाधान आपके अंदर ही होता है। समस्या का हल अपने अंदर ढूँढिये। और उन लोगों की बात सुनिये जो आप से पहले समाधान कर चुके हैं सारी दुनिया में ऐसे लोग मौजूद हैं। चिंता ही मत करिये। विश्व बैंक की बात सुनने से बेहतर है कि आप ज़मीनी लोगों की बातें सुनें। उनके पास दुनिया भर के हल हैं। मैं अंत में महात्मा गाँधी की कही बात दोहराना चाहता हूँ। "पहली वो आपको अनसुना कर देते हैं, फ़िर वो आप पर हँसते हैं, फ़िर वो आपसे लडते हैं, और फ़िर आप जीते जाते हैं।" धन्यवाद। (अभिवादन) हाल ही में, हमने व्यापार जगत पर साइबर हमलों का प्रभाव देखा। कंपनियों जैसे जे पी मॉर्गन, याहू, होम डिपो और टारगेट में डाटा विच्छेद लाखों में सैकङों को हानि पहुँचाया है और कुछ मामलों में, अरबों डॉलर को। अधिक हमलों की ज़रूरत नहीं लगेंगे विश्व अर्थव्यवस्था को तबाह करने के लिए । और न तो सार्वजानिक क्षेत्र प्रतिरक्षित हैं। २०१२ से २०१४ में, यहाँ पर महत्वपूर्ण डाटा उल्लंघन यू एस कार्मिक प्रबंधन कार्यालय में हुए थे। सुरक्षा मंज़ूरी और फिंगरप्रिंट डाटा से समझौते किये गए थे, इसने २२ लाख कर्मचारियों को प्रभावित किया था। और आपने शायद राज्य प्रयोजित हैकर्स के द्वारा हमलों के बारे में सुना होगा। कई देशों में चुराए गए डाटा द्वारा चुनाव परिणामों को प्रभावित करना। हाल में दो उदाहरण हैं डाटा के बड़े मात्रा में समझौतों के बुँदेस्टाग से, जर्मनी की राष्ट्रीय संसद, और ईमेल की चोरियां यू एस डेमोक्रेटिक राष्ट्रीय समिति से। साइबर हमले अब हमारे लोकतान्त्रिक प्रकियाओं को प्रभावित कर रहे हैं। और इसके अधिक बदत्तर होने की सम्भावना है। जैसे कंप्यूटर प्रौद्योगिकी अधिक शक्तिशाली होते जा रही है, प्रणालियाँ जो डाटा सुरक्षित रखने के लिए उपयोग करते हैं वो कमज़ोर होतीं जा रही हैं। इस सोच में जोड़ना एक नयी प्रकार की गणितीय प्रौद्योगिकी है, इसे क्वांटम गणित कहते हैं, जो प्रकृति के सूक्ष्मदर्शी गुणों का लाभ उठाता है गणितीय शक्तियों में अकल्पनीय वृद्धि प्रदान करने के लिए। यह इतना शक्तिशाली है कि कई एन्क्रिप्शन प्रणालियों को तोड़ देगा। जो हम आज उपयोग करते हैं। तो क्या स्थिति निराशावादी है? क्या हमें अपने डिजिटल जीविता गियर पैकिंग शुरू कर देनी चाहिए और आने वाले डाटा सर्वनाश के लिए तैयार हो जाना चाहिए? मैं कहना चाहूंगा, अभी नहीं। क्वांटम कंप्यूटिंग अब प्रयोगशाला में है, और इसमें कुछ साल लगेंगे जब तक इसे व्यावहारिक प्रयोगों डाला दिया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण, एन्क्रिप्शन के क्षेत्र में बड़ी सफलताएं मिली हैं। मेरे लिए, यह मुख्य रूप से रोमांचक समय है सुरक्षित सम्प्रेक्षण के इतिहास में। लगभग १५ पहले, जब मैंने नयी पायी हुई क्षमता के बारे में सीखा क्वांटम प्रभाव उत्पन्न करने के लिए जो प्रकृति में मौजूद ही नहीं है, मैं रोमांचित था। भौतिकी के मूल सिद्धांतों को लागू करने का विचार एन्क्रिप्शन को मज़बूत बनाने के लिए सच में मुझे चिंतित कर दिया। आज,दुनिया भर में एक चुनी हुई कंपनियों के समूह और प्रयोगशाला, मेरे सहित इस प्रौद्योगिकी को व्यावहारिक रूप से लागू करने के लिए परिपक्व कर रहे हैं। यह सही है। हम अब क्वांटम की लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं क्वांटम से तो फिर ये सब कैसे कार्य करता है ? खैर,पहले,चलिए एन्क्रिप्शन की दुनिया का एक त्वरित दौरा करते हैं। इसके लिए, आपको एक ब्रीफ़केस की ज़रूरत पड़ेगी, कुछ ज़रूरी दस्तावेज़ जो आप भेजना चाहते हैं अपने मित्र, जेम्स बांड को, और एक लॉक इन सबको सुरक्षित रखने के लिए। क्योंकि ये दस्तावेज़ बहुत गोपनीय हैं, हम एक उन्नत ब्रीफकेस का उपयोग करेंगे। इसमें एक विशेष मेल का लॉक है जो, जब बंद हो, दस्तावेज़ के सभी टेक्स्ट को क्रमरहित अंको में बदल देता है। तो आप अपने दस्तावेज़ अंदर रखते हैं, लॉक बंद करते हैं-- इस बिंदु पर समय में दस्तावेज़ क्रमरहित अंकों में बदल जाता है -- और आपने ब्रीफ़केस जेम्स बांड को भेज दिया। जब यह अपने रास्ते पर होगा, आप उसे कोड देने के लिए कॉल करेंगे। जब वह ब्रीफ़केस प्राप्त करेगा, वह कोड डालेगा दस्तावेज़ सुलझ जायेंगे और वोइला, आपने बस एक एनकोडेड सुचना जेम्स बांड को भेज दिया। (हँसी) एक मज़ेदार उदाहरण, पर यह एन्क्रिप्शन के तीन महत्वपूर्ण चीज़ें ज़रूर प्रदर्शित करता है। कोड -- हम इसे एन्क्रिप्शन कुंजी कहते हैं। आप इसे एक पासवर्ड सोच सकते हैं। जेम्स को मेल लॉक का कोड देने के लिए किया गया कॉल। हम इसे खास विनिमय कहते हैं। इस प्रकार आप सुनिश्चित करते है आपने एन्क्रिप्शन कुंजी सुरक्षित रूप से सही स्थान पर दे दी है। और लॉक, जो दस्तावेज़ को एनकोड और डिकोड करता है। हम इसे एन्क्रिप्शन एल्गोरिथ्म कहते हैं। कुंजी का उपयोग, यह दस्तावेज़ों के टेक्स्ट को एनकोड करता है क्रमरहित अंको में। एक अच्छा एल्गोरिथ्म इस प्रकार एनकोड करता है कि कुंजी के बिना इसे सुलझाना बहुत कठिन है। क्या है जो एन्क्रिप्शन को महत्वपूर्ण बनाता है ये कि यदि किसी ने ब्रीफ़केस को पकड़ लिया और खोल दिया बिना एन्क्रिप्शन कुंजी और एन्क्रिप्शन एल्गोरिथ्म के, वे दस्तावेज़ पढ़ने योग्य नहीं होंगे। वे कुछ क्रम रहित अंकों के समूह से अधिक कुछ नहीं दिखेंगे। अधिकांश सुरक्षा प्रणलियाँ कुंजी विनिमय के सुरक्षा तरीके पर निर्भर करते हैं एन्क्रिप्शन कुंजी को सही स्थान पर सूचित करने के लिए। हालांकि, गणना शक्ति में तीव्र वृद्धि आज के कुंजी विनिमय के तरीकों को खतरों में डाल रहे हैं। विचार करें आज के व्यापक रूप से उपयोग होने वाले प्रणालियों पर -- आर एस ए १९७७ में , जब यह खोजा गया था, यह अनुमान लगाया गया था कि इसे लगेंगे ४० करोड़ शंख वर्ष ४२६-बिट आर एस ए कुंजी तोड़ने में। १९९४ में, केवल १७ वर्षों बाद, कोड तोड़ दिया गया। जब कंप्यूटर अधिक और अधिक शक्तिशाली हो गए हैं, हमें बड़े से बड़े कोड उपयोग करने पड़े। आज हम नियमित रूप से २०४८ या ४०९६ बिट्स उपयोग करते हैं। जैसे कि आप देख सकते हैं, कोड बनाने और तोड़ने वाले एक चलती हुई लड़ाई में लगे हैं एक दूसरे को हराने के लिए। और जब क्वांटम कम्प्यूटर्स आएंगे अगले १० से १५ वर्षों में, वे बल्कि और भी अधिक तीव्रता से जटिल गणित तोड़ सकते हैं जो आज हमारे कई एन्क्रिप्शन प्रणालियों को रेखांकित करता है। निश्चित ही, क्वांटम कंप्यूटर हमारे वर्तमान सुरक्षा किले को बदल देगा केवल ताश के पत्तों में। हमें अपने किले के बचाव के लिए रास्ते ढूंढने होंगे। यहाँ हाल के वर्षों में एक अनुसन्धान की बढ़ती हुई संस्था है जो क्वांटम प्रभावों का प्रयोग एन्क्रिप्शन मज़बूत बनाने लिए देख रही है। और यहाँ पर कुछ रोमांचक सफलताएँ हैं। याद कीजिये वो एन्क्रिप्शन की तीन महत्वपूर्ण चीज़ें -- उच्च-गुणवत्ता कुंजी, सुरक्षित कुंजी विनिमय और एक मज़बूत एल्गोरिथ्म? खैर,विज्ञान और अभियांत्रिकी में उन्नति उन तीन में से दो तत्वों को खतरे में डालती है। सबसे पहले, वे कुंजियाँ। क्रमरहित अंक एन्क्रिप्शन कुंजी के मौलिक निर्माण खंड हैं। परंतु आज, वे सच में क्रमरहित नहीं हैं। वर्तमान में, हम एन्क्रिप्शन कुंजी बनाते हैं सॉफ्टवेयर जनित क्रमरहित अंकों के क्रम से, तथाकथित छद्दम क्रमरहित अंक। अंक एक प्रोग्राम और गणितीय रेसिपी द्वारा जनित होते हैं जिनमे उनके कुछ, शायद सूक्ष्म, पैटर्न होंगे। जितने कम क्रमरहित अंक हैं, या वैज्ञानिक भाषा में, उतनी कम एन्ट्रापी उनमे होगी, उतने ही आसानी से वे ज्ञात किये जा सकेंगे। हाल ही में, कई कैसिनो रचनात्मक हमलों के पीड़ित हुए हैं। स्लॉट मशीनों के उत्पाद एक समय पर रिकॉर्ड किये गए थे और फिर विश्लेषित किये गए। इसने साइबर अपराधियों को अनुमति दी छद्म क्रमरहित अंक जनरेटर के अभियांत्रिक को उलटने की स्पिनिंग पहियों के पीछे। और उन्हें अनुमति दी, पहियों के घूमने की उच्च सटीकता के साथ अनुमान लगाने की, उन्हें बड़े वित्तीय लाभ बनाने योग्य कर दिया। एन्क्रिप्शन कुंजी पर भी ऐसा ही खतरा लागू होता है। इसलिए एक वास्तविक क्रमरहित अंक जनरेटर ज़रूरी है सुरक्षित एन्क्रिप्शन के लिए। वर्षों से, रिसर्चर वास्तव क्रमरहित अंक जनरेटर बनाने देख रहे हैं। परन्तु आज के दिनाँक तक अधिकांश डिज़ाइन या तो काफी क्रमरहित नहीं हैं, पर्याप्त तेज़ या आसानी से दोहराने योग्य नहीं हैं। परन्तु क्वांटम की दुनिया वास्तव में क्रमरहित है। इसलिए इस आंतरिक याक्षिकता का लाभ लेना समझ आता है। उपकरण जो क्वांटम प्रभावों को माप सकते हैं ऊँची तेज़ी पर क्रमरहित अंकों का एक अंतहीन स्ट्रीम उत्पन्न किया जा सकता है। उन सभी को विफल करना कैसिनो -अपराधी होगा। दुनिया भर में एक चुने हुए विश्वविद्यालय और कंपनियों के समूह वास्तविक क्रमरहित अंक जनरेटर निर्माण पर केंद्रित हैं। मेरी कंपनी में, हमारे क्वांटम क्रमरहित अंक जनरेटर ने जीवन शुरुआत किया एक दो मीटर बाय एक मीटर के ऑप्टिक टेबल पर। फिर हम उसे एक सर्वर साइज़ बॉक्स में कम करने योग्य हुए थे। आज, यह एक PCI कार्ड में छोटा हो गया है जो स्टैण्डर्ड कंप्यूटर में प्लग होता है। यह दुनिया का सबसे तेज़ वास्तव क्रमरहित अंक जनरेटर है। यह क्वांटम प्रभावों को मापता जो एक अरब क्रमरहित अंक प्रति सेकंड उत्पादित करती हैं और यह आज सुरक्षा बेहतर करने के लिए उपयोग किया जाता है क्लाउड प्रदाताओं ,बैंकों और सरकारी एजेंसियों में दुनिया भर में। (तालियाँ) परन्तु बल्कि एक वास्तविक क्रमरहित अंक जनरेटर के साथ, हमे अब भी दूसरी बड़ी साइबर धमकी मिली; सुरक्षा कुंजी विनिमय की समस्या। वर्तमान कुंजी विनिमय तकनीक एक क्वांटम कंप्यूटर पर न खड़ा हो पायेगा। इस समस्या के लिए क्वांटम हल को कहते हैं क्वांटम कुंजी वितरण या QKD, जो एक मूलभूत कॉउंटेरिंटूइटीव विशेषता का लाभ उठाता है क्वांटम मैकेनिक्स का। इसमें देखने का कार्य क्वांटम पार्टिकल को बदल जाता है। चलिए मैं एक उदहारण देता हूँ कि ये कैसे काम करता है। फिर से विचार कीजिए कोड विनिमय लॉक के लिए जेम्स बांड के साथ। केवल इस समय, एक कॉल के स्थान पर कोड जेम्स को दीजिये, हम क्वांटम प्रभाव का उपयोग एक लेज़र पर करेंगे जो कोड रखता है और इसे स्टैण्डर्ड ऑप्टिक फाइबर पर जेम्स को भेज देते हैं। हम अनुमान लगाते हैं कि डॉ. नो हैक करने की कोशिश करता है। भाग्य से, डॉ. नो क्वांटम कुंजी अवरोध करने का प्रयास पारगमन के दौरान करता है फिंगरप्रिंट्स छोड़ देता है जिसे जेम्स और आप जाँच सकते हैं। यह अनुमति देता है उन अवरोधित कुंजियों को समाप्त करने की। कुंजियाँ जो उस समय रखी गयीं थीं को उपयोग कर सकते हैं अधिक मज़बूत डाटा सुरक्षा प्रदान करने के लिए। और क्योंकि सुरक्षा भौतिकी के मुलभूत नियमों पर आधारित है, एक क्वांटम कंप्यूटर, और निश्चित ही भविष्य का कोई सुपर कंप्यूटर इसे तोड़ने योग्य नहीं होगा। मेरी टीम और मैं सहयोग कर रहे हैं अग्रणी विश्वविद्यालयों के साथ और सुरक्षा क्षेत्र के साथ परिपक्व करने के लिए इस रोमांचक प्रौद्योगिकी को अगली पीढ़ी के सुरक्षा उत्पादों में। चीज़ों का इंटरनेट (IoT) हाइपरकनेक्टेड युग की शुरुआत है २५ से ३० अरब जुड़े उपकरणों के साथ २०२० तक का पूर्वानुमान है। हमारे समाज के सही कामकाज के लिए IoT की दुनिया में, विश्वास प्रणालियाों पर जो इन जुड़े हुए उपकरणों को समर्थन करती हैं आवश्यक है। हम शर्त लगा रहे कि क्वांटम प्रौद्योगिकी ये विश्वास प्रदान करने के लिए आवश्यक है, हमें सक्षम बनाता है अद्भुत नवाचारों से पूरी तरह से लाभान्वित होने के लिए जो समृद्ध करने जा रहे हैं हमारे जीवन को। धन्यवाद। (तालियाँ) तो जादू बहुत अंतर्मुखी क्षेत्र है| जबकि वैज्ञानिक नियमित रूप से अपने नवीनतम शोध प्रकाशित करते हैं, हम जादूगर अपने रहस्य और काम करने की विधि बाँटना पसंद नहीं करते हैं | यह साथियों के बीच भी सच है | लेकिन अगर आप रचनात्मक अभ्यास को अनुसंधान के रूप में देखेंगे, या मानवता के लिए कला को अनुसंधान एवं विकास के रूप में, तो मेरी तरह एक साइबर मायावादी, कैसे अपना शोध बांट सकते हैं? अब मेरी अपनी विशेषता है अंकीय प्रौद्योगिकी और जादू का संयोजन | और लगभग तीन साल पहले, मैने, खुलेपन और समग्रता में एक अभ्यास शुरू किया | खुले स्रोत सॉफ्टवेयर समुदाय तक, जादू के लिए नए अंकीय उपकरण बनाने के लिए, पहुँचने से, उपकरण जिन्हे अंततः अन्य कलाकारों के साथ सहभाग किया जा सके, उन्हें और आगे की प्रक्रिया में बढ़ावा देने के लिए और उन्हें कविता के प्रति जल्दि राज़ी करने के लिए साझा किया जा सके | आज, मैं आपको कुछ दिखाना चाहता हूँ जो इन सहयोगों से बना है | यह एक संवर्धित वास्तविकता प्रक्षेपण पर नज़र रखने वाली और मानचित्रण प्रणाली, या एक अंकीय कथाकारिता का उपकरण है | क्या हम नीचे रौशनी डालने की कृप्या करेंगे? धन्यवाद | तो चलें इसका प्रयत्न करें | और मैं इसे इस्तेमाल करने जा रहा हूँ, जीवन के विषय पर आपको अपनी सोच पदॄति बताने के लिए | (तालियां) (संगीत) बहुत अफसोस है | मैं सतह भूल गया | जागो | अरे | चलो | (संगीत) कृपया | (संगीत) चलो | आह, इसके लिए खेद है | इसे भूल गया | (संगीत) एक बार और कोशिश करो | ठीक है | इसने प्रणाली मालूम कर ली | (संगीत) (हँसी) (तालियां) (संगीत) ओह, उह. (संगीत) ठीक है | चलो यह कोशिश करें | चलो | (संगीत) (हँसी) (संगीत) अरे | (संगीत) तुमने सुना उसे, आगे बढ़ो | (हँसी) (तालियां) अलविदा | (तालियां) नमस्ते, आज, मैं आपको अपने आठ परियोजनायों की थोड़ी सी झलक दिखाउंगी, जो डेनिश सहयोगी कलाकार सोरेन पोर्स के साथ की है | हम अपने को पोर्स एंड राव कहते हैं, और हम भारत में रहते एवं काम करते हैं | मैं अपनी पहली परियोजना के साथ आरंभ करना चाहुंगी, जिसे मैं "द अंकल फोन" कहती हूँ | और यह मेरे अंकल की मुझे हमेशा उनकी चीज़े करने के लिए कहने की अजीब आदत से प्रेरित था, बिल्कुल ऐसे जैसे मैं उनके शरीर का विस्तार थी -- लाईट जलाने के लिए या उनके लिए पानी लाने के लिए, या सिगरेट का पैकेट | और जब मैं बड़ी हुई, यह और भी बुरा हो गया, और मैंने इसे एक नियंत्रण के रूप में सोचना शुरू कर दिया | हाँ लेकिन, मैं कभी कुछ कह नहीं पायी, क्युंकि अंकल भारतीय परिवार में सम्मानीय व्यक्ति है | और स्थिति जो मुझे सबसे ज्यादा परेशान करती और सताती थी वो थी उनका लैंडलाइन टेलीफोन का इस्तेमाल | वो रिसीवर को पकड़ लेते और मुझसे आशा रखते कि मैं उनके लिए नंबर डायल कर दू | तो इसके प्रतिक्रिया में अंकल के लिए उपहार स्वरुप, मैंने उन्हें "द अंकल फोन" बना दिया | यह इतना बड़ा था कि इसे इस्तेमाल करने के लिए दो लोगो की जरुरत होती | बिल्कुल उसी तरह जैसे मेरे अंकल उस फोन को इस्तेमाल करते जो एक व्यक्ति के लिए बना था | लेकिन समस्या यह है कि जब मैं घर छोड़ कर कॉलेज गयी, मैं उनके आदेशो की कमी को महसूस करने लगी | तो मैंने उनके लिए एक सुनहरा टाइप रायटर बनाया जिसके द्वारा वो अपने आदेश दे सके दुनिया में फैले भतीजे और भतीजियों को एक इमेल के द्वारा | तो उनके बस एक कागज़ का टुकड़ा लेना है, उसे कैरियाज़ में डालना है, आदेश या इमेल टाइप करना है और कागज़ बाहर निकलना है | यह यंत्र अपने आप इस खत को इमेल की तरह इच्छित व्यक्ति को भेज देता है | तो यहाँ आप देख सकते हैं, हमने बहुत सारे इलेक्ट्रोनिक्स जोड़े हैं जो सारी यांत्रिकी क्रिया को समझते हैं और इन्हें डिजिटल में बदलते हैं | तो मेरे अंकल सिर्फ यांत्रिक हिस्से से संपर्क करते है | और हाँ, यह बहुत बड़ा और कल्पवाद के भाव के साथ होना चाहिए, जैसे मेरे अंकल को पसंद है | अगली परियोजना है आवाज़ सवेंदी स्थापत्य हम इसे प्यार से "द पिग्मिस" कहते हैं | और हम एक शर्मीले, संवेदी और प्यारे प्राणियों के समूह से घिरे होने के विचार के साथ काम करना चाहते थे | यह इन पैनलो के द्वारा काम करता है, जो हमने दीवारों पर लगाये है, और उनके पीछे, ये छोटे प्राणी है जो छुपे रहते हैं | और जैसे ही शांति होती है, ये जैसे रेंगते हुए बाहर आते हैं | और अगर और भी ज्यादा शांति होती है, ये अपना गला बाहर निकालते हैं | और छोटे से शोर के होने पर, फिर से छुप जाते हैं | तो दीवारों पर ये पैनल लगे हुए हैं | और 500 से ज्यादा ये छोटे पिग्मिस उनके पीछे छुपे हुए हैं | तो यह इस तरह काम करता है | यह एक वीडियो नमूना है | तो जब शांति है, ये जैसे पैनल के पीछे से बाहर आ रहे हैं | और इंसानों या असली प्राणियों की तरह सुनते हैं | तो कुछ समय के बाद यह उन आवाजों के प्रति प्रभावहीन हो जाते हैं जो उन्हें डराती थी | और वो वातावरण की आवाजों पर प्रतिक्रिया नहीं देते | आप कुछ देर में ट्रेन की आवाज़ सुनेंगे जिस पर ये प्रतिक्रिया नहीं देते | (शोर) लेकिन ये मुख्य आवाज़ों पर प्रतिक्रिया देते हैं | आप उसे कुछ सेकंड में सुनेंगे | (सीटी की आवाज़) तो हमने उन्हें यथासंभव जीवन के करीब बनाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत की हैं | तो हर पिग्मी का अपना स्वाभाव है, विचार है, मिजाज है, व्यक्तित्व है | तो यह बहुत प्रारंभिक नमूने हैं | और हाँ, यह बाद में और भी बेहतर हो गया | और हमने उन्हें लोगो पर प्रतिक्रिया देने के लिए बनाया, लेकिन हमने पाया कि लोग बहुत चंचल और बच्चो की तरह उनसे बर्ताव करते | यह एक वीडियो स्थापत्य है जिसका नाम "द मिसिंग परसन" है | और हम काफी कौतूहलपूर्ण थे अदृश्यता के विचार के साथ प्रयोग करने के लिए | अदृश्यता के साथ प्रयोग करना कैसे संभव हो सकता है? तो हमने एक कंपनी के साथ काम किया जो कैमरों के द्वारा निगरानी रखने में विशेषज्ञ है, और हमने उन्हें हमारे साथ एक सॉफ्टवेयर बनाने को कहा, कैमरे को प्रयोग करते हुए जो कमरे में किसी व्यक्ति को देख सके, उन पर नज़र रख सके और उस व्यक्ति को पृष्टभूमि के साथ बदल देते है, उन्हें अदृश्य बनाते है | तो मैं आपको एक प्रारंभिक नमूना दिखाउंगी | दाहिने तरफ आप मेरे सहकर्मी सोरेन को देख सकते हैं, जो वास्तव में उस जगह पर है | और बाये तरफ, आप संसाधित वीडियो देखेंगे जहाँ कैमरे ने उन्हें अदृश्य बना दिया है | सोरेन कमरे में आते है | वो अदृश्य हो गये | और आप देख सकते है कि कैमरा उन पर नज़र रखता है और उन्हें मिटाता है | यह एक प्रारंभिक वीडियो है, तो अभी तक हम अधिव्यापन और ऐसे दूसरे चीज़ों से नहीं निपटे हैं, लेकिन बाद में जल्दी ही बेहतर हो जायेगा | तो हमने इस एक कमरे में उपयोग करने के लिए एक कैमरा रखा जो वहाँ देखता रहता है, और हर दीवार पर एक मॉनिटर | और जब लोग कमरे के अंदर आये, वो खुद को मॉनिटर पर देखते, बस एक अंतर के साथ: एक व्यक्ति हमेशा अदृश्य रहता वो कमरे में जहाँ भी जाते | तो इस परियोजना का नाम "द सन शैडो" और यह बिल्कुल किसी कागज के टुकड़े की तरह है, तेल के फैलाव या सूरज जैसी बच्चों की चित्रकरी की तरह | और सामने से, यह चीज़ बहुत मजबुत नज़र आती है, और बगल से, यह बिल्कुल कमज़ोर लगती है | तो कमरे में चल रहे लोग लगभग इसकी उपेक्षा कर देते है, यह कोई बेकार की वस्तु पड़ी हुई है ऐसा सोच कर | लेकिन जैसे ही वो इसके पास से गुज़रते है, यह दीवार पर झटको के साथ चढ़ना शुरू कर देती है और यह थक जाती है, और हर बार गिर जाती है | (हँसी) तो यह परियोजना उल्टे व्यक्ति का मज़ाकिया चित्रण है | उसका सर बहुत भारी है, भारी विचारों से भरा हुआ, जो कि उसके टोपी में गिर गया है, और उसका शरीर एक पौधे की तरह उससे बाहर उग रहा है | यह इधर उधर घूमते रहता है शराबियों की तरह अपने सर को मनमौजी और धीरे धीरे हिलाते हुए | और यह एक तरह से उस घेरे से घिरा हुआ है | क्युंकि अगर वह घेरा वहाँ नहीं होता, और जमीन काफी समतल है, यह पूरी जगह में घुमाना शुरू कर देगा | और वहां कोई वायर नहीं है | तो मैं आपको एक घटना दिखाउंगी -- तो जब लोग कमरे के अंदर आये, यह इस चीज़ को शुरू कर देता है | और बहुत धीरे, कुछ मिनट्स में, यह ऊपर उठता है, और अपना आवेग प्राप्त करता है और ऐसा लगता है जैसे यह गिरने वाला है | और यह एक महत्वपूर्ण क्षण है, क्युंकि हम इसे दर्शकों में मिलाना चाहते थे एक सहज प्रवृत्ति मदद करने की, या वस्तु को बचाने की | लेकिन वास्तव में इसे जरूरत नहीं है, क्युंकि, फिर से, यह अपने आप को संभाल लेता है | तो यह परियोजना हमारे लिए वास्तव में तकनिकी चुनौती थी, और हमने कड़ी मेहनत की है, हमारे बाकी परियोजनायों की तरह, सालो साल यांत्रिकी, समायोजन और गतिकी को सही करने के लिए | और हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण था वो क्षण निर्धारित करना जब यह गिरेगा, क्युंकि अगर हमने इस तरह बनाया कि यह पलट जाए तो यह खुद को नुकसान पहुँचायेगा, और अगर यह ठीक से नहीं गिरा तो यह वो नियतिवाद पैदा नहीं करेगा, या जा कर मदद करने की इच्छा का भाव | तो मैं आपको छोटा सा वीडियो दिखाउंगी जहाँ हम परीक्षण कर रहे है -- यह बहुत तेज है | वो मेरे सहकर्मी है | उन्होंने इसे गिरने दिया | अब वो चिंतित है, तो अब वो इसे पकड़ने वाले है | लेकिन इसकी जरुरत नहीं है, क्युंकि यह खुद को संभाल सकता है | तो इस परियोजना के लिए हम बहुत कौतूहलपूर्ण थे, हज़ारो छोटे और अलग अलग आकारों के फाइबर ऑप्टिक्स के रोवों के सौंदर्य के साथ जो रात के आसमान की तरह टिमटिमाते है | और रात के आसमान के पैमाने पर है | तो हमने इसे एक गोले के रूप में लपेटा है, जो कि एक टेड्डी बियर के आकार में है, जो छत से लटक रहा है | और इसका विचार एक विरोधाभास था किसी ठन्डे और अलग अंतरिक्ष की तरह अमूर्त को टेड्डी बियर के जाने पहचाने रूप में ढालने का, जो बहुत आरामदायक और अंतरंग है | इसका विचार यह था कि कुछ समय बाद आप इसे एक टेड्डी बियर की तरह देखना बंद कर देंगे और इसे लगभग पूरी तरह से अंतरिक्ष में छेद की तरह समझेंगे, और जैसे आप टिमटिमाते रात के आसमान की ओर देख रहे है | तो यह आखिरी परियोजना है, और काम अभी चल रहा है, और इसका नाम "स्पेस फिलर" है | एक छोटे घन की कल्पना कीजिये जिसका आकार कमरे के बीच में रखे हुए घन के सामान है, और जब आप इसके करीब जाते हैं, यह आपको डराने की कोशिश करता है एक घन के आकार में बढ़ कर जिसका ऊंचाई दो गुणा है और आयतन चार गुणा | और यह चीज़ हमेशा बढ़ती और घटती रहती है उसके आसपास घुमे रहे लोगो के साथ एक गतिय स्थापित करने के लिए -- बिल्कुल जैसे यह कोशिश कर रही हो अपने सिलाई के भीतर एक राज़ छुपाने की या और कुछ | तो हमने बहुत सारी तकनीकियों के साथ काम किया, लेकिन वास्तव में हमे तकनिकी पसंद नहीं, क्युंकि इसने हमे हमारे परियोजनायों में सालो साल बहुत तकलीफे दी है | लेकिन हम इस इस्तेमाल करते है क्युंकि हमे रूचि है उन तरीको में जो हमारी मदद कर सके भावनात्मक और स्वाभाव के प्रतिरूप को अभिव्यक्त करने में इन जीवों के लिए जो हमने बनाये हैं | और एक बार जब किसी जीव की कल्पना हमारे दिमाग में आती है, यह बिल्कुल ऐसे है जैसे निर्माण की प्रक्रिया उस तरीके को खोजना है जैसे यह जीव सचमुच में रहना चाहेगा | और किस आकार को लेना चाहेगा और किस तरह यह हिलना चाहेगा | धन्यवाद | (अभिवादन) बहुत-बहुत धन्यवाद क्रिस । हर कोई जो यहाँ आया उन्होंने कहा कि वे डर गए थे । मुझे पता नहीं है अगर मैं डर रही हूँ तो, लेकिन यह इस तरह से एक दर्शकों को संबोधित करने का मेरा पहला अवसर है। और मेरे पास आपको दिखाने के लिए कोई भी स्मार्ट तक़नीक़ नहीं है। कोई स्लाइड नहीं, इसलिये आपको सिर्फ़ मुझसे ही सन्तुष्ट होना पड़ेगा । (हँसी)। आज मैं आपके साथ कुछ कहानियाँ बांटना चाहती हूँ। और साथ ही एक अलग अफ्रीका के बारे में बात करना चाहती हूँ। पहले से ही इस सुबह अफ्रीका के लिए कुछ भ्रम थे जिसके बारे में आप हर समय सुनते हैं: अफ्रीका में एचआईवी/एड्स, अफ्रीका में मलेरिया, अफ्रीका में ग़रीबी, अफ्रीका का संघर्ष, और अफ्रीका की आपदायें। हालांकि यह सच है कि ये चीज़ें हो रही हैं, फ़िर भी एक अफ्रीका है जिसके बारे में आपने बहुत कुछ नहीं सुना है। और कभी-कभी मैं हैरान होकर अपने आप को पूछती हूँ क्यों । यह वो अफ्रीका है जो बदल रहा है, जिसका क्रिस ने उल्लेख किया है। यह अफ्रीका अवसर का है। यह वो अफ़्रीका है जहाँ लोग अपने स्वयं के भविष्य और अपनी ही नियति का भार उठाना चाहते हैं। और यह वो अफ्रीका है जहाँ लोग यह करने के लिए साझेदारी की तलाश कर रहे हैं आज मैं इसके बारे में ही बात करना चाहती हूँ। और मैं आपको अफ़्रीका के बदलाव के बारे में एक कहानी बताकर शुरू करना चाहती हूँ। सितम्बर 2005 की 15 तारीख को, श्री डायप्रिये अल्मीसेघा, नाइजीरिया के तेल समृद्ध राज्यों के राज्यपाल, उनको लंदन मेट्रोपोलिटन पुलिस ने लंदन के लिए एक यात्रा पर गिरफ़्तार कर लिया। उनको गिरफ़्तार किया गया क्योंकि उनसे और उनके परिवार से जुड़े $8 लाख का स्थानान्तरण कुछ निष्क्रिय खातों में चला गया । यह गिरफ़्तारी हुई क्योंकि लंदन मेट्रोपोलिटन पुलिस और आर्थिक और वित्तीय अपराध आयोग नाइजीरिया के बीच सहयोग था, जिसका नेतृत्व हमारे सबसे योग्य और साहसी लोगों में से एक: श्री नुहू रिबाडु द्वारा किया जा रहा था। अल्मीसेघा को लंदन में अपराधी बताया गया था। कुछ नाकामी के कारण, वह एक महिला का रूप धारण करके बच निकलने में सफल हो गये। और लंदन से वापस नाइजीरिया भाग गए जहाँ से, हमारे संविधान के अनुसार, जैसा कि बहुत से अन्य देशों में भी है कि जो कार्यालय में राज्यपाल, राष्ट्रपति - के रूप में हैं और -- उन्मुक्त है उन पर मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता। लेकिन क्या हुआ: लोग उनके व्यवहार से इतने क्रोधित थे कि उनकी राज्य विधायिका के लिए उन्हें दोषी ठहराना और कार्यालय से बाहर निकालना, यह संभव था । आज, अल्म्स – जैसा हम उन्हें छोटे नाम में पुकारते हैं - जेल में है। यह इस तथ्य के बारे में एक कहानी है कि अफ्रीका में लोग अब उनके नेताओं से भ्रष्टाचार बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं। यह इस तथ्य के बारे में एक कहानी है कि लोग अपने संसाधनों का ठीक ढंग से प्रबंधन करना चाहते हैं ना कि ये कि उन्हें और अच्छे स्थानों के लिए बाहर ले जाया जाये जहाँ सिर्फ़ एक अभिजात वर्ग के कुछ लोग इसका लाभ लेंगे। और इसलिए, जब आप भ्रष्ट अफ्रीका के बारे में सुनते हैं -- भ्रष्टाचार हर समय – मैं चाहती हूँ कि आप जानें कि लोग और सरकार कुछ देशों में इस मुश्किल से लड़ने की कोशिश कर रहे हैं, और कुछ सफलताऍ भी उभर रही हैं। क्या इसका ये मतलब है कि यह समस्या ख़त्म हो गई है? इस सवाल का जवाब नहीं है। अभी भी जाने के लिए एक लंबा रास्ता है, लेकिन साथ ही हमारी इच्छा भी वहाँ है। और इस बहुत महत्वपूर्ण लड़ाई के लिये सफलतायें तैयार की जा रही हैं। तो जब आप भ्रष्टाचार के बारे में, सुनें तो सिर्फ़ यह महसूस ना करें कि इस बारे में कुछ भी नहीं किया जा रहा है -- कि आप भारी भ्रष्टाचार की वजह से किसी भी अफ्रीकी देश में काम नहीं कर सकते । ऐसा नहीं है। वहाँ लड़ने की एक इच्छा है, और कई देशों में, लड़ाई चल रही है और जीती जा रही है। अन्य शब्दों में, जैसे मेरे देश में जहां नाइजीरिया में तानाशाही का एक लंबा इतिहास रहा है, लड़ाई चल रही है और हमें आगे बढ़ने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। लेकिन इस मामले की सच्चाई यह है कि यह चल रहा है। परिणाम दिखा रहे हैं: विश्व बैंक और अन्य संगठनों द्वारा स्वतंत्र निगरानी दिखा रही है कि कई मामलों में ये रुझान नीचे है भ्रष्टाचार के मामले में, और प्रशासन में सुधार है। अफ्रीका के लिए आर्थिक आयोग द्वारा एक अध्ययन अफ्रीकी देशों में शासन में एक स्पष्ट रुझान ऊपर की ओर दिखाता है । और मुझे बस एक और बात कहनी है इससे पहले कि मैं शासन के इस क्षेत्र को छोड़ दूँ । यह है कि लोग भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार के बारे में बात कर रहे हैं। हर समय, जब भी वे इस बारे में बात करते हैं आप तुरंत अफ्रीका के बारे में सोचते हैं। यह छवि: अफ्रीकी देशों की है। लेकिन मैं यह कहना चाहूँगी: अगर अल्मैस लंदन में एक ख़ाते में $8 करोड़ का निर्यात करने में सक्षम था -- अगर अन्य लोगों ने जो पैसा लिया था जो अनुमान लगाया गया कि लगभग 20 से 40 अरब था, अब ये विकासशील देशों का पैसा है जो अब विदेशों में विकसित देशों में बैठे हैं – यदि वे ऐसा करने में सफल रहे हैं, तो ये क्या है? क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है? इस देश में, यदि आप चोरी के सामान को प्राप्त करते हैं, तो क्या आप पर मुक़दमा नहीं चलाया जायेगा? तो जब हम भ्रष्टाचार के बारे में इस तरह की बात करते हैं तो हमें ये भी सोचना चाहिये, कि दुनिया के दूसरे किनारे पर क्या हो रहा है -- पैसा कहाँ जा रहा है और इसे रोकने के लिए क्या किया जा सकता है। मैं अब विश्व बैंक के साथ परिसंपत्ति वसूली पर, एक पहल पर काम कर रही हूँ, कोशिश कर रही हूँ ये जानने की, कि हम क्या कर सकते हैं वो पैसा वापस पाने के लिए जो कि विदेशों में ले लिया गया है -- विकासशील देशों का धन - उसे वापस पाने के लिए। क्योंकि अगर हम वहाँ बाहर बैठे, 20 अरब डॉलर वापस प्राप्त कर सकते हैं तो इनमें से कुछ देशों के लिये ये एक साथ रखी जाने वाली सारी सहायता से भी अधिक हो सकता है। (तालियां)। दूसरी चीज़ जिसके बारे में मैं बात करना चाहती हूँ वो है सुधार के लिये इच्छा। अफ्रीकियों, के बाद - वे थक गए हैं, सब का दान और देखभाल का विषय होने के कारण हम थके हुए हैं । हम आभारी हैं, लेकिन हम जानते हैं कि अगर हममें सुधार की इच्छा हो तो, हम अपनी नियति को सुधारने की ज़िम्मेदारी ले सकते हैं । और कई अफ्रीकी देशों में अब जो हो रहा है वो एक अनुभूति है कि हमारे अलावा कोई भी यह नहीं कर सकता । हम उसे करना ही है। हम साझीदारों को आमंत्रित कर सकते हैं जो हमारा समर्थन कर सकते हैं, लेकिन हम शुरुआत करनी ही है। हम हमारी अर्थव्यवस्थाओं में सुधार करना है, हमारे नेतृत्व में परिवर्तन लाना है, और अधिक लोकतांत्रिक बनना है और जानकारी में बदलाव लाने के लिए और अधिक खुला होना है। और हमने महाद्वीप सबसे बड़े देशों में से एक, नाइजीरिया में यह करने की शुरुआत कर दी है। वास्तव में, अगर आप नाइजीरिया में नहीं हो, तो आप अफ्रीका में नहीं हो। मैं आपको बताना चाहती हूँ कि। (हँसी)। चार सब सहारा अफ्रीकी में एक नाइजीरिया का है, और यहाँ 140 मिलियन को गतिशील लोग- अराजक लोग लेकिन बहुत दिलचस्प लोग - हैं आप कभी बोर नहीं होंगे। (हँसी)। हमने यह महसूस करना शुरू कर दिया है कि कि हमें स्वयं प्रभार लेना और ख़ुद को सुधारना होगा। और एक ऐसे नेता के समर्थन के साथ जो हर समय पर, सुधारों को करने के लिए, तैयार है हम एक व्यापक सुधार कार्यक्रम सामने रखेंगे जो हमने अपने आप विकसित किया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष नहीं । विश्व बैंक नहीं, जहाँ मैंने 21 साल काम किया और एक उपाध्यक्ष के पद तक उठा। कोई यह आप के लिए नहीं कर सकता । आपको ख़ुद के लिए यह करना है। हम एक ऐसा कार्यक्रम सामने रखेंगे जो कि,एक: राज्य को ऐसे सभी व्यापारों से बाहर निकालेगा जिसमें कुछ नहीं है—जिनसे व्यापार करके कुछ नहीं मिलेगा। राज्य को वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के व्यवसाय में नहीं होना चाहिए क्योंकि यह अक्षम और अपर्याप्त है । तो हमने अपने कई उद्यमों के निजीकरण करने का फैसला किया। (तालियां)। हमने - एक परिणाम के रूप में, हमने अपने कई बाज़ारों को स्वतंत्र करने का फैसला किया। क्या आप विश्वास कर सकते कि इस सुधार को करने से पहले -- जो 2003 के अंत में शुरू हुआ, जब मैंने वित्त मंत्री के पद को लेने के लिये वॉशिंगटन छोड़ दिया था-- हमारे पास एक दूरसंचार कंपनी थी जो अपने पूरे 30 साल के इतिहास में केवल 4500 फ़ोन विकसित करने में सक्षम थी (हँसी)। मेरे देश एक टेलीफ़ोन एक विशाल समृद्धि माना जाता था। आप इसे नहीं ले सकते । आपको घूस देनी पड़ेगी। आप अपने फ़ोन पाने के लिए सब कुछ करना था। जब राष्ट्रपति ओबासानोजो ने दूरसंचार क्षेत्र के उदारीकरण का समर्थन और शुरूआत की, हम 4500 लैन्डलाइन से 32 करोड़ जीएसएम लाइनों पर पहुँच गए, और गिनती अभी भी चालू है। नाइजीरिया के दूरसंचार बाज़ार चीन के बाद विश्व में दूसरा सबसे तेज़ी से बढ़ रहा है, हमारे यहाँ दूरसंचार में 1 अरब डॉलर एक वर्ष का निवेश हो रहा है। और कुछ समझदार लोगों को छोड़कर और कोई नहीं जानता है। (हँसी)। सबसे पहले आने के लिए एक चतुर कम्पनी दक्षिण अफ्रीका की MTN कंपनी थी । और तीन वर्षों में जबकि मैं वित्त मंत्री थी, उन्होंने एक औसत $360 मिलियन प्रति वर्ष लाभ बनाया है। 360 मिलियन एक बाज़ार में – एक देश में जो एक ग़रीब देश है, जिसकी प्रति व्यक्ति औसत आय अभी के तहत 500 डॉलर प्रति व्यक्ति है। तो बाज़ार वहाँ है। जब उन्होंने इसे छुपा कर रखा, लेकिन जल्द ही दूसरों को इसका पता चल गया। नाइजीरिया के लोगों ने ख़ुद को विकसित करना शुरू किया कुछ बेतार दूरसंचार कंपनियों, और तीन या चार अन्य भी अंदर आ गई हैं । लेकिन वहाँ एक विशाल बाज़ार है, और लोगों को इसके बारे में पता नहीं है, या वो पता नहीं करना चाहते। तो निजीकरण उन चीज़ों में से एक है जो हमने किया है । दूसरी बात जो हमने की है वो हमारे बेहतर वित्त प्रबंधन के लिए है। क्योंकि अगर आप अच्छी तरह से अपने ख़ुद के वित्त प्रबंध नहीं करेंगे तो कोई भी तुम्हारी मदद करने के लिए और समर्थन के लिये तैयार नहीं है और नाइजीरिया की प्रतिष्ठा, तेल के क्षेत्र के साथ, ये थी कि ये भ्रष्ट होने के साथ अपने स्वयं के सार्वजनिक वित्त प्रबंध में कुशल नहीं है। तो हमने क्या करने का प्रयास किया था? हम एक वित्तीय वर्ष शासन शुरू किया जिससे तेल के मूल्य हमारे बजट से अलग जुड़े। इससे पहले हम जो तेल लाते थे उस पर बजट का उपयोग करते थे, क्योंकि तेल सबसे ज़्यादा राजस्व अर्जन का क्षेत्र है, अर्थव्यवस्था में: हमारा राजस्व का 70% तेल से आता है हमने घटा कर जोड़ा कि, और ये बजट के लिए शुरू किया और तेल के मूल्य से ज़रा एक बार हमने कम पर किया और जो कुछ भी उस मूल्य से ऊपर था उसे बचा लिया । हम इसे खींच सकते थे या नहीं पता नहीं था, यह बहुत ही विवादास्पद रहा था। लेकिन इसने तुरन्त जो किया वो था अस्थिरता जो हमारे आर्थिक विकास की दृष्टि में मौजूद थी -- जहाँ, यहाँ तक कि अगर तेल की क़ीमतें ऊँची हैं, हम बहुत तेज़ी से विकसित हो रहे थे। जब ये दुर्घटनाग्रस्त हो गया, हम दुर्घटनाग्रस्त हो गए। और हम अर्थव्यवस्था में मुश्किल से भी कुछ भी, किसी भी वेतन का भुगतान कर सकता थे । ये सही हो गया। मेरे छोड़ने से बिल्कुल पहले, हम $27 बिलियन बचाने में सक्षम हो गये । जबकि - और यह हमारे भंडार के पास गया -- जब मैं 2003 में आई, तो हमारे पास 7 अरब डॉलर भंडार में था। और मेरे छोड़ के जाने के समय तक, हम लगभग $30 बिलियन करने तक बढ़ गये थे। और जैसी कि अभी हमने बात की, हमारे पास हमारे वित्त के उचित प्रबंधन की वजह से $40 बिलियन भंडार में है । और इससे हमारी अर्थव्यवस्था किनारे लग जाती है, वह स्थिर हो जाती है। हमारी विनिमय दर जो कि हर समय में उतार चढ़ाव करती थी अब काफ़ी स्थिर है और इसे परबंधित किया जा रहा है, ताकि व्यापार के लोगों को अर्थव्यवस्था में क़ीमतों पर एक निशचितता रहे। हम मुद्रास्फीति की दर को 28 प्रतिशत से लगभग 11 प्रतिशत नीचे लाये। और हमारी सकल घरेलू उत्पाद दर पिछले दशक के एक औसत 2.3 प्रतिशत से अब 6.5 प्रतिशत हो गई। इसलिये जो सभी परिवर्तन और सुधार जो हम करने के लिए सक्षम थे वह सभी परिणामों में दिखाई दिया है और अर्थव्यवस्था में औसत दर्ज है। और अधिक महत्वपूर्ण क्या है, क्योंकि हम तेल से आगे जाना चाहते थे और विविधता लाना चाहते थे- और इस बड़े देश में इतने सारे अवसर जैसा कि अफ्रीका में अनेक देशों में -- उल्लेखनीय क्या है कि इस वृद्धि का बहुत कुछ अकेले तेल क्षेत्र से ही नहीं, लेकिन ग़ैर तेल क्षेत्र से भी आया है। कृषि बेहतर की तुलना में 8 प्रतिशत में वृद्धि हुई। जैसा कि दूरसंचार क्षेत्र बढ़ा, आवास और निर्माण भी और मैं और आगे जा सकती हूँ। और यह आप को वर्णन करने को है कि एक बार आप मैक्रो-अर्थव्यवस्था हो को सीधा कर लें, तो विभिन्न अन्य क्षेत्रों में विशाल अवसर हैं। जैसे मैंने कहा हमारे पास कृषि क्षेत्र में अवसर हैं । हमारे पास ठोस खनिजों में अवसर हैं । हमारे पास खनिजों का इतना बड़ा हिस्सा है, कि किसी ने भी कभी खोजा या निवेश नहीं किया होगा। और हमें एहसास हुआ कि यह संभव बनाने के लिए उचित क़ानून के बिना, ऐसा नहीं हो सकता है। तो अब हमें एक खनन कोड मिला है जो कि इस दुनिया में सर्वश्रेष्ठ के साथ तुलनीय है। हमारे पास आवास और अचल संपत्ति में अवसर हैं। इस 140 करोड़ लोगों के देश में कुछ भी नहीं था -- शॉपिंग मॉल नहीं जैसा कि आप यहाँ जानते हैं। यह किसी के लिए एक निवेश का अवसर था जिसने लोगों की कल्पना को उत्तेजित किया । और अब, हम एक ऐसी स्थिति में हैं, जिसमें इस मॉल में उनके निवेश से चार गुना अधिक व्यापार हो रहा है। तो, निर्माण में भारी चीज़ें, रियल एस्टेट, बंधक बाज़ारों। वित्तीय सेवाओं: हमारे पास 89 बैंक थे। बहुत से अपने वास्तविक व्यापार भी नहीं कर रहे थे। हम 89 से 25 बैंकों में उन्हें समेकित किया जिससे वे अपनी पूंजी - शेयर पूंजी में वृद्धि कर सकें। और ये $25 मिलियन से $150 मिलियन तक बढ़ गया। बैंक – ये बैंक अब समेकित हैं, और बैंकिंग प्रणाली की इस मज़बूती ने के बाहर से निवेश को भी बहुत आकर्षित किया है। ब्रिटेन के बारकले बैंक 500 करोड़ ला रहा है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड 140 मिलियन लाया है। और मैं और भी बता सकती हूँ। इस प्रणाली में और डॉलर पर। हम बीमा क्षेत्र के साथ वही कर रहे हैं। तो वित्तीय सेवाओं में भी, अवसर का एक महान सौदा। पर्यटन में, कई अफ्रीकी देशों में, एक महान अवसर है। और कई लोग पूर्वी अफ्रीका को इसी तरह जानते हैं: वन्य जीवन, हाथी, और अधिक। लेकिन पर्यटन बाज़ार का इस तरह प्रबंधन करना कि वो वास्तव में लोगों को लाभान्वित कर सकें ये बहुत अधिक आवश्यक बात है। तो मैं क्या कहने की कोशिश कर रही हूँ? मैं आपको बताने की कोशिश कर रही हूँ कि इस महाद्वीप पर एक नई लहर है। 2000 से, खुलेपन और लोकतंत्रीकरण की एक नई लहर, दो तिहाई से अधिक अफ्रीकी देशों में बहुदलीय लोकतांत्रिक चुनाव हो चुके हैं। उनमें से सभी कुछ सही नहीं हुआ, या हो जायेगा, लेकिन इससे रुझान बहुत स्पष्ट है। मैं आपको बताने की कोशिश कर रही हूँ कि पिछले तीन साल के बाद से, इस महाद्वीप पर विकास की औसत दर 2.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष से लगभग 5 प्रतिशत आगे गई है । यह कई OECD देशों के प्रदर्शन से बेहतर है। तो यह स्पष्ट है कि चीज़ें बदल रही हैं । महाद्वीप पर तनाव कम है; एक दशक पहले के 12 संघर्ष से, हम तीन या चार संघर्ष नीचे तक आ गये हैं, एक सबसे अधिक भयानक, ज़ाहिर है, जो डारफ़ुर का है। और, आपको पता है, आप पर पड़ोस का प्रभाव है, जहां अगर महाद्वीप के एक हिस्से में कुछ हो रहा है तो यह लगता था कि पूरा महाद्वीप इससे प्रभावित है। लेकिन आपको पता होना चाहिए कि ये एक महाद्वीप नहीं है -- ये कई देशों का एक महाद्वीप, एक देश नहीं है। और अगर हम तीन या चार संघर्ष तक नीचे हैं , तो इसका मतलब है कि यहाँ बहुत सारे निवेश के अवसर हैं स्थिरता में, वृद्धि में, रोमांचक अर्थव्यवस्थाओं में जहां अवसर की भरमार है। और मैं इस निवेश के बारे में सिर्फ़ एक बात करना चाहती हूँ। आज अफ्रीकियों में मदद करने का सबसे अच्छा तरीक़ा यह है कि उन्हें अपने ही पैरों पर खड़े करने के लिए मदद करें। और ये करने के लिए सबसे अच्छा तरीक़ा है कि रोज़गार के अवसर पैदा किये जायें। वहाँ मलेरिया से लड़ने का और बच्चों के जीवन को बचाने का कोई मुद्दा नहीं है। मैं यह नहीं कह रही हूँ । यह तो ठीक है। लेकिन एक परिवार पर प्रभाव की कल्पना कीजिये: अगर माता पिता को रोज़गार दिया जा सकता हो तो और वो अपने बच्चों का स्कूल में जाना सुनिश्चित करें, वे ख़ुद को इस बीमारी से लड़ने के लिए दवाओं को ख़रीद सकें। अगर हम ऐसे स्थानों में निवेश कर सकते हैं जहाँ आप नौकरियों का सृजन करके और लोगों को अपने ही पैरों पर खड़े होने में मदद करके अपने आप पैसे कमा सकते हैं तो क्या ये एक अच्छा मौक़ा नहीं है? क्या ये रास्ता जाने के लिए नहीं है? और मुझे लगता है कि निवेश करने के लिए कुछ बेहतरीन लोग महाद्वीप पर महिलाएं हैं। (तालियां)। मेरे पास यहाँ एक सीडी है। मुझे लगता है कि मैंने समय पर कुछ नहीं कहा, माफ़ी चाहती हूँ। अन्यथा, मैं आपको यह दिखाना पसन्द करती। यह कहती है, "अफ्रीका: व्यवसाय के लिए खुला है।" और यह एक वीडियो है जिसे वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र के रूप में वास्तव में एक पुरस्कार प्रदान किया गया है । और समझिये कि जिस औरत ने इसे बनाया है वो तंजानिया में है, जहां वे जून में सत्र चला रही हैं। लेकिन यह अफ्रीकी लोगों को आपको दिखाता है, और विशेषकर अफ्रीकी महिलाऎ, जिन्होंने सभी बाधाओं के बावजूद व्यवसायों का विकास किया है, उनमें से कुछ को विश्व स्तर के हैं। इस वीडियो में महिलाओं में से एक, एडिनाइकी ओगुन्लेसी, बच्चों के कपड़े बना रही हैं -- जिसको उन्होंने एक शौक़ के रूप में शुरू किया और एक व्यापार में बढ़ाया। अफ्रीकी सामग्री मिलाकर देखना, जैसे हम हैं, दूसरी जगह से सामग्री के साथ। तो, वह कार्डरॉय के साथ, डनगैरीज के एक छोटे से जोड़ी बना देंगे अफ्रीकी सामग्री मिश्रित के साथ। बहुत रचनात्मक डिज़ाइन । वह एक ऐसे मंच पर पहुँच गई हैं जहाँ उनके पास वॉल्मार्ट से भी माँग है । (हँसी)। 10:00 पीस के लिए। तो यह आपको दिखाता है कि हमारे पास ऐसे लोग हैं जो करने में सक्षम हैं । और महिलायें मेहनती हैं: वे लक्ष्यात्मक हैं, और वे कड़ी मेहनत करती हैं। मैं और भी उदाहरण दे सकती हूँ: रवांडा की बिटारिस गाकुबा, जिन्होंने एक फूल व्यापार खोला और अब प्रत्येक सुबह एम्स्टर्डम में डच नीलामी के लिए निर्यात करती हैं, और उसके साथ ही उन्होंने काम करने के लिए 200 अन्य महिलाओं और पुरुषों को रोज़गार दिया है। हालांकि, इनमें से कई पूंजी का विस्तार यहाँ ही करना चाहते हैं, क्योंकि कोई भी हमारे देशों के बाहर पर ये विश्वास नहीं करता कि हम जो आवश्यक है वो कर सकते हैं। कोई भी एक बाज़ार के संबंध में नहीं सोचता है। कोई अवसर के विषय में नहीं सोचता है। लेकिन मैं यहाँ खड़े होकर ये कह रही हूँ कि जो लोग अब नाव को छोड़ देंगे, वो हमेशा के लिए इसे छोड़ देंगे। तो अगर आप अफ्रीका में होना चाहते हो, तो निवेश के बारे में सोचिये। इस दुनिया के बिटारिस और एडेनाइकी के बारे में सोचिये, जो ऐसी अविश्वसनीय बातें कर रही हैं जो विश्व अर्थव्यवस्था में सामने ला रही हैं और साथ ही वो ये भी निश्चित कर रही हैं, कि उनके साथी पुरुषों और महिलाओं को रोज़गार मिला हुआ हो, और कि उन घरों में बच्चों को शिक्षा मिले क्योंकि उनके माता पिता पर्याप्त आय अर्जित कर रहे हैं। तो आपको अवसर तलाशने के लिए आमंत्रित करती हूँ । जब आप तंज़ानिया जायें, ध्यान से सुनें, क्योंकि मुझे यक़ीन है कि आप वहाँ आपके लिये मौजूद विभिन्न अवसरों के बारे में सुनेंगे जो आपको किसी ऐसी चीज़ में शामिल करेंगे जिससे महाद्वीप का, लोगों को और अपने आप के लिए अच्छा होगा। बहुत-बहुत धन्यवाद। (तालियां) [डैनी हिलिस से एक उकसावा:] [समय है बात करने का हमारे जलवायु इंजीनियरिंग के बारे में] अगर कोई रास्ता हो एक थर्मोस्टेट बनाने के लिए जिससे आप पृथ्वी का तापमान नीचे कर पायें जब भी आप चाहें ? अब, आप सोचेंगे यदि ऐसा करने का किसी के पास ऐसा मुमकिन विचार है , तो इसके बारे में सभी बहुत उत्साहित होंगे, और बहुत रिसर्च होगी की ऐसा कैसे किया जाये। पर वास्तव में, इसे कैसे करना है यह काफी लोग समझते हैं। लेकिन इस क्षेत्र में अनुसंधान के लिए बहुत समर्थन नहीं है । और मुझे लगता है कि इसकी कुछ वजह वहां इसके बारे में गलतफहमी है । मैं यह नहीं समझाऊंगा की यह एक अच्छा विचार है । पर मैं कोशिश करूँगा आपकी जिज्ञासा जगाने की और कुछ गलतफहमी मिटाने की । तो, सोलर जियो-इंजीनियरिंग का मूल विचार यह है कि हम चीजों को ठंडा कर सकते है बस थोड़ा सूरज की रोशनी को प्रतिबिंबित कर वापस अंतरिक्ष में । और यह कैसे करना है इसके बारे में विचार वस्तुतः दशकों से प्रचलित है । बादल एक बढ़िया तरीका है ये करने का, ये निचले बादलों की. सभी जानते है की बादल के नीचे ठंडक होती है। ये बादल ठीक है क्योंकि इसमें इतना ही पानी है जितना इसके आस पास की पारदर्शी हवा में । और यह बताता है की थोडा सा भी हवा के प्रवाह में परिवर्तन एक बादल पैदा कर सकता है । हम हर समय कृत्रिम बादल बनाते हैं । ये संकुचन हैं, जो कृत्रिम जल बादल हैं जो एक जेट इंजन के गुजरने से बने होते हैं। तो, हम पहले ही पृथ्वी पर बादल बदल रहे हैं। गलती से। या, अगर आप चाहे तो इसे गुप्त सरकारी षड्यंत्र मान सकते हैं । (हँसी) लेकिन हम पहले से ही यह कर रहे हैं। यह नासा की शिपिंग लेन की तस्वीर है। जहाजों के जानेसे से बादल बनते हैं , और यह एक बड़ा प्रभाव है यह ग्लोबल वार्मिंग कम करने में मदद करता है लगभग एक डिग्री से। तो हम पहले ही सोलर इंजीनियरिंग कर रहे हैं। यह कैसे करें इसके बारे में बहुत से विचार हैं। लोगों ने सभी कुछ देखा है, अंतरिक्ष में विशाल छाता बनाने से सागर में ध्वनी पैदा करनेवाले बुलबुला पानी तक और इनमें से कुछ वास्तव में हैं बहुत व्यावहारिक विचार। एक जो हाल ही में प्रकाशित किया गया था हार्वर्ड में डेविड कीथ द्वारा चाक लेकर समताप मंडल में ऊपर उड़ा देना, जहां ये सूरज की रोशनी को प्रतिबिंबित कर दे। और यह वाकई एक स्पष्ट विचार है, क्योंकि चाक पृथ्वी का बहुत ही आम खनिज है , और यह बहुत सुरक्षित है - इतना सुरक्षित की हम इसे बच्चे के भोजन में डालते हैं। और यदि आप चाक फेंक देते हैं समताप मंडल में ऊपर, यह कुछ सालों में खुद ही नीचे आता है , वर्षा के जल में भीग कर। अब, इससे पहले की आप चिंता करें अपने वर्षा जल में चॉक के बारे में, मुझे आपको यह समझाना है की वास्तव में यह कितना कम लगता है। और यह बहत ही आसान गणना है। यह मैंने एक लिफाफे के पीछे गणना की है । (हँसी) (तालियां) मैं आपको आश्वासन देता हूं, की लोगों ने काफी सावधान गणना की हैं , और यह एक ही जवाब आता है, जो की आपको चाक उपर फेंकनी है एक वर्ष में लगभग 10 टेराग्राम की दर से सीओ 2 के प्रभावों को पूर्ववत करने के लिए जो हम पहले से ही कर चुके हैं - सिर्फ तापमान के मामले में, सभी प्रभाव नहीं, बस तापमान। तो यह कैसा दिखता है? मैं प्रति वर्ष 10 टेराग्राम की कल्पना नहीं कर सकता। तो मैंने कैम्ब्रिज अग्नि विभाग और टेलर मिल्सल से मदद मांगी . यह एक पाइप है जो एक साल में 10 टेराग्राम पानी फेंकती है । और वह कितना है आपको पंप करना होगा समताप मंडल में पृथ्वी को पूर्व औद्योगिक स्तर पर ठंडा करने के लिए। और यह आश्चर्यजनक रूप से छोटा है; जैसे पूरी धरती के लिए एक पाइप है। अब, आप वास्तव में एक पाइप का उपयोग नहीं करेंगे, आप इसे हवाई जहाज से उड़ाना चाहेंगे या फिर ऐसा और कुछ। लेकिन यह बहुत छोटा है, जैसे एक मुट्ठी भर चाक डालना हर ओलंपिक में बारिश से भरा स्विमिंग पूल। यह लगभग कुछ भी नहीं है। तो लोग इस विचार को क्यों पसंद नहीं करते? इसे और गंभीरता से क्यों नहीं लिया जाता? इसके लिए बहुत अच्छे कारण हैं। बहुत से लोग वास्तव में सोचते हैं की इसके बारे में बात नहीं करनी चाहिए। और, वास्तव में, दर्शकों में मेरे कुछ बहुत अच्छे दोस्त हैं जिनका मैं बहुत सम्मान करता हूं, वे वाकई सोचते हैं की मुझे इसके बारे में बात करनी चाहिए। और इसका कारण यह है कि वे चिंतित हैं की अगर लोग कल्पना करते हैं कोई आसान तरीका है, कि हम जीवाश्म ईंधन के लिए हमारी लत नहीं छोड़ेंगे । और मुझे इसके बारे में चिंता है। मुझे लगता है कि यह वाकई एक गंभीर समस्या है। पर यह एक गहरी समस्या भी है, की : किसी को भी पूरी धरती के साथ गड़बड़ करने का विचार पसंद नहीं है- मुझे निश्चित ही नहीं। मुझे इस ग्रह से प्यार है, वास्तव में । और मैं इसके साथ गड़बड़ नहीं करना चाहता। पर हम पहले ही अपने वातावरण को बदल रहे हैं, हम पहले ही इससे गड़बड़ करी हैं। इसलिए मुझे लगता है कि हम उन तरीकों की तलाश करें जो इसका प्रभाव कम कर सके। और इसके लिए हमें खोज करने की जरूरत है। हमें उसके पीछे के विज्ञान को समझना होगा । मैंने देखा है कि टेड में एक प्रकार की थीम विकसित है , जो इस तरह का है, "आशा बनाम डर," या "रचनात्मकता बनाम सावधानी।" और निश्चित रूप से, हमें दोनों की जरूरत है। तो इसका कोई आसान उपाय नहीं है. यह तो बिलकुल ही आसान उपाय नहीं है. लेकिन हमें विज्ञान की जरूरत है इसके विकल्प बताने के लिए; जो हमारी रचनात्मकता और हमारी सावधानी दोनों दर्शाए । तो मैं आशावादी हूं हमारे भविष्य के बारे में, पर मैं आशावादी नहीं हूं क्योंकि मेरे विचार से हमारी समस्याएं छोटी हैं। मैं आशावादी हूं क्योंकि मुझे लगता है की समस्याओं से निपटने की हमारी क्षमता हमारी कल्पना से कहीं अधिक है। बहुत धन्यवाद। (तालियां) इस टॉक पर काफी विवाद टेड2017 में सामने आये , हम आपको प्रोत्साहित करेंगे ऑनलाइन चर्चाओं को पड़े अन्य दृष्टिकोण देखने के लिए। देवियों और सज्जनों, जो यहां इकट्ठा है मैं आपके साथ एक कहानी साझा करना पसंद करूंगा। एक ज़माने में, 19 वीं शताब्दी में जर्मनी, एक किताब थी। अब इस समय के दौरान, किताब कहानी बताने का मुख्य माध्यम था | यह आदरणीय था | यह सर्वव्यापी था | लेकिन यह थोड़ा उबाऊ था I क्योंकि यह चार सौ साल से अस्तित्व में था, कहानीकारों ने किताब को विकसित नहीं किया एक कहानी करता के रूप में I लेकिन फिर एक लेखक आये, और उन्होंने वह खेल हमेशा के लिए बदल दिया । (धुन ♫) उनका नाम लोथार था, लोथार मैगैनडारफर I लोथार मैगैनडारफर ने ठान लिया था, कि, "अब बस बहुत हो चुका ! " उन्होंने अपनी कलम उठाई और अपनी कैंची ले ली । उन्होंने सामान्यता को अपनाने से इनकार किया और निश्चय किया बदलने का | अतीत उन्हें जानता है जैसा- और कौन? - दुनिया के पहले आविष्कारक के रूप में बच्चों की पॉप - अप किताब का (धुन ♫) इस खुशी और आश्चर्य के लिए लोग आनन्दित हुए। (जयकार) वे खुश थे क्योंकि कहानी बच गई, और यह कि दुनिया घूमती रहेगीI लोथार मेग्जेंडरफर पहले नहीं थे कहानी बताने के तरीके को विकसित करने के लिए और वह निश्चित रूप से अंतिम नहीं था। कहानीकारों को इसका एहसास हुआ या नहीं, वे मेग्नेन्डोर की भावना को प्रसारित कर रहे थे जब वे ओपेरा को वाडाविले ले गए, रेडियो थिएटर से रेडियो समाचार, फिल्म में मोशन दिखाने के लिए ध्वनि, रंग, 3 डी में फिल्म बनाने के लिए, वीएचएस और डीवीडी पर। ऐसा लग रहा था कि मेग्नेन्डोफेराइटिस का कोई इलाज नहीं है। और इंटरनेट के आसपास आने पर चीजों को अधिक मज़ा मिला। (हँसी) क्योंकि, न केवल लोग अपनी कहानियों को दुनिया भर में प्रसारित कर सकते थे, लेकिन वे उपकरणों की एक अनंत राशि का उपयोग कर सकते थे। उदाहरण के लिए, एक कंपनी प्यार की एक कहानी सुनाता अपने खोज इंजन के माध्यम से। एक ताइवानी उत्पादन स्टूडियो 3 डी में अमेरिकी राजनीति की व्याख्या करेगा। (हँसी) और एक आदमी अपने पिता की कहानियाँ सुनाता ट्विटर नामक एक मंच का उपयोग करके अपने पिता के इशारे द्वारा गड़बड़ बताना। और इस सब के बाद, सभी थम गए; उन्होंने एक कदम पीछे लिया। उन्होंने महसूस किया कि, कहानी बताने के 6,000 वर्षों में, गुफा की दीवारों पर शिकार का चित्रण से फेसबुक दीवारों पर शेक्सपियर को चित्रित करने तक। और यह उत्सव का एक कारण था। कहानी बताने की कला अपरिवर्तित रही है। और अधिकांश भाग के लिए, कहानियों को पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। लेकिन जिस तरह से इंसान कहानियां सुनाते हैं हमेशा विकसित हुआ है शुद्ध, सुसंगत नवीनता के साथ। और मुझे एक आदमी याद आया, एक अद्भुत जर्मन, हर बारएक नया कहानी बताने वाला उपकरण अगले बार आया और उसके लिए, दर्शक -- सुंदर दर्शक- हमेशा खुशी से रहते । (तालियां) नमस्ते। मै भारत से हूँ। जो पुरातन गणित का गढ़ है। पर मैं, गणित से घृणा करती थी। (हंसी) जब तक उससे मेरे जीवन का बचाव नहीं हुआ मेरा बचपन अकोला में बीता, जो राजधानी से ७०० मील दूर एक छोटा सा कस्बा है। हमारे समाज में, लड़कियों की स्कूल जाने की प्रथा नहीं थी खासकर १० से १२ साल की उम्र के बाद। असल में, कुछ महिलाएं मुझे कहती थी, "तुम्हें शिक्षा की आवशयकता ही क्यों है?" बस घर के काम-काज सीखो, ताकि अपना परिवार संभाल सको।" पर मुझे लड़कियों के लिए आधारित, "सामान्य" रीति रिवाज स्वीकार नहीं थे। और मैं सोचा करती थी, केवल घर के काम-काज सीखने के बजाए, क्यों ना मैं पैसे कमाना भी सीखूं ताकि मैं वास्तव में अपने परिवार की ज़िम्मेदारी उठा सकूँ? (हंसी) मुझे एहसास था, अगर मुझे कुछ अलग करना है, तो मुझे स्कूल में रहना होगा। पर यह कठिन था। क्योंकि यह समाज में स्वीकृत नहीं था, और सभी इसके खिलाफ थे। पर मै एक हठी लड़की थी। और पढ़ाई जारी रखने के लिए मैंने सबकुछ किया, चाहे इसके लिए मुझे स्कूली कपड़े ही क्यों ना सिलने पड़े या त्योहारों के बधाई पत्र बनाना। मैंने वह सब कुछ किया। और, हर विषय में मेरे अंक भी उत्तम थे। केवल एक विषय को छोड़ कर। सही सोचा आपने: गणित। यह सब गणनाएं, सूत्र और गुणा करना; मेरी समझ के बाहर थे। कॉलेज के पश्चात, मैं समझ गई, कि अकोला में मेरा कोई भविष्य नहीं है, तो मैंने वह कार्य करने का निश्चय लिया, जो कस्बे में पहले किसी ने नहीं किया था: घर से बाहर जाने का, अकेले, अव्यवाहित होते हुए। कोई नहीं चाहता था मै ऐसा करूं। मुझे याद है जब मै अपनी माँ को यह बताने गयी, "माँ, मै जा रही हूँ।" उन्होंने मेरी और देखा और बोली, "उमा, मै जानती हूँ कि यह तुम्हारे और मेरे लिए कितना कठिन है, और मै खुलकर तुम्हारा समर्थन भी नहीं कर सकती, पर मै चाहती हूँ कि तुम यह ले लो।" और उन्होंने मुझे एक सोने की चूड़ी पकड़ा दी। वह उनका आखिरी आभूषण था। और कहा, "मेरे पास ज़्यादा तो नहीं है, पर इससे अपनी बस की टिकेट ले लेना।" और यह है वह बस की टिकेट। दस साल हो गए हैं। और यह मेरे पास आज भी है। इस प्रण से कि मै अपनी माँ को अपने लिए और त्याग नहीं करने दूंगी। २२ जुलाई, २००७ को, मैं पुणे पहुंची, ४० लाख लोगों का शहर। इससे पहले, मै अपने गाँव से कभी बाहर नहीं आई थी तो पहली बार एक शहर में आना, मै मंत्रमुग्ध और उत्साहित थी। और भयभीत भी। मुझे यह भी नहीं पता था, कि एक अनजान शहर में पहली बार टैक्सी लेते हुए मैं एक टैक्सीवाले पर भरोसा करूं या नहीं। शुरू-शुरू में, शहर में जीवन बहुत कठिन था। मैं परिवार से दूर थी और कोई दोस्त भी नहीं थे। मेरे पास पैसे भी बहुत कम थे; लगभग ३.५० डॉलर। इसलिए मैं भोजन भी- हर दूसरे दिन ही खाती थी- ताकि जितना हो सके, बचा सकूं। हाँ, अच्छे दिन आने में थोड़ा समय लगता है, पर वे आते ज़रूर हैं | और आखिरकार मेरे साथ भी, ऐसा ही हुआ। मुझे एक प्राथमिक विद्यालय में, अध्यापिका होने का अवसर मिला। और मैं इतनी खुश थी। जबतक, मुझे पढ़ाने वाले विषय के बारे में बताया नहीं गया। (हंसी) सही समझा आपने, वह गणित ही था। (हंसी) मेरी व्यथा ऐसी थी, "हे भगवान्, मैं वह कैसे पढ़ाऊँगी, जिससे मुझे इतनी घृणा है?" (हंसी) पर मेरे पास कोई विकल्प नहीं था और मैंने गणित पढ़ाना शुरू कर दिया। आपको याद है वे प्रारम्भिक गणित के मूल पहाड़े। मुझे याद है, हर रात, अपने शिष्यों के लिए, पाठ्य-रचना कितनी बड़ी चुनौती थी। मुझे इतनी घृणा होती थी। और मुझे डर भी था, कहीं मैं सफल ना हो पाई, तो मैं कहीं ना पहुँच पाऊंगी। पर जैसे-जैसे मैंने इसमें अधिक अध्ययन किया, इसे रोचक बनाने की लिए, इसे मज़ेदार बनाने के लिए, वैसे-वैसे मुझे इन अंकों में पैटर्न का एहसास होने लगा। ऐसा मानो, जैसे वह पहाड़े मुझे कोई सन्देश भेज रहे हों, मुझे लगा जैसे ये आंकड़े मुझसे बात कर रहे हों। और तब मैंने इन विषम और सम संख्याओं की गुथी सुल्झा ली; उनकी लय, उनका संयोग समझ में आने लगा। मै आपको एक उदाहरण देती हूँ: उदाहरण के लिए तीन के पहाड़े को देखिए। ऐसा लगता है जैसे हम स्कूल में दोबारा आ गए हों, हैं ना? (हंसी) तीन, हम सब जानते हैं, एक विषम संख्या है। अगर मैं तीन को एक और विषम संख्या से गुणा करूँ तो, तो मेरा उत्तर अवश्य ही एक विषम संख्या होगा। जैसे, यह वाला: तीन गुणा तीन बराबर है नौ। एक विषम संख्या। इसमें मुझे एक और रोचक बात दिखाई दी। अगर हम एक विषम संख्या को एक सम संख्या से गुणा करें तो, उसका उत्तर हमेशा एक सम संख्या ही होता है, जैसे, यह वाला। तीन गुणा चार बराबर है १२। एक सम संख्या। विषम संख्या गुणा विषम संख्या का उत्तर हमेशा एक विषम संख्या ही होगा। परन्तु, विषम संख्या गुणा सम संख्या, चाहे आप जितनी बार आज़मा लें, हमेशा एक सम संख्या ही होगा। और मुझे लगा कि यह तो मेरे जैसा ही है। मैंने जिन विषम परिस्थितियों का सामना किया, अगर मैं उस विषम परिस्थिति को अपने विषम व्यवहार से गुणा करूं तो... (हंसी) (तालियाँ) तो क्या होता है ? मैं अपने आपको एक विषम परिस्थिति में ही पाती हूँ। (हंसी) जादू देखें, अगर, अपनी विषम परिस्थिति को, मैं अपने सम-व्यवहार से गुणा करूँ, अपने सम-दृष्टिकोण से गुणा करूँ, मुझे अद्भुत परिणाम मिलते हैं, मुझे सम परिणाम मिलते हैं। और जब परिथितियां विषम हो अगर कोई रुके नहीं, और कोई चेष्ठा करता रहे, अपने आशीर्वादों से गुणा करता रहे, अपने कौशलों को गुणा करता रहे, अगर शुरुआत विषम भी है, तो भी अंत कभी विषम नहीं होगा। और, जब मुझे इसका ज्ञात हो गया, मुझे लगा, अगर एक विषम संख्या, जीवन का इतना अनमोल पाठ सिखा सकती है, तो अवश्य ही, सम-संख्याओं में भी कोई रोचक सहस्य होगा। (हंसी) चलिए, अब उदाहरण के लिए दो का पहाड़ा देखते हैं। और यहाँ मैंने देखा , हर बार, शुरू से अंत तक, हर सम संख्या से गुणा करने का उत्तर सम-संख्या ही है, बिना किसी विषम के। पर यह संभव कैसे है? और यह इसलिए संभव है, क्योंकि गुणा संख्या अपने आप से ही गुणा हो रही है, जो एक सम संख्या है। इसका मतलब तो यह हुआ कि, अगर मैं, अपने व्यक्तित्व में, सम हूँ, कोई विषम परिस्थिति मेरा रास्ता नहीं रोक सकती। (हंसी) पर इसका मतलब यह नहीं है कि मेरे जीवन में कोई विषम या बुरी परिस्थिति नहीं आती। अवश्य आती है। परन्तु उनका सामना सम भाव से करने से सब कुछ परिवर्तित हो जाता है। इसी तरीके से, जब भी मुझे मूलभूत अधिकारों के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, मै व्याकुल और चिंतित होने के बजाय, अपने लिए, हर्षित और सम रहती हूँ, क्योंकि चुनौतियों ने मुझे सुदृढ़ बनाया है, और जो मैं आज हूँ, वह बनाया है। और अब तो मेरे पास यह सारी शिक्षा, इन सारे पहाड़ों से प्राप्त रहस्य हैं। मेरा सबसे पसंदीदा पहाड़ा है ११ का। और शायद हम सबका, हमारे स्कूल के समय से क्योंकि इसमें गुणा करना सबसे आसान जो है। और मुझे इसकी सबसे मज़ेदार बात इसकी परिपूर्ण समरूपता लगती है। एक और एक, और दो और दो। कितनी सुन्दर बात है, हैं ना ? और आसान भी। पर मेरे लिए, प्रश्न यह था कि: मैं अपना जीवन इतना सरल और सुन्दर कैसे बनाऊँ? मेरे लिए, यह दो सम रूपी संखाएं, मेरे भीतर और बाहर का प्रदर्शन करती हैं। मैं सामंजस्य और शांति में तभी रह सकती हूँ जब मेरा परिवेश मेरे भीतर के अनुरूप हो। क्या हम सभी यह नहीं चाहते ? हम कुछ भी हो सकते हैं; दो या तीन। हम कोई भी हों, जबतक हमारा भीतरी व्यक्तित्व हमारे बाहरी व्यक्तित्व के अनुरूप न हो, और हमारा बाहरी व्यक्तित्व हमारे भीतरी व्यक्तित्व के अनुरूप ना हो, हम शान्ति से नहीं रह सकते, हम सामंजस्य में नहीं रह सकते। क्योंकि गणित मेरी कला बन गई, मेरा एक अनुस्मारक, मेरा मार्गदर्शक जो मैं करना चाहती थी, और जो मेरा लक्ष्य था, मुझे गणित से प्यार हो गया। और इसी वजह से, ना केवल मैं अपनी नौकरी रख पाई, बल्कि मैंने इसे औरों के लिए रोचक भी बनाया। और अब, दस वर्ष पश्चात, मेरे पास एक उच्च कंपनी में एक बढ़िया नौकरी भी है। मै अपने पूरे परिवार को, अपने साथ रहने के लिए, पुणे में, लाने में, सफल हो सकी हूँ। अब कोई मुझे यह नहीं कहता, कि मुझे यह नहीं करना चाहिए था, बल्कि सब लोग मेरे विकल्प की सराहना करते हैं। बचपन में, हम सभी को गणित के प्रश्न हल करने को कहा जाता है। परन्तु, गणित ने मेरे ही जीवन के कितने प्रश्नों को हल कर दिया। मुझे मौका देने के लिए शुक्रिया। धन्यवाद। (तालियाँ और सराहना) टोनी से मिलिए | ये मेरे छात्र है | ये लगभग मेरी उम्र के है, और ये सैन क्वेंटिन के जेल में है | जब टोनी 16 साल के थे, एक दिन, एक पल, "वह माँ की बन्दुक थी सिर्फ उसे दिखाओ, उसे डराओ | वो एक गुंडा है | उसने कुछ पैसे लिए थे, हम उसके पैसे लेंगे | वह उसे सबक सिखायेगा | तब आखिरी वक्त, मैं सोच रहा हम, 'यह नहीं कर सकता, यह गलत है' । मेरे दोस्त ने कहा, 'चलो यह् करते हैं' मैंने कहा 'यह करते हैं' और वो तीन शब्द, टोनी हमेशा याद रखने वाला है, क्योंकि जो अगली चीज़ वो जानता है, उसने आवाज़ सुनी | वो गुंडा ज़मीन पर पड़ा था, खून से सना हुआ | और यह वो हत्या का महाअपराध था -- जीवन के लिए 25, अगर आप भाग्यशाली है तो 50 में पैरोल और टोनी भाग्यशाली महसूस नहीं कर रहा था | तो जब हम उसके जेल में मेरी दर्शन क्लास में मिले और मैंने कहा, "इस क्लास में, हम नैतिकता की नींव के बारे में चर्चा करेंगे" टोनी ने टोका | क्या तुम्हे मुझे सही और गलत के बारे में सिखाने वाले हो? मुझे पता है कि क्या गलत है | मैंने गलत किया है | मुझे रोज़ ये कहा जाता है, हर चेहरा जो मैं देखता हूँ, हर दीवार जो सामने होती है उसके द्वारा, कि मैं गलत हूँ अगर मैं कभी यहाँ से बाहर निकला, मेरे नाम पर हमेशा एक कलंक होगा | मैं दोषी हूँ; मुझ पर छापा गया है कि मैं 'गलत' हूँ | तुम मुझे सही और गलत के बारे में क्या बतायोगे?" तो मैंने टोनी से कहा, "माफ़ कीजिये, लेकिन जो तुम सोचते हो ये उससे बुरा है | तुम्हें लगता है तुम्हे पता है कि क्या सही और गलत है? क्या तुम मुझे बता सकते हो कि गलत क्या है? नहीं, सिर्फ मुझे कोई उदाहरण मत दो | मैं गलत होने के बारे में जानना चाहता हूँ, गलत होने का विचार | ये विचार क्या है? क्या किसी चीज़ को गलत बनाता है? हम कैसे जानते है कि यह गलत है? शायद मैं और तुम असहमत हो | शायद हम में से एक गलत हो गलत होने के बारे में | शायद तुम हो, शायद मैं हूँ -- लेकिन हम यहाँ विचारों के लेन देन के लिए नहीं हैं; हर किसी के अपने विचार होते है | हम यहाँ ज्ञान के लिए हैं | अविचारशीलता हमारी शत्रु है | यह दर्शन है " और टोनी के लिए कुछ बदला | "क्या मैं गलत हो सकता हूँ | मैं गलत होने से थक चुका हूँ | मैं जानना चाहता हूँ क्या गलत है | मैं जानना चाहता हूँ जो मैं जानता हूँ " उस वक्त टोनी ने जो देखा वो दर्शन की परियोजना है, परियोजना जो आश्चर्य से शुरू होती है -- जो केंट ने कहा है "ऊपर प्रशंसा और खौफ तारों से जड़ा आकाश और नैतिकता का कानून भीतर" हमारे जैसे जीव इन चीज़ों के बारे में क्या जान सकते है? यह वो परियोजना है जो हमेशा हमे अस्तित्व के शर्तों पर वापस ले जाती है -- जो हेड्गर ने कहा है "हमेशा पहले से वहाँ है" यह वो परियोजना है जो हम क्या विश्वास करते है और क्यों करते है पूछती है -- जो सोक्रेट्स ने कहा है "परीक्षित जीवन" सोक्रेट्स, एक व्यक्ति जो इतना बुद्धिमान था कि वो जानता था कि उसे कुछ नहीं पता | सोक्रेट्स की मृत्यु जेल में हुई, उनका दर्शन बरक़रार है | तो टोनी ने अपना गृह कार्य शुरू किया | उसने अपने क्यों और कहाँ के बारे में सिखा, उसके कारण और पारस्परिक संबंध, उसके तर्क, उसके भ्रम | इसका परिणाम, टोनी को दर्शन की मांसपेशियां मिल गयी | उसका शरीर जेल में है, लेकिन उसका मन आज़ाद है | टोनी सीख रहा है ओंटोलोजिकली प्रोमिस्क्युस, एपीसटेमोलोजिक्ली एनसक्स, एथिकाली डूबियस, मेटाफिसिक्ली रीडीक्युल्स | यह प्लेटो, डेस्कर्टस, निट्सचे और बिल क्लिंटन हैं | तो जब उसने अपना आखिरी पेपर दिया, जिसमे वो चर्चा करते है कि कटेगोरिकल इमपेरेटीव शायद बहुत ज्यादा असमझौतापूर्ण है रोजमर्रा के संघर्ष से निपटने के लिए और मुझे चुनौती देता है उसे बताने के लिए कि क्या इसीलिए हम नैतिक असफलता के लिए निंदित होते हैं, मैंने कहा "मैं नहीं जानता | इसके बारे में सोचते है " क्योकि उस समय, टोनी के नाम पर कोई कलंक नहीं था; सिर्फ हम दोनों वहाँ खड़े थे | प्रोफेसर और दोषी की तरह नहीं, सिर्फ तो मस्तिस्क दर्शन के लिए तैयार | और मैंने टोनी से कहा, "चलो इसे करते हैं" धन्यवाद | (अभिवादन) तो सबसे पहले मैं आपको क्या दिखाने वाला हूँ, जितनी जल्दी मैं दिखा सकता हूँ, वो है कुछ आधारभूत काम, कुछ नई तक़नीक़ जो हम माइक्रोसाफ़्ट में अधिग्रहण के भाग के रुप में लगभग एक साल पहले लाये थे। ये है सीड्रैगन। और यह एक वातावरण है, जिसमें आप या तो स्थानीय या दूर के विशाल दृश्य डाटा के साथ बातचीत कर सकते हैं। हम यहाँ कई गीगाबाइट के, बहुत सारे डिजिटल फ़ोटो देख रहे हैं जो किसी भी जोड़ के बिना हैं, बराबर हम इनका आकारवर्धन कर रहे हैं इसे चीज़ों से जोड़ रहे हैं, इसे अपने मनचाहे तरीक़े से व्यवस्थित कर रहे हैं। और ये चीज महत्वपूर्ण नहीं है कि हम कितनी जानकारी देख पा रहे हैं, और ये संग्रह कितना बड़ा है या ये तस्वीरें कितनी बड़ी हैं। इनमें से अधिकांशत: सामान्य डिजिटल कैमरे से ली गई तस्वीरें हैं, लेकिन, उदाहरण के लिये ये वाली, लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस का स्कैन है, और ये 300 मेगापिक्सल की सीमा में है। इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता क्योंकि केवल एक ही चीज़ इस तरह के सिस्टम के प्रदर्शन को सीमित कर सकती है और वो है किसी भी क्षण में आपकी स्क्रीन पर पिक्सल की संख्या। ये एक बहुत लचीली वास्तुकला भी है। ये एक पूरी किताब है, तस्वीर रहित डाटा का एक उदाहरण। ये डिकन्स द्वारा लिखी गई पुस्तक ब्लीक हाउस है। जिसका हर परिच्छेद एक संपूर्ण अध्याय है। आपके समक्ष ये सिद्ध करने के लिये कि ये वास्तव में पाठय है और छवि नहीं, हम कुछ ऐसे कर सकते हैं, जिससे आपको वास्तविक रुप से पता लगे कि ये पाठय की वास्तविक प्रस्तुति है, और ये कोई छवि नहीं है। हो सकता है कि ये किसी ई-पुस्तक को पढ़ने का कृत्रिम तरीक़ा है। मैं यह सुझाव नहीं दूँगा। यह एक और अधिक यथार्थवादी मामला है। यह द गार्जियन का एक मुद्दा है। हर बड़ी छवि एक सेक्शन की शुरुआत है। और यह वास्तव में आपको एक पत्रिका या एक समाचार पत्र के असली क़ाग़ज़ संस्करण को पढ़ने की, ख़ुशी और अच्छा अनुभव देता है । जो एक स्वाभाविक बहु पैमाने के माध्यम की तरह है। हमने द गार्जियन के एक विशेष अंक के कोने के साथ भी कुछ किया है। हमने बहुत उच्च विभेदन का एक नकली विज्ञापन बना लिया है -- जो भी आपको एक साधारण विज्ञापन में मिलता है, उसकी तुलना में बहुत उच्च-- और हमने अतिरिक्त सामग्री को सन्निहित कर दिया है। अगर आप इस कार की विशेषताओं को देखना चाहते हैं, तो आप यहाँ देख सकते हैं। या अन्य मॉडल, या तक़नीक़ी विनिर्देश। और इससे वास्तव में कुछ ऐसे विचार मिलते हैं जिससे हम रीयल एस्टेट से जुड़ी उन सीमाओं से आगे बढ़ सकते हैं। हम आशा करते हैं कि इसका अर्थ को कोई और पॉप अप नहीं या उसी प्रकार की किसी भी अन्य बकवास – की आवश्यकता नहीं होनी चाहिये। बेशक, इस तरह की तक़नीक़ के लिये मानचित्रण अति स्पष्ट आवेदनों में से एक है। और इसके बारे में, मैं वास्तव में इस पर अपना और समय नहीं बिताना चाहूँगा, बल्कि इतना ही कहूँगा कि हमें इस क्षेत्र में भी योगदान देने की आवश्यकता है। लेकिन ये यूएस की सभी सड़कें हैं जिन्हें नासा की जोयोस्पैशियल छवि के ऊपर पूरी तरह अधिरोपित किया गया है। इसलिये चलिये अब किसी और विषय पर बात करते हैं। वास्तव में यह अब वेब पर उपलब्ध है; आप जाकर निरीक्षण कर सकते हैं। इस परियोजना का नाम है फ़ोटोसिन्थ, जिसमें दो तक़नीक़ों का संगम होता है। इसमें से एक है सीड्रैगन और अन्य हैं कुछ बहुत सुन्दर कम्प्यूटर दृश्य अनुसंधान जो वाशिंगटन विशविधालय की स्नातक छात्रा, नोहा स्नैवली ने यूडब्ल्यू के स्टीव सीटज और माइक्रोसॉफ़्ट रिसर्च के रिक स्जिलेस्की के सह निर्देशन में किया है। एक बहुत अच्छा सहयोग। और इसलिये ये वेब पर सीधे उपलब्ध है। ये सीड्रैगन द्वारा संचालित है। आप देख सकते हैं कि जब हम इस विचारों के आधार पर कुछ करते हैं, जहाँ हम छवियों में गोता लगा सकते हैं और इस प्रकार के बहु अभिवेधन का अनुभव कर सकते हैं। लेकिन चित्रों की स्थानिक व्यवस्था यहां वास्तव में सार्थक है। कम्प्यूटर दृष्टि एल्गोरिदम एक साथ, इन छवियों को पंजीकृत किया है ताकि वे असली जगह के अनुरूप हैं, जिसमें इन दृश्यों -- सभी को ग्रासी झील के पास कनाडा के राकीज़ में लिया गया था-- तो आप तहाँ स्थिर स्लाइड शो या ख़ूबसूरत दृश्यों को देख रहे थे, और ये सभी चीज़ें स्थानिक रुप से जुड़ी हुई हैं। मैं निश्चित नहीं हूँ अगर मेरे पास आपको किसी अन्य के वातावरण को दिखाने के लिए समय है । कुछ ऐसे हैं जो बहुत अधिक स्थानिक हैं। मैं सीधे नोह के मूल डाटा सैट पर आना चाहूँगा-- और ये फ़ोटोसिन्थ का वो शुरुआती प्रोटोटायप है जिस पर हम, आपको दिखाने के लिये, सबसे पहले गर्मियों में काम कर रहे थे-- और मुझे लगता है कि यही इस तक़नीक़ के पीछे की मुख्य बात है, फ़ोटोसिन्थ तक़नीक़। और ये ज़रूरी नहीं है कि ये वातावरण को देखने से इतनी स्पष्ट हो कि हम इसे वेबसाइट पर डाल सकें। हमें वकीलों और बहुत सी अन्य बातों के विषय में भी सोचना होगा। ये नार्ते दैम कैथीड्रल का पुनर्निर्माण है जो फ़्लिकर से तस्वीरें लेकर, पूरी तरह से कम्प्यूटर द्वारा किया गया है। आप फ़्लिकर में सिर्फ़ नार्ते दैम कैथीड्रल टाइप कीजिये, और आपको कुछ टीशर्ट पहने हुए लड़कों की, परिसर की और इसी प्रकार की अन्य कुछ तस्वीरें मिल जायेंगी। और इनमें से प्रत्येक नारंगी शंकु एक छवि का प्रतिनिधित्व करता है जिसकी खोज इस मॉडल के लिये की गई थी। और इसलिये ये सभी फ़्लिकर की तस्वीरें हैं, और इनको इस प्रकार से स्थानिक रूप से जोड़ा गया है। और हम इस साधारण तरीक़े से बढ़ सकते हैं। (तालियाँ) आप जानते हैं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे काम का अन्त माइक्रोसॉफ़्ट में होगा। यहां इस तरह का स्वागत बहुत संतुष्टिदायक है। (हंसना) मुझे लगता है कि आप देख सकते हैं यह बहुत से विभिन्न प्रकार के कैमरा हैं: सैल फ़ोन के कैमरे से लेकर व्यावसायिक प्रयोग के एसएलआर कैमरा तक, और सभी बड़ी संख्या में हैं, और इस वातावरण में साथ जुड़े हुए हैं। और अगर हो सका तो मैं कुछ ख़राब तरह के भी प्राप्त करुँगा। इसलिये इनमें से बहुत से चेहरों के कारण रुक गये थे और इसी तरह। और यहाँ कहीं वास्तव में, तस्वीरों की एक श्रंखला है-- और अब हम देखेंगे। ये वास्तव में नोर्ते दैम का एक पोस्टर है जिसे सही तरीक़े से पंजीकृत किया गया है। हम इस पोस्टर से, इस वातावरण के भौतिक दृश्य में गोता लगा सकते हैं। वो वास्तव में यहाँ बिन्दु ये है कि हम सामाजिक वातावरण के साथ भी चीज़ें कर सकते हैं। ये इस प्रकार है जैसे हर किसी से डाटा लेना-- सम्पूर्ण संग्रहणीय मैमोरी, दृश्य, जैसे पृथ्वी कैसी दिखती है-- और सभी लिंक एकत्रित रूप से। इन सभी तस्वीरों को साथ जोड़ दिया गया है, और वो कुछ ऐसा उत्पन्न करते हैं जो इन टुकडों को जोड़ने से काफ़ी ज़्यादा अच्छा है। आपके पास एक ऐसा मॉडल है जो पूरी पृथ्वी के उभार से उत्पन्न होता है। इसके बारे में आप स्टीफ़न लॉलर की आभासी पृथ्वी कार्य की लम्बी पूँछ के रूप में सोच सकते हैं। और ये कुछ ऐसा है कि जैसे-जैसे लोग इसका प्रयोग करते हैं तो, ये जटिलता में बढ़ता है और लोगों के लिये प्रयोग करने के बाद इसके लाभ और बढ़ जाते हैं। उनकी स्वयं की फ़ोटो उस मेटा डेटा के साथ जुड़ रही हैं जिसे किसी और ने डाला है। अगर किसी ने इन सभी सन्तों को नामित करने की कोशिश की है और वो कहना चाहते हैं कि वो कौन हैं, तो मेरी नोर्ते दैम कैथीड्र्ल की तस्वीर इस सारे डाटा के साथ और अधिक समृद्ध हो जाती है, और मैं इसका प्रयोग इस स्थान में, इस मेटा वर्स में, गोता लगाने के प्रवेश द्वार के रुप में कर सकता हूँ, और वो भी अन्य सभी की तस्वीरों के प्रयोग के, क्रास मॉडल, और इस प्रकार क्रास-प्रयोगक सामाजिक अनुभव द्वारा। और, इन सभी का अन्तिम उत्पाद पृथ्वी के हर रोचक हिस्से का अति समृद्ध आभासी मॉडल होगा, जिसे हमने ना सिर्फ़ ऊपर की उड़ानों और सैटेलाइट तस्वीरों से, या ऐसे ही किसी अन्य प्रकार से, बल्कि अपनी एकत्रित मैमोरी से लिया है। बहुत-बहुत धन्यवाद। (तालियाँ) क्रिस एन्डरसन: तो क्या मैंने इसे सही समझा है? कि आपका सॉफ़्टवेयर, किसी हद तक आने वाले कुछ सालों में, हमें ये अनुमति देगा कि दुनिया में किसी के भी द्वारा लिये गये चित्रों को आधारभूत रूप से आपस में जोड़ा जा सकता है? बा: हाँ, सच में हमारी खोज यही है। ये आपकी इच्छानुसार तस्वीरों के बीच में हायपरलिंक बनायेगा। और ये ऐसा, उन तस्वीरों के अन्दर निहित पाठय के आधार पर करेगा। और ये बहुत उत्साहपूर्ण हो जाता है जब हम इन तस्वीरों में निहित अर्थ सूचना के विषय में सोचते हैं। जैसे जब भी आप वेब पर तस्वीरों की खोज करते हैं, आप वाक्यांशों में लिखते हैं, और वेब पेज पर उपलब्ध पाठय उस तस्वीर के विषय में बहुत सारी जानकारी उपलब्ध कराता है। अब,क्या होगा अगर वो चित्र आपके सभी चित्रों से जुड़ जायें तो? तब अर्थ सूचना और उससे मिलने वाली समृद्धि की मात्रा बहुत ज़्यादा होगी। ये क्लासिक नेटवर्क का प्रभाव है। सीए: ब्लेज़, ये वास्तव में अदभुत है। बधाइयाँ। बा: आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। अफगानिस्तान के लिए मेरी यात्रा बहुत वर्षों पहले, मेरे देश की पूर्वी सीमा पर शुरू हुई, मेरी मातृभूमि, पोलैंड की । मैं मेरी दादी माँ की कहानियों के जंगल में चल रही थी । एक देश जहाँ हर जगह एक कब्र छुपी है, जहां लाखों लोग मारे या निर्वासित कर दिये गये थे २० वीं सदी में । विनाश के पीछे, मैं ने स्थान की आत्मा को पाया । मैं विनम्र लोगों से मिली । उनकी प्रार्थनाएँ सुनी और उनकी रोटी खाई । फिर २० सालों से मैं पूर्व की ओर जा रही हुँ -- पूर्वी यूरोप से मध्य एशिया -- काकेशस पहाड़ों के रास्ते, मध्य पूर्व अरब उत्तरी अफ्रीका रुस । मैं और विनम्र लोगों से मिली । उनकी संग भी भोजन और प्रार्थना करी और इसलिए मैं अफगानिस्तान गयी । एक दिन मैंने ओक्सस नदी के उपर एक पुल पार किया । मैं अकेली पैदल थी और अफ़ग़ान सैनिक तो मुझे देख कर इतने हैरान थे कि वह मेरे पासपोर्ट पर मुहर लगाना ही भूल गया परंतु उसने मुझे एक कप चाय दी और मैं समझ गयी कि उसकी हैरानी ही मेरी सुरक्षा है । तो मैं यात्रा करती जा रही हुँ घोड़ों पर, याक पर, ट्रक में, लिफ्ट ले, ईरान की सीमा से नीचे तक, वखन के गलियारे के किनारे तक । और इस तरह मैंने एक नूर पाया, अफगानिस्तान कि वो छुपी किरण । मेरा एकमात्र शस्त्र थे मेरी पुस्तक और मेरा कैमरा । मैंने सूफी विनम्र मुसलमानों की प्रार्थनाएँ सुनी, जो तालिबान को पसंद न थी । छुपी हुई, रहस्यवादी नदी जिब्राल्टर से भारत तक । मस्जिद जहां श्रद्धालु विदेशी पर दुआओं और खुशी के आंसुओं से ,उपहार की तरह स्वागत किया जाता हैं । हम क्या जानते हैं इस देश और लोगों के बारे में जिसकी सुरक्षा का हम नाटक करते हैं, उन गाँवों के बारे मे जहाँ सिर्फ़ अफीम ही भूख और दर्द को मारने की दवा है । ये अफीम अादी लोग है काबुल की छतों पर, हमारे युद्ध के १० वर्ष बाद । ये घुमक्कड़ लड़कियां हैं जो अफ़घानि व्यापारियों के लिये वेश्या बन गयीं । हम उन महिलाओं के बारे में क्या जानते है १० साल के युद्ध के बाद ? नायलॉन बैग पहने, चीन में बनाया गया, बुर्के के नाम से । मैंने एक दिन देखा, अफगानिस्तान में सबसे बड़ा स्कूल, एक लड़कियों का स्कूल । १३,००० लड़कियाँ पढ़ती हुईं भूमिगत कमरों में बिच्छूओ के बीच । और पढ़ाई के लिए उनका प्यार इतना था कि मैं रो पड़ी । क्या हमें तालिबान द्वारा मौत की धमकियों के बारे पता है जो लोगों के दरवाज़ों पर आती है जो अपनी बेटियों को स्कूल भेजते है जैसे कि बल्ख में ? वह क्षेत्र सुरक्षित नहीं है बल्कि तालिबानियों से भरा है, और उन्होने किया है । मेरा उद्देश्य आवज़ देना है, उन्हें जो चुप हैं महान खेल के पर्दे के पीछे छिपी रोशनी दिखाना । मीडिया और वैश्विक संघर्ष के भविष्यद्वक्ताओं द्वारा नजरअंदाज करी गयी दुनिया । धन्यवाद । (तालियाँ) क्या आप अच्छी झपकी पसंद करते है? (हँसी) बस समय का छोटा हिस्सा चुरा कर अपने सोफे पर पडे अंगडाई लेके मीठे पल याद करना यह मेरी पसंद की चीज है, पर मैंने इसकी तब तक कद्र नहीं की जब तक मैंने बेघर रहना अनुभव किया एक किशोर के रूप में आपके पास समर्थता आवश्यक है झपकी लेने की केवल स्थिरता और निश्चितता के लिए, जो कई बार संभाव नही होता. जब आप अपना सब कुछ आपके बुक बैग में रखते हैं और आपके पास गिनती का समय हो एक स्थान पर बैठने की अनुमति हो इससे पहले आपको जाने के लिए कहा जाये। मैं अटलांटा, जॉर्जिया में बड़ी हुई , एक घर से दुसरे घर पर उछाले जाते हुए एक प्यारे , जुड़े हुए परिवार के साथ जब हम स्थिरता के लिए संघर्ष कर रहे थे अपनी आमदनी में. लेकिन जब मेरी माँ ने अस्थायी रूप से खुद को दिमागी बीमारी में खो दिया और जब उस बीमारी ने मुझे प्राथमिक बलि का बकरा बनाया भावनात्मक और शारीरिक दुर्व्यवहार दोनों के माध्यम से सुरखा के लिए मै भाग गयी। मैंने फैसला किया कि बेघर रहना मेरे लिए सुरक्षित था बजाये घर पर रहने से। मैं 16 वर्ष की थी । मेरे बेघरता के दौरान, मैं अटलांटा के 3,300 बेघर युवाओं में शामिल हुई जो महसूस करते सूनापन , छोड़े गए और अदृश्य हर रात । वहां कोई जगह नहीं थी और अभी भी नहीं है एक बेघर नाबालिग के लिए सड़क पर निकलने के लिए एक बिस्तर तक जाने के लिए। ज्यादातर लोगों की सोच बेघर के बारे में एक प्रकार के आलसी, ड्रग-प्रेरित गन्दगी और असुविधा थी , लेकिन वह नहीं दर्शाता था मेरा कपड़े और स्कूल की किताबों से भरा बुक बैग, या मेरे ए + ग्रेड औसत। मैं अपने पसंदीदा बेंच डाउनटाउन पर बैठती और घंटे गुज़रते हुए देखती जब तक मैं छुपकर निकाल पाती सोने के लिए कुछ घंटे सोफों पर, कारों में, इमारतों में या स्टोरेज स्थानों में। मैं हजारों अन्य बेघर युवाओं की तरह, शहर की छाया में गायब हो गयी जबकि पूरी दुनिया घुमती रही जैसे कि कुछ भी गलत नहीं हुआ हो । सिर्फ अदृश्यता ने ही मेरी आत्मा को लगभग पूरी तरह से तोड़ दिया। लेकिन जब मेरे पास कुछ और नहीं था, मेरे पास कला थी, जिसने मांग नहीं की मुझसे शरण के बदले में भौतिक संपदा की । गायन के कुछ घंटों, कविता लेखन या पर्याप्त पैसे बचाने के लिए एक दूसरी दुनिया में गायब होने के लिए मुझे चलाये रखा और वापस जिंदा रखा जब मैं सबसे कमज़ोर महसूस किया। मैं चर्च सेवाओं में जाती बुधवार शाम को और, राहत के लिए हताश कला ने मुझे दिया, मैं कुछ घंटों जल्दी जाती , नीचे ख़िसक जाती ऐसी दुनिया के एक हिस्से में जहां एकमात्र चीज जो मायने रखती वो थी कि मैं सही नोट हिट कर पाती या नहीं उस गीत मे जिसे मैं उस हफ्ते में बेहतर कर रही होती । मैं घंटों गाती इसने मुझे बहुत ताकत दी खुद को अनुमति देने के लिए इससे बाहर निकालने और गायन करने के लिए। पाँच साल बाद, मैंने अपना संगठन शुरू किया, चोप आर्ट , जो एक बहु-विषयक है बेघर नाबालिगों के लिए कला संगठन। चोप आर्ट कला का उपयोग उपकरण के रूप में कर आघात से उभरने के लिए करता है हम जो जानते हैं उसे लेकर समुदाय के निर्माण के बारे में और गरिमा लौटने में और रचनात्मक प्रक्रिया को लागु करता है . चोप आर्ट का मुख्यालय अटलांटा, जॉर्जिया में है , इसके अतिरिक्त कार्यक्रम हैदराबाद, भारत, और अकरा, घाना में है , और 2010 में हमारी शुरुआत के बाद से, हमने चालीस हज़ार से अधिक किशोरों की सेवा की है। हमारे किशोर शरण लेते हैं कला के परिवर्तनीय तत्वों में, और वे सुरक्षित स्थान पर निर्भर करते हैं जो चोप आर्ट उन्हें प्रदान करता है। अक्सर अदृश्य लोग अपने प्रकाश में जाने के लिए कला का उपयोग करते है, लेकिन अदृश्यता से बहार आने की यह यात्रा आसान नहीं है। हमारे पास एक भाई-बहन की जोड़ी है, जेरेमी और केली, जो इस कार्यक्रम के साथ तीन साल से अधिक समय से हैं। वे चॉपआर्ट कक्षाओं में हर बुधवार की शाम आते हैं। लेकिन लगभग एक साल पहले, जेरेमी और केली ने अपनी माँ को अपने सामने जब्त होते और मरते हुए देखा। उन्होंने पैरामेडिक्स को उसे र्जीवित करने में विफल होते देखा। वे रोये जब उनके पिता ने अस्थायी हिरासत के लिए हस्ताक्षर किए उनके चोप आर्ट सलाहकार, एरिन, बगेर एक अतिरिक्त जोड़ी कपड़े ले जाने की अनुमति दिए बिना। घटनाओं की इस श्रृंखला ने मेरा दिल तोड़ दिया, लेकिन जेरेमी और केली की चॉप आर्ट में आस्था और संकल्प की वजह ने मुझे इस काम में केंद्रित रखा। केली ने अपने सबसे निम्न पल में एरिन को बुलाया, यह जानकर कि एरिन करेगी वह जो भी कर पायेगी उन्हें प्यार और देखभाल महसूस करने के लिए, मेरे लिए एक प्रमाण है कि कला का उपयोग करके एक प्रवेश द्वार के रूप में कर, हम स्वस्थ और निर्माण कर सकते हैं बेघर युवा आबादी को । और हम निर्माण जारी रखेंगे। हम डेविन के साथ निर्माण कर रहे हैं , जो अपने परिवार के साथ बेघर हो गया जब उसकी माँ को चुनना पड़ा चिकित्सा बिल या किराए के बीच। उसने चित्रकला सेअपने प्यार को पाया चौपआर्ट के माध्यम से। हम लिज़ के साथ निर्माण किया , जिसने सड़कों पर बिताये अपने अधिकांश किशोर वर्ष लेकिन खुद को वापिस पाने के लिए संगीत की ओर मुडी जब उसका आघात ज्यादा भारी ओ जाता उसके युवा कंधों के लिए। हम मारिया के लिए निर्माण कर रहे हैं, जो घाव भरने के लिए कविता का उपयोग करती वैन में उसके दादाजी की मृत्यु के बाद जहाँ वह रह रही है उसके बाकी परिवार के साथ। तो बेघरता का अनुभव करने वाले युवाओं , मैं आपको बता दूँ, आपके भीतर निर्माण करने की शक्ति है। आपके पास कला के ज़रिये एक आवाज है इस बात से तय नहीं करती आप किस दौर से गुज़र रहे हैं तो लडते रहें, अपनी रोशनी में खड़े होने के लिए क्योंकि आपके सबसे अंधेरे समय में भी , हम आपको देखते हैं धन्यवाद। (तालियां) जब में पांचवी कक्षा में था, मैंने एक प्रकाशन खरीदा "डीसी कॉमिक्स अंक # 57" एक स्पिनर रैक से बाहर मेरे स्थानीय बुकस्टोर में, और उस हास्य पुस्तक ने मेरी जिंदगी बदल दी . शब्दों और चित्रों के संयोजन ने मेरे सिर के अंदर कुछ किया जो पहले कभी नहीं किया गया था, और मुझे तुरंत ही कॉमिक्स माध्यम से प्यार हो गया। मैं एक भयानक कॉमिक बुक रीडर बन गया, पर उन्हें मैं कभी स्कूल नहीं ले गया। सहजता से, मैं जानता था की कॉमिक किताबें कक्षा के लिए नहीं थी। मेरे माता-पिता निश्चित ही प्रशंसक नहीं थे, और मैं जनता था कि मेरे शिक्षक भी नहीं होंगे। आखिर, उन्होंने पढ़ाने के लिए कभी इनका उपयोग नहीं किया, कॉमिक किताबें और ग्राफिक उपन्यास पढने की अनुमति मोंन रीडिंग में भी नहीं थी , और ये कभी हमारी वार्षिक पुस्तक मेले में भी नहीं बेचीं गई थी । फिर भी, मैंने कॉमिक्स पढ़ना जारी रखा, और उन्हें बनाना भी शुरू कर दिया . आखिरकार मैं बन गया एक प्रकाशित कार्टूनिस्ट, लेखन और ड्राइंग एक जीवित के लिए कॉमिक किताबें। मैं भी एक हाईस्कूल शिक्षक बन गया। यह वह जगह है जहां मैंने सिखाया: बिशप ओ'डोद हाई स्कूल ओकलैंड, कैलिफोर्निया में। मैंने थोड़ा सा गणित सिखाता और थोड़ी से कला, पर ज्यादातर कंप्यूटर विज्ञान, और मैं वहां 17 साल तक था। जब मैं एक नया शिक्षक था, मैंने कॉमिक किताबें लाने की कोशिश की मेरे कक्षा में मुझे याद है अपने छात्रों को बताना प्रत्येक वर्ग के पहले दिन कि मैं एक कार्टूनिस्ट भी था। ऐसा नहीं था कि मैं योजना बना रहा था उन्हें कॉमिक्स से पढ़ाने की , ज़्यादातर इसलिए कि मैं उम्मीद कर रहा था की कॉमिक्स से वे मुझे कूल समझेंगे । (हँसी) मैं गलत था। यह नब्बे का दशक था, तब कॉमिक किताबों का वो सांस्कृतिक निशान नहीं था जो आज है मेरे छात्रों ने नहीं सोचा कि मैं कूल था। उन्होंने सोचा कि मैं बेवकूफ प्रकार का था। और इससे भी बदतर, जब मेरी कक्षा में मुश्किल विषय हो जाता, वे कॉमिक किताबों का उपयोग करते मुझे विचलित करने के तरीके के रूप में। वे अपने हाथ उठाते और मुझसे सवाल पूछते, "श्री यांग, क्या लगता है की लड़ाई में कौन जीतेगा सुपरमैन या हल्क? " (हँसी) मुझे बहुत जल्दी एहसास हो गया कि मुझे मेरी शिक्षा और कार्टून को अलग रखना होगा । लगता है मेरा सहज ज्ञान पांचवीं कक्षा में सही था । कॉमिक किताबें कक्षा में नहीं हो सकती थी। लेकिन फिर, मैं गलत था। मेरे शिक्षण कैरियर के कुछ सालों में मैंने सीखा कॉमिक्स की शिक्षा की क्षमता। एक सेमेस्टर, मुझसे पुछा विकल्प के तौर पर बीजगणित 2 कक्षा पढ़ाने के लिए । मुझसे पूछा दीर्घकालिक उप बनने के लिए , और मैंने हाँ कहा, लेकिन एक समस्या थी। उस समय, मैं स्कूल का शैक्षिक त्तेक्निसियन भी था जिसका मतलब हर दूसरे हफ्ते में मुझे एक या दो अवधियों को मिस करना पड़ता बीजगणित 2 कक्षा की क्योंकि मैं किसी किसी और शिक्षक की मदद कर रहा होता कंप्यूटर से संबंधित कार्य के साथ। इन बीजगणित 2 छात्रों के लिए, वह भयानक था। मेरा मतलब है, लंबी अवधि के लिए उप शिक्षक काफी खराब है, लेकिन उप का एक और उप होना यह सबसे बुरा है। मेरे छात्रों को कुछ स्थिरता प्रदान करने के प्रयास में, मैंने वीडियो टैपिंग शुरू की खुद को व्याख्यान देते हुए। मैं फिर इन वीडियो को मेरे उप को देता मेरे छात्रों को दिखाने के लिए। मैं इन वीडियो को बहुत आकर्षक बनाने की कोशिश करता । मैं इनमे छोटे विशेष प्रभाव भी शामिल करता। उदाहरण के लिए, मैं बोर्ड पर एक समस्या समाप्त होने के बाद, मैं तालियाँ बजाता , और बोर्ड जादुई रूप से मिट जाता। (हँसी) मुझे यह बहुत बढ़िया लगता था। मैं बहुत निश्चित था कि मेरे छात्र इसे पसंद करेंगे, पर मैं गलत था। (हँसी) ये वीडियो व्याख्यान मुसीबत थे। मेरे पास छात्र ऐसी चीजें कहकर गए , "श्री यांग, हमे लगा आप व्यक्तिगत रूप से उबाऊ हैं, लेकिन वीडियो पर, आप बस असहनीय हैं। " (हँसी) तो दूसरे प्रयास के रूप में, मैंने इन व्याख्यानों को कॉमिक्स में चित्रित किया। मैं ये बहुत जल्दी कर लेता बहुत कम योजना के साथ। मैं बस एक शार्पी पेन लेकर , एक के बाद दूसरे पैनल खींच देता , साथ ही यह पता लगाता जाता की क्या कहना चाहता हूँ. ये कॉमिक्स लेक्चर बनते करीब चार और छह पेज बीच लम्बे, मैं इन्हें ज़ेरोक्स कर अपने उप को दे देता मेरे छात्रों को सौंपने के लिए। और मुझे आश्चर्य हुआ, ये कॉमिक्स लेक्चर एक हिट थे। मेरे छात्र मुझसे पूछते इन्हें बनाने के लिए तब भी जब मैं व्यक्तिगत रूप से वहां रह सकता था। ऐसा लगा कि उन्हें मेरा कार्टून पसंद आया मेरे वास्तविक रूप से अधिक। (हँसी) इससे मुझे हैरानी हुई, क्योंकि मेरे छात्र ऐसी पीढ़ी का हिस्सा हैं जो स्क्रीन पर बड़ी हुई है , तो मैंने सोचा की वे निश्चित ही चाहेंगे एक स्क्रीन से सीखना बजाय एक पृष्ठ से सीखने के । पर जब मैंने अपने छात्रों से बात की उन्हें कॉमिक्स लेक्चर इतने क्यों पसंद आये मुझे समझ आया कॉमिक्स की शैक्षणिक क्षमता। पहला, उनके गणित पाठ्यपुस्तकों के विपरीत, इन कॉमिक्स लेक्चर ने द्रश्य से सिखाया। हमारे छात्र एक दृश्य संस्कृति में बड़े होते हैं, इसलिए इन्हें आदत है इस तरह से जानकारी लेने के लिए। लेकिन अन्य दृश्य कथाओं के विपरीत, फिल्म या टेलीविजन की तरह या एनीमेशन या वीडियो, कॉमिक्स मैं कहोंगा की स्थायी हैं। एक कॉमिक में, अतीत, वर्तमान और भविष्य सभी एक ही पृष्ठ पर एक तरफ होते हैं। इसका मतलब है कि सूचना का प्रवाह दर मजबूती से पाठक के हाथों में है। जब मेरे छात्रों को मेरे कॉमिक्स व्याख्यान में कुछ समझ में नहीं आया, वे बस उस अंश को फिर से पढ़ सकते थे जल्दी या धीरे-धीरे उनकी ज़रूरत के मुताबिक । ऐसा था जैसे मैं उन्हें जानकारी पर एक रिमोट कंट्रोल दे रहा था। वही सच मेरे वीडियो व्याख्यान के लिए नहीं था , और यह मेरे व्यक्तिगत व्याख्यान के लिए भी सच नहीं था। जब मैं बोलता हूं, तो मैं जानकारी प्रदान करता हूं अपनी इच्छा से जल्दी या धीरे-धीरे। तो कुछ छात्रों के लिए और कुछ प्रकार की जानकारी, कॉमिक्स माध्यम के इन दो पहलुओं, इसकी दृश्य प्रकृति और इसकी स्थायित्व, इसे एक बहुत ही शक्तिशाली शैक्षणिक उपकरण बनाता है . जब मैं इस बीजगणित 2 कक्षा को पढ़ रहा था, मैं अपनी शिक्षा में मास्टर डिग्री पर भी काम कर रहा था कैल स्टेट ईस्ट बे में । और मैं इन कॉमिक्स व्याख्यान के नुभव से इतना चकित था . कि मैंने फैसला किया कॉमिक्स मेरा अंतिम मास्टर प्रोजेक्ट केंद्रित करने का। मैं समझना चाहता था अमेरिकी शिक्षक क्यों इतिहास से इतनी अनिच्छुक है अपनी कक्षाओं में कॉमिक किताबों के उपयोग से। मैंने यह पाया है। कॉमिक किताबें पहली बार 1940 के दशक में एक व्यापक माध्यम बनीं , हर महीने लाखों प्रतियाँ बिकने के साथ, और तभी शिक्षकों ने नोटिस किया । बहुत सारे अभिनव शिक्षकों ने कॉमिक्स को अपने कक्षाओं में लाना शुरू किया प्रयोग करने के लिए। 1 9 44 में, "जर्नल शैक्षिक समाजशास्त्र के " यहां तक ​​कि एक पूरे मुद्दे को समर्पित भी इस विषय के लिए। सब चीजें प्रगति की ओर लग रही थी। शिक्षक चीज़ों को समझने लगे थे । लेकिन फिर यह आदमी आता है। ये बाल मनोवैज्ञानिक डॉ फ्रेड्रिक वेर्थम है , और 1 9 54 में, उन्होंने एक पुस्तक लिखी "मासूम को प्रलोभन", कहा जाता है उसमें उन्होने तर्क दिया की कॉमिक किताबें किशोर अपराध का कारण बनती है। (हँसी) वह गलत था। वैसे, डॉ वर्थम वास्तव एक सुंदर सभ्य आदमी थे । उन्होंने अपना अधिकांश करियर बिताया किशोर अपराधियों के साथ काम कर, और अपने काम में उन्होंने देखा कि ज्यादातर ग्राहक हास्य किताबें पढ़ते हैं। डॉ. वर्थम यह महसूस करने में नाकाम रहे की 1940 और 50 के दशक में , अमेरिका में लगभग हर बच्चा कॉमिक किताबें पढ़ता था । डॉ वर्थम ने अपने मुद्दे को साबित करने का बेहद संदिग्ध काम किया , लेकिन उनकी पुस्तक प्रेरित करती है संयुक्त राज्य अमेरिका के सीनेट को सुनवाई की एक श्रृंखला आयोजित करने के लिए देखने के लिए की वास्तव में कॉमिक किताबें किशोर अपराध की वजह है । ये सुनवाई चली लगभग दो महीने तक। वे समाप्त हुईं अनिशियत परिणाम से , लेकिन जबरदस्त नुकसान करने के बाद कॉमिक किताबों की प्रतिष्ठा को अमेरिकी जनता की नजर में। इसके बाद, सम्मानजनक अमेरिकी शिक्षकों समर्थन देने से पीछे हट गए, और वे का दशकों तक दूर ही रहे। यह 1 9 70 के दशक के बाद ही कुछ बहादुर लोगों ने वापिस आना शुरू कर दिया। और यह वास्तव में हाल ही में हुआ , शायद पिछले दशक में या आस पास , इन कॉमिक्स को अधिक व्यापक स्वीकृति मिली है अमेरिकी शिक्षकों के बीच। कॉमिक किताबें और ग्राफिक उपन्यास आखिर में अपना रास्ता बना रहे हैं अमेरिकी कक्षाओं में वापस और यह भी हो रहा है बिशप ओ'डोद में, जहां मैं पढाता था। श्री स्मिथ, मेरे एक पूर्व सहयोगी , स्कॉट मैकक्लाउड का उपयोग करते हैं "अंडर स्टैंडिंग कॉमिक्स " अपने साहित्य और फिल्म कक्षा में, क्योंकि वह किताब उनके छात्रों को देती है एक भाषा जिसके साथ शब्दों और छवियों के बीच संबंध की चर्चा होती है । श्री बर्न्स अपने छात्रों के लिए हर साल कॉमिक्स निबंध निर्दिष्ट करते हैं । अपने छात्रों को छवियों का उपयोग कर एक गद्य उपन्यास संसाधित करने के लिए, श्री बर्न्स उन्हें गहराई से सोचने के लिए कहते हैं सिर्फ कहानी के बारे में नहीं बल्कि वह कहानी को कैसे बताया गया है इसके बारे में भी। और सुश्री मुरॉक उपयोग करती हैं मेरी अपनी "अमेरिका बोर्न चाइनीस" उसके अंग्रेजी 1 छात्रों के साथ। उसके लिए, ग्राफिक उपन्यास सामान्य कोर मापदंड पूरा करने का एक शानदार तरीका है । मापदंड बताता है कि छात्र विश्लेषण करने में सक्षम होना चाहिए कैसे एक पाठ के अर्थ, स्वर और सुंदरता के लिए दृश्य तत्व योगदान देते हैं । लाइब्रेरी में, सुश्री कौओत ने एक बहुत प्रभावशाली बनाया है ग्राफिक उपन्यास संग्रह बिशप ओद्वोद के लिए । अब, सुश्री कौओत और उनके सब पुस्तकालय सहयोगियों वास्तव में सबसे आगे रहे हैं कॉमिक्स की सिफारिश करने में , वास्तव में शुरुआती '80 के दशक से, जब एक स्कूल पुस्तकालय पत्रिका लेख कहा कि पुस्तकालय में केवल ग्राफिक उपन्यासों की उपस्थिति से उपयोग में लगभग 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई और प्रसार में वृद्धि हुई गैर कॉमिक्स सामग्री के लगभग 30 प्रतिशत तक। अमेरिकी शिक्षकों के इस नए शोक से प्रेरित होकर , अमेरिकी कार्टूनिस्ट अब स्पष्ट शैक्षणिक सामग्री बना रहे हैं पहले से कहीं ज्यादा के -12 बाजार के लिए। इनमें से बहुत कुछ निर्देशित है भाषा कला में, पर अधिक से अधिक कॉमिक्स और ग्राफिक उपन्यास गणित और विज्ञान विषयों के लिए शुरू कर रहे हैं । एसटीईएम कॉमिक्स ग्राफिक्स उपन्यास वास्तव में इस उलझे क्षेत्र की तरह हैं, खोज के लिए तैयार है। अंत में अमेरिका इस तथ्य से जाग रहा है वह कॉमिक किताबें किशोर अपराध का कारण नहीं बनें। (हँसी) वे वास्तव में हर शिक्षक के टूलकिट में संबंधित हैं। ऐसा कोई कारण नहीं है जो हास्य किताबें और ग्राफिक उपन्यास को के -12 शिक्षा से बाहर रखे । वे द्रशयों से पढ़ाते हैं, वे हमारे छात्रों को देते हैं वह रिमोट कंट्रोल। शैक्षिक क्षमता यहाँ है बस टैप करने की प्रतीक्षा में है आपके जैसे रचनात्मक लोगों द्वारा। धन्यवाद। (तालियां) क्या चेस्ट-नट (अखरोट) को ब्लाइट परजीवी ख़तम कर देगा? किसान सोचता है ऐसा नही होगा. क्योंकि उसकी जड़ो मे जीवन सुलग रहा है. और तब तक नई तरंगे फूंकता रहेगा. जबतक नया परजीवी आके ब्लाइट को ख़तम ना कर दे 20वीं शताब्दी की शुरुआत में पूर्वी अमरीका की चेस्ट नट या शाहबलूत अखरोट की फसल के लगभग चार अरब पेड़ को फफूंदी के संक्रमण ने पूरी तरह से तबाह कर दिया था. फफूंदी पौधों की सबसे विनाशकारी रोगाणु हैं, इनमे आर्थिक महत्व की प्रमुख फसले भी शामिल है क्या आप सोच सकते हैं कि आज, फफूंदी के संक्रमण के कारण दुनिया भर मे प्रति वर्ष अरबों डॉलर की फ़सल के नुकसान का अनुमान है? जितनी फसल से आधा अरब लोगों को खाने के लिए पर्याप्त भोजन मिल सकता है | इसके गंभीर परिणाम निकल सकते है जिनमे विकासशील देशो मे अकाल जैसी स्थिति से लेकर किसानो और व्यापारियो की आय मे भारी गिरावट, उपभोक्ताओं के लिए उच्च मूल्य, और फफूंदी द्वारा निर्मित मायकॉटक्सिन जहर के फैलने का ख़तरा शामिल है| समस्याएँ हमारे सामने ये है कि रोकथाम और उपचार की वर्तमान पद्धति जो इन भयानक रोगो जैसे आनुवंशिक नियंत्रण, प् रतिरोध के प्राकृतिक स्रोतों का शोषण फसल रोटेशन या बीज उपचार, और बाकी के अलावा अभी भी सीमित या अल्पकालिक हैं| इनका लगातार नवीकरण करना होगा| इसलिए, हमें तुरंत और अधिक कुशल रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है और इसके लिए शोध होनी चाहिए ताकि जैविक तंत्र की पहचान की जा सके कि अनूठे एंटिफंगल उपचार द्वारा लक्षित किया जा सकता है फफूंदी की एक विशेषता ये है कि वे स्थानांतरित नहीं हो सकते और केवल फैलते है ताकि एक परिष्कृत नेटवर्क बना सके जिसे , मैइसीलियम कहते है| पौधो की विकृति विज्ञान के जनक अन्तोन डी बेरी ने 1884 मे फळे व्यक्ती थे जीन्होने माना फफूंदी उन संकेतो द्वारा मार्गदर्शन पाते है . जो मेजबान पौधे द्वारा भेजे जाते है अर्थात उस पौधे से जिस पर फफूंदी रह सके और उसे खा सके यानी संकेत एक प्रकाश स्तंभ का काम करते है ताकि फफूंदी उन्हे ढूँढ सके, और उसकी तरफ बढ़ सके, पहुँच सके और आख़िरकार उस पर हमला कर उसे अपने उपनिवेश बना सके वह जानता था कि इस तरह के संकेतों की पहचान एक महान ज्ञान को सामने ला सकता जो विस्तृत रणनीति में काम आएगा ताकि पौधे और फफूंदी के बीच बातचीत को रोका जा सके हालाँकि तब ऐसी किसी विधि के उपलब्ध ना होने के कारण उसे आणविक स्तर पर इस तंत्र की पहचान करने से रोक दिया। शुद्धिकरण और उत्परिवर्ती जीनोमिक दृष्टिकोण का प्रयोग करना साथ ही साथ एक तकनीक जिससे निर्देशित हिफाल वृद्धि का माप लिया जा सके आज मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है की 130 साल बाद मेरी भूतपूर्व टीम और मैं आखिरकार पौधों के ऐसे संकेतों की पहचान कर पाए एक रोगजनक फफूंदी के बीच बातचीत का अध्ययन करके जिसे फुसरिअम ओक्सिस्पोरूम कहते है | और इसके मेजबान पौधों में से एक, टमाटर का पौधा साथ ही, हम लक्षण वर्णन कर सकते हैं उन संकेतों को प्राप्त करने वाले फफूंदी के रिसेप्टर और फफूंदी के भीतर होने वाली अंतर्निहित प्रतिक्रिया का हिस्सा और पौधे की ओर इसकी प्रत्यक्ष वृद्धि की ओर अग्रसर है। (तालियाँ) धन्यवाद| फफूंदी के ऐसी आणविक प्रक्रियाओं की समझ संभावित अणुओं का एक पट्टी प्रदान करता है कि अनूठे एंटिफंगल उपचार बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। और उन उपचारों को बाधित होगा फफूंद और पौधे के बीच की क्रिया या तो पौधे के संकेत को अवरुद्ध करके या फंगल रिसेप्शन सिस्टम जो उन संकेतों को प्राप्त करता है फफूंद संक्रमणों ने कृषि फसलों को तबाह कर दिया है। इसके अलावा, हम अब एक युग में हैं जहां फसल उत्पादन की मांग काफी बढ़ रही है। और इसका कारण है जनसंख्या वृद्धि, आर्थिक विकास, जलवायु परिवर्तन और जैव ईंधन की मांग आणविक तंत्र की हमारी समझ फफूंदी और उसके मेजबान संयंत्र के बीच बातचीत का, जैसे टमाटर का पौधा संभावित रूप से अधिक कुशल रणनीति विकसित करने की दिशा में एक प्रमुख कदम का प्रतिनिधित्व करता है पौधे फफूंदी रोगों का मुकाबला करने के लिए और इसलिए उन समस्याओं का समाधान जो लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विकास धन्यवाद। (तालियां) यह एक उपकरणों का कब्रस्तआन है यह अफ्रीका के सभी चिकित्सक उपकरणों का ऐक विशिष्ट अंतिम विश्राम स्थल है अब, ऐसा क्यूँ है ? अधिकांश चिकित्सक उपकरण जो अफ्रीका में इस्तेमाल हो रहे हैं वोह आयातित होती हैं, और काफी बार वो स्थानीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त नहीं हैं I उन्हें प्रशिक्षित स्टाफ़ की आवश्यकता हो सकती है जो कि उन्हें बनाए रखने और उन्हें चलाने और मरम्मत करने के लिए उपलब्ध नहीं हैं वे उच्च तापमान और ह्यूमिटी का सामना करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं और इन्हें आमतौर पर स्थिर औरविश्वसनीय बिजली की आपूर्ति की आवश्यकता होती है चिकित्सा उपकरण का एक उदाहरण जो की हो सकता है कि किसी समय पर एक उपकरण कब्रिस्तान में समाप्त हो गया हो एक अल्ट्रासाउंड मॉनीटर है अजन्मित शिशुओं की हृदय गति की जाँच करने के लिए होता है यह समृद्ध देशों में देखभाल का मानक हैI कम संसाधन सेटिंग्स में, देखभIल का मानक अक्सर एक दाई का बच्चे की हृदय गति सुनना के लिए एक सींग के माध्यम से। अब, यह दृष्टिकोण चारों ओर रहा है एक शताब्दी से अधिक के लिए। यह दाई के कौशल और का अनुभव पर बहुत निर्भर है युगांडा से दो युवा आविष्कारक एक प्रसवपूर्व क्लिनिक का दौरा किया कुछ साल पहले एक स्थानीय अस्पताल में, जब वे छात्र थे सूचना प्रौद्योगिकी में। उन्होंने देखा कि अक्सर, दाई सक्षम नहीं था किसी भी दिल की दर सुनने के लिए इसे सुनने की कोशिश करते समय इस सींग के माध्यम से। तो उन्होंने अपना खुद का भ्रूण हृदय गति मॉनीटर का आविष्कार किया। उन्होंने सींग को अनुकूलित किया और इसे एक स्मार्टफोन से जोड़ा। स्मार्टफोन पर एक ऐप हृदय गति रिकॉर्ड करता है, इसका विश्लेषण करता है और दाई प्रदान करता है जानकारी की एक श्रृंखला के साथ बच्चे की स्थिति पर। ये अविष्कारक (तालियाँ) को आरोन तुशाबे और जोशुआ ओकेल्लो कहा जाता है एक और अविष्कारक , तेंदेकायी कत्सिगा एक बोत्सवाना के नगों जो सुनने के उपकरण का विनिर्मित करता है उसके लिए काम करता था अब,उसने देखा की इन उपकरणों को वोह बैटरीज चाहिए थीं जिनका प्रतिस्थापन अधिकांश ऐसी लागत पे हो रहा था जो किफायती नहीं थीं अधिकांश उपयोगकर्ताओं के लिए जिनको वो जनता था तेंदेकायी एक इंजिनियर होते हुए एक सौर संचालित बैटरी चार्जर रिचार्जेबल बैटरी के साथ, इन श्रवण सहायता में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने सहकारी कंपनी नामक एक कंपनी की स्थापना की, जो अब सौर कान बनाती है, जो एक श्रवण सहायता संचालित है अपने आविष्कार से। मेरे सहयोगी, सुदेश शिवरासु, एक स्मार्ट दस्ताने का आविष्कार किया कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के लिए। भले ही उनकी बीमारी ठीक हो चुकी हो , परिणामी तंत्रिका क्षति उनमें से कई को छोड़ दिया है उनके हाथों में स्पर्श की भावना के बिना। इससे उन्हें चोट का खतरा होता है। दस्ताने सेंसर है तापमान और दबाव का पता लगाने के लिए और उपयोगकर्ता को चेतावनी दी। यह प्रभावी ढंग से कार्य करता है स्पर्श की कृत्रिम भावना के रूप में और चोट को रोकता है। सुदेश ने इस दस्ताने का आविष्कार किया पूर्व कुष्ठ रोगियों को देखने के बाद जैसा कि उन्होंने किया था उनकी रोज़मर्रा की गतिविधियां, और उसने जोखिमों के बारे में सीखा और उनके पर्यावरण में खतरे। अब, जिन आविष्कारों का मैंने उल्लेख किया है स्वास्थ्य देखभाल के साथ इंजीनियरिंग को एकत्रित किया। जैव चिकित्सा इंजीनियरों यही है। केप टाउन विश्वविद्यालय में, हम एक कोर्स चलाते हैं स्वास्थ्य नवाचार और डिजाइन। यह हमारे कई स्नातक द्वारा लिया जाता है बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में छात्र। यह हमारे कई स्नातक द्वारा लिया जाता है बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में छात्र। डिजाइन दुनिया के दर्शन के लिए। छात्रों को प्रोत्साहित किया जाता है समुदायों के साथ संलग्न करने के लिए क्योंकि वे समाधान की खोज करते हैं स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के लिए।हम जिन समुदायों के साथ काम करते हैं उनमें से बुजुर्ग लोगों का समूह है केप टाउन में एक हालिया कक्षा परियोजना में कार्य था श्रवण हानि को संबोधित करने के लिए इन बुजुर्ग लोगों में। छात्रों, उनमें से कई इंजीनियरों होने के नाते, विश्वास करते हैं कि वे एक बेहतर श्रवण सहायता डिजाइन करेंगे। उन्होंने बुजुर्गों के साथ समय बिताया, अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं से बात की और उनके देखभाल करने वाले। उन्हें जल्द ही एहसास हुआ कि, वास्तव में, पर्याप्त श्रवण सहायता पहले से मौजूद है, लेकिन बुजुर्गों में से कई जिन्हें उनकी जरूरत थी और उनके पास पहुंच थी उनके पास नहीं था। और उनमें से काफी जिनके पास कान की मशीन थी उन्हें नहीं पेहेनते थे छात्रों को एहसास हु इन बुजुर्गों में से कई लोग उनकी श्रवण हानि से इंकार कर रहे थे। एक कलंक जुड़ा हुआ है श्रवण सहायता पहनने के लिए। उन्होंने पर्यावरण को भी खोजा जिसमें इन बुजुर्ग लोग रहते थे उनकी श्रवण हानि को समायोजित नहीं किया। उदाहरण के लिए, उनके घर और उनके समुदाय केंद्र गूँज से भरे हुए थे जो उनकी सुनवाई में हस्तक्षेप किया। तो विकास और डिजाइन करने की बजाय एक नई और बेहतर श्रवण सहायता, छात्रों ने एक लेखा परीक्षा की पर्यावरण का, ध्वनिक सुधारने के लिए एक दृष्टिकोण के साथ। उन्होंने एक अभियान भी तैयार किया सुनवाई के नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिएाऔर कलंक का मुकाबला करने के लिए एक श्रवण सहायता पहनने के लिए जुड़ा हुआ है।अब, यह अक्सर होता है जब कोई उपयोगकर्ता को ध्यान देता है -इस मामले में, बुजुर्ग - और उनकी जरूरतों और उनके संदर्भ। अक्सर एक को दूर जाना पड़ता है प्रौद्योगिकी के फोकस से और समस्या को सुधारें। एक समस्या को समझने के लिए यह दृष्टिकोण सुनने और आकर्षक के माध्यम से नया नहीं है, लेकिन अक्सर इंजीनियरों द्वारा पीछा नहीं किया जाता है, जो प्रौद्योगिकी विकसित करने के इरादे से हैं। हमारे छात्रों में से एक पृष्ठभूमि है सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में। उन्होंने अक्सर ग्राहकों के लिए उत्पाद बनाए थे कि क्लाइंट अंततः पसंद नहीं आया। जब कोई ग्राहक किसी उत्पाद को अस्वीकार कर देता है, यह उनकी कंपनी में आम था ग्राहक को घोषित करने के लिए बस नहीं पता था कि वे क्या चाहते थे। पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद, छात्र हमें वापस खिलाया कि अब वह एहसास हुआ वह वह था जो समझ में नहीं आया था ग्राहक क्या चाहता था। दुसरे छात्र ने हमें प्रतिक्रिया दी कि उसने सीखा था सहानुभूति के साथ डिजाइन करने के लिए,कार्यक्षमता के लिए डिजाइन करने के विरोध में,जो उसकी इंजीनियरिंग है शिक्षा ने उसे सिखाया था। तो यह सब क्या दिखाता है हम अक्सर वास्तविक जरूरतों के लिए अंधेरे होते हैं प्रौद्योगिकी के हमारे प्रयास में। लेकिन हमें प्रौद्योगिकी की जरूरत है।हमें श्रवण सहायता की जरूरत है हमें भ्रूण हृदय गति मॉनीटर की जरूरत है। तो हम और अधिक चिकित्सा उपकरण कैसे बनाते हैं अफ्रीका से सफलता की कहानियां?हम और अधिक अविष्कारक कैसे बनाते हैं?पर भरोसा करने के बजाय कुछ असाधारण व्यक्ति जो वास्तविक जरूरतों को समझने में सक्षम हैं और काम करने के तरीके में जवाब देते हैं? खैर, हम जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और लोगऔर संदर्भ"लेकिन यह स्पष्ट है,"आप कह सकते हैं, "बेशक संदर्भ महत्वपूर्ण है।" लेकिन अफ्रीका एक विविध महाद्वीप है, स्वास्थ्य और धन में विशाल असमानताओं के साथ और आय और शिक्षा। अगर हम मानते हैं कि हमारे इंजीनियरों और आविष्कारक पहले से ही पर्याप्त जानते हैं विभिन्न अफ्रीकी संदर्भों के बारे में समस्याओं को हल करने में सक्षम होने के लिए हमारे विभिन्न समुदायों का और हमारे सबसे हाशिए वाले समुदायों, तो हम इसे गलत हो सकता है। लेकिन फिर, अगर हम अफ्रीकी महाद्वीप पर जरूरी नहीं कि इसके बारे में पर्याप्त जानकारी हो, तो शायद सही स्तर के साथ कोई भी कौशल और प्रतिबद्धता में उड़ सकता है, सुनने और आकर्षक कुछ समय बिताएं और पर्याप्त जानने के लिए बाहर उड़ना अफ्रीका के लिए आविष्कार लेकिन संदर्भ समझना नहीं है एक सतही बातचीत। यह गहरी सगाई के बारे में है और वास्तविकताओं में एक विसर्जन और हमारे संदर्भ की जटिलताओं। और हम अफ्रीका में पहले से ही डूबे हुए हैं। हमारे पास पहले से ही एक मजबूत और समृद्ध ज्ञान का आधार है जिससे समाधान ढूंढना शुरू करें हमारी अपनी समस्याओं के लिए। तो चलिए दूसरों पर ज्यादा भरोसा नहीं करते हैं जब हम एक महाद्वीप पर रहते हैं वह अप्रत्याशित प्रतिभा से भरा है। धन्यवाद (तालियाँ ) जून २०१६ | मैं तीस साल की थी, जब एक फोन कॉल आया मेरे डॉक्टर के कार्यालय से मेरे परीक्षण के परिणाम बताने के लिए | तो मैं लंच ब्रेक में अपने डॉक्टर से मिलने गई. उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि मुझे स्तन कैंसर है | पहले तो मुझे विश्वास नही हुआ , मैं एक वकील हूँ ना , तो मुझे कुछ प्रमाण चाहिए था | मुझे आपको यह बताते हुए शर्म आ रही है कि मैं उठके उनके पास गई जहाँ वह बैठीं थी ताकि मैं झाँक सकूँ कि उनके सामने रखे हुए पृष्ठ में क्या लिखा है| (हंसी) घातक कार्सिनोमा | किंतु फिर भी विश्वास ना करते हुए मैंने कहा, "क्या आपको यकीन है कि घातक कार्सिनोमा का मतलब कैंसर है?" (हंसी) उन्होंने कहा निःसंदेह यह कैंसर है| जब काम पर मैं अति आवश्यक कार्य सौंप रही थी तब मुझमें कैंसर की वृद्धि होने की जाँच चल रही थी | लेकिन उस समय, काम मेरी प्राथमिकता नहीं थी। मैं सोच में थी कि कैसे मैं अपने परिवार एवं मित्रों को बताऊँ कि मुझे कैंसर है | कैसे उनके सवालों के जवाब दूँ कि कितना बुरा है और क्या मैं ठीक हूँगी या नहीं, जब मुझे खुद नहीं पता| मैं सोच रही थी कि क्या कभी मुझे अपने साथी के साथ परिवार बसाने का अवसर मिलेगा| और कैसे मैं अपनी माँ से कहूँ, जो गर्भावस्ता में स्वयं स्तन कैंसर से पीड़ित थीं | वह अवश्य मेरी अवस्था समझेंगी और जानेंगी कि मेरे लए आगे क्या है। किंतु मैं यह भी नहीं चाहती थी कि उन्हें दोबारा कैंसर युक्त जीवन का अनुभव हो| उस समय मैंने यह सराहना नहीं की थी कि कैसे मेरा काम मेरे उपचार एवं ठीक होने में विशेष भूमिका निभाएगा | कि मेरे सहकर्मी और मेरा काम मुझे मूल्यवान महसूस कराएगा जब कभी मैं ख़ुद को निरुपयोगी समझूँगी | कि मेरा काम ही मुझे नियमित और स्थिरता प्रदान करेगा जब मुझे कठिन व्यक्तिगत निर्णय एवं अनिश्चितता से गुज़रना होगा | जैसे कि किस प्रकार का मेरा स्तन पुनर्निर्माण होगा| आप सोचेंगे कि ऐसे कठिन समय में मैं अपने परिवार एवं मित्रों का सहारा लूँगी | निश्चित रूप से मैंने ऐसा ही किया था। लेकिन अंत में मेरे यह सहकर्मी होंगे जो मेरे दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे| और वे ही होंगे जो मुझे हँसाकर बेहतर महसूस कराएँगे | हम एक बहुत करीबी टीम थे, और आपस में अच्छे चुटकुले सुनाते थे | जैसे इस बार उन्होंने किसीको मुझसे सवाल पूछते हुए सुना कि मैं अपने बालों को इतना चमकदार और उत्तम कैसे रखती हूँ -- बिना जाने कि यह मात्र एक उपकेश है, और आप जानते हैं, यह एक अत्युत्तम उपकेश है और यह सुबह तैयार होने में सुगम था| (हंसी) ऐसे क्षणों में मैंने उनके समर्थन की महत्वपूर्णता को सराहा, और सोचा की ऐसे संघ के बिना मेरा क्या होता | मैंने कई लोगों से बात की विशेष रूप से महिलाएं, जिनको ऐसे संघ का मौका नहीं मिला क्योंकि उन्हें अवसर नहीं दिया गया उपचार के दौरान काम करने का | और इसके लिए कई कारण हैं | किंतु मुझे लगता है कि प्रमुख कारण है अत्यधिक पैतृक नियोक्ता | ये नियोक्ता चाहते हैं कि आप काम से दूर जाकर स्वयं पर ध्यान केंद्रित करें। और ठीक होने के बाद ही वापस आएं | और वे उन प्रकार के वाक्यांशों का उपयोग करते हैं। हालांकि इन प्रतिक्रियाओं का उद्देश्य नेक है, मुझे जो लाभ मिला, उसे मद्देनज़र रखते हुए, मैं निराश हो जाति हूँ जब लोगों को बताया जाता है कि वे काम नहीं कर सकते या नहीं करना चाहिए, जबकि वे काम करना चाहते हैं और शारीरिक रूप से प्रबल हैं | तो मैंने देखा कि एक नियोक्ता को क्या करना चाहिये जब कोई कैंसर निदान प्रस्तुत करता है| मुझे पता चला कि ऑस्ट्रेलियाई कानून के तहत, कैंसर को विकलांगता माना जाता है। अगर आप सामान्य कार्य सम्बंधित कर्तव्यों में असमर्थ हैं, तो विकलांगता भेदभाव अधिनियम के अनुसार, आपके नियोक्ता बाध्य है आपके कामकाजी व्यवस्था के उचित समायोजन करने के लिए, ताकि आप काम करना जारी रख सकें| मेरे लिए उचित समायोजन क्या होगा? मुझे पता था कि मेरे निदान का मेरे काम पर क्या स्पष्ट प्रभाव होगा। कार्यालय समय के दौरान, चिकित्सा नियुक्तियां निर्धारित होंगी, मुझे सर्जिकल प्रक्रियाओं से ठीक होने के लिए समय लगेगा | एक प्ररूपी वकील होने के नाते, मैं तैयार थी कि मुझे उपचार से क्या उम्मीद रखनी है| बेशक, उसमें से बहुत कुछ डॉक्टर गूगल के माध्यम से था| शायद यह सही नहीं था और मैं ऐसा करने की सलाह नहीं दूँगी (हंसी) भले ही मैं सभी भौतिक साइड इफेक्ट्स के लिए तैयार थी, वास्तव में मुझे कीमो मस्तिष्क--याने उपचार के बाद कि अवस्था का डर था | कीमो मस्तिष्क के अंतर्गत स्मृति हानि, ध्यान ना केंद्रित कर पाने एवं समस्याओं को हल करने में असमर्थ होने की संभावनाएं हैं| और अगर यह मेरे साथ हुआ, मैंने सोचा कि मैं कैसे एक वकील का कार्य निभाऊंगी| क्या मुझे काम छोड़ना पडेगा ? मैं संभवतः कैसे अपने मैनेजर से मेरी कामकाजी व्यवस्था के उचित समायोजन के बारे में विचार-विमर्श कर पाऊँगी जब मुझे ही नहीं पता था मैं कैसे प्रभावित हूँगी? मैं भाग्यशाली थी कि मेरे मैनेजर सहायक हैं जो खुश थे कि कार्य जैसे तैसे चल रहा था बजाय एक ठोस योजना की आवश्यकता के | मैं भाग्यशाली थी कि बिना उचित समायोजन नामक अवधारणा की जानकारी होते हुए, उनके लिये यह केवल सामान्य ज्ञान था| लेकिन मैंने जाना कि यह सबके लिये सामान्य ज्ञान नहीं है | सभी इलाज के माध्यम से उसके प्रभाव और सीमाएं जानते हैं| और वे उसके हिसाब से अनुकूलित होना भी सीख जायेंगे| तो मैंने इलाज के बारे में कुछ युक्तियाँ सींखी| जैसे कि कीमो जाने से पूर्व, आप सुनिश्चित करें कि आपने पर्याप्त पानी पिया है और कि आप गर्म रहें, इससे नर्सों को आपकी नसें खोजने में आसानी होती है| और ध्यान रखें कि आप कीमो के पेहले या बाद में अपना कोई पसंदीदा भोजन न खाएं क्योंकि वो आप उलटी कर देंगे और फिर कभी आप वो देखना भी नहीं चाहेंगे| (हंसी) मैंने यह कठिन मार्ग से सीखा| और कुछ युक्तियाँ थीं मेरे कार्यप्रवाह के नियंत्रण की| सोमवार की सुबह प्रथम कार्य मैंने कीमो निर्धारित किया | मुझे पता था कि कैंसर देखभाल केंद्र से बहार निकलके, मेरे पास चार घंटे होंगे बिना कठिनाई के काम करने के लिये तो मैं उस समय का उपयोग अपूर्ण कार्यों की पूर्ती एवं तत्काल फ़ोन कॉल के लिए करुँगी| अधिकाँश अस्वस्थता ४८ घंटों के भीतर दूर हो जायेगी | और शेष कार्य मैं घर से लॉग इन करके पूरा करुँगी| यह उपचार जारी रहा और मुझे पता था कि क्या उम्मीद करनी है। व्यापार भागीदारों के साथ मैंने अपने काम करने की क्षमता एवं उसे पूर्ण करने की समय सीमा के उचित उम्मीदों को निर्धारित किया| लेकिन मुझे अभी भी याद है उनकी आवाज़ में हिचकिचाहट होती थी मुझसे कुछ भी पूछने और कार्य पूर्ती का समय निर्धारित करने में| यकीन मानिये ये लोग आमतौर पर समय सीमा निर्धारित करने से घबराते नहीं हैं | (हंसी) मुझे लगा कि मेरे इलाज के दौरान वे मुझ पर अतिरिक्त दबाव नहीं डालना चाहते थे | हालांकि मैं उनकी भावनाओं से कृतज्ञ थी, मुझे वास्तव में समय सीमा की आवश्यकता थी| यह मेरे नियंत्रण में था और जो मेरे नियंत्रण में रह सकता है जब बाकि सब मेरे नियंत्रण में नहीं थी| घर से काम करते समय मैं सोचती थी कि कैसे नियोक्ता इस उचित समायोजन की अवधारणा को हमारी वर्तमान उम्र में लागू कर सकते हैं, जहाँ दो में से एक ऑस्ट्रेलियाई पुरुष और महिलाएँ, ८५ साल की उम्र के भीतर कैंसर से निदान किये जायेंगे| जैसे जैसे वृद्धावस्था में भी हम काम करना जारी रखेंगे, कार्यावस्था में गंभीर बीमारी होने की संभावना भी बढ़ रही है| प्रौद्योगिकी हमें सक्षम बना रही है कहीं भी, किसी भी समय काम करने के लिए| उचित समायोजन अब प्रासंगिक नहीं हैं कि यदि आप शारीरिक रूप से कार्यालय में आ सकते है या नहीं| उचित समायोजन बैठने के लिए एक आरामदायक कुर्सी या एक लंबा अंतराल देना भी नहीं हैं, हालांकि वे चीजें भी अच्छी ही होंगी| कम से कम,हमें उन नीतियों का आवेदन करने की आवश्यक्ता है जो हमने अन्य परिदृश्यों के लिए विकसित किये हैं| जैसे की लोग जिन्की पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ हैं| किंतु हम यह कैसे सुनिश्चित करें कि लोगों के लिये उचित समायोजन की चर्चा क्या होगी अगर एक प्रबंधक का जवाब हो, "अरे नहीं, काम पर वापस मत आओ जब तक आप बेहतर न हों। " और तभी मुझे ख़याल आया | यह प्रबंधकों के लिए अनिवार्य होना चाहिए कि वे अपने कर्मचारियों के साथ इस विषय पर चर्चा करें, और मेरे जैसे लोगों से सबक लें जो उपचार के दौरान काम करने से वास्तव में लाभान्वित हुए हैं| इसे व्यापक रूप से साझा करने की आवश्यकता है। मैंने सोचा कि इन बातचीत को कैसे मार्गदर्शन दिया जाये | और फिर मेरी प्रिय सहयोगी, कैमिला गन्न ने "कैंसर के साथ कार्य करण" नामक टूलकिट विकसित किया। जो कैंसर से निदान लोगों के लिए एक ढांचा प्रदान करता है, जिससे उनके प्रबंधकों, देखभाल करने वालों एवं सहकर्मियों को मौका मिले कैंसर पर चर्चा और कार्य समर्थन उपलब्ध करने के लिये | कैमिला और मैंने अन्य संगठनों के साथ इस टूलकिट के बारे चर्चा की और यह कैसे कैंसर संबंधित बातचीत में मार्गदर्शन करेगा जो अन्यथा दुस्साध्य होती है | मुझे खुशी है कि इस टूलकिट की मांग बढ़ रही है| तो क्या होनी चाहिए एक प्रबंधक की पहली प्रतिक्रिया जब कोई कहता है कि वे बीमार हैं और वे नहीं जानते कि इससे उनके काम पर कैसा प्रभाव पड़ेगा? यह होनी चाहिए: "आपकी क्षमता और इच्छा के अनुसार, हम आपके लिए चिकित्सा के दौरान काम जारी रख पाने की व्यवस्था करना चाहेंगे" हमें सकारात्मक रूप से गंभीर बीमारी वाले लोगों के साथ संलग्न होने की आवश्यकता है जिससे वे कार्यबल में रह सकें, बजाय पैतृक रूप से उन्हें बहार धकेलें| मैंने आपको अपनी कहानी सुनाई ताकी आप लाभ जान सकें मेरे इलाज के दौरान काम करने का| मैं आपकी धारणाओं को भी बदलना चाहती हूँ अगर आपके हिसाब से उपचार का मतलब केवल उदास, दुर्बल एवं उल्टी करने वाले लोग हों | और हाँलांकि ये चीजें कुछ हद्द तक सच हैं हमेशा नहीं, मैंने तय किया कि हमेशा की तरह मैं कार्य को प्रबल रूप से पूरा कर सकूँ| और मैं ऐसा कर पाई क्योंकि मेरे नियोक्ता ने मुझे विकल्प दिया| सबसे महत्वपूर्ण रूप से मैं बता रहीं हूँ क्यूंकि यह हमेशा प्रस्तुत या प्रोत्साहित नहीं होता जबकि यह लोगों के लिये स्पष्ट विकल्प है और होना भी चाहिए| धन्यवाद | (तालियाँ) मुझे याद है जब मैंने पहली बार लोगों को नशे का इंजेक्शन लेते हुए देखा था. मैं वैंकुवर में HIV रोकथाम की एक खोजी परियोजना के निर्देशक के रूप में, शहर के बदनाम इलाके "डाउनटाउन ईस्ट साइड" में आया था. मैंने देखा था, पोर्टलैंड होटल की लॉबी में, जहाँ शहर के गरीबों को कमरे दिए गए थे, वो लोग जिनको घर में टिकाना, मुश्किल होता है. सीढ़ियों पर बैठी उस लड़की को मैं कभी भूल नहीं पाउँगा जो बार बार सुई से खुद को दाग रही थी और चिल्ला रही थी, "मुझे नस नहीं मिल रही" और उसका खून दीवार पर फैला हुआ था. इस हताश करने वाली अवस्था में, नशे के इस्तेमाल, गरीबी, हिंसा, HIV का बढ़ते दर के बीच, वैंकुवर में 1997 में जन स्वास्थ्य संकट घोषित किया गया. इससे नुकसान घटनेवाली सेवाओं के लिए रास्ते खुले, जैसे, इंजेक्शन की सुई बांटना, मेथाडोन को उपलब्ध कराना, और संचालित इंजेक्शन स्थल की शुरुवात करना. ये सब नशे को कम नुकसानदायक बनाते हैं. किन्तु आज, 20 साल बाद भी, हानि घटाना, एक उग्र धारणा समझी जाती है. कई जगह, एक साफ़ इंजेक्शन अपने पास रखना गैरकानूनी है. नशेड़ियों का गिरफ्तार किया जाना संभव है, किन्तु उनको मेथाडोन उपचार मिलना संभव नहीं. हाल ही में, संचालित इंजेक्शन स्थल स्थापित करने के प्रस्तावों को, सीएटल, बाल्टिमोर और न्यू यॉर्क में भारी विरोध का सामना करना पड़ा: विरोध, जो नशे की लत की हमारी जानकारी के खिलाफ है. ऐसा क्यूँ है? हम क्यूँ इस विचार पर अटके हुए हैं कि नशे की लत के खिलाफ एकमात्र उपाय, नशे के सामान का इस्तेमाल रोकना है? क्यूँ हम सैंकड़ों लोगों की कहानियों को, और वैज्ञानिक सबूतों को नज़र अंदाज़ करते हैं, जो दर्शाता है कि हानि घटाना कारगर है? आलोचकों का कहना है कि हानि घटाना, लोगों को नशे के सामान का इस्तेमाल करने से नहीं रोकता है. यही तो पूरी बात का केंद्र है. हर तरह के आपराधिक और सामजिक प्रतिबंधों के बावजूद लोग नशा करते हैं और मरते भी हैं. आलोचक कहते हैं कि हम उपचार और सुधार पर ध्यान नहीं देकर लोगों को उपेक्षित करते हैं., जबकि, ये बिलकुल विपरीत है. उन्हें उनके हाल पर नहीं छोड़ रहे हम जानते हैं कि सुधार होने के लिए हमें उनको जीवित रखना होगा. साफ़ सुई और सुरक्षित इंजेक्शन स्थल उपलब्ध कराना, उपचार और सुधार की दिशा में पहला कदम है. आलोचक कहते हैं कि हानि घटाने के तरीके युवाओं को, नशेड़ियों के बारे में गलत सन्देश पहुचाते हैं. जबकि, यह नशेडी ही हमारे युवा हैं. हानि घटाने के तरीकों से एक ही सन्देश जाता है कि, नशा नुकसानकारक है, लेकिन हमें लत में फंसे लोगों के साथ खड़ा होना है. सुई प्राप्ति केंद्र, नशे के इस्तेमाल का विज्ञापन नहीं है. ना ही मेथाडोन क्लिनिक या संचालित इंजेक्शन स्थल. वहां आप केवल बीमार और पीड़ित लोगों को देखते हैं, जो किसी भी प्रकार से नशे का समर्थन नहीं कहा जा सकता. उदहारण के तौर पर, संचालित इंजेक्शन स्थल. ये सबसे ज्यादा गलत समझा जाने वाला उपाय है. लोगों को इंजेक्शन लेने की साफ़ जगह, नयी सुइयां और अपनों की उपस्थिति मुहैया कराना, कहीं ज्यादा बेहतर है, किसी अँधेरी गली में, पुलिस से बचते हुए, इस्तेमाल की हुई सुई को दोबारा इस्तेमाल करने से. यह सबके लिए अच्छा है. पहला संचालित इंजेक्शन स्थल वेंकुवर में कैरोल स्ट्रीट पर था, एक छोटा कमरा, कुछ कुर्सियां और साफ़ सुइयों का एक डिब्बा. पुलिस उसपर अक्सर ताला ठोक देती थी, पर वह वापस खुल जाता था, अक्सर एक लोहे के डंडे से. मैं किसी शाम वहां जाता, और इंजेक्शन लेते हुए लोगों को चिकित्सीय सेवा प्रदान करता. मैं उस स्थल को चलाने वाले और इस्तेमाल करनेवाले लोगों की जिम्मेदारी और संवेदना से प्रभावित होता. कोई धारणा नहीं, न तकलीफ, न डर, लेकिन एक अभूतपूर्व संवाद. मैंने जाना कि, मानसिक आघात, दर्द और दिमागी रोगों के बावजूद, हर कोई यही सोचता कि स्थिति में सुधार होगा. ज्यादातर यकीन रखते थे कि, किसी दिन, वे नशे को त्याग देंगे. वह कमरा, उत्तरी अमेरिका का पहला सरकारी मान्यता प्राप्त, संचालित इंजेक्शन स्थल था, जो इंसाइट कहलाता था. यह सितम्बर 2003 में 3 साल के लिए अनुसंधान केंद्र की तरह खोला गया था. सरकार उसे अध्ययन के समाप्त होते ही बंद करने पर आमादा थी. 8 साल बाद, इंसाइट को बंद करने की लड़ाई कनाडा के सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची. इसमें कनाडा सरकार के खिलाफ, लम्बे समय से नशा करने वाले दो व्यक्ति थे, जिनको इंसाइट के फायदे अच्छी तरह से पता थे: डीन विल्सन और शेली टोमिक. कोर्ट की जूरी ने 9-0 से इंसाइट को चालू रखने का फैसला लिया. न्यायाधीशों ने सरकार को तीखा जवाब दिया - "इंसाइट की सेवाओं से इन लोगों को वंचित रखने से, इंजेक्शन से नशा लेने वाले लोगों में बीमारी और मृत्यु की बढ़ोतरी, नशे का सामान रखने के विषय पर एक समान रवैये से कनाडा को होने वाले फायदे के अनुपात में बहुत बड़ी है." यह नुकसान घटानेवाले उपचार के लिए आशापूर्ण पल था. सुप्रीम कोर्ट के इस कड़े सन्देश के बावजूद, कुछ समय पहले तक, कनाडा में नया केंद्र खोलना असंभव था. दिसम्बर 2016 में एक रोचक घटना सामने आई, जब अधिक मात्रा में सेवन की समस्या से जूझ रहे ब्रिटिश कोलंबिया ने इंसाइट जैसे कई केंद्र खोलने की अनुमति दी. केंद्र सरकार की अनुमति प्रक्रिया को नज़रंदाज़ करते हुए, कुछ समाजसेवी संस्थाओं ने 22 ऐसे "गैरकानूनी" निगरानी मी इंजेक्शन केंद्र स्थापित किये. रातोंरात, हजारों लोग, निगरानी में, नशे के सामान का इस्तेमाल कर पा रहे थे. सैंकडों ओवरडोज़ के मरीजों को मरने से बचाया जा सका. INSITE में पिछले 14 सालों से ये हो रहा है: 75,000 व्यक्तियों ने गैरकानूनी नशे का इंजेक्शन करीब 35 लाख बार इस्तेमाल किया, लेकिन एक व्यक्ति भी नहीं मरा. इंसाइट में आज तक कोई मृत्यु नहीं हुई है. यह सत्य है. हमारे पास वैज्ञानिक सबूत हैं, और सुई-केंद्र, मेथाडोन और संचालित इंजेक्शन केन्द्रों के सफल उदहारण हैं. ये तरीके व्यावहारिक हैं, और सहानुभूति दर्शाते हैं, जिनसे स्वास्थ्य में सुधार और लोगों में संपर्क बढ़ता है, और दुःख, पीड़ा और मौत कम होती है. लेकिन क्यूँ इन नुकसान घटानेवाले तरीकों का उपयोग नहीं बढ़ा? क्यूँ हम अब भी नशे को क़ानून व्यवस्था का मसला समझते हैं? नशे और नशेड़ियों के प्रति हमारी घृणा बहुत गहरी है. मीडिया में तस्वीरों और लेखों की वर्षा, हमें नशे के वीभत्स प्रभाव दिखलाती है. हमने कुछ प्रजातियों को पूर्णतः कलंकित कर दिया है. नशे का सामान बेचनेवालों के खिलाफ सशत्र जंग का हम गुणगान करते हैं. और हम नशेड़ियों को रखने के लिए ज्यादा जेलों को बनाने पर चिंतित नहीं हैं. लाखों लोग कैद, हिंसा और गरीबी के निराशामयी चक्र में फंसे हुए है, जो नशा सम्बंधी कानून की देन है, न कि नशे के सामान से. मैं लोगों को कैसे समझाऊँ कि नशा करने वालों को देखभाल और मदद के साथ साथ, अपनी जिंदगी जीने की आज़ादी चाहिए, जबकि हम सिर्फ़ बंदूकें, हथकडियों और जेल की तस्वीरें ही देख रहे हैं. एक बात समझ लें: अपराधीकरण से, कलंक संस्थागत हो जाता है. नशे के सामान को गैरकानूनी करने से उनका इस्तेमाल नहीं रुकता है. नशे के बारे में गलत धारणाएं हमें अपना दृष्टिकोण बदलने से रोक रही हैं. हमें ये विश्वास दिलाया गया है कि नशेडी गैर जिम्मेदार लोग हैं जो नशे में लीन रहना चाहते है, और अपनी व्यक्तिगत हार से, अपराध और गरीबी के चक्र में घिर जाते है, अपनी नौकरी, परिवार और अंततः अपनी जिंदगी खो देते हैं. असल में, हर नशेडी की एक कहानी है, बचपन के कटु अनुभव, यौन-उत्पीडन, मानसिक बीमारी या कोई व्यक्तिगत शोक. नशे का इस्तेमाल दर्द को भूलने के लिए होता है. इतने कटु अनुभवों वाले लोगों से व्यवहार करने के लिए ये सब समझना जरुरी है. नशे से सम्बंधित हमारी नीतियाँ इसे सामाजिक न्याय का विषय समझती हैं. मीडिया माइकल जैक्सन और प्रिंस की मृत्यु पर ध्यान देती है, जो ओवरडोज़ से हुई थी, जबकि ज्यादा कष्ट उन लोगों को होता है, जो हाशिये पर रहने वाले गरीब हैं. वे वोट नहीं कर सकते और अक्सर अकेले होते हैं. ये समाज से फेंकने लायक लोग समझे जाते हैं. स्वास्थ्य केन्द्रों में भी नशा करना अत्यंत कलंकित समझा जाता है. और नशेडी वहां जाने से कतराते हैं. वे जानते हैं कि, अगर इन केन्द्रों में गए, या अस्पताल में भरती हुए तो उनसे नीचतापूर्ण बर्ताव किया जायेगा. और नशे तक उनकी पहुँच, फिर चाहे वो हेरोइन, कोकेन या क्रिस्टल हो, बंद हो जाएगी. और तो और, उनको हजारों सवाल किये जायेंगे जो उनके नुकसान और शर्मिंदगी को बेपर्दा कर देंगे. "किस चीज़ से नशा करते हो?" "कितने दिनों से सड़क पर रह रहे हो?" "तुम्हारे बच्चे कहाँ हैं?" "आखिरी बार जेल कब गए थे?" "तुम क्यूँ नशा करना बंद नहीं करते?" नशे के खिलाफ हमारी चिकित्सा पद्धति, पूर्णतः उलटी है. पता नहीं क्यूँ, हमने निश्चित कर लिया कि, नशे से दूरी ही, इसे ठीक करने का सबसे सही तरीका है. अगर किस्मत अच्छी है, तो आप किसी नशामुक्ति योजना में भरती हो जायेंगे. अगर आपके राज्य में सुबोक्सोने या मेथोडोने पर पाबन्दी नहीं है, तो इनके माध्यम से आपका इलाज होगा. लेकिन नशेड़ियों को वो नहीं मिलता जो उनको जीवित रहने के लिए चाहिए: ओपिओइड दवाएं जो डॉक्टर के लिखने पर ही मिलती हैं. नशे से दूरी रखने से इलाज की शुरुवात करना, डायबिटीक को चीनी छोड़ने को कहने जैसा है, या कि दमे के मरीज को मैराथन दौड़ने के लिए कहना, या डिप्रेशन के मरीज को खुश रहने के लिए कहना. किसी भी बीमारी को ठीक करने के लिए हम सबसे कठिन उपाय से शुरुवात नहीं करते. फिर हमें ये कैसे लगता है कि ये नशामुक्ति के लिए कारगर होगा? गैर-इरादातन, नशीली वस्तुओं का अधिक मात्रा में सेवन नई बात नहीं है, लेकिन अभी का संकट बेहद गहरा है. रोग रोकथाम केंद्र के अनुसार, 64,000 अमेरिकियों की मृत्यु इस वजह से हुई, जो दुर्घटनाओं और हत्या से ज्यादा है. उत्तरी अमेरिका में, नशे से होने वाली मृत्यु, 20 से 50 साल के लोगों में , मौत का सबसे बड़ा कारण है. विश्वास नहीं होता. हम यहाँ कैसे पहुँच गए? और अब क्यूँ? ओपिओइड को लेकर तूफानी स्थिति बनी हुई है. ओक्सिकोंटिन, परकोसेट और डाइलौडिड जैसी दवाएं कई दशकों से हर प्रकार के दर्द के लिए दी जाती रही हैं. 20 लाख अमेरिकी रोज़ ओपिओइड लेते हैं, और 6 करोड़ लोगों को कम से कम एक बार यह दवाई दी गई है. इन दवाओं के इतने बड़े अनुपात में इस्तेमाल होने से, लोगों में स्वयं उपचार की प्रवृत्ति कई गुना बढ़ी है. जब इन दवाइयों के चिकित्सक द्वारा दिए जाने पर रोक लगी, तो दुकानों में इनका मिलना बहुत कठिन हो गया. इसका सीधा असर ये हुआ कि दवाई के ओवरडोज़ की समस्या बढ़ गयी. जिन लोगों को इन दवाइयों की आदत हो गयी थी, लेकिन उनका मिलना मुश्किल हो गया था, वे हेरोइन लेने लगे. साथ ही, अवैध बाज़ार में, दुखद रूप से कृत्रिम दवाइयां, जैसे फेंटानिल, आसानी से मिलने लगी. ये सस्ती हैं, शक्तिशाली हैं, पर इन्हें सही मात्रा में लेना बेहद मुश्किल है. ये लोगों को जहर देने जैसा है. सोचिये क्या हो, अगर ये किसी प्रकार की जहर सम्बन्धी महामारी बन जाए? क्या होगा अगर हजारों लोग, जहरीला मांस खाकर, या कॉफ़ी पीकर या बच्चे फार्मूला दूध पीकर मरने लगें? हम इसे भयंकर आपातकाल समझकर कदम उठाते. तुरंत सुरक्षित विकल्प मुहैया कराते. कानूनों में बदलाव लाते, और पीड़ितों और उनके परिवारों की मदद करते. लेकिन नशीले पदार्थों के ओवरडोज़ की महामारी के लिए हमने कुछ नहीं किया. हम नशे और नशा पीड़ितों का दानवीकरण कर रहे हैं और कानून व्यवस्था लागू करने पर सारे संसाधन खर्च कर रहे हैं. अब यहाँ से आगे की राह क्या है? पहला, हमें नुकसान घटानेवाले उपचार तंत्र को अपनाना होगा, धन लगाना होगा, और देशभर में प्रसारित करना होगा. वैंकुवर में, इस उपचार तंत्र को देखभाल और उपचार सेवाओं के केंद्र में है. नुकसान घटानेवाले तंत्र के बिना, ओवरडोज़ से होने वाली मौतें कहीं ज्यादा होती. और यह उपचार पाकर आज सैंकड़ों लोग जीवित हैं मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ. किन्तु यह तंत्र केवल एक शुरुवात है. अगर हमें नशे के संकट पर गहरा असर करना है, तो हमें इस से सम्बंधित कानूनों, आपराधिकरण और सज़ा पर गहन विचार करना होगा. हमें नशे की समस्या को जन-स्वास्थ्य की समस्या के रूप में समझना होगा, और सामाजिक और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से उपाय खोजने होंगे. हमारे पास इसका मॉडल तैयार है. 2001 में, पुर्तगाल इसी समस्या से जूझ रहा था. बहुत सारे लोग नशा करते थे, अपराध दर बहुत ऊंची थी, और ओवरडोज़ की महामारी फैली हुई थी. उन्होंने दुनिया के नजरिये को छोड़ कर, नशीले पदार्थ रखने पर से रोक हटा दी. जो पैसा कानून व्यवस्था लागू करने पर खर्च होता वह स्वास्थ्य और नशामुक्ति कार्यक्रमों पर खर्च किया गया. और परिणाम दिखे. नशीले पदार्थों का इस्तेमाल तेजी से घटा. ओवरडोज़ की समस्या न के बराबर हुई. ज्यादा से ज्यादा लोग इलाज करवाने लगे. और लोगों ने अपनी ज़िन्दगी सही रास्ते पर लायी. हम पाबंदी, सज़ा और पूर्वाग्रह के रास्ते पर इतनी दूर आ गए हैं, कि हम पीड़ा की प्रति उदासीन हो गए हैं, और समाज के सबसे असुरक्षित लोगों पर आघात कर रहे हैं. इस साल और ज्यादा लोग नशे के अवैध व्यापार में कैद होंगे. हजारों बच्चों को पता चलेगा की उनके पिता या माता, नशा करने के लिए जेल भेजे गए. और कई सारे माता-पिताओं को बताया जायेगा कि उनकी बेटी या बेटा, ओवरडोज़ से मृत्यु के शिकार हुए. ये ऐसा नहीं होना चाहिए. धन्यवाद. (तालियाँ) पिछले ५० सालों में पहली बार पिछले अक्तूबर में हैती में हैजा फैलने की जानकारी मिली। कोई रास्ता नही था जिसके द्वारा यह पता किया जा सके कि यह पानी के द्वारा कितनी दूर तक फैल सकती हैं और हालात कितने बूरे हो सकते हैं। इस बात से अंजान की कहाँ मदद की जरुरत थी यह हमेशा सुनिश्चित करे कि जहाँ मदद की सब से ज्यादा ज़रुरत होती हैं वहाँ मदद की आपूर्ति हमेशा कम होती हैं। हमें पूर्वानुमान और तूफानों के लिए तैयार रहना चाहिए ताकि निर्दोष जाने ना जाए और अपरिवर्तनीय क्षति ना पहुँचे लेकिन हम अभी भी पानी के लिए कुछ नही कर पाए हैं और इसलिए यह अभी अगर हम खेतों में पानी का परीक्षण करना चाहे तो हमें प्रशिक्षित तकनीशियन ऐसे महंगे उपकरनों की ज़रुरत पड़ती हैं और एक दिन इंतज़ार करना पड़ता हैं ताकि रासायनिक प्रतिक्रियाए कोई परिणाम बता सके। यह बहुत धीमा हैं इससे पहले कि परिस्थिती की तस्वीर मिले वो बदल जाती हैं और जिन जगहों पर परीक्षण की जरुरत होती हैं वहाँ यह बहुत ही महँगा पड़ता हैं और इस बीच हम यह भूल जाते हैं कि लोगों को पानी की अभी भी जरुरत हैं। ज्यादातर जानकारी जो हैजा फैलने पर हमें मिली हैं वो पानी की जाँच द्वारा नही मिली, यह उन प्रलेखित रूपों से आई हैं जिन में उन लोगों का नाम हैं जिन की मदद करने में हम असफल रहे। अनगिनत जानों को कोयले की खानों में कैनरी से बचा लिया गया एक बहुत ही साधारण और अमुल्य रास्ता खनिकों को बताने के लिए कि वो सुरक्षित हैं। जब मैं सबसे मेहनती और प्रतिभाशाली लोगों के साथ इस समस्या पर काम कर रहा था। तो मैं उन की काम के प्रति सादगी से प्रेरित हुआँ। हमें लगता हैं कि इस समस्या का एक सरल समाधान हैं जो उन लोगों के लिए हैं जो इस तहर के हालातों का रोज़ सामना करते हैं। यह अभी अपनी प्रांरभिक अवस्था में हैं लेकिन देखने में अभी ऐसा हैं। हम इसे पानी की कैनरी कहते हैं। यह बहुत ही सस्ता और तेज़ यंत्र हैं जो कि एक महत्वपूर्ण सवाल का जवाब देता हैं कि क्या यह पानी दूषित हैं? इसके लिए किसी विशेष परीक्षण की भी जरुरत नही हैं और रासायनिक प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार करने के बजाए, यह बत्ती का उपयोग करता है इसका मतलब यह कि रासायनिक प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार नही करना पड़ेगा। अभिकर्मकों के उपयोग की भी जरुरत नही और कारवाई की जानकारी पाने के लिए एक विशेषज्ञ होने की भी जरुरत नही। पानी का परीक्षण करने के लिए,बस एक नमुना डाले और कुछ ही पलों में यह लाल बत्ती प्रदर्शित करता हैं जिसका मतलब की पानी दूषित हैं या फिर हरी बत्ती जिसका मतलब की पानी सुरक्षित हैं। यह किसी के लिए भी संभव हैं कि वो जीवन रक्षा जानकारी एकत्रित करे और पानी की गुणवत्ता पर नज़र रख सके। उस पर हम जीपीएस और जीएसएम को एक सस्ते उपकरण वायरलेस प्रसांर से एकीकृत करते हैं। इसका मतलब हैं कि प्रत्येक अध्ययन को अपने आप ही सही समय में संचरित कर सर्वर तक पहुँचाया जा सकता हैं। पर्याप्त उपयोगकर्ताओ के साथ, इस तरह के नक्शे से निवारक कार्रवाई संभव हो सकती हैं, खतरों से युक्त इससे पहले कि यह आपात स्थिती में पहुँचे जिससे उबरने में सालों लग जाए। और फिर जिस खबर को पहुँचने में कई दिन लग जाते थे स्वंय ही उन लोगों तक पहुँच जाएगी जिन्हे इसकी जरुरत हैं। हमने देखा हैं कि कैसे विपरित प्रसार, बड़े आंकड़े और जानकारी समाज को बदल सकती हैं। मुझे लगता हैं कि अब वक्त आ गया हैं कि हम इसे पानी पर इस्तेमाल करे। अगले वर्ष हमारा लक्ष्य होगा कि पानी की कैनरी को खेतों के लिए तैयार किया जा सके और धातु सामाग्रि का स्रोत करे ताकि \हर कोई विकास और मूल्यांकान में अपना योगदान दे सके तो हम इस समस्या से मिलकर निपट सके। धन्यवाद (अभिवादन) अगर संसार को बांटे तो सबसे सामान्य विभाजन है एक जो ईश्वर को मानते हैं और दूसरे जो नहीं मानते-- यानि कि आस्तिक और नास्तिक! और पिछ्ले कुछ दशको से ये साफ़ है कि नास्तिक होने का मतलब क्या है। कुछ काफ़ी स्पष्टवादी नास्तिक हुए हैं जो ये कहते हैं कि धर्म केवल गलत ही नहीं बल्कि बेतुका भी है। ये लोग, जिनमे से कई उत्तरी ओ़क्स्फ़ोर्ड मे रहे हैं ये तर्क देते हैं कि ईश्वर मे विश्वास करना परियों की कहानियों को सच मानने जैसा है और सही मायने मे ये सब एक बचकाने खेल जैसा है। अब मेरे हिसाब से ये कुछ ज्यादा ही सरल है. मेरे विचार से इस तरह से धर्म की पूरी तरह से उपेक्षा करना बहुत आसान है. ये इतना आसान है जितना गंजे के सर के जुयें मारना. और आज मै जिसका उदघाटन करने जा रहा हूं वो है नास्तिक बनने का एक नया तरीका -- और अगर आप चाहें तो अनीश्‍वरवाद के इस नये रूप को अनीश्वर्वाद २.० कह सकते हैं। अब ये अनीश्वरवाद २.० है क्या? वैसे तो ये बहुत सीधी सी बात से शुरु होता है. ये माना कि कोई भगवान नही है. माना कि कोई देवता या अलौकिक शक्ति नही है और ना ही फरिश्ते वगैरा। तो ठीक है पर अब इससे आगे बढा जाये, क्योंकि कहानी यहां खतम नही हुई है, बल्कि ये तो एकदम शुरुआत है। अब मै खासकर उन लोगो के बारे मे कहना चाहूंगा जो कुछ इस तरह सोचते हैं: जैसे, "मैं ये सब कुछ नहीं मानता. मै किसी सिद्दान्त को नहीं मानता. मुझे नही लगता कि ये सिद्धान्त सही हैं. लेकिन, एक बात है, "मुझे त्योहार मनाना बहुत पसन्द है. मुझे रंगोली की सजावाट बहुत अच्छी लगती है और पुराने मन्दिर और चर्च भी बहुत सुहावने लगते है मुझे गीता/बाइबल के उपदेश भी अच्छे लगते है" या जो भी ऐसा कुछ, आप समझ गये ना मै क्या कहना चाह रहा हूं-- लोगो को धर्म का सांस्कृतिक, नैतिक और सामजिक पहलू तो आकर्षित लगता है लेकिन वो सिद्दान्तो को नही झेल सकते. अब तक इन लोगो के पास बहुत ही अप्रिय विकल्प रहा है. और ये ऐसा है कि या तो आप सिद्दान्तों को माने और तब आप इन सारी कलात्मक चीजों का आनन्द ले सकते है, या फ़िर आप इन सिद्धान्तों को अस्वीकार करें और एक आध्यात्मिक तौर पर बंजर जैसी जगह मे रहें जिसे सी एन एन और वालमार्ट चलाते हैं. तो ये वाकई एक कठिन चुनाव है. मेरे विचार से हमे चुनाव करने की जरूरत ही नही है. एक दूसरा रास्ता है. मेरे खयाल से धर्म से कुछ (अच्छा) चुराने के-- अब मैं एक साथ बहुत भद्र भी बन रहा हूं और पापी भी-- कई तरीके हैं. और अगर आप धर्म मे विश्वास नही करते तो धर्म के अच्छे गुण चुनकर कुछ अपने विचारों से मिलाने मे कुछ गलत नही है. और मेरे लिये, ये नया अनीश्वरवाद दोनो पहलुओ के लिये है, जैसा कि मैने कहा, एक आदरपूर्ण और अभद्र तरीके से, धर्म की जांच करना और सोचना," यहां हमारे काम की कोइ चीज है क्या?" इस लौकिक दुनिया मे कई कमियां हैं. और मेरे हिसाब से हम बहुत बुरी तरह से सांसारिक हो गये हैं। और यदि हम धर्म का बारीकी से अध्ययन करें तो हमे जीवन के कई उलझे हुये पहलुओं के बारे में काफ़ी ज्ञान मिलेगा. और आज मै उनमे से कुछ के बारे मे बात करूंगा. चलिये शुरुआत शिक्षा से करते हैं. शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जिसमे लौकिक दुनिया बहुत आस्था रखती है. जब भी हम दुनिया को बेहतर बनाने की सोचते है, हम शिक्षा के बारे मे ही सोचते हैं और उसपे बहुत खर्चा भी करते हैं. शिक्षा से हमें वाणिच्यिक, औद्योगिक योग्यता तो मिलेगी ही, ये हमे बेहतर इन्सान भी बनायेगी. आप तो जानते ही है किसी उदघाटन समारोह या दीक्षान्त समारोह मे, कितने काव्यात्मक ढंग से शिक्षा और पूरी शैक्षिक पद्धति -- खासकर उच्च शिक्षा की-- हमे बेहतर और महान इन्सान बनाने की क्षमता का गुणगान किया जाता है. ये कितना सुन्दर विचार है. और इस विचार की शुरुआत भी काफ़ी रोचक है. 19वीं शताब्दी की शुरुआत में पश्चिमी युरोप में चर्च मे आने वालों की संख्या बडी तेज़ी से घटना शुरु हो गयी, इतनी कि लोग घबरा गये. उन्होने अपने आप से ये सवाल पूछे. उन्होने कहा, कि अब लोग नैतिकता कहां से सीखेंगे, उन्हें मार्गदर्शन कहां से मिलेगा, और वो सांत्वना की खोज मे कहां जायेंगे? और फ़िर एक प्रभावशाली आवाज़ में उत्तर आया. उत्तर था : संस्कृति. हमें मार्गदर्शन, सांत्वना और नैतिकता के लिये अपनी संस्कृति का सहारा लेना चाहिये. आप शेक्सपीयर के नाटक देख लीजिये या प्लूटो के संवाद या जेन आस्टिन के उपन्यास. इन सबमें आपको वो सारा सत्य मिलेगा जो पहले हमने सेंट जोन के उपदेशों मे पाया था. अब मुझे लगता है कि ये बहुत ही सुन्दर और सच्चा विचार है. वे ग्रन्थों को संस्कृति से प्रतिस्थापित करना चाहते थे. और ये वाकई बहुत ही यथार्थवादी विचार है. और हम इसी विचार को भूल गये हैं यदि आप एक उत्कृष्ट विश्वविद्यालय मे पढे हैं मान लो, हार्वार्ड या ओक्सफ़ोर्ड या केम्ब्रिज -- और ये कहते हैं, "मैं यहां नैतिकता, मार्गदर्शन और सान्त्वना की खोज मे आया हूं; मै जीने का सही तरीका जानना चाहता हूं." तो लोग आपको पागलखाने का रास्ता दिखायेंगे! हमारे सबसे भव्य और श्रेष्ठ संस्थान भी ये बताना जरूरी नहीं समझते. क्यॊं? उन्हें लगता है कि हमे इसकी जरूरत ही नही है. उन्हें नही लगता कि हमे तुरन्त मदद की जरुरत है. उनके हिसाब से हम सब वयस्क हैं, बुद्धिमान वयस्क! हमें तो बस सूचना चाहिये. और कोइ सहायता नहीं, बस आंकडे. जबकि धर्म एकदम अलग जगह से शुरु होता है. सभी धर्म, सारे बड़े धर्म, अनेक बार हमे "बच्चा" कहकर संबोधित करते हैं. और ये मानते हैं कि बच्चों की तरह ही हमे भी मदद की गंभीर जरुरत है. हम बस किसी तरह काम चला रहे हैं. शायद सिर्फ़ मैं ही या शायद आप भी. पर जो भी हो बस किसी तरह सब काम चला रहे हैं. और हम सबको सहायता चाहिये. वाकई हमें मदद चाहिये. और इसलिये हमे मार्गदर्शन और उपदेशों की जरुरत है. 18वीं शताब्दी मे U.K. में जोन वेस्ले नामक बहुत महान धार्मिक उपदेशक हुआ जो पूरे देश मे घूम घूम कर लोगों को उपदेश देता और उन्हें जीने का सही तरीका बताता. उसने माता-पिता के बच्चों के प्रति और बच्चों के माता-पिता के प्रति क्या कर्तव्य है, अमीर का गरीब और निर्धन का धनवान के प्रति क्या कर्तव्य है इन सब का उपदेश दिया. उसने लोगों को धर्म प्रचार के पारम्परिक तरीके यानि कि अपने उपदेशों के माध्यम से जीने का सही तरीका बताने की कोशिश की. अब हमने उपदेश देने वाला विचार तो छोड ही दिया है. अगर आप एक आधुनिक, उदारतावादी व्यक्ति से कहेंगे, "अरे सुनिये, मैं आपको एक उपदेश देना चाहता हूं?" वो कहेंगे, " नहीं नहीं, मुझे उपदेश-वुपदेश नही चाहिये. मैं एक स्वतन्त्र व्यक्ति-विशेष हूं." एक उपदेश और व्याख्यान, जो कि हमारा आधुनिक धर्मनिरपेक्ष तरीका है मे क्या अन्तर है? एक उपदेश आपका जीवन बदलना चाहता है और एक व्याख्यान आपको बस थोडी जानकारी देना चाहता है. और मुझे लगता है कि हमें उपदेश की प्रथा को वापस लाना चाहिये. उपदेश की प्रथा अत्यधिक मूल्यवान है, क्यों कि हमें मार्गदर्शन, नैतिकता और सांत्वना की सख्त जरूरत है -- और धर्म ये बात जानते हैं. शिक्षा के बारे मे एक और बात: इस आधुनिक लौकिक दुनिया मे हमें ऐसा लगता है कि यदि हम एक बात किसी को एक बार बतायेंगे तो वो उसे याद रखेगा. कक्षा मे बिठा के, बीस साल की आयु मे उन्हें, आप प्लूटो के बारे मे बताइये, फ़िर 40 साल की आयु मे उन्हें प्रबंधन सलाहकर बनने भेज दीजिये और तब भी वो पाठ उन्हें याद रहेगा. धर्म कहते हैं, "बकवास. तुम्हे दिन मे 10 बार अपने पाठ को दोहराने की जरूरत है. तो अपने घुटनों पे बैठो और अपना पाठ दोहराओ." सारे धर्म हमें यही करने को कहते हैं: तो झुको और रोज़ 10, या 20 या 15 बार अपना पाठ दोहराओ." नही तो हमारे छ्लनी जैसे दिमाग से सब निकल जायेगा. तो धर्म मे पुनरावृत्ति का चलन है. वो वही महासत्य बार बार घुमा फ़िरा के कहते रहते हैं. पर पुनरावृत्ति से हमें बोरियत होती है. हमे हमेशा कुछ नया चाहिये. नया हमेशा पुराने से अच्छा है. अगर मै आपसे कहूं," ठीक है भाई, आज से नया TED नही होगा. हम बस वही पुराने TED TALK बार बार दोहरायेंगे और और उसे पांच बार देखेंगे क्यूंकि कि वो सब कितने सच्चे हैं. हम एलिज़ाबेथ गिल्बर्ट को पांच बार देखेंगे क्योंकि वो जो कहतीं हैं वो बहुत अच्छा है," आप छला हुआ महसूस करेंगे. लेकिन अगर आप धार्मिक विचारधारा अपनायेंगे तो ऐसा नही होगा. धर्म एक और काम करता है, और वो है समय व्यवस्था. सभी बडे धर्मों ने हमे केलेन्डर दिये है. केलेन्डर क्या है? केलेन्डर यह निश्चित करने का एक तरीका है कि आपको पूरे साल के दौरान कुछ महत्वपूर्ण विचारों का ध्यान रखें. केथोलिक केलेन्डर मे, हर मार्च के अन्त मे आप सन्त जेरोमी के बारे मे सोचेंगे और उनके सद्‍गुणों, सदाचरण और गरीबों के प्रति दयाभाव के बारे मे सोचेंगे. और ये कोइ इत्तेफ़ाक से नहीं होगा, बल्कि इसलिये होगा क्यों कि आपको ऐसा करने को कहा गया है. पर अब हम ऐसा नही सोचते. धर्मनिरपेक्ष संसार मे हम मानते हैं, "अगर कोई बात जरूरी है तो हम उस पर अमल करेंगे. हम इसे खुद ही समझने की कोशिश करेंगे." लेकिन धार्मिक लोग इसे बकवास मानेंगे. धार्मिक मत के हिसाब से हमें कलेन्डर चाहिये, समयबद्धता चाहिये, और इसी के हिसाब से हम किसी बात पर विचार करेंगे. और ये तब भी दिखता है जब धर्म मे रीति रिवाजों को खास भावनाओं से जोडा जाता है. अब चन्द्रमा को ही ले लीजिये. इसे देख्नना महत्वपूर्ण है. और आप जानते हैं कि जब आप चांद देखते है, तो सोचते है, "मै कितना तुच्छ हूं, मेरी समस्यायें क्या है?" इससे चीजों का एक नजरिया बनता है. हमें चांद को कई बार देखना चाहिये, पर हम नही देखते. क्यों नहीं? क्यों कि हमसे कोई ये कहने वाला ही नही है,"चांद को देखो". लेकिन अगर आप एक जेन बुद्ध है तो सितम्बर के बीच मे आपको एक खास मंच पे खडे होना पडेगा, और आप सुकिमी का त्योहार मनायेंगे, जिसमे आपको चांद के सम्मान और समय के चक्र और जीवन की भंगुरता के बारे मे याद दिलाने के लिये कवितायें पढने को दी जायेगी. फ़िर आपको चावल का केक दिया जायेगा. और चांद और उसका प्रतिबिम्ब आपके दिल मे हमेशा के लिये बस जायेगा. ये वाकई बहुत अच्छी बात है. दुसरी बात जो धर्म अच्छी तरह समझते हैं वो है : अच्छी वाणी -- जो मै यहां बहुत अच्छा नही कर पा रहा हूं -- वाक्पटुता तो वाकई धर्म का मूल है. इस भौतिकतावादी दुनिया मे, आप विश्वविद्यालय पद्धति मे पढ के, अच्छे वक्ता न होने के बावजूद एक अच्छा जीवन बना सकते हैं. लेकिन धार्मिक दुनिया ऐसा नही सोचती आप जो भी कहें उसे अच्छे विश्वसनीय तरीके से कहना बहुत जरूरी है तो यदि आप दक्षिण अमेरिका के किसी अफ़्रीकी अमेरिकी पेन्टेकोस्टल चर्च मे जायेंगे और उनकी बातें सुनेगे तो जान जायेगें कि वे वाकई बहुत ही अच्छे से बात करते हैं. हर निश्चयात्मक बात के बाद सब "आमीन आमीन आमीन" कहते हैं. और हर उत्साहपूर्ण बात के बाद सब खडे होके कहेंगे. "शुक्रिया जीजस, शुक्रिया क्राइस्ट, शुक्रिया तारणहार". अगर हम भी ऐसे ही करें जैसे वो करते हैं -- हम ऐसा करते नही हैं पर बस सोचिये अगर हम ऐसे करें -- मैं आपसे ऐसा कुछ कहूं जैसे "ग्रन्थों को संस्कृति से प्रतिस्थापित कर देना चाहिये". और आप सब कहें, "आमीन, आमीन, आमीन." और मेरी बात के अन्त मे सब खडे होकर कहें "शुक्रिया प्लूटो, शुक्रिया शेक्सपीयर, शुक्रिया जेन औस्टिन." और हमे लगे कि हम वाकई सुर मे सुर मिला रहे हैं. तो कैसा लगेगा! (प्रसंशा) एक और चीज जो धर्म जानते है कि हमारे अन्दर सिर्फ़ एक मन ही नही एक शरीर भी हैं और जब वो कोइ पाठ पढायेंगे तो वो शरीर से ही होके जायेगा. जैसे कि उदाहरण के लिये यहूदी लोगों का क्षमादान. यहूदी क्षमा करने मे और नयी शुरुआत करने मे बहुत विश्वास करते हैं. और इसका केवल उपदेश नही देते. वो केवल किताबो या बातो मे ये करने को नही कहते. वो हमे स्नान करने को कहते है. एक कट्टर यहूदी समाज मे आप हर शुक्रवार एक मिक्वे मे जाते हैं. आप पानी मे डुबकी लगाते है और ये भौतिक कर्म एक दार्शनिक विचार को बल देता है. लेकिन हम ऐसा नही करते. हमारे विचार एक जगह पे है और हमारा व्यवहार हमारे शरीर के साथ कहीं और है. धर्म इन दोनो को बडे अद्भुत तरीके से मिलाने की कोशिश करते हैं. आईये अब कला के बारे मे बात करते हैं कला को इस लौकिक दुनिया मे हम बहुत श्रेष्ठ मानते हैं. हमारे खयाल से कला वाकई बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. हमारा बहुत सारा अतिरिक्त धन संग्रहालयों को दिया जाता है. हमें कई बार तो ये सुनने को भी मिलता है कि सन्ग्रहालय हमारे नये चर्च हैं. आपने कई बार ये सुना होगा. मेरे हिसाब से वहां कोई बात तो है, लेकिन हमने खुद को पुरी तरह निराश किया है. और निराशा की वजह ये है कि हमने इस बात को ठीक से जाना ही नही है कि धर्म कला को कैसे चलाते हैं. दो बहुत बडी गलतफ़हमियां दुनिया मे प्रचलित हैं जो कला से शक्ति पाने की हमारी क्षमता को रोक रही हैं: एक तो ये कि कला सिर्फ़ कला मात्र के लिये ही होनी चहिये -- जो कि एकदम बेहूदा खयाल है -- और ये कि कला को तो सन्यासियों की दुनिया मे रहना चाहिये और इस दुखी सन्सार के लिये कुछ नही करना चाहिये. मैं ये बिल्कुल नही मानता. एक और बात ये है कि हम मानते हैं कि कला को खुद को व्यक्त नही करना चाहिये, कि कलाकार को अपनी कला के बारे मे कुछ नही कहना चाहिए, क्योंकि अगर उन्होंने बता दिया तो उसका सारा रहस्य खुल जायेगा और हमे वो बहुत आसान लगने लगेगा. इसीलिये जब भी हम सन्ग्रहालय मे होते है तो हमे ऐसा लगता है -- आज मान ही लेते हैं -- कि " मुझे कुछ समझ मे नही आता कि ये सब क्या है" लेकिन कोइ गम्भीर व्यक्ति ये स्वीकार नही करता है. लेकिन ये भावना समकालीन कला का संरचनात्मक हिस्सा बन गयी है. धर्मों का कला के प्रति काफ़ी साफ़ नज़रिया है. उन्हें ये बताने मे कोइ परेशानी नही है कि कला किस बारे मे है. कला के सभी मुख्य मतो मे दो उद्देश्य हैं. पहला,ये आपको याद दिलाने की कोशिश करती है कि दुनिया मे कुछ प्यार करने के लिये भी है. और दूसरा, हमे ये बताने के लिये कि हमे किससे डरना चाहिये और बचना चाहिये. और यही कला का उद्देश्य है. कला हमारी आस्था के विचारो का शारीरिक रूप है. तो जब आप किसी चर्च , मस्जिद या गिरिजाघर के पास से गुजरते हैं, तो आप क्या सीखते हैं, आप वही सीखते हैं जो आप अपनी आंखों से देखते हैं, महसूस करते है, वो सच जो अन्यथा आपके पास दिमाग के रास्ते से आता है, शरीर के नहीं. ये वस्तुत: एक तरह का प्रचार है. रेम्ब्रान्ट ईसाईयों की नज़र मे एक प्रचारक है. प्रचार शब्द सुनते ही हम सतर्क हो जाते हैं. हम हिटलर और स्टालिन के बारे मे सोचते हैं. पर ये जरूरी नही है. प्रचार किसी चीज के बारे मे ज्ञान देने का तरीका है. और अगर वो चीज अच्छी है तो इसमे कुछ गलत नही है. मेरे हिसाब से संग्रहालयों को धर्म से इस बारे मे सीखना चाहिये. और इस बात का ध्यान रख्नना चाहिये कि जब भी आप संग्रहालय मे जायें -- अगर मै वहां का अध्यक्ष होता, तो मै प्रेम के लिये एक अलग कक्ष बनाता और एक उदारता के लिये. सभी कलाकृतियां हमे कुछ सिखाती हैं. यदि हम अपने आस पास की दुनिया को इस तरह से व्यवस्थित कर सकें जहां हमे कई कलाकृतियां देखने मिलें और हमे ये सिखाया जाये कि हम अपने विचारों को और प्रगाढ करने मे इन कलाकृतियों का प्रयोग करें, तो हम कला से बहुत कुछ पा सकते हैं. कला पहले की तरह ही अपना काम खुद कर लेगी, पर हमने अपनी गलतफ़हमियों के कारण इस बात की उपेक्षा की है. कला समाज मे सुधार लाने का एक साधन है. कला निर्देशात्मक होनी चाहिये चलिये किसी और चीज के बारे मे सोचते है. इस आधुनिक लौकिक संसार मे, जो लोग आत्मा, मन और ऐसे उच्च आत्मीय विषयों मे रुचि लेते है, अक्सर वो अकेले ही होते है. जैसे कि कवि, दार्शनिक, फ़ोटोग्राफ़र और फ़िल्मकार. और वो अक्सर स्वावलम्बी होते है. वो हमारे लघु उद्योगो की तरह अकेले और असुरक्षित है. और वे खुद ही दुखी और उदास होते रहते है और वो ज्यादा बदलते भी नही है. अब आप धर्म के बारे मे सोचिये, संगठित धर्म के बारे मे. धार्मिक संगठन क्या करते है? वो समूह बनाकर संस्थान बनाते हैं. और इसके बहुत सारे फ़ायदे हैं सर्वप्रथम विशालता और शक्ति. वालस्ट्रीट के अनुसार केथोलिक चर्च ने गत वर्ष 97 बिलियन डालर एकत्रित किये. ये विशालकाय तन्त्र है. वे सहयोगिक हैं, ब्रान्डेड हैं और बहुराष्ट्रीय हैं. और वो बहुत ही अनुशासित हैं. ये सब बहुत अच्छे गुण हैं. हम उन्हें एक निगम की तरह मानते हैं. और निगम बहुत कुछ धर्मों की तरह ही है, बस इतना फ़र्क है कि वो आवश्यकता के पिरामिड मे सबसे नीचे हैं वे हमें जूते और कार बेच रहे है. जबकि जो लोग हमे उच्च श्रेणी की चीजें बेच रहे हैं -- जैसे कि योगाचार्य या कवि -- बस खुद पर ही चल रहे है और उनके पास कोइ शक्ति नही है, उनके पास कोइ बल नही है. तो धर्म ऐसी संस्था का सबसे बडा उदाहरण है जो मन मे चलने वाली चीजों के लिये लड़ रही है. अब हो सकता है हम वो ना माने जो धर्म हमें सिखाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन हम उनके इस संस्थागत तरीके की सराहना तो कर ही सकते हैं. केवल किताबों से, एकाकी व्यक्तियों द्वारा लिखी गयी किताबों से कुछ नही बदलने वाला. हम सबको एक साथ इकट्ठा होने की जरुरत है. अगर आप दुनिया को बदलना चाहते हैन तो आपको एक साथ मिल कर संगठित होना पडेगा. और यही काम धर्म करते है. जैसा कि मैने कहा, वे बहुराष्ट्रीय हैं ब्रान्डेड हैं और उनकी एक साफ़ पहचान है. इसलिये वो इस व्यस्त दुनिया मे खो नही जाते. और ये चीज हम उनसे सीख सकते हैं. मैं अब निष्कर्ष पर आता हूं. वस्तुत: मैं जो कहना चाहता हूं, वो आप मे से जो लोग विभिन्न क्षेत्रो मे काम कर रहे हैं, उनके लिये है, कुछ ऐसा है जो आप धर्म से सीख सकते हैं -- भले ही आप उसकी किसी बात पर विश्वास नही करते हैं , फ़िर भी. अगर आप कोइ ऐसा काम करते है जो सामुदायिक है, जिसमे बहुत सारे लोग मिलके काम करते हैं, तो धर्म मे आपके लिये कई चीजे हैं. अगर आप किसी तरह से एक पर्यटन उद्योग से जुड़े हैं, तो तीर्थस्थानों को देखिये. ध्यान से देखिये. अभी तो हमे हलका सा भी अन्दाजा नही हुआ है कि पर्यटन क्या बन सकता है, क्योंकि अभी तक हमने इस बात पर ध्यान ही नही दिया कि धर्म पर्यटन को कैसे प्रभावित करता है. यदि आप कला की दुनिया मे हैं तो उन उदाहरणो को देखिये तो धर्म के कला पर प्रभाव को दिखाते हैं. अगर आप शिक्षक है तो देखिये कि धर्म किस तरह से विचारों का प्रसार करते हैं. आप भले ही विचारों से सहमत ना हों, पर ये कुछ करने की वाकई बहुत ही प्रभावशाली विधियां हैं. तो मेरा निष्कर्ष आखिर मे ये है कि भले ही आप धर्म से सहमत ना हों, परन्तु आखिरकार, धर्म इतने सूक्ष्म और जटिल हैं और बहुत सी बातों मे इतने आगे हैं कि उन्हें यह कहकर कि ये सिर्फ़ धार्मिक लोगों के लिये हैं, नही छोडा जा सकता वो हम सबके लिए हैं. बहुत बहुत धन्यवाद! (तालियां) क्रिस एन्डरसन: ये वाकई बडी साहसिक बात है, क्योंकि आप एक तरह से खुद मज़ाक बनवाने का इन्तज़ाम कर रहे हैं. ए. बो. : आप दोनो तरफ़ से मारे जायेंगे. आपको कोइ कट्टर नास्तिक भी मार सकता है, और कोई पूर्ण आस्तिक भी. क्रिस ए.: उत्तरी ओक्सफ़ोर्ड से कभी भी मिसाइल आ सकती है. ए. बो. : बिल्कुल. क्रि़स ए.: लेकिन आपने धर्म का एक पहलू छोड दिया जो कि कई लोग कहना चाहेंगे आपका अजेन्डा उससे कुछ ले सकता है, जो कि एक खास भाव है - जो कि वास्तव मे किसी भी धार्मिक व्यक्ति के लिये सबसे महत्वपूर्ण चीज है -- और वो है आत्मिक अनुभव, एक विशेष बन्धन, जो कि खुद से भी बढकर है. उस अनुभव के लिये अनीश्वर्वाद 2.0 मे कोई स्थान है? ए. बो. : अवश्य. मै, आपकी तरह ही, कई लोगों से मिलता हूं जो कहते हैं, "लेकिन कोई चीज तो है जो हम सबसे बडी है. कुछ और?" और मै कहता हूं, "अवश्य." और वो कहते हैं, "तो फ़िर आप भी एक तरह से धार्मिक नहीं हुये?" और मै कहता हूं, "नहीं". ये जरूरी तो नही है कि ये रहस्य, ये अनन्त ब्रह्मांड कि विशालता का एकसास, किसी आध्यात्मिक भावना से जोडा जाये? विज्ञान और सही अवलोकन हमे बिना इसके ही ये एहसास दिला सकते हैं, तो मुझे तो किसी आध्यात्मिकता की जरूरत नही लगती. संसार बहुत विशाल है और हम बहुत तुच्छ, तो हमे और किसी धार्मिक महासंरचना की जरूरत नही है. हमे आत्मिक अनुभूति तो आत्मा मे विश्वास किये बिना भी मिल सकती है. क्रिस ए.: मै एक सवाल पूछ्ना चाहूगा. यहां बैठे कितने लोग ये कहेंगे कि धर्म उनके लिये महत्वपूर्ण है? क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे आप जो कह रहे हैं और जो आप उनसे कहना चाहेंगे, के बीच कोइ सम्बन्ध स्थापित हो सके? ऐ. बो. : मेरे खयाल से ऐसे बहुत तरीके हैं, लौकिक जीवन मे बहुत कमियां है जो कि पूरी की जा सकती हैं. और ,जैसा कि मैने कहा, ऐसा भी नही कि या तो आप धार्मिक हो और आपको सारी तरह की बातें माननी पड़ेंगी, या अगर आप नास्तिक हैं तो आपको सभी अच्छी चीजों से वंचित होना पडेगा. ये बहुत दुख की बात है कि हम हमेशा कहते रहते हैं कि "मै नास्तिक हूं इसलिये मै किसी समुदाय का हिस्सा नही बन सकता, मै नैतिकता से दूर हूं, और इसलिये मै तीर्थयात्रा पर नही जा सकता." लोग कहना चहते हैं, "बकवास. क्यों नही?" और यही मेरी बात का सार है. यहां हमारे सीखने के लिये कितना कुछ है! अनीश्वरवाद को खुद को धर्म की अच्छी चीजो से अलग नही रखना चाहिये. क्रिस. ए.: मुझे ऐसा लगता है कि TED समुदाय मे काफ़ी लोग ऐसे हैं जो नास्तिक हैं. लेकिन उनमे से ज्यदातर निश्चित तौर पर ये मानते हैं कि धर्म निकट भविष्य में तो कहीं नही जाने वाला और वो एक ऐसी भाषा चाहते हैं जिससे वो एक रचनात्मक संवाद कर सकें और एक दूसरे से बात भी कर सकें और कम से कम वो चीजें जो समान हैं उन्हें बांट सकें. क्या ये आशा करना कि एक ऐसी दुनिया हो जिसमे धर्म लोगो को बांटने और युद्ध करवाने के, बजाय एक दुसरे से जोडने का माध्यम बनेगा, मूर्खतापूर्ण है? ए. बो. : नहीं, हमे बस अपने मतभेदों का आदर करना चाहिये. विनम्रता जैसे महत्वपूर्ण गुण की लोग उपेक्षा कर देते है और इसे ढोंग समझते हैं. लेकिन हमें एक ऐसे स्तर पर आने की जरुरत है जहां आप एक नास्तिक हैं और अगर कोइ कहे "पता है, मैने तो उस दिन प्रार्थना की थी," और आप उसे विनम्रता पूर्वक टाल देते हैं. और आगे बढ जाते हैं. क्योंकि आपने 90 प्रतिशत बातें मान ली हैं, और आप कितनी बातों पर एकमत हैं, और आप विनम्रतापूर्वक अपनी असहमति भी व्यक्त कर देते हैं. और मेरे खयाल से यही चीज धर्मयुद्धों ने नही समझी है. उन्होने सद्‍भावपूर्ण असहमति की सम्भवना को पूरी तरह से नकार दिया है. क्रिस. ए.: और अन्त मे, ये जो नयी चीज आप सुझा रहे हैं जो कि धर्म नही बल्कि कुछ और ही है, क्या इसे किसी नेता की जरुरत है, या आप खुद ही पोप बनने वाले हैं? (हंसी) ए.बो. : एक तो ये बात है कि हम अकेले नेताओं को सन्देह की दृष्टि से देखते हैं. इसे इसकी जरुरत नही है. मैं सिर्फ़ एक ढांचा बनाने की कोशिश कर रहा हूं और आशा करता हूं कि लोग इस पर कुछ बनायें. मैने तो एक विस्तृत रुपरेखा तैयार की है. लेकिन आप जहां भी हों, जैसा कि मैने कहा, अगर आप पर्यटन मे हैं तो थोडा घूमें. अगर आप किसी सामुदायिक उद्योग मे हैं तो धर्म को देखें और कुछ सामुदायिक करें. तो ये एक विकी परियोज़ना की तरह है. (हंसी) क्रिस. ए.:ऎलेन, इतने दिलचस्प संवाद के लिये शुक्रिया. (तालियां) मैं यहाँ से शुरु करूँगा। ये हाथ से बनाया गया एक चिन्ह है जो एक छोटी सी बेकरी मे लगा था कुछ साल पहले ब्रुकलिन में मेरे पडोस के इलाके में। इस बेकरी में एक छोटी से मशीन लगी थी जो कि शुगर-प्लेट पर छपाई कर सकती थी। और बच्चे अपनी अपनी ड्राइंग लाते थे, और दुकान में एक शुगर-प्लेट पर छपवा कर अपने बर्थ-डे केक के ऊपर लगाते थे। मगर दुर्भाग्यवश, एक चीज़ जो बच्चे ख़ूब बनाते हैं, वो है कार्टून चरित्रों की ड्राइंग। उन्हें मज़ा आता है लिटल मर्मेड बना कर, स्मर्फ़ बना कर, मिकी माउस बना कर। मगर असल में ये ग़ैर-कानूनी है कि मिकी माउस का चित्र जो एक बच्चे ने बनाया है, एक शुगर-प्लेट पर छापा जाये। और ये कॉपी-राइट का हनन है। और ऐसे कॉपी-राइट को बच्चों के केक से बचाना इतना उलझा हुआ काम था कि कॉलेज बेकरी ने कहा, "ऐसा है, हम ये काम ही बंद कर रहे हैं। अगर आप शौकिया कलाकार हैं, तो आप हमारी मशीन का इस्तेमाल नही कर सकते। अगर आपको अपने बर्थ-डे केक पर छपाई चाहिये, तो आपको हमारे पास पहले से उपलब्ध चित्रों में से एक लेना होगा -- केवल पेशेवर कलाकारों द्वारा बनाये गये चित्रों से।" तो कांग्रेस में इस वक्त दो विधेयक पेश हो चुके हैं। एक है सोपा (SOPA) और दूसरा है पिपा (PIPA)। सोपा (SOPA) का अर्थ है स्टॉप ऑनलाइन पायरेसी एक्ट। ये सेनेट से आया है। पिपा (PIPA) लघु रूप है PROTECTIP का जो कि स्वयं लघुरूप है प्रिवेंटिंग रियल ऑनलाइन थ्रेट्स टू इकॉनामिक क्रिएटिविटी एन्ड थेफ़्ट ऑफ़ इन्टेलेक्चुअल प्रोपर्टी -- इन चीज़ों को नाम देने वाले कांग्रेस के नुमाइंदों के पास बहुत ढेर सारा फ़ालतू समय होता है। और सोपा और पिपा नाम की बलायें आख़िरकार करना ये चाहती हैं। वो इतना महँगा बना देना चाहती हैं कॉपी-राइट के दायरे में रह कर काम करने को, कि लोग उन काम-धंधों को छोड ही दें जिनमें शौकिया रचना करने वाले शामिल होते हैं। अब, ऐसा करने के लिये उनका सुझाव ये है कि उन वेबसाइटों को पहचान लिया जाये जो कॉपी-राइट हनन कर रहे हैं -- हालांकि ये साइट कैसे कॉपी-राइट हनन कर रहे हैं, विधेयक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे बैठा है -- और फ़िर वो इन साइटों को डोमेन नेम सिस्टम से बर्खास्त कर देना चाहते हैं। वो इन्हें डोमेन नेम सिस्टम से निष्काशित कर देना चाहते हैं। देखिये ये डोमेन नेम सिस्टम ही है जो कि इंसानों को समझ आने वाले नामों को, जैसे कि गूगल डॉट कॉम, उन नामों में बदलता है जिन्हें कम्प्यूटर समझता है -- जैसे कि ७४.१२५.२२६.२१२ असल ख़राबी इस सेंसरशिप के मॉडल में, जो कि इन साइटों को ढूँढेगा, फ़िर उन्हें डोमेन नेम सिस्टम से हटाने की कोशिश करेगा, ये है कि ये काम नहीं करेगा। और आपको लग रहा होगा कि ये कानून के लिये ख़ासी बडी दिक्कत होगी मगर कांग्रेस इस बात से ज़रा भी परेशान नही लगती है। ये सिस्टम धवस्त इसलिये हो जायेगा क्योंकि आप अब भी अपने ब्राउज़र में ७४.१२५.२२६.२१२ टाइप कर के या उसका क्लिक-करने लायक लिंक बना कर अब भी गूगल तक पहुँच पायेंगे। तो जो सुरक्षात्मक घेरा इस समस्या के आसपास खडा किया गया है, वही इस एक्ट का सबसे बडा खतरा है। कैसे कांग्रेस ने ऐसा विधेयक लिख डाला जो कि अपने मुकरर्र लक्ष्यों को कभी पूरा नहीं करेगा, मगर एक हज़ार नुकसानदायक साइड-एफ़ेक्ट बना डालेगा, ये समझने के लिये आपको कहानी में गहरे पैठना होगा। और कहानी कुछ ऐसी है: सोपा और पिपा, ऐसे विधेयक हैं जिनका ड्राफ़्ट मुख्यतः उन मीडिया कंपनियों ने लिखा जो कि बीसवीं सदी में शुरु हुई थीं। बीसवीं सदी मीडिया कंपनियों के लिये स्वर्णिम समय था क्योंकि मीडिया कंटेट की बहुत ही ज्यादा कमी थी। अगर आप कोई टी.वी. शो बना रहे हैं, तो उसे बाकी सारे टी.वी शो से बेहतर नहीं होना होगा; उसे केवल बेहतर होना होगा बाकी दो शो से, जो उसी समय प्रसारित होते हों -- जो कि बहुत ही हल्की शर्त है स्पर्धा के लिहाज से। जिसका मतलब है कि यदि आप बिलकुल औसत कंटेंट भी बना रहे हैं, तो फ़्री में अमरीका की एक-तिहाई पब्लिक आपकी बात सुनने को मजबूर है - कई लाख लोग एक साथ आपको सुन रहे हैं तब भी जब कि आपका बनाया कुछ ख़ास नहीं है। ये ऐसा है जैसे आपको नोट छापने का लाइसेंस मिल जाये, और साथ ही फ़्री इंक भी। मगर टेक्नालाजी आगे बढ गयी, जैसा कि वो हमेशा करती है। और धीरे धीरे, बीसवीं शताब्दी के अंत तक, कंटेट की वो कमी खत्म सी होने लगी -- और मेरा मतलब डिजिटल टेक्नालाजी से नहीं है, साधारण एनालाग टेक्नालाजी भी ज़रिया बनी। कैसेट टेप, विडियो कैसेट रेकार्डर, यहाँ तक कि ज़ेराक्स मशीन भी नये अवसर पैदा करने लगी ऐसे क्रियाकलापों के लिये, जिन्होनें इन मीडिया कंपनियों की हवा निकाल दी। क्योंकि अचानक इन्हें पता लगा कि कि हम लोग सिर्फ़ चुपचाप बैठ कर देखने वाले लोग नहीं हैं। हम सिर्फ़ कनस्यूम करना ही नहीं चाहते। हमें कन्स्यूम करने में मज़ा आता है, मगर जब भी ऐसे नये अविष्कार हम तक पहुँचे, हमने कुछ रचने की भी कोशिश की और अपनी रचना को शेयर करने, बाँटने का प्रयास किया। और इस बात ने मीडिया कंपनियों को घबराहट में डाल दिया -- हर बार उनकी हालत पतली ही हुई। जैक वलेन्टी ने, जो कि मुख्य प्रचारक थे मोशन पिक्चर एसोसिएशन ऑफ़ अमेरिका के, एक बार घृणा योग्य विडियो कैसेट रिकार्डर की तुलना जैक द रिपर से की थी और गरीब, ह्ताश, बेचारे हॉलीवुड की उस कमज़ोर औरत से जो घर पर अकेले शिकार होने को बैठी है। इस स्तर पर चीख-पुकार मचायी गयी थी। और इसलिये मीडिया इंडस्ट्री ने गिडगिडा कर, ज़ोर डाल कर, ये माँग रखी कि काँग्रेस कुछ करे। और काँग्रेस ने किया भी। ९० के दशक के पूर्वार्ध तक, काँग्रेस ने ऐसा कानून बनाया जिसने सब कुछ बदल दिया। और उस कानून का नाम था 'द ऑडियो होम रेकार्डिंग एक्ट' सन १९९२ का। १९९२ का द ऑडियो होम रिकार्डिंग एक्ट ये कहता है कि, देखिये, अगर लोग रेडियो प्रसारण को रिकार्ड कर रहे हैं, और फ़िर दोस्तों के लिये खिचडी-कैसेट बना रहे हैं, तो ये अपराध नहीं है। इसमें कोई गलत बात नहीं है। टेप करना, रीमिक्स करना, और दोस्तों में बाँटना गलत नहीं है। यदि आप कई सारी उम्दा क्वालिटी की कॉपी बना कर बेच रहे हैं, तो ये बिल्कुल भी सही नहीं है। मगर ये छोटा मोटा टेप करना वगैरह ठीक है, इसे चलने दो। और उन्हें लगा कि उन्होनें मसले को हल कर दिया है, क्योंकि उन्होंने साफ़ लकीर बना दी थी कानूनन गलत और कानूनन सही कॉपी करने के बीच। मगर मीडिया कंपनियों को ये नहीं चाहिये था। वो ये चाहते थे कि काँग्रेस किसी भी तरह की कॉपी करने पर पूर्ण रोक लगा दे। तो जब १९९२ का ऑडियो होम रेकार्डिंग एक्ट पास हुआ, मीडया कंपनियों ने ये विचार ही छोड दिया कि कॉपी करना किसी स्थिति में कानूनन सही माना जा सकता है क्योंकि ये साफ़ था कि यदि काँग्रेस इस नज़रिये से सोचेगी तो शायद नागरिकों को और भी अधिकार मिले अपने मीडिया परिवेश में रचनात्मक भागीदारी करने के। तो उन्होनें दूसरी ही योजना बनाई। उन्हें इस योजना को बनाने में थोडा समय ज़रूर लगा। ये योजना पूर्ण रूप से सामने आयी सन १९९८ में -- डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट एक्ट के रूप में। (डी.एम.सी.ए.) ये अत्यधिक जटिल कानून था, हजारों हिस्सों में बँटा हुआ। मगर डी.एम.सी.ए का मुख्यतः ज़ोर ये था कि ये कानूनन सही है कि आपको बेचा जाय ऐसा डिजिटल कंटेट जिसे कॉपी नहीं किया जा सकता -- बस इतनी सी गल्ती हुई कि ऐसा कोई डिजिटल कंटेट नहीं हो सकता जो कॉपी न हो सके। ये ऐसा था जैसा कि एड फ़ेल्टन ने कहा था, "ऐसा पानी बेचना जो गीला न हो।" बिट्स तो कॉपी लायक होते ही हैं। यही तो कम्प्यूटर करते हैं। ये तो उनके सामन्य काम करने के तरीका का निहित अंग है। तो ऐसी काबलियत के नाटक के लिये कि असल में कॉपी नहीं होने वाले बिट्स बिक सकते हैं, डी.एम.सी.ए ने ये भी कानूनी रूप से सही करार दिया कि आप पर ऐसे सिस्टम थोपे जायें जो आपके यंत्रों की कॉपी करने के काबलियत खत्म कर दें। हर डीवीडी प्लेयर और गेम प्लेयर और टीवी, और कम्प्यूटर जो आप घर ले जाते रहे -- आप चाहे जो सोच कर उसे खरीद रहे थे -- कंटेट इंडस्ट्री द्वारा तोडा जा सकता था, अगर वो चाहते कि इसी शर्त पर आपको कंटेंट बेचेंगे। और ये सुनिश्चित करने के लिये कि आपको ये पता न लगे, या फ़िर आप उस यंत्र की साधारण कम्प्यूटर नुमा गतिविधियों को इस्तेमाल न कर पायें, उन्होंने ये गैर-कानूनी करवा दिया कि आप रीसेट कर सके उनके कंटेंट को कापी होने लायक बनाने के लिये। डी.एम.सी.ए. वो काला क्षण है जब कि मीडिया इंडस्ट्री ने उस कानूनी सिस्टम को ताक पर रख दिया जो कानूनी और गैर-कानूनी कॉपी में फ़र्क करता था, और पूरी तरह से कॉपी रोकने का प्रयास किया, तकनीक के इस्तेमाल से भी। डी.एम.सी.ए के कई जटिल असर होते आये हैं, और हो रहे हैं, और इस संदर्भ में उसका असर है - शेयरिंग पर कसी गयी लगाम, मगर वो ज्यादातर नाकामयाब ही हुये हैं। और उनकी इस असफ़लता का मुख्य कारण रहा है ये कि इंटरनेट ज्यादा फ़ैला है, और ज्यादा शक्तिशाली बन कर उभरा है, किसी की भी सोच के मुकाबले। टेप मिक्स करना, फ़ैन मग्ज़ीन वगैरह निकानला कुछ भी नहीं है उस के मुकाबले जो आज घटित हो रहा है इंटरनेट पर। हम आज ऐसे विश्व के बाशिंदे हैं जहाँ ज्यादातर अमरीकी जो १२ वर्ष से बडे हैं, एक दूसरे से ऑन्लाइन चीजें शेयर करते हैं। हम लेख शेयर करते हैं, तस्वीरें साझा करते हैं, ऑडियो, विडियो सब साझा करते हैं। हमारी शेयर की गयी चीजों में से कुछ हमारी खुद की बनायी होती हैं। कुछ ऐसी सामग्री होती है जो हमें मिली होती है। और कुछ ऐसी सामग्री भी जो हमने उस कंटेट से बनायी होती है जो हमें मिला, और ये सब मीडिया इंडस्ट्री के होश उडाने के लिये काफ़ी है। तो पिपा और सोपा इस युद्ध की दूसरी कडी है। मगर जहाँ डी.एम.सी.ए. अंदर घुस कर काम करता था -- कि हम आपके कम्प्यूटर में घुसे हैं, आपके टीवी का हिस्सा हैं, आपके गेम मशीन में मौजूद हैं, और उसे वो करने से रोक रहे हैं जिसके वादे पर हमने उन्हें खरीदा था -- पिपा और सोपा तो परमाणु विस्फ़ोट जैसे हैं और ये कह रहे हैं, कि हम दुनिया में हर जगह पहुँच कर कंटेंट को सेंसर करना चाहते हैं। और इसे करने की विधि, जैसे मैने पहले कहा, ये है कि आप हर उस लिंक को हटा देंगे जो उन आई.पी. एड्रेस तक पहुँचेंगे। आप को उन्हें सर्च इंजिन से हटाना होगा, आपको ऑनलाइन डारेक्ट्रियों से हटाना होगा, आपको यूसर लिस्टों से हटाना होगा। और क्योंकि इंटरनेट पर कंटेट के सबसे बडे रचयिता गूगल या याहू नहीं हैं, आप और हम हैं, असल में निगरानी आपकी और हमारी ही होगी। क्योंकि आखिर में, असली खतरा पिपा और सोपा के कानून बनने से हमारी चीजों को शेयर करने की काबलियत को है। तो पिपा और सोपा से खतरा ये है कि ये सदियों पुराने कानूनी सिद्दांत को, कि "जब तक सिद्ध नहीं, अपराधी नहीं" उलट देंगे कि - "जब तक सिद्ध नहीं, अपराधी" में आप शेयर नहीं कर सकते जब तक कि आप ये न दिखा दें कि आप जो शेयर कर रहे हैं, वो इनके हिसाब से ठीक है। अचानक, कानूनी और गैर-कानूनी होने का पूरा दारोमदार हम पर ही गिर जायेगा। और उन सेवाओं पर जो हमें नया नया काम करने की काबलियत देना चाहती हैं। और अगर सिर्फ़ एक पैसा भी एक यूज़र की निगरानी में खर्च हो, तो कोई भी ऐसी सेवा दिवालिया हो जायेगी जिसके सौ मिलियन यूज़र होंगे। और यही इंटरनेट है इन के दिमाग में। सोचिये हर जगह ऐसा ही निशान लगा हो -- और यहाँ कॉलेज बेकरी न लिखा हो, यहाँ लिखा हो यू-ट्यूब और फ़ेसबुक और ट्विटर। सोचिये यहाँ लिखा हो टेड, क्योंकि कमेंटों की तो निगरानी हो ही नहीं सकती है किसी भी कीमत पर। सोपा और पिपा का असल असर बताये जा रहे असर से बहुत अलग हो रहेगा। असल खतरा ये है कि साबित करने का काम उलटी पार्टी का हो जायेगा, जहाँ अचानक हम सभी को चोरों की तरह देखा जायेगा, हर क्षण जब भी हम रचना की स्वतंत्रता का इस्तेमाल करेंगे, कुछ बनाने या शेयर करने के लिये। और वो लोग जिन्होंने हमें ये काबलियत दी है -- दुनिया भर के यू-ट्यूब, फ़ेसबुक, ट्विटर और टेड - उनका मुख्य काम हमार निगरानी करने का हो जायेगा, कि कहीं हमारे द्वारा शेयर की चीज़ से उन पर तो फ़ंदा नहीं कस जायेगा। अब दो काम हैं जो आप कर सकते हैं इसे रोकने के लिये -- एक साधारण काम है और एक जटिल काम है, एक आसान काम है और एक कठिन है। साधारण आसान काम ये है: यदि आप अमरीकी हैं, तो अपने विधायक को कॉल कीजिये। जब आप देखेंगे कि कौन लोग हैं जिन्होंने सोपा को बढावा दिया है, और पिपा के लिये प्रचार किया है, आप देखेंगे कि उन्होंने लगातार कई सालों से दसियों लाख डॉलर पाये हैं पारंपरिक मीडिया इंडस्ट्री से। आपके पास दसियों लाख डॉलर नहीं हैं, लेकिन आप अपने नेताओं को कॉल कर के ये याद दिला सकते हैं कि आप के पास वोट है, और आप नहीं चाहते कि आप के साथ चोरों जैसा बर्ताव हो, और आप उन्हें सुझाव दे सकते है कि आप चाहेंगे कि इंटरनेट की कमर न तोडी जाये। और अगर आप अमरीकी नहीं हैं, तो आप उन अमरीकियों से बात कीजिये जिन्हें आप जानते हैं, और उन्हें उत्साहित कीजिये ये करने के लिये। क्योंकि इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाया जा रहा है, मगर ये है नहीं। ये इंडस्ट्री सिर्फ़ इस पर नहीं रुकेगी कि इस ने अमरीका के इंटरनेट पर कब्ज़ा कर लिया। यदि ये सफ़ल हुए, तो दुनियी भर का इंटरनेट कब्जा लेंगी। ये तो था आसान काम। ये था साधारण काम। अब कठिन काम: तैयार हो जाइये, क्योंकि और भी हमले होने वाले हैं। सोपा असल में कोयका (COICA) का नया रूप है, जिसे पिछले साल पेश किया गया था, मगर वो पास नहीं हुआ। और ये सारी कहानी ठहरती है डी.एम.सी.ए. के असफ़ल हो जाने में, टेक्नालाजी का इस्तेमाल कर के शेयरिंग रोक पाने में असफ़ल होने में। और डी.एम.सी.ए. ठहरता है द ऑडियो होम रिकार्डिंग एक्ट पर, जिसने इस इंडस्ट्री के शहंशाहों की हवा निकाल दी थी। क्योंकि ये जटिल है कि पहले कहा जाये कि कोई कानून तोड रहा है और फ़िर सबूत इकट्ठे करना और सिद्ध करना, ये काफ़ी असुविधा भरा है। "काश इस सिद्द करने के झमेले में न पडना पडे" कंटेंट कंपनियाँ ये सोचती हैं। और वो इस झमेले में पडना ही नहीं चाहती कि ये सोचना पडे कि क्या फ़र्फ़ है कानूनी और गैर-कानूनी में। वो तो बस सीधा सरल उपाय चाहती हैं कि शेयरिंग बंद हो जाये। पिपा और सोपा कोई नयी बात या अलग सा आयडिया नहीं हैं, न ही ये आज शुरु हुआ कोई खेल है। ये तो उसी पुराने पेंच का अगला घुमाव है, जो पिछले बीस साल से षडयंत्र कर रहा है। और अगर हमने इसे हरा दिया, जैसा मैं आशा करता हूँ, और हमले आयेंगे। क्योंकि जब तक हम काँग्रेस को विश्वास नहीं दिला देते कि कॉपीराइट हनन से निपटने का सही उपाय वो है जो कि नैप्स्टर या यूट्यूब ने इस्तेमाल किया, जहाँ एक सुनवाई होती है सारे सबूतों के साथ, सारे तथ्यों पर विचार कर के, और उपायों पर विमर्ष कर के, जैसा कि प्रजातांत्रिक समाजों में होता है। ये ही सही तरीका है इस से निपटने का। और इस बीच, कठिन काम ये है कि कमर कस लीजिये। क्योंकि यही पिपा और सोपा का असली संदेश है। टाइम वार्नर ने बुलावा भेज दिया है और वो हमें वापस सिर्फ़ कन्स्यूमर बनाना चाहते हैं- काउच पोटेटो (couch potato) हम न रचें, न हम शेयर करें -- और हमें ज़ोर से कहना चाहिये, "नहीं।" धन्यवाद। (तालियाँ) मै बात करना चाहता हूं एक बड़े प्रश्न के बारे मे , शायद सबसे बड़ा प्रश्न . हम सबको साथ कैसे रहना चाहिए? लोगों के समूह को, जो शायद एक शहर में रहते हैं या महाद्वीप में या फिर पूरी धरती पर, साझा संसाधनों को कैसे बांटे और प्रबंधित करें? हम कैसे नियम बनाये जो हमें नियंत्रित करें? यह हमेशा से एक महत्वपूर्ण सवाल रहा है। और आज, मुझे लगता है यह पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है अगर हम संबोधित करना चाहते हैं बढ़ती असमानता को , जलवायु परिवर्तन, रिफ्यूजी संकट, बस कुछ ही प्रमुख मुद्दों का नाम हैं। यह एक बहुत पुराना प्रश्न भी है। मनुष्य खुद से यह सवाल पूछ रहे हैं तब से जब हम रहते थे संगठित समाजों में। इस आदमी की तरह, प्लेटो। उसने सोचा कि हमें उदार अभिभावकों की जरूरत है जो निर्णय ले सकें सभी की अच्छाई के लिए। राजाओं और रानियों ने सोचा वे ऐसे अभिभावक हो सकते हैं, लेकिन विभिन्न क्रांतियो के दौरान, वे अपने सिर खोने के लिए प्रतिबद्ध थे। और यह आदमी, आप शायद इससे जानते हैं। यहां हंगरी में, आप कई सालों तक रहते थे लागू करने के एक प्रयास के तहत एक साथ रहने के तरीके का उसका जवाब। उसका जवाब क्रूर, निर्दयी और अमानवीय था। लेकिन एक अलग जवाब है, एक अलग तरह का जवाब, जो लगभग 2,000 वर्षों के लिए हाइबरनेशन में चला गया था , उसे हाल ही में सफलता मिली है। वह जवाब, ज़ाहिर है, लोकतंत्र। अगर हम एक नज़र लेते हैं लोकतंत्र के आधुनिक इतिहास में, यह कुछ इस तरह चलता है। साथ ही , हम रख रहे हैं पिछले 200 वर्षों को। यहां , हम डाल रहे हैं लोकतंत्र की संख्या। और ग्राफ यह करता है, जिसका महत्वपूर्ण तर्क , समय के साथ यह असाधारण वृद्धि है, यही कारण है कि 20 वीं शताब्दी को लोकतंत्र की जीत शताब्दी कहा जाता है, और क्यों, 1 9 8 9 में फ्रांसिस फुकुआमा ने कहा, कुछ का मानना ​​है कि हम इतिहास के अंत पर पहुंचे हैं, कि एक साथ रहने के प्रश्न का उत्तर दे दिया गया है, और वह उत्तर उदार लोकतंत्र है। हालाँकि चलिए उस दावे का पता लगाएं। मैं जानना चाहता हूं कि आप क्या सोचते हैं। तो मैं आपसे दो सवाल पूछने जा रहा हूं, और आप अपना हाथ उठायें यदि आपको स्वीकार हो। पहला सवाल यह है: कौन सोचता है लोकतंत्र में रहना एक अच्छी बात है? लोकतंत्र को कौन पसंद करता है? यदि आप कोई बेहतर प्रणाली जानते हैं, अपने हाथ नीचे रखो। उनके बारे में चिंता मत करो जिन्होंने हाथ नहीं उठाया, ज़रूर उनका मतलब अच्छा ही होगा। दूसरा सवाल यह है: कौन सोचता है कि हमारा लोकतंत्र अच्छी तरह से काम कर रहे हैं? अरे, एक राजनेता तो ज़रूर होगा कहीं दर्शकों में। (हँसी) नहीं . मेरा मुद्दा यह है कि अगर उदार लोकतंत्र इतिहास का अंत है, तो यहाँ एक विशाल मिथ्याभास है या विरोधाभास। ऐसा क्यों है? खैर, पहला सवाल लोकतंत्र के आदर्श के बारे में है, और ये सभी गुण बहुत आकर्षक हैं। लेकिन व्यवहार में, यह काम नहीं कर रहा है। और यह दूसरा सवाल है। हमारी राजनीति टूटी हुई है, हमारे राजनेता भरोसेमंद नहीं हैं, और राजनीतिक व्यवस्था विकृत है शक्तिशाली निहित हितों से। मुझे लगता है कि दो तरीके हैं इस विरोधाभास को हल करने के लिए। पहला - लोकतंत्र को छोड़ दिया जाये; यह काम नहीं करता है। चलो एक लोकप्रिय जनसमुदाय के नेता चुनें जो लोकतांत्रिक मानदंडों को अनदेखा करे, उदार स्वतंत्रता को रूंद कर और बस काम पूरे करे। दूसरा विकल्प, मुझे लगता है, इस टूटी हुई प्रणाली को ठीक करना है, इस आदर्श लोकतंत्र के करीब लाने के लिए और समाज की विविध आवाज़ें डाले हमारे संसद में और उन्हें विचार करने के लिए मिले साक्ष्य आधारित कानून सभी के दीर्घकालिक अच्छाई के लिए। जो मुझे मेरे epiphany में लाता है, ज्ञान का मेरा पल। मैं चाहता हूं कि आप आलोचना करें। मैं चाहूँगा कि आप खुद से पूछें, "यह क्यों काम नहीं करेगा?" और फिर बाद में आकर मुझसे बात करें। इसका तकनीकी नाम "सोरितिशियन " है। लेकिन इसका सामान्य नाम "रैंडम चयन" है। और विचार वास्तव में बहुत आसान है: हम अव्यवस्थित रूप से लोगों का चयन करे और उन्हें संसद में डाल दें। (हँसी) चलिए इसके बारे में सोचें कुछ और मिनटों के लिए ? कल्पना कीजिए कि हमने आपको चुना और आपको और आपको और वो नीचे आपको और कुछ अन्य रैंडम लोगों को , और हमने आपको हमारी संसद अगले कुछ वर्षों के लिए बता दिया। बेशक, हम चयन के स्तर कर सकते हैं यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह मेल खाता है सामाजिक आर्थिक और जनसांख्यिकीय देश की प्रोफाइल से और वास्तव में प्रतिनिधि हो वहां के लोगों का उनमें से पचास प्रतिशत महिलाएं होंगी। उनमें से कई युवा होंगे, कुछ पुराने होंगे, कुछ अमीर होंगे, लेकिन उनमें से ज्यादातर होंगे आपके और मेरे जैसे सामान्य लोग। यह समाज का एक सूक्ष्मदर्शी होगा। और यह सूक्ष्मता अनुकरण करेगा हम सभी जैसा सोचेंगे, अगर हमारे पास समय था, तो जानकारी और आने के लिए एक अच्छी प्रक्रिया है राजनीतिक निर्णयों का नैतिक क्रूक्स। और यद्यपि आप उस समूह में नहीं हो सकते हैं, आपकी उम्र में से कोई, आपके लिंग में से कोई, आपके स्थान से कोई और आपकी पृष्ठभूमि के साथ कोई उस कमरे में होगा। इन लोगों द्वारा किए गए निर्णय भीड़ के ज्ञान पर निर्माण होगा। वे और बन जाएंगे अपने भागों की राशि से। वे महत्वपूर्ण विचारक बन जाएंगे विशेषज्ञों तक पहुंच के साथ, जो टैप पर होगा लेकिन शीर्ष पर नहीं होगा। और वे साबित कर सकते थे वह विविधता क्षमता को ट्रम्प कर सकती है जब विस्तृत सरणी का सामना करना पड़ता है सामाजिक प्रश्नों और समस्याओं का। यह सरकार नहीं होगी जनमत सर्वेक्षण द्वारा। यह जनमत संग्रह द्वारा सरकार नहीं होगी। ये सूचित, जानबूझकर लोग जनता की राय से आगे बढ़ेगा सार्वजनिक निर्णय लेने के लिए। हालांकि, वहाँ होगा एक प्रमुख दुष्प्रभाव: अगर हमने चुनाव को सोर्तिशियाँ में बदल दे और हम संसद को वास्तव में समाज का प्रतिनिधि बना दे, इसका मतलब राजनेताओं का अंत होगा। और मुझे यकीन है कि हम सभी यह देख कर बहुत दुखी होंगे। (हँसी) बहुत दिलचस्प बात है, यादृच्छिक चयन एक महत्वपूर्ण भाग था लोकतंत्र का प्राचीन एथेंस में। इस मशीन, इस डिवाइस को, कोल्लोटेरिया कहा जाता है। यह एक प्राचीन एथेनियन यादृच्छिक चयन उपकरण है। प्राचीन एथेनियंस ने यादृच्छिक रूप से नागरिकों का चयन किया उनके ज़्यादातर राजनीतिक पदों को भरने के लिए । वे जानते थे कि चुनाव अभिजात वर्ग थे। वे जानते थे कि करियर की राजनेति को टालना चाहिए। और मुझे लगता है कि हम भी यह सब जानते हैं। लेकिन इससे ज्यादा दिलचस्प है यादृच्छिक चयन के प्राचीन उपयोग का आधुनिक पुनरुत्थान है। वैधता की पुनर्वितरण राजनीति में रैंडम चयन का हाल ही में इतना आम हो गया है, कि इसे बताने के लिए बहुत सारे उदाहरण हैं । बेशक, मुझे पता है कि यह मुश्किल होगा हमारे संसद में इसे स्थापित करना । इसे आज़माएं - अपने दोस्त से कहो, "मेरे विचार से हमें अपनी संसद में रैंडम चुने हुए लोगों के भेजना ज्हहिये । " "क्या आप मजाक कर रहे हैं? क्गर मेरा पड़ोसी चुना जाए तो क्या हो ? वो मूर्ख अपना रीसाइक्लिंग भी अलग नहीं कर पाता । " लेकिन शायद आश्चर्य की बात है कि जबरदस्त सबूत इन सभी आधुनिक उदाहरणों से यह है कि यह काम करता है। यदि आप लोगों की ज़िम्मेदारी देते हैं, वे जिम्मेदारी से कार्य करते हैं। मुझे गलत मत सम्झे - यह एक पैनसिया नहीं है। सवाल यह नहीं है कि : क्या यह सही होगा? बिलकुल नही। लोग निराशाजनक मानव हैं, और विकृत प्रभाव अस्तित्व में रहेगा। सवाल यह है: क्या यह बेहतर होगा? और उस सवाल का जवाब, कम से कम मेरे लिए, जाहिर है हाँ। जो हमें वापस ले जाता है हमारे मूल प्रश्न के लिए: हमें साथ कैसे रहना चाहिए? और अब हमारे पास एक जवाब है: एक संसद जो सोर्तितिशिओन का उपयोग करता है। लेकिन हम यहां से कैसे पहुंचेगे? हम अपने टूटी हुई प्रणाली को कैसे ठीक करें और 21 वीं शताब्दी के लिए लोकतंत्र को पुनः निरमाण करें? कई चीजें हैं जो हम कर सकते हैं, और वास्तव में, वेअभी हो रहें है हम सॉर्टिशन के साथ प्रयोग कर सकते हैं। हम इसे स्कूलों में पेश कर सकते हैं और कार्यस्थलों और अन्य संस्थानों, प्रैक्टिस में लोकतंत्र की तरह बोलीविया में कर रहा है हम पॉलिसी जूरी पकड़ सकते हैं और नागरिकों की असेंबली, नई डेमोक्रेसी फाउंडेशन की तरह ऑस्ट्रेलिया में कर रहा है, जेफरसन सेंटर की तरह अमेरिका में कर रहा है और आयरिश सरकार की तरह अभी कर रहा है हम एक सामाजिक आंदोलन बना सकते हैं परिवर्तन की मांग, जो सॉर्टिशन फाउंडेशन है ब्रिटेन में कर रहा है और किसी मौके पर , हमें इसे स्थापित करना चाहिए। शायद पहला कदम होगा हमारी संसद में एक दूसरा कक्ष, रैंडम रूप से चुने गए लोगों से भरा - एक नागरिक 'सीनेट, अगर आप करेंगे। एक अभियान है फ्रांस में नागरिकों की सीनेट के लिए और स्कॉटलैंड में एक और अभियान, और यह निश्चित रूप से किया जा सकता है यहाँ हंगरी में भी। यह एक ट्रोजन हॉर्स की तरह होगा सरकार के बीचों बीच । और फिर, जब यह असंभव हो जाता है वर्तमान प्रणाली की दरारों को भरना , हमें बद कर बदलना होगा चुनाव को सोर्तिओतिओन से । मुझे आशा है। यहां हंगरी में, सिस्टम बनाए गए हैं, और सिस्टम को तोडा और बदला गया है भूतकाल में। परिवर्तन किया जा सकता है और होता भी है। यह सिर्फ समय की बात है कब और कैसे । धन्यवाद। (हंगेरियन) धन्यवाद। (तालियां) (तालियॉँ) अंकीय भेद भाव है एक माँ जो 45 साल की है और उसे नौकरी नहीं मिल सकती, क्योंकि उसे कंप्यूटर का उपयोग नहीं आता यह एक आप्रवासी है जिसे पता नहीं है कि वह अपने परिवार को मुफ्त में बुला सकता है। यह एक बच्चा है जो अपने होमवर्क को हल नहीं कर सकता, क्योंकि उसके पास सूचना की जानकारी नहीं है अंकीय भेद भाव एक नई निरक्षरता है। अंकीय भेद भाव को भी परिभाषित किया गया है: व्यक्तियों और समुदायों के बीच अंतर जिनकी पहुँच सूचना प्रौद्योगिकी के लिए है और वे जिनकी नहीं है। ऐसा क्यों होता है? यह 3 चीज़ों की वजह से होता है पहला यह है कि लोगों को इन प्रौद्योगिकियों तक पहुँच नहीं मिल सकती है क्योंकि वे उन्हें निभा नहीं सकते। दूसरा क्योंकि उन्हें उनका उपयोग करना नहीं आता । तीसरा क्योंकि वे प्रौद्योगिकी से प्राप्त लाभ नहीं जानते हैं। तो चलो विचार करें कुछ बहुत ही बुनियादी आँकड़े। दुनियाँ की आबादी लगभग सात अरब लोगों की है। इनमें से लगभग दो अरब डिजिटल रूप में शामिल हैं। यह लगभग 30% है पूरी दुनियाँ की आबादी का, जिसका मतलब है कि शेष दुनियाँ का 70% - करीब पांच अरब लोगों की - कंप्यूटर या इंटरनेट के लिए पहुँच नहीं है। चलो इस आंकड़े बारे एक सेकन्ड के लिए सोचें। पाँच अरब लोग; वह भारत की आबादी का चार गुणा है, जिन्होंने कंप्यूटर को कभी नहीं छुआ है, कभी इंटरनेट तक पहुँचे नहीं। तो यह एकअंकीय अतल खाई है जिसकी कि हम बात कर रहे हैं, यह अंकीय भेदभाव नहीं है। यहां हम क्रिस हैरिसन के नक्शे को देख सकते हैं जो दुनियाँ भर में इंटरनेट कनेक्शन दिखाता है। हम जो देख सकते हैं वह है सबसे अधिक इंटरनेट कनेक्शन उत्तरी अमेरिका और यूरोप पर केंद्रित हैं, जबकि बाकी दुनियाँ घिरी हुई है अंकीय भेदभाव के अंधेरे छाया में। इसके बाद, दुनियाँ भर में हम शहर-शहर कनेक्शन देख सकते हैं, और हम देख सकते हैं सबसे अधिक उत्पन्न हुई जानकारी उत्तरी अमेरिका और यूरोप के बीच उत्पन्न हो रही है, जबकि बाकी दुनियाँ नहीं है अपने विचार या सूचना का प्रसारण नहीं कर रही है। तो इसका क्या मतलब है? हम एक ऐसी दुनियाँ में रह रहे हैं जहाँ लगता है एक अंकीय क्रांति है, एक ऐसी क्रांति जहाँ हर कोई अपने को इसका हिस्सा समझता है, लेकिन अंकीय रूप से बाहर रखा दुनियाँ का 70% इस का हिस्सा नहीं है। इसका क्या मतलब है? ठीक है, अंकीय रूप से बाहर रखे लोग प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं होंगे भविष्य के श्रम बाजारों में, वे कनेक्ट नहीं होंगे, उन्हें कम जानकारी होगी, वे कम प्रेरित होंगे और वे कम जिम्मेदार होंगे। इंटरनेट एक विलासिता नहीं होनी चाहिए, यह एक अधिकार होना चाहिए, क्योंकि यह 21 वीं शताब्दी की एक मूलभूत सामाजिक आवश्यकता है। हम इसके बिना काम नहीं कर सकते। (तालियाँ) आपका धन्यवाद। यह हमें दुनियाँ से जुड़ने देता है। यह हमें शक्ति देता है। यह हमें सामाजिक भागीदारी देता है। यह परिवर्तन के लिए एक उपकरण है। और हां, हम इस अंकीय भेदभाव को कैसे समाप्त करने वाले हैं? खैर, कई मॉडल हैं जो प्रयास कर के अंकीय भेदभाव को समाप्त करते हैं, कि कोशिश करते हैं और बड़ी आबादी शामिल करते हैं। लेकिन सवाल यह है: क्या वे वास्तव में काम कर रहे हैं? मुझे यकीन है यहाँ सब एक लैपटॉप प्रति बच्चा जानते हैं, जहाँ एक कंप्यूटर एक बच्चे को दिया जाता है। इस के साथ समस्या यह है, क्या हम वास्तव में ऐसे बच्चों के घरों में कंप्यूटर चाहते हैं? जिन घरों की परिस्थितियों प्रतिकूल हैं? और हमें भी समझना चाहिए कि एक बच्चे को एक कंप्यूटर देकर, हम बहुत ही उच्च लागतों को भी स्थानांतरित कर रहे हैं, जैसे कि इंटरनेट कनेक्शन, बिजली, रखरखाव, सॉफ्टवेयर, अपडेट। तो हमें अलग-अलग मॉडल बनाने होंगे, मॉडल जो परिवारों की मदद करें न कि उन पर बोझ डालें। इसके अलावा, हम कार्बन पदचिह्न के बारे में मत भूलें। पाँच अरब लैपटॉप की कल्पना करो। तो दुनियाँ कैसी दिखेगी? खतरनाक अवशेषों की कल्पना करो जो उस से उत्पन्न होंगे। कचरे की कल्पना करो। इसलिए यदि हम एक कंप्यूटर प्रति व्यक्ति देते हैं, और हम पाँच अरब का पाँच गुणा करें, भले ही वह लैपटॉप एक सौ डॉलर का हो, तो हमारे पास 483 हज़ार अरब डॉलर होंगे। अब मान लें कि हम केवल 10 से 24 उम्र के युवा गिन रहे हैं। यह अंकीय बहिष्कृत आबादी का लगभग 30% है तो यह 145 हज़ार अरब होगा। कौन से देश में यह धन राशि है? यह एक धारणीय मॉडल नहीं है। इसे दिमाग में रखते हुए, हमने एक अलग मॉडल बनाया हमने आर.आई.ए. बनाया, स्पेनिश में, या अंग्रेजी में, सीखना और नवोत्थान नेटवर्क, जो सामुदायिक केंद्रों का एक नेटवर्क है प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से कि शिक्षा हेतु हम इस तरह प्रति कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि चाहते थे कि हम बुनियादी सुविधाओं की लागत प्रति उपयोगकर्ता कम कर सकें, और हम शिक्षा और प्रौद्योगिकी ला सकें इन समुदायों में सभी के लिए। आइए एक बुनियादी तुलना देखें। आर.आई.ए. में 1,650 कंप्यूटर हैं। अगर हमने एक लैपटॉप प्रति बच्चा इस्तेमाल मॉडल किया होता 1 से 1 अनुपात का, तो हमसे 1,650 उपयोगकर्ता लाभान्वित होंगे। हमने इसके बजाय केंद्रों की स्थापना की है जिनकी कार्य अवधि समय स्कूलों की तुलना में अधिक है, इनमें आबादी के सभी लोग शामिल हैं - हमारा सबसे छोटा उपयोगकर्ता 3 साल का है, सब से वृद्ध 86 साल का है - और इससे हम दो वर्षों से भी कम समय में, 140,000 उपयोगकर्ताओं तक पहुँच पाए थे, जिसमें से -- (तालियाँ) आपका धन्यवाद। जिनमें से 34,000 ने अबतक हमारे पाठ्यक्रमों से स्नातक किया है। क अन्य चीज़ एक लैपटॉप प्रति बच्चा यह गारंटी नहीं देता है कंप्यूटर के शैक्षिक उपयोग की। उस सामग्री के बिना प्रौद्योगिकी कुछ भी नहीं है। हमें इसका उपयोग साधन रूप में करना है , अंत के रूप में नहीं। हमने इस तरह के एक उच्च प्रभाव को कैसे पूरा किया? ठीक है, आप सिर्फ एक समुदाय में नहीं जा सकते और इसे बदलने के बहाने, आपको कई कारणों को देखने की ज़रूरत है। तो हम क्या करते हैं एक बात है हम "शहरी एक्यूपंक्चर" कहते हैं। हम पहले एक स्थल के मूल भूगोल को देखकर शुरू करते हैं। तो उदाहरण के लिए, एकटेपक यह मेक्सिको में सबसे अधिक घनी आबादी वाली नगर पालिकाओं में से एक है। इसका आय स्तर बहुत कम है। तो हम बुनियादी भूगोल देखते हैं, हम देखते हैं: गलियाँ, सड़कें, पैदल चलने वालों और वाहनों का प्रवाह। तब हम आय देखते हैं, हम शिक्षा देखते हैं। तब हम वहाँ एक केंद्र स्थापित करते हैं उस जगह में जो शरीर को स्वस्थ करने वाला है, शहर के शरीर को बदलने के लिए छोटी सुई। और बस इतना ही। और अतः, चार बुनियादी तत्व हैं जिन पर हमें विचार करने की ज़रूरत है जब हम प्रौद्योगिकी के माध्यम से शिक्षा का उपयोग कर रहे हैं। पहले हमें रिक्त स्थान बनाने की ज़रूरत है। हमें एक जगह बनाने की ज़रूरत है जो समुदाय के लिए स्वागत अनुरूप है, एक जगह जो बच्चों और बुजुर्गों की ज़रूरतों के मुताबिक है और हर संभव व्यक्ति की जोकि उस समुदाय के भीतर रहता है। तो हम इन जगहों को सभी पुनर्नवीनीकरण सामग्री से बनाते हैं। हम पारिस्थितिक प्रभाव को कम करने के लिए मॉड्यूलर वास्तुकला का उपयोग करते हैं। और दूसरा, कनेक्शन। संबंध से, मेरा मतलब न केवल इंटरनेट से एक कनेक्शन, वह बहुत आसान है हमें एक सम्बन्ध बनाने की आवश्यकता है यह इंसानों का एक दूसरे का सम्बन्ध है। इंटरनेट एक बहुत जटिल जीव है कि विचारों, विचारों से प्रेरित है और मनुष्यों की भावनाएं हमें नेटवर्क बनाने चाहिएँ जो जानकारी आदान प्रदान में मदद करें। तीसरा, सामग्री। सामग्री के बिना शिक्षा कुछ भी नहीं है। और आप रिश्ते का बहाना नहीं कर सकते केवल एक कंप्यूटर का एक बच्चे के साथ। तो हम एक मार्ग बनाते हैं, एक बहुत बुनियादी शिक्षण मार्ग, जहाँ हम लोगों को कंप्यूटर उपयोग सिखाते हैं, इंटरनेट व कार्यालय सॉफ्टवेयर का उपयोग कैसे करें, और 72 घंटों में, हम अंकीय नागरिक बनाते हैं। आप ढोंग नहीं कर सकते कि लोग केवल कंप्यूटर को छूएँगे और अंकीय युक्त बन जाएँगे, आपको एक प्रक्रिया चाहिए। और इसके बाद, वे एक लंबा शैक्षिक मार्ग ले सकते हैं। और फिर चौथा, प्रशिक्षण। हमें न केवल उपयोगकर्ताओं को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है, पर हमें सीखने की सुविधा देने वाले लोगों को प्रशिक्षित करना चाहिए इन लोगों के लिए। जब आप अंकीय भेदभाव बारे बात कर रहे हैं, लोगों को कलंक है, लोगों को डर है; लोग नहीं समझते यह उनके जीवन का पूरक कैसे हो सकता है। तो हम सुविधा दाता को शिक्षा देते हैं। ताकि वे उस अंकीय बाधा को तोड़ने में मदद कर सकें। तो, हमारे चार तत्व हैं: हमारे पास एक ऐसा स्थान है जो बनाया गया है, हमारे पास एक कनेक्शन है, हमारे पास सामग्री है व प्रशिक्षण है। हमने एक अंकीय शिक्षण समुदाय बनाया है। लेकिन एक और तत्व है, लाभ जोकि प्रौद्योगिकी पैदा कर सकती है, क्योंकि यह मुद्रित नहीं है, स्थिर सामग्री। यह गतिशील है; यह संशोधन योग्य है। इसलिए हम क्या करते हैं, हम प्रदान करते हैं सामग्री, तब हम प्रशिक्षण करते हैं, तो हम उपयोगकर्ता पैटर्न विश्लेषण करते हैं ताकि हम सामग्री को बेहतर बना सकें। तो यह एक भद्र मंडली बनाता है। यह हमें शिक्षा प्रदान करने देता है अलग-अलग बुद्धि अनुसार और विभिन्न उपयोगकर्ता ज़रूरतों के अनुसार। इसे ध्यान में रखते हुए, हमें सोचना है कि प्रौद्योगिकी कोई ऐसी चीज़ है जिसे संशोधित कर सकते हैं मानव प्रक्रियाओं के अनुसार। मैं कहानी साझा करता हूँ 2006 में, मैं यहाँ रहने के लिए गया। यह पूरे मेक्सिको के समुदायों में से सबसे गरीब है। मैं एक वृत्तचित्र फिल्माने गया उन लोगों पर जो कचरे पर जीते हैं, पूरी तरह से कचरा - उनके घर कचरे से बनाए जाते हैं , वे कचरा खाते हैं, कचरे के कपड़े पहनते हैं। और उनके साथ दो महीने रहने के बाद, बच्चों को देख कर व जिस तरह से वे काम करते हैं, मैं समझ गया कि केवल एक चीज़ है जोकि बदल सकती है और जोकि गरीबी चक्र को तोड़ सकती है वह शिक्षा है। और हम प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकते हैं, इन समुदायों तक शिक्षा लाने के लिए। यहाँ एक और शॉट है। मुख्य संदेश यह है कि प्रौद्योगिकी दुनियाँ को नहीं बचाने वाली है; हम हैं, व हम हमारी मदद हेतु प्रौद्योगिकी उपयोग कर सकते हैं मुझे यकीन है कि यहाँ सब लोगों ने यह अनुभव किया है; कि प्रौद्योगिकी को मानव ऊर्जा चलाती है। तो चलो दुनियाँ को एक बेहतर स्थान बनाने के लिए इस ऊर्जा का उपयोग करें। आपका धन्यवाद। (तालियाँ) जब हम बड़े पार्किंग की जगह पर पार्क करते है, हम कैसे याद रखते हैं कि हमने कहाँ कार पार्क की है? यह वो समस्या है जिससे होमर जूझ रहे है | और हम समझने की कोशिश करेंगे कि उनके मस्तिस्क में क्या हो रहा है | तो हिप्पोकैम्पस के साथ शुरू करेंगे, पीले रंग में दर्शित, जो स्मृति का अंग है | अगर आपके इस हिस्से पर कोई चोट है, जैसे अल्जाइमर के, आप चीजों को याद नहीं रख सकते जैसे आपने कार कहाँ पार्क की है | इसका नाम "समुद्री घोड़े" के लेटिन नाम पर रखा गया है, जिसके साथ इसकी समानता है | और मस्तिस्क के बाकी हिस्से की तरह, यह न्यूरोन से बना है | मानव के मस्तिस्क में लगभग हज़ारो करोड़ो न्यूरोन्स हैं | और न्यूरोन्स एक दूसरे से बाते करते हैं एक दूसरे को जोड़ो के द्वारा बिजली की छोटी छोटी तरंगे भेज कर | हिप्पोकैम्पस कोशिकाओं की दो परतों से बना है, जो कि बहुत सघनता से एक दूसरे से जुड़ी है | और वैज्ञानिकों ने समझना शुरू कर दिया है स्थानिक स्मृति कैसे काम करती है, चूहों में विभिन्न न्यूरोन्स से रिकॉर्ड करके जब वे किसी वातावरण में भोजन के लिए पता लगाने जाते हैं | तो हम कल्पना करने जा रहे हैं कि हम एक न्यूरोन से रिकॉर्ड कर रहे है इस चूहे के हिप्पोकैम्पस में | और जब यह बिजली कि छोटी तरंग भेजता है, वहाँ एक लाल धब्बा और क्लिक होगा | तो हम जो देखते है वो है कि यह न्यूरोन जान जाता है जब भी यह चूहा अपने वातावरण में किसी खास जगह पर जा चुका होता है तो | और मस्तिस्क के बाकी हिस्से को संकेत देता है एक छोटी बिजली की तरंग भेज कर | तो हम इस न्यूरोन के तरंग भेजने की दर को दिखा सकते है जंतु के स्थान के फलन के रूप में | और अगर हम विभिन्न न्यूरोन्स से रिकॉर्ड करे तो, हम देखेंगे कि विभिन्न न्यूरोन संकेत भेजते है जब जंतु अपने वातावरण के विभिन्न स्थानों पर जाता है, जैसे यहाँ दिखाया गया वर्गाकार बॉक्स | तो साथ में वो एक नक्शा बनाते है मस्तिस्क के बाक़ी हिस्से के लिए, मस्तिस्क को निरंतर बताने के लिए, "मैं अपने वातावरण में कहाँ हूँ?" जगहों की कोशिकाएं मनुष्यों में भी रिकॉर्ड होती हैं | तो एपीलेप्सी के मरीज़ को कभी कभी उनके मस्तिस्क में बिजली की हरकत की जरुरत होती है | और इनमे से कुछ मरीज़ एक वीडियो गेम खेलते है जिसमे वो एक छोटे शहर में गाड़ी चलाते है | और जगहों की कोशिकाएं उनके हिप्पोकैम्पी में क्रियाशील हो जाती है, बिजली के तरंग भेजना शुरू कर देती हैं जब भी वो इस शहर के किसी खास जगह पर गाड़ी चलाते है | तो जगह की कोशिका कैसे जानती है चूहा या व्यक्ति अपने वातावरण के भीतर ही है? यहाँ दो कोशिकाएं है जो हमे वातावरण की सीमाएं दिखाती है बहुत महत्वपूर्ण है | तो जो ऊपर की तरफ है उस बक्से की दीवारों के बीच में तरंग भेजती है जिसमे चूहा है | और जब बक्से को बड़ा करते है, तरंग भेजने की जगह भी बढती है | और जो नीचे है वो तरंग भेजती है जब भी दक्षिण की तरफ पास में कोई दीवार है और अगर आप बक्से के अंदर एक और दीवार बना दे तब कोशिका दोनों ही जगहों पर तरंग भेजती है जब भी दक्षिण के तरफ दीवार होती है जंतु इस बक्से के अंदर इधर उधर जाते रहने के कारण | तो यह भविष्यवाणी करती है आपके आसपास की सीमाओं की दिशाओं और उनसे आपकी दुरी की -- बढ़ी हुई इमारते और इस तरह -- हिप्पोकैम्पस के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है | और वास्तव में, हिप्पोकैम्पस को दी जाने वाली सुचना के लिए, कोशिकाएं पायी गयी है जो हिप्पोकैम्पस में कल्पना करती हैं, जो अच्छी तरह से प्रतिक्रिया देती है सीमाओं और किनारों को खोजने में चूहे से किसी विशेष दुरी और दिशा में जैसे जैसे यह आसपास घूमता है तो यह कोशिका बायीं तरफ है, आप देख सकते हैं, यह तरंग भेजती है जब भी जंतु पूर्व की ओर दीवार या सीमा के पास होता है, चाहे वो किनारा हो या वर्गाकार बक्से की दीवार या वृत्ताकार बक्से कि वृत्ताकार दीवार या टेबल के किनारे पर बूंद, जिसके आसपास जंतु घूम रहे हैं | और दायी तरफ की कोशिका तरंग भेजती है जब भी दक्षिण की ओर सीमा हो, चाहे वो टेबल की किनारे पर बूंद हो या दीवार या फिर दो दुरे रखे टेबल के बीच का अंतराल | तो एक तरीका है जिस तरह हम सोचते है जगहों की कोशिकाएं पता लगाती हैं कि जंतु अपने आसपास के वातावरण में कहाँ है | हम चीज़े कहाँ है इसके बारे में भी परीक्षण कर सकते है, जैसे यह गोल फ्लैग, साधारण वातावरण में -- या वास्तव में, कहाँ आपकी कार होगी | तो हम लोगो को वातावरण में घूमने के लिए कह सकते है और जगहों को देखने दे जिन्हें उन्हें याद रखना है | और फिर, हम उन्हें फिर से उसी वातावरण में ले जाए, साधारणत: वो जगहों को पहचानने में काफी अच्छे थे जहाँ उन्हें लगा की फ्लैग या उनकी कार थी | लेकिन उसी परीक्षण में, हम वातावरण की आकृति और आकार बदल सकते थे जैसे हमने जगह की कोशिका के साथ किया | इस तरह हम देख सकते है कैसे वो सोचते हैं कि कहाँ फ्लैग बदल गया है वातावरण के आकृति और आकार के बदलाव के फलन की रूप में | और आप जो देखते है, उदाहरण के लिए, अगर फ्लैग वहाँ पर था जहाँ पर क्रॉस था एक छोटे वर्गाकार वातावरण में, और फिर आप लोगो से पूछे वो कहाँ था, लेकिन आपने वातावरण को बड़ा कर दिया है, जहाँ उन्हें लगता है फ्लैग पहले था उसी तरह से फैल जाता है जिस तरह से जगहों की कोशिकाओं की तरंगे फैल जाती है | जैसे आप अगर याद रखते है फ्लैग कहाँ था जगहों की कोशिकाओं के तरंग भेजने के तरीके को संग्रहण करके सभी जगहों पर, और फिर आप उसी जगह पर वापस जा सकते है इधर उधर घूम के जिससे आप जगहों की कोशिकाओं के तरंगे भेजने के तरीके को मिला सके संग्रहित तरीके से | जो आपको उस जगह पर वापस लेके जाता है जिसे आप याद रखना चाहते हैं | लेकिन हम अपने गति के कारण यह भी जानते है कि हम कहाँ हैं | तो हम अगर बाहर जाने वाला रास्ता लेते हैं -- शायद हम पार्क करे और घूमते रहे -- हम अपनी गति की वजह से जानते है, जो हम इस रास्ते के साथ लगभग मिला सकते है जो वापस जाने वाली दिशा है | और जगह की कोशिकाओं को इस तरह से रास्ते मिलाने के संकेत भी मिलते है एक तरह की कोशिकाओं से जिन्हें ग्रिड कोशिका कहा जाता है | अब ग्रिड कोशिकाएं पायी गयी है,फिर से, हिप्पोकैम्पस को संकेत देने के लिए, और वो थोड़ी सी जगह की कोशिकाओं की तरह हैं | लेकिन अब जैसे चूहा आसपास घूमता है, अलग अलग हर कोशिकाएं तरंग भेजती है विभिन्न जगहों के पूरे समूहों में जो पूरे वातावरण में मौजूद है एक आश्चर्यजनक त्रिकोणीय ग्रिड के रूप में | और अगर आप बहुत से ग्रिड कोशिकाओं से रिकॉर्ड करे -- यहाँ पर विभिन्न रंगों में दर्शित -- पूरे वातावरण में सभी एक ग्रिड की तरह तरंग भेजती हैं, और हर कोशिका की ग्रिड के तरह तरंग भेजने का तरीका बाकी कोशिकाओं से थोड़ा अलग है | तो लाल वाली तरंग इस ग्रिड पर भेजती है और हरी वाली इस पर और नीली वाली इस पर | तो साथ में, यह ऐसे है जैसे चूहा तरंग भेजने की एक काल्पनिक ग्रिड रख सकता है पूरे वातावरण में -- नक़्शे पर पाये जानी वाली अक्षांश और देशांतर रेखाओं की तरह, लेकिन त्रिकोण को उपयोग करके | और यह जैसे खिसकता है, बिजली की तरंगे जा सकती है इनमे से एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक यह कहाँ पर है इसका ध्यान रखने के लिए, इस तरह यह अपने बदलाव को उपयोग कर सकता है वातावरण में अपनी स्थिति जानने के लिए | क्या इंसानों में ग्रिड कोशिकाएं होती है? क्युंकि सारी ग्रिड की तरह तरंग भेजने के तरीको का एक ही सममिति का अक्ष है, का एक ही अभीविन्यास है, यहाँ नारंगी रंग में दर्शित, इसका मतलब यह हैं कि सभी ग्रिड कोशिकाओं की कुल क्रिया मस्तिस्क के एक खास हिस्से पर बदलनी चाहिए हमारे इन छै दिशाओं के साथ भागने पर या इन छै में से किसी एक दिशा के साथ भागने पर | तो हम लोगो को MRI स्कैनर पर रख सकते है और उन्हें एक छोटा वीडियो गेम खेलने दे जैसा कि मैंने आपको दिखाया था और संकेतों को देखे | और वास्तव में, आप इसे मानवीय एंटोर्हिनल कोर्टेक्स में देखते है, जो कि मस्तिस्क का वहीँ हिस्सा है जो आपने चूहों में ग्रिड कोशिकाओं में देखा था | तो होमर के बारे में फिर से | शायद उन्हें याद है कि उनकी कार कहाँ है दुरी और दिशा के आधार पर उन बढ़ी हुई इमारते और सीमाओं के हिसाब से जिस जगह पर कार पार्क थी | और जो दर्शाया जायेगा सीमाएं दर्शाने वाली कोशिकाओं के तरंग भेजने से | उन्हें वो रास्ता भी याद है जो उन्होंने बाहर आते वक्त लिया था, जो दर्शाया जायेगा ग्रिड कोशिकओं के तरंग भेजने से | अब इन तरह की दोनों कोशिकाएं जगह की कोशिका को तरंग भेजने के लिए कह सकती है | और वे उस जगह पर लौट सकते है जहाँ कार पार्क थी घूमते हुए वो जगह खोजने के लिए जहाँ पर तरंग भेजने के तरीके से सबसे ज्यादा अच्छा मिलान हो उनके मस्तिस्क के जगह की कोशिकाओं के साथ जिन्होंने कार कहाँ पार्क हुई है उसका तरीका संचित किया है | और यह उन्हें वापस उसी जगह पर ले जाता है दिखने वाले संकेतों की परवाह किये बिना जैसे क्या सच में उनकी कार वहाँ है | शायद वो वहाँ से हटाई जा चुकी है | लेकिन उन्हें पता है कि वो कहाँ थी, तो वहाँ जाने और इसे पाने के बारे में उन्हें पता है तो स्थानिक स्मृति के आगे, अगर हम ग्रिड के जैसे तरीके को देखे पूरे मस्तिस्क में, अब जगहों की पूरी श्रृखंला देखेंगे जो कि हमेशा सक्रीय है जब सभी तरह की आत्मकथात्मक स्मृति की कसरत करेंगे, जैसे यह याद करना आप आखिरी वक्त शादी पर कब गये थे, उदाहरण के लिए | तो यह न्यूरल तंत्र हो सकता है हमारे आसपास की जगह को दर्शाने के लिए दृश्य की छवियों को बनाने में भी उपयोग हो सकता है जिससे हम स्थानिक द्रश्य फिर से बना सके, कम से कम, उन घटनाओं की जो हमारे साथ हुई जब हम उनकी कल्पना करे | तो अगर यह होता है, आपकी स्मृति जगह की कोशिकाओं को क्रियाशील करने से शुरू हो सकती है उनके बीच घने आपसी संपर्को से और तब सीमाओं की कोशिकाओं को भीर से क्रियाशील करके स्थानिक सरंचना बनाने के लिए आपके दृष्टीकोण के हिसाब से | और ग्रिड कोशिकाएं इस दृष्टीकोण को यहाँ वहाँ ले जा सकती है | एक और तरह की कोशिका, सर की दिशा की कोशिका, जिसके बारे में मैंने बात नहीं की, वो कम्पास की तरंग भेजती है जिस तरफ आप देख रहे है उसके हिसाब से | वो देखने की दिशा निर्धारित कर सकती है जहाँ से आप एक छवि बनाना चाहे आपके दृश्य की कल्पना के लिए, तो आप कल्पना कर सकते कि उस शादी में क्या हुआ, उदाहरण के लिए | तो यह सिर्फ एक उदाहरण है एक नए युग का कोगनिटिव न्यूरोसाइंस में जहाँ हम समझना शुरू कर रहे हैं साइकोलोजिकल प्रक्रियों को जैसे आप कैसे याद या कल्पना या सोचते है हमारे मस्तिस्क को बनाने वाले करोड़ो विभिन्न तरह के न्यूरोन की क्रियाओं के आधार पर | बहुत बहुत धन्यवाद | (अभिवादन) किसी अजनबी के सामने जागने की कल्पना कीजिए - कभी कभी कई अजनबियों के सामने- अस्तित्व के आपके अधिकार पर सवाल उठाते हुए आपने जो कुछ ऑनलाइन लिखा है उसके लिए, एक गुस्से भरे संदेश के साथ उठना, अपनी सुरक्षा के लिए डरे हुये और चिंतित। साइबर उत्पीड़न की दुनिया में आपका स्वागत है। महिलाओं उत्पीड़न का सामना पाकिस्तान में करना पड़ता है, बहुत गंभीर है और कभी-कभी घातक परिणामों की ओर जाता है। इस प्रकार का उत्पीड़न महिलाओं को इंटरनेट तक पहुंचने से दूर रखती है- अनिवार्य रूप से, ज्ञान। यह उत्पीड़न का एक रूप है। पाकिस्तान दुनिया का छठा सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसमे 140 मिलियन लोगों की पहुँच है मोबाइल प्रौद्योगिकियों में और 15 प्रतिशत की इंटरनेट में प्रवेश । और यह संख्या नई प्रौद्योगिकियों के उदय के साथ नीचे होती हुई नहीं लगती है। पाकिस्तान जन्मस्थान भी है सबसे कम उम्र के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता, मलाला यूसूफ़जई का । लेकिन यह पाकिस्तान का सिर्फ एक पहलू है। एक और पहलू है जहाँ सम्मान की विकृत धारणा महिलाओं और उनके शरीर से जुड़ी हुई है; जहां पुरुषों को महिलाओं का अपमान करने की अनुमति है और कभी-कभी उन्हें मारने की भी तथाकथित "पारिवारिक सम्मान" के नाम पर; जहां महिलाओं को अपने घरों के ठीक बाहर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है मोबाइल फोन प एक आदमी से बात करने की वजह से , "परिवार सम्मान" के नाम पर। मुझे यह बहुत स्पष्ट रूप से कहना है: यह सम्मान नहीं है; यह एक निर्मम हत्या है। मैं पंजाब, पाकिस्तान में एक बहुत ही छोटे से गाँव से आती हूँ, जहां महिलाओं को अपनी उच्च शिक्षा की प्राप्ति करने अनुमति नहीं है। मेरे विस्तारित परिवार के बुजुर्गों ने उनकी महिलाओं को अनुमति नहीं दी अपनी उच्च शिक्षा या उनके पेशेवर करियर को प्राप्त करने की। हालांकि, मेरे परिवार के दूसरे पुरुष अभिभावको के विपरीत, मेरे पिता वास्तव में एक थे जिन्होंने मेरी महत्वाकांक्षाओं का समर्थन किया। मेरी कानून की डिग्री पाने के लिए, बेशक, यह बहुत ही मुश्किल था, और [वहां] अस्वीकृति की नाराज़गी थी। लेकिन अंत में, मुझे पता था कि या तो मैं या वे, और मैंने खुद को चुना। (तालियां) मेरे परिवार की परंपराओं और एक महिला के लिए उम्मीदें मुझे मोबाइल नही मिलता जब तक कि मेरा विवाह नहीं हो जाता। और यहाँ तक कि जब मेरा विवाह हुआ, यह उपकरण मेरी अपनी निगरानी के लिए एक उपकरण बन गया। जब मैंने मेरे पूर्व पति द्वारा मेरे सर्वेक्षण किये जाने के का विरोध किया उसने वा इसे स्वीकार नहीं किया और मुझे अपने घर से बाहर फेंक दिया, मेरे छह महीने के बेटे, अब्दुल्ला के साथ। और यह वह समय था जब मैंने पहली बार खुद से पूछा, "क्यों? महिलाओं को समान अधिकारों का आनंद लेने अनुमति क्यों नहीं है जो हमारे संविधान में निहित है? जबकि कानून बताता है कि एक औरत के पास समान पहुंच है जानकारी के लिए, हमेशा ही पुरुष ही क्यों है - भाई, पिता और पति - जो हमें इन अधिकारों को दे रहे हैं, प्रभावी रूप से कानून को अप्रासंगिक बनाते हैं? " तो मैंने एक कदम उठाने का फैसला किया, बजाय इन पितृसत्तात्मक संरचनाओं पर प्रश्न करने के और सामाजिक मानदंडों के। और मैंने डिजिटल अधिकारों के संस्था की 2012 में स्थापना की सभी मुद्दों को हल करने के लिए और ऑनलाइन स्थानों में महिलाओं के अनुभवों और साइबर उत्पीड़न के लिए की। मुफ्त और सुरक्षित इंटरनेट के लिए प्रचार करने से लेकर युवा महिलाओं को विश्वास दिलाने तक कि सुरक्षित इंटरनेट तक पहुंच उनका मौलिक, मूल, मानव अधिकार है, मैं चिंगारी भड़काने में अपनी भूमिका निभाने की कोशिश कर रही हूँ उन सवालों के समाधान के लिए जिसने मुझे इन सभी वर्षों में परेशान किया है। अपने दिल में एक आशा के साथ, और इस खतरे का हल करने के लिए, मैंने पाकिस्तान और क्षेत्र की पहली साइबर उत्पीड़न फ़ोन-सहायता की शुरुआत दिसंबर 2016 में की - (तालियां) महिलाओं को अपना समर्थन बढ़ाने के लिए जो नहीं जानती कि उन्हें किसके पास जाना है जब उन्हें ऑनलाइन गंभीर खतरों का सामना करना पड़ता है। मैं उन महिलाओं के बारे में सोचती हूं जिनके पास आवश्यक समर्थन नहीं है मानसिक आघात से निपटने के लिए जब वे ऑनलाइन स्थानों में असुरक्षित महसूस करती हैं, और वे अपनी दैनिक गतिविधियों को करती हैं, सोचती है कि वहाँ उनके इन-बॉक्स में बलात्कार का खतरा है। इंटरनेट तक सुरक्षित पहुंच ज्ञान तक पहुंच है, और ज्ञान स्वतंत्रता है। जब मैं महिलाके डिजिटल अधिकारों के लिए लड़ती हूं, मैं समानता के लिए लड़ती हूँ। धन्यवाद। (तालियाँ) मैं यहाँ अपनी फोटोग्राफी बाँटने के लिए आया हूँ | या क्या यह फोटोग्राफी हैं? क्युंकि, जरूर, यह एक फोटोग्राफ है जो आप अपने कैमरे से नहीं ले सकते | मगर, फोटोग्राफी में मेरी रूचि शुरू हुई जब मुझे मेरा पहला डिजिटल कैमरा मिला 15 की उम्र में | यह मेरे पहले के चित्रकारी के जूनून से मिल गया, लेकिन यह थोड़ा अलग था, कैमरे के प्रयोग के कारण, इसकी प्रक्रिया योजना बनाने में थी | और जब आप कैमरे से एक फोटोग्राफ लेते है, आपके ट्रिगर दबाने पर प्रक्रिया खत्म हो जाती है | तो मुझे ऐसा लगा जैसे फोटोग्राफी सही समय और सही जगह पर होने के बारे में ज्यादा है | मुझे लगा जैसे कोई भी इसे कर सकता है | तो मैं कुछ अलग बनाना चाहता था, कुछ ऐसा जिसमे प्रक्रिया शुरू होती है जब आप ट्रिगर दबाते हैं | इस तरह की फोटो: एक व्यस्त सड़क पर निर्माण कार्य हो रहा है | लेकिन इसमें एक अप्रत्याशित मोड़ है | और उसके बावजूद, यह वास्तविकता का भाव लिए हुए है | या इस तरह की फोटो -- अस्पष्ट और रंगीन दोनों, लेकिन सभी एक समान लक्ष्य वास्तविकता के भाव के साथ | जब मैं वास्तविकता कहता हूँ, मेरा मतलब है फोटो-वास्तविकता क्युंकि, जरुर, यह ऐसा कुछ नहीं है जो आप वास्तव में खींच सकते है, लेकिन मैं हमेशा चाहता हूँ कि यह ऐसा दिखे जैसे किसी तरह इसे खींचा जा सकता है एक फोटोग्राफ की तरह | फोटो जहाँ आपको कुछ समय लगेगा सोचने के लिए चालाकी को पता करने के लिए | तो यह एक विचार को खींचने के बारे में ज्यादा है बजाय सच में एक पल को खींचने के | लेकिन कौन सी चालाकी है जो इसे वास्तविक दिखाती है? क्या यह विवरण के बारे में हैं या फिर रंगों? क्या यह प्रकाश के बारे में हैं? क्या है जो यह भ्रम रचता है? कभी कभी दृष्टिकोण भ्रम होता है | लेकिन अंत में, यह निर्भर करता हैं कि हम दुनिया की व्याख्या कैसे करते है और यह कैसे दो-आयामी सतह पर बनायी जा सकती है | यह सच में वास्तविक नहीं है, यह वो है जो हमे वास्तविक लगता है, तो मैं सोचता हूँ मूल बाते काफी साधारण हैं | मैं सिर्फ इसे वास्तविकता की पहेली की तरह देखता हूँ जहाँ आप वास्तविकता के अलग अलग टुकड़े ले के उन्हें साथ में रख सकते हैं एक वैकल्पिक वास्तविकता बनाने के लिए | और मुझे एक साधारण उदाहरण दिखाने दीजिए | यहाँ हमारे पास कल्पनीय तीन भौतिक चीज़े है, कुछ ऐसा जिसे हम सभी त्रि-आयामी दुनिया में जीने से जोड़ कर देख सकते हैं | लेकिन एक निश्चित तरीके में मिले हुए, ये कुछ ऐसा बना सकते है जो त्रि-आयामी दिखे, जैसे यह सच में मौजूद है | लेकिन उसी वक्त, हम जानते हैं - यह हो नहीं सकता | तो हम अपने दिमाग को छलते है, क्युंकि हमारा दिमाग आसानी से ऐसे तथ्य को स्वीकार नहीं करता जिसका वास्तव में कोई अर्थ नहीं निकलता | और मैं सामान प्रक्रिया देखता हूँ फोटोग्राफ को जोड़ने में | यह वास्तव में सिर्फ विभिन्न वास्तविकताओं को जोड़ने के बारे में है | तो वो चीज़ जो फोटोग्राफ को वास्तविक बनाती है, मैं सोचता हूँ कि यह वो चीज़ है जिसके बारे में हम सोचते भी नहीं, वो चीज़ जो हमारे हर दिन के जीवन में आसपास रहती है | लेकिन जब फोटोग्राफ को जोड़ना हो, यह ध्यान देने के लिए सच में महत्वपूर्ण है, क्युंकि अन्यथा यह किसी तरह से गलत लगता है | तो मैं कहना चाहूँगा कि पालन करने के लिए तीन साधारण नियम है वास्तविक परिणाम प्राप्त करने के लिए | जैसा कि आप देख सकते है, यह तस्वीरे कुछ खास नहीं है | लेकिन जुड़ी हुई, वो कुछ इस तरह का बना सकती है | तो पहला नियम है जुड़ी हुई फोटो का एक सामान परिप्रेक्ष्य होना चाहिए | दूसरा, जुड़ी हुई फोटो में समान तरह का प्रकाश होना चाहिए | और ये दोनों तस्वीरे ये दो शर्ते पूरी करती है -- एक समान ऊंचाई और प्रकाश में खींची हुई | और तीसरा है इसमें अंतर कर पाने को असंभव बनाने के बारे में कहाँ अलग अलग तस्वीरे शुरू और खत्म होती है इसे निरंतर बना कर | इसे बताना असंभव बना कर कि तस्वीरे वास्तव में कैसे जोड़ी गयी हैं | तो रंगों, कॉन्ट्रास्ट और चमक को मिला कर विभिन्न तस्वीरों के सीमाओं के बीच में, फोटोग्राफिक गलतियों को जोड़ कर जैसे कि क्षेत्र की गहराई, असंतृप्त रंग और नॉइस, हम विभिन्न तस्वीरों की सीमाओं को मिटा देते है और इसे एक तस्वीर की तरह दिखने वाला बनाते है, इस तथ्य के अलावा कि एक तस्वीर में असल में सैकड़ों परते हो सकती है | तो यहाँ एक और उदाहरण है | (हँसी) किसी को यह केवल एक प्राकृतिक दृश्य लग सकता है और निचला हिस्सा को जोड़ा गया है | लेकिन यह तस्वीर सच में जोड़ी गयी है अलग अलग जगह पर खींची गयी फोटो से | मैं व्यक्तिगत रूप से सोचता हूँ कि एक जगह बनाना आसान है एक जगह खोजने के बजाय, क्युंकि तब आपको समझौता नहीं करना पड़ता आपके विचारों के साथ | लेकिन इसके लिए बहुत सारी योजनाओं की जरूरत होती है | और सर्दी के दिनों में यह विचार आना, मुझे पता था कि मेरे पास काफी महीने है इसकी योजना बनाने के लिए, विभिन्न जगहों को खोजने के लिए असल में पहेली के विभिन्न टुकडो के लिए | तो उदाहरण के लिए, मछली को एक यात्रा के दौरान खींचा गया था | किनारे विभिन्न जगहों से | पानी के अंदर का भाग पत्थर की खान में खींचा गया था और हाँ, मैंने द्वीप के ऊपर के घर को लाल कर दिया इसे ज्यादा स्वीडिश दिखाने के लिए | तो वास्तविक परिणाम पाने के लिए, मैं सोचता हूँ, यह योजना पर निर्भर है | यह हमेशा एक रेखाचित्र एक विचार के साथ शुरू होता है | फिर यह विभिन्न फोटो को जोड़ने के बारे में है | और यहाँ हर टुकड़ा बहुत अच्छी तरह से योजनाबद्ध है | और अगर फोटो खींचने में अच्छा काम करे तो, परिणाम बहुत सुंदर हो सकता है और बहुत वास्तविक भी | तो हर तरह के औज़ार उपलब्ध है, और सिर्फ एक चीज है जो हमे बांधती है हमारी कल्पना | धन्यवाद | (अभिवादन) एक कोड़ा रूपक स्ट्रॉ | शक्तिशाली, कुचल ब्लेड | एक नुकीली भेदी नली| विश्व में लगभग दस लाख ज्ञात कीट प्रजातियाँ हैं, लेकिन अधिकांश के मुखपत्र पांच सामान्य प्रकार में से एक हैं| और यह वैज्ञानिकों के लिए बेहद उपयोगी है क्योंकि जब वे एक अपरिचित कीट खोजते हैं, सिर्फ उसके खाने के तरीक़े से वे इसके बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं| वैज्ञानिक वर्गीकरण के द्वारा जीव जन्तुंओं को इन सात स्तरों में संगठिथ किया जाता है: साम्राज्य, नस्ल, वर्ग, प्रणाली, कुटुम्भ, वंश, जाति| एक कीट के मुखपत्रों की विशेषताएं उसकी प्रजाति पहचानने में सहायता करता है, और उसके विकास एवं भोजन क्रिया के संकेत प्रदान करता है | चबान मुखपत्र सबसे आम है | यह सबसे प्राचीन है | यह माना जाता है कि अन्य सभी मुखपत्र इस तरह आरंभ हुए थे और फिर उनका विकास अलग अलग दिशा में हुआ | इसमें मैंडिबल नाम के जबड़ों की जोड़ी पाई जाती है जिसके दांतेदार आंतरिक किनारें पत्तियों या अन्य कीड़ों जैसे ठोस पदार्थों को कुचलने में सहायता करती हैं | आप यह मुखपत्र पा सकते हैं ह्यमेनोप्टेरा प्रणाली की चींटियों पर, ऑर्थोप्टेरा प्रणाली के टिड्डी और झींगुर, ओडोनाटा प्रणाली के ड्रैगनफ्लाई, एवं कलोप्टेरा प्रणाली के भृंग पर | भेदी-चूसने वाले मुखपत्र में एक लंबी, ट्यूब जैसी संरचना होती है जिसे चोंच कहा जाता है | सैप या रक्त जैसे तरल पदार्थ चूसने के लिये यह चोंच, पौधे और पशु ऊतक छेद कर सकता है | यह पाचन एंजाइम युक्त लार स्रावित कर सकता है जो भोजन को तरल बनाता है आसानी से चूसने के लिये | ह्यमेनोप्टेरा प्रणाली के कीटों में भेदी-चूसने वाले मुखपत्र होते हैं जैसे कि खटमल, सिकाडा, एफिड, एवं लीफहोप्पेर | सिफोनिंग मुखपत्र, जो कि एक सरल संस्करण भेदी चूसने वाली चोंच है इसमें भी एक लंबी, ट्यूब जैसी संरचना है जिसे प्रोबोस्किस कहा जाता है जो स्ट्रॉ की तरह काम करता है फूलों से अमृत चूसने के लिए। लेपिडोप्टेरा प्रणाली के कीट - तितलियाँ और पतंग - अपना सूंड अपने सिर के नीचे कसके लपेटकर रखते हैं जब वे भोजन नहीं कर रहे होते और मीठे अमृत को ग्रहण करने के लिए खोलते हैं | स्पंज या खंखरा जैसे मुखपत्र में एक और ट्यूब है, जो दो खंखरा पालि में बदलती है जिसमें स्यूडोट्रैचे नामक बारीक़ ट्यूबें होती हैं | यह एंजाइम युक्त लार स्रावित करती हैं जो तरल पदार्थ सोखकर केशिका कार्रवाई द्वारा खाद्य पदार्थ घोलती हैं | मक्खियां, फल खाने वाले पतंग, और डिप्टेरा प्रणाली के अन्य गैर-काटने वाले सदस्य ही केवल ऐसे कीट हैं जो की इस तकनीक का उपयोग करते हैं। लेकिन एक बात है, डिप्टेरा प्रणाली के काटने वाले कीट जैसे मच्छर, घोड़ा फ्लाई, और हिरण फ्लाई के पास , खंखरा मुखपत्र के बदले भेदी-चूसने वाले मुखपत्र होते हैं | और अंत में, चबाने वाला मुखपत्र एक संयोजन है जबड़ों और प्रोबॉसिस का जिसमे एक जीभ जैसी नोक है अमृत का सेवन करने के लिये | ऐसे मुखपत्र में जबड़ों का उपयोग, वास्तव में खाने के लिए नहीं किया जाता है। ह्यमेनोप्टेरा प्रणाली के मधुमक्खियाँ और ततैये , इसका उपयोग पराग-संग्रह और मोम ढालने में करते हैं | बेशक, प्रकृति में अक्सर नियमों के अपवाद हो सकते हैं । जैसे की कुछ कीड़ों के किशोर चरणों में, अलग प्रकार के मुखपत्र होते हैं , अपने वयस्क संस्करणों की तुलना में | जैसे की झांझा जो चबाने वाले मुखपत्र से पत्तियाँ खाते हैं और फिर तितलियों और पतंगों में रूपान्तरित होके सिफोनिंग मुखपत्र पाते हैं | फिर भी मुखपत्र की पेहचान के द्वारा वैज्ञानिक एवं आप सब कीड़ों को वर्गीकृत कर सकते हैं| तो क्यों ना हम सब आवर्धक लैन्स लेके थोड़ा और जानें कि कौन आपके सब्जी बगीचे कुतर रहे हैं, अपनी बांह काट रहे हैं, या बस आपके कान के पास उड़ रहे हैं| नमस्कार| मैं सैम हूँ, और अभी अभी मैं १७ का हुआ हूँ| कुछ साल पहले, मेरे हाई स्कुल के पहले साल के पहले मैं लटकाने वाला ड्रम बजाना चाहता था फोक्सबोरो हाई स्कुल के मार्चिंग बैंड में, और एक सपना था जिसे मैं पूरा करना चाहता था| लेकिन हर ऐसे ड्रम का वजन करीब बीस किलो होता हैं, और मुझे एक प्रोजेरिया नामक बीमारी हैं| तो आपको एक अंदाज़ा देने के लिए. मेरा वजन सिर्फ २५ किलो हैं| तो, मैं एक सामान्य आकार का लटकाने वाला ड्रम उठा नहीं सकता, और इसीलिए बैंड के निर्देशक ने मुझे पिट परकरसन बजाने को दिया पिट वादन हाफ टाइम शो के दौरान| अब पिट वादन अच्छा लग रहा था| इसके साथ और कुछ सहायक वादन यंत्र भी थे जैसे कि बोंगोस, तिमपानी और तिम्बेल्स, और घंटी | ये अच्छा था, लेकिन साथ चलने की जरूरत नहीं थी और मैं बहुत निराश था| लेकिन, कुछ भी मुझे रोकनेवाला नहीं था चलते हुए बैंड के साथ लटकाने वाला ड्रम बजाने से हाफ टाइम शो के दौरान | तो मैं और मेरे परिवार ने एक इंजिनियर के साथ डिज़ाइन पे काम किया एक लटकाने वाला ड्रम जो कि हल्का हो, और मेरे उठाने में आसान हो| तो लगातार काम के बाद, हमने बनाया एक लटकाने वाला ड्रम जिसका वजन सिर्फ 3 किलो हैं| (अभिवादन) मैं प्रोजेरिया के बारे में थोड़ी और जानकारी देना चाहता हूँ| पुरे विश्ब में सिर्फ लगभग 350 बच्चे इससे ग्रसित हैं| तो यह बहुत दुर्लभ हैं, और प्रोजेरिया के प्रभाव में होता हैं: तंग चमड़ी, वजन का कम होना, अविकास, और दिल की बीमारी| पिछले साल मेरी माँ और उनके वैज्ञानिक समूह ने प्रोजेरिया के उपचार पे पहली सफल शोध प्रकाशित की, और इसके कारण मेंरा NPR पे साक्षात्कार हुआ, और जॉन हैमिलटन ने मुझसे प्रश्न पूछा: "वो सबसे महत्वपूर्ण बात क्या हैं जो लोगो को आपके बारे में पता होना चाहिए?" और मेरा उत्तर सहज ही था मेरा जीवन बहुत सुखद हैं| (अभिवादन) तो इसके बावजूद कि मेरे जीवन में बहुत कठिनाई हैं, उनसे से बहुत प्रोजेरिया के कारण हैं, मैं नहीं चाहता लोग मेरे लिए दुखी हो जाये| मैं उन कठिनाइयों के बारे में हमेशा नहीं सोचता, और उनमें से बहुतो से निपटने में मैं सक्षम हूँ| तो मैं आज यहाँ हूँ, आपके साथ बाटने के लिए एक सुखद जीवन के लिए मेरा दर्शन तो मेरे लिए, इस दर्शन के 3 पहलू हैं, यह प्रसिध्द फेरिस ब्युलर का कथन है मेरे दर्शन का पहला पहलू हैं कि जो मैं नहीं कर सकता उसके साथ मैं ठीक हूँ क्यूंकि ऐसा बहुत कुछ हैं जो मैं कर सकता हूँ| अब कैसे कभी कभी लोग मुझसे पूछते हैं, "प्रोजेरिया के साथ रहना क्या कठिन नहीं हैं" या "प्रोजेरिया के कारण रोजमर्रा की कठिनाई क्या हैं?" और मैं कहना चाहता हूँ, हालाकिं मुझे प्रोजेरिया हैं, ज्यादातर समय मैं उन चीजों के बारे में सोचने में बिताता हूँ जिनका प्रोजेरिया से कोई संबंध नहीं हैं अब इसका अर्थ यह नहीं कि मैं इन कठिनाइयों के नकरात्मक पहलु की उपेक्षा करता हूँ | जब मैं कुछ नही कर पाता हूँ जैसे कि दूर तक दौड़ना या बहुत तेजी वाला झूले पे बैठना मुझे पता हैं कि मैं क्या खो रहा हूँ | लेकिन इसके बजाय, मैं उन कार्यो पर ध्यान केंद्रित करता हूँ जो मैं कर सकता हूँ जो मुझे अच्छे लगते हैं, जैसे कि संगीत, कॉमिक किताबे या बोस्टन की मेरी पंसदीदा टीम | हाँ, तो (हंसी) लेकिन, कभी कभी मुझे करने का दूसरा तरीका खोजना पड़ता हैं कुछ समझौते करके, और मैं उन चीजो को कर सकने वाली श्रेणी में रखना चाहता हूँ जैसे कि इससे पहले आपने देखा ड्रम के साथ तो यहाँ एक क्लिप हैं मेरी स्पाइडर-मैंन बजाते हुयें फोक्सबोरो हाई स्कुल के मार्चिंग बैंड के साथ, हाफ टाइम शो के दौरान कुछ साल पहले (व्हिडीओ) ♫ स्पाइडर-मैंन का गाना♫ (अभिवादन) धन्यवाद| ठीक हैं, ठीक हैं, तो -- यह बहुत अच्छा था, और मैं अपना सपना पूरा करने में सफल रहा मार्चिंग बैंड के साथ लटकाने वाला ड्रम बजाने में, तो मैं विश्वास रखता हूँ कि मैं सभी सपनो के लिए ऐसा कर सकता हूँ| तो शायद, आप भी अपने सपनो को सफल कर सकते हैं इस नजरिये के साथ | मेरे दर्शन का दूसरा पहलु हैं | तो मैं अपने साथ उन लोगो के साथ रहता हूँ जो मुझे पसंद हैं उत्तम लोग| मैं बहुत खुशनसीब हूँ कि मुझे इतना अच्छा परिवार मिला| जिन्होंने हर समय मुझे सहायता की हैं मेरे पुरे जीवन के दौरान| और मैं बहुत खुशनसीब हूँ कि स्कुल में बहुत अच्छे मित्र मिले हैं, अब एक तरह से मूर्ख हैं| हम सभी बैंड के लिए दीवाने हैं, लेकिन हम एक दुसरे के साथ खूब मज़े करते हैं और हम एक दुसरे की सहायता करते हैं जब जरुरत पड़े हम एक दुसरे को उनके आंतरिक गुणों के साथ देखते है| तो थोडा मुर्खतापूर्ण हो रहा हैं| तो अभी हम जूनियर हाई स्कुल में हैं, और हम अभी बैंड के छोटे सदस्यों को सिखा सखते हैं एक सामूहिक इकाई की तरह| मुझे ऐसे बैंड के समूह में होने में जो सबसे पंसद हैं, वो हैं संगीत जो हम साथ में बनाते हैं, जो सच हैं, वास्तविक हैं, और यह प्रोजेरिया से आगे बढ़ जाता हैं| तो मुझे उसके बारे में चिंता नहीं होती जब संगीत बनाने में मैं इतना अच्छा महसूस करता हूँ | लेकिन वृतचित्र बनाने के बाद, कुछ बार TV में आने से, मुझे ऐसा लगता हैं कि ऊचे स्थान पर हूँ जब मैं अपने आसपास के लोगो के साथ होता हूँ | जो मेरे जीवन में सच्चा सकारत्मक प्रभाव डालते हैं, और मैं आशा करता हूँ मैं उनके जीवन में भी सकारत्मक प्रभाव डाल सकू | (अभिवादन) धन्यवाद | तो मुख्य बात हैं कि मैं आशा करता हूँ आप अपने परिवार को सराहे और प्यार करे| अपने मित्रो को प्यार करे, आपके लिए, आपको बहुत सा प्यार और अपने मार्गदर्शको के प्रति आभारित रहे, और आपके समाज को, क्यूंकि वे आपके रोजमर्रा के जीवन के बहुत सच्चे पहलू हैं वो सच में महत्वपूर्ण सकारत्मक प्रभाव डाल सकते हैं मेरे दर्शन का तीसरा पहलू हैं, आगे बढ़ते रहना| आप जानते होंगे वाल्ट डिज्नी को यह उनका कथन हैं और यह मेरा पंसदीदा हैं| मैं हमेशा कोशिश करता रहता हूँ कि आगे बढ़ने के लिए कुछ हो मेरे जीवन को उत्तम बनाने के लिए संघर्ष करने के लिए| यह जरुरी नहीं कि बड़ा हो| यह कुछ भी हो सकता हैं जैसे कि अगली आने वाली कॉमिक किताब, या परिवार के साथ बड़ी छुट्टिया, या मेरे मित्रो के साथ समय व्यतीत करना, अगले हाई स्कुल फुटबाल के खेल में जाना | लेकिन, यह सभी चीज़े मुझे केंद्रित रखती हैं और यह सोचने में कि आगे का भविष्य बेहतर हैं, और मुझे कठिन समय से निपटने में जिससे मैं शायद अभी जूझ रहा हूँ अब ऐसी सोच शामिल करती हैं आगे सोचने वाली मस्तिस्क की अवस्था | मैं कोशिश करता हूँ कि अपने बारे में बुरा सोच के अपनी उर्जा व्यर्थ न करूँ, क्यूंकि जब मैं करता हूँ, मैं विरोधाभास में फस जाता हूँ जहाँ पर किसी ख़ुशी या किसी और अनुभूति की कोई जगह नहीं हैं अब, ऐसा नहीं कि जब मुझे बुरा लगता हैं मैं उपेक्षा करता हूँ एक तरह इसे स्वीकार करता हूँ| इसे होने देता हूँ जिससे मैं इसे स्वीकार कर सकू, और वो करता हूँ जो इससे गुजरने के लिए जरुरी हैं| जब मैं छोटा था, मैं इंजीनियर बनना चाहता था| मैं एक अन्वेषक बनना चाहता था, जो दुनिया को एक बेहतर भविष्य में ले जाये| शायद यह मेरे लेगोस के प्रेम के कारण आया, और अभिव्यक्ति की स्वंतंत्रता जो मैंने महसूस की जब मैं उन्हें बना रहा था| और यह मेरे परिवार और मार्गदर्शक से भी आयी थी जो कि मुझे सम्पूर्ण और अपने बारे में अच्छा महसूस कराते हैं, अब आज मेरी महत्वकांक्षा थोड़ी बदल चुकी हैं, मैं जीव-शास्त्र के क्षेत्र में जाना चाहूँगा| शायद कोशिकीय, या आनुवंशिकी, या जैव रसायन, या शायद कुछ और भी| यह मेरे एक मित्र हैं, जो मेरे आदर्श हैं, फ्रांसिस कोलिन्स, NIH के निदेशक, और ये हम हैं TEDMED में पिछले साल बात करते हुए| मुझे लगता हैं कि मैं जो भी बनना चाहूँ मुझे विश्वास हैं मैं दुनिया बदल सकता हूँ | और जैसे कि मैं दुनिया को बदलने का प्रयास कर रहा हूँ, मैं खुश रहूँगा| करीब चार साल पहले, HBO ने एक वृतचित्र बनाना शुरू किया मेरे और मेरे परिवार के बारे में जिसका नाम था "सैम के अनुसार जीवन" वो बहुत अच्छा अनुभव था, लेकिन यह चार साल पहले भी था| और किसी और की तरह, मेरे विचार बहुत सी चीजो के बारे में बदल चुके हैं, और शायद परिपक्व हुए हैं, जैसे कि मेरे भविष्य के विकल्प| लेकिन, कुछ चीज़े बिलकुल वैसे ही हैं इस पुरे समय में| जैसे कि मेरी सोच और जीवन के प्रति मेरा दर्शन| तो मैं आपको दिखाना चाहूँगा फिल्म से मेरे छोटे रूप की एक क्लिप जो मुझे लगता हैं मेरे दर्शन का प्रतीक हैं| (व्हिडिओ) मैं इसके बारे में आनुवंशिक रूप से ज्यादा जानता हूँ | तो अब यह प्रतीक कम हैं यह ऐसा होता था यह चीज़ मुझे यह सब करने से रोकती थी, जो दुसरे बच्चो की मौत का कारण बनती हैं जो कि दुसरो के तनाव का कारण बनती हैं और अब यह प्रोटीन हैं जो असामान्य हैं जो कि कोशिकाओं की संरचना को कमज़ोर करता हैं तो, और यह मुझसे अब बोझ अलग करता हैं कि मुझे इसके बारे में सोचने की जरूरत नहीं हैं कि प्रोजेरिया एक इकाई हैं | ठीक, बहुत अच्छा ? (अभिवादन) धन्यवाद| तो आप देख सकते हैं कि मैं इस तरह से सालो से सोच रहा हूँ लेकिन मुझे अपने दर्शन के उन सभी पहलूओं को लागु करने की जरूरत नहीं हैं उन्हें जांचने के लिए पिछले जनवरी तक | मैं बहुत बीमार था, मुझे सर्दी हो गयी थी, और मैं कुछ दिनों के लिए हॉस्पिटल में था, और मैं अपने जीवन के सभी पहलूओं से अलग हो गया था जो मुझे लगता हैं मुझे बनाया जिसने एक प्रकार से मुझे पहचान दी | लेकिन यह जानते हुयें कि मैं अच्छा हो जाऊंगा, आगे उस समय के बारे में सोचते हुए जब मैं फिर से अच्छा महसूस करूँगा, मुझे आगे बढ़ते रहने में मदद की| और कुछ समय मैं साहसी बनना पड़ा, और यह हमेशा आसान नहीं था कुछ समय मैं विफल हुआ मेरा बुरा समय था, लेकिन मैं महसूस किया कि साहसी होना आसान नहीं हैं और मेरे लिए, मेरे यह सबसे जरुरी हैं आगे बढ़ते रहने के लिए| तो सबसे बडी बात मै अपने बारे में बुरा महसूस करने में उर्जा व्यर्थ नहीं करता, मैं उन लोगो के साथ रहता हूँ जिनके साथ मैं रहना चाहता हूँ, और आगे बढ़ता रहना चाहता हूँ | तो इस दर्शन के साथ मैं आप सभी के लिए आशा करता हूँ कठिनाइयों के बावजूद, एक सुखद जीवन व्यतीत कर सकते हैं| ओह, रुकिए, एक सेकंड के लिए, एक और सलाह (हंसी) कभी कोई पार्टी न छोड़े अगर आप कुछ मदद कर सकते हैं तो मेरे स्कुल की होमकमिंग डांस पार्टी कल हैं और मैं वहां जाऊंगा आप सभी का बहुत धन्यवाद (अभिवादन) हैलो, मैं केविन अलोका हूँ, मैं यू ट्यूब का ट्रेंड्स मैनेजर हूँ, और मेरा पेशा ही यू ट्यूब विडियो देखना है। यह सच है। आज हम थोड़ी सी बात करेंगे कि कैसे विडियो तेज़ी से फैलते हैं। और यह हमारे लिए अहमियत क्यों रखता है। हम लोग बहुत बड़े स्टार बनना चाहते हैं सेलेब्रिटी, गायक या कमेडियन जब मैं छोटा था तो यह बहुत ही मुश्किल लगता था। अब तो वेब विडियो ने ऐसा कर दिया है कि हम में से कोई भी, या हमारी कोई भी रचनात्मक चीज़ बहुत ही मशहूर हो सकती है, हमारी दुनिया की संस्कृति का हिस्सा हो सकती है। और कोई भी इंटरनेट पर अगले शनिवार तक मशहूर हो सकता है। लेकिन यू ट्यूब में हर मिनट 48 घंटे के विडियो अपलोड किये जाते हैं। और इनमें से बहुत थोड़े ही वायरल हो पाते है, जिनको लाखों लोग देखते है और सांस्कृति आंदोलन बन जाते हैं। ऐसा कैसे होता है? इसमें तीन चीज़ें हैं। रुचि पैदा करने वाले, भाग लेने वालों का समूह और अप्रत्याशितता | ठीक है, आगे चलते हैं। (बेअर वास्कास का विडियो) हे भगवान, हे भगवान, हे भगवान वाह! हो......, वाह ............ पिछले साल, बेअर वास्कास ने यह विडियो पोस्ट किया था। इसे उसने योसिमिटी नेशनल पार्क में अपने घर के आगे बनाया था। 2010 में इसको 2.3 करोड़ लोगों ने देखा था। (हंसी) यह चार्ट है जब वह पिछली गरमियों में मशहूर हुआ। पर उसने वायरल विडियो बनाने के बारे में नहीं सोचा था वह सिर्फ़ सबको इंद्रधनुष दिखाना चाहता था। क्योंकि तुम यही करोगे, अगर तुम्हारा नाम योसिमिटी पहाड़ी भालू है। (हंसी) असल में उसने कई प्रकृति पर बने विडियो पोस्ट किये हैं। दरअसल यह विडियो तो काफ़ी पहले जनवरी में पोस्ट किया गया था। तो यह कैसे हुआ? जिमी किमेल ने दरअसल यह ट्वीट पोस्ट की और इसी ने ही इस विडियो को इतना मशहूर बना दिया। जिमी किमेल जैसे रुचि पैदा करने वाले ही नई और मज़ेदार चीज़ों से हमारा परिचय कराते है और उनको दर्शकों की बड़ी संख्या तक पहुँचाते हैं। (विडियो) रिबेक्का ब्लैक; ♫इट्स फ़्राइडे, फ़्राइडे, गोट्टा गेट डाउन ओन फ़्राइडे♫ ♫एवरीबाडी इस लुकिंग फ़ोरवर्ड टू द विकेंड, विकेंड♫ ♫फ़्राइडे, फ़्राइडे, गेटींग डाउन ओन फ़्राइडे♫ केविन: आप लोगों यह तो ने नहीं सोचा कि हमारी बात होगी और और हम इस विडियो के बारे में बात नहीं करेंगे। रेबेक्का ब्लैक का "फ़्राइडे" इस साल के सबसे मशहूर विडियो में से एक है। इसको 20 करोड़ के करीब लोगों ने देखा है। इसका चार्ट इस तरह दिखता है। "दोहरे इंद्रधनुष" की तरह ही है। लगता है कि यह तो अचानक कहीं से निकल आया। सो इस दिन क्या हुआ? बिल्कुल, इस दिन शुक्रवार (फ़्राइडे) ही था, यह सच है अगर आप इन चोटियों के बारे में सोच रहे हैं, तो वे भी शुक्रवार ही हैं। (हंसी) और यह दिन.. यह खास शुक्रवार टोश.0 ने इसको लिया और बहुत से ब्लाग इसके बारे में लिखने लगे। मास्ट्री साइंस थियेटर का माइकल जे. नेलसन उन पहले लोगों में से एक है जिसने इसके बारे मे ट्वीटर पर मज़ाक किया। पर खास बात यह है कि एक इंसान या कुछ रुचि पैदा करनेवालो के ग्रुप ने यह सोचा और बहुत लोगों के साथ इस को शेयर किया और इसको तेज़ी से मशहूर किया। और इस तरह लोगों का एक समूह बन गया। उन लोगों का जो इस तरह के मज़ाक शेयर करते है। और वे इसके बारे में बात करने लगे और इसके साथ कुछ खेलने लगे। अब यू ट्यूब में "फ़्राइडे" की 10,000 से ज़्यादा पैरोडियाँ हैं। पहले सात दिनों में भी हफ़्ते के हर दूसरे दिन एक पैरोडी आती थी। (हंसी) 20वीं सदी के एकतरफ़ा मनोरंजन से अलग इस समूह का इसमें भाग लेना इस पूरी घटना का हिस्सा बन गया - या इसको फैलाने में या इसके साथ कुछ नया करने में (संगीत) तो "न्यान कैट" एक बचकाना कार्टून है इसमें बचकाना संगीत है और यह बस इसी तरह है | इस साल लगभग 5 करोड़ बार देखा गया। अगर आपको लगता है कि यह अजीब बात है तो आपको मालूम होना चाहिए कि इसका तीन घंटे का वरज़न भी है। और उसको भी चालीस लाख बार देखा गया है। (हंसी) बल्कि बिल्लियाँ भी इस विडियो को देख रही थीं। (हंसी) बिल्लियाँ देख रही थीं कि कैसे दूसरी बिल्लियाँ इसको देख रही हैं। (हंसी) खास बात यहाँ यह है कि यहाँ कुछ बनाने की इच्छा को बढ़ावा मिला है - इंटरनेट और कंप्यूटर वालों के दिमाग में। और कुछ रिमिक्स भी बनाये गये | (हंसी) किसी ने पुराने समय का वरज़न बनाया। (हंसी) और यह एकदम इंटरनेशनल बन गया। (हंसी) सब रिमिक्स करनेवाले जोश में आ गए। और एक बचकाने मज़ाक से यह ऐसी चीज़ बन गई कि हम सब इसमें हिस्सा ले सकें क्योंकि हम सिर्फ़ मज़ा ही नहीं उठाते बल्कि हम इसमें हिस्सा भी लेते हैं। किसने कभी ऐसा सोचा होगा? किसने सोचा होगा कि "दोहरा इंद्रधनुष" या "रेबेक्का ब्लैक" या "न्यान कैट"? तुमने ऐसा क्या लिखा होगा जिसमें यह सब हो? इस दुनिया में जहाँ हर मिनट में दो दिन के विडियो अपलोड किये जाते हैं सिर्फ़ वही जो अलग से हैं और चकित करने वाले हैं. यहाँ मशहूर हो सकते हैं। जब मेरे दोस्त ने मुझे कहा कि यह विडियो देखो जिसमें एक आदमी न्यूयार्क में साइकिलवालों के चालान का विरोध कर रहा है मैं मानता हूँ कि मुझे कोई रुचि नहीं थी। (विडियो) कैसे नाइस्टाट: मुझे साइकिल के लेन पर नहीं चलाने के लिए चालान किया गया, पर वहाँ हमेशा कई बाधाएं होती हैं जिनके कारण बाइक लेन पर साइकिल नहीं चला सकते। (हंसी) केविन: एक अजूबा और मज़ाकिया होने के कारण कैसी नाइस्टाट को एक मज़ेदार आइडिया मिल गया और यह 50 लाख बार देखा गया। तो यह बात कोई भी नयी रचनात्मक चीज़ हम करते हैं उसके लिए सही है। और इसके कारण एक सवाल उठता है इसका क्या मतलब है? ओह (हंसी) केविन: इसका क्या मतलब है? रुचि पैदा करनेवाले, रचनात्मक हिस्सा लेने वाला समूह और अप्रत्याशितता। ये नये मिडिया और नई संस्कृति के विशेषताएँ हैं जहाँ सब को पूरा मौका है और दर्शक इसकी लोकप्रियता निर्धारित करते हैं । मैं कहना चाहता हू, जैसा कि पहले मैंने कहा , अभी दुनिया का सबसे बड़ा स्टार जस्टिन बीबर, जिसकी शुरुआत यू ट्यूब से ही हुई। आपकी कल्पना को किसी की हरी झंडी नहीं चाहिए। और हम सब अपने पॉप संस्कृति में अपने को अपना मालिक महसूस करते हैं | और ये पुराने मिडिया की विशेषताएँ नहीं हैं। और आज के मिडिया के लिए भी सच नहीं है, पर यह ही भविष्य के मनोरंजन का रूप होंगे। धन्यवाद | तालियाँ सुप्रभात आज मैं यहाँ कहना आया हूँ स्वयं संचालित उड्नेवाली बीच बाल्स के बारे में| नहीं, एक चुस्त हवाई रोबोट, इसके जैसा| मैं आपको इससे बनाने की चुनौतियों के बारे में थोड़ा बताना चाहते हूँ| और कुछ दिल दहलानेवाले सुयोग इस तकनीक को लागू करने के लिए| तो यह रोबोट बिना आदमी के एरिअल वाहनों से सम्बंधित है| हालांकि, वाहन जो आप यहाँ देख रहे है, वह बड़े हैं| उनका वज़न हजारो पाउंड है, और किसी भी तरह से चुस्त नहीं है| वे स्वयं संचालित भी नहीं है| वास्तव में, कई ऐसे वाहने उड़ान के कर्मचारियों द्वारा संचालित किये जाते है जिनमे कई सारे विमान - चालक शामिल हो सकते है, जैसे की सेंसर के ऑपरेटर और मिशन समन्वयकों| हम इस तरह का रोबोट की विकसित करने में रुचि रखते हैं -- यहाँ है दो तस्वीरे -- उन रोबोट्स की जो आप खरीद सकते है| ये है हेलीकाप्टर चार घूर्णक वाले और वे अंदाज़ से एक मीटर के माप के है और कई पाउंड वजन है| और इसलिए हम इनको सेंसर और प्रोसेसर से फिट करते है, ताकि यह रोबोट्स अन्दर भी उड्ड सकते है GPS के बिना| यह रोबोट जो मैंने हाथ में पकड़ा है यह है, इसको दो छात्रों ने बनाया है, आलेक्स और डानिएल| इसके वज़न एक पाउंड से दस गुना कम है| यह १५ वाट पॉवर का इस्तमाल करता है| जैसे की आप देख सकते है, इसका व्यास ८ इंच है| में आपको जल्दी से जानकारी देता हूँ यह रोबोट्स कैसे चलते है| इसके चार घूर्णक है| यदि आप एक ही रफ्तार से इन घूर्णकको घुमाएंगे, रोबोट होवर करता है| यदि आप हर एक घूर्णक की गति बढ़ाएंगे, तोह वोह ऊपर उड़ेगा, तेज़ी से और ऊपर उड़ेगा ज़रूर, यदि वह रोबोट झुका हुआ होता, क्षैतिज की ओर झुका हुआ, तोह वह इस दिशा में तेज़ी से उड़ेगा| तो उसको झुकाने के लिए, दो तरीके है| इस तस्वीर में आप देख सकते है की चौथा घूर्णक ज्यादा तेज़ी से घूम रहा है और दूसरा घूर्णक कम तेज़ी से घूम रहा है| और जब ऐसा होता है एक क्षण आता है जब रोबोट रोल करने लगता है| और दूसरी तरह से, यदि आप तीसरे घूर्णक की गति बढ़ाएंगे और पहले घूर्णक की गति घटाएंगे, तो वह रोबोट आगे उड़ेगा| और अंत में, यदि आप विपरीत जोड़ी वाले घूर्णकको को घुमाएंगे दूसरी जोड़ी से ज्यादा तेज़, वह अनुलंब अक्ष की ओर झुकता है तो एक बोर्ड प्रोसेसर अनिवार्य रूप से देखता है किस प्रस्ताव की आवश्यकता है और इन प्रस्तावों को जोड़ता है और जान लेता है की घूर्णक को क्या सूचनाएं देनी हैं एक सेकंड में ६०० बार| मूल रूप में यह इस तरीके से चलता है| इस डिजाईन का एक फायदा है की, जब आप पैमाने पर नीचे उतरें तो वह रोबोट स्वाभाविक रूप से चुस्त हो जाता है| यहाँ R रोबोट की लम्बाई है| यह वास्तव में आधा व्यास है| और बहुत सारे भौतिक मापदंड हैं जो बदलते हैं जब R कम होता है| सबसे महत्वपूर्ण है जड़त्व या गति के लिए प्रतिरोध| तो यह पता चला है, यह जड़त्व, जो कोणीय गति को नियंत्रित करता है, १/५ R तक हो जाता है तो आप जितना कम R को बनाओगे उतनी अधिक गति से जड़ता कम हो जायेगी तो एक परिणाम के रूप में, कोणीय त्वरण, जो ग्रीक अक्षर अल्फ़ा द्वारा चिह्नित है, १/R बन जाता है| यह R का विपरीतत आनुपातिक है| जितना कम आप उसे बनाओगे उतनी अधिक जल्दी से वह घूम सकता है| यह इन विडियो में साफ दिखाई देगा| दाईं ओर निचे आप एक रोबोट देख सकते है एक ३६० डिग्री फ्लिप प्रदर्शन कर रहा है एक आधे सेकंड से भी कम समय में| बहुत सारे फ्लिप्स, थोडा ज्यादा समय| तो यहाँ बोर्ड प्रोसेसर एक्सलेरोमेतेर्स से प्रतिक्रिया हो रही हैं और बोर्ड पर गय्रोस और गिनती करता है, जैसा पहले बताया था, आदेशों को ६०० बार एक सेकंड में रोबोट को संतुलित करने के लिए बाई ओर, आप देख रहे है Daniel रोबोट को ऊपर हवा में फैंक रहा है| इससे साबित होता है की यह बहुत मजबूत नियंत्रण है| आप जैसे भी फेके कोई फरक नहीं पड़ता, रोबोट वापिस आ जाता है| तो इस तरह के रोबोट को निर्माण क्यों करे? ऐसे रोबोट्स के बहुत सरे अनुप्रयोग है| आप उनको ऐसे इमारतों के अन्दर भेज सकते है घुसपैठियों को पहले ढूँढने के लिए, या बिओचेमिकल रिसाव को ढूँढना, या गैसीय रिसाव| उनका उपयोग निर्माण जैसे अनुप्रयोगों के लिए भी इस्तमाल कर सकते है| ऐसे रोबोट्स है जो बीम, कोलुम्न्स उठा सकते है घन आकार जैसे संरचना को बना सकते है| मैं आपको इसके बारे में थोडा और बताऊंगा| यह रोबोट्स कार्गो को ट्रांसपोर्ट में मदद कर सकते है| यह रोबोट्स में एक छोटी समस्या है उनके पेलोड उठाने की क्षमता इसीलिए आपको कई सरे रोबोट्स की ज़रुरत पड़ेगी पेलोड को उठाने के लिए| यह तस्वीर हमारे एक नये प्रयोग की है -- वास्तव में इतनी नयी नहीं है -- Sendai में की हुई भूकंप के कुछ ही समय बाद| इस प्रकार के रोबोट्स टूटी हुई इमारतों में भेजे जा सकते है प्राकृतिक आपदाओं के बाद नुकसान का आकलन करने के लिए, या प्रतिक्रियाशील इमारतों में विकिरण के स्तर को मैप करने के लिए| एक मौलिक समस्या है जो रोबोट को हल करना है यदि वेह स्वायत्त रह सकते है की अनिवार्य रूप से पता लगाना कैसे पॉइंट अ से पॉइंट बी तक पोहोच सकते है| अब यह चुनौतीपूर्ण हो जाता है क्योंकि इस रोबोट की गतिशीलता काफी जटिल हैं| वास्तव में, वे एक १२ - आयामी अंतरिक्ष में रहते हैं| तो हम एक छोटी सी चाल का उपयोग करेंगे| हम इस घुमावदार 12 आयामी अंतरिक्ष लेते है और परिणत करते है एक फ्लैट चार आयामी अंतरिक्ष में| और वह चार आयामी अंतरिक्ष में एक्स, वाई, ज़ेड और यओ अंगल है| यह रोबोट योजना करता है कम से कम प्रक्षेपवक्र का| आपको भौतिक विज्ञान याद दिलाने के लिए, आपके पास स्थिथि, व्युत्पन्न, गति है, फिर त्वरण, और फिर झटका और फिर काट है तो यह रोबोट काट को कम करता है| तो यह प्रभावी ढंग से एक निर्विघ्ऩ और सुंदर गति को पैदा करता है| और वह यह बाधाओं से बचते हुए करता है| यह कम से कम प्रक्षेपवक्र इन फ्लैट अंतरिक्ष में वापस बदल जाते हैं इस जटिल 12 आयामी अंतरिक्ष में| जो यह रोबोट को करना आवश्यक है नियंत्रण और निष्पादन के लिए| में आपको कुछ उदाहरण दिखाना चाहता हूँ यह कम से कम प्रक्षेपवक्र कैसे दिखते हैं इस पहले विडियो में, आप देखेंगे एक रोबोट पॉइंट अ से पॉइंट बी तक जाते हुए एक मध्यवर्ती पॉइंट के माध्यम से| यह रोबोट स्पष्ट रूप से सक्षम है किसी भी वक्र प्रक्षेपवक्र को क्रियान्वित करने को| यह परिपत्र प्रक्षेपवक्र है जहा रोबोट २ G को खीचता है| यहाँ ऊपर गति को देखने वाला केमेरा है जो रोबोट को बताता है वह कहाँ है एक सेकंड में १०० बार| यह रोबोट को बाधाओं के बारे में भी बताता है| और वेह चलती हुई बाधाएं भी हो सकती है| और यहाँ आप देखेंगे डानिएल हूप को ऊपर उड़ाते हुए, जबकि रोबोट हूप की स्थिति की गणना कर रहा है और यह पता लगाने की कोशिश कर रहा की कैसे सबसे अच्छे रूप से वह हूप के अन्दर से जा सकता है| एक शैक्षिक के रूप में, हम हमेशा हुप के अन्दर से कूदने का प्रशिक्षण करते हैं, हमारी प्रयोगशालाओं के लिए धन जुटाने के लिए और अब हम यह रोबोट से करवाते है| तालियाँ एक और बात जो रोबोट कर सकते हैं है की वह प्रक्षेपवक्र के टुकड़े याद रखता है जो वह सीखता है या पूर्व क्रमादेशित होता है| यहाँ आप देख सखते है यह रोबोट एक चलती गति का संयोजन करके जो गति को बढ़ता है और फिर अपनी ओरिएंटेशन बदल देता है और फिर ठीक हो जाता है| तो यह ऐसा करने के लिए मजबूर है क्योंकि खिड़की में यह अंतर चौड़ाई में केवल थोड़ा ही रोबोट से बड़ा है| जैसे की जब एक डुबकी लगानेवाला स्प्रिंगबोर्ड पर खड़ा है और वह गति पाने के लिए छलांग लगता है, और फिर इस पिरुएट करता है, इस दो और एक आधे कलाबाज़ी के माध्यम से और काफी आसानी से वापिस आ जाता है, उसी तरह यह रोबोट भी ऐसा ही कर रहा है| वह जानता है कैसे प्रक्षेपवक्र के टुकड़े को जोड़ा जा सकता है ये काफी मुश्किल कामो को करना| मैं अब गियर बदलना चाहते हूँ | इन रोबोट का एक अलाभ है उनका छोटा आकार जैसा की मैंने आपको पहले कहा था की हम बहुत सारे रोबोट को इस्तमाल करना चाहते है इस अलाभ को टालने के लिए| एक कठिनाई है की आप इतने सारे रोबोट को कैसे समन्वय में ला सकते है? इसीलिए हमने प्रकृति में देखा| मैं आपको एक छोटा विडियो दिखाना चाहता हु अफेनोगास्टर चींटीयो के बारे में प्रोफेस्सर स्टेफेन प्रात्त के प्रयोगशाला में एक वास्तु को उठाते हुए| यह एक अंजीर का टुकड़ा है| वास्तव में जब आप अंजीर रस के साथ किसी भी वस्तु पे लगायेंगे तो यह चींटियों उन्हें वापस अपने घोंसला में ले जाएगा| तो इन चींटियों का कोई भी केंद्रीय समन्वयक नहीं है| वे अपने बाजु वाले की प्रस्तुति को महसूस कर सकते है| वहाँ कोई स्पष्ट संचार नहीं है| पर क्योंकि वे अपने बाजु वाले की प्रस्तुति को महसूस कर सकते है और वास्तु को भी उनमे आपस में समन्वय है| इस तरह का समन्वय हम अपने रोबोट में लाना चाहते है| ताकि जब हमारे पास एक रोबोट है जो अन्य रोबोट से घेरा हुआ है -- रोबोट इ और ज को देखिये -- हम चाहते है की यह रोबोट अपने आपस के अंतर को मानीटर करे जब वेह पैटर्न में उड़ रहे हो| और तब हम सुनिश्चित करना चाहते हैं की यह अंतर स्वीकार्य स्तर पर है| फिर से यह रोबोट इस ग़लती को मानीटर करता है और नियंत्रण आदेशो की गणना करता है एक सेकंड में १०० बार, जो मोटर आदेशों को एक सेकंड में ६०० बार में अनुवाद करता है| यह होना चाहिए विकेन्द्रीकृत तरीके से भी| फिर से, यदि आपके पास बहुत सारे रोबोट है, यह असंभव है यह सब जानकारी केंद्रीय रूप से समन्वय किया जा सकता है की सब रोबोट एक काम को जल्दी समाप्त कर सके| इसके अलावा रोबोट उनके कार्यों को केवल स्थानीय जानकारी पर आधार करें, जो वे अपने पड़ोसियों के प्रस्थुती से महसूस कर सकते है| और आखिर में और हम चाहते है की यह रोबोट उदासीन हो की उनके पड़ोसियों कौन हैं. इससे हम गुमनामी कहते है| अगला मैं आपको दिखाना चाहता हू एक विडियो ऐसे २० रोबोट के बारे में जो पैटर्न में उड्ड रहे है| वे अपने पड़ोसियों के स्थिति को मोनिटर कर रहे है| वे अपने पैटर्न को बनाये रखते है| वह पैटर्न बदल सकते है| वह तलीय, या तीन आयामी पैटर्न हो सकते है| जैसा की आप यहाँ देख सकते है वे तीन आयामी पैटर्न से तलीय पैटर्न में टूट जाते है| और बाधाओं में से उड़ने के लिए वे पैटर्न को उसी वक्त अनुरूप कर सकते है फिर से, वह रोबोट आपस में काफी नज़दीक आते ह| जैसे की आप यह ८ आंकड़े के आकर की उडान में देख सकते है, वे एक दूसरे से एक इंच की दूरी में आते हैं| और, वायुगतिकीय बातचीत के बावजूद इन प्रोपेलर ब्लेड की वे स्थिर उड़ान को बनाए रखने में सक्षम होते हैं | तालियाँ एक बार आप जान लेंगे कैसे पैटर्न में उड़ा जा सकता है आप वस्तुओं मिलकर उठा सकते हैं| तो यह दिखता है की हम दो गुना, तीन गुना, चार गुना रोबोट की ताकत को बढ़ा सकते है सिर्फ उन्हें अपने पड़ोसियों के साथ टीम में कम करने से, जैसे की आप यहाँ देख सकते हैं| इसका एक नुकसान है की, जैसे आप बढ़ाएंगे जैसे बहुत सारे रोबोट एक वस्तु को उठाएँगे, आप अनिवार्य रूप और प्रभावी ढंग से जड़ता में वृद्धि कर रहे हैं, और इसलिए आप उसकी कीमत चुकायेंगे; वह उतने चुस्त नहीं है| लेकिन आप पेलोड ले जाने की क्षमता के संदर्भ में लाभकर है| दूसरा प्रयोग जो मैं आपको दिखाना चाहता हूँ -- फिर से, यह हमारी प्रयोगशाला में है| यह कम कुएन्तिन लिंडसे ने किया है जो एक छात्र है| तो उसके एल्गोरिथ्म, अनिवार्य रूप से, इन रोबोट को बताता है कैसे स्वायत्त रूप से घन संरचना को बनाया जा सकता है पुलिंदा जैसे तत्वों से| तो यह एल्गोरिथ्म रोबोट को बताता है कौनसे हिस्से को उठाना है और कहा रखना है| इस विडियो में आप देख सकते है -- यह १०, १४ गुना तेज़ दिखाया गया है -- इन रोबोट को तीन अलग संरचनाओं को बनाते हुए| और फिर, सब कुछ स्वायत्त है, कुएन्तिन को सिर्फ ब्लूप्रिंट को लाना है उस डिज़ाइन का जो वह बनाना चाहता है| यह सब प्रयोग जो आपने अब तक देखे है, यह सब प्रदर्शनों, गति को कब्ज़ा करने वाले कैमरों की मदद से किये गए है| तो क्या होता है जब आप अपनी प्रयोगशाला को छोड़ के बाहर असली दुनिया में आते है ? और अगर GPS नहीं है? तो यह रोबोट के पास एक कैमरा है और एक लेजर रेडार, एक लेजर स्कैनर भी है| और वह इन सेंसर का इस्तमाल करता है वातावरण का नक्शा बनाने के लिए| उस नक़्शे में विशेश्तैएन शामिल हैं -- जैसे की दरवाज़े, खिडकिया, लोग, फर्नीचर -- और वह अपने खुद की स्थिथि के बारे में जान सकता है उनके विशेषताएँ के अनुसार| तो वहाँ कोई वेद्यिक समन्वय प्रणाली नहीं है| समन्वय प्रणाली रोबोट के आधार पर परिभाषित किया गया है वो कहाँ है और किसे देख रहा है| वह उन विशेषताएँ के अनुसार नेविगेट करता है| तो मैं आपको एक क्लिप दिखाना चाहता हूँ फ्रांक शेन के बनाये हुए अल्गोरिथम और प्रोफेस्सर नेथन माइकल जो दिखता है एक रोबोट को पहली बार एक ईमारत में जाते हुए और इस नक़्शे को बनाते हुए| वह रोबोट आकृति का अंदाज़ लगा सकता है| वह नक्षा बनाता है| वह अपनी स्थिथि का अंदाज़ लगा सकता है एक सेकंड में १०० बार हमें नियंत्रण एल्गोरिदम का उपयोग करने के लिए अनुमति देता है जिनके बारे में मैंने पहले बताया था| तोह यह रोबोट असल में आज्ञा फ्रांक से ले रहा है| लेकिन वह रोबोट अपने आप, कहा जाना, जान सकता है| तो मान लीजिए मैं इससे एक इमारत में भेजना चाहता हूँ और मुझे पता नहीं यह ईमारत कैसा दीखता है में रोबोट को अंदर भेज सकता हूँ, वे नक्शा बनता है और वापिस आ कर मुझे बताता है की वह ईमारत कैसा दीखता है| तोह यहाँ यह रोबोट इस समस्या का केवल हल नहीं निकाल रहा है की इस नक़्शे में कैसे पॉइंट अ से पॉइंट बी तक जा सकता है बल्कि वह अंदाज़ लगता है हर बार सबसे अच्छा पॉइंट बी कौसा है| तो अनिवार्य रूप से यह जानता है कहाँ जाना है ऐसे जगहों को ढूँढना जिनकी जानकारी बहुत कम है| और इस तरह वह नक़्शे को बनाता है| में आपको छोड़ना चाहता हूँ एक आखरी प्रयोग के साथ| और इस तकनीक के कई प्रयोग है | मैं एक प्रोफेसर हूँ, और शिक्षा के बारे में भावुक हूँ| इस तरह के रोबोट वास्तव में बदलाव ला सकते है हमारी पढाई में क से १२ कक्षा तक| परन्तु हम दक्षिणी कैलिफोर्निया में है, जो लॉस एंजिंल्स से नजदीक है, इसीलिए अंत में मैं आपको कुछ मनोरंजक दिखाना चाहता हूँ| में समाप्त करना चाहता हूँ एक संगीत विडियो के साथ| में आपके सामने प्रस्तुत करना चाहता हूँ आलेक्स और डानिएल, जीनोने यह विडियो बनाया है| तालियाँ इससे पहले की में यह विडियो आपको दिखाऊ, में आपको बताना चाहता हूँ की यह उन्होंने पिछले ३ दिनों में बनाया है क्रिस का फ़ोन आने के बाद| और यह रोबोट जो विडियो को बजाते है पूरी तरह से स्वयं संचालित है| आप देखेंगे नौ रोबोट छह विभिन्न उपकरणों को बजाते हुए| और येह खास रूप से TED २०१२ के लिए बनाया गया है| आइये देखिये| संगीत तालियाँ तो कुछ दो साल पहले मैंने एक प्रोग्राम शुरू किया जिसके तहत यह कोशिश की कि रॉकस्टार तकनीकी और कलात्मक लोग एक साल की छुट्टी लेकर एक ऐसे वातावरण में काम करे जिसमे सब कुछ उन्हें नापसंद है; हम उन्हें सरकारी काम करवाते हैं | इस कार्यक्रम का नाम है अमरीकी संहिता, यूँ समझिये जैसे कंप्यूटर की दुनिया में ही रहनेवाले विचित्र विशेषज्ञ को शान्ति सेना में भेज दिया जाए | प्रत्येक वर्ष हम कुछ व्यक्तियों को चुनते है और शहरों के प्रशासन में उन्हें काम कराते हैं | तीसरी दुनिया में भेजने के बजाय , हम उन्हें शहर के मुख्य स्थल के बीहड़ में भेजते हैं | और वहां वे सरकारी कर्मचारियों के साथ काम करते है और उत्कृष्ट अप्प्स या अनुप्रयोग बनाते हैं | पर असल में वे ये दिखा रहे हैं कि आज के तकनिकी से क्या कुछ संभव हो सकता है | तो मिलिए एल से. एल बोस्टन शहर में आग बुझाने का एक उपकरण है | यहाँ वो ऐसा लगता है जैसे कि वो एक साथी ढूँढ रहा है, परन्तु वह तो बस यह चाहता है कि कोई उस पर पड़ी बर्फ की परतों को खोद दे , क्योंकि वह जानता है की जब वह चार फुट बर्फ में ढका होता है तब उसकी आग बुझाने की क्षमता पर बुरा असर होता है | अब वह मदद ढूँढने कैसे आएगा वो भी इतने अनोखे तरीके से ? पिछले साल अमरीकी संकेतिकरण कार्यक्रम के तहत बोस्टन में हमारे सदस्यों की एक टीम थी | वे वहां फरवरी के महीने में थे और पिछली फरवरी वहां बहुत बर्फ़बारी हुई | और उन्होनें यह देखा कि शहर में कोई भी आग के ह्य्द्रन्ट्स (जो एक आग बुझाने का उपकरण होता है ) पर से बर्फ हटाता ही नहीं था | पर एक महाशय थे, जिनका नाम एरिक माइकल -ओबेर था, उनने कुछ और ही देखा, कि फूटपाथ कि बर्फ शहर के लोग खोदकर इन्ही आग बुझाने के उपकरणों के सामने डाल रहे हैं | तो उन्होंने वोही किया जो एक कंप्यूटर सॉफ्टवेर बनाने वाला करता , उन्होंने एक सॉफ्टवेर या एप्प लिखा | और ये बड़ा प्यारा सा एप्प है जहाँ आप उस आग बुझाने के उपकरण को गोद ले सकते हैं | तो आप बर्फ़बारी के बाद बर्फ खोदने कि ज़िम्मेदारी लेते है | अगर आप ऐसा करते है तो आप उस आग के उपकरण का नामकरण कर सकते हैं, और पहले वाले का नाम उन्होंने एल रखा | और अगर आपने नहीं किया तो कोई उसे आपसे चुरा भी सकता है | इसमें प्यारी सी खेल गतिकी है | यह एक साधारण, मामूली सा अनुप्रयोग है | यह शायद उन २१ अप्प्स में से सबसे छोटा है जो लोगों ने पिछले साल बनाये थे | लेकिन वो कुछ ऐसा कर रहा है जो सरकारी तंत्र कहीं भी नहीं कर पाता यह अति तेज़ रफ़्तार से, संक्रामक रूप से फैल रहा है | होनुलुलू शहर के आई टी विभाग में एक व्यक्ति हैं जिन्होनें इस एप्प को देखा और उन्हें लगा कि वो उसका इस्तेमाल बर्फ हटाने की बजाय नागरिकों को सुनामी भोंपू / साइरेन अपनाने के लिए कर सकते है | सुनामी भोंपू का ठीक से चलते रहना अति महत्वपूर्ण है, किन्तु लोग उनकी बैट्री चुरा लेते है | तो उन्होंने नागरिकों को उसकी देखरेख पर लगाया | और फिर सीऐटल शहर ने इसका इस्तेमाल करने का निर्णय लिया ताकि नागरिक तूफानी पानी के निकासी के लिए बनी नालियों को साफ़ कर सकें | और शिकागो ने अभी पहल की जिसमे लोगों को आमंत्रण दिया, कि वह अपने नाम बर्फ़बारी में ,सार्वजानिक फुटपाथ में जमी बर्फ को हटाने के लिए दे | तो हम जानते है ९ शहरों को जो इसे इस्तेमाल करेंगे | और इसका प्रसार बहुत आसानी से, बिलकुल प्राकृतिक और व्यवस्थित तरीके से हुआ है | यदि आप सरकारी तंत्र के बारे में जानते हैं, तो पता होगा कि ज़्यादातर ऐसा नहीं होता है | सॉफ्टवेर बनाने में कई वर्ष लग जाते हैं | पिछले वर्ष बोस्टन में एक कार्यक्रम में कार्यरत एक दल में तीन लोगों ने ढाई महीने लगाये | एक तरीका सुझाया जिससे माता पिता चुन सके कि उनके बच्चों के लिए कौन सा सार्वजानिक स्कूल अच्छा है | बाद में हमें पता चला कि अगर रोज़मर्रा कि रफ़्तार से यह होता , तो कम से कम दो साल लगते और लगभग बीस लाख डॉलर खर्च होते | और ये तो कुछ भी नहीं | कैलिफोर्निया के न्यायलय में एक योजना इस समय चल रही है जिसका करदाताओं पर आर्थिक बोझ दो अरब डॉलर है, और वो कामयाब भी नहीं है | और इस तरह कि योजनाएं सरकार के हर स्तर पर हैं | तो अगर किसी सरकारी संस्था के लिए एक सॉफ्टवेर जो दो दिन में लिखा जा सकता है और संक्रामक रूप से तेज़ी से , किसी एक तीर कि तरह है फैलता है | यह सुझाव देता है कि सरकार बेहतर ढंग से काम कर सकती हैं- निजी कंपनी कि तरह नहीं , यह बहुतों की सोच है | और ना ही किसी तकनीकी कंपनी की तरह, पर बहुत कुछ स्वयं इन्टरनेट जैसा | और इसका मतलब अनुमति से मुक्त ,स्वतंत्र, खुला, विवृत , उत्पन्न करनेवाला | और ये बहुत महत्वपूर्ण है | पर इस एप्प का अहम पहलु यह है कि ये दर्शाता है कि किस प्रकार एक नयी पीढ़ी सरकार के कार्यक्षमता कि समस्या का हल निकाल रही है- एक अनम्य परम्परागत ढर्रे पर स्थिर संस्था में सुधार आये इस दृष्टि से नहीं, बल्कि एकजुट हो कर अपनी सामूहिक कार्यवाही समझते हुए एक समस्या का हल खोजने में | और ये अति उत्तम समाचार है, क्योंकि यह दिखाई दिया कि हम एकजुट हो बहुत अच्छा काम कर सकते हैं डिजिटल प्रौद्योगिकी द्वारा | अब, बहुत सारे लोगों का एक समुदाय है जो हमारे लिए ऐसे उपकरण बना रहे है जिनके द्वारा हम और सक्षमता से काम कर सके | और ये सिर्फ अमरीकी संकेतन कि योजना कि बात नहीं, देश में अनेक लोग नागरिकता के लिए उपयोगी ऐप्प्स प्रतिदिन अपने अपने समुदायों में बना रहे हैं | उन्होंने सरकार से उम्मीद तोड़ नहीं ली वह सरकार से बहुत परेशान और निराश हैं, पर वो शिकायत नहीं कर रहे है , उसको सक्षम बनाने का प्रयास कर रहे है | और ये लोग जानते हैं वो जो हम भूल गए के उन समस्त भावनाओं के नीचे जैसे राजनीती ,डी एम् वी के बहार कतार और वो सब बातें जो हमें क्रोधित करती हैं उनके मूल में सरकार ही तो है, टिम ओ रैली के शब्दों में, 'क्या हम एक साथ वो कर सकते हैं जो हम अकेले नहीं कर सकते' | अब बहुत लोग ऐसे है जिन्होनें सरकार को त्याग दिया ,वे सरकार से पूर्णतया निराश है | और अगर आप उनमे से हैं , तो मैं आप से दोबारा इस मुद्दे पर गौर करने को कहूँगी, क्योंकि स्थिति बदल रही हैं | राजनीती नहीं बदल रही ; सरकार बदल रही हैं | और क्योंकि सरकार कि शक्ति का स्रोत अंततः जनता यानि हम हैं-- याद कीजिये --हम जनता है?-- हमारी सोच इसके बारे में क्या है हमारी सोच का असर पड़ेगा कि बदलाव कैसे आता है | जब मैंने यह प्रोग्राम शुरू किया तो मुझे सरकार के बारे में ज्यादा पता नहीं था | और बहुत लोगों कि तरह , मैं भी सरकार का मूल कार्य , वोट देकर, चुनाव करवाकर ,लोगों को राज नैतिक पद पर बिठाने का समझती थी. परन्तु दो वर्ष के पश्चात्, मैं इस नतीजे पर पहुंची हूँ कि सरकार ,खासकर स्थानीय प्रशासन, ओप्पोस्सुम के बारे में है | यह कॉल सेंटर सेवाओं और सुचना की लाइन है | आमतौर पे आपको यही मिलेगी अगर आप अपने शहर में ३११ मिलायेंगे | अगर आपको कभी मौका मिले अपने शहर के कॉल सेंटर काम करने का, जैसे इस योजना के तहत स्कोट सिल्वेरमन ने किया-- असल में वे सब करते हैं-- आप पाएंगे के लोग सरकार को फ़ोन करते हैं बड़े ही विस्तृत मुद्दों पर | यहाँ तक कि अगर आपके घर ओप्पोसुम फँस गया हो तो भी | तो स्कॉट को ये कॉल आती है | सरकारी ज्ञान की कोशिका में वो टाइप करता है --ओप्पोसुम | उसमे से कुछ नहीं मेल खाता |तो वो पशु नियंत्रण से शुरू करता है | अंत में वो कहता है ,'देखो क्या तुम अपने घर के सब खिड़की दरवाज़े खोल कर बहुत जोर से संगीत बजा सकते हो फिर देखो की क्या वह पशु चला जाता है ? तो ये तरकीब काम कर गयी .वाह स्कोट ! पर ओप्पोसुमों की कहानी यहाँ ख़तम नहीं हुई | बोस्टन में एक भी कॉल सेंटर नहीं है | बोस्टन में एक एप्प है जो वेब और मोबाइल फ़ोन के लिए अनुप्रयोग है इसका नाम है सिटिज़न कोन्नेक्ट | यह एप्प हमने नहीं लिखा | यह काम है बहुत तीव्रबुद्धि वालों का जो न्यू अर्बन मेकानिक के बोस्टन स्थित ऑफिस के लोग हैं | तो एक दिन --ये यथार्थ घटना है --ये खबर आई : "मेरे कूड़ेदान में ओप्पोसुम है .कहना मुश्किल है कि वह जिंदा है या मुर्दा " अब मैं इसे कैसे हट्वाऊँ ? अब सिटिज़न्स कोन्नेक्ट अर्थात नागरिकसम्बद्धता में कुछ अलग होता है | तो स्कोट एक ही आदमी से एक समय में बात करता था | परन्तु सिटिज़न कोन्नेक्ट सार्वजानिक है --सब सुन सकते हैं सब देख सकते हैं | और इस मसले में एक पड़ोसी ने इसको देखा . अगली खबर मिली कि 'मैं उस स्थान पर गया , घर के पिछवाड़े पर कूड़ादान मिला . ओप्पोस्सुम? जांच की | जिंदा है ? हाँ | कूड़ेदान को एक ओर से उलट दिया | फिर पैदल चलता हुआ घर गया | प्यारे ओप्पोस्सुम शुभ रात्री" | सदन में हंसी की ध्वनि कितना आसन है | यह तो कमाल है | यह डिजिटल और भौतिक तत्वों का मेल है | और यह शक्तिशाली सामूहिक सक्रियण में सरकार के प्रवेश का एक उत्तम उदहारण है || यही नहीं यह इस बात का भी उदहारण है की सरकार एक मंच की भांति है | यहाँ ज़रूरी नहीं कि मेरा तात्पर्य प्रोद्योगिकी के अर्थ वाला मंच है | यह एक मंच है जनता के लिए जहाँ लोग इकट्ठे हो कर एक दुसरे की और अपनी मदद कर पाएं | एक नागरिक ने दुसरे नागरिक कि सहायता की पर सरकार ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | उन दोनों को जोड़ने वाली कड़ी सरकार ही थी | और ज़रुरत पड़ने पर सरकारी सुविधाएं भी सरकार उस व्यक्ति को मुहैय्या करवाती , परन्तु पड़ोसी की सहायता सबसे शीघ्र ,सस्ता और बेहतर विकल्प है सरकारी कार्यवाही के मुकाबले में | जब पड़ोसी अपने पड़ोसी की मदद करता है , तब हम अपनी सामाजिक और सामुदायिक सदभाव सुदृढ़ करते हैं | अगर हम पशु नियंत्रण को फ़ोन करें तो उस तरीके में बहुत खर्चा होता है | अब सरकार से सम्बंधित एक बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार और राजनीति समानार्थी नहीं है ,वह भिन्न है | ज़्यादातर लोग यह समझ पाते है , पर वे समझते है कि सरकार का सीधा ताल्लुक राजनीति से है | कि हमारी सरकार में भागीदारी सिर्फ वोट देने में है | अब हम अनेक बार राजनैतिक नेता चुनते है और कई बार हम बहुत जतन करके एक नए राजनेता का चुनाव करते हैं -- और फिर आराम से बैठ जाते है आश्वस्त होकर कि सरकार हमारे मूल्यों के अनुसार काम करेगी और हमारी ज़रूरतों को पूरा भी करेगी | और फिर कुछ नहीं बदलता ? क्योंकि सरकार और प्रशासन एक विशाल सागर की तरह है और राजनीति केवल उसके ऊपर कि ६ इंची पतली सी परत और उसके नीचे जो है उसे हम अधिकारी तंत्र कहते हैं | और यह हम कितने तिरस्कार कि भावना से कहते हैं | पर यह वही तिरस्कार है जो हमारी अपनी इस चीज़ को रखता है जिसकी हम कीमत चुकातें हैं उसे हमारे ही विरुद्ध कर देता है ,कि जैसे वो कुछ और ही है और फिर हम अपने को शक्तिहीन कर लेते हैं | लोग सोचते हैं कि राजनीती उत्तेजक है आकर्षक है | अगर हम चाहते है कि यह संस्था हमारे काम आये, तो हमें नौकरशाही को आकर्षक बनाना होगा | क्योंकि सरकार का असली काम तो यहाँ होता है | हमें सरकारी तंत्र से जुड़ना होगा | यही ओकुपाई द एस ई सी संचालन ने किया है | आपने इन महाशयों को देखा है ? यह एक चिन्ताशील नागरिकों का समूह है जिन्होंने एक बहुत विस्तृत ३२५ पन्नों का विवरण लिखा है यह SEC के वित्तीय सुधार अधिनियम पर टिपण्णी के अनुरोध का जवाब है | यह राजनैतिक जागरूकता नहीं हैं , यह अधिकारी तंत्र के प्रति सक्रियता है | अब हम में से जो सरकार के प्रति निराशावादी है , अब समय है ,यह अपने से पूछने का कि हम अपने बच्चों को किस प्रकार कि विरासत देकर जायेंगे | आपको देखना है कि कितनी विशाल चुनौतियों का उन्हें सामना करना पड़ेगा | क्या आपको वाकई लगता है कि हम अपने गंतव्य पर बिना इस संस्था को दुरुस्त किये पहुँच पाएंगे जो हम सबका प्रतिनिधित्व कर सकती है ? सरकार के बिना हम नहीं चल सकते पर यह हमारे लिए यह जरुरी है कि यह सक्षम और अधिक कुशल हो | अच्छी खबर ये है की प्रोद्योगिकी से ये सब सहज और संभव हो गया है की सरकार में मूलरूपी नयी सरंचना हो सरकारी कार्यान्वयन, कार्यशैली इस तरीके से ठीक हो की सभ्य समाज भी सबल बने | और जो पीढ़ी इन्टरनेट के साथ ही बड़ी हुई है वे जानते है की एकजुट हो कर काम करना कठिन नहीं है , बस आपको सही ढंग से प्रणाली की संरचना बनानी होगी | यहाँ हमारे दल की औसतन उम्र २५ वर्ष है , थोड़ी इर्ष्या से कहना पड़ता है कि मैं , उन सब से मैं करीब २५ साल बड़ी हूँ | यह वो पीढ़ी है जो अपनी आवाज़ सुनने कि आदि है | यह लड़ाई जो हमने लड़ी इन्हें नहीं लड़नी पड़ी कि कौन अपनी बात कह पायेगा; यहाँ सब बोल सकते हैं | अपने विचार व्यक्त कर सकते किसी भी चैनल पर कहीं भी, कभी भी और वे करते है | तो जब इनके सामने सरकारी तंत्र कि समस्या आती है , तो वो ज्यादा परवाह नहीं करते अपनी आवाज उठाने की | वो अपने हाथों का इस्तेमाल करते हैं | वे अपने हाथों का इस्तेमाल कर रहे हैं | नए अनुप्रयोगों को लिखने में करते हैं जो सरकार को और बेहतर और प्रभावी बनाये | और वो अनुप्रयोग हमें माध्यम देते हैं अपने समुदाय को बेहतर बनाने में | अब चाहे ये आग के उपकरण से बर्फ हटाना हो या जंगली घास निकलना या कूड़ेदान को उलट कर ओप्पोस्सुम निकालना | बेशक हम बर्फ हटाते भी आ रहे हो सकते हैं , बहुत लोग करते भी है पहले से | अपितु ये अनप्रयोग छोटे छोटे प्रोद्योगिकी के अनुस्मारक हैं कि हम केवल उपभोक्ता नहीं है , और हम केवल सरकार के उपभोक्ता नहीं हैं , जो कर देते हैं और सुविधाएं पाते हैं | हम उससे बढ़ कर कुछ है, हम नागरिक हैं | और हम सरकार को तब तक ठीक या सही नहीं कर सकते जब तक हम नागरिकता को प्रशस्त नहीं करते | तो यहाँ आप सब से मेरा प्रश्न ये है : जहाँ बड़े मुद्दों कि बात आयेगी जो हमें मिल कर करनी चाहिए क्या हम सब मिल कर क्या हम सब बस भीड़ का शोर होंगे , या फिर हम बनेंगे एक हाथों का समूह ? धन्यवाद तालियों की ध्वनि आज मैं आपको बताने वाला हूँ अप्रत्याशित खोजों के बारे में | अब मैं सौर ऊर्जा तकनिकी के उद्योग में काम करता हूँ | और मेरी छोटी नयी कंपनी हमे वातावरण में ले जाने के लिए ज़ोर लगा रही हैं ध्यान दे कर क्राउड सौरसिंग(crowd-sourcing) पर ध्यान दे कर | यह सिर्फ एक छोटा वीडियो है हमारे काम के बारे में | ह्: एक पल के लिए रुकिए | लोड होने में यह समय ले सकता है | (हँसी) हम बस -- हम इस छोड़ सकते हैं -- मैं वीडियो को ही छोड़ देता हूँ ... (हँसी) नहीं | (हँसी) (हँसी) (संगीत) यह नहीं है .. (हँसी) ठीक है | (हँसी) सौर ऊर्जा है ... ओह, मेरे पास इतना ही समय है? ठीक है | आप सभी का बहुत धन्यवाद (अभिवादन) मेरा नाम टेलर विल्सन है। मैं १७ साल का हुं और परमाणु भौतिक शास्त्रज्ञ हूँ , इस बात पर विश्वास करना कठिन है, पर मै हूँ और मैं एक प्रकरण बनाना चाहता हूँ उसका परमाणु संलयन मुद्दा होगा, जिसके बारे मे टी. बुने पिकन्सने बताया था हमे जाने देगा। तो परमाणु संलयन हमारी भविष्य कि उर्जा है। और दुसरा मुद्दा यह है, कि बच्चे जो सच मे दुनिया बदल सकते है। तो आप पूछ सकते है-- (तांलिया ) आप मुझे पूछ सकते है, की तुम्हे कैसे पता अपनी भविष्य कि उर्जा कौनसी है? तो मैने परमाणु प्रतीघातक बनाया जब मैं १४ साल का था। यह मेरे परमाणु संलयन प्रतीघातक के अंदर है। मैने यह प्रोजेक्ट बनाना चालू किया जब मै १२ या १३ साल का था। मैने तय किया कि मुझे तारा बनाना है। अब आपमेसे बहुत केह रहे होंगे कि, परमाणु संलयन जैसा कुछ नही है। मुझे नहीं लगता की संलयन ऊर्जा से चलने वाले परमाणु ऊर्जा संयत्र होंगे वे लाभदायक नहीं हैं यह अधिक ऊर्जा नहीं देता जितना मै इसमे डालता हुं, लेकिन यह अछ्चे काम भी करता है। और मैने इसे अपने गराज मे बनाया, और यह अब भौतिक विज्ञान विभाग मे है नेवाडा विज्ञापीठ, रेनो मे। और यह एक ड्युटीरिअम के साथ बंद है, जो कि केवल हायड्रोजन है एक ज्यादा न्युट्रोन के साथ। तो यह क्रिया का समान है सुरज पर चालू प्रोटोन श्रृंखला प्रतिक्रिया के साथ। और मै इन्हे इतने जोरसे टकराता कि ये हायड्रोजन एकसाथ जुडते है, और यह प्रक्रिया के कुछ उपोत्पाद बनते है, और यह उपोत्पादो का लाभ उठाता हुं। तो पिछ्ले साल, मैने इंटेल आंतरराष्ट्रीय विज्ञान और अभियांत्रिकी प्रतियोगिता जिती। मैने पता लगानेवाला उपकरण बनाया जो अभी के उपकरनो कि जगह लेता है। होमलैंड सुरक्षा के पास है। कुछ सौ डॉलर्समे, मैने एक प्रणाली बनायी जो संवेदनशीलतासे अधिक है जो पता लगानेवाला एक लाख डॉलर तक है। मैने यह अपने गराजमे बनाया। (तालीयां) और मैने प्रणाली विकसित कि है औषधी इज़ोटोप बनाती है। लाखो डॉलर्स कि यह सुविधा मैने बनायी जो, छोटीसी स्तरपे है, जो इजोटोप तैयार कर सकता है। और वहा पीछे मेरा संलयन प्रतिक्रिया करनेवाला संयत्र है। यह मेरा नियंत्रण कक्ष है संलयन प्रतिक्रिया का। और मै गराज मे पिले केक बनाता हुं, तो मेरा परमाणु प्रोजेक्ट इरानियो से भी अधिक विकसित है। किंतु मै ये स्वीकार नही करता। तो ये मै जिनीवा,स्वितझेरलेंड के सी.इ.आर.एन मे। जो कि दुनियाकी सबसे बेहतरीन भौतिक विज्ञान शाला है। और यह मै राष्ट्रपति ओबामा जी के साथ, उन्हे मेरा होमलैंड सुरक्षा संशोधन प्रेक्षित कर रहा। (तालीयां) तो सात साल पेहले से परमाणु संशोधन करते, मैने सपना देखना शुरू किया मेरे गराज मे सितारा बनाने का, और मैं राष्ट्रपति से मिला और ऐसी चीजे बनाये जो दुनिया बदल सकता है, और मै सोचता हुं कि बाकी बच्चे भी। ऐसा कर सकते हैं बहुत बहुत धन्यवाद। (तालीयां) मैनें आपको पिछले साल तीन बातें बताई थीं। मैने कहा था कि दुनिया के बारे में सांख्यिकीय जानकारी सही ढंग से उपलब्ध नहीं कराई गयी है। इस कारण से, हम अभी तक पुरानी सोच रखते हैं, विकासशील और औद्योगिक देशों के बारे में, जो कि गलत है। और यह कि जीवंत चित्रों के ज़रिये इन्हें बेहतर दिखाया जा सकता है। चीजें बदल रही हैं। और आज, संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी विभाग के होमपेज पर, ये लिखा है कि, १ मई तक, सारी जानकारियाँ मुक्त रूप से उपलब्ध होंगी। (अभिवादन) अगर मैं आपको स्क्रीन पर तस्वीर दिखा सकता। तो, तीन बातें होती । संयुक्त राष्ट्र ने अपने आंकडे साझा कर दिये हैं, और इस साफ़्टवेयर का नया प्रारूप आ गया है इंटरनेट पर, बीटा रूप में, जिससे कि आप को इसे डाउनलोड भी नहीं करना पड़े। और अब मैं दोहराता हूँ आपने जो पिछले साल देखा था। ये गोले देशों को दर्शाते हैं। यहाँ है इनकी - पैदावार दर - प्रति स्त्री बच्चों की संख्या -- और यहाँ है उम्र के वर्ष। ये है १९५० का साल - और ये थे औद्योगिक देश, ये थे विकासशील देश। और उस समय 'हम' और 'वो' का फ़र्क था। विश्व में बहुत असमानतायें थीं। पर फ़िर वो बदल गया, और काफ़ी ठीक तरह से बदला। और फ़िर ऐसा कुछ हुआ। आप देख रहे हैं कैसे चीन एक बडा लाल गोला है; और ये नीला वाला भारत है। और ये सब हो रहा है .... इस साल मैं कोशिश करूँगा थोडा संजीदा हो कर आपको दिखा सकूँ कि असल में बदलाव आया कैसे। और ये है अफ़्रीका, जो कि एक समस्या की तरह यहाँ नीचे पडा है, है न? अभी भी बड़े परिवार, और एच.आई.वी. का प्रकोप से नीचे जाते देश जैसे ये। और पिछले साल हमने लगभग यही देखा था, और आगे भविष्य में ये कुछ ऐसा दिखेगा। और मैं ये बात करूँगा कि क्या ऐसा संभव है? क्योंकि आप देखिये, यहाँ मैं वो आँकडे पेश कर रहा हूँ जो असली नहीं हैं। क्योंकि ये है, जहाँ हम असल में हैं। क्या ऐसा संभव है कि ये हो जाये? मैं यहाँ अपने सारे जीवन की बात करूँगा। और मैं सोचता हूँ कि मैं लगभग सौ साल जिऊँगा। और हम यहाँ है अभी। और आइये देखते हैं कि दुनिया की आर्थिक स्थिति कैसी है। और इसे हम बच्चों की मृत्यु के अनुपात में देखेंगे। आइये अब धुरियाँ बदलते हैं: यहाँ है बच्चों की मृत्यु दर --- यानि --- जीवन --- यहाँ चार बच्चे मरते हैं, यहाँ २०० मरते हैं। और ये है प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. (सकल घरेलू उत्पाद) इस धुरी पर। और ये था सन २००७. और अगर हम समय में वापस चलें, मैने कुछ ऐतिहासिक आँकडे जोडे हैं -- यहाँ हम चलते है, चलते है, --- १०० साल पहले के ज्यादा आँकडे है नहीं। कुछ देशों में तब भी थे आँकडे। और हम गहरे जाते है, और अब हम आ चुके है सन १८२० में, केवल आस्ट्रिया और स्वीडन के पास ही आँकडे हैं। (हँसी) और ये लोग बहुत नीचे थे, प्रति व्यक्ति करीब १००० डॉलर प्रति वर्ष पर। और लगभर एक-बटा-पाँच बच्चे अपनी पहली सालगिरह भी नहीं देख पाते थे। तो ये है सारे विश्व में जो हो रहा है, एक साथ पूरे विश्व को चलाने पर। कैसे धीरे धीरे उनकी समृद्धि बढती गयी, और कैसे उन्होंने आँकडे जोडे। क्या यह बढिया नहीं लगता जब आँकडे आ जाते है? इसका महत्व देखा आपने? और यहाँ, बच्चे लम्बे समय तक नहीं जीते। पिछली शताब्दी, १८७०, बच्चों के लिये यूरोप में अच्छी नहीं थी, क्योंकि ये आँकडे ज्यादातर यूरोप से ही हैं। शताब्दी ख्त्म होने तक का समय लगा ९०% से ज्यादा बच्चों को एक साल से ज्यादा जीवित रख पाने में। ये भारत उभर रहा है, पहले आँकडॆ आये हैं भारत से। और ये है अमरीका, दूर जाते हुए, और पैसे कमाते हुए। और अभी दिखेगा चीन बिलकुल सुदूर कोने में। और ये माओ-त्से-संग के स्वास्थ के साथ ऊपर उठता है, लेकिन रईस नहीं होता। फ़िर उनकी मृत्यु होती है, और डेंग जिआओपिंग पैसे लाते हैं, और ये यहाँ आ जाता है। और गोले ऊपर वहाँ हिलते रहते हैं, और ये है जैसा कि आज विश्व दिख रहा है। (अभिवादन) चलिये अमरीका पर एक नज़र डालते हैं। मेरे पास एक तरीका है -- मै दुनिया से कह सकता हूँ, "यहीं रुक जाओ।" और मैं अमरीका पर केंद्रित होता हूँ -- हम अभी भी इसका प्रारूप देखना चाहते हैं -- इन्हें मैं ऐसे लगा देता हूँ, और फ़िर हम समय में वापस जाते हैं। और हम देख सकते हैं कि अमरीका बिलकुल दाहिनी तरफ़ चला गया है। और वो पूरे समय ज्यादा पैसे की तरफ़ हैं। और १९१५ में, यहाँ अमरीका भारत का पडोसी था -- आज के भारत का। और इसका मतलब है कि वो ज्यादा रईस था, लेकिन वहाँ बच्चों की मौत आज के भारत के मुकाबले ज्यादा थी। और ये देखिये -- आज के फ़िलिपींस के मुकाबले। आज के फ़िलिपींस की वहीं स्थिति है जो कि अमरीका की पहले विश्व-युद्ध के समय थी। मगर हमें अमरीका को आगे लाना होगा अमरीका के स्वास्थ को पहुँचाने के लिये, फ़िलिपींस के स्वास्थ तक। करीब १९५७ में, अमरीका का स्वास्थ फ़िलिपींस के बराबर आ गया है। और यही है इस दुनिया की करामात जिसे कई लोग वैश्वीकरण कहते है कि, एशिया, अरब देश, लेटिन अमरीका आगे हैं स्वस्थ और शिक्षित मानव संसाधनों में, बजाय आर्थिक रूप के। और एक गडबड सी है आज जो हो रहा है, उसमें खासकर उभरती अर्थ-व्यवस्थाओं में। वहाँ सामाजिक लाभ, और सामाजिक प्रगति, वित्तीय प्रगति से आगे निकल रही है। और १९५७ में -- अमरीका का वित्तीय स्वास्थ आज के चिली जैसा था। और अमरीका को हमें कितना आगे लाना होगा चिली के आज के स्वास्थ के बराबर आने के लिये? मेरे हिसाब से हमें वहाँ जाना होगा - २००१, २००२ --- और अमरीका के पास वही स्वास्थ है जो चिली के पास है। चिली आगे बढ रहा है। कुछ दिनों मे चिली के पास बच्चों के जीने की बेहतर संभवनायें होंगी अमरीका के मुकाबले। ये बहुत बडा बदलाव है, कि आप के पास तीस से चालीस साल का फ़र्क है स्वास्थ के मामले में। और स्वास्थ के बाद है शिक्षा। और बहुत सारी चीजें हैं मूलभूत सुविधाओं के बारे में, और मानव संसाधनों के बारे में। अब इसे हटा देते हैं--- और मैं आपको दिखाना चाहता हूँ इस बदलाव की गति, इस की दर, कि कितना तेज सब हुआ है हम वापस जाते हैं १९२० में, और मैं जापान को देखना चाहता हूँ। और अमरीका और स्वीडन को। यहाँ मैं एक दौड दिखाना चाहता हूँ इस पीले सी फ़ोर्ड और इस लाल टोयोटा के बीच, और इस भूरी से वोल्वो के बीच। (हँसी) और ये हम चलते हैं, टोयोटा ने शुरुवात अच्छी नहीं रखी है, आप देख सकते हैं, और अमरीका की फ़ोर्ड रोड के बाहर आ रही है। और वोल्वो अभी भी ठीक कर रही है। ये लडाई का वक्त आ गया है। टोयोटा रास्ते से बाहर हो गयी है, और अब टोयोटा फ़िर से स्वीडन के स्वास्थ की तरफ़ आ रही है --- आप देख रहे हैं? और वो स्वीडन से आगे निकल रहे हैं, और अब वो स्वीडन से ज्यादा स्वस्थ हैं। यहाँ पर वोल्वो को मैं बेच देता हूँ, और टोयोटा खरीद लेता हूँ। (हँसी) और अब हम देख सकते हैं कि किस महान गति से जापान आगे बढ रहा है। और वो रेस में वापस आ चुके हैं। और ये भी बदल रहा है। हमें कई पीढियों पर नज़र डालनी होगी इसे समझने के लिये। और मैं आपको अपने परिवार का ही इतिहास दिखाता हूँ --- हमने ये कुछ ग्राफ़ बनाये हैं। और फ़िर वही बात है, यहाँ नीचे पैसे, और वहाँ स्वास्थ, है न? और ये है मेरा परिवार। ये स्वीडन है, १८३० मे, जब मेरे परदादा की दादी का जन्म हुआ था। स्वीडन तब सियरा लियोन की तरह था। और ये है जब मेरी परदादी पैदा हुई थी, १८६३। और तब स्वीडन मोज़ाम्बिक की तरह था। और ये है जब मेरी दादी पैदा हुयी, १८९१। और उन्होंने मुझे बचपन में पाला था, तो मैं अब सांख्यिकी के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ -- ये मेरे परिवार का मौखिक इतिहास है। और मैं आँकडों में तभी विश्वास करता हूँ जब मेरी दादी उन्हें सही करार देती हैं। (हँसी) मेरे ख्याल से इतिहास के आँकडों को प्रमाणित करने का यह सबसे बेहतर तरीका है। स्वीडन घाना के जैसा था। ये विशाल अनेकता बहुत ही रोचक है सह-सहारन अफ़्रीका के अंदर। मैनें आपको पिछले साल बताया था, और मैं अब फ़िर बता रहा हूँ, मेरी माँ मिश्र में पैदा हुई थी, और मैं -- मैं क्या हू? मैं अपने परिवार का मैक्सिकन हूँ। और मेरी बेटी, वो तो चिली में पैदा हुई थी। और मेरी पोती सिंगापुर में, जो कि पृथ्वी की सबसे स्वस्थ जगह है। इस ने स्वीडन को करीब तीन साल पहले पछाड दिया, बच्चों के जीने की बेहतर संभावना के साथ। मगर वो बहुत छोटी जगह है। वो अस्पताल के इतने नज़दीक होते हैं कि हम उनसे तेज इन जंगलों में नहीं जा सकते। (हँसी) मगर जो है सो है, तो सिंगापुर ही बेहतर है, कम से कम इस वक्त। ये बड़ी अच्छी कहानी जैसा लगता है। मगर ये सच में उतना आसान नहीं है; क्योंकि अब आपको एक और खासियत दिखाना चाहता हूँ। हम किसी एक रंग को किसी खास बात से जोड सकते हैं -- देखिये मैं क्या चुन रहा हूँ? कार्बन-डाई-आक्साइड का निकास, टनों मे, प्रति व्यक्ति। ये है १९६२, और अमरीक करीब १६ टन प्रति व्यक्ति छोड रहा है। और चीन ०.६, और भारत ०.३२ टन प्रति व्यक्ति। और अब क्या होगा जब हम आगे बढेंगे? देखिये, अब आप देख रहे है अच्छी कहानी रईस होने की और स्वस्थ होने की -- सबने इसे अपना कार्बन डाई आक्साइड रिसाव बढा कर पूरा किया है। आज तक ये किसी ने किया है। और हमारे पास ताजा आँकडे भी नही है क्योंकि ये आजकल काफ़ी कीमती जानकारी है। और ये है , सन २००१। और एक विचार-गोष्ठी जो मैनें संसार के प्रख्यात नेताओं के साथ की थी, उसमें सबने कहा, कि समस्या है उभरती हुई अर्थ-व्यवस्थायें, वो बहुत ज्यादा कार्बन डाई आक्साइड छोड रही हैं। भारत के पर्यावरण मंत्री ने कहा, "असल मे, आप लोगों ने ही समस्या को जन्म दिया है।" ओ.ई.सी.डी. देश -- मतलब ऊँची कमाई वाले देश --- उन्होंने ने ही पर्यावरण में बदलाव किया है। "मगर हम आप को क्षमा करते है, क्योंकि आपको नहीं पता था। अब से हम प्रति व्यक्ति गणना करेंगे। अब से हम प्रति व्यक्ति ही गणना करेंगे। और हर कोई इस प्रति व्यक्ति रिसाव के लिये जिम्मेदार होगा।" ये आपको दिखाता है, कि हमने ढंग की आर्थिक तरक्की और स्वास्थ तरक्की नहीं की है, दुनिया में कहीं भी पर्यावरण को दूषित किये बिना। और यही है जिसे बदलना होगा। मेरी आलोचना हो सकती है आपको दुनिया का सकारात्मक रूप दिखाने के लिये, मगर मुझे लगता है कि मैं सही हूँ। विश्व असल में काफ़ी गडबड जगह है। इसे हम कहते है डॉलर स्ट्रीट। हर कोई इसे गली में रहता है। ये यहाँ जो कमाते हैं -- किस नंबर में वो रहते हैं -- और वो कितना प्रति दिन कमाते हैं। ये परिवार प्रति दिन करीब एक डॉलर कमाई करते हैं। हम इस गली में आगे बढते हैं, यहाँ हमें एक परिवार मिलता है जो करीब ३ डॉलर प्रतिदिन कमाता है। और फ़िर हम यहाँ आते है -- हमें गली का पहला बगीचा दिखता है, और वो करीब १० से ५० डॉलर प्रतिदिन कमाते हैं। और वो रहते कैसे हैं? अगर हम बिस्तरों को देखें, तो पायेंगे कि ये फ़र्श पर पडी दरी पर सोते हैं। ये है गरीबी की रेखा -- ८० प्रतिशत पारिवारिक कमाई केवल बिजली और खाने की समस्या निपटाने में चली जाती है। ये है दो से पाँच डॉलर की स्थिति, जहाँ आपके पास बिस्तर है। और यहाँ एक बेहतर बेडरूम है, आप देख सकते हैं। मैनें आइकिया में इस पर लेक्चर दिया था, और वो इसे देखना चाहते थे ये सोफ़ा जल्दी से लग जाये। (हँसी) और ये सोफ़ा, अब ये यहाँ से कैसे आगे बढेगा। और रोचक बात ये है , कि जब आप इसमें आगे बढेंगे, तो आप देखेंगे कि ये परिवार अभी भी फ़र्श पर ही बैठा है, जब कि यहाँ सोफ़ा है। अगर आप रसोई देखेंगे, तो आप पायेंगे कि औरतों के जीवन में बदलाव महज दस डॉलर में नहीं आता। वो आता है इस से आगे, जब आप परिवार के लिये अच्छी कार्य-स्थितियाँ पैदा कर सकें। और अगर सच में फ़र्क देखना है, तो आप टायलट देखें। ये बदल सकता है। ये तस्वीरें अफ़्रीका की हैं, और ये बेहतर हो सकती हैं। हम गरीबी से बाहर निकल सकते हैं। मेरा अपना शोध आई.टी. या इस से जुडी विधा में नहीं है। मैने २० साल बिताये हैं अफ़्रीकन किसानों से बातचीत करते हुये, जो कि भुखमरी के कगार पर हैं। और ये परिणाम है किसानों की ज़रूरत पर किये गये शोध का। इस में आप को ये नहीं पता लगेगा कि आखिर शोधकर्ता कौन हैं। तब ही जा कर शोध वास्तव में समाज में काम कर सकता है -- आप को सच में लोगों के साथ रहना होता है। जब आप गरीबी से जूझ रहे होते है, बात जिंदगी-मौत की होती है। खाना खा पाने का सवाल होता है। और ये युवा किसान, अब ये लड़कियाँ हैं -- क्योंकि माता-पिता एच.आई.वी और एड्स के शिकार हो चुके हैं -- वो एक प्रशिक्षित कृषि-अर्थ-शास्त्री से विमर्श कर रही हैं। ये मालावी से सबसे माने हुए विद हैं, जनताम्बे कुम्बिरा और ये विमर्श कर रहे है, कि किस तरह के कसावा इन्हें लगाने चाहिये -- धूप को भोजन में बदलने में माहिर पौधे। और वो बहुत ही ज्यादा उत्सुक हैं सलाह पाने के लिये, और गरीबी में भी जिंदा रह पाने में। ये एक संदर्भ है। गरीबी से बाहर आना। एक औरत ने हम से कहा, "हमें तकनीकों की ज़रूरत है। हमें इस कंक्रीट से घृणा है, घंटों खडे रहना पसंद नहीं। हमें एक चक्की दें जिस से कि हम अपना आटा पीस सकें, इस से हम अपने खर्चे उठा सकेंगे।" तकनीक आपको गरीबी से बाहर निकाल सकती है, मगर गरीबी से बाहर आने के लिये एक बाज़ार की ज़रूरत है। ये औरत बहुत खुश है, क्योंकि ये अपने उत्पाद को मार्केट तक पहुँचा सकती है। मगर ये धन्यवाद देती है स्कूलों में खर्च हुये सरकारी धन का जिस से इसने गिनती सीखी, और इसे अब बाज़ार में कोई धोखा नहीं दे सकता। ये चाहती है कि इस का बच्चा स्वस्थ रहे, जिस से कि ये बाजार जा सके और इसे घर पर न रहना पडे। और उसे एक ढाँचा चाहिये -- पक्की सड़क तो चाहिये ही साथ ही ऋण भी चाहिये। लघु-ऋण से उसे साइकिल मिली, पता है आपको? और ताजा जानकारी से पता लगेगा कि उसे कब बाजार जाना चाहिये और क्या ले कर। आप ये कर सकते हैं मेरा अफ़्रीका का २० साल का अनुभव ये कहता है कि जो असंभव सा लगता है, वो संभव है। अफ़्रीका ने कुछ गलती नहीं की है। पचास सालों में वो पुरातन स्थितियों से आगे आ कर करीब १०० साल पहले के यूरोप जितनी तरक्की कर चुके हैं, सही रूप से कार्य कर रहे राष्ट्र सरकार के साथ| मेरे ख्याल से सह-सहारन अफ़्रीका ने विश्व में सबसे ज्यादा तरक्की की है, पिछले पचास सालों में। क्योंकि हम ये भूल जाते हैं कि इन्होंने यात्रा शुरु कहाँ से की। ये जो वेवकूफ़ाना तर्क है विकासशील देश नाम का, जो कि हमें, और अर्जेंटीना और मोजाम्बिक को पचास साल पहले एक ही जगह रख देता है, और कहता है कि मोजाम्बिक नें उतनी तरक्की नहीं की। हमें दुनिया के बारे में और समझना पडेगा। मेरा एक पडोसी है जो कि २०० तरह की वाइन के बारे में जानता है। उसे सब पता है। उसे हर अंगूर का नाम, तापमान, और बाकी सब पता है। और मुझे दो ही तरह की वाइन पता है - रेड वाइन, और वाइट वाइन। (हँसी) मगर मेरे पडोसी को सिर्फ़ दो तरह के देशों के बारे में पता है -- औद्योगिक और विकासशील। और मुझे करीब २०० तरह के देश पता है, और मुझे आंकड़े पता हैं। मगर आप ऐसा कर सकते हैं। (अभिवादन) मगर अब संजीदा होना पडेगा। और संजीदा कैसे हों? ज़ाहिर है, पावर-पाइंट बना कर, है न? (हँसी) ऑफ़िस पैकेज को धन्यवाद, है न? ये क्या है, मैं आखिर बता क्या रहा हूँ? मैं ये बता रहा हूँ कि विकास के कई पहलू हैं। हर कोई आपकी प्यारी चीज चाहता है। अगर आप कार्पोरेट सेक्टर में है, तो आपको लघु-ऋण पसंद आयेंगे। अगर आप गैर-सरकारी संस्था में लड़ाई लड़ रहे हैं, तो आपको स्त्री-पुरुष की बराबरी पसंद होगी। और अगर आप शिक्षक है, तो आप को यूनेक्सो पसंद होगा, वगैरह। पूरे विश्व के हिसाब से, हमें हमारी पसंदीदा चीज से आगे जाना होगा। हमें असल में सब कुछ चाहिये। ये सारी चीजें विकास के लिये जरूरी हैं, खासकर जब आप गरीबी से लडाई की बात करती हैं, और आपको सर्व-कल्याण की तरफ़ जाना है। अब हमें क्या सोचने की ज़रूरत है कि विकास का लक्ष्य आखिर है क्या, और विकास का अर्थ क्या है? मुझे बताने दीजिये कि 'सबसे ज़रूरी' का क्या अर्थ है? पब्लिक-स्वास्थ का प्रोफ़ेसर होने के नाते, आर्थिक सुधार मेरे लिये सबसे महत्वपूर्ण है विकास के लिये, क्योंकि इस से ८०% प्रतिशत लोगों के जीने के बारे में है। शासन प्रणाली. सरकार के चलने के लिये -- इसी ने कैलीफ़ोर्निया को १८५० से संकट से बाहर निकाला था। कानून का राज आखिर कार सरकार ने ही लागू किया था। शिक्षा, मानव-संसाधन भी ज़रूरी है। स्वास्थ जरूरी है, मगर एक ज़रिये के रूप में शायद नहीं। पर्यावरण महत्वपूर्ण है। मानवाधिकार भी ज़रूरी है, मगर उसे थोडे कम नंबर मिले हैं। लेकिन लक्ष्य क्या है? हम कहाँ जा रहे हैं? हम पैसे में रुचि नहीं रखते। पैसा लक्ष्य नहीं है। वो बहुत बढिया साधन है, मगर लक्ष्य के रूप में उसे जीरो मिलता है। शासन-प्रणाली, ठीक है, वोट देना थोडा सा मजेदार है, मगर ये भी लक्ष्य नहीं है। और स्कूल जाना, नहीं वो भी लक्ष्य नहीं, बल्कि एक साधन है। स्वास्थ को मैं दो नंबर दूँगा। स्वस्थ होना तो अच्छा है न। खासकर मेरी उम्र में -- अगर आप यहाँ खडे रह सकते है, तो आप स्वस्थ हैं। और ये बढिया बात है, तो इसे मिलते हैं दो नंबर। पर्यावरण बहुत ही ज्यादा ज़रूरी है। आपके पोते-पोतियों के लिये कुछ नहीं बचेगा अगर आप नही कुछ करेंगे। मगर ज़रूरी लक्ष्य क्या हैं? मानवाधिकार, बेशक। मानवाधिकार ही लक्ष्य है, मगर ये उतना बडा साधन नहीं है विकास प्राप्त करने का। और संस्कृति? संस्कृति सबसे ही ज्यादा जरूरी है, मैं कहूँगा, क्योंकि उस से ही तो जीवन में प्रसन्नता आती है। जीवन की पूँजी तो वही है न। तो देखिये, जो असंभव लगता है, वो संभव है। जी हाँ, अफ़्रीकी देश भी इसे पा सकते हैं। और मैने आपको दिखाया है कि उन्होंने असंभव को संभव किया है। और याद रखियेगा, मेरा मुख्य संदेश, जो कि ये है: कि असंभव सा लगने वाला बिलकुल ही संभव है। और हम एक अच्छे विश्व की कामना कर सकते हैं। मैने आपको दिखाया है, बिल्कुल पावर-पाइंट इस्तेमाल करके, और मुझे लगता है कि मैं आपको संस्कृति से भी मनवा लूँगा। (हँसी) (अभिवादन) मेरी तलवार लाइये! तलवार निगलने का ये तरीका प्राचीन भारत का है। संस्कृति की इस पहचान ने हज़ारों साल तक मनुष्य को सहज से आगे सोचने पर मजबूर किया है। (हँसी) और अब मैं प्रमाण दूँगा कि असंभव को संभव किया जा सकता है इस लोहे की तलवार को --- असली लोहे की तलवार को --- ये स्वीडन आर्मी की तलवार है, १८५० से, जब आखिरी बार हमने युद्ध किया था। और ये खालिस लोहा -- सुनिये ध्यान से। और मैं इस तलवार को लूँगा अपने शरीर के अंदर, माँस और खून से भरे शरीर के अंदर, और दिखा दूँगा कि असंभव को भी पाया जा सकता है। क्या एक मिनट के लिये सन्नाटा कर सकते हैं? (अभिवादन) मार्को टेम्पेस्ट: मैं आज आपको जो दिखाना चाहता हूँ वह एक प्रकार का प्रयोग है | आज यह पहली बार दिखाया जायेगा | यह अग्युमेंटेड रेआलिटी तकनीक का प्रदर्शन है | जो द्रश्य आप देखने वाले हो वो पहले से रिकॉर्ड किये हुए नहीं है | उसका सीधा प्रसारण होगा और मेरे सांथ सीधे प्रतिक्रिया करेंगे | मैं इसे एक तरह का तकनीकी जादू समझता हूँ | तो आशा है सब अच्छा हो | और आप इस बड़े परदे की ओर नजर रखिये | अग्युमेंटेड रेआलिटी असली दुनिया का कंप्यूटर द्वारा बनाये काल्पनिक दुनिया से संगठन है | जादू की विवेचना का यह सबसे अच्छा माध्यम है और यह पूछने का कि क्यों इस तकनीकी युग में भी जादू लगातार हमें आश्चर्यचकित करता रहता है | जादू धोखा है, पर इस धोखे को ही हम पसंद करते हैं | धोखे का आनंद लेने के लिए सबसे पहले एक दर्शक को अपने अविश्वास को छोड़ना होगा | कवि सम्यूअल टेलर कोलरिग ने पहली बार मन के ग्रहण करने की इस अवस्था के बारे में कहा था | सम्यूअल टेलर कोलरिग: मैं अपनी रचनाओं में सत्य की एक झलक दिखलाने की कोशिश करता हूँ इस कल्पना की अभिव्यक्ति के लिए कुछ समय के लिए अपने अविश्वास को अपनी इच्छा से छोड़ना ही कविता में विश्वास लेकर आता है | किसी भी प्रकार के नाटकीय अनुभव के लिए कल्पना पर विश्वास होना बहुत जरुरी है | इसके बिना एक आलेख केवल शब्द हैं | अग्युमेंटेड रेआलिटी एक बहुत ही नयी तकनीक है | और हाथ की सफाई निपुणता की एक कलात्मक अभिव्यक्ति है | हम सभी अपने अविश्वास में समर्पित होने में बहुत अछे हैं | हम इसे प्रतिदिन करते हैं , उपन्यास पढ़ते समय , टीवी देखते समय या फिल्म देखते समय | हम ख़ुशी से कल्पना की दुनिया में जाते हैं जहाँ अपने नायकों की जयकार करते हैं और उन दोस्तों के लिए रोते हैं जो कभी हमारे दोस्त ही नहीं थे | इस योग्यता के बिना कोई जादू संभव नहीं है | जेंन रोबेर्ट हौडिंग फ्रांस के महान जादूगर ने सबसे पहले जादूगर की भूमिका एक कहानीकार के रूप में पहचानी थी | उन्होंने जो कहा था उसे मैंने अपने स्टूडियो की दीवाल पर लिखा है | जेंन रोबेर्ट हौडिंग: जादूगर एक कलाबाजी करने वाला व्यक्ति नहीं है | वो एक अभिनेता है जो कि एक जादूगर की भूमिका अदा करता है | इसका मतलब यह है कि जादू एक थिएटर है और हर एक हाँथ की सफाई एक कहानी है | जादू की कलाएं मूल रूप से काल्पनिक कहानियों की ही तरह हैं | इसमे पाने और खोने की कहानियां हैं मृत्यु और पुनर्जन्म की कहानियां हैं और कठिनाइयाँ है जिसे पार करना जरुरी है | कुछ कहानियां बहुत ही ज्यादा नाटकीय हैं | जादूगर आग और लोहे से खेलते हैं , आरी के तेज धार का सामना करना बन्दूक की गोलियों को रोकने का साहस करना या जानलेवा तरीके से बच कर निकलने का प्रयास करते हैं | पर दर्शक जादूगर को मरते हुए देखने के लिए नहीं आते , वो उसे जीवित रहे ये देखने आते हैं | क्योंकि अच्छी कहानियों का हमेशा सुखद अंत होता है | जादू की कलाओं की एक विशेष बात यह है कि इसकी कहानियों में एक मोड़ होता है | एडवर्ड दे बोनो का कहना था की हमारा दिमाग प्रतिरूप बनाने की एक मशीन है उनका कहना था कि जादूगर जान बूझ कर जिस तरह दर्शक सोचते हैं उसका फायदा उठाते हैं | एडवर्ड दे बोनो : जादू लगभग पूरी तरह से छणिक त्रुटी पर निर्भर करता है | दर्शकों को ऐसी कल्पना या विस्तार में बातें बताई जाती हैं जो कि पूरी तरह से उचित है, परन्तु जो उनके सामने किया जा रहा है वास्तव में वो उससे मेल नहीं खाते | इसलिए जादू के खेल एक चुटकुले की तरह हैं | चुटकुले हमें एक अपेक्षित स्थान के रास्ते पर लेकर जाते हैं | पर अचानक जैसे ही जो हमने सोचा था वो पूरी तरह से अप्रत्याशित द्रश्य में बदल जाता है, तब हम हँसते है | जब लोग जादू के खेल देखते हैं तब भी बिलकुल ऐसा ही होता है | अंत तर्क को गलत सिद्ध कर देता है, समस्या को एक नया नजरिया देता है और दर्शक हंसी के सांथ आश्चर्य प्रकट करते हैं | बेवकूफ बनने में भी एक मजा है | सभी कहानियों की एक विशेषता यह है कि वो लोगों के सांथ बांटने के लिए बनी होती हैं | हम उसे लोगों को सुनाने के लिए मजबूर महसूस करते हैं | जब मैं किसी पार्टी में जादू करता हूँ -- (हंसी) तो वो आदमी तुरंत पर अपने दोस्त को खींच कर लाता है और मुझसे फिर से करने का आग्रह करता है | वो इस अनुभव को बाँटना चाहते हैं | यह मेरा काम और मुश्किल कर देता है, क्योंकि, अगर मैं उन्हें हैरान करना चाहता हूँ , तो मुझे एक ऐसी कहानी सुनानी होगी जिसकी शुरवात तो वैसी ही हो पर अंत अलग होना चाहिए -- एक जादू की कहानी जिसके मोड़ पर एक मोड़ आ जाये | यह मुझे व्यस्त रखता है | विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कहानियां हमारी क्षमता के परे जाकर हमारा मनोरंजन करती हैं | हम कहानी की संरचना में सोचते हैं | हम घटनाओं और भावनाओं से जुड़ते हैं और उसे स्वाभाविक रूप से ऐसे द्रश्यों में परिवर्तित कर देते हैं जिसे आसानी से समझा जा सकता है | यह एक एक विशिष्ट मानव उपलब्धि है | हमें सभी अपनी कहानियां सुनाना चाहते हैं , चाहे वह पार्टी में देखा गया जादू हो, ऑफिस का एक बुरा दिन हो , या छुट्टियों में देखी गई एक खुबसूरत शाम हो | आज, हम तकनिकी के आभारी हैं जिससे, हम उन कहानियों को वैसे सुना सकते हैं जैसा पहले ना था ईमेल से ,फेसबुक से , ब्लॉग ,ट्वीट, TED (टेड) पर | सोसल नेटवर्किंग के ये उपकरण एक डिजिटल कैम्प फ़ायर की तरह हैं जिसके घेरे में दर्शक कहानियां सुनने एकत्रित होते हैं | हम तथ्यों को अलंकार और मुस्कान में बदलते हैं और कल्पनाओं में भी बदलते हैं | हम हमारे जीवन के ख़राब समय को अच्छा करते हैं ताकि जीवन पूरा लगे | हमारी कहानियां हमें वह इन्सान बनाती हैं जो हम हैं और कभी कभी जैसा इन्सान हम बनना चाहते हैं | वो हमें हमारी पहचान देती हैं और समुदाय की भावना बनाती हैं | और अगर कहानी अच्छी हो तो, वह शायद हमारे चहरे पर मुस्कान भी ले आये | धन्यवाद | (अभिवादन) धन्यवाद | (अभिवादन) तो, यह बहुत रोमांटिक किए बिना: कल्पना कीजिए कि आप अपने घर को हर रात मिट्टी तेल व मोमबत्तियों से रोशन करते हैं और आप अपना खाना कोयले से पकाते हैं। दुनिया के दो अरब गरीब लोग ऐसे रोज़ाना अपने घरों में पकाते व प्रकाश करते हैं। यह सिर्फ असुविधाजनक ही नहीं है, यह पर्याप्त नही यह महंगा है, यह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, पर्यावरण के लिए हानिकारक, और यह अनुत्पादक है। और यह ऊर्जा गरीबी है। तो मैं आपको कुछ उदाहरण देता हूं। मैं हैती में काम करता हूं, जहां लगभग 80% आबादी ऊर्जा गरीबी में रहती है। औसत घर परिवारअपनी आय का 10% खर्च करता है रोशनी के लिए मिट्टी के तेल पर - यह परिमाण में औसत अमेरिकी परिवार के खर्च से कहीं अधिक है जो वह अपने घरों में रोशनी के लिए बिजली पर करते हैं। हैती में 2008 के तूफानी मौसम की वजह से लगभग एक अरब डॉलर की क्षति हुई। यह उनकी जी.डी.पी. का छठा भाग था। नुकसान इतना गंभीर था क्योंकि हैती में प्राथमिक ऊर्जा ईंधन लकड़ी का कोयला है, जो पेड़ों से बनाया जाता है, और देश लगभग पूरी तरह से वन रहित हो गया है। परिणामस्वरूप पेड़ों के बिना देश भारी वर्षा व बाढ़ को अवशोषित नहीं कर सकता। तो औद्योगिक दुनिया में, हम दीवारें बनाते हैं जो ऊर्जा उपयोग के बाहरी हिस्सों से हमारी रक्षा करती हैं; हम तीव्र पर्यावरणीय आपदाओं को साफ कर सकते हैं; व हम जलवायु परिवर्तन जैसे पुराने हालात के अनुकूल होना भी बर्दाश्त कर सकते हैं। हैती की स्तिथि ऐसी नहीं है। वे इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। उनके लिए स्वयं को ऊर्जा गरीबी से बाहर निकालने का एकमात्र तरीका अधिक कुशल ऐसे ईंधन को अपनाना है, जो कम खर्चीले हैं, जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बेहतर हैं और जो अधिक उत्पादक हैं। तो यह पता चला है कि वे ईंधन और प्रौद्योगिकियाँ मौजूद हैं, और यह उस का एक उदाहरण है। यह एक सौर एल.ई.डी. प्रकाश बल्ब है जोकि हम ग्रामीण हैती में लगभग 10 डॉलर के खुदरा मूल्य के लिए बेचते हैं। औसत हैतीयन परिवार के लिए भुगतान की अवधि तीन महीने से कम है। औसत हैतीयन परिवार के लिए। ऊर्जा गरीबी को हल करने के लिए नुस्खा बहुत सीधा लगता है: आप इन तकनीकों का विकास करते हैं जिनका निवेश पर अधिक लाभ है, और लोगों को उन्हें छीनना चाहिए लेकिन यह मामला नहीं है। पहली बार मैं हैती अगस्त,2008 में गया, एक तरह से झक मारने, व मैंने देश के ग्रामीण दक्षिण में ऊर्जा गरीबी आंकलन सर्वे किया। ऊर्जा गरीबी का आंकलन करने के लिए। और रात में, मैं कभी-कभी आसपास घूमता और मैं सड़क विक्रेताओं के साथ बात करता और देखता कि क्या वे सौर एल.ई.डी. लैंप खरीदने में रुचि रखते हैं। एक महिला जिससे मेरा सामना हुआ ने मेरी पेशकश को ठुकरा दिया, और उसने कहा, "सोम चैरी, सीस्ट ट्रॉप चेर, " मूल रूप से इसका मतलब है, "हे प्रिय, यह बहुत महंगा है।" लेकिन मैंने उसे समझाया, "देखो, यह आपका बहुत सारा पैसा बचाएगा, और यह तुम्हें बेहतर रोशनी भी देगा मिट्टी तेल की बजाय, जिसका आप उपयोग कर रहे हैं ।" इसलिए मैंने बिक्री नहीं की, लेकिन मैंने एक बहुत ही महत्वपूर्ण सबक सीखा, कि प्रौद्योगिकी, उत्पाद, ऊर्जा गरीबी समाप्त करने वाले नहीं थे। इसके बजाय, उसकी पहुँच करने वाली थी। विशेष रूप से, दो प्रकार की पहुँच हैं, जो ऊर्जा गरीबी को समाप्त करने वाले हैं: भौतिक पहुँच है और वित्तीय पहुँच है इसलिए, भौतिक पहुँच - इसका क्या मतलब है? विकासशील देशों में कम आय परिवार के लिए यह बहुत महंगा है मुख्य वाणिज्य केन्द्रों तक पहुँचने हेतु और उनके लिए Amazon.com से कुछ ऑर्डर करने मूल रूप से असंभव है "अंतिम मील" एक वाक्यांश है जो आम तौर पर जुड़ा हुआ है दूरसंचार उद्योग के साथ। इसका मतलब हैतार का अन्तिम हिस्सा जो प्रदाता को ग्राहक से जोड़ने के लिए ज़रूरी है। ऊर्जा गरीबी समाप्त करने के लिए हमें अंतिम मील फुटकर विक्रेता चाहिएँ जो लोगों तक ये स्वच्छ ऊर्जा उत्पाद ले आएँ। मिट्टी के तेल और लकड़ी कोयला मूल्य श्रृंखला से पहले ही यह पता लगा: ये ईंधन पूरे देश भर में सर्वव्यापी हैं। आप हैती के सबसे दूरदराज गॉंव में जा सकते हैं और आपको कोई न कोई मिट्टी का तेल और कोयला बेचते मिलेगा। तो अन्य प्रकार की पहुँच: वित्तीय। हम सभी जानते हैं कि स्वच्छ ऊर्जा उत्पाद, प्रौद्योगिकियाँ, उच्च अग्रिम कीमतों से चिन्हित होती हैं, लेकिन बहुत कम परिचालन कीमतों से। और प्रौद्योगिकी दुनिया में, हमारे पास बहुत उदार अनुवृत्तियाँ हैं जो विशेष रूप बनाई जाती हैं उन अग्रिम कीमतों को कम करने में। वे अनुवृत्तियाँ हैती में मौजूद नहीं हैं। उनके पास लघु अर्थव्यवस्था है। लेकिन आप स्वच्छ ऊर्जा उत्पाद का प्रस्तावित मूल्य बहुत ही कम करने वाले हो यदि आप हैती में किसी की लघु ऋण प्राप्त करने की उम्मीद करते हैं, फुटकर विक्रेता पास जाने की, और फिर साफ ऊर्जा उत्पाद खरीदने की। तो ऊर्जा गरीबी समाप्त करने के लिए नुस्खे अधिक जटिल हैं बस उत्पादों की बजाए। हमें वित्तीय पहुँच को एकीकृत करने की आवश्यकता है सीधे नए, परिवर्तनात्‍मक वितरण मॉडल में। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब है कि उपभोक्ता ऋण को फुटकर विक्रेता से जोड़ना। यह वास्तव में ब्लूमिंगडेल के लिए करना आसान है, लेकिन ग्रामीण हैती में बिक्री एजेंट के लिए यह इतना आसान नहीं है। हमें नकदी प्रवाह को पुनर्निर्देशित करने की आवश्यकता है जो अब संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवासियों द्वारा जा रहे हैं, वेस्टर्न यूनियन के माध्यम से तार हस्तांतरण नकदी में, सीधे स्वच्छ ऊर्जा उत्पादों में, जो हैती में सीधे मित्रों या परिवार को दे सकते हैं या वे उठा सकते हैं। तो अगली बार जब आप एक प्रौद्योगिकी या उत्पाद के बारे में सुनें जोकि दुनिया को बदलने वाला है, थोड़ा सा संदेह हो। आविष्कारक डीन कमान, वह आदमी जिसने "सेगवे" का आविष्कार किया, किसी भी मानदंड से एक प्रतिभाशाली, एक बार कहा था कि उनकी नौकरी आसान है, चीजों की खोज करना आसान है, कठिन हिस्सा प्रौद्योगिकी प्रसार है - प्रौद्योगिकी व उत्पाद उन लोगों तक पहुँचाना है जिन्हें सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। धन्यवाद। (तालियाँ) नमस्ते, मेरा नाम फ्रैंक है, और मैं रहस्य इकट्ठा करता हूं। यह सब एक उन्मादी विचार के साथ शुरू हुआ नवंबर 2004 में। मैंने 3,000 स्वयं-संबोधित पोस्टकार्ड छापे, बस इस तरह की। वे एक तरफ कोरे थे, और दूसरी तरफ मैंने कुछ सरल निर्देश सूचीबद्ध किए हैं। मैंने लोगों से गुमनाम रूप से एक कलात्मक रहस्य साझा करने के लिए कहा जो उन्होंने पहले कभी किसी को नहीं बताया था। और मैंने इन पोस्टकार्ड को यादृच्छिक रूप से सौंप दिया वाशिंगटन, डी.सी. की सड़कों पर, यह नहीं जानना कि क्या उम्मीद करनी है। लेकिन जल्द ही विचार वायरल हो गया। लोगों ने स्वयं पोस्टकार्ड खरीदना शुरू कर दिया और स्वयं पोस्टकार्ड बनाया। लोगों के रहस्य मेरे घर के मेलबॉक्स में आने लगे, न केवल वाशिंगटन डीसी से , अपितु टेक्सास, कैलिफ़ोर्निया से, वानकूवर, न्यूजीलैंड, इराक। जल्द ही मेरा उन्मादी विचार इतना सनकी नहीं लग रहा था। पोस्टसीक्रेट डॉट कॉम दुनिया में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली विज्ञापन-मुक्त ब्लॉग है। और यह आज मेरा पोस्टकार्ड संग्रह है। आप मेरी पत्नी को आधे मिलियन से अधिक रहस्यों के पिरामिड पर पोस्टकार्ड को सम्भालने में संघर्ष करते हुए देख सकते हैं। मैं अब क्या करना चाहता हूँ आपके साथ बहुत ही खास मुट्ठी भर रहस्यों को साझा कर रहा हूँ उस संग्रह से, इससे शुरू करता हूँ। "मैंने इन टिकटों को बचपन में पाया था, और मैं सारा जीवन इंतजार कर रहा हूं किसी को उन्हें भेजने के लिए। मेरे पास कभी विश्वासपात्र नहीं था। " रहस्य कई रूप ले सकते हैं। वे चौंकाने वाले हो सकते हैं या भोले या भावपूर्ण हो सकते हैं । वे हमें अपनी आत्मिक मानवता से जोड़ सकते हैं या उन लोगों के साथ जिन्हें हम कभी मिलेंगे नहीं। (हंसी) शायद आप में से एक ने इसे भेजा है। मुझे नहीं पता। यह लोगों की रचनात्मकता प्रदर्शित करने का अच्छा काम करता है जब वे एक पोस्टकार्ड बनाते हैं और मुझे भेजते हैं। यह स्पष्ट रूप से आधे स्टारबक्स कप से बना था एक स्टैम्प और दूसरी तरफ लिखा गया मेरा घर का पता। "प्रिय जन्मदिन, मेरे पास महान माता-पिता हैं। मुझे प्यार मिला है। में खुश हूँ।" रहस्य हमें अनगिनत मानव नाटकों की याद दिला सकते हैं, कमजोरी और वीरता, जो चुपचाप हमारे चारों ओर लोगों के जीवन में घटित हो रहे हैं, अब भी। "हर कोई जो 9/11 से पहले मुझे जानता था मानता है कि मैं मर चुका हूं। । " "मैं उग्र धार्मिक लोगों के समूह के साथ काम करता था, तो कभी-कभी पैंटी नहीं पहनता था, और सिर्फ एक बड़ी मुस्कान थी और स्वयं पर हँसा करता था। " (हंसी) ¶ इससे पहले कि मैं अगला आपके साथ साझा करूँ, मैं स्पष्टीकरण देना चाहूँगा । मुझे कॉलेज परिसरों में बात करना और छात्रों के साथ रहस्य और कहानियां साझा करना अच्छा लगता है । और कभी-कभी मैं रुककर किताबों पर हस्ताक्षर करता हूँ और छात्रों के साथ फोटो लेता हूँ । और यह अगला पोस्टकार्ड उन तस्वीरों में से एक से बनाया गया था। और मुझे यह भी जिक्र करना चाहिए कि, आज की तरह, उस पोस्टसेक्रेट कार्यक्रम पर मैं एक वायरलेस माइक्रोफोन का उपयोग कर रहा था। "आपका माइक ध्वनि जांच के दौरान बंद नहीं था। हम सभी ने आपको पेशाब करते सुना। " (हंसी) यह वास्तव में शर्मनाक था, जब तक मुझे एहसास हुआ कि यह और भी खराब हो सकता था। सही। आप जानते हैं कि मै क्या कह रहा हूँ। (हंसी) ¶ "इस लिफाफे के अंदर एक आत्महत्या नोट के टुकडे हैं जिनका मैंने उपयोग नहीं किया। मैं पृथ्वी पर सबसे खुश व्यक्ति महसूस करता हूं (अब।) " "इनमें से एक पुरुष मेरे बेटे का पिता है। वह इस रहस्य को रखने के लिए मुझे बहुत भुगतान करता है। " (हंसी) ¶ "उस शनिवार जब तुमने सोचा कि मैं कहाँ था, मैं तुम्हारी अंगूठी खरीद रहा था। वह अभी मेरी जेब में है। " पोस्टस्क्रिट ब्लॉग पर यह पोस्टकार्ड पोस्ट किया गया था दो साल पहले वेलेंटाइन डे पर। यह सब से नीचे, लंबे स्तंभ में अंतिम रहस्य था । और यह कुछ घंटों से अधिक समय तक ब्लॉग पर नहीं रहा था, इससे पहले ही मुझे इस पोस्टकार्ड को मेल करने वाले लड़के से शानदार ईमेल प्राप्त हुआ । और उसने कहा, "फ्रैंक, मुझे आपके साथ साझा करना है यह कहानी जो अभी मेरे जीवन में घटित हुई है। " उसने कहा, "मेरे घुटने अभी भी हिल रहे हैं।" उसने कहा, "तीन साल से, मेरी प्रेमिका और मैं, हमने इसे रविवार की सुबह का अनुष्ठान बना दिया है एक साथ पोस्टसेक्रेट ब्लॉग पर जाएं और जोर से रहस्यों को पढ़ें। मैं उसके लिए कुछ पढ़ता हूँ, वो मेरे लिए कुछ पढ़ती है। " वह कहता है, " कि यह वास्तव में हमें नज्दीक लाया है गुजरे सालों में। और इसलिए जब मैंने पाया कि आपने बहुत नीचे पोस्ट किया था मेरी प्रेमिका के लिए मेरा आश्चर्य प्रस्ताव, मैं बहुत भावुक था । और मैंने शांत रूप से कार्य करने की कोशिश की। और बस हर रविवार की तरह, हमने एक दूसरे के लिए जोर से रहस्यों को पढ़ना शुरू कर दिया। " उसने कहा, "लेकिन इस बार ऐसा लगता था कि वह बहुत समय ले रहा था प्रत्येक रहस्य पढने के लिए। " लेकिन उसने अंत में किया। वह उस निचले रहस्य के पास पहुंची, उसका प्रस्ताव। और उसने कहा, "उसने इसे एक बार पढ़ा और फिर उसने इसे फिर से पढ़ा।" और वह उसकी तरफ मुडी और कहा, "क्या यह हमारी बिल्ली है?" (हंसी) और जब उसने इसे देखा, वह एक घुटने पर नीचे था, अंगूठी बाहर निकाली था। इसने सवाल उठाया, उसने हाँ कहा। यह बहुत ही ख़ुशी का समापन था। तो मैंने उसे वापस ईमेल किया और मैंने कहा, "कृपया मेरे साथ एक तस्वीर साझा करें, जिसे मैं पूरे पोस्टसेक्रेट समुदाय के साथ साझा कर सकता हूं और हर किसी के साथ आपकी परीकथा समापन साझा होने दें। " और उसने मुझे यह तस्वीर ईमेल की। (हंसी) ¶ "मुझे इस ग्रीष्म ऋतु में लोलापालूजा में आपका कैमरा मिला। मैंने अंततः चित्रों को विकसित किया और मैं उन्हें आपको देना पसंद करूंगा। " यह तस्वीर उन्के पास वापस नहीं गई, जो लोग इसे खो चुके हैं, लेकिन इस रहस्य ने कई लोगों को प्रभावित किया है, कनाडा में एक छात्र, मैट्टी के साथ शुरूवात हुई मैट्टी उस रहस्य से प्रेरित था मैट्टी को उस रहस्य से अपनी वेबसाइट शुरू करने की प्रेरणा मिली, आई फाउंड योर कैमरा नामक एक वेबसाइट। मैट्टी लोगों को आमंत्रित करता है उसे डिजिटल कैमरे मेल करने के लिए जो उन्हें मिला है, मेमोरी स्टिक्स जो खो गया है अनाथ तस्वीरें के साथ। और मैट्टी इन कैमरों से तस्वीरें लेता है और उन्हें हर सप्ताह अपनी वेबसाइट पर पोस्ट करता है। और लोग वेबसाइट पर आते हैं यह देखने के लिए कि क्या वे एक तस्वीर की पहचान कर सकते हैं जो उन्होंने खो दिया है या किसी और को फ़ोटो वापस पाने में मदद करें जो शायद निराशापूर्वक खोज कर रहे थे । यह मेरा पसंदीदा है। (हंसी) ¶ मैट्टी को यह सरल तरीका मिला है अजनबियों की नेकी की शक्ति का उप्योग करने का और यह एक साधारण विचार की तरह प्रतीत हो सकता है, और यह है, लेकिन लोगों के जीवन पर इसका असर बहुत अच्छा हो सकता है। मैट्टी ने मेरे साथ साझा किया उन्हें प्राप्त एक भावनात्मक ईमेल उस तस्वीर में मां से। "यह मैं हूं, मेरे पति और बेटे। अन्य तस्वीरों मैं मेरी बहुत बीमार दादी हैं। आपकी साइट बनाने के लिए धन्यवाद। ये तस्वीरें मेरे लिए बेहद मूल्यवान हैं। मेरे बेटे का जन्म इस कैमरे पर है। वह कल चार वर्ष का होगा। " प्रत्येक तस्वीर जो आप वहां देखते हैं और हजारों अन्य उसे खोने वाले व्यक्ति को वापस लौटा दिया गया है - कभी-कभी महासागरों को पार करते हुए, कभी-कभी भाषा बाधाओं को पार करते हुए। यह आखिरी पोस्टकार्ड है जिसे मुझे आज आपके साथ साझा करना है। "जब लोग जिन्हें मै प्यार करता हूँ मेरे फोन पर वॉयस मेल छोड़ते हैं हमेशा उन्हें बचाता हूं, यदि कल वे मर गए तो, मेरे पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं होगा फिर से उनकी आवाज सुनने का। " जब मैंने यह रहस्य पोस्ट किया, दर्जनों लोगों ने अपने फोन से वॉयस मेल संदेश भेजे, कभी-कभी वे वर्षों तक रख रहे थे, परिवार या दोस्तों से संदेश जो मर गये थे। उन्होंने कहा कि उन आवाजों को संरक्षित करके और उन्हें साझा करना, इससे उन्हें अपने प्रियजनों की स्मृति को जीवित रखने में मदद मिली। एक जवान लड़की ने अंतिम संदेश पोस्ट किया जो उसने अपनी दादी से सुना। रहस्य कई रूप ले सकते हैं। वे चौंकाने वाला या मूर्ख हो सकता हैं या आत्मापूर्ण। वे हमें अपनी गहरी मानवता से जोड़ सकते हैं लोगों के साथ हम फिर कभी मिलेंगे नहीं। वॉयस मेल रिकॉर्डिंग: पहला सहेजा गया वॉयस संदेश। दादी: ♫ आज किसी का जन्मदिन है ♫ ♫ आज किसी का जन्मदिन ♫ ♫ मोमबत्तियाँ जगमगा रही हैं ♫ ♫किसी के केक पर♫ ♫और हम सभी आमंत्रित हैं♫ ♫किसी के लिए ♫ आज आप 21 साल के हैं। जन्मदिन मुबारक हो, और मैं तुमसे प्यार करता हूँ। मैं अब चलता हूँ, नमस्ते। एफ डब्ल्यू: धन्यवाद। (तालियां) ¶ धन्यवाद। (तालियां) ¶ जून कोहेन: फ्रैंक, वह सुंदर था, ¶ दिल को छु लेने वाला। क्या आपने कभी खुद को पोस्टकार्ड भेजा है? क्या आपने कभी पोस्टसेक्रेट को रहस्य भेजा है? एफ डब्ल्यू: मेरे प्रत्येक पुस्तक में मेरे अपने रहस्यों में से एक डालता हूँ। मुझे लगता है कि मैरे प्रोजेक्ट शुरू करने का कारण, भले ही मैं उस समय यह नहीं जानता था, था, क्योंकि मैं अपने रहस्यों से जूझ रहा था। और यह भीड़-सोर्सिंग के माध्यम से था, यह दयालुता के माध्यम से था जो अजनबी मुझे दिखा रहे थे, कि मैं उजागर कर सका मेरे अतीत के हिस्से जो मुझे परेशान कर रहे थे। जेसी: और क्या किसी ने कभी बताया है पुस्तक में आपका रहस्य कौन सा था? क्या आपके जीवन में कोई भी बताने में सक्षम है? एफडब्ल्यू: कभी-कभी मैं उस जानकारी को साझा करता हूं, हाँ। (हँसी) ¶ (तालियां) (संगीत) आप जानते होंगे की हर एक चीज़ छोटे चीज़ों से बनी हुई है - जिनका नाम है परमाणु| आप यह भी जानते होंगे की हर परमाणु और भी छोटे चीज़ों से बना है जिनके नामे हैं प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रान| आपने यह भी सुना होगा की परमाणु बहुत छोटे होते हैं| लेकिन आपने यह कभी नहीं सोचा होगा की परमाणु सच में कितने छोटे हैं| इसका जवाब है-बहुत, बहुत, बहुत छोटे| तोह आप पूछ रहे होंगे - परमाणु कितने छोटे होते हैं? यह समझने के लिए, हम यह प्रश्न पूछते हैं: एक चकोतरे में कितने परमाणु हैं? चलो हम मान लेते हैं की एक चकोतरा सिर्फ नाइट्रोजन परमाणु से बना है, जो की बिलकुल सच नहीं हैं, मगर चकोतरे में नाइट्रोजन परमाणु होते हैं| इसकी आसानी से कल्पना करने के लिए, हम हर परमाणु को एक ब्लूबेरी के आकर का सोच लेते हैं| फिर चकोतरे को कितना बड़ा होना होगा? उसे, वास्तव में, पृथ्वी के आकर का होना पड़ेगा| यह तो पागलपन है! आप कहना चाहते हैं की अगर मैं पृथ्वी को ब्लूबेरीस से भर दूं, मेरे पास उतने ही नाइट्रोजन के परमाणु कोंगे जितने एक चकोतरे में हैं? जी हाँ! तोह परमाणु कितना बड़ा है? बहुत, बहुत, बहुत छोटा| और क्या आप जानते हैं? यह और भी अविश्वसनीय होता है| अब हम एक परमाणु के अन्दर देखते हैं -- ब्लूबेरी के अन्दर, है ना? आपको वहाँ क्या दिखता है? परमाणु के केंद्र में एक चीज़ है जिसे हम न्यूक्लिस कहते है, जिसमे शामिल हैं प्रोतोंस और न्यूट्रोंस, और बाहर आपको इलेक्ट्रान दिखेंगे| तोह यह न्यूक्लिस कितना बड़ा होता है? अगर परमाणु पृथ्वी में भरे ब्लूबेरीस की तरह हैं, तोह न्यूक्लिस कितना बड़ा होगा? आपको अपनी विज्ञान कक्षा की तस्वीरें याद होंगी, जिनमें आपने कागज़ पर एक छोटी सी बिंदी देखी होगी, और न्यूक्लिस की और इशारा करती हुई एक तीर| लेकिन वो तस्वीर पैमाने पर नहीं छपे गए हैं, तो एक तरह से वह गलत हैं| तोह न्यूक्लिस कितना बड़ा होता है? अगर आपने ब्लूबेरी को खोल दिया, और न्यूक्लिस को ढूंडने लगे, जानते हैं क्या? वेह अदृश्य होएगा| वेह इतना छोटा है की दिखता भी नहीं है! अच्छा| हम परमाणु को बड़ा बना देते हैं -- ब्लूबेरी को -- एक घर के जितना बड़ा| तो एक गेंद की कल्पना करिए, जो दो मंजिल के घर के जितना बड़ा है| चलिए परमाणु के केंद्र मैं हम न्यूक्लिस की खोज करते हैं| और जानते हैं क्या? वह हमें बहुत कठिनाई से दिखेगा| एक न्यूक्लिस के आकार को अच्छी तरह समझने के लिए, हमें उस ब्लूबेरी को एक फुटबॉल स्टेडियम के जितना बड़ा बनाना होगा| अब एक फुटबॉल स्टेडियम जितने बड़े एक गेंद की कल्पना करिए और परमाणु के एकदम केंद्र में, आपको न्यूक्लिस मिलेगा, और आप उसे देख पाएंगे! और वह एक छोटे कंचे के बराबर का होगा| अब तक आपके मन को झटका नहीं लगा तो और भी है| हम परमाणु के बारे में थोड़ा और सोचते हैं| उसमे शामिल हैं प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन| प्रोटॉन और न्यूट्रॉन न्यूक्लिस के अन्दर रहते हैं, और परमाणु में सबसे अधिक वज़न रखते हैं| अति किनारे पर इलेक्ट्रॉन हैं| अगर एक परमाणु एक फुटबॉल स्टेडियम जितनी बड़ी गेंद है, जिसके केंद्र में न्यूक्लिस और किनारों पर इलेक्ट्रॉन हैं, न्यूक्लिस और इलेक्ट्रॉन के बीच में क्या है? इसका आश्चर्यजनक उत्तर है, खाली जगह| (हवा की आवाज़) जी हाँ| खाली! न्यूक्लिस और इलेक्ट्रॉन के बीच में विशाल खाली क्षेत्र हैं| अब तकनीकी रूप से वहाँ कुछ विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र हैं, लेकिन सामग्री के मामले में, खाली है| याद रखिये, ये विशाल खाली क्षेत्र उस ब्लूबेरी के अन्दर है, जो पृथ्वी के अन्दर है, जो सचमुच एक चकोतरे मैं भरे परमाणु हैं| अच्छा, एक और चीज़, अगर मैं और अजीब हो सकता हूँ| क्योंकि वास्तव में परमाणु का सारा भार उसके न्यूक्लिस में होता है-- अब कुछ भार तो इलेक्ट्रॉनस में भी होता है, लेकिन सबसे अधिक भार तो न्यूक्लिस में ही होता है-- एक न्यूक्लिस कितना घना होता है? इसका उत्तर अविश्वसनीय है| एक साधारण न्यूक्लिस का घनत्व 4 गुना 10 की शक्ति 17 किलोग्राम प्रति घना मीटर है| इसकी कल्पना करना मुश्किल है| ठीक है, मैं इसे इंग्लिश यूनिट्स में पेश करता हूँ| 2.5 गुना 10 की शक्ति 16 पाउंड प्रति घना फुट | यह फिर भी सोचना कठिन है| ऐसा करिए| एक डब्बा बनाइये जो हर किनारे से एक फुट है| अब हम एक मामूली गाड़ी से सारे न्यूक्लिस इक्कट्ठा कर लेते हैं| औसत पर गाड़ियों का वजन 2 टन होता है| अपने डब्बे में आपको कितने गाडिओं के न्यूक्लिस भरने होंगे ताकि आपके एक घने फुट के डब्बे का, और एक न्यूक्लिस का घनत्व बराबर हो? 1 गाड़ी? 2? शायद 100? नहीं, नहीं और नहीं| जवाब उससे कई ज्यादा बड़ा है| 6.2 अरब| यह लगभग पृथ्वी के लोगों की संख्या के बराबर है| तो अगर पृथ्वी के हर इंसान के पास गाड़ी होती जो की नहीं है -- और हम उन सभी गाड़ियों को आपके डब्बे के अन्दर रख दें, वह एक न्यूक्लिस के घनत्व के बराबर होगा| तो मैं यह कह रहा हूँ की अगर आप दुनिया की तमाम गाड़ी को लेकर अपने एक घने फुट डब्बे में डाल दें, आपके पास एक न्यूक्लिस का घनत्व होगा| ठीक है, अब समीक्षा करते हैं| परमाणु बहुत, बहुत, बहुत छोटा होता है| चकोतरे में परमाणु, पृथ्वी में ब्लूबेरीस की तरह हैं| न्यूक्लिस अति छोटा होता है| अब ब्लूबेरी के अन्दर देखिये, और उसे एक फुटबॉल स्टेडियम के जितना बड़ा बनाएं, अब न्यूक्लिस उसके बींच में एक कंचा है| परमाणु के अन्दर विशाल खाली क्षेत्र हैं| यह अजीब है| न्यूक्लिस का घनत्व हद से ज्यादा है| उन सभी गाड़ियों को अपने एक घने फुट के डब्बे में डालने का विचार करिए| मुझे लगता है कि मैं थक गया हूँ| (उबासी ) आप सभी सागर के इस दृश्य से अवश परिचित होंगे, लेकिन बात यह है कि, महासागर का अधिकांश भाग ऐसा नहीं दिखता है। पानी में सूर्य की रोशनी जहाँ तक पहुँचती है, उसके नीचे एक अन्य दुनिया का क्षेत्र है जो वाइलाइट जोन के रूप में जाना जाता है। सतह से 200 से 1000 मीटर नीचे, सूरज की रोशनी मुश्किल से चमकदार है। छोटे कण अंधेरे में नीचे घूमते हैं बायोल्यूमाइन्सेंस की चमक हमें सुराग देते हैं कि यह पानी जीवन से भरा हुआ है माइक्रोब, प्लैंकटन, मछली। सब कुछ जो यहां है चुनौतियों के लिए अद्भुत अनुकूलन है इस तरह के चरम वातावरण के लिए । ये जानवर शीर्ष शिकारी जैसे व्हेल, टूना, शब्दफिश और शार्क की मदद करते हैं । यहां पूर्व अनुमान से 10 गुना अधिक मछली बायोमास हो सकता है। वास्तव में, शायद समुद्र के बाकी हिस्सों की संयुक्त रूप में तुलना से भी अधिक । गहरे पानी में अनगिनत अनदेखी प्रजातियां हैं, ट्वाइलाइट जोन में जीवन पृथ्वी के जलवायु के साथ जुड़ा है। ट्वाइलाइट जोन वस्तुतः अनदेखा है। बहुत सारी चीजें हैं जिनके बारे में हम अभी भी नहीं जानते हैं। मुझे लगता है कि हम इसे बदल सकते हैं। मैं इस तरह की चुनौतियों के कारण समुद्र विज्ञान की तरफ खिंची । मेरे लिए यह सही संगम प्रतिनिधित्व करता है विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अज्ञात का , हमारे ग्रह पर जीवन के बारे में खोज में इतनी सारी सफलताओं के लिए स्पार्क। एक कॉलेज के छात्र के रूप में, मैं एक अभियान पर अटलांटिक चली गयी वैज्ञानिकों की एक टीम के साथ एक उच्च संचालित लेजर का उपयोग कर माइक्रोस्कोपिक शैवाल को मापने के लिए उस यात्रा पर आश्चर्यजनक चीज हुई, कि हमने वो पाया जो पहले आने वाले यात्रियों ने नजरन्दाज किया था: फोटो सिंथेटिक कोशिकाओं को जो बहुत छोटी थीं। अब हम जानते हैं कि वे छोटी कोशिकाएं पृथ्वी पर सबसे प्रचुर मात्रा में फोटो सिंथेटिक जीव हैं यह अद्भुत खोज हुई क्योंकि हमने नई तकनीक का इस्तेमाल किया था समुद्र में जीवन को एक नए तरीके से देखने के लिए। मैं आश्वस्त हूँ कि ट्वाइलाइट जोन में क ई खोज हमारा इंतजार कर रहे हैं एैसे ही लुभावने। हम ट्वाइलाइट जोन के बारे में बहुत कम जानते हैं क्योंकि अध्ययन करना मुश्किल है। यह बहुत बड़ा है, आर्कटिक से दक्षिणी महासागर तक और दुनिया भर में। यह हर जगह से अलग है। यह जल्दी बदलता है जैसे जैसे पानी और जानवर जाते हैं। और यह गहरा, अंधेरा और ठंडा है, और हवा का दबाव बहुत अधिक हैं। हम जो जानते हैं वह आकर्षक है। आप कल्पना कर सकते हैं गहरे समुद्र में गुप्त राक्षसों की, लेकिन अधिकांश जानवर बहुत छोटे होते हैं, इस लालटेन मछली की तरह। और इस भयंकर दिखने वाली मछली को ब्रिस्टमाउथ कहा जाता है। विश्वास कीजिए या नहीं, ये कशेरुकी पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में हैं और बहुत से इतने छोटे हैं कि एक दर्जन इस ट्यूब में फिट हो सकते हैं । यह और भी दिलचस्प हो जाता है, ¶ क्योंकि छोटा आकार के बावजूद, सरासर संख्या की वजह से वे शक्तिशाली हैं। गहराई तक घुसनेवाला सोनार हमें दिखाता है कि जानवर घने परतें बनाते हैं। आप लाल और पीले रंगों में देख सकते हैं कि मेरा क्या मतलब है इन आंकड़ों में 400 मीटर की दूरी पर। इस परत से बहुत अधिक ध्वनि उछलती है, इसे समुद्र तल माना गया है। लेकिन अगर हम देखते हैं, यह नहीं हो सकता है, क्योंकि परत दिन के दौरान गहरी है, और रात में कम गहरी हो जाता है और सिलसिला प्रतिदिन दोहराता है। यह वास्तव में पृथ्वी पर सबसे बड़ा पशु प्रवासन। है यह हर दिन दुनिया भर में होता है, दुनिया के महासागरों के माध्यम से घूमना, एक विशाल जीवित लहर में ट्वाइलाइट जोन निवासी सैकड़ों मीटर यात्रा कर पानी के सतह पर रात में आते हैं, खाने के लिए और दिन के दौरान गहरे पानी की सुरक्षा में लौटते हैं । ये जानवर और उनके आवागमन, सतह और गहरे समुद्र को जोड़ने में मदद करते हैं¶ महत्वपूर्ण तरीकों से। जानवर सतह के पास खाते हैं, वे अपने भोजन में कार्बन लाते हैं, गहरे पानी में, जहां उस कार्बन में से कुछ पीछे रह सकते हैं और वातावरण से अलग रहते हैं सैकड़ों या यहां तक ​​कि हजारों साल के लिए। इस तरह, यह प्रवास, कार्बन डाइऑक्साइड हमारे वायुमंडल के बाहर रखने में मदद कर सकता हैं और हमारे जलवायु पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को सीमित कर सकता है। लेकिन हमारे पास अभी भी कई प्रश्न हैं। हम नहीं जानते कि कौन सी प्रजातियां प्रवासी हो रही हैं, जो वे खाने के लिए खोज रहे हैं, जो उन्हें खाने की कोशिश कर रहा है या कितना कार्बन वे परिवहन करने में सक्षम हैं। तो मैं एक वैज्ञानिक हूँ जो महासागर में जीवन का अध्ययन करता है। मेरे लिए, इन चीजों के बारे में जिज्ञासा एक शक्तिशाली चालक है, लेकिन यहां प्रेरणा के लिए और भी कुछ है। हमें इन सवालों के जवाब देने की आवश्यकता है और जल्दी जवाब देना है, क्योंकि ट्वाइलाइट जोन खतरे में है। खुले महासागर में फैक्ट्री जहाज मार रहे हैं, हजारों टन छोटे, झींगा-जैसे जानवरों को, जिन्हें क्रिल कहा जाता है। मछली के भोजन में इस जानवर को डाला जाता जलीय कृषि के लिए और क्रिल तेल जैसे न्यूट्रस्यूटिकल्स के लिए। उद्योग, मध्य-पानी में इस तरह की मत्स्य पालन के विस्तार के कगार पर है । एक प्रकार का ट्वाइलाइट जोन सोना हड़बड़ी शुरू हो सकता है राष्ट्रीय मछली पकड़ने के नियमों की पहुंच के बाहर । इसका वैश्विक पैमाने पर प्रभाव अपरिवर्तनीय हो सकता है, समुद्री भोजन और खाद्य जाल पर । हमें मछली पकड़ने के प्रभाव से आगे निकलने की जरूरत है और महासागर के इस महत्वपूर्ण हिस्से को समझने के लिए काम करना हैं । वुड्स होल महासागरीय संस्थान, मैं वास्तव में भाग्यशाली हूँ, इस जुनून को साझा करने वाले सहयोगियों के साथ । साथ में, हम तैयार हैं एक बड़े पैमाने पर अन्वेषण शुरू करने के लिए ट्वाइलाइट जोन में। हमारे पास अभी शुरू करने की योजना है उत्तरी अटलांटिक में अभियान की, जहां हम बड़ी चुनौतियों का सामना करेंगे ट्वाइलाइट जोन की उल्लेखनीय विविधता देखने और पढ़ने की । इस प्रकार की मल्टीस्केल, बहुआयामी अन्वेषण के लिए हमें नयी तकनीकें एकीकृत करने की आवश्यकता है। मैं आपको एक हालिया उदाहरण दिखाती हूँ जिसने हमारी सोच बदल दी है। सैटेलाइट उपग्रह डिवाइस शार्क जैसे जानवरों पर अब हमें दिखा रहा है , कि कई शीर्ष शिकारि नियमित रूप से ट्वाइलाइट जोन में भोजन के लिए गहरा गोता लगाते हैं। जब हम उनके तैराकी पैटर्न का मानचित्र बनाते हैं और उन्हें उपग्रह डेटा से तुलना करें, हम पाते हैं कि उनके पसंदीदा भोजन स्थान महासागर धाराओं और अन्य विशेषताओं से जुड़ा हुआ है । हम सोचते थे इन जानवरों को पानी की सतह के उपर अपना सभी भोजन मिलता है। अब हम मानते हैं कि वे ट्वाइलाइट जोन पर निर्भर हैं। लेकिन हमें अभी भी पता लगाने की जरूरत है उन्हें भोजन करने के लिए सबसे अच्छे क्षेत्र कैसे मिलते हैं, वे वहां क्या खा रहे हैं और उनका आहार कितना निर्भर करता है, ट्वाइलाइट जोन प्रजातियों पर। हमें नई प्रौद्योगिकियों की भी आवश्यकता होगी जलवायु के साथ लिंक पता लगाने के लिए। ये कण याद हैं? उनमें से कुछ साल्प्स नामक जिलेटिन जानवरों द्वारा उत्पादित होते हैं । साल्प्स कुशल वैक्यूम क्लीनर हैं प्लैंकटन को खाकर, तेजी से डुबने वाले मलवा-छर्रों का उत्पादन करते हैं 10 गुना तेज कहने का प्रयत्न करें - मलवा-छर्रों के गोले जो कार्बन गहरी सागर में लेजाते हैं। हमें कभी-कभी साल्प्स भारी स्वारम में मिलते हैं। हमें कहां जाना है और कब और क्यों और क्या इस प्रकार का कार्बन सिंक पृथ्वी के जलवायु पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है। इन चुनौतियों को पूरा करने के लिए, हमें इसकी आवश्यकता होगी प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाना होगा। हम कैमरे तैनात करेंगे और , स्मार्ट रोबोट पर नमूने तैनात करेंगे गहराई को गश्त करने और साल्प्स जैसे जानवरों के गुप्त जीवन ट्रैक करने के लिए। हम उन्नत सोनार का उपयोग करेंगे यह पता लगाने के लिए कि कितनी मछलीयाँ और अन्य जानवर नीचे हैं। हम पर्यावरण से डीएनए अनुक्रमित करेंगे फोरेंसिक विश्लेषण के एक प्रकार में यह पता लगाने के लिए कि कौन सी प्रजातियां हैं और वे क्या खा रहे हैं। अभी भी इतना है ट्वाइलाइट जोन के बारे में अज्ञात, लगभग असीमित है नई खोज के लिए अवसर। बस ये खूबसूरत, आकर्षक जीव देखो। हम उन्हें मुश्किल से जानते हैं। और कल्पना करें कि कितने और बस इंतज़ार कर रहे हैं हमारी नई प्रौद्योगिकियों के लिए। इस बारे में उत्तेजना स्तर बहुत अधिक है, हमारी पूरी टीम का - महासागर वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और संवाददाताओं का। तात्कालिकता की गहरी भावना भी है। हम घड़ी को वापस नहीं कर सकते हैं दशकों के अत्यधिक मछली पकड़ने पर , सागर के अनगिनत क्षेत्रों में जहाँ ये कभी अक्षय लगते थे। कितना अद्भुत होगा यदि इस बार हम अलग रास्ता लें? ट्वाइलाइट जोन वास्तव में एक वैश्विक कॉमन्स है। हमें पहले इसे जानने और समझने की आवश्यकता है इससे पहले कि हम जिम्मेदार कार्यवाहक हो सकें और इससे स्थायी रूप से मछली पकड़ने की उम्मीद कर सकते हैं। यह सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए एक यात्रा नहीं है, हम सभी के लिए है, क्योंकि सामूक रूप से जो निर्णय हम अगले दशक में लेंगे, वे, समुद्र को कैसा दिखता है, उसे प्रभावित करेंगे आनेवाली सदियों के लिए। धन्यवाद। (तालियां) बारह वर्ष पूर्व, मैं गलियों में अपना नाम लिखता था। यह बताने के लिए कि,मैं हूँ,मेरा अस्तित्व है। फिर मैं लोगों की तस्वीर खींच कर उन्हें गलियों में लगाने लगा। यह बताने के लिए कि,उनका भी अस्तित्व है। पेरिस के उपनगरों से ईजराएल तथा फिलिस्तीन की दीवार तक किनीया की छतों से रिओ शहर की झुग्गीयों तक कागज व गोंद -- बस इतना ही सरल। पिछले वर्ष मैंने एक प्रश्न पूछा था: क्या कला विश्व मे परिवर्तन का साधन बन सकती है? मैं आपको बताता हूँ, विश्व मे परिवर्तन लाने के संदर्भ में इस वर्ष बहूत प्रतिस्पर्धा है, क्योंकि "अरब स्प्रिंग" अभी भी फैल रहा है, "यूरोजोन" का पतन हो चूका है ... और क्या? जगह घेराव आन्दोलन को एक दिशा मिली है, और मुझे अभी भी अंग्रेजी बोलनी पड़ती है। तो काफी कुछ बदल चुका है। तो गत वर्ष जब मैंने अपनी TED ईच्छा बताई थी, मैने कहा था कि, मैं अपनी अवधारणा को परिवर्तित करूगां। अब आप तस्वीरें खींचेगें। आप उन्हें मुझ तक भेजेगें। मैं उनको छपवा कर आपको वापिस भेजूंगा। फिर आप स्वयं उनको उचित स्थान पर चिपकाऐंगें ताकि आप अपनी बात उचित तरीके से कह सकें। इसे मैं अन्दर से बाहर उलटना (Inside Out) कहता हूँ। इस वर्ष एक लाख पोस्टर छापे गए। देखियें ये इस तरह के पोस्टर हैं। हम लगातार हर दिन अधिकाधिक पोस्टर भेज रहे हैं। यह इनका आकार है। केवल एक साधारण कागज और उस पर छपी कुछ स्याही। यह हैती देश से है। गत वर्ष जब मैंने अपनी यह ईच्छा अभिव्यक्त की थी, बहूत से लोग खड़े हुए थे, हमारी सहायता के लिए। मैंने कहा, मदद उन्हीं शर्तो पर होगी जिन पर मैनें हमेशा काम किया है। कोई श्रेय नहीं, कोई प्रतीक चिह्न नहीं, कोई प्रायोजक नहीं, एक सप्ताह बाद, मुठ्ठी भर लोग हमारी मदद को तत्पर थे तथा उन असमर्थ लोगों को समर्थ् बनाने को जो विश्व को परिवर्तित करना चाहते हैं। आज उन्ही लोगों के बारे में मैं आपको बताऊगाँ। मेरे पिछले भाषण के दो सप्ताह बाद, टयूनिशिया में, कई सौ तस्वीरें बनाई गई। और लोगों ने वहाँ के तानाशाह की तस्वीरों पर अपनी तस्वीरों चिपकाई। बूम! इसका परिणाम यह हुआ। Slim और उसके मित्र पूरे देश में घूमे और हर स्थान पर हजारों तस्वीरों चिपकाई देश की विविधता दिखाने के लिए। उन्होने मेरे प्रकल्प (प्रोजैक्ट) को अपना प्रकल्प बना लिया। वास्तव में यह तस्वीर एक थाने में लगी है। और जब आप जमीन पर देखें तो आपको उन लोगों के पहचान पत्र दिखेगें जिन्हें पुलिस ढूढँ रही है। रूस। चाड रूस में समलैंगिकता के डर के खिलाफ लड़ना चाहता था। वह अपने मित्रों के साथ यूरोप में स्थित रूसी दूतावासों के सामने तस्वीरों के साथ खड़ा हुआ ये कहने के लिए कि, "हमारे भी अधिकार हैं" उन्होंने Inside Out को अपने विरोध का मंच बनाया कराची, पाकिस्तान। शारमीन वहाँ पर है। उसने वहाँ TEDx कार्यक्रम आयोजित किया और शहर के अनजाने चेहरों को शहर की दीवारों पर लगाया। मैं उनका धन्यवाद करता हूँ। उत्तरी डकोटा, Standing Rock Nation इस कछुओं के द्वीप [नाम साफ नहीं], इस उत्तरी डकोटा के एक कबीले के लोग दिखाना चाहते थे कि मूल अमेरीकी अभी भी वहँ रहते हैं। उनकी सातवीं पीढी ब भी अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत है। उसने अपने क्षेत्र में तस्वीरें लगाई। और वो आज यहाँ उपस्थित है। हर बार जब मुझे New York में एक दीवार मिलती है, मैं अपने इस प्रोजैक्ट को वहाँ तस्वीरें लगा कर बढाता हूँ। Juarez: आपने इस सरहद का नाम सुना है -- दुनिया की सबसे खतरनाक सरहदों में से है। मोनिका ने एक फोटोगराफरों के समूह के साथ हजारों तस्वीरों से पूरी सीमा को भर दिया है। क्या आप जानतें हैं कि यह करने में कितना प्रयास लगता है? लोग, शक्ति, गोंद बनाना, टीम इक्कठा करना। यह बहुत रोमांचक था। उसी समय ईरान में Abololo -- सही नाम नहीं है -- ने एक औरत का चेहरा चिपकाया सरकार के प्रति विरोध प्रदर्शित करने के लिए। मुझे ये सब करने के खतरों के बारे में बताने की आवश्यकता नहीं है। बहुत सारे स्कूलों के प्रोजैक्ट भी हैं। हमें २० प्रतिशत पोस्टर स्कूलों से प्राप्त हुए हैं। शिक्षा अनिवार्य है। बच्चे सिर्फ तस्वीरें लेतें हैं। शिक्षक उन्हें उन से लेकर स्कूल में चिपकाते हैं। यहाँ उन्हें अग्निशमन करने वालों से भी मदद मिली। और अधिक स्कूलों को भी इस तरह के प्रोजैक्ट करने चाहिए। निसंदेह, हम फिर से इजराइल तथा फिलिस्तीन जाना चाहते थे। तो हम वहां एक ट्रक में गए जिसमें तस्वीरें छापी जा सकती थी। आप इस ट्रक के पीछे जाएं, ये आपका फोटो खींचेगा, ३० सैकेंड बाद आप अपना फोटो लें, और आप तैयार हैं। हजारों लोग इनका प्रयोग करते हैं और वे सभी दो-देशों के शांतिप्रिय समाधान पर हस्ताक्षर करते हैं और गलियों में विलीन हो जाते हैं। यह एक पदयात्रा है, 450,000 पदयात्री -- सितमंबर की शुरूआत। सभी के हाथ में उनकी एक तस्वीर है जो उनका निवेदन है। दूसरी ओर, लोग गलियों व इमारतों को तस्वीरों से ढक रहे हैं। यह हर जगह है। क्रपया मुझे ये न कहिए की आप वहाँ शांति समझौते के लिए तत्पर नहीं हैं। गत वर्ष में इस तरह के प्रोजैक्टो ने हजारों कार्य किए हैं, लाखों लोगों ने इसमें हिस्सा लिया है, और करोड़ों ने इसे देखा है। यह दुनिया का सबसे बड़ा कला का प्रोजैक्ट है जिसमें सभी शामिल हो सकतें हैं। तो प्रश्न पर वापिस आते हैं, क्या कला विश्व में परिवर्तन का मार्ग बन सकती है? शायद एक वर्ष में नहीं। यह शुरूआत है। परन्तु शायद हमें प्रश्न को बदलना चाहिए। क्या कला लोगों के जीवन में परिवर्तन का मार्ग बन सकती है? और इस वर्ष जो भी मैंने देखा है, उत्तर है, हाँ यह सिर्फ शुरूआत है। आओ विश्व को अन्दर से बाहर उलटा करें। धन्यवाद। तालियाँ. क्रिस एंडरसन: 2 महीने पहले कुछ जबरदस्त हुआ. क्या आप हमें उसके बारे में बतायेंगी, क्यूँकि उसने कई लोगों का ध्यान खींचा ? ग्वेन शॉटवेल: मैं पहले चुप रहूंगी, और फिर बात करना चाहूंगी. (विडियो) स्वर: पांच, चार, तीन, दो, एक. (हर्षात्मक शोर) औरत: उड़ान भरो. जाओ, फाल्कन हैवी. GS: ये स्पेस-एक्स के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण था. फाल्कन 9 और अब फाल्कन हैवी के साथ, हम पृथ्वी की कक्षा में कोई भी, भार या उपकरण भेज सकते हैं, जिसे आजतक बनाया गया हो, या बनाया जा रहा हो. हमें फाल्कन हैवी के दो प्रक्षेपण इसी साल करने हैं, इसलिए इसका ठीक से होना जरुरी था. हमने पहली बार इसका प्रक्षेपण किया, और इस कार्यक्रम का सबसे ख़ास भाग था, साइड-बूस्टर की जोड़ी का उतरना. मैं बहुत उत्तेजित थी. (हँसी) टीम का धन्यवाद करते हुए. मेरे आसपास करीब 1000 लोग खड़े थे. ये है स्टारमैन. स्टारमैन कार्यक्रम का आकर्षण नहीं बना - लेकिन बूस्टर बने. CA: (हँसी) CA: उसमे कुछ तो भार होना चाहिए था - एक टेस्ला गाडी क्यूँ नहीं भेजी? GS: जी हाँ, एकदम अचूक था. CA: ग्वेन, थोडा समय को पीछे ले जाते हैं. आप पहले इंजिनियर और फिर स्पेस-एक्स की प्रेसिडेंट कैसे बनीं? क्या आप शुरू से ही अत्यंत पढ़ाकू थीं? GS: नहीं, मैं पढ़ाकू नहीं थी, लेकिन मैं वे काम करती थी, जो आमतौर पर लडकियाँ नहीं करती. मैंने अपनी माँ से, जो कलाकार थीं, तीसरी कक्षा में पुछा, कार कैसे काम करती है, उनको बिलकुल नहीं पता था, उन्होंने मुझे एक किताब दी, जो मैंने पढ़ी. और मेरी पहली नौकरी, मैकेनिकल इंजिनियर बनने के बाद, क्राइसलर मोटर्स में थी. लेकिन मैंने इंजीनियरिंग, उस किताब की वजह से नहीं की. माँ मुझे "सोसाइटी ऑफ़ वीमेन एन्जिनीर्स" के कार्यक्रम में ले गईं. वहां चर्चा में एक महिला मैकेनिकल इंजीनियर मुझे बहुत भाई. वे बहुत महत्त्वपूर्ण काम कर रहीं थीं, और मुझे उनका सूट बहुत पसंद आया. (हँसी) 15 वर्षीय लड़की को यही अच्छा लगता है. पहले मैं ये वाकया बताने में शर्माती थी, लेकिन अगर वही मेरा इंजीनियर बनने का कारण है, तो मुझे उसके बारे में बात करनी चाहिए. CA: 16 साल पहले आप स्पेस-एक्स की सातवीं कर्मचारी बनीं, और अगले कुछ सालों में, आपने NASA के साथ अरबों डौलर के करार किये, जबकि स्पेस-एक्स के पहले 3 प्रक्षेपण विस्फोट में नष्ट हो गए. आपने ये कैसे किया? GS: राकेट बेचने के लिए ग्राहकों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करना जरुरी है. जबके आपके पास राकेट भी नहीं है, तो आपकी कंपनी के लोगों की काबिलियत, और आपके CEO के उद्योग की समझ को सही ढंग से पेश करना जरूरी है - जो आजकल मुश्किल नहीं - साथ ही उनकी किसी तकनीकी समस्या को तुरंत सुलझाया जाए. मेरे इंजिनियर होने से मदद मिली. एलोन की कंपनी का सेल्स डिपार्टमेंट चलाने में मदद मिली. CA: आजकल कंपनी का ध्यान - - जो बोईंग के साथ दौड़ बन गयी है - NASA को मनुष्यों को पृथ्वी की कक्षा में भेजने में मदद करने पर है. ऐसे में, सुरक्षा के मानकों पर ध्यान देना काफी महत्त्वपूर्ण होगा. आपको नींद कैसे आती है? GS: मैं आराम से सो पाती हूँ. लेकिन उडानकर्मियों के साथ परीक्षण के दिन शायद नींद उड़ानेवाले होंगे. हमने सुरक्षा का ध्यान पूरी प्रणाली के शुरुवाती रूप-रेखा से ही रखा हुआ है, और हम सालों से इसपर काम कर रहे हैं, लगभग एक दशक से. हम ड्रैगन मालवाहक अंतरिक्ष यान को उड़ान कर्मियों के साथ उड़ने के लिए तैयार कर रहे हैं और इसमें सुरक्षा प्रणालियों को सुद्रुढ बनाने का काम कई सालों से चल रहा है. CA: क्या इसमें क्षणभर में निकासी की व्यवस्था है, अगर कोई मुसीबत आ जाए तो? GS: जी हाँ, उसे प्रक्षेपण-निकासी-व्यवस्था कहते हैं. CA: चलिए उसे यहाँ दिखाते हैं. GS: 2015 के परीक्षण का हमारे पास एक विडियो है. इसमें एक बुरे दिन का रूपांतरण किया गया है. हमें चाहिए कि कैप्सूल, डॉज से छूट जाए. और राकेट से दूर चली जाए, जो सही प्रकार से नहीं उडान नहीं भर पाया, क्यूँकि प्रक्षेपण सही से नहीं हुआ. इस साल हम एक और प्रदर्शन करेंगे अगर राकेट में उड़ान के दौरान कोई समस्या हुई. CA: इन रॉकेटो का एक और इस्तेमाल होने वाला है? GS: जी हाँ, ड्रैगन की प्रक्षेपण-निकासी व्यवस्था बहुत अनोखी है. यह एक संपूर्ण व्यवस्था है. यह धकेलने की प्रणाली है. राकेट की इंधन व्यवस्था और प्रक्षेपक कैप्सूल से जुड़े हैं, अगर राकेट में समस्या देखी गयी, तो यह कैप्सूल को दूर धकेल देता है. कैप्सूल सुरक्षा प्रणालियाँ पहले ट्रेक्टर जैसी होती थीं, हमने इसे ऐसा नहीं बनाया क्यूँकि इसमें खींचने वाले भाग को अलग करके वापस कैप्सूल में घुसना पड़ता है. हम इस कमी को डिजाईन से ही हटाना चाहते थे. CA: स्पेस-एक्स ने राकेट के दोबारा इस्तेमाल को एकदम नियमित कर दिया है, जिसे किसी भी राष्ट्र की अंतरिक्ष परियोजना नहीं कर पायी है, ये कैसे मुमकिन हुआ? GS: ऐसी कई सारी चीज़ें हैं, जिन्होंने स्पेस-एक्स को बहुत सफल बनाया है. पहली बात ये कि, हमसे पहले भी कई विशालकाय कार्यक्रम हुए हैं, और राकेट उद्योग में कई विकास हुए हैं, और हमने उनमे से बेहतरीन कार्यों का इस्तेमाल किया. हमारे पास वह तकनीक नहीं थी, जो पहले से इस्तेमाल में थी, तो हमने अपने डिजाईन से उन भागों को हटा दिया, जो विश्वसनीय नहीं थे, या बहुत महंगे थे. हमें भौतिकी के हिसाब से अपनी प्रणालियों को डिजाईन करना पड़ा. CA: और भी कई कार्यक्रम शून्य से शुरू हुए, आपने कहा कि भौतिकी के हिसाब से डिजाईन करना पड़ा. इसका कोई उदहारण बताइए? GS: सैकडो उदहारण हो सकते हैं, हमने वाहन का डिजाईन बिलकुल कोरे कागज़ से शुरू किया. और चलते चलते कई निर्णय किये गए. इंधन के टैंक का डिजाईन एक साधारण गुंबद जैसा है. ये दो बियर के कनस्तर साथ रखने जैसा है, एक तरल ऑक्सीजन से भरा हुआ, और दूसरा, RP (रॉकेट इंधन) इसकी वजह से वजन बहुत कम हो गया. जिससे उसी इंधन से ज्यादा वजन ले जाना संभव हुआ. हमारे यान में हम, घना तरल ऑक्सीजन और RP इस्तेमाल करते हैं, जो बेहद ठंडा होता है, पर ये हमें कम जगह में ज्यादा इंधन भरने में सक्षम करता है. यह कहीं और भी किया जाता है, लेकिन उतना नहीं जितना हम कर पाते हैं, लेकिन यह यान का सामर्थ्य और विश्वसनीयता बढा देता है. CA: ग्वेन, आप 10 साल पहले स्पेस-एक्स की अध्यक्ष बनीं, एलोन मस्क के साथ काम करना कैसा लगता है? GS: मुझे एलोन के साथ काम करना अच्छा लगता है. मैं 16 साल से कर रही हूँ. मैं इतनी बेवकूफ नहीं हूँ कि मैं 16 साल तक ऐसा कुछ करुँगी जो मुझे पसंद ना हो. वो मजाकिया है, और बिना कुछ बोले आपको अपना श्रेष्ठतम करने के लिए प्रेरित करते हैं. उसे कुछ कहने की जरुरत नहीं. आप फिर भी अच्छा कार्य करना चाहेंगे. CA: इस सवाल का जवाब देने के लिए शायद आप सबसे सही व्यक्ति हैं, कि यह समय के माप की अजीब इकाई क्या है जिसे "एलोन समय" कहते हैं. पिछले साल मैंने एलोन से पूछा, कि टेस्ला की स्वचलित कार अमेरिका में कब आएगी और उसने कहा - पिछले दिसम्बर में. जो "एलोन समय" के हिसाब से सही होगा. एलोन समय और सही समय में क्या अनुपात है? (हँसी) GS: आपने मुझे दुविधा में डाल दिया, क्रिस. इसके लिए धन्यवाद. इसमें दो राय नहीं कि, एलोन समय को लेकर बहुत महत्वकांक्षी हैं, लेकिन वह हमें तेज गति से बेहतर कार्य करने में सहायता करता है. धीरे और बहुत सारे संसाधनों के साथ काम करने से, सबसे बेहतरीन उपाय नहीं निकलता. इसलिए टीम को तेज गति से कार्य करने के लिए जोर देना बहुत जरुरी है. CA: ऐसा लगता है, आप महत्त्वपूर्ण घटक का कार्य करती हैं, वो ऐसे अजीब ध्येय तय करते हैं जिसमे कई टीमे काम न कर पाएं या असंभव अपेक्षाएं तय हो जाएँ. शायद आपने - "हाँ, एलोन" कहने का एक तरीका निकाल लिया है, फिर उसको उस तरह से करना, जो उसको, और आपके कर्मचारियों को मान्य हो. GS: इसके दो पहलू हैं, पहला, जब एलोन कुछ कहते हैं, तो आपको एक अंतराल लेना है, और सीधा ये नहीं बोलना है कि "ये असंभव है". या "हम ऐसा नहीं कर पाएंगे, क्यूँकि मुझे नहीं पता ये कैसे होगा" तो आप चुप रहिये, और सोचिये कि यह संभव करने के क्या तरीके हो सकते हैं. दूसरा पहलू ये है कि पहले पहल मुझे मेरी नौकरी में संतुष्टि नहीं मिल रही थी. मुझे लगता था कि मेरा काम इन विचारों से, कंपनी के ध्येय बनाना है, और उनको पूरा करने योग्य बनाना है, और कंपनी को धकेल कर चढ़ाई से पार ले जाना है, ताकि हम सुखद हो सकें मैंने देखा कि हर बार हम चढ़ाई से नीचे उतरते, लोग थोडा आराम कर पाते, तभी एलोन कुछ नया ले आते और अचानक, हमारे सामने फिर से एक चढ़ाई आ जाती. पर ये उसका काम है, और मेरा काम है, कंपनी को सुखकर रखना, ताकि वो फिर से हमें ढकेल सकें. तो मुझे मेरे काम में आनंद आने लगा, और हताशा मिट गयी. CA: अगर मैं कहूँ कि "एलोन समय" और "सही समय" में 2X का अनुपात है, तो क्या मैं सही हूँ? GS: ये बहुत दूर नहीं है. ये आपने कहा, मैंने नहीं. (हँसी) CA: आगे बढ़ते हैं, एक विशाल पहल, स्पेस-एक्स जिसपर काम कर रहा है, वह है हजारों उपग्रहों का एक विशाल जाल जो तेज गति, लेकिन कम कीमत में पृथ्वी के हर कोने में, इन्टरनेट सेवा देगा, क्या आप इसपर कुछ बता सकती हैं? GS: हम इस विषय पर ज्यादा बातचीत नहीं करते, हम कुछ छुपा नहीं रहे, लेकिन यह आज तक का सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य है, जो हम करना चाहते हैं. आजतक किसी को भी, उपग्रहों के विशाल समूह को तैनात करने में सफलता नहीं मिली है, जो इन्टरनेट सेवा प्रदान कर सके. मुझे नहीं लगता कि भौतिकी हमारी समस्या है, हम एक सही तकनीकी उपाय खोज सकते हैं, किन्तु इसे व्यवसाय का रूप भी देना होगा, क्यूँकि, इसे स्थापित करने में १० अरब डौलर का खर्चा आएगा. इसलिए हम स्थिरता के साथ आगे बढ़ रहे हैं. और किसी प्रकार की जीत का दावा नहीं कर रहे. CA: अगर यह स्थापित हो गया तो पूरे विश्व में आसानी से और कम कीमत पर सब जुड़ पायेंगे, और सबकी भलाई के लिए अचानक कई बदलाव आयेंगे. GS: इसमें कोई शक नहीं कि ये दुनिया बदल देगा. CA: इस योजना में क्या अंतरिक्ष का मलबा बड़ी चिंता का विषय है, और बड़ा अवरोध है? लोग इसपर चिंतित हैं. ये अंतरिक्ष में उपग्रहों की संख्या को बहुत बढ़ा देगा. ये चिंता का विषय है? GS: बिलकुल है, इसमें कोई शक नहीं - इसलिए नहीं, कि ये होने वाला है, लेकिन ऐसा होने के परिणाम काफी भयानक होंगे. अंतरिक्ष की कक्षा में कचरा फ़ैल सकता है, जिससे वह कक्षा कई दशकों तक इस्तेमाल के लायक नहीं रहेगी हमें राकेट प्रक्षेपण के दूसरे पड़ाव को नीचे धरती पर लाने की व्यवस्था करनी होगी ताकि रॉकेट के कंकाल अंतरिक्ष में ना फैले रहें. इसका सही प्रकार से प्रबंध करना होगा. CA: फाल्कन हैवी की अपार सफलता के बावजूद आप उसपर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर रहे आप उससे दुगुनी शक्ति वाला रॉकेट जो BFR कहलाता है, इसका क्या मतलब है?.... GS: बड़ा फाल्कन रॉकेट. CA: जी, बड़ा फाल्कन रॉकेट. (हँसी) ऐसा करने का व्यापारिक तर्क क्या है, आपने असाधारण तकनीक बनाने में इतना निवेश किया, लेकिन आप उससे भी बड़ा रॉकेट बनाने में लग गए? क्यों? GS: इस खोज के दौरान हमें महत्त्वपूर्ण शिक्षाएं मिली हैं. हम जब तक पूर्ण रूप से निश्चित नहीं हो जाते और हमारे ग्राहक भी विश्वस्त नहीं हो जाते, तब तक हम नया उत्पाद नहीं उतारेंगे. हम अभी बड़ा फाल्कन रॉकेट बनाने में लगे हैं, किन्तु फाल्कन 9 और फाल्कन हैवी अभी चलते रहेंगे, जब तक BFR एकदम जरुरी न हो जाए. पर हम अभी उस पर काम कर रहे हैं, फाल्कन 9 और फाल्कन हैवी को बंद करके उसकी जगह BFR नहीं ला रहे. CA: BFR की आवश्यकता मनुष्यों को मंगल पर ले जाने के लिए होगी? GS: सही है. CA: पर आपने इसके साथ कुछ और व्यवसाय के विचार भी सोच रखे हैं. GS: जी हाँ, BFR उपग्रहों को अंतरिक्ष की कई कक्षाओं में ले जा सकता है. ये नए प्रकार के उपग्रहों को भी कक्षा तक ले जा सकता है. इसका व्यास 8 मीटर का है, तो आप सोच सकते हैं कि विशालकाय दूरबीनें आप इसमें ले जा सकते हैं, जिनसे कई अभूतपूर्व चीज़ों को देख पाएंगे, और रोचक खोजें संभव होंगी. लेकिन BFR में कुछ बकाया क्षमताएं हैं. CA: बकाया क्षमताएं? GS: जी, बकाया क्षमताएं. CA: आपने इसे ये नाम दिया है? कुछ बतायेंगी इसके बाते में? ओह, एक सेकंड रुकिए - GS: ये फाल्कन हैवी है. ये बताना जरुरी होगा - - कितना सुन्दर रॉकेट है - की इस गेराज में स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी को फिट किया जा सकता है, आप फाल्कन हैवी के आकार का अंदाज़ा लगा सकते हैं. CA: और इसमें 27 इंजन लगे हैं. ये डिजाईन का हिस्सा है, कि बड़े रॉकेट बनाने के बजाय आप कई छोटे रॉकेटो को जोड़ दें. GS: यही बकाया क्षमता है. फाल्कन 1 के लिए हमने मर्लिन नामक इंजन बनाया. फाल्कन 9 के लिए हम उसको छोड़कर कोई एकदम नया इंजन बना सकते थे. उसको कोई नया नाम दे सकते थे. लेकिन फाल्कन 9 में 9 मर्लिन इंजन हैं, नया इंजन बनाने में 1अरब डौलर खर्च करने के बजाय हमें 9 इंजन को जोड़ दिया. अगर 3 फाल्कन 9 को जोड़ दें, तो सबसे बड़ा क्रियाशील रॉकेट बन गया. ये करना बहुत खर्चीला है, लेकिन शुन्य से शुरुआत करने से कहीं बेहतर है. CA: BFR इससे कितना बड़ा है, शक्ति के आधार पर? GS: BFR, मेरे ख़याल से, इससे 2.5 गुना है. CA: अच्छा. इस विडियो में जो दिखाया है, उसपर मुझे यकीन नहीं हो रहा. ये क्या है? GS: ये अभी जमीन पर है, लेकिन ये मानवों की अंतरिक्ष यात्रा के लिए है. मैं इसे देखने के लिए बेताब हूँ. हम BFR को किसी विमान की तरह चलाएंगे, पृथ्वी पर एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाने के लिए, मतलब आप न्यू यॉर्क या वैंकुवर से उड़कर दुनिया के दूसरे कोने में जा सकते हैं. आपको BFR पर 30-40 मिनट लगेंगे. और सबसे ज्यादा समय - ये अभूतपूर्व है. (तालियाँ) सबसे ज्यादा समय रॉकेट में घुसने और निकलने में लगेगा. (हँसी) CA: ग्वेन, ये कमाल है क्या ये कभी संभव होगा? GS: ये बिलकुल होने ही वाला है. बिलकुल संभव है. CA: कैसे? (तालियाँ) क्या देश किसी मिसाइल को आने देंगे? (हँसी) GS: क्रिस, आप सोच सकते हैं, कि हमें वायुसेना को विश्वास दिलाना कितना मुश्किल होता होगा. क्यूँकि हम ये नियमित रूप से कर रहे हैं. हम रॉकेट के पहले पड़ाव को वापस वायुसेना अड्डे पर ला रहे हैं. तो शहर से 5-10 किलोमीटर दूर ये करना संभव ही होगा. CA: इसका टिकट कितने यात्री खरीद पाएंगे? GS: इसमें लगभग 100 यात्री होंगे. थोडा व्यवसायिक दृष्टिकोण से बात करते हैं. सबको लगता है रॉकेट बहुत महंगे होते हैं, ये कुछ हद तक सही है, और हम कैसे विमान के टिकट से प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे? सोचिये कि, अगर हम ये यात्रा आधे-एक घंटे में कर पाएं तो मैं ऐसी 12 यात्राएं एक दिन में कर पाऊँगी. विमान एक दिन में 1 से ज्यादा यात्राएं नहीं कर सकता. अगर मेरा रॉकेट थोडा महंगा भी होगा, और उसका इंधन भी महंगा होगा, मैं दिन में 10 गुना ज्यादा चला सकती हूँ. और इस प्रकार कमाई हो सकती है. CA: ये भविष्य में कब तक देख पाना मुमकिन हो पायेगा? GS: एक दशक के अन्दर अन्दर. CA: ये ग्वेन समय है या एलोन समय? CA: ये ग्वेन समय है, एलोन निश्चित रूप से इससे पहले करना चाहेंगे. (हँसी) CA: बहुत खूब है. (हँसी) GS: मुझे इसमें बहुत रूचि है, क्यूँकि मैं बहुत यात्राएं करती हूँ. जो मुझे बिलकुल पसंद नहीं, मैं रियाध में अपने ग्राहकों से मिलकर शाम तक वापस आकर खाना बनाना चाहूंगी. CA: तो इसका परिक्षण होने वाला है. 10 साल में इकॉनमी टिकट की कीमत में या 2000 डौलर में न्यू यॉर्क से शंघाई जा पाएंगे. GS: इकॉनमी टिकट और बिज़नस क्लास टिकट के बीच में होगा, लेकिन 1 घंटे में पहुचेंगे. CA: अच्छा, ये बढ़िया है. (हँसी) इसके अलावा भी BFR के कुछ और इस्तेमाल हैं, शंघाई से थोडा और दूर जाने के लिए. वो बताइए. आपने काफी विस्तृत रूप से ये बताया है कि मनुष्य कैसे मंगल तक जायेंगे, और इसका स्वरुप कैसा होगा. GS: हमारे पास एक विडियो है, आप एक अंतरिक्ष यान में उड़ान भरेंगे जो BFS (बिग फाल्कन स्पेसशिप) होगी. उड़ने के बाद यान को पृथ्वी की कक्षा में छोड़ा जायेगा, फिर रॉकेट वापस धरती पर आएगा. ये सुनने में कमाल लगता है, और हम इस पूरी प्रणाली पर काम कर रहे हैं. तो रॉकेट वापस आएगा. हम उसी जगह इसको वापस लायेगे, जहाँ से ये उडा होगा. अभी, हम वापसी में रॉकेट को अलग जगह उतारते हैं. वो रॉकेट, एक इंधन से भरे जहाज को या कंटेनर को लेकर वापस उड़ेगा, और BFS में इंधन भरेगा, और आप अपने गंतव्य की ओर बढ़ते रहेंगे जो है मंगल ग्रह. CA: इसका मतलब 100 लोग एक साथ मंगल ग्रह पर जायेंगे, कितने समय में? 2 महीने? 6 महीने? GS: ये रॉकेट के आकार पर निर्भर करेगा. लेकिन पहले अवतार में, 3 महीने लगेंगे, लेकिन हम और भी बड़े BFR बनाने में लगे हैं. लगता है उसके लिए तिन माह लगेंगे अभी 6-8 महीने का समय लगेगा, पा हम समय को कम करने पर काम कर रहे हैं. CA: आपको क्या लगता है, कि स्पेस-एक्स कब तक मनुष्य को मंगल पर ले जायेगा? GS: जितने समय में पृथ्वी पर बिंदुशः यातायात शुरू होगा. ये दोनों एक जैसे हैं. लगभग 1 दशक में. CA: सही समय में, 1 दशक में. ये कमाल का होगा. (हँसी) ये सब क्यों? सच में, क्यों? ये आपकी कंपनी का आधिकारिक लक्ष्य है. क्या सबको इस लक्ष्य पर विश्वास है? कई लोग सोचते हैं कि, आपके पास इतने प्रतिभाशाली लोग हैं, इतनी तकनीकी क्षमता है. पृथ्वी पर इतनी सारी चीज़ें हैं जिनपर ध्यान देना आवश्यक है. आप यहाँ से भाग कर क्यूँ दूसरे ग्रह पर जाना चाहेंगे? (तालियाँ) GS: मैं खुश हूँ कि आपने ये पूछा. लेकिन हमें अपने दिमाग को खोलना होगा. पृथ्वी पर करने के लिए बहुत कुछ है, और कई कम्पनियां उसपर काम कर रही हैं. हम ऐसी कोई दूसरी जगह खोजने में लगे हैं, जहाँ मनुष्य रह सकें, फल-फूल सकें. अगर पृथ्वी पर कुछ हुआ, तो किसी दूसरी जगह जाकर रह सकें. (तालियाँ) ये मनुष्यों के लिए जोखिम की कटौती करना है. इसका मतलब ये नहीं है, कि, पृथ्वी को बेहतर जगह न बनाया जाए, लेकिन मुझे लगता है कि हमें अनेक रास्ते चाहिए, जीवित रहने के लिए. और ये उनमे से एक है. इसमें निराशावादी दृष्टिकोण नहीं है, कि मंगल पर जाना जरुरी है ताकि आदमजात नष्ट न हो जाए. ये बहुत ही बुरा कारण होगा ये काम करने का. मूलतः ये एक दूसरी जगह की खोज है, और यही मानव को अन्य जानवरों से भिन्न बनाता है, हमारी खोजी प्रवृत्ति और हमारा अचम्भित होना, और कुछ नया सीखना. और ये पहला कदम होगा, दूसरे सौर-मंडलों और दूसरी आकाशगंगाओं पर जाने के लिए. मेरे ख्याल से मैंने पहली बार एलोन की दूरदर्शिता को पीछे छोड़ा होगा, क्यूँकि मैं दूसरे सौर-मंडल के लोगों से मिलना चाहूंगी. मंगल ग्रह पर अभी बहुत सुधार की जरुरत है, ताकि लोग वहाँ रह पाएं. (हँसी) मैं दूसरे सौर-मंडल के लोगों को, या जो भी वे खुदको कहते हैं, खोजना चाहूंगी. CA: ये बहुत दूरदर्शी है. ग्वेन शॉटवेल, धन्यवाद. आप धरती पर बहुत ही शानदार काम कर रही हैं. GS: धन्यवाद, क्रिस, धन्यवाद. (संगीत) (तालियाँ) (संगीत) (तालियाँ) (संगीत) (तालियाँ) (संगीत) (तालियाँ) मैं बैक्टीरिया के साथ काम करता हूँ. और मैं आप को दिखाने वाला हूँ कुछ फुटेज जो हाल ही में मैंने बनाया जहां आप बैक्टीरिया को खनिज जमा करते देखेंगे अपने वातावरण से एक घंटे की अवधि में. आप देख रहे हैं बैक्टीरिया को पाचन क्रिया करते हुए और ऐसे करते हुए वे एक बिजली का प्रभार बनाते हैं. और धातु को आकर्षित करते हैं अपने स्थानीय परिवेश से. और यह धातु को खनिज के रूप में जमा करते हैं जीवाणुओं की सतह पर. सबसे व्यापक समस्याओं में से एक लोगों के लिए आज दुनिया में है, अपर्याप्त उपलब्धि पीने के साफ़ पानी की. दी-सलिनेशन प्रक्रिया में हम नमक को बाहर निकालते हैं. हम इसे पीने और कृषि के लिए उपयोग कर सकते हैं. नमक पानी से निकालना - विशेष रूप से समुद्री जल से- रिवर्स ओसमोसिस के माध्यम से एक महत्वपूर्ण तकनीक है उन देशों के लिए, जिनके पास पीने का साफ़ पानी नहीं है दुनिया भर में. तो समुद्री जल रिवर्स ओसमोसिस से एक झिल्ली फिलटरेशन प्रौद्योगिकी है. हम समुद्र से पानी लेते हैं और हम दबाव डालते हैं और यह दबाव समुद्री जल को झिल्ली से बाहर निकालता है. स्वच्छ पानी का उत्पादन, उर्जा लेता है. लेकिन एक केंद्रित नमक सोलुशन भी छोड़ जाता है. लेकिन यह प्रक्रिया बहुत ही महंगी है और यह दुनिया भर के कई देशों के लिए लागत निषेधात्मक है. और यह, नमकीन सोलुशन कई बार वापस समुद्र में डाल दिया जाता है. और यह स्थानीय पारिस्थितिकी के लिए हानिकारक है उस समुद्र क्षेत्र में जहाँ यह डाला जाता है. मैं इस समय सिंगापुर में काम करता हूँ, और यह एक जगह है कि वास्तव में एक प्रमुख स्थान है डी-सलिनाशन प्रौद्योगिकी के लिए. और सिंगापुर का 2060 तक का प्रस्ताव है 90 करोड़ लीटर प्रति दिन का उत्पादन डी-सलिनाशन पानी का. लेकिन यह बड़े रूप से नमकीन सोलुशान का भी उत्पाद करेगा. और यहाँ, बैक्टीरिया के साथ मेरा सहयोग काम आता है इस समय हम कर रहे हैं हम धातु जमाते रहते हैं कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम की तरह डी-सलिनाशन नमकीन से. मैग्नीशियम के मामले में और पानी की मात्रा जिस का अभी उल्लेख किया है, 4.5 अरब डॉलर का खनन उद्योग है सिंगापुर के लिए - एक जगह है जहाँ कोई भी प्राकृतिक संसाधन नहीं है. तो मैं चाहता हूँ आप एक खनन उद्योग की कल्पना करे जिसके रूप का पहले अस्तित्व नहीं था; एक ऐसे खनन उद्योग की कल्पना करें जिसका मतलब पृथ्वी को खोदना नहीं है, बैक्टीरिया हमें मदद कर रहा है खनिजों को जमा कर एकत्रित कर के डी-सलिनेशन नमकीन से. और आप यहाँ देख सकते हैं एक टेस्ट ट्यूब में एक उद्योग की शुरुआत है, एक खनन उद्योग जो प्रकृति के साथ सदभाव में है. धन्यवाद. (तालियाँ) मैं अपनी पिता के बारे में बात करना चाहती हूं| वह अल्झ्यामार से पिडीत थे . १२ साल पहले इसके संकेत मिले थे. निदान हुआ २००५ मे वह इतने असहाय्य थे बिमारी से की उनको खाना खिलाना पडता था . उनको कपडे पहनाने पडते थे वास्तव में नहीं जानता कि वह कहां है यह वास्तव में कठिन है. मेरे पिताजी मेरे नायक और मेरे अधिकांश जीवन के लिए मेरे सलाहकार थे, मैंने पिछला दशक उन्हें गायब होने के दौरान बिताया है। मेरे पिता अकेले नही थे विश्व मे ३५ मिलियन लोक स्मृतिभ्रंश से पीडित हैं| जिनकी संख्या २०३० तक दुगनी याने ७० मिलियन होगी. बहुत बडी संख्या है . भ्रमित चेहरे उनके कम्पित हात हम मे डर पैदा करता है . इनकी बडी संख्या डरा देती है इस डर के कारण हम एक या दो काम कर देते है. मै इसका शिकार नही बन सकता . हम तय करते है कि स्मृतिभ्रंश को रोकेंगे . हमारा स्वास्थ्य ठीक है हम उसका शिकार नही होंगे. मैं एक तीसरा रास्ता तलाश कर रही हूँ| मैं अल्जाइमेरस पाने की तैयारी कर रही हूं| प्रतिरक्षा रास्ता ठीक है और मैं भी कर रही हूँ जो अल्जाइमेरस को रोकने के लिए सब करते हैं मै उचित आहार लेती हुं .कसरत करती हुं . मन को क्रियाशील रखती हुं . संशोधन यही कहता है लेकीन यह भी बताता है कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो 100 प्रतिशत आपकी रक्षा करेगा। यदि राक्षस आपको पकड़ना चाहता है तो कभी न कभी तो वह आपको पकड़ ही लेगा | मेरे पापा के साथ यही हुआ थाम | पिताजी द्विभाषी कॉलेज के प्रोफेसर थे । उनका शौक शतरंज, सेतु और संपादकीय लिखना था । (हंसी) उन्हे तो मनोभ्रंश हो ही गया | यदि राक्षस आपको पकड़ना चाहता है तो कभी न कभी तो वह आपको पकड़ ही लेगा| खासकर अगर तुम मेरे जैसे हो तो क्यूंकि यह बिमारी वंशानुगत है| तो मैं अल्जाइमेरस रोग पाने की तैयारी कर रही हूँ | मैंने अपने पिता की देखभाल से सीखा और और सीखने के बाद कैसे डिमेंशिया के साथ रहना है, मैं अपनी तैयारी तीन चीजों पर आधारित कर रही हूं मैं मस्ती के लिए जो कर रहा हूं वह बदल रही हूं| मैं अपनी शारीरिक शक्ति बढ़ा रही हूं अगला सबसे कठिन था| मैं एक बेहतर इन्सान बनने की कोशिश कर रही हूँ | एक शौक से शुरू करते हैं|डीमेंशिया के शिकार होंगे तो अपने आप को खुश रखना कठिन हो जाती हैं | लंबे समय दोस्तो के साथ बैठकर बाते नही कर सकते क्योकी आप उसे नही पहचान पायेंगे | टीवी देखना भ्रम का कारण बनता है| यह स्थिती भयावह है| किताबे पढना तो नामुमकिन होगा| जब आप डिमेंशिया वाले किसी की देखभाल करते हैं और जब आप प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं वे आपको परिचित गतिविधियों में संलग्न करने के लिए प्रशिक्षित करते हैं| मैने मेरे पिता को फोर्म भरने के कामों मे व्यस्त किया| वह कॉलेज के प्रोफेस थे और उनको कागजी कार्रवाई बहुत अछि तरह मालूम था| हर पंक्ती पर ववह अपने हस्ताक्षर करते थे, सभी रकाने जाचे थे| वह जिदर भी अंक डालना चाहिए, वहां पे अंक भर देते था| तो मैंने सोचा कि मेरी देखभाल करने वाले मेरे साथ क्या करेंगे? मैं अपने पिता की बेटी हूँ| में लिखती हूँ और स्वास्थ्य के बारे में बहुत चिंता भी करती हूँ क्या वह मुझे पुस्तिका दे जिसपर मै लिख सकू क्या वो मुझे रंग आलेख दे सकेंगे? उसके बारे मे मैं पढने लगी . चित्रकला में माहिर नहीं हूँ पर फिर भी में अब चित्रकला कर रही हूँ| मै कुछ बुनियादी ओरिगामी सीख रही हूँ| मैं एक अछि बॉक्स भी बना सकती हूँ | (हसी) मैं खुद बुनाई भी सीख रही हूँ अब तक मैं एक गुट्टा बुनाया है| मुझे इसकी जानकारी थी यह बात मायने रखती है जितनी बाते आप पहलेसे जानते है उससे आप आगे भालीभाती सीख सकते है इस प्रकारकी जानकारी आपके दिमाग को व्यस्त रख सकती है खाली रखने के बजाय . कहा जाता है की जो लोक व्यस्त रहते है उनके जीवन में ख़ुशी आती है | सेवा करने वालोको आसन होता है| यह बीमारी की प्रगति को धीमा भी कर सकता है| यह मेरे लिए विजयी होने के संकेत देते थे| मै जिताना भी हो सके व्यस्त रहूंगी ताकी मै ख़ुशी प्राप्त कर सकू | बहुत कम लोग जानते है कि अल्ज़्हेइमेरस के कुछ शारीरिक लक्षण भी होते है साथ ही संज्ञानात्मक लक्षण भी होते है| अपने संतुलन खो बेटते है| मांसपेशियों में कंपन होते है जिसके कारण आप चल नही सकते| उनको चलके जगह जगह जाने पर डर लगते है| मै इसी लिये पहलेसे क्रियाशील रहती हु ताकि मै अपना संतुलन कायम रख सकू| मै उसके लिए योगा ,तथा ताइ ची का अभ्यास करती हु जिससे मै चलना फिरना कर सकू जब मुझे बिमारी हो जायेगी स्नायु को शक्तिमान बनाने के लिए मै भर उठाने की कसरत भी कर रही हु. जिससे मै जब बीमार पड़ूँगी तब चलने फिरने में मुझे ज़्यादा समय मिलेंगी| आखरी और तीसरी बात यह है की मै अच्छी इन्सान बनू| मेरे पिता अल्ज़्हेइमेरस का शिकार होने से पहले एक दयालु , प्रेम करने वाले इन्सान थे| मैंने देखा उनके भाषा कौशल्य ,विद्वत्ता , मजाकिया स्वभाव गायब होते हुए पर मैंने यह भी देखा कि आजभी वह मुझसे प्यार करते हैं| मेरे बेटे, भाई और मेरी माँ, उसके देखबाल करने वाले, सभी को प्यार करते है| यही कारन है हम उनके बीच रहना चाहते है भले ही साथ रहना आसान नही. हलाकि उनसे चुरा लिया गया था जो भी उन्होंने सिखा था इस दुनिया में उसका दिल अभी भी चमकता है। मै मेरे पिता जैसी दयालु प्यार करने वाली नही थी| मुझे अब जरुरत है ऐसे होने की इसलिए की जब मैं बीमार पड़ूँगी तब भी मेरा दिल ऐसा ही रहे प्यार भरा ,दयालु मै नही चाहती की मै अल्झायमेरस का शिकार बनू अगले 20 वर्षों में एक इलाज आये ताकि तब जाके वह मेरी रक्षा कर सके इस बीमारी से| लेकिन अगर यह मेरे लिए आता है, तो में तैयार रहूंगी| शुक्रिया (तालिया ) (संगीत) (वाहवाही) (वाहवाही) (संगीत) (वाहवाही) (संगीत) (वाहवाही) क्रिस एंडरसन: आप लोग अद्भुत थे। अद्भुत! (वाहवाही) यह हर दिन सुनने को नहीं मिलता है। (हंसी) उस्मान, असली कहानी यह है कि आपने गिटार बजाना सीखा जिमी पेज को यूट्यूब पर देखकर. उस्मान रियाज: हाँ, यह पहला था. और फिर मैं ... यह पहली बात मैंने सीखीं थी, और फिर मैंने प्रगति करना शुरू कर दिया। और मैंने काकी किंग को देखना शुरू किया, और वह हमेशा प्रेस्टन रीड को एक बड़े प्रभाव के रूप में पेश करती, इसलिए मैंने उनके वीडियो को देखना शुरू कर दिया, और अब मुझे विश्वास नहीं हो रहा... (हंसी) (वाहवाही) सी.ए. : अभी जो संगीत था, अपने उनका यह गीत सीखा था, या यह कैसे हुआ? यू.आर. : मैं यह पहले कभी नहीं सीखा था, लेकिन उसने मुझे बताया कि हमे मंच पर बजाना होगा, तो मैं इससे परिचित था, तो इस कारण इतना अधिक मज़ा आया सिखने में। और अब जाकर हुआ, तो... (हंसी) सीए: प्रेस्टन, अपके नज़रिये से, मेरा मतलब है, आपने 20 साल पहले इसका आविष्कार किया? आप इससे देखकर कैसे महसूस करते हैं? आपके कला लेकर उसके साथ इतना ज्यादा कर रहा है? प्रेस्टन रीड: यह महान है, और मुझे वास्तव मे गर्व और सम्मान महसूस हो राहा हैं। और यह एक अद्भुत संगीतकार है, तो अच्छा है। (हंसी) सीए: मुझे नहीं लगता कि तुम लोग एक मिनट का कोई अन्य संगीत सुना सकते हो? क्या सुना सकते हैं? आप जाम कर सकते हैं? क्या आप कुछ और कर सकते है? पी.आर. : हमने कुछ भी तैयारी नहीं की। सी.ए. : नहीं है पर.. यदि आपके पास 30 या 40 सेकंड है, और आपके पास और 30 या 40 सेकंड है, और हम बस देख रहे हैं कि... मुझे बस लगता है कि.. मैं यह महसूस कर सकता हूँ .. हम और एक छोटा सा गीत सुनना चाहते हैं। अगर यह पूरी तरह गलत हो गया, तो भी कोई चिंता नही। (वाहवाही) (हंसी) (संगीत) (वाहवाही) (संगीत) (आलाप) निसेला इयेज़ा लोख़ुम्बा निसुसे इन्कथाज़ो। निसेला इयेज़ा लोकुहलम्बा निखुफे इन्कथाज़ो। (आलाप) (गाने के बीच में कुछ शब्द बोले) थोंगो इआम वुमा, थोंगो इआम वुमा, थोंगो इआम वुमा, थोंगो इआम वुमा, निसेला इयेज़ा लोकुहलम्बा निसुसे इन्कथाज़ो निसेला इयेज़ा इयेज़ा लोकुघभा निसुसे इन्कथाज़ो निसेला इयेज़ा लोकुहलम्बा निसुसे इन्कथाज़ो, (आलाप) थोंगो इआम वुमा, थोंगो इआम वुमा, थोंगो इआम वुमा, थोंगो इआम वुमा, थोंगो इआम वुमा, लैम वुमा, थोंगो इआम वुमा, लैम वुमा, थोंगो इआम वुमा, लैम वुमा, थोंगो इआम वुमा, लैम वुमा, लैम वुमा (आलाप) (संगीत समाप्त) (तालियों की आवाज़) थंडिसवा मज़वाई: सबको मेरा सलाम। हमें यहाँ बुलाने के लिये शुक्रिया। मेरा नाम थंडिसवा मज़वाई है। मैं एक आदिवासी महिला, एक विद्रोही गायिका, एक माध्यम हूं। मेरा संगीत उत्पीड़न और स्वतंत्रता से जुड़ी स्मृतियोंऔर संघर्ष का वर्णन करता है। दक्षिण अफ्रीका में 20 वर्षों से अधिक रहने पर भी हम खुद को ऐसे अश्वेत लोगों के रूप में पाते हैं जो अभी भी कष्ट सह रहे हैं और हमारी आजादी और मानवता के लिए लड़ रहे हैं। इस पहले गीत का शीर्षक था "इयेज़ा" जिसका अर्थ है "दवा।" दवा हमारे पागलपन की, दवा हमारे रोष की। अब जो गीत हम प्रस्तुत करने वाले हैं उसका शीर्षक है "ज़बलाज़ा," और इसका अर्थ है "विद्रोही।" मैं इसे दक्षिण अफ्रीका के साहसिक छात्र आंदोलन को समर्पित करना चाहती हूं जिसने #फ़ीसमस्टफाल अभियान चलाया। (तालियों की आवाज़) होड्स मस्ट फाल। (तालियों की आवाज़) अधिक महत्वपूर्ण बात, महिला आन्दोलन में आई नई ताक़त है इसलिये पितृसत्ता गिरनी चाहिये। (तालियों की आवाज़) (संगीत) गोगो बेक' उम्थ्वालो कुनिन उह्लूफेका? चार दीवारों में क़ैद छोटे बच्चे उंगाज़िबुलाली सना ओह... अगर तुम मेरा हाथ थामो, तो मैं तुम्हें बताऊंगी आज़ाद कैसे होते हैं। आयीफैनेलंग' उब'इयेंज़ेका लेंटो इम्ज़ीनी कबावो कुन्गे कुडला सिज़ोज़बलाज़ा ज़बलाज़ा, ज़बलाज़ा। ज़बलाज़ा। सीज़ोज़बलाज़ा। ज़बलाज़ा, ज़बलाज़ा। ज़बलाज़ा। ज़बलाज़ा, ज़बलाज़ा। ज़बलाज़ा। ज़बलाज़ा। ज़बलाज़ा। ज़बलाज़ा। (अलाप) (गाने के बीच में कुछ शब्द बोले) सोवेतो में मेरे लोग, मोज़ाम्बिक में मेरे लोग, सेनेगल में मेरे लोग। मेरे ये लोग चारदीवारी में हैं। ज़बलाज़ा, ज़बलाज़ा। ज़बलाज़ा। ज़बलाज़ा। (संगीत समाप्त) (तालियों की आवाज़) (वाहवाही की आवाज़) बहुत-बहुत शुक्रिया। (तालियों की आवाज़) मैं एक थोड़े से गंभीर नोट पर शुरू करना चाहूँगा दो हज़ार सात, पांच साल पहले, मेरी पत्नी को स्तन कैंसर के साथ निदान किया गया स्टेज टू बी| अब मैं उस अनुभव के बारे में सोचता हूँ उसका सबसे दुःख भरा हिस्सा अस्पताल की यात्राएं नहीं थी-- स्पष्ट है, वो मेरी पत्नी के लिए बहुत कठिन थे वो शुरुआत का झटका भी नहीं था की उसे स्तन कैंसर है, केवल 39 वर्ष की उम्र में परिवार में कैंसर का कोई इतिहास नहीं| उस अनुभव का सबसे भयानक और पीड़ादायक हिस्सा था कि हम निर्णय पर निर्णय कर रहे थे जो हमारे ऊपर डाले जा रहे थे| क्या मासेक्टोमी करना चाहिए? या लम्पेक्टोमी? क्या एक आक्रामक इलाज करना चाहिए, स्टेज बी जो था? पूरे साइड एफ्फेक्ट्स के साथ? या फिर कम आक्रामक इलाज सही रहेगा? और यह निर्णय डॉक्टर्स हमारे ऊपर छोड़ रहे थे अब आप ये सवाल पूछ सकते हैं डॉक्टर ऐसा क्यूँ कर रहे थे? इसका आसान उत्तर तो यह है कि डॉक्टर अपने आप को कानूनी तौर पर बचाना चाहते हैं| मेरे ख्याल से यह ज्यादा सरलीकृत है| डॉक्टर शुभचिंतक होते हैं, कुछ तो अब काफी अछे मित्र भी बन चुके हैं वे तो सदियों पुराने ज्ञान का पालन कर रहे हैं यह कहावत कि जब निर्णय किये जाते हैं, खास तौर पर महत्वपूर्ण निर्णय सबसे अच्छा नियंत्रण में होना है ड्राईवर सीट में होना और हम सच मुच ड्राईवर सीट में थे सभी निर्णय कर रहे थे, और मैं आपको बताता हूँ अगर आप वहां होते वह सबसे भयानक अनुभव था फिर मैं सोचने लगा क्या इस कहावत में कोई सच्चाई है, कि निर्णय लेते हुए ड्राईवर सीट में होना सबसे बेहतर है? या ऐसा भी कभी होता है, जब यात्री की जगह लेकर किसी और को ड्राइव करने देना बेहतर है? जैसे एक भरोसेमंद वित्तीय सलाहकार, या एक भरोसेमंद डॉक्टर, आदि| क्यूंकि मैं मानव के निर्णयों पर अध्ययन करता हूँ मैंने कहा, मैं कुछ अध्ययन करूँगा और कुछ उत्तर पाने के लिए| आज मैं आपके साथ इनमे से एक अध्ययन बांटूंगा| मान लो कि आप सब अध्यन के सहभागी हो अब आप ऐसा करेंगे एक कप चाय पीयेंगे अगर आप सोच रहे हो क्यूँ, मैं कुछ ही सेकंड में बताता हूँ| आपको कुछ पहेलियों को सुलझाना होगा| मैं जल्द ही आपको इन पहेलियों के कुछ उदाहरण दूंगा| और आप जितनी पहेलियाँ सुलझाएंगे, आपके इनाम मिलने के मौके बढ़ेंगे| अब, चाय पीने की क्या जरूरत है? क्यूँ? क्यूंकि इसी में समझ है| इन पहेलियों को अच्छी तरह से सुलझाने के लिए, आपके दिमाग को एक ही वक्त दो स्थिति में होना पड़ेगा हैं ना? उसे सावधान होना पड़ेगा जिसके लिए कैफीन बहुत अच्छा है और साथ ही साथ बहुत शांत होना होगा उत्तेजित नहीं, शांत| जिसके लिए कामोमाईल बहुत अच्छा है| अब, दो सब्जेक्ट के बीच का डिज़ाइन ऐ बी डिज़ाइन, ऐ बी टेस्टिंग| अब मैं आप सब को यादृच्छिक तरीके से दो हिस्सों में बाटूंगा| कल्पना कीजिये आपके बीच में एक रेखा है| इस तरफ सब ग्रूप ऐ है, और इधर ग्रूप बी| अब मैं आप लोगों के लिए ऐसा करूंगा, यह दो चाय दिखाऊंगा और आपको अपनी पसंद की चाय लेने दूंगा| आप निर्णय करेंगे, आपकी मानसिक स्थिति कैसी है: अच्छा मैं कैफीन वाली पिऊँगा, या मैं कामोमाईल वाली लूँगा| आप नियंत्रण में होंगे ड्राईवर की सीट में होंगे| आप लोगों को मैं ये दो चाय दिखाऊंगा, मगर आप चुन नहीं पाएंगे| मैं आपको कोई एक चाय दूंगा, और ध्यान रखें, मैं यह चाय यादृच्छिक तरीके से आपको दूंगा| आप यह जानते हैं| सोचिये तो यह एक चरम परिदृश्य है, क्यूंकि दुनिया में जब भी आप यात्री का स्थान लेंगे, ज्यादातर ड्राईवर आपका कोई भरोसेमंद होगा विशेषज्ञ आदि होगा| तो यह एक चरम परिदृश्य है| अब आप सब चाय पीयेंगे सोचिये कि आप चाय पी रहे हो आपके चाय पीने की प्रतीक्षा करेंगे| चाय का पूरा असर होने के लिए पांच मिनट रुकते हैं| अब आपके पास 15 पहेलियाँ सुलझाने के लिए आधा घंटा है| यह एक उदाहरण है| दर्शकों में से कोई सुलझाना चाहेगा? (दर्शक: पलपिट) बाबा शिव: वाह! बहुत अच्छा है| अब हम क्या करेंगे अगर आप, सहयोगी के तौर पर जवाब देंगे, हम पहेलियों की कठिनाई को आपसे मैच करते| हम चाहते हैं कि यह पहेलियाँ कठिन हों| ये पहेलियाँ मुश्किल हैं क्यूंकि आपकी पहली वृत्ति है "टूलिप ", फिर आपको अपने आप को उससे अलग करना होता है| हैं ना? तो इनको आपकी बुद्धि से मैच किया गया है| क्यूंकि हम चाहते हैं ये कठिन हं, और मैं बताता हूँ क्यूँ| अब एक और उदाहरण| कोई है? यह थोडा ज्यादा कठिन है| (दर्शक:एम्बार्क) बाबा शिव: हाँ, वाह| अच्छा| तो यह एक और मुश्किल वाला है| आप पहले कहेंगे "कंबर", फिर आप कहेंगे "मेकर" और ये सब, फिर आप खुद को उससे जुदा करेंगे| अच्छा तो आपके पास 30 मिनट हैं, 15 पहेलियों के लिए| अब हम सवाल यह पूछ रहे हैं, नतीजे के तौर पर, सुलझे हुए पहेलियों की संख्या के तौर पर, क्या आप, जो ड्राईवर सीट में थे, ज्यादा पहेलियाँ सुलझाएंगे, क्यूंकि आप नियन्त्रन में थे, अपनी पसंद की चाय चुन सकते थे, या आप ज्यादा पहेलियाँ सुलझाएंगे? अब लगातार, हमें यह पता चलता है काफी अध्ययन के बाद, कि आप, यात्री, अपनी चाय न चुनने के बावजूद, आप ड्राईवरओं से ज्यादा पहेलियाँ सुलझाएंगे| हमे एक और बात भी पता चलती है, न ही आप लोग कम पहेलियाँ सुलझा रहे हैं, मगर आप कार्य में कम मेहनत भी कर रहे हैं| चेष्टा कम है, लगाव कम है, आदि| कैसे पता? हमारे पास मापने के दो तरीके हैं| एक है, कि आप पहेलियाँ सुलझाने में, कितना समय लगा रहे हैं? आप कम समय लगायंगे, आपसे| दूसरा, आपके पास ३० मिनट हैं| क्या आप पूरा समय इस्तेमाल कर रहे हैं, या खत्म होने से पहले ही छोड़ देते हैं? आप लोगों के छोड़ने की सम्भावना, आप लोगों से ज्यादा है| आप कम मेहनत कर रहे हैं, इसलिए नतीजा: कम पहेलियाँ| ऐसा क्यूँ होता है? ऐसी क्या स्थिति है, जिसमे हम ऐसा नतीजा देखेंगे जिसमे यात्री, ड्राईवर से ज्यादा अच्छे नतीजे लायेगा? यह सब INCA का प्रभाव है| यह उस फैसले के बाद की प्रतिक्रिया के लिए, एक्रोनिम है| अब सोचिये, यह पहेली कार्य शेयर बाजार में निवेश से जुड़ा हो सकता है वहां बहुत अस्थिर है, या एक चिकित्सा स्तिथि में हो सकता है यहाँ तुरंत नतीजा मिलता है| आपको नतीजा मिल जाता है, चाहे आप पहेली सुलझाये या नहीं| दूसरा, यह निगेटिव है| याद कीजिये, संभावनाएं आपके खिलाफ थीं| ये पहेलियाँ कठिन हैं| और ये चिकित्सा स्तिथि में हो सकता है| जैसे की इलाज के शुरुआत में, सब निगेटिव होता है, नतीजा, इससे पहले की पोस्टिव हो| हैं ना? ये शेयर बाज़ार में हो सकता है| अस्थिर शेयर बाज़ार, तुरंत ही निगेटिव नतीजा मिलता है| इन सभी स्तिथि में नतीजा पक्का है| अस्पष्ट नहीं है, आपको पता चलेगा कि आपने पहेली सुलझाई है या नहीं| अब इस तुरंत नकारात्मकता, स्थूलता के अलावा, एक एजेंसी की भावना होती है| आप अपने निर्णय के लिए जिम्मेदार थे| तो आप क्या करते हैं? आप बीते हुए फैसले पर ध्यान करते हैं| आप सोचते हैं, मुझे दूसरी चाय चुननी चाहिए थी| (हंसी) आप अपने निर्णय पर शक करने लगते हो आपके निर्णय में आपका विश्वास कम कर देता है आपके परफॉरमांस पर विश्वास कम कर देता है परफॉरमांस मतलब सुलझायी गयी पहेलियाँ| तो कार्य में कम मेहनत, कम पहेलियाँ, तो आपके मुकाबले बुरा नतीजा| और यह चिकित्सा स्थिति में भी हो सकता है, सोचो तो| हैं ना? जैसे की एक मरीज़, ड्राईवर की सीट में| कम मेहनत, मतलब अपने आप को शारीरिक रूप से कम फिट रहना, कम शारीरिक रूप से फिट होना- जो बेहतर होने के लिए करना चाहिए| आप ऐसा नहीं करेंगे| इसलिए, ऐसे वक्त में आप INCA का सामना कर रहे हैं, जब नतीजा तुरंत, नकारात्मक, और पक्का होगा, और आपके पास एजेंसी की भावना है, जब आप यात्री की सीट में बेहतर हैं और कोई और ड्राईवर सीट में अब मैंने गंभीर नोट पर शुरुआत की थी| मैं एक उत्साहित नोट पर समाप्त करूँगा| अब पांच साल हो चुके हैं, पांच से थोडा ज्यादा और ख़ुशी की बात ये है, भगवान की दुआ है कि कैंसर अभी तक रेमिशन में है| सब ख़ुशी से ख़त्म होता है लेकिन एक चीज़ मैंने नहीं कही कि इलाज के बहुत पहले, मेरी पत्नी और मैंने यात्री की सीट लेने का फासला किया और उससे बहुत फर्क पड़ा हमारे मन को शांति मिली और हम उसके स्वास्थ्य लाभ पर ध्यान दे पाए| हमने डॉक्टर को निर्णय लेने दिए ड्राईवर सीट में बैठने दिया| शुक्रिया| (तालियाँ) नमस्ते, मुझे ऑनलाइन नफ़रत मिली है। बहुत ज़्यादा और यह मेरे काम के क्षेत्र के साथ आता है। मैं एक डिजिटल निर्माता हूँ। मैं चीज़ों को विशेष रूप से इंटरनेट के लिए बनाता हूँ। जैसे, कुछ साल पहले, मैंने "प्रत्येक एकल शब्द" नामक एक वीडियो श्रृंखला बनाया। जहाँ मैंने लोकप्रिय फ़िल्मो को संपादित किया केवल अश्वेत लोगों द्वारा बोली जाने वाली शब्दों के लिए प्रतिनिधित्व के मुद्दे पर अनुभवी रूप और आसानी से बात करने के एक तरीके के रूप में हॉलीवुड में फिर, बाद में, ट्रांसफोबिक बाथरूम बिल के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका के मीडिया का ध्यान प्राप्त करना शुरू कर दिया मैंने साक्षात्कार श्रृंखला की उसकी मेजबानी करके जिसे "ट्रांस लोगों के साथ बाथरूम में बैठे हुए" कहा। जहाँ मैंने वास्तव में ऐसा किया था। (हँसी) और फिर.... ज़रूर, मै वाहवाही लुंगा। (तालीयॉं) धन्यवाद। और फिर, क्या आप यूट्यूब पर उन अनबॉक्सिंग वीडियो से परिचित हैं। जहां यूट्यूबर्स नवीनतम इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स खोलते हैं? बढ़िया, तो मैंने एक साप्ताहिक श्रृंखला में उन पर व्यंग्य किया। जहां इसके बजाय मैंनें अमूर्त विचारधाराओं काे उजागर किया। जैसै पुलिस क्रूरता, बहादुरता और मूल अमेरिकियों पर दुर्व्यवहार। (हंसी) मेरा काम-- धन्यवाद। ताली बजा रहे उस व्यक्तिका भला हो (हँसी) माँ, नमस्ते। (हंसी) तो, मेरा काम लोकप्रिय हो गया। बहुत लोकप्रिय। मुझे लाखों विचार मिले, अनेक अनेक महान प्रेस और कई नए अनुयायी मिले। लेकिन इंटरनेट पर सफलता का उल्टा पक्ष इंटरनेट नफरत पैदा करता है । मुझे सबकुछ कहा जाता था। "बीटा" से "स्नोफ्लेक" तक और, बेशक हमेशा से लोकप्रिय "बकवास।" चिंता न करें, मैं नीचे इन शब्दों का आपके लिए विश्लेषण करूँगा (हँसी) तो,"बीटा,"आप में से उन लोगों के लिए जो अपरिचित है "बीटा नर" के लिए शॉर्टेंड ऑनलाइन लिंगो है। लेकिन सच कहता हूँ , मैं मोती की बालियां पहनता हूँ और मेरे फैशन सौंदर्यशास्त्र है समृद्ध-सफेद- महिला-के जैसे दौड़ने वाली चीजें, इसलिए मैं अल्फा होने के लिए चिल्लाना नहीं चाहता (तालियां) पूरी तरह से काम नहीं करता। (हँसी) अब, "स्नोफ्लेक" उन लोगों को नीचा दिखाने के लिए है जो संवेदनशील हैं और खुद को अद्वितीय मानते हैं और मैं एक सहस्राब्दी हूँ और एकमात्र बच्चा, तो, दुह! (हँसी) लेकिन मेरा पसंदीदा, पसंदीदा, पसंदीदा "बकवास" है। यह एक बदमाश,"व्यभिचारी पति", के लिए छोटा शब्द है उन पुरुषों के लिए है जिन्हें उनकी पत्नियों द्वारा धोखा दिया गया है लेकिन दोस्तों, मैं इतना समलैंगिक हूँ कि अगर मेरी एक पत्नी होती तो मैं उसे मुझ पर धोखा देने के लिए प्रोत्साहित करता। (हँसी) धन्यवाद। आइए इनमें से कुछ नकारात्मकता काे कार्रवाई में देखें। कभी-कभी यह प्रत्यक्ष होता है। मार्कोस की तरह, जिन्होंने लिखा, "तुम वो सबकुछ हो जो मुझे नफरत है एक इंसान में। " धन्यवाद, मार्कोस। अन्य अधिक संक्षिप्त हैं। डोनोवन की तरह,जिन्होंने लिखा,"गेवाड फैग" (समलैंगिकों के लिए अपमानजनक शब्द) अब, मुझे इंगित करने की ज़रूरत है, डोनोवन गलत नहीं है, ठीक है? वास्तव में, वह दोनों मायनों में सही है, तो क्रेडिट जहां क्रेडिट देय है। धन्यवाद, डोनोवन अन्य मुझे प्रश्नों के साथ लिखते हैं, ब्रायन की तरह, जिन्होंने पूछा, "क्या आप एक कुतिया पैदा हुए थे या आपने समय के साथ ये बनना सीखा था।" लेकिन इसके बारे में मेरी पसंदीदा बात यह है कि एक बार ब्रायन द्वारा टाइप किया गया, उसकी उंगली फिसल गई होगी क्योंकि तब उसने मुझे थम्स अप वाला इमोजी भेजा। (हँसी) तो, बेब, आपको भी थम्स अप। (हँसी) इन संदेशों के बारे में बात करना मजेदार अब है। सही? और यह उन पर हंसने के लिए भेदने वाला है। लेकिन मैं आपको बता सकता हूँ कि यह सच में उन्हें प्राप्त करने में अच्छा नहीं लगता। पहले, मैं उनकी टिप्पणियों की तस्वीरें लेता और उनके गलत लेखन का मजाक उड़ाता। लेकिन यह जल्द ही संभ्रांतवादी और अंततः अनुपयोगी लगने लगा। तो समय के साथ, मैंने एक अप्रत्याशित मुकाबला करने का तंत्र विकसित किया। क्योंकि मुझे इनमें से अधिकतर संदेश जो मिले सोशल मीडिया के माध्यम से थे, मैं अक्सर उनके प्रोफ़ाइल चित्र पर क्लिक करता जिसने उन्हें भेजा है और उनके बारे में सब कुछ सीखता। मैं उन चित्रों को देखता जिनमें वे टैग किए गए, वे पोस्ट जो उन्होंने लिखे थे, मिम्स जो उन्होंने साझा किये थे, और किसी भी तरह, यह देखना कि स्क्रीन के दूसरी तरफ एक इंसान था मुझे थोड़ा बेहतर महसूस कराता था। जो उन्होंने लिखा उसे उचित साबित करने के लिये नहीं, है ना? लेकिन सिर्फ संदर्भ प्रदान करने के लिए। फिर भी, यह काफी है ऐसा महसूस नहीं हुआ। तो, मैंने उनमें से कुछ को कॉल किया - केवल उन लोगों से जिनसे मै बात करने में सुरक्षित महसूस कर रहा था - एक साधारण शुरुवाती प्रश्न के साथ "तुमने ऐसा क्यों लिखा?" पहला व्यक्ति जिससे मैंने बात की वह जोश था। उसने मुझे यह बताने के लिए लिखा कि मैं एक मूर्ख था, मैं वह कारण था जिसकी वजह से यह देश अपने आप विभाजित हो रहा था, और उसने अंत में यह जोड़ा कि समलैंगिक होना एक पाप था। मैं हमारी पहली बातचीत के लिए बहुत घबराया हुआ था। यह एक टिप्पणियों का खंड नहीं था। तो मैं चुप करने या अवरुद्ध करने जैसे उपकरणों का उपयोग नहीं कर सकता बेशक, मुझे लगता है, मैं उसका फोन काट सकता था। लेकिन मैं नहीं चाहता था। क्योंकि मुझे उससे बात करना पसंद आया। क्योंकि मुझे वो पसंद आया। यहाँ हमारे बीच हुए बातचीत में से एक का क्लिप है। (ऑडियो) डाइलन मैरियन: जोश, आपने कहा आप हाईस्कूल से स्नातक होने वाले हैं, है ना? जोश: मम्म-हम्म। डीएम:आपके लिए हाईस्कूल कैसा है? जोश: क्या मुझे एच-ई-डबल-हॉकी-स्टिक शब्द उपयोग करने की अनुमति है? डीएम: ओह, हाँ। आपको अनुमति है। जोश: वह नरक था। डीएम: वास्तव में? जोश: और यह अभी भी नरक है, भले ही इसमें केवल दो सप्ताह बाकी है। मैं थोड़ा सा ज्यादा बड़ा हूँ - मैं "मोटा" शब्द का उपयोग करना पसंद नहीं करता मैं थोड़ा सा ज्यादा बड़ा हूँ कई सहपाठियों की तुलना में और वे मुझे आँकने लगे इससे पहले कि वे मुझे जान भी सकें। डीएम: यह भयानक है। मेरा मतलब, मैं भी बस यह चाहता हूँ कि आप जानें, जोश, मुझे भी हाईस्कूल में धमकाया गया था। तो हमारी हाई स्कूल में धमकाये जाने की समान स्थिति ने उसने मुझे जो लिखा उसे मिटा दिया? नहीं। और क्या हमारे एकल फोन वार्तालाप ने मूल रूप से एक राजनीतिक रूप से विभाजित देश को ठीक किया और व्यवस्थित अन्याय का इलाज किया था? नहीं, बिल्कुल नहीं, है न? लेकिन हमारी बातचीत ने हमें एक दूसरे के लिए मानवकृत कर दिया था उससे भी अधिक जो कभी प्रोफाइल चित्र और पोस्ट भी कर सकते? बिल्कुल। मैं वहां नहीं रुका क्योंकि कुछ नफरत जो मुझे मिली थी वो "मेरे तरफ से" थी। तो जब मैथ्यू, मेरे जैसे एक विचित्र उदार कलाकार ने सार्वजनिक रूप से लिखा कि मैंने उदारवाद के सबसे बुरे पहलुओं में से कुछ का प्रतिनिधित्व किया मैं उससे यह पूछना चाहता था। डीएम: आपने मुझे इस पोस्ट में टैग किया है। क्या आप चाहते थे कि मैं इसे देखूं? मैथ्यू (हँसते हुए): मैंने ईमानदार से ऐसा सोचा नहीं कि आप ऐसा करेंगे डीएम: क्या आपको कभी सार्वजनिक रूप से खींचा गया है? मैथ्यू: मैं खींचा गया। और मैंने अभी कहा, "नहीं, मुझे परवाह नहीं।" डीएम: और क्या आपको परवाह नहीं? मैथ्यू: लेकिन यह मुश्किल था। डीएम: क्या आपको परवाह नहीं? मैथ्यू: ओह, मैंने परवाह की, हाँ। डीएम: इन बातचीत के अंत में, अक्सर प्रतिबिंब का एक पल होता है। एक पुनर्विचार और यह वही हुआ जो मेरी कॉल के अंत में डौग नाम के एक लड़के के साथ हुआ जिन्होंने लिखा था कि मैं एक प्रतिभाशाली प्रचार हैक था । (ऑडियो) क्या जो बातचीत अभी हमारे बीच हुई - क्या यह, जैसे, आपको अलग-अलग महसूस कराता कि आप ऑनलाइन कैसे लिखते हैं? डौग: हाँ! तुम्हे पता हैं, जब मैंने तुमसे ये कहा, जब मैंने कहा तुम एक "प्रतिभाहीन हैक" थे, मैंने कभी अपनी ज़िंदगी में तुमसे बात नहीं की । सचमे ,मैं रे बारे में कुछ भी नहीं जानता था और मुझे लगता है कि कई बार, यही कि टिप्पणी खंड वास्तव में इसलिए हैं, यह वास्तव में दुनिया पर आपका गुस्सा बाहर लाने का एक तरीका है। अजनबियों के बिना सोचे समझे प्रोफाइल पर , अधिकतर। डीएम (हँसते हुए): हाँ, ठीक है। डौग: लेकिन इसकी वजह से मुझे पुनर्विचार करना पड़ा। जिस तरह से ऑनलाइन लोगों के साथ बातचीत करता हूं डीएम: तो मैंने इन बातचीतऔर कई अन्य को इकट्ठा किया है मेरे पॉडकास्ट के लिए "उन व्यक्तियों के साथ बातचीत जो मुझसे नफरत करते हैं । " (हँसी) इस परियोजना को शुरू करने से पहले, मैंने सोचा कि परिवर्तन लाने के लिए असली तरीका विरोधी दृष्टिकोण को बंद करना था महाकाव्य शब्द के वीडियो निबंध और टिप्पणियां और पोस्ट के द्वारा, लेकिन मैंने जल्द ही सीखा कि उन पर वे केवल उत्साहित थे जो लोग पहले से ही मेरे साथ सहमत हैं। कभी-कभी - आपको आशीर्वाद दें। कभी-कभी, सबसे विचलित चीज जो आप कर सकते थे - हाँ, उसके लिए ताली बजाइये। (हँसी) कभी-कभी, सबसे विचलित चीज जो आप कर सकते थे वह था कि उन लोगों के साथ वास्तव में बात करना जिन लोगों से आप असहमत थे, और बस उन पर नहीं। अब मेरी हर कॉल में, मैं हमेशा अपने मेहमानों से पूछता हूं कि वो मुझे अपने बारे में बतायें। और यह इस सवाल का उनका जवाब है जो मुझे उनके साथ सहानुभूति रखने की अनुमति देता है। और सहानुभूति, यह पता चला है, इन बातचीत को ज़मीनी तौर पर प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण घटक है लेकिन यह बहुत कमजोर महसूस करा सकता है किसी के साथ सहानुभूति व्यक्त करने के लिए जिससे आप गहराई से असहमत हैं। तो मैंने अपने लिए एक सहायक मंत्र स्थापित किया सहानुभूति समर्थन नहीं है। किसी के साथ सहानुभूति रखना जिससे आप गहराई से असहमत हैं यह नहीं है कि आप अचानक से अपनी गहरी धारणाओं का समझौता करते हैं और उनका समर्थन करते हैं। किसी के साथ सहानुभूति रखना, उदाहरण के लिए, जो मानते हैं कि समलैंगिक होना एक पाप है इसका मतलब यह नहीं कि मैं अचानक सबकुछ छोड़ने जा रहा हूँ, अपने बैग पैक करूँ और नरक का मेरा एक तरफा टिकट ले लूँ, है ना? इसका सिर्फ यह मतलब है कि मैं स्वीकार कर रहा हूं किसी की मानवता का जिसे मुझसे बहुत अलग सोचने के लिए उठाया गया हो। मैं भी किसी चीज़ के लिये बहुत स्पष्ट होना चाहता हूं। यह सक्रियता के लिए एक पर्चा नहीं है। मैं समझता हूँ कि कुछ लोग सुरक्षित महसूस नहीं करते उनके विरोधियों से बात करने में और दूसरे बहुत हाशिए पर महसूस करते है कि वे उचित रूप से महसूस नहीं करते हैं कि उन्हें देने के लिए कोई सहानुभूति है। मैं पूरी तरह से समझ गया। यह वही है जो मुझे करने के लिए उपयुक्त लगता है। आप जानते हैं, इस पॉडकास्ट के लिए मै बहुत से लोगों के पास गया। और कुछ ने विनम्रतापूर्वक मना कर दिया, दूसरों ने मेरा संदेश पढ़ा और इसे नजरअंदाज कर दिया, कुछ ने मुझे स्वचालित रूप से अवरुद्ध कर दिया है जब मैंने निमंत्रण भेजा। और एक व्यक्ति वास्तव में ऐसा करने के लिए सहमत हो गया और फिर, कॉल में पांच मिनट, मेरा फोन काटा। मुझे यह बात भी पता है कि यह बातें इंटरनेट पर दिखाई देगी। और इंटरनेट के साथ आता है टिप्पणी खंड, और टिप्पणी खंड के साथ अनिवार्य रूप से नफरत आता है। तो जब आप इस बात को देख रहे हैं, आप मुझे कॉल करने के लिए स्वतंत्र महसूस कर सकते हैं जो आपको अच्छा लगे। आप मुझे "समलैंगिक" कह सकते हैं एक घमंडी एक गवार या हिन् या "उदारवाद के साथ सब कुछ गलत है।" लेकिन बस पता है कि अगर आप करते हैं, मैं आपसे बात करने के लिए कह सकता हूँ। और यदि आप मना करते हैं या मुझे स्वचालित रूप से ब्लॉक करें या सहमत हो और मेरा फोन काट दें, तो शायद, बेब, बर्फबारी आप है। बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियां) (जयकार) (तालियां) क्रिस एंडरसन: विल्यम, नमस्ते| मिलकर ख़ुशी हुई| विल्यम कमक्वाम्बा: शुक्रिया| क्र एं: तो, हमारे पास तस्वीर है मेरे ख्याल से? यह कहाँ पर है? व क: यह मेरा घर है| यहाँ पर मैं रहता हूँ| क्र एं: कहाँ? कौनसा देश? व क: मलावी, कसुन्गु में| कसुन्गु में| हाँ, माला| क्र एं: अच्छा| अब आप 19 वर्ष के हैं? व क: जी| अब मैं 19 वर्ष का हूँ| क्र एं: पांच साल पहले आपको एक विचार आया| वो क्या था? व क: मैं एक पवन चक्की बनाना चाहता था| क्र एं: पवन चक्की? व क: हाँ| क्र एं: क्या, बिजली वगेरा के लिए? व क: हाँ| क्र एं: तो आपने क्या किया? कैसे किया? व क: स्कूल छोड़ने के बाद मैं पुस्तकालय गया, और मैंने एक किताब पढ़ी --"यूजिंग एनेर्जी" और मुझे चक्की बनाने के लिए जानकारी मिली| और मैंने कोशिश की, और मैंने बनाई| (तालियाँ) क्र एं: तो आपने नक़ल की- किताब में के डिजाईन की बिल्कुल नक़ल की| व क: अरे नहीं, मैंने बस- क्र एं: क्या हुआ? व क: वास्तव में, किताब में पवन चक्की का डिजाईन, उसमे चार--अह--तीन ब्लेड, और मेरे वाले में चार ब्लेड| क्र एं: किताब में तीन थे, आपके वाले में चार| हाँ| क्र एं: और आपने किस चीज़ से बनाई? व क: मैंने चार ब्लेड बनाये, क्यूंकि मुझे बिजली बढ़ानी थी| क्र एं: अच्छा| व क: हाँ| क्र एं: तो आपने तीन टेस्ट किये, और देखा की चार बेहतर हैं? व क: जी| मैंने टेस्ट किया| क्र एं: और आपने पवन चक्की किस चीज़ से बनाई? कौनसे सामग्री का उपयोग किया? व क: मैंने साइकिल फ्रेम, और चरखी, और प्लास्टिक पाइप का उपयोग किया, जो फिर खींचती है-- क्र एं: हमारे पास उसकी तस्वीर है? अगली स्लाइड देख सकते हैं? व क: हाँ| पवन चक्की| क्र एं: तो, वो पवन चक्की, क्या--वो चली? व क: जब हवा चलती है, वह घूमती है और बिजली पैदा करती है| क्र एं: कितनी बिजली? व क: 12 वाट| क्र एं: तो उस से घर की बल्ब जल गयी? कितनी बल्ब? व क: चार बल्ब और दो रेडियो| क्र एं: वाह| व क: हाँ| (तालियाँ) क्र एं: अगली स्लाइड- तो ये कौन है? व क: ये मेरे माता पिता हैं, रेडियो पकड़े हुए| क्र एं: उन्हें कैसा लगा-आप उस समय 14, 15 वर्ष के थे— उन्हें कैसा लगा? क्या वो प्रभावित हुए? व क: हाँ| क्र एं: और तो आपका--क्या करेंगे आप इसका? व क: अम-- क्र एं: आप क्या--मेरा मतलब है--क्या आप एक और बनाना चाहते हैं? व क: जी, मैं एक और बनाना चाहता हूँ-- पानी पम्प करने के लिए और पौधों की सिंचाई के लिए| क्र एं: तो उसे और बड़ा होना होगा? व क: हाँ| क्र एं: कितना बड़ा? व क: मुझे लगता है की वह 20 से अधिक वाट का उत्पादन करेगा| क्र एं: तो वह पूरे गाँव की सिंचाई के लिए बिजली पैदा करेगा? व क: हाँ| क्र एं: वाह| तो यहाँ TED पर आप लोगों से बात कर रहे हैं, उन्हें पाने के लिए जो किसी तरह मदद कर पाएंगे आपका सपना साकार करने में? व क: हाँ, अगर वो मुझे सामग्री के साथ मदद कर सकते हैं, हाँ| क्र एं: जब आप अपनी आगे की ज़िन्दगी के बारे में सोचते हैं, अब आप 19 वर्ष के हैं- क्या आप आगे भी उर्जा के क्षेत्र में में कम करने का सपना देखते हैं? व क: हाँ| मैं अब भी उर्जा के क्षेत्र में काम करने का सोच रहा हूँ| क्र एं: वाह| विल्यम, आपके TED सम्मलेन पर होना हमारे लिए सम्मान की बात है| आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद| व क : धन्यवाद| (तालियाँ) मैं चार साल की थी, तब मैंने एक बगीचा देखा, रसोई के तल के नीचे। यह लिनोलियम के बचे हुए पैच के पीछे छिपा था, घिसा हुए मंजिल पर जिसे मेरी मां हटा रही थी। जब बगीचे ने मेरा ध्यान खींचा, कार्यकर्ता व्यस्त था। गुलाब के सुंदर से फूल पर मेरी आँखें चिपक ही गयी, मेरे बचपन के परिदृश्य में जैसे खिल रही हो। उन्हें देखकर, मुझे ख़ुशी और रोमांच की भावना महसूस हुई। इस उत्तेजना से, कुछ ऐसी चीज में जानेकी भावना महसूस हुई जिसका मुझे कुछ नहीं पता था। बगीचे के लिए मेरा जुनून और लगाव उसी पल से शुरू हुआ। जब वसंत ऋतु की शुरुवात हुई, मैं इतनी तेजी से घर में भागी, मेरी मां की आवाज से आगे बढ़ गई। इससे पहले की माँ अपना जैकेट पहने, मैंने अपना लाल कॉर्डुरॉय जम्पर और धूसर रंग की प्लेड ऊनी टोपी ले ली| मैं सामने के दरवाजे से बाहर निकली और घास के एक ताजा कालीन पर कूद गयी। उत्साहित होकर, मैं उछल पड़ी, और उनके पास पहुंचते हुए तीन और कार्टविल्स किये| माँ बग़ीचे मैं थी, मिटटी को मिला रही थी, और मैं उनके पास मैं बैठी, फुलवारी की मिट्टी से खेल रही थी| जब उनका काम ख़तम हुआ, उन्होंने मुझे खट्टे-मीठे नीम्बू पानी का गिलास दिया और फिर मेरे पैरों को ठंडा करने के लिए, पुदीने के टहनी से मेरे जूते पर रखे| मेरी माँ ने बगीचे के रंग और रचनाये खाने मे उतार दीं| उन्होंने रतालू और शरबत और रसीले टमाटर और गाजर बनाये| उन्होंने सालों तक लोगों को बड़े प्यारसे बैंगनी पतवार मटर और हरी सब्जिया खिलाई। ऐसा लगता है कि मेरे बचपन के दौरान, मेरी मां के बगीचों से खिलते पदार्थों ने रोगमुक्त किया, उनके से हेलो लेकर पैरों के तलवों पर जड़ों तक। माँ के देहांत से पहले हमारी आखिरी बातों में, उन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया की में कहीं भी जाऊ, जहा भी मुझे ख़ुशी मिले। तब से मैंने, दुनिया भर में कला प्रतिष्ठानों के माध्यम से बाग़ सजाना शुरू किया, जिन लोगों से मैं मिली उनके देशों में| अब वे अस्तर हैं पार्क और आंगन, दीवारों और यहां तक कि सड़क चित्रित हैं। यदि आप बर्लिन, जर्मनी में थे, तो आपने मेरा बगीचा देखा होगा स्टाइलवर्क्स डिजाइन सेंटर में, जहां दौनी और लैवेंडर, हाइड्रेंजिया और नींबू बाम ग्लास लिफ्टों के सभी छह मंजिलों के पीछे लगाए गए हैं। 2009 में, मैंने "दार्शनिक गार्डन" लगाया एक बगीचे भित्तिचित्र, ऐतिहासिक फ्रेडरिक डगलस हाई स्कूल मेम्फिस, टेनेसी में। इस स्कूल के बगीचे ने एक पूरे समुदाय को खिलाया और एलेनोर रूजवेल्ट द्वारा सम्मानित किया गया था महान अवसाद के दौरान। फिर, 2011 में, मैंने कोर्ट स्क्वायर पार्क में - छह प्रवेश उद्यान लगाये, 80 किस्मों के सुगंधित फ्लोरिबुंडा को और संकर चाय गुलाब। बागवानी ने मुझे सिखाया है कि एक बागान रोपण और उसे बढ़ाना हमारे जीवन को बनाने के समान प्रक्रिया है। सृजन की यह प्रक्रिया वसंत में शुरू हो होता है, जब आप मिट्टी तोड़ते हैं और फिर से शुरू करते हैं। तो यह सर्दियों की मृत पत्तियां, मलबे और जड़ों को बाहर निकलने का समय है। माली को फिर सुनिश्चित करना चाहिए वह एक अच्छा स्वभाव है और उचित पोषक तत्व मिट्टी में सही ढंग से मिश्रित हैं। फिर शीर्षस्थल में वायु प्रवाह महत्वपूर्ण है और सतह पर इसे ढीला छोड़ दें। जीवन में खूबसूरत नहीं खिलता है जब तक आप पहले काम नहीं करते हैं। जब हमारे बगीचे देखभाल के साथ संतुलित होते हैं, तभी जीवन में सौंदर्य की कटाई मिल सकती है। जंगल में, जब पेड़ अपनी जड़ों के माध्यम से महसूस करते हैं कि एक और पेड़ बीमार है, वे अपने पोषक तत्वों का एक हिस्सा भेज देंगे उस पेड़ के लिए उन्हें ठीक करने में मदद करने के लिए। वे कभी अपने बारे में नहीं सोचते हैं या जब वे करते हैं तो कमजोर महसूस नहीं करते हैं। जब एक पेड़ मर रहा है, वह अपने सभी पोषक तत्वों को अन्य पेड़ों को देता है जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है। सतह के नीचे, हम सब हमारी जड़ों से जुड़े हुए हैं और एक दूसरे के साथ पोषक तत्व साझा करते हैं। जब हम साथ आते हैं तभी हम ईमानदारी से बढ़ सकते हैं। यह मनुष्यों के लिए भी वही है, कठिनाई के बगीचे में। इस बगीचे में, जब कैटरपिलर एक क्रिसलिस में बदलता है, इसमें कुछ संघर्ष शामिल है। लेकिन यह उद्देश्य के साथ एक चुनौती है। कोकून की सीमाओं से मुक्त होने के लिए, इस दर्दनाक लड़ाई के बाद ही, नव निर्मित तितली के पंख मजबूत बन सकते हैं। इस युद्ध के बिना, तितली मर जाती है उड़ान भरने से पहले ही। मेरे जीवन का काम है , यह समझाना कि कैसे मानव कनेक्टिविटी बगीचे में एकीकृत होते है । बगीचे जादुई ज्ञान से भरे हुए हैं इस परिवर्तन के लिए। मां प्रकृति की रचनात्मक ऊर्जा है जो पैदा होने का इंतजार कर रही है। गार्डन एक दर्पण हैं जिसने अपना खुद का प्रतिबिंब डाला हमारे जीवन में। तो अपनी प्रतिभा और शक्तियों को पोषित करें और आपको जो मिला है, उसके लिए शुक्रगुजार रहिए । उपचार के लिए नम्र रहो। और दूसरों के लिए करुणा बनाए रखें। देने के लिए अपने बगीचे की खेती करें और भविष्य के लिए ये बीज लगाएं। बगीचा आप के भीतर बसने वाली दुनिया है। धन्यवाद। (तालियां) (चीयर्स) (तालियां) बहुत बहुत धन्यवाद. मैं खुराफाती, हाना फ्राइ हूं. आज मैं सवाल पूछ रही हूं. क्या जिंदगी सचमुच इतनी जटिल है? आपको उत्तर देने की कोशिश करने के लिए केवल नौ मिनट हैं, तो मैंने इसे स्पष्ट रूप से दो भागों में विभक्त किया है; भाग एक: हाँ; और बाद में, भाग दो: नहीं. या, अधिक सटीक होने के लिए: नहीं? (हँसी) पहले मेरा "जटिल" का मतलब बताने का प्रयास. मैं बहुत सारी परिभाषाएं दे सकती थी, लेकिन आसान शब्दों में, जटिल समस्या वह है जिसका आइंस्टीन और साथी उस बारे कुछ नहीं कर सकते. तो, चलो कल्पना करें -अगर क्लिकर काम करता है ... हम ऐसा करते हैं. आइंस्टीन स्नूकर खेल रहे हैं. एक चालाक व्यक्ति है, वह जानता है वह क्यू गेंद को हिट करता है, वह एक समीकरण लिख सकता है. वह आपको ठीक से बता सकता है कि लाल गेंद छोर कहाँ हिट करने वाली है, यह कितनी तेजी से जा रही है और कहाँ रुकेगी. अब बाल को सौरमंडल जितना बड़ा कर लें, आइंस्टीन अभी भी आपकी मदद कर सकता है. फिजिक्स निश्चित बदलेगी, अगर आप सूर्य के चारों ओर पृथ्वी का मार्ग जानना चाहते, आइंस्टीन समीकरण लिख सकता था आपको बताने हेतु कि दोनों वस्तुएँ फलां समय कहां पर हैं. आश्चर्यजनक बढ़ती मुश्किल में भी, आइंस्टीन चांद को अपनी गणना में सम्मिलित कर सकता था. जैसे ही आप मंगल और बृहस्पति जैसे अधिक ग्रह जोड़ते हैं, आइंस्टीन के लिए कलम और कागज के साथ हल करने के लिए समस्या होगी. और अब मुट्ठी भर ग्रहों की जगह, अब अगर लाखों करोड़ों पिंड हो जाएं, समस्या आसान हो जाती है, आइंस्टीन खेल में वापस आ गए हैं. बताती हूं मेरा क्या अभिप्राय है, चीजों को आणविक स्तर पर छोटा करके, यदि एक वायु के कण का अनियमित पथ मालूम करना चाहें, आप के लिए कोई भी उम्मीद नहीं. जब हवा के लाखों कण एक साथ होते हैं, एक प्रकार से उनकी कार्य प्रणाली नापने योग्य, अनुमानित एवं अनुशासित होती है. शुक्र है हवा अनुशासित होती है, ना होती तो विमान आसमान से गिर जाते. एक बड़े पैमाने पर, दुनिया में, हवा के अणु कहीं भी हों बात वही है. वास्तव में आप बरसात की एक बूंद को अलग करके बता नहीं सकते कहां से आई और कहां जाएगी. लेकिन आप निश्चित बता सकते हैं कि कल आसमान में बादल छाएंगे. तो यह बात है. आइंस्टीन के समय विज्ञान यहां पहुंचा था. हम सीमित समस्याएं हल कर सकते थे सरल बातचीत के साथ, या बड़ी समस्याएं हल कर सकते थे लाखों वस्तुओं और सरल क्रिया से. जो बीच का सब कुछ है उसका क्या? आइंस्टीन की मृत्यु सेसात साल पहले, अमेरिकी वैज्ञानिक वारेन वीवर ने यही बात साेची. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक पद्धति एक चरम से दूसरे तक चली गयी है. एक बड़ा अछूता मध्य भाग छोड़ते हुए. यह मध्य क्षेत्र वह जगह है जहां जटिल विज्ञान है. जटिल से मेरा यही मतलब है. दुर्भाग्य से, हर समस्या जो आप सोचते हैं मानव व्यवहार से संबंधित वह इसी मध्य क्षेत्र में मौजूद है. आइंस्टीन को इस विशाल हलचल की जानकारी नहीं थी . यहां अत्यधिक लोग हैं सभी को व्यक्तिगत रूप से देखने के लिए गैस से तुलना करने के लिए बहुत ही कम लोग परेशान करने वाले फैसले कर सकते हैं और घुलना मिलना नहीं चाहते, इससे समस्या उलझ जाती है. आइंस्टीन भी नहीं बता सका शेयर बाजार कब क्रैश होने वाला है. आइंस्टीन नहीं बता सका बेरोजगारी में सुधार कैसे करें. आइंस्टीन नहीं बता सकता अगला आईफोन हिट या फ्लॉप होने जा रहा है. भाग एक: हमारे साथ धोखा हुआ है. निपटने का उपाय नहीं, जीवन बहुत जटिल है. लेकिन उम्मीद है, पिछले कुछ वर्षों में, विज्ञान के नए क्षेत्र की शुरुआत दिख रही. सोशल सिस्टम के लिए गणित का उपयोग . सांख्यिकी और कंप्यूटर सिमुलेशन नहीं . समाज के समीकरण लिखने की बात. समझने में मदद मिलेगी क्या चल रहा है जैसे स्नूकर गेंद और मौसम की भविष्यवाणी. लोगों को एहसास होना शुरू हो गया है हम अनुरूपताओं का उपयोग कर सकते हैं आस-पास भौतिक दुनिया और मानव तंत्र के बीच. अब, एक उदाहरण: यूरोप में प्रवासन की विकराल समस्या जब आप सभी लोगों को एक साथ देखते हैं, इकठ्ठे वे इस तरह व्यवहार करते हैं जैसे गुरुत्वाकर्षण के नियमों का पालन कर रहे हैं बजाय एक दुसरे प्रती आकर्षित हो जो बेहतर नौकरी से आकर्षित होते हैं, उच्च वेतन, जीवन की गुणवत्ता और रोजगार. अवसरों की तलाश में लोग जाते हैं आसपास जैसे लंदन से केंट न कि लंदन से मेलबर्न गुरुत्वाकर्षण दूर जाकर कम हो जाता है. आपको एक और उदाहरण देती हूं: 2008 में, यूसीएलए में एक पैटर्न देख रहे थे शहर में जहां चोरी ज्यादा हो रही थी. चोरी के बारे में एक बात है पहले से पीड़ित को शिकार बनाना. आपके आस-पास चोरों का समूह है जो एक क्षेत्र को सफलतापूर्वक लूटता है, चोर फिर वहीं लौटकर आएंगे . वे घरों का ले आउट सीखते हैं, भागने के मार्ग और स्थानीय सुरक्षा. ऐसे होता रहेगा जब तक लोग और पुलिस सुरक्षा बढा नहीं देते. ऐसे चोर दूसरी जगह खिसक जाएंगे. यह संतुलन है, चोरों और सुरक्षा के बीच जो चोरों के लिए गतिशील केंद्र बनाता है. यह बिल्कुल वही प्रक्रिया है जैसे कि तेंदुए के चकते, यह अलग बात है कि तेंदुए के उदाहरण में चोर और सुरक्षा नहीं, एक रासायनिक प्रक्रिया जो पैटर्न बनाती है इसे मोर्फाेजेनेसिस कहते हैं . तेंदुए के धब्बों के मॉर्फो जेनेसिस हम जानते हैं. इसका इस्तेमाल हम चोरी की चेतावनी के लिए हो सकता है अपराध के खिलाफ बेहतर रणनीति के लिए भी. यहां यूसीएल में एक समूह है वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस के साथ काम कर रहे इसी सवाल पर. मैं इस तरह के कई उदाहरण दे सकती थी, लेकिन मैं अपनी रिसर्च से बताती हूं लंदन के दंगों पर. शायद मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है गर्मियों की घटनाओं के बारे में, जहां ब्रिटेन ने निरंतर खराब समय देखा हिंसक लूटपाट और आगजनी बीस साल से अधिक. एक समाज के रूप में, कोशिश करना चाहते हैं इन दंगों के कारण क्या हुआ, पुलिस बेहतर करने की रणनीति के साथ एक सक्षम नेतृत्व के लिए संकल्प समाजशास्त्रियों को निराश नहीं करना चाहती, मैं दंगे की व्यक्तिगत बात नहीं करूंगी, जब आप सभी दंगाई एक साथ देखते हैं, गणितीय रूप से, इसे अलग कर सकते हैं तीन चरण की प्रक्रिया में तदनुसार अनुरूपता खींचें. एक कदम: आपके पास दोस्तों का समूह है. कोई भी दंगों में शामिल नहीं, पास फुट लॉकर जिस पर हमला किया जा रहा है, अंदर जाता है,जूतों की नई जोड़ी धर लेता है, अपने दोस्त को संदेश लिखता है "दंगे की जगह पहुंचो," दोस्त पहुंच जाता है, और दोस्तों को संदेश लिखते हैं वे आ मिलते हैं सब मिल दोस्तों को संदेश करते हैं इस तरह सिलसिला चलता रहता है, ठीक उसी तरह जैसे वायरस फैलता है, आप बर्ड फ्लू के बारे में सोचें कुछ साल पहले, जो संक्रमित थे, अधिक लोगाें काे संक्रमित करते गये, और तेजी से वायरस फैल गया इससे पहले के अधिकारी संभाल पाते, यह बिल्कुल वही प्रक्रिया है. मान लीजिए एक दंगाई ने दंगा करने की ठान ली. अब दंगे की जगह चुनेगा. आपको क्या पता होना चाहिए दंगे के बारे में क्लिकर चला गया है हम वहाँ चलें. दंगाइयों के बारे मेंपता होना चाहिए, वे यात्रा के लिए तैयार नहीं हाेते जहां से वे रहते हैं, जब तक कि यह रसदार दंगा साइट नहीं है. (हँसी) तो आप यहां देख सकते हैं कि इस ग्राफ से, दंगा करने वालों ने एक किलोमीटर से कम यात्रा की जिस साइट पर वे गए. यह पैटर्न देखा जाता है खुदरा खर्च के उपभोक्ता मॉडल में, जहां हम खरीदारी के लिए चुनते हैं. लोग स्थानीय दुकानों पर जाना पसंद करते हैं, आप और आगे जाने के लिए तैयार रहेंगे अगर यह एक अच्छी खुदरा दुकान होगी. यह समानता पहले से ही थी कुछ अखबाराें ने उठाई, टैबब्लॉइड ने लिखा: "हिंसा के साथ खरीदारी," जो इसे बताता है हमारे शोध के संदर्भ में. ओह! हम पीछे जा रहे हैं. ठीक, चरण तीन. अंत में,दंगाई मौके पर, और पुलिस की गिरफ्त से बचना चाहता है, दंगाई हर समय पुलिस से बचेंगे, लेकिन संख्याओं में कुछ सुरक्षा है। और पुलिस, उनके सीमित संसाधनों के साथ, जितना हो सके शहर की रक्षा में लगे हैं, जहां संभव हो दंगाइयों को पकड़ते हैं एक निवारक प्रभाव बनाने के लिए. और जैसा पता चला है, पुलिस और दंगा करने वालों के बीच यह तंत्र, जंगल में शिकार और शिकारियों के समान है . खरगोशों और लोमड़ी की कल्पना कर सकते हैं, खरगोश लोमड़ी से बचने की कोशिश कर रहे हैं, लोमड़ियाँ गश्त कर रही हैं और खरगोश ढूंढ रही हैं. हम शिकार और शिकारियों के बारे में बहुत जानते हैं, उपभोक्ता की प्रवृतियों के बारे में जानते हैं, वायरस कैसे फैलता है यह भी जानते हैं, आप इन तीन समानताओं को जानते हैं और इस्तेमाल करते हैं , तो आप गणितीय मॉडल बना सकते हैं कि वास्तव में क्या हुआ? वह सामान्य पैटर्न की प्रतिकृति करने में सक्षम है खुद की दंगों की, हमें यह मिल गया, इसे पेट्री डिश के रूप में उपयोग कर सकते हैं और वार्तालाप शुरू करें शहर के कौन से क्षेत्र ज्यादा संवेदनशील थे पुलिस रणनीति का क्या उपयोग हाे सकता है अगर भविष्य में यह कभी फिर होता है, 20 साल पहले इस तरह की मॉडलिंग अनसुनी थी, इस तरह की अनुरूपतायें महत्वपूर्ण उपकरण हैं समाज की समस्याओं का सामना करने में, आखिर में, समाज के समग्र सुधार के लिए. निष्कर्ष यह कि जिंदगी ताे उलझी हुई है, पर इसे सुलझाना इतना मुश्किल नहीं, धन्यवाद. (तालियां) ऐसे बहुत से तरीके हैं जिनसे हमारे आसपास के लोग हमारी ज़िन्दगी को बेहतर बना सकते हैं। हम अपने हर पडोसी से नहीं टकराते, इसलिए बहुत सारा ज्ञान कभी भी आगे नहीं बढ़ पाता, हालांकि हम सब सामान सार्वजनिक वातावरण में ही होते हैं. इसलिए पिछले कुछ सालों में, मैंने अपने पड़ोसियों के साथ सार्वजिनक वातावरण में ज्यादा सहभागी के लिए बहुत तरीके अपनाये हैं, जिनमे मैंने साधारण उपकरणों जैसे stickers, stencils और chalk का इस्तेमाल किया है| और इन परियोजनओं का जन्म कुछ ऐसे सवालों से हुआ, जैसे कि मेरे पडोसी अपने घर के लिए कितना किराया दे रहे हैं? (हँसी) हम किस तरह से किसी के घर पर गलत वक़्त पर दस्तक दिए बिना, ज्यादा उधार ले या दे सकते हैं? हम कैसे हमारी त्यागी हुई इमारतों की यादों को ज्यादा बाँट सकते हैं, और हमारे भुदेश्य की एक बेहतर समझ हासिल कर सकते हैं? और हम कैसे हमारी खाली दुकानों की उम्मीदों को और ज्यादा बाँट सकते हैं, जिससे आज हमारा समाज हमारी जरूरतों और सपनों को प्रतिबिंबित कर सके? अब मैं New Orleans में रहती हूँ, और मुझे New Orleans से प्यार है। इन विशाल जीवंत oak के वृक्षों से मेरी आत्मा को शांति मिलती है, विभिन्न प्यार करने वाले, शराबी और सैकड़ों सालों से सपने देखने वाले और मैं ऐसे शहर पर विश्वास करते हैं जो हमेशा संगीत के लिए रास्ता बनाता है। (हँसी) मुझे ऐसा महसूस होता है जैसे, यहाँ जब भी किसी को छींक आती है New Orleans में जलूस निकलता है।(हँसी) इस शहर मैं इस विश्व के कुछ बहुत ही खूबसूरत वास्तुशिल्प हैं, परन्तु यहाँ america की अधिकतर बहिष्कृत संपत्ति भी हैं। मैं इस घर के नजदीक रहती हूँ और मैंने सोचा कि मैं कैसे इसे अपने पड़ोसियों के लिए एक बेहतर स्थान बना सकती हूँ, और मैंने ऐसा कुछ भी सोचा जिसने मेरी ज़िन्दगी को हमेशा के लिए बदल दिया। 2009 में,मैंने अपने बहुत ही प्रिय व्यक्ति को खो दिया. उनका नाम joan था, और वो मेरी माँ की तरह थी, और उनकी मृत्यु अचानक और अनपेक्षित थी। और मैंने मृत्यु के बारे मैं बहुत सोचा, और इससे मुझे अपने गुज़रे वक़्त के लिए बहुत कृतज्ञता महसूस हुई, और मुझे यह स्पष्ट हुआ कि मेरे जीवन के लिए अब क्या महत्वपूर्ण है। परन्तु मैं इस दृष्टिकोण को अपने दैनिक जीवन में बनाये रखने के लिए बहुत संघर्ष करती हूँ। मुझे महसूस होता है जैसे दैनिक दिनचर्या में फसना बहुत आसान है, और यह भूल जाना कि आपके लिए वास्तव में क्या महत्वपूर्ण है। इसलिए अपने नए और पुराने दोस्तों की मदद से, मैंने इस बहिष्कृत घर की एक तरफ की दीवार को एक विशाल चाक बोर्ड में बदल दिया और stencil से इस पर " रिक्त स्थान भरो" वाक्य बनाया : " अपनी मृत्यु से पहले, मैं .... करना चाहता हूँ।" इसलिए अब कोई भी राहगीर एक चाक का टुकड़ा उठाये, अपनी ज़िन्दगी के बारे में विचार करे और अपनी व्यक्तिगत आकांक्षाओं को सार्वजनिक रूप से बाँट सके। मैं नहीं जानती थी कि इस प्रयोग से क्या आशा कर सकती हूँ, परन्तु अगले ही दिन, वो दीवार पूरी भर गयी थी, और यह सब बढता ही गया। और मैं कुछ बातें बताना चाहूंगी जो लोगों ने उस दीवार पर लिखी। " अपनी मृत्यु से पहले , मैं साहित्यिक चोरी के लिए दण्डित होना चाहता हूँ।" (हँसी) "अपनी मृत्यु से पहले,मैं अन्तर्राष्ट्रीय Date रेखा पर चलना चाहता हूँ।" "अपनी मृत्यु से पहले,मैं लाखों के लिए गाना चाहता हूँ". "अपनी मृत्यु से पहले, मैं एक पेड़ लगाना चाहता हूँ।" "अपनी मृत्यु से पहले, मैं व्यक्तिगत तरीके से उत्पादित बिजली को इस्तेमाल करना चाहता हूँ। "अपनी मृत्यु से पहले, मैं उसे एक और बार पकड़ना चाहता हूँ". "अपनी मृत्यु से पहले, मैं किसी की घुड़सवार फ़ौज का हिस्सा बनना चाहता हूँ।" "अपनी मृत्यु से पहले, मैं पूरी तरह से "मैं " बनना चाहता हूँ। इस तरह से यह उपेक्षित स्थान एक रचनात्मक स्थान बन गया, और लोगों की उम्मीदों और सपनों ने मुझे बेइंतहा हंसाया, रुलाया, और मेरे मुश्किल वक़्त में मुझे दिलासा दिलाया| यह आपको यह एहसास दिलाता है कि आप अकेले नहीं हैं। यह आपको अपने पड़ोसियों को नए और आलोकित तरीके से समझने में मदद करता है। आपको चिंतन और मनन करना चाहिए, और यह याद रखना चाहिए कि जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं और बदल रहे हैं, हमारे लिए वास्तव में क्या सबसे महत्वपूर्ण है। मैंने यह पिछले साल बनाया था और मुझे जोशीले लोगों से सैकड़ों सन्देश प्राप्त हुए जो अपने समुदाय के साथ एक दीवार बनाना चाहते थे, इसलिए मेरे नगर केंद्र के सहकर्मियों और मैंने एक उपकरण समूह बनाया, और अब यह दीवारें विश्व के बहुत सारे देशों में बनायीं गयी हैं, जिन में kazakhstan, south africa, Australia, argentina और बहुत से देश शामिल हैं। मिलजुल कर, हमने यह दर्शाया हैं कि हमारे सार्वजनिक स्थान कितने प्रभावशाली हो सकते हैं, यदि हमें आवाज उठाने का और एक दुसरे से बांटने का मौका दिया जाए। हमारे पास जो दो सबसे ज्यादा अनमोल चीज़ें हैं, वो हैं, समय और हमारे अन्य लोगों के साथ सम्बन्ध। हमारे इस ज़माने में जिस में विकर्षण बढ़ते जा रहे हैं, यह पहले से बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया कि हम यह दृष्टिकोण बनाये रखें और यह याद रखें कि ज़िन्दगी संक्षिप्त और नाज़ुक है। मृत्यु के बारे में बात करने या सोचने के बारे में हम अक्सर हतोत्साहित होते हैं, परन्तु मैंने यह समझा है कि मृत्यु की तैयारी करके आप अपने आपको बहुत ज्यादा शक्तिशाली बना सकते हैं। मृत्यु के बारे में सोचने से आपकी ज़िन्दगी को स्पष्ट करता है। हमारे सहभाजी स्थान ज्यादा बेहतर रूप से प्रतिबिंबित कर सकते हैं कि हमारे लिए व्यक्तिगत और एक समुदाय की तरह क्या महत्वपूर्ण हैं, और अपने उम्मीदों, डर और कहानियों को बांटने के नए तरीकों को इस्तेमाल करने से हमारे आस पास के लोग हमें सिर्फ बेहतर जगह बनाने में ही नहीं, यह हमें बेहतर ज़िन्दगी जीने में मदद कर सकते हैं। धन्यवाद्. (तालियाँ) (तालियाँ) धन्यवाद्. (तालियाँ) (तालियाँ) जब से मैं छोटी थी मुझे से हमेशा दिलचस्पी थी -- ( हंसी ) ओ ! ( हंसी ) मेरा मतलब और छोटी और बौनी . ( हंसी ) अगर इसकी कल्पना की भी जा सकती है। पर जब से मैं छोटी बच्ची थी, मुझे हमेशा ही यह दिलचस्पी थी कि यह दुनिया कैसे चलती है। प्रारंभिक अवस्था मे ही यह दिलचस्पी , मुझे गणित और रसायन के क्षेत्रों में ले गई। मैं और आगे बढ़ती गई, और जैसे मैं बढ़ती गई, मुझे एहसास हुआ कि विज्ञान के सारे क्षेत्र एक दूसरे से जुड़े हैं। और एक के बगैर, बाकियों का बहुत कम मूल्य है या कोई मूल्य ही नही है। तो, मेरी क्युरी और एक स्थानीय विज्ञान के संग्रहालय से प्रेरित होकर मैंने तय किया कि मैं खुद ये सवाल पूछूँगी, और अपने स्यतंत्र अनुसंधान में जुट जाऊँगी, चाहे वह मेरे गेराज में हो या मेरे सोने के कमरे में हो। मैं वैज्ञानिक पत्रिकाओं के पत्र पढ़ने लगी, विज्ञान की प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगी, विज्ञान के मेलों में भाग लेने लगी, वह सब करने लग गई जिससे मुझे वह ज्ञान मिलता जिसे पाने के लिए मैं इतनी बेकरार थी तो जब मैं एक प्रतियोगिता के लिए शरीर-रचना के विज्ञान को पढ़ रही थी, मुझे पुराने घाव नामक विषय के बारे में पता चला। और एक विशेष जानकारी जो मुझे पता चली वह यह थी कि अमेरिका में जिन लोगों को पुराने घाव है उनकी संख्या उन सब लोगों से ज़्यादा है जिन्हें स्तन, कॉलन, फेफड़ों या रक्त का कर्क रोग है। ज़रा रुकिए। पुराने घाव होते क्या हैं ? ( हंसी ) और मैंने पुराने घावों के लिए की जाने वाली 5के वाॅक के बारे में क्यों आम तौर पर भी मैने नही सुना पुराने घावों के बारे में ( हंसी ) तो जब मैं इन प्रारंभिक प्रश्नों से आगे बढ़ी, और मैं उन में से एक का आपको स्पष्टीकरण दूँगी, मूलतः, पुराने घाव तब होते हैं जब किसी को आम ज़ख्म होते हैं, पर वे सामान्य रूप से भर नही हो पाते क्योंकि रोगी को किसी प्रकार की पूर्व मौजूदा बीमारी होती है, जो ज्यादातर मामलों में मधुमेह होती है। तो जैसे-जैसे मैं इस संशोधन में आगे बढ़ी, वैसे-वैसे और चौंकाने वाले आंकड़े प्राप्त होने थे। सिर्फ़ सन् 2010 में, दुनिया भर में 50 अरब डॉलर खर्च किए गए थे पुराने घावों का इलाज करने के लिए। और तो और ऐसा अनुमान लगाया गया है कि आबादी के लगभग दो प्रतिशत लोगों को अपनी ज़िंदगी में कभी न कभी पुराना घाव मिलेगा यह बहुत ही अजीब था। तो जब मैंने और शोध करना शुरू किया, मुझे पता चला कि घाव पर की गई मरहम-पट्टी के अंदर की नमी का उस पुराने घाव के उपचार के चरण के बीच परस्पर संबंध था। तो मैंने तय किया, कि क्यों न मैं कुछ ऐसा डिज़ाइन करू, जिससे घाव की अंदरूनी नमी के स्तर को नापा जाये ताकि इससे डाॅक्टरों व मरीज़ों की मदद हो सके, अपने घावों का बेहतर इलाज करने और मूल रूप से, घाव के उपचार की प्रक्रिया को और शीघ्र बनाए। तो मैं यह ही करने के लिए निकल पड़ी एक 14 साल की व अपने गेराज से बनी प्रयोगशाला में काम करनेवाली बच्ची होने के नाते, मुझपर कई बाधाएँ थी सबसे बड़ी बाधा थी कि मुझे कोई अनुदान नहीं मिला मुझे ज़्यादा पैसे नही दिए गए थे, और मुझे ज़्यादा संसाधन नहीं दिए गए थे। और तो और, मेरी कुछ शर्तें भी थी चूंकि यह उत्पाद शरीर के साथ परस्पर संपर्क करेगा, वह शरीर के लिए अनुकूल होना चाहिए, उसका सस्ता होना भी ज़रूरी था, डिज़ाइन भी मैं कर रही थी, और इसकी कीमत भी मैं ही चुका रही थी। इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन होना जरुरी था क्योंकि मैं चाहती थी कि यह कही भी, किसी के लिए भी बनाया जा सके अत:, मैंने एक योजनाबद्ध आरेख तैयार किया। आपके बाएँ तरफ़ मेरे डिज़ाइन के शुरुआती आरेख हैं , जिसमें ऊपर का दृश्य व एक स्टैकिंग के प्रकार का दृश्य है। स्टैकिंग प्रकार का अर्थ है कि पूरा उत्पाद अलग-अलग भागों से बना है जिन्हे एकजुट होकर काम करना है। और वहाँ जो दिखाया गया है वह एक संभव व्यवस्था है तो यह असल में है क्या ? मैंने अपने सेंसरों का परीक्षण शुरु किया ,और जैसे हर विज्ञानिक अपने काम में ठोकर खाता है, वैसे मुझे भी अपने सेंसर की पहली पीढ़ी से बहुत समस्या थी। सबसे पहले, मुझे यह पता नहीं था कि नैनो-कणों की स्याही को बिना फ़र्श पर गिराए प्रिंटचेक कार्ट्रिज में कैसे भरा जाता है यह थी समस्या क्रमांक एक। समस्या क्रमांक दो यह थी, कि मैं अपने सेंसर की क्षमता को पूरी तरह से नियंत्रित नही कर पा रही न मैं उन्हें ऊपर चढ़ा पा रही थी न नीचे गिरा पा रही थी मैं उस तरह का कुछ भी नहीं कर पा रही थी। तो मैं इसका हल चाहती थी। समस्या एक आसानी से सुलझाई गई, ईबे और अमेज़ॅन पर सुईयाँ ढ़ूंढने के बाद। हालांकि समस्या दो के लिए और विचार की आवश्यकता थी। तो यहाँ यह काम आता है। एक जगह-भरने वाले वक्र का लक्ष्य यह होता है कि वह एक इकाई वर्ग में जितनी हो सके उतनी जगह लेने की कोशिश करता है और एक कंप्यूटर प्रोग्राम लिखकर, हम विभिन्न वक्रों की अलग-अलग पुनरावृत्तियों कर सकते हैं, जो एक इकाई वर्ग की जगह की ओर बढ़ते हैं, पर कभी उसके बराबर नही बनते तो अब मैं उसके चौड़ाई, आकार को नियंत्रित कर सकती थी, मैं जो चाहे कर सकती थी उसके साथ, व मैं अपने नतीजों की भविष्यवाणी कर सकती थी तो मैंने अपने सेंसर बनाने शुरू कर दिए और उनका अधिक कठोर परीक्षण किया, पिछले विज्ञान के मेलों से प्रप्त हुए पैसों का उपयोग करके अंत में, इस डेटा को पढ़ने के लिए, मुझे उसे कनेक्ट करने की ज़रूरत थी। तो मैंने उसे एक ब्लूटूथ चिप के साथ जोड़ दिया, जो आप अपने दाईं ओर दर्शाए गए चित्रों में देख सकते हैं। और इससे कोई भी अपने घाव की प्रगति की निगरानी कर सकता है, और वायरलेस कनेक्शन द्वारा इस जानकारी को प्रेषित किया जा सकता है, डाॅक्टर को, मरीज़ को, या जिसे भी उसकी ज़रूरत हो। [ निरंतर परीक्षण और परिष्करण ] अंततः, मेरा डिजाइन कामयाब रहा -- लेकिन विज्ञान कभी समाप्त नहीं होता है। हमेशा कुछ करने के लिए, कुछ परिष्कृत करने के लिए रह ही जाता है। तो इस समय मैं यह ही कर रही हूँ। मगर मैंने यह सीखा है कि मेरी डिजाइन की गई वास्तविक चीज़ से ज़्यादा अहम वह रवैया है जो यह करते समय मेरे पास थी और वह रवैया यह था, कि अपने गेराज में काम करनेवाली 14 साल की लड़की होने के बावजूद, जो एक ऐसी चीज़ पर काम कर रही हो जो वह पूरी तरह से नही समझती, मैं बदलाव ला सकी और इस क्षेत्र में अपना योगदान दे सकी। और इस ही ने मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली है, और मुझे आशा है कि इससे और लोग भी प्रेरित हो ऐसे काम करने के लिए चाहे उन्हें उसके बारे में ज़्यादा यकीन न हो। तो मुझे उम्मीद है कि यह संदेश आप अपने साथ ले जाएँगे। शुक्रिया ( तालियाँ ) तुम जैसे अनेकों की तरह, मैं भी योगदान करने की कोशिश करना चाहता हूँ अफ्रीका के पुनर्जागरण में अफ्रीका की कायापलटने का सवाल असल में एक नेतृत्व का सवाल है केवल जागरूक नेता ही अफ्रीका की काया पलट सकते हैं और मेरी यही सोच है की जिस तरह हम अपने नेताओं को शिक्षित करें, वह इस महाद्वीप की तरक्की का मूलभूत है. अपने विचारों की व्याख्या करने के लिए मैं आपको कुछ कहानियाँ सुनाना चाहता हूँ कल हम सभी ने कहानियों के महत्व के बारे में चर्चा की है इस साल, मेरी एक अमरीकन सहेली ने घाना में नर्स की हैसियत से स्वेच्छा से काम किया और 3 महीनों में ही वह उस निष्कर्ष पहुँच गई, अफ्रीका के नेतृत्व की स्तिथी के बारे में, जिसे समझने में मुझे दस साल से ज़्यादा लगे. दो बार वो ऐसी सर्जरीस में शामिल थी जिसके दौरान अस्पताल में बिजली चली गई आपातकालीन जेनरेटर शुरू नहीं हुए न कोई रौशनी, न दीया, न लालटेन. घोर अंधेरा. रोगी का शरीर खुला हुआ -- दो बार. पहली बार एक सीज़ेरियन था. शुक्र है, शिशु बहार आ गया-- जच्चा-बच्चा दोनों जीवित बच गए. दूसरी बार के उपचार में बेहोश करने की आवश्यकता थी रोगी ज़्यादा समय तक बेहोशी में न रहा, उसे दर्द महसूस हुआ वो रो रहा है, चिल्ला रहा है, प्रार्थना कर रहा है घोर अंधेरा, न कोई दीया, न कोई रौशनी जबकि वह अस्पताल टॉर्च खरीद सकता था वह अस्पताल इन सब चीज़ों को खरीदने में सक्षम थे, मगर उन्होने ऐसा न किया और ऐसा दो बार हुआ एक दूसरी बार, वे यह देख कर भयभीत हो गयी की नर्स को एक रोगी को मरते हुआ देख रही थी, क्योंकि उन्होंने ऑक्सिजन देने से इनकार कर दिया, जोकि उनके पास था और फिर, तीन महीनों के बाद, उनके अमरीका लौटने के कुछ ही समय पहले, अक्रा की नर्से हड़ताल पर चली गईं. और उनकी यही सलाह है कि इस मौके का सही लाभ उठकार इन सभी नुर्सों को बाहर कर दिया जाए और एक नई शुरुआत करें एक नयी शुरुआत इस सभी का नेतृत्व से क्या संबंध है? देखिए, स्वास्थ मंत्रालय का दोष, अस्पताल प्रशासन, डॉक्टर, नर्सों यह सभी उन चुनिंदा पाँच प्रतिशत लोगों में हैं, जिन्हें माध्यमिक स्तर से ऊपर शिक्षा मिलती है ये समाज के उत्कृष्ट भाग के सदस्य हैं, यही हमारे नेता हैं इन्के निर्णय, इन्के कार्य, माइने रखते हैं और जब ये लोग असफल होते हैं, एक राष्ट्र पीड़ा से करहाता है तो जब मैं नेतृत्व की बात करता हूँ, मैं सिर्फ़ राजनीतिक नेताओं की बात नहीं कर रहा हमने उसके बारे में बहुत सुना है मैं कुलीन लोगो की बात कर रहा हूँ वे लोग जिन्हे प्रशिक्षित किया गया है जिनका कर्म है समाज के संरक्षक बनना वकील, न्यायाधीश, पुलिस, डॉक्टर, इंजिनियर, प्रशासनिक सेवक - यही लोग नेता हैं और हमें इन्हे सही तरह से प्रशिक्षित करना है घाना में नेतृत्व के साथ मेरा सबसे पहला यादगार अनुभव घटा, जब मैं 16 साल का था हमारे यहाँ तभी ही सैन्य विद्रोह हुआ था और सैनिक समाज में हर तरफ फैले हुए थे उनकी उपस्थिति व्यापक थी और एक दिन मैं अपने पिता से मिलने हवाई अड्डे गया और जैसे ही मैं कार पार्किंग से घास से ढके ढलान पर चलता हुआ टर्मिनल भवन की ओर गया AK-47 हथियार बद्ध दो सैनिकों ने मुझे रोका और उन्होने मुझे लोगों की भीढ़ में शामिल होने का आदेश दिया जो की इस बाँध पर यहाँ-वहाँ भाग रहे थे क्यों? क्योंकी जो रास्ता पर मैं जा रहा था, उसमे प्रवेश निषिद्ध था और इस संबंध में कोई संकेत न था मैं 16 साल का था | मैं घबरा गया कि मेरे सहकर्मी मेरे बारे में क्या सोचेंगे अगर वे मुझे ऐसे # पहाड़ी पर इधर-उधर भागते हुए देखेंगे मुझे ख़ासकर यही चिंता थी की लड़कियाँ क्या सोचेंगी. और ईससी कारण से मैने इन सैनिकों से बहस करनी शुरू कर दी यह लापरवाही वाली बात थी, मगर जैसा मैने आपको बताया, मैं 16 साल का था मैं भाग्यशाली रहा घाना एरवेस का एक पाइलट इसी दुविधा में पड़ गया उसकी वर्दी को देख, सैनिकों ने उससे ढंग से बात करनी शुरू कर दी सैनिकों ने समझाया की वे सिर्फ़ अपने आदेशों का पालन कर रहे थे पाइलट ने सैनिकों का रेडियो लिया, उनके साहब से बात की, और हम सभी को छुड़वा दिया इस अनुभव से हमे क्या सीख मिलती है? मुझे कई सीख मिलीं नेतृत्व महत्वपूर्ण है | वे सैनिक पालन कर रहे हैं अपने से उच्च अधिकारी के आदेश मैने साहस के बारे में कुछ सीखा यह महत्वपूर्ण था की उन बंदूकों को न देखा जाए और मैने यह भी सीखा की लड़कियों के विषय में सोचना भी हमारे लिए सयाहक हो सकता है (हँसी) तो इस घटना के कुछ साल बाद, मैने घाना छोड़ दिया छात्रवृति पर स्वारतमोरे कॉलेज में शिक्षी पाने के लिए यह ताज़ी हवा में साँस लेने के समान था आप जानते हैं, वहाँ के शिक्षक नही चाहते थे की हम सिर्फ़ जानकारियाँ ही याद करें और उन्हे वापस दौहराएँ, जैसा की मैं घाना में किया करता था वे चाहते थे की हम गंभीरता से सोचें वे चाहते थे की हम विश्लेषणात्मक बनें वे चाहते थे की हम सामाजिक विषयों के बार सोचें मुझे अर्थशास्त्र की कक्षाओं में अधिक अंक मिले मेरी आधारभूत अर्थशास्त्र की समझ के लिए. लेकिन मैने इससे भी अधिक और गहरा कुछ सीखा यह कि जो नेता हैं - घाना की अर्थव्यवस्था के प्रबंधक- वे अत्यंत ही बुरे निर्णय ले रहे थे जिनके कारण हमारी अर्थव्यवस्था पतन के कगार पर पहुँच गई और फिर यहाँ पर एक और शिक्षा थी कि - नेतृत्व महत्वपूर्ण है यह बहुत माइने रखता है मगर मैं पूरी तरह यह नही समझ सका की मेरे साथ स्वारतमोरे में क्या हुआ मुझे हल्का सा अंदेशा था परंतु, यह मैं पूरी तरह नही एहसास कर सका जब तक में कार्यस्थल पर नहीं गया और मैं माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन में काम करने गया और मैं इस टीम का हिस्सा था - एक सोचने वाली, सीखने वाली टीम जिसका कार्य था नए सॉफ्टवेर को डिज़ाइन और लागू करना जिसका इस दुनिया में कोई मूल्य हो. इस टीम का हिस्सा होना शानदार था शानदार था और मुझे एहसास हुआ की मेरे साथ स्वारतमोरे में क्या हुआ था यह बदलाव - मुश्किल, जटिल समस्याओं का सामना करने की क्षमता, और इन समस्याओं का समाधान कि रूप-रेखा खीचने कि. निर्माण करने की क्षमते सबसे सशक्त है, जो एक व्यक्ति को हो सकती है और मैं इसका हिस्सा था अब, जब मैं माइक्रोसॉफ्ट के लिए काम कर रहा था, कंपनी की सालाना कमाई रिपब्लिक ऑफ घाना के जीडीपी से अधिक हो गई थी. और हाँ, यह जारी रहा मेरे छोड़ने के बाद यह फासला और भड़ गया मैने इसके एक कारण के बारे में पहले ही बात की मतलब, वहाँ के लोग बहुत महनती हैं दृढ़, रचनात्मक, अधिकारिक है. लेकिन कुछ अन्य बाहरी पहलू भी है: मुक्त व्यापार, क़ानून के नीयम, बुनियादी सुविधाएँ ये सब चीज़ें संस्थाओं द्वारा मुहिया की गई थीं जिन्हें चला रहे थे वे लोग जिन्हे मैं नेता कहता हूँ जबकि वे नेता खुद-ब-खुद नही उभरे किसी ने उन्हें अपना कार्य करने में प्रशिक्षित किया जब मैं माइक्रोसॉफ्ट में था, एक मज़ाकिया चीज़ हुई मैं पिता बन गया और पहली बार, अफ्रीका पहले से सबसे ज़्यादा माइने रखने लगा क्योंकि मुझे यह एहसास हुआ की अफ़्रीकन महाद्वीप की स्तिथि मेरी बच्चों को और उनके बच्चों के लिए माइने रखेगी की दुनिया की स्तिथि - दुनिया की स्तिथि अफ्रीका के हालत पर निर्भर करती है जहाँ तक मेरे बच्चों का सवाल है और जब इस बार मैं सोच विचार कर रहा था उस अरसे पर, जिसे मैं अपना पूर्व मध्य जीवन का संकट कहता हूँ अफ्रीका अ व्यवस्थित था समालीया में आराजकता छा गयी थी. रवांडा नरसंहार जंग के दर्द मे था और मुझे ऐसा लगा की वही ग़लत दिशा थी और मुझे वापस जाकर मदद करनी चाहिए मैं सिर्फ़ सेऐटल में बैठा अपने बच्चों को बड़ा नही कर सकता एक उक्छ-मध्यम वर्गीय पड़ोस में बैठे और इस बात के सोचकर अच्छा महसूस करूँ यह वह दुनिया नही है जिसमे मैं अपने बच्चों को बड़ा करना चाहता हूँ तो मैने इसमे जुड़ने का निर्णय लिया, और सबसे पहले जो मैने किया वह था घाना वापस आकर बहुत लोगों से बात करना और वास्तव में मुद्दों को संपूर्ण ढंग से समझना और हर समस्या पर तीन चीज़ें उभरती रहीं: भ्रष्टाचार, कमज़ोर संस्थाएँ और वे लोग जो इन्हे चलाते हैं - नेता अब, मुझे थोड़ा डर लग रहा था क्योंकि जब आप उन तीन समस्याओं को देखते हो, आपको लगता है की इनका सामना करना बहुत कठिन है और कुछ लोग कहते है, देखो, कोशिश भी करने कि मत सोचना. मगर, मेरे लिए, मैने सवाल यह पूछा "ये नेता कहाँ से आ रहे हैं? वो क्या बात है घाना के बारे में, की जो नेता उभरते हैं वे अनैतिक होते हैं, और समस्याओं का समाधान नहीं निकल पाते" तो मैं देखने गया की हमारी शिक्षा प्रणाली में क्या चल रहा है और वही था - रट-रट कर सीखना प्राथमिक शिक्षा से लेकर कॉलेज तक नीतिशास्त्र पर बहुत कम ज़ोर और एक साधारण, विशिष्ठ ग्रेजुएट घाना के विश्वविद्यालय के पास अधिक भावना पात्रता की है, न की ज़िम्मेदारी की यह ग़लत है तो मैंने यह निर्णय लिया इस विशेष समस्या में जुड़ने का क्योंकि मुझे लगता है कि हर समाज, हर समाज अपने नेताओं को प्रशिक्षित करने में बहुत सोच-विचार करता है मगर घाना इसमे ज़्यादा ध्यान नही दे रहा था और यह बात पुरे सब-सहारी अफ्रीका में सच है तो मैं अभी यह कर रहा हूँ मैं अपने सवॉर्तमोर के अनुभव को अफ्रीका लाने की कोशिश कर रहा हूँ काश अफ्रीका के हर देश में एक आदार कला (लिबरल आर्ट्स) का कॉलेज होता मुझे लगता है कि बहुत फर्क पड़ता और अशेसी विश्वविद्यालय की कोशिश है की नैतिक और उग्यमि नेताओं कि एक नई पीढ़ी को परीक्षित किया जाए हम ईमानदार नेताओं को परीक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं जिन्के पास कठिन समस्याओं से जूझने की क्षमता है, सही सवाल पूछने की, और उचित समाधान ढूड़ने की मैं स्वीकार करता हूँ कि ऐसे क्षण आते हैं जब लगता है कि यह "मिशन असंभव" है लेकिन हमें यह विश्वास करना होगा कि यह बच्चे समझदार हैं और कि अगर हम इन्हें शिक्षा में शामिल करते हैं अगर हम इन्हें चर्चा कराते हैं - उन सही मुद्दों पर जिनका वे सामना करते हैं और पूरा समाज सामना करता है - और अगर हम इन्हें दुनिया से जुड़ने की कुशलताएँ प्रदान करते हैं तब वह जादू हो सकता है. एक महीना हुआ है इस परियोजना के शुरू हुए, हमने कक्षाए बस शुरू ही की थी मैंएक महीने बाद ऑफीस आया और मुझे एक छात्र का ईमेल मिला और उसमे लिखा था, बहुत सरल ढंग में, "मैं अब सोच रहा हूँ" और अंत में लिखा था, "धन्यवाद" इतना सरल वाक्य है मगर मुझे तो आँसू ही आ गए क्योंकि मैं समझ गया की इस नौजवान के साथ क्या हो रहा था और इसका हिस्सा होना एक गर्व है. किसी को इस तरह समर्थ बनाने में मैं अब सोच रहा हूँ इस वर्ष, हमने अपने छात्रों को चुनौती दी एक आचार संहिता के निर्माण करने की हमारे विश्वविध्यालय में एक अहम चर्चा चल रही है अगर उनके लिए कोई आचार संहिता होनी चाहिए या नहीं और अगर होनी चाहिए, तो वह कैसी होगी एक छात्र ने एक सवाल पूछा, जिससे मेरा दिल पिघल गया क्या हम एक परिपूर्ण समाज बना सकते हैं? उसकी समझ थी कि छात्रों द्वारा बनाए गए नीयम परिपूर्णता की ओर जाने का गठन करते हैं - यह अद्भुत बात है हम समाज में परिपूर्णता नहीं पा सकते मगर अगर हम उसे पाने की कोशिश करें, हम श्रेष्ठता ज़रूर पा सकते हैं मैं नही जानता की अंत में वे लोग क्या करेंगे मैं नही जानता कि वे यह नीयम योजना तय्यार करेंगे या नहीं मगर जो बातचीत वे आज कर रहे हैं - कि एक अच्छा समाज कैसा होना चाहिए, उनका अपना श्रेष्ट समाज कैसा होना चाहिए - बहुत अच्छी बात है क्या मेरा समय समाप्त हो गया? ठीक मैं बस यह स्लाइड वहीं रखना चाहता हूँ क्योंकि यह महत्वपूर्ण है कि हम इसके बारे में सोचें मैं उत्तेजित हूँ यह जानकार कि अशेसी विश्वविद्यालया का हर छात्र-छात्रा, ग्रेजुएट होने से पहले सामाजिक सेवा करते हैं कि बहुतों के लिए, यह ज़िंदगी बदलने का अनुभव रहा है इन जवान नेताओं को समझ आ रहा है नेतृत्व का सच्चा हिसाब-किताब नेतृत्व का सच्चा विशेषाधिकार जो कि मानव की सेवा करना है इससे ज़्यादा, मैं इस बात से बहुत रोमांचित हूँ की पिछले साल हमारे छात्र शासन ने एक नारी को चुना छात्र शासन के प्रधान के रूप में यह घाना के इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी नारी को एक छात्र शासन के प्रधान के रूप में चुना गया हो किसी विश्वविद्यालय में यह बात हमें उस नारी के बारे में बहुत बताती है यह बात हमें कैम्पस पर पनपती संस्कृति के बारे में बहुत बताती है यह बात हमें उन मतदाताओं के बारे में बहुत बताती है जिन्होंने उसे निर्वाचित किया. वह 75% के मतों से जीती और यह बात मुझे बहुत आशा देती है ऐसा समझ आता है कि मश्चिमी अफ्रीका भी हमारे छात्रों की प्रगती को सराहता है अभी तक हमारे विश्वविद्यालय से दो कक्षाएँ ग्रॅजुयेट हुई हैं और हर एक छात्र को नौकरी मिली है और हमें सूचनाएँ मिल रही हैं घाना से, पश्चिमी अफ्रीका से और वे सबसे ज्यादा प्रभावित उनकी कार्य शैली से हुए है. उन्हें अपने काम से लगाव है. दृढ़ता, अस्पष्ता को झेलने की क्षमता, ऐसी समस्याओं की, जिसे उन्होने पहले देखा नहीं, उन्हे झेलने की क्षमता आप जानते हैं: यह अच्छा है पिछले पाँच सालों में, ऐसे क्षण आए हैं जब मुझे लगा की यह "मिशन असंभव" है और इतना अच्छा है यह देखना की आशा की किरण क्या हो सकती है, अगर हम अपने बच्चों को सही परिषिक्षित करें मुझे लगता है की अफ्रीका के वर्तमान और भविष्य के नेताओं के पास एक अद्बूध मौका है इस महाद्वीप में पुनर्जागरण आंदोलन करने का यह एक अद्बूध अवसर है ऐसे बहुत अवसर दुनिया में नहीं हैं मुझे लगता है की अफ्रीका एक नए मोड़ पर आ गया है जहा लोकतंत्र और मुक्त व्यापार की व्यापकता हो गयी है. वो क्षण आ गया है जिससे उभर सकता है एक पीढ़ी में से एक महान समाज. यह प्रेरित नेतृत्व पर निर्भर करेगा और मेरी यही सोच है कि जिस ढंग से हम अपने नेताओं को प्रशिक्षित करेंगे सारा बदलाव लाएगा धन्यवाद... भगवान भला करे (तालियाँ) मैं यहाँ आ कर बहुत गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ, और जैसा क्रिस ने कहा, मुझे अफ़्रीका में काम करते हुए करीब २० वर्ष हो गये हैं। अफ़्रीका से मेरा परिचय अबिदजान हवाई-अड्डे पर आइवरी-कोस्ट की एक उमस भरी सुबह हुआ था। मैनें वॉल-स्ट्रीट हाल ही में छोडा था, अपने बाल मार्गरेट मीआड जैसे कटवाए थे, अपना लगभग सब कुछ दान कर चुकी थी, और सिर्फ़ आवश्यक चीज़ों के साथ आयी थी -- कुछ कविताएँ, थोडे कपडे, और ज़ाहिर है - एक गिटार -- क्योंकि उसके बिना मैं दुनिया को कैसे बचाती, और मैने सोचा कि मैं बस अब अफ़्रीक में काम शुरु कर दूँगी। पर आने के कुछ ही दिनों की भीतर मुझे बताया गया, वो भी सीधे मेरे मुँह पर, कई पश्चिमी अफ़्रीकन औरतों द्वारा, कि अफ्रीका को किसी की ज़रूरत नहीं है, बहुत बहुत धन्यवाद, मगर आपकी तो बिलकुल भा नहीं है। मैं बहुत छोटी थी, शादी भी नहीं हुई थी, न ही कोई बच्चे थे, और मुझे अफ़्रीक के बारे में खास नहीं पता थी, मेरी फ़्रेंच एकदम बेकार थी। और इसलिए, वो मेरे जीवन का बहुत ही दर्द-भरा और दुःखदायी समय था। और तब भी वो समय मुझमें ये बडप्पन ला पाया कि मैं दूसरे को सुन सकूँ। मुझे लगता है कि असफ़लता प्रोत्साहन की बहुत ही बडी ताकत बन कर उभर सकती है, और इसलिये मै कीन्या चली गयी, और युगान्डा में काम करने लगी, और वहाँ मुझे रवान्डा की औरतों का एक समूह मिला, जिन्होंने मुझसे कहा, १९८६ में, कि मैं किगालि आ कर उनके लिये एक लघु-ऋण की संस्था शुरु करूँ। तो मैने वही किया, और हमने उसका नाम रखा ड्यूटेरिम्बरे, जिसका अर्थ होता है ''उत्साह से आगे बढना"। और जब हम इसे बना रहे थे, मुझे महसूस हुआ कि एसी बहुत सी व्यावसायिक इकायियाँ नहीं थीं जो कि औरतों द्वारा शुरु की गयी हो, और इसलिये शायद मुझे एक व्यावसायिक इकाई चलानी चाहिये। और खोज़बीन से पता लगा कि एक बेकरी है, जिसे २० वेश्याएँ मिल कर चलाती हैं। और क्योंकि मुझे ये अजीब लगा था, मैं उनसे मिलने चली गयी, और वहाँ मुझे २० गैर-शादीशुदा माँएं मिली जो कि किसी तरह जीवन चला रही थीं। और ये मेरे लिये भाषा की ताकत को समझने की शुरुवात थी, और हम सिर्फ़ एक गलत शब्द (वेश्या) का प्रयोग करके लोगों को स्वयं से दूर कर देते हैं, और उन्हें छोटा बना देते हैं। मैने ये भी पाय कि वो बेकरी बिल्कुल भी व्यवसाय की तरह नहीं चलायी जाती थी, बल्कि, वो एक पारंम्परिक धर्माथ संस्था की तरह एक अच्छी नियत वाले व्यक्ति द्वार चलायी जाती थी जो कि हर महीने करीब ६०० डॉलर का खर्चा इस पर करता था जिससे कि इन २० महिलाओं को हस्तशिल्प और बेकरी का सामान बनाने के बहाने रोज़गार मिलता रहे, और ये वही २० रुपैये प्रतिदिन पर जीवित रहें, गरीब की गरीब । तो मैने इन औरतो के साथ एक सौदा किया। मैनें कहा, "देखो, हमें ये धर्माथ संस्था के तरह काम करना बंद करना होगा और इसे एक व्यवसाय की तरह चलाना होगा, और इसमें मैं तुम्हारी मदद करूँगी।" वो लोग थोडी घबराहट के साथ मान गये, और हमने घबराते हुए शुरुवात कर दी, ज़ाहिर है कि काम करना सिर्फ़ कह देने से ज्याद मुश्किला होता है। हमने सोचा कि सबसे पहले हमें एक बिकी करने वाला दल बनान होगा, और हमें ये नहीं आता है, तो ऐसा करते हैं कि --- मैने ये सारा प्रशिक्षण दिया, और उसका सार ये था कि जब मैं गलियों मे निकली, न्यामिराम्बो की, जो कि किगाली की एक प्रसिद्ध जगह है, एक बाल्टी के साथ, और जब मैनें लोगों को सामान बेचा, और वापस आयी, और मैनें कहा, "देखा, ऐसे बेचते हैं!" तो उन औरतों ने कहा, "देखो, जकलिन, न्यामिरम्बों में कौन ऐसा होगा जो कि एक नारंगी बाल्टी ले कर चलती हुई लम्बी अमरीकी औरत के हाथ से सामान खरीदना नहीं चाहेगा?" (हँसी) ये बात सोलह आने सही थी । तो फ़िर मैने वही अमरीकी तरीका अपनाया, कि हमारे प्रतिद्वन्दी कौन है, कार्यदल कौन है, अकेले क्या करना होगा। और वो पूरी तरह असफ़ल हुआ, मगर धीरे धीरे इन औरतों ने अपने हिसाब से बेचना सीख लिया। और उन्होंने बाज़ार की माँग को भी सुनना शुरु किया, और फ़िर उन्होंने फ़ैसला किया कि केले और कसावा के चिप्स बना कर बेचेंगे और ज्वार की रोटी भी, और पलक झपकते ही हमने किगालि की बाज़ार पर कब्ज़ा कर लिया था, और ये औरतें राष्ट्रीय औसत आय से तीन से चार गुना अधिक कमा रही थीं। और इस नये विश्वास के साथ, मैने सोचा, कि वक्त आ गया है एक असली बेकरी बनाने का, तो चलो पेन्ट करते हैं। और औरतों ने कहा, "ये बढिया रहेगा।" और मैनें पूछा, "अरे, हम कौन से रँग से रगेंगे?" उन्होंने कहा, "आप ही बता दीजिये।" और मैने कहा, "नहीं,नहीं, मै आपकी बात सुनना सीख रही हू -- आप ही बताइये। ये आपकी बेकरी है, आपकी गली है, आपका देश है, मेरा नहीं।" मगर उन्होंने कोई जवाब ही नहीं दिया। तो एक हफ़्ता बीत, फ़िर दो हफ़्ते, और फ़िर तीन हफ़्ते निकल गये, और हार कर मैने कहा, "नीला रँग कैसा रहेगा?" और उन सब ने कहा, "हाँ हाँ, नीला बहुत सुन्दर होग, चलो नीला ही रँग देते हैं।" तो मै दुकान पर गयी, और गौडेन्स नाम की औरत को साथ ले गयी, क्योंकि वो सबसे नटखट थी और हम ढेर सारा पेंट और परदे बनानेके लिये कपडा ले कर आये, और निर्धारित दिन पर हम सभी न्यामिरम्बो में इकट्ठे हुए, और ये सोचा कि हम उसे सफ़ेद पेंट करेंगे नीली पट्टियों के साथ, बिलकुल किसी फ़्रेन्च बेकरी की तरह. मगर वो उतना मस्ती भरा नहीं था जितना कि पूरी दीवार को नीले रँग से रँग डालना। तो फ़िर सब नीला नीला हो गया। एकदम नीला; दीवारें भी नीली, खिडकियाँ भी नीली, और बाहर का गलियारा भी नीला। और अरीथा फ़्रेंकलिन चीख रही थी " आर ई एस पी ई सी टी - रेस्पेक्ट"" (आत्म-सम्मान) और औरतें कमर मटका रही थीं और छोटे बच्चे पेंट के ब्रश को छीनने की कोशिश कर रहे थे, मगर वो दिन उनक अपना दिन था। और उसके अंत में, हम गली के दूसरे तरफ़ खडे हो कर देख रहे थे, कि हमने क्या किया है, और मैने कहा, "य तो बहुत खूबसूरत है," और सारी औरतों ने कहा, "हाँ, सच में खूबसूरत है।" और मैने कहा, "और ये रँग भी एकदम ठीक चुना गया है," और उन सब ने हामी भरी, सिवाय गाडेन्स के, तो मैनें पूछा, "क्या हुआ?" और उसने कहा, "कुछ नहीं," और मैने फ़िर पूछा, "क्या?" तो उसने कहा, "देखिये, रँग सुन्दर है, मगर हमारा (यूनीफ़ार्म का) रँग तो हरा है।" और -- (हँसी). और मुझे ये पता लगा कि दूसरों को सुनने में सिर्फ़ धैर्य ही काम नहीं आता है, क्योंकि जब आप सारी ज़िन्दगी दूसरों की दी गयी सहायता पर काटते है, तो कुछ भी फ़ैसला ले पाना मुश्किल होता है। और क्योंकि कभी किसी ने आपसे कुछ पूछा ही नहीं होता है, जब वो ऐसा करते हैं, तो आपको विश्वास ही नहीं होता है कि वो वाकई सच जानना चाहते हैं। और मैने ये सीखा कि सुनने के लिये सिर्फ़ इंतज़ार करना ही काफ़ी नहीं होता है,, बल्कि ये भी ज़रूरी है कि आप सही प्रश्न पूछें । तो, मैने किगालि में करीब दो वर्ष बिताये, यही सब करते हुए, और वो मेरे जीवन का असाधारण समय था। और उसने मुझे कुछ चीज़े सिखायी जो मुझे लगता है हमारे लिये आज जाननी ज़रूरी हैं, और जो काम मैं करती हूँ, उसमे तो बेहद ज़रूरी । सबसे पहली बात ये कि आत्म-सम्मान मानव के लिये धन से ज्यादा महत्वपूर्ण है। जैसा कि एलेनी ने कहा, जब लोगों के पस आय होती है, तब ही उनकी पास विकल्प होते हैं, और ये आत्म-सम्मान के लिये मूल आवश्यकता है। पर इंसान होने के नाते, हम एक दूसरे को देखना चाहते हैं, और एक दूसरी द्वारा सुने जाने के इच्छुक होते हैं, और हमें ये कभी भी नहीं भूलना चाहिये। दूसरी बात ये कि पारंपरिक पर्माथ और धर्माथ और सहायता राशि से कभी भी गरीबी के समस्याये ख्त्म नहीं होंगी। और क्योंकि एन्ड्रीयू ने इसके बारे में विस्तार से बताया है, मैं तीसरी बात पर आती हूँ, जो कि ये है कि केवल बाज़ार भी गरीबी की समस्या को सुलझा नहीं पायेगा। हाँ, हम इसे व्यवसाय की तरह ही चलाते थे, मगर कहीं ने कहीं से निःस्वार्थ सहायता भी चाहिये थी जो कि ट्रेनिंग और प्रबंधन के रूप में मिली, योजना बनाने में मदद करने के लिये मिली और शायद सबसे ज़रूरी रूप में, नये लोगों से जान-पहचान, परिचितों के ताने-बाने, और नई बाज़ारों तक पहुँचने में मिली। तो इसलिये, इकाई के स्तर पर, ये आवश्यक है कि बाज़ार-निहित निवेश और परोपकार के बीच संधि स्थापित हो। और बडे स्तर पर, कुछ वक्ताओं ने सुझाव दिया है कि स्वास्थ सेवाओं का भी निजीकरण करा जाना चाहिये। ऐसे पिता की बेटी होने के नाते जिन्हें दिल की बीमारी थी और ये पता लगने पर कि हमारे परिवार की वो हैसियत नहीं थी, जो उन्हें आवश्यक इलाज दे सके, और एक दोस्त के द्वारा मदद किये जाने पर, मुझे पक्का विश्वास है कि सभी लोगों को अच्छे इलाज का अधिकार है उस कीमत पर जो वो दे सकें। मुझे लगता है कि बाज़ार हमें इस का जवाब दे सकता है, मगर साथ ही उसका एक परोपकारी कोण भी होना चाहिये नहीं तो मुझे नहीं लगता कि हमारा समाज वैसा होगा जैसा कि हम चाहते हैं। और इसलिये, अफ़ीका में मिले अनुभव के आधार पर ही मैनें ये फ़ैसला लिया कि मैं अक्यूमन फ़ंद बनाउँगी, करीब छः साल पहले। ये गरीबों केलिये एक गैर-मुनाफ़ाकारी उपक्रम पूँजी निधि है, और ये वाक्य विरोधाभास से भरा है। मूलतः ये पर्माथ हेतु दान जुटाता है लोगोम से, निगमों से, और संस्थानों से, और फ़िर उसे ऋण देने के लिये या फ़िर पूँजी निवेश के लिये इस्तेमाल करता है मुनाफ़े के लिये या बिना मुनाफ़े के काम करने वाली संस्थाओं में जो कि वहन करने योग्य स्वास्थ सेवा, घर, बिजली, या साफ़ पानी मुहैया करवाता है दक्षिणी अफ़्रीका और एशिया के गरीब लोगों को, जिससे कि वो लोग अपनी इच्छानुसार जीवन यापन करे सकें। हमने अब तक करीब २० मिलियन डॉलर (८० करोड रुपैये) लगभर २० उपक्रमों में लगाये हैं। और ऐसा करके, करीब २०,००० रोजगार के मौके पैदा किये हैं, और करोडों सेवायें लोगो तक पहुँचायी हैं जो कि इसके बिना कभी उन्हें नहीं पा पाते। मैं आपको दो कहानियाँ सुनाना चाहती हूँ। दोनो ही अफ़्रीका से हैं। दोनो में ही उन उद्यमियों की योजनाओं में पैसा निवेश करने के बारे में हैं जो कि सेवा के लिये वचनबद्ध हैं, और जिन्हें बाजार की जानकारी है। दोनो ही कहानियाँ स्वास्थय-सेवाओं और उद्यमिता के जुडाव की कहानियाँ हैं, और दोनो ही, क्योंकि वे उत्पादन से संबंधित हैं, सीधे रोज़गार पैदा करती हैं, और आय बढाती हैं, और क्योंकि वो मलेरिया से जुडी है, और अफ़्रीका करीब १३ मिलियन डॉलर हर साल मलेरिय के चलते गँवाता है। लोग जैसे जैसे स्वस्थ होते जाते है, वो धनी भी होते जाते हैं। पहली कहानी है 'एड्वान्सड बायो-एक्स्ट्रेक्टस लिमिटिड' की। ये केन्या की एक लगभग सात साल पुरानी कंपनी है, जिसे एक महान उद्यमी पैट्रिक हेन्फ़्री और उनके तीन साथियों ने शुरु किया था। ये पुराने किसान हैं जिन्होंने कृषि से जुडे उतार-चढाव को देखा है केन्या में लगभग पिछले ३० सालों से। देखिये, ये आर्टमीसिया का पौधा है, और ये आर्टमीसिया का मुख्य अवयव है, जो कि मलेरिया का सबसे बेहतरीन इलाज है। ये चीन और पूर्वी विश्व का मूल पौधा है, परन्तु क्योंकि अफ़्रीका में मलेरिया की बहुतायत है, पैट्रिक और उनके साथियों ने कहा, "चलो,इसे अफ़्रीका लाते हैं, क्योंके ये बहुत फ़ायदेमंद उत्पाद है।" किसानों को इससे मक्के के मुकाबले तीन से चार गुना बेहतर पैदावार मिलती है। इसलिये, धैर्यवान पूँजी को इस्तेमाल करके, यानि वो पूँजी जो कि वो आसानी से जुटा सके, जिसे बाजार से कम फ़ायदा मिला, और जो कि लम्बे समय तक निवेशित रहने को तत्पर थी, और प्रबंधन, और योजना के हिसाब से निवेशित रहने को तत्पर थी, उन्होंने एक कंपनी बनायी जो कि ७५०० किसानों से उत्पाद खरीदती है। तो कम से कम ५०,००० लोगों का जीवन बदलता है। और मेरे ख्याल से आप में कुछ यहाँ गये होंगे-- इन किसानों को किक-स्टार्ट और टेक्नोसर्व से मदद मिलती है, जो उन्हें और भी स्वाबलम्बी बनाती है। ये उसे खरीदते है, सुखाते है, और इस फ़ैक्ट्री तक लाते है जो कि कुछ भाग में, नोवार्टिस द्वारा दी गयी धैर्यवान पूँजी द्वारा खरीदी गयी थी, जिसकी उस पाउडर में वाणिज्यिक रुचि थी. जिससे कि वो कोआर्टम बना सकें। अक्यूमन इस कंपनी के साथ पिछले करीब साल-डेड साल से काम कर रहा है, एक नयी व्यवसाय-योजना पर, और इस कंपनी को और आगे बढाने पर, प्रबंधन में मदद करके, और उन्हें टर्म-शीट बनाने और पूँजी जुटाने में मदद करके। और मुझे समझ आया कि धैर्यवान पूँजी की भावात्मक महत्ता क्या है, पिछले महीने के आसपास। क्योंकि ये कंपनी केवल दस दिन दूर थी ये साबित करने से कि जो उत्पाद उन्होंने बनाया है, वो विश्व-स्तर का है कोआर्टम बनाने के लिये, जबकि वो अपने इतिहास की सबसे बडी नकदी से जुडी समस्या से भी जूझ रहे थे। और हमने, हम जितने भी सामाजिक निवेशकर्ताओं को जानते थे, सबसे बात की। देखिये, इनमें से कुछ सामाजिक निवेशकर्ता वाकई अफ़्रीका में रुचि रखते हैं और खेती-बाडी का महत्व समझते हैं, और उन्होंने कई किसानों की मदद भी की है। लेकिन हमारे ये बताने पर भी, कि इस कंपनी के बंद होने का मतलब होगा, सारे के सारे ७५०० लोगों का बेरोज़गार हो जाना, कभी कभी व्यावसायिक और सामाजिक सोच में बहुत फ़र्क आ जाता है। और अब समय आ गया है कि हम और रचनात्मक हो कर सोचें कि उन दोनो का मिलन कैसे हो सकता है। तो अक्यूमल ने, एक नहीं बल्कि दो, ब्रिज लोन दिये, और अच्छी खबर ये है कि न सिर्फ़ उन्होंने अपने उत्पाद के विश्व-स्तर को साबित ही किया, वो आजकल २० मिलियन डॉलर के एक निवेश के अंतिम चरण में हैं, और मुझे लगता है कि ये पूर्वी अफ़्रीका की महत्वपूर्ण कंपनियों में से एक होगी। ये सैमुअल हैं। ये एक किसान हैं। ये असल में किबेरा झुग्गी में रहते थे जब इनके पिता ने इन्हें आर्टमीसिया के बारे में, और उससे जुडी संभावनाओं के बारे में बताया। तो वो वापस खेती-बाडी में लग गये, और संक्षेप में, अब उनके पास करीब सात एकड का खेत है। सैमुअल के बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढते हैं, और अब वो और भी किसानों को इस धंधे के बारे में बता रहे हैं -- आत्म-सम्मान धन से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। और अब दूसरी कहानी, जो कि आप में से कई को पता भी होगी। मैनें इसके बारे में ऑक्सफ़ार्ड में बात की थी, करीब दो साल पहले, और आप में से कुछ लोग ए टू ज़ेड उत्पादन में गये भी हैं, ये भी पूर्वी अफ़्रीका की कुछ महान कंपनियों में से एक है। ये भी स्वास्थय और उद्यमिता के जोड पर खडी है। और ये कहानी निजी और सरकारी प्रयासों के साथ आनी की एक सफ़ल कहानी है। ये कहाने जापान में शुरु हुई। सुमितोमो ने एक ऐसे तकनीक अविष्कार किया जो कि पोलिथीन के धागे में एक कीटनाशक दवाई भर सकने में सक्षम थी, लिहाजा आप ऐसा मच्छरदानी बना सकते थे, जो कि पाँच साल चले, और जिसे बार-बार कीटनाशक में डुबोना भी न पडे। ये बदलाव ला सकती थी, पर आर्टमीसिया की ही तरह, इसे भी केवल पूर्वी अफ़्रीका में ही बनाया गया, और सामजिक जिम्मेदारी के तहत सुमिटोमो ने कहा, "क्यों न हम ये प्रयोग करें कि इसे क्या हम अफ़्रीक में अफ़्रीकनों के लिये बना सकते हैं?" यूनिसेफ़ ने आगे बढ कर कहा, "हम ज्यादातर मच्छरदानियों को खरीद लेंगे और फ़िर उन्हें हम ग्लोबल फ़न्ड और यू.एन. की गर्भवती महिलाओं और बच्चों को दी जाने वाली मदद के रूप में मुफ़्त बाँटेंगे।" अक्यूमन इसमें अपनी धैर्यवान पूँजी ले कर आया, और हमने इसके लिये उपयुक्त उद्यमी को ढूँढने में भी मदद की, जिसके साथ हम सब साझेदारी करेंगे अफ़्रीका में, और एक्सोन ने इसके लिये प्रारंभिक गोंद मुहैया करवायी। और उद्यमी को ढूँढ्ने में, हमें सारी धरती पर अनुज शाह से बेहतर कोई नहीं मिल सकता था, ए टू जेड उत्पादन कंपनी में। ये चालीस साल पुरानी कंपनी है, इसे उत्पादन की समझ है। और इसने समाजवादी तनज़ानिया से पूँजीवादी तनज़ानिया, के बदलाव को झेला है। इसमें करीब १,००० कर्मचारी थे जब इसे हमने शुरु किया। और फ़िर, अनुज ने अफ़्रीका में इसमे एक उद्यमी की तरह खतरा मोल लिया। और एक सामाजिक उत्पाद बनाया जो कि एक मददगार संगठन ने खरीद लिया मलेरिया के खिलाफ़। और फ़िर संक्षेप में, वो बहुत सफ़ल हैं। पहले साल ही में, पहली मच्छरदानी अक्टूबर २००३ में बनी। हमने सोचा था कि हम स्वयं को सफ़ल मानेंगे यदि हम १५०,००० मच्छरदानियाँ हर साल बना सके। इस साल हम ८ मिलियन मच्छरदानियाँ प्रतिवर्ष की दर परा बना रहे हैं। और करीब पाँच हज़ार लोगों को रोज़गार दे रहे हैं, जिसमें से ९० प्रतिशत औरतें है, और ज्यादातर अप्रशिक्षित। ये सुमोटोमो के साथ मिला-झुला उपक्रम है। और इसलिये, उद्यमिता की नज़र से अफ़्रीका में, और समाज के स्वास्थय की नज़र से, ये असली सफ़लता है। लेकिन ये अधूरी कहानी है अगर हम गरीबी की समस्या सुलझाने की बात करते हैं, क्योंकि ये दीर्घकालिक रूप से कायम रहने वाली नहीं है। ये ऐसी कंपनी है जिसका कि सिर्फ़ एक ही बडा ग्राहक है। और मान लीजिये कि एवियन फ़्लू, या ऐसे ही किसी और कारण से यदि ये फ़ैसला हो गया कि मलेरिया पर काम करना उतना ज़रूरी नहीं है, तो सब चौपट। और इसलिये, अनुज और अक्यूमन इसका निजी क्षेत्र में प्रयोगात्मक तौर पर परीक्षण करना चाहते हैं, क्योंकि मददगार संगठन द्वारा ये माना गया है कि, देखो, तनज़ानिय जैसे देश में, करीब ८० प्रतिशत आबादी प्रतिदिन दो डॉलर से भी कम कमाती है। जबकि इसे बनाने की ही कीमत करीब छः डॉलर आती है, और इसे उपयोगकर्ता तक पहुँचाने में और छः डॉलर लगते है, तो बाज़ार में इसकी कीमत करीब १२ डॉलर प्रति मच्छरदानी होगी। ज्यादातर लोग इसे खरीद नहीं सकते, इसलिये चलिये इसे मुफ़्त बाँट देते हैं। और हमने कहा, "रुकिये, एक और तरीका हो सकता है।" बाज़ार को एक श्रवण-यंत्र की तरह इस्तेमाल करते है, और ये समझने की कोशिश करते है कि लोग इसके लिये कितना दे सकते है, जिससे कि लोगों को अपने मन-मुताबिक फ़ैसला लेने का अधिकार मिले। और फ़िर हम स्थानीय स्तर पर आवंटन शुरु कर सकते हैं, और असल में, सरकारी क्षेत्र में ये कम कीमत में मिलेगा।" और हम धैर्यवान पूँजी के निवेश के दूसरे दौर में आये, एक ऋण और एक मदद दोनों के रूप में, जिस से कि ए टू जेड कीमत के साथ खेल सके और बाजार को सुन सके, और हमें कई सारी बातें पता चली। पहली ये कि अलग अलग लोग अलग अलग कीमतें देंगे, पर यदि कीमत एक डॉलर हो तो, कई एक लोग आगे आयेंगे और खरीदने का निर्णय करेंगे। और जब आप सुनने को तैयार होते है, तो लोगों के पास कहने के लिये बहुत कुछ होता है कि उन्हें क्या पसंद है, और क्या नहीं, और ये कि कुछ माध्यम जो हमने सोचे थे कि काम करेंगे, सफ़ल नहीं हुए। पर क्योंकि बाज़ार के साथ प्रयोग करने और भूलें करने की अनुमति थी, क्योंकि पूँजी का स्वभाव धैर्यवान था, हम पता लगा पाये कि निजी क्षेत्र में एक डॉलर लगेगा इसे बाँटने में, और एक डॉलर लगेगा इसे खरीदने में। और इसलिये, योजना के नज़रिये से, जब आप बाज़ार से शुरुवात करते हैं, तो आपके पास विकल्प होता है। आप १२ डॉलर लगेगा ये सोच कर बैठे रह सकते है, और ग्राहक को मुफ़्त बाँट सकते हैं, या फ़िर कम से कम प्रयोग तो कर ही सकते है कुछ लोगों से एक डॉलर ले कर, जिससे कि सरकारी क्षेत्र को छः डालर कीमत आये, लोगों को विकल्प का आत्म-सम्मान मिले, और एक आवंटन तंत्र बने जो कि समय के साथ, आत्म-निर्भर हो जाये। हमें इस प्रकार सोचना आरंभ करना होगा, और मुझे नहीं लगता कि बाजार का उपयोग करने का इससे बेहतर रास्ता हो सकता है, और लोगों को उसके हिसाब से रह पाने में मदद करने का। जब भी मैं ए टू जेड जाती हूँ, मै अपनी दादी स्टेला के बारे में सोचती हूँ। वो काफ़ी हद तक इन औरतों जैसी ही थीं, जो कि इन सिलाई-मशीनों पर काम कर रही हैं। वो ऑस्ट्रिया के एक फ़ार्म पर पली बढी थीं, बेहद गरीबी में, कुछ खास शिक्षा भी नहीं हुई थी। वो अमरीका आ गयीं जब वो मेरे दादा से मिलीं, जो कि सीमेंट पीसने का काम करते थे, और उनके नौ बच्चे हुए, जिसमें से तीन बचपन में ही मर गये। मेरी दादी को टीबी की बीमारी थी, और वो एक सिलाई-कारखाने में काम करती थीं करीब १० सेंट प्रति घन्टे के हिसाब से कमीजें बनाती थीं। वो, ए टू जेड में काम करने वाली तमाम औरतों की तरह ही, हर दिन बहुत मेहनत करती थी, और समझती थीं कि दर्द क्या होता है, भगवान में विश्वास रखती थीं, और अपने बच्चों से प्यार करती थीं और कभी भी दया का दिया एक भी पैसा नहीं स्वीकार करती थीं। पर क्योंकि उनके पास बाजार की पहुँच था, और वो ऐसे समाज में रहती थीं जो कि सुरक्षा देता था स्वास्थय और शिक्षा की, उनके बच्चे और नाती-पोते ऐसी ज़िन्दगी जी सके जिसमें एक साधना थी, और जो कि सच्चे सपने साध सकते थे। मैं अपने बहन-भाइयों को देखती हूँ - और मैं कहती हूँ, हमारे जैसे कई और लोग हैं-- और मैं शिक्षकों, संगीतज्ञों, डिजाइनरों, और फ़ंड-मैनेजरों को देखती हूँ। एक बहन जो कि दूसरों की इच्छाओं को सच कर देती हैं। और मेरी इच्छा, जब मैं इन औरतों को देखती हूँ, और उन किसानों से मिलती हूँ, और मैं इस महाद्वीप पर रहने वाले तमाम लोगों के बारे में सोचती हूँ जो रोज़ाना बहुत मेहनत करते हैं, ये है कि उनके पास विकल्प हों और संभावनाएँ हों, और उन्हें विश्वास हो, और सेवाओं तक उनकी पहुँच हो जिससे कि उनके बच्चे भी किसी उद्देश्य या प्रयोजन से भरा जीवन जी सकें। ये इतना मुश्किल काम नहीं है। पर इसमें हम सब को वचनबद्ध होना होगा बेकार की पूर्वधारणाओं से आगे सोचने के लिये, अपने विचारों की कैद से बाहर आने के लिये। इसमें उन उद्यमियों पर निवेश करना होगा जो कि प्रतिज्ञाबद्ध हैं सेवा के लिये, और सफ़ल होने के लिये। हमें अपनी दोनो बाहों को विस्तार से फ़ैलाना होगा, और बदले में बहुत कम अपेक्षा करनी होगी, पर जवाबदेही पर ज़ोर देना होगा, और काम करने वालों में जिम्मेदारी की आदत डालनी होगी। और सबसे ज्यादा, हर चीज़ से ज्यादा ज़रूरी है कि हम सब में हिम्मत और धैर्य हो, चाहे हम गरीब हों या अमीर, अफ़्रीकन हों या गैर-अफ़्रीकन, स्थानीय हों या प्रवासी, वामपंथी हों या पूँजीवादी, एक दूसरे की बात सुन सकने का। धन्यवाद। (तालियों सहित अभिवादन) सेलो संगीत शुरू होता है अपने मुझे ढूंढ़ लिया, अपने मुझे ढूंढ़ लिया टूटी हुई यादों के ढेर के नीचे अपने स्थिर, स्थिर प्यार के साथ, आपने मुझे हिलाया, आपने मुझे हिलाया, आपने मुझे रात भर हिलाया अपने स्थिर , स्थिर प्यार के साथ (सेलो संगीत जारी है) (लयबद्ध रूप से टैप) आपने मुझे ढूंढ़ लिया, आपने मुझे ढूंढ़ लिया टूटी हुई यादों के ढेर के नीचे अपने स्थिर, अपने स्थिर, स्थिर प्यार के साथ| और आपने मुझे हिलाया, आपने मुझे हिलाया, आपने मुझे रात भर हिलाया अपने स्थिर, स्थिर, स्थिर प्यार के साथ। (संगीत समाप्त होता है) (तालियां) धन्यवाद। (तालियां) मैं बहुत बहुत खुश हूँ ऎसे लोगों के बीच आकर -- इस रोशनी से मेरे आँखों में तक़लीफ़ हो रही है और ये मेरे चश्मे में भी बुरी तरह पड़ रही है. मैं बहुत ही ख़ुश और सम्मानित अनुभव कर रहा हूँ इतने सारे अनूठे और बुद्धिमान लोगों के बीच आकर. पहले के तीन वक्ताओं की बातें मैंने सुनी, और जानते हैं क्या हुआ? हर वो बात जो मैं कहना चाहता था, वो पहले ही कह चुके हैं, और ऎसा लगता है कि मेरे पास कहने को कुछ नहीं बचा. (ठहाका) पर मेरे यहाँ एक कहावत है कि अगर कोई कली पेड़ से बिना कुछ कहे कर गिर जाए, तो वो कली कच्ची है. इसलिए मैं -- चूँकि मैं कच्ची उमर का नहीं हूँ और मेरी काफी उमर हो गई है, मैं कुछ ज़रुर कहूँगा. हम इस सम्मेलन का आयोजन बहुत ही सटीक समय पर कर रहे हैं क्योंकि बर्लिन में एक और सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. जी-8 शिखर सम्मेलन. जी-8 शिखर सम्मेलन ने प्रस्ताव दिया है कि अफ़्रीका की समस्याओं का समाधान बड़ी मात्रा मे अनुदान देने में है, कुछ कुछ मार्शल प्लान जैसा ही. दुर्भाग्य से व्यक्तिगत तौर पर मेरा मार्शल प्लान में विश्वास नहीं है. पहले तो इसलिए कि मार्शल प्लान के फायदों को बढ़ा-चढ़ा कर आँका गया. इसका सबसे ज़्यादा लाभ उठाने वाले देश जर्मनी और फ्राँस थे, और ये उनके सकल घरेलू उत्पाद का केवल 2.5 प्रतिशत था. एक औसत अफ्रिकी देश को मिला विदेशी अनुदान उसके सकल घरेलू उत्पाद का 13 से 15 प्रतिशत तक होता है, जो कि धनी से ग़रीब देशों को सौंपे गये वित्तीय संसाधनों की अभूतपूर्व मात्रा है. मैं कहना चाहूँगा कि यहाँ हमें दो चीज़ें जोड़ कर देखनी होंगी. किस तरह से पश्चिमी मीडिया वहाँ अफ़्रीका को प्रस्तुत करती है, और उसके परिणाम. हताशा, बेबसी और निराशा दिखाकर मीडिया अफ़्रीका का सच ही बता रही है, और ये सच ही है. लेकिन, मीडिया पूरा सच नहीं बता रही है. क्योंकि हताशा, गृ्हयुद्ध, भूख और अकाल, जहाँ अफ़्रीकी वास्तविकता का हिस्सा हैं, वहीं, केवल यही अफ्रिका की वास्तविकता नहीं है. और दूसरे, ये वास्तविकता का सबसे छोटा भाग हैं. अफ्रिका में 53 देश हैं. इनमें से केवल 6 गृ्हयुद्ध पीड़ित हैं, जिसका मतलब है कि मीडिया केवल छह देशों की ही सूचना दे रही है. अफ्रिका में अपार संभावनाएँ हैं, जो उस हताशा और बेबसी के जाल से बाहर नहीं पहुँच पातीं जिसे पश्चिमी मीडिया अपने दर्शकों को परोसती है. ऐसी प्रस्तुति का असर यही होता है कि ये संवेदना मांगती है. ये दया मांगती हे, ये दान मांगती है. नतीज़ा - अफ़्रीका की आर्थिक समस्याओं का पश्चिमी मानस पटल में ग़लत चित्रण होता है. यह ग़लत छवि इस सोच का परिणाम है कि अफ़्रीका एक हताशा भरी जगह है. हम उसका क्या करें? हमें भूखों को खाना देना चाहिए. हमें बीमारों के लिए दवाई मुहैया करानी चाहिए. हमें शान्ति सेना भेजनी चाहिए गृ्हयुद्ध से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए. और इस पूरी प्रक्रिया में अफ़्रीका से 'स्वंयं करो' वाली भावना छिन्न-भिन्न हो गई है. मैं कहना चाहूँगा कि इस बात को पहचानना ज़रूरी है कि अफ़्रीका की कुछ आधारभूत कमज़ोरियाँ हैं. पर साथ ही, उसमें संभावनाएँ भी हैं और अवसर भी. अफ़्रीका आज जिस चुनौति का सामना कर रहा है, उसे हमें नए सिरे से समझने की ज़रुरत है, एक हताशाभरी चुनौती से हटकर, वो हताशा जिसे हम ग़रीबी उन्मूलन का नाम देते हैं, उसे एक आशावादी चुनौती में बदलना होगा. यह आशावादी चुनौती होगी संपद निर्माण की, और इसे बनाना अति-आवश्यक है. अफ़्रीका में रुचि रखने वाले हर शख्स के आगे सवाल ग़रीबी मिटाने का नहीं है बल्कि संपदा सृ्ष्टि का है. एक बार हम इन दो चीज़ों को बदल दें -- अगर आप ये कहें कि अफ्रिकी लोग ग़रीब हैं और उन्हें ग़रीबी से मुक्ति चाहिए, तो सद्भावनाओं का अंतर्राष्ट्रिय समुदाय इस महाद्वीप में घुस पड़ेगा, साथ में क्या लेकर? ग़रीबों के लिए दवाईयाँ, भूखों के लिए खाना, गृ्हयुद्ध से जूझ रहे लोगों के लिए शान्ति सेना. और इस पूरी प्रक्रिया की किसी भी चीज़ की उपयोगिता सचमुच में नहीं है क्योंकि आप लक्षणों का उपचार कर रहे हैं, अफ्रिका के मूल समस्याओं का नहीं. किसी को स्कूल भेजने से या दवाईयाँ देने से, देवियों और सज्जनों, उनके लिए संपत्ति सृष्टि नहीं होती. संपत्ति आय से पनपति है, और आय आती है किसी लाभजनक व्यवसायिक अवसर या किसी अच्छी तन्ख्वाह की नौकरी से. अब जब हम अफ्रिका में संपत्ति सृ्ष्टि के बारे में बात करने लगे हैं तो हमारी दूसरी चुनौति है, किसी समाज मे संपत्ति निर्माण करने वाले कौन होते हैं? वो हैं उद्यमी. [अस्पष्ट] ने कहा है कि उद्यमी हमेशा जनसंख्या का लगभग चार प्रतिशत होतें हैं, पर इनमें से 16 प्रतिशत अनुकरणकारी हैं. पर इन लोगों को भी उद्यमिता में सफलता मिल जाती है. तो हमें पैसे कहाँ डालने चाहिए? हमें निवेश वहाँ करना चाहिए जहाँ ये लाभजनक रूप से बढ़ सके. अफ्रिका में घरेलू और विदेशी, दोनों ज़रीयों से निजी निवेश का समर्थन करें. शोध संस्थाओं का समर्थन करें, क्योंकि संपत्ति के निर्माण में ज्ञान की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. पर आज अंतर्राष्ट्रिय अनुदान समुदाय अफ्रिका के साथ क्या कर रही है? ये बड़ी बड़ी धन राशियाँ फेंक रहे हैं प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, खाद्य सहायता के लिए. पूरे महाद्वीप को एक हताश जगह में तब्दील कर लिया गया है, जिसे दान की ज़रूरत है. देवियों और सज्जनों, क्या आप ऎसे किसी के बारे में बता सकते हैं जिसे आप जानते हैं, कोई पड़ौसी, दोस्त, या रिश्तेदार जो अचानक दान लेकर रईस हो गए हों? भीख के कटोरे में दान लेकर? क्या आप दर्शकों में से कोई ऎसे किसी को जानते हैं? क्या आप ऎसे किसी देश के बारे में जानते हैं जो दूसरे देशों की उदारता और दान पर आगे बढ़ा हो? चूँकि मुझे कोई हाथ उठा नहीं दिख रहा है, तो लगता है कि मैंने सही बात कही. बोनो : हाँ ! एन्ड्र्यू मवेन्डा : मैं देख रहा हूँ बोनो कह रहा है कि वो उस देश को जानता है. कौनसा देश है वो? बोनो : आयरलैण्ड. (ठहाका) बोनो: [अस्पष्ट] धन्यवाद. पर मैं आपसे कुछ कहना चाहूँगा. बाहरी कारण आपके लिए अवसर तैयार कर सकते हैं. लेकिन उस मौके को काम में लगाकर इसका लाभ उठाना आपकी आंतरिक क्षमताओं पर निर्भर करता है. अफ्रिका को काफी अवसर मिले हैं, जिनमें से बहुतों से हमें ज़्यादा लाभ नहीं हुआ है. क्यों? क्योंकि हमारे पास वो आंतरिक व्यवस्था या नीतियों की रुपरेखा नहीं है जिससे हम इन विदेशी संबंधों का लाभ उठा सकें. मैं एक उदाहरण देता हूँ. कोटुनो समझौता जिसे पहले लोमे आचार कहा जाता था, के अंतर्गत युरोप ने अफ्रिकी देशों को युरोपियन युनियन बाज़ारों में बिना कर के माल निर्यात का मौका दिया है. मेरे देश युगान्डा को 50,000 मेट्रिक टन चीनी युरोपियन युनियन के बाज़ारों में निर्यात करने का कोटा मिला है. हम लोगों ने अब तक एक किलो का निर्यात भी नहीं किया है. हम ब्राज़ील और क्यूबा से 50,000 मेट्रिक टन चीनी का आयात करते हैं. दूसरी तरफ, उसी समझौते के बीफ प्रोटोकॉल के अंतर्गत बीफ (गो-मांस) उत्पादन करने वाले अफ्रिकी देशों को बीफ के युरोपियन युनियन बाज़ारों में कर रहित निर्यात के लिए कोटे दिए गए हैं. अफ्रिका के सबसे समृ्द्ध देश बोत्स्वाना सहित एक भी अफ्रिकी देश कभी भी अपना कोटा पूरा नहींकर पाया है. मैं आज पूरे दावे के साथ ये कहना चाहूँगा कि अफ्रिका के बाकी विश्व के साथ सकरात्मक संबंध न बना पाने का कारण उसकी व्यवस्था और नीतियों की कमज़ोरी है. किसी भी तरह के हस्तक्षेप को समर्थन की ज़रूरत होती है, ऎसी संस्थाओं का विकास जो संपत्ति सृ्ष्टि कर सकें, ऎसी संस्थाओं का विस्तार जो उत्पादकता बढ़ा सके. हम शुरुवात कहाँ से करें और अनुदान इसके लिए बुरा क्यों है? अनुदान का तरीक़ा बुरा है, जानते हैं क्यों? क्योंकि विश्व की हर सरकार को गुज़ारे के लिए धन की आवश्यकता है. क़ानून और व्यवस्था बनाए रखने जैसे साधारण कामों के लिए धन की आवश्यकता है. कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना तथा पुलिस को धन देने की आवश्यकता होती है. चूँकि हमारी ज़्यादातर सरकारें तानाशाह हैं, उन्हें अपने विरोधियों को कुचलने के लिए सेना की आवश्यकता होती है. दूसरे तो आपको अपने राजनैतिक चमचों को भी पैसे देने पड़ते हैं. लोग सरकार का समर्थन क्यों करे? इसलिए क्योंकि ये उन्हें अच्छी तन्ख्वाह वाली नौकरियां दिलाती हैं. या फिर भ्रष्टाचार से लाभ उठाने के अनुचित मौके. तथ्य यह है, कि दुनिया की कोई भी सरकार, ईदी अमीन जैसों को छोड़कर, केवल ताक़त के दम पर शासन नहीं कर सकती. [अस्पष्ट] के बहुत सारे राष्ट्रों को मान्यता चाहिए. मान्यता पाने के लिए शासकों को प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य, सड़क जैसी चीज़ें मुहैया करानी होती हैं, अस्पताल और दवाखाने बनाने होते हैं. अगर किसी सरकार का आर्थिक अस्तित्व अपने देश के लोगों से ही अर्थ संग्रहण पर निर्भर करता है, तो एसी सरकार अपने आत्महित में ही अधिक सचेतनता के साथ शासन करने का प्रयास करेगी. वो उन लोगों के साथ बैठेगी जो संपद सृ्ष्टि करते हैं. उनसे पूछेगी कि उन्हे किस तरह की नीतियों और संस्थाओं की आवश्यकता है जिससे वो अपने व्यवसाय की परिधी और अनुपात को विस्तार दे सकें ताकि उनसे अधिक कर की आमदनी हो सके. अफ्रिकी महाद्वीप की समस्या और अनुदान उद्योग की समस्या यही है कि उसने अफ्रिकी सरकारों के आगे आनुपातिक प्रतिफल की संभावनाओं को ही बिगाड़ के रख दिया है. हमारे सरकार के लिए आय की संभावनाओं में लाभ के अवसर घरेलू अर्थव्यवस्था से नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रिय दान-दाताओं से हैं. बजाय इसके कि युगान्डाई लोगों से बैठक की जाए-- (तालियाँ) बजाय इसके कि बैठक की जाए युगान्डाई उद्योगपतियों से, या फिर घाना के व्यवसायियों से या दक्षिण अफ्रिका के उद्योगों में अग्रणी भूमिका निभाने वालों से, हमारी सरकारें ज़्यादा फ़ायदेमंद पाती हैं IMF(अंतर्राष्ट्रिय मुद्रा कोष) या वर्ल्ड बैंक से बात करने में. मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि अगर आपके पास दस पी.एच.डी हो, तो भी आप कंप्युटर उद्योग की समझ में बिल गेट्स का मुक़ाबला नहीं कर सकते. क्यों? क्योंकि जिस ज्ञान की आवश्यकता होती है किसी उद्योग के विस्तार के लिए ज़रूरी क़दमों को समझने के लिए, उसके लिए आपको उन लोगों की राय लेनी पड़ेगी, जो उस उद्योग के निजी क्षेत्र से जुड़े हों. अफ्रिकी सरकारों को मौका दिया गया है अंतर्राष्ट्रिय समुदाय द्वारा, कि वे अपने ही नागरिकों से सकरात्मक संबंध बनाने से बचे, और बजाय उसके, IMF एवं वर्ल्ड बैंक से अनगिनत समझौते करते रहें और फिर IMF एवं वर्ल्ड बैंक ही उन्हे बताए कि उनके नागरिकों की ज़रूरतें क्या हैं. इस तरह हम, अफ्रिका के साधारण लोग, दरकिनार कर दिए गए हैं हर तरह हे नीति निर्धारण, दिशा निर्णयन और नीतियों के कार्यान्वयन की सारी प्रक्रियाओं से. हमारी क्षमता सीमित है, क्योंकि धन देने वाला नियम भी बनाता है. IMF, वर्ल्ड बैंक एवं विश्व भर की सद्भावना समुदाय ने हमसे हमारे नागरिक अधिकार छीन लिए हैं, और इस कारण हमारी सरकारें अनुदान निर्भर होने के कारण यही कर रहीं हैं कि अपने नागरिकों के बजाए अंतर्राष्ट्रिय देनदारों की बातों को तवज्जो दे. पर यहाँ मैं एक चेतावनी भी जोड़ना चाहूँगा, वो यह है कि यह सच नहीं कि अनुदान का नतीजा हमेशा नकरात्मक होता है. कुछ अनुदानों से अस्पताल बने होंगे, या किसी गाँव की भूख मिटी होगी. उससे सड़कें बनी होंगी जिसकी बहुत उपयोगिता रही होगी. अंतर्राष्ट्रिय अनुदान उद्योग की चूक यह है कि सफलता के ऎसे छिट-पुट घटनाओं को ही नियम मानकर इनमें पहले तो करोड़ों - अरबों डॉलर झोंक दे और फिर इन नक्शों को विश्व भर मैं दोहराने लगें, ये सोचे बग़ैर कि हर गाँव की अपनी अनोखी और विशिष्ट परिस्थिति होती है, उनके हुनर, रिवाज, मान्यताएँ और आदतें, जो किसी छोटे अनुदान प्रोजेक्ट को सफल बनाते हैं -- जैसे की कीन्या के साओरी गाँव में जहाँ जेफरी साक़ काम कर रहे हैं -- और इस तरह के एक-आध अनुभवों को ही सामान्य मानकर हर किसी का अनुभव मान लेना. अनुदान किसी सरकार को उपलब्द्ध संसाधन बढ़ाता है, जिससे सरकार में काम करना, बतौर पेशा किसी भी अफ्रिकी व्यक्ति के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है. किसी राष्ट्र के राजनैतिक आकर्षण बढ़्ने से, वो भी हमारे जैसे जातियों में विभाजित अफ्रिकी समाजों में, अनुदान जातिगत तनावों को बढ़ा देता है. क्योंकि हर एक जाति का गुट सरकार में शामिल होने की कोशिश करेगा ताकि उसे विदेशी अनुदान में हिस्सा मिल सके. देवियों और सज्जनों, अफ्रिका के सबसे उद्यमी लोगों को व्यापार और रोज़गार के अवसर नहीं मिल पाते क्योंकि व्यवस्था और नीतियों का माहौल व्यापार विरोधी है. सरकार उनमें बदलाव नहीं ला रही है. क्यों? क्योंकि उन्हें अपने नगरिकों से बात करने की ज़रूरत नहीं पढ़ती. वे अंतर्राष्ट्रिय दान-दाताओं से बात करते हैं. तो सबसे उद्यमी अफ्रिकी अंततः सरकार के लिए ही काम करते पाए जाते हैं, जिसने हमारे देशों में राजनैतिक तनाव बढ़ा दिए हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि हम अनुदान पर आश्रित हैं. मैं यह भी कहना चाहूँगा कि ज़रूरी है कि हम इस बात पर भी ग़ौर करें कि पिछले 50 सालों से अफ्रिका को अनुदान मिलता आया है अंतर्राष्ट्रिय समुदाय से तकनीकि या वित्तीय सहायता के रूप में, और अनुदान के और सभी प्रकारों से. 1960 और 2003 के बीच हमारे महाद्वीप को 60,000 करोड़ डॉलर की राशि अनुदान में मिली, और तब भी हमें आज भी ये कहा जाता है कि अफ्रिका में बहुत ग़रीबी है. ये सारा अनुदान आखिर गया कहाँ? मैं अपने देश युगान्डा का ही उदाहरण देना चाहूँगा और बताना चाहूँगा अनुदान ने वहाँ किस तरह के प्रतिफल दिए हैं. 2006-2007 के बजट में, अनुमानित आय 2,50,000 करोड़ शिलींग. अनुमानित विदेशी अनुदान : 1,90,000 करोड़. युगान्डा के पुनर्रावर्ती (बार बार होने वाले) ख़र्च -- पुनर्रावर्ती से मैं क्या कहना चाहता हूँ? सिर्फ़ गुज़ारे के लिए -- 2,60,000 करोड़ है. युगान्डा सरकार अपने बजट में अपने आय का 110 प्रतिशत क्यों ख़र्च कर देती है? क्योंकि विदेशी अनुदान के नाम पर कोई है जो इसकी भरपाई करती है. पर ये इस बात को ज़रूर दिखाती है कि युगान्डा की सरकार अपनी आय को उत्पादन-सक्षम निवेशों मैं खर्च करने को समर्पित नहीं है, बल्कि इस आय को वह सरकारी तंत्र चलाने में ही ख़र्च कर देती है. सरकारी व्यवस्था, जो ज़्यादातर प्रश्रय-पालन पर चलता है, 69,000 करोड़ लेती है. सेना, 38,000 करोड़. कृ्षि में, जो 18 प्रतिशत ग़रीब नागरिकों की जीविका है, सिर्फ़ 18,000 करोड़ लगते हैं. व्यापार और उद्योग में 4,300 करोड़ लगते हैं. अब मैं दिखाना चाहूँगा कि सरकारी ख़र्चों में -- बल्कि युहान्डा में सरकारी व्यवस्था चलाने के ख़्रर्चों में -- क्या शामिल है? तो देखिए. 70 केन्द्रीय मंत्री, 114 राष्ट्रपति सलाहकार -- जो कि, राष्ट्रपति को कभी नहीं देख पाते, सिवाय टेलिविज़न पे. (ठहाका) (तालियाँ) और जब वो उन्हे साक्षात देख पाते हैं, ऎसे ही किसी सार्वजनिक सभाओं में, तब भी, सलाह तो राष्ट्रपति ही उन्हें देते हैं. (ठहाका) हमारे स्थानीय सरकार में 81 खन्ड हैं, और हर स्थानीय सरकार केन्द्रीय सरकार की तर्ज़ पर गठित है -- अधिकारी-वर्ग, मंत्री-मण्डल, संसद, और राजनैतिक पिछ-लग्गुओं के लिए ढेर सारा काम. ऎसे 56 खण्ड थे, और जब हमारे राष्ट्रपति ने संविधान संशोधन कर इनके कार्य काल की सीमा हटानी चाही, उन्हें 25 नए ज़िले बनाने पड़े, जिससे अभी खन्ड कुल मिलाकर 81 हो गए हैं. 333 संसद सदस्य. हमारे संसद की सभा के लिए वेम्ब्ली स्टेडियम की ज़रूरत पड़ेगी. 134 आयोग और अर्ध-शासित सरकारी संस्थाएँ, जिनमें से हर किसी में निर्देशक हैं, और गाड़ियाँ -- और ये आख़िरी बात मैं बोनो महाशय को बताना चाहूँगा. इस पर अपने काम के ज़रीए वो हमारी मदद कर सकते हैं. युगान्डा सरकार पर हाल ही में किए एक जाँच में पाया गया कि 3,000 चार-पहिए की मोटर गाड़ियाँ स्वास्थ्य मंत्रालय के मुख्यालय में हैं. युगान्डा में 961 उप-ज़िले हैं, हर एक में एक दवाखाना है, जिनमें से एक के पास भी एम्ब्युलेन्स नहीं है. मुख्यालय के ये चार पहिए वाहन मंत्रियों को, स्थायी सचिवों को, अधिकारियों को और अनुदान प्रोजेक्ट पर काम करने वाले अंतर्राष्ट्रिय अनुदान अधिकारियों को लाने-ले जाने के काम आता है, जबकि बिना एम्ब्युलेन्स और दवाईयों के ग़रीब मर रहे हैं. अंत में, मैं कहना चाहूँगा कि यहाँ बोलने आने से पहले मुझे बताया गया था कि टेड ग्लोबल का सिद्धांत ये है कि एक अच्छा भाषण मिनी स्कर्ट की तरह होना चाहिए -- उतना ही छोटा जिससे कौतूहल जगे, पर उतना लम्बा जिससे विषय को समेटा जा सके. मैं उम्मीद करता हूँ कि में ऎसा कर पाया. (ठहाका) आप सभी का धन्यवाद. (तालियाँ) पांच साल पहले, मैंने जो अनुभव किया वो एलिस के वंडरलैंड में होना जैसा था| पेन स्टेट ने मुझसे पूछा, एक संवाद विधा शिक्षक, अभियांत्रिकी छात्रों के लिए संवाद विधा की कक्षा लेने के लिए| और मैं डरी हुई थी|(हँसी) सच में डरी हुई| बड़े मस्तिस्क वाले इन छात्रों से डरी हुई थी और उनकी बड़ी किताबो और उनके बड़े और अनजाने शब्दों से| लेकिन जैसे वार्तालाप शुरू हुए, मैंने अनुभव किया कि एलिस को वंडरलैंड में कैसा लगा होगा जब वो खरगोश के बिल में गयी और नयी दुनिया का दरवाज़ा देखा| बिलकुल ऐसा ही मैंने महसूस किया जब मैंने वो वार्तालाप किये छात्रों के साथ| मैं उनके विचारों से स्तंभित थी, और मैं चाहती थी दूसरे भी ये इस वंडरलैंड का अनुभव ले| और मुझे भरोसा था इस दरवाज़े की चाबी एक बढ़िया सवांद हैं| अपनी दुनिया बदलने के लिए हमे अपने वैज्ञानिक और अभियांत्रिको से एक बेहतर सवांद की जरूरत हैं| हमारे वैज्ञानिक और अभियांत्रिक ही हैं जो जो बड़ी बढ़ी चुनौतियों के साथ लड़ रहे हैं, उर्जा से लेकर वातावरण तक चिकित्सा तक, दूसरों के साथ, और अगर हम इनके बारे में नहीं जानेंगे और समझेंगे, तब काम होगा ही नहीं, और मेरा मानना हैं कि गैर-वैज्ञानिक होते हुए यह हमारी जिम्मेदारी हैं लेकिन यह बेहतर संवाद नहीं हो सकते अगर हमारे वैज्ञानिक और अभियांत्रिक हमे उनके वंडरलैंड में न बुलाए| तो वैज्ञानिक और अभियांत्रिक, कृप्या, हमसे पढ़ाकू बाते करिये| मैं बताना चाहूंगी कि कैसे आप इसे कर सकते हैं ताकि हम देख सके कि आपका विज्ञान उत्तेजक हैं और आपकी अभियांत्रिकी आकर्षक हैं| हमारे लिए पहला सवाल हैं: तो क्या? बताईये आपका विज्ञान हमसे कैसे संबंधित हैं| सिर्फ ये मत बताईये कि आप trabeculae का अध्धयन करते हैं, ये भी बताईये कि आप trabeculae का अध्धयन करते हैं, जो हमारी हड्डियों की जाल-रूपी सरंचना हैं| क्यूंकि यह जरुरी हैं समझने के लिए और osteoporosis का इलाज करने के लिए| और जब विज्ञान की व्याख्या कर रहे हैं, शब्दजाल से बचे| शब्दजाल एक बाधा हैं जो आपके विचारों को समझने से रोकती हैं| बेशक आप कह सकते हैं "स्थानिक और लौकिक" लेकिन क्यूँ सिर्फ कहे "स्थान और समय" जो कि हमारे लिए सुलभ हैं? और आपके विचार हमारे लिए सुलभ बनाना उन्हें सिर्फ बताना नहीं है| बल्कि, जैसे कि आइंस्टीन ने कहा हैं, हर चीज़ को जितना हो सके आसान बनाये, लेकिन साधारण नहीं| आप बिलकुल अपने विज्ञान के साथ सवांद कर सकते हैं विचारों के समझौते के बिना| कुछ चीज़े जो ध्यान में रखना है उदाहरण, कहानियाँ और अनुरूपता| यह वो तरीके है जो आपके सामग्री को हमारे लिए आकर्षक और रोचक बनाते हैं| और अपना काम प्रस्तुत करते हुए बुलेट पॉइंट्स को छोड़ दीजिए| कभी आपने सोचा हैं क्यूँ उन्हें बुलेट पॉइंट्स कहते हैं? (हँसी) बुलेट क्या करती हैं? बुलेट मारती हैं, और आपके प्रस्तुति को मार देती हैं| इस तरह की स्लाइड सिर्फ उबाऊ ही नहीं बल्कि बहुत ज्यादा मस्तिस्क के भाषा वाले भाग पर निर्भर हैं, और हमे अभिभूत कर देती हैं| इसकी जगह, उदाहरण के लिए Genevieve Brown की स्लाइड कहीं ज्यादा असरदायक हैं| यह दिखाती हैं कि trabeculae की विशिष्ट सरंचना बहुत मजबूत हैं जिसने असल में एफिल टॉवर की अद्वितीय रचना के लिए प्रेरित किया| और यहाँ तरकीब हैं एक, पठनीय वाक्य जो श्रोता पकड़ सकते हैं अगर वो खो जाये, और फिर दृश्य दिखाये जो दूसरी इन्द्रियों को आकर्षक लगे और एक बेहतर समझ बनाये जो बतायी जाने वाली चीज़ के बारे में| तो मैं सोचती हूँ कि यह सिर्फ कुछ महत्वपूर्ण बाते हैं जो सहायता कर सकती हैं हम सभी को उस दरवाज़े को खोलने और वंडरलैंड देखने के लिए जो कि विज्ञान और अभियांत्रकी हैं| और क्यूंकि अभियांत्रिक जिनके साथ मैंने काम किया हैं मुझे सिखाया कि अपने अंदर के पढ़ाकू के साथ संपर्क में रहूँ| संक्षेप में इसे मैं एक समीकरण के रुपे में बताउंगी|(हँसी) अपना विज्ञान लीजिए, उसमे से बुलेट पॉइंट्स और शब्दजाल घटाईये और इसे प्रासंगिकता से विभाजित कीजिये, मतलब कि जो श्रोता के प्रांसगिक हैं वो बताईये, और इसे अपने उस उत्साह से गुना कीजिये जो आपमें आपके बेहतरीन काम के बारे में हैं, और एक बेहतरीन वार्तालाप के बराबर होगा जो समझ से भरा हुआ हैं| और, वैज्ञानिक और अभियांत्रिक, जब आप ये समीकरण हल कर ले, बेशक, मुझसे पढ़ाकू बाते करिये| धन्यवाद(अभिवादन) भूमंडलीकृत कैसे हम कर रहे हैं, कैसे भूमंडलीकृत हम नहीं कर रहे हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है करने के लिए सही हो उन के प्रकार आकलन कर में. और इस पर देखने के प्रमुख बिंदु, चाहे मापा बेची गई पुस्तकों की संख्या से मीडिया में उल्लेख है, या सर्वेक्षण कि मैं से लेकर समूहों के साथ भाग लिया विश्व व्यापार संगठन के प्रतिनिधियों को अपने छात्रों, इस दृश्य है कि राष्ट्रीय सीमाओं वास्तव में बहुत ज्यादा नहीं बात नहीं है, सीमा पार से एकीकरण पूरा करने के लिए करीब है, और हम एक दुनिया में रहते हैं. क्या इस दृश्य के बारे में दिलचस्प है यह एक विचार है कि समर्थक globalizers द्वारा आयोजित है टॉम फ्राइडमैन तरह, जिनकी किताब इस बोली जाहिर है अंश से, लेकिन यह भी विरोधी globalizers, जो इस विशाल देखते द्वारा आयोजित है भूमंडलीकरण सूनामी है कि हमारे जीवन के मलबे के बारे में करने के लिए है अगर यह पहले से ही ऐसा नहीं किया है. कि यह एक नया विचार नहीं है. मैं इतिहास को देखा पहला उल्लेख देखने की कोशिश कर रहा पहली बार यह उद्धृत किया गया पहले डेविड लिविंगस्टोन द्वारा उद्धृत, कैसे रेल, स्टीमर के बारे में 1850 के दशक में लेखन, और तार पूर्वी अफ्रीका के संयोजन कर रहे थे दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ. अब स्पष्ट रूप से, डेविड लिविंगस्टोन अपने समय से आगे था, लेकिन यह उपयोगी है अपने आप से पूछना है, "बस कैसे वैश्विक हम कर रहे हैं?" इससे पहले कि हम सोचते हैं, जहां हम चले. सबसे अच्छा तरीका है मैं कोशिश कर रहे लोगों के पाया है को गंभीरता से लेने के विचार, दुनिया फ्लैट नहीं हो सकता है, फ्लैट के करीब नहीं हो सकता है, यहां तक ​​कि कुछ डेटा के साथ है. पिछले कुछ वर्षों में संकलन डेटा, कि या तो हो सकता है राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर या राष्ट्रीय सीमाओं के पार, मैं सीमा पार से घटक में देखा है कुल का एक प्रतिशत के रूप में. मैं डेटा दिखाने के लिए नहीं जा रहा हूँ, कुछ डेटा अंक दिखा. सूचना प्रवाह का एक तरह, लोगों के प्रवाह का एक प्रकार, पूंजी के प्रवाह की तरह एक, और, ज़ाहिर है, उत्पादों और सेवाओं में व्यापार. तो चलो सादे पुराने टेलीफोन सेवा के साथ शुरू. दुनिया में सभी आवाज फोन मिनट की, क्या प्रतिशत के लिए जिम्मेदार थे सीमा पार से फोन द्वारा? अपने मन में एक प्रतिशत उठाओ. जवाब दो प्रतिशत है. यदि आप इंटरनेट टेलीफोनी शामिल यह संख्या छह या सात प्रतिशत हो सकता है, यह लोग क्या अनुमान है के पास कहीं भी नहीं है. या चलो देखते हैं, कितने लोगों को सीमा पार से चलते हैं. हम पर लग सकता है लंबे समय तक लोगों के आव्रजन, क्या प्रतिशत है दुनिया की आबादी का पहली पीढ़ी के प्रवासियों द्वारा? आप एक प्रतिशत का चयन करें. पता चला है थोड़ा अधिक हो. यह वास्तव में तीन प्रतिशत है. सभी वास्तविक निवेश कि दुनिया में 2010 में चला गया. क्या प्रतिशत के लिए जिम्मेदार था प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के द्वारा? काफी नहीं दस प्रतिशत. और फिर अंत में, एक परिगणन विद्या - संबंधी कि मुझे संदेह है इस कमरे में लोगों की कई देखा है: निर्यात के लिए सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात. यदि आप सरकारी आंकड़ों पर दिखेगा, वे आम तौर पर संकेत मिलता है 30 प्रतिशत से ऊपर है. हालांकि, सरकारी आंकड़ों के साथ एक बड़ी समस्या है, कि अगर, उदाहरण के लिए, एक जापानी घटक सप्लायर चीन के लिए कुछ करने के लिए एक आइपॉड में डाला जा भेजता है, और फिर आइपॉड अमेरिका के लिए भेज दिया जाता है, कि घटक कई बार गिना जाता है. तो कोई नहीं जानता कि कैसे यह बुरा पूर्वाग्रह साथ सरकारी आंकड़ों वास्तव में है, तो मैंने सोचा कि मैं होता व्यक्ति जो प्रयास अग्रणी है पूछना पास्कल लेमी, विश्व व्यापार संगठन के निदेशक, क्या उसका सबसे अच्छा लगता है सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रतिशत के रूप में निर्यात, के बिना डबल और ट्रिपल गिनती, और यह वास्तव में शायद एक सा है 20 प्रतिशत के तहत, बजाय बजाय 30 प्रतिशत तो यह बहुत स्पष्ट है कि अगर आप इन नंबरों को देखो या अन्य सभी संख्या है कि मैं अपनी किताब में के बारे में बात करते हैं, "विश्व 3.0," कि हम बहुत, बहुत से दूर रहे हैं कोई सीमा प्रभाव बेंचमार्क, जो संकेत होगा 85 के आदेश के अंतरराष्ट्रीयकरण का स्तर, 90, 95 प्रतिशत. तो जाहिर है, इलहाम के तौर पर दिमाग लेखकों मामले अतिरंजित है. लेकिन यह एक उनमें से कुछ नहीं है, से अधिक का अनुमान है जो दर्शकों सर्वेक्षण दुनिया के विभिन्न भागों में इन नंबरों के लिए लगता है. एक सर्वेक्षण के परिणाम हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू क्या लोगों के अनुमान थे. टिप्पणियों के बाहर खड़े हो जाओ वहाँ कुछ त्रुटि के एक सुझाव है. ठीक है. (हँसी) दूसरा, ये बहुत बड़ी त्रुटियाँ हैं. चार मात्रा के लिए जिनकी औसत मूल्य के 10 प्रतिशत से भी कम है, आप लोगों को तीन, चार गुना के स्तर पर है कि अनुमान लगा रहा है. हालांकि मैं एक अर्थशास्त्री हूँ, मुझे लगता है कि एक बहुत बड़ी त्रुटि है. और तीसरा, यह सिर्फ पाठकों के लिए ही सीमित नहीं है हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के. विभिन्न भागों में कई दर्जन ऐसे सर्वेक्षण दुनिया की, और सभी मामलों में एक को छोड़कर, जहां वास्तव में एक समूह को कम करके आंका व्यापार के लिए सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात, लोगों को इस प्रवृत्ति अधिक आकलन की ओर, और इसलिए मैंने सोचा एक नाम दे, और वह है गहरे नीले रंग की सलाखों के बीच globaloney अंतर, के रूप में और हल्के भूरे रंग सलाखों. आप में से कुछ अभी भी हो सकता है एक छोटा सा दावों की उलझन में, मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कुछ मिनट के लिए लगता है क्यों हम globaloney लिए प्रवण हो सकता है. अलग अलग कारणों से एक जोड़ी के लिए मन में आते हैं. सबसे पहले, वहाँ बहस में एक डेटा की वास्तविक कमी है चलो मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ. जब मैं पहली बार प्रकाशित इन आंकड़ों के कुछ साल पहले कुछ एक पत्रिका 'फॉरेन पॉलिसी' में एक व्यक्ति जो सहमत नहीं था टॉम फ्राइडमैन था.मेरे लेख का शीर्षक था "क्यों दुनिया फ्लैट नहीं है," वह भी आश्चर्य की बात नहीं थी. (हँसी) मेरे लिए बहुत आश्चर्य की बात थी क्या टॉम आलोचना था, जो था, "Ghemawat डेटा संकीर्ण है." और यह मुझे मेरे सिर खरोंच के कारण होता है, क्योंकि मैं अपनी पुस्तक पढ़, मैं एक एकल आंकड़ा, चार्ट, टेबल नहीं मिल सकता है, संदर्भ या फुटनोट. तो मेरी बात है, मैं डेटा का एक बहुत यहाँ नहीं प्रस्तुत किया है आपको समझाने की है कि मैं सही हूँ, लेकिन मैं आप से आग्रह करता हूं होगा जाने के लिए और अपने स्वयं के डेटा के लिए देखो कोशिश करते हैं और वास्तव में का आकलन है कि अंतर्दृष्टि है कि हम देख रहे हैं वास्तव में सही हैं. तो बहस में डेटा की कमी एक कारण है. एक दूसरा कारण साथियों के दबाव के साथ नहीं है. मुझे याद है, मैं अपने लिखने का फैसला किया लेख "क्यों दुनिया फ्लैट नहीं है." मैं मुंबई में टीवी पर साक्षात्कार किया जा रहा था, और साक्षात्कारकर्ता मेरे लिए पहला सवाल था, "प्रोफेसर Ghemawat, तुम क्यों अभी भी विश्वास करते हैं कि दुनिया गोल है? "और मैं हँस शुरू कर दिया, क्योंकि मुझे लगता है कि बोली भर में नहीं आया था. (हँसी) और वैसे भी मैं हँस रहा था, मैं सोच रहा था, मैं वास्तव में अधिक सुसंगत प्रतिक्रिया की जरूरत है, विशेष रूप से राष्ट्रीय टीवी पर. मैं बेहतर इस बारे में कुछ लिखना चाहते हैं. (हँसी) लेकिन, मैं क्या तुम नहीं दिखा सकते हैं दया और अविश्वास जिसके साथ साक्षात्कारकर्ता उसके सवाल पूछा. परिप्रेक्ष्य था, यहाँ इस गरीब प्रोफेसर है. वह पिछले 20,000 साल के लिए एक गुफा में रह गया है. वह सच में नहीं पता है क्या वास्तव में दुनिया में चल रहा है के रूप में. तो यह अपने मित्रों और परिचितों के साथ बाहर की कोशिश करो, आप पाएंगे कि यह बहुत अच्छा है कहने के लिए, दुनिया एक किया जा रहा है, आदि. यदि आप के बारे में सवाल उठाने, आप वास्तव में एक बिट के एक प्राचीन माना जाता है। और फिर अंतिम कारण है, जो मैं उल्लेख, विशेष रूप से एक टेड दर्शकों करने के लिए, कुछ घबराहट के साथ, साथ क्या करना है "तकनीकी सम्मोहन है." यदि आप लंबे समय के लिए तकनीकी संगीत को सुनो, यह अपने brainwave गतिविधि के लिए काम करता है। (हँसी) ऐसा ही कुछ हो रहा है अतिशयोक्तिपूर्ण धारणाएं कैसे के साथ प्रौद्योगिकी बहुत ही तत्काल चलाने में प्रबल करने के लिए जा रहा है सभी सांस्कृतिक बाधाओं को, सभी राजनीतिक बाधाओं को, सभी भौगोलिक बाधाओं, क्योंकि इस समय मैं जानता हूँ कि तुम मुझसे सवाल पूछने की अनुमति नहीं कर रहे हैं, लेकिन जब मैं अपने व्याख्यान में अपने छात्रों के साथ इस बात पर आते, हाथों के ऊपर जाना है, और लोग मुझसे पूछते हैं, "हाँ, लेकिन क्या Facebook के बारे में?" और मैं अक्सर पर्याप्त कि इस सवाल है मैंने सोचा था कि मैं फेसबुक पर कुछ शोध किया था. क्योंकि कुछ मायने में, यह आदर्श की तरह प्रौद्योगिकी का है, के बारे में सोचने के लिए। सैद्धांतिक रूप से, यह बनाता है यह आसान के रूप में दुनिया भर में दोस्ती बनाने के लिए अगले दरवाजे के बजाय. फेसबुक पर लोगों के मित्रों का प्रतिशत क्या वास्तव में जहां के अलावा अन्य देशों में स्थित हैं हम का विश्लेषण कर रहे हैं लोगों के लिए कर रहे हैं? जवाब है शायद कहीं के बीच 10 से 15 प्रतिशत। गैर-नगण्य, तो हम एक पूरी तरह से स्थानीय में नहीं रहते या राष्ट्रीय दुनिया है, लेकिन बहुत, बहुत दूर के 95 प्रतिशत स्तर कि आप की उम्मीद है, और कारण बहुत सरल होगा. हम, यादृच्छिक पर दोस्ती नहीं बनाते हैं फेसबुक पर.प्रौद्योगिकी रखी है है कि हम रिश्तों के एक पूर्व मौजूदा मैट्रिक्स पर, और उन रिश्तों के क्या प्रौद्योगिकी रहे हैं काफी विस्थापित नहीं करता। उन रिश्तों के कारण कर रहे हैं हम हमारे दोस्तों में से अब तक कम से कम 95 प्रतिशत प्राप्त जहाँ हम कर रहे हैं के अलावा अन्य देशों में स्थित किया जा रहा है। तो यह सब मायने रखता है? या globaloney है और अधिक ध्यान देने के लिए हो रही लोगों की बस एक हानिरहित तरीके वैश्वीकरण से संबंधित मुद्दों के लिए? मैं सुझाव चाहते हैं, globaloney आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। पहले के सभी, पहचानने कि गिलास केवल 10 से 20 प्रतिशत पूरा देखने के लिए महत्वपूर्ण है है कि वहाँ अतिरिक्त लाभ के लिए संभावित हो सकता है अतिरिक्त एकीकरण से, जबकि अगर हमने सोचा कि हम पहले से ही वहाँ थे, कठिन धक्का करने के लिए कोई विशेष बात होगी। जैसे हम एक सम्मेलन नहीं रहा होगा, यह एक छोटा सा है अगर हम पहले से ही सोचा था कि कट्टरपंथी खुलेपन पर हम पूरी तरह से खुले थे प्रभाव है कि के बारे में बात की जा रही के सभी प्रकार के लिए इस सम्मेलन में। तो कैसे सीमित स्तर हैं वैश्वीकरण के बारे में सटीक किया जा रहा महत्वपूर्ण करने के लिए भी नोटिस कर रहा है कि वहाँ और अधिक कुछ के लिए जगह नहीं हो सकता है, कुछ है जो विश्व कल्याण के लिए आगे योगदान होगा। जो मुझे मेरी दूसरी बात को लाता है। अधिक बयान से बचना भी बहुत उपयोगी है क्योंकि यह कम कर देता है और कुछ मामलों में भी पराजयों आशंका है कि वैश्वीकरण के बारे में लोगों में से कुछ। इसलिए मैं वास्तव में से अधिकांश खर्च मेरे "दुनिया 3.0" पुस्तक बाजार विफलताओं और भय की एक लीटानी के माध्यम से काम कर रहे है कि लोगों को कि वे वैश्वीकरण चिंता बढ़ा रहा है। मैं जाहिर है कि आप के लिए आज क्या करने में सक्षम होना करने के लिए नहीं जा रहा हूँ, तो मुझे आप के लिए सिर्फ वर्तमान दो सुर्खियों में हैं क्या मैं मन में है का एक उदाहरण के रूप में। फ्रांस और आव्रजन के बारे में वर्तमान बहस के बारे में सोचो। जब आप क्या प्रतिशत फ्रांस में लोगों से पूछो की फ्रेंच जनसंख्या आप्रवासियों है, जवाब के बारे में 24 प्रतिशत है। कि उनके अनुमान है। हो सकता है साकार है कि संख्या सिर्फ आठ प्रतिशत है क्रोध को कम करने में मदद कर सकता है कि हम आप्रवास समस्या के आसपास देखें। या और भी अधिक हड़ताली उदाहरण के लिए, जब विदेशी संबंधों पर शिकागो परिषद अमेरिकियों, के एक सर्वेक्षण से उन्हें लगता है कि करने के लिए पूछ रहा था संघीय बजट का क्या प्रतिशत विदेशी सहायता करने के लिए चला गया, अनुमान है कि 30 प्रतिशत है, जो है था थोड़ा वास्तविक स्तर से अधिक-("वास्तव में के बारे में... 1% ") (हंसी)- अमेरिकी संघीय सहायता करने की सरकारी प्रतिबद्धताओं। इस विशेष सर्वेक्षण के बारे में बात कि सुकून मिलता था, जब यह लोगों के लिए कितनी दूर बताया गया था उनके अनुमान से वास्तविक डेटा थे, उनमें से कुछ-सब के सब नहीं-बनने के लिए लग रहा था पर विचार करने के लिए और अधिक इच्छुक विदेशी सहायता में बढ़ जाती है। तो विदेशी सहायता वास्तव में एक शानदार तरीका है यहाँ, क्योंकि लपेटन के तरह का यदि आप यह है, क्या मैं आज के बारे में बात कर रहा है के बारे में लगता है कि इस धारणा है - बहुत अर्थशास्त्रियों के बीच अविवादास्पद - सबसे बातें कि हैं बहुत घर पक्षपाती। "विदेशी सहायता ज्यादातर मदद गरीब लोगों के लिए है" आप पा सकते हैं सबसे अधिक घर पक्षपाती बात के बारे में है। यदि आप ओईसीडी देशों में देखो और कितना वे घरेलू गरीब व्यक्ति प्रति खर्च करते हैं, और कितना वे खर्च के साथ तुलना गरीब देशों में गरीब व्यक्ति प्रति, अनुपात-Branko Milanovic विश्व बैंक में परिकलन किया — पता चला है कि 30,000 के लिए एक हो. हम में से कुछ देखना चाहेंगे, अनुपात नीचे लाया जा रहा है है-के लिए-एक करने के लिए। मैं सुझाव है कि हम उद्देश्य के लिए की जरूरत नहीं करना चाहते कि कहाँ से काफी प्रगति बनाने के लिए हम कर रहे हैं। अगर हम सिर्फ एक के लिए यह अनुपात करीब 15000 के लिए नीचे लाया, हम सहमत हुए थे उन सहायता लक्ष्यों की बैठक हो जाएगा रियो में 20 साल पहले शिखर सम्मेलन कि शिखर सम्मेलन कि पिछले सप्ताह खत्म हो गया पर कोई आगे प्रगति हुई। तो सारांश, जबकि कट्टरपंथी खुलापन महान है में, कैसे बंद हम कर रहे हैं को देखते हुए, यहां तक कि वृद्धिशील खुलापन बातें कर सकता नाटकीय रूप से बेहतर है। बहुत-बहुत धन्यवाद. (तालियाँ) (तालियाँ) आज मेरी सिर्फ़ एक प्रार्थना है. कृप्या मुझसे ये मत कहना कि में एक साधारण व्यक्ति हू. अब में आपको मेरे भाइयों से मिलवाना चाहती हू. रेमी २२ साल का है, लंबा चौड़ा और बहुत तंदुरुस्त. वो बोल नही सकता पर उसकी खुशी बोलती है और वो किसी वक्ता से कम नही है. रेमी को पता है कि प्यार क्या है. और वो आसंबंध और बेपरवाह होके प्यार करता है. वो लालची नही है. उसे रंग में भेद भाव नही समझता. वो मज़हबी भेद भाव नही समझता., और एक बात: उसने कभी झूठ नही बोला है. जब वो हमारे बचपन के गीत गाता है, मुझे याद नही वो शब्द बोलने की कोशिश करता है, तब वो मुझे एक चीज़ की याद दिलाता है: हम दिमाग़ के बारे में कितना कम जानते है, और कितनी खूबसूरत होगी वो चीज़े जो हम जानते नही. सॅम्यूल १६ साल का है. वो भी लंबा चौड़ा और तंदुरुस्त है. उसके पास पूर्ण रूप से सही स्मरणशक्ति है. मगर वो चयनात्मक है. उसे याद नही रहता के उसने मेरा चौकलेट बार चोरी किया है, पर उसे मेरे आई पॉड के हर गाने का साल याद रहता है, वो चार साल का था तब की हुई हमारी बाते, और टेलेटुब्बिएस देखते हुए मेरे हाथ को गीला करना, और लेडी गागा का जन्म दिन. क्या वो दोनो अविश्वश्नीय नहीं हैं? पर बहुत से लोग ये नही मानते. और असल में, क्योकि उनका दिमाग़ इस समाज के साधारण रूप में नही बैठता, अक्सर समाज उनको बाहर निकलता है या ग़लत समझता है. पर जो मेरे दिल को भाया और जिसने मेरे आत्मा को शक्ति दी वो ये है, भले ही उनकी ये हालत है, हालाँकि उनको सामान्य रूप से नही देखा गया, इसका एक ही मतलब हो सकता है: कि वो असाधारण थे-- स्वालिन और असाधारण. अब आप लोग जो "स्वालिन" शब्द के बारे मे कम जानते है, ये एक पेचीदा दिमागी विकार है, जो सामाजिक संपर्क, नई चीज़ सीखने पे और शारीरिक कुशलता पे प्रभाव डालता है. ये हर इंसान में अलग तरह से प्रदर्शित होता है, इसी कारण से रेमी सॉम से इतना अलग है. और दुनिया में, हर २० मिनट में, एक नये व्यक्ति में स्वालिनता का निदान होता है, और हालाँकि ये दुनिया में एक तेजी से बढ़ता हुए मानसिक विकास से संबंधित विकार है, जिसका कोई कारण या उपचार नही है. मुझे वो पल याद नही जब मेरा पहली बार स्वालिनता से सामना हुआ, पर एसा एक दिन नही जो मेंने उसके बिना बिताया हो. मैं सिर्फ़ ३ साल की थी जब मेरा भाई इस दुनिया में आया, और में इतनी खुश थी कि मेरे साथ कोई नया मौजूद था. और फिर थोड़े महीनो के बाद, मुझे मालूम पड़ा के वो थोड़ा अलग है. वो बहुत चिल्लाता था. बाकी बच्चो की तरह खेलना उसको पसंद नही था, और सच्चाई तो ये है, उसको मुझमें ज़रा भी दिलचस्पी नही थी. रेमी अपने ही दुनिया में जीता और राज करता था, उसके अपने नियमो के साथ, और वो छोटी छोटी चीज़ो में आनंद पाता था, जेसे कमरे के इर्दगिर्द लाइन मे मोटर गाड़ियों को लगाना और वॉशिंग मशीन को घूरते रहना और बीच मे जो मिले वो खाना. और वो जैसे ही बढ़ता गया, और भी अलग होता गया, और उसकी असमानता स्पष्ट दिखने लगी. मगर उसके गुस्से का आवेश और निराशा के बावजूद और उसका कभी ना ख़तम होने वाला जोश बहुत ही अनोखा था: बहुत ही शुद्ध और सरल विचार, एक लड़का जो जमाने को बिना किसी पूर्वधारना से देखता था, एक इंसान जिसने कभी झूट नही बोला था. विलक्षण. अब ये ग़लत नही है कि हमारे परिवार मे बहुत सारी कठिन पल आये थे, ऐसी पल जिनमे मैं प्रार्थना करती थी, वो मेरे जैसे हो. पर फिर में मेरा दिमाग़ उन चीज़ो पे लाती हू जो उन्होने मुझे सिखाई है व्यक्तित्वा, संपर्क और प्यार, और मुझे ये समझ मे आया है कि ये सब चीज़े मैं साधारणता के लिए नही बदल सकती. साधारणता असाधारण सुंदरता को अनदेखा करती है. और सच्चाई तो ये है के हम असाधारण है इसका मतलब ये नही के हम मे से एक ग़लत है. इसका मतलब ये है की दोनो अलग तरह से सही है. और में अगर एक चीज़ रेमी को बता सकु और सैम को भी और आप को भी वो ये है कि आपको साधारण होने की ज़रूरत नही है. आप असाधारण भी हो सकते है. क्योंकि स्वालिन हो या नही, हम लोगो मे जो भिन्नता है-- हमे एक बक्षिश मिला है, सबको आपने अंदर एक भेट मिली है, और इस सब मे सच्चाई, साधारणता का पीछा, हमारे कार्यक्षमता का बलिदान है. महान होने की, या आगे बढ़ने की, सब बदलने की संभावना उसी समय खत्म हो जाती है जब हम किसी और की तरह होना चाहते है. कृप्या, मुझे ये मत बताइए कि मैं साधारण हू. धन्यवाद (तालिया) (तालिया) मैं अपनी बीवी के लिए कुछ खास करना चाहता था. और उसी काम ने आज मुझे यहाँ ला खड़ा किया, नाम, और पैसे भी दिलाए. तो बात तब की है, जब मेरी नई नई शादी हुई थी. शादी के पहले पहले दिनों में हर पति अपनी पत्नी की नज़रों में छा जाना चाहता है. मैं भी यही चाहता था. एकदिन मैंने पाया कि मेरी पत्नी कोई चीज़ ऎसे, छुपा कर ले जा रही थी. मैंने देख लिया. "ये क्या है?' उससे पूछा. बीवी ने कहा,"तुम्हारे मतलब का कुछ नहीं." मैंने भाग कर देखा, वो अपने पीछे एक पोछे जैसा कपड़ा छुपा रही थी. वैसे कपड़े से तो मैं अपना टू-व्हीलर भी साफ न करूँ! तब मैं समझा वो क्या था- मासीक धर्म के दिनों से निपटने का अस्वास्थ्यकर, अस्वच्छ तरीक़ा. मैंने तुरंत पूछा, तुम ये अस्वास्थ्यकर तरीक़ा क्यों अपना रही हो? उसने कहा,"मैं भी सैनिटरी पैड के बारे में जानती हूँ, पर अगर मैं और मेरी बहनें उनका इस्तेमाल करने लगीं, तो महीने के दूध का ख़र्च काटना पड़ेगा. मुझे जैसे झटका लगा. भला दूध के ख़र्च और सेनेटरी नैपकिन के इस्तेमाल में क्या संबंध है? यहाँ सीधा सवाल था ख़र्चा कर पाने की क्षमता का. मैंने अपनी बीवी को खुश करने के लिए उसे सैनेटरी पैड का पैकेट देने की ठानी. मैं सैनेटरी पैड ख़रीदने पास के एक दुकान में गया. दुकानदार ने दाँए-बाँए देखा, एक अख़बार फैलाया, और पैकेट को उसमें लपेटकर ऎसे देने लगा, जैसे कोई बहुत ग़लत चीज़ दे रहा हो. क्यों भई? मैंने कन्डोम तो नहीं मांगा था! मैंने एक पैड उठाया. मैं देखना चाहता था कि ये था क्या, और इसके अन्दर क्या है? तो पहली बार, 29 साल की उमर में, मैंने एक सैनेटरी पैड को अपने हाथ में लिया. अब आप बताईए: यहाँ कितने आदमी हैं जिन्होंने सैनेटरी पैड हाथ में लिया है? मुझे पता है, आप में से ऎसा यहाँ कोई नहीं, आखिर ये झमेला भी तो आपका नहीं! फिर मैंने सोचा, हे भगवान, ये रूई से बनी कौड़ियों के दाम की सफेद चीज़ को ये लोग सौ, दो सौ गुना ज़्यादा महँगा बेच रहे हैं! क्यों ना मैं अपनी नई नवेली बीवी के लिए खुद ही सैनेटरी पैड बनाऊँ? तो शुरुवात यहीं से हुई, मगर सैनेटरी पैड बनाने के बाद, मैं उसे परखने कहाँ ले जाता? आखिर मैं उसकी जाँच किसी लैबोरेटरी में नहीं करवा सकता था. मुझे किसी महिला वोलन्टियर की ज़रुरत थी. ऎसी महिला इस पूरे भारत में कहाँ मिलती? ऎसा कोई बैंगलोर में मिलने से तो रहा. तो समस्या का समाधान यही था: बली का एकलौता उपलब्द्ध बकरा, मेरी बीवी. मैंने सैनेटरी पैड बनाकर शान्ती को दे दिया--मेरी पत्नी का नाम शान्ती है. "अपनी आँखे बन्द करो. मैं तुम्हें जो देने जा रहा हूँ, वो ना तो हीरों का हार है, ना हीरे की अंगूठी, ना ही कोई चॉकलेट. मैं तुम्हें रंगीन क़ागज़ में लपेटकर एक सरप्राईज़ देने जा रहा हूँ. अपनी आँखें बन्द करो." मैं उसे ये तोह्फा बड़े प्यार से देना चाहता था. आखिर हमारी अरेन्ज्ड मैरेज थी, लव मैरेज नहीं. (हँसी) फिर एकदिन उसने मुझे सीधे कहा, "मैं इसमें तुम्हारा साथ नहीं दूँगी." मुझे नए उपयोगकर्ता चाहिए थे, तो अब मैंने अपनी बहनों से मदद मांगी. पर ना बहनें, ना बीवी, इस काम में मदद के लिए कोई तैयार नहीं था. इसलिए मुझे हमेशा अपने देश के साधू-संतों से जलन होती है. उनके आस-पास हमेशा महिला स्वेच्छासेवियों की टोली होती है. मुझे एक भी महिला मदद करने को तैयार नहीं? और देखिए, साधू-संतों के काम में महिलाएं बुलाने से पहले ही स्वेच्छा-सेवा के लिए जमा हो जाती हैं. फिर मैने मेडिकल कॉलेज की लड़कियों से मदद लेने की सोची. मगर उन्होने भी मना कर दिया. आखिरकार, मैने तय किया, कि मैं खुद ही सैनेटरी पैड पहनकर देखूँगा. मेरा काम चाँद में क़दम रखने वाले पहले इन्सान आर्मस्ट्रांग, या पहले एवरेस्ट चढ़ने वाले तेन्ज़िंग और हिलरी के ही जैसा है मुरुगनाथन- दुनिया में सैनेटरी पैड पहनने वाला पहला आदमी! तो मैने सैनेटरी पैद पहना. एक फुटबॉल बॉटल में जानवर का खून भर कर यहाँ बाँध दिया,.इससे निकलकर एक ट्युब मेरी चड्डी के अंदर जाती थी. चलते समय, साईकल चलाते समय, मैं उसको दबाता था, जिससे ट्युब से ख़ून निकलता था. इस अनुभव के बाद मैं किसी भी महिला के आगे ससम्मान सर झुकाना चाहूँगा. वो पाँच दिन मैं ज़िन्दगी भर नहीं भूल सकता-- वो तकलीफ भरे दिन, वो बेचैनी और गीलापन! हे भगवान, सोच पाना भी मुश्किल है! पर अब समस्या थी, एक कम्पनी रूई से नैपकिन बना रही थी. उनका पैड सही काम कर रही थी. पर मैं भी तो अच्छे रूई से ही सैनेटरी पैड बना रहा था. मगर मेरे बनाए पैड काम नहीं कर रहे थे. बार बार नाकामी से परेशान होकर मैं ये सब छोड़ देना चाहता था. पहले आपको पास पैसे होने चाहिए. पर परेशानी सिर्फ पैसे के ही नहीं थी. चूँकि मेरा काम सैनेटरी नैपकिन जैसी चीज़ को लेकर था, मुझे हर तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा, यहाँ तक कि अपनी बीवी से तलाक़ का नोटिस भी. ऎसा क्यों? क्योंकि मैंने मेडिकल कॉलेज की लड़कियों से मदद ली थी. बीवी को लगा मैं इस काम के बहाने मेडिकल कॉलेज की लड़कियों से चक्कर चला रहा था. आखिरकार मुझे पाईन की लकड़ी से बनने वाली विशेष सेलुलोज़ का पता चला, मगर उससे पैड बनाने के लिए करोड़ों की लागत वाली ऎसे प्लान्ट की ज़रूरत थी. रास्ते में फिर रुकावट आ गई. मैंने और् चार साल बिताए अपने खुद की मशीन बनाने के लिए, ऎसी एक साधारण, आसान सी मशीन बनाई मैने. इस मशीन से कोई भी ग्रामीण महिला बड़े मल्टीनैशनलों के प्लान्ट में लगने वाले कच्चे माल से ही घर बैठे विश्व स्तर की नैपकिन बना सकती है. ये मेरी खोज है. इसके बाद, मैने क्या किया, किसी के पास कोई पेटेन्ट या आविष्कार होता है, तो तुरंत वो उससे ये - पैसे- बनाना चाहता है. मैने ऎसा नहीं किया. मैने उसे बिल्कुल ऎसे ही, छोड़ दिया, क्योंकि अगर कोई पैसे के पीछे ही भागता रहे, तो जीवन में कोई सुन्दरता नहीं बचेगी. ज़िन्दगी बड़ी उबाऊ होगी. बहुत से लोग ढेर सारा पैसा बनाते हैं, करोड़ों, अरबों रूपए जमा करते हैं. इस सब के बाद वो आखिर में समाजसेवा करने आते हैं, क्यों? पहले पैसों का ढेर बनाकर फिर समाजसेवा करने आने का क्या मतलब है? क्यों ना पहले दिन से ही समाज का सोचें? इसी लिए, मैं ये मशीन केवल ग्रामीण भारत में, ग्रामीण महिलाओं को दे रहा हूँ, क्योंकि भारत में, आपको जानकर आश्चर्य होगा, केवल दो प्रतिशत महिलाएं सैनेटरी नैपकिन इस्तेमाल करती हैं. बाकी सभी, फटे-पुराने, पोछे-नुमा कपड़े, पत्ते, भूसा, लकड़ी का बुरादा - इसी सब से काम चलाती हैं- सैनेटरी नैपकिन नहीं. इस 21वी सदी में भी ये हाल है. इसी वजह से मैने ये मशीन भारत भर की गरीब महिलाओं को देने की सोची है. अब तक 23 राज्यों और 6 और देशों में 630 मशीन लग चुके हैं. बड़े बड़े मल्टीनेशनल और विदेशी कम्पनियों के उत्पादों से जूझकर जमकर टिके रहने का ये मेरा सातवाँ साल है - इस बात से सभी एम बी ए दंग हैं. स्कूल की पढ़ाई भी पूरी ना कर पाने वाला कोईम्बटूर का एक साधारण आदमी, कैसे अब तक मार्केट में टिका है? इसी बात ने मुझे सभी आई आई एम में विज़िटिंग प्रोफेसर और गेस्ट लेक्चरर बना दिया. (तालियाँ) विडियो वन चलाईए. (विडियो) अरूणाचलम मुरुगनाथन: अपने बीवी के हाथ में उसे देखकर मैने पूछा, "तुम इस गन्दे कपड़े का इस्तेमाल क्यों कर रही हो?" उसने तुरंत जवाब दिया, "मुझे नैपकिन के बारे में पता है, मगर अगर मैं उनका इस्तेमाल करने लगी, तो हमें हमारे दूध का ख़र्च काटना पड़ेगा." क्यों ना मैं कम क़ीमत का नैपकिन बनाऊँ? तो मैने अब तय किया है कि इस नए मशीन को केवल महिला स्वंय सहायता समूह (एस एच जी) को हिइ बेचूँगा. यही मेरी सोच है. पहले आप को नैपकिन बनाने के लिए करोड़ों निवेश करना पड़ता था, मशीन और बाकी ताम-झाम में. अब, कोई भ्री ग्रामीण महिला आसानी से इसे बना सकती है. वो लोग पूजा कर रहीं हैं. (विडियो):(गीत) ज़रा सोचिए, हारवर्ड, आक्सफोर्ड से पढ़कर आए दिग्गजों से मुक़ाबला आसान नहीं. मगर मैने ग्रामीण महीलाओं को इन मल्टीनेशनल से टक्कर लेने की ताक़त दी. मैं सात साल से अपने पैर जमाए खड़ा हूँ. अबतक 600 मशीनें लग चुकि हैं. क्या है मेरा मक़सद ? मैं भारत को अपने जीते जी 100%-सैनेटरी-नैपकिन-इस्तेमाल करने वाला देश बनाना चाहता हूँ. इस काम से मैं कम से कम दस लाख ग्रामीणों को रोज़गार दिलाने जा रहा हूँ. यही वजह है कि मैं पैसे के पीछे नहीं भाग रहा. मैं एक महत्वपूर्ण काम कर रहा हूँ. अगर आप किसी लड़की का पीछा करें, वो आपको भाव नहीं देगी. मगर अगर आप अपना काम ढंग से करें, लड़की आपके पीछे-पीछे आएगी. बिल्कुल वैसे ही, मैने कभी महालक्ष्मी (पैसे) का पीछा नहीं किया. महालक्ष्मी ही मेरे पीछे आ रही हैं, और मैं उन्हें अपने पीछे के पॉकेट में रखता हूँ. सामने के पॉकेट में नहीं, मैं पैसे पीछे के पॉकेट में रखने वाला इन्सान हूँ. बस, मुझे इतना ही कहना था. स्कूली शिक्षा पूरी ना करने वाले एक आदमी ने समाज में सैनेटरी पैड ना इस्तेमाल कर पाने की समस्या को समझा. मैने समस्या का समाधान बनाया. मैं बहुत खुश हूँ. मैं अपने इस प्रयास को कोई कॉरपोरेट शक्ल नहीं देना चाहता. मैं इसे एक देसी सैनेटरी पैड आन्दोलन बनाना चाहता हूं, जो आगे चलकर विश्व भर में फैल जाए. इसलिए मैंने इसकी सारी जानकारी ओपेन सॉफ्टवेयर की तरह साधारण लोगों की पहुँच में रखी है. आज 110 देश इससे जुड़ रहे हैं. क्या कहते हैं? मैं समझता हूँ लोग तीन तरह के होते हैं: अनपढ़, कम पढ़े लिखे, और बहुत पढ़े लिखे. एक कम पढ़े लिखे आदमी ने ये कर दिखाया. आप सब बहुत पढ़े लिखे लोग, आप समाज के लिए क्या कर रहे हैं? बहुत धन्यवाद आप सभी का. चलता हूँ. (तालियाँ) मैं एक डिज़ाइनर और एक शिक्षक हूँ। मैं मल्टीटास्क करता हूँ, और अपने छात्रों को एक रचनात्मक, और मल्टीटास्किंग डिजाईन प्रोसेस सिखाता हूँ। लेकिन सच में ये मल्टीटास्किंग कितना कुशल है? हम थोड़ा मोनोटास्किंग के बारे में सोचते हैं। कुछ उदाहरण यह देखिये यह मेरा मल्टीटास्किंग का नतीजा (हंसी) खाना पकाना, फ़ोन पर बात करना और एस एम एस भेजना और कुछ तस्वीरें इंटरनेट पर डालना इस शानदार बर्बेकुए की। तो कोई हमे सुपरटास्कर की कहानी बताता है यह 2 प्रतिशत लोग जो मल्टीटास्किंग कर सकते हैं' लेकिन अपने बारे में क्या? हमारी अपनी वास्तविकता? आपने पिछली बार कब अपने दोस्त की आवाज़ सुनी थी? यह मेरी परियोजना है और एक फ्रंट कवर की श्रृंखला है अपने सुपर हाइपर चीजों को हल्का करना (हंसी) ( तालियाँ ) अपने सुपर हाइपर मोबाइल फोंस को हल्का करना उनके कार्य के तत्व तक। एक और उदाहरण: आप कभी वेनिस गए हो? छोटी गलियों में खुद को खोना कितना खूबसूरत है द्वीप पर। लकिन हमारी मल्टीटास्किंग दुनिया कुछ अलग है हजारों सूचनाओं से भरी। फिर ऐसा कुछ कैसा रहेगा फिर से अपनी साहस की भावना को पाना? मैं जानता हूँ कि मोनो के बारे में बात करना अजीब है जब हमारे पास इतने सारे विकल्प है लेकिन मैं फिर आपको कहता हूँ केवल एक कार्य पर ध्यान दो या अपनी डिजिटल भावनाओं को बंद ही कर दो ताकि आजकल, सब अपनी मोनो चीज़ बना सकें। क्यूँ नहीं? तो अपनी मोनोटास्क स्थान ढून्ढ लो इस मल्टीटास्किंग दुनिया में। धन्यवाद (तालियाँ) मैं आज मेरे काम से साथ जुड़े मॉडल के कुछ एक वीडियो दिखाना चाहती हूँ वे सभी सही आकार में हैं, और उन्मे वसा का एक औंस भी नहीं है क्या मैंने उल्लेख किया था वे बहुत खूबसूरत हैं? और वे वैज्ञानिक मॉडल हैं? (हंसते हुए) जैसा कि आप अंदाज़ा लगा सकते हैं, मैं एक ऊतक इंजीनियर हूँ, और यह दिल की धड़कन का एक वीडियो है जिसे मैंने प्रयोगशाला में बनाया है. और हमें उम्मीद है कि एक दिन ये ऊतक मानव शरीर के लिए प्रतिस्थापन भागों के रूप में सेवा कर सकते हैं. लेकिन मैं तुम्हें आज जिसके बारे में बताने जा रही हूँ कि कैसे इन ऊतकों से कमाल के मॉडल बनाते है. ठीक है, चलो एक पल के लिए दवा स्क्रीनिंग की प्रक्रिया के बारे में सोचते हैं. आप दवा तैयार करने, प्रयोगशाला परीक्षण, पशु परीक्षण से गुजरते हैं, और फिर नैदानिक परीक्षण, जिसे आप मानव परीक्षण कह सकते हो, दवाओं के बाजार में आने से पहले किया जाता है. जिसमें पैसे की, समय की बहुत लागत आती है, और कभी कभी, यहाँ तक कि जब एक दवा बाजार में आती है, तो वह अप्रत्याशित रूप से भी कार्य करती है और वास्तव में लोगों को नुकसान पहुंचाती हैं. और बाद में यह विफल रहती है, तो बुरे परिणाम होते हैं. यह सब दो मुद्दों में सिमट जाता हैं. एक, मनुष्य चूहे नहीं हैं, और दो, एक दूसरे के लिए हमारे अविश्वसनीय समानता के बावजूद, तुम्हारे और मेरे बीच के वास्तव में छोटे अंतर बहुत प्रभावी हैं कि कैसे हम दवाओं पचाते हैं और वो दवाएं हमें कैसे प्रभावित करती हैं. तो अगर हमारी प्रयोगशाला में बेहतर मॉडल होते जो हमें न केवल चूहों की तुलना में बेहतर नकल कर सकते हैं लेकिन हमारी विविधता को दर्शायें? चलो देखते हैं कि हम इसे कैसे ऊतक इंजीनियरिंग के साथ कर सकते हैं. महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में एक जो वास्तव में महत्वपूर्ण है -जिसे प्रेरित pluripotent स्टेम सेल कहा जाता है. वे बहुत हाल ही में जापान में विकसित किया गया है. ठीक है, प्रेरित pluripotent स्टेम सेल. वे भ्रूण स्टेम कोशिकाओं की तरह बहुत कुछ कर रहे हैं विवाद को छोड़कर. हम कोशिकाओं को प्रेरित करके, ठीक है, उदाहरण के लिए, त्वचा कोशिकाएं, उन्हे मैं कुछ जीन जोड़ कर, उन्हें संवर्धन के द्वारा, और फिर उन्हें कटाई करेंगे. इसलिए वे त्वचा कोशिकाओं को धोखा दिया जा सकता है, सेलुलर भूलने की बीमारी की तरह, एक भ्रूण अवस्था में की तरह. तो विवाद के बिना, यह एक अच्छी बात है. और दूसरी बात, आप ऊतक के किसी भी प्रकार का विकास कर सकते हैं उनमें से : मस्तिष्क, हृदय, जिगर, क्या तस्वीर आपके सामने आ रही है, लेकिन यह सब अपने ही कोशिकाओं से. तो हम अपने दिल, अपने मस्तिष्क का एक मॉडल बना सकते हैं, एक चिप पर. उम्मीद के मुताबिक घनत्व और व्यवहार के ऊतक बनाना दूसरा भाग है, और वास्तव में महत्वपूर्ण हो जाएगा इन मॉडलों को दवाओं की खोज के लिए अपनाने की दिशा में. और यह एक bioreactor की रुपरेखा हैं जिसे हम प्रयोगशाला में विकसित कर रहे हैं अधिक मॉड्यूलर, स्केलेबल रास्ते में ऊतकों को बनाने में मदद के लिए. भविष्य में, एक व्यापक समानांतर संस्करण की कल्पना कीजिये मानव ऊतकों के हजारों टुकड़ों के साथ. यह एक चिप पर एक नैदानिक परीक्षण होने की तरह होगा. लेकिन इन प्रेरित pluripotent स्टेम सेल के बारे में एक और बात वह यह है कि अगर हम कुछ त्वचा कोशिकाओं ले, चलो मान ले, एक आनुवांशिक बीमारी से ग्रसित लोगों से और हम उनके ऊतकों को इंजीनियरिंग करते हैं, हम वास्तव में ऊतक इंजीनियरिंग तकनीक का उपयोग कर सकते हैं प्रयोगशाला में उन बीमारियों के मॉडल उत्पन्न करने में. यहाँ हार्वर्ड में केविन एगान प्रयोगशाला से एक उदाहरण है. उन्होंने न्यूरॉन्स उत्पन्न किये इन प्रेरित pluripotent स्टेम सेल से रोगियों से जो Lou Gehrig के रोग से पीड़ित है, और वह उन्हें न्यूरॉन्स में तबदील कराते है, और क्या आश्चर्यजनक है यह है कि ये न्यूरॉन्स भी इस रोग के लक्षण दिखाते है. तो इस तरह के मॉडल के साथ, हम वापस लड़ सकते हैं कभी पहले की तुलना में तेजी से और रोग बेहतर ढंग से समझने में पहले की तुलना में, और शायद दवाओं की खोज भी तेजी से हों. यह रोगी विशेष स्टेम कोशिकाओं का एक और उदाहरण है रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा से ग्रसित ऊतक से बनाये गए थे. यह रेटिना के अध: पतन है. यह एक रोग है जो कि मेरे परिवार में चलता है, और हम सच में आशा करते है कि इन जैसे कोशिकाओं से हमें एक इलाज खोजने में मदद मिलेगी. तो कुछ लोगों को लगता है कि इन मॉडलों को और अच्छी तरह से इस्तमाल किया जा सकता है, लेकिन पूछते हैं, "खैर, क्या ये सच में चूहे की तरह अच्छे हैं?" चूहा एक पूरा जीव है, आखिर में, अंगों के आपस में बात करते नेटवर्क के साथ. दिल के लिए एक दवा जिगर में परिवर्तित हो सकती है, और byproducts कुछ वसा में संग्रहित किये जा सकते है क्या ये सभी इन ऊतक इंजीनियरड मॉडलों के साथ नहीं होता? खैर, इस क्षेत्र में एक और प्रवृत्ति है. Microfluidics के साथ ऊतक इंजीनियरिंग तकनीक के संयोजन के द्वारा, क्षेत्र वास्तव में इसी दिशा में विकसित हो रहा है कि, शरीर के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र की एक मॉडल, कई अंग प्रणालियों के साथ संपूर्ण यह परीक्षण करने में सक्षम हो कि कैसे एक दवा जो आप अपने रक्तचाप के लिये लेते हों, आपके जिगर को प्रभावित कर सकती है या एक antidepressant आपके दिल को प्रभावित कर सकता है. ये प्रणाली वास्तव में निर्माण करना मुश्किल हैं, लेकिन हम उसे पाने के लिए सक्षम होने के लिए शुरू कर चुके हैं, और हां, तो देखते रहो. लेकिन वह भी यह सब नहीं है, क्योंकि एक बार एक दवा को मंजूरी दे दी है, ऊतक इंजीनियरिंग तकनीक वास्तव में अधिक व्यक्तिगत उपचार विकसित करने के लिए मदद कर सकती हैं. यह एक उदाहरण है कि आप इसके बारे में किसी दिन सोचेगे, और मुझे आशा है कि आप कभी नहीं करे, क्योंकि सोचियें अगर तुम्हें कभी कॉल आता है जो आपको बुरी खबर देता हैं कि आपको कैंसर हो सकता है. क्या आप उन कैंसर दवाओं को परीक्षण करना नहीं चाहोंगे अगर आप जो लेने वाले हैं वो कैंसर पर काम करने वाली हैं? यह करेन Burg प्रयोगशाला से एक उदाहरण है, जहां वे inkjet प्रौद्योगिकी का उपयोग कर स्तन कैंसर की कोशिकाओं प्रिंट और उनके बढ़ाव और उपचार का अध्ययन कर रहे हैं. और Tufts में हमारे सहयोगी मॉडलो को मिश्रित कर रहे हैं इन जैसे ऊतक इंजीनियरड हड्डी के साथ ये देखने के लिए कि कैसे कैंसर शरीर के एक भाग से दूसरे में फैल सकता है, और आप बहु-ऊतक चिप्स के उन प्रकार की कल्पना कर सकते हैं जो इस प्रकार के अध्ययन की अगली पीढ़ी हो. और मॉडल जिनकी कि हमने अभी चर्चा की है उनके बारे में सोचते है, आप देख सकते हैं, भविष्य में, ऊतक इंजीनियरिंग वास्तव में दवा स्क्रीनिंग में क्रांतिकारी बदलाव में मदद करने वाली हैं पथ के हर कदम पर: रोग मॉडल बेहतर दवा फार्मूलों के लिए बन रही है, व्यापक समानांतर मानव ऊतकों मॉडल, प्रयोगशाला परीक्षण में क्रांतिकारी बदलाव के लिए मदद के लिए, नैदानिक परीक्षणों में जानवर और मानव परीक्षण को कम करने के लिए, और चिकित्सा को व्यक्तिगत करने में जो बाधित करती हैं जो हम किसी दिन बाजार में लाने पर विचार करें. मूलतः, हम नाटकीय रूप से उस प्रतिक्रिया को तेज कर रहे हैं जो एक अणु के विकास और यह मानव शरीर में कैसे काम करता है के बारे में सीखने के बीच हैं यह करने के लिए हमारी प्रक्रिया अनिवार्य रूप से बदल रही है जैव प्रौद्योगिकी और औषध विज्ञान को सूचना प्रौद्योगिकी में, हमे दवाओं की जल्दी खोज और मूल्यांकन करने में मदद कर रही हैं अधिक सस्ते और अधिक प्रभावी ढंग से. यह मॉडल के लिए पशु परीक्षण के खिलाफ नया अर्थ देता है, क्या यह वह नहीं करता है? धन्यवाद. (तालियाँ) हैलो, दोहा, हैलो ! सलाम आलैकुम ! मुझे अच्छा लगता है, दोहा आना। मानो अंतर्राष्ट्रीय भूमि हो। ऐसा लगता है यूनाइटेड नेशन्स है ये। आप हवाई-अड्डे पर उतरते हो और एक भारतीय नारी आपका स्वागत करती है वह आपको अल महा सर्विसेज़ लाती है वहाँ आप एक फिलिपीनो बाला से मिलते हो वह आपको दक्षिण-अफ्रीकी कन्या को सौपती है और वह एक कोरियन को फिर वह आपको सामान सहित पाकिस्तानी मुंडे के पास पहुंचाती है जो आपको एक श्रीलंकन के कार तक लाता है आप होटल के अंदर पहुँचते हो तब आपका सामना लैबनीज से होता है। हाँ? और तब एक स्वीडिश जवान आपके कमरे तक छोड़ता है मैंने कहा, "कहाँ हैं क़तारी?" (हँसी) (तालियाँ) उसने कहा, "नहीं, नहीं ,बहुत गर्मी है। उसपर उन्होंने कहा " नही अच्छी है "| "उन्हें मालूम है।" (हँसी) और निस्सन्देह, बहुत तेजी से विकास हो रहा है कभी-कभी इनका बढ़ना दर्द देता हैं। मालूम है, जैसे कभी-कभार किसी से संयोगवश मिलते हो जो आपके ख्याल से शहर से वाकिफ़ है लेकिन ऐसा होता नहीं है। मेरा भारतीय कैब ड्राइवर डव्ल्यू आया और मैंने उसे कहा की शेरेटन चलो, और उसने कहा, "नो, प्रॉब्लम, सर।" और तब हम वहां दो मिनट तक खड़े रहे। मैंने कहा, "क्या हुआ?" वह बोला, "वन प्रॉब्लम, सर।" (हंसी) मैंने कहा, "क्या?" वह,"ये किधर है?" (हँसी) मैं, "तुम ड्राइवर हो, तुम्हें मालूम होना चाहिए।" वह, "नहीं, मैं अभी आया हूँ, सर।" मैं, "तुम अभी आये आये हो, डब्ल्यू पर?" "नहीं, मैं अभी आया हूँ, दोहा, सर।" (हंसी) "मैं हवाईअड्डा से वापस घर जा रहा था, मुझे जॉब मिल गई, अब काम कर रहा हूँ।" (हंसी) वह,"सर, क्यों नहीं आप गाड़ी चलाओ ?" (हंसी) "मुझे नहीं मालूम हम कहाँ जा रहे हैं।" "मुझे भी नहीं। यह एक साहसिक कारनामा होगा, सर।" (हंसी) साहसिक अनुभव। मध्य-पूर्व एशिया एक साहसिक अनुभव रहा है, पिछले कुछ साल से मध्य-पूर्व उथल-पुथल से भरा रहा अरब स्प्रिंग और क्रान्ति के बीच। क्या आज यहाँ लेबनीज़ उपस्थित है, सराहना द्वारा? [उत्साह] लेबनीज़, याह। मध्य-पूर्व बौरा गए हैं। आपको पता है की मध्य-पूर्व बौरा गए है जब लेबनान एक शांतिप्रिय क्षेत्र बन जाये (हंसी) (तालियाँ) किसने सोचा था? (हंसी) ओह माय गॉश। नहीं, एक गंभीर समस्या है यहाँ। कुछ लोग इस पर चर्चा नहीं करना चाहते है। मैं, आज अपनी बात यहाँ रखने आया हूँ। मध्य-पूर्व एशिया वासी, यह एक गंभीर मसला है। जब हम मिलते है, हैलो कहते है, हमें कितनी बार किश करनी होगी? (हंसी) हर देश भिन्न है, यह भ्रम पैदा करता है, सही? लेबनान में तीन की जाती है। इजीप्ट में, दो। मैं लेबनान में था, तीन की आदत हो गयी। मैं इजीप्ट पहुंचा, मैं हैलो करने एक इजीप्सिअन के पास आया, मैं, एक, दो, फिर तीसरे के लिए गया -- वह इच्छुक न था। (हंसी) मैंने कहा, "नहीं,नहीं, मैं लेबनान था।" वह, "मुझे मतलब नहीं तुम कहाँ थे. वहीँ खड़े रहो जहाँ हो, प्लीज।" (हंसी) (तालियाँ) मैं सऊदी पहुंचा। साऊदी में, वे एक, दो, और फिर एक ही तरफ लगातार: तीन, चार, पांच, छः, सात,आठ, नौ, १०, ११, १२, १३, १४, १५, १६, १७, १८ -- (हंसी) अगली बार किसी सऊदी से मिलो तो, देखना। वे एक तरफ थोड़े झुके मिलेंगे। (हंसी) 'अब्दुल, सब ठीक?" "मैं आधे घंटे से हैलो कर रहा था। सब ठीक हो जायेगा।" (हंसी) क़तारीज, आप नाक से नाक करते हो। ऐसा क्यों है, क्या सिर के इतना हिलने से थक जाते हो? (हंसी) "हबीबी, काफी गर्मी है। इधर आओ। हैलो कहें। हैलो, हबीबी। हिलना नहीं। ऐसे ही खड़े रहो, प्लीज। सुस्ताने दो।" (हंसी) ईरानी, कभी दो करते है, कभी तीन। मेरे एक मित्र ने बताया '७९ क्रांति से पहले दो थे। (हंसी) क्रांति के बाद, तीन। अतः ईरानीयों के सन्दर्भ में, आप बता सकते हो वे किस तरफ है उनके द्वारा दिए किश को गिनकर। हाँ, यदि आप जाते हो एक, दो, तीन --- "विश्वासघाती! तुम इस रेजीम को सपोर्ट करते हो" (हंसी) "तीन किश के साथ।" (हंसी) लेकिन, वास्तव में, यहाँ होना वाकई रोमांचक है, और जैसा मैंने कहा, आप लोग बहुत ही सांस्कृतिक हैं, आपको पता है, ये असाधारण है, और पश्चिम में मध्य-पूर्व की छवि बदलने में सहायक है, अधिकतर अमेरिकी हमारे बारे में बहुत कुछ नहीं जानते। मैं ईरानी-अमेरिकी हूँ, वहां रहा हूँ, मुझे मालूम है, मैंने यहां घूमा है। हम बहुत ज्यादा हँसते है, सही? पर वे इससे अनजान हैं। जब मैंने एक्सिस ऑफ़ एविल कॉमेडी टूर किया, यह कॉमेडी सेंट्रल पर आया, मैं ऑनलाइन हुआ लोगों की राय जानने। मैं एक रूढ़िवादी वेबसाइट पर पहुंचा। एक ने दूसरे को लिखा, "मुझे पता ही नहीं था ये हँसते भी हैं।" सोचिये, आप हमें कभी भी अमेरिकन फिल्मों या टीवी पर हँसते नहीं पाएंगे, सही? शायद राक्षसों जैसी हंसी, "वु हा हा हा !" (हंसी) "अल्लाह के नाम पर मैं तुझे मरूंगा, "वु हा हा हा हा !" (हंसी) किन्तु कभी नहीं, "हा हा हा हा हा।" (हंसी) हमें हंसना पसंद है। जीवन-उत्सव मनाना पसंद है। मेरी इच्छा है ज्यादा-से-ज्यादा अमेरिकी यहाँ आये। हमेशा अपने मित्रों से कहता हूँ: घूमों, मध्य-पूर्व देखों, काफी कुछ देखने को है यहाँ, ढेर सारे अच्छे लोग भी।" और इसके उलटे भी, यह कई समस्यायों; गलतफहमियां, रूढ़ियों को ख़त्म करने में मददगार है। उदहारण के लिए, मुझे नहीं पता यदि आपने सुना हो, कुछ दिन पहले अमरीका में, एक मुस्लिम परिवार एक हवाई जहाज के गलियारे से गुजरते हुए, बैठने हेतु सबसे सुरक्षित स्थान के बारे में बातें कर रहे थे। कुछ यात्रीअों ने उन्हें सुना, और किसी प्रकार गलती से आतंकी बातचीत समझ ली और उन्हें जहाज से बाहर करवा दिया। एक परिवार, माता, पिता, बच्चे, बैठने पर बात करते हुए। मध्य-पूर्व वासी के रूप में, मैं भिज्ञ हूँ कुछ ऐसी बातें जो मुझे नहीं कहनी है, हवाई जहाज पर, अमेरिका में, सही? गलियारे से गुजरते हुए मैं नहीं कह सकता, "हाय, जैक।", यह सही नहीं है। (हंसी) तब भी जब मेरे साथ मेरा दोस्त जैक हो, मैं कहूंगा, "ग्रीटिंग्स, जैक, सैल्यूटेशंस, जैक।" कभी नहीं, "हाय, जैक।" (हंसी) किन्तु अब, शायद हम ये भी बात नहीं कर सकते हवाई जहाज में बैठने का सबसे सुरक्षित स्थान। अतः मेरी यह सलाह उन सभी मध्य-पूर्व वासी, मुस्लिम दोस्तों, और कोई भी जो मध्य-पूर्वी या मुस्लिम दिखता हो, जैसे भारतीय, लातिनो, हर कोई, यदि आप साँवलें हो --- (हंसी) मेरी सलाह है मेरे साँवलें दोस्तों को। (हंसी) अगली बार जब हवाई जहाज पर हो, अमेरिका में, केवल अपनी मातृभाषा बोलिये। किसी को जानना नहीं आप क्या कह रहे हो। जिंदगी चलती जाएगी। (हंसी) माना, कुछ मातृभाषाएं आशंकित करती है औसत अमेरिकी को। यदि गलियारे में चल रहे हो अरबी बोलते हुए, हो सकता है वे आपसे घबरा जाय -- ( अरबी लहज़े की नक़ल ) और कहने लगे, "वह किस बारे में बात कर रहा है?" उपाय, मेरे अरब भाइयों-बहनों, है के कुछ अच्छे शब्द वार्तालाप में डालिये, ताकि लोग निश्चिंत रहे गलियारे से गुजरने के क्रम में। यूँ ही आप गलियारे में चल रहे हैं -- ( अरबी शैली की नक़ल ) स्ट्रॉबेरी ! (हंसी) ( अरबी शैली की नक़ल ) रेनबो ! (हंसी) ( अरबी शैली की नक़ल ) टूटी-फ्रूटी! (हंसी) "मुझे लगता है वह हाय-जैक करने वाले है आइस-क्रीम से।" बहुत बहुत धन्यवाद। शुभ रात्रि। धन्यवाद, टेड। (चियर्स)(तालियाँ) हम हाथ थाम कर दरवाजे की तरफ देख रहे थे| मेरे भाई -बहन और मैं अपनी माँ की प्रतीक्षा कर रहे थे अस्पताल से बाहर आने के की| वो वहां थी क्योंकि मेरी दादी का उस दिन कैंसर का आपरेशन होना था| अन्ततः, दरवाजा खुला, और उसने कहा, वो गयी| "वो अब इस दुनिया में नहीं है| वो सुबकने लगीं और तुरंत बोली, "हमने व्यवस्थाएं कर लीं हैं, तुम्हारी दादी माँ की अंतिम इच्छा थी कि उन्हें उनकी जन्मभूमि कोरिया में ही दफनाया जाय मैं उस समय केवल १२ साल की थी और जब शोक कम हुआ मेरी माँ के शब्द मेरे कानों में गूंज रहे थे| मेरी दादी की इच्छा थी की उसे जन्मभूमि में ही दफनाया जाय| हम कोरिया से अर्जेंटाइना छः वर्ष पहले ही आये थे, हमें स्पेनिश भी बोलनी नहीं आती थी नहीं मालूम था की हम अपना जीवनयापन कैसे करेंगे| और पहुँचने पर, हम प्रवासी थे जिनका सब कुछ खो चुका है| हमें अपना जीवन फिर से शुरू करने के लिए बहुत कठिन परिश्रम करना था| इतना मैंने इन सालों में कभी नहीं किया था, हमारा घर कोरिया में ही था| ये प्रश्न मुझे कुरेद रहा था कि किसी दिन मैं खुद को कहाँ दफनवाना पसंद करुँगी मेरा घर कहाँ था, और उत्तर इतना आसान नहीं था| ये प्रश्न मुझे वाकई बहुत परेशान कर रहा था इस विचार के आते ही मेरी पहचान का संकट जीवन भर के लिए खड़ा हो गया| मैं किमची की भमि - कोरिया में पैदा हुई: अर्जेंटाइना में बड़ी हुई, जहाँ मैंने इतना गाय का मांस खाया है की अब मैं ८० प्रतिशत गाय बन गयी हूँ| और मेरी शिक्षा अमेरिका में हुई, जहाँ मुझे मूंगफली के मक्खन की लत पड़ गयी है (हंसी) बचपन में मैं स्वयं को बहुत अर्जेंटीनियन महसूस करती थी, लेकिन कई बार मेरी शक्ल ने मेरा साथ नहीं दिया| मिडिल स्कूल की कक्षा का वह पहला दिन मुझे याद है जब मेरी स्पेनिश शिक्षिका कक्षा में आयी तो उनसे कक्षा के सभी विद्यार्थियों को देखते हुए कहा, " तुम्हें -- एक एक निजी शिक्षिका तो चाहिए ही, नहीं तो तुम लोग इस कक्षा में पास ही नहीं होगे।" तब तक मैं अच्छी स्पेनिश सीख गयी थी तो महसूस हुआ कि मैं कोरियन या अर्जेन्टीनियन, दोनों में से कोई एक हो सकती हूँ, लेकिन दोनों नहीं| कुछ मेरी समझ में नहीं आ रहा था, मैं अपनी पुरानी पहचान को कैसे भुलाउं ताकि मैं एक नयी पहचान पा सकूं| जब मैं १८ साल की हुई तो मैंने कोरिया जाने का निश्चय किया, इस आशा से कि शायद मुझे एक जगह मिले जिसे मैं घर कह सकूँ| लेकिन वहां लोगों ने मुझसे पूछा, "कि तुम कोरियन स्पेनिश उच्चारण से क्यों बोलती हो?" (हंसी) और, "तुम्हारी बड़ी आँखों से लगता है तुम जरूर जापानी होगी और तुम्हारे हाव-भाव भी विदेशी हैं|" इससे ये स्पष्ट हुआ कि मैं अर्जेन्टीनिंयन से कोरियन अधिक हूँ या कोरियन से अधिक अर्जेन्टीनियन ये मेरे लिए निर्णात्मक अनुभूति थी| मैं विश्व में एक जगह जिसे मैं घर कह सकूँ पाने में असफल हो चुकी थी लेकिन जापानी लगने वाले कोरियन लोग हैं जो स्पेनिश उच्चारण से बोलते हैं -- या ख़ास तौर से कहूं अर्जेन्टीनियन उच्चारण से-- आप क्या सोचते है, कुछ हैं? ये एक तरह से लाभदायक भी हो सकता है| मेरे लिए इसका सामना करना आसान हो गया, जो तेजी से बदल रही दुनिया को ज्यादा आघात नहीं पहुंचाता जहाँ पर कुशलताएं रातों रात पुरानी हो जातीं हैं, तो फिर मैंने शतप्रतिशत सामान्यताएँ ढूंढ़ना बंद कर दिया जिन लोगों से भी मैं मिली| बल्कि, कभी मुझे ये आभास हुआ कि मेरा दोहरा व्यक्तित्व है उन लोगों के समूहों के बीच जो परस्पर प्रतिद्वंदी हैं| ये आत्मज्ञान होते ही मैंने निश्चय किया स्वयं के नितांत नए स्वरुप का -- यहाँ तक कि स्वयं की स्वीकरोक्ति उदाहरण के लिए, जैसे हाई स्कूल में, मुझे स्वीकारना पड़ा कि मैं एक। ..... मझे फैशन की कोई जानकारी नहीं थी -- मोटा सा चश्मा और, सरल केश विन्यास -- आप देख सकते हैं| मैं सोचती हूँ कि वास्तव में मेरे दोस्त केवल इसलिए थे क्योंकि मैं अपना गृहकार्य उनको दिखा देती थी| ये सचाई थी| लेकिन एक बार विश्वविद्यालय में, मुझे अपनी नयी पहचान पाने का मौका मिला, और पढ़ाकू लड़की एक लोकप्रिय हो गयी, लेकिन ये एम आई टी में था, मैं नहीं जानती कि मैं इसका अधिक श्रेय ले सकती हूँ| जैसा वो वहां कहते हैं, " विषमतायें अच्छी होती हैं, लेकिन अच्छाइयाँ विषम होती हैं|" (हंसी) मैंने इतनी बार विषय परिवर्तन किये कि मेरे मार्गदर्शक विनोदपूर्वक कहा करते थे कि मुझे "निरुद्देश्य शास्त्र" में उपाधि अर्जित करनी चाहिए| (हंसी) ये बात मैंने अपने बच्चों को बताई| और कई वर्षों के बाद मुझे अनेक तरह की पहचानें मिलीं| मैं एक अविष्कारक से प्रारम्भ कर, उद्द्यमी , सामाजिक नवोन्मेषक। फिर मैं एक पूंजी निवेशक बन गयी, एक महिला प्रद्योगिकी में, एक शिक्षिका, और अभी हाल ही मैं एक माँ बन गयी हूँ, मेरा छोटा बच्चा निरंतर कहता है, "माँ !" दिन और रात| यहां तक कि मेरा उच्चारण इतना भ्रमित करने वाला था -- की उसकी उतपत्ति अस्पष्ट थी, मेरे मित्र इसे "रिबेकानीज" कहते थे| (हंसी) लेकिन स्वयं को पुनः अविष्कृत काने का कार्य दुष्कर था| आपको बहुत प्रतिरोधों का सामना करना पड़ता है| जब मैं अपनी पी.एच. डी. का काम पूरा करने वाली थी मैं उद्द्यमिता के फेर में पड़ गई| मैं सिलिकन वैली जा पहुंची| और तहखाने में बैठकर शोध प्रबंध लिखने लगी जैसे अपनी कम्पनी खुद शुरू कर रही हो, तो मैं अपने अत्यंत पारम्परिक कोरियन माता-पिता के पास गयी, जो आज यहां उपस्थित हैं, उन्हें ये बताने के लिए कि मैं पी.एच.डी. उपाधि का कार्यकम त्यागने वाली हूँ| आप देखिये, मेरे भाई बहन और मैं विश्वविद्यालय जाने वालों की प्रथम पीढ़ी थे एक प्रवासी परिवार के लिए, ये एक बहुत बड़ी बात थी, आप कल्पना कर सकते हैं कि कैसा संवाद हमारे बीच होने जा रहा था| लेकिन सौभाग्य से मेरे पास एक गुप्त हथियार था, वो था एक चार्ट जिसमें सभी स्नातकों की औसत आय थी जो स्टैनफोर्ड पी.एच.डी. कार्यकम में थे| और फिर कार्यक्रम छोड़ने वालों की औसत आय स्टैनफोर्ड स्नातकोत्तर कार्यक्रम से| (हंसी) मैं बताना चाहूंगी कि ये चार्ट निश्चय ही हेराफेरी से बनाया गया था गूगल के संस्थापकों के द्वारा| (हंसी) लेकिन मेरी माँ ने चार्ट देखा, और कहा, " तुम्हें तो अपनी रूचि का काम करना चाहिए|" (हंसी) माँ ! अब, आज पहचान पाने की मेरी जिज्ञासा अब अपने कुनबे को पाने की नहीं है| ये है स्वयं को पाने की ताकि स्वयं की सभी संभावित संभावनाओं को स्पर्श किया जा सके और स्वयं की अन्तर्निहित विविधता को पोषित किया जा सके केवल मेरे चारों ओर नहीं| अब मेरे बच्चे ३ साल और ५ महीने के हुए हैं आज, और जन्म से उनकी ३ राष्टीयतायें हैं और ४ भाषायें| अब मुझे ये बताना चाहिए कि मेरे पति डेनमार्क के हैं -- मेरे जीवन में समुचित सांस्कृतिक आघातों की कमी न लगे मैंने एक डेनिश व्यक्ति से विवाह करने का निर्णय लिया वास्तव में मैं सोचती हूँ मेरे बच्चे पहले वाइकिंग्स होंगे उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा जब उनकी दाढ़ी सफ़ेद होने लगेगी| (हंसी) जी हाँ, हमें उस पर काम करना पड़ेगा| लेकिन मुझे आशा है कि वो अपनी विविधता को ढूँढ निकालेंगे जो उनके जीवन में बहुत से अवसरों के दरवाजे खोल देगी, और वो इसका उपयोग अपनी सामान्यताएँ प्राप्त करने में करेंगे एक ऐसी दुनिया में जो आज क्रमशः वैश्विक होती जा रही है मैं आशा करती हूँ कि उदिग्न और चिन्तित महसूस करने स्थान पर कि वो सभी को एक साथ कैसे करें नहीं तो उनकी पहचान एक दिन अनुपयोगी हो जायेगी, वो प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं और अपनी व्यक्तिगत विस्तृत पहचान को नियंत्रित करने में| मैं ये भी आशा करती हूँ कि वो अपने इस विशेष संयोग का उपयोग करेंगे मूल्यों, भाषाओं, संस्कृतियों और क्षमताओं का एक ऐसे विश्व का सृजन करने में जहाँ पर पहचानें को भिन्नता से जोड़कर नहीं देखा जाता हो, बल्कि, जो लोगों को परस्पर जोड़ती हो| और सबसे महत्वपूर्ण ये है कि वो इसमें अत्यंत आनंद प्राप्त करेंगे इन अजनबी स्थानों से गुजरते हुए, क्योंकि मुझे पता है जो मेरे पास है, अब जैसे मेरी दादी को ही लीजिये , उनकी आखरी इच्छा भी मेरे लिए उनकी आखरी सीख थी| इससे ये स्पष्ट हुआ कि उसका आश्रय कोरिया वापस जाने के बारे में बिलकुल नहीं था और वहां दफनाये जाने का| ये अपने पुत्र के निकट विश्राम करने का था| जिसकी मृत्यु काफी पहले उनके अर्जेंटीना आने के पहले हो गयी थी| उनके लिए महासागर मायने नहीं रखता था जो उनके अतीत और नए संसार को विभाजित करता था; ये एक सामान्य आधार प्राप्त करने के बारे में था| धन्यवाद| (तालियां) मैं एक neuroscientist तंत्रिका वैज्ञानिक हूँ, और मैं निर्णय लेने का अध्ययन कर रही हूँ . मैं प्रयोगों से कैसे अलग रसायन हमारे मस्तिष्क में विकल्प लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं उसका अथ्ययन कराती हूँ . मैं आज आपको सफल निर्णय लेने का रहस्य बताने वाली हूँ : एक पनीर सैंडविच। यह सही है। वैज्ञानिकों के अनुसार, एक पनीर सैंडविच आपके सभी कठिन निर्णय करने का समाधान है। मुझे कैसे पता है? मैं वैज्ञानिक हूँ , जिसने इसका अध्ययन किया है। कुछ साल पहले, मैं और मेरे सहयोगि रुचि रखते थे की कैसे serotonin, एक मस्तिष्क रसायन सामाजिक स्थितियों में लोगों के फैसलों को प्रभावित करेगा । विशेष रूप से, हम जानना चाहते हैं कैसे serotonin प्रभावित करता है जब लोगों के साथ गलत तरीके से बर्ताव होता है . तो हमने एक प्रयोग किया था। हमने उन्हें serotonin देकर उनकी serotonin स्तर मै हेरफेर किया यह वास्तव में एक कृत्रिम घृणित स्वादवाला नींबू का पेय है जो serotonin के लिए कच्चे हिस्सों को कम करने का काम करता है वह भी मस्तिष्क में। इस एमिनो एसिड का नाम tryptophan है। तो हमने क्या पाया जब tryptophan की मात्रा कम थी , तब लोगों को और अधिक बदला लेने की संभावना थी जब उनके साथ गलत तरीके से बर्ताव किया गया था। हमने किया था इसका अध्ययन है, और यहाँ कुछ सुर्खियों हैं बाद में आया थी ("बस एक पनीर सैंडविच आपको मजबूत निर्णय लेने के लिए जरूरी है") ("चीज हमारा एक दोस्त कैसे है") ("पनीर और मांस खाने से स्व नियंत्रण को बढ़ावा दिया सकता है") इस बिंदु पर, आप, सोच रहे हो सकते है, क्या मुझसे कुछ छुट गया है? ("आधिकारिक ! चॉकलेट से आपका क्रोधी होना रुकता है ") पनीर? चॉकलेट? ये कहाँ से आया? जब यह हुआ तब मेंने भी इसही तरह से सोचा, क्योंकि हमारे अध्ययन में पनीर या चॉकलेट के साथ कुछ भी नहीं था। हमने लोगों को तो इस भयानक ड्रिंक चखने को दिया जिससे उनके tryptophan स्तर प्रभावित हो गये । लेकिन यह पता चला है कि tryptophan भी पाया जाता है पनीर और चॉकलेट में। और जाहिर है जब विज्ञान कहता है की "पनीर और चोकलेट आप को बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है" यकीनन ध्यान आकर्षित होता है. तो आपको यह अब पता चला है: एक शीर्षक का विकास कैसे होता है . जब यह हुआ, तब मैंरे एक हिस्से ने अच्छी तरह से सोचा की , इसमें क्या बड़ी बात है? मीडिया ने कुछ चीजें जरूरत से जादा आसान की, लेकिन अंत में, यह सिर्फ एक समाचार है। और मुझे लगता है कि बहुत वैज्ञानिकों का यह रवैया है । लेकिन समस्या यह है कि, ऐसा हमेशा होता है. और यह न सिर्फ आपको ख़बरों और कहानियों से प्रभावित करता है लेकिन इसके अलावा जब आप इन उत्पादों को अलमारियों पर देखते हैं। जब सुर्खियों में आती है,तो क्या होता है, विक्रेता आ जाते है । क्या मैं एक वैज्ञानिक समर्थन दूँगी एक मूड-बढ़ाने वाले बोतलबंद पानी का? या टेलीविजन पर जाऊं, एक जीवित दर्शकों के सामने, कि आरामदाय खाद्य पदार्थ वास्तव में आपको बेहतर महसूस करा सकते है ? इन लोगों के इरादे नेक हैं, लेकिन मैंने उनके ऑफर लिए होते तो मैं विज्ञान से परे जा रही होती, और अच्छे वैज्ञानिकों ऐसा न करने के लिए सावधान रहते हैं। लेकिन फिर भी, तंत्रिका विज्ञान अधिक विपणन की और जा रहा है। यहाँ एक उदाहरण है: न्यूरो पेय, Nuero-Bliss सहित उत्पादों की एक पंक्ति, जो उसके लेबल के अनुसार मदद करते है तनाव को कम करने में, मूड को बढ़ाता है, ध्यान केंद्रित एकाग्रता प्रदान करते है, और एक सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते है। यह बढ़िया लगता है। (हँसी) मैं 10 मिनट पहले पूरी तरह से इसका प्रयोग कर सकती थी तो स्वाभाविक रूप से , जब यह अपने स्थानीय दुकान में आई थी, मैं उत्सुक थी इसकी अनुसन्धान जानने में। तो मैंने इन कंपनी की वेबसाइट से खोजना शुरु किया कुछ उनके उत्पादों के नियंत्रित परीक्षण । लेकिन मुज़े किसी का पता नहीं चला। परीक्षण या बिना परीक्षण के, यह दावे सब जगह हैं लेबल पर एक मस्तीक्ष की तस्वीर के बगल मे। और यह पता चला है कि दिमाग के चित्र में विशेष गुण है। शोधकर्ताओं ने सौ लोगो से पूछा एक वैज्ञानिक लेख पढ़ने के लिए। आधे लोगों के लिए, लेख में एक मस्तिष्क की छवि शामिल थी, और दूसरे आधे लोगों के लिए, यह एक ही लेख था जिसमे मस्तिष्क की छवि नहीं थी। अंत में — आप देखें यह कहाँ जा रहा है — लोगो से पूछा गया क्या वे सहमत है लेख के निष्कर्ष के साथ। तो यह है कि कितने लोग निष्कर्षों से सहमत है कोई छवि के बिना । और यह है कितने लेख के साथ सहमत है जिसमे मस्तिष्क की छवि शामिल थी. तो संदेश यह है की , क्या आप इसे बेचना चाहते हैं ? तो एक मस्तिष्क की छवि डाल दो । अब मुझे यहाँ एक क्षण रुकके कहने दीजीये तंत्रिका विज्ञान पिछले कुछ दशकों में उन्नत हुआ है और हम लगातार अद्भुत चीजों की खोज कर रहे हैं मस्तिष्क के बारे में। सिर्फ एक सप्ताह के पहले , एमआईटी के neuroscientists ने थुंडा कैसे चूहों की आदतों को बदला जा सकता है बस उनके मस्तिष्क के एक विशिष्ट भाग में तंत्रिका गतिविधि को नियंत्रित करके। यह बहुत अच्छा है । लेकिन तंत्रिका विज्ञान के वादो से उच्च उम्मीदों और कुछ हद से ज़्यादा, असंशोधित दावे नज़र आते है । तो मैं अब तुम्हें दिखाने जा रही हूँ कैसे एनका पता चल सकता है पुराने आसान तरीके, इन्हें विभिन्न न्यूरो-चारपाई कहा गया है, न्यूरो-बकवास, या, मेरी निजी पसंदीदा, न्यूरो-मूर्खता तो पहला बिना साबित हुवा दावा है कि आप मस्तिष्क स्कैन का उपयोग कर सकते हैं लोगों के विचारों और भावनाओं को पढ़ने के लिए। यहाँ एक अध्ययन शोधकर्ताओं की एक टीम ने प्रकाशित किया है एक कमेंटरी करने के रूप में न्यूयॉर्क टाइम्स में। शीर्षक? "आप अपने iPhone से प्यार करते है। सचमुच मे " यह जल्दी से साइट पर अधिकांश ईमेल किया लेख बन गया। तो उन्होंने ये कैसे पता लगाया होगा? 16 लोगों को एक ब्रेन स्कैन किया जब उन्हें iPhones बजने का वीडियो दिखाया गया । मस्तिष्क स्कैन से मस्तिष्क का एक हिस्सा सक्रियण दिखा जीसे insula, कहा जाता है जो प्रेम और करुणा की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। तो निष्कर्ष निकाला कि क्योंकि वे insula में सक्रियण देखा गया है , इस का मतलब उनका iPhones से प्यार है । अब तर्क के इस लाइन के साथ सिर्फ एक समस्या है, और है कि insula बहुत कुछ करता है। यकीनन , यह सकारात्मक भावनाओं में शामिल है प्रेम और करुणा की तरह, लेकिन यह अन्य प्रक्रियाओं में भी शामिल है, स्मृति, भाषा, ध्यान की तरह, यहां तक कि क्रोध, घृणा और दर्द। तो एक ही तर्क पर आधारित, मैं भी उतना ही निष्कर्ष निकाल सकटी हु आप अपने iPhone से नफरत है। यहाँ बात है, जब आप insula में सक्रियकरण देखते हैं, तुम बस अपने पसंदीदा व्याख्या नहीं चुन सकते हो यह एक बहुत लंबी सूची है। मेरे साथि Tal Yarkoni और Russ Poldrack ने insula में लगभग एक तिहाई से ऊपर सक्रियण दिखाया है सभी ब्रेन इमेजिंग अध्ययन जो कभी प्रकाशित किये गये है। तो संभावना वास्तव में अच्छी है आपकी insula अब सक्रियण हो रहा है, लेकिन मैं अपने आप के साथ बच्चपना नहीं करुँगी की इसका मतलब यह है कि आप मुझसे प्यार करते है । इतना प्यार और मस्तिष्क के बारेमे बोल रही हूँ तो , एक शोधकर्ता, डॉ. प्यार के रूप में कुछौ के लिए जाना जाता है, जो दावा करता है कि वैज्ञानिकों ने गोंद पाया है कि जो समाज को एक साथ रखती है, प्यार और समृद्धि का स्रोत है। इस बार यह एक पनीर सैंडविच नहीं है। नहीं, यह एक हार्मोन oxytocin कहा जाता है। आपने शायद यह सुना होगा । तो, डॉ प्रेम तर्क उनके अध्ययन पर अथारित है कि जब तुम लोगों की oxytocin बढ़ाते हो तो तो बढ़ जाती है उनके विश्वास सहानुभूति, और सहयोग की भावना । तो उसने "नैतिक अणु" oxytocin को कहा है अध्ययन वैज्ञानिक रूप से वैध हैं, और वे दोहराया गया है, लेकिन वे पूरी कहानी नहीं हैं। अन्य अध्ययनों से पता चला है कि oxytocin बढ़ानेसे ईर्ष्या बढ़ जाती है। घूरना बढ़ जाती है । Oxytocin से लोग अपने ही समूह के पक्ष पूर्वाग्रह कर सकते हैं अन्य समूहों की कीमत पर। और कुछ मामलों में, oxytocin सहयोग भी कम कर सकता हैं। तो इन अध्ययनों पर आधारित मैं oxytocin को कह सकती हूँ एक अनैतिक अणु , और खुद को Dr. Strangelove। (हँसी) तो हमने न्यूरो-मूर्खता सब तरह की सुर्ख़ियों में देखी है हमने यह पुस्तक कवर पर सुपरमार्केट में देख़ा हैं। क्लिनिक के बारे में क्या? SPECT इमेजिंग एक मस्तिष्क स्कैनिंग तकनीक है जो एक रेडियोधर्मी अनुरेखक का उपयोग करती है मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को ट्रैक करने के लिए। कुछ हजार डॉलर के सस्ते दाम में, अमेरिका में क्लीनिक हैं जो तुम्हें देंगे एक SPECT छवि और उसका उपयोग करेंगे आपकी समस्याओं का निदान करने में। क्लिनिक कहते हैं इन स्कैन से मदद हो सकती है , अल्जाइमर रोग को रोकने, वजन और लत के मुद्दों का समाधान , वैवाहिक जीवन संघर्षों से उबरने, और, बेशक, कई मानसिक बीमारियों के इलाजो के लिए चिंता को लेकर अवसाद से एडीएचडी तक । यह बहुत अच्छा लगता है। बहुत सारे लोग सहमत हैं। ऐसे कुछक्लीनिक लाखों लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं करोंड़ों डॉलर की व्यापार के। वहाँ सिर्फ एक समस्या है। तंत्रिका विज्ञान में व्यापक आम सहमति कि हम अभी तक मानसिक बीमारी का निदान नहीं कर सकते है एक एकल मस्तिष्क स्कैन से। लेकिन इन क्लीनिकों ने इलाज किया है अब तक हजारों रोगियों के लिए उनमे कई बच्चे हैं, और SPECT इमेजिंग में एक रेडियोधर्मी इंजेक्शन शामिल है, तो लोगों को विकिरण का जोखिम, जो की संभावित हानिकारक है । मैं और लोगों से ज्यादा उत्तेजित हूँ, एक नुएरो विज्ञानिक के तौर पे मानसिक बीमारी के इलाज के लिए तंत्रिका विज्ञान की संभावना के बारे में हो सकता है हमें बेहतर और होशियार बनाने के लिए। और अगर एक दिन हम कह सकते हैं कि पनीर और चॉकलेट से हमें निर्णय बेहतर बनाने के मदद होती है, मुझे गिनती में ले लो । लेकिन अभी तक हम वहाँ नहीं हैं । हमें एक "खरीदें" बटन मस्तिष्क के भीतर नहीं मिली है, हम कोई झूठ बोल रहा है या प्यार में है नहीं बता सकते है बस उनके मस्तिष्क स्कैन पर देख कर, और हम पापियों को संत नहीं बना सकते, हार्मोन के रास्ते. शायद किसी दिन हम करेंगे, लेकिन तब तक, सावधान रहना होगा, हद से ज्यादा दावे संसाधनों और वास्तविक विज्ञान से ध्यान न हटा दें यह लम्बा खेल होगा. तो यहाँ आप आते हो। यदि आप को कोई दिमाग की तस्वीर के साथ कुछ बेचने की कोशिश करता है तो विचार करो , बस उन्के शब्द पर मत जाओ । मुश्किल सवाल पूछो। साक्ष्य को देखाने के लिए पूछो। नहीं बतायी कहानी के भाग के लिए पूछो। जवाब सरल नहीं होना चाहिए क्योंकि मस्तिष्क सरल नहीं है। लेकिन यह पता लगाने की कोशिश से हमें रोक नहीं सकता. धन्यवाद. (तालियाँ) जब मैं 11 साल का थी मैं एक सुबह उठी खुशी की आवाज़ मेरे पिता बीबीसी समाचार सुन रहा था अपने छोटे, ग्रे रेडियो पर. उनके चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान जो असामान्य तब था, क्योंकि खबर ज्यादातर उसे उदास. "तालिबान चले गए!" मेरे पिता चिल्लाया. मैं नहीं जानता था कि यह क्या मतलब है, लेकिन मैं देख सकता था कि मेरे पिता बहुत, बहुत खुश था. अब आप एक असली स्कूल के लिए जा सकते हैं ", उन्होंने कहा. एक सुबह कि वह कभी नहीं भूल जाएगा. एक असली स्कूल. तुम देखो, मैं छह साल का था जब तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया और यह गैरकानूनी लड़कियों को स्कूल जाने के लिए के लिए बनाया है. तो अगले पांच वर्षों के लिए, मैं एक लड़के के रूप में कपड़े पहने बड़ी बहन के साथ जाने के रूप में वह अकेले बाहर नहीं जाना चाहिए एक गुप्त स्कूल यह एकमात्र तरीका था, हम दोनों को शिक्षित किया जा सकता है. हर दिन, हम एक अलग मार्ग लिया ताकि कोई भी संदेह है, हम कहाँ जा रहे थे. हम किराने की थैलियों में हमारी किताबों को कवर किया जाएगा तो यह लगता है, हम बाहर खरीदारी के लिए जा रहे थे. स्कूल के एक घर में था, 100 से अधिक एक छोटे से कमरे में बैठे थे. यह सर्दियों में आरामदायक है, लेकिन गर्मियों में बेहद गर्म था. हम सभी को पता था कि हम हमारे जीवन को खतरे में डाल रहे थे - शिक्षक, छात्रों और हमारे माता पिता. समय समय पर, स्कूल अचानक रद्द कर दिया जाएगा क्योंकि तालिबान के एक सप्ताह के लिए संदिग्ध थे. हम हमेशा सोचा है कि वे हमारे बारे में क्या पता था. थे हम पर जाया जा रहा है? क्या वे जानते हैं कि जहां हम रहते हैं? हम डरे हुए थे, लेकिन फिर भी, स्कूल था जहाँ हम होना चाहते थे. मैं बहुत भाग्यशाली था एक परिवार है शिक्षा जहां बेशकीमती और बेटियों क़ीमती थे. मेरे दादा अपने समय के लिए एक असाधारण आदमी था. अफगानिस्तान के दूरदराज के एक प्रांत से आवारा, उन्होंने जोर देकर कहा है कि उसकी बेटी, स्कूल जाना है, और के लिए है कि वह अपने पिता द्वारा अस्वीकृत था गया था. लेकिन मेरे शिक्षित माँ एक शिक्षक बन गया. वह वहाँ है. वह दो साल पहले सेवानिवृत्त हुए, केवल हमारे घर बारी करने के लिए हमारे पड़ोस में लड़कियों और महिलाओं के लिए एक स्कूल में. और मेरे पिता वह अपने परिवार में पहले व्यक्ति को शिक्षित किया जा था था. वहाँ कोई सवाल ही नहीं था कि अपने बच्चों को उसकी बेटियों सहित एक शिक्षा प्राप्त होगा, तालिबान के बावजूद, जोखिम के बावजूद. वह अपने बच्चों को शिक्षित नहीं में अधिक से अधिक जोखिम देखा .. तालिबान के वर्षों के दौरान, मुझे याद है कभी कभी मैं तो जीवन से निराश हो जाएगा हमेशा डर लगता है, जा रहा है और एक भविष्य देख नहीं है. मैं छोड़ने के लिए करना चाहते हैं, लेकिन मेरे पिता, वे कहते हैं, "सुनो, मेरी बेटी, आप अपने जीवन में सब कुछ अपने आप को खो सकते हैं. आपका पैसा चुराया जा सकता है. आप के लिए एक युद्ध के दौरान अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सकता है. लेकिन एक बात है कि हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा यहाँ क्या है और अगर हम हमारे खून बेचने के स्कूल की फीस का भुगतान किया है, हम करेंगे. आप अभी भी नहीं चाहते? जारी रखने के लिए " आज मैं 22 हूँ. मैं नष्ट कर दिया गया है कि एक देश में पले युद्ध के दशकों से महिलाओं के कम से कम छह प्रतिशत मेरी उम्र यह उच्च विद्यालय से परे बना दिया है, और मेरे परिवार तो था मेरी शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध नहीं किया गया है, मैं उनमें से एक होगा. इसके बजाय, मैं मिडलबरी कॉलेज के एक गर्व स्नातक हूँ. (तालियाँ) जब मैं अफगानिस्तान के लिए लौट आए, मेरे दादा, अपनी बेटियों को शिक्षित करने के लिए साहस के लिए अपने घर से निर्वासित, मुझे बधाई देने के लिए पहली बार था. वह गर्व से अपने कॉलेज की डिग्री के बारे में बात करती है, लेकिन यह भी है कि मैं पहली महिला थी, और कहा कि मैं पहली महिला हाय कार में काबुल की सड़कों पर ड्राइव. (तालियाँ) मेरा परिवार भरोसा करता है. मैं बड़ा सपना है, लेकिन मेरे परिवार ने मुझे के लिए भी बड़े सपने यही कारण है कि मैं 10x10 के लिए एक वैश्विक राजदूत है, महिलाओं को शिक्षित करने के लिए एक वैश्विक अभियान. यही कारण है कि मैं SOLA सह की स्थापना की है, और शायद पहली बार ही बोर्डिंग स्कूल अफगानिस्तान में लड़कियों के लिए, एक देश में, जहां यह अभी भी जोखिम भरा है के लिए लड़कियों को स्कूल जाने के लिए. रोचक बात यह है कि मैं अपने स्कूल में छात्रों को देखने के महत्वाकांक्षा अवसर पर हथियाने के साथ. और अपने माता पिता और पिता को देखने के जो, उनके लिए अपने वकील, जैसे, बावजूद और चुनौतीपूर्ण विरोध का सामना करना पड़ रहा है. अहमद की तरह. यह उसका असली नाम नहीं है, और मैं तुम उसका चेहरा नहीं दिखा सकते हैं, लेकिन अहमद अपने छात्रों में से एक के पिता है. एक महीने पहले की बात है, वह और उसकी बेटी SOLA से अपने गांव के लिए अपने रास्ते पर थे, वे मारे जा से याद किया मिनट से एक सड़क के किनारे बम से. जैसा कि वह घर आ गया, फोन बज उठा, उसे एक आवाज चेतावनी कि, अगर वह अपनी बेटी को भेजा स्कूल में वापस वे फिर से कोशिश करेंगे. "अब मुझे मार डालो, अगर आप चाहते हैं," उन्होंने कहा, "लेकिन मैं अपनी बेटी के भविष्य को बर्बाद नहीं होगा अपने पुराने और पिछड़े विचारों की वजह से. " मैं अफगानिस्तान के बारे में समझा है क्या, और इस तथ्य को अक्सर पश्चिम में खारिज कर दिया है, कि हम में से ज्यादातर लोग सफल पीछे एक पिता जो अपनी बेटी में मूल्य पहचानता है और जो देखता है कि उसकी सफलता उसकी सफलता है. यह कहना नहीं है कि हमारी मां हमारी सफलता में महत्वपूर्ण नहीं हैं. वास्तव में, वे अक्सर प्रारंभिक और ठोस वार्ताकारों अपनी बेटियों के लिए एक उज्जवल भविष्य के, लेकिन अफगानिस्तान में जैसे समाज के संदर्भ में, हम पुरुषों के समर्थन होना चाहिए. तालिबान काल के दौरान लड़कियों, जो स्कूल के पास गया सैकड़ों की संख्या में गिने - याद रखना, यह अवैध रूप से किया गया था. लेकिन आज, तीन लाख से अधिक लड़कियों को स्कूल में अफगानिस्तान में हैं. (तालियाँ) अफगानिस्तान, अमेरिका में यहाँ से बहुत अलग दिखता है. मुझे लगता है कि अमेरिकियों परिवर्तन में कमजोरी देखते हैं. मुझे डर है कि इन परिवर्तनों को पिछले नहीं होगा ज्यादा अमेरिकी सैनिकों की वापसी से परे. लेकिन, जब मैं अफगानिस्तान में वापस आ रहा हूँ जब मैं अपने स्कूल में छात्रों को देखने के और अपने माता पिता, जो उनके लिए वकील, जो उन्हें प्रोत्साहित करते हैं, मैं एक आशाजनक भविष्य देखते हैं और स्थायी परिवर्तन. मेरे लिए, अफगानिस्तान आशा और असीम संभावनाओं के एक देश है, और हर एक दिन SOLA की लड़कियों ने मुझे उस की याद दिलाने. मेरी तरह, वे बड़ा सपना देख रहे हैं. धन्यवाद. (तालियाँ) (यांत्रिक शोर) (संगीत) (तालियाँ) सीखने का भविष्य क्या है? मेरे पास एक योजना है, आपको योजना बताने के लिए, मुझे एक छोटी कहानी बताने की जरूरत है, जो कि एक तरह से मंच सेट करती है। मैं देखने की कोशिश की कहाँ से हम स्कूलों में जो सीखते हैं कहाँ से आया था? और आप अतीत में देख सकते हैं, लेकिन अगर आप वर्तमान की स्कूली शिक्षा में देखो जिस तरह यह है, यह जानना काफी आसान हैं कि यह कहाँ से आया है। यह लगभग 300 साल पहले से आया था, और यह आखिरी और इस ग्रह पर सबसे बड़े साम्राज्य से आया। ["ब्रिटिश साम्राज्य"] शो चलाने की कोशिश करने की कल्पना कीजिए, पूरे ग्रह को चलाने की कोशिश, कंप्यूटर के बिना, टेलीफोन के बिना, कागज के टुकड़े पर हस्तलिखित जानकारी के साथ, और जहाज द्वारा यात्रा करके। लेकिन Victorians ने वास्तव में ऐसा किया था। जो उन्होंने किया वो कमाल था। उन्होंने एक वैश्विक कंप्यूटर बनाया लोगों से बना। यह अभी भी हमारे साथ आज है। इसे नौकरशाही प्रशासनिक मशीन कहा जाता है। उस मशीन चलाते रहने के लिए, आपको बहुत सारे लोग चाहिए। उन्होंने उन लोगों का उत्पादन करने के लिए एक और मशीन बनायीं: स्कूल। स्कूल लोगों का उत्पादन करती जो बाद में भाग बन जायेंगे नौकरशाही प्रशासनिक मशीन के। वे एक दूसरे के समान होना चाहिए। उन्हें तीन बातें पता होना चाहिए: क्योंकि डेटा हस्तलिखित है उनकी अच्छी लिखावट, होना आवश्यक है; वे पढ़ने में सक्षम होना चाहिए; और वे सक्षम होना चाहिए, गुणा करने में, प्रभाग में, जोड़ने और घटाने में, अपने मस्तिस्क में । वे समान प्रशिक्षित चाहिए ताकि आप एक न्यूजीलैंड से एक चुन सके और उसे कनाडा के लिए भेज सके और वह तुरन्त कार्यात्मक किया जाएगा। Victorians महान इंजीनियर थे। उन्होंने एक सिस्टम बनाया जो इतना मजबूत था कि यह अभी भी हमारे साथ आज है, लगातार समान लोगों का निर्माण कर रहा हैं एक मशीन के लिए, जो अब मौजूद नहीं है. साम्राज्य चला गया है तो हम उस डिजाइन के साथ क्या कर रहे हैं जो इन समान लोगों को पैदा करता है, हम आगे क्या करने जा रहे हैं अगर हम कभी इसके साथ कुछ करना हों तो? "स्कूल, जिस रूप में हम उन्हें जानते हैं, अप्रचलित हैं"] तो यह एक बहुत मजबूत टिप्पणी है। मैंने कहा, स्कूलों को जिस रूप में हम जानते हैं, वे पुराने पड़ चुके हैं. मैं यह नहीं कह रहा हूँ वे टूट रहे हैं। काफी फैशनेबल है, कहने के लिए. कि शिक्षा प्रणाली टूटी हुई है. यह टूटी नहीं है। यह शानदार तरीके से निर्मित है। यह सिर्फ है कि हम इसे अब और ज़रूरत नहीं। यह पुराना है। आज हमारे पास किस तरह की नौकरी है? खैर, क्लर्क कंप्यूटर हैं। वे वहाँ हर कार्यालय में हजारों की संख्या में हैं। लोग हैं उन कंप्यूटरों के मार्गदर्शन करने के लिए अपने लिपिक काम करवाने के लिए । उन लोगों को खूबसूरती से हाथ से लिखने में सक्षम होने की जरूरत नहीं है। उन्हें अपने सिर में संख्याओं का गुणा करना करने के लिए सक्षम होना जरूरी नहीं है। उनका पढ़ने में सक्षम होना जरूरी है। वास्तव में, उनके समझदार और विश्लेषणात्मक पढ़ने में सक्षम होने की जरूरत है. ठीक है, यह आज है, लेकिन हम भी नहीं जानते भविष्य में किस प्रकार की नौकरियां होगी | हम जानते हैं कि लोगों जहाँ भी चाहे वहाँ से काम करेंगे, जब भी वे चाहे, जो कुछ भी वे चाहे । कैसे वर्तमान समय की स्कूली शिक्षा उन्हें तैयार करने के लिए जा रही है दुनिया के लिए? खैर, मैं दुर्घटना के द्वारा इस पूरी बात टकराया. मैं लोगों को कंप्यूटर प्रोग्राम लिखना सिखाता था नई दिल्ली में, 14 साल पहले। मेरे काम के स्थान के पास एक बस्ती थी. और मैं सोचता था, कैसे वो बच्चे कभी भी कंप्यूटर प्रोग्राम लिखना सीखेंगे? या उन्हें नहीं करना चाहिए? उसी समय में, बहुत सारे माता-पिता थे , अमीर लोग, जिनके पास कंप्यूटर थे, जो कहते हैं, "मेरा बेटा, मुझे लगता है कि वह प्रतिभाशाली है, क्योंकि वह कंप्यूटर के साथ अद्भुत काम करता है। और मेरी बेटी - ओह, निश्चित रूप से वह अति-बुद्धिमान है." और ऐसे ही । तो मुझे अचानक लगा कि, कैसे सभी अमीर लोग के पास ये असाधारण प्रतिभाशाली बच्चे हैं? (हँसी) गरीब ने क्या गलत किया है? मैंने सीमा की दीवार में एक छेद कर दिया मेरे कार्यालय के पास की बस्ती की, और इसके अंदर एक कंप्यूटर फंसा दिया, बस देखने के लिए क्या होगा अगर मैं बच्चों को एक कंप्यूटर दिया, जिनके पास वो कभी नहीं था, अंग्रेजी नहीं जानते थे, इंटरनेट क्या था पता नहीं था। बच्चे चले आये । यह जमीन से तीन फीट उपर था, और उन्होंने कहा, "यह क्या है?" और मैंने कहा, "हाँ, यह, मुझे पता नहीं है." (हँसी) उन्होंने कहा, "आप यह क्यों वहाँ रखा था?" मैं ने कहा, "बस ऐसे ही।" और उन्होंने कहा, "हम उसे छू सकते हैं?" मैं ने कहा, "यदि आप चाहते हैं." और मैं चला गया। करीब आठ घंटे बाद में, हम उन्हें ब्राउज़िंग और एक दूसरे को ब्राउज़ करना सिखाते पाया। तो मैंने कहा, "ठीक है यह असंभव है, क्योंकि - यह कैसे संभव है? उन्हें कुछ भी नहीं पता." मेरे साथियों ने कहा, "नहीं, यह एक सरल उपाय है। आपके छात्रों में से एक गुजर रहा होगा, उन्हें माउस कैसे उपयोग करते हैं दिखाया होगा." तो मैंने कहा, " हाँ, यह संभव है,." तो मैंने प्रयोग को दोहराया। मैं दिल्ली से 300 मील दूर बाहर चला गया वास्तव में दूरदराज के एक गांव में जहां सॉफ्टवेयर विकास इंजीनियर के गुजरने की संभावना बहुत कम थी । (हँसी) मैंने वहाँ प्रयोग को दोहराया। वहाँ रहने के लिए कोई जगह थी, तो मैं अपने कंप्यूटर रखा, मैं चला गया, कुछ महीने के बाद वापस आ गया बच्चों को उसमे खेलते पाया। जब वे मुझे, देखा था उन्होंने कहा कि, "हम एक तेज प्रोसेसर और एक बेहतर माउस चाहते हैं." (हँसी) तो मैंने कहा, "आखिर तुम कैसे यह सब जानते हो?" और उन्होंने बहुत दिलचस्प चीज कही। एक परेशान आवाज़ में, उन्होंने कहा कि, "तुमने हमें एक मशीन दी है जो केवल अंग्रेजी में काम करती है, तो हमे इसे उपयोग करने के लिए अपने आप को अंग्रेजी सिखानी पड़ी" (हँसी) पहली बार, एक शिक्षक के रूप में, मैंने ये शब्द "अपने आप को सिखाने " इतनी आसानी से सुने । यहाँ एक संक्षिप्त झलक उन वर्षों से है। यह दीवार में छेद पर पहला दिन है। अपने दाहिने तरफ में एक आठ वर्षीय है. उसके बाएँ उसकी छात्र है.वह छह साल की है. वह उसे सिखा रहा हैं कैसे ब्राउज़ करे. फिर देश के अन्य भागों पर, मैंने यह बार बार दोहराया, बिल्कुल वहीँ परिणाम मिल रहे थे जो हमे पहले मिल रहे थे। ["दीवार में छेद फिल्म - 1999 "] एक आठ वर्षीय, उसकी बड़ी बहन कह रही है क्या करना हैं . और आखिरी में एक लड़की मराठी में बता रही हैं ये क्या हैं, और कहा, "इसके अंदर एक प्रोसेसर है." तो मैंने प्रकाशन शुरू कर दिया। मैं हर जगह प्रकाशित किया. मैंने लिखा और सब कुछ मापा, और मैंने कहा, नौ महीने में, बच्चों का एक समूह किसी भी भाषा में एक कंप्यूटर के साथ अकेला छोड़ दिया गया पश्चिम में कार्यालय सचिव के स्तर तक पहुंच जाएगा. मैंने इसे बार बार होते देखा। लेकिन मैं जानने को उत्सुक था, और वे क्या कर सकते हैं यदि वे इतना कर सकता है? मैं अन्य विषयों के साथ प्रयोग शुरू कर दिया, उनमें से, उदाहरण के लिए, उच्चारण। दक्षिणी भारत में बच्चों का एक समुदाय है जिसका अंग्रेजी उच्चारण बहुत बुरा है, और उन्हें अच्छे उच्चारण की जरूरत है क्योंकि ये उनके काम में सुधार होगा। मैं उन्हें एक कंप्यूटर में आवाज़ से शब्द इंजन दिया था, और मैंने कहा, "इससे बात करते रहे जब तक वो टाइप न करे जो आप कहते हैं." (हँसी) उन्होंने वो किया, और यह एक छोटा सा देखो। कंप्यूटर: आपसे मिलकर अच्छा लगा. बच्चे: आपसे मिलकर अच्छा लगा. Sugata मित्रा: कारण मैंने इस युवा महिला के चेहरे के साथ समाप्त की है, क्योंकि मुझे लगता आप में से कई उसे जानते हैं. वह अब हैदराबाद में एक कॉल सेंटर में शामिल हो गयी है और आपको आपके क्रेडिट कार्ड के बिल के पूछताछ के बारे में पीड़ा दी हों एक बहुत स्पष्ट अंग्रेजी लहजे में। तो लोगों ने कहा, ठीक है, यह कितनी दूर जा सकता हैं? यह कहाँ खत्म होगा? मैंने फैसला किया मैं अपना खुद का तर्क नष्ट करूँगा एक बेतुका प्रस्ताव बनाने के द्वारा। मैंने एक परिकल्पना, एक हास्यास्पद परिकल्पना की है। एक दक्षिण भारतीय भाषा तमिल है, और मैंने कहा, एक भारतीय गांव में तमिल भाषी बच्चे अंग्रेजी में डीएनए प्रतिकृति के जैव प्रौद्योगिकी सीख सकते हैं एक वितर्कों कंप्यूटर से? और मैंने कहा, मैं इसे मापुंगा उन्हें शून्य मिलेगा. मैं इसे कुछ महीने के लिए छोड़ दूँगा, मैं वापस जाऊंगा, उन्हें एक और शून्य मिल जाएगा. मैं प्रयोगशाला में वापस जाऊंगा और कहूँगा, हमे शिक्षकों की जरूरत है. मैं एक गांव पाया। यह दक्षिण भारत में Kallikuppam कहा जाता था। मैंने वहाँ दीवार में छेद वाले कंप्यूटरों को डाल दिया, सभी प्रकार के डीएनए प्रतिकृति के बारे में जानकारियां इंटरनेट से डाउनलोड किया, जिनमे से बहुत मुझे समझ में नहीं आया। बच्चे दौड़ते हुए आये, पूछा, "यह सब क्या है?" तो मैंने कहा, "यह बहुत ही सामयिक, है बहुत महत्वपूर्ण। लेकिन यह सब अंग्रेजी में है." तो उन्होंने कहा, "कैसे हम इस तरह बड़े अंग्रेजी शब्द समझ सकते हैं और चित्र और रसायन विज्ञान?" तो अब तक, मैंने एक नयी शैक्षणिक पद्धति विकसित की थी, तो मैंने वही लागू की.मैंने कहा, "मुझे पता नहीं है." (हँसी) "और वैसे भी, मैं दूर जा रहा हूँ." (हँसी) तो मैं उन्हें कुछ महीने के लिए छोड़ दिया। उन्हें शून्य मिला होता। मैं उन्हें एक परीक्षण दिया था। मैं दो महीने के बाद वापस आ गया और बच्चों ने कहाँ, "हमे कुछ भी नहीं समझ आया है." तो मैंने कहा, "ठीक है, मैंने क्या उम्मीद की थी?" तो मैंने कहा, "ठीक है, लेकिन आपके लिए इसने कितना समय लिया यह फैसला लेने के पहले कि आप कुछ भी समझ नहीं कर सकते?" तो उन्होंने कहा, "हम अभी भी कोशिश कर रहे हैं". हम इसे हर रोज देखते हैं." तो मैंने कहा, "क्या? आपको यह स्क्रीन समझ में नहीं आती और आप इसे दो महीने से घूर रखें हैं? किसके लिए?" तो एक छोटी सी लड़की जिसे आपने अभी देखा, उसने हाथ उठाया, और उसने मुझे टूटी हुई तमिल और अंग्रेज़ी में कहा, उसने कहा, "ठीक है, इस तथ्य के अलावा कि डीएनए अणु के अनुचित प्रतिकृति रोग का कारण बनते है, हमें कुछ समझ में नहीं आया है. " (हँसी) (तालियाँ) तो मैंने उन्हें परीक्षण किया। मुझे एक शैक्षिक असंभव मिला, शून्य से 30 प्रतिशत दो महीनों में उष्णकटिबंधीय गर्मी में एक पेड़ के नीचे एक कंप्यूटर उस भाषा में जो उन्हें पता नहीं थी अपने समय से एक दशक आगे की चीज़ करते हुए बेतुका। लेकिन मुझे विक्टोरियन आदर्श का पालन करना था। तीस प्रतिशत असफलता है। मैं उन्हें पारित कैसे करता? मुझे उन्हें 20 और अधिक अंक प्राप्त करवाने थे। मुझे एक शिक्षक नहीं मिला। मुझे एक दोस्त मिला जो उनके पास था, एक 22 वर्षीय लड़की जो एक मुनीम थी और वह हर समय उनके साथ खेलती थी। तो मैंने लड़की से पूछा, "आप उन्हें मदद कर सकते हैं?" तो वे कहती हैं, "बिल्कुल नहीं। मैंने स्कूल में विज्ञान नहीं पढ़ा। मुझे पता नहीं है वे उस पेड़ के नीचे दिन भर क्या कर रहे हैं। मैं आपकी मदद नहीं कर सकती." मैंने कहा, "मैं आपको बताता हूँ। दादी की विधि उपयोग करिये." तो, उसने कहा "वो क्या हैं" मैंने कहा, "उनके पीछे खड़े रहों। जब भी वे कुछ करे, आप सिर्फ कहे, ' ठीक है, वाह, मेरा मतलब है, तुमने ये कैसे क्या किया? अगला पृष्ठ क्या है? जब मैं तुम्हारी उम्र की थी, हे भगवान, मैं कभी यह नहीं कर सकती थी.' तुम्हें पता है दादियाँ क्या करती हैं." तो वह उसने और दो महीने के लिए किया। स्कोर 50 प्रतिशत तक पहुँच गया। Kallikuppam ने बराबरी कर ली थी नई दिल्ली में मेरे नियंत्रण स्कूल के साथ, एक प्रशिक्षित जैव प्रौद्योगिकी शिक्षक के साथ एक अमीर निजी स्कूल,. जब मैंने ग्राफ को देखा, मैं जानता था कि एक खेल के मैदान को स्तर करने के लिए एक तरीका है. यहाँ Kallikuppam है। (बोलते हुए बच्चों) न्यूरॉन्स.. संचार। मेरे कैमरा का कोण गलत है. वह केवल एक प्रारंभिक हैं लेकिन वो क्या कह रही हैं, जैसा कि आप जान सकते हैं, न्यूरॉन्स के बारे में थी, उसके हाथ उस तरह थे और वो कह रह थी न्यूरॉन्स संवाद करते हैं. 12 पर। तो नौकरी किस तरह की होने जा रहे हैं? ठीक है, हम जानते हैं क्या वे आज किस तरह की हैं। सीखना किस तरह का होगा? हम जानते हैं कि यह आज किस तरह का है, एक हाथ से बच्चे अपने मोबाइल फोन उठा रहे हैं और फिर अनिच्छा से स्कूल के लिए दूसरे हाथ से किताबें उठा रहे हैं. यह कल क्या होगा? यह हो सकता है कि हमे स्कूल जाने की जरूरत नहीं हों? यह हो सकता है, अगर तुम्हें कुछ पता करने की जरूरत है आप दो मिनट में पता कर सकते हैं? यह - एक विनाशकारी प्रश्न हो सकता है, एक सवाल है जो मेरे लिए निकोलस Negroponte द्वारा बनाया गया था- यह हो सकता है कि हम उस ओर बढ़ रहे हैं या शायद एक भविष्य में है जहाँ ज्ञान अप्रचलित हों? लेकिन वह भयानक है.हम इंसान हैं. जानते हुए, वो ही हमें वानर से अलग करता हैं. लेकिन इसे इस तरह देखो। 100 मिलियन वर्ष प्रकृति ने ले लिया बंदर को खड़े करने के लिए और होमोसेपिएन्स बनाने में। हमें केवल 10000 लगे ज्ञान को अप्रचलित बनाने के लिए। यह एक उपलब्धि है। लेकिन हम यह हमारे भविष्य में एकीकृत करना होगा। प्रोत्साहन महत्वपूर्ण हो रहा है। यदि आप कुप्पम पर देखो, यदि आप मेरे द्वारा किये गए सभी प्रयोगों को देखो, यह बस कह रहा हैं, "वाह," सीखने को सलाम। तंत्रिका विज्ञान से सबूत है। सरीसृप भाग हमारे मस्तिष्क का, जो हमारे मस्तिष्क के केंद्र में बैठता है, जब यह डरा हुआ होता है, यह सब कुछ बन्द कर देता हैं, यह prefrontal प्रांतस्था को बंद कर देता हैं जो सीखता हैं, यह उसका सब बंद कर देता हैं। सजा और परीक्षाओं की धमकी के रूप में देखा जाता है। हम अपने बच्चों को लेके, उनके दिमाग को बंद कर देते हैं, और फिर हम कहते हैं कि, "प्रदर्शन करो." वे इस तरह की एक प्रणाली क्यों बनाते हैं? क्योंकि यह आवश्यक था। साम्राज्यों के समय एक ऐसा समय था जब आपको उन लोगों की जरूरत थी जो खतरे में जीवित रह सके। जब आप एक खाई में अकेले खड़े हो, अगर आप बच सकते थे, आप ठीक थे, आपको पारित कर दिया जाता. अगर आप नहीं, आप असफल होते। लेकिन साम्राज्यों का समय चला गया है। हमारे समय में रचनात्मकता को क्या होता है? हमे उस संतुलन को वापस बदलने की जरूरत हैं खतरे से आनंद की ओर। मैं इंग्लैंड में वापस आया, ब्रिटिश दादी का पता लगाने. मैंने नोटिस और कागजात डाले ये कहने वाले, यदि आप एक ब्रिटिश दादी, यदि आपके पास ब्रॉडबैंड और एक वेब कैमरा हैं, क्या आप मुझे अपने समय से सप्ताह में एक घंटे मुफ्त दे सकते हैं? मुझे पहले दो हफ्तों में 200 मिले। मैं ब्रह्मांड में किसी से भी अधिक ब्रिटिश दादीयों को जानता हूँ। (हँसी) वे दादी बादल कहलाते हैं। दादी बादल इंटरनेट पर बैठती है। अगर मुसीबत में एक बच्चा है, हम उसे एक दादी देते हैं। वह Skype पर चली जाती है और वह समाधान करती है. मैंने देखा है उन्हें यह Diggles नामक एक गांव से करते हुए उत्तर-पश्चिमी इंग्लैंड में, भारत, तमिल नाडु के अंदरूनी एक गाँव में, 6000 मील दूर। वह यह अपने पुराने उम्र के तरीके से करती हैं। "इश." ठीक? यह देखो। दादी: तुम मुझे पकड़ नहीं सकते| आप इसे कहे। तुम मुझे पकड़ नहीं सकते। बच्चे: तुम मुझे पकड़ नहीं सकते। दादी: मैं जिंजरब्रेड हूँ| बच्चे: मैं जिंजरब्रेड हूँ दादी: अच्छी तरह से किया! बहुत अच्छा. एस. एम. : तो क्या यहाँ क्या हो रहा है? मुझे लगता है कि हमे जो देखने की जरूरत हैं वो हैं हम सीखने पर ध्यान देने की जरूरत हैं शैक्षिक स्वयं संगठन के उत्पाद के रूप में। यदि आप अनुमति दे, शैक्षिक प्रक्रिया को स्वयं को संगठित करने के लिए, फिर सीखना उभरता हैं। यह सीखना को संभव करने के बारे में नहीं है. यह ऐसा होने देने के बारे में है. शिक्षक प्रस्ताव में प्रक्रिया सेट करता है और फिर वह वापस विस्मय में खड़ी होती है और देखती हैं सिखने को होते हुए. मुझे लगता है कि यह इस ओर इशारा कर रहा है। लेकिन हमें कैसे पता चलेगा? हम पता कैसे लगेगा? ठीक है, मेरा निर्माण करने का इरादा है इन स्वयं संगठित सीखने के वातावरण को. वे मूल रूप से ब्रॉडबैंड, सहयोग और प्रोत्साहन एक साथ हैं। मैं यह कई, कई स्कूलों में की कोशिश की है। यह पूरी दुनिया और शिक्षकों पर अपनाया गया हैं यह एक वापस आता हैं और कहता हैं, "यह अपने आप होता है?" और मैंने कहा, "हाँ, यह अपने आप होता हैं ." "आपको वह कैसे पता?" मैंने कहा, "आप बच्चों को जिन्होंने मुझसे कहा उनपर विश्वास नहीं करेंगे और वे कहाँ से हैं." यहाँ एक SOLE कार्यरत है. (बच्चे बात कर रहे हैं) यह एक इंग्लैंड में है। वे कानून और व्यवस्था बनाये रखते हैं, क्यूंकि याद रखे, वहाँ कोई शिक्षक नहीं है. लड़की: इलेक्ट्रॉनों के कुल सख्यां प्रोटॉन के बराबर नहीं हैं - एस. एम: ऑस्ट्रेलिया लड़की: - इसे सकारात्मक या नकारात्मक बिजली के आवेश देने से। एक आयन पर कुल आवेश बराबर होता है प्रोटॉनों की संख्या से आयन के इलेक्ट्रॉनों की संख्या को घटाने पर। एस. एम. : अपने समय से एक दशक आगे। तो SOLE, मुझे लगता है कि हम बड़े सवालों के एक पाठ्यक्रम की आवश्यकता हैं। आप पहले से ही उस के बारे में सुन चुके है। आपको पता है इसका मतलब। एक समय था जब पत्थर युग पुरुष और महिलाए आकाश में देखते हैं और कहते थे, "कि वो जगमगाती रोशनी क्या हैं?" उन्होंने पहले पाठ्यक्रम का निर्माण किया है, लेकिन हम उन चमत्कारिक सवालों की दृष्टि को खो दिया है। हम इसे एक कोण की स्पर्शज्या तक नीचे लाया हैं। लेकिन वह काफी रोमांचक नहीं है। आपको एक नौ वर्षीय से पूछना होगा, "अगर एक उल्का पृथ्वी से टकराने जा रही थी, तुम कैसे पता चलेगा अगर यह करने के लिए जा रहा थी या नहीं? " और अगर वे कहते हैं, "ठीक है, क्या? कैसे?" आप कहते हैं, "एक जादुई शब्द है। इसे एक कोण की स्पर्शज्या कहते है " और उसे अकेला छोड़ दें। वह इसे ढूँढ़ लेंगे। तो यहाँ से छवियाँ हैं SOLE से मैं अविश्वसनीय, अविश्वसनीय सवालों की कोशिश की है- "दुनिया कब शुरू हुई? यह कैसे खत्म होगी ? "- नौ साल के बच्चों के लिए। उस हवा को क्या होता हैं जो हम सांस में लेते हैं इसके बारे में हैं. यह किसी भी शिक्षक की मदद के बिना बच्चों द्वारा किया जाता है। शिक्षक सिर्फ सवाल ही पूछते हैं, और फिर वापस खड़े होते हैं और जवाब की तारीफ करते हैं तो मेरी क्या इच्छा है? मेरी इच्छा है कि हम सीखने के भविष्य को डिजाइन करे। हम स्पेयर पार्ट्स होना नहीं चाहते एक महान मानव कंप्यूटर के लिए, क्या हम? तो हम अध्ययन के भविष्य को डिजाइन करने की जरूरत है। और मुझे -- पर, रुको मुझे ये शब्द सही रूप में कहने हैं, क्योंकि, तुम्हें पता है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। सीखने के एक भविष्य के डिजाइन में मदद करने के लिए मेरी इच्छा है पूरी दुनिया में बच्चों का समर्थन करके उनके आश्चर्य और उनके एक साथ काम करने के कौशल को पकड़ कर. मुझे इस विद्यालय के निर्माण में मदद कीजिये । यह बादल में स्कूल बुलाया जाएगा। यह एक स्कूल होगा जहाँ बच्चे इन बौद्धिक रोमांच पर जायेंगे बड़े सवालो से संचलित जो उनके मध्यस्थों द्वारा पूछे जायेंगे। जिस तरह से मैं यह करना चाहता हूँ वो हैं एक सुविधा का निर्माण जहाँ मैं यह अध्ययन कर सकता है। यह एक सुविधा है जो व्यावहारिक रूप से मानव रहित है. वहाँ सिर्फ एक ही दादी है जो स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रबंधन करती हैं। इसके अलावा बाकी बादल से है. रोशनी चालू और बंद बादल के द्वारा की जाती हैं आदि, आदि, सब कुछ बादल से किया जाता है। लेकिन मैं आपको एक और उद्देश्य के लिए चाहता हूँ। आप Self-Organized Learning Environments कर सकते हैं घर पर, स्कूल, स्कूल, क्लबों में बाहर में। यह बहुत आसान है। वहाँ एक महान दस्तावेज़ है जो आपको बताता है कि यह कैसे करना हैं टेड द्वारा उत्पादित। यदि आप कर सके तो कृप्या, कृप्या यह करे सभी पांच महाद्वीपों भर में और मुझे डेटा भेजे, तो मैं यह सब एक साथ रख दूँगा इसे बादलों के स्कूल में भेजूंगा, और सीखने के भविष्य को बनाऊंगा। यह मेरी इच्छा है। और सिर्फ एक अंतिम बात। मैं आपको हिमालय के शीर्ष में ले जाऊँगा। 12000 फीट पर जहां हवा पतली है, मैंने एक बार दो दीवार में छेद वाले कंप्यूटर बनाये थे, और बच्चे वहाँ आते रहे। और यह छोटी लड़की है जो मेरे आसपास रहती। मैंने उससे कहा, "तुम्हें पता है, मैं सब लोगो को, हर बच्चे को एक कंप्यूटर देना चाहता हूँ. मुझे पता नहीं, मुझे क्या करना चाहिए?" मैं उसकी एक तस्वीर चुपचाप लेने की कोशिश कर रहा था. वह इस तरह अचानक उसके हाथ उठाया, और मुझ से कहा, इसके साथ चले जाओ. " (हँसी) (तालियाँ) मुझे लगता है कि यह अच्छी सलाह थी. मैं उनकी सलाह का पालन करूँगा.मैं बात करना बंद करूँगा. धन्यवाद. बहुत-बहुत धन्यवाद. (तालियाँ) धन्यवाद. धन्यवाद. (तालियाँ) बहुत बहुत धन्यवाद. वाह. (तालियाँ) मैं चाहता हूं आप खुद से पूछें, कैसा लगता है जब आप "कार्बनिक रसायन" सुनते हैं? दिमाग में क्या आता है? यूनिवर्सिटी में एक कोर्स पढ़ाया जाता है, इसे कार्बनिक रसायन कहा जाता है, इसका परिचय बहुत ही गंभीर और थकाने वाला है, इसकी बेहिसाब सामग्री छात्रों को अभिभूत कर देती है, अगर आप डॉक्टर बनना चाहते हैं या एक पशुचिकित्सक. तो इसका माहिर हाेना पड़ता है इस विज्ञान को बच्चे ऐसे नजरिए से देखते हैं उनके रास्ते में बाधा के रूप में, और वे इसे डरते हैं और नफरत करते हैं इसे उठाकर फेक देने लायक पाठ्यक्रम कहते हैं. इस विषय के लिए क्रूरता है. उसे निकाल देना चाहिये . ऐसी धारणा कॉलेजों के बाहर ,बहुत पहले से मानी जाती है इन दो शब्दों के बारे में एक सार्वभौमिक चिंता है. मुझे इस विज्ञान से प्यार है, जिस स्थिति में हमने इसे डाला है वह माफ करने लायक नहीं है. यह विज्ञान और समाज के लिए अच्छा नहीं, इस तरह से नहीं होना चाहिए. मतलब यह नहीं कि क्लास आसान हो क्यों हो? इन दो शब्दों की आपकी धारणा प्रि- मेडिकल छात्रों के अनुभवों से परिभाषित नहीं होनी चाहिए जो खुद एक बेचैन जिंदगी से गुजर रहे हैं. मैं यहां हूं क्योंकि मेरा मानना है कार्बनिक रसायन की मौलिक जानकारी तो होनी चाहिए, यह सबको समझ में आनी चाहिए, मेरी आपसे गुजारिश है. आप कहें तो मैं कोशिश करूं ? दर्शक: हाँ ! जरूर जैकब मैगलनः चलो करते हैं. (हँसी) मेरे पास यह महँगा एपिपेन याने स्वयांचालिन इंजेक्टर है. इसके अंदर एपिनेफ्रीन नामक एक दवा है. एपिनेफ्रीन दिल की धड़कन फिर शुरू कर सकती है, यह खतरनाक एलर्जी को रोक सकती है. एक इंजेक्शन अभी यह कर देगा. जैसे इंजन स्टार्ट हो गया शरीर की 'लड़ाे या भाग जाओ' मशीनरी में. रक्तचाप और दिल की धड़कन बढ़ती है जिससे खून मांसपेशियों तक पहुंचे, पुतिलयाँ फैल जाती है ताकि ताकत का एक झाेंका आये. एपिनेफ्रीन ने जिंदगी और मौत का फासला देखा है. दो उंगलियों के बीच चमत्कार है. यह एपिनेफ्रीनकी रासायनिक संरचना है. ऐसा दिखता है कार्बनिक रसायन. यह लाइनों और अक्षरों की तरह ... आम आदमी के लिए कोई अर्थ नहीं. बताता हूं जैसी मुझे दिखती है . मुझे एक भौतिक वस्तु दिखाई देती है. जिसमें गहराई है और घूमते चक्र, यह चल रही है. इसे यौगिक या अणु कहते हैं, 26 परमाणु आपस में बंधे हैं. यही है एपिनेफ्रीन, इन्हें कभी किसी ने देखा नहीं, बहुत छोटे जो हैं, कला की अभिव्यक्ति समझिए यह बहुत छोटा है. यह आधा मिलीग्राम का घोल है. मिट्टी के दाने जितना . इसमें एपिनेफ्रीन के क्विंटिलियन अणु हैं. एक के आगे 18 जीरो. कल्पना करना भी मुश्किल. इस ग्रह पर सात अरब हम हमारी आकाशगंगा में 400 अरब सितारे ? करीब भी नहीं हो. बेसबॉल का मैदान समझ लाे , रेत का हर कण हर समुद्र तट पर, महासागरों और झीलों के नीचे, सारे इकट्ठे करके यहां ले आओ. एपिनेफ्रीन इतनी छोटी है हम कभी नहीं देख सकेंगे , किसी भी माइक्रोस्कोप से, लेकिन हम जानते हैं कैसी दिखती है परिष्कृत मशीनों के माध्यम से अलबेले नामों से "न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोमीटर" दिखता हो या नहीं हम इस अणु को जानते हैं. यह 4 तरह के परमाणुआें से बनी है, हाइड्रोजन, कार्बन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन. ये रंग हम उनके लिए उपयोग करते हैं. ब्रह्मांड में सब छोटे गोलाें से बना है जिन्हें परमाणु कहते हैं. ऐसे साै मूल तत्व हैं, यह सभी 3 छोटे कणों से बने हैं: प्रोटॉन, न्यूट्रॉन, इलेक्ट्रॉन. परमाणु इस परिचित टेबल में व्यवस्थित करते हैं इनका एक नाम और संख्या है. जीवन के लिए सबकी जरूरत नहीं होती, बस इतने से चाहिएं. 4 परमाणु सबसे अलग हैं जिन से जिंदगी बनती है, इन्हीं से एपिनेफ्रीन बनी है: हाइड्रोजन, कार्बन, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन. अब सबसे जरूरी बात. जब ये परमाणु मिलकर अणु बनाते हैं , ये कुछ नियमों का पालन करते हैं. हाइड्रोजन एक बंधन बनाता है, और ऑक्सीजन दो, नाइट्रोजन तीन और कार्बन चार बनाता है. इतनी सी बात है. एचओएनसी - एक, दो, तीन, चार. चार तक गिनती आैेर हाेंक "HONC" याद कर लें, जिन्दगी भर नहीं भूल सकते. (हँसी) मेरे पास चार कटोरे हैं इन्हीं अवयवों के साथ. इनसे हम अणु बना सकते हैं. एपिनेफ्रीन से शुरू करते हैं. परमाणुओं के बीच ये बंधन इलेक्ट्रॉन से बने हैं. इलेक्ट्रोन पड़ोसी को थामने के बाजू हैं. हर बंधन में दो इलेक्ट्रॉन हाथ मिलाने की तरह, हाथ मिलाने जैसे ही अस्थाई. जब चाहें एक परमाणु छोड़ दूसरा पकड़ लें. इसी को रासायनिक क्रिया कहते हैं, परमाणु साथी बदल कर नये अणु बनाते हैं. एपिनेफ्रीन की रीढ की हड्डी कार्बन परमाणुओं से बनी है, ऐसा अक्सर होता है. कार्बन जिंदगी की पसंदीदा निर्माण सामग्री है, क्योंकि यह हाथ मिलाने में माहिर है मजबूत और सही पकड़ के साथ. कार्बनिक रसायन का मतलब कार्बन परमाणुओं का अध्ययन . हम सबसे छोटे अणु बनाते हैं ताे सोच सकते हैं कि वे नियमों का पालन करें, वे हमारे नियम उजागर करते हैं, उनके परिचित नाम हैं: H20 पानी, NH3 अमोनिया औरCH4 मीथेन. "हाइड्रोजन," "ऑक्सीजन" और "नाइट्रोजन" शब्द-- हम एक ही शब्दाें का प्रयोग करते हैं तीन अणुओं में दो परमाणु होते हैं का नाम देने के लिए भी नियम होते हैं, क्योंकि उनके बीच एक, दो आैर तीन बाँड होते हैं. इसीलिए ऑक्सीजन काे O2 कहा जाता है . मैं आपको दहन दिखा सकता हूं. यहां कार्बन डाइऑक्साइड CO2 है. इसके ऊपर, पानी और ऑक्सीजन रखें, औरबगल में, ज्वलनशील ईंधन. ये ईंधन हाइड्रोजन और कार्बन से बने हैं. इसीलिए हाइड्रोकार्बन कहते हैं . हम काफी रचनात्मक हैं. (हँसी) जब ये ऑक्सीजन के अणुओं से टकराते हैं, जैसा वे इंजन या बार बि क्यू में करते हैं, ऊर्जा छोड़ते हैं और इकट्ठे हो जाते हैं, हर कार्बन परमाणु CO2 के केंद्र में जा पहुँचता है, दो ऑक्सीजन पर पकड़, सारे हाइड्रोजन पानी में काम आ जाते हैं, सारे नियमों का पालन करते हैं. अपनी मर्जी से नहीं, बड़े के अणुआें लिए भी विकल्प नहीं है, इन तीनों की तरह. यह हमारा पसंदीदा विटामिन है हमारी पसंदीदा दवा के बगल में, (हँसी) माेर्फीन चिकित्सा इतिहास की महत्वपूर्ण कहानियों में से है. यह दवा शारीरिक दर्द पर पहली जीत है , और हर अणु की एक कहानी है, सभी प्रकाशित हैं. वैज्ञानिकों द्वारा लिखी गई हैं और दूसरे वैज्ञानिक पढ़ते हैं, आसान तरीके हैं करके दिखाता हूं आपको सिखाता भी हूँ कैसे करें. एपिनेफ्रीन को कागज पर सीधा रखते हैं, गाेलाें के स्थान पर अक्षर लगा देते हैं, फिर बॉन्ड जो पृष्ठ की सतह पर हैं, वे बस लाइन बन जाते हैं, बांड जो आगे और पीछे इंगित करते हैं, छोटे त्रिकोण बन जाते हैं, गहराई दिखाने के लिए ठोस या डैश. कार्बन को नहीं खींचते हैं. वक्त बचाने के लिए इनको छुपा देते हैं. ये कोनों द्वारा दिखाये गये हैं, हर हाइड्रोजन को भी छिपाते हैं जाे कार्बन से बंधे है. हम जानते हैं कि वे वहां हैं जब भी एक कार्बन चार से कम बॉन्ड दिखाये. आखिरी चीज OH और NH के बीच बांड बनाना है. साफ-सुथरा बनाने के लिए उनसे छुटकारा पाएं, यह सब कुछ है. अणुओं को दिखाने का यह पेशेवर तरीका है. विकिपीडिया पर आप यही देखते हैं. हर कोई इसे कर सकता है बस थोड़ा अभ्यास चाहिए, लेकिन आज के लिए, यह एपिनेफ्रीन है. इसको एड्रीनलीन भी कहते हैं मतलब एक ही है. एड्रेनल ग्रंथियों से बना अभी यह आपके शरीर में गोते लगा रहा है. यह एक प्राकृतिक अणु है. यह एपीपेन आपमें अभी एक क्विंटिलियन झाेंक देगा. (हँसी) हम एपिनेफ्रीन निकाल भी सकते हैं भेड़ या मवेशियों कीएड्रेनल ग्रंथियों से, लेकिन यह वहां से नहीं आता. यह एपिनेफ्रिन फैक्ट्री में बनता है पेट्रोलियम से प्राप्त छोटे अणुआें को जोड़कर. यह 100 प्रतिशत सिंथेटिक है. " कृत्रिम" शब्द सुनकर हम घबरा जाते हैं. यह "प्राकृतिक" की तरह नहीं है जो सुरक्षित महसूस कराता है. इन दो अणुओं में अन्तर नहीं किया जा सकता है. हम दो कारों की बात नहीं कर रहे जो असेंबली लाइन से आई हैं. कार पर खरोंच हो सकती है, पर आप परमाणु को नहीं खुरच सकते . गणित के हिसाब से दोनों समान हैं . परमाणु के स्तर पर गणित सही होती है. एपिनेफ्रीन का एक अणु... इसकी उत्पत्ति की कोई याद नहीं. जैसा है, वैसा ही है, एक बार यह आपके पास हो, "प्राकृतिक" और "कृत्रिम," से फर्क नहीं पड़ता, कुदरत इसे वैसे ही बनाती है जैसे कि हम बस कुदरत है हमसे बेहतर . धरती पर जीवन होने से पहले, सभी अणु छोटे, सरल थे: कार्बन डाइऑक्साइड, पानी, नाइट्रोजन साधारण चीजें. जीवन की शुरूआत ने इसे बदल दिया. जीवन बायो सिंथेटिक कारखाने लाया जो सूरज की रोशनी से चलते हैं, इन कारखानों में अणु आपस में भिङते हैं और बड़े हो जाते हैं: कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड, शानदार रचनाओं का मेला. प्रकृति पहला कार्बनिक रसायनज्ञ है, उसका निर्माण आकाश को ऑक्सीजन से भरता है जिससे हम सांस लेते हैं, यह उच्च ऊर्जा ऑक्सीजन. सारे अणु सूरज की ऊर्जा से मिल जाते हैं. बैटरी की तरह संचय करते हैं. प्रकृति रसायनों से बनी है. "केमिकल" शब्द को फिर से हासिल करें ? हमसे यह चोरी चला गया . इसका मतलब जहरीला या हानिकारक नहीं है, इसका मतलब मानव निर्मित या अप्राकृतिक नहीं है. इसका मतलब सिर्फ "सामान" है, ठीक ? (हँसी) रसायन मुक्त चारकोल कुछ नहीं हाेता. यह बकवास है. (हँसी) एक बात और स्पष्ट कर दूँ. "प्राकृतिक" का अर्थ "सुरक्षित" नहीं है, आप सभी जानते हैं कि. प्रकृति के बहुत सारे रसायन जहरीले हैं, और अन्य स्वादिष्ट हैं, और कुछ दोनों हैं ... (हँसी) विषाक्त और स्वादिष्ट. 'हानिकारक' बताने का एकमात्र तरीका चख कर देखना, मेरा मतलब आप लोग नहीं. पेशेवर विषाक्त विज्ञानी: हमारे पास ये लोग हैं. वे अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं, आपको भरोसा करना चाहिए जैसे मैं करता हूं. प्रकृति के अणु हर जगह हैं, विघटित हो गए हैं वाे भी पेट्रोलियम नाम के काले मिश्रण में. हम इन अणुओं को परिष्कृत करते हैं. उनमें कुछ भी अप्राकृतिक नहीं है. उन्हें शुद्ध करते हैं. ऊर्जा के लिए उन पर निर्भरता.. मतलब कि उन कार्बनों में से हर एक CO2 अणु बन जाता है. ग्रीनहाउस गैस है जाे जलवायु को खराब कर रहा है. केमिस्ट्री काे जानकर वास्तविकता स्वीकार करना आसान हेगा लोगों के लिए, मुझे नहीं पता, ये अणु महज जीवाश्म ईंधन नहीं हैं. यह सबसे सस्ता उपलब्ध कच्चा माल है सिंथेसिस के लिए. हम खिलौनाें की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. हमने उन्हें जोड़ना और तोड़ना सीख लिया है . मैंने यह बहुत किया है, इसका संभव होना ही आश्चर्य है. यह एक तरह से खिलौने को जोड़ना है इसके बक्से वाशिंग मशीनों में डंप करके, लेकिन यह काम करता है. हम एपिनेफ्रीन की तरह प्राकृतिक अणु बना सकते हैं, या बिल्कुल नई चीज बना सकते हैं जैसे एक स्क्लेरोसिस के लक्षणों को आसान बनाता है दूसरा एक प्रकार का रक्त कैंसर ठीक करता है. सही आकार का अणु जैसे ताले में चाबी, फिट हो जाए तो यह बीमारी की केमिस्ट्री से हस्तक्षेप करता है. इस तरह दवाएं काम करती हैं. प्राकृतिक या सिंथेटिक, ये अणु हैं जाे चुस्ती से कहीं भी फिट हाे जाते हैं. पर कुदरत इन्हें बनाने में ज्यादा माहिर है, वह हमारी तुलना में अधिक प्रभावशाली है, इस तरह. इसे वैंकोमाइसीन कहा जाता है. उसने इस शाही प्राणी काे दो क्लोरीन दिये बालियों की एक जोड़ी की तरह. वैनकोइसीन मिट्टी के झुंड में 1 9 53 में बोर्नियो के जंगल में मिला. यह एक जीवाणु से बना है. इतना सस्ता हम लैब में नहीं बना सकते. यह हमारे लिए बहुत जटिल है, लेकिन प्राकृतिक स्रोत से ले सकते हैं, लेते भी हैं क्योंकि यह शक्तिशाली एंटीबायोटिक है. ऐसे अणु किताबों में राेज बढ़ते जाते हैं. या तो बना लेते हैं या धरती पर किसी कोने में मिल जाता है. दवाइयां इसी तरह बनती हैं, इसीलिए डॉक्टर भगवान हैं.. (हँसी) घातक संक्रमण का इलाज करने के लिए और सब कुछ आज डॉक्टर होना चमकते कवच में वीर की तरह है. वे साहस और स्थिरता से युद्ध लड़ते हैं, अच्छे हथियारों के साथ. इस तस्वीर में लोहार की भूमिका याद रखें, लोहार के बिना,चीजें अलग दिखाई देंगी ... (हँसी) यह विज्ञान दवा से बड़ा है. तेल कपड़े, प्लास्टिक,और जायका, गद्दे जिन पर आप बैठे हैं... सब कार्बन से बने हैं, यह सब कार्बनिक रसायन बनाता है. यह एक समृद्ध विज्ञान है. मैंने बहुत कुछ छोड़ दिया: फास्फोरस और सल्फर और अन्य परमाणु, सभी अपने तरीके से बंधन क्यों करते हैं, और समरूपता आजाद इलेक्ट्रॉन, आवेश युक्त परमाणु और प्रतिक्रिया के तरीके, बहुत कुछ और संश्लेषण सीखने में समय लगता है. मैं कार्बनिक रसायन सिखाने नहीं आया.. मैं आपको यह दिखाना चाहता था, युवा वेस्टन डूरलैंड से बहुत मदद मिली, आप उसे पहले ही देख चुके. वह रसायन शास्त्र में स्नातक है, कंप्यूटर ग्राफिक्स में भी अच्छा है. (हँसी) ये गतिमान अणु वेस्टन ने ही डिजाइन किये जाे आपने आज देखे. हम ग्राफिक्स के माध्यम से दिखाना चाहते थे इस जटिल विज्ञान के बारे में बात करना. हमारा खास मकसद आपको दिखाना था कि कार्बनिक रसायन से डरने की जरूरत नहीं. यह तो एक खिड़की है जिससे कुदरत की दुनिया और सुंदर दिखती है. धन्यवाद. (तालियां) सबसे बड़ा सुनामी जैसा प्रभावशाली तूफान एक पूर्ण तूफान या सुनामी हम पर अपना प्रभाव डाल रहा है यह बड़ा और प्रभावी तूफान एक विकट सच के रूप में बड़ता ही जा रहा है और हम इस सच्चाई का सामना कर रहे हैं पुरे विश्वास के साथ की हमारी समस्या का हल तकनिकी से मिल जाएगा और यह समझाने लायक बात भी है अब, ये तूफान जिसका हम सामना कर रहे है हमारी बढती हुई जनसँख्या का परिणाम है १० अरब लोगो की आबादी तरफ बढना जमीन जो मरुस्थलीय हो रही है और, हाँ, जलवायु परिवर्तन भी अब तो इसके बारे में कोई शक ही नहीं है हम केवल ये समस्या हल करेंगे की तकनिकी मदद से पेट्रोलियम ईंधन का विकल्प ढूंड लें परन्तु पेट्रोलियम, कार्बन, कोयला व गैस किसी भी अवस्था में केवल कारण नहीं है जो जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हों मरुस्थलीकरण, एक लुभावना शब्द है जो द्योतक है जमीन के रेगिस्तान में बदलाव का और ये तभी होता है जब हम बहुतसारी जमीन को खुला कर देते है इसके अतिरिक्त और कोई कारण नहीं है और मेरा उद्द्येश्य या केंद्र विश्व की उसी अधिकांश जमीन की ओर है जो रेगिस्तान बनरही है परन्तु मेरे पास एक बहुत साधारण सन्देश है जो आप की कल्पना से अधिक आशा प्रदान करता है और हमारा एक वातावरण है जहां पुरे सालभर नमी बनी रहती है वहाँ , लगभग असंभव सा लगता है, यह की हम नग्न जमीन के बड़े-बड़े मैदान बना दें कितना ही प्रयास करें प्रकृति फिर ढकलेती है और हमारे पास वातावरण है जहाँ हमारे पास कुछ माह नमी के होते है जिनके बाद सूखे महीने आते है, और वहीँ पर मरुस्थलीकरण हो रहा हे भाग्य से अब हमारे पास अंतरीक्ष तकनिकी है अंतरीक्ष से हम धरतीको देख सकते है और जब हम ऐसा करते है, अनुपात सही दिखता है अक्सर जो हमें हरे रंग का दिखता है वह बंजर नहीं हो रहा है और जो भूरे रंग का दिखाई पड़ता है और, अभी वे ही धरती के बड़े-बड़े क्षेत्र है दुनिया का दो-तिहाई बंजर होता जा रहा है मेने यह फोटो तिहामाह रेगिस्तान में खिंची जब १ इंच (२५ मिमी) बरसात गिरी इसको अगर हम ड्रम मे मापे तो, हरेक की क्षमता २०० लीटर है प्रति हेक्टर १००० ड्रमसे अधिक पानी बरसा उस जमीन पर उस दिन और अगले ही दिन जमीन इस प्रकार दिखने लगी वह पानी सब कहाँ गया? कुछ तो बाड़ के रूप में बह गया, पर अधिकांश पानी जो मिट्टी ने सोकलिया था फिर से भाप बनकर उड़ गया जैसे की हमारे आपके बगीचे में होता है यदि आप मिट्टी को खुला छोड़ दें अब,चूँकि पानी और कार्बन का भविष्य बंधा है, एकदूसरे से और मिट्टी के जेविक पदार्थ से, हम मिट्टी को बंजर होती है, हम कार्बन गवां देते है कार्बन पुनः वातावरण में चली जाती है आपको बार-बार कहा जाता है, मरुस्थलीकरण हो रहा है केवल विश्व के शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों मे, और इस प्रकार के लम्बे चरागाहों जो की जो अधिक बरसात के क्षेत्र में है, उनपर इसका कोई असर नहीं है अगर आप चारागाह के अन्दर उनकी सतह को देखें तब आप पाते है कि चरागाह की अधिकतर् मिट्टी जैसाकि आपने देखा, नग्न हेया उसपर एल्गी है जिससे पानी का बहाव और वाष्पीभवन बढ जाता है यह मरुस्थलीकरण एक तरह का केंसर है उसको अन्तिमअवस्था के पहले हम जान नहीं पाते हम जानते है, मरुस्थलीकरण का कारण पशु है अधिकतर दुधारू पशु, भेड़ें और बकरियाँ, पौधों की अति चराई, मिट्टी को खुला करना व मीथेन गैस उत्सर्जन लगभग हरेक व्यक्ति यह जानता है| नोबल पुरुस्कार पानेवाला, कुली या मजदुर भी या हमें ऐसा सिखाया गया है, जैसा कि मुझे भी जैसा वातावरण आप यहाँ आस-पास देख रहे है, अफ्रीका का धुलमय वातावरण जिसमे में पलाबड़ा में वन्यजीवों को प्यार करता था पर पशुओं से घ्रणा करते हुए बड़ा हुआ जो बिगाड़ वे कर रहे थे उसके कारण से और जब पर्यावरण विषय मे स्नातक की पढाई की मेरे विश्वास को मजबूत किया है मेरे पास आपके लिए एक ख़बर है जैसे की हम पहले पूरी तरह मानते थे कि दुनिया एकदम सपाट - सीधी है हम तब भी गलत थे, और हम फिर से गलत है और में अब आपको निमंत्रित करता हूँ मेरे जीवनकी पुनर्शिक्षा व खोज की यात्रा मे जब में एक युवक था, अफ्रीका का एक युवा जीवविज्ञानी, शामिल था अनोखे क्षेत्रोँ को सँभालने मे, भविष्य के राष्ट्रिय उद्यानों के रूप मे यह बात अभी की नहीं १९५० की है- जल्दी ही हमने शिकार बंद करवा दिया जो लोग पशुओं की रक्षा के लिए ढोल बजाते थे, तब जमीन बिगड़ने लगी, जैसा आप हमारे बनाये बगीचे में देख सकते है अब, कोई पशु इसमें सम्मिलित नहीं थे, इस शक पर की हाथियों की संख्या ज्यादा है, मेने अनुसंधान से साबित किया हाथी बहुत है तब मेने उनकी संख्या कम करने की अनुसंशा की जिससे उन्हें जमीन की क्षमता तक कम करदें अब, वह निर्णय लेना मेरे लिए बहुत कठिन था, और सही बताऊँ तो यह एक राजनितिक बम था तो सरकार ने विशेषज्ञों की एक समिति बनाई मेरी अनुसंधान ओ अनुसंशा का मूल्यांकन करें उन्होंने मूल्यांकन किया, और वे भी सहमत हुए और फिर आने वाले वर्षों में, हमने नुकसान रोकने के लिए ४०००० हाथी मारे इससे सुधरने की बजाय , स्थिति और बिगाड़ गयी हाथियों को प्यार करनेवाला, जैसा की में था, वह मेरी जिंदगीकी सबसे बड़ी व भयावह भूल थी, और यह मेरे साथ मेरी कब्र तक साथ जाएगी इस सबमे से भी एक काम अच्छा हुआ है, इसने मुझे पूरी तरह समर्पित बना दिया है कि में अपना जीवन इसका हल ढूंढने में लगा दूँ में जब अमेरिका आया तो मुझे एक झटका लगा, जब राष्ट्रिय उद्यानों कोपाया इस अवस्था में अफ्रीका के सामान ही बुरीतरह मरुस्थल बनते सूखा हुआ, जबकि उसपर तो कोई जानवर भी नहीं पिछले ७० सालों से और मेनें पाया अमरीकी वैज्ञानिकों के पास इसका कोई जवाब भी नहीं है सिवाय इसके की यह शुष्क और प्राकृतिक है तब मेनें इसका जवाब ढूंढने की कोशिश की उन सभी जगहों पर, जहां में कर सकता था पुरे पश्चीमी अमेरिका मे जहां रिसर्च के लिए पशुओं को हटा दिया था मरुस्थलीकरण को रोकने में इसकी भूमिका साबित करनेके लिए, पर मिला इसके विपरीत जैसा हम इस अनुसन्धान केंद्र पर देख रहे है जहां १९६१ में यह चारागाह हराभरा था और २००२ में यह इस अवस्था में पहुँच गया व जलवायु परिवर्तन की इस स्थिति के लेखक जहाँ से मेनें यह फोटो लिया है इसका श्रेय अज्ञात प्रक्रियाओं को देते है सही मायने में हमने कभी समझा ही नहीं मरुस्थलीकरण किस कारण से हो रहा है, जिसने कई सभ्यताओं को समाप्त कर दिया और अब हम सबके लिए विश्वभर पर खतरा है हमने इसे कभी समझा ही नहीं एक वर्गमीटर मिट्टी लीजिए और जैसे यहाँ नीचे खुली है उसे नग्न करदें, मेरा दावा है वह सुबह-सुबह बहुत ठंडी होगी, जबकि दोपहरी में अत्यधिक गर्म उसके मुकाबले जब वह मिट्टी कचरे से ढकी हो, पेड़-पोधों का कचरा, क्योंकि आपने वहाँ स्थानीय वातावरण बदल दिया अब, जब तक आप यह करते है और नग्न जमीन का क्षेत्र प्रतिशत बढ़ाते रहते है विश्व की आधी से अधिक जमीन पर, तो आप स्थानीय जलवायु को बदल देते है पर हम इसको समझ ही नहीं पाए है, की यह १०००० साल क्यों प्रारंभ हो रहा है यह पिछले कुछ समय से हि क्यों तेज होरहा है हमें उसकी समझ नहीं है और हमने जिसको समझने में भूल की हे वह है, विश्व में वातावरणीय नमी की उपलब्धता का मोसमी उतार-चड़ाव, मिट्टी और वनस्पति, जो विकसित हुई है, पशुओं की चराई के साथ, और ये चरने वाले पशु विकसित हुए है खूंखार शिकारी पशुओं के साथ अब, शिकारी जानवरों से बचने का तरीका है झुण्ड बना कर रहना, बड़ा रेवड़ होगा तो हरेक अधिक सुरक्षित होगा बड़ा रेवड़, घांस पर मूत्र व गोबर कर देता है और उनको चलते रहना होता है और यह चलते रहना ही था जिसने पोधो की अत्यधिक चराई नियंत्रित की जबकि समय-समय पर पशुओं के कुचलने ने सुनिश्चित की, मिट्टी की अच्छी परत , जो हम देखतें है, जहां से रेवड़ गुजरा हो यह चित्र एक सामान्य मोसमी चरागाह का है यह बरसात के चार माह के बाद की स्थिति है, अब यह आठ माह तक सूखे का सामना करेगा, और आठ माह के सूखे के बदलाव को देखें अब, जो भी घांस जमीन के ऊपर दिखाई दे रही है उसे जैविक रूप से विघटित होना पड़ेगा आनेवाली बरसात के पहले, और यदि ऐसा नहीं हुआ तो चारागाह व मिट्टी दोनों मृत हो जायेंगी यदि जैविक तरीकों से विघटित नहीं होती है तब ऑक्सीकरण शुरू होता है, यह प्रक्रिया, धीरे-धीरे घांस को समाप्त कर देती है, और फिर वहाँ काष्ठीय वनस्पतिया बड जाती है मिट्टी नग्न हो जाती है व कार्बन हटजाती है इससे बचने के लिए हम आग का प्रयोग करते थे पर आग भी मिट्टी को नग्न कर कार्बन छोड़ती है और उससे भी खतरनाक बात है, की एक हेक्टर चरागाह को जलाने में निकलने वाला प्रदुषण, अधिक नुकसानदायक है ६००० कारों के प्रदुषण से, और हम अफ्रिका में प्रतिवर्ष जलाते है, १ अरब हेक्टेर से अधिक चरागाह जमीन को परन्तु कोई व्यक्ति उसकी बात ही नहीं करता और हम वैज्ञानिक उसको सही ठहराते है, क्योंकि वह मृत पदार्थोँ को हटादेता है और पोधो को बढने का अवसर प्रदान करता है अब, हमारे इस चरागाह को देखें जो सूख गया है इसे स्वस्थ रखने के लिए हम क्या कर सकते थे? में दुनिया की अधिकांश जमीनकी बातकर रहा हूँ सच है की हम पशुओं की संख्या कम नहीं कर सकते जलवायु परिवर्तन व मरुस्थलीकरण किये बिना हम इसको जला भी नहीं सकते! जलवायु परिवर्तन व मरुस्थलीकरण किये बिना! तो अब हम क्या करने वाले है? अब हमारे पास केवल एक रास्ता बचा है, में दोहराता हूँ, केवल एक रास्ता बचा है वैज्ञानिकों व जलवायुवीय विशेषज्ञों के पास यह कल्पना से परे है पशुओं के द्वारा, उन्हें प्रयोग में लाकर झुण्ड बनाकर और चलाकर पूर्वकालीन रेवड़ व उनके शिकारियों के एवज मे प्रकृति की नक़ल करके मनुष्यों के पास, यही एक विकल्प है तो, हम उसे करते है इस चरागाह में यह कार्य केवल आगे करेंगे जानवरों के साथ प्रकृति की नक़ल करके हम बहुत अधिक प्रभाव डाल सकतें है, और हमने एसा किया हे, आप उसको देखें घांस ने अब मिटटी को पूरी तरफ से ढक लिया है विष्ठा, मूत्र, व कचरे या मल्च के रूप मे आप में जो बगिचेवाले है जानते ही होंगे मिट्टी बारिश को सोकने व पकड़ने को तैयार है कार्बन को एकत्रित करने, मीथेन को तोड़ने और हमने यह कर दिखाया, बिना आग से, बिना मिट्टी को नुकसान किये और पेड़ भी बढने के लिए आजाद है जब मुझे पहली बार यह अहसास हुआ की हमारे पास वैज्ञानिक के रूप में कोई राह नहीं है सिवाय, पूर्णत प्रमाणित पशुओं के माध्यम से जलवायु परिवर्तन और मरुस्थलीकरण का सामना करना, तो में पूरी तरह से दुविधा मे था हम एसा कैसे करने वाले थे? हमारे पास अनुभव था, १०००० सालों की चराई का उनके जानवरों के झुण्ड बनाकर घुमाने का, परन्तु उन्होंने जगत में बड़े-बड़े मानव निर्मित मरुस्थल बना दिए और - १०० साल "आधुनिक वर्षा विज्ञान के और उसने मरुस्थलीकरण को गति प्रदान की है, जैसा हमने पहले अफ्रिका में खोजा फिर अमेरिका में सुनिश्चित किया, और जैसा आप इस चित्र में देख रहें है संघीय सरकार द्वारा प्रबन्धित जमीन स्पष्टतः बहुत कुछ करने की अवश्यकता है मात्र पशु झुण्ड को चलाने के अतिरिक्त, और, हजारों सालों से मानव, प्रकृति की जटिलताओं से कभी भी परन्तु हम जीवविज्ञानियों और पर्यावरणविदों ने कभी इतनी जटिल समस्या का सामना नहीं किया तो, पहिये का फिर से आविष्कार करने की जगह, मेनें अन्य जगहों मे ढूंढने की कोशिश की, कभी किसी ने कुछ किया हो, और मेने पाई कुछेक नियोजन के तरीके जिनको में जीवविज्ञान मे अपना सकता था, और उनसे विकसित किया, जिसको हम कहते हें, सर्वांगीण प्रबंधन और नियोजित चराई एक योजना निर्माण प्रक्रिया, जो, प्रकृति की जटिलताओं का ध्यान रखती है और हमारी, सामाजिक, पर्यावरणीय व आर्थिक जटिलताओं का भी आज के समय में, हमारे साथ है ऐसी युवतीयाँ जो अफ्रिका के गावों में पड़ाती है की पशुओं को बड़े रेवड़ में किस तरह जोड़े, व प्रकृतिक चराई के लिए योजना कैसे बनाये, और वे अपने पशुओं को रात में कहाँ रखे क्योंकि हम रखते है शिकारी के रूप में, क्योंकि हमारे पास तो बहुत सी जमीन है और वे अपने पशुओं को रात में कहाँ रखे और फसल के खेत कैसे तैयार करें, फसलके उत्पादन मेंभी बहुत बड़ोतरी मिल रही है आओ हम कुछ परिणामों पर नजर डाले यह जगह जिम्बावे में हमारे काम के पास है यह, बारिश के बाद की स्थिति है इससाल अच्छी बारिश हुई है, अब सूखेका समय है पर जैसा की आप देख रहे है, जितनी भी बारिश हुई थी, लगभग सब के सब, मिट्टी की सतह से भाप बनकर उड़ गई है बारिश अभी ही बंद हुई है पर नदी सूख गई है, हमारे पास १५०००० लोग है, जो स्थायीरूप से बाह्य खाद्यान्न सहायता पर निर्भर है अब हम पास की जमीन देखते है, जिसकी व्यवस्था हम करते है, उसी बरसात के साथ, अब आप उसको देखो हमारी नदी में साफ पानी है और यह स्वस्थ्य भी है यह ठीक है घांस, झाड़ियाँ, पेड़, वन्यजीवों का उत्पादन प्रत्येक वस्तु अब अधिक उत्पादक है, और सही माइनो में हमें सूखे का कोई डर नहीं यहहमने किया पशुओं व बकरियोंकी संख्या बढाकर ४०० प्रतिशत, प्रकृति की नक़ल करने के लिये चराई की योजना और उनको समन्वित करना सबके साथ हाथी, भेंस जिराफ व अन्य पशुओं जो हमारे पास है शुरुआत के पहले हमारी जमीन ऐसी दिखती थी, लगभग ३० साल तक यह जमीन नग्न व कटावयुक्त थी चाहे कितनी भी बरसात हो ठीक? अब चिन्हित पेड़ को लेकर बदलाव देखें जैसे हमने पशुओं के साथ प्रकृति की नक़ल की यह एक दूसरी जमीन है जो नग्न थी और उसका कटाव हो रहा था उस चिन्हित पेड़ के नीचे देखिए, लगभग ३० सेंटीमीटर मिट्टी बह गई है! ठीक है! और अब, बदलाव को देखिये केवल प्रकृति की नक़ल व पशुओं के प्रयोग से अब वहाँ गिरे हुवे पेड़ भी दिख पद रहे है, जमीन ठीक होनेसे हाथी भी आकर्षित हो रहे है मेक्सिको, की यह जमीन बहुत बेकार होरही थी, मुझे पहाड़ी को चिन्हित करना पड़ा क्योंकि बदलाव बहुत ही बड़ा है (तालियाँ) मेने कारु के मरुस्थल में १९७० के साल से एक परिवार को सहायता देना शुरू किया दाहिने दिख रहे मरुस्थलीय जमीन को फिर से चारागाह बनाने मे, और अब उनके पोते-पोती उस जमीन पर है भविष्य के प्रति आश्वत और इसमें आये अविश्वसनीय बदलाव को देखिए जहाँ वो गली अब पूरी तरह ठीक हो गई है किसी और तरीके से नहीं वरन प्रकृतिकी नक़ल से हम फिर से परिवार की तिसरी पीड़ी देझ रहे है उस जमीन पर, उनका झंडा अभी भी लहरा रहा है पाटागोनिया के विशालकाय चारागाह बदल रहे मरुस्थल में, जैसा की यहाँ आपने देखा बीच में अर्जेंटीना का वैज्ञानिक दिख रहा है जिसने बीते सालों में, इस जमीन के धीमे-धीमे कमजोर होने का रिकॉर्ड तैयार किया है, जैसे-जैसे भेड़ों की संख्या कम होती गई उन्होनें एक रेवड़ में २५००० भेड़ें रखीं नियोजित चराई व प्रकृति की नक़ल कर रहे है और उन्होनें ५० % की बढोतरी रिकॉर्ड की है, इस जमीन से पहले ही साल के उत्पादन मे अफ्रिका के हिंषक हिस्से में भी हमारे पास चराई योजना बना रहा चरवाहा समाज है व खुलकर कहता है की अब यही एक रास्ता बचा है उनके समाज व संस्कृतियों को बचाने के लिए उस जमीन का ९५ प्रतिशत ही पशुओं के माध्यमसे मनुष्यों का पालन-पोषण कर सकता है में आपको यद् दिला दूँ में बात कर रहा हूँ, यह विश्व की वह जमीन हे जो हमारा भविष्य है जिसमे विश्व के हिंषक क्षेत्र भी शामिल है जहाँ मात्र पशु ही सबका पोषण कर सकते है ९५ प्रतिशत जमीन पर से विश्व में हमारे कम जलवायु परिवर्तन करते है मेरा मानना है, पेट्रोल वस्तुओं के कारण से या फिर पेट्रोलियम इंधनों से भी आगे पर इसका सबसे भयावह प्रभाव है, भूख, गरीबी, हिंसा, सामाजित बिखराव और युद्ध, और जब में आपसे चर्चा कर रहा हूँ, लाखों महिला, पुरुष, व बच्चे कष्ट झेल रहे है और मर रहे है और यह निरंतर चल रहा है, जलवायु परिवर्तन की रोक हमारे बसमें नहीं है चाहे पेट्रोलियम का उपयोग पूर्णत बंदकर दें मेरे विचार से, मेने आपको बताया है कि हम प्रकृति के साथ कैसे काम कर सकते है बहुत कम खर्च मे इस बिगाड़ को परिवर्तित करने के लिये हम तो यह कर ही रहे है १५० लाख हेक्टर जमीन पर पांचो महाद्वीप मे, और जो लोग समझते है, कार्बन के विषय मे, तो में करता हूँ, कार्बन की गणना भी समझ बढानें के लिए, जो में दिखा रहा हूँ, यदि हम वह करते है, हम हवासे यदि पर्याप्त कार्बन हटाते है और उसे चारागाह की मिट्टी में हजारों सालों के लिये संभाल करके व यदि दुनिया के आधे चरागाहों पर भी कर लिया जो मेंने आपको बताया है, हम अपने आपको ओध्योगीकरण के पूर्व की अवस्था में जा सकते है लोगो को पोषण प्रदान करते हुए में तो इसके अतिरिक्त कुछ भी सोच नहीं पाता जो हमारी धरती के लिए अवसर प्रदान करे अपने बच्चों के लिये, बच्चों के लिये, व संपूर्ण मानवता के लिये धन्यवाद्! तालियां धन्यवाद् (तालियाँ) धन्यवाद्, क्रिस क्रिस एंडरसन: धन्यवाद् मेरे पास है, मुझे विश्वास है कि यहाँ सबके दिमाग मे, कई सवाल होंगे, व आपसे गले मिलना चाहेंगे में आपसे केवल एक सवाल पूछना चाहता हूँ जब शुरुआत में पशुओं के झुण्ड को लाते है, तो वे मरुस्थल में क्या खायेंगे? सबसे पहले क्या करते है? यह हम बहुत समय से कर रहे है, व केवल एक बार बाहर से चारा दिया था वह था एक खदान को सुधारने के समय मे जो १०० प्रतिशत नग्न थी कई सालों पहले, हमने जिम्बाब्वे में बहुत बंजर जमीन पर काम किया था और मेने ५ पोण्ड देने की पेशकस की थी १०० किलोमीटर के क्षेत्र में! यदि कोई घांस का तिनका भी ढूंड करलाता है तो १०० किलोमीटर के क्षेत्र में! और हमने उस पर, पहले साल में कुछ जानवर विचरण ही करें कुछ समय यह समझो की प्रकृति की नक़ल करो, सिग्मोइड वलन को काम में लो यही सिधान्त है यह टेक्निकल हे इसलिए यहाँ बताना मुश्किल है यह एक अच्छा और महत्वपूर्ण विचार है हमारे ब्लॉग के लोग आकर आपसे बात करेंगे और आपसे और अधिक जानने का प्रयास करेंगे इस भाषण के साथ जो आपने बताया है| सीए: यह एक अत्भुत भाषण था सच में अद्भुत आपने भी सुना होगा हमसभी को बहुत अच्छा लगा बहुत बहुत धन्यवाद् और क्रिस का भी धन्यवाद्| (तालियाँ) क्या होता है जब टेक्नोलॉजी हमारे बारे में हमसे कहीं ज्यादा जानती है? कंप्यूटर हमारे चेहरे के बारीक से बारीक भावों को पढ सकता है। असली और नकली मुस्कुराहट में फर्क बता सकता है। यह तो सिर्फ शुरुआत है। टेक्नोलॉजी अविश्वसनीय रूप से बुद्धिमान हो गई है यह हमारी आंतरिक स्थिति के बारे में बहुत कुछ जानती है, चाहे हम इसे पसंद करें या नहीं, हम अपने अंतरंग जीवन के कई हिस्सों को पहले ही साझा कर रहे हैं यह हमारे नियंत्रण से बाहर है। यह एक समस्या लगता है, हम में से ज्यादातर अंदर की बात छुपाना चाहते हैं वास्तव में लोग जाे देखते हैं। हम जो साझा करते और नहीं करते हैं, इस पर नियंत्रण चाहते हैं। हम भावशून्य चेहरा पसंद करते हैं। यह गुजरे जमाने की बात है। यह बात डरा सकती है लेकिन इतनी बुरी है नहीं। मैंने दिमाग के सर्किट पढ़ने में काफी समय लगाया है जाे हमारी अद्वितीय वास्तविकताओं की अवधारणा बनाती है। अब मैं इसे एक साथ लाती हूं वर्तमान तकनीक की क्षमताओं के साथ नई तकनीक के लिए जो हमें बेहतर बनाती है, अधिक महसूस करें, और जुङें। मुझे ऐसा करने का विश्वास है, हमें नियंत्रण कम करने की जरूरत है। कुछ जानवरों के साथ यह वास्तव में अद्भुत है, हम उनके आंतरिक अनुभव देख पाते हैं, हम यह आंतरिक क्रिया स्पष्ट देख पाते हैं वे अपने आसपास की दुनिया को कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और उनकी जैविक प्रणालियों की स्थिति। जहां खाने, संभोग की तरह के विकासवादी दबाव ध्यान रखना कि हम ही भाेजन न बन जायें दुनिया में सूचनाआें के प्रति निर्धारणवादी व्यवहार हम इस झरोखे से देख सकते हैं, उनकी आंतरिक स्थिति और जैविक अनुभूतियाँ यह वास्तव में बहुत अच्छा है। पल भर मेरे साथ रहिए --------- मैं वायलिन वादक हूँ गायक नहीं, लेकिन मकड़ी नेपहले ही मुझे एक महत्वपूर्ण समीक्षा दी। (वीडियाे) मंद स्वर में गायन (मध्यम स्वर में गायन) (उच्च स्वर में गायन) फिर मंद स्वर में गायन (मध्यम स्वर में गायन) (उच्च स्वर में गायन) (हँसी) पाेपी क्रमः कुछ मकङियाँ अपने जाले वाॅयलिन की तरह ट्यून करती हैं ताकि वे कुछ ध्वनियों के साथ गूंजें। आैर मेरे बढते सुर की तरह जितना जाेर से मैं गा रही थी, शिकारी आवाज पैदा की ज्योकि प्रतिध्वनि पहचानने वाले चमगादड़ पक्षी जैसी थी, मकड़ी ने वही किया जो उसे करना चाहिए। डसने भविष्यवाणी सी करते हुये मुझे जाने को कहा, मुझे यह पसंद है। बाहरी दुनिया काे मकड़ी का जवाब इस तरह से हम देखते- जानते हैं इसकी आंतरिक दुनिया में क्या हो रहा है। मकड़ी की प्रतिक्रिया जीवविज्ञान नियंत्रित है; इसकी आंतरिक स्थिति जैसे आस्तीन पर लिखी हो, लेकिन हम, इंसान ---- हम ऐसे नहीं हैं, हमें लगता है हमारे पास संज्ञानात्मक नियंत्रण है लोग क्या देखते, जानते, और समझते हैं हमारी आंतरिक स्थितियों के बारे में-- हमारी भावनाएं, असुरक्षा बेवकूफी, परीक्षा और कष्ट इनके प्रती हमारी प्रतिक्रिया कैसी है हम बनावटी चेहरे लिए फिरते हैं, शायद नहीं भी करते हों, मेरे साथ यह कोशिश करो। आपकी आँखे बताती है कि आपका दिमाग कितनी मुश्किल में है जो प्रतिक्रिया आप देखेंगे वह पूरी तरह मानसिक है इसका रोशनी मैं परिवर्तन से लेना देना नहीं, हम इसे न्यूरोसाइंस से जानते हैं। मेरा वादा है आपकी आंखों में वही हो रहा है जो हमारी लैब में आप चाहें या ना चाहें पहले आप कुछ आवाजें सुनेंगे, कोशिश करें और समझें सामने आंख को देखते रहें, शुरू में मुश्किल होगी, एक अलग हो जाए,सब आसान लगेगा कोशिश का फर्क पुतली के व्यास में नजर आएगा (वीडियो) ( बात करने की दो आवाजें) विवेकशील तकनीकी व्यक्तिगत डेटा पर निर्भर है, (दो ओवरलैपिंग आवाजें बात कर रही हैं) (एकल आवाज) विवेकशील तकनीकी व्यक्तिगत डेटा पर निर्भर करती है, वक्ता:आपकी पुतली झूठ नहीं बोलती। आपकी आंख बनावटी चेहरे को उजागर कर देती है, जब आपके मस्तिष्क को मेहनत करनी पड़ती है, आपका स्वायत्त तंत्रिका तंत्र पुतली काे को फैला देता है। जब यह नहीं होता तो सिकुङती है। अगर मैं आवाजों में से एक निकाल दूँ, ताे बातचीत काे समझने की काेशिश आसान हो जाती है मैं दोनाें आवाज दो अलग जगह रख सकती थी, या एक को तेज कर देती, तो भी यही होता, हम सोच सकते हैं कि आंतरिक स्थिति पर हमारा नियंत्रण है मकड़ी से ज्यादा मगर है नहीं प्रद्योगिकी इसे आसान बना रही है संकेतों का मतलब समझना, एकत्रित सेंसर और उनसे जुड़ा मशीनी ज्ञान जो हमारे चारों ओर फैला है, वह कैमरे और माइक्रोफोन की पहुंच से ज्यादा है, हमारे शरीर हमारी कहानी कहते हैं हमारे शरीर के तापमान में बदलाव से लेकर हम इन्हें इन्फ्रारेड थर्मल छवियों में देख सकते हैं मेरे पीछे दिख रही हैं, जहां लाल गर्म हैं और नीले शीतल हमारी तापीय प्रतिक्रिया के गतिशील हस्ताक्षर तनाव में हमारे अंदर परिवर्तन लाते हैं, हमारा मस्तिष्क कितना कठिन काम कर रहा है, चाहे हम ध्यान दे रहे हों हम वार्तालाप में लगे हाे सकते हैं हम आग के तस्वीर को असली आग समझ रहे हैं, लोग अपने गालों पर गर्मी छोड़ते दिखते हैं आग की तस्वीर देखकर लेकिन हमारे झूठे आत्मविश्वास के बाहर अगर किसी की थर्मल प्रतिक्रिया से डेटा के आयाम पारस्परिक हित की चमक दिखी? किसी की थर्मल छवि में भावनाओं की ईमानदारी आकर्षण और प्यार में पङने का नया हिस्सा हो सकता है तकनीक सुन सकती है,अंतर्दृष्टि विकसित कर भविष्यवाणियां कर सकती है हमारे मानसिक शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में हमारे भाषण और भाषा का विश्लेषण करके माइक्रोफोन से उठाकर। समूहों ने दिखाया है हमारी भाषा के आंकड़ों में परिवर्तन मशीन द्वारा सीखने के साथ जोड़ने पर भविष्यवाणी कर सकते हैं कि किसी काे मनोराेग हाेगा। इससे थोड़ा आगे चलते हैं हमारी आवाज भाषा में परिवर्तनों को देखो जो विभिन्न स्थितियों में अलग -अलग दिखता है। डिमेंशिया आैर मधुमेह हमारी आवाज़ का वर्णक्रमीय रंग बदल सकते हैं। हमारी भाषा में परिवर्तन अल्जाइमर से जुड़ा है कभी-कभी क्लीनिकल निदान से 10 साल पहले दिखा सकते हैं । हम क्या कहते हैं और कैसे कहते हैं एक कहानी बताता है हम सोचा करते थे उससे अलग। हम इजाजत दें तो हमारे घरों में पहले माैजूद उपकरण हमें अमूल्य अंतर्दृष्टि दे सकते हैं। हमारी सांस की रासायनिक संरचना भावनाओं को व्यक्त करती है। एसीटोन आइसोप्रीन और कार्बन डाइऑक्साइड का एक गतिशील मिश्रण है, जाे आपकी तेज धङकन व मांसपेशियों में तनाव के साथ बदल जाता है, हमारे व्यवहार में किसी स्पष्ट परिवर्तन के बिना। आप मेरे साथ यह क्लिप देखें , साइड स्क्रीन पर कुछ चीजें चल रही हाेंगी, कोशिश करें और सामने की छवि पर ध्यान केंद्रित करें और खिड़की पर आदमी। (डरावना संगीत) (महिला चिल्लाती है) वक्ता: माफ करना, मुझे प्रतिक्रिया देखनी थी, (हँसी) मैं आपके द्वारा इस कमरे में छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड ट्रैक कर रही हूं, हमने पूरे थिएटर में ट्यूब लगाए हैं, नीचे जमीन तक क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड हवा से भारी है, ये पीछे एक डिवाइस से जुड़े हैं, जो हमें वास्तविक समय में उच्च परिशुद्धता के साथ मापने देता है, कार्बन डाइऑक्साइड का लगातार बदलता घनत्व बगल के बादल तात्कालिक डेटा विजुअलाइजेशन है कार्बन डाइऑक्साइड के घनत्व का, आप स्क्रीन पर लाल रंग का एक पैच अभी भी देख सकते हैं, क्योंकि हम वृद्धि को बड़े रंगीन बादलों से दिखा रहे हैं, लाल रंग के बड़े क्षेत्रों में। इसी बात पर हम उछल पड़े। हमारा सामूहिक रहस्य है जाे कार्बन डाइऑक्साइड में बदलाव दिखा रहा है। ठीक है, अब, इसे मेरे साथ एक बार और देखो। (मधुर संगीत) (महिला हंसती है) वक्ता: आपको इसका अनुमान था जब हमने निर्माता के इरादे को बदल दिया, यह बहुत अलग है। संगीत और ध्वनि प्रभाव बदलने से दृश्य का भावनात्मक प्रभाव पूरी तरह बदल जाता है, हम इसे अपनी सांस में देख सकते हैं। रहस्य, डर, खुशी प्रतिलिपि योग्य, साफ-साफ दिखाई देते हैं, हमने भावनाओं का एक रासायनिक हस्ताक्षर प्रसारित किया। यह बनावटी चेहरे का अंत है। हमारी जगहें, हमारी तकनीक पता लगा लेगी हम क्या महसूस कर रहे हैं। हम एक दूसरे के बारे में पहले से ज्यादा जानेंगे । इससे भावनाओं और अनुभवाें को जोड़ने का मौका मिलेगा जो मनुष्य के रूप में हमारे लिए मौलिक हैं हमारी इंद्रियों, भावनाओं और सामाजिक रूप से । मेरा मानना है कि यह समानुभूति का युग है। हम क्षमताओं को विकसित कर रहे हैं यह सच तकनीकी साझेदार ला सकता है हम एक दूसरे के साथ कैसे जुड़ते हैं और हमारी तकनीक के साथ। अगर हम तकनीकी समानुभाव की शक्ति को पहचानते हैं हमें यह मौका मिलता है जहां तकनीक हमें भावनात्मक और संज्ञानात्मक पुल बनाने में मदद कर सकती है। इस तरह हमारी कहानी का अंदाज बदल जाएगा, उन्नत तकनीकी से हम बेहतर भविष्य निर्मित कर सकते हैं हमारी अपनी क्षमताओं का विस्तार और हमें गहरे स्तर पर जाेङने के लिए। एक हाईस्कूल काउंसलर की कल्पना करो जाे महसूस कर सके कि ऊपर से हंसमुख दिखने वाला छात्र बुरे दौर से गुजर रहा है, काेशिश करने पर एक महत्वपूर्ण, सकारात्मक अंतर पैदा हाे सकता है। या अधिकारियों,जिन्हें वजह मालूम हैं, कि काेई मानसिक स्वास्थ्य संकट से गुजर रहा है और एक अलग प्रकार का आक्रामकता, उससे वैसे ही निपटना, या एक कलाकार, जिसके काम का प्रत्यक्ष प्रभाव हाे। लियो टॉल्स्टॉय ने कला के अपने परिप्रेक्ष्य को परिभाषित किया कि जो कलाकार का इरादा था क्या देखने वाला उसको अनुभव कर सका । आज के कलाकार जान सकते हैं हम क्या महसूस कर रहे हैं। इस पर ध्यान दिए बिना कि यह कला या मानव कनेक्शन है, आज की तकनीकें पता कर सकती हैं हम दूसरी तरफ क्या अनुभव कर रहे हैं, इसका मतलब है कि हम करीब और अधिक प्रामाणिक हो सकते हैं। लेकिन मुझे एहसास है यह वास्तव में कठिन समय है हमारे डेटा साझा करने के विचार के साथ, यह विचार कि लोग हमारे बारे में जानते हैं कि हम जानबूझकर साझा करना नहीं चाहते। जब भी हम किसी से बात करते हैं, किसी को देखो या अनदेखा कराे, डेटा तो अदला बदली हो ही गया, जाेकि लोग सीखने के लिए उपयोग करते हैं, उनके और हमारे जीवन के बारे में निर्णय लेते हैं। मैं एेसी दुनिया नहीं साेच रही जाे हमारा आंतरिक जीवन खाेलकर रख दे हमारा व्यक्तिगत डेटा और निजता न बचे लोगों और संस्थाओं सेजहां हम इसे नहीं देखना चाहते हैं। पर मैं एक ऐसी दुनिया बनाने की सोच रही हूं जहां हम एक दूसरे की अधिक परवाह कर सकते हैं, काेई कुछ महसूस कर रहा है यह जान सकें जहाँ हमें ध्यान देना चाहिए। तकनीकी हमें अच्छे अनुभव दे, टेक्नोलॉजी अच्छे बुरे दोनों के लिए काम आ सकती है अनुबंधन के लिए पारदर्शिता और प्रभावी विनियमन विश्वास बनाने के लिए बिल्कुल महत्वपूर्ण हैं। "समानुभूतिपूर्ण प्रौद्योगिकी "हमारे लिए फायदेमंद हाे सकती है। वह समस्याएं हल कर सकती है जो हमें असहज करती हैं, अगर हम नहीं करते हैं, तो वहाँ बहुत सारे अवसर आैर भावनायें हैं जो हमसे छूट जाएंगे, धन्यवाद। (तालियां) मेरी सारी उम्र बीती है या तो स्कूल में, या स्कूल आते-जाते या फिर स्कूल के बारे में बात करते हुए। मेरे माता-पिता : दोनो शिक्षक थे, मेरे नाना-नानी भी शिक्षक थे, और पिछले ४० सालों से मैने भी यही किया है। तो जैसा कि ज़ाहिर है, कि इतने सालों में मैने तमाम सारी शिक्षा नीतियों को देखा है अलग अलग नज़रियों से। उनमें कुछ अच्छे रहे। कुछ उतने अच्छे नहीं रहे। और हमें पता है कि बच्चे क्यों पढाई छोड देते हैं। हमें पता है कि बच्चे क्यों नहीं सीखते हैं। या तो गरीबी, या स्कूल नहीं आ पाना, नकारात्मक संगी, साथी। ये सब पता है हमें। मगर एक चीज पर या तो हम कभी बात नहीं करते या बहुत ही कम करते हैं इंसानी जुडाव के महत्व की, रिश्तों की। जेम्स कोमर कहते है कि कुछ सीखा ही नहीं जा सकता जब तक कि एक रिश्ता न हो। जार्ज वाशिंगटन कार्वर कहते है कि सारी सिखाई पढाई रिश्तों को समझना भर है। इस कमरे में बैठे सब लोगों पर असर डाला है किसी शिक्षक या बडे व्यक्ति ने। कई सालो तक, मैने लोगों को पढाते देखा है। मैने अच्छे से अच्छे और खराब से खराब शिक्षकों को देखा है। मेरे एक सह-कर्मी ने मुझसे कहा, "मुझे बच्चों को पसंद करने के लिये पैसे नहीं मिलते। मुझे पढाने के पैसे मिलते हैं। बच्चों को सीखना चाहिये। मुझे पढाना चाहिये। उन्हें पढना चाहिये। बात खत्म।" मैने उस से कहा, "पता है, बच्चे उन लोगों से नहीं सीखते जिन्हें वो पसंद नहीं करते।" ठहाका तालियाँ उसने कहा, "ये कोरी बकवास है।" और मैने उस से कहा, "ह्म्म्म,, , तुम्हारा साल काफ़ी लम्बा और कठिन होने वाल है।" और वैसा ही हुआ। कुछ लोगों को लगता है कि तुम या तो रिश्ते बना सकते हो या नहीं बना सकते। मेरे ख्याल से स्टीफ़न कोवी का कहना सही है। उन्होंने कहा था कि बस कुछ चीजें करनी होंगी, जैसे पहले दूसरों को समझो बजाय दूसरों द्वार समझे जाने के, छोटी छोटी बातें जैसे माफ़ी माँग लेना। कभी सोचा आपने इस के बारे में? किसी बच्चे से सॉरी बोल दो, बिचारे झटका खा जाते हैं। एक बार मैने अनुपात का एक पाठ पढाया। मेरी गणित कुछ खास नही है, पर मैं सीख रही थी। और मैने वापस जा कर उस का शिक्षक-संस्करण देखा। मैने पूरा पाठ गलत पढा दिया था। (ठहाका) तो मै अगले दिन क्लास में गयी, और मैने कहा, "देखो, मुझे माफ़ी माँगनी है। मैने पूरा पाठ गलत पढा दिया। आय एम सॉरी।" उन्होने कहा, "कोई बात नही, मिस पियरसन। आप इतनी खुश थीं, तो हमने आप को रोका नहीं।" ठहाका तालियाँ मुझे ऐसी क्लासे पढाने को मिली हैं, इतनी पिछडी हुई कि मुझे रोना आ गया। मै सोचती थी, कि इस वर्ग को कैसे ले जाऊँगी नौ महीनों में यहाँ से जहाँ इन्हें होना चाहिये? और ये बहुत कठिन था। बेहद कठिन। किसी बच्चे का स्वाभिमान बढाना और उसकी पढाई सुधारना एक ही साथ कैसे होगा? एक साल मुझे एक विचार आया। मैने अपने सारे विद्यार्थीयों से कहा, "तुम्हें मेरी क्लास के लिये खास चुना गया है क्योंकि मैं सबसे अच्छी शिक्षक हूँ और तुम सब से अच्छे विद्यार्थी, उन्होंने हमें साथ रख दिया है जिस से हम सब को दिखा सकें कि पढाई कैसे होती है।" एक विद्यार्थी ने कहा, "सच मे?" ठहाका मैने कहा, "हाँ, हमें दूसरी क्लासों को दिखाना है कि कैसे पढते है, तो जब हम हॉल से गुज़रें, तो लोग हमें देखें, और इसलिये तुम लोग हल्ला गुल्ला नहीं कर सकते। तुम्हें अकड के चलना होगा।" और मैने उन्हें एक नारा दिया: "मुझमें कुछ बात है। मुझमे कुछ बात थी जब मैं आया था। और मैं बेहतर हो कर ही जाऊँगा। मैं ताकतवर हूँ, मजबूत हूँ। मुझे इस पढाई का हक है जो मुझे यहाँ मिले रही है। मुझे काम करना है, लोगों पर अपनी छाप छोडनी है, और आगे बढना है।" और उन्होने कहा, "हाँ!" अगर आप बार बार कहें, तो वो आपका हिस्सा बनन जाता है। और फ़िर -- तालियाँ मैनें एक टेस्ट लिया, २० सवालों का। एक बच्चे ने १८ गलत जवाब दिये। मैने उस के पेपेर पर +२ लिखा और एक बडा सा स्माइली बनाया। उसने कहा, "मिस पियरसन, मैं फ़ेल हुआ हूँ न?" मैने कहा, "हाँ।" उसने कहा, "तो आपने ये मुस्कराता चेहरा क्यों बनाया?" मैने कहा, "क्योकि तुम बहुत बढिया कर रहे हो। तुम्हारे पूरे दो सवाल सही है। सारे के सारे गलत नहीं है।" मैने कहा, "और जब हम इसे दोबारा करेंगे, तो तुम बेहतर करोगे न?" उसने कहा, "हाँ मैम, बिल्कुल मैं बेहतर करूँगा।" देखिये, "- १८" देख कर आपकी सारी हिम्मत ख्त्म हो जायेगी। "+२" आपसे कहता है, "इतना भी बुरा नहीं है।" ठहाका तालियाँ कई साल तक मैने अपनी माँ को इंटरवेल में काम करते देखा, दोपहर में घरों मे विज़िट करते देखा, कंघी और ब्रश और पीनट बटर और बिस्कुट खरीदते देखा अपने डेस्क में रखते हुए उन बच्चों के लिये जिन्हें ज़रूरत होती, और एक तौलिया और कुछ साबुन उन के लिये जिनसे बदबू आ रही होती थी। आखिर, बदबू फ़ैलाते बच्चों को पढाना आसान नहीं। और बच्चे बहुत क्रूर हो सकते हैं। तो इसलिये वो ये सारी चीजें अपने डेस्क में रखती थीं, और कई साल बाद, उनके रेटायरमेंट के बाद, मैने उन मे से कुछ बच्चों को वापस आ कर उनसे कहते सुना, "आपको पता नहीं, मिस वाकर, आप ने मेरे जीवन में कितना बडा बदलाव लाया। आपके चलते ही मेरा कुछ हो सका। आपने मुझे जताया कि मैं भी कुछ था, जबकि मुझे अंदर अंदर यकीन था कि, मैं कुछ भी नही था। और मैं चाहता हूँ कि आप देखें कि मैं क्या बन गया हूँ।" और ९२ वर्ष की उम्र में, दो साल पहले, जब माँ गुज़री, तो उनके बहुत सारे विद्यार्थी उनके अंतिम संस्कार पर पहुँचे, मेरी आँखों मे आँसू थे इसलिये नहीं कि वो चली गयी थीं, मगर इसलिये कि रिश्तों का इतना बडी विरासत वो छोड गयी थीं जो कभी ख्त्म नहीं होगी। क्या हम रिश्तों पर और ध्यान दे सकते हैं? बिल्कुल। क्या आपको अपने सारे विद्यार्थी पसंद आयेंगे? बिल्कुल भी नहीं। और सबसे बिगडैल विद्यार्थी कभी एब्सेंट भी नहीं होते। ठहाका कभी भी नहीं। और आप उन सब को पसंद भी नहीं करेंगे और बिगडैल वाले आते ही खास वजह से हैं। रिश्ते ही सब हैं। जुडाव से ही सब है। और जब कि आप उन्हें नापसंद करेंगे, अंदर की बात ये है कि उन्हें कभी ये पता नहीं लगेगा। तो शिक्षकों महान एक्टर भी बन जाते हैं और हम तब भी क्लास जाते हैं जब हमारा बिल्कुल मन नहीं होता, और हम ऐसी नीतियों से जूझते हैं जो बिल्कुल ही निरर्थक होती हैं, मगर हम फिर भी पढाते हैं। हम फिर भी पढाते रहते हैं, क्योंकि हमारा वही काम है। पढना-पढाना खुशी देने वाला होना चाहिये। हमारी दुनिया कितनी बेहतर हो सकती है अगर हमारे बच्चे जोखिम से न डरें, सोचने से पीछे न हटें, और जिन के पास कोई ध्यान देने वाला हो? हर बच्चे को इसका हक है, ऐसा कोई जो कभी उन्हें अकेला न छोडे, जो रिश्तों की अहमियत समझे, और उन्हें आगे बढने और बेहतर होने के लिये प्रोत्साहित करे। क्या ये कठिन काम है? बिल्कुल, हे भगवान, बहुत कठिन! मगर ये असंभव नहीं है। हम ये कर सकते हैं। हम शिक्षक हैं। हम दुनिया को बदलने के लिये ही जन्मे हैं। बहुत बहुत धन्यवाद। तालियाँ 07:45 पर मैंने एक इमारत के लिए दरवाजे खोल दिए हैं. निर्माण के लिए समर्पित दरवाजे अभी तक केवल मुझे तोड़ देते हैं. मैं हॉल के रास्ते से गुजरता हूं जो चौकीदार रोज साफ करते हैं लेकिन मुझमैं उनके नाम का सम्मान करने के लिए शालीनता नहीं है. लाकर्स खुला छोड़ दिया है, जैसे खुला रह जाते हैं लड़कों के मुंह जब लड़कियाँ पहनती हैं वस्त्र जो केवल असुरक्षा के कुछ अंग छिपाने के लिये बने हैं. मर्दानगी का मजाक पुरुषों द्वारा उड़ाया जो बिना पिता के साथ बड़े हुए हैं. बदमाश छलावरण पहने हैं जो खतरनाक हथियारों से लैस हैं लेकिन उनको गले लगने की जरूरत है. शिक्षक यह उनके यहां होने की लागत से भी कम का भुगतान किया जाता है. किशोरों के महासागरों सबक प्राप्त करने के लिए यहां आते हैं लेकिन, तैरना कभी नहीं सीखते. जब लाल सागर घंटी बजती है यह एक प्रशिक्षण जमीन है. मेरा हाई स्कूल, शिकागो है विविध और अलग अभिप्रायपूर्वक. सामाजिक लाइनों कांटेदार तार हैं. "नियमित" और "सम्मान" की तरह के लेबल गूंजते हैं. मैं एक ऑनर्स हूँ लेकिन मैं नियमित छात्रों के साथ घर जाता हूँ जो उस क्षेत्र में सैनिक हैं और उनके मालिक हैं. यह एक प्रशिक्षण जमीन है, नियमित को ऑनर्स से अलग करने के लिए. यह एक चक्र है इसे प्रणाली का कचरा पुनरावृत्ति करने के लिए बनाया गया है. कम उम्र में फायदा उठाने के लिए प्रशिक्षित पत्र पढ़ाया जाता है कि पूंजीवाद आपको जन्म देता है लेकिन तुम वहाँ तक पहुँचने के लिए किसी और पर कदम रखना है. यह एक प्रशिक्षण जमीन है, जहां एक समूह को नेतृत्व करने के लिए सिखाया जाता है और दूसरे को पालन करने के लिए सिखाया किया जाता है. कोई आश्चर्य नहीं है, मेरे लोग सलाखों को थूकते हैं. क्योंकि सच्चाई को निगलना मुश्किल है डिग्री के लिए जरूरत ने कई लोगों को जमे हुए छोड़ दिया गया है. होमवर्क तनावपूर्ण है, लेकिन आप हर दिन घर जाओ और अपका घर अपका काम है, आप किसी भी कार्य को लेना नहीं चाहते. पाठ्य पुस्तकें पढ़ना तनावपूर्ण है, लेकिन पढ़ने से भावनाओं के ऊपर कोई फर्क नही होता, आपका वृत्तांत पहले से ही लिखा है, या तो मृत या तो आरक्षित. परीक्षा तनावपूर्ण हैं, लेकिन एक Scantron में बुदबुदाना गोलियां फोड़ना बंद नहीं करता है. मैंने सुना है शिक्षा प्रणाली असफल हो रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि वे जो वे करने के लिए बने हैं वे उसमें सफल रहे हैं आपको प्रशिक्षित करने के लिए, आप रास्ते पर रखने के लिए, एक अमेरिकी सपने पर नज़र रखने के लिए जो हम में से कई लोगों के लिए असफल हो गया है. (तालियां) सब कुछ जुड़ा हुआ है । शिनाकौक इंडियन समुदाय में पैदा होने के कारन, बचपन से ही यह मुझे समझाया गया था । हम एक छोटे से मछली पकड़ने के जनजाति हैं अमेरिका के लांग आईलैंड के दक्षिणी सिरे पर स्थित न्यूयॉर्क में साउथेम्प्टन के शहर के पास । जब मैं छोटी थी, एक दिन गर्मी के मौसम में मेरे दादाजी मुझे बाहर धूप में बैठने ले गये । आसमान में कोई बादल नहीं थे । और कुछ समय बाद मुझे पसीना आने लगा । और, दादाजी आकाश की ओर दिखाते हुए कहा, "देखो, तुमहे दिख रहा हैं? वह तुम्हारा एक हिस्सा है । तुम्हारा पसीना बादल बनाने में मदत कर रहा है पौधों के लिए बारिश हो जाता है जानवरों को खिलाता है ।" प्रकृति के विषयों के मेरे निरंतर अन्वेषण में सब कुछ एक दूसरे से सम्बंदिथ होने का उदाहरण देता है मैंने 2008 में तूफानों का पीछा करना शुरू किया था मेरी बेटी के कहने पर, "माँ, तुम्हे यह करना चाहिए ।" और तीन दिन बाद, एक गाड़ी को तेजी से चलते हुए, मैंने अपने आप को सुपर सेल नामक एक विशाल बादल का पीछा करते हुए पाया जिसमे अंगूर के साइज़ का ओलों उत्पादन करने की क्षमता थी और शानदार बवंडर, हालांकि केवल दो प्रतिशत वास्तव में करते हैं। ये बादलों 50 मील चौड़ा हो सकते हैं और वातावरण में 65000 फीट तक पहुँच सकते हैं इतना बड़ा बन सकता है, कि दिन के उजाले के बीच में आ सकता है बहुत ही अंधेरा और अजीब वातावरण होता है उनके नीचे तूफान का पीछा करते हुए एक बहुत स्पर्श अनुभव है। वहाँ एक गर्म, नम हवा अपनी पीठ पर बह रही होती है और मिट्टी, गेहूं, घास की गंध । और तब वहाँ बादलों में रंग होते हैं हरे और नीले. मैंने बिजली का सम्मान करना सीखा है. मेरे बाल सीधे हो जाते थे. (हँसी) मैं मजाक कर रही हूँ। (हँसी) वास्तव में इन तूफानों के बारे में मुझे उनके आंदोलन, चक्कर, स्पिन और लहराना, उत्तेजित करते है उनके रंगीन बादल. वे बहुत ही प्यारे राक्षस बन जाते हैं. जब में उनकी फोटो लेते हूँ, मुझे दादाजी की वोह बात याद आती है जब मैं उनके नीचे कड़ी होती हूँ, मुझे सिर्फ एक बादल नहीं दिख्ता हैं, मेरा ये सौभाग्य है की यह वही शक्ति है जिसने हमारी आकाशगंगा, हमारे सौर प्रणाली, हमारे सूरज बनाया है और यहां तक ​​कि यह पृथ्वी ग्रह. मेरे सभी संबंधी। धन्यवाद. (तालियाँ) (संगीत) (तालीयां) (संगीत) (तालीयां) रॉब्बी मिझ्झोने: धन्यवाद. टॉम मिझ्झोने: बहुत धन्यवाद। हम इधर आके बहुत आनंदित है। यह हमारे लिए सन्माननीय है। जैसे क्की उन्होने बोला हम तीन भाई न्यू जर्सी से है-- आपको पता है, दुनिया की ब्लुग्रास की राजधानी है। (हंसी) हमने कुछ साल पेहले ब्लुग्रास धुंड निकाली, और अहमे उससे प्यार हो गया। हम आशा करते कि आपको भी होगा। अगला गाणा जो हमने लिखा है "टाईमलेप्स" और यह नाम के साथ जा सकता है। (समस्वरण) (संगीत) (तालीयां) टॉ मि: बहुत धन्यवाद। रॉ मि: मै कूछ लम्हो मे हमारे बँड के बारेमे बताता हुं। गिटार पे मेरा १५ साल का भाई टॉमी। (तालीयां) बॅंजो पे १० साल का जॉन्नी। (तालीयां) वो भी हमारा भाई है। और मै रॉब्बी, १४ साल का और मै फिड्ड्ल बजाता हुं। (तालीयां) जैसे की आप देख सकते है, हमने हमपर कठोर निर्णय लिया था और हमने तीन गाणे बजाने केलिए चुने तीन अलग तालो मे। हां. मै येह भी बतानेवाला हुं, बहुत लोग जानना चाहते है हमे स्लिपी मैन बॅंजो बॉयस नाम कैसे मिला। तो इसकी शुरुवात जॉन्नी जब छोटा था, तब उसने बॅंजो से शुरुवात, वह वो उसके पिछे बजाता था आंखे बंद कर के, और हम केहते कि वो सो रहा है। तो बाकी आप जोड सकते है. टॉं मि: हमे सचमे इस केलिए कोई कारण नही मिला। क्युंकी इसका मुल्य लाखो पाउंड्स के बराबर है। (संगीत) (तालीयां) (संगीत) (तालीयां) टॉ मि: बहुत धन्यवाद। रॉ मि: धन्यवाद. जब हम भ्रष्टाचार की बात करते हैं, तो कुछ खास तरह के लोग दिमाग में आते हैं। एक रूसी अहंकारोन्मादी हैं सपरमुरट नियाजोव जो की उन में से एक हैं 2006 में उनकी मृत्यु से पहले, वो तुर्कमेनिस्तान के बाहुबली नेता थे, जो की प्रकृतिक गॅस के भंडार वाला एक मध्य एशिया का देश है। वे अध्यक्षीय आदेश जारी करना बहुत पसंद करते थे। एक आदेश के द्वारा महीनों के नाम बदल दिये गए जिन में उनके और उनकी माँ के नाम पे रखे गए महीने भी शामिल थे॰ उन्होने करोड़ों डॉलर खर्च कर के एक अजीबो गरीब व्यक्तित्व पंथ बनाया, और उनका सर्वोपरि काम था अपने आप की 40 फुट ऊंची मूर्ति बनवाना, जिस पर सोने का पानी चढ़ा हुआ था जो राजधानी के केन्द्रीय चौक पे शान से खड़ी थी और सूरज के साथ साथ घूमती थी। वो थोड़े असाधारण किस्म के थे। और फिर वो घिसा पिटा उदाहरण है अफ्रीकी तानाशाह या मंत्री या अधिकारी का। फिर टेओडोरिन ओबीयांग हैं। तो उनके पिता एक्वाटोरियल गिनी के आजीवन राष्ट्रपति हैं, जो की पश्चिमी अफ्रीका का एक देश है जिसने 1990s से करोड़ों डॉलर्ज़ का तेल निर्यात किया है और फिर भी उसका मानवीय अधिकार का लेखा जोखा भयंकर है। उसके अधिकांश लोग दयनीय निर्धनता में जी रहे हैं यद्यपि उनकी प्रति व्यक्ति आय पुर्तगाल के बराबर है. तो छोटे मियां ओबीयांग अपने लिए मलिबू, कैलिफोर्निया मे 3 करोड़ डॉलर्ज़ का महल खरीदते हैं। मैं उसके मुख्य द्वार तक गया हूँ। मैं आप को बता सकता हूँ कि वो बहुत ही भव्य है॰ उसने 1.8 करोड़ यूरो का काला संग्रह खरीदा है जो फ़ैशन डिज़ाइनर वायेस सैंट लौरेंट का होता था, बहुत सारी शानदार गाडियाँ, जिनमे से कुछ एक की कीमत 10 लाख डॉलर्ज़ है -- ओह, और एक निजी हवाई जहाज़ भी. अब ये सुनिए: कुछ दिन पहले तक उनकी आधिकारिक आय 7,000 डॉलर्ज़ प्रति माह से कम थी। और फिर डान एतेते हैं॰ वे नाइजेरिया के पूर्व तेल मंत्री थे राष्ट्रपति अबाछा के शासन काल में, और इतिफाक से वे भी एक दंडित पैसे का हेर फेर करने वाले हैं। हमने काफी समय बिताया 10 करोड़ डॉलर्ज़ -- जी हाँ, 10 करोड़ डॉलर्ज़ -- की तेल के एक सौदे के बारे मे जांच पड़ताल करने मे, जिसमे वे शामिल थे, और जो हमने पाया वो चौंका देने वाला था, लेकिन उसके बारे मे बाद में। तो यह सोचना आसान है के भ्रष्टाचार होता है कहीं दूर, लालची तानाशाहों के समूह के द्वारा और ऐसे बदमशों द्वारा जिन मे बारे में व्यक्तिगत रूप से हम बहुत कम जानते हैं और हमे लगता है की हमें उस से क्या लेना देना जो चल रहा हैं वो हमें उस से कोई फरक नहीं पड़ता। लेकिन क्या ये सिर्फ वहीं होता है? जब मैं 22 साल का था तो मेरी किस्मत बहुत अच्छी थी। विश्वीद्यालय से निकाल कर मेरा पहला काम अफ्रीका मे हाथी दाँत के अवैध व्यापार के बारे में जांच पड़ताल करना था। और इस तरह से भ्रष्टाचार से मेरे रिश्ते की शुरुआत हुई। 1993 मे, दो दोस्तों के साथ मिलकर, जो मेरे साथ काम करते थे, साइमन टेलर और पैट्रिक एली, हमने ग्लोबल वेल्ल्नेस नाम की एक संस्था की स्थापना की। हमारा पहला अभियान जांच पड़ताल थी कि किस तरह से गैर कानूनी पेड़ों की कटाई से कंबोडिया में युद्ध के लिए पैसे जुटाये जा रहे थे। तो कुछ साल बाद, और अब मैं 1997 कि बात कर रहा हूँ, मैं अंगोला में छुपे रूप से खूनी हीरों की जांच पड़ताल कर रहा था। शायद आपने वो पिक्चर देखि होगी, हॉलीवुड फिल्म "ब्लड डाईमंड", जिसमे लियोनार्डो दी कैप्रियो थे. उसका कुछ भाग हमारे काम पे आधारित था। लुवांडा में बारूदी सुरंगो से पीड़ित लोग भरे हुए थे जो वहाँ की सड़कों पे संघर्ष कर रहे थे जीवित रहने के लिए और युद्ध द्वारा अनाथ बच्चे सड़कों के नीचे नालियों में रह रहे थे, और एक बहुत ही छोटा समृद्ध वर्ग था जो चर्चा करता था अपनी ब्राज़ील और पुर्तगाल मे ख़रीदारी हेतु यात्राओं की। और वो कुछ अजीब सी जगह थी। तो मैं एक घुटन भरी गर्मी वाले होटल के कमरे में बैठा हूँ व्याकुलता से भरा। लेकिन वह खूनी हीरों की बात नहीं थी। बल्कि क्योंकि मैं वहाँ कई लोगों से बात करता रहता था जो की एक अलग समस्या के बारे में बात करते थे: वैश्विक स्तर पे भ्रष्टाचार के विशाल ताने बाने के बारे में और तेल से प्राप्त करोड़ों डॉलर के गायब हो जाने के बारे में। और क्योंकि उस समय हमारा संगठन बहुत छोटा सा था कुछ ही लोगों का, हमारे लिए यह सोचना शुरू करना कि हम इस से कैसे निपटेंगे भी बहुत बड़ी चुनौती थी। और उन वर्षों में जब मैं, और हम सब ये अभियान चला रहे हैं और जांच कर रहे हैं, मैंने बार बार ये देखा है कि क्या है जो भ्रष्टाचार को वैश्विक, विशाल स्तर पे संभव करता है, यह केवल लालच या ताकत का गलत इस्तेमाल नहीं है या वह असपष्ट वाक्यांश "कमजोर प्रशाशन". मेरा मतलब है कि हाँ, वे सभी भी हैं, लेकिन भ्रस्ताचर को संभव बनाते हैं वो कार्यवाही जो अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक करते हैं। तो उन लोगों कि बात करते हैं जिनकी मैंने पहले चर्चा करी थी। ये सभी वो लोग हैं जिनकी हमने जांच करी थी, और ये सभी वो लोग हैं जो अकेले वो नहीं कर पाते जो उन्होने किया। छोटे ओबीयांग को ही लीजिये। उनके पास उच्च कोटी कि कलाकृतीया और वैभवशाली घर बिना मदद के नहीं आए। उन्होने अंतरराहस्तरीय बैंकों के साथ धंधा किया। पेरिस के एक बैंक में उनके द्वारा चलायी जाने वाली एक कंपनी का खाता था, जो कि कलाकृतिओं को खरीदने के काम आया, और अमरीकी बैंक, उन्होने भेजे 7.3 करोड़ डॉलर अमरीका को जिस में से कुछ कैलिफोर्निया के उस भवन को खरीदने में लगाए गए। और उन्होने ये सब अपने नाम से भी नहीं किया। उन्होने फर्जी कंपनियो का इस्तेमाल किया॰ उन्होने एक का इस्तेमाल किया उस घर को खरीदने के लिए, और दूसरी का, जो किसी और के नाम पर थी, उसके संचालन के विशाल खर्चे देने के लिए। और फिर डैन एतेते हैं। जब वे तेल मंत्री थे, उन्होने एक तेल का ब्लॉक जिसकी कीमत अब 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा है, आबंटित किया एक ऐसी कंपनी को, जो कि आप अनुमान लगा सकते हैं, जी हाँ, जिसके मालिक वो खुद थे। अब, काफी दिनों बाद उसका व्यापार कर दिया गया नाइजीरियाई सरकार कि मदद से -- अब मुझे सावधान होना पड़ेगा यहाँ क्या कहूँ - शैल और इटलियाई एनी की सहायक कोंपनियों को, आज कि सबे बड़ी तेल कोंपनियों में से दो। तो सच्चाई यही है, कि भ्रष्टाचार का इंजिन, जो की उन देशों के तटो से बहुत दूर मौजूद है जैसे की एकूयाटोरियल गिनी या नाइजेरिया या तुर्कमेनिस्तान। इस इंजिन को चलाता है हमारी अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग व्यवस्था, बेनामी फर्जी कंपनियो की समस्या, और वह गोपनियता जो हमने प्रदान की है बड़े तेल, गैस और खादान के चालन को, और, सबसे ज्यादा, हमारे राजनेताओ द्वारा असफल रहने मे अपने भाषणों को साकार करने मे और कुछ ऐसा करने मे जो सच में सार्थक और प्रणालीगत हो इस सब से निपटने में। पहले बैंकों की बात करते हैं। आप को यह जान के ज्यादा आश्चर्य नहीं होगा अगर मैं आप को यह बताऊँ की बैंक काला धन स्वीकार करते हैं, लेकिन वो अन्य विनाशकारी तरीकों से भी अपनी कमाई को प्राथमिकता देते हैं। जैसे की, सरवाक, मलेशिया में। अब इस एलाके में केवल पाँच प्रतिशत जंगल बचे हैं। पाँच प्रतिशत। तो यह कैसे हुआ? ऐसा हुआ क्योंकि एक अभिजात वर्ग और उसके सहायक करोड़ों डॉलर कमाते रहे हैं औध्यौगिक पैमाने पे पेड़ों की कटाई को समर्थन देके कई सालों से। तो हमने एक गुप्त जासूस भेजा गुप्त रूप से शासित वर्ग के सदस्यों की बैठक की फिल्म बनाने को और इसके परिणाम से जो फिल्म बनी, उसने कुछ लोगों को बहुत क्रोधित किया, और आप उसे यू ट्यूब पे देख सकते हैं, लेकिन इस से हमारा शक साबित हो गया, क्योंकि इसमे दिखाया गया की कैसे राज्य के मुखय मंत्री ने, हालांकि बाद मे उनहों इस बात से साफ इंकार कर दिया, कैसे भूमि और जंगल के लाइसेंसों पर अपने नियंत्रण का इस्तेमाल किया अपनी और अपने परिवार की जेबें भरने मे। और एचएसबीसी, हाँ, हम जानते हैं की एचएसबीसी नें पैसे दिये क्षेत्र की सबसे बड़ी लकड़ी काटने वाली कोंपनियों को जो की जिम्मेदार थी उसमे से कुछ विनाश के लिए जो सरवाक और अन्य जगहों पे हुआ। बैंक नें इस प्रकरण में पर्यावरण स्थिरता की अपनी ही नीतियों का उल्लंघन किया, लेकिन उसने 13 करोड़ डॉलर कमाए। अब, हमारे इस खुलासे के थोड़ी देर बाद, इस साल के शुरू में हमारे खुलासे के थोड़ी देर बाद, बैंक ने घोषणा की कि वह इस पर अपनी नीतियों की समीक्षा करेगा। और क्या यह प्रगति है? हो सकता है, लेकिन हम बहुत करीबी नज़र रखेंगे इस मामले पे। और फिर समस्या है गुमनाम फर्जी कोंपनियों की। हम सबने सुना है कि वो क्या होती हैं, मेरे ख्याल से, और हम सब जानते हैं कि इंका काफी इस्तेमाल होता है उन लोगों और कंपनियों द्वारा जो बचना चाहती हैं समाज कि ओर अपनी समुचित जिम्मेदारियों को निभाने से, जिन्हें कर भी कहते हैं। लेकिन जो आम तौर पे ये उजागर नहीं होता कि किस तरह से फर्जी कोमपीनयों का इस्तेमाल किया जाता है बहुत बड़ी मात्रा में पैसे चुराने के लिए - भीमकाय मात्रा में पैसे चुराने के लिए, गरीब देशों से। लगभग भ्रष्टाचार के उन सभी मामलों में जिनकी हमने जांच करी है, फर्जी कंपनियाँ शामिल थी, और कई बार यह पता लगाना नामुमकिन था की दरअसल उस सौदे में कौन शामिल था। विश्व बैंक द्वारा एक हाल के अध्ययन नें भ्रष्टाचार के 200 मामलों को देखा। उसने पाया की उन में से 70 प्रतिशत मामलों में फर्जी कंपनियाँ इस्तेमाल करी गईं थी, कुल मिला के तकरीबन 5600 करोड़ डॉलर। इन में से कई कंपनियाँ अमरीका में थीं या इंग्लैंड में, उसके विदेशी क्षेत्रों में और निर्भरता वाले इलाकों में, तो यह केवल देश के बाहर की समस्या नहीं है, यह हमारे अपने देशों की समस्या भी है। आप समझ रहे होंगे, फर्जी कंपनियाँ केंद्र बिन्दु हैं उन गोपनीय सौदों की जो अमीर कुलीन वर्ग को फ़ायदा पहुंचा सकती हैं आम नागरिकों के बनिस्पत। हाल ही में एक चौंका देने वाले मामले की हमनें जांच की कि कैसे कोंगों लोकतान्त्रिक गणराज्य की सरकार ने बहुमूल्य खनन संपातियों को, जो कि राजय कि संपति थी, बेचा ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह में फर्जी कंपनियों को। तो हमने देश में अपने सूत्रों से बात चीत करी, कंपनी के दस्तावेज़ों और अनय सूचनाओं का अध्ययन किया इस सौदे कि सही तस्वीर जोड़ने के लिए। और हमें जान कर बहुत अचंभा हुआ कि ये फर्जी कंपनियों नें जल्दी से एन मे से कई संपातियों को बेच दिया बहुत बड़े मुनाफे पे बड़ी अंतर्राष्ट्रीय खनन कंपनियों को जो कि लंदन में पंजीकृत थी। अब, अफ्रीकी प्रगति पैनल, जिसका नेतत्रव कोफी अन्नान करते हैं, उसने यह अनुमान लगाया है कि कोंगों का नुकसान इन सौदों में 130 करोड़ डॉलर से अधिक हैं। ये लगभग दो गुना हैं उस देश के वार्षिक स्वस्थ और शिक्षा बजट को मिला के। और क्या कोंगों के लोगों को कभी अपना पैसा वापिस मिलेगा? तो, इस सवाल का जवाब, और कौन इस में शामिल था और दरअसल क्या हुआ, शायद ये ताले में बंद रहेगा ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह के गोपनीय कंपनी रजिस्ट्रियों में और अनय स्थानों पे, अगर हम सब इसके बारे में कुछ करते नहीं हैं। और तेल, गॅस और खनन कंपनियों का क्या? हो सकता है उनके बारे मे बात करना एक घिसी पिटी बात हो। उस व्यावसायिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। जब हर तरफ भ्रष्टाचार है तो उस व्यावसायिक क्षेत्र पर ही क्यों ध्यान केन्द्रित किया जाए? इसका जवाब है कि क्योंकि यहाँ बहुत कुछ दाव पे लगा हुआ है। 2011 में प्रकृतिक संपदाओं का निर्यात आने वाली सहता राशि से लगभग 19 गुना थी अफ्रीका, एशिया और लटीनी अम्रीका में। उन्नीस गुना। इस से कितने सारे स्कूल और विश्वविद्यालय और अस्पताल और कारोबार शुरू किए जा सकते थे, जिन में से कई बने ही नहीं, और कभी बनेंगे भी नहीं, क्योंकि उस मे से कुछ पैसा चुरा लिया गया है। अब वापस चलते हैं तेल और खनन कंपनियों कि ओर, और वापस दान एतेते और वह 100 करोड़ डॉलर के सौदे कि ओर। और माफ कीजिएगा, मैं अगला भाग पढ़ने जा रहा हूँ क्योंकि यह बहुत ही ज्वलंत मामला है, और हमारे वकील इसे गहराई से देख चुके हैं और वे चाहते हैं कि मैं इसमे कोई गलती ना करूँ। अब, सतह पे तो यह सौदा सीधा सादा दिखता था। शैल और एनी कि सहायक कंपनियों नें निजेरियाई सरकार को उस ब्लॉक के लिए पैसे दिये। निजेरियाई सरकार नें ठीक उतनी ही रकम, आखरी डॉलर तक, एक फर्जी कंपनी के खाते में जमा करा दिये जिसका गुप्त तौर से मालिक एतेते था। अब, एक सजायाफ्ता पैसे का हेर फेर करने वाले के लिए ये कोई घाटे का सौदा नहीं था। और देखने वाली बात ये है। कई महीनों तक खोज बीन करने के बाद और हजारों पन्नों के अदालती दस्तावेज़ों को पढ़ने के बाद, हमे इस बात का सबूत मिला कि दरअसल शैल और एनी को यह पता था कि ये पैसा उस फर्जी कमापनी को दे दिया जाएगा, और सच कहें तो यह मान पाना कठिन है कि उन्हे पता नहीं था कि वो दरअसल किस से सौदा कर रहे थे। अब, इतनी मेहनत लगनी ही नहीं चाहिए ये पता लगाने में कि ऐसे सौदों में पैसे कहाँ गए। मेरा मतलब है कि ये राज्य की संपाती हैं। उनका इस्तेमाल होना चाहिए देश के लोगों की भलाई के लिए। लेकिन कुछ देशों मे, नागरिक और पत्रकार जो ऐसे कांडों का पर्दाफाश करने की कोशिश कर रहे हैं उन्हे तंग किया जा रहा है और हिरासत में लिया जा रहा है और कई लोगों ने तो इस के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल दी। और अंत में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो यह मानते हैं कि भ्रष्टाचार से बचा ही नहीं जा सकता। यही तरीका है जिस से कुछ व्यापार चलते हैं। इसको बदलना बहुत जटिल और मुश्किल है। तो इसका मतलब क्या है? हम इसे स्वीकार कर ले? पर एक प्रचारक और अन्वेषक होने के नाते मेरे विचार कुछ अलग हैं, क्योंकि मैंने देखा है कि क्या संभव है जब एक सोच गति पकड़ लेती है तो। तेल और खनन क्षेत्र में, उदाहरण के तौर पे, अब एक शुरुआत हो रही है सच्चे तौर पे विश्व व्यापी पारदर्शिता के मापदंड की जो की इस में से कुछ समस्याओं से निपट सकते हैं। 1999 में, जब ग्लोबल विट्नेस्स नें तेल कंपनियों को सौदों में भुगतान को पारदर्शी बनाने का आह्वान किया, तो कुछ लोग इसे भोलापन कह कर इस पर हंस रहे थे इस छोटे से विचार पर। लेकिन दुनिया भर से सैंकड़ों नागरिक समाज की संस्थाएं जुड़ गईं पारदर्शिता की लड़ाई में, और अब यह तेज़ी से आदर्श और कानून बनते जा रहा है। दो तिहाई मूल्य दुनिया की तेल और खनन कंपनियों का अब पारदर्शिता कानून के अंतर्गत आता है। दो तिहाई। तो यह बदलाव हो रहा है। यह प्रगति है। लेकिन मंज़िल अभी बहुत दूर है। क्योकि यह मसला भ्रष्टाचार का नहीं है जो वहाँ, कहीं दूर है, है ना? वैश्विकृत दुनिया में भ्रष्टाचार सच में वैश्वीकृत कारोबार है, जिसे वैश्विक स्तर पे समाधान की ज़रूरत है, हम सभी वैश्वीय नागरिकों द्वारा समर्थित और प्रोत्साहित, ठीक यहीं पे। धन्यवाद। (तालियाँ) तीन शब्द हैं जो बताते है मै यहाँ क्यों हूँ। वो हैं "एमी क्राउस रोज़न्तॉल"। एमी के अंत में, जो कि मॉर्फ़ीन अौर हॉस्पिस देखरेख में बीते, "न्यूयॉर्क टाइम्स" ने एमी का एक अनुच्छेद प्रकाशित किया जो उसने "मॉर्ङन लव" पत्रभाग के लिए, मार्च 03, 2017 में लिखा था। ये दुनिया-भर में 50 लाख लोगो द्वारा पढ़ा गया। अनुच्छेद असहनीय उदासीन, विङम्बनापूर्ण मज़ाकिया अौर क्रूरतापूर्ण खरा था। निश्चित ही यह हमारे साथ जीवन के बारे में था, पर इसका केंद्र मै था। इसका शीर्षक था "आप मेरे पति से शादी करना चाह सकते हैं"। यह मेरे लिए एक रचनात्मक निजी विज्ञापन था । एमी, सचमुच में, मेरे भरने के लिए एक खाली जगह छोड़ गयी एक दूसरी प्रेम कहानी से। एमी मेरे आधे जीवन के लिए मेरी पत्नी रहीं। वे 3 बेहतरीन ,अब बड़े, बच्चो का पालन-पोषण करने में मेरी साथी थीं, वे सच मे, मेरी थी। आप जानते हैं, हम मे, बहुत-कुछ समान था। हम एक ही कला से प्यार करते थे, समान वृत्तचित्र, समान संगीत। संगीत हमारे बाहम जीवन का बड़ा हिस्सा था। और हमने समान मूल्य साझा किए। हम प्यार मे थे, अौर हमारा प्यार उसके आखिरी दिन तक मज़बूत होता गया। एमी एक शानदार लेखक थी। दो अभूतपूर्व संस्मरण के अलावा, उसने 30 बच्चों की पुस्तकें प्रकाषित करीं। मरणोपरांत, वह किताब जो उसने लिखी थी हमारी बेटी पेरिस के साथ "डियर गर्ल" नामक, "न्यूयॉर्क टाइम्स" बेस्टसेलर सूची मे नंबर एक स्थान पर पहुंची। वह स्वयं वर्णित फिल्म निर्माता थीं l वह 5'1" थी और उसकी फिल्में इतनी लंबी नहीं थीं l (हँसी) उसकी फिल्में लोगों को इकट्ठा करने की उसकी प्राकृतिक क्षमता का उदाहरण देती थी । वह एक बेहतरीन सार्वजनिक वक्ता थी, बच्चे और सभी उम्र के लोगों के साथ बात करती पूरी दुनिया मेंं। अब, मेरी दुःख की कहानी केवल यह समझ में अनोखी है कि यह सार्वजनिक है। लेकिन, शोक की प्रक्रिया ही मेरी अकेली कहानी नहीं थी। एमी ने मुझे आगे बढ़ने की अनुमति दी, आैर मै इसके लिए उसका आभारी हूँ। अब, मेरे नए जीवन में एक साल से थोड़ा सा ज्यादा हुआ, मैंने कुछ चीजें सीखी हैं। मैं आपके साथ साझा करने के लिए हूं आगे बढ़ने की प्रक्रिया दुख के पार आैर साथ। लेकिन इससे पहले मै सोचता हूँ ये ज़रूरी है कि जीवन के अंत के बारे में थोड़ा सा बात करे, क्योंकि यह बनाता है कि भावनात्मक रूप से तब से, मै कैसा हूं। मृत्यु इतनी निषिद्ध विषय है, एमी ने अपना आखिरी भोजन 9 जनवरी, 2018 के किया था । उसने किसी तरह 2 आैर महीने जीया बिना ठोस भोजन के। उसके डॉक्टर्स ने बताया कि हम हॉस्पिस घर या अस्पताल में कर सकते है। उन्होने हमे यह नही बताया कि एमी अपने वज़न की आधी हो जाएगी, कि वह कभी अपने पति दोबारा के साथ नही रहेगी, अौर कि ऊपर कमरे तक जाना जल्द ही मैराथौन दौड़ जैसा लगेगा। घर मे शुश्रुषा करना मरने के लिए एक सुन्दर वातावरण होता है । कितना बढ़िया, कि आपके पास मशीनों की बीप की आवाज़ नही होगी जो कि हर समय चलती रहती है, अनिवार्य दवा प्रशासन में कोई व्यवधान नहीं घर, अपने परिवार के साथ, मरने के लिए। हमने अपनी पूरी कोशिश की उन हफ्तों को सबसे सार्थक बनाने के लिए। हमने अक्सर मृत्यु के बारे मे बात की। सभी जानते हैं कि यह निश्चित रूप से उनके साथ होना है लेकिन इस पर खुल के बात करना मुक्ति थी । हमने परवरिश जैसे विषयो पर बात करी । मैने एमी से पूछा कि मै कैसे हमारे बच्चो के लिए सर्वोत्म पिता बन सकता हूँ उसके न होने पर। उन बातचीतो मे,उसने मुझे आत्मविश्वास दिया इस बात पर जोर देकर कि मेरा उनमें से प्रत्येक के साथ कितना अच्छा रिश्ता था, आैर मै ये कर सकता हूँ। मै जानता हूँ एेसा कई बार होगा जब मै चाहूंगा वाे आैर मै एक साथ निर्णय लें। हम हमेशा बहुत ताल-मेल में थे। क्या मैं सुझाव दे सकता हूं कि आप ये बातचीत अभी करें, जब आप स्वस्थ हैं। कृपया इंतज़ार न करें। हमारे धर्मशाला अनुभव के हिस्से के रूप में हमने आगंतुकों के समूहों का आयोजन किया। वो कितनी साहसी थी, जो शारीरिक रूप से गिरावट होने के बावजूद उनसे मिलती। हमने एक क्राऊस शाम रखी, उसके माता-पिता आैर 3 भाई-बहन। अगले दोस्त आैर परिवार थे। सबने एमी आैर हमारी सुंदर कहानियाँ सुनायी। एमी ने अपने वफादार दोस्तों पर काफी असर ङाला । लेकिन घर मे हॉस्पिस परिवार के बाकी लोगो के लिए सुंदर नही होता। मै यहाँ थोड़ा निजी होना चाहता हूँ आैर बताना चाहता हूँ कि आज तक, मेरे पास उन अंतिम हफ्तों की यादें है जो मुझे परेशान करती है। मुझे याद है बाथरूम की तरफ पीछे चलना, हर-एक कदम पर एमी की मदद करना। मै शक्तिशाली महसूस कर रहा था। मै इतना बड़ा आदमी नहीं हूँ लेकिन मेरी बांह एमी की नाज़ुक देह से बहुत मज़बूत दिख अौर महसूस हो रही थी। और वह देह हमारे घर में विफल हुई। पिछले साल 13 मार्च को, मेरी पत्नी हमारे बिस्तर पर डिम्बग्रंथि के कैंसर से मर गई। मैं उसका निर्जीव शरीर ले गया सीढ़ियों से नीचे, हमारे भोजन कक्ष से आैर हमारी बैठक से प्रतीक्षा करते स्ट्रेचर तक उसके अंतिम संस्कार के लिए। मै उस छवि को अपने सिर से कभी बाहर कर पाऊगा। अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो ऐसे अनुभव से गुज़रा है, उससे सहानुभूति रखें। बस कहना कि आपने इस आदमी जेसन को सुना है कि यह कितना कठिन होगा उन यादों को रखना और तुम वहाँ हो अगर वे कभी इसके बारे में बात करना चाहते हैं। वे बात नहीं करना चाहेंगे, लेकिन किसी के साथ जुड़ना अच्छा लगता है हर दिन उन स्थायी छवियों के रहने के साथ। मुझे पता है यह अविश्वसनीय लगता है, लेकिन मुझसे वो सवाल कभी नहीं पूछा गया । एमी के निबंध ने मुझे सार्वजनिक तरीके से दुःख का अनुभव कराया। मेरे पास पहुंचने वाले कई पाठको ने चिंतन के सुंदर शब्द लिखे। एमी के प्रभाव का दायरा गहरा और धनी था इतना कि दोस्त आैर परिवार को भी नही पता था। मुझे प्राप्त कुछ प्रतिक्रियाओं ने तीव्र शोक प्रक्रिया मे मेरी मदद करी। उनके हास्य की वजह से, जैसे कि यह ईमेल जो मुझे एक महिला पाठक से मिले, जिसने लेख पढ़ा, घोषित किया "जब आप तैयार हों तो मैं आपसे शादी करूंगी-- (हँसी) "बशर्ते आप स्थायी रूप से पीना से छोड़े। कोई अन्य शर्तें नहीं। मै वादा करती हूँ आपसे ज्यादा जीने का। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।" अब, मुझे एक अच्छी टकीला पसंद है, लेकिन यह वास्तव में मेरा मुद्दा नहीं है। फिर भी मैं उस प्रस्ताव को न कैसे कहुँ? (हँसी) परिवार के मित्र का यह नोट पढ़कर मै आँसुआें के साथ हँसा। "मुझे आपके घर पर शब्बत रात्रिभोज याद है आैर एमी ने मुझे कॉर्नब्रेड क्रूटॉन बनाने सिखाए केवल एमी क्रूटॉन मे रचनात्मकता ढूंढ सकती है। (हँसी) 27 जुलाई को, एमी की मौत के कुछ महीनो बाद, मेरे पिता जटिलताओं से मर गए पार्किंसंस रोग की, जो एक दशक से चल रही थी। मुझे आश्चर्य करना पड़ा: मानव हालातों को कितना संभाल सकता है? वह क्या है जो हमें सक्षम बनाता है इस तीव्र हानि से निपटने के लिए आैर फिर भी आगे बढ़ते रहे। क्या यह एक परीक्षा थी? मेरे परिवार और मेरे अद्भुत बच्चे क्यों? जवाब की तलाश में, मुझे पछतावा है, कि यह एक आजीवन मिशन है, लेकिन मेरे डटे रहने की कुंजी एमी का व्यक्त और बहुत ही सार्वजनिक फरमान है कि मुझे चलना होगा। इस साल के दौरान, मैंने बस यही किया है। मैंने बाहर निकलने का प्रयास किया है और खुशी और सुंदरता की तलाश की जो मैं जानता हूँ, ये जीवन प्रदान करने में सक्षम है। लेकिन यहां वास्तविकता है: उन पारिवारिक सभाएें शादी में भाग लेना और एमी का सम्मान करने वाले समारोह, जितने ये प्यारे है सभी को सहन करना मुश्किल होता था। लोग मुझे अद्भुत मानते है "आप अपने आप को कैसे संभालते है उस समय के दौरान ? " वे कहते है, आप यह बहुत सुंदर ढंग से करते है। अच्छा, अंदाजा लगाए? मैं वास्तव में बहुत बार उदास होता हूँ। मुझे अक्सर लगता है कि मैं एक गड़बड़ की तरह हूँ, और मैं जानता हूं ये भावनाएें अन्य जीवित पति / पत्नी पर लागू होते हैं, बच्चे, माता-पिता और अन्य परिवार के सदस्य। जापानी जेन में, "शोजी" शब्द है जो "जन्म मृत्यु" के रूप में अनुवाद करता है। जीवन और मृत्यु के बीच कोई विरह नहीं है एक पतली रेखा के अलावा जो दोनों को जोड़ती है। जन्म, या खुशी, जीवन के अद्भुत, महत्वपूर्ण भाग, और मौत, वो चीजें जिन से हम छुटकारा पाना चाहते हैं, कहा जाता है कि दोनो से समान सामना करना होता है। इस नए जीवन में मैं खुद को पाता हूं, मैं इस धारणा को गले लगाने की पूरी कोशिश कर रहा हूं जैसे मैं दुख के साथ आगे बढ़ता हूं। हालांकि,एमी की मृत्यु के शुरुआती महीनों में मुझे यकीन था कि निराशा की भावना हमेशा मौजूद होगी कि ये मुझे खा जाएगी । मै भाग्यशाली था ,जल्द ही, कुछ आशाजनक सलाह मिली। लुज़िंग ए स्पाउस़ क्लब के कई सदस्य मुझ तक पहुँचे। विशेष रूप से एक दोस्त जिसने भी अपने जीवन साथी को खोया बार-बार कहता, "जेसन, आपको खुशी मिलेगी। मुझे नहीं पता वह किस बारे में बात कर रही थी। यह कैसे संभव था? लेकिन क्योंकि एमी ने मुझे बहुत सार्वजनिक अनुमति दी थी खुशी भी ढूंढने के लिए, अब मै खुशी का समय समय पर अनुभव करता हूँ। एक एलसीडी ध्वनि प्रणाली संगीत कार्यक्रम में रात भर नाचते हुए मेरे भाई आैर सबसे अच्छे मित्र या कॉलेज के दोस्तो के साथ सैर करना महान लोगो के समूह से मिलना जिनसे मै कभी नही मिला। एक सर्द दिन में अपने डेक से सूरज को चमकता देखना इसमे बाहर कदम रखना,लेटना गरमाहट मेरे शरीर मे जाती हुई महसूस करना। खुशी मुझे मेरे 3 लाजवाब बच्चो से मिलती है। मेरा बेटा जस्टिन, मुझे अपनी फोटो एक उम्र मे बड़े सज्जन के साथ भेजता है जिसकी भारी ,मज़बूत बाँह थी आैर अनुशीर्षक था, "मै अभी पोपाय से मिला," चेहरे पर एक विशाल मुस्कराहट के साथ। (हँसी) उसका भाई माइल्स, ट्रेन की तरफ जाते हुए नौकरी के पहले दिन, कॉलेज से ग्रेजुएट होने के बाद, रुकता है आैर मेरी तरफ देख के पूछता है, "मै क्या भूल रहा हूँ?" मैंने उसे तुरंत आश्वासन दिया, " तुम 100 प्रतिशत तैयार हो।" और मेरी बेटी पेरिस, साथ - साथ चलते हुए लंदन में बैटरसी पार्क से, पत्तियों का ऊंचा ढेर, सुबह सूरज चमकता है योग के लिए हमारे रास्ते पर। मैं जोड़ूंगा सुंदरता भी है, खोजने के लिए , सुंदरता से मेरा मतलब दोषयुक्त भी, लेकिन फिर भी सुंदर। एक तरफ, इस श्रेणी में, जब मैं कुछ देखता हूं, मैं कहना चाहता हूं, "एमी, क्या तुमने उसे देखा? क्या तुमने सुना? यह बहुत सुंदर है मेरे साथ साझा नहीं करने के लिए दूसरी तरफ, इन पलों को अनुभव करता हूँ पूरे ही नवीन तरीके से। मैने संगीत में सुंदरता ढूंढी, नए मैनचेस्टर ऑर्केस्ट्रा एल्बम में पलो की तरह, जब गीत "द एलियन" निर्बाध रूप से "सनशाइन" में पारगमन करता है या मनमोहक सुंदरता ल्यूक सिताल-सिंह का गीत "इट्स किलिंग," जिसका कोरस है, "और यह मुझे मार रहा है कि तुम मेरे साथ यहाँ नहीं हो। मैं खुशी से रह रहा हूँ, लेकिन मैं दोषी महसूस कर रहा हूं। " सरल क्षणों में सुंदरता है जो जीवन पेश करता है, उस दुनिया को देखने का एक तरीका जो एमी के डीएनए का हिस्सा था, जैसे सुबह आते-जाते मिशिगन झील से प्रतिबिंबित हो रहे सूरज को देखना या रूक कर, वास्तव में देखना प्रकाश कैसे चमकता है दिन के अलग-अलग समय पर उस घर में जो हमने एक साथ बनाया; शिकागो तूफान के बाद भी, बर्फ बनना देखना पूरे पड़ोस में या मेरी बेटी के कमरे में देखना जब वह बास गिटार का अभ्यास करती है। सुनिए, मैं इसे स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं एक बहुत भाग्यशाली व्यक्ति हूँ। मेरे पास सबसे अद्भुत परिवार है जो मुझे प्यार करता है और समर्थन करता है। मेरे पास व्यक्तिगत विकास के लिए संसाधन हैं दुःख के समय के दौरान। लेकिन चाहे यह तलाक हो, नौकरी खोना जिसके लिए आपने मेहनत की हो या परिवार के एक सदस्य की मृत्यु सहसा होना या धीरे आैर दर्दनाक तरीके से होना, मैं आपको पेश करना चाहता हूं जो मुझे दिया गया था: एक कोरा कागज़। आप क्या करेंगे अपनी जानी- बूझी खाली जगह के साथ, अपनी ताजा शुरुआत के साथ? धन्यवाद। (तालियां) हम एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर हैं. हमारा नेतृत्व, कुछ महान संस्थाएं हमें कमजोर कर रही हैं. मगर क्यों ? कुछ मामलों में, ऐसा इसलिए है क्योंकि वे खराब हैं या अनैतिक, लेकिन अक्सर, वे हमें ले गए हैं गलत उद्देश्यों के लिए। और यह अस्वीकार्य है। इसे रोकना होगा. हम इन गलतियों को कैसे सुधारेंगे? फिर सही रास्ता क्या है ? यह आसान नहीं होने वाला है। सालों से, मैंने प्रतिभाशाली टीमों के साथ काम किया है उन्होंने सही उद्देश्यों को चुना है और गलत भी कई सफल हुए हैं, उनमें से अन्य विफल हो गए हैं। और आज मैं तुम्हारे साथ साझा करने जा रहा हूं। वास्तव में किस चीज से फर्क पड़ता है - यही महत्वपूर्ण है, कैसे और क्यों ? उन्होंने स्पष्ट और सार्थक लक्ष्यों को निर्धारित किया, सही कारणों के लिए सही लक्ष्य। आइए 1 9 75 में वापस जाएं। हाँ, यह मैं हूँ। मुझे बहुत कुछ सीखना है, मैं एक कंप्यूटर इंजीनियर हूँ, लंबे बाल हैं मेरे न मैं एंडी ग्रोव के तहत काम कर रहा हूं। जिसे किसी भी युग का महानतम प्रबंधक कहा जाता है एंडी एक शानदार नेता था और एक शिक्षक भी, उसने मुझसे कहा, "जॉन, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या जानते हैं। निष्पादन सबसे महत्वपूर्ण बात है। " और इसलिए एंडी ने एक प्रणाली का आविष्कार किया "उद्देश्य और कुंजी परिणाम" कहा जाता है। और ऐसा डंके की चोट पर कहा और यह सब उत्कृष्ट निष्पादन के बारे में है। यहां 1 9 70 के दशक से एक क्लासिक वीडियो है प्रोफेसर एंडी ग्रोव का (वीडियो) एंडी ग्रोव: दो प्रमुख वाक्यांश उद्देश्य प्रणाली प्रबंधन का उद्देश्य और मुख्य परिणाम हैं, और वे दो उद्देश्यों से मेल खाते हैं। उद्देश्य दिशा है। मुख्य परिणामों को मापना है, लेकिन अंत में आप देख और बिना किसी तर्क के कहते हैं, "क्या मैंने ऐसा किया, या नहीं किया?" सीधी बात! है जॉन डोएर: वह एंडी है। हाँ। नहीं सरल। उद्देश्य और कुंजी परिणाम, या उद्देश्य और प्रमुख परिणाम एक साधारण लक्ष्य निर्धारण प्रणाली हैं वे संगठनों और टीमों के लिए काम करते हैं, व्यक्तियों के लिए भी । आप उद्देश्य पूरा करना चाहते हैं। मुख्य परिणाम कैसे हैं मैं ऐसा करने जा रहा हूँ। उद्देश्य। मुख्य परिणाम क्या और कैसे? लेकिन सच यह है: हम में से कई गलत लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं, अधिकांश लक्ष्य निर्धारित ही नहीं कर रहे हैं। बहुत संगठन उद्देश्य निर्धारित और हासिल करते हैं। वे अपने नए उत्पादों को पेश करते हैं, भेजते भी हैं। वे अपनी संख्या पूरी करते हैं। लेकिन उनमें उद्देश्य की भावना नहीं है अपनी टीमों को प्रेरित करने के लिए। तो आप कैसे तय करते हैं कि लक्ष्य सही हैं? सबसे पहले, "क्यों? "का जवाब देना होगा। क्यूं ? क्योंकि वास्तव में परिवर्तनकारी टीमें उनकी महत्वाकांक्षाओं को संगिठत करें उनके जुनून और उनके उद्देश्य के लिए, वे 'क्यों' के प्रति स्पष्ट भावना विकसित करते हैं मैं आपको एक कहानी सुनाऊं। मैं एक उद्यमी के साथ काम करता हूं। उसका नाम जिनी किम है। वह नूना नामक एक कंपनी चलाती है। नूना एक स्वास्थ्य देखभाल डेटा कंपनी है। और जब नूना की स्थापना हुई थी,उन्होंने बड़ी कंपनियों में श्रमिकों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए डेटा इस्तेमाल किया और फिर दो साल कंपनी के जीवन में, संघीय सरकार ने एक प्रस्ताव जारी किया मेडिकेड के लिए पहला क्लाउड डेटाबेस बनाने के लिए अब, आपको याद होगा कि मेडिकेड वह कार्यक्रम है जो 70 मिलियन अमेरिकियों की सेवा करता है, गरीब लाेग, हमारे बच्चे और विकलांग लोग उस समय नुना में सिर्फ 15 लोग थे। और यह डेटाबेस एक साल में बनाया जाना था, उनके पास प्रतिबद्धताओं का एक पूरा सेट था जिसका कि उन्हें सम्मान करना था, सच तो यह है कि वे इस परियोजना से बहुत पैसा नहीं milta जा रहे थे । कंपनी की साख दाँव पर लगी थी। और जिनी ने इसे लपक लिया। उसने अवसर को कैद कर लिया, बचने की कोशिश नहीं की। क्यों ? खैर, यह एक निजी कारण है। जिनी के छोटे भाई किमोंग काे ऑटिज़्म है। और जब वह सात वर्ष का था, उनकाे पहला दाैरा पड़ा था। डिज़नीलैंड में वह जमीन पर गिर गया और सांस लेना बंद कर दिया। जिनी के माता-पिता कोरियाई आप्रवासी हैं। वे सीमित संसाधनों के साथ देश आए थे। थोड़ी बहुत अंग्रेजी बोलना जानते थे। तो यह जिनी तक था अपने परिवार को मेडिकेड में नामांकित करना। वह नौ साल की थी। उसी पल अपने मिशन को परिभाषित किया, और वह मिशन उसकी कंपनी बन गया, और उस कंपनी ने बोली लगाई, जीता और अनुबंध पूरा किय़ा। यहां आपको बताए जाने के लिए जिनी है । (वीडियो) जिनी किम: मेडिकेड ऩे दिवालियापन से परिवार को बचाया, और आज यह किमोंग के लिए स्वास्थ्य प्रदान करता है, और भी लाखों लोगों के लिए। नूना मेडिकेड को मेरा प्रेम पत्र है। डेटा की हर पंक्ति एक जीवन है । जिसकी कहानी गरिमा के साथ बताने योग्य है । । जेडी: और जिनी की कहानी हमें बताती है कि क्यों एक प्रबल भावना हमारे उद्देश्यों के लिए लॉन्चपैड हो सकती है। याद रखें, यही हम पूरा करना चाहते हैं। और उद्देश्य महत्वपूर्ण हैं, वे क्रिया उन्मुख हैं, वे प्रेरणादायक हैं, अस्पष्ट सोच के खिलाफ वे एक तरह का टीका हैं। आप रॉकस्टार की तरह सोचते हैं उद्देश्यों और मुख्य परिणामों का अनपेक्षित उपभोक्ता लेकिन सालों से, बोनो ने ओकेआर का इस्तेमाल किया है एक वैश्विक युद्ध मजदूरी के लिए गरीबी और बीमारी के खिलाफ, उसके संगठन ने बेहतरीन पर ध्यान केंद्रित किया है, प्रबल उद्देश्य प्रथम, ऋण से राहत दुनिया के सबसे गरीब देशों के लिए। फिर एचआईवी विरोधी दवाओं के लिए सार्वभौमिक पहुंच है। अब, ये अच्छे उद्देश्य क्यों हैं? आइए हमारी चेकलिस्ट पर वापस जाएं। महत्वपूर्ण? चेक। ठोस? हाँ। कार्य उन्मुख? हाँ। प्रेरणादायक? खैर, चलो बोनो से सुनो। (वीडियो) बोनो: तो आप भावुक हैं? कितना ? आपका जुनून क्या करता है आपके के लिए ? अगर दिल और दिमाग नहीं मिलता है । तो आपके जुनून का मतलब कुछ भी नहीं । ओकेआर ढांचा पागलपन पैदा करता है, इसके अंदर निहित रसायन शास्त्र । यह हमें जोखिम के लिए एक माहौल देता है, विश्वास के लिए, जहां असफलता एक अपराध नहीं है। जब आपके पास ऐसी संरचना और पर्यावरण होता है और सही लोग, जादू बस हाेने काे है। जेडी: मुझे वही पसंद है। OKR पागलपन पैदा करते हैं, और जादू चारों ओर है। यह संपूर्ण है। तो जिनी के साथ हमने कारणाें को कवर किया है। बोनो के लक्ष्य-सेटिंग क्या हैं? आइए अब तरीके पर ध्यान दें। याद रखें, परिणाम तरीके पर निर्भर है। इस तरह हम अपने उद्देश्यों को पूरा करते हैं। अच्छे परिणाम विशिष्ट और समयबद्ध हैं। वे आक्रामक लेकिन यथार्थवादी हैं। वे मापने योग्य और सत्यापित हैं। वे अच्छे परिणाम हैं। 1 999 में, मैंने गूगल के कोफाउंडर्स के लिए, ओकेआर पेश किए लैरी और सर्गेई। वे यहाँ हैं,अपने गेराज में 24 साल के। और सर्गेई उत्साह से ने कहा कि वह उन्हें अपनायेगा। खैर, काफी नहीं। उसने वास्तव में कहा था, "हमारे पास इस कंपनी प्रबंधन का कोई अन्य तरीका नहीं है हम इसे आजमाकर देखेंगे (हँसी) और मैंने इसे समर्थन के रूप में लिया। लेकिन तब से हर तिमाही, हर गूगलर ने उद्देश्य व परिणाम लिखे उ वर्गीकृत किया है, उन्होंने इसे प्रकाशित किया है सभी के लिए। और इनका उपयोग नहीं किया जाता है बोनस के लिए या प्रचार के लिए। वे एक तरफ कर दिये जाते हैं। उनका उपयोग उच्च उद्देश्य के लिए किया जाता है, और यह सामूहिक प्रतिबद्धता के लिए है लक्ष्यों को फैलाने के लिए 2008 में, एक गूगलर, सुंदर पिचई, एक उद्देश्य पर ले गया अगली पीढ़ी के ग्राहक मंच का निर्माण वेब अनुप्रयोगों के भविष्य के लिए - सर्वश्रेष्ठ ब्राउज़र उसने विचार करके मुख्य परिणामों को चुना सबसे अच्छा ब्राउज़र कैसे जैसे विज्ञापन क्लिक या लाेगाों सेजुड़ाव उन्होंने कहा: उपयोगकर्ताओं की संख्या, क्योंकि उपयोगकर्ता निर्णय करेंगे क्रोम एक बेहतरीन ब्राउज़र है या नहीं तो यह था तीन साल का उद्देश्य: सबसे अच्छा ब्राउज़र बनाएँ। फिर हर साल वह एक ही परिणाम पर अटक गया, उपयोगकर्ताओं ने ऊंचा दांव लगाया पहले वर्ष में, उनका लक्ष्य 20 मिलियन उपयोगकर्ता उससे यह नहीं हुआ 10 मिलियन से भी कम दूसरे साल 50 मिलियन का लक्ष्य रखा हुए सिर्फ 37 मिलियन थोड़ा सुधार तीसरे साल 100 मिलियन का लक्ष्य रखा उसने आक्रामक मार्केटिंग अभियान की शुरुआत की व्यापक वितरण, प्रौद्योगिकी में सुधार और कबूम! उन्हें 111 मिलियन उपयोगकर्ता मिले। यह कहानी मुझे इसलिए पसंद है सिर्फ सुखद अंत की बात नहीं है। लेकिन यह दिखाता है ध्यान से सही उद्देश्य का चयन करें। इसके बाद साल-दर-साल यही करते रहना यह मेरे जैसे बेवकूफ के लिए आदर्श कहानी है। अब मैं ओकेआर को पारदर्शी जहाजों के रूप में देखता हूं जिनका निर्माण हमारी महत्वकांक्षाओं जैसा ही होता है वास्तव में जो मायने रखता है वही उन जहाजों में डालते हैं यही कारण है हम अपना काम करते हैं। ओकेआर कोई सिल्वर बुलेट नहीं है वे एक मजबूत संस्कृति का विकल्प नहीं हो सकते या मजबूत नेतृत्व के लिए, बुनियाद मजबूत हो तो आप पहाड़ की चोटी तक पहुंच सकते हैं एक पल के लिए अपने जीवन के बारे में सोचिए आपके पास सही मेट्रिक्स है? अपने मूल्य सोचकर लिखो आपके उद्देश्य और मुख्य परिणाम इसे आज ही करो अगर आप उन पर फीडबैक चाहते हैं तो मुझे भेज सकते हैं मैं john@whatmatters.com अगर हम दुनिया के बदलते लक्ष्यों के बारे में सोचते हैं एक इंटेल, एक नूना आैर बोनो के, या गूगल वे उल्लेखनीय हैं: सर्वव्यापक कंप्यूटिंग, सस्ती स्वास्थ्य देखभाल, हर किसी के लिए उच्च गुणवत्ता, वैश्विक गरीबी खत्म, पूरी दुनिया की जानकारी तक पहुंच पते की बात है उन लक्ष्यों में से हर एक ओकेआर द्वारा संचालित है। मुझे ओकेआर का जॉनी एप्पलसीड कहा गया है एंडी ग्रोव के अनुसार, सुसमाचार फैलाने के लिए मैं चाहता हूं आप इस आंदोलन में मेरे साथ जुड़ें जो वास्तव में मायने रखता है उसके लिए संघर्ष करें ओकेआर काे हम कारोबार से भी आगे ले जा सकते हैं अपने परिवारों में ले जा सकते हैं, स्कूलों में ले जा सकते हैं यहां तक कि हमारी सरकारों के लिए भी हम सरकारों को उत्तरदाई बना सकते हैं हम उन सूचनाओं को बदल सकते हैं हम सही रास्ते पर वापस आ सकते हैं जो वास्तव में मायने रखता है अगर हम उसे माप सकें धन्यवाद (तालियां) मैं पांच साल की हूँ, और मुझे अपने आप पर गर्व है. मेरे पिता ने युक्रेन के हमारे छोटे से गाँव में एक नया शौचालय बनाया है. शौचालय के अन्दर जमीन में एक बदबूदार गड्ढा है, लेकिन बाहर यह सफ़ेद फॉर्मिका से बना है जो सूरज की रोशनी में चमकता है. इस शौचालय के कारण मुझे इतना गर्व होता है कि मैंने खुद को अपने दोस्तों के छोटे से ग्रुप में मैं लीडर बन गयी हूँ और मैं ग्रुप के लिए मिशन तय करती हूँ. तो हमलोग एक घर से दूसरे घर दौड़ते फिरते हैं मकड़ी के जालों में फंसे कीट-पतंगों को ढूंढते हुए. और फिर हम उन्हें आजाद करते हैं. चार साल पेहले, जब मैं एक साल की थी, चेर्नोबिल दुर्घटना के बाद काले रंग की बारिश हुई और मेरी बहन के बाल गुच्छों में टूट कर गिरने लगे, और मैंने नौ महीने अस्पताल में बिताए. अस्पताल में विजिटर्स का आना मना था, इसलिए मेरी मां ने अस्पताल के एक कर्मचारी को रिश्वत दी. उसने किसी तरह एक नर्स की यूनिफ़ॉर्म की व्यवस्था की और हर रात वह चुपके से अस्पताल में घुस आती थी और मेरे बगल में बठी रहती थी. पांच साल बाद, अचानक से हमारे अच्छे दिन शुरू हुए. भला हो चेर्नोबिल घटना का, हमें अमरीका में शरण मिली. मैं छह साल की हूँ, और अपना देश छोड़कर अमरीका आते हुए मैं बिलकुल नहीं रोई क्योंकि मुझे लगता है कि यह केलों, चौकलेट्स और बज़ूका बबलगम जैसी अच्छी और दुर्लभ चीजों से भरी हुई जगह होगी. बज़ूका बबलगम जिसके अन्दर छोटे कार्टून रैपर्स होते हैं वो बज़ूका जो हमें यूक्रेन में साल में एक बार नसीब होती थी और उसे ही हमें एक हफ्ते तक चबाना होता था. तो पहले दिन ही जब हम न्यूयॉर्क जाते हैं, मुझे और मेरी दादी को एक सिक्का मिलता है जिस शरणार्थी शिविर में मेरा परिवार रहता है उसी में जमीन पर गिरा हुआ. लेकिन हमें नहीं पता कि यह शरणार्थी शिविर है हमें तो लगता है कि यह एक होटल है, ऐसा होटल जिसमें बहुत चूहे हैं. तो, हमें जमीन में गिरा हुआ वो गन्दा-मैला सिक्का मिलता और हम मन में सोचते हैं कि जरूर किसी अमीर आदमी वह सिक्का वहां भूल गया होगा क्योंकि आम लोग थोड़े न अपने पैसे खोते हैं और मैं उस सिक्के को अपनी हथेली में लेती हूँ यह जंग लगा हुआ चिपचिपा सा सिक्का है लेकिन मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरे हाथ में कोई खजाना रखा हो मैं तय करती हूँ कि मैं इस सिक्के से सिर्फ अपने लिए एक बजूका बबलगम खरीदूंगी. और उस पल में मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं करोड़पति हूँ. करीब एक साल के बाद, मुझे फिर से वैसी ही खुशी महसूस हुई जब कचरे के डब्बे में मुझे जानवरों वाले खिलौनों से भरा एक थैला मिला और अचानक से मेरे पास इतने सारे खिलौने हो गए जितने मैंने पूरी ज़िंदगी में नहीं देखे थे. और एक बार फिर मुझे वैसी ही खुशी होती है जब ब्रुकलिन के हमारे अपार्टमेंट के दरवाजे पर कोई दस्तक देता है और मैं और मेरी बहन देखते हैं कि यह तो डिलीवरी वाला है हाथों में एक पिज्जा बॉक्स लिए, जो कि हमनें ऑर्डर ही नहीं किया था. तो हमलोगों वो पिज़्ज़ा ले लेते हैं, हमारी ज़िंदगी का पहला पिज़्ज़ा. और हम एक के बाद एक, सारे स्लाइस खा जाते हैं. और वो डिलीवरी वाला बरामदे में ठिठक कर हमें खाते हुए देखता रहता है. और फिर वह पैसे मांगता है, लेकिन हमें तो अंग्रेजी आती ही नहीं. मेरी मां बाहर आती है, और वह मां से पैसे मांगता है लेकिन उसके पास उतने पैसे नहीं होते हैं. वह तो रोज काम करने के लिए पचास ब्लॉक पैदल जाती और आती है. सिर्फ इसलिए कि बस किराए के पैसे बचा सके. और तभी हमारी पड़ोसन दरवाजे से झांकती है और वह गुस्से से आगबबूला हो जाती है जब उसे पता लगता है कि नीचे वाले अप्रवासी लोग उसका पिज़्ज़ा लेकर खा गए हैं. इस वक्त हर कोई परेशान है. लेकिन पिज़्ज़ा सचमुच स्वादिष्ट है. यह मुझे बहुत सालों के बाद महसूस हुआ कि हम कितने गरीब थे. अमरीका आने की दसवीं सालगिरह पर हमने तय किया कि हम एक कमरा रिज़र्व करेंगे उसी होटल में जहाँ हम अमरीका आने के बाद पहली बार ठहरे थे. रिसेप्शन पर बैठा आदमी हंसने लगता है और बोलता है, "आप यहाँ कमरा रिज़र्व नहीं कर सकते. यह शरणार्थी शिविर है." और हमें शॉक लगता है. मेरा पति ब्रायन भी एक बेघर बच्चा था. जब वह ग्यारह साल का था, उसके परिवार ने सब कुछ खो दिया. उसे अपने पिता के साठ मोटलों में रहना पड़ता था. मोटल जो उनका सारा खाना लेकर जब्त कर लेते और तब तक नहीं देते जग तक वे सारा बिल न जमा कर दें. और एक दिन जब ब्रायन को अपना फ्रॉस्टेड फ्लेक्स का बॉक्स वापस मिला तो उसमें कॉक्रोच भरे हुए थे. लेकिन उसके पास एक चीज थी. एक जूतों का बॉक्स जिसको वह हमेशा अपने साथ रखता था उसमें नौ कॉमिक्स की किताबें थीं, दो 'जी.आई. जो' खिलौने जो स्पाइडरमैन की तरह पेंट किये हुए थे, और पांच गोबोट. और यही उसका खजाना था. यह उसके पसंदीदा बहादुर नायकों की फ़ौज थी जो ड्रग्स और गैंग्स से उसकी रक्षा करती थी. और उसे उसके सपनों को छोड़ने से रोकती थी मैं आपको अपने परिवार के एक और पूर्व बेघर सदस्य के बारे में बताने जा रही हूँ. ये स्कार्लेट है. एक समय था जब कुत्तों की लड़ाई में चारे की तरह स्कार्लेट का इस्तेमाल किया जाता था. उसे बाँधकर रिंग में छोड़ दिया जाता था जिससे कि अन्य कुत्ते उसपर हमला करें और असली लड़ाई के लिए और आक्रामक हो जाएँ और अब, आजकल, ये ऑर्गेनिक खाना खाती है और आरामदेह और्थोपेडिक बिस्तर पर सोती है जिसपर उसका नाम भी लिखा है. लेकिन जब हम उसके कटोरे में पानी डालते हैं, तो वह ऊपर देखती है और कृतज्ञता से अपनी पूँछ हिलाती है. कभी-कभी ब्रायन और मैं स्कार्लेट के साथ पार्क में टहलते हैं और वह घास पर लोटने लगती है और हम सिर्फ उसको देखते हैं फिर हम एक दूसरे को देखते हैं और हम कृतज्ञ महसूस करते हैं. हम माध्यम-वर्ग की अपनी सारी नयी परेशानियों और निराशाओं को भूल जाते हैं और हमें लगता है कि हम करोड़पति हैं. धन्यवाद. (तालियाँ) हम भविष्य के बारे में क्या जानते हैं ? प्रश्न कठिन है, पर जवाब काफी आसान है : कुछ नहीं । हम भविष्य की भविष्यवाणी नहीं कर सकते । हम केवल भविष्य की एक कल्पना कर सकते हैं, कि वो कैसा होगा एक कल्पना, जो विध्वंसकारक विचारों को बेपर्दा करती है, जो प्रेरित करती है, और ये सबसे महत्वपूर्ण कारण है जो आम सोच की बेड़ियों को तोड़ता है | बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्होंने भविष्य के बारे में अपनी अपनी कल्पनायें की है, उदाहरण के लिए, 20 वीं सदी की ये कल्पना यहाँ ये लिखा है कि ये भविष्य का सागर विमान है । यह अटलांटिक महासागर पार करने के लिए केवल डेढ़ (एक और आधा) दिन लेता है । आज हमें पता है कि भविष्य की ये कल्पना पूरी नहीं हो पायी । ये हमारा सबसे बड़ा हवाई जहाज है, एयरबस A380, और यह काफी बड़ा है, इसलिए इसमें बहुत से लोग समा जाते हैं और यह तकनीकी रूप से उस कल्पना से पूरी तरह से अलग है जो मैंने आपको दिखाई थी । मैं एयरबस के साथ एक टीम में काम कर रहा हूँ, और हमने अपनी कल्पना बनायीं है उड्डयन के एक अधिक टिकाऊ भविष्य के बारे में । स्थिरता हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है जिसमे सामाजिक मूल्यों के साथ पर्यावरणिक और आर्थिक मूल्यों को भी सम्मिलित करना चाहिए । इसलिए हमने एक एक बहुत विघटनकारी संरचना बनाई गई है जो हड्डी के डिजाइन या एक कंकाल की नकल करती है जो प्रकृति में होता है | इसलिए यह अजीब लगता है खासकर उनको जो संरचना के साथ कम करते हैं। लेकिन यह भविष्य की छान बीन चित्रकला की तरह करना है भविष्य के मुख्य ग्राहक कौन हैं? तो बूड़े हैं, जवान हैं, औरतों की बढती ताकत है और एक ज़बरदस्त दौर जो हम सब पर असर करता है भविष्य के मानव-मात्रिक। हमारे बच्चे बड़े हो रहे हैं, लेकिन हम अलग दिशाओं में बड़ रहे हैं. तो हमें विमानों के घने भीतरी हिस्सों में जगह चाहिए। इन लोगों की ज़रूरते अलग हैं। जरूरत हैं सक्रिय स्वास्थ्य संवर्धन की खासकर वृद्धों के लिए. हम व्यक्ति विशेष व्यवहार चाहते हैं. हम पूरे यात्रा की श्रृंखला में उत्पादक होना चाहते और क्या हम भविष्य में क्या कर रहे है हम नवीनतम आदमी-मशीन इंटरफेस का उपयोग करना चाहते और इसे एकीकृत कर एक उत्पाद में देखना चाहते हैं. तो हमने इन ज़रूरतों को प्रौद्योगिकी के साथ संयुक्त किया. उदाहरण के लिए , हम अपने आप से पूछ रहे हैं हम और अधिक प्रकाश कैसे बना सकते हैं ? हम हवाई जहाज में अधिक प्राकृतिक प्रकाश कैसे ला सकते हैं? इस हवाई जहाज में उदाहरण के लिए , कोई खिड़की नहीं है. डेटा और संचार सॉफ्टवेयर जो हमें भविष्य में चाहिए। मेरा विश्वास है कि भविष्य के हवाई जहाज में अपनी ही चेतना होगी. यह एक जीव की तरह होगा जटिल प्रौद्योगिकी के एक संग्रह की जगह. यह भविष्य में बहुत अलग हो जाएगा यह सीधे बातचीत करेंगे इसके वातावरण में यात्रियों के साथ और फिर हम , सामग्री के बारे में भी बात कर रहे हैं उदाहरण के लिए सिंथेटिक जीव विज्ञान, और मेरा विश्वास है कि हमें और सामग्री मिल जाएगी जो हम संरचना में डाल सकते हैं, क्योंकि संरचना विमान डिजाइन में महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है . तो नई दुनिया के साथ पुरानी दुनिया की तुलना करते हैं . हम आज क्या कर रहे हैं यहाँ आप को दिखाना चाहते हैं यह एक 380 चालक दल के डिब्बे का एक वर्ग है . यह बहुत वजन लेता है और यह शास्त्रीय डिजाइन के नियमों का पालन करता है. यह वैसे ही उद्देश्य के लिए एक समान वर्ग है . यह हड्डी के डिजाइन की तरह है. डिजाइन की प्रक्रिया पूरी तरह से अलग है . एक तरफ 1.2 किलो है और दूसरी ओर 0.6 किलो. तो यह प्रौद्योगिकी , 3-डी प्रिंटिंग, और नए डिजाइन नियम हमें वजन कम करने में मदद करता है जोकि विमान डिजाइन में सबसे बड़ा मुद्दा है, क्योंकि यह सीधे ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन से जुड़ा हुआ है . इस छोटे से विचार को आगे बडाये. तो प्रकृति कैसे अपने घटकों और संरचनाओं का निर्माण करती है? तो प्रकृति बहुत चालाक है . यह सब जानकारी डालती है डीएनए में, जिन्हें हम निर्माण के अंनु कहते हैं. और प्रकृति इससे बड़े कंकाल बनती है. हम यहाँ एक नीचे से ऊपर का दृष्टिकोण देख सकते हैं क्योकि सारी जानकारी, डीएनए के अंदर है. और यह एक ऊपर से नीचे के दृष्टिकोण के साथ संयुक्त है, क्योंकि हम अपने दैनिक जीवन में जो कर रहे हैं हम अपनी मांसपेशियों को,अपने कंकाल को प्रशिक्षित करते हैं और यह मजबूत हो रही है . और यही दृष्टिकोण प्रौद्योगिकी में भी लगाया जा सकता है . हमारा निर्माण खंड उदाहरण के लिए , कार्बन नैनोट्यूब है एक बड़े , कीलक विहीन कंकाल बनाने के लिए . यह विशेष रूप से कैसा दिखता है , आप यहाँ दिखा सकते हैं. तो आप कल्पना करे की कार्बन नैनोट्यूब बड़ रही है एक 3 डी प्रिंटर के अंदर और वे पलास्टिक के एक मैट्रिक्स के भीतर एम्बेडेड है, और आपके घटक के अन्दर की शक्तियों से चलती है . और आपको उनसे अरबों मिल रहे हैं आप इन्हें लकड़ी से श्रेणीबद्ध कर रूपात्मक अनुकूलन कर आप संरचनाए, उप संरचनाएबनाते हैं, जो ऊर्जा या डाटा संचारित करने की अनुमति देती है और अब हम इस सामग्री को ले , एक ऊपर से नीचे दृष्टिकोण के साथ गठबंधन कर, बड़े से बड़े घटक का निर्माण करते हैं. तो भविष्य का हवाई जहाज कैसा हो सकता है ? अलग सीटें जो अनुकूलन करती हो भविष्य यात्री के आकार का, अलग मानव मात्रिक के साथ. विमान के अंदर सामाजिक क्षेत्र हो सकते हैं जो बदल सकता है वर्चुअल गोल्फ स्पेस में. और अंत में, यह बायोनिक संरचना , बायोपॉलीमर के पारदर्शी कवर में मौलिक रूप से बदल देगी भविष्य में विमान कैसे दिखते हैं. जैसन सिल्वा ने कहा अगर हम कल्पना कर सकते हैं, तो बना क्यों नहीं सकते? भविष्य में मिलते हैं . धन्यवाद. (तालियां) मोटर रेसिंग एक अजीब व्यवसाय है . हम हर साल एक नई कार बनाते हैं और फिर बाकी समय बिताते हैं ये समझने में की हमने क्या बनाया है। और उसे अधिक तेज़ और बेहतर बनाने में. और फिर अगले साल , हम फिर से शुरू करते हैं. अब, आप के सामने काफी जटिल कार है . चेसिस, 11,000 घटकों से बना है इंजन और 6000 से, साड़े आठ हजार इलेक्ट्रॉनिक्स. तो 25,000 चीज़ें हैं जो गलत हो सकती हैं. तो मोटर रेसिंग विस्तार पर ध्यान के बारे में है. विशेष रूप से, फॉर्मूला 1 में हम हमेशा कार बदलते रहते हैं. हम हमेशा इसे तेज बनाने के लिए कोशिश करते हैं. हर दो हफ्ते, हम 5000 नए घटक कार में फिट करने के लिए बनायेंगे. पांच से 10 प्रतिशत रेस कार हर दो सप्ताह में बदल जाएँगी. यह हम कैसे करते हैं? हम रेसिंग कार के साथ शुरू करते हैं. चीजों को मापने के लिए कार पर बहुत सेंसर होते हैं. यहाँ आप के सामने रेस कार पर एक दौड़ में जाने से पहले 120 सेंसर होते हैं. यह कार के आस - पास हर तरह की चीजों को मापता है . उससे डेटा लॉग होता है . तकरीबन 500 मापदंड डेटा सिस्टम के भीतर, 13,000 स्वास्थ्य मानक और घटनाऐ बताने के लिए की चीज़े काम नहीं कर रही हैं, और हम डेटा भेज रहे हैं वापस गेराज में प्रति सेकंड 2-4 megabits के दर पर, टेलीमेटरी का उपयोग कर . तो एक, दो घंटे की दौड़ के दौरान एक कार भेजेगी 750 मिलियन संख्याए. यह दोगुना है हमारे जीवनकाल में बोले शब्दों से. यह डेटा की एक बड़ी मात्रा है . लेकिन सिर्फ जानकारी होना और मापना पर्याप्त नहीं है . आप इसके साथ कुछ करने में सक्षम भी होने चाहिए. इसलिए हमने बहोत समय और प्रयास दिया है डेटा से कहानिया बनाने में इंजन की सही स्थिति जानने के लिए टायर कैसे जल रहे हैं ईंधन की खपत क्या है? तो यह सब डेटा ले जा रहा है और ज्ञान में बदल हम इस पर कार्रवाई कर सकते हैं . चलिये डेटा के एक हिस्से पर नजर डालते हैं. यह डेटा लेते हैं एक तीन महीने की उम्र के रोगी से . यह एक बच्चा है , और आप यहाँ देख रहे हैं वास्तविक डेटा और दाएँ हाथ की ओर, सब कुछ भयावह हो रहा है मरीज को हृदय का दौरा हो रहा है . यह एक अप्रत्याशित घटना थी. इसकी कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता था लेकिन हम जब जानकारी को देखते हैं, चीज़े अजीब हो रही थी हृदय के दौरे से पांच मिनट पहले. हम छोटे परिवर्तन देख सकते हैं दिल की दर में . ये सामान्य रूप से दिखते नहीं थे डेटा में. तो सवाल है , यह हमें दिखते क्यों नहीं थे? क्या यह पूर्वकथनीय घटना थी? क्या हम डेटा में पैटर्न देख सकते हैं बेहतर रूप से कार्य करने के लिए? यह एक बच्चा है इस रेसिंग कार की ही उम्र का, तीन महीने. यह दिल की समस्या का रोगी है. अब, आप ऊपर स्क्रीन पर डेटा देखे, धड़कन, नाड़ी, ऑक्सीजन, श्वसन दर, एक सामान्य बच्चे के लिए सब असामान्य हैं लेकिन वे वहाँ एक बच्चे के लिए सामान्य हैं इसलिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में चुनौती है, मैं मरीज को कैसे देख सकता हूँ उसके लिए विशिष्ट रूप से पता लगा सकूं जब चीज़े बदलनी शुरू हो चीज़े जब खराब हो? क्योंकि एक रेसिंग कार की तरह, किसी भी मरीज के साथ, हालात खराब होने पर समय बहोत कम होता है कुछ करने के लिए. तो हमने एक डेटा प्रणाली ली जो हम फॉर्मूला 1 में साल में दो सप्ताह चलाते हैं और हमने अस्पताल के कंप्यूटर में इसे डाला बर्मिंघम में बच्चों के अस्पताल में . हमने बिस्तर उपकरणों से डेटा लिया बाल गहन चिकित्सा देखभाल से ताकि हम वास्तविक समय में डेटा देख सके और अधिक महत्वपूर्ण बात, डेटा स्टोर कर सके इसलिए कि हम उससे सीखना शुरू करें. और फिर, हमने शीर्ष पर एक आवेदन लगाया जो हमें डेटा में पैटर्न देखने देता वास्तविक समय में, तो हम क्या हो रहा था देख सकें हम देख सके जब चीज़े बदलना शुरू करती हैं. मोटर रेसिंग में, हम सब महत्वाकांक्षी होते हैं दुस्साहसिक, कभी कभी अभिमानी, इसलिए हमने भी बच्चों को देखा जब वेह सघन चिकित्सा के लिए ले जाये जा रहे थे. उनके अस्पताल में पहुचने तक हम इंतज़ार क्यों करें उन्हें देखने का? और इसलिए हमने एक वास्तविक समय में लिंक स्थापित किया एंबुलेंस और अस्पताल के बीच , सामान्य 3 जी टेलीफोनी का उपयोग कर एम्बुलेंस एक बाहरी बिस्तर बन गया गहन देखभाल में. और फिर हमने डेटा पर तलाश शुरू की. तो शीर्ष पर हिलती टेढ़ी मेढ़ी रंगीन लाइने, एक मॉनीटर पर सामान्य प्रकार से दिखेगी - हृदय गति, नाड़ी , रक्त के भीतर ऑक्सीजन, और श्वसन. नीचे, नीले और लाल लाइने यह दिलचस्प होते हैं. लाल रेखा एक स्वचालित संस्करण दिखा रहा है पूर्व चेतावनी स्कोर का जो बर्मिंघम बच्चों के अस्पताल में पहले से ही चल रहा था. वे 2008 से चला रहे हैं और पहले से ही हृदय के दौरे रोक दिए थे और अस्पताल के अंदर का संकट. ब्लू लाइन एक संकेत है पैटर्न बदलने के समय का, और इससे पहले कि हम शुरू करते क्लिनिकी व्याख्या देखना, हम देख सकते हैं की डाटा हमसे बात करता है. यह बता रहा है की कुछ गलत हो रहा है. लाल और हरे रंग के गोले, यह विभिन्न डाटा घटकों को रच रहा है एक दूसरे के सामने. हरा हमें उस बच्चे के लिए सामान्य क्या है दिखा रहा है. इसे सामान्य के बादल कहते हैं. और जब चीज़े बदलना शुरू होती हैं, स्थिति खराब होती है, हम लाल रेखा में चले जाते हैं. यहाँ कोई रॉकेट विज्ञान नहीं है. यह पहले से मौजूद डाटा को एक अलग तरीके से प्रदर्शित करना है इसे बढ़ाना, डॉक्टरों को संकेत प्रदान करने के लिए , नर्सों के लिए, वो जान सके क्या हो रहा है. जिस तरह एक अच्छा रेसिंग ड्राइवर संकेतों पर निर्भर करता है ब्रेक लगाने के लिए, एक कोने में मुड़ते हुए, हमें चिकित्सकों और नर्सों की मदद करनी है बात बिगड़ने से पहले. तो यह एक बहुत ही महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है. हम कुछ अलग करने की दौड़ पर हैं. हम बड़ा सोच रहे हैं. यह सही चीज़ है. एक दृष्टिकोण है, अगर यह सफल होता है यह अस्पताल के बहार और जगह भी जा सकता है. इन दिनों वायरलेस कनेक्टिविटी के साथ, कोई कारण नहीं है की मरीज, डॉक्टरों और नर्स हमेशा एक ही जगह पर हो एक ही समय पर. और इस बीच , हम अपने छोटे से तीन माह के बच्चे को ले ट्रैक पर जायेंगे, इसे सुरक्षित रखेंगे और इसे तेज़ और बेहतर बनायेंगे. बहुत बहुत धन्यवाद. (तालियां) सुप्रभात! जाग गये आप? उन्होंने मेरा नाम लिया लेकिन मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि क्या आपमें से किसी ने चिट पर अपना नाम अरबी मे लिखा है? है कोई! कोई नहीं! ठीक है, कोई बात नहीं| एक बार की बात है, ज्यादा पहले नहीं, मैं अपने एक दोस्त के साथ एक हॉ टेल मे खाना मँगा रही थी| तो मैने बैरा को बुलाया और कहा, क्या आपके पास आहारिका है (अरबी में)? उसने मुझे अजीब तरह से देखा, जैसे कि उसने गलत सुना हो वो बोला, "माफ़ कीजिये? (अंग्रेजी मे)" मैने कहा, "आहारिका दीजिये (अरबी में)" उसने जवाब दिया, "आपको पता नहीं इसे क्या कहा जाता है?" " जानती हूं|" उसने कहा, " नहीं! इसे "मेनु" (अंग्रेजी में) या मेन्यु (फ़्रेंच में) कहते हैं." (क्या मेरा फ़्रेंच उच्चारण सही है?) "इधर आओ, इन्हें देखो जरा!" बैरा बोला. वो मुझसे बात करने मे बहुत चिढ़ रहा था, और खुद से कह रहा था, जाने कहां कहां से चले आते हैं! मेनु को आहारिका (अरबी मे) कहने का क्या मतलब है? दो शब्दों ने एक लडकी को एक लेबनन युवा की नज़र में जाहिल और गँवार बना दिया| वो ऐसे कैसे बोल सकती है? और तब मेरे मन मे ये खयाल आया| मुझे बहुत गुस्सा आया| मुझे वाकई बहुत बुरा लगा! क्या मुझे अपने ही देश मे अपनी ही भाषा बोलने का अधिकार नही है? ऐसा कहाँ होता है? हम यहाँ कैसे आ गये? खैर, अब जब हम इस हालत मे आ ही गये हैं, तो मेरे जैसे बहुत लोग है यहां जो अपने जीवन मे एक ऐसे मुकाम पर पहुचेंगे जहां वो जाने अन्जाने मे वो सब कुछ पीछे छोड़ देंगे, जो अब तक उनके साथ हुआ, ताकि वो खुद को आधुनिक और सभ्य कह सकें. क्या मैं अपनी संस्कृति, विचार, ज्ञान और अपनी सारी यादों को भूल जाऊं? बचपन की कहानियाँ सबसे अच्छी यादें होती हैं, हमारी युद्ध की हैं! क्या मैने जो कुछ भी अरबी मे पढ़ा है वो भूल जाऊं सिर्फ़| उनके जैसा बन जाने के लिये? बस एक भीड़ का हिस्सा? ये कहां से तर्कसंगत है? इस सबके बावजूद, मैं उसे समझने की कोशिश की| मैं उसे उसी निर्दयता से नहीं आंकना चाहती थी जैसे उसने मुझे आंका! अरबी भाषा आज की जरुरतों के हिसाब से काफ़ी नहीं है| ये विज्ञान और शोध के लिये उपयुक्त नही है, ये ऐसी भाषा नही है जिसे हम विश्वविद्यालयों मे प्रयोग करते हों या कार्यालय में या जिसमें हम कोई उच्च-स्तरीय शोध कर सकें! और इसे हवाई अड्डे पर तो बिल्कुल नहीं बोल सकते. नहीं तो आपके कपड़े उतरवा लिये जायेंगे तलाशी के लिये. तो फ़िर सवाल ये है कि मैं अरबी मे कहाँ बोलूं| तो हम अरबी का प्रयोग करना तो चाहते हैं, लेकिन करें कहां? ये सच का एक पैलू है| लेकिन इस सच का एक और पैलू है जिसके बारे मे हमें सोचना चाहिए| अरबी हमारी मातृभाषा है| शोध मे यह सिद्ध हो चुका है कि दूसरी भाषाओं मे प्रवीण होने के लिए मातृभाषा मे पारंगत होना आवश्यक है| मातृभाषा मे प्रवीणता होना दूसरी भाषा सिखने की पहली शर्त है| वो कैसे? ज़िबरान ख़लील ज़िबरान की ही मिसाल ले ली जब उन्होंने लिखना शुरु किया तो अरबी का प्रयोग किया उनके सारे विचार, उनकी कल्पना और उनके सिद्धांत उस बच्चे से प्रेरित थे जो गांव मे एक खास तरह की खुशबू में एक खास तरह की बोली सुनते हुये एक विशिष्ट विचार शैली के बीच पला बढ़ा| तो जब उन्होंने अंग्रेजी मे लिखना शुरु किया तब तक उनके पास काफ़ी कुछ था| तो जब उन्होने अंग्रेजी मे लिखा और जब आप उनकी अंग्रेजी रचनायें पढ़ते हैं तो आपको वही खुशबू आती है, और आप वैसा ही महसूस करते हैं| तब आप कल्पना कर सकते हैं कि ये वही हैं जो अंग्रेजी मे लिख रहे हैं, वही लड़का जो लेबनन पर्वत पर स्थित एक गाँव से आया था| तो यह एक ऐसी मिसाल है जिसे कोई नकार नहीं सकता| और दूसरी बात, ऐसा अक्सर कहा जाता है कि, यदि आप किसी राष्ट्र को खत्म करना चाहते हैं तो बस उसकी भाषा को नष्ट कर दीजिए, यही एक मात्र तरीका है| सभी विकसित समाज इस सच को जानते हैं| ज़र्मन, फ़्रांसीसी, जापानी और चीनी, सभी राष्ट्र ये अच्छी तरह जानते हैं| तभी तो उन्होंने अपनी भाषा के संरक्षण के लिये कानून बनाये हैं| उनके लिये ये पवित्र है| इसीलिए वे उत्पादन मे इसका प्रयोग करते है, और इसके विकास पर बहुत पैसा खर्च करते हैं| तो क्या हम उनसे ज्यादा जानते हैं? ठीक है, माना कि हम विकसित देशों मे नहीं हैं, अधुनिक विचारधारा से अछूते हैं, और हम सभ्य और विकसित दुनिया के बराबर आना चाहते हैं| जो देश कभी हमारे जैसे ही थे, लेकिन जिन्होंने विकास के रास्ते पर जाने का निर्णय लिया, शोध किया और बाकी देशों के बराबर पहुच गये, जैसे कि तुर्की, मलेशिया वगैरा| उन्होंने अपनी भाषा को इस तरह संभाला जैसे कि वो सीढ़ी चढ़ रहे हों, और इसे एक अमूल्य रत्न की तरह बचा के रखा| उन्होने इसे संभाल के रखा| क्योंकि अगर आप तुर्की या कहीं और से कोई सामान खरीदते हैं| और इसका नामकरण तुर्की मे नहीं है| तो ये स्थानीय उत्पाद नहीं होगा| आप मानोगे ही नही कि ये स्थानीय उत्पाद है| वो पिछड़ के वैसे हो अंजान उपभोक्ता बन जायेंगे, जैसे कि हम ज्यादातर होते हैं| तो, उत्पादन मे नवीनता लाने के लिये, उन्हें अपनी भाषा को बचाना ही पड़ा| यदि मैं कहूं, "आज़ादी, संप्रभुता, स्वतन्त्रता (अरबी में), तो आपको इससे क्या याद आता है? कुछ याद आता है कि नहीं? चाहे आप जो भी हो, जैसे भी हो और जहां भी हो| भाषा सिर्फ़ बात करने के लिये नहीं है, जिसमें बस हमारे मुँह से शब्द निकलते हैं, भाषा हमारे जीवन के विशिष्ट चरणों का प्रतीक है, और एक शब्दावली है जो हमारी भावनाओं से जुड़ी हुई है. तो जब हम कहते हैं, "आजादी, संप्रभुता,स्वतंत्रता|" तो आपमे से हर कोई अपने दिमाग मे एक तस्वीर बनाता है, हमारे इतिहास के एक खास दौर की एक खास तारीख से विशिष्ट भावनायें जुड़ी हुई हैं| भाषा सिर्फ़ एक, दो या तीन शब्दों का जोड़ नहीं है, ये तो एक विचार है जो कि हमारे सोचने और और एक दूसरे को देखने के नजरिये से सम्बंधित है| हमारी बुद्धिमत्ता क्या है? आप कैसे अपनी बात दूसरे को समझायेंगे? तो जब मैं बोलती हूं, "आजादी, संप्रभुता, स्वतन्त्रता, (अंग्रेजी में)" या जब आपका बेटा आपके पास आकर कहता है, "पापा, क्या आपने फ़्रीडम के नारों वाले समय को देखा है? आप कैसा महसूस करेंगे? यदि आप अब भी नहीं समझ पाये तो मैं बेकार मे ही बोल रही हूं, मुझे चले जाना चाहिये| तो बात ये है कि ये शब्द हमें एक खास चीज़ की याद दिलाते हैं| मेरी एक फ़्रासीसी भाषी दोस्त हैं जिनकी शादी एक फ़्रान्सीसी शख्स से हुई है| एक बार मैंने उससे पूछा कि कैसा चल रहा है| उसने बोला,"सब ठीक है, पर एकबार उसे तोक्बोरनी (अरबी मे, मार ही डालोगे) शब्द का मतलब समझाने में पूरी रात लग गयी| (हंसी) (तालियां) उस बेचारी ने गलती से "तोकबोरनी" (अरबी मे) बोल दिया| और फ़िर सारी रात वो उन्हें इसका मतलब समझाने की कोशिश करती रही| उनकी समझ में नही आया कि को इतना निर्दयी कैसे हो सकता है? क्या वो आत्महत्या करना चाहती है? ’मार ही डालोगे’ (अंग्रेज़ी मे) ये तो बस एक उदाहरण है| इससे हमे समझ मे आता है कि वो अपने पति को इसका मतलब नही बता पायी क्यों कि उसकी समझ मे ही नही आयेगा, और वो वाकई मे नही समझ सकता क्योंकि उसके सोचने का तरीका ही अलग है| उसने मुझे बताया ,"वो मेरे साथ फ़ैरुज़ को सुनते हैं, और एक रात मैंने उनके लिए अनुवाद करने की कोशिश कियी ताकि जो मैं फ़ैरुज़ को सुनते हुये महसूस करती हूं वो समझ पाए|" उस बेचारी ने उनके लिए इसका अनुवाद करने कि कोशिश की: "अपना हाथ फ़ैला कर मैने तुझे चुरा लिया" (हंसी) और ये सुनिये, और मज़ेदार "और चूंकि तू उनकी थी, इसलिये मैने अपना हाथ लौटाया और तुझे छोड़ दिया|" इसका अनुवाद करके बताइए| (हंसी) (तालियां) तो हमने अपनी अरबी भाषा को बचाने के लिइ क्या किया है? हमने इसे एक सामजिक चिंता मे बदलकर अरबी भाषा के संरक्षण के लिये एक अभियान शुरु किया है| जबकि कई लोगों ने मुझसे कहा, "तुम क्यूँ परेशान हो?" "छोड़ो ये सब झमेला और मस्त रहो|" "कोई बात नही! ". इस अरबी संरक्षण अभियान का एक नारा है, "मैं आपसे बात करती हूं पूरब से, लेकिन आप पश्चिम से जवाब देते हो| हमने ये नही कहा, "नही!, हम ये नही मानेंगे या वो नही मानेंगे|" हमने ये तरीका नहीं अपनाया क्यॊंकि इस तरह कोई हमें समझ नही पायेगा| और जब कोई उस तरह मुझसे बात करता है, तो मुझे बिल्कुल अच्छा नही लगता| हम कहते हैं| (तालियां) हम अपनी सच्चाई बदलना चाहते हैं, और उस तरीके को समझना चाहते हैं जो हमारे सपनों, आकांझाओं और दैनिक जीवन को दर्शाए| एक ऐसा तरीका जिसकी सोच और पहनावा हमारी तरह हो| तो "मैं आपसे बात करती हूं पूरब से, लेकिन आप पश्चिम से जवाब देते हो|" का नारा एकदम सही जगह लगा है| ये बहुत ही सधारण परन्तु रचनात्मक और प्रभावपूर्ण है| इसके बाद हमने एक और अभियान चलाया जिसमे फ़र्श पर अक्षर चित्र बनाये जाते है| आप सब ने इसका एक नमूना बाहर देखा होगा, एक अक्षर चित्र जो कि काले और पीले फ़ीते से लिपटा हुआ है जिस पर लिखा है,"अपनी भाषा को मत मारो!" क्यों?, सही मे, अपनी भाषा को मत मारो| हमे वाकई मे अपनी भाषा की हत्या नहीं करना चाहिए| अगर हमने ऐसा किया तो हमे एक नयी पहचान दूढ़नी पड़ेगी| हमें एक नया वज़ूद दूंढ़ना होगा| हमे फ़िर शून्य से शुरुआत करनी पड़ेगी| ये हमारे आधुनिक और सभ्य होने के मौके से भी बढ़कर है| इसके बाद हम अरबी अक्षर पहने लड़के और लड़कियों के चित्र प्रकाशित करते हैं| "कूल" लड़के और लड़कियों के चित्र"| हम बहुत कूल हैं| और आप चाहे जो भी कहो "हा! तुमने एक अंग्रेज़ी शब्द का प्रयोग किया!" मैं कहूंगी, "नही, हमने "कूल" शब्द को अपनाया है|" उन्हें जैसे भी विरोध करना हो करें, लेकिन मुझे एक ऐसा शब्द दो जो कि अच्छा हो और वास्तविकता को बेहतर दर्शाता हो| मैं "इंटरनेट" ही बोलूंगी, मैं ये नही कहूंगी कि: "मैं वर्ड वाइड वेब पर जा रही हूं" (हंसी) क्योंकि ये उपयुक्त नही है! हमे खुद को धोखा नही देना चाहिये लेकिन इस पड़ाव पर आने के लिए हमे ये मानना होगा कि, हमें किसी को भी, चाहे वो हमसे कितना भी बड़ा हो, ये नही सोचने देना है कि और वो हमें, हमारी सोच या एहसास को नियन्त्रित कर सकते हैं| या हमारी भाषा को लेकर उनके पास कोइ अधिकार है। रचनात्मकता एक विचार है| तो क्या यदि हम अंतरिक्ष तक नही भी पहुच पाये या रोकेट नही भेज पाये, वगैरा वगैरा, हम फ़िर भी रचनात्मक हो सकते हैं| इस पल , आप में से हर एक, एक रचनात्मक परियोजना है| अपनी मातृभाषा मे रचनात्मकता ही सही रास्ता है| चलिये अभी से शुरु करते हैं| एक उपन्यास लिखते हैं, या एक लघु फ़िल्म बनाते हैं| एक अकेला उपन्यास हमे फ़िर से वैश्विक बना सकता है| ये फ़िर से अरबी भाषा को सर्वोपरि बना सकता है| तो, ऐसा नही है कि इसका कोई उपाय नही है, उपाय है! बस हमे ये मानना और स्वीकार करना होगा कि उपाय संभव है, और ये हमारा फ़र्ज़ है कि हम इस उपाय का हिस्सा बनें| तो निष्कर्ष ये है कि आज आप क्या कर सकते है| अभी ट्वीट्स, कौन ट्वीट कर रहा है? मेरा आपसे निवेदन है हालांकि मेरा समय समाप्त हो गया है, फ़िर भी, चाहे अरबी हो, या अंग्रेजी, फ़्रांसीसी या चीनी| कृपया अरबी को लेटिन लिपि और अंकों के साथ मिलाकर न लिखें! (तालियां) ये एक मुसीबत है! ये भाषा नहीं है| आप एक आभासी दुनिया मे एक छद्म भाषा के साथ प्रवेश कर रहे हैं| और ऐसी जगह से वापस आकर उठना आसान नही है| ये हमे सबसे पहले करना चाहिये था| और उसके, ऐसी बहुत सारी चीज़ें हैं जो हम कर सकते हैं| हम यहां एक दूसरे को समझाने नही आये हैं| हम यहां भाषा के संरक्षण की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित करने के लिये आये हैं. अब मैं आपको एक राज़ की बात बताती हूं| एक बच्चा अपने पिता को भाषा के द्वारा पहचानता है| जब मेरी बेटी हुई, तो मैने उसे बताया, "बेटा, ये तुम्हारे पिता हैं (अरबी में)|" मै ये नही कहूंगी, "दिस इस योर डेड हनी" और मैने अपनी बेटी नूर से ये वादा किया कि सुपर बाज़ार मे, जब वो मुझसे कहेगी, "शुक्रिया|" तो मै ये नही कहूंगी , "या खुदा रहम, किसी ने ये सुना ना हो|" (तालियां) चलिये इस सांस्कृतिक शर्मिंदगी से निज़ात पाते हैं| (तालियां) अगर हम बंदरों से विकसित हुए हैं, बंदर अभी भी क्यों मौजूद हैं? (हंसी) क्योंकि हम बंदर नहीं हैं, हम मछली हैं। (हंसी) अब, यह समझने के लिए कि हम कहां से आए थे यह जानना जरूरी है कि आप एक मछली हैं ना कि बंदर| अमेरिका में, मैं विकासवादी जीवविज्ञान की बड़ी कक्षा पढ़ाता हूँ, और जब मेरे छात्र अंत में समझते हैं मैं उन्हें हर समय मछली क्यों कहता हूं, तब मैं समझता हूँ अपना काम पूरी तरीके से किया। लेकिन मुझे हमेशा अपनी कक्षाएं शुरू करनी पड़ती हैं कुछ भ्रम को दूर करके, क्योंकि अनजाने में हम में से कई को विकास गलत सिखाया गया था । उदाहरण के लिए, हमें सिखाया जाता है "विकास का सिद्धांत" कहा जाना चाहिए। वास्तव में कई सिद्धांत हैं, और बस प्रक्रिया की तरह ही, जो सबसे अच्छी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं वो इस दिन तक जीवित रहते हैं । डार्विनियन प्राकृतिक चयन वह है जिसे हम सबसे अच्छी तरह जानते हैं । इस प्रक्रिया में, जीव जो पर्यावरण के लिए सबसे अच्छा फिट हैं जीवित रह कर पुनरुत्पादित करते हैं, जबकि कम उपयुक्त धीरे धीरे मर जाते हैं। बस । विकास सरल है, और यह एक सच्चाई है । जितना "गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत सच है उतना विकास भी आप दोनो को आसानी से साबित कर सकते हैं। आपको बस अपना नाभि देखना होगा जो आप प्लेसेंटल स्तनधारियों के साथ साझा करते हैं या आपकी रीढ़ की हड्डी जो आप कशेरुकियों के साथ साझा करते हैं, या डीएनए जो आप पृथ्वी पर अन्य सभी जीवन के साथ साझा करते हैं, वो लक्षण मनुष्यों से नहीं उपजे। वे पारित कर दिए गए थे विभिन्न पूर्वजों से उनके सभी वंशजों के लिए, सिर्फ हमारे लिए नहीं। लेकिन शुरुआत में यह नहीं है जैसे हम जीवविज्ञान सीखते हैं, है ना? हम सीखते हैं कि पौधे और बैक्टीरिया आदिम चीजें हैं और मछली उभयचरों को जन्म देती है सरीसृप और स्तनधारियों के बाद, और फिर आप मिलते हैं, अंत में यह कमाल का विक्सित प्राणी । लेकिन जीवन एक पंक्ति में विकसित नहीं होता है, और यह हमारे साथ खत्म नहीं होता है। लेकिन हमें ऐसा दिखाया जाता कि एक बंदर और एक चिम्पांजी, कुछ विलुप्त मनुष्यों, सभी एक आगे स्थिर प्रगति पर हमें बनने के लिए। लेकिन वो हम नहीं बनते उतना ही हम वो बनते हैं। हम विकास का लक्ष्य भी नहीं हैं। लेकिन ये क्यों मायने रखता है? हमें क्यों विकास को सही तरीके से समझने की जरूरत है? विकास में गलतफहमी कई समस्याओं का कारण बन गया है, लेकिन आप वो पुराने सवाल नहीं पूछ सकते हैं, "हम कहाँ से आये हैं?" बिना विकास को सही तरीके से समझ कर। कई गड़बड़ और भ्रष्ट विचारों के लिए गलतफहमी का जन्म हुआ है हमें कैसे व्यवहार करना चाहिए पृथ्वी पर अन्य जीव के साथ, और हमें एक दूसरे के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए जातीयता और लिंग के संदर्भ में। तो चलो चार अरब साल वापस चले। हम सभी एकल कोशिका जीव से आए हैं। सबसे पहले, अन्य एकल कोशिका जीवन के लिए जीव वृद्धि हुई लेकिन ये अभी भी विकसित हो रहे हैं, और कुछ कहेंगे आर्किया और बैक्टीरिया जो इस समूह में से अधिकांश बनाते हैं ग्रह पर सबसे सफल है। वो हमारे जाने के बाद भी रहेंगे लगभग तीन अरब साल पहले, बहुकोशिकीय विकसित हुआ। इसमें आपकी कवक, पौधे और जानवर शामिल हैं। मछली पहले जानवर थे जिनमे रीढ़ की हड्डी विकसित होई तो मूल रूप से, सभी कशेरुकी मछली हैं, तो तकनीकी रूप से, आप और मैं मछली हैं। तो मत कहो मैंने आपको चेतावनी नहीं दी थी। एक मछली वंश जमीन पर आया और अन्य चीजों के साथ स्तनधारियों और सरीसृपों को जन्म दिया। कुछ सरीसृप पक्षी बन जाते हैं, कुछ स्तनधारी प्राइमेट बन जाते हैं, पूंछ के साथ कुछ प्राइमेट बंदर बन जाते हैं, और बाकी महान वानर बन जाते हैं, विभिन्न मानव प्रजातियों सहित। तो आप देख सकते हैं, हम बंदरों से विकसित नहीं हुए थे, लेकिन एक आम पूर्वज हम साझा करते हैं उनके साथ। हर समय, जीवन हमारे चारों ओर विकसित रहता है : अधिक बैक्टीरिया, कवक, बहुत सारी मछली अगर आप नहीं बता सकते थे - हाँ, वे मेरे पसंदीदा समूह हैं। (हँसी) जैसे-जैसे जीवन विकसित होता है, यह विलुप्त हो जाता है। अधिकांश प्रजातियां कुछ मिलियन वर्षों तक रहती हैं तो आप देख सकते हैं, पृथ्वी पर आज के अधिकांश जीवन हमारी प्रजातियों के समान उम्र के बारे में हैं। तो यह हब्रिस है, यह सोचना आत्म केन्द्रित है, "ओह, पौधे और बैक्टीरिया आदिम हैं, और हम यहाँ रहे हैं एक विकासवादी मिनट के लिए, इसलिए हम किसी भी तरह विशेष हैं। " एक किताब के रूप में जीवन के बारे में सोचो, निश्चित रूप से एक अधूरा पुस्तक। प्रत्येक अध्याय के अंतिम कुछ पेज हम देख रहे हैं। यदि आप देखते हैं आठ मिलियन प्रजातियों पर जिसके साथ इस ग्रह को साझा करते हैं, उन सभी के बारे में सोचो चार अरब साल का विकास. वे इसके सभी उत्पाद हैं। जीवन के इस प्राचीन और विशाल पेड़ पर हम सभी को युवा पत्तियों के रूप में सोचें हम सभी अदृश्य शाखाओं से जुड़े हुए हैं सिर्फ एक दूसरे के लिए नहीं, लेकिन हमारे विलुप्त रिश्तेदारों और हमारे विकासवादी पूर्वजों के लिए। जीवविज्ञानी के रूप में, दूसरों के साथ, मैं अभी भी हूं सीखने की कोशिश, कैसे हर कोई एक दूसरे से संबंधित है, कौन किससे संबंधित है। शायद यह और भी बेहतर होगा हमारे बारे में यह सोचना कि हम पानी के बाहर छोटी मछली हैं। हां, वह जो चलना और बात करना सीखा, लेकिन एक जो अभी भी है करने के लिए बहुत सी सीखना हम कौन हैं और हम कहाँ से आए थे। धन्यवाद। (तालियां) मै लेबनान से हुँ अौर मेरा ये विश्वास है कि दौङने से विश्व बदल सकता है मै जानती हूँ, मैने अभी जो कहा वो प्रत्यक्ष रूप से स्पष्ट नही है अाप सब जानते हैं कि लेबनान एक बार नष्ट हो चुका था एक लंबी और खूनी गृहयुद्ध से। कसम से मुझे नही समझ अाता इसे गृह युद्ध या नागरिक युद्ध क्यों कहते हैं जबकि नागरिक वहाँ कुछ भी नहीं है उत्तर में सीरिया, दक्षिण मे इसराइल और फिलिस्तीन के साथ और इस क्षण तक भी हमारी सरकार खंडित और अस्थिर है. सालों से, ये देश बटा हुअा था राजनीति और धर्म के बीच. हालांकि, हर वर्ष एक दिन के लिए, हम वास्तव में, एक साथ, एकजुट खडे होते हैं जब वहाँ मैराथन होता है। मैं मैराथन में दौडा करती थी। लंबी दौड़ केवल मेरी सेहत के लिए ही अच्छा नहीं था बल्कि इसने मुझे एकाग्रता और बड़े सपने दिखाने मे मदद की. तो जितनी दूर मै भागती थी उतने मेरे सपने बडे होते जाते थे फिर एक दुर्भाग्यपूर्ण सुबह, अपने अभ्यास के दौरान, एक बस ने मुझे टक्कर मार दी। मै लगभग मर गयी थी, कोमा में थी दो साल के लिए अस्पताल में थी और फिर से चल पाने के लिए 36 सर्जरी कराना पड़ा. जैसे ही मैं अपने कोमा से बाहर आयी, मुझे एहसास हुआ कि मैं वो धावक नहीं थी जो मैं हुआ करती थी, इसलिए मैंने तय कर लिया, अगर खुद नही भाग सकती मैं सुनिश्चित करना चाहती थी कि दूसरे भाग सकें. तो मेरी अस्पताल के बिस्तर से ही, मैंने अपने पति से नोट लेने के लिए कहा और कुछ ही महीने बाद, मैराथन का जन्म हुआ। एक दुर्घटना के प्रतिक्रिया के रूप में एक मैराथन का आयोजन शायद कुछ अजीब लगे लेकिन उस समय, मेरे सबसे कमजोर हालत के दौरान भी, मुझे बड़े सपनों की जरूरत थी मुझे, अपने दर्द से बाहर अाने के लिए कुछ करने की जरूरत थी एक उद्देश्य, अागे बढ़ने के लिये मैं अपने आप पर दया नहीं करना चाहता था, और ना ही दूसरों की दया चाहती थी और मैने सोचा कि इस तरह के एक मैराथन के आयोजन से मैं अपने समुदाय को कुछ वापस दे पाऊँगी, बाहर की दुनिया के साथ सम्पर्क करके धावकों को आमंत्रित करूँगी लेबनान में आने के लिए और शांति की वातावरण में दौडने के लिए। लेबनान में एक मैराथन का आयोजन निश्चित रूप से न्यूयॉर्क में एक आयोजन करने की तरह नहीं है। आप कैसे दौड की संकल्पना का परिचय करायेंगे एक ऐसे राष्ट्र को जो लगातार युद्ध की कगार पर रहता है? कैसे आप उनको बोलेंगे, जो एक दूसरे से लड़ रहे थे और हत्या कर रहे थे, कि एक साथ आए और एक दूसरे के साथ भागें में? इसके अलावा, आप लोगों को कैसे मनाएँगे 26.2 मील की दूरी दौडने के लिए जबकि वे जानते भी नहीं थे "मैराथन" जैसे शब्द को? इसलिए हमें शून्य से शुरू करना पडा। लगभग दो साल तक, हम देश भर में घूमे, और यहां तक ​​कि दूरदराज के गांवों का दौरा किया। मैंने खुद जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के साथ मुलाकात की - महापौरों, गैर सरकारी संस्थाओं, स्कूली बच्चों, राजनेताओं, सैनिकों, मस्जिदों, गिरिजाघरों के लोग, देश के राष्ट्रपति, यहां तक ​​कि गृहिणियाँ। मैंने एक बात सीखी : आप जब कर के दिखाते हैं, लोगों को आप विश्वास करते हैं. कई लोग, मेरी निजी कहानी से प्रभावित हुए, और बदले में अपनी कहानियाँ भी सुनाईं। यह ईमानदारी और पारदर्शिता ही थी जो हमें एक साथ लायी। हमने एक दूसरे से एक भाषा में बात की और वो थी एक इन्सान से दूसरे की. एक बार जब वो विश्वास बन गया, सब लोग मैराथन का हिस्सा बनना चाहते थे दुनिया को असली रंग दिखाने के लिए, लेबनान का और लेबनान के लोगों का और उनके शांति और सद्भाव में रहने की इच्छा को। अक्तूबर 2003 में, 49 विभिन्न देशों से 6,000 से अधिक धावक, अक्तूबर 2003 में, 49 विभिन्न देशों से 6,000 से अधिक धावक, अारम्भ-रेखा पर थे, सभी दृढ़-संकल्प के साथ, और जब बंदूक दगी, इस बार यह संकेत था सद्भाव में दौडने का एक बदलाव के लिए। मैराथन बडी हुई। अौर हमारी राजनीतिक समस्याएँ भी। लेकिन हमारी हर आपदा के लिए, मैराथन लोगों को एक साथ लाने के लिए तरीके खोजता गया. 2005 में, हमारे प्रधानमंत्री की हत्या कर दी गई थी, और पूरा देश थम सा गया था, इसलिए हमने एक पांच किलोमीटर का "हम साथ दौडें" अभियान का आयोजन किया। 60,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया, सब बिना किसी राजनीतिक नारे के साथ, सफेद टी शर्ट पहने. यह मैराथन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था जब लोगों ने इसे एक मंच के रूप में देखना शुरू किया शांति और एकता के लिए। 2006 अौर 2009 के बीच, हमारा देश, लेबनान, बहुत नाजु़क वर्षों से गुज़रा, कई हमले, और कई अौर हत्याएँ जोकि हमें गृह युद्ध के करीब ले अाया। देश फिर से बँट गया था, इतना कि हमारी संसद ने इस्तीफा दे दिया, एक वर्ष के लिए ना कोई राष्ट्रपति था, और ना कोई प्रधानमंत्री था. लेकिन हमारे पास मैराथन ज़रूर था। (तालियां) इसलिए मैराथन के माध्यम से, हमने सीखा कि राजनीतिक समस्याओं को दूर किया जा सकता है. जब विपक्षी दल ने निर्णय लिया शहर के केंद्र के हिस्से को बंद करने का, हमने वैकल्पिक मार्गों पर बातचीत की। सरकार के प्रदर्शनकारी, चियरलीडर्स बन गये सरकार के प्रदर्शनकारी, चियरलीडर्स बन गये उन्होंने जूस स्टेशनों की मेजबानी भी की. अापको पता है, मैराथन वास्तव में अनोखा बन गया है अापको पता है, मैराथन वास्तव में अनोखा बन गया है इसने दोनों से विश्वसनीयता हासिल की लेबनान के लोग और अंतरराष्ट्रीय समुदाय. पिछले साल नवंबर में 2012, 85 विभिन्न देशों से 33,000 से अधिक धावकों पिछले साल नवंबर में 2012, 85 विभिन्न देशों से 33,000 से अधिक धावकों ने हिस्सा लिया, लेकिन इस बार, वे चुनौती दे रहे थे, बहुत ही तूफानी और बरसात के मौसम को। सड़कों पर पानी भर गया था, लेकिन लोग इस तरह के एक राष्ट्रीय दिन का हिस्सा लेने के अवसर को जाने नही गेना चाहते थे. इस तरह के एक राष्ट्रीय दिन का हिस्सा लेने के अवसर को जाने नही गेना चाहते थे. बी०एम०ए० का विस्तार हुअा। हमने सभी को शामिल किया : बुजुर्ग, युवा विकलांग, मानसिक रूप से विकलांग, नेत्रहीन, अभिजात वर्ग, शौकिया धावक, यहां तक ​​कि मातायें अपने बच्चों के साथ. विषयों मे शामिल है पर्यावरण स्तन कैंसर, लेबनान के प्यार के लिए, शांति के लिए, या बस दौडने के लिए. सभी महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए पहली वार्षिक दौड़, जो इस क्षेत्र में अपनी तरह का एक ही है अभी केवल कुछ सप्ताह पहले ही हुअा है, राष्ट्रपति की पत्नी सहित 4,512 महिलाओं के साथ, और यह सिर्फ शुरुआत है। धन्यवाद। (तालियां) बी०एम०ए० ने दान और स्वयंसेवकों का समर्थन किया जिन्होने, लेबनान को नयी आकृति प्रदान करने मे मदद की है उनके काम के लिए धन जुटाना और दूसरों को देने के लिए प्रोत्साहित करना। दान और अच्छा कर्मों की संस्कृति संक्रामक बन गयी है। रूढ़ियाँ टूटी है. परिवर्तन लाने वाले और भविष्य के नेताओं का जन्म हुअा है। मैं इनको भविष्य मे शांति के लिए नींव का पत्थर मानती हूँ। बी०एम०ए० इस क्षेत्र में इस तरह से एक सम्मानित कार्यक्रम बन गया है कि इस क्षेत्र के सरकारी अधिकारी जैसा इराक, मिस्र और सीरिया, ने संगठन को, उन्हें एक इसी तरह के खेल के आयोजन में मदद करने के लिए कहा है ने संगठन को, उन्हें एक इसी तरह के खेल के आयोजन में मदद करने के लिए कहा है अाज हम मध्य पूर्व में, सबसे बड़ी दौड कार्यक्रमों में से एक हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात, यह एक मंच है आशा और सहयोग के लिए दुनिया के एक कभी कमजोर और अस्थिर हिस्से में। बोस्टन से बेरूत तक, हम एक हैं। (तालियां) लेबनान में 10 वर्षों के बाद, राष्ट्रीय मैराथन या राष्ट्रीय कार्यक्रमों से छोटे क्षेत्रीय दौड़ तक, हमने देखा है कि लोग एक बेहतर भविष्य के लिए दौडना चाहते हैं। आखिर, शांति लाना एक तेज़ दौड़ नहीं है। यह एक मैराथन के कम नही है. धन्यवाद (तालियां) मै इस बात को स्वीकार करना चाहती हूँ पहले आपको भी स्वीकार करना पड़ेगा कृपया हाथ उचा करके जबाब दे, पिछले साल आपमेसे कितनोने कम तनाव महसूस किया| और कोई? कितनोने मध्यम तनाव महसूस किया? कितनोने बहूँत तनाव महसूस किया? हा|उनमे में मै भी शामील हू| लेकीन यह मेरी स्वीकारोक्ती नही| मै सिकारती हूँ| मै एक स्वास्थ मनोपचार विशारद होनेपर मेरा काम है ,लोगोकी सेहत तथा खुशीका ध्यान रखना| लेकीन मुझे डर लगता है मै जो सिखाती थी बीते दस सालसे|उससे हानीही हो रही है| इसका ताल्लुक है ही तनाव संबंधी कई सालसे मैं, लोगों से कहती आई हूँ तनाव आपको बीमार बना देता है। इससे खतरा बढ़ जाता है सर्दी का, दिलकी बीमारिका, रक्त धमनियोका| असल में, मैं तनावको शत्रू मानती थी, लेकीन यह नजरिया अभी बदला है, आज मै आपका भी नजरिया बदलना चाहती हूँ| मै शुरु करती हूँ जिस अभ्याससे मेरे विचार बदले.. तनाव प्रती, यु.एस.में आठ सालतक अध्ययन इसमे किया गया| जिसकी शुरुवात होती थी, इस प्रश्नसे "बीते साल आपने कितना तनाव महसूस किया?" ये भी पूछा जाता "क्या आप सोचते है तनाव स्वास्थ के लिये हानिकारक है? बाद में शोध किया जाता, सार्वजनिक मृत्यू नोंदसे,.उनमेसे कितनोकी मृत्यू हूँई| (हसी) अच्छा, पहले एक बुरी खबर -- पिछले साल जिन्होने बहूँत तनाव महसूस किया उनमे ४३% मृत्यू की संभावना बढ़ी| लेकीन यह सच था, उन लोगोके लिये जो सोचते थे तनाव स्वास्थ के लिये बुरा होता है| (हसी) जिन्होने बहूँत तनाव महसूस किया जिनकी सोच थी तनाव लिये बुरा नाही है उनमे मृत्यू की संभावना नही थी उनमे मृत्यू दर बहूँतही कम था अभ्यास में शामिल लोगोमे| मृत्यू दर, कम तनाव महसूस करनेवालोमें भी कम था| आठ सालतक मृत्यू का अध्ययन करनेबाद, शोधकर्ताओ ने एक अनुमान निकाला १८२००० लोगोकी जिनकी की मृत्यू अकाली हूँई थी तनाव से नही, बल्की इस सोचसे की तनाव हानिकारक होता है सेहातके लिये (हसी) हर साल ऐसे २०००० के उपर लोग मरते है| अगर यह अंदाज सही रहा तो इससे समझ बनती है तनाव सेहतके लिये हानिकारक है| अमरिका मे ,यह सोच गत साल मृत्यू का १५ वा बडा कारन था जो की त्वचा कर्करोग ,HIV/एड्स से ज्यादा है. (हसी) इस अनुमानने मुझे भयचकित किया| मै लोगोको बताती थी, पुरे जोशसे तनाव हानिकारक है सेहतके लिये| इस अभ्यासने मै चकित हूँई| क्या हम अपनी तनाव की सोच बदलकर स्वास्थ पा सकते है? विज्ञान कहता है यह मुमकिन है| आप तणाव के प्रती अपनी धारना बदलते है, तब शरीरका तनाव प्रती प्रतिसाद बदलता है इसे स्पष्ट करने के लिये,मै आपको बताती हूँ, आप यह सोचो की आप तनाव निर्माण करने के अभ्यासगट मेमें शामिल है| इसे हम कहेंगे सामाजिक तनाव परीक्षा| समजलो ,प्रयोग शालामे आये है| आपको कहा जाता है-- आप आपके दोषोपर पाच मिनिटतक बोले आपके सामने परीक्षक बैठे है जो आपको तनावग्रस्त करेंगे आपके चेहरे पर लाईट की तेज रोशनी और कॅमेरा लगा है| ऐसे करके आपका तनाव बढायेंगे (हसी) परीक्षकोको आपका तनाव बढाने का. प्रशिक्षण दिया गया है जो अपनी देह्बोलीसे बिना बोले आपको निरुत्साही करेंगे| इस तरह (सास छोडके) (हसी) आप जब पूरी तरह हतोत्साही हो जाएंगे तो आपको गणित की परीक्षा देने कहा जायेगा| जोकी आपको पहलेसे मालूम नही था| इस परिक्षा देते समय परीक्षक आपको तरसाते रहेंगे| हम सब एकसाथ करेंगे| इसमे मजा आयेगा| मुझेभी| चलो शुरू करते है| (हसी) आप शुरू करो उलटी गिनती ९६ से सात अंक के अंतरसे यह गिनती आप जोरसे करे जितना हो सके आपसे शुरू करो ९६ से करो (श्रोतागण गिनती करता है) जल्दी करो. जलदिसे आपकी गती कम है (श्रोताकी गिनती) रुको रुको इन्होने गलती की है| हमे फिरसे गिनती करनी पडेगी (हसी) आपको गिनती नही आती अच्छी तरहसे. है ना? चलो ,आपको समझमे आई बात| आप अगर सचमुच इस अभ्यासमे होते तो आपको तनाव महसूस होता| आपका दिल धकधकने लगता| आपकी सासें जोरसे चलती, पसीना आता इस प्रतीसाद को हम चिंता कहते है| ऐसे लक्षण है जिसे हम अच्छी तरह नाही सहा पाते| इस स्थिती को अगर यह सोच के देखे की यह लक्षण है शरीर को उर्जा प्रदान करनेका टकरानेकी क्षमता देनेवाला| सह्भागीयोको यही करने कहा जाता, हावर्ड विद्य्पीठ विद्यापीठ मे किये गये अभ्यासं मे| सामाजिक तनाव परीक्षा पुर्व उन्हे यह सिखाया जाता की तनाव सेहतके लिये मदतगार है| धक धक करनेवाला आपका दिल आपको तैयार रखता है आपके दिमाग को प्राणवायू प्रदान करने सहभागी यही बात सिखते है| की तनाव मदत करता है हमे| जिसे उनका तनाव भी काम होता है तथा वे आत्मविश्वास प्राप्त करते है| मुझे सबसे अच्छी बात यह लगी सोच के बदलावसे शरीर का प्रतिसाद कैसे बदलता है| उदाहरन लेंगे तनाव प्रतिसाद का तनाव में आपकी हृदय गती तेज होती है आपकी रक्तधमनिया सिकुड जाती है ऐसे| यही एक कारन है दीर्घ कालीन तनाव से जुडा रहनेसे हृदय धमनीके विकारोमे| ऐसी अवस्था मे हमेशा रहना घातक होता है| लेकीन इस अभ्यासमे सहभागी जिन लोगोने जाना तनाव मदत करनेवाला है उनकी रक्त धमनिया तनाव मुक्त हूँई|ऐसे| हालाकी उनका हृदय धकधक करता रहा| यह स्थिती रक्तधमनी स्वस्थ होनेका संकेत करती है. यह बात समान स्थिती दर्शाती है. जब हमे आनद होता है जीवन भर के तनाव के अनुभब मे यह एक जैविक बदल है यही फरक होता है पचास की उमर मे तनाव से हार्ट अॅॅटक आनेवालोमे और ९० साल मे हार्ट अॅॅटक आनेवालोमे. यही है तनाव की नयी वैज्ञानिक परिभाषा| आप का तनाव प्रती रवैया महत्व रखता है|स्वास्थ रखनेमे अभी मेरा ध्येय बदला है मै कभी आपको नही कहूँंगी तनाव मुक्त हो जाये मै आपको तनाव प्रती आपका रुख बदल्वाना चाहती हूँ हमने यह एक छोटा शोध किया है| जिन्होने हात उचा करके बताया बीते साल जिन्होंने बहूँत तनाव महसूस किया उनकी जिंदगी हम बचा पायेंगे| जब कभी आपका दिल तनाव से धडकने लगेगा आप यह मेरी बात ध्यान रखे और मनमे सोचे मेरा यह शरीर की स्थिती मुझे सकटोसे झुझनेकी शक्ती देती है अगर आप अपना तनाव का नजरिया बदल दे शरीर आपके नये विचारपर विश्वास रखेगी| आपका तनाव प्रती शरीरका प्रतिसाद स्वास्थ पूर्ण होगा| एक दशकसे मै तनाव का अध्ययन कर रही हूँ| उससे मुक्ति पानेका एक बार हम और् हस्तक्षेप करेंगे| मुझे आपसे कहना है तनाव के प्रतिसाद के अनदेखे पहूँलोपर सोच यह है : तनाव आपका समाजमुख बनता है| यह बात समजने के लिये हमें ओक्सिटोसिंन हार्मोन्स के बारेमे जानना चाहिये ओक्सिटोसिंन हार्मोन्स को पहलेही बहूँत महत्व मिला है जिसका एक नाम भी है कुडल हार्मोन आप किसीको आलिंगन देते है तभी यह स्त्रवता है| लेकिन उस वक्त इसकी मात्रा रहती है| यह एक न्यूरो हार्मोन है| आपकी सामाजिक चेतना को वह ठीक करता है| आपको यह करने को कहता है आप अन्यसे अपमा रिश्ता दृढ़ करे, ओक्सिटोसिंन हमारे दोस्त या पारिवारिक व्यक्तिको स्पर्श करनेकी भावना जगाता है, यह अनुकंपा जगाता है| जो दोस्त ,परिवार सदस्योको मदत करनेकी इच्छा जगाता है| जिनकी आप चिंता करते है| कुछ लोग कहते है हमें ओक्सिटोसिंनसूंघना चाहिये लोगोको मदत गार बनने के लिये बहूँतसे लोक ओक्सिटोसिंनके बारेमे नहीं जानते, यह हार्मोन तनाव की स्थितिमे उभरता है पिट्युटरी ग्रंथीसे इसका विमोचन होता है तनाव की प्रतिसादमें| यह शरीर की प्रतिसाद का एक अंग है| अद्रेलिन के विमोचनसे दिल धडकता है| जब ओक्सिटोसिंन तनाव के कारन उभरता है यह आपको मदत लेनेकी इच्छा जताता है| यह जैविक प्रतिसाद आपको बाध्य करता है अन्य को आपकी मज़बूरी जाननेकी| यह इसे छुपता नहीं| तनाव का प्रतिसाद आपको यह जानने के लिए सक्षम करता है जब आप किसीको संकट में देखते है इसतरह आप एक दूसरेको सहारा देते है| जीवन में कठीनाइया आती है तब आपका तनाव का प्रतिसाद चाहता है आप के आजुबाजू मी ऐसे लोग हो जो आपकी देखभाल कर सके आपने अभी जन कैसे तनाव आपको स्वास्थ रखता है, ओक्सिटोसिंन दिमागपर ही नही काम करता यह शरीर पर भी अपना प्रभाव दिखता है| शरीरमें इसका मुख्य काम है आपकी हृदय व रक्तधमनी को बचाना तनाव से यह एक प्राकृतिक वेदना शामक है| तनाव की स्ठीतीमे आपकी रक्त धमनी को सिकुडने नही देता. लेकीन मुझे ज्यादा पसंद है इसका हृदयपर होनेवाला उपयुक्त प्रभाव, इस हार्मोन के लिये हृद्य मे रीसेपटर होते है जो की इस हार्मोन्ससे हृदय के मृत कोशिकोको फिरसे निर्माण करते है तणाव के कारण क्षतिग्रस्त पेशियोको ठीक करते है यह तनाव से निर्माण होनेवाला हार्मोन आपके हृदय को बलशाली बनाता है| शारीरिक लाभ के अलावा भी इससे न्यारी बात यह है की ओक्सिटोसिंन आपका सामाजिक संपर्क तथा आपके लिये सामाजिक मदतका दायरा बढाता है| आप जब भी कभी तनाव वाले लोगो तक पहूँचे आप उनको या टो मदत करना चाहेंगे या उनसे मदत लेंगे| आप इस स्थिति में ज्यादा हार्मोन्सका रिसाव होता है l तनाव का प्रतिसाद स्वास्थपूर्ण होता है| तनाव से आप जलद ठीक होते है, यह मुझे बहूँतही अचरज भरा इसलिये लगा, तनाव के प्रतिसादमेही बचाव यंत्रणा बंधी है| तनाव से ठीक होने के लिये यही बचाव यंत्रणा मानवी सम्बंधोको जोडती है, आख़िरकार एक बात बताती हूँ ध्यानसे सुने ,क्योकि जीवन बचानेकी क्षमता है इस अभ्यास में| इस अभ्यासमे यु|एस|के १००० प्रौढ़ शामिल थे| जिनकी आयु थी ३४ से ९४ तक उन्हें प्रश्न करके अभ्यास की शुरुवात की गयी| पिछले वर्ष आपने कितना तनाव महसूस किया , ये भी पूछा गया| "आपने कितने आपकेमित्रोको ,पडोसी योको मदत करने कितना समय दिया| आपके समाजके लोगोको भी?'" उसके बाद अगले पाच सालकी सार्वजनिक मृत्यु नोंद जानी| उनमेसे कितनोकी मृत्यु हूँई, पहले सुनते है बुरी खबर , तनाव के मुख्य कारन जैसे आर्थिक बदहाली, पारिवारिक समस्या, इससे ३०% मृत्यु की संभावना बढती है| लेकिन --आप इस शब्द लेकिन की अपेक्षा करते होंगे| लेकिन यह सच नहीं है सबके लिये, जिनलोगोने अन्य लोगोके प्रति देखभाल की उन्हें मदत की उनमे तनाव से मृत्यु होने की संभावना बिलकुल नहीं थी शून्य थी| मदत करनेसे तनाव परिणाम से राहत मिलती है| हम एकबार जानेंगे की तनाव का बुरा प्रभाव आपके शरीरपर आप टाल सकते है| आपके विचारसे|कृतीसे तनाव के प्रति आपका अनुभव बदला जा सकता है| जब आप तनाव प्रतिसाद को मित्र समजने लगते है, आप एक जैविक धीरावस्था निर्माण करते है| जब आप तनाव ग्रस्त से संपर्क करते है आप खुदको तनाव मुक्त करते है, अभी मई कभीभी नहीं पूछती मेरे जीवनके कोंन से क्षण थे सबसे तनाव भरे, इस वैद्न्य्निक सोचने मुझे तनाव प्रती बिलकुल नई सोच प्रदान की| वह यह की तनाव हमें ह्रुदय तक पहूँचता है| अनुकंपा निर्माण करनेवाला हृदय हमें आनद ओर आनद का अर्थ बताता है, अन्य लोगोसे जुडनेसे| हा ,जाने ,आपका धकधकने वाला शारीरिक दिल जो बहूँतही शक्ति तथा उर्जा आपको देता है| जब आप तनाव को इस न्ज्रियासे देखेंगे आप सिर्फ तनाव से मिजाद ही नहीं पाएंगे बल्कि ,आप एक महत्वपूर्ण वाक्य करते है| आप कहते है की आपका पूरा विश्वास है जीवन की कठीनाइयो को झेल सकेंगे| आपको हमेशा याद् रहेगा आप अकेले नहीं है शुक्रिया, (तालियाँ) क्रिस अंडर सन :आपने जो कहा वह बहूँतही अचरज भरा है, मुझे आश्चर्य हूँआ तनाव के बारेमे सोच इतना महत्व रखती है जीवन बचने के लिये आप इस बारेमे मार्गदर्शन करे, जीवंशैलिमे बदलाव करना होतो वो क्या चुने तनाव भरा काम या तनाव न होनेवाला काम? क्या काम का चुनाव मायने रखता है? तनाव भरे काम आप स्वीकार सकते है जहात्क आप सोचते है की आप उसे सह सकें| के एम्: एक बात तय है तनाव का अर्थ जानना स्वास्थ के लिये आवश्यक है, असुविधाका काम न करनेसे| यही उचित है निर्णय करने , जो है वो स्वीकारो ,इससे जीवन का अर्थ निकलता है विश्वास करे आप तनाव को मात दे सकते है शुक्रिया , केली , आपने बढीया मार्गदर्शन किया है (तालियाँ) नमस्कार. मैं हंसी और एक कौशल के रूप में हंसी के महत्व की बात करूंगी. इसीलिए मैं चर्चा शुरु कर रही हूं अमेरिकी विदेश नीति की तरह जाे हमेशा- (हँसी) बिल्कुल हंसाने वाली है (हँसी) 1995 में, पूर्व युगोस्लाविया में युद्ध के अंत में, संयुक्त राष्ट्र में बोरिस येल्तसिन के चिड़चिड़े भाषण हुए नाटो में रूसी संघ की भागीदारी के बारे में, फिर उन्होंने बिल क्लिंटन के साथ बैठक की, इनमें वही मुद्दे बार-बार आ रहे थे, एक तरह से झगड़ा हो रहा था, जब ये दोनों लोग बाहर आए तो क्या हुआ ? उन्होंने शिखर सम्मेलन के बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. क्या इसे देखकर हम हंसी के बारे में कुछ सीख सकते हैं? (वीडियो) मेजबान:नमस्कार. बिल क्लिंटन: राष्ट्रपति महाेदय. (मंच पर) सोफी स्कॉट: बिल क्लिंटन काे देखिये (वीडियो) बोरिस येल्त्सिन: (रूसी में) देवियो और सज्जनों, सोफी: येल्त्सिन- (वीडियो) येलत्सिन: (रूसी) प्रिय पत्रकारों, सोफी: ... बहुत खुश नहीं हैं. (वीडियो) द्वारा: (रूसी में) सबसे पहले, मुझे यह कहना है मैं इस बैठक में आ रहा था राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के निमंत्रण पर, उस आशा के साथ नहीं जाे मैं अभी महसूस कर रहा हूँ. दुभाषिया: मैं सबसे पहले, जब मैं अमेरिका आया था अमेरिका के राष्ट्रपति के निमंत्रण पर, बिल क्लिंटन, उस समय इतनी उम्मीद नहीं थी जितनी अब जाते समय है, येलत्सिन: यह सब आपके कारण है - सोफी: (हंसी) (वीडियो) येल्सतिन: यहां तक कि आज के सभी समाचार पत्रों में, मेरे कल के बयान के आधार पर संयुक्त राष्ट्र में, आपने भविष्यवाणी की थी कि आज हमारी बैठक विफल होगी. दुभाषिया: और यह आपके कारण है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में मेरे बयान से यदि आपने प्रेस रिपोर्ट को देखा, जान सकता था कि आप जाे लिख रहे थे राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के साथ आज की बैठक विफल होने जा रही थी. (हँसी) सोफी: जी भर कर हंसी. (वीडियो) येल्सतिन: मैं आपको बता रहा हूं कि आप असफल हुए हैं. दुभाषिया: आपको बता दूं कि आप विफल हुए हैं. (हँसी) सोफी: जमकर हंसी. (हँसी) हंसना मजबूरी है, (हँसी) (वीडियो) बिल क्लिंटन: सही संबंध सुनिश्चित करें. (हँसी) सोफी: अब बोरिस येल्त्सिन हँसते हैं. (हँसी) (हँसी) कभी किसी से कुछ नहीं हो पा रहा, यही हंसी के साथ होता है. (हँसी) (हँसी) ये लाेग. (हँसी) तो हंसी क्या है? एक आश्चर्यजनक माहौल में खुशी की बात थी. हंसी एक बहुत ही रोचक व्यवहार है. हम इसे मजाक और हास्य से जोड़ते हैं, हंसी मुख्यतः सामाजिक होती है. कोई साथ हो तो हंसी की संभावना 30 गुना बढ़ जाती है बजाय इसके कि आप अकेले हों. और अक्सर, इसका मतलब है कि हंसी बातचीत के दौरान आती है, जब आप लोगों के साथ होते हैं तो ऐसा ही होता है. अक्सर हंसी संक्रामक होती है. और लोग हंसते हैं तो आपको भी हंसी आ ही जाती है. हंसी बस लग जाती है. परिचित को हंसते देखकर जल्दी हंसी आती है बजाय अपरिचित के साथ बातचीत में. जरूरी नहीं कि हम हंसें हास्य, चुटकुले और पंचलाइन पर. साथ हंस कर हम सहमति जताते हैं. हंसकर हम यह बताते हैं कि समझ गए. हम इसलिए भी हंसते हैं कि सहमत हैं और पता है क्या बात हुई. हम उस अनुभव को साझा करते हैं. हम अधिक हंसते हैं जब लोगों के साथ घुलमिल जाएं हमें हंसी नहीं आएगी अगर कुछ अजीब लगे या उजागर हो जाए. जब हम परिचित लोगों के साथ और आराम से हों, लोग हमें पसंद हों या स्नेह करते हों, हम और भी हंसते हैं. हंसना हम बचपन में सीखते हैं, मुख्यतः हम खेलते हुए हंसते हैं. खेल बहुत ही महत्वपूर्ण व्यवहार है, बार-बार की हंसी यह बताती है कि हम खेल रहे हैं, वही व्यवहार आक्रामकता भी हो सकता है (हँसी) जहां खेल के रूप में चिह्नित करने के लिए नहीं. और यह मुख्यतः हंसी के साथ हाेता है. हम हंसी का उपयोग करेंगे, सिर्फ यह दिखाने के लिए नहीं कि हम एक ही समूह हैं हमें पसंद है, हम समझते हैं और सहमत हैं. दिखाने के लिए भी हंसते हैं कि हम समझ रहे हैं कि वे हमें हंसाने की कोशिश कर रहे हैं; हम उनके इरादे जान लेते हैं. हम स्थिति को संभालने के लिए भी हंसते हैं. हम हंसते हैं ताकि अच्छा महसूस कर सकें. ऐसा तभी हो पाता है जब सभी साथ दें. एक व्यक्ति "हाहाहाहाहा," कर रहा है और किसी को हंसी नहीं आ रही. तब किसी को अच्छा नहीं लगता. (हँसी) अगर सब साथ देने लगें, हंसी का असर तभी होता है सबका मूड ठीक करने के लिए . लोग हंसी का उपयोग इस संबंध के कारण कर सकते हैं, तनाव दूर करने के लिए. लोग यह दर्शाने के लिए हंसते हैं कि वाे ठीक हैं, "मुझे गुस्सा आ रहा है तुमने पीला रंग डाल दिया. मजा आ गया. उम्मीद है दिन ऐसा ही गुजरेगा." (हँसी) चार्ल्स डार्विन ने कई काम ठीक किए उन्होंने भावनाओं का मतलब समझाया उनके लिखने के 150 साल बाद मनोविज्ञान में. उन्होंने गुस्से, घृणा और डर के बारे में लिखा उन्होंने हंसी पर भी लिखा जिसे हमने उपेक्षित किया. हंसी पर बहुत कम वैज्ञानिक शाेध हुआ है. चार्ल्स डार्विन ने सोचा हंसी बहुत महत्वपूर्ण थी, उसने सोचा कि यह खुशी की अभिव्यक्ति थी; यह एक सुखद भावना है. खेल में खुशी है, किसी के साथ में खुशी है उनके साथ खुशी है जिन्हें हम प्यार करते हैं. मेरे ख्याल से यह सोचना जरूरी है जब हंसी के बारे में सोचते हैं. सोचते हैं कैसे यह गलत हो सकती है. क्योंकि हंसना हम सीखते हैं. बच्चे गुदगुदी करने या लुका छिपी के खेल में हँसते हैं. इस व्यवहार को हम प्रोत्साहित कर सकते हैं. हम हंसी का मतलब समझते हैं. हम हंसी को समझना सीखते हैं हम देख सकते हैं कि गलत हो रहा है. तो मैंने यह अध्ययन किया पिछले साल यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में सहयोगी एस्सी वीडिंग के साथ किशोर लड़कों का अध्ययन कर रहे थे जिन्हें मनोरेग का खतरा है. उनका व्यवहार विकृत था, उनमें अनौपचारिक कठोरता के काफी लक्षण थे. कोई आहत हो जाए तो उन्हें फर्क नहीं पड़ता. हमने पाया,जब वे हंसी सुनते हैं किशोर जो विकसित हो रहे थे, से नियंत्रण की तुलना की, किसी को हंसते देख उन्हें हंसी नहीं आती थी, वे शामिल नहीं होते जब कोई और हंसता है, और वे शामिल होना चाहते भी नहीं. सामान्यतः हंसी सुनकर लोगों का मस्तिष्क, इस तरह की सक्रियता दिखाता है, आप लोगों को शामिल होने काे तैयार होते देख सकते हैं वे काफी कम प्रभाव दिखाते हैं. इस संदर्भ में पता नहीं, आप जो देख रहे हैं इन बच्चों को हंसी सीखने में कठिनाई थी इन आचरण विकारों के कारण जो कठोर-भावनाहीन लक्षण इनमें हैं इनके हंसी में शामिल होने पर असर डाला, या इनको हंसना सीखने का मौका नहीं मिला ? क्या कोई इनके साथ हंसा नहीं ? क्या कोई इनके साथ खेला नहीं? हमें इसे समझने के लिए बहुत शोध चाहिए . जिलेटोफेबिया" नामक हालत और भी गंभीर है" लोग हंसी में शामिल होना भी नहीं चाहते, वे हँसी सुनकर भयभीत और आक्रामक हाे जाते हैं, वे सड़कों पर फिरने वाले व्यक्ति की तरह हैं, हंसी सुनकर उन्हें लगता है उन्हीं पर हंसा गया है वे उस व्यक्ति को मुक्का मारते हैं. आपको पता ही नहीं चलता कि उसे जेलोटोफोबिया है गंभीरतम मनोराेगाें से अलग . हम हंसी और हंसी की प्रतिक्रिया देखते हैं जाे बिल्कुल अलग प्रकार के अनुभव हैं, जैसा जीवन हम जी सकते हैं. यह एक बेहतरीन सामाजिक उपकरण हो सकता है, आप डर भी सकते हैं आपके अनुभव पर निर्भर है अब उसी फिल्म पर वापस चलते हैं बिल क्लिंटन किस बात पर हंस रहे थे. खैर, शुरुआत से, वह येल्त्सिन को बाज़ की तरह देख रहे हैं. पूरा ध्यान उसके ऊपर है. लगता है वह हंसने का कारण ढूंढ रहे हैं. कारण मिल भी गया, येल्त्सिन उनका नाम लेता है, बिल क्लिंटन, और वह हंसते हैं यह मान्यता की हंसी है: "हाँ, हा हा हा, मेरा नाम बिल क्लिंटन है." (हँसी) इसको छेड़ो मत, हंस पड़ेगा, हंसेगा. इसी कारण वह चल रहा है. और फिर बोरिस येल्त्सिन कहते हैं इसके बारे में आपने सोचा था यह मुसीबत होगी लेकिन आप समस्या हैं. यह एक गलत अनुवाद है; उन्होंने "विफलता" शब्द का प्रयोग किया रूसी-अमेरिकी दुभाषिये का यह गलत अनुवाद. लोगों ने कहा कि बिल क्लिंटन गलत अनुवाद पर हँसे पता नहीं यह कौन सा पुरस्कार है लेकिन है. ज्यादातर लोग समझ नहीं सके . शायद वह एक कारण के रूप में इसका उपयोग करेंगे हंसी को बढ़ाने के लिए और बात ठंडी करने के लिए येल्त्सिन द्वारा मजाक में अपमानजनक टिप्पणी . स्थिति को कम कर हमारे सामने पेश कर रहा है इस रूप में: यह आदमी मजेदार है. (हँसी) पूरी तरह से हमारी धारणा को बदलता है और येल्त्सिन जाे हो रहा है की धारणा. येल्त्सिन, " हाँ, यहाँ खत्म कर रहा हूँ. " (हँसी) "यह बहुत मज़ेदार है." (हँसी) वह जारी रखता है और येल्तसिन की बात पर मुस्कुराता है , और फिर वह हंसता है. येल्त्सिन हंसना शुरू करता है, वह मुख्य रूप से हंसी पर हँस रहा है . थोड़ी देर के लिए दोनों बेहाल हो जाते हैं, यह हंसी के साथ होता है; यह थोड़े समय के लिए कुछ और करने से रोक देगा. फिर वे वापस गये.ठीक है, वे ठीक कर रहे हैं. तो बिल क्लिंटन क्यों हंस रहे थे? खैर, हमें मान्यता मिल गई, और हमें नए शब्दों में रख दिया, यह वास्तव में महत्वपूर्ण है. वे शब्द बदलकर तनाव घटा रहे हैं. वातावरण तनावपूर्ण था, वह इसे सकारात्मक स्थिति में बदल रहे हैं. तो वे तनाव को कम कर रहे हैं, हर चीज को फिर परिभाषित कर रहे हैं मजा आ रहा है और हंसी भी. यह आदमी बहुत मजेदार है। " दिखा ऐसे रहा है जैसे काफी सुकून में है. हम बेनकाब हो जाते हैं तो हंसी नहीं आती. क्लिंटन आत्मविश्वास में हैं: "सब ठीक है. शायद आप लोग चिंतित हो रहे हैं. हम खुश हैं यह आदमी मजेदार है." यह हमारे लिए मायने रखता है. जब हम बहुत छोटे होते हैं,हम सीखते हैं, माता पिता की हंसी से पता कर लेते हैं कि स्थिति गंभीर है या नहीं. 12 महीने के बच्चे माता पिता की हंसी या चुप्पी से पता कर लेते हैं, बदले बदले हालात चिंता की बात है. हम करते रहते हैं, इसलिए महत्वपूर्ण है कि बिल क्लिंटन यह कर रहा है. वह दिखा रहा है कि वह येलत्सिन से संबद्ध है. वह उसके प्रति स्नेह महसूस करता दिख रहा है. और येलत्सिन वही काम करता है. हम उन के साथ नहीं हंसते जिन्हें पसंद नहीं करते. हम उन के साथ भी नहीं हंसते जिन्हें जानते नहीं. हंसी पर हमारे उनके बंधनों की छाप है. आखरी बात तो बहुत ही दिलचस्प है बिल क्लिंटन, किसी भी स्तर पर, यह नहीं दिखाते कि वह बोरिस येल्त्सिन पर हंस रहे हैं. उसे शामिल करने के लिए वह बड़ी पीड़ा उठाते हैं. नहीं लगने देते कि "इस मूर्ख पर हंसी आ रही है." अगर वह ऐसा होने देते तो बात का अर्थ बदल जाता. अमरिकी विदेश नीति में अक्सर, या किसी भी विदेश नीति में सामने नहीं हंसते किसी दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्ष के. यह उल्टे होकर सीधे दिखने का नियम है. वह उस हंसी में उसे शामिल करता है. हंसी में यह ध्यान देने की चीज है. हंसी सामाजिक रिश्ते बनाए रखने के बारे में है, लोग अपनी स्थिति के बारे में बहुत सतर्क रहते हैं, और इसका मतलब है आप कठिन स्थिति पर हंसी की पिचकारी नहीं छोड़ देते: हंसी में लोगों का साथ जरुरी है. लोग उपेक्षित या आहत महसूस ना करें. इससे हंसी की एक और खासियत पता चलती है . यह एक खास सामाजिक कौशल है जिसे हम सीखते हैं. जैसे-जैसे हम वयस्क होते हैं हंसी के सामाजिक फायदे सीखते हैं यह सीखा जाने वाला महत्वपूर्ण सामाजिक कौशल है हमें इसे और गंभीरता से लेना चाहिए. उन चीजों पर विचार करना चाहिए जो हमारी हंसी प्रभावित करती हैं. वह करना सीखें जो प्रोत्साहित करे हंसी के प्रति हमारी समझ को. हंसी को गंभीरता से लेना सीख कर जाना है, अपनी हंसी के बारे में सोचें. अपनी हंसी की कीमत कम न समझें. इससे फर्क पड़ता है बहुत फर्क पड़ता है. कभी यह दोस्ती की तरह लग सकता है कभी प्यार की तरह. धन्यवाद. (तालियां) मैं एक कहानी सुनाना चाहता था जिसने मुझे काफी मनोग्रहित किया था जब मैं अपनी नयी किताब लिख रहा था। और यह कहानी ३००० साल पहले घटित हुई थी, जब इज़राइल का राज्य अपनी प्रारम्भिक अवस्था में था। यह घटना शेफला में हुई थी जो की आजकल इजराइल है। इस कहानी ने मुझे ग्रसित इसलिए किया क्यूंकि मैं सोचता था की मैंने इसे समझ लिया है और फिर मैंने इसे दोबारा पढ़ा और मुझे एहसास हुआ की मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आया है। प्राचीन फिलिस्तीन में पूर्वी सीमा पर एक पर्वतीय श्रृंखला है। यह आज भी इजराइल में है। उस पर्वतीय श्रृंखला में उस क्षेत्र के सभी पुराने शहर हैं यानि जेरूसलम, बेथलेहम, हेब्रोन। और फिर भूमध्य सागर के साथ एक तटीय मैदान है ,जहां तेल अवीव है। पर्वतीय श्रृंखला को तटीय मैदान से जोड़ने वाला क्षेत्र है शेफला, जो पश्चिम की ओर जाती हुई घाटियों और छोटी पहाड़ियों की शृंखला है, तटीय मैदान से पर्वतों तक पहुँचने के लिए आप शेफेला का अनुसरण करते हुए शेफेला में से गुज़र सकतेहैं। यदि आप इजराइल गए हैं तो आपको पता होगा शेफला इजराइल का सबसे सुन्दर भाग है। यह शोभायमान है, शाहबलूत के वन, गेहूं के खेत और अंगूर के बागों से। महत्वपूर्ण बात यह है की इस क्षेत्र के इतिहास में इसका युद्ध कौशल से सम्बन्धी काफी योगदान रहा है क्यूंकि यह ही वह रास्ता है जिसके द्वारा तटीय मैदान से दुश्मन की सेनाएं पर्वतों तक पहुँच सकती है और वहां रहने वालों को धमका सकती है। लगभग ३००० साल पहले ऐसा ही हुआ। तटीय मैदान में रहने वाले फिलिस्तीनी इजराइल के राज्यके सबसे बड़े दुश्मन हैं। वह आरम्भ में क्रीट के रहने वाले हैं । वह समुद्रीय लोग हैं। वह चाहते हैं कि बेथलेहम के पास के पर्वतीय क्षेत्र पर कब्ज़ा करके इजराइल के राज्य को दो भागों में बाँट दें। ऐसा करने के लिए वह शेफला की किसी एक घाटी में से होते हुए पर्वतों तक पहुंच कर पर्वतीय क्षेत्र पर कब्ज़ा करना चाहते हैं। इजराइल का राज्य ,जो सॉल के अधीन है को इस बात का पता चल जाता है और सॉल अपनी सेना ले कर पर्वतों से नीचे आता है और फिलिस्तिनियों की सेना को एलाह की घाटी में मिलता है, शेफेलाः की एक सबसे सुन्दर घाटी। और इस्राएलियों ने उत्तरी पहाड़ी और फिलीस्तीनियों ने दक्षिणी पहाड़ी पर पड़ाव डाला और दोनों सेनाएं हफ़्तों वहां बैठी रहीं और एक दुसरे को देखती रही ,गतिरोध की वजह से। कोई एक दुसरे पर हमला नहीं कर सकता क्यूंकि दूसरी सेना पर हमला करने के लिए आपको पर्वत से घाटी में उतरना पड़ेगा और फिर दूसरी तरफ से ऊपर चढ़ना होगा और आप पूरी तरह से अनावृत हो जायेंगे। अंत में गतिरोध समाप्त करने के लिए फिलीस्तीनियों ने अपने सबसे शक्तिशाली योद्धा को घाटी में भेजा,और वह चिल्लाते हुए इस्राएलियों को बोला, 'अपने सबसे शक्तिशाली योद्धा को नीचे भेजो , और हम दोनों इसका अंत करेंगे,सिर्फ हम दो। ' प्राचीन युद्ध कला में यह एक प्रथा थी जिसे एकल मुकाबला कहते थे। महायुद्ध में रक्तपात से बचने के लिए विवादों को सुलझाने के लिए यह एक तरीका था। फिलीस्तीनियों ने जिस प्रबल योद्धा को नीचे भेजा ,वह एक दानव है। वह ६ फुट ९ है। उसने सिर से पाँव तक चमकीला कांस्य कवच पहना है , उसके पास एक तलवार और एक भाला है और उसके पास बरछा है। वह पूर्णतः खौफनाक है। और वह इतना खौफनाक है कि कोई भी इसरायली उससे युद्ध नहीं करना चाहता। यह मृत्यु को गले लगाने जैसा ही है,है ना ? उन्हें नहीं लगता की वह उससे भिड़ पाएंगे। अंत में एक गडरिया युवक आगे आता है , और सॉल के पास जाकर कहता है , "मैं लड़ूंगा इससे। " सॉल कहता है,"तुम नहीं लड़ सकते इससे। यह हास्यप्रद है। तुम एक बच्चे हो। यह एक प्रबल योद्धा है। " किन्तु गडरिया अटल है। वह कहता है ,"नहीं,नहीं,नहीं , आप समझ नहीं रहे, मैं कई वर्षों से शेरों और भेड़ियों से अपने झुण्ड की रक्षा कर रहा हूँ, मुझे लगता है कि मैं यह कर सकता हूँ। " सॉल के पास और कोई उपाय नहीं है। और कोई है नहीं जो आगे बढ़ा हो। तो वह कहता है,"ठीक है। " और फिर बच्चे की तरफ देखते हुए वह कहता है, "किन्तु तुम्हे यह कवच पहनना पड़ेगा। तुम ऐसे नहीं जा सकते।" वह गडरिये को अपना कवच देने की कोशिश करता है, और गडरिया कहता है,"नहीं।" वह कहता है ,"मैं यह नहीं पहन सकता।" बाइबल में कथन है ,"मैं यह नहीं पहन सकता क्यूंकि मैंने यह साबित नहीं किया है ," मतलब,"मैंने कभी कवच नहीं पहना है। आप शायद बावले हैं। " और वह नीचे ज़मीन की तरफ झुकता है और पांच छोटे पत्थर उठाता है और अपने गडरिये वाले थैले में डालता है और दानव को मिलने के लिए पर्वत से नीचे की तरफ चलने लगता है। और दानव इस आकृति को पास आते हुए देखता है, और चिल्लाता है,"मेरे पास आओ, ताकि मैं तुम्हारा मांस आसमान के परिंदों और खेत के जानवरों को खिला सकूँ।" वह अपने से लड़ाई करने के लिए आते हुए इस व्यक्ति को ताने देता है। और गडरिया नज़दीक और नज़दीक आता जाता है , और दानव देखता है कि उसके पास एक लाठी है। वह सिर्फ एक लाठी उठाये है। कोई शस्त्र नहीं,केवल एक लाठी , और वह कहता है --उसका अपमान हुआ है -- "क्या मैं एक कुत्ता हूँ,जो तुम मेरे पास लाठी लेकर आये हो?" और गडरिया अपनी जेब में से एक पत्थर निकालता है और गोफन में डालता है और उसे घूमता हुआ छोड़ देता है और वह दानव की आँखों के बीच जाकर लगता है -- ठीक यहां ,उसके सबसे कमज़ोर स्थान पर -- और वह नीचे गिर जाता है, शायद मृत या बेहोश, और गडरिया दौड़ कर जाता है और उसकी तलवार निकाल कर उसका सिर काट देता है, और फिलिस्तीनी यह देख कर पीछे मुड़ कर भाग जाते हैं। और जी हाँ ,दानव का नाम गोलिअथ है और गडरिये के नाम डेविड है, और जब से मैं अपनी किताब लिख रहा हूँ इस कहानी ने मुझे मनोग्रहित इसलिए किया है क्यूंकि जो भी मैं सोचता था की मैं इस कहानी के बारे में जानता हूँ,गलत निकला। तो इस कहानी में डेविड कम क्षमता का व्यक्ति है,है ना? असल में,यह शब्द डेविड और गोलिअथ, हमारी भाषा में एक अलंकार की तरह हैं जो किसी कमज़ोर की किसी शक्तिशाली के ऊपर असम्भाव्य विजय को दर्शाते हैं। हम डेविड को कम क्षमता का व्यक्ति क्यों मानते हैं? हम उसे ऐसा इसलिए कहते हैं क्यूंकि वह एक बच्चा है, एक छोटा बच्चा ,और गोलिअथ एक बड़ा, शक्तिशाली दानव है। हम डेविड को कम क्षमता का व्यक्ति इसलिए भी कहते हैं क्यूंकि गोलिअथ एक अनुभवी योद्धा है और डेविड केवल एक गडरिया। किन्तु उसे कम क्षमता का व्यक्ति कहने का मुख्य कारण है कि गोलिअथ के पास आधुनिक हथियार हैं ,चमकता हुआ कवच है, और एक तलवार, एक भाला और एक बरछा है जबकि डेविड के पास केवल एक गोफर है। हम इस वाक्यांश से शुरू करते हैं "डेविड के पास केवल एक गोफर है," क्यूंकि यह हमारी पहली गलती है। प्राचीन युद्धकला में ,तीन तरह के योद्धा होते हैं। घुड़सवार ,घोड़ों पर सैनिक और रथों के साथ। फिर भारी संख्या में पैदल सेना, हथियारों से लैस ,कवच पहने हुए पैदल सैनिक तलवारों और ढालों के साथ। और फिर तोपची सैनिक,और यह सैनिक धनुर्धर और मुख्य रूप से गोफनकार होते हैं। गोफनकार के पास एक चमड़े की थैली होती है जिसके साथ दो डोरियाँ होती हैं , और थैली में एक अस्त्र ,पत्थर या सीसे का गेंद डालते हैं और उसे ऐसे घुमाते हैं और फिर एक डोरी छोड़ देते हैं, जिससे वह अस्त्र आगे की तरफ चला जाता है अपने निशाने की ओर । डेविड के पास वह है ,और यह समझना महत्वपूर्ण है की गोफन गुलेल नहीं है। वह यह नहीं है ,है ना ?वह एक बच्चे का खिलौना नहीं है। यह एक बहुत ही विध्वंसकारी शस्त्र है। जब डेविड इसको ऐसे घुमाता है , वह गोफन को लगभग छः या सात चक्कर प्रति सेकंड की गति पर घुमा रहा है, इसका अर्थ है की जब वह पत्थर छोड़ा जायेगा वह बहुत तेज़ी से आगे जायेगा , लगभग ३५ मीटर प्रति सेकंड। वह काफी हद तक सबसे अच्छे बेसबॉल खिलाडी द्वारा फेंके गए बेसबॉल से भी तेज़ है। उससे भी अधिक ज़रूरी है यह जानना की एलाह की घाटी के पत्थर सामान्य पत्थर नहीं थे।वह बेरियम सलफेट थे , जिन पत्थरों का घनत्व सामान्य पत्थरों से दुगना होता है। यदि आप डेविड के गोफन से निकले हुए पत्थर के रुकने की शक्ति की प्राक्षेपिकी गणना करें तो , यह लगभग [. ४५ कैलिबर ]की पिस्तौल के रुकने की शक्ति के बराबर है। यह एक बहुत ही अविश्वसनीय विनाशकारी शस्त्र है। सटीकता ,ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार अनुभवी गोफनकर अपने लक्ष्य को २०० गज की दूरी से भी मार सकते या अपंग कर सकते थे। मध्यकालीन चित्र यवनीकाएं हमें बताती हैं कि गोफनकर उड़ते हुए परिन्दों को भी मार सकते थे। वह आश्चर्यपूर्ण सटीक थे। जब डेविड खड़ा होता है --वह गोलिअथ से २०० गज़ की दूरी पर नहीं है , वह गोलिअथ के काफी करीब है -- जब खड़े होकर वह उस चीज़ को गोलिअथ पर फेंकता है, तो इस इरादे और इस उम्मीद के साथ कि वह गोलिअथ के सबसे कमज़ोर भाग पर,उसकी आँखों के बीच वार कर सकेगा। यदि आप युद्धकला के इतिहास को देखें , आप देखेंगे की समय समय पर कभी एक युद्ध में तो कभी दुसरे युद्ध में गोफेनकर पैदल सेना के खिलाफ एक निर्णायक तत्त्व थे। तो गोलिअथ कौन है? वह भारी भरकम पैदल सेना है, और जब वह इस्राएलियों को ललकारता है, तो उसकी उम्मीद है कि उसका सामना एक और भारी भरकम पैदल सैनिक से होगा। जब वह कहता है क़ि ,"मेरे पास आओ," ताकि मैं तुम्हारा गोस्त आसमान के परिंदों और खेत के जानवरों को खिला सकूँ," मुख्य वाक्यांश है ,"मेरे पास आओ।" मेरे पास आओ क्यूंकि हम हाथापाई करते हुए ,लड़ने वाले हैं ,इस तरह से। सॉल की भी यही उम्मीद है। डेविड कहता है,"मैं गोलिअथ से लड़ना चाहता हूँ," और सॉल उसे अपना कवच देने लगता है, क्यूंकि सॉल सोच रहा है, 'जब तुम कहते हो 'गोलिअथ से लड़ना', तुम्हारा मतलब है 'उसके साथ हाथापाई का मुकाबला,' पैदल सैनिक एक दुसरे के साथ भिड़ते हुए।" किन्तु डेविड की कोई ऐसी उम्मीद नहीं है। वह उस तरह से नहीं लड़ेगा। वह ऐसा क्यों करेगा? वह गडरिया है। उसने आजीवन गोफन का प्रयोग करके अपने झुण्ड को शेरों और भेड़ियों से बचाया है। उसकी शक्ति वहीं है। तो यहां पर भारी कवच पहने हुए एक प्रचंड दानव जिसके पास बहुत भारी अस्त्र जिन्हे केवल कम दूरी के मुकाबले , में प्रयोग कर सकते हैं उसके समक्ष यह गडरिया है, जो एक विध्वंसकारी शस्त्र चलाने में माहिर है। गोलिअथ एक बैठी बतख की तरह है जिसकी कोई बचने की सम्भावना नहीं है। तो हम डेविड को कम क्षमता वाला क्यों मान रहे हैं, और उसकी जीत को असम्भाव्य जीत क्यों कह रहे हैं? यहां एक दूसरी बात भी महत्वपूर्ण है। हमने केवल डेविड और उसके अस्त्रों को ही गलत नहीं समझा। बल्कि हमने गोलिअथ को भी गलत समझा। गोलिअथ वह नहीं है जो वह दिखाई देता है। बाइबल में इसके बारे में बहुत संकेत हैं, ऐसी बातें जो पुनरावलोकन में काफी पेचीदा हैं और इसकी शक्तिशाली योद्धा की छवि पर सही नहीं लगतीं। आरम्भ में,बाइबल में कहा है कि एक अनुचर गोलिअथ को लेकर घाटी में आता है। यह कुछ विचित्र है, है ना ? यहां एक शक्तिशाली योद्धा है जो इस्राएलियों को हाथा पाई के मुकाबले के लिए ललकार रहा है। उसे एक युवक मुकाबले के स्थान पर हाथ से पकड़ कर क्यों ला रहा है? दूसरा,बाइबल की कहानी में यह विशिष्ट रूप से बताया है की गोलिअथ बहुत धीरे चलता है, एक और विचित्र बात है जब आप उस समय के सबसे शक्तिशाली योद्धा की बात कर रहे हैं। और फिर एक और विचित्र बात कि डेविड को देखकर गोलिअथ की प्रतिक्रिया में कितना समय लगता है। तो डेविड पर्वत से नीचे आ रहा है, और वह स्पष्ट रूप से हाथा पाई के लिए तैयार नहीं है। उसके बारे में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह प्रतीत हो कि "मैं तुम्हारे साथ ऐसे लड़ूंगा।" उसके पास तो तलवार भी नहीं है। गोलिअथ इस बात पर कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं करता? ऐसा लगता है की वह उस दिन की घटना से बिलकुल बेखबर है। और फिर वह डेविड से अजीब टिप्पणी करता है: "क्या मैं एक कुत्ता हूँ जो तुम मेरे पास लाठियां ले कर आये हो? लाठियां?डेविड के पास तो केवल एक लाठी है, कई वर्षों से चिकित्सा समूह में काफी अटकलें लगायी जा रही हैं कि क्या गोलिअथ को मूल रुप से कोई समस्या थी,एक प्रयास ताकि स्पष्ट रूप से दिख रही विसंगतियों को समझा जा सके। कई लेख लिखे जा चुके हैं। पहली बार १९६० में इंडिआना मेडिकल जर्नल में और इसे आरम्भ हुई अटकलों की शृंखला की जिसकी शुरआत गोलिअथ की ऊंचाई की व्याख्या से हुई उस युग के अपने सभी साथियों से गोलिअथ बहुत ऊँचा है, और आम तौर पर यदि कोई मापदण्ड से इतना दूर है, तो उसके लिए कोई स्पष्टीकरण होता है। तो सबसे आम पाया जाने वाला दानवता का रूप एक स्थिति है जिसे महाकायता कहते हैं, और महाकायता का कारण है आपकी पीयूष ग्रंथि पर एक सौम्य अर्बुद, जिसकी वजह से मानवीय वृद्धि के अंतःस्त्राव का अत्युत्पादन हो जाता है। इतिहास में देखें तो काफी प्रसिद्ध दानवों को महाकायता की बीमारी थी। आज तक का सबसे लम्बा व्यक्ति रोबर्ट वाङलोव था जो २४ वर्ष की उम्र में जब मरा तो भी बढ़ रहा था, और वह ८ फुट ११ था। उसको महाकायता की बीमारी थी। क्या आपको पहलवान दानव आंद्रे की याद है? प्रसिद्ध।उसे महाकायता की बीमारी थी। अब्राहम लिंकन के बारे में भी अटकलें हैं कि उन्हें महाकायता थी। कोई भी जो असाधारणतः लम्बा है उसके लिए हमारे पास पहला स्पष्टीकरण यह ही होता है। महाकायता से सम्बंधित कुछ स्पष्ट दुष्प्रभाव होते हैं, मुख्य रूप से दृष्टि के साथ। जैसे जैसे पीयूष ग्रंथि बढ़ती है वह मस्तिष्क में दृष्टि की नस को दबाने लगती है परिणामस्वरूपं महाकायता वाले व्यक्ति या तो दोहरी दृष्टि या निकटदृष्टि होते हैं। तो जब लोगों ने अटकलें लगन शुरू कर दिया कि गोलिअथ को क्या समस्या हो सकती है, उन्होंने कहा,"एक मिनट रुको, यह बहुत ज़्यादा उन लोगों जैसा लगता है जिसे महाकायता हो।" और इससे उस बात का भी स्पष्टीकरण हो जायेगा कि उसका व्यवहार उस दिन इतना विचित्र क्यों था। वह इतना धीरे क्यों चल रहा था और उसे एक अनुचर के साथ क्यों घाटी में लाया गया? क्यूंकि वह अपने आप नही चल सकता। वह क्यों डेविड के प्रति बेखबर था कि वह अंत समय तक समझ नहीं पा रहा कि डेविड उसके साथ नहीं भिड़ेगा? क्यूंकि वह उसको नहीं देख सकता। जब वह कहता है ,""मेरे पास आओ, ताकि मैं तुम्हारा मांस आसमान के परिंदों और खेत के जानवरों को खिला सकूँ।" "मेरे पास आओ "का वाक्यांश उसकी कमज़ोरी का भी संकेत है। मेरे पास आओ क्यूंकि मैं तुम्हे देख नहीं सकता। और फिर,"क्या मैं एक कुत्ता हूँ जो तुम मेरे पास लाठियां ले कर आये हो? उसको दो लाठियां दिखाई दे रही हैं, जबकि डेविड के पास केवल एक है। तो पर्वत पर खड़े इस्राएलियों ने ऊपर से देख कर सोचा कि वह एक असाधारण शक्तिशाली दुश्मन है। उन्हें यह नहीं समझ आया कि उसकी ताकत का साधन ही उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी है। और मेरे ख्याल से ,इसमें हम सब के लिए एक बहुत महत्वपूरण सबक है। दानव इतने प्रबल और शक्तिशाली नहीं होते , जितने वह दिखाई देते हैं। और कभी कभी गडरिये की जेब में गोफर भी होता है। धन्यवाद। (तालियां) पिछले ढाई सालों से, मैं उन अल्प बाल मनोचिकित्सकों में से हूँ, जो शरणार्थी शिविरों, तटरेखा और बचाव नौकाओं में सहयोग दे रहे हैं, ग्रीस और भूमध्य सागर में। और मैं आत्मविश्वास के साथ कह सकता हूं, हम एक मानसिक स्वास्थ्य आपदा देख रहे हैं यह हम में से अधिकांश को प्रभावित करेगा, और यह हमारी दुनिया को बदल देगा। मैं हाइफा में रहता हूं, लेकिन आजकल, मैं अपना अधिकांश समय विदेश में बिताता हूं। ग्रीस द्वीप लेसबोस पर और भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में बचाव नौकाओं पर , शरणार्थी नौका हजारों की संख्या में किनारे पर पहुंचे, वे 1.5 मिलियन शरणार्थियों से अधिक से भरे हुए थे। उनमें से एक चौथाई बच्चे हैं, युद्ध और कठिनाई से भाग रहे हैं। प्रत्येक नाव में विभिन्न पीड़ा और आघात से ग्रसित लोग हैं, सीरिया, इराक, अफगानिस्तान और अफ्रीका के विभिन्न देशों से। पिछले तीन वर्षों में ही, 12,000 शरणार्थियों से अधिक अपना जीवन खो चुके हैं। और सैकड़ों हजारों केआत्माओं और मानसिक स्वास्थ्य पर असर हुआ है इस क्रूर और दर्दनाक अनुभव के कारण । मैं आपको ओमर के बारे में बताना चाहता हूं, एक पांच वर्षीय सीरियाई शरणार्थी लड़का जो लेसबोस तट पर एक भरी हुई रबड़ नाव पर पहुंचे। रोता हुआ, भयभीत, समझने में असमर्थ उसके साथ क्या हो रहा है, वह एक नया आघात विकसित करने के कगार पर था। मुझे तुरंत पता था कि यह सुनहरा घंटा था, समय की छोटी अवधि जिसमें मैं अपनी कहानी बदल सकता था, मैं कहानी बदल सकता हूं जो वह खुद को बताएगा उसके बाकि जीवन के लिये। मैं उसकी यादों को बदल सकता हूं। मैंने जल्दी ही हाथ आगे किया और अरबी में काँपती हुई मां से कहा, (अरबी) "अवेणी एलवलाद ओ खुदी नफस।" "मुझे लड़का दो,और सांस लें। " उसकी मां ने उसे मुझे दिया। ओमर ने मुझे डरकर देखा,और कहा, (अरबी) "अम्मो (अरबी में चाचा), शू हदा? " "यह क्या है?" उसने पुलिस की हेलीकॉप्टर की ओर इशारा किया, जो हमारे ऊपर घूम रहा था। "यह एक हेलीकॉप्टर है! यह आपको फोटोग्राफ करने के लिए यहां है बड़े कैमरों के साथ, क्योंकि केवल आप की तरह महान और शक्तिशाली नायक, ओमर, समुद्र पार कर सकते हैं। " ओमर ने मुझे देखा, रोना बंद कर दिया और मुझसे पूछा, (अरबी) "अना बटाल?" "मैं नायक हूं?" मैंने ओमर से 15 मिनट तक बात की। और मैंने उसके माता-पिता को कुछ मार्गदर्शन दिया। यह छोटा मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप पोस्ट-आघात संबंधी तनाव विकार की सम्भावना और भविष्य में अन्य मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों को कम करता है, ओमर को शिक्षा प्राप्त करने के लिए तैयार करेगा, कार्यबल से जुड़ने, अपना परिवारशुरू करने में मददगार होगा। कैसे? अच्छी यादों को उत्तेजित करके, जो अमिगडाला में संग्रहीत किया जाएगा, मानव मस्तिष्क के भावनात्मक भंडारण में । ये यादें, दर्दनाक यादों से लड़ेंगे, यदि वे भविष्य में पुनः सक्रिय हुए। समुद्र की गंध, ओमर को सिर्फ सीरिया से अपनी आघात यात्रा याद नहीं दिलाएंगी। ओमर के लिए, यह कहानी अब बहादुरी की कहानी है। यह सुनहरा घंटा की शक्ति है, जो आघात को कम कर सकता है और एक नई कथा स्थापित कर सकता है। लेकिन ओमर 350,000 से अधिक बच्चों में से केवल एक है, उचित मानसिक स्वास्थ्य सहायता के बिना, अकेले इस संकट में। तीन सौ पचास हजार बच्चे और मैं । हमें पेशेवर मानसिक स्वास्थ्य कर्मियों की आवश्यकता है जो बचाव टीमों में शामिल हों सक्रिय संकट के समय के दौरान। यही कारण है कि मेरी पत्नी, मैं और मेरे दोस्तों ने "मानवता क्रू" की सह-स्थापना की। दुनिया में कुछ सहायता संगठनों में से एक जो मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराने में माहिर हैं और पहली प्रतिक्रिया, मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप करता है, शरणार्थियों और विस्थापित आबादी के लिए । उन्हें उपयुक्त हस्तक्षेप प्रदान करने के लिए, हम चार-चरणीय दृष्टिकोण बनाते हैं, एक मनोवैज्ञानिक कार्य योजना जिसका शरणार्थियों को पालन करना पड़ता है अपनी यात्रा के प्रत्येक चरण पर। समुद्र के अंदर शुरू होता है, बचाव नौकाओं पर, मानसिक स्वास्थ्य लाइफगार्ड के रूप में। शिविरों, अस्पतालों में और हमारे ऑनलाइन क्लिनिक के माध्यम से, जो सीमाओं को तोड़ देता है और भाषाओं पर विजय प्राप्त करता है। और शरणार्रथी देशों में उन्हें एकीकृत करने में मदद करते हैं। "मानवता क्रू", 2015 में अपने पहले मिशन से, योग्य, प्रशिक्षित स्वयंसेवी चिकित्सकों के 194 दल भेज चुका है। हमने मानसिक स्वास्थ्य सहायता के 26,000 घंटे प्रदान किए हैं, 10,000 से अधिक शरणार्थियों को। हम सब कुछ न कुछ कर सकते हैं इस मानसिक स्वास्थ्य आपदा को रोकने के लिए। हमें स्वीकार करने की आवश्यकता है कि प्राथमिक चिकित्सा सिर्फ शरीर के लिए जरूरी नहीं है, परन्तू इसमें मन व आत्मा भी शामिल होना चाहिए। आत्मा पर प्रभाव शायद ही दिखाई दे रहा है लेकिन जीवनभर के लिए नुकसान कर सकता है। चलो कहीं भूल न जाएँ कि मनुष्यों को मशीनों से अलग करता है, वह है, हमारे भीतर की नाजुक और सुंदर आत्मा। चलो अधिक ओमर्स को बचाने के लिए कड़ी मेहनत करें। धन्यवाद। (तालियां) (चीयर्स) (तालियां) हेतान पटेल: (चीनी में) युयू रौ: नमस्ते, मेरा नाम हेतान है। मैं एक कलाकर हूँ। और यह युयू हैं, जो एक नर्तकी है जिसके साथ मैं काम करता हूँ। मैने इसे मेरे लिये अनुवाद करने के लिये कहा हैं। हे.प. : (चीनी में) युयू रौ: अगर आपकी आज्ञा हो तो, मैं आपको मेरे बारे में और मेरी कलाकृति के बारे में बताना चाहूँगा। हे.प. : (चीनी में) युयू रौ: मुझे इंग्लेंड में मॅनचेस्टर के पास में जन्म दिया गया था और बड़ा किया गया था, लेकिन मैं आपसे यह अंग्रेज़ी में नहीं कहूँगा, क्योंकि मैं किसी भी मान्यताओं से बचने की कोशिश कर रहा हूँ जो मेरे उत्तरी लहजे से बनाई जाएँगी। (हंसी) हे.प. : (चीनी में) युयू रौ: इसे चीनी मैन्डरिन से छुपाने की एक ही समस्या यह है कि मैं सिर्फ यह पैरा बोल सकता हूँ जो मैने याद कर चुका हूँ जब मैं चीन गया था। (हंसी) तो मैं सिर्फ यह कर सकता हूँ कि इसे मैं अलग-अलग स्वर में दोहराते रहूँ और यह आशा करू कि आप नोटीस ना करे। (हंसी) हे.प. : (चीनी में) (हंसी) युयू रौ: केहने कि ज़रूरत तो नहीं है, परंतु मैं कोई भी मैन्डरिन बोलनेवाले से माफी माँगना चाहूँगा। जब मैं एक बच्चा था, मुझे भारतीय कुर्ता पाजामा पहनाया जाए, इससे मुझे नफरत थी क्यूँकि मैं यह सोचता था कि यह 'कूल' नहीं था। मुझे यह थोड़ा गर्ली लगता था, एक लड़की के कपड़ो कि तरह, और उसमें यह बॅगी पतलून वाला हिस्सा था जिसे बहुत कस कर बांधना पड़ता था ताकि उनके गिरने कि शर्मिंदगी से बचा जा सके। मेरे पिताजी यह कभी नहीं पेहेंते थे, तो मुझे यह समझ नहीं आता कि मुझे क्यों ऐसा करना पड़ता। तथा, मुझे बेआरामी मेहसूस होती है, कि लोग मान लेते है कि मैं कुछ मूलताया से भारतीय दर्शाता हूँ जब मैं इसे पहनता हूँ, क्योंकि मैं ऐसा मेहसूस नहीं करता। हे.प. : (चीनी में) युयू रौ: वास्तव में, मुझे यह पहनते हुए तभी आरामदायक लगता है जब मैं यह नाटक करता हूँ कि यह एक कुंग-फू योधा की पोशाक है जैसे ली मू बाई, उस फिल्म से "क्राउचिंग टाइगर, हिडन ड्रॅगन" (संगीत) अच्छा। तो मेरी कलाकृति पहचान और भाषा के बारे में है, जो आम धारणाओ को चुनौती देती है जो हम कैसे दिखते है, कहा से है, लिंग, जाती, श्रेणी पर आधारित होते हैं। वैसे भी, कौनसी चीज़ हमें वह बनती है जो हम है? हे.प. : (चीनी में) युयू रौ: मैं स्पाइडर-मॅन कॉमिक्स पढ़ा करता था, कुंग-फू फिल्मे देखा करता था, और ब्रूस ली से फिलॉसोफी में सबक लेता था। वह कुछ इस तरह की बातें करते -- ह.प. : अपना मन खाली करो। (हंसी) निराकर बनो, पानी की तरह। अब तुम पानी को कप में डालो। वह कप बन जाता है। तुम पानी को बॉटल में डालो, वह बॉटल बन जाता है। उसे चायदानी में डालो, वह चायदानी बन जाता है। अब, पानी बह सकता है या टकरा सकता है। पानी बनो, मेरे दोस्त। युयू रौ: इस साल, मेरी उम्र ३२ वर्ष की है, यही ब्रूस ली की उम्र थी, जब उसकी मृत्यु हुई थी। मैं हाल ही में सोच रहा था, की अगर वह अभी ज़िंदा होता, तो वह मुझे क्या सलाह देता इस TED टॉक को बनाने के बारे में। हे.प. : मेरी आवाज़ की नकल मत उतारो। यह मुझे अपमानित करता है। (हंसी) युयू रौ: अच्छी सलाह है, परंतु मुझे फिर भी ऐसा लगता है की हम जो हैं दूसरो की नकल उतारने के कारण है। किसने अपने माता, पिता, या अपने बचपन के हीरो की मैदान में नकल नहीं उतारी है? मैने उतारी है। हे.प. : कुछ साल पहले, अपनी कला का यह वीडियो बनाने के लिए, मैने अपने बाल मुँडवा लिए, ताकि मैं अपने पिताजी के बालो के समान उन्हे वापस उगालु जब वह पहली बार भारत से 1960s में यू.के. आए थे। उनके पास एक साइड पार्टिंग और एक साफ मूंछ थी। शुरुआत में तो सब कुछ ठीक जा रहा था। मुझे तो भारतीय दुकानों में छूट भी मिलने लगी। (हंसी) लेकिन फिर बहुत ही जल्द, मैं अपनी मूंछ उगाने की ताकत को अनडरएस्टीमेट करने लगा, और वह बहुत बड़ी हो गई। अब यह भारतीय नहीं लग रही थी। इसकी बजाय, दुनियाभर के लोग सड़क के दूसरी ओर से ऐसी चीज़े केहते -- युयू रौ और हे.प. : अररिबा! अररिबा! आंडले! आंडले! (हंसी) हे.प. : दरअसल, मुझे तो यह भी नहीं पता कि मैं ऐसे क्यों बात कर रहा हूँ। मेरे पिताजी के पास भी अब भारतीय उच्चारण नहीं रहा। अब वह ऐसे बात करते हैं। मैने सिर्फ अपने पिताजी कि नकल नहीं उतारी है। कुछ साल पहले जब मैं कुछ महीनों के लिए चीन गया था, मैं चीनी नहीं बोल सकता था, और यह बात मुझे सताती थी इसलिए मैने इसके बारे में लिखा, और इसका चीनी में अनुवाद करवाया और उसके बाद उसे ठीक से याद किया संगीत की तरह। युयू रौ: यह वाक्यांश अब मेरे मन को रट गया है, मेरे बॅंक के पिन नंबर से भी ज़्यादा स्पष्ट ताकि मैं बेधड़क चीनी बोलने का नाटक कर सकता हूँ। जब मैने यह वाक्यांश याद किया था, मैने इसे एक कलाकर को सुनाया, ताकि मैं यह जान सकु की मैं कितनी शुद्धता से यह बोल रहा था। मैने यह वाक्यांश बोला, और वह हंसा, और उसने मुझसे कहा, "हाँ, बहुत बढ़िया लेकिन यह ऐसा लगता है मानो कोई औरत मोल रही हो।" मैने कहा, "क्या?" उसने कहा, "हाँ, क्या तुमने किसी औरत से यह सीखा है?" मैने कहा, "हाँ, तो?" उसने फिर मुझे यह बताया कि एक मर्द और एक औरत के स्वर बहुत अलग और विशिष्ट होते हैं, और यह कि मैने वाक्यांश को बहुत अच्छी तरह से सीखा था, पर एक औरत कि आवाज़ में उसे सीखा था। (हंसी) (तालियाँ) हे.प. : ठीक है. तो यह नाटक करने के कार्यों में जोखिम ज़रूर है। यह हमेशा योजना के मुताबिक नहीं जाता, चाहे कोई प्रतिभावान अनुवादक का साथ ही क्यों ना हो। पर मैं नकल उतारता रहूँगा, क्योंकि आमतौर पर जो माना जाता है उसके विपरीत, किसी कि नकल उतारने से कोई अनोखी चीज़ हमारे सामने आ सकती है। इसलिये हर बार जब मैं अपने पिताजी कि तरह बनने में असफल होता हूँ, मैं और भी ज़्यादा खुद की तरह बन जाता हूँ। हर बार जब मैं ब्रूस ली की तरह बनने में नाकामयाब होता हूँ, मैं और भी विश्वस्त रूप से अपने जैसा बन जाता हूँ। यह मेरी कला है। मैं प्रमाणिकता हासिल करने का प्रयास करता हूँ, चाहे यह एक अप्रत्याशित आकार में ही अपने आप को पेश क्यों ना करे। मैने हाल ही में यह समझना शुरू किया है कि मैं ऐसे बैठना इसलिए नहीं सीखा क्योंकि मैं भारतीय हूँ. मैने यह स्पाइडर-मॅन से सीखा है। (हंसी) धन्यवाद। (तालियाँ) आज मैं आपको मेरा पसंदीदा खेल सीखना चाहती हूँ: भव्य एकाधिक खेळाडू अंगुठेबाजी| दुनिया में केवल ये एक ही खेल मुझे पता है जिसमे आप जो खिलाड़ी है, ६० सेकंड या उससे कम में १० सकारात्मक भावनाओं को अनुभव करने का अवसर मिलता है| यह सच है.आप सिर्फ एक ही मिनट के लिए आज मेरे साथ इस खेल को खेलते हैं, तो आपको आनंद, आराम,प्रेम,चमत्कार जिज्ञासा, उत्तेजना, भय और आश्चर्य समाधान और सर्जनशीलता सब कुछ सिर्फ एक मिनिट के समय में| तोह सुनने को अच्छा लगा रहा है? आ[कप अभी खेलने की इच्छा है| आपको यह खेल सिखाने केलिए, मुखे कुछ स्वयंसेवक लगेंगे तो जल्द ही मंच पे आए, और आप एक छोटासा प्रात्यक्षिक करेंगे| वे मंच पर आने तक, मैं बताना चाहती हूँ, यह खेल का शोध १० साल पहले लगाया ऑस्ट्रेलिया में मोनोक्रोम नामक कलाकारों द्वारा| धन्यवाद, मोनोक्रोम. अच्छा. तोह बहुत लोगो को पता है| पारंपारिक, दो खेलाडूओ की अंगुठेबाजी. सनी, इनको सिर्फ याद दिला देते है| एक, दोन, तीन, चार में युद्ध घोषित करते और हम झगड़ते है, सच में सनी मुझे हारती है क्यूँ की वो सर्वोत्कृष्ट है| अब भव्य एकाधिक अंगुठेबाजी बारे में एक बात, हम गेमर पिढी के है| अभी पृथ्वी पे जितने अब्ज गेमर है, तो हमे और ज्यादा आव्हाहन चाहिए| तोह की हमे अधिक अंगुठे चाहिए| तो एरिक, उपर आ जाओ| तो हम तिन अंगुठे एक साथ ले सकते है, और पीटर तुम भी हमारे साथी शामिल हो सकते हो| हम चार अंगूठो के साथ भी खेल सकते है, और यह मार्ग से आप जित सकते है| दुसरे का अंगुठे पकड़नेवाले पहले व्यक्ति है यह सच में मत्वपूर्ण है| आपको पसंद नहीं आएगा| वे लाध रहे तब तक रुकिए और अंत में चाप डालिए| वे ऐसे नहीं जित सकते किसने किया ये? रिक तुमने किया वह| तो एरिक जीता होगा| वो पहला व्यक्ति होगा जिसने मेरा अंगूठा पकड़ा| ठीक है, तोह पहिला नियम ऐसा है और हम ये देख सकते है तीन या चार अंगूठो के नमुनेदार प्रकार एक साथ है, अगर आपको मह्त्वकंशी लग रहा होगा, तोह पीछे रुकनी की जरुरत नहीं है सचमे हम उसके लिए जा सकते है| तोह आप इधर ऊपर देख सकते है| अब सिर्फ आपको दूसरा नियम याद करना है की, गेमर पिढी, हमे आव्हाहने अच्छी लगती है? मुझे ध्यान में आया है की कुछ अंगुठे आप इस्तेमाल नहीं कर रहे| तो मुझे लगता है की हमे ऐसे अधिक गुंतना चाहिए| और अपने पास सिर्फ चार व्यक्ति रहते तो| हमने ऐसे ही किया होता, और हमने प्रयत्न किया होता और लढाई एकही साथ दोनों अंगूठो के साथ की होती| उत्कृष्ट. अभी अगर अपने साथ रूम में मौजिद सभी लोग आएहोते तोह, एक बंद गट के लढत के बदले, हम बाहर जा सकते है| और भी लोग आ सकते है| और देखा जाए तोह अभी हम वोही करने जाने वाले है| हम सभी लोगो को शामिल करने का प्रयत्न करने वाले है| जैसे की मुझे मालुम नहीं फिरभी यह रूम में १५०० अंगुठे एक गत में जोड़े हुए| और हमे दोनों लेवेल्स जोडणी है, अगर आप उधर उपर होंगे, आपकी उपर निचे होंगी| अब--(हंसी)-- हम शुरुवात करने से पेह्ले -- यह बेहतरीन है. आप खेलने को उत्सुक है.-- हम शुरुवात करने से पेह्ले, मुझे चलचित्रे इधर उपर जलद हि मिल सक्ती है, क्युंकी अगर आप इस खेल मे अच्छे होंगे, मैं आपको बताना भी चाहती हूँ की इसके कुछ अलग आधुनिक लेवेल्स भी है| तो यह साधे लेवल काप्रकार है, बराबर? किन्तु उधर कोई आधुनिक संरचना है| इसको बोलते द डेथ स्टार संरचना. कोई स्टार वॉर चाहता? औरइसको बोलते है मोबिअस स्ट्रीप| कोई वैज्ञानिक संशोधक, आपको समझ में आया ही होगा| यह सबसे मुश्किल लेवल है| यह जब्बर है| तो अभी के लिए हम साधे लेवल पे रहते है, और मैं आपको ३० सेकंद देनेवाली हूँ, हर अंगूठा एक गट में, उपर के और निचे के लेवेल्स जोड़े, आप लोग उधर निचे जाए| तीस सेकंद| एकसाथ| गट तयार करे. खड़े रहे! अगर आप खड़े होते है तो आसानी होंगी| हर एक, खड़े खड़े खड़े खड़े! खड़े रहो, मेरे दोस्तों| ठीक है. जल्दसे लाधना चालु न करे| अगर आपका अंगूठा खाली होगा तो हवा में लहराए| खात्री कीजिएकी वः जुदा होगा| अच्छा. हमे आखिर के मिनिट का अंगूठा पडतालना है| अगर आपका अंगूठा खाली रहेगा तो खत्री के लिए हवामें लहराए| तो अंगुठा पकडा! आपके पीछे जाए| उधर आप जाए| और कोई अंगुठे? तों, तीन बोलने के बाद, आप चालु करेंगे| ध्यानरखने की कोशिश कीजिए| पकड़ो पकड़ो वह पकड़ो ठीक है? एक, दो, तीन, शुरु! (हंसी) आप जीते? आपको वह मिला? आपको वह मिला? बढियां| (तालियाँ) अच्छा किया| धन्यवाद| बहुत बहुत आभार| ठीक है| जब आप आनंद से चमक रहे थे प्रथम हि जितने का भव्य एकाधिक अंगुठेबाजी का खेल, चलो सकारात्मक भावनाओं का एक जलद संक्षेप लेते| तोह कुतुहूल| मी बोली "भव्य एकाधिक अंगुठेबाजी का खेल|" आपका दृष्टीकोन," किसके बारे में बोल रहा है वह?" तो मैने थोडासा कुतुहूल उत्पन्न किया सर्जनशीलता: समस्या पार करने के लिए सर्जनशीलता लगती है सभी अंगूठे एक गत में आने केलिए| मैं आजूबाजू को हूँ और मैं उपर पहुँच रही हूँ| तो आपने सर्जनशीलता दिखाई| अच्छा था वह| कैसे आश्चर्य लगता? सच लगता एकही समय दो अन्गुथोके साथ खेले आश्चर्य चकित करनेवाला है| आपने यह रूम काऊपर जाने वाला आवाज सूना| आप उत्साही थे| जब आपने लाधना चालु किया, बहुतर जितनेवाले थे याइस व्यक्ति को, यह अच्छा लगता होगा, उसकी वजह से आनंदि थे| हमे आराम मिला| आपको खड़े रहने को मिला| आप बहुत समय से बैठे हुए थे, तो शारीरिक आराम| बाहर डालने को मिला| हम आनंदि थे| आप हस रहे थे|आपके चेहरे को देखिए| यह रूम पूरी तरहसे आनंदसे भर गयी है| हम थोडे समाधानी थे| हम खेलते समय, मुझे कोई मेसेज भेजते हुए या ई मेल देखते हुए नहीं दिखा| आपसभीखेलने में मग्न थे| सबसे महत्वपूर्ण तीन भावनाए, वचक और आश्चर्य, हम सभी एक मिनिट के लिए जुड़े हुए थे| आखिर में आप कब टेड में थे| और आपके रूम में से सभी लोगो को शारीरिक रूप से जुड़ने को मिला? और यह सच में अचंबित और आश्चर्यचकित करनेवाला है| और शारीरिक जोडी के बारे में बोलना हुआ तोह, आपको पता ही है ओक्सिकोटिन प्रिय है, आप ओक्सिकोटिन छोड़ते है,और आपको रूम में सभी से संबंधित है लगता है| आप सभी लोगो को मालुम है ही ओक्सिकोटिन जल्द से छोड़ने का अतिशय उत्तम मार्ग, वह है दुसरे का हाथ कमसेकम ६ सेकंद पकड़ के रखे| आप सभी लोगोने ६ सेकंदां से ज्यादा हाथ पकड़ के रखा था| तोह हम सभी जीवरासायनिक से अविभाज्य है एक दुसरो को पसंद करने केलिए| वह सही है| और आखिर की भावना गर्व. कितने लोग मेरे जैसे है| सिर्फ मान्यता दे| आपने दोनों अंगुठे हारे| वे सिर्फ आपके लिए काम नहीं कर पाए| वो ठीक है, क्यूँकी आज आपने एक नया कौशल्य सिखा है| आप सीखे, शुरुवात से, जो खेल आपको पहले पता नहीं था| अब आपको पता है ये खेल कैसे खेलने का| आप बाकियों को सिखा अस्कते है| तो अभिनंदन. अभी आप में से कितने अंगुठे जीते? ठीक है| मेरे पास आपके लिए आनंददायी खबर है| अधिकृत नियमों को अनुसरून भव्य एकाधिक खेलाडू अंगुठेबाजी के यह आपको ये खेल के कौशल्यपटु बनता है| क्यूंकि यहा ज्यादा लोगो को पता नहीं की ये खेल कैसे खेला जाता है| हमे ऐसा खेल दौड़ाना है बुद्धिबल खेल से ज्यादा| तो अभिनंदन, कौशल्यपटू. आप एक अंगूठा एक समय जीतिए, आप कौशल्यपटुबन सकते है| कोई दोनों अंगुठे के साथ जीता क्या? हाँ| सही है| आपका फेसबुक या ट्वीटरचा का स्टेटस अपडेट करने को तैयार रहे| आप लोग, नियमों को अनुसरून, अमर कौशल्यपटू है, तो अभिनंदन| मैं आपके लिए एक टिपण्णी छोड़रही है, अगर आपको फिर से खेलना होगा तोह| अमर कौशल्यपटू बनने का सर्वोत्कृष्ट मार्ग, आपको आपके दो गट चालु है| जो आसान होगा उसको पकड़ लो| जिनका ध्यान नहीं है| जो दुबले है| एक पे ध्यानकेन्द्रित करे और कुछ तोह अलग करे| यह हाथ के साथ| जैसे ही आप जित जाओ, रुक जाइए| हर एक बाहर जाता है| और आप मारने को अंदर जाते है| ऐसे तुम्ही भव्य एकाधिक खेळाडू अंगुठेबाजी के अमर कौशल्यपटू बन सकते है| मुझे यह खेल आपको सिखाने की अनुमति देने के लिए धन्यवाद| वूहू ! (तालियाँ) धन्यवाद| (तालियाँ) हमारे जीवनकाल के दौरान, हमारा शरीर एक श्रृंखला से गुजरता हैं असाधारण रूपांतरों से हम विकसित हुए, युवावस्था का अनुभव, और हम कई को जन्म देते है . परदे के पीछे, डोक्राइन सिस्टम काम करता है लगातार इन परिवर्तनों को व्यवस्थित करने के लिए। विकास और यौन परिपक्वता के साथ, यह प्रणाली सबकुछ नियंत्रित करती है नींद से अपने धड़कने वाले दिल की लय को प्रत्येक पर इसके प्रभाव डालती है आपकी प्रत्येक।कोशिकाओं पर एंडोक्राइन सिस्टम निर्भर करता है पारस्पारिक आंतर क्रीयापर इसके तीन कार्य प्रणाली है ग्रंथियों, हार्मोन, और अब्जावधी पेशी सवेदक शरीरमे हार्मोन उत्पादक ग्रंथियां: कई हैं आपके दिमाग में तीन, और आपके शरीर के बाकी हिस्सों में सात। प्रत्येक से घिरा हुआ है रक्त वाहिकाओं का एक नेटवर्क, जिससे वे सामग्री निकालते हैं दर्जनों हार्मोन का निर्माण करने के लिए। तब उन हार्मोन छोटी मात्रा में बाहर फेका जाता है आमतौर पर रक्त प्रवाह में। प्रत्येक हार्मोन का लक्ष्य हों है कोशिकाओं के एक सेट का पता लगाना एक विशिष्ट परिवर्तन लाने के लिए। अपने लक्ष्य खोजने के लिए, रिसेप्टर्स की मदद होती है, जो अंदर या सेल की सतह पर विशेष प्रोटीन होता हैं। उन रिसेप्टर्स को पहचानते है विशिष्ट हार्मोन के रूप में वे वाफ, और उनसे जुड जाते है जब ऐसा होता है, वह हार्मोन-रिसेप्टर संयोजन प्रभावों की एक श्रृंखला ट्रिगर करता है या तो वृद्धि या कमी पेशी के अंदर विशिष्ट प्रक्रियाओं जिस तरह से पेशी व्यवहार करती है उसे बदलने के लिए एक समय में लाखों कोशिकाओं को उजागर करके बहुत देखभाल से हार्मोन नियंत्रित मात्रा में, एंडोक्राइन सिस्टम चालना देता है पूरे शरीर में बडा परिवर्तन लाने के लिये उदाहरण के लिए, थायराइड ले लो और यह दो हार्मोन पैदा करता है, ट्रायोडोडायथायोनिन और थायरोक्साइन। ये हार्मोन सबसे अधिक यात्रा करते हैं शरीर की कोशिकाओं के, जहां वे प्रभावित करते हैं कोशिकाएं कितनी जल्दीऊर्जा का उपयोग करती हैं और वे कितनी तेजी से काम करते हैं। बदले में, यह सबकुछ नियंत्रित करता है सांस लेने की दर से दिल की धड़कन के लिए, शरीर का तापमान, और पाचन। हार्मोन में भी उनमें से कुछ सबसे अधिक हैं दृश्यमान और परिचित प्रभाव युवावस्था के दौरान। पुरुषों में, युवावस्था कब शुरू होती है टेस्टोस्टेरोन स्राव शुरू होता है। यह क्रमिक विकास को ट्रिगर करता है यौन अंगों के, चेहरे के बाल अंकुरित बनाता है, और आवाज गहराई का कारण बनता है और ऊंचाई बढ़ाने के लिए। महिलाओं में, एस्ट्रोजेन से छिपा हुआ अंडाशय वयस्कता की शुरुआत संकेत करता है। यह शरीर को विकसित करता है, कूल्हों को चौड़ा बनाता है, और गर्भ की अस्तर को मोटा करता है, शरीर की तैयारी मासिक धर्म या गर्भावस्था के लिए। चारों ओर एक स्थायी अंतःस्रावी तंत्र यह है कि विशेष रूप से पुरुष हैं और मादा हार्मोन। वास्तव में, पुरुषों और महिलाओं एस्ट्रोजेन और टेस्टोस्टेरोन है, बस अलग-अलग मात्रा में। दोनों हार्मोन एक भूमिका निभाते हैं गर्भावस्था में, साथ ही, 10 से अधिक अन्य हार्मोन के साथ यह भ्रूण के विकास को सुनिश्चित करता है, जन्म सक्षम करें, और मां को अपने बच्चे को खिलाने में मदद करें। हार्मोनल परिवर्तन अवधी मानसिकता बदल देती है मेंदू से उत्पन्न सेरोतोनीन जैसे रासायनिक की मात्रा बदल देती है . रासायनिक पदार्थोमे होनेवले बदलाव मानसिक बदलाव पैदा करते है . इसका मतलब यह नही की हार्मोन्स को अमर्यादित शक्ती होती है. अक्सर मुख्य के रूप में देखा जाता हैहमारे व्यवहार के चालक, हमें अपने प्रभावों के दास बनाते हैं, विशेष रूप से युवावस्था के दौरान। अनुसंधान से पता चलता है कि हमारा व्यवहार सामूहिक रूप से आकारीत होता है, विभिन्न प्रकार के प्रभावसे , मस्तिष्क मी होने वाले और इसके न्यूरोट्रांसमीटर हमारे हार्मोन, और विभिन्न सामाजिक कारक। एंडोक्राइन सिस्टम का प्राथमिक कार्य होता है शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए, वे हमें नियंत्रित नहीं करते . कभी-कभी बीमारी, तनाव , और यहां तक ​​कि विनियामक कार्य मे आहार से भी रुकावट होती है ग्रंथीसे स्त्रावीत हमोंस की मात्रा बदलनेसे या शरीर की कोशिका का प्रतिसाद बदलने से मधुमेह मी हार्मोन्स का बदलाव दिखाई देता है पैनक्रियाज से बहुत कम इंसुलिन स्त्रावीत होनेसे , रक्त शर्करा मी बदलाव आ जाता है . थायारो ग्रंथिसे हार्मोन्स की मात्रा कम ज्यादा होने से हायपो या हायपर थायरोईड अवस्था होती है . थायरोईड हार्मोन्स थाय्रोक्सीन कम होनेसे हुद्दय गती मंद होती है थकान , अवसाद , और जब थायराइड हार्मोन,बहुत अधिक होता है वजन घटने लगता है निंद बढती है और चिड़चिड़ाहट भी । लेकिन ज्यादातर समय, अतःस्रावी तंत्र संतुलन की स्थिति में हमारे शरीर को रखनेका प्रयास करता है और इसके निरंतर विनियमन के माध्यम से परिवर्तन लाता है ताकी हमारा अस्तित्व बना रहे ऐसा है कि जब मैं अपना काम करती हूँ, तो लोग चिढ जाते हैं। बल्कि, जितना अच्छा काम मैं करती हूँ, उतना ही लोग मुझसे और चिढ जाते हैं। और मैं ट्रेफ़िक चालान काटने वाली नहीं हूँ, और मैं कोई दादागिरी करने वाली भी नहीं हूँ। मैं तो बस एक प्रगतिवादी लेस्बियन हूँ और फ़ॉक्स न्यूज़ पर जब तब बक बक करती हूँ। (तालियाँ) जी, सही सुना आपने! फिर से कह रही हूँ - सही सुना आपने! मैं फ़ॉक्स न्यूज़ की समलैंगिक बातूनी हूँ। और मैं आपको बताती हूँ कि मैं ये कैसे करती हूँ और वो सबसे ज़रूरी बात जो मैने सीखी है। तो मैं टेलीविज़न पर आती हूँ। मैं उन लोगों से बहस करती हूँ जो हर उस बात को खत्म करना चाहते है जिसमे मेरा विश्वास है, और कभी कभी तो, जो ये तक नहीं चाहते कि मैं और मेरे जैसे लोग इस दुनिया में रहें। ये त्योहार पर अपने उस दकियानूसी चचा से बतियाने जैसा है जो राशन पानी ले कर लडने को तैयार बैठे हों, बस ये दसियों लाख टीवी दर्शकों के सामने सीधे होता है। ये एक्दम बिलकुल वैसा ही है। बस ये टीवी पर होता है। मुझे बेहद ज्यादा मात्रा में नफ़रत भरी चिट्ठियाँ आती हैं। पिछले ही हफ़्ते, मुझे २३८ घृणा भरी ईमेल मिली हैं और ट्वीट्स तो इतने कि मैं गिन भी नहीं सकती। मुझे बेवकूफ़, गद्दार, अभिशापित, कमीनी और बदसूरत आदमी कहा गया, और ये सब बस एक ही ईमेल में था। (हँसी) तो मैने आखिरकार सीखा क्या, इतनी गाली गलौच और ताने झेल कर? देखिये, मेरा सब से बडी सीख ये है कि दसियों साल से, हम लोग राजनैतिक नज़रिये से सही होने की कोशिश करते आये हैं, मगर असल में जो चीज़ ज़रूरी है वो है भावनात्मक रूप से सही होना। मै आपको एक छोटा सा उदाहरण देती हूँ। मुझे रत्ती भर फ़र्क नहीं पडता यदि आप मुझे मर्दाना औरत पुकारें। सच में। मैं सिर्फ़ दो बातों की फ़िक्र करती हूँ। एक तो ये कि आप मर्दाना की स्पेलिंग ठीक लिखें। (हँसी) (तालियाँ) जानकारी के लिये, म र दा ना । आपको पता नहीं है लोगों को ये नहीं आता है। और दूसरा, आप क्या शब्द इस्तेमाल करते हैं, इसके बजाय, ये कि आप उसे कैसे इस्तेमाल कर रहे हैं। क्या आप बस मज़ाक कर रहे हैं? या आपको पता नहीं है शब्द का मतलब? या फ़िर आप सच में मुझे व्यक्तिगत रूप से दुःख पहुँचाना चाहते है? भावनात्मक रूप से सही होना बोलने के ढँग, उस में निहित भावना पर है, कि हम कैसे कहते हैं जो भी हम कहते हैं, और एक दूसरे के प्रति स्नेह और आदर जो हम अभिव्यक्त करते हैं। और मैने महसूस किया है कि राजनैतिक समझ बूझ भी किसी आइडिया या तथ्य या संख्याओं की मोहताज़ नहीं होती। बल्कि वो भावनात्मक रूप से सही होने से शुरु होती है। तो जब मैं पहली बार फ़ॉक्स न्यूज़ में काम करने गयी, एकदम सच बात, तो मुझे लगा था कि वहाँ तो फ़र्श में निशान बने होंगे इधर उधर घसीटे जाने से। और यदि आप ध्यान दें, तो ऐसा कहना भावनात्मक रूप से सही नहीं हैं। मगर उदारवादी लोग मेरी तरफ़ हैं, तो हम खुद को न्याय संगत, प्रभु समान मान सकते हैं, हम किसी भो ऐसे व्यक्ति को रद्द कर सकते हैं जो हम से सहमत न हो। दूसरे शब्दों मे, हम राजनैतिक रूप से सही हो सकते हैं मगर भावनात्मक रूप से सरासर गलत। और इसका एक परिणाम ये है कि लोग हमें पसंद नहीं करेंगे। है न? और सुनिये कान खडे करने वाली बात। रूढिवादी लोग असल में बहुत अच्छे लोग होते हैं। मतलब, सारे के सारे नहीं, और वो तो बिल्कुल नहीं जो मुझे घृणा भरे ईमेल भेजते हैं, पर आपको अचरच होगा कि कितने सारे लोग अच्छे होते हैं। शॉन हैनिटी दुनिया के सबसे प्यारे व्यक्तियों में से हैं जिन्हें मैं जानती हूँ। वो अपना खाली समय अपने स्टाफ़ के लोगों को ब्लाइंड डेट पर भेजने में व्यतीत करते है, और मुझे पता है कि अगर कभी मैं किसी मुश्किल में हुई, तो वो मेरी मदद करने का हर संभव प्रयास करेंगे। और देखिये मुझे लगता है कि शॉन हैनिटी निन्यान्वे प्रतिशत राजनैतिक रूप से सही नहीं हैं, मगर वो कमाल के दर्ज़े तक भावनात्मक रूप से सही हैं। और इसीलिये लोगो उनकी बात सुनते हैं? क्योंकि आप किसी को मना तो सकते ही नहीं अगर वो आपकी बात भी सुनने को राज़ी न हो। हम एक दूसरे से कन्नी काट लेने में इतना मशगूल रहते हैं कि हम अपनी असहमतियों पर तो कभी बात ही नहीं करते, और अगर हम एक दूसरे के प्रति स्नेह का भाव रखना सीख लें, तो कम से कम सहमति का संभावना तो दिखेगी। और ये सुन कर बडा अजीब सा लगता है यहाँ से खडे हो कर ये सब कहना, मगर जब आप इसे जीवन में उतारेंगे तो देखेंगे, कि इसमें गज़ब की शक्ति है। मान लीजिये कोई कहता है कि उसे प्रवासियों से नफ़रत है, मैं ये अनुमान लगाने का प्रयास करती हूँ कि वो कितने डरे हुये होंगे कि उनका समाज कितनी तेज़ी से बदल रहा है। या जब कोई कहता है कि उन्हें शिक्षकों की यूनियन पसंद नहीं, तो मैं जानती हूँ कि उनका दिल बैठ जाता होगा अपने बच्चों के स्कूलों को बरबाद होते देख कर, और उन्हें कोई चाहिये जिसे पर वो आरोप मढ सकें। हमारी चुनौती है कि हम दूसरों के लिये दिल में प्यार पैदा कर सकें, जैसा हम उन के दिलों में अपने लिये चाहते हैं। ये है भावनात्मक रूप से सही होना। मै ये बिल्कुल नहीं कहती कि ये आसान है। औसतन, मुझे दिन में पाँच दशम्लव छः बार खुद को रोकना पडता है अपने जवाबों में गंदी गंदी भद्दी गालियों को भरने से। ये पूरा मसला कि प्यार ढूँढो और अपने दुश्मनों से भी सहमति की संभावना खोजो, ये एक तरीके का राजनैतिक आध्यात्म है मेरे लिये, और मैं कोई दलाई लामा भी नहीं हूँ। मै सर्वोत्त्म नहीं हूँ लेकिन मैं आशावादी तो हूँ ही, क्योंकि मुझे सिर्फ़ नफ़रत भरे ख़त ही नहीं आते, मुझे बहुत सारे प्यार भरे ख़त भी मिलते हैं। और मेरा सबसे पसंदीदा ख़त ऐसे शुरु होता है, "मै आपके राजनैतिक मूल्यों का कायल नहीं हूँ, न ही आपके काफ़ी खराब से तर्कों का, मगर मैं एक व्यक्ति के रूप में आपक बहुत बडा फ़ैन हूँ।" ये व्यक्ति मुझसे ज़रा भी सहमति नहीं रखता, फ़िर भी! (हँसी) मगर वो सुनता है, जो मैने कहा उस की वजह से नहीं, मगर मैने कैसे कहा, इस वजह से, और न जाने कैसे, हम कभी मिले भी नहीं, मगर हमने एक रिश्ता कायम कर लिया है। ये है भावनात्मक रूप से सही होन, और यही तरीका है बातचीत सुलह की शुरुवात करने का जिस से कि बदलाव आ सकता है। धन्यवाद। (तालियाँ) नौ साल पेहले, मैने इराक मे अमेरिकि सरकार के लिए काम किया, बिजली के बुनियादी ढांचे बनाने मे मदद कि। और मै वहां थी और मै वो काम में थी क्युंकी मुझे विश्वास था कि तंत्रज्ञान लोंगो कि झिंदगी सुधार सकती हैं। एक दोपहर, मैने दुकानदार के साथ चाय ली बगदाद के अल-रशीद हॉटेल मे, और उसने मुझे कहा कि, "आप अमेरिकी, आप इन्सान को चांद पे भेज सकते हो, लेकिन आज रात जब मैं घर जाऊंगा, मैं बत्ती नही जला पाउंगा। अब तक, अमेरिकी सरकारने दो अब्ज डॉलर्ससे भी अधिक बिजलीके पुनर्निर्माणपे खर्च किए। आप कैसे सुनिश्चित करते है कि, तंत्रज्ञान उपभोक्ता तक पहुंची है? आप उनके हातमे कैसे देते है, कि वह उपयोगी पडे ? ये वही प्रश्न ही जो मै और मेरे साथीदार डि-रेव मे अपनेआप से पूछते है। डि-रेव डिझाईन रीवॉलुशन का संक्षिप्त नाम है। और मैने चार साल पेहले संगठन का पदभार संभाला और ऐसी उत्पादनो पे लक्ष्यकेंद्रित किया कि जो सचमे उपभोक्ता तक पहुंचे और न सिर्फ किसी भी उपभोक्ता, बलकी जो ग्राहक जिन्की ४ डॉलरसेभी कम दिन कि कमाई है। एक मुख्य क्षेत्रपे हम अभी काम कर रहे है जो चिकित्सा उपकरण है, और जबकि यह स्पष्ट नहीं हो सकता कि वो चिकित्सा उपकरण का इराक कि बिजली के साथ समन्वय है, उनमे कुछ साम्य है। आधुनिक तंत्रज्ञान होके भी, वो लोंगो के पास नही पहुंच रही जिनको अधिक जरुरत है। अभी हम जो प्रोजेक्टपे काम कर रहे है उसकि जानकारी देती हुं। रिमोशन घुटना और ये कृत्रिम घुटना है| घुटनेसे आगेके भाग तक। और ये योजना चालू हुई जाब जयपूर फुट संस्था, दुनिया कि सबसे ज्यादा कृत्रिम अवयव बनाने वाली संस्था, बे एरिया आए और बताया कि, "हमे अच्छा घुटना चाहिये।" अगर आप चार सेभी कम डॉलर मी दिन गुजारे पर,हालत है और आप विकलांगिक है। आपने हाद्से मे अवयव खो दिया है। बहुत लोग सोचते है कि खाण विस्फोटसे, किंतू वाहन हाद्सेसे होते है। अगर आप रास्तेकि बाजू से चल रहे हो और ट्रक आपको उडता है, या आप चलती ट्रेनसे गुद्ते हो आप काम को जाने केलिए लेट हो और आपका पैर अटक जाता है| और सच्चाई ये है कि आपके पास ज्यादा पैसा नही है। जैसे ये कमल नामके युवक कि तरह, आपके पास चारा है कि कुबडी का इस्तेमाल करना। और ये कितनी बडी दुविधा है? यहा तीस लाख सेभी ज्यादा विकलांगिक लोग है जिनको नया या दूसरा घुटना चाहिये और उनके पास चारा क्या है? ये बडे दर्जेका। इसे हम "स्मार्ट घुटना" केहते है। इसके अंदर एक माइक्रोप्रोसेसर है। ये कुछभी अच्चेसे कर सकता है। परंतु ये २०,००० डॉलर का है, और आपको बताने केलिए कौन पेहेनता है, अमेरिकी सैनिक जो अफगाणिस्तान या इराकसे वापस आए है। इस तरहसे बैठता है। ये टायेटिनियम घुटना जरा कम दर्जे का है। ये पौलीसेण्त्रिक घुटना, और मतलब है कि, चार सलियो का तंत्र, एकदम इन्सानी घुटनेके जैसा। परंतु फिरभी १४०० डॉलर मेहेंगे है, कमल जैसे लोगो केलिए। और आखिरमें यहां सबसे कम दर्जे का घुटना। ये घुटना गरीबलोंगो को सोचके बनाया है। और जब आप खरीद सकते हो तब कार्यक्षमता नही होती। इसमे एक रेखा तंत्र है, और यह एक रेखा बिजागरी कि तरह है। तो आप सोच सकते है कि ये कितना स्थिर रेहता होगा| और ये तंत्र का उपयोग जयपूर फुट कर राहे थे जब वो अच्छे घुटने कि तलाश मी थे, और मुझे आपको सिर्फ बताना है कि पैर कैसा दिखता है क्यूंकी मैं आपको ये सारे घुटने दिखा रही हुं और मुझे सोचते भी परेशानी हुई कि ये बैठता कैसे है। तो इसके उपर एक सॉकेट है और वह बाकी अवयव के उपर बैठता है, और सबका बाकी रहा अवयव थोडा अलग होता है। और इसके बाद घुटना है, और यहा घुटनेपे एक अक्ष मिला है आप देख सकते है कि ये कैसे घुमत है और इसके बाद एक आधार और पैर। और हम एक घुटना बनाते आए है, बहुकेंद्रित घुटना, तो ये तंत्र का घुटना जो इन्सानी घुटना और चाल जैसा काम करता है, ८० डॉलरमे। (तालियां) किंतु मुख्यचीज ये है कि, आपके पास एसी बढिया खोज है। अच्छा डिझाईन है, लेकिन आप ये कैसे लोगो तक पहुचा सकते है कि जिनको सबसेज्यादा जरुरत है? और सुनिश्चित कैसे करे कि उनतक पहुचा ओर उनका जीवन सुधारा है? तो डि-रेवमे, हमने कुछ बाकी प्रोजेक्टपे काम किया, और हमने तीन चीजोको देखा जिसमे हम विश्वास करते कि ये तंत्रज्ञान ग्राहक, उपभोक्ता तक पहुंचे लोग, जिनको इसकी जरुरत है. और मुख्यबात कि प्रोडक्ट विश्वस्तरीय होना चाहिये। और ये मार्केट के बाकी प्रोडक्टके बराबर या उनसे अच्छा चलना चाहिये। आपके कमाई को ध्यानमे ना रखके, आपको सबसे सुंदर, और अच्छा प्रोडक्ट जो है, मैं आपको उसका विडीयो दिखाने वाली हुं। एश नामके आदमी का। आप उसको चालते हुए देख सकते है उसने येही तकनीक वाला घुटना पेह्ना है एक अक्षवाला घुटना। और ये १० मीटर चलने कि परीक्षा दे रहा है। और आप देख रहे है कि जब वो चल राहा है उसे संतुलन बनानेमें परेशानी आ रही है और जो कुछ कह नही सकते, देख नही सकते मानसिक थकवा चलने के लिए और गिरने से बचने के लिए। अब ये कमल का विडीयो है। आपको मालूम है कमल, जो पेहले बांबू पकड़े हुए था । उसने हमारा पेहले रूप का घुटना पेह्ना है। और वो १० मीटर चलने कि परीक्षा दे रहा है। और आप उसका सुधरा हुआ संतुलन देख सकते है। तो विश्वस्तरीय का मतलब सिर्फ तांत्रिकी कार्य नही होता । इन्सानी कार्य प्रभावभी होता है। और लगभग सभी यंत्र जो हमने पढे, जिनमे देखा, वो सचमे पश्चिमी देशो केलिए डिझाईन किए। धनाढ्य अर्थव्यवस्थाओं केलिए। लेकिन सच्चाई है कि हमारे ग्राहक, उपभोक्ता कुछ अलग करते है। वो पैर दुमडके ज्यादा बैठते है। हम देखते है की वो प्रार्थना को झुकते है। बैठते है। और हमने ये घुटना ऐसे डिझाईन किया कि जो कैसेभी घूम सकता है मार्केट के बाकी सभी घुटनो कि तरह। दुसरी बात हमने सिंखी और वो जाती है मेरे दुसरे मुद्देपे, वो यह की हम विश्वासकरते है कि प्रोडक्ट उपभोक्ता को केंद्रित करके डिझाईन करना चाहिए। और डी-रेवमे, हम एक कदम और आगे जाके केहते है आप हमेशा उपभोक्ताके बारे मे विचार करे। तो ये सिर्फ उपभोक्ता के बारेमे सोचने जैसा नाही है, बल्की जो कोई प्रोडक्टको इस्तेमाल करे। उदाहरणार्थ लिया जाए तो, विकलांगिक जो घुटना बिठाता है लेकिन यह प्रसंगमेभी जिसमे घुटना अछ्चेसे बैठता है। स्थानीय बाजार जैसा क्या है? ये सभी अवयव अस्पताल तक कैसे पहुचेंगे? क्या ये उनको समयपे उपलब्ध होगा? उपलब्धता होगी। सभी जो सुनिश्चित हो सके और ये प्रोडक्त उपभोक्ता को मिले, और ये वव्यवस्था मी जाए और इसका उपयोग हो। तो मैं आपको इसकी पुनरावृत्तिया दिखाना चाहती हुं हमने पेहले आवृत्तीमे, जयपूर घुटने के साथ कि, तो ये यहा है। (क्लिक क्लिक आवाज) इसके बारेमे कुछ ध्यानमे आया? ये क्लिक क्लिक आवाज करता है। हमने देखा है कुछ उपभोक्ताओने उसमे सुधारणा कि है। क्या आप देख सकते ही काली पत्ती वहांपे ? वह घरपे बनाया हुआ आवाज कम करनेवाला है। हमने भी देखा हमारेभी उप्भोक्ताओने बदल किए कुछ दुसरे तरीकोसे। आप वह कट हुआ भाग देख सकते है, उसने घुटने को बॅंडएजसे लपेटा था। उसने सौंदर्यवर्धन किया था। और आप घुटनेको देखे, उसको तीक्ष्ण धार है, है ना? तो आप अगर उसको अपने पायजमे या स्कर्ट या सारी के साथ पेहेन्ते है, ये पक्का है कि आपने कृत्रिम अवयव पेह्ना है, और समाजमे विकलांगिक एक होणा कलंक होता है, कुछ लोग इसकेबारेमे प्रखर होते है। तो मैं आपको जो बदल किए वो दिखानेवली हुं| हमने बहुत बदलाव किए, सिर्फ इसमे नही, बल्की बाकी चीजोमेंभी। तो यहा पे रीमोशन घुटने का तिसरा रूप'है, अगर आप इसमे देख सकते है कि, कम आवाज करनेवाली चीज।यह शांत है। एक और चीज जो हमने कि, इसको दिखनेमे आकर्षित बनाया। और चपटा किया। और कुछ केह नाही सकते लेकिन हमने इसे बड़े पैमाने पर उत्पादन करणे केलिए यह डिझाईन बनाया । और ये मेरे आखरी मुद्दे मी जाता है। हम सचमे विश्वास करते है कि अगर प्रोडक्ट उपभोक्ता तक जिस प्रमाणमे पहुचना चाहिए, तो वो बाजार संचालित होनी चाहिए, और बाजार संचालित प्रोडक्ट का मतलब जो ज्यादा बेचे जाते है। ये दान नही किए जाते। और न ये आर्थिक सहायता-प्राप्त है। हमारा प्रोडक्ट उप्भोक्ताओ को मुल्यांकन देनेके लिए डिझाईन किया है। और इसे सस्तेमे बनाने के डिझाईन किया है। इस प्रोडक्टका उप्भोक्ताओने मुल्य किया है, और ग्राहक इसे इस्तमाल करते है और उपयोगही प्रभाव करता है। और हम डिझाईनर विश्वास राखते है कि, हमारे ग्राहको ये स्पष्टीकरणीय है| और केंद्रीयनिर्माण के साथ, आप गुणवत्ता कायम रख सकते है, और आप $80 तक पहुंच सकते है वो भी नफा उसीमेही मिलाकर। तो मुनाफा कि संभावना बहुत कम है, क्यूंकी अगर आपको स्तर चाहिये और आपको सभी लोग जिनको घुटने कि जरुरत है उनतक पहुचना है, तो आर्थिक रूप से टिकाऊ चाहिये। तो मैं आपको बताउ कि अभी हम किधर है। हमने अभीतक ५००० से ज्यादा अवयव जोडे है, और एक मुख्य चीज जो हम देख रहे है कि ये सचमे जिंदगी सुधारता है? सचमे, स्तर है कि , कोई भी अगर छे महिनेके बाद भी घुटना पेहेन रहा है क्या? व्यवसायिक औसत लागभाग ६५ प्रतीषत है। और हमारी ७९ प्रतीषक, और हमे आशा है कि ये बढेगी। अभी, हमारे ये घुटने १२ देशोमे पेहने जाते है। और हम यहां तक पहुचना चाहते है, अगले ३ सालमे । हम २०१५ मे प्रभाव दोगुना करेंगे, और उसके बाद के सभी सालोमें दोगुना करते रहेंगे। तब बादमे हमारे सामने नई चुनौती होगी, और वो कि कुशल प्रोस्थेटिस्टस कि संख्या जिन्हे घुटना बिठाना आता है। तो मैं प्रीणिमा के कहाणी के साथ समाप्त करणा चाहुंगी। प्रीणिमा १८ साल कि थी जब उसका कार हादसा हुआ उसमे उसका पैर चला गया और उसने १२ घंटे रेल्वेसे सफर किया घुटना बिठानेके अस्पताल मे आने केलिए, और जब सभी विकलांगिक जो हमारा घुटना पेहेनते है डिझाईनर के रूपमे हमे प्रभावित करता है, वह मेरे लिए विशेष रूप से सार्थक है इंजिनियर और महिला के रूप मे क्यूंकी वह शालामे थी, और उसने इंजिनियरिंग कि पढाई शुरू कि थी। और वह बोली," तो, मै अभी फिरसे चल सकती हुं, मैं घर जा सकती हुं और मेरी पढाई पुरी कर सकती हुं।" और मुझे वह आनेवाले पिढी के दुविधा हल करनेवाले इंजिनियर्स को दर्शाती हैं। और सुनिश्चित करना कि प्रभावी तंत्रज्ञान उपभोक्ताओ तक पहुंचे। धन्यवाद। (तालियां) क्या आप जानते हैं की प्रजनन की पहली दवा कैथोलिक ननाें के पेशाब से बनी थी, यहां तक कि पोप भी शामिल थे ? यह पूरी तरह से सच है। 1 9 50 के दशक में, वैज्ञानिकों को पता था कि महिला रजोनिवृत्ति में प्रवेश करती है, वे पेशाब में काफी प्रजनन हार्मोन छाेङना शुरू करती हैं। ब्रूनो लुनेंफेल्ड नाम के डॉक्टर ने, सोचा कि क्या वह मूत्र से हार्मोन अलग कर सकता है ? और महिलाओं के लिए इस्तेमाल करें जिन्हें गर्भवती होने में परेशानी होती थी। लेकिन समस्या यह थी कि इस विचार का परीक्षण करने के लिए, उसे बुजुर्ग महिलाओं के बहुत सारे पेशाब की जरूरत थी। और यह एक आसान बात नहीं थी। तो वह और उसके साथियों ने पोप से विशेष अनुमति ली, कई लीटर मूत्र इकट्ठा करने के लिए सैकड़ों बुजुर्ग कैथोलिक ननाें से। और ऐसा करके, उसने वास्तव में हार्मोन इकट्ठा किए जो अाज भी महिलाओं काे गर्भवती होने में मदद के लिए उपयोग हाेता है। हालांकि अब वे प्रयोगशाला में भी बन जाते हैं, और सैकड़ों लीटर पेशाब की जरूरत भी नहीं होती तो मैं यहाँ क्यों खड़ी हूँ, इतने विद्वान श्रोताओं से ननाें के मूत्र की चर्चा के लिए ? मैं एक विज्ञान पत्रकार और मल्टीमीडिया निर्माता हूं, जिसकी हर चीज में दिलचस्पी है। इतनी ज्यादा कि मैंने एक साप्ताहिक यूट्यूब श्रंखला की शुरुआत की जिसका नाम था "समग्र विज्ञान" पतला, बदबूदार, गंदा और डरावना प्रकृति, दवा और प्रौद्योगिकी का। हम में से अधिकांश सहमत होंगे पेशाब मैं कौन सी समग्रता है ऐसी चीज जिसके बारे में हम बात भी नहीं करना चाहते पेशाब करना तो बिल्कुल निजी चीज है लेकिन जब लुनेंफेल्ड पेशाब के स्तर पर उतरे उसने मानवता के लिए गहराई तक कुछ सहायक खोजा। मेरा शो बनाने के डेढ़ साल बाद, मैं आपको कह सकती हूं कि जब हम जीवन काे सकल देखते हैं, हम अंतर्दृष्टि पाते हैं जिसके बारे में कभी नहीं सोचा होगा, हम अक्सर सौंदर्य प्रकट करते हैं कि हमने नहीं सोचा था कि वहां था। फालतू चीजों के बारे में सोचना कुछ कारणों से जरूरी है, सबसे पहले 'सभी चीजों' के बारे में बात शिक्षा के लिए एक महान उपकरण है, यह जिज्ञासा को बनाये रखने का एक शानदार तरीका है। मेरा मतलब समझाने के लिए मैं आपको थोड़ा सा क्यों बताती हूँ मैं एक बच्चे के रूप में क्या थी? मेरे बचपन में एक संपूर्णता थी विज्ञान के प्रति मेरा प्यार शुरू हुआ जब माता-पिता ने मुझे एक कीचड़ रसायन सेट खरीदा और तब बढ़ गया था मेरी छठी श्रेणी की जीवविज्ञान कक्षा में सकल प्रयोग करके। हमने क्लास की दीवारों पर फाहे लगाए हमने जीवाणु एकत्र और कल्चर किए हमने उल्लू के पैलेट अलग अलग करके देखे यह बिना पचे खाने की गेंदें हैं जिन्हें उल्लू उगल देते हैं, यह है तो अवशिष्ट लेकिन काफी दिलचस्प मुझे एक बच्चे के रूप में जिस समग्र का जुनून था इतना क्रांतिकारी नहीं है। बच्चे तो ऐसे उल्टे सीधे काम करते ही हैं जैसे मिट्टी में सन जाना, भंवरे इकट्ठे करना या नाक का पदार्थ खा लेना ऐसा क्यों है ? बच्चे छोटे खोजकर्ताओं की तरह हैं। जितना हो सके अनुभव कर लेना चाहते हैं उनमें अच्छे बुरे का विभाजन नहीं होता लेडी बग और बदबूदार कीड़े को छूने में वे समझना चाहते हैं सब कुछ कैसे काम करता है जिंदगी को जितना करीब से देख सकें, यह शुद्ध जिज्ञासा है। तभी बड़े लोग बीच में घुस आते हैं, कहते हैं नाक मत खुरचाे गंदे कीड़े व मेंढक को हाथ मत लगाओ, या घर के पिछवाड़े में जो कुछ मिल जाए क्योंकि ये चीजें बहुतायत में हैं हम तो बच्चों की सुरक्षा के लिए ऐसा करते हैं जैसे नाक खुरचने से रोगाणु फैलते हैं शायद मेंढक को छूने से मस्से हो जाएं मुझे नहीं लगता कि इसमें सच्चाई है कितने भी मेंढक छूने की आजादी होनी चाहिए, एक निश्चित बिंदु पर बच्चे थोड़ा बड़े हो जाते हैं, इसलिए समग्र से घुल मिल जाना जिज्ञासा के बारे में नहीं है, यह सीमाओं की तलाश भी है, क्या ठीक है - की सीमाओं को बङा करना । कुछ बच्चे 'डकार' प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेंगे या फिर सबसे गंदा चेहरा बनाने की प्रतियोगिता इसलिए भी करते हैं कि इसमें थोड़ा सीमा का उल्लंघन है हम इसे समग्र क्यों कहते हैं इसका एक और कारण है हम इंसान घृणा को नैतिकता बना लेते हैं इसलिए, मनोवैज्ञानिक पॉल रोज़िन कहते हैं कई चीजें हैं जिन्हें हम गंदा समझते हैं ऐसी चीजें हैं जो हमें याद दिलाती हैं कि हम सिर्फ जानवर हैं। जैसे शारीरिक तरल पदार्थ और सेक्स असामान्य शरीर और मृत्यु इस विचार से कि हम जानवर हैं परेशानी हो सकती है, क्योंकि इससे अपनी मृत्यु का भी खयाल आता है इससे अस्तित्व का बड़ा सवाल जुड़ा है, राेजिन कहते हैं कि यही कारण है कि हम गंदी चीजों से बचते हैं या नफरत करते हैं सिर्फ एक रास्ता नहीं है हमारे शरीर की रक्षा के लिए, हमारी आत्माओं की रक्षा करने का एक तरीका बन जाता है। मेरे ख्याल से एक समय के बाद बच्चे महसूस करने लगते हैं गंदी चीजाें और अनैतिकता के बीच संबंध, मेरे पास अगली बात का प्रमाण तो नहीं है शायद हम में से अधिकांश को यह तब होता है जब जवानी की दहलीज पर कदम रखते हैं और हम सबको पता है, युवा अवस्था के दौरान हमारे शरीर बदलने लगते हैं हमें ज्यादा पसीना आता है और लड़कियों को माहवारी होती है हम सेक्स के बारे में सोच रहे हैं इस तरह पहले कभी नहीं किया था। इंसान की कल्पना शक्ति के माध्यम से यह शर्मिंदगी खत्म हो सकती है नहीं जरूरी नहीं कि हम यही सोचें हाय, "मेरे शरीर के साथ कुछ गलत हो रहा है"! हम समझते हैं, "हे भगवान, मैंने गंदा काम किया है", और शायद इसका मतलब है कि मेरे बारे में कुछ बुरा या गलत है। " लेकिन अगर आप समग्रता को अनैतिकता समझेंगे, आप जिज्ञासा का एक बड़ा हिस्सा खो देते हैं, बाहर दुनिया में इतना कुछ है वह थोड़ा सा सकल है। जैसे जंगल में सैर करने के बारे में सोचो। आप सिर्फ पेड़, फूल और पक्षियों पर ध्यान दे सकते हैं, और वह ठीक होगा, लेकिन तस्वीर का एक बड़ा हिस्सा आप से छूट जाएगा इस ग्रह पर जीवन का। सड़ने गलने के चक्र हैं जो वनाें को जिंदगी दे रहे हैं आपके पैरों के नीचे फंगस के जाल हैं जिन्होंने आसपास के पौधों को आपस में बांध रखा है यह गजब की बात है। इसलिए हमें वर्जित चीजों के बारे में अक्सर बात करनी चाहिए युवा लोगों के साथ, ताकि उन्हें लगे कि उनकाे बड़ी तस्वीर देखने की इजाजत है हमारे ग्रह पर जीवन की। ठीक है लेकिन ज्यादातर लोगों को, वर्जनाओं से प्यार है वाे इसे नहीं छोड़ सकते, हम सिर्फ नाटक करते हैं जैसे यह चीजें हों ही ना, हम जीवन का बड़ा हिस्सा यह सोचते गुजारते हैं कि संपूर्णता दूर से ही अच्छी जब आप वास्तव में इसके बारे में सोचते हैं, हम तरल पदार्थ की थैलियां हैं और कुछ अजीब उत्तक त्वचा की एक पतली परत से घिरे हुये। और कुछ हद तक, दिन में कई बार, जानबूझकर या अनजाने मुझे ध्यान रखना पड़ता है कि मेरा पाद ना निकल जाए (हँसी) हम लोग हमेशा गंदी चीजों से बचने की कोशिश करते रहते हैं हम में से कई लोग लेते हैं इस तरह की दृश्यदर्शी खुशी वर्जित चीजों के बारे में सीखते हुए, निश्चित रूप से बच्चों के लिए सच है; मिडिल स्कूल के शिक्षकों की संख्या जो मेरे वीडियो दिखाते हैं अपनी विज्ञान कक्षा में उस के लिए एक प्रमाण है। लेकिन वयस्काें के बारे में भी यह सच है हम सबको वर्जित चीजों के बारे में सुनना अच्छा लगता है अपने बारे में सकल पक्ष का जानना सामाजिक रूप से स्वीकार्य है लेकिन एक आैर कारण है संपूर्णता के बारे में बात करना बहुत जरूरी है, अभी मैंने टॉन्सिल स्टोंस पर एक वीडियो बनाया था -- माफ करना हम सभी को--- जो बैक्टीरिया, भोजन और श्लेष्म की ये गेंदें हैं टॉन्सिल्स में जमा होकर गंदी बदबू मारती हैं, कभी-कभी आप उन्हें खांस भी देते हैं यह--- भयानक है। काफी लोगाें ने इसका अनुभव किया है। लेकिन बहुत से लोग जिन्होंने अनुभव किया उन्हें मंच से साझा करने का मौका नहीं मिला, यह मेरा बनाया सबसे लोकप्रिय वीडियो है। लाखों लोग इसे देख चुके, (हँसी) का इसका कमेंट सेक्शन तो एक स्व-सहायता खंड बन गया, जहां लोगों ने अपने टॉन्सिल स्टोन के अनुभव साझा किए जैसे, उनसे छुटकारा पाने के लिए टिप्स और ट्रिक्स, और किसी विषय पर लोगों का चर्चा करने का यह नायाब तरीका जिसके बारे में वह कभी खुलकर सबके सामने नहीं बोल पाते थे ताज्जुब है जब टॉन्सिल स्टोन जैसी बेवकूफी की बात अफसोस की बात है जब एक वीडियो इतना असरदार हो सकता है जाेकि माहवारी जैसे साधारण विषय पर है, पिछले फरवरी, मैंने मासिक धर्म पर एक वीडियो जारी किया, और आज तक मुझे मैसेज आ रहे हैं दुनिया भर से लोग मुझ से मासिक धर्म पर बात कर रहे हैं, बहुत सारे युवा लोग हैं --- और कुछ युवा नहीं भी-- जो चिंतित हैं कि उनके शरीर में हाे क्या रहा है यह कोई साधारण बात नहीं है, मैं हर बार उन्हें बताती हूं कि मैं कोई पेशेवर चिकित्सक नहीं हूं इसलिए यथासंभव, वे एक डॉक्टर से बात करें लेकिन सच्चाई है कि हर किसी को सहज महसूस करना चाहिए अपने शरीर के बारे में डॉक्टर से बात करते हुए, और यही कारण है कि यह हमारे लिए वास्तव में महत्वपूर्ण है कि कम उम्र से ही हर चीज के बारे में बात करना शुरू कर देना चाहिए, जिससे हमारे बच्चे जान सकें कि अपने शरीर का प्रतिनिधित्व करना ठीक है और अपने स्वास्थ्य का। अपने डॉक्टर से बात करने का एक और कारण है आपके स्वास्थ्य और सकल विषय के बारे में वास्तव में महत्वपूर्ण है। केवल डॉक्टर और वैज्ञानिक समुदाय मुद्दों को संबोधित कर सकते हैं जब उन्हें पता हो कि हल करने लायक कुछ है मैंने एक दिलचस्प चीज सीखी माहवारी पर वीडियो बनाते समय मैं एक वैज्ञानिक से बात कर रही थी जिसने मुझे बताया पीरियड्स के बारे में अभी भी बहुत कुछ है जो हमें नहीं पता हां बहुत सारे बुनियादी शोध अभी होने बाकी हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिक थे ही बहुत कम जो महिलाएं हों और इस विषय पर सवाल पूछ सकें इस विषय पर महिलाएं खुलकर बात ही नहीं करती, हम जो जानते हैं उसमें यह अंतर है, इसलिए कि किसी ने सवाल पूछे ही नहीं इसका आखिरी कारण है कि वर्जित चीजों के बारे में बात करना जरूरी है, हम नहीं जानते कि कब कुछ ऐसा पता चले जब आप घृणा पूर्ण परताें को खोलने लगें, तो, कैलिफोर्निया ब्राउन समुद्री खरगोश काे ले लो। यह एक समुद्री घाेंघा है जाे कि सुंदर, बैंगनी स्याही फैंकता है किसी भी जीव पर जो इसे खाने की कोशिश करता है। लेकिन यह सबसे कमजोर प्राणियों में से एक है पशुओं की दुनिया में ताे ये उभय लिंगी हैं, मतलब उनके पास नर और मादा दोनों जननांग हैं। और प्रेम करते समय, बीस-बीस इस तरह लाइन में लग जाते हैं और इकट्ठे प्यार करते हैं (हँसी) हर समुद्री खरगोश अपने सामने वाले का गर्भाधान करता है और पिछले वाले से करवाता है, इससे समय की बड़ी बचत होती है , जब आप इसके बारे में सोचते हैं। (हँसी) अगर वैज्ञानिक केवल यह देखते और ऐसा होता , "ठीक है मैं इसे केवल दूर से ही महसूस नहीं करूंगा" वे समुद्री खरगोशों के बारे में बड़ी बात चूक गए होंगे जो उन्हें वास्तव में उल्लेखनीय बनाती है। वह यह कि समुद्री खरगोशों में थोड़े से बड़े-बड़े न्यूरॉन पाए जाते हैं, जो उन्हें तंत्रिका विज्ञान अनुसंधान के लिए उत्कृष्ट बनाता है। वैज्ञानिक एरिक कंडेल ने उन्हें अपने शोध में इस्तेमाल किया यह समझने के लिए कि यादें कैसे संग्रहीत की जाती हैं। और क्या आपको पता है? उन्होंने अपने काम के लिए नोबेल पुरस्कार जीता। ताे जाओ भंवरे पकड़ो, गंदगी में खेलो और सवाल पूछो, गंदी चीजों में दिलचस्पी लो आैर शर्मिंदा होने की कोई जरूरत नहीं क्योंकि पता नहीं वहां कब क्या मिल जाए, और जैसा कि मैंने अपने सभी वीडियो के अंत में कहा है, छीः छीः धन्यवाद। (तालियां) सर्वर: क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूँ? ग्राहक: उह, चलो देखते हैं. सर्वर: आज ताज़ा तवा-फ्राइ रिजिस्ट्री एरर मिलेगी जिस पर छिड़का हुआ है बेहतरीन भ्रष्ट डेटा, बाइनरी Brioche, RAM सैंडविच, Conficker चिप्स, और बहुरूपी ड्रेसिंग के साथ या बिना एक scripting सलाद, और एक ग्रील्ड कोडिंग कबाब. ग्राहक: एक RAM सैंडविच देना और अपने बेहतरीन कोड 39 का एक गिलास. सर्वर: क्या आप कोई मीठा चाहेंगे श्रीमान? हमारे पास विशेष ट्रैकिंग कुकी भी है. ग्राहक: एक ज़ोंबी ट्रैकिंग कुकीज़ की एक कटोरी चाहूँगा, धन्यवाद! सर्वर: आपका आर्डर यूँ लेकर आया श्रीमान आपका भोजन शीघ्र ही आ जाएगा. (तालियां) माया पेन: जब से मैं एक crayon पकड़ सकी तब से मैं चित्रकारी कर रही हूँ और मैं एनिमेटेड फ्लिप किताबें कर रही हूँ तीन साल की उम्र से उस उम्र में, मैने यह भी सीखा की एक आनीमेटर क्या होता है नौकरियों के बारे में टीवी पर एक कार्यक्रम था ज्यादातर बच्चों को इस बारे में पता नही होता मैं समझ गयी कि एक एनिमेटर टीवी पर दिखाए गये कार्टून बनाता है, मैंने तभी निश्च्य कर लिया &quot;मैं यही काम करूँगी&quot; मुझे याद नहीं मैने इन विचारों का कहा या नहीं लेकिन लगता है कि मेरे जीवन में यह बहुत निर्णायक क्षण था. एनिमेशन और कला हमेशा मेरा पहला प्यार रहा है. मेरे तकनीकी लगाव से ही मुझे प्रेरणा मिली &quot;दुर्भावनापूर्ण व्यंजन.&quot; के लिए मेरे कंप्यूटर पर एक वायरस था, और मैं इसे से छुटकारा पाने के लिए कोशिश कर रही थी, और अचानक, मैंने सोचा, क्या होता अगर वायरस कंप्यूटर के अंदर अपनी छोटी सी दुनिया में होते? वे एक दूसरे से मिलने शायद एक रेस्तरां में जाते और virusy बातें करते? और इस प्रकार, "दुर्भावनापूर्ण व्यंजन" का जन्म हुआ. चार साल की उम्र में, मेरे पिताजी ने मुझे दिखाया एक कंप्यूटर की तोड़-जोड़ कैसे की जाती है. इसी वज़ह से मेरी तकनीकी दिलचस्पी की शुरुआत हुइ. मैंने अपनी पहली HTML वेबसाइट खुद बनाई आज मैं जावास्क्रिप्ट और पायथन सीख रहा हूँ. और मैं एक एनिमेटेड श्रृंखला पर काम कर रही हूँ जिस्का नाम &quot;Pollinators&quot; है यह हमारे पर्यावरण में मधुमक्खियों और अन्य pollinators के बारे में है जिससे यह दर्शाया गया है की वे इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं. पौधों परागण द्वारा परागण नहीं कर रहे होते, तो मनुष्य तथा अन्य प्राणी, जो इन पौधों पर निर्भर है, सभी भूखे मर जाते. इसलिए मैने फैसला किया की इन शांत जीव जीवों को लेकर एक सुपर हीरो टीम बनाते हैं. (तालियां) (पैर stomp) (संगीत) (दहाड़) Pollinator: Deforestsaurus! मुझे पता होना चाहिए था! मुझे बाकी pollinators को बुलाना पड़ेगा! (संगीत) धन्यवाद. (तालियां) मेरे सभी आनिमेशन्स की शुरुआत विचारों से हुई लेकिन विचार क्या हैं? विचार वो चिंगारी हैं जो एक आंदोलन ला सकते हैं. एक अवसर, एक अविष्कारी शक्ति हैं विचार वास्तव में दुनिया को चलते रखती हैं. इन विचारों के अभाव में हम भी न जी पाते इनका हमारे प्रौद्योगिकी करण, दवा, कला, संस्कृति, और यहाँ तक की हमारी जीवन शैली पर बहुत गहरा असर है. आठ साल की उम्र में, मैं अपने विचारों को लेकर अपना खुद का व्यवसाय शुरू &quot;माया के विचार&quot; और मेरा बिना ऩफा व्यवसाय , &quot;पृथ्वी के लिए माया के विचार&quot;. (हंसी) और मैं पर्यावरण अनुकूल कपड़े और सामान बनाती हूँ. मैं अब 13 तेरह वर्ष की हूँ, और हालांकि मैंने अपने कारोबार शुरू कर दिया है, 2008 में, परंतु मेरी कलात्मक यात्रा काफ़ी साल पहले शुरू हुई थी. मैं कला से बहुत प्रभावित हुई और मैं चाहती थी ​​कि इस सब का उपयोग मैं हर चीज़ में करूँ, यहां तक ​​कि अपने व्यवसाय में उपयोग किया. घर में पड़े अलग-अलग कपड़े के टुकड़ों को लेकर विचार आते कभी &quot;यह एक दुपट्टा या एक टोपी हो सकता है&quot; और मुझे डिजाइन के लिए ये सब विचार आते. मैं अपनी रचनाओं को जब पेहेन्ति तब देखा की, लोग, मुझे रोकते और केह्ते &quot;वाह! ये कितना सुंदर है. ऐसा वस्त्र कहाँ पर मिलेगा?&quot; और मैने सोचा कि मैं अपना खुद का कारोबार शुरू कर सकती हूँ. तभी मैंने किसी भी व्यापार की योजनाएँ नहीं की केवल आठ साल की उम्र में. मैं केवल सुंदर कृतियों को बनाना चाहती थी जो पर्यावरण के लिए सुरक्षित हो और मैं वापस देना (सेवा करना) चाहती थी. मेरी माँ ने मुझे सीना सिखाया और मैं हमारी बरामदा की पोर्च पर, बैठ कर बनाति रिबन के छोटे सिर बाँध, और मैं हर वास्तु के निचे नाम और कीमत लिख देती. मैं टोपी वगहरा जैसी वस्तुओं को बनाने लगी, स्कार्फ और बैग. जल्द ही, मेरे आइटम सभी दुनिया भर में बिकने लग गये, और मेरे ग्राहक डेनमार्क, इटली, ऑस्ट्रेलिया कनाडा अन्य देशों से आने लगे. तब, मुझे अपने कारोबार के बारे में बहुत कुछ सीखना था, जैसे ब्रांडिंग और वितरण, मेरे ग्राहकों के साथ संपर्क साधना और यह देखना की सबसे अधिक और सबसे कम क्या बिक रहा है. जल्द ही, मेरा व्यवसाय बहुत तेज़ी से बढ़ने लगा मैं 10 साल की थी जब एक दिन, फोर्ब्स पत्रिका ने मुझसे संपर्क किया. (हंसी) वे मेरी कंपनी और मेरे बारे में एक लेख लिखना चाहते थे. बहुत से लोग मुझे पूछते हैं, आपके व्यापार पर्यावरण प्रिय क्यों है? मेरा छोटे-पन से एक जुनून रहा है - पर्यावरण और जीव रक्षा के लिए मेरे माता पिता ने मुझे छोटे-पन से सिखाया है दूसरों की सेवा करना और पर्यावरण का रक्षक बनना मैने सुना की कुछ कपड़ों के रंगो से या यहां तक ​​कि चीज़ों को बनाने की प्रक्रिया से लोगों और पृथ्वी को हानि पहुँच रही थी और मैने यह भी पाया की रंगाई के बाद भी बेकार चीज़ों को बुरा असर पर्यावरण पर पड़ता है उदाहरण के लिए, सामग्री का पीसना, या सूखे पाउडर का फेंकना. यह काम हवा को प्रदूषित कर सकते हैं, इस प्रदुशित हवा में जो भी साँस लेगा उसको हानि पहुँचेगी इसलिए अपना व्यवसाय शुरू करते समय, मुझे दो बातें पता था: मेरी सभी वस्तुएँ, पर्यावरण के अनुकूल होना चाहिएं और मेरे मुनाफे का 10 से 20 प्रतिशत स्थानीय तथा अंतरराष्ट्रीय सेवा संस्थाओं और पर्यावरण संगठनों के लिए जाएगा (तालियां) मुझे लगता है की मैं नये उद्योगपतियों की एक लेहर का हिस्सा हूँ जो न सिर्फ़ एक सफल व्यवसाय चाहता है लेकिन एक टिकाऊ भविष्य भी. मुझे लगता है की मैं अपने ग्राहकों की जरूरतों को पूरा कर सकती हूँ भविष्य की पीढ़ियों की एक हरी कल में रहने की क्षमता से समझौता किए बगैर हम एक बड़े, विविध और सुंदर दुनिया में रहते हैं और यह मुझे अधिक प्रेरित करता है इसे बचाने के लिए. हमारी दुनिया में क्या हो रहा है, इन बातों को सिर्फ़ दिमागी तौर पर नही, लेकिन आपके दिल के मार्ग से लेना है क्योंकि जब आप अपने दिल से सोचते हैं, तब जाकर आंदोलन छिड़-ते हैं. तब जाकर अवसरों और अविषकारों का जन्म होता है तब जाकर विचारों का आव्वाहन होता है. धन्यवाद, और शांति और आशीर्वाद. (तालियां) धन्यवाद. (तालियां) पैट मिशेल: अभी आपने सुना माया को बात करते सुना अपने अद्भुत माता - पिता जो इस इस हैरतअंगेज़ महिला के पीछे हैं. वह कहाँ हैं? कृपया, श्री और श्रीमती पेन. क्या आप - आह! (तालियां) मुझे हवाई जहाज पसंद हैं. हां भई - मुझे हवाई जहाज पसंद हैं 90 के दशक में जब मैं कॉलेज गया था, स्पष्ट था कि मैं एयरोस्पेस का अध्ययन करने जा रहा हूँ आप विश्वास नहीं करेंगे कितने लोगों ने मुझे बताया, "अरे नहीं, क्यू चुनते हो एयरोस्पेस ? एयरोस्पेस उबाऊ होगा, एयरोस्पेस में सब कुछ पहले से ही किया जा चुका. " वे निशान से थोड़ी दूर थे. मुझे लगता है अगले दशक में विमानन के लिए एक सुनहरा युग होने जा रहा है, एक चीज़ जिस के लिए, मैं उत्साहित हो जाता हूं, उड़ पाना बहुत ही व्यक्तिगत होने जा रहा है. तो, थोड़ी तुलना और विरोधाभास. पिछली सदी में, दुनिया भर के शहर बड़े वाणिज्यिक हवाई जहाजों से आपस में जुड़े और 100 साल पहले, ऐसा हम सभी के लिए असंभव होता दुनिया भर से उड़कर पांच दिवसीय सम्मेलन के लिए यहाँ आना, लेकिन हम में से अधिकांश ने यह बिना दूसरी बार साेचे किया यह मानवता के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, रोजमर्रा की जिंदगी में हम अभी भी बहुत समय कारों में बिताते हैं. इसे टालने की सक्रिय कोशिश करते हैं हुए, मेरे कुछ सबसे अच्छे दोस्त सैन फ्रांसिस्को में रहते हैं, मैं लगभग 40 मील दूर, माउंटेन व्यू में रहता हूं. . हम सभी व्यस्त हैं. आखिरकार दिन के अंत में, 2 घंटे का यातायात हमें अलग कर देता है, सच कहूं, कुछ महीनों से हमने एक दूसरे को नहीं देखा है, मैं सैन जोस शहर में काम करता हूं, जो हवाई अड्डे के पास है. बहुत कम दिन हैं जब मैं काम छोड़ सकता हूं, विमान पर जाने और लॉस एंजिल्स उड़ान भरने के लिए कार द्वारा सैन फ्रांसिस्को ड्राइव करने से तेज़. शहरों में भीड़ बढ़ रही है, सड़कें सड़कें भरी हुई हैं और अब ज्यादा चौड़ी नहीं हो सकती, इसलिए बहुत से स्थानों में, समाधान के लिए ज्यादा कुछ नहीं हैं यातायात से संबंधित लेकिन क्या हो यदि हम उड़ कर जा सकें ? आसमान अभी खाली है, और सड़कों की भीड़ जैसा तो कभी नहीं होगा सबसे पहले, आपको एक अन्य तरीका मिल गया है, बल्कि सुरक्षा और हवाई यातायात प्रबंधन आकाश में बम्पर-टू-बम्पर यातायात की अनुमति नहीं देगा. जिसका मतलब है, कई मामलों में, उड़ान लंबी अवधि का विकल्प हो सकती है, जमीन पर यात्रा करने की तुलना में, तो कल्पना कीजिए: आप उबर बुलाते हैं जो आपको पास के लैंडिंग स्पॉट पर ले जाती है-- इनको ऊर्ध्वमुखी हवाई अड्डे कहते हैं-- वहां हवाई जहाज आपका इंतज़ार कर रहा है, आपको यातायात के ऊपर से उड़ा ले जाता है, दूसरी तरफ खड़ी एक और उबर आपको मित्र के घर पहुंचा देती है और मैंने कहा उबर, मुझे लगता है कि हमें लिफ्ट ब्रांडिंग टीम को बधाई देनी चाहिए अपने ब्रांड का चयन करने में आगे की सोच के लिए. (हँसी) तो उस उदाहरण में, मैं मानता हूं,कुछ अतिरिक्त कदम हैं. यह दो घंटे बनाम 30 मिनट है, इसमें लगभग 60 डॉलर खर्च आता है, आप काे उड़ने काे मिलता है. अभी यह हुआ नहीं हैं, पर हम हकीकत के काफी करीब हैं, सबसे पहले हमें जो चाहिये एक हवाई जहाज जो थोड़ी जगह में काम चला ले गंतव्य तक जल्दी पहुंचा सके. हेलीकॉप्टर आज ऐसा कर सकते हैं, अभी हेलीकॉप्टर थोड़ा महंगा है, उङाने में थोड़ा मुश्किल दैनिक इस्तेमाल के हिसाब से शोर भी ज्यादा करता है, स्वायत्त, बैटरी चालित उड़ान इसे बदल रहे हैं. इलेक्ट्रिक उड़ान, विशेष रूप से, वाहन बनाने की नई संभावनायें खोलते हैं पहले यह संभव नहीं था, यदि आप इलेक्ट्रिक मोटर उपयोग करते हैं, आप विमान के चारों ओर कई लगा सकते हैं, यह बहुत अधिक वजन नहीं बढाता. यह आपको अतिरिक्तता और सुरक्षा देता है साफ, सस्ते और शांत हैं आंतरिक दहन इंजन की तुलना में. ड्राइवर रहित होने के कारण नेटवर्क बढ़ा सकते हैं, यह विमान को सुरक्षित बनाता है. वाणिज्यिक उड़ानें अधिकांश अवधि के लिए स्वचालित हाेती हैं, मेरा मानना है एक दिन आएगा हम ऐसे हवाई जहाज पर भरोसा ही नहीं करेंगे जिसे मनुष्य उड़ा रहा हो , हमारी A3 विशेषज्ञ टीमों में से एक देखना चाहती थी कि भविष्य कितना करीब है. उन्होंने ऐसे एक वाहन का प्रोटोटाइप बना कर उड़ाया, और उन्होंने वही तकनीक इस्तेमाल की जाे परिपक्व, वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध हाे, हम इसे वहान कहते हैं. पूरी तरह बिजली से चलती है. यह लंबवत् उठती है और सामान्य हवाई जहाज की तरह चलती है, यह पूरी तरह आत्मनिर्भर है. एक बटन दबाने से खुद उठती है, उङती है और उतर जाती है, प्रोटोटाइप जो आप देख रहे हैं एक यात्री और सामान के लिए डिज़ाइन किया गया है, यह 15 मिनट में 20 मील जा सकता है. इस तरह यात्रा के लिए लगभग 40 डॉलर खर्च होगा, ऐसे यह बिजनेस हो सकता है. इसमें कई फालतू मोटर और बैटरी हैं, अगर एक खराब हो जाए तो भी यह उङता रहेगा, बिल्कुल आवाज नहीं करता, उङते समय यह कार से भी कम आवाज करेगा यह बुद्धिमान है और इसमें लिडार,रडार और कैमरे हैं, रअप्रत्याशित बाधाआें का पता लगा सकता है और उनसे बच सकता है, और टीम इसे कुशल बनाने पर केंद्रित है बैटरी छोटी, हल्की,और लंबे समय चलती हैं. संदर्भ के लिए, वहाना बैटरी का आकार टेस्ला मॉडल एस बैटरी से आधा है. यह लगभग 40 किलोवाट घंटे है. आप मिनटों में बैटरी अदल- बदल कर सकते हैं , मुझे लगता है कि कुछ सालों में, लोग आराम से खुद जा पायेंगे, स्वचालित, विद्युत वीटीओएल एयर टैक्सी से. व्यस्त टीम अगले संस्करण पर काम कर रही है जो कम से कम दो यात्रियों काे ले जायेगा और काफी दूर तक उड़ेगा. खास बात यह है कि दुनिया भर में 20 से अधिक कंपनियां ऐसे वाहनों पर काम कर रही हैं, मेरा अनुमान है कि अगले 5 वर्षों में, आप कुछ शहरों में वर्टिपॉर्ट्स देखना शुरू कर देंगे, और अपने सवारी-साझा वाले ऐप्स पर हवाई जहाज के प्रतीक, यह एक दर्जन से शुरू हो सकता है, और अंत में सैकड़ों हो जाएंगे, शहरों के चारों ओर उड़ान भरते. और स्थानीय यात्रा के साथ हमारा संबंध बदल जाएगा. पिछली शताब्दी में उड़ान से हमारा ग्रह जुड़ा, अगली में हमारे स्थानीय समुदाय जुड़ेंगे, मुझे उम्मीद है अब हम दाेबारा जुङेंगे, धन्यवाद. (तालियां) क्रिस एंडरसन: ठीक है,ये चीजें कब तक आ जाएंगी ? अभी, यह एक एकल व्यक्ति विमान है ना? रॉडिन लाइसोफ: हमारा, हाँ. एंडरसन: आपका ताे है. मेरा मतलब,कोई अपनी कार से बाहर आता है, दरवाजा खुलता है, वे अंदर आते हैं, वहां और कोई नहीं है। यह चीज ऊपर उठ जाती है, क्या हम यहां एक सर्वेक्षण कर सकते हैं? क्योंकि इस कमरे में आरंभिक स्वीकारने वाले हैं. मैं जानना चाहता हूं यहां कौन उत्साहित है जो एक स्वचालित उड़ान में अकेला बैठ सके-- ठीक है, ताे आप हैं ! रॉडिन लाइसोफ: बहुत अच्छा. एंडरसन: यह बहुत बढ़िया है, आधा टेड पूरी तरह झक्की है, (हँसी) आरएल: एक चीज जिस पर हम केंद्रित कर रहे हैं वास्तव में, लागत है. आप उसके आसपास एक व्यवसाय बुन सकते हैं, इसलिए कुछ विशेषताएं कीमत से प्रेरित हैं. हम 40 डॉलर मूल्य टैग लक्ष्य कर रहे हैं. इसे ज्यदा लाेगाें के लिए सुलभ बनाना चाहिए, सीए: इसके साकार होने में सबसे बड़ी रुकावट तकनीक नहीं, नियम हैं हैं न ? आरएल: हाँ, शायद यह सच है. सुरक्षा के मामले में प्रौद्योगिकी उन्नत होने की जरूरत है, विमान के सुरक्षा स्तर तक पहुंचने के लिए. मुझे इसमें कोई अवरोध नहीं दिखता, बस काम करने की जरूरत है. सीए: सबसे पहले, सवारी साझा करना है. क्या हम एक समय से बहुत दूर हैं जब बहुत से लोगों के गैराज में हवाई कार हो और सीधे दोस्त के घर जा पहुंचें ? आरएल: मेरा विचार है कि सवारी साझा करने से यह व्यवसाय कुशलता से, ऐसे भी लोग हैं जो कार रखना ही नहीं चाहते. विमान के बारे में ज्यादा शिद्दत से सोचेंगे. इसलिए -- (हँसी) मेरा मानना है कि नेटवर्क कहीं अच्छा संचालन करेगा एक सवारी साझा करने के मंच पर, हवाई यातायात के साथ एकीकरण के कारण केंद्रीय प्रबंधन बेहतर काम करता है. सीए: अच्छा,बहुत बहुत धन्यवाद. आरएल: धन्यवाद. सीए: काफी मजेदार था. [इस व्याख्यान की छवियाँ विचलित कर सकती हैं दर्शक अपने विवेक से काम लें] मैं चीज़ें इकट्ठी करता हूँ। लोहे की छड़ें इकट्ठी करता हूँ जिनका उपयोग गुलामों को चिह्नित करने के लिए होता था। मैं हथकड़ियाँ इकट्ठी करता हूँ और बेड़ियाँ भी जिनसे बड़ों और बच्चों को बाँधा जाता था। मैं हत्याओं से जुड़े पोस्टकार्ड इकट्ठे करता हूँ। उनमें फाँसी दर्शायी जाती थी। उनमें भीड़ का भी चित्रण होता है जो फाँसी देते देखती थी, और इन पोस्टकार्डों को पत्राचार के लिए भी काम में लाया जाता था। मैं दसिता का पक्ष लेने वाली पुस्तकें इकट्ठा करता हूँ जो अश्वेतों को अपराधी या आत्माहीन जानवर दर्शाती हैं। मैं आपके लिए कुछ लाया हूँ। यह जहाज पर काम में ली गई छड़ है। इसका इस्तेमाल गुलामों पर निशान लगाने के लिए किया जाता था। जब उन पर निशान लगाया गया था तब वे असल में ग़ुलाम नहीं थे। वे अफ़्रीका में रहते थे। उन पर अंग्रेज़ी का "एस" अक्षर दागा गया यह दर्शाने के लिए कि वे ग़ुलाम बनने वाले हैं अमेरिका पहुँचने के बाद या यूरोप पहुँचने के बाद। जब मैं छोटा था, उस वक़्त एक चीज़ ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा वह चीज़ थी, क्लान रोब (लबादा)। दक्षिण कैरोलिना में बड़ा होने की वजह से, कभी-कभी कू क्लक्स क्लान रैली देखी, असल में कभी-कभी से कहीं ज़्यादा ही, और उस रैली की यादें मेरे जहन से कभी नहीं निकलीं। असल में मैंने 25 साल पहले तक उन यादों के साथ कुछ भी नहीं किया। कुछ साल पहले, मैंने क्लान पर शोध करना शुरू किया, क्लान की तीन अलग शाखाएँ थीं, दूसरी वाली विशेष थी। क्लान की दूसरी शाखा के पांच मिलियन से अधिक सक्रिय सदस्य थे, जो उस समय की जनसंख्या का पांच प्रतिशत था, जो उस समय न्यूयॉर्क शहर की भी कुल जनसंख्या थी। बकहेड में क्लान के लबादे का कारखाना था जो जॉर्जिया के पड़ोस में था यह 24 घंटे चलने वाला कारखाना बन गया था जिसके पास ऑर्डर आते रहते थे। माँग की पूर्ति करने के लिए उन्हें हर वक़्त 20,000 लबादे तैयार रखने पड़ते थे। कलाकृतियों का संग्रहकर्ता और एक कलाकार होने के नाते, मैं क्लान रोब को अपने संग्रह का हिस्सा बनाना चाहता था, क्योंकि कलाकृतियाँ और वस्तुएँ कहानियाँ बताती हैं, पर मुझे एक भी ऐसा लबादा नहीं मिला जो अच्छी हालत में हो। अमेरिका में एक अश्वेत आदमी क्या करता जब वह एक अच्छी हालत वाला क्लान रोब न ढूँढ पा रहा हो? (हँसने की आवाज़) मेरे पास कोई और चारा नहीं बचा। मैंने तय किया कि मैं अमेरिका में सर्वश्रेष्ठ क्लान रोब बनाऊँगा। ये पारंपरिक क्लान रोब नहीं हैं जिन्हें आप किसी केकेके रैली में देख पाएँ। मैंने बुने हुए कपड़े का इस्तेमाल लिया, सैनिकों की वर्दी वाले कपड़े का इस्तेमाल किया, स्पैनडेक्स, टाट, रेशम, साटिन और अलग-अलग नमूने इस्तेमाल किए। मैं इन्हें विभिन्न आयु वर्गों के लिए बनाता हूँ; बच्चों के लिए और छोटे बच्चों के लिए बनाता हूँ। यहाँ तक कि मैंने नवजात शिशु के लिए भी बनाया। इतने सारे लबादे बनाने के बाद, मुझे एहसास हुआ कि जिन नीतियों को क्लान ने लागू किया या एक सौ साल पहले लागू करना चाहता था आज लागू हो चुकी हैं। हमने स्कूलों, पड़ोस, कार्यस्थलों को अलग रखा, क्योंकि ये हुड पहने हुए लोग नहीं हैं जो इन नीतियों को लागू करते हैं। मेरा काम दासता का दीर्घकालिक प्रभाव है। हम मात्र व्यवस्थित नस्लवाद के अवशेष का सामना नहीं कर रहे हैं। हम जो भी काम करते हैं यह उसका आधार है। हमने जानबूझकर एक बार फिर से पड़ोस,कार्यस्थलों और स्कूलों को अलग रखा है। हमारे मतदाता हताश किये जाते है। हमारे यहाँ उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों का असमान प्रतिनिधित्व है। हमारे वातावरण में नस्लवाद है। हमारे यहाँ पुलिस की क्रूरता है। आज मैं आपके लिए कुछ चीज़ें लाया हूँ। नस्लवाद के छिपे हुए पहलू इसकी शक्ति का अंश हैं। कभी-कभी जब आपसे भेदभाव होता है, तब आप यह साबित नहीं कर सकते कि आपके साथ भेदभाव हो रहा है। नस्लवाद में छिपने की शक्ति होती है, और जब यह छुपता है, तो सुरक्षित रहता है चूँकि यह घुलमिल जाता है। मैंने यही दिखाने के लिए यह लबादा बनाया है। अमेरिका के पूंजीवाद का आधार दासता है। दासता ही पूंजीवाद की पूंजी थी। 1868 में पहला ग्रैंड विज़ार्ड, नाथन बेडफोर्ड फोरेस्ट, एक संघीय सैनिक और एक करोड़पति दास व्यापारी था। उसने दासता से जितना धन बनाया था-- जिसमें दास उसकी सम्पति थे-- आपका दिमाग चकरा जायेगा। 1860 में सिर्फ़ कपास की बिक्री लगभग 200 मिलियन डॉलर के बराबर थी। यह आज के समय के पांच अरब डॉलर के बराबर होगा। उस धन आज भी पुश्तैनी धन के रूप में उपलब्ध है। ओह, मैं दूसरी फसलों को तो भूल ही गया। जैसे कि नील, चावल और तम्बाकू। 2015 में, मैंने पूरे साल एक सप्ताह में एक लबादा बनाया। 75 वस्त्र बनाने के बाद, मुझे एक बात समझ आई। मुझे अहसास हुआ कि श्वेत लोगों का वर्चस्व बना हुआ है, पर श्वेत लोगों के वर्चस्व की सबसे बड़ी ताकत केकेके नहीं है, यह व्यवस्थित नस्लवाद का सामान्यीकरण है। मुझे एक और बात का एहसास हुआ। मुझमें लबादे का आकर्षण बिल्कुल नहीं रहा। लेकिन अगर हम लोग एक साथ इन चीज़ों की तरफ देखें-- दागने वाली छड़ें, जंजीरें, लबादे-- और महसूस करें कि ये हमारे इतिहास का हिस्सा हैं, हम उन रास्तों कि खोज कर सकते हैं जिनसे ये हम पर हावी होना छोड़ दें। अगर हम व्यवस्थित नस्लवाद को देखें और स्वीकार करें कि एक देश के रूप में यह हमारे कण-कण में बसा हुआ है, तभी हम वास्तव में नस्लावाद को जानबूझकर अलग रख पाएँगे अपने स्कूलों, पड़ोस और कार्यालयों से। तभी और सिर्फ़ तभी हम असल में दासता को सम्बोधित कर पाएँगे और दासता की भद्दी परम्परा को तोड़ पाएँगे। बहुत-बहुत शुक्रिया। (तालियों की आवाज़) १२ महीनों में एक बार दुनिया की सबसे बड़ी मानव प्रवासन चीन में होता है चीन की नया साल की ४० दिनों की यात्रा की अवधि में ३ अरब यात्राएं लिये जाते हैं जब परिबार मिलते हैं और जश्न मानते है अब सबसे श्रमसाध्य यात्रा इनमें से लिए जाते हैं देस के २९० प्रवासी कामगारों के द्वारा बहुतों के लिए यह एक ही मौका है पुरे साल घर जाने और माता-पिता और बच्चों को देखने के लिए। लेकिन यात्रा विकल्प बहुत सीमित हैं; विमान टिकट का दाम लगभग उनके मासिक वेतन का आधा है । तो उनमें से ज्यादातर, ट्रेन चुनते हैं उनकी औसत यात्रा 700 किलोमीटर है औसत यात्रा का समय पंद्रह और आधा घंटे है। और देश के पटरियों को अब 390 मिलियन यात्रियों को संभालना है हर वसंत महोत्सव। हाल ही तक, प्रवासी श्रमिकों को कतार में लंबे समय तक, कभी-कभी दिनों तक लगना पड़ता है सिर्फ टिकट खरीदने के लिए, अक्सर स्केलर्स से लुटते हैं। और उन्हें कभी कभी भगदड़ की स्थितियों का सामना करना पड़ता है जब यात्रा का दिन आखिरकार पहुंचा। लेकिन तकनीक से अनुभव सुखद बनना शुरू हो गया है मोबाइल और डिजिटल टिकट अब बिक्री के 70 प्रतिशत हैं, ट्रेन स्टेशनों पर लाइन कम हो गया है । मैन्युअल जांच के बदले डिजिटल आईडी स्कैन होता है बोर्डिंग प्रक्रिया तेज हो गई है, और कृत्रिम बुद्धि नेटवर्क भर में तैनात किया गया है यात्रा मार्गोंको अनुकूलित करने केलिए नए समाधान का आविष्कार किया गया है। चीन की सबसे बड़ी टैक्सी मंच, दीदी चक्सिंग कहा जाता है, हिच नामक एक नई सेवा शुरू की, जो कार मालिकों से मेल करता है जो घर जा रहे है लंबी दूरी के मार्गों के यात्रियों के साथ अपने तीसरे वर्ष में, हिच ने 30 मिलियन यात्राएं कीं इस पिछले छुट्टी के मौसम में, जिनमें से सबसे लंबा 1,500 मील से अधिक था। यह दूरी लगभग मियामी से बोस्टन तक है प्रवासी श्रमिकों की यह भारी आवश्यकता है तेजी से उन्नयन और नवाचार संचालित किया है पूरे देश के परिवहन प्रणालियों में। अब, चीनी इंटरनेट विकसित किया गया है दोनों परिचित और अपरिचित तरीकों से। सिलिकॉन घाटी की तरह, भूकंपीय बदलावों में से कुछ प्रौद्योगिकी और उपभोक्ता व्यवहार में अकादमिक शोध द्वारा संचालित किया गया है, उद्यम इच्छाओं से प्रेरित किया गया है विशेषाधिकार और युवाओं की सनकी के साथ थोड़ी देर में हर बार छिड़क दिया मैं एक उत्पाद हूँ अमेरिकी तकनीकी उद्योग के, उपभोक्ता और कॉर्पोरेट नेता दोनों के रूप में। तो मैं अच्छी तरह से परिचित हूँ इस प्रकार के ईंधन के साथ लेकिन लगभग डेढ़ साल पहले, मैं अपने घर से चले गए न्यूयॉर्क शहरमें हांगकांग में सीईओ बनने के लिए दक्षिण चीन मॉर्निंग पोस्ट का। और इस नए सुविधाजनक बिंदु से, मैंने कुछ देखा है यह मेरे लिए बहुत कम परिचित है, चीन के नवाचार के इतने सारे प्रचार और इसके कई उद्यमी। यह एक जबरदस्त जरूरत अर्थव्यवस्था है वह सेवा कर रहा है एक वंचित जनसंख्या, जिसे 30 साल से अलग कर दिया गया है चीन के आर्थिक उछाल से। मौजूदा अंतराल अमीरों और गरीबों के बीच शहरी और ग्रामीण के बीच या अकादमिक और अनस्कूल ये अंतराल, वे एक मिट्टी बनाते हैं जो एक अविश्वसनीय सशक्तिकरण के लिए तैयार है। तो जब पूंजी और निवेश लोगों की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करें जो आर्थिक सीढ़ी के नीचले स्तर पर हैं तब हम इंटरनेट एक नौकरी निर्माता के रूप देखते है एक शिक्षा संबल और कई अन्य तरीकों से, एक रास्ता आगे। बेशक, चीन एकमात्र जगह नहीं है जहां यह वैकल्पिक ईंधन मौजूद है, न ही एकमात्र जगह जहां यह संभव है। लेकिन देश के बड़े स्तर की वजह से और एक बढ़ती महाशक्ति के रूप में स्थिति, इसकी आबादी की जरूरतें एक अवसर बनाया है आकर्षक प्रभाव के लिए। तेजी से विकास की व्याख्या करते समय कई पर्यवेक्षक दो कारण बताएंगे। पहला 1.4 बिलियन लोग है वह चीन घर पर कॉल करें दूसरा सरकार है सक्रिय साझेदारी या व्यापक हस्तक्षेप, आप इसे कैसे देखते हैं इसके आधार पर। अब, केंद्रीय अधिकारियों ने खर्च किया है नेटवर्क बुनियादी ढांचे पर भारी पिछले कुछ वर्षों में, एक आकर्षक बनाना निवेश के लिए पर्यावरण। उसी समय, उन्होंने जोर दिया है मानकों और विनियमन पर, जिसने तेजी से सहमति दी है और इसलिए, तेजी से गोद लेना। दुनिया का सबसे बड़ा पूल तकनीकी प्रतिभा मौजूद है बहुतायत के कारण शैक्षणिक प्रोत्साहनों का। और स्थानीय, घरेलू कंपनियों, अतीत में, संरक्षित किया गया है अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता से बाजार नियंत्रण से। बेशक, आप देख नहीं सकते हैं चीनी इंटरनेट व्यापक सेंसरशिप को बिना पाए और बहुत गंभीर चिंताएं डिस्टॉपियन निगरानी के बारे में उदहारण के लिए: चीन एक सामाजिक श्रेय दर-निर्धारण के प्रक्रिया में है जो उसकी पूरी आबादी को आवरण करेगा, नागरिकों को पुरस्कृत और प्रतिबंधित करना अत्यधिक गुणात्मक विशेषताओ के आधार पर ईमानदारी और सत्यनिष्ठा की तरह उसी समय पर, चीन चेहरे की पहचान तैनात कर रहा है १७० मिलियन बंद सर्किट कैमरे में कृत्रिम बुद्धि का उपयोग किया जा रहा है अपराध और आतंकवाद की भविष्यवाणी करने के लिए झिंजियांग प्रांत में, जहां मुस्लिम अल्पसंख्यक पहले से ही निगरानी के अधीन है। फिर भी, इंटरनेट जारी है बढ़ने के लिए, और यह इतना बड़ा है हम जितना सोचते है उससे भी बड़ा २०१७ के अंत तक, चीनी इंटरनेट आबादी 772 मिलियन उपयोगकर्ताओं तक पहुंच गया था। यह अमेरिका, रूस के आबादी से बड़ा है जर्मनी के, यूनाइटेड किंगडम के, फ्रांस और कनाडा संयुक्त। उनमें से ९२ प्रतिशत मोबाइल पर सक्रिय हैं। उनमें से ९८ प्रतिशत मैसेजिंग ऐप का प्रयोग करें अब ६५० मिलियन हैं डिजिटल समाचार उपभोक्ताओं, ५८० मिलियन डिजिटल वीडियो उपभोक्ता, और देश का सबसे बड़ा ई-कॉमर्स मंच ताओबाओ अब 580 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता दावा करते है यह अमेज़ॅन से लगभग ८० प्रतिशत बड़ा है। मांग पर यात्रा, बाइक और कारों के बीच, अब 10 अरब में चीन में एक वर्ष यात्रा करता है। यह दुनिया भर में लिया गया सभी यात्राओं का दो तिहाई है तो यह एक बहुत मिश्रित थैली है। इंटरनेट एक प्रतिबंधित विवाद-योग्यमें तरीके से मौजूद है,चीन के भीतर फिर भी यह बड़ी' है और इसमें काफी सुधार है अपने नागरिकों के जीवन। तो इसकी अपूर्णता में भी, चीनी इंटरनेट की वृद्धि बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए, और यह हमारी करीबी परीक्षा के योग्य है। मैं आपको दो अन्य कहानियों को आज बताता हूं लुओ झोउली एक 34 वर्षीय इंजीनियर है जियांग्ज़ी प्रांत में अब, उसका घर क्षेत्र कम्युनिस्ट पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जन्मस्थान था लाल सेना का। लेकिन दशकों से, इसके अलगाव के कारण देस के आर्थिक और विनिर्माण से केन्दों से यह असंबद्धता में फिसल गया है लुओ अपनी पीढ़ी के लोगों की तरह एक छोटी उम्र में घर छोड़ दिया एक प्रमुख शहर में काम की तलाश में वह शेन्ज़ेन में आ पहुंचा जो चीनके तकनीकी केंद्रों में से एक है युवा प्रवास के रूप में, इन ग्रामीण गांवों केवल बुजुर्गों रह जाते हैं जो वास्तव में संघर्ष कर रहे हैं गरीबी से ऊपर बढ़ने के लिए नौ साल बाद, लुओ ने फैसला किया २०१७ में जियांग्ज़ी लौटने के लिए, क्योंकि वह मानते थे कि चीन की बढती हुई वाणिज्य व्यापार उसे अपने गांवको पुनर्जीवित करने में मदद कर सकता है कई ग्रामीण समुदायों की तरह, लुओ के घर में एक बहुत ही विशिष्ट प्रांतीय शिल्प इस मामले में किण्वित बीन दही बनाते हैं। तो उसने एक छोटा सा कारखाना शुरू किया और बिक्री शुरू कर दिया अपने स्थानीय रूप से बने सामान ऑनलाइन। कई सालों रहे हैं खपत के विकास की चीन के प्रमुख शहरों में लेकिन हाल ही में, तकनीक चला रही है शिल्प वस्तुओं की बिक्री में एक विस्फोट चीन के मध्य और ऊपरी वर्गों में से हम बात करते है और ईकॉमर्स मंच ग्रामीण उत्पादकों को अनुमति देते हैं अपने सामान बेचने और बेचने के लिए उनके मूल से बहुत दूर वितरण क्षेत्र अनुसंधान संगठन वास्तव में इस प्रभाव को पता करें कहा जाता है गिनती करके "ताओबाओ गांव।" कम से कम १० प्रतिशत घर इसी ग्रामीण गांव के ऑनलाइन सामान बेच रहे हैं और राजस्व की एक निश्चित राशि बनाते हैं। और विकास महत्वपूर्ण रहा है पिछले कुछ वर्षों में। बस २० थे २०१३ में ताओबाओ गांवों, २१४ में २१२ २०१५ में ७८० २०१६ में १३०० और २०१७ के अंत में २१०० से अधिक। वे अब लगभग खाते हैं आधे मिलियन सक्रिय ऑनलाइन स्टोर वार्षिक बिक्री में १९अरब डॉलर और 1.3 मिलियन नई नौकरियां बनाई गईं लुओ के पहले साल वापस घर में वह १५ ग्रामीणों को रोजगार देने में सक्षम था और उसने लगभग ६०००० मात्रक बेचीं किण्वित बीन दही का। वह ३०और लोगों को किराए पर लेनेकी उम्मीद करता हैअगले वर्षमें क्योंकि उनकी मांग तेजी से बढ़ती है ६० मिलियन बच्चे पीछे हैं चीन के ग्रामीण परिदृश्य में बिखरे हुए। और वे कम से कम एक माता पिता के साथ बड़े हो जाते हैंघर से दूर एक प्रवासी कार्यकर्ता के रूपमें सभी सामान्य ग्रामीण जीवन की कठिनाइयों, के साथ उन्हें अक्सर यात्रा करना पड़ता है विशाल और खतरनाक दूरी बस स्कूल जाने के लिए वे ३० प्रतिशत हैं देश के प्राथमिक के और हाईस्कूल के छात्र दस वर्षीय चांग वेनक्सुआन इन छात्रों में से एक है। वे हर दिन एक घंटा एक रस्ते चलता है बिद्यालय को जाते वक़्त इन गहरे नालोंमें, एक अलग परिदृश्य में। लेकिन जब वह छोटे से हैगांसू प्रांत खेती गांव, में आता है उन्हें सिर्फ दो अन्य छात्र मिलेंगे इस पूरे बिद्यालय में अब, चांग का स्कूल एक है अकेले गांसू में १००० में से इसमें पांच से कम है पंजीकृत छात्र तो सीमित छात्र बातचीत के साथ अयोग्य शिक्षकों के साथ और बिद्यालय के घर जो बहुत कम सुसज्जित है और विद्युत-रोधित नहीं है ग्रामीण छात्रों के पास है लंबे समय से वंचित उच्च शिक्षा के लिए लगभग कोई रास्ता नहीं है लेकिन चांग का भविष्य बहुत मात्र से से स्थानांतरित हुआ है एक "सनशाइन कक्षा" का स्थापना के साथ वह अब डिजिटल का हिस्सा है १०० छात्रों के कक्षा में २८ विभिन्न स्कूलों में, योग्य और प्रमाणित शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाता है लाइव स्ट्रीमिंग सैकड़ों मील दूर से उनके पास नए विषयों तक पहुंचा है संगीत और कला की तरह और नए दोस्त भी और अनुभवों के लिए जो उसके घर से बहुत दूर है हालही में चांग को फ्रेडरिकस्कबर्ग कैसल संग्रहालयको जाने का मौका मिलाथा डेनमार्क मैं वस्तुतः, के द्वारा अब, ऑनलाइन शिक्षा मौजूद है चीन के बाहर कई सालों से लेकिन यह कभी नहीं पहुंचा है वास्तव में परिवर्तनीय पैमाने पर संभावना क्योंकि पारंपरिक शिक्षा प्रणाली दुनिया के अन्य तकनीकी केंद्रों में कहीं अधिक उन्नत और कहीं अधिक स्थिर हैं। लेकिन चीन के चरम इलाके और आकार एक विशाल और तत्काल नवाचार की आवश्यकता को बनाया है शेन्ज़ेन में एक तकनीकी स्टार्ट-अप है जो ३००००० छात्रों तक बढ़ गया सिर्फ एक साल में। और पोस्ट में हमारे सर्वोत्तम अनुमान से अब ५५ मिलियन हैं चीन भर में ग्रामीण छात्रों जो योग्य और सुलभ हैं लाइव स्ट्रीमिंग कक्षाओं द्वारा आवश्यकता का यह बाजार बड़ा है पूरे अमेरिकी छात्र आबादी की तुलना में किंडरगार्टन और ग्रेड 12 के बीच तो मुझे पता लगाने के लिए बेहद प्रोत्साहित किया जाता है वह निजी निवेश चीन में एड-टेक में अब सालाना एक बिलियन डॉलर से अधिक है, 30 अरब डॉलर के साथ सार्वजनिक वित्त पोषण में यह अब और 2020 के बीच किया गया है। क्यूंकि चीनी इंटरनेट बढ़ता जा रहा है, यहां तक ​​कि इसकी अपूर्णता और प्रतिबंध और नियंत्रण में भी एक बार भुला गया आवादी का जीबन अपरिवर्तनीय रूप से ऊंचा हो गया है पर एक फोकस है जरूरत की आबादी, न की चाहत की जिसने बहुत कुछ प्रेरित किया है जिज्ञासा, रचनात्मकता का और विकास जो हम देखते हैं। और अभी भी आनेके लिए और भी कुछ है अमेरिका में, इंटरनेट आबादी, या प्रवेश अब ८८ प्रतिशत तक पहुंच गया है। चीन में, इंटरनेट अभी भी है केवल आबादी के 56 प्रतिशत तक पहुंचा है इसका मतलब है कि वहाँ हैं 600 मिलियन से अधिक लोग जो अभी भी ऑफ़लाइन हैं और डिस्कनेक्ट हैं। यह अमेरिकी आबादी के लगभग दोगुना है। एक बड़ा अवसर जहां भी यह मौका मौजूद है, चीन या अफ्रीका में हो, दक्षिणपूर्व एशिया या अमेरिकी दिल की भूमि हमें इसका पालन करने का प्रयास करना चाहिए पूंजी और प्रयास के साथ, दोनों आर्थिक ड्राइविंग और दुनिया भर में सामाजिक प्रभाव बस एक मिनट के लिए कल्पना कीजिए क्या संभव हो सकता है अगर अभाबियों के वैश्विक जरूरतें हमारी मुख्य केंद्र होगा हमारे आविष्कारों का। धन्यवाद। (तालियां) मैं आपका परिचय एक सूक्ष्मजीव से कराना चाहूँगी जिसे आपने शायद कभी सुना नहीं है । इसका नाम प्रोक्लोरोकोकस है, और यह वास्तव में एक अद्भुत छोटा जीव है। इसके पूर्वजों ने पृथ्वी को ऐसे बदल दिया, जिससे हमारा विकास संभव हुआ, और इसके अनुवांशिक कोड में एक ब्लूप्रिंट छिपा हुआ है जो जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता कम करने को प्रेरित कर सकता है। लेकिन सबसे आश्चर्यजनक बात है कि ये छोटी कोशिकाएँ तीन अरब अरब अरब संख्या में हमारे ग्रह पर हैं, और 35 साल पहले तक हम इनके अस्तित्व के बारे में जानते भी नहीं थे। तो आपको उनकी कहानी बताने के लिए, मुझे आपको चार अरब साल पहले की कहानी से शुरू करना होगा, जब पृथ्वी शायद ऐसा कुछ दिखती होगी। ग्रह पर कोई जीवन नहीं था, वायुमंडल में ऑक्सीजन नहीं था। तो वह ग्रह परिवर्तित को हुआ, जिस में हम आज आनंद लेते हैं, जो जीवन से भरपूर है, जो पौधों और जानवरों से भरपूर है? खैर, एक शब्द में, प्रकाश संश्लेषण। ढाई अरब साल पहले, इनमें से कुछ प्रोक्लोरोकोकस के प्राचीन पूर्वज विकसित हुए ताकि वे सौर ऊर्जा का उपयोग कर सकें और इसे अवशोषित करें और पानी के घटक भागों, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित करें। और उन्होंने उत्पादित रासायनिक ऊर्जा का उपयोग किया सीओ 2, कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल से बाहर लाने के लिए, और इसका इस्तेमाल शर्करा, प्रोटीन और एमिनो एसिड बनाने के लिए किया, जिससे जीवन बना हुआ है। और जैसे वे विकसित हुए और लाखों वर्षों की अवधि में उनकी संखया बढ़ती गई और ऑक्सीजन वायुमंडल में बढ़ने लगा। लगभग 500 मिलियन साल पहले, वायुमंडल मे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन जमा हो गया जिसके कारण बड़े जीव-जन्तु भी विकसित हो सके। जीवन-रूपों में विस्फोट हुआ, और आखिरकार, हम मनुष्य पृथ्वी पर दिखाई दिए। जबकि यह चल रहा था, उनमें से कुछ प्राचीन प्रकाश संश्लेषक प्राणियों की मृत्यु हो गई और वे संपीड़ित व दफन होते गए, और जीवाश्म ईंधन बन गया, जिसमें कार्बन बंधन में सूरज की रोशनी दफन थी । वास्तव में सूर्य की रोशनी पृथ्वी के गर्भ में कोयले और तेल के रूप में गढ़ी हुई है । आज के प्रकाश संश्लेषक, उनके इंजन, उन प्राचीन सूक्ष्म जीवों से अवतीर्ण हुए हैं, और वे मूल रूप से पृथ्वी पर जीवन का भरण-पोषण करते हैं। आपका दिल धड़क रहा है सौर ऊर्जा का उपयोग करके जो पौधे आप के लिए संसाधित करते हैं, और आपके शरीर बना है सीओ 2 जो पौधे आप के लिए संसाधित करते हैं। असल में, हम सभी सूरज की रोशनी और कार्बन डाइऑक्साइड से बने हैं। मूल रूप से, हम सिर्फ गर्म हवा हैं। (हँसी) तो स्थलीय प्राणियों के रूप में, हम परिचित हैं भूमि पर पौधों,: पेड़, घास, चरागाह, फसलों से। लेकिन महासागर में अरबों टन प्राणी भरे पड़े हैं । क्या आपने कभी सोचा है कि उन्हें भोजन कहाँ से मिलता है? वैसे एक अदृश्य चरागाह है माइक्रोस्कोपिक प्रकाश संश्लेषक, फैटोप्लान्कटन के, जो सागर के ऊपरी 200 मीटर में भरें हैं, और वे पूरे ओपन महासागर पारिस्थितिक तंत्र को खिलाते हैं। कुछ जानवर उनके बीच रहते हैं और उन्हें खाते हैं, कुछ और जानवर रात में उन्हें भोजन बनाते हैं, जबकि अन्य जानवर गहरे सागर में बैठते हैं और उनके मरने की प्रतीक्षा करते हैं और फिर वे उन्हें भोजन बनाते हैं। तो यो छोटे फैटोप्लान्कटन,सामूहिक रूप से, धरती के सभी पड़-पौधों के वजन के एक प्रतिशत से भी कम हैं, लेकिन सालाना भूमि पर सभी पौधों, अमेज़ॅन वर्षावन सहित जिसे हम ग्रह का फेफड़ा मानते हैं, के बराबर प्रकाश संश्लेषण करते हैं । हर साल, वे 50 अरब टन कार्बन ठीक करते हैं कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में अपने शरीर में जो सागर पारिस्थितिक तंत्र को खिलाता है। बायोमास की यह छोटी मात्रा कैसे होती है जमीन पर सभी पौधों के रूप में उतना उत्पादन? उनके पास ट्रंक और उपजी नहीं हैं और फूल और फल और यह सब बनाए रखने के लिए। उन्हें बस इतना करना है कि वे बढ़ जाएं व विभाजित हों। वे वास्तव में लीन छोटी प्रकाश संश्लेषण मशीनें हैं। वे वास्तव में कार्यशील हैं। तो प्रकाश सवेदी एकपेशीय प्लान्कत्टन phytoplankton,की विभिन्न प्रजातियों हैं, सभी अलग आकार और प्रकार में आते हैं, एक मानव बाल की चौड़ाई से भी कम। यहाँ, मैं आपको खूबसूरत फैटोप्लान्कटन दिखा रहा हूँ, पाठ्यपुस्तक संस्करण। मैं उन्हें फैटोप्लान्कटन की करिश्माई प्रजातियां कहता हूं । देखो प्रोक्लोरोकोकस ओक्सिजन देनेवाला समुद्री प्रकाश सवेदी जीव, मुझे पता है, यह सिर्फ एक सूक्ष्मदर्शी स्लाइड पर गंदगी के गुच्छे की तरह दिखता है। (हँसी) लेकिन वे वहां हैं, और मैं उन्हें एक मिनट में आप के सामने प्रकट करने जा रही हूँ । लेकिन पहले मैं आपको बताना चाहता हूं, वे कैसे खोजे गए थे। लगभग 38 साल पहले, हम एक फ्लो साइटोमेट्री नामक तकनीक के साथ मेरी प्रयोगशाला में खेल रहे थे जो जैव चिकित्सा अनुसंधान के लिए विकसित किया गया था कैंसर कोशिकाओं जैसे कोशिकाओं का अध्ययन करने के लिए, लेकिन यह पता चला कि हम इसका इस्तेमाल कर रहे थे इस ऑफ-लेबल उद्देश्य के लिए जो फ़ायटोप्लान्कटन का अध्ययन करना था, और यह ऐसा करने के लिए अनुकूल था। और यह ऐसे काम करता है: तो आप एक नमूना इंजेक्ट करते हैं इस छोटी केशिका ट्यूब में, और कोशिकाएं लेजर द्वारा एकल फ़ाइल में जाती हैं, और जैसे ही वे करते हैं, वे आकार के अनुसार प्रकाश बिखराते हैं और वे प्रकाश के अनुसार रंगद्रव्य उत्सर्जित करते हैं, चाहे वे प्राकृतिक या दाग हों । और फाइटोप्लांकटन का क्लोरोफाइल, जो हरा है, लाल रोशनी उत्सर्जित करता है जब आप उस पर नीली रोशनी डालते हैं। और इसलिए हमने इस उपकरण का उपयोग कई वर्षों तक किया हमारी फाइटोप्लांकटन संस्कृतियों का अध्ययन करने के लिए, वे करिश्माई प्रजातियां जिन्हें मैंने आपको दिखाया, बस सेल जीवविज्ञान का अध्ययन करने के लिए । लेकिन उस समय, हमने सोचा, यह वास्तव में अच्छा नहीं होगा अगर हम इस तरह का एक उपकरण जहाज पर ले सकते हैं और बस इसके माध्यम से समुद्री जल में फ़ायटोप्लान्कटन कि सभी विविधताएँ दिखेंगी। तो मैं कामयाब रही एक बड़ा रिग प्रवाह साइटोमेट्री लाने में, एक बड़ा, शक्तिशाली लेजर कंपनी से धन-वापसी गारंटी के साथ कि अगर यह एक जहाज पर काम नहीं करता, वे इसे वापस ले लेंगे। और इसलिए एक युवा वैज्ञानिक जिसके साथ मैं काम कर रहा था , रॉब ओल्सन, सक्षम थे इस उपकरण को अलग करने में, और जहाज पर फिर से जोड़ने में सक्षम थे और इसने बख़ूबी काम किया। हमने नहीं सोचा था कि यह जहाज के कंपन में भी काम करेगा और लेजर भी फोकस करेगा लेकिन इसने बख़ूबी काम किया। और इसलिए हमने समुद्र भर में फैटोप्लान्कटन वितरण मैप किया। पहली बार, आप वास्तविक समय में एक सेल देख सकते थे, कि क्या हो रहा था। - वह बहुत रोमांचक था। लेकिन एक दिन, रॉब ने देखा कि उपकरण से कुछ धुंधला संकेत आ रहा था कि हम इलेक्ट्रॉनिक शोर के रूप में खारिज कर दिया शायद एक साल के लिए इससे पहले कि हम पता लगा पाए कि यह वास्तव में शोर नहीं था। इसमें कुछ नियमित पैटर्न थे। एक बड़ी कहानी को छोटा करते हुए , यह छोटी, छोटी कोशिकाएं थीं, एक मानव बाल की चौड़ाई के सौवें हिस्से से भी कम जिसमें क्लोरोफिल होता है। वह प्रोक्लोरोकोकस था। तो इस स्लाइड को याद करें जिसे मैंने आपको दिखाया? यदि आप नीला प्रकाश बिखेरते हैं उस नमूने पर, आप यह देखेंगे: दो छोटे छोटे लाल रोशनी उत्सर्जक कोशिकाएं। वे प्रोक्लोरोकोकस हैं। वे प्रकाश संश्लेषक सेल सबसे छोटे और सबसे प्रचुर मात्रा में हैं, ग्रह पर । पहले, हम नहीं जानते थे कि वे क्या थे, इसलिए हमने "छोटे हरे" कहा। यह उनके लिए एक बहुत स्नेही नाम था। आखिरकार, हम उनके बारे में काफी जानते थे उन्हें प्रोक्लोरोकोकस नाम देने के लिए, जिसका अर्थ है "आदिम हरी बेरी।" और यह उस समय था मैं इन छोटी कोशिकाओं से प्यार करती हूँ कि मैंने अपनी पूरी प्रयोगशाला को पुर्न निर्देशित किया उनका अध्ययन करने के लिए, और उनके प्रति मेरी वफादारी से मुझे बहुत फायदा हुआ। उन्होंने मुझे एक जबरदस्त राशि दी है, मुझे यहाँ लाने सहित। (तालियां) तो वर्षों से, हमने और कई अन्य लोगों ने, प्रोक्लोरोकोकस का अध्ययन किया है. महासागरों में और पाया कि वे बहुत प्रचुर मात्रा में हैं व्यापक, विस्तृत श्रृंखलाओं पर खुले सागर पारिस्थितिकी तंत्र में। वे विशेष रूप से प्रचुर मात्रा में हैं जिसे ओपन सागर गियर कहा जाता है। इन्हें कभी-कभी महासागरों के रेगिस्तान के रूप में संदर्भित किया जाता है, लेकिन वे रेगिस्तान बिल्कुल नहीं हैं। उनका गहरा नीला पानी प्राणियों से भरा हुआ है प्रति लीटर सौ मिलियन प्रोक्लोरोकोकस कोशिकाओं के साथ। यदि आप उन्हें एक साथ इकट्ठा करते हैं जैसे हम अपनी संस्कृतियों में करते हैं, तो आप उनका सुंदर हरा क्लोरोफिल देख सकते हैं। उन टेस्ट ट्यूबों में एक अरब प्रोक्लोरोकोकस है, और जैसा कि मैंने आपको पहले बताया था, ग्रह पर उन्की संख्या तीन अरब अरब अरब हैं। यह तीन औक्टिलियन है, अगर आप कन्वर्ट करना चाहते हैं। (हँसी) और सामूहिक रूप से उनका वजन मानव आबादी से अधिक है और वे प्रकाश संश्लेषित करते हैं भूमि पर सभी फसलों से अधिक। वे वैश्विक महासागर में अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण हैं। तो वर्षों से, क्योंकि हम उनका अध्ययन कर रहे थे और पाया कि वे कितने प्रचुर मात्रा में थे, हमने सोचा, यह वास्तव में अजीब है। एक प्रजाति इतनी प्रचुर मात्रा में कैसे हो सकती है, इतने सारे अलग-अलग आवासों में? और हमने और अधिक कल्चर में अध्रययन किया, हमने सीखा कि वे विभिन्न पारिस्थितिकी हैं। कुछ ऐसे हैं जो सतह के पानी में, उच्च प्रकाश तीव्रता के लिए अनुकूलित किए गए हैं और कुछ ऐसे हैं जो गहरे महासागर में कम रोशनी के लिए अनुकूलित किए गए हैं । वास्तव में, वे कोशिकाएं जो सूर्य प्रकाश जोन के नीचे रहते हैं सबसे कुशल प्रकाश संश्लेषक सेल हैं और फिर हमने सीखा कि कुछ उपभेद हैं जो भूमध्य रेखा के पास बेहतर रूप से बढ़ता है, जहां उच्च तापमान है, और कुछ जो कम तापमान पर बेहतर करते हैं जैसे आप उत्तर और दक्षिण जाते हैं। इसलिए जब हमने इनका और अधिक अध्ययन किया और अधिक से अधिक विविधता पा रहे थे हमने सोचा, हे भगवान, ये चीजें कितनी विविध हैं? और उस समय के आसपास, जीनोम को अनुक्रमित करना संभव हुआ और वास्तव में हुड के नीचे देखें और उनके अनुवांशिक मेकअप को देखें और हम उन्हें अनुक्रमित करने में सक्षम हैं हमारे पास जीनोम के कल्चर हैं, लेकिन हाल ही में, फ्लो साइटोमेट्री का उपयोग करके, हम जंगल से व्यक्तिगत कोशिकाओं को अलग कर सकते हैं और उनके व्यक्तिगत जीनोम अनुक्रम, और अब हमने सैकड़ों प्रोक्लोरोकोकस अनुक्रमित किया है। और हालांकि प्रत्येक सेल में लगभग 2,000 जीन हैं यह संख्या में मानव जीनोम का दसवां हिस्सा है जैसा आप अधिक से अधिक अनुक्रम करते हैं, आप पाते हैं कि उनके पास केवल एक हज़ार समान है और अन्य हज़ार प्रत्येक व्यक्तिगत उपभेद के लिए एक विशाल जीन पूल से खींचा गया है, और यह विशेष पर्यावरण को दर्शाता है जिस्में सेल उगा होगा, न केवल ज़यादा या कम रोशनी या उच्च या निम्न तापमान, लेकिन क्या वहाँ पोषक तत्व हैं जो उन्हें सीमित करते हैं नाइट्रोजन, फॉस्फोरस या लौह की तरह। यह निवास को दर्शाता है कि वे कहाँ से आते हैं। इस पर इस तरीके से विचार करें। यदि प्रत्येक सेल एक स्मार्टफोन है, और ऐप्स जीन हैं, जब आप अपना स्मार्टफोन प्राप्त करते हैं, यह इन अंतर्निहित ऐप्स के साथ आता है। वे हैं जिन्हें आप हटा नहीं सकते हैं अगर आप एक आईफोन व्यक्ति हैं। आप उन पर दबाते हैं और वे बजते नहीं हैं और उनके पास एक्स नहीं है। भले ही आप उन्हें नहीं चाहते, आप उनसे छुटकारा नहीं पा सकते हैं। (हँसी) वे प्रोक्लोरोकोकस के मूल जीन की तरह हैं। वे फोन का सार हैं। लेकिन ऐप्स को आकर्षित करने के लिए आपके पास एक बड़ा पूल है अपने फोन को कस्टम-डिज़ाइन करने के लिए आपकी विशेष जीवनशैली और निवास के लिए। यदि आप बहुत यात्रा करते हैं, आपके पास बहुत सारे यात्रा ऐप्स होंगे, यदि आप वित्तीय चीजों में हैं, आपके पास बहुत सारे वित्तीय ऐप्स हो सकते हैं, या यदि आप मेरे जैसे हैं, आपके पास शायद बहुत सारे मौसम ऐप्स हैं, उम्मीद है कि उनमें से एक आपको बताएगा आप जो सुनना चाहते हैं। (हँसी) और मैंने वैंकूवर में पिछले दिनों में सीखा है कि आपको मौसम ऐप की आवश्यकता नहीं है - आपको बस छतरी की जरूरत है। (हँसी) तो जैसे आपका स्मार्टफोन हमें बताता है आपके जीवन के बारे में कुछ, आपकी जीवनशैली प्रोक्लोरोकोकस सेल का जीनोम पढ़ना हमें बताता है कि दबाव क्या हैं अपने पर्यावरण में। यह अपनी डायरी पढ़ने की तरह है, न केवल हमें अपने दिन या सप्ताह के माध्यम से बता रहा है, लेकिन यहां तक कि इसके विकासवादी इतिहास भी। जैसा कि हमने अध्ययन किया - मैंने कहा कि हमने इन कोशिकाओं में से सैकड़ों को अनुक्रमित किया है, और अब हम प्रोजेक्ट कर सकते हैं कुल अनुवांशिक आकार क्या है -- जीन कुण्ड -- प्रोक्लोरोकोकस का संघ, जैसा कि हम इसे कहते हैं। यह एक उत्तम जीव की तरह है। और यह पता चला है कि अनुमान हैं कि सामूहिक 80,000 जीन है। यह मानव जीनोम का चार गुना है । और यह जीन पूल की विविधता है जो उनके लिए यह संभव बनाता है इस बड़े पैमाने पर महासागरों के क्षेत्रों हावी होने के लिए और उनकी स्थिरता बनाए रखें तो जब मैं प्रोक्लोरोकोकस के बारे में सोचती हूं, जो मैं शायद अधिक करती हूं (हँसी) मुझे लगता है कि वे वहां तैर रहे हैं, अपना काम कर रहे हैं, ग्रह को बनाए रखना, जानवरों को खिलाना। मैं इस बारे में सोचती हूँ कि वे एक उत्कृष्ट कृति हैं, लाखों लोगों द्वारा बारीकी से ट्यून किया गया विकास के वर्षों के। 2,000 जीन के साथ, हमारे सभी मानव चालाकी वे कर सकते हैं यह पता नहीं लगा है अभी तक कि कैसे करते है। वे सौर ऊर्जा, सीओ 2 ले सकते हैं और इसे रासायनिक ऊर्जा में बदल दें कार्बनिक कार्बन के रूप में, सूरज की रोशनी को लॉक करना उन कार्बन बंधनों में। अगर हम समझ सकते हैं वास्तव में वे यह कैसे करते हैं, यह डिजाइन को प्रेरित कर सकता है जो जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता, कम हो सकता है जो मेरी कहानी को पूर्ण सर्कल लाता है। जीवाश्म ईंधन जो दफन हैं जिसे कि हम जल रहे हैं लाखों साल लगे धरती के लिए उनको दफनाने के लिए उन पूर्वजों, प्रोक्लोरोकोकस सहित और हम अब जल रहे हैं एक आँख की झपकी में भूगर्भीय समय पर। कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में बढ़ रहा है यह एक ग्रीनहाउस गैस है। महासागर गर्म होने लगे हैं। तो सवाल यह है कि, वह क्या करने जा रहा है मेरे प्रोक्लोरोकोकस के लिए? और मुझे यकीन है कि आप उम्मीद कर रहे हैं कि मेरे प्यारे सूक्ष्मजीव मरणोन्मुख हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हैं। अनुमान है कि गर्म सागर में उनकी आबादी का विस्तार होगा, वर्ष 2100 तक 30 प्रतिशत बढ़ेगा। क्या इससे मैं मुझे खुश हूँ? अच्छा, मैं यप्रोक्लोरोकोकस के लिए खुश हूँ -- (हँसी) लेकिन ग्रह के लिए नहीं। विजेता व हारने वाले हैं, इस वैश्विक प्रयोग में और यह अनुमान लगाया गया है कि हारने वालों में कुछ बड़े फैटोप्लान्कटन होंगे , करिश्माई वाले जो उम्मीद की जाती है संख्या में कम होने वाले हैं और वे लोग हैं जो खिलाते हैं ज़ूप्लंकटन जो मछली खिलाता है जिसकी हम खेती करना पसंद करते हैं। तो पिछले 35 वर्षों से प्रोक्लोरोकोकस मेरे ध्यान का केन्द्र रहा है, लेकिन वहाँ अन्य सूक्ष्मजीवों की सेना हैं हमारे लिए हमारे ग्रह को बनाए रखते हैं। वे वहाँ तैयार हैं और हमारे उन्हें खोजने के लिए इंतजार कर रहे हैं ताकि वे भी अपनी कहानियां बता सकते हैं। धन्यवाद। (तालियां) कई पितृसत्तात्मक समाजों और आदिवासी समाजों में, पिता को आमतौर पर बेटों से जाना जाता है, लेकिन मैं उन कुछ पिताओं में से हूँ , जो अपनी बेटी से जाने जाते हैं , और मुझे इस बात पर गर्व है | (तालियाँ) मलाला ने २००७ में, शिक्षा के लिये अपना अभियान शुरू किया और अपने अधिकारों के लिये खड़ी हुई, और जब उसके प्रयासों को २०११ में सम्मानित किया गया, और जब उसे राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार दिया गया, और वो अपने देश की बहुत प्रसिद्ध, बहुत लोकप्रिय लड़की बन गयी, उसके पहले, वो मेरी बेटी थी, लेकिन अब मै उसका पिता हूँ | देवियों और सज्जनों, अगर हम मानव इतिहास पर नज़र डालें, नारी की कहानी अन्याय, असमानता, हिंसा और शोषण की कहानी है | जैसा कि आप देखते हैं, पुरुष प्रधान समाजों में, शुरू से ही, जब एक लड़की जन्म लेती है, उसका जन्म मनाया नहीं जाता | उसका स्वागत नहीं किया जाता, न तो पिता के द्वारा और न ही माँ के द्वारा | पड़ोसी आते हैं और माँ के साथ हमदर्दी जताते हैं और कोई भी पिता को बधाई नहीं देता | और एक माँ बहुत असहज महसूस करती है एक लड़की को जन्म दे कर | जब वो पहली बार एक लड़की को जन्म देती है, उसकी पहली बेटी, वो दुखी होती है | जब वो दूसरी बेटी को जन्म देती है, वो भयभीत हो जाती है, और एक पुत्र की आशा में, जब वो तीसरी बेटी को जन्म देती है, वो एक अपराधी की तरह दोषी महसूस करती है | न सिर्फ माँ को भुगतना पड़ता है, बल्कि वो बेटी, वो नवजात बच्ची, जब बड़ी हो जाती है, तब वो भी सहती है | पांच वर्ष की आयु में, जब उसे विद्यालय जाना चाहिए, वो घर पर रहती है और उसके भाइयों का स्कूल में दाखिला करा दिया जाता है | १२ वर्ष की आयु तक, किसी तरह, वो एक अच्छा जीवन बिताती है | वो मस्ती कर सकती है | वो दोस्तों के साथ सड़कों पर खेल सकती है, और वो गलियों में घूम सकती है तितली की तरह | लेकिन जब वो किशोरावस्था मे प्रवेश करती है, जब वो १३ साल की हो जाती है, तब उसे एक पुरुष के बिना घर से बाहर निकलने से मना कर दिया जाता है | उसे घर की चारदिवारी तक सीमित कर दिया जाता है | वो अब एक स्वतंत्र व्यक्ति नहीं रहती | वो तथाकथित सम्मान का पर्याय बन जाती है अपने पिता और भाइयों और परिवार के लिये, और अगर वो उस तथाकथित सम्मान का उल्लंघन करती है, तो उसकी हत्या भी की जा सकती है | और यह भी दिलचस्प है कि ये तथाकथित सम्मान, न सिर्फ एक लड़की के जीवन पर असर डालता है, ये परिवार के पुरुषों की जिंदगी को भी प्रभावित करता है | मैं ७ बहनों और १ भाई के एक परिवार को जानता हूँ, और वो एक भाई, वह खाड़ी देशों में जाकर बस गया है, जिससे वो अपनी ७ बहनों और माता पिता के लिये रोज़ी रोटी कमा सके, क्योंकि वो ऐसा सोचता है कि यह बहुत ही अपमानजनक होगा अगर उसकी बहनें कोई कौशल सीख जायें और वो घर से बाहर जाकर कुछ कमाने लगें | तो ये भाई, अपने जीवन के सुख, और अपनी बहनों की खुशियों का, इस तथाकथित सम्मान की वेदी पर, बलिदान कर देता है | और पुरुष प्रधान समाजों का एक और आदर्श है जिसे आज्ञाकारिता कहा जाता है | एक अच्छी लड़की उसको माना जाता है जो बहुत शांत, बहुत विनीत और बहुत विनम्र हो | यही मापदंड है | एक आदर्श अच्छी लड़की को बहुत ही शांत होना चाहिए | उसे चुप रहना चाहिए और उसे अपने माता पिता और बड़ों के फैसलों को स्वीकार कर लेना चाहिए भले ही उसे वह पसंद न हों | अगर उसकी शादी किसी ऐसे आदमी से होती है जिसे वो पसंद नहीं करती या फिर अगर उसकी शादी किसी बूढ़े आदमी से होती है, उसे स्वीकार करना पड़ेगा, क्योंकि वो नहीं चाहती कि उसे अवज्ञाकारी करार दिया जाये | अगर उसकी शादी बहुत छोटी उम्र में करा दी जाती है, उसे स्वीकार करना पड़ेगा, नहीं तो, उसे अवज्ञाकारी कहा जायेगा | अंत में क्या होता है? किसी कवयित्री के लफ्ज़ों में, उसकी शादी होती है, फिर सम्भोग, और फिर वो जन्म देती है, और भी बेटों और बेटियों को | और ये स्थिति की विडम्बना है, कि यही माँ, फिर अपनी बेटियों को वही आज्ञाकारिता और बेटों को वही सम्मान का पाठ पढ़ाती है | और यह कुचक्र चलता चला जाता है | देवियों और सज्जनों, लाखों स्त्रियों की इस दुर्दशा को बदला जा सकता है, अगर हम अपनी सोच को बदलें, अगर स्त्री और पुरुष अपनी सोच विकसित करें, अगर पुरुष और स्त्री, उन विकासशील देशों के आदिवासी और पुरुष प्रधान समाजों में, यदि वो, कुछ परिवार और समाज सम्बन्धी मानदंडों को तोड़ सकें, यदि वो अपने राज्यों मे भेदभावपूर्ण कानूनों की उन व्यवस्थाओं को ख़त्म कर सकें, जो महिलाओं के मूलभूत मानव अधिकारों के खिलाफ जाते हैं | प्रिय भाइयों और बहनों, जब मलाला का जन्म हुआ था, और जब पहली बार, मेरा विश्वास कीजिये, मुझे नवजात बच्चे पसंद नहीं हैं, सच में, पर जब मैं गया और मैने उसकी आँखों में देखा, मेरा विश्वास कीजिये, मैंने अत्यंत सम्मानित महसूस किया | और उसके पैदा होने के काफी समय पहले मैंने उसका नाम सोचा था, और मै अफगानिस्तान की एक वीर महान स्वतंत्रता सेनानी से प्रभावित था| उनका नाम था मलालाई ऑफ़ मैवंद, और मैने उनके नाम से अपनी बेटी का नाम रख दिया | मलाला के जन्म के कुछ दिन बाद, मेरी बेटी के जन्म के बाद, मेरे भाई आये - और संयोग से - वो मेरे घर आये, और एक वंश-वृक्ष साथ लाये - युसुफजई परिवार का वंश-वृक्ष - और जब मैंने उस वंश-वृक्ष को देखा, तो उसमें ३०० साल पुराने पूर्वजों का भी जिक्र था | पर जब मैने ध्यान दिया, तो सभी पुरुष थे | और मैने अपनी कलम उठायी, अपने नाम से एक रेखा खींची, और लिखा, "मलाला" | और जब वो थोड़ी बड़ी हुई, जब वो साढ़े चार साल की थी, मैने उसे अपने स्कूल में भर्ती कराया | आप ये सोच रहे होंगे कि मैने एक लड़की को स्कूल में प्रवेश कराने के बारे में उल्लेख क्यों किया ? हाँ , मुझे इसका जिक्र करना चाहिये | कनाडा, अमेरिका और कई विकसित देशों में ये भले ही कोई बड़ी बात न हो, लेकिन गरीब देशों में, पुरुष प्रधान समाजों में, आदिवासी समाजों में, ये एक लड़की की जिंदगी का बहुत बड़ा दिन होता है | एक स्कूल में नामांकन का मतलब है उसकी पहचान और उसके नाम को मान्यता मिलना | एक स्कूल में दाखिले का मतलब है कि उसने अपने सपनों और आकांक्षाओं की दुनिया में प्रवेश किया है जहाँ वह भविष्य के लिए अपनी क्षमताओं का पता लगा सकती हैं | मेरी ५ बहनें हैं, और उनमें से एक भी स्कूल नहीं जा सकीं, और आपको आश्चर्य होगा, दो हफ्ते पहले, जब मै कनाडा का वीजा फार्म भर रहा था, और मै फार्म में परिवार खंड को भर रहा था, मुझे अपनी कुछ बहनों के कुलनाम याद नहीं आए| और उसका कारण ये था कि मैने कभी भी अपनी बहनों का नाम किसी भी दस्तावेज पर लिखा हुआ नहीं देखा है| यही वजह है कि मैने अपनी बेटी को महत्व दिया | जो मेरे पिता मेरी बहनों और अपनी बेटियों को नहीं दे सके, मैने सोचा कि मुझे ये बदलना चाहिये | मै अपनी बेटी की अक्लमंदी और प्रतिभा की सराहना करता था | मैने उसे प्रोत्साहित किया कि जब मेरे दोस्त आयें तो वो मेरे साथ बैठे| मैने उसे प्रोत्साहित किया कि विभिन्न बैठकों में वो मेरे साथ चले | और ये सभी अच्छे संस्कार, मैने उसके व्यक्तित्व में विकसित करने की कोशिश की | और यह केवल मलाला के साथ ही नहीं था | मैने ये सभी अच्छे संस्कार, अपने स्कूल में, छात्रों और छात्राओं को भी दिये | मैने शिक्षा का इस्तेमाल उद्धार लिये किया | मैने अपनी लड़कियों को सिखाया, मैने अपनी छात्राओं को सिखाया, कि वो आज्ञाकारिता का पाठ भुला दें | मैने अपने छात्रों को सिखाया, कि वो तथाकथित झूठे सम्मान का पाठ भुला दें| प्रिय भाईयों और बहनों, हम महिलाओं के अधिक अधिकारों के लिए प्रयास कर रहे थे और हम संघर्ष कर रहे थे कि समाज में महिलाओं को अधिक से अधिक स्थान मिल सके | लेकिन हम एक नई घटना के पार आये | यह मानव अधिकारों के लिए और विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों के लिए घातक थी | उसको तालिबान-निर्माण कहा गया | इसका मतलब है - महिलाओं की भागीदारी का पूरा निषेध, सभी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों से | सैकड़ों स्कूल नष्ट कर दिये गये | लड़कियों के स्कूल जाने पर रोक लगा दी गयी | महिलाओं को बुर्का पहनने के लिये मजबूर किया गया और उनके बाजार जाने पर रोक लगा दी गयी | संगीतकारों को खामोश कर दिया गया, लड़कियों पर कोड़े बरसाये गये और गायकों को मार दिया गया | लाखों पीड़ित थे , लेकिन कुछ ने आवाज़ उठायी, और ये सबसे डरावनी बात होती थी जब आपके आसपास सभी ऐसे लोग हों जो मारते हों और कोड़े लगाते हों, और आप अपने अधिकारों के लिए बोलो | यह वास्तव में सबसे डरावनी बात है | १० साल की उम्र में, मलाला खड़ी हुई, और वह अपने शिक्षा के अधिकार के लिये खड़ी हुई | उसने बीबीसी ब्लॉग के लिए एक डायरी लिखी, उसने न्यूयॉर्क टाइम्स वृत्तचित्रों के लिए खुद को नामांकित किया, और उसने हर-संभव मंच से बात की | और उसकी आवाज सबसे शक्तिशाली आवाज थी | वह दुनिया भर में एक तेज की तरह फैल गई | और यही कारण था कि तालिबान उसके अभियान को बर्दाश्त नहीं कर सका, और ९ अक्टूबर, २०१२ को, उसे बिंदु रिक्त सीमा से सिर में गोली मार दी गयी | यह मेरे और मेरे परिवार के लिए प्रलय का दिन था | दुनिया एक बड़े ब्लैक होल जैसी लगने लगी | जब मेरी बेटी जिंदगी और मौत के कगार पर थी, मैने अपनी पत्नी से धीरे से पूछा, " क्या मुझे उस सब का दोषी माना जाना चाहिये जो हमारी बेटी के साथ हुआ ? " और उन्होंने अचानक मुझसे कहा, "कृपया अपने आप को दोषी न ठहरायें | आप सही कारण के लिए खड़े हुए | आपने अपना जीवन दांव पे लगा दिया - सच्चाई के लिये, शांति के लिये, और शिक्षा के लिये, और आपकी बेटी आपसे प्रेरित हो गयी और आपके साथ शामिल हो गयी | आप दोनों सही रास्ते पर चल रहे थे और ईश्वर उसकी रक्षा करेंगे | " ये कुछ शब्द मेरे लिये बहुत मायने रखते हैं और मैंने फिर कभी ये प्रश्न नहीं पूछा | जब मलाला अस्पताल में थी, और वो गंभीर पीड़ा से गुज़र रही थी, और उसको तीव्र सिर दर्द होता था, क्योंकि उसके चेहरे की नस कट गयी थी, मुझे एक अँधेरी छाया दिखाई पड़ती थी अपनी पत्नी के चेहरे पर | लेकिन मेरी बेटी ने कभी शिकायत नहीं की | वो कहती थी, " मै अपनी टेढ़ी मुस्कान और अपने चेहरे की अकड़न के साथ ठीक हूँ | मैं ठीक हो जाऊँगी | चिंता मत करिये | " वो हमारा धीरज थी और उसने हमें सांत्वना दी | प्रिय भाईयों और बहनों, हमने उससे सीखा कि सबसे कठिन समय में भी कैसे मजबूत बना जाए और मुझे आपको यह बताते हुए ख़ुशी होगी कि बच्चों और महिलाओं के अधिकारों के लिए एक आदर्श होने के बावजूद, वह किसी भी 16 साल की लड़की की तरह है | होमवर्क अधूरा रह जाने पर वो रोती है | वो अपने भाइयों के साथ झगड़ती है और मै इस बात से बहुत खुश हूँ | लोग मुझसे पूछते हैं , मेरे पालन पोषण में ऐसा क्या विशेष है जिसने मलाला को इतना निर्भीक, इतना साहसी, इतना मुखर और इतना संतुलित बना दिया ? मै उनसे कहता हूँ, मुझसे ये मत पूछो कि मैने क्या किया | मुझसे ये पूछो कि मैने क्या नहीं किया | मैने उसके पर नहीं काटे, बस इतना ही | बहुत बहुत धन्यवाद | ( तालियाँ ) शुक्रिया | बहुत बहुत शुक्रिया | धन्यवाद | (तालियां ) टाइलर एडमोंड्स बॉबी जॉनसन दवोंताए संफोर्ड मर्त्य तन्लेफ्फ़ जेफरी देस्कोविक अन्थोनी कारावेल्ला और त्रविस हायेस आप उन लोगों की चहरे पेहचान नही पाएँगे। सब मिलाकर इन लोगों ने ८९ साल तेइखाने में बिताई उन कत्लों के लिए जो इन्होने नही की हत्या के झूठे आरोप जो इन्होंने किशोर अवस्था में कबूल किया था। में एक फॉरेंसिक विकासात्मक मनोविज्ञानिक हूँ और में इस तरह के मामले पढ़ती हूँ। एक शोधकर्ता, एक अध्यापक और हाली में बनी माँ के हिसाब से, मेरी मंजिल के एक वैज्ञानिक अनुसन्धान करना है जो हमे यह समझने में मदद करे बड़ों के लिए बनाए गये कानूनी प्रणाली में कैसे बच्चे कृत्य करते हैं। मार्च २००६ में पुलिस ने ब्रेंडन दस्से से पूछताछ की एक १६ बरसिया ऊँच बिद्यालय का बच्चा जिसकी IQ ७० के आसपास है जो उसे बुद्धि विकलांगता के दायरे में डालता है यह एक छोटा सा झलक है उसकी ४ घंटे की पूछताच की पुलिस १: ब्रेंडन , सच बोलना मैंने आपको बताया कि यह एक चीज आपकी मदद करेगी हमे पता है क्या हुआ है, ठीक है? पुलिस २: अगर हमे तुमसे ईमानदारी नही मिली में अभी तुम्हारा दोस्त हूँ पर मुझे तुम पर भरोसा करना होगा अभी अगर मैं तुमपे भरोसा नही करूँगा तो तुम्हारे लिए लड़ नही पाउँगा ठीक है ? तुम सर हिला रहे हो हमे बताओ क्या हुआ था पु१: तुम्हारी माँ ने बोला तुम हमारे साथ इमानदार होगे पु२:और वो तुम्हारे साथ 100 प्रतिशत है पु१: उन्होंने ऐसा कहा क्यूंकि वह जानती है की तुम बहुत कुछ जानते हो पु२: हम तुम्हारे साथ है पु१; हमे पता है क्या हुआ है, अब हमे सब बताओ, झूठ मत बोलो लिंडसे मल्लोय:उन्होंने ब्रेंडन को यह बोला की ईमानदारी उसे 'आज़ाद कर देगा' पर वे सब उसे अपराधी मान चुके है तो ईमानदारी मतलब उससे इकबालिया बयान लेना चाहते है, और इकबालिया बयान उसे आजाद बिलकुल नहीं करेगा। उन लोगों ने ब्रेंडन से इकबालिया बयान ले ली जो ठीक से समझ में नही आ राह था जो उस क़त्ल के स्थल से मिली सबूतों से मेल नही खा रहा था और गलत है यह भी पता चल रहा था फिर भी वो काफी था ब्रेंडन को दोशी साबित करने के लिये और अजिवन कारावास के लिए क़त्ल और यौन हमले के जुर्म में २००७ में कोई भी भौतिक सबूत नही था ब्रेंडन के खिलाफ उसके अपने सब्दों के अलावा जिसने उसे करीबन १० साल के लिए कारावास को भेज दिया जब तक एक न्यायाधीश ने इस फैसले को गलत साबित किया कुछ ही महीने पहले। दस्सी केस बहुत अलग है यह अब एक नेत्फ्लिक्स की धारावाहिक बन चुकी है, जिसका नाम है मेकिंग अ मर्डरर, जो मुझे पूरा यकीन है आप लोगोंने देखा है अगर नही देखा तो जरूर देखना। दस्से केस इसीलिए भी अलग है क्यूँकी इसने बहुत सार्वजनिक आक्रोश संघठित किया लोग बहुत गुस्सा हुए जिस तरह ब्रेंडन का पूछ ताछ हुआ था और बहुत ने यह भी कहा की उसका पूछताछ अवैध था पर वो अवैध नही था एक इन्सान जो इसी मामलों की शोधकर्ता है और पुलिस पूछताछ और प्रशिक्षण से परिचित है में बिलकुल भी ताजुब नही हुई सच यह है की दास्सी की पूछताछ बिलकुल भी अलग नही थी, और सच कहूँ तो मैंने इससे भी बुरा देखा है तो मैं समझती हूँ, अन्याय को लेकर जनता के घुस्से को ब्रेंडन दस्से के एक्लोते मामले में पर यह बात भी नही भूलना चाहिए की १० लाख से ज्यादा उसीके उम्र के बच्चे गिरफ्तार होते है हर साल usa में और वे भी इसी प्रकार के पूछताछ के शिकार होते हैं। जो झूठी इकबालिया बयान को बढ़ावा देती हैं और मुझे पता है बहुत लोग इस शब्द को लेकर बहुत चिंतित है 'झूठी इकबालिया बयान' और यह जानकार की झूठी इकबालिया बयान सचमुच पाए जाते हैं और मैं समझ सकती हूँ यह बहुत ताजुब और हमारी सोच के बिपरीत है की कोई क्यूँ इकबालिया बयान देगा वो भी इतनी बारीकी से एक डरावनी अपराध जैसे की बलात्कार और क़त्ल जब उन्होंने एसा किया ही नही? इसकी कोई मतलब नही है और सच यह है हम कभी भी बारीकी से नही जान सकते कैसे झूठा इकबालिया बयान दिया जाता है पर हम यह जानते है की झूठा इकबालिया बयान या स्वीकारोक्ति मोजूद है लगभग २५ प्रतिशत गलत गुनेगारो में जो लोग बाद में बरी हुए डीएनए के सबूत से पता चला की वे बेकसूर थे यह सारे मामले काच के जैसे साफ़ हेई क्यूंकि हमारे पास DNA है इन लोगोंने अपराध नही किया पर इन लोगों मेंसे एक् चौत्हाई लोगों ने असत्य इकबालिया बयान दी कैसेभी और इस समय, उन्गिनत अनुसंधान से हमारे पास काफी वजह है क्यों लोग झूटी गवाही देते है और क्यूँ कुछ लोग जैसे की ब्र्न्दन दस्से यह करनेकी जोखिम में है हमे पता है की ज्वादा सम्भावना है की युवाएं असत्य इकबालिया बयान देंगे एक पुनरास्थापन पढाई में जैसे की सिर्फ ८ प्रतिशत वयस्क लोगों ने जुट को स्वीकार किया पर ४२ प्रतिशत किशोरों ने ऐसा किया है यह सच है कि अगर हम सिर्फ गलत दोषसिद्धि और पुनारास्थापन को देखेंगे तो हमे सिर्फ कहनी की कुछ भाग मिलेगा जबकि बहुतसे मामलों में दूषी के दलीलों से बिचार किया गया है परीक्षणों से नही टीवी और समाचारों के मुक्य बातों से आप यह सोचते है की परीक्षण एक नियम हे हमारे कानूनी परनाले में एर सचाई यह है की ९७ प्रतिशत कानूनी मामलें US में परीक्षण से नही बल्कि दलीलों से विचार किया जाता है ९७ प्रतिशत जो बचे वह किशोरों के स्वीकार किया हुआ अपराध है जो DNA सबूतों को शामिल नही करता जिनकी ज्यादातर समीक्षण या ऐसा करनेकी प्राथना की जाती है दोषसिद्धिके बाद इसी वजह से बहुत लोग इन झूटी गवाहिओं को जो हम जानते है सचाई तक पहुँच ने की जरिया समझ ते है हमारी अनुसन्धान से हमे बहुत मात्र की झूटी गवही देनेवाले किशोर मिले हमने उनमे से २०० के साथ सख्यात्कार किया और १७ प्रतिचत ने यह कहा की उन्होंने कुमसे कम एक झूठा इकबालिया बयान पुलिस को दी है और जो बात सबको आचार्याचाकित करदेगा वो है US में पूछताछ में पुलिस किशोरों को बड़ो जैसा पूछताछ करती है ताकि वो इनसे झूठ बोल सके झूठ जैसे की "हमारे पास तुम्हारा अंगुली की छापा है" हमारे पास तुम्हारा DNA है तुम्हारा दोस्त नीचे है बोलरहा है की तुमने सबकुछ किया है संदिग्ध को झूट बोलना UK में प्रतिबंधित है पैर US में कानूनी है वोभी औद्धिक अक्षम किशोरों के साथ जैसे की ब्रेंडन दस्से हमारे अनुसन्धान में जेल में राखेगए जितने जितने भी किशोरों से हम मिले उन्होनें पुलिस के द्वारा बहुत ही सख्त पूछताछः की बात बोली मा-बाप या वकील के मजूदगी के बिना ८० प्रतिशत बच्चों से ज्यादा ने पुलिस के द्वारा दी गई धमकियों के बारे में बताया जिसमें तेरखाने में बलात्कार और क़त्ल कर देने की बात भी शामिल है या बड़ों की तरह पैश आए यह सारे रणनीतियाँ इसीलिए बनें गयें है ताकि अधिकतम संधिक्तों को यह लगे की मना करर्ने से कुछ नही होगा और स्वीकार करना ही एकमात्र उपाय है आप लोगों ने अछा ओर बुरा पुलिसवाला के भूमिका निभानेवालों के बारे में सुनाहोगा तोह यह बुरा पुलिसवाला है किशोर ज्यादा ग्राहंकारने योगी और भाबुक होतें है समाजकी प्रभाब से जैसे की बहुत दबाव आरोप और सुझाव जो अधिकारियोंके के तरफ से आते है पुछताछके समय ७० प्रतिसत से ज्यादा किशोरों ने हमारें सूत्रों के अनुसार यह कहा की पुलिस ने उनसे दोस्ती करने की कोशिश भी की थी या उनकी मददगार होने की इच्छा दिखाया था पुछताछ के समय इसे न्यूनीकरण रणनीति कहतें है और यह संधिग्ध को सहानुभूति और समझ प्रदान करने केलिए बनाये गयें है और यह मतलब निकलते है की स्वीकार करनेके बाद अछि बरताब होगा उनके साथ जैसे की क्लासिक्स में अच्छा और बुरा पुलिस के अति सरलीकरण पुलीस के पूछताछः में यह अच्छा पुलिस है (विडियो) पो१ :बफादारी यहाँ ब्र्न्दन तुम्हारा मदद करेगा, ठीक है ? तुमने जो भी किया है हम सब उसे ठीक कर देंगे, ठीक है ? हम तुमसे कोई वादा नही कर सकते पर हम तुम्हारे साथ रहेंगें वोह जो भी तुमने किया होगा ठीक है ? LM: "तुमने जो भी किया होगा हम उसे ठीक कर देंगे" उदारता की झलक जैसे अभी आपने देखा ब्र्न्दन के साथ किशोरों के बीच बहुत शक्तिशाली है खक्यूंकि वे खतरा और इनाम को बड़ों से अलग तरीके से मूलियांकन करते है स्वीकार करने से संदिग्ध को अचनाक से एक इनाम मिलता है , सही? की अभी तनावपूर्ण पूछताछ ख़तम हुआ सो स्वीकार करना बहुतसे किशोरों को सबसे अच्छा तरीका लगता होगा जो लम्बी चलनेवाली दोषसिद्धि और सजा के खतरे से कम वाकिफ है उसके बाद स्वीकार करने की परिणाम स्वरुप मुझे लगता है हम सब उस सोची समझी लम्बी चलने वाली योजनापर सहमत है जो बहुत से किशोरों की ताकत नही है जैसा की हम जानतें है और कानून प्रणाली एक बात कहती है की युवा पीड़ित और गवाहों को बड़ों से अलग तरीके से व्यवहार करना चाहिए। पर जब युवा संदिग्धों के बात अति है वोह बच्चो वाला नजरिया बदल जाता है और पूछताछ के समय किशोरों को साथ बड़ों जैसे बरताव करना एक समस्या है क्यूंकि सचमुच के १०० मनोवैज्ञानिक और दिमागि वैज्ञानिक अध्ययन हमे यह कहता है की किशोर वयस्क के जैसे नही सोचता वे व्ययस्कों जैसे व्यावहर नहीं करते और वे व्ययस्कों जैसे बने नही है किशोर का दिमाग व्ययस्क के दिमाग से अलग है संरचनात्मक रूप से भी तो बहुत से जरूरी बदलाब हो रहे है संरचना और कार्य के सिलसिले में किशोर के दिमाग में खास तोर से प्रेफोर्तल कॉर्टेक्स और लिम्पिक प्रणाली में और यह सारे जगह बहुत महत्वपूर्ण है अपने आप पर काबू रखने के लिए फैसले लेने के लिए भावुक प्रसंस्करण और विनियमन और इनाम और खतरा की संवेदनशीलता के लिए जो सब मिलके आपका तनावपूर्ण अवस्था के लिए किये गए कार्य पर प्रभाव डालते है जैसे की पुलिस की पूछताछ हमे सिखाना है कानून प्रवर्तन प्रतिनिधि, न्यायाधीशों और ज्यूरी सदस्यों को किशोरों की विकास सीमा के बारे में और वोह कैसे पूछताछ कर सकते है एक पुलिस अधिकारियों राष्ट्रीय अनुसन्धान में ७५ प्रतिसत अधिकारीयों ने विशेष प्रशिक्षणका अनुरोध किया है कैसे बचों और किशोरों से बात किया जाए ज्यादातर लोगों के पास नही था हमे किशोरों के समय में खास सुरक्षा के बात पर भी बिचार करनी चाहिए न्यायाधीश ने इस बात को बड़ा बनाया की दस्से के पास कोई माबाप या कोई जानपेहचान का वयस्क व्यक्ति या कोई वयस्क व्यक्ति उसके साथ उस पूछताछ के कमरे में नही थे यह एक विडियो है जिसमे ब्रेन्देन अपना माँ से बात कर रह है स्वीकार करने के बाद जब उसके लिए बहुत देर हो चूका था माँ: क्या मतलब है तुम्हारा ? ब्रेन्देन: जैसे उसका कहानी अलग है जैसे की मैंने कभी कुछ नही किया माँ: क्या तुमने ? क्या ? ब्रेन्देन: सच मे नही माँ: सच मे नही का क्या मतलब है ? बी: वे लोग मेरे दिमाग में घुस गए LM: तोह वे वह सबकुछ अच्छि तरह से बोल रहा है " वे मेरे दिमाग में घुस गए " हमे पता नही की सायद ब्रॆन्देन के लिए परिणाम अलग होता अगर उसका माँ उसके साथ उस कमरे में होए तो पर यह बिलकुल हो सकता है हमारे अनुसन्धान में सिर्फ ७ प्रतिशत जेल रखे किशोरों से जिनमे से बहुतों ने पुलिस से बहुत बार सामना किये थे मातापिता में से कोई एक या प्रतिनिधि उनके साथ कमरे में थे जब उन्हें एक संदिग्ध के रूप में पूछताछ की गई बहुत कम ने मातापिता या प्रतिनिधि की मौजूदगी की मांग कियाथा और तुम सब इसे एक छोटी चीज की तरह देखते हों हमलोगों ने एक नाटकीय पूछताछ की प्रयोग किया था हमारी FIU के प्रयोगशाला में सरे बचों के मातापिता के अनुमति के साथ और सरे उपयुक्त नैतिक अनुमोदन के साथ हमने झूठा आरोप लगाया किशोरों के ऊपर की वे परिक्य में बैमानी कररहे थे एक शैधिक बेईमानी दोष जो हमने उन्हें कहा की जोह कख्या में बईमानी करने जैसा गंभीर अपराधहै जबकि सचमें प्रतिभागियों ने अपने एक सहकर्मी की बेईमानी देखि थि जो हमारी अनुसन्धान दलका एक हिस्सा था और एक कथित तोर पर सौधिक परख था और हमने सबको एक कठिन विकल्प दिया तुम उपना अधिक समय खोसकते हो इसमें भाग लेकर याफिर सहकर्मी पर आरोप लगाओ जिसे निष्कासित किया जाएगा उसकी सौधिक परख के बिनाप पर बेशक वास्तविक में इनमें से कोईभी परिणाम नही आता और हमने बाद में सारे प्रतिभागियों को बताया था पर ज्यादातर किशोरों में से ५९ पप्रतिशत ने स्वीकार बयान पर हस्ताक्षर किया झूठ में बेईमानी करने की ज़िम्मेदारी लेकर ७४ में से सिर्फ ३ किशोरों ने या उनमें से लगभग ४ % ने मातापिता में से एकसे बात करनेकेलिए कहाजब हमने उन्हें धोखाधड़ीका आरोप लगाया इसके वाबोजुद सभी बच्चों के माबाप सिर्फ उसी कमरे के पासवाली कमरे में बैठें थे उस वक़्त बेसक बेईमानी कत्ल से काफी दुर है और मुझे यह पता है पर दिलचस्प बात यह है की इतनी सारे किशोर बिसेस करके किशोर वयस्कों से ज्यादा उस बयान पर हस्ताक्षर किया जो यह कहाराहथा की उन्होंने बेईमानी की है उनलोगों ने बेईमानी नही किया था पर फिरवी उन्होंने हस्ताक्षर किया की उन्होंने ऐसा किया है बहुत कम अपने माबाप कों इनसब में शामिल करके बाकि अध्ययन भी यही कहते है ९०% के ऊपर किशोरों ने मिरांडा अधिकार को जाने दिया और पुलिस के सवालों का जवाब दिया बिना माबाप या वकीलों के मोजुदगी में इंग्लैंड और वेल्स मैं किशोरों के पूछताछ एक वयस्क के मोजुदगी में ही होनी चाहिये जैसे की माबाप, अभिभावक या समाज सेवक और ये ऐसा कुछ नही जिसको युवाएं मांगे जोकि बहुत अच है क्यूंकि अनुसन्धान यह कहता है की वे ऐसा करेंगे नही यह स्वचालित है अब एक ठीकठाक व्ययस्क को किशोरों के बचाव के लिए यह US में रखना एक समाधान नही होगा पुलिस के युवाओं से सवाल पूछने की तरीकों से दुर्भाग्यबस माबपों हमेशा क़ानूनी ज्ञान ओर मिलावट की कमी है अपने बचों को ठीक से सलाह देने केलिए आप सेंट्रल पार्क फाइव के मामले को हिन् देखिए ५ किशोर जो झूट में एक क्रूर सामूहिक बलात्कार करने को स्वीकार किया अपने माबाप के साथ पाकर भी और लगभक १०साल लगगए उन्हें बेगुनाह साबित करनेकेलिए तो वह वयस्क ब्यक्ति एक प्रतिनिधि होनी चाहिए या फिर एक प्रशिक्षित बचों का वकील Dassey के दोषसिद्धि को उठानेकेबाद न्यायाधीश ने कहा की कोई संघीय कानून नही है जो यह मानता है की पुलिस माबाप कों यह खबर दे की किशोर को पूछताछ किया जराहा है या उस किशोर की बात को मन जाए की उसकी माबाप उस कमरे में रहे तोह अगर तुम यह सब एक साथ सोचोंगे एक एक पल के लिए एक देश के हिसाब से हमने यह तै किया है की एक किशोर पर भरोशा नही किया जासकता ये सब चीजें जैसे की मतदान धुम्रपान एक असभ्य चलचित्र देखना या गाड़ी चलाना को लेकर पर वे अपने मिरांडा अधिकार को त्यागने की फैसला ले सकते है अधिकारें जो हम जानते है अनुसन्धान से, जिसे ज्यादातर किशोर समझते या सराहना नही करते और माबाप उस कमरेमें :जिस राज्य में आप रहते हैं उसके आधार पर आपके बच्चें इन अधिकारों को छोड़ सकते है आपके जानकारी के बिना और किसी व्ययस्क की सलाह लिए बिना अभी कोईभी और मैं पुलिस को रोकना नही चाहते सबसे महत्वपूर्ण तैकिकात की काम करने से जो वो हर दिन करते है पर हमे इस बात की ख्याल रखनी है की उनको युवाओं से बात करने की प्रशिक्षण मिली हो एक माँ और शोधकर्ता के हिसाब से मुझे लगता है हम और अच्छा कर सकतेहै मुझे लगता है हम सही कदम लेसकते हैं एक और Brendan Dassey को रोकने में महत्वपूर्ण जानकारी भी निकलने के साथ साथ बच्चों और किशोरों से अपराध को सुलझाने के लिए धन्यवाद् (तालियाँ ) आइये, मैं आपको बताता हूँ संश्लेषित कोशिकाओं के निर्माण और जीवन के पुनः सृजन के बारे में| लेकिन पहले, जल्दी से एक कहानी बताता हूँ| ३१ मार्च, २०१३ को मुझे और मेरी टीम को एक ई-मेल, अंतर्राष्टीय स्वास्थ्य संगठन से मिला, हमें सतर्क करते हुए चीन में दो मृत H7N9 बर्ड फ्ल्यू के तीव्र संक्रमण से जिसके वैश्विक स्तर पर फैलने कि आशंका थी जैसे वाइरस तेजी से चीन में फैलने लगा जबकि वाइरस को रोकने के लिये वैक्सीन बनाने के तरीके ज्ञात थे और बीमारी को फैलने से रोका जा सकता था, ये संक्रमित अवस्था, न उपलब्ध हो अगले 6 महिने तक ये एक धीमी एंटीक्विटेड वैक्सीन निर्माण प्रक्रिया के कारण था 70 वर्ष पूर्व विकसित केवल एक मात्र उपचार था| वाइरस को संक्रमित मरीज से पृथक कर सील कर की,आवश्यकता थी उसे सुरक्षित रूप से प्रयोगशाला में भेजने की| जहाँ वैज्ञानिक वाइरस को मुर्गी के अण्डों में प्रवेश करा सकें, और उन अण्डों को कई हफ़्तों तक विकसित कर सकें ताकि वाइरस को तैयार किया जा सके पुनः चक्र प्रारम्भ करने के लिये वैक्सीन निर्माण की कई महीनों तक चलने वाली ये प्रक्रिया मेरे शोध समूह और मुझे ये ई - मेल मिला था क्योंकि हमनें कुछ ही समय पहले एक जैवकीय प्रिंटर का अविष्कार किया था जिस से फ्लू के लिये वैक्सीन के बारे में जानकारियां मिली | जिन्हें इन्टरनेट से तत्काल डाऊनलोड कर प्राप्त किया जा सकता है| वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया को गति को अधिक गती प्रदान की जा सकती है और हजारों लोगों के जीवन को बचाया जा सकता है| जैवकीय प्रिंटर की विशेषताडी एन ए की रचना ज्ञात करने और निर्माण करने की और हमें अवसर प्रदान किया जिसे हम कहना चाहेंगे जैवकीय टेलीपोर्टेशन मैं एक जीव वैज्ञानिक और इंजीनियर हूँ जो डी एन ए से निर्माण कार्य करता है| आपको विश्वास हो न हो ये मेरा सबसे पसंदीदा काम है डी एन ए निकाल कर पुनः उसे वापस डाल दिया जाता है जिससे मैं उसे बेहतर समझ पाता हूँ कि वो कैसे काम करता है| मैं कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग की तरह डी एन ए को सम्पादित कर चीजें कर सकता हूँ| लेकिन मेरे एप्प्स अलग हैं| ये जीवन का सृजन करता है | स्वतः विभाजित होने वाली जीवित कोशिकाएं और वैक्सीन और दवाइयां जो वो काम करतीं हैं जो पहले कभी संभव नहीं था ये क्रेग वेंटर संस्थान को प्रदत्त राष्टीय विज्ञान पदक है| और नोबेल पुरुस्कार प्राप्त हेम स्मिथ| ये दोनों वैज्ञानिकों की दूरदर्शिता एकसमान थी ये दूरदर्शिता थी, क्योंकि समस्त क्रियाओं और विशेषताओं के कारण सभी जैवकीय संरचनाओं वाइरस और जीवित कोशिकाओं को डी एन ए कोड से प्रदर्शित किया जाता सकता है | यदि कोई डी.एन.ए. के उस कोड को कोई पढ़ सकता है| तो फिर उनका दूर क्षेत्र में सु पुनः सृजन किया जा सकता है| यही हमारा अभिप्राय है जैवकीय टेलीपोर्टेशन से| इस विचार की पुष्टि के लिए क्रेग और हैम ने पहली बार सृजन के लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया, एक संश्लेषित कोशिका का निर्माण कम्पूटर के डी .एन.ए. के कोड से| आप सही समझे ,एक वैज्ञानिक के रूप में नौकरी ढूँढ़ रहा हूँ| एक अत्याधुनिक शोध, मुझे इससे अच्छा और कुछ नहीं मिला| (हंसी) ठीक है, एक जीनोम से अभिप्राय जीवधारी के एक सम्पूर्ण डी.एन.ए. सेट से है| २००३ में मनुष्य के जीनोम के अध्ययन के दौरान, जो एक अन्तराष्ट्रीय प्रयास था मनुष्य के सम्पूर्ण आनुवंशकीय ब्लूप्रिंट को चिन्हित करने का, जीनोमिक्स के क्षेत्र में क्रन्तिकारी अविष्कार| वैज्ञानिक डी.एन. ए. के अध्ययन की तकनीकों में कुशलता प्राप्त कर रहे है | डी.एन.ए . रचना में एडिनाइन, साइटोसिन, थाइमीन और गुआनीन का क्रम ज्ञात करने के लिये एक जीवधारी में| लेकिन मेरा काम बिलकुल अलग था| मुझे कुशलता प्राप्त करनी थी डी.एन.ए की रचना लिखने में| किताब के लेखक की तरह, ये कार्य प्रारंभ हुआ वाक्यों को लिख कर, या डी.एन.ए. के कोड के क्रमों से, और जल्दी ही इसने पैराग्राफ का स्वरुप ले लिया और फिर डी.एन.ए कोड का पूरा उपन्यास बन गया, जीवित कोशिकाओं में प्रोटीन के निर्माण के लिये आवश्यक निर्देश सहित, नये उत्पाद बनाने के लिये जीवित कोशिकाएं प्रकृति की सबसे सक्षम रचनाएँ हैं, जो उत्पादन करतीं हैं बाजार की लगभग २५% औषधियों का, जो खरबों डालर की हैं | हमें ये पता था कि डी.एन.ए. लेखन से बायो-इकोनामी और सशक्त हो जायेगी, कोशिकाओं को कम्प्यूटर के सामान प्रोग्राम करना संभव हो सकेगा| हमें ये भी अनुमान था कि डी.एन.ए. लेखन के फलस्वरूप टेलीपोर्टेशन संभव हो सकेगा ... निश्चित जैवकीय पदार्थ की प्रिंटिंग डी.एन.ए. कोड की सहायता से संभव हो सकेगी| जैसे ये चुनौती पूर्ण कार्य आगे बढ़ा हमारी टीम ने सबसे पहले प्रयास किया, एक संश्लेषित बैक्टीरिया कोशिका,का निर्माण कम्प्यूटर में विदमान डी.एन.ए. कोड से प्रारंभ किया| संश्लेषित डी.एन.ए. एक उत्पाद है| आप डी.एन.ए. के छोटे खण्ड की आर्डर कई कम्पनियों को दे सकते हैं| वो केवल इन चार बोतलों में रक्खे DNA रचना वाले रसायनों से प्रारम्भ करेंगे, G, A, T व C, और ये आप के लिये बनायेंगे डी.एन.ए. के वही छोटे खंड| विगत १५ वर्षों से मेरी टीमें इसी तकनीक को विकसित करने में लगी हैं जोड़ने में उन छोटे-छोटे खण्डों को मिला कर सम्पूर्ण बैक्टीरियल जीनोम बनाने के लिये| हमारे द्वारा बनाया सबसे बड़े जीनोम में दस लाख से भी अधिक अक्षर हैं| जो लगभग सामान्य आकार से दुगना है| और हमें प्रत्येक अक्षर को सही क्रम में रखना होता है बिना किसी त्रुटि के| एक पध्यति के विकास से हम ये कर सके जिसे मैं "आइसोथर्मल विट्रो रिकाम्बिनेशन " विधि कहता हूँ |" (हंसी) वैज्ञानिक समुदाय को लगा कि तकनीकी रूप से ये पूर्ण रूप से उपयुक्त नही है| और फिर मैंने इसे गिब्सन समूह कहने का निर्णय किया| गिब्सन असेम्बलीआज एक मानक बना है, उसे विश्वभर की प् रयोगशालाओं में उपयोग किया जा रहा है डी.एन.ए. के लघु और वृहत खंड बनाने के लिये| (तालियाँ) एक बार हमनें रासायनिक विधि से सम्पूर्ण बैक्टीरिया के जीनोम का संश्लेषण किया, हमारे समक्ष दूसरी चुनौती एक रास्ता ढूँढने की थी कि इसे एक स्वतंत्र स्व-विभाजित होने वाली कोशिका का स्वरुप देने का| हमारा प्रयास था ऐसे जीनोम की सोच जो सेल के आपरेटिंग सिस्टम की तरह कार्य करे , कोशिका में आवश्यक पूर्ण हार्डवेयर हो जो जीनोम को क्रियाशील कर सके| बहुत कोशिशों के बाद मने ऐसी विधि विकसित कीह जिससे हम कोशिकाओं को पुनः प्रोग्राम कर सके यहाँ तक कि एक बैक्टीरिया की प्रजाति को दूसरे में परिवर्तित कर सके, एक कोशिका के जीनोम का दूसरी कोशिका के जीनोम से विस्थापन| ये जीनोम प्रतिस्थापन की तकनीक बड़ी लाभदायक साबित हुई वैज्ञानिकों के द्वारा लिखे जीनोम को क्रियाशील बनाने में न कि प्रकृति के द्वारा| सन २०१० में , सभी विधियाँ जो हम विकसित कर रहे थे डी.एन.ए. को लिखने और पढ़ने के लिये सबको मिलाकर हमने उद्घोषणा की प्रथम संश्लेषित कोशिका के सृजन का, जी हाँ! हमने इसे सिंथिया कहा| (हंसी) १९९५ में पहले बैल्तीरिअल जीनोम को ज्ञात किया गया था, हजारों और बैक्टीरिया के जीनोम को सीक्वेंस कर संग्रहित कर लिया गया कंप्यूटर डाटा बेस की तरह| हमारी संशेलेषित कोशिका का कार्य संकल्पना का प्रमाण था इस प्रक्रिया को विपरीत दिशा में भी कर सके: सम्पूर्ण बैक्तीरिअल जीनोम के सीक्वेंस को कंप्यूटर से बाहर निकाल कर और उस जानकारी को एक स्वतंत्र-जीवित स्वतः प्रजनन वाली कोशिका में, प्रजाति की सभी अपेक्षित विशेषताओं के साथ जिसे हमने बनाया| अब मैं समझ सकता हूँ कि क्यों और भी सरोकार हो सकतें हैं इस स्तर पर आनुवंशिकीय उत्परिवर्तन से जुडी सुरक्षा को लेकर| जब तकनीक में सामजिक हित के लिये कार्य करने की अपूर्व क्षमता है, तो इसमें हानि पहुचाने की भी क्षमता है| ये ध्यान में रखकर ही, हमने अपना पहला प्रयोग प्रारम्भ किया था हमारी टीम ने जनमानस और सरकार के साथ मिल कर काम शुरू किया मिलकर हल निकालने के लिये नैतिक आधार पर इस नयी तकनीक को विकसित और नियंत्रित करने के लिये| इस विचार-विमर्श से ये निष्कर्ष निकला कि प्रत्येक उपभोक्ता की जांच की जाय प्रत्येक उपभोक्ता का डी.एन.ए. संशेलेषण आदेशित करता है, ये तय करने कि संक्रमण और विषैले पदार्थ हानिकारक जैविक रचनाओं से नहीं बन रहे, या दुर्घटनावश वैज्ञानिकों द्वारा| सभी संदेहास्पद क्रम एफ.बी.आई को बताये गये और अन्य विधि-सम्मत संस्थानों को| संश्लेषित कोशिका की तकनीक नयी आद्योगिक क्रान्ति को शक्ति देगी उद्द्योगओं और आर्थिक स्तर में बदलाव ला देगी जो एक तरह से वैश्विक चुनौतियों को संपोषित करेगी| संभावनायें अनंत हैं| मेरा मतलब है, आप सोच सकते हैं कपड़ों के बारे में जो पुनर्चक्रित जैवकीय संसाधनों से बनाये जायेंगे, कारें जैवकीय ईधन से चलेंगी जिसे क्रत्रिम बैक्टेरिया के द्वारा बनाया जायेगा प्लास्टिक जैवकीय पालीमर से बनाया जा सकेगा और मरीज के बिस्तर के पास ही आवश्यक उपचार प्रिंट जा सकेगा| संशेलेषित कोशिका बनाने के सघन प्रयासों ने ही हमें डी.एन.ए. लिखने में विश्व का लीडर बना दिया है| पूरी प्रक्रिया में हमने प्रयास किया कि हम तीव्रता से डी.एन.ए. के कोड लिख सकें अधिक से अधिक सही और विश्वशनीयता से| इन शसक्त तकनीकों से ही हमने पाया कि शीघ्रता से हम प्रक्रिया को स्वचालित बना सकते हैं प्रयोगशाला का कार्य वैज्ञानिकों के हाथों से निकल कर एक मशीन में जा सके| २०१३ में, हमने पहला डी.एन.ए. प्रिंटर बनाया| हमने इसे BioXp का नाम दिया| और ये डी.एन.ए. के कोड लिखने के लिये नितांत आवश्यक है अनेक प्रकार के उपयोगों के लिये| मेरा टीम के शोधकर्ता पूरे विश्व में कार्य कर रहे हैं | BioXp के बनाने के कुछ ही समय बाद हमें वो ई-मेल मिला H7N9 बर्ड फ्लू के बारे में चीन से| चीनी वैज्ञानिकों के एक दल ने वायरस को पहले ही प्राप्त कर लिया था, उसके डी.एन.ए. के कोड ज्ञात कर उसे इंटरनेट पर अपलोड कर दिया था| अमरीकी सरकार के आग्रह पर हमने डी.एन.ए सिक्वेंस इंटरनेट से डाऊनलोड कर लिया और १२ घंटे से भी काम समय में हमने इसे BioXp पर प्रिंट कर लिया| नोवार्टिस में हमारे सहयोगियों ने शीघ्रता से संश्लेषित डी.एन.ए. को फ्लू के टीके में बदलने लगे| इस दौरान, सी.डी.सी. १९४० के दशक की प्रयोग करने वाली तकनीक अभी चीन से वाइरस के आने का इन्तजार ही कर रही थी ताकि वो अण्डों पर आधारित प्रयोग कर सकें| पहली बार हमने फ्लू का टीका समय से पहले तैयार कर दिखाया था एक नये खतरनाक संक्रमण के लिये,और अमरीकी सरकार ने बहुत बड़ी मात्रा में हमें तैयार करने को कहा| (तालियां) ये वोह क्षण था जब मैं सबसे बड़ा प्रशंशक बन गया जैविक टेलीपोर्टेशन की क्षमता का| (हंसी) स्वाभाविक है, इसको ध्यान में रख कर हमने एक जैविक टेलीपोर्टर बनानेना शुरू किया| हमने इसे डी.बी.सी. का नाम दिया| संक्षेप में इसे डिजिटल से बायलाजिकल कन्वर्टर BioXp से अलग, जो प्रारम्भ होता है पूर्व संश्लेषित डी.एन.ए. के छोटे खण्डों से, डी.बी.सी. प्रारम्भ होता है डी.एन.ए. के डिजिटल कोड से और डी.एन.ए. के कोड को जैवकीय पदार्थों में बदल देता है, जैसे डी.एन.ए., आर.एन.ए., प्रोटीन और यहाँ तक वाइरस भी| आप BioXp को डी.वी.डी. प्लेयर की तरह मान सकते हैं, जिसमें वास्तव में एक डी.वी.डी. डालने की आवश्यकता है, और डी.बी.सी. नेत्फ्लिक्स की तरह है| DBC को बनाने के लिये, हमारे दल ने साफ्टवेयर और उपकरण इंजीनियरों के साथ काम किया ताकि विभिन्न प्रयोगशालाओं के परिणाम, एक जगह आ सकें| साफ्टवेयर अल्गोरिद्मसआवशयक है ये जानने के लिये कि कौन सा डीएनए बनाना है, रासायनिक विशेषताओं से G, A, T and C और साय्टोसीन को जोड़कर डी.एन.ए. लघु खण्ड गिब्सन अस्सेम्ब्ली से छोटे खण्डों को जोड़ कर बड़े खण्ड बनाये गये, और जीवविज्ञान डी.एन.ए. को अन्य जैवकीय रचनाओं में परिवर्तित कर, जैसे प्रोटीन| ये आदिरूप है| यद्दपि ये मनमोहक नहीं था, लेकिन ये प्रभावी था| इसकी सहायता से औषधियां और टीके बनाये गये प्रायोगिक कार्य जिसमें हफ्ते और महीने लगा करते जिन्हें अब किया जा सकता है केवल एक या दो दिनों में और वो भी बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप से प्रक्रिया सक्रियकरण एक ई-मेल की प्राप्ति मात्र से जो भेजा जा सकता है विश्व में से कहीं से भी| हम तुलना करने चाहेंगें डी.बी.सी. की फैक्स मशीनों से| जबकि फैक्स मशीनों से आकृतियों और दस्तावेजों को प्राप्त किया जाता है डी.बी.सी. जैवकीय पदार्थों को प्राप्त कर सकती है| आइये देखें फैक्स मशीनें कैसे विकसित हुईं| १८४० में बना आदिरूप को पहचानना मुश्किल, आज की फैक्स मशीन से तुलना| १९८० में भी अधिकाँश लोग ये नहीं जानते थे कि फैक्स मशीन क्या है? और अगर जानते भी थे तो भी उनके लिये उसकी संकल्पना समझना कठिन था जो तत्काल चित्रों को विश्व के दूसरे छोर पर पहुंचा देते हैं| लेकिन आज वो सब कुछ जो फैक्स मशीन करती है हमारे स्मार्ट फोन में संघटित हो गई है, बिल्कुल, डिजिटल इनफार्मेशन के त्वरित आदान-प्रदान को हम मान के चलते हैं| ये देखिये आज हमारा डी.बी.सी. कैसा दिखाई देता है| हम सोचते हैं कि डी.बी.सी. उसी तरह से विकसित हो रहा है जैसे हमारी फैक्स मशीनें| हम उपकरण के आकार को कम करने के लिये काम कर रहे हैं| और हम अन्तर्निहित क्रियाविधि पर भी काम कर रहे हैं अधिक विश्वसनीय, सस्ती, त्वरितऔर विशुद्ध| विशुधता बहुत महत्वपूर्ण है जब हम डी.एन.ए. का संश्लेषण करते हैं, क्योंकि डी.एन.ए. के एक अक्षर के बदलने से अंतर के प्रभाव ऐसे समझिये जितना प्रभावी और अप्रभावी दवा में या संश्लेषित कोशिका के जीवित या मृत होने में| डी.बी.सी. अत्यंत महत्वपूर्ण होगा वितरण और उत्पादन में उनऔषधियां के लिये जो DNA बनायी जाने वाली हैं| विश्व का प्रत्येक अस्पताल डी.बी.सी. का उपयोग कर सकता है प्रत्येक मरीज के सिरहाने विशिष्ट उपचार प्रिंट करके मैं उस दिन की कल्पना कर रहा हूँ जब सहजरूप से डी.बी.सी. लोगों के पास उपलब्ध होगा ताकि वो घर के कम्प्यूटर या स्मार्ट फोन से जुड़कर नुस्खा डाउनलोड कर सकें| जैसे इन्सुलिन या एंटीबाडी से उपचार| डी.बी.सी. का महत्व तब और भी बढ़ जायेगा जब इसकी स्थापना विश्व के कूटनीतिक क्षेत्रों में होगी बीमारी फैलते ही तुरंत उपचार| उदाहरण के लिये, सी.डी.सी. एटलांटा और जिआर्जिया में संक्रमण की वैक्सीन के निर्देश डी.बी.सी के द्वाराअन्यत्र भेज सकते हैं, जहाँ उसका उत्पादन होना है चाहे वो सरहद की सीमा क्षेत्र हो| संक्रमण के टीके को संक्रमण की प्रकृति के अनुसार बनाया जाता है जो स्थानीय क्षेत्र में विद्यमान है| टीके को डिजिटल फाईल में भेजना न कि उनका संग्रहण कर उन्हें परिवहित करने से, हजारों लोगों की जान बचाने का आश्वासन देता है ये सही है, इसकी उपयोगिता वहां तक है जहाँ तक हमारी कल्पना जाती है| इसकी कल्पना करना कठिन नहीं हैजब डी.बी.सी. को दूसरे ग्रहों पर स्थापित किया जायेगा| वैज्ञानिक प्रथ्वी से डिजिटल निर्देश उस डी.बी.सी. में भेज सकेंगे नयी औषधियां बनाने के लिये या नये जीवों के संश्लेषण के लिये जो आक्सीजन, भोजन, ईधन या निर्माण के लिये आवश्यक पदार्थ उत्पन्न करेंगे, ताकि वो ग्रह मनुष्यों के रहने योग्य बन सके (तालियाँ) डिजिटल इन्फार्मेशन से हम प्रकाश की गति से आगे बढ़ेंगे, उन डिजिटल निर्देशों को भेजने में कुछ मिनट का ही समय लगेगा प्रथ्वी से मंगल तक, लेकिन महीनों का समय लगेगा उन्हें भौतिक रूप से भेजने में एक आन्तिरिक्ष यान से| लेकिन अभी, मैं संतुष्ट रहूँगा नयी औषधियों के वैश्विक सम्प्रेषण से, आवश्यकतानुसार पूरी तरह से स्वनियंत्रित, विकसित हो रहे संक्रमण से जीवन की रक्षा कैंसर की विशिष्ट औषधियां उनके लिये जिनके पास इन्तजार का समय नहीं है| धन्यवाद| (तालियाँ) दुनिया के सबसे ठन्डे पदार्थ, अंटार्कटिका मे नही हैं | वो माउंट ऐवरेस्ट के शिखर पर भी नही हैं और ना ही किसी हिमनदी मे दफ़्न | वो भौतिकी की प्रयोगशालाओं मे हैं : परम शुन्य तापमान से एक डिग्री के कुछ अंश ज्यादा; तापमान पर रखे गए गैसों के बादल | जो है आपके रेफ़्रिजेरेटर के तापमान से 3950000000 गुना कम, तरल नाइट्रोजन से 100,000,000 गुना ज्यादा ठंडा, तथा बाह्य अंतरिक्ष से 4,000,000 गुना ज्यादा ठंडा | इतने कम तापमान वैज्ञानिको को पदार्थों के भीतर की कार्यप्रणालियों का अवलोकन करने के लिए एक खिड़की प्रदान करते हैं, और अभियाँत्रिकों को आश्चर्यजनक रूप से संवेदनशील उपकरण बनाने की क्षमता देता है जो हमे सभी के बारे मे अधिक बताते हैं धरती पर हमारी सटीक स्थिति से लेकर ब्रह्माण्ड के सुदूर फैलाव में चल रही हलचल तक | हम इतने चरम तापमान उत्पन्न कैसे करते हैं ? संक्षेप मे , गति करते हुए अणुओं को धीमा करके | जब हम तापमान के बारे मे चर्चा करते है तब हम वास्तव मे गति के बारे मे चर्चा कर रहे होते हैं | अणु जिनसे बने होते हैं ठोस , तरल और गैसें हरसमय गति कर रहे होते हैं जब अणु ज्यादा तेज़ी से गति कर रहे होते हैं, तब हमे पदार्थ गर्म अनुभव होते हैं जब वह धीरे गति कर रहे होते हैं, तब हमें ठन्डे अनुभव होते हैं दैनिक जीवन मे किसी गर्म वस्तु या गैस को ठंडा करने के लिए हम उसे ज्यादा ठन्डे वातावरण मे रखते हैं जैसे, रेफ्रीजिरेटर गर्म वस्तुओ की कुछ आणविक गति आसपास के वातावरण मे स्थानांतरित हो जाती है और वो ठंडा हो जाता है पर इसकी भी एक सीमा है : यहां तक कि बाह्य अंतरिक्ष भी गर्म है अत्यंत कम तापमान उत्पन्न करने के लिए | तो इसके स्थान पर वैज्ञानिको ने एक रास्ता खोजा - अणुओं की गति को प्रत्यक्ष रूप से कम करना – एक लेज़र किरण से अधिकांश परिस्थितियों मे, लेज़र किरण की शक्ति से वस्तुऐं गर्म होती हैं पर एक विधिपूर्वक ढंग से प्रयोग करने पर, किरण का आवेग गति करते हुए अणुओं को रोक सकता है, ठंडा कर सकता है मैग्नेटो - ऑप्टिकल ट्रैप नामक यन्त्र मे यही होता है अणुओं को एक निर्वात कक्ष मे डाला जाता है और एक चुम्बकीय क्षेत्र उन्हें केंद्र की और लाता है एक कक्ष के केंद्र की ओर लक्षित की हुई लेज़र किरण को मात्र सही आवृत्ति पर समायोजित किया जाता है फिर उसकी ओर बढ़ता एक अणु, लेज़र किरण के फोटोन को सोख कर धीमा हो जाता है यह धीमा होने का प्रभाव आवेग के स्थानांतरण के बाद आता है अणु और फोटोन के बीच कुल ६ किरणे लंबरूप व्यवस्था मे सुनिश्चित करता है कि सभी दिशाओ मे जाते हुए अणु अवरोधित हो केंद्र पर जहां किरणे मिलती हैं अणु धीरे- धीरे गति करते हैं जैसे कि किसी गाढ़े तरल में फंसे हों एक प्रभाव जिसे उसके खोजी अनुसंधान कर्ताओ ने नाम दिया "ऑप्टिकल मोलासेस " | इस तरह के एक मैग्नेटो - ऑप्टिकल जाल मे अणुओं को महज कुछ मिक्रोकेलविन्स तक, ठंडा किया जा सकता है लगभग -२७३ केल्विन तक यह तकनीक १९८० के दशक मे विकसित की गयी थी, और जिन वैज्ञानिको ने इसमें योगदान दिया था उन्होंने १९९७ का भौतिकी का नोबल पुरुस्कार जीता तब से, लेज़र कूलिंग को और भी कम तापमान तक पहुंचने के लिए उन्नत किया गया है पर आप अणुओं को इतना ठंडा क्यों करना चाहेंगे ? सर्वप्रथम , ठन्डे अणु बहुत अच्छे अनुवेदक बनते हैं | बहुत कम ऊर्जा के साथ, वे वातावरण मे हो रहे बदलावों के प्रति आश्चर्यजनक रूप से संवेदनशील होते हैं इसलिए ये भूमिगत तेल और खनिज भण्डारो को खोजने के लिए प्रयुक्त होते हैं, तथा बेहद सटीक आणविक घड़ियाँ बनाने मे, जैसे कि वो जो प्रयोग की जाती हैं ग्लोबल पोजिशनिंग सैटेलाइट्स पर दूसरा , ठन्डे अणु वृहद् सामर्थ्य रखते हैं भौतिकी की सीमाओं तक जाने मे इनकी उच्च संवेदनशीलता इन्हे अभयर्थी बनाते हैं गुरुत्वाकर्षणीय तरंगो का पता लगाने, भविष्य के अंतरिक्ष पर आधारित अनुवेदक के निर्माण मे इन्हे आणविक और उपपरमाण्वीय घटनाओ का अधययन करने मे जिन्हे अणु मे होने वाले बहुत ही बारीक ऊर्जा के उतार - चढ़ावों का सामान्य तापमानों पर ये डूब जाते हैं जहां पर अणुओ की गतियां कई मीटर्स प्रति सेकंड होती हैं लेज़र कूलिंग अणुओं को कुछ सेन्टीमीटर्स प्रति सेकंड तक धीमा कर देता है — एटॉमिक क्वांटम के द्वारा पैदा हुए गति को और प्रभावों को प्रत्यक्ष करने के लिए अतयंत ठन्डे अणुओं ने वैज्ञानिको को बोस - आइंस्टीन कॉन्डेंसेट जिसमे अणुओं को लगभग परमशुन्य तक ठंडा किया जाता है और वे पदार्थ की एक नयी अवस्था बन जाते हैं जैसी वस्तुओं का अध्ययन करने का अवसर दिया अनुसन्धानकर्ताओ ने अपनी, भौतिकी के नियमो की खोज जारी रखी है और ब्रह्माण्ड के रहस्यों से पर्दा उठा रहे हैं और ऐसा वे करेंगे उसमे उपस्थित सबसे ठन्डे अणुओ से सबसे पहला अवसाधरोधी बना राकेट फ्यूल से, जो क वर्ल्ड वॉर 2 से के बाद बचा था आज देखा जाये तो, पांच सैनिकों में से एक अवसाद विकसित करता है, या तनाव विकार या दोनों होता है पर इन रोगों के लिए सिर्फ सिपाही ही उच्च जोखिम पर नहीं हैं. ये अग्निशमन, डॉक्टरों, कैंसर रोगियों , रेफ्यूजी जो कोई भी आघात या. बहुत जीवन तनाव से गुज़र रहा हो। और जबकि ये बीमारिया सबको होती है. हमारे अभी मोजूद इलाज़, अगर काम करते भी हैं. तो सिर्फ लक्षणओं को दबाने का काम करते हैं. 1798 में जब एडवर्ड जेनर ने वैक्सीन की खोज की तो वह स्मॉलपॉक्स के लिए था. उन्हों ने ये खोज सिर्फ एक बीमारी के लिए नहीं की थी. बल्कि ये एक नयी सोच की शुरुआत थी : की दवा बीमारी को रोक सकती है। परन्तु , 200 वर्ष से ज़्यादा के लिए यह माना नहीं गया की रोकथाम मानसिक रोगों का विस्तार के लिए भी है । २०१४ में, जब मैंने और मेरे साथियों ने अचानक खोज की. पहली दवा की जोकि डिप्रेशन और पी टी स डी को रोक पाए. हमने ये खोजा चूहों में और अभी हम देख रहे हैं के क्या यह मनुष्यों पर काम करेंगे और यह निरोधक दवाईआं एएंटी-डीप्सेंरेसनोट नहीं हैं यह एक पूरी ही अलग दवा की श्रेणी है. ये काम करते हैं तनाव के प्रति हमारी लड़ने की शक्ति को बढ़ाकर सोचिये एक ऐसा वक्त जिससे तुम उभरे हो कोई ब्रेकअप, या परीक्षा या विमान छूटना स्ट्रेस रेसिलिएंस जीविक क्रिया है जो हमें आने देता है तनाव से निकल कर वापस आने के लिए। उसी तरह जैसे जुकाम से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली लडती है । और अपर्याप्त लचीलापन शक्तिदार स्ट्रेसर के सामने एक मनोरोग विकार करवा सकती जैसे कि डिप्रेशन । बल्कि ज़्यादातर डिप्रेशन मामलों में यह तनाव से ही चालू होता है अब तक जो हमने चूहों में देखा है पूर्कीव स्थिती मी आनेकी दवाईयां जैविक तनाव से बचाती हैं , जैसे की स्ट्रेस होर्मोनेस सामाजिक और मानसिक स्ट्रेसर्स , जैसे की बुल्अलिंग व् अकेलापन . तो यह है एक उदाहरण . इसमें हमने चूहों को ३ हफ़्तों तक बहुत स्ट्रेस हॉर्मोन दिया जोकि बायोलॉजिकल स्ट्रेसर बिना मनोविज्ञनिक इसकी वजह से डिप्रेशन करवाया और अगर हम ३ हफ्ते पहले से ही एंटी- डिप्रेसेंट दिया तो इसका कोई लाभ नहीं है। परन्तु एक हफ्ते पहले बस एक बार रेसिलिएंस दवा लेने से पूरी तरह , डिप्रेशन रोकता है. तीन हफ़्तों स्ट्रेस के बाद भी . यह पहली बार है जब एक दवा दिखी है जो तनाव के दुश्प्रभाव को रोक सकती है . डिप्रेशन और पी टी स डी लम्बी , अक्सर जीवनभर की बीमारियाँ हैं इससे मादक द्रव्यों का सेवन , बेघर होने दिल की बीमारी, अल्जाइमर और , आत्महत्या का जोखिम बढ़ता है दुनियाभर में ३ ट्रिलियन डॉलर्स से ज़्यादा पर अब, सोचिये जब हम किसी को जानते हैं और वह बहुत तनाव में होने के जोखिम में है जैसे , एक रेड क्रॉस स्यंसेवक , जोकि भूकंप क्षत्र में हो टाइफाइड की दवा के आलावा हम उसे प्रतिरोध बढाने की दवा या टीका दे सकते हैं उसके जाने सी पहले . ताकि जब उसके सर पर बन्दूक हो तब वह डिप्रेशन विकसित होने से बच सके उसके बाद . यह उसे तनाव से नहीं रोकेगा, पर उससे तनाव से लड़ने की शक्ति मिलेगी और यही यहाँ क्रांतिकारी है। लड़ने की ताकत बदाके हम उस डिप्रेशन और पी टी स डी बचा सकते हैं और इसे शायद उसकी नौकरी बच जाये, उसका घर और परिवार भी जेनर की स्मॉलपॉक्स के टीके की खोज के बाद बहुत सारे बाकी टीकों की खोज हुई है पर यह १५० वर्ष पहले हुआ ट्यूबरक्लोसिस का टीका व्यापक रूप से मिलने से पहले। क्यों? कुछ अंश मैं, क्योंकि समाज का मानना था ट्यूबरक्लोसिस ने लोगों को ज़्यादा संवेदनशील और सहानुभूतिशील बनाया और वह संविधान की वजह सी , जीव विज्ञान की वजा से नहीं और ऐसी बातें अब भी होती हैं डिप्रेशन के बारे में . और जैसे की जेनर की खोज ने दरवाज़ा खोला उन टीकों के लिए जो बाद में आयीं जो दवा खोजी उसने पूरे नए क्षेत्र की संभावना को खोला मनोदवाई चिकितसा पूर्व नागरणी`निगराणी पर चाहे वह १५ वर्ष दूर हो या १५० वर्ष , सिर्फ विज्ञान पर निर्भर नहीं करता परन्तु समाज क्या करता है उस पर है . धन्यवाद ! (तालियां) आप मुझे जानते हैं। मै आपकी आम नज़र से छिप आपके मित्र मंडली में हूँ। मेरे वस्त्र अब भी त्रुटिहीन है-- जो अच्छे दिनोमे मैंने खरीदा था जब मै धन कमा रही थी मुझे देख के आपको पता नहीं चलेगा कि मेरी बिजली काट दी गयी पिछले सप्ताह, गैर-भुगतान के लिए या मैं खाद्य टिकटों की पात्रता आवश्यकताओं को पूरा करती हूं लेकिन अगर आपने ध्यान दिया, आप मेरी आंखों में उस उदासी को देखेंगे - डर का संकेत सुनेंगे मेरी अन्यथा आत्मनिर्भर आवाज में। अभी मैंने $ 1.99 को मेरे माप का सस्ता पेहराव खरीद रही हूँ गुज़ारा करने के लिए। मुझे यकीन है कि आप नहीं जानते थे की डिटर्जेंट उस आकार में आता था। आप मुझे उसी महंगे रेस्तरां पर आमंत्रित करते हैं हम दोनों ने हमेशा आनंद लिया है, लेकिन अब मै पानी आर्डर करती हूँ नींबू के साथ, शारडौने के 12 डॉलर का गिलास नहीं। मैं अपने मेनू विकल्पों में मितव्ययी हूँ। सावधानीपूर्वक, मैं अपने मन में हर पैसा गिनती हूँ। मैं आपत्ति करती हूँ मेज बिल बराबर विभाजित होने पर ताकि कवर हो मिठाई आैर कॉफी आैर दूसरे एवं तीसरे गिलास वाइन के जो मैने नही लिए। मैं छूटी शान दिखाने की कोशिश करते थक गयी हूँ। एक दोस्त ने मुझे बताया कि मैं गरीब नहीं कंगाल हूँ ,और दोनो मे अंतर है। मैं केबल के बिना रहती हूं, न की जिम जाती हू न किसी केसाथ डेट करती हु मै अपने बाल खुद संभाल सकती हूं। कोई सेवानिवृत्ति बचत नहीं है, कोई धन नही बचाया हुआ मैने धन बहुत पहले खत्म कर दिया थी। कोई महंगा फ्लैट नही है इक्विटी शेयर भी नही आैर कोई पति नही मदद के लिए। महीनो की धीमी तनख्वाह अौर शून्य तनख्वाह ने मेरे जमा करा धन का नाश कर दिया। बिल-वसूलकर्ता लगातार बुलाते, आलेख प्रतिशब्द पढ़ते इससे पहले की मेरी दुर्दशा के लिए विनम्र सहानुभूति देते और फिर भुगतान की मांग जो संभवतः मै पूरा नहीं कर सकती। दोस्तों को निजी तौर पर आश्चर्य है कैसे कोई बहुत अच्छी तरह से शिक्षित आर्थिक मुक्त गिरावट में हो सकता है। मैं अभी भी हमेशा की तरह प्रतिभाशाली हूँ और एक चाबुक की तरह स्मार्ट, पर काम अब अस्थिर हो गया है, ज़्यादातर आती-जाती परामर्श की फिरकी। 55 में मैंने सीखा है कि नकली खुशी कैसे दिखाएें, लेकिन अब बहुत सारे नहीं हैं काम के अवसर। मुझे बिल्कुल याद नहीं है जब यह रुक गया, लेकिन अब मैं प्रवेश करने के बाद इनकार नहीं कर सकती अनिश्चित दुनिया जो ये हमेशा से थी। मुझे यकीन नहीं है कि मैं कहां से संबंधित हूं। मुझे ये पता है कि दर्जनों ऑनलाइन नौकरी के आवेदन सिर्फ ब्लैक होल में गायब हो जाते है। मैं सोच रही हूं कि मै क्या बनूँगी। अब तक मेरा स्वास्थ्य टिका हुआ था , लेकिन मेरा शरीर में दर्द होता है - या यह मेरी आत्मा है? बेघर महिलाएं मेरे लिए अदृश्य होती थीं लेकिन मैं अब उत्सुक आंखों के साथ उनका मूल्यांकन करती हूं सोच रही हूँ कि उनकी कहानियां क्या मेरी तरह शुरू हुई। मैंने एक साल पहले यह अंश लिखा था। यह मेरी कहानी का एक समग्र है और अन्य महिलाओं का जिन्हे मै जानती हूँ। मैंने इसे लिखा क्योंकि मैं नाटक कर के थक गयी थी मैं ठीक थी जब मैं नहीं थी। मै थक गयी अपने आप को सामान्य दिखाते हुए । मैं खुद को लोकप्रिय प्रेस में नहीं देख रही थी। जिन्हें मै जानती हूँ वे दुनिया नही घूम रहे थे कोस्टा रीका मे फ्लैट नही ले रहे थे। मेरे बहुत सारे दोस्तो ने 15 से 20 प्रतिशत अलग कर दिया था विशेषज्ञ हमें बताते हैं कि हमें जीवन स्तर बनाए रखने की जरूरत है सेवानिवृत्ति में मेरे दोस्त, कई 50 और 60 के में, नीचे की गतिशीलता को देख रहे थे, एक जीवन-के लिए-काम प्रस्ताव, सिर्फ एक नौकरी की कमी, चिकित्सा निदान या दिवालियापन से दूर तलाक। हम निम्नतम नही पहुँचे हो, लेकिन हम में से कई ने घटनाओं का अनुक्रम देखा जहां निम्नतम पहुँचना पहली बार संभव था। और सच है,यह वास्तव में ज्यादा नहीं लेता है। अमेरिका में औसत घर के पास केवल पर्याप्त बचत है एक महीने की आय की हम में से सैंतालिस प्रतिशत 400 डॉलर तक नही बचा सकते आपातकाल से निपटने के लिए। यह हम में से लगभग आधे है। एक प्रमुख कार की मरम्मत और हम रसातल मे खड़े हैं। आपको अपने चारो आेर देख के पता नही लगेगा-- मैं इस स्थिति में अकेली नहीं हूं। इस कमरे में लोग हैं जो एक ही परिस्थिति में हैं, और यदि यह आप नहीं है, यह आपके माता-पिता या आपकी बहन है या शायद आपका सबसे अच्छा दोस्त। हम सामान्य दिखने में अच्छे हो जाते हैं। शर्म हमें चुप और अकेला रखता है। जब मैंने पहली बार फैसला किया अपनी कहानी के साथ बाहर आने के लिए, मैंने एक वेबसाइट बनाई और एक दोस्त ने देखा कि मेरी कोई तस्वीर नहीं थी - यह इस तरह के सभी तरह के कार्टून था। यहां तक ​​कि जब मैं बाहर आ रही थी, मैं अभी भी छुपा रही थी। हम एक दुनिया में रहते हैं जहां सफलता आय द्वारा परिभाषित की जाती है। जब आप कहते हैं कि आपके पास पैसे की समस्या है, आप घोषणा कर रहे हैं की आप हारे हुए हैं। जब आप स्नातक हो हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के जैसे मैं हूं, आप दोहरे हारे हुए हैं। हम बूमर्स बहुत कुछ सुनते हैं हमने अपनी सेवानिवृत्ति कैसे कम कर दी है यह सारी हमारी गलती कैसे है। क्यूँ हम अपना 401(के) योजना से बिल भरेंगे हमारी सास की नर्सिंग होम केयर का, या हमारे बच्चे के शिक्षण के भुगतान करने के लिए, या बस जीवित रहने के लिए? हम पर खराब योजनाकार होने का आरोप लगा है वह पैसा जो हमने खर्च किय़ा लेटेस और बोतलबंद पानी पर। शर्म और दोष के लिए बहुत स्वादिष्ट मोहक है। हम में से कई इंतजार भी नहीं करते करने के लिए हम खुद ऐसा करने में बहुत व्यस्त हैं। मैं कहता हूं कि चलो अपना हिस्सा लें: हम सभी और बचा सकते थे। मुझे पता है कि मैं और बचा सकता था, पिछले 30 वर्षों में मेरा जीवन यदि आप ढूँढें , आप एक से अधिक देखेंगे मूर्खतापूर्ण चीजे मैंने वित्तीय रूप से की है। मैं अब इसे बदल नहीं सकता और न ही आप कर सकते हैं, लेकिन चलो मिश्रण नहीं करते हैं व्यक्तिगत, अलग व्यवहार व्यवस्थित कारकों के साथ जिसने 7.7 ट्रिलियन डॉलर का बना दिया है सेवानिवृत्ति आय अंतर। लाखों बुमेर-युग अमेरिकियों यहाँ नहीं पहुँचे स्टारबक्स के लिए बहुत सी यात्राओं की वजह से। हमने पिछले तीन दशक फ्लैट और गिरती मजदूरी से निपटने मे बिताए और गायब हो रही पेंशन आैर बढ़ती कीमतें आवास और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा। यह ऐसा नहीं था। हम सभी को रिटारमेन्ट के 3 लेग्ड स्टूल याद है जिसमे बचत आैर पेन्शन आैर सामाजिक सुरक्षा थे। वह स्टूल डांवाडोल हो गया है। बचत लें - क्या बचत? कई परिवारों के लिए, बचाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है बिलों का भुगतान करने के बाद। स्टूल का पेन्शन वाला पैर डांवाडोल हो गया है। हम याद कर सकते हैं जब कई लोगों के पास पेंशन थी। आज 13 प्रतिशत अमेरिकी श्रमिक उन कंपनियों मे हैं जो उन्हें प्रदान करते हैं। तो हम इसके बजाय क्या मिला? हमें 401 (के)-प्रकार की योजनाएं मिलीं और अचानक जिम्मेदारी सेवानिवृत्ति योजना के लिए स्थानांतरित हो गया हमारी कंपनियों से हमें। हमें शासन मिला लेकिन हमें जोखिम भी मिला, और यह पता चला है कि हम में से लाखों बस इतना अच्छा नहीं है स्वैच्छिक रूप से 40 वर्षों से अधिक निवेश पर। हम में से लाखों लोग अच्छे नहीं हैं बाजार के जोखिम के प्रबंधन में। और वास्तव में संख्याएं कहानी बताती हैं। सभी अमेरिकी परिवारों में से आधे कोई सेवानिवृत्ति बचत नहीं है। वह शून्य होगा। न 401 (के), कोई आईआरए नहीं, एक डाइम नहीं। 55 से 64 वर्ष में से जिनके पास सेवानिवृत्ति खाता है, उस खाते का औसत मूल्य 104,000 डॉलर है। अब, 104,000 डॉलर शून्य से बेहतर सुनाई देता है, लेकिन एक वार्षिकी के रूप में, यह लगभग 300 डॉलर उत्पन्न करता है। मुझे आपको बताना नहीं है कि आप उस पर नहीं रह सकते हैं। बचत घटते हुए, पेंशन अतीत का अवशेष बन रहा है और 401 (के) योजनाएं लाखों अमेरिकियों में असफल रहा, कई सेवानिवृत्त होने वाले सामाजिक सुरक्षा पर निर्भर हैं उनकी सेवानिवृत्ति योजना के रूप में। लेकिन यहां समस्या है। सामाजिक सुरक्षा कभी सेवानिवृत्ति योजना बनने के लिए नहीं माना गया था यह लगभग पर्याप्त नहीं है। सबसे ज़्यादा यह बदलता है 40 प्रतिशत की तरह कुछ आपकी पूर्व सेवानिवृत्ति आय का। चीजें बहुत बदल गई हैं जब सामाजिक सुरक्षा से 1 9 35 में वापस पेश किया गया था। फिर, एक 21 वर्षीय पुरुष 50 प्रतिशत मौका था जब तक वह 65 वर्ष का नही हुआ। तो वह 60 पर सेवानिवृत्त हो गया, थोड़ा मछली पकड़ने किया, अपने नाती-पोतो को चूमा, उसे अपनी सोना की घड़ी मिली - वह लाभ प्राप्त करने के लिए पांच साल के भीतर मर जाएगा। यह आज पैटर्न नहीं है। अगर आप गत 50वें वर्ष मे अच्छे स्वस्थ है, आप आसानी से जीने जा रहे हैं एक और 20 या 25 साल। यह वास्तव में एक लंबा समय है गुज़ारा करने के लिए अगर आप कंगाल है। तो अगर आप यहां उतर चुके हैं तो क्या खेल है और आप 50 या 55 या 60 हैं? अगर आप यहां उतरना नहीं चाहते हैं और आप 22 या 32 हैं? मैंने जो सीखा है अपने अनुभव से घुड़सवार नहीं आ रहा है। कोई बड़ा बचाव नहीं है, कोई राजकुमार नही है, कार्यों में कोई बड़ा खैरात नहीं। किसी और चीज पर शॉट होना अमेरिका में पुराने और गरीब होने की तुलना में, हमें खुद को और एक दूसरे को बचाना होगा। मुझे छाया से बाहर आना पड़ा, खुले तौर पर खड़े होना पड़ा, और मैं आपको ऐसा करने के लिए भी आमंत्रित कर रही हूं। मुझे आपको नहीं कहुँगी कि यह आसान नहीं है। मैंने अपनी कहानी बताने के लिए उद्यम किया क्योंकि मैंने सोचा था कि यह उनकी कहानी बताना आसान कर देगा यह मात्र हमारी संख्या ताकत से है कि हम बदलना शुरू कर सकते हैं राष्ट्रीय "ला-ला" वार्तालाप हम कर रहे हैं इस सेवानिवृत्ति संकट पर। हम में से बहुत से शेल-शॉक हैं और हमारे साथ क्या हुआ है इससे चिंतित है हमें निर्माण करना होगा जमीनी स्तर से यह लोगो के साथ आते छोटे समूह है यह लोगो के साथ आते छोटे समूह है उनके साथ क्या हुआ है, इस बारे में बात करने के लिए, संसाधनों और जानकारी साझा करने के लिए और एक रास्ता आगे पता लगाने के लिए शुरू करने के लिए। मैं इस आधार से विश्वास करता हूं कि हम फिर से हमारी आवाज़ें पा सकते हैं और अलार्म ध्वनि संस्थानो आैर योजनाकारो को उठाना ताकि इस सेवानिवृत्ति संकट मे सख्ती हो तात्कालिकता के साथ जिसके ये योग्य है। इस बीच में -- और एक "इस बीच" है - हमें अपनाना होगा एक लाइव-टू-द-द-ग्राउंड मानसिकता, हमारे खर्चों पर भारी कटौती। और मेरा मतलब नहीं है बस हमारे साधनों के भीतर रहना। बहुत से लोग पहले से ही ऐसा कर रहे हैं। अब के लिए क्या कहा जाता है, बहुत गहन तरीके से, खुद से पूछें कि इसका वास्तव में क्या अर्थ है जीवन जीना जो चीजों द्वारा परिभाषित नहीं है। मैं इसे "छोटा करना" कहती हूं। छोटा करना आपको वास्तव में क्या चाहिए पता लगाना है संतुष्ट और ग्राउंड महसूस करने के लिए। मेरा एक दोस्त है जो ड्राइव करता है पुरानी ,फटीचर कारें, लेकिन वह बचाएगा एक बिंदु पर 15,000 डॉलर बाँसुरी खरीदने के लिए क्योंकि संगीत सच में उसके लिए मायने रखता है। उसने छोटा किया। मुझे भी जाने देना पड़ा जादुई सोच को - यह विचार है कि अगर मैं बस पर्याप्त धैर्यवान रही आैर कमर कस ली चीज़े सामान्य हो जाएगी। अगर मैंने अभी एक और सीवी में भेजी या ऑनलाइन एक और नौकरी के लिए आवेदन किया या एक और नेटवर्किंग में भाग लिया निश्चित रूप से मुझे नौकरी मिल जाएगी जिसकी मै आदि हूँ। निश्चित रूप से चीजें सामान्य पर वापस आ जाएंगी। सच्चाई यह है कि मैं वापस नहीं जा रही हूं और न ही आप हैं। सामान्य हम जानते थे कि खत्म हो गया है। इस नई जगह में हम हैं, हमें चीजों को करने के लिए कहा जा रहा है जो हम नहीं करना चाहते हैं। हमें पूछा जा रहा है असाइनमेंट लेने के लिए जो हम सोचते है हमारी प्रतिभा के नीचे होते है और हमारे कौशल। मुझे अपने सिंहासन से उतरना पड़ा। पिछले साल, मेरी एक अच्छी दोस्त ने पूछा कि क्या मैं उसकी मदद करूंगी कुछ संगठन के काम के साथ। मुझे लगा कि उसका मतलब सामुदायिक आयोजन से था जो राष्ट्रपति ओबामा ने शिकागो में किया था। उसका मतलब किसी की अलमारी से था। मैने कहा," मै यह नही कर रही हूँ।" उसने कहा ,"अपने सिंहीसन से हटो। पैसा हरा है"। अग्रिम टीम का भाग होना आसान नहीं है जो इस काम और रहने के नए युग में आ रहे है। सबसे पहले हमेशा कठिन होता है। पहला नेटवर्क होने से पहले है और मार्ग और भूमिका मॉडल ... नीतियों और हमें दिखाने के तरीके से पहले आगे कैसे बढ़े। हम एक भूकंपीय शिफ्ट के बीच में हैं, हमे पार जाने के लिए पुल ढूंढना होगा इस बीच हम पुल की तरह काम करते है पुल की तरह काम करते है जब तक हम पहचाने अगला क्या है। ब्रिजवर्क भी है इस धारणा को छोड़ देना कि हमारे लायक और हमारे मूल्य हमारी आय पर निर्भर करता है और हमारे खिताब और हमारी नौकरियां। ब्रिजवर्क पागल या अच्छा लग सकता है आधार पर निर्भर करता हैं किआप कैसे जी रहे है जब आपका व्यक्तिगत वित्तीय संकट मे आते है मेरे पीएचडी लिए दोस्त जो कंटेनर स्टोर में काम कर रहे हैं या उबर या लिफ्ट, और फिर मेरे पास अन्य दोस्त हैं जो अन्य बूमर्स के साथ साझेदारी कर रहे हैं और वास्तव में अच्छा कर रहे हैं उद्यमशील उद्यम। ब्रिजवर्क का मतलब यह नहीं है कि हम नहीं चाहते हैं हमारे पिछले करियर पर निर्माण करना, कि हम सार्थक काम नहीं चाहते हैं। हम चाहते है। ब्रिजवर्क हम इस दौरान करते हैं जबकि हम यह पता लगा रहे हैं कि अगला क्या है। मैंने सोचना भी सीखा है रणनीति न कि विफलता जब मैं प्रसंस्करण करती हूँ ये सभी चीजें जिन्हें मैं नहीं करना चाहती । और मैं कहती हूं कि यह एक दृष्टिकोण है जो मैं आपको आमंत्रित करूंगी विचार करने के लिए। अगर गुज़ारा करने के लिए अपने भाई के साथ रहने की जरूरत पड़े उसे बुलाएं। यदि आपको बोर्डर लेने की आवश्यकता है आपको अपने बंधक का भुगतान करने में मदद करने के लिए या अपने किराए का भुगतान करें, कर दो यदि आपको खाद्य टिकटों की आवश्यकता है, फूड स्टैंप प्राप्त करें। एएआरपी का कहना है कि केवल एक तिहाई पुराने वयस्क हैं , प्राप्त करते हैं। ऐसा करें जो आपको करने की ज़रूरत है एक और दौर जाने के लिए। जान लो हम में से लाखों हैं। परछाईयो से बाहर आआे। कटौती करे, छोटा करे, रणनीति सोेचे, असफलत नही अपने सिंहासन से नीचे उतरे और ब्रिजवर्क ढूंढें एक देश के रूप में, हमने दीर्घायु प्राप्त की है, अरबों डॉलर का निवेश निदान, उपचार में आैर बीमीरियो के प्रबंधन मे। बस लंबे समय तक रहना पर्याप्त नहीं है। हम अच्छी तरह से रहना चाहते हैं। हमने उतना निवेश नहीं किया है भौतिक बुनियादी ढांचे में यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसा होता है। हमें अब सोचने का एक नया तरीका चाहिए अमेरिका में पुराने होने का क्या मतलब है। और हमें मार्गदर्शन आैर विचार की आवश्यकता है कि कैसे रहे एक समृद्ध बनावट जीवन एक बहुत अधिक मामूली आय पर। तो मैं परिवर्तन एजेंटों को फोन कर रही हूं और सामाजिक उद्यमियों, कलाकार और बुजुर्गों और प्रभावशाली निवेशकों को। मै डेवलेपर आैर हमें आपकी जरूरत है कल्पना कराने में निवेश कैसे करें सेवाओं और उत्पादों और बुनियादी ढांचे जो हमारी गरिमा का समर्थन करेगा, हमारी आजादी और हमारा कल्याण इन कई , कई दशकों में जो हम जीने जा रहे हैं। मेरी यात्रा मुझे ले गयी है भय और शर्म की जगह से विनम्रता और समझ की आेर। मैं अब ढाल को दूसरों के साथ जोड़ने के लिए तैयार हूं, इस लड़ाई को लड़ना, मैं आपको जुड़ने के लिए आमंत्रित कर रही हूं। धन्यवाद। (तालियां) इतिहास क्या है? यह विजेताओं द्वारा लिखित कुछ है। एक रूढ़िवादी धारणा है कि इतिहास शासकों पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए , लेनिन या ट्रॉटस्की की तरह। नतीजतन, कई देशों में लोगों ने , मेरी तरह, रूस, में इतिहास को जिस रूप में देखा वह पूर्व निर्धारित था या नेताओं द्वारा निर्धारित था, और आम लोग इसे किसी भी तरह से प्रभावित नहीं कर सके। आज कई रूसी विश्वास नहीं करते हैं कि रूस कभी सही मायने में लोकतांत्रिक राष्ट्र था या कभी होगा, और यह इसलिए है क्योंकि इतिहास ने ऐसा बना दिया है रूस के नागरिकों के लिए। और यह सच नहीं है। ये साबित करने के लिए, मैंने जीवन के दो साल बिताए सौ साल पीछे जाने की कोशिश में. वर्ष 1 9 17 में, रूसी क्रांति का वर्ष। मैंने पूछा, क्या होता यदि सौ साल पहले इंटरनेट और फेसबुक अस्तित्व में होते? तो पिछले साल, हमने बनाया मृत लोगों के लिए एक सोशल नेटवर्क, प्रोजेक्ट 1 9 17.com नामित मेरी टीम और मैंने अपना सॉफ्टवेयर बनाया, डिजिटली कृत और अपलोड किया सभी संभव असली डायरी और पत्रों से जो तीन हज़ार से अधिक लोगों द्वारा लिखे गए थे सौ साल पहले। तो हमारी वेबसाइट या एप्लीकेशन का कोई भी उपयोगकर्ता एक न्यूज़ फ़ीड का पालन कर सकते हैं 1 9 17 के प्रत्येक दिन के लिए और पढ़ सके जो स्त्रविन्सकी या ट्रोट्स्की जैसे , लेनिन या पावलोवा जैसे और दूसरों ने जो सोचा और महसूस किया। हमने उन सभी लोगों को आपके और मेरे जैसे साधारण लोग होते हुए देखा, देवता की तरह नहीं, और हम देखते हैं कि इतिहास बना है उनकी गलतियों, भय, कमजोरियों से , न केवल उनके "प्रतिभाशाली विचारों " से । हमारा प्रोजेक्ट कई रूसियों के लिए एक झटका था, जो सोचते थे कि हमारा देश हमेशा से एक निरंकुश साम्राज्य रहा है और इसमें स्वतंत्रता और लोकतंत्र के विचार कभी प्रबल नहीं हो सकते, क्योंकि लोकतंत्र हमारी नियति नहीं थी। लेकिन अगर हम एक व्यापक रूप में देखें , तो यह स्पष्ट नहीं है। हां, 1 9 17 आगे जाकर 70 साल का कम्युनिस्ट तानाशाही बना । पर इस प्रोजेक्ट से, हमने देखा कि रूस का एक अलग इतिहास हो सकता था और किसी अन्य देश की तरह एक लोकतांत्रिक भविष्य हो सकता था या हो सकता है। 1 9 17 के पोस्ट को पढ़कर, आपने जाना कि रूस दुनिया का पहला देश था जिसने मृत्युदंड को खत्म किया, या शुरू करने वालों में से एक था जिसने महिलाओं को मतदान अधिकार दिया। इतिहास को जान कर और ये समझ कर कि सामान्य लोगों ने इसे कैसे प्रभावित किया बेहतर भविष्य बनाने में मदद हो सकती है, क्योंकि जो कुछ भी अभी हो रहा है इतिहास उसका एक रिहर्सल है। हमें इतिहास को बताने के नए तरीकों की ज़रूरत है, और इस साल, उदाहरण के लिए, हमने एक नई ऑनलाइन प्रोजेक्ट शुरू किया जिसे 1 9 68Digital.com कहा जाता है, और यह एक ऑनलाइन डाक्यूमेंट्री श्रृंखला है जो आपको वर्ष 1 9 68 का एक इंप्रेशन देता है जो विश्व सामाजिक परिवर्तन द्वारा चिह्नित एक वर्ष है, इसने कई मायनों में, दुनिया को बनाया जैसा हम इसे अब जानते हैं। लेकिन हम उस इतिहास को जीवित बना रहे हैं ये कल्पना कर कि क्या होता यदि सभी मुख्य पात्र मोबाइल फोन का इस्तमाल करते ... ऐसे ही? और हम देखते हैं कि बहुत से लोग एक जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे थे और एक जैसे मूल्यों के लिए लड़ रहे थे, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे अमेरिका में रहते थे या यूएसएसआर में या फ्रांस या चीन में या चेकोस्लोवाकिया में . इतिहास का खुलासा करके ऐसे लोकतांत्रिक तरीके से, सोशल मीडिया के माध्यम से, हम देखते हैं कि विकल्प बनाने वाले सत्ता के लोग अकेले नहीं हैं। यह किसी भी उपभोक्ता को एक संभावना देता है इतिहास पर पुनः दावा करने का। साधारण लोग मायने रखते हैं। उनका असर पड़ता है। विचार मायने रखते हैं । पत्रकार, वैज्ञानिक, दार्शनिक मायने रखते है। हम समाज को आकार देते हैं। हम सब इतिहास बनाते हैं। धन्यवाद। (तालियां) (बैंजो बजता है ) (बैंजो और गिटार बज रहे हैं ) (गाते हुए ) क्या यही होता है ज़िंदा होना ? अब मै वहां पहुंच गया हूं जहां से लौट आना मुमकिन नही और मै नही जानता कि क्या मै जलाया गया हु अपनी जिंदगी के बंधनो से, यह सोचकर की मै सही था और तुम गलत | शायद मैंने सब बिगाड़ दिया, किसी भी तरह से शायद हमारे लिए बहुत देर हो चुकी है | क्योकि प्रिये मै अब अफ़सोस लिए हुए ही बूढ़ा हो गया हूं, काश मै तुम्हे थाम सकता और फिर हम सब भूल जाते | पर अब मै घर पर नही हो सकता सिर्फ उसके बारे मे सोच सकता हु, काश तुम मेरे होते और मैने तुम्हे तकलीफ़ नही दी होती जैसा मैने किया | अब वापस नही जा सकता जब हमारे पास मौका था, असली प्रेम की एक कोशिश का | अब मैंने समझा की वो सभी चीज़े जो मेरी हो सकती थी वो तुमहारे ठन्डे हाथो में थी | मै बेवकूफ हूं एक निर्जीव इश्क़ के लिए गया, गया , गया मै बेवकूफ हूं एक निर्जीव इश्क़ के लिए गया, गया , गया मै बेवकूफ हूं एक निर्जीव इश्क़ के लिए क्या यही है ख्वाब देखना ? एक प्यार के लिए जो मेरे मन और दूरियों के बाहर ज़िंदा ही नही था ? समय के साथ मैने अपनी नज़र खो दी, सोचकर मै गलत था कभी तुम्हारा किनारा छोड़कर| पर समय , एक निर्दयी न्यायकर्ता ने हमे सोचने पर मजबूर किया कि हम अभी भी प्यार मे हैं | और अब मै अफ़सोस के साथ बूढ़ा हो चुका हूं, काश मै तुम्हे थाम सकता और फिर सब भूल जाता पर अब मै घर पर नही हो सकता सिर्फ उसके बारे मे सोच सकता हु, काश तुम मेरे होते और मैने तुम्हे तकलीफ़ नही दी होती जैसा मैने किया अब वापस नही जा सकता जब हमारे पास मौका था असली प्रेम की एक कोशिश का | अब मैंने समझा की वो सभी चीज़े जो मेरी हो सकती थी वो तुमहारे ठन्डे हाथो में थी | मै बेवकूफ हूं एक निर्जीव इश्क़ के लिए गया, गया , गया मै बेवकूफ हूं एक निर्जीव इश्क़ के लिए (बैंजो तथा गिटार बजते हुए ) क्योकि प्रिये मै अब अफ़सोस लिए हुए ही बूढ़ा हो गया हूं, काश मै तुम्हे थाम सकता और फिर सब भूल जाता पर अब मै घर पर नही हो सकता सिर्फ उसके बारे मे सोच सकता हु, काश तुम मेरे होते और मैने तुम्हे तकलीफ़ नही दी होती जैसा मैने किया अब वापस नही जा सकता जब हमारे पास मौका था असली प्रेम की एक कोशिश का | अब मैंने समझा की वो सभी चीज़े जो मेरी हो सकती थी वो तुमहारे ठन्डे हाथो में थी | मै बेवकूफ हूं एक निर्जीव इश्क़ के लिए गया, गया , गया | मै बेवकूफ हूं एक निर्जीव इश्क़ के लिए गया, गया , गया | मै बेवकूफ हूं एक निर्जीव इश्क़ के लिए क्या यह ऐसा ही है? मै एक कलाकार हूँ. कलाकार होना बड़ी महानता है. मुझे आप लोगों पर बड़ी दया आती है जो गैलेक्सी खोजते-खाेजते दिन काट देते हैं या ग्लोबल वार्मिंग से मानवता की रक्षा. (हँसी) कलाकार होना बड़ा भयभीत करता है. मैं राेज, नौ से छह बजे यह करता हूँ. (हँसी) मैंने एक नया धंधा शुरु किया है जो सर्जनशीलता की मुश्किलाें का शिकवा है. (खिलखिलाहट) आज, मैं बात नहीं करता जीवन को क्या मुश्किल बनाता है. मैं बात करना चाहता हूं कि क्या आसान बनाता है. और वह आप हैं आप भाषा में प्रवीण हैं शायद आपको मालूम भी न हाे. आप चित्र पढ़ने की भाषा में प्रवीण हैं. इस तरह की छवि को समझना काफी दिमागी कोशिश चाहिए. किसी ने नहीं सिखाया कैसे होता है, आप बस जानते हैं. कॉलेज, खरीदारी, संगीत. भाषा की ताकत यह है की आप मुश्किल विचार सहजता से प्रकट कर सकते हैं. ये चित्र यही दर्शाते हैं. लेकिन जब आप कॉलेज की टोपी देखते हैं, आप समझते हैं कि यह उपसाधन नहीं जो आप पहनते हैं जब आपको अपना डिप्लोमा सौंपा जा रहा हाे, बल्कि संपूर्ण कॉलेज का विचार. चित्र केवल छवियां व्यक्त नहीं करते, भावनाएं भी जगाते हैं. आप नई जगह जाते हैं और यह देखते हैं. आपको खुशी और राहत महसूस होती है. (हँसी) थोड़ी असहजता या फिर दशहत. (हँसी) या आनंदमय शांति और चुप्पी. (हँसी) लेकिन दृश्य प्रतीक चित्राें से कुछ ज्यादा होते हैं . यदि मुझे आधुनिक संघर्ष की कहानी कहनी हो, यह हवाई जहाज की दो सीटों के बीच आर्मरेस्ट से शुरू होगी जहां दो काेहनियाँ लड़ रही होती हैं. एक सार्वभौमिक नियम जो मैं पसंद करता हूं हथियाने के लिए आपके पास 30 सेकंड हैं झटक ली तो पूरी उड़ान के दौरान आपकी. (हँसी) वाणिज्यिक उड़ान इन छवियों से भरी है. मुझे असुविधा का मतलब समझाना हो, गर्दन वाले तकियाें से बेहतर कुछ नहीं. इनका डिजाइन बेआरामी बढ़ा देता है-- (हँसी) वे खुद नहीं करते. (हँसी) मैं हवाई जहाज पर नहीं सोता. कभी कभार कोमा मैं चला जाता हूं. और जब जागता हूं, जागता हूं ताे मुंह का स्वाद कड़वा हो जाता है . इतना खराब कि शब्दों में नहीं कह सकता, लेकिन बना कर दिखा सकता हूं. (हँसी) यह कि मुझे सोना अच्छा लगता है. मैं प्रेमी की तरह चिपक कर सोना पसंद करता हूं. 20 साल से मैं इसी अंदाज में साे रहा हूं, इस दौरान मैं कभी पता नहीं कर पाया निचले हाथ का क्या करना है. (खिलखिलाहट) (तालियां) और एकमात्र चीज - एक चीज तो नींद को आैर मुश्किल बना देती है हवाई जहाज में सोने से भी ज्यादा जब आपके छोटे बच्चे होते हैं. बिस्तर पर लगभग 4 बजे धमक जाते हैं इस फर्जी बहाने के साथ, "मुझे बुरा सपना आया था." (हँसी) आपको दया आती है आपके ही तो बच्चे हैं, उन्हें बिस्तर में आने देते हैं मान लेता हूं वे बड़े प्यारे चुस्त आैर हार्दिक हैं. जैसे ही वापस सोते हैं वे बिना स्पष्टीकरण- (हँसी) घूमना शुरू कर देते हैं . (हँसी) इसे हेलीकॉप्टर मोड कहते हैं. (हँसी) आपकी चेतना पर गहरा खुद जाता है, भावनात्मक प्रतिक्रिया कैसी होती है बताने की जरूरत नहीं है. (हँसी) इस तरह की एक छवि क्यों काम करती है? काम करता है, क्योंकि हम पाठकों के रूप में रिक्त स्थान भरने में उस्ताद हैं. आप नकारात्मक जगह की अवधारणा खींचते हैं. वास्तविक वस्तु को चित्रित करने के बजाय, आप इसके चारों ओर की जगह खींच देते हैं. तभी इस चित्र में कटोरे खाली हैं. स्याही के कारण खाली जगह में भोजन दिखता है. हम यहां देखते हैं उड़ता उल्लू नहीं है. वास्तव में AA बैटरी की एक जोड़ी है एक बकवास चित्र पर खड़ी, लैंप ऊपर नीचे करके चित्र को सजीव करता हूं. (हँसी) छवि केवल आपके दिमाग की उपज है. ऐसी छवि ट्रिगर करने के लिए कितनी जानकारी चाहिए? एक कलाकार के तौर पर कहता हूं कम से कम. मैं सादगी हासिल करने की कोशिश करता हूं जहां से अगर आपने एक भी चीज़ हटाई, विचार तितर-बितर हो जाएगा. इसलिए मेरा पसंदीदा उपकरण है सारांश. इस प्रणाली को एब्सट्रेक्ट-आे-मीटर कहता हूं, यह इस तरह काम करती है. केई एक प्रतीक, लें जैसे दिल और तीर, हम इसे प्यार का प्रतीक समझते हैं, कलाकार हूं इसलिए इसे बना देता हूं अमूर्त और यथार्थ के किसी भी स्तर पर . यथार्थ में जाओ तो सब गुड गोबर हो जाता है. (हँसी) अगर अमूर्त की तरफ ज्यादा चला जाऊं, तो कुछ भी समझ में नहीं आएगा. इसलिए मुझे संतुलन बनाकर रखना है , स्केल के लगभग बीचों-बीच . एक बार जब छवि को सरल बना दिया, नए संयोजन संभव हो पाते हैं. इससे कहानी नए-नए मोड़ आते हैं . (हँसी) इसलिए, मुझे जाे करना है, मुझे दूरस्थ सांस्कृतिक क्षेत्राें से छवियां लाना पसंद है . अब, साहसी संदर्भों के साथ - (हँसी) कुछ और मजेदार करूं? पता है अंत में चीजें अस्पष्ट हो जाती हैं मैं आप में से कुछ काे खो सकता हूँ . एक डिजाइनर को समझ होनी जरूरी है दर्शकों की सांस्कृतिक शब्दावली की. एथेंस ओलंपिक पर टिप्पणी के साथ यह छवि , मैंने माना कि "न्यू यॉर्कर" का पाठक ग्रीक आर्ट की थोड़ी समझ रखता होगा. यदि नहीं, तो यह छवि किस काम की. यदि है, तो आप छोटे विवरण की भी दाद देंगे, फूलदान के नीचे बियर-कैन पैटर्न की तरह. (हँसी) पत्रिका संपादकों के साथ चर्चा करता हूं, जो कि शब्दों की दुनिया के लोग हैं, उनके पाठक आप, छवियों के मामले में बेहतर सोच सकते हैं जिसका श्रेय उनको दिया जाता है . निराशा होती है जब वे मुझे धकेल देते हैं घिसी- पिटी चुनिंदा दृश्य अभिव्यक्तियों की तरफ जिन्हें सुरक्षित माना जाता है. यह एक व्यापारी जो सीढ़ी चढ़ रहा है, फिर सीढी शेयर मार्केट ग्राफ बन जाती है, या डॉलर के निशान वाली कोई चीज जो ठीक लगे. (हँसी) अगर आप में से किसी को संपादकीय निर्णय लेने हों, तो मेरी एक सलाह है. जब-जब ऐसी तस्वीर छपेगी, कुछ अनर्थ ही होगा. (हँसी) सचमुच. (हँसी) (तालियां) एक दृश्य जुमला कब अच्छा या बुरा है? एक बारीक रेखा है. यह कहानी पर निर्भर करता है. 2011 में जापान में भूकंप सुनामी के दौरान मैं एक कवर के बारे में सोच रहा था. मैंने कुछ श्रेष्ठ प्रतीक छाने: जापानी ध्वज, होकुसाई का कालजयी चित्र "द ग्रेट वेव" और फिर कहानी बदल गई फुकुशिमा बिजली संयंत्र बेकाबू हाे गया. मुझे हज़मत सूट में श्रमिकों की टीवी छवियाँ याद हैं उस जगह के बीचों-बीच चलना, शांत और चुपचाप; मैं हैरान रह गया. मैंने एक खामोश त्रासदी की तस्वीर साेची. और अंत में यह निकल कर आई. (तालियां) धन्यवाद. (तालियां) मैं कुछ ऐसा चाहता था कि पाठक कहे, वाह ! दुर्भाग्य से, इसका मतलब यह नहीं है यह तस्वीर बनाकर मुझे शाबाशी की उम्मीद है. मैं कभी डेस्क पर नहीं बैठता दिमाग की बत्ती बुझाकर. यह वास्तव में बहुत धीमी, न्यूनतम डिजाइन निर्णयों की नीरस प्रक्रिया मेरी तकदीर अच्छी होती है तो अच्छे विचार आते हैं. एक दिन रेल में बैठे हुये मैं जानने की कोशिश कर रहा था खिड़की पर बूंदों के लिए ग्राफिक नियम. अंत में एहसास हाेता है, "ओहो, यह उल्टी धुंधली पृष्ठभूमि है , बीच में एक तेज छवि . " मैंने सोचा यह बढ़िया है, लेकिन इसका क्या करूं. कुछ समय बाद, मैं न्यूयॉर्क आ गया, ब्रुकलिन पुल पर यातायात जाम में अटकने की यह तस्वीर बनाई. गुस्सा आया, पर यह कवितापूर्ण लगी. बाद में मुझे विचार आया, दोनों को मिलाकर नई चीज बना दूं. जो वास्तविकता से हटकर हो. लेकिन, शायद कविता की तरह, आप सोचने लगें यह तो आपके अंदर पहले से थी, और पता अब चला हमेशा इसे साथ लिए चल रहे थे. कविता की तरह, यह नाजुक प्रक्रिया है यह किसी काम की नहीं मेरे ख्याल, इसे माप भी नहीं सकते लेकिन कलाकार के लिए बड़े काम की हो सकती है यही समानुभूति है. आपको शिल्प की जरूरत है और आपको - - (हँसी) रचनात्मकता की आवश्यकता है (हँसी) धन्यवाद - इस तरह की एक छवि बनाने के लिए. आपको पीछे हटने की जरूरत है अपने काम को पाठक की नजर से देखना होगा. बेहतर अन्वेषक बनकर मैं बेहतर कलाकार बना. इसके लिए मैंने एक अभ्यास किया जिसे मैं रविवारीय स्केचिंग कहता हूं, मैं एकाएक घर के आसपास की वस्तु चुन लेता फिर देखता वह किस विचार को जन्म दे सकती है यह वस्तु के मुख्य मकसद से हटकर होता. मैं बहुत देर तक बिना कुछ किए बैठा रहता, जो तरकीब काम आती है वह यह कि मैं दिमाग की खिड़की खुली रखूँ और इकट्ठा की हुई हर छवि फिर से देखूँ, और देखता हूं कुछ जुगाड़ लग जाए. ऐसा होता है तो आपस में जोड़ देता हूं- प्रेरणा का यह पल याद रखने के लिए. और वहां महान सबक असली जादू कागज पर घटित नहीं होता. देखने वाले के दिमाग में घटित होता है. जब आप का ज्ञान और उम्मीदें मेरी कला से टकराते हैं. मेरी छवि के साथ आपका संवाद, पढ़ने की आपकी क्षमता, प्रश्न, परेशानी, ऊब या प्रेरणा एक छवि को देखने के बाद मेरे योगदान के बराबर महत्वपूर्ण हैं. यही चीज एक कलात्मक अभिव्यक्ति को सर्जनात्मक संवाद बना देती है. इसलिए, छवियों को पढ़ने का आपका कौशल न केवल अद्भुत है, बल्कि यह मेरी कला को संभव बनाता है. इसके लिए, बहुत बहुत धन्यवाद. (तालियां) वाह-वाह! धन्यवाद. (तालियां) तो मैने सोचा, "मैं मौत पर बात करूँगी।" आज का ख़ास विषय यही लगता है। असल में, मेरी बात मौत के बारे में नहीं है। वो तो होगी ही। मै ये कहना चाहती हूँ कि मैं हैरान हूँ उस अमूल्य विरासत पर लोग अपने पीछे छोड जाते हैं और में उस पर ही कुछ कहना चाहती हूँ। आर्ट बुच्वल्ड अपनी हास्य की विरासत को एक विडियो में छोड गये जो उन्के मरने के बाद आया। मरते वक्त वो बोले, "हेलो! मैं आर्ट बुच्वल्ड हूँ और मैं बस अभी अभी मरा हूँ।" और माइक, जो मुझे गुल्पगोस में मिले, जो टेड आयोजित यात्रा थी, वो इंटरनेट पर अपनी डायरी लिख रहे हैं कैंसर से अपनी लडाई की कहानी कहते हुये। और मेरे पिता हाथ की लिखाई की विरासत छोड गये चिट्ठियों और एक नोटबुक के ज़रिये। अपने आख़िरी दो सालों में, जो बीमारी में बीते उन्होंने मुझ पर अपने विचारों से एक नोटबुक भर डाली। उन्होनें मेरी अच्छाईयों और कमियों पर लिखा, और सुधार के नुस्ख़े सुझाये, ख़ास किस्सों की याद दिलाते हुए, और मुझे आइना सा दिखाते रहे। जब वो चले गये, मैने पाया कि कोई मुझे चिट्ठी ही नहीं लिखता हाथ-की-लिखाई लुप्त होती कला हो गयी है। मतलब ईमेल और सोचते हुये टाइप करते जान बढिया है मगर पुरानी आदतों को नई के लिये क्यों दरकिनार कर दें? हम चिट्ठियाँ और ईमेल दोनों ही क्यूंँ नहीं लिख सकते हैं? कभी कभी लगता है कि वो सारे साल जो व्यस्तता में बिना पिता से बात किये, हँसे-बोले निकल गये कोई ले ले, और बस एक बार उन्हें कस के गले लगाने दे, मगर अब देर हो चुकी है। मगर इन्हीं लम्हों में मैं उनके लिखे ख़त निकाल कर पढती हूँ, और वो काग़ज़ के टुकडे जो उन्होंने छुये थे, उन्हें छू कर उनसे जुडाव महसूस करती हूँ। हो सकता है कि हम सब को अपने बच्चों के लिये कुछ ज़ायदाद छोड्नी ही चाहिये, - रुपये-पैसे के अलावा अपनेपन से भरी चीजों की कद्र -- कोई ऑटोग्राफ़ की किताब, कोई छू जाने वाली चिट्ठी टेड में आये महत्वपूर्ण लोगों में से केवल कुछ ही अगर सुंदर सा काग़ज़ ले कर -- -- जॉन, ये रि-सायकल्ड होगा -- एक ख़ूबसूरत सा ख़त लिखें किसी को जिस से प्यार हो, हो सकता है कि हम एक बदलाव ले आयें जहाँ हमारे बच्चे बकायदा सुलेख सीखने लगें। तो मेरा क्या प्लान है अपने बेटे के लिये? -आटोग्राफ़ जोडना। और यहाँ आये लेखकों को मैं उनके लिये तंग भी कर चुकी हूँ -- और सी डी भी, (ट्रेसी!) मैं अपनी नोटबुक छपवाना चाहती हूँ। जब मैने अपने पिता के शरीर को अग्नि के हवाले होते देखा, मैंने उनकी चिता के पास बैठ कर लिखा। जाने कैसे ये होगा पर मैं अपने और पिता के विचारों को एकत्र करूँगी एक किताब में और उसे अपने बेटे के लिये छपवा कर छोड जाऊँगी। अंत में अपनी कुछ पंक्तियाँ कहूँगी जो मैने पिता कें अंतिम संस्कार पर लिखीं भाषाविद मेरी भूलों को माफ़ करें, क्योंकि पिछले दस सालों में मैने इन्हें कभी नहीं खोला और आज यहाँ आने के लिये ही ख़ास निकाला। फ़्रेम में तस्वीर, बोतल में राख़, बोतल मॆ जैसे भर दी हो आग़, खोले असलियत का ढक्कन, कहती देखो, आया बडप्प्न, तुम देते सुनाई, मुझे होना है दृढ, मगर दम है घुट्ता, जाती हूँ लड भावनाओं से भरे - दहाडते ये समंदर, रूह को भिगोते, उभरते इस कदर फिर बढी हूं आगे, निखरती निडर जैसा तुमने कहा दिन भर हर पहर। हौसलों की फ़ुस्फ़ुसाहट, मेरे गम-भँवर में, तुम्हीं हो वो नौका, ले चलो तक सहर, जिये जाना अच्छा निरंतर निरंतर।" धन्यवाद! 2008 की चुनावों की रात एक ऐसी रात थी जिसने मुझे दो हिस्सों में चीर दिया। यह वह रात थी जब बराक ओबामा चुने गए। दास-प्रथा के ख़त्म होने के 143 वर्षों बाद और मतदान अधिकार अधिनियम बनने के 43 वर्षों बाद एक अफ़्रीकी-अमेरिकी व्यक्ति का चयन राष्ट्रपति के लिए हुआ था। हममें से बहुत से लोगों ने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा हो भी सकता है जब तक यह हो नहीं गया। और बहुत से मायनों में यह अमेरिका में नागरिक अधिकार आन्दोलन का शिखर था। मैं उस रात कैलिफ़ोर्निया में थी जहाँ से उस वक्त एक और आन्दोलन का आरम्भ होने वाला था: वैवाहिक बराबरी आन्दोलन। प्रस्ताव 8 के रूप में समलैंगिक विवाह उस समय मतदान के लिए तैयार था और जैसे-जैसे मतदान के परिणाम आने लगे उस रात यह साफ़ हो गया कि कैलिफ़ोर्निया के न्यायालयों ने जो हाल ही में समलैंगिक विवाहों की अनुमति दी थी वह वापस छीन ली जाने वाली थी। तो उसी रात जब बराक ओबामा ने अपने ऐतिहासिक राष्ट्रपति पद को जीता समलैंगिक समुदाय को अपनी सबसे दर्दनाक हार का सामना करना पड़ा। और उसके बाद हालात और भी बुरे हो गए। लगभग एकदम से अफ़्रीकी-अमेरिकियों को प्रस्ताव 8 की सफलता के लिए दोषी ठहराया जाने लगा। यह एक गलत मत-संख्या की वजह से हुआ था जिसके अनुसार अफ़्रीकी-अमेरिकियों ने प्रस्ताव 8 के लिए 70 प्रतिशत मत डाले थे। यह बाद में सच नहीं निकला लेकिन अफ़्रीकी-अमेरिकियों में व्यापक समलैंगिक भय का यह विचार फ़ैल गया और मीडिया ने उसे पकड़ लिया। मैं खुद को उस विवरण से अलग नहीं कर पायी। मैंने किसी समलैंगिक व्याख्याता को कहते सुना कि अफ़्रीकी-अमेरिकी समुदाय कुख्यात रूप से समलैंगिक भय रखता है और क्योंकि अब हमने नागरिक अधिकार प्राप्त कर लिया है तो हम दूसरे लोगों के अधिकारों को छीन लेना चाहते हैं। ऐसे नस्लवादी उपाधियों के विवरण भी आए जो चुनाव के बाद होने वाले समलैंगिक अधिकारों के जमघटों में भाग लेने वालों पर थोपी जा रहीं थीं। और दूसरी तरफ कुछ अफ़्रीकी-अमेरिकियों ने उस समलैंगिक भय को नकार दिया जो अस्ल में हमारे समुदाय में सच में था। और कुछ और लोग समलैंगिक और नागरिक अधिकारों के बीच की इस तुलना से क्रोधित हुए और फ़िर से एक ऐसी अनुभूति घर करने लगी कि वह दो अल्पसंख्यक समूह जिन दोनों का मैं हिस्सा हूँ एक दूसरे का साथ देने की जगह एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे थे, और इसने मुझे व्याकुल, और सच कहूँ तो, क्रोधित कर दिया। मैं एक वृत्तचित्र बनाने वाली हूँ तो अपने क्रोधित समय से गुज़रने के बाद और टेलीविज़न और रेडियो पर चिल्ला लेने के बाद मेरा अगला स्वाभाविक विचार एक फिल्म बनाने का था। और मुझे फिल्म बनाने में जिसने मार्गदर्शन किया वह था कि आखिर यह सब हो कैसे रहा था? ऐसा कैसे हो रहा था कि समलैंगिक अधिकारों के आन्दोलन को नागरिक अधिकारों के आन्दोलन के विरुद्ध खड़ा किया जा रहा था? और यह कोई निराकार प्रश्न नहीं था। मैं इन दोनों ही आन्दोलनों की लाभार्थी हूँ तो मेरे लिए यह वास्तव में व्यक्तिगत था। पर 2008 के उस चुनाव के बाद फिर कुछ और हुआ। समलैंगिक अधिकारों की ओर यह कूच एक ऐसी गति से बढ़ने लगा जिसने सबको आश्चर्यचकित और हैरान कर दिया और यह आज भी हमारे कानूनों और नीतियों को हमारी संस्थाओं और हमारे पूरे देश को नई आकृति प्रदान कर रहा है। और इसलिए मुझे यह साफ़ होने लगा कि इन दो आन्दोलनों को एक दूसरे के विरुद्ध खड़ा करने से वास्तव में कोई लाभ नहीं है और अस्ल में यह दोनों कई अधिक परस्पर जुड़े हुए थे और यह कि जिस तरह समलैंगिक अधिकार आन्दोलन इतनी जल्दी इतना हासिल कर पाया है वह इसलिए क्योंकि उसने कुछ ऐसे दाँव-पेचों और रणनीतियों का प्रयोग किया है जो पहली बार नागरिक अधिकार आन्दोलन ने बनाई थीं। चलिए इनमें से कुछ रणनीतियों को देखते हैं। पहले तो दृश्य रूप में यह देखना बहुत ही रोचक है कि समलैंगिक अधिकार आन्दोलन ने कितनी जल्दी आगे बढ़ा है अगर आप एक समय कड़ी पर दोनों स्वतन्त्रता आन्दोलनों की बड़ी घटनाओं को देखें। अब नागरिक अधिकार आन्दोलन के बहुत सारे मील के पत्थर थे लेकिन वह पहला जिससे हम आरम्भ करेंगे वह है 1955 का मोंटगोमरी बस बहिष्कार। यह ऐलाबामा के मोंटगोमरी में सार्वजनिक पारगमन प्रणाली में हो रहे पृथक्करण के विरुद्ध एक विरोध अभियान था और यह तब आरम्भ हुआ जब एक रोज़ा पार्क्स नाम की महिला ने एक गोरे व्यक्ति के लिए अपनी सीट छोड़ने से इनकार कर दिया। यह अभियान एक वर्ष चला और इसने नागरिक अधिकार आन्दोलन को ऐसे उत्तेजित किया जैसा पहले कभी किसी ने नहीं किया था। और इस रणनीति को मैं, "मैं अपनी गर्दन में अटके तुम्हारे पैर से तंग आ चुकी हूँ" रणनीति कहती हूँ। तो समलैंगिक स्त्रियाँ और पुरुष समाज में तबसे हैं जबसे समाज बने लेकिन मध्य 20वीं सदी तक समलैंगिक कृत्य ज़्यादातर राज्यों में गैरकानूनी थे। इसलिए मोंटगोमरी बस बहिष्कार के केवल 14 वर्ष बाद एक समलैंगिक, द्विलैंगिक और परलैंगिक समूह ने उसी रणनीति को अपनाया। इसे 1969 के स्टोनवॉल नाम से जाना जाता है और इसमें समलैंगिक, द्विलैंगिक और परलैंगिक संरक्षकों के समूह ने ग्रीनविच गाँव के एक मधुशाला पर पुलिस की मार के विरुद्ध लड़ाई की जिससे 3 दिन के दंगे भड़क गए। संयोग से, अफ़्रीकी-अमेरिकी और लैटिन अमेरिकी समलैंगिक, द्विलैंगिक और परलैंगिक लोग इस विद्रोह में सबसे आगे थे और यह नस्लवाद, समलैंगिक भय, लैंगिक पहचान और पुलिस निर्दयता के विरुद्ध हमारे संघर्षों के अंतथप्रतिच्छेदन का एक बहुत ही रोचक उदाहरण है। स्टोनवॉल होने के बाद, समलैंगिक स्वतन्त्रता समूह पूरे देश में बनने लगे और जिस आधुनिक समलैंगिक अधिकार आन्दोलन को हम जानते हैं, उसका आरम्भ हुआ। तो समय कड़ी पर देखने वाला अगला पल है वॉशिंगटन पर 1963 का जुलूस। यह नागरिक अधिकार आन्दोलन का एक लाभदायक प्रसंग था और इसमें अफ़्रीकी-अमेरिकी लोगों ने नागरिक और आर्थिक दोनों इंसाफों की माँग की। और बेशक इसमें मार्टिन लूथर किंग ने अपना प्रसिद्ध "मेरा एक सपना है" भाषण दिया था, लेकिन जो बात ज़्यादा लोग नहीं जानते वह है कि यह जुलूस बायर्ड रस्टिन नाम के एक पुरुष ने आयोजित किया था। बायर्ड एक खुले तौर पर समलैंगिक व्यक्ति थे और उनको नागरिक अधिकार आन्दोलन के सबसे प्रतिभाशाली रणनीतिज्ञों में से एक माना जाता है। आगे चलकर वह अपने जीवन में समलैंगिक, द्विलैंगिक और परलैंगिक अधिकारों के बहुत ही प्रखर समर्थक बने और उनका जीवन इन संघर्षों के अंतथप्रतिच्छेदन का वसीयतनामा है। वॉशिंगटन पर निकला गया जुलूस इस आन्दोलन के शिखरों में से एक है और यह वह है जब एक उत्कट विश्वास था कि अफ़्रीकी-अमेरिकी भी अमेरिका के लोक-तंत्र का हिस्सा बन सकते हैं। इस रणनीति को मैं "हम प्रत्यक्ष हैं और बहुत सारे हैं" रणनीति कहती हूँ। वास्तव में शुरू के कुछ समलैंगिक सक्रियतावादी इस जुलूस से सीधा-सीधा प्रेरित हुए थे और कुछ ने इसमें हिस्सा लिया था। समलैंगिकों के लिए मार्ग-निर्माता जैक निकोल्स ने कहा था, "मैटाचीन सोसाइटी के हम सात लोगों ने मार्टिन लूथर किंग के साथ जुलूस निकाला" -- जो एक शुरुआती समलैंगिक अधिकार संस्था थी -- "और उस पल से हमारा अपना सपना था कि हम भी इतना ही बड़ा समलैंगिक अधिकारों के लिए जुलूस निकालें।" कुछ वर्षों बाद कुछ और जुलूस निकले हर एक से समलैंगिक स्वतन्त्रता के संघर्ष की गति और बढ़ी। पहला जुलूस 1979 में निकला और दूसरा 1987 में। तीसरा 1993 में आयोजित किया गया। लगभग दस लाख लोग इसमें शामिल हुए और उससे लोग इतने उत्साहित और उत्तेजित हो गए कि उन्होंने वापस जाकर अपने समुदायों में खुद की राजनीतिक और सामाजिक संस्थाओं की शुरुआत की जिससे इस आन्दोलन की दृश्यता और भी बढ़ गई। उस जुलूस के दिन, 11 अक्टूबर को, नैशनल कमिंग आउट डे करार दे दिया गया और इसे आज भी पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इन जुलूसों ने उन ऐतिहासिक बदलावों की नींव रखी जिन्हें हम आज अमेरिका में होता देख रहे हैं। और आखिर में "लविंग" रणनीति। यह नाम ही अपनी दास्तान बयान करता है। 1967 में लविंग बनाम वर्जिनिया के मामले में उच्चतम न्यायालय ने उन सब कानूनों को रद्द कर दिया जो अन्तरजातीय विवाहों को निषेध करते थे। यह उच्चतम न्यायालय के नागरिक अधिकार मामलों में मील का पत्थर माना जाता है। 1996 में, राष्ट्रपति क्लिन्टन ने विवाह की रक्षा अधिनियम पर हस्ताक्षर किये जिसे डोमा (DOMA) कहते हैं जिसके कारण संघीय सरकार केवल पुरुष और स्त्री के विवाह को ही मान्यता दे सकती थी। अमेरिका बनाम विंडसर मामले में ईडिथ विंडसर एक 79 वर्ष की समलैंगिक महिला ने संघीय सरकार पर तब मुकदमा दायर कर दिया जब उसको अपनी मृत पत्नी की सम्पत्ति पर सम्पत्ति कर देने के लिए मजबूर किया गया एक ऐसा कर जो एक स्त्री पुरुष के युगल को नहीं देना पड़ता। जैसे जैसे यह मामला निचले न्यायालयों में चलता गया लविंग मामले का आह्वान बार-बार पूर्व उदाहरण के रूप में किया गया। जब यह मामला 2013 में उच्चतम न्यायलय में गया उच्चतम न्यायलय ने माना और डोमा को निरस्त कर दिया गया। यह अविश्वसनीय था। परन्तु समलैंगिक विवाह आन्दोलन अब कुछ वर्षों से बढ़ रहा है। आज तक 17 राज्य वैवाहिक बराबरी की अनुमति देने वाले कानून बना चुके हैं। यह अब समलैंगिक बराबरी की वास्तविक लड़ाई बन चुकी है और ऐसा लगता है कि रोज़ ही न्यायालयों में ऐसे कानूनों को चुनौती दी जा रही है जो इससे निषेध करते हैं यहाँ तक कि टेक्सॉस और यूटाह जैसी जगहों पर भी जिनके बारे में कभी किसी ने सोचा भी नहीं था। तो 2008 की उस रात से बहुत कुछ बदल चुका है जब मैं दो टुकड़ों में चिर गई थी। मैंने वह फिल्म बनाई। वह एक वृत्तचित्र है और उसका नाम है "द न्यू ब्लैक" और यह बताती है कि समलैंगिक विवाह आन्दोलन और नागरिक अधिकारों के अर्थ पर चल रही इस लड़ाई के चलते अफ़्रीकी-अमेरिकी समुदाय समलैंगिक अधिकारों के मुद्दे से कैसे जूझ रहा है। तो मैं कुछ हो रहे अविश्वसनीय बदलावों को दिखाना चाहती थी और चाहे किस्मत कहो या राजनीति एक और वैवाहिक लड़ाई शुरू होने लगी इस बार मेरीलैंड में जहाँ अफ़्रीकी-अमेरिकियों की जनसँख्या मतदाताओं का 30 प्रतिशत है। तो यह समलैंगिक और नागरिक अधिकारों के बीच की लड़ाई फिर से पनपने लगी और मैं खुशकिस्मत थी कि मैं इसकी फिल्म बना पायी कि कैसे कुछ लोग इन दोनों आन्दोलनों के बीच की कड़ी इस बार जोड़ रहे थे। यह वीडियो कैरेस टेलर-ह्यूस और समैन्था मास्टर्स की है जो इस फिल्म के दो पात्र हैं जो बाल्टिमोर की गलियों में जा कर सम्भावित मतदाताों को राज़ी करने की कोशिश करते हैं। (वीडियो) समैन्था मास्टर्स: क्या हो रहा है यार यह एक नेक लड़का है। अच्छा, तो क्या तुम मतदान करने के लिए पंजीकृत हो? लड़का: नहीं कैरेस टेलर-ह्यूस: अच्छा। क्या उम्र है तुम्हारी? लड़का: 21 कैरेस: 21? तुम्हें मतदान के लिए खुद को पंजीकृत करना चाहिए। लड़का: मैं किसी ऊल-जलूल समलैंगिक मुद्दे पर मत नहीं डालूँगा। समैन्था: अच्छा, क्यों? क्या हुआ? लड़का: मैं उसके साथ नहीं हूँ। समैन्था: यह तो ठीक नहीं। लड़का: तुम कैसे समलैंगिक बन गईं? समैन्था: तो तुम इतरलिंगी कैसे बन गए? तो तुम इतरलिंगी कैसे बन गए? दूसरा लड़का: तुम इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकते। (खिलखिलाहट) कैरेस: तुम्हारी तरह मेरे पास भी अधिकार नहीं होते थे पर मैं जानती हूँ कि तुम्हारी ही तरह का एक अफ़्रीकी पुरुष मेरे जैसी स्त्री के लिए खड़ा हुआ मैं जानती हूँ कि ऐसे मौके मेरे पास भी हैं। तो तुम्हारे पास अफ़्रीकी पुरुष के रूप में किसी और के लिए खड़े होने का मौका है। चाहे तुम समलैंगिक हो या नहीं यहाँ सब तुम्हारे ही भाई बहन हैं और उन्हें तुम्हारी ज़रूरत है। दूसरा लड़का: तुम कौन होते हो किसी को बताने वाले कि वह किसके साथ यौन-क्रिया नहीं कर सकते किसके साथ नहीं रह सकते? तुम्हारे पास वह शक्ति नहीं है। किसी के पास वह शक्ति नहीं है कि वह यह कह सके कि तुम उस लड़की से शादी नहीं कर सकते। किसके पास है ऐसी शक्ति? किसी के भी नहीं। समैन्था: पर जानते हो राज्य ने यह शक्ति तुम्हारे हाथों में दी है? तो इसलिए तुम्हें मतदान करना होगा तुम 6 के लिए मत डालोगे। दूसरा लड़का: समझ गया। समैन्था: 6 के लिए अपना मत डालना, ठीक? दूसरा लड़का: समझ गया। कैरेस: तुम लोगों को सामुदायिक सेवा करनी है? ठीक है, तुम लोग हमारे साथ स्वयंसेवक बन सकते हो। तुम लोग करना चाहते हो? हम खाना खिलाते हैं। हम तुम्हारे लिए पिज़्ज़ा लाऐंगे। (खिलखिलाहट) (वाहवाही) योरूबा रिचेन: धन्यवाद। इस वीडियो के बारे में जो मुझे अद्भुत लगता है वह है कि जब हम इसे बना रहे थे यह वास्तव में दिखाती है कि कैरेस नागरिक अधिकार आन्दोलन के इतिहास को समझती है पर वह उससे प्रतिबन्धित नहीं है। वह उसे केवल अफ़्रीकी लोगों के लिए सीमित नहीं करती। वह तो उसको समलैंगिक लोगों तक अधिकारों का विस्तार करने का खाका मानती है। शायद क्योंकि वह छोटी है लगभग 25 वर्ष की वह इसको थोड़ा ज़्यादा आसानी से कर पाती है पर सच्चाई यह है कि मेरीलैंड के मतदाताओं ने उस वैवाहिक बराबरी संशोधन को लागू करवाया और वास्तव में यह पहली बार था जब वैवाहिक बराबरी को सीधा-सीधा मतदाताओं ने ही मत देकर लागू करवाया। अफ़्रीकी-अमेरिकियों ने इसका इतने ऊँचे स्तर पर साथ दिया जितना कभी दर्ज नहीं किया गया था। यह 2008 की उस रात के बिलकुल विपरीत था जब प्रस्ताव 8 लागू हुआ था। यह स्मारकीय था, और लगता था। हम समलैंगिक, द्विलैंगिक और परलैंगिक समुदाय के लोग एक रोगी, धिक्कारे गए, और आपराधिक समूह करार दिए जाने से लेकर अपनी गरिमा और समानता के लिए किये गए महान मानवीय अनुसन्धान का हिस्सा माने जाने वाले बन चुके हैं। हम अपनी नौकरियाँ और परिवारों को बचाए रखने के लिए लैंगिकता को छुपाने वाले से लेकर वस्तुतः राष्ट्रपति के साथ की कुर्सी पर जगह पाने वाले और उनके दूसरे अभिषेक पर जयकार करने वाले बन चुके हैं। मैं वह पढ़ना चाहती हूँ जो उन्होंने उस अभिषेक पर कहा था: "हम लोग आज सबसे प्रत्यक्ष सच्चाई की घोषणा करते हैं कि हम सबको बराबर बनाया गया है। वह एक तारा है जो हमारा आज भी मार्गदर्शन करता है वैसे ही जैसे उसने हमारे पूर्वजों का मार्गदर्शन सेनेका फॉल्स और सेल्मा और स्टोनवॉल के दौरान किया था।" अब, हम जानते हैं कि सब कुछ उत्तम नहीं है खासकर जब आप देखते हैं कि समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक अधिकारों के साथ अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर क्या हो रहा है पर जब हमारे राष्ट्रपति समलैंगिक स्वतन्त्रता के संघर्ष की बात हमारे समय के अन्य महान स्वतन्त्रता संघर्षों के संदर्भ में करते हैं: स्त्री अधिकार और नागरिक अधिकार आन्दोलन तो यह बताता है कि हम कितना दूर आ चुके हैं। उनका कथन केवल इन आन्दोलनों की अन्तर्संयोजनात्मकता को ही नहीं दर्शाता बल्कि यह भी कि हमने कैसे एक दूसरे से प्रेरित होकर एक दूसरे की रणनीतियाँ अपनाईं। तो बिलकुल जैसे मार्टिन लूथर किंग ने गाँधी के नागरिक असहयोग और अहिंसा आन्दोलनों के दाँव-पेचों से सीखा और उन्हें अपनाया जो नागरिक अधिकार आन्दोलन का आधार बने वैसे ही समलैंगिक अधिकार आन्दोलन ने देखा कि नागरिक अधिकार आन्दोलन में वह क्या था जिसने काम किया और उन्होंने और भी जल्दी लाभ पाने के लिए उन्हीं रणनीतियों और दाँव-पेचों का प्रयोग किया। शायद यह समलैंगिक अधिकार आन्दोलन की हुई अपेक्षाकृत जल्दी प्रगति का एक और भी कारण है। जहाँ हममें से बहुत से लोग आज भी नस्लीय रूप से अलग जगहों पर रहते हैं समलैंगिक, द्विलैंगिक और परलैंगिक लोग सब जगह हैं। हम शहरों के समुदायों में हैं और गाँवों के भी रंग वाले समुदायों में आप्रवासी समुदायों में गिरजाघरों में, मस्जिदों में और यहूदी उपासनागृहों में। हम तुम्हारी माएँ हैं और भाई हैं और बहनें हैं और बेटे हैं। और जब आपका कोई प्यारा या कोई परिवार का सदस्य खुल कर सामने आता है तो उनके बराबरी के सन्शोधन का साथ देना शायद थोड़ा आसान हो। और अस्ल में, समलैंगिक अधिकार आन्दोलन हमें प्यार की भावना से न्याय और बराबरी का साथ देने के लिए कहता है। यह शायद वह सबसे बड़ा उपहार है जो इस आन्दोलन ने हमें दिया है। यह माँगता है कि हम उसका प्रयोग करें जो सबसे ज़्यादा सार्वभौमिक और अन्तरंग है: हमारे भाई और बहन और पड़ोसी के लिए प्रेम। मैं बस हमारे एक ऐसे महान स्वतन्त्रता सेनानी के एक उद्धरण के साथ अन्त करना चाहूँगी जो अब हमारे बीच नहीं रहे दक्षिण अफ़्रीका के नेल्सन मण्डेला। नेल्सन मण्डेला ने रंगभेद के अंधकारमय और निष्ठुर समय के बाद अफ़्रीका का नेतृत्व किया और उस कानूनन वैध नस्लवादी भेदभाव की राख में से होते हुए उनके नेतृत्व में दक्षिण अफ़्रीका विश्व-भर में अपने संविधान में लैंगिक अभिमुखता के आधार पर भेदभाव पर निषेध लगाने वाला पहला देश बना। मण्डेला ने कहा था, "स्वतन्त्र होना केवल अपनी बेड़ियाँ तोड़ना नहीं होता बल्कि एक ऐसी तरह से जीना होता है जो दूसरों की स्वतन्त्रता का सम्मान और वृद्धि करता हो।" तो जैसे जैसे यह आन्दोलन चलते रहें और दुनिया भर में स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष जारी रहें आईये यह याद रखें कि न केवल यह सब परस्पर जुड़े हुए हैं बल्कि यह भी कि वास्तव में विजयी होने के लिए इन सबको एक दूसरे का साथ देना और एक दूसरे की वृद्धि करनी होगी। धन्यवाद। (वाहवाही) यह 11 सितंबर के बाद एक साल से भी कम था, और मैं गोलीबारी और हत्या पर शिकागो ट्रिब्यून में लिख रहा था, और इससे मैं काफी निराश और उदास महसूस कर रहा था। मैंने कॉलेज में कुछ सक्रियतावाद किया था, तो मैंने एक स्थानीय समूह के साथ दरवाजों पर पशु परीक्षण के खिलाफ दस्तक-कुंडी लटकाने का फैसला किया। मैंने सोचा कुछ सकारात्मक करने के लिए यह एक सुरक्षित तरीका होगा, लेकिन मेरी बुरी किस्मत, हम सभी को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने सबूत के रूप में मेरी यह पत्रक पकड़े हुए एक धुँधली तस्वीर ली। मेरे आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन कुछ ही हफ्तों बाद, दो एफ.बी.आई एजेंटों ने मेरे दरवाजे पर दस्तक दी, और कहा कि यदि मैं विरोध समूहों पर जासूसी में उनकी मदद नहीं करता, तो वे मुझे एक घरेलू आतंकवादी सूची में डाल देते। यह बताने में मुझे खुशी होगी कि मैं विमुख नहीं हुआ, लेकिन मैं डर गया था, और जब मेरा डर थम गया, तो मैं यह खोजने में लग गया कि यह कैसे हुआ, कैसे पशु अधिकार और पर्यावरण कार्यकर्ता जिनहोने किसी को हानी नहीं पहुंचाई एफ.बी.आई के सर्व-प्रथम घरेलू आतंकवाद खतरे बन गए। कुछ साल बाद, मुझे अपने प्रतिवेदन के बारे में कांग्रेस के सामने प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया, और मैंने विधि-निर्माताओं से कहा कि, जब हर कोई पर्यावरण की बात कर रहा है, कुछ लोग जंगलों की रक्षा के लिए और तेल पाइपलाइनों को रोकने के लिए अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं वे शारीरिक रूप से अपने आप को व्हेल मछली और उनकी बर्छी के बीच डाल रहे हैं। ये रोज़मर्रा के लोग है, जैसे इटली के वो प्रदर्शनकारी जो कुत्तों को पशु परीक्षण से बचाने के लिए सहजता से कंटीले तारों की बाड़ पर चढ़ गए। और इस तरह के आंदोलन अविश्वसनीय रूप से प्रभावी और लोकप्रिय हो गए है, तो 1985 में उनके विरोधियों ने हमारा नज़रिया बदलने के लिए एक नये शब्द का ईजाद किया - पर्यावरण आतंकवादी। अब इन कंपनियों ने "पशु उद्योग आतंकवाद अधिनियम" जैसे नए कानूनों का समर्थन किया है जो सक्रियतावाद को आतंकवाद में बदलता है अगर इनसे मुनाफे में नुकसान हो रहा हो। अब कांग्रेस के सदस्यों सहित ज्यादातर लोगों ने इस कानून के बारे में कभी न सुना हो। एक से भी कम प्रतिशत सदस्य हाज़िर थे जब सदन में यह पारित किया गया। बाकी लोग एक नए स्मारक पर बाहर थे। वे डॉ. किंग को सराह रहे थे जैसे कि सक्रियता कि उनकी शैली को आतंकवाद करार दिया जाएगा यदि वो जानवरों या पर्यावरण के नाम पर किया जाए। समर्थक कहते है कि इस तरह से कानून निष्ठुर, दहन अपराधी, उग्र सुधारवादी जैसे चरमपंथियों के लिए आवश्यक हैं। लेकिन अभी, ट्रांस्कनाडा जैसी कंपनियां पुलिस को इस तरह कि प्रस्तुतियों में विवरण दे रही है कि कैसे अहिंसक प्रदर्शनकारियों पर आतंकवाद का मुकदमा चलाया जाए। पर्यावरण के आतंकवाद पर एफ.बी.आई के प्रशिक्षण दस्तावेज हिंसा के बारे में नहीं हैं, वे जनता के संबंधों के बारे में हैं। आज, कई देशों में, कई निगम नए कानूनों पर ज़ोर दे रहे हैं जो उनके खेतों पर हो रही पशु क्रूरता की तस्वीर लेने को अवैध ठहराते हो। सबसे नवीनतम दो हफ्ते पहले इडाहो में था, और आज हमने एक मुकदमा जारी किया जो इसे पत्रकारिता के लिए एक खतरा और असंवैधानिक होने की चुनौती देता है। ऐसे पहले एग-गेग मुकदमों में, जैसे उन्हें कहा जाता है, एमी मेयर नामक एक जवान महिला थी, और एमी ने देखा कि क़साईख़ाने के बाहर एक बीमार गाय को बुलडोजर द्वारा हटाया जा रहा था क्यूंकी वो एक सार्वजनिक सड़क पर थी। और ऐसे में एमी ने वही किया जो हम में से कोई भी करता: उन्होने इसे फिल्माया। जब मुझे उनकी कहानी के बारे में पता चला, तो मैंने इस बारे में लिखा, और २४ घंटे के भीतर, इसने ऐसा कोलाहल बनाया कि अभियोजन पक्ष ने इस पर लगे सभी आरोप गिरा दिये। लेकिन ज़ाहिर है, ऐसा भी उजागर करना एक खतरे सामान है। सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम के माध्यम से मुझे ज्ञात हुआ कि आतंकवाद विरोधी विभाग मेरे लेख और भाषणों की निगरानी कर रहा है। उन्होने मेरी किताब के यह छोटे लेख को भी शामिल किया। और इसे "सम्मोहक और अच्छी तरह से लिखे गए" के रूप में वर्णित किया। (तालियां) अगली किताब का विज्ञापन, है ना? इन सबका उदेश्य हमें डराना है, लेकिन एक पत्रकार के रूप में, मुझे शिक्षा की शक्ति में एक अटूट विश्वास है। हमारा सबसे अच्छा हथियार सूरज की रोशनी है। दोस्तोएव्स्की ने लिखा था कि आदमी का सारा काम यह साबित करना है कि वह एक आदमी है नाकी एक पियानो कुंजी। और पूरे इतिहास के दौरान, सत्ता में रहे लोगों ने सच्चाई को मौन करने और असंतोष को चुप करने के लिए भय का प्रयोग किया है। यह समय है कि हम एक नयी धुन निर्माण करे। धन्यवाद। (तालियां) शक नहीं कि वास्तुकला गजब की चीज है. क्योंकि यह एक कला है. यह बहुत ही मजेदार कला है. यह कला और विज्ञान की सीमा पर स्थित है. इस का पोषण किया जाता है.. हर रोज, असली जिंदगी द्वारा. आवश्यकता इसका इंजन है. काफी अद्भुत, काफी आश्चर्यजनक, वास्तुकार का जीवन भी इतना ही दिलचस्प है. एक वास्तुकार सुबह के10:00 बजे, एक कवि होता है. लेकिन 11:00 बजे, आपको एक मानवतावादी बनना चाहिए, वरना दिशा भटक जाओगे. और दोपहर में, निर्माता बनने की जरूरत है. आपको इमारत बनाने में सक्षम होना चाहिए, क्योंकि वास्तुकला, इमारत बनाने की कला है. यह मनुष्यों के लिए आश्रय बनाने की कला है. जरा सोचिए. यह आसान काम नहीं है. यह अचरज में डाल देता है. इसको देखो. यहां हम लंदन में हैं, शार्ड ग्लास आॅफ के शीर्ष पर. यह इमारत हमने कुछ साल पहले बनाई थी. वे अच्छी तरह से प्रशिक्षित श्रमिक हैं, वे टाॅवर का शीर्ष जोड़ रहे हैं . वे पर्वतारोही की तरह दिखते हैं. हाँ, सचमुच. गुरुत्वाकर्षण बल काे चिढा रहे हैं जैसे इमारत करती है. उनमें से हमने सिर्फ 30 लोग लिए.. वहां हमारे पास 1400 से ज्यादा लोग होंगे, जाे 60 अलग-अलग देशों से आए थे. यह एक तरह से चमत्कार है, चमत्कार. 1,400 लोगों को एक साथ काम पर लगाना, भांति भांति के देशों से आना एक अजूबा. साइटें चमत्कार हैं. यह लो एक और. निर्माण के बारे में बात करें. साहसिक, वास्तविक जीवन में साहसिक, सिर्फ सोच का साहस नहीं . यह आदमी गहरे पानी का गोताखोर है . पर्वतारोही से गहरे पानी के गोताखोरों तक. यह बर्लिन में है. 1989 में दीवार गिरने के बाद, इस इमारत से हमने पूर्वी से पश्चिम बर्लिन काे जोड़ा पॉट्सडमर प्लैट्ज में. उस परियोजना पर लगभग 5,000 लोग लगे. जी हाँ, 5,000 लोग यह जापान में एक और साइट है, कंसई हवाई अड्डे का निर्माण. सभी पर्वतारोही जापानी . आप जानते हैं, भवनों को मिलकर बनाना सहयोग की सबसे अच्छी मिसाल है, गर्व की भावना - गर्व होना जरूरी है. निर्माण, जैसा कि आप जानते हैं वास्तुकला के अद्भुत होने का एक कारण है. इससे भी अद्भुत एक बात और है, घर बनाना एक कला है, लोगों के लिए आश्रय बनाना. सिर्फ व्यक्तियों के लिए नहीं. बड़े पैमाने पर समुदायों और समाज के लिए, समाज परिवर्तनशील है. दुनिया बदलती रहती है. बदलाव को संभालना जरा मुश्किल है. वास्तुकला बदलाव का दर्पण है. स्थापत्य उन परिवर्तनों की अभिव्यक्ति है. यही कारण है कि यह इतना मुश्किल है, परिवर्तन के लिए साहस चाहिए. इसीलिए वास्तुकला साहसिक कार्य है. यह पेरिस का जॉर्जेस पोम्पिडो है बहुत समय पहले. 1977 की बात है. पेरिस के बीचाें-बीच यह अंतरिक्ष यान लैंडिंग थी. मेरे साहसिक दोस्त रिचर्ड रोजर्स के साथ, उस समय हम जवान और आवारा थे. नौजवान शरारती बच्चे. (खिलखिलाहट) मई 1968 के कुछ साल बाद की बात है यह एक विद्रोह था, शुद्ध बगावत. बनाने का विचार था इमारतें संस्कृतिक हाें, डर का सुबूत नहीं उन्हें जिज्ञासा पैदा करनी चाहिए. यह सांस्कृतिक स्थान बनाने का तरीका है. सांस्कृतिक दृष्टिकोण जिज्ञासा से आरंभ होता है. वहां आप एक पियाज़ा को देख सकते हैं. पियाज़ा शहरी जीवन की शुरुआत है. वह जगह जहां लोगों का मेला लगता है. वे अनुभव साझा करते हैं. हर उम्र के लोग मिलते हैं. और इसी तरह से, आप शहर का छोटा रूप बनाते हैं. हमने हर जगह है लोगों के लिए ऐसे स्थान बनाए यह रोम में एक कॉन्सर्ट हॉल है. लोगों के लिए एक और जगह. गाैर कीजिए, यह इमारत ध्वनि द्वारा डिजाइन की गयी है. यह आवाज के साथ इश्क कर रही है. यह कंसई हवाई अड्डा है, जापान में. कभी-कभी इमारत इतनी बड़ी होती है जैसे कि टापू हमने टापू ही बनाया. इमारत एक मील लंबी है. यह लैंडिंग करते विशाल ग्लाइडर की तरह दिखता है, और यह सैन फ्रांसिस्को में है. लोगों के लिए एक और जगह. यह इमारत कैलिफ़ोर्निया विज्ञान अकादमी है. हमने इसकी छत पर पौधे लगाए.. हजारों पौधे जो हवा से नमी खींचते हैं, जमीन से पानी खींचने की बजाय. यह जीती जागती छत है . इस इमारत को 'प्लैटिनम लीड' बनाया गया था. दरअसल, उर्जा पर्यावरण मापने की प्रणाली है, एक इमारत की स्थिरता काे. यह भी लोगों के लिए एक जगह थी जाे लंबे समय तक रहेगी. और यह न्यूयॉर्क है. यह न्यू व्हिटनी है, न्यू यॉर्क में मीट पैकिंग जिले में. एक और उड़न जलयान. लोगों के लिए एक और जगह. यहां हम नियर्काेस फाउंडेशन एथेंस में हैं, यह एक पुस्तकालय है, यह एक खुला, संगीत कार्यक्रम हॉल है, और एक बड़ा पार्क. यह इमारत भी एक प्लेटिनम लीड (LEED) है. यह छत से सूर्य की ऊर्जा संचित करती है. लोगों के लिए इमारत बनाना अच्छी बात है. पुस्तकालय बनाना, कॉन्सर्ट हॉल बनाना, विश्वविद्यालय, संग्रहालय बनाना अच्छा है, आप एक खुली, सुलभ जगह बनाते हैं . आपने एक बेहतर दुनिया के लिए इमारत बनाई. लेकिन और कुछ है जो वास्तुकला काे और भी अद्भुत बनाती है. और यह सच है कि वास्तुकला जरूरत और आवश्यकता का ही जवाब नहीं है, लेकिन इच्छा सपने और आकांक्षाओं का भी. वास्तुकला यह करती है. पृथ्वी पर सबसे मामूली झोपड़ी भी सिर्फ एक छत नहीं है. यह छत से अधिक है. यह एक कहानी कहती है; झोपड़ी में रहने वालाें की पहचान की कहानी. व्यक्तियों की. वास्तुकला कहानी कहने का कौशल है. इस तरह. लंदन में शार्ड आॅफ ग्लास. यह पश्चिमी यूरोप में सबसे ऊंची इमारत है. 300 मीटर से अधिक ऊँची है, ताजा हवा सांस लेने के लिए. इस इमारत के पहलू झुकावदार हैं, वे लंदन के बदलते आकाश को प्रतिबिंबित करते हैं, बारिश के बाद, सब कुछ नीला हो जाता है. चमकीली शाम में सब लाल. इसका स्पष्टीकरण देना मुश्किल है. यही है जिसे एक इमारत की आत्मा कहते हैं. बाईं ओर, इस तस्वीर पर मेनिल संग्रह है, बहुत पहले इस्तेमाल हाेता था. यह एक संग्रहालय है. दाईं ओर हार्वर्ड कला संग्रहालय है. दोनों इमारतें प्रकाश के साथ इश्कबाज. वास्तुकला में प्रकाश बहुत महत्वपूर्ण अंग है यह एम्स्टर्डम में है. यह इमारत पानी से शरारत कर रही है. यह समुद्र पर मेरा कार्यालय है, यहां होती है काम से छेड़खानी. यहां काम करने में मजा आता है . और वह छुटकी केबल कार उधर तक जाती है. यह न्यूयॉर्क में "द न्यूयॉर्क टाइम्स" है. बहरहाल, यह पारदर्शिता से खेल रहा है. प्रकाश की भावना,पारदर्शिता की अनुभूति. बाईं तरफ है जापान में जादुई लालटेन, गिन्ज़ा टोक्यो में. केंद्र में जंगल में एक मठ है. यह मठ चुप्पी और जंगल के साथ मस्त है. और एक विज्ञान संग्रहालय. यह उत्थान के बारे में है. और यह पेरिस के बीचाें-बीच है, व्हेल के पेट में. यह पेरिस में पाथे फाउंडेशन है. इन सभी इमारतों में कुछ न कुछ समान है: लगता है कोई इच्छाओं और सपनों को ढूंढ रहा है. और वह मैं खुद हूं. (खिलखिलाहट) यह मेरी नौकायन नाव पर मैं. हवा के साथ छेड़छाड़. यह तस्वीर दिखाने की कोई खास वजह तो नहीं. (हँसी) कोशिश कर रहा हूं, कोशिश. इसमें कोई शक नहीं कि मुझे नौकायन से प्यार है. मैं नाैकायें डिजाइन भी कर लेता हूं. मुझे नाैकायन इसके धीमेपन के कारण पसंद है. तथा ... खामोशी. और लटकने का एहसास. यह तस्वीर कुछ और भी कहती है. कहती है कि मैं इतालवी हूं. (ठहाका) इसका तो कुछ हो नहीं सकता. (खिलखिलाहट) मैं इतालवी हूं, और सुंदरता मुझे पसंद है. सुंदरता का पुजारी हूं. आइए, नौकायन करते हुए चलते हैं, यहां तक, इस जगह पर, प्रशांत महासागर के बीचों-बीच. यह ज्यां-मैरी-जीबाे केंद्र है. यह कनकी जातीय समूह के लिए है. यह नूमी, न्यू कैलेडोनिया में है. यह जगह कला के लिए है. कला और प्रकृति. वे इमारतें हवा के साथ इश्कबाजी करती हैं. व्यापारी हवाओं के साथ. उन इमारतों की एक ध्वनि है अपनी आवाज है. मैं यह दिखा रहा हूँ क्योंकि यह सुंदरता के बारे में है. शुद्ध सौंदर्य के बारे में. एक पल के लिए सुंदरता की बात करते हैं. सौंदर्य स्वर्ग की चिड़िया की तरह है: जितना पकड़ने की कोशिश करेंगे छूट कर चली जाएगी. आपकी बांह बहुत छोटी है. खूबसूरती कोई छोटी बात नहीं है. यह विपरीत है. मेरी मूल भाषा में, जाेकि इतालवी है, इसमें "सुंदर" काे "बेल्लो" कहते हैं. स्पेनिश में, "सौंदर्य" "बेलेजा" है. ग्रीक में, "सुंदर" "कालोस" है. जब आप "agathos" जोड़ दें ताे इसका मतलब है "सुंदर और अच्छा." इनमें से किसी में भी " Beautiful" का मतलब सिर्फ "सुंदर" नहीं है. इसका मतलब है "अच्छा भी" असली सौंदर्य तब है जब अदृश्य दृश्यमान में शामिल हो जाता है. यह केवल कला और प्रकृति के लिए ही लागू नहीं होता . यह जिज्ञासा, विज्ञान और एकता पर भी लागू होता है. यही कारण है कि आप कह सकते हैं, "यह एक सुंदर व्यक्ति है," "यह एक सुंदर दिमाग है." सुंदरता है जो लोगों को बदल सकती है बेहतर लोगों में, उनकी आंखों में नई राेशनी जगाकर. सुंदरता काे ध्यान में रखकर भवन बनाना शहरों को बेहतर बनाता है. और बेहतर शहरों से बेहतर नागरिक बनते हैं. यह सुंदरता - कहना चाहिए, यह सार्वभौमिक सुंदरता- थाेङी चीजों में से एक है जो दुनिया को बदल सकती हैं. यकीन मानिए, सुंदरता ही दुनिया को बचाएगी एक समय में एक व्यक्ति, लेकिन यह यह हाेगा. धन्यवाद. (तालियां) आइये मेरे साथ एग्बाेगब्लाेशी में. अकरा के मध्य में एक बस्ती का नाम ओडॉ नदी वासी देवता के नाम पर रखा गया है. एक झोपड़-पट्टी है, ओल्ड फदामा, कोरले की खाङी में जमीन पर पुनर्निर्मित, गिनी की खाड़ी में शुरूआत से ठीक पहले. एक कबाङखाना है जहां लोग चीजें छाँटते हैं. मोबाइल फोन से कंप्यूटर तक, मोटर गाड़ी से हवाई जहाज तक. एग्बाेगब्लाेशी कबाड़खाना प्रसिद्ध है यह बीती हुई टेक्नोलॉजी की पहचान बन गया है: पुरानेपन की योजनाबद्ध समस्या . ऐसी जगह जहां दुनिया के पुराने उपकरण दम तोड़ने आते हैं. जहां आपका डेटा मरने के लिए आता है. ये छवियां जिन्हें मीडिया बङे चाव से दिखाता है, बच्चे और जवान तार और केवल जलाते हुये तांबा और एल्यूमीनियम निकालने के लिए, स्टायराेफाेम और टायर का ईंधन के रूप में उपयोग, पर्यावरण और स्वयं दाेनाें का नुकसान. यह अत्यंत विषाक्त प्रक्रिया है, जहर पूरे वातावरण में फैल जाता है. वसा ऊतक में जमा हाेकर शीर्ष खाद्य श्रृंखलाके लिए खतरनाक हैं. लेकिन कहानी खत्म नहीं हुई है. एग्बाेगब्लाेशी से बहुत कुछ सीख सकते हैं, जहाँ देश भर से कचरा आता है. हम में से बहुतों के लिए, हमारे उपकरण अबूझ पहेली हैं हमें पता है वे क्या करते हैं, यह नहीं पता कि अंदर क्या है. एग्बाेगब्लाेशी के लोगों ने इसे व्यवसाय बनाया यह जानने के लिए कि अंदर क्या है. रद्दी वाले इससे तांबा,एल्यूमीनियम, स्टील, कांच, प्लास्टिक और साबुत सर्किट बोर्ड निकाल लेते हैं. इसे "शहरी खनन" कहा जाता है. कचरे से खनिज निकालना ज्यादा आसान है. 10 गुना अधिक सोना चांदी, प्लैटिनम आदि मिल जाता है इलेक्ट्रॉनिक्स के एक टन में पृथ्वी के नीचे अयस्क के एक टन की तुलना में एग्बाेगब्लाेशी में वजन का मतलब है पैसा. उपकरणाें के लिए सामग्री का विच्छेदन बहुत ही बारीक नजर के साथ, प्लग के नीचे एल्यूमीनियम के पैर तक. कबाङी सही चीजाें को नष्ट नहीं करते. एग्बाेगब्लाेशी में मरम्मत की दूकानाें में देते हैं और देश भर में दसियों हजार तकनीशियनों जो बिजली और इलेक्ट्रॉनिक्स को नया करके, अपेक्षया गरीब लाेगाें को पुरानी चीजें बेचते हैं एक नया टेलीविजन या नया कंप्यूटर. गलतफहमी में न रहना एग्बाेगब्लाेशी में हैकर भी हैं. मतलब कि बहुत अच्छे से उस शब्द के भाव - उन्हें न केवल कंप्यूटर अलग करना आता है बल्कि जाेङ कर नया जीवन देना भी आता है. एग्बाेगब्लाेशी में निर्माण एक चक्र है. जिसमें तोड़ना और जोड़ना चलता रहता है हासिल सामग्री से कुछ नया बन जाता है. एग्बाेगब्लाेशी से हम सीख सकते हैं. जहाँ माेची जूताें काे नया जीवन देते हैं. महिलाएं शहर से प्लास्टिक इकट्ठा करती हैं, चीजाें काे चुनकर अलग करती हैं. टुकड़े-टुकड़े करके धाेती हैं. इसमें से कारखानों काे कच्चा माल बेचती हैं. नए कपड़े बनाने के लिए, नई प्लास्टिक की बाल्टी और कुर्सियां. स्टील अलग से भंडारित किया जाता है, जहां मुर्दा कार,माइक्रोवेव और वाशिंग मशीन नए निर्माण के लिए लौह छड़ बन जाती हैं. जहां छत की चादरें चूल्हे बन जाते हैं; जहां कारों के शाफ्ट छैनी बन जाते हैं जो अन्य वस्तुओं को ताेङने के काम आती हैं. फ्रिज के रेडिएटर से प्राप्त एल्यूमीनियम और एयर कंडीशनर गलाये जाते हैं कास्टिंग से भवन उद्योग के लिए अलंकार बनाये जाते हैं, एग्बाेगब्लाेशी के बाजार में सड़क पर बिकते बर्तन स्थानीय ओवन,चूल्हे और चिमनियाें की सज्जा, जो हर दिन उपयोग किये जाते हैं ताङ के कई सारे सूप बनाने के लिए, चाय और चीनी का आहार, शहर में भुनी हुई टिलापिया मछली. सड़क किनारे कार्यशालाओं में मोहम्मद जैसे वेल्डर द्वारा बने हैं, जो कबाङ से सामग्री पुनर्प्राप्त करते हैं और उसी से सभी प्रकार की चीजें बनाते हैं जैसे कार के पुराने हिस्साें से डम्बल यहां वास्तव में जाे अच्छा है, वेल्डिंग मशीनें जाे इस तरह दिखती हैं, विशेष कॉपर कोइलिंग से बनायी गयी हैं ट्रांसफार्मर स्क्रैप से बरामद स्टील के चाराें तरफ. एग्बाेगब्लाेशी के बगल में पूरा उद्याेग है. फैब्रिकेशन करती स्थानीय वेल्डिंग मशीनें . कौशल और ज्ञान का हस्तांतरणहाे रहा है पीढ़ियों के बीच, उस्ताद से प्रशिक्षुओं तक, सक्रिय शिक्षा के माध्यम से किया जाता है करके और बनाकर सीखना. यह बिल्कुल विपरीत है स्कूल में छात्रों के अनुभव के, जहां व्याख्याता लेक्चर देते हैं, छात्र लिखते हैं और उन्हें रट लेते हैं. यह उबाऊ है, लेकिन समस्या यह है यह उनके अंतर्निहित उद्यमी की जगह ले लेता है. वे किताबें जानते हैं सामान बनाना नहीं. 4 साल पहले, मेरे साथी यस्मीन अब्बास और मैंने साेचा: अगर हम जोड़ सकते हैं तो क्या हो अनौपचारिक क्षेत्र में व्यावहारिक ज्ञान काे छात्रों और पेशेवरों के तकनीकी ज्ञान के साथ स्टीम(STEAM) क्षेत्राें में - विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, कला और गणित - एक स्टीम प्रेरित इंजन बनाने के लिए जिसे हम "सांकोफा इनोवेशन," कहते हैं. हमने कबाड़खाने पर धावा बोला क्या पुनर्निर्मित किया जा सकता है, डीवीडी राइटर जो लेजर नक्काश बनें, या पुराने सर्वर की बिजली आपूर्ति कुमासी में स्टार्ट-अप जाे ई-कचरे से 3 डी प्रिंटर बनाते हैं. विभिन्न पृष्ठभूमि से युवा लोग साथ लाने जिनका आपस में कोई वास्ता नहीं पड़ता, सहयोग की बात करने के लिए परीक्षण के लिए नई मशीनें और पुर्जे जिससे तांबा जलाने की बजाय टुकड़े कर सकें, प्लास्टिक ईंटें और टाइल ढालने के लिए, बेकार इलेक्ट्रॉनिक सामान से कंप्यूटर, ड्रोन बनाने के लिए, एग्बाेगब्लाेशी में इसे उड़ते हुए देख सकते हैं. (तालियां) यास्मीन, मैं आैर 1500 से अधिक युवा जिसमें 750 से ज्यादा स्टीम फ़ील्ड से हैं, 750 से अधिक जमीनी निर्माता और कबाङी एग्बाेगब्लाेशी और उससे बाहर के. एक साझा मंच के लिए हाथ मिला चुके हैं जिसे वे अंतरिक्ष यान कहते हैं, एक मिश्रित डिजिटल क्राफ्टिंग के लिए जगह, उत्पाद की तुलना में प्रक्रिया अधिक , बनाने के लिए एक खुला वास्तु भवन, जिसमें तीन भाग शामिल हैं: एक बना बनाया निर्माता खाेखा है; आैजार जिन्हें सुविधानुसार ढाला जा सकता है और एक व्यापार ऐप. कबाङियाें की जरूरत के अनुसार बनाया उन्हें दिमाग में रखकर, उन्हें जानकारी से लादना काफी नहीं था उन्नत तकनीक से सुसज्जित हम प्रदूषण रहित री-साइक्लिंग चाहते थे, ताे उन्हें प्रोत्साहन की आवश्यकता थी. कबाड़ी हमेशा नया माल और ग्राहक तलाशते हैं ऐसे ग्राहक जो अच्छा भुगतान कर सकें जलाए हुए के बजाय साफ ताँबे का. हमने देखा पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में, हर कोई कुछ खोज रहा था. निर्माता, भागों, घटकों आैर ब्लूप्रिंट्स की तलाश जो चाहते हैं वाे बनाने के लिए. ग्राहकों को कुछ देने का रास्ता ढूंढते वे ब्लेंडर ठीक कर सकते या इस्त्री की मरम्मत करें या फ्रेंच फ्राइज मशीन बनाना. इसके विपरीत, अंतिम प्रयोक्ता भी होते हैं फ्रेंच फ्राइ मशीन बनाने वाले की तलाश में, कबाड़ी इसकी रद्दी के पीछे लगे रहते हैं, जो इससे फिर नया माल बना लेते हैं. यह न समझ पाने की गुत्थी लोगों को अपनी जरूरत पहचानने और सृजन की आजादी. एग्बाेगब्लाेशी में हमने विश्वकर्मा खाेखे का नमूना बनाया, एक स्कूल के विपरीत कल्पना की: अनुभव और प्रयोग में एक पोर्टल बनाने जो स्थानीय और वैश्विक को जोड़े निर्माण, विनिर्माण और पुनर्निर्माण एक साथ हमारा नियम था कि हर चीज सिरे से सिर्फ घाना में बनी सामग्री का उपयोग करे या रद्दी बाजार से ली हुई हो. बाेल्ट कसे बंधन की संरचनायें अर्द्ध कुशल श्रम से एक मॉड्यूल 2 घंटे में बन जाता है, कुछ विकास और कुछ उपकरण जुगाड़ करके, हम इन मानक भागों के निर्माण में सक्षम थे देसी वेल्डराें के पारिस्थितिकी तंत्र में एक मिलीमीटर की परिशुद्धता के साथ - एग्बोग्ब्लाेशी में बनी मशीन का उपयोग साथ ही उपकरण, जिस में ताला और संदूक है, जिस पर मिस्त्री काम कर सकते हैं, और आप जो बनाना चाहते हैं वैसे आैजार. हमने एगबोग्ब्लाेशी में ऐप का परीक्षण किया है आैर दूसरे स्थानों के लिए खाेल रहे हैं. अगले 6 महीने में 3 साल परीक्षण हो चुकेगा विश्वकर्मा किओस्क का, जिसका हमने बेजा इस्तेमाल किया है लेकिन यह एक अच्छे काम के लिए है, क्योंकि परीक्षण के परिणाम पर आधारित, हमने विश्वकर्मा स्थल का एक बढिया संस्करण भी डिजाइन किया है. यदि निर्माणी प्रयोगशाला बड़ी, महंगी और स्थिर है, इसे काउंटरपॉइंट के रूप में सोचें: कम लागत की चीज, जिसे स्थानीय रूप से बनाया जा सके, जिसे बढ़ा सकते हैं और नया सामान डाल सकते हैं क्योंकि निर्माता संसाधन प्राप्त करते हैं. आप इसे एक उपकरण छप्पर मान सकते हैं, जहां निर्माता आकर आौजार देख सकते हैं और ठेले में रखकर ले जाते हैं शहर में जहां जाना चाहें जाे बनाना चाहें. अगले चरण में हम जोड़ने की साेच रहे हैं छत पर आश्रित सीएनसी बॉट, जो निर्माताओं को रोबोट के साथ काम करने की सुविधा देता है अंततः, यह हिस्साें की एक किट है जिससे कहीं भी देसी तरीके से इकट्ठा किया जा सकता है मानक भागों का उपयोग करके जिसे सामूहिक रूप से उन्नत किया जा सकता है. कुल मिलाकर, यह निर्माता स्पेस सिस्टम पांच चीजें करता है: निर्माताओं को जरूरी संसाधन उपलब्ध कराना काम के लिए औजार मुहैया कराना; खुद करने और दूसरों से सीखने के लिए; अधिक और बेहतर उत्पाद बनाने के लिए; व्यापार करने आैर नियमित आय के लिए; अंततः निर्माता के रूप में उनकी प्रतिष्ठा, व उनकी निर्माण क्षमता बढाना. संकोफा, अकान लोगों का शक्तिशाली प्रतीक है घाना और कोट डी'वा में, एक पक्षी के रूप में, जाे मुङकर अण्डे तक पहुँच रहा हाे, शक्ति का प्रतीक स्थानीय भाषा में अनुवाद- "दो और लो" मतलब है जो व्यक्ति,समुदाय या समाज सफल भविष्य चाहता है, तो पीछे मुङना होगा मौजूदा तरीके सीखने और महारत हासिल करने के लिए अपने पूर्वजों के ज्ञान तक पहुंचें. और यह बहुत प्रासंगिक है अफ्रीका के समावेशी भविष्य के लिए. हमें जमीन से शुरू करना है, सिद्ध आदर्शों और नियमों पर चलकर, और आपस में जुड़ने के बारे में सोचें, 'तुम या मैं' नहीं 'तुम और मैं' का सिध्दांत इस बढ़ते नेटवर्क की नवाचार क्षमता तकनीकी केंद्रों वाले अनुकूल महाद्वीप और देश व राजनीति की सीमाआें से आगे, अफ्रीका में नवाचार तंत्र के बारे में सोचने के लिए संकोफा की भावना के साथ और मौजूदा जमीनी निर्माताओं की क्षमता. अगर भविष्य में कोई आपसे कहे एग्बोग्ब्लाेशी दुनिया में सबसे बड़ा ई-कबाङ का ढेर है आप उन्हें सही कर सकते हैं ढेर वह जगह है जहां आप चीजें फेंखते हैं और सदा के लिए छोड़ देते हैं; सक्रेपयार्ड में आप चीजों को अलग करते हैं. अपशिष्ट वाे चीज है जिसका मूल्य नहीं बचा, जबकि कबाड़ से आप वापस निकालते हैं इसका विशेष उपयोग कुछ नया बनाने के लिए. बनाना एक चक्र है, अफ्रीकी निर्माता स्थान पहले ही अग्रणी हैं जमीनी स्तर पर चक्रीय अर्थव्यवस्था में आगे. चलिए मिलकर और बेहतर बनायें. धन्यवाद. (तालियां) चार साल पहले, यहां टेड में, मैंने उपग्रहों का बेड़ा प्रक्षेपण करने के लिए ग्रह के मिशन 1 की घोषणा की। जो की पूरी पृथ्वी का तस्वीर हरेक दिन खीचेगा और आम लोग इसका उपयोग कर सके। जो समस्या हल करने की कोशिश कर रहे थे वो सरल था। इंटरनेट पर उपग्रह का तस्वीर पूरानी होती है आम तोर पर सालों पुरानी होती है। जब की मानव गतिबिधि सालो भर होती रहती है, और आप जो देख नहीं सकते उसे ठीक नहीं कर सकते। हम उस परिवर्तन को देखने और कार्रवाई करने के लिए लोगों को उपकरण देना चाहते थे। सुन्दर नीला संगमरमर छवि जो की अपोलो 17 अंतरिक्ष यात्री द्वारा 1972 में लिया गया जिससे मानवता को जागरूक करने में मदद मिलीथी कि हम एक नाजुक ग्रह पर हैं। और हम लोगो को उपकरण देने, कार्रवाई करने और इसका ख्याल रखने के लिए इसे अगले स्तर पर ले जाना चाहते थे। खैर, हमने मानव इतिहास मैं खुद के बहुत सारे अपोलो योजना, सबसे बड़ा उपग्रहों का बेरा का प्रक्षेपण करने के बाद लक्ष्य तक पहुँच गए। आज, हर दिन पूरी पृथ्वी को चित्रित करता है। मिशन पूरा हुआ। (वाहवाही) धन्यवाद। 21 रॉकेट प्रक्षेपीत किया गया यह एनीमेशन इसको सरल प्रतीत करता है लेकिन वास्तव मैं ये इतना सरल नहीं था। अब हमारा 200 से ऊपर उपग्रह ग्रहपथ पर है, जो की धरती पर बने 31 स्टेशनो में अपने डाटा को डाउनलिंक कर रहे है जो हमने पृथ्वी के चारो ओर बनाए है। कुल मिलाकर, हम रोज पंद्रह लाख 29 मेगा पिक्सेल का पृथ्वी का तस्वीर पते है। और अब हमारे पास पृथ्वी पर किसी भी स्थान के औसत 500 से जयादा तस्वीर है। डाटा का ढेर, दस्तावेज़ों मैं विशाल परिवर्तन ला रहा है। और बहुत सारे लोग इस तस्वीर का उपयोग कर है। कृषि कंपनियां किसानों की फसल पैदावार में सुधार करने केलिए इसका इस्तेमाल कर रही हैं। उन मानचित्रों को बेहतर बनाने के लिए आप जिन्हें ऑनलाइन पाते हैंउपभोक्ता-मानचित्रण कंपनियां इसका उपयोग कर रही हैं। सरकार सीमा सुरक्षा के लिए इसका इस्तेमाल कर रही है या बाढ़, आग और भूकंप के बाद आपदा प्रतिक्रिया में मदद करते हैं। बहुत सारे NGO'S इसका उपयोग कर रही है। ताकी, निगाह रखने और वनों की कटाई रोका जा सके या म्यांमार भागने वाले शरणार्थियों को खोजने में मदद करने के लिए या सीरिया में चल रहे संकट की सभी गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए सभी पक्षों को उत्तरदाइत्व देते हुए। और आज, ग्रह की कहानियों की घोषणा करने के लिए मैं खुश हूँ कोई भी planet.com पर ऑनलाइन जा सकता है खाता खोलें और हमारी सभी इमेजरी ऑनलाइन देखें। यह थोड़ा सा गूगल अर्थ की तरह है,लेकिन इसमें अद्यतन तस्वीर होता है और आप समय के माध्यम से वापस देख सकते हैं। आप किसीभी दोदिनों कीतुलना करसकते है और नाटकीय परिवर्तन देखसकते है जो हमारे ग्रह के आसपास होता है। या आप 500 छवियों के माध्यम से एक चलचित्र निर्माण कर सकते हैं और समय के साथ उस नाटकीय बदलाव को देखें। और आप इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर है। यह बहुत अच्छा है। (वाहवाही) धन्यवाद। हमने शुरुआत में इस उपकरण को समाचार पत्रकारों के लिए बनाया था, जो दुनिया की घटनाओं के बारे में निष्पक्ष जानकारी प्राप्त करना चाहते थे। लेकिन अब हमने इसे किसी के भी उपयोग करने के लिए खोल दिया है, गैर-लाभकारी या व्यक्तिगत उपयोग के लिए। और हमें उम्मीद है कि यह लोगों को ग्रह पर परिवर्तन खोजने और देखने के लिए साधन प्रदान करेगा और कार्रवाई करें। तो मानवता के पास समय के साथ पृथ्वी पर बदल रहे सुचना का डेटाबेस है। हमारा अगला मिशन क्या है, मिशन 2 क्या है? संक्षेप में, यह अंतरिक्ष प्लस AI है। हम कृत्रिम बुद्धि(AI) से कर रहे हैं हम उपग्रह से लिए गए सभी तस्वीरों में वस्तुओं को ढूंढ रहे है। वही एआई टूल्स जिनका उपयोग ऑनलाइन वीडियो में बिल्लियों को खोजने के लिए किया जाता है और हमारी तस्वीरों से जानकारी प्राप्त करने मैं भी किया जा सकता है। तो, कल्पना करें कि क्या आप कह सकते हैं, यह एक जहाज है, यह एक पेड़ है, यह एक कार है, यह एक सड़क है, यह एक इमारत है, यह एक ट्रक है। और अगर आप ऐसा लाखों छवियों के लिए कर सकते हैं जो कि प्रत्येक दिन लिया जा रहा है, तो आप मूल रूप से सभी बड़े वस्तुओं का ग्रह पर, हर दिन एक डेटाबेस निर्माण करते है। और वह डेटाबेस खोजा जा सकता है। तो यह वही है जो हम कर रहे हैं। यहाँ पर एक मूलरूप है जो API पर काम कर रहा है। यह बीजिंग है। तो, कल्पना करें कि हम हवाई अड्डे में विमानों की गिनती करना चाहते है। हम हवाई अड्डे का चयन करते हैं, और यह आज की छवि में विमानों को पाता है, और इससे पहले छवियों के पूरे ढेर में विमानों को पाता है, और फिर समय के साथ बीजिंग हवाई अड्डे मेंसभी विमानों के इस ग्राफ का निर्माण करता है। बेशक, आप यह दुनिया भर के सभी हवाई अड्डों के लिए कर सकते हैं। और चलो यहाँ वैंकूवर के बंदरगाह में देखें। तो, हम वही करेंगे, लेकिन इस बार हम जहाजों की तलाश करेंगे। तो, हम वैंकूवर पर आकर वर्धन करते हैं, और हम क्षेत्र का चयन करते हैं, और हम जहाजों की खोज करते हैं। और यह बताता है कि सभी जहाजों कहाँ हैं। अब, कल्पना करें कि यह कितना उपयोगी होगा लोगों के लिए तट रक्षण में जो ट्रैक करने की कोशिश कर रहे हैं और अवैध मछली पकड़ना बंद करते है। देखें, कानूनी मछली पकड़ने के जहाजों AIS दीपस्तंभ का उपयोग करके अपने स्थानों को प्रेषित करते है। लेकिन हम अक्सर जहाजों को ऐसा नहीं कर रहे पाते हैं। चित्र झूठ नहीं बोलते हैं। और इसलिए, तट रक्षक इसका उपयोग कर सकते हैं और जायें और उन अवैध मछली पकड़ने के जहाजों को पकड़े। जल्द ही हम न केवल जहाजों और विमानों जोड़ देंगे बल्कि अन्य सभी वस्तुओ को, और हम समय के साथ उन स्थानों का इन सभी वस्तुओं में से डेटा फ़ीड्स आउटपुट कर सकते हैं जिसे डिजिटल रूप से लोगों के काम भंडार एकीकृत किया जा सकता है। कुछ समय में, हम अधिक परिष्कृत ब्राउज़रों पा सकते है, जिसे लोग बिभिन्न स्रोतों से पा सकते है। लेकिन आखिरकार,मैं पूरी तरह से सारणीबद्ध तस्वीर कल्पना कर सकता हूं और बस पृत्वी के लिए पूछताछ करने वाला इंटरफ़ेस हो। कल्पना कीजिए कि अगर हम सिर्फ पूछ सकते हैं, की "अरे, पाकिस्तान में कितने घर हैं? मुझे उस बनाम समय का लेखाचित्र दो। "अमेज़ॅन में कितने पेड़ हैं और क्या आप मुझे स्थानों को बता सकते हैं जहाँ पर इस सप्ताह और अंतिम सप्ताह के बीच पेड़ गिर गई हो। क्या यह अच्छा नहीं होगा? अच्छा, यह वही है जिस तरफ हम आगे आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, और हम इसे"कोइरेबल अर्थ"कहते हैं। तो, ग्रह का मिशन 1 था हर दिन पूरे ग्रह को चित्रित करने और इसे सुलभ बनाने के लिए। ग्रह का मिशन 2 समय के साथ ग्रह पर सभी वस्तुओं सूचकांक करना है प्रश्न करने योग्य बनाना। मुझे आपको एक समानता के साथ छोड़ने दो। इंटरनेट पर जो भी है उसे गूगल ने सूचीबद्ध किया है और उसे खोजने योग्य बनाया है। खैर, हम अनुक्रमित कर रहे है जो की पृथ्वी पर हैं और उसे खोजने योग्य बना रहे है। आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद। (वाहवाही) मैं यहाँ आपको सिर्फ़ अपनी कहानी सुनाने नहीं आई हूँ बल्कि उन असाधारण महिलाओं की कहानियाँ जिन्हें मैं भारत में मिली हूँ। वे मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, मुझे सिखाती हैं, जीवन की इस राह में मुझे सही दिशा दिखाती हैं। ये अद्भुत महिलाएं हैं। इन महिलाओं को स्कूल जाने का कभी मौका नहीं मिला, इनके पास कोई डिग्रियाँ नहीं थीं, न वे कहीं घूमी हैं, न ही बाहरी दुनिया के बारे में जानती हैं। साधारण महिलाएं जिन्होंने असाधारण काम किए अपने पूरे साहस, समझदारी और विनम्रता के साथ। वे मेरी शिक्षक हैं। पिछले तीन दशकों से, मैं भारत में काम कर रही हूँ वहीं रहती हूँ, वहीं जीती हूँ, और ग्रामीण भारत की महिलाओं के साथ काम कर रही हूँ। मेरा जन्म और पालन-पोषण मुंबई में हुआ। जब मैं कॉलेज में थी, तब मेरी मुलाक़ात प्रसिद्ध गांधीवादी नेता जयप्रकाश नारायण से हुई, जिन्होंने युवकों को ग्रामीण भारत में काम करने को प्रेरित किया। मैं ग्रामीण भारत में काम करने के लिए गाँवों में गई। मैं भूमि अधिकार आंदोलन किसान आंदोलन, और महिला आंदोलन का हिस्सा रही। उसी राह पर चलते हुए, मैं एक छोटे से गाँव में पहुँची, एक युवा, आकर्षक, ऊर्जस्वी किसान नेता के साथ प्यार हो गया जो इतने पढ़े लिखे नहीं थे, पर वे लोगों को आकर्षित कर सकते थे। और इस तरह, जवानी के जोश में, मैंने उनसे शादी कर ली, और मुंबई छोड़ दिया। और उस छोटे से गाँव में चली गई जहाँ नल में पानी भी नहीं था और न ही कोई शौचालय। सच कहूँ, मेरा परिवार और मित्र डर गए थे। (हँसी) मैं अपने परिवार के साथ रह रही थी, अपने तीन बच्चों के साथ गाँव में, और एक दिन, कुछ सालों के बाद एक दिन, कांताबाई नाम की महिला मेरे पास आई। कांताबाई ने कहा, "मुझे बचत खाता खोलना है। मुझे बचत करनी है।" मैंने कांताबाई से पूछा: "तुम लुहार का काम करती हो। तुम्हारे पास इतने पैसे हैं कि बचत कर सकोगी? तुम सड़क पर रहती हो। तुम पैसे बचा सकती हो?" कांताबाई हठी थी। वह बोली, "मैं बचाना चाहती हूँ क्योंकि मॉनसून आने से पहले मुझे प्लास्टिक की चादर खरीदनी है। मुझे अपने परिवार को बारिश से बचाना है।" मैं कांताबाई के साथ बैंक गई। कांताबाई रोज़ के दस रूपए बचाना चाहती थी जो 15 सेंट से भी कम हैं। बैंक मैेनेजर ने कांताबाई का खाता खोलने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि कांताबाई की रकम बहुत छोटी थी और उसके समय के लायक नहीं थी। कांताबाई बैंक से कोई ऋण नहीं माँग रही थी। सरकार से कोई अनुदान या सहायता नहीं माँग रही थी। वह बस अपनी मेहनत से कमाए पैसे को सुरक्षित रखने के लिए एक सुरक्षित जगह ही तो माँग रही थी। और वह उसका अधिकार था। और मैंने सोचा... मैंने कहा अगर बैंक कांताबाई का खाता नहीं खोल रहे, तो क्यों न मैं बैंक खोल दूँ जिससे कांताबाई जैसी महिलाओं को बचाने का मौका मिलेगा और मैंने रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया से बैंकिंग लाइसेंस के लिए अर्ज़ी दी। (तालियाँ) नहीं, वह कोई आसान काम नहीं था। हमारी अर्ज़ी नामंजूर कर दी गई... (हँसी) इस आधार पर... रिज़र्व बैंक ने कहा कि वह ऐसे बैंक को लाइंसेंस नहीं दे सकता जिसे प्रोत्ससाहन करने वाले सदस्य अनपढ़ हैं। मैं डर गई। मैं रो रही थी। और घर वापस आने पर मैं लगातार रोती रही। मैंने कांताबाई और अन्य महिलाओं से कहा कि हमें लाइसेंस नहीं मिल पाया क्योंकि हमारी महिलाएँ अनपढ़ हैं। एक महिला ने कहा, "रोना बंद करो। हम पढ़ना-लिखना सीखेंगी और फिर अर्ज़ी देंगी, तो क्या हुआ?" (तालियाँ) हमने साक्षरता कक्षाओं की शुरुआत की। महिलाएँ हर रोज़ आती। वे इतनी दृढ़ थीं कि सारा दिन काम करने के बाद, वे कक्षा में आतीं ताकि पढ़ना-लिखना सीख सकें। पाँच महीनों के बाद, हमने फिर से अर्ज़ी दी, पर इस बार मैं अकेली नहीं गई। मेरे साथ पंद्रह महिलाएँ रिज़र्व बैंक गईं। हमारी महिलाओं ने रिज़र्व बैंक के अफ़सर से कहा, "आपने हमारा लाइसेंस नामंजूर कर दिया क्योंकि हम पढ़-लिख नहीं सकती। आपने हमारा लाइसेंस नामंजूर कर दिया क्योंकि हम अनपढ़ हैं।" पर उन्होंने कहा, "जब हम बड़ी हो रही थी तो कोई स्कूल नहीं थे, तो अनपढ़ होने के लिए हम ज़िम्मेदार नहीं।" और उन्होंने कहा, "हम पढ़-लिख नहीं सकती, पर हम गिन सकती हैं।" (हँसी) (तालियाँ) और उन्होंने अफ़सर को चुनौती दी। "तो हमसे किसी भी मूल धर पर ब्याज की गणना करने को कहिए।" (हँसी) "अगर हम नहीं कर सकीं, तो हमें लाइसेंस मत देना। अपने अफ़सरों को बिना कैलकुलेटर की गणना करने को कहें और देखें कौन जल्दी करता है।" (तालियाँ) कहने की ज़रूरत नहीं है, हमें बैंकिग लाइसेंस मिल गया। (हँसी) (तालियाँ) आज, 1,00,000 से भी अधिक महिलाएँ हमारे साथ बैंकिग कर रही हैं और हमारे पास 2 करोड़ डॉलर की पूंजी है। ये सब महिलाओं की बचत है, महिलाओं की पूंजी है, बिज़नेस प्लान माँगने वाला कोई बाहरी निवेशक नहीं है। नहीं। यह हमारी ग्रामीण महिलाओं की बचत है। (तालियाँ) मैं यह भी कहना चाहती थी कि हाँ, लाइसेंस मिलने के बाद, आज कांताबाई का अपना घर है और वह अपने परिवार के साथ अपने घर में रह रही है। (तालियाँ) जब हमने अपना बैंकिंग का काम शुरू किया, मुझे पता चल गया कि महिलाएँ बैंक नहीं आ सकती थीं क्योंकि दिन में वे काम करती थीं। मैंने सोचा अगर महिलाएँ बैंक में नहीं आ सकतीं, बैंक तो उन तक जा सकता है, और हमने घर-घर जाकर बैंकिंग शुरू की। हाल ही में, हमने डिजिटल बैंकिंग शुरू की। डिजिटल बैंकिग के लिए एक पिन नम्बर याद रखने की आवश्यकता थी। हमारी महिलाओं ने कहा "हमें पिन नम्बर नहीं चाहिए। यह तो अच्छा विचार नहीं है।" और हमने उन्हें समझाने की कोशिश की कि शायद आप लोग पिन नम्बर याद कर सकती हैं; उसे याद करने में हम आपकी मदद करेंगे। वे दृढ़ थीं। उन्होंने कहा, "कुछ और बताओ।" और वे... (हँसी) और वे बोलीं, "अंगूठा कैसा रहेगा?" मैंने सोचा यह तो बढ़िया विचार है। हम उस डिजिटल बैंकिंग को बायोमेट्रिक से जोड़ देंगे, और अब महिलाएँ अंगूठे से ही डिजिटल वित्तीय लेन-देन कर सकती हैं। और जानते हैं उन्होंने क्या कहा? वे बोलीं, "मेरा पिन नम्बर कोई भी चुरा सकता है और मेरा मेहनत से कमाया पैसा ले सकता है, पर मेरा अंगूठा कोई नहीं चुरा सकता।" (तालियाँ) उससे मैंने जो महिलाओं से सीखा है वह सीख और भी मजबूत हो जाती है : गरीब लोगों को कभी बुरे समाधान न बताएँ। वे चतुर हैं। (तालियाँ) कुछ महीनों के बाद, एक और महिला बैंक में आई... केराबाई। उसने अपना सोना बंधक रखा और ऋण लिया, मैंने केराबाई से पूछा, "तुम अपने कीमती जेवर बंधक रखकर ऋण क्यों ले रही हो?" केराबाई ने कहा, "तुम्हें एहसास भी है कि भयानक सूखा पड़ा है? जानवरों के लिए खाना और चारा नहीं है। पानी भी नहीं। अपने जानवरों के लिए खाना और चारा खरीदने के लिए मैं सोना बंधक रख रही हूँ।" और फिर उसने मुझे पूछा, "सोना बंधक रखकर पानी मिल सकता है?" मेरे पास कोई जवाब नहीं था। केराबाई ने मुझे चुनौती दी "तुम गाँव में महिलाओं और वित्त के साथ काम करती हो, पर क्या होगा अगर एक दिन पानी ही न हो? अगर हम यह गाँव छोड़ देंगे, तो तुम किसके साथ बैंकिंग करोगी?" केराबाई का सवाल जायज़ था, तो इस सूखे में, हमने क्षेत्र में मवेशी कैम्प शुरू करने का निर्णय लिया। वहाँ पर किसान अपने जानवरों को लेकर आते और उन्हें चारा और पानी मिलता। बारिश नहीं हुई। मवेशी कैम्प को 18 महीनों तक बढ़ाया गया। केराबाई मवेशी कैम्प में घूमती थी और प्रोत्साहन के गीत गाया करती थी। केराबाई बहुत लोकप्रिय हो गई। बारिश हुई और मवेशी कैम्प बंद कर दिया गया, पर मवेशी कैम्प की समाप्ति के बाद, केराबाई हमारे रेडियो पर आई... हमारे पास सामुदायिक रेडियो है जिसके 1,00,000 से अधिक श्रोतागण हैं। उसने कहा, "मुझे रेडियो पर नियमित शो करना है।" हमारे रेडियो मैनेजर ने कहा, "केराबाई, तुम पढ़-लिख नहीं सकती। तुम स्क्रिप्ट कैसे लिखोगी?" पता है उसने क्या जवाब दिया? "मैं पढ़-लिख नहीं सकती, पर मैं गा तो सकती हूँ। इसमें कौन सी बड़ी बात है?" (हँसी) और आज, केराबाई नियमित रेडियो कार्यक्रम कर रही है, और यही नहीं, वह एक मशहूर रडियो जॉकी बन गई है और उसे सभी रेडियो से निमंत्रित किया गया है, मुम्बई से भी। उसे निमंत्रण मिलते हैं और वह शो करती है। (तालियाँ) केराबाई एक स्थानीय हस्ती बन गई है। एक दिन मैंने केराबाई से पूछा, "तुमने गाना कैसे शुरू किया?" वह बोली, "सच बताऊँ? जब मैं पहली बार गर्भवती हुई, मुझे हमेशा भूख लगी रहती थी। मेरे पास खाने को इतना भोजन नहीं था। मेरे पास भोजन खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे, और इसलिए अपनी भूख भुलाने के लिए, मैंने गाना शुरू कर दिया।" कितनी प्रबल और चतुर, है न? मैं हमेशा सोचती हूँ कि हमारी महिलाएँ इतनी सारी बाधाओं को पार करती हैं... सांस्कृतिक, सामाजिक, वित्तीय... और वे अपने रास्ते निकाल लेती हैं। मैं एक और कहानी बताना चाहूंगी : सुनीता काम्बले। उसने बिज़नेस स्कूल में एक कोर्स किया है, और वह अब जानवरों की डॉक्टर है। वह दलित है; वह हरिजन जाति से है, पर वह बकरियों में कृत्रिम वीर्यारोपण करती है। इस पेशे में अधिकतर पुरुष ही काम करते हैं और सुनीता के लिए और भी मुश्किल है क्योंकि सुनीता हरिजन है। पर उसने बहुत मेहनत की। उसने हमारे क्षेत्र में सफलता से जानवरों के बच्चे पैदे करवाए और वह मशहूर बकरी डॉकटर बन गई। हाल ही में, उसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। मैं सुनीता के घर खुशी मनाने गई... उसे मुबारक देने। जब मैं गाँव में दाखिल हुई, मैंने सुनीता की बड़ी सी तस्वीर देखी। उस तस्वीर में सुनीता मुस्कुरा रही थी। गाँव में रहने वाली एक हरिजन, की तस्वीर गाँव के बाहर लगी हुई देखकर मुझे सच में हैरानी हुई। जब मैं उसके घर गई, मुझे और भी हैरानी हुई क्योंकि उच्च जाति के नेता... पुरुष लोग... उसके घर में बैठे हुए थे, और चाय-पानी पी रहे थे, जो भारत में बहुत कम दिखने को मिलता है। उच्च जाति के नेता हरिजन के घर चाय-पानी पीने नहीं जाते। और वे उसे अनुरोध कर रहे थे कि गाँव में आकर सभा को संबोधित करे। सुनिता ने सदियों पुरानी जाति की परम्परा को तोड़ दिया। (तालियाँ) मैं आपको बताती हूँ कि नई पीढ़ियाँ क्या करती हैं। मैं यहाँ खड़ी हूँ... यहाँ खड़े होने में मुझे बहुत गर्व है, म्हासवद से वैंकूवर। उधर घर पर, सरीता भीसे... वह 16 साल की भी नहीं है, वह हमारे खेल कार्यक्रम का हिस्सा है... चैम्पियन कार्यक्रम, वह तैयारी कर रही है। वह तैयारी कर रही है फ़ील्ड हॉकी में भारत का प्रतिनिधित्व करने की। और आप जानते हैं, वह कहाँ जा रही है? वह 2020 ऑलम्पिक्स में टोकयो जा रही है। (तालियाँ) सरिता एक गरीब गडरिए समुदाय से है। मैं बस... मुझे उस पर बहुत गर्व है। सरिता, केराबाई, सुनीता जैसी लाखों महिलाएँ हैं, जो आपके आसपास भी हो सकती हैं। वे सारे विश्व भर में हो सकती हैं, पर पहली नज़र में आप सोचेंगे कि उनके पास कुछ कहने को नहीं है, उनके पास कुछ बताने को नहीं है। आपकी सोच बहुत ग़लत होगी। मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ कि मैं इन महिलाओं के साथ काम करती हूँ। वे अपनी कहानियाँ मुझे सुनाती हैं, अपना ज्ञान मेरे साथ बांटती हैं, और मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ कि उनके साथ हूँ। बीस साल पहले... और मुझे इतना गर्व है... हम रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया गए और हमने पहला ग्रामीण महिला बैंक स्थापित किया। आज वे मुझे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की ओर धकेल रही हैं ताकि माइक्रो ग्रामीण महिला उद्यमकर्ता की पहली निधि स्थापित की जा सके। वे मुझ पर दबाव डाल रही हैं संसार के पहले लघु वित्त महिला बैंक स्थापित करने के लिए। और जैसा उनमें से एक ने कहा, "मेरा साहस ही मेरी पूूंजी है।" और मैं कहती हूँ, उनका साहस ही मेरी पूंजी है। और अगर आप चाहें, तो आपका भी हो सकता है। धन्यवाद। (तालियाँ) (गाना) यह है परीक्षा इंसानो की परीक्षा देखने के लिये कि क्या आप इंसान है कृपया अपने हाथ उपर कीजिये अगर यह आप पर लागु होता है क्या आप मुझसे सहमत है? हाँ? तो शुरू करते है| क्या आपने कभी नांक का बलगम खाया है अपने बचपन के बाद? (हंसी) चिंता मत कीजिये | आप यहाँ सुरक्षित है क्या आपने कभी छोटी सी, विचित्र ध्वनी निकाली है जब आपको कुछ शर्मनाक घटना याद आये ? क्या आपने कभी जान बूझके अपने पहले अक्षर को छोटा किया है ताकि आप निराश या उदास नज़र आये? (हसी की गूंज) अच्छा | क्या आपने कभी कोई मैसेज पूर्णविराम में रोकी है गुस्सा दिखाने के लिये? अच्छा | बस | क्या आप कभी हसे हो मुस्कुराये हो जब किसी ने आपके सामने बकवास की हो और पूरा दिन उसी में बिताया हो सोचके आपने ऐसी प्रतिक्रिया क्यूं की ? हाँ | क्या आपने कभी अपने हवाई जहाज का टिकट हज़ार बार गुमाया है चलते चलते जांच से उड़ान तक के सफर में ? हाँ | क्या आपने कभी पतलून पहनकर बाद में समझा है कि एक लावारिस मोजा आपके पैरों से टकरा रहा है ? (हसी की गूंज) बढिया | क्या आपने कभी किसी और के पासवर्ड को ढूंड निकालने की कोशिश की है इतनी बार कि उनका खाता बंद हो गया हो ? म्म्म | क्या आपको कभी परेशानी सताई है कि आपका गुनाह पकड़ा जायेगा ? हाँ | आप यहा सुरक्षित है | क्या आपको कभी इच्छा हुई है कि आपके पास कोई ऐसी योग्यता हो जो आपने आज तक कभी खोजी ना हो जिसमे आप स्वभाविक ढंग से अच्छे है? म्म्म | क्या आपने कभी असल ज़िंदगी में कुछ असली चीज़ तोड़ी है , और अपने आप को Undo बटन खोज्ते हुए देखा हो असल ज़िंदगी में ? क्या आपने कभी अपना TED का बिल्ला खोया है और तुरंत सोच में डूबे हो कि वानकौरवेर की टीन दिन की छुट्टी कैसी लगती होगी ? क्या आपको कभी आश्चर्य हुआ है कि जो आपने मामूली सा समझा वो कितना लाजवाब बन गया है ? क्या आपने कभी अपने फ़ोन की तरफ घूरा है हसते हसते किसी को संदेश भेजते हुए मूर्ख की तरह ? क्या आपने फिर उसी इंसान को संदेश भेजा है कि "मैं फ़ोन को घूर रही हूँ मूर्खों की तरह मुस्कुराते हुए "? क्या आपको कभी कोई इच्छा हुई है और फिर उसी इच्छा के सामने झुके हो किसी के फ़ोन को देखने के लिये ? क्या कभी आपने अपने आप से बातें की है और फिर एहसास हुआ हो कि आप कितने बड़े बेवकूफ है ? (हसी की गूंज) क्या आपके फ़ोन की कभी बॅटरी खतम हुई है किसी बहस के बीच में , और ऐसा लगा हो कि आपका फ़ोन आप दोनो से सम्बंध तोड़ रहा हो ? क्या आपको कभी लगा है कि आप दोनो के आपस का मसला सुलझाना व्यर्थ है क्यूंकि यह और आसान होना चाहिये , या स्वभाविक रूप से होना चाहिये ? क्या आपको कभी लगा कि लम्बे समय में सिर्फ थोड़ा ही स्वभाविक रूप से होता है ? क्या आप कभी सानंद उठे हो और उन तुरंत बुरी यादों के बाद में फसे हो जब कोई आपको छोड़ गया हो? क्या आप भविष्य की कल्पना करना भूल गये हो किसी ऐसे व्यक्ति के बिना जो अब आपके जीवन में ना हो ? क्या आपने कभी उस घटना को याद किया है शरद ऋतु के उदास हसी जैसे और महसूस किया है कि भविष्य तो आयेगा ही चाहे जो हो? मुबारक हो | आप इस परीक्षा में सफलता प्राप्त की | आप इंसान है | (वाहवाही) मैं आप को बताना चाहता हूँ उच्च शिक्षा का एक नया मॉडल, ऐसा मॉडल जिसे बढावा मिले तो वो उन तमाम लोगों की समझ को बढा सकता है उन लाखों रचनात्मक और धुनी लोगों की समझ को जो इस मॉडल के बिना पीछे छूट जायेंगे। एक नज़र दुनिया पर डालिये। कोई भी जगह चुन कर उसे ध्यान से देखिये। आपको उच्च शिक्षा के लिये बेताब लोग मिलेंगे। आइये उन में से कुछ से मुलाकात करें। पैट्रिक। पैट्रिक का जन्म लाईबेरिया में हुआ २० बच्चों के परिवार में। गृह युद्ध के दौरान, उन्हें और उनके परिवार को भाग कर नाइजीरिया जाना पडा। वहाँ, अपने हालातों के बावज़ूद, उन्होंने हाई-स्कूल लगभग पूरे अंकों से पास किया। वो अपनी शिक्षा जारी रख कर उच्च शिक्षा ग्रहण करना चाहते थे, मगर अपने परिवार के चलते, जो कि गरीबी में डूबा था, उन्हें जल्द ही दक्षिणी अफ़्रीका भेज दिया गया कि जाओ, कमाओं, और पैसे भेजो जिस से घर परिवार की रोटी चले। पैट्रिक ने उच्च शिक्षा के अपने सपने को कभी नहीं छोडा। काम के बाद, देर रात उन्होंने इंटरनेट पर पढाई करने के तरीकों को ढूँढा। डेबी से मिलिये। डेबी फ़्लोरिडा की हैं। उनके माता-पिता कभी कॉलेज नहीं गये, और न ही उन के भाई-बहन। डेबी ने सारी ज़िंदगी काम किया, टैक्स भरे, और महीने दर महीने अपना खर्च चलाया, अपने अमेरिकन ड्रीम के साथ जीते हुए, ऐसा सपना जो कभी भी साकार नही होता बिना उच्च शिक्षा के। मगर डेबी कभी इतनी बचत नहीं कर सकीं कि उच्च शिक्षा की कीमत चुका सकें। वो फ़ीस देने में सक्षम नहीं थीं। न ही वो अपनी महीने दर महीने की कमाई छोड सकती थीं। वाएल से मिलिये। वायल सीरिया से हैं। उन्होंने करीबी से महसूस किया है उस बेचारगी, डर और नाकामयाबी को, जो उन के देश पर लाद दी गयी। वो शिक्षा में गहरा विश्वास रखते हैं। उन्हें पता था कि अगर उन्हें मौका मिले उच्च शिक्षा ग्रहण करने का, जीवन में आगे बढने का, तो वो ज्यादा सक्षम होंगे इस दुनिया के उतार-चढाव झेलने में। उच्च शिक्षा के मौजूदा मॉडल ने पैट्रिक, डेबी और वाएल को केवल निराश ही किया ठीक वैसे ही जैसे कि वो और लाखों होनहार छात्रों को निराश करता है। लाखों लोग जो हाई स्कूल पास कर लेते है, वो लाखों जिन्हें उच्च शिक्षा पाने का हक़ है, वो लाखों जो आगे पढना चाहते हैं मगर तमाम कारणों से नहीं कर सकते। पहला कारण, पैसे की कमी। हम सब जानते हैं कि यूनिवर्सिटी जाना किस कदर महँगा है। दुनिया के ज्यादातर भागों में, उच्च शिक्षा लगभग नामुमकिन ही है एक आम आदमी के लिये। ये शायद सबसे बडी समस्या है हमारे समाज और दुनिया की। उच्च शिक्षा सबका मौलिक अधिकार होने के बजाय सिर्फ़ कुछ ही लोगों का विषेशाधिकार या बपौती बन चुकी है। दूसरा कारण, सामजिक रूढियाँ वो छात्र जो कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने लायक हैं, खर्चा उठा सकते हैं, पढना चाहते है, वो भी नहीं कर सकते क्योंकि ये उन के समाज की रीति नहीं हैं, औरतों के लिये "उचित" नहीं है। अनगिनत औरतों की यही कहानी है अफ़्रीका में, मिसाल के तौर पर, कि उन्हें उच्च शिक्षा से दूर रखा जाता है क्योंकि सामाजिक तौर पर इसका रिवाज़ नहीं हैं। और तीसरा कारण सुनिये: यूनेस्को के अनुसार, सन 2025 में, दस करोड छात्र उच्च शिक्षा पाने से वंचित रह जायेंगे सिर्फ़ इस लिये कि कॉलेजों में इतनी सीटें ही नहीं होंगी कि उन सबको मौका दिया जाये। वो प्रवेश परीक्षा देंगे, वो प्रवेश परीक्षा पास भी कर लेंगे, मगर फिर भी उन्हें मौका नहीं मिलेगा क्योंकि इतनी जगह ही नहीं होगी। यही वो कारण हैं कि मैने यूनिवर्सिटी ऑफ़ पीपल की स्थापना की। ये एक एनजीओ है - बिना कोई फ़ीस लिये बाकायदा डिग्री देने वाली यूनिवर्सिटी, जो एक रास्ता देती है उन लोगों को जिनके पास कोई रास्ता नहीं बचा है, ऐसा रास्ता जो उनकी जेब के हिसाब से है और जिसका विस्तार हो सकता है। ऐसा हल जो कि हिला देगा आज की शिक्षा व्यवस्था को, और उच्च शिक्षा के दरवाज़े खोल देगा हर सुयोग्य विद्यार्थी के लिये, चाहे वो कितना भी कम कमाते हों , या दूर-दराज़ में रहते हों, या फ़िर उनके समाज की रूढियाँ उन्हें रोकती हों। पैट्रिक, डेबी और वाएल ऐसे तीन उदाहरण हैं उन 1700 चुने हुये विद्यार्थियों में से, जो 143 विभिन्न देशों से आये हैं हम --- (तालियाँ) ---धन्यवाद हमें शुरुवात से कुछ नया बनाने की ज़रूरत नहीं पडी। हमने देखा कि क्या चीज़ें काम नहीं कर रही हैं और हम इंटरनेट की खूबियों का इस्तेमाल करके कैसे उन्हें ठीक कर सकते हैं। हम एक ऐसा मॉडल बनाने निकले जो कि पैसे की ज़रूरत को खत्म कर देगा उच्च शिक्षा पाने के लिये, और वही हमने किया। पहली बात ये कि बडी आलीशान बिल्डिंगों में बहुत धन लगता है। ऐसे विश्व-विद्यालयों के बडे ऐसे खर्चे होते हैं जो इंटरनेट-यूनिवर्सिटी में नहीं होते। इसलिये हमें इन खर्चों के इंतज़ाम के लिये विद्यार्थियों पर बोझ नहीं डालना पडता है। क्योंकि वो खर्चे होते ही नहीं हैं। हमें सीमित सीटों की संख्या से नहीं जूझना पडा क्योंकि सीटों की कोई सीमा ही नहीं है इंटरनेट-यूनिवर्सिटी में। और तो और, किसी को भी लेक्चर हॉल के पीछे वाली सीट पर नहीं बैठना पडता है, पाठ्य-पुस्तकों को खरीदने की भी ज़रूरत हमारे छात्रों को नहीं होती। मुक्त रूप से उपलब्ध शिक्षा-साधनों के इस्तेमाल से, और उन प्रोफ़ेसरों की दरिया-दिली से, जो अपने ज्ञान और शिक्षा-सामग्री को मुफ़्त में बाँटने को तैयार है, हमे अपने विद्यार्थियों को पुस्तकें खरीदने के लिये बाध्य नहीं करना होता। हमारी सारी पाठ्य-सामग्री मुफ़्त में मिलती है। यहाँ तक कि प्रोफ़ेसर भी, जो कि किसी भी यूनिवर्सिटी के खर्चे का सबसे बडा हिस्सा होते है, हमारे छात्रो को मुफ़्त पढाने को राज़ी हैं, अब तक करीब 3000 प्रोफ़ेसर जुड चुके हैं। प्रेसीडेंट, वाइस-चांसलर, प्रोफ़ेसर और अकादमिक सलाहकार विश्व-स्तर यूनिवर्सिटियों से जैसे एन.वाई.यू (न्यू यार्क वि.वि.) येल, बर्कली और ऑक्सफ़ोर्ड से आ कर हमारे छात्रो की मदद के लिये तैयार हैं। और सबसे बडी बात कि हम एक-दूसरे से सीखने में विश्वास रखते हैं। हमे इस दुरुस्त भरपूर शैक्षणिक मॉडल का प्रयोग करते है दुनिया भर के छात्रों को बढावा देने के लिये कि वो साथ पढे और एक दूसरे से सीखें और उस अवधि को कम करें जो कि हमारे प्रोफ़ेसरों को गॄह-कार्य जाँचनें में लगानी पडती है। जहाँ इंटरनेट ने दुनिया को एक गाँव बना दिया है, वहीं ये मॉडल से भविष्य के कर्णधारों का विकास करेगा। आइये देखें हम क्या करते हैं। हम केवल दो ही डिग्री करवाते हैं: बिजेनेस की और कमप्यूट्रर विज्ञान की। ये वो दो डिग्रियाँ जिनकी दुनिया में सबसे ज्यादा माँग है। इन दो डिग्रियाँ को पाने पर छात्रो की रोज़गार संभावना अधिकतम हो जाती है एड्मिशन के बाद हमारे छात्रो को एक छोटे क्लास में डाला जाता है करीब 20 से 30 छात्रों का, जिस से कि सब पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान दिया जा सके। साथ ही, हर नौं हफ़्तों के कोर्स के बाद, उन्हें एक नया साथी मिलता है, छात्रो का एक बिलकुल नया ग्रुप जो सारी दुनिया से आता है। हर हफ़्ते, जब वे क्लास जाते हैं, उन्हें उस हफ़्ते के लेक्चर की सामग्री मिल जाती है, उनके गृह-कार्य और पाठ्य-सामग्री समेत, विमर्श हेतु प्रश्न भी, जो कि हमारी पढाई का मुख्य भाग होता है। हर हफ़्ते, हर छात्र को क्लास के इस विचार-विमर्श में भाग लेना ही पडता है, और अपनी विचार बताने होते है, साथ ही दूसरों के विचारों पर प्रतिक्रिया भी। इस तरह, छात्रों की सोच का विस्तार होता है, उनके मिजाज़ में सकारत्मकता आती है अलग अलग विचारधाराओं के प्रति। हफ़्ते के अंत तक, छात्रों को एक छोटी परीक्षा देनी होती है, अपना गृह-कार्य जमा करना होता है, जो कि उनके साथियों द्वारा जाँचा जाता है नियुक्त शिक्षकों के मार्ग-दर्शन में, उन्हें ग्रेड मिलते है, और अगला हफ़्ता शुरु होता है। कोर्स के अंत में वो एक फ़ाइनल परीक्षा देते हैं, उन्हें ग्रेड मिलते है, और फिर अगला कोर्स शुरु होता है। हमने उच्च शिक्षा के दरवाज़े खोल दिये हैं हर विद्यार्थी के लिये जो उस के लायक है। हर वो विद्यार्थी जो स्कूल उत्तीर्ण कर चुका है, जिसे ज़रूरी अँग्रेज़ी आती है, और जिसके पास इंटरनेट है, हमारे साथ पढ सकता है। हम ऑडियो इस्तेमाल नहीं करते, वीडियो भी नहीं। ब्रॉड-बैड भी ज़रूरी नहीं है। दुनिया मे कहीं से भी, कोई भी छात्र किसी भी तरह के इंटरनेट कनेक्श्न से हमारे साथ पढ सकता है। हम फ़ीस नहीं लेते। हम अपने छात्रों से बस इतना चाहते हैं कि वो परीक्षा का खर्चा वहन करें, जो कि प्रति परीक्षा 100 डालर है। फ़ुल टाइम बैचलर-डिग्री के छात्र को 40 कोर्स लेने होगें, और करीब प्रति वर्ष 1000 डॉलर खर्च करने होंगे, पूरी डिग्री की कीमत करीब 4000 डॉलर होगी। और जो इसका वहन भी नहीं कर सकते, उन्हें हम कई प्रकार की छात्र-वृत्ति (स्कालरशिप)भी देते हैं। ये हमारा लक्ष्य है कि कोई भी वंचित न रह जाये सिर्फ़ पैसे की कमी के कारण। 2016 तक हम करीब 5000 छात्रों तक पहुँच चुके होंगे, और ये मॉडल वाणिज्यिक रूप से भी सक्षम(फ़ायनेंशियली कामयाब) हो जायेगा पाँच साल पहले, ये सिर्फ़ एक ख्वाब था। आज ये एक सच्चाई है। पिछले हफ़्ते, हमें अपने काम का सबसे बडा इनाम मिला। यूनिवर्सिटी ऑफ़ पीपल अब पूरी तरह से मान्यता-प्राप्त है। (तालियाँ) धन्यवाद इस मान्यता-प्राप्ति के साथ ही तेज़ी से विस्तार का समय आ गया है। हमने ये दिखा दिया है कि ये मॉडल काम करता है। मैं आमंत्रण देता हूँ यूनिवर्सिटियों को, और उस से भी ज्यादा, विकासशील देशों की सरकारों को, कि इस मॉडल को अपने यहाँ अपनायें जिस से कि उच्च शिक्षा के द्वार सभी के लिये खुलें। एक नया ज़माना आ रहा है। ऐसा ज़माना जो गवाह होगा भारी बदलाव का, उच्च शिक्षा के मॉडल में जैसा कि वो आज है। केवल कुछ ही लोगों के लिये उपलब्ध अधिकार की जगह उस के एक मौलिक अधिकार में बदलने का समय, सबके लिये उपलब्ध और सब के बजट में उप्लब्ध होने का। धन्यवाद। (तालियाँ) ये रोजमर्रा की जिंदगी की चीज़ें हैं: घडियाँ, चाबियाँ, कंघे, चश्मे। इन चीजों को बोस्निया जाति-संहार के शिकार हुये लोग अपनी आखिरी यात्रा पर निकले थे। हम बखूबी वाकिफ़ हैं इन नीरस आम चीज़ों से। मार गये कुछ लोग अपने साथ निज़ी चीज़ें जैसे मंज़न और टूथब्रश ले कर चले थे क्योंकि उन्हें अंदाज़ा ही नहीं था कि उनके साथ क्या होने वाला था। अक्सर उन्हें बताया जाता था कि वो युद्ध-बंदियो की अदला-बदली के लिये जा रहे हैं ये चीजें निकाली गयी हैं मेरे वतन मे बिखरी तमाम सामूहिक कब्रग्राहों से, और इस वक्त, फ़ोरेंसिक टीमें और मृतको को निकाल रही हैं जैसे जैसे और कब्रो का पता लग रहा है। युद्ध के बीस साल बाद। और ये शायद अब तक सामने आया सबसे बडा जनसंहार है। लडाई के चार सालों में, 90 के दशक के पहले हिस्से मे, बोस्निया को बर्बाद कर दिया लगभग तीस हज़ार नागरिक, ज्यादातर सिविलियन, लापता हो गये, मरे मान लिये गये, और करीब एक लाख को मार डाला गया लडाई के दौरान। इन में से ज्यादातर मौतें लडाई की शुरुवाती दिनों में हुईं या फ़िर लडाई के आखिरी कग़ार पर, जब यू. एन. संरक्षित क्षेत्र जैसे स्रेब्रेनिका सर्बियन सेना के हत्थे लग गये। अंतर्राष्ट्रीय क्रिमिनल ट्रिब्यूनल ने तमाम सजायें मुकर्रर कीं मानवता-विरोधी अपराधों और जाति-संहार के लिये। जाति-संहार होता है विधिवत और जाना-बूझा संहार किसी जाति, राजनैतिक, धार्मिक या प्रजातीय समूह का। जाति-संहार लोगों को तो मारता ही है, वो विनाश चाहता है उनकी ज़रूरी संपत्ति का उनकी सांस्कृतिक संपदा का, और उनके होने के किसी भी सबूत का। जाति-संहार सिर्फ़ कत्ल नहीं होता है; ये किसी की पहचान छीन लेने की कोशिश होती है। लेकिन कुछ न कुछ बच ही जाता है --- कोई अपराध अचूक नहीं होता। शिकार हुए लोगों का कुछ हिस्सा बचता ही है जो उनके शरीर के खपने के बाद भी रहता है और हमारी याद-दाश्त में उनकी जगह खोने के बाद भी रहता है ये चीजें मिलती हैं तमाम सामूहिक कब्रों से, और इन वस्तुओं को इकट्ठा करने का मूल उद्देश्य है एक ख़ास प्रक्रिया जिससे कत्लेआम के शिकार लोगों को पहचाना जाता है, पहला जाति-संहार जो यूरोप की धरती पर हुआ होलोकास्ट के बाद। एक भी मृतक नहीं होना चाहिये जिसे पहचाना ना जा सके। इन चीजों के मिलने पर, जिन्हें शिकार हुये लोग साथ रखते थे मौत के मुँह में जाते समय, इन्हें साफ़ कर के बारीकी से जाँचा जाता है रिकार्ड दर्ज़ कर के सुरक्षित रखा जाता है। हज़ारों ऐसी वस्तुओं को सफ़ेद प्लास्टिक की थैलियों में पैक करते हैं जैसा के आप सी.एस.आई में देखते हैं। इन वस्तुओं का इस्तेमाल पडताल में मृतकों की पहचान के लिये होता है, और इनका ज़रूरी इस्तेमाल सबूत के तौर पर आगे होने वाले युद्ध-अपराधों के मुकदमों में होता है हमलों में बच गये लोगो को कभी-कभी बुला कर इन चीजों की पहचान करवाई जाती है मगर पूरी की पूरी चीज़ को दिखा पाना कठिन होता है, बहुत धीमी रफ़्तार पर और बहुत दुःखद यादों भरा भी। जाँचकर्ता, वकील और डॉक्टरों के इस्तेमाल के बाद ये वस्तुएँ दुख-भरी दास्तान की अनाथ औलादों सरीकी हो जाती हैं आपको विश्वास नहीं होगा कि ये नष्ट हो जाती हैं या बस रखी रह जाती है, आँख की ओट, पहाड की ओट. कुछ बरस पहले, मैने फ़ैसला किया कि मै हर एक ऐसी वस्तु की तस्वीर लूँगा जिस से एक अभिलेख, एक रिकार्ड तैयार हो जिसे हमलों में बचे लोग देख सकें। एक कहानीकार होने के नाते, मै समाज को कुछ देना चाहता था और सिर्फ़ जागरुकता फ़ैलाने के आगे जाना चाहता था हो सकता है कि कोई इन्हें पहचान ले या कम से कम इन की तस्वीर स्थाई, निष्पक्ष और सटीक याद दिलायेगी जो हुआ था, उसकी। फ़ोटोग्राफ़ी हमदर्दी का माध्यम है, और इन चीजों से हमारा परिचय निश्चित रूप से हमदर्दी को जन्म देगा। इस सब में, मै एक माध्यम की तरह हूँ, आप मुझे एक पडताल-कर्ता कह सकते हैं, और परिणाम स्वरूप ये फ़ोटोग्राफ़ी ठोस दस्तावेज होने के बहुत करीब है। जब सारे गुमशुदाओं का पता लग जायेगा, तब या तो कब्र में गलते उनके शरीर बचेंगे या फ़िर ये रोजमर्रा की चीज़ें। साधारणतम होते हुए भी, ये चीजें साक्षी हैं मारे गये लोगों की पहचानों की, आखिरी स्थाई याद-दाश्त कि ये लोग कभी सच में थे। बहुत धन्यवाद। (आभिवादन) केन्या में, सन १९८४ 'कटोरे-वाला साल' कहके पहचाना जाता है, या गोरो-गोरो-वाला साल. गोरो-गोरो उस बर्तन का नाम है, जिससे बाज़ार में दो किलोग्राम मकई का आटा मापा जाता है, और इस मकई के आटे से बनती है 'उगाली', एक तरह की टिक्की (यूरोपी 'पोलेंटा' जैसी) जो सब्ज़ियों के साथ खाई जाती है. मकई और सब्ज़ियाँ दोनों ही केन्या के ज़्यादातर खेतों में उगाई जाती हैं, जिसका मतलब यह निकला कि ज़्यादातर परिवार अपने ही खेतों से खुद को खिला सकते हैं. एक गोरो-गोरो तीन वक्त के खाने के बराबर है, एक सामान्य परिवार के लिए, और सन १९८४ में पूरी फसल बस एक गोरो-गोरो को भर पाई. वह जो सुखा पड़ा था, तब और अब भी सबसे बुरे अकालों में गिना जाता है जो अब याददाश्त में हैं. अब आज, मैं किसानों को उस कटोरे-वाले साल जैसे सूखे के ख़िलाफ़ बीमा दिलाती हूँ, या ख़ास तौर पर, वर्षा-बीमा दिलाती हूँ. मैं जिस परिवार से आती हूँ, वह धर्म-प्रचारकों का है, जिन्होंने इंडोनेशिया में अस्पताल बनवाए, और मेरे पिताजी ने एक मनोवैज्ञानिक अस्पताल बनवाया तंज़ानिया में. यह मैं हूँ, पाँच साल की उम्र में, उस अस्पताल के सामने. मुझे नहीं लगता कि उन्होने सोचा होगा कि मैं बड़ी होकर बीमा बेचूंगी. (हंसी) तो मुझे बताने दीजिये कि यह हुआ कैसे. सन २००८ में, मैं रवांडा के कृषि मंत्रालय में काम कर रही थी, और तब ही जो मुझसे उच्च-पद पर थीं, वे पद-वृद्धि पाकर मंत्री बनीं थीं. उन्होंने एक महत्त्वाकांक्षी योजना शुरू की, अपने देश में एक हरित क्रांति के आरंभ के लिए, और बस मानिए हम तुरंत ही कई टनों की भारी मात्रा में खाद और बीज का आयात कराने लगे थे, और किसानों को बता रहे थे कि उस खाद को बोने में कैसे अपनाया जाए. दो हफ़्ते बाद, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्य हमारे पास आए, और उन्होंने मेरी मंत्री से पूछा, "मंत्रीजी, यह तो बड़ी ही अच्छी बात है कि आप किसानों को खाद्य-सुरक्षा पाने की ओर सहायता दे रही हैं, मगर बारिश नहीं हुई तो ?" मेरी मंत्री ने गर्व से और ज़रा ललकार के स्वर में कहा, "मैं बारिश की दुआ करूंगी!" उसी से बहस ख़त्म हो गयी. जब हम गाड़ी में मंत्रालय लौट रहे थे, तब वे मेरी तरफ मुड़कर कहीं, "रोस, पूंजी के मामलों में हमेशा तुम्हें दिलचस्पी रही है. जाकर हमारे लिए कुछ बीमा ढूंढकर लाओ." तबसे छह साल बीते हैं, और पिछले साल मेरा यह सौभाग्य था कि मैं एक ऐसी मंडली का भाग रही, जिसने केन्या और रवांडा में एक लाख पचासी हज़ार से अधिक किसानों को सूखे के ख़िलाफ़ बीमा दिलवाई. उनके पास औसतन आधे एकर की ज़मीन थी, और उन्होंने औसतन दो यूरो का बीमा-किस्त (प्रीमियम ) चुकाया. यह लघु-बीमा है. अब, व्यावहारिक तौर पर चली आ रही बीमा-पद्धति तो दो या तीन यूरो के बीमा-क़िस्त से तो नहीं चलेगी, क्योंकि परम्परागत बीमा खेतों की जांच के दौरों पर निर्भर है. यहां जर्मनी के किसान के यहां खेत की जांच के दौरे आते हैं, ऋतु के आरम्भ में, मध्य में, और अंत में, और फिर एक बार अगर नुकसान हुआ हो तो, घाटे का जायज़ा लेने. अफ्रीका के मध्य में एक लघु-स्तरीय किसान के मामले में, ऐसे दौरों का हिसाब संभाला नहीं जा सकता. इसलिए इसके बदले, हम तकनीक और आंकड़ों का सहारा लेते हैं. यह उपग्रह यह पता लगवाता है कि बादल थे या नहीं, क्योंकि, ज़रा सोचिये: अगर बादल हैं, तो थोड़ी वर्षा हो सकती है, लेकिन अगर बादल नहीं हैं, तो वास्तव में वर्षा असंभव है. यह तसवीरें केन्या में इस साल के बारिश के मौसम की शुरुआत दिखाती हैं. आप देख सकते हैं कि ६ मार्च के आस-पास, बादल प्रवेश करते हैं और फिर गायब हो जाते हैं, और फिर ११ मार्च के आस-पास, बादल सचमुच में आने लगते हैं. वे, और वे बादल, ही इस साल के बारिश के मौसम की शुरुआत हैं. इस उपग्रह की दृष्टि पूरी अफ्रीका पर है और इसके द्वारा सन १९८४ से लेकर के मौसम की जानकारी उपलब्ध है, और यह बहुत अहम है, क्योंकि जब आप जानते हैं कि किसी जगह में पिछले तीस सालों में कितने बार सुखा पड़ा था, तब आप काफी अच्छा अनुमान लगा सकते हैं कि भविष्य में अकाल की संभावनाएं क्या हैं, और इसका मतलब यह है कि आप सूखे की जोखिम को आर्थिक हानि के रूप में तोल सकते हैं. सिर्फ आँकड़े काफी नहीं हैं. हम कृषि-शास्त्र पर आधारित संगणकीय कलन विधियों की युक्ति करते हैं, जो हमें बताती हैं कि किसी फसल को कितने बारिश की ज़रुरत है और किस समय में. मिसाल के तौर पर, मकई को बोते समय, आपको दो दिन की बारिश चाहिए ताकि किसान बो सकें, और उसके बाद हर दो हफ्ते बारिश की ज़रुरत है ताकि फसल ठीक से उगे. उसके बाद, हर तीन हफ्ते में बारिश होनी चाहिए ताकि फसल के पत्ते निकलें, और कलियाने के समय, और अक्सर बारिश होनी चाहिए लगभग १० दिन में एक बार, ताकि पसल में भुट्टे बन सके. और ऋतु के अंत में, आप असल में बारिश नहीं चाहेंगे, क्योंकि तब बारिश फसल को नुक्सान पहुंचा सकती है. ऐसे बीमा आवरण की रचना तो कठिन है ही, मगर असली चुनौती यह निकली की बीमा को कैसे बेचा जाए. बीमा को कैसे बेचा जाए. हमने खुद के सामने बहुत ही सामान्य लक्ष्य रखे, कि ५०० किसान बीमा द्वारा सुरक्षित हों, हमारी पहली ऋतु के बाद. दो महीनों के ज़ोरदार विज्ञापन के बाद, हमनें कुल-मिलाकर १८५ किसान भरती करवाए थे. मैं निराशा और असमंजस में थी. सब मुझे बताते रहे कि किसान बीमा चाहते हैं, मगर हमारे प्रमुख ग्राहक तो खरीद ही नहीं रहे थे. वे रुके थे यह देखने कि होता क्या है, बीमा उद्योगों पर भरोसा नहीं करते थे, या सोचते थे, "इतने सालों से तो मैं संभालता रहा. अब क्यों मैं बीमा खरीदूंगा?" अब आप में से काफी लोग लघु-उधार (micro-credit) से परिचित हैं, जो गरीब लोगों को छोटे क़र्ज़ प्रदान करने की प्रक्रिया है जिसका आविष्कार किया था मोहम्मद यूनुस ने, जिन्होंने नोबेल शान्ति पुरस्कार जीता था ग्रामीण बैंक के साथ अपने काम के लिए. वास्तव में, लघु-उधार बेचना और बीमा बेचना एक जैसी बातें नहीं हैं. उधार के लिए, एक किसान को बैंक के भरोसे को कमाने की ज़रुरत है, और अगर कामयाबी मिली, तो बैंक उसे अग्रिम राशि देगी. यह एक आकर्षक प्रस्ताव है. बीमा के लिए, किसान को बीमा निगम पर भरोसा करना पड़ता है, और बीमा निगम को अग्रिम राशि के रूप में पैसा देना पड़ता है. यह बहुत अलग मूल्यों पर आधारित प्रस्ताव है. और इसलिए बीमा का जमाव काफी धीमा रहा है, जिसमें अब तक सिर्फ ४.४ प्रतिशत अफ्रीकियों ने सन २०१२ में बीमा को अपनाया, और इस संख्या में से आधे एक ही देश से हैं, दक्षिण अफ्रीका. हमनें कुछ साल बीमा को सीधे किसानों को बेचने की कोशिश की, जिसके विज्ञापन के खर्च बहुत ज़्यादा थे और सफलता बहुत सीमित थी. फिर हमारे ध्यान में आया कि ऐसे कई संगठन हैं जो किसानों के साथ काम कर रहे थे, जैसे बीज उद्योग, लघु-उधार संस्थाएं, मोबाइल फ़ोन उद्योग, सरकारी संस्थाएं. वे सब किसानों को क़र्ज़ प्रदान कर रहे थे, और अक्सर, क़र्ज़ को पक्का करने से ठीक पहले, किसान कहते, "मगर बारिश नहीं हुई तो? आप कैसे उम्मीद रख सकते हैं कि मैं क़र्ज़ चुका पाऊंगा?" ज़्यादातर संस्थाएं जोखिम खुद ही उठाए थे, और बस इस उम्मीद पर कायम थे, कि उस साल की हालत सबसे बदतर नहीं होगी. मगर ज़्यादातर संस्थाएं कृषि-क्षेत्र में अपना विस्तार सीमित ही रख रहे थे. वे ऐसे जोखिम उठा नहीं सकते थे. यही संस्थाएं हमारे ग्राहक बने, और जब उधार और बीमा का समावेश किया जाए, तो दिलचस्प चीज़ें होने लगती हैं. मुझे आप एक कहानी सुनाने दीजिये. फ़रवरी २०१२ की शुरुआत में पश्चिम केन्या में, बारिश शुरू हुई, और जल्दी शुरू हुई, और जब बारिश जल्दी शुरू होती है, तो किसानों को बढ़ावा मिलता है, क्योंकि आम तौर पर इसका मतलब यह है कि मौसम अच्छा होने वाला है. इसलिए वे क़र्ज़ निकालकर बोए. अगले तीन हफ़्तों में, एक बूँद बारिश भी नहीं हुई, और जो फसल इतनी अच्छी तरह उगे थे, मुरझाकर मर गए. हमने कर्ज़ों पर बीमा लागू की थी, उस लघु-उधार संस्था के जिसने क़र्ज़ दिए थे उस इलाके के ६००० किसानों को, और हमने उन्हे फ़ोन करके कहा, "देखिए, हमें सुखे के बारे में पता है. हम आपका साथ देंगे. हम आपको इस ऋतु के अंत में २००,००० यूरो देंगे." उन्होंने कहा, "वाह, बढ़िया है, मगर ऐसे तो बहुत देर हो जाएगी. क्या आप हमें अभी पैसे दे सकते हैं? अगर ऐसा हो, तो किसान अभी भी वापस बीज बो सकते हैं और इस ऋतु की फसल पा सकते हैं." इसलिए हमने अपने बीमा-साझेदारों को राज़ी करवाया, और कुछ समय बाद उस अप्रैल में, इन किसानों ने पुनः बीजारोपण किया. इस वापस बीज बोने के सुझाव को हम एक बीज उद्योग के पास ले गए, और उन्हे मनवाया कि वे बीमा के दाम को बीज के एक बोरे के दाम में जोड़ लें, और हर एक बोरे में हमने जमा किया एक कार्ड जिसमे एक अंक था, और जब किसान वह कार्ड खुलवाते थे, वे उस अंक को SMS द्वारा भेजते थे, और वह अंक असल में हमारे काम आता उस किसान के ठिकाने का पता लगाने में, और उन्हें उपग्रह-चित्र के उचित बिंदु में दर्ज करने में. एक उपग्रह फिर आनेवाले तीन हफ़्तों की वर्षा का अनुमान करता, और अगर बारिश नहीं हुई, तो हम उन्हें नए बीज मुआवज़े में दे देते थे. पहले ही के कुछ --- (तालियां) --- ज़रा रुकिए, मैं आखिर तक नहीं पहुँची! इस पुनः बीजारोपण आश्वासन के पहले लाभ-भोगियों में से एक थे बॉस्को म्विन्यि. हमने उनके खेत का दौरा किया उसी अगस्त में कुछ समय बाद, और काश मैं आपको उनके चहरे की मुस्कान दिखा पाती जब उन्होंने हमें अपनी फसल दिखाई, क्योंकि यह मुस्कान मेरे दिल को छू गयी और मुझे यह एहसास दिलवाई कि बीमा बेचना कितनी अच्छी चीज़ हो सकती है. मगर आप देखिए, उन्होंने आग्रह किया कि हम उनके पूरे फसल को तस्वीर में लाएं, और इसलिए हमें काफी दूर से तस्वीर खींचनी पडी. इस ऋतु में बीमा ने उनके फसल को सुरक्षित रखा, और मैं मानती हूँ कि आज, हमारे पास सभी साधन हैं जिनके सहयोग से अफ़्रीकी किसान खुद के तक़दीर के मालिक बन सकते हैं. फिर कभी 'कटोरे-वाले साल' नहीं आने चाहिए. उसके बदले मैं, राह देख रही हूँ, किसी तरह, 'बीमा-वाले साल' की, या 'शानदार फसल-वाले साल' की. धन्यवाद. (तालियां) मै एक औद्योगिक अभियंता हूँ| मेरे जीवन का लक्ष्य हमेशा से रहा है कि मै बनाउ अधिक से अधिक उत्पाद समय और संसाधनों की कम से कम मात्रा में| टोयोटा में काम करते वक्त मैं सिर्फ गाड़ियां बनाना जानता था| जब तक मुझे डॉ. अकीरा मियावाकी नही मिले जो आये थे हमारे कारखाने में वन बनाने के लिए जिससे उससे कार्बन तटस्थ बनाये जा सके मैं इतना मोहित हो गया था कि मैंने इस कार्यप्रणाली को सिखने का फैसला किया इस टीम में एक स्वयंसेवक के रूप में शामिल होकर| जल्द ही, मैने एक वन बनाना शुरू कर दिया मेरे घर के पीछे आँगन में और तीन साल के बाद यह इस तरह दीखता है ये वन एक पारंपरिक वृक्षरोपन की तुलना में १० गुना तेजी से बढते है, वह ३० गुना अधिक घने हैं, सौ गुना से भी ज्यादा जैव-विविधता है हमारे घर के पीछे आँगन में इस वन के दो वर्ष के भीतर भूजल के निरिक्षण से मुझे पता चला कि गर्मियों के दौरान सूखता नहीं था, इस क्षेत्र में पशु प्रजातियों की संख्या दो गुनी हो गई थी| हवा की गुणवत्ता बेहतर हो गई थी| और हमेने मौसमी फलों की कटाई शुरू कर दी जो अनायास बढ़ रहे थे ठीक हमारे घर के पीछे आँगन में। मैं ऐसे और वन बनाना चाहता था मैं सारे परिणामो से इतना प्रभावित हुआ कि मैं इन वनों को उसी खुशाग्रता से बनाना चाहता था जिस खुशाग्रता से गाड़ियों को बनाया जाता है या फिर सॉफ्टवेयर लिखी जाती है फिर मुख्याधारा व्यापार किया जाता है इसीलिए मैने एक संगठन की स्थापना की जो पुरे दौरान में सेवा प्रदाता के रूप में काम करे इन देसी प्रतिक्रिया वनों को बनाने के लिए लेकिन वनीकरण को एक मुख्यधारा के व्यवसाय के रूप में बनाने के लिए या फिर एक उद्योग बनाने के लिए हमे मानकीकरण करना पड़ता वन बनाने की प्रक्रिया को इसीलिए हमने टोयोटा उत्पादन प्रणाली को माणक बनाया जिसे उसकी गुणवत्ता और दक्षता के लिए जाना जाता है वन बनाने की प्रक्रिया में। 'एक उदाहरण के लिए, टीपीएस का मूल, टोयोटा प्रोड्क्शन सिस्टम, हेइजुनका में है| जिसका मतलब है निर्माण करना| गाड़ियों के अलग अलग प्रतिरूप को एक ही निर्माण रेखा पर | हमने इन गाड़ियों को वृक्षों से प्रतिस्थापित कर दिया जिसका उपयोग करके हम बहुस्तरीय वन बना सकते है इन वनों में सौ प्रतिशक सीधी जगह उपयोग होता है ये इतने घने है कि आप इनमे से चल के भी नही जा सकते| उदहारण के लिए, हम एक ३०० वृक्षों का वन बना सकते है उतनी सी जगह में, जितने में ६ गाडियों की पार्किंग हो सकती है लागत और हमारे अपने कार्बन पदचिन्ह को काम करने के लिए हमने स्थानीय बायोमास का उपयोग शुरू कर दिया मिट्टी में सुधार और उर्वरक के रूप में उदाहरण के लिए नारियल को गोल की यंत्र में कुचल के चावल के भूसे के साथ मिश्रित कर के फिर उसी चावल की भुस्सी का चूर्ण जैविक खाद के साथ मिश्रित करके अंत में मिट्टी में फेंक दीया जाता है, जिस पर हमारे वन को बोया जाता है। लगाये जाने के बाद, हम घांस फिर चावल के भूसे का उपयोग मिट्टी का आवरण करने के लिए होता है| जिससे की सारा पानी सिंचाई में चला जाता है और सुख कर वायुमंडल में वापिस ना मिल जाए। और इन सरल सुधारणा का उपयोग करके आज हम घरों एक वन बना सकते है| ही उतने फिर लागत में जितने लागत में एक आय फोन का खर्च मिलता है| आज, हम घरों में वन बना रहें है शालाओ में, यहाँ तक कि कॉर्पोरेट्स के साथ कारखानों में भी बनाया जा रहें है| लेकिन, यह काफी नही हैं। ऐसे, लोंगो की बड़ी संख्या है| जो मामलो को अपने हाथो में लेना चाहते है। इसीलिए, हमने ये होने दिया। आज, हम एक इंटरनेट आधारित मंच या प्लेटफ़ॉर्म बराबर काम कर रहें है| जहां हम हमारी कार्यप्रणाली को फिर साझा करे एक खुले स्त्रोत पर| जिसका उपयोग करके कोई भी और सभी स्वयं के वन बना सकते है| बिना हमारे भौतिक उपस्थिति के, हमारी पढाई का उपयोग करके 'एक बटन के क्लिक पर, वे सभी स्वदेशी प्रजातियों के बारे में पता कर सकते है जो उनके जगह में पाए जाते है| स्थल पर एक छोटा सा जांच उपकरण स्थापित करके हम दूरवर्ती मिट्टी परिक्षण कर सकते है जिसका उपयोग करके हम, कदम दर कदम निर्देश दे सकते है वन बनाने की प्रक्रिया से दूर बैठे ही| इसके अलावा, हम इस वन के विकास की निगरानी कर सकते है स्थल पर जाए बिना। मुझे विश्वास है कि इस कार्यप्रणाली में एक संभावना है बाटने से, हम वास्तव में अपने देसी वनो को वापस ला सकते है| अब, आप जब घर वापिस जाते और रास्ते में आपको एक बंजर जमींन दिखती है याद रखिये कि ये भी एक संभावित वन हो सकता है| आप सबका बहुत धन्यवाद। धन्यवाद। (तालियाँ) इस ब्रह्माण्ड में महासंख आकाशगंगाएँ हैं। और हमने हाल ही में एक बहुत अनोखी आकाशगंगा ढूँढी है, एक ऐसी आकाशगंगा जो पहले कभी न देखी हो। यह आकाशगंगा इतनी अनूठी है, कि वह हमें ब्रह्माण्ड के अस्तित्व के सिद्धांतों के बारे में सोच में डाल देती है। अधिकतम आकाशगंगाएँ सर्पिल होती हैं, हमारी मिल्की वे आकाशगंगा की तरह। हमारे पास इन आकाशगंगाओं के बनने और विक्सित होने के बारे में कई सिद्धांत हैं। पर यह ज़रूरी नहीं कि हमें अनोखी आकाशगंगाओं का बनना और विक्सित होना समझ आता हो। खासकर की होग्स ऑब्जेक्ट जो कि एक विचित्र किस्म की आकाशगंगा है। उसका बीच का हिस्सा सममित है, जो कि एक बाहरी गोले से घिरा हुआ है। इन दोनों को बाँध के रखने वाला हिस्सा दिखाई नहीं देता। होग जैसी आकाशगंगाएँ इस समय की सब से अनोखी आकाशगंगाओं में से है। वे हज़ारों में एक मिलने वाली आकाशगंगाओं में से भी कम है। यह एक रहस्य है कि बाहरी गोले के तारे वहाँ कैसे इतने व्यवस्थित तरीके से तैर रहे हैं। रोमांचक है न? तो आगे सुनिए। अब चीज़ों को और भी रोमांचक बनाया जाए। जो आकाशगंगा हमने खोजी है वह और भी ज़्यादा अनोखी और पेचीदा है। कभी कभी आप इस तरह की चीज़ों के बारे में ढूँढते रहते हो, और आपको कुछ नहीं मिलता। पर कभी कभी वह चीज़ आपको तब दिख जाती है, जब आप उसे ढूँढ भी नहीं रहे होते। यह प्रणाली होग्स ऑब्जेक्ट से बहुत मेल खाती है, जिसमें बीच का हिस्सा और बाहरी गोला उससे समानता रखते हैं। हम बहुत उत्तेजित हुए और हमें लगा कि हमने एक और होग्स ऑब्जेक्ट खोजा है। पर मेरे अनुसंधान के अनुसार यह एक नई प्रकार की आकाशगंगा है, जिसे अब "बूर्चिन की आकाशगंगा" कहते हैं। (हँसती हैं) (तालियाँ) हम इस आकाशगंगा पर जल्द तो नहीं पहुँच पाएँगे। वह पृथ्वी से तकरीबन ३५९० लाख प्रकाश वर्ष दूर है। आपको लगता है वह दूर है। लेकिन, यह आकाशगंगा पास है। मैंने इस वस्तु को अलग प्रकार की रोशनियों से पढ़ा-- पराबैंगनी, प्रकाशिक और अवरक्त के पास वाली रौशनी। शरीर पे छोटे छोटे निशान या झुर्रियां, हमारी ज़िंदगी की कहानी बताते हैं। सामान्तः, एक आकाशगंगा की संरचना के आधार पर हम उसके उद्भव के बारे में जान सकते हैं। पर इसका विवरण कैसे किया जाए? पहले मैं अंदरूनी हिस्से का एक नमूना बनाती हूँ, और फिर उस नमूने को छवि से गुप्त विशेषताओं को ढूँढने के लिए निकाल देती हूँ, क्योंकि आकाशगंगा का कोई उज्जवल हिस्सा हमें हलकी विशेषताएँ देखने से रोकता है, जैसे जब हम तेज़ धूप से बचने के लिए अलग चश्मे पेहेनते हैं। परिणाम काफ़ी आश्चर्यजनक था। इस आकाशगंगा में सिर्फ़ एक बाहरी गोला नहीं, बल्कि एक प्रचारित अंदरूनी गोला भी है। हम पहले होग वाली आकाशगंगाओं के बाहरी गोले का उद्भव समझ नहीं पाते थे। अब हमें एक और रहस्यमय गोले को समझना होगा। फ़िलहाल कोई ऐसी क्रियाविधि नहीं है जो ऐसी विचित्र आकाशगंगा में इस अंदरूनी गोले के अस्तित्व को समझा पाए। तो बूर्चिन की आकाशगंगा की खोज से पता चलता है कि आकाशगंगा के विकास के बारे में बहुत कुछ जानना बाकी है। एक अनोखी आकाशगंगा के निर्माण पर अगर हम आगे अन्वेषण करें, तो हमें इस ब्रह्माण्ड के चलन के बारे में और भी जानकारी प्राप्त हो सकती है। इस खोज से हमने सीखा कि हमारे पास सीखने के लिए और भी बहुत कुछ है, हमें अंतरिक्ष को गहराई से देखना चाहिए, और अज्ञात की खोज करते रहना चाहिए। धन्यवाद। (तालियाँ) कैंसर। यह एक विनाशकारी बीमारी है जो एक विशाल भावनात्मक संकटलाती है। न केवल रोगी पर, बाकि रोगी के प्रियजनों पर भी। यह एक लड़ाई है जो मानव जाति सदियों से लड़ रही है। और हालाँकि हमने कुछ प्रगति की है, पर हमने अभी भी इसे हराया नहीं है। अमेरिका में पांच में से दो लोग अपने जीवनकाल में कैंसर से पीड़ित होंगे। उनमें से 9 0 प्रतिशत की मौत हो जाएगी इस बीमारी के शरीरभर फैलाव होनेसे । मेटास्टेसिस कैंसर का फैलाव है एक प्राथमिक साइट से एक दूरस्थ साइट पर, परिसंचरण के माध्यम से या लिम्फैटिक प्रणाली से। उदाहरण के लिए, एक महिला रोगी जिसे स्तन कैंसर है उसकी मृत्यू इसलिए नहीं होती क्योंकि उसके स्तन पर एक पिंड है। वह बीमारी की वजह से मरती है क्योंकि यह फैलता है फेफड़ों, यकृत, लिम्फ नोड्स, मस्तिष्क, हड्डी, जहां यह अनदेखा हो जाता है या अप्रत्याशित। मेटास्टेसिस याने शरीर में फैलाव एक जटिल प्रक्रिया है। जिसे मैंने कई सालों से अध्ययन किया है। और कुछ जो मैंने और मेरी टीम ने हाल ही में खोज की है क्या कैंसर की कोशिकाएं सक्षम हैं एक दूसरे के साथ संवाद करने के लिए और उनके समन्वय से चलने में , इस आधार पर की वे कितने करीब हैं ट्यूमर माइक्रोएन्वायरमेंट में। वे एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं दो सिग्नलिंग अणुओं के माध्यम से जिन्हे इंटरलेकिन -6 और इंटरलेकिन -8 कहा जाता है। अब, प्रकृति में किसी और चीज की तरह जब चीजें थोड़ा बहुत तंग हो जाती हैं, तब सिग्नल बढ़ जाता है, जो कारण बनता है कैंसर कोशिकाओं का प्राथमिक स्थान से तेजी से दूर जाने के लिए और एक नई साइट पर फैलने में। तो, अगर इस सिग्नल को अवरुद्ध कर दें , एक दवा मिश्रण से जिसने हमने विकसित किया, हम कैंसर कोशिकाओं के बीच के संचार को रोक सकते हैं और कैंसर के प्रसार को धीमा कर सकते हैं। मैं यहाँ एक सेकंड के लिए रुकती हूँ और आपको वापस ले जाता हूँ 2010 में जब यह मेरे लिए शुरू हुआ था , जब मैं कॉलेज के सिर्फ दुसरे साल में था। मैंने तभी काम करना शुरू किया था डॉ डैनी विर्टज़ की प्रयोगशाला में जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय में। और मैं ईमानदारी से कहूँगी: मैं एक युवा, भोली-भाली, श्रीलंकन लड़की थी , (हँसी) जिनके पास कोई पूर्व अनुसन्धान का अनुभव नहीं था। और मुझे यह देखना था कि कैंसर की कोशिकाएं कैसे स्थान-परिवर्तन करती हैं एक 3 डी कोलेजन दन मैट्रिक्स में जो एक डिश में बंद थीं , उन स्थितियों में जिनसे कैंसर कोशिकाये हमारे शरीर में उजागर हैं। यह मेरे लिए नया और रोमांचक था, क्योंकि मेरा पिछला काम 2 डी, फ्लैट, प्लास्टिक डिश पर था जो सही से नहीं दर्शाते उन परिस्थितियों को जिनसे हमारे शरीर में कैंसर कोशिकायें उजागर हैं। क्योंकि, वास्तव में हमारे शरीर में कैंसर कोशिकायें प्लास्टिक डिश पर अटकी नहीं हैं। उस समय मैंने एक सेमिनार में भाग लिया था जो डॉ बोनी बास्लर द्वारा आयोजित प्रिंसटन विश्वविद्यालय से था , जहां बताया था की बैक्टीरिया कोशिकायें एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं , उनकी आबादी घनत्व के आधार पर, और एक विशिष्ट कार्रवाई करते हैं। यह मेरे सिर में एक प्रकाश बल्ब जला गया , और मैंने सोचा, "वाह, मैं यह देखता हूँ हर दिन मेरे कैंसर कोशिकाओं में, जब उनके चलने की बात आती है। " इस प्रकार मेरे प्रोजेक्ट का विचार पैदा हुआ था। मैंने परिकल्पना की कैंसर कोशिकायें एक दूसरे के साथ संवाद करने में सक्षम हैं और एक स्थान से दूसरे पर चलने में समन्वय करती हैं , इस आधार पर की वे कितने करीब हैं ट्यूमर माइक्रोएन्वायरमेंट में। मैं यह परिकल्पना का पता लगाने के लिए जुनूनी हो गया । और सौभाग्य से, मैं किसी के लिए काम करती हूं जो मेरे पागल विचारों को जानने की लिए खुला है . तो, मैंने खुद को इस परियोजना में झोंक दिया। हालांकि, मैं इसे अपने आप अकेले नहीं कर सकता था । मुझे मदद चाहिए थी. मुझे निश्चित ही मदद की ज़रूरत थी। तो हमने छात्रों की भर्ती की स्नातक और पूर्व स्नातक छात्रों की , पोस्टडॉक्टरल साथी और प्रोफेसर विभिन्न संस्थानों से और कई विषयों में , एक साथ पर आकर इस विचार पर काम करने के लिए जिसकी मैंने कल्पना की थी कॉलेज में एक नए छात्र के रूप में। कई वर्षों के एक साथ प्रयोग बाद और विभिन्न विचारों और दृष्टिकोण के मिलाप से, हमने एक नया सिग्नलिंग मार्ग खोजा जो कैंसर कोशिकाओं के एक-दूसरे से संवाद और बदने को नियंत्रित करता है उनकी कोशिका घनत्व के आधार पर। आप में से कुछ ने यह सुना होगा, क्योंकि अधिकांश सोशल मीडिया इसे जानता है हसीनी प्रभाव के रूप में। हँसी) (तालियां) और हमने अभी तक बस नहीं की थी । हमने तब फैसला किया कि हम इस सिग्नलिंग मार्ग को अवरुद्ध करना चाहते थे और देखें कि कैंसर के फेलाव को धीमा कर सकते हैं या नहीं जो हमने प्रीक्लीनिकल पशु मॉडल में किया . हमने एक दवा मिश्रण तैयार किया तोसिलिज़ुमाब से मिलiकर, जो अभी रहमोटाइड आर्थराइटिस के इलाज में प्रयोग किया जाता है, और रेपरिक्सिन जो अभी स्तन कैंसर के लिए क्लिनिकल परीक्षण में है, और दिलचस्प बात यह है कि हमने पाया कि इन दवाओं के मिश्रण का वास्तव में ट्यूमर वृद्धि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, लेकिन शरीर में फैलाव न होनेपर नका लक्ष्य होता है । यह एक महत्वपूर्ण खोज थी , क्योंकि वर्तमान में, कोई भी एफडीए-अनुमोदित चिकित्सीय नहीं है जो सीधे कैंसर के फैलाव को लक्ष्य करता है। वास्तव में, कैंसर का प्रसार, मेटास्टेसिस , को ट्यूमर वृद्धि की एक उपज के रूप में सोचा जाता है । विचार यह है, किअगर हम ट्यूमर को बढ़ने से रोक सकेंगे , तो हम ट्यूमर को फैलाने से भी रोक सकेंगे । हालांकि, हम में से ज्यादातर जानते हैं कि यह सच नहीं है। दूसरी तरफ हमने यह दवा मिश्रण बनाया जो मेटास्टेसिस को लक्षित करता है न की ट्यूमर वृद्धि को , जटिल तंत्र विधियों को लक्ष्य करके जो इसे नियंत्रित करते हैं, लक्ष्यीकरण के हसीनी प्रभाव के माध्यम से। (हँसी) यह काम हाल ही में प्रकाशित किया गया था "नेचर कम्युनिकेशंस" में और मेरी टीम और मुझे दुनिया भर से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली । मेरी टीम में से कोई भी ऐसी प्रतिक्रिया की सोच नहीं कर सकता था। ऐसा लगा कि हमारे हाथ कोई बड़ी चीज़ लगी है। मैं बहुत आभारी हूं इस सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के लिए, न केवल शिक्षा वालों से, बल्कि रोगियों से भी, और दुनिया भर के लोगों से जो इस भयानक बीमारी से प्रभावित हैं जब मैं इस सफलता के बारे में सोच्री हूं जो मुझे हसीनी प्रभाव से मिली है, मैं उन लोगों के पास वापस गई जिनके साथ भाग्य से मैंने काम किया था। पूर्व स्नातक छात्र जिन्होंने अति मानवी शक्तियां दिखाईं हैं अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से। स्नातक छात्र और डॉक्टर बने साथी, मेरे साथी एवेंजर्स, जिन्होंने मुझे नई तकनीक सिखाई और सुनिश्चित किया कि मैं ट्रैक पर रहूँ। प्रोफेसर, मेरे योडा और मेरे ओबी-वान केनोबिस, जिन्होंने अपनी विशेषज्ञता से इस काम को आज इस रूप में लाये। सपोर्ट स्टाफ, दोस्तों और परिवार, जो लोग हमारे व्भावों को ऊपर उठाते हैं, और हमें कभी हारने नहीं देते हमारे महत्वाकांक्षी प्रयासों में। सबसे अच्छा खास सहयोगी हम मांग सकें। मेरी मेटास्टेसिस का अध्ययन करने में मदद करने के लिए एक गांव था। और विश्वास करें, मेरे गांव के बिना, मैं यहाँ नहीं होती । आज, हमारी टीम बढ़ी है, और हम हसीनी प्रभाव का उपयोग कर रहे हैं संयोजन उपचार विकसित करने के लिए जो प्रभावी रूप से लाश्य करेगा ट्यूमर वृद्धि और मेटास्टेस। हम बना रहे हैं नए एंटी-कैंसर चिकित्साएँ, विषैलापन को सीमित करने और दवा प्रतिरोधक क्षमता को कम करने में। और हम विकास कर रहे हैं ग्राउंडब्रैकिंग सिस्टम जिनसे मदद मिलेगी बेहतर मानव क्लिनिकल प्रयोंगों के विकास के लिए । यह सोच कर मेरे होश उडते हैं की यह सब, अविश्वसनीय काम जो मैं कर रहा हूं - और यह तथ्य कि मैं यहाँ खड़ा हूँ, और आज आपसे बात कर रहा हूँ - सब इस छोटे से विचार से आए थे जब मैं एक सेमिनार में पीछे बठी थी जब मैं सिर्फ 20 साल की थी । मैं जानती हूँ कि मैं इस अविश्वसनीय यात्रा पर हूं जो मुझे काम करने की अनुमति देता है जिसका मैं बेहद उत्साही हूं, और कुछ जो मेरी जिज्ञासा को बदाता है दैनिक आधार पर । लेकिन में कहूँगी कि, इन सब में मेरा पसंदीदा हिस्सा - आज यहां होने और आपसे बात करने के अलावा, यह तथ्य है कि मुझे विभिन लोगों के समूह के साथ काम करने को मिलता है जो मेरा काम मजबूत, बेहतर और बहुत ही मजेदार बनाता है। और इसलिए, में कहूँगी कि सहयोग मेरी पसंदीदा अतिमानवी शक्ति है। और जो मुझे इस शक्ति के बारे में पसंद है वह यह है कि यह मेरे लिए अनूठी नहीं है। यह हम सभी के भीतर है। मेरा काम दिखाता है कि कैंसर कोशिकाएं भी हमारे शरीर में घुसने के लिए सहयोग करती हैं अपने कोप को फेलाने के लिए । हम मनुष्यों के लिए, यह एक महाशक्ति है जिसने अविश्वसनीय खोज कीं है चिकित्सा और वैज्ञानिक क्षेत्र में। और यह महाशक्ति है जिसके तरफ हम मुड सकते हैं हमें खुद से कुछ बड़ा बनाने के लिए प्रेरित करने के लिए, इससे दुनिया को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। सहयोग महाशक्ति है जो मुझे कैंसर से लड़ने में मदद करता है । और मुझे विश्वास है कि सही सहयोग के साथ, हम इस भयानक बीमारी को हरा देंगे। धन्यवाद। (तालियां) जब मैं १९ वर्ष की हुई, तब मैंने अपनी जीविका आरम्भ करी पहली महिला छाया पत्रकार की तरह फिलिस्तीन की गाज़ा पट्टी में एक महिला छायाकार के रूप में मेरा काम एक गंभीर अपमान माना गया स्थानीय परंपराओं के लिए यह स्थायी कलंक बन गया मेरे और मेरे परिवार के लिए पुरुष प्रधान क्षेत्र ने हर संभव तरीके से मेरी उपस्थिति को अनिष्ट कर दिया उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि एक महिला को पुरुषों का काम नहीं करना चाहिए गाज़ा में छाया संस्थानों ने मुझे प्रशिक्षित करने से मना कर दिया मेरे लिंग की वजह से "नहीं" काफी स्पष्ट था मेरे तीन सहकर्मी मुझे जंग के खुले मैदान में जितनी दूर हों सके लेकर गए जहाँ मैं सिर्फ विस्फोट की ध्वनियाँ ही सुन पा रही थी हवा में धूल उड़ रही थी और मेरे नीचे की ज़मीन झूले की तरह हिल रही थी मुझे बाद में एहसास हुआ कि हम वहाँ घटना को दस्तावेज़ करने नहीं गए थे जब वो तीनों बख़्तरबंद जीप में बैठ के मेरी ओर हाथ हिलाकर, मुस्कुराते हुए वापिस चले गये मुझे जंग के खुले मैदान में अकेला छोड़कर एक क्षण के लिए, मुझे भयभीत अपमानित महसूस हुआ, खुद के लिए काफी खेद हुआ मेरे सहकर्मियों के द्वारा दी गयी मौत की धमकी पहली नहीं थी परन्तु सबसे खतरनाक थी. गाज़ा में महिलाओं के जीवन की धारणा निष्क्रीय है हाल ही तक, काफी महिलाओं को काम या शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी ऐसे दुगने युद्ध के समय जिसमें महिलाओं पर सामाजिक प्रतिबंध था और इजरायल - फिलीस्तीनियों में संघर्ष, महिलाओं की काली एवम चमकदार कहानियाँ लुप्त होती जा रहीं थी पुरुषों के लिए, महिलाओं की कहानियाँ महत्वहीन थी. मैने गाज़ा में महिलाओं के जीवन पर करीब से ध्यान देना शुरू कर दिया मेरे लिंग की वजह से मुझे वहाँ जाने की अनुमति थी जहाँ मेरे सहकर्मियों का जाना वर्जित था सपष्ट दर्द और संघर्ष के परे, एक स्वस्थ खुराक थी हँसी और उपलब्धियों की गाज़ा शहर में पुलिस परिसर के सामने गाजा में पहले युद्ध के दौरान एक इजरायली हवाई हमला, परिसर को नष्ट करने में और मेरी नाक तोड़ने में कामयाब रहा. एक क्षण के लिए तो मुझे सब कुछ सफ़ेद, चमकदार सफ़ेद दिखाई दिया, इन रोशनियों की तरह मुझे लगा या तो में अंधी हो गयी हुँ या स्वर्ग में आ गयी हुँ जब तक मैने अपनी आँखें खोली तब तक मैने उस क्षण को दर्ज कर लिए था मुहम्मद खादर, एक फिलिस्तीनी कार्यकर्ता जिन्होने दो दशक इसराइल में गुज़ारे, अपनी सेवानिवृत्ति योजना के रूप में, उन्होने एक चार मंजिल घर बनाने का फैसला किया, उनके पड़ोस में पहले मैदानी ऑपरेशन के दौरान उनका घर भूमि पर चपटा हो गया कबूतरों को छोड़कर कुछ भी नहीं बचा और एक स्पा, एक बाथटब वह तेल अवीव से लाये थे मुहम्मद बाथटब को उठा कर मलबे के शीर्ष पर ले आये और अपने बच्चों को हर प्रातः उसमें बुलबुला स्नान देना शुरू कर दिया मेरा काम युद्ध के निशान छिपाना नहीं, बल्कि गाज़न्स की अनदेखी कहानियों को पूर्ण रूप से दिखाना है एक फिलिस्तीनी महिला फोटोग्राफर के रूप में, संघर्ष , उत्तरजीविता और रोजमर्रा की जिंदगी ने मुझे समुदाय वर्जना से उभरने के लिए प्रेरित किया है और युद्ध और उसके परिणाम के अलग पक्ष को देखने के लिए प्रेरित किया है मैं एक विकल्प के साथ एक गवाह बन गई: या तो भाग जाऊं या निस्तभता से खड़ी रहूँ धन्यवाद! (तालियाँ) मैं वाशिंगटन, डी.सी. मे रहता हूँ, मगर में भारत के उड़ीसा राज्य के सिंधकेला नाम के गाँव में पला बढ़ा. मेरे पिता एक सरकारी कर्मचारी थे. मेरी माँ पढ़ लिख नहीं सकती, मगर वो मुझसे हमेशा कहती थी कि, "एक राजा अपने राज्य में ही पूजा जाता है | एक कवि की इज्ज़त हर जगह होती है." तो मैं बड़ा होकर एक कवि बनना चाहता था. मगर मैं लगभग कभी भी कॉलेज नहीं गया जबतक एक मौसी ने मुझे आर्थिक तौर पर मदद करने की पेशकश नहीं की. मैं संबलपुर पढने चला गया, उस क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर, जहा, कॉलेज में, मैंने टीवी (दूरदर्शन) पहली बार देखा. मेरा सपना था मैं यूनाइटेड स्टेट्स जाऊ उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए. जब वह अवसर आया, तब मैं २ महासागरों को पार कर, उधार लिए पैसों से एक यात्रा की टिकेट और केवल २०डॉलर का नोट जेब में था. यू.एस. मे, मै अनुसंधान केंद्र में कार्य करता था, और खाली समय में, अर्थशास्त्र के लेक्चर लेता था. और जो भी कुछ मैं कमाता था, मै अपने खर्चे उठता था और फिर मै उन पैसों को घर अपने भाई और पिता के पास भेज देता था. मेरी कहानी कोई अनोखी नहीं है. लाखों लोग हर साल प्रवासी होते हैं. परिवार की मदद से, वो महासागरो को पार, रेगिस्तान, नदी, पहाड़ सब को पार करते हैं. वे अपनी ज़िन्दगी जोखिम में डाल ख्वाब को वास्तविकता में बदलते है और वो ख्वाब बड़ा ही सीधा सा है, एक नौकरी होना, जिससे घर वापस कुछ पैसे भेज सके और परिवार की मदद कर सके, जिन्होंने उनकी पहले मदद की थी. दुनिया में २३.२ करोड़ ऐसे लोग है जो अंतररास्ट्रीय प्रवास करते हैं, ये वो लोग है जो उस देश में रहते है जहाँ उनका जन्म नहीं हुआ. अगर एक ऐसा देश बनाया जाए जिसमे सिर्फ इसी तरह के लोग हो, तो वहा की जन संख्या इतनी ज्यादा होगी जो ब्राज़ील जैसे देश को पीछे छोड़ दे. अर्थशास्त्र के हिसाब से ये फ्रांस को भी पीछे छोड़ देगा. करीब १८ करोड़ लोग, गरीब देशो से हैं, जो उनके घरो में पैसे लगातार भेजते रहते है. यह पैसे रेमित्तान्सस (प्रेषण) कहलाते है. तथ्य जो आपको आश्चर्य में डाल सकते है : ४१३ बिलियन(अरब) डॉलर रेमित्तान्सस थे पिछले साल के प्रवासियों द्वारा विकासशील देशो में भेजा जाने वाला पैसा विकासशील देशो के प्रवासियों द्वारा, विकासशील देशो में भेजा जाने वाला ४१३ बिलियन(अरब) डॉलर. यह एक उल्लेखनीय संख्या है क्यूंकि यह ३ गुना है कुल विकास सहयता पैसों का. और फिर भी, आप और मै, मेरे सहयोगी वाशिंगटन से, हम अन्तहीन चर्चा और वार्ता करते है विकास सहायक की, जबकि हम रेमित्तान्सस को अनदेखा कर देते है. सत्य है कि, लोग २०० डॉलर हर माह तक भेजते हैं औसतन किंतु, हर माह लगातार, लाखो लोगो द्वारा, यह पैसा विदेशी मुद्रा के चलन में जुड़ जाता हैं तो पिछले साल भारत को $७२ अरब मिले, उसके आय.टि . निर्यात से ज्यादा. इजिप्त में भेजी हुई रक्कम तीन गुणा है सुएझ कनाल के उत्पन्न से। ताजिकीस्तान मे, भेजी गाई राशी जी.ड़ि.पी के ४२ प्रतिशत है। और गरीब, छोटे, नाजूक स्तिथीवाले, टकराव करनेवाले देशो मे, भेजा गया उत्त्पन्न जीवन रेखा है। जैसे कि सोमालिया या हैती। अचंभित करने वाला नही कि इतनी बडी नगद का अर्थव्यवस्था और गरीब लोगो पर बडा असर होता होगा। भेजी गइ नगद, निजी निवेश जैसी, वह वापस नहीं जाती जब देश के मुसीबत के इशारे हो| असल में यह बिमा की तरह काम करती है| जब घरवाले मुसीबत में होते है, कठिनाई से जूझते है, भेजी जानेवाली नगद बढती है, यह बिमा की तरह काम करती है| विस्थापित और पैसे भेजते है| विकाश के लिए मदद राशि की तरह, उसे शासकीय संस्था के माध्यम से,सरकार के माध्यम से नहीं जाना होता, भेजे जानी वाली नगद सीधा गरीबो तक, और घरवालो तक पहुँचती हैं, और बहुत बार व्यावसायिक सलाह के साथ| तो नेपाल में, गरीबो का हिस्सा १९५५ में ४२ प्रतिशत था, गरीबों का हिस्सा पूरी आबादी में| २००५ से, दस साल बाद, सरकारी और पैसो की समस्या के समय गरीब लोगो का हिस्सा ३१ प्रतिशत तक गिरा| दारिद्र्य में यह गिरावट, बहुत हद तक, लगभग उसमे से आधा, भारत से भेजी गई नगदी से था एक और गरीब देश| साल्वाडोर में, शाला छोड़ने वालो की बच्चो की संख्या उन परिवारों में कम हैं जहाँ भेजी गई नगद प्राप्त होती हैं| मेक्सिको और श्री लंका में, नवजात शिशु के वजन उन परिवारों में ज्यादा हैं जहाँ भेजी जाने वाली नगद आती हैं| भेजी जाने वाली नगद ध्यान से लपेटे डॉलर्स है| विस्थापित घर पे पैसे खाना, जरुरी चीजे खरीदना, घर बनाना, शिक्षा निधी, बड़ो का स्वास्थ्य, व्यवसाय निवेश दोस्त और कुटुंब के लिए| विस्थापित लोग और पैसे भेजते है| अगर कोई शादी या ऑपरेशन होता है| और विस्थापित लोग पैसे बहुत बार भेजते है, अप्रत्याशित मृत्यु जिसमें वो नहीं जा सकते| यह सभी अच्छे के लिए ही जाता है, भेजे जाने वाले नगदी पे कुछ प्रतिबन्ध है ४०० अब्ज डॉलर्स भेजे जानी वाली नगद| उसमे से सबसे बड़ी पैसे भेजने के लिए लगने वाली बड़ी कीमत| पैसे भेजने वाली कंपनिया शुल्क गरीबो के हिसाब से रखते है| वे कहेंगे, " ५०० डॉलर्स तक भेजने के लिए ३० डॉलर्स शुल्क है| अगर आप गरीब है और आप को सिर्फ २०० डॉलर्स भेजने है आप को $३० शुल्क भरना ही पड़ेगा| दुनिया का भेजे जाने का शुल्क औसत आठ प्रतिशत है| इसका मतलब आप १०० डॉलर्स भेजते हो, आप के कुटुंब तक सिर्फ ९२ डॉलर्स पहुचेंगे| अफ्रीका में पैसे भेजने का शुल्क और ज्यादा है| १२ प्रतिशत| अफ्रीका के अंदर पैसे भेजने के लिए उससे भी ज्यादा पैसे लगते है, २० प्रतिशत से ज्यादा| उदाहरनार्थ, बेनिन से नाइज़रिया पैसे भेजने के लिए| और फिर वेनेज़ुएला जहाँ पे विनिमय नियंत्रण की वजह से, आप १०० डॉलर्स भेजते हो और आप भाग्यशाली है और आप के कुटुंब को १० डॉलर्स भी मिलते है तो| सच है, वेनेज़ुएला को कोई भी सरकारी व्यवस्था से पैसे नहीं भेजता| सभी सूटकेस में से ही जाता है| जहाँ भी शुल्क ज्यादा है, पैसा निचे से जाता है| और इससे भी खराब, बहुत से विकाशशील देशो में दुसे देशो में पैसे भेजने पे पाबंदी है| बहुत से धनवान देशो में भी कुछ ही देशो को पैसे भेजने की अनुमति है| तो वहा पैसे भेजने के लिए कोई पर्याय, सस्ता पर्याय, नहीं है? है| केनिया में एम्- पेसा लोगो को पैसे भेजने का तरीका है और मिलने का शुल्क सिर्फ ६० सेंट (पैसे) प्रति लेन-देन| अमरिकी फेड ने मेक्सिको के साथ मेक्सिको में पैसे भेजने के व्यवसाय के लिए ६७ सेंट प्रति लेन-देन शुल्क लगाया है| और फिर भी, यह जल्द, सस्ते, अच्छे तरीके अंतरराष्ट्रीय लागू नहीं कर सकते क्यूंकि काले धन को वैध बनाने के भय से, थोडा डाटा होते हुए भी किसी भी संबंध को समर्थन देने के लिए, कोई भी काला धन वैध करने का माध्यम और छोटी भेजी जाने वाली नगद के बीच. बहुत से बड़े बैंक आज कल सावधानता से बैंक व्यावसायिक खाता संभालते है, मुख्यतर जो सोमालिया से है| सोमालिया, एक देश जहा सालाना प्रति व्यक्ति आय २५० डॉलर्स है| प्रतिमाह सोमालिया जाने वाली नगदी उससे ज्यादा बड़ी है| भेजे जाने वाली नगद सोमालिया की जीवनावश्यक है और यह एक उदाहरण है दाया हाथ बहुत मदद कर रहा है और बाया हाथ जीवनावश्यक चीज को मार दे रहा है उनके अर्थव्यवस्था के नियमों के माध्यम से| उसके बाद गाँव के मेरे जैसे गरीब लोगो की स्थिति. गाव में, सिर्फ डाक सेवा से पैसे पहुचाने का मार्ग है| दुनिया के बहुत से सरकार ने उनके डाक सुविधा को पैसे भेजने वाले कंपनियों के साथ साझेदारी की है| तो अगर मुझे मेरे पिताजी को गाव में पैसे भेजने है, मुझे पैसे भेजने वाली कंपनी से ही पैसे भेजने पड़ेंगे| कीमत अधिक भी क्यों न हो| मै कोई और सस्ता तरीका नहीं ले सकता| यह बदलना चाहिए| तो हमने अंतरराष्ट्रिय संगठनों और सामजिक व्यवसायिको के साथ पैसे भेजने का सस्ते उपाय ढूंढे? पहला, १००० डॉलर्स से भी कम भेजे जाने वाले कीमत के उपर नियम न लगाए| सरकार को वह पता चलना चाहिए कि छोटी नगदी कला धन नहीं होता| दूसरा, सरकार ने पैसे भेजने वाली कंपनिया और डाक की साझेदारी बंद करनी चाहिए| उस के लिए डाक और कोई भी राज्य की बैंकिंग सुविधा जिसका सबसे बड़ा संघ है जो गरीबो की सेवा करती है| असल में, उन्होंने प्रतियोगिता लानी चाहिए, साझेदारी चालु करने की, उससे मूल्य कम कर सकते है, जैसे कि हमने किया उन्होंने किया, दूरसंचार इंडस्ट्री में| आपने देखा होगा कि वहां क्या हुआ है| तिसरा, बड़े मनुष्य के हित और बिना लाभ के लिए काम करने वाले संस्थाए पैसे भेजे जाने वाला तरीका विना मूल्य की तौर पर चालु करना चाहिए| उन्होंने विना मूल्य पैसे भेजने के लिए मंच बनाना चाहिए जिससे वो कम से कम मूल्य में पैसा भेज सके दुनिया के सभी मिश्रित नियमों को सामने रख कर| समुदाय के विकास का विचार करके भेजे जाने वाले पैसे पर लगने वाला मूल्य को अभी के आठ प्रतिशत से एक तक कम करने का लक्ष्य रखना चाहिए| अगर हमने मूल्य एक प्रतिशत तक कम किया, तो हम हर साल ३० अरब डॉलर्स बचा सकते है| ३० अरब डॉलर्स, तो अफ्रीका के वार्षिक द्विपक्षीय मदद बजट से ज्यादा है| यह लगभग समान या थोडा अमरीका के कुल मदद बजट से ज्यादा है जो कि दुनिया के सबसे ज्यादा दानी है| असल में, बचत ३० अब्ज डॉलर्स से ज्यादा हो सकती है क्यूंकि पैसे भेजनेवाले चैनल भी मदद के लिए, व्यापार या निवेश के लिए उपयोग कर सकते है| और पैसे भेजने घर तक पहुचने के लिए एक बड़ी बाधा यह है कि बड़ी और अत्यधिक और चुनने का अवैध मूल्य, मूल्य जो विस्थापित भरते है, विस्थापित कामगार उनके नौकरी देनेवालो को पैसे देते है| मैं कुछ साल पहले दुबई में था| मैं कामगारों के कैंप में गया था| वह समय रात के ८ बजे थे अँधेरा, गर्मी, उमस| कामगार काम पे कठिन दिन के बाद वापिस आ रहे थे, और मेरा बांग्लादेशी कंस्ट्रक्शन कामगार के साथ संवाद हुआ| वो निश्चिंत था कि वो पैसे घर भेज रहा था, वो कुछ महीनो से पैसे भेज रहा था| और बहुत सा पैसा भरती एजेंट या कामगार एजेंट को जाता जिसने उसको जॉब दिया था| और मेरे मन में यह चित्र देख सकता हूँ पत्नी भेजे जाने वाले पैसे का इन्तेजार कर रही है| पैसे आते है| वो पैसे लेती है और नियुक्ती एजेंट के हाथ में देती है| और बच्चे देख रहे है| यह रुकना चाहिए| यह सिर्फ बांग्लादेश के कंस्ट्रक्शन कामगार के लिए नहीं यह सभी लाखो कामगारों के लिए है| जिनको यह बाधा होती है| बंगलादेशी कंस्ट्रक्शन कामगार औसत ४००० डॉलर्स नियुक्ती एजेंट को फी देता है जिस जॉब से उसको सिर्फ २००० डॉलर्स सालाना मिलते है| इसका मतलब दो या तीन साल के लिए वो पैसे भेजता है नियुक्ती फी भरने के लिए| कुटुंब को इसमें कुछ देखने को भी नहीं मिलता यह सिर्फ दुबई के बारे में नहीं दुनिया के सब बड़े शहरो के पीछे की बात है| यह सिर्फ बांग्लादेशी कंस्ट्रक्शन कामगारों की नहीं, बल की दुनिया के सभी कामगारों की स्थिति है| सिर्फ आदमी नहीं| अधिकतम महिलाए इस रिक्रूटमेंट में वेदनीय है| एक सबसे अच्छी और नई भेजे जाने वाले पैसे की घटना हो रही है कि, कैसे नए इनोवेशन से जुटाया जाए लेन देन का प्रचार| विस्थापित घर पैसे भेजते है वे जहाँ रहते है वहां भी वे ज्यादा पैसे बचाते है| सालाना, प्रस्थापित लोगो की बचाई हुई नगद ५०० अरब डॉलर्स है| सबसे ज्यादा नगदी बैंक डिपॉजिट्स में है जो कि आपको शून्य प्रतिशत ब्याज देते है| अगर कोई देश देता है और तीन या चार प्रतिशत व्याज देता है और वे कहते है कि, पैसे पाठशाला बनाने, रस्ते, हवाई अड्डे, रेलवे सुविधाए बनाने के लिए उस पैसो का उपयोग करेंगे मुल देश के, बहुत से विस्थापित रूचि रखते होंगे कि उनके पैसो से अलग करते होंगे क्यूंकि यह सिर्फ पैसे मिलाने के लिए नहीं कि जो उनको पैसे बचाने का मौका उनके देश के उन्नति में सलग्न होने को देती है| पैसे भेजने वाले चैनल का इस्तेमाल यह सबंध बेचने के लिए कर सकते है कारण जब वो आते है हर महिना नगदी भेजते है, तभी आप उनको वह बेचते है| आप यही कर सकते है लेनदेन जुटाने का प्रचार कर सकते है| मुझे भारत के बुलेट ट्रेन में निवेश करना अच्छा लगेगा और मुझे मेरे गाँव में मलेरिया के खिलाफ योगदान देना अच्छा लगेगा| भेजे जाने वाली नगदी एक अच्छा तरीका है जिससे सबसे ज्यादा जरुरत मंद को उससे सहायता मिले| भेजे जाने वाली नगद लोगो को ताकतवर बनाती है| हम सबने मिलके भेजी जाने वाली नगद और रिक्रूटमेंट सस्ता और सुरक्षित बनाना चाहिए| और यह सब कर सकते है| मेरे बारे में देखा जाए, मै दो दशक से भारत से दूर हूँ| मेरी पत्नी वेनुज़ुएला से है| मेरे बच्चे अमरीकी है| बहुत्तर मुझे वैश्विक नागरिक जैसे महसूस होता है| और फिर भी, मैं बहुत याद करता हूँ अपने मातृभूमि को| मैं एक ही समय भारत और अमेरिका में रहना चाहता हूँ| मेरे माँ बाप अब नहीं है| मेरे भाई और बहने आगे जा चुके है| मुझे घर पैसे भेजने के लिए कोई शीघ्र जरूरत नहीं है| और फिर भी, समय से समय, मैं दोस्तों को, परिवारों को, गाव वालो को, पैसे भेजता हूँ, वहाँ होने के लिए, जुड़े रहने के लिए| यह मेरी पहचान का हिस्सा है| और अभी भी मैं कवि बनने के लिए कोशिश कर रहा हूँ और कष्ट उठाने वाले विस्थापित उनको दरिद्र्यता के चक्र के संघर्ष से मुक्त करने के लिए| धन्यवाद| (तालियाँ) सोचियें कि एक हवाइ जहाज क्रैश होने वाला है जिसमे २५० बच्चें है और अगर आप उसको रोक पातें, तो क्या आप रोंकतें? अब सोचियें कि ६० हवाइ जहाज जो पाँच साल से छोटें बच्चों से भरे हो हर दिन क्रैश होते है। ये उन बच्चों की संख्या है जो अपनें पांचवें जन्मदिन तक जीवित नहीं रहतें ६६ लाख बच्चें अपनें पांचवें जन्मदिन तक जीवित नहीं रहते इन्में से अधिकतर मौते रोकीं जा सकती है और ये बात मुझे सिर्फ़ दुखि नहीं करती है, मुझे गुस्सा दिलाती है, और मुझे निश्चित बनाती है। डायरिया और निमोनियाँ दो सबसे घातक बीमारियाँ है पाचँ साल से छोटें बच्चों के लिये, और इन बिमारियों का रोकने के लियें हमें कोई स्मार्ट या नयी तकनीकी की खोज नहीं चाहियें यह दुनियाँ की सबसें पुरानी खोज है एक साबुन की टिकियाँ। हाथों को साबुन से धोना, एक ऐसी आदत जिसें हम मान कर चलते है डायरिया को ५०% कम कर सकती है सांस की बिमारी को १/३ कम कर सकती है हाथों को साबुन से धोने का ऐसा प्रभाव पड़ सकता है जो फ़्लु, त्रकोमा, सार्स को कम कर सकता है और हाल ही में कोलेरा और एबोला के प्रकोप में सबसें महत्वपुर्ण हस्तक्षेप है हाथों को साबुन से धोना। साबुन से धुले हाथ ही बच्चों को स्कूल में रखती हैं यह बच्चों को मरने से बचाती हैं साबुन से हाथ धोना सबसे किफ़ायती तरीका है बच्चों की जान बचाने का। यह हर साल ६ लाख से ज़्यादा बच्चों की जान बचा सकती है यह उस बात के समान है जब कोई रोके १० जुम्बो जेट जिसमें बच्चें भरें हो को क्रेश होने से प्रति दिन मुझे लगता है कि आप मेरे साथ सहमत होगे कि यह उपयोगी सार्वजनिक स्वास्थय बीच बचाव है तो अब एक मिनट लीजिये मुझे लगता है कि आपको अपने पास बैठें व्यक्ति को जानना चाहिये क्यू ना आप उनसे हाथ मिलायें प्लीज़ आप उनसे हाथ मिलायें चलियें एक दूसरें को जान लीजियें कितने सुन्दर दिख रहे है ना ठीक है तो अगर मै आप से कहू कि जिस व्यक्ति से आपने अभी हाथ मिलाया उसने अपने हाथ नही धोये जब वह शौचालय से बाहर आ रहा था? (हास्य) अब वे उतने सुन्दर नहीं लग रहे ना ? आप मुझसे सहमत होगे कि यह काफ़ी घिनौना है। आकड़े दिखाते है कि पाँच में से चार लोग शौचालय से बाहर आतें समय अपने हाथ नहीं धोतें है, विश्व स्तर पर। और उसी तरह, ह्म भी नहीं धोते हमारें फ़ैन्सी शौचलय में जहाँ पानी और साबुन उपलब्ध है यहीं बात है उन देशों में जहा बच्चों की मृत्युदर ज़्यादा है। क्या बात है? क्या साबुन नहीं है? असल मे साबुन उप्ल्ब्ध है। इन्डिया के ९०% घरों में, कीन्या के ९४% घरों में आपकों साबुन मिलेगा। उन देशों में भी जहा साबुन की कमी है, जैसे कि इथिओपिया मे हम ५०% पर है तो ऐसा क्यू है? लोग अपने हाथ क्यू नहीं धो रहे है ? ऎसा क्यु है कि मयन्क, एक छोटा बच्चा जिससे मॆ इन्डिया मे मिली थी, अपने हाथ नहीं धोता है ? क्यूकि मयन्क के परिवार में, साबुन का उपयोग नहाने के लिये होता है, साबुन का उपयोग कपड़े धोने के लिये होता है, साबुन का उपयोग बर्तन धोने के लिये होता है। उसके माँ बाप सोचतें है कि साबुन एक अनमोल पदार्थ है, तो साबुन को अल्मारी में बन्द रखतें है। उससे दूर रखतें है ताकि वह उसे बर्बाद नहीं करें औसत में, मयन्क के परिवार में, हाथों को साबुन से धोया जाता है दिन में सिर्फ़ एक बार और कभी कभी हफ़तें में एक बार। इसका परिणाम क्या है ? बच्चों को उन जगहों से बिमारियाँ मिलती है जो उन्हें सबसें प्यार और सुरक्षा मिलना चाहियें, उनका घर। सोचियें आपने हाथ धोना कहा सीखा? क्या आपने हाथ धोना घर में सीखा? क्या आपने हाथ धोना स्कूल में सीखा? व्यवहारिक वैज्ञानिक आपको बतायेंगे लाईफ़ के शुरुआत में डली आदतें बदलना बहुत कठिन है । फ़िर भी, हम सब दूसरों के देखा देखी, और एक जगह के तौर तरीकों को देख अपना व्यवहार बदल सकतें है। और यहा निजी क्षेत्र आता है एशिया और अफ़्रिका में, प्रति सेकंड १११ माँताए साबुन खरीदेगी अपने परिवार की सुरक्षा के लियें। इन्डिया की कई औरतें आपको बतायेगी कि उन्होनें स्वछ्ता एवँ बिमारियों के बारे में लाईफ़बोय नामक साबुन से सीखा। इन प्रतिष्ठित ब्रेन्ड्स की ज़िम्मेदारी है भलाई करना उन जगहों में, जहा वे अपना सामान बेचतें है। यहि विश्वास और युनिलीवर का स्तर हमें हौसला देता है कि ह्म इन माताओ से बातें करे साबुन से हा्थ धोने और तन्दुरुस्ती के बारे में। बड़े व्यापार और ब्रेन्ड्स सामाजिक रीति रिवाज़ बदल सकते है और एसी आदतों मे बद्लाव ला सकतें है जो बहुत ही ज़िद्दि है। सोच के देखिये मार्केटिन्ग वाले अपना सारा समय लगा देते है हमे एक ब्रॆन्ड से दूसरे ब्रॆन्ड मे बदलवाने में और असल में वे परिवर्तन करना जानते है विज्ञान तथा तथ्यों को सम्मोहिक उपदेशों मे एक मिनट सोचियें जब वे अपनी सारी शक्ति लगा कर एक प्रभावशाली उपदेश बनाये साबुन से हाथ धोने के बारे में इसके मुनाफे का उद्देश्य होगा पूरे दुनिया के स्वास्थ्य को बदलना। ऐसा सदियों से चला आ रहा है १८९४ में लाइफ़्बोय ब्रॆन्ड की स्थापना हुई थी विकटोरिअन इंग्लैंड में कोलेरा का मुकाबला करनें के लियें पिछ्ले हफ़्तें मै घाना में थी वहा के स्वास्थ्य मन्त्री के साथ क्यूकि अगर आप नहीं जानते तो मै आपको बता दू कि इस वक्त घाना में कोलेरा का प्रकोप है। ११८ साल बाद आज भी उत्तर वही है सुनिश्चित करना है कि उनकी पहुच एक साबुन की टिकिया तक है और वे उसका उपयोग करते है क्यूकि यहीं नंबर १ तरीका है कोलेरा के प्रकोप को रोकने का मुझे लगता है कि मुनाफ़े की दौड़ बहुत शक्तिशाली है कभी कभी समाजसेवा और सरकार से भी ज़्यादा शक्तिशाली सरकार जो कर सकती है कर रही है। खासकर महामारी के मामले में और कोलेरा जैसे व्यापक रोग से, या इस वक्त जैसे इबोला परन्तु प्राथमिकताओं के साथ सघंर्ष कर रहे हैं| हर समय बजट नहीं होता। और जब आप इस बारे में सोचते है आप सोचते है कि किस चीज़ की ज़रूरत है जिससे हाथ धोना एक आदत बन जायें इसके लिये निरंतर पैसों की ज़रूरत है जिससे यह व्यवहार सुधर सकें। जो लोग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये लड़ते है वे असल में साबुन की कंपनियों पर निर्भर है साबुन से हाथ धोने का संदेश फ़ैलाने के लिये। हमारे पास उसैड जैसे मित्र है, ग्लोबल पब्लिक-प्राइवेट संबन्ध हाथ धोने के लिये लन्ड्न स्कूल ओफ़ हाइजीन और त्रोपिकल मेडिसिन, प्लान, वाटर ऐड, जो विश्वास करते है एक जीत-जीत-जीत साझेदारी में। सार्वजनिक क्षेत्र की जीत, क्यूकि ह्म उनके लक्ष्य तक पहुचने में मदद करतें हैं। निजी क्षेत्र की जीत, क्यूकि हम नई पीढ़ियों को जन्म देते हैं जो भविष्य में हाथ धोयेगी। और सबसे ज़रुरी है, सबसे आलोचनीय की जीत। १५ अक्टूबर को, हम ग्लोबल हाथ धोने का दिन मनायेगें। स्कूलें, समुदायें, सार्वजनिक क्षेत्र के हमारें दोस्त तथा निजी क्षेत्र के दोस्त - हाँ, और उस दिन हमारे प्रतिद्वंदी भी, सब हाथ जोड़ कर उत्सव मनायेगें विश्व का सबसे ज़रूरी सार्वजनिक स्वास्थ्य बीच-बचाव। हमें ज़रुरत है, और फ़िर यहा निजी क्षेत्र, बहुत बरा प्रभाव ला सकता है, एक बड़े और रचनात्मक सोच कि जो इसका समर्थन करें। अगर आप हमारा "हेल्प अ चाइल्ड रीच ५" कैम्पेन ले, हमने महान फ़िल्में बनायी है जो साबुन से हाथ धोने का सन्देश रोज़मर्रा के लोगो तक पहुंचायेगी ऐसे तरीकें से जिससे वे समझ सकें। हमें ३ करोड़ बार देखा जा चूका हैं। इनमें से कई चर्चाएँ अब भी ऑनलाइन हो रही है। मैं आपसे विनती करती हूँ कि पाँच मिनट के लियें आप उस फ़िल्म को देखें। मैं माली से आयी हूँ, विश्व की सबसे गरीब देशों में एक। मैं एक ऐसे परिवार में पली हूँ जहाँ खाने पर रोज़ सामाजिक न्याय की बातें होती हैं। मैनें यूरोप की सर्वश्रेष्ठ पब्लिक हेल्थ स्कूल में ट्रेनिंग ली। मैं शायद अपनें देश की अकेली औरत हूँ जिसने हेल्थ में ऊँची डिग्री प्राप्त की हैं और अकेली जिसने साबुन से हाथ धोने में डाक्टरेट किया हो। (हँसी) (तालियाँ) नौ साल पहले, मैनें निर्णय लिया कि एक कामयाब पब्लिक हेल्थ कैरियर के साथ, मैं सबसे बड़ा प्रभाव छोड़ सकती हूँ पब्लिक हेल्थ में विश्व के सबसे बड़े खोज, साबुन को बेचने और बढावा देने में। आज ह्म विश्व का सबसे बढा हाथ धोने का कार्यक्रम चलाते है किसी भी पब्लिक हेल्थ सामान्य के अनुसार । हम १८.३ करोड़ लोगों तक पहुच चुकें है जो १६ देशों में है। मेरे टीम और मेरी अभिलाशा है कि साल २०२० तक ह्म १० करोड़ लोगों तक पहुचें। पिछ्लें चार सालों में, व्यापार बहुत बढा हैं और बच्चों की मृत्युदर कम हुई है उन सभी जगहॊं पर जहा साबुन का उपयोग बढा है। कुछ लोगों को यह सुन के अजीब लगा होगा - व्यापार और इन्सान की जान को एक ही पंक्ति में सुनना - परंतु व्यापार की वृध्दि ही हमें और करनें का मौका देती है। बिना इसके, और बिना इसके बारें में बात किये, जो बदलाव हमें चाहियें हम वो नहीं पा सकते । पिछ्ले हफ्ते मैं और मेरी टीम माँताओं से मिलें जिन सब ने एक ही अनुभव किया है: एक नवजात शिशु की मौत। मैं एक माँ हूँ। मैं इससे ज़्यादा शक्तिशाली और दर्द्नाक कुछ कल्पना नहीं कर सकती। ये म्यानमार से हैं। इसकी मुस्कुराहट बहुत प्यारी थी, ऐसी मुस्कुराहट जो आपको ज़िन्दगी देती है जब आपको दूसरा मौका मिला हो। इसका बेटा, म्यो, इसका दूसरा बेटा है। इसकी एक बेटी थी जो तीन हफ्ते की होकर गुज़र गयी, और ह्म जानते है कि सबसे ज़्यादा बच्चों की मौत उनके ज़िन्दगी के पहलें महीनें में ही होती है और हम जानते है कि अगर हम एक साबुन की टिकियाँ हर एक नर्स को दे, जो बच्चों को छूने से पह्लें साबुन का प्रयोग करें हम बद्लाव ला सकते है और इन नम्बरों को बदल सकते हैं। और यहीं बात मुझे प्रेरणा देती है, प्रेरणा कि मै इस रास्ते पर चलूँ, यह जानना कि मै उसे वो दे सकती हूँ जो उसे चहियें ताकि वह दुनिया का सबसे सुन्दर काम कर सके: अपने नये बच्चें को पालना। और अगली बार आप तोहफ़ें के बारे में सोचे किसी नयी माँ और उसके परिवार के लिये, तो उन्हें साबुन दीजियें। यह पब्लिक हेल्थ का सबसे सुन्दर अविष्कार है। मैं आशा करती हूँ कि आप हमसे जुड़ेंगे और हाथ धोने को अपनी रोज़ की ज़िन्दगी का और हमारी रोज़ की ज़िन्दगी का हिस्सा बनायेगें और म्यो जैसे कई और बच्चों को अपने पाँचवें जन्मदिन तक पहुचनें में मदद करेंगें। धन्यवाद। (तालियाँ ) मैंने शरणार्थियों के साथ काम करना शुरू किया क्यूंकि मैं कुछ कर दिखाना चाहती थी, और कुछ अलग करना शुरू किया उनकी कहानियां सुनाकर। जब मैं शरणार्थियों को मिलती हूँ, मैं हमेशा उन्हें सवाल पूछती हूँ। तुम्हारे घर पर बम किसने फेंका? तुम्हारे बेटे को किसने मारा? क्या तुम्हारे परिवार के बाकी सदस्य जीवित बच पाए? तुम कैसे सामना कर रहे हो देशसे निष्कासित की इस ज़िन्दगी का? किन्तु एक प्रश्न है जो मुझे सबसे ज़्यादा सारगर्भित लगता है, और वह है: तुम अपने साथ क्या ले कर आए? जब तुम्हारे शहर में बम विस्फोटित हो रहे थे, और शस्त्रधारियों की टोली तुम्हारे घर के नज़दीक आ रही थी, वह कौन सी सबसे महत्वपूर्ण वस्तु थी जो तुम्हे अपने साथ लेनी थी। एक सीरियाई शरणार्थी लड़का है जिसे मैं जानती हूँ, उसने मुझे बताया कि उसने कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई जब उसका जीवन खतरे में था। उसने अपना उच्च विद्यालय का प्रमाणपत्र उठाया और बाद में उसने मुझे बताया कि उसने ऐसा क्यों किया। वह बोला,"मैंने अपना उच्च विद्यालय प्रमाणपत्र इसलिए उठाया क्यूंकि मेरी पूरी ज़िन्दगी उसपर निर्भर थी।" और उस प्रमाणपत्र को पाने के लिए वह अपनी ज़िन्दगी को भी जोखिम में डाल सकता था। स्कूल के रास्ते में वह छिप कर गोली चलाने वालों को चकमा दे कर निकल जाता था। उसकी कक्षा कभी हिल जाती थी गोलाबारी और बम की आवाज़ से, और उसकी माता ने मुझे बताया, "मैं हर रोज़ उसको यह कहती थी, प्रत्येक सुबह, "प्यारे, कृपया स्कूल मत जाओ," और जब वह दृढ रहता, वह बोली, "मैं उसे सीने से लगा लेती जैसे वह आखरी बार हो। " परन्तु वह अपनी माँ से बोला, "हम सब डरे हुए हैं, किन्तु हमारा परीक्षा पास करने का निश्चय डर से अधिक शक्तिशाली है। " किन्तु एक दिन, परिवार को बहुत बुरी खबर मिली। हैनी की चाची, उसके चाचा और उसके चचेरे भाई का क़त्ल कर दिया गया क्यूंकि वह घर छोड़ने को तैयार नहीं थे। उनकी गर्दनें काट दी गईं। पलायन का वक़्त आ गया था वे उसी दिन,उसी समय, अपनी कार में बैठ कर चल दिए, हैनी पीछे छुपा हुआ था क्यूंकि उन्हें चौकियों पर डरावने सैनिकों का सामना करना था। और वह सीमा पार करके लेबनान पहुँच जाते जहां उन्हें शान्ति मिलती। किन्तु वह उनके लिए भीषण कष्ट और नीरसता भरी ज़िन्दगी का आरम्भ होता। उनके पास कोई चारा नहीं था, इसलिए उन्होंने कीचड भरे खेत के पास एक झोंपड़ी बनाई, और यह है हैनी का भाई अशरफ, जो बाहर खेल रहा है। और उस दिन वह संसार की सबसे बड़ी शरणार्थियों की जनसँख्या के साथ जुड़ गए, लेबनान के छोटे से देश में। उसके केवल चालीस लाख नागरिक हैं, और वहां दस लाख सीरियाई शरणार्थी निवास कर रहे हैं। कोई ऐसा क़स्बा, शहर या गाँव नहीं है वहां जहां सीरियाई शरणार्थोयों को सहारा न मिला हो। यह है उल्लेखनीय उदारता और मानवता। इसके बारे में ऐसे सोचिये, अनुपात में। यह कुछ ऐसा होगा जैसे जर्मनी की सारी जनसँख्या, ८ करोड़ व्यक्ति, तीन वर्षों में संयुक्त राज्य की ओर पलायन कर दे। सीरिया की आधी जनसँख्या अब अवरोपित हो चुकी है, अधिकतर देश के अंदर ही। साठ लाख से भी ज्यादा लोग अपनी जान बचने के लिए भाग रहे हैं। तीस लाख से ज्यादा लोग सीमा पार कर और पडोसी देशों में शरण पाचुके हैं और केवल एक छोटे अनुपात में लोग यूरोप की तरफ जा रहे हैं। मुझे सबसे चिंताजनक विषय यह लगता है कि आधे से ज़्यादा सीरियाई शरणार्थी बच्चे हैं। मैंने इस नन्ही बच्ची की तस्वीर ली थी। जब केवल दो घंटे पहले वह सीरिया से लम्बा सफर करके जॉर्डन पहुंची थी। और सबसे दुखदाई है कि इनमें से केवल २० फीसदी शरणार्थी बच्चे लेबनान में स्कूल जा रहे हैं। और फिर भी, सीरियाई शरणार्थी बच्चे, सभी शरणार्थी बच्चे हमें बताते हैं कि शिक्षा ही उनकी ज़िन्दगी की सबसे महत्वपूर्ण वस्तु है। क्यों? क्यूंकि वह उन्हें भविष्य की ओर ले जाती है न कि भूतकाल के डरावने सपने की ओर। वह उन्हें आशा की किरण दिखाती है, न कि नफरत। मुझे याद आ रहा है मेरा उत्तरी इराक में एक सीरियाई शरणार्थी कैंप में इस लड़की से मिलना, और मैंने सोचा, "यह खूबसूरत है," और मैंने उसके पास जाकर पुछा, 'क्या मैं तुम्हारी तस्वीर ले सकती हूँ?" और उसने कहा हाँ, परन्तु उसने हंसने से मना कर दिया। मुझे लगता है की वह हंस ही नहीं पाती क्यूंकि उसे मालूम है कि वह सीरियाई शरणार्थी बच्चों की एक खोई हुई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती है, एक पीढ़ी जो अलग थलग और निराश हो चुकी है। और फिर भी, वह किससे भागे: पूर्ण तबाही, इमारतें, उद्योग, स्कूल, सड़कें, घर। हनी का घर भी नष्ट हो गया था। इस सब का पुनर्निर्माण होना होगा वास्तुकारों, अभियंताओं, विद्युत्कारों द्वारा। समुदायों को आवश्यकता होगी अध्यापकों और वकीलों की और राजनीतोज्ञों की जो पुनर्मिलप में रूचि लेने वाले हों न कि बदले में। क्या इसका पुनर्निर्माण नही किया जाना चाहिए उन लोगों के द्वारा जिनका इसमें सब कुछ दांव पर लगा है निर्वासन में रह रहे यह शरणार्थी? शरणार्थियों के पास बहुत समय है अपनी वापसी की तैयारी करने का। आपको लगता होगा की एक शरणार्थी होना एक अस्थायी स्थिति है। यह उससे बहुत दूर है। एक शरणार्थी औसत रूप से १७ वर्ष निर्वासन में बिता देता है क्यूंकि युद्ध तो चलते ही रहते हैं। हैनी को आधार में लटके दो साल हो चुके थे जब मैं हाल ही में उसको मिलने गयी, और हमने अपना सारा वार्तालाप अंग्रेजी में किया जो उसने मुझे बताया की उसने डॅन ब्राउन के नॉवेल पढ़ कर सीखी और अमरीकी रैप सुनकर। हमने कुछ अच्छे हंसी और मस्ती के पल भी बिताए उसके प्यारे छोटे भाई अशरफ के साथ। पर मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी जो उसने मुझे बताया जब हमने अपना वार्तालाप समाप्त किया उस दिन उसने मुझसे कहा, "यदि मैं विद्यार्थी नहीं, तो मैं कुछ भी नहीं।" हनी संसार के उन ५० करोड़ लोगों में से है जो आज अपनी जड़ों से उखड चुके हैं दुसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार है कि इतने सारे लोग ज़बरदस्ती बेपनाह कर दिए गए हैं। जहां हम मानव स्वास्थ्य में बहुत तरक्की कर रहे हैं , और तकनीक में, शिक्षा में और प्रारूप में, हम पीड़ितों के लिए बहुत कम कर रहे हैं और उस से भी कम उन युद्धों को रोकने के लिए जो इन्हें अपने घरों से भागने पर मजबूर कर रहे हैं। और पीड़ितों की संख्या बढ़ती चली जा रही है। प्रत्येक दिन, औसतन रूप से इस दिन के अंत तक ३२,००० लोग मजबूरन अपने घरों से विस्थापित हो जायेंगे- ३२,००० लोग वे सीमाओं के पार जाते हैं, बिलकुल इसकी तरह। हमने सीरियाई सीमा पर जॉर्डन जाते हुए यह पकड़ा, और यह एक आम दिन है। या फिर वे समुद्री यात्रा के अयोग्य, भीड़ से भरी नावों पर सवार हो जाते हैं, अपनी ज़िन्दगी को जोखिम में डालते हुए केवल यूरोप में सुरक्षित पहुँचने के लिए। यह सीरियाई नव युवक उन नावों से बच गया जो उलट गयी थीं---- ज्यादातर लोग डूब गए थे---- और इसने हमें बताया, "सीरियाई लोग केवल एक शांत जगह की तलाश में हैं जहाँ आपको कोई तंग नहीं करेगा कोई आपकी बेइज़्ज़ती नहीं करेगा और जहां कोई आपको मारेगा नहीं। " मेरे हिसाब से यह न्यूनतम है। एक ऐसी जगह के बारे में क्या विचार है जो स्वास्थयप्रद हो, जहां विद्या हो, और अवसर भी? अमरीकियों और यूरोपीयों का यह मत है कि अधिकतम शरणार्थी उनके देश में आ रहे हैं, किन्तु सच्चाई कुछ और है। शरणार्थियों की अधिकांश संख्या, ८६ प्रतिशत, विकासशील देशों में रह रही है, उन देशों में जो अपनी ही असुरक्षा से जूझ रहे हैं, अपनी ही जनसँख्या के मुद्दे और गरीबी के साथ। तो संसार के धनी देशों को पहचानना चाहिए उन देशों की मानवता और उदारता को जो इतने सारे शरणार्थियों के मेज़बान हैं। और सभी देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि युद्ध और उत्पीड़न से भाग रहे किसी व्यक्ति को भी बंद सीमाओं का सामना न करना पड़े। (तालियां) धन्यवाद। केवल शरणार्थियों को जीवित रखने के आलावा कुछ और भी कर सकते हैं। हम उन्हें फलने फूलने दे सकते हैं। हमें शरणार्थी कैंपों और समुदायों को केवल ऐसे अस्थायी जनसँख्या केंद्र नहीं समझना चाहिए जहाँ लोग युद्ध के अंत होने तक दिन काट रहे हैं। बल्कि, श्रेष्ठता के केंद्र के रूप में, जहां शरणार्थी अपने मानसिक क्षति को भूल कर उस दिन के लिए तैयार हो सकें जब वह घर जाकर सामाजिक सुधार और सकारात्मक परिवर्तन के कर्ता बन सकें। यह सब समझ में आता है, किन्तु मुझे सोमालिया में घट रहे भयानक युद्ध की याद आती है जो पिछले २२ वर्षों से चला आ रहा है। और सोचिये इस कैंप में रहना। मैं इस कैंप में गयी थी। यह जिबूती में है, सोमालिया के पास, और यह इतना दूर था कि हमें वहां पहुँचने के लिए हेलीकॉप्टर में जाना पड़ा। वहां बहुत गर्मी और धूल थी। हम एक स्कूल में गए और बच्चों से बात करने लगे, और फिर मैंने कमरे के उस पार एक लड़की को देखा जो मुझे मेरी बेटी की उम्र की लगी और मैं उसके पास बात करने गयी। और मैंने उसे वह प्रशन पूछे जो आम लोग बच्चों से पूछते हैं, जैसे, "आपका पसंदीदा विषय कौन सा है?" और, "आप बड़े हो कर क्या बनना चाहते हो?" और यह सुनकर वह हक़्क़ी बक्की रह गयी, और मुझे बोली, "मेरा कोई भविष्य नहीं है। मेरे स्कूल के दिन खत्म।" और मैंने सोचा कि ज़रूर कोई गलतफहमी है, मैंने अपने सहयोगी से पूछा और उसने इस बात की पुष्टि की कि इस कैंप में माध्यमिक शिक्षा के लिए कोई फण्ड नहीं हैं। और मेरा मन किया की काश मैं इस बच्ची को बोल सकती, "हम तुम्हारे लिए स्कूल बनाएंगे। " और मैंने यह भी सोचा की कैसा क्षय। वह सोमालिया का भविष्य है और उसे होना भी चाहिए। जैकब आतम नाम के एक लड़के के पास एक और मौका था, किन्तु एक भयानक त्रासदी के बाद। उसने देखा --यह सूडान में है --- वह केवल सात वर्ष का था -- उसका गाँव --- जला दिया गया, और उसे पता चला कि उसके माता पिता और उसका पूरा परिवार उस दिन मार दिए गए। केवल उसका एक चचेरा भाई बचा, और वह दोनों सात महीने चलते रहे -- यह उसके जैसे लड़के हैं --- जिनका पीछा जंगली जानवर और शस्त्रधारी गिरोह करते रहे, और वह अंत में शरणार्थी कैंप पहुंचे जहां उन्हें सुरक्षा मिली, और उसने अगले सात वर्ष केनिया के शरणार्थी कैंप में बिताए। किन्तु उसका जीवन बदल गया जब उसे अमेरिका में दोबारा बसने का मौका मिला, और उसे पालक परिवार से प्यार मिला और वह स्कूल जाने लगा, जब उसे विश्विद्यालय से स्नातक की उपाधि मिली, वह चाहता था कि मैं आपको यह गर्व की बात बताऊँ। (तालियां) मैंने एक दिन उसके साथ स्काइप पर बात की, वह फ्लोरिडा में अपने नए विश्विद्यालय में था सार्वजनिक स्वास्थ्य में पी एच डी कर रहा था, और उसने गर्व से मुझे बताया कि कैसे उसने अपने गाँव में क्लिनिक खोलने के लिए अमरीकी जनता से काफी धन एकत्रित किया। तो मैं आपको वापिस हनी के पास ले जाना चाहती हूँ। जब मैंने उसे बताया कि मुझे आपके सामने TED प्रदर्शन मंच पर बोलने का मौका मिलेगा, उसने मुझे एक कविता पढ़ने की इजाज़त दी जो उसने मुझे ईमेल में भेजी थी। उसने लिखा था: "मुझे कमी महसूस होती है अपनी, मेरे दोस्तों की, किताबें पढ़ने और कवितायेँ लिखने में बिताए समय की, पक्षियों और सुबह की चाय की। मेरा कमरा, मेरी किताबें, मैं स्वयं, और वह सब जो मुझे खुश कर देता था। ओह, ओह, मेरे कितना सारे सपने थे जो साकार होने वाले थे। " तो मेरा कहना है: शरणार्थियों में निवेश नहीं करके हम एक बहुत बड़ा अवसर खो रहे हैं। उनका परित्याग कर दो, तो वे शोषण और दुर्व्यवहार से पीड़ित होंगे, उन्हें अशिक्षित और अकुशल छोड़ दें, और उनके देश में शांति और समृद्धि को कई वर्षों पीछे धकेल देंगे। मैं यह मानती हूँ कि जिस तरह हम अवरोपितों के साथ बर्ताव करते हैं वैसे ही हम संसार के भविष्य को रूप दे सकेंगे। युद्ध से पीड़ित लोग स्थायी शांति की कुंजी हैं, और यह शरणार्थी ही हिंसा के चक्र को रोक सकते हैं। हैनी एक ऐसे मोड़ पर है जहां एक छोटा सा परिवर्तन उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। हम उसे विशवविद्यालय जाने में और इंजीनियर बनने में मदद करना चाहते हैं, किन्तु हमारी निधि जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए हैं: तम्बू, कम्बल, और गद्दे और रसोई का सामान, खाने का राशन और कुछ दवाईयें। विष्वविद्यालय विलासिता है। किन्तु मिटटी के मैदान में छोड़ दिया गया, वह एक खोयी हुई पीढ़ी का सदस्य बनकर रह जायेगा। हैनी की कहानी एक त्रासदी है, किन्तु ज़रूरी नहीं की उसका अंत भी वैसा ही हो। धन्यवाद। (तालियां) मानवता टेड में केंद्र स्तर लेता है लेकिन मैं जानवरों के लिए एक आवाज जुटाना चाहता हूँ, जिनके शरीर और दिमाग और भावनाओं ने हमें रूप दिया । कुछ साल पहले, यह मेरा सौभाग्य था एक द्वीप पर एक ज्येष्ठ आदिवासी से मिलना दूर नहीं वैंकूवर से। उनका नाम, जिमी स्मिथ है और उन्होंने मुझे एक कहानी सुनाई जो कि उनके लोगों के बीच बताई जाती है, जो खुद को कवीकवासूतीनुकसव कहते हैं। एक समय की बात है, उन्होंने मुझे बताया, पृथ्वी पर सभी जानवर एक थे। वे भले ही बाहर से दिखने में अलग लगें, अंदर, वे सब एक ही हैं, और समय-समय पर वे इकट्ठा होते गहरे जंगल के अंदर एक पवित्र गुफा में अपनी एकता का जश्न मनाने के लिए । जब वे आए, वे सब अपनी खाल उतार दें । काला कौआ अपने पंख निकालता , भालू अपनी खाल, और सैल्मन अपने शल्क , और फिर, वे सब नृत्य करते थे। लेकिन एक दिन, एक मानव गुफा तक आ गया और उसने जो देखा उसपे हँसा क्यूंकि उसके समझ में नहीं आया । शर्मिंदा हो कर, जानवरों भाग गए, और वो आखरी बार था उन्होनें खुद को इस तरह से व्यक्त किया। प्राचीन समझ कि अपनी अलग पहचान के भीतर, सभी जानवर एक हैं, मेरे लिए एक शक्तिशाली प्रेरणा रही है। मैं परे जाना चाहता हूं खालों के, पंखों के और शल्कों के । मैं खाल के अंदर जाना चाहता हूं | कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं एक विशाल हाथी का सामना कर रहा हूं या एक छोटे से पेड़ मेंढक का, मेरा लक्ष्य मनुष्यों को उनसे सहमती से जोड़ना है| आप सोच रहे होंगे कि क्या मैं कभी भी लोगों की तस्वीर लेता हूं ? जरुर। लोग, हमेशा मेरी तस्वीरों में मौजूद रहते हैं, कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे दिखाई दें कछुओं को चित्रित करते हुए या तेंदुओं को या शेरों को। आपको बस सीखना है कैसे उनके भेस के परे देखें | एक फोटोग्राफर के रूप में, मैं मतभेदों से परे पहुँचने की कोशिश करता हूं हमारे आनुवंशिक मेकअप में उसकी सराहना करने के लिए जो हम सब में सामान्य है हर दूसरे जीव-जन्तु के साथ। जब मैं अपने कैमरे का उपयोग करता हूं, मैं अपनी खाल उतार देता हूं गुफा के उन जानवरों की तरह ताकि मैं दिखा सकूं कि वे वास्तव में कौन हैं| सौभाग्यशाली जानवरों के रूप में तर्कसंगत सोच की शक्ति के साथ हम जीवन की जटिलताओं पर अचंभा कर सकते हैं। मुसीबत में एक ग्रह के नागरिकों के रूप में, यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है जीवन की विविधता में नाटकीय गिरावट के साथ निपटना। लेकिन दिल वाले मनुष्य के रूप में, हम सभी जीवन की एकता में आनन्दित हो सकते हैं, और शायद हम बदल सकते हैं जो कि एक बार उस पवित्र गुफा में हुआ। नृत्य में शामिल होने के लिए एक रास्ता खोजते हैं। धन्यवाद | (तालियाँ) [ध्यान रखें, इस व्याख्यान में परिपक्व भाषा का उपयोग किया गया है।] अगर हम सन 800 बी सी के ग्रीस में वापस जाएँ, तो हमें पता लगेगा कि उस समय में जब व्यापारियों का कारोबार असफल होता था, उन्हें बाज़ार में अपने सर पर एक टोकरी लेकर बैठने पर मजबूर किया जाता था। पूर्व आधुनिक इटली में, असफल व्यापारी जिनके क़र्ज़ भरने बाकी होते थे, उनको सबके सामने नंगा ले जाकर, उनके पिछवाड़े को पत्थर से मारा जाता था, और भीड़ में देखने वाले लोग उनका अपमान करते थे। 17 शतक फ्रांस में, असफल व्यापारियों को बाज़ार के बीचों बीच ले जाकर, उनका दिवालियापन सबके सामने घोषित कर दिया जाता था। और ताकि उन्हें तुरंत कैदी न बनना पड़े, उन्हें गले के ऊपर एक हरा कपड़ा बाँधना होता ताकि सबको पता चले कि वे असफल थे। यह उदहारण तो फिर भी पुराने समय के हैं। पर यह याद रखना ज़रूरी है कि हम जब किसी असफल इंसान को बहुत बड़ी सज़ा देते हैं, हम नवीनता और व्यापार के सृजन को रोकते हैं, जो असल में किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए ज़रूरी हैं। ज़माने बदल गए हैं, और अब व्यापारियों को सार्वजनिक रूप से ज़लील नहीं किया जाता। न ही वे अपनी असफलताओं का प्रसारण सोशल मीडिया पर करते हैं। बल्कि, मुझे तो लगता है हम सब असफल होने का दर्द समझते हैं। मगर हम उन अनुभवों के बारे में विस्तार में नहीं बताते। और मैं समझती हूँ, दोस्तों, मेरे साथ भी यह हुआ है। मेरा कारोबार भी असफल हुआ था और वह अनुभव बताना बहुत मुश्किल होता था। उसको बताने के लिए मुझे सात साल, खुल पाने की क्षमता, और मेरे दोस्तों की ज़रूरत पड़ी। यह मेरी असफलता की कहानी है। जब मैं कॉलेज में व्यापार पढ़ रही थी, मैं कुछ औरतों से मिली। वे मध्य मेक्सिको के पुएबला प्रांत के एक गरीब ग्रामीण समुदाय से थी। वे खूबसूरत हस्तनिर्मित उत्पाद बनाती। और जब मैंने उनसे मिलकर उनका काम देखा, मैंने उनकी मदद करने का निर्णय लिया। मैंने कुछ दोस्तों के साथ एक सामाजिक उद्यम खोला, जिसका लक्ष्य औरतों के लिए एक आमदनी का सूत्र बनाना था, और उनके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाना था। हमने किताबी ज्ञान के अनुसार सब कुछ किया, जो हमने कॉलेज में पढ़ा था। हमने निवेशकों को ढूँढा, बहुत समय कारोबार को खड़ा करने में, और उन औरतों को तैयार करने में लगाया। पर हमें जल्द एहसास हुआ कि हम इस क्षेत्र में नए थे। उत्पाद बिक नहीं रहे थे, और हमारी वित्तीय योजना अव्यवहारिक सी थी। हमने सालों तक किसी तनख्वाह के बिना काम किया, यह उम्मीद करते कि कोई चमत्कार होगा, और कोई महान सी खरीदार आकर इस व्यापार को लाभदायक बना देगी। लेकिन वह चमत्कार कभी हुआ ही नहीं। आखिर में हमें इस कारोबार को बंद करना पड़ा, और मैं बहुत दुखी थी। मैंने इसकी शुरुआत उन कलाकारों के जीवन में एक सकारात्मक प्रभाव के लिए किया था। और फिर मुझे लगा कि मैंने उसका उल्टा ही कर दिया। मुझे इतना बुरा लगा, कि मैंने इस असफलता को हर जगह से छुपाने की ठान ली। चाहे वह बातचीत हो या मेरा रिज्यूमे। मैं किसी और असफल व्यवसायी को नहीं जानती थी, और मुझे लगता था कि मैं अकेली नाकामयाब हूँ। सात साल बाद, एक रात, मैं कुछ दोस्तों के साथ बाहर थी। हम एक व्यव्यासी के जीवन के बारे में बातें कर रहे थे। और ज़ाहिर सी बात है, की असफलता की भी बात आई। मैंने अपने दोस्तों को अपनी असफलता की कहानी बताई, और उन्होंने अपनी। उस क्षण में एक बात तो साफ़ थी: मेरे सारे ही दोस्त नाकामयाब थे। (हँसी) फिर उस रात सोचते हुए मुझे एहसास हुआ कि एक: मैं इस दुनिया में एकलौती नाकामयाब नहीं थी। दूसरा: हम सबकी छुपी नाकामयाबियाँ हैं। मुझे बताइए अगर मैं गलत हूँ। उस रात मेरा मन थोड़ा हल्का हुआ। मुझे एहसास हुआ कि अपनी असफलता के दुख बाँटना आपको और मज़बूत बनती हैं, कमज़ोर नहीं। और अपने दुख को बाँट पाने की वजह से मैं दूसरों के साथ गहराई और सार्थक तरीके से जुड़ पा रही थी और ज़िंदगी से सीख रही थी, जो पहले नहीं होता था। इन असफलता की कहानियों को बाँटने के सिलसिले के बाद हमने एक दूसरों को एक मंच देने का निर्णय लिया जहाँ वे भी अपनी असफलता की कहानियाँ बाँट सकते। इस कार्यक्रम को हम "असफलता के चर्चे" कहते। सालों बाद हमने असफलता की कहानियों पर निर्धारित एक अनुसंधान केंद्र भी खोला। हम व्यापार, लोग और समाज पर असफलता के प्रभाव के बारे में खोज करते, और हमने उस केंद्र का नाम "असफलता संस्था" रख दिया। यह आश्चर्यजनक रहा है कि जब एक व्यवसायी मंच पर जाकर अपनी असफलता की कहानी बताती है, उसे वह पल रोमांचक लग सकता है। वह पल उसके लिए शर्मनाक होना ज़रूरी नहीं, जैसे पुराने दिनों में हुआ करता था। यह एक ऐसा मौका है जहाँ आप अपनी सीख बाँट सकते हो, और सहानुभूति पैदा कर सकते हैं। हमने यह भी जाना कि जब एक समूह के लोग अपनी कहानियाँ बाँटते हैं, कुछ जादू सा होता है। उनके बीच का रिश्ता बेहतर होता है, और साथ काम करना और आसान होता है। हमारे कार्यक्रम और अन्वेषण के आधार पर, हमें कुछ दिलचस्प तथ्य मिले। उदहारण के लिए, महिला और पुरुष अपनी नाकामयाबी को अलग तरह से लेते हैं। अधिकतम रूप से पुरुष व्यवसाय में असफलता पाने के एक साल बाद, एक नया व्यवसाय शुरू करते हैं, लेकिन किसी और क्षेत्र में, और महिलाएँ नौकरी खोज कर अपने व्यवसाय को खड़ा करने की कृति को बाद के लिए रखती हैं। हमारा ख्याल है कि इसके पीछे का कारण यह है कि महिलाओं को अपनी क्षमताओं पर शक होता है। हमें लगता है कि हमें एक अच्छा व्यवसायी बनने के लिए और किसी चीज़ की ज़रुरत है। पर अक्सर मैंने यह देखा है कि औरतों के पास हर वह गुण है जिसकी ज़रुरत है। हम में बस एक कदम लेने की देरी है। लेकिन पुरुषों अधिकतम तौर से यह लगता है कि उनके पास ज्ञान तो पूरा है, लेकिन उसको किसी बेहतर जगह पर लागू करना ज़रूरी है जहाँ भाग्य भी साथ दे। एक और दिलचस्प खोज यह है कि अलग अलग जगहों में असफलता को लेकर अंतर होते हैं। जैसे की अमेरिका में व्यवसाय में नाकामयाबी के बाद वे वापस पढ़ने चला जाते हैं। जब कि यूरोप में अधिकतम लोग नाकामयाबी के बाद चिकित्सक के पास जाते हैं। (हँसी) हम नहीं कह सकते कि बेहतर क्या है, लेकिन हम भविष्य में इस पर भी अन्वेषण करेंगे। एक और दिलचस्प खोज असफल व्यवसायी पर लोक-निति के बारे में है। जैसे कि मेरे देश मेक्सिको में, नियामिक परिवेश इतना कठिन है, कि एक कारोबार का बंद करने में बहुत वक़्त और पैसे खर्च होते हैं। पैसों से शुरुआत करते हैं। मान लीजिए की स्तिथि इतनी बुरी नहीं है, सहभागी, प्रदाता, ग्राहक, कर्मचारी, उनके साथ कोई मुश्किलें नहीं हो। ऐसी स्तिथि में भी एक कारोबार को बंद करने के लिए आपको $2000 लगेंगे, जो मेक्सिको में बहुत महंगा है। कोई ऐसा जिसकी तनख्वाह न्यूनतम हो, उससे इतना पैसा इकट्ठा करने में ही 15 महीने लग जाएँगे। अब वक़्त की बात करते हैं, आप सब जानते ही होंगे, कि अधिकतम विकासशील देशों में, एक व्यवयास की औसत जीवन प्रत्याशा केवल दो साल है। मेक्सिको में व्यवसाय बंद करने की आधिकारिक प्रक्रिया ही दो साल है। अगर एक कारोबार का चलना उतने ही समय के लिए है जितना समय उसे बंद करने में लगेगा, तो क्या होगा? इससे कारोबार खड़े होना कम हो जाते हैं, और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था बनती है। अर्थ्मितीय अनुसंधान के अनुसार अगर दिवलियता घोषित करने की प्रक्रिया में कम समय और पैसे लगे, तो बाज़ार में और व्यवसाय खुलेंगे। इसी कारण से, 2017 में, हमने मेक्सिको में व्यापार बंद करने के लिए आधिकारिक प्रक्रिया की कुछ लोक-नीतियों का सुझाव दिया। पूरे एक साल के लिए, हमने पूरे देश के व्यवसायिओं और कांग्रेस के साथ काम किया। और सबसे अच्छी खबर यह है कि हम कानून बदलने में कामयाब रहे। येई! (तालियाँ) अब जब नए नियम लागू होंगे, तब व्यवसायी अपने व्यापार एक ऑनलाइन प्रक्रिया से बंद कर पाएँगे जो तेज़ और सस्ता होगा। (साँस लेते हुए) जिस रात हमने "असफलता के चर्चे" को शुरू किया, हमें नहीं पता था कि वह इतने बड़े मकाम तक पहुँचेगा। हम अब 80 देशों में हैं। उस क्षण में हमारा इरादा सिर्फ़ इतना था कि नाकामयाबी के बारे में भी बात हो। हम दूसरों को यह महसूस करना चाहते थे कि असफलता के बारे में भी बात करनी चाहिए। वह कोई शर्मिंदगी की बात नहीं है, जैसे पहले हुआ करती थी, न ही कोई ख़ुशी की बात, जैसे कुछ लोग कहते हैं। मैं एक और बात बताना चाहूँगी। जब भी कोई व्यवसायी या विद्यार्थी अपने असफलता के डींगे मारते हैं, जैसे कि वह कोई बड़ी बात न हो, मुझे बहुत अजीब लगता है। क्यूँकि मुझे लगता है कि जल्दी असफल होने में कुछ तो गलत है। हाँ, जल्दी असफल होकर सीखना भी बढ़ सकता है, और समय को व्यर्थ करना भी कम। मगर मुझे लगता है कि अगर हम जल्दी असफल होना व्यवसायिओं को इस तरह से बताएँगे, हम आलस को बढ़ावा देंगे। हम इस बात को भी बढ़ावा देंगे कि व्यवसायी जल्दी हार मान जाएँ। मुझे यह भी लगता है कि जल्दी असफलता होने का सोच कर लोग यह भूल जाएँगे कि एक असफल व्यवसाय के बहुत बड़े अंजाम भी हो सकते हैं। जैसे कि, जब मेरा बनाया हुआ व्यवसाय बंद हो गया, सबसे मुश्किल काम था कि मुझे वापस जाकर उन औरतों को बताना पड़ा कि यह कारोबार नाकामयाब हुआ, और वह मेरी ग़लती थी। कुछ लोगों के हिसाब से यह मेरे लिए सीखने का एक अच्छा मौका होगा, पर सच्चाई ये है कि इस कारोबार का बंद होना सिर्फ़ बंद होना नहीं था। इसका मतलब यह भी था कि औरतों की आमदनी बंद हो जाती, जिनकी उन्हें वाकई ज़रूरत थी। इसलिए मैं आप सब को एक सुझाव देना चाहूँगी। जैसे हमने असफल व्यवसाइयों को सबके सामने अपमानित करना छोड़ दिया, वैसे ही हमें यह ख्याल भी छोड़ना होगा कि जल्दी असफल होना सबसे अच्छा है। मैं एक नए मन्त्र का सुझाव दूंगी: सोचकर असफल हो। हमें याद रहना चाहिए कि व्यापार इंसानों से बनते हैं, व्यापार कोई चीज़ें नहीं हैं जो बस आती या जाती हैं, बिना किसी अंजाम के। जब एक व्यापार बंद होता है, कुछ लोग अपनी नौकरियाँ गवा देते हैं। कुछ लोग अपना पैसा। और मेरे अनुभव से ऐसे व्यवसायों का बंद होना समुदायों पर एक नाकारात्मक प्रभाव दाल सकते हैं, चाहें हम उनकी मदद ही क्यों न करना चाहें। पर सोचकर असफल होने का मतलब क्या है? इसका मतलब है कि हम असफल व्यवसाय के परिणामों के बारे में आगाह रहें। अपनी सीख के बारे में भी आगाह रहें। और उन सीखों को दुनिया के साथ बाँटने की ज़िम्मेदारी भी याद रखें। धन्यवाद। (तालियाँ) दृष्टि सबसे महत्वपूर्ण है और हमारी प्राथमिक समझ का स्रोत है| हम अपने आसपास की दुनिया में लगातार देखते हैं, और जल्द ही हम पहचान और समझ लेते हैं कि हमने क्या देखा| चलिए इस तथ्य को एक उदाहरण के साथ शुरू करते हैं । मैं आपको एक व्यक्ति की तस्वीर दिखाउँगी , सिर्फ एक या दो सेकंड के लिए, और मैं चाहुंगी की आप पहचानें कि उसके चहरे पर कौन सी भावना है? तैयार ? पेश है | अपनी सहज प्रवृत्ति का पालन करें। ठीक है। आपने क्या देखा? खैर, हमने वास्तव में 120 से अधिक व्यक्तियों का सर्वेक्षण किया, और परिणाम अनिर्णायात्मक रहे। लोगो में सहमती नहीं थी कि कौन सी भावनाऎं उनहोने उसके चेहरे पर देखीं। हो सकता है कि आपने बेचैनी देखी। यही सबसे अधिकतम प्रतिक्रिया थी जो हमें प्राप्त हुइ । लेकिन अगर आपने अपनी बाईं तरफ वाले व्यक्ति से पूछा, तो हो सकता है कि उन्होंने अफसोस या संदेह कहा हो, और आपने, आपके दाईं तरफ किसी को अगर पूछा, हो सकता है कि उन्होंने पूरी तरह से कुछ अलग कहा हो, जैसे कि अाशा या सहानुभूति । तो हम सब देख रहे हैं फिर से उसी चेहरे को । हो सकता है कि हम देखें पूरी तरह से कुछ अलग, क्यूंकि धारणा व्यक्तिपरक है। जो हम सोचते हैं कि हमने देखा वास्तव में फ़िल्टर्ड है हमारे अपने मन की आंखों के माध्यम से। बेशक, कई अन्य उदाहरण हैं कि कैसे हम दुनिया को देखते है, अपने मन की आंखों से। मैं आपको बस कुछ ही उदाहरण देने जा रही हू। मिताहारी तो, उदाहरण के लिए, सेब बड़ा देखते हैं उन लोगों की तुलना में जो कैलोरी की गिनती नहीं कर रहे हैं | सॉफ्टबॉल खिलाड़ी गेंद छोटे रूप में देखते हैं यदि वे बस एक मंदी से बाहर आए हैं, उन लोगों की तुलना में जो अच्छा कर रहे हैं । हमारी राजनीतिक धारणा पर भी यह निर्भर करता है कि हम व्यकतियों को और राजनेताओं को कैसे देखते हैं | तोह मेरे अन्वेषण टीम और मैने यह प्रश्न की परीक्षा का निर्णय लिया २००८में, बराक ओबामा पहली बार राष्ट्रपती चुनाव केलीये लढ रहे थे, और हमने कई अमिरिकियों का एक महिना पहले सर्वेक्षण किया| यह सर्वेक्षण में हमे पता चला की, क्या कुछ लोग, क्या कुछ अमरीकी फोटोग्राफ का ऐसा विचार कर सकते ओबामासच में कैसे देखते है| उसमे से ७५ % लोग ओबमाजी केलिए असल में मत दिया| बाकी लोग, फिरभी ऐसे फोटोग्राफ्स विचार किया सच में ओबामा कैसे दीखते है| उसमे से ८९ % लोगो ने मैक्केनको मत दिया| हमने ओबामा के बहुतसे फोटोग्राफ्स दिखाए एक के बाद एक तो लोगो को समजा नहीं की, हम फोटोग्राफ बदल रहे थे एक से अगले वाले तक या कृत्रिम किरणोंसे या त्वचा ज्यादा काली बनाकर| तो ये कैसे संभव है? मैं जब किसी व्यक्ती, वस्तू, या घटना देखती हूँ, उस समय दुसरे किसी को दीखता है, उससे कुछ अलग ही मुझे दीखता है| ये कैसे हो सकता है? वैसे तो बहुतसारे कारण है लेकिन उसमे से एक कारन के लिए आँखों का कार्य अधिक समजना जरुरी है तो दृष्टी वैज्ञानिक जानते है की सच में एक क्षण में देखि हुई हमे मिलने वाली कोई माहिती वैसे तोह बहुत कम होती है| जो हम सूक्ष्म, स्वच्छऔर अचूक देखते है, वो केवल हमने दूर पकडे हुए हात के अंगुठे के सामान ही रहता है| उसके आजूबाजु का सभी अंधुक होता है| उसकी वजह से हमारे आँखों के सामे आई हुई बहुतसे संदिग्ध होते है| लेकिन हमने क्या देखा यह स्पष्टकर के उसका अर्थ निकलना पड़ता है| और ओना मन खाली जगह भरने को मदद करता है उसकी वजह से धरना व्यक्तिसक्षेप होती है| और उसी वजह से जो हम देखते है वो अपने मन का चित्र होता है तो मैं एक सामाजिक मानसशास्त्रज्ञ हूँ| और ऐसे प्रश्न मेरा ध्यान ले लेलते है| व्यक्तिगत मतभेद मुझे मुग्ध करते है ये कैसे हुआ होगा? किसीको ग्लासआधा भरा हुआ दिख सकता है तो किसीको वह आधा खाली दिखाई दे सकता है| किसी व्यक्ति के विचार या भावनाए क्या होगी? की जिसकी वजह से उसको पूरी दुनिया अलग दिखती होगी? और उससे सच में कोई फरक होता है क्या? यह प्रश्न को हल निकलने केलिए हमने शुरुवात की मैं और मेरे ग्रुपने एक विषय में घर सोचने का निर्णय लिया पूरी दुनिया का लक्ष्य खीचने वाला वह विषय अपना आरोग्य और स्वास्थ्य| दुनियाभार्के लोग वजन नियत्रंण में रखने केलिए काम कर रहे है और वजन न बढे इसीलिए अनेक प्रकार के उपाय अपने मदद केलिए हाजिर है उदाहरणार्थ, हम पक्का करते, छुट्टियोंके बाद व्यायाम शुरू करेंगे, लेकी असल में, बहुतसे अमेरिकन लोगो को अपने नए साल की संकल्पना वैलेंटाइनडे तक तोड़ दी होती है| हम अपने आपको उत्तेजन देते रहेते है बताते रहते है यह साल फिरसे आकार में आएँगे लेकिन अपना वजन काबू में लाने केलिए इतना काफी नहीं रहता तो, ऐसा क्यूँ? देखा जाए तो इसका कोई आसन उत्तर नहीं है| लेकिन अपने विरोध में जानेवाली अपने मन की दृष्टी ही इसके पीछे का एक कारण है| ऐसा मेरा युक्तिवाद है| कुछलोगो को व्यायाम बहुत कठिन लगता है तो कुछ लोगो को बड़ा आसान| तो यह प्रश्न की परीक्षा लेते हुए, पहली स्टेप हमने लोगो की प्रकृति वस्तुनिष्ठ मापन इकट्ठा किया| हमने उनके कमर की साइज़ गिनी, उनके नितम्ब के परिघ के तुलना में कमर से नितम्ब गुणोत्तर ज्यादा होना बुरा आरोग्य का लक्षण है| यह मापन इकठ्ठाकरने के बाद हमने सहभागी लोगो को एक रेखा में थोडा ज्यदा वजन उठा के चलते जाने को कहा, एक तरह की रेस ही| लेकिन वैसा करने से पहले उनको अंतिम रेखा तक कितना अंतर, इसका अंदाज लेने को कहा| हमे लगा की उनको, यह अंतर कितना मेह्सूस होता है यह उनके शारीरिक स्वास्थ्यपर निर्भर होता है| और हमे क्या मिला? तोह, कमर से नितंब गुणोत्तर इसका सच में अंतर का कारण था| शारीरिकदृष्ट्या अक्षम लोगो को अंतिम रेखातक अंतर सच में बहुत ज्यादा दिख रहा, सुदृढ़लोगो के तुलना में| लोगो का स्वास्थ्य, उनकी परिस्थिति की धरना बदल रही थी| लेकिन वैसे ओना मन भी बदल सकता है| हाला की अपना शारीर और मन मिलके काम करते है और उससे अपने परिस्थिति की धरना रखते है इससे हमे ऐसा लगा की, व्यायाम की प्रेरणा, और ध्येय होने वाले लोगो में अन्तिमे रेखा असल में पास दिखती होगी कम प्रेरणा रखने वाले लीगी को उससे ज्यादा नजदीक दिखती होगी| तो, प्रेरणाओ के धारणापर कुछ परिणाम होता है क्या? यह देखने केलिए हमने दूसरा एक निरिक्षण किया फिरसे हमने लोगो के स्वास्थ्य की जानकारी इकठ्ठा कियी| उनके कमर का घेरा गिना और उनके नितंब का घेरा गिना और उनको कुछ स्वास्थ्य के परिक्षाए लेने को कहा| यह चाच्नियो के बारे में हमारा मत सुनके कुछ लोग बोले की इसके पर हमे व्यायाम की प्रेरणा नहीं मिल रही| अपने स्वास्थ्य का ध्येय पूरा हुआ ऐसे उनको लग रहा था और उससे ज्यादा उनको कुछ करना नहीं था| ये लोगो के पास प्रेरणा नहीं थी| लेकी बकियोनेहमारा मत सुनके, व्यायाम की प्रेरणा मिली बताया| अंतिम रेखा तक पहुचना मुख्य उद्देश था| लेकिन फिरसे, अंतिम रेखा तक पहुचने से पहले उनको दुरी का अंदाज लगाने को कहा अंतिम रेखा कितनी दूर होगी? और फिर से पहले निरिक्षणके जैसे देखा की , कमर से नितंब का गुणोत्तर ही अंतर के धरना सच है| अक्षम लोगो को ज्यादा लगा, अंतिम रेखा ज्यादा दूर लगी, स्वस्थ लोगो की तुलना में फिर भी महत्वपूर्ण, जिन लोगो के पास व्यायाम करने की प्रेरणा नहीं थी, उसके साथ भी ऐसा ही हुआ| दूसरी जगह, व्यायाम के बारे में कठोर प्रेरणा रखनेवाले लोगो को अंतर कम दिखा| सबसे कम अक्षम कोगो को भी अंतिम रेखा उतनी ही नजदीक दिखी| शायद स्वस्थ लोगो को उससे ज्यादा पास. तो अपना स्वास्थ्य, अंतिम रेखा कितनी दूर दिखती है, बदल सकता है| लेकिन जिन लोगोने ध्येय मुमकिन है ऐसा सोचा था उनको वोह जल्दी पूरा करना शक्य हुआ जिनको वोह पूरा करने में हम पात्र है ऐसा लग रहा था, उनको व्यायाम सच में आसन लग रहा था| इससे हमे यह प्रश्न आया की, ऐसी कोई युक्ति हम कर सकते या लोगो को सिखा सकते क्या जिसकी वजह से दुरी की धारणा बदलेगी? और उनको व्यायाम आसन लगे? तो हमने विज्ञान साहित्य के ओरदेखा क्या करे धुंडने केलिए और यह वाचन के सहाय्यसे हमे एक युक्ति सूझी उसका नाम रखा "ध्येयपे ध्यान रखे" यह एक प्रेरणादायी विज्ञापन घोषणा नहीं है| एक मार्गदर्शक तत्व है अपने परिस्थितीके ओर कैसे देखे, इसके बारे में| हमने युक्ति जो लोगो को सिखाई उनको बताया अंतिम रेखा पर लक्ष्यकेन्द्रित करे| यहा वहा न देखे| ऐसा सोचे की वः ध्येय पर एक प्रकाश है और उसके बाजू का अंधुक है| या दिखना कठिन है| हमे लगा की, यह युक्ति से व्यायाम आसन लगने लगेगा| यह लोगों के समूह की तुलना हमने एक संदर्भ गत से की उनको हमने बताया आपके आजू बाजु देखें ऐसे ही, आसानी से आपको अंतिम रेखा तो दिखेगी ही लेकिन शायद आपको दाहिने बाजु का कचरे का डिब्बा भी दिखेगा| या बाए बाजू का लाइट का खम्बा और वो लोग हमे लगा की यह युक्ति लगाने वालो को अंतर ज्यादा ही लगेगा तोह हमे क्या समझमें आया ? उनको अंतरकितना होगा सोचने को कहा लेकिन उनकी धारणा बदलने यह युक्ती कामयाब हुई क्या? हां| जो लोगोने ध्येय पे लक्ष्य रखा, उनको अंतिम रेखा ३०% नजदीक दिखी| जो लोगो ने आजू बाजू देखा उनके तुलना में| यह हमे बहुत अच्छा लगा बहुत आनंद हुआ, इसका मतलब यह की यह युक्ति से व्यायाम आसान लगने लगा लेकिन मत्वपूर्ण प्रश्न यह की, इससे व्यायाम सचमे आसान होगा क्या? इससे व्यायाम का दर्जा भी सुधारेगा क्या? इसके बाड़ी सहभागियो को बताया की अब आपको ज्यादा वजन उठा के अंतिम रेखा तक पहुचना है| हमने दोनों पैरोपे वजन लगाया| उनके वजन के १५%| हमने उनको दोनों घुटने उठाके अंतिम रेखा तक जलद गती से अंतिम एर्ख तक पहुचने को कहा यह व्यायाम हमने कठिन बनाया था, लेकिन सिर्फ थोडासा ही| अशक्य तो था ही नहीं| बाकी व्यायाम जैसे, जो सचमे अपना स्वास्थ्य सुधारते है तो महत्वपूर्ण प्रश्न यह की ध्येय पे नजर रख के और अंतिम रेखापर लक्ष्य केन्द्रित करके उनका व्यायाम का अनुभव बदला क्या? हां| बदला| जो लोंगोने ध्येय पर नजर राखी थी, उन्होंने हमे बाद में बताया, व्यायाम करने केलिए १७% मेहनत कम करनी लगी| जो लोग ऐसे ही आजू बाजू देख रहे थे, उनकी तुलना में| इससे उनके व्यायाम का व्यक्ति निष्ठअनुभव् बदला| वैसेही उनके व्यायाम का स्वरुप भी बदला जो लोगो ने दये पे नजर रखी थी, वे असल में १५ प्रतिशक जल्दी चल रहे थे, जो लोग ऐसे ही आजू बाजू देख रहे थे, उनकी तुलना में| इसका अर्थ देखा जाए तो, २३% बढ़ना मतलब, १९८० साल के शेव्ही सायटेशन के बदले में २०१५ साल की शेव्हरोले कॉरव्हेट मिलाना| इससे हम बहुत आनंदी हुए| क्यूंकि इसका अर्थ यह था की, बिना खर्च के युक्ति से बड़ा बदल लाया था| इसके अलावा वह आचरण में लाना भी अआसा थी| लोग सुदृढ़ हो या उसके लिए प्रयत्न करने वाले| ध्येय पर नजर रखें की वजह से व्यायाम आसान लगने लगा| वैसे वह समय भी, जब लोग ज्यादा तेज चलने केलिए ज्यादा मेहनत ले रहे थे| अब मुझे पता है की, अच्छा आरोग्य का मतलब सिर्फ ज्यादा तेजी से चलना नहीं तो ध्येय पर नजर रखने की एक ज्यादा युक्ति आप लगा सकते है निरोगी जीवनशैली को बढ़ावा देने केलिए| हम अपने मन के दृशी से दुनिया देखते है इसके बारे में अभी भी आप भ्रमित होंगे, तोह में एक आखिर का उदाहरन देती हूँ| स्टॉकहोल्म का रस्ते का छाया चित्र है| वः दो कार है| पीछे की कर आगे की कार से बहुत बड़ी दिख रही है असल में दोनों एक ही आकर के है लेकी अपने को वः वैसे दिख नहीं रही? इसका अर्थ क्या? अपने दृष्टी में कुछ बिघडा हुआ है या अपने मस्तिष्क में गडबड है? नहीं. इसका अर्थ बिलकुल ऐसा नहीं है| अपनी दृस्थी ऐसे ही काम करती है, बस्स| शायद हमे दुनिया अलग दिखती होगी कधी उसके वस्तुस्थितिसे मिलाप नहीं होगा| इसक अर्थ ऐसा नहीं की, कोई एक बराबर और कोई दूर गलत| हम अपने मन की दृष्टीसे दुनिया देखते है लेकिन हम उसको अलग तरीके से देखना सिखा सकते है जैसे मेरे आयुष्य की बुरे दिनों की यादें| मैं थकी हुई, नाराज, परेशान थी और बहुत से काम बाकी थे| और मेरे सिरपर एक बड़ा काला आसमान होता है| और ऐसे बुरे दिनों में मुझे मेरे आजू बाजू के लोग नाराज दीखते है' मैंने कोई काम को ज्यादा समय माँगा की मेरे सहकारी चिडे हुए दीखते| मेरी मीटिंग देर से होने से मै लंच देरसे गयी की मेरी दोस्त परेशान दिखती और दिन के आखिर में मेरा पति निराश दिखता है| क्यूँ की सिनेमा जाने के आलावा सोना होता है और ऐसे जब मुझे सभी नाराज अस्वस्थ और नाराज दीखते, तब मई इसकी तरफ दूसरी नजर से देखने को याद दिलाती हूँ शायद मेरा सहकारी परेशां होगा, या मेरी दोस्त, और पति को मेरी सहानुभूति लगती होगी| इसका मतलब हम सभी मन के द्र्सुती से दुनिया देखते है| और यह कई बार, यह दुनिया धोकादायक, कठिन या भयानक दिखती भी होगी| लेकिन हर बार ऐसे ही दिखेगी ऐसा नहीं यह देखने केलिए नजर बदलना सिख सकते है और जग बदलने का मार्ग मिला की यह हो भी सकता है धन्यवाद (तालियाँ) (संगीत) (तांलीया) मैं यहाँ आपको उस सेना में भर्ती करने आया हूँ जो मानवों और बाकी प्राणियों की कार्यप्रणालियों को नया आयाम दे रही है। बात पुरानी ही है -- हमने पहले भी थोडी बहुत सुनी है। प्रकृति में सबसे ताकतवर ही ज़िंदा बचता है; कंपनियों और देशों की सफ़लता का आधार है किसी को हराना, बरबाद कर देना, और प्रतिद्वंदी से आगे बढ जाना; राजनीति का अर्थ है जीत - किसी की कीमत पर। पर मुझे लगता है कि हम एक नयी कहानी की शुरुवात होती देख रहे हैं। और ये किस्सा कई सारे क्षेत्रों में आम होता, फ़ैलता दिख रहा है, जिसमें कि सहयोग, सामूहिक कार्य और परस्पर निर्भरता ज्यादा महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं। और वो केंद्रिय, मगर गैर-ज़रूरी, प्रतिस्पर्था का रोल और जीव-जीवस्य-भोजनम ज़रा कोने में को सिमटे-दुबके बैठे हैं। मैनें सोचना शुरु किया इस रिश्ते पर - बातचीत-संचार, मीडिया और सामूहिक कार्य के बीच - जब मैनें 'स्मार्ट मॉब्स' लिखी, और मैं उसके बारे में उसे लिखने के बाद भी सोचता रहा। असल में, अगर आप पीछे जायें, मानव का संवाद, मीडिया और सामाजिक ढाँचे की व्यवस्था के बाकी तरीके कुछ समय से परस्पर विकसित होते रहे हैं। मानवों की उम्र तो बहुत ज्यादा है, उस लगभग १०,००० साल से जिसमे व्यवस्थित कृषि-आधारित सभ्यता चली छोटे परिवारों के रूप में। बंजारे शिकारी के रूप में तो हम खरगोश मारते और खाना बटोरते रहे। उस समय धन-संपत्ति का अर्थ था ज़िंदा रहने भर को खाने का इंतज़ाम। मगर समय के एक बिंदु पर वो एक दल बने बडा शिकार करने के लिये। और हमें ये तो नहीं पता कि ठीक ठीक कैसे ये हुआ, मगर उन्होंने निश्चय ही किसी सामूहिक कार्य-प्रणाली का विकास किया होगा; ज़ाहिर है कि आप हाथी और मैमथ जैसे शिकार नहीं कर सकते यदि आप दल के भीतर ही लडते-भिडते रहें। सही है कि ठीक से कुछ नहीं कहा जा सकता है, मगर ये तो साफ़ है कि कोई नया रूप धन-संपत्ति का ज़रूर निकला होगा। एक शिकारी परिवार के खाने से बहुत ज्यादा खाना आ चुका था। तो इसने एक सामाजिक प्रश्न खडा किया जिसने मेरे हिसाब से कुछ नये सामाजिक समीकरण रचे। क्या ऐसा हुआ कि जो लोग उस शिकार को खाते थे, वो शिकारी परिवारों के एक प्रकार के देनदार बन जाते थे? यदि हाँ, तो कैसी पद्धति बिठायी गयी होगी? कोई सबूत नहीं है मगर ये तो हुआ ही होगा कि किसी तरह की चिन्ह-आधारित संचार प्रणाली रही होगी। ज़ाहिर है कि कृषि के साथ ही पहली बडी सभ्यतायें आयीं, पहले शहर मिट्टी और ईंट से बने, पहले साम्राज्य भी। और इन साम्राज्यों के प्रबंधकों ने ही लोगों को नौकरी दी गेहूँ, भेडों, और शराब की देनदारी का हिसाब रखने के लिये, और कर का हिसाब रखने के लिये कुछ चिन्ह बना कर जो उस समय मिट्टी के बने होते थे। जल्द ही, अक्षर ईज़ाद हुये। और इस महान नुस्खे को, हज़ारों सालों तक, आरक्षित रखा गया उन संभांत आकाओं के लिये (हँसी) जो साम्राज्यों का हिसाब रखते थे। और फ़िर एक नयी संचार तकनीक नें नयी मीडिया का सशक्तीकरण किया: प्रिंटिंग प्रेस आ गयी, और कुछ ही दशकों में, दसियों लाख लोग पढना-लिखना सीख गये। और इस साक्षर जमात से सामूहिक कार्यों के कई नये रूप उभरे - ज्ञान के क्षेत्र में, धर्म और राजनीति के क्षेत्र में। हमनें वैज्ञानिक क्रांतियाँ देखीं, प्रोटेस्टेंट उद्धार देखा, संवैधानिक प्रजातंत्र को वहाँ आते देखा जहाँ पहले वो नामुमकिन थे। प्रिंटिंग प्रेस ने ये नहीं कर डाला, ये हुआ उस सामूहिक कार्य से जो साक्षरता से जन्मा था। और एक बार फ़िर, धन-संपत्ति का नया रूप उभरा। देखिये, व्यापार तो पुरातन है। बाज़ारें भी इतिहास जितनी पुरानी हैं। मगर पूँजीवद, जिस रूप में हम उसे जानते हैं, केवल कुछ ही साल पुराना है, परस्पर सहयोग और तकनीकों पर टिका, जैसे कि कोई कंपनी जिसके कई हिस्सेदार हों, सामूहिक जोखिम वाले बीमे जैसा, या फ़िर डबल-एंट्री अकाउंटिंग जैसा। आज तो निश्च्य ही, संबल देने वाली तकनीक इंटरनेट आधारित हैं, और असीमित तंत्रजाल के ज़माने में, हर डेस्क्टॉप कंप्यूटर खुद में एक प्रिंटिंग प्रेस है, एक प्रसारण केंद्र, एक संप्रदाय, या एक बाज़ार। विकास की गति निरंतर बढ रही है। आजकल तो मामला डेस्कटॉप से हट कर आगे बढ गया है, और बहुत ही जल्दी, हम देखेंगे कि ज्यादातर लोग, अगर सब के सब मानव नहीं, घूमते दिखेंगे, किसी सुपर-कंप्यूटर को लिये हुए या पहने हुए जुडे हुए, ज़बरदस्त स्पीड से जिसे हम आजकल ब्रोडबैंड कहते हैं। जब मैं इस सामूहिक कार्य के विषय पर गहरे गया, मैनें पाया कि ज्यादातर शोध उस चीज पर आधारित है जिसे समाज-विज्ञानी 'सामाजिक कश्मकश' कहते हैं। और इस सामाजिक कश्मकश के कई रोचक उदाहरण हैं मैं उन में से दो को यहाँ संक्षेप में बताऊँगा: कैदी की क्श्मकश (prisoner's dilemma) और सामूहिक त्रासदी (tragedy of the commons). केविन कैली ने मुझे बताया कि आप में ज्यादातर जानते हैं कि कैदी की कश्मकश किसे कहते हैं, इसलिये मैं फ़टाफ़ट थोडे में ही उस के बारे में बता देता हूँ। अगर आप के कोई प्रश्न हों तो, कृप्या केविन कैली से पूँछें। (हँसी) कैदी की क्श्मकश असल में एक कहानी है जिसे गेम थियरी से निकली गणित की एक मैट्रिक्स पर रखा गया है। ये थ्योरी परमाणु युद्ध के बारे में प्रारंभिक सोच से निकली थी: दो खिलाडी है जिन्हें एक दूसरे पर विश्वास नहीं है। ऐसे समझिये कि सारे गैर-गारंटी लेन-देन कैदी की कश्मकश के ही उदाहरण हैं। एक व्यक्ति जिसके पास माल है, दूसरा जिसके पास पैसा है। क्योंकि उन्हें परस्पर विश्वास नहीं है, वो सौदा नहीं करेंगे। कोई भी पहला कदम नहीं लेना चाहता है क्योंकि हो सकता है वहाँ धोखा मिले, मगर दोनो ही नुकसान में हैं, ज़ाहिर है, दोनों का ही ध्येय पूरा नहीं हो पाता है। यदि वो मान जायें, और कैदी की कश्मकश को किसी आश्वासन पैदा करने वाले तरीके से जोड दें, तो वो आगे बढ सकते हैं। बीस साल पहले, राबर्ट एक्सलरोड ने कैदी की कश्मकश को प्राकृतिक विकास के प्रश्न पर लागू किया था: यदि हम भीषण प्रतिस्पर्धियों की संतानें हैं, तो सहयोग नाम की चिडिया होती ही क्यों है? तो उन्होंने एक कंप्यूटर टूर्नामेंट आयोजित किया जहाँ लोग कैदी की कश्मकश की समस्या के हल और योजानायें जमा करते थे, उन्हें आश्चर्य हुआ क्योंकि एक बहुत ही साधारण सी युक्ति की जीत हुई -- उसने पहला टूर्नामेंट जीता, और सबके सामने आने के बाद भी, फ़िर से उस ने दूसरा टूर्नामेंट भी जीत लिया -- जस को तस। एक और अर्थ-शास्त्र से जुडा गेम है जो कैदी की कश्मकश जितना मशहूर नहीं है आख़िरी शर्त का खेल, और ये भी बहुत ही रोचक है ये जानने में कि आखिर लोग कैसे रुपये-पैसे से जुडे फ़ैसले लेते हैं। तो खेल कुछ ऐसा है: दो खिलाडी हैं: उन्होंने ये खेल पहले कभी साथ में नहीं खेला है, वो दुबारा भी साथ कभी नहीं खेलेंगे, वो एक दूसरे को जानते भी नहीं हैं, और असल में, वो अलग अलग कमरों में बैठे हैं। पहले खिलाडी को सौ रुपये दिये जाते हैं और उन्हें दो हिस्सों में बाँटने को कहा जाता है: ५०-५०, या फ़िर ९०-१०, या जो भी वो खिलाडी करना चाहे। दूसरा खिलाडी या तो उस विभाजन को स्वीकार करता है, दोनों खिलाडियों को पैसा मिलता है, खेल खत्म हो जाता है --- या फ़िर वो अस्वीकार कर सकता है - किसी को कुछ नहीं मिलता है और खेल खत्म हो जाता है। आधुनिक अर्थशास्त्र का मौलिक सिद्दांत आपको बतायेगा कि आता हुआ एक रुपया सिर्फ़ इसलिये अस्वीकार करना गलत है क्योंकि किसी दूसरे अंजान आदमी को तो ९९ रुपये मिल रहे हैं। लेकिन हज़ारों अमरीकी, यूरोपीय, और जापानी विद्यार्थियों के साथ प्रयोगों में एक बडी संख्या में वो सारे विभाजन निरस्त हो गये जो ५०-५० के आसपास नहीं थे। और उन्हें इस बारे में कुछ नहीं बताया गया था और उन्हें छाँट कर भी नही लाया गया था और वो पहली बार ये खेल खेल रहे थे, विभाजन कर्ताओं को भी ये स्वाभाविक रूप से ये पता था क्योंकि औसत विभाजन आश्चर्यजनक रूप से ५०-५० के करीब ही थे। सबसे रोचक बात तो तब पता चली जब मानव-विज्ञानी इस खेल को दूसरी संस्कृतियों में ले गये, और उन्हें अचरच हुआ कि अमेज़न के काटो-जलाओ खेतिहर और मध्य एशिया के ख़ानाबदोश चरवाहे और दर्ज़नों और संस्कृतियों में -- सही बँटवारे के अपने अलग ही मापदंड थे। जिस से ये पता लगा कि किसी स्वाभाविक न्याय के मत के बजाय, जो मूल हो हमारी रुपये-पैसे के आदान-प्रदान का, हम अपने सामाजिक पालन-पोषण से प्रभावित हैं, चाहे हमें ये पता हो या न हो। सामाजिक कश्मकश का एक और उदाहरण है सामूहिक त्रासदी. गैरेट हार्डिन ने साठ के दशक के दूसरे भाग में जनसंख्या विस्फ़ोट पर इसके ज़रिये बात की। उन्होंने उदाहरण दिया एक सामूहिक चारागाह का जिसे हर व्यक्ति ने अपने-अपने जानवर बढा कर अत्यधिक इस्तेमाल के चलते नष्ट कर दिया हो। उनका थोडा दुःख भरा निष्कर्ष था कि मानव निश्चित रूप से उन सभी सामूहिक संसाधनों को न्ष्ट कर देगा जिसके इस्तेमाल की उसे खुली छूट मिलेगी। एलिनर ओस्ट्रोम, एक राजनीति विज्ञानी नें, १९९० में वो रोचक सवाल उठाया जो किसी भी अचछे साइंसदान को पूछ्ना चाहिये, जो कि ये है: क्या ये सच है कि मानव सामूहिक संसाधनों को नष्ट कर देगा? तो वो गयीं और उन्होंने जानकारी एकत्र की। उन्होंने हज़ारों ऐसे उदाहरण देखे जहाँ साझे जल-स्रोत, वनस्पति संसाधन, मछली के स्रोत आदि थी, और पाया कि हाँ, हर जगह, मानवों ने उन ही साझे संसाधनों को नष्ट किया जिन पर वो आधारित थे। मगर उन्हें ऐसे भी उदाहरण मिले जहाँ लोग कैदी की कश्मकश में नहीं फ़ँसे: असल में, सामूहिक त्रासदी कैदी की कश्मकश का ही बडा स्वरूप है। और उन्होंने कहा कि लोग तब तक कैदी ही रहेंगे, जब तक वो खुद को कैदी मानते रहेंगे। इस से बचने के लिये वो सामूहिक कार्यों के ढाँचे बना सकते हैं। और उन्होंने पाया, और मुझे बहुत रोचक लगा, कि उन सभी संरचनाओं में, जो कि सफ़ल थीं, बहुत सारे ऐसे सिद्धांत थे जो सामूहिकता पर आधारित थे, और ये सिद्धांत उन जगहों पर गायब थे जो असफ़ल थीं। मैं तेजी से गुज़र रहा हूँ कई सारे क्षेत्रों से। जीव-विज्ञान में, बहुत सारे उदाहरण हैं परस्पर निर्भरता (symbiosis) के, सामूहिक निर्ण्य के, निश्चय ही पारंपरिक मनोविज्ञान को ख़ारिज़ करते हुए। मगर आज इस तथ्य पर कोई खास संदेह नहीं रह गया है कि सामूहिक व्यवस्थायें सतही भूमिका से केंद्रिय भूमिका की ओर बढ रही हैं जीव-विज्ञान में, सेल के स्तर से पर्यावरण के स्तर की ओर। और हमारा व्यक्तियों को आर्थिक इकाइयों की तरह देखने का नज़रिया ख़ारिज़ हो चुका है। तर्कसंगत, अक्लमंदी भरा स्वार्थ हमेशा हमारे फ़ैसलों को आधार नहीं होता है। असलियत है कि लोग धोखेबाज़ को सज़ा देते हैं, भले ही खुद भी उसकी कीमत चुकानी पडे। और हाल ही में, तंत्रिका-विज्ञान के आँकडों ने दिखाया है कि जो लोग लेन-देन वाले खेलों में धोखेबाज़ों को सज़ा देते हैं, उनके दिमाग का इनाम वाला भाग सक्रिय हो जाता है। जिसके आधार पर एक वैज्ञानिक ने तो ये कह दिया कि परहित वादी सज़ा ही शायद समाज को बाँध कर रखने वाली कडी है। मैं भी इस पर बात करता रहा हूँ कि कैसे नये संचार-माध्यम और नयी मीडिया ने इतिहास में नयी अर्थ-व्यवस्थाओं को जन्म दिया है। व्यापार तो पुरातन है। बाज़ारें भी बहुत पुरानी हैं। पूँजीवाद बहुत नया है; समाजवाद उसकी प्रतिक्रिया में जन्मा है। और अब भी हम नयी उभरती अर्थ-व्यवस्था पर बहुत कम विमर्श होता हुआ देखते हैं। जिम सुरोवेकी ने संक्षिप्त में योचायी बेन्कलर के ओपन-सोर्स पर लिखे पेपेर का उल्लेख किया, एक नये प्रकार की रचना प्रणाली - पियर टू पियर - की ओर इशारा करते हुये। मैं बस इतना चाहता हूँ कि आप ये देखें कि यदि इतिहास में, नये प्रकार की कार्य-प्रणालियों और नयी तकनीकों ने नये प्रकार के धन-वैभव को जन्म दिया है, तो हम शायद बढ रहे हैं एक ऐसी नयी अर्थ-व्यवस्था की ओर जो पहले की सभी व्यवस्थाओं से पूर्ण्तः भिन्न होगी। एकदम संक्षिप्त में, कुछ कंपनियों को देखें, आई.बी.एम, जैसा कि आप जानते हैं, एच.पी, सन -- आई.टी के क्षेत्र के सबसे घातक प्रतिद्वंदी ओपन-सोर्स, मुक्त रचना विधान अपने सॉफ़्ट्वेयर पर लगा रहे हैं, और समूह को पेटेंट दे रहे हैं। एली लिली ने -- ज़बरदस्त प्रतिद्वंदिता वाले औषधि क्षेत्र में -- औषधि क्षेत्र में निदान निकालने का नया बाजार खडा किया है। टोयोटा, अपने आपूर्तिकर्ताओं को बाजार की तरह देखने के बजाय, एक तंत्र की तरह देखती है, और उन्हें बेहतर उत्पादों के लिये प्रशिक्षिति करती है जब कि इस से टोयोटा के प्रतिद्वंदियों का भी फ़ायदा हो रहा है। देखिये ये कंपनियाँ परमार्थ के लिये ऐसा नहीं कर रही हैं: ये ऐसा कर रही हैं क्योंकि वो सीख रही हैं कि एक ख़ास तरह का सहयोग उनके फ़ायदे में है। ओपन सोर्स रचना प्रणाली नें दिखाया है कि विश्व-स्तरीय सॉफ़्टवेयर जैसे लिनक्स और मोज़िला, न तो कंपनियों के नौकरशाही ढाँचों से बनाये जा सकते हैं, न हि पारंपरिक लाभों से जो बाज़ारों ने हमें अब तक दिये हैं। गूगल खुद को बढावा देता है, हज़ारों ब्लागरों को एड-सेंस के ज़रिये बढावा दे कर। अमेज़न ने अपना प्रोग्राम लिखने का इंटरफ़ेस मुक्त कर दिया है करीब ६०,००० प्रोग्रामरों के लिये, और अनगिनत अमेजन दुकानों के लिये। वो दूसरों को सिर्फ़ परमार्थ के लिये बढावा नहीं देते, बल्कि खुद को आगे बढाने के तरीके पाते हैं। ई-बेय ने कैदियों के कश्मकश में पहला कदम उठा कर एक पूर नया बाज़ार खडा कर दिया, पुराने ग्राहकों के अनुभव को साझा करने का तरीका निकाल कर - कमेंट, जिसने कैदियों को कश्मकश को आश्वासन के खेल में तब्दील कर दिया। बजाय इसके कि ''हम परस्पर विश्वास नहीं रखते, इसलिये हम दोनों को नुकसान होगा,", बात ये है कि "आप दिखाइये कि आप विश्वास योग्य हैं, और मैं सहयोग करूँगा।" विकीपीडिया ने हज़ारों स्वेच्छा-कर्मियों के ज़रिये एक मुफ़्त विश्वकोष बना डाला जिसमें १५ लाख लेख है, २०० भाषाओं में, महज़ कुछ ही सालों में। हमने देखा है कि थिंक-साइकिल ने विकासशील देशों की गैर-सरकारी संस्थाओं को संबल दिया है विश्व भर के डिज़ाइन विद्यार्थियों के समक्ष गहन समस्याओं को रखने में, जिनमें से कुछ तो सुनामी राहत कार्य के लिये आज भी इस्तेमाल हो रही हैं: ये एक तरीका है फ़िर से पानी देने का कोलरा के रोगियों को, जो कि आसानी से इस्तेमाल होता है, अनपढ लोग भी इसे इस्तेमाल कर सकते हैं। बिट-टोरेंट हर उतारू (डाउनलोडर) को चढाऊ (अपलोडर) में बदल देता है, और पूरी प्रणाली को ज्यादा प्रभावशाली बनाता है। दसियों लाख लोगों ने अपने डेस्कटॉप कंप्यूटरों को सम्मिलित किया है जोब वो उसे इस्तेमाल नहीं कर रहे होते, इंटरनेट से जोड कर एक सुपर-कंप्यूटर सघन बनाने के लिये जो कि मेडिकल शोधकर्ताओं को प्रोटीन के सिमटने की प्रक्रिया समझने में मदद कर रहा है -- जिसे स्टेन्फ़ोर्ड के फ़ोल्डिंग@होम नामे से जानते हैं-- जटिल कोड को तोडने, और दूसरे ग्रहों पर जीवन खोजने के लिये। मुझे लगता है कि अभी तो हम नुक्ता भर भी नहीं जानते हैं। अभी तो, मुझे लगता है, कि हमने कुछ मौलिक सिद्दांत तक नहीं ढूँढे हैं, मगर मैं मानता हूँ कि हम इस दिशा में सोचना प्रारंभ कर सकते हैं। मुझे इतना समय नहीं दिया गया है कि मैं सब बात कर सकूँ मगर अपने फ़ायदे के बारे में सोचिये। ये स्वार्थी सोच ही है जो इतना सब बना रही है। एल सालवाडोर मे, जिन दोनो पक्षों ने सिविल-युद्ध से वापसी ली, उन्होंने वही काम किये जो कैदियों की कश्मकश के निदान हैं। अमरीका में, फ़िलिपींस में, कीन्या में, सारे विश्व में, नागरिकों ने खुद को राजनैतिक विरोधों में आयोजित किया और मोबाइल और एस.एम.एस इस्तेमाल कर के वोट के लिये प्रचार किया। क्या सहयोग की अपोलोनुमा योजना संभव है? सहयोग पर एक अंतरविधा शोध? मुझे विश्वास है कि इससे मोटा फ़ायदा होगा। मैं मानता हूँ कि हमें इस क्षेत्र के नये नक्शे तैयार करने होंगे जिस से कि हम विधाओं के आरपार बतिया सकें। और मेरा ऐसा कोई दावा नहीं है कि सहयोग की समझ हमें बेहतर मनुष्य बनाएगी -- और कई बार लोग बुरे काम के लिये भी सहयोग करते हैं -- मगर मै आपको याद दिलाना चाहूँगा कि कुछ सौ साल पहले, लोगों अपने सगे-संबंधियों को उन बीमारियों से मरते देखते थे जो उन्हें लगता है कि पाप से या फ़िर विदेशियों से, या बुरी आत्माओं से आती हैं। डेस्कार्टेस ने कहा था कि हमें एक पूरी तरह से नयी सोच की आवश्यकता है। जब विज्ञान ने वो सोच थी, और जीव-विज्ञान ने दिखाया कि कीटाणुओं से बीमारी आती है, कई सारी तकलीफ़ें दूर हुईं। किन तकलीफ़ों को दूर किया जा सकता है, धन-वैभव-रईसी के नये रूप क्या हो सकते हैं यदि हम सहयोग के बारे में कुछ और जान जायें? मुझे नहीं लगता कि ये अंतर्विधा बहस-विमर्ष अपने आप हो जायेगा: इसके लिये प्रयत्न करना होगा। तो आज मैं आपको अपने सहयोग कार्यक्रम में भरती करता हूँ। धन्यवाद। (तालियाँ , अभिनंदन) देखने और विश्वास करने में कब से फर्क होने लगा? कुछ साल पहले, मेरे दोस्त ने मुझे यह तस्वीर उरुमकी से भेजी, जो झिंजियांग की राजधानी है उत्तर पश्चिमी चीन में प्रांत। इस विशेष दिन पर, वह अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर सकी। उसने बाहर हवा की गुणवत्ता की जांच अपने आई पैड पर इस ऐप से करी , संख्याएं उसे बता रही थीं हवा की गुणवत्ता अच्छी थी, 500 के पैमाने पर एक। लेकिन जब उसने बाहर देखा, तो उसे कुछ अलग दिखा । हाँ, वे इमारतें हैं पृष्ठभूमि में। (हँसी) लेकिन डेटा वह सच नहीं बता रहा था वो जो लोग देख रहे थे और सांस ले रहे थे, और ऐसा इसलिए था क्योंकि वे असफल थे मापने में पीएम 2.5 को , या महीन कण प्रदूषण को। जब पीएम 2.5 का स्तर 2012 में चार्ट से बाहर चला गया, या अमेरिकी दूतावास ने जब इसे "क्रेजी बुरा" के रूप में एक ट्वीट में वर्णित किया , चीनी देनिज़ेंस इसे सोशल मीडिया में ले गए और उन्होंने सवाल करना शुरू कर दिया कि यह अंतर क्यों है आधिकारिक वायु गुणवत्ता के आंकड़ों के बीच और जो वे खुद देख रहे थे और सांस ले रहे थे। अब, यह सवाल उन्हें ले गया चीन में एक तरह की पर्यावरण जागृति की ओर , चीन की सरकार को मजबूर किया प्रदूषण की समस्याओं से निपटने के लिए। अब चीन के पास यह अवसर है एक वैश्विक पर्यावरण लीडर बनने के लिए। लेकिन तस्वीर जो मैं आज आपके लिए पेंट करूंगी वह मिश्रित है। कुछ संकेत हैं जो बहुत ही विश्वास दिलाते हैं, और अन्य रुझान भी हैं जो परेशान भी करते हैं जिसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए। अब चलते हैं वापस उस कहानी पर जिसकी बात कर रहे थे। मैंने देखा है चीन के हरित विकास को जब मैं पीएचडी छात्र था 2011 में चीन में फील्डवर्क आयोजित करता था। मैंने पूरे देश की यात्रा की प्रश्नों के उत्तर की तलाश में कि मैं अक्सर खुद ही संदिग्ध व्यक्ति था : क्या, आपका क्या मतलब है चीन कुछ कर रहा है पर्यावरण पर ? उनके पास पर्यावरण नीतियां हैं? कौनसी नीतियां? उस समय, पीएम 2.5 डेटा बहुत राजनीतिक रूप से संवेदनशील माना जाता था और इसलिए सरकार इसे गुप्त रख रहा था, लेकिन नागरिक जागरूक हो रहे थे इसके मानव स्वास्थ्य हानिकारक प्रभावों के, और वे मांग कर रहे थे अधिक पारदर्शिता की सरकार की ओर से । मैंने इस बढ़ते विकास और जागरूकता को खुद भी वास्तव में देखा पूरे चीन में फेलते हुए . उदाहरण के लिए, बज्ज़र मे ये हवा साफ़ करने वाले उपकरण बिकने शुरू हो गए जो हानिकारक PM2.5 को फ़िल्टर कर सकता है। नागरिक भी पीएम 2.5 अपना रहे थे संगीत त्यौहारों के शीर्षक के रूप में। (हँसी) और फिर मैं एक गोल्फ कोर्स में गयी शेन्ज़ेन में, जो दक्षिणी चीन में है, और आप इस बैनर से देख सकते हैं, वे PM2.5 से पीछे हटने का विज्ञापन कर रहे हैं। गोल्फ सब-पैरा, लेकिन नहीं सब-पैरा हवा सांस लें। और फिर शंघाई पर्यावरण संरक्षण ब्यूरो ने एक शुभंकर बनाने का फैसला किया वायु गुणवत्ता सूचकांक के नाम पर रखा गया जिससे अपने लोगों को वायु गुणवत्ता डेटा बेहतर रूप से बताया जा सके। मैं उसे एक्यूआई लड़की कहती हूं, उसकी अभिव्यक्ति और बालों का रंग बदलता है बाहर हवा की गुणवत्ता के आधार पर। पांच साल बाद और वह अभी भी है सबसे ज्यादा मुस्कराता हुआ चेहरा शंघाई की वायु गुणवत्ता का । और फिर 2015 में, पूर्व सीसीटीवी संवाददाता चाई जिंग ने यह वृत्तचित्र बनाया जिसे "गुंबद के नीचे" कहते हैं। इसकी तुलना की जाएगी रेचल कार्सन की "साइलेंट स्प्रिंग" से । और रेचल कार्सन की तरह इस तथ्य पर ध्यान दिलाया कि कीटनाशक मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे थे, "गुंबद के नीचे" ने प्रवेश किया लोकप्रिय चेतना में वह वायु प्रदूषण बदा रहा था एक लाख समयपूर्व मौतें अकेले चीन में हर साल। इस वीडियो को देखा गया सौ मिलियन से अधिकबार एक सप्ताह के अंदर इससे पहले की चीन की सरकार ने , इस दर से कि यह सामाजिक अशांति उत्तेजित कर सकता है , इसे इंटरनेट से हटा लिया। लेकिन नुकसान पहले ही हो चुका था। वायु प्रदूषण पर सार्वजनिक चिल्लाहट से चीन की सरकार कारवाही करने लगी , शायद आत्म-संरक्षण के लिए, बड़े और निर्णायक सोचने में की कैसे निपटा जाये इस वायु प्रदूषण की जड़ और इसके कई अन्य पर्यावरणीय समस्याओं को : इसकी ऊर्जा प्रणाली। आप देखते हैं, चीन में, करीब दो तिहाई बिजली कोयला से आती है। चीन में अधिक कोयले वाले बिजली संयंत्र हैं दुनिया के किसी अन्य देश की तुलना में, वैश्विक कुल का लगभग 40 प्रतिशत, और यह इस तथ्य के कारण है कि चीन की सरकार 2014 के बाद से फैसला किया है कोयले पर युद्ध करने के लिए, छोटी कोयला खानों को बंद करना, कोयले की खपत पर सीमा तय करना, यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया के बराबर कोयले से बिजली उत्पादन रद्द करना भी। वे भारी निवेश भी कर रहे हैं साफ और नवीकरणीय ऊर्जा में , जल विद्युत, हवा और सौर की तरह, और इस परिवर्तन की गति और पैमाना बिल्कुल होश उदा रहा है। मैं आपको कुछ आंकड़े देता हूँ आपको दिखाने के लिए। चीन दुनिया में सबसे आगे है जब जलविद्युत की बात आती है, कुल क्षमता का एक तिहाई हिस्सा। हर चीनी नागरिक के लिए पर्याप्त है एक साल में दो घरों को बिजली देने के लिए अकेले जल विद्युत से। आपने सुना होगा तीन गोर्गेस बांध का नाम , यहां चित्रित, जो दुनिया का सबसे बड़ा बिजली स्टेशन है , और यह पानी से संचालित है। पवन ऊर्जा के मामले में, चीन की वैश्विक क्षमता का तीसरा हिस्सा है। यह इसे नंबर एक बनाता है। जब हम सौर देखते हैं, चीन इसमें भी अग्रणी है। उन्होंने अपने 2020 लक्ष्य को पा लिया सौर ऊर्जा से 105 गीगावाट स्थापित कर । सरकार के ऊपर संशोधित कई बार सौर ऊर्जा लक्ष्य के बावजूद 2009 और 2015 के बीच। पिछले साल, मात्र सात महीने में, चीन स्थापित करने में सक्षम था सौर ऊर्जा का एक विशाल 35 गीगावाट। यह अमेरिका में कुल मिलाकर किये गए आधे से अधिक है और चीन ने ऐसा केवल सात महीने में कर लिया । हम इस उल्लेखनीय सौर ऊर्जा में विकास को साबित कर सकते हैं अंतरिक्ष से , जैसा की स्टार्टअप स्पेस नो ने इस स्लाइड में किया है। 2020 तक, चीन जर्मनी की पूरी बिजली खपत उत्पन्न करने के लिए ट्रैक पर है केवल हवा और सौर ऊर्जा से। यह बहुत ही उल्लेखनीय है। और अब हम कुछ सबूत देखते हैं कि स्वच्छ ऊर्जा पर चीन के प्रयास से वास्तव में कुछ प्रभाव हुआ है, न केवल वायु प्रदूषण में कमी, बल्कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन पर भी, जहां चीन का दुनिया में सबसे बड़ा कार्बन पदचिह्न है । यदि हम कुछ डेटा देखें, तो हम देखेंगे कि चीन की कोयले की खपत शायद पहले से ही एक चोटी पर पहुंच गयी हो 2013 के आरंभ में। यह एक प्रमुख कारण है चीन की सरकार ने घोषणा की कि वे पहले ही हासिल कर चुके हैं उनके 2020 कार्बन कमी प्रतिज्ञा निर्धारित समय से पहले । कोयला खपत में यह कमी सीधी वजह भी है हवा की गुणवत्ता में सुधार हनी की देश भर में, जैसा कि मैंने यहां नीले रंग में दिखाया है। अधिकांश प्रमुख चीनी शहरों में, वायु प्रदूषण 30 प्रतिशत तक गिरा है । और वायु प्रदूषण में यह कमी लोगों का आगे ले जा रहा है चीन में लंबे जीवन जीने के लिए, औसतन २०१३ के मुकाबले अदाई साल ज्यादा। पीले रंग में, हम देख सकते हैं जिन शहरों ने अनुभव किया है हवा की गुणवत्ता में सबसे बड़ा सुधार। लेकिन, जैसा कि मैंने शुरुआत में उल्लेख किया है, हमें इस गुस्से को कुछ आशावाद से सावधानी की एक हल्की चेतावनी के साथ, और यह इसलिए है क्योंकि डेटा अभी भी निर्धारित किया जा रहा है। पिछले साल के अंत में, लगभग तीन साल बाद काफी स्थिर वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के, वैज्ञानिक अनुमान सुझाव देते हैं वह वैश्विक उत्सर्जन फिर से वृद्धि पर है और यह बढ़ने के कारण हो सकता है चीन के जीवाश्म ईंधन खपत में, तो वे शायद नहीं पहुंचे हैं वह चोटी जिसे मैंने पहले दिखाया था। लेकिन निश्चित रूप से, आंकड़े और डेटा अभी भी धुंधला है क्योंकि चीन नियमित रूप से कोयले के आंकड़े संशोधित करता है तथ्य के बाद। दरअसल, यह मजाकिया है, चूंकि मैं यहाँ गया हूं मैं हूं ट्विटर पर बहस कर रही है अन्य जलवायु मॉडलर के साथ, पता लगाने के प्रयास जारी चाहे चीन का कार्बन उत्सर्जन हो चले गए, नीचे चले गए या नहीं वे अपेक्षाकृत स्थिर रह रहे हैं। और निश्चित रूप से, चीन अभी भी एक तेजी से विकासशील देश है। यह अभी भी अपनी नीतियों के साथ प्रयोग कर रहा है, जैसे डॉकलेस बाइक शेयरिंग की तरह, जिसे संभावित परिवहन समाधान के रूप में सम्मानित किया गया है। लेकिन फिर हमारे पास ये चित्र हैं इस साइकिल कब्रिस्तान के जो सचेत करने वाली कहानी बताते हैं। कई बार समाधान बहुत तेज़ी से आगे बढ़ जाते हैं और मांग से बद जाते हैं। और निश्चित रूप से, कोयला अभी भी चीन में राजा है, कम से कम अभी के लिए। तो हम इसकी क्यों परवाह करें कि पर्यावरण पर चीन क्या कर रहा है? वैसे , चीन अपने देश में क्या करता है पर्यावरण पर इसका वैश्विक प्रभाव हो सकता है हम बाकी सभी के लिए। चाई जिंग से एक लाइन उधार ले लें , हम सभी एक ही गुंबद के नीचे हैं, और वायु प्रदूषण जो चीन में निकलता है अपनी सीमाओं से परे jजा सकते हैं और काफी दूर की आबादी को प्रभावित करते हैं जैसे उत्तरी अमेरिका तक। चीन न केवल वायु प्रदूषण का निर्यात कर रहा है, लेकिन वे सहायता भी निर्यात कर रहे हैं, बुनियादी ढांचा, विदेश में प्रौद्योगिकी। 2013 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने घोषणा की वन बेल्ट, वन रोड इनिशिएटिव, एक विशाल, एक ट्रिलियन-यूएस डॉलर बुनियादी ढांचा निवेश परियोजना 60 से अधिक देशों में। और ऐतिहासिक रूप से, जब हमने देखा है चीन ने जब लगाया है विदेशों में इन बुनियादी ढांचे निवेश, वे हमेशा साफ नहीं होते हैं। वैश्विक पर्यावरण संस्थान, एक चीनी नागरिक समाज समूह, ने पाया कि पिछले 15 वर्षों में, चीन ने और अधिक निवेश किया है 240 कोयले के बिजली उत्पादन संयंत्रों से 68 से अधिक देशों में वन बेल्ट एक सड़क इनिशिएटिव से संबद्ध। यह चीन की घरेलू कोयले से निकाली गई क्षमता के एक चौथाई से अधिक है जिसे विदेश में निर्यात किया जाता है। तो हम देख सकते हैं कि भले ही चीन घर पर सफाई कर रहा है, यह उस प्रदूषण में से कुछ निर्यात कर रहा है अन्य देशों को, और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का बस कोई पासपोर्ट नहीं है। तो हम इस सवाल का मूल्यांकन करने की कोशिश कर रहे हैं की चीन वास्तव में अग्रणी हो रहा है या नहीं , हम देख सकते हैं की यह अभी भी खुली बहस है। लेकिन समय समाप्त हो रहा है। मैंने जलवायु मॉडल का अध्ययन किया है, और दृष्टिकोण अच्छा नहीं है। हमारे पास अभी भी फासला है वर्तमान नीतियों के बीच और जो होने की जरूरत है, अगर हम खतरनाक जलवायु परिवर्तन से बचना चाहते हैं। हमें नेतृत्व की बेहद ज़रुरत है, लेकिन यह नहीं आ रहा है, उदाहरण के लिए, अमेरिका से। पिछले जून में अमेरिकी प्रशासन ने अपने इरादे की घोषणा की पेरिस जलवायु समझौते से वापस ले कर , तो अब लोग चीन की तरफ देख रहे हैं उस नेतृत्व के स्थान को भरने के लिए। तो चीन चालक की सीट में बिलकुल है हमारे वैश्विक पर्यावरण भविष्य का निर्धारण करने के लिए . कार्बन व्यापार पर वे क्या करते हैं, स्वच्छ ऊर्जा पर, वायु प्रदूषण पर, हम कई सबक सीख सकते हैं। उन पाठों में से एक है कि स्वच्छ ऊर्जा सिर्फ पर्यावरण के लिए ही अच्छा नहीं है, यह जीवन बचा सकता है वायु प्रदूषण को कम करके। यह अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा है। हम पिछले साल देख सकते हैं, चीन जिम्मेदार था वैश्विक विकास के 30 प्रतिशत के लिए पर्यावरण जुडी नौकरियों में. अमेरिका? केवल छह. तो वह तस्वीर जो मैंने अभी आपके लिए पेंट की है उम्मीद है कि बहुत अलग लगेगी उन अस्पष्ट से, धुंधले हवा की गुणवत्ता के आंकड़ों से एक बेहतर स्पष्ट तस्वीर चीन की स्वच्छ ऊर्जा की। और यद्यपि चीन सही दिशा में बद रहा है, हम सभी जानते हैं की यह लुम्बा सफ़र है . तो मैं फिर पूछती हूँ : क्या देखना और विश्वास करना एक बराबर है? क्या हम डेटा और आंकड़ों पर भरोसा कर सकते हैं जो दिखता है की चीन की हवा गुद्व्त्ता में कमी आई है और कोयले पर इसकी लड़ाई से वास्तव में प्रभाव पड़ रहा है? चलिए एक नज़र डालें कुछ नवीनतम उपग्रह छवियों पर चीन की सौर ऊर्जा प्रतिष्ठानों की। मैं चाहती हूँ की आप इस छवि को बहुत बारीकी से देखें। क्या आप देख सकते हो? सबूत शायद सिर्फ पांडा में हो । बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियां) हम इंसानों के पास अच्छाई की विशेष क्षमता है| लेकिन हमारे पास नुकसान पहुचाने की भी अत्यधिक शक्ति है| किसी भी हथियार का उपयोग बनाने या नष्ट करने के लिए किया जा सकता है| ये सब हमारी प्रेरणा पर निर्भर करता है| इसलिये स्वार्थी भावना के बदले करुना की भावना को प्रोत्साहन देना और भी ज़रूरी हो जाता है| निस्संदेह हम आज के समय मे बहुत सी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं| ये मुश्किलें निजी हो सकती है| हमारा खुदका मन हमारा सबसे अच्छा दोस्त हो सकता है या हमारा सबसे बड़ा दुश्मन| मुश्किलें सामाजिक भी हो सकती है| समृद्धि के बीच मे ग़रीबी, असमानता, लड़ाई, और अन्याय| और फिर ऐसी भी मुश्किलें है जो नई हैं, जिनकी हमे बिलकुल भी उम्मीद नहीं होती| दस हज़ार सालों पहले, धरती पे करीब ५० लाख लोग थे| वो जो भी करते धरती का पलटाव इंसान की गतिविधियों को जल्द ही स्वस्थ कर देता| औद्योगिक और प्रौद्योगिकीय आमूल परिवर्तन के बाद, ये स्तिथि पहले जैसी नहीं रही| आज हम धरती पे होने वाले प्रभाव के प्रमुख एजेंट हैं| हम अन्थ्रोप्रोसिन मे प्रवेश कर रहे हैं, मनुष्य का युग| तो एक तरह से, अगर हम कहें कि, हमे यह अनंत बढ़त और अनंत भौतिक संसाधन का उपयोग जरी रखने की ज़रूरत है, तो वो यह कहने के बराबर है कि अगर यह इंसान- और मैंने एक पूर्व राज्य के प्रधान को कहते सुना है, में उनका नाम नहीं लूँगा कि "पांच साल पहले हम खड़ी चट्टान की कगार पर थे| आज हमने एक बड़ा कदम आगे बढाया है|" वैज्ञानिकों ने जो ग्रहों की सीमा की परिभाषण दी है वह इस कगार के सामान्य है| और उन सीमओं के अंदर, वे अनेक तत्व रखते हैं| हम अभी भी उन्नति कर सकतें हैं, मानवजाति अभी भी १५०००० सालों तक उन्नति कर सकती है, यदि हम जलवायु स्थिरता वैसे ही बनाएं रखें जैसेः पिछलें दस हजार सालों से है| परंतु यह स्वैच्छिक सादगी, गुण-संबंधी बढ़त नाकि परिमाण-संबंधी बढ़त को चुनने पर निर्धारित है| साल १९०० मे, जैसा कि आप देख सकतें हैं, हम सुरक्षा की सीमा के बहुत अंदर थे| फिर, साल १९५० मे ज़ोर की तेज़ी आई| अब अपनी सासों को रोक कर रखें, ज्यादा देर तक नहीं, यह सोचने के लिए कि आगे क्या होगा| आज हम उन ग्रहों की सीमा के बहुत आगे निकल चुकें हैं| जैव विविधता को लें तो, इस तेज़ी से अगर हम चलतें रहेंगे, तो साल २०५० तक धरती से ३० प्रतिशत जातियां गायब हों जायेंगी| अगर हम उनका डीएनए फ्रिज मे भी रखें, तब भी वह अपरिवर्तनीय रहेगा| तो यहाँ में बेठा हूँ, ७००० मीटर ऊंचाई पर, २१००० फुट हिमानी के आगें, भूटान मे| तीसरे पोल मे २००० हिमानी तेज़ी से पिघल रहें हैं, उत्तरी ध्रुवी से भी तेज़| तो इस स्थिति मे हम क्या कर सकतें हैं? पर्यावरण का सवाल कितना भी कठिन हो, राजनीतिक, आर्थिक या वैज्ञानिक रूप से, अंत मे यह केवल एक सवाल पर रुक्ता है, दूसरोँ के लाभ की इच्छा या अपने लाभ की? में ग्रुचो झुकाव का मार्क्सिस्ट हूँ| (हँसी) ग्रुचो मार्क्स कहतें हैं, “में आने वालीं पीढ़ी की चिंता क्यों करूँ? उन्होंने मेरे लिए क्या किया?” (हँसी) दुर्भाग्य से मैंने लाखपति स्टीव फोर्ब्स को बिलकुल यही चीज़ फॉक्स न्यूज़ पे कहते सुना| उन्हें सागर की अधिकता के बारे मे बताया गया, और उन्होंने कहा कि “जो घटना १०० साल बाद होने वाली है, उसके लिए आज अपना व्यवहार बदलना मुझे बेतुका लगता है|” तो अगर आपको आने वालीं पीढ़ियों की चिंता नहीं हैं, तो ठीक है| हमारे ज़माने की एक विशेष चुनौती ३ समय सीमा के बीच मेल-मिलाप कराना है: तुरंत आने वाला अर्थव्यवस्था का समय, शेयर बाजार का उतार-चढ़ाव, साल के अंत का हिसाब-किताब; मध्यावधि मे जीवन की गुणवत्ता -- अगले १०-२० सालों में, हमारे जीवन के हर पल की क्या गुणवत्ता है? और लंबे समय मे पर्यावरण| जब पर्यावरणविद् लोंग अर्थशास्त्रियोंसे बातें करतें हैं, वह संवाद पागलपन के बराबर है, पूरी तरह से बेमेल| वे अलग भाषओं मे बात करतें हैं| अभ, पिछले १० सालों मे मैंने दुनिया के चक्कर कटे| र्थशास्त्रीयो , वैज्ञानिकों, तंत्रिका वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, दार्शनिकों, विचारकों सें मिला, हिमालय मे, सभी जगहों में| मुझे लगता है कि, एक ही ऐसा विचार है, जो उन ३ समय सीमाओं का बीच मेल-मिलाप ला सकता है| जो सीधे सभ्दों मे है कि ‘दूसरो का ज्यादा ख्याल करना’| अगर आप दूसरों का ज्यादा ख्याल करतें हैं तो आपकी अर्थव्यवस्था बेहतर होगी, जहाँ वित्त, समाज की सेवा मे होगी, नाकि समाज वित्त की सेवा मे| आप कैसिनो जाके वे पैसे खर्च नहीं करेंगें, जो लोगों ने विश्वास से आपकों सोंपे हैं| अगर आप अन्य लोगों का ज़्यादा ख्याल करतें हैं, तब आप यह निश्चित करेंगें कि आप असमानता का उपाय निकाले, कि आप समझ, शिक्षा, नौकरी में भलाई लायें| वरना ऐसे देश का क्या मतलब होगा, जो सबसे शक्तिशाली और अमीर हो पर वहां के लोंग दुखी हों| और अगर आपको ऑरों का ख्याल है, तो आप धरती को नहीं लूटेंगे और आज के गत्ती से चलें तो हमारे पास रहने के लिए ३ और गृह नहीं हैं| सवाल यह है , माना कि अल्त्रुइस्म सिर्फ एक अच्छा सुझाव ही नहीं पर क्या वह एक वास्तविक और उपयोगी हल बन सकता है? पर उससे भी पहले, क्या सच्चा अल्त्रुइस्म मौजूद है? या हम सभी स्वार्थी है? कुछ दार्शनिक लोंग सोचते है कि, हम सब अपूरणीय स्वार्थी लोंग है| पर क्या हम सच मे सिर्फ दुष्ट हैं? क्या यह अच्छी बात है? होब्बस जैसे कईं दार्शनिकों ने ऐसा कहाँ है| पर हर इंसान दुष्ट नहीं दीखता| या क्या एक इंसान बाकी इंसानों के लिए भेदिये जैसा है? यह इंसान ज़्यादा बुरा नहीं लगता| यह मेरा तिबेट का एक दोस्त है| वो बहुत सज्जनतापूर्ण है| हम ‌सबको साथ मिलाकर काम करना अच्छा लगता है| साथ मिलाकर काम करने से जो आनंद आता है, उससे अच्छा कोई और आनंद है क्या? यह भाव सिर्फ इंसानों मे नहीँ है| बेशक जिंदगी मे संघर्ष भी है, सबसे योग्य का ही जीवित रह पाना, ‘सोशल दार्विनिस्म’| परंतु विकास मे, जबकि औरो के साथ मुक़ाबला होगा, सहयोग को और भी रचनात्मक बनना होगा जो ऊंचे स्तर के उलझन तक पहुँच सके| हम सहयोग मे अव्वल हैं, पर हमे और भी आगे बढ़ना चाहिए| उसके ऊपर आती है मानव संबंध की गुणवत्ता| ‘ओईसीडी’ ने दस कारकों का सर्वेक्षण किया जैसे, आमदनी, इत्यादि| लोगों के हिसाब से, उनकीं ख़ुशी का सबसे पहले उच्च कारण सामाजिक रिश्ते है| यह कारण सिर्फ इंसानों के लिए ही सच नहीं हैं| इन परदादीयों को ही देख लिजिएं| तो अब देखा जाए तो यह सोच की अगर हम गहराई से अपने अंदर देखें, तो हम स्वार्थी हैं, यह सोच मे कोई सचाई नहीं हैं| ऐसी एक भी समाजशास्त्रीय या मनोवैज्ञानिक जाँच नहीं है जो इस बात को सिद्ध कर सकती है| बल्कि उसका उल्टा है| मेरे दोस्त, डेनियल बॅट्सन ने अपनी सारी ज़िन्दगी निकाल दी, लोगों को प्रयोगशाला मे डालने मे, बहुत जटिल स्तिथिओं मे| हाँ, कभीकभार हम स्वार्थी होतें हैं, कुछ लोंग बाकि लोगों से ज़्यादा होतें हैं| पर मेरे दोस्त ने पाया कि, चाहे कुछ भी हो जाएँ, ऐसे काफी लोंग हैं जो परोपकारिता से पेश आतें हैं, चाहे जो हो जाए| अगर आप किसी को गहरी चोंट मे तड़पते हुए देखतें हैं, तो शायद आप, उस पर दया खा कर, उसकी मदद कर दें -- आपसे वह दृश्य देखा नहीं जाएगा, तो आप उससे देखने से बेहतर उसकी मदद करना चाहेंगें| हमनें इस सब की जांच की और अंत मे, मेरे दोस्त ने कहा की बेशक इंसान परोपकारी है| तो यह एक अच्छी खबर है| उससे आगे बढ़कर, हमे अच्छाई की साधारणता भी देखनी चाहिए| आप यहाँ ही देख लीजिये| जब हम बहार निलेंगे, हम यह नहीं कहेंगे कि कितना अच्छा है, जब लोंग परोपकारिता के बारे मे सोच रहे थे तब कोई मारा-मारी नहीं हुई| नहीं,वह तो अपेक्षित है ना? अगर लड़ाई होती तो हम उसके बारे मे महीनो तक बात करते| अच्छाई की साधारणता ऐसी चीज़ है जो आपका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित नहीं करती, पर वो मौजूद है| अब ‌इसको देखिये| जब में मनोवैज्ञानिकों से कहता हूँ के में हिमालय मे १४० मानवीय परियोजनओं को चलता हूँ, जिससे मुझें बहुत ख़ुशी मिलती हैं, तब वे कहतें है कि, “अच्छा तो आप अपनी ख़ुशी के लिए यह करते हैं, यह भावना परोपकारीक नहीं, हैं, आपको ख़ुद अच्छा लगता है|” क्या आपको लगता है कि जब यह इंसान ट्रेन के आगे कूदा तब उसने सोचा, “जब यह ख़तम हो जाएगा तब मुझे कितना अच्छा लगेगा?" (हँसी) बात यहीं ख़तम नहीं होती| लोंग कहतें है, जब उससे पूछ-ताछ की गईं तब उस्सने कहाँ, “मेरे पास और कोई इंतिख़ाब नहीं था, मुझें कूदना पड़ा|” उसके पास और कोई विकल्प नहीं हाँ| स्वत: व्यवहार| यह नाही स्वार्थी है ना परोप्करिक| कोई विकल्प नहीं था? हाँ, यह इंसान आधे घंटे तक नहीं सोचेगा, “में मदद करूँ या ना करूँ?” पर वो सोचता है, उसके पास विकल्प है, बस वह स्पष्ट है, तुरंत है| यहाँ भी उसके पास विकल्प है| (हँसी) ऐसे लोंग हैं जिनके पास विकल्प थे, जैसे पॅस्टर आंद्रे त्रोक्मे और उनकी पत्नी, और फ्रांस के Le Chambon-sur-Lignon का पूरा गाँव| दुसरे महायुद्ध के समय इन लोगों ने अनेक बाधाओं के बावजूद ३५०० यहूदीयों को बचाया, उनकों शरण दी, उनकों स्विट्जरलैंड लेके आयें, अपनीं और अपनें परिवार की जान को जोखिम मे डाल के| परोपकारिता लोगों मे मौजूद है| तो परोपकारिता क्या है? वे एक इच्छा है कि, अन्य लोग ख़ुश रहें और ख़ुशी का कारण ढूंड सकें| सहानुभूति एक भावात्मक या संज्ञानात्मक प्रतिध्वनि है जो आपको बताती है कि, यह इंसान ख़ुश है, यह इंसान दुखी है| किन्तु सहानुभूति अकेले ही काफी नहीं| अगर आपका ओंरों की पीड़ा से सामना होता रहा, तो आपके लिए वो पीड़ा सहन करना मुश्किल हो जाएगा, इसलिए आपको सहानुभूति से बढ़कर प्यार और करुणा की ज़रूरत पड़ेगी| तानिया सिंगर के साथ हमनें मैक्स प्लांक इंस्टिट्यूट ऑफ़ लेइप्ज़िग मे दिखाया कि, हमारा दिमागी नेटवर्क, सहानुभूति और करुणा के लिए अलग है| यहाँ तक सब ठीक है, हमे यह भाव हमारी उत्क्रांति से, ममता से, माता पिता के प्यार से मिला है, पर हमे इस भाव का विस्तार करना है| यह भाव और जाति के प्राणियों की ओर भी बढ़ाया जा सकता है| अगर हम ज़्यादा परोपकारी समाज चाहतें है, तो उसके लिए हमें २ चीज़ें लगेंगीं, व्यक्तिगत बद्लाव और सामाजिक बद्लाव| क्या व्यक्तिगत बद्लाव मुमकिन है? २००० सालों की मननशील अध्ययन कहता है कि यह मुमकिन है| तंत्रिका विज्ञान और एपिजेनेटिक्स‍ के साथ १५ सालों का संबंध कहता है हाँ, हमारा दिमाग बदल सकता है जब हम परोपकारिता का प्रशिक्षण करते है| मैंने १२० घंटे एक एमआरआई मशीन मे गुज़ारे| यह मेरे पहली बार जाने के २.५ घंटे बाद की तस्वीर है| इसका नतीजा कईं वैज्ञानिक पत्रिकों मे छप्पा है| ये बिना किसी शंका के दिखाता है कि कैसे, परोपकारिता का प्रशिक्षण करने से हमारे दिमाग मे संरचनात्मक और कार्यात्मक बद्लाव आता है| एक नमूना दिखाऊँ तो, ध्यानी जो बाएं ओर बेठा है, विश्रांत में सहानुभूतिपूर्वक ध्यान लगते हुए, आप यहाँ हलचल देख सकतें हैं, दूसरी तरफ आम इंसान, विश्रांत में और ध्यान लगते हुए, यहाँ कुछ नहीं होता| वे लोंग प्रशिक्षित नहीं है| तो क्या आपको ५०००० घंटे ध्यान लगाने की ज़रूरत है?, नहीं| ४ हफ़्तों के लिया, रोज़ २० मिनट का करुणा और सचेतन का ध्यान भी दिमाग मे संरचनात्मक बद्लाव ला सकता है, आम इंसान के साथ तुलना हो तो| सिर्फ रोज़ के २० मिनट, ४ हफ़्तों के लिए| छोटे बचों पर भी काम करता है, रिचर्ड डेविडसन ने यह मैडिसन मे किया था| ८ हफ़्तों के लिए, कृतज्ञता, करुणा, सहयोग, जागरूकता से सांस लेना| शायद आप कहें, “पर वे तो सिर्फ बच्चें है|” ८ हफ़्तों के बाद देखिए, नीली रेखा उनके सामाजिक व्यव्हार में सुधर दिखाती है| और फिर आती है सबसे परम वैज्ञानिक जाँच, ‘द स्टिकर टेस्ट’| पहले आप सारें बच्चों के सबसे करीबी दोस्त, सबसे कम पसंदीदा दोस्त, अंजान बच्चा एक बीमार बच्चा निर्धारित कर लीजिये, और बच्चों को स्टिकर बांटने है| प्रशिक्षण से पहले, बच्चें ज़्यादातर स्टिकर अपने सबसे अच्छे दोस्त को देते हैं| ४-५ साल के बच्चें, २० मिनट हफ्ते मे ३ बार प्रशिक्षण करतें हैं| प्रशिक्षण के बाद कोई भेद भाव नहीं था : सबसे करीबी दोस्त और सबसे कम पसंदीदा दोस्त, दोनों को एक समान स्टीकर दिएँ गए| यह हमे दुनिया के सारे स्कूलों मे करना चाहिए| अब आगे क्या? (तालियाँ) जब दलाई लामा ने यह सुना, उन्होंने रिचर्ड डेविडसन से कहाँ "तुम १० स्कूल, १०० स्कूल, यूएन मे, पुरे देश मे जाओ| फिर उसके आगे क्या? व्यक्तिगत बद्लाव मुमकिन है| अब क्या हम परोप्करिक जीन का इंसान मे पैदा होने का इंतज़ार करें? उसमे, ५०००० साल लग जायेंगे, वातावरण के लिए इतनी देर रुकना मुमकिन नहीं| सैभाग्यवश, संस्कृति का विकास हो रहा है| विशेषज्ञों ने कहा है की संस्कृति मे इंसान की जीन से ज्यादा तेज़ी से बद्लाव आता है| यह एक अच्छी खबर है| पिछले कुछ सालों मे युद्ध के प्रति हमारे रवैया मे दूरतम बद्लाव आया है| व्यक्तिगत बद्लाव और सांस्कृतिक परिवर्तन एक साथ चलते हैं, हम एक ज्यादा परोप्कारी समाज बना सकतें हैं| अब इसके भी आगे क्या? में वापस पूर्व देश मे चला जाऊँगा| अपने परियोजनाओं से हम साल मे १००००० रोगियों का इलाज करतें हैं| हमारें स्कूलों मे २५००० बच्चें पढ़ते हैं| कुछ लोंग कहते हैं, "आपका काम वास्तव मे चलता है, पर क्या सिद्धांत मे चलता है?" सकारात्मक विचलन हमेशा मौजूद है| में वापस अपने आश्रम मे जाऊँगा आंतरिक संसाधनों ढूँढने, जिसकी मदद से मे औरों की बेहतर सेवा कर सकूँ| लेकिन हम वैश्विक स्तर पर क्या कर सकतें हैं? हमे तीन चींज़े चाहिए| सहयोग बढ़ाने: पाठशाला में सहयोग की भावना के साथ सीखना नाकि मुकाबले की भावना से| कंपनियों के भीतर बेहद सहयोग हो, कंपनिया आपस मे थोड़ा मुकाबला कर सकतें हैं, पर अपने भीतर नहीँ| हमें सतत एकता बनाएँ रखने की ज़रूरत है, मुझे यह शब्द बहुत पसंद है| नाकि सतत विकास| सतत एकता मतलब असमानता को कम करेंगे| आगे से हम कम साधनो से ज़्यादा काम चलाएँगे, हम गुणात्मकता से बढ़ते रहेंगें, नाकि मात्रात्मकता से| हमें ध्यान रखने वाली अर्थशास्त्र की ज़रूरत है| होमो एकोनोमिकस समृद्धि के बीच जीवित ग़रीबी, साधारण सामान की दिकत, वातावरण, महासागर, इन सब से नहीं जूज सकती| हमें ध्यान रखने वाली अर्थशास्त्र की ज़रूरत है| अगर आप बोलो किअर्थशास्त्र करुणामय होनी चाहिए वो कहेंगे यह हमारा काम नहीं हैं अगर आप कहें की उन्हें कोई परवा नहीं,वह सही नहीं होगा| हमे, स्थानीय प्रतिबद्धता, वैश्विक जिम्मेदारी की ज़रूरत है| हमे सरे १६ लाख़ जाति की ओर सहानुभूति बढ़ाने की ज़रूरत है| सारे जीवित प्राणी इस दुनिया के सह नागरिक है, और हमे परोपकारिता दिखने की हिम्मत करनी पड़ेगी| परोपकारीक क्रांति की जय हो| क्रांति की जय हो| (तालियाँ) शुक्रिया| (तालियाँ) छह हजार मील की सड़क, ६०० मील का भूमिगत मार्ग, ४०० मील लंबे मार्ग बाइकों के लिए और आधा मील लम्बा ट्रैम का मार्ग, अगर आप कभी रूजवेल्ट आइलैंड गए हों। ये वो संख्याएँ हैं जो न्यूयाॅर्क सिटी के बुनियादी ढांचे को बनातीं हैं। ये हमारे बुनियादी ढांचे के आंकड़े हैं। ये वो संख्याएँ हैं जो आप शहरी एजेंसियों द्वारा जारी रिपोर्टों में पा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, परिवहन विभाग शायद आपको बता देगा कि वो कितनी मील सड़क की देखभाल करते हैं। एमटीए भूमिगत मार्ग की लंबाई की डींग हाँकेगा। अधिकतर शहरी एजेंसियाँं आँकड़े देते हैं। ये इस साल की रिपोर्ट में है, टैक्सी और लिमोजीन कमीशन की, कि यहाँ न्यूयाॅर्क सिटी में 13,500 टैक्सियाँ हैं, बहुत दिलचस्प है, है ना? पर कभी आपने सोचा कि ये संख्याएँ आईं कहाँ से? क्योंकि इन संख्याओं के लिए, शहरी एजेंसी में किसी को रुक कर कहना पड़ता, हाँ, ये संख्या शायद कोई जानना चाहता हो। ये एक संख्या है जो हमारे नागरिक जानना चाहते हों। वो अपने कच्चे आंकड़ों पर वापस आते हैं, गिनते, जोड़ते, हिसाब लगाते हैं, और फिर रिपोर्ट जारी करते हैं, और उन रिपोर्टों में ऐसी संख्याएँ होंगी। समस्या ये है कि उन्हें हमारे सारे सवाल पता कैसे हैं? हमारे बहुत सारे सवाल हैं। वास्तव में, कुछ मायनों में सवालों की एक अनंत संख्या है जिन्हें हम अपने शहर के बारे में पूछ सकते हैं। एजेंसियाँ सभी जवाब नहीं दे सकतीं। तो प्रतिमान बिल्कुल काम नहीं कर रहा है, और शायद नीति निर्धारकों को ये एहसास है, क्योंकि 2012 में महापौर ब्लूमबर्ग ने एक कानून पर हस्ताक्षर किए, जिसे उन्होंने देश का सबसे महत्वाकांक्षी और व्यापक खुला डेटा विधान बताया। कई मायनों में वो सही हैं। पिछले दो वर्षों में शहर ने १,००० डेटा सेट जारी किए हैं हमारे खुले डेटा पोर्टल पर, और ये बहुत विष्मयकारी है। तो आप डेटा कुछ इस तरह देखते हैं, और टैक्सियों की गिनती की जगह, हम अलग सवाल पूछना शुरु कर सकते हैं। तो मेरा एक सवाल था, न्यूयाॅर्क सिटी में व्यस्त समय कब होता है? ये झंझटपूर्ण भी हो सकता है, व्यस्त समय असल में है क्या? और मैंने सोचा, टैक्सियाँ केवल संख्याएँ नहीं है, हमारे शहर की सड़कों पर चलते हुए जीपीएस रिकाॅर्डर हैं, जो अपनी हर सवारी दर्ज करते हैं। वहाँ डेटा है, और मैंने उस डेटा की तरफ देखा, और मैंने न्यूयाॅर्क सिटी में दिन भर चलती टैक्सियों की औसत गति की रूपरेखा बनाई। आप देख सकते हैं कि आधी रात से सुबह लगभग ०५:१८ तक गति बढ़ जाती है, उस बिंदु पर कायापलट हो जाता है, और वो सुबह लगभग ०८:३५ तक बहुत धीमी हो जाती हैं, और लगभग ११.५ मील प्रति घंटे पर इनका सफर खत्म होता है। औसत टैक्सी ११.५ मील प्रति घंटे की गति से हमारी सड़कों पर दौड़ती है, और ये पता चला है कि ये पूरे दिन ऐसा ही रहता है। (हँसी) तो मैंने खुद से कहा, शायद न्यूयॅार्क सिटी में वयस्त समय नहीं है। शायद केवल एक वयस्त दिन है। सही भी है। और ये दो कारणों से महत्वपूर्ण भी है। अगर आप परिवहन योजनाकार हैं, तो आपके लिए ये बहुत दिलचस्प हो सकता है। पर अगर आप कहीं जल्द पहुँचना चाहते हैं, अब आप जानते हैं कि सुबह ०४:४५ का अलार्म लगाना है और आप तैयार हैं। न्यूयॉर्क, है ना? पर इस डेटा के पीछे एक कहानी है। ये डेटा ऐसे ही उपलब्ध नहीं था, ऐसा पता चलता है। ये सूचना कानून अनुरोध की स्वतंत्रता नामक वस्तु से आया, या "फोयल" अनुरोध। इस प्रपत्र को आप टैक्सी और लीमोजीन निगम की वेबसाइट पर पा सकते हैं। इस डेटा तक पहुँचने के लिए आपको ये प्रपत्र चाहिए, इसे भर दीजिए, और वे आपको सूचित करेंगे, और क्रिस व्होंग नामक एक वयक्ति ने यही किया। क्रिस वहाँ गया और उन्होंने उससे कहा, "एक बिल्कुल नई हार्ड ड्राइव हमारे कार्यालय ले कर आईए, उसे यहाँ पाँच घंटे के लिए छोड़ दीजिए हम डेटा काॅपी कर देंगे और आप उसे वापस ले जाईए।" और ये डेटा यहाँ से आया। अब क्रिस ऐसा व्यक्ति है जो डेटा सार्वजनिक करना चाहता है, तो ये सभी के उपयोग के लिए ऑनलाइन हो गया, और ये ग्राफ भी यहीं से आया। इसका अस्तित्व सच में अदभुत है। ये जीपीएस रिकाॅर्डर--सच में अच्छे हैं। पर ये सच की हमारे नागरिक हार्ड ड्राइव लिए चारों ओर घूम रहे हैं, शहर एजेंसियों से डेटा लेकर सार्वजनिक करते हुए ये पहलेसे ही एक तरह से सार्वजनिक था आप इस तक पहुँच सकते थे पर ये "सार्वजनिक" था, ये सार्वजनिक नहीं था। हम इससे बेहतर कर सकते हैं। हमारे नागरिकों को हार्ड ड्राइव ले कर घूमने की जरुरत नहीं है। हर डेटा सेट "फोयल" अनुरोध के पीछे नहीं है। मैंने न्यूयॉर्क सिटी के सबसे खतरनाक चौराहों का एक नक्शा तैयार किया है, साइकिल चालक दुर्घटनाओं के आधार पर। तो ये लाल क्षेत्र अधिक खतरनाक हैं। ये पहले मैनहैटन का पूर्वी क्षेत्र दिखाता है, मैनहैटन के निचले हिस्सों में विशेष रुप से साइकिल चालक दुर्घटनाएं होती हैं, ये शायद समझ में आता है क्योंकि वहाँ और साइकिल चालक पुल से नीचे आ रहे हैं। पर और भी अध्ययन करने लायक जगहें हैं। विलियम्सबर्ग है। क्वींस में रूजवेल्ट एवेन्यू है। ये उसी तरह का डेटा है जैसा हमें विजन जीरो के लिए चाहिए। ये वास्तव में वही है जैसा हमें चाहिए। पर इस डेटा के पीछे भी एक कहानी है। ये डेटा कहीं से यूं ही प्रकट नहीं हो गया। आप में से कितने लोग ये लोगो पहचानते हैं? मैं कुछ हिलना-डुलना देख रहा हूँ। क्या कभी आपने पीडीएफ से डेटा काॅपी और पेस्ट कर उसे समझने की कोशिश की है? मैं और सिर हिलते देख रहा हूँ। लोगो जानने वालों से ज़्यादा ने काॅपी पेस्ट किया है। मुझे ये पसंद है तो हुआ ये है कि जो डेटा आपने अभी देखा वो वास्तव में पीडीएफ पर था। वास्तव में, पीडीएफ के सैकड़ों पन्ने हमारे अपने एनवायपीडी के निकाले हुए, और उस तक पहुँचने कि लिए या तो आपको काॅपी पेस्ट करना होगा, सैकड़ों और सैकड़ों घंटों के लिए, या आप जाॅन क्रॉस हो सकते हैं। जाॅन क्रॉस ऐसा था, मैं ये डेटा काॅपी पेस्ट नहीं करुँगा। मैं एक प्रोग्राम लिखुंगा। इसे एनवायपीडी क्रैश डेटा बैंड-एड कहा जाता है, ये एनवायपीडी की वेबसाईट पर जाता है, पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए। ये हर दिन खोजे; और अगर एक पीडीएफ मिले तो उसे डाउनलोड कर ले और फिर कुछ पीडीएफ स्क्रैपिंग प्रोग्राम चलाए, और लिखा हुआ बाहर आ जाएगा, और ये इंटरनेट पर चला जाएगा, और फिर लोग उस तरह नक्शे तैयार करेंगे। और ये सच की डेटा यहाँ है, ये सच की हमारी उस तक पहुँच है-- वैसे हर दुर्घटना इस तालिका में एक पंक्ति है। आप सोच सकते हैं कि ये कितने पीडीएफ हैं। हमारी उस तक पहुँच सच में बड़ी बात है, पर हम इसे पीडीएफ के रुप में जारी न करें, क्योंकि तब हम हमारे नागरिक पीडीएफ स्क्रैपर लिखते हैं। ये हमारे नागरिकों के समय का बेहतरीन उपयोग नहीं है, हम एक शहर के तौर पर इससे बेहतर कर सकते हैं। अबअच्छी खबर ये है कि डी ब्लासियो प्रशासन ने ये डेटा कुछ महीने पहले जारी किया, इसलिए अब हम उस तक पहुँच सकते हैं, पर अभी भी बहुत सा डेटा पीडीएफ में दफन है। उदाहरण के लिए, हमारा अपराध डेटा अभी पीडीएफ में ही उपलब्ध है। केवल हमारा अपराध डेटा ही नहीं, हमारे शहर का बजट भी। हमारे शहर का बजट अभी केवल पीडीएफ के रुप में ही पढ़ा जा सकता है। और न केवल हम ही इसकी समीक्षा नहीं कर सकते-- हमारे अपने विधायक जो बजट पर अपना मत देते हैं, उन्हें भी ये पीडीएफ में ही मिलता है। तो हमारे विधायक उस बजट की समीक्षा नहीं कर सकते जिस पर वो अपना मत देते हैं। और मैं समझता हूँ कि एक शहर के तौर पर हम इससे कुछ बेहतर कर सकते हैं। अब बहुत सा डेटा है जो पीडीएफ के भीतर नहीं छुपा है। ये मेरे द्वारा बने एक नक्शे का नमूना है, और ये न्यूयॉर्क सिटी के सबसे मलिन जलमार्ग हैं। अब मैं गंदगी का आकलन कैसे करुँ। खैर, ये थोड़ा अजीब है, पर मैंने मल कोलिफॉर्म के स्तर को देखा, जो हमारे हर जलमार्ग में मल पदार्थ का माप है। जितना बड़ा वृत्त, उतना गंदा पानी, तो बड़े वृत्त का अर्थ है गंदा पानी, छोटे वृत्त अपेक्षाकृत साफ हैं। आप अंतर्देशीय जलमार्ग देख रहे हैं। ये वो डेटा है जिसका शहर ने पिछले पाँच वर्षों में नमूना लिया था। और अंतर्देशीय जलमार्ग, सामान्यत: अधिक गंदे होते हैं। ये समझ में आता है, ठीक? और बड़े वृत्त गंदे हैं। और मुझे इससे कुछ बातें पता चलीं। पहली: कभी उसमें न तैरैं जो "छोटी नदी" या "नहर" में खत्म होती है। पर दूसरी: मैंने न्यूयॉर्क सिटी का सबसे मलिन जलमार्ग भी ढूंढ़ निकाला, इस आकलन से, एक आकलन से। कौने आइलैंड क्रीक में, ये वो कौने आइलैंड नहीं है जिसमें आप तैरते हैं, भाग्यवश। ये दूसरी तरफ है। पर कौने आइलैंड क्रीक में पिछले पाँच सालों में 94 % नमूनों में मल स्तर इतने अधिक थे कि पानी में तैरना राज्य के कानून के खिलाफ होता। और इस तरह के तथ्य आप शहरी रिपोर्ट में शेखी बघारते हुए नहीं पाएँगे, ठीक? ये nyc.gov. के पहले पन्ने पर नहीं होगा। आप इसे वहाँ नहीं देख पाएँगे, पर ये अच्छी बात है कि हम उस डेटा तक पहुँच सकते हैं। पर एक बार फिर, ये बहुत आसान नहीं था क्योंकि ये डेटा खुले डेटा पोर्टल पर नहीं था। अगर आप खुले डेटा पोर्टल पर जाते, तो आप एक टुकड़ा ही देखते, एक साल या कुछ महीनों का। ये असल में पर्यावरण संरक्षण विभाग की वेबसाइट पर था। और इसमें से हर लिंक एक एक्सेल शीट है, और हर एक्सेल शीट अलग है। हर शीर्षक अलग है: आप काॅपी, पेस्ट और फिर ठीक करते हैं। जब आप करते हैं तो नक्शे बना सकते हैं और ये अच्छा है, पर हम बेहतर कर सकते हैं, चीजें सामान्य कर सकते हैं। और हम वहाँ पहुँच रहे हैं क्योंकि यहाँ ये वेबसाइट है जो सोक्रेटा बनाता है जिसे ओपन डेटा पोर्टल एनवाईसी कहते हैं। यहाँ १,१०० डेटा सेट उनसे ग्रस्त नहीं है जिनके बारे में मैंने अभी आपको बताया और ये संख्या बढ़ रही है, और ये काफी अच्छा है। आप किसी भी प्रारूप में डेटा डाउनलोड कर सकते हैं, सीएसवी, पीडीएफ या एक्सेल। जिस तरह चाहें आप डाउनलोड कर सकते हैं। समस्या ये है कि जब आप ने कर लिया, आप पाएँगे कि हर एजेंसी अपना पता अलग तरह से संकेत करती है। तो एक सड़का का नाम है, चौराहा, सड़क, नगर, पता, इमारत, इमारत का पता। तो एक बार फिर आप समय व्यय कर रहे हैं, जबकि हमारे पास ये पोर्टल है, आप पते की जगहों को सामान्य बनाने में समय व्यय कर रहे हैं। और ये हमारे नागरिकों के समय का बेहतरीन उपयोग नहीं है। हम एक शहर के तौर पर बेहतर कर सकते है। हम अपने पते मानकीकृत कर सकते है, और अगर हम करे, तो हमें ऐसे और नक्शे मिल सकते है। ये न्यूयाॅर्क सिटी के अग्नि हाईड्रेंट का एक नक्शा है, पर किसी भी अग्नि हाईड्रेंट का नहीं। ये २५० सबसे ज्यादा कमाई करने वाले अग्नि हाईड्रेंट हैं, पार्किंग टिकट के मामले में। (हँसी) तो मैंने इस नक्शे से कई चीज़ें सीखीं, और मुझे ये नक्शा सचमुच पसंद है। पहली, अपर ईस्ट साईड में पार्क न करें। बिल्कुल भी नहीं, जहाँ भी पार्क करेंगे, आपको हाईड्रेंट टिकट मिल जाएगा। दूसरी, मुझे पूरी न्यूयाॅर्क सिटी में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले दो हाईड्रेंट मिले, और वो लोअर ईस्ट साईड में मिले, और वो हर साल पार्किंग टिकट के रुप में ५५,००० डाॅलर ला रहे हैं। और मुझे ये थोड़ा अजीब लगा जब मैंने इसकी ओर ध्यान दिया, तो मैंने थोड़ी खोजबीन की और पता चला कि ये तो हाईड्रेंट है। और फिर ऐसा जिसे कर्ब एक्सटेंशन कहा जाता है, जो चलने के लिए एक सात फुट की जगह की तरह है और फिर पार्किंग की एक जगह। और इसलिए ये कारें साथ आईं, और हाईड्रेन्ट -- "ये पूरा वहाँ तक है, मै ठीक हूँ," और वहाँ सच में उनके लिए खूबसूरती से रंगा एक पार्किंग स्थल था। वो वहाँ पार्क करते, और एनवायपीडी इस प्रयोजन से सहमत नहीं था और उन्हें टिकट थमा देता। और सिर्फ मुझे ही पार्किंग टिकट नहीं मिला, ये गूगल स्ट्रीट व्यू कार चल रही है जिसे वही पार्किंग टिकट मिला है। तो मैंने इस बारे में अपने ब्लॉग पर लिखा, आई क्वांट एनवाय पर, और डीओटी ने जवाब दिया, और उन्होंने कहा, "हालांकि डीओटी को इस स्थान के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है, हम सड़क चिह्नों की समीक्षा करेंगे और उचित परिवर्तन करेंगे।" और मैंने सोचा, ठेठ सरकारी प्रतिक्रिया, ठीक है, मैं आगे बढ़ा। पर फिर, कुछ सप्ताह बाद, कुछ अविश्वसनीय हुआ। उन्होंने उस स्थान को फिर रंग दिया, और मैंने सोचा कि मैंने खुले डेटा का भविष्य देखा है, क्योंकि जरा सोचिए कि यहाँ क्या हुआ है। पाँच साल से यहाँ टिकट जारी किए जा रहे थे, और ये भ्रामक था, और फिर एक नागरिक को कुछ मिला, उसने शहर को बता दिया, और कुछ ही सप्ताह में समस्या सुलझा ली गई। ये आश्चर्यजनक है। और बहुत लोग खुले डेटा को एक प्रहरी की तरह देखते हैं। ऐसा नहीं है, ये सहभागी होने की बात है। हम अपने नागरिकों को सरकार का बेहतर भागीदार बनाने के लिए सशक्त कर सकते हैं, ये उतना मुश्किल नहीं है। हमें कुछ चाहिए तो बस बदलाव। अगर आप डेटा "फोयल" कर रहे हैं, अगर आप अपना डेटा बार-बार "फोयल" होता देख रहे है, इसे लोगों के लिए जारी कर दें, ये संकेत है कि इसे सार्वजनिक कर दिया जाए। अगर आप पीडीएफ जारी करती एक सरकारी एजेंसी हैं, तो ऐसा कानून पारित करें जिससे आप इसे अंतर्निहित डेटा के साथ जारी कर सकें, क्योंकि ये डेटा कहीं से आ रहा है। मैं नहीं जानता कहाँ से, पर कहीं से आ रहा है आप इसे पीडीएफ में जारी कर सकते हैं। और चलो कुछ खुले डेटा मानकों को अपनाएँ और साझा करें। यहाँ न्यूयाॅर्क सिटी के पतों से शुरु करें। अपने पतों को सामान्य बनाना शुरु करें। क्योंकि न्यूयाॅर्क खुले डेटा में अग्रणी है। इस सब के बावजूद, हम खुले डेटा में पूर्ण रुप से अग्रणी हैं, और यदि हम चीजें सामान्य करना शुरु करें, और खुला डेटा मानक निर्धारित करें, दूसरे पीछे आएँगे। राज्य और शायद संघीय सरकार भी, दूसरे देश अनुसरण कर सकते हैं, और वो समय दूर नहीं जब हम एक प्रोग्राम और नक्शे की जानकारी १०० देशों से लिख सकें। ये काल्पनिक विज्ञान नहीं है। हम असल में बहुत करीब है। और हाँ, इससे हम किसे सशक्त बना रहे हैें? क्योंकि ये सिर्फ जाॅन क्रोस या क्रिस व्होंग नहीं है। न्यूयाॅर्क सि़टी में इस वक्त सैकड़ों समागम चल रहे हैं, सक्रिय समागम। हजारों लोग इन समागमों में भाग ले रहे हैं। ये लोग काम के बाद और सप्ताहांत में जाते हैं, ये इन समागमों में खुले डेटा को समझने के लिए भाग लेते हैं ताकि हमारा शहर एक बेहतर स्थान बने। बीटा एनवायसी जैसे समूह, जिसने पिछले हफ्ते citygram.nyc जारी किया जो आपको ३११ शिकायतों का अनुमोदन करने देता है, आपके घर या कार्यालय के आसपास। आप अपना पता लिखते है, आपको स्थानीय शिकायतें मिलतीं है। और सिर्फ तकनीकी समुदाय ही इन सब चीजों के पीछे नहीं है। शहरी योजनाकार भी हैं जिन्हें मैं प्रैट में पढ़ाता हूँ। नीति अधिवक्ता भी हैं, सभी हैं, अलग-अलग पृष्ठभूमि के नागरिक हैं। और कुछ छोटे, वृद्धिशील परिवर्तनों के साथ हम अपने नागरिकों के उत्साह और क्षमता का ताला खोल सकते हैं खुले डेटा के उपयोग के लिए जिससे हमारा शहर और बेहतर हो सके, चाहे वो एक बार में एक डेटा सेट या एक पार्किंग स्थल हो। धन्यवाद। (तालियाँ) नमस्कार, मैं माइकल शेर्मर , Skeptics Society का निर्देशक हूँ, "Skeptic" (इस्केपटिक) पत्रिका के प्रकाशक। हम असामान्य, छद्म विज्ञान के दावों की जांच करते हैं, और सीमांत समूहों और संप्रदायों और सभी प्रकार के दावे - विज्ञान और छद्म विज्ञान और गैर विज्ञान और व्यर्थ विज्ञान, जादू विज्ञान, रोग विज्ञान, बुरे विज्ञान, गैर विज्ञान और सादे पुराने बकवासो के दावे । और अगर हाल ही में जब तक आप मंगल ग्रह पर नहीं रहे हो, आपको पता है कि वहाँ इस तरह की बहुत बातें हैं । कुछ लोग हमें डीबंकरस (debunkers) कहते हैं, जो कि एक तरह का नकारात्मक शब्द है। लेकिन चलिए इसका सामना करे - बकवास के लिए बहुत कुछ है, और हम पुलिस के बकवास खत्म करने वाले दस्ते की तरह हैं। शायद, हम थोड़े से बुरे विचारों के राल्फ नडेरस की तरह हैं (हँसी) -बुरे विचारों को अच्छे विचारों के साथ बदलने की कोशिश कर रहे हैं। मैं आपको बुरे विचार का एक उदाहरण दिखाता हूँ। मैं इसे मेरे साथ ले आया। यह हमें परीक्षण करने के लिए NBC Dateline द्वारा दिया गया था। यह है - यह पश्चिम वर्जीनिया के Quadro Corporation द्वारा निर्मित है। इसे Quadro 2000 Dowser Rod(खोजक छड़) कहा जाता है। (हँसी) यह एक टुकड़ा हाई स्कूल प्रशासकों को 900 डॉलर में बेचा जा रहा था। यह रेडियो शेक एंटीना के साथ जुड़ा हुआ प्लास्टिक का एक टुकड़ा है। आप इसे जमीन के भीतर सभी प्रकार की चीजे पता लगाने के लिए कर सकते हैं, लेकिन ये वाला छात्रों के लाकर्स में मारिजुआना पता करने के लिए बनाया गया था। (हँसी) तो यह इस तरह से काम करता है, आप दालान में जाओ और अगर आप देखते हैं कि यह एक विशेष तिजोरी की ओर मुड़ता है, और फिर आप उस लॉकर को खोलें। तो यह कुछ इस तरह दिखता है। मैं आपको दिखाता हूँ। (हँसी) नहीं, यह - यह थोडा सा दाहिने ओर झुका है। तो, मैं दिखाऊंगा - यह विज्ञान है, तो हम एक नियंत्रित प्रयोग करेंगे। यह इस तरफ जरुर जायेगा। (हँसी) महोदय, आप अपनी जेब खाली करना चाहते हैं। कृपया, महोदय? (हँसी) तो सवाल था, क्या यह वास्तव में छात्रों लाकर्स में मारिजुआना खोज सकता है? और जवाब है, अगर आप उनमे से पर्याप्त खोलें,हाँ। (हँसी) (अभिवादन) लेकिन विज्ञान के क्षेत्र में, हमे चूकने का भी हिसाब रखना होता हैं, न सिर्फ सफलता का। और मेरे छोटे व्याख्यान का शायद महत्वपूर्ण सबक है, कि कैसे भविष्यवक्ता, ज्योतिषि और टैरो कार्ड पाठक काम करते हैं। लोग सफलता याद रखते है; असफलता को वो भूल जाते हैं। विज्ञान के क्षेत्र में हमे पूरे आकड़े रखने होंगे, और देखते हैं कि क्या सफलता की संख्या किसी भी तरह बेहतर होगी उस संख्या से जो आप संयोग से उम्मीद करते हैं। इस मामले में, हमने परीक्षण किया। हमारे पास दो अपारदर्शी बक्से थे: एक सरकार द्वारा मंजूर THC मारिजुआना के साथ, और एक में कुछ भी नहीं। और यह 50 प्रतिशत समय सही था - जो वास्तव में सिक्के को उछालने पर आप उम्मीद करते। तो यह सिर्फ एक मजेदार उदाहरण है उन तरह की चीजों का जो हम करते हैं। "Skeptic" तिमाही प्रकाशन है। हर किसी का एक विशेष विषय है, इसकी तरह जो खुफिया तंत्र के भविष्य पर है। क्या लोग चालाक या बेवकूफ हो रहे हैं? मैं जिस व्यापार में हूँ उसके कारण मेरी खुद की एक राय है, लेकिन, वास्तव में, यह पता चला है कि लोग होशियार हो रहे हैं। हर 10 साल में तीन बुध्दिमता( IQ) अंक से ऊपर जा रहे हैं। जो कि एक दिलचस्प बात है। विज्ञान के साथ, संदेह को एक चीज़ के रूप में यहाँ तक कि विज्ञान को एक चीज़ रूप में मत सोचिये। क्या विज्ञान और धर्म संगत कर सकते हैं? यह इस तरह है कि क्या विज्ञान और नलसाजी संगत कर सकते हैं? ये - वे सिर्फ दो अलग अलग चीजे हैं। विज्ञान एक चीज़ नहीं है। यह एक क्रिया है। यह चीजों के बारे में सोचने का एक तरीका है। यह सभी घटनाएं के लिए प्राकृतिक स्पष्टीकरण खोजने का एक तरीका है। मेरा मतलब है, किसकी ज्यादा संभावना है: परग्रही बुध्दिमता या बहु आयामी प्राणियों की अंतरिक्ष में विशाल दूरियों की यात्रा, फसलों में एक आकृति छोड़ने के लिए कान्सास में पकरब्रश में किसान बोंब के खेतों में, हमारे वेबपेज skeptic.com को बढ़ावा देने के लिए? या इससे ज्यादा संभावना हैं कि "Skeptic" के एक पाठक ने यह फ़ोटोशॉप के साथ किया है? और सभी मामलों में हमे पूछना है (हँसी) -किस व्याख्या के होने की अधिक संभावना है? और इससे पहले कि हम इस दुनिया के बाहर का कुछ कहे, हमे पहले यह निश्चित करना चाहिए कि यह इस दुनिया का नहीं है। क्या होने की अधिक संभावना है- कि क्या गवर्नर अर्नोल्ड ने अपनी सरकर चलाने में परग्रहीयों से थोड़ी मदद ली थी? या "World Weekly News" इस तरह के समाचार बनाता है? (हँसी) और इसी के साथ - एक ही विषय अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है यहाँ इस सिडनी हैरिस के कार्टून में। आप लोगों के लिए जो पीछे में हैं , यहाँ लिखा हैं: "तो एक चमत्कार होता है। मुझे लगता है तुम्हे यहाँ चरण दो में और भी अधिक स्पष्ट होना चाहिए" यह एक स्लाइड बुद्धिमान डिजाइन के तर्क को पूरी तरह से खंडित करती है | इससे ज्यादा इसके बारे कुछ भी नहीं है। (अभिवादन) आप कह सकते हैं एक चमत्कार होता है। सिर्फ यह है कि इसकी कोई व्याख्या नहीं है। यह कुछ भी नहीं देता। परीक्षण करने के लिए कुछ भी नहीं है। बुद्धिमान डिजाइन बनाने वाले इस बातचीत का यह अंत है। जबकि - यह सच है, कि वैज्ञानिक कभी कभी शब्दों प्रयोग करते हैं भाषा में जगह भरने के लिए - अँधेरी ऊर्जा या काले पदार्थ या ऐसा ही कुछ- जब तक हम पता लगाये कि यह क्या है, हम सिर्फ इसे कहते हैं - यह विज्ञान के लिए सामान्य श्रृंखला की शुरुआत है। बुद्धिमान डिजाइन बनाने वालो के लिए, यह श्रृंखला का अंत है। तो फिर, हम यह पूछ सकते हैं: क्या होने की अधिक संभावना है? UFOs विदेशी अंतरिक्षयान या अवधारणात्मक संज्ञानात्मक गलतियाँ - या यहाँ तक कि झूठ ? यह एक UFO का वीडियो , कैलिफोर्निया में अल्टाडेना में मेरे घर से, पासाडेना की तरफ देखने पर। और अगर यह Buick hubcap की तरह लग रहा है, क्योंकि यह यही है। आपको फ़ोटोशॉप की भी जरूरत नहीं है; आपको हाई-टेक उपकरणों की जरूरत नहीं है; आपको यहाँ तक कि कंप्यूटरों की जरूरत नहीं है। यह एक साधारण कोडक कैमरे से ली गई है। आपको दूसरी तरफ सिर्फ किसी व्यक्ति की जरूरत है जो hubcap(हप्काप) चलाने तैयार हो। कैमरा तैयार है - बस हो गया। (हँसी) तो, हालांकि यह संभव है कि इन बातों में अधिकांश झूठ हो या भ्रम या ऐसे ही और उनमें से कुछ असली हो, अधिक संभावना है कि सभी झूठ हों, जैसे की फसलों पर बनी आकृतियों की तरह। एक अधिक गंभीर बात, हम सभी विज्ञान में आकडों और सिद्धांत के बीच संतुलन देखना चाहते हैं । गैलीलियो के मामले में, उनकी दो समस्या थी जब उसने अपने टेलीस्कोप को शनि की दिशा में मोड़ा। सबसे पहले, वहाँ ग्रहों के छल्ले का कोई सिद्धांत नहीं था। और दूसरा, उनके आकडें फैले हुए और धुंधले थे, और वह निश्चित नहीं कर पा रहे थे कि वह क्या देख रहे हैं । तो उन्होंने वह लिखा जो उन्होंने देखा था- "मैंने देखा कि दूर के ग्रह के तीन निकाय हैं |" और यह वो था जो उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि उन्होंने क्या देखा। तो ग्रहों के छल्ले के सिद्धांत के बिना और केवल इन आंकड़ों के साथ, आपके पास एक अच्छा सिद्धांत नहीं हो सकता है। और यह 1655 तक हल नहीं हुआ था। यह Christiaan Huygens की पुस्तक है जिसमें उन्होंने सभी गलतियों के बारे में लिखा है जो लोग शनि के साथ क्या हो रहा था इसके बारे में पता लगाते हुए करते है । यह तब तक नहीं था -- जब तक Huygens के पास दो चीजे थी। उनके पास एक अच्छा सिद्धांत था ग्रहों के छल्ले और सौर प्रणाली के संचालन के बारे में। और फिर, बेहतर दूरबीन, और अधिक सही आकड़े जिससे वो पता कर पाए कि पृथ्वी तेजी से जा रही है - केपलर के नियम के अनुसार - शनि की तुलना में, तो हम उसे पकड़ सके। और हम विभिन्न कोणों से छल्ले के कोण को देखते है। और, वास्तव में, यह सच निकला। एक सिद्धांत के होने की समस्या है यह है कि आपके सिद्धांत संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह के साथ भरे हो सकते हैं । तो क्यों लोग अजीब बातों पर विश्वास करते है इसे समझाने में एक समस्या यह है कि चीजे एक सरल स्तर पर हैं । और फिर मैं और अधिक बाते करूँगा। जैसे, हमारी चेहरे देखने की एक प्रवृत्ति है। यह मंगल पर चेहरा, जो कि - 1976 में, जब एक पूरा आंदोलन था नासा के लिए उस क्षेत्र की तस्वीर लेने के लिए क्योंकि लोगों को लगा कि यह स्मारकीय वास्तुकला है जो मंगल के लोगो द्वारा निर्मित था। बाद में पता चला - 2001 में और पास से इसकी तस्वीर । अगर आप आँखों को मोड़े, तो आप अभी भी चेहरे देख सकते हैं। और जब आप आँखों को मोड़ रहे है, आप जो कर रहे हैं वो यह है कि स्पस्ट को धुंधले में बदल रहे हैं। तो, आप अपने आकडों की गुणवत्ता को कम कर रहे हैं। और अगर मैं आपको नहीं बताऊंगा कि क्या देखना है, आप अभी भी चेहरा देखेंगे, क्योंकि हम चेहरे को देखने के लिए विकास द्वारा क्रमादेशित हैं। चेहरे सामाजिक रूप से हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। और जाहिर है, मुस्कुराते चेहरे। सभी प्रकार के चेहरे को देखने के लिए आसान हैं। (हँसी) आप मंगल ग्रह पर, वहाँ मुस्कुराता चेहरा देख सकते हैं। यदि खगोलविद मेंढ़क होते तो वो शायद वे कठपुतली मेंढक को देखते। क्या आप उसे वहाँ देखते हैं? छोटे मेढक के पैर। या यदि भूवैज्ञानिक हाथी होते? धार्मिक शास्त्र। (हँसी) एक टेनेसी बेकर के द्वारा 1996 में खोजी गयी। नन रोटी देखने के लिए उसने प्रत्येक से पांच रुपये शुल्क लिया जब तक कि उसे मदर टेरेसा के वकील से इसे रोकने की अर्जी नहीं मिली। यहाँ है हमारी लेडी ऑफ ग्वाडालूप और लेडी ऑफ वाटसनविले, बस सड़क के नीचे, या यह यहाँ से सड़क के ऊपर? पेड़ की छाल विशेष रूप से अच्छी है क्योंकि यह दानेदार और विभाजित है, श्वेत-श्याम धब्बे और आप समझ सकते है कि आकृतियों को खोजने - मानव आकृतियों को खोजने वाले पशु है। यहाँ वर्जिन मैरी साओ पाउलो में एक कांच खिड़की के किनारे पर है। अब, यहाँ वर्जिन मेरी एक पनीर सैंडविच पर प्रकट है- जो कि मुझे वास्तव में लास वेगास के एक कैसीनो में मिली, बिल्कुल, यह अमेरिका है। (हँसी) इस कैसीनो ने पनीर सैंडविच के लिए eBay पर 28,500 डॉलर का भुगतान किया। (हँसी) लेकिन क्या यह सच में वर्जिन मैरी की तरह दिखता है? (हँसी) इसके होठ थोड़े से सिकुड़े हुए है, 1940 के दशक की तरह। वर्जिन मेरी साफ़ पानी में, फ्लोरिडा में। मैं वास्तव में इसे देखने के लिए गया था। वहाँ बहुत से लोग थे - श्रधालु वहाँ - व्हीलचेयर और बैसाखी पर आये थे। और हमने नीचे जा के जांच की। बस आपको आकार का आभास -- देने के लिए वो डाव्किन, मैं और अद्भुत रैंडी है, यह दोनों के बगल में, दो और एक आधे इमारत के आकार की छवि है| ये सभी मोमबत्तियाँ, कई हजारों मोमबत्तीयाँ लोगों के द्वारा श्रद्धांजलि में जलायी गयी| तो हम सभी दुरासरी तरफ गए, बस देखने के लिए कि यहाँ क्या हो रहा था, जहाँ - यह पता चला कि जहाँ भी एक फव्वारे का मुख और एक ताड़ का पेड़ हो , वहाँ आपको यह प्रभाव मिलता है। यहाँ पीछे की तरह वर्जिन मैरी है, जिसे उन्होंने मिटाना शुरू कर दिया। मुझे लगता है कि आप केवल एक चमत्कार प्रति निर्माण रख सकते हैं। (हँसी) तो यह वास्तव में मैरी का एक चमत्कार है, या यह हाशिया का चमत्कार है? (हँसी) और फिर मैं इसके एक और उदाहरण के साथ समाप्त करने के लिए जा रहा हूँ ऑडियो के साथ - श्रवण भ्रम। यह फिल्म, "व्हाईट नोइस" है माइकल किटोन के मरे हुए लोगो कि वापस हमसे बात करने के बारे में। वैसे भी, यह पूरा कारोबार मरे हुओं से बात करने का, यह कोई बड़ी बात नहीं है। यह पता चला है कि कोई भी यह कर सकता है । वास्तव में कठिन हिस्सा है कि मरे हुए वापस में बात करे। (हँसी) इस मामले में, माना जाता है, इन संदेश इलेक्ट्रॉनिक घटनाओ में छुपे होते हैं। एक ReverseSpeech.com वेब पेज है जिसमें से मैंने इसे डाउनलोड किया है। यह आगे की दिशा में -- यह इन सभी में सबसे प्रसिद्ध है। यह बहुत मशहूर गीत के आगे की दिशा में संस्करण है। (संगीत) लड़का, क्या आप बस इसे पुरे दिन नहीं सुन नहीं सकते? (हँसी) सब ठीक है, यहाँ यह पीछे की दिशा में, और देखे अगर आप छुपा संदेश सुन सकते है जो कि माना जाता है कि इसमें हैं। (संगीत) आपको क्या मिला? दर्शक: "शैतान." माइकल शेर्मर: 'शैतान?" ठीक है, ठीक है, कम से कम हमें "शैतान" मिल गया अब, मैं अपने दिमाग के श्रवण भाग को नियंत्रित करूँगा आपको बताने के लिए कि आपको क्या सुनना चाहिए, इसे फिर से सुनिए। (संगीत) (हँसी) (अभिवादन) आप इसे चूक नही सकते जब मैं आपको बताऊ कि वहाँ क्या है। (हँसी) अब मैं एक सकारात्मक, अच्छी, कहानी के साथ अंत कर रहा हूँ Skeptics एक बिना लाभ वाले शैक्षिक संगठन के बारे में। हम हमेशा उन छोटी छोटी अच्छी चीजें को देखते है जो कि लोग करते हैं। और इंग्लैंड में, वहाँ एक पॉप गायक है। आजकल इंग्लैंड में बहुत लोकप्रिय गायिका हैं , केटी मेलुआ। और उन्होंने एक खूबसूरत गीत लिखा था। 2005 में शीर्ष पांच में था, इसका नाम "बीजिंग में नौ मिलियन साइकिल." है| यह एक प्रेम कहानी है - वो ब्रिटेन के नोरा जोन्स की तरह है- कैसे वह अपने प्रेमी से कितना प्यार करती है इसके बारे में, और नौ मिलियन साइकिल की तुलना में, और इसके आगे। और एक अंश है। ♫ हम 12 अरब प्रकाश वर्ष से किनारों से दूर हैं ♫ ♫ यह एक अनुमान है ♫ ♫ कोई भी कभी नहीं कह सकता है कि यह सच है ♫ ♫, लेकिन मैं जानती हूँ कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी ♫ खैर, यह अच्छा है। कम से कम वह इसके करीब है। यह अमेरिका में होगा, "हम 6000 प्रकाश वर्ष से किनारे से दूर हैं." (हँसी) लेकिन मेरे दोस्त, सिमोन सिंह, कण भौतिक विज्ञानी अब विज्ञान शिक्षक बन गए है, और उन्होंने "बिग बैंग" पुस्तक लिखी। वो हर मौके का उपयोग करते है, अच्छे विज्ञानं को बढ़ावा देने के लिए। और इसीलिए, उन्होंने "द गार्जियन" में केटी के गीत के बारे में एक टुकड़ा लिखा था, जिसमे उन्होंने कहा, ठीक है, कि हमे बिल्कुल पता है कि हम कितने पुराने, कितने दूर है किनारे से। आपको पता है, यह १2 - यह 13.7 अरब प्रकाश वर्ष है, और यह एक अनुमान नहीं है। हमे त्रुटि की संभावना के सांथ पता है कि यह कितने करीब है। और इसलिए, हम कह सकते हैं, यद्यपि एकदम सच नहीं, सच होने के बहुत करीब। और, उन्हें धन्यवाद देने के लिए, कैटी ने उन्हें फोन किया इस टुकड़े के छापने के बाद। और कहा, "मैं बहुत शर्मिंदा हूँ। मैं खगोल विज्ञान क्लब की सदस्य थी, और मुझे पता होना चाहिए था" और वह गीत को सुधारा। तो मैं नए संस्करण के साथ समाप्त करूँगा। ♫ हम 13.7 अरब प्रकाश वर्ष से दूर हैं ♫ ♫ देखे जाने वाले ब्रह्मांड के किनारे से ♫ ♫ यह अच्छा अनुमान है त्रुटियों की संभवना के भीतर ♫ ♫ और उपलब्ध जानकारी के साथ ♫ ♫ मेरी भविष्यवाणी है कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी ♫ (अभिवादन) कितना अच्छा है? (अभिवादन) हम सब अपने शरीर के स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं, लेकिन हम हमेशा ये पता लगाने में असफल रहते हैं कि महत्वपूर्ण क्या है| उदाहरण के लिए प्राचीन इजिप्त के लोगों को देखिये : वे शारीरिक अंगों के प्रति बहुत सचेत थे पुनर्जन्म के समय उनकी आवश्यकता होगी, वो कुछ अंगों को बाहर छोड़ देते थे| उदाहरण के लिए ये भाग , वो बहुत सावधानीपूर्वक आमाशय, फेफड़ों को संरक्षित कर लेते थे, और लीवर इत्यादि, वो, मस्तिष्क की लुगदी को नाक से बाहर निकाल देते थे, और इसे वो फेंक देते थे| जिससे वास्तव में अर्थ था आख़िरकार मस्तिष्क हमारे लिए करता क्या है? जरा सोचिये कि अगर शरीर में अगर कोई उपेक्षित अंग होता जिसका भार मस्तिष्क के बराबर होता और एक तरह से ठीक था उतना ही महत्वपूर्ण जितने हम हैं, हम इसके बारे में इतना कम जानते थे उसके साथ उपेक्षित व्यवहार करते रहे, कल्पना कीजिये कि यदि नए वैज्ञानिक अनुसंधानों से हमें समझ में आने लगा था इसका महत्व कि हम अपने बारे में क्या सोचते हैं| क्या आप इसके बारे में और जानना चाहेंगे? इससे ये पता चलता है कि हममें उसके सामान कुछ है : हमारी आंत| या वस्तुतः इसके सूक्ष्मजीवी| केवल हमारी आंत के सूक्ष्मजीवी ही नहीं हैं जो महत्वपूर्णहै| शरीर पर विद्यमान सूक्ष्मजीवी उनके अंतरों के आयाम को देखते हुए ये बहुत बहुत महत्वपूर्ण है जो हम सबको को विशेष बना देते हैं कि हम कौन है| उदाहरण के लिए क्या आपने कभी ध्यान दिया है कुछ लोगों को दूसरों की अपेक्षा अधिक मच्छर काटते हैं ? बाहर कैम्पिंग में हुआ ये अनुभव सभी को सही लगता है| उदाहरण के लिए मुझे मच्छर बहुत कम काटते हैं मेरी पत्नी अमांडा की ओर वो ज्यादा आकर्षित हैं, और इसका कारण है कि हमारी त्वचा पर अलग तरह के सूक्ष्मजीवी हैं जो अलग तरह के रसायन उत्पन्न करते हैं जिसको मच्छर पहचान लेते हैं| सूक्ष्मजीवियों का महत्व चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत बढ़ गया है, उदाहरण के लिए, हमारी आंत में जो सूक्ष्मजीवी हैं निर्धारित करते हैं कि कौन से दर्द निवारक हमारे लीवर के लिए हानिकारक हैं| वो ये भी निर्धारित करते हैं कि आपके हृदय को प्रभावित करेंगे या नहीं| और, यदि कम से कम आप एक फ्रूट फ्लाई तो हैं, सूक्ष्मजीवी ही निर्धारित करते हैं आपके यौन सम्बन्ध , ये मनुष्यों में नहीं ज्ञात किया गया है लेकिन बस कुछ ही समय की बात है हम इसका पता लगा लेंगे| (हंसी) सूक्ष्मजीवी विभिन्न प्रकार के कार्य कर रहे हैं, वो खाना पचाने में हमारी मदद करते हैं, वो हमारे प्रतिरोधी तंत्र को तैयार करते हैं वो हमारी रोगों से रक्षा करते हैं, यहां तक कि वो हमारे व्यवहार को भी प्रभावित करते हैं, तो सूक्ष्मजीवियों के समुदाय का मानचित्र , कैसा दिखाई देगा? ठीक है, ये बिलकुल ऐसा तो नहीं दिखाई देगा, जैवकीय विविधता को समझने के लिए ये महत्वपूर्ण मार्गदर्शक है, विश्व के विभिन्न भागों में इनका अलग-अलग परिदृश्य है जो नितांत उसी स्थान या दूसरे स्थान की विशेषताओं के अनुसार होती हैं या अन्यत्र की| सूक्ष्मजैविकी के साथ कुछ ऐसा ही है अगर मैं आपसे ईमानदारी से कहूं तो सभी सूक्ष्मजीवी माइक्रोस्कोप में एक जैसे दिखाई देते हैं तो उनको देखकर पहचानने की कोशिश करने की बजाय, हम उसके डी.एन.ए. में निहित क्रमों का अध्ययन करते हैं, एक परियोजना ह्यूमन माइक्रोबायोम के अंतर्गत, इस परियोजना हेतु एन.आई.एच. ने १७३ मिलियन डालर का अनुदान दिया है जिसमें सैकड़ों शोधकर्ता सहभागी बन गये न्यूक्लिक एसिड के क्रमों के अध्ययन में, मनुष्य के सभी सूक्ष्मजीवियों में | जब हम इनका सामूहिकरूप से अध्ययन करते हैं तो वो ऐसे दिखाई देते हैं| ये थोड़ा बताना कठिन है कि कौन कहाँ रहता है इसमें कहाँ है, है न? मेरी प्रयोगशाला कम्प्यूटेशन तकनीकों का विकास कर रही है जिसकी सहायता से सीक्वेंसेस का विशाल टेराबाइट डाटा प्राप्त क्रर उन्हें उपयोगी मानचित्र में बदल दिया जाता है, और जब हम ये माइक्रो बायोम डाटा के साथ करते हैं २५० स्वस्थ स्वयं सेवकों की जानकारियों से, ये ऐसे दिखाई देते हैं| यहां पर प्रत्येक बिंदु सूक्ष्मजीवियों को प्रदर्शित कर रहा है एक पूर्ण सूक्ष्मजीवी समुदाय| मैंने बताया न ये सभी एक जैसे दिखाई दे रहे हैं| प्रत्येक समूह से क्या अभिप्राय हैं जो एक सूक्ष्मजैवकीय समुदाय है एक स्वस्थ स्वयंसेवक के शरीर के एक स्थान का| और आप देखिये कि मानचित्र के विभिन्न भाग अलग-अलग रंगों में प्रदर्शित हैं, बिलकुल पृथक महादीपों की तरह| और इससे स्पष्ट होता है कि वो शरीर के विभिन्न भागों को दर्शाते हैं, जिनमें पृथक तरह के सूक्ष्मजीवी होते हैं, यहाँ पर मुंह में पाये जाने वाले समुदाय के हरे रंग के हैं| दूसरी तरफ त्वचा पर पाया जाने वाला समुदाय नीले रंग का है| योनि में पाया जाने वाला समुदाय बैंगनी है, नीचे दाहिनी ओर मल में पाया जाने वाला समुदाय भूरे रंग का है| पिछले कुछ ही वर्षों में हमने शरीर के विभिन्न भागों में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवियों के बारे में जाना है जो नितांत एक दूसरे से भिन्न हैं| एक व्यक्ति के सूक्ष्मजीवियों को देखिये मुंह में और आंत में, तो दोनों सूक्ष्मजीवी समुदायों के बीच अंतर का पता चलता है ये बहुत अधिक है| ये अंतर इस रीफ में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवियों से भी अधिक है और इस जलाशय के सूक्ष्मजीवियों से, जब आप इसके बारे में सोचते हैं तो ये अदभुत लगता है. महत्वपूर्ण ये है कि मनुष्य के शरीर में केवल कुछ फ़ीट के अंतर में ही सूक्ष्मजीवियों की पारिस्थितिकी में बहुत अंतर् आ जाता है पृथ्वी पर सैकड़ों मील लम्बी कतार के बराबर| और कहना नहीं होगा कि दो व्यक्ति एक जैसे दिखाई देते हैं एक ही शरीर या स्थान में| आपने शायद सुना हो कि हम मनुष्य डी एन ए के दृष्टिकोण से एक जैसे ही हैं, आप अपने डी एन के अनुसार ९९-९९ प्रतिशत समान हैं उस व्यक्ति से जो आपके निकट बैठा है| आंत के सूक्ष्मजीवियों के बारे में ऐसा नहीं हो सकता है आपमें १० प्रतिशत ही समानता हो आपके सूक्ष्मजीवियों में उस व्यक्ति से जो आपके पास बैठा है| उससे उतने ही भिन्न हैं जितने घास के इस मैदान के बैक्टीरिया और इस जंगल के बैक्टीरिया| विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीवी विभिन्न प्रकार के कार्य करते हैं जिनके बारे में मैंने आपको बताया, पाचन से लेकर सभी कुछ ये अनेक प्रकार के रोगों का कारण होते हैं दवाओं का स्वांगीकरण, इत्यादि| ये सब वो कैसे कर पाते हैं? वो इस तरह से कि इस तरह के लगभग तीन पाउंड सूक्ष्मजीवी हमारी आंत में हमारी पाये जाते हैं, संख्या में वो हमसे बहुत अधिक है, वो हमसे इतने अधिक कैसे हो जाते हैं? ये निर्भर करता है कि आप शरीर के बारे में क्या सोचतें हैं| ये हमारी कोशिकायें ही तो हैं? हम सभी की रचना लगभग १० खरब मानव कोशिकाओं से हुई है| लेकिन हम १०० खरब से अधिक कोशिकाओं को उपयोग में लाते हैं| उनकी संख्या हम से अधिक १०:१ के अनुपात में हो सकती है| अब आप सोच सकते हैं कि हम अपने डी .एन .ए. के कारण ही मनुष्य हैं, ये पाया गया है कि हम मनुष्यों में लगभग २०००० जीन्स पाये जाते हैं, हम क्या गिन रहे हैं ये महत्वपूर्ण है, २० लाख से लेकर २ करोड़ जींस इनमें हो सकते हैं, वो संख्या में हमसे बहुत अधिक है सूक्ष्मजीवी जो हमारे सहजीवी हैं| लगता है कि मानवीय डी.एन.ए. के सूक्ष्म अवशेषों के अतिरिक्त हम अपने जीवाणू .एन.ए. के अवशेष भी छोड़ जाते हैं उन सभी पर जिन्हें हम स्पर्श करते हैं कुछ वर्ष पहले हमें ये ज्ञात हुआ है की आप हाथ की हथेली का मिलान कर मिला सकते हैं कम्प्यूटर के सामान्य माउस की सहायता से लगभग ९५% प्रतिशत सूक्ष्मता से| ये एक वैज्ञानिक शोध पत्रिका में कुछ वर्ष पहले ही प्रकाशित हुआ है, अधिक महत्वपूर्ण ये है कि इसका प्रसारण "सी एस आई:मियामी," के द्वारा किया गया था ये वास्तव में सच है| (हंसी) हमारे ये सूक्ष्मजीवी पहले स्थान पर कैसे आते हैं? आपके कुत्ते या बच्चे तो होंगे, आपको ये अन्धविश्वास भी लग सकता है लेकिन सब कुछ सच है| उसी तरह से हम आपको आपके कम्प्यूटर से मिलान कर सकते हैं आपके सूक्ष्मजीवियों के आधार पर, हम आपका मिलान आपके कुत्ते से भी कर सकते हैं| ऐसा पता चला है कि वयस्कों में, सूक्ष्मजैवकीय समुदाय अपेक्षाकृत स्थिर होते हैं यहां तक कि आप किसी के साथ रहते हैं तो भी, आपकी विशिष्ट सूक्ष्मजैवकीय पहचान बनी रहती है हफ़्तों, महीनों या वर्षों तक बनाये रहते हैं| ऐसा लगता है हमारा प्रथम सूक्ष्मजैवकीय समुदाय इस पर निर्भर करता है कि हम कैसे पैदा हुए. जैसे बच्चे जो सामान्य रूप से पैदा होते हैं सभी सूक्ष्मजीवी वस्तुतः योनि के समुदाय के होते हैं जबकि शिशुओं का जन्म सी सेक्शन से होता है, उनके सभी सूक्ष्मजीवी त्वचा के सामान प्रतीत होते हैं और इसे कुछ असमानताओं से जोड़ कर देखा जा सकता है सिजेरियन जन्म से जुड़े स्वास्थ्य जैसे और दमा, और एलर्जी, और विकृतियां| अब इन सभी का सम्बन्ध सूक्ष्मजीवियों से जोड़ा गया है इसके बारे में सोचने पर, प्रत्येक जीवित स्तनधारी की उपत्ति जन्म नली से होती है, उनमें सुरक्षात्मक सूक्ष्मजीवियों का अभाव होता है जिनके साथ हमारा सह - विकास हुआ है जो वास्तव में महत्वपूर्ण है इन विविध परिस्तिथियों का कारण यही माइक्रोबायोम होते हैं| कुछ साल पहले जब मेरी बेटी का जन्म हुआ आकस्मिक सिजेरियन सर्जरी से| हमने समस्या को अपने हाथ में लिया उसकी योनि में उन सूक्ष्मजीवियों का लेप लगाया गया जो उसे प्राकर्तिक रूप से मिले थे| ये बता पाना कठिन है कि उनका प्रभाव था विशेष रूप से उसके स्वास्थ्य पर? इकलौते बच्चे को चाहे हम जितना भी प्यार करते हों, और यदि आपका परिवार समुचित बड़ा नहीं है तो मोटे तौर पर क्या होता है लेकिन दो साल तक उसे कान में संक्रमण तक नहीं हुआ| इसलिये हम निश्चिन्त हैं| अब हम और बच्चों पर परीक्षण करेंगे ये जानने के लिए कि इसका कोई सुरक्षात्मक प्रभाव है कि नहीं जन्मजात सूक्ष्मजीवी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उसके बाद हम किधर जाएंगे? मै आपको फिर से ये मानचित्र दिखता हूँ जो ह्यूमन माइक्रोबायोम की जानकारियों को पदर्शित करता है प्रत्येक बिंदु शरीर के नमूने का स्थल है २५० स्वस्थ वयस्कों में से एक| आप जानते हैं कि बच्चे शारीरिक वृद्धि होती है| आप उन्हें मानसिकरुप से विकसित होते देख चुके हैं| पहली बार आप ये देखने जा रहे हैं मेरे एक सहयोगी के बच्चे का विकास सूक्ष्मजीवियों के प्रभाव में हुआ तो हम क्या देखने जा रहे हैं क्या हम इस बच्चे के मल को देखने जा रहे हैं, जिसमें आंत में पाये जाने वाले बैक्टेरिया का समुदाय हो ढाई साल तक हर हफ्ते नमूने लिए गये, पहले दिन से लेकर| क्या होने जा रहा है नवजात शिशु में ये पीले धब्बे की तरह दिखेगा, आप देख सकते हैं उसमें ये योनि में पाये जानेवाले समुदाय जैसे दिखाई पडते है, जैसा हम उसके प्रसव की पद्ध्यति से अनुमान लगते हैं. और इन ढाई वर्षों में क्या होने जा रहा है क्या ये परिवहित होकर नीचे तक आने वाला है ताकि ये व्यस्क से मेल खा सकें जैसा स्वस्थ स्वयंसेवकों में दिखाई देता है मैं आपको ये दिखता हूँ ये कैसे होता है, आप देख सकते हैं और याद रख सकते हैं ये सब केवल एक हफ्ते में, आप इसे हफ्तेवार देख सकते हैं, इस एक बच्चे के मल के सूक्ष्मजीवियों के समुदाय में परिवर्तन हफ्ते दर हफ्ते अंतर बढ़ते चले जाते हूँ स्वस्थ लोगों के बीच के अंतर से अधिक ह्यूमन माइक्रोबॉयम परियोजना का दस्ता नीचे की ओर के भूरे धब्बे क्या हैं. आप देख सकते हैं की वो मल के समुदाय की ओर बढ़ रहा है| ये लगभग दो वर्ष का है| लेकिन कुछ आश्चर्यजनक यहाँ घटने वाला है| इसे कान के संक्रमण के लिये एंटीबायोटिक दी गयी है ये देखिये समुदायों की संख्या में बहुत बड़ा अंतर आ गया है, जो क्रमशः तेजी से सामान्य होता जा रहा है| आपको मैं ये फिर से दिखाता हूँ| और हम देख सकते हैं कि इन कुछ हफ़्तों में हमें बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है, कई महीने सामान्य विकास के अवरुद्ध रहने के बाद तेजी से पहले जैसी स्थिति में पहुँच जाता है| ८३८ वें दिन तक पहुँचने तक यही इस विडिओ का अंत है| आप देख सकेंगे कि उसके मल में सामान्य जीवाणु का समुदाय उत्पन्न हो चुका है, एंटी-बायोटिक के प्रभाव के बावजूद| वास्तव में ये बहुत रोचक है क्योंकि ये मूल प्रश्न खड़े करता है जब हम बच्चे के जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में हस्तक्षेप करते हैं| हम जैसे ही कुछ करते हैं माइक्रोबयोम बहुत तेजी से बदलने लगता है, ये महत्वपूर्ण है, ये समुद्री तूफान में एक पत्थर फेंकने जैसा है, जहाँ लहरें ही गुम हो जातीं हैं? ये आश्चर्यजनक से ये दिखाई देता है कि यदि आप बच्चों को एंटी-बायोटिक दें शरू के छह महीने में, वो बाद में और असमान्य हो जाते हैं उन्हें एंटी-बायोटिक यदि नहीं मिलती या बाद में दी जाती है, हम जो शुरू में करतें हैं उसका महत्वपूर्ण प्रभाव होता है आंत में पाए जाने वाले ब जीवाणू समुदाय पर और बाद में स्वास्थ्य पर जिसे हम समझना प्रारंभ कर रहें हैं| ये आश्चर्यजनक है कि एक दिन इन प्रभावों के अलावा जो प्रतिजैविक डालते हैं उससे प्रतिरोधी बैक्टीरिया बनतेहै, जो बहुत महत्वपूर्ण है, ये हमारी आंत के बैक्टीरिया की पारिस्थिकी को अपघटित कर रहे हैं, एक दिन आएगा जब हममें एंटीबॉयोटिक्स के बारे में भयभीत होंगे. जिन्हें आज हम इन धात्विक तकनीकों के लिए सुरक्षित रखते हैं जिन्हें एजिप्ट के लोग मतिष्क की लुगदी बनाने में उपयोग करते थे संलेपन हेतु बाहर निकलने के पहले। इन सभी सूक्ष्मजीवियों में ये महत्वपूर्ण विशेषताएं होतीं हैं, और उनमें ये अभी भी पायी जाती हैं जिनका सम्बन्ध सभी प्रकार के रोगों से जोड़ा जा सकता है, आंत में होने वाले संक्रमणों को मिलाकर, हृदय रोग, बड़ी आंत का कैंसर, और यहाँ तक मोटापा भी| मोटापे का वास्तव में बहुत प्रभाव होता है और आज हम ये बता सकते हैं कि चाहे आप दुबले रहेंगे या पतले ९९ प्रतिशत सत्यता से हम आपकी आंत में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवियों को देखकर| अब ये सुनने में आकर्षक लग सकता है, चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से ये परीक्षण थोड़ा समस्याकारी भी है, आप शायद ये बता सकें कि इनमें से कौन से लोग मोटापे से ग्रस्त हैं उनकी आंत के सूक्ष्मजीवियों के बारे में जाने बिना, लेकिन ऐसा पाया गया है कि यदि हम उनके पूरे जीनोम का अध्ययन करें उनके डी. एन.ए. के बारे में जान लें, ६० प्रतिशत सत्यता से हम इनके मोटापे का अनुमान लगा सकते हैं ये आश्चर्यजनक है ना? इसका मतलब ये हुआ कि ३ पाउंड से अधिक सूक्ष्मजीवी हम अपने ऊपर ले कर चलते हैं हो सकता है ये और महत्वपूर्ण हो कुछ स्वास्थ्यगत परिस्तिथियों में आपके जीनोम के प्रत्येक जीन से भी अधिक| हम चूहों में अध्ययन कर और भी बहुत कुछ जान सकते हैं चूहों में, जीवाणुका सम्बन्ध विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों से जोड़ा गया है, मल्टिपल स्केलेरोसिस को मिलाकर, अवसाद, आत्मविमोह और पुनः मोटापा| लेकिन हम ये कैसे कह सकते हैं कि ये सूक्ष्मजीवी भिन्न हैं जो रोगजनक हैं या प्रभाव उत्पन्न करते हैं? हम एक काम ये कर सकते हैं कि हम कुछ ऐसे चूहे तैयार कर सकते हैं जिनमें स्वयं के कोई सूक्ष्मजीवी न हों संक्रमण रहित वातावरण में| फिर हम कुछ सूक्ष्मजीवी प्रवेश करा सकते हैं जो हमें मत्वपूर्ण लगते हैं, और देखें क्या होता है| जब हम एक मोटे चूहे से सूक्ष्मजीवी लेते हैं उन्हें एक सामान्य चूहे में प्रतिस्थापित करतें हैं जिसे निर्जंतुक वातावरण में मुल जीवाणू बिना बड़ा किया गया है , वो सामान्य से और भी मोटा हो जाता है| ऐसा क्यों होता है ये निःसदेह अद्भुत है, परन्तु संभवतः हो सकता है सूक्ष्मजीवी उन्हें उसी भोजन को पचाने में और कुशलता से मदद कर रहे हैं, इसलिए वो अपने भोजन से और अधिक ऊर्जा प्राप्त कर पा रहे हैं, लेकिन साथ ही इन जीवाणुका वास्तव में अपना व्यव्हार प्रभावित हो रहा है| क्या हो रहा है वो सामान्य चूहे से अधिक भोजन ग्रहण कर रहे हैं, इसलिए वो मोटे होते जाते हैं यदि हम उन्हें उतना खाने देते हैं जितना वो चाहते हैं | ये वास्तव में अदभुत है, है न? इसका परिणाम ही है कि जीवाणू स्तनधारियों के व्यव्हार को प्रभावित करते हैं, आप सोच रहे होंगे कि हम ये सब विभिन्न प्रजातियों में कर सकते हैं| इससे स्पष्ट है कि अगरआप किसी स्थूलकाय व्यक्ति के सूक्ष्मजीवी लें और उन्हें संक्रमणरहित चूहे में प्रतिस्थापित कर दें, वो चूहे भी मोटे हो जायेंगे चाहे उनके सूक्ष्मजीवी पतले व्यक्ति से ही क्यों न लिये गये हों हम एक जीवाणू समुदाय की संरचना तय करके हम प्रतिस्थापित कर सकते है जो उन्हें ये भार बढ़ने से बचाते हैं हम ये कुपोषण के लिए भी कर सकते हैं, जैसा गेट्स फाउंडेशन के द्वारा प्रायोजित परियोजना में हम मलावी के बच्चों की देखभाल कर रहे हैं जो क्वाशिकोर जैसे गंभीर कुपोषण की चपेट में हैं| जिन चूहों में कवाशिकोर समुदाय की प्रतिस्थापना की जाती है उनका ३० प्रतिशत भार कम हो जाता है केवल तीन हफ्ते में| हम उनका स्वास्थ्य पुनः प्राप्त कर सकते हैं उन्ही पोषकों की आपूर्ति से जिसका बच्चों के अस्पताल उपयोग किया जाता है जिन चूहों को ये समुदाय प्राप्त होता है स्वस्थ जुड़वाँ शिशुओं की तरह क्वाशिकोर से युक्त शिशु भी अच्छा करते हैं ये आश्यचर्यजनक है क्योंकि इससे ये स्पष्ट होता है हम बीमारियों का हल पा सकते हैं इस तरह से चूहों के विभिन्न समूहों में प्रयोग करके प्रत्येक व्यक्ति की आंत के सूक्ष्मजीवियों के समुदाय की तरह और उसके अनुरूप संशोधन कर प्रत्येक व्यक्ति के लिये उपचार पा सकते हैं| ये अत्यंत महत्वपूर्ण है प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक अवसर है इस अविष्कार में भाग लेने के लिए| कुछ साल पहले, हमने ये परियोजना - अमेरिकी आंत शुरू की थी, ये सूक्ष्मजैवकीय मानचित्र में स्वयं के स्थान को पाने में मदद करती है| ये सबसे अधिक अनुदान पाने वाली परियोजना है ८००० से अधिक लोग इसमें पंजीकृत हो चुके हैं| ये ऐसे होता है वो हमें अपने नमूने भेजते हैं, हम उनके सूक्ष्मजीवियों के डी. एन.ए. का विश्लेषण कर परिणाम उन्हें भेज देते हैं। हम उनकी पहचान गोपनीय रखकर, वैज्ञानिकों और शिक्षकों को भेज देते हैं, जो सामान्य जन जो इसमें रूचि रखते हैं, इत्यादि, इस तरह से कोई भी आंकड़े प्राप्त कर सकता है। दूसरी ओर, हमारी प्रयोगशाला प्रमुख जैवकीय संस्थानों के परिभ्रमण पर भी जाती है हम इसे रोबोट्स और लेसर् आदि की सहायता से समझाते हैं ऐसा प्रतीत होता है कि सभी लोग ये सब नहीं जानना चाहते हैं, (हंसी) लेकिन मेरा अनुमान है कि आप में से अधिकांश जानना चाहते हैं इसलिए मैं अपने साथ कुछ परीक्षण सेट लेकर आया हूँ यदि आप लेना चाहें तो अपने लिए प्राप्त क्र सकते हैं, लेकिन हम ये सब क्यों करना चाहते हैं? ये इसलिये कि ये सूक्ष्मजीवी हमारे लिये केवल महत्वपूर्ण ही नहीं ये जानने के लिए कि हमारा स्वस्थ्य कैसा है, बल्कि ये वास्तव में बीमारी का उपचार भी कर सकते हैं। ये सबसे नवीनतम दृष्टकोण है जिसकी परिकल्पना हम कर सके हैं मिनोसेटा विश्वविद्यालय के अपने सहयोगियों के साथ। ये मनुष्य के सूक्ष्मजीवियों का वो मान चित्र है अब हम इसमें क्या देखना चाहते हैं - मैं इसमें कुछ लोगों के सी.डिफ्फ समुदाय जोड़ना चाहता हूँ ये एक अत्यंत घातक डायरिया है जिसमें आपको एक दिन में २० बार से अधिक बार भी जाना पड़ सकता है और ये लोग दो साल तक एंटीबायोटिक के उपचार से वंचित रहे इससे पहले कि उनके ऊपर ये परीक्षण किया जा सके स्वस्थ्य व्यक्ति के मल से जीवाणू लेकर प्रतिस्थापित कर दें तो क्या होगा, नीचे की ओर स्थित तारे की आकृति वाले को इन मरीजों में प्रतिस्थापित कर दूँ तो. अच्छे सूक्ष्मजीवी खराब सूक्ष्मजीवियों से संघर्ष करते हैं और बीमारी ठीक करने में मदद करते हैं? आइये देखें कि यहां वातव में क्या हो रहा है। इनमें से चार मरीजों को प्रतिस्थापक मिल गया है नीचे की ओर स्थित एक स्वस्थ दाता से। और जो आप तुरंत देख सकते हैं, आंत के समुदाय में एक ये मुख्य अंतर देखने को मिलता है। प्रतिस्थापना के एक दिन के बाद ये सभी लक्षण समाप्त हो जाते हैं, डायरिया बंद हो जाता है, फिर वो पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं दाता समुदाय को से संयोजित करने लगते हैं और वो फिर वहां बने रहते हैं| (तालियां) अभी हम इस अविष्कार के प्रारंभिक चरण में हैं। हम ये जानने का प्रयास कर रहे हैं कि क्या ये सूक्ष्मजीवियों के कारण है इन सभी प्रकार के रोगों के लिए आंत के संक्रमण से लेकर मोटापे तक, और शायद स्वलीनता और अवसाद। यघपि हमें क्या करना चाहिए, क्या हमें एक सूक्ष्मजैवकीय जी पी एस निर्मित करना चाहिए , जहाँ हमें ये भी पता नहीं कि अभी वर्तमान में हम कहाँ हैं लेकिन हम कहाँ जाना चाहते हैं और हमें क्या करना चाहिए वहां पहुँचने के लिए। और हमें ये सब सरलता से करना है ताकि एक बच्चा भी इसका उपयोग कर सके, (हंसी) धन्यवाद। (तालियां) एक सॉफ्टवेयर डेवलपर और टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में, मैंने कई सालों तक नागरिक प्रौद्योगिकी परियोजनाओं पर काम किया है। सिविक तकनीक कभी-कभी "अच्छे के लिए तकनीक" के रुप में जानी जाती है, मानवीय समस्याएँ प्रौद्योगिकी से सुलझाती हुई। ये युगांडा में 2010 की बात है, ऐसे समाधान पर काम हो रहा था जो स्थानीय आबादी को असंतोष व्यक्त करने पर सरकार निगरानी से बचा सकता था। बाद में वही तकनीक उत्तरी अफ्रीका में काम में लाई गई, समान उद्देश्यों के लिए, जिससे कार्यकर्ता आपस में जुड़े रहते, जब सरकारें जान-बूझकर संपर्क समाप्त कर रही थी, जनसंख्या नियंत्रण के एक साधन के रूप में। पर बीते कुछ सालों में जैसे मैंने इन तकनीकों के बारे में सोचा है और जिन चीज़ों पर में काम करता हूँ, एक सवाल मुझे हमेशा सताता रहता है, और वो ये कि कहीं हम प्रौद्योगिकी के गुणों के बारे में गलत तो नहीं हैं। और कहीं ये उन समुदायों को नुकसान तो नहीं पहुँचाती जिनकी हम मदद करना चाहते हों? दुनिया भर में प्रौद्योगिकी उद्योग इसी तरह की मान्यताओं के तहत काम करता है कि हम बढ़िया चीज़ें बनाते हैं, ये हर किसी को सकारात्मक रुप से प्रभावित करेगा। आखिरकार, ये नवाचार बाहर निकलकर सभी को ढ़ूंढ़ ही लेंगे। पर हमेशा ऐसा नहीं होता। मैं तकनीक के इस अंधे समर्थन को "ट्रिकल-डाउन टिकोनोमिक्स," कहना चाहुँगा, एक वाक्यांश उधार लेते हुए। (हँसी) हम सोचते हैं कि यदि हम कुछ गिने-चुने लोगों के लिए चीजे़ं डिजा़इन करें, तो आखिरकार, वो तकनीक हर किसी के पास पहुँच जाएगी, पर हमेशा ऐसा नहीं होता। प्रौद्योगिकी और नवाचार बहुत कुछ धन और पूंजी की तरह बर्ताव करते हैं। वे कुछ के हाथों में ही मज़बूत होने लगते हैं, और कई बार वे बहुत से लोगों के हाथों में पहुँच जाते हैं। तो आप में से अधिकतर सप्ताहांत पर दमनकारी शासनों से नहीं निपट रहे, इसलिए मैं कुछ ऐसे उदाहरण सोचना चाहता था तो ज्यादा संबंधित हों। धारण करने योग्य चीज़ों, स्मार्टफोन्स और ऐप्पस की दुनया में लोगों के व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर नज़र रखने के लिए एक बड़ा आंदोलन चल रहा है, ऐसे एप्लीकेशनस से जो आपकी नष्ट कैलोरी की संख्या पर नज़र रखते हैं या कि आप ज्यादा बैठ रहे हैं या फिर पर्याप्त चल रहे हैं। इन तकनीकों से चिकित्सा केंद्रों में रोगियों के दाखिले अधिक कुशल हो गए हैं, और बदले में, ये चिकित्सा केंद्र इसी तरह की कुशलता कि अपेक्षा करने लगे हैं। जैसे ये डिजिटल उपकरण चिकित्सा कक्षों में अपना रास्ता बना रहे हैं, और वे डिजिटल रुप से तैयार हो रहे हैं, डिजिटल रुप से अदृश्य का क्या होता है। उसके लिए चिकित्सा अनुभव कैसा होता है जिसके पास 400 डाॅलर का फोन या घड़ी नहीं है, जो उनकी हर हरकत पर नज़र रखे? तो क्या वो अब चिकित्सा प्रणाली पर बोझ हैं? क्या उनका अनुभव बदला है? वित्त के क्षेत्र में, बिटकॉइन और क्रिप्टो-करेंसिस दुनिया भर में पैसे के लेनदेन के हमारे तरीके में क्रांति ला रही हैं, पर इन तकनीकों के साथ चुनौती है कि प्रवेश में बाधा अविश्वसनीय रूप से उँची है, ठीक? आपको वैसे ही फोन, उपकरण और उसी प्रकार का संपर्क चाहिए, और जहाँ आपको नहीं भी मिलते, जहाँ आप एक प्रॉक्सी एजेंट पा सकते हैं, आम तौर पर उन्हें भाग लेने के लिए निश्चित मात्रा में पूंजी की आवश्यकता होती है। तो मैं अपने आप से पूछता हूँ कि उस अंतिम समुदाय का क्या होगा जो कागज के नोट उपयोग कर रही है जबकि बाकी दुनिया में डिजिटल मुद्रा का चलन है? एक और उदाहरण मेरे गृहनगर फिलाडेल्फिया से: मैं हाल ही में वहाँ के सार्वजनिक पुस्तकालय गया, और वो अस्तित्व संकट से जूझ रहे हैं। लोक निधि घटती जा रही है, उन्हें अपने पदचिह्न छोटे करने पड़ रहे हैं, खुले और प्रासंगिक बने रहने के लिए, और एक तरीका जो वो अपना रहे हैं वो है बहुत सी किताबों को डिजिटाइज कर उन्हें क्लाउड पर डालना। ये बहुत सारे बच्चों के लिए अच्छा है। ठीक? आप घर से ही किताबें देख सकते हैं, आप स्कूल आते या जाते समय खोज कर सकते हैं, पर ये सच में दो बड़े पुर्वानुमान हैं, एक ये कि आप घर बैठे इन तक पहुँच सकते हैं, और दूसरा कि आपके पास मोबाइल फोन है, फिलाडेल्फिया में कई बच्चों के पास नहीं है। तो उनका शिक्षा अनुभव कैसा होगा तब जबकि पुस्तकालय पूरी तरह क्लाउड-आधारित हों, जो कि शिक्षा का एक बुनियादी हिस्सा समझा जाता है? वे प्रतिस्पर्धी कैसे बने रहें? एक अंतिम उदाहरण पूर्वी अफ्रीका से: भूमि स्वामित्व अधिकारों को डिजिटाइज करने के लिए एक बड़ा आंदोलन चल रहा है, कई कारणों से। प्रवासी समुदाय, पुरानी पीढ़ियाँ खत्म हो रहे हैं, और आखिरकार घटिया अभिलेख रक्षण ने स्वामित्व पर टकराव की स्थिति पैदा कर दी है। और इसलिए ये सारी जानकारी ऑनलाइन करने के लिए एक मुहिम चली, जिससे इन भूखंडों के स्वामित्व का पता लगाया जा सके, इन्हें क्लाउड पर डालने की और इन्हें समुदायों को सौंपने की। पर असल में, इसके अनिच्छित परिणाम ये हुए कि उद्यम पूँजीपति, निवेशक, रियल एस्टेट डेवलपर झपट पड़े हैं और इन भूखंडों को खरीदना शुरु कर दिया है इन समुदायों की नाक के नीचे क्योंकि उनकी पहुँच तकनीक तक है और उस कनेक्टिविटी तक जिससे ये संभव हुआ है। तो यही एक कड़ी है जो इन उदाहरणों को जोड़ती है, हमारे बनाए गए उपकरण और तकनीक के अनपेक्षित परिणाम। इंजीनियरों के रूप में, प्रौद्योगिकीविदों के रूप में, हम कभी-कभी कुशलता को गुणकारिता से अधिक वरीयता देते हैं। हम काम के परिणामों की तुलना में काम किए जाने पर ज्यादा ध्यान देते हैं। इसे बदलने की जरुरत है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी बनाई हुई तकनीकों के परिणामों के बारे में सोचें, विशेष रूप से तब जब वो हमारी दुनिया को तेज़ी से नियंत्रित कर रहे हैं। नब्बे के दशक के अंत में, निवेश और बैंकिंग के क्षेत्र में नैतिकता पर ज़ोर दिया गया। मेरे विचार से २०१४ में इस तरह का आंदोलन लंबे समय से अपेक्षित है, तकनीक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में। तो मैं आपको प्रोत्साहित करता हूँ, जैसे आप सभी अगली बड़ी चीज के बारे में सोच रहे हैं, उद्यमी, सीईओ, इंजीनियर, निर्माता के रूप में, कि आप अनपेक्षित परिणामों के बारे में सोचें उनके जो आप बना रहे हैं, क्योंकि असली नवाचार सभी को शामिल करने के तरीके ढ़ूढ़ने में है। धन्यवाद। (तालियाँ) नमस्ते, मैं खिलौनों का एक डेवलपर हूँ. नए खिलौने बनाने के सपने के साथ कि , इससे पहले कभी नहीं देखा गया है मैने ९ साल पहले खिलौना कंपनी में काम की शुरुवात की. जब मैं पहली बार वहां काम शुरू कर किया , मैं मेरे मालिक को हर दिन के लिए कई नए विचारों प्रस्तावित किया. हालांकि, मेरे बॉसने हमेशा से पूछा मुझे डेटा चाहिए था बेचने के लायक साबित करने के लिए , बाजार के आंकड़ों का विश्लेषण करके उत्पादन करने पर सूचना देने कहा गया डेटा, डेटा , डेटा । इसलिए एक उत्पाद के बारे में सोच से पहले, मैं बाजार के आंकड़ों का विश्लेषण किया । हालांकि, उस पल में नया कुछ भी करने में असमर्थ था। (हंसी) मेरे विचार नक़ल थे । मुझे कुछ भी नए विचार नहीं मिल रहा था, और मैं सोच के थक गया। यह इतना मुश्किल था, कि मैं पतला हो गया । (हंसी) सच हे। (तालियाँ) सब शायद , इसी तरह के अनुभव और इस तरह से महसूस किया होगा। मालिक के लिए मुश्किल हो रहा था । डेटा मुश्किल था। आप सोच के बीमार हो जाते हैं। अब, डेटा बाहर फेंक देते हैं। नए खिलौने बनाना मेरा सपना है। और अब, बजाय डेटा की , मैं Shiritori इस खेल का उपयोग कर रहा हूँ नए विचारों के साथ आने के लिए। आज, मैं इस विधि शुरू करना चाहते हूँ । Shiritori क्या है? यह एक खेल है, आप शब्दों कह ले जाता है यह एक खेल है, आप शब्दों कह ले जाता है पिछले शब्द कि अंतिम पत्र के साथ शुरू यह जापानी और अंग्रेजी में भि है। आप जैसे चाहें Shiritori खेल सकते हैं: " नेको , कोरा ,रैबु ब्रूशी , " आदि, [ कैट , कोला , संगीत, ब्रश ] कई यादृच्छिक शब्द बाहर आ जाएगा। संपर्क करने आप उन शब्दों को मजबूर करते हैं, उसे सोच और विचारों के लिए. मै खिलौने के बारे में सोचना चाहता हूँ, एक खिलौना बिल्ली क्या हो सकता है? बिल्ली ऊंचे स्थान से कलाबाजी करने के बाद भूमि में आती है ? कैसे कोला के साथ एक खिलौना के बारे में? एक खिलौना बंदूकसे आप कोला की गोली मार कर किसी को भिगा देता है? (हंसी) हास्यास्पद विचारों ठीक हैं । कुंजी उन्हें रखने के लिए है । उदाहरण के लिए एक ब्रश क्या हम एक टूथब्रश से एक खिलौना बना सकते हैं? हम एक गिटार और एक टूथब्रश के साथ गठबंधन कर सकते हैं। - (संगीत के शोर ) - आपको एक खिलौना मिल गया, जिसे आप दाँत ब्रश करने के साथ खेल सकते हैं। (हंसी) जिन बच्चों को ब्रश करना पसंद नहीं है , उनके दांत इसे पसंद करना शुरू करते हैं । क्या हम एक टोपी में एक खिलौना बना सकते हैं? यह जिस तरह आप क टोपी को एक के बाद एक उपयोग मे लाते है जब कोई उसे पह्नता है उसमेसे एक भयावह एलियन उभारता है . "आह " चील्लाते मुझे आश्चर्य होगा पार्टियों में इस के लिए एक मांग होनेपर ? आप डाटा को घुर्ते रहे लेकीन उससे कोई कल्पना या विचार नही आयेगा . यह बुलबुला लपेटो, नाजूक वस्तू का आच्छादन एक खिलौना के साथ संयुक्त, मूगन पॉप पॉप बनाया एक खिलौना जहां आप पॉप कर सकते हैं बुलबुले जितना आप चाहते हैं जब यह स्टोरों में पहुंचा तो यह एक बड़ा हिट हुआ डेटा की सफलताका कोई संबंध नही था. यद्यपि यह केवल बुलबुले भड़काना है, यह समय बितानेका का एक शानदार तरीका है, इसलिए कृपया इसे पास करें आज अपने बीच और इसके साथ खेलें। (तालियाँ) वैसे भी, आप बेकार विचारों को आणे दो . कई तुच्छ विचारों को सोचो, हर कोई आप डेटा विश्लेषण को आधार करते हैं तो आप का लक्ष क्या है आप बहुतही कठीण प्रयास करते है इससे णी कल्पना नाही प्राप्त होगी . आपका लक्ष आपको मालूम होणे परही . स्वतंत्र रूप से सोचें जैसे बंद आंखों से निशाना लगते है ऐसा करनेसे आप निशाने करीब जा सकते है कम से कम एक होगा आपका चुनाव सही रहेगा .यदि आप ऐसा करते हैं, आपकी कल्पना चलेगी . वह बिलकुल नई लगेगी . नई कल्पना के बारेमे यह मेरी सोच है . यह केवळ Shiritori जैसा नहीं है; कई अलग-अलग तरीके हैं. आपको यादृच्छिक शब्द पर बस शब्द चुनना होगा। आप एक शब्दकोश के माध्यम से कोई भी यादृच्छिक पर शब्द चुनें। जैसे ,दोअक्षर या शब्द देखकर सोचे . या दुकान पर जाकर और उत्पादन नामों से जुड़ें आप क्या सोचना चाहते हैं बत याह की आप यादृच्छिक शब्द इकट्ठा करे, श्रेणी से जानकारी नहीं जो आप सोच रहे हैं. यदि आप ऐसा करते हैं, तो इसके लिए सामग्री विचारों का संघटन किया जाता है और इससे कि कई विचारों का उत्पादन होगा इस विधि का सबसे बड़ा लाभ छवियों का निरंतर प्रवाह है क्योंकि आप सोच रहे हैं एक के बाद एक शब्द का, एकेक शब्द जो आपने पहले देखा उसकी प्रतिमा उसके साथ जुडी है यही प्रतिमा नये शब्द से जुडकर कल्पना साकार होती है एक ब्रश से कनेक्ट होगा एक संगीत लगेगा एक टोपी से जुड़ा खेल चल रहा है . आपको पता भी नही चलेगा , आप ऐसे विचारों के साथ हैं जो आप अन्यथा नहीं सोचते . यह पद्धत केवल खिलोने के लिये हि नही आप किताबे .उपकरण .कोई घटना इस के बारेमे भी विचार कर सकते है मुझे आशा है आप इसे प्रयोग मे लायेंगे . डाटा से भविष्य सोचा जा सकता है हालांकि, Shiritor जैसे मूर्खता पूर्ण गेम का उपयोग करके मै उज्ज्वल क्रियाशीलता का भविष्य देखता हू . जिसका आपण शायद विचार हि न करे लेकिन मैं Shiritori मैं उत्साहित हूँ उस रोमांचक भविष्य के लिए जो आप बनाएँगे, एक भविष्य, जो आप कल्पना भी नहीं कर सकते है , । सबका बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियाँ) आपके सामने एक ऐसी औरत खडी है जो सार्वजनिक तौर पर दस साल से ख़ामोश रही। ज़ाहिर है, वो ख़ामोशी टूट रही है, और ये हाल में ही शुरु हुआ है। तब से कुछ महीने बीत चुके हैं जब मैने पहली बार सार्वजनिक रूप से कुछ बोला फ़ोर्ब्स थर्टी अंडर थर्टी सम्मेलन में: ३० साल से कम उम्र के १५०० प्रतिभाशाली लोगों के सामने अंदाज़ा लगाइये कि १९९८ में इन में से सब से बडे लोग भी बमुश्किल 14 साल के रहे होंगे, और सब से छोटे तो बस चार बरस के। मैने मज़ाक में उन से कहा कि आप मे कुछ ने तो मेरा नाम सुना भी होगा तो सिर्फ़ र्रैप गानों में। जी हाँ-मैं रैप गानों में बकायदा मौज़ूद हूँ। लगभग ४० रैप गानों में । (हँसी) पर जिस रात मैनें वो भाषण दिया, एक अचरच भरी बात हुई। ४१ साल की उमर में मेरे करीब आने की कोशिश की २७ साल के एक लडके नें । बाप रे! है न? वो बहुत अच्छा था और मैं काफ़ी खुश महसूस कर रही थी, मगर मैने बात वहीं खत्म कर दी। पर पता है उसने मुझसे क्या कहा? कि वो मुझे फिर से 22 जैसा महसूस करवाएगा। (ठहाका) (अभिवादन) मैने उस रात बाद में सोचा, कि शायद मैं ऐसी अकेली ४० साल के व्यक्ति हूँ जो फिर से कभी २२ की नहीं होना चाहती। (ठहाका) (अभिवादन) २२ साल की उम्र में, मुझे अपने बॉस से प्यार हो गया, और २४ की उम्र में, मैने उसके भयानक नतीज़े झेले। क्या यहाँ बैठे लोगों में से वो शख्स हाथ उठायेंगे जिनसे २२ की उम्र में कोई गल्ती नहीं हुई या ऐसा कुछ जिसका उन्हें पछतावा नही है? बिलकुल। मैने ठीक सोचा था कि ऐसा कोई नहीं होगा। तो मेरी ही तरह, २२ साल में, आप में कुछ लोग गलत मोडों पर मुडे होंगे और गलत लोगों के प्यार में पडे होंगे, हो सकता अपने बॉस के प्यार में। लेकिन मेरी तरह शायद आपके बॉस अमरीका के राष्ट्रपति नहीं रहे होंगे। सच है कि ज़िंदगी अजूबों से भरी पडी है। एक दिन भी ऐसा नहीं जाता जब मुझे अपनी गलती याद नहीं करायी जाती, और मुझे अपनी गलती का भरपूर पश्चाताप भी है। १९९८ में पहले मैं ऐसे रोमांस के भँवर में फ़ँसी जिसका अंत होना ही नहीं था, और फिर ऐसे भयानक राजनीतिक, कानूनी और मीडिया के भँवर में फ़ँसी जैसा मैने कभी न देखा था न सोचा था। याद कीजिये, कि १९८८ से सिर्फ़ कुछ साल पहले तक ही, समाचार सिर्फ़ तीन जगहों से मिलते थी: अखबार या मैगज़ीन पढ कर, रेडियो सुन कर, या टीवी देख कर। बस। मगर मेरे भाग्य में कुछ और था। इस स्कैंडल की खबर आप तक डिजिटल क्रांति के ज़रिये आई। इसका अर्थ ये था कि हम जानकारी पा सकते थे जब हम चाहें, जहाँ हम चाहें, और जब जनवरी १९९८ में ये खबर निकली, तो वो ऑनलाइन निकली। पहली बार ऐसा हुआ कि पारंपरिक मीडिया को इंटरनेट ने पछाड दिया था एक बडी खबर को ले कर एक क्लिक जो सारी दुनिया में गूँज उठी थी। निज़ी तौर पर मेरे लिये इसका मतलब था कि रातोंरात मैं पूरी तरह से गुमनाम व्यक्ति से सारी दुनिया में बदनाम व्यक्ति में बदल गयी। मैं पहली शिकार थी; अपनी सारी प्रतिष्ठा सारे विश्व में एक क्षण में गँवा देने की इस नयी बीमारी की। फ़ैसला सुनाने की इस दौड को टेक्नॉलजी ने और हवा दी। वर्चुअल पथराव करने वालों की तो मानो भीड इकट्ठा हो गयी थी। हालांकि तब तक सोशल मीडिया का ज़माना नहीं आया था, मगर तब भी लोग ऑन्लाइन कमेंट कर सकते थे, ईमेल में जानकारी और भद्दे कमेंट भेज सकते थे। समाचार मीडिया नें मेरी तस्वीरों को हर जगह चिपका डाला अखबार और ऑनलाइन बैनर विज्ञापन बेचने के लिये, और लोगों को टीवी से चिपकाने के लिये। आपको मेरी कोई ख़ास तस्वीर याद आती है, वो बेरेट टोपी पहनी हुई? देखिये, मैं अपनी गलती मानती हूँ ख़ासकर उस टोपी को पहनने की। मगर जो छीेछालेदर मेरी की गयी, इस खबर की नही, बल्कि व्यक्तिगत तौर पर मेरी, वो सच में ऐतिहासिक थी। मेरी ब्रांडिग कर दी गयी - बदचलन, आवारा, वेश्या, स्लट, वेबकूफ़, और, ज़ाहिर है, "उस टाइप की औरत"। बहुत लोगों ने मुझे देखा, मगर बहुत कम ने मुझे जाना। और मैं समझ सकती हूँ: बहुत आसान है ये भूलना कि "उस टाइप की औरत" का एक वज़ूद था, उसकी भी अत्मा थी, और एक ज़माने में वो ऐसी टूटी हुई बिखरी हुई नहीं थी। जब १७ साल पहले मेरे साथ ये हुआ, इस के लिये कोई नाम नहीं था। अब हम इसे साइबर-बुलीइंग और ऑन्लाइन उत्पीडन कहते हैं। आज मैं आप के साथ अपने कुछ अनुभव बाँटना चाहती हूँ, और उन अनुभवो की रोशनी में अपने कल्चर पर कुछ टिप्पणियाँ करना चाहती हूँ, और बताना चाहती हूँ कि मैं कितनी आशा रखती हूँ कि इस के ज़रिये ऐसा बदलाव आयेगा जिस से कुछ और लोगों के जीवन में कुछ परेशानी कम होगी। १९९८ मे, मैने अपनी प्रतिष्ठा और आत्म-सम्मान खो दिया। मेरा लगभग सब कुछ लुट गया था और मैने अपनी जीवन भी लगभग खो ही दिया था। मैं आप के लिये एक दृश्य रचती हूँ। सितंबर १९९८ है। मैं बिना किसी खिडकी वाले दफ़्तरनुमा कमरे में बैठी हूँ इन्डिपेंडेट काउंसल के ऑफ़िस मे, बजबजाती हुई ट्यूबलाइटों की रोशनी में मैं अपनी ही आवाज़ सुन रही हूँ, उन फ़ोन कॉल से आती मेरी आवाज़ जो गुप्त रूप से टेप किये गये थे मेरे एक तथाकथित दोस्त के द्वारा - लगभग एक साल पहले। मैं वो सुन रही हूँ क्योंकि कानूनन मुझे उन्हें सुनना ही पडेगा निजी रूप से २० घंटे लंबे उन टेपों की वैधता सुनिश्चित क्ररने के लिये। पिछले आठ महीनों से इन टेपों में जमा सामग्री मेरे ऊपर तलवार की तरह उल्टी लटक रही थी। मतलब, कौन याद रख सकता है कि एक साल पहले उस ने क्या कहा था? सहमी हुई और बेज्ज्त, मै सुन रही हूँ, सुन रही हूँ उस दिन की आपाधापी; सुन रही हूँ खुद को, राष्ट्रपति के प्रति अपने प्यार का इज़हार करते हुए, और फिर अपने दिल टूट्ने का जिक्र करते हुए; कभी कभी तेज-तर्रार, कभी बस नासमझी भरी कभी खराब बर्ताव करती, कभी असभ्य; सुन रही हूँ, अंदर तक, गहरे भीतर तक शर्मिंदा, अपने सबसे खराब स्वरूप का सामना करती, ऐसा रूप जिसे मैं पहचान तक नहीं पाती। कुछ दिन बाद, संसद में स्टार्र रिपोर्ट पेश होती है, और वो सारे टेप, वो चुराये गयी बातचीत, उसमें सम्मिलित हैं । ये डरावना है कि लोग उन सब बातों को पढ सकते हैं, और कुछ हफ़्तों बाद, , वो ऑडियो टेप टीवी पर सुनाये जाते हैं, और उस में ज्यादातार हिस्सा ऑनलाइन रिलीज़ होता है। पब्लिक में होने वाला अपमान दर्दनाक था। जीवन ढोया नहीं जाता था। और १९९८ में ऐसे किस्से हरदिन नहीं होते थे, और ऐसे किस्से का अर्थ है चोरी से - लोगों के निज़ी वार्तालाप और निज़ी क्रियाकलापो की और फ़ोटो की, और फ़िर उन्हें सार्वजनिक करने से -- बिना इजाज़त के सार्वजनिक करने से -- बिना किसी संदर्भ के सार्वजनिक करने से -- और बिना किसी संवेदना के सार्वजनिक करने से। 12 साल आगे चलते है 2010 में, और एक नया सोशल मीडिया जन्म ले चुका है। दुर्भाग्य से, मेरे साथ जो हुआ, वो आम बात हो चुकी है, भले ही किसी ने कोई गल्ती की हो या नहीं, भले ही ये पब्लिक फ़िगर हो या आम आदमी। कुछ लोगो के लिये इस के नतीज़े बहुत ही ज्यादा बुरे साबित हुए हैं। मैं अपनी माँ से फ़ोन पर बात क्रर रही था सितंबर २०१० में, और हम उस ख़बर का ज़िक्र कर रहे थे रुट्गर यूनिवर्सिटी के फ़र्स्ट इयर के युवा छात्र, टाइलर क्लेमेंटी के बारे में। प्यारा, संवेदनशील और रचनात्मक टाइलर का एक ऐसा वि्डियो उसके रूम मेट ने बना लिया जिसमें वो एक और आदमी के साथ अंतरंग होता दिखता था। जब ऑनलाइन दुनिया को इस वाकये की खबर लगी, तो भद्दी बेज्जती और साइबर-बु्लींग का विस्फ़ोट हो गया। कुछ दिन बाद, टाइलर ने जार्ज वाशिंगटन पुल से छलांग लगा कर जान दे दी। वो महज़ 18 साल का था। मेरी माँ अपना आपा खो बैठी थीं टाइलर और उसके परिवार के बारे में सोच कर। और असहनीय दुःख से भर गयी थीं, और पहलेपहल मुझे ये समझ नही आया लेकिन धीरे धीर्रे मैने महसूस किया कि वो १९९८ को फिर से जी रही थीं, वो समय जब वो हर रात मेरे सिरहाने बैठ कर बिताती थीं, वो समय जब वो मुझे बाथरूम का दरवाज़ा बंद नहीं करने देती थीं और वो समय जब मेरे माता -पिता को हरदम डर लगता था कि इतनी बदनामी मेरी जान ले कर रहेगी, सचमुच। आज, बहुत सारे माता-पिता को ये मौका ही नहीं मिल पाता है कि वो अपने बच्चों को बचा पाये। बहुत लोगों को अपने बच्चों की परेशानी का पता तब लगता है जब बहुत देर हो चुकी होती है। टाइलर की दुख्द, बेमतलब मौत मेरे लिये बहुत बडा क्षण बनी। उस घटना ने मेरे अनुभवों को एक नया संदर्भ दिया, और मैने अपने आसपास फ़ैले शोषण और ज़ोर-जबरदर्स्ती को महसूस किया, और नए सिरे से देखना शुरु किया। १९९८ में हमारे पास ये जानने का कोई तरीका नहीं था कि ये नयी तकनीक जिसे हम इंटरनेट कहते थे, हमें कहाँ ले जायेगी ? तब से, इंटरनेट ने लोगों को नये तरीकों से जोडा है, बिछडे भाई-बहनों को मिलवाया है, जाने बचायी है, आंदोलन शुरु करवाये हैं, मगर जो अँधेरा, साइबर-बुलींग, और स्लट बता की गयी शमिंदगी मैने देखी, वो कई गुना बढी है। हर दिन, ऑनलाइन, खास तौर पर कम उम्र के लोग, जो कि इस से निपटने के लिये तैयार तक नहीं हैं, इतने शोषित और प्रताडित होते हैं कि वो अगले दिन तक जीना भी नहीं चाहते, और कुछ तो, सच में, जीते भी नहीं, और ये ऑन्लाइन नहीं, असली दुनिया में होता है यू.के. की एक संस्था जो कि कई तरह से युवाओं की मदद करती है, चाइल्डलाइन ने पिछले साल एक तथ्य ज़ारी किया था: २०१२ से २०१३ के बीच, ८७ प्रतिशत बढत देखी गयी है साइबर-बुलींग से जुडी ईमेल और फ़ोन कॉल में। नीदरलैंड में की गयी एक जाँच में पहली बार ये पता लगा कि साइबर-बुलींग खुद्कुशी की बडी वजह बन रहा है, ऑफ़्लाइन बुलींग के मुकाबले। हालांकि इस में अचरच की बात नहीं हैं, लेकिन मुझे ये जान कर बडा झटका लगा कि एक और जाँच ने पता लगाया कि प्रताडित किए जाने की भावना को लोग ज्यादा महसूस कर रहे हैं बजाये खुशी के, और बजाय गुस्से के। दूसरों के प्रति निष्ठुरता कोई नयी बात नहीं है, मगर ऑन्लाइन, तकनीकी तरीकों से करे जाने पर ये कई गुना बढ जाती है, बेकाबू हो जाती है, और हर समय होती रहती है। पहले तो शर्मिंदगी सिर्फ़ आस-पासपरिवार, गाँव, स्कूल या नजदीकी समाज तक सीमित थी, मगर अब ये ऑनलाइन भी होती है। लाखों लोग, बिन जान-पहचान के, आपको अपने शब्दों से छलनी करते हैं, और ये बहुत पीडादायी होता है, और इसकी कोई बाउंडरी नही है कि कितने लोग आपको देख सकते हैं, और आप पर सार्वजनिक रूप से कमेंट कर सकते हैं। बहुत निजी तौर चुकानी होती है सार्वजनिक शर्मिंदगी की, और इंटरनेट के चलते चुकाई गयी कीमत कई गुना बढ चुकी है। लगभग पिछले दो दशकों से, हम धीरे धीरे शमिंदगी और सार्वजनिक बेज्जती के बीज बोते आ रहे हैं अपनी संस्कृति की ज़मीन मे ऑन्लाइन और ऑफ़्लाइन दोनो तरह से। गप्प-गॉसिप वेबसाइट, पापारात्ज़ी कैमरा, रियलटी टीवी, राजनीति समाचार मीडिया और कभी कभी हैकर भी, इस प्रताडना का हिस्सा बनते हैं। संवेदन हीनता की इज़ाजत सी मिल गयी है ऑनलाइन दुनिया में जिस से, दादागिरी, निजता के हनन, और साइबर-बुलींग को बढावा मिल रहा है। इस से कुछ ऐसा पैदा हुआ है जिसे प्रोफ़ेसर निकोलस मिल्स प्रताडना के कल्चर का नाम देते हैं। पिछले छः महीनों के कुछ बडे उदाहरण ले कर देखिये। स्नैप-चैट, एक ऑन्लाइन सर्विस जो ज्यादातर युवा इस्तेमाल करते हैं, और जो संदेशों को मिटाने का दावा करती है कुछ ही क्षणॊं में। आप समझ सकते है कि किस तरह के संदेश वहाँ चलते होंगे। एक तीसरी कंपनी जो स्नैप-चैटर के यूज़र को मैसेज सेव करने देती थी हैक की गयी और एक लाख निज़ी बातचीतें और फ़ोटो और विडियो ऑन्लाइन लीक हो गये और अब वो सदा सदा के लिये सार्वजनिक हो गये हैं। जेनिफ़र लारेंस और कई और फ़िल्म कलाकारों का आई-क्लाउड हैक हो गया, और उनके निजी, नग्न फ़ोटो सारी इंटरनेट पर पब्लिक हो गये बिना उनकी इजाजत के। एक ग्प्प-गॉसिप वेबसाइट पर 50 लाख बार हिट हुआ सिर्फ़ इस एक खबर के लिये। और सोनी पिक्चर की हैकिंग? जिन दस्तावेजों को सबसे अधिक देख गया वो निजी ईमेल था जिनमे सबसे ज्यादा शमिंदा करने की क्षमता थी। मगर प्रताडना के इस कल्चर में, सार्वजनिक शमिंदगी से प्राइस-टैग भी जुडे है और ये प्राइस-टैग पीडित द्वारा चुकाई गयी कीमत को नही नापते, जो टाइलर और कई और लोगों को, खासकर, औरतो और अल्प-संख्यकोंको चुकानी पडती है। और एल.जी.बी.टी.क्यू लोगों ने चुकाई है, मगर ये प्राइस-टैग बखूबी नापता है इस से पैदा होने वाले मुनाफ़े को। दूसरों पर किया गया हमला जैसे कच्चा माल है, हमला जो क्रूर्ता और दक्षता से होता है, और पैकेज कर के मुनाफ़े में बेचा जाता है एक बाज़ार विकसित हुआ है जहाँ सार्वजनिक शमिंदगी बिकती है और प्रताडना एक इंडस्ट्री बन गयी है। और पैसा बनता कैसे है? क्लिक्स से। जितनी शर्मिंदगी, उतने क्लिक्स। जितने क्लिक्स, उतने विज्ञापनी डॉलर। हम खतरनाक भँवरजाल में हैं। जितना ही हम इस तरह की चीजों को क्लिक करेंगे, उतना हे संवेदनशील हम होंगे, उन खबरों के पीछे छुपे इंसानों के प्रति, और जितन हम संवेदना हीन हेगे, उतना ही हम क्लिक करेंगे। और पूरे समय, कोई इस से पैसा कमा रहा होगा किसी और के दुख परेशानी और उत्पीडन के ज़रिये। हर क्लिक के ज़रिये हम एक विकल्प चुनते हैं जितना ही हम अपने क्लचर को सार्वजनिक शमिंदगी से भरेंगे, उतना ही स्वीकार्य ये होती जायेगी, और उतनी ही साइबर-बुलींग हम देखेंगे, उतनी ही हैकिंग, और धमकीगर्दी। और ऑनलाइन उत्पीडन। क्यों? क्योंकि इन सबके जडोंमें शर्मिंदगी है। ये बर्ताव उस कल्चर का लक्षण है जो हमने रचा है थोडा सोच कर देखिये। बर्ताव में बदलाव शुरु होता है बदलते मूलोंसे। हमने ये होते देखा है रेसिस्म, होमोफ़ोबिया, और ऐसे ही कई और चीज़ोंमें , आज और इतिहास में। और हमारे नज़्ररियों मे बदलाव आया है - सम-लैंगिक शादियों को ले कर। ज्यादा से ज्यादा लोगों को बराबरी मिली है। जब हम निरंतरता को तवज्जो देने लगते है, ज्यादा से ज्यादा लोग कूडे को रिसाइकिल करने लगते हैं। तो जहाँ तक हमारे कल्चर के प्रताड्ना वाले हिस्से का सवाल है, हमे एक सांस्कृतिक आंदोलन की ज़रूरत है। सार्वजनिक शमिर्द्गी का ये खूनी खेल बंद करना ही पडेगा। और समय आ गया है कि इंटरनेट के कल्चर में हस्तक्षेप करने का। शुरुवात किसी छोटी चीज़ से होगी, और ये आसान नहीं होगा। हमें संवेदनशीलता और सहानुभूति की ओर वापस जाना होगा। ऑन्लाइन दुनिया में, सहानुभूति और संवेद्ना की गहरी कमी है, लगभग अकाल है। शोधकर्ता ब्रेन ब्राउन का कहना है, "प्रताड्ना संहानुभूति के सामने नहीं ठहर सकती।" प्रताडना सहानुभूति के सामने नहीं ठहर सकती। मैने अपने जीवन में कुछ बहुत खराब अँधेरे से पटे दिन देखे हैं और ये मेरे परिवार, दोस्तों और साथियों की सहानुभूति और संवेदना ही थी, और कभी कभी, अजनबियों की भी - कि मै बच सकी। एक इंसान से आती सहानुभूति भी बडा फ़र्क ला सकती है। माइनर्टी इन्फ़्लुएंस की थियरी, सामजिक मनोविज्ञानी सेर्गे मोस्कोविसी द्वारा दी गयी है, और कहती है कि बहुत कम संख्या में ही सही, जब लम्बे समय तक कुछ चले, तो बडा फ़र्क आ सकता है। ऑन्लाइन दुनिया मे, हम इस माइनर्टी इन्फ़्लुएंस को ला सकते हैं खिलाफ़त क्रर के। खिलाफ़त करने का मतलब है चुपचाप खडे नहीं रह जाना। हम किसी के लिये सकारत्मक कमेंट कर सकते है, साइबर बुलींग होती देख कर शिकायत दर्ज़ कर सकते हैं। मेरा यकीन मानिये, सकारात्मक कमेंट से नकारात्मक्ता ख्त्म होती है। हम एक खिलाफ़त का कल्चर भी ला सक्ते है उन संस्थाओं को सहारा दे कर जो इन मुद्दो पर काम कर रही हैं, जैसे कि यू.एस. की टाइलर क्लेमेंटी फ़ाउंडेशन यू. के. में एंटी-बुलींग प्रो है, आस्ट्रेलिया में, प्रोजेक्ट रोकिटहै। हम अपने फ़्रीडम ओफ़ एक्स्प्रेश्न के बारे में अत्यधिक सचेत हो कर बात करते हैं मगर हमें ये भी बात करनी होगी कि फ़्रीडम ऑफ़ एक्स्प्रेशन के प्रति हमारे कर्त्व्य क्या हैं हम सब चाहते हैं कि हमें सुना जाये मगर उद्देश्य से बोलने में और ध्यान आकर्षित करने के लिये बोलने में फ़र्क है इंटरनेट अभिव्यक्ति का सुपर हाई-वे है, मगर ऑन्लाइन, दूसरों के प्रति संवेदनशील होने से हम सबका भला होगा, और एक बेहतर, सुरक्षित दुनिया कायम होगी। हमें ऑन्लाइन बर्ताव में सहानुभूति लानी होगी, समाचारों को संवेदना के साथ कनस्यूम करना होगा, और सोच-समझ कर क्लिक करना होगा। फ़र्ज़ कीजिये कि आप किसी और के हेड-लाइन में एक मील चल रहे हैं। मै दिल की बात कह कर जाना चाहूँगी पिछले नौ महीनों मे, मुझ्से जो प्रश्न सबसे ज्यादा पूछा गया है वो है , "क्यो?" अब क्यो? अब मैं अपना सर इतने साल के बाद क्यो उठा रही हूँ? इन प्रश्नों में निहित बातों को आप समझ सकते है। और मेरे जवाब का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। मेरा एक ही जवाब है, और वो है कि - अब समय आ गया है। समय आ गया है कि मैं अपने अतीत से छुप छुप कर भागना बंद करूँ: अपमानित हो कर जीने का समय ख्तम हो गया है; और समय आ गया है कि मैं अपनी कहानी पर वापस अपना अधिकार पाऊँ और ये सिर्फ़ मेरे अकेले के बारे में नहीं है। कोई भी जो शर्म और सार्वजनिक रूप से उत्पीडित है, ये एक बात जान ले: कि वो उस से लड सकता है और आगे बढ सकता है। मुझे पता है कि ये बहुत मुश्किल है। बहुत दर्द भरा, आसान बिल्कुल भी नहीं, और लम्बा सफ़र। मगर आप अपनी कहानी को एक अलग अंत दे सकते हैं। अपने प्रति सहानुभूति और संवेदना रख के। हम सब संवेदना के पात्र हैं, और ऑन्लाइन और ऑफ़्लाइन, संवेदनाशील दुनिया में रहने के हकदार हैं। मेरी बात सुनने के लिये धन्यवाद। (अभिवादन और तालियाँ) आज मैं आपसे क्रोध के बारे में बात करना चाहता हूँ जब मैं ग्यारह साल का था मेरे कुछ दोस्तों को स्कूल छोड़ना पड़ा क्यूंकि उनके माँ-बाप स्कूल की किताबें नहीं खरीद सकते थे मुझे ये देख के बहुत क्रोध आया जब मैं २७ साल का था एक बंधुआ मजदूर की दुर्दशा सुनकर, जिसकी बेटी को वेश्यालय को बेचा जा रहा था, मुझे बहुत क्रोध आया ५० साल की उम्र में जब मैं सड़क पर खून में लथपथ पड़ा था अपने बेटे के साथ तब मुझे बहुत क्रोध आया दोस्तों, हमे सदियों से बताया गया है की क्रोध करना गलत है हमारे माता पिता, गुरु और सज्जनों सबने सिखाया है की अपने क्रोध को दबाओ मैं पूछता हूँ आखिर क्यों ? क्यों हम अपने क्रोध को समाज के भले के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते क्यों हम अपने क्रोध का इस्तेमाल सामाजिक बुराइयाँ मिटाने में नहीं कर सकते मैंने ये करने की कोशिश की दोस्तों, मेरे सबसे प्रभावी विचार मेरे क्रोध में से निकल कर आये उदाहरणार्थ, जब मैं ३५ साल का था, एक छोटी सी जेल में बंद रहा रात भर मुझे सारी रात बहुत गुस्सा आया मगर उससे एक नयी सोच मिली उस पर मैं बाद में आऊंगा आज मैं आपको मैंने मेरा नाम कैसे बनाया उसकी कहानी सुनना चाहता हूँ मैं बचपन से ही गांधी जी का बड़ा आदर करता था गांधी जी खड़े हुए और देश के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया मगर सबसे महत्वपूर्ण, उन्होंने हमे समाज के कमज़ोर वर्ग से आदर और प्रेम से व्यवहार करना सिखाया तो जब भारत १९६९ में गांधी जी कि जन्म शताब्दी मना रहा था, मैं १५ साल का था, और मेरे मन में एक विचार आया हम इसे अलग तरह से क्यों नहीं मना सकते है मैं जानता था, जैसा की आप सब भी जानते होंगे की भारत की अधिकांश जनसंख्या समाज के निचले तबके में जन्म लेती है और उन्हें अछूत माना जाता हैं ये वो लोग है जिन्हें मंदिर में जाना तो दूर की बात, ऊची जाती के घर और दुकानो में भी जाना वर्जित हैं तो मैं शहर के नेताओ से बहुत प्रभावित था जो इस जाती प्रथा और अस्पृश्यता के खिलाफ खुल के बोल रहे थे और गांधी जी के आदर्शों की बात कर रहे थे तो इस से प्रेरित होकर, मैंने सोचा की एक उदाहरण स्थापित करते हैं इन लोगो को दवात का बुलावा देकर जो अछूतों के हाथों परोसी और पकायी जाएगी मैं कुछ अछूत कहे जाने वाले नीची जाती के पास गया उन्हें राज़ी करने की कोशिश की, मगर उनके लिए ये असंभव सा था वो बोले "नहीं ये असंभव है, ऐसा कभी नहीं हुआ" मैंने कहा "इन नेताओं की ओर देखिये, ये बहुत महान है, ये अस्पृश्यता के खिलाफ है अगर कोई नहीं आया तो भी ये लोग तो आएंगे और हम एक उदहारण बनेंगे" उन्हें लगा मैं नासमझ हूँ अंततः वो मान ही गए मैं और मेरे दोस्त अपनी साइकिल पर नेताओं को निमंत्रण देने निकल पड़े मैं बहुत उत्साहित था, बल्कि सशक्त ये देख के उन में से एक आने को राज़ी था मैंने कहा "चलो अब हम एक उदहारण पेश करेंगे हम समाज में बदलाव लाएंगे " दावत का दिन आया सभी अछूत, तीन औरत और दो आदमी वो आने को राज़ी हुए मुझे याद है वो अच्छे से सज-धज के आये थे साथ में नये बर्तन भी थे कइयों बार स्नान किया था क्यूंकि ये उनके लिए अभूतपूर्व था ये बदलाव का समय था वो इक्कठा हुए भोजन पकाया गया शाम के सात बज रहे थे आठ बजे तक, हम इंतज़ार करते रहे नेताओं के लिए देर से आना कोई नयी बात नहीं थी एक घंटे इंतज़ार किया फिर आठ बजे हम अपनी साइकिल से नेताओं के घर गए उन्हें याद दिलाने मात्र के लिए एक नेता की पत्नी ने हमे बताया की "माफ़ कीजिये, उनके सर में दर्द है तो वो नहीं आ पाएंगे" तो मैं दूसरे नेता के पास गया और उनकी पत्नी ने कहा " आप चलिए हम ज़रूर आएंगे" तो मैंने सोचा की चलो दावत तो होगी भले ही छोटे स्तर पर ही सही मैं वापिस दावत स्थल वापिस आया, जो की नया बना महात्मा गांधी पार्क था अभी दस बज रहा था कोई भी नेता नहीं आया मुझे इस बात पर बहुत क्रोध आया मैं गांधी जी की प्रतिमा से टिक कर खड़ा था मैं काफी भावुक और थका हुआ था फेर मैं जहाँ खाना रखा था वहाँ जा कर बैठ गया मैंने अपनी भावनाओ को बंधे रखा मगर जैसे ही मैंने पहला निवाला लिया मेरे आंसूं बह पड़े और अचानक मैंने अपने कंधे पर एक हाथ महसूस किया और वो एक अछूत औरत का हिम्मत भर देने वाला मातृत्व स्पर्श था और उसने मुझसे कहा " कैलाश, तुम रो क्यों रहे हो ? तुमने अपने हिस्से का काम कर दिया है तुमने अछूत द्वारा पकाया खाना खाया है जो मैंने आज तक कभी नहीं होते देखा है" उसने कहा,"आज तुम्हरी जीत हुई है" और दोस्तों, वो सही थी मैं घर वापिस आया आधी रात के करीब तो देखा की ऊची जाती के कई बुजुर्ग मेरे घर के आँगन में बैठे हुए थे मेरी माँ और एक बुजुर्ग औरत रो रहे थे और वो इन बुजुर्ग लोगो से माफ़ी मांग रहे थे क्यूंकि उन्होंने मेरे पूरे परिवार को जाति बहिष्कृत की धमकी दी थी और आप जानते है ये बहिष्कार सबसे बड़ा सामाजिक दंड है जो किसी को दिया जा सकता है किसी तरह वो सिर्फ मुझे दण्डित करने पर राज़ी हुए, सजा थी विशुद्धकरण इसका मतलब मुझे घर से ६०० मील दूर जाना होगा गंगा नदी में डुबकी लगाने और उसके बाद मुझे १०१ पंडितो को भोजन करवाना होगा और इनके पैर धो कर पीने पड़ेंगे ये बिलकुल बकवास था और मैंने दंड मानने से मन कर दिया उन्होंने मुझे कैसे सजा दी फिर ? मुझे अपनी ही रसोई और खाने के कमरे में आने से मन कर दिया मेरे बर्तन अलग कर दिए मगर जिस रात मैं गुस्सा था वो मुझे जाति बहिष्कृत करना चाहते थे मगर मैंने इस जाती प्रथा का ही भहिष्कार करने का फैसला कर लिया (तालियां) और ये मुमकिन था, क्यूंकि शुरुआत खानदानी नाम या उपनाम बदल कर होगी क्यूंकि भारत में अधिकतर खानदानी नाम जाती सूचक होते है तो मैंने मेरा नाम छोड़ने का फैसला किया और आगे चलके मैंने खुद को सत्यार्थी का नाम दिया जिसका मतलब ह "सच की तलाश करने वाला" (तालियां) और यहाँ से शुरुआत हुई मेरे परिवर्तनकारी क्रोध की दोस्तों, शायद आप में से कोई मुझे बता सके की बाल अधिकार के लिए लड़ने से पहले मैं क्या कर रहा था क्या कोई जानता है ? नहीं। मैं इंजीनियर था, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और तब मैंने ये समझा की कैसे आग जलने की, कोयला जलने की कक्षों के अंदर होते परमाणु विस्फोट की नदी की उग्र धाराओं की तूफानी हवाओं की ऊर्जा को प्रकाश में बदल कर लाखो ज़िंदगियाँ को बचाया जा सकता है मैंने सीखा की कैसे सबसे उग्र ऊर्जा स्त्रोत को समाज के भले के लिए उपयोग किया जा सकता है अब मैं वापिस आता हूँ उस जेल वाली रात के किस्से पर मैं बहुत खुश था एक दर्जन बच्चो को गुलामी आज़ाद करा कर उन्हें उनके माँ-बाप के हवाले कर मैं बता नहीं सकता की एक बच्चे को आज़ाद करा कर मुझे कितनी ख़ुशी होती है मैं बहुत खुश था लेकिन जब मैं अपने घर, दिल्ली जाने वाली ट्रैन का इंतज़ार कर रहा था मैंने ढेर सारे बच्चो को आते देखा उनकी तस्करी की जा रही थी मैंने उन लोगो को रोका मैंने पुलिस को शिकायत करी तो पुलिस, मेरी मदद करने की बजाये मुझे ही, एक जानवर की तरह छोटे से पिंजरे में फेक दिया और वो रात क्रोध की रात थी जब मेरे सबसे बेहतर और क्रांतिकारी विचार का जन्म हुआ मैंने सोचा की मैं अगर ऐसे १० बच्चो को आज़ाद कराऊंगा तो वो ५० और ले आएंगे ये बेमतलब था और मैं ग्राहकों की ताकत में विश्वास करता था और मैं आपको बता दूँ ये पहली बार था जब मेरे या दुनिया में किसी और के द्वारा कोई अभियान शुरू किया जो ग्राहकों को समझदार और संवेदनशील बनाने पर आधारित था बालश्रम मुक्त गलीचों की मांग बढ़ने पर था यूरोप और अमरीका मैं सफल हुए और इससे दक्षिण एशियाई देशों में बाल मज़दूरी ८०% में कमी आयी (तालियाँ) इतना ही नहीं, पहली बार ग्राहकों की ताकत और ग्राहकों की अभियान दूसरें देशों और दूसरें व्यवसायों में भी बढे है चॉक्लेट हो या कपडे हो या फिर जूते हो, ये बहुत आगे निकल गया है ११ साल की उम्र पर मेरा गुस्सा जब मैंने ये समझा की बच्चों के लिए पढाई कितनी आवशयक है मुझे एक तरकीब आई की क्यों न इस्तेमाल हो चुकी किताबों को गरीबों तक पहुचाये ११ साल की उम्र पर मैंने एक किताबों का बैंक बनाया मगर मैं रुका नहीं आगे मैंने मेरे साथी के साथ शिक्षा के लिए दुनिया के अकेली सबसे बड़े नागरिक समाज अभियान की स्थापना की जिसका नाम है शिक्षा के लिए वैश्विक अभियान इसने शिक्षा के तरफ समाज के नज़रिये को बदल दिया शिक्षा के परोपकार के बदले जन्मसिद्ध अधिकार बताया जाने लगा इससे स्कूल न जा सकने वाले बच्चो की गिनती को १५ साल में आधा कम कर दिया (तालिया) २७ साल की उम्र में मेरा गुस्सा, वेश्यालय को बेचीं जाने जा रही लड़कियों को आज़ाद करने के लिए, मुझे एक तरकीब दे गया एक नयी रणनीति ,छापे मार के बाल मजदूरों को बाल शर्म से मुक्त करवाना और मैं काफी खुशनसीब और गर्व महसूस करता हूँ ये बताते हुए के १ या १० या २० नहीं बल्कि मैं और मेरे साथियों ने मिल कर अभी तक कुल ८३००० बल शर्म से मुक्त करवाया है और उन्हें उनके परिवार और उनकी माँ के पास पहुंचायें है (तालियां) मैं जानता था की हमे विश्वस्तरीय नीतियों की ज़रूरत थी हमने बाल मज़दूरी के खिलाफ विश्वस्तरीय पैदल यात्राओं का आयोजन किया और इसके फलस्वरूप अत्यंत बुरे हालातों में मौजूद बच्चो की रक्षा करने हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुवात हुई और इसका सीधा असर ये हुआ के विश्वस्तर पर बल श्रम पिछले १५ साल में एक तिहाई काम हो गया है। (तालियां) तो हर किस्से में शुरुवात क्रोध से हुई जो बाद में तरकीबों में बदला और अंततः बदलाव में तो गुस्सा आये, तो आगे क्या ? तरकीब, और फिर दर्शक : बदलाव कैलाश सत्यार्थी : गुस्सा, तरकीबें, बदलाव जो मैंने कोशिश करी क्रोध ताकत है, क्रोध ऊर्जा है और प्रकर्ति के नियमानुसार ऊर्जा को न बना सकते है न मिटा सकते है न खत्म कर सकते है तो फिर क्रोध की ताकत को तब्दील करके एक बेहतर और सुन्दर और न्यायसंगतसमाज की समाज की संरचना क्यों नहीं करे ? क्रोध आप सबके अंदर है और मैं अब आपको एक राज़ बताऊंगा की अगर हम अपने घमंड की छोटी कोठारी में और स्वार्थ के घेरो के अंदर बंधे रहे तो ये क्रोध बदला,उग्रता, विनाश,नफरत में बदलेगा मगर अगर हम इन घेरो से बहार आये तो तो यही क्रोध अध्भुत ताकत में बदलेगा हम इन घेरो को अपनी निहित करुणा से तोड़ सकते है और सहानुभूति के साथ समाज से जुड़कर उसे बेहतर बना सकते है इसी क्रोध को बदला जा सकता है तो प्यारे दोस्तों,बहनो और भाइयो, एक नोबल पुरुस्कार विजेता के तौर पर मैं आपसे आग्रह करता हूँ क्रोधित होइये मैं आपसे आग्रह करता हूँ क्रोधित होइये और जो सबसे ज़्यादा क्रोधित है हमारे बीच वो अपने क्रोध को तरकीबों और बदलाव में बदल लेगा। धन्यवाद (तालियां) क्रिस एंडरसन : आप कितने सालों से दूसरों को प्रेरणा दे रहे है आपको कौन और क्या प्रेरणा देता है ? कैलाश: बहुत अच्छा सवाल है क्रिस, मैं आपको सत्य बताना चाहता हूँ मैं जब भी एक बच्चे को आज़ाद करवाता हूँ एक बच्चा जिसने अपनी माँ से वापिस मिलने की साड़ी उमीदें खो दी है तो उसके चहरे पर आज़ादी की पहली मुस्कान और एक माँ जिसने अपने बच्चे के वापिस उसकी गोद में बैठने की उमीदें खो दी हो तो वो बहुत भावुक हो जाते है और जब ख़ुशी का वो पहला आंसू उसकी आँखों से गिरता है तो उसमे मुझे ईश्वर की छवि दिखती है और ये मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा होती है। और मैं बहुत खुशनसीब हूँ की मैंने एक नहीं, बल्कि जैसा मैंने बताया, हज़ारों बार ईश्वर के दर्शन किये है इन बच्चो के चेहरे में और वे मेरी प्रेरणा के सबसे बड़े स्त्रोत है आप सब का धन्यवाद (तालियां) यह ड्रैगन्स बहुत ही लंबे समय से एक अविश्वसनीय जीव है वे विचित्र हैं, वे सुंदर हैं, और हमें उनके विषय में बहुत कम जानकारी हैं ये सब विचार मेरे दिमाग में चल रहे थे जब मैने मेरी पहली डायनासोर किताब के पृष्ठों को देखा उस समय में पांच वर्ष का था तभी वही मैने निर्णय लिया कि मैं जीवाश्म विज्ञानी बनूँगा जीवाश्म विज्ञान ने अनुमति दी कि मैं अपने पशुओ के साथ प्यार को जोड़ सकू मेरी दुनिया के दूर दराज इलाकों में घूमने की इच्छा के साथ और अब कुछ सालों बाद, मैं कई अभियानों का नेतृत्व किया है ग्रह के दूर दराज कोनो में है, सहारा मैने सहारा मे काम किया क्योंकि, मैं एक ख़ोज पर हू विशाल मांस भक्षी डायनासोर के नए विचित्र अवशेष खोलूंगा जिसे स्पिनोसॉरस कहते हैं इस प्राणी के कुछ हड्डियाँ मिले हैं सहारा के रेगिस्तान में और इसका वर्णन कुछ १०० साल पहले एक जर्मन जीवाश्म विज्ञानी ने किया था पर दुर्भाग्य से सभी स्पिनोसॉरुस के हड्डिया दूसरे विश्व युद्ध में नष्ट हो गये तो अभी हमारे पास सिर्फ कुछ चित्र और नोट्स ही बचे हैं इन सभी चित्रों से हम जानते है कि ये प्राणी १० करोड़ वर्ष पहले रहा करते थे पर ये बहुत विशाल थे उसके पीठ पर उंची रीढ़ की हड्डी थी जो एक शानदार पाल बनाता था उसके लंबे और सुडौल जबड़े थे कुछ मग़र जैसे उसके तेज़ दांत थे उसका उपयोग वे फ़िसलने वाले शिकार जैसे मछली को पकड़ने में किया करते थे पर इतना हैं जो हम सब जानते थे इस प्राणी के विषय में अगले १०० साल तक मेरा क्षेत्र का काम मुझे मोरक्को और अल्जीरिया सीमा क्षेत्र की ओर ले गया एक जगह जिसे केम केम कह्ते है ये जगह बहुत मुश्किल है काम करने के लिए आप को रेगिस्तानी तूफ़ान, सांप और बिच्छू का सामना करना पड़ेगा वहाँ अच्छे जीवाश्मों मिलना बहुत मुश्किल हैं मगर हमें अपनी कड़ी मेहनत का फ़ल मिला हमनें कई नए अविश्वसनीय नमूनों की खोज की वहा पर सबसे बड़ी डायनासोर की हड्डी मिली सहारा के इस हिस्स्से में ऐसा अबतक नहीं मिला है हमें वह विशाल मांस बक्षी के डायनासोर के अवशेष मिले मध्यम आकार के मांस बक्षी डायनासोर और ७ /८ अलग प्रकार के मगरमच्छ जैसे शिकारी ये अवशेष नदीप्रणाली में जमा थे ये नदीप्रणाली विशाल कार के आकार के केलकंठ का भी घर था दैत्यकार सॉ मछली और नदी के ऊपर का आसमान प्टेरोसॉर्स से भरा पड़ा था उड़ने वाले सरीसृप वो जगह बहूत ही खतरनाक थी इस प्रकार की जगह नहीं है जहां आप घूमने जा सकते है अगर आप के पास टाइम मशीन हो तो तो हम सब ये अविश्वसनीय प्राणी के जीवाश्मों की खोज कर रहे है जो स्पिनोसॉरुस के साथ ही रहते थे, लेकिन स्पिनोसॉरस यहीं साबित कर दिया कि वे पकड़ में नहीं आते. हम छोटी छोटी खोज कर रहे थे और मैं आशा कर रहा था कि कही तो हमे अधुरा कंकाल मिलेगा| आखिर में, अभी, हमने खुदाई की जगह ढूँढ निकाला जहा स्थानीय शिकारी को स्पिनोसॉरस की बहुत सी हड्डिया मिली थी| हम साईट पे वापस गए, हमने और हड्डिया इकठ्ठा किए| और १०० साल के बाद आखिर में हमारे पास और एक अपूर्ण कंकाल था इस विचित्र जंतु का| और हम उसको फिरसे बना सके| अब हमे मालुम है कि स्पिनोसॉरस का सर जरा मगरमच्छ जैसा था, बाकी हिंसक डायनासोर से अलग, टी. रेक्स से बहुत अलग| किन्तु बहुत अच्छी जानकारी बाकी कंकाल से मिली| हमारे पास लंबी रीढ़ की हड्डी थी, रीढ़ की हड्डी बड़ा पाल बनती थी| हमारे पास पैर की हड्डी, खोपड़ी की हड्डी थी, हमारे पास पेडल के आकार के फैले हुए पाँव थे-- फिर से, असामान्य, अन्य किसी डायनोसोर के ऐसे पाँव नहीं थे-- और हमने सोचा कि वे नरम तलछट पे चलने की आदत होंगी या फिर पानी में पैर मारने की| हमने हड्डी के सूक्ष्म संरचना को देखा, स्पिनोसौरस के हड्डी के अन्दर की संरचना को, और यह पता चला कि वह ठोस और घना था| फिर से, ये ज्यादा समय पानी में रहनेवाले जानवरों में हमें देखने को मिलता है, इसका उपयोग पानी का उछाल काबू करने में होता है| हमने सभी हड्डियोंका सी टी स्कैन किया और स्पिनोसौरस का डिजीटल ढांचा बनाया| और जब हमने डिजिटल ढांचा देखा, हमे मालुम पड़ा, कि हाँ, यह बाकी डायनोसौर से बहुत अलग था| टी रेक्स से बड़ा| और हां, सर पे सभी जगह "मच्छी खानेवाला" लिखा हुआ| असल में पुरे कंकाल पे "पानी मित्र" लिखा हुआ| घनी हड्डिया, पेडल जैसे पाँव, और कम हुआ छोटे अंग का आकर , और फिर से, जो कि हम बाकी प्राणियों में देखते है जो पानी में बहुत्तर समय बिताते है| तो हमने हमारा, स्पिनोसौरस ढूँढ निकाला-- मैं हमारे डायनोसौर के मांसपेशियाँ और त्वचा का अभ्यास कर रहा हूँ-- हमे पता चला कि हम नदी के दैत्य के साथ लेनं देन कर रहे है| हिंसक डायनोसौर, टी-रेक्स से भी बड़ा, इन प्राचीन नदियों का शासक, मैंने पहले दिखाए हुए जलचर प्राणियों पे चारा करने वाला तो इस खोज को सच में, क्या अविश्वसनीय बनता है| यह इतर डायनोसौर से काफी अलग है| और कुछ लोगो ने मुझे बताया, "वॉव! यह जीवन में एक बार होने वाली खोज है| दुनिया में बहुत कम चीजो की खोज करना बाकी रह गया है|" तो, मुझे लगता है कि सत्य के आगे कुछ नहीं है| मुझे लगता है कि सहारा अभी भी खजाने से भरा हुआ है और लोग जब मुझे बताते है यहाँ पे खोज करने के लिए कुछ नहीं बचा मुझे रॉय चैपमैन एनड्रियू जानेमाने डायनोसौर शिकारी का एक वाक्य बताना अच्छा लगेगा और वे बोले, " हमेशा, कोने के आसपास एक साहस है-- और दुनिया ऐसे कोनो से भरी हुई है." ये कई दशकों पहले सच था जब रॉय चैपमैन एंड्रूस ने ये लाईने लिखी और ये आज भी सच है| धन्यवाद| (तालियाँ) इसाडोरा डंकन -- (संगीत) विलक्षण, लंबे पैरो वाली स्त्री सैन फ्रांसिस्को से , इस देश से परेशान, और उनको इसमे से बाहर निकलना था। इसाडोरा १९०८ के आसपास प्रसिद्ध थी, नीले परदे रखने के लिए, और वो खड़ी रहती थी उसके हाथ उसके सौर पेशीं पे रखके और वो प्रतीक्षा करती थी, और वो प्रतीक्षा करती थी, और बाद में, हिलती थी (संगीत) जॉश और मै और सोमी इसको बोलते है "लाल चक्र और नीला परदा" लाल चक्र। नीला परदा। लेकिन, यह २० वे शतक की शुरुवात नहीं थी। यह व्हैन्कोवर की सुबह २०१५ मे. (संगीत) (गायन) चल, जॉश! (संगीत) (गायन) जा! हम वहां पहुचे क्या? मुझे तोः नही लगता हां! (संगीत) समय क्या हुआ है? (संगीत) हम कहाँ है? जॉश। सोमी। बिल टी। जॉश। सोमी। बिल टी। (तालियां ) हां, हां! हमारा मस्तिष्क एक अद्भुत और पेचीदा अंग है। और जहाँ कई लोग इस मस्तिष्क से अचंभित हो जाते हैं, वे आपको मस्तिष्क के काम करने के तरीके के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं बता सकते, क्योंकि हम स्कूलों में तंत्रिका विज्ञान (न्यूरोसाइंस) पढ़ाते नहीं हैं। और इसका एक कारण यह है कि उसके उपकरण इतने पेचीदे और महँगे होते हैं, कि यह सिर्फ मुख्य महाविद्यालयों और बड़े संस्थानों में ही किया जाता है। और इसलिए, मस्तिष्क के अंदर सचमुच झाँकने के लिए आपको अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करना पड़ता है, और साढ़े छः साल एक ग्रेजुएट छात्र की तरह गुज़ारना पड़ता है, सिर्फ इसलिए ताकि इन उपकरणों का इस्तेमाल कर सकें। और यह शर्मनाक है, क्योंकि पाँच में से एक यानी 20% लोगों को कोई-न-कोई मानसिक बीमारी है। और इन बीमारियों के इलाज शून्य हैं! और इसलिए ऐसा लगता है कि हमें करना ये चाहिए, कि शिक्षा ग्रहण के समय ही छात्रों को इस विज्ञान की शिक्षा दी जाए, ताकि भविष्य में. वे एक मस्तिष्क-वैज्ञानिक बनने के बारे में सोचें. जब मैं ग्रेजुएशन कर रहा था, तब मैं और मेरे लैब-सहपाठी टिम मार्ज़ूलो ने सोचा के क्यों न हम इन मस्तिष्क-सम्बन्धी जटिल उपकरणों को इतना सरल और सस्ता बना दें, ताकि कोई भी -- हाई स्कूल के छात्र या कोई नौसिखिया वे सब इसे सीख सकें और शोध में हिस्सा ले सकें। और इसलिए हमने वैसा ही किया। कुछ वर्ष पूर्व, हमने "बैकयार्ड ब्रेन्स" नामक एक कंपनी खोली जो न्यूरोसाइंस के उपकरण बनाती है, उनमे से कुछ मैं आज यहाँ लाया हूँ। और मैं उन्हें प्रदर्शित करना चाहता हूँ। शायद आपको पसंद आये ! तो मुझे एक स्वयंसेवक चाहिए। ठीक है -- तुम्हारा नाम क्या है? सैम। अच्छा सैम, मैं तुम्हारे दिमाग में से कुछ रिकॉर्ड करूँगा। क्या पहले ऐसा कुछ करवाया है? नहीं। विज्ञान के लिए अपना हाथ आगे करो, बाज़ू ज़रा ऊपर करो, मैं तुम्हारी बाँह पर कुछ इलेक्ट्रोड लगाउँगा, और तुम शायद सोच रही होंगी, मुझे दिमाग से रिकॉर्ड करना था, बाँह पर कैसे पहुँच गया? देखो, तुम्हारे दिमाग में इस समय 80 अरब न्यूरॉन मौजूद हैं। वे लगातार विद्युतीय और रासायनिक सन्देश यहाँ से वहाँ भेज रहे हैं। पर उनमे से कुछ न्यूरॉन, यहाँ, तुम्हारे मोटर कॉर्टेक्स में, कुछ सन्देश नीचे भेजेंगे, जब तुम अपने हाथ को हिलओगी। वे सन्देश तुम्हारे कॉर्पस कॉलोसम से होते हुए मेरुदंड के रस्ते, तुम्हारे निचले मोटर न्यूरॉन से माँसपेशियों तक पहुँचेंगे और उन विद्युतीय तरंगों को पकड़ेंगे ये दो इलेक्ट्रोड और फिर हम सुन पाएँगे कि तुम्हारा दिमाग वास्तव में कर क्या रहा है। तो, मैं इसे चालू करता हूँ। कभी अपने दिमाग की आवाज़ सुनी है? नहीं! चलो देखते हैं। अब अपनी कलाई मोड़ो। (गड़गड़ाहट) तो हमें जो सुनाई दे रहा है, वो है तुम्हारे मोटर यूनिट, यहाँ से। चलो इसे देखते भी हैं। अब मैं यहाँ खड़ा होऊँगा, और अपना ऐप्प खोलूँगा। फ़िर से अपनी कलाई मोड़ो। (गड़गड़ाहट) यहाँ हैं, वे मोटर यूनिट, जिनके सन्देश इनके मेरुदंड के रस्ते माँसपेशियों तक, और जैसे कलाई मुड़ रही है, आप कुछ विद्युतीय हलचल देख सकते हैं। यहाँ क्लिक भी कर सकते हैं। थोड़ा और ज़ोर लगाओ। यहाँ हमने रोक दिया, एक मोटर के सिग्नल पर, जो अभी तुम्हारे दिमाग में चालू है। क्या आप और देखना चाहते हैं? (तालियाँ) अब यह और भी दिलचस्प होने वाला है। मुझे एक और स्वयंसेवक चाहिए। आपका नाम क्या है, महाशय? मिगैल। मिगैल, ठीक है। तुम यहाँ खड़े रहोगे। जब तुम अपनी कलाई मोड़ रही हो, तुम्हारा दिमाग माँसपेशियों को एक सन्देश भेज रहा है। तुम भी अपनी कलाई मोड़ो। तुम्हारा दिमाग भी तुम्हारी माँसपेशियों को सन्देश भेजेगा। ऐसा है, की यहाँ एक नस है, जो तुम्हारी इन तीन उँगलियों से जुडी है, और वह चमड़ी के काफी करीब है। इसलिए हम उसे सक्रिय कर सकेंगे, और तुम्हारे मस्तिष्क के संदेशों की एक कॉपी बनाकर, उन्हें इनके हाथ में प्रस्थापित करेंगे ताकि तुम्हारा हाथ हिलेगा, जब तुम्हारा दिमाग चाहेगा। एक तरह से, ये तुम्हारी आज़ादी छीन लेंगी, और तुम्हारा इस हाथ पर कोई नियंत्रण नहीं रहेगा। समझे? चलो अब इसे लगाते हैं। (ठहाके) अब तुम्हारी 'अल्नर' नस ढूंढते हैं, जो शायद यहाँ कहीं है। तुम्हे पता था क्या होने वाला था? जब ऊपर आ रहे थे? अब मैं पीछे हटकर इसे जोडूँगा, अपने मनुष्य-मनुष्य उपकरण से। ठीक है, सैम, फिर से कलाई मोड़ो। फिर करो। बहुत खूब। अब मैं तुम्हें भी कनेक्ट कर देता हूँ ताकि -- पहली बार थोड़ा अजीब लगेगा। लगेगा जैसे -- (ठहाके) जब स्वतंत्रता छिन जाए, और कोई दूसरा हमें नियंत्रित करे, थोड़ा अजीब तो लगता है। अब अपने हाथ को ढीला छोड़ो। सैम, तैयार हो? तुम्हे कलाई मोड़नी है। अभी चालू नहीं किया है, ज़रा कलाई मोड़ो। तो, तैयार हो मिगुएल? हाँ, एकदम तैयार! चालू कर दिया है, कलाई मोड़ो। कुछ महसूस हुआ? नहीं। ठीक, फिर से करें? थोड़ा हुआ। थोड़ा? (ठहाके) ढीला छोड़ो। फिर से करो। (ठहाके) ओह! बढ़िया, बहुत बढ़िया। ढीला छोड़ो, फिर से करो। ठीक है, तो यहाँ, तुम्हारा दिमाग तुम्हारे हाथ को चला रहा है, और इनके हाथ को भी, चलो, एक बार और करो। ठीक है, अतिउत्तम! (ठहाके) अच्छा, क्या हो अगर मैं तुम्हारे हाथ को हिलाऊँ? ज़रा ढीला छोड़ो। क्या हुआ? कुछ नहीं! क्यों? क्योंकि दिमाग ने नहीं किया। फिर से करो। चलो, उत्तम है। धन्यवाद दोस्तों, सहयोग के लिए। यह चल रहा है दुनिया में-- इलेक्ट्रोफिजिओलॉजी! न्यूरो-क्रान्ति आने वाली है। धन्यवाद! (तालियाँ) आपको शायद यह एहसास ना हो, लेकिन हमारे संपूर्ण आकाशगंगा में जितने सितारे हैं उससे ज्यादा आपके शरीर में जीवाणु हैं। हमारे भीतर मौजूद जीवाणुओं की यह अद्भुत दुनिया हमारे स्वास्थ्य का एक अभिन्न अंग है, ओैर हमारी तकनीक इतनी तेजी् से विकसित हो रही हॆै कि आज हम इन जीवाणुओं को उसी प्रकार प्रोग्राम कर सकते हेैं जैसे की कम्प्यूटर को| अब, यह रेखा-चित्र जो आप यहां देख रहे हेैं, मेैं जानता हूं कि यह किसी प्रकार का खेल दिख रहा हेै, लेकिन असल में यह मेरे बनाए गए पहले जीवाणू-संबंधी प्रोग्राम का खाका हेै अौर जिस प्रकार सॉफ्टवेयर लिखते हेैं, उसी प्रकार DNA को हम जीवाणू के अन्दर विभिन्न एल्गोरिथ्म एवं प्रोग्राम में छाप एवं लिख सकते हेैं यह प्रोग्राम लयपूर्ण तरीके से फ्लोरोसेंट प्रोटीन पॆैदा करता हेै अौर एक छोटा अणु उत्पन्न करता हेै जो जीवाणू को संवाद करने एवं समक्रमिक होने में मदद करता हेै, जेैसा आप इस चलचित्र में देख रहे हेैं| यहाँ दिख रही जीवाणूओं की बढ़ती हुइ बस्ती लगभग मनुष्य के बाल की चौड़ाई जितनी हॆै|अब, जो आप नहीं देख सकते वह यह कि हमारा आनुवंशिक प्रोग्राम इन जीवाणूओं को छोटे-छोटे अणु पॆैदा करने का निर्देष देता हॆै, अौर यह अणु हजारों अकेले जीवाणूओं के बीच से यात्रा करते हुए उन्हें चालू एवं बन्द होने का संकेत देते हॆैं| अौर इस स्तर पर जीवाणु भली भांती समक्रमिक होते हॆैं, लेकिन चूंकि इन जीवाणूओं को समक्रमिक रखने वाला यह अणु केवल सीमित रफ़्तार से यात्रा कर सकता हॆै, परिणामस्वरूप बड़ी बस्तियों में एक दूसरे से दूर स्थित जीवाणूओं के बीच यात्रा-संबंधी लहरें उत्पन्न होती हॆैं, अौर आप इन लहरों को स्क्रीन पर दाहिनी ओर से बाईं तरफ़ जाते हुए देख सकते हॆैं| अब, हमारा आनुवंशिक प्रोग्राम 'कोरम सेनसिग' नामक एक प्राकृतिक घटना पर आश्रित हॆै, जिसमें महत्वपूर्ण घनत्व पर पहुँच कर जीवाणू समायोजित एवं कभी-कभी विषमय व्यवहार का प्रदर्षन करते हैं| इस चल-चित्र में आप कोरम सेंसिग को होते हुए देख सकते हॆैं, जहाँ जीवाणुओं की बढ़ती हुई बस्ती महत्वपूर्ण अथवा अधिक घनत्व पर पहुँच कर चमकने लगती हॆै|जेैसे-जॆैसे कॉलोनी बाहर की तरफ बढती हॆै, हमारा आनुवंशिक प्रोग्राम इन फ्लोरोसेंट प्रोटीन की लयबद्ध पैटर्न का निर्माण जारी रखता हॆै| इस विशेष फिल्म और प्रयोग को हम सुपरनोवा कहते हैं, क्योंकि यह एक विस्फोटित सितारे की तरह लगता है। अब, इन खूबसूरत पैटर्न को प्रोग्राम करने के अलावा हम इन बैक्टीरिया से और क्या करवा सकते हॆैं? और मॆैने यह जानने का फैसला किया कि कैसे हम हमारे शरीर में कैंसर जॆैसे रोगों का पता लगाने और उनके इलाज के लिए बैक्टीरिया को प्रोग्राम कर सकते हैं| बैक्टीरिया के बारे में एक आश्चर्यजनक बात यह हॆै कि वे स्वाभाविक रूप से ट्यूमर के अंदर बढ़ सकते हैं| ऐसा इसलिए क्योकि आमतौर पर ट्यूमर के अन्दर प्रतिरक्षा प्रणाली की पहुँच नहीं होती है, इसलिए बैक्टीरिया बढ़ने और पनपने के लिए इन ट्यूमर को खोज कर उनका सुरक्षित स्थान के रूप में उपयोग करते हॆैं हमने सुरक्षित एवं स्वास्थ्य के लिए लाभदायक प्रोबायोटिक बैक्टीरिया का उपयोग शुरू किया और पाया कि जब इन्हें मौखिक रूप से चूहों को दिया गया तब यह प्रोबायोटिक्स चुनिंदा तौर पर जिगर ट्यूमर के अंदर विकसित होने लगे। हमने महसूस किया कि प्रोबायोटिक्स की उपस्थिति, फ़लस्वरूप, ट्यूमर की उपस्थिति को उजागर करने का सबसे आसान तरीका है कि इन बैक्टीरिया से एक संकेत का उत्पादन करवाया जाए जो मूत्र में पता लग जाए, और इसलिए हमने विशेष रूप से इन प्रोबायोटिक्स को प्रोग्राम किया जिससे वे एक अणु का निर्माण करें जो आपके मूत्र का रंग बदल कर कैंसर की उपस्थिति का संकेत करे| हमने यह भी प्रदर्षित किया यह तकनीक संवेदनशील और विशेष रूप से लीवर कैंसर का पता लगा सकती हॆै, जिसका पता लगाना अन्यथा चुनौतीपूर्ण हॆै | चूँकि यह बैक्टीरिया विशेषत: ट्यूमर के प्रति स्थानीय होते हॆैं, हम उन्हें न केवल कैंसर का पता लगाने बल्कि उनसे ट्यूमर वातावरण के भीतर से चिकित्सीय अणुओं का उत्पादन करवा के, जो मौजूदा ट्यूमर को छोटा करते हेैं, उन्हें कैंसर के इलाज के लिए भी प्रोग्राम करते हैं, और हम ऐसा कोरम सेंसिंग प्रोग्राम्स का उपयोग कर के करते हॆैं, जॆैसा आपने पिछली फिल्मों में देखा| कुल मिलाकर, कल्पना कीजीए कि भविष्य में एक प्रोग्राम्ड प्रोबायोटिक कैंसर या अन्य बीमारियों का पता लगा कर उनका इलाज कर सकता है। बैक्टीरिया एवं जीवन को प्रोग्राम करने की हमारी क्षमता कैंसर अनुसंधान के क्षेत्र में नए क्षितिज खोलती है, और इस दृष्टि को साझा करने के लिए मैंने कलाकार विक मुनिझ के साथ काम किया ब्रह्मांड का प्रतीक बनाने के लिए, जोकि पूरी तरह बैक्टीरिया या कैंसर कोशिकाओं से बना हॆै । अंत में, मेरी आशा है कि इस सूक्ष्म ब्रह्मांड का सौंदर्य और उद्देश्य कैंसर अनुसंधान के भविष्य के लिए नए और रचनात्मक तरीकों को प्रेरित कर सके। धन्यवाद| (वाहवाही) मुझे बडा रोमांच महसूस हो रहा है आपके साथ कुछ बातें साझा करते हुये जिन्होनें मुझे चकित कर दिया कि किन पहलुओं पर कंपनियों की सफ़लता निर्भर है, और स्टार्ट-अप की कामयाबी में कौन सी बातें सबसे ज्यादा ज़रूरी होती हैं। मेरा मानना है कि स्टार्ट-अप दुनिया के बेहतरी के लिये सबसे उपयुक्त तरीका है। अगर आप कुछ लोगों को जोड कर सही से हिस्सेदारी कर के उन्हें एक स्टार्ट-अप में जोड लें, तो आप इंसान के कमाल करने की क्षमता को बखूबी इस्तेमाल कर सकते हैं आप उन्हे सोच के परे की कामयाबियों तक ले जा सकते हैं। मगर जब स्टार्ट-अप इतना ही बढिया है, तो आखिर इतने सारे स्टार्ट-अप नाकामयाब क्यों होते है? यही मैं जानना चाहता था। मैं जानना चाहता था कि असल में क्या ज़रूरी है स्टार्ट-अप की सफ़लता के लिये। और मैं वैज्ञानिक तरीके से पडताल को उत्सुक था दरकिनार करना चाहता था अपने बने-बनाये विचारों को जो मैने सालोंसाल कंपनियों को बनते-बिगडते देख के बनाये थे मेरी उत्सुक्ता का कारण था मैं १२ साल की उम्र से ही धंधे शुरु करता रहा हूँ जब मैं प्राइमरी स्कूल के बस स्टैंड पर टॉफ़ी बेचता था हाई स्कूल में सौर-ऊर्जा उपकरण बनाता था, और कॉलेज में लाउड-स्पीकर बनाता था। और जब मैं कॉलेज से निकला, तो मैने सॉफ़्ट्वेयर कंपनी चालू की। करीब २० साल पहले, मैने आयडिया-लैब शुरु की, और इन २० सालों मे, हमने करीब १०० कंपनियाँ शुरु की हैं, कुछ महान सफ़लतायें और कुछ गजब की नाकामयाबियाँ देखी हैं। हमने अपनी नाकामयाबियों से खूब सीखा है। तो मैने तमाम पहलुओं को परखा कि इन में से किन का अधिकतम असर कंपनी के सफ़लता और असफ़लता पर होगा। मैने इन पाँच चीजों पर ग़ौर किया पहला, बिज़नस आयडिया मुझे लगता था कि अच्छा आयडिया सबसे ज़रूरी है मैने अपनी कंपनी का नाम ही आयडिया लैब रखा था उस क्षण पर जब बढिया आयडिया पर आप वाह कर उठते हैं मगर समय के साथ मुझे लगा कि टीम, क्रियान्वयन और जल्दी ढल जाने की क्षमता आयडिया से भी ज्यादा महत्व रखती हैं। मैने कभी नही सोचा था कि मैं टेड में बॉक्सर माइक टायसन की बात कहूँगा, मगर उन्होनें एक बार कहा था, हर किसी के पास एक प्लान होता है, जब तक जबडे पर पहला मुक्क नहीं पडता। (हँसी) और मुझे लगता है ये बिज़नस पर पूरी तरह लागू होता है। टीम की क्रियान्वयन का मुख्य भाग होता है ग्राहकों के मुक्के खा पाने की क्षमता। ग्राहक ही सत्य है। और इसीलिए मुझे लगता है कि शायद सबसे महत्व्पूर्ण चीज़ टीम ही है। फिर मैने बिजनस मॉडल की ओर देखा। क्या कंपनी के पास ग्राहकों से आय का सीधा सरल रास्ता है ? ये मेरी सोच में सबसे ज़रूरी बन कर उभरने लगा सफ़लता पाने के लिये सब से ज़रूरी पहलू। फिर मैने पैसें पर ध्यान दिया कंपनियों को स्वस्थ निवेश मिल ही जाता है शायद ये बात सबसे ज़रूरी हो? और फ़िर मैने, समय पर गौर किया। कि क्या कोई आयडिया आ गया और बाजार तैयार नहीं थी? क्या आपको अपने आयडिया को चलाने के लिये दुनिया को शिक्षित करना पड़ा ? या वो सही समय आया या फ़िर देरी से, और पहले ही आयडिया इस्तेमाल हो गया तो मैने इन पाँचों पहलुओं पर तरीके से ग़ौर करना शुरु किया कई कंपनियों को देखते और मैने आयडिया लैब की सौ कंपनियां और बाहर की भी सौं कंपनियां लीं और उस से वैज्ञानिक निष्कर्ष निकालने का प्रयास किया। तो पहले, आयडिया लैब की कंपनियों की बात करें, पाँच सबसे उत्तम कंपनियों की -- सिटीसर्च, कार्स-डायरेक्ट, गो-टू, नेट्ज़ीरो, टिकट्स डॉट कॉम --- वो सारी जो अरबों डॉलर की सफ़लता पा सकीं। और ५ जिनका प्रदर्शन सबसे ख़्रराब रहा --- ज़ेड.कॉम, इन्साइडर पेजज़, मायलाइफ़, डेस्क्टॉपफ़ेक्ट्री, पीपल-लिंक हमें इन से बहुत आशायें थीं मगर ये सफ़ल नहीं हो सकीं तो मैने इन सब पहलुओं को सूची में रखा और इन कंपनियों को इन पह्लुओं पर नंबर दिये। और फ़िर बाहर की कंपनियों के साथ, सबसे सफ़ल को देखा, जैसे एअर बी.एन.बी, इन्स्टाग्राम, उबेर यूट्यूब, और लिंक्ड-इन। और कुछ असफ़लतायें जैसे वेब्वेन, कोज़्मो, पेट्स डॉट कॉम फ़्लूज़ और फ़्रेड्स्टर । इन असफ़ल कंपनियों के पास भरपूर निवेश था। उन में से कुछ के पास बिज़नस मॉडल भी थे। मगर वो सफ़ल नहीं हुईं। मैने देखा कि किन पहलुओं ने सबसे अधिक असर डाला था इन कंपनियों के असफ़ल या सफ़ल प्रदर्शन पर और मेरे निष्कर्ष ने मुझे हिला दिया सब से ज़रूरी चीज़ थी आयडिया का समय। लगभग ४२ प्रतिशत फ़र्क सिर्फ़ सही समय का था कि कंपनी सफ़ल होगी या असफ़ल होगी। फ़िर टीम और क्रियान्वयन का नंबर आया, और फ़िर आयडिया का, आयडिया का सबसे अलग होना, सबसे अलहदा होना, तीसरे नंबर पर आया। ये कोई नियम जैसा नहीं है, और ये अर्थ भी नहीं कि आयडिया ज़रूरी नहीं, मगर मुझे बड़ा अचरच हुआ कि आयडिया सबसे ज़रूरी नहीं है। कभी जब सही समय हो, तो उसका मह्त्व बढ जाता है और आखिरी पायदान पर थे बिज़नस मॉडल और वितीय सहायता। बिज़नस मॉडल का निचले स्तर पर होना समझ आता है क्योंकि आप उसके बिना भी शुरु कर सकते हैं और धीरे धीरे ग्राहको की आवश्यकता के अनुसार बनाते-ढालते रह सकते हैं। और निवेश भी नहीं चाहिये अगर आपके पास पैसे नहीं है, मगर ग्राहक आने लग जायें, और आज़कल तो खासतौर से बहुत ही आसान है वित्तीय पोषण पाना। तो मैं इन सब से ख़ास उदाहरण देता हूँ तो ऐअर बी एन बी जैसी बडी सफ़लता की बात करते हैं उस कंपनी को एक बहुत बडे निवेशक ने पैसा देने से मना कर दिया था क्योंकि लोगों को लगा, "कोई किसी अज़नबी को घर कैसे लायेगा?" और ये बात लोगों ने गलत साबित कर दी। मगर एक वजह उस की सफ़लता की ये थी, अच्छे बिज़नस मॉडल, आयडिया, और क्रियान्वयन के अलावा, समय सही होना ये कंपनी आर्थिक तंगी के चरम पर आयी लोगों को वाकई अतिरिक्त आमदनी करनी थी। शायद इसी वजह से झिझक कम हो गयी हो और अपना घर अजनबियों को दिया गया हो उबेर भी वही किस्सा है उबेर बाज़ार में आयी, बेहतरीन कंपनी, बेहतरीन बिज़नस मॉडल, गजब की गतिशीलता भी। मगर समय भी एकदम सही उन्हें ड्राइवर चाहिये थे और ड्राइवर भी अतिरिक्त कमाई चाहते थे। ये सबसे ज़रूरी बात थी। हमारी सफ़लताएंँ जैसे सिटी-सर्च, तब आई जब लोगों को वेब पेजों चाहिये थे गो टू.कॉम, टॆड में ही १९९८ में लॉन्च की थी, वो तब आई जब कंपनिया ट्रेफ़िक बढाने का सस्ता तरीका चाहिये था हमने सोचा आयडिया बहुत अच्छा है, मगर असलियत में, समय सही था, और शायद सबसे ज़रूरी। और हमारी असफलता देखें। हमने कंपनी शुरु की ज़ेड डॉट कॉम, वो ऑन्लाइन मनोरंज़न की कंपनी थी। हमें उस से बडी आशाएँ थीं --- पर्याप्त पैसा था, बढिया बिजनस मॉडल भी था। हॉलीवुड हस्तियां भी कंपनी से जुड गयी थी मगर ब्राड्बेंड घर घर नही पहुँचा था १९९९-२००० में। ऑनलाइन कुछ भी देख पाना बहुत मुश्किल था, ब्राउसर में तमाम कोडेक लगाने होते थे, और कंपनी को २००३ में धंधा समेटना पडा। ठीक दो साल बाद, कोडेक की समस्या को एडोबी फ़्लैश ने ख्त्म किया और ब्राड्बेंड लगभग ५०% अमेरीकी घरों तक पहुँच गया, यूट्यूब आया बिल्कुल सही समय पर, गजब का आयडिया, और गजब का समय और तो और, यूट्यूब के पास शुरुवात में कोई बिज़नस मॉडल भी नहीं था। ये ठीक ठीक पता भी नहीं था कि ये चलेगा या नहीं। मगर क्या सही समय पर वो आया। तो मैं संक्षेप में कहूँ तो ये कि क्रियान्वयन ज़रूरी है आयडिया भी बहुत ज़रूरी है। मगर सही समय होना उस से भी ज्यादा। और सही समय का फ़ैसला करने के लिये देखना होगा कि ग्राहक तैयार हैं या नहीं आप के चीज़ लेने के लिये। और यदि बिलकुल ईमानदारी से चलें, और अपने अध्ययन का ईमानदारी से उपयोग करें क्योंकि आप तो अपने पसंद का काम करना ही चाहेगे, मगर आपको बहुत ईमानदार होना पडेगा समय के बारे में सोचते हुये। जैसा मैने कहा, मुझे लगता है कि स्टार्ट अप दुनिया बदल सकते हैं, और बेहतर कर सकते हैं। मेरी आशा है कि इन बातों से सफ़लता का अनुपात बढाने में मदद मिलेगी। और आप संसार के लिये कुछ महान बनायेंगे। जो बिना आपकी कोशिश के असंभव होगा। बहुत बहुत धन्यवाद, आप बहुत गुणी श्रोता हैं। (अभिवादन) (संगीत) (संगीत)(तालियाँ) (तालियाँ) बक बक बक ... बक बक बक ... बक बक बक बक बक बक बक ... बक बक बक तो क्या बकवास थी ये ? खैर, आपको पता नहीं क्यूँकि आप इसे समझ नहीं सके यह स्पष्ट नहीं था उम्मीद है कि ये इतने विश्वास से कहा गया था [टेड@२५० में रिकार्डेड] कि वो आकर्षक और रहस्यमयी प्रतीत हुआ स्पष्टता या रहस्य ? एक ग्राफ़िक डिज़ाइनर की भूमिका में प्रतिदिन मैं इन दोनों का संतुलन करता हूँ और दिनचर्या में एक न्यूयॉर्कवासी के तौर पर प्रतिदिन I और ये दो तत्व मुझे पूर्णतः मोहित करते हैं उदाहरण के लिए कितने लोग जानते हैं कि ये क्या है ? अच्छा अब कितने लोग जानते हैं कि ये क्या है ? और अब प्रतिभावान चार्ल्स एम्. शुल्ज़ की दो निपुण रेखाओं के फलस्वरूप अब हमारे पास सात निपुण रेखाएं हैं जो अपने आप में एक भावपूर्ण जीवन को जन्म देती हैं, वो जिसने हजारों लाखों प्रशंसकों को मंत्रमुग्ध किया है करीब पचास सालों से | वास्तव में यह एक किताब का मुख्यपृष्ट है जो मैंने डिजाईन किया है, जो स्चुल्ज़ के कार्य और कला के बारे में है जो कि इस शरद ऋतू से उपलब्ध होगी और यह ही पूरा मुखपृष्ट है इस मुखपृष्ट पर कोई और जानकारी मुद्रण या दृश्य के रूप में नहीं है और इस किताब का नाम है "ओनली व्हाट्स नेसेसरी" | तो ये प्रतीक है उन निर्णयों का, जो मैं रोज लेता हूँ डिजाईन बूझने के सन्दर्भ में और मैं जिन डिजाईन की रचना कर रहा हूँ | तो स्पष्टता स्पष्टता तर्क दर्शाती है वो सहज, सत्यवादी और निष्कपट होती है हम अपने आप से यह सवाल करते हैं ["हमें कब स्पष्ट होना चाहिए?"] अब इस तरह की कोई चीज़ चाहे हम इसे पढ़ पायें या नहीं बिलकुल, साफ़ तौर पर स्पष्ट होनी चाहिए क्या वाकई ? यह एक हालिया नमूना है शहरी स्पष्टता का जो मुझे बेहद पसंद है, मुख्यतः क्यूँकि मुझे हमेशा देर हो जाती है और मैं हमेशा जल्दी में रहता हूँ तो कुछ साल पहले जब सडकों के नुककड़ पर जब इस तरह के सूचक लगने लगे, मैं रोमांचित हो गया, क्यूँकि अब मैं आखिरकार जानता था कि मेरे पास सड़क पार करने के लिए कितने सेकंड हैं किसी कार से कुचले जाने से पहले छह ? मैं कर सकता हूँ (दर्शक हँसते हुए) अगर स्पष्टता यिन है तो अब देखते हैं यांग को और वो है रहस्य रहस्य परिभाषा से ही काफी जटिल है रहस्य के मांग होती है सुलझाना और जब सही तरह से किया जाए तो हम वाकई उसे करना चाहते हैं ["हमें कब रहस्यमयी होना चाहिए?"] द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, जर्मन किसी भी तरह इसे सुलझाना चाहते थे पर वो ऐसा कर नहीं पाए | यह एक उदाहारण उस डिजाईन का जो मैंने अभी हाल ही में किया है हारुकी मुराकामी के उपन्यास के लिए, जिनके के लिए मैंने पिछले बीस सालों से डिजाईन बनाये हैं और यह उपन्यास एक युवक के बारे में है जिसके चार करीबी दोस्त हैं जो महाविद्यालय के पहले वर्ष के बाद अचानक बिना कुछ बताये उसका पूर्ण बहिष्कार कर देते हैं और वो विनष्ट हो जाता है जापानी भाषा में प्रत्येक दोस्त के नाम का संकेतार्थ एक रंग से है सो हैं श्री लाल, श्री नील, सुश्री श्वेता और सुश्री काली सुकुरु तज़ाकि, उसका नाम किसी रंग की ओर संकेत नहीं करता है इसीलिए उसका उपनाम बैरंग है और, जब वो अपनी मित्रता की समीक्षा करता है तो वो याद करता है की कैसे वो एक हाथ की पांच उँगलियों की तरह थे इसलिए मैंने एक संशिप्त वर्णन किया है पर कहानी में सतह के नीचे बहुत कुछ चल रहा है और पुस्तकाव्रण के तले भी कुछ चल रहा है वो चार उँगलियाँ अब चार रेल पटरियां हैं टोक्यो सबवे प्राणाली में जिसका कहानी में महत्व है और फिर है एक बैरंग सबवे पटरी बाकी रंगों को काटती है जो मूलतः वो करता कहानी में आगे | वो प्रत्येक से पुनः संपर्क करता है ये जानने के लिए कि उन्होंने उसके साथ ऐसा बर्ताव क्यों किया और इसलिए यह तीन आयामी मुख्यपृष्ट मेरे कार्यालय की मेज़ पर रखा हुआ है, और इधर मैं उम्मीद कर रहा हूँ कि आप सरलता से आकर्षित हो जायेंगे इसके रहस्यमयी रूप से, और इसको पढने की इच्छा रखेंगे इसको सुलझाने और समझने के लिए कि यह ऐसा क्यूँ दिखता है | ["दृश्यों की भाषा"] यह परिचित रहस्य के प्रयोग करने का एक तरीका है इसका क्या मतलब है ? इसका मतलब यह है ["इसे किसी और चीज़ की तरह दर्शायिये"] दृश्यों की भाषा वो तरीका है जिसमे हम किसी प्रचलित दृष्टिकोण का प्रयोग किसी और वस्तु को अलग तरीके से दिखाने के लिए करते हैं मैं इस पद्धति का उपयोग डेविड सेडारिस की कहानियों की किताब के लिए करना चाहता हूँ जिसका शीर्षक है ["आल द ब्यूटी यू विल एवर नीड"] अब चुनौती यह थी की इस शीर्षक का कोई भावार्थ नहीं है यह कितान की किसी कहानी से सम्बंधित नहीं है ये लेखक की पुरुष मित्र के सपने में आया था बहुत शुक्रिया, (हंसी) तो आम तौर पे, मैं डिजाईन बनाता हूँ जो किसी रूप में विषय पर आधारित होता है, पर इधर यही पूरा विषय है सो हमारे पास ये रहस्यमयी शीर्षक है जिसका कोई भावार्थ नहीं है तो मैं सोचने की कोशिश कर रहा था कि मैं कहाँ रहस्यमयी पाठ्य देख सकता हूँ जिसका भावार्थ लगे पर हो ना और जाहिर तौर पर, थोड़े समय बाद एक शाम चाईनीज़ खाने के बाद इसका आगमन हुआ और मैंने सोचा "आह, बिंग आईडियागैस्म !" (हंसी) मुझे फौरच्यून कूकी के रहस्यमयी इशारे बहुत पसंद हैं जिनके के बारे लगता है की उनका गहन अर्थ है लेकिन जब आप इनके बारे में सोचते हैं - अगर आप सोचते हैं - तो वाकई नहीं होता इसका कहना है "भविष्य की चिंता ना करने से कितना लाभ होता है यह किसी को नहीं पता" शुक्रिया (हंसी) पर हम दृश्यों की भाषा का प्रयोग श्रीमान सेडारिस के लिए कर सकते हैं चूँकि हम फौरच्यून कूकी की आकृति से भलीभांति परिचित हैं हमें इनके खोल की जरुरत भी नहीं है हम सिर्फ इस अनोखी चीज़ को देख रहे हैं और हमें डेविड सेडारिस से प्यार है और हमें उम्मीद है कि आगे वक़्त सुहाना है [" "फ्रौड" एसेज बी डेविड राकोफ्फ़"] डेविड राकोफ्फ़ एक अद्भुत लेखक थे और उन्होंने अपनी पहली किताब का नाम रखा "फ्रौड" क्यूँकि उन्हें पत्रिकाओं के द्वारा ऐसे कार्यों पे भेजा जा रहा था जिसे करने के लिए वो सुसज्जित नहीं थे सो वो एक नाटे, पतले शहरी आदमी थे और "जी क्यू" पत्रिका उन्हें कोलराडो नदी पर भेज देते थे यह देखने के लिए कि उथले, झागदार पानी में बेडा चलाते हुए वो बचते हैं कि नहीं और फिर वो इसके बारे में लिखते थे, और वो स्वंय को धोखेबाज़ महसूस करते थे और वो स्वंय को धोखा दे रहे थे और मैं चाहता था कि मुख्यपृष्ट भी मिथ्या लगे और किसी पाठक की प्रतिक्रिया दर्शाओ ये मुझे ग्राफीटी की ओर ले गया मैं ग्राफीटी से मुग्ध हूँ मेरे विचार से कोई भी जो शहरी वातावरण में रहता है हर समय ग्राफीटी से टकराता रहता है, और वो भी हर प्रकार के यह छवि मैंने निचले पूर्व तरफ खिंची थी फूटपाथ पे किसी ट्रांसफार्मर बक्से की और इस पर उन्मादी चिन्ह बने हुए हैं अब चाहे आप इसे देखे और सोचे, "वह यह एक रोमांचक शहरी स्वांग है" या आप इसको देख कर बोल सकते हैं, "यह गैरकानूनी दुष्प्रयोग है संपत्ति का" पर हम सब एकमत हो सकते हैं कि आप इसको पढ़ नहीं सकते है ना? यहाँ कोई स्पष्ट सन्देश नहीं है एक और प्रकार के ग्राफीटी हैं जो मुझे कहीं ज्यादा रोचक लगते हैं जिन्हें मैं बोलता हूँ सम्पादिक्य ग्राफीटी ये छवि मैंने हाल ही में सबवे में खींची और कभी कभार आप देखते हैं कामुक, मूर्खतापूर्ण चीज़ें पर मुझे यह रोचक लगा और यह पोस्टर कह रहा है कि बक बक "एयरबीएनबी" और किसी ने कलम ली और अपने विचारों का संपादन कर दिया है और इसने मेरा ध्यान खींचा फिर मैंने सोचा कि इसका प्रयोग किताब के लिए कैसे किया जाये सो मैंने इस व्यक्ति की कितान लाकर पढने लगा और मैंने सोचा यह आदमी वो नहीं है जो यह कहता है ये, ये एक धोखेबाज़ है और मैंने लाल कलम निकाली और अपनी झुन्झुलाहट में मुख्यपृष्ट पर यह अंकित कर दिया डिजाईन ख़तम (हंसी) और उन्हें यह पसंद भी आया (हंसी) लेखक को पसंद आया, प्रकाशक को पसंद आया और ये किताब इस तरह दुनिया में गई, और लोगों को सबवे में पढता देख वाकई मनोरंजक था और इसको लेकर चलते हुए, और आप क्या कर सकते हैं और वे सभी एक प्रकार से उन्मादित लग रहे थे (ठहाका) [" 'पर्फिडिया' ए नोवेल बाई जेम्स एलरॉय"] हाँ तो, जेम्स एलराय, कमाल के अपराध लेखक एक अच्छे दोस्त, जिनके साथ मैंने कई साल काम किया वो लेखक के तौर पर शायद सबसे प्रसिध्द हुए "द ब्लैक डेहलिया" और "एल. ऐ. कोन्फ़िडेन्शिअल" के लिए उनके नवीनतम उपन्यास का नाम है, जो कि बहुत रहस्यपूर्ण है मुझे विश्वास है कि बहुत सारे लोगों को इसका अर्थ पता है, लेकिन बहुतों को नहीं और यह कहानी सन १९४१ में लास एंजेल्स में एक जापानी-अमरीकी जासूस की है जो एक हत्या की पड़ताल कर रहा है और तभी पर्ल हार्बर घटित हो जाता है और जैसे की उसका जीवन कम कठिन था अब नस्ल संबंध जोर मारने लगते हैं और फिर जल्द ही जापानी-अमरीकी नजरबंदी शुरू हो जाती है और बहुत तनाव बन जाता है और भीषण माहौल में वो हत्या की गुत्थी सुलझाने की कोशिश कर रहा होता है तो पहले मैंने इसके बारे में वस्तुतः सोचा कि पर्ल हार्बर के साथ लास एंजेल्स को जोड़ देंगे और हम शहर के क्षितिज पर प्रलय दर्शित करेंगे और इसिलए यह छवि है पर्ल हार्बर की जो लास एंजेल्स पृष्ठभूमि पर है मेरे प्रधान संपादक में कहा "जानते हो, ये दिलचस्प है लेकिन मुझे लगता है कि तुम इसे सरल और बेहतर बना सकते हो" तो हमेशा की तरह मैं इसे फिर से पहले सिरे से सोचने लगा पर अपने वातावरण के बारे में सचेत रह कर मैं शहर के बीच में एक गगन-चुम्बी ईमारत में काम करता हूँ और हर रात कार्यालय से निकलने से पहले मुझे ये लाल बटन दबाब होता है बाहर जाने के लिए इससे बड़ा भारी-भरकम कांच का दरवाज़ा खुलता है और मैं एलीवेटर तक जा पाता हूँ और अचानक एक रात मैंने इसे देखा और ऐसे गौर किया जैसे पहले कभी नहीं किया था बड़ा लाल गोला, खतरा और मैंने सोचा यह तो इतना स्वाभाविक था कि इसका खरबों बार प्रयोग हो चूका होगा तो मैंने "गूगल इमेज सर्च" करी, लेकिन ऐसा एक भी मुखपृष्ट नहीं मिला जो कि ऐसा दिखता हो और इस प्रकार यह समस्या सुलझ गई और चित्रवत यह ज्यादा दिलचस्प है और ज्यादा बड़ा तनाव पैदा करता है इस ख्याल से कि एक ख़ास प्रकार का सूर्योदय हो रहा है एल. ए. और अमरीका पर [" 'गल्प' ए टूर ऑफ़ द ह्यूमन डाईजेस्टीव सिस्टम बाई मेरी रोच."] मेरी रोच एक अद्भुत लेखक हैं जो एक साधारण से वैज्ञानिक विषय को बहुत ही असाधारण बना देती हैं; वो उन्हें मनोरंजक बना देती हैं तो इस ख़ास प्रकरण में ये मानवीय पाचक प्राणाली के बारे में है तो मैं बूझने की कोशिश कर रहा हूँ कि इसका मुख्यपृष्ट कैसा होना चाहिए यह एक सेल्फी है (हंसी) रोज सुबह मैं अपने आप को देखता हूँ अपनी दवाई की अलमारी के शीशे में यह देखने के लिए कि कहीं मेरी जीभ काली तो नहीं पड़ गई है और अगर नहीं, तो में जाने के लिए तैयार हूँ (हंसी) मैं आप सब को ऐसा करने की सिफारिश करता हूँ परन्तु मैंने सोचा यह हमारा परिचय है पाचक प्राणाली से है ना ? मानवीय पाचक प्राणाली के बारे में पर मैं यह सोचता हूँ कि हम सब एकमत हैं कि मानवीय मुख के असली छायाचित्र, कम से कम इस तरह के विकर्षक हैं (ठहाका) इसीलए मुख्यपृष्ट के लिए मैंने ये चित्रण बनवाया जो की वास्तव में खुशगवार है और याद दिलाता है बेहतर है कि पाचक प्राणाली के बारे में इस सिरे से ही बात की जाए (ठहाका) मुझे यह वाक्य ख़तम करने की जरुरत भी नहीं है | ठीक है | ["अनयूसफुल मिस्ट्री"] जब स्पष्टता और रहस्य मिल जाते हैं तो क्या होता है ? और हम ऐसा अक्सर देखते हैं मैं इसे अनुपयोगी रहस्य कहता हूँ मैं सबवे में गया हूँ, - मैं सबवे का काफी प्रयोग करता हूँ यह कागज़ का टुकड़ा एक खम्बे पर चिपका हुआ था ठीक ? अब मैं सोच रहा हूँ, ओह्हो, रेलगाड़ी आने वाली है और मैं इसका मतलब समझने की कोशिश कर रहा हूँ बहुत बहुत शुक्रिया इधर समस्या यह है कि उन्होंने जानकारी को खानों में बाँट दिया है यह सोचकर कि वो मदद्गार होगा और साफ़ बात है कि मुझे ऐसा बिलकुल नहीं लगता सो ये वो रहस्य हैं जिनकी हमें जरुरत नहीं है हमें जरुरत है उपयोगी स्पष्टता की, इसीलिए बस मज़े के लिए मैंने इसे रिडिजाइन किया ये उन्ही समस्त तत्वों का उपयोग कर के (तालियाँ) धन्यवाद, मैं अभी भी एम्टीए के काल का इंतज़ार कर रहा हूँ (हंसी) क्या आप जानते हैं कि मैंने उनके रंगों से अधिक भी नहीं प्रयोग किए उन्होंने ४ और ५ को हरे में दर्शाने का सोचा भी नहीं वो मूर्ख | (हंसी) तो सुबह सबसे पहले ये पता चलता है कि सेवा में बदलाव है और फिर दो पूर्ण वाक्यों में जिनका मुखड़ा, मध्य और अन्तरा है हमें पता चल जाता है कि क्या बदलाव है और किस समय होने वाला हैI मुझे पागल बोलो ! (हंसी) [" यूस्फुल मिस्ट्री"] ठीक है अब, यह वो रहस्य है जो मुझे पसंद है: पैकेजिंगI डाइट कोक के कैन का ये रीडिजाईन मेरे दृष्टीकोण से टर्नर डकवर्थ की उत्कृष्ट कलाकारी है यह कलात्मक है, यह सुन्दर हैI पर डिज़ाइनर के तौर पर जो चीज़ दिल को खुश करती है वो यह है कि उन्होंने डाइट कोक की चित्र शब्दावली को लिया उसकी अक्षराकृति, रंग, रजत पृष्टाधार और उनको मौलिक रूप में रखा तो यह परिचित वस्तु की तरफ वापस जाना हुआ, ठीक वैसे ही जैसे कुछ पहचानने के लिए जितनी जरुरत हो उतनी जानकारी ही देना लेकिन जो उन्हें पहले से ज्ञात है उसको श्रेय भी देना इस वस्तु के बारे में ? ये बहुत अच्छा दिखता है और जब आप किसी दूकान के जायेंगे और अचानक इस पर नज़र पड़ेगी, ये अद्भुत है I जो अगली बात बनाता है -- [" अनयूस्फुल क्लारिटी" ] -- जो बेहद निराशाजनक है, कम से कम मेरे लिए I अच्छा फिर से सबवे में वापस जाते हुए, जब यह प्रकाशित हुए, यह वो चित्र हैं जो मैंने खींचे, टाइम्स स्क्वायर सबवे स्टेशन: कोका-कोला ने पूरी जगह विज्ञापन के लिए खरीद ली| ठीक ? और शायद कुछ लोग जानते है कि यह किस ओर जा रहा है I उम्म I "आप न्यूयॉर्क आये अपने कपड़े अपनी पीठ पे लाद कर, जेब में पैसे लिए, नज़र इनाम पर आप कोक पर हैं" (हंसी) "आप न्यूयॉर्क आये एक एमबीए के साथ, एक साफ़ सूट ले कर और बहुत मज़बूत हैंडशेक आप कोक पर हैं" (हंसी) यह असली हैं ! (हंसी) यहाँ तक कि सहारा देने वाले खम्बों को भी नहीं बक्शा गया सिवाय इसके कि वो "योडा" बन गए (हंसी) कोक पर आप हैं" (हंसी) ["माफ़ कीजिये, मैं किस पर हूँ ???"] ये अभियान एक बड़ा गलत कदम था इसे फ़ौरन वापस ले लिया गया ग्राहकों की नकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण और इन्टरनेट पर उपहास करते व्यंग्यों के बाद (ठहाका) और हाँ "आप हैं" के बाद लगा बिंदु पूरण विराम नहीं, वो व्यापार-चिन्ह है सो बहुत शुक्रिया मेरे लिए यह सब इतना बेतुका था ये समझना कि उन्होंने इतनी उत्तम रहस्यमयी सुन्दर पैकेजिंग का विज्ञापन इतना असहनीय और ज़ाहिर तौर पर गलत कैसे बनाया यह मेरे लिए अविश्वसनीय था तो मुझे उम्मीद है कि मैं आप से थोड़े गुर बाँट पाया अपने काम में स्पष्टता और रहस्य के प्रयोग के बारे में और क्या पता आप जीवन और स्पष्ट होने का निर्णय कर ले या फिर ज्यादा रहस्यमयी बन जाए बजाय ज्यादा व्यक्त करने के (हंसी) अगर इस चर्चा से कोई एक चीज़ मैं छोड़ना चाहूँगा तो तो मेरे ख्याल से वो है बक बक बक बक ... [" जज दिस, चिप किड्ड] बक बक बक ... बक बक (तालियाँ) मैंने मस्तिष्क अध्ययन को अपना करिअर चुना क्योंकि मेरा एक भाई है ,जो सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित हैं एक बहन और एक वैज्ञानिक के रुप में मै समझना चाह्ती थी कि ऐसा क्यो है कि मै अपने सपनो को लेकर वास्तविकता से जोड सकती हूं, और मै अपने सपनो को सच कर सकती हूं? ऐसा क्या है मेरे भाई के मस्तिश्क और सिज़ोफ्रेनिया को लेकर कि वो अपने सपनो को साधारण वास्तविकता से क्यो नही जोड पाता, जो उसके बजाए भ्रम मे परिवर्तित हो जाते है? मैने अपना करियर गम्भीर मानसिक बिमारिओ मे अनुसन्धान करने मे समर्पित कर दिआ । और मै अपने होम स्टेट इन्डियाना से बोस्ट्न चली गई, जहा मै हार्वर्ड डिपार्टमेन्ट औफ़ सायकाय्ट्री के डाक्टर फ़्रैन्सीन बेनिस की लैब में काम कर रही थी. और लैब मे हम ये जानने का प्रयास कर रहे थे कि, "क्या जैविक असामानताएंं हैं उन लोगो के मस्तिश्क के बीच में जो कि साधारण हैं, और उन व्यक्तियो के मस्तिश्क की तुलना मे, जो कि सिज़ोफ्रेनिया, सिज़ोइफ़्फ़ेक्टिव या बाईपोलर डिसोर्डर से ग्रसित हैं?" तो हम मुख्यता मस्तिश्क के माइक्रो सर्किटरी का मानचित्रण कर रहे थे: कि कौन सी कोशिकायें किन कोशिकाओ के साथ संवाद कर रही हैं, किन कैमिकल्स के द्वारा, और उन कैमिकल्स की कितनी मात्रा में? मेरा जीवन बहुत अर्थपूर्ण था क्योकि मै दिन के समय इस प्रकार का शोध कर रही थी, एवं शाम और सप्ताहांत में, मैं NAMI, द नैशनल अलाएंस और मैण्टल इलनैस के वकील के रूप मे कार्यरत थी। किन्तु १० दिसम्बर, १९९६ की सुबह को, मैं उठी और पाया कि मुझे भी मस्तिश्क सम्बन्धी विकार है। मेरे दिमाग के आधे बांए हिस्से में एक रक्त वाहिका फट गयी। और अगले चार घन्टे के दौरान, मैने अपने मस्तिश्क को पूरी तरह से किसी भी जानकारी को प्रोसेस करने की क्षमता को खोते हुए पाया। हैमरेज होने की सुबह, मेरे लिए चलना,बात करना,पढना,लिखना कुछ भी जीवन से सम्बन्धित याद कर पाना असम्भव था। मै पूर्णत: एक शिशु बन गयी एक महिला के शरीर मे। अगर आपने कभी मानव मस्तिश्क को देखा है, तो यह स्पश्ट है कि मस्तिश्क के दो हेमीस्फेयर एक दूसरे से पूरी तरह अलग हैं। और मैं आपके लिए एक असली मानव मस्तिश्क लाई हूंं। (कराहते हैं, हंसते हैं ) तो यह एक असली मानव मस्तिश्क है। यह दिमाग का अगला हिस्सा है, यह पिछला जिसके साथ स्पाइनल कौर्ड पीछे लटक रही है, और इस प्रकार से यह मेरे मस्तिश्क के अन्दर स्थित है। और जब आप मस्तिश्क को देखेङ्गे, तो यह स्पष्ट है कि दो सेरेब्रल कोर्टिसेस एक दूसरे से पूरी तरह अलग हैं। आपमें से उनके लिए जो कम्प्यूटर्स को समझते हैं हमारे मस्तिश्क का दाया भाग एक पैर्लल प्रोसेसर की तरह काम करता है. जबकि हमारा बांया भाग एक सीरियल प्रोसेसर की तरह काम करता है। दो हेमीफेयर एक दूसरे से कोर्पस कलोसम के द्वारा कम्युनिकेट करते हैं, जो कि कुछ ३०० मिलिअन एक्सोनल फ़ाईबर से बना होता है। किन्तु उसके अलावा, वो दो हेमीफेयर पूर्णतया एक दूसरे से अलग होते हैं। क्योंकि वो सूचना को अलग तरह से प्रोसेस करते हैं, प्रत्येक हेमीस्फेयर अलग चीजों के बारे में सोचते हैं, उनके लिए अलग-अलग चीजे महत्वपूर्ण होती हैं, मै हिम्मत करके कह रही हूं, कि दोनो अलग-अलग व्यक्तित्व हैं। माफ करें। धन्यवाद। यह मजेदार था। सहायक: हां सच मे था। (हंसी) हमारा मस्तिश्क का दाया हेमीस्फेयर सिर्फ़ इस पल मे क्या चल रहा है,इस जानकारी से सम्बन्धित है। यह सिर्फ़ " यहां ,इस समय " की जानकारी से सम्बन्धित है। हमारे दिमाग का दाया भाग, यह द्रिश्यों के रूप मे सोचता है यह किनेस्थेटीकली हमारे शरीर के मूवमेन्ट के द्वारा सीखता है। इन्फ़ोर्मेशन एनर्जी के रूप मे, सारे सेन्सरी सिस्ट्म के द्वारा एक साथ प्रवेश करती है और फिर यह इस भव्य कोलाज मे विस्फोटित होती हैं जैसा यह पल दिखता है, जैसा यह पल गंध करता है और स्वाद करता है, जैसा यह महसूस होता है और सुनाई देता है। मै एक एनर्जी-बीइंग हूं जो कि अपने चारो तरफ़ की एनर्जी से मेरे दाये हेमिस्फेयर की चेतना के द्वारा जुडी हूं। हम उर्जा धारक जीव हैं जो कि हमारे दाये हेमिस्फेयर की चेतना के द्वारा एक दूसरे से मानव परिवार के रूप मे जुडे हैं । और यहां, इस वक़्त, हम भाई बहन इस धरती पर इस दुनिय़ा को बेहतर बनाने के लिए हैं। और इस क्षण में हम उत्तम हैं, हम सम्पूर्ण हैं, हम सुन्दर हैं। मेरा बांया हेमीस्फेयर, हमारा बांया हेमीस्फेयर,एक बहुत विचित्र स्थान है हमारा बांया हेमीस्फेयर रैखिक और व्यवस्थित रूप से सोचता है। हमारा बांया हेमिस्फेयर सिर्फ़ अतीत और भविष्य से सम्बन्धित है। हमारे बांये हेमीस्फेयर को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि यह वर्तमान पल के भव्य कोलाज को ले और उनका विवरण निकालना शुरू करे, और उन विवरणो का और भी विवरण निकाले। उसके बाद यह उस सारी जानकारी को श्रेणीबद्ध करता है और संगठित करता है, वो सभी चीजें जो हमने अतीत में सीखी हैं उनसे जोडता है, और भविश्य में सभी सम्भावनाओ को दर्शाता है। और हमारा बांया हेमीस्फेयर भाषा के रूप मे सोचता है। यह एक लगातार चलता हुआ वार्तालाप है जो कि मुझे और मेरी आन्तरिक दुनिया को बाहरी दुनिया से जोडता है। यह वो छोटी सी आवाज है जो मुझसे कहती है कि, ''सुनो, घर आते समय केले लाना याद रखना. मुझे वो सुबह मे चाहिए.'' यह वो गणनाकारी बुद्धिमता है जो मुझे याद दिलाती है कि मुझे लौण्ड्री करना है। किन्तु शायद सबसे महत्वपूर्ण, यह वो छोटी सी आवाज है जो मुझसे कहती है कि, ""मैं हूं, मै हूं " और जैसे ही मेरा बांया हेमीस्फेयर मुझसे कहता कि "मैं हूं," मै पृथक हो जाती हूं। मैं एक अकेली ठोस रूप की व्यक्तित्व बन जाती हूं, मेरे आस पास बहने वाली एनर्जी से पृथक और आपसे पृथक। और ये मेरे दिमाग का हिस्सा था जो कि मैने स्ट्रोक की सुबह खो दिआ था। स्ट्रोक की सुबह, मै बांयी आंख के पीछे तेज दर्द के साथ उठी। यह उस प्रकार का दर्द था जो कि आपके आईस्क्रीम मे बाईट लेने पर होता है। और इसने मुझे जकड लिया -- और छोड दिया। और फिर इसने जकडा-- और फिर इसने छोड दिया। और यह मेरे लिए कभी भी, किसी भी प्रकार का दर्द अनुभव करना बहुत ही असामान्य था, मैने सोचा, "ओके, मैं अपना नोर्मल रूटीन शुरु करती हूं" तो मै उठी और अपने कार्डिओ ग्लाइडर पर बैठ गयी, जो कि एक फ़ुल-बौडी, फ़ुल-एक्सरसाइस मशीन है। और मै इस पर एक्सरसाइस कर रही हूं, और मै महसूस कर रही हूं कि मेरे हाथ आदिम पञ्जो की तरह दिख रहे हैं जो कि बार को पकड रहे हैं। और मैने सोचा, "यह बहुत अजीब है।" और मैने अपने शरीर को देखा और मैने सोचा, "मै कैसी अजीब सी दिखने वाली चीज हूं।" और ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरी चेतना मेरी साधारण वास्तविकता की धारणा से दूर हो गयी है, जहां मै वो व्यक्ति हूं जो कि मशीन पर किसी अदभुत जगह का अनुभव हो रहा है जहां मै खुद को इस प्रकार का अनुभव करते हुए देख रही हूं। और ये सब बहुत ही अजीब था, और मेरा सर दर्द बढता जा रहा था। इस्लिए मै मशीन से उतरी, और मै अपने लिविंग रूम के फ़्लोर पर चल रही हूं, और मै एहसास कर रही हूं कि मेरे शरीर के अन्दर हर चीज धीमी पड गयी है। और हर एक कदम बहुत ही कडा और बहुत ही सुचिन्तित है। मेरी चाल मे कोई लोच नही है, और यहां यह रुकावट है मेरे धारणा के दायरे मे, इस्लिए मै सिर्फ़ अपने इण्टर्नल सिस्टम पर ध्यानकेन्द्रित हूं। और मै अपने बाथरूम में खडी हूं शावर मे जाने के लिए तैयार हो रही हूं, और मै शरीर के अन्दर हो रही बातों को सुन पा रही हूं। मैने हल्की सी आवाज को कहते हुए सुना, "ओके,तुम मांसपेशिओ, तुम्हे सिकुडना होगा। तुम मांसपेशिओ,तुम रिलैक्स करो." और फिर मैने अपना बैलेन्स खो दिया, और मै दिवार के सहारे झुक गयी हूं। और मै अपनी बांह को देख रही हूं और मै एहसास कर रही हूं कि मै अपने शरीर की बाउन्ड्री को अब डिफ़ाइन नही कर सकती। मै यह डिफ़ाइन नही कर पा रही कि मै कहां शुरु और कहां अंत हो रही हूं, क्योंकि मेरी बांह के अणु और परमाणु दीवार के अणु और परमाणुओ से ब्लेण्ड कर रहे थे। जो कुछ भी मै डिटैक्ट कर पा रही थी वो यह एनर्जी थी-- एनर्जी और मै खुद से पूछ रही हूं, "मुझे हुआ क्या है? चल क्या रहा है?" और उस पल मे, मेरे बांए हेमीस्फेयर मे हो रहा शोर बिल्कुल शांत हो गया। बिल्कुल ऐसे जैसे किसी ने रिमोट कन्ट्रोल लेकर म्यूट का बटन दबा दिआ हो। एकदम शान्ति. और पहले तो मै खुद को एक शान्त दिमाग के अन्दर पा कर बहुत ही आश्चर्यचकित थी। पर फिर मै तुरंत मोहित हो गयी अपने आस-पास की एनर्जी के अदभुत एह्सास से। और क्योंकि मै अब अपने शरीर की मर्यादा को अब नही पह्चान पा रही थी, मुझे बहुत वृहद और विशाल महसूस हुआ। मुझे लगा कि मै उस सारी एनर्जी के साथ एक हो गयी हूं, और वहां सुन्दर लग रहा था। फिर अचानक से मेरा बांया हेमीस्फेयर वापस जाग गया और यह मुझसे कहता है, "सुनो! यहां एक प्रोब्लम है! हमें मदद लेनी चाहिए।" और मै जा रही हूं, "आह! मुझे एक प्रोब्लम है!" (हंसी) तो ऐसा है, "ओके, मुझे प्रोब्लम है" पर फिर अचानक से मै फिर से मै अपनी कौन्शियसनेस मे वापस चली गयी-- और मै इस स्पेस को प्यार से ला ला लैण्ड बोलती हूं पर वो जगह सुन्दर थी। इमैजिन करें कि कैसा होगा पूरी तरह से डिस्कनेक्ट होना अपने दिमाग के उस शोरगुल से जो आपको बाहर की दुनिया से कनेक्ट करता है। तो मै यहां इस स्पेस मे हूं, और मेरी जौब , और जौब से सम्बन्धित सारा तनाव-- जा चुका था। मुझे हलकापन महसूस हुआ अपने शरीर मे। और कल्पना करें सभी रिश्तो की और उनमे तनाव देने वालो की -- वो जा चुके थे। और मुझे इस शान्ति के भाव का एहसास हुआ। और कल्पना करे कि कैसा महसूस होगा अगर आप 37 साल की भावनाओ का बोझ आपके ऊपर से हट जाए! (हंसी) ओह! मुझे यूफोरिआ का एहसास हुआ-- यूफोरिआ. खूबसूरत था यह। और फिर से मेरा बांया हेमीस्फेयर जाग गया और बोला, "सुनो! तुम्हे ध्यान देने की जरुरत है। हमें मदद लेने की जरुरत है।" और मै सोच रही हूं,"मुझे मदद लेने की जरुरत है। ध्यान देना होगा।" तो मै अपने शावर से निकली और मैने कपडे पहने और मै अपने अपार्ट्मेण्ट मे घूम रही हूं, और मै सोच रही हूं, "मुझे काम पर जाना है। क्या मै ड्राइव कर सकती हूं?" और उस पल में, मेरी दायी बांह पूरी तरह पैरालाइज हो गयी. फ़िर मुझे एहसास हुआ कि, "ओह माई गौड! मुझे स्ट्रोक पडा है!" और फ़िर मेरा दिमाग मुझसे कहता है कि, वाओ! यह कितना कूल है! (हंसी) यह बहुत कूल है! कितने मस्तिश्क विशेषज्ञों को खुद के दिमाग को अन्दर से समझने का अवसर मिलता है?" (हंसी) और फ़िर मेरे दिमाग मे आया, "पर मै तो बहुत ही व्यस्त महिला हूं" (हंसी) " मेरे पास किसी स्ट्रोक के लिए समय नही है!" तो मैने कहा, "ओके, मै स्ट्रोक होने से नही रोक सकती, तो मै ऐसा एक दो हफ़्तों के लिए करती हूं, और फ़िर मै अपने रूटीन पर वापस आ जाउंगी.ओके. इस्लिए मुझे मदद बुलाने की जरूरत है. मुझे औफ़िस कॉल करना चाहिए।" मुझे औफ़िस का नम्बर याद नही आ रहा था, तो मुझे याद आया,मेरे यहां के औफ़िस मे एक बिजनेस कार्ड है जिसमे मेरा नम्बर है। मै अपने बिजनेस रूम मे जाकर तीन इंच का बिजनेस कार्ड का ढेर निकाला। मै ऊपर वाले कार्ड को देख रही हूं जबकि मै स्पष्ट रूप से अपनी दिमाग की आंखो से देख पा रही थी कि मेरा बिजनेस कार्ड कैसा दिखता है, पर यह नही बता पा रही थी कि यह मेरा कार्ड है कि नही, क्योंकि मुझे सिर्फ़ पिक्सल्स ही दिख रहे थे। और वर्ड्स के पिक्सल्स बैकग्राउन्ड के पिक्सल्स और सिम्बल्स के पिक्सल्स के साथ ब्लेण्ड हो रहे थे, और मुझे कुछ समझ नही आ रहा था. और फिर जिसको मै वेव औफ़ क्लैरिटी बोलती हूं , का इन्तजार कर रही थी। क्योंकि उस पल मे मै खुद को सामान्य वास्त्विकता से दोबारा जोडने के लायक हो जाउंगी और मै बता पाउंगी कि यह कार्ड नही है.. यह कार्ड नही है। मुझे उस कार्ड के ढेर मे एक इंच नीचे जाने मे 45 मिनट लग गये। उस 45 मिनट के बीच मे, मेरे बांए हेमीस्फेयर मे हेमरेज बढ रहा है। मुझे नम्बर समझ नही आ रहे, मुझे टेलीफोन समझ नही आ रहा, पर मेरे पास बस यही प्लान है। इस्लिए मैने फोन पैड उठाया और मैने यहां रखा। मैने बिजनेस कार्ड उठाया, मैने यहां रखा, मै कार्ड पर दिख रही टेढी-मेढी लाइनो के शेप को फोन पर दिख रही टेढी-मेढी लाइनो के शेप से मैच कर रही थी। पर मै फिर से अपने ला ला लैण्ड मे पहुच गयी, और याद नही मै कब वापस आयी, अगर मैने उन नम्बरो को पहले ही डायल कर दिआ था तो। तो मुझे अपनी पैरालाइज्ड बांह को स्टम्प की तरह उठाकर नम्बरो पर रखना पडा जिससे कि मै उन्हे दबा सकूं, और जिससे कि मै सामान्य वास्त्विकता मे वापस आ सकूं, मै खुद से कह सकूं कि, "हां मैने नम्बर डायल कर दिया है।" अंतत:, पूरा नम्बर डायल हो गया और मै फोन को सुन रही हूं और मेरा कलीग फोन उठाता है और वो मुझसे कहता है, "वू वू वू वू". (हंसी) (हंसी) और मै सोचती हूं, "ओह माई गौड, यह गोल्डन रिट्रीवर की तरह सुनाई दे रहा है" (हंसी) और मै उससे कहती हूं -- याद है मुझे, मै उससे कहती हूं: " जिल , मुझे मदद चाहिए! " और मेरी आवाज ऐसी निकलती है, "वू वू वू वू." मै सोच रही हूं, "ओह माई गौड, मै गोल्डन रिट्रीवर की तरह सुनाई दे रही हूं" तो मुझे यह पता नही था कि मै भाषा को ना बोल और ना ही समझ सकती थी, जब तक मैने प्रयास नही किया। तो वह समझ जाता है कि मुझे मदद की जरुरत है और उसने मुझे मदद पंहुचा दी। और उसके थोडी देर बाद, मै एक एम्बुलैन्स मे सवार हूं बोस्टन के एक अस्पताल से [मैस्च्युसेट्स] जनरल हॉस्पिटल जाने के लिए। मै एक गेंद की तरह सिकुड के लेट गयी। और एक गुब्बारे की तरह जिसमे जरा सी बची हुई आखिरी हवा, भी बाहर निकल गयी हो, मुझे लगा की मेरी एनर्जी निकल चुकी हो और मेरी आत्मा ने आत्मसमर्पण कर दिया हो। और उस पल मे, मुझे पता चल गया था कि अब मेरी जिन्दगी मेरे हाथ मे नही है। या तो डॉक्टर मेरे शरीर को बचा सकते हैं और मुझे जिन्दगी मे दूसरा मौका दे सकते हैं, या शायद ये मेरा मुक्ती का समय था। जब मै उस दोपहर उठी, मै खुद को जिन्दा पा कर आश्चर्यचकित थी। जब मुझे लगा कि मेरी आत्मा ने आत्मसमर्पण कर दिया , मैने अपनी जिन्दगी को अल्विदा कह दिया था। और मेरा दिमाग वास्त्विकता के दो बहुत ही विपरीत पहलुओ के बीच अटक गया था। मेरे सेन्सरी सिस्टम्स से आते हुए स्टिमुलेशन दर्द की तरह महसूस हुए। रोशनी मेरे दिमाग को जंगल की आग की तरह जला रही थी, और आवाजें इतनी तेज और शोर से भरी थी कि मै किसी भी अवाज को पीछे के शोर से अलग नही कर पा रही थी, और मै बस वहां से भाग जाना चाहती थी। क्योंकि मै अपने शरीर की स्पेस मे पोसीशन नही समझ पा रही थी, मुझे वृहद और विशाल महसूस हुआ, जैसे कोई जीनी अपने चिराग से आजाद हुई हो मेरी आत्मा आजाद हो गयी, जैसे कोई ग्रेट व्हेल शांत उमंग से भरे समन्दर मे तैर रही हो। निर्वाण. मुझे निर्वाण की प्राप्ति हुई। और मेरा यह सोचना याद है, कि कोई तरीका नही है जिससे मै अपनी इस विशालता को वापस अपने छोटे से शरीर के अन्दर दबा पाउंगी पर फ़िर मुझे एह्सास हुआ, "लेकिन मै अभी भी जिन्दा हूं! मै अभी भी जिन्दा हूं, और मुझे निर्वाण मिल गया है। और अगर मुझे निर्वाण मिल गया है और मै अभी भी जिन्दा हूं, तो वो हर एक व्यक्ति जो कि जिन्दा है निर्वाण पा सकता है." और मैने उस दुनिया की कल्पना की जो कि सुन्दर, शान्त, दयालु, प्यार से भरे लोग जो जानते हैं कि वो इस दुनिया मे कभी भी आ सकते हैं। और वो अपने मन से अपने बांए हेमीस्फेयर के दांयी ओर आना चुन सकते हैं -- और इस शान्ति को पा सकते हैं। और फिर मुझे एहसास हुआ कि कितना शानदार यह तोहफ़ा हो सकता है, यह कितनी महत्वपूर्ण अन्तर्द्रष्टि हो सकती है,हमारे जीने के तरीके के लिए। और इसने मुझे दोबारा ठीक होने के लिए प्रोत्साहित किया। हेमरेज होने के ढाई हफ़्ते बाद, सर्जन ने मेरे दिमाग के अन्दर से गोल्फ़ बॉल के साइज का ब्लड क्लॉट हटाया जो कि मेरे भाषा के केन्द्र को दबा रहा था. यह मै हूं मेरी मां के साथ, जो कि मेरी जिन्दगी मे फ़रिश्ते के रूप मे रही हैं मुझे पूरी तरह से ठीक होने मे आठ साल लग गये। तो हम कौन हैं? हम विश्व के जीवन शक्ति हैं, जिसके पास शारीरिक निपुणता है और दो बुद्धिशाली दिमाग हैं। और हमारे पास ताकत है, हर पल, चुनने की कि हम दुनिया मे कौन और क्या बनना चाहते हैं। यहां, इस वक़्त, मै अपने दांए हेमीस्फेयर की कॉन्शियसनेस मे कदम रख सकती हूं, जहां हम हैं। मै जीवन शक्ति हूं विश्व की. मै जीवन शक्ति हूं उन ५० ट्रिलियन सुन्दर मॉलीक्युलर बुद्धिजीविओ की जो मेरा आकार , एक साथ मिलकर बनाते हैं। या, मै अपने बांए हेमीस्फेयर की कॉन्शियसनेस मे कदम रखना चुन सकती हूं जहां मै एक पृथक व्यक्तित्व, एक ठोस बन जाती हूं। इस प्रवाह से अलग, आपसे अलग। मै डॉ. जिल बोल्टे टेलर हूं: बौद्धिक, न्यूरोएनाटोमिस्ट। यह "हम" हैं मेरे अन्दर। आप कौनसा चुनेंगे? आप कौनसा चुनते हैं? और कब? मेरा विश्वास है जितना जादा समय व्यस्त करेंगे अपने दांए हेमीस्फेयर की इनर पीस सर्किटरी को चलाने मे, उतनी ही ज्यादा शान्ति हम दुनिया मे वापस दर्शा पाएंगे, और उतना ही ज्यादा शान्तिपूर्ण हमारा ग्रह होगा। और मुझे लगा कि यह एक आइडिया था जो शेयर करने के लायक है। धन्यवाद। (तालियां) मैं और मेरे साथी बिंदु गति शास्त्र से मंत्रमुग्ध हैं असल मे ये बिंदु क्या है ? ये हम सब लोग है हम अपने घरो में, आफिस मे जब हम खरीददारी या यात्रा करते हैं अपने शहर में और पूरी दुनिया मे घूमते है अगर हम इस गति को समझ पाये तो कितना अच्छा होगा अगर हम इसके स्वरूप और अर्थ ढूँढ पाते ? यह हमारा सौभाग्य है हम ऐसे समय जीते है जहॉ हमारे बारे मे सुचना प्राप्त करने मे हम सफल है हम अपने गति की सभी विवरण सेन्सर्स, वीडियो और एप्स द्वारा प्राप्त कर सकते है तो यह पता चलता हैं कि जहाँ गति के बारे में सबसे ज्यादा आकड़े मिल सकते हैं वो खेल हैं बास्केटबाल या बेसबाल फुटबाल या दूसरा फुटबाल हो उपकरण से ह्मारे स्टेडियम्स और खिलाडियॉ से उनके गति के हर पल को ट्रैक कर रहे है तो ह्म अपने खिलाडियो को हाँ आपने सही अंदाजा लगाया गतिमान बिंदुओं मे बदल रहे है हमारे पास चलती बिंदुओ का पहाड है और कच्चे आँकडॉ को समझ पाना कठिन हैं और दिलचस्प नही उदाहरणार्थ बास्केट्बाल कोच बहुत चीजेँ जानना चाहते हैं किंतु समस्या ये हैं कि जानने के लिये उन्हेँ खेल के हर पल ध्यान देना होगा याद करना होगा और उचित कारवाई करना होगा ये काम एक व्यक्ति नहीँ कर सकता बल्कि मशीन कर सकती है लेकिन एक मशीन कोच के नजर से खेल को नही देख सकती अब तक तो नही तो हम मशीन को क्या देखने के लिये सिखाया पहले आसान तरीके से शुरु किया हम उसको पासेस शाट्स और रिबौंड्स जैसे चीज़ सिखाया चीज जो साधारण दर्शक भी जानते है और फिर हम थोडी मुश्किल चीजोँ के ओर बढ गये जैसे पोस्ट-अप्स पिक-अंड-रोल्स और आईसोलेश्न्स और अगर आप इन्हेँ नहीँ जानते तो कोई बात नहीँ अब हम वहां पहुँच गये जहाँ आज मशीन मुश्किल ईवेँट्स को समझती हैं जैसे डौन स्क्रींस और वाईड पिंस ये चीज मूल रूप से पेशेवर ही जानते हैँ हम एक मशीन को कोच की नजर से देखना सिखाया हम यह कैसे कर पाये ? यदि मै एक कोच को पिक-अंड-रोल्स के बारे मे वर्णन देने को कहने से वे मुझे वर्णन दे सकते है मै एंकोड करके एक अल्गोरित्म के रूप मे दे दू तो बहुत अच्छा होगा पिक-अंड-रोल्स चार खिलाडियोँ के बीच एक नृत्य जैसा लगता हैँ जहाँ दो खिलाडी आक्रमण दो खिलाडी रक्षा करते हैँ ऐसा चल रहा है यहाँ एक खिलाड़ी आक्रमण मे बिना गेँद के है गेँद और खिलाड़ी चलते है उस खिलाड़ी के पास जिस के पास गेँद है और खिलाडी रुकता है दोनोँ चलते है टा-डा होता है यहीँ है पिक-अंड-रोल् (हंसी) यह भी कठिन अल्गोरित्म का एक उदाहरण है यदि एक खिलाडी दखल देने से उसको कहते है स्क्रीनर बहुत करीब पहुँच कर रुके नहीँ तो पिक-अंड-रोल् शायद नहीँ कह सकते है यदि खिलाडी रुकता है लेकिन बहुत करीब नहीँ तो पिक-अंड-रोल् शायद नहीँ कह सकते है या बहुत करीब जाकर रुकने से लेकिन बास्केट के नीचे करने से पिक-अंड-रोल् शायद नहीँ हो सकते है या मैँ गलत हो सकता हूँ वे सब पिक-अंड-रोल् हो सकते है ये सही वक्त, दुरी और स्थान पर निर्भर करता है और यही चीज उसको मुश्किल बनाता है लेकिन मशीन की सहायता से हमारे सामर्थ्य से बढकर चीजोँ का विवरण दे सकते है तो ये कैसे काम करता है ? ये एक उदाहरण से हम मशीन के पास जाते और कहते " गुड मोर्निंग मशीन इधर कुछ पिक-अंड-रोल्स है और इधर कुछ चीज वो नहीँ है उन दोनोँ के बीच अँतर बताने का रास्ता ढूँढो " और जो लक्षण सबसे उसको अलग करते हो उसको पता करना ही असली सूत्र है इसलिए यदि मुझे उसको सेब और सँतरा मे अंतर सिखाना होता तो मै उसको "रँग या आकार इस्तेमाल करने के लिए कहूँगा ?" और हम जो समस्या को सुलझा रहे है वह ऐसे क्या चीज है मूल लक्षण क्या है जो कम्प्यूटर को गतिमान बिँदु के दुनिया मे दिशा दिखा सकते है? ये सारी सँबँधोँ के बीच दुरी समय गति के बारे मे रिलेटिव और आब्सोल्युट स्थान की कल्पना करना ही असल मे बिँदु गति शास्त्र की सूत्र है या जैसे कि हम शैक्षिक भाषा मे स्पटियोटेँपोरल स्वरूप पहचान के नाम से जाना जाता है पहले चीज यह हैं कि इसे सुनने में कठिन बनाना है क्योँकि यह कठिन है एनबीए कोचेस के लिए पिक-अंड-रोल हुआ की नहीँ ज्यादा मान्य नहीँ रखता बल्कि कैसे हुआ जानना जरूरी मानते है और ये उनको क्योँ आवश्यक है? एक उदाहरण प्रस्तुत करता हूँ आधुनिक बास्केटबाल मे शायद पिक-अंड-रोल की ही बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है समझना कि कैसे दौडना और समझना कि कैसे रक्षा करना मूल रूप से खेलोँ मे जीतने या हारने को प्रभावित करता है ये नृत्य अलग अलग रूप मे है और इसको पहचानना ही असली चीज है इसलिए ये सब बहुत ज्यादा अच्छा होना हमारे लिये जरूरी है यहॉ एक उदाहरण है वहॉ दो आक्रमिक खिलाडी दो रक्षा पँती के खिलाडी है जो पिक-अंड-रोल नृत्य के लिए तैयार हो रहे है खिलाडी जिस के पास गेँद है वह या तो ले सकता या छोड सकता उसके टीम के साथी या तो रोल या पाप कर सकते है खिलाडी जो गेँद को रक्षा करता हैं वो या तो ऊपर से या नीचे से जा सकता उसके टीम के साथी या तो शो या प्ले अप टु टच या प्ले साफ्ट और मिलके उन लोग या तो स्विच या ब्लिट्ज़ कर सकते हैँ और जब मैंने शुरू किया था ये सब मै नही जानता था और यदि सब लोग उस तीरों के अनुसार चलने से कितना अच्छा होगा यह हमारी जीवन को बहुत आसन बनाते बल्कि ये गति को बहुत अप्रिय बना देता है इस अलग रूप को सही सलामत पहचानना और याद करना लोगोँ के लिये बहुत कठिन परिश्रम की आवश्यकता हैँ क्योँकि यही जो चीज एक प्रोफेषनल कोच आप की नैपुण्यता को मान्य देता है और हम लोग काफी दुविधाएँ आने के पश्चात भी सही स्पषियोटेँपोरल लक्षण कर पाये कोच्स हमारी मशीन की ये लक्षण पता कर ने की क्षमता पर बहुत उम्मीद रखते है हम वहा पहुँच गये जहाँ NBA चैम्पियनशिप के लगभग हर एक खिलाडी इस साल हमारी साफ्ट्वेर इस्तेमाल कर रहे है जो एक मशीन के ऊपर बनाया गया जो बास्केट्बाल की बिंदु गति को समझ्ता हैं पर इतना ही नही हम ने जो सलाह दी उसने रणनीति को बदल दिया जो टीम्स को जीतने मे मदद करता है और ये बहुत ही उत्तेजक है क्योँकि जो कोचेस 30 साल से लीग मे है वो एक मशीन से सलाह लेने के लिये तैयार है और यह बहुत ही दिलचस्त और पिक-अंड-रोल से ज्यादा है हमारा कम्पुटर छोटे चीजोँ से शुरु किया और बहुत ही जटिल चीजोँ को सीखा और अब इसको बहुत चीज मालूम है वो क्या करती है ये ज्यादातर मै नही समझता और मुझसे चतुर होना भी कोई बडी बात नही हमे आश्चर्य होता है क्या एक मशीन कोच से ज्यादा जान सकता? क्या वो एक आदमी से ज्यादा जान सकता? और हम लोगोँ को कहना पडेगा हाँ कोचेस चाहते हैँ खिलाडी अच्छे शाट ले अगर मै बास्केट के पास हूँ और मेरे आसपास कोई नही तो ये अच्छा शाट है अगर मै बहुत दूर खडा हूँ और मेरे चारोँ तरफ रक्षा खिलाडी है तो वो गलत शाट है लेकिन हम अभी तक ये नही जानते कि अच्छा कितना "अच्छा" था और बुरा कितना "बुरा" था और हम लोग क्या करेँ फिरसे हर शाट को स्पाटियोटेँपोरल लक्षण द्वारा देखे हम देख सकते : शाट किधर है? बास्केट तक क्या कोण है? रक्षा खिलाडी कहॉ खडे है? उनकी दुरी कितनी है? उनके कोण कितना है? जहॉ ज्यादा रक्षा खिलाडी हो वहॉ देख सकते खिलाडी कैसे चल रहे और अंदाजा लगा सकते कौनसा शोट लगेगा हम उनके रफ्तार को देख सकते है और एक नमूना तैयार कर सकते जो इन परिस्थितियोँ मे ये शाट कहॉ तक जा सकता है इसका अंदाजा लगयेगा तो ये सब आवश्यक क्योँ है? ह्म शूटिँग को ले सकते, जो पहले एक चीज था और उसको दो चीजोँ मे बदल दिये शाट की गुणवत्ता और शूटर की गुणवत्ता यहॉ एक बबल चार्ट देखिये क्योँकि बिना बबल चार्ट TED क्या है? (हंसी) ये बबल्स NBA खिलाडी हैँ बबल का परिमाण खिलाडी का परिमाण है और रँग उसका स्थिति शाट की सँभावना x-अक्ष मे है लोग जो बाएँ तरफ है वो मुश्किल शाट लेते हैँ जो दाएँ तरफ है आसन शाट लेते हैँ y-अक्ष पर उनके शूटिँग के सामर्थ्य है लोग जो अच्छे है वो ऊपर है जो बुरे वो नीचे है इस तरह, पहले हम सिर्फ इतना ही जानते थे कि एक खिलाडी आम तौर पर 47 प्रतिशत शाट्स बनाता था पर आज मै ये कह सकता हू कि वो खिलाडी एक साधारण NBA खिलाड़ी जो 49 प्रतिशत शाट्स लेता है उनसे 2 प्रतिशत बदतर है ये बहुत ही जरूरी है क्योँ कि वहा ज्यादातर 47 प्रतिशत वाले है इसलिये ये जानना जरूरी है कि अगर आप 100 मिलियन डालर्स 47 प्रतिशतवाले को देना चाहते है जो एक अच्छा शूटर है लेकिन बुरा शाट लेता या बुरा शूटर है जो अच्छा शाट लेता हमारी नजरिये को मशीन का नजरिया नही बदल सकता लेकिन हम खेल को कैसे देखते ये जरूर बदल सकता है कुछ साल पहले NBA फ़ाइनल मे एक उत्तेजक मेच हुआ था मियामि तीन से पीछे था और सिर्फ 20 सेकन्ड्स बाकी थे वो लोग चैम्पियनशिप खोने ही वाले थे एक जेंटलमैन लमान लेब्रान जेम्स आया और उन्होँने तीन से टॅइ लिया वो छूट गया टीममेट क्रिस बोश को पलटाव मिला उसने बाल को अपने दूसरे टीममेट रे अलेन को पास किया उसने तीन मे डुबा दिया गेम अतिरिक्त समय मे चला गया वो लोग गेम जीत गये और चैम्पियनशिप भी वो बास्केट बाल की बहुत ही उत्तेजक मैचो मे से एक है और हर एक खिलाडी शाट खेलने की सँभावना हर एक पल और उसको हर एक पल रीबौंड मिलने की सँभावना ये सब जानने की हमारी क्षमता आप की इस पल को और भी याद्गार बनाने वाला था पर बद्किस्मती से मै वो वीडिओ आपको अभी नही दिखा सक्ता लेकिन हम ने आप के लिये वो पल को पुनर-सृजन किया जो तीन हफ्ते पहले जो हमारा साप्ताहिक बास्केट बाल मैच हुआ (हंसी) हम ने ट्रेकिंग का पुनर्निमाण किया जो हमेँ अँतरदृष्टि के ओर लेके गया तो ये हम है ये एक पार्क चाइनाटाउन लास एंजेलस मे जहा हम हर हफ्ते खेलते हैँ और हमने रे अल्लेन मूमेंट को और उसके साथ जुडी वो ट्राकिंग को भी पुनर-सृजन किया तो अब ये रहा शाट मै ये पल और उसकी सारी अनुभव आप को दिखाना चाहता हु और सिर्फ ये अंतर है कि पेशेवर खिलाडी की जगह यहा हम होँगे और पेशेवर वाचक के बदले यहा मै रहूँगा इसलिये थोडा सहन कीजिये(धीरज) मियामी तीन से पीछे बीस सेकन्ड बाकी हैं जेफ्फ बाल लाता है जोश कैच करता हैं, तीन पुट अप करता है शाट की सँभावना की गणना करने के बाद शाट की शक्ति पलटाव की सँभावना नही जायेगा पलटाव की सँभावना पलटाव नोयेल फिर से दारिया के पास शाट की शक्ती उसका तीन पाइंटर- बांग बराबर अंको पर गेम था पांच क्षण बच गये क्राउड (भीड) पागल हो जाते हैं (हंसी) ये सब लग भग ऐसे हुआ था (ताली) लग भग (ताली) ये पल को NBA मे लगभग नौ प्रतिशत मुमकिन होने की सँभावना है और हम लोग और भी बडे बडे चाज जानते है मै ये नही बतावूंगा उस पल को सँभव बनाने के लिये कितने बार लगा (हंसी) चलो बता देता हू वो चार था (हंसी) डारिया ,बहुत आगे जाओगे पर उस वीडिओ और वो हर पल, हर गेम का अंतर दृष्टि रखना इन सब का दूसरा मतलब है ये यदार्थ है कि उस पल की नजर रखने के लिये तुम्हे एक पेशेवर टीम होने की जरूरत नही गती की अनुभव करने के लिये तुम्हे एक पेशेवर खिलाडी होने की जरूरत नही असल मे वो तो खेल के बारे मे होने की भी जरूरत नही क्योँ कि हम हर जगह घूमते है हम अपने घरोँ मे चलते है अपने दफतर मे जब हम कुछ खरीदते हैं और जब हम यात्रा करते हैं हमारे सारे शहर में और अपने आसपास की दुनिया मे भी घूमते हम क्या जानते हैं? क्या समझते हैं? शायद पिक-अँड-रोल्स को पहचानने के बदले एक मशीन मेरी बेटी की पहला चरण लेने की पल को पहचान के मुझे बतायेगा जो कोई भी क्षण वास्तव में हो सकता है शायद हम भवन का सही उपयोग शहर का सही नक्शा बना सकते मुझे उम्मीद है कि बिँदु गति शास्त्र की व्याप्ति से हम लोग बेहतर तरीके से चतुराई से और आगे बड सकते है धन्यवाद (ताली) पाँच साल पहले मैंने TED के मंच पर, अपने काम के बारे में बात की। मगर एक साल बाद, एक रात, स्कॉटलैंड में दोस्तों के साथ पब से आते हुए मेरा एक बुरा एक्सीडेंट हुआ। हम एक जंगल से गुज़र रहे थे और मुझे कुछ ज़ोर से लगने जैसा महसूस हुआ, फिर एक और बार वैसा ही, और फिर, मैं ज़मीन पर गिर गई। मुझे पता नहीं चला कि मुझे किससे लगी थी। मुझे बाद में पता चला कि एक बगीचे पर खुलता हुआ गेट था जहाँ से एक जंगली हिरन आकर मुझसे ज़ोर से टकराया। उसका सींग मेरे वायुनली और अन्ननलिका में घुसा, और मेरे मेरुदण्ड तक जाकर मेरे गर्दन की हड्डी तोड़ गया। मेरी सहेली ने देखा कि मैं ज़मीन पर घायल हूँ और मेरी गर्दन में बड़ा सा छेद बन चुका था। मैं बात नहीं कर पा रही थी मगर मेरी आँखों में देख उसे मेरी मनोआवस्था समझ आ रही थी। उसने मुझसे कहा, "बस साँस लो। " वह करते वक़्त मैं शांत होने लगी, पर मुझे पता था मैं मरने वाली हूँ। फिर भी, मुझे इससे संतुष्टि थी, क्योंकि मैंने ज़िंदगी में हालात देखकर अपनी ओर से सब अच्छा ही किया है। तो मैंने हर पल एक एक साँस लेने पर ध्यान दिया-- एक साँस अंदर, एक साँस बाहर। एक एम्बुलेंस आई, मैं पूरे होश में थी। और वैज्ञानिक होने के नाते मैंने सफ़र में हर चीज़ का विश्लेषण किया; सड़क पर चलती गाड़ियों की आवाज़ें, गुज़रती हुई गलियों की लाइटें और फिर, शहर की गलियों की लाइटें। और मुझे लगा, "शायद मैं बज जाऊँगी।" फिर मैं बेहोश हो गई। पहले एक अस्पताल में मेरी हिफ़ाज़त की गई, और फिर ग्लासगो तक ले गए, जहाँ मेरे गले को ठीक करके मुझे कोमा में डाला गया। और जब मैं कोमा में थी, मेरी अपनी भिन्न वास्तविकताएं थी। ऐसा लगा जैसे मैं "वेस्टवर्ल्ड" और "ब्लैक मिरर" का कोई मिश्रण देख रही हूँ। पर, वह एक अलग कहानी है। हमारे स्थानीय टीवी चैनेल ने मेरे, यानी कि एक कोमा में गई एक कैंब्रिज वैज्ञानिक के बारे में रिपोर्ट किया, उन्हें नहीं पता था कि मैं ज़िन्दा रहूँगी, या मरूँगी या क्या होगा। एक हफ़्ते बाद, मैं कोमा से बाहर आई। वह पहला तोहफ़ा था। जिसके बाद मेरे पास सोचने का तोहफ़ा था, चल फिर पाने का तोहफ़ा, साँस लेने का तोहफ़ा, और खा-पी पाने का तोहफ़ा। उसे साड़े तीन महीने लगे। पर एक चीज़ ऐसी थी जो मुझे वापस नहीं मिल पाई, वह थी मेरी एकान्तता। प्रेस ने इस कहानी को लिंग का विषय बना दिया। मैं विपरीत लिंगी हूँ और इसमें कोई बड़ी बात नहीं। इससे ज़्यादा रोमांचक तो मेरे बाल या जूते हैं। जब मैं पिछली बार यहाँ थी -- (तालियाँ) जब मैं पिछली बार-- (तालियाँ) यहाँ थी, मैंने उसकी बात नहीं की क्योंकि वह मामूली विषय है। और एक स्कॉटिश अखबार की हैडलाइन थी: "ट्रांसजेंडर वैज्ञानिक को हिरन ने मारा" और पाँच अन्य अखबारों ने ऐसी चीज़ें की। एक क्षण के लिए, मैं गुस्सा थी। पर फिर मैं शांत हो गई। मुझे लगने लगा कि इन अखबार वालों का पाला ग़लत औरत से पड़ा है, और उन्हें नहीं पता उनको किसने मारा है। (हँसी) मैं एक शांतिप्रिय निंजा हूँ। मैं नहीं जानती निंजा क्या करते हैं, पर मेरे हिसाब से वे गुप्त रहकर ही, इधर से उधर घूम कर, छतों से चढ़ कर, आपके पीछे लग जाते हैं। उनके पास कोई सेना नहीं होती, न ही कोई सोची हुई योजना। तो जब मैं अस्पताल में थी, मैंने सोचा कि कैसे मैं इन लोगों को रोक पाऊँ, ताकि किसी और के साथ ऐसा न हो। मैं वैसा ही करती जैसा उन्होंने किया। जो उन्होंने दस लाख लोगों को बताया, मैं एक करोड़ लोगों को बताती। क्योंकि आपके गुस्सा होते लोग अपनी सफ़ाई देते हैं। मैंने उनपर गुस्सा नहीं किया, तो उनके पास सफ़ाई देने का मौका ही नहीं था। मैंने इन अखबारों को शांतिपूर्वक पत्र लिखे। द सन न्यूज़पेपर, ने मेरे शांतिपूर्वक तरीके के लिए मेरा शुक्रिया अदा किया। मैंने न उनसे माफ़ी माँगी, न ही कोई मुआवज़ा या पैसे, बस यज स्वीकार करना कि उन्होंने अपने ही नियम तोड़े थे, और जो उन्होंने किया था वह ग़लत था। इसी सफ़र में मैं समझने लगी कि वे कौन हैं, और वे समझने लगे मैं कौन हूँ। और हम दोस्त बन गए। मैंने द सन की फिलिपा के साथ फिर वक़्त भी बिताया। और तीन महीने बाद, वे मेरी बात मान गए, और उन्होंने अपने अखबार में छापकर अपनी ग़लती स्वीकार की, और फिर कहानी ख़त्म। या उन्हें लगा कहानी ख़त्म। क्योंकि अगले दिन, मैं टीवी न्यूज़ पर गई, और मेरी हैडलाइन थी "छे राष्ट्रीय अखबार जिहोने अपनी ग़लती स्वीकार की।" और एंकर ने मुझसे पूछा कि, "आपको नहीं लगता प्रत्रकार होने के नाते हमारा काम है कि हम कहानियों को सनसनीखेज़ बनाएँ?" और मैंने कहा "कि एक हिरन ने मुझे मार के ज़मीन पर गिराया था। क्या वह कम सनसनीखेज़ नहीं था?" (हँसी) और अब मैं ही हैडलाइन लिखने लगी थी। मेरी सबसे पसंदीदा थी, "हिरन ने मेरे गले को कुचला, और पत्रकारों ने मेरी एकान्तता को कुचला।" और वह उस दिन बीबीसी न्यूज़ की सबसे ज़्यादा पढ़ी गई खबर थी। और मुझे मज़ा आ रहा था। उस हफ़्ते के अंत में, मैं अपनी नई आवाज़ और मंच के माध्यम से प्यार और शान्ति का संदेश फैलाने लगी। और जब भी मुझे उन पत्रकारों के प्रति गुस्सा आने लगता, मैं खुद को शांत करती और उनके प्रति अपने अंदरूनी पक्षपात दूर रखती। और बुरे विचारों के बिना उन्हें मिलकर शांतिपूर्वक बात करती। मेरा उनको समझना ज़रूरी था, और उनको मुझे समझना भी उतना ही ज़रूरी था। खैर, छे महीने बाद उन्होंने मुझे उनकी प्रेस को विनियमित करने वाली समिति का हिस्सा बन्ने को कहा। और अब, साल में कई बार मैं बड़े बड़े अखबार के संपादकों से चाय पर मिलती हूँ जो मेरा हाल चाल पूछते हैं, और मैं उनकी इज्ज़त करती हूँ। और अब मेरे पास भी अपने विचारों को अभिव्यत करने का हक़ है -- इसलिए नहीं क्योंकि मैं अलग हूँ, लेकिन इसलिए क्योंकि हर किसी की तरह मेरी आवाज़ भी एहमियत रखती है। और मज़े की बात ये है, कि काफ़ी बार मुझे इस गिरते उद्योग के पत्रकारों के पास भेजा जाता है, क्योंकि कुछ लोगों को लगता है कि जिस इंटरैक्टिव प्रिंट तकनीक के बारे में मैंने पिछले बार TED में बात की थी, वह उनको बचा सकता है। तो अपने अंदरूनी पक्षपातों को दूर रखकर, दुश्मन को भी दोस्त बनाना सीखो। धन्यवाद। (तालियाँ) जीनी, विल और अदीना तीन वरिष्ठ नागरिक एक विशेष संबंध से जुड़े हुए हैं। वे अपने बंधन को बढ़ती उम्र के अकेलेपन की ढाल समझते हैं। मैं पहली बार उन्हें लॉस एंजिल्स में सेवानिवृत्ति आश्रय स्थल में मिली, जहां मैं तीन साल से फोटोग्राफी कर रही थी। एक रात मैंने उन्हें द्वार पर आते देखा, और तत्काल उनसे घनिष्टता अनुभव की। हालांकि मुझे उनके त्रिकोण प्यार के विवरण का नहीं पता था, मैंने अंतर्मन से महसूस किया कि मुझे पता लगाना था कि वे कौन थे। एक दिन बाद एक नर्स ने पूछताछ में मुझे कहा, "ओह, आप त्रिगुट के बारे में बात कर रहे हैं।" (हँसी) मैं चिंतित थी। (हँसी) वे तीनों प्रतिदिन कॉफी और डोनट की दुकानों, बस स्टॉप और सड़क कोनों के लिए साहसिक कार्य पर निकल जाते। मुझे जल्द ही समझ आई कि इस सैर सपाटे का उद्देश्य शान्ति और अर्थपूर्ण खोज का था। तीनों ने अपनी अवहेलना का मुकाबला सचमुच खुद को सार्वजनिक सड़कों पर एकीकृत करके करने की मांग की। फिर भी, हाथों में हाथ डाले, किसी ने उन्हें नहीं देखा। हम अक्सर सोचते हैं कि बढ़ती उम्र संग अपनी युवा अवस्था की संजोई इच्छाएँ खो देते हैं। असल में, एक किशोर फोटोजर्नलिस्ट के रूप में जब मैंने तीनों से मुलाकात की, मैंने उनके व्यवहार को बहिष्कृत होने के भय और अंतरंगता के लिए इच्छाओं को दर्पण रूप देखा जोकि मुझमें भी हैं। मैंने इसका उनकी अदृश्यता से संबंध माना, जिसने मुझे अपने बचपन के दौरान पीड़ा दी पर जो ध्यानमग्न वृत्तचित्र निर्माता नाते मेरी सबसे बड़ी संपत्ति बनी है, क्योंकि मैं सिर्फ अपनी समवेदना में खो सकती हूँ। जैसे ही हम हॉलीवुड की सड़कों से गुज़रे , चलचित्र लेखकों, अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं के पड़ोस में तीनों प्रत्येक वरिष्ठ की भाँति अदृश्य हो गये। मैं खुद से पूछने लगी, "यह कैसे है कि कोई और इन तीन मनुष्यों को नहीं देखता है? ऐसा क्यों है कि केवल मैं ही उन्हें देखती हूं? " सालों बाद, जैसा कि मैंने जनता के साथ यह काम साझा करना शुरू किया, मैंने देखा कि लोग काफी हद तक इस कहानी के साथ असहज हैं। शायद यह इसलिए है क्योंकि तीनों प्यार रोमांस या भागीदारी से जुड़े परंपरागत विचारों को नहीं मानते हैं। वे जनता में अदृश्य और अपने साथियों द्वारा छोड़े हुए थे। वे कहीं से संबंधित होना चाहते थे लेकिन केवल उनका एक दूसरे के साथ संबंध लग रहा था। मैं भी कहीं संबंधित होना चाहती थी। और मेरे लिए मेरा कैमरा हर जगह से संबंधित होने हेतु उत्प्रेरक रहा है। लेकिन बुजुर्गों बारे चुनौतीपूर्ण समाजशास्त्रीय मानदंड से परे, तीनों पृथकता के डर को उजागर करते हैं। प्रत्येक दिन के अंत में वे अपने संबंधित सेवानिवृत्ति घरों को लौटते हैं। उनकी अकेलापन की सतह के नीचे, उनके लोगों के लिए समुदाय की इच्छा है। एक भावना थी कि प्रत्येक अपनी जनजाति के लिए उत्सुक था, लेकिन वह सुविधा समझौते के साथ आती है, क्योंकि विल एक महिला प्रति प्रतिबद्ध नहीं रह सकता है। एक दिन जीनी के साथ बैठे उसने अपने अपार्टमेंट में मुझसे कहा, "विल को साझा करना आपकी तरफ कांटा है। एक आदमी और औरत के बीच रिश्ता निजी होता है। यह एक जोड़ा है, तिकड़ी नहीं।" मेरी प्रक्रिया अनिवार्य रूप से वह व्यक्ति होना है जिन्हें मैं दर्शाती हूँ उनके साथ एक पर्यवेक्षक-निवासी के रूप में सालों खर्च करके, एक सुरक्षित जगह बनाने के लिए, तब सादे दृष्टि में छिपे रहने को। मैं लगभग 17 वर्ष की थी जब मैंने तीनों से मुलाकात की, और मैंने उन्हें चार साल तक छायांकित किया। हम वास्तव में, सामाजिक विकास के व्यवधान में देखते हैं, कि किशोरावस्था और बुढ़ापा एक जैसे दिखने लगते हैं, क्योंकि दोनों अवस्थाएं पहचान भ्रम की अवधि हैं। मैंने अपनी पहचान महिला संग की। लेकिन विल के साथ भी, जिसने मुझे मेरे विभाजित व्यक्तित्व का बोध करवाया। मतभेद जो हमारे पास अक्सर होता है जैसे हम क्या चाहते हैं और हमारी स्थिति की वास्तविकता क्या है। इस श्रृंखला को फिल्माने से पहले, मैं भी दो अलग लोगों से प्यार करती थी जो एक-दूसरे के बारे में जानते थे, वह वस्तु है जिस पर वे लड़े। लेकिन मुझे यह भी पता था कि त्रिकोण के आधार पर होना कैसा था, जीनी या अदीना की तरह, खुद से पूछना, "मैं पर्याप्त क्यों नहीं हूँ?" इन तीन बुजुर्ग व्यक्तियों को देखकर, इनकार करना असंभव हो गया कि उम्र के बावजूद, हम प्रत्येक लोक-प्रसिद्ध छेद को अन्य लोगों द्वारा भरने की तलाश में थे। शायद जीनी, विल और अदीना की कहानी देखने का दर्द वास्तव में एक अनुस्मारक है कि जीवन के अंत में भी, हम कभी स्वयं की कपोल कल्पित वासना की तृप्ति तक नहीं पहुंच सकते हैं। सुनने के लिए धन्यवाद। (तालियां) ये पीछे मेरा ब्रैन कॅन्सर था| ये बहुत प्यारा है ना? (हँसी) इस मे मुख लफ्ज है "था" फ्यु| (तालिया) ब्रैन कांसेर होना सही मे जैसे कि आप सोच सकते मेरे लिये भयानक बात है मै कॅन्सर के बारे मे कुछ भी नही जानता था पश्चिमी सँस्क्रुती मे, अगर तुम्हे कॅन्सर हो जाता है, तो मानो एक तरफ से तुम मिट गये| तुम्हारी जटिल जिंदगी चिकित्सा डेटा मे बदल जाता है: तुम्हारी इमेजेस,तुम्हारी परीक्षाये, तुम्हारी प्रयोगशाला मूल्यो, दवाइयो की लिस्ट्| और सबलोग भी बदल जाते है| तुम अचानक चलते हुये बीमारी बन जाते हो डाक्टर्स अलग भाशा बोलना शुरू करते है जो तुम्हारी समझ मे नही आता वो तुम्हारी शरीर के तरफ और तुम्हारी इमेजेस के तरफ इशारा करते है| लोग बदलना शुरू हो जाते है क्योँ कि वे मनुष्य के बदले मे बीमारी से व्यवहार करते है| वे "हेल्लो" भी कहने से पह्ले कहते है "वैद्य ने क्या कहा? " और इस बीच आप के पास इतने प्रश्न उठ्ते है जिसका समाधान कोई नही दे सकता| हमारे मन मे बहुत सारे सवाल उठ्ते है: क्या मै काम कर सकता हूँ? क्या मै पढ सकता ? क्या मै प्यार कर सकता हूँ ? क्या मै रचनात्मक हो सकता हूँ ? और आपको आश्चर्य होगा कि आप ने ऐसा क्या किया जो आप को ये बीमारी हुआ आप ये सोचेंगे कि क्या आप अपने जीवान शैली मे कुछ बदलाव ला सकते है आप सोचेंगे कि "मैं कुछ कर सकता हूँ ? या मेरे पास और कोई विकल्प है ?" और जाहिर है , इस पूरे द्रुश्य मे डॉक्टर्स तो बहुत अच्छा ही रहेंगे क्योँ कि वे बहुत ही पेशेवर है और तुम्हारी इलाज करने मेँ निष्ठां दिखाते हैँ| पर उन लोगोँ को रोगियोँ के साथ रहने की भी आदत होती है, इसलिए मैँ कहता हूँ कि वे कभी कभी भूल जाते कि ये सब तुम्हे कितना तकलीफ देता है और तुम सच मे एक रोगि बनजाते हो रोगी मतलब जो इंतेजार करता है (हँसी) अब चीजेँ बदल रहे हैँ, लेकिन वे तुम्हारी परिस्थिती के बारे मे कोइ भी चीज तुम पता करने मे व्यस्थ होने नही देते तुम्हारे दोस्तो और परिवार को भी व्यस्थ होने नही देते या तुम्हारी जीवन शैली कैसे बदल सकते हो तुम्हे नही बताते ताकी तुम जो परिस्थिति से गुजर रहे हो उसकी खतरा थोडा कम कर सको लेकिन इसके बजाय तुम्हे पेशेवर अजनबियो की स्रुंखला के लिये मजबूरन इंतेजार करना पढेगा जब मै अस्पताल मे था, मै अपने कॅन्सर का मुद्रित चित्र मांगा और मैं ने उसके साथ बात किया| चित्र मिलना बहुत ही मुश्किल था क्यो की, अपनी ही कॅन्सर की चित्र मांगना कोइ आम बात नही है| मै ने उस चित्र से बात किया और बोला "ओ.के. कॅन्सर तुम मेरा सबकुछ नही हो| मेरे पास और भी बहुत कुछ है| और जो भी इलाज होगी ,उसे मेरे पूरे शरीर के साथ व्यवहार करना होगा|" और दूसरे दिन मै वैद्य के सलाह के विरुद्ध अस्पताल छोड दिया मै ने कांसर के साथ अपना संबंध बदलने के लिये ठान लिया और सर्जेरी जैसे विपरीत इलाज के पहले मै कांसेर के बारे मे पूरा जानने की ठान लिया मै एक कलाकार हू,मै कई तरह के ओपेन सोर्स टेक्नोलोजीस और ख़ुला समाचार इस्तेमाल करता हूँ| मेरा सर्व्श्रेष्ट शर्त था कि मैँ पूरा समाचार बाहर रख दूँ, ताकि सब लोगोँ को इसकी पहुँच रहे और इसको इस्तमाल करे| मै ने एक वेब साईट का निर्माण किया जिसका नाम है "ला क्यूरा" , जिसमेँ मै ने अपना चिकेत्सा विवरण आँन्लाइन मे रखा मुझे उसे सचमुच "हैक" करना पडा और उसके बारे मेँ हम दूसरी भाषण मेँ बात कर सकते हैँ| (हँसी) मै ने ला क्यूरा नाम इसलिए चुना इटालियन मे इसका मतलब "इलाज" -- क्योँकि अलग अलग सँस्क्रुतियोँ मे 'इलाज' का अर्थ बहुत सारी चीज हो सकते हैँ हमारी पश्चिमी संस्कृति मेँ उसका अर्थ रोग का निर्मूलन या उलटा करना है, पर अलग अलग संस्कृतियों मे उदाहरणार्थ आशिया की संस्कृति मेदितेर्रेनिअन,लाटिन देशो से,आफ्रिका से इसका अर्थ बहुत सारे चीज हो सकते है बेशक,मुझे वैद्य के रायोँ पर दिलचस्पी थी और स्वास्थ्य की देखभाल करनेवाले पर मुझे एक कलाकार , एक कवी, एक कल्पना करनेवाला और कौन जाने संगीतकारों का इलाज के बारे मे जानने का शौक है| मुझे सामाजिक इलाज मे दिलचस्पी था, मैँ मनोवैज्ञानिक इलाज मे दिलचस्पी रखता हू, मैआध्यात्मिक इलाज मे दिलचस्पी रखता हूँ, मै भावनात्मक इलाज मे दिलचस्पी रखता हूँ| मै इलाज के किसी भी रूप मे दिलचस्पी रखता हूँ| और ये काम सफल हुआ| ला क्युरा वेबसैट वैरल चला गया मै ने इटली और विदेशोँ से मीडिया का ध्यान प्राप्त किया और जल्द ही ५००००से ज्यादा संपर्क, ई मैल्स, सोशल नेटवर्किंग प्राप्त किया-- उनमे से ज्यादा कांसर को कैसे क्यूर करना है इसके ऊपर सुझाव थे लेकिन ज्यादातर मेरे इलाज पूर्ण रूप से कैसे करना है इस्के ऊपर थे| उदाहरणर्थ, हजारोँ विडियोस, छवियों, चित्रों कला प्रदर्शन ला क्युरा के लिए बनाए गए थे| उदाहरणार्थ ,यहाँ हम फ्रांसेस्का फिनि की प्रदर्शन देखेंगे| या,जैसा कलाकार पाट्रिक लिक्टी ने किया: उसने मेरे ट्यूमर का एक 3D मूर्ति बनायीं और उसको थिंगिवर्स पर बिक्रि के लिये डाल दिया अभी आप को मेरा कैंसर भी हैँ! (हँसी) ये एक अच्छी चीज है जो आप सोचते और हम कान्सर के, बारे मे जानकारी बाँट सकते है| और ये चलरहा था वैझनिक, पारम्परिक चिकित्सा विशेषज्ञ बहुत सारे परिशोधक, वैद्य सब लोग मुझे सलाह देने तैयार है ये सब समाचार और सहारे के माध्यम से, मै कई न्युरो स्रर्जनोँ , सनातन वैद्य, कैंसर चिकित्सा विझनियोँ, और कई सौ स्वयं सेवकोँ जिनके साथ मै जो समाचार पाया जो चर्चा कर्ने मे महत्वपूर्ण है. और हम सब मिलके मेरी इलाज के लिये कई भषाओँ मे और कई संस्कृतियों के हिसाब से एक प्रणलिका बनायी, और अभी का जो प्रणालिका है| ये पूरी दुनिया मे विस्त्रुत है और ह्जारोँ सालोँ की मनुष्य चरित्र, जो मेरे लिए महत्वपूर्ण है [शल्य-चिकित्सा] सौभाग्य से चिकित्सा पश्चात एमआरऐस थोडा या कोई कांसर मे व्रुद्धी नहीँ दिखाई| इसलिए मै अपना समय लेके चुन सकता था| मै ने एक वैद्य को चुना जिनके साथ मै काम करना चाहता था| मै ने अस्पताल चुना जिसमे मै रहना चाहता हूँ, और इसके बीच मे, हजारोँ लोग मुझे समर्थन दे रहे थे, जिनमे एक ने भी मेरे लिए दया नहीँ दिखयी| सब लोग मुझे ठीक होने मे मदद करने के बारे मे अपना हिस्सा लेते थे, और ये मा क्युरा की बहुथ ही महत्वपूर्ण बात थी. और उसका नतीजा क्या थे? मै ठीक हूँ, आप देख सक्ते है, मै बिलकुल टीक हूँ. (तालियाँ) मेरे पास बहुत ही अच्छी समचार है: शस्त्र चिकित्सा के बाद -- मुझे बहुत ही लो ग्रेड ग्लियोमा, जो बडिया तरह के कैंसर है जो ज्यादा नहीँ बढता| मै ने अपनी जिंदगी और जीवनशैली को बदल दिय| मै जो कुछ भी किया मुझे व्यस्थ रखने के लिए शल्य - चिकित्सा की आखरी पाल तक जो बहुत ही कठिन, एक मैट्रिक्स का येलेक्ट्रोड्स मेरे दिमाग मे रखे गये थे इस तरफ से, ताकि जो दिमाग के कँट्रोल के बारे मे पट का निर्माण कर सके| और ठीक शस्त्र चिकित्सा के पहले, ह्म मेरे दिमाग मेँ काम करने वाला चित्र पट के बारे मे वैद्य के साथ चर्चा की ये समझने के लिए कि मै कौनसा खतरा मोल ले रहा हूँ और ऐसा कोई खतरे है जो मैँ टाल सकता हूँ| बेशक खतरे है [खुला] और ये खुलापन ही सचमे ला क्यूरा का असली मौलिक हिस्सा है| हजारोँ लोग उनके कहानियाँ, उनके अनुभव बाँट्ते थे| वैद्य जब कांसर के बारे मे सोचते है, वे उनके साथ बात करते जिनके साथ आमतौर पर सँपर्क नहीँ करते| मै एक खुद - स्थापित, अलग भाषाओँ मे निरँतर चलनेवाले अनुवाद हूँ जहाँ विज्ञान भावना से और पारँपरिक अनुसँधान, सनातन अनुसँधान से मिलती है| [समाज] “ला क्युरा” वेब साईट की बहुत मुख्य उद्देश्य ये है कि समाज का हिस्सा बनना महसूस करना और सामाजिक व्रुद्धी मे समाजिक कल्याण होगा. ये मेरी विश्वीय प्रदर्शन ही कैंसर की इलाज के लिये खुला जवाब है| और मुझे लगता है कि ये सिर्फ मेरी ही नहीँ, हम सब क इलाज हैँ| धन्यवाद| (तालियाँ) ये है न्यू यॉर्क राष्ट्र का नक्शा जो १९३७ मे जनरल ड्राफ्टिंग कंपनीने बनाया था| ये मानचित्रकारी नर्ड के बीच एक अत्यंत प्रसिद्ध है,नक्शा क्योँ कि यहाँ नीचे काटस्किल पहाड़ों तल पर, एक छोटा कस्बा रोस्कोए नाम से है-- वास्तव में उसे यहाँ रख दो तो आसान हो जायेगा-- वहाँ रोस्कोए है,और ठीक ऊपर रोस्कोए रॉकलैंड,न्यूयार्क, और फिर ठीक ऊपर छोटे से शहर अग्लोए,न्यूयार्क के अग्लोए,न्यूयार्क,नक्शानवीस के लिये प्रसिद्ध है. क्योँ कि ओ एक कागज का कस्बा है. ओ सर्वाधिकार जाल भी जाना जाता है. नक़्शानवीस--क्योँकि तुम्हारा न्यूयार्क का नक्शा और मेरा न्यूयार्क नक्शा इसी तरह लग रहा है, न्यूयॉर्क के आकार के कारण-- अक्सर,नक़्शानवीस अपने नक्शे मे नकली स्थानों डालते हैँ, अपने कॉपी राइट बचाने के लिये क्योँकि तब,अगर मेरा नकली जगह तुम्हारे नक्शे पे दिखाता है, मैं अच्छी तरह से और सही मायने में सुनिश्चित किया जा सकता आप मुझे लूट लिया अग्लोए दो लोगोँ का जिन्होँने नक्शा बनाया नाम के पहले अक्षर के मुद्रण है, एर्नेस्ट आल्पर्स और ओट्टो[जि]लिंड्बर्ग, और उन्होँने इस नक्शे को १९३७ मे जारी की दशकों बाद,एक नक्शा रांड मेकनाल्लीने जारी कीया अग्लोए के साथ ,न्यू यार्क उस पर, एक ही सटीक चौराहे कहीं से भी दो गंदगी सड़कों बीच की आप खुशी की कल्पना कर सकते हैं सामान्य मसौदा तैयार करने में ओ तुरन्त रांड मेक्नाली को बुलाया, और उन्होने कहा, "हमने तुम्हें पकड़ लिया है! हमने अग्लोए ,न्यू यार्क का निर्माण किया. ओ कागजपर स्थित एक नकली जगह है हम तुम पर मुकदमा करने जा रहे हैं!" और रांड मेक्नाली कहता, "नही,नही,नही,नही,अगलोए असली है" लोगों उस गँदे चौराहे तक जा रहे हैँ-- (हंसी) वीराने में, अग्लोए नाम का एक जगह वहाँ होने वाले की उम्मीद मे-- किसी ने अग्लोए,न्यूयार्क, नाम का एक जगह का निर्माण किया (हंसी) उसके पास एक गैस स्टेशन,बिसातख़ाना, चरम पर दो घर हैँ (हंसी) और ए बेशक एक उपन्यासकार के लिए एक पूरी तरह से अनूठा रूपक है, क्योँ कि हम सभी विश्वास करना चाहते हैं कि हम कागज पर जो विषय लिखते हैँ ओ दुनिया जिस मे हम जीते हैँ को बदल सकती है,इसी लिये इसीलिये मेरी तीसरी किताब "पेपर टाउन"कहा जाता है| पर अंततः मुझे अधिक दिलचस्पी माध्यम से है जिसमें यह हुआ, यह घटना ही है| ये बहुत आसान है ये बोलना कि ये दुनिया हमारी दुनिया के नक्षे को रूप देते,हैना? जैसे दुनिया के समग्र आकार जाहिर है हमारे नक्शे को प्रभावित करने जा रहे हैँ पर मुझे क्या ज्यादा दिल्चस्प लगाकि जो तरीका जिस तरीके से नक्शे हमने बनाये उससे दुनिया में परिवर्तन आयेगा क्योंकी वास्तव मे दुनिया एक अलग ही जगह होगी अगर उत्तर नीचे होंगे और दुनिया वास्तव मे एक अलग ही जगह होगी अगर अलस्का और रष्या नक्शे के विपरीत दिशा में नही होते और दुनिया एक अलग जगह होती अगर हम यूरोप को उसकी असली परिमाण मे दिखाते ये दुनिया बदल गयी है हमारे बनाये दुनिया की नक्षे से हम जिस तरीके से चुनते--एक तरह की, हमारी व्यक्तिगत नक्षा बनाने का उद्यम है जो हमारे जीवन के नक्शेको आकार भी देते है , और वो हमारे जीवन को भी आकार देता है| मेरा विश्वास है किजो हम नक्षे बनाते हैँ ओ हमारी जिंदगी को बदल देगा| और मेरा मतलब ये नही कि कुछ विषय मे,जैसे, सीक्रेट-ओप्राःकी आनजेल्स नेट्वर्क,जैसे, तुम-जैसा-चाहो-वैसा-सोच-सकते- क्षती -के भावना बाहर- पर मै विश्वास रखता हू कि नक्षे तुम जिंदगी मे कहा जाओगे ए नही बतायेंगे, ओ तुम जहां आप जाना हो बता सकते हैँ| आप शायद ही कभी एक जगह पर जायेंगे जो व्यक्तिगत नक्षे पर ना हो| मै वास्तव में एक डरावना छात्र था जब मै छोटा था| मेरा जी पी ए लगातार दो से नीछे है| और मेरे सोच में बात लगातार थी मै एक डरावना छात्र हूँ| शिक्षा एक श्रृंखला है जो जकड रही है यह सोच सामने आती रहती और मुझे वयस्कता प्राप्त करने के लिए उसे पर करना था| और मैं वास्तव में इस दौड़ में कूद्ना नहीं चाहता, क्योंकि वे पूरी तरह मनमाने ढंग से लग रहा,मैं अक्सर नहीं करता, और तुम्हे पता है, फिर लोग मुझे धमकी देते है इस बारे में मुझे चेतावनी दी गयी "स्थायी रिकार्ड पर जायेगा", या"तुम्हे कभी अच्छा नौकरी नही मिलेगी" मै अच्छी नौकरी नही चाहता था ! जब तक मुझे याद है ग्यारह या बारह साल के उम्र मे, जैसे,अच्छी नौकरी वाले लोग सुबह जल्दी उठते हैँ| (हंसी) और जो अच्छे नौकरीवाले है सब से पहले एक चीज करते हैँ वः कपड़ों की एक परत डीएम घुतानेवाली अपनी गर्दन के आसपास लगते हैँ| सचमुच में वे खुद पर फंदा डालते हैँ और फिर वे अपनी नौकरी के लिए चलेजाते , जो कुछ भी वे कर रहे| ये एक सुखी जीवन के लिए एक नुक्सा नहीं है| ये लोग -प्रतीक का दीवाना, मेरे बारह वर्षीय कल्पना में जो लोग खुद को गला घोट रहे हैँ पहले चीजों में से एक वे हर सुबह करते हैं, वे संभवतः खुश नहीं हो सकते| मैं क्यों कूदना चाहता हू इन सभी बाधाओं के पर और अंत क्या यही होना है? यह एक भयानक अंत है! और फिर,जब मैं दसवीं कक्षा में था, मैं इस स्कूल के लिए चला गया भारतीय स्प्रिंग्स स्कूल, एक छोटे से बोर्डिंग स्कूल, बर्मिंघम, अलबामा के बाहर और यकायक मैं एक शिष्य बन गया और मैं एक शिष्य बन गया, क्योंकि मैं अपने आप को शिष्योँ के एक समुदाय मे पाया मैं अपने आप को लोगों से घिरा पाया बौद्धिकता मनाने वाले,वचनबद्धता, और जो सोचा है कि मेरी विडंबना ओह-तो-शांत मुक्ति चतुर, या हास्यास्पद,नहीं लेकिन, जैसे, यह एक सरल और साधारण प्रतिक्रिया बहुत जटिल और सम्मोहक समस्याओं के लिए और मैं सीखना शुरू कर दिया, क्योँकि सीखना शांत था मैंने सीखा कि कुछ अनंत सेट अन्य अनंत सेट से भी बड़ा है, मैंने सीखा कि पंचपदी पद्य क्यों मानव कान के लिए ए इतना अच्छा लगता है| मैने सीखा कि सिविल युद्ध एक राष्ट्रीय्करण प्रभाव है, मै कुछ भौतिक सीखा, मै ने सीखा कि सहसँबँध करणीय के साथ भ्रमित नही होना चाहिये-- ये सबचीजे, जो हैँ वैसे, मेरे जीवन को सम्रुद्ध कर दिये हैँ दैनिक आधार पर| और ए सच है कि मै उन्हे मेरी "नौकरी" के लिए इस्तेमाल नही करता हूँ पर ए मेरे लिये के बारे मे नही है ए नक्षनवीसी के बारे मे है नक्षनवीसी की प्रक्रिया क्या है? है ,तुम्हे पता,कुछ भूमी पर नौकायान करना, और सोचना, "मै सोचता हूँ मै भूमी के टुकडा का चित्र बनाऊँगा," और फिर सोचना कि "शायद वहा और भी भूमी है चित्र बनाने के लिये" और मेरा सीखना असल मे तब शुरू हुआ | ये सच है कि मेरे पास गुरू थे जो मुझ पर हार नही माने, और मै बहुत भाग्यशाली था जो ऐसे गुरू मुझे मिले क्योँकि मै अक्सर उनको सोचने का कारण देता मुझ में निवेश करने का कोई कारण नहीं| लेकिन मैं हाई स्कूल में जो बहुत कुछ सीखा था वो जो कक्षा के अंदर में हुआ, उसके बारे में नहीं था , लेकिन जो कक्षा के बाहर में हुआ उसके बारे मे था | मै आपको उदाहरण बताता हूँ कि "प्रकाश की एक निश्चित सर्दियों की दोपहर -- यही कारण है कि वज़न की तरह अंधेर कैथेड्रल धुनों का ये नही कि मै ने एमिली डिकिंसन को याद किया जब मैं हाय स्कूल मे था, बल्कि इसलिये कि जब मै हाय ल मे था वहा एक लडकी थी, उसकी नाम थी अमांडा, और मै उस को पसंद करता था, और ओ एमिली डिकिंसन कविताओँ को पसंद करती थी मै आप को सही मौके का कीमत इसलिये बता सकता हू, क्योँकि एक दिन जब मै सूपर मारिओ कार्ट मेरे कौच पर बजारहा था, मेरा दोस्त एम्मेट अंदर आया, और उसने कहा, "कितने देर से तुम सूपर मारिओ कार्ट बजा रहे हो?" और मैने कहा"मुझे नही पता, शायद,छे घँटे? "और उसने कहा, "क्या तुम को एहसास है कि तुम अगर बास्किन-रोब्बिंस मे छे घंटे काम करोगे तुम ३० डॉलर्स कमा सकते थे, कुछ मायनों में, तुमने सूपर मारिओ कार्ट बजाने के लिये ३० डॉलर्स दे दिये" और मै जैसे,"मै उस सौदा को लेता हूँ|" (हंसी) लेकिन मैं समझा अवसर का लागत क्या है। और धीरे धीरे मेरे जीवन का नक्शा बेहतर हुआ। यह बड़ा हो गया; इसमे अधिक स्थान शामिल हुए। वहाँ अधिक बाते हो सकते थे, मेरे पास अधिक वायदा हो सकता है। यह एक औपचारिक, संगठित, सीखने की प्रक्रिया नहीं था और मैं खुशी से ए मानता हूँ यह असमान था,यह असंगत था, बहुत कुछ था जो मै नही जानता था मैं शायद जानता,तुम्हें पता है ,कैंटर के विचार कि कुछ अनंत सेट अन्य अनंत सेट की तुलना में बड़े होते हैं, लेकिन इस विचार के पीछे पथरी मेरी समझ में नहीं आया मैं,शायद अवसर लागत का विचार जानता हू, लेकिन मुझे रिटर्न ह्रासमान के कानून पता नहीं था। लेकिन सीखने को नक्शानवीसी जैसे कल्पना करने में बडी बात यह है, उसको गतिरोध न समज़ कर है तुम्हर पर करना है, समुद्र तट देखने से, तुम्हे और ज्यादा दुरीपर देखने के लिये प्रेरणा मिलेगी और इसलिए अब कम से कम मुझे पता है सभी विषय के पीछे का कुछ गणना तो,मेरे पास एक शिक्षण समुदाय था हैस्कूल मे,तब मै दूसरे के पास कालेज केलिये गया, और फिर मै एक और के पास गया, जब मै काम करना शुरू किया "बुक लिस्ट"नाम के मैगझीन के लिए जहाँ मै एक सहायक था, अच्छी तरह से पढ़े लोगोँ से घिरे . अचरज की बात थी . और फिर मैने एक किताब लिखा था और जैसे सभी लेखकों करने का सपना होता है, मैने तुरंत अपनी नौकरी छोड़ दी| (हंसी) और हाई स्कूल के बाद से पहली बार के लिए, मैं एक सीखने के समुदाय के बिना अपने आप को पाया और वह दुखी था। मुझे इससे नफ़रत थी। इस दो साल की अवधि के दौरान मै बहुत, बहुत किताबें पढ़ी मैं, स्टालिन के बारे में किताबें पढ़ी और किताबे पढ़ी उज़्बेक लोग कैसे मुसलमानों की पहचान करते है और मैं परमाणु बम बनाने के बारे में किताबें पढ़ी लेकिन यह महसूस हुआ कि जैसे मैं मेरी खुद की बाधाओं को बना रहा था, और फिर, उन पर से कूदना बजाय अपने आप उत्तेजना महसूस करने की , शिक्षार्थियों के एक समुदाय का हिस्सा होने के कारण,लोगों का एक समुदाय जो एक साथ लगे हुए हैं कार्टोग्राफिक उद्यम में हमारे आसपास की दुनिया को बेहतर समझने की और नक्शा बनाने का कोशिश और फिर, २००६ मे,मै उस शक्श से मिला| उसका नाम है ज़ी फ्रांक मै असल मे उस्से मिला नही, केवल इंटरनेट पर| ज़ी फ्रांक उस समय "शो ज़ी फ्रांक के साथ" नाम का एक शो चलारहा था और मै ने शो की खोज किया, और मै फिरसे पूर्ववत एक समुदाय शिक्षार्थी बन गया| विडियो में झे लास वेगास के बारे में कहते है: (विडियो) जे फ्रान्क: लास वेगास विशाल रेगिस्तान के मध्य में बनाया गया था। यहाँ सब कुछ कहीं और से लाया गया अन्यथा -- इस तरह के चट्टानों, पेड़ों, झरने नहीं होते। ये मछलियाँ और मेरी सुअर बाहर से हैं। चिलचिलाती रेगिस्तान के विपरीत जो इस जगह को चारों ओर से घेरे तो यहा कि लोग हैं, दुनिया भर के चीजें से यहाँ पुनर्निर्माण किया गया, अपने इतिहास से दूर, और लोगों से दूर उन्हें अलग तरह का अनुभव करते। कभी-कभी सुधार किए गए थे - यहां तक कि स्फिंक्स को नौकरी मिल गई। यहाँ, कुछ भी कमी महसूस करने की कोई कारण नहीं है| न्यूयार्क मेरे लिए वैसाही मान्यता रखता है जो हर किसी को लगता। सब कुछ संदर्भ से बाहर है, और इसका मतलब संदर्भ सब कुछ को अनुमति देता: सेल्फ पार्किंग,ईवेन्ट्स सेंटर, शार्क रीफ। इस जगह की निर्माण दुनिया की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक हो सकता है, क्योंकि कोई भी यहाँ के नहीं है; सभी करते। मैं आज सुबह चले वक्त देखता रहा ज्यादातर इमारतो के विशाल दर्पण सूरज की रोशनी परिवर्तित करके रेगिस्तान बनी लगे लेकिन सब दर्पण के विपरीत, एक जगह में खुद को बाहर के दृश्य के साथ एम्बेडेड किए बिना इन दर्पण वापस खाली आते हैं। जॉन ग्रीन: यदि आप ऑनलाइन वीडियो में पिक्सल को दिखा कर मुझे कुछ दिनों के लिए उदासीन बनाते है। (हंसी) झे एक महान सार्वजनिक बुद्धिजीवी ही नहीं बल्कि एक शानदार समुदाय बिल्डर है, और इन वीडियो के द्वारा लोगों के समुदाय का निर्माण हुआ वो कई मायनों में शिक्षार्थियों के एक समुदाय था। सहयोग के साथहमने शतरंज में ज़ी फ्रैंक को हरा दिया। हम संयुक्त राज्य में एक सड़क यात्रा पर एक युवक को भेजने के लिए खुद को संगठित किया। हम पृथ्वी को सैंडविच के रूप में बदल दिये, एक व्यक्ति को पृथ्वी के एक बिंदु पर रोटी का एक टुकड़ा पकडडे हुए, और पृथ्वी की टीक विपरीत बिंदु पर, रोटी का एक टुकड़ा पकड़े किसी अन्य व्यक्ति के लिए है। मैं एहसास करता हूँ कि ये मूर्ख विचार है, लेकिन वे शिक्षा की अच्छी कलपनये है, और वहीं जो मेरे लिए बहुत रोमांचक था, और आप अगर ऑनलाइन जाते हो,आप सभी जगह पर इस तरह के समुदायों पा सकते हैं टम्बलर पर पथरी टैग का अनुसरण करें, और हाँ, आप लोग पथरी के बारे में शिकायत करते देखेंगे, लेकिन आप लोगों को उन शिकायतों-ब्लॉगिंग फिरसे करते हुए भी देखेंगे, कि तर्क करते हुए पथरी रोचक और सुंदर है, और यहाँ आप के न सुलझा हुआ समस्या के बारे में सोचने के लिए एक रास्ता है। आप रेडिट जैसी जगह जा सकते है और उप- रेडिट पा सकते हैं, जैसे"इतिहासकार को पूछो"य"शास्र को पूछो", जहा तुम लोगोँ को जो इस क्षेत्रोँ मे हैँ सवालों की एक विस्तृत श्रृंखला, बहुत गंभीर सवाल से बहुत बेवक़ूफ़ सवाल तक पर मेरे लिये,बहुत दिलचस्पी शिक्षार्थियों के एक समुदाय जो इंटरनेट पे विस्तार हो रहा है अभी युट्युब पर, और बेशक, मैं पक्षपाती हूँ। लेकिन मुझे लगता है, यूट्यूब पेज बहुत मामलों में एक कक्षा से मिलता-जुलता है। उदाहरण के लिए देखो "मिनट भौतिकी," जो एक पुरुष, भौतिक विज्ञान के बारे में दुनिया पढ़ा रहा है: (वीडियो) चलो हम पीछा करते हैं। 4 जुलाई 2012 की स्थिति के अनुसार, हिग्स बोसॉन कण भौतिकी के मानक मॉडल के अंतिम मौलिक टुकड़ा प्रयोगात्मक की खोज की जा रही थी। लेकिन आप पूछ सकते कि क्यों हिग्स बोसॉन को मानक मॉडल में अच्छी तरह से ज्ञात कणों जैसे इलेक्ट्रॉनों और फोटोन और क्वार्कों के साथ शामिल किया गया. यह १९७० के दशक में तो पता नहीं किया गया तो क्या होगा? अच्छा प्रश्न। दो मुख्य कारण हैं। सबसे पहले, जैसे इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रॉन क्षेत्र में एक उत्तेजना है, हिग्स बोसॉन बस एक कण है जो हर जगह- फैलने वाले हिग्स क्षेत्र के एक उत्तेजना है बदले में हिग्स क्षेत्र हमारे मॉडल में कमजोर परमाणु शक्ति के लिये पूरा भूमिका निभाता विशेषत:,हिग्स फील्ड यह इतना कमजोर क्यों है समझाने में मदद करता है| बाद के वीडियो में इसके बारे में बात करेंगे, लेकिन कमजोर परमाणु सिद्धांत १९८० में पुष्टि की गई है, भले ही समीकरणों में, हिग्स क्षेत्र कमजोर बल के साथ अलंघनीय उलझा हुआ था,कि अब तक हम उसके वास्तविक और स्वतंत्र अस्तित्व की पुष्टि करने में असमर्थ है| जेजी: या यहाँ एक वीडियो है "क्राश कोर्स"के हिस्से के रूप में: प्रथम विश्व युद्ध के बारेमे (वीडियो) तत्काल कारण ज़ाहिर था ऑस्ट्रियन आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड केसाराजेवो में हत्या, 28जून1914पर,गाव्रिलो प्रिंसिप नाम का एक बोस्नियाई सर्ब राष्ट्रवादी द्वारा त्वरित तरफ:ए ध्यान देने योग्य है कि बीसवीं सदी के पहले बड़ा युद्ध आतंकवाद के एक कृत्य के साथ शुरू हुआ है फ्रांज फर्डिनें अपने चाचा सम्राट फ्रांज जोसेफ को विशेष रूप से पसंद नहीं था, वाह क्या मूंछें है! लेकिन फिर भी,इस हत्या ने, ऑस्ट्रिया को सर्बिया को चेतावनी देने के लिए मजबूर किया सर्बियाने ऑस्ट्रिया की कुछ मांगे स्वीकार की लेकिन सभी नहीं, मजबूरन ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा की और फिर रूस की सर्बों के साथ अपने गठबंधन के वजह से,अपनी सेना जुटाए जर्मनी,क्योंकि ऑस्ट्रिया के साथ गठबंधन किया ,रूस से जुटाने को रोकने के लिए कहा, रूस ऐसा करने में विफल हुआ, तो फिर जर्मनी, अपनी ही सेना को जुटाए, रूस के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी, तुर्क के साथ गठबंधन पुख्ता, और फिर फ्रांस पर युद्ध की घोषणा की जैसे कि,आप को पता है,फ्रांस (हंसी) और यह सिर्फ भौतिकी और दुनिया की इतिहास नहीं जो लोगों को यूट्यूब के माध्यम से जानने के लिए चयन कर रहे हैं यहाँ गणित सार के बारे में एक वीडियो है। (व्हिडीओ) तो तुम मेरे हो, और आप फिर से गणित वर्ग में हैं, क्योंकि वे आप को हरदिन जाने जैसे बनायेंगे और तुम मैं नहीं जानता,अनंत श्रृंखला की रकम के बारे में सीख रहे हो यह एक हायस्कूल की विषय है,ठीक है? जो अजीब है क्योँकि ए एक शांत विषय है, लेकिन वे जैसे-तैसे इसे बर्बाद कर सकेँ इसलिए मुझे लगता कि वे पाठ्यक्रम में अनंत श्रृंखला की अनुमति देते तो,विनोद की जरूरत काफी समझ आती है, आप डूड्लिंग रहे हो और "श्रृंखला" का बहुवचन क्या होना चाहिये,ए अधिक सोच रहे हैँ नाकि उपलब्ध विषय के बारे मे: "सिरीसे","सिरीस","सिरीसेँ",और"सिरी?" या एकवचन की परिवर्तित किया जाना चाहिए:एक "सिरी,या",सीरम", जैसे "शीप" की एकवचन "शूप" होना चाहिये लेकिन चीजों की पूरी विचार जैसे 1/2 + 1/4 + 1/8 + 1/16 और इत्यादि एक दृष्टिकोण है,यह उपयोगी है,अगर, आप हाथियों की एक लाइन खीँचना चाहते हो , प्रत्येक अगले एक की पूंछ पकदे है : सामान्य हाथी, युवा हाथी, हाथी के बच्चे, कुत्ते के आकार हाथी, पिल्ला आकार हाथी, सभी तरहश्री दाँत और पार जो थोडा सा विस्मय की बात है क्योंकि आप असंख्य हाथियाँ एक पंक्ति में ,प्राप्त कर सकते है, और फिर भी यह एक नोटबुक पेज भर में फिट किया है जेजी: और अंत में, यहां डेस्टिन " होशियार हर दिन" से है, कोणीय गति के संरक्षण के बारे में बात कर रही है, और, क्योंकि ये यूट्यूब है,बिल्ली: (व्हिडीओ)हे, यह डेस्टिन है, "होशियार हर दिन"मे आपका स्वागत है तो आप शायद देखा है कि बिल्लियों लगभग हमेशा अपने पैरों लांड करते है आज का सवाल है: क्यों? सबसे आसान सवालों की तरह, एक बहुत ही जटिल जवाब है। उदाहरण के लिए, मुझे इस सवाल को कैसे एक बिल्ली गिरती सतह पर निचे पैर रखकर ऊपर छलांग लगाती है बिना कोणीय संवेग नियम बदले ? (हंसी) जेजी: तो, यहाँ इन सभी चार वीडियो मे आम कुछ है: इन सभी को यूट्यूब पर आधे लाख से ज्यादा भी लोग इन्हे देखे हैं और उन लोग कक्षाओं में देख नही रहे हैं, पर वे सीखने के समुदायों का हिस्सा हैं जोकि इन चैनलों द्वारा स्थापित किए गये हैं। और जैसे मैं पहले कहा था, यूट्यूब मेरे लिए एक कक्षा जैसी है और कई मायनों में यह है, क्योंकि यहां प्रशिक्षक है-- यह पुराने-जमाने की कक्षा की तरह है: यहां प्रशिक्षक है, और फिर प्रशिक्षक के नीचे छात्रों हैं, और वे सभी बातचीत कर रहे हैं। और मैं जानता हू यूट्यूब व्याख्या को बहुत बुरा प्रतिष्ठा है इंटरनेट की दुनिया में, लेकिन वास्तव में, आप अगर इन चैनलों के व्याख्या के लिये चलते हैं, आप क्या पाएंगे कि लोग विषय वस्तु को लगे रहते है, कठिन, जटिल सवाल पूछते रहते है, जो विषय वस्तु के बारे में हैँ और फिर अन्य लोग उन सवालों का जवाब दे| और क्योंकि यूट्यूब पेज की स्थापना की है ताकि मै जिस पेज मे आप से बात कर रहा हू वो ठीक --जगह जहा मै आप से बात कर रहा हू वो ठीक उसी पेज पर है अपनी टिप्पणी के रूप में, आप एक जीवित और वास्तविक और सक्रिय रास्ते मे वार्तालाप में भाग ले रहे हैं क्योंकि मैं आमतौर पर टिप्पणी कर रहा हूँ, मै आप के साथ भाग ले सकता हूँ और तुम को यह पता चलेगा यदि वो दुनिया के इतिहास है, या गणित, या विज्ञान, या वो जो कुछ भी है आप युवा लोगों को उपकरणो का और इंटरनेट की शैलियों का बौद्धिक वचनबद्धता के लिए स्थानों बनाने के क्रम में उपयोग करते हुए भी देखा हैं, बजाय विडंबना टुकड़ी के हो सकता कि हम में से ज्यादातर मेमस और अन्य इंटरनेट सम्मेलनों -के साथ सँबंध रखते हैँ आप को पता है "ऊब गया | पथरी का आविष्कार किया।" या, यहां हनी बू बू औद्योगिक पूंजीवाद की निंदा करते हुए: "उदार पूंजीवाद बिल्कुल मानवता की भलाई के लिए नहीं है| बिल्कुल इसके विपरीत; यह बर्बर, विनाशकारी शून्यवाद का वाहन है। "] यदि तुम नहीं देख सकते वह क्या कहती --- हाँ। मैं सचमे मानता हू कि इन स्थानों का, इन समुदायों, शिक्षार्थियों की एक नई पीढ़ी बन गए हैं, समुदायों की तरह, कार्टोग्राफिकसमुदायों की तरह जो मेरे पास थे जब मैं हाई स्कूल में था, और उसके बाद फिर मैं कॉलेज में था| और एक वयस्क के रूप में, इन समुदायों को फिर से खोजना मुझे फिर से शिक्षार्थियों के एक समुदाय को पेश किया और मुझे वयस्कता में भी एक शिक्षार्थी बने रहने के लिए प्रोत्साहित किया है और अब मुझे बिलकुल लगता नहीं कि सीखना सिर्फ युवा के लिए आरक्षित कियागया है| वि हार्ट और "मिनट भौतिकी" मुझे सभी प्रकार की चीजेँ जो पहले मै नही जानता था परिचय करादी| और मै जानता हू कि हम सभी ज्ञानोदय में पेरिस सैलून के दिनों में वापस सुन सकते हैँ| या आल्गोंक़ुइन गोलमेज को, और इच्छा, "ओह, मैं इस बात का एक हिस्सा हो सकता था, मैं चाहता हू कि डोरोथी पार्कर के चुटकुलों पर हँसे सकू " लेकिन मैं ये कहना चाहता हूँ कि ये स्थानों मौजूद हैं, वे अभी भी मौजूद हैं। वे इंटरनेट के कोनों में मौजूद हैँ,जहां बुजुर्ग आदमी को चलने के लिए डर लगता है। (हंसी) और मैं सही मायने मे विश्वास कारता हूँ कि जब हम अग्लू, न्यू यार्क का १९६० में, आविष्कार किया, हम अग्लोए को वास्तविक बानाया, हम बस शुरू हो रहे थे| धन्यवाद. (तालियाँ) सत्तर हजार साल पहले हमारे पूर्वज नगणनीय जानवर थे| एक महत्वपूर्ण बात हमारी पूर्वजोँ के बारे मे है की वो लोग महत्वहीन थे| उन लोगों की दुनिया के ऊपर मुद्रा जेल्ली मछली या आग मक्खियो या वुड पेकर से ज्यादा नहीं था| आज इसके व्यतिरेक हम इस ग्रह पर काबू पालिये| और प्रश्न ये है कि: हम वहाँ से यहाँ कैसे पहुंच गये? हम अपने आप को कैसे मोड लिये ताकी हम आफ्रिका के कोने में अपने काम देखने वाले नगणनीय वानर से इस दुनिया के शासक कैसे बनगये? आम तौर पर, हम व्यक्तिगतस्तर पर दूसरे जानवर और हमलोगोँ मे फर्क देखते है| हमलोग ये मानना चाह्ते है -- मैँ ये मानना चाह्ता हूँ -- कि मुझ मेँ कुछ खास बात है, मेरे शरीर मे, मेरे दिमाग मे, जो मुझे एक कुत्ता, एक सुवर, या एक चिँपाँजी से कई ज्यादा बेहतर बनाता है| लेकिन सच तो ये है कि व्यक्तिगत स्तर पर मैँ शर्मानक, चिँपाँजी समान रूप मे हूँ| और अगर तुम मुझे और एक चिँपाँजी को एक सुनसान द्वीप मे रखोँगे| और अगर हम को जीने के लिए सँघर्ष करना पडा, और कौन बेहतर बचता मै अपना शर्त निश्चित रूप से चिँपाँजी के ऊपर, रखूँगा परन्तु मेरे ऊपर नहीँ| और मुझमें व्यक्तिगत रूप से कोई कमी नहीँ है| मुझे लगता है, अगर वेआप में से किसी एक को लेते और तुमको अकेले चिँपाँजी के साथ कोई द्वीप मे रखते तो चिँपाँजी आप से बेहतर काम करेगा| असली फर्क मनुष्य और बाकी सारी जानवर के बीच अंतर व्यक्तिगत स्तर पर नहीँ है; बल्कि सामजिक स्तर पर है| मनुष्य धर्ती को काबू मे रख सकते है क्योँ कि वे सिर्फ ऐसी जानवर है जो ज्यादा सँख्या मे सहयोग और लचील ढँग से मदद कर सकते हैँ| अब, दूसरे जानवर है - जैसे कि समाजिक कीडे, मखियाँ, चीटियाँ -- जो ज्यादा सँख्या मे साथ देते हैं, पर इतना लचीले ढँग से नहीँ करते| उनका साथ देना कठिन हैं| मूल्र रूप से एक ही रास्ता है जिस तरीके से मधु मक्खी काम कर सकती हैँ| और अगर वहाँ कोई नया अवसर या नया खतरा हो, मधु मक्खी समजिक व्यवस्था का पुन: कल्पना रातोँ रात नहीँ कर सकते| उदाहरणार्थ, वो अपने राणी को फासि नहीं देसक्ते और एक राज्य का स्थापना नहीं कर सकते या श्रामिक मक्कियो का तांशाही साम्यवादी नहीं बना सकते दूसरे जानवर जैसे सामाजिक स्थनधारियों भेदियों, हाथियों, दाल्फिंस, चिपांजीस -- वो ज्यादा लचीले ढंग से समर्थन देते हैं| लेकिन वो ऐसे बहुत कम संख्या मे करते है, क्योंकि चिन्म्पांजियोँ में साथ देना उन दोनो को एक दूसरोँ को समझने पर है| मै एक चिन्म्पांजी हूँ और तुम एक चिन्म्पांजी हो, और मै तुम्हारे साथ मिलकर काम करना चाहता हूँ| मुझे तुम्हे व्यक्तिगत रूप से जानना जरूरी है| किस तरह के चिम्पांजी हो तुम? तुम एक अच्छा चिम्पांजी हो? क्या तुम एक दुष्ट चिम्पांजी हो? क्या तुम भरोसा के लायक हो? अगर मै तुम्हे नही जानता मै तुम्हारे साथ कैसे दे सकता हूँ ? ऐसे एक हीं जानवर है जो इन दोनो क्षमतावो को मिला सकता है और लचीले ढंग से भी और ज्यादा संख्या मे भी साथ दे सकते है वो है हम मानव जाती| एक का एक ,या दस का दस, चिंपांजी हम से बेहतर हो सकते है| पर ,अगर तुम १००० लोग को १००० चिंपांजियों के सामने रखोगे तो, मानव आसानी से जीत जायेंगे, इसका कारण सरल है कि १००० चिंपांजियों एक दूसरे के साथ नहीं दे सकते| और अगर तुम १००,००० चिंपांजियों को एक साथ ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्र्रीट या वेम्ब्ले स्टेडियम या टियनानमें स्क्वेअर या व्हेटिकन मे ठूसना तुम को पूरा अस्थ्व्यस्थता मिलेगि कल्पना करो १,००,००० चिंपांजियों से भरा वेम्ब्ले स्टेडियम को पूरा पागलपन मिलेगा इसके उलते मे लोग वहाँ हजारोँ मे इकट्टा होते हैँ, और हमे आम तौर पर अस्वस्थता नहीँ मिलेगी| हमे अत्यन्त सुविग्न और प्रभावी सहयोगी को नेटवर्क मिलेगा| मनुष्य चरित्रमे सभी बडे उपलब्धियँ यदी पिरमिड की निर्माण हो या चांद की यात्रा हो व्यक्तिगत सामर्थ्य पर आधार नहीँ हैं, पर एक दूसरे की लचीले ढंग से मदद कर ने की ऊपर आधारित है| अब मै जो सम्भाषण दे रहा हूँ उसके बारे मे सोचिये: मै यहाँ लगबग ३०० या ४०० श्रोताओँ के सामने खडा हूँ, तुम मे से ज्यादा लोग मेरे लिये बिलकुल अजनबी हो| ऐसे ही मै उन लोगोँ को नहीँ जानता जो इसका इंतेजाम् किया और इस कार्यक्रम के ऊपर काम किया| मै पैलट और हवाइ जहाज की सभ्ययोँ को नहीं जानता जो मुझे यहाँ लेके आये और कल लँडन को लेके गये| मै उन लोगोँ को नहीं जानता जो इस मैक्रोफोन और केमेरा का आविष्कार किये, और् बना दिये जो इस वक्त मेरे बातोँ को रिकॉर्ड कर रहे है| मै उन लोगोँ को नहीँ जानता जो सब किताबेँ और लेख लिखे जो मै इस सँ भाषण के लिये तैयार होते हुये पढा था| और मै उन सभी लोगोँ को बिलकुल भी नहीँ जानता जो नयी दिल्ली या ब्युनोस ऐरस् से इन्टरनेट पर ये संभाषण देख रहें होंगे| फिर भी हम एक दूसरे को ना जानते हुये भी हम इस विचारों का अदला बदली वैश्विक स्तर पे कर सकते है| ये सब कुच चिंपांजियों नहीँ कर सकते| वो बेशक संसूचित करते हैँ, पर तुम एक चिंपांजी को कोई दूर की बैंड के लिये हाथियोँ या कोई और चीज जो चिंपांजियों को दिलचस्प लगे, उसके बारे मे भाषण देने के लिये जाते हुये नहीँ देख सकते. अब साथ देना हमेशा अच्छी बात नहीं होती; सभी दारूण चीज पूरी चरित्र मे मनुष्य जो कर रहे है -- और हम जो बहुत हीं गलत चीज जो हम कर रहे हैँ -- वो सभी चीज भी बड़े पैमाने पर सहयोग पर आधारित है| जैल एक तरफ के सहयोग है; बूचड़खाने भी एक सहयोग की प्रणाली है; कारा शिविर एक सहयोग की प्रणाली है| चिंपांजियों के पास बूचड़खाने, जैल और ,कारा शिविर नहीँ होते| अब अगर मैने शायद आपको यकीन दिलाया कि हाँ,हम इस दुनिया को काबू मे कर सकते क्योँकि हम एक दूसरे का समर्थन लचीले ढंग से बडी सँख्या मे करते हैँ| अगला प्रश्न जो तुरंत उठता है एक कुतूहली श्रोता के मन मे कि हम ये कैसे करते हैँ? पूरी जानवरोँ मे क्या है जो सिर्फ हमे योग्य बनाता है कि हम एक दूसरे की समर्थन कर सकते? इसकी उत्तर है हमारी कल्पना शक्ती| हम अनगिनत सँख्या मे अजनबियोँ की मदद कर सकते हैँ, क्योँकि इस ग्रह के सारी जानवरोँ मे सिर्फ हम हैँ, कुछ बना सकते हैँ, कल्पनावोँ, और कल्पनात्मक रचनावोँ को मानते हैँ| और जब तक सभी लोग उस कल्पना को मानते हैँ, सब लोग एक ही नियम,एक ही मानद्न्डोँ, और एक ही मूल्योँ का अनुसरण करते है| बाकी सब जानवर सिर्फ वास्तविकता का वर्णन करने के लिये अपनी संचार व्यवस्था इस्तेमाल करते हैँ| एक चिंपांजी कह सकता है "देखो! वहाँ एक शेर है ,चलो हम भागते हैँ!" या,"देखो! वहाँ एक केले की पेढ है ! आओ हम चले और केले लाये" मनुष्य उसके विपरीत ,अपने भाषा सिर्फ सच का विवरण देने के लिये ही नहीं बल्कि नया सच ,सच की कल्पना करने के लिये भी इस्तेमाल करते है| एक मनुष्य ये बोल सकता "देखो, बादल के ऊपर वहाँ एक भगवान है" और मै ने जो बोला अगर तुम वो नहीं करोगे, जब तुम मरोगे,भगवान तुम्हे दँड देगा और नरक मे भेजेगा| और अगर तुम सब मेरे इस कहाँनी, जो मै ने बनाया,पर यकीन करोगे तब तुम मानदंडों और कानूनों और मूल्यों का पालन करोगे, और तुम अपना सहयोग दे सकते| ये सिर्फ मनुष्य ही कर सकता है| तुम एक चिंपांजी को कभी तुम्हे एक केला देने के लिए नहीँ मना सकते ये वादा कर्ते हुए कि "तुम जब मरोगे तो तुम चिँपाँजियोँ का स्वर्ग जाओगे..." (हँसी) "... और तुम्हे बहुत सारे केले मिलेँगे तुम्हारी अच्छे कामोँ के लिए| इसलिए मुझे अब ये केला दे दो|" कोई चिंपांजी कभी भी ये कहानी पर यकीन नहीँ करेग| सिर्फ़ मनुष्य ही ऐसे कहानियों पर यकीन करते हैँ| इसीलिए हम इस दुनिया पर काबू पा लिए लेकिन चिंपांजी चिडियघरोँ और अनुसंधान प्रयोगशालाओं मेँ ताले के पीछे है| अब तुम ये मानलोगे कि हाँ, आध्यात्मिक क्षेत्र मेँ मनुष्य एक ही कल्पना मे यकीन कर एक दूसरे की समर्थन करते हैँ| लाखोँ मे लोग इकट्टे होते है एक बडा गिरजा या मस्जीद का निर्माण करने के लिए या जिहाद या धर्मयुद्ध मे लडने के लिए क्योँ कि वे सबलोग एक ही कहानी मे यकीन करते हैँ| जो भगवान, स्वर्ग और नरक के बारे मे हैँ| पर मै जिस पर जोर देना चाह्ता हूँ वह ये है कि मनुष्य की दूसरे भडी समर्थन मे भी ये ही काम करता है ना कि सिर्फ आध्यात्मिक क्षेत्र| उदाहरणार्थ, न्याय व्यवस्था मेँ देखिए, ज्यादातर न्याय व्यवस्थाएँ आज दुनिया मेँ मानव हक मेँ यकीन रखने पर आधारित हैँ| लेकिन मानव हक क्या हैँ? मानव हक, सिर्फ एक कहानी है, जो हमने कल्पना की जैसे कि भगवान और स्वर्ग को. वह तो वस्तुगत सच्चाई नहीँ हैँ| ये कुछ होमो सेपियन्स के बारे मेँ जैविक प्रभाव नहीँ हैँ| एक मनुष्य को काटो, खोलो, अंदर देखो, तुमको दिल, किड्नी, न्यूराँन्स, हारमोन, डी एन ए, लेकिन तुम्हेँ कोई हक नहीँ दिखेगा| ये हक कहानियोँ मेँ ही खोज कर सकते है जो हमलोगोँ ने, अविष्कार किया और पिछले कुछ शताब्दोँ मेँ विस्तार किया| ओ बहुत सकारात्मक कहानियाँ, बहुत अच्छे कहानियाँ, पर ओ भी कल्पनात्मक रचनाएँ जो हमने आविष्कार किया है| ये बात राजकीय क्षेत्र मेँ भी लागू होती है, आधुनिक राजकीय मेँ राष्ट्र और देश दो बहुत ही खास कारक है| पर राष्ट्र और देश क्या हैँ? ओ वस्तुगत सच्चाई नहीँ है| ये पर्वत वस्तुगत सच्चाई है| आप उसको देख सकते, आप उसको छू सकते, आप उसको कभी सूँघ सकते| लेकिन एक देश या एक राष्ट्र जैसे इज्राइल,या इरान,या फ्रांस या जर्मनी, ये एक कहानी है जो हम ने आविश्कार किया और उसके साथ हम अत्यंत जुड गए आर्थिक क्षेत्र मे भी समान सूत्र चलता है| विश्व अर्थव्यवस्था मे महत्व पूर्ण आज हैँ कंपनियों और निगमों आज तुम मे से ज्यादा लोग शायद कोई निगमोँ के लिये काम करते होंगे जैसे गूगल,या टोयोटा या मैक डोनाल्ड्स असल मे ये सब चीज क्या हैँ? ओ जिन्हे वकील न्याय कल्पना बुलाते हैँ| ओ कथायेँ शक्तिशाली मेधावी जिसको हम वकील कहते हैँ से आविष्कार किया गया और बनाए रखा| (हँसी) और निगम क्या करते है ? ज्यादातर ओ पैसे बनाने की सोचते हैँ| मगर येपैसे क्या है ? फिर से,पैसे एक वस्तुगत सच्चाई नही है ,उस्को कोई वस्तुगत मूल्य नही है एक हरा कागज का तुकडा ,डॉलर बिल लेलो उस्की तरफ देखो,उसका कोई मूल्य नही है तुम उसको नही खा सकते तुम उसको नही पी सकते, तुम उसको नही पहन सकते पर तब आये उसके साथ ये उस्ताद कहानीकारों बड़े बैंकरों, वित्त मंत्रियों, प्रधान मंत्रियों -- और ओ बहुत ही कायल कहानियाँ बता ते हैँ "देखो तुम ये कागज़ का टुकडा देखते हो? ये असल मे 10 केले के लायक है" और अगर मै उसको मानता हूँ, तुम मानते हो, और सबलोग इसको मानते हैँ ये सचमुच काम करेगा मै इस कागज के बेकार टुकड़ा ले सकता हूँ सूपर मार्केट जा सकता हूँ, एक पूरा अजनबी ,जिसे मै इस के पहले कभी मिला नही को दे सकता हू और उसके बदले मे मिलेगा असली केले जिसको मै खा सकता हूँ| ये कुछ अद्भुत है| तुम चिन्म्पांजीस के साथ ये कभी नही कर सकते चिन्म्पांजीस बेशक लेनदेन करते हैँ "हाँ,तुम मुझे एक नारियल देदो ,मै तुम्हे एक केला दूंगा" ओ काम कर सकता है पर तुम मुझे एक् कागज के बेकार टुकड़ा दो और तुम मुझे एक केला देने की आशा करते हो बिलकुल नहीं! तुम क्या सोचते हो मै एक मानव हूँ? (हँसी) पैसे असल में अत्यन्त सफल कहानी है जो कभी मनुष्य द्वारा आविष्कार और कहा गया क्योंकी ये ही एक कहानी है जिसमे हर कोई विश्वास रखता है| हर कोई भगवान मे विश्वास नही रखता, हर कोई मानव अधिकार मे विश्वास नही रखता हर कोई राष्ट्रवाद मे विश्वास नही रखता पर सबलोग पैसोँ मे, डालर बिल् मे विश्वास रखते हैँ| ओसामा बिन लदेन को भी लीजिए, वे अमेरिकी राजनीति, अमेरिकी धर्म और अमेरिकी संस्कृति से नफ़रत करते थे, पर उनको अमेरिकी डाँलर से कोई एतराज नहीँ था| वे उसे सही मे बहुत पसंद कर्ते थे| (हँसी) अब बात समाप्त करने के लिए; हम मनुष्य दुनिया को काबू पाने के लिए हम दोहरी वास्तविकता मेँ जीते है| बाकी सब जानवर वस्तुगत सच्चाई मेँ जीते है| उनकी सच्चाई मेँ वस्तुगत संस्थाओं, जैसे कि नदियाँ और वृक्षों और शेर और हाथियाँ हैँ| हम मनुष्य, हम भी वस्तुगत सच्चाई मेँ जीते हैँ| हमारी दुनिया मेँ भी नदियाँ और वृक्षों और शेर और हाथियाँ हैँ| पर शताब्दों बीतने पर, इस वस्तुगत सच्चाई के ऊपर कल्पनिक जगत की दूसरी परत निर्मण कर ली हैँ जो कि कल्पनिक संस्थाओं, जैसे कि दीशों, जैसे भगवान, जैसे पैसे, जैसे निगमों| और अद्भुत बात ये है कि जैसे चरित्र सामने आया, इस कल्प्निक सच्चाई और भी शक्तिशाली बनगयी इसलिए आज इस दुनिया में सबसे ज्यादा शक्तिशाली बल ये कल्पनिक वस्तु हैँ| आज नदियाँ और वृक्षों और शेर और हाथियाँ जीवित रहना काल्पनिक संस्थाओं की निर्ण्यों और इच्छाओं पर निर्भर हैं, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, जैसे गूगल, जैसे वर्ल्ड बैंक -- जो संस्थाओं स्वयं की कल्पना में ही मौजूद हैं| धन्यवाद| (तालियाँ) ब्रूनो गियुस्सानि: युवल, आपकी नई किताब बाहर आई| सपियन्स के बाद, आपने एक और किताब लिखा, और वो हेब्रू में प्रकाशन हुई पर अभीतक अनुवादित नहीं हुई युवल नो हरारी: मैं अनुवाद कर रहा हूँ जैसे हम बात कर रहे हैं| बी जी: उस किताब मे,अगर मैँ सही समझा आप तर्क कर रहे थे कि अद्भुत सफलताओं हम अनुभव कर रहे हैँ और संभावित हमारे जिंदगियोँ को और बेह्तर बनाने के साथ साथ उत्पन्न कर सकते हैँ और मैं आप को दुहराता हूँ "नया वर्ग और नया वर्ग संघर्ष ,जैसे औद्योगिक क्रांति ने किया" आप इसका विवरण दे सकते? Y.N.H: हाँ औद्योगिक क्रांति में हम ने एक नई शहरी सर्वहारा का खोज देखा| और ज्यादतर रजकीय और पिछ्ले दो सौ साल की सामाजिक चरित्र में इस वर्ग के साथ क्या करना है और नये सवाल और सुनहरे अवसर| अब हम एक नये विशाल वर्ग के बेकार लोगों को देख सकते है| (हँसी) जैसे कंप्यूटर्स कई क्षेत्रों मे ज्यादा बेहतर और ज्यादा बेहतर होते है, कंप्यूटर मनुष्य को मात करके उसको ज्यादातर कार्यों मे अनावश्यक बनाने की संभावना है| और इक्कीस्वीं शताब्द की बडा रजनीतिक और आर्थिक प्रश्न ये है कि, "हमें इंसानों की जरूरत क्या हैं? ", या तो कम से कम " हमें इतने सारे मनुष्यों की जरूरतें क्या हैं?" BG: आपके पुस्तक में इसका जवाब है? YNH: अभी, ड्र्ग्स और कंप्यूटर खेलों के माद्यम से उनको खुशी रखना ही सबसे अच्छा अनुमान है... (हँसी) लेकिन ये आकर्षक भविष्य जैसा नहीं दिखता है| BG: ठीक है, महत्वपूर्ण आर्थिक असमानता प्रक्रिया की बढ़ती सबूत के बारे मे मूल रूप से आपने पुस्तक मे और अभी जो चर्चा की वो एक शुरुआत ही है| YNH: फिर, ये भविष्यवाणी नहीं है; अपने आगे सभी प्रकार की संभावनाओं को देखना है| बेकार लोगों का नए वर्ग का सृजन भी एक संभावना है| मानव जाति को जैविक जातियों विभाजन, जैसे कि धनिक को उन्नत बनाकर आभासी देवताओं के रूप मे और गरीबों को अधोगति कड़ाके बेकार लोगों जैसा दिखाने की भी दूसरी संभावना है| BG: मुझे लगता है कि और एक टेड टाक अगले एक दो सालों मे हो सकत है| धन्यवाद युवल, यात्रा करने के लिए| वै एन हेच: धन्यवाद! (तालियाँ) मैं पिछले एक दशक से, गैर राज्यकीय शस्त्रधारी संगठनों का अनुसंधान कर रही हूँ सशस्त्र संगठन जैसे कि आतंकवादी, विद्रोही या नागरिक सेना मैं आलेख करती हूँ कि ये संगठन गोलाबारी के अलावा क्या करते हैं | मेरा उद्देश्य इन हिंसाकर्ताओं को बेहतर समझना और हिंसक संग्राम से अहिंसात्मक विरोध में परिवर्तन के मार्ग खोजना है | मेरा कार्यक्षेत्र रणभूमि, नीति लोक और पुस्तकालय है | गैर राज्यकीय शस्त्रधारी संघटनों को समझना अधिकाँश संघर्षों को हल करने की कुंजी है क्यूँकि लड़ाई बदल चुकी है | ये राष्ट्रों के बीच प्रतियोगिता हुआ करता था | अब नहीं | अब यह राष्ट्र और गैर राज्यकीय कर्ताओं के बीच असहमति हैं | उदहारण के लिए, सन १९७५ से २०११ तक जिन २१६ शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर हुए इनमें १९६ एक राष्ट्र और गैर राज्यकीय कर्ताओं के बीच थे इसीलिए हमें इन संगठनों को समझना होगा; किसी भी सफल शान्ति संधि के लिए, हमें इनसे वार्ता करनी होगी या फिर उन्हें हराना होगा | पर हम ऐसा करेंगे कैसे ? हमें यह समझना होगा कि ये संगठन लोकप्रिय क्यूँ हैं हम ये तो जानते हैं कि वो कैसे लड़ते हैं, क्यूँ लड़ते हैं पर यह कोई नहीं देखता कि ये तब क्या करते हैं जब लड़ते नहीं हैं | तो भी, सशस्त्र संघर्ष और निरस्त्र राजनीति जुडी हुई हैं ये सब एक ही संगठन के अंग हैं इन संगठनों तो हराना तो दूर, इन्हें समझ भी नहीं सकते जब तक हमारे पास पूर्ण जानकारी नहीं है आज के सशस्त्र संगठन बहुत जटिल हैं | लेबनान के हिजबुल्ला का उदहारण लीजिये, जो इजराइल के साथ हिंसक झड़पों के लिए जाना जाता है पर सन १९८० में अपने गठन के साथ हिजबुल्ला ने अपने राजनीतिक दल का भी गठन किया, एक समाज सेवी प्राणाली, और एक सामरिक यंत्र | ठीक इसी तरह, फिलिस्तीनी हमास, जो इजराइल के खिलाफ आत्मघाती हमलों के लिए जाना जाता है, वो २००७ से गाज़ापट्टी पर शासन कर रहा है | ये संगठन गोलाबारी के अलावा भी बहुत कुछ करते हैं ये कई कार्य करते हैं वे पेचीदा संचार यंत्र स्थापित करते हैं जैसे कि रेडियो, टीवी चैनल, इंटरनेट और सोशल मीडिया रणनीति | और इधर है ISIS मैगज़ीन अंग्रेज़ी में छपी और भर्ती के लिए प्रकाशित की गई सशस्त्र संघठन धन जुटाने में भी निवेश करते हैं लूटकर नहीं, बल्कि लाभदायक व्यवसायों से जैसे कि निर्माण इकाईयां अब यह गतिविधियाँ आधार है जिस से इन संगठनो का बल बढ़ता है धन कोष बढ़ाता है बेहतर भर्ती और पहचान बनाता है| सशस्त्र संगठन कुछ और भी करते हैं वो जनता के साथ मज़बूत सम्बन्ध बनाते हैं समाज सेवा करके | वे विद्द्यालय बनाते हैं, अस्पताल चलाते हैं वे व्यावसायिक प्रशिक्षण और लघु ऋण कार्यक्रम चलाते हैं हिज़बुल्ला इस तरह की सारी एवं और भी सेवाएं देता है सशस्त्र संगठन और भी कुछ की पेशकश करते हैं जनमत जीतने के लिए जो राष्ट्र नहीं दे रहे सुरक्षा और सलामती | युध्ग्रस्त अफ़गानिस्तान में तालिबान के प्रारंभिक उत्कर्ष या ISIS के उदय के शुरुआत को समझा जा सकता है इन संगठनों के प्रयासों को देख कर सुरक्षा प्रदान करने के लिए | अब दुर्भाग्य से इन क्षेत्रों में जनता को सुरक्षा के प्रावधान के लिए बहुत भारी कीमत अदा करनी पड़ी | सामान्यतः जन सेवाओं से सरकार के द्वारा छोड़ी गई रिक्ति, शासन की किसी रिक्ति को भरता है और इन संगठनों की ताक़त और प्रभाव की वृद्धि करता है| जैसे कि, २००६ में फिलिस्तीनी हमास की चुनावी जीत को उनकी समाज सेवा को मान्यता दिए बिना नहीं समझा जा सकता है | अब यह एक जटिल तस्वीर है फिर भी पश्चिमी देशों, जब हम सशस्त्र संगठनों की हिंसा की बात करते हैं | परन्तु यह काफी नहीं है इन संगठनों की ताक़त, रणनीति या दूरदर्शिता समझने के लिए | यह संगठन बहु-आयामी हैं | इनका उदय इसलिए होता है क्यूँकि ये सरकार की रिक्ति को पूरा करते हैं और वे सशस्त्र एवं राजनीतिक रूप में उभरते हैं हिंसक संघर्ष करते हैं और शासन करते हैं | और ये संगठन जितने जटिल एवं परिष्कृत होते जायेंगे हमारे लिए उतना ही मुश्किल होगा इन्हें राष्ट्र विरोधी समझना | अब आप हिजबुल्ला जैसे संगठन को क्या कहेंगे ? वे एक राज्य क्षेत्र का शासन करते हैं, सारे प्रशासनिक कार्य करते हैं वे कचरा उठाते हैं, मलप्रवाह पद्धति चलते हैं | क्या यह सरकार है ? क्या ये विद्रोही संगठन है ? या फिर कुछ और ही है, कुछ भिन्न और नवीन ? और ISIS क्या है ? इनके बीच अंतर धुंधला है| हम जिस दुनिया में रहते हैं वो राष्ट्रों, गैर राजकीय कर्ताओं के बीच में है, और राष्ट्र जितने निर्बल होंगे, जैसे कि मध्य पूर्वी राष्ट्रों में आज कल, उतने ही गैर-राज्यकीय कर्ता उस रिक्ति को पूर्ण करने के लिए उभरेंगे| यह सरकारों के लिए महत्वपूर्ण है, क्यूँकि इन संगठनों से लड़ने के लिए उनको गैर-सैनिक यंत्रों में निवेश करना होगा शासन की त्रुटियों को सुधारना किसी भी दीर्घकालिक रणनीति का केंद्र बिंदु होना चाहिए| ये अत्यंत महत्वपूर्ण है, शान्ति संधि और शान्ति स्थापना के लिए| हम जितना सशस्त्र संगठनों को बेहतर समझेंगे उतना ही बेहतर जानेंगे कि इन्हें हिंसा से अहिंसा की तरफ कैसे प्रोत्साहित किया जाए | तो राष्ट्रों और गैर राज्यकीय (संगठनों) के बीच की इस नयी लड़ाई में सैनिक क्षमता से कुछ युद्ध तो जीते जा सकते हैं लेकिन वो हमे अमन और स्थिरता नहीं देगा | इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हमें दीर्घकालीन निवेश करने होंगे सुरक्षा में रिक्ति भरने के लिए, शासन की रिक्ति भरने के लिए जिससे इन संगठनों को उभरने का मौका मिला धन्यवाद | (तालियाँ) आप एक महत्वपूर्ण परीक्षा के लिए हफ़्तों पढ़ाई करते हैं। परीक्षा के दिन अध्यापक के प्रश्न-पत्र बाँटते हुए आप बेचैनी से इंतज़ार करते हैं। आप परीक्षा लिख रहे होते हैं जब मनशांती को परिभाषित करने का प्रश्न आता है। आपको याद है कि आपने इसके बारे में पढ़ा है पर आपके दिमाग को कुछ भी याद नहीं रहता। यह अचानक हुआ क्या? इसका जवाब तनाव और स्मरणशक्ति के जटिल सम्बन्ध में छुपा है। तनाव बहुत तरह और मात्राओं के होते हैं और स्मृतियाँ भिन्न प्रकार की लेकिन हम बात करेंगे कि लघु अवधि का तनाव कैसे आपके तथ्यों की स्मरणशक्ति को प्रभावित करता है। पहले यह समझते हैं कि इस तरह की स्मरणशक्ति काम कैसे करती है। जिन तथ्यों को आप पढ़ते, सुनते, या जिनका अध्ययन करते हैं वह 3 प्रमुख चरणों में आपकी स्मृति बन जाते हैं। पहला चरण है अभिग्रहण: वह पल जब आप कोई नई जानकारी प्राप्त करते हैं। हर मस्तिष्क सम्बन्धी अनुभव मस्तिष्क के अद्वितीय हिस्सों को सक्रिय करता है। स्थायी स्मृतियाँ बनने के लिए हिप्पोकैम्पस को इन मस्तिष्क सम्बन्धी अनुभवों का संघटन करना करना पड़ता है जो प्रमस्तिष्कखंड से प्रभावित होता है जो प्रबल भावनाओं से सम्बन्धित अनुभवों को प्रबल करता है। फिर हिप्पोकैम्पस स्मृतियों को सांकेतिक शब्दों में बदलता है शायद उन अन्तर्ग्रथनी संपर्कों को मज़बूत बनाकर जो असल मस्तिष्क-संबंधी अनुभवों के दौरान उभरते हैं। जब स्मृतियाँ सांकेतिक शब्दों में बदल चुकी होती हैं उनको बाद में याद किया जा सकता है। स्मृतियाँ मस्तिष्क में संग्रहित होती हैं| और वह शायद पुरोमुखीय प्रांतस्था ही है जो उनको पुनः प्राप्त करने का संकेत देती है। तो तनाव कैसे हर चरण को प्रभावित करता है? पहले दो चरणों में सीमित तनाव, असल में अनुभवों को आपकी स्मृति में प्रवेश करने में मदद कर सकता है। आपका मस्तिष्क तनावपूर्ण प्रोत्साहनों का उत्तर कोर्टिकोस्टेरोइड नाम के हॉर्मोन छोड़ कर करता है जो प्रमस्तिष्कखंड में खतरे की पहचान और प्रतिक्रिया की प्रक्रिया को सक्रिय करते हैं। प्रमस्तिष्कखंड आपके हिप्पोकैम्पस का तनाव भड़काने वाले अनुभव को एक स्मृति में संघटित करने के लिए अनुबोधन करता है। इसी दौरान तनाव से जन्मे कोर्टिकोस्टेरोइड की बाढ़ आपके हिप्पोकैम्पस को उत्तेजित करती है जिससे भी स्मृति संघटित करने का अनुबोधन होता है। भले ही कुछ तनाव लाभदायक हो सकते हैं अत्यन्त और स्थायी तनावों का असर उल्टा हो सकता है। शोधकर्ताओं ने चूहों में तनाव के हॉर्मोन सीधे इंजेक्शन द्वारा डालकर इसकी जाँच की है। जैसे-जैसे वह कोर्टिकोस्टेरोइड की मात्रा बढ़ाते गए स्मृति परीक्षाओं पर चूहों का प्रदर्शन पहले बढ़ा पर ज़्यादा मात्राओं पर गिर गया। मनुष्यों में सीमित तनाव से हम ऐसा ही सकारात्मक असर देखते हैं। लेकिन वह तभी होता है जब तनाव किसी स्मृति सम्बन्धी कार्य से जुड़ा हो तो जहाँ समयाभाव आपको किसी सूची को याद करने में मदद कर सकता है अगर आपका दोस्त आपको डरा दे, तो नहीं करेगा। और हफ़्तों, महीनों और वर्षों तक भी बने रहने वाला कोर्टिकोस्टेरोइड जो स्थायी तनाव के असर से बनता है आपके हिप्पोकैम्पस को क्षति हो सकती है| और नई स्मृतियाँ बनाने की आपकी क्षमता को घटा सकता है। अच्छा होता अगर कोई तनाव हमें तथ्य याद करने में मदद भी करता लेकिन दुर्भाग्यवश सच उसका उल्टा है। याद करने का कर्म पुरोमुखीय प्रांतस्था पर आश्रित होता है जो विचार, ध्यान, और तर्क को नियंत्रित करती है। जब कोर्टिकोस्टेरोइड प्रमस्तिष्कखंड को उत्तेजित करता है तब प्रमस्तिष्कखंड पुरोमुखीय प्रांतस्था की गतिविधियों को बन्द या कम कर देता है। इस रूकावट का कारण है ताकि लड़ने/भागने/स्थिर होने की प्रतिक्रिया एक खतनाक परिस्थिति में एक धीमे, ज़्यादा तर्कपूर्ण विचार को रद्द कर सके। लेकिन इसका दुर्भाग्यपूर्ण प्रभाव किसी परीक्षा के दौरान कुछ भी ना याद आना भी हो सकता है। और फिर याद करने का कर्म भी अपने आप में तनाव पैदा करने वाला हो सकता है जिससे कोर्टिकोस्टेरोइड बनने और याद आने की और भी कम सम्भावना पैदा होने का दुष्चक्र शुरू हो सकता है। तो जब सबसे ज़्यादा ज़रूरत हो तब आप तनाव को फायदे में बदलकर शान्त और उत्तेजनाहीन कैसे रह सकते हैं? सबसे पहले अगर आप जानते हैं कि परीक्षा जैसी कोई तनावपूर्ण स्थिति आने वाली है तो तनावपूर्ण वातावरण से मिलती-जुलती परिस्थिति में तैयारी करने की कोशिश करें। नवीनता तनावपूर्ण हो सकती है। समय के अभाव में अभ्यास प्रश्नों को पूरा करना या सोफ़ा की बजाय मेज़ पर बैठना इन परिस्थितियों पर आपकी तनाव प्रक्रिया को असल परीक्षा के दौरान कम संवेदनशील बना सकता है। व्यायाम एक और उपयोगी उपकरण है। अपने ह्रदय और श्वास की गति को बढ़ाना मस्तिष्क में ऐसे रासायनिक परिवर्तन से जुड़ा होता है जो व्यग्रता को कम कर स्वस्थ होने का एहसास दिलाते हैं। बड़े पैमाने पर यह भी माना जाता है कि नियमित व्यायाम नींद में सुधार लाता है जो परीक्षा की पहली रात बहुत काम आती है। और असल परीक्षा के दिन लम्बी साँस लेने की कोशिश करिये जिससे आपके शरीर की लड़ने/भागने/स्थिर होने की प्रतिक्रिया प्रभावहीन हो सके। गहरी सॉंस लेने के अभ्यास ने तीसरी कक्षा से लेकर चिकित्सा छात्रों तक के समूहों में परीक्षा सम्बन्धी व्यग्रता में मापनीय कमी दिखाई है। तो जब अगली बार आपको किसी महत्वपूर्ण क्षण में कुछ याद ना आए तो कुछ गहरी साँसें लीजिए जब तक आपको मनशांती याद ना आ जाए: व्यग्रता से मुक्त, शान्ति की स्थिति। बचपन में, मैं अपना अधिकतम समय अपनी परदादी जी के घर बिताती थी। गर्मी के मौसम के तपते और नम दिनों में, मैं उनके एकलौते एयर कंडीशनर के सामने जाकर बैठ जाती। पर मुझे इस चीज़ का एहसास नहीं था, कि इतना मामूली सा अनुभव, हमारे समुदाय में एक विशेषाधिकार था। बड़े होते हुए, मैंने पड़ोसियों से सुना कि उन्हें ऊर्जा के लिए नकली एकाउंट बनाने पड़ते या फिर ऊर्जा ही चुरानी पड़ती, और वह सब मुझे मामूली सा लगता। ठंडी के दिनों में कपकपाते हुए, मेरे पड़ोसियों को ठंड से बचने के लिए एक दूसरे से बिजली भी चुरानी पड़ती थी, ताकि वे एक और दिन ठंड से बच सकें। ऐसे खतरनाक घटनाएँ तब हो सकती हैं, जब लोगों के पास कोई सरल विकल्प ही न हो। अमेरिका में, एक आम अमरीकी अपनी आमदनी का तीन प्रतिशत ऊर्जा पर खर्च करता है। जब कि कम-आय वाले और ग्रामीण निवासी अपनी आमदनी का 20 या 30 प्रतिशत भी ऊर्जा पर खर्च कर देते हैं। इस कारण 2015 में 2.5 करोड़ लोग अपना भोजन भी कम कर जाते ताकि घर में बिजली हो। इस तरह ऊर्जा एक बोझ बन जाती है। पर ऊर्जा का बोझ होना केवल संख्या की बात नहीं। उनके पास जो भी विकल्प हैं वे कठिन और नामुमकिन से हैं: क्या आप अपने बीमार बच्चे का इलाज कराएँगे, या उसका भोजन कराएँगे? या उसे ठंड से बचाएँगे? यह विकल्प ही कठिन से हैं, और हर महीने, 70 लाख लोग इलाज और ऊर्जा के बीच चुनते हैं। इस वजह से एक और भी बड़ा मुद्दा खड़ा होता है। गोरे लोगों से ज़्यादा ऊर्जा का बोझ दूसरे लोगों पर पड़ता है जो प्रति स्क्वायर फुट ज़्यादा खर्चते हैं। नर्स, बूढ़े लोग और स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापक भी प्रति वर्ष उन 3.7 करोड़ लोगों में से हैं जिनके लिए बिजली सबसे मामूली ज़रुरत होने के बावजूद भी महंगी है। इसका परिणाम यह है कि जिन पर ऊर्जा का बोझ ज़्यादा है, उन्हें दिल की बीमारियाँ या अस्थमा होना अधिकतम रूप से संभव है। देखिए -- मंगल ग्रह पर रॉकेट जाते हैं, नए नए स्मार्टफोन आते हैं, हमारे पास ऐसे उपकरण हैं जो इन मुद्दों को सुलझा सकते हैं। हमारे पास वह तकनीक है। विद्युत् रोधक , रिन्यूएबल, माइक्रोग्रिड और स्मार्ट घरेलू तकनीक के दाम कम होते जा रहे हैं। लेकिन हम अगर लागत समानता की बात करें, तो जिनके पास सौर ऊर्जा की तकनीक है, वे एक आम अमरीकी से ज़्यादा कमाते हैं। इस कारण से, 22 की उमर पर, मैंने गैर-लाभकारी रेटि का निर्माण किया। हमारा मकसद है कि हम अलग समुदायों, और सरकारी एजेंसी के साथ काम करें, ताकि हम ऊर्जा का बोझ घटा सकें, साफ़ ऊर्जा, दक्ष ऊर्जा और सही ऊर्जा तकनीक सामानतः रूप से सब तक पहुँचा सकें। पर यह सिर्फ़ इन ही तरीकों से नहीं ठीक होगा। मुझे लगता है कि स्थानीय समुदाय इस काम में प्रबल हो सकते हैं। हमने अपना काम उन समुदायों के साथ शुरू किया जिन पर ऊर्जा का बोझ सबसे ज़्यादा है। हमने उन समुदायों के लिए ऊर्जा की गरीबी के बारे में वर्कशॉप और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए, कि कैसे छोटे छोटे सुधार कर, जैसे खिड़की और वाटर हीटर पर बेहतर रोधन से ऊर्जा की दक्षता बढ़ सकती है। हम अब सामुदायिक मोहल्लों को सौर और सामुदाय द्वारा किए गए अनुसंधान, और स्थापना करने के बारे में बताते हैं ताकि उनके बिजली के बिल में बचत हो। हम निर्वाचित अधिकारियों के साथ भी काम कर रहे हैं, ताकि सामानतः रूप से मूल्य का निर्धारण हो, क्योंकि इस मकसद में कामयाब होने के लिए, हमें मिलकर संधारणीय रूप से काम करना होगा। अमेरिका प्रति वर्ष 30 करोड़ का खर्चा बिजली के बिल भरने की मदद में करती है। और यह काफ़ी सहायक होता है, मगर सिर्फ़ ज़रूरतमंद लोगों में से कुछ भाग के लिए ही। वास्तव में, घरेलू-ऊर्जा में सामर्थ्य अंतर 470 करोड़ का है, तो ऐसी सहायता धारणीय नहीं है। सामुदायों में सामानतः रूप से ऊर्जा का निर्माण करने से, हम ऊर्जा को स्पष्ट और निष्पक्ष तरीके से पहुँचा सकते हैं, जो साफ़, टिकाऊ और कम महंगी हो। सही स्तर पर, माइक्रोग्रिड तकनीक, साफ़ तकनीक, और ऊर्जा दक्षता से सार्वजनिक स्वास्थय में सुधार आता है। और जिन पर ऊर्जा के बोझ ज़्यादा हैं, इसके माध्यम से उनकी आमदनी में 20 प्रतिशत हो सकती है -- 20 प्रतिशत बचत एक परिश्रमी आदमी की आमदनी में। यह ज़िंदगी बदल सकता है -- यह एक ऐसा अवसर है जहाँ बिजली की बचत से बहुत से परिवार अपना भविष्य उज्जवल कर सकते हैं। मैं अब अपनी परदादी और उनके पड़ोसियों के बारे में सोचती हूँ, जिन्हें ऐसे कठिन निर्णय लेने पड़ते, जिसका प्रभाव पूरे समुदाय पर पड़ता। लेकिन यह केवल उनके बारे में नहीं है। इस देश में करोड़ों लोगों को आज भी ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं। मैं जानती हूँ कि अधिक ऊर्जा के बोझ को घटाना बहुत कठिन है, लेकिन अगर हम समुदयों और सही तकनीक के साथ काम करें, तो हम इस क्षेत्र में सुधार ला सकते हैं। और जब हम साथ काम करेंगे, हमारी क्षमता भी बेहतर होगी। धन्यवाद। (तालियाँ) एक शतक से टेलिफोन क्म्पानिया सरकार को टेलिफोन संभाषण चुरा के देती रही बहुत काल से यह मानवी प्रयत्न होता थाi यह निगरानी तारो को हाथो से जोडकर होती थी i संभाषण टेपपर अंकित किया जाता थाi . आज बहुत सारे उद्य्मो मे, कॉम्पुटर के बाद बहुत बदलाव आये हैi टेलीफोन कंपनीयो ने गोपनीय तरीके से टैपिंग (tapping) के नये उपाय खोजे हैi जो मौजूद है उनके अंतर्गत जालक्रम मे . एक सेकंड उनकी गहराई मे जाना चाहता हूi हमारे टेलीफोन तथा नेटवर्क जिससे हम संभाषण करते हैi उन्हे निगरानी में रखा जाता है पहले ही और हमेशा मतलब जब आप अपने लड्के से बात करते है या मित्र से या डॉक्टर से तब दूसरा यह सुन सकता हैi यह दूसरा --हो सकती है आपकी सरकार या विदेशी गुप्त वार्ता . या अन्य देश की सरकार या डाटा चोर .गुनाहगार या अन्य कोई पक्ष जो आपकी गोपनीयता जानना चाहता है i वे सब टेलिफोन कम्पनी से यह ले सकते है जबकि टेलिफोन कंपनी इसे प्रथम स्थान देती है i सिलिकन वैली मे यह नही होता कई सालो से सिलीकोन वैली ने इसका बहुत सख्त एनकोडिंग (encoding) किया हैi संपर्क उपकरण मे जिससे यह चोरी न हो आपके पास आयफोन है उससे आप कोई मेसेज भेजते है ऐसे व्यक्ति को जिसके पास भी आयफोन है वे मैसेज चोरी करना आसान नही वास्तव में एप्पल के अनुसार, वे भी ये मेसेज नही देख पाते आपने फेसटाइम उपयोग किया है ध्वनी या या व्हिडियो call किया आपके प्रीयजनो को वो भी आसानी से नही चुराये जायेंगेi यह कोई apple की ही बात नही WhatsApp जोकि आज फेसबुक चलाती है जिसे करोडो लोग इस्तेमाल करते हैi उसं मे भी शक्तिशाली encryption तंत्रज्ञान होता है i इसका मतलब विश्वभर लोगों की आपसी बातचीत उनकी सरकार नही सून सकती i नही कोई मेसेज सौ साल से सरकार का नियंत्रण था सर्वत्र आप सोच सकते है इससे सरकार खफा हुई होगी i यह सच है i सरकारी अफसर बहुत नाराज़ है i और इसलिए नहीं कि encryption के साधन अभी मिलने लगे है उन्हें जो सबसे ज्यादा परेशान करता हैं वो यह हैं कि कम्पनियो ने इनस्क्रिप्शन व्यवस्था अपने उत्पादन मे ही अंकित की है उसे अपने आप शुरु से ही कार्यरत किया है i शुरू से ही कार्यरत होना महत्वपूर्ण है i इन स्क्रिप्शन से वास्तव मे लोकशाही का ही समर्थन हुआ है i ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेव्हिड कमरोंन के अनुसार, ई मेल ,टेक्स्ट मेसेजेस ,ध्वनी काल सरकार को मिलने चाहिए i जोकि इनस्क्रिप्शन की वजह से कठिन होता है मैं उनके विचारो के प्रति सहानुभूति रखता हु आज हम बहुत ही डरावने समय मे रहते है बुरे लोग सभी जगह है आंतकवाद पैर फैला रहा है रास्ट्रीय सुरक्षा खतरे मे है सबको लगता है FBI, NSA यह देख सके . यह महंगा है इसलिए कि कोई आतंकवादी का कम्पुटर नहीं होता या ड्रग चोरो का अलग मोबाईल हैi सबके साधन हमारे जैसे होते हैi मतलब अगर ड्रग तस्करो के कॉल या आतंक्वादियो के कॉल सुने जायेंगे तो हमारे भी सुने जायेंगेi सवाल यह है कि विश्व के करोडो लोग क्या इसे इस्तेमाल कर सकते है i ज्योकी सहज tap हो सकते है i यह मैने जिस प्रकार की निगराणी होने की बात की है यह काल्पनिक नही है i २००९ साल से गुगल तथा मायक्रोसोफट जिस तरह से निगराणी करते i यह प्रणाली केवळ कानूनी मामले मे ही यह देती है i पुलिस द्वारा विनती करने पर i चाइना सरकार ने इस प्रणाली से को भेदा हैं i यह जानने के लिये कि उनकी कौन सी संस्था की अमेरिकन सरकार निगराणी करती है i इसी तरह २००४ मे जो प्रणाली बनी थीi वोडाफोन सबसे बडी ग्रीक टेलिफोन कंपनी द्वारा जिसे एक अज्ञात संस्था द्वारा भेदा गया इसमे ऐसी व्यवस्था की गई जिससे ग्रीक प्रधानमंत्री और उनके मंत्री भी निगराणी में आते थे i अन्य देशो के ,और हैकर्स (hackers) कभी भी नही पकडे गये i इससे निगराणी प्रणाली के बारे में समस्या बनी i एक गुप्त मार्ग बना था i जब ऐसा मार्ग बनता है संचार व्यवस्था में या तंत्र विज्ञान मे आप उससे छुटकारा नही पा सकतेi कोई भी आपका संभाषण चुरायेगा . आपका कोई भी नियंत्रण नही होगा . आपके खिलाफ या आपके लिये इसका इस्तेमाल हो सकता है अच्छे या बुरे लोग इसका इस्तेमाल करेंगेi इसीलिये मुझे लगता है ऐसे साधन बनाये जाये जिससे सुरक्षा मिले . मेरा कहना है कि, encryption याने संकेतीकरण से संभाषण या मेसेज चुराना असभव होगाii जिससे पुलिस हैरान होगी i बुरे लोगो को न पकड पायेगी i इस पर्याय का मतलब है कि ऐसी दुनिया से रहने से ये अच्छा है जहा आप पर निगरानी होती है गुंडो से या अन्य देशो के गुप्तचरो से ऐसी दुनिया मे रहना मैं पसंद नही करूँगा i शायद आपके पास अभी साधन हैं i जिससे आप सरकार की निगरानी से बच सकते है यह है आपके जेब में रखे फोन आपको शायद पता नही होगा कितने सुरक्षित आप पायेंगे आपको i या दूसरी व्यवस्था कितनी कमजोर है जिसका आपने इस्तेमाल किया मेरा संदेश है हमे ऐसे साधन इस्तेमाल करने चाहिए i अपने टेलिफोन काल्ल्स सुरक्षित रखने के लिये i हमारे मेसेज सुरक्षित रहने चाहिये आप इस साधनों का इस्तेमाल करे i आपके प्रियजनो को मै कहना चाहता हू; संकेतीकरण किये गये साधन इस्तेमाल करे सस्ते और आसान हैं इसलिए नही इसलिए उपयोग करे क्यूंकि वो सुरक्षित हैं धन्यवाद ! (तालीया ) ये लुकास क्रनाक एल्डर की १६ वीं सदी से एक पेंटिंग है। यह युवाओं के प्रसिद्ध फाउंटेन सा लगता हैं। आप इसके पानी पीने से या इस में स्नान करने से, स्वास्थ्य और यौवन मिल जाएगी। हर संस्कृति, हर सभ्यता अनन्त युवाओं को खोजने का सपना देखा है। ऐसे भी कोई लोग है जैसे कि अलेक्झंडर या पोनसे डे लोन, एक अन्वेषक जो अपने जीवन के अधिकंश भाग फाउनटेन ऑफ यूथ की पीछा किए हैं| उनलोग को ये नहीं मिला| लेकिन यह करने के लिए कुछ वहाँ क्या था? क्या युवाओं की इस फाउंटेन के लिए कुछ नहीं तो क्या होगा? मैं उम्र बढ़ने के अनुसंधान के क्षेत्र में अद्भुत विकास के बारे में बात करना चाहता जो उम्र बढ्ने के बारे में हमारे विचार में क्रांतिकारी परिवर्तन लाकर और हमें भविष्य में उम्र संबंधित बीमारियों की इलाज में बढावा दे सकती है। यह उन प्रयोगोँ से शुरू हुआ जो दिखाया, बढ्ने के बारे मेँ किये गये ताजा अध्यनोँ मेँ, कि जानवर-- बुढे चूहोँ--जो युवा चूहोँ के साथ रक्त अपूर्ती बांटते हैँ फिर से युवा बन जाते हैँ| यह मनुष्योँ मेँ, सियमीस जुडवा बच्चोँ मेँ, जो देख सकते हैँ उस के समान है, और मैँ जानता हूँ यह थोडा डरावना लगता है| लेकिन जैसे टाम रांडो, एक स्टेम-सेल शोधकर्ता ने, २००७ मेँ सूचना दिया था कि, अगर आम संचलन के माध्यम से युवा खून से अवगत कराया तो चूहा की पुरानी पेशी को फिर से युवा बना सकते| यह अमी वागेर्स से हार्वार्ड पर दोबारा दिखाया गया, और दूसरे लोग भी अग्न्याशय, जिगर और दिल मेँ भी समान कायाकल्प प्रभाव देख सकते हैँ| लेकिन जिस्के बारे मेँ मैँ कई अन्य प्रयोगशाला सब से ज्यादा उत्साहित हैँ कि, यह शायद मस्तिष्क के लिये भी लागू हो सकता है| इसलिये, हम ने क्या पायाकि एक व्रुद्ध चूहा पाराबायोसिस नाम की इस नमूने मेँ, युवा वतावरण को अवगत करवाया तो वह एक युवा मस्तिष्क और एक मस्तिष्क जो और बेहतर काम करता है दिखायेगा मैं फिर से कह रहा हूँ: साझा संचलन के माध्यम से एक बूढा माउस को युवा खून मिलता है दिख्नने में युवा और अपने मस्तिष्क कार्यो में भी युवा लग रहा है। तो जब हम बूढा होंगे -- हम मानव अनुभूति के विभिन्न पहलुओं पर देख सकते हैं, आप यहाँ इस स्लाइड पर देख सकते हैं, हम तर्क, मौखिक क्षमता और वगैरा वगाइरा देख सकते हैं। और उम्र ५० या ६० के आसपास आने तक सभी बरकरार काम करते हैं, और मैं इस कमरे में युवा दर्शकों को देखने से वलगता है कि हम सभ अभी भी ठीक हैं। (हँसी) लेकिन ये सभी घटता दक्षिण की ओर जाते हुए देखना डरावना है। और जब हम बूढे होंगे, जैसे कि अल्जाइमर या दूसरे बीमारियाँ आ सकते है। हम जानते हैं कि उम्र के साथ, न्यूरॉन्स के बीच कनेक्शन - जैसे कि न्यूरॉन्स एक दूसरे से बात करते, चेतोपागम --वे खराब होना शुरू होजाते है; न्यूरॉन्स मरना, मस्तिष्क सिकुड़ना शुरू होजाते है, और इन न्यूरॉजेंरेटिव बीमारियों में वृद्धि की संवेदनशीलता है। हमरी एक बड़ी समस्या यह है कि - वास्तव में यह कैसे काम करता है समझने की कोशिश एक बहुत ही आणविक, यंत्रवत स्तर पर -- हम जीवित लोगों में, विस्तार से दिमाग का अध्ययन नहीं कर सकते हैं। हम संज्ञानात्मक परीक्षण कर सकते हैं, हम इमेजिंग कर सकते हैं-- सभी तरह के परिष्कृत परीक्षण। लेकिन आमतौर पर हमको व्यक्ति मरने तक इंतेजार करना पडेगा मस्टिष्क को पाने के लिये और ये देखने के लिये कैसे यह उम्र या बीमारी के साथ बदल जाता है| उदाहरण के लिये यही सब न्यूरोपाथालजिस्ट्स जो करते हैँ| तो, ये कैसा है कि हम मस्तिष्क को बडे जेव की हिस्सा सोचने लगे| हम आण्विक स्तर पर मस्तिष्क में क्या होता है के बारे में संभवत: अधिक समझ सकते हैँ अगर हम मस्टिष्क को पूरे जिस्म का हिस्सा समझेंगे? तो अगर जिस्म बढेगा या बीमार हो जाता है तो वह क्या मस्तिष्क को प्रभावित करेगा? और ठीक इस्के विपरीत:जैसे मस्तिष्क बडी हो जाती तो क्या उसका प्रभाव शरीर पर होता है? और शरीर के सभी विभिन्न टिस्यूस को कौन जोडता है कि खून है| रक्त ऐसा ऊतक है जो न केवल ऑक्सीजन परिवहन करने वाले कोशिकाओं को लेजाते हैं, जैसे कि लाल रक्त कोशिकाओं, या संक्रामक रोगों से लड़ता है, लेकिन यह दूत अणुओं को भी लेजाता हैं, हार्मोन की तरह कारकों कि परिवहन जानकारी एक कोशिका से दूसरे, एक ऊतक से दूसरे के लिए, मस्तिष्क को भी लेजाता है। अगर हम रोग या उम्र में रक्त का परिवर्तन पर नजर डालें तो, क्य हम मस्तिष्क के बारे में कुछ सीख सकते हैं? हमें पता है कि जैसे हम बडे हो जाते हैँ, रक्त मेँ भी परिवर्तन आते हैँ,इसलिये जैसे हम बडे हो जाते हैँ हार्मोन की तरह कारकोँ भी बदल जाते हैँ| और सब मिलाकर, फाक्टर्स जो ऊतकों के विकास के लिए, ऊतकों के रखरखाव के लिए --जरूरत हैँ, वे कम होना शुरू हो जाते हैँ जैसे हम बडे हो जाते हैँ, जबकि फाक्टर्स जो मरम्मत मेँ, चोट मेँ और सूजन मेँ शामिल हैँ--वे व्रुद्धी हो जाते हैँ जैसे हम बडे हो जाते है| अगर तुम देखो तो, अच्छे और बुरे फाक्टर्स के बीच ये असंतुलन होता है । और हम उस के साथ संभावित क्या कर सकते हैं इसका वर्णन करने के लिए, हम ने जो प्रयोग किया उसके माध्यम से बात करना चाहता हूँ। हमारे पास स्वस्थ मनुष्य के लगभग ३०० रक्त नमूने थे २० से ८९ साल के उम्र के, और हमने इन संचार कारकों में से १०० से अधिक मापा था, इन हार्मोन की तरह प्रोटीन जो ऊतकों के बीच जानकारी परिवहन करते हैँ| और हमने सबसे पहले किस बात पर ध्यान दिया कि सबसे कम उम्र के और सबसे पुराने समूह के बीच, लग-भग आधा फाक्टर्स काफी बदल गये हैँ| जब हम बड़े होते तो हमारे शरीर एक अलग वातावरण में रहता है, जब इन फाक्टर्स की बात आती है| और सांख्यिकीय या जैव सूचना विज्ञान कार्यक्रम इस्तेमाल कर के, हम उन फाकर्स का खोज करने की कोशिश कर सकते जो सब से अच्छा उम्र का अंदाजा लगाते-- एक तरह से, एक व्यक्ति के सापेक्ष उम्र का वापस की गणना| और कैसे यह लगता है इस ग्राफ् मेँ दिखाया गया| तो, एक आक्सिस पर जो आदमी जिंदा है उस का असली उम्र, कालानुक्रमिक उम्र। तो, कितने साल वे रहते थे| और फिर हम ने इन शीर्ष कारकोँ को लिया जो मै आप को दिखाया, और हम ने उनके सापेक्ष उम्र, उनके जैविक उम्र की गणना किया। और आप ने क्या देखा कि एक बहुत अच्छा संबंध है, तो हम बहुत अच्छी से एक व्यक्ती का सापेक्ष उम्र का अंदाजा लगा सकते हैँ| लेकिन पराया आदमी वास्तव में रोमांचक हैं, क्योंकि वे तो अक्सर जीवन में हैं। आप यहाँ एक व्यक्ति, जिन्हें मैं हरे रंग की बिंदी के साथ प्रकाश डाला, को देख सकते जिनका उम्र लगभग ७० साल लेकिन हम जो यहाँ क्या कर रहे हैं, वो वास्तव में सच होने से उनकी जैविक उम्र केवल ४५ साल लगता है| तो क्या ये व्यक्ति वास्तव में उनकी सई उम्र से बहुत कम उम्र के लगते है? लेकिन अधिक महत्वपूर्ण बात यह है: क्या ये व्यक्ति कम जोखिम में हो सकता है जो एक उम्र से संबंधित रोग विकसित हो और एक लंबे जीवन हो सकता - १०० या अधिक साल जी सकेगा? दूसरी ओर, व्यक्ति जो यहाँ, जिनपर लाल बिंदी के साथ प्रकाश डाला, ४० भी नहीं, लेकिन उन्हें ६५ साल की जैविक उम्र है। क्या यह व्यक्ति उम्र से संबंधित रोग विकसित होने का ज्यादा जोखिम में है? तो हमारी प्रयोगशाला में, हम इन कारकों को बेहतर समझने की कोशिश कर रहे हैं, और कई अन्य समूहों, समझने की कोशिश कर रहे हैं, उम्र बढ़ने के सई कारण क्या हैं, और उम्र से संबंधित बीमारियों के बारे में पता करके क्या उनकी भविष्यवाणी कर सकते हैं? इसलिए मैं अब तक तुम्हें जो दिखाया हूँ, क्या सही है, केवल सहसंबंधी है? तुम बस कह सकते हैं कि "ठीक है, इन कारकों उम्र के साथ बदलते हैं", लेकिन आप वास्तव में नहीं पता है कि वे उम्र बढ़ने के बारे में कुछ करते हैं। तो क्या अब मैं तुम्हें दिखाने जा रहा हूँ वो बहुत उल्लेखनीय है और इस से पता चलता है कि ये कारकों वास्तव में एक ऊतक की उम्र को ठीक कर सकते हैं। और हम वापस पाराबिओसिस नामक इस मॉडल के लिए आते हैं। तो, पाराबैओसिस चूहे मे किया गया था शस्त्र चिकित्सा के साथ दो चूहोँ को एक साथ जोड दिया गया था, और यह एक साथ, एक साझा रक्त प्रणाली को तो जाता है, जहाँ हम अब पूछ सकते हैँ, "पुराने मस्तिष्क कैसे प्रभावित हो जाता है युवा खून से जोखिम होने से? " और इस उद्देश्य से हम, युवा चूहोँ जो २०- साल की- उम्र में लोगों की समानक, और बडे चूहोँ जो मानव वर्षों में लगभग ६५ साल बडे को इस्तेमाल किए हैँ। हम ने जो पाया वह काफी उल्लेखनीय है| हम ने देखा उन बडे मस्तिष्क मेँ नये न्यूरांस को बनानेवाले अधिक न्यूरल स्टेम कोशिकाओं हैँ| वहाँ सिनाप्सेस का गतिविधि बडगया है, जो न्यूरांस को जोडती है| शामिल होने के लिए जाना जाता है कि व्यक्त अधिक जीन होते हैं नई यादों के गठन में। और जो बुरा सूजन थी वहाँ कम थी| लेकिन हम इन जानवरों के दिमाग में कोई कोशिकाओं प्रवेश करते हुए नहीं देखा। जब हम उन्हें कनेक्ट करते हैं, इस मॉडल में, वास्तव में कोई कोशिकाओं पुराने मस्तिष्क में नहीं जाते हैं। इसके बजाय, हम तर्क दिया है, फिर, कि यह घुलनशील कारकों होना चाहिए, इसलिये, हम रक्त का गलाऊ अंश जिसे प्लास्मा कहा जाता है बस इकाट्ठा कर सकते हैँ, और या तो युवा प्लास्मा या बुडे प्लास्मा को इन चुहोँ मेँ इंजेक्ट कर सकते हैँ, और हम ये कायाकल्प प्रभावोँ को फिर से पैदा कर सकते, लेकिन हम अब और भी क्या कर सकते हैँ किहम चूहोँ के साथ स्मृति परीक्षण कर सकते हैँ| जब चूहेँ बूढे होते, जैसे हम लोग होते हैँ, उन को स्म्रुति समस्यायेँ आते हैँ| उनका पता लगाना कठिन है, लेकिन मैँ एक मिनट मेँ आप् को दिखाता हूँ हम उसे कैसे करते| लेकिन हम इसे एक कदम आगे लेजाना चाहते हैँ, सम्भवत मनुष्य के लिये अनुरूप होने मेँ एक कदम नजदीक| मैँ आप को जो दिखारहा हूँ वह अप्रकाशित अध्ययन है, जहाँ हम ने इंसान का प्लास्मा , युवा इन्सान का प्लास्मा इस्तेमाल किया, और कंट्रोल के रूप मेँ सलैन, और बूडे चूहेँ मेँ इंजेक्ट किया, और पूछा था कि, हम फिर से इन बूढे चूहोँ को जीवंत कर सकते हैँ? क्या हम उनको चतुर बना सकते?ऐसा करने के लिये, हम ने एक टेस्ट का इस्तेमाल किया, यह बार्न्स मेज़ कहते| यह एक बडा टेबल है जिस मेँबहुत सारे छेद हैँ, और उस के चारोँ ओर मार्गदर्शन के निशान हैँ, और एक उज्वल लैट है, जैसे इस मंच पर है चूहेँ इसको पसंद नही करते और वे उससे बचना चाहते हैँ, और एक छेद जिसे आप देख रहे हैँ जिसे एक तीर के साथ में बताया, जहां एक ट्यूब के नीचे मुहिम शुरू की है, जहां वे पलायन कर सकते हैँ और एक अंधेरे छेद मेँ आराम से रहा सकते हैँ इसलिये हम उनको सिखाते हैँ, कई दिन, इस जगह मेँ दिये संकेत पर इस जगह को खोजने के लिये और इस को आप इनसान को एक खरीदारी के व्यस्त दिन बाद कार एक पार्किंग लाट मेँ डूंढने की तुलना कर सकते हैँ| (हँसी) हम मेँ से कई लोगोँ को शायद इससे कुछ समस्यायेँ होते थे| तो, हम यहाँ एक बुढे चुहा को देखेंगे| यह एक बुढा चूहा जिस को स्म्रुति समस्याओँ हैँ, जैसे आप एक पल मेँ नोटीस करेंगे| वह हर एक छेद मेँ देखेगा, लेकिन वह ये स्पेशियल नक्षा नही बनाया जो उसको याद दिलाता है वह पिछले परीक्षण या पिछले दिन कहाँ था| इसके विपरीत, यहाँ इस चूहा का एक ही उम्र के एक भाई है, लेकिन इसको तीन सप्ताह के लिए युवा मानव प्लाज्मा के साथ इलाज किया गया था छोटे इंजेक्शन के साथ हर तीन दिन। और, जैसा कि आप देखा, यह लगभग चारों ओर देखता है "मैं कहाँ हूँ?" -- और फिर सीधा छेद के पास चलता है और पलायन करता है| इसका मतलब, वह छेद कहा है यह याद रख सकता है| तो लगता है पूरी तरह से, यह बूढा चूहा फिर से युवा हो गया-- यह ज्यादातर एक युवा चूहा की तरह काम कर रहा है| और यह ये भी संकेत देता है कि ना केवल युवा चूहा की प्लास्मा मेँ, बल्कि युवा इंसान प्लास्मा मे भी कुछ तो है जिसको यह पुराना मश्तीष्क की मदद करने की ताकत है| तो संक्षिप्त रूप मेँ, हम बूढे चूहा और उसकी मस्तिष्क को विशेष रूप से आघातवर्धनीय पाते है| वे पथर से बना हुआ नहीँ हैँ; हम वास्तव मेँ उसे बदल सकते है| उसे फिर से युवा बना सकते हैँ| युवा रक्त फाक्टर्स उम्र बढने को रोक सकते हैँ, और मैँ ने आप् को जो नही दिखाया-- इस मोडल मेँ, युवा चूहा वास्तव मेँ बुढे से जोखिम होने से पीडित है| तो वहाँ बूढे रक्त कारकोँ हैँ जो बूढापे मेँ तेजी ला सकते हैँ| और सबसे ज्यादा जरूरी है, मनुष्य मेँ भी इसी तरह कारकोँ हो सकते हैँ, क्योँ कि हम युवा मनुष्य रक्त को भी लेसकते और एक समान प्रभाव पा सकते हैँ| बूढे इंसान के रक्त को, मैँ ने आप को नही दिखाया, इस तरह का प्रभाव नही होता; वह चूहोँ को और युवा नही बनाता| तो, ये जादू मनुष्य को हस्तांतरणीय है? हम स्टांफर्ड मेँ एक छोटा सा नैदानिक अध्ययन चलारहे हैँ, जहाँ हम हल्के अल्ज़ेमिर्स मरीजोँ का इलाज करते हैँ २०-साल-के युवा स्वयँसेवकोँ का एक पिंट प्लास्मा के साथ, और चार हफ्तोँ तक हफ्ते मेँ एक बार करते हैँ, और फिर हम इमेजेस के साथ उनकी मस्तिष्क मेँ देखते हैँ| हम ने उन्हे संज्ञानात्मकपरीक्षा किया , और हम उनके देखभाल करने वालों को उनके जीने की दैनिक गतिविधियों के बारे मेँ पूछा| हम क्या आशा करते हैँ कि वहाँ सुधार के कुछ संकेत इस इलाज से होंगे| और अगर यह मामला है, वह हमे उम्मीद दे सकती है कि जो मैँ ने दिखाया चूहोँ मेँ काम करती है इन्सान मेँ भी काम कर सकता है| अब, मुझे लगता है हम हमेशा के लिये तो नही रहेंगे| लेकिन हम ने शायद खोज किया कि वास्तव मेँ फौंटैन आफ यूथ हमारे भीतर ही है, और वह बस सूख गया| और अगर हम इसे थोडा पीछे घुमा सकते तो, शायद हम उन कारकोँ को डूंढ सकते जो इन प्रभावों को मध्यस्थता कर रहे हैँ, हम इन कारकोँ को क्रुत्रिम रूप से उत्पादन कर सकते हैँ और हम उम्र के साथ बढने वाले रोग जैसे आल्जिमीर्स रोग या अन्य मनोभ्रंश का, इलाज कर सकते हैँ| बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियाँ) अर्थशास्त्र मे नोबेल पुरष्कार विजेता पाल क्रुग्मान ने एक बार लिखा था कि "उत्पादकता ही सब कुछ नहीं होता, पर आगे जाकर , ओ ही लगभग सब कुछ होगा|" इसलिये ये गंभीर है| धरती पर ऐसे बहुत चीज नहीं होते जो " लगभग सब कुछ"होते हैँ| उत्पादकता एक समाज की समृद्धि का प्रधान हिस्सा है| तो हमारा एक समस्या है| सबसे बडा यूरोपियन अर्थव्यवस्थाओं मे, उत्पादकता हर साल पांच प्रतिशत बढता था 50'स, 60स' ,पूर्व 70स' मे 73 से 83 तक:तीन प्रतिशत हर साल 83 से 95 तक :दो प्रतिशत हर साल 1995से: 1प्रतिशत से कम हर साल वोही प्रोफाइल जपान मे, वोही प्रोफाइल US मे, क्षणिक पलटाव १५ साल पहले के बावजूद, और सब प्रौद्योगिकीय नवाचारोँ, हमारे आसपास:इंतरनेट,समाचार नई जानकारी और संचार प्रौद्योगिकियों के बावजूद जब उत्पादकता तीन प्रतिशत प्रति वर्ष बढ्ता है| आप जीवन स्तर हर पीढ़ी दोगुना कर दोगे हर पीढ़ी अपने मा बाप से दोगुना दौलतमंद होंगे| जब ओ एक प्रतिशत प्रति वर्ष बढता है, जीवन स्तर दोगुना करने के लिये तीन पीढ़ियों को लगेगा| और इस प्रक्रिया मे बहुत लोग उनके मा बाप से कम दौलत मंद होंगे उनके पास सब कुछ कम मात्रा मे होगा: छोटे छतोंशायद कोई छतों, शिक्षा के लिए कम पहुँच, विटमिंस के लिये ,अंटिबिओटिक्स के लिये,वाक्सिंस के लिये-- सब के लिये| सभी समस्याओं के बारे मे सोचो जो इस समय हम सामना कर रहे हैं| सभी| संभावना है कि ओ उत्पादकता संकट आधारित होंगे| ये संकट क्योँ है? क्योंकि बुनियादी सिद्धांतों योग्यता के बारे मे प्रभावशीलता संगठनों मे, प्रबंधन में-- मानव प्रयासों के लिये अनुत्पादक बनगया| हर जगह सार्वजनिक सेवाएँ,मे, कंपनियों मे, हमारे काम करने के तरीके में हमारी नये तरीकोँ में, निवेश बेहतर काम करने की सीख्ते हैँ| पवित्र दक्षता की त्रिमूर्ति को लेलो: स्पष्टता, माप, जवाबदेही| ओ मानव प्रयासों को पटरी से उततारते हैँ इसकी तरफ देख्नने के लिये, साबित करने के लिये दो रास्ते हैँ एक,जिसको मै ने चुना कठोर, सुरुचिपूर्ण, अच्छा -- गणित पर पूरा गणित रूपांतर थोडा समय लेगा, तो अब और एक है| ये चौकी दौड़ के ओर देखना है| ये हीं आज हम करने वाले है| ये थोड़ा ज्यादा एनिमेटेड, अधिक दृश्य और ज्यादा तेजी भी है -- ये हीं दौड़ है. आशा है कि और तेज हो सकता| (हँसी) महिलाओं की फाइनल अंतिम विश्व चैम्पियनशिप| आठ टीम फाइनल में हैं| अमेरिकी टीम सबसे तेजी टीम हैं| उस टीम में प्रुथ्वी के सबसे तेज़ दौड्ने वाले महिलाएं है| ये टीम जीतने के लिए पसंदीदा टीम है| विशेष रूप से, उनको औसत टीम के साथ तुम तुलना करोगे जैसे कि फ्रेंच टीम, (हँसी) १००-मीटर रेस मे उनके सबसे अच्छा प्रदर्शन पर आधारित, अगर आप US रन्नर्स का व्यक्तिगत समय जोडोगे, ओ फ्रेंच टीम से ३.२ मीटर्स समापन रेखा पर आगे पहुंचेंगे और इस साल US टीम उचे स्थान पर है| उनके इस साल की सबसे अच्छा प्रदर्शन पर आधारित, ओ फ्रेंच टीम से ६.४ मीटर्स आगे पहुंचे डेटा पर आधारित हम रेस को देखने जारहे हैँ अंत की ओर एक समय पर आप देखेंगे कि टोर्रि एड्वर्ड्स, चौथा US रन्नर,आगे है आश्चर्य की बात नही है--इस साल उसे १००-मीटर रेस मे स्वर्णपतक मिला और वैसे,क्रिस्टी गैनस, दूसरा रन्नर US टीम मे, दुनिया की सबसे तेजी महिला है इस दुनिया पर 3.5 बिल्लियन महिलायेँ हैँ सबसे दो तेजी महिलायेँ कहाँ हैँ?US टीम पर और दूसरे जो दो रन्नर्सUS टीम मे हैँ ओ भी बुरे नही हैँ (हँसी) तो प्रतिभा के जंग मे स्पष्ट रूप से US टीम जीत गया| लेकिन पीछे, साधारण टीम फिनिश लाइन को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैँ| हम दौड देखेंगे| (वीडियो: फ्रेंच खेल कॉस्टर्स रेस का वर्णन) (वीडियो: दौड का वर्णन खतम) ईव्ह मोहियू:तो क्या हुआ? सबसे तेजी टीम नही जीते ; धीमी लोग जीत गये वैसे मै आशा करता हू आप आश्वादन किये फ्रेंच को अच्छा दिखाने के लिये गहरे ऐतिहासिक अनुसंधान जो मै ने किया| (हँसी) पर हम अतिशयोक्ति नही करेंगे-- और या तो ये पुरातत्त्व-शास्त्र, भी नही (हँसी) पर क्योँ? उसका कारण है सहयोग जब तुम ए वाक्य सुनोगे: "साथ देने के लिये शुक्रिया, हिस्से की राशि से पूरे अधिक मूल्य की है|" ये कविता नही है; ये तत्त्वज्ञान नही है ये गणित है| जो छढी ले जारहे थे ओ धीमे थे, पर उनके छढी तेजी थी| सहयोग का चमत्कार: ए मानव प्रयासों मे शक्ती,बुद्धी, दुगना कर देता है| ए मानव प्रयासों का सारांश है: कैसे हम मिलके काम करते हैं,कैसे हर एक प्रयास दूसरोँ के प्रयासोँ को योगदान देता| सहयोग के साथ,हम कम से ज्यादा कर सकते हैँ| अब,सहयोग का क्या हुआ जब होली ग्रैल-- पवित्र दक्षता की त्रिमूर्ति,भी-- स्पष्टता, माप, जवाबदेही-- प्रतीत होता है? स्पष्टता| प्रबंधन की रिपोर्ट स्पष्टता की कमी के बारे मे शिकायतों से भरे हुये हैँ| अनुपालन आडिटेँ,सलाहकार' निदान| हम लोगोँ को और स्पष्टता चाहिये, भूमिकाओं को स्पष्ट करना चाहिये,प्रक्रियाओं मानो कि रन्नर्स ए कह रहे थे, "हम स्पष्ट कर देते हैँ--कहा से मेरी भूमिका शुरू होती और खतम होती? मैं ए मानलू कि मुझे 95मीटर्स,96,97.....दौड्ना है?" ए बहुत जरूरी है,मै स्पष्ट करना चाहूंगा| अगर आप 97 मीटर्स कहेंगे, 97मीटर्स के बाद, लोग छ्ढी को गिरा देंगे,यदि उसको पकडने के लिये कोई हो या ना हो जवाबदेही| हम जवाबदेही लगातार किसी के हाथ मे डालने की कोशिश कर रहे हैँ| इस प्रक्रिया के लिये उत्तरदायी कौन है? हम को इस प्रक्रिया केलिये कोई उत्तरदायी चाहिये| तो रिले रेस मे, छढी को आगे देना बहुत जरूरी है| हम को कोई ऐसा चाहिये जो छढी को आगे देने की उत्तरदायत्व लेसके| तो हर एक हरकारा की बीच मे अब हमारे पास होगा एक नया समर्पित खिलाड़ी, स्पष्ट रूप से समर्पित छ्ढी एक हरकारे से लेकर, और आगे के हरकारे को देने के लिये| और हमारे पास कमसेकम दो खिलाडी ऐसे होंगे अच्छा,हम,वैसी स्थिति मे,क्या रेस जीतेंगे? ओ पक्का मै नही जानता, हमारे पास स्पष्ट इंटरफेस होगा, एकस्पष्ट रेखा जवाबदेही का| हम को पता है किसको दोष देना है| पर हम कभी रेस नही जीतेंगे| तुम अगर सोचते हो,हम अधिक ध्यान सफल होने के परिस्थितियों का निर्माण करने के बजाय अगर हम हारगये तो किसको दोष देना है,पे देते| सब मानव बुद्धि संगठन के डिजाइन मे रखें शहरी संरचनाओं,प्रोसेसिंग सिस्टम्स-- वास्तविक लक्ष्य क्या है? अगर कोई विफल होते तो उनको दोषी करने के लिए हम सँघठन का निर्माण कर रहे हैँ कि वे विफल हो सके पर एक नाजुक तरीके से, किसी न किसी को उत्तरदायत्व लेने के लिये जब हम विफल होंगे| और हम काफी प्रभावी हैँ--विफल पर नापाई| जो मापा जाता है मापा जाता है| देखो,छ्डी को आगे देना हो तो, उसको तुम सही समय पर , सही हाथ मे,सही गती से देना जरूरी है पर ए करने के| लिये,तुम को तुम्हारे हाथ मे शक्ति डालना होगा| ए जो शक्ती तुम्हारे हाथ मे है ओ तुम्हारे पैर मे नही होगा| ओ तुम्हे तुम्हारी नापने योग्य गती के कीमत पर मिलेगा| तुम को अगले धावक पर काफी पहले चिल्लाना पडेगा जब तुम छ्डी आगे दोगे, तुम इशारा करोगे कि तुम पहुंच रहे हो, ताकी अगला धावक तैयार कर सके, विचार कर सके| और तुम्हे जोर से चिल्लाना पडेगा| पर जो खून,शक्ती तुम्हारे गले मे है तुम्हारे पैरोँ मे नही होगा| क्योँ कि तुम जानते हो,आठ लोग एक समय चिल्लाते रहते हैँ| तो तुमको तुम्हारे साथी का आवाज पहचानना होगा| तुम नही कह सकते"क्या ओ तुम हो?" बहुत देर! (हँसी) अब, हम धीमी गति मे रेस को देखेंगे, और तीसरी धावक पर ध्यान देते हैँ ओ कहा पर अपनी प्रयास, अपनी शक्ती,अपनी ध्यान का, विनियोजिन करती है| पूरी अपने पैरोँ पर नही-- ओ उसकी गती के लिये अच्छा होता-- पर उसकी गले मे,हाथ,आंख,दिमाग ओ किसके पैरोँ मे फर्क लाता है? आगे की धावक की पैरोँ मे पर जब दूसरा धावक बहुत तेज दौडेगा, ओ इसलिये कि उसने बढिया प्रयास किया, या तीसरा धावक छ्ढी आगे देने की तरीके की वजह से? दुनिया मे कोइ ऐसा मेट्रिक नही है जो इसका जवाब हमे दे सकता| और अगर हम लोगोँ को इनाम उनके औसती प्रदर्शन के आधार पर देंगे, ओ अपने शक्ती,अपने ध्यान,अपने खून नापने लायक चीज मे लगा देंगे--उनके पैरोँ मे| और छ्ढी गिर जायेगा और धीमी हो जायेगा| सहयोग देना कोई बढिया प्रयास नही है, तुम अपनी प्रयास कहाँ विनियोजन करते हो ओ है| यह जोखिम लेने के लिए है, क्योँ कि तुम निष्पक्ष दर्जे से दिये गये व्यक्तिगत निष्पादन का परम संरक्षण त्याग ने वाले हो| दूसरोँ के प्रदश्रन मे अधिक अन्तर लाने के लिये, जिस के साथ हमारी तुलना किया गया हो| सहयोग करने के लिए बेवकूफ होना पढता है,और लोग बेवकूफ नही हैँ; ओ सहयोग नही करते| तुम जानते हो स्पष्टता, माप, जवाबदेही--ठीक थे| जब दुनिया सरल था| पर व्यापार बहुत ज्यादा जटिल होगया| मेरी टीमों के साथ,हम मापा है जटिलता का विकास व्यापार| ग्राहकों को आकर्षित करने और बनाए रखने के आज अधिक की मांग है, वैश्विक स्तर पर लाभ का निर्माण करने की, मूल्य बनाने के लिए| और जैसे व्यापार अधिक जटिल हो जाता है, स्पष्टता, माप, जवाबदेही-- के नाम पर हम संरचनाओं, प्रक्रियाओं, सिस्टम्स दुगना कर देंगे| तुम जानते हो स्पष्टता और जवाबदेही के लिए ड्राइव चलाता है इंटरफेस,बीच कार्यालयों का उल्टा गुणन, समन्वयकों सिर्फ लोगों और संसाधन को जुटाने ही नही पर बाधाओं को जोड़ते भी हैँ| और जितना ज्यादा जटिल सँगठन होगी, उतना ही मुश्किल होगा ये समझने मे कि वहाँ सच मे क्या हो रहाहै| तो हमे चाहिये सारांश ,प्रतिपत्र, रिपोर्ट मुख्य निष्पादन संकेतक, मैट्रिक्स लोग वहाँ अपना शक्ती लगा लेंगे जहा शक्ती मापा जा सके, सहयोग की कीमत पर| प्रदर्शन कमजोर होती जाती है, और भी अधिक संरचना, प्रक्रिया, सिस्टम जोडेंगे| लोग अपना वक्त बैठकोँ मे बिताते हैँ, रिपोर्ट्स लिख्ते हुये जो करना है, पूर्ववत करें, फिर से करना है हमारे विश्लेषण के आधार पर, इन संगठनों में टीमों अपने समय मे ४० से ८० प्रतिशत समय कडी से कडी,ज्यादा से ज्यादा मेहनत करते हुये, कम से कम मूल्य जोड़ने गतिविधियों पर अपना समय बर्बाद करते हैँ| ये ही है जो उत्पादकता को खत्म कर रहे है, जो लोगोँ को काम पर पीड़ित करते है हमारे संगठन मानव बुद्धि को बर्बाद कर रहे हैँ ओ मानव प्रयासोंके विरुद्ध हो गये| जब लोग सहयोग नही देते, उनकी मानसिक स्थिती को, बुद्धि को, व्यक्तित्व को ,दोष मत दो कार्य स्थितियों के ओर देखो सहयोग करना या नहीं करना उनके निजी हित में होगा, अगर,जब ओ सहयोग क्रेंगे, ओ व्यक्तिगत रूप से भी बदतर होंगे? ओ सहयोग क्योँ करेंगे? जब हम व्यक्तित्व को दोष देंगे स्पष्टता, जवाबदेही, माप के सिवा प्रभाव-शून्‍यता को अन्याय जोडते हैँ| हम को संगठनों को निर्माण करना चाहिये जिस मे सहयोग करना लोगोँ को व्यक्तिगत रूप से उपयोगी हो जाता है इंटरफेस, मध्य कार्यालयों-- जैसे सभी जटिल समन्वय संरचनाओं को हटाओ स्पष्टता के लिए मत देखो; धुंधलेपन केलिये जाओ| धुंधलेपन अतिव्यापनों प्रदर्शन को निर्धारित करने के लिये ज्यादातर मात्रात्मक मेट्रिक्स को हटाओ "क्या"को तेज करो सहयोग की तरफ देखो"कैसे"| तुमने छ्ढी को कैसे आगे किया? तुमने उसको फेखा?, या प्रभावी ढँग से पारित किया? क्या मै अपनी शक्ती जो मापा जा सके उसमे डाल रहा हू-- मेरे पैर,मेरे गती-- या छ्ढी को पारित करने मे? आप,नेता के रूप मे, प्रबंधक के रूप में, सहयोग करना लोगोँ को व्यक्तिगत रूप से उपयोगी हो ऐसे आप बना रहे हैँ? अपने सँस्थाओँ का भविष्य, अपने संस्थाओँ,अपने समाज, इन सवालोँ का जवाब पर टिकते हैँ| धन्यवाद| (तालियाँ) आज मैं काम के बारे में बात करने वाला हूँ| और जो प्रश्न में पूछना चाहता हूँ और उत्तर ये है: "हम क्यों काम करते हैं?" क्यों हम अपने आपको बिस्तर से खींच कर बाहर ले आते हर सुबह बजाय हमारे जीवन जीने की जो TED-जैसा एक साहस से दूसरा तक उछल से भरा हो? (हँसी) आप अपने आप को ये हीं प्रश्न पूछ्ते होंगे| अभी, मुझे मालूम है बेशक हमें जीना हैं, लेकिन, इस कमरे में जो भी उपस्थित है,कोई ये नहीं मानते कि ये हीं इस प्रश्न का उत्तर है, "हम काम क्यों करते?" उनलोगों के सामने जो इस कमरे में है, हम जो काम करते हैँ वो चुनौतीपूर्ण है, वो मनोहर है,वो उत्तेजक है, और वो सार्थक है| हम अगर भाग्यशाली होते तो ये काम आवश्यक भी हो सकता है| इसलिए, भुगतान न पाने से हम काम नहीं करते, लेकिन, हम जो करते है उसका वजह ये नहीं हो सकता| और सामान्य रूप से, मैं सोचता कि हम सोचते हैं कि सामग्री पुरस्कार ही काम करने के लिए बहुत बुरा कारण हो सकते हैं| जब हम किसी के बारे में कहते है कि वो "पैसे के लिए काम कर रहा है", हम सिर्फ वर्णनात्मक नहीं किया जा रहे है| (हँसी) अभी, मैं सोचता ये पूरी तरह से स्पष्ट है कि, लेकिन इसकी बहुत प्रत्यक्षता ही मेरे लिए एक अविश्वसनीय गहरा सवाल है| क्योँ,ए अगर इतना ही स्पष्ट है, क्योँ इस दुनिया के भारी बहुमत लोगों जो काम करते हैँ, उसमे कोई भी ऐसे विशेषताओं नही हैँ जो उन को बिस्तर से उठाके हर सुबह आफीस भेज दे? ऐसा क्या है कि हम इस दुनिया के अधिक संख्या के लोगों को काम करने की जो नीरस,अर्थहीन,और आत्मा-शामक है,अनुमती देते हैँ? ऐसा क्योँ है कि जैसे सम्पत्तिवाद विकसित की है, यह वस्तुओं और सेवाओं की, उत्पादन की एक विधा बनाया जिस मेँ अभौतिक संतुश्टीकरण जो काम से आ सकते थे हटा दिये गये? श्रमिकों जो इस तरह के काम करते हैँ, यदि ओ काम करते होँ, कारखानोँ मे, या काल सेंटर्स मे, या फिर पूर्ति गोदामों मे, वेतन के लिये करते हैँ उन लोग जो काम कर रहे हैँ उसके लिये ऐसा कोई सांसारिक कारण नही है सिवाय वेतन के| तो सवाल ये है कि,"क्योँ?" और जवाब इधर है: जवाब है प्रौद्योगिकी अब, मै जानता हू, मै जानता हूँ -- ,हाँ,हाँ,हाँ,प्रौद्योगिकि, स्वचालन,शिकंजा लोग,ब्ला,ब्ला-- मेरा मतलब वो नहीं था| मै उस तरह की प्रौद्योगिकि के बारे मे बात नही कर रहा हू जो हमारे जिंद्गियोँ पर छागयी,और जिस के बारे मे सुनने केलिये लोग TED के लिये आते मै चीजोँ के प्रौद्योगिकि के बारे मे बात नही कर रहा हूँ वह हालाँकि गहरा है| मै अन्य तकनीक के बारे मे बात कर रहा हूँ| मै विचारों की तकनीक के बारे मे बात कररहा हूँ| मै उसको "विचारोँ की तकनीक"बुलाऊंगा-- मै कितना चतुर हूँ| (हँसी) चीजोँ को बनाने के साथ, शास्त्र विचारोँ को भी बनाती है| शास्त्र समझ्ने के रा स्ते बनाती है| और सामाजिक विज्ञान मे जो समझने के तरीके बना दिये गये हैँ वो खुद को समझने के तरीके हैं। और उनका हम कैसे सोचते हैँ, हमारी ख्वाहिश, और हम कैसे काम करते हैँ| अगर तुम सोचते हो किअपनी गरीबी भगवान के चाह तो तुम प्रार्थना करोगे| अगर तुम सोचते हो कि गरिबि तुम्हारी खुद की असमर्थता है, तुम निराशा में हटोगे| और अगर आप सोचते है कि उत्पीड़न और वर्चस्व गरीबी की एक परीणाम है, तो आप विद्रोह के लिये उठेंगे| चाहे आपका गरीबी केलिये प्रतिक्रिया इस्तीफे हो या क्रांति, तुम अपना गरीबी का सूत्रोँ को समझने पर निर्भर करता है| ये भूमिका विचार निभाते हैँ लोगोँ को मनुष्य के रूप में हमें आकार देने मे, और इसीलिये विचार तकनीकि सबसे गहराई से महत्वपूर्ण तकनीकि है जो विज्ञान ने हमे दिया है| और विचार तकनीकि में कुछ खास है, जो उसको चीजोँ की तकनीकि से अलग बनाता है| चीजोँ के साथ, अगर तकनीकि चूस लिया, वो गायब हो जाता है,है ना? प्रौद्योगिकी गायब हो जाता है। योजनाओँ के साथ-- लोगोँ के बारे मे जो गलत विचार है वो दूर नहीं जायेंगे अगर लोग उसे सच मानने लगेंगे| क्योँकि अगर लोग मानने लगेंगे कि ओ सच हैँ, वो रहन सहन के तरीके और सँस्थानोँ को ऐसे बनायेंगे जो संगत करेंगे झूठी विचारोँ के साथ | और लगता है औद्योगिक क्रांति ऐसे कारखाना व्यवस्था शुरू किया जिसमे आपको वास्तव मे आपके काम से संभवतः कुछ नही मिलनेवाला है, बजाय वेतन के जो दिन के अंत मे मिलेगा| क्योँकि पिता--पिता मेँ से एक औद्योगिक कि,आडम स्मित-- यकीन करते थे कि मनुष्य अपने स्वभाव से आलसी हैँ, और ऐसा कुछ नही करेंगे जब तक आप उनके समय को लायक नही बनाते, और आप उनके समय को लायक प्रोत्साहित,द्वारा उन्हे पुरस्कार देकर करेंगे| वो एक ही कारण है कोई भी व्यक्ती काम करने की| इसीलिये हमने एक कारखाना व्यवस्था जो गलत नजर के साथ संगत है| पर एक बार वो उत्पादन की व्यवस्था अपनी जगह में था , कोई अन्य तरीका वास्तव में नहीं था लोगों को संचालित करने के लिए, बजाय इसके जो संगत है आडम स्मित के द्रुश्टि के साथ| तो ये काम का उदाहरण तो सिर्फ एक उदाहरण है कि कैसे झूठे विचार बना सकते हैँ एक परिस्थिति जो समाप्त होता है उन्हे सच बनाकर| ये सच नहीं है कि आपको"बस अबअच्छी मदद नही मिल सकता|" ये सच है कि आप को"अब और अच्छी मदद नही मिल सकता" जब आप लोगोँ को काम देते हो करने के लिये जो नीचा दिखा निष्प्राण हो| और काफी दिलचस्प है, एडम स्मिथ - वो ही शक्स जो हमे दिया है ये अविश्वसनीय आविष्कार बड़े पैमाने पर उत्पादन, और श्रम विभाजन के --ने यह समझ लिया| उन्होँने कहा,लोग जो काम करते हैँ समनुक्रम मेँ, पुरुष जो काम करते है समनुक्रम मेँ,वो कहाँ: "ओ आमतौर पर बेवकूफ बनजाता है जो सँभव है एक इनसान को बनने के लिये|" अब,ध्यान देनेवाले शब्द "बनना"| "वो आमतौर पर बेवकूफ बनजाता है जो सँभव है एक इनसान को बनने के लिये"| चाहे उनके इरादा है या नही, आडम स्मिथ क्या बता रहा था हमसे वहाँ, कि सँस्था का आकार जिसमेँ लोग काम करते हैँ लोगोँ को ऐसा बनाता है जो उस सँस्था की मांग मेँ लगे हैँ और लोगोँ को मौकोँ से वंचित करता है उनको काम से जो संतुष्टि मिलती है जो हम बिना प्रमाण मान लेते हैँ| शास्त्र के बारे मे बात-- प्राक्रुतिक शास्त्र-- ये है कि हम ब्र्ह्मांडोँ के बारे मेँ अद्भुत सिद्धंतोँ के जाला बून सकते हैँ, और पूरी आत्मविस्वास रख सकते हैँ कि ये ब्र्ह्मांड पूरी तरह से हमारे सिद्धंतोँ के प्रति उदासीन है| वो इसी तरह काम करते रहेगा कोईबात नही क्या सिद्धांत ब्र्ह्मांड केबारे मेँ हमारे पास हैँ| लेकिन हमेँ चिंतित होने की जरूरत है जो सिद्धांत मानव स्व्भाव के बारे मे हैँ, क्योँकि मानव स्वभाव बदल जायेगा हमारे पास सिद्धांतोँ से जिसको मनुष्य को समझाने और समझाने मे मदद करने के लिये रूपांकित किया गया| प्रतिष्टित मानवविज्ञानी, क्लिफर्ड गीर्ट्ज़,ने कहाँ ,सालोँ पहले, कि मनुष्य "अधूरा जानवर हैँ|" और उनका क्या मतलब है कि ये सिर्फ मानव स्वभाव है मानव स्वभाव होना जो उत्पाद है समाज की जिसमे लोग रहते हैँ| वह मानव स्वभाव ,कहने का मतलब हमारा मानव स्वभाव, को ज्यादातर बनाया गया नाकी खोज किया गया| हम सँस्थाओँ के रचना करने के द्वारा मानव स्वभाव की रचना करते हैँ जिसमेँ लोग जीते हैँ और काम करते हैँ| और इसलिये तुम लोग-- बहुत ज्यादा निकटतम मैँ अभी तक जासका ब्रह्मांड के स्वामी साथ-- तुम लोग अपने आपसे एक सवाल पूछना चाहिये, जैसे आप घर जाते हैँ आपके सँगठन चलाने केलिये| तो आप किस तरह का मानव स्वभाव रचना करने केलिये मदद करेंगे? धन्यवाद| (तालियाँ) धन्यवाद| पिछले साल, में अपनी पहली यात्रा पर गयी में तेरह माह मे चौदह देश गयी और सौ से अधिक भाषण दिए प्रत्येक देश के प्रत्येक भाषण मे शुरुआत एक परिचय के साथ होता हैं हर एक परिचय का आरम्भ एक झूट के साथ होता हैं तैये सेलासी, घाना व नाइजीरिया की रहवासी हैं या तैये सेलासी इंग्लैंड व अमेरिका की वासी हैं जब भी मैं यह पहला वाक्य सुनती हूँ, चाहे वो देश कोई भी हो, इंगलैंड, अमेरिका, घाना या नाइजीरिया, पर मैं सोचती हूँ कि यह सही नहीं हैं सच मेरा जन्म इंग्लैंड का हैं और में पली बड़ी अमेरिका मे मेरी माँ भी इंग्लैंड में पैदा हुई और वे नाइजीरिया में बड़ी हुई और अभी घाना में रहती हैं, पिता का जन्म हुआ गोल्डकोस्ट मे जो एक ब्रिटिश कालोनी हैं, व पले-बड़े घाना मे और सऊदी अरब राज्य मे तीस साल तक रहे. "इस कारण से मेरे परिचयदाता मुझे बहुराष्ट्रीय भी कहते हैं" मेरे विचार से बहुराष्ट्रीय तो नाइके हैं ! में तो "इन्सान" हूँ तब, एक दिन यात्रा के दौरान मे, में डेनमार्क के एक अजायबघर, लुसिआना गयी थी मंच पर मेरे साथ लेखक कोलूम मक्कन्न भी थे हमारी चर्चा थी "लेखन में रहवास की भूमिका" जब, अचानक मुझे लगा कि में तो बहुराष्ट्रीय नहीं हूँ. ना ही में किसी एक राष्ट्र की हूँ . मैं किसी एक राष्ट्र की कैसे हो सकती हूँ ? कैसे एक इन्सान, एक विचार से आ सकता हैं ? यह सवाल मुझे बीस साल से कचोट रहा हैं. अख़बार से, किताबों से, और चर्चाओं से, मैं देशों के बारे मे बोलना सीख गयी हूँ. जैसे कि वे प्राकृत, रूहानी व एकल वस्तु हो, पर मुझे आश्चर्य होता हैं ! यह कहते हुए कि मैं किसी देश की रहवासी हूँ सुझाव देता हैं कि देश कोई समय चक्र के एक निश्चित बिंदु पर एक निश्चित वस्तु हैं, परन्तु क्या ऐसा था ? मेरे जीवन काल में से मेसे एक देश गायब हो गया हैं --- वह हैं चेकोस्लोवाकिया; एक देश तिमोर लेस्ते नया बना तो एक देश सोमालिया फेल हो गया. ये देश मेरे माता-पिता के जन्म के समय थे ही नहीं मेरे लिए देश- एक वस्तु हैं जो जन्म लेती हैं, मरती हैं, प्रसारित होती हैं, व सिकुड़ती हैं वो इन्सान को परखने की कसोटी कैसे बनता हैं? मेरे लिए "संप्रभुता राज्य" एक राहत ही हैं. हमारे मत में देश वास्तव में हैं क्या? "संप्रभुत्व राज्य" की अलग अलग प्रस्तुति हैं यह विचार ४०० साल पहले अस्तित्व में आया हैं अन्तराष्ट्रीय संबंधो की पढाई में यह जाना यह वेसा ही था जेसी मुझे आशंका थी इतिहास सही था, संस्कृतिया सही थी पर देशों की खोज हो चुकी थी दस साल में स्वयं को पुनःपरिभाषित किया मेरी दुनिया, मेरा काम और मेरा अनुभव देशों के तर्कों से परे २००५ में मैंने लिखा "एफ्रोपोलिटन क्या हैं?" संस्कृति को चित्रित किया, देशों के ऊपर मजा आया कि कई लोग मेरे विचार से जुड़े थे, बहुत अन्य स्वयं की मेरी सोच से सहमत नहीं एक ने कहा "सेलासी घाना की केसे हुई?" जबकि उसे नहीं पता हैं घानियन पासपोर्ट, के साथ यात्रा करने की मुश्किलें क्या हैं?" अब, यदि मैं सच्ची हूँ, मुझे पता हैं वह क्या कह रही हैं मेरी दोस्त लैला, घाना में जन्मी व बड़ी हुई उसके लेबनानी पालक तीन पीढ़ी से घाना में हैं लायला, त्वी भाषा फर्राटेदार बोलती हैं, अकरा को भी जानती हैं पहली बार मिलने पर लगा कि वह घाना की नहीं हैं मुझे लगा जैसे वह लेबनान की रहने वाली हैं, इस सच्चाई के बावजूद भी कि उसका सारा अनुभव अकरा के उपनगरीय क्षेत्र का हैं. मेरे विरोधियों की तरह मेरे दिमाग में भी मेरे विचार के घाना में लोगो की चमड़ी भूरी थी या ब्रिटेन के पासपोर्ट वाला कोई भी नहीं मैं भी सीमांकन के दायरे में कैद हो गयी थी जिसकी भाषा थी "----- देश से अति हैं" एक देश, एक कहानी से जुडी मानवीय अनुभवों की वास्तविकता से ऊपर कॉलुम मक्कन के साथ चर्चा स्पष्ट होगयी उन्होंने कहा "सभी अनुभव स्थानीय हैं" मुझे विचार आया " सब पहचान अनुभव का हैं" मैं स्टेज पर दहाडी "राष्ट्र की नहीं हूँ" "मैं स्थानीय हूँ, बहुत जगह की स्थानीय" तैये सेलासी अमेरिका की हैं, यह सच नहीं हैं? मेरा अमेरिका से कोई सम्बन्ध नहीं हैं, सभी पचासों से नहीं, कुछ भी सम्बन्ध नहीं मेरा सबंध हैं ब्रूकलीन से, जहाँ बड़ी हुई न्यूयोर्क शहर से, जहाँ मेने काम शुरु किया लावरेंसविल्ले से हैं, जहाँ में मजा करती हूँ में अमेरिकावासी पासपोर्ट के कारण नहीं हूँ वरन उन अनुभवों के कारण से, और उन जगहों के कारण से जहाँ वे घटित हुवे बावजूद इसके कि मुझे गर्व हैं इवे संस्कृति काले सितारों पर व प्यार हैं घानियन भोजन से मेरा सम्बन्ध घाना के गणतंत्र से नहीं हैं मेरा सम्बन्ध हैं मेरी माँ के शहर अकरा से जहाँ मैं हर साल जाती हूँ, डजोवुलू बगीचे से, घंटो बिताए पिता के साथ यह जगह हैं जहाँ मेरे अनुभवों को आकार मिला में जहाँ की हूँ वही हैं मेरा अनुभव, "आप कहाँ से हो?' पूछने की जगह यह पूछें "आप कहाँ-कहाँ के स्थानीय हो?" यह बताता हैं कि हम किसके, कितनें सामान हैं आप कहते हैं में फ्रांस से हूँ तो मुझे --- अधिची व फ्रांस राष्ट्र की एक बोरिंग कहानी? आप कहे मैं फेज़ या पेरिस की मूल निवासी हूँ और भी आगे, गौत्ते डे'ऑर से अनुभव दिखता हैं हम जहाँ से होते हैं वही हमारा अनुभव हैं तो, आप कहाँ के स्थानीय हो? हम तीन चरण का एक परिक्षण करते हैं इसमें महत्वपूर्ण हैं:परंपरा, संबंध व बंदिश दैनिक कार्यकलापों का विचार करे, जो भी हो अपनी चाय या काफी बनाना, काम पर जाना, फसल काटना, पूजा-पाठ, ध्यान या नमाज करना ये सभी किस प्रकार के अनुष्ठान हैं? ये कहाँ किये जाते हैं? किन-किन शहरों के दुकानदार आपको जानते हैं? बाल्यकाल की कई क्रियाएं मैंने बोस्टन में की, माँ की लन्दन व लागोस की क्रियाओं को बदलकर जूते बाहर उतार कर घर में घूमना, बिना भूल, बड़े-बुजूर्गो के प्रति विनम्रता धीमी आँच पर पकाया हुआ, मसालेदार भोजन करना बर्फीले उत्तरीअमेरिका में दक्षिणी अनुष्ठान पहलीबार मैं दिल्ली व दक्षिण इटली गयी, मुझे झटका लगा "अपने घर जैसा अनुभव हुआ" वहाँ के अनुष्ठान मुझे परिचित से लगे पहला "आर" - रिचुअल या अनुष्ठान उन संबंधो का सोचो जिन्होंने आपको आकार दिया जिनसे सप्ताह में एक बार तो बात करते ही हैं चाहे मिलकर, फ़ोन या फेसबुक पर ? अपने मूल्यांकन में ईमानदारी बरतें में आपके फेसबुक दोस्तों की बात नहीं कर रही यह भावनात्मक रूप से जुड़े लोगो की बात हैं अकरा में माँ व बोस्टन में मेरी जुड़वां बहन, न्यूयोर्क की मेरी सच्ची मित्र: ये संबंध ही मेरे लिए घर हैं तो दूसरा "आर" हैं, संबंध जहाँ क्रियायें व संबंध हैं वहीं के हम हैं, पर हम अपने रहवास को कैसे अनुभव करते हैं, उसका कुछ भाग बन्दिशो से जुड़ा होता हैं बंदिशों से मतलब हैं, कैसे आप ने जीवन जीया? आपका पासपोर्ट कहाँ का हैं? क्या रंगभेद सी बन्दिशो वजह से घर रहना पड़ा? निष्क्रियता/सिविलवार/ मुद्रास्फीति के कारण वह स्थान जहाँ बालक के रूप में क्रियायें की तीनों "आर" में यह कम प्रेरक हैं, क्रियायों व संबंधों के बजाय कम आकर्षक हैं, सवाल अतीत में ले जाता हैं कि आप अब कहाँ हैं? आप कहीं ओर क्यों व किस कारण से नहीं हैं? क्रियायें, संबंध और बन्दिशेँ एक कागज का टुकड़ा लीजिये तीन कॉलम बनाकर उनके ऊपर तीन शब्द लिखलें, फिर यथासंभव ईमानदारीपूर्वक कॉलम को भरदें स्थानीय परिपेक्ष में जीवन का अलग ही चित्र, अनुभवों के आधार पर आपकी एक नई पहचान, सामने आ सकती हैं तो, हम सब मिलकर एक प्रयास करते हैं मेरे एक दोस्त का नाम ओलू व उम्र ३५ साल हैं, नाइजीरिया में जन्मे उसके मातापिता छात्रवृति पर जर्मनी आगये, ओलू का जन्म नूरेमबर्ग का हैं, वहाँ १० साल रहा परिवार लागोस चलागया, तो लन्दन में पढाई की, फिर वह बर्लिन आ गया उसे नाइजीरिया जाना पसंद हैं -- वहाँ का मौसम, खाना, और दोस्त -- पर घ्रणा हैं, राजनितिक भ्रष्ट्राचार से ओलू कहाँ का हैं? मेरा एक और दोस्त हैं नाम हैं उदो वह भी ३५ साल का हैं उदो का जन्म अर्जेन्टीना के कोर्डोबा का हैं, उसके दादा-दादी जर्मनी से, जो अब पोलैंड हैं से युद्ध के बाद प्रस्थान कर गए, पढा बूएनोस ऐरेस में व नौ साल से बर्लिन में हैं उसे अर्जेंटीना पसंद हैं, मौसम, खाना व दोस्त वहाँ के आर्थिक भ्रष्ट्राचार से घ्रणा हैं उदो कहाँ का रहनेवाला हैं? कालेबाल व नीली आंखें से उदो जर्मन जा सकता हैं अर्जेंटीना का पासपोर्ट हैं बर्लिन में रहने के लिए वीसा चाहिए उदो अर्जेंटीना का हैं यह अब एक इतिहास हैं अब उदो बूएनोस ऐरेस व बर्लिन का स्थानीय हैं उसके जीवन के लिए यह महत्व का हैं ओलू, नाइजीरियन दिखता हैं, पर नाइजीरिया जाने के लिए वीसा चाहिए वह इंगलिश तरीके से योरूबा भाषा बोलता हैं, और इंगलिश को जर्मनी के रूप से यह दर्शाने के लिए कि वह नाइजीरियन नहीं हैं लागोस के अनुभव तो झुटला देता हैं, कार्य जिनको उसने अपने बढोतरी के समय किया परिवार व दोस्तों के साथ उसके संबंध निसंदेह लागोस भी उसका एक घर था परन्तु ओलू को वहाँ हमेशा बंधन लगा, केवल इसलिए नहीं कि वह एक समलिंगी हैं वह और उडो दोनों की बन्दिशे राजनितिक हैं उनके मातापिता के राष्ट्रों की, उन जगह पर रहने के कारण जहां उनके संबंध बने व क्रियायें संपन्न हुई ओलू को नाइजीरियन और उडो को अर्जेंटीनन कहना उनके सामान अनुभव से हमारा ध्यान भटकाता हैं उनके कार्यकलाप, संबंध और बन्दिशे एक सी हैं जब हम ये पूछते हैं कि आप कहाँ से हो तो? हम "शॉर्टहैंड - अशुलेखन प्रयोग करते हैं लागोस और बर्लिन कहने के मुकाबले नाइजीरिया गूगल मैप में हम दिखा सकतें हैं, देश, शहर, से पड़ोस तक पर मुद्दा यह नहीं हैं बहुत अंतर हैं प्रश्न "तुम कहाँ से हो?" और "तुम कहाँ के स्थानीय हो?" उत्तर की विशिष्टता का विषय नहीँ हैं प्रश्न पूछनेवाले की भावनाओं का मामला हैं राष्ट्रीयता को छोड़कर स्थानीयता की भाषा, हमें अपना लक्ष्य जीवन कहाँ जीया पर करना हैं राष्ट्रीयता का सर्वश्रेष्ठ वर्णन "विश्वकप" देशों की टीम में अक्सर कई जगह के खिलाड़ी हैं मानवीय अनुभव के माप की एक इकाई के रूप में सच्चाई में "राष्ट्र" कम नहीं आता हैं तभी तो ओलू खुदको जर्मन व मातापिता को नाइजीरियन कहता हैं, पर वाक्य में ईकाई का लचीलापन नहीं एक निश्चित व कल्पित चीज आपस में विरोधी हैं "मैं रहवासी हूँ लागोस और बर्लिन की यह बात मेरा मिश्रित अनुभव बताती हैं ऐसी परत जो एक दूसरे से जुड़ गयी हैं जिन्हें हटाया या झुटलाया नहीं जा सकता आप मेरा पासपोर्ट छीन सकतें हैं, परन्तु आप मेरा अनुभव नहीं छीन सकते क्योंकि वह मुझमे समाया हुआ हैं जहां जाऊगा "कहाँ से हूँ" मेरे साथ होता हैं मेरा सुझाव देशों सीमाएं हटाने का नहीं हैं राष्ट्रिय इतिहास में भी बहुत कुछ कहानी हैं समप्रभुत्व राज्य के लिए भी कहानी हैं समुदाय में संस्कृति हैं, जिसका आधार भी हैं भूगोल, परम्परा, याददास्त: महत्वपूर्ण हैं मेरा प्रश्न प्रधानता पर हैं यात्रा के सभी परिचय, संदर्भित होते हैं किसी देश से जेसे कि देश से सबको मेरा इतिहास ज्ञात होगा जब पूछते हैं कहाँ से, हम क्या खोज रहे हैं? और जब हम जवाब सुनते हैं तो क्या खोजते हैं? यहाँ एक सम्भावना हैं: मूलतः, राष्ट्र शक्ति का द्योतक हैं आप कहाँ से हो? मेक्सिको, पोलैंड, बांग्लादेश: कम शक्तिशाली! अमेरिका, जर्मनी, जापान.... अधिक ताकतवर चीन और रूस अनिश्चित (हँसी) अनजाने में ही हम 'शक्तिखेल' खेल रहे हैं, खासकर बहुराष्ट्रीय पहचान के परिपेक्ष में जेसे कोई नया इमिग्रेंट जानता हैं, प्रश्न की आप कहाँ से हैं? या वास्तव में कहाँ से हैं? अक्सर जिसका मतलब हैं "आप यहाँ क्यों हैं?" और जैसे विलियम देरेसिएविक्ज़ का लेख हैं उच्चवर्ग के अमेरिकन कालेज के बारे मे छात्रों का मत हैं कि वातावरण में विविधता हैं जब एक मिसौरी से व दूसरा पाकिस्तान से हो -- कोई फर्क नहीं कि पालक डॉक्टर या बैंकर हैं में उसके साथ हूँ एक को अमेरिकन कहना और एक को पाकिस्तानी फिर संस्था की विविधता का ढिंडोरा पीटना ये भूल जाते हैं कि वे सब एक परिपेक्ष से हैं उनका समान होना एक आर्थिकी सच्चाई हैं अमेरिका के मेक्सिकन माली/दिल्ली के नेपाली रसोईऐ में कार्यों और बन्दिशे की समानता हैं राष्ट्रीयता की बात तो बाद में आती हैं भिन्न जगहों का होना मेरी बड़ी समस्या हैं वहाँ जाना तो एक भुलावा हैं मुझे पूछा जाता हैं - घाना जाने का विचार हैं अकरा जाती हूँ, पर घाना जा नहीं सकती इसलिए नहीं कि मेरा जन्म वहाँ का नहीं! मेरे पिता जी स्वयं भी नहीं जा सकते जिस देश में उनका जन्म हुआ था, वह देश अब हैं ही नहीं हम फिर वहाँ नहीं जा सकते जहाँ उसे छोड़ा था हमेश ही कुछ जगह, कुछ वस्तुएं बदल जाती हैं सबसे ऊपर हम स्वयं बदल जाते हैं लोग बदल जाते हैं अंत में, हम बात कर रहे हैं, अपने अनुभवों की, यह बदनामी और प्रसिद्धी का बेतरतीब मामला हैं रचनात्मक लेखन में, मानवीयता की चर्चा हैं कहानी के उदगम को जितना हम जानते हैं उतना ही अधिक स्थानीय रंग-रूप सामने आता हैं अधिक मानवीयता व चरित्रों दिखाई देते हैं अधिक जुड़ाव दिखता हैं, कम नहीं होता राष्ट्रीयता का भुलावा व मूलस्थान का विचार हमे अलग-अलग खंडो में विभाजित करता हैं सही मायने में हमारे कई रूप व स्तर हैं इस जटिलता को ध्यान करके की गयी चर्चा, में सोचती हूँ, हमारी दूरियां मिटाती हैं तो अगली बार जब भी मेरा परिचय दिया जावे, मैं सच सुनना चाहती हूँ : तैये सेलासी भी एक इन्सान हैं, औरो की तरह वह एक जगत की नही' वरन नागरिक हैं कई जगत की! वह स्थानीय हैं न्यूयोर्क, रोम और अकरा की धन्यवाद पिछले साल, हर कोई एक ही शो देख रहा था, मैं किसी टीवी शो की बात नहीं कर रही, मैं बात कर रही हुँ एक सत्य और भयानक घटनाचक्र की जो बाडीही चित्ताकर्षक साबित हुयी है। यह शो खुनियों ने बनाया है! और इंटरनेट के द्वारा दुनियाभर में देखा गया है। उनके नाम अब जाने पहचाने से हो गए है: जेम्स फोली,स्टीवन सौतलोफ्फ़, डेविड हैंस,एलन हेनिंग,पीटर केसिग हरुना युकवा,केंजी गोटो जोगो इनका 'इस्लामिक स्टेट' द्वारा किया गया शिरच्छेद बेहद ही जंगली था, मगर यह सोचना की वे आदिम थे किसी पुराने ज़माने से तो गलत होगाI वह अनूठे आधुनिक किस्म के थे, क्योंकि उन्होंने अच्छी तरह से ये समझ लिया था की लाखों लोग इसे देखना चाहेंगे। सुर्खियोंने उन्हें वहशी और जंगली बताया। क्योंकि एक चित्र जहा एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति पर हावी हो रहा है, चाकू से उसका गला काट रहा है, हमारे प्राचीन और आदिम प्रथाओं की कल्पना से मेल खाता है, जो हमारी संस्कृत और शहरी जिंदगी से बील्कुल उल्टा है। हम ऐसी हरकते नहीं करते। पर यही तो विचित्र है। हमें लगता है की शिरच्छेद से हमारा कोई लेना देना नहीं, जब की हम उसे देखने हेतु बटन दबाते है। लेकिन हमारा उससे लेना देना है। इस्लामिक स्टेट द्वारा शिरच्छेद यह कोई प्राचीन या दुर्गम घटना नहीं। यह वैश्विक, इक्कीसवी शताब्दी की घटना है, इक्कीसवी शताब्दी की घटना हमारे बैठकखाने में, हमारे मेज़ पर, हमरे कंप्यूटर पर घटित होती है। वे पूरी तरह से निर्भर है आधुनिक तकनीक पर, हम से जुड़ने के लिए। और हमें पसंद हो या न हो, जो कोई इस शो को देखता है, वह उसका हिस्सा है। और बोहोतसे लोग देखते है। अचूक संख्या पता नहीं। और पता लगाना भी मुश्किल है। पर जब इंग्लैंड में मतदान हुआ, अगस्त २०१४ को, तो पाया गया की १२ लाख लोगोंने, जेम्स फोले का शिरच्छेद होते देखा। ठीक उसके प्रकाशित होने के बाद। वह भी सिर्फ पहले कुछ दिनों में। और यह सिर्फ इंग्लैंड की बात है। एक वैसाही मतदान अमेरिका में भी हुआ, नवम्बर २०१४ को। पता लगा की उनमे से नौ प्रतिशत लोगों ने, शिरच्छेद के व्हिडीओ देखे। और अगले २३ प्रतिशत लोगोने व्हिडीओ देखे मगर ठीक मौत दिखाने से पहले देखना बंद कर दिए। नौ प्रतिशत एक अल्पसंख्या हो सकती है उन लोगोंमें जो ऐसी वीडियोस देख सकते थे, मगर फिर भी यह एक बड़ी संख्या है। और यह संख्या हर वक्त बढ़ती जा रही है, क्योंकि हर सप्ताह, हर वक्त, ज्यादा से ज्यादा लोग डाउनलोड करते रहेंगे और देखते रहेंगे। अगर ११ साल पीछे जाये, यु ट्यूब और फेसबुक जैसी साइट्स जन्म लेने से पहले, तब भी कुछ ऐसीही कहानी थी। जब कुछ मासूम नागरिक जैसे, डेनियल पर्ल, निक बर्ग, पॉल जॉनसन मारे गए, वो व्हिडीओ 'इराक वॉर' दरमियान दिखाए गए। निक बर्ग का क़त्ल जल्द ही इंटरनेट पर सब से ज्यादा खोजे जाने वाले विषयों में एक बन गया। एक दिन के अंदर यह विषय गूगल, लाइकोस, याहू जैसे साइट्स पर सबसे ज्यादा खोजा गया। निक बर्ग के क़त्ल के एक सप्ताह बाद, ये विषय अमेरिका में पहले १० में खोजे जाने वाले बन गए. बर्ग का कत्ल पुरे एक सप्ताह इंटरनेट पर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध रहा , और वह एक पूरा मई महीना, दूसरा सबसे ज्यादा प्रसिद्ध विषय बन गया। उसके बाद सिर्फ 'अमेरिकन आइडल' इस टीवी शो का नंबर आता है। 'अल कायदा' से जुडी वेबसाइट जिसने सबसे पहले निक बर्ग का क़त्ल दिखाया, बंद करनी पड़ी,क्योकि वहा काफी भीड़ हो चली थी। एक डच वेबसाइट के मालक ने बताया की उसकी रोजाना देखे जाने का अकड़ा ३०,००० से ७५०,००० तक जा पंहुचा जब भी इराक में क़त्ल दिखाया जाता तब। उसने १८ महीने बाद संवाददाताओं को बताया की, वह वीडियोस लाखो बार डाउनलोड भी किये गए है। और यह सिर्फ एक वेबसाइट की बात है। ऐसा स्वरुप बारबार देखा गया जब क़त्ल के व्हिडीओ 'इराक वॉर' दरम्यान प्रकाशित किये गए। सोशल मीडिया इसे देखने का आसान ज़रिया बन गया, पर जब हम इतिहास में पीछे मुडकर देखे, तो पता लगेगा की कैमरा ने सबसे पहले अनोखी भीड जमा की हमारे शिरच्छेद के इतिहास में, एक तमाशे के रूप में। जैसे ही कैमरा का अविष्कार हुवा, पुरे कालचक्र पूर्व,१७ जून,१९३९ में, उसका एक विशेष प्रभाव पड़ गया। उस दिन, शिरच्छेद का वीडियो पहले फ्रांस में बनाया गया। वह शिरच्छेद का मृत्यु दंड था एक जर्मन सीरियल किलर,युजिन वाईग्मन का वेर्सल्लिएस के सेंट-पिएर्रे नामक कारागृह के बाहार। वाईग्मन का शिरच्छेद सुबह होते ही होने वाला था, वह उस समय पारम्परिक था, पर मृत्यु दंड देने वाला काम पर नया था। और उसने सोचा की वह काम करने मे उसे ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। तो वाईग्मन का सुबह ४:३० बजे शिरच्छेद किया गया। उस समय जून के सुबह, फोटोग्राफ्स लेने जितना प्रकाश तो था ही, भीड़ में देखनेवालोंने उसका चित्रण किया, वह प्राधिकारियोंसे अनजान थे। बहोतसे फोटोस भी लिए गए, और आप अब भी उसका विडिओ ऑनलाइन देख सकते है और फोटोज भी देख सकते है। वाईग्मन के मृत्युदंड के समय की भीड़ को प्रेस ने 'असभ्य' और 'घिनौना' बताया, पर यह कुछ भी नहीं उन अनकहे हज़ारों लोगों के मुकाबले जो अब उस कार्य का अभ्यास भी कर सकते है बारबार हर एक हरकत को कैद भी कर सकते है। कॅमेराने शायद इन दॄष्योंको अब ज्यादा सुलभ बनाया, पर यह सिर्फ कॅमेरा की बात नहीं है। अगर हम पीछे इतिहास में बड़ी छलांग ले, हम देखेंगे की जब भी जनता की अदालत में मृत्युदंड दिए गए, तब तब बहोत भीड़ हुई उसे देखने हेतु। लंडन में कुछ १९ वी शताब्दी की शुरुवात में, वहां ४ या ५ हज़ार लोग आये थे एक अच्छे स्तर की फांसी देखें के लिए। एक प्रसिद्ध खुनी को देखने ४०,००० या ५०,००० लोग आ सकते है। और शिरच्छेद उस समय इंग्लैंड में नया था, तो और ज्यादा आकर्षण हुआ। मई १८२० को, पांच आदमी कैटो स्ट्रीट कांस्पिरेटर इस नाम से जाने जाते थे उन्हें मृत्युदंड दिया गया ब्रिटिश सरकार सदस्यो की हत्या के षड़यंत्र में। वे लटकाये जाने के बाद सिर कटवाए गए। वह घृणास्पद दृष्य था। एक के बाद एक सिर उखाड़के लोगोंको दिखाया गया। और १००,००० लोग जो की वेम्बली स्टेडियम में फिट भी नहीं हो पा रहे थे, देखने के लिए खड़े हो गए। सड़के भर गयी थी। लोगोंने खिड़किया और छत की चोटी को भाड़े से लिया। लोग सड़क पर खडी गाड़ियों पर चढ़ गए। लोग दीपक पदोंपर चढ़ गए। जाना गया है की उस प्रसिद्ध दिन कुछ लोग भीड़ में दबकर मारे गए। प्रमाण दिखाते है की हमारे पुरे इतिहास में सार्वजनिक शिरच्छेद और मृत्युदंड के समय, जो लोग देखने आये थे वे या तो उत्साही थे या यूँ कहे संवेदनहीन थे। उनमे घृणा तुलनात्मक दृषिकोण से कुछ काम थी। और जब लोग घृणा और भयाकुल से भरे भी हो, तब भी वह उन्हें ये सब साथमें देखने से रोक नहीं सकता। शायद एक बड़ा उदहारण होगा इंसान के गुण का, जो शिरच्छेद देखता है और उसे दुःख तक नहीं होता और अफ़सोस तो दूर की बात वह उदाहरण है फ्रांस में १७९२ में गिलोटिन इस मशीन के दिखावे का, एक प्रसिद्ध सिर कलम करने वाली मशीन। हमें आज २१ वी सदी में, गिलोटिन एक शैतानी करामात लगेगी, पर जब पहले लोगोंकी भीड़ ने उसे देखा तो वे निराश हो गए। वे ऐसी चीजे देखते थे जहा लम्बी और बड़ी दर्ददायक सज़ा दी जाती हो, जिस पर लोगों की काट-छांट की जाती और धीरे से उन्हें तोडा जाता। उनको गिलोटिन का कार्य देखना बडा हि तेज था,और देखने लायक कुछ भी नहीं था। ब्लेड गिरती है और उसके बाद बास्केट में सिर गिरता है और मालूम भी नहीं होता, और वे लोग चिल्लाते है, "हमें हमारी मचान वापस दो, हमें हमारी लकड़ी की मचान वापस दो" सार्वजनिक दर्ददायक मृत्युदंड का यूरोप और अमेरिका में अंत होना थोड़ा गुनहगारों के साथ इंसानियत दिखाना था, और थोड़ा इसलिए की,लोगोंने बिल्कुल नकार दिया था बरताव करना जैसा की उन्होंने करना चाहिए। बहोत बार, मृत्यु दंड एक गंभीर रसम से ज्यादा एक आनंदोत्सव बन गया था। आज,अमेरिका और यूरोप में मृत्युदंड सोचनेपर मजबूर नहीं करता, लेकिन कुछ घटनाएँ ऐसीभी है जब हम सतर्क हो जाते है हमारी सोच पर की अब बात अलग है और हम अब वैसी हरकते नहीं करते। उदहारण के तौर पर,आत्महत्या को उकसानेवाली घटनाए लीजिये। जब लोग जमा होते है एक व्यक्ति को देखने जो ईमारत के शिखर पर चढ़ा है खुद को ख़त्म करने हेतु, और निचे लोग चिल्लाते और ताने मारते है, "चलो अब कूदो भी,जल्दी कूदो!" यह बात तो सबको पताही है। १९८१ में एक वर्तमान पत्र ने पाया की २१ में से १० आत्महत्या की कोशिशों मे, आत्महत्या को उकसानेवाली और भीड़ में से ताना मारनेवाली घटनाएँ थी। और ऐसीही घटनाएँ इस साल भी पायी गई है। यह घटना बहोत बार पायी गई है टेलफ़ोर्ड और श्रोप्षायर मे इसी साल के मार्च महीने में। और जब ये आज के समय घटता है, तो लोग फ़ोन पर उसका फोटो और व्हिडीओ लेने चले आते है और इंटरनेट पर भी डालते है। जब दुष्ट खुनी लोग शिरच्छेद के वीडिओज़ पोस्ट करते है, तो इंटरनेट पर अजीब सी भीड़ उमड़ पड़ती है। आज घटना सुदूर स्थान और समय पर घटित होती है, जो दर्शक को असम्बन्ध की भावना महसूस करता है, पुरे अलग होने की भावना। इससे मेरा कुछ लेनदेन ही नहीं। यह तो पहलेही हो चूका है। हमें अभूतपूर्व व्यक्तिगत अनुभूति का प्रस्ताव भी दिया जाता है। आज हम सब को पहली सीटें भी प्रदान की जाती है। हम सब एकांत में हमारे अपने समय और जगह पर देख सकते है, और किसी को पता नहीं चलेगा की हमने क्या देखा। यह अलगाव की भावना-- दूसरे लोगोंसे, और उस घटना से भी-- लगता है की यह मुख्य बात है हमारी देखने की क्षमता को जानने की, और बहोतसे मार्ग है जहा इंटरनेट अलगाव की भावना बनाता है जो शायद हमारी व्यक्तिगत नैतिक जिम्मेदारी को ख़त्म करता है। बहोतबार हमारा ऑनलाइन पर बरताव हमारी असल जिंदगीसे बिलकुल भिन्न होता है, जैसे की जो हम ऑनलाइन करते है वह कुछ कम असल होता है। हम खुद को कम जिम्मेदार पाते है हमारी हरकत के लिए जब कभी हम ऑनलाइन होते है तब। उस वक्त एक अनामिकता और अदृष्यपन की भावना होती है, इसलिए हम खुद को कम जिम्मेदार समझते है। और इंटरनेट बहोत आसानी से हमें एक से दूसरे चीज पर ले जाता है, ऐसी चीजे जो शायद हम रोज़मर्रा की जिन्दगीमे न करे। आज व्हिडीओ चालू हो जाता है और वो भी बिना आपके जाने। या आपको लालसा हो वो देखने की जो आप असल जिन्दगीमे नहीं देखते या आप वो नहीं देखेंगे जब आप किसीके साथ हो। और जब घटना पहलेसे ही रिकॉर्ड है और दूर जगह और समय में घटित हुई है, उसे देखना कुछ गलत बात नहीं लगाती। मै इसके बारे में कुछ नहीं कर सकता। यह तो पहलेही हो चूका है। और ये सारी बाते एक इंटरनेट के यूजर के नाते आसान हो जाती है हमारे लिए यह हमारे मृत्यु के विषय मे हमारी उत्सुकता को शांत करना, हमारी व्यक्तिगत सिमारेखा से बाहर आना,और हमारी सगमेकी अनुभूति को आजमाना, उसका परिक्षण करना बस यही है। पर हम निष्क्रिय नहीं होते जब हम वह देखते है। उसके उल्टा,हम खुनी की देखे जाने की इच्छापूर्ति करते है। जब क़त्ल का पीड़ित बंधा और असहाय होता है, वह बस एक प्यादा बन जाता है उन खुनी शो का। यह किसी ट्रॉफी से विपरीत है जो लड़ाई में जीती जाती है, जो लड़ाई को जितने की कुशलता और नसीब को दर्शाती है, जब शिरच्छेद दिखाया जाता है, जब वह थिएटर का एक प्रमुख हिस्सा होता है, खुनी को उन स्वागतोंसे ताकत मिलती है जब वह शिरच्छेद प्रस्तुत करता है। दूसरे शब्दोंमें, देखना भी उस क्रिया का हिस्सा बन जाता है। घटना एकहि जगह ज्यादा देर नहीं होती वक्त के एक बिंदु पर वह चूका होता है और कभी हो रहा भी होता है। अब घटना खींची गयी है, समय और जगह के ढांचे में, और जो कोई वह देखता है वह उसका हिस्सा है। हमें देखना बंद करना चाहिए, मगर हम नहीं करेंगे। इतिहास बताता है, हम नहीं करते, और खुनी भी यह जानते है। धन्यवाद। (तालियाँ) ब्रूनो गिसानी: धन्यवाद। फिर से कहता हु। धन्यवाद। चलो यहाँ आए,तब तक वे अगले वक्ता के लिए तैयारी करेंगे, मै आपको एक प्रश्न पूछना चाहता हु जो यहाँ सभी चाहेंगे, आपको इस विषय में रूचि उत्पन्न कैसे हुई ? फ्रांसिस लार्सन: म्यूजियम में काम करती थी, पिट रिवर्स म्यूजियम,ऑक्सफ़ोर्ड में, जो की प्रसिद्ध था साउथ अमेरिका में सिकुड़े सीरोंके प्रदर्शन के लिए। लोग कहते थे,"आह,सिकुड़े सीरोंका म्यूजियम, सिकुड़े सीरोंका म्यूजियम!" और उस समय मै खोपडियोंके वैज्ञानिक संग्रहों के इतिहासपर काम कर रही थी। मै कपालीय संग्रहों पर काम कर रही थी, और वह मेरे मन को लगा की लोग यहाँ घिनौने,आदिम और वहशी संस्कृति को देखने आते है वे सारे लोग अजीब सपनोमे खो जाते है बिना यह समझे की वे क्या देख रहे है, और ये सभी बहोतसे मतलब हजारोंगुणा आए ख़ोपड़िया हमारे म्यूजियम में पुरे यूरोप और प्रांतोंसे आये हुए जैसे की भर रहे हो एक ज्ञान के खोज को जो वैज्ञानिक तर्क से जुड़ा है। तो मुझे उसे थोड़ा मोड़नेकी इच्छा हुई और कहने की,"देखो हमारी तरफ।" हम इन सिकुड़े खोपडियों को कांच की धानी से देख रहे है। चलो देखे हमारे इतिहास और हमारी इनसे जुडी सांस्कृतिक उत्सुकता पर। ब्रू गि: यह बताने के लिए धन्यवाद। फ्रा ला: धन्यवाद। (तालियाँ) “मैं भूखा हूँ”, “मैं दर्द में हूँ”, "धन्यवाद" या "मैं तुमसे प्यार करता हूँ," ये कहने के लिए असमर्थ होने की कल्पना कीजिए| संवाद करने की क्षमता खोने, एक शरीर जो आदेशों का जवाब नहीं देता। लोगों से घिरा हुआ, फिर भी पूरी तरह से अकेले। जोड़ने के लिए, आराम करने के लिए और भाग लेने के लिए तुम्हारी बाहर तक पहुंच चाहते है| 13 साल के लंबे अंतराल में ये मेरी सच्चाई थी। हममेसे ज्यादातर दो बार कभी नहीं सोचते बात करने और संवाद करने के लिए| मैं ने इसके बारे में बहुत सोचा था | सोचने केलिए मेरे पास बहुत समय था| मेरे जीवन के पहले 12 साल, मैं एक साधारण, खुष, तंदुरुस्त छोटा बच्चा था| तब सबकुछ बदल गया| मैं एक मस्तिष्क संक्रमण अनुबंधित किया। वैद्योँ को यकीन नहीँ थी कि वह क्या था, पर वे सबसे अच्छा इलाज़ किया जितना उनसे हो सकता था| हालाँ कि,मैँ उत्तरोत्तर बदतर होगया| अंत में, मैं अपनी गतिविधियों को नियंत्रित करने के अपनी क्षमता खो दिया था, आंख से सँपर्क करने की, और अंत मेँ,अपने बात करने की क्षमता| जब आस्पताल मेँ था, मैँ बुरी तरह से घर जाना चाहता था| मैँने अपनी माँ को बोला,"कब घर?" वो शब्द मेरे आखरी श्ब्द थे जो मैँने खुद की आवाज मेँ बात किया| अंत मेँ मैँ मानसिक जागरुकता की हर परीक्षण मेँ विफल होगया| मेरे माता- पिता को ये बताया गया कि मैँ ना के बराबर हुँ| एक सब्जी, जिसका खुफिया तीन महीने की बच्चे की बराबर है| उनको बोल दिया गया कि मुझे घर ले जायेँ और आराम से रखने की कोशिश करेँ जब तक मैँ मर जाता| मेरेँ मता -पिता ,हालाँकि मेरे पूरे परिवार की जिंदगियाँ , नष्ट होगये मेरे ध्यान रखने मेँ सबसे अच्छा तो वोही जानते हैँ कैसे| उनके दोस्त दूर होगयेँ| एक साल दो मेँ बदल गया, दो तीन मेँ बदल गया| ऐसा लगता था जैसे मैँ जो एक व्यक्ति था वह गायब होना शुरू होगया | लेगो ब्लॉक्सऔर एलक्ट्रानिक सर्किट्स मैँ एक लडके के रूप मेँ चाहता था दूर रखे गये| मैँ अपने कमरे से बाहर ले जाया गया था दूसरे मेँ जो अधिक व्यवहारिक था| मैँ एक भूत बनगया था, एक लड्के की एक धुंधुला याद जिसे लोग जानते और प्यार करते थे| इस बीच,मेरे दिमाग एक साथ ही वापस बुनायी शुरू कर दिया| धीरे धीरे,मेरे जागरूकता वापस आना शुरू होगया| पर किसीको एहसास नहीँ हुआ कि मैँ जिंदगी मेँ वापस आगया था | मुझे सब कुछ के बारे मेँ पता था, जैसे कोई साधारण व्यक्ति | मैँ सबकुछ देख सकता था और समझ सकता था, पर मैँ किसी को ये बात बताने का रास्ता नही डूँढ पाया| मेरे व्यक्तित्व शायद मूक शरीर के अन्दर समाधि मेँ रखा गया था, एक जीवंत मन एक कोषस्थ भीतर सादे दृष्टि में छिपा हुआ है। बुनियादी वास्तविकता मुझे मारा कि मैँ मैँ अपनी बची जिंदगी अपने आप को अंदर बंद करके, पूरे अकेले मेँ बिताने वाला हूँ| मैँ फँस गया सिर्फ मेरे विचारोँ के साथ जो मेरे साथी थे| मैँ कभी भी बचाया जा नहीँ सकता| कोई भी कभी भी मुझे कोमलता नहीँ दिखा सकते| मैँ कभी एक दोस्त के साथ बात नहीँ कर सकता| कोई भी कभी भी मुझे प्यार नहीँ करेंगे| मेरे पास सपने नहीँ थे,आशा नहीँ, कुछ भी नहीँ जिसके लिये मैँ आगे देखूँ | खैर, कुछ भी सुखद नहीँ मैँ डर मेँ जीता था, और इसे साफ साफ रखने से, मौत के लिए इंतेजार कर रहा था, अंत मेँ मुझे रिहा करने के लिए, एक केयर होम में अकेले मरने के उम्मीद थी। मुझे नहीँ मालूम कि ये सच मेँ मुँकिन है कि श्ब्दोँ मेँ व्यक्त करना कैसा लगता है जब हम सँवाद नहीँ कर सकते| आपकी व्यक्तित्व लगता है गायब होगया एक घना कोहरा मेँ और आप्के सारे भावनाओं और इच्छाओं क्स जाते ,दबा दी और तुम्हारे भीतर मौन हैं। मेरे लिये,सबसे बुरा तो बेबसी की भावना थी। मैँ सिर्फ अस्तित्व मेँ था| यह अपने आप को खोजने के लिए एक बहुत ही गहरे जगह है क्योंकि एक मायने में, आप गायब हो गये हैँ| दूसरे लोग मेरे जिंदगी का हर पहलू नियँत्रित करते थे| वह निर्णय लेते थे मैँ कब और क्या खाऊँगा | मैं अपने पक्ष पर रहूँ या मेरे पहिया की कुर्सी पर बन्दे रहूँ मैं अक्सर मेरे दिन टीवी के सामने तैनात बार्नी रीरन्स देख बिताता था। मुझे लगता है कि बार्नी बहुत खुश और हंसमुख है, और मैं बिल्कुल नहीँ, यह उसको बहुत ज्यादा बुरा करदिया| मेरे जिंदगी मेँ कुछ भी बदलने के लिए मैँ पूरी तरह से शक्तिहीन था| या लोगोँ की द्रुष्टिकोण बदलने के लिए| मैं एक मूक, अदृश्य पर्यवेक्षक था लोगों से व्यवहार कैसे की जब उन्होंने सोचा कोई नहीं देख रहा था। दुर्भाग्य से, मैं न केवल एक पर्यवेक्षक था। बातचीत करने के लिए कोई रास्ता नहीं के साथ, मैं सही शिकार बन गया: प्रतीत होता है भावनाओँ के रहित एक निरास्रय वस्तु जो लोगोँ ने इस्तेमाल किया अपनी अंधेरे इच्छाओँ को खेलने के लिए| दस साल से ज्यादा,जो लोग मेरे देखबाल के लिए रखे गये थे शारीरिक रूप से मुझे गाली दी, मौखिक रूप से और यौन। उनके सोच्ने के बावजूद, मैँ महसूस करता था| जब यह पहली बार हुआ, मैं चौंक गया और अविश्वास से भर गया। मेरे साथ वे ऐसा कैसे कर सकते है? मैं उलझन में था। इस लायक करने के लिएमैँ क्या किया था? मेरा एक हिस्सा रोना चाहता था और दूसरे भाग लड़ना चाहता था। चोट, उदासी और क्रोध मेरे माध्यम से बह गई। मैं बेकार महसूस किया। कोई नहीँ थे मुझे सँत्वना देने के लिए| लेकिन मेरे माता पिता दोनोँ नहीँ जानते थे कि ये हो रहा था| मैँ डर मेँ रहता था, जानते हुये कि ये बार बार होगा| मुझे ये नहीँ मालूम था कब| मुझे पता था कि मैँ कभी पूर्वकथित नहीँ रहूँगा| मैँ याद करता हूँ एक बार सुना हुआ विट्नी हूस्टन को गाते हुये, "कोई बात नहीँ वे मुझसे जो भी लेनेदो, वे मेरी मर्यादा नहीँ लेजा सकते हैँ| और मैँ अपने आप मेँ सोचा "तुम शर्त लगाना चाहते हो?" शायद मेरे माता पिता पता लगा सकते थेँ और मदद कर सकते थेँ| लेकिन सालोँ की लगातार देखभाल, हर दो घंटे मेँ उठना मुझे पलटने के लिए, अनिवार्य रूप से अपने बेटे के खोने का दु:ख को मिला के, मेरे माता पिता पर असर दिखाना शुरू कर दिया था| मेरे माता-पिता के बीच निम्नलिखित एक और गरम बहस के बाद, निराशा और हताशा का एक पल में, मेरी माँ मेरे तरफ पलट गया और मुझे बताया था कि मैं मर जाना चाहिए| मैं चौंक गया था, लेकिनजब मैंने सोचा था जो उसने कहा के बारे में, मैं अमित सहानुभूती ,और प्यार से भर गया था मेरी माँ के लिए,फिरभी मैं इसके बारे में कुछ भी नहीं कर सकता था। बहुत सारे ऐसे पल थे जब मैँने हार मान लिया था, एक अन्धेरे रसातल मेँ डूब रहा था| मैँ विशेष रूप से ऐसे एक उदासीन पल याद करता हूँ| मेरे पिताजी मुझे गाडी मेँ अकेले छोड दिये जबकि वह जल्दी कुछ खरीदने गये थे दुकान मेँ एक याद्रच्चिक अजनबी मेरे पास से गुजरते हुये गये, मेरे तरफ देखेँ और उन्होँने मुस्कुराए| मुझे पता नहीँ चल सकता है क्यों, लेकिन वह साधारण कार्य , मानव कनेक्शन की क्षणभंगुर पल, बदल दिया कि मैं महसूस कर रहा था , मुझे जारी रखने के लिए बना रही है। मेरे अस्तित्व एकस्वरता से पीडित थी, एक सच्चाई जो सहन करने के लिए बहुत ज्यादा थी| अकेले मेरे विचार के साथ, मैँ जटिल कल्पनायेँ बूनता था जैसे चीटियाँ फर्श पर सभी जगह घूमने के बारे मेँ| मैँ अपने आप को परछाइयाँ देखकर समय बताना सिखाया था| जैसे मैँने सीखा परछायियाँ मैँ ले जाया गया जैसे दिन की घंटे पारित होते हैँ , मैँ समझता था मुझे उठाके घर ले जाने मेँ और कितना वक्त लगेगा| मेरे पिताजी को दर्वाजे के अन्दर से मुझे लेने के लिए आना मेरे दिन के बेहतरीन पल थे| मेरा दिमाग एक साधन बन गया जो मैँ इस्तेमाल कर सकता हूँ बन्द करके मेरे सच्चायी से पीछे हठने के लिए या एक विशाल अंतरिक्ष मेँ विस्तार करके जिसे मैँ कल्पनाओँ के साथ भरसकूँ| मैँ आशा करता था कि मेरी यदार्थ बदल जायेगा और कोई देखेगा कि मैँ जिंदगी मेँ वापस आया हूँ| पर मैँ एक रेत की महल की तरह धुल गया था लहरोँ के पास बना हो, और मेरी जगह पर है एक इंसान जैसा लोग मुझे होने की उम्मीद करते हैँ | किसी के लिए मैँ मार्टिन था, एक शून्य खोल,सब्जी, गालियोँ के,अस्वीकार के, और यहाँ तक की कुप्रथा की लायक| दूसरोँ के लिए, मैँ दुर्भाग्य से मस्तिष्क क्षतिग्रस्त लड़का जो बढ कर बन गया एक पुरुष| कोई होते हैँ वे किसी के लिए दयालू थे और के लिए परवाह। अच्छा हो या बुरा मैँ एक शून्य कांवास था जिस पर मेरे अलग रूपंतर पेश किये गये थे| जो नया होगा उनको मेरे तरफ देखने का अलग रस्ता होता था| एक अरोमाथेरापिस्ट केर होम मेँ हफ्ते मेँ एक बार आना शुरू कर दिया| उनकी सहज ज्ञानसे या उनके बब्योरे पर ध्यान देने की आदत से जो दूसरे ध्यान देने मेँ असफल हुये, उनको विश्वास होगया कि मैँ जो कहा जा रहा था ओ समझ सकता हूँ| उनहोँने मेरे माता पिता से आग्रह किया कि मेरे आगम और वैकल्पिक संचार मेँ विशेषज्ञोँ से परीक्षण करवाये| और एकही साल मेँ, मैँ कँप्यूटर प्रोग्राम सँवाद करने के लिए इस्तेमाल करना शुरू करदिया| यह प्राणपोषक था लेकिन समय पर निराशा| मेरे मन मेँ इतने सारे शब्द थे, कि मैँ उन्हेँ बाँटने के लिए इंतेजार नहीँ कर सकता था| कभी कभी ,मैँ अपने आपसे चीजेँ कहता था सिर्फ इसलिये कि मैँ कर सकता था| अपने आप मेँ ,मेरे पास एक तैयार श्रोता था, और मैँ मानता था कि मेरे विचारों और इच्छाओं को व्यक्त करने से, दूसरे लोग भी सुनेंगे| जब से मैं ज्यादा संपर्क करना शुरू किया, तो यह वास्तव में खुद के लिए एक नई आवाज बनाने की सिर्फ शुरुआत थी करके मुझे एहसास हुआ। मुझे एक नई दुनिया में ढ्केल दिया था जहाँ कैसा कार्य करना मुझे बिल्कुल पता नहीं था| मैं केर होम जाना छोड दिया और मेरे पहले नौकरी फोटो कापीस बनाने की प्रप्त करने मेँ सफल रहा| सुनने मेँ ये सादा लगता होगा, लेकिन ये अद्भुत है| मेरी नयी दुनिया वाकई उत्तेजक है पर अक्सर बहुत भारी था और भयावह भी| मैँ एक पुरुष-बच्चा जैसा था, और अक्सर ये अक्सर स्वतंत्र जैसा लगता था, मैँ संघर्ष करता था| मैँने ये भी सीखा कि जो लोग मुझे बहुत दिनोँ से जानते थे उन मेँ से कई लोगोँ को मार्टिन का रूप जो उनके दिमाग मेँ था उसको त्यागना असँभव होगा| जबकि जिन लोगोँ से मैँ अभी मिला था एक व्हीलचेयर में एक मूक आदमी की छवि अतीत देखने के लिए संघर्ष किया। मुझे एहसास हुआ कि कुछ लोग सिर्फ मेरे बात सुनेंगे अगर मैँ जो कहा वो उनके उम्मीद के साथ सहमत होगा| अन्यथा अवहेलन किया जाता था और वो लोग उनको क्या अच्छा मेहसूस हुआ वो काम करते थे| मेरी खोज से ये पता चला कि सच संचार का मतलब सिर्फ शरीरिक रूप से संदेश भेजने से भी ज्यादा है| जैसे कि संदेश को सुनना और सम्मान देने के बारे में है। फिर भी, सबकुछ ठीक चल रहा था| मेरा शरीर धीरे धीरे मजबूत हो रहा था| मुझे नौकरी कंप्यूटिंग में मिली, जो मुझे पसंद था, और मुझे कोजक नामक कुत्ता मिला जिसके बारे में मैं कई सालों से सपना देख रहा था| हालांकि, मैं किसी के साथ मेरी जिंदगी बाँटना चाहा। मुझे याद है कि मैं खिड़की से बाहर घूर रहा जब मेरे पिताजी काम से मुझे घर ले आ रहे थे, सोचरहा था कि मेरे अंदर इतना प्यार है और उसे लेने के लिए कोई नहीं हैं| जब मैं ने फैसला लिया था कि मेरी जीवन की बाकी हिस्सा अकेले ही जीना है मैं जोन से मिला | जोन मेरे जीवन में सबसे अच्छी बात ही नही जो कभी भी मेरे साथ हुआ, बल्कि जोन खुद के बारे में अपने खुद के गलत धारणाओं को चुनौती देने के लिए मेरी मदद की। जोन ने कहा था कि मेरे शब्दोँ की वजह से उसको मेरे साथ प्यार हुआ था| हालांकि, सब होते हुए भी मेरे माद्यम से मुझे अभी भी विश्वास नहीं होता कि कोई भी वास्तव में मेरे विकलांगता के पार देख सकता है और मुझे स्वीकार करलेते जैसे मैं हूँ| मैं एक आदमी था यह समझने के लिए भी सच में मैं ने संघर्ष किया। पहली बार कोई मुझे आद्मी संदर्भित किया यह मुझे मेरे पटरियों में रोक दिया। चारों ओर देख कर और पूछने की इच्छा हुई कि "कौन,मैँ?" ये सब जोन के साथ बदल गया है। हमारे पास एक अद्भुत संबंध है और मैंने ये सीखा है कि खुले तौर पर और ईमानदारी से संवाद करना कितना महत्वपूर्ण। मैंने सुरक्षित महसूस किया, मुझे सही मायने में क्या सोचा कहने के लिए आत्मविश्वास दी। मैं फिर से सँपूर्णमहसूस करना शुरू किया, एक पुरुष प्यार के काबिल था| मैंने अपने भाग्य को नयी आकृति प्रदान करना शुरू किया। मैं काम पर थोड़ा अधिक बातचीत की। मैं ने मेरा आजाद रहने के लिए मेरे आसपास के लोगों से निवेदन किया| मुझे संपर्क करने का जो साधन मिला उससे सब कुछ बदल गया। मैंने पूर्वग्रहों को चुनौती देने के लिए शब्दों की शक्ति का इस्तेमाल किया जो मेरे बगल में है और जो मेरे खुद का पास है| संपर्क आसपास के लोगों से गहरे स्तर पर कनेक्ट करने के लिए हमें सक्षम करने के लिए हमें मानव बनाता है -- जो हमारे आसपास के लोगों के साथ -- हमारी अपनी कहानियाँ बताते हुए, चाहत, जरूरतों और इच्छाओं को व्यक्त करने, या वास्तव में दूसरों के सुनने के द्वारा सुनवाई। इन सब से दुनिया जानती हैं कि हम कौन हैं| इसलिए हम इसके बिना कौन हैं? सच्ची संचार समझ को बढावा देती है और अधिक देखभाल और करुणामय दुनिया बनाती है। एक बार, मुझे एक निर्जीव वस्तु जो एक व्हीलचेयर में एक लड़के की एक नासमझ प्रेत माना जाता था| आज, मैं उससे इतना अधिक हूँ। एक पति, एक बेटा, एक दोस्त, एक भाई, एक व्यवसाय के मालिक, एक प्रथम श्रेणी सम्मान स्नातक, एक गहरी शौकिया फोटोग्राफर। मेरी बातचीत करने की क्षमता ने मुझे यह सबकुछ दिया है। ये कहा जाता हैं कि कथनी से अधिक करनी बोलती है। लेकिन मुझे आश्चर्य क्या वे? हमारे शब्दों, जैसे भी हम संवाद करें बस उतना हीं शक्तिशाली हैं। हम अपने ही आवाज में शब्द बोलते हैं, हमारी आंखों के साथ उन्हें टाइप करें, या, उन्हें हमारे लिए बोलती है जो किसी के लिए गैर-मौखिक रूप से उन्हें संवाद करते हुए, शब्द हमारी सबसे शक्तिशाली उपकरणों में से एक हैं। मैं एक भयानक अंधेरे के माध्यम से आप के पास आया हूँ, जहाँ सए मुझे ध्यान रखने वाली आत्माओं ने और भाषा से हीं मैं खींचा गया हूँ| आज आप मुझे सुनने का कार्य, मुझे भविष्य में रोशनी में लाता है। हम एक साथ यहाँ चमक रहे हैं। मेरे संवाद करने के रास्ते में अगर कोई कठिन बाधा होनेसे मैं कभी कभी चिल्लाना चाहता हूँ और अगली बार बस प्यार या कृतज्ञता का एक शब्द फुसफुसाना चाहता हूँ| यह सब एक ही लग रहा है। लेकिन आप कर सकते हैं तो, इन अगले दो शब्दों अपने दिलसे कल्पना कीजिए : थैंक यु| (धन्यवाद)| (तालियाँ) हमारे अपने जीवनकाल मे, सबने "जलवायु परिवर्तन" में योगदान दिया है अपनी पसंदगी, व्यवहार और कार्यों से हमने ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को बढाया है और मेरे मत में यह एक शक्तिशाली विचार है परन्तु यह हमको अपराधबोध करवाने का सामर्थ्य भी रखता है जब हम निर्णयों के बारे में सोचते है जो हमने लिए थे हमें कहाँ यात्रा करने जाना है, कितनी बार और किस साधन से, उर्जा के कौन से साधन को हम चुनते है अपने घर में या फिर अपने कार्य-स्थल पर, या साधारण शब्दों में हम किस प्रकार का जीवन जीते या उससे आनन्दित होते है पर इस विचारको हम वहीं खत्म भी कर सकते है, और सोचो की यदि इसका इतना अधिक, परन्तु पहले ही हमारी जलवायु पर ऋणात्मक प्रभाव है, और अब हमारे पास एक अवसर है भविष्य के जलवायु परिवर्तन को प्रभावित करने का तब हमारी आवश्यकता है स्वयं को ढालने की तब हमारे पास अवसर है हम जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से देखे या, व ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन बहुतही कम करें और तब हमको जलवायु परिवर्तन के कम प्रभावों के प्रति अपने को ढालना होगा या फिर, जलवायु परिवर्तन समस्याकी और ध्यान न देकर ऐसे ही आगे चलते रहें पर यदि हम इसको चुनते है, तो हम चुनेंगे भविष्य में और अधिक ताकतवर जलवायु परिवर्तन के प्रति ढालने के लिए तैयार रहना होगा और केवल यही नही और वे लोग जो ऐसे देश मे है जहाँ प्रतिव्यक्ति उत्सर्जन अधिक है, हम यह चुनाव अन्य लोगो की तरफ से भी करतें है परन्तु जो हमारे पास चुनने का अवसर नहीं है वह है जलवायु परिवर्तन रहित भविष्य, पिछले दो दशक के दोरान, हमारे सरकारी अधिकारी एवं विधि निर्माता एक साथ बेठकर जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के लिए, और उन सबका लक्ष्य है "2 डिग्री तापमान बढोतरी को टालना" ओद्योगिकीकरण के पूर्व स्थिति से यह वह तापमान है जो खतरनाक प्रभाव स्तर से जुड़ा है विभिन्न सूचकों के रेंज के साथ मनुष्यों के लिए और पर्यावरण के लिए तो 2 डिग्री सेंटीग्रेड से जलवायु परिवर्तन खतरे की सीमा से अधिक है पर जलवायुपरिवर्तन काखतरा तुलनात्मक होता है यदि हम किसी अतिमोसमीय घटना के बारे में सोचते है जो की दुनिया के किसी कोने में घट सकती है, और यदि वह किसी ऐसी जगह घटती है जहाँ सुविधाएँ पर्याप्त हो, और वहाँ, जहाँ के लोग पूरी तरह सुरक्षित हो या इसीतरह, तब उसका प्रभाव नुकसानदायक हो सकता है उसके कारण सब बिगड़ सकता है, इसके कारण आर्थिक नुकसान हो सकता है इसके कारण कुछ जीवन भी जा सकते है. परन्तु यदि वही की वही मोसमीय घटना दुनिया के ऐसे हिस्से में हो जहाँ की सुविधाएँ कमजोर हो, या फिर जहाँ के लोग अच्छे से बीमित न हो, या उनका सहायक तंत्र बेहतर न हो, तब उसी जलवायु परिवर्तन घटना के प्रभाव भयानक हो सकते है इसके कारण रहवास का महत्वपूर्ण नुकसान हो सकता है, इसके कारण बहुत से जीवन भी जा सकते है तो बाएँ में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का एक ग्राफ है उद्योगों व पेट्रोलियम ईंधन के कारण से और ओद्योगिक क्रांति के पहले के समय से आज के समय की ओर और इसके बारे मे जो तात्कालिक विचार का जो बिंदु है यदि उत्सर्जन गुणात्मक रूप से बाद रहा हो यदिहम १९५० के बाद छोटी अवधि केन्द्रित करें, हमने १९८८ में स्थापित किया है जलवायु परिवर्तन पर सरकारों का एक पेनल १९९२ में की है रिओ की "अर्थ समिट", और फिर आगे २००९ का कोपनहेगन एकॉर्ड, जहाँ तापमान में बढोतरी को 2 डिग्रीसे कम रखने का विचार बना विज्ञान को साथ लेकर और समानता के आधार पर और फिर 2012 मे हमने रियो+20 का आयोजन किया इस पूरी रह मे इन बैठकों के दोरान, और ऐसी ही कई अन्य बैठकों मे भी, उत्सर्जन निरंतर अधिक रूप से बडता ही गया यदि हम पिछले सालोंमे उत्सर्जन पर नजर डालें और उसको अपनी समझ के साथ जोड़ कर देखें विश्व की अर्थव्यवस्था की यात्रा के साथ, तब लगेगा की हमारी पटरी है, 4 डिग्री सेंटीग्रेड ग्लोबल वार्मिंग वाली न की 2 डिग्री सेंटीग्रेड वाली अब, एक क्षण के लिए हम ठहरते है और सोचते है 4 डिग्री सेंटीग्रेड बढोतरी वाले वैश्विक ओसत तापमान के बारे मे हमारे ग्रह का अधिकांश भाग समुद्री है हम जानते है, समुद्र मे जमीन की अपेक्षा अधिक तापीय जड़ता होती है जमीन का ओसत तापमान वास्तव में और अधिक होगा समुद्री तापमान की अपेक्षा और दूसरी बात यह है की हम मनुष्य का सामना वैश्विक ओसत तापमान से नहीं होगा हमारा सामना होता है गर्म और ठण्डे दिनों से, बरसाती दिनों से, और यदि आप मेनचेस्टर में रहते है जेसे की में तो अपने आप को शहर के बीच में रखें व कल्पना करे विश्वमे किसी जगह की: मुम्बई, बीजींग,न्यूयोर्क, लंदन और वह आपके अनुभव में सबसे गर्म दिन हो और सूर्य तमतमा रहा हो, और आपके चारो-ओर काँच और सीमेंट कंकरीट हो अब उसी दिन की कल्पना करो -- जिसका तापमान 6, 8, या फिर 10 से १२ डिग्री अधिक हो उस दिन उस लू की लपट मे वह स्थिति है जो हम अनुभव करनेवाले है 4 डिग्री ओसत ग्लोबल तापमान की अवस्था मे अति की इन स्थितियों में समस्या यह है कि, यह केवल तापमान वृद्धि मेही अतिकी बात नही है, पर तूफान व अन्य जलवायु प्रभावों की भी अति की बात है और हमारी सुविधाएँ इसतरह की घटनाओं का सामना करने में सक्षम नहीं है क्योंकि हमारी सड़कें और रेल का जाल जिसे बहुत लम्बे समय तक सेवा देने के लिए रेखांकित किया है और कुछेक प्रभावों मे डटे रहने के लिए है दुनिया के अलग-अलग हिस्सों मे और सबसे अधिक परीक्षा उसीकी होने वाली है हमारे उर्जाघरों को ठंडा करने के लिए पानी के प्रयोग की सम्भावना है जिससे की वे किसी निश्चित तापमान तक टिकसके व प्रभावी रहें हमारे भवनों की सरचना उपयुक्त व प्रभावी है तापमान की एक सीमा के अन्दर और यह सब बहुत बड़े स्तर पर बदल जाने वाला है 4 डिग्री तापमान की अवस्था मे और हमारी व्यवस्थाएं इनसबसे लड़ने के लिए नहीं बनी है तो हम अगर पीछे मुड़कर देखे, और 4 डिग्री के बारेमे सोचें, यह केवल प्रत्यक्ष प्रभाव ही नहीं है, परन्तु कुछ अप्रत्यक्ष प्रभाव भी उदाहरण के लिए, अगर हम खाद्यान्न सुरक्षा की बात करें मक्का और गेहूँ का उत्पादन दुनिया के कुछ हिस्सों मे उत्पादन ४० प्रतिशत तक कम होने की आशंका है ४ डिग्री की अवस्था मे, ३० प्रतिशत और अधिक कमी आ जावेगी यह वैश्विक खाध्य सुरक्षा के लिए पूरी तरह नुकसानदायक होगा तो ऐसी स्थिति मे जिन प्रभावों की आशंका है, इस ४ डिग्री सेंटीग्रेड अवस्था की स्थिति मे विश्व का रहवास अनुपयुक्त हो जावेगा तो, अपने 2 या 4 डिग्री के ग्राफ को फिर से देखते है तो अभी भी 2 डिग्री तापमान वाले मार्ग को अपनाना ही उचित प्रतीत होता है मेरे बहुत से साथी व अन्य वैज्ञानिक है जिनका मानना है की अब बहुत देर हो चुकी है 2 डिग्री की राह के लिए लेकिन मैं चाहूंगी की आपका ध्यान अपने अनुसंधान की तरफ आकर्षित करना जो'उर्जा तन्त्र' व भोजन तंत्रके बारेमे है, उडान एवं नोवहन के बारे मे है, यह कहने के लिए की अभी भी लड़ने का एक छोटा सा अवसर बचा है जिसके द्वारा खतरनाक 2 डिग्री जलवायु परिवर्तन से बचा जा सकता है हमे जरुरत होगी संख्याओं पर पकड़ रखने की यह जाननेके लिएकी इसको कैसे कियाजा सकता है तो यदि आप इन ग्राफों में इन रेखाओं पर केन्द्रित करें यह पीला गोला दर्शाता है हमारा हटना लाल रंग के 4 डिग्री वाले मार्ग से तत्काल हरे रंगके 2 डिग्री वाले मार्गकी और यह है अभी तकके सम्मिलित उत्सर्जन के कारण या फिर कार्बन बजट के कारण अन्य शब्दों मे प्रकाश व प्रोजेक्टर के कारण जो की इस समय इस कमरे मे ही है, वह Co2 जो हमारे वातावरण में जा रही है बिजली के उपभोग के परिणाम स्वरूप बहुत लम्बे समय तक रहती है इन मेसे कुछ तो वातावरण में सदियों तक या और अधिक समय तक रहेगी यह एकत्रित होती रहेगी, ग्रीन-हाउस गैस जमा होतीरहती है और वह हमें इन रेखाओं के बारे में बताती है सबसे पहले, यह बताती है कि इन वलयों के अन्दर का क्षेत्र है जोकि महत्वपूर्ण है, नही की भविष्यमे किसी दिन हम कहाँ पहुचेंगे यह खास है क्योंकि इससे बहुत अंतर नहीं पड़ता यदि कोई अफलातून करिश्माई तकनिकी लेकर आये २०४९ के अंतिम दिन और हमारी उर्जा समस्याएं हल करदे एकदम अंतिम समय मे और सब ठीकठाक क्योंकि इसबीच, उत्सर्जन इकठ्ठा हो जावेगा, तो यदि हम लाल रंग के ४ डिग्री सेंटीग्रेड वाले मार्ग पर चलते रहे, जितने अधिक समय हम इस पर चलेंगे, उसका खामियाजा आगे के सालों में भुगतना होगा कार्बन बजट की मात्रा के स्तर पर बनाये रखने के लिए, उस वलय के अन्दर, इसका मतलब है, लाल रेखा एकदम सीधीहो जावेगी दुसरे शब्दों में यदि हम उत्सर्जन को कम या मध्यम समय मे कम नहीं करते हें, तो बाद में हमें बहुत अधिक कटोतियाँ करनी होगी हमें यह भी पता तो कि हमें अपने उर्जा तंत्र तो कार्बन रहित करना होगा पर यदि हम इसे जल्दी ही शुरू नहीं करते है, तब हमे यह और भी तेजी से करना होगा तो यह हमारे लिए एक बड़ी चुनोती है दूसरी बात जो यह हमे बताती है वह है "उर्जा नीति" के बारे मे यदि आप ऐसे हिस्से मे रहते है जहाँ प्रतिव्यक्ति उत्सर्जन पहले से ही अधिक है, तो वह हमें उर्जा मांग को घटाने को कहता है और वह, पूरी दुनिया की इच्छाशक्ति के कारण बड़े स्तर के इंजीनियरिंग सरचना के बारे मे हमें तेजी से निर्णय लेने होंगे अपने उर्जातंत्र को कार्बन रहित करनेके लिए यह सब कम समय में नहीं होने वाला इसका कोई अंतर नही की हम न्यूक्लिअर पॉवर का चयन करें या कार्बन एकत्रित करके जमा करें, हमारे "जेविक ईंधन" के उत्पादन को बढायें, या पवन उर्जा, लहर उर्जा की बड़ी परियोजना चलायें उन सब में समय लगेगा चूँकि इस वलयके अन्दर रहना महत्वपूर्ण है, हमें उर्जा उपयोग के कोशल पर केन्द्रित होना होगा साथही उर्जाकी बचत या कम उर्जाका प्रयोग भी यदि हम ऐसा करते है, इसका मतलब है यदि हम वितरण पर काम करना जारी रखते है , तो हमें कम काम करना होगा, यदि ऐसा होगया तो अपने उर्जा खपत को कम करने के लिए, तब हमें वितरणके लिये कम सुविधाएँ करनी होगी दूसरा मुद्दा जिससे हमको झुझना होगा वह है समानता एवं अच्छाई का जगतके बहुतसे भागो में जीवनस्तर को उठाना है पर वर्तमान पेट्रोलियम आधारित उर्जातंत्र से, जैसे उनकी आर्थिक बढेगी, उत्सर्जन भी बड़ेगा और अब, जब कार्बन बजट को वही रखने का बंधन है, याने की कुछ भागों में उत्सर्जन बडाना होगा, तो अन्य भागों में उत्सर्जन कम करना होगा इससे अमीर देशोंके लिए विशिष्ट चुनोतियाँ है क्योंकि हमारी अनुसंधान के अनुसार, यदि आप ऐसे देश मे है जहाँ प्रतिव्यक्ति उत्सर्जन वास्तव में अधिक है जैसे उत्तरी अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया उत्सर्जन को १० प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से कम करने के लिये, तत्काल प्रारंभ करना होगा, एक अच्छे अवसर को पाने के लिए जिससे 2 डिग्री के लक्ष्य को टला जा सके मुझे इसको परिपेक्ष मे रखने दो अर्थशास्त्री निकोलश स्टेर्न ने कहा था की उत्सर्जन मे 1 प्रतिशत से अधिक की कमी ही आर्थिक उतार-चड़ाव के साथ जुडी थी, इससे आर्थिक वृद्धिका मुद्दा एक चुनोती है क्योंकि हमारी व्यवस्थाएं या सुविधाएँ तो अधिक कार्बन उत्सर्जन वाली ही रहेगी यानी की यदि हमारी आर्थिक वृद्धि होती है, तो हमारा उत्सर्जन भी बड़ेगा में यहाँ एक चर्चा को लाना चाहती हूँ जो की मेरे और केविन एंडरसन के बीच सन २०१४ मे हमने कहा था जलवायु परिवर्तन को २ डिग्री से नीचे रखने के लिये, आर्थिक वृद्धि को बदलना होगा कम से कम थोड़े समय के लिए ही सही अमीर देशों मे कुछ निश्चित समय के लिए यह एक मुश्किल विचार या जानकारी है क्योंकि यह बताता है की हमें आवश्यकता है कुछ हट कर करने की यह केवल बड़ते बदलाव के बारे मेही नही है यह है कार्यों को अलग तरीके से करने के लिए या फिर व्यवस्था बदलने के लिए कभी-कभी यह कम करने के बारे में भी होता है और यह हम सब पर लागु होता है हमारा जो भी प्रभाव क्षेत्र है यह स्थानीय राजनेता को लिखने से लेकर अपने अधिकारी से चर्चा या अधिकारी होतो, दोस्तों और परिवार, या फिर चुपचाप अपनी जीवनशेली बदलकर क्योंकि सही व विशिष्ट बदलावकी आवश्यकता है, इस समय हमने 4 डिग्रीकी राह चून रहे है यदि हम 2 डिग्री स्थिति को नहीं चाहते है, तो एक्शनके लिए वर्तमानसे बेहतर समय नही है, धन्यवाद् तालियां ब्रूनो गुसाईं: ऐलिस, मूलतः तुम कहरही हो, यदि अमीर देश सालाना 10 प्रतिशत की कटोती नहीं करते 2020-25 नही, इसी साल से हम पहुचेंगे 4 डिग्री से अधिक की स्थिति में, मुझे आश्चयर्य हेकि 2070 तक 70% कटोती कैसे करोगे हाँ, यह 2 डिग्री से बचनें के लिए पर्याप्त नहीं हे एक चीज जो हमेशा से हे; वहजो मॉडल बतातेहें की हमें क्या करना होगा, वह हे की दुनिया के दुसरे देश कितनी जल्दी उत्सर्जन कम करना शुरू करदेंगे वे एक तरह से हीरो के जैसे अनुमान लगते हें क्योंकि उत्सर्जन जुड़ता जाता हे, इसलिए जितना अधिक हम करेंगे छोटे-छोटे समय का भी महत्व हे, इससे बहुत बद बदलाव होने वाला हे, उदाहरण के लिए चीन जैसा एक बड़ा देश, कुछेक अतिरिक्त साल बढना जारी रखता हे, उससे बहुत बड़ा अंतर आवेगा, और हम उसको फिर कब कार्बन रहित करेंगे, तो मेरे मतसे हम कहभी नही सकते ऐसा कब होगा, क्योंकि यह इसबात पर निर्भर हेकि कम समय मे हमें क्या करना होगा मेरे ख्याल से अवसरतो बहुतहे, पर हम उन लीवरों को काम नहीं ले रहेहें जो हमें अपनी उर्जा आवश्यकता को कम करने में मदद करे, यह शर्म की बात हे ऐलिस: TEDX में आने और डाटा के लिए धन्यवाद् धन्यवाद् (तालियां) साल १९०१ में, ऑगस्ते नामक महिला को ले जाया गया फ्रैंकफर्ट में एक चिकित्सा शरण के लिए। अगस्टे भ्रमित हो गयी थी और याद नहीं कर पाती उसके जीवन का बुनियादी विवरण। उसे डॉक्टर अलोइसने उपचार किया। अलोइस को , पता नहीं था कैसे मदद करे लेकिन वह उस पर उपचार करता रहा अफसोस है, उसका १९०६ में निधन हो गया। वह मरने के बाद अलोइसने उसके शव का विच्छेदन किया और अजीब सजीले टुकड़े पाये अगस्टे के मस्तिष्क में उल्झे - जो की उन्हे पहले कभी नहीं देखे थे। यह अचरज कि बात थी। अगस्टे आज जीवित होती तो हम उसे और अधिक मदद नही कर सकते थे जितनी अलोइसने ११४ साल पहले कि थी। डॉ अलोइस का नाम था डॉ अलोइस अल्झायमर ऑगस्ते डीटर वह पहली मरीज थी जिसे अल्झायमर होने कि पुष्टी मिली थी १९०१ के बाद से, दवा बहुत प्रगत हुई हमने एंटीबायोटिक और टीकों की खोज की है संक्रमण से बचाने के लिए, कैंसर के लिए कई उपचार है एचआईवी के लिए एनीरेट्रो वायरल हृदयरोग के लिए स्टैटिन तथा अन्य कई दवा । लेकिन हमने कोई प्रगति नही की है अल्झायमर रोग के उपचार में। मैं वैज्ञानिकों की एक टीम का हिस्सा हूँ जो मिलकर काम कर रहे है एक दशक से अधिक अल्जाइमरके इलाज खोजने । इस समय मेरा अनुमान । अल्जाइमर अब प्रभावित करता है दुनिया भर में ४० लाख लोगों को। लेकिन २०५० तक, यह प्रभावित करेगा १५० करोड़ लोगों को - जिसमे शायद आप हो सकते है ८५ साल कि उमरतक आप जीवित रहेतो तो अलझ्य्मार होने की संभावना दो मेसे एक होगी दूसरे शब्दों में, बाधाओं के साथ आप अपने सुनहरे साल खर्च करेंगे या तो अल्जाइमर से पीड़ित होंगे या अपने दोस्त या प्रिय जन के लिए मदद करेंगे जो अल्जाइमर से पिडीत है पहले से ही अकेले सामरिक में , अल्जाइमर देखभाल की लागत २०० अरब डॉलर है हर साल। हर पांच में से एक को अल्जाइमर चिकित्सापर खर्च करणे पडते है कई डॉलर । आजकी यह सबसे महंगी बीमारी है,i और इसका खर्च २०५० तक पांच गुना बढेगा आज के बच्चे बडे होनेपर सीधे शब्दों में कहें तो आपको आश्चर्य हो सकता है अल्जाइमर हमारी पीढ़ी के लिए चिकित्सा और समाज के लिये बडी चुनोती है । लेकिन इसके निरूपण लिये लिए काम कम हुआ है। आज के शीर्ष १० दुनिया भर में मौत के कारण मे , अल्जाइमर केवल एक ही है जिसका इलाज नाही कर सके न उसे धीमा कर सकेi विज्ञानमे अल्जाइमर के बारे अन्य रोगों के अलावा कम जानते हैi हमने इसके अनुसंधान में बहुत कम धन और समय दिया हैii अमेरिकी सरकार १० गुना अधिक सालाना खर्चा करती हैi अल्जाइमर की तुलना में कैंसर अनुसंधान पर इस तथ्य के बावजूद की अल्जाइमर मे हमें और अधिक धन लागता है समान संख्या का कारण बनता है कैंसर के रूप में होने वाली मौतों की तहर हर साल। संसाधनों की कमी एक और अधिक मौलिक कारण से उपजा है: जागरूकता की कमी है। यहां कुछ लोगों को पता है लेकिन हर किसी को पता करना चाहिए: अल्जाइमर, एक बीमारी है और हम इसे ठीक कर सकते है। पिछले ११४ सालसे गलती से वैज्ञानिकों सहित हर कोई, उलझन में थे उन्हें लगता था यह बुढ्पासे होता है| वह जराग्रत होता है| जीवनका एक पड़ाव है| यह चित्र देखो इसमें एक स्वस्थ मस्तिष्क की अल्ज्यामर पीड़ित मस्तिष्क से तुलना की है| वास्तव में क्या खराबी होती है यह जाननेके लिए| मानसिक क्षमता तथा स्मृति क्षति में सुधार करने मस्तिष्क को हुई क्षति की जानकारी लेने ज्योकी आयु को कम करके मौत समीप ले आती है| स्मरण करे डॉ. अल्झायमर को अजीब सजीले टुकड़े मिले थे अगुस्टे के मस्तिष्क में एक शतक पहले शतक बिट गया लेकिन इसकी जानकारी नहीं कर पाए हम i आज हम जानते है की वो प्रोटीन के रेणु होते है i यह प्रोटीन रेणु होता है पेपर के टुकडे जैसा जिससे कलात्मक आकृतिया बन सकती इस पेपर पर चिप चिपाये धब्बे होते है जब इसे बराबर मोड़ दिया जाता है ये धब्बे अंदर चले जाते है कभी इससे विपरीत होता है यानि गलतीसे वह बहार आ जाते है i जिससे प्रोटीन रेणु आपसमे जुड़ जाते है| जिससे एक गुच्छा बन जाता है ज्योकी बढ़ता रहता है| ज्योकी अल्झायमर से बीमार व्यक्ति में दिखाई देते है i कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में १० साल हमने अनुसधान किया यह जानने कसे मस्तिष्क ने गडबडी होती है i बहुतसे स्तर पर जानने की कोशिश की इसे न होने देने पर यह जटिल समस्या है जैसे कोई बम्ब बेकार करना, कोई एक वायर हटा देना जिससे विस्फोट न हो| अन्य वायरो से छेड़खानी करनेपर विस्फोट होता है इसतरह हमे कारगर तरीका ढूँढना होगा| जिससे हम प्रभावी दवा बना सके| तबतक हमे यही करना पड़ेगा वायर काटने का काम यश प्राप्तीतक हमारे साथ इस कार्य में जुटे है कि विभिन्न व्यवसायी केमिस्ट, जीव भौतिक विशारद, इंजिनिअर गणितीकर, डॉक्टर्स साथ मी काम करके हमने इस बिमारीमी एक विवेचनात्मक अवस्था खोजी है| हम परीखन कर रहे है एक दवाका जो असरदार हो जीससे यह अवस्थासे आगे बिमारी न बढे| व्ही रुक जाये| हमारे अनुसंधान के कूछ परिणाम देखे| हमारे प्रयोग्शालासे बाहर किसीने आजतक नही देखे चलचित्र देखे हमने ये द्वाका कृमिपर प्रयोग किया| यह स्वस्थ कृमी है| उनका सामान्य संचरण होता है| दुसरे जो कृमी है उनमे अंदरसे प्रोटीन रेणू चीप के है जसे मनुष्य मे होते है आप देख सकते है वे कैसे चीप्के है| रोग के शुरू मेही हम अगर ये नई दवा दे कृमिको तो वो सामान्य बन जाते है अपना सामान्य जीवन जिते है| याह प्राथमिक खोज है जीससे पता चालता है अल्झायमर एक बिमारी है जिसका इलाज संभव है| ११४ सल्के प्रतीक्षा के बाद एक नई आशा जगी है आगळे १९ या २० सालो मे| इस बिमारिका इलाज हो जायेगा याह मेरे जैसे वैज्ञानिक कि बात नही आपकी भी बात है| अल्झायमर एक बिमारी है यह हमे लोगोको बताना होगा उसे प्रयास से पराजित कर सकते है| अन्य रोगो कि तरह| रुग्ण तथा उसके परिवार ने आगे आकर सरकार तथा दवाई कंपनी पर दबाव दालना चाहिये जैसे नियामक और वैज्ञानिक ने किया १९८० मे एचआयव्ही कि प्रगत उपचार प्रणाली खोजने के लिये ऐसाही जण जागरण हुआ है कर्करोग के लिये| अल्झायमर के रोगी अपनेआप नही बोल सकते उसके परिवारके लोग जो रात दिन लागे रहते है वह भी छिपे शिकार होते है वो भो कु छ नही करना चाहते| जीससे आपण निराश हो जाते है| यह आनुवंशिक नाही किसीके मस्तिष्क को यह हो सक्त है| ऑगस्ते,जैसे आज ४० दशलक्ष लोग इससे पिडीत है| जो अपनी अवस्थामे कोई बदलाव नही कर सकते उनसे बात करो| बिमारीसे मुक्त होने मदत करो| धन्यवाद| (तालियाँ) क्या हम वयस्क के रूप मेँ नये तंत्रिका कोशिकायेँ विकसित कर सकते हैँ? इस बारे मेँ अभी भी थोडासा भ्रम की स्थिति मौजूद है क्योँ कि खोज के लिये ये काफी नये क्षेत्र है| उदाहरणार्थ,मैँ मेरे एक सहोद्योगि, राबर्ट्स से बात कर रही थी, जो एक आंकालजिस्ट है, और वह मुझे बता रहे थे, "सांड्रिन ,ये बहुत अजीब है| मेरे कुछ रोगियोँ को बताया गया कि उनके कैंसर का इलाज हो चुका है फिरभी मंदी के लक्षण शुरू कररहे हैँ|" और मैँ ने उन्हे जवाब दिया, "मेरे नजर से ये समझ आती है| जो दवाई आपने आपके रोगियोँ को दिया जो कैंसर कणोँ को विभजित होने से रोकती है ओ उनके दिमाग मेँ नवजात न्यूरांस उत्पन्न किये जाने से रोकती है|" और तब राबर्ट मेरे तरफ देखा जैसे मैँ पागल हूँ और बोला, "पर सांड्रिन,वह वयस्क रोगियाँ हैँ और-- वयस्कोँ मेँ नयेँ तंत्रिका कोशिकायेँ विकसित नही होते|" और उनको आश्च्र्य करने के लिए,मैँने कहाँ "वास्तव मेँ हम करते हैँ|" और ये एक घटना है जिसे हम न्यूरोजेनेसिस कहते हैँ| [न्यूरोजेनेसिस] अब राबर्ट एक न्यूरो साइंटिस्ट तो नही है, और वह चिकित्सा विद्यालय जब गये थे उनको ये पढाया नही गया जो अब हम जानते हैँ-- कि वयस्कोँ का दिमाग नये तंत्रिका कोशिकायेँ उत्पन्न कर सकते हैँ| राबर्ट ,आप जानते हैँ, एक अच्छा वैद्य होने के नाते, मेरे लाब मेँ आना चाहता था इस विषय को और समझने केलिये| और मैँ उनको मस्तिष्क के सबसे रोमांचक भागों में से एक की यात्रा पर लेगयी जब न्यूरोगेनेसिस की बात आती है-- और यह है हिप्पोकाम्पस| तो यह मस्तिष्क के केंद्र में ग्रे संरचना। और जो हम पहले ही जानते हैँ बहुत समय से, कि यह बहुत जरूरी है सीखने केलिये,, याददाश्त केलिए, भाव-दशाऔर भावनाओँ केलिये| हालांकि, हम अभी हाल ही में क्या सीखा है कि यह मस्तिष्क के अद्वितीय सँरचनाओँ मेँ से एक है जहाँ नए न्यूरॉन्स उत्पन्न किया जा सकता है। और अगर हम हिप्पोकाँपस को काट्के और जूम इन किया तो, हम वास्तव मेँ नीले रंग मेँ क्या देखते हैँ वो है एक नवजात न्यूरॉन एक वयस्क चूहा की मस्तिष्क मेँ| तो जब मानव के मस्तिष्क का बात आती हैतो-- मेरा सहयोगी जोनास फ्रिसेन जो कारोलिंस्का इंस्टिट्यूट से हैँ, ने अनुमान लगाया कि हम हिप्पोकम्पस मेँ ७०० नवजात न्यूरॉन्स उत्पादित करते हैँ| आप ये सोचते होंगे कि हमारे पास की अरबोँ न्यूरांस की तुलना मेँ ये ज्यादा नही हैँ| पर जबतक हम ५० साल के हो जायेंगे, हम उस सँरचना मेँ सब न्यूरॉन्स को जिस के साथ पैदा हुये आदान -प्रदान किये होंगे वयस्क-जन्म न्यूरॉन्स के साथ| तो यह नये न्यूरॉन्स महत्वपूर्ण क्योँ हैँ और उनके काम क्या हैँ? पहले,हम जानते हैँ कि वह शिक्षा केलिये और याददाश्त के लिए जरूरी हैँ | और हम प्रयोगशाला मेँ ये दिखाया कि हम अगर हिप्पोकम्पस मेँ नये न्यूरॉन उत्पादन करने की वयस्क मस्तिष्क के सामर्थ्य को रोक लेंगे फिर हम कुछ स्म्रुति सामर्थ्यो को रोक रहे हैँ| और ये स्थानिक मान्यता के लिए विशेष रूप से नए और सच है-- तो ऐसे आप शहर मेँ अपना रास्ता नाविगेट करते हैँ| हम लोग अभी भी बहुत कुछ सीख रहे हैँ,और न्यूरॉन्स सिर्फ स्म्रुति क्षमता के लिए ही नही, बल्कि स्म्रुति के गुणवत्ता केलिये भी जरूरी हैँ| और वे हमारे स्म्रुति को समय जोडने मेँ मददगार रहेंगे और वे बहुत समान याद मेँ अंतर करने मेँ मदद करेंगे, जैसे: जब स्टेशन पर एक हीं क्षेत्र में पार्क कियी हुई आपकी बैक, हर दिन अलग स्थिति में मिलने से आप को कैसा लगता है? और अधिक दिलचस्प की बात मेरे सहयोगी रॉबर्ट के लिए जो शोध हम न्यूरोजेनेसिस और अवसाद पर कर रहे हैं| अवसाद का एक पशु मॉडल में तो, हम न्यूरोजेनेसिस का स्तर कम देखा है। और हम अवसादरोधी दवाओं दे, फिर हम इन नवजात न्यूरॉन्स का उत्पादन बढ़ाने, और हम अवसाद के लक्षणों में कमी, न्यूरोजेनेसिस और अवसाद के बीच एक स्पष्ट संबंध की स्थापना देख सकते हैं। पर इसके अलावा, अगर तुम सिर्फ न्यूरोजेनेसिस ब्लॉक करोगे, तो आप आंटिडिप्रेसन्ट की प्रभावकारिता ब्लाँक करोगे। तो तबतक ,राबर्ट ने समझ लिया कि सँभावना है उनके रोगियाँ कैंसर की इलाज होने के बावजूद भी, अवसाद से पीढित हैँ, क्योँकि कैंसर की दवा नवजात न्यूरान्स को उत्पादित होने से रोक रही थी| और नव न्यूरोँन्स उत्पादन होने मेँ समय लगता है जो मामूली कार्योँ तक पहुंचे| तो, सामूहिक रूप से,हमारे पास सबूत है कि यदि हमें स्मृति गठन या मूड में सुधार करने की चाहत हो, या यहां तक कि उम्र बढ़ने के साथ या तनाव के साथ जुड़े गिरावट को रोकने के लिए, न्यूरोजेनेसिस ही हमारा पसंदिदा लक्ष्य है| तो अगला सवाल है: क्या हम न्यूरोजेनेसिस पर अंकुश लगा सकते हैं? इसका जवाब है हाँ। और हम अब एक छोटे से प्रश्नोत्तरी करने जा रहे हैं। मैं आप को व्यवहार और गतिविधियों का एक सेट देने जा रही हूँ, आप मुझे बताओ यदि आपको लगता है कि ये न्यूरोजेनेसिस में वृद्धि करेंगे या ये न्यूरोजेनेसिस कम करेंगे। क्या हम तैयार हैं? ठीक, चलो चलते हैं। तो सीखने के बारे में क्या होगा? बढ रही है? हाँ| सीख्ने से इन नए न्यूरॉन्स के उत्पादन में वृद्धि होगी। तनाव के बारे में ? हाँ, तनाव से हिप्पोकैम्पस में नए न्यूरॉन्स की उत्पादन में कमी होगी। सोने के अभाव के बारे में? दरअसल, यह न्यूरोजेनेसिस को कम करेगी। कैसे सेक्स के बारे में? ओह, वाह! (हँसी) जी हाँ, आप सही कह रहे हैं, यह नए न्यूरॉन्स के उत्पादन में वृद्धि करेगी। हालांकि, यह सब संतुलन के बारे में है। हम एक ऐसी स्थिति में पड़ना नहीं चाहते -- (हँसी) जहाँ बहुत ज्यादा सेक्स से नींद हरण के बारे में सोचो। (हँसी) वृद्ध होने से क्या होगा? हम बड़े होने से न्यूरोजेनेसिस दर में कमी होगी, लेकिन यह अभी भी हो रहा है। और फिर अंत में, दौडने के बारे में क्या खयाल ? मैं आपको इस पर निर्णय लेने दूँगी। तो यह साल्क इन्स्टिटुट के रस्टी गेज जो मेरे प्रतिपालकों मे से एक हैं, अपने पहले अध्ययनों में ये दिखाया है कि पर्यावरण का नए न्यूरॉन्स के उत्पादन पर असर पड़ सकता है। और यहाँ आप एक माउस के हिप्पोकम्पस के एक खंड देखें जिसके पिंजरे में चल पहिया नहीं था | और छोटे काले बिंदु जो आप देख रहे है वो वास्तव में होने वाले नवजात न्यूरॉन्स है| और अब आप एक माउस के हिप्पोकैम्पस के एक खंड देखें जो अपने पिंजरे में चल रहे एक पहिया था। ताकि काले डॉट्स के नए होने वाले न्यूरॉन्स का प्रतिनिधित्व में भारी वृद्धि देख सकते है। अत: गतिविधि से न्यूरोजेनेसिस पर असर पडता , लेकिन येही सबकुछ नहीं है। आप क्या खाते है, उस से हिप्पोकैम्पस में नए न्यूरॉन्स के उत्पादन पर असर पड़ेगा। तो यहाँ हमरे पास आहार का एक नमूना है -- पोषक तत्वों की प्रभावकारिता को दिखाया गया है। और मैं तो बस आप के लिए कुछ बात कहने जा रही हूँ: २० से ३० प्रतिशत की कैलोरी प्रतिबंध से न्यूरोजेनेसिस में वृद्धि होगी। रुक-रुक कर उपवास -- अपने भोजन के बीच समय का अंतर -- न्यूरोजेनेसिस में वृद्धि करेंगे । फ्लावोनोइड्स के सेवन, जो डार्क चॉकलेट या ब्लूबेरी में समाहित कर रहे हैं, से न्यूरोजेनेसिस में वृद्धि होगी। ओमेगा -3 फैटी एसिड, वसायुक्त मछली में मौजूद, साल्मन की तरह, इन नए न्यूरॉन्स के उत्पादन में वृद्धि करेंगे । इसके विपरीत, उच्च संतृप्त वसा आहार न्यूरोजेनेसिस पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इथेनॉल - शराब के सेवन - से न्यूरोजेनेसिस में कमी होगी। लेकिन, सब कुछ नहीं खोया है; जो रेस्वेरट्रोल जो रेड वाइन में निहित है, इन नए न्यूरॉन्स के अस्तित्व को बढ़ावा देते है करके पता चलता है। तो अगली बार आप एक डिनर पार्टी में हैं, आप संभवतः "न्यूरोजेनेसिस तटस्थ" शरबत पीने के लिए पहुँचना चाहते हो। (हँसी) और फिर अंत में, मुझे आखरी में ध्यान दिलाने दीजिए -- एक विचित्र चीज| तो जापानी समूहों, भोजन बनावट के साथ मोहित हो रहे हैं, और वे वास्तव में दिखाया है कि मुलायम आहार न्यूरोजेनेसिस को हानि पहुंचाता है, चबाने - या कुरकुरे भोजन के विरोध मेँ| इतना सब हम सेलुलर स्तर पर देखने की जरूरत है, जहां इस डेटा की, पशु मॉडल का उपयोग कर उत्पन्न किया गया था| लेकिन ये आहार भी, मानव सहभागीयों को दिया है, और हमने देखा है कि कैसे आहार स्मृति और माहौल को न्यूरोजेनेसिस के दिशा में व्यवस्थित करता है, जैसे कि कैलोरी प्रतिबंध से स्मृति क्षमता में सुधार होगा, जब कि अवसाद के लक्षणों को एक उच्च वसा वाले आहार बिगाडना होगा-- इसके व्यतिरेक में ओमेगा-३ फैटी एसिड, जो न्यूरोजेनेसिस बढ़ाते है, और भी अवसाद के लक्षणों को कम करने के लिए मदद करते हैं। इसलिए हमें लगता है कि आहार के प्रभाव, मानसिक स्वास्थ्य, स्मृति और मूड पर वास्तव में हिप्पोकैम्पस में नए न्यूरॉन्स के उत्पादन द्वारा मध्यस्थता है। न केवल क्या आप खाते है, बल्कि भोजन की बनावट, कब खाते और कितना खाते भी मान्य रखता है| हमारे पक्ष में - न्यूरोवैज्ञानिक जिंकी रुची न्यूरोजेनेसिस में है -- हम इन नए न्यूरान्स की कार्य करने की तरीका को अच्छी तरह से समझने की जरूरत है, और हम उनके अस्तित्व और उत्पादन पर नियंत्रण कैसे कर सकते हैं। हमें रॉबर्ट के रोगियों के न्यूरोजेनेसिस की रक्षा के लिएभी रास्ता खोजने की जरूरत है। और अपने पक्ष में-- आपको अपने न्यूरोजेनेसिस की उत्तरदायी छोड़ती हूँ| धन्यवाद| (तालियाँ) मार्गरेट हेफ्फेरनान: शानदार अनुसंधान, सान्ड्रैन। अब,मैंने कहा था कि तुमने मेरी जिंदगी बदल दी-- मैं अब बहुत सारी ब्लूबेरी खाती हूँ। सान्ड्रैन थुरेट: बहुत अच्छा है। MH: मैं वास्तव में चल बातों में रुचि रखती हूँ | क्या मुझे दौडना है? या, वास्तव में सिर्फ एरोबिक व्यायाम के बारे में है, मस्तिष्क को ऑक्सीजन उपार्जन की? यह किसी भी तरह की जोरदार व्यायाम हो सकता है? ST: अभी के लिए तो, हम वास्तव में नहीं कह सकते, यदि सिर्फ दौढना ही है, लेकिन हमें लगता है कि कुछ भी जो उत्पादन में वृद्धि करेगी -- या मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बढायेगी, फायदेमंद होना चाहिए। MH:तो मेरे कार्यालय में चलती पहिया लाने की जरूरत नहीं? ST: नहीं, तुम्हें नहीं! MH: वाह, क्या एक राहत! ये बहुत बढ़िया है| सँन्ड्रिन थुरेट, बहुत बहुत धन्यवाद| ST: धन्यवाद मार्गारेट| (तालियाँ) जब मैं अपने नये उद्यम के लिए निवेश बढ़ा रहा थी, एक उद्यम पूंजीपति ने मुझसे कहा, "अश्विनी, मुझे लगता है कि आप कुछ मिलियन डॉलर जुटाने जा रही हों। और आपकी कंपनी - 50 से 70 मिलियन मे बिकने जा रही है। आप वास्तव में काफी उत्साहित होंगे। आपके शुरुआती निवेशक वास्तव में काफी उत्साहित होंगे। और मैं वास्तव में परेशान हो रही हूँ। इसलिए मैं निवेश नहीं कर रही हूं। " मुझे बस बेवकूफ होना याद है। कौन दुखी होगा एक कंपनी में चार या पांच मिलियन डॉलर डालने के साथ और इसे 50 से 70 मिलियन के लिए बेचना? मैं पहली बार संस्थापक थी। मेरे पास निवेश के लिए अमीर व्यक्तियों का नेटवर्क नहीं था, इसलिए मैं पूंजीपतियों के पास गयी एक प्रौद्योगिकी कंपनी में निवेशक का सबसे आम रूप हैं। लेकिन मैं समझने के लिए समय कभी नहीं लिया की वीसी को निवेश करने के लिए क्या प्रेरित कर रहा था। मेरा मानना है कि हम उद्यमशीलता के स्वर्ण युग में रह रहे हैं। पहले से कहीं ज्यादा कंपनियों का निर्माण करने का अवसर है। लेकिन उस नवाचार को वित्त पोषित करने के लिए डिज़ाइन की गई वित्तीय प्रणाली, उद्यम पूंजी, जो पिछले 20 से 30 वर्षों में विकसित नहीं हुए हैं। उद्यम पूंजी डिजाइन की गई थी बड़ी रकम डालने के लिए एक छोटी संख्या में कंपनियों में जो एक बिलियन डॉलर से ज्यादा बेच सकते हैं। यह कई कंपनियों में पूंजी छिड़कने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया था जिनके पास सफल होने की क्षमता है लेकिन कम से कम, मेरे जैसे। इससे वित्त पोषित होने वाले विचारों की संख्या सीमित होती है, जो बनाई गई कंपनियों की संख्या और वास्तव में बढ़ने के लिए धन प्राप्त कर सकता है। और मुझे लगता है कि यह एक कठिन सवाल प्रेरित करता है: उद्यमिता के साथ हमारा लक्ष्य क्या है? यदि हमारा लक्ष्य अरब डॉलर की छोटी कंपनियों को बनाना है, चलो उद्यम पूंजी की बात करते हैं, यह काम चल रहा है। लेकिन अगर हमारा लक्ष्य नवाचार को प्रेरित करना है और अधिक लोगों को सभी आकारों की कंपनियों का निर्माण करने के लिए सशक्त बनाना, हमें फंड करने के लिए एक नया तरीका चाहिए हमें और अधिक लचीली प्रणाली की जरूरत है जो उद्यमियों और निवेशकों को निचोड़े नहीं एक कठोर वित्तीय परिणाम में। हमें पूंजी को लोकतांत्रिक बनाने की जरूरत है। 2017 की गर्मियों में, मैं सैन फ्रांसिस्को गयी, 30 अन्य कंपनियों के साथ एक तकनीकी त्वरक में शामिल होने के लिए। त्वरक हमें सिखाता था कि उद्यम पूंजी को कैसे बढ़ाया जाए। लेकिन जब मैं वहां गयी, स्टार्टअप समुदाय आईसीओ, या प्रारंभिक सिक्का पेशकश के बारे में चर्चा कर रहा था। पहली बार, आईसीओ ने युवा स्टार्टअप के लिए अधिक पैसा उठाया था उद्यम पूंजी की तुलना में। यह कार्यक्रम का पहला सप्ताह था। टकीला शुक्रवार। और संस्थापक बात करना बंद नहीं कर सके। "मैं आईसीओ बढ़ाने जा रही हूं।" "मैं आईसीओ बढ़ाने जा रही हूं।" जब तक नहीं एक आदमी चला जाता है, "कितना अच्छा होगा अगर हमने यह सब एक साथ किया? हमें एक आईसीओ करना चाहिए जो हमारी सभी कंपनियों के मूल्य को जोड़े और एक समूह के रूप में पैसे जुटाये। " उस समय, मुझे स्पष्ट सवाल पूछना पड़ा, "दोस्तों, आईसीओ क्या है?" आईसीओ युवा कंपनियों को पैसे जुटाने का एक तरीका था एक डिजिटल मुद्रा जारी करके कंपनी द्वारा प्रदान किए जाने वाले मूल्य और सेवाओं से जुड़ा हुआ है। मुद्रा एक कंपनी में शेयरों के समान काम करती है, सार्वजनिक शेयर बाजार की तरह, मूल्य में बढ़त होती है क्योंकि यह एक ऑनलाइन कारोबार है। सबसे महत्वपूर्ण, आईसीओ ने निवेशक पूल का विस्तार किया, कुछ सौ उद्यम पूंजी फर्मों से निवेश करने के लिए उत्साहित, लाखों लोगों के लिए। इस बाजार ने अधिक पैसे का प्रतिनिधित्व किया। यह अधिक निवेशकों का प्रतिनिधित्व किया। जिसका अर्थ है वित्त पोषित होने की संभावना अधिक है। मैं बहुत प्रभावित थी। विचार, हालांकि, इसे एक साथ करने के लिए अभी भी थोड़ा पागल लग रहा था। स्टार्टअप निवेश के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, चेक प्राप्त करने में सैकड़ों मीटिंगें लगती हैं। कि मैं एक निवेशक के सामने अपनी बहुमूल्य 15 मिनट खर्च करूंगी सिर्फ अपनी खुद की कंपनी के बारे में बात नहीं, लेकिन बैच में सभी कंपनियों, अभूतपूर्व था। लेकिन विचार पकड़ा गया। और हमने प्रतिस्पर्धा करने के बजाए सहयोग करने का फैसला किया। प्रत्येक कंपनी ने अपनी इक्विटी का 10 प्रतिशत सांप्रदायिक पूल में डाल दिया व्यापार योग्य याने विकेन्द्रीकृत डिजिटल मुद्रा में विभाजित किया जो निवेशक खरीद और बेच सकते हैं। छह महीने और चार कानून फर्म के बाद में - (हँसी) जनवरी 2018 में, हमने पहली आईसीओ लॉन्च की जो लगभग 30 कंपनियों के मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है और पूंजी जुटाने का एक बिल्कुल नया तरीका है। हमें बहुत सारी प्रेस मिली। मेरा पसंदीदा शीर्षक अबाउट अस पढ़ा, "वीसी, इसे पढ़ें और रोओ।" (हँसी) हमारा फंड स्वाभाविक रूप से अधिक विविध था। बीस प्रतिशत संस्थापक महिलाएं थीं। पचास प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय थे। निवेशक भी ज्यादा उत्साहित थे। उन्हें बेहतर मुनाफा पाने का मौका मिला, क्योंकि हमने उद्यम पूंजी की मध्यस्थ फीस ली। और वे अपना पैसा ले सकते थे और इसे फिर से निवेश कर सकते थे, संभावित रूप से अधिक नए विचारों को तेजी से वित्त पोषित करना। मेरा मानना है कि यह पूंजी का एक पुण्य चक्र बनाता है जो कई उद्यमियों को सफल होने की अनुमति देता है। क्योंकि पूंजी तक पहुंच अवसर तक पहुंच है। और हमने केवल कल्पना करना शुरू कर दिया है पूंजी के लिए लोकतांत्रिक पहुंच क्या करेगा। मैंने कभी सोचा नहीं होगा कि वित्त पोषण के लिए मेरी अपनी खोज मुझे इस चरण में ले जाएगा, लगभग 30 कंपनियों को निवेश प्राप्त करने में मदद मिली है। कल्पना करें कि अन्य उद्यमियों ने पूंजी तक पहुंचने के नए तरीकों की कोशिश की पारंपरिक मार्ग का पालन करने के बजाय। यह जो बनता है उसे बदल देगा, जो इसे बनाता है और अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव। और मुझे विश्वास है कि रास्ता अधिक रोमांचक है अगले स्टार्टअप में अरब डॉलर निवेश करने की कोशिश करने की बजाय। धन्यवाद। (तालियां) मैं आप लोगों से चिकित्सा की भविष्य के बारे मे बात करना चाहता हूँ| लेकिन इस से पहले मैं अतीत के बारे में थोड़ा बहुत बात करना चाहता हूँ। अब, चिकित्सा के हाल के अधिकांश इतिहास में, हम ने गहराई से साधारण मॉडल के संदर्भ में बीमारी और उपचार के बारे में सोचा था। असल में, मॉडल बहुत आसान आप इसे छे शब्दों मे सारांश निकाल सकते है: बीमारी पाना, गोली लेना, कुछ वध| ये मॉडल के प्राबल्य के लिए कारण अक्सर प्रतिजैविक क्रांति है| आप में से कई को ये पता नहीं हो सकता, लेकिन हमें संयुक्त राज्य अमेरिका में एंटीबायोटिक दवाओं की शुरूआत के सौवें साल का जश्न मनाना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शुरूआत परिवर्तनकारी से कम नही था। यहाँ आप एक रासायनिक, या तो प्राकृतिक दुनिया से या कृत्रिम रूप से प्रयोगशाला में संश्लेषित और यह होगा बेशक अपने शरीर के माध्यम से, यह अपने लक्ष्य मिल जाएगा अपने लक्ष्य में बंद-- एक सूक्ष्म जीव या एक सूक्ष्म जीव का हिस्सा - और फिर एक ताला और एक चाबी बंद कर देते हैं उत्तम निपुणता, उत्तम विशिष्टता के साथ। और आप एक पहले से जो प्राणघातक, घातक व्याधि होगी उसे लेंगे-- एक न्युमोनिया, सिफिलिस ,ट्युबरक्युलोसिस-- और उसे चंगा होने के योग्य या इलाज के योग्य व्याधि मेँ बदल देंगे| आपको न्युमोनिया है, आप पेंसिलिन लेंगे, आप सूक्ष्म जीवि को मार देंगे, और आप व्याधि का इलाज करेंगे| ताला और चाबी के इतने शक्तिशाली रूपक, और किसीको मारना ये विचार इतना आकर्षक थी कि, यह वास्तव में जीवशास्त्र के माध्यम से बह रही थी। यह किसी और रूपांतर जैसा नही था| और हम सच मेँ पिछले १०० साल फिर से उस मॉडल को दौहराने मेँ गैर संक्रामक रोगों मेँ, पुराने रोगोँ जैसे मधुमेह,और उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारी| और यह काम किया, लेकिन अंशिक रूप मेँ काम किया| मुझे आपको दिखाने दीजिये| आप जानते हैँ, अगर आपके शरीर के लिए सक्षम है कि हर रासायनिक प्रतिक्रिया के, सम्पूर्ण ब्रह्मांड लेंगे, ज्यादा लोग ये सोचते है कि वो संख्या दस लाख के करीब होगा | हम उसे एक कुछ दशलक्ष कहेंगे| अब आप प्रश्न ये पूछेंगे, कौनसी संख्या या प्रतिक्रिया के खंड को पूरे औषधिशास्त्र,औषधीय रसायन शास्त्र वास्तव मेँ लक्ष्य बना सकते हैँ? वो संख्या है २५०| बाकी पूरा रसायन अंधकार है| दूसरे श्ब्दोँ मेँ,आपके शरीर मेँ हो रहे पूरे रसायन प्रतिक्रियाओँ मेँ ०.०२५ प्रतिशत वास्तव मेँ इस ताला और चाबी के तंत्र द्वारा लक्षित हो रहे हैं। आप जानते हैँ ,अगर आप मानव शरीर विज्ञान को बातचीत नोड्स और बातचीत खंडोँ के साथ, एक विशाल वैश्विक टेलीफोन नेटवर्क के रूप मेँ सोचते फिर हमारा पूरा औषधीय रसायन शास्त्र उस नेटवर्क की एक छोटे से कोने पर किनारे,बाहरी छोर पर काम कर रहा है| ये जैसे सब हमारा फार्मास्युटिकल रसायन शास्त्र एक पोल आपरेटर विचिटा, कॅन्सास मेँ जो १० या १५ टेलिफोन लाइन्स के साथ छेड छाड किया हो| तो हम इस विचार के साथ क्या करेंगे? हम अगर इस पहुंचको पुनरर्घठित करेंगे तो क्या होगा? असल मेँ,प्राक्रुतिक दुनिया हमेँ बीमारी, चिकित्सा, लक्ष्य के बजाय एक बिल्कुल अलग तरीके से, कैसे कोई बीमारी के बारे मेँ सोचते हैँ ये एहसास देता है| असल मेँ,प्राक्रुतिक दुनिया पदानुक्रम ऊपर की ओर आयोजित किया जाता है, नीचे की ओर नही,पर ऊपर की ओर, और हम शुरू करते हैँ एक स्व-विनियमन, अर्द्ध स्वायत्त मात्रक जिसे सेल बुलाया| ये स्व-विनियमन, अर्द्ध- स्वायत्त मात्रक अंग स्व-विनियमन,अर्द्ध-स्वयत्त नामक मात्रकोँ को उत्पन्न करते हैँ, और ये सब अंगोँ संगठित होकर मनुष्य नाम के चीज बनाते हैँ, और ये जीवोँ जो अंशिक रूप से स्व-विनियमन और अंशिक रूप से अर्द्ध-स्वयत्त हैँ, अंततः वातावरण में रहते हैं| ये नई योजना मेँ अच्छा क्या है?, इस श्रेणीबद्ध योजना ऊपर की ओर आयोजित किया जाता है नीचे की ओर नही, है जो ह्मेँ व्याधी के बारे मेँ एक अलग तरीके से सोचने की अनुमती देता है| कैंसर जैसा एक व्याधी को लेलो| १९५० से हम ये ताला और चाबी नमूना कैंसर को लागू करने के लिये सख्त कोशिष कर रहे हैँ| हम कोशिकाओँ को मारने की कोशिश किये तरह तरह के कीमोथेरपी या लक्षित थेरपी इस्तेमाल करके, और जैसे हम मेँ से बहुत लोग जानते है, वह काम किया| वह ल्युकेमिया जैसे रोग केलिये काम किया| वह स्तन कैंसर के कुछ रूपोँ मेँ काम किया, पर अंततः आप उस दृष्टिकोण की छत के लिए चला रहे हैं। और सिर्फ पिछले दस साल मे हम प्रतिरक्षा प्रणाली को उपयोग करने कीबारे मेँ सोचना शुरू किये,ये याद करके कि वास्तव मेँ कैंसर कोशिका शून्य मेँ नही उगती| वह वास्तव मेँ मानव जीव मेँ उगता है| और क्या आप जीवधारी क्षमता का उपयोग कर सकते हैँ, कैंसर पर वार करने के लिये? ये सत्य है कि मानव का एक प्रतिरक्षा प्रणाली है हालाँकि,ये कैंसर के सबसे शानदार नये दवाइयोँ का नेत्रुत्व किया है| और अंत मेँ पर्यावरण का स्तर है,है कि नही? पता है ,हम कैंसर को पर्यावरण मेँ बदलाव जैसा नही सोचते| पर मुझे आप को गहराई से कैंसरकारी पर्यावरण का एक उद्धरण देने दो| उस को जेल बुलाते हैँ| आप अकेलापन को लेलो, आप मंदी को लेलो, आप कारावास को लेलो, और आप उसको जोड दीजिये, कागज के एक छोटे सफेद चादर में लुढ़का , हमारे जानकारी मेँ सबसे श्क्तिशाली न्युरोस्टिमुलन्ट मेँ से एक निकोटिन नाम का, और उसको आप सबसे शक्तिशाली नशे की लत मेँ से एक को जोड दीजिये, और आप पायेंगे एक समर्थक कैंसरकारी पर्यावरण| पर आप विरोधी कैंसरकारी वातावरण भी पा सकते हैँ| परिवेश बनाने की प्रयास कर रहे हैँ, उदाहरण के लिये, स्तन कैंसर के लिये हार्मोनल परिवेश बदल जाना| हम दूसरे तरह की कैंसरोँ मेँ चयापचय परिवेश को बदलने की कोशिश करते हैँ| या दूसरे रोग को लो, जैसे अवसाद| फिर से,ऊपर की तरफ काम करते हुए, १९६० और १९७० से,हम सख्त फिर से कोशिश की है तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संचालित अणुओं को बंद करने के लिए - सिरोटोनिन, डोपमैन-- और मंदि को इस तरह से इलाज करने की कोशिश किया,और वह काम किया, लेकिन वह सीमा पहुंच गयी| और अब हम जानते हैँ कि वास्तव मेँ हमेँ क्या करने की जरूरत है कि अंगोँ की,मस्तिष्क की शरीर विज्ञान बदलना चाहिये, उसको फिरसे जोडिए करो, फिर से तैयार करो, और वह जाहिर है, हमे पता है अध्ययन पर अध्ययन दिखा दिया किबात चिकित्सा वोही काम करती है, और अध्ययन पर अध्ययन ये दिखा दिया कि बात चिकिस्ता दवाइयाँ, गोलियाँ के साथ मिलकर वास्तव मेँ दोनोँ मेँसे एक अकेलेसे अधिक प्रभावी है| हम अवसूद को बदलने वाला तल्लीन पर्यावरण कल्पना कर सकते हैँ? आप अवसाद को प्रकट करनेवाला संकेत को ताला लगा सकते हैँ? फिर, संगठन के इस श्रेणीबद्ध श्रृंखला के साथ ऊपर की तरफ बढ़ रहा है। वास्तव में यहां दांव पर क्या है खुद दवाई नही बल्कि रूपंतर है| गँभीर चिरकारी अपेक्षीय रोगोँ-- गुर्दे की विफलता, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ऑस्टियोआर्थराइटिस -- के मामलोँ मेँ किसी चीज को मारने की बजाय, हमेँ वास्तव मेँ क्या करने की जरूरत है कि रूपांतर को बदलना नाकि किसी चीज को बढायेँ| और शायद वह कुंजी है, हमारे सोचने की तरीके को फिर से निर्माण करने के लिए| अब,ये बदलने की विचार, एक अवधारणात्मक पारी बनाने की,लगभग १० साल पहले एक बहुत ही व्यक्तिगत रूप में बसेरा करने के लिए मेरे पास आया था| लगभग दस साल पहले-- मैँ मेरे अधिकांश जीवन एक हरकारा था-- मैँ शनिवार सुबह एक दौढ के लिए गया था, मैँ वापस आया और जागा और मैं मूल रूप से हिल नहीं पारहा था। मेरा दाएं घुटने, सूज गया था, और आप हड्डी के खिलाफ हड्डी की अशुभ कमी सुन सकते हैँ। और वैद्य होने का एक लाभ ये है कि आप अपना MRI खुद मंगा सकते हैँ| और मेरा MRI अगले हफ्ते हुआ, और वह ऐसा दिख रहा था| मूलतः, हड्डी के बीच कि उपास्थि का मेनिस्कस पूरीतरह से टूट चुका था और हड्डी ही टूट गया था| अब आप मेरे तरफ देख रहे हैँ और खेद मेहसूस कर रहे हैँ, मुझे आप को कुछ बातेँ बताने दीजिये| अगर मैँ यहाँ के श्रोतागण के हर व्यक्ति के MRI लूंगा, आप मेँ से ६० प्रतिशत इसतरह के हड्डी अध: पतन और उपास्थी अध: पतन के लक्षण दिखायेंगे| ७०साल की उम्र से सभी महिलाओं में से ८५ प्रतिशत उदार से तीव्र उपास्थि के अध: पतन लक्षण दिखायेंगे| इस स्रोतागण के पुरुषोँ मेँ ५० से ६० प्रतिशत भी ऐसे लक्षण दिखायेंगे| ये बहुत आम रोग है| खैर,वैद्य होने का दूसरा लाभ ये है कि आप अपने बीमारिओँ पर खुद प्रयोग करने को मिलता है| तो १० साल पहले हमने शुरू किया, हम इस विधि को प्रयोगशालामेँ लायेँ, और हम सरल प्रयोगोँ करना शुरू किये,इस अध: पतन को बुद्धिरहित रूप से तय करने की कोशिश किया| हमने जानवरोँ के घुटनोँ के रिक्थ स्थानोँ मेँ रसायन इंजेक्ट करने की कोशिश की हैँ उपास्थि की अध: पतन को उल्टा करने के लिये , और एक बहुत लंबी और दर्दनाक प्रक्रिया पर संक्षिप्त सारांश डालने के लिये, अनिवार्य रूप से यह शून्य पर आया था। कुछ भी नही हुआ| और फिर सात साल पहले ,ऑस्ट्रेलिया से एक शोध छात्र हमारे पास आया था| ऑस्ट्रेलियंस के बारे मेँ अच्छी बात ये है कि उनको दुनिया को उल्टा देखने की आदत हो चुकी है| (हँसी) और इसीलिये डान ने मुझे सुझाव दिया ,"तुम जानते हो,शायद ये मेखानिकल समस्या नही| शायद ये रसायन समस्या नही| शायद ये स्टेम सेल की समस्या है|" अन्य श्ब्दोँ मेँ,उनके पास दो परिकल्पनायेँ हैँ| नँबर एक,कंकाल की स्टेम सेल के रूप में ऐसी कोई चीज है-- एक कंकाल की स्टेम सेल जो पूरे कशेरुकी कंकाल को बनाती है, हड्डी, उपास्थि और कंकाल की रेशेदार तत्वों, ठीक जैसे एक स्टेम सेल खून मेँ है, ठीक वैसा एक स्टेम सेल तंत्रिका व्यवस्था मे है| और नंबर दो,शायद ,इस स्टेम सेल की अध: पतन या शिथिलता आस्टियोखांड्रियल गठिया, एक बहुत ही आम बीमारी के कारण है। तो वास्तव मेँ प्रश्न ये है था कि, हम एक पिल के लिये देख रहे हैँ जब हमेँ वास्तव मे एक सेल के तरफ देखना चाहिये| इसलिये हमने हमारे नमूने को बदल दिया, और अब हम कंकाल की स्टेम कोशिकाओँ के लिये देख्ना शुरू किया| और फिर एक लंबी कहानी संक्षेप में कटौती, पांच साल पहले, हमने इन सेल्स को डूंढ लिया| ओ कंकाल मेँ रहते हैँ| यहाँ एक योजनाबद्ध और फिर एक असली फोटोग्राफ है। सफेद पदार्थ हड्डी है, और यह आप देख रहे हैँ लाल कालम्स और पीले कोशिकाओँ एक ही कंकाल की स्टेम सेल से पैदा हुई कोशिकाओं हैं - उपास्थि के कॉलम्स ,हड्डी के कॉलम्स एक ही कोशिका मेँ से आरहे हैँ| ये कोशिकायेँ अद्भुत हैँ| उन्के चार गुण हैँ| नंबर एक उनको जहाँ जीने की उम्मीद हो वो वहाँ रहते हैँ| वे सिर्फ हड्डी की और उपास्थि की सतह के नीचे रहते हैं, आप जानते हैँ,जीव शास्त्र मेँ वह स्थान,स्थान,स्थान है| और वे उचित क्षेत्रों पर जाते हैँ और उपास्थि और हड्डी बनाते हैँ| वह एक है| यहाँ एक दिलचस्प लक्षण है| आप उनको कशेरुकी कंकाल के बाहर निकाल सकते हैँ, आप उनको प्रयोग शाला मेँ पेट्रि डिषेस मेँ कल्चर करसकते, और वे मरके उपास्थि का स्रुष्टि करेंगे| हम कैसे उपास्थि को पैसे या प्यार के लिये नहीँ बना पाये? इन सेल्स मरके उपास्थि को बनायेंगे | वे अपने चारोँ ओर खुद के उपास्थि के फर्ल्स बनायेंगे| वे ,नँबर तीन, भंग के मरम्मत के सबसे निपुण जो हमने कभी भी सामना किया| ये बहुत छोटा हड्डी है, एक मौस का हड्डी जो हमने तोडा और फिर खुद मरम्मत करने के लिये छोड दिया| ये स्टेम कोशिकायेँ आयेँ और हलदी मेँ, हड्डी, सफेद मेँ ,उपास्थी,लगभग पूरी तरह से मरम्म्त किया| इतना तो है कि यदि आप एक फ्लोरोसेंट डाई के साथ उन्हें लेबल आप उन्हेएक तरह के अजीब सेलुलर गोंद जैसे देख सकते हैँ फ्राक्चर के जगह मेँ आते हैँ, स्थानीय स्थर पर फिक्स करते हैँ और उन्के काम रोकते हैँ| अब,चौधा वाला सबसे भयंकर है, और वह ये है कि उनकी संख्या तेजी सेगिरती है, तेजी से,दस गुना,पचास गुना, जैसे आप बडे होते हैँ| और वास्तव मेँ क्या हुआ, कि हम खुद को एक अवधारणात्मक पाली मेँ पाते हैँ। हम पिल्स को डूँढ्ने गये पर हम सिद्धंतोँ को खोज करते हुये खत्म कर दिये| और कुछ मायनोँ मेँ हम इस विचार पर खुद वापस झुके थे: कोशिकायेँ, जीवोँ, वातावरण, क्योंकि हम अब हड्डी के स्टेम सेल्स के बारे मेँ सोच रहे थे, हम गठिया को एक सेलुलर रोग के रूप मेँ सोच रहे थे| और फिर अगला सवाल है कि वो अवयव हैं क्या? क्या आप शरीर के बाहर अंग का निर्माण कर सकते हो? क्या आप आघात के क्षेत्रों में उपास्थि प्रत्यारोपण कर सकते हो? और शायद बहुत दिलचस्पी से, क्या आप ठीक ऊपर चढ़ कर वातावरण की रचना कर सकते हो? आप को पता और हमें भी पता कि व्यायाम से हड्डीयों का पुनर्निर्माण होगा लेकिन हम मे से कोई भी व्यायाम नहीं करते| इसलिये आप हड्डी के लोडिंग और अनलोडिंग के तरीकोँ के कल्पना कर सकते हो ताकि आप अध: पतन उपास्थी का पुन:सृष्ट या पुनरुद्धार कर सकते हैँ? और शायद अधिक दिलचस्प है, और अधिक महत्वपूर्ण बात, सवाल ये है कि क्या आप इस मॉडल को अधिक विश्व स्तर पर लागू कर सकते हैं? जैसे कि मैंने पहले कहा था, कुछ चीज को मारना नही बल्कि बढा करना दांव पर है| और यह मुझे लगता है, चिकित्सा के बारे में सोचने के तरीके के बारे में सबसे दिलचस्प सवालों की एक श्रृंखला को जन्म देती है। क्या आपकी दवा एक सेल और गोली नही हो सकता है? कैसे हम इन कोशिकाओं को विकसित करेंगे? हम इन कोशिकाओं की हानिकारक व्रुद्धी को कैसे रोक सकते है? हम ने विकास छेडऩे की समस्याओं के बारे में सुना है। क्या हम बढ़नते हुए इन कोशिकाओं को रोकने के लिए आत्महत्या जीन प्रत्यारोपण कर सकते हैं? क्या आपकी दवा शरीर के बाहर बनाया एक अंग हो सकता है जो फिर शरीर में प्रत्यारोपित किया गया? क्या वो कुछ भ्रष्ट होने से रोक सकता है? अंग मे स्मृति होने की जरूरत क्या है? तंत्रिका तंत्र के रोगों के मामलों में, उन अंगों के कुछ स्मृति है। हम कैसे उन यादों को प्रत्यारोपण कर सकते है? हम क्या ये अंगों को बचा रख सकते हैं? क्या इन्सान की हरेक अंग को विकसित करके और उसको वापस रखना होगा? और शायद सबसे उलझन पैदा करते हुए, क्या आपकी दवा एक वातावरण हो सकता है? क्या आप वातावरण को पेटेंट कर सकते? आप जानते है, हर संस्कृति में, शामन्स दवाओं के रूप में वातावरण का उपयोग किया गया है। हम अपने भविष्य के लिए क्या कल्पना कर सकते हैं? मैं ने मॉडल के बारे में कई बात की। मैं ने मॉडल के साथ इस बातचीत शुरू की। मॉडल के निर्माण के बारे में कुछ विचार से खत्म करूँ। यहीं हमारे जैसे वैज्ञानिक करते है| आप जानते है कि जब एक वास्तुकार मॉडल को बनाते है, वह लघु में आपको एक दुनिया को दिखाने की कोशिश कर रहा/रही है। लेकिन जब एक वैज्ञानिक मॉडल को बनाते है, वह रूपक में दुनिया को दिखाने की कोशिश कर रहा/रही है। वह नई तरह से देखने की सृजन करने की कोशिश कर रहा/रही है। पहला पैमाने बदलाव है। बाद वाला एक अवधारणात्मक बदलाव है। अब, एंटीबायोटिक दवा के बारे में पिछले सौ सालों में अपनी सोच में वास्तव में रंगीन, विरूपित, बहुत सफलतापूर्वक अवधारणात्मक पारी बनाया| लेकिन हमें भविष्य में दवा के बारे में सोचने के लिए नई मॉडलों की जरूरत है| कि दांव पर क्या है| आप जानते है कि एक लोकप्रिय खीस्तयाग वहाँ है जिसके कारण है कि हमें परिवर्तनकारी बीमारी के उपचार पर प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि हमारे पास पर्याप्त शक्तिशाली दवाओं नहीं है और ये आंशिक रूप से सच है। लेकिन शायद सही कारण ये है कि हमारे पास दवाई के बारे में सोचने की शक्तिशाली तरीके नहीं है| ये जरूर सच है कि नई दवाई मिलने से अच्छा होगा| लेकिन शायद वास्तव में दांव पर जो तीन अमूर्त समाप्त हैं: तंत्र, नमूने, रूपकों। धन्यवाद| (तालियाँ) क्रिस एंडरसन: मुझे वास्तव में इस तरह की रूपक पसंद है। कैसे ये लिंक होता है? चिकित्सा के निजीकरण के बारे में तकनीकी प्रदेश में बहुत कुछ बात हो रही है, कि हमारे पास सब कुछ समाचार है और भविष्य के चिकित्सा उपहार विशेष रूप से आप के लिए हो, अपने जीनोम, अपने वर्तमान संदर्भ में होगा। क्या इस नमूना के लिए ये लागू हो सकता है? सिद्धार्थ मुख्रर्जी: ये एक बहुत ही दिलचस्प सवाल है| हम जीनोमिक्स के मामले में बहुत ज्यादा दवा के निजीकरण के बारे में सोचा है। ये इसलिए कि जीन एक ऐसा प्रभावी रूपांतर है कि, फिर से,उस शब्द को इस्तेमाल करना, आज औषधि शास्त्र मेँ, कि हम ये सोचते जीनोम चिकित्सा की निजीकरण को ड्राइव करेगी| पर बेशक जीनोम एक लंबी श्रुंखला की तल पर है, योँ कहिये तो| वह श्रुंखला,वास्तव मेँ उसका सबसे पहला संगठित मात्रक, कोशिका है| तो,अगर हम वास्तव में इस तरह से चिकित्सा में वितरित करने के लिए जा रहे हैं,हम सेलुलर उपचारों को व्यक्तिगत के बारे में सोचना है,और फिर अंग या जीवधारी उपचारों को व्यक्तिगत, और अंत मेँ पर्यावरण के लिए इमार्शन के उपचारों को व्यक्तिगत रूप देना पडेगा| इसलिए मुझे लगता है कि आप जानते हैं, हर स्तर पर लगता है कि -- रूपक ये है कि सभी तरह से कछुए वहाँ है। खैर, इस में, पूरी तरह से निजीकरण है। CA: तो अगर आप जब कहते हैं कि दवा एक सेल हो सकता है और एक गोली नहीं, आप संभवतः अपने ही सेलों के बारे में बात कर रहे हैं। SM: बिल्कुल। CA: तो स्टेम सेल में परिवर्तित करके, शायद सभी प्रकार के दवाओं या और कुछ के खिलाफ जांच करके और तैयार किया। SM: और कोई शायद नहीं है। यही है जो हम कर रहे है। यह क्या हो रहा है, और वास्तव में, हम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं, जीनोमिक्स से दूर नही, बल्कि जीनोमिक्स को हम क्या कहते बहु-व्यवस्था, अर्द्ध स्वायत्त, आत्म विनियमन प्रणालियों,मेँ शामिल करते हुये जैसे कोशिकायेँ, जैसे जीवोँ, जैसे वातावरण| CA: बहुत धन्यवाद| SM: खुशी हुई| धन्यवाद| आप क्या सोचते है, रहने के लिए दुनिया एक बेहतर होगी अगले सालया अगले दशक में? क्या हम भूख को ख़त्म कर सकते है, लेंगिक भेदभाव मिटा सकते है, जलवायु परिवर्तन को रोक सकते है, आने वाले १५ सालों मे? दुनिया की सरकारों के अनुसार, हाँ हमकर सकते पिछले कुछ सालों में, विश्व के नेतागण, चर्चा कर रहे हैराष्ट्रसंघ, न्यूयॉर्क मे, और सहमत हुए है विश्व के नए लक्ष्यों पर २०३० तक दुनिया में विकास के लिए और वे लक्ष्य है: ये लक्ष्य, बहुत लम्बी चर्चाओं की देन है वैश्विक लक्ष्य वे है जो हम पाना चाहते है यह योजना है? पर क्या हम वहाँ पहुँच सकते है? तो, बेहतरीन दुनिया का हमारा सपना पूरा होगा? में यहाँ हूँ क्योंकि हम अंकों में खेलते है और जवाब है, आश्चर्यजनक रूप से, हाँ शायद, हम प् सकते है परन्तु, वैसे नहीं जैसे पहले से करते आये है अब यह विचार की दुनिया बेहतर जगह हो जावेगी थोड़ा, ख्वाबी सो लगता है यदि हम समाचारों को देखे तो, दुनिया आगेकी जगह पीछे जाती प्रतीत होती है और सही मायने मे इन बड़ी बड़ी घोषणाओं में उलझना बहुत आसान है लगता है राष्ट्रसंघ का यह विचार परन्तु, एक पल के लिए आप इस पर विश्वास करें क्योंकि पहले २००१ में राष्ट्र संघ ने सहमति की थी शहस्त्राब्दी लक्ष्यों पर और मुख्य लक्ष्य था - २०१५ तक आधी करना संख्या गरीबी में रह रहे लोगो की और इसके लिए संख्या का आधार था १९९० का साल जब दुनिया की ३६% आबादी गरीबी में रहती थी, इस साल उस गरीबी के प्रतिशत को १८ करना था क्या हमने यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया? नही, हम नहीं कर पाये हम इससे आगे निकल गए इस साल दुनिया में गरीबी का १२% रह गया पर अब तो यह भी पर्याप्त नहीं है, क्योंकि दुनिया में अभीभी ढेरों समस्याएँ है गलत ही है निराशावादी लोग, जो मानते है कि दुनिया बेहतर नही हो सकती, तो हमने यह सफलता कैसे प्राप्त की? इसमे बड़ा भाग, आर्थिक वृद्धि के कारण से है गरीबी में सबसे अधिक कमी थी चीन व भारत मे जहाँ आर्थिक विकास तेजी से हुआ है, वही तरीका हम फिर से लगा सकते है क्या आर्थिक विकास हमें वैश्विक लक्ष्यों तक पहुँचा सकता है इस प्रश्न का जवाब देने के लिये, एक आधार तय करना होगाकि दुनिया इन सूचकों पर अभी किस स्तर पर है और यह भी तय करें की हमें कितना देय जाना है पर यह सब इतना आसान नहीं है, क्योंकि वैश्विक लक्ष्य केवल महत्वाकांक्षी ही नहीं, वरन बहुत जटिल भी है १७ से अधिक लक्ष्य व उसमे १६९ उद्देश्य सही मायने मे वे है कई सौ सूचक और तो और कुछ लक्ष्य बहुत स्पष्ट है... भूख का अंत तो कुछ धुंधले से है शांतिपूर्ण व असहिष्णु समाज को बढावादेना, तो आधार के रेखांकन में हमारी मदद के लिए मे "सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स" काममें लूँगा जिससे वैश्विक लक्ष्यों को माप सकते है सबके योग को आधार मानकर, समय के साथ उसकी प्रगति पर नजर रखते है "सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स" तीन सवाल करता है समाज के विषय मे पहला, क्या सबके पास है, आवश्यक सुविधाएँ? जैसे भोजन, पानी, रहवास, सुरक्षा है दूसरा, क्या उनके पास बेहतर जीवनका आधार है? शिक्षा, सूचना, स्वास्थ्य व टिकाऊ पर्यावरण? व क्या सबके पास जीवन सुधारने के अवसर है? अधिकार, चुनने की स्वतंत्रता, बिना भेदभाव, व विश्व के आधुनिक ज्ञानतक पहुँच के रूप मे? "सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स" बनता है ५२ सूचकांको के योग से ० से १०० के पैमाने पर कुल जोड़ करके हम इस विषय पर बहुत विविधता पाते है वर्तमान दुनिया मे, सबसे बेहतर ८८ अंक है , नॉर्वे के पर कमजोर देश भी है, जैसे सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, 31 अंकों हम सब देशों के अंक एकसाथ जोड़ दें, जनसंख्या के आधार पर तवज्जो देकर, तो विश्व का अंक है ६१ सीधे शब्दों में बात करें, सामाजिक प्रगति के स्तर पर आज औसत व्यक्ति, क्यूबा और कजकिस्तान के स्तर के बराबर है हम १०० में से ६१ के स्तर पर है इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये क्या करें? ये लक्ष्य स्पष्टतःमहत्वाकांक्षी तो है पूरी दुनिया नार्वे बना दें पर ऐसा भी नहीं की १५ साल में अंकों की बात है तो, मेरा अनुमान से ७५ अंक बेहतरी के लिए यहएक लम्बी छलांग ही नहीं है, परन्तु वैश्विक लक्ष्यों को पानेके सामान है तो, हमारा लक्ष्य है १०० मेसे ७५ अंक क्या हम वहाँ पहुँच सकते है? "सामाजिक प्रगति सूचक" गणना में सहायक है, क्योंकि आपने ध्यान दिया होगा, इसमें कोई भी आर्थिक सूचक नहीं है; "सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स" मॉडल में आर्थिक प्रगति या जीडीपी की बात नहीं है यहाँ हमें जानना जरुरी है "समबन्ध" आर्थिक वृद्धि व सामाजिक प्रगति के मध्य इसे में एक चार्ट पर दर्शाता हूँ लम्बी रेखापर में सामाजिक प्रगतिको लेता हूँ वे बातें जो वैश्विक लक्ष्य प्राप्त करना चाहते है जितना अधिक होगा उतना बेहतर होगा और आड़ी रेखापर प्रति वयक्ति जीडीपी लेते है जितना दाहिने होगें उतने अधिक अमीर और अब उसमे दुनिया के देशों को रखता हूँ, हर एक को एक बिंदु के द्वारा, और उससे भी आगे में रिग्रेशन रेखा लगाऊंगा और वह औसत सम्बन्ध दिखाता है और यह हमें बताता की हम अमीर हो रहे है, सामाजिक प्रगति भी सुधरने का प्रयास करती है जैसे हम अमीर होते है, जीडीपी का हर डालर हमारे लिये कम और कम सामाजिक प्रगति लाता है व जानकारीको भविष्यवाणी के काम में लेते है तो यह है दुनिया की स्थिति २०१५ में हमारे सामाजिक प्रगति का अंक है मात्र ६१ और प्रति व्यक्ति जीडीपी है डॉलर १४००० हम जाना चाहते है ७५ के विश्व लक्ष्य पर और आज हम है १४००० डॉलर के जीडीपी पर २०३० में हम कितने अमीर होंगे? अब हमें यही जानने की आवश्यकता है सटीक भविष्यवाणी है अमेरिकन कृषि विभाग की, जिसने विश्व में ३.१% की आर्थिक वृद्धि की भविष्यवाणी की है, आने वाले १५ सालों में इसका मतलब है यदि वे सही है, तो २०३० में प्रति व्यक्ति जीडीपी २३००० डॉलर होगी अब सवाल है, यदि हम इतने अमीर हो जाते है, तो हमारी सामाजिक प्रगति कितनी होगी? हमने डेलोइटमे अर्थशास्त्रीयों के दलसे पूछा जिन्होंने इन अंकों को बताया और जाँचा, उन्होंने बताया, यदि दुनिया की ओसत सम्पति १४००० डॉलर से २३००० डॉलर प्रतिवर्ष तक हो, सामाजिक प्रगति आगे बढेगी ६१ से ६२.४ तक (हंसी) ६२.४ मात्र, केवल छोटी सी बडत यह बड़ा अटपटा सा है लगता है आर्थिक वृद्धि ने मदद की है गरीबी से लड़ने में, पर ऐसा नहीं लगता की इसका कोई बड़ा असर हुआ वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने में तो फिर हो क्या रहा है? मुझे लगता है दो चीजें है| पहली बात है की हम अपनीही सफलताके शिकार है| आर्थिक वृद्धि से हमने आसान जीत प्राप्त की और अब हम कठिन समस्याओं की और जा रहे है| हम जानते है, आर्थिक वृद्धि की लागत भी है व लाभ भी होने ही है हाँ, यह एक बुरी खबर है केवल अमीर होनेसे नहीं होगी लक्ष्य प्राप्ति तो क्या निराशावादी सही है? परन्तु, शायद नही, क्योंकि सामाजिक प्रगति सूचकके पास भी अच्छी खबर है क्योंकि इस सूचक में भी कुछ अच्छी बात है यह है जीडीपी ओर सामाजिक प्रगति का सम्बंध जीडीपी व सामाज की प्रगति के बीच सामान्य सम्बन्ध है, और इसी पर आधारित है हमारी अंतिम भविष्यवाणी परन्तु जैसा आपने देखा ही है, परन्तु इस विकास रेखापर बहुत हल्लागुल्ला है वह हमें क्या बतलाता है, स्पष्ट सी बात है, की जीडीपी अंतिम लक्ष्य नही है ऐसे देश है जो ठीकसे नहीं कर पा रहे है रूस के पास बहुतायत में प्राकृतिक संसाधन है परन्तु बहुत सी सामाजिक समस्याएँ है चीन में आर्थिक विकास का गुब्बार छाया है पर्यावरण व मानव अधिकार पर कुछ खास नहीं भारत के पास अंतरिक्ष कार्यक्रम तो है, परन्तु लाखोँ लोगों के पर शोचालय नहीं है दूसरी तरफ ऐसे देश है जिनकी सामाजिक प्रगति तेज है जीडीपी की अपेक्षा कोस्टारीका ने प्राथमिकता दी है, शिक्षा, स्वास्थ्य, व टिकाऊ पर्यावरण को, फलतः वहाँ है तेज व बेहतर सामजिक प्रगति, केवल सामान्य जीडीपी होने के बावजूद भी और कोस्टारीका अकेला ऐसा देश नही है रवान्डासे गरीब व न्यूजीलैंडसे अमीर देश तक हम देखते है कि सामाजिक प्रगति पा सकते है, चाहे आपका जीडीपी उतना अच्छा न हो और यह बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें दो बात बताता है पहला, हमारे पास इसके समाधान पहले से है बहुत सी ऐसी समस्याएँ जिनके वैश्विक लक्ष्य पानेके प्रयास मे है यह हमें बताता है की जीडीपी ही सबकुछ नही है हम उसके गुलाम नहीं है, हमारी पसंदगी असर करती है: यदि हम खुशहाली को प्राथमिकता दे, तो हम बहुत प्रगति कर सकते है वह जीडीपी से नहीं आती, कुछ तय करना होगा कितना? इन लक्ष्यों तक पहुँचने के लिये? अच्छा, कुछेक अंकों को देखते है आज दुनिया का सामाजिक प्रगति अंक है ६१ और ७५ अंक की जिस जगह पर हम जाना चाहते है हम यदि केवल आर्थिक वृद्धि पर विश्वास करें, हम ६२.४ तक पहुँच जायेंगे चलो मानले की कमजोर सामाजिक प्रगति वाले देश रूस, चीन, भारत आदिको ओसत तक ला सकते है तो उससे हमें कितनी सामाजिक प्रगति मिलेगी? वह हमें ६५ अंक तक ले जावेगी यह कुछ ठीक है पर हमारा उद्देश्य तो अधिक है तो हम थोड़ा और आशावादी बने और कहें, क्याहो जब हरेक देश थोड़ा अधिक बेहतर बने, अपनी संपत्ति को खुशहाली में बदलने के लिये? तो , हम ६७ तक पहुँच सकते है अब हम और स्पष्ट व दावे से बात करें क्याहो जब दुनिया, कोस्टारीका जैसी हो जावे मनुष्य की बेहतरी को प्राथमिकता देकर अपना धन अपने नागरिकों की बेहतरी में लगाकर? तब हमें लगभग ७३ अंक की आवश्यकता है, वैश्विक लक्ष्य पाने के लिये क्या हम वैश्विक लक्ष्यों को पा सकते है? वर्तमान तरीके से तो निश्चित ही नही आर्थिक विकासकी बाड भी वहाँ नहीं ले जासकती, यदि बड़ी-बड़ी बोट्स बनादे, या रईस बन जाएँ और शेष को पीछे छोड़ दो यदि हमे वैश्विक लक्ष्य प्राप्त करना है तो हमे अलग तरीके अपनाने होंगे सामाजिक प्रगति को प्राथमिकता देनी होगी, और समाधानों को व्यापकता पर करना होगा दुनियाभर मे मेरे मतसे "वैश्विकलक्ष्य" ऐतिहासिक मोका है क्योंकि दुनिया के नेताओं ने उन्हें पूरा करने का वचन दिया है आओ हम निराशावादिता छोड़े व इन वैश्विक लक्ष्यों को न हटायें हम उन्हें उसी वचनबद्धता पर रखें जरूरत है वचनबद्धता की, उन्हें जवाबदेह बनाकर आने वाले सालोंमें उनकी प्रगतिको मापते हुए में अपनी बातको समाप्त करता हूँ, आपको बताकर उसका एक रास्ता है, लोगों का प्रगति पत्रक लोगों के प्रगति पत्रकमें यह सभी आंकड़े रखे वह हम सभी जानते है, स्कूल के दिनों से उनको जिम्मेवार ठहराना इसमे अंक मिलते है वैश्विक लक्ष्यों पर '६' से '१' की स्केल पर जिसमे ६ का मतलब है निकृष्टतम व १ का मतलब है सर्वश्रेष्ठ मानवता हमारी दुनिया का आज का अंक है "३" और वैश्विक लक्ष्य है "१" पाना इसलिए इस प्रगति पत्रकको हम हरसाल जांचेंगे, दुनियाभर के लिए और प्रत्येक देश के लिये तो, हम अपने नेताओं को जिम्मेवार ठहरा सकें इस लक्ष्य और इस वचन को पूरा करने के लिये वैश्विक लक्ष्य की प्राप्ति तभी होगी जब कार्यों को अलग तरह से किया जावेगा यदि नेता कार्यों को अलग तरीके से करेंगें, उसके लिये, जरुरत है, की इसे हमे मांगे तो हम परम्परागत तरीको को नकारें, आओ हम एक अलग राह या अलग तरीके की मांग करें आओं हम अपने पसंद की दुनिया चुने (तालियां) ब्रूनो गिउस्सानी: धन्यवाद माइकल केवल एक सवाल: सहस्त्राब्दी लक्ष्य १५ साल पहले नियत किये गए थे जो सभी देशों के लिए मान्य थे यह बड़ते हुए देशों के लिए परिणामों सा होगया अब नए वैश्विक लक्ष्य स्पष्टतः अब "वैश्विक लक्ष्य" सार्वभोमिक है वे सबसे अपने काम व प्रगति बताने को कहें यह प्रगति पत्र मेरे क्या काम आयेगा कार्य के लिए दबाव पैदा करके? माइकल ग्रीन: यह महत्वपूर्ण बिंदु है; प्राथमिकता में बड़ा बदलाव| यह गरीब देश या गरीबी केबारे में ही नहीं है यह प्रत्येक देश के बारे मे है वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति हरेक देश के लिये चुनोतियाँ होगी आपको आश्चर्य होगा पर, ब्रूनो स्वितज़रलैंड को भी काम करना होगा अतः हम प्रगति पत्र २०१६ में सामने लायेंगे दुनिया के प्रत्येक देश के लिये तब हम देख सकेंगे, हम कैसा कम कर रहे है? ऐसा नही है की अमीर देशों को सीधे "१" मिलेगा मेरे मत में, यही देता है "केंद्र बिंदु" धन्यवाद| (तालियां) हम सब डॉक्टरों के पास जाते हैं। और ये हमारी उम्मीद और अंध विश्वास है कि डॉक्टरों जाँच की आदेश और द्वाइयाँ निर्धारित करना परीक्षण के आधार पर करते है -- सबूत जो हमें मदद करने के लिए बनाया गया है। हालांकि, वास्तविकता ये है कि हमेशा सभी को ये स्थिति नही हो सकती। यदि मैं तुमसे कहती कि पिछली सदी में जो चिकित्सा विज्ञान की खोज हुई वह केवल आधी आबादी के आधार पर हुई? मैं एक संकटकाल चिकित्सा डॉक्टर हूँ। मैं चिकित्सा आपात स्थिति को निपटने के लिए प्रशिक्षित कियी गयी थी। यह जीवन को बचाने के बारे में है। कितना मजेदार है ? ठीक है, बहती नाक और टोंटदार पंजों को हम बहुत देखते है, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता दर्वाजे से ER में कोई भी आये, लिंग के बारे में कभी सोचे बिना ही हमारे मरीजों को एक प्रकार के परीक्षण करने के लिए कहते है, हम एकसमान दावा लिख देते है, हम ऐसे क्यों करते है ? हमें कभी नहीं पढाया गया कि पुरुषों और महिलाओं के बीच कोई फ़र्क है। हाल ही में एक सरकार के जवाबदेही अध्ययन से पता चला है कि दवाओं में से ८० प्रतिशत महिलाओं पर दुष्प्रभाव के कारण बाजार से वापस ले लिए गये हैं| तो चलो एक मिनट के लिए उस के बारे में सोचते हैं। केवल एक दवा बाजार में जारी करने के बाद ही क्यों हम खोज करते है कि इस दवाई से महिलाओं पर क्या दुष्प्रभाव होगा? आपको पता होगा कि कई साल लग जाते हैं एक दवा की कल्पना के लिए विचार से एक प्रयोगशाला में कोशिकाओं पर परीक्षण तक, उसके बाद जानवरों पर अध्ययन, आगे मनुष्यों पर नैदानिक परीक्षण, अंतमें उसे एक नियामक मंजूरी की प्रक्रिया प्राप्त करनी पड़ती है, उसके बाद ही दवा, आप को निर्धारित करने के लिए डॉक्टर के पास उपलब्ध होती है? इस प्रक्रिया के माध्यम से जाने के लिए धन की लाखों और अरबों डॉलरों की निधीकरण होगी| तो हम आधी आबादी पर अस्वीकार्य दुष्प्रभाव बरे में, जब उस के माध्यम से चला जाने के बाद क्यों खोज रहे है ? ये क्या हो रहा हैं? खैर, यह पता चला है कि प्रयोगशाला में जो कोशिकाओं इस्तेमाल करते, वे पुरुष कोशिकाओं थे, और जानवरों के अध्ययन में प्रयुक्त जानवर, पुरुष जानवरों थे, और नैदानिक परीक्षण केवल पुरुषों पर ही प्रदर्शन किया गया है। कैसे पुरुष मॉडल चिकित्सा अनुसंधान के लिए हमारे ढांचा बन गया है? हम एक उदाहरण पर नजर डालते हैं जो मीडिया में लोकप्रिय हुआ था, और यह सोने के लिए सहायता करने वाली आम्बियन के बारे में है। आम्बियन, २० साल पहले बाजार में जारी किया गया था, और तब से, सौ मिलियन्स नुस्खे मुख्य रूप से महिलाओं के लिए लिखे गए है क्योंकि महिलाओं पुरुषों की तुलना में अधिक नींद संबंधी विकार ग्रस्त हैं। परंतुलेकिन अभी यह पिछले साल, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, केवल महिलाओं को आधी खुराक काटने की सिफारिश की, क्योंकि उन्हें एह्सास हुआ कि सिर्फ महिलाओं को पुरुषों की तुलना में धीमी दर पर दवा रस प्रक्रिया होती है, जिसकी वजह से उनकी व्यवस्था में अधिक सक्रिय दवा सुबह जागृत होने की समय होती हैं। और फिर वे नींद से भरे हुए थे और कार के पहिये के पीछे थे, और वे मोटार वाहन दुर्घट्नाओँ के लिये खतरे पर थे| और मैँ एक आपत्कालीन वैद्य होने के नाते मदद तो नही,पर सोच सकता हूँ, मेरे रोगोयोँ, जिनको मैँ सालोँ से परवाह कर रहा हूँ, जिन्मेसे कितने एक मोटार वाहन दुर्घटना मेँ शामिल थे, जिसको शायद रोका जा सकता था अगर इस तरह की विश्लेषण २० साल पहले किया और इस पर काम किया गया होता जब ये दवाई पहले जारी किया गया था| कितने अन्य बातों के लिंग के आधार पर विश्लेषण करने की आवश्यकता है? हम और क्या छोड रहे हैँ? द्वितीय विश्व युद्ध ने बहुत सारे चीजोँ को बदल दिया, और उनमेँ से एक लोगोँ को सूचित सहमति के बिना चिकित्सा अनुसंधान के शिकार बनने से बचाने की जरूरत थी| तो कुछ बहुत जरूरी दिशा-निर्देश या नियमों स्थापित किए गए थे, और उस का हिस्सा प्रसव उम्र की महिलाओं कोई भी चिकित्सा अनुसंधान अध्ययन मेँ प्रवेश करने से रक्षा के लिए इस इच्छा थी| वहाँ डर थी: क्या होगा अगर अध्यन के समय भ्रूण के साथ कुछ हुआ ? कौन जिम्मेदार होगा? और वैज्ञानिकों ने इस बार सचमुच सोचा ये छद्म वेष में एक आशीर्वाद थी, क्योँ कि हम उसका सामना करेंगे-- पुरुषों के शरीर समरूप होते हैं। उनके पास लगातार हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव नहीँ होते वह साफ डेटा को गडबड कर देता जो उनको केवल पुरुष होने से मिल सकता था| यह आसान था|यह सस्ता था| इसके अतिरिक्त, इस समय, एक सामान्य धारणा है कि पुरुषों और महिलाओं हर तरह से एक जैसे थे, उनके प्रजनन अंगों और सेक्स हार्मोन के अलावा। तो इसका निर्णय लिया गया था: पुरुषों पर चिकित्सा अनुसंधान किया गया था, और परिणाम बाद में महिलाओं पर लागू किया गया। यह महिलाओं के स्वास्थ्य की धारणा के लिए क्या किया? महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रजनन के साथ पर्याय बन गया है: स्तनों, अंडाशय, गर्भाशय, गर्भावस्था। यही श्ब्द है जिसको अब हम "बिकिनि दवा" के रूप मेँ जिक्र करते हैँ| और यह 1980 तक इसी रूप मेँ रहा, जब ये अवधारणा को चिकित्सा समुदाय और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति निर्माताओं द्वारा चुनौती दी गयी तो उनको अहसास हुआ कि सब चिकित्सा अनुसंधान अध्ययन से महिलाओँ को बाहर करने से हम वास्तव मेँ उनको एक नुकसान कर रहे हैँ, उस मेँ प्रजनन मुद्दों को छोडकर, महिला रोगी की अद्वितीय जरूरत के बारे मेँ लगभग कुछ भी नही जाना जाता था| उस समय से, भारी मात्रा मेँ सबूत बाहर आया है वह हमेँ महिलाओँ और पुरुषोँ हर तरह से कितने अलग है ये दिखाता है| आप जानते हैँ, वैद्यक-शास्र मेँ हमारे पास ये कहावत है: बच्चे सिर्फ छोटे आदमी नही होते हैँ| और हम इसको खुद को याद दिलाने केलिये कहते हैँ कि बच्चोँ को वास्तव मेँ सामान्य वयस्कोँ से अलग शरीर क्रिया होती है| और इसके वजह से बाल रोग चिकित्सा विशेषता प्रकाश में आया था। और अब हम उनके जीवन में सुधार लाने के लिए बच्चों पर अनुसंधान का संचालन करते| और मुझे पता है कि वहीं चीज महिलाऑ के बारे में कह सकते हैं| महिलाओं को सिर्फ स्तन और ट्यूबों के साथ नहीं हैं। लेकिन वे स्वयं के चीरफाड़ और शरीर विज्ञान है जिसे वहीं तीव्रता के साथ अध्ययन किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, हृदय प्रणाली लेते हैं। चिकित्सा के इस क्षेत्र में यह पता लगाने की कोशिश बहुत हुई है कि पुरुषों और महिलाओं में पूरी तरह से अलग दिल के दौरे क्यों आते है। हृदय रोग, पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक नंबर का हत्यारा है, लेकिन अधिकतर महिलाओं पुरुषों से ज्यादा दिल का दौरा होने से एक साल के भीतर मर जाते हैं। पुरुषों के सीने में दर्द की पेराई की शिकायत करेंगे - जैसे कि एक हाथी उनके सीने पर बैठा है। और हम इसे विशिष्ट कहते हैं। महिलाओँ को भी चाती मेँ दर्द होती है| लेकिन महिलाओँ से ज्यादा पुरुष"बस , ठीक मेहसूस नहीँ हो रहा है"की शिकायत करते हैँ, "काफी हवा पर्याप्त नहीँ कर सकते", "हाल ही मेँ बहुत थक जाता हूँ"| और कुछ कारण हम इसे असामान्य कहते हैँ, हालाँ कि, जैसे मै ने कहाँ, महिलायेँ जंसंख्या मेँ आधी हैँ| और इन मतभेदोँ के कुछ हिस्सोँ को समझाने के लिये सबूत का कुछ हिस्सा कहाँ है? अगर हम शरीर रचना विज्ञान देखेंगे, दिल की चारों ओर रक्त वाहिकाओं,पुरुषोँ की तुलना में महिलाओं में छोटे होते हैं और जिस तरीके से उन रक्त वाहिकाओँ व्याधि को शुरू करते हैँ महिलाओँ मेँ पुरुषोँ की तुलना मेँ ये अलग है| और जो परीक्षा किसी को दिल का दौरा पड्ने के लिए खतरा है निर्थारित करने के लिये उपयोग करते, खैर, वे शुरू में बनाये गये,परीक्षण किये और पुरुषों में सिद्ध किये गये थे, और इसलिए महिलाओं में उसको निर्धारित करने के लिये अच्छा नही है । और फिर अगर हम दवाई के बारे मेँ सोचे तो-- साधारण दवाई हम उपयोग करते हैँ, जैसे आस्प्रिन| हम आस्प्रिन स्वस्थ पुरुषोँ को उनको दिल का दौरा पडने से रोकने के लिये देते हैँ, लेकिन आप जानते हैँ कि अगर आप आस्प्रिन एक स्वस्थ महिला को देते हैँ , वह वास्तव मेँ हानिकारक है? ये क्या कर रहा है कि केवल हमेँ बता रही है कि हम सतह को खरोच रहे हैँ| आपातकालीन चिकित्सा एक तेज गति व्यापार है। चिकित्सा के कितने जीवन रक्षक क्षेत्रों में, कैंसर और स्ट्रोक की तरह, पुरुषों और महिलाओं के बीच महत्वपूर्ण फर्क को हम उपयोग कर रहे हैं? या फिर भी, क्यों कुछ लोगों को दूसरों से ज्यादा बहती नाक मिलता ह, या हम क्यों उन टोंटदार पैर की उंगलियों को दे दर्द की दवा जो कुछ लोग पर काम करती है और दूसरों पर नहीं क्यों? चिकित्सा संस्थान कहा है कि हर कोशिका में एक यौन संबंध है। इसका क्या मतलब है? सेक्स DNA है| समाज मेँ लिंग के द्वारा ही कोई भी खुद को प्रस्तुत करते हैँ| और ये दोनोँ हमेशा नहीँ मिल सकते, जैसे हम विपरीत लिंग आबादी के साथ देख सकते हैँ| लेकिन यह गर्भाधान के समय से महसूस करना महत्वपूर्ण है, हमारे शरीर में हर कोशिका -- त्वचा, बाल, दिल और फेफड़ों -- हमारे अपने अनोखा डीएनए होता है, और वह डीएनए में गुणसूत्रों निर्धारित करते है कि हम क्या बनेंगे यदि पुलिंग या स्त्रीलिंग, पुरुष या स्त्री। यह सोचा करते थे कि जो लिंग-निर्धारण क्रोमोसोम्स यहाँ चित्रित किये गये हैँ-- XY अगर आप पुरुष हैँ, XX अगर आप महिला हैँ-- आप अंडाशय या वृषण के साथ पैदा होंगे केवल ये निर्धार्ण करने के लिये थे, और जो सेक्स हार्मोंस वे अंगोँ उत्पादन करते हैँ विपरीत लिंगोँ मेँ जो भेद हम देखते हैँ उनके लिये वे जिम्मेदार हैँ | लेकिन अब हम जानते हैँ कि वह सिद्धांत गलत है-- या कम से कम वह थोडा अधूरा है| और शुक्र है, व्हाइटहेड संस्थान से वैज्ञानिकों जैसे डॉ.पेज, जो Y क्रोमोसोम पर काम कर रहे हैँ, और डाक्टर यांग उक्ला से, उनको साक्ष्य मिला है जोहमेँ कहता है कि वे लिंग- निर्थारण क्रोमोसोम्स जो हमारे शरीर मेँ हर कोशिका मेँ हैँ हमारे पूरे जीवन सक्रिय रहने के लिये जारी रहेंगे और जो हम अंतर देखते हैँ उनके लिये ये जिम्मेदार हो सकते हैँ दवाइयोँ के मात्रा मेँ, या पुरुष और महिलाओँ मेँ बीमारियों की संवेदनशीलता और गंभीरता मेँ क्योँ अंतर हैँ| ये नयी जानकारी जोहै वह खेल-परिवर्तक है, और ये वैज्ञानिकों पर निर्भर है कि वे सबूत को डूँढने की काम जारी रखेँ, लेकिन ये चिकित्सकोँ पर निर्भर है कि वे डाटा का अनुवाद शुरू करेँ बिस्तर के पास से,आज ही| अभी| और इसे कर ने मेँ मदद करने के लिये, मैं एक सह-संस्थापक हूँ एक राष्ट्रीय संगठन की जिसको सेक्स और जेंडर महिला स्वास्थ्य सहयोगी कहते हैँ, और हम ये सब डाटा इकट्ठा करते हैँ ताकि ये शिक्षण के लिये उपलब्ध रह सके और रोगी की देख्भाल के लिये| और हम चिकित्सा शिक्षकोँ को मेजे के पास एक साथ लाने की काम कर रहे हैँ| वह बडा काम है| चिकित्सा प्रशिक्षण अपनी स्थापना से जैसे कर रहे हैँ वह बदल रहा है| लेकिन मुझे उन मेँ विश्वास है| मुझे लगता है वे लिंग लेंस को वर्तमान पाठ्यक्रम में शामिल करने की मूल्य देखने जा रहे हैँ | यह सही ढंग से भविष्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के प्रशिक्षण के बारे में है। और क्षेत्रीय, मैँ एक सह- निर्माता हूँ यहाँ ब्रौन विश्वविद्यालय के पास, एक विभाग आपत्कालीन चिकित्सा मेँ, सेक्स और लिंग नाम का, आपातकालीन चिकित्सा विभाग के अंदर और हम खोज का आचरण करते हैँ महिलओँ और पुरुषोँ के बीच अंतर निर्धारित करने के लिये आकस्मिक स्थिती मेँ, जैसे हृदय रोग और स्ट्रोक और पूति और मादक द्रव्यों के सेवन, लेकिन हम ये भी मानते हैँ कि शिक्षा सर्वोपरि है। हम लोग शिक्षा के एक 360-डिग्री का नमूना तैयार किया| हमारे पास वैक्योँ के लिये, नर्सोँ के लिये, छात्राओँ के लिये और मरीजोँ के लिये कार्यक्रम हैँ| क्योँ कि इसे स्वास्थ्य देखभाल के अग्रलेख के लिये नहीँ छोडा जा सकता| हम सभी को बदलाव लाने मेँ भूमिका है| लेकिन मुझे आप को चेतावनी देनी है: ये आसान नही है| वास्तव मेँ, ये बहुत कठिन है| चिकित्सा और तबियत और खोज के बारे मेँ हमारी जो सोच है यह बदल रही है| यह स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के साथ हमारे सम्बंध बदल रही है| लेकिन वापस जाना नही है| हम अब हम इसे ठीक नहीं कर रहे थे कि पता करने के लिए अभी पर्याप्त पता है। मार्टिन लूथर किंग, जूर. ने कहा, "बदलाव अनिवार्यता के पहियों पर रोल नहीँ होती, लेकिन निरंतर संघर्ष के माध्यम से आता है। " और बदलाव के तरफ पहला कदम है जागरूकता| यह सिर्फ महिलाओँ के लिये चिकित्सा देखभाल मेँ सुधार लाना नहीँ है| यह हर एक के लिये व्यक्तिगत, निजीक्रुत स्वास्थ देख्भाल के बारे मेँ है| यह जागरूकता मेँ पुरुषोँ और महिलाओँ के लिये चिकित्सा देख भाल बदलने की शक्ती है| और अबसे, मैँ चाहती हूँ कि आप अपने वैद्य से पूछेँ कि क्या जो इलाज आप को कर रहे हैँ वह आप की लिंग और जेंडर के लिये विशिष्ट है| शायद वे जवाब नही जानते-- अभी तक| लेकिन बातचीत शुरू हो गया है और हम एक साथ सब सीख सकते हैं।...... याद रखिये, इस क्षेत्र मेँ मुझे और मेरे सहयोगी के लिये, आप की लिंग और जेंडर मायने रखता है| धन्यवाद। (तालियाँ) सुप्रभात. चलिए एक मिनट के लिए इतिहास के महानतम प्रवादपुरूष लियोनार्दो दा विन्ची की तरफ देखते हैं. हम सभी उनकी अद्भुत कृ्तियों से परिचित हैं -- उनके रेखाचित्र, तस्वीरें, उनके आविष्कार, उनके लेख. लेकिन हम उनके चेहरे को नहीं जानते. उनके बारे में हज़ारों क़िताबें लिखी गईं हैं, पर उन सभी में उनकी शक्ल-सूरत को लेकर विवाद रहा है. यहाँ तक की बहुत से कला इतिहास बोद्धा उनकी इस विख्यात पोट्रेट को स्वीकार नहीं करते हैं. तो आपको क्या लगता है? क्या यही लियोनार्दो दा विन्ची का चेहरा है या नहीं? चलिए पता लगाते हैं. लियोनार्दो ऎसे व्यक्ति थे जो अपने आस पास की हर वस्तु की तस्वीर बनाते थे. उन्होने लोगों की, मानवीय शारीरिक संरचना, पौधे, जानवर, प्रकृ्ति, भवन, पानी, हर चीज़ की तस्वीरें बनाई. पर चेहरों कि नहीं? मुझे ऎसा विश्वास करना कठिन लगता है. उनके समकालीन चित्रकारों ने चेहरों की भी तस्वीरें बनाई, यहाँ दिख रही तस्वीरों की तरह. पूरा चेहरा या उसका तीन-चौथाई. तो लियोनार्दो जैसे स्वतःस्फूर्त चित्रकार ने समय समय पर खुद की तस्वीरें ज़रूर बनाई होंगी. चलिए उन्हे ढूँढ निकालते हैं. मुझे लगता है कि अगर हम उनकी सारी कृ्तियों को उनके स्वयं की तस्वीर ढूँढने के लिए छाँटते बैठें, तो हमें उनका चेहरा हमारी और देखता मिल ही जाएगा. तो मैंने उनकी सारे चित्र, जो 700 से ज़्यादा हैं, देख डाले, और पुरूष पोट्रेट तलाशे. उन तस्वीरों की संख्या क़रीब 120 है, जिन्हें आप यहाँ देख रहे हैं. अब इनमें से कौनसी उनकी खु़द की तस्वीरें होंगी? उसके लिए हम उन तस्वीरों को छांट कर निकालते हैं जिनमें पूरा चेहरा या उसका तीन-चौथाई भाग दिख रहा हो. बाकी तस्वीरों को हटा देते हैं. उस तस्वीर में पर्याप्त स्पष्टता भी होनी चाहिए. इसलिए हम बहुत अस्पष्ट या बहुत अधिक शैलीगत तस्वीरों को भी हटा देते हैं. उनके समय के विवरणों से हमें ये पता है कि लियोनार्दो बहुत ही सुपुरूष, ख़ूबसूरत इंसान थे. तो हम कुरूप या व्यंग-छवियों को भी निकाल सकते हैं. (हँसी) उसके बाद देखिए क्या होता है -- बस तीन ही दावेदार बचते हैं जो हमारी कसौटी पर खरे उतरते हैं. ये रहे. हाँ, इनमें वो बूढे़ व्यक्ति की तस्वीर भी शामिल है, उनकी कलम से बनाई विख्यात रेखा चित्र 'होमो विट्रुवियानोस' भी. और आखिरी चित्र, लियोनार्दो द्वारा बनाई किसी पुरूष की एकमात्र तस्वीर, 'द म्युज़िशियन.' इन चेहरों पर जाने से पहले, मुझे ये बताना चाहिए कि मैं किस अधिकार से इस विषय पर बात कर रहा हूँ. मैंने ख़ुद क़रीब 1,100 से ज़्यादा पोट्रेट बनाए हैं अख़बारों के लिए - 300 - माफ कीजिए 30 -बस 30 साल की अवधी में. (हँसी) लेकिन इनकी संख्या 1,100 है और बहुत ही कम कलाकार इतने सारे चेहरे बनाते हैं. तो इस तरह मैं चेहरों का चित्र बनाने और उनके विश्लेषण के बारे में थोड़ा बहुत जानता हूँ. अब इन तीन पोट्रेटों को देखिए. और दिल थाम के बैठिए, क्योंकि जैसे ही हम इन तस्वीरों को ज़ूम करते हैं, देखिए कैसे उनमें एक ही तरह का चौड़ा माथा, सीधी भौंहें, लंबी नाक, थोड़ा घुमाव लिए होंठ और छोटी, सुविकसित ठुड्डी है. जब मैंने पहली बार इसे देखा तो मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ. इन पोट्रेटों के एक जैसे दिखने की कोई वजह नहीं है. हमने बस इतना किया कि ऎसे पोट्रेट चुनें जिनमें किसी चित्रकार के स्वंय के पोट्रेट होने के गुण हों, जो कि इनमें हैं, और देखिए, इनमें कितनी समानता है. पर क्या ये सही क्रम मे बने हैं? युवा की तस्वीर पहले बनी होनी चाहिए. और जैसा कि आप इनके बनाए जाने के वर्ष से देख पा रहे हैं, वास्तव में ऎसा ही हुआ है. इन्हें सही क्रम में ही बनाया गया है. उस समय लियोनार्दो की क्या उम्र रही होगी? क्या वो इन तस्वीरों से मेल खाती है? बिल्कुल मेल खाती है. वो 33, 38 और 63 के थे जब ये तस्वीरें बनीं. तो अब हमारे पास तीन तस्वीरें हैं, जो कि संभवतः एक ही व्यक्ति की हैं उसी उम्र की, जो कि तस्वीरों के बनते समय लियोनार्दो की थी. पर हम ये तस्दीक़ कैसे करें कि ये लियोनार्दो ही हैं, कोई और नहीं? हमें तुलना के लिए किसी स्वीकृत मानक की आवश्यकता होगी. और वो ये है -- बहुतायत की स्वीकृ्ति मिली लियोनार्दो की एकमात्र छवि. ये वेरोक्कियो की बनाई डेविड की मूर्ति है, जो 15 वर्ष के लियोनार्दो को खड़ा कर बनाई उनकी प्रतिकृ्ति है. अब हम अगर मूर्ति के चेहरे की तुलना म्युज़िशियन के चेहरे से करें, तो वही नयन-नक्श मिलेंगे. ये मूर्ति हमारा मानक है, और ये लियोनार्दो की पहचान को उन तीन चेहरों से जोड़ती है. देवियों और सज्जनों, इस कहानी को अभी प्रकाशित नहीं किया गया है. ये सर्वथा ही उचित है कि इसे टेड में यहाँ सबसे पहले सुना और देखा जाए. प्रवादपुरुषों के प्रवादपुरूष का चेहरा आखिरकार मिल गया है. तो देखिए ये हैं -- लियोनार्दो दा विन्ची. (तालियाँ) हर रोज़, मैं ऐसी दुखद कहानियां सुनती हूँ जिनमें लोग अपनी जान बचाने के लिए खतरनाक सीमाओं और विद्वेषपूर्ण समुद्रों को पार कर जाते है। किन्तु एक कहानी है जो मुझे रातों को जगाये रखती है, और वह है डोआ की कहानी। एक १९ वर्षीया, सीरिया की शरणार्थी, वह मिस्र में दिहाड़ी पर काम करते हुए एक कष्टपूर्ण अस्तित्व जी रही थी। उसके पिता हमेशा सीरिया में अपने सम्पन्न व्यापार के बारे में सोचते रहते थे, जिसके एक बम ने चिथड़े उड़ा दिए थे। और वह युद्ध, जिसकी वजह से वह वहां आये थे उसे भी चार वर्ष हो चुके थे। और जिस समुदाय ने कभी उनका वहां स्वागत किया था उनसे ऊब चुका था। और एक दिन, मोटरसाइक्ल सवारों ने उसका अपहरण करने की कोशिश की। एक समय की महत्वाकांक्षी विद्यार्थी जो केवल अपने भविष्य की सोचती थी, अब हर समय डरी हुई रहती थी। किन्तु वह आशापूर्ण भी थी, क्यूंकि वह एक साथी सीरियन शरणार्थी बासेम के साथ प्यार करती थी। बासेम भी मिस्र में संघर्ष कर रहा था, और उसने डोआ से कहा, "आओ, हम यूरोप चलें; शरण और सुरक्षा मांगे। मैं काम करूंगा, तुम पढ़ना-- एक नयी ज़िन्दगी का वादा।" और उसने उसके पिता से शादी के लिए उसका हाथ मांग लिया। किन्तु वह जानते थे कि यूरोप जाने के लिए उन्हें अपनी ज़िन्दगी दांव पर लगानी होगी, भूमध्य सागर को पार करना , अपने हाथ काट कर तस्करों को देना, जो अपनी क्रूरता के लिए जाने जाते थे। और डोआ को पानी से बहुत डर लगता था। वह हमेशा से डरती थी। उसने तैरना कभी सीखा ही नहीं था। उस वर्ष अगस्त का महीना था, और पहले ही २००० लोग भूमध्य सागर को पार करते हुए मर चुके थे, किन्तु डोआ की एक दोस्त उत्तरी यूरोप तक पहुँच गयी थी, और उसने सोचा," शायद हम भी पहुँच सकते हैं।" उसने अपने माता पिता से पूछा कि क्या वह जा सकते हैं, और एक बहुत दर्दनाक बहस के बाद, उन्होंने हाँ कर दी, और बासेम ने अपनी उम्र भर की कमाई-- २५०० डॉलर प्रत्येक के लिए-- तस्करों को दे दी। वह शनिवार की सुबह थी जब बुलावा आया, और उन्हें बस में बिठाकर समुद्र तट ले जाया गया, समुद्र तट पर सैंकड़ों लोग। फिर छोटी किश्तियों में बिठाकर एक पुरानी मछली पकड़ने वाली नाव में ले जाया गया, ५०० लोगों को नाव में भर दिया गया, ३०० नीचे, ५०० ऊपर,उनमे थे सीरियाई, फिलिस्तीनी, अफ़्रीकी, मुस्लिम, और ईसाई, १०० बच्चे, ६ वर्षीय सैंड्रा को मिलाकर-- और १८ महीने का मासा। उस नाव में परिवार भरे हुए थे, कंधे से कन्धा मिलाये हुए, पाँव से पाँव। डोआ अपनी टांगे छाती से लगाये बैठी थी, बासेम उसका हाथ पकड़े था। पानी पर दूसरा दिन, वे चिंता से ग्रसित थे और अशांत समुद्र की वजह से बीमार। तीसरा दिन, डोआ को एक पूर्वाभास हुआ। और उसने बासेम को कहा, "मुझे डर है हम नहीं कर पाएंगे। मुझे लगता है नाव डूबने वाली है।" और बासेम ने उसे कहा, "कृपया धीरज रखो, हम स्वीडन पहुंचेंगे, हम शादी करेंगे और हमारा एक भविष्य होगा। " चौथा दिन, मुसाफिर उत्तेजित होने लगे थे। उन्होंने कप्तान से पूछा, "हम वहां कब पहुंचेंगे?" उसने उन्हें चुप रहने को कहा, और उन्हें अपमानित भी किया। उसने कहा, "हम १६ घंटों में इटली के तट पर पहुँच जायेंगे।" वे कमज़ोर और निढाल थे। उन्होंने एक किश्ती आते देखी - एक छोटी किश्ती जिसमें १० लोग सवार थे, और वह उनपर चिल्लाने लगे, गाली गलौज करने लगे, डंडे फेंकने लगे, और उन्हें नाव में से उतर कर छोटी किश्ती में बैठने को बोलने लगे, जो समुद्री यात्रा के अयोग्य थी। माता पिता अपने बच्चों के लिए भयभीत थे, और उन सबने उतरने से मना कर दिया। वे गुस्से में किश्ती को ले गए, आधे घंटे के बाद, वापिस आकर जान बूझ कर डोआ की नाव की एक तरफ छेद करने लगे, ठीक नीचे, जहां वह और बासेम बैठे थे। और उसने उनकी चीखें सुनी, "मछलियों को तुम्हारा गोश्त खाने दो!" और वे हंसने लगे जैसे ही नाव उल्ट कर डूबने लगी। डेक के नीचे के ३०० लोगों का जीवन तो समाप्त ही था। डोआ ने नाव को पकड़ रखा था जैसे वह डूब रही थी, और एक छोटे से बच्चे को नाव के प्रोपेलर द्वारा कटते हुए देख कर वह सहम गयी थी। बासेम ने उससे कहा," कृपया छोड़ दो ,नहीं तो तुम भी खींची जाओगी और मोटर तुम्हे भी काट देगी।" और याद है-- वह तैर नहीं सकती। किन्तु उसने छोड़ दिया और अपनी टांगें और बाहें हिलाने लगी, यह सोचते हुए कि, "यह तैरना है। " और चमत्कार देखिये, बासेम को एक जीवन रक्षक चक्र मिला। बच्चों के खेलने वाला चक्र जिसके साथ वह तरणताल और शांत समुद्र में खेल सकते हैं। और डोआ उस चक्र पर चढ़ गयी, उसकी टांगें और बाहें दोनों तरफ लटक रही थीं। बासेम एक अच्छा तैराक था, तो वह उसका हाथ पकड़ कर पानी में चलता रहा। उनके आस पास मृत शरीर थे। आरम्भ में लगभग १०० लोग जीवित बचे, जो समूहों में इकठे होने लगे, अपने बचाव के लिए प्रार्थना करने लगे। किन्तु जब एक दिन गुज़र गया और कोई नहीं आया, कुछ लोगों ने उम्मीद छोड़ दी, और डोआ और बासेम देखते रहे. कैसे दूर लोगों ने अपनी जीवन रक्षा जैकेट उतारीं और पानी में डूब गए। एक आदमी जिसके कंधे पर एक छोटा बच्चा बैठा था, उनके पास आया, नौ महीने का-- मालेक। वह आदमी एक गैस कनस्तर पकड़े हुए तैर रहा था और वह उनसे बोला, "मुझे डर है कि मैं ज़िंदा नहीं बचूंगा। मैं बहुत कमज़ोर हो गया हूँ। मुझ में अब वह साहस नहीं बचा है।" और उसने नन्हे मालेक को डोआ और बासेम को सौंप दिया, उसे जीवन रक्षा चक्र पर बिठा दिया। तो अब वह तीन थे, डोआ, बासेम, और नन्हा मालेक। मुझे यहां कहानी में एक विराम लेने दीजिये, ठीक यहाँ पर एक प्रशन पूछने के लिए: डोआ जैसे शरणार्थी ऐसे जोखिम क्यों मोल लेते हैं? लाखों शरणार्थी निर्वास में रह रहे हैं, अधर में लटके हुए। वे ऐसे देशों में रह रहे हैं[भाग रहे हैं] जहाँ चार सालों से युद्ध चल रहा है। यदि वे वापिस भी जाना चाहें, तो नहीं जा सकते। उनके घर, उनके व्यापार, उनके शहर और उनके कसबे पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं। यह UNESCO द्वारा नामित एक विश्व धरोहर शहर है, सीरिया में होम्स। तो लोग पडोसी देशों की ओर भागते रहते हैं, और हम उनके लिए रेगिस्तान में शरणार्थी शिविर बना देते हैं। हज़ारों लोग ऐसे शिविरों में रहते हैं, और हज़ारों से भी ज़्यादा, लाखों, कस्बों और शहरों में रहते हैं। और वह समुदाय, वह पड़ोसी देश जिन्होंने कभी उनका स्वागत किया था खुले दिलों के साथ अभिभूत हो चुके हैं। स्कूल, पीने के पानी की व्यवस्था, स्वच्छता, यह सब पर्याप्त हैं ही नहीं। यहां तक कि अमीर यूरोपीय देश भी भारी निवेश के बिना इतने सारे शरणार्थियों का प्रवाह नहीं संभाल पाते। सीरिया युद्ध ने लगभग चालिस लाख लोगों को सीमा के पार जाने को मजबूर कर दिया, किन्तु सत्तर लाख से भी ज्यादा लोग देश के भीतर भाग रहे हैं। इसका अर्थ है कि सीरिया की आधी से ज्यादा जनसँख्या को भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन पडोसी देशों के पास वापिस चलते हैं जिन्होंने अनेकों को शरण दी। उन्हें लगता है कि अमीर देशों ने उनके समर्थन में बहुत कम योगदान दिया है। दिन महीनों में, और महीने सालों में बदलते जा रहे हैं। शरणार्थी अस्थायी तौर पर प्रवास करते हैं। पानी में डोआ और बासेम के पास वापिस चलते हैं। यह उनका दूसरा दिन था और बासेम कमज़ोर पड़ रहा था। और अब डोआ की बारी थी बासेम से कहने की "मेरी जान, हमारे भविष्य की आशा को मत छोडो। हम ज़रूर कामयाब होंगे।" और उसने उसको कहा, "मुझे माफ़ कर दो मेरी जान, कि मैंने तुम्हे इस मुश्किल में फंसाया। मैंने कभी किसी और को इतना नहीं चाहा जितना मैं तुम्हें चाहता हूँ।" और उसने अपने आप को पानी में छोड़ दिया, और डोआ देखती रही अपनी ही आँखों के सामने अपनी जान को पानी में डूबते हुए। उस दिन थोड़ी देर बाद, डोआ के पास एक माँ अपनी १८ महीने की नन्ही बच्ची, मासा को लेकर आई। यह वही नन्ही बच्ची थी जिसकी तस्वीर आपको जीवन रक्षक जैकेटों के साथ मैंने पहले दिखाई थी। उसकी बड़ी बहिन सैंड्रा पानी में डूब चुकी थी, और उसकी माँ जानती थी की उसे अपनी बच्ची को बचाने के लिए कुछ भी करना पड़ेगा। और उसने डोआ से कहा, "कृपया इस बच्ची को ले लो। इसे अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लो। मैं नहीं बच पाऊँगी।" और फिर वह चली गयी और डूब गयी। तो वह १९ वर्षीय शरणार्थी डोआ जिसे पानी से बहुत भय था, जो तैर नहीं सकती थी, ने अपने आप को दो नन्हे बच्चों का उत्तरदायी पाया। और वह प्यासे थे, भूखे थे और उत्तेजित थे, और उसने उनका दिल बहलाने का पूरा प्रयत्न किया, उन्हें गाने सुनाये, कुरान की शमस सुनाई। उनके आस पास मृत शरीर फूल कर काले पड़ रहे थे। दिन में धूप बहुत तेज़ थी। रात में शीतल चाँद और धुंद थी। बहुत ही भयावह दृश्य था। पानी में चौथे दिन, बच्चों के साथ चक्र में बैठी डोआ शायद ऐसी दिख रही थी। चौथे दिन एक औरत उसके पास आई और एक और बच्चे को लेने के लिए बोली-- एक नन्हा बालक, केवल चार वर्ष का। जब डोआ ने बच्चे को ले लिया और उसकी माँ डूब गयी, वह रोते हुए बच्चे से बोली, "वह सिर्फ तुम्हारे लिए पानी और भोजन लेने गयी है।" किन्तु उसके दिल की धड़कन जल्द ही रुक गयी, और डोआ को उस नन्हे बालक को पानी में छोड़ना पड़ा। बाद में उस दिन, उसने उम्मीद से आसमान की तरफ देखा, क्यूंकि उसे दो हवाई जहाज़ उड़ते हुए दिखाई दिए। और उसने अपनी बाहें हिलायी, इस आशा से कि शायद वह उसे देख लेंगे, किन्तु वह जहाज़ जल्द ही चले गए। उस दोपहर को, जब सूरज डूब रहा था, उसने एक नाव देखी, एक व्यापारी जहाज़। और उसने कहा, "हे भगवान, काश यह मुझे बचा लें। " उसने अपनी बाहें हिलायी और उसे लगा कि वह लगभग दो घंटे तक चिल्लाती रही। अब अँधेरा हो चुका था, किन्तु अंत में खोजबत्तीने उसे ढूंढ लिया और उन्होंने एक रस्सी फेंकी, एक महिला को दो छोटे बच्चों के साथ देख कर वह हैरान थे। उन्होंने उन्हें जहाज़ पर खींच लिया, उन्हें ऑक्सीजन और कम्बल दिए, और एक यूनानी हेलीकाप्टर उन्हें क्रीट के द्वीप पर ले जाने के लिए आया। किन्तु डोआ ने नीचे देख कर पूछा, "मालेक का क्या होगा?" और उन्होंने उसे बताया की वह नन्ही बच्ची बच नहीं पायी-- उसने जहाज़ के दवाखाने में अपनी आखरी सांस ली थी। किन्तु डोआ को यकीन था की जब उन्हें बचाव जहाज़ पर लाया गया था, तो वह नन्ही बच्ची मुस्कुरा रही थी। उस विनाश में ५०० में से केवल ११ लोग बच पाये। उस हादसे की कोई अंतर्राष्ट्रीय जांच नहीं हुई। कुछ संचार माध्यमों ने समुद्र में हुई सामूहिक हत्या के बारे में लिखा, दर्दनाक हादसा, किन्तु वह सिर्फ एक दिन के लिए। और फिर समाचार बदलते गए। इस बीच, क्रीट में एक बच्चों के अस्पताल में, नन्ही मासा मौत के बिलकुल करीब थी। वह बहुत ही निर्जलित थी। उसके गुर्दे काम नहीं कर रहे थे। उसका ग्लूकोस स्तर बहुत ही निम्न था। डॉक्टरों ने बचाने की भरपूर कोशिश की और यूनानी नर्सें उसके पास रही, उसे पकड़ती, उसे सीने से लगाती, उसे गाने सुनातीं। मेरे सहयोगी भी उसे मिलने गए और उस के साथ अरबी में प्यारी बातें की। आश्चर्यजनक रूप से, नन्ही मासा बच गयी। और जल्द ही युनानी अख़बारों में चमत्कारी बच्ची की खबरें छपने लगी, जो पानी में बिना भोजन और बिना कुछ पिए हुए जीवित रही, और पूरे देश से उसे गोद लेने के लिए प्रस्ताव आने लगे। और इस बीच, डोआ क्रीट में किसी और अस्पताल में थी, कमज़ोर, निर्जलित। जैसे ही वह अस्पताल से निकली मिस्र के एक परिवार ने उसे अपने घर में ले लिया । और शीघ्र ही डोआ की खबर सब जगह फ़ैल गयी, और फेसबुक पर एक फ़ोन नंबर भी प्रकाशित कर दिया गया। सन्देश आने लगे। "डोआ, तुम्हे पता है कि मेरे भाई के साथ क्या हुआ? मेरी बहन? मेरे माता-पिता? मेरे मित्र? तुम्हे पता है बच पाये या नहीं? उनमें से एक सन्देश में लिखा था, "मुझे लगता है की तुमने मेरी नन्ही भतीजी, मासा को बचाया है।" और उसमें यह तस्वीर थी। यह मासा के चाचा का सन्देश था, एक सीरियाई शरणार्थी जो अपने परिवार और मासा की बड़ी बहन के साथ स्वीडन पहुँच गया था। हम आशा करते हैं की जल्द ही मासा उनके साथ फिर से मिल जाएगी स्वीडन में, और तब तक, उसका एथेंस में एक सुन्दर अनाथालय में ध्यान रखा जा रहा है। और डोआ? उसके बचने के बारे में भी सभी को पता चल गया। और संचार माध्यम ने इस साधारण महिला के बारे में लिखा, और कोई सोच भी नहीं सकता कि वह कैसे जीवित रही समुद्र में ऐसी मुश्किलों में, और फिर किसी की जान भी बचा पायी। द अकादमी ऑफ़ एथेंस, यूनान की एक प्रतिष्ठित संस्था, ने उसे वीरता पुरुस्कार से सम्मानित किया, और वह इस सब सराहना के लायक है, और वह एक और मौके के योग्य है। किन्तु वह अब भी स्वीडन जाना चाहती है। वह वहाँ अपने परिवार के साथ मिलना चाहती है। वह मिस्र से अपनी माता और अपने पिता और अपने छोटे भाई बहनों को भी मिस्र से दूर वहां ले कर जाना चाहती है, और मेरा विश्वास है कि वह सफल होगी। वह वकील या राजनीतिज्ञ बनना चाहती है या कोई ऐसा जो अन्याय के खिलाफ लड़ सके। वह एक असाधारण उत्तरजीवी है। किन्तु मैं पूछना चाहती हूँ: क्या होता यदि उसे यह जोखिम न उठाना पड़ता? उसे यह सब क्यों करना पड़ा? उसके लिए यूरोप में पढ़ने का कोई कानूनी तरीका क्यों नहीं था ? क्यों मासा एक हवाई जहाज़ में बैठ कर स्वीडन नहीं जा सकती थी? क्यों बासेम को कोई काम नहीं मिल सकता था? क्यों हमारे समय के सबसे बुरे युद्ध के पीड़ित सीरियाई शरणार्थियों के लिए कोई विशाल पुनर्वास कार्यक्रम नहीं है? संसार में १९७० में विएतनामियों के लिए ऐसा किया गया था। अब क्यों नहीं ? क्यों इतना कम निवेश है उन पड़ोसी देशों में जो इतने सारे शरणार्थियों को शरण दे रहे हैं? और मूल प्रश्न क्यों, इतना कम किया जा रहा है इन युद्धों को रोकने के लिए, इस अत्याचार और इस गरीबी को रोकने के लिए, जो इतने सारे लोगों को धकेल रहा है यूरोप के समुद्र तट की ओर? जब तक यह मामले सुलझाये नहीं जायेंगे, सुरक्षा और पनाह को ढूंढते हुए लोग समुद्र की तरफ जाते रहेंगे। और फिर आगे क्या होगा? यह तो यूरोप के चुनाव की बात है। मैं आम जनता के डर को समझ सकती हूँ। लोग अपनी सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, संस्कृति के परिवर्तनों के बारे में चिंतित हैं। किन्तु क्या वह मानव जीवन बचाने से ज़्यादा आवश्यक है? क्यूंकि यहाँ पर कुछ मौलिक बात है जो बाकि सब से बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, और वह है हमारी सामान्य मानवता। युद्ध अथवा अत्याचार से भागते किसी भी व्यक्ति को सुरक्षा की खोज में समुद्र लांघते हुए मरने की नौबत नहीं आनी चाहिए। (तालियां) एक बात निश्चित है, उन खतरे से भरी किश्तियों पर कोई शरणार्थी नहीं होता, यदि वह वहाँ फल फूल सकते, जहाँ वह रहते हैं। और कोई प्रवासी वह खतरनाक सफर नहीं करता यदि उसके पास अपने और अपने बच्चों के खाने के लिए पर्याप्त भोजन होता। और कोई अपनी उम्र भर की बचत उन बदनाम तश्करों के हाथ नहीं देता यदि प्रवास करने का कोई वैध तरीका होता। नन्ही मासा और डोआ और बासेम की तरफ से और उन ५०० से जो उनके साथ डूब गए थे , क्या हम यह निश्चित कर सकते हैं कि उनकी मौत बेकार नहीं जाएगी? क्या हम इस घटना से प्रेरित होकर, एक ऐसे संसार का निर्णय लें सकेंगे जिसमें प्रत्येक जीवन का मूल्य हो। धन्यवाद। (तालियाँ) कुछ साल पहले मैं अपने खुद के घर तोड़के घुसा। मैं अपने दोस्त, जेफ का शहर भर में दौरा किया मेरा घर मोन्ट्रेल शीतकाल की आधी रात को वापस आ रहा था और सामने बरामदे पर थर्मामीटर त्रुण ४० डिग्री तापमान दिखा रहा था -- और ये पूछ्कर परेशान नही होना है कि सेल्सियस या फारेनहाइट क्योंकि मैनस ४० पर दो तराजू मिलते है-- वहाँ बहुत ठंडा था| और मैँ जब सामने की ओसरा पर् खडा होकर अपने चाबियोँ केलिये जेब मेँ डूढ रहा था,मैं ने देखा कि मेरे पास चाबी नही है| असल में, मैँ उन्हे खिडकी से देखा कि वह डैनिंग टेबल पर पडे हुये जहाँ मैँ ने उन्हे छोडा था| फिर मैँ जल्दी चारो ओर दौडा और दूसरे सभी दर्वाजे और खिड्कियाँ कोशिश की और वे सब तंग बंद थे| मैँ एक ताला बनानेवाले को बुलाने की सोचा-- कम से कम मेरा सेल फोन मेरे पास था,पर आधी रात को, ताला बनानेवाले को भी आने मेँ देर हो सकता था, और वहाँ बहुत ठंड था| मैँ रात के लिये अपने दोस्त जेफ के घर वापस भी नही जा सकता क्योंकि यूरोप के लिये दूसरे दिन सुबह मेरे उडान था, और मुझे मेरे पास्पोर्ट और सूट्केस लेना जरूरी था| तो, हताश और अकडाने वाले ठंड, मैँ एक बडा पत्थर लिया और तहखाने खिडकी को तोडा, कांच के टुकडोँ को साफ किया, उनमेँ से रेंगा, एक कार्डबोर्ड टुकडे को लिया और उसको छेद के ऊपर छिपका दिया, सोचा था कि सुबह जब हवाई अड्डे पर जाऊंगा, मैँ अपने ठेकेदार को बुलाऊंगा और उसको ठीक करने के लिये बोलूंगा| ये बहुत महंगा हो सकता है लेकिन मध्यम-की रात ताला खोलने वाले की तुलना में शायद कोई अधिक महंगा नही है, इसलिए मुझे लगा कि ये परिस्थितियों से मैं भी बाहर आ रहा था। अब, मैं प्रशिक्षण से एक न्यूरोसाइंटिस्ट हूँ और मुझे थोड़ा बहुत पता है कि तनाव में कैसे मस्तिष्क प्रदर्शन करता है। यह कोर्टिसोल जारी करती जो अपने दिल की दर को उठाती है। यह एड्रेनालाईन का स्तर व्यवस्थित करती है और यह आपकी सोच उलझाती है। तो अगली सुबह, जब मैं बहुत कम नींद से उठा, खिड़की में छेद के बारे में चिंता करते हुए, और मैं अपने ठेकेदार को फोन करने पर ध्यान दिया, और अकडाने वाले ठंड, और यूरोप में होने वली बैठकों, और आप को पता है मेरे दिमाग में सब कोर्टिसोल के साथ, मेरी सोच धुंधला थी, लेकिन मुझे नही पता है कि मौसम बादली था क्योंकि मेरी सोच धुंधला थी। (हँसी) और जब मैं हवाई अड्डे के चेक-इन काउंटर पहूंचा तब मुझे पता चला कि मेरे पास पास्पोर्ट नहीं है, (हँसी) इसलिये मैँ उस बर्फ मेँ 40 मिनट मेँ घर के लिये भागा, मेरा पासपोर्ट लिया, हवाई अड्डा के लिये भागा, मैँ सही समय पर पहुंचा, लेकिन उन लोगोँ ने मेरे सीट किसी और को दे दिये, इसलिये मैँ विमान मेँ पीछे, बाथरूम के बगल मेँ, एक सीट मेँ जो नही झुकता, आठ घंटे के उडान पर फस गया| खैर, उस आठ घंटे मेँ मुझे सोचने के लिये बहुत वक्त मिला और नींद भी नही| (हँसी) और मैँ सोचना शुरू किया, ऐसे कोई चीज हैँ जो मैँ कर सकता, व्यवस्था जो मैँ उसकी जगह पर रख सकता हूँ, ता कि बुरे चीज होने से रोका जायेगा? या कम से कम बुरे चीज होंगे तो , उसको पूरी दुर्घठ्ना होने की सँभावना को कम कर देगी| मैँ उसके बारे मेँ सोचना शुरू किया, पर लगभग एक महीने बाद तक मेरे विचार स्पष्ट नही हो पाये| मैँ अपने सहयोगी,नोबल पुरस्कार विजेता, डॅनी काह्नेमान,के साथ डिन्नर कर रहा था, और मैँ संकोचित होते हुये मेरे खिडकी को तोडने के बारे मेँ बताया, और आप जानते हैँ,पासपोर्ट को भूल जाना, और डॅनी मेरे साथ बांटा कि वह सँभावित दीर्घदर्श नाम का चीज अभ्यास कर रहा है| (हँसी) वह उसने मनोविज्ञानी गारी क्लैन के पास मिल गया था, जिसने कुछ साल पहले उसके बारे मेँ लिखा, प्री-मोर्टम भी कहा जाता है| अब आप सब पोस्टमार्टम क्या है जानते हैँ, जब भी वहाँ कोई आपदा है, एक विशेषज्ञो की टीम आते और वे क्या गलत हुआ ये समझने की कोशिश करते हैँ,है ना? खैर,प्री-मोर्टम मेँ,डॅनी ने समझाया, आप आगे देखते हैँ और क्या गलत हो सकते उनको समझने की कोशिश करते हैँ और फिर आप क्या कर सकते यह पता लगाने की कोशिश कर सकते उन चीजोँ को ऐसे होने से रोकने के लिये, या नुकसान को कम करने की कोशिश करेँ| तो आज मैँ आप से जो बात करना चाहता हूँ वो प्री-मोर्टम के तौर पर करने वाले कुछ चीजेँ हैँ| उन मेँ से कुछ चीज स्पष्ट हैँ, और कुछ बहुत स्पष्ट नही हैँ| मैँ स्पष्ट चीजोँ से शुरू करता हूँ| घर के आसपास, जहाँ हर चीज आसानी से खो जाते हैँ उस जगह का नामित करो| अब, ये सामान्य ज्ञान की तरह लगता होगा, और ये है, पर इसके समर्थन के लिये बहुत सारा विज्ञान है, हमारे स्थानिक स्म्रुति काम करने के तरीके की आधार पर| हिपोकम्पस नाम का एक निर्माण मस्टिष्क मे है, जो हजारोँ वर्षो के साथ विकसित हुआ, महत्वपूर्ण चीजोँ की जगह का जानकारी रखने के लिये-- कुआँ कहाँ है, मछली कहाँ मिलेंगे, फलोँ के पेढ का स्टँड, कहाँ मित्र और दुश्मन जनजातियाँ रहते हैँ| हिपोकम्पस मस्तिष्क का एक हिस्सा है जो लंडन के टाक्सीकाब चालकोँ मे बडे होजाता है| मस्तिष्क का ये भाग गिलहरी को बादम आदि ढूंढने की अनुमति देता है| और अगर आपको आश्चर्य हो रहा है, कुछ लोग सच मेँ प्रयोग किया है जहाँ वे गिलहरी का घ्राण भावना को काट दिये थे, फिर भी वे अपने बादाम का खोज कर सकते थे| वे गंध का इस्तेमाल नही कर रहे थे, वे हिपोकाम्पस का इस्तेमाल कर रहे थे, चीजों को खोजने के लिए मस्तिष्क में इस नजाकत विकसित तंत्र है| लेकिन ये चीजोँ के लिये सही मेँ अच्छा है जो ज्यादा इधर उधर नही घूमते, जो चारोँ ओर घूमते हैँ इनके लिये अच्छा नही है| अब इसीलिये हम कार के चाबियाँ और पढने का चश्मा और पासपोर्ट्स खो जाते हैँ| घरोँ मेँ चाबियोँ के लिये एक निर्दुष्ट जगह रखिये-- दरवाजे के पास एक हुक, शायद एक सजावटी कटोरा| एक विशेष दराज आपके पासपोर्ट के लिये| पढने का चश्मे के लिये, एक विशेष मेजा| आप एक निर्दुष्ट स्थान रखते हो और आप इसके बारे मेँ पूर्ण सावधान रहते हो, आपके चीज हमेशा वही रहेंगे जब आप उनके लिये देखोगे| यात्रा के बारे मेँ क्या ? आपके क्रेडिट कार्ड्स का, आपके ड्रैवर्स लैसेन्स का , आपके पासपोर्ट का एक सेल फोन चित्र लीजिये, उसको खुद को मैल कीजिये ताकि वह क्लाउड मेँ रहेगा| अगर ये चीजेँ खोजाते या चुराये जाते हैँ, आप प्रतिस्थापन की सुविधा कर सकते हैँ | अब येँ कुछ स्पष्ट बातेँ हैँ| याद रखिये, जब आप तनाव मेँ रहते हैँ, आपके मश्टिष्क कोर्टिसॉल छोडता है| कोर्टिसॉल विषालु है,और वह धुंधला सोच का कारण बन जाता है| तो प्री-मोर्टेम की अभ्यास की भाग है ये पहचानना कि तनाव मेँ आप अपने सबसे अच्छे रूप मेँ नही रहते, और आपको सिस्टम्स को उनके जगह रखना चाहिये | और शायद वहाँ कोई और तनावपूर्ण स्थिति नही कि जब आपको कोई चिकित्सा निर्णय बनाने का सामना करना पढा हो | और एक समय पर, हम सभी उस स्थिति मेँ होने जा रहे हैँ , जहाँ हम को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना होगा हमारे या प्यारोँ के चिकित्सा देखभाल के भविष्य के बारे में, एक निर्णय के साथ उनके मदद करने के लिये| तो मैं यहीं कहना चाहता हूँ। और मैं एक बहुत विशेष चिकित्सा हालत के बारे में बात करने वला हूँ। लेकिन ये सभी प्रकार के चिकित्सा निर्णयों मे एक प्रॉक्सी के रूप में खड़ा है, और वास्तव में वित्तीय निर्णय लेने, और सामाजिक निर्णय लेने के लिए - आपको किसी भी तरह का निर्णय लेना हो तो तथ्यों की एक तर्कसंगत आकलन करने से लाभ होगा। तो मान लीजिये कि आप अपने वैद्य के पास गये और वैद्य कहता है, "आप के लाब का काम अभी मेरे पास आया , और आप के कोलेस्ट्रोल थोडा ज्यादा है|" अब, आप सभी जानते हैँ कि ज्यादा कोलेस्ट्रोल हृदय रोग,दिल का दौरा, स्ट्रोक का खतरा बढाने के साथ जुड़ा हुआ है, और अब आप सोचरहे हैँ उच्चस्तरीय कोलेस्टराल होना अच्छी बात नही है , और फिर वैद्य कहेगा ,"आपको पता है, मैँ आपको एक दवाई देने वाला हूँ जो आपके कोलेस्टराल कम करने मेँ आपके मद्द करेगा,एक स्टाटिन|" और आप शायद स्टॅटिंस के बारे मेँ सुना है, आप जानते हैँ कि वे आज दुनिया मेँ सबसे ज्यादा निर्धारित दवाइयाँ हैँ,जो लोग इसे लेते हैँ आप शायद उनको भी जानते होंगे| और आप सोचरहे हैँ "हँ! मुझे स्टॅटिन दीजिये|" लेकिन आपको एक सवाल इस समय पूछना चाहिये, एक सांख्यिकीय के लिये आपको पूछना चाहिये जिसके बारे मेँ अधिकान्श वैद्य बात करना नही चाहेंगे , और दवा कँपनियाँ तो उस के बारे मेँ और भी कम बात करना पसंद करेंगे| वह जिनको इलाज की जरूरत है उनका नँबर है| अब, ये NNT क्या है ? ये लोगोँ की वह सँख्या है जिनको दवाई लेने की जरूरत है या शल्य-चिकित्सा की जरूरत , या किसी चिकित्सा प्रक्रिया एक व्यक्ति की मदद मिलने से पहले| और आप सोचरहे हैँ, किस तरह का पागल आकंडा है वह? संख्या एक होना चाहिये| मेरा वैद्य ऐसा कुछ नही देंगे जिससे मुझे मुझे मदद नही मिलेगा| लेकिन असल मेँ, चिकित्सा पद्धति ऐसे काम नही करता| और ये वैद्य का गलती नही है, अगर ये किसी का गलती है, तो वह मेरे जैसा वैज्ञानिकों का है। हम अच्छी तरह से अंतर्निहित पर्याप्त सुलझा नही है| लेकिन ग्लाक्सोस्मितक्लिन अनुमान लगा रहा है कि ९० प्रतिशत दवाइयाँ केवल ३० से ५० प्रतिशत लोगोँ मेँ ही काम करते हैँ| तो जो संख्या सबसे व्यापक रूप से निर्धारित स्टैटिन से इलाज के लिए चाहिये, आप को क्या लगता हैँ वह क्या होगा? कितने लोगोँ को उसे लेना होगा इससे पहले कि एक व्यक्ति को मदद मिले? ३००| यह शोध के अनुसार है अनुसंधान चिकित्सकों जेरोम ग्रूपमान और पामेला हार्ट्ज़बांड से, स्वतंत्र रूप से ब्लूमबर्ग.कम से पुष्टि की गयी । उन संख्याओँ को शुरू से अंत तक मैँ ने स्वयँ देखा| ३०० लोग एक साल के लिये दवाई को लेना पडेगा इससे पहले कि एक दिल का दौरा,स्ट्रोक या अन्य प्रतिकूल घटना को रोका जाता है| अब आप शायद ये सोच रहे हैँ, "ठीक है,मेरी खोलेस्टराल कम करने का ३०० मेँ एक का मौका, क्योँ नही, डाक? मुझे वैसे भी पर्चे दीजिये|" लेकिन आप को इस पाइंट पर और एक आकंडा के बारे मेँ पूछना चाहिये, और वो है, "आप मुझे दुष्प्रभाव के बारे मेँ बताइये"है ना? तो इस विशेष दवा के लिये, ५ प्रतिशत रोगियोँ मेँ दुष्प्रभाव होते हैँ | और उनमेँ भयानक बातेँ शामिल हैँ-- दुर्बल स्नायु और जोडोँ का दर्द , जठरांत्र संकट्-- लेकिन अब आप सोच रहे हैँ, "५ प्रतिशत, ये मेरे साथ होने की सँभावना नही है, मैँ फिर भी दवाई लूंगा|" पर आप एक मिनट रुकिये| याद रखे तनाव मेँ आप स्पष्ट रूप से नही सोच रहे हैँ| इसलिये वक्त से पहले आप इसके जरिये कैसे गुजरेंगे सोच लीजिए, ताकि आपको तर्क की श्रुंखला उसी जगह पर तैयार करने की जरूरत नही पडे| ३०० लोग दवाई लिया,है ना? एक व्यक्ति को मदद मिली, उन ३०० मेँ से ५ प्रतिशत को दुष्प्रभाव हैँ, यानि १५ लोग हैँ | आपको दवा द्वारा मदद मिलने की तुलना मेँ आपको दवा द्वारा नुकसान पहुंचाया जाने के लिए १५ गुना अधिक संभावना है| अब, मैँ ये नही कह रहा हूँ आप स्टॅटिन लेना है कि नहीँ| मैँ सिर्फ ये कह रहा हूँ आप ये बातचीत अपने वैद्य से कीजिये| वैद्य नीति को इसकी जरूरत है, यह सूचित सहमति के सिद्धांत का हिस्सा है। आपको इस तरह की जानकारी पाने का, अगर आप रिस्क्स लेना चाहते हैँ या नही इसके बारे मेँ बात शुरू करने के लिये अधिकार है| अब आप सोच रहे होंगे मैँने ये सब नम्बर हवा से निकाला आपको झटका देने के लिये, पर वास्तव मेँ ये जो नंबर जिनको इलाज करना है ये ठीठ है| ५० साल के ऊपर पुरुष के ऊपर जो विस्त्रुत रूप से शस्त्र चिकित्सा किया जाता है, कैंसर के कारण प्रोस्टेट को निकालना, इलाज के लिए आवश्यक संख्या ४९ है| ये सच है, प्रति एक व्यक्ति जिसको मदद मिली ४९ शस्त्र चिकित्सा हो चुकी हैँ| और उस मामले मेँ ५० प्रतिशत रोगियोँ मेँ दुष्प्रभाव होते हैँ| वे, नपुंसकता, स्तंभन दोष मूत्र असंयम, मलाशय फाड़, मल असंयम को शामिल करते हैँ। और अगर आप भाग्यशाली हैं, और आप ५० प्रतिशत जिन के पास ये हैँ मेँ से एक हैं, वे सिर्फ एक या दो साल टिकेंगे| तो प्री-मोर्टम का विचार वक्त से आगे सोचने के लिये है जो सवाल तुम पूछ सकते हो जो बातचीत को आगे बढायेँ| आप उस जगह पर ये सब तैयार करना नही चाहेंगे| और आप जीवन की गुणवत्ता जैसे चीजोँ के बारे मेँ सोचना चाहेंगे| क्योँ कि आपको बार बार विकल्प मिलती है, आपको छोटे जीवन जो दर्द से मुक्त है, या एक लँबाजीवन जिसके पास अंत मेँ बहुत सारा दर्द हो चाहिये? ये बातेँ अब तुम्हारे परिवार और तुम्हारे प्रियजन के साथ बातेँ करने और सोचने के लिये हैँ| होसकता है आप उस पल की गर्मी मेँ अपना मन बदलेँ, लेकिन कम से कम आप इस तरह की सोच की अभ्यास तो कर चुके है| याद रखिये हमारा दिमाग तनाव मेँ कॉर्टिसोल जारी करता है, और जो उस पल मेँ होता है उन मेँ से एक बात सिस्टम्स के बंद पर एक पूरी गुच्छा है| इसके लिये एक विकासवादी कारण है| शिकारी के साथ फेस-टु-फेस हो, आपको आपके पाचन तंत्र, या अपनी कामेच्छा, या अपने प्रतिरक्षा प्रणाली, के जरूरत नही, क्योँ कि आपके शरीर अगर उपापचय उन चीजोँ पर खर्च करता है और अगर आप जल्दी से प्रतिक्रिया नही दिखाया, आप शायद शेर का दोपहर का भोजन बनेंगे, और फिर उन बातोँ से कोई फर्क नही पडता| बदकिस्मती से, तनाव के उन पल पर खिडकी से भागने वाले चीजोँ मेँ एक है कि तर्कसंगत, तार्किक सोच, जैसे डॅनी काह्नेमन और उनके सहयोगियोँ ने दिखाया| इसलिये हम लोगोँ को आगे जाके इन प्रकार की स्थितियोँ के लिये सोचने की खुद को प्रशिक्षित करना चाहिये| मुझे लगता है महत्वपूर्ण बात यहाँ ये पहचानना है कि हम सभी भी दोषपूर्ण है| हम सभी कभी न कभी असफल होने वाले हैँ| योजना है आगे जाके सोचना कि उन असफलताओँ क्या हो सकते हैँ, सिस्टम को जगह पर डालना नुकसान को कम करने मेँ मदद करेगा, या पहली जगह मेँ बुरे बातेँ होने से रोक लेगा| मांट्रियल मेँ वापस उस बर्फ की रात पर, जब मैँ मेरी यात्रा से वापस आया, मैँ अपने ठेकेदार से दरवाजे के बगल में एक संयोजन ताला उस मेँ एक आगे की दर्वाजा के चाबी के साथ, स्थापित करवाया, याद रखने के लिये एक आसान जोड| और मुझे स्वीकार करना है, मेरे पास अभी भी मेल के ढेर जो सुलझाया नही गया, और ईमैल्स के ढेर जिन को मैँ ने नही देखा हैँ| मैँ पूरी तरह से संगठित नही हूँ, पर मैँ संगठन को एक क्रमिक प्रक्रिया के रूप मेँ देख रहा हूँ, और मैँ वहाँ पहुंच रहा हूँ| बहुत बहुत धन्यवाद| (तालियाँ) मैं मिस्र से आयी हूँ, जिसे जाना जाता है उम अल दुनिया यह एक समृद्ध देश है विद्रोह की कहानियों से भरा, सभ्यता की कहानियां और अमीर, धार्मिक, जातीय, सांस्कृतिक और भाषाई विविधता। ऐसे माहौल में बड़ी हुई , मैं कथाकथन के प्रभाव में गहरा विश्वास रखने लगा. जैसा कि मैंने मेरी कथा बताने माध्यम की खोज की थी मैं ग्राफिक डिजाइन में गलतिया की। मैं आपके साथ एक प्रकल्प साझा करना चाहूंगी कैसे ग्राफिक डिजाइन अरबी भाषा को जीवन में ला सकता है। लेकिन सबसे पहले, मैं आपको बताती हूं, मुझे विश्वास है कि ग्राफिक डिजाइन दुनिया बदल सकते हैं। कम से कम मेरे अपने शहर काहिरा में, इसने दो बड़े तानाशाहों शो को उखाड़ फेंकने में मदद की. जैसा कि आप उन तस्वीरों से देख सकते हैं, ग्राफिक डिज़ाइन की अहमियत .शक्ति सकारात्मक है निर्विवाद रूप से मजबूत है। मिस्र की 2011 ग्राफिक क्रांति इसका मूर्तिमंत उदाहरन है . हर कोई एक उसका निर्माता बन गया। लोग असली डिजाइनर थे और, बस रात भर, काहिरा पोस्टर के साथ बाढ़ आ गई थी, संकेत, भित्तिचित्र। दृश्य संपर्क उह ऐसा माध्यम था जो की शब्दोसे भी ज्यादा असरदार रहा. लगभग 30 वर्षों के लिए। यह वास्तव में यह राजनीतिक था और सामाजिक दमन, उपनिवेशवाद के दशकों के साथ मिलकर और शिक्षा जो धीरे-धीरे महत्व को खराब कर देता है क्षेत्र में अरबी लिपि का। इन सभी देशों ने एक बार अरबी का इस्तेमाल किया था। अब यह सिर्फ हरा और नीला है। आसान शब्दोमे कहती हु , अरबी लिपि मर रही है। औपनिवेशिक अरब देशों में काम कर रहे हैं एक तेजी से भूमंडलीकृत दुनिया में, यह एक बढ़ती चेतावनी है कम से कम लोग अरब लिपि का उपयोग कर रहे हैं मैं इटली में मास्टर डिग्री रही थी मैंने खुद को अरबी याद किया। मैं पत्रों को देखकर चूक गयी , उनके अर्थ को समजना दुष्कर था. तो एक दिन, मैं इटली में सबसे बड़ी पुस्तकालयों में गयी एक अरबी किताब की तलाश में। मैं आश्चर्यचकित हुई यही वह था जो उनके पास था जिसका वर्ण किया था अरेबिक मध्यपूर्व किताबे (हसी ) भय, आतंकवाद और विनाश। एक शब्द: आईएसआईएस। मेरा दिल दर्द से कहरने लगा. इसलिए कि हमने कैसे उसे दुनिया को अवगत किया एक साहित्यिक परिप्रेक्ष्य से भी। मैंने खुद से पूछा: जो भी हुआ नागुब महफौज, खलील गिब्रान की तरह, मुतान्बी जैसे प्रतिष्ठित कवियों, निसार कबाबानी? जरा सोचे जो विश्व का साकृतिक निर्माता रहा अमीर के रूप में, विविध के रूप में, अनावश्यक समझा गया है, इसे अगर नजरअंदाज किया गया। जो की विश्व का बड़ा सांस्कृतिक केंद्र रहा उसे रोक दिया गया है किसी भी प्रकार का वास्तविक प्रभाव होनेसे वैश्विक मीडिया प्रस्तुतियों पर और समकालीन सामाजिक प्रवचन। फिर मैंने खुद को याद दिलाया मेरे नंबर एक विश्वास का: डिजाइन दुनिया को बदल सकता है। आपको बस किसी के लिए चाहिए महसूस करो, संपर्क करें। और इसलिए मैंने शुरू किया। मैंने सोचा कि मैं दुनिया को कैसे रोक सकती हूं हमें बुराई के रूप दिखानेसे , इस ग्रह के आतंकवादियों के रूप में, और हमें बराबर के रूप में समझना शुरू करें, साथी इंसान? मैं अरबी लिपिको बचाकर कैसे सम्मान दे सकती हु और इसे साझा करके अन्य लोग, अन्य संस्कृतियां को उसके बाद उसने मुझे प्रेरित किया : मैंने दो महत्वके चिन्ह जोड़े निर्दोषता और अरब पहचान की? शायद तब लोग गूंज सकते थे। LEGO जसी निष्पाप शुद्ध की हो सकती है यह एक सार्वजनिक बच्चा खिलौना है। जिसे आप खेले बनाये और उनके साथ, आप कल्पना करते हैं अंतहीन संभावनाए। मै हरपल ढूंढती थी अरबी शिक्षा के लिए एक द्विभाषी समाधान, जो की प्रभावी होगा संचार और शिक्षा के लिए अधिक सहिष्णु समुदायों के लिए सड़क है। हालांकि, अरबी और लैटिन स्क्रिप्ट्स न केवल विभिन्न दुनिया का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन तकनीकी कठिनाइयों को भी बनाते हैं पूर्वी और पश्चिमी दोनों समुदायों के लिए दैनिक आधार पर। अरब व् लैटिन भिन्न होने के कई कारण है . लेकिन यहां कुछ मुख्य हैं। दोनों में उर्धगामी अधोगामी स्ट्रोक होते है लेकिन पूरी तरह से बेसलाइन हैं। अरबी अधिक सुलेखन हो जाता है. और कनेक्टिविटी महत्वपूर्ण है अरबी भाषा के लिए जिसके अक्षर जोडकर शब्द बनता है यह एक पूरी तरह से अलग का उपयोग करता है विराम चिह्न और diacritics की प्रणाली। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण, अरबी में कोई पूंजी पत्र नहीं है। इसके बजाय चार है विभिन्न पत्र रूपों: प्रारंभिक, औसत, पृथक और अंतिम। मैं अरबी भाषा शुरू करना चाहती हूं महत्वपूर्ण रूप से शरणार्थियों की मदद करने अपने मेजबान समाजों को एकीकृत करें यह किया जायेगा द्विभाषा अध्ययन प्रक्रिया से संचार के दो तरफा प्रवाह। और मैंने इसे "चलो प्ले" कहा। खेल का आनद देने वाली शिक्षा से आसानीसे इस कल्पना को अंजाम दिया जायेगा लेगो के माध्यम से आधुनिक मानक अरबी। यह है दो शब्द "Let's Play." प्रत्येक रंगीन बार अरबी अक्षर को चिह्नित करता है। जैसा कि आप देख सकते हैं, पत्र रूप, ध्वनि में समझाया गया है और समारोह में शब्दों के उदाहरण, लैटिन में बराबर के अलावा। जिससे बनजाता है एक मनोरंजक पॉकेट किताब २९ अरबी अक्षरे जो चार किस्म के है प्लस एक 400 शब्दकोष शब्दकोश। तो इस तरह पेज दिखता है। आप देख रहे है अक्षर जो लैटिन में रूपांतरित हुए है और नीचे विवरण। मैं आपको प्रक्रिया के माध्यम से ले जाऊंगा। तो फ्लोरेंस में मेरे छोटे स्टूडियो में पहले, मैंने पत्र बनाए मैंने प्रत्येक पत्र को अलग से फोटोग्राफ किया, और फिर मैंने हर पत्र को फिर से देखा और सही रंग पृष्ठभूमि चुना और टाइपफेस का उपयोग करने के लिए। अंततः मैंने अक्षरों का समूह निर्माण किया. जिसमे २९ अक्षरे है चार स्वरुप में . यह 116 पत्र सिर्फ एक सप्ताह में बना है। मुझे विश्वास है कि जानकारी मजेदार, पोर्टेबल होना चाहिए और हो सकता है। उह आखरी किताब है . जो की जल्द ही सार्वजनिक होगी. और अनुवाद करें दुनिया में कई भाषाओं के रूप में, ताकि अरबी शिक्षण और सीखना वैश्विक स्तर पर मजेदार, आसान और सुलभ हो जाता है। इस किताब से मै मेरे देश की इस प्राचीन लिपि को जीवन दान दे सकू . (Applause) धन्यवाद। यह एक दृश्य द्वारा बनया प्रकल्प है एक सूफी नृत्य की तरह, एक बेहतर ग्रह के लिए एक प्रार्थना। बिल्डिंग ब्लॉक का एक सेट दो भाषाओं को बनाया लेगो सिर्फ एक रूपक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम सभी बनाये गये हैं एक ही इमारत इकाई के, क्या मैं भविष्य देख सकती हूं लोगो के बिच की खाई दूर हो सब नीचे लुढककर आते हैं। तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि कैसे बदसूरत होता है हमारा माहोल या किताबें कितनी निराशाजनक हैं आईएसआईएस, आतंकवादी समूह पर, और प्राचीन, Isis नहीं है मिस्र की देवी, प्रकाशित होना जारी है, मैं एक रंगीन दुनिया का निर्माण जारी रखूंगा। शुक्रन, जिसका अर्थ है "धन्यवाद।" (तालियाँ) धन्यवाद। बहुत बहुत धन्यवाद। धन्यवाद। (गिटार का संगीत) (संगीत समाप्त) (तालीया ) (विरूपित गिटार का संगीत) (संगीत समाप्त) (टाळ्या) (गिटार संगीत शुरू) (संगीत समाप्त) (टाळ्या) पहली बार मैं आपको सार्वजनिक तौर यह प्रयोग दिखा रहा हू | आप वीडियो भेज सकते हैI घर के एल इ डी (LED) लैम्प सेI एक सोलरसेल तक जो एक लैपटॉप से जुडा और ग्राहक का काम करता है| इसमे वाई-फाई (wi-fi) का इस्तेमाल नही है| सिर्फ प्रकाश का आपको अचरज होगा मै क्या कहने जा रहा हू | मैं बताता हू आपको : भविष्य मे इंटरनेट बहुत बडे पैमाने पर अपने पैर फैलायेगा | डीजिटल विषमता दूर करने . और इंटरनेट के जो साधन है उसे जुडने जिनकी संख्या करोडो में है | मेरा मानना है, इसका विस्तार अच्छे से तभी हो सकता है| जब यह लगाई जाने वाली उर्जा से मुक्त होI इसका अर्थ है कि आज जो व्यवस्था है उसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो I यहां आपको सहाय्य होता है सोलरसेल तथा LED याने लाईट एमिटीन्ग डायोड का| इसका प्रयोग मैने दिखाया है पहली बार | टेड (TED) २०११ मे I जिसे जाना जाता है LI -FI लाय फाय याने लाईट फायडेलिटी. एक विशिष्ट मानक के LED द्वारा डाटा शीघ्र पारेषित होता है I और वो भी सुरक्षित I डाटा का पारेषण होता है I प्रकाश की धवलता मे तीव्र गति से बदलाव करके I हमे अपने इर्द गिर्द बहुत से LED दिखाई देते है | जो कि एक बहुत प्रभावशाली बुनियादी संरचना है लाय फाय पारेषण के लिये | लेकिन अभी हम photo detector का इस्तेमाल कर रहे है| जो कि ग्रहण करता है सांकेतिक शब्दो मे रूपांतरित डाटा | मेरा इरादा है कि मैं आज की संरचना इस्तेमाल करू | डाटा ग्रहण करने लाय फाय लाईट से यही कारण है मैं सौरसेल तथा सोलर पैनल का इस्तेमाल करता हू| सौर सेल प्रकाश अवशोषित करके उसे विद्युत उर्जा में बदल देता है | यही कारण है हम अपने मोबाईल रिचार्ज करने हेतू सौर सेल प्रयोग में लाते है | यहा एक बात का ध्यान रखे इसमे डाटा सांकेतिक रुप से बदला जाता है प्रकाश की कम ज्यादा धवलता के रूप मे| जैसे आपाती प्रकाश की धवलता कम ज्यादा होगीI उसी तरह सौरसेल कम ज्यादा विद्युत उर्जा निर्माण करेगा | इसका मतलब हमारे पास एक यंत्रणा है | जो डाटा ग्रहण करती है प्रकाश तथा सौर सेल द्वारा प्राप्त . रोशनी की धवलता में होने वाला बदलाव डाटा से जुडा होता है| यहा एक सवाल है | क्या हम कई गुना जल्द रोशनी के बदलाव को ग्रहण कर सकते है | जैसे की कोई LED पारेषित करता है I इस सवाल का जवाब है हा कर सकते हैI इसकी पुष्टी प्रयोगशाला मे हुई है I हम 50 मेगाबाईट प्रति सेंकड ग्रहण कर सकते है I एक विशिष्ट मानक के सौरसेल से ये इतना तेज होगा कि वर्तमान के सभी ब्राडबांड को पिछाड देगा I इसका प्रात्यक्षिक दिखाता हूI इस बक्से मे एक LED LAMP है I यह है एक सौर सेलI जोकि जुडा है इस लैपटॉप से हमारे पास यह दुसरा एक उपकरण है I जो दिखायेगा सौरसेल से मिलने वाली उर्जा I यह उपकरण अब ही कुछ दर्शाता हैI इसका कारण है इस पर रोशनी पड रही है | अभी प्रकाश का स्त्रोत बंद करता हू i इसलिए मैं लाईट का बटन बंद करता हू | एक क्षण लिये | देखो यह उपकरण दाहीने उछला| इस समय सौरसेल उर्जा पैदा कर रहा है कृत्रिम प्रकाश से मैं अगर इसे बंद कर दूं यह कार्य करना बंद कर देगाI मैं अभी चालू करता हू I हम सौर सेल से उर्जा का निर्माण कर सकते है| मुझे अभी दिखाना है संप्रेषित वीडियो का पारेषण . जोकि मैं इस बटन दबाने से करता हू i देखो यह LED संप्रेषित वीडियो का पारेषण करता है| रोशनी की धवलता सूक्ष्म तरीके से बदल कर यह पारेषण हो रहा है | आपकी आखे इसे नही पहचान पाती | इसलिये कि यह तेज है लेकिन इसे सिद्ध करने के लिये, मैं सौरसेल का प्रकाश अवरुद्ध करता हू | आप देख रहे है उर्जा निर्माण बंद ही हो गया और वीडियो भी बंद हुआ | जैसे ही मैं अवरोध दूर करू वीडियो चलने लगेगा | (तालियाँ ) मैं फिर इसे दोह्रराता हू | जैसे हम वीडियो का पारेषण बंद करते है वैसे ही उर्जा का निर्माण बंद होता है | यहां सौरसेल एक ग्राहक याने रिसिव्हर की तरह काम करता है | कल्पना करो यह LED एक स्ट्रीट लाईट का है और कोहरा है I मैं कृत्रिम कोहरा बनाता हू I इसके लिये मैं रुमाल का इस्तेमाल करुंगा (हास्य ) मैं यह रुमाल सौर सेल पर रखता हू आपने देखा उर्जा निर्मिती का मान घटा I लेकीन वीडियो चालू है I इसका मतलब है कि कोहरा होते भी रुमाल का अवरोध होते भी पर्याप्त रोशनी सौर सेल ग्रहण कर रहा है I सौरसेल कम रोशनी मे भी वीडियो पारेषित करता है उसे डीकोड करके I यह पारेषण हाय डेफिनेशन वीडियो का किया है इसका महत्व यह है कि एक सौर सेल रिसिव्हर बनाया जा सकता है I अति तीव्र वायरलेस सिग्नल जोकि इंनकोडेड है I यह करता है अपना मुल कार्य उर्जा निर्मिती का बिना बदले . इसलिये यह हो सकता है I किसी भी झोपडी के छत का LED लैम्प इस्तेमाल करके हा उसे broadband receiver बना सकते है हम इस्तेमाल कर सकते है पर्वत के ऊँचे स्थित लैम्प, अथवा लैम्प पोस्ट यह मायने नही रखता प्रकाश कहा से मिलता है यह भी काम करेगा यदि आप खिडकी पर लगे सौरसेल इस्तेमाल करे I रास्ते पर लगे सौर सेल भी प्रयोग में लाये जा सकते हैI करोडो साधनो मे सौरसेल होते है उन्हे भी हम प्रयोग में ला सकते है I ज्योकी एक विशाल नेटवर्क बन सकता है कारण है हमे इनको बारबार प्रभारित करना पसंद नही आता I कुछ दिन बाद बैटरी (BATTERY) बदलना भी नही भाता I जैसे मैं ने आपको बताया प्रारंभ मे प्रात्यक्षिक पहली बार सार्वजनिक कर रहा हू I यह प्रयोगशाला में हो रहा है I यह प्राथमिक स्तिथि मे है मैं और मेरे टीम को विश्वास है हम इसे बाजार में जल्दी ले आयेंगे I यह दो या तीन साल मे हम हासील करेंगे I जिससे हम गरीब अमीर के बीच के तंत्रज्ञान की खाई कम करने हमारा योगदान देंगेI हमारा योगदान रहेगा करोडो इंटरनेट साधनो को जुडने वास्ते यह साध्य होता है बिना उर्जा खपत का महा विस्फोट किये -- सौर सेल के कारण बिलकुल विपरीत शुक्रियाI (तालीया ) जब मैंने अपने माता पिता को बताया कि मैं समलैंगिक हूँ, तो जो पहली बात उन्होंने मुझसे कही,वह थी, "हम तुम्हें वापस ताइवान ला रहे हैं।" (खिलखिलाहट) उनके हिसाब से मेरी यौन प्रवृत्ति अमेरिका की गलती थी। पश्चिम ने मुझे भटके हुए विचारों से भ्रष्ट कर दिया था, और अगर मेरे माता पिता ने ताइवान छोड़ा ही ना होता, तो उनकी इकलोती बेटी बेटी के साथ यह कभी हुआ ही नहीं होता। सच कहूँ तो, आया तो मेरे दिमाग में भी था, कि कहीं वह सही तो नहीं कह रहे थे। बेशक, एशिया में भी समलैंगिक लोग हैं, बिलकुल वैसे ही जैसे विश्व के हर हिस्से में समलैंगिक लोग होते हैं। परन्तु एक "खुला" जीवन जीने का विचार, "मैं समलैंगिक हूँ, यह मेरी विवाहिता है, और हमें अपने जीवन पर गर्व है" इस विचार वाले तरीके में, क्या केवल एक पश्चिमी विचार था? अगर मैं ताइवान में पली-बड़ी होती, या पश्चिम के सिवा किसी भी दूसरी जगह में, तो क्या मुझे खुश और सम्पन्न समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक लोगों के आदर्श मिलते? लीज़ा डैज़ल्स: मेरी धारणा भी समान थी। सैन फ्रैंसिस्को में एक एचआईवी सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में मैं कई समलैंगिक आप्रवासियों से मिली। उन्होंने मुझे अपने देश में समलैंगिक होने के कारण, खुद पर हुए, अत्याचारों के बारे में बताया। और उन कारणों के बारे में जिनकी वजह से उन्हें भाग कर अमेरिका आना पड़ा। मैंने देखा कि वह कैसे हताश हो चुके थे। 10 वर्षों तक, यह काम करने के बाद मुझे खुद के लिए बेहतर कहानी चाहिए थी। मैं जानती थी कि यह दुनिया उत्तम होने से कोसों दूर है, पर ऐसा तो नहीं हो सकता कि हर समलैंगिक कहानी दुःखद ही हो। जेनी चैंग: तो हमें एक युगल के रूप में, आशा भरी कुछ कहानियाँ ढूँढने की ज़रूरत थी। तो हमने विश्व की यात्रा करने और ऐसे लोगों को ढूँढने का मिशन शुरू किया, जिन्हें हमने आखिर, "सुपरगेज़" (उत्तम समलैंगिक) का नाम दिया। (खिलखिलाहट) यह ऐसे समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक लोग होते जो दुनिया में कुछ असाधारण कर रहे थे। यह लोग साहसिक, लचनशील, और उससे भी ज़्यादा खुद पर गर्व करने वाले होते। यह ऐसे लोग थे जैसा बनने की मैं महत्त्वाकाँक्षा रखती हूँ। हमारा इरादा उनकी कहानियों को फ़िल्म द्वारा दुनिया के साथ बाँटने का था। लीज़ा डैज़ल्स: बस एक परेशानी थी। हमें ना तो रिपोर्ट करने का अनुभव था, और ना ही फिल्म बनाने का। (खिलखिलाहट) हमें तो पता भी नहीं था कि सुपरगेज़ हमें मिलेंगे कहाँ, तो हमें बस यह भरोसा रखना पड़ा कि सब हो जाएगा। तो हमने पाश्चिम से दूर, एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में 15 देश चुने, जो समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक अधिकारों में विभिन्न थे। हमने एक कैमकोर्डर खरीदा, वृत्तचित्र कैसे बनाते हैं, पर एक पुस्तक खरीदी -- (खिलखिलाहट) आज कल आप बहुत कुछ सीख सकते हैं -- और दुनिया की सैर के लिए निकल पड़े। जेनी चैंग: हमारी यात्रा के पहले कुछ देशों में था नेपाल। बड़े पैमाने पर गरीबी, एक दशक लम्बा गृहयुद्ध, और हाल ही में आए एक भयानक भूकम्प के बावजूद भी, नेपाल ने बराबरी की लड़ाई में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं। इस आन्दोलन की एक मुख्य शख्स हैं, भूमिका श्रेष्ठ। भूमिका, एक खूबसूरत और जीवंत नारी हैं, जिन्हें अपनी लिंग अभिव्यक्ति के कारण विद्यालय से निष्कासित और जेल में कैद कर दिया गया। पर 2007 में, भूमिका और नेपाल की एलजीबीटी अधिकार संस्थाने नेपाल के उच्चतम न्यायालय में एलजीबीटी भेदभाव के विरुद्ध रक्षा करने के लिए सफलतापूर्वक याचिका दायर की। यह रहीं भूमिका: मुझे किस बात पर सबसे ज़्यादा गर्व है? मैं एक परलैंगिक व्यक्ति हूँ। मुझे अपने जीवन पर बहुत गर्व है। 21 दिसम्बर 2007 को उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि नेपाल सरकार परलैंगिक पहचान पत्र दे और समलैंगिक विवाह को स्वीकार किया। लीज़ा डैज़ल्स: मैं भूमिका के निरन्तर आत्मविश्वास की सराहना करती हूँ। एक सार्वजनिक शौचालय का प्रयोग करने जैसी सरल बात भी बहुत बड़ी चुनौती बन सकती है जब आप, लोगों की सख्त लिंग अपेक्षाओं से भिन्न हों। पूरे एशिया में यात्रा करते समय सार्वजनिक शौचालयों में महिलाएँ मुझसे घबरा जाती थीं। उन्हें मुझ जैसे लोगों को देखने की आदत नहीं थी। मुझे शान्ति से शौचालय प्रयोग करने के लिए एक रणनीति बनानी पड़ी। (खिलखिलाहट) तो जब भी मैं किसी शौचालय में जाती, तो अपने नारी भागों को दिखाने के लिए छाती फुलाकर जितना हो सके खतरा ना लगने का प्रयास करती थी। अपना हाथ बढ़ाकर, "हेलो", कहती थी, ताकि लोग बस मेरी ज़नाना आवाज़ सुन सकें। यह सब बहुत थका देता है, पर मैं यही हूँ। मैं और कुछ नहीं हो सकती। जेनी चैंग: नेपाल के बाद हम भारत गए। जहाँ एक तरफ भारत एक हिन्दू समाज है, जिसमें समलैंगिकों से भय रखने की प्रथा नहीं है। वहीं दूसरी तरफ, वह एक बहुत ही गहरी पितृसत्तात्मक प्रणाली का समाज भी है, जो ऐसी किसी भी चीज़ को अस्वीकार कर देता है जो स्त्री-पुरुष व्यवस्था के लिए खतरा बन सकती है। जब हमने सक्रियतावादियों से बात की, तो उन्होंने हमें बताया कि सशक्त होने की शुरुआत उचित लैंगिक बराबरी सुनिश्चित करने से होती है, जहाँ समाज में नारियों का पद स्थापित हो। और उस तरीके से, समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक लोगों के पद की भी पुष्टि की जा सकती है। लीज़ा डैज़ल्स: वहाँ हम राजकुमार मानवेन्द्र से मिले। वह दुनिया के पहले खुले तौर पर समलैंगिक राजकुमार हैं। राजकुमार मानवेन्द्र "ओपराह विनफ्री शो" में बहुत ही अन्तर्राष्ट्रीय तरीके से सामने आए थे। उनके माता-पिता ने उन्हें त्याग दिया और शाही परिवार को अत्यधिक शर्मसार करने का आरोप लगाया। हमने राजकुमार मानवेन्द्र के साथ बैठकर बात की कि उन्होंने इतने सार्वजनिक रूप से सामने आने का निश्चय क्यों किया। यह रहे वह: मुझे लगा कि हमारे समाज में यह जो कलंक और भेदभाव मौजूद है इसको ख़त्म करने की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है। और इस बात ने मुझे उकसाया कि मैं सामने आकर खुले रूप से अपने बारे में बात करूँ। चाहे हम समलैंगिक हों, परलैंगिक हों, द्विलैंगिक हों या हम जिस भी लैंगिक अल्प संख्या से हों, हम सब को एक हो कर अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा। समलैंगिक अधिकारों को न्यायालयों में नहीं जीता जा सकता, बल्कि उन्हें लोगों के दिल और दिमाग में जीतना होगा। जेनी चैंग: मेरे बाल काटते हुए, जो महिला बाल काट रही थी उसने मुझसे पुछा, "क्या तुम्हारा पति है?" अब, यह एक ख़ौफ़नाक सवाल था, जो मुझे इस यात्रा पर स्थानीय लोग बहुत पूछते थे। जब मैंने उसको यह समझाया कि मैं एक पुरुष नहीं बल्कि एक स्त्री के साथ हूँ तो वह विशवास ही नहीं कर पाई, और उसने मुझसे बहुत सारे सवाल पूछे, मेरे माता-पिता की प्रतिक्रिया के बारे में, और क्या मैं दुःखी हूँ कि मैं कभी बच्चे पैदा नहीं कर पाऊँगी। मैंने उसको बताया कि मेरे जीवन में कोई हदें नहीं हैं और लीज़ा और मैं एक दिन परिवार बनाने का इरादा रखते हैं। अब यह महिला भी मुझे एक सनकी पश्चिमी व्यक्ति के रूप में खारिज करने के लिए तैयार थी। वह यह कल्पना ही नहीं पा रही थी कि ऐसी विचित्र बात उसके अपने देश में भी हो सकती है। जब तक, मैंने उसे उन सुपरगेज़ के फोटो नहीं दिखाए जिनका साक्षात्कार हमने भारत में किया था। उसने राजकुमार मानवेन्द्र को टेलीविज़न पर देखने के कारण पहचाना और जल्द ही मेरे पास और नाई दर्शक थे जो मुझसे मिलने में रूचि रखते थे। (खिलखिलाहट) और उस साधारण दोपहर में, मुझे एक पूरे ब्यूटी सैलून की पहचान उन सामाजिक बदलावों से कराने का मौका मिला जो उनके अपने ही देश में हो रहे थे। लीज़ा डैज़ल्स: भारत से हम पूर्वी अफ्रीका गए, एक ऐसा क्षेत्र जो समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक लोगों के प्रति असहिष्णुता के लिए जाना जाता है। केन्या में, अपने परिवारों के आगे खुलकर सामने आने वाले 89 प्रतिशत लोगों को त्याग दिया जाता है। समलैंगक कृत्य अपराध हैं जिनसे जेल हो सकती है। केन्या में, हम मृदु भाषी, डेविड कुरिया से मिले। डेविड का गरीबों के लिए काम कर पाने और अपनी सरकार को सुधारने का बड़ा मिशन था। इसलिए उन्होंने चुनाव लड़ने का निश्चय किया। वह केन्या के पहले खुले तौर पर समलैंगिक राजनीतिक उम्मीदवार बने। डेविड अपना अभियान अपनी सच्चाई से मुकरे बिना करना चाहते थे। पर हम उनकी सुरक्षा को लेकर चिन्तित थे क्योंकि उन्हें क़त्ल की धमकियाँ मिलने लगीं थीं। (वीडियो) डेविड कुरिया: उस समय, मैं बहुत डरा हुआ था क्योंकि वह सच में मुझे मार डालने की बातें बोल रहे थे। और, हाँ, कुछ लोग ऐसे हैं जो यह करते हैं और उनको लगता है कि वह कोई धार्मिक दायित्व पूरा कर रहे हैं। जेनी चैंग: डेविड अपने ऊपर शर्मिंदा नहीं थे। जब उन्हें धमकियाँ मिल रहीं थीं तब भी वह अपनी सच्चाई से हिले नहीं। लीज़ा डैज़ल्स: बिलकुल दूसरी तरफ है आर्जेंटीना। आर्जेंटीना एक ऐसा देश है जिसमें 92 प्रतिशत लोग कैथोलिक हैं। इसके बावजूद भी, आर्जेंटीना के समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक कानून अमेरिका से भी ज़्यादा प्रगतिशील हैं। 2010 में, आर्जेंटीना, वैवाहिक बराबरी को अपनाने वाला लैटिन अमेरिका में पहला और विश्व में 10वाँ देश बना। वहाँ हम मरीया रशीद से मिले। मरीया उस आन्दोलन को चलाने की प्रेरक शक्ति थीं। मरीया रशीद (स्पॅनिश): मैं हमेशा कहती हूँ, कि वास्तव में, वैवाहिक बराबरी का प्रभाव केवल उन युगलों पर नहीं होता जो विवाह करते हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं, जो शायद कभी विवाह ना करें, पर उनके सहकर्मियों द्वारा उनको अलग निगाह से देखा जाएगा, उनके परिवारों, पड़ोसियों द्वारा, समानता के राष्ट्रीय संदेश के कारण। मुझे आर्जेंटीना पर बहुत गर्व महसूस होता है क्योंकि आज आर्जेंटीना समानता का आदर्श है। और आशा है जल्द ही, पूरी दुनिया में समान अधिकार होंगे। जेनी चैंग: जब हम मेरे पूर्वजों की धरती पर गए, काश मैं अपने माता-पिता को दिखा पाती कि हमने वहाँ क्या देखा। क्योंकि यह हैं वह जिनसे हम वहाँ मिले: (वीडियो) एक, दो, तीन। शंघाई में समलैंगिकों का स्वागत है! (खिलखिलाहट) युवा और ख़ूबसूरत समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक चीनी लोगों का एक पूरा समुदाय। बेशक, उनके भी अपने संघर्ष थे। पर वह उनसे लड़ रहे थे। शंघाई में मुझे एक स्थानीय समलैंगिक समूह से बात करने और अपनी टूटी-फूटी मेंडारि‍न चीनी भाषा में हमारी कहानी सुनाने का मौका मिला। ताइपे में, हम जब कभी मेट्रो में जाते थे, तो हमें एक और समलैंगिक युगल हाथ थामे दीखता था। और हमें पता चला कि एशिया का सबसे बड़ा समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक समारोह मेरे दादा-दादी के घर से कुछ गालियाँ छोड़ कर ही होता है। काश मेरे माता-पिता यह जानते। लीज़ा डैज़ल्स: जब तक हमारी यह थोड़ी-कम-सीधी दुनिया की सैर ख़त्म हुई (खिलखिलाहट) हम 50,000 मील की दूरी तय कर चुके थे और 120 घण्टे की वीडियो बना चुके थे। हमने 15 देशों का सफर किया और 50 सुपरगेज़ का साक्षात्कार किया। पता चला, उनको ढूँढना बिलकुल भी मुश्किल नहीं था। जेनी चैंग: बेशक, बराबरी की ओर जाती इस ऊबड़खाबड़ राह में त्रासदियाँ अब भी होती हैं। और हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 75 देश आज भी समलैंगिकता को अपराध मानते हैं। पर दुनिया के हर कोने में आशा और साहस की कहानियाँ भी हैं। हमारी यात्रा से जो हमने आखिरकार सीखा वह था कि बराबरी एक पश्चिमी आविष्कार नहीं है। लीज़ा डैज़ल्स: बराबरी के आन्दोलन का एक महत्वपूर्ण कारक है चलते रहना, चलते रहना जैसे-जैसे और भी ज़्यादा लोग पूर्ण आत्म को गले लगाएँ और उस हर मौके का प्रयोग करें जो उनके पास अपने हिस्से की दुनिया बदलने के लिए हो, और चलते रहना जैसे-जैसे और भी ज़्यादा देश एक दूसरे में बराबरी के आदर्श ढूँढ पाएँ। जब नेपाल ने समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक भेदभाव के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करी तो भारत भी आगे बढ़ा। जब आर्जेंटीना ने वैवाहिक बराबरी को गले लगाया तो उरुग्वे और ब्राज़िल ने भी अनुगमन किया। जब आयरलैंड ने बराबरी के लिए हाँ कहा, (वाहवाही) तो दुनिया ने रुक कर ध्यान दिया। जब अमेरिका का उच्चतम न्यायलय पूरे विश्व को एक ऐसा कथन कहता है जिस पर हम सब गर्व कर सकें। (वाहवाही) जेनी चैंग: जब हमने अपनी बनाई वीडियो का पुनर्विलोकन किया, तो हमें एहसास हुआ कि हम एक प्रेम कहानी देख रहे थे। यह ऐसी प्रेम कहानी नहीं थी जिसकी आशा मुझसे की जाती है, बल्कि ऐसी जो इतनी स्वतन्त्रता, जोखिम और प्रेम से भरी थी जितनी की मैं कभी सम्भवतः कल्पना भी नहीं कर सकती थी। अपनी यात्रा से वापस घर आने के एक वर्ष बाद वैवाहिक बराबरी कलिफोर्निया में आई। और अन्त में, हमें विश्वास है, कि प्यार की जीत होगी। (वीडियो) कैलिफोर्निया के राज्य, और सर्वशक्तिमान ईश्वर द्वारा, मुझमें निहित अधिकार से, मैं आपको जीवन भर के लिए विवाहित करार देती हूँ। आप एक दूसरे को चूम सकते हैं। (वाहवाही) (संगीत) जब कभी मैं लम्बी हवाई यात्रा पर होता हूँ, तब बाहर पहाड़ों और रेगिस्तान को देखकर यह सोचने लगता हूँ कि हमारी पृथ्वी कितनी विशाल है | फिर मुझे ख्याल आया कि, एक चीज़ ऐसी भी है जिसे हम प्रतिदिन देखते हैं जो कि अपने भीतर दस लाख पृथ्वियों को समाहित कर सकती है | सूर्य बहुत ही वृहत लगता है परन्तु, विशाल संरचनाओं के समक्ष, वह एक सुई की नोक के समान है, जैसे कि आकाशगंगा तारासमूह में ४०० अरब तारों का समूह जिसे हम रात्रि में स्वच्छ आकाश में धुंधले, सफ़ेद कोहरे के रूप में फैले हुए देख सकते हैं | और ये और घना होता जाता है | अभी तक दूरदर्शी से लगभग १०० अरब तारासमूह का पता लगाया जा सका है, तो अगर प्रत्येक तारे का आकार रेत के एक कण के बराबर माने, तो एक आकाशगंगा में इतने तारे होंगे जो कि एक ३० X ३० फुट एवं ३० फुट गहरे समुद्रतट को रेत से भर देंगे | एवं समस्त पृथ्वी पर इतने समुद्रतट ही नहीं हैं जो पुरे ब्रम्हांड के तारासमूह को प्रदर्शित कर सकें | ऐसे समुद्रतट का विस्तार वास्तव में सैकडों लाखों मीलों तक होगा | ये तो बहुत सारे तारे हो जायेंगे | किन्तु स्टेफ़न हव्किन्स एवं अन्य भौतिक शास्त्रियों का मानना है कि सत्य इससे भी ज्यादा विस्तृत अकल्पनीय होगा | मतलब ये है कि, पहले तो,हमारे दूरदर्शियों की सीमा में १०० खरब तारासमूह संपूर्ण का बहुत सूक्ष्म खंड है | अन्तरिक्ष स्वयं में त्वरण शील गति से विस्तार् शील है | अधिकांश तारासमूह हमसे इतनो तेज़ी से पृथक हो रही है कि उनकी रौशनी हम तक शायद कभी न पहुँचे | फिर भी यहाँ पृथ्वी पर हमारा भौतिक सत्य उन दूरस्थ, अदृश्य तारासमूहों से गहराई से जुड़ा हुआ है | इन्हें हम अपने ब्रह्माण्ड का हिस्सा भी मान सकते हैं | ये सभी मिलकर एक विशाल भवन बनाते हैं, उन्हीं भौतिक नियमों का पालन करते हुए एवं उसी तरह के परमाणुओं, इलेक्ट्रान, प्रोटोन, क्वार्, न्यूट्रान से जिनसे हम और आप बने हैं | हाँलाकि,भौतिकशास्त्र की हाल ही के सिद्धांतों जिनमे से एक स्ट्रिंग सिद्धांत है, के अनुसार अनगिनत और भी ब्रह्माण्ड हो सकते हैं, भिन्न - भिन्न कणों से निर्मित, भिन्न प्रकृति के साथ, भिन्न नियमों का पालन करने वाले | इन में से अधिकांश ब्रह्माण्ड शायद कभी भी जीवन की उत्पत्ति में सहायक न हो एवं द्रुतगति से एक नैनो सेकेंड में अस्तित्व में आये और जाएँ, तब भी, संयुक्त रूप से ये मिलकर समस्त ब्रह्मांडों का एक वृहत विविध ब्रह्माण्ड बनाते हैं जो की ११ विस्तार वाली, हमारी कल्पना से परे अचंभित करने वाली आकृति बनाते हैं | और स्ट्रिंग सिद्धांत के अग्रणी प्रारूप के अनुसार एक विविध ब्रह्माण्ड १० से ५०० ब्रह्मांडों से मिलकर बना हो सकता है | यानि कि १ और उसके आगे ५०० शून्य, एक इसी वृहत संख्या कि अगर हमारे सुस्पष्ट ब्रह्माण्ड के प्रत्येक परमाणु का स्वयं का ब्रह्माण्ड हो और उन सभी ब्रह्मांडो के सभी परमाणुओं का अपना ब्रह्माण्ड हो, और इसे अगर हम और दो बार दोहरायें, तभी भी हमें संपूर्ण नन्हा सा खंड प्राप्त होगा --- जैसे कि एक करोड़ खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब वां हिस्सा | किन्तु यह संख्या भी बहुत सूक्ष्म है अनंत की तुलना में | कुछ भौतिक शास्त्रियों के अनुसार स्पेस टाइम सातत्य वास्तव में अनंत है एवं इसमें अनंत संख्या में तथा कथित विभिन्न गुणों वाले खंड ब्रह्माण्ड निहित हैं | आपका मस्तिष्क कैसा कार्य कर रहा है ? परन्तु प्रमात्रा सिद्धांत एक और सुझाव देता है | मतलब यह कि, सभी आशंकाओं के बाद भी यह सिद्धांत सत्य सिद्ध हुआ है किन्तु व्याख्या करना उलझाने वाला है| और कुछ भौतिक शास्त्री मानते है कि आप इसे तभी सुलझा सकते हैं जब यह कल्पना की जाये कि भारी मात्रा में समान्तर ब्रह्माण्ड प्रतिपल पैदा होते हैं, एवं इनमे से कई ब्रह्माण्ड वास्तव में वैसे ही होंगे जैसे कि हमारी दुनिया है और उनमे हमारे ही जैसे कई हैं | ऐसे ही किसी ब्रह्माण्ड में, हम उपाधि के साथ स्नातक होंगे एवं अपने स्वपन पुरुष या स्वप्न सुंदरी के साथ विवाह करेंगे | दूसरें में, इतना कुछ नहीं | अभी भी कुछ भौतिक शास्त्री हैं जो इसे बेकार कहेंगे | कितने ब्रह्माण्ड हैं इसका एक मात्र सार्थक उत्तर है, मात्र एक ब्रह्माण्ड | और कुछ दार्शनिक एवं रहस्यवादी ये तर्क दे सकते हैं कि हमारा स्वयं का ब्रह्माण्ड एक मरीचिका है | तो, जैसा कि आप देख सकते हैं, अभी तक इस प्रश्न पर कोई सम्मति नहीं बनी है, थोड़ी सी भी नहीं | हमें यही ज्ञात है कि, इसका उत्तर शून्य और अनंत के मध्य कहीं है | खैर, मेरे ख्याल से हमे एक और चीज़ ज्ञात है : यह एक बहुत अच्छा समय है भौतिकी पढ़ने का | हम शायद सबसे बड़े परिप्रेक्ष्य परिवर्तन का अनुभव करेंगे जैसा शायद ही मानव जाति ने देखा हो | कितनी बार हम एक कागज़ के टुकड़े को मोड़ सकते है? मान लीजिये की एक कागज़ है जो बहुत पतला होता है जिसमे बाइबिल छपा है असल में वो सिल्क के टुकड़े जैसा लगेगा इसे योग्य करने के लिए मान लीजिये की आपके पास एक कागज़ है जो सेंटीमीटर का हजारवा भाग है. जो होता है दस के पॉवर में माइनस तीन सेंटीमीटर. बराबर ०.००१ सेंटीमीटर अब मान लीजिये की एक बड़ा कागज़ है. जैसे की अखबार का उसे आधा मोड़ने से शुरुआत करे कितनी बार आप उसे मोड़ सकते है? एक सवाल आप उसे जितना चाहे उतनी बार मोड़े मान लीजिये ३० बार उसकी मोटाई कितनी होगी? आगे बढ़ने से पहले आप सचमे इसका जवाब सोचे अब एक बार कागज़ मोड़ने से उसकी मोटाई एक सेंटीमीटर के दो हजारवे हिस्से जितनी हुई वापस एक बार मोड़े. अब एक सेंटीमीटर के चार हजारवे हिस्से जितनी हो गयी. हर एक बार मोड़ने से मोटाई दो गुनी हो जाती है. और हम मोड़ते ही जाये बार बार, तो हमारे पास ये होगा १० बार मोड़ने के बाद. दस के पॉवर में दो. मतलब आप दो को ही दस बार गुणा करे. तो होता है १.०२४ सेंटीमीटर. जो एक सेंटीमीटर से थोडा ही ज्यादा है. मान लीजिये की हम मोड़ते ही रहे कागज़ को. फिर क्या होगा? १७ बार मोड़ने पर, मोटाई मिलेगी सत्रह के पॉवर में दो/ जो एक सौ एकतीस सेंटीमीटर है/ या फिर चार फीट से थोडा ज्यादा पचीस बार मोड़ने से मोटाई होगी पचीस के पॉवर में दो जो ३३,५५४ सेंटीमीटर है. ग्यारासो फीट से थोडा ज्यादा या फिर एम्पायर स्टेट बिल्डिंग की उचाई जितना ये कुछ ज्यादा हो गया! कागज़ का एक टुकड़ा जो बहुत पतला होता है. उसे पचीस बार मोड़ने से मोटाई एक मील के क्वार्टर जितनी होगी तो हमने क्या सीखा? इसे कहते है एक्सपोनेंशियल ग्रोथ और अभी देखा की एक कागज़ को मोड़ने से हम बहुत दूर और बहुत तेज़ आगे जा सकते है. वापस आते है, अगर हम कागज़ को पचीस बार मोड़े तो मोटाई एक मील के क्वार्टर जितनी होगी तीस बार, तो मोटाई ६.५ मील होगी. जो हाइट है किसी भी हवैजहाज़ के उड़ने की चालीस बार, मोटाई होगी लगभग ७००० मील, या फिर जीपीएस उपग्रह की हाइट जितनी ४८ बार, और मोटाई होगी एक मीलिओन मील से थोडा ज्यादा अब आप सोचे पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच का अंतर तो वो है २५०,००० मील से थोडा कम, मतलब, बाइबिल के एक कागज़ से शुरुआत करे. और उसे ४५ बार मोड़े तो हम चन्द्रमा तक पहुच सकते है और उसे दो गुना करे तो हम वापस पृथ्वी पर आ सकते है. [संगीत] अभी... चलो समय में पीछें जाते है. १९७४ में. दुनिया में कहीं तोह गॅलरी है, और वहाँ २३ साल की लड़की है, बिच जगह में रुकी हुई| उसके सामने टेबल है. और टेबल पे ७६ चीजें है ख़ुशी के लिए और दर्द के लिए| कुछ चीजे पानी का ग्लास, कोट, जूता, गुलाब| और छुरा, रेजर ब्लेड, हातोडा और एक गोली के साथ पिस्तौल भी है| वहाँ पे सुचनाए है जो बताती है, " मै एक चीज हूँ| आप टेबल पर से सभी चीजे मुझ पर इस्तेमाल कर सकते है| मैं ही इसकी जिम्मेदारी लेती हूँ-- मुझे मारने की भी| और छह घंटे का समय है|" इस कृत्य की शुरुवात आसन थी| लोग मुझे पिने के लिए पानी देते, उन्होंने मुझे गुलाब दिया| लेकिन बाद में जल्द ही, वहाँ एक आदमीने कैची लिई और मेरे कपड़े फाड़े, और बादमें उन्होंने गुलाब के कांटे निकाल के मेरे पेट पे बोएं| किसीने रेजर ब्लेड लेके मेरी गर्दन पे लगाया और खून पिया, और घाव के निशाँ अभीभी है| महिलाएं पुरुषों को बता रही थी क्या कोय जाए| और पुरुषों ने मेरा बलात्कार नहीं किया क्यूँ की साधारण संभावना थी| और यह सभी सार्वजनिक हो रहा था, और वोह उनकी पत्नी के साथ थे| उन्होंने मुझे गोल घुमाया और मुझे टेबल पे रखा, और मेरे पैरों के बिच में छुरा रखा| और किसीने पिस्तौल और गोली लेके मेरे माथे पर रखी| और एक व्यक्ती ने पिस्तौल लियी और झगड़ा चालु किया| और छह घंटे खतम हुए, मैने... लोगों के तरफ चल के जाना चालु किया| मैं पूरी तरह बिखर गई थी| मैं अर्ध नग्न थी, रक्त से भरी हुई और चेहरा आंसू से भरा हुआ था| और सभियों ने पलायन किया, वोह भाग गए| वे मुझे साधारण इन्सान की तरह सम्मुख नहीं हो रहे थे| और बाद में-- यह हुआ की मैं होटल में गई, सुबह के दो बजे थे| और मैंने अपने आपको आयने में देखा, और मेरे कुछ बाल भूरे थे| ठीक है-- कृपया अपने आँख की पट्टी निकाल ले| प्रदर्शन की दुनिया में आप का स्वगर है| पहले यह बताते है की प्रदर्शन क्या होता है| इतने सारे कलाकार, इतने सारे अलग व्याख्या, लेकिन मेरी प्रदर्शन के लिए व्याख्या आसान है| प्रदर्शन बौद्धिक है और शारीरिक बनावट जो कर्ता कुछ विशिष्ट समय में श्रोताओं के सामने करता है और उसके बाद उर्जा आलाप होता है| श्रोता और कर्ता एक साथ एक टुकड़ा करते है| प्रदर्शन और रंगमंच में बहुत अंतर है| रंगमंच पे छुरा, छुरा नहीं होता और खून सिर्फ सौस होता है| प्रदर्शन में खून एक पदार्थ है, और रेजर ब्लेड या छुरा हथियार| वोह सभी वहाँ पर मौजूदा स्थितीपर आधारित है| और आप प्रदर्शन का सराव नहीं कर सकते, क्यूंकि आप इसमें से बहुत से कार्य दोबारा नहीं कर सकते--कभीभी| महत्वपूर्ण क्या है, प्रदर्शन| पता है, सभी मनुष्य हरबार सीधे साधे चीजो से घबराते है| हम पीड़ा और दर्द से घबराते है| हमे मृत्यु से डर है| तोह मैं क्या कर रही हूँ-- मैं इस सभी प्रकार के भय को श्रोताओ के सामने रखती हूँ| मैं आप की उर्जा का इस्तेमाल करती हूँ, और इस उर्जा के साथ मैं अपने शरीर को प्रवृत्त करती हूँ| और उसके बाद मैं डर से मुक्त हो जाती हूँ| और मैं आपका आइना हूँ| अगर मैं ये मेरे साथ कर सकती हूँ तो ये आप आपके साथ भी कर सकते है| बेलग्रेड के बाद, जहाँ मैं पैदा हुई थी, मैं ऍमस्टरडैम गई| और आपको पता है, मैं प्रदर्शन पिछले ४० साल से कर रही हूँ| और यहाँ मैं उले से मिली, और इस आदमी के साथ प्यार हुआ| और हमने १२ साल तक एक साथ प्रदर्शन किया| आप को पता है छुरा और पिस्तौल और एक गोली, मैं प्यार और विश्वास के साथ विनिमय करती हूँ| तो इस प्रकार का कार्य करने के लिए आप को इंसान पे पूरा विश्वास रखना पड़ता है क्यूंकि यह तीर मेरे छाती पर निशाना कर रहा था| तोह दिल की धकधक् बढ़ रही थी यह विश्वास के साथ है, और दुसरे इंसान पर पूरा विश्वास| हमारे १२ साल के रिश्ते में और हमने बहुत सारे विषयो में काम किया, और जैसे की हर रिश्ता ख़त्म होता है, हमारा भी हुआ| हमने कोई फोन नहीं किया जैसे इतर लोग करते है और बोलते है, "यह आगे नहीं बढेगा|" हमने ग्रेट वॉल ऑफ़ चाइना चले अलविदा कहने के लिए| मैंने यलो सी से शुरुवात कियी, और उसने गोबी रेगिस्तान से| हम दोनों तिन महीनो के लिए चले, ढाई हजार किलोमीटर| वो पर्वत था, मुश्किल था| वो चढाव थे, अवशेष थे| आप को पता है, वो १२ चीनी शहरो के बिचसे जाने जैसा था, यह चीन ८७ में खुलने से पहले था| और हम बीच मे मिलने में कामयाब हुए अलविदा कहने के लिए| और उसके बाद हमारे संबंध बंद हो गए| और अब, यह पूरी तरह से बदल चूका है जिस तरह मैं लोगों को देखती हूँ| और उन दिनों एक अच्छा प्रयोग मैंने किया जो की "बाल्कन बरोके" था| और यह बाल्कन जंग के समय की बात है, और मैं कुछ मजबूत बनाना चाहती थी, कुछ करिश्मा जैसा, जो की कोई भी जंग के दौरान लागू हो, कभी भी| क्यूंकि बाल्कन जंग अभी समाप्त हो चुकी है, किन्तु कही न खी जंग चालु है| तोह इधर मैं बड़ी, मृत गाय के हड्डिया धो रही हूँ| आप खून कभी धो नहीं सकते, नाकि जंग की शर्मिंदगी| तोह मैं इसे छह घंटे, छह दिन और हड्डियों से जंग हो रही है| और संभव हुआ-- न सहने वाली बदबू| लेकिन कुछ यांदें रहती है| जिसने मेरी पूरी जिन्दगी बदल दी, मैं वो आप को दिखानी चाहती हूँ और यह प्रदर्शन है जो की मने हाल ही में मोमा में किया यह प्रदर्शन-- जब मैंने क्यूरेटर से पुछा " मैं सिर्फ खुर्सी पे बैठने वाली हूँ, और मेरे सामने एक खाली खुर्सी होगी, और लोगों में से जो चाहे आके कितने भी समय के लिए बैठ सकता है|" क्यूरेटर मुझे बोले, "जानती हो, यह बकवास है, यह न्यू यॉर्क है, यह खुर्सीखाली रहेगी, तुम्हारे सामने बैठने के लिए किसी के पास समय नहीं है| (हंसी) लेकिन मैं आठ महीने बैठी| और हर रोज, आठ घंटा-- म्यूजियम के खोलने के समय-- और १० घंटे शुक्रवार को जब म्यूजियम १० घंटे खुला रहता है और मैं कभी नहीं हिली| औरमैंने टेबल निकल दिया और बैठी रही| और इसने सभी बदल दिया| यह प्रदर्शन, शायद १० या १५ साल पुराना है-- कुछ नहीं हुआ होता| लेकिन लोगों को कुछ और अनुभव चाहिए था| लोग अब समुदाय नहीं थे-- एक से एक संबंध था| मैं इन लोगों देखती थी, वे आते थे, मेरे सामने बैठते थे, लेकिन उनको घंटो रुकना पड़ता था खुर्सी पे बैठने के लिए| और जब वे बैठे| और क्या हुआ? उनको बाकी लोग देख रहे थे, फोटो निकाल रहे थे, फिल्म कर रहे थे| मैंने उनपर ध्यान दिया और उनको उनसे ही बाहर निकलना था| और यही बदलाव लाता है| उसमे बहुत दर्द और अकेलापन था वहाँ बहुतसी अचंबित करने वाली बाटी होती है जब आप किसी और के आँखों में देखते है| क्यूनी उनकी अजनबी आँखों की चमक से जिनसे एक शब्द से बात नहीं कियी-- सब कुछ हो गया| और मुझे पता चला जब मैं उस खुर्सी से तीन महीने बाद उठी, मैं अब वही इन्सान नहीं रही| और मुझे पता चला की मेरा बड़ा मिशन है, जो की मुझे ये अनुभव व्यतीत करना है सभी के साथ| और ऐसे ही मुझ में एक नई कल्पना ने जन्म लिया पदार्थहिन् प्रदर्शन कला इंस्टिट्यूट बनाना ने की| क्युंकी पदार्थ के बिना सोचना, एक समय आधारित कला कला है| यह पेंटिंग के समान नहीं है| चित्र आप के दिवार पर है, कल भी उधर ही रहेगी| प्रदर्शन, अगर आप इसकी कमी महसूस कर रहे है, आप के पास सिर्फ एक याद है, या किसी और की कहानी कोई और बता रहा है, लेकिन आप पूरी हिज भूल गए| तोह आपको वहाँ होना पड़ता है मेरा मतलब है, अगर आप पदार्थहिन् कला की बात करते है, संगीत सबसे ऊपर है-- सच में सभी कलाओ से ऊपर| क्यूंकि यह पूरा पदार्थहिन् है| और आखिर में यह प्रदर्शन है, और उसके बाद बाकी सब| यह मेरा विषय है| यह इंस्टिट्यूट न्यू यॉर्क में हडसन में खुलेगी, हम रेम कूल्हास युक्ती के साथ इसको बांधेगे| और यह आसन है| अगर आप को अच्छा अनुभव चाहिए तो आप को मुझे समय देना पड़ेगा| आपको प्रवेश करने से पहले एक कॉन्ट्रैक्ट साइन करना पड़ेगा, जो की पुरे छह घंटे व्यतीत करने का होगा| आप को मुझे शब्द देना होगा| यह कुछ पौराणिक है, अगर आप खुद के दिए शब्द का अनुसरण नहीं कर सकते तो आप छोड़ सकते हो| वह मेरी चिंता नहीं है| किन्तु यह छह घंटो का अनुभव है| और आप यह ख़त्म करने के बाद, आप को सर्टिफिकेट मिलेगा| घर ले जाओ और फ्रेम बनाओ| (हंसी) यह ओरिएंटेशन सभागृह है| लोग अंदर आते है, और पहिली चीज आप को करनी पड़ेगी जो की लैब कोट्स पहेनना| यह उतना महत्व पूर्ण है दर्शक से अनुभवकारी बनने में| और बाद में आप लॉकर रूम में जाते हो और आपक आप की घडी, फ़ोन, आय पॉड, कंप्यूटर और सभी डिजीटल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणे| और आपको पहली बार आप के लिए मुक्त समय मिल रहा है| क्यूंकि टेक्नोलॉजी में कुछ बुराइ नहीं| अपना टेक्नोलॉजी की तरफ दृष्टिकोण सही नहीं है| हम अपने लिए समय खो रहे है| यह वो इंस्टिट्यूट है जो की आपको यह समय वापस देगी| तोह आप यहा पे क्या करते है| पहले आप धीरे चलना शुरू करते है, आप धीमे होने लगते है| आप सामान्यता की तरफ जा रहे हो| धीमे चलने के बाद आप पानी कैसे पिए सीखते हो| एक दम आसन, आधा घंटा पानी पिने का| इसके बाद आप चुम्बकीय चेंबर में जाओगे| जहा आप अपनी शरीर पे चुम्बकीय लहरे पैदा करोगे| इसके बाद आप क्रिस्टल चेंबर में जाओगे| क्रिस्टल चेंबर के बाद आँख विद्या चेंबर में जाओगे| आय गेज्हिंग चेंबर के बाद आप एक चेंबर में जाते हो, जहाँ आप सो रहे होते है| तो यह ,मानवी शारीर की सामान्य बैठक है| यह तीन में से एक सामान्य है| और धीरे चलना| वहाँ ध्वनी चेंबर है| और उसके बाद आपने ये सब देखा होगा| और खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रखा होगा| अब आप कुछ चीज लंबे समय देखने के लिए तैयार है| जैसे की पदार्थहिन् कला| ये संगीत, ओपेरा या नाटक हो सकता है| यह फिल्म हो सकता है या फिर नृत्य| आप लंबे समय वाली खुर्सियोपे जा सकते हो क्यूंकि आप अभी आराम से हो| लंबे समयवाली खुर्सियो में, आप बड़ी जगह में कार्य देखने के लिए ले जाए जाते हो| और अगर आप सोते हो, लंबा दिन होने की वजह से जो की संभव है आप को पार्किंग में ले जाया जाएगा| (हंसी) और आप को पता है, निंद जरुरी है| निंद में भी, आप कला को अवगत कर रहे होते है| तो पार्किंग में आप कुछ समय व्यतीत करते है| और उसके बाद आप को पता ही है, पीछे जाए| और आप जो चीज देखना चाहते है वो देखते है या सर्टिफिकेट के साथ घर जाते है| तो यह इंस्टिट्यूट अभी के लिए काल्पनिक है| अभी मैं ब्राज़ील में मेरी इंस्टिट्यूट बना रही हूँ, उसके बाद यह ऑस्ट्रेलिया में बनेगी, उसके बाद कनाडा आएगी और बाद में सभी जगह| और यह यह सामान्य विधि के अनुभव के लिए है, आप कैसे जीवन की सामान्यता के पास जाए| चावल गिनना कोई अलग बात होगी| (हंसी) आप अपनी जिंदगी मन सकते हो चावल गिनगिनके| छह घंटे के लिए चावल कैसे गिने? यह बहुत महत्वपूर्ण है| आप को पता है, आप पूरा गुस्सा, बोरिंग की रेखा पार करते हो| पूरी तरह से दिमाग खराब करना दिए हुए चावल की गिनती पूरी न करना| आपको बहुत शांती मिलती है जब संतुष्ट करने वाला काम पूरा होता है-- या रेगिस्तान में मिटटी गिनने का| या ध्वनी हिन् परिस्तिथि में होते हो-- आप के पास हेड फोन है, लेकिन कुछ सुनते नहीं| और तभी आप वहाँ होते हो ध्वनी के बिना| लोगो के साथ शांति का अनुभव लेते हो, सिर्फ सामान्य शांति| जिंदगी में हमे जो अच्छा लगता है वोह हम करते है| और इसीलिए आप बदल नहीं पा रहे हो| आप जिंदगी में कुछ करते हो-- कुछ नहीं होता है अगर आप उसी तरीके से काम करते हो| लेकिन मेरी तकनीक में मुझे जिन चीजो से डर लगता है, मैं वो करती हूँ| जो चीजे मुझे मालुम नहीं| जहाँ कोई नहीं गया वहाँ से जाना| और उसके बाद हार| मुझे लगता है हार जरुरी है अगर आप जाते हो, आप प्रयोग करते है, आप हार सकते है| अगर आप वो रस्ते से नहीं जाते हो और आप हारते नहीं हो, आप खुद को दोहरा ते हो| और मुझे लगता है उसी मनुष्यवर्ग को बदलना जरुरी है| एक ही बदलाव जरुरी होता है, जो की, खुद में बदलाव| आप को खुद में एक बदलाव लाना पड़ेगा| क्यूँकी ध्यान और दुनिया बदलने का एक ही रास्ता है, अपने से शुरुवात| दोष देना बहुत आसान है, कैसे अलग है, दुनिया की चीजे और वो सही नहीं, सरकार भ्रष्टाचारी है और दुनिया में भुकबली जा रहे है| और युद्ध, खून खराबा है| लेकिन हम यह व्यक्तिगत स्तर पर करते है| in साड़ी चीजो के साथ हमारा संबंध क्या है? क्या आप अपने बाजूवाले के तरफ घुमो गे, जो की आपको पता नहीं है, और अभी उनके आँखों में दो मिनिट के लिए देखिए| (चर्चा) मैंने आपसे सिर्फ दो मिनिट मांगे है जो की बहुत कम है| धीमी सांस ले, आँख बंद न करे, ध्यान दे, शांत रहे| आप आँखों में न पहचान ने वाला इंसान देखे| (ख़ामोशी) मुझ पे विश्वास करने के लिए धन्यवाद| (तालियाँ) क्रिस अँडरसन: धन्यवाद| बहुत बहुत धन्यवाद| पिछले कुछ महीनों के लिए मै कई सप्ताह तक प्रवास कर रही थी।. पेरे पास कपडे की एक ही बैंग थी। मुझे एक दिन किसी खास समारोह में जाना था। मुझे उसके लिए कुछ नया और खास पहनना था। मैने मेरा बैग देखा मुझे कोई खास पहनावा नजर नही आया। मेरा भाग्य था मैं मुझे तंत्रज्ञान की उस सभा मे शिरकत करनी थी। मैने थ्री डी प्रिंटर चलाये थे। मैने कंप्यूटर पर एक स्कर्ट डिज़ाइन किया। मैने उसे प्रिंटरप्रर लोड किया। एक ही रात में उसके टूकडे प्रिंट हुए। दुसरे दिन मैने उन्हे जमा किया। और मेरे हॉटेल रूम मे ही जोड दिये। वही स्कर्ट मैने आज पहना है। (तालियाँ ) यह कोई पहला वाक्या नही था। मैने उन्हे बनाया था फैशन डिज़ाइन स्कूल के लिये। मैने घर से ही थ्री डी प्रिंटर का इस्तेमाल फैशन कलेक्शन के लिये किया। लेकीन समस्या यह थी मुझे थ्री डी प्रिंटींग की जानकारी नही थी। मेरे पास नौ महीने का समय था पाच फैशन के नमुने प्रिंट करने के लिए। मुझे घर से नवनिर्माण का काम करना प्रेरणादायी लगता है। कुछ नया बनाने का प्रयास करना भाता था । मैं हमेशा नये तंत्र विकसित करना चाहती हू। मुझे अनोखे फैशन के कपडे बनाने मे मजा आता है। पुराने कारखाने ,अनोखे किस्म के दुकान मैं जाती हू। जहाँ से मैं लाती हू कुछ खास चीजे पौडर तथा अनोखे कपडे। जिसे मैं घर लाकर प्रयोग के काम मे लाती हू। आप शायद सोचोगे । मेरी रूम पार्टनर को ये सब अच्छा न लगे। (हंसी) मैने तय किया मैं किसी बडी मशीन इस्तेमाल करू। लेकीन वो मेरे घर मे नही समा सकती। मुझे पसंद है सटीक और दस्तूर से काम करना। फैशन प्रौद्योगिकियों के सभी प्रकार के साथ। बुनाई मशीनों की तरह और लेजर कटिंग और रेशम मुद्रण। गर्मी के दिनो, एक इंटर्नशिप के लिए मैं यहाँ न्यूयॉर्क आयी थी । चाइनाटाउन में एक फैशन हाउस पर। हमने दो अनोखे कपड़े पर काम किया ज्यो कि 3 डी मुद्रित किये थे । वे जबरदस्त थे -- जैसे आप यहां देख सकते हैं। लेकिन उनके साथ कुछ समस्या थी । वे प्लास्टिक से बने थे और यही कारण है कि वे बहुत ही नाज़ुक थे हमारी अपेक्षाकृत ठीक नही थे। उनमे खरोंच मिला उनकी बाहों के नीचे प्लास्टिक से। डी प्रिंटिंग से, डिजाइनरों को इतनी आजादी थी । कपड़े बनाने के लिए जो वास्तव में उनकी अपेक्षाकृत हो । लेकिन फिर भी, वे बहुत ही निर्भर थे बड़ी और महंगी औद्योगिक प्रिंटर पर । यह उनकी जगह से काफी दूर थे । गत साल में मेरे एक दोस्त ने मुझे थ्री डी से प्रिंट किया एक नेकलेस दिया । उसने उसे घर के प्रिंटर से प्रिंट किया था । मुझे पता है ऐसे प्रिंटर काफी सस्ते होते है । मेरे प्रशिक्षण दौरान इस्तेमाल किये हुये प्रिंटर से अधिक अच्छे है । मैने नेकलेस देखा । सोचा" क्यू नही ऐसे नेकलेस घर मे ही प्रिंट करू । क्या मैं मेरे कपडे घर से प्रिंट कर सकती हू" । मुझे फिर बाज़ार मे भी जाने की जरुरत ही नही पडेगी । और वो चुनने की जो कोई और बेचना चाहता हैं मैं खुद उनकी डिज़ाइन तैयार करूंगी और घर से ही प्रिंट करूंगी । मैने छोटी सी जगह चून ली । जहा मैं 3 डी प्रिंटींग सिखी थी ।. उन्होने मुझे उस जगह पर पुरा नियंत्रण दिया था । जिससे मुझे रातभर काम करने में भी सुविधा मिली । मेरे सामने समस्या थी प्रिंटींग के लिये इस्तेमाल किये जानेवाले फिलामेंट की क्या होता है फिलामेंट ? यह एक प्रिंटर मे डाला जानेवाला पदार्थ होता है. । प्रिंटर लोडेड अप्लिकेशन PLA पर एक माह संशोधन करती रही । यह एक कठीन और खरोच वाला पदार्थ होता है फिलामेंट का मुझे जब पता चला तो मेरी समस्या आसान हुई । जो एक नये किस्म का फिलामेंट था । वह मजबूत तथा लचीला था । उससे ही मैं मेरा पहला पोशाक तैयार कर सकी । वाह एक लाल रंग का जाकीट था उसपर लिखा गाय "Liberate " मतलब फ्रेंचमे "आझादी " यह उसमे अंकित था । मैने ही उस शब्द का प्रयोग किया शक्तिमान तथा आज़ाद होने पर । मुझे आज़ादी मिली थी घर से ही काम करने की । ड्रेस प्रिंट करने की । आप खुद भी यह जाकीट डाउनलोड कर सकोगे । आप भी और कुछ नया कर सकोगे । जैसे कि आप अपनी प्रियतमा का नाम उसपर अंकित कर सकते हो । (हसी ) हालाकी प्रिंटर की प्लेट छोटी थी । इसलिये मुझे पोशाक को एक पहेली की तरह जोड़ना पडा । दुसरी एक समस्या दूर करना मैंने तय किया । उसपर डिज़ाइन प्रिंट करना था । ताकि मैं उसे नियमित पहन सकू । मुझे एक ओपन सोर्स फाईल मिली । जिसे मैं बहुत पसंद करती थी । जिससे मैं बहुती सुंदर कपड़ा बना सकने समर्थ हुई। उसे मैं नियमित रूप से पहन सकू। वह एक लेस की तरह थी . मैंने उस फाईल को देखा .मैने उसे अनेक बार बदल कर देखा। उसकी अलग अलग प्रतियाँ बनाई . मुझे उसे प्रिंट करने 1500 ज्यादा घंटे काम करना था।. जिससे कि मैं मेरा सारा संग्रह प्रिंट कर सकू। मैने घर के लिये छह प्रिंटर खरीद लिये रातदिन काम शुरू किया। फिर भी यह मंद गति से काम चल रहा था। लेकीन याद करे, बीस साल पहले इंटरनेट बहुत कम गति से चलता था। आज का थ्री डी प्रिंटर जल्द गति से काम करता है।. बहुत ही कम समय में आप अपना टी शर्ट प्रिंट कर सकते है । कुछ ही घंटों मे या मिनटों मे। देखो दोस्तो ,ऐसा दिखाई देता है । श्रोता: हां बिलकुल ! (तालियाँ ) दानित पेलेग : रेबेका ने मेरे पाच पहनावे मे से एक पहना है । उसका पूरा पोशाक मैंने घर से प्रिंट किया है। उसके जुते भी। श्रोता: बढ़िया ! श्रोता : बहुत अच्छा ! (तालियाँ ) दानित पेलेग : शुक्रिया रिबेका . और शुक्रिया आप सब श्रोतागण का। मुझे लगता है भविष्य में ऐसा पदार्थ खोजा जायेगा। जिसे इस्तेमाल करके आप आज जैसा पहनावा बना सकते है। जैसे कपास या सिल्क से बनाये जाते है। कल्पना करो हर एक के लिये उसके मुताबिक पहनावा बनाने के बारे मे । संगीत एक जमाने एक वस्तू होती थी . जिसे आप सीडी के दुकान से खरीद लाते। लेकीन आज आप उसे उतारते है। डीजीटल हुआ है संगीत। मोबाईल मे उतार सकते है। फैशन भी एक वस्तू है . मुझे आश्चर्य होता है , पुरा जग कैसे दिखाई देगा । जब हम ऐसे डिजिटल पोशाक पहनेंगे । इस स्कर्ट की तरह| शुक्रिया (तालियाँ) शुक्रिया (तालियाँ) जब जीवन से रूबरू होते हैं हमें स्वस्थ और खुश कौन रखता हैं यदि आप अभी निवेश कर रहे हैं आपके सुनहरे कल के लिए तो आप अपनी शक्ति और समय कहाँ लगायेंगे? लखपतियों का एक सर्वे किया गया उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य क्या थे, उनमे से 80% ने कहा था कि जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य था अमीर बनाना अन्य 50% जो उसी युवा वयस्कों में से थे दूसरा बड़ा जीवन का लक्ष्य था नाम कमाना, प्रसिद्धि पाना. हंसीं और हमे नियमित रूप से कहा गया कड़ी मेहनत करो, अधिक से अधिक प्राप्त करो हमें यह बताया गया कि यही वे चीजें जिनके पीछे हमें लगना हैं इससे ही हमें अच्छा जीवन मिलेगा . पूरे जीवन की तस्वीरें, जो रास्ते लोगो ने चुने और उन रास्तों पर उन्हें क्या मिला, वे तस्वीरें मिल पाना लगभग असम्भव हैं मानवीय जीवन के बारे में हम जानना चाहते हैं हम लोगो से उनके भूतकाल की यादों को पूछकर जानते हैं और जैसा कि हम जानते हैं यादे तो यादे हैं हमारे जीवन में जो होता हैं, उसका अधिकांश भाग हम भूल जाते हैं, और कभी-कभी हमारी याददाश्त सीधे-सीधे रचनात्मक होती पर कैसा हो यदि हम सम्पूर्ण जीवन को देख सके जैसे जैसे समय आगे बढ़ता हैं? कैसा हो यदि हम लोगो को पढ़ सकें तब से जब वे किशोर थे और फिर धीरे धीरे वृद्ध होते गए यह देखने के लिये कि कौन सी वस्तु लोगो को खुश व स्वस्थ रखती हैं? और हमने ऐसा किया वयस्कों के विकास पर हावर्ड का अध्ययन "वयस्कों के जीवन पर" किये गए अध्ययनों में सबसे लम्बे समय तक चला अध्ययन हैं 75 साल तक, 724 लोगो के जीवन पर हमने नजर रखी साल दर साल, उनके काम के बारे में पूछकर, उनका घरेलु जीवन, उनका स्वास्थ्य, पूरे रास्ते में यह सब पूछा, बिना जाने कि उनके जीवन की कहानी क्या बनेगी इस तरह के अध्ययन विरले होते हैं इस प्रकार की परियोजनाए लगभग सभी एक दशक में समाप्त हो जाती हैं क्योंकि अध्ययन में बहुत से लोग छूट जाते हैं, या फिर वितीय साधन समाप्त हो जाते हैं, या अनुसंधान में भटकाव आ जाता हैं, या फिर वे मर जाते हैं, और कोई आगे लेजाने वाला नहीं होता हैं परन्तु कई सारे भाग्यों के परिणामस्वरूप व, अध्ययनकर्ताओं की पीढियों के सतत प्रयासों, यह अध्ययन सम्पूर्ण हो पाया हमारे 724 पुरूषों में से लगभग 60 अभी भी जीवित हैं, और अध्ययन में अभी भी भागीदारी करते हैं, उनमे से अधिकांश 90 साल से अधिक उम्र के हैं और अब हम अध्ययन करने जा रहे हैं इन लोगों के 2000 से अधिक बच्चों के साथ और इस अध्ययन का मैं चौथा डायरेक्टर हूँ 1938 से हमने, आदमियों के दो समूहों के जीवन को नजदीक से देखा अध्ययन मे पहला समूह जुड़ा जब वे हावर्ड कालेज में नये-नये आये थे उन सबने कालेज की पढाई दुसरे विश्व युद्ध के दोरान पूरी की और उनमे से अधिकांश ने युद्ध में भाग लिया और दूसरा समूह जो हमने चुना था बोस्टन के गरीब पडोसियों के लड़के, लड़के जिन्हें अध्ययन के लिए चुना गया विशेषकर क्योंकि वे बहुत ही समस्याग्रस्त और वंचित परिवारों जो कि 1930 के बोस्टन से थे बहुत से झुग्गियों में रहते थे और उनके पास गर्म व ठण्डे पानी की आपूर्ति भी नहीं थी जब वे अध्ययन में जुड़े, इन सभी किशोरों का साक्षात्कार हुआ उनके स्वास्थ्य की जाँच की गई हम उनके घर गए, उनके पालकों का साक्षात्कार किया और फिर ये किशोर वयस्क हो गए जीवन के अलग-अलग क्षेत्र मे गए वे वकील, डॉक्टर, क्लर्क व मिल-मजदूर बने और एक तो अमेरिका का राष्ट्रपति भी कुछ शराबी हो गये तो कुछ को मानसिक बीमारियाँ हो गयी कुछ सामाजिकता की राह चले गये पिरामिड मे सबसे नीचे से लेकर एकदम ऊपर तक कुछ लोगों ने तो यात्रा की दिशा ही बदल ली अध्ययन की परिकल्पना करनेवालों ने सपनों में भी नहीं सोचा होगा या कल्पना की होगी कि 75 साल बाद में यहाँ खड़ा होऊँगा, व आपको बता रहा होऊँगा कि अध्ययन अभी भी चल रहा हैं प्रति दुसरे साल हमारे अनुसंधान टीम सदस्य हमें फ़ोन करके पूछते हैं कि क्या हम उनको भेज सकते हैं हमारे जीवन के बारे मे फिर एक और प्रश्नों का सेट बोस्टन शहर के बहुत से भीतरी हिस्सों के आदमी हमसे पूछते हैं, "आप मेरे बारे में क्यों अध्यनरत हो? मेरा जीवन इतना रोचक नहीं हैं" परन्तु हावर्ड के आदमी ऐसा नहीं पूछते (हंसी) इन जीवनों की स्पष्ट तस्वीरें पाने के लिये, हम उनको केवल प्रश्नों का सेट नहीं भेजते हम उनके "लिविंग-रूम" में उनका साक्षात्कार करते हैं हम उनके डॉक्टर्स से उनका स्वास्थ्य रिकॉर्ड लेते हैं हम उनके खून का सैंपल लेते हैं व ब्रेन का स्कैन भी, हम उनके बच्चों से बातें करते हैं हम उनकी अपनी पत्नियों के साथ अपनी समस्या पर बात करते हुए विडियो बनाते हैं और लगभग एक दशक पहले जब हमने उनकी पत्नियों से पूछा क्या वे इस अध्ययन के सदस्य बनाना चाहेंगे, उनमे से कई महिलाओं ने कहा कि "यह समय के बारे मे हैं" (हंसीं) तो हमने क्या सीखा ? कई हजारों पन्नो के अध्ययन से हमे क्या सीखने को मिल रहा हैं हमने जो सूचनाये इकठ्ठा की हैं इन जीवनों से? तो, यह सीख धन, नाम, या कड़ी से कड़ी मेहनत के बारे में नहीं हैं 75 साल के इस अध्ययन का स्पस्ट: सुझाव हैं कि "अच्छे सम्बन्ध ही हमें ख़ुश और स्वस्थ बनाते हैं" हमें संबंधों के विषय में तीन सीख मिली हैं पहली हैं कि सामाजिक संबंध हमारे लिए वास्तव में अच्छे हैं, और यह कि अकेलापन मार-डालता हैं और यह पता चलता हैं कि जो लोग सामाजिक रूप से अधिक जुड़े हैं परिवार के, दोस्तों के और समाज के साथ वे अधिक खुश हैं, वे अधिक स्वस्थ हैं, और वे अधिक लम्बे समय तक जीते हैं उन लोगो के बजाय, जिनके संबंध कम हैं और अकेलेपन का अनुभव, जहर का काम करता हैं जो लोग अन्य लोगो से कट कर रहते हैं देखते हैं कि वे कम प्रसन्न हैं, अधेड़ उम्र मे ही उनका स्वास्थ्य जल्दी ही कमजोर हो जाता हैं उनका दिमाग भी धीरे-धीरे कम करने लगता हैं वे, उन लोगो के मुकाबले कम समय तक जीते हैं जो अकेले नहीं रहते और दुखद बात यह हैं कि, कभी भी आप पूछे तो, पाँच अमरीकियों में से एक खुद को अकेला कहता हैं और हम जानते हैं कि हम भीड़ में भी अकेले हो सकते हैं आप विवाहित होकर भी अकेले हो सकते हैं, तो हमारे लिए दूसरी सबसे बड़ी सीख हैं कि, यह केवल दोस्तों की संख्या का मामला नहीं हैं, यह "समर्पित संबंधों" का होना या ना होना भी नहीं हैं परन्तु आपके संबंधों की निकटता व गुणवत्ता मायने रखती हैं टकराव की स्थिति मे रहना हमारे स्वास्थ्य के लिए बुरा हैं उदाहरण के लिए बिना किसी लगाव की टकराव वाले विवाहित जीवन तलाक़ लेने से ज्यादा नुकसानदायक होते हैं, स्वास्थ्य के लिये अच्छे, ऊष्मा भरे और घनिष्ठ संबध सुरक्षा प्रदान करते हैं एकबार जब हम किसी आदमी को उनके अस्सी के दशक तक पड़ते हैं और हम उनके मध्यकाल में जाकर देखते हैं और यदि हम भविष्यवाणी कर पाते कौन आगे जाकर खुश, स्वस्थ और संतुष्ट होगा और कौन नही और जब हमने उनके बारे में इकठ्ठा की जो हम उनके बारे में 50 की उम्र में तो वह उनका उस उम्र का कोलेस्ट्रोल स्तर की बात नहीं थी तो यह तय कर रही थी कि वे कैसे बुजुर्ग बनेंगे वह यह तय कर रहा था कि वे अपने संबंधों से कितने संतुष्ट थे जो लोग अपने 50 के दशक में अपने संबंधों से सबसे ज्यादा सन्तुष्ट थे वे 80 की उम्र मे सबसे स्वस्थ थे और अच्छे निकटतम संबंध हमे सुविधा प्रदान करते हैं वृद्ध होने के कुछ डर के कारण से हमारे सर्वाधिक प्रसन्न स्त्री-पुरुष के जोड़े ने अपने 80 साल मे यह रिपोर्ट किया कि, जब किसी दिन उनको अधिक दर्द होता उनका मुड या मन फिर भी प्रसन्न रहता हैं परन्तु वे लोग जिनके संबंध खुशी से भरे नही थे जब किसी दिन उनको कोई दर्द होता था तो वह मानसिक दर्द से और बाद जाता था और संबंधों व स्वास्थ्य के बारे में तीसरी बड़ी सीख जो हमे मिली हैं वह यह हैं कि अच्छे संबंध केवल हमारे शरीर को सुरक्षित नहीं करते वे हमारे दिमाग को रक्षा देते हैं अंत में यह पता चला कि दुसरे व्यक्ति के साथ सुरक्षात्मक सम्बन्ध आपकी 80 साल की उम्र मे सुरक्षात्मक होते हैं यह कि जो लोग ऐसे संबंधों में बंधे होते हैं जहाँ वे यह अनुभव करते हैं कि उनके पास समय पर काम आने लायक साथी हैं, उनकी याददाश्त लंबे समय तक स्पष्ट रहती हैं और जो लोग ऐसे संबंधों में होते हैं जहाँ वे उनको लगता हैं कि उनके पास समय पर काम आने लायक साथी नही हैं उनकी याददाश्त जल्दी ही धूमिल हो जाती हैं और ये अच्छे संबंध सभी समय एक से होना आवश्यक नही हैं कुछ हमारे जोड़े एक दुसरे से लड़ते रहते थे दिन-रात, हर रोज परन्तु जब उनको लगा कि वे एक-दूसरे पर भरोसा कर सकते हैं जब साथ चलना मुश्किल हो गया, उन वाद-विवाद का उनकी याद-दाश्त पर असर हुआ तो यह मेसेज, यह कि हमारे स्वास्थ्य और कुशल के लिये अच्छे, निकट सम्बन्ध बेहतर हैं यह ज्ञान सदियों का हैं क्यों इसको पाना इतना कठिन हैं और भूलने में भी आसान? क्योंकि आखिरकार हम मानव हैं हमें जो सबसे अच्छा लगा वह हैं शीघ्र जुड़ाव कुछ चीजे जो हमें मिल सकती हैं वह हमारे जीवन को अच्छा बनाएगा और उसको वैसा ही बनाये रखेगा सम्बन्ध जटिल और उलझे हुए होते हैं और परिवार व दोस्तों के लिये कठोर कार्य करना रोचक या सेक्सी नहीं प्रतीत होता हैं यह ताउम्र रहता हैं, इसका कभी अंत नहीं आता हमारी इस 75 साल के अध्ययन में, जो रिटायरमेंट के समय सर्वाधिक खुश थे ये वे लोग थे जिन्होंने काम के साथियों को खेलनेवालों से बदल दिया उस सर्वे मे, लखपति लोगो के समान, बहुत से हमारे आदमी जब युवक थे वे धन, नाम और उच्च प्राप्ति मे विश्वास रखते थे यही वे चीजे थी जो उनको अच्छा जीवन जीने के लिये चाहिये थी इन 75 सालों के अध्ययन ने हमें बताया हैं कि वे सबसे अच्छे रहे जिन लोगो ने महत्व दिया रिश्तों को, परिवार के साथ, दोस्तों के साथ, समाज के साथ तो आपके बारे में क्या हैं? मानलो कि आप २५, या ४०, या ६० साल के हैं सम्बन्ध कैसे दीखते हैं सम्भावनाये तो असीमित हैं यह इतना साधारण भी हो सकता हैं कि फिल्म के समय को लोगो के साथ से बदल देना या बिगड़ते संबंधों को कुछ नया करके सुधारना दूर तक साथ-साथ टहलना या मधुर मिलन की रात, परिवार के उस सदस्य से मिलना, जिससे बहुत समय से बात ही नहीं हुई, क्योंकि कभी सामान्य पारिवारिक दूरियां खतरनाक रास्ता ले सकते हैं जो एक दुसरे से मन-मुटाव रखते हैं मार्क ट्वेन के एक कथन के साथ में अपनी बात समाप्त करूँगा! "एक शताब्दी से अधिक पहले, वे अपने जीवन का आकलन कर रहे थे, और उन्होंने यह लिखा कि: जीवन बहुत छोटा हैं, उसमे समय ही नहीं हैं, बुराइयों, दिल जलाने, जैसी बातों के लिए उसमे केवल प्यार के लिए ही समय हैं, उसके लिये, व परन्तु कहने के लिये तात्कालिक अच्छा जीवन, अच्छे संबंधों से ही बनता हैं धन्यवाद् (तालियां) मैं एक अन्य ग्रह की खोज में हूँ जहाँ जीवन पाया जाता हो। मैं इस ग्रह को केवल अपनी आँखों से नहीं देख सकती और न ही हमारे पास उपलब्ध किसी शक्तिशाली दुर्बीन द्वारा। किन्तु मैं जानती हूँ की वह है। प्रकृति में पाये जानेवाले अंतर्विरोधों को समझने से हमें उसे ढूंढने में मदद मिलेगी। हमारे ग्रह पर, जहां पानी है,वहाँ जीवन है। तो हम ऐसे ग्रहों को खोजते हैं जो अपने तारे से सही दूरी पर परिक्रमा करते हैं। इस दूरी पर, जो चित्र में, विभिन्न तापमान वाले तारों के लिए नीले रंग से दिखाई गयी है, ग्रह इतने गर्म हो सकते हैं कि पानी उनकी सतह पर झीलों और महासागरों के रूप में बह सके जहां जीवन संभव हो। कुछ खगोलशास्त्री अपना समय और शक्ति ऐसे ग्रहों को खोजने में केंद्रित करते हैं। मेरा काम शुरू होता है जहाँ उनका समाप्त होता है। मैं सूयर्मंडल से बाहर के ग्रहों की जलवायु के मॉडल बनाती हूँ। और यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्यूंकि : तारे से दूरी के अलावा बहुतसे अन्य तत्व हैं जो निर्धारित करते हैं कि किसी ग्रह पर जीवन संभव हो सकता है या नहीं। अब शुक्र ग्रह को लीजिये। इसका नाम रोम की प्रेम और सुंदरता की देवी के नाम पर रखा गया है , क्यूंकि यह आसमान में बहुत ही सौम्य और अलौकिक प्रतीत होता है। किन्तु अन्तरिक्षयानों के माप कुछ और ही दर्शाते हैं। सतह का तापमान लगभग ९०० डिग्री फ़ारेनहाइट के बराबर है , ५०० सेल्सियस। इस तापमान पर तो सीसा भी पिघल जाये। इसका घना वातावरण ही ऊँचे तापमान का कारण है ,न की सूर्य से इसकी दूरी , यह रासायनिक विशेषों पर ग्रीनहाउस प्रभाव डालता है , सूर्य की गर्मी को कैद करके ग्रह की सतह को झुलसा देता है। वास्तविकता ने प्रारम्भिक अवधारणाओं को पूर्ण रूप से खंडित कर दिया है। हमारे सौरमंडल के इस सबक से हमने सीखा कि ग्रह का वातावरण उसकी जलवायु और जीवन के आयोजन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमें नहीं मालूम कि इन ग्रहों का वातावरण कैसा है क्यूंकि ग्रह अपने तारों से बहुत छोटे और धुंधले हैं और हम से बहुत दूर हैं। उदहारण के लिए,एक सबसे नज़दीकी ग्रह जहां पानी की सम्भावना हो सकती है -- उसका नाम है ग्लीस ६६७ सी सी -- आकर्षक नाम है ,है ना, किसी नाम के लिए अच्छा फ़ोन नंबर है -- यह २३ प्रकाश वर्ष दूर है। तो यह १०० पदम मील से ज्यादा दूर है। सौर मंडल के बाहर के ग्रह के वातावरण का संघटन ज्ञात करना मुश्किल है जब वह अपने मेज़बान तारे के आगे से गुज़र रहा हो। यह उतना ही मुश्किल है जितना कि कार की हेडलाइट के सामने गुज़र रही छोटी मक्खी को देखना। अब सोचिये वह कार हमसे १०० पदम मील दूर हो , और आप उस छोटी सी मक्खी का एकदम सही रंग जानना चाहते हो। पानी और जीवन की सम्भावना होने केलिए ग्रह पर किस प्रकार का वातावरण होना चाहिए ,इसकी गणना करने के लिए मैं कंप्यूटर मॉडल का प्रयोग करती हूँ। पृथ्वी को सन्दर्भ में रखते हुए यह एक चित्रकार की धारणा है, ग्रह केपलर -६२ ऍफ़ के बारे में। यह १२०० प्रकाश वर्ष दूर है , और पृथ्वी से केवल ४०% बड़ा है। हमारे NSF द्वारा निधिबद्ध कार्य ने विभिन्न प्रकार के वातावरण और इसके ग्रहपथ के स्थिति निर्धारण द्वारा ज्ञात किया कि यह इतना गर्म है कि यहां खुला पानी पाया जा सके। तो मैं चाहूंगी की भविष्य के दूरदर्शन यन्त्र इस ग्रह की खोज करें जीवन को ढूढ़ने के लिए। ग्रह की सतह पर बर्फ का होना भी महत्वपूर्ण है जलवायु के लिए। बर्फ प्रकाश की अधिक लम्बी और लाल तरंगदैधर्य को सोख लेती है और छोटी,नीली तरंगों को प्रतिबिंबित करती है। इसीलिए,इस चित्र में हिमशैल अधिक नीला दिखाई दे रहा है। सूर्य से आने वाली लाल रोशनी रास्ते में बर्फ के द्वारा सोख ली जाती है। केवल नीली रोशनी नीचे तक पहुँच पाती है। फिर वह वापिस प्रतिबिंबित होती है हमारी आँखों की ओर और हमें नीली बर्फ दिखाई देती है। मेरे मॉडल दर्शाते हैं कि ठंडे तारों की परिक्रमा करने वाले ग्रह वास्तव में उन ग्रहों से गर्म हो सकते हैं जो गर्म तारों की परिकर्मा करते हैं। एक और अंतर्विरोध भी है -- बर्फ ठन्डे तारों से अधिक लम्बी तरंगदैधर्य रौशनी सोख लेती है और वह रौशनी,वह ऊर्जा ,बर्फ को सेकती है। हर जगह जीवन की खोज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि जलवायु मॉडल्स का प्रयोग करके यह जाना जाये कि यह अंतर्विरोध कैसे किसी ग्रह की जलवायु को प्रभावित करते हैं। और यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि यह मेरी विशेषता है। मैं एक अफ़्रीकी -अमेरिकन महिला खगोलशास्त्री हूँ और एक पारम्परिक ढंग से प्रशिक्षित कलाकार जिसे श्रृंगार करना और फैशन पत्रिकाएं पढ़ना पसंद है , तो मैं एक विशिष्ट ढंग से प्रकृति के अंतर्विरोधों की सराहना कर सकती हूँ-- (हंसी) (तालियां) --और वह हमारी एक ऐसे ग्रह की खोज जहाँ जीवन हो ,को कैसे पूर्व सूचित कर सकते हैं। मेरा संगठन ,राइजिंग स्टारगर्ल्स , नाट्यकला ,लेखन और दृश्य कला के द्वारा माध्यमिक विद्यालय की गहरे वर्ण वाली छात्रों को खगोलशास्त्र पढ़ाता है। यह एक और अंतर्विरोध है -- विज्ञानं और कला एक साथ हमेशा नहीं चलते , किन्तु इन दोनों को एक साथ गूंथना मदद कर सकेगा इन छात्राओं को पूर्ण रूप से सीखने के लिए और शायद एक दिन,यह भी वह खगोलशास्त्री बन जाएँ जो अंतर्विरोधों से भरे होते हैं , और अपनी पृष्ठभूमि का इस्तेमाल करके यह खोज निकालें ,कि इस ब्रह्माण्ड में हम सच में अकेले नहीं हैं। धन्यवाद। (तालियां) एक पत्ता उठाइये, कोई भी पत्ता। दरअसल, सभी उठाइये व ध्यान से देखिये। इस मानक 52 पत्तों की गड्डी को सदियों से इस्तेमाल किया गया है। रोज़, ऐसे हज़ारों को दुनिया भर के जुआ घरों में मिलाया जाता है, हर बार एक नए क्रम में। और जब भी आप एक अच्छे से मिलायी गड्डी को लेते हैं जैसे की यह, पूर्ण सम्भावना है कि आप एक ऐसी पत्तों की व्यवस्था को पकड़ रहे हैं जो पूरे इतिहास में कभी नहीं हुई होगी। ये कैसे हो सकता है? इसका जवाब इस बात में है की 52 पत्तों या वस्तुओं की कितनी व्यवस्थाएं हो सकती हैं? अब, 52 शायद इतनी बड़ी संख्या न लगे पर आइये चालू करते हैं और भी छोटी संख्या से। मान लीजिये 4 व्यक्ति 4 क्रमांकित कुर्सियों पर बैठना चाहते हैं। इन्हें कितने तरीकों में बिठाया जा सकता है? शुरुआत के लिए, चारों में से कोई भी पहली कुर्सी पर बैठ सकता है। एक बार इस बात का चुनाव हो जाए, केवल 3 व्यक्ति बचते हैं। जब दूसरा व्यक्ति बैठता है, तब सिर्फ 2 उम्मेदवार बच जाते हैं तीसरी कुर्सी के लिए। जब तीसरा व्यक्ति बैठ चुका होता है आखिरी खड़े व्यक्ति के पास चौथी कुर्सी पर बैठने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता। यदि हम हाथ से सभी संभव व्यवस्थाएं लिखें या फिर लिखें सभी क्रमपरिवर्तन, तो ऐसे 24 तरीके हो सकते हैं जिसमें ये 4 व्यक्ति 4 कुर्सियों पर बैठ सकते हैं, पर जब बड़ी संख्याओं की बात करें, तो यह काफी समय ले सकता है। चलिए देखते हैं कि क्या इससे तेज़ कोई तरीक है। दुबारा से शुरुआत करने पर, आप देख सकते हैं कि पहली कुर्सी के सभी 4 प्रारंभिक विकल्प देते हैं दूसरी कुर्सी के लिए 3 और संभावित विकल्प, और ये सभी विकल्प देते हैं तीसरी कुर्सी के लिए 2 और विकल्प। तो बजाय की हर परिदृश्य को अलग अलग गिना जाये हम हर कुर्सी के लिए उपलब्ध को गुणा कर सकते हैं: 4 गुणा 3 गुणा 2 गुणा 1 जो हमें देगा वही 24 का परिणाम देगा। एक दिलचस्प स्वरूप उभरता है। हम शुरुआत करते हैं उन वस्तुओं की संख्या से जिन्हें व्यवस्थित करना है, इस स्थिति में 4, और गुणा करते चले जाते हैं इन्हें छोटे पूर्णांकों से जब तक हम 1 तक नहीं पहुँच जाते। यह एक रोमांचक खोज है। इतनी रोमांचक कि गणितज्ञों ने इस प्रकार की गणना जिसे भाज्य सम्बन्धी कहते हैं, का प्रतीक विस्मयादिबोधक चिह्न दे दिया है। यथाविधि, किसी भी सकारात्मक पूर्णांक के भाज्य सम्बन्ध की गणना उस पूर्णांक व उससे छोटे सभी पूर्णांकों के गुणनफल से की जाती है। जैसे हमारे सरल उदहारण में, उन सब व्यवस्थाओं को जिनमें 4 व्यक्तियों को बिठाया जा सकता है को लिखा जाता 4 भाज्य सम्बन्ध, जिसका जोड़ होता है 24। वापस चलते हैं हमारे ताश की गद्दी पर। जिस प्रकार 4 भाज्य सम्बन्धी थे 4 लोगों को बैठाने की व्यवस्थाओं के लिए, उसी प्रकार 52 भाज्य सम्बन्धी हैं 52 पत्तों को व्यवस्थित करने के लिए। भाग्यवश, हमें यह गणना हाथ से नहीं करनी पड़ेगी। सिर्फ इसे एक गणक में दर्ज करें, और यह आपको दर्शाएगा की कुल संभावित व्यवस्थाएं हैं 8.07 x 10^67, लगभग 8 के बाद 67 शून्य। यह संख्या कितनी बड़ी है? यदि 52 पत्तों का एक नया क्रमसंचय हर सेकंड लिखा जाता आज से 13.8 अरब वर्ष पहले शुरआत करके, जब ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुई थी, तो आज भी हम लगातार लिख रहे होते और आने वाले लाखों वर्ष तक लिखते रहते। वास्तव में, इन पत्तों के संभावित व्यवस्थाओं की संख्या धरती के सारे कणों से भी ज़्यादा होगी। अगली बार जब आपकी बारी इन पत्तों को मिलाने की आये, तो एक क्षण के लिए याद कीजिये कि जो आपने हाथ में पकड़ा हुआ है वह शायद न तो कभी हुआ था और न ही शायद दुबारा होगा। कुछ साल पहले, मुझे ऐसी ही एक स्पैम ईमेल मिली। और वह मेरे स्पैम फ़िल्टर से बचकर निकल गई। मालूम नही कैसे, लेकिन वह मेरे इनबॉक्स में पहुँच गयी, और वह सोलोमन ओडोनकाह नामक व्यक्ति ने भेजी थी। (हँसी) मैं जानता हूँ। (हँसी) वह कुछ इस तरह से थी: लिखा था, "नमस्ते जेम्स विट्च, "मेरे पास एक लुभावना व्यवसाय प्रस्ताव है, मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूँ, सोलोमन।” अब, मेरा हाथ डिलीट बटन पर मँडराने लगा, ठीक? मैं अपना फ़ोन देख रहा था। मैंने सोचा, मैं इसे डिलीट कर सकता हूँ। या मैं वह कर सकता हूँ जो मुझे लगता है हम सब हमेशा से करना चाहते हैं। (हँसी) और मैंने कहा, "सोलोमन, आपका ईमेल मुझे उलझन में डाल रहा है।” (हँसी) (तालियाँ) और खेल बस शुरू। उसने कहा,"प्रिय जेम्स विट्च, हम आपको सोना भेजेंगे।" (हँसी) "आप जो भी सोना वितरित करते हैं, आप उसका 10% कमाएंगे।” (हँसी) इसलिए मुझे पता चला कि मैं किसी पेशेवर के साथ काम कर रहा हूँ। (हँसी) मैंने कहा, "यह कितने का है?" उसने कहा, “हम छोटी मात्रा से शुरुआत करेंगे," -- मैं ऐसा हुआ कि, "वाह जी" और फिर उसने कहा, "25 किलो के। (हँसी) मूल्य लगभग 25 लाख डॉलर होना चाहिए।" मैंने कहा, “सोलोमन, अगर हम यह कर ही रहे हैं, तो चलो बड़ा करते है। (तालियाँ) मैं इसे संभाल सकता हूँ। आपके पास कितना सोना है? ” (हँसी) उसने कहा, “इससे फर्क नहीं पड़ता कि मेरे पास कितना सोना है, मायने यह रखता है कि आपमें कितना संभालने की क्षमता है। परीक्षण के रूप में हम 50 किलो से शुरुआत कर सकते हैं।" मैंने कहा, “50 किलो? यह सब करने की कोई तुक ही नहीं जब तक कि आप कम-से-कम 1 टन नहीं भेजते।" (हँसी) (तालियाँ) उसने कहा, "तुम काम क्या करते हो?" (हँसी) मैंने कहा, “मैं एक हेज फंड में कार्यकारी बैंक प्रबंधक हूँ।" (हँसी) मेरे दोस्त, यह पहली बार नहीं है जब मैं सोना भेज रहा हूँ, नहीं नहीं नहीं। तब, मुझे घबराहट होने लगी। मैंने कुछ ऐसे कहा, "आप कहाँ रहते हैं?" मैं तुम्हारे बारे में नहीं जानता, लेकिन यदि हम डाक सेवा के माध्यम से काम करेंगे, इसके लिए हस्ताक्षर करने होंगे। वह बहुत अधिक सोना है। ” उन्होंने कहा, “मेरी कंपनी को बड़ी मात्रा में शिपमेंट करने के लिए मनाना आसान नहीं होगा।” मैंने कहा, “सोलोमन, इसमें मैं बिलकुल आपके साथ हूँ। बोर्ड की बैठक में दिखाने के लिए मैं आपके लिए कुछ तैयार कर रहा हूँ। थोड़ा सब्र।" (हँसी) यह वही है जो मैंने सोलोमन को भेजा। (हँसी) (तालियाँ) मुझे पता नहीं कि यहाँ कोई सांख्य शास्त्री मौजूद हैं या नहीं, लेकिन यह यकीनन कुछ तो दिखता है। (हँसी) मैंने कहा,"सोलोमन, आपको इस ईमेल के साथ एक उपयोगी चार्ट मिलेगा। मैंने इसकी जाँच अपने एक सहायक से करवाई है। (हँसी) जितना संभव हो उतना सोना भेजने के लिए हम तैयार हैं।" ऐसी में हमेशा एक पल होता है जहाँ वे आपका उल्लू बनाने की कोशिश करते हैं, और सुलैमान के लिए यही वह पल था। उन्होंने कहा, “यदि सौदा ठीक से हो जाये तो मुझे बहुत खुशी होगी, क्योंकि मुझे बहुत अच्छा कमीशन मिलने वाला है।" और मैंने कहा, "बहुत बढ़िया, आप अपनी कमिशन कैसे खर्च करेंगे?” और उसने कहा, "रियलएस्टेट पर, आप क्या करेंगे?" मैंने इसके बारे में लंबे समय तक सोचा। और मैंने कहा, “एक शब्द; हुम्मुस।" (हँसी) “वह छाया हुआ है। (हँसी) हाल ही में मैं सेन्सबरी में था और वहाँ लगभग 30 विभिन्न किस्में थीं। इसके अलावा आप गाजर काट सकते हैं, और आप उन्हें डुबो सकते हैं। क्या तुमने कभी ऐसा किया है, सोलोमन? (हँसी) उसने कहा, "अब मुझे सोना है।" (हँसी) (तालियाँ) "तब कल तक। सुहाना सपना देखें।" मुझे नहीं पता था कि क्या कहना है! मैंने कहा, “शुभ रात्रि मेरी सोनी की डली, शुभ रात्रि।" (हँसी) दोस्तों, आपको समझना होगा, की यह कई सप्ताहों से चल रहा था, लेकिन, मेरे जीवन के अब तक के बेहतरीन सप्ताह, लेकिन मुझे इसे रोकना था। यह थोड़ा हाथ से बाहर हो रहा था। मित्र कहते, "जेम्स, क्या तुम ड्रिंक पर आना चाहोगे?" मैं कुछ ऐसा होता कि, "नहीं आ सकता, मैं सोने संबंधी ईमेल के इंतज़ार में हूँ।" तो मैंने हिसाब लगाया कि मुझे इसे रोकना होगा। मुझे इसे हास्यास्पद निष्कर्ष पर ले जाना होगा। इसलिए मैंने एक योजना गढ़ी। मैंने कहा, "सोलोमन, मुझे सुरक्षा की चिंता है। जब हम एक दूसरे को ईमेल करते हैं, तो हमें किसी कोड का उपयोग करना चाहिए।” और वह मान गया। (हँसी) मैंने कहा, “सुलैमान, मैंने उस कोड को बनाने में सारी रात बिताई जो आगे के सारे पत्राचार में हमें उपयोग करना होगा: वकील: चिपकू भालू। बैंक: क्रीम अंडा। कानूनी: बुलबुलेदार कोला बोतल। दावा: पीनट M&Ms। दस्तावेज़: जेली बीन्स। Western Union: विशाल चिपकू छिपकली।" (हँसी) मुझे पता था कि ये सब शब्द हैं वे उपयोग करते हैं, है न? मैंने कहा, “आगे के सभी पत्राचार में कृपया मुझे किटकैट कहिए।" (हँसी) मुझे उसका जवाब नहीं आया। मैंने सोचा, मैंने हद पार कर दी। मैंने हद पार कर दी। इसलिए मुझे थोड़ा पीछे हटना पड़ा। मैंने कहा, “सोलोमन, क्या सौदा अभी भी कायम है? किटकैट।" (हँसी) क्योंकि आपको लगातार संपर्क में रहना होगा। फिर मुझे उससे एक ईमेल मिला। उन्होंने कहा, “व्यापार चालू है मैं कोशिश कर रहा हूं कि ब्ला ब्ला ब्ला ... मैंने कहा, "यार, आपको कोड का उपयोग करना होगा!" इसके बाद क्या सबसे बड़ा ईमेल मैंने प्राप्त किया । हँसी मैं मजाक नहीं कर रहा, यह वही है मेरे इनबॉक्स में बदल गया। यह एक अच्छा दिन था। “धंधा चालू है। मैं संतुलन बढ़ाने की कोशिश कर रहा हूं गमी भालू के लिए हँसी इसलिए वह जमा कर सकता है फ़िज़ी कोला बोतल जेली बीन्स Creme अंडे के लिए, मूंगफली एम एंड एमएस प्रक्रिया शुरू करने के लिए। हँसी 1,500 पाउंड भेजें एक विशालकाय छिपकली के माध्यम से। " (तालीया ) यह बहुत मजेदार था, मै सोच में पड़ गया: सोचाने लगा क्या होगा अगर मै अधिक खर्च करू उतने का जवाब घोटाले ईमेल के रूप में मैं कर सकता था? और यही मैं कर रहा हूं तीन साल के लिए आपकी जगह। (हँसी) (तालियां) पागलपन शुरू होता है स्कैम ईमेल का जवाब देनेपर यह वास्तव में मुश्किल है, मैं अनुशंसा करता हूं कि हम इसे करें। मुझे नहीं लगता कि मैं जो कर रहा हूं उसका मतलब है। बहुत सारे लोग स्कैमर्स को महत्व भी देते मैं उनका समय बर्बाद कर रहा हु और मैं किसी भी समय सोचता हूं वे मेरे साथ बिता रहे हैं वह समय है जब वे खर्च नहीं कर रहे हैं कमजोर वयस्कों को परेशान करना उनकी बचत में से, है ना? आप ऐसा करने जा रहे हैं - आपको अत्यधिक सलाह देता हूं - अपने आप को एक छद्म नाम का ईमेल पता प्राप्त करें। अपने स्वयं के ईमेल पते का उपयोग न करें। यही मैं शुरू में कर रहा था और यह एक बुरा सपना था। मैं सुबह उठूंगा और एक हजार ईमेल हैं लिंग वृद्धि के बारे में, जिसमें से केवल एक एक वैध प्रतिक्रिया थी - (हँसी) एक चिकित्सा प्रश्न के लिए मेरे पास था। लेकिन मैं आपको बताऊंगा, हालांकि, दोस्तों, मैं बताता हूँ: कोई भी दिन अच्छा होता है अगर आपको कोई ईमेल मिलता है इस तरह शुरू होता है: हँसी) "मैं विनली मंडला हूं, नेल्सन मांडेल की दूसरी पत्नी फार्मर दक्षिण अफ्रीका हँसी) मैं बहुतों को जानता हूं। "मुझे 45 मिलियन डॉल्स को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है देश से बाहर मेरे पति का मिलन नेल्सन मंडला की बिमारी के लिये उस में डूबने दो। उसने मुझे यह भेजा, जो हिस्टेरिकल है। (हँसी) और इस। और यह काफी वैध लगता है, यह प्राधिकार पत्र है। इस पर लिखा है, यह अधिकृत अधिकारपत्र है और यह काफी वैध लगता है, यह प्राधिकार पत्र है। मैंने कहा, "विनी, मुझे यह सुनकर वाकई दुख हुआ। यह देखते हुए कि नेल्सन की मृत्यु तीन महीने पहले हुई थी, मैं मैने कहा उनका स्वास्थ्य काफी गंभीर है। " (हँसी) यह सबसे खराब स्वास्थ्य स्थिति है आप जीवित नहीं हो सकते। उसने कहा, "पूरी तरह से मेरे बैंक उपकरणों के साथ। वन लव।" (हँसी) मैंने कहा, "निश्चित रूप से। कोई महिला, कोई सीआरवाई नहीं।" (हँसी) (तालियां) उसने कहा, "मेरी बैंकर की जरूरत होगी 3000 डॉल्स का स्थानांतरण। (हँसी) मैंने कहा, “कोई बात नहीं। मैं प्रधान को गोली मार दी।" लेकिन मुझे पता नहीं चला (हँसी) (तालियां) जब 479 बी.सी. में फ़ारसी सैनिकों ने यूनान के पोतदैया शहर पर घेराव डाला, तब ज्वार सामान्य से ज़्यादा पीछे चला गया, जिससे सुविधाजनक आक्रमण मार्ग बन गया। परन्तु यह भाग्यशाली नहीं था। आधा रास्ता पार करने से पहले ही पानी एक ऐसे ऊंची लहर पर वापस आया जिसे कभी किसी ने नहीं देखा था और सभी आक्रमणकारियों को डुबो दिया। पोतदैया के लोगों ने माना की उन्हें पोसाइडन के क्रोध से बचाव मिल गया। परन्तु जिस चीज़ ने शायद उन्हें बचाया था वह वही घटना थी जिसने अनगिनत लोगों का विनाश किया: एक सुनामी। हालाँकि सुनामी को सामान्यतः ज्वर की लहर कहा जाता है, वास्तव में उनका उस ज्वर गतिविधि से कोई सम्बन्ध नहीं होता जो सूर्य और चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल से होती है। कई मायनों में, सुनामी सामान्य लहरों का एक विशालकाय रूप होती हैं। इनमें गर्त व शिखा होती है, और इनमें गतिशील पानी नहीं, बल्कि पानी के ज़रिये ऊर्जा का संचार होता है। अंतर सिर्फ ऊर्जा के स्त्रोत का होता है। सामान्य समुद्रीय लहरें, हवा से आती हैं। क्यूंकि यह सिर्फ सतह को प्रभावित करती है इनकी संख्या व गति सीमित होती है। लेकिन सुनामी उत्पन्न होती है उस ऊर्जा से जो पानी के नीचे से आती है, ज्वालामुखी विस्फोट से, अन्तः समुद्री भूस्खलन से, या सबसे अधिक समुद्र तल पर भूकम्प से जो धरती के विवर्तनिक प्लेटों के फिसलने से होता है और पानी में विशाल ऊर्जा को छोड़ता है। ऊर्जा ऊपरी सतह तक यात्रा करती है, पानी को विस्थापित कर उसे सामान्य समुद्र तल से ऊपर उठाती है, लेकिन गुरुत्वाकर्षण इसे वापस नीचे खींच लेता है जो इस ऊर्जा की लहर को क्षैतिज दिशा में छोड़ती है। इससे, सुनामी उत्पन्न होती है, जो 500 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से चलती है। जब यह समुद्र तट से दूर होती है, तब इसका शायद ही पता लग पाता है क्यूंकि यह पूरे समुद्र की गहराई में चलती है। लेकिन जब यह उथले पानी में पहुँचती है, तब लहर छिछलना होता है। क्यूंकि आगे चलने के लिए कम पानी बचता है, ये व्यापक मात्र में ऊर्जा संक्षिप्त कर दी जाती है। लहर की गति धीमी हो जाती है, और इसकी ऊंचाई 100 फीट तक उठ जाती है। सुनामी शब्द, जापानी जिसे "बंदरगाह लहर" कहते हैं, इसीलिए कहते हैं क्यूंकि यह सिर्फ समुद्र तट के पास दिखती है। यदि सुनामी की गर्त तट पर पहले पहुँचती है, तो पानी सामान्य से दूर तक जाएगा जो की अत्यंत खतरनाक होगा। सुनामी न सिर्फ तट पर लोगों को डुबा देगी, बल्कि इमारतों और पेड़ों को एक मील अंदर तक नुक्सान पहुंचा देगी, खासकर निचले इलाकों में। और न सिर्फ इतना, पानी फिर पीछे हटता है, और अपने साथ खेंच ले जाता है नव निर्मित मलबा, और, वो कोई भी बदकिस्मत चीज़ या इंसान जो इसके रास्ते में पकड़ में आ जाता है। सन 2004 की हिन्द महासागर की सुनामी इतिहास की सबसे घातक प्राकृतिक आपदा थी, जिसने दक्षिण एशिया के 200,000 से भी ज़्यादा की जान ले ली थी। तो हम खुद को प्रकृति की इस विनाशकारी शक्ति से कैसे बचा सकते हैं? कई इलाकों में लोगों ने सुनामी को रोकने के प्रयास में समुद्र-दीवार, बाढ़-द्वार, और पानी को मोड़ने के लिए नालियां बनायीं। परन्तु ये हमेशा प्रभावी नहीं रही हैं। सन 2011 में, एक सुनामी ने उस बाढ़ दीवार को लांघ दिया था जो जापान के फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र की रक्षा के लिए बनायी गयी थी, जिससे परमाणु आपदा पैदा हो गयी थी और 18,000 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गयी थी। इसके बजाय कई वैज्ञानिक और नीतिज्ञ जल्दी खोज पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जैसे पानी के निचे का दबाव व भूकम्प सम्बंधित गतिविधि, और अंतरराष्ट्रीय संचार तंत्र स्थापित करना जिससे चेतावनियां शीघ्र वितरित की जा सकें। जब प्रकृति महाशक्तिशली और अजेय हो, तो उसके रास्ते से हट जाना सबसे सुरक्षित होता है। बायेकु में आपका स्वागत है, इकोरोदु, लेगोस का एक नदी समुदाय -- एक ज्वलंत प्रतिनिधित्व, नाइजीरिया के पार नदी समुदायों का, समुदाये जिसके जलमार्ग पीड़ित हो गए हैं एक आक्रामक जलीय खरपतवार द्वारा; जिन्होंने समुदायों की आर्थिक आजीविका में रुकावट पैदा कर दी है: मछली पकड़ने, समुद्री परिवहन और व्यापार; समुदाएं, जहां मछली की पैदावार कम हो गयी है; जहां बच्चे स्कूल में जाने में असमर्थ हैं दिनों, कभी कभी हफ्तों के लिए | यह कल्पना किसने की थी कि पौधा, जिसकी गोल पत्तियाँ, फूली हुई तने, और दिखावटी, हलके बैगनी रंग के फूल इन समुदायों की ऐसी तबाही का कारण होगा | यह पौधा जल हह्यसिंथ के नाम से जाना जाता है और इसका वानस्पतिक नाम है, ऐखोर्निआ क्रॉसिपस | दिलचस्प है, नाइजीरिया में , यह पौधा अन्य नामों से भी जाना जाता है , जैसे ऐतिहासिक घटनाओं के साथ जुड़े नाम, और मिथकों से भी | कुछ स्थानों में, यह पौधा बाबांगीदा के नाम से जाना जाता है | बाबांगीदा नाम, सैन्य और सैन्य तख्तापलट की याद दिलाता है | और आप डर और अंकुश के बारे में सोचते हैं | नाइजीरिया के नाइजर डेल्टा में यह पौधा अबिओला के रूप में भी जाना जाता है। अबिओला का नाम सुन रद्द कर दिए चुनाव याद आते हैं और आप सोचते हैं धराशायी उम्मीदें | नाइजीरिया के दक्षिण-पश्चिमी भाग में, यह पौधा बे'बौरुं के नाम से जाना जाता है | बे'बौरुं एक योरूबा मुहावरा है जिसका अनुवाद गपशप या मुखबिर है | आप अगर गपशप को सोचे, तो आपको लगेगा तेजी से प्रजनन, विनाश । और नाइजीरिया के इगला बोलने वाले भाग में , यह पौधा आ'पिए पो'मा के नाम से जाना जाता है, और जब आप यह सुनते हैं, आप मौत के बारे में सोचते हैं | इसका शाब्दिक अनुवाद " माँ और बच्चे के लिए मौत" है। मेरी व्यक्तिगत रूप से इस पौधे के साथ मुठभेड़ सं २००९ में हुई | मेरे US से नाइजीरिया लौटने के कुछ ही समय बाद | मैंने कॉर्पोरेट अमेरिका में अपनी नौकरी छोड़ दी और एक विश्वास की लम्बी छलांग लगाने का फैसला लिया, एक ऐसी छलांग जो दृढ़ विश्वास की गहरी भावना से पैदा हुई कि नाइजीरिया में अभी बहुत काम करना बाकी है संपोषणीय विकास के क्षेत्र में | और सन २००९ में मैं यहाँ थी, सही मायने में, सन २००९ के अंत में लेगोस में, तीसरे मुख्यभूमि ब्रिज पर | और मैंने अपनी बायीं ओर एक बहुत ही गिरफ्त करने वाली छवि को देखा | वह छवि मछली पकड़ने वाली नौकाओं की थी जिन्हे जल हह्यसिंथ की घनी चटाई ने घेरा हुआ था | जिसे देख मुझे बहुत दुःख हुआ ओर मैंने यह सोचा , यह बेचारे मछुआरे, कैसे अपनी दैनिक गतिविधियाँ को, बिना रुकावट पूरा कर पाएंगे ओर फिर मैंने सोचा, "इसका कोई बेहतर हल होना चाहिए |" एक-जीत समाधान हो, जहाँ जल खरपतवार को साफ़ कर पर्यावरण का ध्यान रखा जाये और फिर इससे आर्थिक लाभ में बदला जाये उन समुदायों के लिए जो सबसे ज़्यादा प्रभवित हुए हैं खरपतवारों के पर्यक्रमन से | वह, मैं कहूँगी, मेरी कल्पना की शुरुआत थी | और इसलिए, खरपतवारों के फायदे जानने के लिए मैंने और अधिक खोज की | कई विकल्पों में, एक सबसे ज़्यादा उचित महसूस हुआ वह था, इस पौधे का हस्तशिल्प में उपयोग | और मैंने सोचा, "क्या माहान विचार है |" व्यक्तिगत रूप से मुझे हस्तशिल्प कला से प्यार है, विशेष रूप से हस्थशिल्प जो एक कहानी के इर्द गिर्द बने गए हो | और मैंने सोची, "यह आसानी से समुदायों में असरदार तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है बिना किसी तकनिकी योग्यता के |" और मैंने खुद में सोचा, "एक बड़े समाधान के लिए तीन सरल कदम |" पहला कदम: जलमार्गों पे जल हह्यसिंथ की फसल कटाई करना इस तरह, आप रास्ता निर्माण करेंगे | दूसरा, आप जल हह्यसिंथ की तनो को सुखाएं | और तीसरा, उन सुखी हुयी तनो से पदार्थों की बुनाई करें | तीसरा कदम एक चुनौती था | मैं पृष्ठभूमि से एक कंप्यूटर वैज्ञानिक हूँ कोई रचनात्मक कला से नहीं | और इस तरह, मेरी बुनाई सीखने की तलाश शुरू हुई | और यह तलाश मुझे इबादों के एक समुदाय सबो, में ले गयी जहाँ मैं रहती थी | सबो का अनुवाद है "अजनबियों के घर |" और यह समुदाय प्रमुख तौर पर उन लोगों से बना है जो इस देश की उत्तरी भाग से आते हैं | और मैंने सच में, वे सूखे खरपतवार हाथ में लिए वहां और भी ढेर सारे थे , और हर घर का दरवाज़ा खटखटाया, एक शिक्षक की खोज में जो मुझे सुखी खरपतवार से बुनाई सीखा सके | और इस तरह मुझे निर्देशित किया गया मालाम याहया के छप्पर की ओर हालांकि, समस्या यह है, मालाम याहया अंग्रेजी में बात नहीं करता ओर ना मैं होउसा में बात करती हु | लेकिन कुछ नन्हे बच्चे मेरे राहत में आये ओर अनुवाद में मदद की | ओर यूँ मेरा बुनाई सीखने का और उंन सुखी जल हह्यसिंथ की तनो को लम्बी रस्सियों में परिवर्तित करने का सफर शुरू हुआ | अब मैं, लम्बी रस्सियों से पदार्थ बनाने के लिए समर्थ थी | वो साझेदारियों की शुरुआत थी | रत्तान टोकरी निर्माताओं के साथ काम करके, पदार्थ बनाना | इन्हे हाथ में ले, मैं आत्म विश्वास महसूस कर पा रही थी कि मैं यह ज्ञान जल समुदायों में ले कर जा सकती हु और उनकी कठिनाईयों को समृद्धि में बदलने में मदद कर सकती हु इन खरपतवारों की बुनाई से उत्पादित पदार्थ बेचे जा सकें | ताकि हमारे पास कलम हों, भोजन पत्र हों, पर्सेस हों, टिश्यू बॉक्सेस हों ताकि हम समुदायों को जल हह्यसिंथ को देखने का दूसरा नजरिया दें | जल हह्यसिंथ को मूल्यवान की तरह देखें, सौंदर्य से भरा, लचीला, कठिन, टिकाऊ । नाम बदलें, आजीविका बदलें | बे'बोरूँ, गपशप से ओलुसोतां कथाकार तक और आ'पिये पो'मा से लेकर, जो "माँ और बच्चे का कातिल" है, या दू जु'एं 'ईए पो'माँ तक , " माँ और बच्चे के लिए भोजन का प्रदाता। " अंततः मैं मिकेल मार्गोलिस के उद्धरण से अंत करना चाहूंगी | उन्होंने कहा था, अगर आप किसी संस्कृति को समझना चाहते हैं, तो उनकी कहानियां सुने | और अगर संस्कृति को बदलना चाहते हैं, तो कहानियां बदल दें तो, मकोको समुदाय से ले कर, अबोबिरि तक, एवोि तक, कोलो तक, ओवव्हा तक, एसबा, हम कहानी बदल चुके हैं | सुनने के लिए धन्यवाद | (अभिवादन) मैं एक अंतर्जलीय गोताखोर हूँ, विशेष रूप से गुफा गोताखोर | बचपन में, मैं एक अंतरिक्ष यात्री बनना चाहती थी, लेकिन वह मेरे लिए उपलब्ध नहीं था, क्यूंकि मैं कैनेडा में पली-बढ़ी हूँ | लेकिन जैसे समय बीतता है, हम अन्तरिक्ष के बारे में और जानते हैं बजाये उन भूमिगत जलमार्गों के बारे में जो हमारे ग्रह के अंदर से बहते हैं जो हमारे धरती माँ के जीवन शक्ति हैं | इसलिए मैंने कुछ असाधारण करने का निर्णय लिया | बाहरी अंतरिक्ष की खोज करने की जगह, मैं अंदर के स्थान खोजना चाहती थी | अब आपको बहुत से लोग बताएंगे कि गुफा में गोता लगाना शायद सबसे खतरनाक प्रयत्नों में से एक है | मतलब, कल्पना कीजिये, इस कमरे में अगर आप अचानक से अँधेरे में डूब जाएं, बाहर निकलने के एक ही उद्देश्य के साथ, कभी इन बड़े स्थानो में से तैर निकलना, और कभी कुर्सियों की नीचे से रेंगते हुए निकलना, सिर्फ एक पतले से मार्गदर्शन की सहायता लिए, जीवन के सहायता यन्त्र के इंतज़ार में, कि वो अगली सांस का प्रबंध करेगा | जी हाँ, यह मेरा कार्य स्थान है| लेकिन मैं आज सभी को जो सिखाना चाहती हूँ वह यह कि हमारी दुनिया एक बड़ा पत्थर नहीं है | यह एक बड़े स्पंज की तरह है | मैं हमारे धरती के स्पंज में अनेक छेदों में से तैर सकती हूँ, लेकिन जहाँ मैं नहीं जा सकती, वहाँ दूसरे जीव जंतु और पदार्थ मेरे बिना सफर तय कर लेते हैं | और आज मैं आप सभी को धरती माँ के अंदर की बातों के बारे में सिखाने वाली है | मेरे पास कोई गाइडबुक नहीं थी, जब मैंने अंटार्टिका आईसबर्गस् में गुफागोता लगाने वाला पहला इंसान बनने का निर्णय लिया | सन २००० में यह दुनिया का सबसे तेज़ चलने वाला वस्तु था | यह रॉस हिम चट्टान से टूट अलग हो गया था , और हम वहाँ नीचे बर्फ बढ़त पारिस्थिति का पता लगाने, और अतिरिक्त जीव जंतु की तलाश में गए थे| हम रीब्रिदर्स नामक तकनीक इस्तेमाल करते हैं| यह एक बहुत भयानक तकनीक है जो अंतरिक्ष सैर के लिए प्रयोग की गयी थी | यह तकनीक हमें गहरा जाने में मदद करती है जिसकी हमने १० साल पहले कल्पना भी नहीं की थी | हम असाधारण गैसों का उपयोग करते हैं, और हम 20 घंटे के लंबे समय तक पानी के नीचे रहने का मिशन बना सकते हैं। मैं बायोलॉजिस्ट्स के साथ काम करती हूँ | ऐसा साबित होता है कि गुफाएं अद्भुत जीव रूपों का भंडार हैं, जहाँ ऐसे जातियों का अस्तित्व जो हम कभी नहीं जानते थे | इनमे से कई जीव रूप असामान्य रूप से रहते हैं | कई मामलों में, उनका कोई रंग और आँखें नहीं होती, और यह जानवर बहुत लम्बी उम्र जीते हैं | वास्तव में, आज की तारीख में गुफाओं में तैरने वाले जानवर फॉसिल यानि कि जीवाश्म रिकॉर्ड के समान हैं जो डायनासौर की विलुप्त होने से पहले के हैं | तो कल्पना कीजिये: ये तैरने वाले नन्हे डायनासौर हैं| वे हमें क्रमिक विकास और मौत से बचने के बारे में क्या सिखा सकते हैं ? जब हम एक जानवर को देखते हैं, इस जार में तैरते हुए रेमीपेड की तरह, हम उसके विष से भरे हुए विशाल दांत देख सकते हैं | वह वास्तव में, अपने से ४० गुना बड़े जीव पर हमला कर उसे मार सकता है | अगर वह बिल्ली के आकर जितना होता, वह हमारे ग्रह पर सबसे खतरनाक जीव होता | यह जानवर बेहद खूबसूरत जगहों में रहते हैं, और कुछ मामलों में, जहाँ गुफाएं बहुत कम उम्र की हैं, फिर भी, वहां जानवर प्राचीन हैं | वे वहां कैसे पहुचें? मैं भौतिक वैज्ञानिकों के साथ भी काम करती हूँ, और वे अक्सर जलवायु परिवर्तन में दिलचस्पी रखते हैं | वे चट्टानों को गुफाओं के अंदर ले जा सकते हैं, और उनके टुकड़े कर अंदर की परतों को देखते हैं, एक पेड़ के छल्लों की तरह, जिससे वो इतिहास में पीछे जाते हैं हमारे ग्रह की जलवायु स्थिति, अलग अलग समय पर, समझने के लिए | इस तस्वीर में जो लाल रंग आप देख रहे हैं वह बास्तव में सहारा के रेगिस्तान की मिटटी है | यह हवा द्वारा उठा कर, अटलांटिक महासागर के पार उड़ा दी गयी | और इस मामले में, बारिश द्वारा नीचे बहमास में, अबको द्वीप में आ पहुंची है यह ज़मीन द्वारा सोख ली जाती है और इन गुफाओं के छत्तों पर जमा हो जाती है | और जब हम इन चट्टनों की परतों में देखें, तो हम वो समय ढूंढ सकते हैं और हम सैकड़ों हज़ारों साल पीछे जा सकते हैं जब धरती पर जलवायु बेहद सूखा था | प्राचीन काल का शोध करने वाले वैज्ञानिक भी यह जानने में उत्सुक हैं कि धरती पर पहले सी लेवल कहाँ तक था | यहाँ बरमूडा में, मैंने और मेरी टीम ने इस क्षेत्र में सबसे गहरी गोता लगाने की हिम्मत की, हम उन जगहों की तलाश में थे जहाँ आज से सैकड़ों साल पहले, समुद्री स्तर तटरेखा से हज़ारों फ़ीट नीचे टकराता था | मैं जीवाश्म वैज्ञानिक और पुरातत्त्ववेत्ता के साथ भी काम करती हूँ | बहमास में जगहें, जैसे कि मेक्सिको, और क्यूबा में हम गुफाओं में संस्कृति और इंसानो के अवशेष ढूंढ रहे हैं, और वो हमें उस क्षेत्र के सबसे पहले निवासियों के बारे में बताते हैं | लेकिन मेरा सबसे पसंदीदा प्रोजेक्ट कुछ १५ साल पुराना है जब मैं एक ऐसे टीम का हिसा थी जिसने सबसे पहला, सटीक और भूमिगत सतह का ३ डायमेंशनल मैप बनाया था | यह यन्त्र जो मैं गुफा में से चला रही हूँ वह वास्तव में एक ३ डी मॉडल बना रहा है | हमने कम फ्रीक्वेंसी रेडियो इस्तेमाल किया ताकि हम अपना गुफा के अंदर का सही स्थान प्रसारित कर पाएं | तो मैं घरों, उद्योगों, बोलिंग अलयस, और गोल्फ कोर्सेज, यहाँ तक कि सोनि'स बारबेक्यू रेस्टोरेंट, के नीचे से तैरती हूँ जिसने मुझे एक बात सिखाई कि जो भी हम धरती की सतह पर करते हैं वह हम तक पीने वाले पानी द्वारा वापस आएगा | हमारा पानी से भरा ग्रह सिर्फ नदी, तालाब और महासागर तक सीमित नहीं है, यहाँ भूमिगत जल का बहुत बड़ा जाल है जो हम सब को बांधे रखता है, यह एक ऐसी बांटी हुई संपत्ति है जिससे हम पानी पीते हैं और जब हम, इंसानो का सम्बन्ध भुमिगत जल और इस ग्रह की सारी जल संपत्ति से समझ लेंगे, तब हम इस समस्या पर काम करना शुरू करेंगे जो कि इस सदी की सबसे बड़ी विपदा है मैं एक अंतरिक्ष यात्री नहीं बन पायी जो मैं हमेशा से बनाना चाहती थी लेकिन यह मैपिंग डिवाइस ज़रूर बनेगा जो डॉ. बिल स्टोन द्वारा बनाया गया है | वास्तव में यह बदला गया है | अब यह एक आत्म तैराकी स्वतन्त्र रोबोट है , जो आर्टिफिशिअल्ली इंटेलीजेंट है, और उसका अंतिम लक्ष्य बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा के लिए जाना है और उसकी जमी हुई सतह के नीचे छुपे महासागरों की खोज करना है | और वह बहुत अद्भुत है। (अभिवादन) मैं आजकल गति और जीवन्तता के साथ बहुत काम कर रहा हूँ, और मैं एक पुराना डीजे और एक संगीतकार भी हूँ। इसलिए संगीत के चलचित्र मुझे हमेशा दिलचस्प लगते हैं, परन्तु वो हमेशा प्रतिक्रियाशील प्रतीत होते हैं। इसलिए मैं सोच रहा था , क्या आप हमें रचियता ना बना कर और संगीत को ही आवाज़ बनाने की कोशिश कर सकते हैं और जीवन्तता इसका अनुकरण करे? दो रूपकारों , तोल्गा और करिसटीना, के साथ मिलकर मैंने ऑफिस में एक गाना चुना-- आप सब में काफी लोग इसे शायद जानते होंगे। यह लगभग 25 साल पुराना है गाना है, और यह डेविड ब्य्रने और ब्रियन एनो हैं-- और हमने यह छोटी सी जीवन्तता की। और मैं सोचता हूँ की यह दिलचस्प भी हो सकता है , कि यह दो जटिल मुददों से जुड़ा है, जो बढ़ता हुआ पानी और धरम हैं। गाना : "िबफोर गोड डिस्टरोएड द पीपल अॅन द अर्थ" नोआह को बड़ा जहाज़ बनाने की चेतावनी दी थी। और जब नोआह ने बड़ा जहाज़ बना लिया, मुझे यकीन है की भगवान् ने नोआह को लोगों को चेतावनी देने की लिया कहा था कि उन्हें अपने सभी दुष्ट तरीके बदलने पड़ेंगे इससे पहले की वो यहाँ आ कर उन्हें नष्ट करें। और जब नोआह ने बड़ी जहाज़ बना ली, मैं समझता हूँ की कोई एक गीत चिल्लाने लगा। और मैं ऐसा समझता हु कि यह गाना ऐसे चलने लगा। और जब नोआह ने बड़ी जहाज़ बना ली.... चलते रहो ...वास्तव में ..चिंता है .. और जब वो थक गए, अँधेरा हो गया और बारिश आ गयी ; वो ऊब गए और थक गए। और तब उसने एक बुजुर्ग औरत के घर का दरवाज़ा खटखटाया। और एक बुजुर्ग औरत दरवाज़े पे आई और बोली,"कौन है?" जैक ने कहा," मैं,मामा-सान, क्या हम यहाँ रात व्यतीत कर सकते है? क्योंकि हम घर से बहुत दूर हैं, हम बहुत थके हुए हैं।" और बुजुर्ग औरत ने कहा,"हाँ , अन्दर आ जाईऐ । अँधेरा हो गया हैं और बारिश भी आ गयी है,यह आपको ऊबाऊ और थका हुआ बना देगी। (तालियाँ ) आपको वास्तव में कैसे पता कि आप विद्यमान हैं? यह एक स्वाभाविक प्रश्न है जब तक आप इसका जवाब देने की कोशिश ना करें, लेकिन हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिये। आपको वास्तव में कैसे पता कि आप विद्यमान हैं? "सबसे पहले दर्शनशास्र पर प्रगाढ़," में रेने देकार्त इसी सवाल का जवाब देते हैं अपने सभी पूर्वाग्रह विचार और राय ध्वस्त करके नींव से फिर से शुरू करने के लिए। दुनिया के बारे में उनका सभी ज्ञान आया था उनकी संवेदी धारणा से। बिल्कुल आपके जैसे, है ना? आप जानते हैं कि आप यह वीडियो देख रहे हैं अपनी आंखों से, सुन रहे हैं अपने कानों से। आपका विवेक आपको दुनिया जैसी है वैसी ही दिखाता है। वे आपको धोखा नहीं दे रहे हैं लेकिन कभी-कभी वे ऐसा करते हैं। आप दूर किसी व्यक्ति को कोइ और समझ सकते हैं, या आप एक फ्लाय बॅाल पकड़ने के बारे में सुनिश्चित हैं, और वह आप के सामने जमीन पर गिरती है। अरे लेकिन, यहाँ और अभी, आप जानते हैं कि जो आपके ठीक सामने है वह सही में है। आपकी आँखें, आपकी हाथ, आपका शरीर। यह आप हैं। केवल सनकी लोग इससे इनकार करेंगे, और आपको मालुम है कि आप सनकी नहीं हैं। जो भी अस्मंजस में है अवश्य ही वह स्वप्न देख रहा है। अरे नहीं, क्या होगा यदि आप स्वप्न देख रहे हैं ? स्वप्न असली मह्सूस होते हैं। आप विश्वास कर सकते हैं कि आप तैराकी कर रहे हैं, उड़ रहे हैं या अपने हाथों से राक्षसों से लड़ रहे हैं, जब आपका असली शरीर बिस्तर में पड़ा है। नहीँ नहीँ नहीँ। जब आप जागे हुए होते हैं, आपको मालुम होता है कि आप जागे हुए है। आह! लेकिन जब आप नहीं हैं, तो आपको नहीं पता कि आप नहीं हैं, तो आप स्वप्न नहीं देख रहे हैं साबित नहीं कर सकते। हो सकता है कि जिस शरीर का आप अपना होने का अनुभव कर रहे हैं वह वास्तव में वहाँ नहीं है। हो सकता है कि सारी वास्तविकता, यहां तक कि इसकी सार अवधारणाएं, जैसे कि समय, आकार, रंग और संख्या, झूठे हैं, सब सिर्फ धोखे एक प्रतिभाशाली निंद्य द्वारा मनगढ़ंत। नहीं, गंभीरता से। तसकार्टेस आपसे पूछते हैं यदि आप खंडन कर सकते हैं विचार एक प्रतिभाशाली दानव का जिसने में आपको छला है विश्वास करने में कि वास्तविकता वास्तविक है। शायद यह पैशाचिक धोखेबाज आप को ठगा गया है। दुनिया, उसके लिए आपकी अनुभूति, आपका अपना शरीर। आप खंडन नहीं कर सकते कि ये सब सिर्फ बनावटी हैं , और आप उनके बिना कैसे विद्यमान हो सकते हैं? आप नहीं कर सके! तो, आप नहीं करते। जीवन बस एक स्वप्न है, और मैं शर्त लगा सकता हुं कि आप नहीं कर रहे हैं ख़ुशी से नाव खेना, क्या आप कर रहे हैं? नहीं, आप नाव खेना बेवकूफ़ की तरह लस्त होकर कर रहे हैं, अस्तित्वहीन नासमझ आप हैं/ नहीं हैं। क्या यह आपको विश्वासप्रद लगता है? क्या आप सहमत हैं? यदि आप नहीं हैं, तो अच्छा; यदि आप हैं, तो और भी बेहतर, सहमत के लिए राजी किया जा रहा से, क्योंकि आपको साबित करना होगा कि आप एक सहमत प्राणी हैं। आप शून्य नहीं हो सकते हैं यदि आपको लगता है कि आप कुछ हैं, यहां तक कि अगर आपको लगता है कि कुछ, कुछ भी नहीं है क्योंकि आप कुछ भी सोचें , आप एक चीज़ सोच रहे हैं, या जैसे डेसकार्टेस ने कहा, "मैं सोचता हूं, इसलिए मैं हूँ" और आप भी हैं, सच में। ऐसे राजपर मै विश्वास करती हू जो बडे सुखेमेभी ज्यादा फसलों का उत्पादन करत है . जो दुनिया में खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए किसी तरह जाना चाहिए, जिसमे मृतवत वनस्पती को जीवनदान मिले , एक अत्यंत सूखे राज्य में, यहाँ चित्र किया गया| आप सोचते होंगे कि ये पौधे मरे हुये दिखते हैँ, लेकिन वे नहीँ हैँ| उनको पानी दीजिये, और वे 12 से 48 घंटोँ मेँ जी उठेंगे, हरे हो जायेंगे, बढना शुरू करेंगे| अब, मैँ ने क्योँ सुझाव दिया कि सूखा सहिष्णु फसलों के उत्पादन खाद्य सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में जायेगा? खैर, अभी दुनिया की जनसंख्या लगभग 7 अरब हैँ| और ये अंदाजा लगाया जाता है कि 2050 तक, अफ्रीका में हो रहा इस वृद्धि का थोक के साथ, हम 9 और 10 अरब लोगोँ के बीच मेँ होंगे| खाद्य और कृषि दुनिया के संगठनों ने सुझाव दिया कि उस मांग को पूरा करने के लिये हमेँ वर्तमान क्रुषि अभ्यास मेँ 70 प्रतिशत की व्रुद्धी चाहिये| यह देखते हुए पौधों कि खाद्य श्रृंखला के आधार पर कर रहे हैं, उसमेँ अधिक पौधोँ से आना चाहिये| उस 70 प्रतिशत जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभावको ध्यान में नहीं लेता है। ये सब डाय से किया गया एक अध्ययन जो 2011 मेँ प्रकाशित हुआ से लिया गया है, जहाँ उसने ध्यान मेँ लिया जलवायु परिवर्तन के सभी संभावित प्रभाव और अन्य बात के बीच- उन्हें व्यक्त किया - बारिश की कमी या अभाव के कारण शुष्कता की व्रुद्धी हुई है| यहाँ जो जगह लाल मेँ दिखाये गये, वो जगह थोडे दिन पहले तक खेती-बाडी केलिये सफलतापूर्वक इस्तेमाल किये जारहे थे, लेकिन बारिश की कमी के कारण अभी इस्तेमाल नही होते| यह स्थिति 2050 में होने की भविष्यवाणी की है| अफ्रीका के ज्यादातर, वास्तव में, दुनिया की अधिक भाग, मुसीबत में होने जा रहा है। हम खाद्य उत्पादन के कुछ बहुत चालाक तरीके के बारे में सोचने जा रहे हैं। और बेहतर होगा, उनके बीच कुछ सूखा सहिष्णु फसल होंगे| दूसरे बात आफ्रिका के बारे मेँ याद रखने की है कि उनकी कृषि के अधिक भाग वर्षा आधारित है। अब, सूखा सहिष्णु फसलों को बनाना दुनिया में सबसे आसान बात नहीं है। और इसका कारण है पानी| पानी इस ग्रह पर के जीवन के लिये बहुत जरूरी है| सब जीवित, सक्रिय रूप से चयापचय करीयोवले जीव जीवाणू से लेकर आप और मैँ, मुख्य रूप से पानी से बने हैँ| सभी जीवन प्रतिक्रियाओं पानी में होती हैं। और छोटी सी पानी की कमी भी मौत की परिणाम हो सकता है| आप और मैँ 65 प्रतिशत पानी है-- हम उसमेँ एक प्रतिशत खो दिये, हम मर जायेंगे| लेकिन हम उससे बचने के लिये व्यवहार मेँ बदलाव ला सकते हैँ| पौधे नही कर सकते| वे जमीन में फंस गये। और इसलिये पहले उदाहरण मेँ उनके पास हम से थोडा ज्यादा पानी है, लग भग 95 .प्रतिशत पानी, और वे हम से थोडा ज्यादा खो सकते हैँ, जैसे 10 से लग भग70 प्रतिशत तक प्रजातियोँ पर निर्भर करता है, लेकिन सिर्फ कम समय तक| उनमेँ से ज्यादा या तो विरोध या पानी के नुकसान से बचने की कोशिश करेंगे। तो प्रतिरोधों के चरम उदाहरण सरस में पाया जा सकता है। वे बहुत ही आकर्षक, छोटे हो जाते हैं, लेकिन वे ऐसे महान कीमत पर अपने पानी पर पकड़ रखते हैँ कि वे बहुत ही धीरे से बडः जाते हैँ| पानी की कमी से बचाव के उदाहरण पेड़ों और झाड़ियों में पाए जाते हैं। बहुत गहरायी तक उनकी जडे जाती है भूमिगत पानी की आपूर्ति हर समय पानीको उनमे प्रवाहित करती है लिए,अपने आप को हैड्रेटेड रखने के लिये| जो दाय ओर है वो एक बावोबाब कहलाता है| ओ ऊपर से नीचे के पेड़ भी कहलाता है, सिर्फ इसलिये कि उसकी जडोँ से शाखाओँ का अनुपात इतना महान है कि वे पेड को ऊपर से नीचे लगाया जैसा लगता है| और बेशक पेड की हैड्रेशन के लिये जडोँ की जरूरत है| और शायद परिहार का सबसे आम रणनीति वार्षिक में पाया जाता है। वार्षिक से हमारे संयंत्र खाद्य आपूर्ति के थोक बनता है। मेरे देश के पश्चिमी तट तक, साल की ज्यादातर भाग मेँ आप ज्यादा वनस्पति विकास नही देख सकते। लेकिन वसंत बारिश आयेगा , तो आपको ये मिलेगा: रेगिस्तान के फूल| वार्षिक मेँ रणनीति, केवल बरसात के मौसम में विकसित करने के लिए है। उस मौसम की अंत् मेँ वे एक बीज उत्पादन करते हैँ, जो सूखा हो, 8 से10 प्रतिशत पानी हो, लेकिन एकदम जिंदा हो| और जो भी हो जो सूखा और फिर भी सजीव हो, उसे हम सुखाना- सहिष्णु कहते हैँ| सूखा स्थिति मेँ, बीज क्या कर सकते हैं कि समय की लंबी अवधि के लिए पर्यावरण के चरम में लेटे रहते है| अगले बार बारिष का मौसम आयेगा, वे अंकुरित होके और बढेंगे, औरपुरा चक्र बस फिर से शुरू होगा। विस्तार रूप से येमाना जाता है कि सुखाना सहिष्णु बीजों का विकास भूमि परफूल वाले पौधों की या वनस्पतियों उपनिवेशवाद और विकिरण की अनुमति दी। लेकिन वार्षिक को वापस हमारा खाद्य आपूर्ति के प्रमुख हिस्सा बनाया| घेहूँ, चावल और मक्का हमारा आहार अपूर्ती मेँ 95 प्रतिशत हिस्सा लेते हैँ| और ये एक बहुत ही महान रणनीति है क्योँकि कम समय की अवधि मेँ आप बहुत सारा बीज का उत्पादन कर सकते हैँ| बीज शक्ती से भरपूर इसीलिये वहा आहार का कालरीस बहुत हैँ, आप उन्हे अकाल के समय के लिये जब ज्यादा आते हैँ तब बचाके रख सकते हैँ, लेकिन एक असुविधा भी है| वनस्पति ऊतकों, वार्ष्कोँ के झडोँ और पत्तोँ मेँ, निहित प्रतिरोध, परिहार या सहिष्णुता विशेषताओं के माध्यम से ज्यादा नही हैँ| उनको उसकी जरूरत नही हैँ| वे बारिष के मौसम मेँ बढ जाते और साल भर जीवित रहने मेँ उनकी मदद करने के लिये एक बीज होता है| और कृषि के क्षेत्र में ठोस प्रयास के बावजूद बेहतर गुण प्रतिरोध, परिहार और सहिष्णुता के साथ फसल बनाने के लिये विशेष रूप से प्रतिरोध और परिहार क्योँ कि हमारे पास अच्छी नमूने हैँ उनकी काम करने की तरीका समझने के लिये-- हमारे पास फिर भी ऐसे छवियाँ हैँ| आफ्रिका मेँ मक्का की फसल, दो हफ्ते बिना बारिष के और वह मर गया| एक समाधान है: जी उठने की पौधे| ये पौधे 95 प्रतिशत उनकी सेल्युलर पानी खो सकते हैँ, एक सूखे, मरे- जैसे स्थिति मेँ महीने से सालोँ तक रह सकते हैँ, और आप उन्हे पानी दीजिये, वे हरे हो जायेंगे और फिर से बढना शुरू करेंगे| बीज जैसे, ये भी सुखाना सहिष्णु हैँ। बीज जैसे ये भी पर्यावरण की चरम स्थिति का सामना कर सकते हैँ। और ये एक बहुत ही दुर्लभ घटना है। वहाँ केवल 135 फूल पौधों की प्रजातियाँ ही यह कर सकते हैं। मैँ आप को एक वीडियो दिखाने वाली हूँ इन तीन प्रजातियों में से जी उठने की प्रक्रिया उस क्रम मेँ| और सब से नीचे, समय एक की अक्सिस है इसलिये आप देख सकते हैँ वह कितनी जल्दी होजाता है| (तालियाँ) बहुत अद्भुत है, है ना? इसलिये मैँ ने पिछले पंद्रह साल वे यह कैसे करते हैँ समझने की कोशिश मेँ बिताया| ये पौधे बिना मरे सूखे कैसे हो जाते हैँ? और मैँ तरह तरह के जी उठने के पौधे पर काम किया, यहाँ दिखाया हैड्रेटेड और सूखे स्थिति मेँ, कई वजह से। उन मेँ से एक है कि हर पौधा एक फसल के लिये एक नमूना जैसा काम करती जिसे मैँ सूखा-सहनीय बनाना चाहती हूँ| इसलिये ऊपर बाय तरफ किनारे पर, उदाहरण के लिये, है एक घास्, उसे एराग्रोस्टिस निंडेंसिस बुलाते हैँ, उसको एक नजदीकी रिस्तेदार उसे एराग्रोस्टिस टेफ बुलाते हैँ-- आप मेँ से बहुत लोग उसे "टेफ्" की नाम से जानते--ओ इथ्योपिया मेँ एक मूल भोजन है, यह लस- मुक्त है, और वे कुछ हम सूखा सहिष्णु बनाना चाहते हैं। दूसरे पौधौँ के तरफ देखने की कोई और वजह ये है कि, कम से कम पहले, मैँ ये जानना चाहती थी: वे वही काम करते हैँ क्या? वे सब सभी पानी खोकर और जीवित रहसकने के लिये वही तंत्र इस्तेमाल करते हैँ? इसलिये मैँ ने सुखाना सहिष्णुता की, एक व्यापक समझ पाने के लिए सिस्टम जीव विज्ञान दृष्टिकोण का शुरू किया जिस मेँ हम सब कुछ देखते हैँ आण्विक पूरे संयंत्र, इकोफिजियोलाजिकल के स्तर पर। उदाहरण के लिये जैसे पौधे सूखते है उनके शरीर रचना तथा अतिसूक्ष्म अंगके बदलाव हम ट्रांस्क्रिप्टोम के तरफ देखते, जो प्रौद्योगिकी के लिये बस एकशब्द जिस मे हम जींस को देखते हैँ जो सुखाने के जवाब में चालू या बंद होते रह्ते हैँ| अधिकतर जींस प्रोटीन के कोड होनेपर प्रोटीओमके बारेमे सोचेंगे . सूखने के जवाब मेँ प्रोटींस ने क्या किया हैँ? कुछ प्रोटींस विकर के लिये कोड करेंगे जो चयापचयक बनाते हैँ, इसलिये हमउनका विचार करेंगे | अब, ये बहुत जरूरी है क्योँ कि पौधे जमीन मेँ फसे हुये रहते हैँ| वे एक बेहद खतरनाक रसायन जिसे मैँ अर्सिनल बुलाती हूँ इस्तेमाल करते हैँ उनके वतावरण के तनाव से खुद को बचाने के लिये| तो जरूरी है कि हम ये देखेँ कि सूखने की क्रिया मेँ क्या रसायनिक परिवर्तन शामिल हैँ| और सब से पीछे सूक्ष्म स्तर पर हम ने जो अध्ययन किया, हम लिपिडोम पर देखा-- सूखने की जवाब मेँ लिपिड परिवर्तन| और वो भी जरूरी है क्योँ कि सब जैविक झिल्लियों लिपिड्स से बनाये गये हैँ| वे झिल्ली के रूप में लगे रहे क्योँ कि वे पानी मेँ हैँ| पानी को निकालिये, वे झिल्ली गिर जायेंगे| लिपिड्स जींस को आन करने के लिये संकेत के रूप मेँ भी काम करते हैँ फिर हम ने शारीरिक और रसायनिक अध्ययन इस्तेमाल किया ख्यात प्रोटेक्टेंट्स का काम कोषिश और समझने के लिये जो हम ने दूसरे अध्ययन मेँ आविष्कार किया| और फिर सभी का उपयोग किया ये समझने के लिये पौधे अपने प्रक्रुतिक वातावरण मेँ कैसे बचती है| मेरा हमेशा ये मानना है कि मुझे एक ओयापक समझ की जरूरत है सुखाना सहिष्णुता के तंत्र का एक जैविक आवेदन के लिए सार्थक सुझाव देने के लिये। मुझे यकीन है आप मेँ से कुछ सोचते होंगे, "जैविक आवेदन से उनकी मतलब आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलेँ बनाने जारहे हैँ?" और ये प्रश्न का उत्तर है: ये आप के अनुवंशिक संशोधन की परिभाषा पर निर्भर करती है| हम जो आज खाते हँ गेहूँ, चावल, और मक्का, सभी फसल उनके पूर्वजों से अधिक आनुवंशिक रूप से संशोधित किये गये, लेकिन हम उन्हे अनुवंशिक रूप से संशोधित नही मानते क्योँकि वे पारंपरिक प्रजनन द्वारा उत्पादित किये जा रहे हैं। अगर आप का मतलब, क्या मैँ फसलों में जी उठने संयंत्र जीन डालने वाली हूँ, आप की जवाब है हाँ| समय का संक्षेप में, हम उस दृष्टिकोण से कोशिश की है। उचित रूप से, UCT में मेरे सहयोगियों में से कुछ, जेन्निफर थाम्सन, सुहैल रफुदीन, उस दृष्टिकोण में जुट गया और मैँ बहुत जल्द आप्को वो डाटा दिखाने वाली हूँ| लेकिन हम एक अत्यंत महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण पर लगने वाले हैँ, जिसमेँ हम पूरी जीन की सुइट्स को बदलने की उद्देश्य मेँ हैँ जो पहले से हर एक फसल मेँ मौजूद हैँ| वे कभी चरम सूखे स्थिती मेँ भी नही बदले| उनको GM बोलना है या नही इसका फैसला मैँ आप के ऊपर छोड्ती हूँ| मैँ अभी आपको पहले द्रुष्टिकोण से कुछ डाटा देनेवाली हूँ| और ऐसे करने के लिये मुझे जींस कैसे काम करते हैँ ये थोडा सा बताना पडेगा| तो आप सभी शायद जानते होंगे कि जींस डबल-स्ट्रांडेड DNA से बने हैँ| वे क्रोमोसोम्स के अंदर कस के घुमाये गये जो आपके शरीर या पौधे के शरीर के हर सेल मेँ मौजूद हैँ| अगर आप उस DNA को पीछे घुमाओ तो, आप्को जींस मिलेंगे| और हर एक जीन के पास प्रमोटर होगा, जो सिर्फ एक आन-आफ स्विच है, जीन कोडिंगक्षेत्र होगा, और फिर एक टर्मिनेटर, जो ये बताता है कि ये इस जीन का अंत है, दूसरा जीन शुरू होगा| अब, प्रमोटर्स सिर्फ आन- आफ स्विचेस नही हैँ| उस जीन स्विच चालू होने से पहले उनके लिये सही ट्युनिंग, और बहुत सारी सही चीज रहना है| तो बैयो टेक अध्ययन मेँ आम तौर पर क्या होता कि हम एक इंड्युकिबल प्रमोटर का इस्तेमाल करते हैँ जिसका स्विच आँन करना हम जानते हैँ| हम उसको लाभ वाली जींस मेँ जोडते हैँ और उसको एक पौधे मेँ लगाके ओ पौधा कैसे प्रतिक्रिया देती देखते हैँ| एक अध्ययन बारे मेँ मैँ बात करनेवाली हूँ, मेरे सहयोगियों ने एक सूखे प्रेरित इस्तेमाल की की, जिसको हम ने एक पुनरूत्थान संयंत्र में खोज की। इस प्रमोटर की एक अच्छी बात ये है कि हम कुछ नही करते| पौधा अपने आप अनावृष्टी का अनुभव करती है| और हम जी उठने के पौधों से एंटीऑक्सीडेंट जीन ड्राइव करने के लिए यह प्रयोग किया है| एंटिआँक्सिडेंट जींस क्योँ? सभी तनावों, विशेष रूप से सूखे तनाव, मुक्त कण के गठन में परिणाम है, या प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों, जो बहुतही हाँइकारक हैँ और फसल को मार मार सकते हैँ| एटाक्सिडेंट्स उस नुकसान को रोकते हैँ| तो यहाँ एक मक्का के तनाव से कुछ डेटा है जो अफ्रीका में बहुत लोकप्रिय है| तीर के बायाँ तरफ हैँ पौधे बिना जींस के, दायँ तरफ हैँ-- पौधे एंटिआक्सीडेंट जींस के साथ| तीन हफ्ते बिना पानी के बाद, जो जींस के साथ हैँ वे बहुत अच्छा करेंगे| अब आखरी द्रुष्टिकोण| मेरे शोध से पता चला है काफी समानता है बीज और जी उठने के पौधों में सुखाना सहिष्णुता के तंत्र में। तो मैँ एक सवाल पूछती हूँ, वे वही जींस इस्तेमाल करते हैँ? या थोडा अलग फ्रेसड, जी उठने पौधों उनके पत्ते और जडोँ मेँ बीज सुखाना सहिष्णुता में विकसित जीन का उपयोग कर रहे हैं? वे जी उठने की पौधोँ के झडोँ और पत्तोँ को इन बीज के जींस को रीटास्क किया है क्या? और मैँ उस सवाल का जवाब देती हूँ, मेरे ग्रूप के बहुत अध्ययन के परिणाम से और हाल ही में नेथेर्लांड्स की हेंक हिल्हार्स्टसे किया गया सहयोग से युनैटेड स्टेट्स की मेल आलिवर और फ्रांस मेँ जुलिया ब्युटिंक से| जवाब है हाँ, कि वहाँ एक कोर सेट जींस के हैँ जो दोनो मेँ शामिल किया गया| मैँ मक्का के लिए बहुत ही कुदरती तौर उदाहरण देकर स्पष्ट करने वाली हूँ, जहाँ आफ् स्विच के नीचे की क्रोमोसोम्स सुखाना सहिष्णुता के लिए सभी जीनों जो आवश्यक हैं उनकी प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिये विकास के अपने अवधि के अंत में, जब मक्के की बीज सूखते हैँ, वे इन जींस के स्विच आन करते हैँ जी उठने के पौधे ये ही जीन स्विच आन करते हैँ जब वे सूखते हैँ| सभी आधुनिक फसल, इसलिये अपने झडोँ और पत्तोँ मेँ ये जींस रखते हैँ, उन्हे कभी स्विच आन नही करते| वे सिर्फ बीज कणोँ मेँ स्विच आँन करते हैँ| इसलिये अब हम कोशिश करते वातावरण और पेशीय संकेतोँको समझने की पौधोँमेँ जींस कैसे स्विच आँन करते हैँ, उनको उठाने इस प्रक्रिया को नकल करने के लिए। और फिर एक आखरी विचार| हम तेजी से क्या करने की कोशिश कर रहे हैँ कि जो प्रक्रिति ने कुछ 10 से 40 मिलियन सालोँ पहले जी उठने की पौधोँ मेँ जो किया था उसको फिर से दोहरा रहे हैँ| मेरे पौधों और मैं आपका ध्यान के लिए धन्यवाद करते हैँ। (तालियाँ) मनुष्यों को व्यक्तिगत अधिकारों से वंचित करनेवाली गुलामी को सम्पत्ति की तरह मानना, विश्वभर में कई रूपों में पाई गई है। परन्तु अपने वैश्विक स्तर और लम्बी विरासत, दोनों के कारण एक सँस्था अलग ही नज़र आती है। अटलांटिक गुलाम व्यापार, जो 15वीं सदी के अन्त से लेकर 19वीं सदी के मध्य तक चला, और तीन महाद्वीपों तक फ़ैलते हुए, 1 करोड़ से भी ज़्यादा अफ्रीकियों को ज़बरदस्ती अमेरिका ले आया। इसका जो असर होने वाला था वह न केवल इन गुलामों और उनके वन्शजों को प्रभावित करने वाला था बल्कि विश्व के बड़े हिस्सों की अर्थव्यवस्थाओं और इतिहासों को भी। यूरोप और अफ्रीका के बीच भूमध्य सागर के द्वारा सदियों से सम्पर्क था। परन्तु अटलांटिक गुलाम व्यापार 14वीं सदी के अन्त के दौरान पश्चिम अफ्रीका में पुर्तगाली उपनिवेशों के साथ शुरू हुआ, और उसके कुछ ही समय में अमेरिका के स्पेनिश उपनिवेश के साथ। नए उपनिवेशों में उगाये जाने वाली फ़सलें, गन्ना, तम्बाकू, और कपास, गहन श्रम माँगती थीं और सारी नई ज़मीन पर खेती करने के लिए ज़रूरत के अनुसार अधिवासी या अनुबन्धित कर्मचारी थे नहीं। अमेरिकी मूल निवासियों को गुलाम बनाया गया परन्तु बहुत से नई बिमारियों से मर गए जबकि बाक़ियों ने प्रभावशाली विरोध किया। और इसलिए श्रमिकों की भारी माँग को पूरा करने के लिए यूरोपीय लोगों ने अफ्रीका की ओर रुख़ किया। अफ़्रीकी गुलामी सदियों से भिन्न रूपों में अस्तित्व में थी। कुछ गुलाम ऐसे अनुबन्धित कर्मचारी थे जिन्हें सीमित अवधि तक काम करना था और अपनी स्वतन्त्रता ख़रीदने का मौक़ा था। बाकी, यूरोप के खेत गुलामों की तरह थे। कुछ समाजों में गुलाम मालिक के परिवार का हिस्सा हो सकते थे ज़मीन के मालिक हो सकते थे और शक्तिशाली पदों पर उन्नति कर सकते थे। परन्तु जब गोरे कप्तान तैयार विक्रय का माल, हथियार, और गुलामों के लिए शराब देने का प्रस्ताव लेते हुए आए तो अफ़्रीकी राजाओं और व्यापारियों के पास संकोच करने का ज़्यादा कारण नहीं बचा। वह बेचे गए लोगों को साथी अफ़्रीकी की तरह नहीं बल्कि अपराधियों, ऋणियों, और प्रतिद्वन्द्वी जनजातियों से हुए युद्धों के कैदियों की तरह देखते थे। उनको बेचने से राजा अपने राज्यों को समृद्ध करते थे और उसको पड़ोसी शत्रुओं के विरुद्ध प्रबल बनाते थे। गुलाम व्यापार से अफ़्रीकी राज्य सम्पन्न बन रहे थे लेकिन यूरोप की भारी माँग को पूरा करने की वजह से कड़ी प्रतिस्पर्धा ने जन्म ले लिया था। गुलामी ने अन्य आपराधिक दण्डों की जगह ले ली थी और गुलामों को बन्दी बनाना युद्धों के परिणाम की जगह उनकी प्रेरणा बन गया। गुलामी छापों से खुद को बचाने के लिए पड़ोसी राज्यों को यूरोपीय बन्दूकों की ज़रूरत थी जिसे वह भी गुलामों के बदले ही ख़रीदते थे। गुलाम व्यापार एक हथियारों की दौड़ बन गया था जो पूरे महाद्वीप में समाजों और अर्थव्यवस्थाओं को बदल रहा था। जहाँ तक गुलामों का सवाल है, वह अकाल्पनिक क्रूरता का सामना करते थे। तट के गुलाम किलों की ओर भेजने, जूँ से बचने के लिए सिर मुण्डाने, और ठप्पा लगाने के बाद, उनको समुंद्री जहाजों में लादकर अमेरिका की ओर रवाना कर दिया जाता था। उनमें से क़रीब 20% लोग धरती को कभी दोबारा नहीं देखते थे। उस समय के ज़्यादातर कप्तान तंग रूप से माल भरने वाले होते थे जिससे छत के नीचे ज़्यादा से ज़्यादा लोग ठूँसे जा सकें। जहाँ स्वच्छता के अभाव में बहुत से लोग बिमारी से मर जाते थे और बाक़ी बीमार होने की वजह से या अनुशासन लाने के लिए पानी में फ़ेंक दिए जाते थे वहीँ कप्तान अपना मुनाफ़ा खरीद के प्रमाण रूप में गुलाम के कान काट कर सुनिश्चित कर लेते थे। कुछ बन्दी मामला अपने हाथों में ले लेते थे। बहुत से अंतर्देशीय अफ़्रीकियों ने गोरों को पहले कभी नहीं देखा था और सोचते थे की वह नरभक्षक हैं, जो हमेशा लोगों को ले जाते हैं, तथा और लोगों को लेने के लिए वापस आ जाते हैं। खाए जाने के डर से या केवल और कष्ट से बचने के लिए वह आत्महत्या कर लेते थे या खुद को भूखा मार देते थे इस विश्वास के साथ कि मृत्यु के बाद उनकी आत्माएँ घर वापस चली जाएँगी। जो जीवित बच जाते थे उनके साथ केवल माल स्वरुप सलूक कर पूर्णतः मनुष्‍यत्‍व से वंचित कर दिया जाता था। औरतों और बच्चों को जहाज़ की छत के ऊपर रख कर्मीदल द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता था जबकि आदमियों से नृत्य करवाया जाता था ताकि वह कसरत करते रहें और विद्रोह ना करें। उन अफ़्रीकियों का क्या हुआ जो नई दुनिया में पहुँचे और गुलामी की विरासत कैसे आज भी उनके वन्शजों को प्रभावित करती है यह तो सब जानते हैं। लेकिन जिस बात पर ज़्यादातर चर्चा नहीं होती वह है उस प्रभाव की जो अटलांटिक गुलाम व्यापार के कारण अफ़्रीका के भविष्य पर पड़ा। न केवल इस महाद्वीप ने अपनी करोड़ों लोगों की ह्रष्ट-पुष्ट जनसँख्या को खोया बल्कि क्योंकि ज़्यादातर ले जाए गए गुलाम पुरुष थे दीर्घकालिक जनसांख्यिकीय प्रभाव तो और भी बड़ा था। अमेरिका और यूरोप में जब आख़िरकार गुलाम व्यापार गैरकानूनी घोषित कर दिया गया तो जिन अफ़्रीकी राज्यों की अर्थव्यवस्थाएँ प्रभुत्व पा चुकी थीं, उनका पतन हो गया जिससे वह आधीन बनाने और उपनिवेशीकरण के लिए उपलब्ध हो गए। और बढ़ी प्रतिस्पर्धा तथा यूरोपी हथियारों के अंतःप्रवेश ने युद्ध और अस्थिरता की ऐसी आग लगायी जो आज तक जल रही है। अटलांटिक गुलाम व्यापार ने नस्लवादी विचारधारा के विकास में भी योगदान दिया। ज़्यादातर अफ़्रीकी गुलामी का कानूनी दण्ड या अन्तर्जातीय युद्ध से गहरा कोई कारण नहीं था परन्तु यूरोप के लोग जो एक सार्वभौमिक धर्म का उपदेश देते थे और बहुत पहले ही साथी ईसाइयों को गुलाम बनाना ग़ैरकानूनी घोषित कर चुके थे उन्हें एक ऐसी प्रथा के लिए औचित्य चाहिए था जो उनके समानता के आदर्शों से स्पष्टतः विषम थी। तो उन्होंने यह दावा किया कि अफ़्रीकी लोग जैविक रूप से नीच हैं और गुलामी के लिए पूर्वनिर्दिष्ट हैं और इस सिद्धान्त का औचित्य साबित करने के बड़े प्रयास करे। इसलिए, यूरोप और अमेरिका में गुलामी ने नस्लवादी बुनियाद कायम कर ली जिससे गुलामों और उनके वन्शजों के लिए समाज में बराबरी का दर्जा पाना असम्भव हो गया। इन सब कारणों से अटलांटिक गुलाम व्यापार बहुत ही बड़े पैमाने पर किया गया अन्याय था जिसका असर उसके उन्मूलन के बहुत बाद तक भी ज़ारी है। जब मैं ध्यान करना सीख रहा था, उपदेश सिर्फ अपनी सांस पर ध्यान देने का था, और मन को वापस लेकर आना जब वो भ्रमित हो जाये| सुनने में आसान लगा| फिर भी इन शांत जगहों में ठण्ड के दिनों में, मेरा पसीना बहता था | जब भी मौका मिलता मैं नींद निकल लेता था, क्यूंकि यह बेहद मुश्किल था| वास्तव में यह बहुत थकाने वाला काम है| सुचनाये काफी आसान थी लेकिन मैं कुछ बहुत ज़रूरी बात से चूक रहा था| तो ध्यान देना इतना मुश्किल क्यों है? अभ्यास बताता है अगर हम सच में भी किसी चीज़ पर ध्यान देने की कोशिश कर रहे हैं-- जैसे यह व्याख्यान-- किसी एक समय पर, आधे लोगों का ध्यान दिन के सपनो में लग जाएगा. या फिर ट्विटर पर खबर पढ़ने का मंन करेगा तो यहाँ क्या हो रहा है ? ऐसा पता चलता है की हम एक बहुत ही विकासवादी-संरक्षित विज्ञान की सीखने की प्रक्रिया से लड़ रहे हैं, जो इंसान के नसों के सिस्टम में संरक्षित है | यह इनाम आधारित सीखने की प्रक्रिया को पोसिटिव और नेगेटिव रेंफोर्सेमेंट कहते है और मूल रूप से इस तरह चलता है। हम कुछ अच्छे खाने को देखते हैं, हमारे दिमाग कहता है, " कैलरी! ... जीवन रक्षा !" हम खाना कहते हैं, चखते हैं -- वो स्वादिष्ट लगता है | और खासकर चीनी के साथ , हमारा शरीर दिमाग को संकेत भेजता है, "याद रहे कि आप क्या खा रहे हैं और यह कहाँ मिला है|" हम इस संदर्भ-निर्भर स्मृति को सोचते हैं और प्रक्रिया को दोहराने के लिए सीख लेते हैं. समुद्री खाना, खाना खाएं, अच्छा महसूस करें, और दोहराएं| शुरू करें, गतिविधि दिखाएँ, इनाम पाएं| आसान, नहीं? फिर कुछ देर बाद, हमारा क्रिएटिव दिमाग कहता हैं, "पता है? आप इसे और भी चीज़ें याद रखने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं| अगली बार, जब आप बुरा महसूस करें, क्यों न आप कुछ अच्छा खाएं जिससे आपको अच्छा महसूस हो?" इस महान विचार के लिए दिमाग का शुक्र है, कोशिश कीजिये और जल्दी सीखिये की जब हम नाराज़ या उदास हों, चॉकलेट या आइसक्रीम खा कर अच्छा महसूस करते हैं. एक ही प्रक्रिया. सिर्फ एक अलग कारण| बजायते की भूख के संकेत पेट में से आएं यह इमोशनल संकेत -- बुरा लगना-- कुछ खाने के मंन का कारण बनता है| शायद हम अपने बचपन में, हम बहुत पढ़ाकू थे, और हम बिगड़े हुए बच्चों को स्मोक करते देख सोचते थे, "हे, मुझे कूल बनना है|" और हम धुम्रपान करते हैं| मार्लबोरो मैन, एक बेवकूफ नहीं था, और वह कोई अॅक्सीडेंट नहीं था कूल इंसानों को देखो, धुम्रपान करो कुल बनो . अच्छा महसूस करो और दोहराओ | शुरू करें, गतिविधि दिखाएँ, इनाम पाएं | और जब हम इसे करते हैं, प्रक्रिया दोहराना सीखते हैं और यह एक आदत बन जाती है | बाद में, बाद में बहुत थकान से स्मोक करने की तीव्र इच्छा होती है या कुछ मीठा खाने की | अब, इन्ही समान दिमागी प्रक्रियायों से, हम सीख से जीवित रहने से अपने आप को मारने वाली आदतों पर आ चुके हैं | मोटापा और धुम्रपान यह दुनिया प्रमुख रोके जा सकने वाले, रोगसंख्या और मृत्युसंख्या के कारण हैं | तो मेरी सांस पर वापस आते हैं कैसा हो, अगर हम अपने दिमागों से लड़ने के जगह, या अपने आप को ध्यान देने के लिए मजबूर करने की जगह, हम साधारण, इनाम आधारित सीखने की प्रक्रिया अपनाएं लेकिन एक बदलाओ के साथ? कैसा हो अगर हम उस समय के अनुभव के बारे में सिर्फ उत्सुक हो जाएं? मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ| मेरे प्रयोगशालामे जांच की क्या हम सावधानी बरतने वाली ट्रेनिंग से धूम्रपान छुड़वा सकते हैं| अब जैसे मैं अपने आप को, अपनी सांस पे ध्यान लगाने के लिए ज़ोर लगता हूँ वैसे वे लोग भी धूम्रपान छोड़ने पे ज़ोर दे सकते हैं| बहुत से लोगों ने इससे आज़माया और असफल रहें हैं-- सामान्य रूप में, ६ बार| हमने, सावधानी भरी ट्रेनिंग में ज़ोर देने को छोड़, उत्सुक रहने पर ध्यान केंद्रित किया| असल में, हमने उन्हें धूम्रपान करने को कहा क्या? जी हाँ, हमने कहा, "धूम्रपान करें, सिर्फ करते वक़्त उत्सुक रहे|" और उन्होंने तब क्या देखा? खैर , हमारे एक धूम्रपान करने का उदाहरण सुनाता हूँ| उसने कहा, " सावधानी से करने वाला धूम्रपान: बद्बुदार चीज़ के जैसे लगता है और केमिकल्स के जैसा स्वाद, छि|" अब वह जानती है की धूम्रपान उसके लिए हानिकारक है, इसलिए वह हमारे प्रोग्राम से जुड़ गयी| जब वह जिज्ञासु हो कर धूम्रपान कर रहीं थीं तब उन्होंने यह खोज किया की धूम्रपान का स्वाद बहुत ही गन्दा है| (हास्य) अब उन्होंने अपने ज्ञान को बुद्धिमता के ओर परिवर्तित किया धूम्रपान उनके लिए खराब है, अपने दिमाग में जानने के बाद अब उनकी नस-नस जानती हैं, और वह सम्मोहन अब खत्म हो चूका है| वह अपने व्यवहार के साथ मोह भांग होने लगी हैं| अब, प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स, जो हमारे दिमाग का सबसे छोटा हिस्सा है, विकासवादी नज़रिये से अब वह ज्ञान के नज़रिये से समझता है की हमने धूम्रपान नहीं करना चाहिए| हमनेऔर वह पूरी कोशिश करता है हमारा व्यव्हार बदलने की, धूम्रपान न करने के लिए मदद करता है, मदद करता है वह दूसरी, तीसरी या चौथी कुकी न खाने में| यह मानसिक नियंत्रण हैं| हम यह ज्ञान का इस्तेमाल कर रहे हैं व्यवहार बदलने में| बदकिस्मती से, यह भी दिमाग का पहला हिसा ही है जो बंद हो जाता है जब हम चिंतित होते हैं जो बहुत उपयोगी नहीं है| अब हम सब इसे अपने अनुभवों के साथ जोड़ सकते हैं| जब हम चिन्तित् होते या थके हुए होते हैं, हम बच्चों या साथी पर चिल्लाते हैं, पता होते हुए भी कि वह हमारे काम का नहीं होगा हम अपनी मदद कर ही नहीं पाते| जब प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स बंद हो जाता है, हम अपनी पुरानी आदतों से घिर जाते हैं, इसीलिए मोहभंग होना बेहद ज़रूरी है| हमें अपनी आदतों से क्या मिलता है, उन्हें गहरायी से समझने में मदद करता है-- नस-नस को समझने के लिए, ताकि हमें अपने आप को रोकना न पड़े या सीमित न करने पड़े उस व्यव्हार से| हम बस उससे करने में थोड़े कम इच्छित हैं| और यही सावधानी बरतना या मिंडफुल्नेस होता है: साफ़ साफ़ देख पाना कि हमें अपने व्यवहारों से क्या मिलता है अपने अंदर के भावनाओं से मोह भांग हो जाना और उसे सरलता से अपने आप अलग होने देना | इसका मतलब यह नहीं की किसी जादू से धूम्रपान करना छोड़ देंगे| लेकिन जैसे समय बीतता है, हम अपने आदतों के परिणाम, साफ़ देखना सीख जाते हैं, हम पुरानी आदतें छोड़, नयी आदतें निर्माण करते हैं| यहाँ विरोधाभास यह है की अपने शरीर और दिमाग में पल पल होने वाली चीज़ों को करीब से जानने की दिलचस्पी, सावधानी बरतना है यह अप्रिय लालसा से अनुभव के तरफ मोड़ने की स्वेच्छा है| और यह स्वेच्छा को अनुभव के तरफ मोड़ने में सहारा देती है हमारी जिज्ञासा, जो स्वाभाविक रूप से फायदेमंद है। जिज्ञासा कैसी लगती है ? अच्छी लगती है| और क्या होता है जब हम उत्सुक हो जाते हैं ? हम जानते हैं की लालसा सिर्फ शरीर उत्तेजना से बानी हुई हैं-- जहाँ तंगी हैं, जहाँ तनाव हैं, जहाँ बेचैनी है-- और यह की शरीर उत्तेजना आती और जाती रहती हैं| यह छोटे छोटे अनुभव हैं जिन्हे हम हर पल संचालित से कर सकते हैं बजाय उस विशाल लालसा के जिसमे हम घुटते हैं| दूसरे शब्दों में, जब हम उत्सुक होते हैं, हम अपने पुराने डर आधारित, प्रतिक्रियाशील आदतों से बाहर आते हैं और हम अस्तित्व में कदम रखते हैं| हम ध्यानी वैज्ञानिक बन जाते है जहाँ हम अगले डाटा पॉइंट के लिए उत्साहसे रुके रहते है| अभी, यह वर्तन में बदलाव लाने के लिए आसान लगेगा| लेकिन एक अभ्यास में हमने पाया की, ध्यानसे प्रशिक्षण स्टैण्डर्ड थेरपी से धुम्रपान बंद करने में दो गुना बेहतर था| तोह सच में यह काम करता है| जब ध्यान लगा के प्राणायाम करनेवालो का अभ्यास किया, तब मस्तिष्क के न्युरोंस के जाले खुद ही इसके सन्दर्भ कि खोज करते है| जो की मस्तिष्क की मुलभुत अवस्था है| इसको एक प्रकार का खेल ही समझिए| इस जाल के बारे में एक अनुमान है, मस्तिष्क की पोस्तेरिअर सिंग्युलेट कॉर्टेक्स, यह सिर्फ आदतों की वजह से क्रियान्वित नहीं होती पर लेकिन हम जब आदतो की आस में अटक ते है तब भी यह क्रियान्वित होता है हम जब इस दौर से गुजर रहे होते है उस समय क्या हुआ इसकी जागरूकता अपने मस्तिष्क को शांत करती है| हम इसपर एक अॅप बना रहे है| जो ऑनलाईन वैचारिक ज्ञान देगा| इस यंत्रणा को केन्द्रित कर के| अपना लक्ष अन्य जगह करने के तंत्र का इधर इस्तेमाल किया गया है| जिससे हम बुरे अनारोगी बुरी आदतों से बाहर आ सकते है| धुम्रपान, ज्यादा तनाव, व्यसन इस सबसे| ध्यान में रखे सन्दर्भ आधारित स्मृति यह साधन लोगों के पास आसानी से पोहोचा सकते है महत्वपूर्ण संबंध होने पर , उनको मदत कर सकते है| उनकी अनुवांशिक क्षमता को चौकस होने के लिए उत्तेजित करे| जब धुम्रपान करने की इच्छा होगी या तनाव के निचे खाने की या अन्य इच्छा होगी आपने अगर ये नहीं किया आपकी इच्छा होगी ई मेल देखने की तलफ दूर करने के लिए, या आपके काम के बीच का ध्यान अन्यत्र हो जाएगा. या फिर गाडी चलते हुए मेसेज भेजेंगे आपकी नैसर्गिक क्षमता को आजमाए| थोडा सजग और चौकस हो जाइए अपने मन में इस समय क्या होता है यह आजमाने के लिए| यह दूसरा मौका होगा अपनी आदतों का दुष्टचक्र तोड़ने के लिए उससे बहर पड़ने में| इस बार मेसेज देखने के अलावा लिखिए उससे थोडा अच्छा लगेगा इस तीव्र इच्छा की नोंद कर ले| चौकस हो जाइए| मुक्त होने का आनंद ले| फिरसे करे| धन्यवाद| (तालियाँ) कया किसी ने आपको कहा है "सीधे खडे रहो!" या किसी ने खाते समय झुकने के लिए डाटा है? ये सब सुनना कष्ट्रप्रद है लेकिन जो वोह कह रहे हैं, गलत नहीं है. आपका आसन, अथवा आपका पोस्चर, आपके खडे या बैठने का ढंग, आपके शरीर की हर चाल का आधार है, और आपके शरीर की तनाव सहनशक्ति निर्धारित कर सकता है. ये तनाव कुछ भी हो सकता है, जैसे कि भार उठाना, या फिर कोई तकलीफदायक स्तिथि में बैठना. और जो सबसे बड़ा हम हर समय, हर दिन, अनुभव करते हैं: ग्रेविटी अगर आपका आसन/पोस्चर सही नहीं है, तो मांसपेशियों को आपको आपको सीधा रखने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी. कई मस्पेशिया सक्त और कठोर हो जाएँगी. और कई रुक जाएगी. समय के साथ साथ, ये दुष्क्रियाक तरीके आपके शरीर की बल सहनशक्ति को दुर्बल कर देता है. बुरा आसन आपके जोड़ों और स्नायु रज्जुक पर अधिक तोड़ फोड़ करता है, हानि की सम्भावना बढाता है, और कुछ अंगों, जैसे फेफड़े, को कम प्रभावशाली बनता है. अन्वेषण करनेवालों ने बुरे आसन को जोडा है स्कोइओसिस से, तनाव से होने वाले सिरदर्द से, और पीठ दर्द से, यद्यपि ये इन सबका एक मात्र कारण नहीं है. आसन आपके भावुक स्थिथि पर भी प्रभाव डाल सकता है और आपकी दर्द संवेदनशीलता पर. इसलिए अच्छा आसन रखने के लिए कई कारण है. परन्तु ये आज कल मुश्किल है. लम्बे समय तक अजीब स्थिथि में बैठना बुरे आसन को बढ़ावा देता है, और कंप्यूटर और मोबाइल का इस्तेमाल करना भी, जो आपको नीचे देखने के लिए बढ़ावा देता है. कई जाँचो का कहना है कि, औसत से, आसन बिगडता जा रहा है. तो फिर अच्छा आसन कैसा दीखता है? जब आप आगे और पीछे से रीढ़ को देखें, सारी तैंतीस कशेरुका एक के ऊपर एक सीधी खड़ी होनी चाहिए. फलक से, रीढ़ में तीन वक्र होने चाहिए: एक आपके गरदन पर, एक आपके कंधो पर, और एक आपके पीठ के छोटे पर. आप इस एस-आकर की रीढ़ के साथ पैदा नहीं हुए थे. शिशुओ की रीढ़ में बस एक वक्र होता है जैसे की एक "c" . दुसरे वक्र ज्यादा तर बारह से अठारह महीनो में पैदा होते हैं जैसे मांसपेशियां मजबूत होती जाती हैं. ये वक्र हमे सीधे रहने में, जिससे हम कुछ तनाव सोख सकें, मदद करती हैं जो चलने और कूदने से होता है. अगर वे ठीक से सीधे पंक्ति में हैं, जब आप खड़े हैं, आप एक सीधी रेखा खींच पाएंगे आपके कंधे के आगे की बिंदु से, आपकी नितंब के पीछे तक, आपके घुटनों के आगे से, आपके टखने के कुछ इंच आगे तक. ये आपके ग्रेविटी के केंद्र को सीधे आपके समर्थन के आधार पर रखता है, जो आपको आसानी से हिलने दे सकता है कम थकान और मांसपेशियों के तनाव के साथ. अगर आप बैठें हैं, आपकी गरदन खड़ी होनी चाहिए, आगे झुकी हुयी नहीं. आपके कंधे आराम की स्तिथि में होने चाहिए, साथ में आपकी बांहें धड के पास. आपके घुटने दाहिने कोण पर होने चाहिए साथ में पैर सीधे फर्श पर. परंतु अगर आपका आसन इतना अच्छा नहीं है, तो? अपने पर्यावरण को सुधारने की कोशिश करें. अपनी स्क्रीन ठीक करें ताकि वह आखों के स्तर पर हो ये थोड़ी नीचे. ध्यान रखें आपके शारीर का हर हिस्सा, जैसे कि कोहनी और कलाई, समर्थित है, एर्गोनोमिक वस्तु की मदद लेकर अगर ज़रूरत पड़े तो. एक तरफ सोने की कोशिश करें आपकी गरदन समर्थित रख कर और अपने पैरों के बिच तकिया रख कर. कम हील के जुटे पहने, और अच्छे आर्च सहारे के साथ, और फ़ोन पर बात करते हुए हेडसेट का उपयोग करें. अच्छा आसन रखना ही बस काफी नहीं है. मांसपेशियों और जोड़ों को चलाए रखना बेहद जरूरी है. असल में, लम्बे समय तक ना हिलना, अच्छे आसन के साथ नियमित रूप से हिलना, बुरे आसन के साथ, से भी बुरा हो सकता है. जब आप हिलें, तो होशियारी से हिलें. आप जो भी आप उठा रहे हैं उसे अपने शरीर के पास रखे. पीठ वाली बैग आपकी पीठ के संग होनी चाहिए, सममित तरीके से उठाई हुई. अगर आप बहुत बैठते हैं, खड़े होहिये और थोड़े समय के लिए हिलिए, और ज़रूर कसरत कीजिये. मांसपेशियों का उपयोग करते रहने उन्हें प्रभावी ढंग से सहारा देने के लिए मज़बूत रखेंगी, ऊपर सारे दुसरे लाभ आपके जोड़ों, हड्डियों, दिमाग, और दिल के लिए. और अगर आप बहुत चिंतित हैं, तो आपके शरीर के चिकित्सक को दिखाइए, क्यूंकि हाँ, आपको सही में सीधे खड़े रहना चाहिए. आप शायद कभी नहीं सुने होंगे केनेमा, सिएरा लियॉन या अरुआ, नाइजीरिया पर मैं उन्हें पृथ्वी पर सबसे असाधारण स्थानों में से दो के रूप में जानती हूँ। वहां के अस्पतालों में, नर्सों, चिकित्सकों और वैज्ञानिकों के एक समुदाय है जो कि सालों से चुपचाप लड़ रहे हैं दुनिया के सबसे बड़े खतरे से : लस्सा वाइरस। लस्सा वाइरस काफी हद तक इबोला की तरह ही है। यह एक गंभीर बुखार का कारण बन सकता है और अक्सर घातक भी हो सकता है। पर यह लोग, हर दिन अपनी जान जोखिम में डालते हैं ताकि अपने समुदाय के लोगों की रक्षा कर सकें और ऐसा करके, हम सभी की भी। लेकिन उनके सबसे असाधारण कामों में से एक चीज़ जो मैंने सीखी अपनी पहली यात्रा पर वहां, बहुत सालों पहले यह थी कि वे शुरू अपनी हर सुबह-- इन चुनौतीपूर्ण, असाधारण दिन रंगभूमि पर--गा के करते थे। वे एक साथ इकट्ठा होते हैं और अपनी खुशी जाहिर करते हैं। वे उनकी भावना व्यक्त करते हैं। और पिछले कुछ सालों से, साल दर साल बाद मैं उन्हें मिलने जाती थी और वे मुझे मिलने आते थे, मैं उनके साथ इकट्ठा होती थी और गाती थी और हम लिखते थे और पसंद करते थे, क्योंकि यह हमें याद दिलाता है कि हम सिर्फ वहाँ विज्ञान के खातिर नहीं हैं; हम एक साझा मानवता के माध्यम से बंधे हैं। और बेशक, जैसा की आप कल्पना कर सकते हैं, अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है, ​ जरूरी भी, क्यूंकि चीज़ें बदलनी शुरू हो जाती हैं। और वह बहुत हद तक बदली थी २०१४ के मार्च में, जब गिनी में, इबोला का प्रकोप घोषित किया गया था। यह पश्चिम अफ्रीका में पहली प्रकोप थी, सीमा के पास सिएरा लियोन और लाइबेरिया के। और यह डरावना था, हम सभी के लिए। हम कुछ समय के लिए वास्तव में संदिग्ध थे कि लस्सा और इबोला अधिक थे बड़े पैमाने पर जितना सोचा था, और हमने सोचा कि किसी दिन केनेमा भी आ सकता है। और मेरी टीम तुरंत निकली वहां के लिए और शामिल हो गयी डॉ. हमरर खान और उनकी टीम को, और हमने प्रबंध किया निदान का, ताकि संवेदनशील आणविक परीक्षण कर सकें जो दिखाये इबोला अगर वह आये सीमा पार और सिएरा लियोन में। हमने पहले भी ऐसा प्रबंध किया था लस्सा वाइरस के लिए, जानते हैं कैसे करना है, टीम बेहतरीन है। हमें खाली उपकरण और इबोला सर्वेक्षण के लिए जगह देना था। और दुर्भाग्य से, वह दिन आया। २३ मई २०१४ को, एक औरत की जाँच हुई अस्पताल के प्रसूति वार्ड में, और टीम ने वह महत्वपूर्ण आणविक परीक्षण किये और उन्होंने सिएरा लियोन में इबोला के सबसे पहले मामले की पुष्टि की। यह काम जो हुआ था काफी सराहनीय था। वे अब तुरंत निदान करने में सक्षम थे, ताकि सुरक्षित रूप से रोगी का इलाज कर सकें और ताकि जान पाये कि क्या चल रहा है कांटेक्ट ट्रेसिंग के द्वारा। यह कुछ हद तक तो रोक सकता था। लेकिन जब तक वह दिन आया, प्रकोप पहले से ही महीनो से प्रजनन कर चुका था। सैकड़ों मामलों के साथ, यह पहले से ही पिछले प्रकोपों को ग्रहण कर चुका था। और यह सिएरा लियोन में आया उस विलक्षण मामले के रूप में नहीं, पर ज्वार की लहर के रूप में। हमे काम करना पड़ा अंतरराष्ट्रीय समुदाय, स्वास्थ्य मंत्रालय और केनेमा के साथ ताकि इन मामलों से निपट सके, क्यूंकि अगले ही सप्ताह ३१ आये, फिर ९२, और फिर १४१-- सभी आ रहे थे केनेमा में, सिएरा लियोन के केवल स्थानों में से एक जो इस के साथ निपट सके। हमने हर दिन काम करके जितना कर सकते थे उतना करने का प्रयत्न किया, लोगों की मदद करने की कोशिश की, ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की, पर उसके साथ एक सरल काम भी किया। हमने जो नमूना लिया था एक रोगी के रक्त से इबोला का पता लगाने के लिए जाहिर है कि वह हम छोड़ सकते हैं। दूसरी चीज़ हम कर सकते हैं, उसे एक रासायनिक में डाल कर और निष्क्रिय करके, फिर डब्बे में डाल कर, जहाज के साथ सागर पार भेज सकते हैं , और यही हमने किया। हमने बोस्टन भेजा, जहाँ मेरी टीम काम करती है। और हमने भी पूरा दिन काम किया, दिन के बाद दिन, और हमने तुरंत ही ९९ जीनोम उत्पन्न कर लिया वाइरस के। यह खाका है-- वाइरस का जीनोम ही खाका है। यह हम सबके पास हे। यह सब कुछ बताता है जिससे हम बने हैं, और इतनी सारी जानकारी हमे देता है। इस तरह के कामों का परिणाम सरल एवं शक्तिशाली है। हम वास्तव में इन ९९ अलग वाइरस को ले सकते हैं, देख कर तुलना कर सकते हैं, और हम देख सकते हैं, वास्तव में, तीन जीनोम की तुलना कर के, जो कि पहले गिनी से प्रकाशित हुई थी, हम दिखा सकते हैं कि प्रकोप उभरा गिनी से महीनों पहले, एक बार मानव आबादी में, और फिर वहां से प्रसारण हो रहा है मानव से मानव में। अब, यह बहुत ज़रूरी हो जाता है जब आप हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहे हों, पर महत्वपूर्ण काम कांटेक्ट ट्रेसिंग है। हम यह भी देख सकते हैं कि जब वाइरस मानवों के बीच घूमता है, वह परिवर्तित होता रहता है। और प्रत्येक परिवर्तन बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि निदान, टिका, उपचार, जो हम प्रयोग कर रहे हैं, सब उस जीनोम अनुक्रम पर आधारित है, मौलिक-- इसी के कारण हो पाता है। और तो वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को ध्यान देना होगा, विकसित करना होगा, सब कुछ जांचना होगा जो भी वह कर रहे हैं। लेकिन जिस तरह विज्ञानं काम करता है, जिस स्थिति में, मैं थी, मेरे पास डेटा था, और मैं कई, कई महीनों तक काम कर सकती थी एक साइलो में, डेटा विश्लेषण करती सावधानी से, धीरे धीरे, प्रकाशन के लिए कागज प्रस्तुत करती, ज़रा ओर अनुसंधान करती, और फिर अंत में जब कागज आता, वह डेटा जारी हो सकता था। इस तरह यथास्थिति काम करती है। खैर, वह काम नहीं करता इस स्थिति में, है ना? हमारे दोस्त रंगभूमि में थे, और जाहिर है, उन्हें हमारी मदद चाहिए, ढेर साड़ी मदद। जो पहला काम हमने किया, जैसे ही अनुक्रमण आये मशीनों से, हमने वेब में प्रकाशित कर दिया। हमने सिर्फ यह दुनिया में जारी किया और कहा,"मदद कीजिये "। और मदद आया। इससे पहले की हम जानते, लोगों ने पुरी दुनिया से हमें संपर्क किया, डेटा देख के सब आश्चर्य थे। जल्द ही दुनिया के कुछ सबसे बड़े वाइरस ट्रैकर्स हमारे समुदाय का हिस्सा बन गए। हम एक साथ इस आभासी तरह से काम कर रहे थे, साझा, नियमित कॉल, संचार, हर मिनट वाइरस को ही देखा जा रहा था, ताकि तरीका खोजा जा सके उन्हें रोकने का। और वहां बहुत सारे तरीके हैं जिस से हम उनकी तरह समुदाय बना सकते हैं। सब लोग, विशेष रूप से जब प्रकोप पुरी दुनिया में विस्तार होना शुरू हुआ था, सीखने के लिए,भाग लेने के लिए, संलग्न करने के लिए पहुँच रहे थे। हर कोई मदद करना चाहता था। मानव क्षमता की राशि वहाँ बस कमाल है, और हम को इंटरनेट ने संपर्क में रखा। और क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यह एक दूसरे से डरने के बजाय, सबने इतना कहा की,"चलो यह करते हैं। चलो एक साथ करते हैं और इसे सच करते हैं"। लेकिन समस्या यह है कि जो डेटा हम उपयोग कर रहे हैं, गूगलिंग वेब पर,सीमित है करने के लिए जो हमें करना है। और कितने सारे अवसर चूक जाते हैं जब ऐसा होता है। तो महामारी के प्रारंभिक भाग में केनेमा से, हमने १०६ नैदानिक रिकॉर्ड किया था रोगियों से, और फिर से हमने दुनिया भर में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध किया। और हमारी प्रयोगशाला में, हम दिखा सकते हैं कि आप उन १०६ रिकॉर्ड ले सकते हैं, हम कंप्यूटर के द्वारा इबोला रोगियों का पूर्वानुमान करीब १०० प्रतिशत सटीकता से कर सकते हैं। और हमने एक अप्प बनाया जो कि यह जारी कर सके, ताकि स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों को उपलब्द करवा सके। लेकिन बस १०६ पर्याप्त नहीं है इसे शक्तिशाली और मान्य करने के लिए। तो उसे जारी करने के लिए हम ओर डेटा का इंतज़ार कर रहे हैं। और डेटा अभी भी नहीं आया है। हम अब भी इंतज़ार कर रहे हैं, एक साथ काम करने के बजाय अलग हो के सिलोस में। और यह सिर्फ--हम स्वीकार नहीं कर सकते। है ना? आप, आप सब, स्वीकार नहीं कर सकते। हमारा जीवन जोखिम में है। और वास्तव में, कई जीवन खो गए थे, कई स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों, मेरे प्रिय सहयोगियों सहित, पांच साथियों: म्बलू फोननिे, एलेक्स मोइगबोई, डॉ.हमरर खान, ऐलिस कोवोमा और मोहमद फुल्लाह। ये केनेमा से सिर्फ पाँच हैं कई स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों में से और उसके परे मर गए जबकि दुनिया इंतजार कर रही थी और हम सब काम कर रहे थे, चुपचाप और अलग-अलग। देखो, इबोला, सब की तरह खतरा हैं मानवता पर, यह बढ़ता है अविश्वास और व्याकुलता और विभाजन से। जब हम खुद के बीच बाधाओं का निर्माण करते हैं और हम खुद के बीच लड़ाई करते हैं, वाइरस पनपता है। लेकिन सभी खतरों के विपरीत, इबोला एक है जिसके सामने हम वास्तव में सभी समान हैं। हम सब इस लड़ाई में एक साथ हैं। एक व्यक्ति के दरवाजे पर इबोला जल्द हमारे पर हो सकता है। और इस जगह में एक ही कमजोरियों, ताकतों, आशंका, उम्मीदों के साथ, मुझे आशा है कि हम खुशी के साथ मिलकर काम करेंगें। मेरी एक स्नातक छात्र सिएरा लियोन के बारे में पुस्तक पढ़ रही थी, और उसे पता चला कि शब्द "केनेमा," जो चिकित्सालय में हम काम और सिएरा लियॉन के जिस शहर में हम काम कर रहे हैं, वह मेंडे शब्द पर नामित है "नदी कि तरह स्पष्ट, पारदर्शी और खुला है सार्वजनिक आंखों के लिए"। यह वास्तव में हमारे लिए गहरा था, क्योंकि जानने के बिना भी, हम महसूस करते थे लोगों का सम्मान करने के लिए केनेमा में, हमे खुले तौर पर काम करना था, साझा करना था और एक साथ काम करना था। और हमे इसे करना ही है। हम सबको खुद से और दूसरों से आशा रखनी है कि-- जब एक प्रकोप आएगा, हम खुले तौर पर काम करेंगे और इस लड़ाई को हम एक साथ लड़ेंगे। क्योंकि यह इबोला का पहला प्रकोप नहीं है, यह अंतिम भी नहीं है, और वहाँ कई अन्य रोगाणुओं है जो इंतज़ार कर रहे हैं, जैसे कि लस्सा वाइरस और बाकी। और अगली बार जब ऐसा होगा, यह लाखों लोगों के शहर में हो सकता है, यह वहाँ शुरू हो सकता है। यह कुछ भी हो सकता है जो हवा के द्वारा प्रेषित हो। यह जानबूझकर फैलाया हुआ भी हो सकता है। और मुझे पता है कि यह भयावह है, मैं समझती हूँ, लेकिन मैं भी जानती हूँ, और इस अनुभव से पता चलता है कि, हम प्रौद्योगिकी है और हम में क्षमता है जीतने का इस से, जीतने का और शक्तिशाली स्थिति रखने का वाइरस के ऊपर से। लेकिन यह केवल हो सकता है अगर हम साथ काम करेंगे और खुशी के साथ करेंगे। तो डॉ खान के लिए और उन सभी के लिए जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया रंगभूमि पर इस लड़ाई में हमारे साथ हमेशा, हमें उनके साथ इस लड़ाई में हमेशा हो। और हमे दुनिया को एक वाइरस के विनाश से नहीं, पर अरबों दिलों और दिमागों की एकता से परिभाषित करना है। धन्यवाद। (तालियाँ) १३,००० की दूरी में मिट्टी और चट्टानों से बना, अजगर के तरह फैला हुआ, चीनी ग्रामीण इलाकों को घेरे इस संरचना का इतिहास उसकी लम्बाई की तरह ही लंबा और घुमावदार है I इस महान दीवार की शुरुआत मिटटी की छोटी छोटी दीवारो से हुई जो चंगाई के समय स्वतंत्र सामंती राज्यों द्वारा उत्तरी चीन के खानाबदोश छापामारों से एक दुसरे की सुरक्षा के लिए बनी थी I जब महाराजा किन शिई हुआंग ने २२१ ईसा पूर्व में राज्यों को संगठित किया तो तिब्बत्ति पठार और प्रशांत महासागर प्राकृतिक रुकावट बने लेकिन उत्तरी पहाड़ मंगोल , तुर्की और क्सीओंगनु आक्रमणों से असुरक्षित रहे| उनसे सुरक्षा के लिए महाराजा ने पूर्ववर्ती राजाओं द्वारा बनायी गयी कुछ छोटी दीवारों को जोड़ना और कुछ को सुद्रिढ किया I जैसे जैसे इन संरचनाओं का विस्तार पश्चिम में लिन्ताओ से पूरब के लिओडोंग की ओर हुआ , वे सामूहिक रूप से दीवार की तरह जानने लगे I इस काम को पूरा करने के लिए राजा ने सिपाहियों और जनता को चुना जो हमेशा उनकी स्वेछापूर्वक नहीं था I क्विं साम्राज्य के दौरान हज़ारों राजगीरों में से सैंकड़ों ऐसे थे जो जबरदस्ती दर्ज़ किये हुए किसान थे और कुछ सज़ा भुगतते हुए अपराधी| हान साम्राज्य के दौरान, ये दीवार ३७०० मील लम्बी होके दुनहुआंग से शुरू होकर बोहै समुद्र तक पहुँच गयी I हैन साम्राज्य के अंतर्गत जबरन मजदूरी जारी रहा और दीवार की प्रतिष्ठा ने कुख्यात आपदा की जगह ले ली| समसामयिक कवियों और किंवदन्तियों से पता चलता है कि मजदूरों को नजदीक के सामूहिक कब्रगाहों या दीवार में ही दफ़ना या चुन्वा दिया गया| और क्योंकि कोई भी मानवीय अवशेष अंदर नहीं पाया गया, कब्रों से पता चलता है कि अनेक मजदूरों की मौत दुर्घटना, भूखमरी और थकावट से हुई I वह दीवार भयावह थी मगर अजेय नहीं I जंघीस और उसके बेटे खुबलाई ने किसी तरह तेरहवीं सदी के मंगोल आक्रमण के समय उस उस पर विजय पाया पर विजय पायाI इ. १३६८ में मिंग शासन के सत्ता में आने के बाद, वह दीवार को फिर से ईंटों और स्थनिक पथ्थरों से दृढ और संघटित करने लगे I औसतन २३ फुट ऊंची और २१ फूट चौड़ी ये दीवार ५५०० मीलों तक जगह जगह पर निरीक्षण बुर्ज़ों से जोड़ी गयी थी I जब भी आक्रमणकारी देखे जाते, आग और धुआँ उन बुर्ज़ों के बीच फैल जाती थी जब तक सेना न पहुँच जाएI दीवार के छोटे छिद्र तीरंदाजों को हमलावरों पर आक्रमण के लिए जबकि बड़े, पथ्थरों गिराने में काम आते थे I लेकिन ये नयी और उन्नत दीवार भी काफ़ी नहीं थी I उत्तरी मंचु कुल ने सन १६४४ में मिंग साम्राज्य को उतार फेंक मंगोलिया का साथ लेके क़्विंग साम्राज्य की स्थापना की I इस तरह दूसरी बार चीन पर उन्हीं का शासन था जिसे दिवार ने दूर रखने की कोशिश कीI साम्रज्य की सीमा के महान दीवार से आगे बढ़ने के कारण किलेबंदी ने अपना उद्देश्य खो दियाI और बिना नियमित मरम्मत के कारण दीवार घिस के समतल भूमि बन गयी जब कि ईंट और पथ्थर घर बनाने के के लिए लूट लिए गए I मगर यह काम अभी भी बाक़ी था I द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, चीन ने इसे जापानी आक्रमण से सुरक्षा के लिए प्रयोग कियाI अफ़वाह है कि कुछ हिस्से अभी भी सैनिक प्रशिक्षण में उपयोग हो रहे है मगर अब दीवार का मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक हैI धरती पर सबसे बड़े मानव निर्मित संरचना होने के कारण, यूनेस्को द्वारा १९८७ ई. में इसे विश्व के धरोहर का दर्ज़ा दिया गया I मूलतः जो लोगों को चीन से दूर रखने के लिए बनायी गयी थे, आज वह दीवार प्रतिवर्ष लाखों पर्यटकों का स्वागत करती है असल में , पर्यटकों की बढ़ती आवाजाही से ख़राब होती हुई दीवार की स्थिति के कारण सरकार को परिरक्षण पहल की शुरुआत करनी पर है i अक्सर इसे अंतरिक्ष से दिखता एकमात्र मानव निर्मित संरचना माना जाता हैI दुर्भाग्यवश, यह सच नहीं है I पृथ्वी की निम्न कक्षा में, सभी प्रकार की संरचनाए, जैसे पुल, राजमार्ग और हवाईअड्I दिखाई देते हैं और यह महान दीवार नाममात्र ही दिखता है I चाँद से तो दिखने का सवाल ही पैदा नहीं होता है I कुछ भी हो मगर हमें इस धरती के बारे में पढ़ना ही चाहिए क्योंकि अभी भी प्रत्येक वर्ष नयी धाराओं की खोज हो रही है, नए अंशों की शाखाएँ मुख्य स्वरुप से निकल विस्तृत करती हुई उत्कृष्ठ संरचनाओं को मानवीय उपलब्धियों के लिए I किसी बड़ी चुनौती का सामना करते समय , जब आपको हर ओर विफलता दिख रही हो आपने शायद यह सलाह पहले सुनी हो - "खुद पर विश्वाश रखो " और बहुत सम्भावना है की यह सुनकर आपने यह सोचा होगा - "काश यह थोड़ा आसान होता " पर आत्मविश्वास होता क्या है ? इस धारणा को लीजिये कि आप मूल्यवान, उपयुक्त और सक्षम है यह स्वाभिमान के नाम से भी जाना जाता है , इसमें यह आशा मिला दीजिये जो आपको अपने काबिलियत पर भरोसा होने से आती है इन सभी से सशक्त होकर हिम्मत से बाधाओं का सामना करना यही आत्मविश्वास है | यह विचारो को कर्मो में बदल देता है तो यह आत्मविश्वास आता कहा से है ? इस पर कई कारण अपना प्रभाव डालते है पहला : जन्मजात कारण , जैसे कि आपके जीन्स जो कि आपके दिमाग में न्यूरोकेमिकल्स के संतुलन पर प्रभाव डालते है दूसरा : आपके साथ कैसा व्यवहार किया जाता है यह आपके आसपास के वातावरण और सामाजिक स्थितियों पर निर्भर करता है और तीसरा : अब आती हैं वो चीज़े जिनके ऊपर आपका बस है जो निर्णय आप लेते हैं वे जोखिम जो आप उठाते हैं और कैसे आप चुनौतियों और नाक़ामयाबियो पर अपनी प्रतिक्रिया देते है इन तीनो प्रभावों को पूरी तरह सुलझाना संभव नहीं है पर हमारा निजी चुनाव जरूर एक अहम् भूमिका निभाते हैं आत्मविश्वास की उन्नति में हमारे पास अपना आत्मविश्वास बढ़ाने की शक्ति है सुझाव १. एक क्विक फिक्स लीजिए ऐसी कुछ तरकीबे हैं जो आपके आत्मविश्वास को तुरंत बढाती हैं अल्पकालीन अवधि मे जब आप किसी कठिन काम का आरम्भ कर रहे हैं, तब अपने सफल होने का चित्र बनाइये (कल्पना कीजिये ) गहरे बेस वाला म्यूजिक सुनने जितना आसान काम, यह स्फूर्ति की भावनाओ को बल देते हैं | आप किसी बलशाली भाव-भंगिमाएं बनाकर या खुद के साथ स्फूर्ति लेने वाली छोटी बात कर सुझाव २. अपनी सुधरने की काबिलियत पर भरोसा करें अगर आप किसी दीर्घावधि के बदलावों को लक्षित कर रहे हैं अपने काबिलियत और क्षमताओं के बारे में अपनी सोच के बारे में विचार करें क्या आप सोचते हैं कि यह जन्म के समय से ही तय है ? या इनमे सुधार किया जा सकता है ? जैसा कसरत करने पर मांसपेसियों का है इन धारणाओं का महत्व है क्योकि यह आपके कर्मो पर प्रभाव डालते है जब आपका सामना, असफलताओ से होता है अगर आप इन पूर्वाग्रहों से ग्रसित है कि आपकी क्षमताये कही बंद हैं आप शायद हार मान सकते हैं, यह मान कर कि आपने कोई अच्छी चीज़ खोजी है जिसमे आप उतने अच्छे नहीं पर अगर आपका चिंतन विकाशशील है और आप सोचते है की आपकी क्षमताये बढ़ सकती है, तब कोई भी विपत्ति, एक अवसर है सीखने और बढ़ने का | तंत्रिका विज्ञान विकाशशील चिंतन का समर्थन करता है आपके दिमाग की कड़िया लगातार प्रयास और सिखने से शक्तिशाली होती है आमतौर पर यह निकल कर आया है कि विकाशशील चिंतन वाले लोग अधिक सफल होते है ज्यादा अच्छी श्रेणियाँ पाते है और चुनौतियों का बेहतर तरीके से सामना करते है सुझाव ३. असफलता का प्रयास कीजिये आप कई बार असफलताओ को पा सकते है इसका सामना कीजिये हर कोई हर बार सफल नहीं होता दूसरे भी असफलाओ का सामना करते हैं ज.क. रोलिंग्स को १२ प्रकाशकों ने अस्वीकार कर दिया था फिर बाद में किसी ने "हैरी पॉटर " को स्वीकार किया राइट ब्रदर्स ने अपने इतिहास में कई असफल उड़ान भरने के प्रयास किये उसके बाद जाकर उन्होने एक सफल वायुयान बनाया शोध दर्शाते है की जो नियमित रूप से असफल होते है पर फिर भी हार नहीं मानते वह चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर रूप से तैयार रहते है एक रचनात्मक तरीके से वो सीखते है की किस तरह से अलग-अलग रणनीतियाँ बनाकर सफल हो दुसरो से सुझाव ले और तो किसी चुनौती जिसका आप सामना करने वाले है समझिये की आसान नहीं होने वाला , स्वीकारिये की आप गलतियां करेंगे और अपने प्रति नरम रहिये अपनी सफलता को पाने के लिए खड़े हो जाइये यह उत्तेजना आप महसूस करेंगे जब आपको पता होगा की कोई भी परिणाम आये आपके पास अधिक ज्ञान और अनुभव होगा यही आत्मविश्वास है | मैंने वो स्लाइड शो जो मैंने यहाँ क़रीब दो साल पहले दिया था क़रीब २००० बार किया था। मैं आज सुबह एक छोटा स्लाइड शो दे रहा हूँ जो कि मैं पहली बार दे रहा हूँ, इसलिए -- वैसे ऐसा नहीं है कि- मैं नहीं चाहता या बार उठाने की ज़रूरत नहीं है; मैं वास्तव में इस बार को कम करने की कोशिश कर रहा हूँ क्योंकि मैंने इसे एक साथ एकत्रित करने के लिए प्रयास किया है जिससे हम इस सत्र की चुनौती को पूरा कर सकें। और केरेन आर्मस्ट्रांग की शानदार प्रस्तुति ने मुझे याद दिलाया था कि धर्म जिसे वास्तव में ठीक से समझा गया है वो विश्वास के बारे में नहीं वरन, लेकिन व्यवहार के बारे है शायद हमें आशावाद के बारे में भी यही बात कहनी चाहिए । हमने आशावादी होने की हिम्मत कैसे की? आशावाद को कभी-कभी एक विश्वास, एक बौद्धिक मुद्रा के रूप में चित्रित किया जाता है जैसा कि महात्मा गांधी ने प्रसिद्ध रुप से कहा है, "जो परिवर्तन आप दुनिया में देखना चाहते हैं वो परिवर्तन पहले स्वयं में होना चाहिए।" और नतीजा है जिसके बारे में हमारी आशावादी होने की इच्छा केवल विश्वास से पैदा होने वाली नहीं है बल्कि विश्वास इस हद तक होना चाहिये कि वो नये व्यवहार को जन्म दे सके लेकिन शब्द "व्यवहार" को भी मैं सोचता हूँ, कि कभी-कभी इस संदर्भ में इसे ग़लत समझा जाता है। मैं प्रकाश बल्ब बदलाव की पूरी तरह वका़लत करता हूँ और संकर और टिपर ख़रीदता हूँ, मैंने अपने घर पर 33 सौर पैनल लगा रखे हैं। और जियोथर्मल कुओं खोदना वगैरा, और वह सब अन्य सभी काम करता हूँ। लेकिन प्रकाश बल्ब बदलना जितना महत्वपूर्ण है, क़ानून बदलना उससे अधिक महत्वपूर्ण है। और जब हम, हमारे दैनिक जीवन में व्यवहार परिवर्तन करते हैं हम कभी-कभी नागरिकता का और लोकतन्त्र का हिस्सा बाहर छोड़ देते हैं इस बारे में आशावादी होने के लिये हमें अपने लोकतन्त्र में नागरिक के रुप में अविश्वसनीय रुप से सक्रिय होना होगा। जलवायु संकट को हल करने के लिए हमें लोकतंत्र का संकट हल करना होगा। (तालियाँ)। और हमारे पास हल है। मैं एक लंबे समय के लिए इस कहानी को सुनाने की कोशिश कर रहा था। हाल ही में एक महिला ने मुझे याद दिलाया था जिस मेज़ पर मैं बैठा हुआ था वो उसके पास से गुज़री, मेरी तरफ़ घूरते हुए, वो लगभग 70 वर्ष की लगती थीं, उसका चेहरा बहुत दयालु है। मैंने इसके बारे में कुछ भी नहीं सोचा था जब तक मैंने अपनी आँखों के कोने से देखा वह विपरीत दिशा से चल रही थीं अभी भी मुझे घूर रही थीं। और इसलिए मैंने कहा, "आप कैसी हो ?" और उसने कहा, "तुम जानते हो, अगर तुम अपने बाल काले रंग लो, तो तुम अल गोर की तरह लगने लगोगे। "(हंसना)। कई साल पहले, जब मैं एक युवा कांग्रेसी था, मैं परमाणु हथियारों पर नियंत्रण की - परमाणु हथियारों की दौड़ की चुनौती से निपटने के लिये बहुत समय ख़र्च किया । और सैन्य इतिहासकारों ने उस खोज के दौरान मुझे सिखाया कि आम तौर पर सैन्य संघर्ष को तीन श्रेणियों में रखा जा सकता है, स्थानीय लड़ाई, क्षेत्रीय या थिएटर यु्द्ध और दुर्लभ पर सबसे अधिक महत्वपूर्ण वैश्विक, विश्व युद्ध। सामरिक संघ और संघर्ष के प्रत्येक स्तर को संसाधनों के एक अलग आवंटन की आवश्यकता है एक अलग दष्टिकोण एक अलग संगठन मॉडल। पर्यावरण चुनौतियों में भी वही तीन श्रेणियाँ होती हैं और हम जिनके बारे में अधिकांशत: सोचते हैं वो हैं स्थानीय पर्यावरणीय समस्या जैसे के वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ख़तरनाक अपशिष्ट म्लानता। लेकिन वहाँ क्षेत्रीय पर्यावरणीय समस्या भी है जैसे अम्ल वर्षा मिडवेस्ट से पूर्वोत्तर, और पश्चिमी यूरोप से आर्कटिक, और मिडवेस्ट से मिसिसिपी की खाड़ी मैक्सिको के मृत क्षेत्र में बाहर। और ऐसे बहुत से उदाहरण हैं। लेकिन जलवायु संकट ये दुर्लभ है, पर सर्वाधिक महत्वपूर्ण भी है वैश्विक या सामरिक संघर्ष सभी कुछ प्रभावित हुआ है। और हमे अपने प्रतिउत्तर को सही ढंग से आयोजित करना है। हमें एक विश्वव्यापी, वैश्विक गतिशीलता की ज़रूरत है नवीकरणीय ऊर्जा, संरक्षण, कार्यक्षमता के लिए और एक वैश्विक संक्रमण से एक कम कार्बन अर्थव्यवस्था के लिए। हमें काम करना है। और हम संसाधन और राजनीतिक इच्छा जुटा सकते हैं लेकिन राजनीतिक इच्छा को संसाधन जुटाने के लिए अभिप्रेरित करना चाहिये। मैं आपको यहाँ ये स्लाइड दिखाना चाहूँगा। मुझे लगता है कि मुझे लोगो के साथ शुरू करना चाहिये।यहाँ क्या नहीं है, बेशक, उत्तर ध्रुवीय बर्फ़ की चोटी। ग्रीनलैंड रहता है। 28 साल पहले, ध्रुवीय बर्फ़ की चोटी इस तरह थी उत्तर ध्रुवीय बर्फ़ की चोटी- विषुव में गर्मियों के अंत में इस तरह दिखती थी। यह पिछले पतझड़ में, मैं बोल्डर कोलोराडो में स्नो एन्ड आइस डाटा सेन्टर गया था और यहाँ मॉनरी में नौसेना स्नातकोत्तर प्रयोगशाला में शोधकर्ताओं से बात की पिछले 28 सालों में यह सभी कुछ हुआ है| इस परिप्रेक्ष्य में, ये पिछला रिकॉर्ड था और पिछले पतझड़ में ये हुआ था। और इससे खोजकर्ता वास्तव में परेशान हो गये। उत्तर ध्रुवीय बर्फ़ कैप भौगोलिक रुप से एक ही आकार का है। बिल्कुल उसी आकार का नहीं लगता लेकिन अगर हम एरिजो़ना का राज्य हटा दें तो ये यह वास्तव यूनाइटेड स्टेटस के आकार के बराबर ही है जो राशि 2005 में गा़यब हो गई वो सब कुछ मिसिसिपी के पूर्वी के आकार के बराबर थी। जो अतिरिक्त राशि पिछले पतझड़ में गा़यब हो गई वो इसी के बराबर थी। यह वापस सर्दियों में आती है, लेकिन स्थायी रूप से बर्फ़ के रूप में नहीं बल्कि पतली बर्फ़ के रूप में । असुरक्षित। यह शेष राशि पूरी तरह गर्मियों से ख़त्म हो सकती है वो भी पाँच साल जैसे कम समय में। यह ग्रीनलैंड पर बहुत दबाव डालता है। पहले से ही है, आर्कटिक सर्कल के चारों ओर -- यह अलास्का में एक प्रसिद्ध गांव है। यह न्यूफ़ाउन्डलैन्ड का एक शहर है । अंटार्कटिका। नासा से नवीनतम अध्ययन। एक मध्यम से भारी बर्फ़ पिघलने की राशि कैलिफोर्निया के आकार के एक क्षेत्र को बराबर की थी। "वे इस समय के सबसे अच्छे थे , वे समय के सबसे ख़राब थे " अंग्रेजी़ साहित्य का प्रसिद्ध शुरुआती वाक्य मैं संक्षिप्त आपको बताना चाहूँगा, "टेल ऑफ़ टू प्लैनेटस" पृथ्वी और शुक्र बिल्कुल एक ही आकार के होते हैं। पृथ्वी का व्यास लगभग 400 किमी अधिक है, पर अनिवार्य रूप से एक ही आकार है। उनमें वास्तव में कार्बन एक ही मात्रा का है। लेकिन फ़र्क़ ये है, पृथ्वी पर, कार्बन समय के साथ वातावरण में से निकल कर, कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस आदि के रूप में ज़मीन में जमा हो गया। शुक्र पर इसका अधिकांश भाग वातावरण में है। अन्तर यह है कि हमारा तापमान औसत 59 डिग्री सेल्सियस है। शुक्र पर यह 855 है। यह हमारी मौजूदा नीति के लिए प्रासंगिक है कि ज़्यादा कार्बन के जल्दी से जल्दी ज़मीन से बाहर ले जाना चाहिये और वातावरण में डाल देना चाहिये। ऐसा इसलिये नहीं है कि शुक्र सूर्य के थोड़ा क़रीब है। यह बुध की तुलना में तीन गुना अधिक गर्म है, जो सूरज के बगल में है। अब, संक्षेप, यहाँ आप एक छवि देख रहे हैं जो आपने शायद किसी पुराने चित्रों में भी देखी है, लेकिन मैं उसे दिखा रहा हूँ क्योंकि मैं आपको संक्षिप्त सीएसआई देना चाहता हूँ: जलवायु । वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय कहते हैं, आदमी द्वारा बनाया गया ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण, वातावरण में, अधिक निवर्तमान अवरक्त डालता है। आप सभी ये जानते हैं। अन्त में आईपीसीसी का सारांश, वैज्ञानिक कहना चाहते हैं, "आप कितने निशचित हैं?" वो उत्तर देना चाहते हैं कि "99 प्रतिशत।" चीनी लोगों ने इस पर विरोध व्यक्त किया, और इस तरह समझौता हुआ "90 प्रतिशत से अधिक पर" अब, कुछ सनकी लोगों ने कहा, "ओह, एक मिनट रुको, सूर्य से आने वाली इस ऊर्जा में अन्तर हो सकता है।" अगर ये सत्य था कि तो स्ट्रैटोस्फ़ेयर भी निचले वातावरण के समान ही गर्म होगा अगर ऊर्जा अधिक आ रही है तो। लेकिन अगर ये जाने वाले रास्ते पर अधिक है, तब आप ये उम्मीद कर सकते हैं कि यहाँ पर गर्म और वहाँ पर अधिक ठंडा होगा। निचला वातावरण ये है। और स्ट्रेटोस्फ़ेयर ये है: अधिक ठंडा। सीएसाआई: जलवायु। अब एक अच्छी ख़बर है। 68 प्रतिशत अमेरिकी अब ये विश्वास करते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के लिये मानव गतिविधियाँ ही उत्तरदायी हैं। 69 प्रतिशत ये विश्वास करते हैं कि पृथ्वी उल्लेखनीय रुप से गर्म हो रही है। इसमें प्रगति हुई है, लेकिन कुन्जी ये है कि: जब भी हम उन चुनौतियों की सूची बनाते हैं, जिनका हमें सामना करना है, तो उसमें ग्लोबल वार्मिंग का स्थान लगभग सबसे अन्त में होता है। जो चीज़ नहीं है वो है एक अत्यावश्यकता की भावना। अगर आप इस तथ्यात्मक विशलेषण से सहमत हैं, लेकिन आप अत्यावश्यकता की भावना को महसूस नहीं करते, वो आप कहाँ रह जाते हैं? वैसे, एलायन्स फ़ॉर क्लाइमेट प्रोटेक्शन, जिसका मैं अध्यक्ष हूँ उन्होंने करन्ट टी वी के साथ, जिन्होंने ये शुरुआत की है दुनिया भर में प्रतियोगिता आयोजित की, ये विज्ञापन करने के लिये कि इस बारे में कैसे वार्तालाप किया जाये। और ये विजेता रहे। एनबीसी-- मैं आपको यहाँ सभी नेटवर्क दिखाऊँगा--एनबीसी के उच्च पत्रकार ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों से 2007 में 956 प्रशन पूछे जिनमें से दो जलवायु समस्या के विषय में थे। एबीसी: 844 प्रशन, जिसमें से दो जलवायु समस्या के विषय में थे। फ़ॉक्स:दो, सीएनएन: दो। सीबीएस:शून्य। हँसी से आँसू की ओर। ये तम्बाकू का विज्ञापन है। तो हम ये सभी कुछ कर रहे हैं। इन सभी देश लेकिन ये सिर्फ़ विकसित देशों में ही नहीं है। विकासशील देश अब हमारा अनुसरण कर रहे हैं और अपनी गति बढा़ रहे हैं। और वास्तव में, उनके संचयी उत्सर्जन इस वर्ष उतने ही हैं जितने हमारे 1965 में थे। वो नाटकीय रुप से आगे बढ़ रहे हैं सन्पूर्ण सान्द्रता 2025 तक वो वहाँ होंगे जहाँ हम 1985 में थे अगर धनी देश तस्वीर से पूरी तरह गा़यब हो जायेंगे तब भी हमारे समक्ष समस्या होगी। लेकिन विकासशील देशों को तक़नीक़ और सोचने के तरीके हमने ही दिये हैं, जो समस्या उत्पन्न कर रहे हैं। ऐसा वोलिविया में है। क़रीब-- क़रीब ३० साल पहले। ये कुछ सेकन्ड में बडी़ मछली पकड़ने के समान है। 60, 70, 80, और 90 के दशक में। हमें इसे रोकना होगा। और अच्छी ख़बर ये है कि हम ये कर सकते हैं। हमारे पास प्रौधोगिकी है। हमें एक दृष्टिकोण रखना होगा कि हमें इस विषय पर कैसे काम करना है: दुनिया में ग़रीबी के ख़िलाफ़ संघर्ष और धनी देश उत्सर्जन कटौती की चुनौती, सभी का एक, और बहुत सरल उपाय है। लोग कहते हैं, "क्या उपाय है?" ये है। कार्बन का मूल्य रख दें। हमें co2 पर टैक्स की ज़रूरत है, समान राजस्व जो रोजगार के टैक्स की जगह होना चाहिये, जिसका अविष्कार बिस्मार्क ने किया था-- और 19वीं शताब्दी से कुछ चीज़ें बदल गई हैं। ग़रीब दुनिया में, हमें ग़रीबी के प्रति दी गई प्रतिक्रियाओं को जलवायु समस्या से जोड़ना होगा। युगान्डा में ग़रीबी से लड़ने की योजना विवादास्पद है अगर हमने जलवायु की समस्या को नहीं सुलझाया। लेकिन गरीब देशों में इन प्रतिक्रियाओं से बहुत बडा़ अन्तर पड़ सकता है। ये एक सुझाव है जिस पर यूरोप में बहुत चर्चा हुई। ये नेचर मैगजीन से था। ये सौर नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। जो तथाकथित सुपरग्रिड से जुडे़ थे जो विकसित देशों से पूरे यूरोप को विधुत वितरण करते हैं। उच्च वोल्टेज डीसी करन्ट ये "आकाश से तारे तोड़ने" के समान नही हैं, ऐसा हो सकता है। हमें इसे अपनी ही अर्थव्यवस्था में करने की आवश्यकता है। नवीनतम आंकडे़ कहते हैं कि पुराना तरीका़ काम नहीं कर रहा है। ऐसे बहुर से बडे़ निवेश हैं जो आप कर सकते हैं। अगर आप टार रेत या शैल के तेल में निवेश कर रहे हैं तब आपका एक पोर्टफ़ोलियो है जो कम मुख्य कार्बन उत्पादों से भरा हुआ है। और ये पुराने तरीके पर आधारित है। नशेड़ियों को अपने घुटनों में नसों का अहसास हुआ, जब वो अपने हाथों और पैरों पर खडे़ होने लायक नही रहे। टार रेत या कोल शैल का विकास करना भी इसके समान है। ये कुछ ऐसे निवेश हैं जिनके बारे में मैं व्यक्तिगत रुप से सोचता हूँ कि वो मतलब रखते हैं। मैंने यहाँ एक दाँव लगाया था, इसलिये वहाँ एक अस्वीकरण है। लेकिन जियोथर्मल, सान्द्र सौर फ़ोटोवाल्टिक, कुशलता और संरक्षण बढा़ता है। आपने ये स्लाइड पहले भी देखी है, परन्तु इसमें एक परिवर्तन है। केवल दो देशों ने इस बात की पुष्टि नहीं की --और अब केवल एक ही है। आस्ट्रेलिया में चुनाव हुए। और आस्ट्रेलिया में एक अभियान चल रहा था जिसमे टेलीविजन, इंटरनेट और रेडियो के विज्ञापन भी शामिल थे जिससे वो वहाँ के लोगों में अत्यावश्यकता की भावना को उठा सकें। और हमने आस्ट्रेलिया के हर गाँव और शहर में स्लाइड शो करने के लिये 250 लोगों को प्रशिक्षित किया। इसमें बहुत सी अन्य चीज़ों का योगदान दिया गया, लेकिन नये प्रधानमन्त्री ने घोषणा की कि उनकी पहली प्राथमिकता है क्योटो में आस्ट्रेलिया की स्थिति बदलना, और उन्होंने ऐसा किया। और अब अपने यहाँ पडे़ भयंकर सूखे के बाद उनमें कुछ जागृति की भावना आई है। यह लेक लैनियर है। मेरे मित्र हीदी कलिन्स कहते हैं कि अगर हम सूखे को भी नाम दे दें जैसे हम तूफ़ान को देते हैं उत्तर पूर्व में आये तूफ़ान को अब हम कैटरीना कह सकते हैं, और हम कहेंगे कि ये अटलांटा की तरफ़ बढ़ गया। हम सूखे के प्रकार का इन्तजा़र नही कर सकते। आस्ट्रेलिया को हमारी राजनीतिक संस्कृति बदलनी होगी। और अब एक और अच्छी ख़बर है। यूएस का क्योटो में समर्थन करने वाले शहर अब 780 हैं --और मैंने सोचा कि मैं एक देखना चाहूँगा, केवल इसके स्थानीयकरण के लिये। जो एक अच्छी ख़बर है। अब इसे ख़त्म करने के लिये, हमने कुछ समय पहले सुना था किसी व्यक्तिगत बहादुरी का इतना सामान्य मूल्य बना देने के बारे में कि ये रोज़मर्रा की बात लगने लगे। हमें ज़रूरत है एक अन्य हीरो पीढी़ की। हममें से जो यूनाइटेड स्टेटस ऑफ़ अमेरिका में रहते हैं विशेषकर आज, और साथ ही शेष दुनिया को को किसी प्रकार समझना होगा कि इतिहास ने हमारे समक्ष विकल्प रखा है --जिस प्रकार जिल बोल्टे टेलर ने पता लगाया था कि उसके जीवन को उस समय कैसे बचाया जाये, जब वो एक अदभुत अनुभव से गुज़रने के कारण विचलित हो रही थी। अब हम व्याकुलता की एक संस्कृति हैं और हमारे समक्ष ग्रहों की आपातस्थिति है और हमें एक रास्ता ढूँढ़ना है, जिससे हम आज की जीवित पीढी़ में एक नई पीढी़ मिशन की भावना जाग्रत कर सकें। मैं उम्मीद करता हूँ कि मुझे ये व्यक्त करने के लिये शब्द मिल पायें। ये अन्य बहादुर पीढी़ है जो इस ग्रह पर लोकतंत्र को लेकर आई है। एक अन्य जिन्होंने दासता का अन्त किया। और जिन्होंने स्त्रियों को वोट करने का अधिकार दिया। हम ये कर सकते हैं। मुझसे मत कहियेगा कि हममें ये करने की क्षमता नहीं है। अगर हममें सिर्फ़ एक सप्ताह के लिये उतनी क्षमता हो जो हमने इराक युद्ध पर ख़र्च की थी, तो हम इस चुनौती को अच्छी तरह से सुलझाने के रास्ते पर बढ़ सकते हैं। हममें ये करने की क्षमता है। एक अन्तिम बिन्दु। मैं आशावान हूँ,क्योंकि मैं जानता हूँ कि हममें क्षमता है, और महान चुनौतियों के क्षणों में हम उन व्याकुलता के कारणों को अलग रख सकते हैं और खडे़ हो सकते हैं उन चुनौतियों के समक्ष जो इतिहास हमारे समक्ष रख रहा है। कभी-कभी मैंने देखा है कि लोग जलवायु समस्या से जुडे़ विचलित तथ्यों का जवाव ये कहकर देते हैं," ओह, कितने दुख की बात है। हमारे ऊपर कितना बडा़ बोझ है।" मैं आपसे कहना चाहूँगा कि आप इस प्रशन को दोबारा बानायें। मानव इतिहास की कितनी पीढि़यों को ये अवसर मिला है कि वो ऐसी चुनौतियों के समक्ष खडे़ हो सकें जो हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रयास के लायक़ हैं? एक ऐसी चुनौती जो हमसे वो निकाल सकें जो हम जानते हैं कि हम कर सकते हैं? मैं सोचता हूँ कि हमें इस चुनौती को अत्यधिक प्रसन्नता और कृतज्ञता से स्वीकार करना चाहिये कि हम वो पीढी़ हैं जिसके विषय में आज से हजा़र साल बाद, फ़िलहारमोनिक वाध वृन्द, कवि और गायक ये कहेंगे कि ये उनमें से एक हैं जिन्होंने समस्या को सुलझाने का रास्ता स्वयं निकाला और साथ ही एक शानदार और आशावान भविष्य की नींव रखी। चलिये ये करते हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद। क्रिस एन्डरसन: TED में बहुत से लोगों के लिये, बहुत दुख का विषय है कि एक सामान्य डिजा़इन के तथ्य ने-- दिन के अन्त में, एक डिजा़इन तथ्य जिस पर चुनाव हुआ था-- एक ख़राब डिजा़इन तथ्य का अर्थ है कि आपकी आवाज़ सुनी ही नहीं गई इसी प्रकार एक ऐसी स्थिति में पिछले आठ सालों में जिसमें आप इन सभी चीज़ों को सच कर सकते थे। ये दुख देता है। अल गोरे: तुम सोच भी नहीं सकते। सीए:जब आप देखते हैं कि आपकी पार्टी के उच्च प्रत्याशी क्या कर रहे हैं-- मेरा मतलब है, कि वहाँ-- कि क्या आप ग्लोबल वार्मिंग के विषय में उनकी योजनाओं से उत्साहित हैं? एजी: इस प्रश्न का उत्तर मेरे लिये कठिन है क्योंकि, एक हाथ पर, मैं सोचता हूँ कि हमें अच्छा महसूस करना चाहिये इस तथ्य के बारे में कि रिपब्लिकन उम्मीदवार-- कोई उम्मीदवार जॉन मैक्केन, और डेमोक्रेटिक नामांकन के दोनों उम्मीदवार-- उन तीनों की जलवायु समस्या के बारे में बहुत अलग और आगे बढ़्ती हुई स्थिति है। तीनों को ही नेतृत्व का अवसर दिया गया है, और तीनों की सोच ही वर्तमान प्रशासन के दृष्टिकोण से बहुत अलग हैं। और मैं सोचता हूँ कि तीनों ही अपनी योजनाओं और प्रस्तावों को सामने रखने के मामले में ज़िम्मेदार हैं। लेकिन अभियान संवाद कि-- जैसा कि प्रश्नों में वर्णन किया गया है-- और जिसे लीग ऑफ़ कनवरसेशन वोटर द्वारा सामने रखा गया और वैसे सभी प्रश्नों का विश्लेषण और वैसे, सभी वाद-विवाद किसी ऐसी चीज़ द्वारा प्रायोजित हैं जो ऑरवेलियेन लेवल द्वारा जाता है "क्लीन कोल" क्या किसी ने इस पर ध्यान दिया? हर किसी वाद-विवाद को "क्लीन कोल" ने प्रायोजित किया है। "अब, कम एमिशन भी!" इस संवाद की समृद्धि और परिपूर्णता ने हमारे लोकतंत्र में उस बहादुरी की प्राथमिकता का आधार रखा है जिसकी वास्तव में आवश्यकता है। इसलिये वो सही चीज़ें कह रहे हैं और हो सकता है-- उनमें से जिसका भी चयन किया जाये- वो शायद सही चीज़ कर सकें, लेकिन मैं आपको बताना चाहूँगा: जब मैं 1997 में क्योटो से वापस आया बहुत ज़्यादा खु़शी की भावना के साथ कि हमें वहाँ शुरुआत मिल गई, और फिर मैने संयुक्त राज्य की सीनेट का सामना किया, तो 100 सीनेटर में से सिर्फ़ एक व्यक्ति वोट करने को तैयार था केवल निश्चित और प्रमाणित करने के लिये। जो भी प्रत्याशी कहते हैं उसे जो भी लोग कहते हैं उसके साथ रखना चाहिये। चुनौती हमारी संपूर्ण सभ्यता का हिस्सा है। CO2 वास्तव में हमारी सभ्यता का दम निकाल रही है। और अब हमने इस प्रक्रिया का यंत्रीकरण कर दिया है। इस तरीके़ को बदलने के लिये एक लक्ष्य, एक माप और बदलाव की गति की आवश्यकता है जो उस सभी से आगे है जो कुछ भी हमने पहले किया है। इसलिये मैं ये कह कर शुरुआत करुँगा, कि आप जो भी करें उसके लिये आशावान रहें, बल्कि साथ ही एक सक्रिय नागरिक भी बनें जरुरी है-- तो प्रकाश बल्ब बदलें, लेकिन का़नून भी बदलें। वैश्विक सन्धियों को बदलें। हमें बोलना होग। हमें इस लोकतंत्र को सुलझाना होगा--ये-- हमारे लोकतंत्र में कठिनाइयाँ हैं। और हमने उसे बदला है। इंटरनेट का प्रयोग करिये। इंटरनेट पर जाइये। लोगों से जुडि़ये। और नागरिक के रुप में बहुत सक्रिय बनिये। एक अधिस्थगन रखिये-- हमें कोई भी कोयला उत्पन्न करने वाले पौधे नही रखने चाहिये जो CO2 को इकठ्ठा नहीं कर सकते। जिसका मतलब है कि हमें जल्दी ही अक्षय स्त्रोतों का निर्माण करना होगा। अब, कोई भी उस पैमाने पर बात नहीं कर रहा है।लेकिन मुझे विश्वास है कि अभी से नवंबर के मध्य ये मुमकिन है। ये एलायन्स फ़ॉर क्लाइमेट प्रोटेक्शन एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने जा रहा है-- ज़मीनी स्तर से गतिशीलता, टेलीविज़न विज्ञापन, इंटरनेट विज्ञापन, रेडियो, समाचार पत्र-- सभी के साथ भागीदारी करिये बालिका स्काउट से लेकर शिकारी और मछुआरों तक से। हमें मदद चाहिये। हमें मदद चाहिये। सीए: आपकी स्वयं की व्यक्तिगत भूमिका के बारे में आगे बढ़ते हुए, एल, क्या कुछ और ऐसा है जो आप करना चाहेंगे? एजी: मैने प्रार्थना की है कि मैं इस प्रश्न का उत्तर पा सकूँ मैं क्या कर सकता हूँ? बकमिन्स्टर फ़ुलर ने एक बार लिखा था, " अगर मानव जाति का भविष्य मुझ पर निर्भर करता तो मैं क्या करता? मैं कैसा होता?" ये हम सभी पर निर्भर करता है, लेकिन फिर भी, सिर्फ़ प्रकाश बल्बों के साथ नहीं। यहाँ हममें से अधिकांश व्यक्ति अमेरिकी हैं। हमारा एक लोकतंत्र है। हम चीज़ें बदल सकते हैं, पर हमें सक्रियता से बदलना होगा। जिस चीज़ की वास्तव में आवश्यकता है वो है एक उच्च स्तर की चेतना। और ये कठिन है-- ये उत्पन्न करना कठिन है-- परन्तु ये आ रहा है। एक अफ़्रीकी कहावत है जिसे शायद आपमें से कोई जानता हो जो कहता है, " अगर आप जल्दी चलना चाहते हैं, तो अकेले चलिये; अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं, तो साथ चलिये" हमें जल्दी ही दूर तक जाना है। तो हमें अपनी चेतना में बदलाव लाना ही होगा। प्रतिबद्धता में बदलाव। अत्यावश्यकता की नवीन भावना। इस सुविधा के लिये नवीन प्रशंसा के हम इस चुनौती को स्वीकार कर रहे हैं। सीए: अल गोर TED आने ले लिये आपका बहुत धन्यवाद। एजी: धन्यवाद। बहुत धन्यवाद। (तालियां) इस पूरे संसार में करीब ६० करोड़ लोग हैं जिनको अपना घर छोड़ने पर विवश कर दिया गया है, युद्ध, हिंसा और अत्याचार से बचने के लिये। इन में ज़्यादातर लोग देश के अन्दर ही विस्थापित बन चुके हैं, जिसका अर्थ है कि वो अपने घरों से भाग चुके हैं, पर अभी भी अपने ही देश में हैं। कुछ औरों ने सीमा पार कर अपने देश के बहार आश्रय माँगा है। इनको आम तौर पर शरणार्थी कहते हैं। पर इस शब्द का सही अर्थ है क्या? इस विश्व ने सदियों से शरणार्थियों को देखा है, पर इसकी आधुनिक परिभाषा का प्रारूप संयुक्त राष्ट्र के १९५१ के सम्मलेन में बनाया गया, शरणार्थियों की अवस्था के सम्बन्ध में, दूसरे विश्व युद्ध में हुए सामूहिक अत्याचारों और विस्थापन पर प्रतिक्रिया में। इसकी परिभाषा में शरणार्थी एक ऐसा व्यक्ति है जो अपने देश की राष्ट्रीयता के बाहर है, और ज़ुल्म के सु-आधारित भय से अपने देश वापस नहीं जा पा रहा। यह ज़ुल्म उनकी जाती, धर्म, राष्ट्रीयता, किसी विशेष सामाजिक समूह की सदस्यता या राजनितिक मत के कारण हो सकता है, और ज़्यादातर युद्ध और हिंसा से सम्बन्धित होता है। इस समय, दुनिया के करीब आधे शरणार्थी बच्चे हैं, उनमें से कुछ के साथ कोई वयस्क भी होता है, एक ऐसी स्थिति जो उन्हें ख़ास तौर पर बाल श्रम या यौन शोषण की चपेट में आसानी से ले सकती है। हर शरणार्थी की कहानी अलग होती है, और बहुतों को अनिश्चित परिणाम वाली खतरनाक यात्रा से गुज़ारना पड़ता है। पर इससे पहले कि हम इनकी यात्रा के बारे में बात करें, एक बात साफ़ करना ज़रूरी है। "प्रवासी" और "शरणार्थी" शब्दों के बीच में बहुत उलझन है। आम तौर पर "प्रवासी" उन लोगों को कहते हैं जो अपना देश छोड़ देते हैं, अत्याचार से सम्बन्धित कारणों से नहीं, बल्कि बेहतर आर्थिक अवसर ढूंढने के लिये या सूखे से त्रस्त जगह छोड़कर बेहतर परिस्थितियाँ खोजने। विश्व में बहुत लोग ऐसे कारणों से भी विस्थापित हो गये हैं, जैसे प्राकृतिक आपदा, खाना न मिलने की असुरक्षा, और अन्य कठिनाइयाँ। पर अन्तर्राष्ट्रीय कानून, चाहे सही हो या गलत, केवल उनको ही शरणार्थी मानता है जो संघर्ष और हिंसा के कारण भागते हैं। तो जब कोई अपने देश से भागता है, तो क्या होता है? ज़्यादातर शरणार्थियों की यात्रा लम्बी और जोखिम भरी होती है, जिसमें आश्रय, जल और खाना सीमित रूप से ही मिल पाता है। क्योंकि प्रस्थान अचानक और अप्रत्याशित हो सकता है, अपनी सम्पत्ति पीछे छोड़नी पड़ती है, और जो लोग संघर्ष से निकल रहे होते हैं, उनके पास अकसर ज़रूरी दस्तावेज़ नहीं होते, जैसे विमान में यात्रा कर दूसरे देश में कानूनी तौर पर प्रवेश करने के लिये व्हिसा। आर्थिक और राजनीतिक कारण भी उनको सामान्य रास्तों से जाने से रोक सकते हैं। जिसका अर्थ है कि वो अक्सर केवल भूमि या पानी के रास्ते ही यात्रा कर सकते हैं, और उन्हें अपना जीवन तस्करों को सौंपना पड़ सकता है, ताकि वो उन्हें सीमा पार करने में सहायता कर सकें। जहाँ कुछ लोग अपने परिवार के साथ सुरक्षा ढूंढते हैं, वहीँ अन्य लोग अपने प्रियजनों को पीछे छोड़ अकेले ही यात्रा का प्रयास करते हैं, बाद में पुनर्मिलन की आशा के साथ। यह जुदाई दर्दनाक और असहनीय रूप से लंबी हो सकती है। जहाँ विश्व के आधे से ज़्यादा शरणार्थी शहरों में हैं, कभी-कभी एक संघर्ष से भागे हुए व्यक्ति का पहला विराम, शरणार्थी शिविर होता है, जिसे अकसर सँयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संस्था या स्थानीय सरकार चलाती है। शरणार्थी शिविर अस्थायी ढांचे होते हैं, जो थोड़े समय का आश्रय प्रधान करते हैं, जब तक उनके निवासी घर वापस सुरक्षित न पहुँचें, मेज़बान देश में सम्मिलित न हो जाएं, या किसी अन्य देश में न बस जाएं। पर बसने या सम्मिलित होने के विकल्प अकसर सीमित होते हैं। बहुत सारे शरणार्थियों के पास सालों, कभी-कभी दशकों तक शिविर में रहने के अलावा कोई रास्ता नहीं रहता। नए देश में पहुँचने के बाद, एक विस्थापित व्यक्ति के लिये पहला कदम आश्रय के लिये आवेदन करने का होता है। इस समय पर, वो आश्रय के लिये एक आवेदनकर्ता होते हैं और जब तक उनकी अर्ज़ी स्वीकार नहो होती, उनको अधिकृत रूप से शरणार्थी नहीं माना जाता। जहाँ सभी देश कुल मिलकर शरणार्थी की एक परिभाषा पर सहमत हैं, हर मेज़बान देश आश्रय के निवेदन की जाँच के लिये, और आवेदनकर्ता को शरणार्थी का पद दिया जाये, यह निर्णय लेने के लिये खुद ज़िम्मेदार है। भिन्न देशों के दिशा निर्देश काफी हद तक भिन्न हो सकते हैं। मेज़बान देशों के कई कर्तव्य होते हैं, जिन लोगों को उन्होंने शरणार्थी माना है, उनकी तरफ, जैसे एक न्यूनतम स्तर का बरताव और भेदभाव ना किये जाने का भरोसा। शरणार्थियों की तरफ सबसे मौलिक कर्तव्य उनका निष्कासन न करना होता है, एक ऐसा सिद्धान्त जो राष्ट्र को एक व्यक्ति को एक ऐसे देश में भेजने, से रोकता है, जहाँ उनका जीवन और स्वतन्त्रता खतरे में हो। जबकि वास्तविकता में शरणार्थी अकसर अनुचित बरताव और भेदभाव के शिकार हो जाते हैं। उनको ज़्यादातर अपना जीवन जातिवाद और नापसन्द किये जाने के बीच फिर से बनाना पड़ता है। और ज़्यादातर, उनको काम करने की अनुमति नहीं मिलती और वो पूरी तरह मानवीय सहायता पर आश्रित होते हैं। इसके साथ-साथ, अब तक बहुत सारे शरणार्थियों के बच्चे विद्यालय से बहार हैं, शिक्षा योजनाओं में धन की कमी के कारण। अगर आप अपने खुद के परिवार का इतिहास देखेंगे, सम्भवतः आप पाएंगे कि किसी समय में, आपके पूर्वजों को अपना घर छोड़ने पर विवश कर दिया गया था, युद्ध से बच निकलने के लिये या भेदभाव और ज़ुल्म से भागने के लिये। हमारे लिये अच्छा होगा कि हम उनकी कहानियाँ याद रहें, जब हम आज के विस्थापित शरणर्थियों के बारे में सुनते हैं, जो अपने लिये नया घर ढूंढ रहे हैं। शरीरमे चरबी अन्नसंचय का काम करती है ऐसे जिवोमें उत्क्रांति हुई जिन्हें प्रकृतीने चुना जो बदतर हालातमे चरबी का संचय करके जीने में यशस्वी हुए मानवी इतिहासमे दीर्घकालीन कुपोषण की समस्या थी| जिससे चरबी संचय की क्षमता उत्क्रांत हुई| लेकिन यह चरबीसंचय समस्या भी बनती है| जिससे श री र का वजन बढ़ जाता है जिसका जिक्र मेडिकल सायन्स में पहले नहीं था १८ वी शताब्दितक| तांत्रिक विकास के साथ सार्वजनिक स्वास्थ के उपाय ढूंढे गए| जिससे अन्न की राशी गुणवत्ता विविधता में सुधार हुआ| ऐसे आहार उपलब्ध होनेसे लोग स्वास्थ पूर्ण हुए है| ऐसे लोग आर्थिक कर्नोसे मजबूत होनेसे हुई आज आर्थिक सुबत्ता की वजह तथा कमर मोटी होनेसे उन्नीसवी शताब्धि के मध्य मे ज्यादा भार होना बीमारी का कारण मानने जाने लगा| इस शताब्दीमे तो उसे बीमारी करार दिया गया| क्या फरक है मोटा होना और् भारी होना इसके लिये जानिए BMI समजो किसीका भर है ६५ किलोग्राम उचाई है १०५ मीटर तो उनका बमी होगा लगभग २९ मोटापन याने ओबिसिटी का मतलब शरीर में ज्यादा चर्बी होना जब किसिका BMI ३० के उपर होता है ओव्हर वेट उसे कहते है जिनका BMI होता है २५ से २९.९ दरम्यान BMI अंक स्वस्थ शारीर भर दिखाता है| चरबी का प्रतिशत जानने के लिये कमर की जाडी भी महत्व रखती है| ओंर स्नायुपेशी का संचय मसल मास जो खिलाडी होते है उनका BMI ज्यादा होता है तो मोटा किसे कहे ? मूल तव है मोटापा उर्जा के असंतुलन कारण होता है शरीर अगर ज्यादा उष्मांक लेता है ओर कम व्यतीत करता है अपने शारीरिक हलचसे तभी ज्यादा उष्मांक जमा रहता है| यह असंतुलन कभी कभी अनेक परिस्थितिसे जुड़े होनेपर भी होता है अन्न के चुनाव परभी यह निर्भर है| वयस्क लोगोने हर सप्ताह 2|5 घंटोकी कसरत करनी चाहिए| बच्चोने हरदिन एक घंटा कसरत करनी चाहिए चार मेसे एक वयस्क दस मेसे आठ बच्चे सक्रीय नहीं रहते| ज्यद उष्मांक पदार्थ जिंक आकर बढ़ता है ओंर आक्रमक विज्ञापन से ये ज्यादा खानेमे आते| स्वास्थ पूर्ण आहारके स्त्रोत न होनेसे सस्ते स्वाथ्यर्ण आहार मिल नाही पता| जीससे ज्यादा हानी होती है| अपनी जेनेटिक रचना भी इसमे महत्व राखती है जुडवा बच्चोपर किये गये अभ्याससे यह बात साबित होती है वजन बढ़ना अनुवंशिक भी है| नये अध्ययन से पता चला है मोटापेका रिश्ता होता है अपने पाचन संस्था मी रह नेवाले जीवाणू से मोटापा जगभर बढ रहा है जीससे अन्य बिमारी होनेका खतरा बढा है जैसे मधुमेह दिलकी बिमारी| पक्षाघात उच्च रक्तदाब कर्करोग बिमारी सभी उम्र्के| स्त्री पुरुष गरीब धनवान ओ होती है| विकसित अविकसित देशोमेभी| पिछले दो दशक मे बच्चो मे इनकी वृद्धी ६०% हुई है| जो नजर अंदाज नाही किया जा सकता| एक बार मोटापा हो गाय तो उससे मियाद पाना मिश्कील होता है हार्मोन्स तथा चयापचय क्रिया मी होने वाले बदलाव ज्यादा खान पचा नही सकते| भर काम किया तो भी मोटापा जो पहले था उस व्यक्ती कम उष्मांक खर्च करती है उतनीही कसरत करके| जितना प्राकृतिक भर वाली व्यक्ती करती है जिसे ज्यादा भर काम करणा मुश्कील होता है जैसे जैसे वजन बधत है संवेदमा खराब होणे लागती है जीससे लिया गया आहार तथा जमा होनेवाला आहार मेंदू नही ठीक से समज सकता लेकीन यह जन गया है अपनी खानपान मी दीर्घकालीन बदलावसे अपने स्वस्थ मी सुधार हो सकता है| जीवन शैलीमे बदलाव भी जरुरी है| बरीअत्रिक`सर्जरी इन्सुलिन प्रतिरोध मी सुधार होता है आहार स्टोअर होना मानव मे अपने बचाव का वरदान था आज शाप बना जनसंख्या बढती जा राही है |बिमारी बढती जायेगी इसलिये स्वस्थ आहार के प्रती सजग होणा चाहिये अपने लिये यह महत्व राखती है हर देशमे यह बीमारी बढ रही है| इसके सामाजिक आर्थिक आयाम है| यह कोई अकेलेकी समस्या नही| वैश्विक सत्र परउसे प्रतिबंध करणा पडेगा| सभीको अपना भार नियंत्रित रखना होगा| तुम्हारी राशि क्या है? पश्चिमी ज्योतिष में, यह एक नक्षत्र है, जो कैलेंडर में आपके जन्मदिन के द्वारा निर्धारित होता है। लेकिन चीनी राशि के अनुसार, या shēngxiào, यह आपका shǔxiàng है, तात्पर्य वह जानवर जो नियत है आपके जन्म वर्ष को। और अनेक मिथक जो समझाते है, इन पशु चिह्नों और उनकी व्यवस्था को, सब से अधिक चिरस्थायी है महान दौड़। यथा कथा, Yù Dì, अथवा जेड सम्राट, आकाश के शासक, समय को मापने के लिए एक तरीका ईजाद करना चाहता था, इसलिए वह एक दौड़ का आयोजन किया। पहले बारह जानवर नदी के पार जाने में सफल क्रमशः अर्जित करेंगे स्थान राशि चक्र कैलेंडर पर। चूहा सूरज के साथ उठा एक जल्दी शुरुआत के लिए लेकिन नदी के रास्ते में, वह घोड़ा, बाघ, और बैल से मिला। क्योंकि चूहे छोटा था और बहुत अच्छी तरह से नहीं तैर सकता था, उसने मदद के लिए बड़े जानवरों से कहा। जबकि बाघ और घोड़े ने इनकार कर दिया, दयालु बैल सहमत हुआ चूहे को ले जाने के लिए। मगर, जैसे ही दूसरे पक्ष तक पहुंचे चूहा बैल के सिर से कूद गया और पहला स्थान हासिल किया। बैल, दूसरे स्थान पर आया, सही उसके पीछे शक्तिशाली बाघ के साथ। खरगोश, भी मौजूदा लड़ाई के लिए छोटे, फुर्ती से पत्थर और लकड़ी के लट्ठो पर फुदकता हुआ चौथे स्थान पर आया। अगली ड्रैगन आयी, जो सीधे उड़ान भर कर जा सकती था, लेकिन रुक गयी कुछ जीवो की मदद के लिए जो रास्ते में आकस्मिक भेंट हुए। उसके बाद आया घोड़ा, सरपट नदी के पार चलता हुआ। लेकिन जैसे ही पहुंची, सांप रेंग आया। बिदका घोड़ा पिछली टांगों पर खड़ा हुआ, छठे स्थान में सांप घुसा। जेड सम्राट नदी पर बाहर देखा और देखा भेड़, बंदर और मुर्गा सभी एक बेड़ा के ऊपर, एक साथ जंगली घास में से धकेलते हुए । जब वे इसे पार पहुंचे, तिकड़ी सहमत हुई आठवाँ स्थान भेड़ को देने के लिए, जो सबसे अधिक तसल्लीब्ख़्श और सामंजस्यपूर्ण था उनमे, बंदर और मुर्गे द्वारा अनुगमन करते हुए। अगले आया कुत्ता, किनारे पर पांव मारता हुआ। वह एक महान तैराक था, लेकिन लंबे समय तक पानी में क्रीड़ा करने से केवल ग्यारहवाँ आने में कामयाब रहा। अंतिम स्थान सुअर द्वारा अधियाचित किया गया, जो भूक हो गया और रुक गया खाने और झपकी के लिए। अंत में बत्तख की चाल चलते हुए समापन रेखा को पार किया। और इसलिए, हर साल जुड़ा हुआ है एक जानवर के साथ इस क्रम में, चक्र पुनः शुरू होता हुआ हर ६० सालों में। क्यों ६० और बारह नहीं ? खैर, पारंपरिक चीनी कैलेंडर दो अतिव्यापी तंत्र से बना है। राशि चक्र के जानवर जुड़े रहे हैं जो कहा जाता है बारह सांसारिक शाखाएं, या shí'èrzhī। एक अन्य प्रणाली, दस स्वर्गीय उपजा, या tiāngān, पांच शास्त्रीय तत्वों के साथ जुड़ा हुआ है धातु की, xīn, लकड़ी, mù, जल, shuǐ, अग्नि, huǒ, और पृथ्वी, tǔ। प्रत्येक तत्व नियत है यिन और यांग , निर्मित करता हुआ एक दस साल का चक्र। जब बारह जानवरों सांसारिक शाखाओं की पांच तत्वों के साथ मिलाए जाते है जोड़े जाते है यिन व यांग स्वर्गीय तनों के, यह ६० साल बनाता है विभिन्न संयोजनों की, जो जाना जाता है साठ वर्ष का चक्र या gānzhī के रूप में तो कोई पैदा हुआ १९८० में, उसका चिह्न होगा यांग धातु बंदर जबकि जो पैदा हुआ २००७ में वह यिन अग्नि सुअर होगा। वास्तव में, आपके पास एक आंतरिक जानवर भी हो सकता है आपके जन्म माह के आधार पर, एक सच्चा जानवर आपकी जन्म तिथि के आधार पर, और एक गुप्त जानवर आपके जन्म घंटे पर आधारित। यह महान दौड़ थी जिसने निर्धारित किया कौन कौन से जानवर निहित थे चीनी राशि में, लेकिन जैसे ये प्रणाली फैली एशिया में, अन्य संस्कृतियों ने परिवर्तन किए उनके समुदायों को प्रकट करने के लिए। तो अगर आप वियतनामी राशि चक्र से सलाह ले, तो आपको पता चलेगा कि आप एक बिल्ली हैं, न की एक खरगोश, और अगर आप थाईलैंड में है, एक पौराणिक सांप नगा बुलाया जाने वाला ड्रैगन की जगह लेता है। इसलिए चाहे या नहीं आप राशि चक्र में प्रतिष्ठा रखते है एक व्यक्ति के रूप में आप के बारे में, यह निश्चित रूप से बताता है जिस संस्कृति से आता है। किसी भी शारीरिक कौशल में माहिर होने के लिये, चाहे वो घिरनी खाना हो, कोई साज़ बजाना हो, या गेंदबाज़ी करना हो, अभ्यास करना पड़ता है। सुधर करने के लक्ष्य से एक क्रिया को बार-बार करने को अभ्यास करना कहते हैं, जो हमें उसे ज़्यादा आसानी, गति, और आत्मविश्वास से करने में मदद करता है। तो अभ्यास हमारे दिमाग में ऐसा क्या करता है जिससे हम और कुशल होते जाते हैं? हमारे दिमाग में दो तरह के तंत्रिका ऊतक होते हैं: धूसर पदार्थ और श्वेत पदार्थ। धूसर पदार्थ संकेतों और संवेदी उत्तेजनाओं को तंत्रिका कोशिकाओं की ऒर निर्देशित करते हुए मस्तिष्क मे जानकारी नियंत्रित करता है जबकि श्वेत पदार्थ ज़्यादातर वसीय ऊतक और स्नायु तंत्रों से बना होता है। हमारे शरीर को चलाने के लिये, जानकारी को मस्तिष्क के धूसर पदार्थ से रीढ़ की हड्डी से होते हुए, अक्षतंतु कहलाने वाले स्नायु तंत्र की श्रृंखला के माध्यम से मांसपेशियों तक का सफर तय करना होता है। तो अभ्यास या पुनरावृत्ति हमारे मस्तिष्क के आंतरिक कार्य को कैसे प्रभावित करता है? श्वेत पदार्थ में मौजूद अक्षतंतु एक वसीय तत्व में लिपटे होते हैं जिसे माइलिन कहते हैं। और ये माइलिन आवरण, या म्यान है, जो अभ्यास से बदलता है। माइलिन बिजली के तारों पर रोधन के समान है। ये मस्तिष्क द्वारा प्रयोग किये जाने वाले विद्युत संकेतों में से ऊर्जा हानि रोकता है जिससे वो तंत्रिका मार्ग पर ज़्यादा कुशलता से चलते हैं। चूहों पर हुए हाल ही के कुछ शोध कहते हैं कि किसी शारीरिक गति का दोहराव माइलिन म्यान की उन परतों को बढ़ा देता है जो अक्षतंतु का रोधन करती हैं। और जितनी ज़्यादा परतें, उतना ज़्यादा अक्षतंतु श्रृंख्ला के आस-पास रोधन होता है जिससे जानकारी के लिये एक तरह का उत्तम हाईवे बन जाता है जो आपके मस्तिष्क को आपकी मांसपेशियों से जोड़ देता है। तो जहाँ बहुत से खिलाड़ी और कलाकार अपनी सफलता का श्रेय अपनी मांसपेशियों की स्मृति को देते हैं दरअसल, मांसपेशियों की कोई स्मरणशक्ति होती ही नहीं है। वो तो तंत्रिका मार्ग का माइलिनीकरण हो सकता है जो इन खिलाड़ियों और कलाकारों को ज़्यादा तेज़ और कुशल तंत्रिका मार्ग के द्वारा उनकी श्रेष्ठता प्रदान करता है। बहुत से सिद्धान्त उन घंटों, दिनों, यहाँ तक कि उन वर्षों की मात्रा निर्धारित करने की कोशिश करते हैं, जो किसी कौशल में निपुणता हासिल करने के लिये लगते हैं। हमारे पास वो निर्धारित मात्रा तो अभी तक नहीं है, लेकिन हम ये जानते हैं कि निपुणता केवल कुछ घंटो के अभ्यास के बारे में नहीं है। उस अभ्यास की गुणवत्ता और प्रभावशीलता के बारे में भी है। प्रभावशाली अभ्यास नियमित होता है, अत्यधिक केंद्रित होता है, और उन चीज़ों या कमज़ोरियों पर वार करता है जो किसी व्यक्ति की वर्तमान क्षमताओं को श्रेष्ठ बनने से रोक रही होती हैं। तो अगर प्रभावशाली अभ्यास मुख्य है, क्या हम अपने अभ्यास के समय से अधिकतम परिणाम प्राप्त कर सकते हैं? इन सुझावों को आज़मा कर देखिये। अपने कार्य पर ध्यान केंद्रित कीजिये। जो चीज़ें संभवतः ध्यान भटका सकती हैं, उनको कम से कम कीजिये, कंप्यूटर या टीवी बन्द और अपने मोबाइल फ़ोन को एयरप्लेन मोड पर रखिये। एक शोध में शोधकर्ताओं ने पढ़ते हुए २६० छात्रों पर गौर किया। औसतन, वो छात्र एक बार में छह मिनट ही अपने काम पर लगे रह पाए। लैपटॉप, स्मार्टफोन, और विशेष रूप से फेसबुक सबसे ज़्यादा ध्यान भटकने की जड़ थे। धीरे-धीरे या धीमी गति में शुरुआत कीजिये। सामंजस्य पुनरावृत्ति से बनता है, चाहे वह सही हो या गलत। अगर आप धीरे-धीरे गुणी पुनरावृत्ति की गति बढ़ायेंगे, तो उसको सही तरह से करने का बेहतर संयोग होगा। फिर, नियमित अन्तराल के साथ अक्सर पुनरावृत्ति, अन्यन्त श्रेष्ठ कलाकारों के अभ्यास का सामान्य तरीका होता है। शोध दिखाते हैं कि बहुत से शीर्ष खिलाड़ी, संगीतकार, और नर्तक अपनी कला से जुड़ी गतिविधियों पर हर सप्ताह ५०-६० घंटे व्यतीत करते हैं। कई लोग, प्रभावशाली अभ्यास में प्रयोग होने वाले समय को रोज़ाना सीमित अवधि के कई अभ्यास सत्रों में विभाजित करते हैं। और अन्त में, सुस्पष्ट विस्तार में अपने मस्तिष्क में अभ्यास कीजिये। ये थोड़ा आश्चर्यजनक है, लेकिन बहुत से शोध ये बताते हैं कि किसी शारीरिक गति के कायम होने के बाद, मात्र उसकी कल्पना करके उसे सुदृढ़ बनाया जा सकता है। एक शोध में, बास्केटबॉल के १४४ खिलाड़ियों को दो समूहों में विभाजित किया गया। समूह अ ने एक हाथ से बॉल फेंकने का शारीरिक अभ्यास किया, जबकि समूह ब ने केवल मानसिक अभ्यास किया। जब दो सप्ताह के इस परीक्षण के अन्त में उनका इम्तेहान लिया गया, तो दोनों समूहों के माध्यम व अनुभवी खिलाड़ी लगभग समान रूप से ही उन्नत हुए थे। जैसे-जैसे वैज्ञानिक हमारे मस्तिष्क के रहस्यों को सुलझाने के करीब जायेंगे, प्रभावशाली अभ्यास की हमारी समझ केवल सुधरेगी ही। इतने, प्रभावशाली अभ्यास ही हमारा सबसे अच्छा तरीका है, अपनी व्यक्तिगत सीमाओं से आगे बढ़ने, नई ऊँचाइयों को प्राप्त करने, और अपनी क्षमता को अधिकतम बनाने के लिये। यदि आप चॉकलेट के बिना अपनी ज़िन्दगी की कल्पना नहीं कर सकते, तो आप भाग्यशाली हैं कि आपका जन्म सोलहवी शताब्दी से पहले नही हुआ। तब तक चॉकलेट केवल मेसोअमेरिका में पायी जाती थी, आज जिस रूप में जानते हैं उससे बहुत ही भिन्न रूप में। 1900 ईसा पूर्व तक उस क्षेत्र के लोगों ने देशी काकाओ की बीन्स को तैयार करना सीख लिया था। सबसे पुराने आलेखों के अनुसार बीन्स को पीस कर मक्की का आटे व लाल मिर्च के साथ मिलाया जाता था। एक पेय बनाने के लिए- गर्म कोको के एक कप के लिए नही, बल्कि एक कड़वा, सशक्त संयोजक बनाने के लिए जो फेन से भरा होता था। और अगर आपको लगता है कि आज हम चॉकलेट को कुछ ज़्यादा ही महत्व देते हैं तो असल में मेसोअमेरिकन लोगों ने हमें मात दी थी। उनका मानना था कि चाॅकलेट एक दिव्य खाद्य पदार्थ है जो मानवों को एक पंखों वाले सर्प देव ने भेंट किया, जिन्हे माया लोग कुकुलकन और एज़्टेक लोग क्वात्ज़लकोआटल के नाम से जानते थे। एजटेक लोग कोको बीन्स का इस्तेमाल मुद्रा के रूप में करते थे और शाही समारोहों में चॉकलेट पिया करते थे, युद्ध में सफलता के लिए पुरस्कार के रूप में सैनिकों को देते थे और रीति-रिवाजों में प्रयोग करते थे। 1519 में पहली बार ट्रान्साटलांटिक तौर पर चॉकलेट से परिचय हुआ जब हर्नान कोर्टेस ने मोक्टेज़ुमा की अदालत का दौरा किया जो टेनोच्टिट्लान में स्थित है। कोर्टेस के लेफ्टिनेंट ने दर्ज किया गया है, राजा ने चॉकलेट से भरी 50 सुराहियाँ मंगवायी और उसे सुनहरे प्यालों में परोसा गया। जब उपनिवेशवादी एक अनोखी बीन को जहाज़ों पर लाद कर लाए मिशनरी लोगों के देशी रिवाज़ों पर कामातुर रवैये के कारण एक कामोद्दीपक औषधि का नाम दिया । शुरूआत में, इसके कड़वे के कारण इसे दवा के रूप में उपयुक्त बनाया, जैसे पेट की बिमारियाँ, लेकिन शहद, चीनी, या वेनिला के साथ इसे मीठा बनाने से चॉकलेट स्पेनिश अदालत में जल्द ही एक लोकप्रिय व्यंजन बन गया। और जल्द ही, एक समर्पित चॉकलेट अब सब सभी कुलीन घरों में पाया जाना लगा। लेकिन इस पेय को बड़े पैमाने पर बनाना कठिन एवं बहुत ही समय लेने वाला कार्य था। इसमें कैरिबियन में और अफ्रीका के तट पर स्थित द्वीपों पर वृक्षारोपण और आयातित गुलाम श्रम का उपयोग शामिल था। चॉकलेट की दुनिया 1828 में हमेशा के लिए बदल गयी जब एम्स्टर्डम के कोएनराड वैन हौटेन ने कोको प्रेस का ईजाद किया। वैन हौटेन का यह आविष्कार कोको के प्राकृतिक वसा अथवा कोको मक्खन को अलग कर सकता था। इससे एक ऐसा पाउडर बना जिसे एक पेय में मिला कर पिया जा सकता था या फिर कोको मक्खन में पुनर्मिलित किया जा सकता था ठोस चॉकलेट बनाने के लिए कुछ समय बाद ही ऐक डैनियल पीटर नामित स्विस चॉकलेटर ने दूध के पाउडर को मिश्रण में मिलाया, और दूध की चॉकलेट का आविष्कार किया। 20वीं शताब्दी में चॉकलेट एक विशिष्ट विलास खाद्य सामग्री नहीं रही बल्कि आम लोगों कके लिए एक ज्योनार बन गया भारी मांग की वजह से कोको की अधिक खेती आवश्यक बन गयी जो केवल भूमध्य रेखा के पास ही विकसित हो सकता है अब, अफ्रीकी गुलामों को दक्षिण अमेरिकी कोको बागानों में भेजने के बजाय कोको का उत्पादन खुद पश्चिम अफ्रीका में स्थानांतरित हो गया 2015 तक दुनिया में कोको के उत्पादन का दो-पांचवां हिस्सा कोटे डी आइवर हीआपूर्त कर रहे थे फिर भी उद्योग के विकास के साथ मानव अधिकारों की भयानक उपेक्षा हुई है पश्चिम अफ्रीका के कई बाग़ान जो पश्चिमी कंपनियों को कोको सप्लाई करते हैं गुलामों और बाल मजदूरों को नियोजित करते हैं जिससे अनुमान के मुताबिक 2 लाख से अधिक बच्चे प्रभावित होते हैं यह एक जटिल समस्या बन गयी है प्रमुख चॉकलेट कंपनियों से अफ्रीकी देशों के साथ भागीदारी करने के प्रयासों के बावजूद बाल श्रम व आश्रित श्रम की प्रथाएँ आज भी क़ायम हैं। आज, चॉकलेट ने आधुनिक संस्कृति के अनुष्ठानों में खुद को स्थापित किया है देशी संस्कृतियों के साथ अपने औपनिवेशिक सहयोग के कारण, विज्ञापन की शक्ति के साथ चॉकलेट ने कामुक की छवि बरकरार रखी है, पतनो-मुख, एवं निषिद्ध। इसके आकर्षक और अक्सर क्रूर इतिहास के बारे में अधिक जानने पर और साथ ही इसका मौजूदा उत्पादन हमें इन संस्थाओं के प्रारंभ के बारे में पता चलता है और यह कि वह वे क्या छिपाते हैं तो जैसे ही आप अपनी चॉकलेट की अगली बार खोलें एक क्षण के लिय विचार करें कि चॉकलेट के बारे में सब कुछ मीठा नही है। कुछ साल पहले, मै ने सच मेँ बहुत ही हिम्मत का काम किया, या कोई उसे बेवकूफी कहते हैँ| मैँ कॉंग्रेस के लिये दौडा| बहुत साल तक, मैँ राजनीति मेँ सुरक्षित रूप से परदे के पीछे रहा एक फंड रैसर के रूप मेँ, एक आयोजक के रूप मेँ, लेकिन मेरे मन मेँ, मैँ हमेषा दौडना चाहती थी| मेरे जिले मेँ १९९२ से काँग्रेस वुमन थी| उन्होँ ने कभी रेस नही हारी, और कोई भी उनके सामने डेमोक्रटिक प्रैमरी से नही खडे थे| लेकिन मेरे मन मेँ , ये एक अंतर लाने के लिये, यथास्थिति को बधित करने के लिये, मेरी तरीका थी| मगर पोल्स कुछ अलग एक कहाँई बतारहे थे| मेरे पोल्स्टर्स ने कहा मैँ पागल हूँ , किये रेस दौड रही हूँ, और कोई रस्ता नही हैँ कि मैँ जीत सकू| लेकिन वैसे भी मैँ ने दौडा, और २०१२ मेँ, मैँ न्युयार्क सिटी कॉंग्रेशनल रेस मेँ एक नवोत्थान हुआ| मैँ ने ठान ली कि मैँ जीतूंगी| मुझे न्युयार्क डैली न्युज से समर्थन मिला, वाल स्ट्र्र्ट जर्नल ने चुनाव के दिन मेरे चित्रोँ को छापा, और CNBC ने इसे देश के सबसे भडकीला रेसोँ मेँ एक बताया| मैंने मेरे सभी पहचान वालोँ से पैसे इकट्टे किये, इंडियन आंटीस को मिलाकर जो बहुत खुश हुये कि एक इंडियन लडकी दौड रही है| लेकिन चुनाव के दिन, पोल्स सही थे, और मुझे सिर्फ १९ प्रतिशत वोट मिले हैँ, और वोही पेपर्स जो मुझे एक बढ्ती राजनैतिक सितारा बताया अब कहरहे थे कि मैँ ने ६३२१ वोट्स पर 1.3 मिलियन डॉलर व्यर्थ किए| आप माथ मत कीजिए| यह अपमांजनक था| अब, इससे पहले कि आप को कोई गलत विचार आये, यह विफलता के महत्व के बारे मेँ एक बोल नही है| नाही यह लगन के बारे मेँ है| मैँ एक कहाँई बता रही हूँ जहाँ मैँ कैसे कॉंग्रेस के लिये दौडा क्योँ कि मैँ ३३ साल की हूँ और ये पहली बार है मेरी पूरी जिंदगी मेँ मैँ ने कुछ किया जो सच मेँ बहदूरी का काम था, जहाँ मैँ ने उत्तम होने की चिंता नही किया| और मैँ अकेली नही हूँ: बहुत सारे महिलायेँ जिसके साथ मैँ ने बात किया ने कहा कि वे ऐसे कारियर और प्रोफेषन के तरफ झुकते हैँ जिसमे वे जानते हैँ वे महान होंगे, जिसमे वे जानते हैँ वे सही होंगे, और यह कोई आश्चर्य नही है क्योँ| अधिक लडकियोँ को जोखिम और विफलता से बचने के लिये सिखाया जाता है| हम लोगोँ को सुंदर हसी सिखाया जाता है, सुरक्षित रहना, सभी A's आना चाहिये| लडकोँ को, दूसरे ओर, किसी ना किसी तरह खेलने और उच्छ उडने को सिखाया जाता है, मंकी बार्स के ऊपर और उधर से पहले सिर से कूदने को कहा जाता है| और जब तक वे वयस्क बन जाते हैँ, वे पैसे बडाने की बात कर रहे हैँ या किसी को डेट के लिये बाहर बुला रहे हो, वे जोखिम के बाद जोखिम लेने की आदि हो चुके होंगे| वे इसके लिए पुरस्कित किये जाते हैँ| सिलिकान वाली मेँ अक्सर ये कहा जाता है, कोई भी आप को गम्भीरता से नही लेंगे जब तक आप के पास दो असफल अंकुर परिश्रमा हो| दूसरे शब्दोँ मेँ, हम अपने लडकियोँ को उत्तम बनने के लिये बढा रहे हैँ, और अपने लडकोँ को बहादूर बनने के लिये बढा रहे हैँ| कुछ लोग हमारी संघीय घाटा के बारे मेँ सोचते हैँ, लेकिन मैँ, हमारी बहादूरी घाटा के बारे मेँ सोचती हूँ| हमारी समाज, हमारी अर्थ्व्यवस्था हम खो रहे हैँ क्योँ कि हम हमारी लडकियोँ को बहादूर नही बना रहे हैँ| ये बहादूरी घाटा है जिस्के वजह से महिलायेँ स्टेम मेँ, C-स्यूट्स मेँ, बोर्डरूम्स मेँ, कॉंग्रेस मेँ, और कई जगह मेँ उंडर्रिप्रसेंटेड हैँ| १९८० मेँ, मनोविज्ञानी कार्लो ड्वेक ने देखा कैसे पांचवी कक्षा के चतुर छात्र काम को सम्भालते हैँ जो उन के लिये बहुत कठिन थी| उन्होँ ने देखा कि जो चतुर लडकियाँ जो हैँ उनको सबसे पहले छोडने की जल्दी थी| IQ जितनी ज्यादा थी, उतनी ही उनकी छोडने की सम्भावना थी| दूसरी ओर, चतुर लडकोँ को ये मुश्किल चीज एक चुनौती लगती थी| उन्हे यह स्फूर्तिदायक लगती थी| वे अपने प्रयासोँ को बढाने की सम्भावना थी| यहाँ क्या चल रहा है? खैर, पांचवी कक्ष्या के स्तर पर, लडकियाँ हर विषय मेँ लडकोँ को मात करते हैँ, गैत और विज्ञान सहित, इसलिए यह क्षमता की सवाल नही है| अंतर लडके और लडकियोँ के एक चुनौती के तरफ द्रुष्टिकोण मेँ हैँ | और ये सिर्फ पांचवी कक्ष्या मेँ खतम नही होता| एक रिपोर्ट मेँ पाया गया कि पुरुष अगर योग्यता मेँ 60 प्रतिशत मिल गये तो नौकरी के लिये आवेदन करते हैँ, लेकिन महिलायेँ, महिलायेँ शर्तेँ सिर्फ १०० प्रतिशत मिलने पर ही आवेदन करते हैँ| १०० प्रतिशत| ये अध्ययन आम तौर पर सबूत के रूप मेँ लागू होता है कि, खैर, महिलाओँ को थोडा और आत्मविश्वास की जरूरत है| लेकिन मुझे लगता है ये सबूत है कि महिलायेँ पूर्णता की कामना के लिये सामाजीक्रुत किये गये हैँ, और वे बहुत ही सावधान रहते हैँ| (तालियाँ) और तब भी जब हम महत्वकाँक्षा होंगे, हमारे व्रुत्ती मेँ भी, पूर्णता की सामाजीकरण हमे हमारे करियर मेँ कम जोखिम लेने की कारण बना हुआ है| और अभी ये जो ६००,००० नौकरी खुले हैँ कम्प्यूटिंग और टेक मेँ, महिलायेँ पीछे छोड दिये गयेँ हैँ, और इसका मतलब है हमारी अर्थव्यवस्था भी पीछे छोड् दिये गये सभी नवाचार और समस्यायेँ जो महिलायेँ सुलझाते अगर वे बहादूर होने के लिये सामाजिक होते नाकि उत्तम होने के लिये सामाजिक होते| (तालियाँ) इसलिये मैँ ने लडकियोँ कोड करना पढाने के लिये २०१२ मेँ एक कम्पनी शुरू किया , और मैँ ने क्या देखा कि उनको कोड करना पढाते हुए मैँ ने उन्हे सामाजिक्रुत बहादूर बनाया| कोडिंग,सही जगह पर सही आदेश देने की कोशिश करने की कभी कभी सिर्फ एक सेमिकालन के साथ सफलता और विफलता के बीच अंतर बनाये रखने की एक परीक्षण और गलती की एक अंतहीन प्रक्रिया है,| कोडे टूटता है और फिर यह बिखर जाता है, और यह अक्सर बहुत , बहुत कोशिश लेता है उस जादूई क्षण तक जब आप जो कोशिश कर रहे हैँ वह जिंदा हो जाता है| इस के लिए द्रुढता की आवश्यकता है| इसको अपूर्णता चाहिये| हम उरंत देखते हैँ कि हमारे कार्यक्रम मेँ हमारे लडकियाँ सही नही होने से नही डरते, सई नही होने से नही डरते| हर लडकी जो कोड करती है शिक्षक ये ही कहानी बताती है| पहले सप्ताह के दौरान, जब लडकियाँ कोड कैसे करते हैँ सीख रहे हैँ, एक छात्रा उनको बुलाती है और वे कहती है, "क्या कोड लिखना है मैँ नही जानती|" शिक्षक उनके स्क्रींन के तरफ देखती है, और एक खाली टेक्स्ट एडिटर को देखती है| अगर उन्हे पता नही होता, वे सोचती कि उनकी चात्रा पिछले २० मिनट सिर्फ स्क्रीन घूरते हुये बिताया | लेकिन अगर वे अनडू को दबया, वे देखेंगे कि उनकी छात्रा ने कोड लिखा फिर उसको डिलिट किया| उन्होने कोशिश किआ, वे बहुत करीब आयी, लेकिन उसको वह बिलकुल सही नही आया| इसके बजाय जो प्रगती उन्होँ ने बनाया वो दिखाये, वह कुछ भी नही दिखाती| पूर्णता या कुछ भी नही| हमारे लडकियाँ वस्तव मे कोडिंग मेँ अच्छे हैँ, लेकिन उनको सिर्फ कोडिंग करना सिखाना काफी नही है| मेरे दोस्त लेव ब्रे, जो यूनोवर्सिटी आफ कोलम्बिया मेँ एक अध्यापक है, और जावा का परिचय पढाते हैँ, कम्प्यूटर स्टूडेंट्स के साथ उनका कार्यालय मेँ बीता समय मुझे बताते हैँ| जब लडके कोईकाम के साथ संघर्ष करते हैँ , वे अंदर आते हैँ और वे कहते हैँ, "प्रोफेसर, मेरे कोड के साथ कुछ गलत है|" लडकियाँ अंदर आयेंगे और बोलेंगे, "प्रोफेसर, मेरे साथ कुछ गलत है" हम लोगोँ को पूर्णता की सामाजीकरण को समाप्त करना शुरू करना चाहिये, लेकिन हम उसको एक महिला संघ की निर्माण के साथ मिलाना चाहिये ताकि लडकियाँ ये जान सके कि वे अकेले नही हैँ| क्योँकि कठिन कोशिश एक टूटी प्रणाली को जोड नही सकती| मैँ ए नही बता सकती कितने महिलायेँ मुझे बोलती, "मैँ अपनी हाथ उठाने से डरती हूँ, मैँ सवाल पूछने से डरती हूँ, क्योँ कि मैँ ये नही चाहती कि सिर्फ मैँ अकेली नही रहना चाहती जिसको समझ मेँ नही आरही है, केवल एक जो संघर्ष कर रही है| जब हम लडकियोँ को बहादूर होने के लिये पढाते हैँ और हमारे पास एक सहायक नेट्वर्क जो उनका जयकार करेँ, वे अविश्वसनीय चीजों का निर्माण करते हैँ, और मैँ ये रोज देखती हूँ| उदाहरण के लिये हमारी दो है स्कूल छात्रावोँ को लीजिये, जिसने टाम्पन रन नाम का एक गेम बनाया-- जी हाँ, टॅम्पन रन-- मासिक धर्म वर्जित और गेमिंग मेँ सेक्सिसम के खिलाफ लडने के लिये| या सिरयन शरणार्थी जो अपने नये देश के प्रति अपना प्रेम दिखाने की हिम्मत रखती है एक आप का निर्माण करके जो अमेरिकंस को पोल्स मेँ मदद करती है| या एक १६-साल-की उम्र की लडकी जिसने एक अल्गारिथम बनाया जो एक कैंसर सौम्य या घातक है पता लगाने मेँ मदद करती है ताकि वे अपने पिता के जिंदगी बचा सके क्योँ कि उन्हे कैंसर है| ये हजारोँ मेँ सिर्फ तीन उदाहरण हैँ, हजारोँ लडकियाँ जो सामाजीक्रुत अपूर्ण हैँ, जो कोशिश करते रहना सीखा, जो हठ सीखा है| और अगर वे कोडर्स बनेँ या अगले हिलरी क्लिंटन या बेयांस, वे अपने सपनोँ को नही टालेंगे| और वे सपनेँ हमारे देश के लिये कभी भी महत्वपूर्ण नही थे| अमेरिकन अर्थ व्यवस्था, किसी भी अर्था व्यवस्था के लिये , सच मेँ नवीनता लाने के लिये, हम हमारे आधी आबादी को पीछे नही छोड सकते| हमेँ हमारे लडकोयोँ को मेल्जोल मेँ अपूर्णता के साथ आराम से रहना सिखाना चाहिये, और ये हम अभी करना चाहिये| हम उनको बहादूर बनना सीखने के लिये इंतेजार नही कर सकते जैसे मैँ ने कियी जब मैँ 33 साल की थी| हमेँ उन्हे पाठशालाओँ मेँ बहादूर बनना सिखाना चाहिए और जल्दी अपने करियेर मेँ, जब यह उनके जीवन को प्रभावित करने के लिए सबसे अधिक संभावित है और दूसरोँ के जिंदगियाँ , और हमेँ उन्हे दिखाना होगा कि वे प्यार किये जायेंगेऔर स्वीकार किये जायेंगे पूर्ण रहने के लिये नही बल्कि बहादूर बनने के लिये| और आप हर एक जवान औरत जिसको आप जानते हो उनको बताना जरूरत है ‌-- अपनी बहन, अपनी भतीजी, अपनी कर्मचारी, अपनी सहयोगी-- अपूर्णता के साथ आराम से रहने के लिये, क्योँ कि जब हम लडकियोँ को अपूर्ण होने के लिये सिखाते हैँ, और हम उन्हें यह लाभ उठाने में मदद, जवान औरतेँ जो बहादूर हैँ उनका हम एक संचलन का निर्माण कर रहे हैँ और जो खुद के लिये और हम में से हर एक के लिए एक बेहतरीन दुनिया का निर्माण कर रहे हैँ| शुक्रिया| (तालियाँ) शुक्रिया| क्रिस एंडरसन: रेश्मा, शुक्रिया| ये आपका एक शक्तिशाली द्रुष्टिकोण है| बताइयेये कैसा चल रहा है| आप के कार्यक्रम मेँ कितने लडकियाँ लिप्त हैँ? रेश्मा सुजानी: जी हाँ|२०१२ मेँ, हम ने २० लडकियोँ को सिखाया| इस साल हम ४०००० को सिखायेंगे सभी ५० राष्ट्रोँ मेँ| (तालियाँ) और ये संख्या बहुत ही शक्तिशाली है, क्योँ कि पिछले साल हम ने सिर्फ ७५०० महिलाओँ को कम्प्यूटर सैंस मेँ स्नातक किया| जैसे, वो समस्या इतनी बुरी थी कि हम ने उस तरह की बदलाव जल्दी ला सके| CA:और आप तो इस कमरे मेँ कुछ कम्पनीस के साथ काम भी कर रहे हैँ, जो आप के कार्यक्रम से स्नातक का स्वागकर रहे हैँ? RS:जी हाँ,हमारे पास लग्भग ८० भागीदार हैँ, ट्विट्टर से लेके फेस्बुक तक अडोब के लिये आईबीयम के लिये मैक्रोसाफ्ट् के लिये पिक्सर के लिये डिस्नी के लिये, मेरा मतलब, हर एक कम्पनी जो वहाँ है| और अगर आप साइन नही किया, मैँ आप को ढूँढूँगी, हमेँ हर एक टेक कम्पनी चाहिये लडकियोँ को एम्बेड करने के लिये जो अपने आफीस मेँ कक्ष्या का कोड करते| CA: और आप के पास उन कम्पनीस से कुछ कहाँनियाँ हैँ कि आप जब इनजिनीरिंग टीम्स मेँ अधिक लिंग संतुलित मिश्रण करेंगे अच्छे बातेँ होते हैँ| RS: महान बातेँ होते हैँ| मेरामतलब है, कि मुझे ये पागल लगता ये विषय सोचते हुये कि उपभोक्ता खरीदोँ मेँ ८५ प्रतिशत महिलायँ करते हैँ|महिलायेँ सामाजिक मीडिया को पुरुषोँ स ६०० प्रतिशत ज्यादा रेट मेँ इस्तेमाल करते हैँ| हम इंटर्नेट को अपनाते हैँ, और हम लोगोँ को कल के कम्पनीस का निर्माण करना चाहिये| मैँ सोचती जब कम्पनीस के पास अनेक टीम्स होंगे, और उनके पास अद्भुत महिलायेँ जो उनके इनजिनीरिंग टीम्स के हिस्सा होंगे, वे अद्भुत चीजोँ का निर्माण करते, हम रोज उन्हे देखते| CA:रेश्मा, आप ने वहाँ का प्रतिक्रिया देखा आप बहुत ही महत्वपूर्ण काम कर रहे हैँ| याहाँ पूरी समुदाय आप पर जयकार करता है। आप को और शक्ती मिले|शुक्रिया| RS:शुक्रिया| (तालियाँ) भारत में, परिवार बहुत बडे होते हैं। आप सब ने इसके बारे में सुना ही होगा। जिसका मतलब है कि बहुत सारे पारिवारिक समारोह होते हैं। तो बचपन में, मेरे माँ-बाप मुझे इन समारोहों में ले जाते थे लेकिन एक चीज़ जिसके लिए मैं हमेशा उतावली रहती थी, वह थी मेरे भाई-बहनों के साथ खेलना और एक चाचा है जो हमेशा होते है। हमेशा तैयार, हमारे साथ उछल-कूद करते हमारे साथ खेल खेलते, हम बच्चों के साथ बहुत मौज-मस्ती करते यह आदमी बहुत कामयाब था : वे दबंग और ताकतवर थे। पर फिर मैंने इस चुस्त और तंदुरुस्त आदमी की सेहत को बिगड़ते देखा। उन्हे पार्किंसंस रोग हो गया था। पार्किंसंस रोग में तंत्रिका तंत्र की अधोगति होती है। मतलब कि जो इंसान पहले आत्मनिर्भर हुआ करता था, अब अचानक उसे सरल कार्य, जैसे कॉफी पीना, झटकों के कारण, मुश्किल लग रहे हैं मेरे चाचा ने चलने के लिए वॉकर का प्रयोग करना शुरू किया और मुड़ने के लिए उन्हें सचमुच एक बार में एक कदम लेना पड़ता, ऐसे, और इसमें अर्सा बीत जाता। तो यह इंसान, जो सबके ध्यान का केंद्र का हुआ करते, पारिवारिक समारोहों में, अब लोगों के पीछे छिपने लगा। वे लोगों की आँखों में दिख रही दया से छिप रहे थे। और यह ऐसे इकलौते नही हैं दुनिया में हर साल, 60,000 लोगों को पार्किंसंस रोग हो जाने की सूचना दी जाती है। और यह संख्या सिर्फ बढ़ती जा रही है। डिज़ाइनर होने के नाते, हम यह ख्वाब देखते हैं कि हम इन बहुमुखी समस्याओं को सुल्झाएँ एक उपाय जो सब कुछ सुलझा दे, लेकिन हर बार ऐसा होना ज़रूरी नही आप आसान समस्याओं को निशाना बना सकते हो। और उनके लिए छोटे उपाय निकाल सकते हो, जिसका अंततः कोई बड़ा प्रभाव पड़े। तो मेरा मकसद पार्किंसंस रोग का इलाज करना नही था, बल्कि उनके दैनिक कार्य सरल करना था, और फिर उनके जीवन पर असर करना तो फिर, सबसे पहली समस्या जिसे निशाना बनाया जाए वह है झटक, है न ? मेरे चाचा ने बताया कि उन्होने बाहर जाकर चाय-काॅफी पीना बंद कर दिया सिर्फ शर्मिंदगी के मारे तो फिर क्या, मैंने एक ऐसा कप बनाया जिससे कुछ न गिरे यह सिर्फ अपने आकार के बल पर काम करता है जब भी उनको झटके आते है, तब ऊपर का वक्र पेय को अंदर ही धकेल देता है साधारण कप की तुलना में, इसमें पेय कप के भीतर ही रहता है पर अहम बात यह है कि यह चीज़ खास तौर पर पार्किंसंस के मरीज़ के लिए नही है यह तो किसी ऐसे कप की तरह दिखता है जो आप, मैं या कोई भी अनाड़ी इस्तेमाल कर सकता है और यह उन्हें इसका उपयोग करने के लिए तसल्ली देती है और वे लोगों में घुल-मिल सकते है तो खैर, एक मुसीबत सुलझ गई और कई बाकी है। इतना वक्त जब मैं उनका इंटरव्यू ले रही थी, उनसे सवाल कर रही थी तब मुझे ज्ञात हुआ कि मुझे बस ऊपर-ऊपर की जानकारी मिल रही थी या सिर्फ मेरे सवालों के जवाब मिल रहे थे पर नया नज़रिया पाने के लिए मुझे और गहराई में जाना होगा तो फिर मैंने सोचा, चलो, उनके रोज़ के कामों को ज़रा ग़ौर से देखते है जब वह खा रहे है, दूरदर्शन देख रहे है और जब मैं उन्हे खाने के मेज की ओर चलते देख रही थी। तब मुझे यह खयाल आया कि यह आदमी, जिसके लिए समतल ज़मीन पर चलना इतना मुश्किल है, वह सीड़ियाँ कैसे चढ़ता होगा ? क्योंकि भारत में खास कटघरे नहीं होते आपको सीढ़ियाँ चढ़ने के लिए जैसे विकसित देशों में होते हैं बंदे को असल में सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती है। तो उन्होने मुझे बताया। "अच्छा, मैं तुम्हें दिखाता हूँ कैसे करते है" देखते हैं कि मैंने क्या देखा तो उन्हे यहाँ पहुँचने में बहुत वक्त लगा। और इस दौरान मैं सोच रही हूँ "हे भगवान, क्या ये सच में यह करनेवाले है? क्या ये वाकई, सच में, बिना अपने वाॅकर के यह करनेवाले है?" और फिर... (हँसी) और मोड़, कितनी आसानी से ले लिए उन्होंने तो --- चौंक गए? खैर, मैं भी चौकी थी। तो यह इंसान, जो समतल ज़मीन पर चल नहीं पा रहा था, अचानक वह सीढ़ियाँ चढ़ने में माहिर था इस पर अनुसंधान करने पर मुझे पता चला कि यह निरंतर गतिवान के कारण है एक और आदमी है जिसके लक्षण भी यही थे, और वह वॉकर का उपयोग करता है पर उसे साइकिल पर रखते ही उसके सारे लक्षण गायब हो जाते हैं क्योंकि यह निरंतर गतिवान है तो मेरे लिए अहम बात थी सीढ़ियाँ चढ़ने के इस एहसास का अनुवाद करना समतल ज़मीन पर चलने में और उन पर बहुत सारी तरकीबें आज़माई और जाँची गई पर आखिरकार जो काम आई वह यह थी । चलिए देखते हैं (हँसी) (तालियाँ) वह और तेज़ चले, है न? (तालियाँ) मैं इसे सीढ़ियों की माया कहती हूँ और सचमुच जब यह सीढ़ियों की माया अचानक खत्म हुई, तब वह तुरंत रुक गए और इसे कहते है चाल का जमना तो यह बहुत बार होता है, तो क्यों न सीढ़ियों की यह माया हर कमरे में हो ताकि वे और भी आश्वस्त हो? जानते हैं, टैकनोलजी हर बात का जवाब नहीं है जिसकी हमे ज़रूरत है वे हैं मनुष्य-केंद्रित उपाय बड़ी आसानी मैं इसे फलाव बना सकती थी, या फिर गूगल ग्लास, या वैसा कुछ लेकिन मैं आसान फर्श पर छापने पर अड़ी रही यह छपाई अस्पतालों में ले जाई जा सकती है ताकि वे निश्चिंत रहें। मैं चाहती हूँ कि पार्किंसंस रोग का हर मरीज़ वैसा महसूस करे, जैसा मेरे चाचा ने उस दिन किया उन्होंने मुझे बताया कि मैंने उन्हे पहले जैसा महसूस कराया आज की दुनिया में, " स्मार्ट " और हैटेक पर्यायवाची बन चुके हैं, और दुनिया दिन प्रतिदिन और भी स्मार्ट होती जा रही है किंतु स्मार्ट कुछ आसान, फिर भी प्रभावशाली क्यों नही हो सकता? हमें बस थोड़ी सी हमदर्दी, और थोड़ी सी जिज्ञासा की ज़रूरत है वहाँ पहुँचने के लिए, ग़ौर से देखने के लिए पर वहाँ रुकना नहीं हैं चलिए, हम सब इन जटिल मसलों को ढूँढ़ते हैं इनसे डरिए मत उन्हें छोटी-छोटी समस्याओं में तोड़ दीजिए और उनके लिए सरल उपाय ढूँढिए उन उपायों को परखना, ज़रूरत पड़े तो नाकामयाब ही क्यों न हो जाना पर नए नज़रिए के साथ, उसे बेहतर करने के लिए ज़रा सोचिए, अगर हम सब आसान उपाय ढूँढ लाए, तो हम क्या-क्या कर सकते हैं कैसी होती यह दुनिया अगर हम अपने सारे आसान उपायों को इकट्ठा करते ? चलिए, एक और भी स्मार्ट दुनिया बनाते हैं, मगर सादगी के साथ धन्यवाद। (तालियाँ) हन्ना महाविद्यालय जाने के लिए उत्साहित है माँ बाप के घर से बाहर जाने हेतु वह प्रतीक्षा नहीं कर सकी, उन्हें साबित करने हेतु कि वह एक वयस्क है, व उसके नए दोस्तों को साबित करने को कि वह वयस्क ही है। वह एक परिसर पार्टी में जाती है जहां वह एक आदमी को देखती है जिससे वो आकर्षित होती है चलो उसे माइक कहते हैं। अगले दिन, हन्ना तेज़ सिरदर्द के साथ जागती है। वह केवल रात की झलक याद कर सकती है। लेकिन जो उसे याद है माइक के कमरे के बाहर हॉल में फैंकी जाना और दीवार पर चुपचाप घूरना जबकि वह उसके अंदर था, इसे रोकना चाहना, फिर लड़खड़ाते हुए घर जाना। जो हुआ, इसके बारे उसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन वह सोचती है, "हो सकता है कि यह सिर्फ महाविद्यालय में यौन-क्रिया यही है?" पांच महिलाओं में से एक और 13 पुरुषों में से एक को यौन उत्पीड़ित किया जाएगा संयुक्त राज्य अमेरिका में किसी समय अपने महाविद्यालय के कैरियर के दौरान। 10 प्रतिशत से कम कभी भी उन पर हमले की शिकायत नहीं करेंगे उनके स्कूल या पुलिस को। और जो लोग करते हैं, औसतन,शिकायत बनाने हेतु 11 महीने की प्रतीक्षा करते हैं। शुरू में हन्ना के साथ जो हुआ उसे वह स्वयं से निपटने का प्रयास करती है। पर जब वह माइक को देखती है पार्टियों से लड़कियों को घर ले जाते हुए, वह उनके बारे चिंतित है। स्नातकोत्तर हन्ना को पता लगता है कि वह पांच महिलाओं में से एक थी जिसके साथ माइक ने ठीक वैसा ही किया था। और यह एक अप्रत्याशित परिदृश्य नहीं है क्योंकि 90% यौन उत्पीड़न हमले बार बार उन्हीं अपराधियों द्वारा किए जाते हैं। लेकिन ऐसे कम शिकायत दरों के साथ, यह काफी कम संभावना है यहां तक ​​कि हमला दोहराने वाले अपराधियों की शिकायत होगी, बहुत कम कुछ तब होता है जब वे हैं। वास्तव में, पुलिस को सूचित हमलों के केवल छह प्रतिशत हमलावर जेल में एक ही दिन गुज़ारते हैं। मतलब यह है कि, 99 प्रतिशत मौका है कि वे इससे बच निकलेंगे। इसका मतलब है कि व्यावहारिक रूप से है हमला करने के लिए कोई रोक टोक नहीं संयुक्त राज्य अमेरिका में। अब, मैं प्रशिक्षण द्वारा संक्रामक महामारी रोग विशेषज्ञ हूं। मेरी प्रणाली और नेटवर्क में दिलचस्पी है और जहां हम हमारे संसाधनों को सबसे अच्छा करने के लिए ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। तो यह, मेरे लिए, एक दुखद लेकिन सुलझने वाली समस्या है। तो जब परिसर हमले का मुद्दा कुछ साल पहले खबरों में सुर्खियां बटोरने लगा, परिवर्तन के लिए यह एक अनूठे अवसर जैसा लगा। और इसलिए हमने किया। हमने महाविद्यालय में बचे लोगों से बात करके शुरू किया। और जो वे महाविद्यालय में चाहते थे बहुत आसान है; वे एक वेबसाइट चाहते थे, जिसे ऐसे समय व स्थान पर उपयोग कर सकते थे जोकि उन्हें सुरक्षित लगता था स्पष्ट रूप से लिखित जानकारी के साथ उनके सूचना देने के विकल्पों बारे, क्षमता साथ इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उनके हमलों की सूचना देने हेतु, ऐसा पहला कदम उठाने की बजाय अंदर जाना व किसी से बात करना जो उन पर विश्वास करें या न करें। एक सुरक्षित, समय की मोहर लगी हुई दस्तावेज़ बनाने के विकल्प के साथ कि उनके साथ क्या हुआ, सबूतों को सम्भालते हुए भले ही वे अभी सूचित न करना चाहते हों। और अंत में, और शायद सबसे गंभीर रूप से, उनके हमले की रिपोर्ट करने की क्षमता के साथ केवल अगर कोई और उसी हमलावर की सूचना दे। आप देखते हैं, यह जानते हुए कि केवल आप ही न थे सब कुछ बदल देता है। यह स्वयं के अनुभव के बताने के ढंग बदल देता है , यह आपके अपराधी बारे सोचने के ढंग को बदल देता है, इसका मतलब है कि यदि आप आगे आते हैं, आपके पास किसी और का सहारा होता है और उनके पास आपका। हमने एक वेबसाइट बनाई जो वास्तव में यह करती है और हमने इसे दो महीने पहले [...] अगस्त में लॉन्च किया, दो महाविद्यालयों के परिसरों में। और हमने एक अद्वितीय मिलान प्रणाली को शामिल किया जहां माइक का पहला शिकार आगे आया था, उसका रिकॉर्ड बचाया, मिलान प्रणाली में डाला और माइक का नाम आया, और माइक के दूसरे शिकार ने वही चीज़ की थी कुछ महीने बाद, वे मेल खाते होंगे एवं दोनों बचे लोगों की सत्यापित संपर्क जानकारी अधिकारियों को एक ही समय में भेज दी गई होती जांच और अनुवर्ती कार्रवाई के लिए। अगर हन्ना और उसके साथियों के लिए इस तरह की एक प्रणाली मौजूद होती, यह अधिक संभावना है कि वे रिपोर्ट करते, कि उन पर विश्वास किया गया होता, और माइक को परिसर से लात मार कर निकाल दिया होता, जेल गया होता, या कम से कम ऐसी सहायता मिली होती जो उसे चाहिए थी। और अगर हम माइक जैसे फिर फिर अपराध करने वाले अपराधियों को रोक पाते सिर्फ उनके दूसरे हमले के बाद एक मिलान के बाद, हन्ना की तरह बचे लोगों पर कभी भी हमला ही न होता पहली बार से ही। हम 59 प्रतिशत यौन उत्पीड़न रोक सकते हैं बस दोबारा अपराध करने वाले अपराधियों को पहले ही से रोक कर। व क्योंकि हम हमला करने हेतु असली निवारक पैदा कर रहे हैं, शायद पहली बार, शायद दुनिया में माइक जैसे लोग कभी किसी पर हमले की कोशिश नहीं करेंगे। मैं जिस प्रकार की प्रणाली बता रही हूँ, प्रणाली का प्रकार जो जीवित लोग चाहते हैं निलम्बित सूचना का एक प्रकार है, जिसका अर्थ है एक वास्तविकता आपकी जानकारी के लिए रहती है और केवल एक तीसरी पार्टी को तब दिखाती है जब कुछ पूर्व सहमत शर्तों को पूरा किया जाता है, जैसे कि एक मिलान। हमने जो प्रार्थना-पत्र बनाया वह महाविद्यालयों परिसरों के लिए है। लेकिन वही प्रणाली सेना में इस्तेमाल की जा सकती है या कार्यस्थल पर भी। हमें ऐसी दुनिया में नहीं रहना है जहां 99 प्रतिशत बलात्कारी बच निकलते हैं। हम एक बना सकते हैं जहां गलत काम करने वालों को जिम्मेदार ठहराया जाता है, जहां बचे लोगों को वैसा समर्थन और न्याय मिलता है जिसके वे योग्य हैं, जहां अधिकारियों को वह जानकारी मिलती है जो उन्हें चाहिए, और जहां एक असली निवारक है दूसरे इंसान के अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए। धन्यवाद। (तालियां) 200 मिलियन नैदानिक मामले हैं हर साल अफ्रीका में फाल्सीपेरम मलेरिया के, जिसके परिणामस्वरूप आधे मिलियन मौतें हुईं। मैं मलेरिया टीकों के बारे में आपसे बात करना चाहती हूं। जो हमने आज तक किए हैं वे बस पर्याप्त नहीं हैं। क्यूं? हम 100 से अधिक वर्षों तक इस पर काम कर रहे हैं। जब हमने शुरू किया, तंत्रज्ञान काफी सीमित था । परजीवी वास्तव में कैसा दिखता था, हम केवल एक छोटा सा अंश देख सकते थे। आज,हमारे पास उन्नत तकनीक हैं, उन्नत इमेजिंग और ओमिक्स प्लेटफॉर्म - जीनोमिक्स, ट्रांसक्रिप्टोमिक्स, प्रोटीमिक्स। इन उपकरणों ने हमें एक स्पष्ट दृश्य दिया है कि परजीवी वास्तव में कितना जटिल है। हालांकि, इसके बावजूद, टीका डिजाइन के लिए हमारा दृष्टिकोण बहुत प्राथमिक रहा है। एक अच्छी टीका बनाने के लिए, हमें मूल बातें फिर से जाननी चाहिए यह समझने के लिए कि हमारे शरीर इस जटिलता को कैसे संभालेंगे। वे लोग जो मलेरिया से अक्सर संक्रमित होते हैं इससे निपटना सीखे। उन्हें संक्रमण मिलता है, लेकिन वे बीमार नहीं होते हैं। नुस्खा एंटीबॉडी में एन्कोड किया गया है। मेरी टीम वापस हमारे जटिल परजीवी में गई, जिसने इस सवाल का जवाब देने के लिए मलेरिया से उबरने वाले अफ्रीकी लोगों के नमूने के साथ जांच की: "एक सफल एंटीबॉडी प्रतिक्रिया कैसा दिखता है?" हमने 200 से अधिक प्रोटीन पाए, जिनमें से कई मलेरिया टीके रडार पर नहीं हैं। मेरा शोध समुदाय परजीवी के महत्वपूर्ण हिस्सों को याद कर सकता है। हाल ही में, जब किसी ने कई मिश्रणों को अलग करके पहचान की थी, उन्होंने परीक्षण किया कि एक टीका के लिए समूह अध्यन आयोजित करना महत्वपूर्ण हो सकता है। यह आमतौर पर अफ्रीका के एक गांव में लगभग 300 प्रतिभागियों को शामिल करता था, जिनके नमूने देखने के लिए विश्लेषण किया गया था क्या प्रोटीन के प्रति एंटीबॉडी भविष्यवाणी करेंगे कि मलेरिया किसे होगा और किसे नहीं। पिछले 30 वर्षों में, इन अध्ययनों ने प्रोटीन की एक छोटी संख्या का परीक्षण किया है अपेक्षाकृत कुछ नमूने में और आमतौर पर एकल स्थानों में। परिणाम सिलसिलेवार नहीं रहे। मेरी टीम ने वास्तव में 30 साल के इस प्रयोग को एक रोमांचक रूप से ध्वस्त कर दिया, जो केवल तीन महीने में आयोजित किया गया। परिवर्तनात्‍मक, हमने 10,000 सैम्प्ल्स 7 देशों में 15 जगहों से बीते कुछ समय में उम्र और मलेरिया की परिवर्तनीय तीव्रता को अफ्रीका में जाँचा। हमने अपने परजीवी प्रोटीन को प्राथमिकता देने के लिए ओमिक्स इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया, उन्हें प्रयोगशाला में संश्लेषित किया और संक्षेप में, चिप पर मलेरिया परजीवी को फिर से बनाया। हमने अफ्रीका में ऐसा किया, और हमें उस पर बहुत गर्व है। (तालियां) चिप एक छोटी गिलास स्लाइड है, लेकिन यह हमें अविश्वसनीय शक्ति देता है। हमने साथ ही 100 से अधिक एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं पर डेटा इकट्ठा किया। हम क्या खोज कर रहे हैं? एक सफल एंटीबॉडी प्रतिक्रिया के पीछे नुस्खा, ताकि हम भविष्यवाणी कर सकें कि अच्छी मलेरिया टीका क्या हो सकती है। हम भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं वास्तव में परजीवी के लिए एंटीबॉडी क्या करते हैं। वे इसे कैसे मारते हैं? क्या वे कई कोणों से हमला करते हैं? क्या कोई तालमेल है? आपको कितना एंटीबॉडी चाहिए? हमारे अध्ययनों से पता चलता है कि एक प्रतिजैविक होने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। यह एकाधिक परजीवी प्रोटीन के खिलाफ प्रतिजैविक की उच्च सांद्रता ले सकता है। हम यह भी सीख रहे हैं कि एंटीबॉडी परजीवी को कई तरीकों से मार देते हैं, और अलगाव में, इनमें से एक अध्ययन वास्तविक रूप से प्रतिबिंबित नहीं कर सकता है। जैसे हम अब परजीवी को अधिक स्पष्टता से देख सकते हैं, मेरी टीम और मैं केंद्रित हैं यह समझने पर कि हमारे शरीर इस जटिलता को कैसे दूर कर सकती हैं। हमारा मानना है कि इससे हमें आवश्यक सफलताएं मिल सकती हैं टीकाकरण के माध्यम से मलेरिया को इतिहास बनाने की आवश्यकता है। धन्यवाद। (तालियां) (चीयर्स) (तालियां) शोहम अराद: ठीक है, हम वास्तव में मलेरिया टीका के करीब कितने करीब हैं? विश्वास ओसीयर: हम बस एक प्रक्रिया की शुरुआत में हैं यह सोचने और समझने के लिए कि हमें टीका में क्या रखना है इससे पहले कि हम वास्तव में इसे बनाना शुरू करें। तो, हम वास्तव में टीके के करीब नहीं हैं, लेकिन हम वहां जा रहे हैं। एसए: और हम उम्मीद कर रहे हैं। एफओ: और हम बहुत उम्मीद कर रहे हैं। एसए: मुझे स्मार्ट के बारे में बताओ, बताओ कि इसका क्या मतलब है और यह आपके लिए महत्वपूर्ण क्यों है? एफओ: तो स्मार्ट का मतलब दक्षिण-दक्षिण मलेरिया एंटीजन अनुसंधान साझेदारी है। दक्षिण-दक्षिण अफ्रीका में हमें जिक्र कर रहा है, सहयोग में एक दूसरे के लिए बगल में देख रहे हैं, हमेशा अमेरिका की तलाश में और यूरोप की तलाश में, जब अफ्रीका के भीतर काफी ताकत है। तो स्मार्ट में, हमारे पास लक्ष्य के अलावा, मलेरिया टीका विकसित करने के, हम अफ्रीकी वैज्ञानिकों को भी प्रशिक्षण दे रहे हैं, क्योंकि अफ्रीका में बीमारी का बोझ काफी ज़्यादा है, और आपको उन लोगों की आवश्यकता है जो सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे विज्ञान में, अफ्रीका में। एसए: हाँ, हाँ, सही। (तालियां) ठीक है, एक आखिरी सवाल है। मुझे पता है कि आपने इसका थोड़ा सा उल्लेख किया है, लेकिन मलेरिया का टीका होने पर चीजें वास्तव में कैसे बदलेगी? एफओ: हम हर साल कई लाख जीवन बचा पायेंगे। दो सौ मिलियन मामले यह अनुमान है कि मलेरिया में सालाना अफ्रीका 12 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च होता है। तो यह अर्थशास्त्र है। अफ्रीका बस बढ़ेगा। एसए: ठीक है। धन्यवाद, विश्वास। बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियां) मैं आपका परिचय एक महान महिला से करना चाहता हूँ| उनका नाम है दविनिया| दविनिया का जन्म जमैका में हुआ था, १८ वर्ष की उम्र में वे अमेरिका चली गईं और अब वे वाशिंगटन डी.सी.के निकट हैं| वे कोई उच्चस्तरीय राजनीतिक कर्मचारी नहीं हैं| और न ही कोई लॉबीस्ट| वे शायद आपको कहेंगी की बहुत साधारण हैं| पर उनके कारण एक बहुत असाधारण परिवर्तन हो रहा है| दविनिया की ख़ास बात यह है की वे हर सप्ताह समय देती हैं उन लोगों के लिए, जो उनके जैसे नहीं हैं: जो उनके आस पास नहीं हैं, उनके प्रदेश या देश में भी नहीं। लोग जिनसे वे शायद कभी न मिलें दविनिया का प्रभाव कुछ वर्ष पूर्व शुरू हुआ जब उन्होंने फेसबुक पे अपने मित्रों से संपर्क किया, और उनसे छुट्टे पैसे दान करने को कहा जिसे वे लड़कियों की शिक्षा पर खर्च कर सकें| उनको बहुत बड़ी धन राशि की आशा नहीं थी| परन्तु, ७०,००० पैसे मिलने पर उन्होंने १२० लड़कियों को स्कूल भेजा जब मैंने आखरी बार उनसे बात की उन्होंने मुझे बताया की वे अपने पास के बैंक में बदनाम हैं| क्योंकि वे हर बार सैंकड़ों सिक्के जमा करने आती हैं आज, दविनिया अकेली नहीं हैं| बिलकुल भी नहीं| वे एक प्रगतिशील अभियान का हिस्सा हैं| और दविनिया जैसे लोगों को कहते हैं: वैश्विक नागरिक एक वैश्विक नागरिक वह होता है जो सबसे पहले अपनी पहचान एक राज्य, जनजाति या राष्ट्र के सदस्य के रूप में नहीं बल्कि मानव जाति के सदस्य के रूप में बनते हैं| वह, जो इस विश्वास के सहारे, दुनिया की परेशानियों के हल खोजने के लिए तैयार है| हमारा काम ऐसे वैश्विक नागरिकों का समर्थन व उनको सक्रिय बनाने पर केंद्रित है| ये हर देश में, हर जगह हैं| मैं आपको बताना चाहता हूँ की इस विश्व का भविष्य इन वैश्विक नागरिकों पर निर्भर है| मेरा मनना है की यदि ऐसे और वैश्विक नागरिक इस दुनिया में हों, तो गरीबी, जलवायु परिवर्तन, लिंग असमानता जैसी प्रत्येक चुनौती का समाधान मिल सकता है| ये वैश्विक मुद्दे हैं, और अंततः, इनके वैश्विक समन्धान वैश्विक नागरिकों द्वारा मांगने पर नेताओं पर मिल सकते हैं| इस सोच पर कुछ लोगों की पहली प्रतिक्रिया ये होती है की यह विचार काल्पनिक या बहुत आदर्शवादी है| तो आज मैं अपनी एक छोटी सी कहानी सुनाता हूँ| मैं यहाँ कैसे पहुंचा, और इसका दविनिया से क्या सम्बन्ध है| और शायद, आप सब से भी| मैं मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया मैं पला बड़ा और मैं उन परेशान करने वाले बच्चों जैसा था जो हमेशा पूछा करता था - "क्यों?" शायद आप भी मेरे जैसे थे| मैं अपनी माँ से बहुत से सवाल करता| मैं उनसे पूछता कि "मैं सारे दिन खिलौनों से क्यों नहीं खेल सकता?" "आपको फ्रेंच फ्राइज क्यों चाहिए? झींगा क्या होता है? और मैं बन्दर पे मूंगफली क्यों नहीं फ़ेंक सकता?" (हंसी) "और मम्मी - यह कैसे हेयर कट है? और क्यों?" (हंसी) और मेरे ख्याल से सबसे भद्दा हेयर कट अब तक भद्दा है| और इसलिए मुझे लगता था की मैं दुनिया बदल सकता हूँ, मझे पूरा विश्वास था| और जब मैं १२ वर्ष का था हाई स्कूल के पहले वर्ष में, मैं पैसे जुटाने शुरू कर दिया विकासशील देशों में समुदायों के लिए| हम बच्चे बहुत उत्साहित थे| ऑस्ट्रेलिया के स्कूलों में सबसे ज़्यादा चन्दा हमने जमा किया| और इस कारण हमें पुरस्कृत किया गया फीप्पीन्स भेज गया और जानने के लिए| ये वर्ष था १९९८| हमें मनिला शहर के निकट एक झुग्गी बस्ती में भेज गया| वहां मेरी दोस्ती सन्नी बॉय से हुई| वो कचरे के बड़े ढेर पर रहता था | वे लोग उसे कचरे का पर्वत कहते थे| और वो कोई सुन्दर पर्वत नहीं था, वो एक गन्दा बदबूदार कचरे का ढेर था, जिस पर सन्नी जैसे बच्चे घंटों कचरा छांटते थे, ताकि शायद कुछ अच्छी वस्तु मिल जाये| सन्नी बॉय और उसके परिवार के साथ बिताई उस रात ने मेरी ज़िन्दगी बदल दी क्योंकि जब सोने का समय हुआ, हम एक बहुत छोटे और सख्त फर्श पर लेटे मैं, सन्नी और सन्नी का पूरा परिवार| सात लोग एक लम्बी रेखा में, और हमारे चारों तरफ, गन्दी बदबू और हमारे चारों तरफ कॉकरोच रेंग रहे थे| मैं बिलकुल नहीं सो सका मैं लेते हुए सोचता रहा, "जब मेरे पास इतना कुछ है, लोगों को ऐसे क्यों रहना पड़ता है? सन्नी बॉय के सपने इस बात पर क्यों निर्भर हों की वह कहाँ पैदा हुआ है? या जिसे वॉरेन बफे ने कहा है - जन्म की लाटरी मैं समझ नहीं पा रहा था| मैं जानना चाहता था - क्यों? मुझे बहुत बाद में समझ आया की जो गरीबी मैंने फिलीपींस में देखी थी वो एक के बाद एक आयीं औपनिवेशिक शक्तियों और भ्रष्ट सरकारों के निर्णयों का परिणाम था, जिनको सन्नी बॉय के हितों से कुछ लेना देना नहीं था| शायद वो कचरे का पहाड़ उनके कारण ही बन था| और हम सन्नी बॉय जैसे बच्चों की मदद सिर्फ कुछ पैसे भेज के नहीं कर सकते, या उस कचरे को साफ़ करके नहीं कर सकते| क्योंकि इसकी मूल समस्या कहीं और है| और जैसे जैसे मैंने सामाजिक विकास का काम आगे बढ़ाया, स्कूल बनवाए, शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया, एच आई वी और एड्स की जानकारी दी मुझे समझ आया कि सामाजिक विकास कार्य समाज के द्वारा ही चलाये जाने चाहिए और हालांकि दान आवशयक है, केवल दान पर्याप्त नहीं| हमें इन चुनौतियों का सामना करना है - एक वैश्विक स्तर पर और एक व्यवस्थित तरीके से| मैं बस एक अच्छी चीज़ कर सकता था वो है अपने देश के नागरिकों को प्रोत्साहित करना की वे देश के नेताओं को इस व्यवस्थित बदलाव में संलग्न करें| इसलिए, कुछ वर्ष बाद, मैं कुछ कॉलेज के मित्रों के साथ, गरीबी हटाओ अभियान को ऑस्ट्रेलिया लाया| हमारा सपना था की हम एक छोटा सा कॉन्सर्ट जी-२० के आस पास, आस्ट्रेलियाई कलाकारों के साथ करें| और अचानक एक दिन हमें, बोनो, दी एज, और पर्ल जैम से फ़ोन आया| वे सब कॉन्सर्ट में गाने के लिए तैयार थे| आप देख सकते हैं, उस दिन मैं कुछ ज़्याद ही उत्साहित था| (हंसी) और हम बहुत हैरान हुए कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने हमारी सामूहिक आवाज़ सुनी और वैश्विक स्वास्थ्य और विकास में अपना निवेश दुगना कर दिया- अतिरिक्त ६२० करोड़ डॉलर! और हमें लगा जैसे| (तालियां) जैसे हमें एक बहुत बड़ी मान्यता मिली हो| नागरिकों का समर्थन जुटा कर हम सरकार को मन सके एक अकल्पनीय पहल करने के लिए हमारे देश से मीलों दूर की समस्या सुलझाने के लिए| पर क्या आप जानते हैं? ये पहल ज़्यादा दिन नहीं रही| सरकार बदली, और ६ वर्ष बाद, वो सारी रकम ओझल हो गयी| तो हमने क्या सीखा? हमने सीखा कि एक-आद पहल काफी नहीं| हमें एक स्थायी आंदोलन की ज़रुरत है, जो किसी राजनेता की मनोदशा या आर्थिक माहौल पर निर्भर नहीं हो| और ये हर जगह होना है; नहीं तो हर सरकार, इस वैश्विक ज़िम्मेदारी को अकेले न कर पाने का कोई न कोई बहाना बना देगी| और जैसे हमने इस चुनौती का सामना करना शुरू किया हमने अपने आप से पूछा कि हम कैसे इतना दबाव बनाएं और कैसे एक ऐसी व्यापक सेना खड़ी करें कि हम इस लड़ाई को स्थाई रूप से जीत सकें? और हमें एक ही रास्ता नज़र आया| हमें इस गरीबी हटाओ अभियान से जुड़े सभी लोगों के अल्पकालिक उत्साह को दीर्घकालिक जूनून में बदलने की ज़रुरत थी| इसे उनकी पहचान का हिस्सा बनाना था इसलिए २०१२ में हमने एक संगठन की स्थापना की और इसके लिए हमें एक ही नाम सूझा: वैश्विक नागरिक| पर ये किसी एक संस्था के बारे में नहीं| ये नागरिकों कार्य करने के बारे में है और शोध के आंकड़ों से पता चला और शोध के आंकड़ों से पता चला की जो लोग इन वैश्विक मुद्दों की परवाह करते हैं, उनमे से सिर्फ १८% ने इसके बारे में कुछ किया है| ऐसा नहीं की लोग इसके प्रति कुछ करना नहीं चाहते प्रायः उन्हें नहीं पता होता की क्या करना चाहिए या उन्हें लगता है उनके प्रयास निरर्थक होंगे| तो हमें दर्जनों देशों में लाखों नागरिकों को एकजुट करना पड़ा ताकि वे अपने नेताओं पर परोपकारी दिशा में काम करने का दबाव डालें| और जैसे जैसे हमने ये किया, हमे अचम्भा हुआ कि जब आप वैश्विक नागरिकता को अपना लक्ष्य बनाते हैं, तो अचानक आपको अद्भुत सहयोगी मिल जाते हैं| और केवल अत्यन्त गरीबी ही वैश्विक समस्या नहीं है| जलवायु परिवर्तन, मानव अधिकार और लैंगिक समानता भी वैश्विक मसले हैं| हमने अपने साथ ऐसे लोगों को पाया जो इन सभी परस्पर मुद्दों को सुलझाना चाहते थे| पर हमने कैसे इन वैश्विक नागरिकों को एकाग्रित किया? हमने एक वैश्विक भाषा को प्रयोग किया: संगीत| हमने न्यू यॉर्क में, वैश्विक नागरिक महोतस्तव को आयोजन किया| और हमने विश्व प्रसिद्ध कलाकारों को आने के लिए राज़ी किया हमने सुनिश्चित किया की महोत्सव संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान हो| ताकि जिन नेताओं तक आवाज़ पहुंचनी है, वे हमे नज़रअंदाज़ न कर सकें| पर इसमें एक खासियत थी आप टिकट खरीद नहीं सकते थे, आपको टिकट कामनी थी| आपको वैश्विक लक्ष्य के प्रति कार्य करना था, जिससे आप पर्याप्त अंक कम सकते थे| सक्रियता ही मुद्रा है| मेरी रूचि नागरिकता में स्वानंद के लिए नहीं थी मेरे लिए, नागरिकता का अर्थ है सकारात्मक होना और इस की ही हमें ज़रुरत थी और आश्चर्यजनक है, कि ये सफल हुआ पिछले वर्ष, सिर्फ न्यू यॉर्क में १५५००० नागरिकों ने अहर्ता प्राप्त करने के लिये पर्याप्त अंक अर्जित किये हम विश्व स्तर पे, १५० देशों के लोगों को साथ लाए हैं और पिछले वर्ष, एक लाख नए सदस्य हमसे जुड़े हमें वैश्विक नागरिकों को बनाने की ज़रूरत नहीं| वे हर जगह हैं| हमें बस संगठित व प्रेरित होकर काम करने की ज़रूरत है| हम दविनिया से काफी कुछ सीख सकते हैं जिन्होंने २०१२ में यह काम शुरू किया| उन्होंने जो किया वो कोई बहुत मुश्किल काम नहीं था, उन्होंने राजनेताओं के कार्यालयों को पत्र लिखना शुरू किया| उन्होंने अपने समाज में काम किया और वहां से वे सामाजिक मीडिया में सक्रिय हुईं और उन्होंने पैसे इकठ्ठा करना शुरू किया - ढेर सारे पैसे! शायद आपको ये कोई बड़ी बात न लगे शायद आप सोचें - इस से क्या मिलेगा? दरअसल इस से बहुत कुछ मिला पर वे अकेली नहीं थीं उनके व उनके जैसे १४२,००० वैश्विक नागरिकों के प्रयास के कारण अमरीका ने शिक्षा के लिए वैश्विक भागीदारी में अपना निवेश दुगना कर दिया| और ये हैं USAID के प्रमुख डॉ. राज शाह, वो घोषणा करते हुए| जब हज़ारों वैश्विक नागरिक एक दुसरे से प्रेरित होते हैं,तो उनकी शक्ति चकित कर देती है| दविनिया जैसे वैश्विक नागरिकों ने विश्व बैंक को जल व स्वछता में निवेश बढ़ाने के लिए राज़ी किया| ये देखिए विश्व बैंक के प्रमुख जिम किम १५०० करोड़ डॉलर की घोषणा करते हुए| भारत के प्रधान मंत्री मोदी जी भी २०१९ तक हर घर व स्कूल में शौचालय बनाना चाहते हैं| टीवी कलाकार स्टीफेन कोल्बर्ट से प्रोत्साहित होकर वैश्विक नागरिकों ने नॉर्वे में ट्विटर की मुहीम छेड़ी वहां की प्रधानमंत्री - अर्ना सोलबर्ग ने उनकी मुहीम को समझा और लड़कियों की शिक्षा में निवेश दुगना कर दिया वैश्विक नागरिकों ने रोटरी क्लब के साथ कनाडा, ब्रिटेन व ऑस्ट्रेलियाई सरकारों को पोलियो मुक्ति अभियान में निवेश बढ़ाने को राज़ी किया और मिलकर ६६.५ करोड़ डॉलर प्रतिबद्ध कराये| पर इस सब के बावजूद हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है| शायद आप सब मन ही मन सोच रहे होंगे कि आप कैसे इन बड़े नेताओं का ध्यान वैश्विक मुद्दों पर ला सकते हैं| शायद अमरीकी राजनीतिज्ञ टिप ओ'नील ने ठीक कहा था - "सभी राजनीति स्थानीय है" इस तरह स्थानीय या राज्यीय हितों के लिए काम करके ही राजनेता निर्वाचित होते हैं| ये बात मैंने २१ वर्ष की उम्र में सीखी थी| मेरी मुलाकात तब के ऑस्ट्रलिाई विदेश मंत्री - जिनका में नाम नहीं लूंगा - से हुई थी| [ एलेग्जेंडर डाउनर ] (हंसी) अकेले में मैंने उनको अपने विचार बताये| मैंने उंसी कहा - "मंत्रीजी, ऑस्ट्रेलिया के पास इस सदी के वैश्विक लक्ष्य को पाने अनोखा मौका है" उन्होंने मुझे रोका, और नकारात्मक रूप से देखा, और कहा - "हुघ, विदेशी सहायता की ऐसी की तैसी|" बस उन्होंने "ऐसी की तैसी" की जगह कुछ और कहा| आगे उन्होंने कहा - हमें पहले अपने बारे में सोचना चाहिए मेरे हिसाब से, ये पुरानी, और खतरनाक सोच है| या जैसे मेरे दादाजी कहा करते थे - बिलकुल बकवास! संकीर्णता इस गलत सोच की जड़ है,क्योंकि इस से दो देशों के गरीब एक दूसरे प्रतिद्वंदी बनते हैं, ये सोच के कि हम खुद को दूसरे देशों से अलग कर सकते हैं दरअसल, पूरा विश्व ही हमारा घर है ज़रा देखिये क्या हुआ जब हमने रवांडा को, जब हमने सीरिया को नज़रंदाज़ किया, जब हमने जलवायु परिवर्तन को नज़रंदाज़ किया| राजनेताओं को इन बातों पे ध्यान देना चाहिए क्योंकि जलवायु परिवर्तन, गरीबी हम सब को प्रभावित करते हैं| वैश्विक नागरिक बात को समझते हैं| आज का युग वैश्विक नागरिकों के पक्ष में है, जहाँ हर आवाज़ सुनी जाती है| क्या आपको याद है, जब सन् २००० में सहस्राब्दि विकास लक्ष्य लिखे गए थे? तब संचार साधनों की पहुँच बहुत सीमित थी| तब कोई सामाजिक मीडिया नहीं था| आज, सैंकड़ों लोगों के पास बहुत से साधन है, ढेर सारी सूचना है, प्रभाव के लिए अधिक क्षमता है| मर्ज़ और उनकी दवा, दोनों हमारे सामने हैं| ये दुनिया बदल गयी है और हम में से जो लोग सरहदों के पार देखते हैं, वे सही हैं| तो हम कहाँ पहुंचे हैं? हमारी मुहिम बाहत अद्भुत है, जिसमे दुनिया भर से लोग आ रहे हैं, हमें कुछ बड़ी कामयाबियां भी मिली हैं पर क्या हमने अपना लक्ष्य हासिल किया है? नहीं! अभी हमारा लक्ष्य बहुत दूर है| वैश्विक नागरिकों के अभियान की संकल्पना जो वैसे तो स्पष्ट है, पर कुछ मायनों में अव्यवहारिक भी संयोग से हमारे इस ही युग में है| वैश्विक नागरिकों के रूप में आज हमारे पास तेज़ी से एक सकरात्मक बदलाव लाने का अवसर है| आने वाले वर्षों में वैश्विक नागरिक, वैश्विक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए दुनिया के नेताओं को जवाबदेह बनाएँगे| वैश्विक नागरिक, गैर सरकारी संस्थाओं के साथ मिल कर पोलियो व मलेरिया जैसी बीमिरियों का अंत करेंगे| वैश्विक नागरिक दुनिया के हर कोने से आ कर सकारात्मक बदलाव की गति और बढ़ाएंगे| और ये सब हमरी पहुँच में है| कल्पना कीजिये वैश्विक नागरिकों की सूचित और एकजुट सेना जो लाखों करोड़ों की संख्या में बदलाव के प्रति काम करे| मैंने सन्नी बॉय से संपर्क करने की बहुत कोशिश की| पर संपर्क नहीं हो पाया| हम सामाजिक मीडिया के पहले मिले, और उसका पता सरकार द्वारा बदला जा चुका है जैसा अक्सर झुग्गियों में होता है| एक दिन मैं उसके साथ बैठकर उसे बताना चाहता हूँ कि उसके साथ रह कर मैं कितना प्रेरित हुआ| और उसके कारण ही मैं एक जन आंदोलन का महत्व समझा - जहाँ बच्चे स्क्रीन से बहार की दुनिया को देखते हैं - वैश्विक नागरिक| ऐसे वैश्विक नागरिक, जो एकजुट हो कर पूछते हैं - क्यों? और जो नकारात्मक सोच को दूर करके, इस दुनिया की अद्भुत संभावनाओं को गले लगते हैं| मैं एक वैश्विक नागरिक हूँ| और आप? धन्यवाद! (तालियाँ) [३ अप्रैल २०१६ को इतिहास का सबसे बड़ा आंकड़ों का खुलासा हुआ।] [पनामा कागजातों ने अपतटीय खातों में भारी मात्रा में पैसा छुपा रहे ] [अमीर रसूखदार लोगों का पर्दा फाश किया ] [इसका क्या अर्थ है?] [हमने ग्लोबल विटनेस के रॉबर्ट पाल्मर को विवरण के लिए बुलाया।] इस सप्ताह पनामा स्थित एक लॉ फर्म मोसाक फोंसेका से लीक होने वाले १ करोड़ १० लाख दस्तावेजों के बारे में बे इंतहा कहानियां आ रही हैं। पनामा दस्तावेज़ों के खुलासे ने गोपनीय अपतटीय संसार को बेनकाब कर दिया है। हमें एक अंतर्दृष्टि मिलती है कि कैसे बैंक, वकील और ग्राहक मोसाक फोंसेका जैसी कंपनियों के पास जाते हैं और कहते हैं," हमें एक गुमनाम कंपनी चाहिए, क्या आप हमें दे सकते हैं?" तो आपको वास्तव में ईमेल दिखती हैं, संदेशों का आदान प्रदान दिखता है, आपको यह भी पता चलता है कि यह सारी प्रक्रिया कैसे चलती है, कैसे इसका प्रचालन होता है। इस सबसे कुछ तात्कालिक नतीजे सामने आ ही चुके हैं। आइसलैंड के प्रधान मंत्री ने अपना इस्तीफा दे दिया है। हमें यह भी खबर मिली है कि क्रूर सीरियाई तानाशाह बशर अल- असद के एक मित्र की भी अपतटीय कंपनियां हैं। ऐसे भी आरोप हैं कि २ अरब डॉलर के मौद्रिक चिन्ह जो रुसी प्रधान मंत्री व्लादीमिर पुतिन तक जाते हैं उनके करीबी बचपन के दोस्त के हैं जो एक मशहूर चेलो वादक है। और वहां पर और भी बहुत से अमीर व्यक्ति मिलेंगे और अन्य जो आने वाली कहानियों और अगले दस्तावेज़ों के संग्रह को लेकर बेचैन होंगे। यह एक जासूसी सनसनीखेज कहानी के कथानक जैसा लगता है या एक जॉन ग्रीशम उपन्यास जैसा। यह आपसे, मुझसे, और आम लोगों से बहुत दूर प्रतीत होता है। हम इसके बारे में चिंता क्यों करें? किन्तु सच तो यह है की यदि अमीर और रसूखवान लोग अपना धन तट से दूर रख सकते हैं और वह कर नहीं देते जो उन्हें देने चाहिए, उसका अर्थ है कि अत्यावश्यक सेवाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़कों के लिए कम पैसा बचेगा। और उसका प्रभाव हम सब पर पड़ेगा। अब, मेरी संस्था ग्लोबल विटनेस के लिए, यह बेनकाबी अभूतपूर्व है। हमारे पास संसार का संचार माध्यम और राजनीतिक नेता बात कर रहे हैं कि कैसे व्यक्ति अपतटीय गोपनीयता का इस्तेमाल करके अपनी संपत्ति को छुपा रहे हैं -- वह सब जो हम पिछले दस वर्षों से बेनकाब करने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे लगता है कि बहुत से लोगों को यह सारा संसार भ्रामक और चौंकाने वाला लगता है। और मुश्किल है समझ पाना कि यह अपतटीय संसार कैसे चलता है। मैं इसे एक रूसी गुड़िया की तरह सोचता हूँ। तो आप एक कंपनी रख सकते हैं दूसरी कंपनी के अंदर, जो एक अन्य कंपनी के अंदर है, जिससे कि यह समझना लगभग मुश्किल हो जाये कि इन संरचनाओं के पीछे कौन है। यह बहुत मुश्किल हो सकता है कानून प्रवर्तन या कर प्राधिकरण, पत्रकार, सभ्य समाज के लिए समझ पाना कि क्या हो रहा है। मुझे लगता है कि यह रोचक है और संयुक्त राज्य में इस मामले की रिपोर्ट बहुत कम की गयी है। और शायद इसका कारण है कि कुछ प्रमुख अमरीकी व्यक्ति इस घोटाले में सामने नहीं आये हैं। यह इसलिए नहीं है कि कोई भी अमीर अमरीकी अपना धन तट से दूर छुपा कर नहीं रख रहे हैं। यह केवल इसलिए है कि अपतटीय का कार्य कुछ इस तरह से चलता है, मोसाक फोंसेका के पास कम अमरीकी ग्राहक हैं। मेरे ख्याल से यदि हम केमन द्वीप की लीक देखें या डेलावेर या व्योमिंग या नेवाडा, आपको काफी ज्यादा मामले दिखेंगे अमरीकियों से जुड़े हुए। वस्तुतः, बहुत से अमरीकी राज्यों में आपको कम सूचना चाहिए, आपको कंपनी प्राप्त करने के लिए कम सूचना देनी होती है जबकि पुस्तकालय का कार्ड लेने के लिए ज्यादा। इस प्रकार की गोपनीयता की वजह से स्कूल जिलों के कर्मचारी स्कूली बच्चों को ठग रहे हैं। घोटाला करने वाले कमज़ोर निवेशकों को ठग सके हैं। यह व्यवहार है जो हम सभी को प्रभावित करता है। अब, ग्लोबल विटनेस में, हम देखना चाहते थे कि यह वास्तव में व्यवहारिक रूप में कैसा दिखेगा? यह वास्तव में कैसे चलता है? हमने किया यह कि हमने १३ मॅनहॅट्टन लॉ फर्मों में गुप्त रूप से एक जांचकर्ता को भेजा। हमारे जांचकर्ता एक अफ़्रीकी मंत्री बन कर गए जो संयुक्त सज्य में घर, नौका, विमान खरीदने के लिए कुछ संदिग्ध धन लाना चाहता था। अब चौका देने वाली बात यह है कि एक को छोड़कर सभी वकीलों ने हमारे जांचकर्ता को सलाह दी कि वह कैसे अपना संदिग्ध धन ले कर आ सकता है। यह सब प्रारंभिक बैठकें थीं, और किसी भी वकील ने हमें अपना मुवक्किल नहीं बनाया था, और अवश्य ही मुद्रा का लेन देन नहीं हुआ था, परन्तु यह प्रणाली में समस्या को निश्चित ही प्रकट करता है। यह भी महत्वपूर्ण है कि हम इसे केवल व्यक्तिगत मामले की तरह न सोचें। यह एक अकेले ऐसे वकील की बात नहीं है जिसने हमारे जांचकर्ता से बात की और सुझाव दिए। न ही यह किसी विशिष्ट वरिष्ठ राजनीतिज्ञ की बात है जो किसी घोटाला में पकड़ा गया हो। यह बात है एक ऐसी प्रणाली के कार्य की जो भ्रष्टाचार, कर की चोरी, गरीबी और अस्थिरता को अधिक मजबूत कर रही है। और इससे जूझने के लिए, हमें खेल बदलना पड़ेगा। हमें खेल के नियम बदलने पड़ेंगे ताकि ऐसा व्यवहार मुश्किल हो जाये। यह शायद निराशा और बर्बादी जैसा दिखे, जैसे कि हम इस बारे में कुछ नहीं कर सकते, जैसे कि कभी कुछ बदला ही नहीं हो, जैसे कि अमीर और रसूखदार लोग हमेशा रहेंगे। किन्तु एक प्राकृतिक आशावादी होते हुए मुझे लगता है कि कुछ परिवर्तन होने लगा है। गुज़रे हुए कुछ वर्षों में हमने देखा है जहाँ तक कमपनियों के स्वामित्व की बात है अधिक पारदर्शिता की तरफ काफी जोर दिया जा रहा है। उत्तरी आयरलैंड में २०१३ में होने वाली जी ८ शिखर सम्मलेन में यू के के प्रधान मंत्री डेविड कैमरोन द्वारा यह मामला राजनीतिक कार्यसूची में शामिल किया गया था। और उसके बाद से, यूरोपीय संघ राष्ट्रीय स्तर पर यूरोप में कंपनियों पर वास्तविक अधिकार और नियंत्रण, के केंद्रीय रजिस्टर बनाए जायेंगे। एक दुखद बात यह है कि यू एस इस में इस में बहुत पीछे है। राज्य सभा और सदन में द्विदलीय कानून आरम्भ कर दिया गया है, किन्तु उसमें इतनी प्रगति नहीं हो रही जितनी हम देखना चाहते हैं। हम वास्तव में पनामा लीक्स देखना चाहते हैं, अपतटीय संसार की यह बड़ी झलक, संसार और अमेरिका में सब सामने लाने के लिए प्रयोग की जा सकती है। ग्लोबल विटनेस में हमारे लिए यह परिवर्तन का लम्हा है। हमें आवश्यकता है कि सामान्य लोग भड़क उठें इस व्यवस्था पर जिसके द्वारा लोग अपनी पहचान गुप्त कंपनियों के पीछे छुपा सकते हैं। हम चाहते हैं कि व्यापारिक नेता उठ कर बोलें, "इस तरह की गोपनीयता व्यापर के लिए अच्छी नहीं है।" हम चाहते हैं कि राजनीतिक नेता समस्या को पहचाने, कानून को परिवर्तित करने के लिए जुट जाएँ ताकि इस तरह की गोपनीयता खुल जाये। साथ मिलकर हम इस गोपनीयता को समाप्त कर सकते हैं जिसकी वजह से करो की चोरी, भ्रष्टाचार, धनशोधन को पनपने का मौका मिल रहा है। खबरें किस तरह हमारे दुनिया देखने के तरीके को आकार देती हैं? यह है दुनिया, आकार पर आधारित -- भूमि फल पर आधारित. और यह है अमरीकी कैसे देखते हैं ख़बरों के आधार पर. यह नक्षा -- (तालियाँ) -- दिखाता है की, कितने सेकंड अमरीकी चॅनल और केबल समाचार संगठनों ने ख़बरों को समर्पित करे, देशों के आधार पर, फ़रवरी २००७ में -- केवल एक साल पहले अब, यह वह महिना था जब उत्तरी कोरिया ने अपनी परमाणु इकाइयों को नष्ट करने का निर्णय लिया. इंडोनेशिया में भयंकर बाढ़ आई. और पेरिस में, आईपीसीसी ने भूमंदालिया उष्मीकरण पर मानव प्रभाव की पुष्टि करने वाली अपनी रिपोर्ट जारी की. अमेरिका का हिस्सा कुल ख़बरों का ७९ प्रतिशत था. और अगर हम अमेरिका को हटा दें और बाकि २१ प्रतिशत ख़बरों को देखें, तो हम काफी बड़ा भाग इराक का देखते हैं -- वह बड़ा सा हरा भाग है उस तरफ -- और थोडा बहुत कुछ और उदाहरण के लिए रूस, चीन और भारत का संयुक्त कवरेज, केवल एक प्रतिशत तक पहुंचा. जब हमने सब ख़बरों का विश्लेषण किया और सिर्फ एक खबर हटाई, तो विश्व ऐसा दिखने लगा अन्ना निकोल स्मिथ की मृत्यु की खबर. इस खबर ने इराक के अलावा सब को पीछे छोड़ दिया और इसे आईपीसीसी रिपोर्ट के मुकाबले दस गुना कवरेज मिला और चक्र जारी है; जैसा की हम सभी जानते, हैं ब्रिटनी आजकल काफी सुर्खियों में है. तो क्यों हमने दुनिया के बारे में और कुछ नहीं सुना है? एक कारण यह है कि समाचार संगठनों ने अपने विदेशी ब्यूरो की संख्या आधी कर दी है. इसके अकेले अपवाद हैं एबीसी के नैरोबी, नई दिल्ली और मुंबई के एक व्यक्ति वाले छोटे ब्यूरो. तमाम अफ्रीका, भारत और दक्षिण अमेरिका में कोई भी समाचार संगठन ब्यूरो नहीं है. -- वह हिस्से जो दो अरब से ज्यादा लोगों का घर हैं. वास्तविक्ता यह है की ब्रिटनी पर खबर लिखना सस्ता है. और वैश्विक ख़बरों की यह कमी और भी चिंताजनक है जब हम यह देखते हैं की लोग ख़बरों के लिए कहाँ जाते हैं. स्थानीय टीवी बड़ा अंश है, और दुर्भाग्य से केवल १२ प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय समाचारों को समर्पित करता है. और वेब का क्या? सबसे लोकप्रिय समाचार साइटें ज्यादा बेहतर नहीं है. पिछले वर्ष, पियु और कोलम्बिया जे-स्कूल ने १४,००० ख़बरों का विश्लेषण किया जो गूगल समाचार के मुख्य प्रुष्ट पर थी. और उन्होंने दरअसल उन्ही २४ घटनाओं पर खबर दी थी. इसी प्रकार, एक वेब-सामग्री के अध्ययन से पता चला की अमरीकी समाचार रचनाकारों की ज्यादातर वैश्विक खबरें एपी समाचार संगठन और रॉयटर्स की ख़बरों का पुनर्नवीनीकरण हैं और ऐसा कोई सन्दर्भ नहीं देती है की लोगों को उनका संबंध समझ में आये. तो अगर हम सब कुछ एक साथ रख कर देखें तो समझ सकते हैं की क्यों आजकल के कॉलेज स्नातक और कम पड़े लिखे अमरीकी, , दोनों ही, दुनिया के बारे में अपने २० साल पुराने समकक्षों से कम जानते हैं. और अगर आपको यह लगता है की हमें कोई दिलचस्पी नहीं है, तो आप गलत होंगे. हाल के वर्षों में, विश्व समाचारों पर अधिक रूप से गौर करने वाले अमरीकी लोगों की संख्या में ५० प्रतिशत से ज्यादा वृध्ही हुई है असली सवाल: क्या हम अमरीकियों के लिए दुनिया देखने का विकृत तरीका हमारे इस अत्यधिक जुड़े हुए विश्व में चाहते हैं? मुझे पता है कि हम बेहतर कर सकते हैं और क्या ऐसा ना करने की हमारे पास गुंजाइश है? धन्यवाद. मैं तीन महीने गर्भ से थी जब मेरे पाती रॉस और मैं अपने दूसरे अल्ट्रसाउंड के लिए गए। मैं उस समय 35 साल की थी, और मुझे पता था की रिस्क ज़्यादा था हमारी प्रेग्नन्सी में गड़बड़ का। तो रॉस और मैंने प्रेग्नन्सी की आम गड़बड़ों पर रिसर्च की, और अपने को तैयार किया। मगर, हम बिलकुल भी तैयार नहीं थे उस भयानक रोग के लिए जिस का हमसे सामने होने वाला था। डॉक्टर ने हमें बताया कि हमारे जुड़वा बच्चों में से एक, टॉमस, एनेंसिफ़ेली नाम की एक जानलेवा स्थिति से ग्रस्त था। इसका मतलब था की उसका दिमाग़ ठीक से नहीं बना था क्योंकि उसके सर का एक हिस्सा ग़ायब था। इस स्थिति में बच्चे ज़्यादातर गर्भ में ही मर जाते हैं, या जन्म के कुछ मिनट या घंटो या दिनों में। मगर दूसरा बच्चा, कैलम, स्वस्थ दिख रहा था, जैसा कि डॉक्टर का अंदाज़ा था, और ये आयडेंटिकल, यानि हमशक्ल, जुड़वा थे। जेनेटिक रूप से भी हमशक्ल। तो ऐसी अद्भुत स्थिति कैसे पैदा हुई, इस पर तमाम विमर्श के बाद, बीमार बच्चे को गिराने की बात आई, और हालाँकि ये प्रक्रिया नामुमकिन नहीं थी, इसमें स्वस्थ बच्चे और मेरे लिए ख़तरा था, तो हमने प्रेग्नन्सी पूरी करने का फ़ैसला लिया। अब मैं तीन महीने के गर्भ के साथ थी, मेरे सामने पूरे छः महीने और थे, और मुझे तरीक़े ढूँढने थे अपना ब्लड प्रेशर और तनाव ठीक रखने के। ऐसा लगता था जैसे मेरे ही रूम मेट ने छः महीने तक मुझ पर बंदूक़ तान के रखी हो। पर बंदूक़ की उस नली को देर तक देखने पर मुझे उस नली के सिरे पर रोशनी के आसार दिखे। इस दुःख से पार पाने के हमारे पास कोई तरीक़ा नहीं था, लेकिन मैं टॉमस की छोटी सी ज़िंदगी का कोई सकारात्मक असर बनाना चाहती थी। उस के लिए मैंने अपनी नर्से से नेत्र दान और अंग दान के बारे में पूछा। उस ने मुझे हमारी लोकल अंग दान संस्था से जोड़ दिया, वॉशिंटॉन रीजनल ट्रैन्स्प्लैंट कम्यूनिटी (wrtc) WRTC ने मुझे बताया की टामस अंग दान के लिए बहुत छूट था, और मुझे झटका लगा: मुझे पता ही नहीं की आप इस में भी असफल हो सकते हैं। पर उन्होंने कहा कि टॉमस का शरीर शोध के काम आ सकता है। इस में मुझे टॉमस को देखने के लिए एक नई नज़र मिली। बजाय बीमारी के शिकार के, मैं उसे एक मेडिकल गुत्थी सुलझाने की चाबी की तरह देखने लगी। मार्च 23, 2010 को मेरे जुड़वा बच्चे पैदा हुए, दोनो जीवित पैदा हुए थे। और जैसा की डॉक्टर ने बताया था, टॉमस के सिर का ऊपरी भाग ग़ायब था, मगर वो मेरा दूध पी सकता था, बोतल से भी पी सकता था, हमसे चिपकना और ऊँगली पकड़ना भी साधारण बच्चों जैसे कर रहा था, और वो हमारी गोदी में सो भी गया। छः दिन बाद, टॉमस रॉस की बाहों में लेटे हुए चला गया, हमारे परिवार से घिरा हुआ। हमने WRTC को फ़ोन किया, और उन्होंने एक वैन भेज दी और उसे चिल्ड्रेन नैशनल मेडिकल सेंटर ले आए। कुछ घंटो बाद, हमें फ़ोन पर पता लगा कि टॉमस की प्रक्रिया सफलतापूर्वक हो गयी, और टॉमस के योगदान को चार अलग अलग जगहों पर भेजा जाएगा। उसका कॉर्ड ब्लड डयूक यूनिवर्सिटी जाएगा। उसका लिवर डरहम में सेल थेरपी की एक कम्पनी, सैटोनेट को जाएगा। उसकी आँखो के कोरनीआ शेपेंस आइ रीसर्च इन्स्टिटूट को जाएँगे, जो कि हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल कर हिस्सा है, और आँखो की सफ़ेदी पेन्सल्वेन्या यूनिवर्सिटी को दिए जाएँगे। कुछ दिन बाद, उसका अंतिम संस्कार हमने परिवार के साथ हमने कर दिया, बेबी कैलम भी मौजूद था, और हमने अपने जीवन के इस हिस्से को बंद कर दिया। पर मैं हमेशा सोचती रही की अब क्या हो रहा है? रीसर्च कहाँ तक पहुँची है? क्या इस दान का वाक़ई कोई फ़ायदा था? WRTC ने मुझे और रॉस को एक रिट्रीट पर बुलाया, जहाँ हम 15 परिवारों से मिले जिन्होंने किसी को खोया था, और उसके अँगो का दान किया था। उन में से कुछ को तो चिट्ठियाँ भी आयी थीं उन लोगों से जिन्हें वो अंग मिले थे, धन्यवाद के पत्र। मुझे पता लगा की वो एक दूसरे से मिल भी सकते थे, अगर उन्होंने एक वेवर साईन किया हो, जैसे गोद लेने में होता है। और मैं उत्साहित थी, शायद मैं भी एक पत्र लिख सकूँगी या पत्र पा सकूँगी और मुझे पता लगेगा की क्या हुआ। पर ऐसा नहीं था। ये सिर्फ़ उन के लिए था जिनके अंग प्रत्यरोपित हुए हों। मुझे अच्छा नहीं लगा। शायद जलन सी महसूस हुई। (ठहाका) मगर आने वाले सालों में, मैंने अंगदान के बारे में बहुत जानकारी ली, इस क्षेत्र में काम भी किया। और मुझे एक आयडिया आया। मैंने पत्र लिखा जो शुरू होता था-- "प्रिया शोधकर्ता!" मैंने बताया मैं कौन हूँ, और उनसे पूछा की नवजात शिशु की आँखों की सफ़ेदी उन्हें क्यूँ चाहिए थीं, मार्च 2010 में, और उनकी लैब में आने की अनुमति माँगी। मैंने नेत्र दान के इंतज़ाम करने वाले आइ बैंक को लिखा, द ओल्ड डमिन्यन आइ फ़ाउंडेशन, और कहा की कृपया सही व्यक्ति तक उसे पहुँचाए। उन्होंने कहा की पहले उन्होंने कभी नहीं देखा था, और वो जवाब की गारंटी नहीं दे सकते, मगर वो इसे रोकेंगे नहीं, और दान को सही जगह तक पहुँचाएगे। दो दिन बाद, मुझे जवाब मिला पेन्सलवेन्या यूनिवर्सिटी की डॉक्टर अरुपा गांगुली से। उन्होंने मुझे शुक्रिया कहा, और बताया कि वो रेटिनोबलस्टोमा पर शोध कर रही हैं, आँख की सफ़ेदी का जानलेवा कैन्सर जो पाँच से कम उम्र के बच्चों में होता है, और उन्होंने कहा, कि हम उनकी लैब में जा सकते थे। तो हमने फ़ोन पर बात की, और सब से पहले उन्होंने मुझसे कहा की वो सोच भी नहीं सकती हैं कि हम पर क्या गुज़री होगी, और टॉमस ने सबसे बड़ा बलिदान दिया था, और वो हमारी एहसानमंद हैं। तो मैंने कहा, "आपका शोध ठीक है, मगर हमसे कुछ पूछा नहीं गया। हमने तो सिस्टम में दान दिया, और सिस्टम ने आप तक पहुँच दिया। मैंने कहा, "दूसरी बात ये है की बच्चों के साथ अनहोनी रोज़ ही होती है, और अगर अपने ये आँखे नहीं ली होती, तो ये कहीं ज़मीन में बेकार दबी पड़ी होतीं। तो आपके शोध का हिस्सा होने से टॉमस के जीवन को एक नया उद्देश्य मिलता है। तो इस का इस्तेमाल करने में ज़रा की झिझकिए मत।" फिर उन्होंने बताया कि ये कितना असाधारण रोग है। उन्होंने इस के लिए छः साल पहले माँग रखी थी नैशनल डिज़ीज़ रीसर्च इंटर्चेंज के सामने। उन्हें अपनी ज़रूरत के हिसाब से बस एक ही दान मिला था, और वो टॉमस का था। उसके बाद, हमने लैब जाने के लिए एक दिन मुक़र्रर किया, और मार्च 23, 2015 को चुना, जो कि दोनो बच्चों का जन्मदिन था। फ़ोन रखने के बाद मैंने उन्हें टॉमस और कैलम की फ़ोटो ईमेल की, और कुछ हफ़्ते बाद, हमें ये टी-शर्त पार्सल में मिली। कुछ महीने बाद, रॉस, कैलौम, और मैं कर में बैठ कर एक रोड ट्रिप के लिए निकले। हम अरूपा और उनकी टीम से मिले, और अरूपा ने बताया मेरे बेझिझक रहने को कहने से उन्हें बहुत सुकून मिला, और तब तक उन्होंने हमारे नज़रिए को नहीं देखा था। उन्होंने बताया की टॉमस का एक गुप्त कोड नाम भी है। जैसे हेनरिएटा लैक्स HeLa कही जाती हैं, टॉमस को RES 360 नाम मिला था। RES मतलब रीसर्च, 360 मतलब तीन सौ साठवाँ नमूना पिछले दस सालों में। उन्होंने हमें एक ख़ास काग़ज़ भी दिखाया, जो की कूरियर की रसीद थी जिस से आँखों को डीसी से फ़िलाडेलफ़िया भेजा गया था। ये रसीद अब हमारे लिए विरासत जैसे है। जैसे की कोई मिलिटेरी मेडल या शादी का सर्टिफ़िकेट। अरूपा ने बताया की वो टॉमस की आँखो और उस के RNA से ट्यूमर बनाने वाली जीन को रोकने की कोशिश कर रही हैं, उन्होंने हमें कुछ RES 360 पर किए शोध के कुछ नतीजे भी दिखाए। फिर वो हमें फ़्रीज़र तक ले गयीं और दो अनछुए नमूने दिखाए जो अभी तक RES 360 के नाम से सहेजे रखे थे। दो छोटे छोटे नमूने। उन्होंने कहा इन्हें रखने का कारण है कि आगे कुछ नया शायद निकल आए। इसके बाद, हम कॉन्फ़्रेन्स रूम में गए और साथ में लंच किया, और लैब की टीम ने कैलम को जन्मदिन का तोहफ़ा दिया। बच्चों की लैब किट। और उसे इंटर्न्शिप का भी ऑफ़र दिया। (ठहाका) तो बात ख़त्म करते हुआ, आज मेरे दो संदेश हैं, एक ये की हम से ज़्यादातर लोग अंगदान के बारे में सोचते नहीं हैं। मैंने कभी नहीं सोचा था। मैं ज़्यादातर लोगों से ही हूँ। मगर मैंने अंगदान किया। ये अच्छा अनुभव था, इसे महसूस करना चाहिए और इस से मेरे परिवार को बहुत शांति मिली। और दूसरा ये की अगर आप मानव नमूनो पर काम करते हैं, और सोचते हैं की वो कहाँ से आए, किस परिवार से, तो उन्हें पत्र लिखिए। उन्हें बताइए की वो आपको मिल गए हैं, और आप क्या शोध कर रहे हैं, और उन्हें अपने लैब में बुलाइए, क्यूँकि उनका आना आपको बहुत संतोष दे सकता है, उन से भी ज़्यादा संतोष। और में आप से एक और गुज़ारिश करूँगी अगर ऐसा कोई परिवार आपकी लैब तक पहुँचे, तो मुझे ज़रूर ज़रूर बताएँ। मेरे परिवार की कहानी आगे ये है कि हम उन चारों जगह गए जहाँ टॉमस के अंग गए थे। और हम ग़ज़ब के लोगों से मिले जो प्रेरक काम कर रहे हैं। अब तो मुझे ऐसा लगता है जैसे टॉमस का एडमिशन एक साथ हॉर्वर्ड डयूक और पेन में हो गया है -- (ठहाका) और उसे सैटोनेट में नौकरी भी मिल गयी, और उस के साथी हैं, टीम है, जो की अपने क्षेत्र के शीर्ष लोग हैं। और उन्हें अपने काम के लिए टॉमस की ज़रूरत है। और वो ज़िंदगी जो कभी बेमतलब जाया सी थी, आज अमर, महत्वपूर्ण और ख़ास है। मैं आशा करती हूँ कि मेरी ज़िंदगी भी इतनी कामयाब हो। धन्यवाद। (तालियाँ) शायद यह सुनकर आप आश्चर्यचकित नहीं होंगे, कि मुझे अस्पताल में होना या अस्पताल जाना पसंद नहीं है। क्या आपको पसंद है ? यकीनन आप मेसे ज्यादातर ऐसाही सोचेंगे पर क्यों ? ऐसा क्यों है कि है की अस्पताल से इतनी नफरत करते हैं ? जीवन की इस सच्चाई है जिसके साथ हमें जीना होगा? क्या इसका कारण वहां का बेकार खाना है? क्या महँगी पार्किंग है? क्या तेज़ गंध इसका कारण है? या फिर अनहोनी का डर ? खैर, इसका कारण ये सब है, और भी कुछ हैं मरीजों को अक्सर लम्बे रास्ते तय करने होते हैं सबसे नजदीक अस्पताल पहुँचने | और अस्पताल मैं देखभाल मिलना बहुत मुश्किल होता जा रहा है ग्रामीण क्षेत्रों में, अमेरिका में, पर कम जनसंख्या वाले देशों में भी जैसे स्वीडन। और तब भी जब अस्पताल बाहुल्य में हों, आम तौर पर गरीब और बुजुर्ग लोगोको सेवा मिलने में मुश्किल होती है परिवहन सुविधा न होनेसे| जो उनके लिए आरामदायक और सस्ता हो। और कई लोग अस्पताल देखभाल से बचकर रहते हैं और सही इलाज से वंचित हो जाते हैं लागत की वजह से। हमनें देखा की 64 प्रतिशत अमरीकी देखभाल से बचते है लागत की वजह से। और जब आपको इलाज मिल भी जाता है, अस्पताल हमें और भी बीमार कर देते हैं। चिकित्सा त्रुटियों की वजह से मौत अमरीका में सबसे बड़ी तीसरी वजह है, कैंसर और दिल की बीमारी के बाद, तीसरी सबसे बड़ी वजह। मैं सेहत की देखभाल में करीब 20 साल से हूँ, और में रोज देखता हूँ कितना टूटा और कितनी पुरानी है हमारा अस्पताल प्रणाली। मैं आपको 2 उदहारण देता हूँ। 10 मैं से 4 जापानी चिकित्सक और 10 में से 5 अमरीकी चिकित्सक पूरी तरह थके हुए हैं। मेरे स्वदेश, नीदरलैंड में, सिर्फ 170 लाख लोग रहते हैं। हमें 125,000 नर्सों की कमी आने वाले वर्षों में होगी। पर हम यहाँ पहुंचे भी कैसे, इस विचार मैं कि सब तरह के बीमार लोगों को एक बड़ी ईमारत में रखना होगा ? खैर, हमें वापस जाना होगा प्राचीन यूनानियों के पास। 400 ईसा पूर्व, इलाज के लिए मंदिर बनाये गए जहाँ लोग जाकर अपने रोगों का निदान करवाते थे, और अपना इलाज करवाते और ठीक होते थे। और फिर करीब 2000 सालों तक, हमनें धार्मिक देखभाल केंद्र देखे औद्योगिक क्रांति तक जाते हुए, जहाँ हमें अस्पताल देखे संयोजन विधि से बनते हुए औद्योगिक क्रांति के सिद्धान्तों पर बसे हुए, कार्यकुशल तरीके से उत्पादों को, जो यहाँ मरीज हैं, को जल्दी से जल्दी अस्पताल से बाहर निकालने के लिए। पिछली एक सदी से, हमनें देखा है बहुत सी दिलचस्प खोजों को। हमनें पता किया इन्सुलिन बनाने का तरीका। हमनें खोजे पेसमेकर और एक्स-रे, और यहाँ तक कि हम आ गए इस कमाल के सेल और जीन थेरेपी के नए युग में। पर सबसे बड़ा बदलाव हमारी अस्पताल प्रणाली को पूरी तरह से ठीक करने का अभी भी हमारे है। और मैं मानता हूँ कि वक्त आ गया है, इस प्रणाली को पूरी तरह से बदल देने का और भूल जाने का हमारी वर्त्तमान अस्पताल प्रणाली को। मैं मानता हूँ की वक्त आ गया है एक नयी प्रणाली बनाने का जो घरेलु उपचार पद्दति पर बसी है। हाल ही की खोजों ने हमें दिखाया कि 46 प्रतिशत अस्पताल की देखभाल रोगी के घर पर की जा सकती है। यह बहुत ज्यादा है। और यह ख़ास कर उन रोगियों के लिए जो जानलेवा बीमारियों से पीड़ित हैं। इसके साथ, अस्पतालों को होना होगा छोटा, फुर्तीला और चलनशील उपचार केंद्र जो कि विकट बिमारियों पर केंद्रित हो तो, चीजें जैसे की नवजात शिशु देखभाल, गहन देखभाल, शल्य चिकित्सा और इमेजिंग अभी भी अस्पताल में रहेंगे, मेरा मानना है कम से कम निकट भविष्य के लिए। कुछ हफ़्तों पहले, मैं सहकर्मी से मिला जिसकी माँ को पता चला लाइलाज कैंसर से ग्रसित होने का, और उन्होनें कहा, "नील्स, यह मुश्किल है। यह इतना मुश्किल है जब हमें मालूम हो कि उनके पास कुछ ही महीने बचे हैं जीने के लिए। पोते-पोतियों के साथ खेलने की बजाए, उन्हें हफ्ते में तीन बार सफर करना पड़ता है दो घंटे एम्स्टर्डम से आने और जाने के लिए सिर्फ अपने इलाज और परीक्षण के लिए। " और यह मेरा दिल सच में तोड़ देता है, क्यूंकि हम सब जानते हैं कि एक उपचारिका उनका खून परिक्षण के लिए घर से भी, लिया जा सकता है ना ? और अगर वो अपना परीक्षण करवा पाएं और इलाज ले पाए घर पर भी, वो कर पाएंगी वो चीजें जो उनके लिए सही में जरुरी हैं उनके आखरी महीनों में। मेरी अपनी माँ, जो अब 82 वर्ष की हैं -- भगवान् उनका भला करे -- वो अस्पताल जाने से कतराती हैं क्यूंकि उन्हें इस सफर की योजना बनाने और प्रबंद करने में मुश्किल होती है इसलिए मेरी बहनें और मैं, उनकी मदद करते हैं पर ऐसे बहुत से बुजुर्ग लोग हैं जो देखभाल से बचते हैं और इतने समय तक इंतजार करते हैं कि वो जान-लेवा बन जाता है और उन्हें सीधे महंगे और गहन इलाज के लिए जाना पड़ता है। डॉक्टर कविन्स्की, जो नैदानिक शोधकर्ता हैं कैलिफ़ोर्निया विश्विधालय में उन्होनें पाया की 70 की उम्र के एक में से तीन लोग और 85 की उम्र के आधे से ज्यादा लोग, अस्पताल में जाने से ज्यादा लाचार होकर वापस निकलते हैं। और एक बहुत व्यावहारिक समस्या है जिसका कई लोग सामना करते हैं जब उन्हें अस्पताल जाना होता है : मैं अपने ख़ास साथी के साथ कहाँ जाऊँ , मैं अपने कुत्ते के साथ कहाँ जाऊँ ? ये हमारी कुतिया है, वैसे, प्यारी है न ? (सब हँसते हैं ) पर ये सिर्फ हमारी सहूलियत नहीं है। ये स्वास्थ्य देखभाल के रहने और खर्च के बारे में भी है। मेरा एक दोस्त है, आर्ट, उसे हाल ही में अस्पताल जाने कि जरुरत हुई मामूली सर्जरी के लिए और उसे अस्पताल में करीब 2 हफ़्तों तक रहना पड़ा, सिर्फ इसलिए क्यूंकि उसे जरुरत थी कुछ ख़ास एंटीबायोटिक्स दवाईयों की। इसलिए वो 2 हफ़्तों तक अस्पताल में रहा जिसका खर्चा करीब हजार यूरो प्रतिदिन था। यह बिलकुल हास्यास्पद है। और ये खर्च ही इस दिक्कत की जड़ हैं। तो हमनें कई वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को देखा, स्वास्थय देखभाल का खर्च जीडीपी का प्रतिशत होता है पिछले कई सालों से। तो यहाँ हम देखते हैं कि लगभग पिछले 50 सालों में, स्वास्थ्य सेवा बढ़ गयी है जर्मनी में लगभग पांच प्रतिशत से अब करीब 11 प्रतिशत तक। अमरीका में, हमें बढ़त देखी है छः प्रतिशत से अब करीब 17 प्रतिशत तक। और इन खर्चों का एक बड़ा हिस्सा संचालित होता है निवेश से इन बड़ी, चमकदार इमारतों में। और ये इमारतें लचीली नहीं हैं, और ये बनाये रखती है एक ऐसी प्रणाली जहाँ अस्पताल के बिस्तर भरें जाएं एक अस्पताल के कुशलता पूर्वक चलने के लिए। वहां कोई फायदा नहीं है एक अस्पताल के काम बिस्तर भर पाने से। सिर्फ इसके ख्याल से ही आपको बीमार कर देता है, है न ? और यह बात है : खर्चा मेरे दोस्त आर्ट को इलाज देने का लगभग 10 गुना सस्ता हो सकता है अस्पताल सेवा से। और इसी तरफ हम आगे बढ़ रहे हैं। भविष्य का अस्पताल बिस्तर होगा हमारे अपने घरों में। और यह शुरु हो चुका है। वैश्विक घरेलु उपचार हर साल 10 प्रतिशत से बाद रहा है। और मेरे अपने अनुभव से, मैं देख रहा हूँ कि रसद और प्रौद्योगिकी इन घरेलु उपचार साधनों को काम करने लायक बना रही हैं। प्रौद्योगिकी हमें पहले से ही ऐसी चीजें करने दे रही है जो पहले सिर्फ अस्पतालों में होती थी। निदान परिक्षण जैसे कि खून, ग्लूकोस परिक्षण, मूत्र परिक्षण, अब हमारे घरों के आराम में किये जा सकते हैं। और ज्यादा से ज्यादा जुड़ने वाले उपकरण जैसे की पेसमेकर और इन्सुलिन पंप जो कि पहले से सूचित करेंगे अगर जल्दी मदद चाहिए तो। और ये सब प्रौद्योगिकी एक साथ मिलकर मरीज़ों की सेहत के बारे में कहीं ज्यादा अंतदृष्टि देती है, और ये अंतदृष्टि और जानकारी बेहतर नियंत्रण लाती है और कम चिकित्सा भूल की तरफ -- याद है, तीसरा सबसे बड़ा कारण मौत का अमेरिका में। और मैं इसे रोज़ काम पर देखता हूँ। मैं रसद में काम करता हूँ और मेरे लिए, घरेलु उपचार काम करता है। तो हम देखते हैं एक वितरण चालक को दवाइयाँ बांटते हुए मरीज़ के घर तक। एक नर्स उसके साथ दवा प्रशासित करती है मरीज़ के घर पर। यह इतना आसान है। मेरा दोस्त याद है, आर्ट ? वो अब आई वि एंटीबायोटिक दवाइयां अपने घर के आराम में ले सकता है ; ना अस्पताल के पाजामे, ना बेकार खाना और कोई डर नहीं इन एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी सुपरबग का जो हमें सिर्फ इन अस्पतालों में ही काटते हैं। और आगे भी है। तो अब बुजुर्ग लोगों को वो देखभाल मिलेगी जो उन्हें चाहिए उनके अपने घरों के आराम में अपने सबसे अच्छे साथी के साथ। और अब कोई जरुरत नहीं है कई घंटों तक गाड़ी चलाने की सिर्फ अपने इलाज और दवाइयों के लिए। नेदरलॅंड्स और डेनमार्क में, हमनें ज्यादा सफलता देखी कैंसर क्लीनिकों में कीमोथेरेपी आयोजित करते हुए मरीज़ों के घरों पर, कभी कभार और मरीज़ों के साथ भी। सबसे ज्यादा सुधार इन मरीज़ों में आया है तनाव में कमी, घबराहट और अवसाद में. घरेलु उपचार ने उनकी मदद की वापस सामन्य महसूस करने में और जिंदगी में आज़ादी लाने में, और उन्होंने मदद की उनकी बिमारी भूलने में। पर घरेलु उपचार, निएल्स -- क्या हो अगर मेरे पास घर नहीं है जब मैं बेघर हूँ , या फिर जब मेरे पास घर है लेकिन कोई नहीं है मेरा ध्यान रखने के लिए या सिर्फ दरवाजा खोलने के लिए ? खैर, यहाँ है हमारी सांझा अर्थव्यवस्था या, जैसे कि मैं कहूं, घरेलु देखभाल एयर बी एन बी। नीदरलैंड में, हम देखते हैं चर्च और सेवा संगठनों को लोग जिन्हें जरुरत है आराम और साथ की उन्हें मिलाने के लिए उन लोगों के साथ जिनके पास घर है और जो साथ और आराम दे सकें। घरेलु स्वास्थ्य सेवा सस्ती है, वो आराम से पहुंचा सकते हैं, और आराम से स्थापित की जा सकती है -- इन ग्रामीण इलाकों में जिनकी हमनें बात कि, पर मानवीय आपातकालीन परिस्थितियों में भी जहाँ अक्सर सुरक्षित, और जल्दी और सस्ता होगा घर पर चीजें स्थापित करना घरेलु स्वास्थ्य सेवा बहुत उपयुक्त है समृद्ध इलाकों में पर गरीब समुदायों मैं भी उतना ही घरेलु स्वास्थ्य सेवा विकसित देशों है और विकासशील देशों मैं भी इसलिए मैं उत्साहित हूँ सुविधा देने के लिए मरीजों के जीवन मैं सुधार लाने की घरेलु स्वास्थ्य सेवा के द्वारा मैं उत्साहित हूँ वो सुविधा देने के लिए जिससे बुजुर्ग लोगों को इलाज मिले जिसकी उन्हें जरुरत है अपने खुद के घरों के आराम में, अपने सबसे अच्छे साथी के साथ मैं उत्साहित हूँ ये बदलाव लाने के लिए और ये सुनिश्चित करने के लिए कि वे मरीज, न की उनकी बीमारियाँ, उनके जीवन को नियंत्रित करती हैं मेरे लिए वही स्वास्थ्य सेवा है, घर तक पहुंची हुई धनयवाद (तालियाँ) आज, मैं आप सभी को एक किस्सा बताना चाहूँगी, यह चीज़ दरहसल चार हफ़्ते पहले हुई। मुझे ऐसा कुछ बोला गया जो मैंने कभी न सोचा था, कि कोई आकर मुझे बोलेगा। और उस बात को सुनकर, मेरा दिल टूट सा गया। और साथ ही साथ, मेरे अंदर एक उम्मीद सी जगी। और इस अनुभव से उस विषय की ओर मेरी प्रतिबद्धता बढ़ी जिसके बारे में आज मैं आप सब से बात करूँगी। मैं सबको यह कहती हूँ कि मैं डरी हुई सी हूँ। मुझे सबसे सबसे ज़्यादा डर कुछ विचित्र कहानियों को सुनकर लगता है, कहानी के बाद कहानी, फिर एक और कहानी, नौजवानों की, मेरे लोगों की, मेरे जैसे लोगों की जो समुद्र पर मर रहे हैं, अभी, समुद्र के सबसे निचले हिस्से में, जैसे मछली का चारा हो। क्या आपको सच में लगता है हम उस्सी के लायक हैं? मछली के चारा बनना? और कुछ ऐसे लोग हैं जो यूरोप विस्थापित होना चाहते हैं -- क्योंकि अब सब उस्सी के बारे में है, वे नौकरी के लिए यूरोप विस्थापित होना चाहते हैं। लीबिया के बारे में। आपको पता है जब हम लीबिया को पार करके जाने की कोशिश करते हैं और वहाँ अटक जाते हैं? हमें घुलाम बनाकर बेच दिया जाता है। 300 डॉलर के लिए, कभी कभी 500 डॉलर के लिए। कभी कभी मैं हवाई जहाज़ से गिरते शवों के बारे में सुनती हूँ। कभी कोई हवाई जहाज़ के किसी हिस्से में छुपा, या सामान वाली जगह में छुपा, और फिर वह इंसान मारा हुआ मिले। क्या आप मेरी तरह डरेंगे नहीं, कि आपको बचपन से ही ऐसी कहानियाँ सुनने को मिले, और ऐसे किससे बार बार दोहराए जाएँ? क्या आपको डर नहीं लगेगा? मुझे बहुत लगता है। और साथ ही साथ, जैसे जैसे मेरे लोग मर रहे हैं, मेरी संस्कृति भी मर रही है। जी, मैंने सही कहा। क्योंकि हमें एक सांस्कृतिक न्यूनता महसूस होती है, जिसका मतलब है कि जो कुछ भी हमारी तरफ़ से आए वह उतना अच्छा नहीं है। लेकिन, मेरे लिए, और क्योंकि मुझे कृति से आलोचना करना सिखाया गया था। मेरे पिता कहते, "मेरे पास समस्या लेकर तब तक मत आना जब तक तुमने खुद समाधान न सोचे हो। उनका सही होना ज़रूरी नहीं, बस इतना कि तुमने उसके बारे में "खुद कुछ सोचा। मेरा ज़िंदगी तरफ़ यह रवईया है - कि अगर कोई समस्या है, तो उसका समाधान ढूँढो। तो इसलिए मैं वे व्यापार शुरू करती हूँ, अधिकतम वे ग्राहक ब्रांड, जिनमें अफ्रीकन संस्कृति की सबसे बेहतरीन झलकियाँ हैं। सब पैकेज किया गया होता है, 21वी सदी का, विश्वस्तरीय मानक वाला, और मैं वे सब दुनिया के सबसे परिष्कृत बाज़ार में लाती हूँ, जो अमेरिका है। पहली कंपनी एक पेय पदार्थों की थी, दूसरी त्वचा की देखबाल करने वाली, तीसरी वाली का प्रक्षेपण अगले महीने है, और सब में यही समानता है। तो यह लोग छोड़ कर क्यों जाते हैं? क्योंकि उनके पास कोई नौकरी नहीं है। क्योंकि वे जहाँ हैं, वहाँ नौकरियाँ नहीं है। तो ... लेकिन गरीबी, जो उनपर प्रभाव डालती है, वही छोड़कर जाने का मुक्य कारण है। अब, लोग गरीब क्यों है? लोग गरीब हैं क्योंकि उनके पास पैसा नहीं है। पैसा इसलिए नहीं है क्योंकि आमदनी का कोई स्त्रोत नहीं है। अधिकतम लोगों के लिए, आमदनी का स्त्रोत क्या है? हम जैसे लोगों के लिए आमदनी का स्त्रोत, क्या है, बताइए? नौकरियाँ, धन्यवाद। नौकरियाँ कहाँ से आती हैं? कहाँ से आती हैं? व्यवसाय से, धव्यवाद। तो अगर नौकरियों से गरीबी मिटाई जा सकती है, और नौकरियाँ व्यवसाय से आती हैं, तो क्या आपको नहीं लगता -- खासकर, वे नौकरियाँ छोटी और माध्यम स्तर के व्यवसायों में मिलती हैं -- तो क्या आपको एक क्षण के लिए नहीं लगता, कि हमें एक छोटे व्यवसायी के लिए व्यवयास खोलने को आसान बनाने पर ध्यान देना चाहिए? क्या आपको नहीं लगता? ऐसा क्यों है कि जब भी मैं विश्व बैंक के व्यवसाय करने की श्रेणी को देखती हूँ, जो दुनिया के हर देश को व्यवसाय खड़ा कर पाने की आसानी और कठिनता के आधार पर एक पद देते हैं, आप मुझे बताएँ कि क्यों अफ्रीकन देश, सारे के सारे 50, उस श्रेणी में आखरी पदों पर हैं? हम इसलिए ही गरीब हैं। हम गरीब इसलिए हैं क्योंकि हमारे इन देशों में व्यवसाय करना नामुमकिन के बराबर है। पर मैं आपको बताऊँगी कि इसका मतलब असल में मेरे जैसे लोगों के लिए क्या होता है। मेरे पास सिनेगल में एक औद्योगिक सुविधा है। क्या आपको पता है कि जो भी कच्ची सामग्री मुझे यहाँ नहीं मिलती, मुझे बाहर से आने वाली हर चीज़ के लिए 45% कर देना पड़ता है? पैतालीस प्रतिशत कर। क्या आपको पता है कि, मेरे उत्पादन को अमेरिका भेजने के लिए भी मुझे अच्छा गत्ता भी नहीं मिलता ? नामुमकिन। क्योंकि विभाजित करने वाले अपना व्यवसाय यहाँ करने नहीं आने वाले, क्योंकि उनके लिए भी मतलब नहीं बनता। तो अब मुझे 3000 डॉलर के मूल्य का गत्ता अपने गोदाम में रखना पड़ता है, क्योंकि वह पाँच हफ़्तों में एक बार मिलता है। हम सबसे ज़्यादा बेतुके नियमों के कारण बंधे से हुए हैं। इसलिए हम व्यवसाय नहीं चला पा रहे। यह चाशनी में तैरने के बराबर है। तो, इसके बारे में क्या किया जाए? मैंने आपको बताया कि किसी ने मुझे वे शब्द कहे जो मुझे प्रभावित कर गए, क्योंकि मैंने वही चीज़ सिनेगल में अपने कर्मचारियों को समझाई। और उनमें से एक रोने लग गई -- उसका नाम याहारा है। वह रोने लग गई। मैंने पूछा, "क्यों रो रही हो?" उसने कहा, "कि मैं इसलिए रो रही हूँ क्योंकि मुझे यकीन होने लगा था -- हमेशा हमें गरीबों की तरह देखा जाता है -- मुझे यकीन होने लगा था, कि शायद, हाँ, शायद हम अवर हैं। नहीं तो ऐसा क्यों होता है कि हम हमेशा ही भीक मांगने की स्तिथि में होते हैं? वही सुनके मेरा दिल टूट गया। पर उसने उसी वक़्त कहा वही जो मैंने आपको अभी अभी समझाया, उसने कहा "पर अब मुझे पता है कि मैं समस्या नहीं हूँ।" जिस तरह के वातावरण में मैं रहती हूँ, वह मेरी समस्या है।" मैंने कहा, "हाँ।" और उसी से मेरे अंदर उम्मीद जगी -- कि एक बार लोग समझ गए, वे ज़िंदगी की ओर अपना नज़रिया बदल देते हैं। तो हमारे पास क्या समाधान हैं? अगर नौकरियाँ समाधान हैं, तो क्या इन सारे देशों का व्यवसायी वातावरण और सरल नहीं होना चाहिए? आपको नहीं लगता? और आपके साथ साथ, मैं चाहूँगी कि उन 50 देशों में से आपके जितने भी दोस्त हैं वे सब भी यह ही करें। आप वह करें, बाकी हम पर छोड़ दें। मैं अपना फ़र्ज़ निभा रही हूँ, आप क्या कर रहे हैं? (तालियाँ) आप क्या कर रहे हैं? (तालियाँ) आप क्या कर रहे हैं? (तालियाँ) और आप सब के लिए, मैं दो चीज़ें कहना चाहूँगी। इसमें हिस्सा लीजिए, अपने आप को शिक्षित कीजिए, अपने आस पास जागरूकता बनाइए, और फिर ई-सरकारी समाधानों के लिए अधिवक्ता करें। उसने कहा, "ओ, भ्रष्टाचार, हम उसके खिलाफ़ कैसे लड़ें?" मैं आपको यह ही बताना चाहूँगी, कि हाँ, यह आप खुद से कर सकते हैं। आपको किसी के बोलने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए। एक ही बात है, कि आपको किसी और के लिए इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं, तो खुद करो। वरना मुझे आके यह मत कहो कि आपको भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ना है। आप और श्रेणी के निचले 50 देशों में से आपके 50 दोस्त। भ्रष्टाचार से ऐसे लड़ते हैं। अगर आप बाहर से आने वाले कच्चे माल के लिए 45 प्रतिशत की जगह मुझसे 5 प्रतिशत का कर मांगते, तो क्या आपको वाकई लगता है कि मुझे रिश्वत देनी पड़ती? इसलिए भ्रष्टाचार होता है। बेकार, बेतुके, बकवास कानून। (तालियाँ) हैं न? (तालियाँ) आपको भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना है? तो यह करो। और याद रखें, आपको किसी के लिए इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं। आप वह खुद कर सकते हैं। अगर आपमें कोई संप्रभुता नहीं है, तो वह खुद में एक समस्या है तो अब, मैं अब अपने लीडर्स से कुछ कहना चाहूँगी। यह दो तरफ़ जा सकता है। या तो बुरी तरह से, क्योंकि हमारे पास हज़ारों नौजवान हैं जो कि उभर रहे हैं, और अगर उनके पास ज़िंदगी में कुछ करने के लिए न रहे, तो वे क्रांति पे उतर आ सकते हैं। वे हिंसा का माध्यम अपनाएँगे। और हम ऐसा बिलकुल नहीं चाहेंगे। बिलकुल भी नहीं। तो यह इस तरह से हो सकता है। या फिर दूसरा रास्ता यह है, कि यह सब शांतिपूर्वक, ऊर्वर्तापूर्वक, और अच्छाई से हो सकता है, और आप वह सब करें जो ज़रूरी है, मुझसे भी आगे बढ़िए, मुझ जैसे लोगों को हमारा काम करने दें, हम वे सारी नौकरियाँ खड़ी करें, और अफ़्रीका एक समृद्ध देश बनेगा जिसके वह लायक है, और हमेशा से होना चाहिए था। यह संभव है, सब खुश होंगे, ज़िंदगी बेहतर हो जाएगी। दो रास्ते हैं -- या हिंसा अपनाओ या शांतिपूर्वक, ऊर्वर्तापूर्वक रास्ता। मुझे दूसरा वाला रास्ता चाहिए। हमें कभी भी यह सोचना नहीं पड़ना चाहिए, कि अगर हम वह रास्ता न अपनाएँ तो क्या होगा। तो मेरी बात मानिए। अब समय आ गया है। एक ऐसा दृश्य -- समृद्धि, खुशहाली, बढ़ते इंसान -- अगर हम अपना काम करें तो सब ऐसा ही होगा। धन्यवाद। (तालियाँ) धन्यवाद। (तालियाँ) मैं इसे मेरे जीवन का ध्येय समझती हूँ कि मैं अपने काम के द्वारा वातावरण में बदलाव की जरुरत को दर्शाऊं। मैंने उत्तर में, ध्रुवों के पिघलने को दर्शाने के लिए आर्कटिक की यात्रा कियी। मैंने भूमध्य रेखा के दक्षिण में यात्रा कर वहाँ बढ़ते हुए समुद्र के जलस्तर को देखा। हाल ही में मैंने ग्रीनलैंड के बर्फीले तटों की और मालदीव के निचले द्वीपों की यात्रा की । जो इस ग्रह के दो पूर्णतया भिन्न परन्तु एक ही प्रकार के खतरों से जूझते हुए भाग हैं । मेरे आरेख परिदृध्य के परिवर्तन, हलचल और शांति के क्षणों को दिखाते हैं और दर्शकों को उन स्थानों से भावनात्मक रूप से जुड़ने का अवसर देते हैं जहाँ जाने का अवसर उन्हें शायद कभी न मिले। मैं विध्वंस के स्थान पर सुन्दरता दिखाने को प्राथमिकता देती हूँ। यदि आप इन परिदृश्यों की भव्यता का अनुभव कर सकें, तो आप निश्चित ही उन्हें सहेजने और संरक्षित करने के लिए प्रेरित होंगे। व्यावहारिक मनोविज्ञान बताता है कि हम कोई कार्य करते समय अथवा निर्णय लेते समय हमारी भावनाओं को सर्वोपरि रखते हैं। और अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि हमारी भावनाओं पर किसी भयावह समाचार से अधिक प्रभाव कला का होता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि २०२० की ग्रीष्म ऋतु में आर्कटिक में बर्फ नहीं होगी और इस सदी के अंत तक समुद्र का जलस्तर दो से दस फीट तक बढ़ जायेगा। मैंने अपना करियर इन अनुमानों को सुलभ माध्यम से प्रदर्शित करने में समर्पित किया है यह हमें उस दिशा में आगे बढाता है जिसमें आंकडें नहीं बढ़ा सकते। मेरी प्रक्रिया उन जगहों की यात्रा से प्रारंभ होती है जो वातावरण परिवर्तन में सबसे आगे हैं। मैं उन जगहों पर हजारों फोटोग्राफ्स लेती हूँ। वापस स्टूडियो में आने पर मैं अपनी स्मरणशक्ति और फोटोग्राफ्स का उपयोग कर के बडे पैमाने पर अपनी रचना का निर्माण करती हूँ कई बार वह १० फीट चौड़ी होती है। मैं चारकोल की तरह सूखे हलके पैस्टल रंगों का प्रयोग करती हूँ। मैं अपनी रचना को आरेख मानती हूँ परन्तु लोग उसे चित्र कहते हैं। मैं सकपका जाती हूँ जब मेरा उल्लेख 'फिंगर पेंटर' के रूप में किया जाता है। (हंसी) किन्तु मैं किन्ही साधनों का प्रयोग नहीं करती और हमेशा अपनी उँगलियों और हथेलियों का प्रयोग कर पेपर पर रंगों में परिवर्तन करती हूँ। आरेखन मेरे लिए ध्यान का माध्यम है। यह मेरे मस्तिष्क को शांति देता है। मैं जो आरेख बनाती हूँ वह बर्फ या पानी नहीं होते बल्कि वह इमेज का बुनियादी आकार और रंग में दर्शाया गया रूप है। जब वह हिस्सा पूर्ण होता है तब मैं उस संयोजन को समग्र रूप में महसूस कर पाती हूँ, जैसे कांच के समान स्वच्छ पानी में तैरता हुआ हिमशैल अथवा फेन के साथ ऊपर उठती लहर। औसतन इस आकार के हिस्से को पूरा करने में मुझे 10 सेकंड लगते हैं जैसा कि आप देख सकते हैं (हंसी) (तालियाँ) यथार्थ में २०० से २५० घंटे, इस आकार के किसी हिस्से के लिए। मैं तब से आरेख बना रही हूँ जबसे मैंने क्रेयोन पकड़ना सिखा है मेरी माँ एक कलाकार थी इसलिए बचपन से ही मेरे घर में कला सम्बंधित वस्तुओं की भरमार थी। मेरी माँ के फोटोग्राफी के प्रति प्रेम के कारण उन्होनें धरती के सुदूर क्षेत्रों की यात्रा की और मैं और मेरा परिवार भाग्यशाली था कि हम उनके साथ इन साहसिक यात्राओं पर जा सके और उनकी सहायता कर सके। हमने उत्तरी अमेरिका में ऊँटों की सवारी की और उत्तरी ध्रुव के नजदीक कुत्तों की स्लेज पर यात्रा की। अगस्त २०१२ में मैंने अपना पहला अभियान प्रारंभ किया, जिसमें कलाकारों और विद्वानों का एक समूह ग्रीनलैंड के उत्तरी पश्चिमी तटों पर मेरे साथ आया। इस यात्रा का नेतृत्व मूल रूप से मेरी माँ को करना था। वो और मैं योजना बनाने के प्रारंभिक चरणों में थे क्योंकि हम साथ ही जाने के इच्छुक थे, परन्तु इस बीच उन्हें ब्रेन ट्यूमर हो गया। कैंसर ने जल्दी ही उनके शरीर व मस्तिष्क को शिकंजे में जकड लिया और छः महीने बाद उनकी मृत्यु हो गई। इस बीमारी के दौरान भी इस यात्रा के प्रति उनका समर्पण कभी कम नहीं हुआ, और तब मैंने उनकी इस अंतिम यात्रा को पूरा करने का प्रण किया। मेरी माँ का आर्कटिक के प्रति उत्साह मेरे ग्रीनलैंड के अनुभव में प्रतिध्वनित हुआ और मैं उस परिदृश्य की शक्ति और भंगुरता का अनुभव कर पाई। हिमशैल का वास्तविक आकार सुखद है। यह हिमक्षेत्र जीवंत हैं, हलचल और आवाज के साथ जैसी मैंने कभी अपेक्षा नहीं की थी। मैंने अपने आरेखों का आकार बढाया ताकि आपको भी वो अनुभव मिल सके जो मुझे मिला। जिस तरह बर्फ की भव्यता स्पष्ट है उसी तरह भेद्यता भी है। हमारी नौका से मैं देख रही थी, बेमौसम की गर्मी से बर्फ पिघल रही थी। हमें ग्रीनलैंड की एस्किमों जातियों से मिलने का अवसर मिला जो अभी बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही हैं। उन लोगों ने मुझे समुद्र के बर्फीले क्षेत्रों के बारे में बताया जहाँ अब पहले की तरह बर्फ नहीं जमती। और बर्फ के अभाव में उनकी शिकार और कृषि की भूमि बुरी तरह समाप्त होती जा रही है, जो उनके जीवन व जीवित रहने के तरीकों के लिए खतरनाक है। ग्रीनलैंड के पिघलते हिमशैल समुद्र का जल स्तर बढ़ने के सबसे बड़े कारकों में से एक है, जिसके कारण दुनिया के कुछ निचले द्वीप डूबने शुरू हो चुके हैं। ग्रीनलैंड के एक वर्ष बाद मैं मालदीव गई, जो दुनिया का सबसे निचला और समतल देश है। वहाँ रहते हुए मैंने इमेजस और प्रेरणा प्राप्त की अपने नए कार्य के लिए: उस देश के तटों पर टकराती लहरों के चित्र जो सदी के अंत तक जलमग्न हो जायेगा। विध्वंसकारी घटनाएं हर दिन होती हैं वैश्विक और निजी दोनों स्तरों पर। जब मैं ग्रीनलैंड में थी, मैंने अपनी माँ की राख को पिघलते हुए बर्फ पर फैला दिया। अब वो सदा उस स्थान का भाग रहेंगी जो उन्हें अत्यंत प्रिय था। चाहे समय के साथ वह एक नया रूप ही क्यों ना ले लें। मेरी माँ के दिए गए उपहारों में से एक मेरी नकारात्मकता के स्थान पर सकारात्मकता पर केंद्र करने की क्षमता मेरे आरेख उस सुन्दरता का उत्सव मनाते हैं जिसे हम खोने की कगार पर हैं। आशा है कि वे पिघलते हुए क्षेत्रों के लिए रेकॉर्ड्स का काम करेंगे और वैश्विक समुदाय को प्रेरित करेंगे भविष्य के लिए कार्यवाही करने के लिए। धन्यवाद। (तालियाँ) (तालियाँ) (तालियाँ) मुझे ऐसे चित्र लेने का ज़ुनून है जो कहानियां बताते हों फ़ोटोग्राफ़ी करना समय के छोटे से हिस्से में थमे हुये एक पल को संजोने जैसा है। हर पल या फोटो समय के साथ गुजरती यादों के एक टुकडे का प्रतीक है। पर यदि आप एक फोटो मे एक से अधिक पल संजो सकें तो! समय को लांघ कर अगर एक ही फोटोग्राफ़ दिन और रात के सर्वश्रेष्ठ पलॊं को संक्षिप्त करते हुये , एक निरंतर चित्र बन जाये तो! मैने एक संकल्पना की है जिसे "दिन और रात" कहते हैं और मैं मानता हूं कि ये आपके दुनिया के प्रति नज़रिये को बदल देगा। मेरा नज़रिया तो बदला है. मेरा काम ऐसी प्रख्यात जगह की फोटो लेने से शुरु होता है जो हमारी सामूहिक स्मृति का हिस्सा हो। मैं एक निर्धारित स्थान से फ़ोटो लेता हूं और और खुद वहीं रहता हूं। मैं समय के साथ गुज़रते हुये मानवता और प्रकाश के क्षणिक पलों को कैद करता हूं १५ से ३० घन्टे तक फ़ोटो लेने और १५०० से अधिक चित्र खींचने के बाद मैं दिन और रात के सबसे उत्तम क्षण चुनता हूं। समय को मार्गदर्शक बनाकर मैं उन सारे सर्वोत्तम पलों को एक अकेले फ़ोटो मे मिलाकर समय के साथ हमारी सचेत यात्रा की कल्पना करता हूँ। मैं आपको टोर्नेल पूल से दृश्य दिखाने के लिये पॅरिस ले जा सकता हूँ। और आपको सैन नदी मे सुबह सुबह नाव खेते लोग दिखा सकता हूँ। और साथ ही आपको रात मे चमकता हुआ नोतरे बांध दिखा सकता हूँ। और उसी बीच, मैं आपको इस रोशनी के शहर का अफ़सना भी दिखा सकता हूँ। मैं मूलत: हवा में ५० फ़ीट ऊपर बैठा एक सामान्य फोटोग्राफ़र हूँ, और इस फोटो मे दिखने वाली हर एक चीज सच में आज ही हुई है दिन और रात एक वैश्विक परियोज़ना है, और मेरा काम हमेशा इतिहास के बारे मे रहा है मेरे लिये वेनिस जैसी जगह पर जाना और इसे किसी खास घटना के समय देखना बहुत आकर्षक विचार है और इसीलिये मैन्रे निर्णय लिया कि मैं ऐतिहासिक रेगाटा देखूंगा, एक समारोह जो सन १४९८ से हो रहा है! नावें और पहनावा आज भी बिल्कुल उस समय जैसे ही दिखते हैं। और मैं चाहता हूँ कि एक महत्त्वपूर्ण तत्व आप सब अच्छे से समझ लें: ये टाइम-लेप्स (अंतराल) नहीं है! ये सारे दिन और सारी रात फोटो लेता हुआ मैं। मैं जादुई पलों को अनवरत संग्राही हूँ। और ये इनमें से बस एक पल को भी खो देने का डर है जो मुझे प्रेरित करता है। ये पुरी संकल्पना लगभग १९९६ मे आयी। "लाइफ़" पत्रिका ने मुझे बज़ लरमन की फ़िल्म "रोमिओ+ज्युलिअट" के अभिनेता और कर्मीदल का परिचित्र लेने के लिये अधिकृत किया था। मंच पर जाकर मुझे पता चला के ये तो वर्गाकार है। तो परिचित्र बनाने का केवल एक ही तरीका था, २५० अलग अलग फोटो लेकर उनको मिलाकर एक संग्रह चित्र बनाना! तो मेरे सामने डि केप्रिओ और क्लेअर डेन्स आलिंगन मुद्रा मे थे, और जैसे ही मैने अपना केमरा दायीं ओर घुमाया, मेरा ध्यान दीवार पे टंगे शीशे पर गया और मैने देखा के उसमें उनका प्रतिबिम्ब था। और उस एक क्षण के लिये, उस एक फोटो में, मैने उनसे कहा "क्या आप इस एक चित्र.." "..के लिये चूम सकते हैं?" और फ़िर मैं न्यूयोर्क में अपने स्टूडिओ मे वापस आ गया, और मैने अपने हाथों से उन २५० चित्रों को एकसाथ चिपकाया और मैने उसे ढंग से देखा और कहा, "वाह, ये तो एकदम मस्त है! मैं फोटो मे समय को बदल रहा हूँ!" और ये विचार सच मे मेरे मन मे १३ साल तक रहा जब तक कि तकनीक अन्तत: मेरे सपनों की सीमा तक पहुच पायी। ये मैने एक सेन्ट मोनिका पायर का चित्र बनाया है, दिन से रात तक! और अब मैं आपको एक वीडिओ दिखाने जा रहा हूँ जिससे आपको अन्दाजा लगेगा कि इन चित्रों को बनाते समय मेरा अनुभव कैसा होता है। शुरुआत के लिये, आपको समझना होगा कि ऐसा दृश्य पाने के लिये मेरा ज्यादातर समय ऊंचाई पर किसी क्रेन में गुजरता है। तो ये मेरा एक सामान्य दिन है, १२-१८ घन्टे, बिना रुके पूरे दिन के पसरने को फ़ोटो मे समेटना। और कई मज़ेदार चीजों मे से एक है लोगों को देखना! और विश्वास कीजिये, ये देखने के के लिये मेरी सीट इस दरबार में सबसे अच्छी है। लेकिन वाकई बिलकुल ऐसे ही मैं इन तस्वीरों को बनाता हूँ। तो एक बार अपना दृश्य और जगह निर्धारित करने के बाद, मुझे तय करना होता है कि दिन कहां शुरु होता है और रात कहां खत्म। और इसी को मैं "टाइम व्हेक्टर" कहता हूँ। आइंन्स्टाइन ने बताया कि समय एक कपड़े की तरह होता है। एक ट्रेम्पोलिन के कपड़े की सतह के बारे मे सोचिये जो गुरुत्वाकर्षण के साथ सिकुड़ता और फ़ैलता है। मैं भी समय को कपड़े की तरह ही देखता हूँ, बस मैं उस चादर को एकदम समतल करके इसे एक ही तल मे जमा देता हूँ। इस काम के विलक्षण पहलुऒं मे से एक है, यदि आप मेरे सारे चित्र देखें, कि टाइम वेक्टर बदलता है: कभी मैं बायें से दायें जाता हूँ, तो कभी आगे से पीछे, ऊपर या नीचे, यहां तक कि तिरछा भी! मैं एक द्वि-आयामी स्थिर चित्र में, दूरी-समय सांतत्यक (स्पेस-टाइम कोन्टिनुअम) खोज रहा हूँ। जब मैं ये चित्र बनाता हूं, तो ऐसा लगता है जैसे एक तत्क्षणिक पहेली मेरे दिमाग मे चल रही हो। मैं समय पर आधारित एक चित्र बनाता हूं, और इसे मैं मास्टर प्लेट कहता हूं! इसे पूरा होने मे कई महीने लग सकते हैं। इस काम की मज़ेदार बात ये है जब किसी भी दिन वहां ऊपर जाता हूं और फोटो लेता हूं तो मेरा किसी चीज पर कोई नियंत्रण नहीं होता! इसलिये मुझे कभी नही पता होता कि फोटो मे कौन होगा, ये एक शानदार सूर्योदय या सूर्यास्त होगा कि नहीं, कुछ नहीं पता! ये इस प्रक्रिया के अन्त में होता है, वो भी जब मेरा दिन वाकई अच्छा रहा हो और सब कुछ ठीक रहा हो, तब मैं तय करता हूं कि कौन रहेगा और कौन बाहर होगा, और ये सब समय पर निर्भर करता है। मैं एक महीने ये ज्यादा सम्पादित करके चुने गये सर्वोत्तम पलों को चुनूंगा और वे सब निरंतर मिलकर मास्टर प्लेट बन जाते हैं मैं दिन और रात को सिकोड़ कर जैसे कि मैं देखता हूं, इन दो विपरीत संसारों के बीच एक अद्वितीय सामंजस्य का निर्माण करता हूं। चित्रकारी का मेरे सभी कार्यों में बहुत खास प्रभाव रहा है और मैं हडसन नदी पद्धति के महान चित्रकार एल्बर्ट बीअरस्टेड, का बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूं। उन्होंने एक नयी श्रृृखला प्रेरित की जो मैंने राष्ट्रीय पार्क मे करी। ये बीअरस्टेड की योसेमाइट घाटी है। और ये योसेमाइट की फोटो है जो मैने बनाई है। ये दरअसल नेशनल जिओग्रफ़िक के जनवरी २०१६ अंक की मुख्य कथा है। इस फोटो के लिये मैने ३० घन्टे से ज्यादा फोटो खींची। मैं वस्तुत: एक चोटी के किनारे बैठकर, तारों को,चाँदनी के परिवर्तन को और चाँदनी से जगमगाते अल केपितान को केमरे में कैद कर रहा था। और मैंने पूरे परिदॄश्य मे समय के परिवर्तन को भी कैद किया! जाहिर है सबसे अच्छा भाग दिन से रात मे बदलते समय के साथ मानवता के जादुई पलों को देखना है। और एक निज़ी बात, मेरे पास वाकई बीअरस्टेड के चित्र की एक प्रतिलिपि मेरी जेब मे थी। और जब सूरज घाटी मे उगने लगा, मैं वाकई जोश से काँपने लगा क्योंकि मैंने चित्र को देखा और कहा, "हे भगवान! इसमें तो १०० साल पहले वाला एकदम बीअरस्टेड के जैसा उजाला है। दिन से रात हर चीज के बारे में है, ये हर उस चीज के संकलन के जैसा है जो मुझे फोटोग्राफ़ी के माध्यम के बारे मे पसन्द है। ये प्राकृतिक दृश्यों के बारे मे है गली फोटोग्राफ़ी के बारे मे है, रंगों और वास्तुशिल्प के, दृष्टिकोण, माप और खासकर इतिहास के बारे मे है. ये सबसे एतिहासिक क्षणों मे से है जिनकी मैं फोटो ले पाया, 2013 में राष्ट्रपति के रूप मे बराक ओबामा का अभिषेक और यदि आप फोटो को ध्यान से देखेंगे तो आप उन बड़े टेलीविजन सेटों मे समय को वाकई बदलते हुये देख सकते हैं आप देख सकते हैं, बच्चों का इन्तेज़ार करतीं मिशेल, फ़िर लोगों का अभिवादन करते हुये ओबामा फ़िर शपथ-ग्रहण, और फ़िर वे लोगो से बात करते हुये. जब मैं ऐसे फोटो बनाता हूं तो बहुत सारे चुनौतीपूर्ण पहलू होते हैं। इस विशिष्ट फ़ोटो के लिये मैं 50 फ़ुट ऊंची कैंची लिफ़्ट मे था और वह बहुत स्थिर नहीं थी. तो जब भी मेरे सहायक और मैं इधर उधर होते, हमारा क्षितिज भी बदल जाता. तो हर उस चित्र के लिये जो आप देख रहे हैं, और ऐसे लगभग 1800 चित्र हैं इस फोटो मे जब भी मैं फोटो खींचता हमे अपने पैर एक स्थान पे चिपकाने पड़ते. (तालियां) मैने इस काम को करते हुये बहुत सारी अद्भुत चीजें सीखी हैं और मेरे खयाल से दो सबसे महत्त्वपूर्ण हैं धैर्य और अवलोकन क्षमता। जब आप न्यूयोर्क जैसे शहर के ऊपर से फोटो लेते है तो आप पायेंगे कि वो कारों मे घूमने वाले लोग जिनके साथ मेरे दिन-रात गुजरते है वो अब कार मे रहने वाले लोग जैसे नहीं लगते। बल्कि वो मछलियों के एक बड़े झुन्ड जैसे लगते हैं, ये एक तरह का उभरते हुए व्यवहार का रूप है। और जब लोग न्यू यॉर्क की ऊर्जा की बात करते हैं मेरे खयाल से यह चित्र इसे वाकई दर्शाता है। जब आप मेरे काम को करीब से देखेंगे तो पायेंगे कि इसमे कहानियां चल रही हैं। आपको लगेगा कि टाइम्स स्क्वायर एक घाटी है ये एक परछांई है, ये धूप है। तो मैने सोचा कि इस फोटो में, मैं समय को शतरंज के खानों की तरह चिन्हित करूंगा तो जहां भी छाया है, वहां रात है, और जहां धूप है वहां दिन है। समय एक ऐसी अद्भुत चीज है जो कभी हमें पूरी समझ मे नहीं आएगी। पर एक बहुत ही निराले और खास अन्दाज़ में ये चित्र समय को एक चेहरा देते हैं। ये एक पारभौतिक दृश्य वास्तविकता को रूप प्रदान करते हैं जब आप १५ घन्टे तक एक ही जगह को देखते हो तो आप चीजों को थोड़ा अलग तरीके से देखेंगे बजाये तब के जब आप या मैं बस केमरा लेकर जाते हैं फोटो खीचते हैं और चले जाते हैं। ये एक उत्कृष्ट उदाहरण है, मैं इसे "सेक्रे कोइउर सेल्फ़ी" कहता हूं। मैंने १५ घन्टे तक देखा कि इन लोगों ने "सेक्रे कोइउर" की ओर देखा तक नहीं। वो इसे एक पृष्टभूमि की तरह इस्तेमाल करना चाहते थे। वो आयेंगे, फोटो लेंगे और चले जायेंगे। और मेरे हिसाब से इस बात का एक असाधारण उदाहरण है. बहुतही अलग जो हम जो मानवीय अनुभव के बारे मे सोचते हैं. और मानवीय अनुभव जिस तरह बदल रहा है लोगों के साथ बांटना, अचानक खुद अनुभव करने से ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया है (तालियां) और अन्त में मेरी सबसे नयी तस्वीर, जो निजी तौर पर मेरे लिये विशेष अर्थ रखती है, ये तंज़ानिया का सेरेंगती नेशनल पार्क है। और ये चित्र सेरोनेरा के बीचोंबीच लिया गया है, यह रिजर्व नहीं है। मैं विशेषकर पलायन के मौसम मे गया ताकि मैं सर्वाधिक प्रकार के पशुओं कि फोटो ले सकूं। दुर्भाग्यवश जब मैं वहां पहुचा तो उस समय सूखा पड़ा हुआ था, एक पांच हफ़्तों का सूखा। तो सारे पशु पानी की ओर जा रहे थे। मुझे ये एक पानी का गड्ढा मिला, और मुझे लगा यदि जब कुछ जैसा चल रहा है, वैसा ही रहा तो मेरे पास कुछ अनोखा संजोने का असली मौका है हमने इसका तीन दिन तक अध्ययन किया, पर कोई भी चीज मुझे उसके लिये तैयार नहीं कर सकती थी जो मैने उस दिन देखा। मैने 26 घन्टे तक एक बन्द मगरमच्छ अन्ध मे, हवा मे 18 फ़ुट ऊपर फोटो ली। मैने जो देखा वो अकल्पनीय था। सच कहूं तो वो बाइबल जैसा था। हमने देखा, २६ घंटो तक, ये सारी प्रतिस्पर्धिक प्रजातियां एक अकेला संसाधन, पानी, साझा करती हैं। वही संसाधन जिसके ऊपर अगले ५० सालों मे मानवता में युद्ध होंगे। और ये जानवर एक दूसरे पर भड़के तक नहीं। वो कुछ ऐसा समझते हैं जो हम इंन्सान नहीं समझते! कि इस अनमोल संसाधन, जल, को हम सब को आपस मे बांटना ही पड़ेगा। जब मैने ये चित्र बनाया तो मुझे एहसास हुआ कि दिन से रात वाकई देखने का एक नया तरीका है समय को संकुचित करके, स्पेस-टाइम कोन्टिनुअम को एक फोटो के अन्दर खोज़ें। जैसे जैसे फोटोग्राफ़ी के साथ तकनीक विकसित होगी, फ़ोटो न केवल समय और यादों का गहन अर्थ व्यकत करेंगे बल्कि वे हमारी दुनिया की एक समयोपरि खिड़की बनाते हुये, अनकही कहानियों का एक नया वक्तव्य रचेंगे| धन्यवाद। (तालियां) हमारे जींस को बदलने का एक तरीका है नए जींस बनाना, जैसा कि क्रैग वेंटर ने बहुत ही खूबसूरत तरीके से दिखाया है। दूसरा तरीका है अपनी जीवन शैली को बदलना। और अब हमें यह समझ में आ रहा है यह बदलाव इतने ताकतवर और सक्रिय हैं, कि आपको फायदा देखने के लिए काफी देर इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। जब आप स्वस्थ खाना खाते हैं, मानसिक दबाव को संभालते हैं और ज्यादा कसरत और प्यार करते हैं, तब आपके मस्तिष्क में ज्यादा खून और ऑक्सीजन जाती है। परन्तु इससे भी ज्यादा यह की आपका दिमाग पर्याप्त मात्रा में बड़ा हो जाता है। जो चीज़ें कुछ वर्ष पहले असंभव मानी जाती थी आज उनको नापा- तोला जा सकता है। यह रोबिन विल्लिंस ने खोजा था हम सब बाकी लोगों से कुछ साल पहले। तो अब, कुछ चीज़ें जो आप अपना सकते हैं अपने मस्तिष्क की कोशिकाओं को विकसित करने के लिए। कुछ मेरी मनपसंद चीज़ें, जैसे चोकलेट और चाय,ब्लूबेरी, शराब नियंत्रित मात्रा में, मानसिक दवाब पर नियंत्रण, और गांजा में पाए जाने वाले कन्नबिनोइद्स । मैं तो सिर्फ सन्देश वाहक हूँ। (हंसी ) हम किस बारे में बात कर रहे थे? (हंसी ) और वो चीज़ें जो मस्तिष्क विकास को बदतर कर सकती हैं, जो आपके मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट कर सकती हैं। प्रचलित संदेहास्पद, जैसे की संतृप्त हुई चर्बी और चीनी, तम्बाकू,अफीमयुक्त मादक द्रव्य,नशीले पदार्थ, अत्याधिक मात्रा में शराब और लगातार मानसिक दवाब। जब आप अपनी जीवनशैली बदलते हैं, तब आपकी त्वचा में ज्यादा खून जाता है, इसलिए आपको बुढ़ापा देर से आता है. आपकी त्वचा में कम झुर्रिया पड़ती हैं । आपके दिल में ज्यादा खून जाता है । हम ने यह प्रदर्शित किया है कि आप वास्तविकता में अपने दिल की बीमारी को ठीक कर सकते हैं । यह अवरोधित रक्तवाहिनियाँ जो आप ऊपर बायीं तरफ देख रहे हैं , केवल एक साल के बाद ही कम अवरोधित हो जाती हैं । और यह हृदय पेट स्कैन जो नीचे बायीं तरफ दिखाया गया है , नीले का तात्पर्य है कि यहाँ खून नहीं जाता है । एक साल बाद - नारंगी और सफ़ेद का तात्पर्य है कि यहाँ अधिकतम खून जाता है । हमने यह प्रदर्शित किया है कि आपके लिए यह संभव है कि आप आरंभिक प्रोस्टेट कैंसर और स्तन कैंसर के विकास को रोक भी सकते हैं और विपरीत दिशा में भी बदल सकते हैं , सिर्फ यह कुछ बदलाव अपनाने से । हमने यह भी पाया है कि in vitro (शरीर के बाहर-प्रयोगशाला में) अध्ययन में टयूमर का विकास रुक गया , समूह के 70 प्रतिशत लोगों मै जिन्होने इन परिवर्तनों लागू किया, जबकि तुलनात्मक समूह के सिर्फ नौ प्रतिशत लोगों में यह देखा गया । यह अंतर बहुत महत्वपूरण है। आपके यौन अंगों को भी ज्यादा खून जाता है , इसलिए आपकी जननक्षमता बढती है । एक सर्वाधिक प्रभावकारी धूम्रपान विरोधी विज्ञापन जो स्वास्थ्य सेवा विभाग ने बनाया था , यह दर्शाता था कि तम्बाकू जो आपकी रक्तवाहिनी को संकुचित कर देता है , जो आघात और दिल के दौरे का कारण बन सकता है, परन्तु यह नपुंसकता का कारण भी बन सकता है । जो लोग धुम्रपान करते है, उन मैं से पचास प्रतिशत लोग नपुंसक होते हैं । यह कितना कामोत्तेजक है ? अब हम एक अध्ययन भी प्रकाशित करने वाले हैं -- पहला अध्ययन जो यह प्रदर्शित करता है की आप प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित पुरुषों में जीन की अभिव्यक्ति बदल सकते हैं । इसे ताप मानचित्र कहते हैं -- और यह विभिन्न रंग -- और दाहिनी तरफ विभिन्न जीन हैं । और हमने यह पाया की 500 से ज्यादा जीन प्रशंसात्मक तरीके से बदल गए थे -- वस्तुतः , अच्छे जीन और बीमारी को रोकने वाले जीन उत्तेजित हो गए , बीमारी बढाने वाले जीन बंद हो गए । और इसलिए मैं सोचता हूँ की यह जांच परिणाम बहुत ताकतवर हैं, बहुत लोगों को नयी उम्मीद और नए विकल्प दे रहे हैं । और कम्पनियाँ जैसे नेविजेनिक्स और डीएनए दीरेक्ट और 23एंडमी, जो आपको आपकी आनुवंशिक रूपरेखा दे रहे हैं , कुछ लोगों को यह महसूस करवा रहे हैं ," हे भगवान, अच्छा तो मैं इस बारे मैं क्या कर सकता हूँ ?" देखिये, हमारे जीन (पित्रैक) हमारा भाग्य नहीं है, और अगर हम यह बदलाव करते हैं - यह एक प्रवृति हैं-- मगर यदि हम बहुत ज्यादा बदलाव करते हैं उस तुलना में जितना हम सामान्य तरह से करते हैं , हम वास्तविकता में अपने जीन (पित्रैक) की अभिव्यक्ति को बदल सकते हैं । धन्यवाद । (तालियाँ) मैं कल्पना भी नहीं कर सकती थी कि वो 19 वर्ष का आत्मघाती हमलावर मुझे एक महत्वपूर्ण सबक दे कर जायेगा। परन्तु उसने ऐसा किया। उसने मुझे सिखाया कि जिस व्यक्ति के विषय में आप कुछ नहीं जानते उसके विषय में कुछ भी धारणा मत बनाईये। जुलाई २००५ के एक गुरुवार की सुबह वह हमलावर और मैं, जाने अनजाने एक ही ट्रेन में एक ही समय पर सवार हुए, हम एक दूसरे से कुछ फीट की दूरी पर खड़े थे। मैंने उसे नहीं देखा। वास्तव में मैंने किसी को भी नहीं देखा। आप जानते हैं कि ट्यूब में आप को किसी को नहीं देखना है, पर मेरा ख्याल है कि उसने मुझे देखा। मेरा ख्याल है कि उसने हम सबकी ओर देखा, और फिर विस्फोट करने के लिए बटन को दबाया। मैं कई बार ये सोच का हैरान होती हूँ कि वह क्या सोच रहा था ? विशेषत: इन अंतिम क्षणों में। मुझे पता है कि यह निजी नहीं था। वह मुझे जिल हिक्स को मारने या विकलांग करने नहीं आया था। मेरा मतलब, वो मुझे जानता तक नहीं था। नहीं। बल्कि उसने मुझे एक अनुचित और अवांछित नाम दे दिया। मैं उसकी दुश्मन बन गई। उसके लिए मैं 'कोई दूसरी' थी , 'हम' के स्थान पर ' वो' थी। वह नाम 'दुश्मन' उसे हमें मारने के लिए पर्याप्त था। यह उसे वह बटन दबाने के लिए पर्याप्त था। और वह चयनात्मक नहीं था। अकेले मेरे ही डिब्बे में छब्बीस अमूल्य जाने गई, और मैं लगभग उनमें से एक थी। श्वास लेने में जितना समय लगता है उतने समय में हम लोग गहरे अंधकार में गोते लगा रहे थे कि वह लगभग वास्तविक था, जिसकी कल्पना मैं टार पर चलते समय कर रही थी। हम नहीं जानते थे कि हम दुश्मन हैं । हम बस रोज के आने जाने वाले यात्री थे जो कुछ मिनिटों पहले ट्यूब के शिष्टाचारों का पालन कर रहे थे: कोई आँखों का संपर्क नहीं, कुछ बोलना नहीं और कोई बातचीत नहीं। परन्तु अन्धकार बढ़ने के साथ हम एक दूसरे तक पहुँच रहे थे। हम एक दूसरे की मदद कर रहे थे। हम हमारे नाम पुकार रहे थे, एक प्रकार की उपस्थिति दर्ज करने की तरह, प्रतिउत्तर की प्रतीक्षा में। " मैं जिल हूँ। मैं यहाँ हूँ। मैं जिंदा हूँ। ठीक है।" " मैं जिल हूँ। यहाँ जिंदा ठीक है।" मैं एलिसन को नहीं जानती थी। पर मैं प्रत्येक कुछ मिनिटों में उसकी उपस्थिति को सुनती थी । मैं रिचर्ड को नहीं जानती थी । पर वो जिंदा है यह बात मेरे लिए मायने रखती थी । मैं जो उनके साथ साझा किया वो था मेरा नाम । वो नहीं जानते थे कि मैं डिजाईन काउंसिल की विभागाध्यक्ष हूँ । और यहाँ मेरा प्रिय ब्रीफ़केस है, जिसे भी उस सुबह बचाया गया। वो नहीं जानते थे कि मैं आर्किटेक्चर और डिजाईन पत्रिकाएं प्रकाशित करती हूँ, और मैं रॉयल सोसाइटी ऑफ़ आर्ट की सदस्य हूँ , और मैंने काला परिधान पहना है अभी भी -- और मैं सिगारिलो पीती हूँ। अब मैं सिगारिलो नहीं पीती। अब मैं जिन पीती हूँ और TED टॉक्स देखती हूँ नि:संदेह मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं यहाँ खडी रहूंगी कृत्रिम पैरों पर संतुलन बनाती हुई, व्याख्यान देती हुई। मैं एक तरुण ऑस्ट्रेलियाई महिला थी जो लन्दन में असाधारण कार्य कर रही थी। और मैं उस सब के लिए अंत तक तैयार नहीं थी। मैंने जीवित रहने का दृढ़ निश्चय कर लिया था कि मैंने अपने स्कार्फ से पैरों को हर तरफ से रक्त बहाव रोकने के लिए बांध लिया था, और मैंने खुद को आत्मकेंद्रित कर लिया था खुद की आवाज़ सुनने के लिए केवल अंत: प्रेरणा से मार्ग दर्शन प्राप्त करने के लिए। मैंने अपनी श्वास गति कम की। अपनी जांघों को ऊपर किया खुद को सीधा खड़ा किया और अपनी आँखे बंद करने की तीव्र इच्छा पर नियंत्रण किया । मैं ऐसी स्थिति में लगभग एक घंटा थी, एक घंटा अपनी पूरी जिंदगी को ध्यान से देखने के लिए उस क्षण तक। शायद मुझे इससे ज्यादा करना चाहिए था। शायद मुझे और अधिक जीना था, और अधिक देखना था। शायद मुझे दौड़ने जाना चाहिए था, नृत्य करना चाहिए था और योगाभ्यास भी। पर मेरी प्राथमिकता और केंद्र बिंदु हमेशा से मेरा काम था। मैं काम करने के लिए जीती थी। मैं अपने बिज़नस कार्ड पर क्या थी वो मेरे लिए मायने रखता था। पर उस सुरंग में इसके कोई मायने नहीं थे। जब तक मैंने पहला स्पर्श महसूस किया मुझे बचाने वाले का मैं बोलने में असमर्थ थी एक छोटा सा शब्द 'जिल' कहने में भी। मैंने अपने शरीर को उन्हें समर्पित कर दिया। मैं जो कुछ कर सकती थी सब किया और अब मैं उनके हाथों में थी। मैंने समझा कि मानवता कौन और क्या है, जब पहली बार मैंने अपना ID टैग देखा जो मुझे अस्पताल में भर्ती करते समय दिया गया था । और उस पर लिखा था: "एक अज्ञात अनुमानित महिला" एक अज्ञात अनुमानित महिला वो चार शब्द मेरे लिए उपहार थे। जिन्होंने मुझे स्पष्ट कहा कि मेरी जिंदगी बचाई गई है, केवल इसलिए कि मैं एक मनुष्य हूँ। किसी भी प्रकार के अंतर से अंतर नहीं पड़ता उन असाधारण कार्यो पर जो मेरे बचावकर्ता करने को तैयार थे मुझे बचाने के लिए, उन अज्ञात लोगों को बचाने के लिए जिन्हें वो बचा सकते थे और खुद की जिंदगी दांव पर लगाते हुए। उनके लिए मेरा धनी या निर्धन होना मेरी त्वचा का रंग मेरा महिला या पुरुष होना मेरी यौन उन्मुखता मैंने किसे मत दिया मैं पढ़ी लिखी हूँ या नहीं मुझमें विश्वास है या नहीं मायने नहीं रखता था। कुछ भी मायने नहीं रखता था सिवाय इसके कि मैं अमूल्य मनुष्य जीवन हूँ। मैं खुद को एक जीवित तथ्य की तरह देखती हूँ मैं प्रमाण हूँ कि बिना शर्त के प्रेम और आदर से ना केवल जीवन बचाया जा सकता है बल्कि इससे जीवन बदला भी जा सकता है। यह मेरा और मेरे बचावकर्ता का एक शानदार चित्र है पिछले साल लिया हुआ। उस घटना के १० वर्ष बाद हम लोग एक साथ हैं हाथों में हाथ लिए हुए। इस सारी उथल-पुथल के बीच मेरा हाथ घनिष्ठता से पकड़ा हुआ था। मेरा चेहरा हल्के से सहलाया गया। मुझे क्या महसूस हुआ? मुझे प्रेम महसूस हुआ। वह क्या था जिसने मुझे घृणा और प्रतिकार से बचाया, किस ने मुझे यह कहने की शक्ति दी: यह मेरे साथ समाप्त होता है प्रेम ने। मुझे प्रेम महसूस हुआ। मैं एक सकारात्मक बदलाव की ताकत में विश्वास रखती हूँ जो बहुत बड़ा है क्योंकि मैं जानती हूँ कि हम क्या कर सकते हैं । मैं जानती हूँ कि मानवता की चमक क्या होती है। यह मुझे कुछ बड़ी वस्तुओं पर विचार करने और हम लोगों को कुछ प्रश्नों पर गौर करने के लिए छोड़ देती है : क्या जो हम सब को एक करता है वो उससे बड़ा नहीं है जो हमें विभाजित करता है ? क्या हमें किसी त्रासदी अथवा दुर्घटना की आवश्यकता है 'मनुष्य' नाम की प्रजाति के रूप में एक दूसरे से गहराई से जुड़ने के लिए? और कब हम अपने युग की बुद्धिमत्ता का आलिंगन करेंगे मात्र सहिष्णुता से ऊपर उठ कर स्वीकार्यता की ओर चलने के लिए उन सब के लिए जो सिर्फ एक नाम हैं तब तक जब तक हम उन्हें नहीं जानते हैं ? धन्यवाद (तालियाँ ) कल्पना कीजिए कि आप एक सैनिक है जो एक घमासान युद्ध लड़ रहे है आप रोम के पैदल सिपाही हो सकते है या फिर प्राचीन काल के धनुर्धर शायद आप एक ज़ुलू योद्धा है वक्त और जगह चाहे जो भी हो, कुछ चीज़े कभी नही बदलती आपके चौकन्ना हुए होश और आपके सतर्क चेतना से उत्पन्न हो रहे आपके कर्म आपकी सजगता के दो मकसद हैं, अपना और अपने पक्ष की रक्षा करना, और दुशमन को शिकस्त देना। अब फ़र्ज़ कीजिए, कि आप एक अलग किरदार निभा रहे है, और वो है स्काउट का। स्काउट का काम हमला करना या हिफ़ाज़त करना नही है स्काउट का काम है जानना, समझना स्काउट वो है जो अपने शिविर से निकलता है, इलाके का नक्शा बनाता है, और संभावित बाधाओं को पहचानता है। और उसकी यह उम्मीद होती है कि वो कुछ सीखेगा, जैसे नदी के किनारे उपयुक्त जगह पर पुल का होना वह सकाउट जितनी निश्चितता से हो सके उस स्थान के बारे में जानना चाहता है। और वास्तविक सेना में स्काउट और सिपाही, दोनो का होना आवश्यक है परंतु हम दोनो किरदारों को दो मानसिकताऔं के रूप में देख सकते हैं यह उपमा है यह दर्शाने के लिए कि हम अपने दैनिक जीवन में जानकारियों व विचारों को कैसे समझते है मेरा तर्क यह है, कि विवेक की भावना होना, सही अनुमान बनाना, उचित निर्णय लेना यह सब आपकी मानसिकता तय करता है। अब इन दो मानसिताओं की कार्यकारी दर्शाने के लिए मैं आपको उन्नीसवी सदी के फ़्रांस में ले चलती हूँ। जहाँ एक महत्त्वहीन लगनेवाले कागज़ के टुकड़े ने एक बहुत बड़े राजनीतिक कांड को अंजाम दिया। १८९४ में फ़्रेंच के जनरल स्टाफ़ के अफ़सरों ने इसकी खोज की थी वो कागज़ कचरे के डिब्बे में फटा पड़ा था। लेकिन उन टुकड़ों को जब जोडा गया, तब पता चला कि उन्हीं में से कोई आदमी जर्मनी को अपनी फौज के राज़ बेच रहा है इसलिए एक बहुत बड़ी तहक़ीक़ात का आयोजन किया गया और शक की सारी सुइयाँ एक ही आदमी पर जा रुकी अल्फ्रेड ड्रेफस उसका अभिलेख काफी दिलचस्प था न गलत कामों का कोई जिक्र, न ऐसा जुर्म करने की कोई ज़ाहिर वजह किंतु सेना में उस पद पर ड्रेफस इकलौता यहूदी अफसर था और बदकिस्मती से उस दौरान फ्रेंच सेना यहूदियों के सख्त खिलाफ़ थी उन्होंने ड्रेफस के हस्तलेख को उस कागज़ की लिखावट से मिलाया और तय किया कि दोनों लिखावटों में मेल हैं लेकिन यह भी हकीकत है कि हस्तलेख के पेशेवर इस नतीजे से पूर्णतः सहमत नही थे पर कोई बात नही ड्रेफस के घर की छान-बीन की गई, उनहें जासूसी के सबूत की तलाश थी ड्रेफस के हर फ़ाइल को छाना गया, किंतु उससे कुछ हासिल नही हुआ इससे उनका यकीन और मजबूत हुआ - न सिर्फ ड्रेफस गुनगार है बल्कि शातिर भी है, क्योंकि उसने अफसरों के हाथ लगने से पहले ही सारे सबूत को गायब कर दिया इसके बाद उन्होंने ड्रेफस के निजी अतीत की जाँच की इस आशा में कि उन्हें उसके, खिलाफ जानकारी मिलेगी ड्रेफस के शिक्षकों से बात करने पर उन्हें पता चला कि उसने पाठशाला में विदेशी भाषाएँ सीखी थी जिससे उसके आगे चलकर विदेशी सरकारों के साथ साज़िशें रचाने के इरादे साफ़ ज़ाहिर हुए। ड्रेफस के शिक्षकों ने यह भी बताया कि वह अपनी अच्छी याद्दाश्त के लिए मशहूर था बहुत ही संदेहास्पद बात है, है ना? आखिरकार जासूसों को काफ़ी चीज़ें याद रखनी पड़ती है तो मामला कचहरी तक पहुँचा और ड्रेफस गुनहगार साबित हुआ फिर ड्रेफस को बीच बाज़ार ले जाया गया और उसकी वर्दी पर से बिल्ला निकाला गया उसकी तलवार को दो हिस्सों में तोड़ा गया इसे "ड्रेफस की ज़िल्लत" का नाम दिया गया और उसे को डेविल्स आयलंड, अर्थात शैतान का टापू, नामक स्थान पर आजीवन कारावास का दंड सुनाया गया जो कि दक्षिण अमेरिका के तट से दूर ठहरी एक बंजर चट्टान है तो वह वहाँ गया और उसने न जाने कितने रोज़ तन्हाई में बिताए और उसने फ्रेंच सरकर को अनगिनत खत लिखे इसी दलील के साथ कि वे उसके मुकदमें को फिरसे लड़े ताकि उसकी बेगुनाही साबित हो लेकिन फ्रांस के लिए यह मामला खत्म हो चुका था ड्रेफस के मामले मुझे सबसे दिलचस्प बात यह लगी थी कि उन अफसरों को कितना यकीन था कि ड्रेफस कसूरवार है ऐसा मालूम होता है कि उसे जान-बूझकर फसाया जा रहा है, और साज़िश का शिकार बनाया जा रहा है। पर इतिहासकारों का ऐसा मानना नही है। हमारी जानकारी के अनुसार, वे सच में मानते थे कि ड्रेफस के खिलाफ उनका मुकदमा मज़बूत था और इस बात से आपको ताज्जुब होता है; कि यह मनुष्य के मन के बारे में क्या बताता है यही कि इतने बेबुनियाद सबूतों के बिनह पर हम किसी को दोषी साबित करते है वैज्ञानिक ऐसे मामलों को "प्रेरित तर्क" कहते हैं इस स्थिति में हमारी अचेत प्रेरणाएँ, हमारी कामनाएँ और आशंकाएँ, हमारे जानकारी समझने के तरीके को प्रभावित करती है कुछ जानकारी, कुछ विचार हमे अपने से लगते है हम उन्हे जिताना चाहते हैं, उनकी वकालत करना है और बाकी की जानकारी या विचार हमे दुश्मन सी लगती हैं हम उन्हें खत्म करना चाहते हैं इसलिए मैं प्रेरित तर्क को "सैनिक मानसिकता" बुलाती हूँ शायद आप में से किसी ने भी एक राज-द्रोही फ्रेंच-यहूदी फौजी पर ज़ुल्म नही किए, लेकिन शायद खेलों में या राजनीति में आपने देखा होगा अगर रेफ़री आपके चहेते टीम को "फाउल" सुनाता है तब आप उस रेफरी को गलत ठहराने के लिए उतावले हो जाते है पर अगर दूसरे टीम को "फाउल" मिल जाए - बहुत बढ़िया! यह फिर भी ठीक है, इस पर चर्चा नही करते या फिर आपने कही लेख पढ़ा होगा जो किसी विवादास्पद नीति की जांच करता हो जैसे मृत्यु दंड और, जैसे शोधकर्ताओं ने दर्शाया है, अगर आप मृत्युदंड का समर्थन करते हो और वह लेख दर्शाता है कि यह प्रभावशाली नही है तब आप उस लेख के तमाम ऐब निकालने के लिए उत्सुक हो जाते है पर अगर वह दर्शाता है कि मृत्युदंड काम करता है तब तो वह लेख अच्छा है और इसके विपरीत स्थिति में भी वही होता हम जिसकी तरफ़ है, हमारे फैसले, जाने-अनजाने में, उससे प्रभावित होते है और यह हर जगह मौजूद है यह हमारे स्वास्थ्य, रिश्ते, मतदान, किसी कार्य के प्रति नैतिकता, इन से संबंधित विचारों पर असर करता है प्रेरित तर्क या फिर सैनिक मानसिकता की सबसे डरावनी बात है उसकी अचेत स्वाभाविकता हमे लगता है कि हम निष्पक्ष और न्यायी है और फिर भी एक बेकसूर की ज़िंदगी तबाह कर देते है पर, बदकिस्मती से, ड्रेफस के लिए, कहानी खत्म नही हुई अब आते है कर्नल पिकार्ट वह फ्रेंच सेना का एक और ऊँचे पद का अफ्सर था और बाकियों की तरह वह भी ड्रेफस को अपराधी मानता था और बाकी फौजियों की तरह वह भी सामी विरोधी था पर एक वक्त के बाद उसे शक होने लगा, "कहीं हम सब ड्रेफस के बारे में गलत तो नहीं?" हुआ यूं था कि, उसे कुछ सबूत मिला था ड्रेफस के कारावास में जाने बाद भी जर्मनी के लिए जासूसी चलती रही और उसे पता लगा कि फौज में एक और था जिसकी लिखावट उस कागज़ से हूबहू मेल खा रही थी, और ड्रेफस से भी ज़्यादा मेल खा रही थी तो उसने अपने शोध अपने वरिष्ठों को दिखाए लेकिन या तो उन्होंने उसकी परवाह नही की या फिर उन खोजों को समझाने के लिए तरह-तरह की सफ़ाइयाँ दी जैसे, "तुमने बस इतना दिखाया है, पिकार्ट, कि एक और जासूस है, जिसने ड्रेफस की लिखावट की नकल करना सीखा है। और ड्रेफस के बाद उसने जासूसी की बागडोर अपने हाथ में ले ली लेकिन ड्रेफस तो गुनहगार है ही" आखिरकार पिकार्ट ने ड्रेफस को बा-इज्जत बरी करवा दिया लेकिन इसमें १० साल लग गए और इतने वक्त के लिए वह खुद कैदखाने में था, फौज की तरफ़ बेवफ़ाई की जुर्म में कुछ लोगों का मानना है कि पिकार्ट को इस कहानी का नायक नही होना चाहिए है क्योंकि वह सामी विरोधी था, जो कि बुरा है, मैं मानती हूँ पर मेरे लिए उसका यहुदी विरोधी होना उसके कार्यों को और भी प्रशंसनीय बनाता है क्योंकि उसके पास भी पक्षपात करने के वही कारण थे जो बाकी फौजियों के पास थे पर उसकी सच जानने और उसे बनाए रखने की प्रेरणा सबसे ऊपर थी तो मेरे हिसाब से, पिकार्ट "स्काउट मानसिकता" का प्रतीक है यह किसी विचार को जिताने या हराने की चाह नही है, बस हकीकत देखने की चाह है और जितने सही तरीके से हो सके जानना चाहे वह हमें कितना भी असुविधाजनक और नापसंद क्यों न लगे इस मानसिकता को लेकर मैं निजी तौर पर उत्साही हूँ मैंने कुछ साल बिताए है इस मानसिकता के पीछे की वजह जानने का अभ्यास करने में, क्यों कुछ लोग, कभी कभार तो, अपने पक्षपातों से ऊपर उठ पाते हैं। और सच्चाई देख पाते है, और सबूत को निष्पक्षता से देख पाते हैं? जवाब जज़्बातों में है। जैसे सैनिक मानसिकता बचाव की भावनाओं से जुड़ी है उसी तरह स्काउट मानसिकता भी। अलग भावनाओं से जुड़ी है। जैसे, स्काउट जिज्ञासु होते हैं। वो ज़्यादातर यह कहेंगी कि उन्हें मज़ा आता है जब उन्हें नई जानकारी मिलती है या वो पहेली सुलझाने के लिए बेचैन हो जाते है। जब कोई बात उनकी अपेक्षाओं से विरुद्ध होती है तो उन्हे वह रोचक लगती है। स्काउट्स के संस्कार अलग होते है। वे ज़्यादातर यही कहेंगे कि अपनी अास्था का परीक्षण करना नेक बात है वे यह नहीं कहेंगे कि जो अपना मन बदलता है वह कमज़ोर है। और सबसे बड़ी बात, स्काउट्स मौलिक होते है अर्थात, स्वयं का व्यक्तिगत मूल्य उनके किसी विषय में सही या गलत होने पर निर्भर नही है तो वे मान सकते है कि मृत्यु दंड काम करता है अगर लेख बताते हैं कि ऐसा नही है, तो वे कह सकते है, "अरे, लगता है मैं गलत हूँ, इसका ये मतलब तो नही कि मैं बुरा या बेवकूफ़ हूँ।" शोधकर्ताओं के और मेरे उपाख्यान के हिसाब से -- ऐसी विशेषताएँ अच्छे निर्णयों का -- अनुमान लगाती हैं और जाते-जाते मैं आपको यह बताना चाहती हूँ, कि यह गुण आपकी होशियारी से जुड़ी नही हैं और न ही आपके ज्ञान से असल में ये आपकी बुद्धि से संबंधित ही नही हैं ये आपकी भावनाओं से जुड़ी हैं। सेंट-एक्सुपेरी की कही एक बात है जिसे मैं बार-बार याद करती हूँ। वे "लिटिल प्रिंस" के लेखक है। उन्होंने कहा था, "यदि तुम जहाज बनाना चाहते हो, तो अपने आदमियों को लकड़ियाँ इकट्ठा करने के आदेश मत दो और काम को मत बाँटो। इसके बजाय उनको विशाल और असीम समंदर के लिए तड़पना सिखाओ।" अर्थात मेरा यह मानना है यदि हम अपने निर्णयों को सुधारना चाहते हैं, व्यक्तिगत और सामाजिक तौर पर, तो हमें तर्क में और शिक्षण की ज़रूरत नही है न वक्रपटुता में, न संभाव्यता में और न अर्थशास्त्र में भले ही यह सारी बातें भी महत्वपूर्ण हो। पर इन सिद्धांतों के सदुपयोग के लिए हमें स्काउट मानसिकता की ज़रूरत है, और हमें चीज़ों को। महसूस करने के तरीके को बदलना होगा। हमें यह सीखना होगा कि जब हम गलत होते हैं तो हमें उस बात की शर्म नही गर्व होना चहिए। हमें अति संवेदनशील होने के बजाय जिज्ञासु होना सीखना होगा, जब हमें अपने विश्वास से विपरीत जानकारी मिलती है। जाते-जाते मैं आपसे यह सवाल पूछना चाहती हूँ : आप सबसे ज़्यादा किस लिए तरसते हो? अपने यकीन का बचाव करने के लिए तरसते हो? या फिर इस संसार को सबसे स्पष्ट रूप से देखने के लिए तरसते हो? धन्यवाद। (तालियाँ) फ्री अमेरिका के एक दौरे में हमने सुना और सीखा। हम न केवल अभियोक्ताओं से या वकीलों से मिले, बल्कि हमारे राज्य और स्थानीय जेलों के कैदियों से भी मिले। हम आव्रजन हिरासत केंद्रों में गये। हम बहुत से लोगों से मिले। और हमने पाया कि मोचन और परिवर्तन संभव है हमारे बन्दी गृहों, जेलों और आव्रजन हिरासत केंद्रों में, उनमें उम्मीद जगायी जा सकती है जो बेहतर ज़िन्दगी जीना चाहते हैं अपनी सज़ा पूरी होने के बाद। सोचिये अगर हम जेल के कैदियों के लिये प्रयास करते तो क्या होता। क्या होता अगर हम हस्तक्षेप करते, जिसमें पुनर्वास मूल मूल्य होता-- प्रेम और करुणा मूल मूल्य होते? हमारे पास एक ऐसा समाज होता जो सुरक्षित होता, स्वस्थ होता और हमारे बच्चों को बड़ा करने लायक होता। मैं आपको जेम्स कैविट से मिलाना चाहता हूं। जेम्स ने सैन क्वांटिन राज्य जेल में 12 साल की सज़ा काटी है और 18 महीनों में रिहा होने वाला है। जेम्स, मेरी और आपकी तरह ही, अपने किये बुरे काम के अलावा भी कुछ है। वह एक पिता, एक पति, एक बेटा और एक कवि है। उसने अपराध किया; वह उसका दण्ड भुगत रहा है, और हुनर सीखने के लिये कड़ी मेहनत कर रहा है ताकि फिर से एक उत्पादक जीवन जी सके जब वह सामान्य लोगों के बीच जाये। जेम्स, सलाखों के पीछे रहने वाले लाखों लोगों की तरह, इस बात की मिसाल है कि अगर हम मानें हमारी गलतियाँ यह तय नहीं करती कि हम कौन हैं, और हम सभी मोचन के योग्य हैं और अगर हम इन प्रभावित लोगों का बड़े पैमाने पर समर्थन करें, तो हमारे घाव साथ में भर सकते हैं। मैं आपको जेम्स से मिलाना चाहूँगा अभी इसी वक़्त, और वह आपको अपनी मोचन यात्रा के बारे में बतायेगा शब्दों के माध्यम से। जेम्स कैविट: शुक्रिया, जॉन। टेड, सैन क्वांटिन में आपका स्वागत है। जेल की दीवारों के पीछे भरपूर प्रतिभा मौजूद है। भविष्य का सॉफ्टवेयर इंजीनियर, उद्यमी, शिल्पकार, संगीतकार, और कलाकार। यह रचना प्रेरित है उस कठिन परिश्रम से जो महिला और पुरुष जेल के भीतर करते हैं ताकि आने वाले वक़्त में अपनी ज़िन्दगी बेहतर बना सकें जब वे अपनी सज़ा पूरी कर लें। इस रचना का शीर्षक है, "जहाँ मैं रहता हूँ।" मैं उस दुनिया में रहता हूँ जहाँ ज़्यादातर लोग जाने से डरते हैं। कंकरीट की ऊँची दीवारों से घिरी हुई, लोहे की सलाखें जिन पर काँटेदार तार लगे हैं जो उज्ज्वल कल की आशाओं पर पानी फेर देते हैं। मैं वहाँ रहता हूँ जो मारने वाले को मार डालती है ताकि उसे सबक सिखा सके कि लोगों को मारना ग़लत है। कल्पना करो। बेहतर की, उस दुनिया की सोचो जहाँ ठीक लोग आहत लोगों को ठीक होने में मदद करें और मज़बूत बनायें। शायद तब हम सब मिलकर गायेंगे "मोचन गीत।" मैं उस दुनिया में रहता हूँ जिसे "धरती का नर्क" कहते हैं वो लोगों जो जहाँ फँसे हुये हैं। पर मुझे एक दृढ़ अनुभूति हुई है कि जेल-- वह है, जो आप इसे बनाते हैं। देखिये, मेरी कठोर वास्तविकता के बाद भी आशा की किरण बाकी है। मैं जानता था मुझे आज़ादी मिलने वाली है, बस कुछ वक़्त की बात है। इसलिये मैंने अपने पहले कदमों को ऐसे देखा जैसे मेरा आख़िरी कदम हो, और मैंने महसूस किया कि आपका आज़ाद होना ज़रूरी नहीं आज़ादी का अनुभव करने के लिये। और आप आज़ाद हैं, इसका मतलब यह नहीं आपके पास आज़ादी है। हममें से कई, सालों से, हमारे भीतर के राक्षसों से जूझ रहे हैं। हम मुस्कुराते हुए घूमते हैं जबकि भीतर हम चिल्ला रहे होते हैं ': आज़ादी! क्या आपको समझ नहीं आता? हम सब सज़ा काट रहे हैं; हम सिर्फ़ अलग-अलग जगह पर हैं। जहाँ तक मेरी बात है, मैंने उन जेलों से मुक्त होना चुना जो मैंने बनाये हैं। समाधान: क्षमा। काम ही मेरा गवाह है। अगर हमें आज़ादी चाहिये, तो हमें अलग ढंग से सोचना होगा। क्योंकि आज़ादी... जगह से नहीं जुड़ी होती। यह मानसिकता है। धन्यवाद। (तालियों की आवाज़) (पियानो) जॉन लीजेंड: पुराने समुद्री डाकूओं ने, हाँ, मुझे लूटा। खुद को व्यापारिक जहाजों को बेचा। जैसे ही वो मुझे उठा ले गये बहुत गहरे गड्ढे से। मेरे हाथ मज़बूत बना दिये गये सर्वशक्तिमान के हाथ से। हमने इसे इस पीढ़ी को दिया विजयी होकर। क्या आप गाने में मदद नहीं करेंगे आज़ादी के ये गीत? क्योंकि मेरे पास बस यही थे-- मोचन गीत। मोचन गीत। अपने आप को मानसिक दासता से मुक्त करो। हमारे मन को केवल हम ही आज़ाद कर सकते हैं। परमाणु ऊर्जा का कोई डर नहीं है क्योंकि कुछ भी समय को नहीं रोक सकता है। वे हमारे पैगम्बरों को कब तक मारते रहेंगे कब तक हम एक तरफ खड़े होकर देखते रहेंगे? कुछ कहते हैं यह सिर्फ़ इसका एक हिस्सा है, हमें किताब पूरी करनी होगी। क्या आप गाने में मदद नहीं करेंगे आज़ादी के ये गीत? क्योंकि मेरे पास बस यही थे-- मोचन गीत। मोचन गीत। (पियानो) अपने आप को मानसिक दासता से मुक्त करो। हमारे मन को केवल हम ही आजाद कर सकते हैं। परमाणु ऊर्जा का कोई डर नहीं है क्योंकि कुछ भी समय को नहीं रोक सकता है। वे हमारे पैगम्बरों को कब तक मारते रहेंगे कब तक हम एक तरफ खड़े होकर देखते रहेंगे? कुछ कहते हैं यह सिर्फ़ इसका एक हिस्सा है, हमें किताब पूरी करनी होगी। क्या आप गाने में मदद नहीं करेंगे आज़ादी के ये गीत? क्योंकि मेरे पास बस यही थे-- मोचन गीत। मोचन गीत। आज़ादी के ये गीत। क्योंकि मेरे पास बस यही थे-- मोचन गीत। मोचन गीत। मोचन गीत। (पियानो) (तालियों की आवाज़) शुक्रिया। शुक्रिया। (तालियों की आवाज़) (यह वार्ता इंटरनेट पर मई २०१६ में होम्स में रिकॉर्ड किया गया होम्स सीरिया के ६वर्ष के युद्ध में नष्ट हो गया था) मेरा नाम मारवा है और मैं एक आर्किटेक्ट हूँ| मेरा जन्म और पालन-पोषण होम्स में हुआ, जो कि एक शहर है सीरिया के मध्य-पश्चिम में, और शुरू से ही मैं वहाँ रही हूँ| युद्ध के छः साल बाद, होम्स अब एक आधा-नष्ट शहर है| मेरा परिवार और मैं भाग्यशाली थे; हमारा घर अभी भी सलामत खड़ा है | यद्यपि दो साल तक हम घर में कैदी जैसे थे | बाहर जुलुस चल रहे थे और लड़ाई और बमबारी और निशानेबाज़ थे | मेरे पति और मैं एक वास्तुकला का कार्यालय चलाते थे पुराने नगर के मुख्य चौराहे में| वह सब ख़त्म हो गया है पुराने नगर के अधिकांश इलाके के साथ| शहर के बचे आधे घर-बार अब मलवा हैं| २०१५ के अंत के युद्ध-विराम से, अधिकाँश ओम्स का क्षेत्र ज़्यादातर शांत है| अर्थव्यवस्था पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है और लोग अभी भी लड़ रहे हैं| पुराने नगर के बाजार में जिन व्यापारियों की दुकानें थी अब वे सड़क पर छज्जों में से अपना व्यापार चलाते हैं| हमारे घर के नीचे, एक बढ़ई है, हलवाई है , कसाई है, छापने वाली प्रैस, कार्यशाला, इत्यादि और भी हैं| मैं ने अंश-कालीन पढ़ाना शुरु किया, और मेरे पति के साथ जो काफी सारे अनियत काम करते हैं, हमने एक छोटी किताबों की दुकान खोली| दूसरे लोग हर तरह के काम करते हैं, गुज़ारा चलाने के लिए| जब मैं अपने तबाह शहर को देखती हूँ जरूरन अपने आप से सवाल करती हूँ: इस अर्थहीन युद्ध की क्या वजह है? सीरिया व्यापक रूप से एक सहनशील जगह था, ऐतिहासिक रूप से विविधता से आदि, की विविधता को समायोजित करता रहा जैसे धर्म, मूल, रिवाज़, वस्तु, आहार| कैसे हो गया की मेरा देश -- एक देश जिसमे समुदाय शांतिपूर्वक साथ रहते और अपने मतभेदों पे चर्चा करने से परिचत हैं -- कैसे यह बिगड़ गया, गृह-युद्ध, हिंसा, विस्थापन और अभूतपूर्व साम्प्रदायिक घृणा में बहुत कारण थे इस युद्ध के लिए -- सामजिक, राजनितिक और आर्थिक| उन सबने अपनी भूमिका निभाई| पर मेरा मानना है एक महत्वपूर्ण कारण है जिससे हम अज्ञात हैं और यह विश्लेषण के लिए ज़रूरी है, क्योंकि इससे निर्भर होगा कि यदि हम सुनिश्चित कर पाते हैं कि ऐसा फिर ना हो| वह कारण है वास्तुकला| वास्तुकला ने मेरे देश में अहम भूमिका निभाई है लड़नेवाले गुटों के बीच बैर की रचना, निदेश और बढ़ाने में, और यह दुसरे देशों में भी शायद सच हो| एक निश्चित मेल हैं एक जगह के वास्तुकला और वहां बसे समुदायों के स्वरूप में वास्तुकला की ख़ास भूमिका है एक समुदाय के बिखरने में या जुड़ने में| सीरियन समाज चिरंजीव है भिन्न परम्पराओं व प्रथाओं के साथ सीरियों ने खुले व्यापार से समृद्धि और स्थिर समाज पाया है| उन्होंने सही मायने में जगह से सम्बंधित होना पाया, यह दिखता है उनके निर्मित वातावरण में, मस्जिद और गिरिजे जिनका गुथा हुआ निर्माण हुआ, सूक और सार्वजनिक स्थानों के साथ साथ अनुपात व आकार जो मानवता व सद्भाव के सिद्धांतों पर आधारित है| यह Mixity की वास्तुकला आज भी अवशेषों में पढ़ी जा सकती है| सीरिया का पुराना इस्लामी शहर कई परतों के अतीत पर बनाया गया उनको साथ जोड़ कर और उस मनोभाव में सम्मिलित होकर। और समुदायों ने भी ऐसा ही किया। लोग साथ रहते और काम करते एक ऐसी जगह में जिसने उन्हें वहाँ का सम्बद्ध होने का एहसास दिया और उन्हें घर जैसा अनुभव दिया। उनका एकजुट और सहभागी जीवन उल्लेखनीय था| पर पिछली सदी में, धीमे-धीमे इन स्थानों के नाजुक संतुलन में दखल दी गयी; पहले शहरी नियोजकों ने औपनिवेशिक काल में, जब फ़्रांसीसी उत्साहित होके शुरू हुए, रूपांतरन करने में, उन सीरियाई शहरों को जो उनकेनुसार फीके-पुराने थे। उन्होंने शहर की सड़कें तबाह कर स्मारकों को स्थानांतरित किया उन्होंने उसे सुधार का नाम दिया, वे शुरुआत थे एक लंबे, धीमी गति के उद्घाटन की | हमारे पारंपरिक शहरीकरण और शहरों कि वास्तुकला पहचान व संबंध का आश्वासन देती थी अलग अलग हो के नहीं, परन्तु एक साथ गुथ के| समय के साथ, प्राचीन बेकार होने लगा और नवीन प्रतिष्ठित। निर्मित वातावरण और सामाजिक वातावरण का सामंजस्य आधुनिकता के तत्वों तले रौंद दिया गया -- क्रूर, अधूरे कॉन्क्रीट के ब्लॉक, बेपरवाही, सौंदर्य का विनाश, विभाजनकारी शहरीकरण जिसने समुदायों को वर्ग, पंथ या समृद्धि से नियत किया| और ऐसा सब समुदाय के साथ भी हो रहा था| जैसे निर्मित ढांचों के आकार बदलते रहे, वैसे वैसे सामुदायिक जीवन शैली और समुदायों से संबंध की भावना भी बदलने लगीं। साथ और सम्बन्ध से हटकर, वास्तुकला भेदभाव का एक तरीका बन गया, और समुदाय अलग-थलग होने लगे उस ढांचे से जो उन्हें जोड़ता था, और उस जगह के सार से, जो पहले उनके साझे अस्तित्व को दर्शाता था| हालांकि बहुत सारे कारण हैं सीरियाई युद्ध के लिए, हमें कम महत्त्व नहीं देना चाहिए जिस तरीके से, पहचान और आत्म-सम्मान में क्षति होने में योगदान देकर शहरी क्षेत्रीकरण और बहकी हुई अमानवीय वास्तुकला ने सांप्रदायिक विभाजन और नफरत को बढ़ावा दिया है| समय के साथ, वह संगठित शहर बदल के शहर का मुख्य केंद्रबिंदु बन गया और गरीब बस्तियां उसके घेरे के पार| और साथ ही सुसंगत समुदायों अलग सामाजिक समूह बन गए, एक दुसरे से पराए होकर और उस जगह से पराये होकर। मेरे दृष्टिकोण में, एक जगह से संबंधित रहने की भावना खोने ने और किसी के साथ मिल बाँटने की भावना खोने ने नष्ट करना और आसान कर दिया। एक स्पष्ट उदाहरण देखा जा सकता है अनौपचारिक आवास प्रणाली में, जो युद्ध के पहले, सहारा देता था जनसंख्या के 40 प्रतिशत से अधिक को| जी हाँ युद्ध से पहले करीब आधी सीरियाई जनसँख्या मलीन बस्तियों में रहती थी, घेरे के बाहर के क्षेत्र बिना उचित बुनियादी ढांचे के, अंतहीन पंक्तियां मात्र काले खंडित डिब्बों की जिनमे लोग हैं, वह लोग जो ज्यादातर एक ही समूह से संबंधित थे, चाहे धर्म पर आधारित हो, या वर्ग, या मूल या यह सभी| यह बस्तीनुमा शहरीकरण युद्ध का वास्तविक अग्रदूत साबित हुआ| टकराव बहुत आसान है पूर्व-श्रेणीबद्ध क्षेत्रों के बीच- - जहां वो "दूसरे लोग" रहते हैं| समबन्ध जो पहले शहर को मिला के रखते थे - - चाहे, सुसंगत निर्माण से, सामाजिक या सूक में व्यापार द्वारा, आर्थिक या समकालीन उपस्थिति द्वारा, धार्मिक - - सब खो दिए गए, बहके और अंधाधुंध आधुनिकीकरण में निर्मित वातावरण बनाने में| मुझे विषय से थोड़ा हटने की अनुमति दें| जब मैंने विविध शहरीकरण का दुनिया के दुसरे भागों में होना पढ़ा, जिनमे ब्रिटिश शहरों में संजातीय पड़ोस या पैरिस के इर्द-गिर्द, या ब्रस्सेल्स, मैंने उस अस्थिरता की शुरुआत को पहचान लिया जिसे हमने विनाशकारक रूप में यहां सीरिया में देखा| हमारे शहर गंभीर रूप से नष्ट हो गए हैं, जैसे होम्स, अलेप्पो, दारा और, और भी कई, और देश कि लगभग आधी जनसंख्या अब विस्थापित है| उम्मीद है युद्ध समाप्त होगा, और सवाल जो मुझे पूछना है, वास्तुकार होने के नाते: हम पुनर्निर्माण कैसे करेंगे? ऐसे कौन से सिद्धांत हैं जो हमें अपनाने चाहिए ताकि वही गलतियां न दोहराएं? मेरे दृष्टिकोण से, मुख्य ध्यान ऐसी जगहों के बनाने पर होना चाहिए जो उनके लोगों को सम्बन्ध का अनुभव दें| ज़रूरी है कि वास्तुकला और योजना वापस थाम लें उन कुछ पारंपरिक मूल्यों को जो सिर्फ यही करते परिस्तिथिओं की रचना, जिनसे सहस्तित्व और अमन, सौंदर्य के मूल जो भड़कीला प्रदर्शन नहीं करते बल्कि सुलभ और आसान, नैतिक मूल्य जो उदारता और स्वीकृति, को बढ़ावा दें, वास्तुकला जो सबके आनंद के लिए हो न सिर्फ उत्कृष्ट वर्ग के लिए, बिलकुल जैसे पुराने इस्लामी शहर की छायादार गलियों में, मिश्रित-डिजाइन जो समुदाय की भावना प्रोत्साहित करते हैं| यहां होम्स में एक क्षेत्र जिसका नाम है बाबा अम्र जो कि पूरी तरह नष्ट हो चुका है| करीब २ साल पहले मैंने यह नक्शा प्रस्तुत किया UN-Habitat प्रतियोगिता में इसके पुनर्निर्माण के लिए| एक पेड़ से प्रेरित हो के एक शहरी रचना का विचार था, जो बढ़ पाए और जैविक तरह से फैले, पारंपरिक पुल की याद जो पुरानी गलियों पर खड़ा हो और इनमे शामिल फ्लैट्स, निजी आंगन, दुकानें, कार्यशालाएं, पार्किंग और खेल कूद के लिए जगह पेड़ और छायांकित क्षेत्र। निश्चित हैं कि यह सिद्ध नहीं है| मैंने उसे उन कुछ घंटों में बनाया जब हमें बिजली मिलती है और कई संभव तरीके हैं सम्बन्ध और समुदाय को व्यक्त करने के वस्तुकला के माधयम से| लेकिन इसकी तुलना कीजिये, पृथक ब्लॉक्स के साथ जो बाबा अम्र परियोजना के पुनर्निर्माण के लिए आधिकारिक प्रस्ताव था| वास्तुकला वह धुरी नहीं जिसके इर्द-गिर्द मानवीय जीवन घूमता है, पर उसमे इंसानी क्रिया को संकेत और संचालन करने की शक्ति है| उस सन्दर्भ में, रिहाइश, पहचान और सामजिक एकीकरण सभी निर्माता और उत्पाद हैं प्रभावी शहरीकरण के| पुराने इस्लामी शहर के सुसम्बद्ध शहरीकरण और उदाहरण के लिए काफी पुराने यूरोपीय शहर, एकीकरण को बढ़ावा देते हैं जबकि निर्जीव आवास की पंक्तियाँ या इमारतों का झुण्ड हालांकि शानदार, अलगाव और "अन्यता" को बढ़ावा देती हैं मामूली चीज़ें भी जैसे छायादार जगह या फलपौधे या शहर में पीने का पानी एक अंतर प्रकट करा सकता है कि लोग उस जगह को कैसे महसूस करते है यदि उसे एक उदार, दानी जगह मानते है एक जगह जो ख्याल रखने, योगदान देने लायक है या वे उसे पराया बनाने वाली घृणा के बीजों से भरी जगह मानते हैं| एक जगह के दानी होने के लिए ज़रूरी हैं कि उसका वास्तुकला भी दानी हो| हमारा निर्मित पर्यावरण मायने रखता है| हमारे शहरों की बनावट की छवि हमारे आत्मिक बनावट में दिखती है| और चाहे कॉन्क्रीट बस्तियों के रूप में या टूटा-फूटा सामजिक आवास या रोंदे हुए पुराने शहर या इमारतों के जंगल, जो कि समकालीन शहरी रूप पूरे मध्य-पूर्व में उभर रहे हैं यह एक कारण है हमारे समुदायों में अलगाव और विखंडन का| हम इससे सीख सकते हैं हम इससे सीख सकते हैं पुनर्निर्माण का एक और तरीका एक वास्तुकला की रचना जिसका योगदान रहे लोकजीवन के आर्थिक व व्यावहारिक पहलुओं और उनकी सामजिक, आत्मिक और मानसिक ज़रूरतों पर| यह ज़रूरतें पूरी तरह अनजान रहीं युद्ध से पहले सीरियाइ शहरों में हमें फिर रचने होंगे शहर, जहां रहने वाले समुदाय सहभागी हों यदि हम ऐसे करें, तो लोग अपनी पहचान, अपने पडोसीयों के विरुद्ध नहीं ढूंढेंगे, क्योंकि वह सबके लिए घर का माहौल होगा | सुनने के लिए धन्यवाद| तो यह मेरी भतीजी है उसका नाम याहली है उसकी उम्र नौ महीने है उसकी माँ डाॅक्टर है, और पिता वकील है जब तक याहली काॅलेज जाने लगेगी, उसके माँ-बाप के पेशे का रुख काफी अलग होगा 2013 में, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने काम के भविष्य का अध्ययन किया था उसका निष्कर्ष निकला कि लगभग दो में से एक पेशे को मशीनों द्वारा स्वचालित होने का खतरा है मशीन शिक्षा की टेकनोलोजी इस व्यवधान के लिए ज़िम्मेदार है यह आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेन्स की सबसे ताकतवर शाखा है, जो मशीनों को जानकारी द्वारा शिक्षा देती है व इंसानों द्वारा किए गए कार्यों की नकल करना सिखाती है मेरी कंपनी, कागल, आधुनिक मशीन शिक्षा पर काम करती है हम हज़ारों विशेषज्ञों को इकट्ठा करते हैं उद्योग और शिक्षा की महत्वपूर्ण समस्याएँ सुलझाने के लिए इससे हमें अनोखा नज़रिया मिल जाता है, कि मशीनें क्या कर सकती हैं और क्या नही और किस पेशे को वे स्वचालित बनाने का खतरा देंगे मशीन शिक्षा ने उद्योग में अपना स्थान 1990-2000 की शुरुआत में बनाया इसकी शुरुआत ज़्यादतर आसान कार्यों से हुई पहले-पहले इससे कर्ज़ की अर्ज़ी में उधारी के खतरे आंके जाते थे, हस्तलिखित ज़िप कोड के वर्ण को पढ़कर पत्रों को छाँटा जाता था पिछले कुछ सालों में, हमने बहुत उन्नति की है मशीन शिक्षा अब इससे कई गुना ज़्यादा जटिल कार्य कर सकती है 2012 में, केगल ने अपनी बिरादरी को चुनौती दी कि वे ऐसा एल्गोरिथम बनाए जो उच्च विद्यालय के लेखों को जाँच सके जीतने वाले एल्गोरिथमों के दिए गए अंक, मानव शिक्षकों के दिए गए अंकों से मिल रहे थे पिछले साल हमने एक और भी मुश्किल चुनौती रख दी क्या आप आँखों की तस्वीर ले कर उस रोग का निदान कर सकते हैं जिसका नाम है डायबेटिक रेटिनोपैथी ? इस बार फिर, जीतने वाले एल्गोरिथमों का निष्कर्ष, मानव नेत्र चिकित्सकों के किए गए निदान से मिल रहा था अब, सही जानकारी देने पर, मशीने इंसानों को मात देंगी जब ऐसे कामों की बात हो एक शिक्षक को 10,000 लेख पढ़ने में शायद 40 साल लग जाए इतने वक्त में एक डॉक्टर शायद 50,000 आँखें देखे एक मशीन लाखों लेख पढ़ सकती है और लाखों आँखें देख सकती है वो भी चुटकियों में हम मशीनों के सामने कुछ भी नहीं है बार-बार होनेवाले, भारी मात्रा के कार्यों में पर ऐसी भी चीज़ें हैं, जो हम कर सकते हैं, और मशीने नही कर सकती और जहाँ मशीनों ने, नवीन स्थितियाँ संभालने में, ज़्यादा प्रगति नहीं की जो चीज़ें उन्होंने ज़्यादा बार देखी नही है, उन्हे वे संभाल नही पाते मूल रूप से, मशीन शिक्षा की सीमा यह है कि सीखने के लिए उन्हें भारी मात्रा में पिछली जानकारी की ज़रुरत है अब इंसानों को इसकी ज़रूरत नही हममें यह काबिलियत है कि हम असमान धागों को जोड़कर पहले न देखी हुई समस्याओं को भी सुलझा सकते पर्सी स्पेंसर एक भौतिकज्ञ था जो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान रेडार पर काम कर रहा था जब उसने देखा कि मैग्नेट्राॅन के कारण उसका चॉकलेट पिघल रहा है वह अपनी विद्युत चुम्बकीय विकिरण की समझ को खाना बनाने की समझ से जोड़ पाया और आविष्कार कर पाया - अंदाज़ा लगाइए किसका - माइक्रोवेव ओवन का अब यह सृजनात्मकता का अद्भुत उदाहरण है पर इस किस्म का परागण हमारे लिए छोटे तरीकों में दिन में हज़ार बार होता है मशीने हमसे मुकाबला नही कर सकती जब नई परिस्थितियों को संभालने की बात हो और यह उन मानवी कार्य पर सीमा डालती है जो मशीनों के कारण स्वचलित हो सकती है तो इसका काम के भविष्य के संदर्भ में क्या मतलब है ? किसी भी नौकरी के भविष्य की दशा इस सवाल के जवाब से जुड़ी है : वह नौकरी में किस हद तक बार-बार होनेवाले और भारी मात्रा के कार्य है और किस हद तक नए हालातों का सामना करना पड़ता हैं? बार-बार होनेवाले व भारी मात्रा के कार्यों में मशीनें और होशियार होती जा रही हैं आज वे लेखों को अंक देते हैं, रोगों का निदान करते हैं आने वाले सालों में वे हमारी लेखा परीक्षा लेंगे और कानूनी अनुबंधों के बॉयलरप्लेट पढ़ेंगे मुनीम और वकील की ज़रूरत फिर भी होगी कर की जटिल संरचना के लिए उनकी आवश्यकता होगी, अग्रणी मुकदमों के लिए पर मशीनों के कारण उनके पद कम होंगे और ऐसी नौकरियाँ पाना मुश्किल होगा अब, जैसा मैं कह चुका हूँ नई परिस्थितियों में मशीन ज़्यादा प्रगति नहीं कर रही विपणन अभियान के नमूने को ग्राहकों का ध्यान आकर्षित करना होगा उसे बाकि सब से हट के होना चाहिए व्यापार की रणनीति मतलब बाज़ार में कमी ढ़ूँडना चीज़ें जो कोई और नहीं कर रहा हो विपणन अभियान के नमूने का निर्माण करने वाले इंसान होंगे और हमारी व्यापार रणनीति बनाने वाले भी इंसान होंगे तो याहली, तुम जो भी करने का फ़ैसला लो, हर दिन को एक नई चुनौती लाने दो अगर ऐसा हुआ, तो तुम मशीनों से आगे ही रहोगी धन्यवाद ( तालियाँ ) 2013 में, मैं सैन फ्रांसिस्को के एक अंतरराष्ट्रीय इंजीनियरिंग कंपनी में काम करती थी। वह नौकरी मेरा सपना था। मेरा हर कौशल वहाँ पर काम आता: कहानियाँ बताना, सामाजिक प्रभाव, व्यव्हार में बदलाव। मैं विपणन और संस्कृति की मुखिया थी, और मैंने देश के सबसे बड़े हेल्थकेयर सिस्टम के साथ भी काम किया, जिसमें तकनीक और सांस्कृतिक बदलाव का उपयोग उनकी ऊर्जा और पानी के इस्तेमाल को कम करने और सामाजिक प्रभाव को बेहतर बनाने के लिए किया। मैं दुनिया में वाक़ई बदलाव ला रही थी। और यह मेरी ज़िंदगी का सबसे बेकार पेशेवर अनुभव था। मैं और आगे काम नहीं कर सकती थी। बहुत बुरा महसूस होता था। हालाँकि बड़े मसले भी थे, कुछ प्रकार के व्यवहार के कारण मेरी काम करने की क्षमता घटती गई। मेरा नेतृत्व से आत्मविश्वास खोने लगा, मेरी नवाचार करने की क्षमता भी घटती गई। उदहारण के लिए, कंपनी में मेरा पहला प्रदर्शन। मैं कमरे में सबके सामने कम्पनी के लिए सबसे अच्छी कार्यनीति पे प्रदर्शन देने गई। वही जिसके लिए मुझे नौकरी पे रखा था। मैंने कमरे अपने सहकर्मियों को देखा। वे अपने मोबाइल फोन उठाने लगे और अपने लैपटॉप की तरफ़ देखने लगे। वे ध्यान भी नहीं दे रहे थे। और जैसे ही मैंने शुरुआत की, वे अपने में कुछ बोलने लगे और लोग मेरे होते हुए भी बातें कर रहे थे, बार बार। मेरे कुछ सुझावों को तो बिलकुल नकारा गया, पर वही किसी और ने जब कहा तो उसको सुना गया। मैं उस कमरे में एकलौती औरत थी। काश कोई मेरा साथ निभा रहा होता। रोज़ रोज़ ऐसे ही बर्ताव देखना, वे आपको थका सा देते हैं। जल्द ही, मैं पूरी तरह से ही थक गई थी। मेरे सबसे मुश्किल वक़्त में मैंने दफ़्तर में सूक्ष्म आक्रमकता -- रोज़मर्रा ज़िंदगी में अपमान, नकारात्मक मौखिक और अशाब्दिक संचार, चाहे जान-बूझकर किया हो या नहीं, वे आपकी काम करने की क्षमता को घटा देते हैं। सुना सुना सा लगा। मुझे एहसास हुआ कि मैं असफल नहीं हो रही थी। मेरे आस पास का माहोल मुझे असफल बना रहा था। और मैं अकेली नहीं थी। ऐसे व्यवहार रोज़ ही दफ़्तर में कम औदे में रहने वाले लोगों पर प्रभाव डालते हैं। और उसका प्रभाव हमारे सहकर्मियों पर, हमारी कंपनियों पर और हमारी नवाचार की क्षमता पर पड़ता है। तकनीकी उद्योग में हमें समाधान जल्दी चाहिए होते हैं। पर विविधता और समावेश सुधारने के लिए कोई जादुई छड़ी नहीं है बदलाव एक समय में एक व्यक्ति से, एक समय में एक बर्ताव से, एक समय में एक शब्द से होता। हम विविधता और समावेश को देखकर अकसर गलतियाँ करते हैं, हम उन लोगों को और उनके काम को अपने से अलग मानते हैं, जबकि यह कुछ ऐसी चीज़ें हैं जिसके लिए हमें साथ काम करना होगा। और उस काम की शुरुआत हमें सफलता और अधिकारों के बारे में जो पहले से पता है उसे भूलकर होगी। हमें पूरी ज़िंदगी बताया जाता है कि अगर हम मेहनत करें, तो उसका फल हमें मिलेगा, वह मिलेगा जिसके हम लायक हैं, हमारे सपने सच होंगे। पर वह सबके लिए सच नहीं है। कुछ लोगों को 10 गुना मेहनत करनी पड़ती है उसी मुकाम तक पहुँचने के लिए क्योंकि बहुत से सामजिक अड़चनें भी आती हैं। तुम्हारा लिंग, जाति, जातनियता, तुम्हारा धर्म, विकलांगता, तुम्हारा यौन अभिविन्यास, तुम्हारा वर्ग, भूगोल, यह सब तुम्हें सफलता के ज़्यादा या कम मौके दे सकते हैं। और वही मैत्री आती है। मौकों में असंतुलन को समझना, और उसकी ओर काम करना मैत्री है। मैत्री उस इंसान के बारे में समझना है जो हमारे बगल में हो। और उसके बारे में भी जो हमारे बगल में खड़ा होना चाहिए। सबसे पहले, बस यह समझना कि उनकी स्तिथि क्या है। और फिर, उनका साथ देकर सफलता की ओर बढ़ना और बढ़ाना। जब हम काम में विविधता और सम्मिल्लता के साथ टीम बनाते हैं, डेटा के मुताबिक इससे हम ज़्यादा अभिनव, उत्पादक और लाभदायक बनते हैं। तो एक मित्र कौन है? हम सब। हम सब एक दूसरे के मित्र बन सकते हैं। मेरे एक अमरीकी गोरी औरत होने के नाते, मेरे पास बहुत से विशेषाधिकार हैं। और कुछ नहीं भी। मैं रोज़ उन लोगों के लिए मित्र बन्ने की मेहनत करती हूँ जो मुझसे ज़्यादा वंचित हैं। फिर भी मुझे मित्रों की ज़रूरत है। तकनिकी उद्योग में, अन्य उद्योगों की तरह, ऐसे बहुत लोग हैं जिनका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, या जिनके साथ भेदभाव होता है। औरतें, कुछ अन्य लोग -- जैसे जो खुद को न औरत और न ही मर्द मानते हो -- जो अल्पसंख्यक जातियों के हो, एलजीबीटीक्यूआईए, विकलांग लोग, दीर्घानुभावी, जिनकी उमर 35 से ज़्यादा हो। (हँसते हैं) तकनिकी उद्योग में युवा की ओर पक्षपात होता है। और अन्य लोग। कोई न कोई हमेशा ऐसा होगा जिसके अधिकार आपसे कम होंगे। इस मंच पर, इस कमरे में। आपकी कंपनी या टीम में, आपके शहर में। तो, लोग अलग अलग कारणों के लिए दोस्त होते हैं। अपना कारण ढूँढो। वह व्यवसाय के लिए हो सकता है, क्योंकि डेटा के अनुसार विविध और सम्मिलित टीम ज़्यादा उत्पादक, लाभदायक और ज़्यादा अभिनव होती हैं। यह विपक्षता और सामजिक न्याय के लिए हो सकता है। क्योंकि हमारा उत्पीड़न और अन्याय का बड़ा इतिहास रहा है जिस पर हमें साथ काम करना होगा। या वह अपने बच्चों के लिए हो सकता है, ताकि आपके बच्चे समान अधिकारों के साथ बड़े हो। और वे दूसरे के लिए भी वैसे अवसर बनाएँ। अपनी वजह ढूँढिए। मेरे लिए, यह तीनों हैं। किसी और के लिए कुछ करने की वजह ढूँढें, जिसे आपकी ज़रूरत हो। तो आप एक मित्र बनके क्या कर सकते हैं? किसी को ठेस न पहुँचाके शुरुआत करो। मित्र होने के नाते हमारा फ़र्ज़ है कि हम सूक्ष्म आक्रमकता को समझें और ऐसा न करें। मित्र होने के नाते हमारा फ़र्ज़ है सुनना, सीखना, भूलना, और फिर सीखना, और फिर गलतियाँ करके उनसे सीखना। मुझे अपना पूरा ध्यान दें। अपने लैपटॉप बंद रखें, अपने फोन नीचे रखें और ध्यान दें। अगर कोई नया हो या कमरे में एकलौता वैसा व्यक्ति हो, या फिर बस बेचैन सा हो, यह चीज़ें उनके प्रदर्शन में बहुत मायने रखेंगी। टोकना मत। कम अधिकारों वाले लोगों को टोका जाने की संभावना ज़्यादा होती है, एक क्षण रुककर उन्हें सुनिए। उन्हें उसका श्रेय दो। अगर मेरे पास कोई अच्छा विचार हो, तो उसे दोहराओ और मुझे उसका श्रेय भी दो, और हम साथ आगे बढ़ेंगे। मेरी वह भाषा सीखो जिससे मैं खुद के बारे में बताती हूँ। मेरा नाम ठीक से बोलना सीखो। मेरे सर्वनाम ठीक से जानो - वह, वे, आदि। मेरी भाषा जानो जिससे मैं अपनी जातीयता, धर्म या विकलांगता के बारे में बताती हूँ। यह चीज़ें लोगों के लिए बहुत मायने रखती हैं, अगर आपको पता न हो, तो पूछो। सुनो और सीखो। एक कर्मचारी ने मुझे बताया कि उसके समूह में मैत्री निभाने के बाद, सबने एक दूसरे को टोकने के लिए ज़िम्मेदारी लेनी शुरू की और माफ़ी भी मांगने लगे। "मुझे टोकने के लिए माफ़ी करना, तुम आगे बोलो।" "हेई, वह कुछ अच्छा सुझाव दे रही है, हमें सुनना चाहिए।" दूसरा, कम औदे वाले लोगों की छोटे छोटे तरीकों से मदद करो। पहल करो; आप एक बदलाव ला सकते हैं। अगर कमरे में एक ही वैसा व्यक्ति हो, और उनका टोककर या किसी और तरह से अपमान हो रहा है, तो कुछ करो, कुछ बोलो। उन लोगों को और बोलने के मौके दो। और यह देखो कि उनका भी प्रतिनिधित्व हो। उनको नौकरी दिलवाने में मदद करो, और उनको वह नौकरी लेने और नए काम लेने के लिए प्रोत्साहित करो। और सबसे महत्वपूर्ण -- मैत्री को और बढ़ावा दो। अगर आप एक विशेषाधिकारी व्यक्ति हैं, आपके लिए दूसरों की मदद करना ज़्यादा आसान है। तो उस अधिकार को बदलाव लाने के लिए इस्तेमाल करो। तीन, किसी की ज़िंदगी में बदलाव लाओ। तो, किसी के व्यवसाय के दौरान उनका साथ दो। उनकी मदद करो, उन्हें आगे बढ़ने के मौके दो। स्टेम प्रोग्राम के लिए अपना हाथ बटाएँ, जो युवा की मदद करेगा। अपनी टीम ऐसी बनाओ कि वह विविध और सम्मिलित हो। और इसमें बदलाव लाने की तरफ़ प्रतिबद्धता रखें। खुद को और अपनी टीम को बदलाव के लिए ज़िम्मेदार बनाएँ। और आखिर में, अपनी पूरी कंपनी में बदलाव लाने की कोशिश करें। जब कंपनी में ही मैत्री सिखाई जाती है, विविधता और समावेश बढ़ता है। हम और आप एक दूसरे के मित्र बन सकते हैं, दफ़्तर में या उसके बाहर। तो, मुझे हाल ही में एहसास हुआ कि मुझे अब भी उस चीज़ का डर है तब से जब से अपने व्यवसाय में मैं एकदम अकेला महसूस करती थी, जब मेरा कोई साथ देने वाला नहीं था। मेरे जैसे लाखों लोग हैं जो अब भी वैसा महसूस करते हैं। और एक दूसरे का साथ देने में इतनी मेहनत नहीं लगती। और जब हम एक दूसरे का साथ देते हैं, हम साथ में आगे बढ़ते हैं। और जब वह होता है, तब हम बेहतर टीम, बेहतर उत्पादन, और बेहतर कंपनी बनाते हैं। मैत्री प्रभावशाली है। करके देखो। धन्यवाद। (तालियाँ) आप कौन बनना चाहते हो ? यह एक आसान सा सवाल है, और आप जानो या नहीं, आप अपने कर्मों से इसका जवाब रोज़ दे रहे हैं। क्योंकि इस एक सवाल पर आपकी व्यवसायी सफलता सबसे ज़्यादा निर्धारित करेगी, क्योंकि आपका दूसरों के साथ व्यवहार बहुत मायने रखता है। या तो आप लोगों का सम्मान करके, उन्हें समझके, उनकी सराहना करके, उनका हौसला बढ़ाते हो, या आप उनका अपमान करके, उनकी उपेक्षा करके उन्हें हतोत्साह करते हो। और आप क्या करते हो वह मायने रखता है। मैंने लोगों पर कटुता के प्रभाव के बारे में पढ़ा। कटुता क्या है? अनादर या असभ्यता। इसमें बहुत तरह के बर्ताव हो सकते हैं, किसी का अपनी बातों से अनादर करना, या उनका इस तरह से मज़ाक उड़ाना जिससे उन्हें ठेस पहुँचे, या सभा में सन्देश लिखना। जो किसी के लिए कटुता हो वह किसी और के लिए बहुत मामूली सी चीज़ हो सकती है। सोचेंगे जब किसी को मिलते वक़्त फोनसे संदेश भेजना । हम में से किसी के लिए वह अशिष्ट होगा, और किसी और के लिए काफ़ी मामूली। तो यह निर्भर करता है। यह सब एक इंसान के नज़रिए पर है कि उसे वह अनादर लगा या नहीं। हम शायद अपनी तरफ़ से किसी को वैसा महसूस न कराना चाहें, लेकिन जब हम करते हैं, उसके भी परिणाम होते हैं। 22 साल से भी पहले, मुझे याद है कि मैं एक अस्पताल के कमरे में गई थी। मैं बहुत दुखी थी क्योंकि मैं अपने जोशीले, मज़बूत, बलवान पिता को बिस्तर पर बुरी मरीज़ों वाली हालत में देख रही थी। उनकी यह हालत काम में तनाव की वजह से थी। पूरे एक दशक के लिए, उनके एक कटु स्वभाव के बॉस थे। और मुझे उस समय इस परिस्तिथि की गंभीरता का ख्याल नहीं था। लेकिन कुछ सालों बाद ही, मैंने खुद कॉलेज के बाद अपनी पहली नौकरी में कटुता का अनुभव किया। पूरे एक साल रोज़ काम पर मुझे अपने सहकर्मियों से सुनना पड़ता कि "तुम बेवकूफ़ हो? ऐसे काम नहीं होता," और, "तुमसे किसी ने नहीं पूछा।" तो फिर मैंने वही किया जो कोई भी करता। नौकरी छोड़कर, वापस कॉलेज जाकर इन सब चीज़ों के प्रभाव पर पढ़ाई की। वहाँ मैं क्रिस्टीन पिअरसन से मिली। और उनका एक सिद्धांत था, कि कैसे छोटे कटु कर्म से क्रोध और हिंसा जैसी बड़ी समस्याएँ भी कड़ी हो सकती हैं। हमारे मानने में कटु बर्ताव का प्रभाव निष्पादन पर हो सकता है। तो हमने इसका अन्वेषण करना शुरू किया, और परिणाम से हमारे आँखें खुल गई। हमने व्यापार पढ़े हुए लोगों को सर्वेक्षण भेजे जो अलग अलग जगहों में काम कर रहे थे। हमने उनके अनुभवों पर कुछ वाक्य लिखने को कहा जहाँ उनके साथ बुरा या असभ्य बर्ताव हुआ, या किसी ने उनका अनादर किया, और कुछ सवाल उस बर्ताव को लेके उनकी प्रतिक्रियाओं पर। किसी ने हमें अपने बॉस के बारे में बताया जो अशिष्ट किस्म की बातें करते जैसे, "यह काम कोई बच्चा भी कर ले," और दूसरे इंसान ने बताया कि उनके बॉस सबके सामने किसी का काम फाड़ देते। हमें पता चला कि कटु बर्ताव लोगों का हौसला और भी कम कर देता है: 66 प्रतिशत लोगों ने काम में मेहनत करना कम कर दिया, 80 प्रतिशत लोग सोच में पड़ जाते कि इन चीज़ों का कारण क्या है, और १२ प्रतिशत लोगों ने नौकरी छोड़ दी। इन परिणाम को छापने के बाद, दो चीज़ें हुई। एक, हमें संगठनों से फोन आने लगे। सिस्को ने हमारे परिणाम पढ़े, उनपर जाँच की और यह पाया कि कटु बर्ताव से उन्हें प्रति वर्ष 1.2 करोड़ डॉलर का नुक्सान हो रहा था। दूसरी चीज़, कि हमें इस क्षेत्र से और लोगों से सुनने को मिला जिन्होंने हमसे पूछा कि सब यह चीज़ें बता तो रहे हैं, लेकिन इसका क्या सबूत है? क्या निष्पादन वाकई ख़राब होता है? मैं भी इस बारे में जानना चाहती थी। मैंने अमिर एरेज़ के साथ, जिन्होंने कटुता का अनुभव किया है, उनके साथ तुलना की जिन्होंने ऐसा अनुभव नहीं किया है। और हमने पाया कि जिन्होंने ऐसा अनुभव किया है उनका निष्पादन वाकई ख़राब हुआ है। आप शायद सोच रहे होंगे "हाँ, यह तो ज़ाहिर सी बात है।" पर क्या अगर आपने कभी ऐसा अनुभव न किया हो? मगर देखा या सुना ज़रूर हो? आप एक गवाह हैं। हमने सोचा कि क्या इसका प्रभाव गवाहों पर भी पड़ सकता है। हमने उस पर भी अन्वेषण किया जहाँ पाँच सहपाठी किसी देर से आने वाले पर प्रयोगकर्ता का दुश्व्यवहार देखते। प्रयोगकर्ता कहते, "तुम कैसे आदमी हो? देर से आते हो, गैरज़िम्मेदार हो। तुम्हें ऐसे में कौन नौकरी पर रखेगा?" और एक छोटे समूह पर अनुसन्धान करने के लिए, हमने एक सहकर्मी के दुश्व्यवहार के प्रभाव पर जाँच की। हमने यह पाया, कि गवाहों का निष्पादन भी ख़राब होने लगा, और थोड़ा नहीं, बहुत ज़्यादा। कटुता एक रोग है। वह फैलता है, और हम उसके आस पास रहकर भी उससे प्रभावित होते हैं। और वह सिर्फ़ काम तक सीमित नहीं है। हमें वह कहीं भी मिल सकता है-- घर पे, ऑनलाइन, स्कूल में, हमारे समुदायों में। वह हमारे जज़्बात, उत्तेजना, निष्पादन और हमारे व्यवहार को भी प्रभावित करता है। वह हमारे ध्यान देने की और सोचने की क्षमता को भी प्रभावित करता है। और यह सिर्फ़ तब नहीं होता जब हम उसे अनुभव करें या उसके गवाही हो। यह तब भी हो सकता है जब हम कोई कटु शब्द देखें या पढ़ें। एक उदहारण देती हूँ। इसकी जाँच करने के लिए हमने कुछ लोगों को एक वाक्य बनाने के लिए चंद शब्द दिए। सब सोच समझकर। आधे सहपाठियों को कटु व्यवहार उकसाने वाले 15 शब्द मिले: अशिष्टता, टोकना, घृणित, परेशान करना। और आधे सहपाठियों को दूसरे शब्दों की सूची मिली जिनमें ऐसे व्यवहार उकसाने वाले शब्द नहीं थे। और हमें कुछ चौकाने वाली चीज़ें समझ आई, क्योंकि जिनको असभ्य किस्म के शब्द मिले उनकी सामने दी हुई जानकारी से ध्यान भटकने की संभावना पाँच गुना ज़्यादा थी। और जैसे जैसे हमने इस विषय पर और जाँच की, हमने पाया कि जो इस तरह के असभ्य शब्दों को पढ़ते उन्हें निर्णय लेने में ज़्यादा समय लगता, और अपने निर्णय समझने में भी, वे ज़्यादा ग़लतियाँ भी करते। यह एक बहुत बड़ी समस्या हो सकती है, खासकर जब जीवन-मृत्यु वाली स्तिथि हो। स्टीव, एक चिकित्सक ने एक डॉक्टर के बारे में बताया जिनके साथ उन्होंने काम किया था जो कि खासकर के अपने से छोटे औदे वाले या नर्सेज़ का कभी अच्छे से आदर न करते। लेकिन स्टीव ने एक विशेष वारदात के बारे में बताया जहाँ इस डॉक्टर ने चिकित्सक समूह पर चिल्लाया। उस बातचीत के बाद ही, उन लोगों ने मरीज़ को ग़लत दवाई दे दी। स्टीव ने कहा कि सही जानकारी बिलकुल उनके सामने चार्ट पर दी गई थी, मगर सब ने किसी तरह से उस पर ठीक से ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वे अनभिज्ञ और ध्यानहीन से थे। मामूली सी ग़लती थी, है न? लेकिन वह मरीज़, मर गया। इजराइल के शोधकर्ता ने यह बताया है कि ऐसे चिकित्सक समूह जिनके साथ असभ्य बर्ताव होता है, उसका प्रभाव उनके चिकित्सक प्रक्रियाओं पर पड़ता है। यह इसलिए होता था क्योंकि जिन लोगों के साथ ऐसा बर्ताव होता था, वे जानकारी आसानी से न बाँट पाते, और अपने सहपाठियों से मदद लेना भी बंद करते। और मैंने यह सिर्फ़ चिकित्सा के क्षेत्र में ही नहीं, बाकी क्षेत्रों में भी देखा है। अगर कटुता से इतन नुकसान होता है, तो हम ऐसा व्यवहार अब भी क्यों पाते हैं? मैं जिज्ञासु थी तो हमने इस पर भी सर्वेक्षण किया। सबसे पहला कारण है -- तनाव। लोग व्याकुल हो जाते हैं। दूसरा कारण यह है कि लोगों को लगता है कि उन्हें अच्छी तरह से पेश आने पर भी संशयी महसूस होता है। उन्हें लगता है कि ऐसे में वे उतने बड़े लीडर नहीं लगेंगे। उन्हें लगता है: क्या अच्छे आदमी पीछे रह जाते हैं? दूसरे शब्दों में: क्या क्रूर लोग आगे बढ़ जाते हैं? (हँसी) ऐसा सोचना आसान है, खासकर की जब हम ऐसे उदहारण अक्सर देखते हैं। खैर, पत्ते की बात यह है, कि ऐसा सच नहीं है। इस पर मॉर्गन मेककॉल और माइकल लोम्बर्डो द्वारा अन्वेषण किया गया है, जब हम रचनात्मक नेतृत्व केंद्र पर थे। उन्होंने पाया कि असफलता का सबसे बड़ा कारण एक असंवेदनशील, अपघर्षक और अपमानित करने वाला व्यवहार था। ऐसे कुछ चंद लोग होंगे जो इस व्यवहार के बावजूद भी सफल होते होंगे। मगर जल्द नहीं तो बादमें ही, अधिकतम कटु लोग अपनी ही सफलता का नाश कर देते हैं। जैसे कि बुरा व्यवहार करने वालों को इसका सबक तब मिलता है जब वे खुद एक तकलीफ़ से गुज़रते हैं या जब उन्हें किसी की ज़रूरत हो। लोग उनका साथ नहीं देंगे। लेकिन अच्छे लोगों का क्या? क्या अच्छाई भविष्य में मदद करती है? बिकुल करती है। और अच्छे से पेश आने का मतलब यह नहीं कि आप बेकार नहीं हो। किसी को नीचे न लाना और किसी का प्रोत्साहन बढ़ाने में फ़र्क है। सभ्यता से पेश आने का मतलब है वह छोटी छोटी चीज़ें करना, जैसे कि किसी के पास से गुज़रते वक़्त मुस्कुराना और उन्हें हेलो बोलना, जब कोई आपसे बात कर रहा हो तो उसे ध्यान से सुनना। आपके और किसी और के विचारों में अंतर हो सकता है, और आप चीज़ को प्यार से, सम्मान देकर भी व्यक्त कर सकते हैं। कुछ लोग इसको "मौलिक निर्मलता" कहते हैं, जब आप निजी तौर पर परवाह करते हैं, लेकिन सवाल सामने से। तो हाँ, सभ्यता आगे काम आती है। एक जैव प्राद्यौगिकी कंपनी में, मैंने और मेरे सहकर्मियों ने पाया कि जिन लोगों का सभ्य व्यव्हार था उनको लीडर की तरह देखने की संभावना दो गुना ज़्यादा थी, और उनका निष्पादन भी बेहतर था। सभ्यता क्यों काम आती है? क्योंकि लोग आपको महत्वपूर्ण और-- प्रभावशाली-- दो अनोखी विशेषताओं के मेल से देखते हैं: नरम दिल और सक्षम, अनुकूल और होशियार। दूसरे शब्दों में, सभ्य होना सिर्फ़ दूसरों का प्रोत्साहन बढ़ाना नहीं है। यह आपके बारे में है। अगर आप अच्छे हैं, आपको लीडर की तरह देखा जाने की संभावना ज़्यादा है। आप काम अच्छे से करेंगे, और दूसरों की नज़रों में आप नरम दिल और सक्षम माने जाएँगे। लेकिन अच्छाई कैसे काम आएगी इसके पीछे और एक कहानी है, और यह नेतृत्व के बारे में एक बहुत एहेम सवाल खड़ा करती है: लोग अपने लीडर से सबसे ज़्यादा क्या चाहते हैं? हमने पूरे दुनिया भर से 20,000 कर्मचारियों का डेटा लिया, और जवाब आसान सा था: सम्मान। सम्मानित रूप का व्यवहार मिलना तरक्की और मान्यता, उपयोगी प्रतिक्रिया और सीखने के मौकों से ज़्यादा मायने रखता था। जिन्हें सम्मानित महसूस होता था वे ज़्यादा स्वस्थ होते, ध्यान केन्द्रित होते, संगठन के साथ रहने की अधिक संभावना रखते, और ज़्यादा प्रवृत्त रहते। तो शुरुआत कहाँ से की जाए? कैसे आप लोगों को प्रोत्साहित कर सकते हैं और उनका सम्मान बढ़ा सकते हैं? सबसे अच्छी बात यह है, कि इसमें बहुत मेहनत नहीं लगती। छोटी चीज़ों से भी बहुत फ़र्क पड़ता है। लोगों का शुक्रिया अदा करने से, उन्हें श्रेय देने से, ध्यान से सुनने से, विनम्रतापूर्वक सवाल पूछने से, दूसरों को देखकर मुस्कुराने से अच्छा प्रभाव पड़ता है। पैट्रिक क़ुइन्लेन, ओश्नर हेल्थ [सिस्टम] के पुराने सीईओ ने मुझे उनके 10-5 तरीके के प्रभाव बताए, कि अगर आप किसी से 10 फुट के दूरी के अंदर खड़े हैं, आप उनकी आँखों में देखिए और मुस्कुराइए, और अगर पाँच फुट के अंदर, तो उन्हें हेलो बोलिए। उन्होंने बताया कि सभ्यता का प्रभाव फैला, मरीजों की संतुष्टता बढ़ी, और वे औरों को भी उनके बारे में बताते। सभ्यता और सम्मान से एक संगठन के निष्पादन में उन्नति होती है। जब मेरे दोस्त डग कोनेंट कैम्पबेल्स सूप कंपनी के 2001 में सीईओ बने, कंपनी की बाज़ारी हिस्सेदारी आधे में घट गई थी। बिक्री गिर रही थी, और बहुत से लोगों को निकला गया था। एक गैल्ल्प प्रबंधक ने कहा कि यह सबसे कम प्रवृत्त संगठन था जिनका उन्होंने सर्वेक्षण किया था। डग के पहले दिन पर उन्होंने देखा कि कंपनी का मुख्यालय तारों से घिरा हुआ था। पार्किंग एरिया में गार्ड टावर थे। उन्होंने कहा कि पूरी जगह जेल जैसी लग रही थी। विशालु सा लग रहा था। पाँच साल के अंदर डग ने सब कुछ बदल दिया। और नौ सालों के अंदर वे नए रिकॉर्ड बनाने लगे। उन्हें काम करने के लिए सर्वोत्तम जगह होने के लिए, और अन्य पुरुस्कार मिले। उन्होंने वह कैसे किया? एक दिन डग ने कर्मचारियों को कहा कि निष्पादन के लिए वे उच्च मानक रखने वाले थे, लेकिन वह सभ्यता से करना ज़रूरी था। उन्होंने वह करके दिखाया, और सबसे अपेक्षा भी रखी। डग के लिए वे मानकों में दृढ़ होते मगर लोगों के साथ नरम दिल। उनके लिए यह रोज़ की बातों में होता, या कर्मचारियों के साथ रोज़ की बातचीत में, जो कि रास्ते में जाते हुए हो, या भोजनालय, या मीटिंग में। और जब वे इन सब में सफल होते, कर्मचारियों को अपना मूल्यवान महसूस होता। एक दूसरा तरीका जिससे वे कर्मचारियों को मूल्यवान महसूस करवाते और यह दिखाते की वे उनपर ध्यान देते हैं यह था कि उन्होंने कर्मचारियों 30,000 से ज़्यादा हस्तलिखित पत्र भेजे। और यह दूसरों के लिए उदहारण बन गया। लीडर के पास रोज़ ऐसे 400 मौके होते हैं। और कुछ अच्छा करने में अधिकतर दो मिनट से ज़्यादा नहीं लगते। इन क्षणों में बस गौर करना ज़रूरी है। सभ्यता से लोग प्रोत्साहित होते हैं। सभ्य होने से हम लोगों के निष्पादन में उन्नति होने का मौका देते हैं। कटुता से लोगों के निष्पादन में कमी होने लगती है, अगर लोग़ कुछ बेहतरीन करना भी चाहें तो भी कटुता उनकी क्षमता में बाधा डालती है। अनुसंधान करने से मुझे पता चला है कि जब हमारे पास ज़्यादा सभ्य माहोल होते हैं, हम ज़्यादा उत्पादक, रचनात्कम, सहायक, खुश और स्वस्थ रहते हैं। हम और बेहतर कर सकते हैं। हम दिमाग से और भी तेज़ हो सकते हैं, और हमारे कर्म ऐसे हो सकते हैं जो दूसरों को काम में, घर में, ऑनलाइन, स्कूल में, समुदायों में प्रोत्साहित कर सकते हैं। हर बातचीत करते हुए, सोचिए: आप क्या बनना चाहते हैं? आइए, हम इस कटुता के रोग को हटाएँ, और सभ्यता को फैलाएँ। क्योंकि, यह मायने रखता है। धन्यवाद। (तालियाँ) (संगीत) रेन विल्सन: अकेले रहने कि कीमत चुकानी होती है| मैं थोड़ा खोया सा हूं, और अब सही वक्त है वास्तविक सम्बन्ध बनाने का| मैं हूँ कौन? (ड्रम) मैं एक 45 साल का अविवाहित गोरा पुरुष हूं। मुझे जानवरों से प्यार है। सफल रोज़गार है। मैं एक सामाजिक व्यक्ति हूं| मैं तंदरुस्त हूँ मैं किसे ढूंढ रहा हूं? मैं अपने लिए विचार-साथी ढूंढ रहा हूँ क्या आप वो विचार हैं जो मेरे असली पहचान से मेल खाता है? (वीडियो) रॉन फिनली: आपको कैसा महसूस होगा यदि आपको स्वस्थ भोजन का कोई ज़रिया ना हो तो? बागवानी एक सबसे अधिक चिकित्सीय और विद्रोही कार्य है जो आप कर सकते हैं। रे वि: वाह, हम यकीनन प्रारंभ में ही अपने हाथ गंदे कर रहे हैं, है ना? र फि: बागवानी एक सबसे अधिक चिकित्सीय और विद्रोही कार्य है जो आप कर सकते हैं। इन क्षेत्रों में लोगों को भद्दे भोजन से ही परिचित रखा गया है मैं चाहता हूँ, लोग जानें अपना स्वयं के भोजन उगाना नोट छपाई जैसा है। रे वि: आप तो भोजन के सबसे बड़े वीर जैसे हो! रे फि: भोजन समस्या है और भोजन ही समाधान है (संगीत) एरिन मेक्कीन: मैं एक शब्दकोष विशेषज्ञ हूँ। मेरा काम है शब्दकोष में हर संभव शब्द को शामिल करना। रे वि: मुझे भी शब्दों से उतना ही प्यार है- जितना किसी शब्दा-कोषतज्-विशेषज्ञ को होगा यदि आपको वो शब्द बेहद पसंद है जो आपने अभी बनाया हो जैसे - शायद - "स्कूबरफिंकलस"? बौ लोट्टो: क्या आपको लगता है आप वास्तविकता देख पाते हैं? रे वि: मेरी दूर की दृष्टी थोड़ी कमज़ोर है, पर हाँ। ब ल: आप नहीं देख सकते- मेरा मतलब है, आपके मस्तिष्क की इस दुनिया में कोई पहुंच नहीं है। वास्तव में, यहां तक ​​कि संवेदी जानकारी जो आपकी आंखें और कान प्राप्त करते हैं, पूरी तरह अर्थहीन है क्योंकि इसका मतलब कुछ भी हो सकता है। यह पेड़ दूर एक बड़ी सी चीज़ हो सकता है या करीबी छोटी सी वस्तु हो सकती है, आपका दिमाग को इसे नहीं जान सकता। रे वि: एक बार मैंने सोचा कि मैंने बिगफुट देखा लेकिन वो तो एक जर्मन शेपर्ड था| इज़ाबेल बेहंके इज़क्वियरदो: बोनोबो, चिंपांजियों के साथ, आपके निकटतम जीवित रिश्तेदार हैं। बोनोबो झगड़ों से निपटने और सामाजिक मुद्दों को हल करने के लिए अक्सर और बेकायदा सम्भोग करते हैं| रे वि: मैं बस जानना चाहता हूँ: हमारे बीच कोई विवाद तो नही है जिसके लिए समाधान, या कुछ मुद्दे जिसका हल चाहिए हो? इ बे इ: ध्यान दीजिए - आप मेरे विचार के साथ मेलजोल बढ़ा रहें हैं, मुझ से नहीं। जेन मैकगोनिगल: ऐसा चेहरा होता है उनका, जो सभी बाधाओं के विरुद्ध, एक ऐतिहासिक जीत के कगार पर है। रे वि: एक ऐतिहासिक जीत? जे म: एक ऐतिहासिक जीत एक ऐसा असाधारण सकारात्मक परिणाम है, जिसे आप हासिल करने से पहले असंभव समझते थे। आप उसे चेहरे पर ला नहीं पा रहे हैं। "मैं जीवन में अच्छा नहीं हूं" आप ऐसा चेहरा बना रहे हैं। रे वि: आर्थर, मैं आपको सच बताना चाहता हूं। मैं अन्य विचारों से मिल-जुल रहा हूं। ठीक है? मैं दूसरों से भी मुलाक़ात कर रहा हूँ| ऐसी स्थिति है| आर्थर बेंजामिन: मैं यह कहूँगा: गणित सिर्फ एक्स का हल निकालना ही नहीं है, पर यह भी पता लगाना है कि ऐसा क्यों। रे वि: क्या आप कुछ मिठाई चाहेंगे? आ ब: पाई ? 3.14159265358979 - रेजी वाट्स: यदि हमे कुछ करना है, तो हमें निर्णय लेने की ज़रूरत है| क्योंकि किसी निर्णय के बिना हम निर्बल हैं। शक्ति के बिना, हमारे पास उन लोगों को आगे देने के लिए कुछ नहीं है जो, हमारे वर्तमान परिस्थितियों को हल करने के लिए उत्सुक हैं| रे वि:और,"यदि आप निर्णय नहीं लेना चाहते हैं, तो यह भी आपका एक निर्णय है" - रश जे म: हां! ऐसा ही तेज हमें देखना है दुनिया भर के उन लाखों समस्याओं के समाधान करने वालों के चेहरे पर, जब हम अगली सदी की चुनौतियों से निपटने की कोशिश करते हैं। रे वि : खाने-पीने का हिसाब बाँट लें? आ ब: 3846264338327950 28841 ... 971? रे वि: किसी रात, फिल्म देखने चलें? र फि: बिलकुल नहीं! चलो कुछ सही में उगाते हैं! रे वि: चलो कुछ उगाते हैं! अच्छा, अब यह मैं क्या उगा रहा हूँ? बोनोबो! ई बे ई: बोनोबो! (हंसते हुए) बोनोबो। रे वा: म, कुछ दिलचस्पी है? रे वि: मुझे आपके साथ विचार-शिशु चाहिए। रे वा: ठीक है, आप जानते हैं वे रूस में क्या कहते हैं? रे वि: हम्म? रे वा: “स्कूबरफिंकल।" (बोतलें टकराती) 12 साल पहले, मैंने सबसे पहली बार कैमरा उठाया फिलिस्तिन के गावं वेस्ट बैंक में जैतून फसल के फिल्मांकन के लिएl मैंने सोंचा की मैं एक दस्तावएजी फिल्म के लिए हूँ और फिर दुनिया के कई दुसरे क्षेत्र में चली जाऊंगीl लेकिन कुछ था जो मुझे वापस उस जगह ले आता थाl आमतोर पर, जब अंतराष्ट्रीय दर्शक दुनिया के इस भाग के बारे में सुनते है, तो वे अक्सर बस ये चाहते हे की संघर्ष चला जायेl इज्रयाल-फ़िलिस्तीन संघर्ष बुरा है, और हम सब चाहते हे की यह ख़तम हो जाएl हम कुछ ऐसा ही महसूस करते है दुनिया भर के संघर्षो के बारे मेंl लेकिन हम हर बार जब अपना ध्यान खबरों की तरफ करते हे, तो पाते हे की एक और देश आग की लपटों में भस्म हो गयाl इसलिए में सोच रही थी की क्या हम सब को संगर्ष को किसी अलग अंदाज़ में नहीं देखना चाहिएl बजाये संघर्ष को समाप्त करने की इच्छा के सिवाय हम सब को अपना ध्यान संघर्ष को संचालित करने में लगाना चाहिए lयह मेरे लिए सबसे बड़ा सवाल हो गया था, जिसे मैंने अपनी गैर लाभकारी संघटन जस्ट विज़न के साथ मिल कर अनुसरण कियाl खाड़ी मुलुको के विभिन्न संघर्षो का साक्षी बनने के बाद, मुझे सफल संघर्षो पर एक तरह का नक्शा दिखाई दियाl मुझे उत्सुकता हुई की क्या ये परिवर्तनशील वस्तू हर घटना में है, और अगर है, तो कौनसे उदहारण हम पा सकते है संघर्ष को संचालित करने के लिए , फ़िलिस्तीन, इजराइल और कहीं औरl इसमें किसी प्रकार का ज्ञान नजर आयाl जब 323 प्रमुख राजनेतिक संघर्षो पर अध्यन १९०० से २००६ से हुआ, मारिया स्टेफन और एरिका चेनोवेथ ने पाया की अहिंसात्मक अभियान हिंसात्मक से शत प्रतिशत सफल होने की सम्भावना रखते हैl अहिंसात्मक अभियान से शारीरिक नुक्सान होने की कम सम्भावना होती है उन्हें जो इन अभियान का सामना करते है, और वो लोग जो इनके वीरोधी हैl गंभीर रूप से पाया गया की यह बहूत शांतिपूर्ण एवं जनतंत्र समाज की और जाते हैl दुसरे शब्दों में, अहिंसात्मक प्रतिरोध प्रभावी और रचनात्मक हल है युद्ध को ख़तम करने के लिएl लेकिन यह इतना सरल उपाय है तो और समूह इसे प्रयोग क्यों नहीं करते? राजनेतिक वैज्ञानिक विक्टर असल और उनके सहकर्मी ने कई कारणों की तरफ ध्यान दिया जिसने राजनेतिक समूह के चुनाव को आकर देने में कार्य किया हैl और यह पता चला की सबसे बड़ा भविष्यवक्ता जो यह आन्दोलन के निश्चय को अहिंसावादी और हिम्सवादी बनने में मदद करे वो ना तो वामपंथी और ना दक्षिणपंथी संघटन है ना ही संघटन पर कम ज्यादा धार्मिक आस्था का दबाव देता है, ना तो यह की यह संघटन जनतंत्र या अधियात्कम है, और ना तो दमन का स्तर जो एक संघटन सामना कर रहा हैl संघटक के अहिंसावादी निश्चय को अपनाने में सबसे बड़ा भविष्यवक्ता उसकी विचारधारा समाज में औरतो के प्रति कैसी हो उस पर निर्भर करता हैl (तालियां) जब एक आन्दोलन अपने प्रवचन में जाति समानता की भाषाका इस्तेमाल करते है तब, अहिंसा को अपनाने की सम्भावना नाटकीय रूप से बड जाती है, और इसलिए, इसके सफल होने की संभावना भीl मेरे प्रलेखन और यह अनुसन्धान पलेस्तीन और इजराइलl के राष्ट्रीय आयोजन को सामान बताते हैl मैंने पाया की आन्दोलन जो महिलायों को नेत्रत्व पदों के लिए आम्त्रतित करते है, जैसे की बुदृस ग़ाव में मेरा प्रलेखन, अपने मकसद को हांसिल करने में संभव होंगेl वास्तविक खतरे तहत, यह ग़ाव के नक़्शे पर से सफाया हो गया होता जब इजराइल ने सेपरेशन नाका का निर्माण करना शुरू कियाl प्रस्तावित मार्ग को इस समाज के जैतून के खेत, कब्रिस्तान और आखिर में ग़ाव के चारो तरफ से बंद कर विनाश करना थाl स्थानीय नेत्रत्व से प्ररित हो कर ताकि यह रुक जाए, उन्होंने अहिंसावादी प्रतिरोध अनुसन्धान का आरम्भ कियाl बड़े पैमाने पर, असफल होने के संभावनायो का ढेर लग रहा थाl लेकिन उनके पास भी गुप्त हथियार थाl एक १५-वर्षीय लड़की जिसने बड़ी साहसपूर्वक बुल डोज़र के सामने कूद कर जो की जैतून के पेड़ को उखाड़ने ही वाला थाl उसी पल, बुदृस समुदाय के लोगों को आभास हुआ की क्या मुमकिन है अगर वे औरतो को जनता की ज़िन्दगी में भाग लेने के लिए स्वागत और प्रोहोत्साहित करेl और तभी से बुदृस की औरतें सीमा रेखा पर गयी दिन प्रतिदिन, उनके रचनात्मक और कुसग्र्ता को विभिन राह की मुश्किलोय को हराने के लिए १० महीने की निहथे मुकाबले मेंl और शायद आप इस पल यह कह सकते है की अंत में उनकी जीत होती हैl अलगाव रेखा पूरी तरह से बदल गयी थी अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हरी रेखा में, और बुदृस की औरतें वेस्ट बैंक के उसे पार भी पहचानी जाने लगी अपने अजय शक्ति के लिएl (तालिया) धन्यवाद में एक पल के किये विश्राम लूंगी जो आपकी मदद से हो पाया, क्योंकि मैं दो गंभीर गलत्फमियो को स्पस्ट करना चाहूंगी जो इस समय घटित हो सकती हैl पहली जो मैं विश्वास नहीं कर सकती की औरतें पैदाईश रूप से या वास्तव में आदमियों से ज्यादा शांतिप्रिय होती हैl लेकिन मेरा यह विश्वास हैं की आज की दुनिया में औरतें शक्ति को अलग तरीके से अनुभव करती हैl कम शक्तिशाली पद पर होते हुए अपनी जिंदगियो के विभिन पहलू पर मार्गदर्शक बनना, औरतें परिवर्तन के दबाव को चुपचाप करने में अक्सर काफी निपुण होती है बजाय अधिक, शक्तिशाली अभिनेताओं सेl औरतो पर अक्सर पारिभाषिक शब्द "जोड़ तोड़" बड़ी अपमानजनक ढंग से आरोप लगाया जाता है, ऐसी सच्चाई प्रतिबिंबित होती है की औरतें आस्कर ऐसे रस्ते की शोध करती है जो बजाये अपने लक्ष्य प्राप्त करने के साक्षात् विरोध करते होंl और विकल्पों की खोज साक्षात् विरोध के लिए ही सबसे महतवपूर्ण हिस्सा है अहिंसावादी प्रतिबन्ध काl अब दूसरी संभावित गलतफ़हमीl मैंने काफी बातें करी हैं मध्यपूर्वी के अनुभवों के बारें में, और आपमें से कुछ सोच भी रहे होंगे की सुझाव फिर हमारे पास हैं की हम मुस्लिम और अरब समाज को शिक्षा दे औरतो को शामिल करने के लिएl अगर हम यह कर सके तो वोह लोग काफी सफलता प्राप्त करेंगेl उन्हें इस तरह की मदद की जरूरत नहीं हैl औरतें हमेशा से ही एक हिस्सा रहीं है बहूत प्रभावशाली आन्दोलन के प्रति मध्य पूर्वी देशो में, लेकिन वह अंतर्राष्ट्रीय समोदाय के लिए अद्रशय ही रहीl हमारे कैमरा ज्यादातर पुरुषो पर ही केन्द्रित रहे जो ज्यादातर शामिल रहे काफी झगडालू दृश्यों पर जो हमें अनिवार्य लगे हमारे खबरों के घटनाचारा मेंl और हम इस वर्णन पे पहोंचे है जिसने न सिर्फ औरतो को मिटा दिया इस क्षेत्र की जिद्दोजहद से लेकिन काफी बार इन जिद्दोजहद को गलत ढंग से पेश किया हैl १९८० में एक विद्रोह गाज़ा में शुरू हूया, और जल्दी ही वेस्ट बैंक और पूर्वी जेरूसलम तक फैल गयाl यह पहले इन्तिफादा के नाम से जानने जाना लगा, और जिन लोगों को ज़रा भी दृश्य याददाशत हैं ज्यादादर ऐसा कुछ याद करेंगे : पलेस्तीने पुरुष इसरायली तोपों परे पत्थर फ़ेंक रहे हैंl समाचारों में उस samay येही दिखाया गया की पत्थर, मोलोतोव बारूद और जलते हुए पाइए ही सिर्फ गतिविधिया थी इन्तिफादा के समयl हालाँकि दूर दूर तक यह अवधि प्रख्यात हुई अहिंसावादी आयोजन जैसे की हड़ताल, धरना और समांतर संस्थायो के रचना के लिएl पहिले इन्तिफादा के समय, सम्पूर्ण पलेस्तीनी क्षेत्र की असैनिक आबादी एकत्रित हूई, पीढीयों , दलों और वर्गीकरण को अनदेखा करते हुएl उन्होंने यह किया प्रसिद्द समितियों का जाल बिछा कर, और उनके प्रत्यक्ष लागू करना और जातीय स्वावलंबन प्रयोजन के इस्तेमाल ने इस्राइली की क्षमता को चौनौती दी वेस्ट बैंक और गाजा पर शाशन जारी रखने परl इसरायली सेना के अनुसार, ९७ प्रतिशत गतिविधियाये पहिले इन्तिफादा के समय निहत्थे होती थीl और एक और बात जो पहले वर्णन का हिस्सा नहीं थीl १८ महीने से इन्तिफादा में, महिलाये थी जो परदे के पीछे से नेतृत्व करती थी: समाज और ज़िन्दगी के हर वर्ग की पलेस्तिनियन महिलाये हजारो की तादाद में लोगों को संघटित करने का मोर्चा सँभालने लगी ताकि संयुक्त प्रयास से अधिकृत क्षेत्र में से सहमती को वापिस खिंच सकेl नेला अय्याश, जिन्होंने आत्म-निर्भर अर्थव्यवस्था के निर्माण का प्रयासरत किया गाजा की महिलायों को प्रोहत्साहित करके की वह अपने घर में सब्जिया उगाये एक ऐसी गतिविधि जिसे इसरायली अधिकारियों ने उस दौरान अवैध माना था; राबेहा दिआब, जिन्होंने निर्णय-लेनेवाले अधिकार का पदभार सम्भाला सम्पूर्ण विद्रोह के दौरान जब पुरुष जो इसे चला रहे थे उन्हें निर्वासित कर दिया; फातिमा अल जाफरी, जिन्होंने विद्रोही निर्देश सम्बंधित पर्चे निगल लिए ताकि वह प्रदेशो के चारो तरफ फैल सके बिना पकड़े जाने के डर से; और ज़हिरा कमल, जिन्होंने यह सुनिश्चित किया की विद्रोह की लम्बी उम्र बनी रहे और ऐसे संघटन का नेतृत्व किया जिसमे २५ से ३०००० महिलोयो की एक साल में बढ़ोतरी हुईl असाधारण उपलब्धियों के बावजूद, इनमे से एक भी महिला का नाम हमारे पहिले इन्तिफादा की कहानी में नहीं हैl यह हम दुनिया के दुसरे भाग में भी करते हैl हमारी इतिहास की किताबो, उदहारण के लिए, और हमारे सामूहिक चेतना में, पुरुष ही जनता का चेहरा और प्रवक्ता है अमेरिका के १९६० के जातीय न्याय सम्बंधित संघर्ष के समय लेकिन महिलाये भी एक महत्वपूर्ण प्रेरक शक्ति थी, एक जूट करना, आयोजित करना, जनता तक ले जानाl हममे से कितने है जो सेपतीमा कलार्क को याद करते है जब हम अमेरिका के नागरिक अधिकार संघर्ष को याद करते है ध्यान से देखे तो बहूत कम लेकिन उन्होंने काफी महत्पूर्ण भूमिका निभाई थी संगर्ष के हर चरण के दौरान, विशेष कर साक्षरता और शिक्षा पर बल दियाl उन्हें निकला गया, नजरअंदाज किया गया और सब औरोतों की तरह जिन्होंने महत्पूर्ण भूमिका निभाई थी अमेरिका के नागरिक अधिकार आन्दोलन के समयl यह कोई श्रेय लेने के लिए नहीं हैl यह उससे भी कई गहरा हैl कहानियाँ जो हम कहते है उस पर लागू होता है की हम कैसे अपने को देखते है, और हमारा विश्वास की आन्दोलन कैसे चलते है और कैसे आन्दोलनों को जीता जाता हैl कहानियाँ जो हम कहते है आन्दोलन के बारें में जैसे की पाहिले इन्तिफादा या अमेरिका का नागरिक अधिकार युग गहरी लागू होती है और बहूत प्रभावशाली है उन चुनावो के लिए जो पिलिस्तिनेओ, अमेरिकन और हमारी आसपास के लोग करेंगे अगली बार जब वह किसी अन्याय का सामना करेंगे और हिम्मत जुटा पायेंगे उसका सामना करने के लिएl अगर हम उन औरोतों का उत्थान नहीं करते जिन्होंने संघर्षो में बहूत योगदान दिया तब हम अपनी आने वाली पीढियों को प्रेरणास्रोत देने में नाकामयाब होंगेl बिना प्रेरणास्रोत के, यह बहूत मुश्किल है औरोतों के लिए अपने अधिकार की मांग करना आम निजी ज़िन्दगी मेंl और जैसे की हमने पहले देखा, सबसे नाजुक परिवर्तनशील वस्तु यह निर्धारित करने के लिए की यह आन्दोलन सफल होगा या नहीं ही इस आन्दोलन की विचारधारा महिलायों के योगदान के बारे में है आम ज़िन्दगी मेंl यह एक सवाल है की क्या हम प्रजातंत्र और शांतिप्रिय समुदाय की तरफ बढ़ रहे हैl इस दुनिया में जहाँ इतना कुछ बदलाव हो रहा है और जहाँ बदलाव बड़ी तेज़ी से अवश्य होनेवाला है, तो सवाल ये नहीं हे की क्या हम संगर्ष का सामना कर पाएंगे परंतू सवाल ये हे की कौनसी कहानिया संघर्ष को आकर देने में मददरूप साबित होती हेl धन्यवादl (तालियां) यह है बौप| बौप एक प्रकार का सामाजिक नृत्य है| नृत्य एक भाषा है, और सामाजिक नृत्य एक अभिव्यक्ति है जो कि एक समुदाय से उभरती हैं सामाजिक नृत्य की संयोजना कोई एक व्यक्ति नहीं करता| इसका प्रारम्भ किसी एक समय से नहीं जोड़ा जा सकता। प्रत्येक नृत्य में ऐसे कदम होते हैं जिने हर कोई स्वीकारता है, लेकिन यह उस व्यक्ति और उनके रचनात्मक पहचान के बारे में है| इस ही कारण से, सामाजिक नृत्य नया रूप लेते हैं, बदलते हैं और जंगली आग से तरह फैलते हैं| ये हमारी याद रखे इतिहास जितने ही पुराने हैं। अफ्रीकी-अमेरिकी सामाजिक नृत्यों में, हम अफ्रीकी और अफ्रीकी-अमेरिकी परंपराओं का हमारे इतिहास पर - 200 साल से ज्यादा का प्रभाव देखते हैं | वर्तमान में सदा अतीत का अंश होता है और अतीत ढालता है जो हम हैं और जो हम होंगे| (तालीयाँ ) जुबा नृत्य का जन्म हुआ था गुलाम अफ्रीकियों के बागानों के अनुभव से| अमेरिका में लाये गए, अपनी आम भाषा से अलग कर, यह नृत्य अफ्रीकी गुलामों के लिए अपनी मातृभूमि को याद रखने का साधन था| हो सकता है यह कुछ इस तरह दिखता हो| जांघों पर थपकियाँ, घसीटते पैर और हाथ की तालियां: गुलाम मालिकों के ढोल बजाने पर प्रतिबंध, से जूझने का यह उपाय था, पेचीदे लयों को ताज़ा करना जैसे पूर्वजों ने हेयती में ढोलों के साथ किया था, या जैसे पश्चिम अफ्रीका के योरूबा समुदायों में | यह अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने का और आंतरिक स्वतंत्रता की भावना को बनाए रखना का तरीका था कैद में भी| उस ही द्रोही रवैय्या ने ही दुसरे नृत्य को जन्म दिया : केकवाक एक नृत्य जो दक्षिणी उच्च समाज के व्यवहारवाद का व्यंग्य रूप था - गुलामों के लिए, मालिकों की निंदा करने का| इस नृत्य के बारे में हास्यास्पद बात यह थी कि केकवाक नृत्य मालिकों के लिए किया जाता था, जिन्हे कभी संदेह नहीं होता कि उनका मज़ाक उड़ाया जा रहा था| शायद आप इस एक को पहचान सकते हैं 1920 के दशक का- चार्ल्सटन| चार्ल्सटन का तत्व तात्कालिक व्यवस्था और संगीतात्मकता था, जिस से उभर कर लिंडी हॉप बना, स्विंग नृत्य बना और ​किड न प्ले ​भी, जिसे शुरू में फ़ंकी चार्ल्सटन कहा जाता था| यह चार्ल्सटन, दक्षिण कैरोलिना के पास बसे एक घनिष्ट, काले समुदाय द्वारा शुरू किया गया चार्ल्सटन ने डांस हॉलों में रिस रहा था जहां युवतियों को अचानक अपनी हील्स के साथ नाचने और पैरों को हिलाने की अाज़ादी मिली| सही में, सामाजिक नृत्य का सार है समुदाय और सम्बन्ध; अगर आप कदमों-चाल को जानते, इसका मतलब यह था कि आप एक समूह का अंग थे। लेकिन क्या होगा अगर यह एक विश्वभर में लोकप्रिय बन जाए? हाज़िर होता है ट्विस्ट | यह कोई आश्चर्य नहीं है कि ट्विस्ट का प्रारम्भ 19वीं शताब्दी में दिखता है, यह कोंगो से अमेरिका लाया गया था गुलामी के दौरान| लेकिन '50 के दशक के अंत में, नागरिक अधिकार आंदोलन से पहले, ट्विस्ट को चब्बी चेक्कर और डिक क्लार्क ने लोकप्रिय बनाया| अचानक, सभी लोग ट्विस्ट कर रहे थे: गोरे युवा, लैटिन अमेरिका में युवा, इसने गीतों और फिल्मों में अपनी जगह बनाई सामाजिक नृत्य के माध्यम से, समूहों के बीच की सीमाएं धुंधला जाती हैं| यह कहानी 1980 और '90 के दशक में जारी है हिप-हॉप के उभरने के साथ साथ, अफ्रीकी-अमेरिकी सामाजिक नृत्य और सामने आया है, अपने लंबे अतीत से उधार लेकर, संस्कृति को आकार देते और उसके द्वारा आकृत हो कर| आज, ये नृत्य विकसित हो रहे हैं, बढ़ और फैल रहे हैं हम नृत्य क्यों करते हैं? मंथन के लिए, बंधनमुक्त होने के लिए, व्यक्त करने के लिए। हम एक साथ नृत्य क्यों करते हैं? घाव भरने , स्मरण रखने के लिए, कहने के लिए: "हम एक आम भाषा बोलते हैं हमारा अस्तित्व हैं और हम स्वतंत्र हैं"। जिस भाषा में मैं अभी बोल रहा हूँ वह इस दुनिया की विश्वव्यापी भाषा बनने के रास्ते पर है. चाहे यह अच्छे के लिए हो या बुरे। हमे यह मानना पड़ेगा, कि यह भाषा इंटरनेट में प्रयोग होती है, यही अर्थव्यवस्था में, यही हवाई यातायात नियंत्रण में, लोकप्रिय संगीत में, राजनीति में भी-- अंग्रेजी हर जगह है। हाँ, मंदारिन चीनी भाषा ज़्यादा लोगों के द्वारा बोली जाती है, परन्तु जितने अंग्रेजी भाषी लोग चीनी सीख रहे हैं, उससे ज़्यादा चीनी लोग अंग्रेज़ी सीख रहे हैं। इस समय, चीन में दो दर्ज़न विश्वविद्यालय हैं जो सब कुछ अंग्रेज़ी में पढ़ाते हैं। अंग्रेज़ी आधिकारिक बन रही है। और इसके साथ-साथ, यह भी अनुमान लगाया गया है, कि इस सदी के अन्त तक लगभग वह सभी भाषाएँ, जिनका अस्तित्व आज है -- करीब - करीब ६००० -- उनका अस्तित्व नष्ट हो जायेगा। केवल कुछ-सौ ही बचेंगी। और उसके ऊपर से, हम इस कगार पर हैं, जहाँ जीवंत वाणी का उसी क्षण अनुवाद ना केवल संभव है, बल्कि हर वर्ष बेहतर भी होता जा रहा है। इन सब बातों का वर्णन, मैं आपको इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि मैं ये कह सकता हूँ, कि हम उस स्थिति कि तरफ बढ़ रहे हैं, जहाँ एक प्रश्न पूछा जाने लगेगा, और वो यह है कि: हमें कोई भी विदेशी भाषा सीखने की क्या आवश्यकता है-- अंग्रेज़ी के अलावा, अगर अंग्रेज़ी भाषा किसी के लिए भी विदेशी नहीं है? अन्य भाषा को सीखने का झंझट क्यों लेना, जब हम उस कगार पर हैं, जहाँ विश्व में लगभग हर कोई एक ही भाषा में संवाद कर सकेगा? मेरे विचार में इसके बहुत से कारण हैं, परन्तु पहले मैं उस कारण की बात करना चाहता हूँ, जिसके बारे में शायद आपने सुना ही होगा, क्योंकि वह जितना आप शायद सोचते हो, उससे भी ज़्यादा खतरनाक है। और वह है यह सोच, कि आपके विचार एक भाषा के द्वारा संचालित होते हैं, कि भिन्न भाषाओँ का शब्दकोष और उनकी व्याकरण, सबको भिन्न प्रकार से उनके अन्तःकरण के दर्शन कराती है, अगर देखा जाए तो। यह एक अनोखे रूप से लुभाने वाला विचार है, परन्तु है कुछ-कुछ तनावपूर्ण। तो ऐसा नहीं है कि यह पूरी तरह से असत्य है। उदाहरण के लिए, फ़्रांसिसी और स्पेनी भाषा में, मेज़ के लिए जो शब्द प्रयोग किया जाता है, वह किसी वजह से, स्त्रीलिंग है। जैसे कि, "ला ताब्ले," "ला मेसा," आपको ऐसे शब्दों के साथ समझौता करना पड़ेगा। यह प्रमाणित किया गया है कि अगर आप इन में से किसी भाषा के वक्ता हैं, और आपको पूछा जाए कि आप एक मेज़ के बात करने की कल्पना कैसे करेंगे, तो अगर संयोग ना हो तो ज़्यादातर, एक फ़्रांसिसी या स्पेनी भाषी, कहेगा कि वह मेज़ एक ऊँची और स्त्री की वाणी में बात करेगी। तो अगर आप फ़्रांसिसी या स्पेनी हैं तो एक मेज़ आपके लिए एक तरह से एक स्त्री है। जबकि एक अंग्रेजी वक्ता के लिए यह विपरीत है। ऐसे तथ्य से प्रेम ना करना कठिन है, और ऐसा बहुत लोगों का कहना है कि इसका अर्थ है, आपका वैश्विक नजरिया उनसे प्रभावित होगा, अगर आप उन भाषाओँ को बोलते हैं। परन्तु सतर्क रहें, क्योंकि कल्पना कीजिये कि कोई हमे खुर्दबीन के नीचे रख के देखे तो? हमे मतलब हममे से उनको जो पैदाइशी अंग्रेज़ी भाषी हैं. अंग्रेज़ी का वैश्विक नज़रिया क्या है? उदाहरण के लिए, एक अंग्रेज़ी भाषी व्यक्ति को ले लीजिये। जिसे आप चित्रपट पर देख रहे हैं, वह बोनो है। वह अंग्रेज़ी बोलता है। मेरा मानना है, कि उसका एक वैश्विक नज़रिया है। अब, यह है डोनल्ड ट्रम्प। अपने तरीके से, यह भी अंग्रेज़ी बोलता है। (खिलखिलाहट) और यहाँ हैं कुमारी कार्दाशियन, और वह भी एक अंग्रेज़ी वक्ता हैं। तो यहाँ ३ वक्ता हैं अंग्रेज़ी भाषा के। इन तीनो में कौनसा वैश्विक नज़रिया समान है? इनको एकजुट करने वाली भाषा अंग्रेज़ी के कारण कौनसा वैश्विक नज़रिया आकार लेता है? यह एक बहुत ही तनावपूर्ण विचार है। और इसलिए धीरे-धीरे आम मत यह बन रहा है, कि भाषा विचारों को आकार देती है, परन्तु वह जोशीले, अस्पष्ट मनोवैज्ञानिक संवेग के रूप में होती है। यह आपको विश्व को देखने के लिए एक अलग नज़रिया प्रदान करने का मामला नहीं है। अब, अगर यह बात है, तो भिन्न भाषाएँ क्यों सीखना? अगर यह आपके सोचने के तरीके को बदलेगा ही नहीं, तो और कारण क्या हो सकते हैं? इसके कुछ कारण तो हैं। एक कारण यह है कि अगर आप एक संस्कृति को अंतर्ग्रहण करना चाहते हैं, अगर आप उसको पी लेना चाहते हैं, अगर आप उसका हिस्सा बनना चाहते हैं, तो चाहे भाषा उस संस्कृति को प्रवाहित करती हो या नहीं-- और यह संशयात्मक लगता है-- अगर उस संस्कृति को अंतर्ग्रहण करना है, तो आपको किसी हद तक तो उस भाषा का संचालन करना पड़ेगा, जिसमे वह संस्कृति संचालित की जाती है। इसका कोई दूसरा उपाय नहीं है। इसका एक दिलचस्प चित्रण है। मुझे थोड़ा अस्पष्ट रूप से बात करनी पड़ेगी, पर आपको उसको ज़रूर खोजना चाहिए। एक कनाडाई चलचित्र निर्देशक, डेनी आर्कों, द्वारा बनाया गया एक चलचित्र, अंग्रेज़ी में आप इसको पढ़ेंगे, "डेनिस आरकैण्ड", अगर आप उनको खोजना चाहते हों। उन्होंने एक चलचित्र बनाया था, "मोंट्रियाल का यीशु।" और उसमे बहुत सारे पात्र जीवन्त, हास्यजनक, जोशीली, दिलचस्प फ़्रांसिसी-कनाडाई, फ़्रांसिसी भाषी स्त्रियां हैं। उसमे अन्त के समय एक दृश्य है, जिसमे उनको एक मित्र को एक अंग्रेज़ी भाषी चिकित्सालय ले जाना होता है। चिकित्सालय में, उनको अंग्रेज़ी बोलनी है। अब, वो अंग्रेज़ी बोलते हैं, पर वह उनकी मातृ भाषा नहीं है, वो अंग्रेज़ी नहीं बोलना चाहते। और वो उसको धीरे-धीरे भी बोलते हैं, उनका उच्चारण भिन्न है, उनको उसके हाव-भाव नहीं आते। अचानक, जिन पात्रों से अभी तक आप प्रेम कर रहे थे, वह अपनी ही याद बन जाते हैं, अपनी ही परछाई बन जाते हैँ। एक संस्कृति के अन्दर जाकर लोगों को केवल ऐसे झीने पर्दे से जानने से, उस संस्कृति को कभी पूर्णतः नहीं समझा जा सकता। और इसलिए अगर केवल कुछ-सौ भाषाएँ ही बचेंगी, उनको सीखने का एक कारण यह है, कि वह ज़रिया हैं, भाग लेने का, उन लोगों की संस्कृति में, जो उसको बोलते हैं केवल इस वजह से, कि वह उनका नियम संग्रह है। तो यह हुआ पहला कारण। दूसरा कारण: यह परिमाणित किया गया है कि अगर आप दो भाषाएँ बोलते हैं, तो आपको मानसिक रोग होने की संभावना कम है, और आप संभवतः अनेक कार्य एक साथ करने में ज़्यादा सक्षम होंगे। और क्योंकि यह तत्व छोटी उम्र में रूप ले लेते हैं, तो यह आपको थोड़ा दृष्टिकोण देगा कि आप अपने पुत्र या पुत्री को दूसरी भाषा कब सिखाएं। द्विभाषावाद स्वस्थ्य के लिए अच्छा है। और फिर तीसरा कारण -- भाषाएँ बहुत ही मज़ेदार होती हैं। उससे कहीं ज़्यादा, जितना हम जानते है। तो उदाहरण के लिए, अरबी: "कटाबा," "उसने लिखा" "याक्टूबू," "वह लिखता है," "वह लिखती है" "उक्टूब," "लिखना". इन सब बातों में कया सामान्य है? इन सब में सामान्य है, बीच में स्तंभों की तरह बैठे हुए व्यंजन। वो स्थिर रहते हैं, और स्वर व्यंजन के आस-पास नाचते हैं। कौन उनका स्वाद नहीं चखना चाहेगा? जो यहूदी भाषा से मिल सकता है, और यही इथियोपिया की मुख्य भाषा, अम्हरी से भी। ये मज़ेदार है। या भाषाओं के भिन्न शब्द क्रम होते हैँ। अन्य शब्द क्रम में बोलना सीखना किसी दुसरे देश में जाकर सड़क की दूसरी तरफ गाड़ी चलाने की तरह है, या उस अनुभूति की तरह जब आप अखरोट के फल को आँखों के पास लगाते हैं और आपको झनझनाहट होती है। एक भाषा आपके साथ ऐसा कर सकती है। तो उदहारण के लिए, "टोपी पहने हुए बिल्ली वापस आती है," एक किताब जिसे मुझे विश्वास है हम सब बार बार पढ़ते हैं, जैसे "मोबी डिक।" उसमे एक मुहावरा है, "क्या तुमको पता है वो मुझे कहाँ मिला? क्या तुमको पता है वो कहाँ था? वो टब में केक खा रहा था, हाँ वो खा रहा था!" ठीक। अब अगर आप इसे मन्दारिन चीनी भाषा में सीखेंगे, तो आपको सीखना होगा, "आप जान सकते हैं, मैंने उसे कहाँ ढूंढा? वो टब के अन्दर ठूंस रहा था केक, कोई भूल नहीं ठूंस रहा था चबा रहा था!" यह कितना अच्छा लगता है। कल्पना कीजिये कि आप यह वर्षों तक कर सकते हों। या फिर, क्या आपने कभी कम्बोडियाई सीखी है? मैंने भी नहीं, लेकिन अगर मैं सीखता तो, मुझे अपने मुख में कुछ १२-१३ स्वरों का स्वाद नहीं मिलता जैसे अंग्रेज़ी से मिलता है, बल्कि अच्छे-खासे ३० भिन्न स्वरों का मिलता, जो एक कंबोडियाई मुख में ऐसे रसते हैं, जैसे छत्ते में मधुनमक्खियाँ। यह है वो, जो भाषा आपको दे सकती है। इस तर्क पर और कहूँ तो, हम एक ऐसे युग में रहते हैं जिससे आसान खुद को दूसरी भाषा सीखना कभी नहीं था। पहले आपको एक कक्षागृह में जाना पड़ता था, और वहां कोई कर्मठ शिक्षक होता था-- कोई प्रतिभावान शिक्षक होता था-- पर वह वहाँ केवल कुछ निश्चित समय पर ही होता था और आपको तब जाना होता था, और वो "तब" ज़्यादातर नहीं होता था। आप एक कक्षा में जाते थे। अगर आपके पास वो नहीं था, तो आपके पास था, रेकॉर्ड। मैंने अपने दाँत काटे हैं उनसे। रेकॉर्ड पर कितनी ही जानकारी होती थी, या एक कैसेट, या फिर वो प्राचीन वस्तु, जिसे सीडी कहते हैं। इनके सिवा आपके पास किताबें थीं जो काम नहीं करती थीं, बस ऐसे ही होता था। आज आप आराम से-- अपनी बैठक की ज़मीन पर लेटकर, बर्बन की चुस्की लेते हुए, खुद को जो भी भाषा सिखाना चाहें, सिखा सकते हैं रोज़ेटा स्टोन जैसे निराले माध्यम से। मैं थोड़ा कम जाने जाने वाले ग्लॉसिका की भी सलाह दूँगा। आप यह कभी भी कर सकते हैं, इसलिए आप इसको ज़्यादा, तथा और बेहतर कर सकते हैं। आप खुद को भिन्न भाषाओँ में सुबह का आनन्द दे सकते हैं। मैं हर रोज़ सुबह भिन्न भाषाओँ में, थोड़ा "डिल्बर्ट" लेता हूँ; यह आपकी कुशलताओं को बढ़ सकता है। २० साल पहले नहीं कर पाता जब यह विचार, कि जो भाषा आप चाहें, वो आपकी जेब में हो, आपके फ़ोन से आती हुई, हर सुविज्ञ व्यक्ति को एक वैज्ञानिक परिकल्पना की तरह लगता। तो मैं आपको हर बार यही सलाह दूँगा कि आप खुद को, जो भाषा मैं बोल रहा हूँ, उसके सिवा और भाषाएँ सिखाएं, क्योंकि ऐसा करने का इससे अच्छा समय पहले कभी नहीं था। यह बहुत मज़ेदार है। यह आपके विचारों को तो नहीं बदलेगा, लेकिन यह निश्चित रूप से आपके होश उड़ा देगा। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। (वाहवाही) यह पिछले वर्ष अप्रैल की बात है। मैं एक शाम मित्रों के साथ गयी थी उनमे से एक का जन्मदिन मनाने। हम लोग कुछ हफ़्तों से नहीं मिले थे; वो एक अच्छी शाम थी, क्योंकि सब एक बार फिर साथ थे। शाम के अन्त पर, मैंने लन्दन के उस पार जाने वाली आख़िरी भूमिगत रेलगाड़ी पकड़ी। मेरा सफर अच्छा था। मैं अपने स्थानीय स्टेशन पहुँची और मैंने घर की ओर १० मिनट चलना शुरू किया। जैसे ही मैंने अपनी गली का मोड़ लिया, मेरा घर मुझे सामने दिख रहा था, मैंने पीछे क़दमों की आहट सुनी जो पता नहीं कहाँ से आ गए और जिनकी गति बढ़ती जा रही थी। इससे पहले कि मैं यह समझ पाती कि हो क्या रहा है, एक हाथ ने मेरे मुह को भींच दिया मैं साँस भी नहीं ले पा रही थी, और मेरे पीछे खड़े युवक ने मुझे ज़मीन की ओर घसीटा, मेरे सर को बार-बार फुटपाथ पर मारा जब तक मेरे चेहरे से खून नहीं निकलने लगा, मेरी पीठ और गरदन पर लाथे मरते हुए उसने मुझ पर हमला करना शुरू किया, मेरे कपड़े फाड़ कर मुँह बन्द रखने के लिए कहा, जब मैंने मदद के लिए चीखने का संघर्ष किया। मेरे सर की ठोस ज़मीन के साथ हुई हर टक्कर पर एक प्रश्न मेरे दिमाग में गूँज रहा था जो मुझे आज तक डराता है: "क्या यही अन्त है?" मुझे तो यह पता भी नहीं था, कि मेरा पूरे रास्ते पीछा हुआ था उस पल से जब मैं स्टेशन से निकली थी। और घंटों बाद, मैं निर्वस्त्र, पुलिस के सामने खड़ी थी, मेरे निर्वस्त्र तन पर लगे घावों की फोटो खींचवाते हुए अदालती प्रमाण के लिये। हाँ हैं कुछ शब्द उन गहरी भावनाओं का वर्णन करने के लिए, उस आलोचना, अपमान, अशान्ति और अन्याय की, जिन में मैं डूबी हुई थी उस क्षण में और आने वाले कई हफ़्तों में। लेकिन इन भावनाओं को कम करने की चाह में, ऐसी व्यवस्था में लाने के लिए जिसमें मैं आगे बढ़ूँ, मैंने वो करना तय किया जो मुझे प्राकृतिक लगा मैंने उसके बारे में लिखा। यह एक शुद्धिकरण की तरह आरम्भ हुई। मैंने अपने हमलावर को एक पत्र लिखा, उसका मानवीकरण "तुम" से करते हुए, उसको उसी समुदाय से उसकी पहचान देते हुए जिसका वो हिस्सा था जिसका उसने क्रूरता से उस रात दुष्प्रयोग किया। उसके कर्म से हुए लहरदार प्रभाव पर ज़ोर डालते हुए, मैंने लिखा: क्या तुमने कभी अपने नज़दीकी लोगों के बारे में सोचा? मैं नहीं जानती तुम्हारे जीवन में कौन लोग हैं। मैं तुम्हारे बारे में कुछ भी नहीं जानती। पर मैं इतना जानती हूँ: उस रात तुमने केवल मुझ पर हमला नहीं किया। मैं एक बेटी हूँ, एक मित्र हूँ, एक बहिन हूँ, एक छात्र हूँ, एक चचेरी बहिन, भान्जी हूँ, एक पड़ोसी हूँ; एक कर्मचारी हूँ जिसने सबको कॉफ़ी परोसी है रेल-मार्ग के नीचे वाले कैफ़े में। और वो सब लोग जो मुझसे यह रिश्ते बनाते हैं उनसे मेरा समुदाय बनता है। और तुमने उस हर एक व्यक्ति पर हमला किया है। तुमने उस सत्य का उल्लंघन किया जिसकी लड़ाई मैं नहीं छोडूँगी और जिसका यह सब लोग प्रतिनिधित्व करते हैं कि विश्व में बुरे लोगो से अनन्त रूप से ज़्यादा, अच्छे लोग हैं।" पर यह एक हादसा मेरे विश्वास को न हिला पाए, इस निश्चय के साथ, मेरे समुदाय की एकजुटता में या पूरी इन्सानियत में, मैंने ७ जुलाई २००५ में लन्दन यातायात पर हुए आतंकवादी बम विस्फोटों को याद किया, और कैसे उस समय लन्दन के मेयर ने, बल्कि मेरे खुद के माता-पिता ने, आग्रह किया था कि हम सब अगले ही दिन ट्यूब (रेल) से सफर करें, ताकि हम उनके द्वारा परिभाषित ना हों जिन्होंने हमें असुरक्षित मेहसूस कराया। मैंने अपने हमलावर को बताया, "तुमने अपना हमला पूरा कर लिया, लेकिन अब मैं अपनी ट्यूब पर वापस जा रही हूँ। मेरा समुदाय अँधेरे में घर चल कर जाते हुए असुरक्षित महसूस नहीं करेगा। हम घर के लिए आखिरी ट्यूब लेंगे, और हम अपनी गलियों में अकेले चलेंगे, क्योंकि हम खुद को इस विचार के आधीन नहीं होने देंगे कि हम ऐसा कर के खुद को खतरे में डाल रहे हैं। हम एक सेना की तरह एक साथ रहेंगे, जब भी हमारे समुदाय के किसी सदस्य को धमकाया जयेगा। और यह एक ऐसी लड़ाई है जो तुम कभी नहीं जीतोगे।" इस पत्र को लिखते समय -- (वाहवाही) धन्यवाद। (वाहवाही) इस पत्र को लिखते समय, मैं ऑक्सफर्ड में परीक्षा के लिए पढ़ती थी और मैं वहाँ के स्थानीय छात्र अख़बार पर काम करती थी। इतनी भाग्यशाली होने के बाद भी, कि मेरे मित्र और परिवार मेरे साथ थे, यह एक अकेलेपन का समय था। मैं किसी को नहीं जानती थी जो ऐसी स्थिति से गुज़रा हो; कम से कम मुझे ऐसा लगता था। मैं खबरें पढ़ती थी, आँकड़े, और यह जानती थी कि यौन उत्पीड़न कितना आम था, फ़िर भी एक ऐसे व्यक्ति का नाम नहीं बता पाती जिसको मैंने इस तरह के अनुभव के बारे में खुल के बोलते हुए सुना हो। तो एक कुछ-कुछ सहेज निर्णय लेते हुए, मैंने अपने पत्र को छात्र अख़बार में प्रकाशित करने का फैसला किया, ऑक्सफ़र्ड में औरों तक पहुँचने की आशा में जिनके साथ कोई समान घटना घटी हो और उन को भी ऐसी ही अनुभूति हो रही हो। पत्र के अन्त में, मैंने औरों को उनके अनुभव बारे में लिखने के लिए कहा हैशटैग "#मैंदोषीनहीं" के साथ, ज़ोर देने के लिए कि उत्पीडन सहे हुए लोग खुद को अभिव्यक्त पाएं, बिना शर्म या अपराध की भावना के अपनी आपबीती बता सकते थे -- दिखाते हुए कि हम सब यौन उत्पीड़न के खिलाफ खड़े हो सकते है मुझे इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं था कि लगभग रातों-रात, यह प्रकाशित पत्र आग की तरह फैल जायेगा। जल्द ही, हम को सैंकड़ों कहानियाँ मिल रही थीं दुनिया भर के स्त्रियों और पुरुषों से, जिन्हें हम मेरी बनायी हुई वेबसाइट पर प्रकाशित करने लगे। और वह हैशटैग एक आन्दोलन बन गया। एक ४० से ऊपर की उम्र वाली ऑस्ट्रेलियाई माँ थीं जिन्होंने बताया कि कैसे एक शाम, उन का स्नानघर की ओर पीछा किया एक पुरुष ने जो बार बार उनकी ऊसन्धि को पकड़ता रहा। एक पुरुष था नीदरलैंड में जिसने बताया कैसे लन्दन यात्रा पर उसका भेंट-बलात्कार हुआ और उसने जिसको भी यह घटना बताई, किसी ने उसे सच नहीं माना। मुझे भारत और दक्षिण अमेरिका से लोगों के व्यक्तिगत फेसबुक सन्देश आये, पूछते हुए कि इस आन्दोंलन का सन्देश वहाँ कैसे ला सकते हैं? हमें पहला योगदान एक "निक्की" नाम की महिला से मिला, जिसने बताया कि बचपन में उसके पिता ने ही उसका यौन शोषण किया। और मेरे मित्र मुझे बताने लगे ऐसी घटनाओं के बारे में जो उनके साथ पिछले सप्ताह से लेकर वर्षों पहले हुई थीं, जिनके बारे में मुझे कुछ पता ही नहीं था। और जितने ज़्यादा हमें ऐसे सन्देश मिलने लगे, उतने ही ज़्यादा हमें आशा भरे सन्देश भी मिले -- लोग सशक्त महसूस कर रहे थे इन आवाज़ों के समुदाय से जो यौन शोषण व पीड़ित को दोष देने के खिलाफ खड़ी हो रही थीं। एक ओलिविया नाम की महिला ने, यह बताने के बाद कि कैसे उसका शोषण किया एक ऐसे व्यक्ति ने जिसकी वह बहुत समय से परवाह करती थी, लिखा, "मैंने यहाँ लिखी बहुत कहानियाँ पढ़ी हैं, और मैं आशावान हूँ कि अगर इतनी सारी स्त्रियाँ आगे बढ़ सकती हैं तो मैं भी बढ़ सकती हूँ। मुझे बहुतों से प्रेरणा मिली और मुझे आशा है कि मैं भी उनके जितनी सबल बनूँ। मुझे यकीन है, बनूँगी।" दुनिया भर के लोग इस हैशटैग के साथ ट्वीट करने लगे, और मेरा पत्र राष्ट्रीय अख़बार ने प्रकाशित किया, उसका दुनिया भर की अन्य कई भाषाओं में अनुवाद भी किया जा रहा था। पर मुझे मीडिया का दिया जा रहा वह महत्व कुछ अलग लगा जिसे यह पत्र आकर्षित कर रहा था। किसी बात को मुख्य-पृष्ठ समाचार बनने के लिए, "समाचार" शब्द ही अपने आप में ऐसा है, कि हम सोचते हैं कि कुछ नया या कुछ अप्रत्याशित होगा। और फ़िर भी यौन उत्पीड़न कोई नयी बात नहीं है। और कई प्रकार के अन्याय की तरह यौन उत्पीड़न भी, जनसंचार में हमेशा संवंदित होता है। लेकिन आन्दोलन के ज़रिये, इन अन्यायों को केवल खबर के रूप में अँकित नहीं किया गया, यह प्रत्यक्ष अनुभव थे जिन्होंने वास्तविक लोगों को प्रभावित किया था, जो दूसरों की सुदृढ़ता से वो बना रहे थे, जो चाहिए था लेकिन पहले उनके पास नहीं था: अपनी बात खुल कर कहने का मंच, यह आश्वासन के वो अकेले नहीं थे या जो उनके साथ हुआ उसका दोष देने के लिए और खुल के ऐसी चर्चा करने के लिए, जो इस समस्या के साथ जुड़े कलंक को कम कर सके। इस संवाद में सबसे आगे उनकी आवाज़ें थीं जिन पर ऐसी घटनाओं का सीधा प्रभाव पड़ा था- सामाजिक जनसंचार के पत्रकारों या समीक्षकों की नहीं। और इसलिए यह एक समाचार बन गया था। हम अविश्वसनीय रूप से जुड़े विश्व में रहते हैं, सोशियल मीडिया के तेज़ी से बढ़ने के कारण, जो बेशक सामाजिक बदलाव की आग जलाने के लिए एक बहुत ही अच्छा माध्यम है। लेकिन इससे हम प्रतिक्रियाशील भी होते जा रहे हैं, छोटी-छोटी बातों से लेकर, जैसे, "ओह, मेरी रेल देरी से जाएगी," से लेकर बड़े-बड़े युद्ध, नरसंहार, आतंकवादी हमले जैसे अन्यायों के लिए। किसी भी कष्ट पर प्रतिक्रिया करने के लिए हम सबसे पहले जल्द से जल्द ट्वीट, फेसबुक, हैशटैग करते हैं-- कुछ भी जिससे सबको पता चले कि हमने भी प्रतिक्रिया दी है। इस सामूहिक रूप से प्रतिक्रिया देने में समस्या यह है कि कभी-कभी इसका यह अर्थ भी हो सकता है कि हम कोई जवाब दें ही न, कम से कम उसके बारे में कुछ करने की भावना से तो नहीं। इससे हमें तो अच्छा लग सकता है कि हमने सामूहिक कष्ट या ज़ुल्म के विरुद्ध योगदान दिया, पर इससे असल में कुछ नहीं बदलता। और तो और, कभी-कभी यह उनकी ही आवाज़ कुचल देता है जिनके ऊपर उस अन्याय का सीधा असर पड़ा है, जिनकी ज़रूरतों को सुना जाना चाहिए। चिन्ता की बात यह प्रवृत्ति भी है, कि अन्याय के विरुद्ध कुछ प्रतिक्रियाएँ और दीवारें खड़ी करने की होती हैं, जो तुरन्त दूसरों को दोष देती हैं जटिल समस्यायों के आसान उपाय देने की आशा के साथ। एक छोटे ब्रिटिश अख़बार ने मेरे पत्र को प्रकाशित करके ऐसा शीर्षक लिखा, "ऑक्सफोर्ड छात्रा ने शुरू किया हमलावर को शर्मिंदा करने का ऑनलाइन आन्दोलन।" पर वो तो कभी किसी को शर्मिंदा करने का था ही नहीं वो तो लोगों को बोलने का और दूसरों को सुनने का मौका देने के लिए था। मतभेद पैदा करते ट्विटर ट्रोल ने जल्दी से और भी ज़्यादा अन्याय पैदा किया, मेरे हमलावर की जाती और दर्जे पर टिप्पणी करके, अपनी ही धारणाओं से निमित्त लक्ष्यों के लिए। और कुछ ने तो मुझे एक मनघडंत कहानी रचने का भी दोष दिया यह कहकर कि मैं इससे पूरा करना चाहती हूँ मेरा, "पुरुष-घृणा का नारीवादी लक्ष्य।" (खिलखिलाहट) सच में, है ना? जैसे मैं कहूँगी, "सुनो, मुझे माफ़ करना, मैं नहीं आ पाऊँगी, मैं सारी नर जाती से नफरत करने में व्यस्त हूँ, अपने ३० साल के होने तक।" (खिलखिलाहट) अब, मुझे लगभग पूरा विश्वास है कि यह लोग यह बातें आमने-सामने नहीं बोलेंगे। पर ऐसा लगता है जैसे क्योंकि वो एक पर्दे के पीछे हैं, अपने घर के आराम में, जब सोशियल मीडिया पर हैं, तो लोग भूल जाते हैं कि वो एक सार्वजानिक काम कर रहे हैं, कि अन्य लोग उसको पढ़ेंगे और उससे प्रभावित होंगे। मेरे रेल पर वापस जाने की बात पर फिर से आते हुए, मेरी दूसरी मुख्य चिन्ता उस शोर के बारे में है, जो बढ़ता है हमारे अन्याय के लिए ऑनलाइन जवाबों से कि यह बहुत ही आसानी से हमें प्रभावित व्यक्ति की तरह चित्रित कर सकता है, जिससे हमें हारने की भावना हो सकती है, एक सकारात्मक या बदलाव के मौके को देखने से रोकने वाले मानसिक अवरोध की तरह, एक नकारात्मक घटना के बाद। इस आन्दोलन के शुरू होने के कुछ माह पहले या मेरे साथ यह सब होने से पहले मैं ऑक्सफर्ड में TEDx में गयी थी वहाँ मैंने ज़ेल्डा ला ग्रान्जे को सुना, जो नेल्सन मंडेला की भूतपूर्व निजी सचिव थीं। एक बात उन्होंने बोली जो मेरे साथ रह गयी। उन्होंने मंडेला को अदालत ले जाने का बताया दक्षिणी अफ्रीका रग्बी संघ द्वारा, उनके खेल जगत की जाँच के आदेश देने के बाद। अदालत में, वो दक्षिणी अफ्रीकन रग्बी संघ के वकीलों के पास गए, उनसे हाथ मिलाया और हर एक से उसकी अपनी भाषा में बात की। ज़ेल्डा विरोध करना चाहती थीं, कह कर कि वो उनके आदर के अधिकारी नहीं थे उनके साथ ऐसा अन्याय करने के बाद। वह उनकी तरफ मुड़े और बोले, "तुम्हें कभी शत्रु को युद्ध का मैदान तय करने की अनुमति नहीं देनी चाहिये।" यह शब्द सुनने के समय मुझे अंदाज़ा नहीं था कि क्यों इनका इतना महत्व था, पर मुझे लगा कि थे, और मैंने उन्हें अपने पास एक पुस्तक में लिख लिया। पर मैंने इस कथन के बारे में तब से बहुत सोचा है। बदला, या नफरत की अभिव्यक्ति उनकी तरफ जिन्होंने हमारे साथ अन्याय किया, उस गलत के विरुद्ध मानवीय प्रवृत्ति की तरह लग सकती है, पर हमें इस चक्र से बाहर निकलना पड़ेगा अगर हम अन्याय की नकारात्मक घटनाओं को बदलना चाहते हैं सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन में। अन्यथा करना, शत्रु को युद्ध का मैदान निर्धारित करते रहने देता है, एक दोहरा प्रभाव बनाता है जहाँ जिन्होंने अन्याय सहा, वही प्रभावित बन जाते हैं अपराधी के विरुद्ध खड़े हुए। और जिस तरह हम अपनी रेल पर वापस चले गए, उसी तरह हम अपने सम्बन्धों और समुदायों के माध्यमों को हम हार मान जाने वाली जगह नहीं बनने दे सकते। पर मैं सोशियल मीडिया पर प्रतिक्रिया को हतोत्साहित भी नहीं करना चाहती, क्योंकि मैं #मैंदोषीनहीं आन्दोलन के विकास के लिए, ऋणी हूँ लगभग पूरी तरह सोशियल मीडिया की । पर मैं ज़्यादा संवेदनशील तरीके को बढ़ावा देना चाहती हूँ जिसका प्रयोग अन्याय पर प्रतिक्रिया के लिए हो। शुरुवात के लिए, हमें खुद से दो बातें पूछनी चाहियें। पहली: मुझे इस अन्याय की भावना क्यों होती है? मेरे लिये इसके कई उत्तर थे। किसीने मुझे व मेरे नज़दीकी लोगों को दुख दिया था, इस धारणा के साथ कि उनको उसका उत्तरदायी नहीं माना जायेगा, या जो क्षति की उसे पहचाना नहीं जायेगा। यही नहीं, हज़ारों स्त्री और पुरुष हर रोज़ क्षतिग्रस्त होते हैं यौन उत्पीड़न से, ज़्यादातर चुपचाप। फिर भी, यह आज भी एक ऐसी समस्या है जिसकी हम बाकियों जितनी चर्चा नहीं करते। यह आज भी ऐसी समस्या है जिसका दोष लोग पीड़ित को देते है। दूसरा, खुद को पूछिये: इन कारणों से पहचान करके मैं इन्हें समाप्त कैसे करूँ? हमारे लिए, यह मेरे हमलावर, और कई औरों को उत्तरदायी बनाने से था। जो असर उनके कर्म से हुआ, उसके लिए ज़िम्मेदार ठहराने में। यौन शोषण की समस्या पर खुल कर बातचीत का मौका देने में था, मित्रों, परिवारों, जनसंचार में उस चर्चा को शुरू करने में था, जो बहुत ज़्यादा समय से बन्द थी, ज़ोर देते हुए कि पीड़ित दोष देने में बुरा न माने, जो उनके साथ हुआ उसके लिए। शायद इस समस्या को सुलझाने के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है। लेकिन इस तरह से, हम सोशियल मीडिया का प्रयोग सामाजिक न्याय के साधन जैसे शुरू कर सकते है, शिक्षा के साधन की तरह, संवाद प्रेरित करने के, आधिकारिक लोगों को समस्याओं से अवगत कराने के उन लोगों के माध्यम से जो उससे सीधा प्रभावित हुए हैं। क्योंकि कभी-कभी इन प्रश्नों के उत्तर आसान नहीं होते। बल्कि, बहुत ही कम होते हैं। पर इसका अर्थ फ़िर भी यह नहीं है कि हम इनको संवेदनशील उत्तर न दे सकें। ऐसी स्थितियों में जब आप ये नहीं सोच पा रहे कि आप इस अन्याय के एहसास का अन्त कैसे करें, आप ऐसा ज़रूर सोच सकते हैं, शायद ये नहीं कि आप क्या करें, पर ये कि आप क्या नहीं करें। आप और ज़्यादा दीवारें खड़ी नहीं कर सकते, और ज़्यादा पक्षपात, और नफरत द्वारा अन्याय से लड़ के। आवाज़ उनसे ऊँची नहीं कर सकते जो उस अन्याय से सीधा प्रभावित हुए हैं। और आप अन्याय पर प्रतिक्रिया नहीं कर सकते अगर आप उसे अगले दिन भूल जायेंगे, इसलिए क्योंकि ट्विटर पर बाकी सब आगे बढ़ चुके हैं। कभी-कभी एकदम प्रतिक्रिया न करना ही, सबसे अच्छा कदम है जो हम उठा सकते हैं। क्योंकि हम अन्याय से क्रोधित, दुःखी और उत्तेजित हो सकते हैं, लेकिन सोच-समझ कर प्रतिक्रिया करना ज़रूरी है। हमें लोगों को उत्तरदायी बनाना है, बिना एक ऐसी संस्कृति बनाकर खुद के साथ अन्याय करे जो औरों को शर्मिंदा करने पर जीती हो। हमें यह अन्तर याद रखना है, जो इन्टरनेट पर लोग अकसर भूल जाते हैं, आलोचना और अपमान के बीच का। हम बोलने से पहले सोचना नहीं भूलना है, सिर्फ इसलिए के हमारे सामने एक पर्दा हो सकता है। और जब हम सोशियल मीडिया पर शोर मचाएँ, वो प्रभावित लोगों की ही ज़रूरतों को ना डुबा दे, बल्कि उनकी आवाज़ों को और बढ़ाये, ताकि इन्टरनेट एक ऐसी जगह बने जहाँ आप इसलिए अपवाद न हों, अगर आप किसी ऐसी घटना की बात करते हैं जो आपके साथ सच में हुई हो। यह सब अन्याय से लड़ने के लिए संवेदनशील तरीके वही सिद्धान्त जागृत करते हैं जिन पर इन्टरनेट बना था संपर्क के लिये, सिग्नल के लिये, जुड़ने के लिये यह सारे शब्द जिनका अर्थ लोगों को साथ लाना है, उनको दूर करना नहीं। क्योंकि अगर आप "अन्याय" शब्द को शब्दकोश में खोजेंगे, सज़ा मिलने से पहले, कानून या अदालत के सामने, तो आप यह पाएंगे: "जो सही है उसका संरक्षण।" और मुझे लगता है कि दुनिया में थोड़ी ही चीज़ें है जो ज़्यादा "सही" हैं, लोगों को साथ लाने से, संघो से। और अगर हम सोशियल मीडिया को ऐसा करने दें, तो वह निस्संदेह, न्याय का एक बहुत ही शक्तिशाली रूप प्रदान कर सकता है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। (वाहवाही) मैं एक पेंटर हूँ। मैं बड़े साइज़ में फ़िगरेटिव पेंटिंग करती हूँ, लोगों की तस्वीरें बनाना कुछ इस तरह की। पर आज मैं आपके साथ कुछ पर्सनल बातें साझा करूँगी जिन्होंने मेरे काम और दृष्टिकोण को बदल दिया। ये ऐसा कुछ है जो हम सब झेलते है और मेरी आशा है की मेरे अनुभव किसी के काम आ सकेंगे। मैं अपने बारे में कुछ बताती हूँ, मैं आठ बहन भाइयों में सबसे छोटी हूँ। जी हाँ, मेरे परिवार में आठ बच्चे थे। छः बड़े भाई और एक बहन। और बस यूँ समझ लीजिए कि जब हम छुट्टी में जाते थे, तो बस लेनी पड़ती थी। (ठहाका) मेरी सुपर मम्मी हमें शहर भर में हमारी ड्राइवरी करती थीं। स्कूल के बाद के तमाम कोर्स वग़ैरह के लिए , बस में नहीं। हमारी एक नोर्मल कार भी थी। वो मुझे आर्ट क्लास ले जाती थी, और सिर्फ़ एक और दो क्लास नहीं। जितनी भी आर्ट क्लासें थीं , सब जगह, मेरे 8 से 16 साल तक की उम्र में, क्योंकि मैं बस आर्ट ही करती थी। माँ ने न्यू यॉर्क की एक क्लास मेरे साथ ज्वाइन कर ली थी। और आठ में सबसे छोटा होने का मतलब मुझे कुछ हथकंडे सीखने पड़े। पहला रूल: कभी बड़े भाई को अपनी बेवक़ूफ़ी पकड़ने मत दो। तो मैंने चुप और साफ़ रहना सीख लिया और नियम के हिसाब से चलना और गड़बड़ नहीं करना। मगर जब पेंटिंग की बात आती, तो अपने रूल मैं ख़ुद बनाती थी। वो मेरी अपनी निजी दुनिया थी। 14 की उम्र तक मुझे पता लग गया था कि मुझे आर्टिस्ट बनना है। मैं सोचती थी की वेटर बन कर कमा लूँगी और पेंटिंग करूँगी तो मैं अपनी पेनिंग पर काम करती रही। मैंने एम एफ ए की डिग्री ले ली, और मेरे पहले सोलो शो में, मेरे भाई ने पूछा, "ये पेंटिंग के बग़ल में लाल लाल बिंदियाँ क्या हैं?" और मैं सबसे ज़्यादा हैरान थी। लाल बिंदु का मतलब था कि पेंटिंग बिक गयी थी और मैं अपना ख़र्चा चला सकती थी पेनिंग कर के। मेरे फ़्लैट में बिजली के चार प्लग थे, और मैं अपना माइक्रोवेव और टोस्टर एक साथ नहीं लगा सकती थी, मगर फिर भी, मैं किराया देने जितना कमा रही थी। तो मैं काफ़ी ख़ुश थी। ये एक पेंटिंग है जो मैंने उस समय बनाई थी। मैं इसे बिलकुल असली बनाना चाहती थी। एकदम सटीक और जीवंत। ये काम मुझे एकांत देता था और पूरी तरह मेरे वश में था। तब से, लोगों की पानी में तस्वीरें बनाने को मैंने अपना करियर बना लिया। बाथटब और फ़व्वारे बिलकुल परिभाषित माहौल देते हैं। एकांत और निजी, और पानी पेंट करना ऐसी जटिल चुनौती थी जिस में मैं एक दशक डूबी रही। मैंने क़रीब दो सौ ऐसी पेंटिंग बनाईं, कुछ तो 6 से 8 फ़ीट लम्बी, जैसे की ये। इस पेंटिंग के लिए मैंने पानी में आटा घोल कर उसे धुँधला बनाया और फिर इस के सतह पर तेल मल कर उस में इस लड़की को लगा दिया, और जब मैंने उस पर रोशनी डाली, तो वो इतना ख़ूबसूरत था की उसे पेंट किए बिना रहा नहीं गया। मैं इस तरह की बेचैन सी जिज्ञासा से भारी थी, हमेशा कुछ नया जोड़ने की कोशिश करती हुई: विनाइल, भाप, शीशा। एक बार मैंने अपने पूरे सर और बालों में वैसलीन लगा ली बस जानने के लिए की कैसा दिखेगा। आप मत करिएगा। (ठहाका) तो सब सही चल रहा था। मैं अपने रास्ते खोज रही थे। मैं उत्सुक थी, उत्साहित थी। और आर्टिस्ट लोगों से घिरी हुई थी, हमेशा नए इवेंट और ओपनिंग में मौजूद। थोड़ी सफलता और शोहरत भी मिलने लगी थी। और मेरे नए घर में चार से ज़्यादा बिजली के प्लग भी थे। मेरी माँ और में देर रात तक जाग कर अपने नए प्रयोगों पर एक दूसरे को बढ़ावा देते रहते थे। वो मिट्टी के बर्तन बनाती थीं । मेरे दोस्त बो ने ये पेंटिंग बनायी थी अपनी पत्नी और मेरे समंदर किनारे नाचते हुए, और वो इसे कहता था "द लाइट इयर्स"। मैंने पूछा की इस का क्या अर्थ हुआ, और उस ने कहा, "देखो, जब हम बड़े होते हैं, तो बचपन पीछे छूट जाता है, मगर तुम ने अपनी ज़िम्मेदारियों के बीच भी उसे जीवित रखा है।" बस, यही मतलब था द लाइट इयर्स का। 8 अक्टूबर 2011 को, द लाइट इयर्स का अंत हो गया। मेरे माँ को फेफड़े का कैंसर निकला। वो उनकी हड्डियों और दिमाग़ तक फैल चुका था। जब उन्होंने मुझे बताया, तो मैं गिर गयी। मेरी दुनिया ख़त्म हो गयी। और जब मैं संभली और उन्हें देखा, तो लगा की मेरा दुःख बहुत छोटा था। यहाँ मुद्दा माँ के मदद करने का था। मेरे पिता डॉक्टर हैं, और उनकी वजह से हमें बहुत सहारा मिला, और उन्होंने बड़े बहतरीन तरीक़े से माँ का ख़याल रखा। पर मैं भी जो बन पड़े, करना चाहती थी, तो मैंने सब कुछ करने लगी। हम सब करने लगे। वैकल्पिक दवाई रिसर्च करी, खानपान, ऐक्यूपंक्चर। आख़िर मैंने उन से पूछा, "तुम चाहती हो कि मैं ये करूँ?" और उन्होंने कहा, "न।" उन्होंने कहा, "अपनी ताक़त बचा के रखो। आगे ज़रूरत होगी।" उन्हें पता था की क्या हो रहा है उन्हें वो पता था जो डाक्टरों और विशेषज्ञों और इंटर्नेट को भी नहीं पता था: की वो इस से कैसे गुज़रना चाहती थी। बस उनसे पूछने भर की देर थी और मुझे समझ आया कि सब ठीक करने में तो मैं ये चूक जाऊँगी। तो मैंने बस उनके साथ समय बिताना शुरू किया, चाहे जैसे भी हो, चाहे जैसी भी स्थिति आए, बस उनकी बात सुनना शुरू किया। जहाँ मैं पहले बहस में लगी थी, अब बस समर्पण कर चुकी थी, होनी को बदलने की जद्दोजहद को छोड़ कर बस उनके साथ रहने को तैयार हो कर। जैसे समय की गति ही धीमी हो गयी थी, दिन, तारीख सब बेमानी हो गए थे। हमने एक दिनचर्या बना ली थी। हर सुबह मैं उनके बिस्तर में घुस कर चिपक कर सो जाती थी। मेरा भाई नाश्ते के लिए आ जाता था और हमें उसके कार की आवाज़ सुन कर बहुत अच्छा लगता था। और में उन्हें उठा कर, उनके दोनो हाथ थाम कर उन्हें रसोई तक ले जाती थी। उन्हें ख़ुद के बनाए बड़े से मग में कॉफ़ी पीना बड़ा अच्छा लगता था, और आइरिश सोडा ब्रेड उन्हें पसंद थी। फिर वो स्नान करती थीं, उन्हें बहुत अच्छा लगता था। उन्हें गरम पानी पसंद था, और में इसे जितना अच्छा हो सके, कर देती थी, एक स्पा जैसा। कभी कभी मेरी बहन भी मदद करती थी। हम गरम किए तौलिए और चप्पलें तैयार रखते थे जिस से एक सेकेंड भी उन्हें ठंड न लगे। हम उनके बाल सुखाते थे। मेरे भाई शाम को अपने बच्चों के साथ आ जाते थे, और वो दिन का सबसे ख़ास हिस्सा होता था। धीरे धीरे, वहील चेअर का इस्तेमाल होने लगा, और उनकी भूख मिट गयी, तो बहुत ही छोटे छोटे कपों में काफ़ी पीने लगीं। और अब मैं उनका ध्यान नहीं रख पाती थी, तो हमने नहाने में मदद करने के लिए किसी को रखा। ये दिनचर्या हमारे लिए ज़रूरी पूजा जैसी हो गयी, और हम दिन पर दिन इसे करते रहे जैसे जैसे कैन्सर बढ़ा। ये बहुत कठिन और नम्र कर देने वाला अनुभव था, और बिलकुल वैसा था जैसा हम चाहते थे। हम इसे "सुंदर कठिनाई" कहते थे। वो अक्टूबर 26 2012 को चल बसीं। कैन्सर पता लगने के 1 साल और 3 हफ़्ते बाद। वो बस चली गयीं। मेरे भाई, बहन, पिता और मैं एक दूसरे को सहारा देने के लिए साथ आए। मानो हमारे पुराने रिश्ते और रोल हवा हो गए और हम बस इस अनजान जगह साथ थे, एक सी चीज़ को महसूस करते और एक दूसरे का ख़याल रखते। मैं उनकी बहुत शुक्रगुज़ार हूँ। मैं अकेले स्टूडीओ में काम करते हुए अपना समय बिताती हूँ, मुझे अंदाज़ा ही नहीं था की ऐसे जुड़ना इतना ज़रूरी और इतना सहारा दे सकता है। ये सब से महत्वपूर्ण बात थी। मैंने हमेशा यही तो चाहा था। तो अंत्येष्टि के बाद, मुझे वापस अपने स्टूडीओ जाना था। मैंने अपना समान कार में भरा और ब्रुकलिन चली गयी, क्यूँकि मैं पेंटिंग ही जानती थी, मैं उसमें जुट गयी। और फिर कुछ अलग ही हुआ। जैसे अपने भीतर भारी चीज़ों को आज़ादी मिल गयी हो। वो सुरक्षित, सम्हाल के सब करने वाला तारिक जिस से मैं अपना सारा काम करती थी, वो सब झूठ था, वो काम ही नहीं आया। और मुझे डर गयी - अब मेरा पेंट करने का मन ही नहीं करता था। तो मैं जंगलों में चली गयी। मैंने सोचा, बाहर निकालने की कोशिश करते हैं, मैंने अपने पेंट लिए, और मैं प्रकृति चित्र नहीं बनाती थी, और किसी ख़ास विधा में तो बिलकुल नहीं बनाती थी, तो ना कोई लगाव था, ना कोई आशा, और मैं खुल कर पेंट करने लगी। मैंने एक पानी वाली पेंटिंग को रात भर बाहर छोड़ दिया। जंगल में एक रोशनी के बग़ल में। सुबह तक इसमें तमाम कीड़े चिपक गए थे। मगर मुझे फ़र्क़ नहीं पड़ा। किसी बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। उन सब पेंटिंग को स्टूडीओ ले जा के, उन्हें घिसा, उनमे छेद किए, उनपे थिनर उँडेल दिया, और पेंट लगाया, उनके ऊपर और बनाया, कही कोई प्लान नहीं था, मगर मैं देख रही थी की कुछ हो रहा था। ये वो कीड़े वाली पेंटिंग है। मैं कोई असल जगह बनाने की कोशिश में नहीं थी। इनकी उथलपथल और गड़बड़ियाँ मुझे आकर्षित करते थे, और कुछ नया सा घटना शुरू हुआ गया। मैं फिर से जिज्ञासु हो उठी। ये जंगलों में बनायी एक और पेंटिंग है। बस एक कमी थी, की मेरे रंग अब मेरे बस में नहीं रह गए थे। बस अपने आप सब होता चलता था, ना समझना ना बताना। और वही अस्तव्यस्त उबाल भरी हलचल एक कहानी कह रही थी। मैं अपने विद्यार्थी जीवन जितनी उत्सुक और जिज्ञासु हो गयी थी। और फिर में इन पेंटिंगो में लोगों को डालने लगी, और मुझे ये नया परिवेश बहुत अच्छा लगा मैं लोगों को और इस परिवेश दोनो को मिलना चाहती थी। जब मुझे समझ आया की ये कैसे करना है, तो मैं बिलकुल पसर से गयी, शायद अड्रेनलिन के वजह से, मगर मेरे लिए वो बढ़िया लक्षण था। तो अब मैं आपको दिखाना चाहती हूँ की मैं क्या करती रही हूँ। अभी तक इसे किसी ने नहीं देखा है, समझ लीजिए, ख़ास झलक है, मेरे अगले शो की, अब तक इतना हो चुका है। विशाल जगह अलग थलग बाथटब की जगह। बाहर की ओर जाना, अंदर बंद होने के बजाय। कंट्रोल छोड़ना, गड़बड़ को एकाकार करना, इजाज़त देना -- कि खोट होती है तो हो जाए। और उन्हीं त्रुटियों में, एक नाज़ुकपन का एहसास निकालना। मैं अपने अंदर की गहरी भावनाओं तक पहुँच सकी, उस इंसानी जुड़ाव तक जो तब ही हो सकता है जब पूरी तरह से आज़ाद हो कर जुड़ा जाए। अपनी पेंटिंग में वही लाना चाहती हूँ। तो मैंने ये सीखा कि --- हम अब अपने जीवन में बड़ी त्रासदियों से गुज़रेंगे, शायद नौकरी, करियर, रिश्ते, प्यार, जवानी से जुड़े। हम बीमार हो जाएँगे, हम अपनो को खो देंगे। इस तरह के नुक़सान हमारे वश के बाहर हैं। ये कभी भी हो सकते हैं, और ये हमें तोड़ डालते हैं। तो मैं कहती हूँ , तोड़ने दो। गिर जाओ। अपनी क्षणभंगुरता का सामना करो। उसे रोकने की नाकाम कोशिश से आगे जाओ उसे बदलने में मत उलझो। ऐसा बस होता है। और तब वो जगह मिलेगी, और उस जगह में अपनी कमज़ोरी से सामना होगा, वो मिलेगा जो आपके लिए सबसे ज़रूरी होगा, आपका सबसे गहरा ध्येय। और उस से जुड़ने के लिए उत्सुक जो वहाँ है, जागता और जीता। हम सब वही खोज रहे हैं। आइए कुछ ख़ूबसूरत सा ढूँढे इस दुनिया में - जो अनजान, अप्रत्याशित, बल्कि बदसूरत भी है। धन्यवाद। (तालियाँ) मै एक प्रयोग के साथ शुरुवात करना चाहता हूँ। बरसात के दिन के तीन चलचित्र दिखाता हु। लिकिन मैं उन तीनों में से एक वीडियो में बारिश की आवाज की बदले मांस तलनेकी की आवाज जोड़ दी । इसलिए मै चाहता हूँ कि आप ध्यान से तलनेकी आवाज को पहचाने। (बारिश की आवाज) (बारिश की आवाज) (बारिश की आवाज) ठीक है. असल में, मैंने झूठ कहा था। वे सभी मास के टुकड़े हैं। (उन्हें सिजलते है) (तालियाँ) मेरा मतलब आपको इसके लिए ललचाना नहीं है। हर बार जब आप बारिश को देखेते है हमारा दिमाग झूठ को सच समजने के लिए तैय्यार रहता हैं। हम यथार्थता तथा सटीकता के बजाय इस विषय के भ्रम को देखते है , ऑस्कर वाइल्ड का कहना है "डिके ऑफ लायिंग ," में वो अपने विचारों को प्रकट करते हैं जो बुरा आर्ट,प्रकृति और यथार्थवादी के नकल है; और जो महत्वपूर्ण आर्ट झूठ और धोखे से उत्पन्न होते है वो सभी सुंदर ,असत्य बातें बताते हैं। जब आप मूवी देख रहे हो उसमें फोन की घंटी बजती है तो सच में घंटी नहीं बजती यह ध्वनि स्टूडियो में निर्माण के समय पर बाद में जोड़ दिया गया है । सभी आवाजें जो आप सुन रहे है वे असलमे नकल किये होते है बातचीत के अलावा, सब कुछ नकली रहते है । जब आप मूवि देख रहे हो उसमें एक चिडिया अपने पंक फडफडा रहा है (पंक फडफडाना) वो सचमें चिडिया का नहीं है। फिर भी यह अधिक रियालिसटिक लगता है, अगर आप चादर का आवाज या रसोई ग्लौव्स हिलाने का आवाज (फ्लैपस) नजदीक में सिगरेट जलने (सिगरेट जलता है) यह वास्तव में अधिक ऑथेन्टिक लगता है आप एक छोटे सरन लपेट गेंद को ऊपर से छोड दे तो (सरन लपेट गेंद को छोडते है) पंच करने का आवाज (विडियो में पंच करते है) ओह,आइये उसे फिर से देखते है, (विडियो में पंच करते है) अक्सर यह एक चाकू को सब्जियों में चिपकने से किया जाता है यूस्वली गोभी में (गोभीको चाकूse bhok diya ) अगलेवाले तो हड्डियाँ तोडने का है (हड्डिया तोडते है) शुक्र है, किसी को भी वास्तव में नुकसान नहीं हुआ था। यह असल में... अजवाइन या फ्रोजन सलाद तोड़ने का आवाज है। (अजवाइन या फ्रोजन सलाद तोड़ते है)) (हंसी) सही आवाज बनाना उतना आसान नहीं है जितना सुपरमार्केट में सब्जी अनुभाग को ढूंढना। लेकिन यह उस से भी बहुत अधिक जटिल है। आइये इसके भीतर जाकर देखते है कैसे यह ध्वनि प्रभाव का निर्माण होता है। मेरा मनपसंद कहानियों में फ्रेंक सेरफिन के कहानी भी है वह हमारे पुस्तकालय का सहयोगी है, और "ट्रान" और "स्टार ट्रेक्" जैसे फिल्मों के प्रसिद्ध ध्वनि डिजाइनर है। उसने पॅरामाउंट टीम का "हंट फार रेड अक्टोबर" के लिए सर्वोत्तम ध्वनि का आँस्कर जीता. वः टीम में श्यामिल था 90के दशक में आयी इस कोल्ड वार क्लासिक फिल्म के लिए उन्हें एक पनडुब्बीके यंत्र का ध्वनि निर्माण करना था। उसमें एक छोटी सी समस्या थी: वेस्ट हॉलीवुड में उन्हें एक पनडुब्बी भी नहीं मिली । तो उन्होंने ये किया , वे एक दोस्त के स्विमिंग पूल गये, फ्रेंक केननबाल या बोमबा प्रदर्शन किये। पानी के अंदर एक माइक रखा स्विमिंग पूल के बाहर पानी के ऊपर भी और एक माइक रखा तो अब सुनिये पानीमे माईक का ध्वनी (पानी के नीचे आवाज) ऊपरि माइक के आवाजसे इस तरह ध्वनी निकलेगा: (पानी की बौछार) (पानी की निचले सुरमे बौछार) और फिर वे कई उच्च आवृत्तियों को हटाये। (कम सप्तक पर पानी का बौछार ) और उच्च आवृत्तियों को हटाया। (पानी की बौछार) इस ध्वनी केसप्तक को निचले स्वर में ले आये (निम्न सुरमे पानी का बौछार ) और वे कुछ और पानी का छप-छप को ऊपरौ मैक से मिला दिया। (पानी की छप-छप) और बार-बार इसी प्रासस को दोहराने से वे इस ध्वनि को पाये। (प्रोपलर घूमने का आवाज) तो, रचनात्मकता और टेक्नालजी एक साथ उपयोग करके पनडुब्बी के अन्दर में रहने का भ्रम पैदा किये । अगर आप एक बार अपने ध्वनि को बना लिये और उन्हें इमेज के साथ समन्वयित किये है तो कहानी की दुनिया में आप उन ध्वनियों सदा जीना चाहते हैं। ऐसा करने के लिए एक अच्छा तरीका है उन्हें रिवर्ब से मिलाना यह पहली ऑडियो उपकरण है जिसके बारे में मैं बात करना चाहता हूँ। मूल ध्वनि समाप्त होने के बाद गूंज, या रिवर्ब ही इस भ्रम ध्वनि की दृढ़ता है। यह तो ध्वनि का चारों तरफ का सभी सामग्री,वस्तुओं और दीवारों के प्रतिबिंब है। उदाहरण के लिए, बंदूक की गोली की आवाज़ को ले लीजिए। मूल ध्वनि आधे सेकंद से भी कम है। (गोली का ठप्पा) रिवर्ब याने प्रतिध्वनी से मिलाकर उसे बाथरूम के अंदर रेकार्ड किया गया जैसा बना सकते है। (गोली का ठप्पा बाथरूम के अंदर रिवर्ब हो रहा है) या चैपल या चर्च के अंदर रिकार्ड किया गया जैसा। (गोली का ठप्पा चर्च में रिवर्ब हो रहा है) या एक घाटी में। (गोली का ठप्पा रिवर्ब मी रिवर्ब हमें श्रोता और ध्वनि स्त्रोत के बीच की दूरि के बारे में सारी खबर की जानकारी देता है। उस ध्वनी को एक गंध रहाता है। तो रिवर्ब ध्वनी बहुत कूच कर सकता। रिवर्ब और भी ज्यादा प्रभावी हो सकता है। आन-स्क्रीन में किया गया रिवर्बरेशन से कम रिवर्बरेशन ध्वनि को सुनेंगे तो तुरंत हमें लग रहा है हम किसी समीक्षक को सुन रहे है, जो आन स्क्रीन में भाग नहीं लिए है। इसके अलावा, इमोशनल सिनेमा में अंतरंग क्षण का ध्वनि को अक्सर रिवर्ब के बगैर सुना रहे हैं, तब हमें लगेगा कि कोई हमारे कान के अंदर बोल रहे हैं। अब दूसरी तरफ से ध्वनि को ढेर सारे रिवर्ब के साथ मिलाने पर हमें लगेगा कि हम एक फ्लाशबेक सुन रहे है, या शायद हम उस केरक्टर के साथ है या हम भगवान का आवाज सुन रहे है। या उस्से भी ज्यादा मारगन फ्रीमेन (हँसी) तालीया (तालियाँ) अब साउंड डिजाइनर क्या अन्य उपकरण या भाड़े उपयोग करते है उसे देखेंगे, वैसे, यहाँ सचमुच एक खास बात को उपयोग करते है। वो है खामोशी। खामोशी के कुछ पल हमें ध्यान करने में मजबूृर कर रही है। और पश्चिमी दुनिया में, हम मौखिक खामोशी को इस्तमाल नहीं करते। वे अजीब या अशिष्ट विचार माने जा रहे हैं। तो वेरबल कमयूनिकेशन के पहले का खामोशी बहुत तनाव पैदा कर सकती हैं। आप असली हालिवुड फिल्म को इमेजिन कीजिये बहुत सारे विस्फोट और आटोमेटिक बंदूकों के आवाज होंगे। ऊँचे स्वर को कुछ देर के लिए बंद करके फिर से प्ले करे तो और जोरदार होगा। इसलिए यिन यांग तरह में, खामोशी को ऊँचे स्वर चाहिए और ऊँचे स्वर को खामोशी दोनों एक दूस्रे को प्रभावित करते है। मगर खामोशी का अर्थ क्या है? खामोशी को कैसे फिल्म में इस्तेमाल किया है उसपर निर्भर करता है। खामोशी हमें एक चरित्र के साथ जगह कर सकते हैं या हमारी सोच को भड़का सकते है। हम अकसर खामोशी का अनुभव चिंतन, गहरा चिंतन , गहरी सोच में कर रहे है। लेकिन एक अर्थ होने के अलावा, खामोशी एक खाली पृष्ठ भूमी बन जाती है जिस पर दर्शक अपने स्वयं के विचारों को चितारने लगता है। मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि खामोशी से बढकर ऐसी कोई चीज नहीं है। और मैं जानता हूँ कि यह आपके लिए सबसे कपटी टेड टॉक बयान लगेगा। अगर भले ही आप शून्य गूंज के कमरे में प्रवेश कर रहे हो और उसमें बाहरी आवाज बिलकुम नहीं है, तो भी आप अपने ही खून के सक्षम को सुनेंगे। सिनेमा में, खामोशी एक पल भर के लिए भी नहीं है क्योंकि प्रोजेक्टर का आवाज तो निकलेगी ना। आजकी इस डॉल्बी दुनिया में चारों तरफ ढूंढेंगे तो कहीं भी खामोशि नजर नहीं आयेगी। सभी में कुछ न कुछ आवाज है। अब, खामोशी जैसी कोई बात नहीं तो, फिल्म निर्माते और ध्वनी रचनाकार कैसे इसका इस्तेमाल करेंगे ? वैसे, वे अक्सर एक पर्याय के रूप में एम्बियंस का उपयोग करेंगे। एम्बियंस पृष्ट भूमी ध्वनी होते है जो कि स्थान का द्न्याँ करते हैं । प्रत्येक स्थान का अद्वितीय ध्वनि होता है, और प्रत्येक कमरे का युनिक ध्वनि है, जिसे रूम टोन कहा जाता है। अब सुनिये मोराक्को के बाजार का रेकार्डिंग (आवाज,ताल) और अब न्युयार्क के टैम्स स्कोयर का रिकार्डिंग (ट्राफिक साउंड, गाडी का हार्न, आवाज) कमरे के अंदर का सभी आवाजों का जोड ही रूम टोन है: जैसे वेंटिलेशन का, ताप का, फ्रिड्ज का इधर ब्रूक्लिन में मेरा अपार्टमेंट का रिकार्डिंग सुनिये। (वेंटिलेशन, बाइलर, फ्रिड्ज और सडक का ट्राफिक आदि के साउंड सुन सकते है) एम्बियन्स सबसे मौलिक ढंग से काम करते हैं। वे सबकान्शियलि हमारे मस्तिष्क से सीधे बात कर सकते है। आपके खिडकी के बाहर चिडियों का चहकना सामान्य संकेत हो सकता है, शायद इसलिए, एक प्रजाति के रूप में, दस लाख सालसे हम इस आवाज सुने आ रहे है (चिडियों का चहकना) दूसरी ओर, औद्योगिक आवाज़ को फिलहाल कुछ ही समय से पहले ही हम जानते है। यहाँ तक कि मुझे वो व्यक्तिगत रूप से वास्तव में पसंद है-- मेरा मनपसंद हौरों डेविड लिंच और उनका साउंड डिजाइनर आलन स्पलेट भी उन्हें इस्तेमाल किये है-- औद्योगिक आवाज़ अक्सर नकारात्मक अर्थ लाते हैं। (औद्योगिक आवाज़) , ध्वनि प्रभाव भावनिक स्मुतिको जागृत करते हैं। कभी कभी, वे कि वे फिल्म में महत्वके पात्र बनते है र्जन की आवाज दैवी हस्तक्षेप या क्रोध का संकेत हो सकता है। गर्जना चर्च की घंटी हमें गुजरा समय दिखाती है या शायद हमारी मृत्यु को। गर्जन और कांच टूटने से एक रिश्ते के अंत का संकेत या दोस्ती टूट जाने का संकेत होता है। (कांच के टूट जाने की आवाज) वैज्ञानिकों का मानना है कि कर्कश ध्विनयों, उदाहरण के लिए, पीतल या हवा के उपहरण बहुत जोर से प्ले किये गये तो, प्रकृति में पशुओं के चिल्लाहट की याद दिला सकते हैं जिस्से जलन या भय की भावना पैदा होता है। ( पीतल और हवा के उपहरण के बजने की आवाज) अब तक हम आन-स्करीन साउंडस् के बारे में ही बात कर रहे थे। कभी कभी हम कुछ ध्वनियों के सोर्स को नहीं पहचान पाते । उसे ही हम आफ स्करीन साउंडस् कहते है, या "अकौस्मेटिक"। अकौस्मेटिक ध्वनियों-- खैर, "अकौस्मेटिक" शब्द प्राचीन ग्रीस के पाइथागोरस से आता है, जिन्होंने घूंघट या पर्दा के पीछे रहकर खुद को प्रकट किये बिना ही अपने शिष्यों को सिखाते थे। मुझे लगता है कि गणितज्ञ और दार्शनिक पाइथागोरस नेइस तरह सोचा होगा की शिष्य आवाज पर ध्यान देने से अधिक, उनको उन्के शब्दों और अर्थों पर ध्यान दे तो विजार्ड आफ ओज की तरह, या"1984" बिग ब्रदर की तरह, अपने मूल से आवाज को अलग करने से, कारण और प्रभाव को अलग करने से सर्वव्यापकता की भावना पैदा करता है , और अधिकार को भी। अकौस्मेटिक ध्वनि की एक मजबूत परंपरा है। रोम और वेनिस में मठों में मठवासिनों कमरे में, छत के करीब दीर्घाओं में गाते थे, जो हमें आसमान के एन्जल्स की भ्रम पैदा करते है। रिचर्ड वैगनर का मशहूर हिड्डन ऑर्केस्ट्रा जो स्टेज और आँडियन्स के बीच एक गड्ढे में रखा गया था। और मेरे हीरों से एक, मशहूर अपेक्ष ट्विन क्लबों के अंधेरे कोनों में छिपाया गया था। इन सभी विद्वानोको पता था कि मूल को छुपाने से आप गूढता पैदा करते हैं। सिनेमा में यह अधिक से अधिक देखा गया है, हिचकॉक के साथ, और रिडले स्कॉट के"विदेशी" में। ध्वनि की मूल को जाने बिना उसे सुनने से तनाव पैदा कर सकता है। इसके अलावा,निर्देशकों की कुछ दृश्य प्रतिबंध को यह कम कर सकते हैं और शूटिंग के दौरान जो वहाँ नहीं था उसे भी कुछ दिखा सकते हैं। और अगर यह सब तियरिटिकल लगता है तो,. मैं एक छोेेटा सा वीडियो प्ले करना चाहता था। (खिलौना का चीख) (टाइपराइटर का आवाज) (ड्रम्स) (पिंग-पांग) (चाकू की धार तेज की जा रही आवाज) (रिकार्ड खरोंच) (सा काट करने का आवाज) (स्त्री चीखने की आवाज) इससे मैं नयी भाषा का परिचय करना चाहता हूँ। यह हमें एक स्थानसे दुसरे स्थान जाने का अहसास कराती है यह हमारी मनोस्थिति बदल सकते है; गति निर्धारित कर सकती है यह हमें हंसी कर सकते हैं या हमें भयभीत कर सकते हैं। एक व्यक्तिगत स्तर पर,मुझे उस भाषा से कुछ साल पहले प्यार हो गया और उस प्यार को ही मैं अपना प्रोफेशन बना लिया था, हमारे इस साउंड पुस्तकालय काम से, हम उस भाषा की वोकाबलरी को विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं। और उसके जरिए हम ठीक टूल्स को, ध्वनी अभियंता फिल्म बनानेवालों और वीडियो गेम और आप डिजाइनर को पेश करके और भी अच्छा स्टोरीयों बताने में मोहित करने वाले झूट बनाने में मदद करते है। सुनने के लिए धन्यवाद। (तालियाँ) TEDx पर आकर आप हमेशा प्रौद्योगिकी के बारे में सोचते हैं, बदलते हुए विश्व के बारे में, परिवर्तन के बारे में। आप चालकहीन गाड़ी के बारे में सोचते हैं हर कोई आज-कल चालकहीन गाड़ी के बारे में बात कर रहा है, और मुझे चालकहीन गाड़ी का सिद्धान्त बहुत पसंद है, पर मैं जब उसमें बैठता हूँ, मैं चाहता हूँ कि वो बहुत धीरे-धीरे चले, मैं उसके चालनचक्र और ब्रेक तक पहुँच रखना चाहता हूँ, कहीं अगर ज़रूरत पड जाए तो। मुझे आपके बारे में तो नहीं पता, लेकिन मैं तो चालकहीन बस के लिए तैयार नहीं हूँ। मैं चालकहीन विमान के लिए भी तैयार नहीं हूँ। चालकहीन दुनिया के बारे में आप क्या कहेंगे? और यह मैं इसलिए पूछ रहा हूँ क्योंकि हम उसी की ओर प्रगतिशील हैं। ऐसा होना नहीं चाहिए। हम सबसे आगे हैं, अमेरिका बड़ा है, और कार्यभारी है। अमेरिकीकरण और वैश्वीकरण पिछली कुछ पीढ़ियों से एक सामान हो गए हैं। सही? चाहे वह विश्व व्यापार संगठन हो, या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष हो, विश्व बैंक हो, मुद्रा पर हुआ ब्रेटन वुड्स समझौता हो, यह सब अमेरिका की संस्थाएँ थीं, हमारे मूल्य, हमारे मित्र, हमारे मित्र-राष्ट्र, हमारा धन, हमारे मानक। विश्व इस तरीके से काम करता था। तो यह थोड़ा रोचक है, अगर आप यह देखना चाहते हैं कि अमेरिका कैसे सोचता है, तो वो ये रहा। यह हमारी सोच है, कि दुनिया कैसे चलती है। राष्ट्रपति ओबामा लाल गलीचे पर चलते हुए एयर फाॅर्स वन से उतरते हैं, और ये बहुत अच्छा लगता है, बहुत आरामदेह लगता है। मुझे नहीं पता आपमें से कितने लोगों ने पिछले सप्ताह की चीन यात्रा देखी थी, और जी२०। हे भगवान! सच में! है ना? चीन में विश्व के नेताओं की सबसे आवश्यक सभा के लिए हम इस तरह पहुँचे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नीचे खड़ा दुर्वचन बोल रहा था, लाल गलीचे के बिना, विमान के नीचे पूरा जनसंचार और बाकी सब थे। जी२० में बाद में, ये रहे ओबामा। (खिलखिलाहट) प्रणाम जॉर्ज, प्रणाम नॉरमन। ये ऐसे लग रहे हैं जैसे ये कोई मुकाबला करने वाले हैं, है ना? और किया भी। उन्होंने ९० मिनट के लिए सीरिया के बारे में बात की। पुतिन इसके बारे में बात करना चाहता था। वह अधिकारी बनता चला जा रहा है। वही है जो वहाँ कुछ करने की इच्छा रखता है। बहुत ज़्यादा आपसी मेल या विश्वास तो नहीं है, पर ऐसा भी नहीं है कि अमेरिकी उसे बता रहे हों कि करना क्या है। और जब पूरे २० नेता एक साथ मिल रहे हों, तब क्या? और जब ये सारे नेता मंच पर हों, तब अमेरिकन अपने हिस्से का काम करते हैं। ओ-हो! (खिलखिलाहट) शी जिनपिंग ठीक लग रहे हैं। ओंगेला मर्केल, वो हमेशा यही करती हैं, देखिये, वो हमेशा यही करती हैं। पर पुतिन तुर्की राष्ट्रपति एर्डोगन को बता रहा है कि क्या करना है और ओबामा सोच रहे हैं कि वहाँ चल क्या रहा है? देखा आपने? और समस्या यह है, कि जिस दुनिया में हम रहते हैं, वह जी२० नहीं, जी० है, एक ऐसी दुनिया जहाँ कोई भी एक देश या सन्धि वैश्विक नेतृत्व की चुनौतियों का सामना नहीं कर सकते। जी२० से काम नहीं चलता, जी७, हमारे सारे मित्र, वो इतिहास बन चुका है। और वैश्विकिकरण चल रहा है। वस्तुएँ और सेवाएँ और लोग और पूँजी, देशों की सीमाएँ पहले से और भी तेज़ी से पार कर रहे हैं, लेकिन अमेरिकीकरण नहीं कर रहा। तो अगर मैंने आपको यह समझा दिया, तो मैं बाकी समय में दो काम करना चाहता हूँ। मैं पूरे संसार पर इसके असर के बारे में बात करना चाहता हूँ। मैं वो करूँगा। और फ़िर मैं बताना चाहता हूँ कि हम यहाँ अमेरिका और न्यू यॉर्क में इस विषय में क्या सोचते हैं। तो यह असर है क्या? हम यहाँ हैं क्यों? हम यहाँ हैं अमेरिका की वजह से, हमने इराक और अफ़ग़ानिस्तान से ऐसे युद्ध करने में दो लाख करोड़ डॉलर खर्च किये जो असफल रहे। हम ऐसा दोबारा नहीं करना चाहते। हमारे पास बड़ी तादाद में माध्यम और श्रमिक वर्गीय लोग हैं, जिन्हें लगता है कि वैश्वीकरण के वादों से उन्हें कोई फ़ायदा नहीं मिला, तो वो उसका विशेषतः प्रयोग नहीं करना चाहते। और फिर हमारे पास ऊर्जा क्रान्ति है, जिसके लिए हमें पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन या मध्यपूर्व की अब ज़रूरत नही है। हम वो सब यहाँ अमेरिका में बनाते हैं। तो अमेरिका के लोग संसार की सुरक्षा के रक्षक या वैश्विक व्यापार के निर्माता नहीं बनना चाहते। अमेरिका के लोग वैश्विक मूल्यों की जयकार करने वाले भी नहीं बनना चाहते। और फिर आप यूरोप को देखें, जो संसार की सबसे महत्वपूर्ण सन्धि है, वो है ट्रान्सअटलांटिक सम्बन्ध। पर दूसरे विश्व युद्ध से अब तक में इस समय वह सबसे कमज़ोर है, यह सारा संकट और ब्रेक्ज़िट की बातें, फ़्रांसिसी और रूसियों के बीच की जा रही प्रतिरक्षा, या जर्मन और तुर्कियों के बीच, या अंग्रेज़ों और चीनियों के बीच। चीन और नेतृत्व नहीं करना चाहता। चाहता है, लेकिन केवल आर्थिक क्षेत्र में, और वो अपने खुद के मूल्य, मानक और मुद्रा चाहते हैं, अमेरिका के मुकाबले। रूसी और नेतृत्व करना चाहते हैं। जो आप देख सकते हैं यूक्रेन में, बाल्टिक देशों में, मध्यपूर्व में, लेकिन अमेरिका के लोगों के साथ नहीं। वह अपनी खुद की पसन्द और व्यवस्था चाहते हैं। इसीलिए हम वहाँ हैं, जहाँ हैं। तो आगे चल कर होगा क्या? आसान जगह पर शुरुआत करते हैं, मध्यपूर्व में। (खिलखिलाहट) मैंने थोड़ा कम दिखाया है, लेकिन आपको समझ तो आ ही रहा होगा। देखिये, मध्यपूर्व की ऐसी स्थिरता के तीन कारण हैं। है ना? एक तो इसलिए क्योंकि अमेरिका और मित्र-राष्ट्रों में कुछ हद तक सैन्य सुरक्षा प्रदान करने की चाह थी। दूसरा क्योंकि ज़मीन से बहुत सारा पैसा सस्ते में निकालना आसान था, क्योंकि तेल महँगा था। और तिसरा क्योंकि नेता कितने भी बुरे क्यों ना हों, जनता अपेक्षाकृत मौन थी। ना तो उनके पास योग्यता थी और न चाह, उनके विरुद्ध खड़े हो पाने की। पर मैं आपको यह बता सकता हूँ कि एक जी० विश्व में, ये तीनों ही कारण बहुत ज़्यादा दिन सच नहीं रहेंगे, और इसी तरह असफल देश, आतंकवाद, शरणार्थी और बाकी सब भी। तो क्या पूरा मध्यपूर्व बिखर जायेगा? नहीं, समय के साथ कुर्दों का हाल अच्छा होगा, और इराक, इजराइल, ईरान का। पर आम तौर पर बात करें तो यह एक अच्छा नज़ारा नहीं है। अच्छा इस आदमी का क्या होगा? यह एक बुरी पारी को बहुत अच्छे से खेल रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं, कि ये उच्च स्तर का प्रदर्शन कर रहा है। लेकिन लम्बे समय में -- मेरा मतलब वो नहीं था। लेकिन लम्बे समय में, लम्बे समय में, अगर आपको लगता है कि रूसी उनकी सीमा तक अमेरिका और यूरोप के द्वारा नाटो बढ़ाने के कारण विरोधी बने, ये कहने के बाद कि वो नहीं करेंगे, और यूरोप के अतिक्रमण के कारण, तो आप तब तक इंतज़ार कीजिये जब तक चीनी सैंकडों करोड़ डॉलर रूस के आस-पास हर उस देश में नहीं डाल देते जिनमें उनकी पहुँच है। चीनी इसमें सबसे आगे होंगे। रूसी टुकड़े समेट रहे होंगे। एक जी० विश्व में, यह श्री पुतिन के लिए बहुत तनाव भरे १० वर्ष होंगे। यह उतना भी बुरा नहीं है। है ना? एशिया असल में बेहतर दिखता है। एशिया में असली नेता हैं, उनके पास काफी राजनीतिक स्थिरता है। वो अभी वहाँ और रहेंगे। भारत में श्री मोदी, श्री आबे, जिनको सम्भवतः जापान की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी में तीसरी अवधि मिलने वाली है, बेशक शी जिनपिंग, जो अत्यधिक ताकत संगठित कर रहे हैं, माओ के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता। यह एशिया की तीन सबसे महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाएँ हैं। अब देखिये, एशिया में समस्याएँ है। हम दक्षिण चीन सागर पर विवाद देखते हैं। हम देखते हैं की किम जोंग उन ने पिछले कुछ दिनों में ही एक और परमाणु अस्त्र का परिक्षण किया है। लेकिन एशिया के नेताओं को झंडा लहराने की ज़रूरत नहीं महसूस होती, विदेशी लोगों को नापसन्द करने की, आंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक और सीमा पर, तनाव की वृद्धि करने की। वो लम्बे समय में आर्थिक स्थिरता और विकास पर ध्यान केन्द्रित करना चाहते हैं। और वो कर भी वही रहे हैं। अब यूरोप की ओर देखते हैं। यूरोप ऐसे वातावरण में थोड़ा डरा सा दिखता है। मध्यपूर्व में जो हो रहा है वो बहुत कुछ वस्तुतः यूरोप पर असर कर रहा है। चाहे वो ब्रेग्जिट हो या यूरोप के सभी देशों में चल रहा लोकलुभावनवाद पर विवाद। मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि लम्बे समय में, एक जी० विश्व में, यूरोप का विस्तार कुछ ज़्यादा ही लगेगा। यूरोप ऊपर रूस तक चला गया, और नीचे मध्यपूर्व तक, और अगर संसार सच में ज़्यादा समतल और ज़्यादा अमेरिकी बन रहा होता तो यह छोटी समस्या होती, लेकिन एक जी० विश्व में, रूस के और मध्यपूर्व के सबसे पास वाले देशों की आर्थिक सक्षमता असल में भिन्न होंगी, भिन्न सामाजिक स्थिरता होगी और भिन्न राजनितिक पसन्द और व्यवस्था होगी, मूल यूरोप के मुकाबले। तो यूरोप सच में जी७ के अन्दर विस्तार कर पाया, लेकिन जी० के अन्दर यूरोप छोटा होता जायेगा। जर्मनी और फ्रांस और बाकियों के आसपास का मूल यूरोप तब भी काम करेगा, क्रियाशील होगा, स्थिर, धनवान, एकीकृत। लेकिन उसकी परिधि, ग्रीस, तुर्की जैसे बाकी देश, उतने अच्छे बिलकुल नहीं दिखेंगे। लैटिन अमेरिका, जहाँ बहुत लोकलुभावनवाद ने अर्थव्यवस्थाओं को अच्छी तरह चलने नहीं दिया। वो दशकों तक अमेरिका के विरुद्ध थे। लेकिन अब वो बदल रहे हैं। हमने ऐसा अर्जेंटाइन में देखा। हमने ऐसा क्यूबा के खुलेपन में देखा। हम इसे वेनेजुएला में तब देखेंगे जब मादुरो का पतन होगा। हम इसे ब्राज़ील में देखेंगे, दोषारोपण के बाद और जब हम वहाँ अन्ततः एक नया वैध राष्ट्रपति चुने हुए देखेंगे। वह एकमात्र जगह जहाँ आप इसे दूसरी दिशा में चलते हुए देखते हैं, वो मेक्सिकौ के राष्ट्रपति पेना नियतो की अलोकप्रियता में है। उसे शायद आप आने वाले वर्षों में सच में अमेरिका से दूर जाता हुआ देख पाएँ। अमेरिका में हो रहा चुनाव उसके लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। (खिलखिलाहट) अफ्रीका? बहुत लोगों का कहना है कि अन्ततः अफ्रीका का दशक आएगा। एक जी० विश्व में, कुछ अफ़्रीकी देशों के लिए यह पूर्णतः अद्भुद समय है, जिनका शहरीकरण के साथ अच्छी तरह शासन किया जाता है, जहाँ चतुर लोग बहुत हैं, स्त्रियाँ काम पर जा रही हैं, व्यवसाय बढ़ रहा है। लेकिन अफ्रीका के ज़्यादातर देशों के लिये यह ज़्यादा संदिग्ध होगा: चरम जलवायु परिस्थितियाँ, इस्लाम और ईसाई धर्म दोनों की उग्रता, बहुत घटिया शासन, सीमा जिसकी आप रक्षा नहीं कर पाते, मजबूरी में होता अत्यधिक पलायन। ऐसे देश नक़्शे से ख़त्म हो सकते हैं। तो आप सच में चरम सीमा पर पूरे अफ़्रीका में विजेता और पराजितों के बीच होता हुआ अलगाव देखेंगे। अन्ततः, अमेरिका पर वापस आते हैं। हमारे बारे में मेरी क्या सोच है? क्योंकि यहाँ बहुत लोग परेशान हैं, यहाँ टेडएक्स में नहीं, लेकिन अमेरिका में। हे ईश्वर, १५ महीने के प्रचालान के बाद हमें दुख़ी होना भी चाहिए। यह मैं समझता हूँ। पर बहुत लोग परेशान हैं क्योंकि वो कहते हैं, "वॉशिंगटन खंडित है, हमें स्थापन में विश्वास नहीं, हमे जनसंचार पसंद नहीं।" मेरे जैसे वैश्वीकरण को मानने वाले लोग भी इसको बिना शिकायत स्वीकार करते हैं। देखिये, मेरे हिसाब से हमें यह समझना ज़रूरी है, मेरे साथियों, कि जब आपके पीछे भालू पड़ा हो, वैश्विक सन्दर्भ में, तो आपको भालू को पीछे छोड़ने की ज़रूरत नहीं है, आपको सिर्फ अपने साथियों को पीछे छोड़ने की ज़रूरत है। (खिलखिलाहट) तो मैंने अभी-अभी आपको साथियों को पीछे छोड़ने के बारे में बताया। है ना? और उस दृष्टिकोण से हम ठीक दिखते हैं। इस सन्दर्भ में बहुत लोगों का कहना है, "डॉलर में भरोसा रखो, न्यू यॉर्क की ज़मीन जायदाद में भरोसा रखो। अपने बच्चों को अमेरिकी विश्वविद्यालयों में भेजो।" हमारे पड़ोसी बहुत अच्छे हैं: कनाडा, मेक्सिकौ और २ बड़े बड़े जल श्रोत। क्या आपको पता है कि तुर्की कितना खुश होगा ऐसे पड़ोसी पा कर। ये बहुत अच्छे पड़ोसी हैं। अमेरिका में एक समस्या आतंकवाद है। भगवान जानता है कि हमने यहाँ न्यू यॉर्क में उसे बहुत झेला है। लेकिन वो यूरोप में अमेरिका से ज़्यादा बड़ी समस्या है। और यूरोप से भी बड़ी मध्यपूर्व में। यह विशालता के कारक हैं। हमने अभी १०००० सीरियाई शरणार्थी स्वीकार किये, और हम इसकी कड़वी शिकायतें कर रहे हैं। पता है क्यों? क्योंकि वो यहाँ तैर कर नहीं आ सकते। है ना? तुर्की खुश होंगे बस १०००० सीरियाई शरणार्थी ले कर। जोरदान के लोग, जर्मनी के, ब्रिटैन के, है ना? पर ऐसी स्थिति है नहीं। यह अमेरिका की सच्चाई है। अब यह तो काफी अच्छा दिखता है। पर चुनौती यह है, एक जी० विश्व में, आपको उदाहरण से नेतृत्व करना पड़ता है। अगर हम जानते हैं कि हम और ज़्यादा वैश्विक रक्षक नहीं बनना चाहते, अगर हमें पता है कि हम वैश्विक व्यापार के निर्माता नहीं बनेंगे, हम सांसारिक मूल्यों की जयकार नहीं करेंगे, हम वो नहीं करेंगे जो हम करते आये हैं, इक्कीसवी सदी बदल रही है, हमें उदाहरण द्वारा नेतृत्व करना होगा, इतना सम्मोहक होना होगा कि ये सब बाकी लोग फिर भी कहेंगे, ऐसा नही है कि ये सिर्फ तेज़ हैं। अगर भालू इनके पीछे न भी पड़ा हो, तब भी ये अच्छी जगह पर हैं। हम इनका अनुसरण करना चाहते है इस वर्ष की चुनावी प्रक्रिया, उदाहरण द्वारा नेतृत्व करने के लिये एक अच्छा विकल्प सिद्ध नहीं हो रही। हिलेरी क्लिंटन कहती है, कि ९० के दशक जैसा समय आएगा। हम अब भी मूल्यों की जयकार करने वाले बन सकते हैं। हम अब भी वैश्विक व्यापार के निर्माता बन सकते हैं। हम अब भी संसार के रक्षक बन सकते हैं। और डोनाल्ड ट्रम्प हमें वापस ३० के दशक में ले जाना चाहता है। वो कहता है, "मेरा रास्ता स्वीकार करो या भाड़ में जाओ।" है ना? दोनों ही जी० के इस मौलिक सच को नहीं मान रहे, कि चाहे अमेरिका पतन की ओर अग्रसर नहीं है, अमेरिका के लोगों के लिये अपनी इच्छा थोपना कठिन होता जा रहा है, और वैश्विक व्यवस्था पर ज़्यादा प्रभाव डालना भी। क्या हम सच में उदाहरण द्वारा नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं? नवम्बर के बाद इसे ठीक करने के लिये हमें क्या करना होगा, जब अगला राष्ट्रपति अपनी जगह लेगा/लेगी? या तो हम पर कोई ऐसा संकट आये जो हमें प्रतिक्रिया करने पर मजबूर कर दे। आर्थिक मंदी ऐसा कर सकती है। एक और वैश्विक आर्थिक संकट ऐसा कर सकता है। भगवान ना करे, पर एक और ९/११ ऐसा कर सकता है। या फिर, संकट की अनुपस्थिति में, हमें देखना होगा कि खोखली होती हुई असमानता, अमेरिका में बढ़ती हुई चुनौतियाँ, खुद इतने आवश्यक हों, कि वो हमारे नेताओं को बदलने पर मजबूर कर दें, और हम वो आवश्यक आवाज़ें सुनें। अपने मोबाइल फ़ोन के ज़रिये, हमारे पास व्यक्तिगत रूप से वो आवाज़ें हों जो उन्हें बदलने पर मजबूर कर दें। और हाँ, एक तीसरा विकल्प भी है, शायद सबसे उपयुक्त, कि हम उनमे से कुछ भी न करें, और चार वर्ष बाद आप मुझे फिर से बुलाएं, और मैं आपको यही भाषण दोबारा दूँ। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियाँ) नमस्कार। मैं समझ के बारे में बात करना चाहता हूँ, समझ की प्रकृति के बारे में, और समझ के मूल के बारे में, क्योंकि समझ, हम सभी का लक्ष्य है। हम चीज़ों को समझना चाहते हैं। मेरा दावा है कि समझ का सम्बन्ध, अपना दृष्टिकोण बदल पाने की क्षमता से है। अगर आप वो नहीं कर सकते तो आपके पास समझ नहीं है। ये मेरा दावा है। और मैं गणित पर केंद्रित होना चाहता हूँ। हम में बहुत से लोग, गणित को योग, घटान, गुणा, भाग, भिन्न, प्रतिशतता, ज्यामिति, बीजगणित की तरह देखते हैं। पर असल में, मैं गणित के मूल के बारे में भी बात करना चाहता हूँ। और मेरा दावा है कि गणित का सम्बन्ध, आकृतियों से है। मेरे पीछे, आप एक सुन्दर आकृति देख रहे हैं, और यह आकृति केवल वृत्तों को एक विशेष रूप से बनाने से उभरती है। तो गणित की जो परिभाषा मैं आम तौर पर प्रयोग करता हूँ, वो यह है: पहली बात, कि वो आकृतियों को खोजने से सम्बंधित है। और "आकृति" से मेरा तात्पर्य है, एक सम्बन्ध एक संरचना, कोई एकसमानता, कुछ नियम, जो हम जो देखते हैं उसे संचालित करते हैं। दूसरा ये, मेरे हिसाब से उसका सम्बन्ध इन आकृतियों को एक भाषा द्वारा चित्रित करने में है। हमारे पास वो भाषा नहीं होती, तो हम उसे बना लेते हैं, और गणित में ये ज़रूरी है। वो धारणाएँ बनाने, और फिर उनके साथ खेलने से भी सम्बंधित है, सिर्फ ये देखने के लिए कि होता क्या है। हम ये बहुत जल्द करेंगे। और अंततः, वो मज़ेदार चीज़ें करने से सम्बन्धित है। गणित हमें कितना कुछ करने में सक्षम बना देता है। तो आइये, इन आकृतियों को देखते हैं। अगर आपको टाई की गाँठ बाँधनी हो, उसमे आकृतियाँ होती हैं। टाई की गांठों के नाम होते हैं। और आप टाई की गाँठ बाँधने की गणित भी कर सकते हैं। इसे बाएं-बाहर, दाएं-अन्दर, बीच-बाहर और बाँधना है। यह बाएं-अन्दर, दाएं-बाहर, बाएं-अन्दर, बीच-बाहर और बाँधना है। यह भाषा हमने टाई की गांठों की रचनाये के लिए बना ली है। और आधा-विंडसर, ये सब है। यह एक विश्वविद्यालय स्तर की, गणित की पुस्तक है, जो फीते बाँधने के बारे में है क्योंकि फीतों में आकृतियाँ होती हैं। आप इसको कई भिन्न तरीकों से बाँध सकते हैं। इसका विश्लेषण कर सकते हैं। हम इसके लिए भाषाएँ बना सकते हैं। और इसको पूरे गणित में दर्शाया गया है। यह लाईबनेज़ का, १६७५ में किया हुआ अंकन है। उसने प्रकृति की आकृतियों की भाषा का आविष्कार किया। जब हम कुछ हवा में उछालते हैं, तो वो नीचे गिर जाता है। ऐसा क्यों? पक्का तो नहीं पता, लेकिन हम इसको एक आकृति की रूप में, गणित से दर्शा सकते हैं। यह भी एक ढाचा है। यह भी एक आविष्कार की हुई भाषा है। क्या आप बता सकते हैं, किसलिये? यह असल में नृत्य के लिये एक अंकन प्रणाली है, टाप-डान्स के लिये। यह उसको एक नृत्यरचना-कार के रूप में मज़ेदार और नई चीज़ें करने में सक्षम करती है, क्योंकि उसने उसको दर्शाया है। मैं चाहता हूँ कि आप सोचें कि किसी चीज़ को दर्शाना करना कितना अद्भुद होता है। यहाँ जो शब्द लिखा है, वो "गणित" है। पर असल में तो ये सिर्फ कुछ बिंदु ही हैं, है ना? तो ये बिन्दु इस शब्द को आखिर कैसे दर्शा सकते हैं? लेकिन दर्शाते हैं। ये "गणित" शब्द को दर्शाते हैं। और ये चिन्ह भी उसको दर्शाते हैं। और ये, इसे हम सुन सकते हैं। इसकी ध्वनि ऐसी होती है। (ध्वनि) ये ध्वनि भी इस शब्द और इस सिद्धान्त को दर्शाती है। पर ये होता कैसे है? चीज़ों को दर्शाना बहुत अद्भुत होता है। तो मैं उस जादू के बारे में बात करना चाहता हूँ, जो कुछ दर्शाने पर होता है। यहाँ आप सिर्फ अलग-अलग चौड़ाई की रेखाएँ देख रहे हैं। ये एक पुस्तक की संख्या को दर्शाते हैं। और मैं सलाह दूँगा कि आप इस पुस्तक को पढें, ये बहुत अच्छी है। (खिलखिलाहट) मुझ पर भरोसा कीजिये। तो आइये, एक परिक्षण करते हैं, कुछ सीधी रेखाओं के साथ खेलने के लिए। यह एक सीधी रेखा है। चलिये एक और बनाते हैं। तो हम हर बार एक मात्रा नीचे और एक मात्रा आगे बढ़ेंगे, और हम एक नई सीधी रेखा बनाएँगे, ठीक है? और हम ये बार बार करेंगे, और फिर आकृतियाँ खोजेंगे। इससे ये आकृति उभरती है, और ये काफी अच्छी आकृति है। ये एक वक्र की तरह दिखता है, है ना? केवल कुछ सीधी रेखाएँ खींचने से। अब अगर मैं अपना दृष्टिकोण बदल कर, इसे घुमा दूँ, तो अब इस वक्र को देखिये। अब ये किसकी तरह दिखता है? क्या यह एक वृत्त का हिस्सा है? नहीं, यह वृत्त का हिस्सा नहीं है। तो मुझे अपनी खोज जारी रखते हुए, सही आकृति को ढूँढना है। अगर मैं इसकी प्रति बनाकर इससे कोई चित्रकारी करूँ तो? नहीं, ये नहीं। शायद मुझे इन रेखाओं को और लंबा कर देना चाहिए और उसमे आकृति ढूंढनी चाहिए। चलिये और रेखाएँ बनाते हैं। हम ये करते हैं, और फिर इसे दूर करके अपना दृष्टिकोण फिर से बदलते हैं। अब हम सच में ये देख सकते हैं कि जो मात्र सीधी रेखाएँ बनाने से शुरू हुआ था, वो असल में वक्र है जिसे अनुवृत्त कहते हैं। यह एक सुन्दर आकृति है और इसे एक सरल समीकरण से दर्शाते हैं। तो हम ये काम करते हैं। हम आकृतियाँ ढूँढते हैं, और उनको दर्शाते हैं। मुझे लगता है ये एक अच्छी परिभाषा है। पर आज, मैं और थोड़ी गहराई में जा कर ये देखना चाहता हूँ कि इसकी प्रकृति है क्या। ये संभव कैसे होता है? एक बात है जो थोड़ी गहरी है, और उसका सम्बन्ध, अपने दृष्टिकोण को बदल पाने से की क्षमता से है। और मेरा दावा है कि जब आप अपना दृष्टिकोण बदलते हैं, और किसी और नज़रिये से सोचते हैं, तो आप जो देखते या सुनते हैं, उसके बारे में, कुछ नया सीखते हैं। और ये एक बहुत महत्वपूर्ण काम है, जो हम हमेशा करते हैं। तो चलिये, इस सरल समीकरण को देखते हैं, x + x = २ • x यह एक अच्छी आकृति भी है, और सच भी, क्योंकि ५ + ५ = २ • ५, इत्यादि। हमने इसे बहुत बार देखा है, और इसे हम ऐसे दर्शाते हैं। लेकिन गौर कीजिये, ये एक समीकरण है। ये कहता है कोई चीज़, किसी और चीज़ के समान है, और ये दो भिन्न दृष्टिकोण हैं। एक यह, कि ये एक योगफल है। ऐसा कुछ जिसका जोड़ किया हो। और दूसरी तरफ, ये एक गुणन है, और ये दो भिन्न दृष्टिकोण हैं। और मैं तो यहाँ तक कहूँगा कि इस तरह का हर समीकरण, गणित की हर समिका, जहाँ आप समता का चिन्ह प्रयोग करते हैं, वह असल में एक रूपक है। वो दो चीज़ों के बीच समरूपता है। आप बस किसी चीज़ को, दो भिन्न नज़रियों से देख रहे हैं, और आप उसको एक भाषा में व्यक्त कर रहे हैं। इस समिका को देखिये। ये एक बहुत ही सुन्दर समिका है। ये केवल इतना कहती है कि, दो वस्तुएँ हैं, दोनों -१ हैं। बाएं तरफ जो वास्तु है वो -१ है, और दाएं तरफ वाली भी। और ये गणित का बहुत ज़रूरी हिस्सा है, कि आप भिन्न नज़रियों से देखें। तो चलिये इससे खेलते हैं। एक संख्या लेते हैं। हमें चार-तिहाई पता है। हमें पता है चार-तिहाई क्या होता है। वो १.३३३ होता है, लेकिन वो तीन बिन्दु लगाने ज़रूरी हैं, नहीं तो वो पूरा चार-तिहाई नहीं होगा। पर ये केवल १० के आधार में होता है। संख्या पद्धति में हम १० अंक प्रयोग करते हैं। अगर हम इसको बदल कर केवल दो अंकों का प्रयोग करें, उसे बायनरी सिस्टम कहते हैं। उसको ऐसे लिखते हैं। तो अब संख्या पर आते हैं। और संख्या है, चार-तिहाई। हम इसे ऐसे लिख सकते हैं, और हम इसका आधार बदल सकते हैं, अंकों की संख्या बदल सकते हैं, और इसको भिन्न तरह से लिख सकते हैं। तो ये सब एक ही संख्या को भिन्न तरह से दर्शाते हैं। हम इसको केवल ऐसे भी लिख सकते हैं, जैसे १.३ या १.६। ये सब आपके अंकों की संख्या पर निर्भर करता है। या फिर हम बस इसको सरलता से ऐसे लिखें। मुझे ये पसंद है क्योंकि ये कहता है चार तीन से विभाजित। और ये संख्या, दो संख्याओं के सम्बन्ध को व्यक्त करती है। एक तरफ आपके पास चार है, और दूसरी तरफ तीन। और इसकी आप बहुत तरह से कल्पना कर सकते हैं। अब मैं इस संख्या को भिन्न नज़रियों से देख रहा हूँ। मैं इससे खेल रहा हूँ। हम किसी चीज़ को जैसे देखते हैं मै उसके साथ खेल रहा हूँ। और मैं ये सब जान - बूझकर कर रहा हूँ। एक ग्रिड को लेते हैं। अगर ये चार माप आगे, और तीन ऊपर हो, तो इस रेखा का माप पाँच होगा, हमेशा। ऐसा ही होगा। ये एक बहुत सुन्दर आकृति है। चार, तीन और पाँच। और ये आयत, जो ४ x ३ है, इसे आपने बहुत बार देखा होगा। कम्प्यूटर चित्रपट ऐसे माप का होता है। टेलीविजन या कम्प्यूटर का चित्रपट, ८०० x ६०० या १६०० x १२०० होता है। तो ये सब अच्छी तरह दर्शाया गया है, पर मैं थोड़ा और आगे जा कर, इस संख्या से और खेलना चाहता हूँ। यहाँ आप दो वृत्त देख रहे हैं। मैं इनको ऐसे घुमाऊँगा। ऊपर बाएं वाले पर गौर कीजिये। वो थोड़ा ज़्यादा तेज़ चल रहा है, है ना? आप ये देख सकते हैं। वो असल में दूसरे से पूरा चार-तिहाई तेज़ है। जिसका मतलब है कि जब वो ४ चक्कर पूरे करता है, तो दूसरा ३ करता है। अब दो रेखाएँ बनाते हैं, और जहाँ वो मिलती हैं, वहाँ ये बिंदु बना देते हैं। अब हमारा बिंदु नृत्य कर रहा है। (खिलखिलाहट) और ये बिन्दु इस संख्या से आया है। है ना? अब इसकी छाप लेनी चाहिये। इसकी छाप लेकर देखते हैं, क्या होता है। गणित इसी से सम्बंधित है। ये देखने से कि होता क्या है। और चार-तिहाई से ये उभरता है। मैं कहूंगा कि ये चार-तिहाई की छवि है। ये ज़्यादा सुन्दर है। धन्यवाद! (वाहवाही) ये कुछ नया नहीं है। ये बहुत पहले से विदित है, लेकिन -- (खिलखिलाहट) लेकिन चार-तिहाई ये है। चलिये एक और परिक्षण करते हैं। इस बार एक ध्वनि लेते हैं, ये ध्वनि। ये एक उत्तम A है, ४४० हर्ट्ज। इसको दो से गुणा करते हैं। तो हमें ये ध्वनि मिलती है। अगर हम दोनों ध्वनि साथ बजाएँ, तो ऐसा सुनाई देता है। ये एक सप्टक है, है ना? हम ये खेल खेल सकते हैं। हम एक ध्वनि बजाएँ, वही A बजाएँ। उसको ३/२ से गुणा करें। (बीप) इसको सही पाँचवा कहते हैं। (बीप) ये दोनों साथ बहुत अच्छे सुनाई देते हैं। चलिये इस ध्वनि को चार-तिहाई से गुणा करते हैं। अब क्या होगा? आपको ये ध्वनि मिलेगी। ये सही चौथा है। अगर पहला A है, तो ये D है। ये साथ में ऐसे सुनाई पड़ते हैं। ये चार-तिहाई की ध्वनि है। अब मैं क्या कर रहा हूँ? मैं अपना दृषिकोण बदल रहा हूँ। मैं एक संख्या को दूसरे नज़रिये से देख रहा हूँ। मैं ऐसा ताल के साथ भी कर सकता हूँ, है ना? मैं एक ताल को तीन बार एक साथ बजा सकता हूँ, कुछ समय के लिए, और मैं उसी वक्त एक दूसरी ध्वनि चार बार बजा सकता हूँ। (झनकार) ये ध्वनि थोड़ी उबाऊ है, पर इनको साथ सुनिये। (ध्वनि) (खिलखिलाहट) तो देखा आपने? (खिलखिलाहट) मैं इसे थोड़ा हाई-हैट भी बना सकता हूँ। (ध्वनि) सुना आपने? तो ये चार-तिहाई की ध्वनि है। और ये एक ताल के रूप में है। (ध्वनि) और मैं इस संख्या के साथ खेलते हुए ये सब करता रह सकता हूँ। चार-तिहाई एक बहुत ही अच्छी संख्या है और मुझे बहुत पसंद है। (खिलखिलाहट) यह संख्या सच में अनमोल है। तो अगर आप एक गोला लें, और उसके आयतन को देखें, तो वो एक सिलेंडर का चार-तिहाई होता है। तो एक गोले में चार-तिहाई होता है। वो उस गोले का आयतन होता है। तो अब मैं ये सब कर क्यों रहा हूँ? क्योंकि अब मैं कुछ समझने के अर्थ के बारे में बात करना चाहता हूँ, और कुछ समझने से हमारा मतलब क्या है। मेरा लक्ष्य ये है। और मेरा दावा ये है, कि आप कुछ समझते हैं, अगर आप में उसको भिन्न नज़रियों से देखने की क्षमता है तो। चलिये इस अक्षर को देखते हैं। ये एक सुन्दर R है, है ना? और ये आप कैसे जानते हैं? इसलिए, क्योंकि आपने बहुत सारे R देखे हैं, और आपने उन सबका सामान्यीकरण और सार करके एक आकृति खोज ली है। इसलिए आपको पता है कि ये एक R है। तो मेरा लक्ष्य यहाँ ये कहना है, कि समझना और अपना दृश्टिकोण बदलना, आपस में कैसे जुड़ा है। मैं एक शिक्षक और प्रवक्ता हूँ, और मैं इसे कुछ सिखाने के लिये प्रयोग कर सकता हूँ, क्योंकि जब मैं किसी और को, कोई और कहानी, रूपक या समरूपता सुनाऊंगा, अगर मैं एक कहानी भिन्न दृष्टिकोण से सुनाऊंगा, तो मैं समझ को सक्षम करूँगा। मैं समझ को संभव बनाऊंगा, क्योंकि आप जो भी देखते या सुनते हैं उसका सामान्यीकरण करते हैं, और अगर मैं आपको दूसरा नजरिया दूंगा, तो ये आपके लिए आसान हो जायेगा। चलिये दोबारा एक सरल उदहारण को देखते हैं। ये चार और तीन है। ये चार त्रिभुज हैं। तो ये एक तरह से चार-तिहाई है। चलिये इसको साथ जोड़ देते हैं। अब हम एक खेल खेलेंगे, हम इनको एक तीन आयामी संरचना में मोड़ देंगे। मुझे ये बहुत पसंद है। ये एक वर्ग पिरामिड है। चलिये दो वर्ग पिरामिड लेकर एक साथ रखते हैं। इसको अष्टफलक कहते हैं। ये पांच में से एक सैद्धान्तिक ठोस है। अब हम वस्तुतः अपना दृष्टिकोण बदल सकते हैं, क्योंकि हम इसको सारी धुरियों पर घुमा सकते हैं और इसको भिन्न दृष्टिकोण से देख सकते हैं। और मैं धुरी बदल कर, इसको दूसरे नज़रिये से देख सकता हूँ, ये चीज़ वही है, पर दिखती अलग है। मैं ऐसा दोबारा भी कर सकता हूँ। मैं ऐसा जितनी बार भी करता हूँ, कुछ नया दिखाई देता है, तो मैं इस वस्तु के बारे में और सीख रहा हूँ, जब मैं अपना नज़रिया बदलता हूँ। मैं इसको समझ का निर्माण करने के साधन की तरह प्रयोग कर सकता हूँ। मैं इन दो आकृतियों को एक साथ ऐसे रख के देख सकता हूँ, कि होता क्या है। और ये थोड़ा थोड़ा अष्टफलक की तरह दिखता है। देखिये, अगर मैं इसे ऐसे घुमाऊं तो, क्या होता है? अगर आप इन दो आकृतियों को लेकर साथ जोड़ देते हैं और घूमाते हैं, तो आपका अष्टफलक फ़िर से ये रहा, एक सुन्दर संरचना। अगर आप इसको धरती पर रख दें, तो ये एक अष्टफलक है। ये अष्टफलक की लेखाचित्र संरचना है। और मैं ये करता रह सकता हूँ। आप एक अष्टफलक आस-पास तीन बड़े वृत्त बना सकते हैं, और उनको घुमा सकते हैं, तो ये तीन बड़े वृत्त असल में अष्टफलक से सम्बन्धित हैं। और अगर मैं एक साईकल का पम्प लूँ, और इसमें हवा भर दूँ, तो आप देख सकते हैं कि ये भी कुछ-कुछ अष्टफलक की तरह है। तो आपने देखा मैंने क्या किया? मैं हर बार दृष्टिकोण बदल रहा हूँ। तो अब एक कदम पीछे लेते हैं, और एक कदम पीछे लेना, असल में एक रूपक है, और देखिये कि हम क्या कर रहे हैं। मैं रूपकों से खेल रहा हूँ। मैं नज़रियों और समानता से खेल रहा हूँ। मैं एक कहानी को भिन्न तरह से सुना रहा हूँ। मै कहानियाँ सुना रहा हूँ। मैं एक कहानी बना रहा हूँ; मैं कई कहानियाँ बना रहा हूँ। और ये सब समझ को सक्षम करते हैं। ये असल में कुछ समझने का मूलतत्त्व हैं। मेरा ये सच में मानना है। तो अपना दृष्टिकोण बदलने की ये बात, ये मनुष्य के लिए निश्चित रूप से मूल है। चलिये धरती के साथ खेलते हैं। सागर को और बड़ा करके, उसको देखते हैं। हम ऐसा किसी भी वस्तु के साथ कर सकते हैं। हम सागर को पास से देख सकते हैं। हम लहरों को देख सकते हैं। हम तट पर जा सकते हैं। हम सागर को दूसरे नज़रिये से देख सकते हैं। जितनी बार भी हम ये करते हैं, हम सागर के बारे में कुछ नया सीखते हैं। अगर हम तट पर जायें तो जैसे हम उसे सूंघ सकते हैं, है ना? हम लहरों का शोर सुन सकते हैं। अपनी ज़ुबान पर नमक महसूस कर सकते हैं। तो ये सब भिन्न दृष्टिकोण हैं। और ये वाला सबसे अच्छा है। हम पानी के अंदर जा सकते हैं। हम पानी को अन्दर से देख सकते हैं। और पता है क्या? ये गणित और कम्प्यूटर विज्ञान में निश्चित रूप से आवश्यक है। अगर आप किसी संरचना को अन्दर से देख सकते हैं, तो आप सच में उसके बारे में सीख सकते हैं। किसी वजह से यही किसी वस्तु का मूल होता है। तो जब हम ये करते हैं, और ये सागर के अन्दर की यात्रा पूरी करते हैं, तो हम अपनी कल्पना का उपयोग करते हैं। इसमें थोड़ी और गहराई होती है, और ये अपना नजरिया बदलने के लिए ज़रूरी है। हम एक खेल खेलते हैं। कल्पना कीजिये कि आप वहाँ बैठे हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि आप यहाँ ऊपर हैं, और यहाँ बैठे हैं। आप खुद को बाहर से देख सकते हैं। ये एक बहुत ही अनोखी बात है। आप अपना दृष्टिकोण बदल रहे हैं। आप अपनी कल्पना का उपयोग करके, खुद को बाहर से देख रहे हैं। इसके लिए कल्पना-शक्ति की ज़रूरत होती है। गणित और कम्प्यूटर विज्ञान सबसे ज़्यादा कल्पनाशील कला का रूप हैं। और अपना दृष्टिकोण बदलने की ये बात, आपको थोड़ी जानी-पहचानी लग रही होगी, क्योंकि हम ये रोज़ करते हैं। और हम इसको सहानुभूति कहते हैं। जब मैं दुनिया को आपके नज़रिये से देखता हूँ, तो मुझे आपसे सहानुभूति होती है। अगर मैं सच में समझ पाता हूँ, कि दुनिया आपके नज़रिये से कैसी दिखती हैं, तो मुझ में सहानुभूति है। इसके लिए कल्पना-शक्ति की ज़रूरत होती है। और ऐसे हम समझ को प्राप्त कर पाते हैं। ये पूरे गणित में हैं, यही पूरे कंप्यूटर विज्ञान में हैं, और सहानुभूति और इन विज्ञान का बहुत गहरा सम्बन्ध है। तो मेरा निष्कर्ष ये है: किसी चीज़ को उसकी गहराई तक समझने का सम्बन्ध अपने दृष्टिकोण को बदलने की क्षमता से होता है। तो मेरी आपको सलाह है कि: आप अपने दृष्टिकोण को बदलने की कोशिश करें। आप गणित पढ़ सकते हैं। ये अपनी बुद्धि तेज़ करने का बहुत अच्छा तरीका है। दृष्टिकोण बदलना आपके दिमाग को और लचीला बनाता है। आपको नई चीज़ों के लिये सहनशील बनाता है, और आपको नई चीज़ें समझने में सक्षम करता है। और अगर मैं एक और रूपक का प्रयोग करूँ तो: बुद्धि पानी की तरह होनी चाहिये। वो अच्छा होता है। धन्यवाद। (वाहवाही) मैं अक्सर इंजिनीरिंग प्राजेक्ट्स माध्यमिक और उच्च विद्यालय के छात्रोके लिये अप्रत्याशित वस्तुवोँ से बनाती हूँ| मुझे अपने दैनिक जीवन के समस्याओँ से प्रेरणा मिलती है| उदाहरण के लिये, एक बार मुझे एक हास्य सम्मेलन के लिए जाने के लिये एक पोशाक चाहिये था लेकिन मै ज्यादा पैसा खर्च करना नही चाहती थी, इस लिये मै ने एक प्रकाश मुकुट और स्कर्ट के साथ खुद बनाया| (हसी) अगली बार, मै हताश हुई क्योँ कि मेरी पसंदीदा मोबाईल खेल फ्लॅप्पी बर्ड को, आप स्टोर मे से निकाला गया| (हसी) इसलिये मै दुविधा मे पड गयी कि या तो मै कभी भी अपनी फोन को अपडेट नही करू या कभी भी फ्लॅपी बर्ड नही खेलू| (हसी) दोनो विकल्प से दुखी, मै ने वोही किया जो मुझे अच्छा लगा | मैं ने फ्लॅप्पी बर्ड का एक भौतिक रूपांतर बनाया जिस को आप स्टोर मे से कभी भी निकाला नही सकता| (हसी) (संगीत) (बीपिंग) (संगीत) (हसी) मेरे कुछ दोस्त भी इस खेल के आदी हो गये, और मै ने उन को भी खेल ने के लिये आमंत्रित किया| (व्हीडिओ) दोस्त: आह! (हसी) (व्हीडिओ) दोस्त: क्या है? (हसी) और उन्होने मुझे बताया कि ये भी पहले खेल जितना ही चिड्चिडानेवाला है| (हसी) इसलिये मै ने इस परियोजना का एक डेमो आंलैन अपलोड किया, और मुझे आश्चर्य करते हुये ये वायरल हो गया | उसे कुछ ही दिनो मे दो मिलियन लोगोने देखा| (हसी) और ज्यादा दिलचस्प बात लोगो ने की हुई व्याख्या थी| बहुत सारे लोग इसे अपनाना चाहते थे, या ये कैसे बनाये जानना चाहते थे| इसलिये इससे मुझे मेरे योजना रचनात्मक परियोजना के द्वारा इंजिनीरिंग पढा सकते हैँ को पुष्टि मिली है| वैरल वीडियो से बनाया पैसोँ से , हम अपने सारे विद्यार्थियोँ को अपने खेल बनाकर खुदका गेम बोक्स में तैयार ने क र सकते हैँ | हालाकि ये बहुत ही चुनौतीभरा है, वे इंजिनीरिंग और प्रोग्रामिंग मे बहुत सारे नये सिद्धांत सीख गये| और वे सारे सीखने के लिये उत्सुक थे ता कि वे अपने खेल को भी पूरे कर सके| (हसी) तो फ्लप्पी बिर्ड बक्सा के पहले, मुझे रचनात्मक इंजिनीरिंग प्राजेक्ट्स से छात्रो को पढाने की योजना थी| जब मै माध्यमिक पाठशाला मे पडाती थी, हम ने अपने छात्रोँ से एक मानक प्रौद्योगिकी किट द्वारा एक रोबो को बनाने के लिये कहा| और मै ने देखा उनमेसे से बहुत सारे उदास लग रहे थे| फिर उनमे से कुछ लोग कागज के टुकडे लेना शुरू कर दिये और रोबोटस को सजा दिये| और फिर उनमे से अधिक इसमे आ गये, और वे इस प्राजेक्ट मे दिलचस्पी दिखाने लगे| इसलिये मै ने छात्रोँ को टेक्नालजी परिचय कराने के लिये ज्यादा रचनात्मक तरीके ढूँढना शुरू किया| मै ने देखा कि ज्यादातर प्रौद्योगिकी किट्स जो पाठशाला मे उपलब्ध हैँ वे थोडा डरा देते हैँ| वे पूरे प्लास्टिक भागोँ से बने हैँ जिन को आप कस्टमाइज़ नही कर सकते| उसके ऊपर वे बहुत ही मेहंगे हैँ, हर किट सैकड़ों डॉलर की खरीद होती। इसलिये ये ज्यादातर क्लास बजट के लिये महेंगे साबित होते थे| क्योँ कि मुझे कुछ न मिलनेपर , मैँ अपने आप कुछ बनाने के लिये सोचा| मै ने कागज और कपडे से कुछ बनाना शुरू किया| आखिरकार जब से हम बच्चे थे तब से हम सब ने उससे खेला था, और वे बहुत सस्ते भी हैँ और घर मे किसी कोने मे भी पाया जा सकते हैँ| और मै ने एक प्राजेक्ट का एक मूल रूप बनाया जहा छात्रा कपडा और गुगली ऐस इस्तेमाल करके एक लैट-अप क्रीचर बना सकते हैँ| वे सब क्लस्रूम मे एक दूसरे के मदद कर रहे थे, और हस रहे थे और प्राजेक्ट का चर्चा कर रहे थे| और सब से महत्वपूर्ण बात, वे प्राजेक्ट मे अपनी रचनात्मकता डाल सकते थे| इसलिये इस प्राजेक्ट की सफलता के वजह से, मै ने मेरे छात्रा को चुनौती देने के लिये और इंजिनीरिंग प्राजेक्ट्स का आविष्कार करना शुरू किया| और मै ने इन वर्कशॉप को पाठशाला के बाहर समाज के अंदर शुरू कर दिये| और कुछ बहुत ही दिल्चस्प बाते हुई | मै ने देखा कि विविध भूमिका से बहुत सारे लोग हमारे वर्कशॉप मे आने लगे| और विशेष रूप से, मेरे उम्मेद से कही ज्यादा औरत और अल्पसंख्यक थे, और ये आप आम तौर पर एक परंपरागत इंजिनीरिंग वर्क षाप मे नही देखते| अब एक बार ये एक प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनी की २०१६ कर्मचारी रिपोर्ट पर एक नज़र डालिये| प्रौद्योगिकी कार्यबल मे औरत सिर्फ १९ प्रतिशत हैँ| और कम प्रतिनिधित्व की अल्पसंख्याक सिर्फ चार प्रतिशत हैँ| ये आंकडा अगर आप एक हैस्कूल रोबोटिक्स क्लब, या एक कालेज इंजिनीरिंग क्लास मे जायेंगे तो शायद परिचित लग सकता है| अब, यहाँ प्रौद्योगिकी बल में विविधता की कमी के योगदान मे कयी तरीके की समस्यावोँ के हाथ होती हैँ। शायद एक समाधन छात्रावोँ को प्रद्योगी का परिचय कराना हो सकता है| मै ये नही कह रही हू कि ये सब कुछ हल हो सकता है,लेकिन ये इसके पहले जिन को प्रद्योगी का परिचय मे मूलतः रुचि नही है उनको परिचय करवाएगा क्योँ कि इसको पाठशाला मे चित्रित और पढाया जाता है| तो हम कैसे प्राद्योगी का धारणा को बदलेंगे? ज्यादतर छात्रा इसे उबाऊ या अनवेलकमिंग सोचते हैँ| इसलिये मै ने हमेशा तीन सिद्धान्तोँ के अनुसार परियोजनाओँ को डिजैन किया| पहला है एक निचला फ्लोर होना, और इसका मतलब प्राजेक्ट को आरम्भ करना आसान है| तो इस ट्युटोरियल को एक बार देखिये| पहला प्राजेक्ट हम छात्रोँ को सीखने को बोला सार्क्यूट कागज पर बनाना| जैसे आप देख सकते हैँ, ये सीखना ज्यादा देर नही लेता, और ये शुरुवाती के लिये भी बहुत आसान है| और लो फ्लोर का मतलब कि हम वर्तीय बाधा भी निकाल रहे हैँ जो लोगोँ को एक प्राजेक्ट खतम करने से रोकता है| इसलिये कागज, ताम्बे की टेप, लाईट बल्ब और एक बाटरी के साथ लोग एक डालर के अंदर अपना प्राजेक्ट खतम कर सकते हैँ| तो दूसरी सिद्धांत एक है सीलिंग होना है| इसका मतलब है इसमे विकसित होने के लिये बहुत क्षेत्र होगा, और चात्राओँ को लगातार चुनौती मिलेगी| पहले ये शायद एक सिर्फ प्रकाशित प्राणी है, लेकिन फिर आप सेंसर्स और मैक्रोकंट्रोलर्स जोड सकते हैँ, और उस प्राणी को अपने पर्यावरण के साथ बातचीत करने के लिये योजना बना सकते हैँ| (हसी) और आखरी मे, तीसरा सिद्धान्त है अनुकूलन| इसका मतलब है हम इस प्राजेक्ट को किसी के लिये भी अनुरूप कर सकते हैँ| रोजमर्रा सामग्री का उपयोग करने का यही खूबसूरती है; कागज और कपडा इस्तेमाल करके अनुकूलित करना आसान है| इसलिये अगर आप फ्लापी बर्ड पसंद नही करते फिर भी, आप अपना खुद का गेम बना सकते हैँ| (वीडियो) छात्रा: तो हमारा खेल जस्टिन बीबर के बारे मे है, क्योँ कि वह तेज हो रहा है, और यहा लक्ष्य है उसको LAPD द्वारा पकडा जाने से रोकना- (हसी) (व्हीडिओ) छात्रा: जी हाँँ, पर वह बदल रहा है-- इसलिये हम इसके दल के हिस्सा है| (हसी) शुक्रिया| ( तालिया) कार्लोस, एक पूर्व सैनिक हैं जिन्हें विएतनाम की लड़ाई में तीन अवसरों पर गोलियाँ लगी उनके शरीर में कारतूस के इतने छर्रे इकट्ठे हो गये थे कि १९७१ में उनको सेवा निवृत्त कर दिया गया अगले ४२ साल तक उन्हें अकेलेपन उदासी और बेचैनी का सामना करना पड़ा उन्होने शराब का सहारा भी लिया उनकी तीन बार शादी और तलाख भी हुआ कार्लोस को पोस्ट ट्रमॅटिक सिंप्टम डिसॉर्डर था एक मनोवैज्ञानिक होने के नाते मैं पिछले १० सालों से पी.टी.एस.डी. से पीड़ित मरीजों का इलाज़ कर रहा हूँ. पी.टी.एस.डी. विज्ञान का एक नया विषय है हमें इसके बारे में ज़्यादा नहीं पता था कुछ मरीजों को हमने तेज़ दवाइयां दी कुछ को अस्पताल में आम इलाज़ दिया और कुछ को तोह बस यह कहा की घर जाओ और सब भूलने की कोशिश करो हाल ही में हमने इलाज के नए प्रयोग किये जैसे मरीजों को सुंदर जगहों पे भेजना, घर में पालतू जानवर रखना, लेकिन यह सब कारगर सिद्ध नहीं हुए लेकिन अब हालात बदल गए हैं और आज में आप सब से यही जानकारी बांटने आया हूँ, की हम पी.टी.एस.डी से कैसे निजाद पा सकते हैं आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों से अब हम पता लगा सकते हैं की कौन कौनसी तरकीबें कारगर सिद्ध हो रही हैं पी.टी.एस.डी ठीक करने में वही तकनीकें काम आती हैं जो युद्ध के प्रशिक्षण में इस्त्माल होती हैं पारंपरिक रूप से हम युद्ध की कला में माहिर रहे हैं हम युद्ध पौराणिक काल से लड़ते आ रहे हैं लेकिन तब से अब तक हमने युद्ध की तकनीकों और अस्त्र-शस्त्र में बड़ी प्रगति की है और इन अस्त्रों का उपयोग करने के लिए हम अपने सिपाहियों को नवीनतम प्रशिक्षण देते हैं हम युद्ध में माहिर हैं हम प्रशिक्षण में माहिर हैं लेकिन अगर हम युद्ध से लौटने वाले सैनिकों पर ध्यान दें, हम उनको उनकी वापसी के लिए उचित रूप से तैयार नहीं कर पाए हैं आखिर क्यों? हमारे प्राचीनकालीय पूर्वज द्वंद्व वहीँ करते थे जहाँ वे रहते थे इस ही कारण से, पहले कभी युद्ध से लौटने के बाद के जीवन से सामना करने का प्रशिक्षण किसी को नहीं दिया जाता था लेकिन आजकल आधुनिक तकनीकों के द्वारा हम अपने अमरीकी सैनिकों को लड़ने के लिए दुनिया में कहीं भी ले जा सकते हैं और युद्ध पूरा होने पर सुरक्षित देश वापिस ला सकते हैं पर सोचिये एक सैनिक पे क्या बीत ती होगी कुछ पूर्व सैनिकों ने मुझे बताया की उदाहरण के तौर पे किसी दिन वे अफगानिस्तान में घमासान लड़ाई लड़ रहे थे, और तीन दिन में घर वापिस आकर बच्चों के स्कूल में जा कर उनका खेल देख रहे थे यह पागलपन से कम नहीं था (श्रोता काहकहाते हुए ) इस अनुभव का यह उचित वर्णन है यह बिल्कुल सटीक हैं हमारे सैनिक युद्ध में प्रशिक्षित हैं, लेकिन कइयों को असैनिक जीवन बिताने का भी प्रशिक्षण चाहिए पी टी इस डी चिकित्सा को बार बार करवाना पड़ता है सेना में जब सैनिक भर्ती होते हैं उन्हें विस्तार में प्रशिक्षण मिलता है उन्हें बार बार है कई तरह की परिस्थितियों का प्रशिक्षण दिया जाता जब तक वे शस्त्र और हथियार को किसी भी परिस्थिति में पूरी सक्षमता से इस्तिमाल करना ना सीख जाएँ उनके इलाज में भी ऐसा ही कुछ करना पड़ता है इन में सबसे पहले आती है संज्ञानात्मक चिकित्सा यह मानसिक अंशशोधन की तरह है जब पूर्व सैनिक घर लौट के आते हैं, वह दुनिया और परिस्थितियों को एक युद्ध स्थल की तरह ही भांपते हैं उनके इस नज़रिये को साधारण अवस्था में लाना आसान नहीं होता उन्हें खतरा दिखता है वे सब पे शक करते हैं वैसे आम जीवन में खतरे होते हैं लेकिन युद्ध के मुकाबले आम जीवन में खतरों की सम्भावना कम होती है हम उनको अचानक बदलने को नहीं कहते हम उन्हें उनकी स्थिति के हिसाब से सतर्क रहने को कहते हैं जैसे अगर आप सुनसान जगह पे हैं तोह ख़ास सावधानी बरतें लेकिन परिवार के साथ खाने जाएं तोह चिंता ना करें हम उन्हें विचारपूर्ण होना सिखाते हैं ताकि वह खतरे के हिसाब से ही सावधानी बरतें अभ्यास करने से आदत दाल जाती है अगला प्रशिक्षण, एक्सपोजर थेरेपी, एक कारगर और तेज़ तकनीक है आपको कार्लोस याद होगा उसने यही उपचार चुना था हमने उसकी शुरुआत कुछ चुनौतीपूर्ण अभ्यासों से करी, जैसे दरवाज़े पर पीठ करे हुए दुकान में खड़े रहना या रेस्तरां में बैठना और इस प्रकार के वातावरण ज़्यादा समय बिताना शुरुआत में वह कुछ घबराये वह ऐसी जगह बैठना चाहते थे जहाँ से वो दरवाज़े और लोगों को देख सकें यह उनके लिए कठिन था सैनिक प्रशिक्षण का अनुभव होने के कारण उन्होंने खुद को प्रोत्साहन दिया धीरे धीरे करके वह ऐसी स्तिथि तक पोहोंच गए जहाँ वे सार्वजनिक जगहों पर आराम और इत्मीनान से बैठ पाएं कई बार उन्होंने अपने युद्ध अनुभव के रिकॉर्डिंग भी सुने जब तक उन्हें सुनके कोई उत्तेजना ना महसूस हो उन्होंने अपनी मानसिकता हो इतना बदला की नींद में उन्हें युद्ध के सपने आना बंद हो गए जब मैं उनसे एक साल बाद मिला उन्होंने कहा "डॉक्टर, ४३ सालों में पहली बार मुझे अब डरावने सपने नहीं आते" यह यादाश्त मिटाने से अलग है सैनिक युद्ध के अनुभव भुला तोह नहीं सकते, लेकिन उनसे पोहोंचने वाले दुःख को कम ज़रूर कर सकते हैं अब वे उन अनुभवों से मानसिक तनाव में नहीं आते यह हमेशा आसान नहीं होता सब पे कारगर भी नहीं होता इसमें विश्वास बोहोत ज़रूरी है मुझसे पुछा जाता है कि "बिना युद्ध अनुभव के आप यह कैसे कर लेते हैं" लेकिन असैनिक जीवन पर शिक्षा देने के लिए युद्ध अनुभव की ज़रुरत नहीं है आप को बस यह पता होना चाहिए की असैनिक जीवन कैसे जीना है पिछले दस साल से हर रोज़ मैं युद्ध के कई दर्दनाक किस्से सुन चुका हूँ यह आसान नहीं है कभी कभी यह मेरी क्षमता से बाहर हो जाता था लेकिन इस प्रकार का प्रशिक्षण और सैनिकों की बहाली बड़ा संतोष प्रदान करता हैं इससे लोगों का उद्धार हो जाता है कार्लोस अब अपने बाल बच्चों के साथ हंस खेल के घूम फिर सकते हैं ताज्जुब की बात है की ४३ सालों की पीड़ा १० हफ़्तों के प्रशिक्षण से ठीक हो गयी मैं जब उनसे मिला, तो उन्होंने कहा "मैं अपने ४३ साल तो वापस नहीं ला सकता, लेकिन अपने बचे हुए दिन शान्ति से बिता सकता हूँ आशा करता हूँ की युवा सैनिकों को ऐसी सहायता समय पर मिल पायेगी क्योंकि जीवन छोटा है, और अगर आप युद्ध की आपदाओं से गुज़र चुके हैं, तोह बाकी जीवन सुख और शान्ति से बिताना आपका अधिकार है" लेकिन किसी को इस प्रशिक्षण के इंतज़ार में नहीं बैठना चाहिए सबसे बेहतर तोह यही होगा की युद्ध न हो लेकिन वो मंज़िल अभी दूर है तब तक, हम युद्ध से होने वाली पीड़ा से अपने भाइयों और बहनो को निजाद दिला सकते हैं और अच्छा होगा अगर जितना विज्ञान और धन हम युद्ध में लगाते हैं, उतना लौटने वाले सैनिकों की खुशहाली में लगाएं उनको घर वापसी में कम से कम परेशानी हो, इस बात के हम ऋणी हैं धन्यवाद. (तालियां) आज, 1.8 अरब लोग युवा है 10 से 24 बीच दुनिया मे। यह मानव इतिहास में सबसे बड़ा दल है । उनकी जरूरतों को पूरा करना बड़ी चुनौती होगी । लेकिन यह एक बड़ा अवसर भी है । हमारा साझा भविष्य उनके हाथ में है । हर दिन, हम युवा लोगों के बारे में पढ़ते है वे अपने विचार और भावनाएं देते है ताकि परिवर्तन के लिए लड़ सके, सामाजिक परिवर्तन, राजनीतिक परिवर्तन, उनके समुदायों में परिवर्तन । कल्पना कीजिए कि वे क्या बनाएंगे: महत्वपूर्ण खोज , आविष्कार । शायद नई दवाएं,परिवहन के नए तरीके, संवाद करने के नए तरीके, टिकाऊ अर्थव्यवस्थाऐं और शायद दुनिया में शांति । लेकिन यह अवसर, यह युवा लाभांश, नहीं दिया गया है । 1.8 अरब युवा महिलाऐं और युवक वयस्कता के द्वार पर खड़े हैं. क्या वे तैयार हैं? अभी, उनमें से भी कुछ हैं । मेरा यूनिसेफ की नौकरी का पसंदीदा हिस्सा ये मौका है कि मैं युवा लोगों से बात, मिल और सुन सकती हूँ दुनिया भर में । और वे मुझे बताते है उनकी आशाओं और सपनों के बारे में । और उनकी अद्भुत उंमीदें और सपने है जो वे पूरा करेंगे अपने जीवन में । लेकिन वे मुझे यह भी बता रहे हैं कि उन्हे भय है । उंहें लगता है कि वे सामना कर रहे है तत्काल संकट की एक श्रृंखला से । जनसांख्यिकी का संकट, शिक्षा का संकट, रोजगार का संकट, हिंसा का संकट और लड़कियों के लिए एक संकट । अगर इन संकटों पर गौर करें तो तुम्हे पता है कि वे तत्काल है और वे अभी संबोधित किए जाने चाहिए । क्योंकि वे हमें बताते है कि वे चिंतित हैं । वे चिंतित है कि उंहे वो शिक्षा नहीं मिल पाएगी जिनकी उन्हें जरूरत है। और तुम जानते हो क्या? वे सही हो । 20 करोड़ किशोरियां दुनिया भर में स्कूल से बाहर हैं ब्राजील की जनसंख्या के बराबर । और जो कि स्कूल में है लगता है कि सही कौशल नही मिल रहा । विश्व स्तर पर, 10 में से छह बच्चे और युवा लोग न्यूनतम प्रवीणता के स्तर को पूरा नही करते पढ़ने और गणित के लिए । कोई देश सफल नहीं हो सकता अगर इसकी आबादी का लगभग आधे युवा लोग पढ़ने या लिखने में असमर्थ हैं । और वो भाग्यशाली कुछ जो माध्यमिक विद्यालय में हैं? उनमें से कई स्कूल छोड़ रहे है क्योंकि वे चिंतित हैं कि जीविका बनाने के लिए कौशल नहीं मिल रहा है। और कभी-कभार उनके माता-पिता अब फीस नहीं वहन कर सकते हैं । यह एक त्रासदी है । और युवा लोग मुझसे यह भी कह रहे हैं कि वे रोजगार के बारे में चिंतित हैं, कि उन्हें नौकरी नहीं मिल पाएगी । और फिर, वे सही हो । हर माह 1 करोड़ युवा लोग कार्य आयु तक पहुंचते हैं । यह एक चौंका देने वाला नंबर है । कुछ आगे की शिक्षा के लिए जाना होगा, लेकिन कई कार्यबल में प्रवेश करेंगे । और हर महीने 1 करोड़ नए रोजगार हमारी दुनिया पैदा नहीं कर रही है । उपलब्ध नौकरियों के लिए खूब संघर्ष है। तो, कल्पना कीजिए आज युवा का व्यक्ति होना, नौकरी की दरकार, जीविका की मांग, एक भविष्य बनाने के लिए तैयार, और अवसर खोजना मुश्किल है । युवा लोग मुझसे यह भी कह रहे हैं कि वे चिंतित है कि उंहे वो कौशल नहीं मिल रहा जिसकी जरूरत है । और फिर, वे सही हो । हम खुद को दुनिया में एक समय में पा रहे हैं जब दुनिया काम के लिए इतनी तेजी से बदल रही है । हम चौथी औद्योगिक क्रांति में हैं. युवा लोग खेतों पर और ग्रामीण समुदायों में नहीं होना चाहते। वे शहरों में जाना चाहते हैं । वे भविष्य के कौशल सीखना चाहते हैं भविष्य के काम के लिए । वे डिजिटल तकनीक सीखना चाहते है और हरी प्रौद्योगिकी। वे एक मौका है चाहते है आधुनिक कृषि को जानने के लिए । वे बिजनेस सीखना चाहते हैं और उद्यमिता, ताकि वे बना सकें अपना व्यापार । वे नर्स बनना चाहती हैं और रेडियोलोजिस्ट और फार्मासिस्ट और डॉक्टर । और वे सभी कौशल चाहते है जो वे भविष्य के लिए आवश्यकता होगी । वे सीखना चाहते हैं, निर्माण और इलेक्ट्रीशियन । ये सब पेशे हैं जो एक देश की जरूरत है, साथ ही पेशे जिनका अभी तक आविष्कार नहीं हुआ है । और युवा लोग मुझे यग भी कह रहे हैं कि वे हिंसा के बारे में चिंतित हैं । घर में, ऑनलाइन, स्कूल में, अपने समुदायों में । और फिर, वे सही हो । एक युवा व्यक्ति हो सकता है सोशल मीडिया पर सैकड़ों दोस्त हो, लेकिन जब वे जरूरत एक दोस्ताना चेहरा खोजना चाहते है, कोई जो वहां हो सकता है अपने दोस्त के रूप में, बात करने के लिए, वे एक भी नहीं मिलता है । वे धमकाने, उत्पीड़न और अधिक का सामना करते हैं। और सैकड़ों लाखों शोषण का सामना कर रहे हैं और दुरुपयोग, और हिंसा । हर सात मिनट,एक किशोर लड़का या लड़की दुनिया में कहीं हिंसा की एक हरकत से मौत हो जाती है । और लड़कियाँ मुझसे कह रही हैं कि वे विशेष रूप से चिंतित है उनके भविष्य के लिए । और अफसोस की बात है, वे भी सही है । लड़कियाँ पूर्वाग्रह और भेदभाव का सामना करती है । वे बचपन शादी का सामना और जानलेवा जल्दी गर्भावस्था का सामना। संयुक्त राज्य अमेरिका की आबादी की कल्पना करे अब इसे दोगुना करे। यही उन महिलाओं की संख्या है, जो अपने 18 वें जंमदिन से पहले विवाहित थी । 65 करोड़। और कई मां थीं जबकि वे खुद भी बच्चियाँ थी. हर तीन महिलाओं में से एक बाहर शारीरिक शोषण का सामना करेंगे या यौन शोषण का उसके जीवनकाल में । तो, कोई आश्चर्य नहीं है लड़कियों चिंतित है उनके भविष्य के लिए । ये अत्यावश्यक संकट आपके या आपके पड़ोस की सच्चाई नही होगी । और शायद तुम्हे अवसर मिला है एक अच्छी शिक्षा के लिए और विपणन कौशल के लिए, और नौकरी पाने के लिए । शायद आपको कभी पूर्वाग्रह, भेदभावका या हिंसा का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन दसियों लाखों हैं युवा लोग हैं, जो इतने भाग्यशाली नहीं हैं । और वे अलार्म लग रहे है उनके वायदों के लिए । और यही वजह है कि यूनिसेफ और हमारे कई सार्वजनिक और निजी भागीदारों एक नई वैश्विक पहल शुरू कर रहे हैं । युवा लोगों ने खुद इसे नाम दिया है । और यह जेनेरेशन अनलिमिटिड कहा जाता है या जेन यू । तो, वे क्या कह रहे हैं, यह हमारा समय है, यह हमारी बारी है, यह हमारा भविष्य है । हमारा लक्ष्य बहुत सीधा है । हम चाहते हैं कि हर युवा व्यक्ति स्कूल में, शिक्षा, प्रशिक्षण, या आयु-उपयुक्त रोजगार मे हो वर्ष २०३० तक । यह लक्ष्य अत्यावश्यक है, यह आवश्यक है, यह महत्वाकांक्षी है । लेकिन हमें लगता है कि प्राप्त किया जा सकता है । तो हम बाहर बुला रहे है अत्याधुनिक समाधानों और नए विचारों को । विचार है कि युवा लोगों को देंगे अपने भविष्य के लिए लड़ाई का एक मौका । हम सब जवाब नहीं जानते, तो हम बाहर व्यवसायों के लिए पहुंच रहे है और सरकारों, और गैरलाभकारियों, और शिक्षा, और समुदायों, और मदद के लिए नवीन आविष्कारों । जेन यू एक खुला मंच होना है, जहां लोग आ सकते हैं और उनके विचार और समाधान साझा करें कार्यों के बारे में, क्या काम नहीं करता, और महत्वपूर्ण बात, क्या काम हो सकता है । तो अगर हम इन विचारों को ले जा सकते है और बीज के पैसे का थोड़ा सा जोड़ दीजिये, और कुछ अच्छे साथी जोड़ें, और अच्छा राजनीतिक चाह जोड़ने के लिए, हमें लगता है कि हजारों और लाखों लोग तक पहुंचने के लिए बढ़ सकते है दुनिया भर में। और इस परियोजना के साथ, हम भी कुछ नया करने जा रहे हैं. हम सह डिजाइन और सह निमार्ण करने जा रहे है युवा लोगों के साथ । तो जेन यू के साथ, जा रहे है चालक सीट में, हम सभी तरह से साथ स्टीयरिंग । अर्जेंटीना में, एक कार्यक्रम है हम छात्रों को जोड़ते है जो ग्रामीण, दूरदराज में हैं, कठिन पहाड़ी समुदायों तक पहुंचने के लिए, कुछ वे शायद ही कभी देखा है : एक माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक । तो ये छात्र एक कक्षा में आते हैं, वे एक समुदाय शिक्षक से जुड़े रहे है और वे जुड़े रहे हैं शहरी स्कूलों से ऑनलाइन । और वहां माध्यमिक स्कूल शिक्षक है, जो उन्हें सिखा रहा है डिजिटल तकनीक के बारे में और एक अच्छी माध्यमिक स्कूल शिक्षा, बिना कभी अपने समुदायों को छोड़े। और दक्षिण अफ्रीका में, टेक्नो गर्ल्स नामक कार्यक्रम है । और ये हैं लड़कियां वंचित पड़ोस से है जो स्टेम प्रोग्राम क्षेत्र का अध्ययन कर रहे हैं: विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित । और उन्हें जॅाब शैडो का मौका मिला है । यह तरीका है कि वे फिर खुद देख सकते हैं नौकरियों में जो इंजीनियरिंग में हैं, विज्ञान में, और शायद अंतरिक्ष कार्यक्रम में । बांग्लादेश में हम भागीदारों जो प्रशिक्षण रहे है युवा लोगों के हजारों की दसियों ट्रेडों में, जिससे वे बन सकें मोटर साइकिल मरंमत लोग, या मोबाइल फोन सेवा लोगों को । लेकिन ये देखने का मौका है उनकी अपनी आजीविका है । और शायद यह भी है अपना एक धंधा । और वियतनाम में, वहां एक कार्यक्रम है जहां हम बाँध रहे हैं युवा उद्यमी अपने स्थानीय समुदायों जरूरत के साथ । तो इस कार्यक्रम के साथ, एक समूह इकट्ठा और उन्होंने तय किया कि वे परिवहन की समस्या का समाधान अपने समुदायों में विकलांग लोगों के लिए । तो एक संरक्षक के साथ और बीज धन का एक सा, उन्होंने अब एक नया app विकसित किया है पूरे समुदाय की मदद करना । और मैंने देखा है कि कैसे इन प्रोग्रामों एक फर्क कर सकते हैं । जब मैं लेबनान में थी, मैं एक कार्यक्रम का दौरा किया गल्स गाट इट, या गल्स गाट इट, और इस कार्यक्रम में, पढ़ाई कर चुकी हैं लड़कियां कंप्यूटर कौशल और स्टेम कार्यक्रम युवा पेशेवरों के साथ काम करने का मौका है, ताकि वे प्रत्यक्ष रूप से सीख सकें क्या यह एक वास्तुकार होने की तरह है, एक डिजाइनर या एक वैज्ञानिक । और जब आप इन लड़कियों को देखते हैं, उनके चेहरों पर मुस्कान, उनकी आँखों में गर्म रोशनी, वे इतने उत्साहित हैं, वे भविष्य के लिए आशा है । वे दुनिया को बदलना चाहते हैं । और अब, इस कार्यक्रम के साथ और इन आकाओं, वे यह कर सकेंगे । लेकिन इन विचारों और कार्यक्रमों सिर्फ एक शुरुआत है । वे केवल एक अंश युवा लोगों तक पहुँचेंगे जिन तक हमे पहुंचने की जरूरत है । हम ये विचार रखना चाहते हैं और उन्हें स्केल करने के तरीके खोजने के लिए । अधिक युवा लोगों तक पहुंचने के लिए अधिक समुदायों में, दुनिया भर में अधिक स्थानों में । और हम बड़े सपने देखना चाहते हैं । हर स्कूल सकता है,दुनिया में हर जगह, कोई फर्क नहीं पड़ता कि कैसे दूरदराज या पहाड़ी, कि अगर यह एक शरणार्थी शिविर में है, वे इंटरनेट से कनेक्ट किया जा सकता है? हम तत्काल अनुवाद कर सकते है युवा लोगों के लिए, ताकि आपको अच्छी शिक्षा मिल सके अपनी ही भाषा में,दुनिया में कहीं भी? और यह संभव होगा कि हम कनेक्ट कर सकते है अपने स्कूल में शिक्षा कौशल है कि आप की जरूरत जा रहे है के साथ अपने ही समुदाय में एक नौकरी पाने के लिए? ताकि आप वास्तव में स्थानांतरित कर सकते है स्कूल से लेकर काम तक । और अधिक । हम में से हर एक की मदद कर सकते हैं? हमारे रोजमर्रा के जीवन में और हमारे कार्यस्थलों में, वहां तरीके है कि हम कर सकते है युवा लोगों का समर्थन? युवा लोग हमसे पूछ रहे हैं शागिर्दी के लिए, नौकरी के लिए छाया, इंटर्नशिप के लिए हम यह कर सकते है? युवा लोग भी हमसे पूछ रहे हैं काम के लिए अध्ययन कार्यक्रम, वे जहां सीख सकते है और कमा सकते है । हम यह कर सकते है और हम एक समुदाय है तक पहुंचने जो पास हो, जो वंचित हो, और मदद करे? युवा लोग यह भी कह रहे हैं कि वे दूसरे युवा लोगों की मदद करना चाहते हैं । वे अधिक स्थान और अधिक आवाज चाहते हैं, ताकि वे इकट्ठा कर सकें एक दूसरे की मदद करने के लिए । एचआईवी केन्द्रों में, शरणार्थी शिविरों में, लेकिन ऑनलाइन बदमाशी रोकने के लिए भी और जल्दी बाल विवाह । हम विचारों की जरूरत है, हम की जरूरत विचार है कि बड़े और छोटे हैं, विचार है कि स्थानीय और वैश्विक हैं । यह, अंत में, हमारी जिंमेदारी है । युवा लोगों की एक विशाल पीढ़ी हमारी दुनिया के वारिस के बारे में हैं । यह हमारा कर्तव्य है कि हम आशा और अवसर की विरासत छोड़े उनके लिए बल्कि उनके साथ भी हैं. युवा लोग कर रहे हैं हमारी आबादी का 25 प्रतिशत । लेकिन वे हमारे भविष्य का १०० प्रतिशत हैं. और वे बाहर बुला रहे है एक लड़ने का मौका के लिए एक बेहतर दुनिया का निर्माण करने के लिए । उनकी मांग हमारी मांग होनी चाहिए। हमारे समय की मांग। अब समय है, जरूरत अविलंब है । और 1.8 अरब युवा लोग इंतजार कर रहे हैं । धन्यवाद (तालियां) माता-पिता क्या हैं? माता-पिता क्या हैं? यह एक आसान सवाल नहीं है। आज गोद लेने की प्रक्रिया है, सौतेले परिवार , किराए की मातायें कई माता-पिता कठिन प्रश्नों का सामना करते हैं और कठिन निर्णयों का। क्या हम अपने बच्चे को शुक्राणु दान के बारे में बताएं? अगर ऐसा है, तो कब? किन शब्दों का उपयोग करें? शुक्राणु दाताओं को अक्सर "जैविक पिता" के रूप में संदर्भित किया जाता है, लेकिन क्या हमें वास्तव में "पिता" शब्द का उपयोग करना चाहिए? एक दार्शनिक व सामाजिक वैज्ञानिक रूप में, मैं इन सवालों का मातृत्व व पितृत्व अवधारणा के बारे में अध्ययन कर रही हूँ। लेकिन आज, मैं आपसे उस बारे बात करूंगी जो मैंने सीखा माता-पिता और बच्चों से बात करने से। मैं आपको दिखाऊँगी वे जानते हैं कि एक परिवार में सबसे अधिक मायने क्या रखता है, भले ही उनका परिवार थोड़ा अलग दिखता है। मैं आपको उनके कठिन प्रश्नों से निपटने के लिए रचनात्मक तरीके दिखाऊंगी। लेकिन मैं आपको माता-पिता की अनिश्चितताएं भी दिखाऊंगी। हमने दम्पतियों का साक्षात्कार लिया जिन्होंने गेन्ट विश्वविद्यालय के अस्पताल में प्रजनन उपचार लिए, शुक्राणुदाता के शुक्राणु उपयोग करके। इस उपचार के समय में, आप दो बिंदु देख सकते हैं जब हमने साक्षात्कार लिए। हमने विषमलैंगिक जोड़े शामिल किए , जहां किसी कारण पुरुष शुक्राणु अच्छी गुणवत्ता वाले नहीं थे, और समलैंगिक जोड़े जिन्हें स्पष्ट रूप से कहीं और शुक्राणु खोजने की जरूरत थी। हमने बच्चों को भी शामिल किया। मैं जानना चाहती थी कि वे बच्चे अभिभावक और परिवार की अवधारणाओं को कैसे परिभाषित करते हैं। वास्तव में, मैंने उनसे यही पूछा केवल उस तरह से नहीं। उसकी बजाय मैंने एक सेब के पेड़ का चित्र बनाया। इस तरह, मैं तत्त्व पूछ सकती थी, दार्शनिक सवाल इस ढंग से कि उन्हें बुरा न लगे। अतः जैसा कि आप देख सकते हैं, सेब का पेड़ खाली है। और यह मेरे अनुसंधान दृष्टिकोण को दर्शाता है। इस तरह की तकनीकों को डिजाइन करके, मैं साक्षात्कार में यथासम्भव कम से कम अर्थ व सामग्री ला सकती हूँ, क्योंकि मैं उनसे यह सुनना चाहती हूँ। मैंने उनसे पूछा: आपका परिवार कैसा दिखता अगर यह एक सेब का पेड़ होता? और वे एक कागज़ का सेब ले सकते थे उन सभी के लिए जो, उनके विचार में, परिवार के सदस्य थे, उस पर उसका नाम लिख कर और जहां वे चाहते थे वहां उसे लटकाते और मैं प्रश्न पूछूंगी। अधिकांश बच्चों ने माता-पिता या भाई-बहन के साथ शुरू किया। एक ने "बॉक्सर," के साथ शुरू किया, अपने दादा दादी का मृत कुत्ता। अब तक किसी बच्चे ने दाता का ज़िक्र करना शुरू नहीं किया। इसलिए, मैंने उनसे उनके जन्म की कहानी के बारे में पूछा। मैंने कहा, "जन्म लेने से पहले, यह सिर्फ तुम्हारी माँ और पिताजी थे, या माँ और माँ क्या आप मुझे बता सकते हैं कि आप परिवार में कैसे आए?" और उन्होंने समझाया। एक ने कहा, "मेरे माता-पिता के पास अच्छे बीज नहीं थे, लेकिन वहाँ मैत्रीपूर्ण पुरुष हैं जिनके पास अतिरिक्त बीज हैं। वे उन्हें अस्पताल ले आते हैं, और वे उन्हें एक मर्तबान में डाल देते हैं। मेरी माँ वहां गई, और उसने मर्तबान में से दो ले लिए, एक मेरे लिए और एक मेरी बहन के लिए। उसने बीज को अपने पेट में डाल दिया - किसी न किसी तरह -- और उसका पेट बहुत बड़ा हुआ, और वहां मैं था। " हम्म। इसलिए केवल जब उन्होंने दाता का उल्लेख करना शुरू किया, मैंने उसके बारे उनके स्वयं के शब्दों का उपयोग करते हुए प्रश्न पूछे। मैंने कहा, "अगर यह एक सेब बीज वाले दोस्ताना आदमी के लिए हो, आप इसके साथ क्या करेंगे?" और एक लड़का ज़ोर से सोच रहा था, सेब पकड़े हुए। और उसने कहा, "मैं इसे दूसरों के साथ वहां नहीं रखूंगा। वह मेरे परिवार का हिस्सा नहीं है। लेकिन मैं उसे ज़मीन पर नहीं लगाऊंगा। यह बहुत ठंडी है और बहुत सख्त है। मुझे लगता है कि उसे तने में होना चाहिए, क्योंकि उसने मेरे परिवार को संभव बनाया है। अगर वह ऐसा न करता तो वास्तव में दुख की बात होती क्योंकि मेरा परिवार यहाँ नहीं होता, और मैं यहाँ नहीं होता।" अतः, माता-पिता ने भी परिवार की कहानियां घडीं - अपने बच्चों को बताने हेतु कहानियां। एक दंपति ने अपना वीर्यरोपण समझाया अपने बच्चों को एक खेत में ले जा कर पशु चिकित्सक को गायों में वीर्यरोपण करते दिखाने हेतु। और क्यों नहीं? यह समझाने का उनका तरीका है; उनके परिवार को बताने का अपना ढंग। बताने का अपना ढंग। व एक और दम्पति था जिन्होंने पुस्तकें बनाईं - प्रत्येक बच्चे हेतु एक पुस्तक। वे वास्तव में कला कौशल कार्य था उपचार की सारी प्रक्रिया में उनके विचार और भावनाओं को दिखाने का। उनके पास अस्पताल पार्किंग टिकट भी था। तो यह बताने का अपना ढंग है: तरीकों, शब्दों और छवियों को ढूंढना अपनी पारिवारिक कहानी को अपने बच्चे को बताने के लिए। और ये कहानियाँ बहुत विविध थीं, लेकिन इन सब में एक समानता थी: यह एक बच्चे के लिए लालसा की कहानी थी और उस बच्चे की तलाश। यह इस बारे में था कि उनका बच्चा उनके लिए कितना खास व अत्याधिक प्यारा था। और अनुसंधान अभी तक दिखाता है कि ये बच्चे ठीक चल रहे हैं। अन्य बच्चों की तुलना में उनकी अधिक समस्याएं नहीं हैं। फिर भी ये माता-पिता अपने फैसले को सही ठहराना चाहते थे उन कहानियों से जो वे बताते हैं। उन्हें उम्मीद थी कि उनके बच्चे उनके कारण समझेंगे इस तरह से परिवार को बनाने के लिए। अंतर्निहित एक डर था कि उनके बच्चे अस्वीकार कर सकते हैं और गैरआनुवांशिक माता पिता को अस्वीकार कर देंगे। और वह डर समझ में आता है, क्योंकि हम एक बहुत ही स्त्री-पुरुष युगल और आनुवंशिकीकृत समाज में रहते हैं - ऐसी दुनिया जिसे अभी विश्वास है कि वास्तविक परिवारों में एक माँ होती है व एक पिता होता है। और उनके आनुवंशिक रूप से संबंधित बच्चे। अच्छा। मैं आपको एक किशोर लड़के बारे बताना चाहती हूँ। वह शुक्राणु दान से पैदा हुआ पर हमारे अध्ययन का भाग नहीं। एक दिन उसकी अपने पिता से बहस हो गई और वह चिल्लाया "आप मुझे बता रहे हैं कि क्या करना है? तुम तो मेरे पिता भी नहीं हो!" हमारे अध्ययन में माता-पिता को बिल्कुल इसी बात का डर था। अब, लड़के ने जल्द ही खेद जताया, और आपस में बन गई। लेकिन यह उसके पिता की प्रतिक्रिया बहुत दिलचस्प है। उसने कहा, "इस धड़ाके का आनुवंशिक संबद्ध से कोई लेना देना नहीं था। यह यौवन के बारे में था - जो कठिन है। इस आयु में वे यही करते हैं। यह बीत जाएगा।" यह आदमी हमें दिखाता है कि जब कुछ गलत हो जाता है हमें तुरंत सोचना नहीं चाहिए यह इसलिए है क्योंकि परिवार थोड़ा अलग है। ये बातें सभी परिवारों में होती हैं। और कभी न कभी, सभी अभिभावक आश्चर्य कर सकते हैं : क्या मैं एक अच्छी माँ या अच्छा पिता हूँ? ये माता-पिता भी। वे सब से बढ़ करअपने बच्चों के लिए उच्चतम करना चाहते थे। पर उन्हें भी कभी-कभी आश्चर्य होता है: कि क्या मैं एक असली माँ या पिता हूँ? और उनके माता-पिता बनने से काफी समय से पहले ही उनकी अनिश्चितताएं मौजूद थीं। उपचार की शुरुआत के समय से, जब वे पहली बार परामर्शदाता से मिले, उन्होंने परामर्शदाता को बड़े ध्यान से सुना, क्योंकि वे इसे सही करना चाहते थे। यहां तक ​​कि 10 साल बाद, उन्हें दी गई सलाह अभी भी याद है। इसलिए जब उन्होंने परामर्शदाता के बारे में सोचा और जो सलाह दी गई थी हमने उस पर चर्चा की। और हमने एक समलैंगिक जोड़े को देखा जिन्होंने कहा, "जब हमारा बेटा हमसे पूछता है, 'क्या मेरा पिता है?' हम कहेंगे 'नहीं, तुम्हारे पिता नहीं हैं।' लेकिन हम और कुछ नहीं कहेंगे, जब तक कि वह पूछता नहीं, क्योंकि हो सकता है वह इसके लिए तैयार न हो। सलाहकार ने ऐसा कहा।" अच्छा। मुझे नहीं पता; यह काफी अलग है हम बच्चों के प्रश्नों के कैसे उत्तर देते हैं। जैसे, "दूध - क्या यह कारखाने में बनाया जाता है?" हम कहेंगे, "नहीं, यह गायों से आता है," और हम किसान के बारे में बात करेंगे, और जिस तरह से दुकान में दूध पहुँचता है। हम नहीं कहेंगे, "नहीं, कारखाने में दूध नहीं बनता है।" तो कुछ अजीब घटित हुआ और निश्चित रूप से इन बच्चों ने वह देखा। एक लड़के ने कहा, "मैंने अपने माता-पिता से कईं सवाल पूछे, लेकिन वे सच में विचित्रता से पेश आए। तो, आप जानते हैं, मेरे पास स्कूल में एक सहेली है,और वह उसी तरह से पैदा हुई। जब मेरे पास कोई सवाल होता है, मैं बस उससे जा कर पूछता हूँ।" चतुर लड़का। समस्या सुलझ गयी। लेकिन उसके माता-पिता ने ध्यान नहीं दिया, और यह जो उनके मन में था निश्चित रूप से वह नहीं था, और न ही ऐसा सलाहकार के मन में था जब वे कह रहे थे कि खुले वार्तालाप वाला परिवार होना कितना महत्वपूर्ण है। और सलाह बारे यह अजीब बात है। जब हम लोग गोलियां देते हैं, हम सबसे पहले सबूत इकट्ठा करते हैं। हम परीक्षण करते हैं, हम अनुवर्ती अध्ययन करते हैं। हम जानना चाहते हैं, और ठीक ही, यह गोली क्या कर रही है और यह लोगों के जीवन को कैसे प्रभावित करती है। और सलाह? यह सलाह के लिए पर्याप्त नहीं है, या पेशेवरों के लिए ऐसी सलाह देना जो सैद्धांतिक रूप से सही है, या अच्छे अभिप्राय वाली है। यह सलाह होनी चाहिए कि ऐसा सबूत है - सबूत के लिए कि यह वास्तव में रोगियों के जीवन में सुधार लाता है। तो मेरे भीतर का दार्शनिक अब आपको एक विरोधाभास की पेशकश करना चाहेगा : मैं आपको सलाह न मानने की सलाह देती हूँ। लेकिन, हां। (तालियां) मैं यहाँ इस बात पर नहीं रुकूंगी कि क्या गलत हुआ; मैं उस गर्मजोशी के साथ न्याय नहीं कर रही हूँगी जो हमने उन परिवारों में पाई। किताबें और किसान के यहाँ की यात्रा याद करें? जब माता-पिता ऐसी चीज़ें करते हैं जो उनके लिए काम करती हैं, वे प्रतिभाशाली चीज़ें करते हैं मैं आपको पारिवारिक सदस्यों के रूप में याद रखवाना चाहती हूँ, कि प्रकार या आकार से कोई फर्क नहीं पड़ता , पर परिवारों को गर्म संबंधों की ज़रूरत है। और उन्हें बनाने के लिए हमें पेशेवर होने की आवश्यकता नहीं है। हम में से अधिकांश बस ठीक करते हैं, हालांकि यह कठिन काम हो सकता है, और समय-समय पर, हम कुछ सलाह के साथ कर सकते हैं उस स्थिति में, तीन चीजों को ध्यान में रखें। उस सलाह को मानें जो आपके परिवार के लिए काम करती है। याद रखें - आप विशेषज्ञ हैं, क्योंकि आप अपना पारिवारिक जीवन जीते हैं। और अंत में, अपनी क्षमताओं और रचनात्मकता में विश्वास करें, क्योंकि आप इसे स्वयं कर सकते हैं धन्यवाद। (तालियां) इस साल अपनी बेटियों को बताइए, कैसे हम काॅफी की तलब करते हुए उठे लेकिन उसकी जगह सुबह के अखबारों में बिखरी लाशें पाई, हमारी बहनों, पतियों या पत्नियों, छोटे बच्चों की जलग्रस्त प्रतिकृतियाँ इस साल जब आपकी बच्ची पूछे, जो उसे ज़रूर करना चहिए, उसे बताइए इसे आने में देर हो गई स्वीकार कीजिए कि जिस साल हमें आज़ादी मिली, तब भी हम पूरे तौर से उसके मालिक नही बने तब भी कानून थे कि हम अपने निजी हिस्सों का किस तरह वापर करें जब वह हमारे कोमल सिलवटों को छूते रहे, बिना हमारी इजाज़त की फ़िक्र किए मर्दों पर लागू होने वाले कोई कानून नहीं बनाए गए हमें बचना सिखाया गया था, इंतज़ार करना, डरना, छिपना सिखाया गया और भी रुकना, अभी तक रुकना हमे बताया कि हम खामोश रहें पर इस युद्ध-काल में अपनी बच्चियों को बताइए एक साल, पिछले हज़ारों की तरह ही, बीत गया तो पिछले दो दशकों से, हमने अपनी आँखें पोंछ दी, ध्वजों के संदूकों से सजी, क्लब के मौका-ए-वारदात को खाली कर दिया, सड़क पर चीखें, अपने जिस्मों को ज़मीन पर लिटाया, हमारे शहीदों के शवों के पास, रोये, "बेशक हम मायने रखते थे," गुमशुदाओं के लिए इबादत की इस साल औरतें रोयी हैं रोयी हैं वे। उस ही साल, हम तैयार हुए । जिस साल हमने अपना खौफ़ खोया, और हिम्मती बेपरवाही के साथ चलें उस ही साल हमने बंदूकों को डटकर देखा आसमान के सारसों के गीत गाए, झुके और टाला हिजाबों में सोना पकड़ा, मौत की धमकियाँ इकट्ठा की, खुदको देशभक्त के नाम से जाना कहा, "हम अब 35 के हुए हैं, वक्त आ गया है घर बसाने का, अपना साथी ढूँढने का," बच्चे-सी खुशी के लिए सड़कों के नक्शे बनाए, सिर्फ़ डर को शर्मिंदा किया, खुदको मोटा बुलाया, जिसका मतलब, ज़ाहिर है, कमाल था. इस साल, हम औरतें थी, न किसी की दुल्हन, न कोई ज़ेवर न कोई नीच लिंग न कोई रियायत,बल्कि औरते अपने बच्चों को सिखाएं। उन्हें याद दिलाइए कि सीधी-सादी बनी और नीच बने रहने का साल बीत चुका है हम में से कुछ ने पहली दफा कहा कि हम औरतें हैं एकता की इस शपथ को सच-मुच माना हम में से कुछ को बच्चे हुए और कुछ को नहीं हुए और हम में से किसी ने नहीं पूछा कि क्या इससे हम असली या माकूल या सच हुए जब वह इस साल के बारे में आप से पूछेगी, आपकी बेटी, क्या आपकी औलाद है, या आपके जीत की वारिस उसका के दिलासा देनेवाले इतिहास , जो औरतों की ओर लड़खड़ा रहा है उसे ताज्जुब होगा और वह उत्सुकता से पूछेगी, भले उसे आपकी कुरबानी का एहसास नही होगा, पर आपके अंदाज़े को वह पाक मानेगी जिज्ञासा से पूछते, "आप कहाँ थी? क्या आप लड़ी? क्या आप डरी हुई थी या डरानेवाली थी? दीवारों पर आपके अफसोस का रंग कैसे लगा? जब वक्त था उस साल आपने औरतों के लिए क्या किया? यह रास्ता आपने मेरे लिए बनाया, कौन सी हड्डियों को टूटना पड़ा? क्या आपने काफ़ी कर लिया, क्या आप ठीक हो, माँ? और क्या आप एक हीरो हो?" वो मुशकिल सवाल पूछेगी उसे परवाह नहीं होगी आप की भृकुटि के वक्र की आप की पकड़ के वज़न की आप के उल्लेख सम्बंधित नहीं पूछगी आपकी बेटी, जिस के लिए आपने इतना कुछ किया, वो जानना चाहेगी क्या तोहफा लाये आप, कोनसी रौशनी आपने बुझने से बचायी जब वह शिकार के लिए रात को आये तब आप सो रहे थे या जाग गए थे आपको जागने की क्या कीमत भरनी पड़ी? इस साल, जब हमने कहा समय आ गया है, आप ने अपने विशेषाधिकार से क्या किया? दूसरों के घिनोनेपन का घूट पी गए? क्या आप ने मुह मोड़ा या आग में झाँक के देखा? क्या आपने अपना हुनर पहचाना या उसे बोझ समझ लिया? क्या आपके "बुरे" और "दूसरों से कम" उपनामो ने आपको मूर्ख बनाया? क्या आपने दिल खोल के पढ़ाया या मुट्ठी भींच कर आप कहाँ थे? उसे सच बताना अपनी ज़िन्दगी बनाओ पुष्टि करो कहो "बेटी मैं वहां कड़ी थी" वह पल मेरे चेहरे पर खंजर की तरह खिंचा है और मैंने उसे पीछे धकेला काट कर तुम्हारे लिए जगह बनाई सच बताओ किस तरह हर कुटिल परिस्थिति के बावजूद आप बाहादुर थे और हमेशा बहादुरों के साथ खड़े थे खासकर उन दिनों जब आप अकेले ही थे वह भी आप की तरह ही पैदा हुई जैसे आप की माँ और उनके साथ आपकी बहनें बहादुरों के समय, हमेशा की तरह उसे बताओ की वह सही समय पर पैदा हुई थी सही समय पर नेतृत्व करने के लिए (तालियाँ) केन्या में बडे होते हुए, मैं हमेशा से चाहती थी कि बायोकैमिस्ट्री पढूं, देखिये, मैंने प्रभाव देखा था मलेरिया जैसे बहुत फैले हुए रोगों का, और मैं दवाएं बनाना चाहती थी जिनसे रोगियों का इलाज हो इसलिए मैंने बहुत मेहनत की, और अमेरिका में छात्रवृत्ति पाकर , एक कैंसर शोधकर्ता बन गयी, और मुझे यह बहुत पसंद था। किसी के लिए भी जो रोगों का इलाज करना चाहता है, इससे उच्चतर कोई पेशा नहीं है दस साल बाद, मैं वापस आ गयी केन्या में यही करने के लिए एक ताजा प्राप्त पीएचडी, इस भयंकर बीमारी से निपटने के लिए तैयार, जो कि केन्या में लगभग निश्चित रूप से मौत की सजा थी लेकिन नौकरी एक दवा कंपनी में पाने के बजाय या एक अस्पताल में, मैंने खुद को खिंचा पाया एक अलग तरह की प्रयोगशाला में, एक अनोखे प्रकार के रोगी के साथ काम करना - एक रोगी जिसकी बीमारी इतनी गंभीर थी यह मेरे देश में हर एक व्यक्ति को प्रभावित करता था; इस रोगी को शीघ्र स्वस्थ होना ज़रूरी था। वह रोगी हमारी सरकार थी (हँसी) देखिये, हम में से बहुत सहमत होंगे कि आज की बहुत सारी सरकारें अस्वस्थ हैं (हँसी) (तालियां) और केन्या कोई अलग नहीं था। जब मैं 2014 में केन्या लौट आई, वहां 17 प्रतिशत युवा बेरोजगारी थी और नाइरोबी, जो प्रमुख व्यवसायिक केंद्र है, उसे 177 वां क्रमांक दिया गया रहने की गुणवत्ता सूची में यह दुखद था। अब, एक अर्थव्यवस्था केवल उतनी ही स्वस्थ है जितनी वे संस्थाएँ जो इसे बनाते हैं तो जब सरकार - उसकी सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक - कमजोर या अस्वस्थ है, हर कोई और सब कुछ पीड़ित है कभी-कभी आप शायद एक जगह में बैंड-एड लगा दें दर्द को अस्थायी रूप से रोकने के प्रयास में शायद आप में से कुछ ने भाग लिया हो बैंड-एड प्रबंध में किसी एक अफ्रीकी देश के लिए - वैकल्पिक स्कूलों की स्थापना, अस्पतालों का निर्माण, कुएं खोदना - क्योंकि वहाँ सरकारें या तो नहीं थी या अपने नागरिकों को यह सेवाएं प्रदान नहीं कर सकीं हम सभी जानते हैं यह एक अस्थायी समाधान है कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हे बैंड-एड ठीक नहीं कर सकता, जैसे कि एक ऐसा अनुकूल अवस्था प्रदान करना जहां व्यवसाय सुरक्षित महसूस करते हैं ताकि उनके पास एक-समान अवसर हो अपना व्यवसाय सफलतापूर्वक शुरू करने में और चलाने में या वहां ऐसी व्यवस्था हो जो कि उनकी बनाई निजी संपत्ति की वह रक्षा करे| मेरा कहना यह है कि, केवल सरकार ही सक्षम है इन ज़रूरी अवस्थाओं को बनाने में जो कि अर्थव्यवस्थाओं को कामयाबी दे| अर्थव्यवस्थाएं तब पनपतीं हैं जब व्यापार जल्दी व आसानी से कार्य स्थापित कर सकते हैं व्यापारी खुद के लिए आय के नए स्रोत बनाते हैं, नई नौकरियों अर्थव्यवस्था में शमिल होती हैं और फिर अधिक करों का भुगतान किया जाता है जिससे सार्वजनिक परियोजनाओं चलती हैं नया व्यवसाय सभी के लिए अच्छा है और यह आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण माप है, विश्व बैंक का एक क्रमांक है जिसे "क्रम, व्यापार करने की सुगमता" कहा जाता है यह नापता है कि एक व्यवसाय शुरू करना कितना आसान या मुश्किल है किसी भी देश में और जैसा आप कल्पना कर सकते हैं, व्यापार शुरू करना या चलाना ऐसे देश में जहां सरकार बीमार हो- लगभग असंभव है। केन्या के राष्ट्रपति यह जानते थे, यही कारण है कि 2014 में, वह हमारी प्रयोगशाला में आए और हमें उनके साथ भागीदारी का आमंत्रण दिया ताकि केन्या के व्यवसाय विकास को प्रारम्भ में मदद कर सकें उन्होंने एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया: वह चाहते थे कि केन्या विश्व बैंक क्रमांक में चोटी के 50 की सूची में हो 2014 में जब वह आए, केन्या 189 देशों में से 136 स्थान पर था हमारा कार्य अब स्पष्ट हो चुका था सौभाग्य से, वह सही जगह पर आए थे। हम सिर्फ एक बैंड-एड प्रकार की टीम नहीं हैं हमारे समूह में कंप्यूटर वैज्ञानिक, गणितज्ञ, इंजीनियर और एक कैंसर शोधकर्ता हैं, जिनको समझ आया कि बीमारी को ठीक करने के लिए ऐसे बड़े सरकार रुपी रोगी व्यवस्था में, हमें पूरे शरीर की जांच करना आवश्यक है, फिर हमें गहराई से छान-भीन करना जरुरी था सभी अंगों से ले के ऊतकों और एकल कोशिकाओं तक, ताकि हम ठीक से पहचान कर सकें| तो स्वयं राष्ट्रपति से, हमारे अग्रवर्ती आदेशों के साथ हमने शुद्धतम वैज्ञानिक विधि से शुरूआत की : तथ्य एकत्रण -- सभी तथ्य जिसे हम ढूंढ सके - परिकल्पना रचना, समाधान बनाना, एक के बाद एक। इसलिए हम सैकड़ों व्यक्तियों से मिले जो सरकारी संस्थाओं में काम करते थे, कर संस्थान से, भूमि कार्यालय, बिजली-पानी आपूर्ति कंपनी, कंपनियों के पंजीकरण का जिम्मेदार विभाग और उनमें से प्रत्येक , ग्राहकों की सेवा करते हुए समीक्षा की हमने उनकी प्रणालिओं को प्रलेखित किया - वे ज्यादातर हाथ-सम्बन्धी थे हमने उनके बहुत से पिछले कागज़ात भी देखे इस कोशिश में कि अच्छे से समझे; और कोशिश कर पहचानें कि क्या शारीरिक खराबी हुई थी जिससे 136वें स्थान पर पहुंचे थे उस विश्व बैंक की सूची में हमने क्या पाया? अब, केन्या में 72 दिन लग रहे थे किसी व्यवसाय के मालिक को अपनी संपत्ति पंजीकृत करने के लिए, तुलना में न्यूजीलैंड में सिर्फ एक दिन, यह दूसरे स्थान पर था विश्व बैंक की सूची में| 158 दिन लगे एक नया बिजली कनेक्शन पाने के लिए कोरिया में इसे 18 दिन लगे। यदि आप निर्माण अनुमति प्राप्त करना चाहते ताकि आप एक इमारत बना सकें, केन्या में, आपको 125 दिन लगेंगे| सिंगापोर में, जो पहले स्थान पर है, आपको 26 दिन ही लगते। खुदा न करे आपको कचहरी जाना पडे एक अनुबंध को लागू करने के विवाद, का निर्णय पाने के लिए क्योंकि केवल इस प्रक्रिया में ही आपको 465 दिन लगेंगे। और अगर यही बुरा नहीं था, आप दावे का 40 प्रतिशत खो देंगे सिर्फ शुल्कों में - कानूनी शुल्क, प्रवर्तन शुल्क, कचहरी शुल्क अब, मुझे पता है कि आप क्या सोच रहे हैं: ऐसी अक्षमताओं का किसी अफ्रीकी देश में होने का मतलब, वहां भ्रष्टाचार होगा| काम चलाने वाली कोशिकाएं ही पूरी तरह से भ्रष्ट होंगी| मैंने भी वास्तव में ऐसा ही सोचा। जब हमने शुरूवात की, मैंने सोचा कि बहुत भ्रष्टाचार उभर के आएगा, मैं सचमुच इस प्रक्रिया में या तो मर जाऊँगी या मार दी जाऊँगी। (हँसी) लेकिन जब हम और गहराइ में गए, हमेंने भ्रष्टाचार नहीं पाया उस सन्दर्भ में: अंधेरे में छिपे हुए गंदी अपराधी, अपने दोस्तों की हथेलियों गरम करने के इंतजार में| हमने एक बहुत भारी असहायता का भाव पाया| हमारी सरकार बीमार थी, क्योंकि सरकारी कर्मचारी असहाय महसूस करते थे उन्हें लगा कि चीज़ों को बदलने में असमर्थ हैं और जब लोग सीमित और असहाय महसूस करते हैं, वे एक बड़ी प्रणाली में अपनी भूमिका को देखना बंद कर देते हैं वे सोचते हैं कि वे जो काम करते हैं उसका परिवर्तन लाने में कोई मतलब नहीं है और जब ऐसा होता है, चीजें धीमी हो जाती हैं, फिसल जाती हैं खो जाती हैं और अक्षमताएं बढ़ती हैं अब मेरे साथ कल्पना करें, अगर आपको एक प्रक्रिया द्वारा जाना था - कोई अन्य विकल्प नहीं था - और यह प्रक्रिया अकुशल, जटिल थी और बहुत, बहुत धीमी आप क्या करते? मुझे लगता है कि आप प्रयास करते किसी को ढूँढ़ते उसका ठेका देने के लिए, ताकि वे उसको संभाल लें आप के लिए अगर वह काम नहीं होता, शायद आप किसी को कीमत देने का विचार करेंगे ताकि सिर्फ "अनौपचारिक रूप से" संभाल ले आपकी ओर से - खासकर अगर आपकी सोच है कि कोई आपको नहीं पकड़ेगा। द्वेष या लालच से नहीं, पर सिर्फ यह सुनिश्चित करने की कोशिश है कि आपका काम हो जाये ताकि आप आगे चल पाएं दुर्भाग्य से, वह भ्रष्टाचार की शुरुआत है और यदि इसे और बढ़ने के लिए छोड़ दिया, यह पूरी प्रणाली में रिस जाता है, और देखते ही देखते, पूरे शरीर पीड़ित हो जाता है यह जान कर, हमें यह आरम्भ से सुनिश्चित करना पड़ा कि हर एक हितधारक के साथ हमारा एक साझा दृष्टिकोण हो उस के प्रति जो हम करना चाहते थे इसलिए हम सभी के साथ मिले, क्लर्क से, जिसका एकमात्र कार्य स्टेपल निकलना है आवेदन लिफाफों में से, कानूनी प्रारूपक, तक जो अटॉर्नी जनरल के कार्यालय में थे, और क्लर्क जो जिम्मेदार होते हैं व्यापार मालिकों की सहायता के लिए जब वे सरकारी सेवाएं प्राप्त करने आए। और उनके साथ, हमने यह सुनिश्चित किया कि वे समझें कैसे उनकी रोज़मर्रा की गतविधियां हमारे देश की क्षमता को प्रभावित कर रही थीं नई नौकरियां बनाने के लिए निवेश आकर्षित करने के लिए किसी की भी भूमिका बहुत छोटी नहीं थी; हर किसी की भूमिका महत्वपूर्ण थी अब, भूजें कि हमें क्या दिखना शुरू हुआ? संगठित सरकारी कर्मचारी जो बदलाव का अभियान चलाने के लिए उत्साहित हैं, वे आकार लेने और बढ़ने शुरू हुए और साथ में हमने परिवर्तनों को लागू करना शुरू किया जिसने हमारे देश की सेवा प्रबंध को प्रभावित किया परिणाम? सिर्फ दो वर्षों में, केन्या का पग सूची में 136 से 92 हुआ (तालियां) इसे पहचान कर कि हम महत्वपूर्ण सुधार लागू कर पाएं हैं वो भी इतने कम समय में, इस बात की केन्या को मान्यता दी गई थी कि वह पूरे विश्व में तीन उच्च वैश्विक सुधारक में से एक रहा लगातार दो साल तक। (तालियां) क्या हम पूरी तरह स्वस्थ हैं? नहीं। हमें और गंभीर काम अभी भी करना है मुझे यह दो वर्ष वजन घटाने कार्यक्रम की तरह लगते हैं| (हँसी) अखाड़े में महीनों की कड़ी मेहनत के बाद का वह समय है, आप पहली बार खुद को तौलेंगे, और आपने 20 पाउंड कम किए हैं आप अजेय महसूस कर रहे हैं अब, आप में से कुछ सोच रहे होंगे यह आपके लिए लागू नहीं होता है आप केन्या से नहीं हैं आप एक उद्यमी होने का इरादा नहीं रखते। लेकिन, मेरे साथ एक क्षण के लिए सोचो। आपने पिछली बार कब सरकारी सेवा का उपयोग किया? शायद गाडी चालक के लाइसेंस का आवेदन किया, अपने आप कर प्रस्तुत करने की कोशिश की। इस राजनीतिक और वैश्विक अर्थव्यवस्था में बहुत आसानी से हम हार मान लेना चाहते हैं जब हम सरकार के रूपांतरण का सोचते हैं हम इस तथ्य या सोच को आसानी से अपना लेते हैं कि सरकार बहुत अप्रभावी है, बहुत भ्रष्ट है, ठीक नहीं होने वाली। हम शायद ही कभी कुछ प्रमुख सरकारी जिम्मेदारियां मिलें अन्य क्षेत्रों में, बैंड -एड सहायता के लिए, या बस हार मान कर असहाय महसूस करना। लेकिन एक प्रणाली बीमार है, इसका मतलब यह नहीं है कि यह मर रही है हम हार नहीं मान सकते जब सरकारों को स्वस्थ करने की चुनौतियां आती हैं अंततः, वास्तव में एक सरकार स्वस्थ तब बनाती है, जब स्वस्थ कोशिकाएं - जो आप और मैं हैं- मैदान में उतरें, आस्तीन मोड़ लें, असहाय होने से इनकार कर दें और विश्वास रखें कि कभी-कभी, हमें केवल सही वातावरण बनाना काफी है स्वस्थ कोशिकाओं के लिए बढ़ने और पनपने के लिए धन्यवाद। (तालियां) मै एक बावर्ची और एक खाद्य नीति निर्माता हूँ | पर मै एक शिक्षकों के खानदान से हूँ | मेरी बहन शिकागो में विशेष ज़रूरतों वाले बच्चों को पढ़ाती है | मेरे पिता ने २५ साल तक पांचवी कक्षा को पढ़ाने के बाद हालही मे सेवानिवृति ली है| मेरे चाचा व चाची प्रोफेसर हैं | मेरे भाई-बेहन सब पढ़ाते हैं | यानि मुझे छोड़ के, मेरे परिवार के सभी लोग पढ़ाते हैं | उन्होंने मुझे सिखाया की सही जवाब जानने के लिए सही सवाल पूछना ज़रूरी है | तो यह हमारे बच्चों की शिक्षा के परिणामों को सुधारने के लिए सही सवाल कोंन से हैं? ज़ाहिर बात है की महत्व क सवाल कई सारे हैं, पर हम यहाँ से शुरुवात करते हैं : एक बच्चे के बढ़ते मष्तिस्क और बढ़ते शरीर के बीच क्या संबंध है? हम अपने बच्चों से क्या सीखने की उम्मीद कर सकते है अगर उनका आहार चीनी से भरा है और ज़रूरी पोषण से रहित है ? वो क्या सीख पायेंगे अगर उनके शरीर भीतर से भूके हैं? और जिस तरीके से हम विद्यालयों के मामले मे पैसा बहाते हैं, हमे ठहर कर अपने आप से पूछना चाहिए: क्या हम सचमुच अपने बच्चों को सफलता के लिए तैयार कर पा रहे है? कुछ साल पहले, मै एक खाना बनाने की प्रतियोगिता का जज था, जिसका नाम "चौप्ड" था | इस प्रतियोगिता में चार बावर्चियों को चुनौती दी जाती है कि रहस्यमयी सामग्री इस्तमाल करके सबसे अच्छा पकवान बनाया जाए | मगर यह कार्यक्रम कुछ अलग था -- कुछ खास था | बजाये चार उत्तेजित बावर्चियों के जो लोकप्रियता की दुनिया में जाना चाहते है मुझे इस बारे में खास अंदाज़ा नहीं है -- (हंसी) यह बावर्ची विद्यालयों में खाना बनाते थे --आप जानते ही होंगे, जिन महिलायों को आप "लंच लेडीज" बुलाते थे, जिन्हें मै "स्कूल शेफ" (विद्यालय का बावर्ची) बुलाता हूँ. ये महिलाएं -- भगवान भला करे इनका -- अपना हर दिन हज़ारों बच्चों के लिए खाना बना कर निकलती हैं, नाश्ता और दोपहर का खाना, सिर्फ $२.६८ (180₹) प्रति भोजन, जिसमे से खाने के सामान की तरफ सिर्फ एक $ (70₹) जाता है | इस कार्यक्रम मे रहस्यमय सामग्री थी 'क्विन्वा' | अब, मै जानता हूँ आप सब को स्कूल का खाना खाए काफी समय हो चूका है, और हमने पोषकता के मामले मे काफी उन्नति करली है. मगर आज भी क्विन्वा स्कुलो के कैंटीनों में लोकप्रिय नही है | (हंसी) तो यह सचमुच एक चुनोती थी | पर एक पकवान जो मै कभी नहीं भूलूंगा वह एक महिला ने बनाया था जिनका नाम था शेरिल बारबरा | शेरील कनेक्टिकट के हाई स्कूल में पोषण निर्देशक थी | उन्होंने एक स्वादिष्ट पास्ता बनाया था | वो सचमुच स्वादिष्ट था | उसमे इटालियन सॉसेज के साथ पापरडैली पास्ता था, साथ मे केल और पर्मेसन चीज़ | वह बहूत ही स्वादिष्ट था, यानि रेस्टोरेंट मे परोसे जाने लायक स्वादिष्ट मगर उन्होंने क्विन्वा को बिना पकाए ही पास्ता में दाल दिया था | यह एक अनोखा चुनाव था, और यह बहुत ही कुरकुरा था | (हंसी) तोह मैंने एक दोष लगाने डाले टीवी जज की तरह बोला और उनसे पूछा कि उन्होंने ऐसा चुनाव क्यों किया. शेरील बोलीं, "पहले तोह, मुझे पता नही है कि क्विन्वा क्या है |" (हंसी) "पर मुझे यह पता है कि आज सोमवार है, और मेरे विद्यालय, 'हाई स्कूल इन द कम्युनिट' मे, मै सोमवार को हमेशा पास्ता बनती हूँ |" शेरील ने समझाया कि उनके बच्चों में से कईं के लिए, शनिवार और रविवार को खाना नही मिलता था | ना शनिवार को | ना रविवार को | तोह वह पास्ता बनातीं थी क्यूंकि वह ये सुनिश्चित करना चाहती थी कि वह कुछ ऐसा बनाएं जो बच्चे ज़रूर खाएं | जिससे उनका पेट भर जाए | जिससे वह संतुष्ट हो जाएँ | जबतक सोमवार आता था, उनके बच्चों को इतनी भूक लग रही होती थी कि वो पढ़ने के बारे में सोच भी नही सकते थे | वह सिर्फ कुछ खाना चाहते थे | सिर्फ खाना| दुर्भाग्यता से, आँकड़े भी यही कहानी सुनाते है | हम इसे एक बच्चे के संदर्भ में देखेंगे | और हम अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे दिन के सबसे महत्वपूर्ण भोजन की ओर: नाश्ता मिलिए ऐलिसन से | ऐलिसन १२ साल की है, उसका दिमाग बहुत तेज़ है और वह बड़े होकर भौतिक शास्त्री बनना चाहती है | अगर ऐलिसन ऐसे विद्यालय जाए जहाँ सब बच्चों को एक पौष्टिक नाश्ता मिलता है, हमे यह देखने को मिलेगा | उसे पौष्टिक आहार मिलने की सम्भावना बड़ जायेगी, ऐसा आहार जिसमे फल और दूध हो, और चीनी व् नमक की मात्रा कम हो | ऐलिसन के अन्य बच्चों के मुकाबले मोटा होने के कम आसार होंगे | उसको चिकित्सक के पास कम जाना पड़ेगा | उसे अवसाद (डिप्रेशन) की बिमारी होने के आसार कम होंगे | उसका व्यवहार बेहतर होगा | उसकी हाजिरी ज्यादा होगी, और वह समय पर उपस्थित होगी | क्यों? क्योंकि वहां एक पौष्टिक आहार उसका इंतज़ार कर रहा है | यानी की, ऐलिसन का स्वास्थ एक सामान्य छात्र से बेहतर होगा | पर उस बच्चे के बारे मे क्या जिसके लिए एक पौष्टिक आहार इंतज़ार नही कर रहा ? मिलिए टॉमी से | वह भी १२ साल का है | टॉमी एक लाजवाब बच्चा है | वह एक चिकित्सक बनना चाहता है | जब टॉमी बाल विहार में आता है, वह गणित में खराब प्रदर्शन दिखाना शुरू कर चूका है | जबतक वह तीसरी कक्षा में पोहोंचता है, उसे गणित के साथ साथ पढने में भी परेशानी आ रही है | ११ साल की उम्र तक सम्भावना है की टॉमी एक साल दोहरा चूका होगा | शोध से पता चला है कि जिन बच्चों को लगातार पोषण नही मिलता है, खासकर के नाश्ते मे, उनकी मानसिक क्षमता कमज़ोर रहती है | तोह यह समस्या किस पैमाने पे प्रचलित है? दुर्भाग्य से, यह काफी फैली हुयी है | मै दो आंकड़े देना चाहूँगा जो एक दुसरे के विपरीत प्रतीत होंगे, पर असल में एक ही मुद्दे के दो पहलु हैं | एक तरफ, ६ में से १ अमेरिकन को पौष्टिक आहार नही मिलता, यानी १ करोड़ ६० लाख बच्चों-- तक़रीबन २० प्रतिशत -- को सही पोषण नही मिलता | इस शहर, न्यू यॉर्क सिटी में, १८ साल की आयु के नीचे ४,७४,००० बच्चे हर साल भूख का सामना करते है | यह पागलपन है | दूसरी और, आहार और पोषण इस देश में मौत और बिमारी का सबसे बड़ा ऐसा स्रोत है जिसे रोका जा सकता है | और आज हम जिन बच्चों की बात कर रहे हैं, उनमे से एक तिहाई को अपने जीवन में डायबिटीज का सामना करना पढ़ सकता है | अब, जो बात समझना मुश्किल है पर ज़रूरी भी, वह है की इन दोनों पहलुओं में बच्चे एक ही हैं | यह बच्चे हानिकारक और सस्ती मोटापा बढ़ने वाली चीज़ें खाते है जो उनके समुदाय में उपलब्ध है और जिन्हें उनके परिवार खरीदने में समर्थ हैं | पर फिर महीने के आखिर तक, राशन कार्ड की सीमा ख़तम हो जाती है या काम में कुछ घंटों की कटौती हो जाती है, और अब उनके पास खाने की बुनियादी ज़रूररत के लायक पैसे नही बचते | पर फिर तोह हमारे पास इस परेशानी को सुधारने का उपाय होना चाहिए, हैना ? हमे पता है की उपाय क्या हैं | वाइट हाउस में काम करते समय हमने एक योजना बनायीं, जिसमे हर ऐसा विद्यालय जिसमे ४० प्रतिशत से अधिक कम आए वाले परिवारों के बच्चे हैं, उनमे हम हर बच्चे को नाश्ता और खाना मुफ्त मे उपलब्ध कराएँगे | ये योजना बहुत ही सफल साबित हुयी है, क्योंकि इसने हमे बच्चों को एक सेहतमंद नाश्ता प्रदान करने से जुडी एक बेहद ज़रूरी बाधा पार करने में मदद दी | और वो बाधा थी कलंक की | गरीबी का कलंक | देखिये, विद्यालय नाश्ता पढाई शुरू करने से पहले देते हैं, और सिर्फ गरीब वर्ग के बच्चों को देते हैं | तोह सबको पता चल जाता था कि कौन गरीब है और किसे सरकारी मदद की ज़रूरत है अब, हर बच्चे मे, चाहे उनके माता पिता कम कमाते हों या ज्यादा, अभिमान ज़रूर होता है | तोह इस योजना से क्या हुआ ? जिन विद्यालयों ने इस योजना को अपनाया, उनमे गणित और पढ़ने के अंकों में १७.५ प्रतिशत की बढौतरी हुयी | १७.५ प्रतिशत | और शोध ये बताती है की जब बच्चों को लगातार रूप से पौष्टिक नाश्ता मिलता है, उनके विद्यालय से उत्तीर्ण होने की सम्भावना २० प्रतिशत बढ़ जाती है | २० प्रतिशत | जब हम अपने बच्चों को ज़रूरी पोषण उपलब्ध कराते है, हम उन्हें कामयाब होने का एक मौका देते हैं, कक्षा के अन्दर और बाहर भी | आपको इस मामले में मेरा विशवास करने की ज़रूरत नही है, पर आपको डॉना मार्टिन से बात करनी चाहिए | मुझे डॉना मार्टिन बेहद पसंद है | डॉना मार्टिन वाय्नेस्बोरो, जॉर्जिया की बर्क काउंटी के विद्यालयों में पोषण निर्देशक हैं | बर्क काउंटी इस देश के पांचवे सबसे गरीब राज्य के सबसे गरीब विभागों में से एक है, और डॉना के तक़रीबन १०० प्रतिशत छात्र गरीबी की रेखा के नीचे रहते हैं | कुछ साल पहले, डॉना ने निश्चय किया कि वह आने वाले नए मापदंडों से एक कदम आगे चलेंगीं, और अपने पोषण के मापदंडों में खुद सुधार लायेंगी | उन्होंने भोजन में फल, सब्जियां और अनाज लाकर एक सुधार लाया | उन्होंने अपने सारे छात्रों को नाश्ता उपलब्ध कराया | उन्होंने रात्रिभोज की योजना भी शुरू की| क्यों ? क्योंकि उनके बहुत से छात्रों को घर पे रात को खाना नही मिलता था | तोह इस योजना पे बच्चों की कया प्रतिक्रिया थी ? बच्चों ने खाना बहुत पसंद किया | उन्होंने बेहतर पोषण, और भूका न रहना भी पसंद किया | मगर डॉना के सबसे बड़े समर्थक एक अप्रत्याशित जगह से आए | उनका नाम था एरिक पार्कर, और वह बर्क काउंटी बेअर्स के फुटबॉल कोच (प्रशिक्षक) थे | कोच पार्कर सालों से मामूली टीमों को सीखते आ रहे थे | उनकी टीम 'बेअर्स' ज़्यादातर मध्य श्रेणी में रह जाती थी -- जो एक फुटबॉल के प्रति उत्साहिक प्रदेश में एक बड़ी निराशा थी | मगर जिस साल डॉना ने यह योजना अपनाई, 'बेअर्स' न सिर्फ अपनी श्रेणी में जीते, उन्होंने राज्य प्रतियोगिता मे भी जीत हासिल की, जिसके लिए उन्होंने पीच काउंटी ट्रोजन्स को २८-१४ से मात दी | (हंसी) और कोच पार्कर ने इस जीत का श्रे डॉना मार्टिन को दिया | जब हम अपने बच्चों को ज़रूरी पोषण देते हैं, वह फलते-फूलते हैं | और यह सिर्फ इस दुनिया की शेरील बार्बराओं और डॉना मार्तिनों की ज़िम्मेदारी नही है | हम सब इसमें भागीदार हैं | और हमारे बच्चों को सही पोषण देना सिर्फ एक शुरुवात है | जो नमूना मैंने आज सामने रखा है वह वर्तमान के कईं एहम मुद्दों के लिए उचित है | यदि हम स्वयं को सही पोषण देने के एक आसान लक्ष्य पर अपना ध्यान केन्द्रित करें, हम एक ज्यादा स्थिर और सुरक्षित दुनिया की ओर कदम रखेंगे; हम अपनी आर्थिक उत्पादकता को सुधार पायेंगे; हम अपनी चिकित्सक प्रणाली में अछे बदलाव ला सकेंगे और हम यह सुनिश्चित कर पायेंगे की पृथ्वी आने वालीं कई पीढ़ियों से अपने उपहार बाँट सके | भोजन एक ऐसा शेत्र है जहाँ हमारा सामोहिक प्रयास सबसे बड़ा प्रभाव ला सकता है | हमे खुद से पूछना होगा: सही सवाल क्या है? क्या होगा अगर हम ज्यादा पौष्टिक और संपोषित कृषि द्वारा उगाया हुआ खाना खाएं? इसका असर क्या होगा? शेरील बारबरा, डॉना मार्टिन, कोच पार्कर और बर्क काउंटी बेअर्स -- उन्हें इसका जवाब पता है | आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया | (तालियाँ) अगर मैं आपसे वायु के बारे में सोचने को कहूँ, तो आप किसकी कल्पना करेंगे? ज़्यादातर लोग या तो खाली जगह के बारे में सोचते हैं, या साफ़ नीले आसमान के बारे में, या कभी कभी तेज़ हवा में झूमते पेड़। और फिर मुझे ब्लैक बोर्ड पर मेरी हाई स्कूल की केमिस्ट्री(रासायनिक विज्ञान) की अध्यापिका याद आतीं हैं, बुलबुले बनाती हुई, उन्हें एक दूसरे से जुड़ा हुआ बनाकर, ये दर्शाते हुए की वे किस तरह आपस में कांपते हुए, टकराते रहतें हैं पर वास्तव में हम वायु के विषय में कभी इतनी गहराई से नहीं सोचते। हम अक्सर उस पर तब ध्यान देतें हैं जब उसकी दशा में कुछ हलचल हो, जैसे एक दुर्गन्ध, या कुछ प्रत्यक्ष जैसे धुआँ या धुंद। लेकिन वायु हमेशा हमारे आस पास होती है। इस वक़्त भी हम सब उसके स्पर्श में हैं। वो हमारे भीतर भी है। हमारी वायु हमारे करीब है, और हमारे लिए आवश्यक है। इसके बावजूद, हम उसे इतनी आसानी से नज़रंदाज़ कर देतें हैं। तो आखिर वायु है क्या? वह पृथ्वी पर मौजूद सभी अदृश्य गैसों का एक मेल है, जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से पृथ्वी के समीप है। और हालाँकि मैं दृश्यात्मक कलाकार हूँ, वायु का अदृश्य होना मुझे रोचक लगता है। मुझे दिलचस्पी है की हम कैसे वायु की कल्पना करतें हैं, किस तरह उसे अनुभव करतें हैं और कैसे हम सब उसके होने की एक सहज समझ रखतें हैं, श्वास के द्वारा। पृथ्वी पर मौजूद सभी जीव वायु में बदलाव लातें हैं, और इस पल भी हम ऐसा कर रहें हैं। क्यों न हम सब अभी ही एक साथ एक गहरी लंबी साँस लें । क्या आप तैयार हैं? श्वास अंदर। और श्वास बाहर। जो श्वास अभी ही आप सबने छोड़ी है, उससे यहाँ की वायु में सौ गुणा कार्बन डाइआक्साइड बढ़ गयी। अतः लगभग पाँच लीटर वायु , प्रति श्वास, 17 श्वास प्रति मिनट जहाँ एक वर्ष में 525,600 मिनट होतें हैं। इससे हमें मिलती है 450 लाख लीटर वायु, जिसमें कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा 100 गुणा बढ़ चुकी है , वह भी सिर्फ आप के लिए। यह आकलन ओलंपिक खेलों में प्रयोग किये जाने वाले 18 तरण तालों के बराबर है। मेरे लिए वायु बहुवचन है। वह एक ही साथ हमारी श्वास जितनी लघु और हमारी पृथ्वी जितनी विशाल भी है। हाँ , इसकी कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है। शायद यह नामुमकिन हो , और शायद इस बात से कोई फ़र्क भी न पड़े। अपनी दृश्यात्मक कला की तकनीकों से, मैं वायु को बनाने की कोशिश करती हूँ , न कि उसे चित्रित करने के, पर उसे स्पर्शनीय बनाने की। मैं कोशिश करती हूँ की हमारी सौन्दर्यात्मक समझ को बढ़ाया जाए कि चीज़ें कैसी दिखती हैं ताकि हम यह समझ सकें की वायु हमारी त्वचा पर और हमारे फेफड़ों में कैसी महसूस होती है और उसका हमारी आवाज़ पर क्या असर पड़ता है । मैं वायु के वज़न, उसके गाढ़ेपन और गंध को समझने की कोशिश करती हूँ, पर अधिकतर मैं वायु से जुडी हम सब की कहानियों के बारे में कईं बार सोचती हूँ। यह मेरी एक रचना है, जो मैंने 2014 में बनाई थी। इसे "विभिन्न तरह की वायु: एक पौधे की डायरी" कहा जाता है, जहाँ मैं पृथ्वी के विकास के अलग अलग युगों की वायु को तर वा ताजा करती हूँ और दर्शकों को उसका अनुभव लेने का मौका देती हूँ। यह बहुत ही आश्चर्यजनक था, और साथ ही काफ़ी अलग। मैं एक वैज्ञानकि नहीं हूँ, पर वातावरण को समझने वाले वैज्ञानिक वायु से जुड़े निशानों को भूविज्ञान के नज़रिये से देखतें हैं, कुछ वैसे ही जैसे चट्टानों का ऑक्सीकरण होता है और फिर उस जानकारी से वे, कुछ मायनों में, अलग अलग समय पर वायु की बनावट को लेकर एक विधि बना लेतें हैं। फिर मैं, एक कलाकार, उसी विधि को लेकर उसकी संघटक गैसों को लेकर उसे पुनः बनाती हूँ। मुझे समय के उन पलों में विशेष दिलचस्पी रही है जो जीवों के वायु पर प्रभाव का उदहारण हो, और वे भी जिनमें वायु के कारण जीव के विकास की दिशा निर्धारित हुई, जैसे कार्बोनिफेरस हवा। यह 30 से 35 करोड़ साल पहले से पृथ्वी पर मौजूद है। वह एक ऐसा युग था जिसे विशालकाय जीवों का युग माना गया है। तो जीवन के इतिहास में पहली बार, लिग्निन पदार्थ विक्सित हुआ। ये वो ठोस परत है जिससे पेड़ बनतें हैं। अतः इस समय तक पेड़ अपने तने का निर्माण खुद ही कर रहें हैं, और फिर वे बड़े, अत्यधिक बड़े होकर, पृथ्वी पर फैल जाते हैं, प्राण वायु का इतना उत्पादन करते हुए, कि प्राण वायु का स्तर आज के मुताबिक दुगुना है। और यह स्वच्छ प्राण वायु तरह तरह के कीड़ों का सहारा देती है -- विशाल मकड़ियाँ , ड्रैगन-फलाय, जिनके पंखों का विस्तार लगभग 65 सेंटीमीटर का है। श्वास के लिए , ये हवा बेहद साफ़ और ताज़ा है। हालांकि इसमें कुछ स्वाद नहीं है, पर ये आपके शरीर में बेहद सूक्ष्म तरह से ऊर्जा बढ़ा देती है। ये खुमारी दूर करने के लिए बेहतरीन है। (हंसी ) और फिर है "एयर ऑफ़ द ग्रेट डायिंग"-- करीब 2525 लाख साल पहले की, डायनासोर के विक्सित होने से ठीक पहले। भूविज्ञान के नज़रिये से यह एक बहुत ही छोटी समय सीमा है, 20 से 200, 000 साल तक। बहुत जल्द। यह पृथ्वी के इतिहास में विलुप्तता की सबसे बड़ी घटना है, डायनासोर के विलुप्त होने से भी बड़ी। 85 -95 प्रतिशत जीव जंतु इस घटना में विलुप्त हुए, और इसी के साथ कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में आकस्मिक बढ़ोतरी है, जिसके लिए बहुत से वैज्ञानिक साथ साथ फट रहे ज्वालामुखियों और ग्रीनहाउस प्रभाव को ज़िम्मेदार मानते हैं। इस समय काल में ऑक्सीजन का स्तर आज की तुलना में आधे से काम तक गिर जाता है, तो लगभग 10 प्रतिशत। अतः ये हवा कदापि मनुष्य जीवन के लिए नहीं थी, पर एक सांस ले लेना ठीक रहेगा। और असल में सांस लेते हुए, ये विचित्र रूप से आरामदायक है। ये काफी शांतिदायक और गर्म है और इसका स्वाद सोडे जैसा है। इसमें भी उसी तरह की झुनझुनाहट है, कुछ सुहानी सी। अब इस भूतकाल की हवा के इतने मंथन के बाद, स्वभाविक है कि हम भविष्य की हवा के बारे में सोचने लगे। बजाय हवा को लेकर काल्पनिक होने के और मेरे मनगढंत रूप से हवा को दर्शाने के, मैंने ये मनुष्य-रचित हवा की खोज की। इसका मतलब है की यह प्रकृति में कहीं भी नहीं पायी जाती, पर इसका उत्पादन मनुष्यों द्वारा प्रयोगशाला में ही, अलग अलग औद्योगिक ज़रूरतों के लिए होता है। तो ये भविष्य की हवा क्यों है? खैर, इस हवा का अणु इतना स्थिर है, कि टूटे जाने तक, उत्पन्न होने के 300-400 साल बाद भी, यह वायु का हिस्सा बना रहता है। अतः कुछ 12 से 16 पीढ़ियों तक। साथ ही इस भविष्य की हवा में कुछ बेहद ग्रहणशील गुण है। ये अत्यधिक भारी है। जिस वायु कि हमें श्वास के लिए आदत है, ये उससे 8 गुना अधिक भारी है। दरअसल यह इतनी भारयुक्त है, कि इसका श्वास भर लेने के बाद जो शब्द कहे गए हो वे भी कुछ उसी तरह से भारी होते हैं, जिस कारण वे ठुड्डी से सरक कर ज़मीन पर गिर कर , दरारों में धंस जातें हैं। यह एक ऐसी हवा है जो कई मायनों में तरल पदार्थ की तरह है। इस हवा का एक नैतिक पहलु भी है, मनुष्य ने इस हवा का निर्माण किया। पर यह आज तक की परखी गैसों में से, सबसे प्रबल ग्रीनहाउस गैस भी है। इसकी गर्माने की क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड से 24,000 गुणा अधिक है , और इसकी उम्र लगभग 12 से 16 पीढ़ियों तक की है। यही नैतिक द्वन्द्व मेरे काम का केंद्र है। (धीमे स्वर में) इसमें एक और आश्चर्यचकित करने वाला गन है। यह आपकी आवाज़ की ध्वनि बदल देती है। (हंसी) तो जब हम सोचने लगे -- ओह ! अभी भी कुछ बाकि है। (हंसी ) जब हम जलवायु परिवर्तन के बारे में सोचते हैं, हम संभवतः विशाल कीड़ों और फटते ज्वालमुखियों या हास्यजनक आवाज़ों के बारे में नहीं सोचते। जो चित्र विशेष रूप से ध्यान में आतें हैं, वे पिघलते हिमनदों और हिम-शिलाओं पर तैरते ध्रुवीय भालुओं के होतें हैं। हम पाई चार्टों और स्तंभ ग्राफों के बारें में, और असंख्य नेताओं को वैज्ञानिकों से बातचीत करते हुए, सोचतें हैं। लेकिन शायद अब वक़्त आ चूका है कि हम जलवायु परिवर्तन के बारे में उसी गहरायी से विचार करना शुरू कर दें, जिस गहरायी से हम वायु का अनुभव करतें हैं। हवा की भाँती, जलवायु परिवर्तन एक साथ अणु के स्तर पर भी है, श्वास के भी, और इस गृह के भी। यह हमारे करीब है, और हमारे लिए आवश्यक है, साथ ही आकारहीन और दुष्कर भी। और फिर भी, वह आसानी से भुला दी जाती है। जलवायु-परिवर्तन मानवता का सामूहिक आत्म-चित्रण है। यह हमारे निर्णयों को, व्यक्तिगत, सरकारी और औद्योगिक स्तरों पर दर्शाता है। और अगर कुछ है जो मैंने वायु को देखते हुए सीखा है, तो वह यह है कि भले ही वह बदलती रहती है, वह कायम रहती है। शायद ये उस ज़िन्दगी को समर्थन न दे, जिसे हम समझते हैं पर किसी तरह की ज़िन्दगी को सहारा देती ही है। और हम मनुष्य अगर उस बदलाव का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, तो मुझे लगता है, ये ज़रूरी है कि हम उस विचार-विमर्श को महसूस करें। हालाँकि ये अदृश्य है, पर मनुष्य हवा पर एक बेहद जीवंत छाप छोड़ रहें हैं। शुक्रिया। (तालियाँ ) 2015 में विश्व नेताओं ने एक बड़ा वायदा किया था। एक वादा जिसमें आने वाले 15 सालों में, करोड़ों लोगों के जीवन में सुधार आने वाला है और कोई पीछे नहीं छूटेगा। वह वायदा है टिकाऊ या स्वपोषी विकास लक्ष्यों का... जिन्हें एसडीजी कहते हैं। अब तीन साल बीत चुके हैं; बीस प्रतिशत सफ़र कट चुका है। समय बीत रहा है। अगर अब हम राह से भटक गए, तो उन लक्ष्यों को पाना और भी कठिन होता जाएगा। तो मैं आज आप लोगों के सामने एक तस्वीर पेश करना चाहता हूँ कि आज हमारी स्थिति क्या है, कुछ अनुमान कि हम किस ओर अग्रसर हैं और कुछ विचार कि हमें किस तरह कुछ अलग करना चाहिए। अब, यह तो स्पष्ट है कि एसडीजी बहुत जटिल हैं। संयुक्त राष्ट्र से आप अपेक्षा भी क्या कर सकते हैं। (हँसी) कितने लक्ष्य हैं? शायद इतने जो पहले पूरे किए जा चुके हों जैसे तीन, सात या १०। नहीं, हम १० से बड़ी कोई अभाज्य संख्या लेते हैं। सत्रह लक्ष्य हैं। मैं उन्हें मुबारक देना चाहूँगा जो उन्हें याद कर चुके हैं। मुझ जैसों के लिए, वे लक्ष्य निम्न हैं। सत्रह लक्ष्य जिनमें निर्धनता हटाने से लेकर समावेशी शहर से लेकर टिकाऊ मछली पालन शामिल हैं; हमारे विश्व के भविष्य के लिए एक समग्र योजना। परंतु अफ़सोस, एक ऐसी योजना जिसे मापने के लिए आंकड़े ही नहीं। तो हम कैसे जानेंगे कि प्रगति हो रही है? आज, मैं सामाजिक प्रगति सूचकांक का इस्तेमाल करूंगा। यह देशों में जीवन की गुणवत्ता का माप है, जिसमें रोटी, पानी, घर, सुरक्षा... जैसे जीने के आवश्यक तत्त्वों से लेकर... अच्छे स्वास्थ्य की नींव... शिक्षा, सूचना, स्वास्थ्य और पर्यावरण... और अवसर... अधिकार, चुनने की आजादी, समावेशी, उच्च शिक्षा तक पहुंच शामिल हैं। अब, सामाजिक प्रगति सूचकांक एसडीजी की तरह नहीं दिखाई नहीं देता। परंतु, असल में, ये समान धारणाओं को ही मापते हैं, परंतु सामाजिक प्रगति सूचकांक में हमारे पास आंकड़े होने का लाभ है। इन धारणाओं को मापने के लिए हमारे पास ५१ सूचक हैं जो विश्वसनीय स्रोतों से लिए गए हैं। और फिर, क्योंकि यह सूचकांक है हम उन सब सूचकों को जोड़कर एक कुल स्कोर पा सकते हैं कि हम एसडीजी के पूर्ण पैकेज को देखें तो हमारा प्रदर्शन कैसा है। अब, एक चेतावनी है। सामाजिक प्रगति सूचकांक जीवन की गुणवत्ता का माप है। हम यह नहीं देख रहे कि इसे धरती की पर्यावरण सीमाओं के अंतर्गत पा सकते हैं या नहीं। यह जानने के लिए हमें अन्य उपकरण चाहिए होंगे। तो एसडीजी में हमने क्या प्रगति की है? मैं एसडीजी को शून्य से १०० के पैमाने पर रखता हूँ। और इन ५१ सूचकों में शून्य सबसे बदतर स्कोर है: जब सामाजिक प्रगति शून्य है। और उन एसडीजी को पाने के लिए १०० वह न्यूनतम मानक है। हम २०३० तक १०० तक पहुंचना चाहते हैं। तो, जब हमने इस सफ़र की शुरुआत की, तो हमारी स्थिति क्या थी? भाग्यवश, हम शून्य पर तो नहीं थे। २०१५ में, संसार में एसडीजी का स्कोर ६९.१ था। हम आगे तो बढ़ रहे हैं परंतु अभी सफ़र लंबा है। अब मैं इस बात पर भी जोर देना चाहूंगा कि विश्व की यह भविष्यवाणी, जो १८० देशों के आंकड़ों पर आधारित है, जनसंख्या के आधार पर भारित है। तो चीन कोमोरोस से अधिक है; भारत आइसलैंड से अधिक है। पर हम इसे अलग करके देख सकते हैं कि देशों ने क्या प्रगति की है। और आज डेनमार्क वह देश है जो एसडीजी के लक्ष्य तक पहुंचने वाला है। और सबसे दूर है मध्य अफ़्रीकी गणराज्य। और बाकी सब कहीं बीच में हैं। तो एसडीजी के लिए यह चुनौती है कि इन बिंदुओं को २०३० तक दाँयी ओर ले जाकर १०० तक पहुंचें। क्या हम वहाँ पहुंच सकते हैं? सामाजिक प्रगति सूचकांक से हमें कुछ काल श्रेणी आंकड़े मिले हैं। तो हमें अंदाज़ा हो जाता है कि देशों की प्रवृत्ति किस ओर है, जिसके आधार पर हम अनुमान लगा सकते हैं। तो आइए देखते हैं। हम शुरू करते हैं सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रहे डेनामर्क से। मुझे कहते हुए खुशी हो रही है कि २०३० तक डेनमार्क एसडीजी के लक्ष्य प्राप्त कर लेगा। शायद हैरानी की बात नहीं, पर मेरी बात सही होगी। आइए कुछ और अमीर देशों की बात करते हैं... जी-7 देशों की। और हम देखते हैं कि जर्मनी और जापान तो वहाँ पहुंच ही जाएंगे। परंतु कनाडा, फ़्रांस, यूके और इटली सब पीछे रह जाएंगे। और संयुक्त राज्य अमेरिका? काफ़ी पीछे। अब, यह चिंताजनक बात है। पर ये तो संसार के सबसे अमीर देश हैं, अधिक जनसंख्या वाले नहीं। तो आइए संसार के कुछ बड़े देशों को देखते हैं, वे देश जो सबसे अधिक प्रभाव डालेंगे कि हम एसडीजी पा सकेंगे या नहीं। और वे हैं... संसार के वे देश जिनकी जनसंख्या १० करोड़ से अधिक है, चीन से लेकर ईथियोपिया तक। स्पष्ट है, अमरीका और जापान तो उस सूची में शामिल होंगे, पर हम उनकी बात पहले कर चुके हैं। तो हमारी यह स्थिति है। संसार के सबसे बड़े देश एसडीजी के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। और जो देश एसडीजी की ओर सबसे अधिक प्रगति करेगा वह है मेक्सिको। मेक्सिको पहुंच जाएगा ८७ तक, जो वहाँ से बस थोड़ा दूर है जहाँ अमरीका पहुंचेगा परंतु हमारे एसडीजी लक्ष्य से काफ़ी दूर। अगला नम्बर है रूस का। फिर चीन, इंडोनेशिया। फिर ब्राज़ील... सोचा होगा ब्राज़ील बेहतर करेगा। फ़िलीपीन्स, और फिर एक कदम नीचे भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नाइजीरिया, और फिर ईथियोपिया। तो इनमें से कोई भी देश एसडीजी के लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएगा। और फिर हम संसार के सभी देशों में ये संख्याएँ ले जा सकते हैं भविष्यवाणी करने के लिए कि हम संसार में एसडीजी का पूर्ण पैकेज कब तक पूरा कर लेंगे। तो याद रखिए, २०१५ में हमने ६९.१ पर शुरू किया। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि पिछले तीन सालों में, हमने कुछ प्रगति की है। २०१८ में, हम ७०.५ पर पहुंच गए, और अगर हम २०३० तक इसी दर पर आगे बढ़ते रहे, तो हम ७५.२ पर पहुंच जाएंगे, जोकि लक्ष्य से बहुत पीछे है। जबकि, वर्तमान दर पर, हम २०९४ तक २०३० के लक्ष्य पा सकेंगे। अब, मैं आपके बारे में नहीं जानता, पर मैं इतनी देर तक इंतज़ार नहीं करना चाहता। तो हम इस बारे में क्या कर सकते हैं? सबसे पहले तो हमें अमीर देशों को आगाह करना होगा। ये देश एसडीजी के सबसे करीब हैं, इनके पास सबसे अधिक स्रोत हैं, और ये भी पीछे हैं। शायद उन्हें लगता है कि यह पुराने समय की बात है जहाँ यूएन के लक्ष्य बस निर्धन देशों के लिए थे, उनके लिए नहीं। आप ग़लत हैं। एसडीजी सब देशों के लिए हैं और यह शर्मनाक बात है कि ये सम्पन्न देश पीछे हैं। हर देश को एसडीजी लागू करने के लिए योजना बनानी चाहिए और उन्हें अपने नागरिकों तक पहुंचानी चाहिए। जी7, बाकी अमीर देशों को... खुद को संभालना होगा। दूसरी बात हम यह कर सकते हैं कि आंकड़ों को अच्छे से देखें कि कहाँ पर प्रगति को तेज़ करने के मौके हैं या श्रृणात्मक प्रवृत्तियों को बदला जा सकता है। तो मैं आपको तीन क्षेत्रों में ले जाऊंगा। पहला जिसमें हम अच्छी प्रगति कर रहे हैं, दूसरा जिसमें हमें बेहतर करना चाहिए और तीसरा जहाँ सच में कुछ समस्याएं हैं। आइए, शुरुआत खुशखबरी से करते हैं। और मैं बात करना चाहता हूँ पोषण और आधारभूत स्वास्थ्य सेवाओं की। यह एसडीजी २, कोई भुखमरी नहीं को कवर करता है और एसडीजी ३ के स्वास्थ्य के आधारभूत तत्वों को, तो इसमें शामिल हैं माता और शिशु मृत्यु दर, संक्रामक रोग, आदि... एसडीजी के इस लक्ष्य को अधिकतर अमीर देश पूरा कर चुके हैं। और हम यह भी जानते हैं, अपने बड़े देशों को देखते हुए, कि सबसे अधिक विकसित देश सबसे करीब हैं। ये रहे हमारे ११ बड़े देश, और अगर आप ऊपर देखते हैं, तो ब्राज़ील और रूस एसडीजी लक्ष्य के काफ़ी करीब हैं। परंतु नीचे... ईथियोपिया, पाकिस्तान... बहुत दूर हैं। २०१८ में हमारी यह स्थिति है। हमारी राह क्या है? वर्तामन की राह पर चलते हुए, हम २०३० तक कहाँ पहुंचेंगे? आइए, देखते हैं। हमें बहुत प्रगति दिखाई दे रही है। मध्य में बांग्लादेश को देखिए। अगर बांग्लादेश ने प्रगति की वर्तमान दर को जारी रखा, तो वह एसडीजी के लक्ष्य के काफ़ी करीब पहुंच जाएगा। और इस समय ईथियोपिया जो सबसे नीचे है बहुत प्रगति कर रहा है। अगर यह कायम रहे, तो ईथियोपिया बहुत आगे जा सकता है। हम संसार के सभी देशों के लिए इसे जोड़ते हैं और 2030 तक हमारा अनुमान है 94.5 का स्कोर होगा। और अगर फ़िलीपीन्स जैसे देश, जो काफ़ी धीरे से विकास कर रहे हैं, अपनी प्रगति की दर बढ़ा सकें, तो हम बहुत करीब आ सकेंगे। तो एसडीजी २ और ३ के बारे में आशावादी होने के कारण हैं। परंतु एसडीजी का एक और आधारभूत क्षेत्र है जहाँ हम इतनी प्रगति नहीं कर रहे, जो है एसडीजी ६, पानी और स्वच्छता। यह भी एक ऐसा एसडीजी है जिसमें अधिकतर अमीर देश अपने लक्ष्य पूरा कर चुके हैं। और फिर, हमारे बड़े देशों के लिए... हमारे ११ बड़े देश, हम देखते हैं कि रूस और मेक्सिको जैसे कुछ देश लक्ष्य के बहुत करीब हैं, परंतु नाईजीरिया और अन्य देश बहुत पीछे हैं। तो इस लक्ष्य पर हमने क्या प्रगति की है? वर्तमान दर के आधार पर आने वाले १२ सालों में हम कितनी प्रगति करने वाले हैं? यह देखिए... और हाँ, कुछ तो प्रगति हुई है। हमारे चार बेहतरीन देश एसडीजी लक्ष्य पूरे कर रहे हैं... कुछ तो बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। परंतु इतना काफ़ी नहीं है हमें अपने लक्ष्य पाने के लिए। हमें पूरे संसार के लिए जो दिखाई दे रहा है वह यह है, २०३० तक हम ८५, ८६ के स्कोर की भविष्यवाणी कर रहे हैं... जो कि उतना तेज़ नहीं है। अब, स्पष्ट तौर पर यह कोई अच्छी खबर नहीं है, पर मेरे विचार से आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि हम इससे बहुत बेहतर कर सकते हैं, पानी और स्वच्छता की समस्या निपटा दी गई है। बस उस समाधान को हर जगह लागू करना है। तो अगर हम उन देशों में प्रगति की दर बढ़ा सकें जो धीरे-धीरे सुधार कर रहे हैं... नाईजीरिया, फ़िलिपीन्स आदि... तो हम लक्ष्य के काफ़ी करीब पहुंच पाएंगे। निस्संदेह, मुझे लगता है सभी एसडीजी में से एसडीजी 6 में महत्वपूर्ण बदलाव करने का सबसे बड़ा मौका है। तो हम इस क्षेत्र में बेहतर कर सकते हैं। आइए उन क्षेत्रों को देखते हैं जहाँ हम संघर्ष कर रहे हैं, जिसे हम कहते हैं व्यक्तिगत अधिकार और समावेशी बनना। यह कई एसडीजी के विस्तार को कवर करता है। एसडीजी १ निर्धनता को, एसडीजी ५ लैंगिक समानता को, एसडीजी १० असमानता को, एसडीजी ११ समावेशी शहरों को, और एसडीजी १६ शांति और न्याय को। अधिकारों और समावेशी बनना ही इन एसडीजी का मुद्दा है, और वे भुखमरी और बीमारी जैसी बातों से कम ज़रूरी और कम आवश्यक लग सकते हैं। परंतु अधिकार और समावेशी बनना कोई पीछे न छूटे के सिद्धांत के लिए आवश्यक हैं। तो इन मसलों पर हम क्या कर रहे हैं? आइए व्यक्तिगत अधिकारों से शुरू करते हैं। मैं पहले आपको २०१५ में हमारे बड़े देश दिखाना चाहता हूँ। तो ये रहे, और मैंने अमरीका और जापान को वापस डाल दिया है, तो ये हैं संसार के सबसे बड़े १३ देश। और हमें बहुत से स्कोर दिख रहे हैं। सबसे ऊपर है अमरीका और फिर जापान अपने लक्ष्यों को पाते हुए; चीन तो बहुत पीछे है। तो पिछले तीन सालों में अधिकारों के मुद्दे पर हम किस दिशा में चल रहे हैं? आइए देखते हैं। जो हमें काफ़ी भद्दी तस्वीर नज़र आ रही है। अधिकतर देश या तो स्थिर अवस्था में हैं या फिर पीछे की ओर जा रहे हैं। और ब्राज़ील, भारत, चीन, बांग्लादेश जैसे बड़े देशों में काफ़ी गिरावट देखी गई है। यह चिंताजनक विषय है। आइए अब समावेशी बनने पर नज़र डालें। और समावेशी होने का मतलब है हिंसा और अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव, लैंगिक समानता, एलजीबीटी का समावेश, आदि बातों पर नज़र डालना... और परिणामस्वरूप, हम देखते हैं कि बड़े देशों के स्कोर आम तौर पर कम हैं। प्रत्येक देश, अमीर भी और गरीब भी, संघर्ष कर रहा है एक समावेशी समाज की स्थापना करने में। परंतु हमारे सफ़र की दिशा क्या है? क्या हम अधिक समावेशी देशों का निर्माण कर रहे हैं? आइए देखते हैं -- 2018 तक की प्रगति। और हमें फिर दिखाई देता है कि संसार पीछे की ओर जा रहा है: अधिकतर देश गतिहीन हैं, बहुत से देश पीछे की ओर जा रहे हैं... बांग्लादेश पीछे की ओर जा रहा है... परंतु दो देश जो पहले सबसे आगे थे... ब्राज़ील और अमरीका... पिछले तीन सालों में काफ़ी पिछड़ गए हैं। इसे पूरे संसार के लिए देखें तो स्थिति क्या है। पूरे संसार में व्यक्तिगत अधिकारों को देखें तो हम भविष्यवाणी कर रहे हैं कि व्यक्तिगत अधिकारों के स्कोर में कमी आएगी लगभग ६० तक, और समावेशी बनने के स्कोर में यह गिरावट ४२ तक जाएगी। अब, स्पष्ट है कि ये चीज़ें बहुत जल्द बदल सकती हैं अधिकारों और कानून में परिवर्तन और मिजाज़ में बदलाव के साथ, पर हमें स्वीकार करना होगा कि वर्तमान प्रवृत्तियों को देखते हुए, एसडीजी के बारे में सबसे अधिक चिंता का विषय यही है। मैंने आपको निराश कर दिया क्या... (हँसी) आशा है नहीं, क्योंकि मुझे लगता है हम जो देखते हैं कि बहुत सी बातों में तो प्रगति हो रही है और प्रगति बढ़ाने के भी मौके हैं। हम ऐसे संसार में रह रहे हैं जो जल्द ही उस स्थिति को पाने वाला है कि किसी की भूख या मलेरिया या दस्त से मृत्यु नहीं होगी। अगर हम अपना ध्यान अपनी कोशिशों में लगाएँ, संसाधनों को इकट्ठा करें, राजनैतिक इच्छा को प्रेरित करें, परिवर्तन का वह कदम संभव है। परंतु इन सुलझाए जाने वाले आधारभूत एसडीजी पर ध्यान देते हुए हमें पूरे पैकेज के बारे में भूल नहीं जाना चाहिए। लक्ष्य तो अप्रबंधनीय सूचकों, लक्ष्यों, उद्देश्यों का समूह हैं, पर उनमें वे चुनौतियाँ भी शामिल हैं जिनका संसार को सामना करना पड़ता है। यह तथ्य कि एसडीजी इस बात को ध्यान में रख रहे हैं कि हम व्यक्तिगत अधिकारों और समावेशी बनने में संकट का सामना कर रहे हैं एक आशावादी बात है। अगर हम यह बात भूल गए, अगर हम जिन एसडीजी को सुलझा सकते हैं उन पर दुगना ज़ोर लगाने लगे, अगर हम सबसे आसान एसडीजी को चुनने में लग गए, तो हम एसडीजी का सही मतलब खो देंगे, हम लक्ष्यों को नहीं प्राप्त कर सकेंगे और हम एसडीजी का वायदा पूरा करने में नाकाम हो जाएंगे। धन्यवाद। (तालियाँ) यह कहानी शुरू होती है इन दोनों से मेरे बच्चे हम ओकलैंड जंगल में पैदल यात्रा कर रहे थे जब मेरी बेटी ने खाड़ी में प्लास्टिक का एक टब देखा जो की बिल्ली के कचरे से भरा था उसने मुझे देखा और कहा, पापा? यह तो वहां नहीं फेकना चाहिए जब उसने यह बोला, मुझे समर कैंप की याद आ गई मिलने की दिन की सुबह, हमारे उत्सुक माता पिताओ के कैंप के अंदर आने से ठीक पहले हमारे कैंप के निदेशक ने कहा जल्दी सभी ५ कचरे के टुकड़े उठाओ कैंप में २०० बचे और हर कोई कचरे के ५ टुकड़े उठा रहा है और बहुत जल्दी कैंप काफी साफ़ हो गया तो मैंने सोचा, क्यों न सफाई के इस मॉडल को पूरी दुनिया पर लागू किया जाये और यह थी लिटराटी की प्रेरणा मेरा सपना है कचरे से दुनिया को मुक्त करना अब में आपको दिखता हु यह कैसे शुरू हुआ मेने इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करके, सिग्ररेट की एक तस्वीर ली और उसके बाद एक और तस्वीर ली ... और उसके बाद एक और और एक और और दो बाते मेरे ध्यान में आयी पहली, कूड़ा कलात्मक बन गया जिस तक लोग पहुँचने लगे थे और दूसरी कुछ दिनों के बाद मेरे फ़ोन में लगभग ५० तस्वीरे थी और मेने हर एक टुकड़े को उठाया था और मैंने महसूस किया कि मैं एक रिकॉर्ड रख रहा था कि इस ग्रह पर क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है ५० कचरे की चीजें जो अब आप नहीं देख पाएंगे या फिर जिस पर आपके कदम पड़ते या फिर कुछ पंक्षी उनको खा जाते तो मेने लोगों को बताना शुरू किया की मैं क्या कर रहा था, और उन्होंने भी भाग लेना शुरू किया। एक दिन एक तस्वीर चीन से आयी और तब मुझे एहसास हुआ की, लिटराटी सूंदर चित्रो की तुलना से काफी अधिक है हम एक समुदाय बनते जा रहे थे, जो कि डाटा एकत्रित कर था। प्रत्येक तस्वीर एक कहानी बयां करती है यह बताती है कि, किसने क्या कूड़ा उठाया जियोटैग हमे बताता है की कूड़ा कहा से उठाया और समय के रिकॉर्ड से पता चलता है की कब तो मैंने एक गूगल मानचित्र बनाया, और जहा जहा से कूड़ा उठाया जा राहै था वहां वहां मानचित्र पर अंक लगाने लगा और इस प्रक्रिया के माध्यम से हमारा समुदाय बढ़ने लगा और डेटा में वृद्धि हुई। कूड़ामेरे दोनों बचो का स्कूल जाना, मुझे एकदम सही दिशा में ले गया कूड़ा हमारे जीवन की पृष्ठभूमि में, मिलता जा रहा है लेकिन अगर हम इसे आगे लेकर आये? अगर हम वास्तव में समझ जाये, की क्या हमारी सड़कों पर क्या था, हमारे फुटपाथ, और हमारे स्कूल मैदान पर? कैसे हम उस डेटा का उपयोग, बदलाव के लिए कर सकते है? मैं तुम्हे दिखता हूँ शुरुवात शहरो से करते है सैन फ्रांसिस्को समझना चाहता था कि कूड़े का क्या प्रतिशत सिगरेट है। क्यों? एक कर बनाने के लिए। इसलिए उन्होंने कुछ लोगो को सड़को पर भेजा पेंसिल और क्लिपबोर्ड के साथ जो आसपास घूमकर जानकारी इक्कठा करने लगे जिसकी वजह से सिगरेट की बिक्री पर २० प्रतिशत कर लगा दिया गया और फिर उन पर मुकदमा दायर किया गया बिग टोबैको के दुवारा जिन्होंने दावा किया कि पेंसिलऔर क्लीपबोर्ड्स के साथ जानकारी एकत्रित करना ना तो निश्चित है और न ही साध्य है। उन्होंने मुझे फोन किया और पूछा क्या हमारे प्रौद्योगिकी उनकी मदद कर सकता है। मुझे यकीन नहीं है कि उन्हें पता है की हमारी प्रौद्योगिकी मेरा इंस्टाग्राम खाता है (हंसी) लेकिन मैंने कहा, "हाँ, हम कर सकते हैं।" (हंसी) "और हम आपको बता सकते है कि यह एक संसद है या कोई पॉल मॉल इसके अलावा, हर तस्वीर पर जियोटैग है और समय की मुहर लगी है सबूत के साथ आपको दे रहे है चार दिन और 5,000 कूड़े के टुकड़े के बाद, हमारा डेटा अदालत में इस्तेमाल किया गया, न केवल सबूत के तौर पर पर कर को दोगुणा करने के लिए भी जिससे हर साल ४० लाख डॉलर की आय पैदा होगी जो कि सैन फ्रांसिस्को को साफ रखने के लिए काफी है अब, इस प्रक्रिया के दौरान मैं दो बातें सीखा: पहली, इस काम के लिए इंस्टाग्राम सही उपकरण नहीं है - (हंसी) इसलिए हमने एक एप्प का बनाई और दूसरी,अगर आप इस बारे में सोचें की दुनिया के हर शहर में एक अनूठी कूड़े की छाप है और वो छाप दोनों चीजे प्रदान करता है समस्या का स्रोत भी, और उसके समाधान का रास्ता भी। अगर आप एक राजस्व का रास्ता उत्पन्न कर सकते है, सिर्फ सिगरेट का प्रतिशत जानने से फिर,कॉफी कप के बारे में आपका क्या ख्याल है, और सोडा के डिब्बे। या प्लास्टिक की बोतले? अगर आप सैन फ्रांसिस्को का फिंगरप्रिंट बना सकते है, तो ओकलैंड के बारे में क्या ख्याल है या एम्स्टर्डम या फिर घर के कही करीब? और ब्रांडों के बारे में? वे इस डेटा का उपयोग कैसे कर सकते है अपने पर्यावरण और आर्थिक हितों को सही दिशा में लेन के लिए? ऑकलैंड शहर में एक ब्लॉक है जो कूड़े से भरा हुआ है लिटराती समुदाय एक साथ आया और १५०० कूड़े के टुकड़े उठाये। और हमने यहाँ सीखा की: अधिकतम कूड़ा एक बहुत अच्छे टैको ब्रांड से आ रहा था उस ब्रांड के कूड़े का अधिकांश भाग,स्वयं के गर्म सॉस के पैकेट थे और ज्यादातर पैकेट खोले भी नै गए थे समस्या और समाधान का रास्ता - हो सकता है कि ब्रांड केवल अनुरोध पर सॉस के पैकेट देना शुरू करे या फिर थोक मशीन स्थापित करदे या फिर कोई और टिकाऊ पैकेजिंग ले आये एक ब्रांड पर्यावरण खतरे को कैसे समझता है, और कैसे उसको आय उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल करता है और उद्योग का नायक बन जाता हैं? अगर तुम सच में परिवर्तन लाना चाहते हो, तो शुरू करने के लिए अपने बच्चो से अच्छी जगह कोई नहीं है पांचवीं कक्षा के छात्रों के एक समूह ने १२४७ कूड़े के टुकड़े उठाये केवल अपने स्कूल के मैदान से और उन्होंने सीख की सबसे ज्यादा आम कूड़ा प्लास्टिक के स्ट्रास है, जो उन्ही के कैफेटेरिया से आया है तो ये सभी बच्चे प्रधानचार्य के पास गए और पूछने लगे, की हम अभी भी स्ट्रास क्यों खरीद रहे है? और स्कूल ने स्ट्रास खरीदना बंद कर दिया और उन्होंने सीख की वे सब अकेले भी बदलाव ला सकते है और उन्होंने सीख की वे सब अकेले भी बदलाव ला सकते है कोई फर्क नहीं पड़ता कि यदि आप एक छात्र या एक वैज्ञानिक हैं, चाहे आप होनोलूलू या हनोई में रहते हैं, यह समुदाय सभी के लिए एक है। यह सब दो छोटे बच्चो की वजह से शुरू हुआ जो उत्तरी कैलिफोर्निया के जंगल में घूम रहे थे और आज ये पूरी दुनिया फैल चुका है और आप जानते हैं कि कैसे हम वहाँ पहुच रहे है? एक समय में एक टुकड़ा उठा कर। धन्यवाद। (तालियाँ) बचपन मे मैं गिनेस बूक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स की बडी शौक़ीन थी और मैं चाहती थी की मै खुद एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाऊँI बस एक छोटी सी समस्या थी: मुझमे कोई हुनर नहीं थाI तब मैने तय किया की मुझे उस चीज़ मे रिकॉर्ड बनानी है जिसमे कोई हुनर या कौशल की ज़रुरत ना होI तब मैंने निश्चय किया की मैं वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाऊंगी 'रेंगने' में I (लोगों की हंसी) रेंगने का रिकॉर्ड उस समय किसी ने साडे १२ मिलों की बनाई थी, और इसे पढ़के मुझे यह लगा कि इस रिकॉर्ड को मैं आसानी से तोड़ पाऊँगी I (लोगों की हंसी) मेरे साथ मेरी सहेली ऐनी भी जुड़ गई, और हमने सोच लिया कि इस काम के लिए हमें प्रशीक्षण की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगीI (लोगों की हंसी) जब हमारे रिकॉर्ड बनाने का दिन आया, हमने अपने कपड़ो पे फर्नीचर के गद्दे बांधकर रिकॉर्ड बनाने के लिए तैयार हो गए, मगर शुरू करते ही, हम मुसीबत में फस गए, क्योंकि जो कपडे हमने पहने हुए थे, जीन्स के, वह हमारे त्वचा को मसलने लगी, जिस वजह से घुटनों में खरोंच आ गईI कुछ ही घंटों के बाद, बारिश होने लगीI फिर, ऐनी ने मुझे अलविदा कह दियाI और उसके बाद अँधेरा होने लगाI तब तक मेरे घुटनों से खून निकलने लगा था, ठंड, दर्द और नीरसता के वजह से, मैं दृष्टिभ्रम हो रही थीI मेरी दुविधा आपको भीषण तब लगेगी जब आप यह जानेंगे कि, मैदान का एक दायरा खत्म करने के लिए मुझे दस मिनट लगेI आखरी दायरा खत्म होते होते तीस मिनट लग गएI और बारह घंटे होने के बाद मैंने रेंगना रोक दिया, मैं सादे आठ मील रेंग चुकी थी पर चुनौती थी साडे १२ मिलों की I सालों तक इस अनुभव को मैंने असफलता की नज़र से देखा पर आज मेरा नजरिया बदल गया हैं I जब मैं वर्ल्ड रिकॉर्ड की प्रयास में लगी थी, एक साथ तीन चीज़े करने की प्रयास में लगी हुई थीI अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर निकली थी, मैं अपने आप को सख्त बना रही थी मैं अपने आप पर, और मेरे फैसलों पर भरोसा करने लगी थी I तब मुझे एहसास नहीं हुआ था, कि वह असफलता के गुण नहीं हैं बल्कि बहादुरी के लक्षण थेI सन १९८९ में जब मैं २६ साल की थी, मैं सॅन फ्रांसिस्को शहर की फायर फाइटर बन गई १५०० मर्दों के विभाग में मैं १५ वी महिला थी I (तालियाँ) और जब मैं वहाँ पहुंची, सब शंकित थे कि हम इस काम के लिए काबिल थे या नहीं I पाँच फुट दस इंच की थी, अड़सठ किलो की थी, कॉलेज टीम की खिवैया थी, और एक समय बारह घंटों तक घुटनो की खरोच भी झेली थीI (लोगों की हंसी) इन सब के बावजूद मेरी ताकत का इम्तिहान लिया गया I एक दिन जब कही आग लगने की खबर आई I जब हमारी फायर ब्रिगेड टोली घटना स्थल पर पहुंची, गली का एक मकान आग से धुआंदार हो गया था I मैं और मेरे टीम के साथी स्किप साथ जुड़ गए, स्किप, पाइप के नौक पीछे और मैं उसके पीछे आग की स्तिथि सहज के कुछ करीब थी, धुआंदार और गरम, पर अचानक, एक विस्फोट हुआ, जिसके वजह से स्किप और मैं पीछे की ओर उड़ गए, मेरा ऑक्सीजन मास्क चेहरे से हट गया, और एक क्षण के लिए उलझन का माहौल छा गया I अपने आप को संभालते हुए मैं खड़ी हो गई, मैंने पाइप की नौक पकड़ ली, और वह काम किया जो एक फायर फाइटर करता हैं: निडर, मैं आगे बढ़ी, पाइप से पानी का बहाव शुरू किया, और मैं अकेली उस आग का सामना करने लगी I विस्फोट का कारण पानी का कोई हीटर था, किसीको चोट ना लगने के कारण, मामला गंभीर नहीं हुआ, उसके बाद स्किप मेरी तरफ आये और उन्होंने कहा, "शाबाश कैरोलाइन", और वह भी अचरज होकर (लोगों की हंसी) पर मैं उलझन में पड गई. आग बुझाना जब मेरे लिए मुश्किल का काम नहीं लगा तो स्किप मेरी तरफ ऐसे आश्चर्यचकित होकर क्यों देख रहे थे? और तब मुझे एहसास हुआ, स्किप थे तो एक अच्छे आदमी और एक बेहतरीन फायरमैन पर, उनका यह मानना था कि महिलाये पुरुषों से कम ताकतवर ही नहीं बल्कि पुरुषों से कम बहादुर भी हैंI और ऐसी सोच सिर्फ उनकी ही नहीं थीI दोस्त, जान पहचानवाले, अजनबी, आदमी या औरत, मेरे वृत्तिगत जीवन के दौरान सबने मुझसे हर बार यही सवाल किया "कैरोलाइन, वह आग वह खतरा" "क्या तुम्हे डर नहीं लगता?" सच में, मैंने यह सवाल कभी भी कोई पुरुष फायरमैन से पूछते हुए नहीं सुना। और मुझे अजीब सा लगने लगा लोग यह क्यों समझते हैं कि औरतों में बहादुरी नहीं होती? उस सवाल का जवाब मुझे तब मिला, जब मेरी सहेली ने अपना दुखड़ा रोया कि उसकी बेटी एक महान डरपोक हैं I तब मेरे नज़र में यह आया कि उसकी बेटी सच में चिंतित थी, पर उससे ज़्यादा चिंतित उसके माँ और बाप थे I जब भी वह बच्ची बाहर जाती थी तब उसके माँ बाप उसे यही कहा करते कि "संभलके जाना" या "यहाँ मत जाओ" या"यह मत करो" I मेरे दोस्त बुरे माँ बाप नहीं थे I वह सिर्फ वही कर रहे थे जो अधिक माँ बाप किया करते हैं, अपने बेटों से ज़्यादा वह अपने बेटियों को सावधान किया करते हैं I खेल के मैदान में लगाए गए एक फायर के खम्बे पर अध्ययन किया गया| इसमें देखा गया की खम्बे से फिसलते वक़्त लड़कियों को उनके माता पिता खम्बे के जोखिम के बारे में सावधान करते थे, उसके बावजूद भी अगर लड़की उस खम्बे के साथ खेलना चाहे तो, माता या पिता उसकी सहायता के लिए दौड़ते हैI पर लड़के? खम्बे के साथ खेलने के लिए उनको बढ़ावा दिया जाता हैI उनमे घबराहट होने के बावजूद भी, माता पिता खुद लड़कों को सिखाते हैं कि खम्बे के साथ खेल कैसे जाता हैंI यह करने से हम लड़कों और लड़कियों को क्या संदेसा दे रहे हैं? कि लड़कियां नाज़ुक हैं और उनको हर काम में सहायता की ज़रुरत हैं, और लड़के कोई भी मुश्किल काम आसानी से करने में माहिर हैं? लड़कियों को भयभीत होनी चाहिए? और लड़के निडर? जब बच्चे छोटे होते हैं तब, लड़को और लड़कियों की ताकत एक समान होती हैI लड़कियां अधिकतर तारुण्यागम तक शक्तिशाली और ज़्यादा समझदार होती हैI पर हम बड़े, इसी वहम में रहते हैं कि लड़कियां बहुत ही नाज़ुक हैं, बिना मदद के वह कुछ कर नहीं सकती और उनसे ज़्यादा कुछ हो नहीं पाताI बचपन में इसी सोच को हमारे दिमाग में भरा जाता हैं, और बड़े होने के बाद भी इसी सोच को सच मानने लगते हैं I पुरुष एवं महिला, दोनों इस खयालात को सच मानते हैं, और तो और हम अपने बच्चों को और वह उनके बच्चों को यही सिखाते हैं, और यह चलता रहता हैI तो लीजिये मुझे मेरा जवाब मिल गया औरतों से खासकर फायर फाइटर औरतों से भी यही अपेक्षा रहती हैं कि वह भयभीत रहे I सिर्फ इसीलिए कई महिलाये भयभीत रहती हैं कुछ लोग मेरी बात मानने के लिए तैयार नहीं होंगे अगर मैं यह कहूँ कि मैं डरने के खिलाफ नहीं हूँI क्योंकि डर एक महत्त्वपूर्ण भावना हैं जो हमें सुरक्षित रखती हैं, पर इस भावना को इतना भी आवश्यक ना बनाये जिससे लड़किया कोई भी नया काम करते वक़्त अपने कदम झिझक झिझककर रखे I कई साल मैं एक पैराग्लाइडर पायलट भी रह चुकी हूँ (तालियाँ) एक पैराग्लाइडर पंख वाले हवाई छत्री की तरह होती हैं और उड़ती भी बहुत खूब हैं पर लोगों के लिए एक पैराग्लाइडर पायलट तार लगे हुए चादर की तरह नज़र आते हैं| (लोगों की हंसी) और पहाड़ों के ऊपर इस चादर में हवा भरते मैंने बहुत समय बिताएI पहाड़ के ऊपर से भाग कर हवा में उड़ना और आप यही सोच रहे हैं कि 'कैरोलाइन, इस मामले में थोड़ा तो डरना ज़रूरी हैं' और आप सही हैंI सच मानिए मैं भी डरी, पर उस पर्वत के ऊपर, हवा का इंतज़ार करते वक़्त मुझमे कई उमंग उमड़ आते थे: ज़िंदादिली, विश्वासI मैं एक अच्छी पायलट हूँ यह मुझे पता था और यह भी पता था की परिस्तिथि अच्छे न होते तो मैं वहा नहीं होती I ज़मीन से हज़ारों फ़ीट ऊपर हवा में उड़ने का मज़ा कुछ और ही था और हाँ डर भी था पर उस डर को मैं एक बार ग़ौर से परिशीलन करती, उसके महत्वपूर्णता को निर्धारित करती और उसे ऐसी जगह पंहुचा देती, जो ठीक मेरे ज़िंदादिली, अपेक्षा और विश्वास के पीछे होती थी, एक कदम भी आगे नहीं मैं डर के खिलाफ नहीं हूँ मैं सिर्फ बहादुरी के राह पर चलना चाहती हूँ मैं यह नहीं कह रही हूँ कि हर लड़की को फायर फाइटर या पैराग्लाइडर बनना चाहिए I मैं यह कह रही हूँ की हम अपनी लड़कियों को बुज़दिल और मजबूर बना रहे हैं उन्हें कठिन शारीरिक कार्यों के लिए बढ़ावा नहीं दे रहे हैं I यही डर और मजबूरी हमारे साथ बढ़ने लगती हैं और हमेशा के लिए हमारे साथ रह जाती हैं इन सब का प्रभाव हमारे हर कदम पर पड़ने लगती हैं: जी खोलकर बोलने में हमारी झिझक, हमारे अपनेपन को छुपा के रखना ताकि लोग हमें पसंद करे, और खुद के निर्णय लेने में संकोचI तो फिर हम महिलाये बहादुर कैसे बने? बात यह हैं कि, बहादुरी सीखी जा सकती हैं, और सीखने के साथ साथ हमें बहादुरी को एक प्रथा बनानी चाहिएI तो पहले, हम सबको एक गहरी सांस लेनी चाहिए और हमारी लड़कियों को बढ़ावा देना चाहिए स्केटिंग करने के लिए, पेड़ पर चढ़ने के लिए या खेल के मैदान में बेझिझक खेलने के लिए मेरी माँ ने भी मेरे साथ वही किया था उनको तब यह बात मालूम नहीं था पर शोधकर्ताओं के अनुसार यह जोखिम भरी परिस्तिथि कहलाता हैं और अध्ययन यह दिखता हैं की अगर बच्चों के खेल में कुछ हद तक कठोरता हो तो वह खुद खतरों का अंदाजा लगाना सीख लेते हैं प्रतिफल का इंतज़ार करना सीखते हैं, लौटाव सिखाती हैं आत्मविश्वास से कदम रखना सीखते हैं I दूसरी तरह से कहा जाए तो, जब बच्चे निडर होकर बाहर जाने लगते हैं, तब ज़िन्दगी के कुछ अनमोल सीख उन्हें मिलती हैंI साथ साथ हमें अपनी लड़कियों में खौफ भरना नहीं चाहिएI अगली बार अपनी बच्ची से यह मत कहियेगा कि, "संभलके, गिर मत जाना, चोट लग गई तो?" "यह मत करना, इसमें खतरा हैं" और कभी भी अपनी बेटियों से यह मत कहियेगा कि उसे ज़्यादा परिश्रम करना नहीं चाहिए, वह इतनी भी समझदार नहीं हैं, और उसे डर डर के जीना चाहिए I और तो और हम महिलाओं को खुद बहादुरी की सीख लेनी चाहिए I अगर हम नहीं सीखेंगे तो हमारी बेटियों को कैसे सिखाएंगे? तो यह रही एक और बात डर और ज़िंदादिली दोनों का एहसास एक जैसा हो सकता हैं वह कांपते हाथ, दिल की तेज़ धड़कन वह बेचैनी, पर इतना ज़रूर कहूँगी कि, पिछली बार वह शायद ज़िंदादिली थी जिसको आप डर समझ बैठे थे, और उसी वजह से आपने एक मौका खो दिया I इसीलिए कोशिश जारी रखे I लड़कियों को हर कदम निडर होकर रखना चाहिए आज कल हम बड़े भी खेल कूद में या पेड़ चढ़ने में दिलचस्पी नहीं रखते, संकोच छोड़िये और लग जाइये वह करने में जो आपका मन करे घर हो या दफ्तर या यही पे अगर आपको कोई पसंद आये तो शर्माइये मत, उठिये और जाके उससे कहिये अगर आपकी बेटी को आप साइकिल चलाना सीखा रहे हैं, और चोटी के ऊपर से नीचे आते वक़्त उसके ज़ेहन में डर भर गया हो तो उसका हौसला बढ़ाइएI क्योंकि उस चोटी के ऊपर से वह साइकिल चला पायेगी या नहीं, इसका हिसाब वह खुद अपने दिलेरी से लगा लेगी क्योंकि बात उस चोटी की नहीं हैं I बात उसकी ज़िन्दगी की हैं और उसके पास वह ताकत हैं जिससे ज़िन्दगी में आने वाले हर मुश्किल और चुनौती का सामना कर सकती हैं, बिना हमारी मदद के और यह बात सिर्फ यहाँ की लड़कियों के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया भर की लड़कियों के भविष्य के लिए हैंI वैसे, रेंगने का वर्ल्ड रिकॉर्ड आज (हंसी) ३५.१८ मिलों की हैं, मैं यही चाहती हूँ कि कोई लड़की इसे तोड़ेI (तालियाँ) आज मैं बात करना चाहता हूं शब्दों के अर्थ के बारे में, हम उन्हें कैसे परिभाषित करते हैं और वे कैसे लगभग बदले में, हमें परिभाषित करते हैं अंग्रेजी, एक शानदार सोखने वाली भाषा है मुझे अंग्रेजी भाषा पसंद है और मैं इसे खुशी से बोल पाता हूं। फिर भी, इसमें कई कमियाँ हैं ग्रीक में, एक शब्द है, "लाकेसिस्म" जो आपदा की भूख है| आप जानते हैं, जब आप क्षितिज पर एक तूफान देखते हैं और आप स्वयं को उस तूफान का पक्ष लेते हुए पाते हैं| मैंदरिन में, एक शब्द है "यू यी"- मैं इसे सही नहीं कह रहा हूं - इसका अर्थ है फिर से तीव्रता से महसूस करने की लालसा जो आप बचपन में महसूस करते थे| पोलिश में, उनके पास एक शब्द "जुस्का" है जो कि उस तरह का काल्पनिक वार्तालाप है जो कि आप स्वभावतः अपने दिमाग में करते हैं और अंत में, जर्मन में, ज़रूर जर्मन में, उनके पास एक शब्द है "ज़ील्श्मर्ज़" जो आप की इच्छा को पाने का भय है| (हँसी) आखिरकार अपने आजीवन सपने का पूरा होना मैं खुद जर्मन हूँ, इसलिए मै इसको सही में महसूस कर सकता हूँ। अब, शायद मैं इन्ही शब्दों का उपयोग ना करूं अपनी रोज़-मर्रा के जीवन में, लेकिन मैं खुश हूँ कि ये मौजूद हैं| लेकिन उनके होने का एकमात्र कारण हैं कि मैंने उन्हें बनाया है मैं "अस्पष्ट दु:ख के शब्दकोश" का लेखक हूं मैं इसे पिछले सात वर्षों से लिख रहा हूं और इस परियोजना का पूरा लक्ष्य है भावनाओं की भाषा में खाली स्थानों की खोज और उन्हें भरने की कोशिश ताकि हमारे पास उन सभी तुच्छ मानवीय पहलुओं और व्यवहार के बारे में बात करने का एक तरीका हो जिन्हे हम सब महसूस करते हैं लेकिन इसके बारे में बात करना न सोच पाएं क्योंकि हमारे पास ऐसा करने के लिए शब्द नहीं हैं| और इस परियोजना के लगभग बीच में, मैंने "सोंडर,"को परिभाषित किया ऐसा विचार जिसमे हम सब स्वयं को मुख्य पात्र के रूप में देखते हैं और दूसरे सिर्फ महत्वहीन पात्र हैं लेकिन वास्तविकता में, हम सभी मुख्य पात्र हैं, और किसी और की कहानी में हम खुद छोटे पात्र हैं और इसलिए जैसे ही मैंने इसे प्रकाशित किया, मुझे लोगों से बहुत सी प्रतिक्रिया मिली यह कहते कि, "मेरी जीवन भर किये गए अनुभव को आवाज देने के लिए धन्यवाद इसके लिए कोई शब्द न था।" तो इस से उन्हें कम अकेलेपन का अनुभव हुआ| यह शब्दों की शक्ति है, जो हमें कम अकेला महसूस कराते हैं उसके बाद ज़्यादा देर नहीं लगी मुझे यह देखने में कि "सोंडर" का उपयोग ऑनलाइन बातचीत में किया जा रहा है| और कुछ ही समय में मैंने इसे वास्तव में देखा, मैंने इसे पाया मेरे पास होती एक वास्तविक बातचीत में यह बहुत ही अजीब अनुभव है- शब्दों को रचना और फिर उन्हें अपनी स्वयं की राह बनाते देखना| मेरे पास इसके लिए अभी तक कोई शब्द नहीं है, लेकिन मैं कुछ करूंगा| (हँसी) मैं इस पर काम कर रहा हूँ। मैं सोचने लगा कि शब्दों को असली क्या बनाता है, क्योंकि बहुत सारे लोग मुझसे पूछते हैं, आम तौर पर लोग पूछते हैं, "क्या ये शब्द बनावटी हैं? मैं वास्तव में समझ नहीं पा रहा हूं " और मुझे पता नहीं कि उन्हें क्या कहना है क्योंकि एक बार "सोंडर" ने जड़ पकड़ी, फिर मैं कहनेवाला कौन हूं कि कौनसा शब्द असली है या नहीं और इसलिए मुझे स्टीव जॉब्स जैसा लग रहा था, जिन्होंने उस प्रत्यक्ष अनुभव का वर्णन किया जैसा कि जब उन्होंने महसूस किया कि हम में से अधिकांश, अपने दिन के दौरान, हम बस बाधाओं से टकराने से बचने की कोशिश करते रहते है ताकी आगे बढ़ पाएं| लेकिन एक बार आप यह जान लेते हैं कि लोग - इस दुनिया का निर्माण आपसे ज़्यादा चतुर लोगों ने नहीं किया, तो आप बिना हिचकिचाहट उन दीवारों को स्पर्श कर सकते हैं शायद अपना हाथ उन दीवारों के पार कर दें यह जान कर कि आपके पास इसे बदलने की शक्ति है| और जब लोग मुझसे पूछते हैं, "क्या ये शब्द वाकई असली हैं?" मैंने विभिन्न प्रकार के उत्तर प्रयोग किये उनमें से कुछ सार्थक थे और कुछ नहीं | लेकिन उनमें से एक जो मैंने उपयोग किया, "एक शब्द वास्तविक है अगर आप चाहते हैं कि यह वास्तविक हो। " जिस तरह से यह पथ वास्तविक है क्योंकि लोग चाहते थे कि यह वहां हो (हँसी) यह कॉलेज परिसरों में अक्सर होता है। इसे "इच्छा पथ" कहा जाता है। (हँसी) लेकिन फिर मैंने फैसला किया, वास्तव में लोग पूछ क्या रहे हैं जब वे पूछते हैं कि कोई शब्द असली है, वे वास्तव में पूछ रहे हैं, "यह मुझे कितने दिमागों तक पहुंचाएगा? " क्योंकि मुझे लगता है कि हम भाषा को इस तरह देखते हैं एक शब्द एक महत्वपूर्ण चाबी है जो हमें कुछ लोगों के दिमाग तक ले जाता है और अगर यह हमें एक दिमाग तक ले जाता है, तो यह व्यर्थ है, आगे जानने के लायक नहीं क्या दो दिमाग, पर निर्भर होता है यह कौन है। दसों लाख दिमाग, हाँ, अब कुछ बात बनी। इसलिए एक असली शब्द वह है जिससे आप जितने भी दिमागों तक पहुंच सकते हैं। यही कारण इसे जानने लायक बनाता है संयोग से, इस माप से सबसे असली शब्द है [ओ. के.] बस। हमारा सबसे असली शब्द है एक सर्व-कुंजी से सबसे करीबी चीज़ है यह दुनिया में सबसे सामान समझा गया शब्द है, आप जहाँ भी हों। इसमें समस्या यह है कि, किसी को नहीं पता कि उन दो अक्षरों के क्या मायने हैं (हँसी) यह अजीब है, है ना? मेरा मतलब है, हो सकता है कि यह गलत संक्षेपण हो "सब सही" का, या "पुरानी किंडरहूक" का। किसी को नहीं पता लेकिन, तथ्य यह है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और यह हमें कुछ बताता है कि हम शब्दों में अर्थ कैसे जोड़ते हैं स्वयं शब्दों में ही अर्थ नहीं है हम लोग ही उनमें स्वयं को उंडेल देते हैं और मुझे लगता है, हम सब अपने जीवन में अर्थ की खोज कर रहे हैं जीवन का अर्थ खोज रहे हैं, मुझे लगता है कि उसका शब्दों से कुछ सम्बन्ध है और मुझे लगता है कि यदि आप किसी के अर्थ को खोज रहे हैं तो प्रारंभ करने के लिए शब्दकोश अच्छा स्थान है यह व्यवस्था की चेतना देता है एक अस्तव्यस्त ब्रह्मांड में हमारे विचार चीजों के बारे में इतने सीमित है कि हम ढांचों और प्रतीकों का सहारा लेकर व्याख्या करने के एक तरीके की कोशिश करते हैं ताकि हम आगे चल पाएं। हमें शब्दों की आवश्यकता है, स्वयं को शामिल और स्पष्ट करने के लिए मुझे लगता है कि हममें से बहुत अपने आप को सीमित पाते हैं जिस प्रकार हम इन शब्दों का प्रयोग करते हैं हम भूल जाते हैं कि शब्द रचे गए हैं। सिर्फ मेरे शब्द ही नहीं सभी शब्द रचे गए हैं, लेकिन उनमें से सभी सार्थक नहीं है ऐसा लगता हम सब खो गए हैं अपने शब्द-कोषों में जो कि हमसे अलग लोगों के साथ मेल नहीं खाते हैं, और इसलिए मुझे लगता है कि हम हर साल और भटक रहे हैं, जब हम शब्दों को अधिक गंभीरता से लेते हैं| क्योंकि याद रखिये, शब्द असली नहीं हैं। उनमें अर्थ नहीं, हम में अर्थ है। जाते हुए मैं आपको एक लेखन देता हूं मेरे पसंदीदा दार्शनिकों में से एक, बिल वॉटरसन, जिन्होंने "केल्विन और होब्स" बनाया| उन्होंने कहा, "ऐसे जीवन का निर्माण जो आपके मूल्यों को प्रकट करे और आत्मा को संतुष्टी दे यह एक दुर्लभ उपलब्धि है"| अपने जीवन का अर्थ सृजन करना आसान नहीं है, लेकिन हमें इसकी अनुमति है, और मुझे लगता है कि इस मुसीबत से गुज़र के आप खुश होंगे।" धन्यवाद। (तालियां) हम सभी के जीवन में कुछ ऐसे अवसर होते हैं जो हमें हमेशा याद रहते हैं। मेरा ऐसा पहला अवसर था जब में बाल विहार शुरू कर रही थी। मेरा बड़ा भाई पहले से ही स्कूल जाता था और अब मेरा समय आ गया था। और में उस दालान में कूदती हुई चली गयी। में बहुत ही उत्साहित थी। फिर में दरवाज़े तक पहुंची और वहां एकअध्यापिका थी जिन्होंने मेरा स्वागत किया, और वह मुझे क्लास के अंदर ले गयी, और मुझे सामान रखने की जगह दिखा दी हम सबको अपनी सामान रखने की जगह याद है ना-- और हमने अपना सामान रख दिया। और फिर वह बोली की उधर जा कर दूसरे बच्चों के साथ खेलो क्लास शुरू होने तक। तोह में वहां पर गयी और बैठ गयी जैसे की में वहां की मालिक हूँ, और मैंने खेलना शुरू कर दिया, और जोह लड़का मेरे बगल में बैठा था सफ़ेद कमीज और नीली निकर पेहेन कर मुझे याद है जैसे यह कल ही हुआ हो अचानक से उसने कहला बंद करा और बोला, "तुम इतनी नाटी क्यों हो?" लेकिन मैं खेलती रही। बिना समझे की वह मुझसे बात कर रहा था! (हंसी) फिर, वह और ऊंची आवाज़ में बोला "तुम इतनी नाटी क्यों हो?" मैंने उसको देखा और मैं बोली "तुम क्या बोल रहे हो? चलो ना हम खेलते हैं। हम खुश हैं अभी। मैं इसका इंतज़ार कर रही थी" तोह हम खेलने लगे। लेकिन कुछ मिनट बाद, उसके बगल में जोह लड़की बैठी थी, सफ़ेद कमीज और गुलाबी स्कर्ट पहने, खड़ी हुई, हाथ कमर पर रख कर बोली, "हाँ, तुम इतनी अलग क्यों दिखती हो?" तोह मैं बोली, "तुम क्या बोल रही हो? में अलग नहीं दिखती। मैं नाटी नहीं हूँ। चलो ना, हम खेलते हैं।" इस समय, मेने अपने चारो ओर देखा सब बच्चों ने खेलना बंद कर दिया था और वह मेरी ओर देख रहे थे। और मैं सोच रही थी-- आज की भाषा में हम जिसे बोलेंगे "हे भगवान" और "क्या बकवास हे यह" (हंसी) यह क्या हो रहा है! ? तोह सुबह मैं जितना आत्मविश्वास ले के गयी थी वह धीरे धीरे कम होता गया जैसे जैसे सुबह आगे बढ़ती गयी और लोग सवाल पूछते गए। जैसे दिन ख़तम होने लगा, घर जाने से पहले, अध्यापिका ने हमें एक गोला बनाकर बैठाया, लेकिन अचानक मुझे समझ आया की में गोले के बहार हो गयी थी! में किसी की तरफ देख नही सकती थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा था। और अगले कुछ वर्षों में, मुझे बहार जाने से नफरत हो गयी थी मुझे सबका घूरना, हसंना महसूस हुआ हर इंगित उंगली मध्य उंगली नहीं लेकिन हर इंगित उंगली और मुझे इससे नफरत थी। मैं अपने माता पिता के पीछे छुपती थी ताकी मुझे कोई ना देख सके। और एक बच्ची होने के कारण, मुझे दुसरे बच्चों की जिज्ञासा समझ नहीं आ रही थी नाही बड़ों का अज्ञान। यह मेरे लिए बहुत स्पष्ट हो गया कि असली दुनिया नहीं बनी थी मेरे जैसे नाटे लोगों के लिए दोनों शाब्दिक या अर्थात् रूप से। और इसलिए मेरे पास कोई गुमनामी नहीं है, जैसा कि आप शायद देख ही सकते हैं। जबकि आप मेरा नाटा होना देख सकते हैं हम सब अपने जीवन में बहुत कठिनाइयों का सामना करते हैं। कुछ जोह सबको दिखती है, जैसे मेरी लेकिन अधिक दूसरों को नहीं दिखती। आप नहीं बता सकते हैं अगर कोई किसी मानसिक बीमारी का सामना कर रहा है या कोई अपने लिंग पहचान के साथ संघर्ष कर रहा है, अपने बूढ़े माँ या बाप की देखभाल कर रहा है या किसी को पैसों का संकट हो रहा है। ऐसे चीज़ें दुसरो को नहीं दिखती। तोह जबकि आप देख सकते हैं की मेरे लिए एक चुनौती है मेरा नाटा होना इसका मतलब यह नहीं है की आप समझ सकते हैं की वास्तव में मुझ जैसा होना कैसा होता है या मैं किन संघर्षों से गुज़रती हूँ। इसलिए मैं यहां एक मिथक को दबाने आयी हूँ। मेरा विश्वास हे की कोई भी किसी और के जीवन की परिस्थिति को पूरी तरह नहीं समझ सकता, और इसीलिए, हमें एक दुसरे को समझने के लिए कोई नया तरीका देखना पड़ेगा साधारण भाषा में, मुझे कभी नहीं समझ आयेगा की आपका जीवन कैसा है और आपको कभी नहीं समझ आयेगा की मुझ जैसा होना कैसा लगता है। मैं आपके डरों का सामना या आपके सपने पूरे नहीं कर सकती हूँ और नहीं आप मेरे लेकिन हम एक दुसरे के सहायता कर सकते हैं। हमे एक दुसरे के जूतों में चलने के बदले में हमें एक नया तरीका अपनाना चाहिए खुद को देने का। मैं जीवन में जल्दी ही सीख गयी थी की की मुझे कुछ चीज़ें दूसरों से अलग करनी पड़ेगी, लेकिन मैंने यह भी सीखा की कुछ चीज़ें ऐसी भी थी जहाँ मैं सामान स्तर पर थी और उनमे से एक था मेरी स्कूल की पढाई। हां, हां, हां, में समान थी। वास्तव में, मैं पढाई में बहुत अछि थी। यह बहुत महत्वपूर्ण था, क्यूंकि जैसे में बड़ी हुई मुझे समझ आया की मैं कोई शारीरिक श्रम या काम नहीं कर सकती थी। मुझे शिक्षा की ज़रुरत थी। तोह मैंने पढाई करके कॉलेज की डिग्री पूरी कर ली। लेकिन मुझे लगा की सबसे आगे होने के लिए और नौकरी पाने के लिए मुझे और आगे बढ़के एक और ऊँची डिग्री करनी पड़ेगी, तोह मैंने वह डिग्री भी कर ली। अब मैं अपने इंटरव्यू के लिए तैयार थी। आपको अपना पहला इंटरव्यू याद है? मैं क्या पहनूँगी? क्या सवाल पूछेंगे? और मज़बूती से हाथ मिलाना मत भूलना। मैं भी उस ही परिस्थिति में थी। तोह मेरे इंटरव्यू से २४ घंटे पहले, मेरी एक दोस्त, जिसने मुझे मेरे पूरे जीवन जाना है, मुझे कॉल करके बोली, "मिचेल, तुम जिस ईमारत में जा रही हो, उसमे सीढ़ियां है।" और उसे पता था की मैं सीढ़ियां नहीं चढ़ सकती। तोह अचानक, मेरा अवधान ब दल गया। मुझे चिंता होने लगी की मैं वहां तक केसे पहुंचूंगी। तोह मैंने जल्दी जाकर एक लोडिंग डॉक ढूंढा और अंदर घुसी और एक बढ़िया इंटरव्यू दिया। उनहे अंदाजा नहीं में उस दिन किन चीज़ो से बीती थी और वह ठीक है। आप सोच रहे होंगे की उस दिन मेरी सबसे बड़ी चुनौती वोह इंटरव्यू था, या उस ईमारत में घुसना. असलियत में, उस दिन मेरी सबसे बड़ी चुनौती थी उस लोडिंग डॉक से अंदर जाना बिना कुचले गए। मैं बहुत असुरक्षित महसूस करती हूँ ऐसी स्थितियों में: हवाई अड्डे, हॉल, पार्किंग स्थल, लोडिंग डॉक। इसलिए मुझे बहुत सावधान रहना पढता है। मुझे पहले से सोचना और लचीला होना पढता है और जितना जल्दी हो सके चलना पढता है। तोह मुझे वह नौकरी मिल गयी, और मेरी इस नौकरी में मुझे काफी यात्रा करनी पढ़ती है। और यात्रा करना आज कल सबके लिए ही चुनौती है। और तोह आप शायद हवाई अड्डा पहुँचकर सुरक्षा जांच से जाकर, द्वार तक पहुँच जाते है। क्या मुझे गलियारे या खिड़की वाली सीट मिली? क्या मुझे मेरा उन्नयन मिला? मैं, सबसे पहले, किसी भी चीज़ में से नहीं भागती! (हंसी) और मैं खास तौर पे टी. एस. ए. से। क्यूंकि मुझे हर बार व्यक्तिगत चेक का अनुभव करना पढता है। लेकिन मैं उस पर टिप्पणी नहीं करूंगी। और फिर मैं द्वार की तरफ चलती हूँ, और हीर मेरे तेज़ बात करने के उपहार, जिसके साथ में पैदा हुई थी, के द्वारा मैं द्वार के एजेंट से बात करती हूँ, "मेरा स्कूटर का इतना वजन है, मेरे पास 'ड्राई सेल बैटरी' है और मैं स्कूटर हवाई जहाज के द्वार तक चला सकती हूँ।" इसके अलावा, एक दिन पहले, मैंने फोन किया था उस शहर को जहां मैं जा रही थी यह जानने के लिए की अगर में स्कूटर किराये पर ले सकती हूँ, यदि मेरा स्कूटर टूट जाए। तोह मेरे लिए, यह सब थोड़ा अलग है। जब में विमान में चढ़ती हूँ, मैं हवाई विमान में एक महिला से बात करके अपना बैग ऊपर रखने की कृपा करती हूँ। मैं हवाईजहाज में खाना-पीना नहीं करती क्यूंकि मुझे हवाई जहाज मैं उठकर चलना नहीं पसंद, लेकिन प्रकृति का अपना समय है, और बहुत पहले नहीं, प्रकृति दस्तक दी और मैंने उपकृत किया तोह मैं हवाई जहाज के सामने तक गयी और मैंने फ्लाइट अटेंडेंट से बात की और बोली, "आप दरवाज़ा देख सकती हैं? में ताले तक नहीं पहुँच सकती।" तोह मैं वहां अपना व्यवसाय कर रही हूं, और अचानक दरवाज़ा खुलता है और वहां एक आदमी खड़ा है उसके चेहरे पर दहशत। में भी ज़रूर वैसी लग रही थी। मैंने बहार आकर देखा की वह आदमी मेरे सामने ही बैठा था, और वह एकदम शर्मिंदगी में बैठा था। तो मैं उनके पास जाती हूं और मैं चुपचाप पूंछती हूं, "क्या आपको यह उतना ही याद रहेगा जितना मुझे? " (हंसी) और वह बोलते है, "हाँ, मुझे लगता है।" (हंसी) वह शायद इसके बारे में सार्वजनिक रूप से बात नहीं कर रहे, मैं कर रही हूँ (हंसी) हमने बाकी पूरी फ्लाइट के दौरान बात की और एक दुसरे को जाना हमारे परिवार, खेल, काम के बारे में, और जब हम उतर रहे थे, बह बोले "मिचेल, मैंने देखा की आपका बैग ऊपर रखा है में नीचे उतार दूँ?" और मैं बोली, "हाँ ज़रूर, शुक्रिया।" और हमने शुभकामनाय दी, और उस दिन सबसे महत्वपूर्ण चीज़ थी की वह उस शर्मिंदगी के साथ नहीं जा रहे थे उस अनुभव की शर्मिंदगी। वोह यह नहीं भूलेंगे, और मैं भी नहीं, लेकिन मुझे लगता है उन्हें ज़्यादा याद रहेगा हमारी बातें और अलग अनुभव। जब आप अंतरराष्ट्रीय यात्रा करते हैं, वह और भी चुनोतीपूर्ण हो सकता हैं कुछ तरीकों मैं। कुछ सालों पहले, मैं ज़़ैज़िबार में थी, और मैं अंदर आती हूँ, और सोचो इसके बारे में। एक नाटी, गोरी महिला एक चेयर में। यह तोह शायद रोज़ देखने नहीं मिलता। तोह में उठी, और एजेंट से बात करने लगी। तोह मैं बात करने लगी, उनकी संस्कृति, आदि के बारे में, और मैंने देखा कि जेट ब्रिज नहीं था। तोह मुझे बोलना पड़ा, "न केवल आपको मेरी कुर्सी उठानी पड़ेगी, मुझे थोड़ी मदद चाहिए होगी सीढ़ीयां चढ़ने में भी।" तोह हमने एक घंटा साथ बिताया, हवाई जहाज का इंतज़ार करते हुए, और वह एक सचमें शानदार घंटा था। हमारी दृष्टिकोण बदल गयी उस दिन, हम दोनों के लिए। और जब में हवाईजहाज में चढ़ गयी उसने मुझे पीठ पर पीठ दिया और मुझे शुभकामनाय की, और मैंने उन्हें बहुत शुक्रिया किया। और फिरसे, मुझे लगता है की उन्हें यह अनुभव ज़्यादा याद रहे गा तुलना में जब में पहले आयी थी थोड़ा हिट्चकिचाते हुए। और जैसा आप देख रहे है, मुझे काफी मदद मिलती हैं। में जहाँ हूँ आज मैं यहाँ नहीं होती अगर मेरे परिवार, और दोस्तों के लिए नहीं होता और बहुत सरे अनजानों के लिए भी जो मेरे जीवन में हर दिन मदद करते हैं। और यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी के पास एक समर्थन प्रणाली हो। मदद के लिए पूछना एक ताकत है, कमज़ोरी नहीं। (तालियां) हम सभी को हमारे जीवन में मदद की ज़रूरत होती है, लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण है की कि हम दुसरे लोगों के समर्थन प्रणालियों का हिस्सा हैं। हमें वापस देने का ऐसा तरीका अपनाना चाहिए। हम सबका अपना हिस्सा होता हैं अपनी सफलता में, लेकिन सोचिये हमारा क्या हिस्सा है दूसरों के सफलता में, जिस तरह लोग मेरे लिए करते हैं हर रोज़। यह एकदम महत्वपूर्ण है कि हम एक दूसरे की मदद करें, क्योंकि समाज तेजी से बढ़ रहा है सिल्लो में लोगों को रखकर पूर्वाग्रहों और विचारधाराओं पर आधारित। और हमे सतह से आगे देखना पड़ेगा और सत्य का सामना करना पड़ेगा की हम सब वह नहीं हैं जो सतह पर देखता है। उससे ज़्यादा है हम सब में, और हम सब चुनौतियों का सामना कर रहे हैं जो कोई नहीं देख सकता है। तोह विवेक के बिना जीवन जीना हमें अलग अलग अनुभवों का हिस्सा होने में मदद करता है और एक अलग परिप्रेक्ष्य देता है, जैसे वह कुछ लोग जिनकी कहानियां मैंने आपको बताई। तोह याद रखिये, आप सिर्फ आपने जूतों में सचमे चल सकते हैं। मैं आपके जूतों में नहीं चल सकती। में जानती हूँ की आप मेरे नंबर एक जूतों में नहीं चल सकते (हंसी) लेकिन कोशिश कर सकते हैं। लेकिन हम उससे बेहतर कुछ कर सकते हैं। करुणा, साहस, और समझ के साथ हम साथ साथ चल सकते हैं और एक दुसरे का समर्थन कर सकते हैं, और सोचें कि समाज कैसे बदल सकता है अगर हम यह सब करें नाकि दूसरों को उनके चेहरों पर भेदभाव करें। धन्यवाद (तालियां) धन्यवाद मैं आपको एक लड़की की कहानी सुनाना चाहती हूँ | पर मैं आपको उसका असली नाम नही बता सकती | तो चलो हम उसे हदीज़ा बुलाते है | हदीज़ा 20 साल की है | वह शर्मीली है, पर उसकी मुस्कुराहट बहुत खूबसूरत है, जो उसके चेहरे पर नूर लाती है | पर वह हर दम दर्द में है | और संभावना है कि उसे अपनी बाकी ज़िंदगी दवाइयों के सहारे बितानी पड़ेगी | जानते हैं क्यों ? हदीज़ा चिबॉक की लड़की है, और 14 अप्रैल, 2014 को, बोको हराम आतंकवादियों ने उसका अपहरण किया था | हालांकि वह वहाँ से बचकर निकल पाई, लड़कियों से भरी उस ट्रक में से कूदकर | पर जब वह ज़मीन पर उतरी, तब उसके दोनो पैर टूट गए और उसे अपने पेट के बल रेंगना पड़ा झाड़ियों में छुपने के लिए | उसने मुझे बताया कि उसे बहुत डर था कि बोको हराम उसे फिर से लेकर जाएँगे | वह उन 57 लड़कियों में से एक थी, जो उस दिन ट्रक से कूदकर बच निकली थी | ज़ाहिर सी बात है कि यह कहानी दुनिया भर में हलचल मचा देती है | मिशेल ओबामा, मलाला, आदि जैसे लोगों ने इसके विरोध में अपनी आवाज़ उठाई हैं और उस ही वक्त – मैं तब लंडन में रह रही थी – मुझे लंडन से अबूजा भेज दिया गया था, विश्‍व र्थिक मंच के बारे में लिखने के लिये जो पहली बार नाइजीरिया में आयोजित था | पर जब हम वहाँ आए तब यह बात साफ थी कि शहर में सिर्फ़ एक ही कहानी थी हमने सरकार पर दबाव डाला | हमने उनसे बहुत कठिन सवाल पूछे, कि वे इन लड़कियों को वापस लाने के लए क्या कर रहे थे ज़ाहिर है, कि वे हमारे सवालों से खुश नही थे और बस इतना जान लीजिए कि हमे हमारे हिस्से के "अन्य तथ्य" मिले | ( हँसी ) उस वक्त नाइजीरिया के प्रभावशाली वासी हमे बता रहे थे कि हम भोले हैं, हम नाइजीरिया की राजनीतिक स्थिती को नही समझते थे, पर उन्होंने हमे यह भी बताया, कि चिबॉक के लड़कियों की कहानी एक फ़रेब था | अफसोस की बात है, कि यह फ़रेब की कहानी ज़िंदा रही है , और आज भी नाइजीरिया में लोग हैं जिनका मानना है कि चिबॉक की लड़कियाँ कभी अगवा ही नही हुई फिर भी मैं इन जैसे लोगों से बात कर रही थी – माँ-बाप जिनकी ज़िंदगी तबाह हो गई, जिन्होंने हमे बताया कि जिस दिन बोको हराम ने उनकी बेटियों का अपहरण किया था, वे अपनी लड़कियों से भारी उस ट्रक के पीछे भागते-भागते संबोसिया वन में जा पहुँचे वे अपने साथ तलवार-चाकू लाए थे, पर उन्हें वापस मुड़ना पड़ा क्योंकि बोको हराम के पास बंदूकें थी अनिवार्य रूप से, अगले 2 सालों के लिए समाचारों की कार्यसूची आगे बढ़ती गई और दो सालों में, हमने चिबॉक की लड़कियों के बारे में ज़्यादा नही सुना | सबने यही समझ लिया कि वे सब मर चुकी हैं पर पिछले साल, अप्रैल में, मैं एक वीडियो को पाने में कामयाब हुई | यह तस्वीर उस वीडियो में से है जिसे बोको हराम ने उनके जीवित रहने के सबूत के लिए बनाया और मुझे यह वीडियो एक सूत्र से प्राप्त हुआ | पर उसे प्रकाशित करने से पूर्व, मुझे नाइजीरिया के पूर्वोत्तर भाग तक सफ़र करना पड़ा उन माँ-बापों से बात करने के लिए, उसकी पुष्टि के लिए मुझे उनका पुष्टिकरण पाने के लिए ज़्यादा इंतज़ार नही करना पड़ा | उन में से एक माँ ने वीडियो देखकर मुझसे कहा क़ि अगर वह उस लॅपटॉप के अंदर घुस सकती और अपनी बच्ची को उससे निकाल सकती, तो उसने ऐसा किया होता | यहाँ मौजूद दर्शकों में से जो भी माता या पिता हैं, आप सिर्फ़ उस तकलीफ़ की कल्पना कर सकते हैं, जो उस माँ ने महसूस की | इस वीडियो में आगे बोको हराम के साथ की गई समझौते की बातें दिखाई देती हैं और नाइजीरिया के राज्यसभा के एक मंत्री ने मुझे बताया कि इस वीडियो के कारण वे इन बातों में पड़े, क्योंकि उन्होनें कब का मान लिया था कि वह चिबॉक की लड़कियाँ मर चुकी हैं पिछले साल अक्टूबर में 21 लड़कियों को आज़ाद किया गया | अफ़सोस की बात यह है, कि उन में से लगभग 200 आज भी लापता हैं मुझे यह मानना पड़ेगा कि मैं इस कहानी को लेकर सिर्फ़ एक भावनाहीन दर्शक नही रही हूँ मुझे बहुत गुस्सा आता है जब मैं उन लड़कियों को बचाने के गवाए हुए मौकों का विचार करती हूँ बहुत गुस्सा आता है मुझे उन बातों को सोचकर जो उन माँ-बापों ने मुझे बताई, कि अगर यह अमीरों या ताकतवर लोगों की बेटियाँ होती, तो वह बहुत पहले मिल जाती और मैं बहुत गुस्सा हूँ कि उस फ़रेब की कहानी ने, मुझे पूरा यकीन है, यह देरी लाई ; यह उस वजह का हिस्सा थी जिससे उन लड़कियों की वापसी में देर हुई यह बात मुझे दर्शाती है कि नकली खबरें कितनी ख़तरनाक हो सकती हैं इसपर में हम क्या कर सकते हैं? कुछ बहुत होशियार लोग हैं, गूगल और फ़ेसबुक के चतुर इंजीनियर, जो टेक्नोलॉजी के उपयोग से कोशिश कर रहे हैं नकली खबरों को फैलने से रोकने की पर इसके अलावा, मुझे लगता यहाँ मौजूद हर कोई – आप और मैं – हम सब इसमें शामिल हो सकते हैं हम ही है जो बातों को बाँटते हैं हम ही हैं जो कहानियों को ऑनलाइन बाँटते हैं आज के ज़माने में, हम सब प्रकाशक हैं, और हम पर ज़िम्मेदारी है मेरी पत्रकार की नौकरी में, मैं जाँचती हूँ, बातों की पुष्टि करती हूँ | मैं अपने दिल की आवाज़ सुनती हूँ, पर मैं मुश्किल सवाल पूछती हूँ | यह इंसान मुझे यह कहानी क्यों बता रहा है ? यह जानकारी बाँटने से उनका क्या फायदा होगा ? क्या उनकी कोई छुपी हुई योजना है ? मुझे सच में ऐसा लगता है कि हम सब को और भी मुश्किल सवाल पूछना शुरू करना चाहिए उस जानकारी के बारे में जो हमें ऑनलाइन पता चलती है एक शोध के अनुसार, हम में से कुछ लोग कहानियाँ बाँटने से पहले हेडलाइन्स के आगे भी नही पढ़ते यहाँ किसने ऐसा किया है ? मुझे पता है कि मैने किया है लेकिन अगर हम पाई हुई जानकारी को उसके प्रदर्शित रूप से न देखें, तो? अगर हमने ज़रा रुककर हमारे द्वारा बाँटी गई जानकारी के परिणाम, व उसके हिंसा और घृणा पैदा करने की क्षमता के बारे में सोचा, तो ? अगर हम ज़रा रुककर हमारे द्वारा बाँटी जा रही जानकारी के असली ज़िन्दगीयों पर होने वाले परिणामों के बारे में सोचने लगे, तो ? सुनने के लिए आपका बहुत शुक्रिया ( तालियाँ ) पिछले साल ... नरक के समान था। (हंसी) मैं पहली दफा नाइजीरियन "जोलोफ" खा रहा था। (हँसी) वास्तव में, गंभीरता सहित, मैं बेहद व्यक्तिगत अशांति से गुज़र रहा था। भारी तनाव का सामना करते हुए, मुझे मानसिक व्यग्रता झेलनी पड़ी। किसी-किसी दिन मैं काम नहीं कर पाता था। बाकी के दिन, मैं केवलअपने बिस्तर में पड़े रोना चाहता था। मेरे डॉक्टर ने पूछा कि क्या मैं मानसिक चिकित्सक से मेरे तनाव और चिंता के बारे में बात करना चाहूँगा। मानसिक स्वास्थ्य? मैं शांत हो गया और विरोध में अपना सिर हिला दिया। मुझे शर्मिंदगी का एक गहरा एहसास हुआ। मुझे कलंक का भार महसूस हुआ। मेरा एक प्यारा, सहायक परिवार है और अविश्वसनीय वफादार दोस्त भी, फिर भी मैं अपने दर्द के एहसास के बारे में किसी से बात करने का विचार नहीं कर सकता था मुझे अफ्रीकी मर्दानगी की कठोर वास्तुकला से घुटन महसूस होने लगी। "लोगों के पास वास्तविक समस्याएँ हैं, सांगु। अपने आप से आगे बढ़ो!" पहली बार जब मैंने "मानसिक स्वास्थ्य" सुना था, मैं घाना से न्यू जर्सी स्थित पेडी स्कूल में नया आकर बसा एक बोर्डिंग स्कूल छात्र था। मैंने एक ही महीने में सात प्रियजनों को खोने का क्रूर अनुभव किया था। स्कूल की नर्स, मेरे उस अनुभव को लेकर चिंतित -- भगवान उसकी आत्मा को सुखी रखे -- उसने मेरे मानसिक स्वास्थ्य के बारे में पूछा। "क्या यह पागल है?" मैंने सोचा। क्या इसे नहीं पता कि मैं एक अफरीकी अादमी हूँ? (हँसी) "थिंग्स फ़ॉल अपार्ट" में ओकोंकवो की तरह हम अफरीकी पुरुष न तो हमारी भावनाओं को संसाधित और न ही व्यक्त करते हैं। हम अपनी समस्याओं से निपटते हैं। (तालियाँ) हम अपनी समस्याओं से निपटते हैं। मैंने अपने भाई को बुलाया और "ओयइबो" लोगों के बारे में हँसे -- गोरे लोग -- और उनकी अजीब बीमारियाँ -- डिप्रेशन, ए डी डी और वह "अजीब चीजें"। पश्चिम अफ्रीका में बड़े होते हुए, जब लोग मानसिक शब्द का प्रयोग करते थे दिमाग में एक पागल आदमी आता था जो गंदे, उलझे बालों के साथ, सड़कों पर आधा नग्न अनाड़ी घूम रहा हो। हम सब इस आदमी को जानते हैं। हमारे माता-पिता ने उसके बारे में हमें चेतावनी दी थी। "माँ, माँ, यह पागल क्यों है?" "ड्रग! अगर तुमने ड्रग की तरफ देखा भी, तुम इसके जैसे बन जाओगे। ( हँसी) निमोनिया से पीड़ित हो जाओ, और तुम्हारी माँ तुम्हें नज़दीकी हस्पताल में चिकित्सा उपचार के लिए ले जाएगी। लेकिन डिप्रेशन घोषित करने की हिम्मत करो, और आपका स्थानीय पादरी राक्षसों को बाहर निकाल रहा होगा और अापके गांव में चुड़ैलों को दोष दे रहा होगा। वर्ल्ड हेल्थ ऑरगनाइज़ेशन के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य जीवन के सामान्य तनाव से निपटने में सक्षम होने के बारे में है; उत्पादकता और फलस्वरूप कार्य करने के लिए; अपने समुदाय में योगदान करने में सक्षम होने के लिए। मानसिक स्वास्थ्य में हमारे भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण शामिल हैं। विश्व स्तर पर, 75 प्रतिशत मानसिक बीमारी के मामले कम-आय वाले देशों में पाए जा सकते हैं। फिर भी अधिकतर अफरीकी सरकारें मानसिक स्वास्थ्य में अपने हेल्थ केयर बजट में से एक प्रतिशत से भी कम निवेश करती हैं। इससे भी बदतर, हमारे पास अफरीका में मनोचिकित्सकों की एक गंभीर कमी है। उदाहरण के तौर पर, नाइजीरिया में २०० का अनुमान है -- लगभग २०० मिलियन के देश में। कुल अफरीका में, हमारे ९० प्रतिशत लोगों को इलाज की कमी होती है। नतीजतन, कलंक से खामोश, हम एकांत में पीड़ित होते हैं। अफ्रीकी होने के नाते हम अक्सर मानसिक स्वास्थ्य को जवाब देते हैं दूरी, अज्ञान, अपराध, भय और क्रोध के साथ। अरबोलीडा-फ्लोरेज़ द्वारा किए गए एक अध्ययन में, जो सीधे पूछती है, "मानसिक बीमारी का कारण क्या है?" ३४ प्रतिशत नाइजीरियाई उत्तरदाताओं ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग का हवाला दिया; १९ प्रतिशत ने कहा कि परमात्मा का क्रोध और परमेश्वर की इच्छा -- (हँसी) १२ प्रतिशत ने, जादू टोना और आध्यात्मिक अधिकार। लेकिन कुछ ने मानसिक बीमारी के अन्य ज्ञात कारणों का हवाला दिया, जैसे, आनुवंशिकी, सामाजिक आर्थिक स्थिति, युद्ध, संघर्ष, किसी प्रियजन का खोना। मानसिक बीमारी के खिलाफ कलंक का परिणाम अक्सर पीड़ितों का निष्कासन अौर पिशाच बनना होता है। फोटोजर्नलिस्ट रॉबिन हम्मोंड ने इनमें से कुछ दुर्व्यवहारों को ... युगांडा में, सोमालिया में, और यहाँ नाजीरिया में, प्रलेखित किया है। मेरे लिए, कलंक व्यक्तिगत है। २००९ में, रात के बीच में मुझे एक उन्मत्त कॉल मिला। दुनिया में मेरे सबसे अच्छे दोस्त -- एक शानदार, दार्शनिक, आकर्षक, हिप जवान आदमी - का स्किज़ोफ्रेनिया से निदान किया गया था। मैंने कुछ दोस्तों को, जिनके साथ हम बड़े हुए थे, पीछे हटते हुए देखा। मैंने हँसी को सुना। मैंने फुसफुसाहट को सुना। "क्या आपने सुना वह पागल हो गया है?" (क्रू अंग्रेजी) "वह पागल हो गया है!" उसकी हालत के बारे में अपमानजनक, नीचा दिखाने वाली टिप्पणी -- शब्द जो हम कभी नहीं कहेंगे किसी कैंसर पीड़ित के लिए या किसी मलेरिया वाले के बारे में। किसी तरह, जब मानसिक बीमारी की बात आती है, तो हमारी अज्ञानता सभी सहानुभूति को छोड़ देती है। मैं उसके पक्ष में खड़ा था जैसे कि उसके समुदाय ने उसे अलग कर दिया था, लेकिन हमारा प्यार कभी नहीं डगमगाया। वास्तव में, मैं मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भावुक हो गया। उसकी दुर्दशा से प्रेरित होकर, मैंने अपने कॉलेज में मानसिक स्वास्थ्य विशेष रुचि पूर्व छात्र समूह खोजा। और स्नातक विद्यालय में एक निवासी शिक्षक के रूप में मेरे कार्यकाल के दौरान, मैंने कई स्नातकों का उनकी मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों के साथ समर्थन किया। मैंने अफ्रीकी छात्रों को संघर्ष करते और किसी से बात करने में असमर्थ देखा। इस ज्ञान के साथ भी और उनकी अनकही कहानियों के साथ, मैंने, बदले में, संघर्ष किया, और किसी से बात नहीं कर सका जब मैंने अपनी चिंता का सामना किया, इतना गहरा है हमारा पागल होने का डर। हम सब का -- खासकर के हम अफरीकियों का -- जानना जरूरी है कि हमारे मानसिक संघर्ष हमारी वीरता से कम नहीं होते, और न ही हमारा आघात हमारी ताकत को कलंकित करता है। हमें मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य की तरह महत्वपूर्ण देखने की ज़रूरत है। हमें चुप्पी में पीड़ा सहने को रोकने की जरूरत है। हमें रोगों को बदनाम करना और पीड़ितों को परेशान करना बंद करना होगा। अपने दोस्तों से बात करें। अपने प्रियजनों से बात करें। स्वास्थ्य पेशेवरों से बात करें। अरक्षित रहें। ऐसा इस विश्वास के साथ करें कि आप अकेले नहीं हैं। अगर तुम संघर्ष कर रहे हो तो बोलो। हम कैसा महसूस करते हैं इसके बारे में ईमानदार होना हमें कमजोर नहीं बनाता; यह हमें इंसान बनाता है। यह मानसिक बीमारी से जुड़े कलंक को समाप्त करने का समय है। तो अगली बार जब आप "मानसिक" सुनें, तो सिर्फ उस पागल के बारे में न सोचें। मेरे बारे में सोचें। (तालियाँ) धन्यवाद। (तालियाँ) मैं सिर्फ़ 14 साल का था अरुंद दुरफ दुकानोकी गलीमे घुस्कर मैने एक खिलोना लुटा और बिल्डिंग से बाहर आते ही एक ने मेरी बाँह पकड़ी, तो मैं भागा। गली में आगे भाग कर मैं चहारदीवारी पर चढ़ा और जैसे ही उस के ऊपर पहुँचा, बैग में पड़े लूट के 3000 सिक्कों के वज़न ने मुझे वापस ज़मीन पर गिरा दिया। और मैंने ऊपर एक सिक्यरिटी गार्ड को खड़ा हुआ पाया, और उसने कहा, "छोटू, अगली बार वो ही चुराना जिसका वज़न ढो सको।" (ठहाका) वहाँ से मुझे बच्चों के जेल ले जाया गया और जब मुझे अपनी माँ की देख रेख में छोड़ गया, तो मेरे अंकल के पहले शब्द थे, "पकड़े कैसे गए?" मैंने कहा, "भाई, बैग बहुत भारी हो गया था।" वो बोले , "सारे सिक्के एक साथ ले के नहीं भागने थे।" मैंने कहा, "इतने छोटे सिक्के थे। क्या करता मैं?" और ठीक दस मिनट बाद, वो और मैं दूसरी गेम मशीन लूटने निकल पड़े। घर जाने के लिए पट्रोल ख़रीदना था। तो ऐसी थी मेरी ज़िंदगी। मैं ओकलैंड, कैलिफ़ोर्निया में पला बढ़ा, अपनी माँ और नज़दीकी रिश्तेदारों के साथ, जो कि कोकीन के नशेड़ी थे। मैं कभी दोस्तों, कभी रिश्तेदारों के घर रहता था तो कभी बेघर लोगों के सरकारी आश्रयो में। अक्सर खाना भी फ़्री जगहों पर और परमार्थ के लिए चलने वाली रसोईयो में होता था। गैंगबाज़ी में मेरा गुरु एक दोस्त बोला: दुनिया में सिर्फ़ पैसे की चलती है पैसा सब कुछ दे सकता है। और पैसा इन गलियों का राजा है। और अगर आप पैसे के पीछे भागेंगे, तो या तो ग़लत लोगों तक पहुँचेंगे, या सही लोगों तक। इस सीख के कुछ ही दिन बाद, मैंने अपना पहला अपराध किया, किसी ने मुझ से पहली बार कहा था की मुझ में भी क़ाबलियत है और कोई मुझ में भी विश्वास करता है। कभी किसी ने मुझे वकील बनने को नहीं कहा, या डॉक्टर या इंजीनियर बनने को। मतलब, मैं ये सब कैसे कर सकता था? मुझे तो लिखना पढ़ना तक नहीं आता था। मैं बिलकुल निरक्षर था। मैं सोचता था की अपराध मेरा एकमात्र रास्ता है। और फिर एक दिन मैं किसी से बात कर रहा था और उसने मुझसे कहा कि हम एक जगह डकैती कर सकते हैं। और हमने वो डकैती डाल दी। सच बात ये थी की मैं पल बढ़ रहा था दुनिया के सब से रईस देश में, यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में, लेकिन मेरी माँ ख़ून बेच कर पैसे कमाने वालों की लाइन में खड़ी मिलती थी 40 डॉलर में अपना ख़ून बेच कर अपने बच्चों का पेट भरने के लिए। आज तक उनकी बाँहों में सुइयों के निशान देखे जा सकते हैं। तो मुझे अपने लोगों की परवाह नहीं थी। ना उन्हें मेरी कोई फ़िक्र थी। वहाँ हर कोई जो मन आए करता था, जो चाहिए उसे पाने के लिए, ड्रग बेचना, चोरी डाका करना ख़ून बेचना सब लोग ग़लत पैसा कमा रहे थे। और मैं भी हर तरीक़े का पैसा कमाता था। बस पैसा ज़रूरी था। सिर्फ़ पैसे का ही महत्व था और मैं बचपन से इस तरह के जीवन का ग़ुलाम था, ग़लत उदाहरणों से सीख कर। 17 साल की उम्र में मुझे डाके और ख़ून के लिए गिरफ़्तार कर लिया गया और जल्दी मुझे समझ आ गया की जेल में तो पैसे की और भी ज़्यादा चलती है, तो मुझे भी शामिल होना था। एक दिन मैं अख़बार का खेल वाला पन्ना ले कर अपने सेल पार्ट्नर से पढ़वाने ले गया, और ग़लती से बिज़नस वाला पन्ना ले आया। तो इस बूढ़े आदमी ने पूछा, "लड़के, तुम स्टॉक ख़रीदते हो?" और मैंने कहा, "वो क्या ?" उसने कहा, "ये वो जगह है जहाँ श्वेत लोग अपना सारा पैसा रखते हैं।" (ठहाका) और पहले बार मुझे आशा की कोई किरण दिखी, की भविष्य हो सकता है। उसने मुझे संक्षेप में समझाया की स्टॉक क्या होता है, मगर ये सिर्फ़ एक झलक थी। मतलब, मैं ये कैसे करता? मुझे पढ़ना, लिखना, कुछ नहीं आता था। अपनी निरक्षरता छिपाने के मेरे तरीक़े यहाँ इस मामले में काम नहीं आने वाले थे। मैं जैसे पिंजरे में फँस गया था, शिकारियों के बीच शिकार जैसे, अपनी आज़ादी के लिए लड़ते हुए। मैं दिशाहीन और थका हुआ था और कोई विकल्प नहीं था। तो जब मैं 20 साल का हुआ, मैंने अपने जीवन का सबसे कठिन काम किया। मैंने एक किताब उठायी, और वो मेरे जीवन का सबसे कठिन क्षण था, पढ़ना सीखना की कोशिश करना, अपने परिवार से अलग राह पे जाना, गैंग के दोस्तों से अलग। बहुत ही कठिन था, भाई! एक लड़ाई जैसी थी। मगर मुझे अंदाज़ा ही नहीं था कि मुझे अपने जीवन की सबसे ग़ज़ब का उपहार मिल रहा था: उपहार आत्म-सम्मान का, ज्ञान और अनुशासन का। मैं पढ़ने को ले कर इतना उत्साहित था कि जो भी मिलता था, मैं पढ़ जाता था: टॉफ़ी की पन्नी, कपड़ों के स्टिकर, ट्रैफ़िक साइन, सब कुछ। मैं जुनून से पढ़ रहा था! (तालियाँ) बस पढ़ते ही जा रहा था। मुझे पढ़ने और स्पेलिंग सीखने में ज़बरदस्त मज़ा आ रहा था। एक गैंग वाले दोस्त ने पूछा, "भाई, क्या खा रहा है?" मैंने कहा, "सी ए अन डी वाई, कैंडी।" (ठहाका) उस ने कहा, "मुझे भी थोड़ा दो।" मैंने कहा, "एन ओ, नो।" (ठहाका) बहुत मज़ा आ रहा था। मतलब, मैं अब जीवन में पहली बार ख़ुद पढ़ सकता था। मुझे लगा जैसे मेरे पाँवो में पंख लगे हों। और फिर 22 के उम्र में, आत्म विश्वास से भरे होने पर, मुझे उस बूढ़े की बात याद आयी। तो मैंने अख़बार का बिज़नेस वाला पन्ना उठाया। मुझे इन रईस श्वेत लोगों से मिलना था। (ठहाका) तो मैं उस मौक़े की तलाश में रहने लगा। जैसे जैसे मैंने अपना काम बढ़ाया और लोगों को सिखाने का कि अपने पैसे रुपए का कैसे ध्यान रखें, मुझे ये समझ आ गया की अपने किए के लिए ज़िम्मेदार होना होगा। ये सच था कि मैं बहुत कठिन परिवेश में पला था, मगर मैंने अपराध की राह ख़ुद चुनी थी, और मुझे उस की ज़िम्मेदारी लेनी होगी। और मैंने वो ज़िम्मेदारी ली। मैंने जेल गए लोगों के लिए एक पाठ्यक्रम तैयार किया कि कैसे जेल में कमाए गए पैसे को उपयोग मी लाये । अग़ल हम रहन सहन ठीक रखे तो हमें ऐसे तरीक़े आ जाएँगे जिस से हम जेल से छूटने के बाद अपने पैसे को ठीक से इस्तेमाल करें जैसे की तमाम वो लोग करते हैं जो बिना अपराध किए जीते हैं। तब मुझे पता चला कि मार्केट वॉच के हिसाब से, 60 पर्सेंट से ज़्यादा अमरीकियों के पास 1,000 डॉलर से भी काम की बचत है। स्पोर्ट्स इलस्ट्रेटेड कहता है कि 60 पर्सेंट से ज़्यादा NBA और NFL खिलाड़ी कंगाल होते हैं। 40 प्रतिशत से ज़्यादा शादियाँ आर्थिक कारणों से टूटती हैं। आख़िर चल क्या रहा था? (ठहाका) मतलब जो लोग उम्र भर काम करते हैं, कार, कपड़े, घर ख़रीदते हैं, अगर वो महीने की सैलरी पर जीते हैं? तो आख़िर कैसे हम जेल गए हुए लोगों के मदद करेंगे अपराध छोड़ने में अगर वो अपने पैसे का ख़याल नहीं रख सके? हमारी लगी पड़ी है। (ठहाका) हमें कोई बेहतर तरीका चाहिए। ऐसे तो नहीं चलने वाला है। तो--- मैंने सोचा। मेरी ज़िम्मेदारी बनते है की इस रास्ते पर चलते लोगों की मदद करूँ, और ये अजीब था क्योंकि अब मैं लोगों की फ़िक्र कर रहा था तो मैंने सोचा था की वो भी मेरी फ़िक्र करेंगे। आर्थिक समझ ना होना एक बीमारी जैसा है जो कि अल्प-संख्यको और ग़रीब तबके के लोगों को विकलांग करती है कई कई पीढ़ियों तक, और इस बीमारी से ताक़त के साथ लड़ना होगा। ख़ुद से ये सवाल कीजिए: ऐसा कैसे है कि 50 प्रतिशत अमरीकी जनता रुपए पैसे की समझ के बिना जीते है, वो भी इतने रईस देश में? हमारी पहुँच न्याय तक, सामाजिक स्तर पर, जीने के स्तर, परिवहन और भोजन तक, ये सब पैसे पर निर्भर करते है जिसे ज़्यादातर लोग समझते ही नहीं। ये बहुत बढ़ी गड़बड़ है! ये महामारी जैसा ख़तरनाक है और जनता की सुरक्षा के प्रति बहुत बड़ा ख़तरा भी है। कैलिफ़ोरनिया के सुधार विभाग के अनुसार, 70% प्रतिशत से ज़्यादा क़ैदी पैसे से जुड़े अपराधों के आरोपी हैं: डकैती, चोरियाँ, ग़बन, फिरौती -- और ये लिस्ट बहुत लम्बी है। एक और बात जानिए: एक औसत क़ैदी जो कैलिफ़ोरनिया के जेल सिस्टम में जाता है बिना किसी आर्थिक शिक्षा के, वो 30 सेंट प्रति घंटे कमाता है, क़रीब 800 डॉलर सालाना, उसकी कोई बचत वग़ैरह नहीं होती है, और जब वो जेल से छूटता है तो उसे 200 डॉलर दे कर कहा जाता है, "शुभकामनायें! कोशिश कीजिए फिर से जेल ना जाना पड़े।" बिना किसी तैयारी के, या भविष्य के आर्थिक प्लान के, वो करे क्या? वो भी 60 की उम्र में? एक अच्छी नौकरी ढूँढे, या उसी आपराधिक राह पर निकल जाए जिस ने उसे जेल तक पहुँचाया था? आप टैक्स देते हैं, आप बताइए। देखिए, उस की पढ़ाई के कमी ने उस का रास्ता निश्चित कर दिया है। तो हम इस बीमारी से कैसे निपटें? मैंने एक कार्यक्रम की सह-स्थापना की जिसे हम फ़ायनैन्शल एमपोवेरमेंट इमोशनल लिटरेसी कहते हैं यानि FEEL, और ये हमें सिखाता है की आप भावनात्मक फ़ैसलों को अपने आर्थिक फ़ैसलों से अलग कैसे रखें, और चार ऐसे नियम जो आपको आर्थिक रूप से ठीक रखेंगे: बचत करने का सही तरीक़ा, अपने रहन सहन को क़ाबू में रखना उधार ठीक तरीक़े से लेना और अपने पैसे को अलग अलग जगह लगाना जिस से आपका पैसा आपके लिए काम कर सके, बजाय इस के की आप पैसे के लिए काम करें। जेल गए लोगों को इन हुनर को सीखना होगा अगर वो वापस समाज में जाना चाहता हैं। बिना इस के पूरी तरह समाज में लौटना नामुमकिन है। ये सोच की केवल पेशेवर लोग ही निवेश और पैसे की देखभाल कर सकते हैं सरासर ग़लत है, और जो भी आप से ये कहता है, वो झूठा है। (तालियाँ) पेशेवर व्यक्ति बिलकुल आम आदमी से ज़्यादा बेहतर हो सकता है, मगर कोई आपसे बेहतर ये नहीं जानता है कि आपको कब कितने पैसे की ज़रूरत पड़ेगी, और इस लिहाज़ से आप भी पेशेवर ही हुए। आर्थिक समझ कोई हुनर नहीं है, देवियों और सज्जनों, वो जीने का एक तरीक़ा है। आर्थिक स्थिरता उस तरीक़े से जीने का फल है। आर्थिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति टैक्स देने वाला नागरिक बन सकता है, और आर्थिक रूप से स्वस्थ टैक्स देने वाला नागरिक सदा वैसा बना रह सकता है। इस से हमें जोड़ने का मौक़ा मिलता है उन लोगों को जो हमारी बात सुनते हैं जैसे परिवार और दोस्त, उन युवा लोगों से जो अभी भी अपराध को पैसा कमाने का इकलौता रास्ता समझते हैं। तो आइए डर और तनाव से आगे बढ़ें जो आर्थिक योजनाओं से लगता है और उन बातों से लगता है जो हमें आसपास सुनने को मिलती हैं। और अपने समाज को विकलांग करती इस समस्या की जड़ तक पहुँचे और लोगों को ज़िम्मेदार और बेहतर ज़िंदगी जीने वाला बनायें। और आइए ऐसा पाठ्यक्रम बनाए जो सरल हो और सीधा साधा हो जो जड़ तक पहुँचता हो, आर्थिक सजगता और भावनात्मक समझ की जड़ तक। और अगर यहाँ आप दर्शकों में बैठ कर सोच रहे हैं, "ओह, मैं इन सब चीज़ों से ऊपर हूँ," तो बस मेरी क्लास आ जाइए -- (ठहाका) मैं आपको दिखाऊँगा कि आपके भावनात्मक फ़ैसले की क़ीमत कितनी होती है। (तालियाँ) बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियाँ) मरीज़ होने के नाते, हमारे डॉक्टर्स के नाम हमें याद रहते हैं, पर क्या किसी नर्स का नाम हमे याद रहती है? मुझे याद है। कुछ साल पहले मुझे स्तन कैंसर हुआ था, शुरुआत के कुछ सर्जरी और उसके दौरन के चिकित्सा अच्छी तरह से चल रहे थे। मेरे अंदर जो हो रहा था मैं उसको छिपा सकती थी। ज़रूरी नहीं था कि सब यह बात जाने। मैं अपनी बेटी को स्कूल छोड़ आती थी, मैं अपने पति के साथ खाने पे बाहर जाती थी; लोगों को मैंने बेखबर रखा था। पर जब मेरी कीमो थेरेपी शुरू होने वाली थी मैं डर गई क्योंकि मैं ऐसी कीमो करवाने जा रही थी जिससे मेरे सारे बाल गिरने वाले थे। मैं समझ गई कि सहजता का मेरा नाटक और नहीं चलने वाला। मुझमे खौंफ पैदा हो गई। ऐसा लगा कि लोग मुझे दया की नज़रों से देखंगे, पर मैं उनसे सहजता की अपेक्षा कर रही थी। मेरे सीने पर एक पोर्ट लगाया गया। मैं अपनी पहली कीमो थेरेपी के लिए गई, और मैं बहुत भावुक थी। तब मेरी नर्स जोअान्न मेरे कमरे मे आई, और अचानक मुझे लगा कि अपनी कुर्सी से उठु और अस्पताल से भाग जाऊँ। पर जोअान्न मेरी कोई पुरानी सहेली की तरह पेश आई। फिर उसने मुझसे पुछा, " तुमने अपने बालों के रंग कहाँ लगवाए?" (हंसी) मैंने सोचा क्या यह औरत मज़ाक कर रही हैं? मैं अपने बालों को खोने के डर में हूँ और आप उनके रंग के बारे में पूछ रहे हो? मुझे गुस्सा आ रहा था, "आप मेरे बालों के बारे में पूछ रही है?" मैंने पूछा बड़ी निर्मलता से जोअान्न कहा, "तुम्हारे सारे बाल फिर से बढ़ जाएंगे" उस एक पल मे जोअान्न ने वह बात कही जिसको मैंने नज़रअंदाज़ किया था, कि कुछ समय बाद मेरी ज़िन्दगी सहजता की ओर वापिस लौटेगी। जोअान्न को मेरे ऊपर भरोसा था। और उसकी वजह से मुझे अपने आप पर भरोसा हुआ। कैंसर से लड़ते वक़्त बालों के झड़ने की समस्या को लेकर चिंतित होना अस्वाभाविक लग सकता है पर अपनी सुंदरता या अपनी आभा से ज़्यादा परेशानी आपको लोगों के बर्ताव से होगा। ६ महीने मे पहली बार जोअान्न के कारण मै प्रकृतिस्थ लगने लगी। हमने उसके कई प्रेमियों की चर्चा की, न्यू यॉर्क मे अपार्टमेंट ढूंढ़ने के बारे मे बात की, और कीमो के प्रति मेरे प्रतिक्रिया की बातें भी की -- यह सब और कई और बाते। और मैने हमेशा सोचा कि, मुझसे इतनी निकटता से बात करना जोअान्न को कैसे आता था? जोअान्न स्टाहा के प्रति मेरी प्रशंसा से शुरू हुआ मेरा सफर नर्सों की दुनिया मे। कुछ साल बाद मैं एक परियोजना केलिए चुनी गई। नर्सो का योगदान लोगों तक लाना इसका मूल उद्देश्य था। मैंने जोअान्न से शुरू किया। देश भर मे मैं १०० से ज़्यादा नर्सो से मिली। एक किताब और एक वृत्त चित्र के लिए पांच साल तक मैंने इन नर्सों से बात की और उनकी तस्वीरें खींची। मैं और मेरी टीम, अमेरिका मे कई जगह गए जहाँ सार्वजनिक स्वास्थ्य की समस्यायें अधिक हैं जैसे, बुढ़ाफा, गरीबी, जंग, कारागार और हम वहाँ भी गए जहाँ इन समस्याओं से लड़ते हुए कई मरीज़ मौजूद थे। हमने कुछ अस्पतालों से प्रतिनिधित्व के लिए उनके एक नर्स को चुनने के लिए कहा। तब मैं मिली ब्रिड्जेट कुम्बेल्ला से ब्रिड्जेट कैमरून में जन्मी थी, और उसके माता पिता के चार बच्चों में यह पहली बच्ची थी। काम करते वक़्त उसके पिता चौथी मंज़िल से गिर गए थे और उनकी कमर टूट गई थी। कमर के टूटने के बाद उनको यह लगा की उन्हें वह देखभाल नहीं मिला जो उन्हें मिलना चाहिए था। इन्ही बातों से प्रेरित होकर ब्रिड्जेटने नर्सिंग में दिलचस्पी दिखाई। अब ब्रोंक्स में बतौर एक नर्स ब्रिड्जेट ऐसे कई मरीज़ों का देखभाल करती है जिनकी सामाजिक दशा एक दूसरे से अलग है और अलग है उन सबका मज़हब विभिन्न संस्कृतियों के स्वास्त्य की समस्याओं को समझने के लिए उसने अपनी वृत्ति में अपने आप को समर्पण कर दिया है। ब्रिड्जेट ने एक मरीज़ के बारे में बताया -- एक मूल अमेरिकी मरीज़ -- जो अपने साथ आईसीयू के अंदर कुछ पर लेके आना चाहता था। उन पंखों से उस अमरीकी को शान्ति मिलती थी। ब्रिड्जेट ने उस अमरीकी के फैसले का समर्थन किया था उसने कहा की मरीज़ हर धर्म के यहाँ आते हैं और कई तरह के चीज़े उन्हें शान्ति और दिलासा देती हैं; वह चाहे एक माला हो या पंख, इन सब चीज़ों का यहाँ हम समर्थन करते हैं। यह है जैसन शॉर्ट अपप्लेशियन पर्वतों में जैसन एक प्राइवेट नर्स है, जैसन के पिता एक पेट्रोल स्टेशन और मेकानिक की दूकान चलाते थे। जहा जैसन कार की मरम्मत करता था आज उसी जगह बतौर एक नर्स काम कर रहा है। कॉलेज के दिनों में, नर्स बनना मर्दानी बात नहीं थी, इसी कारण जैसन ने इस बात को कई साल तक टाला। कुछ समय तक उसने ट्रक् चलाये, पर उसका दिल नर्सिंग की तरफ ही खींचा चला जा रहा था। अपप्लेशियन पर्वतों पे एक नर्स होकर, जैसन ऐसी जगह पहुँच जाता है जहा एम्बुलेंस भी नहीं पहुँचती है। इस तस्वीर में जहाँ जैसन खड़ा है वह पहले एक रस्ता हुआ करता था। पर्वत चोटी खनन के वजह से इन रास्तों में बाढ़ आ गयी, और जैसन का एक ही रास्ता जो उस मरीज़ तक पहुँचने का था जो काले फेफड़े की बीमारी से पीड़ित थे उस बाढ़ के बीचों बीच से था। जिस दिन मैं जैसन के साथ थी, उसके कार की फेंडर गाडी से निकल आ गयी। अगले दिन जैसन सवेरे ही उठकर, फेंडर की मरम्मत की, और चल दिया उसने अपने अगले मरीज़ से मिलने। मैंने जब जैसन को उस सज्जन का इतनी दया और प्रेम से देखभाल करते हुए जब देखा, तब मुझे लगा की नर्सिंग एक अभिन्न एहसास है। जब मैं ब्रायन मैकमिलियन से मिली तब अपने वृत्ति मे वह कच्चा था। वह एक प्रविस्तारण से लौटा हुआ था और सॅन डिएगो की ज़िन्दगी से अभी वाक़िफ़ नहीं हुआ था। जर्मनी मे अपने नर्सिंग के अनुभव के बारे मे उसने बात की ब्रायन ने रणभूमि मे घायल हुए सैनिकों का देखभाल किया था। अस्पताल में होश आते ही कुछ सैनिक जब अपनी आँखें खोलते थे तब उनकी नज़रें पहले ब्रायन पर पड़ती थी। और वहा बिस्तर पर लेटे, अपनी टांगों को खो चुके वह सैनिक, ब्रायन से पूछते, "मैं वापिस जाना चाहता हूँ, मेरे भाइयों को वहा छोड़ आया हूँ।" और ब्रायन को कहना पड़ता था, "आप कही नहीं जा रहे हो। "आप रणभूमी मे काफी योगदान कर लौटे हो।" एक नर्स ही नहीं बल्कि ब्रायन बतौर एक सैनिक युद्ध को नज़दीक से देख चूका है उनके मानसिक स्तिथि से परिचित होने के कारण ब्रायन उन सैनिकों का देखभाल बड़ी अच्छी तरह से कर पाता है। यह है सिस्टर स्टीवन, और विस्कॉन्सिन में विल्ला लोरेट्टो नाम की एक नर्सिंग होम चलाती है। और जीवनचक्र के सभी सदस्यों को आप स्टीवन के इर्द गिर्द पा सकते हो। बचपन में स्टीवन फार्म में रहने का सपना देखा करती थी, तो जब फार्म के प्राणियों को अपनाने का मौका मिलता है, तब स्टीवन उन्हें साथ ले आती हैं। और जब वसतं ऋतु में उन पशुओं के बच्चे पैदा होते हैं तब सिस्टर स्टीवन बत्तख के बच्चे और मेमनों को विल्ला लोरेट्टो के निवासियों के लिए पशु थेरेपी की तरह उपयोग करती हैं कुछ निवासियों को अपना नाम तक याद नहीं रहता पर एक मेमने को अपने हाथो में लेते ही वह खुश हो जाते हैं। जिस दिन में सिस्टर स्टीवन से मिली, उनकी कहानी को शूट करने उन्हें विल्ला लोरेट्टो से बाहर ले जाना था। निकलने से पहले, सिस्टर स्टीवन एक मरते हुए मरीज़ के कमरे में गई। और उनसे कहा, "मैं एक दिन के लिए बाहर जा रही हूँ," "इस दौरान आपको ईसा मसीह ने बुलाया तो आप चले जाना।" आप सीधा ईसा मसीह के घर चले जाना।" वहाँ खड़ी होकर सिस्टर स्टीवन को देख सोच रही थी। ज़िन्दगी में पहली बार मैंने देखा कि दिल में किसी के लिए प्यार और सम्मान भर कर भी आप उनको अलविदा कह सकते हो हमें उनको कस कर पकडे रहने की ज़रुरत नहीं है। विल्ला लोरेट्टो में मैंने जितने लोगों को आखरी सास लेते हुए देखा वह मैंने कही और नहीं देखा। हम एक ऐसे दौर से गुज़र रहे है जहाँ स्वस्थ्य संरक्षण जटिल होता जा रहा है। ज़िन्दगी के गुणवत्ते से ही नहीं, बल्कि ज़िन्दगी के परिमाण से भी हमारी नज़र हटती जा रही है। प्राण बचाने के नई तकनीको के पैदा होते ही, हमारे निर्धार कठिन होते जा रहे हैं। इन नई तकनीकों से जान तो बच जाते हैं, मगर शारीरिक वेदना और मरने की प्रक्रिया लम्बी हो जाती हैं। इन कठिन परिस्तिथियों से हम पार कैसे हो? मदद से। हमें मदद की ज़रुरत है। बीमारी के समय हमारा साथ देने वाले नर्स हमसे एक अनमोल रिश्ते की गाँठ बना लेते हैं। क्योंकि उस समय, एक भावनात्मक नज़दीकी उभर आती है। पिछले साल अगस्त के ९ तारीक को, दिल का दौरा पड़ने से मेरे पिताजी गुज़र गए। मेरी माँ को इससे बहुत सदमा पहुंचा, मेरे पिता के बिना उनकी ज़िन्दगी कल्पनाहीन लगने लगी। चार दिन बाद वह गिर गई, और गिरने के कारण उनकी कमर टूटी, उन्हें सर्जरी की ज़रुरत थी और वह अपनी ज़िन्दगी से लड़ रही थी। और फिर से मैं नर्सों को मेरी माँ का देखभाल करते हुए नज़दीकी से देखा। मेरा भाई, मेरी बहन और मैं आई सी यू में तीन दिन तक माँ के साथ रहे। हमारी माँ की तमन्नाओं को पूरा करने के लिए हम तीनों ने सही निर्णय लेने की कोशिह की और इसके लिए हमने नर्सों का मार्गदर्शन लिया। और फिर से उन्होंने, हमें निराश नहीं किया। माँ का उनके अंतिम चार दिनों में देखभाल कैसे करे इस मामले में नर्सों ने हमारा साथ दिया। मेरी बीमार माँ को उन नर्सों ने आरामदायक बनाने की कोशिश की। माँ को फरक नहीं पड़ता था पर उन्हें सुन्दर नाइटी पहनाने के लिए, उन नर्सों ने हमारा होंसला बढ़ाया, हमारे लिए वह एक बड़ी बात थी। जब माँ आखरी सांस ले रही थी तब उन्होंने मुझे जगाया। और जब माँ गुज़री तब वह नर्स जानती थी कि कितनी देर तक मुझे माँ के साथ अकेला छोड़े। यह बातें वह कैसे जानती हैं यह मैं नहीं जानती, पर मै उनकी फिर से आभारी हूँ कि वह फिर से मेरी मार्गदर्शक बनी। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियाँ) मैं भौतिकी के अलावा अन्य बातों में भी भाग ले रहा हूँ . दरअसल, ज्यादातर अब अन्य बातों में एक बात है मानवीय भाषाओं के बीच दूर का सम्बन्ध और यूएस में पेशेवर, एतिहासिक भाषाविद और पश्चिम यूरोप में भी, ज्यादातर दूर रहने की कोशिश करते हैं किसी भी लंबी दूरी की रिश्ते से, बड़े समूहों से, समूह जो एक लम्बे समय से चलते आ रहे हैं परिचित परिवारों से भी लम्बे समय से वे यह पसंद नहीं करते, उन्हें लगता हैं कि यह सनकी है. मुझे नहीं लगता कि यह सनकी है. और कुछ शानदार भाषाविद , ज़्यादातर रूसी सैंटा फे संस्थान और मॉस्को में इस पर काम कर रहे हैं और यह कहाँ जाता है यह देखने में मुझे काफी ख़ुशी होगी. क्या यह सच में एक ही पूर्वज की तरफ इशारा करता है कुछ २० ,२५००० साल पहले ? और तब क्या जब हम उस एक पूर्वज से और पीछे जाएँ, जब वहाँ संभवतः कई भाषाओं के बीच एक प्रतिस्पर्धा थी? यह और कितना पीछे जाता है? आधुनिक भाषा और कितना पीछे जाती है यह कितने दसियों हजारों साल पीछे जाती हैं ? क्रिस एंडरसन: क्या आपके पास कोई अनुमान है की इसका उत्तर क्या होगा ? मुर्रे गेल-मान: खैर मुझे लगता है की आधुनिक भाषा काफी पुरानी होनी चाहिए गुफा चित्रों और गुफा कंदकारी और गुफा मूर्तियों से और पश्चिमी यूरोप में गुफाओं में नरम मिट्टी में नृत्य के कदम से जो औरिग्नचियन अवधि कुछ ३५००० साल पहले की है, या उससे भी पहले मैं विश्वास नहीं कर सकता कि उन्होंने यह सब किया और उनके पास एक आधुनिक भाषा नहीं थी तो मुझे लगता है कि वास्तविक मूल कम से कम तब का है या उससे भी पहले का. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सब, या बहुत से या ज्यादातर आज की अनुप्रमाणित भाषाओं का जन्म किसी ऐसी भाषा से हुआ जो की काफी नयी है, शायद २०००० साल पुरानी, या उसी तरह की. इसे हम अड़चन कहते हैं सीए: ठीक है, फिलिप एंडरसन शायद सही हो सकते हैं. आप शायद हर चीज़ के बारे में और किसी से ज्यादा जानते हैं . यह हमारे लिए बहुत बड़ा सौभाग्य था. आपका धन्यवाद मुर्रे गेल-मान. (तालियाँ) जब अल्ट्रावायलेट सूरज की रोशनी हमारी त्वचा पर गिरती है| वे हम सबको थोड़े अलग ढंगसे प्रभावित करती है| आपकी त्वचा के रंग के आधार पर, इसके लिये थोड़े ही मिनट काफी होते है| एक व्यक्ति को चुकंदर गुलाबी रंग होने में, जबकि किसीको ज्यादा घंटे लगेंगे थोडासा परिवर्तन अनुभव करने में| तो क्या है इस अंतर का राज़? और शुरुसे कैसे हमारी त्वचा अलग अलग रंग कैसे ले आती आई है? जो बी रंग हो, हमारी त्वचा महाकाव्य कहानी कहती है मानव सहनशीलता और अनुकूलता की, प्रकाशित करती है उसका भेद जीव विज्ञान का काम| मेलेनिन इसके केंदस्थानमे है, रंगद्रव्य जो त्वचा और बालों को उनका रंग देता है| ये घटक त्वचा के कोशिकाओं से आता है जिनका नाम है मेलानोसैतेस और दो आधारभूत रूप लेता है| एक है युमेलानिं, जो कई भूरे त्वचा के रंगों को वृद्धि करता है, उसके साथ काले, भूरे और गोर्रबालों को भी, दूसरा फेओमेलनिन, जो लाल भूरे चकतो और लाल बालों को उत्पन्न करता है| परंतु मनुष्य हमेशा ऐसे नहीं थे| हमारे अलग-अलग त्वचा के रंग एक उद्विकासी प्रक्रिया से बने थे सूरज से प्ररित हो कर| कुछ ५०,००० सालों पहले जब हमारे पूर्वज अफ्रीका से उत्तर की तरफ जा बसे और यूरोप और एशिया में| ये प्राचीन मानव भूमध्य रेखा और "ट्रोपिक ऑफ़ काप्रिकोर्ण" के बिच रहते थे, एक जगह जो सूरज की अतिनील किरणों से तर-बतर थी| जब युव त्वचा पर लम्बे समयतक प्रकट होती है, वे युव हमारे कोशिकाओं के अन्दर के डीएनए को नुक़सान पोहचती है, और हमारी त्वचा जलने लगती है| अगर यह हानि काफी गंभीर हो, तो कोशिकाओं का परिवर्तन मेलेनोमा को ढावा दे सकता है, एक प्राणनाशक कैंसर त्वचा के मेलानोसैतेस में पैदा होता है| सनस्क्रीन, जैसे हमे आज पता है, ५०,००० सालों पहले मौजूद नहीं था| हमारे पूर्वजोंने कैसे इस अतिनील प्रकाश के हमलेका सामना किया? उनके उत्तरजीविता की चाबी थी उनके अपने निजी सनस्क्रीन में विनिर्मित त्वचा के निचे मेलेनिन| आपकी त्वचा में मेलेनिन का प्रकार और उसकी मात्रा निर्धारित करता है की आप सूरज से कम ये ज्यादा संरक्षित रहेंगे| ये निर्भर है त्वचा की प्रतिक्रिया पे, जब सूरज उसपे गिरता है| जब युव रोशनी उसपे प्रकट होती है वह शुरू करता है विशेष रोशनी-सेद्नशील रिसेप्टर जिनका नाम है रेडोप्सीन, जो मेलेनिन के उत्पादन को उत्तेजित करके बचाता है कोशिकाओं को नुकसान से गोरें लोंगों मे अधिक मेलेनिन, त्वचा को काला करता है और टॅन पैदा करता है| का उत्पादन करता है| कई पीढ़ियों से, मनुष्य जो अफ्रीका के सूरज से तर-बतर जगाओं में रहते थे अनुकूलित हुए उच्चतर मेलेनिन उत्पादन रखने के लिए और ज्यादा यूमेलानिन के लिए, अत त्वचा को गहेरा रंग दिया. ये निर्मित-में सूरज कवच ने उन्हें मेलेनोमा से बचाने में मदद की, संभाव्य उन्हें उद्विकासी लायक बनाया और सक्षम बनाया ये उपयोगी विशेषता नयी पीढ़ियों को देने के लिए. लेकिन शीघ्र ही, हमारे कुछ पूर्वज उत्तर की ओर बस गए "ट्रॉपिकल" क्षेत्र के बहार, दूर और व्यापक आर-पार पृथ्वी पर फैलाने लगे| जितना आगे उत्तर की तरफ वो गए, उतनी कम धूप उन्हें दिखी| यह एक समस्या थी क्यूंकि हालांकि युवी रोशनी त्वचा को हनी पहुंचा सकती है, उसका एक महत्वपूर्ण समांतर लाभ है| युव हमारे शरीर को विटामिन डी उत्पादित करने में मदद करता है, एक घटक जो हड्डियां मजबूत करके हमे अहम खनिज पदार्थ लेने में मदद करता है| करता है, जैसे की कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फेट और झिंक| उसके बिना, मनुष्य गंभीर थकान तथा हड्डियांमे कमजोरी लगती है जो एक अवस्था पैदा कर सकती है जिसका नाम है रिकेट्स| साँवली त्वचा सूरज की रोशनी को अवरुद्ध करती थी, उनके लिए विटामिन डी की कमी ने गंभीर आशंका पैदा की होगी, उत्तर में| लेकिन उनमे से कुछ कम मेलेनिन उत्पादित करते थे| वे रोशनी के छोटी पर्याप्त मात्रा से प्रकाशित हुए थे इसलिए मेलेनोमा की संभावना कम थी, और उनकी गोरी त्वचा युवी किरणों को बेहतर अवशोषित कर सकी| अतः वे लाभान्वित हुए विटामिन डी से, हड्डियों को मज़बूत बनाया, और आचे से जीवित रहें स्वस्थ संतति उत्पादित करने के लिए| चयन की कई पीढ़ियों से अधिक, त्वचा का रंग उन क्षेत्रों में धीरे-धीरे हल्का हुआ| हमारे पपूर्वजों की अनुकूलनशीलता के परिणाम स्वरूप, आज ग्रह कई त्वचा के रंगवाले लोंगों से भरा हुआ है, गहरे रंग यूमेलानिन-तर त्वचा गरम, इक्वेटर के पास वाले पट्टे में, और तेजी से गोरे फेओमेलनिन-तर त्वचा के रंग बहार की तरफ जैसे सूरज की रोशनी कम होती जाती है| यानि, त्वचा का रंग बस थोडा ही ज्यादा है एक अनुकूली लक्षण एक चट्टान पे रहने के लिए जो सूरज को गृह्पथित करता है, यह शायद रोशनी को सोखता है परंतु यह निस्संदेह चरित्र को प्रतिबिंबित नहीं करता| कल्पना कीजिये, कि आप एक बेकाबू रेल को, बहुत तेज़ी से, पटरी पर ऐसे पाँच मज़दूरों की तरफ बढ़ता हुआ देख रहे हैं, जो वहाँ से भाग नहीं सकते। आप उस बटन के पास खड़े हैं जिससे रेल का रुख दूसरी पटरी की ओर मोड़ा जा सकता है। अब, समस्या ये है कि, दूसरी पटरी पर भी एक मज़दूर काम कर रहा है, लेकिन केवल एक। तो आप क्या करेंगे? क्या आप पाँच लोगों को बचाने के लिये एक व्यक्ति को कुरबान करेंगे? इसे रेल समस्या कहते हैं, नैतिक दुविधा का एक संस्करण जिसे दार्शनिक फिलिपा फुट ने १९६७ में बनाया था। ये इसलिये प्रचलित है क्योंकि, ये हमें यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि अच्छे विकल्पों के अभाव में चुनाव कैसे किया जाए। क्या हम सबसे अच्छे परिणाम वाले विकल्प को चुनें या ऐसे नैतिक नियमों का पालन करें जो किसी की मृत्यु का कारण बनने से रोकते हैं। एक सर्वेक्षण में, करीब ९०% लोगों ने कहा कि बटन दबा कर पाँच मज़दूरों को बचाने के लिए एक की मृत्यु होने देना सही है, कुछ और अध्ययनों में भी समान परिणाम मिले, जिनमें दुविधा का आभासी वास्तविकता में सतत अनुकरण (वर्चुअल रियलिटी सिमुलेशन) भी शामिल है। ये निर्णय उपयोगितावाद के दार्शनिक सिद्धांत से मेल खाता है, जो कहता है कि सही नैतिक निर्णय वो होता है जिससे ज़्यादातर लोगों का अधिकतम भला होता है। पाँच जीवन का पलड़ा एक जीवन से भारी है, फिर चाहे उस परिणाम को पाने के लिये किसी को मौत के घाट ही क्यों ना उतारना पड़े। लेकिन लोग हमेशा उपयोगितावाद वाला दृष्टिकोण नहीं लेते, जिसे हम इस रेल समस्या को थोड़ा बदल कर समझ सकते हैं। इस बार आप पटरी के ऊपर बने एक पुल पर खड़े हैं और बेकाबू रेल आगे बढ़ रही है। इस बार दूसरी पटरी नहीं है, लेकिन एक विशालकाय व्यक्ति पुल पर आपके पास खड़ा है। अगर आप उसको धक्का दे कर गिरा दें, तो उसके शरीर से रेल रुक जाएगी, जिससे पाँच मज़दूरों की जान तो बच जाएगी लेकिन वो मर जायेगा। उपयोगितावादियों के लिये यह निर्णय एकदम समान है, पाँच जानों को बचाने के लिये एक का बलिदान दिया जाए। लेकिन इस बार, केवल १०% लोगों ने कहा कि उस आदमी को पटरी पर धक्का देना सही है। हमारी प्रवृत्ति हमें बताती है कि जानबूझकर किसी की मृत्यु का कारण बनना और किसी दुर्घटना के कारण उसकी मृत्यु होने देना, दो अलग बातें है। ये कुछ ऐसे कारणों की वजह से गलत लगता है, जिन्हें समझाना कठिन है। नैतिकता और मनोविज्ञान का मेल ही है जो इस रेल समस्या का रोचक तत्व है। ये दुविधा अपनी विविधता में ये दर्शाती है, कि हम जिसको सही या गलत सोचते हैं, वो उसके फायदे और नुकसानों की तुलना से परे कारणों पर आधारित है। जैसे, महिलाओं की अपेक्षा, अधिक सम्भावना है कि पुरुष धक्का देने को सही मानेंगे। जिन्होंने ऐसे मनोवैज्ञानिक परिक्षण करने से पहले कोई हास्य फिल्म देखा हो, वो भी। और एक वर्चुअल रियलिटी के अध्ययन में तो, लोग पुरुषों का बलिदान देने के लिये ज़्यादा तैयार थे, औरतों का कम। शोधकर्ताओं ने उनके दिमाग की गतिविधी का अध्ययन किया, जो दोनो स्थतियों के बारे में सोच रहे हों। दोनों सस्थितियाँ दिमाग के ऐसे भागों को सक्रिय करती हैं, जो सचेत निर्णय लेने और भावुक प्रतिक्रियाओं से सम्बन्धित हैं। लेकिन पुल वाली स्थिति में भावुक प्रतिक्रिया ज़्यादा सबल होती है। तो क्या दिमाग के एक भाग की गतिविधि अन्दरूनी संघर्ष पर प्रतिक्रिया करने से सम्बन्धित है? ये अंतर क्यों? एक स्पष्टीकरण है कि किसी को उसकी मृत्यु की ओर धकेलना ज़्यादा व्यक्तिगत लगता है, जो किसी की हत्या करने के लिये भावनात्मक घृणा को सक्रिय करता है, पर हम दुविधा महसूस करते हैं क्योंकि हमें पता है कि फिर भी तर्कपूर्ण विकल्प वही है। इस रेल समस्या की कुछ दार्शनिक और मनोवैज्ञानिकों ने आलोचना भी की है। उनका तर्क है कि इसका आधार इतना अवास्तविक है कि अध्ययन में भाग लेने वारे लोग उसको गम्भीरता से लेते ही नहीं। लेकिन नई प्रौद्योगिकी, इस तरह के नैतिक विश्लेषण को पहले से और भी ज़रूरी बनाती जा रही है। उदाहरण के लिए, चालकहीन गाड़ी को दो विकल्पों का नियंत्रण करना पड़ सकता है जैसे क्या वो एक बड़ी दुर्घटना को बचाने के लिए छोटी दुर्घटना होने दे। इस दौरान, सरकारें स्वशासी फौजी ड्रोन की खोज कर रही हैं जिनको ऐसे निर्णय लेने पड़ सकते हैं कि वो एक अहम शत्रु पर आक्रमण करने के लिये आम नागरिकों के मरने का जोखिम लें या नहीं। अगर हम चाहते हैं कि ये सारे काम नैतिक हों तो हमें पहले से ये निर्णय करना पड़ेगा कि मानव जीवन का मूल्य क्या है और अति-उत्तम भले को तय कैसे करें। तो स्वशासी पद्धति का अध्ययन करने वाले शोधकर्ता दार्शनिकों के साथ काम कर रहे हैं, मशीनों में नैतिकता को प्रोग्राम करने की जटिल समस्या को सुलझाने के लिये, जो ये दर्शाता है कि काल्पनिक दुविधाएँ भी असली दुनिया से टकराने के रास्ते पर उतर सकती हैं। चलिए मान लें कि आप पाश्चात्य लोकतंत्रसे घृणा करते हैं। लोकतंत्र का मतलब, चुनाव, भाषण, लगातार चलती चर्चाएँ की सरकार के सही माइने क्या है। सब कुछ इतना जटिल, इतना अनिश्चित, जो कि आपके समझ में नहीं आता जिस तरह से लोकतंत्र हमें उपदेश देते हैं व्यक्तिगत अधिकार और आज़ादी के बारे में ये आपको जुँझला देता है। इसके बारे में क्या करें? हम दोगुलेपन और पश्चात्यि लोकतंत्रों की दुर्दशा के बारे में बात कर सकते हैं, हमारे तरीक़े उनसे कितने बेहतर हैं, लेकिन इन बातों से कुछ हासिल नहीं हुआ। क्यूँ ना हम लोगों की मदद से जिनकी मदद से ही लोकतंत्र खड़ा है, उनसे कहें कि प्रणाली पर ही सवाल करें? लोगों को लोकतंत्र और उसकी शाखाओं नें हमें धोखा दिया है, अभिजात वर्ग और भ्रष्ट नेताओं ने धोखा दिया है, देश की दुर्दशा हो रही है। ऐसा करने के लिए आपको सूचना के क्षेत्र में घुसने की आवश्यकता होगी जो इन लोकतंत्रों में थी. उनकी शक्तिशाली संसाधने इस्तेमाल करके निर्भय एव खुले मनसे लोकतंत्र की बुराइयो को उजगर कर लोगोको सवाल करे सत्य प्रकशित करने २०१६ में हुए हैकिंग और लीक्स के बारे में आपने सुना होगा। व्ह था एक लोकशाही राष्ट्रीय नेट वर्क लोगों के ईमेल अकाउंट्स जो विकिलीक़स इस के बाद एक रोमेनियायी साइबर क्रिमिनल जिसे रोमेनियायी भाषा नहीं आती थी, उसने लीक्स को पत्रकाओं तक इस समाचार को बहुत आक्रामकता रूप से पहुँचाया। मीडिया भी जाल में फँस गयी। DNC बेरनिकी कितनी घृणा करती है इस बात का प्रचार हुआ समय, यह था कि कथा कि अब तक खबर को दूर करना रूसी सरकार द्वारा प्रायोजित हैकर्ज़ जिनका नाम था "अड्वैन्स्ट पर्सिस्टेंट थ्रीट २८", या कहें "एपीटी२८", अमेरिका के ख़िलाफ़ यह सारी गतिविधियाँ रच रही थी। सबूतों की कोई कमी नहीं है। यह रूसी सरकार प्रयोहित हैकर्ज़ गुट यूँही नहीं प्रकट हो गए। २०१६ में। इस गुट पर हमने २०१४ से नज़र रखी हुई है। APT28 जैसे साधन इस्तेमाल किये गये जीससे की नेटवर्क को बळी का बकरा बनाया गया सोची समझी चाल है। जो कि पिछले १० सालों से चल रहा है मॉस्को सुबह ९ से शाम की ६ बजे तक। चेचन्या मे तो APT28 को पत्रकारोके ई मेल फोन हैक करना पसंदीदा काम था. जॉर्जिया की सरकार पूर्व युरोप रक्षा योजना लक्ष्य बना रशियन सरकारक जिसका इन्कार नही हो सकता. हम ही नहीं थे जो उन पर नज़र रखे हुए थे, विश्व की सरकारें, शोध दस्ते भी समान निष्कर्ष पर पहुँच रही थीं। वे भी समान गतिविधियों पर नज़र रखे थीं। लेकिन २०१६ में रूस ने जो किया, जासूसी के भी परे है। DNC द्वारा चुराया डाटा इंटरनेट पर प्रसारित करना अनेको मेसे एक मार्ग था . सनसनीख़ेज़ तरीक़े से पेश किया गया, सोशल मीडिया पर इसे बढ़ावा दिया गया जिसे बिजली की रफ़्तार से मीडिया ने अपनाया। ख़तरे की घंटी तब भी नहीं बजी एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी करने की कोशिश कर रहा था। हमनें इस चीज़ की अपेक्षा क्यूँ नहीं की? अमेरिका को इस बात को समझने में महीने क्यूँ लगे? सरकार द्वारा प्रायोजित सूचना हमला सह रहे हैं। इसका आसान सा जवाब है राजनीति। ओबामा सरकार बड़ी दुविधा में फँस गई थी। अगर वह कहती की रूसी सरकार अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान में दखलंदाजी कर रही है, तो यह लगता मानो ओबामा सरकार चुनाव अभियान में दख़ल दे रही है। मेरा मानना यह है, अमरीका और यूरोप बिल्कुल ही निपटने में असमर्थ थे। आधुनिक सूचना संचालन को तुरंत पहचानने में, प्रतिक्रिया दिखाने में, सरकार को इसके बारे में पहले से जानकारी थी कुछ ही समय में उन्हें बहुत जानकारी मिली. अमरीका और यूरोप ने २० साल लगा दिए साइबर सुरक्षा में पकडने-- बुनियादी ढांचे को समझने जो समजना दुष्कर कम है साइबर योद्धाओं की सेनाओं को स्थापित करने साइबर कमांड बनाने रूस दूर की सोच रहा था। सबसे पहले आइफ़ोन के आने के पहले, रूसी सरकार टेक्नॉलजी द्वारा प्रदान किए गाए जोखिम और अवसरों को समझ चुकी थी। अंतर संचार और तुरंत बातचीत का ज़रिया वास्तविकता अधिक से अधिक जानकारी पर आधारित है जो हमें मोबाइल फ़ोन पर उपलब्ध हैं जो वार्ता आती है जिसे हम पढते है जो भी कथा हम सुनते है रूसी सरकार ने इसे पहचाना इस निजाद को उन्होने विश्वभर उसे आपके दिमाग मे बम्ब भरकर विस्फोटक बाणा दिया है आपका दिमाग विशेष तौर पर विस्फोटक बन जाता है। यदि आप आदी हैं जानकारी के एक अज्ञात प्रवाह के लिए, अपने बढ़ते लक्ष्य के लिए आपको यह जानकारी रोचक लगती है आपके दिमाग़ में घुसने का तरीक़ा यही है सूचना संचालन का यह राज्य प्रायोजित का नया ब्रांड है यह अधिक सफल हो सकता है, छल और कपट से और लक्षित दर्शकों के लिए समझना कठिन - जिसमें मीडिया शामिल है - साकेतिक विशेषता के लिए। यदि आप एक हैशटैग प्राप्त करे हैं ट्विटर पर, या नकली खबर सुने दोस्तोसे दर्शकों सूचित किया जाता है इसे प्राप्त करने पत्रकारों कई ईमेल भेजकर प्रवृत्त किया जाता है अप्रासंगिकता के एक प्रतिशत के लिए रूसी परिचालनों में उपयोग की जाने वाली सभी रणनीतियां - तब आपको प्रभावी ढंग से एक मोका मिला है अपने कार्य को नया पोशाख पहनानेका जो बस जाता है दिमाग मे रूस मे लंबे समय से यही कहा जाता है "रिफ्लेक्सिव कंट्रोल।" यह किसी और की जानकारी उपयोग करने की क्षमता है उससे वे निर्णय लेते हैं अपने स्वयं के समझौते पर यह आपके लिए अनुकूल है। यह राष्ट्र-राज्य-ग्रेड छवि नियंत्रण है और धारणा प्रबंधन, और यह किसी भी माध्यम से आयोजित किया जाता है, किसी भी उपकरण, नेटवर्क-आधारित के साथ या अन्यथा, यह इसे प्राप्त करेगा। उदाहरण के तौर पर, फरवरी २०१४ में रूस की क्रिमिया पर चढ़ाई के कुछ हफ़्ते पहले, एक टेलीफ़ोन बातचीत यूटूब पर पोस्ट की गई। इस बातचीत में दो अमरीकी दूत थे। ऐसा लग रहा था मानो ये यूक्रेन में किंगमकेर की भूमिका निभा रहे थे। पूर्व युरोप की धीमी गति और नेतृत्व एक शाप था। इस दुरवस्था मे माध्यमे फोन सुनती थी सुनती थी। और फिर आगामी राजनयिक प्रतिक्रिया वाशिंगटन और यूरोप रीलिंग करता है। यह एक परेशान प्रतिक्रिया बनाता है और एक बेकार रवैया यूक्रेन में रूस ने जमीन जकडी। मिशन पूरा हुआ। हैक किये गये फोनसे ,इ मेल से ,नेत्वओर्क से मुख्य वार्ता दिखाई पडती है लेकीन प्रभावी कार्य यह होता है जो आपका निर्णय बदलता है। जीसापर आप पहले कायम थे। राष्ट्र के निर्णायक बाबी आज माहिती युग है। उह जानकारी मोहित करने वाली होती है। जोकी प्रथमदर्शनी हि स्वीकृती पाती है अगर वह आधिकारिक तूर पर हो. किसको रूचि नही है वास्तव जानने की फोन इमेल द्वारा भेजे गए जोकि सार्वजिक नही किये गये उसका वास्तव कितना मायना रखता है अगर आपको पताही न हो आप की जानकारी प्रकट हो रही है हमे यह भलीभाती जानना चाहिये जिस जगह का हम इस्तेमाल करते है इसे सायबरस्पेस कहा जाता है जोकि केवल 0 और १ से नही बनती है लेकीन इस जानकारी और इसके पीछे के लोक यह नेटवर्क और संगणक से कहीं ज़्यादा है। यह दिमाग़ों को बनता है जो कम्प्यूटर और उपकरणों से सम्बंध रखता है। और इस जाल में, कोई एंक्रिप्शन या फ़ायरवाल नहीं है, कोई दो तरीक़े का ऑथेंटिकेशन नहीं है, कोई ऐसा पास्वर्ड नहीं जो पूरी तरह सुरक्षित हो। जो सुरक्षा के तरीक़े आपके पास हैं, जो अतिशक्तिशाली है, जिसका हमेशा लेटेस्ट वर्ज़न चलता रहता है, वह है आपके सोचने की क्षमता, जिससे झूठ का पता चल जाता है, तथ्य की माँग करें। साहसी होने की ज़रूरत है सत्य की खोज में (तालियाँ) महाविद्यालय में अभ्यास करना २० वर्षो का निवेश होता है। इस में भी अगर आप गरीब वर्ग से है, तो फिर आप इस बारे में सोच ही नही सकते। इसकी जगह आपको अगली बार खाना कब नसीब होगा ओर घरवाले मकान का किराया कैसे देंगे यह सोचना पड़ेगा। परंतु मेरे एवं मेरे मित्रों के माता-पिता ड्राइवर ओर वॉचमेन का काम कर के ठीकठाक कमा लेते थे। जब में युवा हुवा तब मेने ठान लिया कि में वो सब नही करूंगा । तब तक मेंने अपनी अच्छी खासी पढ़ाई भी करली थी, और अब चीज़ों को बदलना थोड़ा मुश्किलभी था। आप गरीबी में पले है, आपको अमीर बनना है। और में भी अलग नही था। सात बच्चों में दूसरा था, और अकेली माँ ने मुझे सरकारी मदद से पाला, क्वीन्स, न्यू यॉर्क में। कम आय के आधीन, हम सब भाई-बेहनो को न्यूयॉर्क के न्यूनतम सुविधा वाली पाठशाला नसीब हुई। जब में ७ वी में था तब ६० दिन स्कूल नही गया, क्यूंकि मेरा मन वहां नही लग रहा था। स्कूल से ५५ फीसदी लोग पास होते, ओर उससे भी खराब, सिर्फ २० फ़ीसदी छात्र कॉलेज जाने योग्य होते है। आखिर कार जब में कॉलेज गया अपने मित्र ब्रेनन से में ने कहा याद है कैसे मास्टरजी पूछा करते थे कि हम कॉलेज जाएंगे की नही। मुझे आश्चर्य हुवा जब उसने कहा, " करीम, मुझसे किसीने ऐसा नही पूछा।" पूछा जाता कि,"तुम कौनसी कॉलेज जाओगे?" वह प्रश्न जिस तरह से पूछा गया था यह मान लिया गया था कि वह कॉलेज जाएगा ही। अब मुझसे यह पूछा जा रहा है कि, "तुमने यह कैसे कर दिखाया ?" सालों तक मैं कहता रहा कि मैं भाग्यवान था, परंतु ऐसा नहीं है। जब बड़े भैया और मैं पास हुए तकरीबन एक साथ ही और उन्होंने २ साल के बाद पढ़ाई छोड़ दी मुझे यह जानना था कि उन्होंने क्यों छोड़ी मैने अपनी पढ़ाई चालू रखी मैं एक तेजस्वी विद्यार्थी के रूप में कॉर्नेल में गया तब वास्तविक में पढ़ाई में आयी बाधाओं को समझ पाया जोकि मेरी अकेली मां ने सही और जीन स्कूलों में पढ़ पाया। अब मैं मेरे बड़े भाई को समझ पाया। और मुझे पता चला कि हमारे मशहूर शिक्षण विद, जैसे के आरने डंकन,भूतपूर्व शिक्षण मंत्री, वेंडी कोप्प, टीच फॉर अमेरिका के स्थापक कभी छोटी स्कूलों में पढे ही नहीं। शिक्षण में बदलाव दया के अधीन है, जहां पर लोग कहते हैं, "चलो उन गरीबो को मदद करते हैं या फिर गरीब कालो और लेटीन बच्चों को।" बल्कि ऐसा होना चाहिए था कि कोई कहे, जो उन लोगों के बीच ही पला-बढ़ा है "मैं आपकी तकलीफो को समझता हूं, और उनसे निपटने में आपकी मदद करना चाहता हूं। जब कोई पूछता है कि मैंने कैसे किया, तुम्हें उन्हें सबसे बड़ा कारण बताता हूं क्योंकि मैं कभी मदद लेने से कतरा या नहीं। मध्यम घर अथवा धनाढ्य घर में, अगर बच्चा परेशान है, माता पिता या तो शिक्षक मदद करेंगे ना पूछने पर भी। परंतु यहीं बच्चा अगर गरीब है और मदद के लिए नहीं पुकारेगा, तो शायद ही कोई मदद करे। और उनके लिए शायद कोई मदद तैयार है भी नहीं। और इसीलिए ७ साल पहले मैंने, सार्वजनिक शिक्षण प्रणाली को अपने अनुभव के आधार से बदलना शुरू किया। और मैंने शुरू किया समर स्कूल से। शोध से पता चला है कि, शिक्षा में असमानता का 2/3 भाग, धनवान और गरीब बच्चों, या तो फिर काले और गोरे बच्चों में, गर्मियों की पढ़ाई में नुकसान से जुड़ा है। कम कमाई वाली जगहों में बच्चे साल भर की पढ़ाई मैं से 3 महीने की पढ़ाई भूल जाते हैं गर्मियों की छुट्टी के दौरान। वे बरसात में वापस आते है, और उनके शिक्षक और २ महीने मैं उनको पुराना फिर से पढ़ाते हैं। कुल मिलाकर ५ महीने हो गए। अमेरिका में स्कूल १० माह होता है बच्चे अपनी शिक्षा में से ५ महीने गवाते है, मतलब उनकी आधी पढ़ाई हर वर्ष बेकार। आधी। अगर गर्मी में भी बच्चे स्कूल में रहें, तो वो कम भूलेंगे, परंतु पारंपरिक गर्मियों के स्कूल के ढांचे ठीक नहीं है। बच्चों के लिए वह एक सजा जैसा है, और शिक्षकों के लिए बच्चे संभालने जैसा। हम आचार्यों से कैसे अपेक्षा कर सकते हैं की एक असरदार प्रणाली दे क्यूंकि स्कूल खत्म होता है जून के आखिरी सप्ताह में उसके ठीक १ सप्ताह बाद गर्मी की स्कूल? और यह समय पर्याप्त नहीं है, सही लोगों को चुनने एवं समझने के लिए, और ऐसा कार्यक्रम बनाने के लिए जो शिक्षक एवं बच्चे दोनों को आकर्षित करें। अगर हम गर्मियों में एक ऐसा प्रोग्राम बनाएं जो शिक्षकों को उनके काम में माहिर करें जिससे हम अच्छे शिक्षक बना सके? क्या होगा अगर हम प्रतिष्ठित लोगों को शिक्षक में बदल दे जो उन्हें आगे की राह दिखाएंगे ? अगर अच्छे मार्क लाने वाला छोटे बच्चों को पढ़ाई में मदद करें ओर उन्हें पढ़ने के लिए उत्सुक करें ओर रखें ? क्या होगा अगर हर बच्चा तेजस्वी होगा, क्यों ना उनसे पूछे कि उन्हें कहां जाना है, स्कूल ऐसे तैयार किया जाए जहां वह आना चाहे जिससे उनका नुकसान हो ही नहीं शिक्षा में जो दो तिहाई अंतर है वह मिट जाए? इन गर्मियों में, हमने ४,००० कम आय वाले बच्चों की मदद कियी, ३०० जितने भावि शिक्षकों को तालीम दी और १००० जितनी अस्थाई नौकरी का अवकाश किया न्यूयॉर्क के आसपास जहां पर कोई भी लाभ प्राप्त नहीं है। (तालियां) हमारे बच्चे भी सफलता प्राप्त कर रहे हैं। दो वर्ष के स्वतंत्र परीक्षण कहते हैं गर्मियों के कारण हानि नहीं होती और गणित में एक महीना आगे और पढ़ाई में २ महीना आगे। और इसी कारण स्कूल में ३ माह पीछे की जगह अब वह गणित में ४ महीने आगे और पढ़ाई में ५ महीने आगे रहते हैं (तालियां) १० साल पहले,अगर आपने मुझे कहा होता के में अपनी claass के आयव्ही लीग इंस्टिट्यूट के पेहले १०% ग्रेजुएट में हूं और आपको मौका दिया जाए तो क्या आप शिक्षण प्रणाली में बदलाव ला सकते हो वह भी सिर्फ पूरे वर्ष में से २ माह देकर, तो मैंने कहा होता, "ऐसा संभव ही नहीं।" महत्वपूर्ण बात यह है कि हम 5 माह का समय बचा सकते हैं वो भी सिर्फ २ महीने के आयोजन से, तो सोचिए कितनी नई संभावनाएं बन सकती हैं पूरे साल के लिए आयोजन करके। धन्यवाद। (तालियां) नमस्कार। मैं एक फ़िल्म स्टार हूँ, मैं ५१ वर्ष का हूँ, और मैंने अभी तक बोटोक्स इस्तेमाल नहीं किया है। (हँसी) मैं शालीन हूँ, पर जैसा फ़िल्मों में देखा होगा मैं २१ वर्षीय जैसा व्यवहार करता हूँ। हाँ, मैं वह सब करता हूँ। मैं सपने बेचता हूँ और भारत के करोड़ों लोगों में प्रेम बाँटता हूँ जो मानते हैं कि मैं सँसार का सबसे बेहतर प्रेमी हूँ। (हँसी) अगर आप किसी से कहेंगे नहीं, तो आपको बता दूँ कि मैं ऐसा नहीं हूँ, पर मैं इस मान्यता ऐसे ही रहने देता हूँ। (हँसी) मुझे यह भी समझाया गया है कि, आपमें से बहुत लोग ऐसे हैं जिन्होंने मेरा काम नहीं देखा है, और मुझे आपके लिए सच में खेद है। (हँसी) (तालियाँ) पर इसका मतलब यह नहीं है कि मैं अपनी धुन में मस्त नहीं रहता, जैसा एक फ़िल्मस्टार को होना चाहिए। (हँसी) ऐसे समय में मेरे दोस्तों, क्रिस और जुलियेट ने भविष्य के "आप" के बारे में बात करने मुझे यहाँ बुलाया। स्वाभाविक है, मैं वर्तमान के "स्वयं" के बारे में बात करूँगा। (हँसी) क्योंकि सच में मैं यह मानता हूँ कि मानवता मेरे ही जैसी है। (हँसी) हाँ, ऐसा ही है। वह एक बूढ़े हो रहे फ़िल्म स्टार की तरह है, अपने आस-पास की नवीनता से जूझती हुई, सोचती हुई कि उसने पहली बार में सही किया या नहीं, और अभी भी रास्ता ढूँढती हुई इस सबके बावजूद, चमकते रहने के लिए। मैं भारत की राजधानी, नई दिल्ली की एक शरणार्थी बस्ती में पैदा हुआ। और मेरे पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे। मेरी माँ भी, हर माँ की तरह एक लड़ाकू थीं। और वास्तविक मानव जाति की तरह, हम जीने के लिए संघर्ष करते थे। जब मेरी उम्र २० के आस-पास थी, मैंने अपने माता-पिता को खो दिया, जो मुझे मानना होगा अब कुछ हद तक मेरी लापरवाही लगती है, परंतु... (हँसी) मुझे याद है वह रात जब मेरे पिता की मृत्यु हुई, और मुझे याद है वह पड़ोसी का ड्राइवर जो हमें अस्पताल लेकर जा रहा था। उसने कुछ बड़बड़ाया "मरे हुए लोग टिप भी अच्छी नहीं देते" और अँधेरे में चला गया। और मैं तब सिर्फ़ १४ साल का था, और मैंने अपने पिता के मृत शरीर को कार की पिछली सीट में रखा, और मेरी माँ मेरे साथ बैठीं, मैंने अस्पताल से घर की ओर चलाना शुरू कर दिया। और माँ ने सुबकते हुए मेरी ओर देखकर कहा, "बेटा, तुमने गाड़ी चलाना कब सीखा?" और मैंने उस बारे में सोचा और एहसास हुआ, और माँ से कहा, "बस अभी, माँ।" (हँसी) तो उस रात के बाद से, मानवता की किशोरावस्था की तरह, मैने जीने के रूखे तरीके सीख लिए। और सच कहूँ तो, उस समय जीने का अंदाज़ बहुत ही साधारण था। जानते हैं, आपको जो मिलता था वह खा लेते थे और जो कहा जाता था वह कर देते थे। मैं "सिलिएक" को एक सब्ज़ी समझता था, और शाहकारी, तो अवश्य ही स्टार ट्रेक के मिस्टर स्पॉक का बिछड़ा हुआ यार था। (हँसी) तुम शादी उस लड़की से करते थे जिससे पहली बार मिलते थे, और तुम टेकी थे अगर अपनी कार के कारब्युरेटर ठीक कर सकते थे। मैं सच में सोचता था कि समलैंगिक खुश के लिए एक गूढ़ शब्द था। और लेस्बियन तो अवश्य ही पुर्तगाल की राजधानी थी, जैसा आप सब जानते हैं। (हँसी) मैं कहाँ था? हम उन प्रणालियों पर निर्भर थे जो हमारी रक्षा के लिए पहले की पुश्तों ने मेहनत और त्याग से बनाई थीं, और हम सोचते थे कि सरकारें हमारे भले के लिए काम करती हैं। विज्ञान सरल और तार्किक था, "अॅप्पल" तब भी एक फल ही था जो ईव के बाद न्यूटन का था, तब तक स्टीव जॉब्स का नहीं हुआ था। और तुम यूरेका चिल्लाते थे जब गलियों में नंगे भागना चाहते थे। काम के लिए ज़िंदगी जहाँ ले जाती, वहाँ चले जाते थे, और लोग तुम्हारा स्वागत करते थे। तब प्रवासन एक शब्द था साइबेरिया की ट्रेनों के संदर्भं में इस्तेमाल होता था, मनुष्यों के लिए नहीं। सबसे अहम, तुम वह थे जो तुम थे और वही बोलते थे जो सोचते थे। फिर मेरे २० के बाद के वर्षों में, मैं विशाल महानगर मुंबई चला गया, मेरा सोचने-विचारने का तरीका, एक नई औद्योगिकृत आकांक्षाओं से भरी हुई मानवता की तरह परिवर्तित होने लगा। अधिक आलंकृत जीवन की शहरी रफ्तार में, चीज़ें कुछ अलग सी दिखने लगीं। मैं संसार भर से आए लोगों से मिला, चेहरे, जातियाँ, लिंगों, साहूकारों से। परिभाषाएँ बदलने लगीं। उस वक्त काम आपको परिभाषित करने लगा एक बहुत ही समान तरीके से, और सभी प्रणालिया मुझे विश्वास खोते हुए दिखाई देने लगीं, मानवता की भिन्नता और मनुष्य की आगे बढ़ने और विकसित होने की ज़रूरत के लिए उनका सहारा लेना मुश्किल होने लगा। विचाार अधिक आज़ादी और गति से बहने लगे। और मैंने मानव के नवप्रवर्तन और सहयोग के चमत्कार को अनुभव किया, और मेरी स्वयं की सृजनात्मकता, ने इस सामूहिक प्रयास की कुशलता की सहायता से मुझे सर्वश्रेष्ठ सितारा बना दिया। मुझे महसूस होने लगा कि मैं मंज़िल पर पहुँच गया हूँ, और सामान्यत: ४० तक पहुँचते हुए, मैं बस सातवें आसमान पर था। मेरा प्रभाव सब जगह था। जानते हैं मैं तब तक ५० फ़िल्में कर चुका था और २०० गाने, और मुझे मलेशिया के लोगों द्वारा सम्मानित किया गया। फ़ाँस की सरकार ने मुझे उनका सर्वोच नागरिक सम्मान दिया, जिसका शीर्षक मैं आज तक सही से बोल नहीं सकता हूँ। (हँसी) इसके लिए माफ़ी चाहता हूँ, फ़ाँस, और मुझे वह देने के लिए शुक्रिया, फ़ाँस। पर उससे भी ज़्यादा, मुझे एंजेलीना जोली को मिलने का मौका मिला.. (हँसी) ढाई सेकंड के लिए। (हँसी) और मुझे विश्वास है उन्हें भी वह मुलाकात कहीं याद होगी। ठीक है, शायद नहीं होगी। और मैं खाने की गोल मेज़ पर हाना मोंटाना के साथ बैठा था जब अधिकतर समय उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी। जैसा मैंने कहा, मैं माइली से जोली की तरफ़ उड़ रहा था, और मानवता मेरे साथ उड़ रही थी। हम दोनों काफ़ी हद तक हर जगह उड़ रहे थे। और फिर आप जानते हैं क्या हुआ। इंटरनेट शुरू हो गया। मैं अपने ४० वें साल में था, और पिंजरे में बैठे पक्षी की तरह मैंने ट्वीट करना शुरू कर दिया और यह मानकर कि जो लोग मेरी दुनिया में ताक-झाँक करते हैं उसकी प्रशंसा करेंगे क्योंकि मैं उसे एक चमत्कार समझता था। पर मेरे और मानवता के लिए कुछ और ही लिखा था। आप जानते हैं, हम सोचते थे कि विचारों और सपनों का विस्तार होगा संसार में बढ़ती हुई क्नेक्टिविटी के साथ। जिस जगह से आज़ादी और क्रांति का जन्म हो रहा था, हमने वहीं से गाँव की तरह विचारों के, विवेक के, परिभाषा के सिमटने का सौदा नहीं किया था। जो कुछ मैं कहता, उसका नया अर्थ निकाला जाता। जो भी मैं करता... अच्छा, बुरा, भद्दा... उसपर सारा संसार अपनी टिप्पणी करता था। असलियत में, मैं जो कुछ नहीं भी करता या कहता उसका भी वही हश्र हो रहा था। चार साल पहले, मेरी प्यारी बीवी गौरी और मैंने तीसरे बच्चे का निर्णय लिया। नेट पर दावा किया गया कि वह हमारे पहले बेटे जो १५ साल का था की औलाद था। स्पष्ट तौर से, उसने रोमानिया में लड़की की कार चलाते हुए ऐसा किया था। और हाँ, इसके साथ एक नकली व्हिडिओ भी था। और इससे सारा परिवार परेशान था। मेरा बेटा, जो अब १९ का है, आप उसे अभी भी "हेलो" बोलो तो, वह बस पलटकर कहता है, "पर भाई, मेरे पास तो यूरोप का ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं था।" (हँसी) हाँ। इस नए सँसार में, धीरे-धीरे, हकीकत काल्पनिकता बन गई और काल्पनिकता हकीकत, और मुझे एहसास होने लगा जो मैं बनना चाहता था, बन नहीं सकता, या जो सोचता था, वह बोल नहीं सकता, और इस वक्त मानवता पूरी तरह से मेरी जैसी ही दिखती थी। मेरे विचार में हम दोनों अधेड़ उम्र के संक्रमण काल से गुज़र रहे थे, और मानवता, मेरी ही तरह, उद्भासित गायिका बनी जा रही थी। मैंने सबकुछ बेचना शुरू कर दिया, बालों के तेल से लेकर डीज़ल के जेनरेटरों तक। मानवता सब खरीद रही थी, कच्चे तेल से लेकर न्यूक्लियर रियेक्टरों तक। जानते हैं, मैंने खुद को नया परिचय देने के लिए तंग सुपरहीरो सूट पहनने की कोशिश भी की। मुझे मानना पड़ेगा कि बुरी तरह से असफल हुआ। मैं सँसार के सभी बॅटमेन, स्पाइडर-मेन और सुपरमेन की तरफ़ से कहना चाहूँगा, आपको उनकी प्रशंसा करनी चाहिए, क्योंकि वह बहुत तंग होता है, वह सुपरहीरो का सूट। (हँसी) हाँ, मैं सच कह रहा हूँ। मुझे आपको यहाँ यह बताना होगा। सच में। और इत्तफाक से, मैंने नाचने की एक नई शैली की भी रचना की जो मुझे पता नहीं चला, और वह बहुत लोकप्रिय हो गया। तो अगर सही लगे तो, और आप मुझे थोड़ा तो देख ही चुके हैं, तो मैं बेशर्म तो हूँ, मैं आपको दिखाता हूँ। उसे लूँगी डाँस कहते थे। तो अगर सही लगे, मैं आपको अभी दिखाऊँगा। मैं वैसे काफ़ी प्रतिभावान हूँ। (चियर्स) तो वह कुछ ऐसे था। लुँगी डाँस। लुँगी डाँस। लुँगी डाँस। लुँगी डाँस। लुँगी डाँस। लुँगी डाँस। लुँगी डाँस। लुँगी डाँस। लुँगी डाँस। लुँगी डाँस। लुँगी डाँस। लुँगी। बस यह ही था। काफ़ी लोकप्रिय हो गया था। (चियर्स) सच में हो गया था। जैसा आपने देखा, मेरे सिवा किसी को कुछ पता नहीं चल रहा था कि क्या हो रहा है, और मुझे परवाह नहीं, सच में, क्योंकि सारा संसार, और सारी मानवता, उतनी ही उलझन में और गुमराह थी जितना मैं। मैंने तब भी उम्मीद नहीं छोड़ी। सोशल मीडिया पर मैंने फिर से अपनी छवि बनाने की कोशिश की जैसा कि सब करते हैं। मैंने सोचा कि अगर मैं तात्विक ट्वीटें डालूँगा लोग सोचेंगे मैं वैसा हूँ, पर उन ट्वीटों के बदले में जो कुछ जवाब मुझे आए बहुत ही उलझन भरी संक्षिप्तियाँ थीं जो मैं समझ नहीं पाया। आपको पता है? आर ओ एफ़ एल, एल ओ एल। किसीने मेरी एक विचारोत्तेजक ट्वीट पर लिखा "एडीडास" और मैं सोच रहा था कि जूते का नाम क्यों लिखा होगा, मेरा मतलब आप जूते का नाम लिखकर मुझे क्यों भेजेंगे? और मैंने अपनी १६-वर्षीय बेटी को पूछा, और उसने मुझे बताया। "एडीडास" का अब मतलब है "ऑल डे आई ड्रीम अबाउट सेक्स।" (हँसी) सच में। मुझ नहीं पता अगर आप वह जानते हैं। तो मैंने मिस्टर एडीडास को मोटे अक्षरों में "डब्लू टी एफ" वापिस लिख दिया, मन ही मन शुक्रिया करते हुए कि कुछ संक्षिप्तियाँ और चीज़ें कभी बदलेंगी नहीं। डब्लू टी एफ। परंतु हम यहाँ पर हैं। मैं ५१ का हूँ, जैसा मैंने आपको बताया, और दिमाग को हिलाने वाली संक्षिप्तियों पर ध्यान ना देते हुए, मैं बस आपको बताना चाहता हूँ अगर मानवता के अस्तित्व के लिए कोई महत्वपूर्ण समय है, तो वह अभी है, क्योंकि आज के आप साहसी हो। आज के आप आशावादी हो। आज के आप नवीन और साधन सम्पन्न हो, और अवश्य ही, आज के आप अपरिभाष्य हो। और इस मंत्र-मुग्ध करने वाले, अस्तित्व के अपूर्ण क्षण में, यहाँ आने से पहले मैं थोड़ा सा साहसी महसूस कर रहा था, मैंने अपने चेहरे पर एक अच्छी, कड़ी निगाह डालने का निर्णय लिया। और मुझे एहसास हुआ कि मैं मादाम तुस्साद के मेरे मोम के पुतले जैसा अधिक दिखने लगा हूँ। (हँसी) हाँ, और एहसास के उस पल में, मैंने स्वयं और मानवतासे सबसे केंद्रीय और उपयुक्त सवाल पूछा: मुझे अपने चेहरे को ठीक करने की ज़रूरत है? सच में। मैं एक अभिनेता हूँ, जैसा मैंने आपको बताया, मानव की सृजनात्मकता की एक आधुनिक अभिव्यक्ति। मैं जिस देश का वासी हूँ अकथनीय परंतु अत्यंत सरल आध्यात्मिकता का स्त्रोत है। उसकी असीम उदारता में, भारत ने किसी तरह निर्णय लिया कि मैं, एक स्वतंत्रता सेनानी का मुस्लिम बेटा जो अनजाने में सपने बेचने के कारोबार में आ गया, को इसके रोमाँच का राजा बनना चाहिए, "बॉलीवुड का बादशाह", देश का सबसे बेहतरीन प्रेमी... इस चेहरे के साथ। हाँ। (हँसी) जिसे बदले में भद्दा, अपरंपरागत, और हैरानी की बात है इतना चॉक्लेटी नहीं कहा गया है। (हँसी) इस प्राचीन भूमि के लोगों ने अपने असीमित प्रेम से मुझे गले लगाया, और मैंने इन लोगों से सीखा है कि ना सत्ता ना ही गरीबी आपके जीवन को अधिक शानदार या कम जटिल बना सकते हैं। मैंने अपने देश के वासियों से सीखा है कि एक जीवन, एक मनुष्य, एक संस्कृति, एक धर्म, एक देश की शान उसकी करूणा और सहानुभूति की क्षमता में ही बसती है। मैंने सीखा है कि जो आपको हिला सकता है, जो आपको प्रेरित करता है, रचना और निर्माण करने के लिए, जो आपको असफलता से बचाता है, जो आपको जीना सिखाता है, वह है मानवता की सबसे पुरानी और सरल भावना, और वह है प्रेम। मेरे देश के एक आध्यात्मिक कवि ने लिखा था, पोथी पढ़ी-पढ़ी जग मुआ, पंडित भया ना कोई, पोथी पढ़ी-पढ़ी जग मुआ, भया ना पंडित कोई। ढाई आखर प्रेम के पढ़े सो पंडित होय। जिसका अनुवाद है कि जो भी... हाँ, अगर आप हिंदी जानते हैं, कृपया ताली बजाएँ, हाँ। (तालियाँ) याद रखना बहुत मुश्किल है। जिसका अनुवाद करें तो वास्तव में ऐसा होगा कि आप ज्ञान की कितनी भी किताबें क्यों ना पढ़ लें और फिर अपना ज्ञान बाँटें आविष्कार, सृजनात्मकता, तकनीक के द्वारा, पर मानवता अपने भविष्य को सही से नहीं जान पाएगी जब तक इनके साथ अपने साथियों के लिए प्रेम और सहानुभूति नहीं लाएगी। "प्रेम" शब्द के ढाई अक्षर, जिसका अर्थ है प्यार, अगर आप यह समझ लें और इसे अपनाएँ, मानवता को प्रबुद्ध करने के लिए बस इतना ही काफ़ी होगा। तो यह मेरी पक्की धारणा है कि भविष्य के आप एक ऐसे आप होने चाहिए जो प्रेम करे। नहीं तो यह फलना-फूलना बंद कर देगा। अपने ही स्व-अवशोषण में नष्ट हो जाएगा। तो आप अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकते हो, दीवारें बनाने के लिए और लोगों को बाहर रखने के लिए, या आप इसका प्रयोग बाधाएँ तोड़कर उन्हें अंदर लाने में कर सकते हो। आप अपनी श्रद्धा का प्रयोग लोगों को डराने में कर सकते हो और डराकर समर्पण करवा सकते हो, या आप उसका प्रयोग लोगों की हिम्मत बढ़ाने में कर सकते हो ताकि वे प्रबुद्धता की चरम सीमा तक पहुँच पाएँ। आप अपनी शक्ति का प्रयोग परमाणु बम बनाकर विनाश का अँधकार फैलाने में कर सकते हो, या आप उसके प्रयोग से करोड़ों के जीवन में खुशी का दीपक जला सकते हो। आप संवेदनाहीन बनकर महासागरों को दूषित कर सकते हो और वनों को नष्ट कर सकते हो। आप पर्यावरण को नष्ट कर सकते हो, या उन्हें प्रेम से सींचते हुए पानी और वृक्षों से नए जीवन का आरम्भ कर सकते हो। आप मंगल ग्रह पर जा सकते हैं और सशस्त्र किले बना सकते हैं, या आप जीवन की प्रजाती और रूप ढूँढकर उनका सम्मान करके उनसे सीख सकते हैं। और आप हम सभी के कमाए पैसे का प्रयोग करते हुए व्यर्थ के युद्ध छेड़ सकते हो और नन्हें बच्चों के हाथों में बंदूकें दे सकते हो ताकि वे एक-दूसरे को मार सकें, या आप उसका प्रयोग कर सकते हैं उनका पेट भरने के लिए अधिक भोजन उगाने में। मेरे देश ने मुझे सिखाया है एक मनुष्य की प्रेम की क्षमता धार्मिकता के बराबर है। यह उस सँसार में दमकती है जिसे मेरे खयाल में, सभ्यता बहुत अधिक उजाड़ चुकी है। पिछले कुछ दिनों में, यहाँ की वार्ताएँ, कमाल के लोग जो आकर अपनी प्रतिभा दिखा रहे थे, व्यक्तिगत उपलब्धियों, आविष्कारों, तकनीक, विज्ञान के बारे में बात कर रहे थै यहाँ होने की वजह से जो ज्ञान हम पा रहे हैं टेड टॉक्स औऱ आप सबकी उपस्थिति में पर्याप्त कारण हैं हमें भविष्य के "हम" का जश्न मनाने के लिए। परंतु उस जश्न में हमारी प्रेम और सहानुभूति की क्षमता को बढ़ावा देने की हमारी खोज को दृढ़ता से सामने लाना होगा, को दृढ़ता से सामने लाना होगा, उतनी ही बराबरी से। तो मेरा मानना है कि भविष्य के "आप" एक अनन्त "आप" हैं। इसे भारत में चक्र कहते हैं, एक वृत्त की तरह। वह सम्पूर्ण होने के लिए जहाँ से शुरू होता है वहीं पर अंत होता है। एक "आप" जो समय और अंतरिक्ष को अलग नज़रिये से देखते हैं दोनों को समझते हैं आपका अकल्पनीय और गज़ब का महत्व और सृष्टि के संदर्भ में आपकी पूर्ण महत्वहीनता। एक "आप" जो वापिस जाते हो मानवता की मौलिक मासूमियत में, जो हृदय की पवित्रता से प्रेम करते हो, जो सत्य की आँखों से देखते हो, जो एक अक्षत दिमाग की स्पष्टता से सपने लेते हो। भविष्य के "आप" एक बूढ़े हो रहे फ़िल्म स्टार की तरह होना चाहिए जिसे यह मानने पर मजबूर किया गया है कि एक ऐसे सँसार की संभावना है जो पूर्ण रूप से अपने ही जुनून में अपने ही प्रेम में संलिप्त हो। एक सँसार ... सच में, एक "आप" चाहिए जो उस सँसार की रचना करे जो अपना ही बेहतरीन प्रेमी हो। मेरा मानना है, देवियों औऱ सज्जनों, वह होंगे भविष्य के "आप"। बहुत-बहुत शुक्रिया। शुक्रिया। (तालियाँ) शुक्रिया। (तालियाँ) शुक्रिया। (तालियाँ) क्या आप कभी हमारे दैनिक जीवन में महासागरों के महत्व के बारे में सोचते हैं? हमारे ग्रह का दो-तिहाई हिस्सा महासागर है। हमारी सांसो के लिए आधा ऑक्सीजन उनसे आता है जलवायु को नियंत्रित करते हैं. रोजगार,दवा,भोजन प्रदान करते हैं. 20% प्रोटीन सहित लोगों के खाने के लिए लोग सोचते थे कि महासागर इतने विशाल हैं कि उनपर मानव गतिविधियों का असर नही पड़ेगा वास्तविकता यह है कि महासागर बदल रहें है महासागर में आम्लता बढ़ रही है जलवायु परिवर्तन का जुड़वां भाई महासागरों ने 25% कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित किया है जो हमनें वातावरण में उत्सर्जित है एक और महान सेवा जो महासागरों ने प्रदान की है क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड ग्रीनहाउस गैस है. जिससे जलवायु परिवर्तन हो रहा है पर क्यूंकि हम और से और कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में डाल रहें हैं महासागर भंग हो रहैं हैें यह महासागर रसायन शास्त्र को बदल रहा है. जब समुद्री में कार्बन डाइऑक्साइड घुलता है रासायनिक प्रतिक्रिऐं होती हैं. आप भाग्यशाली है कि आज मै रसायन विज्ञान के बारे में नही बोलूंगी लेकिन मै आपको बताउंगी कि कार्बन डाइऑक्साइड के सागर मे प्रवेश करते ही समुद्री जल का पीएच नीचे चला जाता है। इसका मतलब है कि सागर अम्लता बढ़ी है इस प्रक्रिया को सागर अम्लीकरण कहते है और यह जलवायु परिवर्तन के साथ हो रहा है वैज्ञानिक पिछले दो दशक से समुद्र अम्लीकरण की जांच कर रहे हैं यह आंकड़े महत्वपूर्ण समय श्रृंखला का भाग है जिसमें CO2 की समुद्री और वायू सांद्रता की शीर्ष पंक्ति लगातार बढ़ती दिख रही है. यह मानव गतिविधियों का सीधा परिणाम है नीचे की बढ़ती रेखा सागर की सतह में बढ़ती हुई कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता को दर्शा रही है जो आप देख सकते हैं कि उसी दर से बढ़ी है जिस दर से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड नीचली रेखा रसायन विज्ञान में बदलाव दिखाती है कर्ब वायू से अधिक कर्बवायू के महासागर में प्रवेश करने से , समुद्री जल का पीएच नीचे चला गया है, इसका अर्थ है कि महासागर अम्लता बढ़ गई है आयरलैंड के 'मरीन वैज्ञानिक संस्थान', 'एनयूआई गॉलवे' मे भी वैज्ञानिक सागर अम्लीकरण की जांच कर रहे हैं उसी दर से अम्लीकरण हमे भी मिला है जिस दर से दुनिया के बाकी भागों में लोगो ने पाया है यह हमारी आखों के सामने हो रहा है उदाहरण के लिए देखें कि हम बदलते सागर की निगरानी के लिए कैसे आंकड़े एकत्र करते हैं हम सर्दियो मे कई नमूने इकट्ठा करते हैं इसके लिए हमे उत्तरी अटलांटिक में तूफानी परिस्थितियों से गुज़ारना पड़ता है तो गति बीमारी वाले लोग इसे नहीं कर पाएंगे लेकिन हम मूल्यवान आकड़े इकट्ठा कर रहे हैं हम इस उपकरण को जहाज के किनारे से पानी में उतारते हैं और इसके तल पर सेंसर हैं जो हमे इसके आसपास के पानी की जानकारी देते है जैसे तापमान या पानी मे मिला हुआ ऑक्सीजन और फिर हम समुद्री जल को बोतल में इकट्ठा कर लेते हैं हम निचले भाग से जल लेना करना शुरू करते हैं, जो 4 कि.मी से अधिक गहरा हो सकता हैl महाद्वीपीय सतह की उपरी सतह तक नियमित अंतराल पर नमूने लेने पर हम इन नमूनों को छत पर ले जाते हैं और फिर विभिन्न रसायन मापदंडों के लिए इसका विश्लेषण हम जहाज या प्रयोगशाला में करते है पर हम ये सब क्यू करते हैं ? समुद्री अम्लीकरण कैसे हमे प्रभावित करता है? कुछ चिंताजनक तथ्य यह रहे मानव गतिविधियों के कारण, पूर्व-औद्योगिक काल मे, सागर अम्लता में 26% की वृद्धि हुई है हमने कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी न की, तो इस शताब्दी के अंत तक महासागर अम्लता में 170 % की वृद्धि होने की उम्मीद है यह हमारे बच्चों के जीवनकाल मे होने वाला है महासागरों में पिछले 5.5 करोड़ वर्षों मे हुए अम्लीकरण से 10 गुना तेजी से आज अम्लीकरण हो रहा है समुद्री जीवों ने इससे पहले, इतनी तेज दर पर परिवर्तन अनुभव नही किया हम अंदाज़ा नहीं लगा सकते कि वे इस परिस्थिति से कैसे निपटने वाले है लाखों साल पहले एक प्राकृतिक अम्लीकरण घटना घटी थी जिसके चलते कई समुद्री प्रजातियाँ विलुप्त हो गईं का दर भी आज के अम्लीकरण का दर उस घटना के दर से भी कई ज्यादा है क्या कई प्रजातियाँ विलुप्त होने वाली हैं ? संभव है अध्ययन दिखाता है कुछ प्रजातियाँ बहुत अच्छे से जी पा रही हैं लेकिन कई नकारात्मक प्रतिक्रिया दिखा रही है सागर अम्लता बढ़ने पर कार्बोनेट आयनों की एकाग्रता समुद्री जल में कम हो जाती है यह आयन ज़रूरी है कई समुद्री प्रजातियों के खोलों की रचना में जैसे कि केकड़े या मूसल, कस्तूरी l एक और उदाहरण कोरल हैं उन्हे मूंगा संरचना और कोरल रीफ्स बनाने के लिए समुद्री कार्बोनेट आयन की आवश्यकता है महासागर अम्लता की बढ़त और कार्बोनेट आयन एकाग्रता की कमी से इन प्रजातियों को अपने गोले बनाने में कठिनाई होती है ऐसे में निचले स्तर पर भी वे घुलना कर देते हैं यह एक टेरोपौड है, एक समुद्र तितली समुद्री प्रजातियो के लिए यह एक महत्वपूर्ण भोजन स्रोत है जैसे कि क्रिल, सलमान और व्हेल जो समुद्री पीएच हम इस सदी के अंत में उम्मीद कर रहे है उसमें हमने टेरोपौड के खोल को रखा केवल 45 दिन में इस पीएच पर खोल पूरी तरह से घुल गया इसलिए समुद्री अम्लीकरण का प्रभाव भोजन श्रृंखला के माध्यम से हमारे खाने तक पहोच सकता है आप में से किसे कस्तूरा या सालमन मछली पसंद है या अन्य मछली प्रजातियाँ जिनका भोजन स्रोत सागर मे प्रभावित हो सकता है? ये ठंडे पानी के कोरल हैं क्या आप जानते हैं कि हमारे महाद्वीपीय तट के साथ ही आयरिश जल में ठंडे पानी के कोरल हैं ? वे जैव विविधता को संभालने के साथ कईं मत्स्योद्योग सुविधाओं का सहारा हैं ऐसा अनुमान है कि इस सदी के अंत तक, महासागर के 70% ठंडे पानी के कोरल समुद्री जल से घिर जाने के कारण घुल जाएंगे ये स्वस्थ उष्णकटिबंधीय कोरल हैं इन्हे उस समुद्री जल पीएच में रखा गया था जो हम 2100 वर्ष में उम्मीद कर रहे हैं छह महीने में यह पूरी तरह से घुल गए कोरल रीफ्स, पूरे महासागर के 25% समुद्री जीवन को सहारा देते हैं पूरा समुद्री जीवन तो आप देख सकते हैं कि सागरअम्लीकरण एक वैश्विक खतरा है मेरा एक आठ महीने का बच्चा है अगर हम जल्द ही कोई कदम नहीं उठाते तो ना जाने उसके बड़ा होने तक, हमारे महासागर में क्या रह जाएगा हम अम्लीकरण देखेंगे हमने पहले ही बहुत कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में डाल दिया है लेकिन हम इसे धीमा कर सकते हैं हम स्थिति को और खराब होने से रोक सकते है एकमात्र तरीका है कि हम कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन को कम करें यह आपके, मेरे, उद्योगों, सरकार, सबके लिए महत्वपूर्ण है हमें एक साथ काम करने की आवश्यकता है ग्लोबल वार्मिंग, समुद्री अम्लीकरण को धीमा करने में और एक स्वस्थ ग्रह हमारी पीढ़ियों के लिए बनाये रखने में मदद करें l तालियां मेरी एक दो-वर्षीय बेटी है नाया जिसे यह गलतफहमी है कि यह सम्मेलन उसके पिता के सम्मान में रखा गया है। (हंसी) मै कौन हू जो अपनी नन्ही बच्ची को कैसे कहू? जैसा कि आप जानते हैं, एक पैरेंट बनने में कुछ बात है जिससे दिमाग जलवायु परिवर्तन जैसी दीर्धकालीन समस्याओं पर केंद्रित होता है। इस जलवायु संगठन को शुरू करने में मेरी बेटी के जन्म ने मुझे प्रेरित किया, ताकि अमरीका में इस मसले के अत्यधिक ध्रुवीकरण का विरोध किया जा सके, और आगे बढ़ने के लिए अनुदार मार्ग खोजा जाए। हाँ, दोस्तों, जलवायु का रिपब्लिकन हल संभव है, और क्या आप जानते हैं वह बेहतर भी हो सकता है। (हंसी) मैं साबित करने की कोशिश करता हूँ। हमें जलवायु नीति के लिए एक किल्लर एप्प चाहिए। तकनीक के क्षेत्र में, किल्लर एप्प एक ऐसी परिवर्तनशील एपलिकेशन होती है जो स्वयं के लिए अपना बाज़ार बनाती है, जैसे ऊबर। जलवायु क्षेत्र में, एक किल्लर एप्प एक नया समाधान है जिसपर इतना भरोसा किया जा सकता है कि वह प्रगति के उन अवरोधों को भी लांघ सकता है जो अलंघनीय प्रतीत होते हैं। इनमेंं मनोवैज्ञानिक अवरोध शामिल हैं। जलवायु समर्थक कितने समय से सह-नागरिकों को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वे अभी अल्पकालीन त्याग करें ताकि भविष्य में ३० या ४० साल आगे जाकर वे लाभ अन्य देशों में दूसरे लोगों को मिल पाएँ। यह सफल ही नहीं हो पाया क्योंकि यह मनुष्य की प्रकृति के खिलाफ़ है। अगला है भूराजनैतिक अवरोध। वैश्विक व्यापार के वर्तमान नियमों के तहत, देशों में यह प्रलोभन है कि वे अपने स्वयं के कार्यक्रमों को मजबूत बनाए बिना दूसरे देशों में उत्सर्जन की कमी से ही काम चलाना चाहते हैं। यह हर अंतरराष्ट्रीय जलवायु समझौते का श्राप रहा है, जिसमें पैरिस समझौता भी शामिल है। अंत में, हमारे पास है पक्षपातपूर्ण अपरोध। सबसे अधिक प्रतिबद्ध अधिकतर देश भी... जर्मनी, इंगलैंड, कनाडा... उत्सर्जन में कमी के एक निश्चित स्तर और गति के करीब भी नहीं है। बिल्कुल भी करीब नहीं। और पक्षपातपूर्ण जलवायु अवरोध यहाँ अमरीका में तो बहुत अधिक तीव्र है। हम तो बिल्कुल फंस चुके हैं, इसलिए इन सभी अवरोधों को लांघने के लिए हमें जलवायु नीति की किल्लर एप्प चाहिए। मुझे यकीन है कि अमरीका में जलवायु प्रगति का मार्ग रिपब्लिकन पार्टी और व्यापारिक समुदाय से होकर गुज़रता है। तो क्लाइमेट लीडरशिप काउंसिल शुरू करने के लिए मैंने एक प्रसिद्ध रिपब्लिकन वरिष्ठ राजनेता और व्यापारिक नेताओं से सम्पर्क किया, जिसमें जेम्स बेकर और जॉर्ज शुल्ट्ज़ शामिल थे, अमरीका के दो माननीय रिपब्लिकन वरिष्ठ राजनेता; मार्टिन फेल्डस्टाइन और ग्रेग मानकिव, अमरीका के अनुदार दल के दो माननीय वरिष्ठ राजनेता; और हैनरी पॉल्सन और रॉब वॉल्टन, दो सबसे सफल और पसंदीदा व्यापारिक नेता। हमने मिलकर, द कंसर्वेटिव केस फॉर कार्बन डिविडेंड्स लिखा। यह पहली बार है कि रिपब्लिकन नेताओं ने बाज़ार पर आधारित एक ठोस जलवायु समाधान पेश किया। (तालियाँ) धन्यवाद। (तालियाँ) राष्ट्रपति ट्रम्प के व्हाइट हाउस में कदम रखने के दो हफ्ते के बाद हमने अपनी योजना वहाँ पेश की। देश का लगभग प्रत्येक प्रमुख संपादकीय बोर्ड हमारी योजना का समर्धन कर चुका है, और कई प्रकार के उद्योंगों से फॉर्चुन जैसी 100 कंपनियाँ इसमें शामिल हो रही हैं। तो शायद आप सोच रहे होंगे, कि यह योजना आखिर है क्या? हमारा कार्बन लाभांश समाधान चार स्तम्भों पर आधारित है। पहला है धीरे-धीरे बढ़ता हुआ कार्बन कर। हालांकि पूँजीवाद एक शानदार प्रणाली है, कई ऑपरेटिंग प्रणालियों की तरह इसमें भी बग हो सकते हैं, जिन्हें, इस मामले में हम "बाज़ार की असफलताएँ" कहते हैं। सबसे बड़ी असफलता है बाज़ार कीमतें सामाजिक और पर्यावरण लागतों को शामिल करने में असफल रहती हैं। इसका अर्थ है बाज़ार का प्रत्येक लेन-देन गलत सूचना पर आधारित होता है। हमारी जलवायु की दुर्दशा के लिए पूँजीवाद का यह मौलिक बग, बाकी सब कारणों से अधिक ज़िम्मेदार है। अब सिद्धांत में, इस समस्या को आसानी से ठीक किया जा सकता है। अर्थशास्री सहमत हैं कि सबसे बेहतर समाधान है जीवाश्म ईंधन के कार्बन कॉंटेंट की कीमत आँकी जाए, जिसे कार्बन कर कहते हैं। प्रत्येक आर्थिक लेन-देन में साल भर यह कार्बन उत्सर्जन को हतोत्साहित करेगा, लेकिन, अकेले कार्बन कर लगाना अलोकप्रिय साबित हुआ है और एक राजनैतिक गतिरोध भी। इसका जवाब है कि जो भी पैसा इकट्ठा हो उसे समान मासिक लाभांश के रूप में सीधे नागरिकों को वापिस दे दिया जाए। इससे एक अलोकप्रिय कार्बन कर लोकप्रिय और लोकवादी समाधान बन जाएगा, और सभी को यहाँ-वहाँ ठोस लाभ दिए जाने के कारण जिस अंतर्निहित मनोवैज्ञानिक अवरोध की हमने बात की थी उसका भी समाधान हो जाएगा। और ये लाभ महत्वपूर्ण होंगे। मान लेते हैं एक कार्बन कर की दर जो ४० डॉलर प्रति टन से शुरू होती है, चार लोगों के परिवार को शुरू से ही हर साल २,००० डॉलर मिलेंगे। अमरीकी ट्रेज़री विभाग के अनुसार, निम्न ७० प्रतिशत अमरीकियों को लाभांश के रूप में अधिक मिलेगा जबकि वे बढ़ी हुई उर्जा कीमतों के रूप में कम भुगतान करेंगे। जिसका अर्थ है जलवायु परिवर्तन का समाधान करने से २२३ मिलियन अमरीकी आर्थिक रूप से जीतेंगे। और वह... (तालियाँ) क्रांतिकारी है, और मौलिक रूप से जलवायु की राजनीति बदल सकता है। परंतु यहाँ एक और क्रांतिकारी तत्व है। लाभांश की मात्रा बढ़ेगी जैसे-जैसे कार्बन कर की दर बढ़ेगी। जितना हम जलवायु का संरक्षण करेंगे, उतना ही अधिक हमारे नागरिकों को लाभ होगा। यह एक सकारात्मक फीडबैक लूप बनाता है जो कि महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम उत्सर्जन कम करने के दीर्घकालीन लक्ष्य तभी पूरे कर सकते हैं अगर कार्बन कर की दर प्रति वर्ष बढ़ाई जाए। हमारे कार्यक्रम का तीसरा स्तम्भ है उन नियमों को हटाना जिनकी अब ज़रूरत नहीं है क्योंकि कार्बन लाभांश योजना चालू है। रिपब्लिकनों और व्यापारिक नेताओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण बात है। तो हमें कार्बन की कीमत के लिए जलवायु नियमों का सौदा क्यों करना चाहिए? मैं आपको दिखाता हूँ। हमारी योजना उत्सर्जन में दुगनी कमी हासिल करेगी ओबामा-युग के जलवायु नियमों को मिलाकर, और नई आधार रेखा की तीन गुणा राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा उन सब नियमों को रद्द कर देने के बाद। तो उसमें ४० डॉलर प्रति टन का कार्बन कर लगाने की मान्यता है, जिसका अर्थ प्रति गैलन गैस की कीमत में ३६ सेंट की बढ़त है। हमारी योजना स्वयं ही पैरिस जलवायु समझौते के अंतर्गत अमरीका की प्रतिबद्धता पूरी करेगी, और जैसा आप देख सकते हैं, उत्सर्जन में कमी समय के साथ जारी रहेगी। यह एक अनुदार जलवायु समाधान की शक्ति को दर्शाता है जो मुक्त बाज़ार और सीमित सरकार पर आधारित हो। हमें एक ही समय में कम नियम और बहुत कम प्रदूषण मिलेगा, जिससे अमरीकी कामकाजी वर्ग को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि हम सभी को इसका समर्थन करना चाहिए? (तालियाँ) हमारे कार्यक्रम का चौथा और अंतिम स्तम्भ है एक नया जलवायु डॉमिनो प्रभाव, जो सीमांत कार्बन समायोजन पर आधारित है। अब यह कुछ जटिल लग सकता है, परंतु यह भी क्रांतिकारी है, क्योंकि यह हमें एक पूर्ण नई रणनीति पेश करता है कार्बन की वैश्विक कीमत तक पहुँचने में, जिसकी हमें ज़रूरत है। आपको एक उदाहरण दिखाता हूँ। मान लीजिए, 'क' देश कार्बन लाभांश योजना अपना लेता है, और देश 'ब' नहीं अपनाता। स्थिति को न्याययुक्त बनाने के लिए और अपने उद्योगों की प्रतिस्पर्धा की रक्षा के लिए 'क' देश 'ब' देश से आने वाले आयातों पर कर लगाएगा जो उनके कार्बन कॉंटेंट पर आधारित होगा। बिल्कुल न्याय संगत है। पर यहाँ पर यह बहुत रोचक हो जाता है, क्योंकि सीमा पर इकट्ठा किए जाने वाले पैसे से 'क' देश के नागरिकों को मिलने वाले लाभांश बढ़ेंगे। आपको क्या लगता है कितना समय लगेगा 'ब' देश के लोगों को यह जानने में कि वह पैसा तो उन्हें मिलना चाहिए, और इसलिए वे अपने देश में कार्बन लाभांश योजना लागू करने को कहेंगे? कुछ और देश भी शामिल कर लें। और आपको मिलेगा नया जलवायु डॉमिनो प्रभाव। एक बार किसी प्रमुख देश ने सीमा पर र्काबन समायोजन वाला कार्बन लाभांश अपना लिया, तो अन्य देशों को मजबूरन ऐसा करना होगा। एक-एक करके डॉमिनो गिरेंगे। और यह डॉमिनो प्रभाव कहीं भी शुरू हो सकता है। मैं चाहता हूँ कि यह अमरीका से हो, पर यह इंगलैंड से भी शुरू हो सकता है, या जर्मनी या कोई और यूरोपीय देश, या चीन से भी। चीन को उदाहरण के तौर पर लेते हैं। चीन ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी को लेकर प्रतिबद्ध है, पर उसके नेता उससे भी ज़्यादा परवाह करते हैं अपनी अर्थव्यवस्था को उपभोक्ता-आधारित आर्थिक विकास की ओर बदलने में। उस परिवर्तन को शीघ्र लाने में चीनी नागरिकों को हर माह लाभांश देने से बेहतर क्या है। असल में, यही एक नीति समाधान है जिससे चीन अपने पर्यावरण और आर्थिक लक्ष्यों को एक साथ पा सकता है। इसीलिए यह जलवायु नीति का किल्लर एप्प है, क्योंकि यह हमें उन अवरोधों को दूर करने में सक्षम बनाएगा जिनकी हम पहले चर्चा कर चुके हैं: मनोवैज्ञानिक अवरोध, पक्षपात अवरोध और जो हमने अभी देखा, भूराजनीतिक अवरोध। बस एक देश चाहिए जो शुरूआत करे। और जो हम खोज रहे हैं उसे पाने का एक तरीका है विज्ञापन निकालना। तो इसे हम मिलकर पढ़ते हैं। कार्बन लाभांश की योजना की शुरूआत करने वाले देश की ज़रूरत है। देश के लिए लागत: शून्य। शुरूआत की तिथि: शीघ्र अतिशीघ्र। लाभ: सबसे प्रभावशाली जलवायु समाधान, लोकप्रिय और लोकवादी, विकास और व्यापार के पक्ष में, सरकार को संकुचित और कामगार वर्ग की मदद करने वाला। अतिरिक्त मुआवज़ा: वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों का आभार, मेरी बेटी का भी। धन्यवाद। (तालियाँ) क्रिस एंडरसन: आपके लिए बस एक सवाल, टेड। मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मैंने इससे पहले TED पर किसी अनुदार को ऐसी सराहना पाते देखा। यह बहुत अच्छा है। तर्क वास्तव में शक्तिशाली लगता है, पर राजनीति में आप कुछ लोगों से बात करें तो वे कहते हैं कि कांग्रेस में इसकी सफलता की कल्पना करना कठिन लगता है। इसके पीछे के संवेग के बारे में आपको कैसा लग रहा है? टेड हॉल्स्टेड: मैं समझता हूँ अमरीका में राष्ट्रपति ट्रम्प को लेकर जो हो रहा है उसे लेकर लोग अत्यंत निराशावादी हैं। मैं कम निराशवादी हूँ; कारण यह है। इस व्हाइट हाउस की कार्यविधि, जलवायु पर किए गई प्रारम्भिक कार्य, जलवायु शतरंज के जटिल खेल की पहली चाल हैं। अभी तक तो बस खंडन की रणनीति रही है प्रतिस्थापन कायर्क्रम के लिए दबाव बढ़ने वाला है, और वहाँ हमारी भूमिका होगी। और इसके तीन कारण हैं, जिनके बारे में मैं संक्षेप में बताऊँगा। पहला, व्पापारी समुदाय जलवायु परिवर्तन को लेकर व्हाइट हाउस से अलग हो रहा है। असल में, हम देख रहे हैं कि बहुत सी फॉर्चुन 100 कंपनियाँ हमारे कार्यक्रम का समर्थन कर रही हैं। दो माह में, हम कुछ ऐसे नामों की घोषणा करने वाले हैं जो इस कार्यक्रम के समर्थन में है। दूसरा, अमरीकी राजनीति में कोई मसला नहीं जहाँ इतना अधिक फासला है रिपब्लिकन आधार और रिपब्लिकन नेतृत्व के बीच में जितना जलवायु परिवर्तन में है। और तीसरा, इसे शतरंज की उपमा दें, तो आगे चलकर महत्वपूर्ण निर्णय होगा: क्या प्रशासन पैरिस में रहेगा? हम दोनों ओर का विचार करके देखते हैं, अगर वह पैरिस में रहे, जैसा कि प्रशासन में कई लोग दबाव डाल रहे हैं, तो एक सवाल उठता है योजना है क्या? हमारे पास योजना है। पर अगर वे पैरिस में नहीं रुके, अंतरराष्ट्रीय दबाव जबरदस्त होगा। हमारे राज्य सचिव अन्य देशों से NATO के लिए योगदान माँग रहे होंगे, और वे कह रहे होंगे, "नहीं, हमारी पैरिस प्रतिबद्धता हमें दो। अपनी प्रतिबद्धताएँ पूरी करो और हम अपनी पूरी करेंगे।" तो, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और रिपब्लिकन भी एक रिपब्लिकन प्रतिस्थापन योजना चाहेंगे। और आशा है, हमने वह पेश किया है। सीए: बहुत-बहुत धन्यवाद, टेड। टीएच: धन्यवाद, क्रिस। (तालियाँ) इस कला को ज़रा देखें . आप क्या देखते हैं? पहली नज़र में, ऐसा लगता है एक पुराने ज़माने की घड़ी है जिस पर एक चादर फेंक दी हो और एक रस्सी बीचों बीच बाँधी हैं। लेकिन पहली नज़र हमेशा एक दूसरी नज़र की मांग करती है। दुबारा देखिये । अब आप क्या देखते हैं ? यदि आप गौर से देखेंगे , तो आपको पता चलेगा की यह पूरा कला का काम मूर्तिकला के एक टुकड़े से बना है। यह कोई घड़ी नहीं है, कोई रस्सी नहीं है, और कोई चादर नहीं है। यह पक्षालित साग लकड़ी का एक टुकड़ा है । अब मैं स्पष्ट कहूँगी : यह अभ्यास मूर्तिकला को देखने के बारे में नहीं था। यह देखने के बारे में है और समझने की गौर से देखकर जीवन बचा सकता है, अपनी कंपनी बदलने और आपको समझने में भी की आपके बच्चे ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं। यह एक कौशल है जिसे मैं दृश्य बुद्धि बुलाता हूं, और मैं सिखाने के लिए कला के कार्यों का उपयोग करता हूं, रोजाना के लोगों से लेकर उन तक जिनका काम ही है देखना , नौसेना के सील और मानव हत्या के जासूस और आघात नर्स। तथ्य यह है कि चाहे आप कितना भी कुशल हों देखने मैं, आपके पास अभी भी बहुत कुछ है देखने के बारे में जानने के लिए। क्योंकि हमें लगता है कि हमने देख लिया हैं पहली नज़र में एक अचानक फ्लैश में, लेकिन असली कौशल समझने में है धीरे-धीरे कैसे दिखें और अधिक ध्यान से कैसे देखें। प्रतिभा याद रखने में है - दैनिक कार्यों की तात्कालिकता में जो हमारे ध्यान की मांग करता है - थोडा पीछे हटकर उस लेंस से देखें जो हमें वह दिखता है जो हम अब तक छोडते आ रहे थे । तो पेंटिंग और मूर्तिकला को देखने से कैसे मदद होगी ? क्योंकि कला एक शक्तिशाली उपकरण है। यह शक्तिशाली उपकरण है जो दृष्टि और अंतर्दृष्टि दोनों संलग्न करता है और हमारी समझ को रीफ्रेम करता है जहाँ हम हैं और जो हम देखते हैं। यह कला का एक उदाहरण है जिसने मुझे याद दिलाया कि दृश्य बुद्धि - यह एक निरंतर सीखने की प्रक्रिया है और इसमें कभी महारत हासिल नहीं हो सकती है। मैंने देखी यह शांत प्रतीत होती अमूर्त पेंटिंग, और मुझे इसे दो बार देखना पड़ा, यहां तक ​​कि तीन बार, यह समझने के लिए कि यह इतनी गहराई से क्यों गूंज रही है । अब, मैंने वाशिंगटन स्मारक देखा है व्यक्तिगत रूप से हजारों बार, रंग में बदलाव के बारे में मालूम है एक तिहाई संगमरमर पर , लेकिन मैंने सन्दर्भ के बहार कभी नहीं देखा था या वास्तव में कला के रूप में। और, जॉर्जिया ओ'केफ की पेंटिंग इस वास्तुशिल्प आइकन से मुझे एहसास हुआ कि अगर हम इसे अपना ध्यान दें, तो संभव है रोजमर्रा की चीजें को देखना एक पूरे नए और आंखे खोलने परिप्रेक्ष्य के रूप में । अब, कुछ संशयवादी हैं जो मानते हैं कि कला सिर्फ एक कला संग्रहालय में हो । वे मानते हैं कि इसका कोई व्यावहारिक उपयोग नहीं है सौंदर्य से परे। मुझे पता है वे कौन हैं हर दर्शक में मैं सिखाती हूं। उनकी बाहें क्रॉस होती हैं, उनके पैर क्रॉस होते हैं, उनकी शारीरिक भाषा कहती है, "मैं क्या सीखूं इस महिला से जो तेजी से बात करती है चित्रकला और मूर्तिकला के बारे में? " तो मैं इसे उनके लिए प्रासंगिक कैसे बना सकता हूं? मैं उन्हें इस कला कृति को देखने को कहती हूं, कुमी यामाशिता द्वारा इस चित्र की तरह। और मैं उन्हें इसके करीब आने के लिए कहता हूं, और काफी करीब हों , और जब वे देख रहे हैं कला के काम को , उन्हें प्रश्न पूछने की जरूरत है जो वे देखते हैं उसके बारे में। और अगर वे सही सवाल पूछते हैं, जैसे, "कला का यह काम क्या है? क्या यह एक पेंटिंग है? या एक मूर्ति है? यह किस चीज़ से बना है?" ... वे जान पायेंगे कि कला का यह पूरा काम एक लकड़ी के बोर्ड से बना है, 10,000 कील और सिलाई धागे का एक अखंड टुकड़ा। वह आप में से कुछ के लिए दिलचस्प हो सकता है, लेकिन इसका इन लोगों के काम के साथ क्या सम्बन्ध ? और जवाब है सब कुछ । क्योंकि हम सभी लोगों से बातचीत करते हैं रोजाना, दिन नें कई बार, और हमें बेहतर प्रश्न पूछने की जरूरत है उसके बारे में जो हम देखते हैं। सीखना सवाल को इस तरह से बनाना जिससे जानकारी प्राप्त की जा सके जो हमें अपने काम के लिए चाहिए , यह एक महत्वपूर्ण जीवन कौशल है। एक रेडियोलॉजिस्ट ने मुझे बताया कि एक पेंटिंग में नकारात्मक रिक्त स्थान को देखने से उसे एक एमआरआई में असामान्यताओं को समझने में मदद मिली । या वह पुलिसअधिकारी जिसने कहा कि भावनात्मक क्रियाशील को समझ कर एक चित्र में लोगों के बीच उसे मदद मिली शरीर की भाषा पढ़ने में एक घरेलू हिंसा अपराध दृश्य पर, उसे दुबारा सोचने में सक्षम बनाया अपने हथियार निकालने और चलाने से पहले। और यहां तक ​​कि माता-पिता भी चित्रों में रंग की अनुपस्थिति को देखकर समझ सकते हैं की उनके बच्चे उन्हें क्या कह रहे हैं उतना ही महत्वपूर्ण है जितना वे नहीं कहते हैं। तो मैं कैसे करूँ? मैं कैसे अधिक दृष्टि से बुद्धिमान बन सकती हूँ ? यह चार A के रूप में सारांश होता है। हर नई स्थिति, हर नई समस्या - हम चार A के रूप में अभ्यास करते हैं। सबसे पहले, हम अपनी स्थिति का आकलन करते हैं। हम पूछते हैं, "हमारे सामने हमारे पास क्या है?" फिर, हम इसका विश्लेषण करते हैं। हम कहते हैं, "क्या महत्वपूर्ण है? मुझे क्या चाहिए ? और मुझे क्या नहीं चाहिए? " फिर, हम इसे स्पष्ट करते हैं,एक बातचीत में ज्ञापन में, टेक्स्ट में, ईमेल में। और फिर, हम कार्य करते हैं: हम निर्णय लेते हैं। हम सब ऐसा दिन में यह कई बार करते हैं, लेकिन हमें नहीं पता कि देखने की क्या भूमिका है उन सभी कार्यों में, और कैसे दृश्य बुद्धि वास्तव में सब कुछ सुधार सकती हैं। तो हाल ही में, मेरे पास एक समूह था आतंकवाद के अधिकारियों के एक संग्रहालय में इस चित्रकला के सामने। एल ग्रीको की पेंटिंग, "मंदिर का शुद्धिकरण," जिसमें मसीह, केंद्र में, एक व्यापक और हिंसक इशारा में, पापियों को निष्कासित कर रहा है प्रार्थना के मंदिर से। आतंकवाद विरोधी अधिकारियों का समूह उस पेंटिंग के साथ पांच मिनट थे, और उस छोटी अवधि में, उन्हें स्थिति का आकलन करना , विवरण का विश्लेषण करन था , स्पष्ट करना की अगर वे उस चित्र में हों तो वे क्या करेंगे। जैसा की आप सोच सकते हो, अवलोकन और अंतर्दृष्टि भिन्न थी। वे किससे बात करेंगे? सबसे अच्छा गवाह कौन होगा? एक अच्छा संभावित गवाह कौन था? कौन गुप्त था? सबसे अधिक जानकारी किसको थी? लेकिन मेरी पसंदीदा टिप्पणी एक अनुभवी पुलिस से आई जिन्होंने केंद्र आकृति को देखा और कहा, "तुम गुलाबी रंग में उस आदमी को देखते हो?" - मसीहा का जिक्र - उसने कहा, "मैं उसे कॉलर,करूँगा वही सारी परेशानी कर रहा है। " (हँसी) तो कला को देखना एक आदर्श तरीका है पुनर्विचार कर समस्याएं हल करने का प्रौद्योगिकी की सहायता के बिना। फ़ेलिक्स गोंज़ालेज़-टोरेस का काम में , आप दो घड़ियों देखते हैं सही समक्रमिकता में। घडी का घंटा, मिनट और सेकंड हाथ पूरी तरह से गठबंधन। वे एक तरफ स्थापित हैं और वे छू रहे हैं, और वे हकदार हैं "शीर्षक रहित '(उत्तम प्रेमी)।" लेकिन करीब विश्लेषण से आपको एहसास होगा कि ये दो बैटरी संचालित घड़ियाँ हैं, जिससे आप समझंगे - "अरे, रुकिये एक मिनट ... उन बैटरी में से एक दूसरे से पहले रुक जाएगी । उन घड़ियों में से एक धीमा हो जाएगी और दूसरे से पहले मर जाएगी और यह कलाकृति की समरूपता बदल देगी। " बस उस विचार प्रक्रिया को व्यक्त करना एक आकस्मिक योजना की आवश्यकता है । आपको आकस्मिकता की आवश्यकता है अनपेक्षित के लिए, अप्रत्याशित और अज्ञात, वे जब भी या कैसे भी हो सकते हैं। अब, कला का उपयोग कर हमारी दृश्य बुद्धि बढाने के लिए आकस्मिकताओं की योजना बनाना शामिल है, बड़ी तस्वीर को समझना और छोटे विवरण और ध्यान देना कि क्या नहीं है। तो मैग्रिट द्वारा इस चित्रकला में, देखें कि ट्रेन के नीचे,कोई ट्रैक नहीं है जहा आग लग्नेकी सम्भावना है वहा आग नहीं है और कोई मोमबत्ति नहीं हैं मोमबत्ती दान में वास्तव में सही रूप से पेंटिंग का वर्णन करता है अगर आप कहें, "फायरप्लेस से एक ट्रेन बाहर आने वाली है, और मंडल पर मोमबत्ती स्टैंड हैं। " यह सहज ज्ञान के विपरीत लग सकता है कहना कि क्या नहीं है, लेकिन यह एक बहुत ही मूल्यवान उपकरण है। जब एक जासूस जो सीखा था दृश्य बुद्धि के बारे में उत्तरी कैरोलिना में अपराध के दृश्य में बुलाया गया था, यह एक नौकायन मौत थी, और प्रत्यक्षदर्शी ने इस जासूस को बताया कि नाव फिसल गया थी और उस का सवार नीचे गिर गया था। अब, आम तौर पर, अपराध दृश्य पर जांचकर्ता देकते है जो दीखता है, लेकिन यह जासूस है कुछ अलग किया। उसने देखा कि वहां क्या नहीं था, जो करना मुश्किल है। और उसने सवाल उठाया: अगर नाव वास्तव में फिसल गयी थी - जैसा कि प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि हुआ है - उस नाव के दुसरे छोर पर रखे गए कागजात पूरी तरह से सूखे कैसे थे? उस छोटे के आधार पर लेकिन महत्वपूर्ण अवलोकन, जांच आकस्मिक मौत से हट कर हत्या पर चली गई। अब, उतना ही महत्वपूर्ण है यह कहने के लिए कि वहां क्या नहीं है दृश्य कनेक्शन खोजने की क्षमता है जहां वे स्पष्ट नहीं हो सकते हैं। मैरी वाट के कंबल के टोटेम ध्रुव की तरह। यह दिखाता है कि छिपी हुई खोज रोजमर्रा की वस्तुओं में कनेक्शन इतनी गहराई से गूंज सकते हैं। कलाकार कंबल इकट्ठा किया सभी अलग-अलग लोगों से अपने समुदाय में, और कम्बल के मालिक एक टैग पर लिखते थे , परिवार के लिए कंबल का महत्व। कुछ कंबल बच्चों के कंबल के लिए इस्तेमाल हुए थे, कुछ का इस्तेमाल पिकनिक कंबल के रूप में किया गया था , कुछ कुत्ते के लिए इस्तेमाल किये गए थे। हम सभी के पास घरों में कंबल हैं और इसके महत्व को समझते हैं। इसी तरह, मैं नए डॉक्टरों को निर्देश देती हूं: जब वे एक मरीज के कमरे में जाते हैं, मेडिकल चार्ट लेने से पहले, ज़रा कमरे के चारों ओर देखो। क्या गुब्बारे या कार्ड हैं, या बिस्तर पर वह विशेष कंबल है ? वह डॉक्टर को बताता है कि बाहरी दुनिया से एक कनेक्शन है। अगर उस रोगी का बाहरी दुनिया में कोई है जो उनकी मदद कर सके, तो डॉक्टर बेहतर देखभाल लागू कर सकते हैं, उस कनेक्शन को सोच कर । दवा के शेत्र में, लोग मनुष्यों के रूप में जुड़े हैं डॉक्टर और रोगी के रूप में होने से पहले। लेकिन धारणा को बढ़ाने की यह विधि - हानिकारक नहीं होनी चाहिए, और यह ओवरहाल हो यह भी जरूरी नहीं है। जॉर्ज मेन्डेज़ ब्लेक की मूर्ति ईंट की दीवार का निर्माण की तरह काफ्का की किताब "एल कैस्टिलो" से ऊपर दिखाता है कि अधिक अजीब अवलोकन सूक्ष्म और अभी तक अमूल्य हो सकता है। आप किताब को समझ सकते हैं, और आप देख सकते हैं इसने समरूपता को कैसे बाधित किया है एकदम ऊपर की ईंटों से , लेकिन जब तक आप मूर्तिकला के अंत तक पहुंचते हैं , आप पुस्तक नहीं देख सकते हैं। लेकिन कला के काम को अपनी पूर्णता में देखने से , आप देखते हैं काम के व्यवधान का प्रभाव ईंटों पर सूक्ष्म और अचूक है। एक सोच , एक विचार, एक नवाचार, एक दृष्टिकोण को बदल सकता है, एक प्रक्रिया बदल सकता है और यहां तक ​​कि जीवन बचा सकता है। मैं दृश्य बुद्धि 15 से अधिक वर्षों से पढ़ा रही हूं, और मेरे बड़े आश्चर्य के लिए - मेरे कभी ना खत्म होने वाले आश्चर्य और अचम्भे के लिए, मैंने देखा है कि कला को एक आलोचनावादी नज़र से देखने से हमें दुनिया के उन्सुल्झे पानी में ऐंकर करने में मदद कर सकते हैं, चाहे आप एक अर्धसैनिक सैनिक हैं, एक देखभालकर्ता, एक डॉक्टर या एक माँ . क्योंकि मानना पड़ेगा किचीज़ें गलत हो जाती हैं। (हँसी) बात बिगड़ जाए। और मुझे गलत मत समझो, मैं एक मिनट में उस डोनट खाऊंगा। (हँसी) लेकिन हमें परिणामों को समझने की जरूरत है कि हम क्या देखते हैं, और हमें देखे हुए विवरणों को बदलने की जरूरत है क्रियाशील ज्ञान में। जेनिफर ओडेम की मूर्ति की तरह सेंटीनेल खड़े टेबल की मिसिसिपी नदी के तट पर न्यू ऑरलियन्स में, सुरक्षा करते हुए कैटरीना बाढ़ के बाद बदते खतरे के खिलाफ और विपत्ति के खिलाफ उठना , हमारे पास भी क्षमता है सकारात्मक रूप से कार्य करने के लिए और सकारात्मक परिवर्तन करने की । मैं कला की दुनिया खनन कर रहा हूँ व्यावसायिक विस्तार होने हेतु लोगों की मदद करने के लिए हर रोज असाधारण देखने के लिए, अनुपस्थित क्या है स्पष्ट करने के लिए और प्रेरित करने में सक्षम होने के लिए रचनात्मक और नवरीति, कितना भी छोटा है। और सबसे महत्वपूर्ण है , मानव कनेक्शन बनाना जहां वे स्पष्ट नहीं होते , जो हमें सशक्त बनता है हमारे काम को और दुनिया को बड़े पैमाने पर एक नयी नज़र से देखने के लिए। धन्यवाद। (तालियां) मैं आपसे बांटना चाहता हूँ जो मेरे पिताजी ने मुझे सिखाया: कोई स्थिति स्थायी नहीं होती। उन्होंने यह सीख मुझे बार-बार दी, और मैंने इसकी सच्चाई अपनी गलतियों से ही सीखी | यहाँ मैं चौथी कक्षा में था। यह स्कूल में मेरी कक्षा में ली हुई, इयरबुक की तस्वीर है मनरोविया, लाइबेरिया में। मेरे माता-पिता 1970 के दशक में भारत से पश्चिमी अफ्रीका आए, और मुझे यहाँ बड़े होने का सौभाग्य मिला। तब मैं नौ साल का था, मुझे सॉकर खेलना पसंद था, और गणित और विज्ञान का असामान्य ज्ञान था । और मेरी ज़िन्दगी ऐसी थी, जैसे किसी बच्चे का सुन्दर सपना हो | पर कोई स्थिति स्थायी नहीं होती। 1989 में क्रिसमस की शाम को, लाइबेरिया में गृह युद्ध छिड़ गया। ग्रामीण क्षेत्र में युद्ध शुरू हुआ, और कुछ ही महीनों में, बागी सेनाएँ हमारे शहर की ओर आ गई थीं। मेरा स्कूल बंद हो गया, और जब बागी सेनाओं ने एकमात्र हवाईअड्डे पर कब्ज़ा कर लिया, लोग घबराकर भागने लगे। एक सुबह मेरी माँ ने मेरा दरवाज़ा खड़काया और कहा, राज, "अपना सामान बाँधो... हमें जाना होगा।" हमें शहर के केंद्र में ले जाया गया, और वहाँ एक पक्की सड़क पर, हमें दो कतारों में बाँटा गया, मैं अपने परिवार के साथ एक कतार में खड़ा था, और हमें एक विमान के, मालवाहक कक्ष में घुसेड़ दिया गया जो लोगों के बचाव के लिए आया था। और वहाँ बैंच पर बैठे, मेरा दिल ज़ोर से धड़क रहा था। जैसे मैंने खुले दरवाज़े से बाहर देखा, मुझे दूसरी कतार में खड़े बहुत से लाइबेरियन दिखे, बच्चों को पीठ पर बाँधे हुए। जब वे हमारे साथ आने लगे, मैंने देखा सैनिकों ने उन्हें रोक दिया। उन्हें भागने नहीं दिया गया। हम भाग्यशाली थे। हमारा सब कुछ लुट गया | पर हम अमरीका में फिर से बस गए, और हर प्रवासी की तरह हमें समर्थकों के समुदाय से बहुत सहयोग मिला जो हमारे आस-पास थे। वे मेरे परिवार को अपने घर ले गए, यहाँ के तौर तरीके सिखाये, और मेरे पिता को एक कपड़ों की दुकान शुरू करने में मदद भी की। किशोर अवस्था में, मै हर सप्ताहांत, अपने पिता से मिलने आता उन्हें जूते और जीनें बेचने में मदद करता | और जब भी व्यापार अच्छा नहीं होता, वह मुझे वही मंत्र याद दिलाते: कोई स्थिति स्थायी नहीं होती। वह मंत्र और मेरे माता-पिता की दृढ़ता और उन समर्थकों के समुदाय की वजह से मैं कॉलेज जा पाया और आखिरकार मेडिकल स्कूल भी। एक समय था जब युद्ध से मैं पूरी तरह नाउम्मीद हो चुका था, पर उनकी वजह से आज, मै अपने डॉक्टर बनने के सपने को साकार कर सका। मेरी स्थिति बदल चुकी थी। १५ साल हो गए थे, उस हवाई अड्डे से उड़ने के बाद, पर उन दो कतारों की याद अभी तक भूली नहीं थी। मैं २५ वर्षीय मेडिकल का विद्यार्थी था, और मैं वापिस जाना चाहता था यह देखने के लिए, कि मैं उन पीछे छूटे लोगों की सेवा कर सकूँ। पर जब मैं वापिस पहुंचा, तब तक सबकुछ... तहस-नहस हुआ मिला। युद्ध की वजह से हमारे पास बस 51 डॉक्टर बचे थे चालीस लाख लोगों के देश में। जैसे मानो सैन फ्रेंसिस्को में सिर्फ 10 डॉक्टर हों। तो अगर आप वहां हों, जहां यह १० डॉक्टर हों, तब तो आपके बचने की उम्मीद हो सकती है । पर अगर आप कहीं दूर के ग्रामीण ऊष्ण कटिबंधीय वन में रह रहे हों, और सबसे नज़दीक का क्लिनिक कुछ दिनो की दूरी पर हो... मैं मरीज़ों को ऐसी स्थितियों में मरते देख रहा था जिनसे किसी को मरना नहीं चाहिए, और सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें मुझ तक पहुँचने में देर हो रही थी | सोचिए आप का दो साल का बच्चा सुबह बुखार में उठता है, और आपको लगता है उसे मलेरिया हो सकता है, और आप जानते हैं कि उसकी दवा लाने का एक मात्र यही तरीका है, कि उसे नदी के तट ले जायें, किश्ती में बैठें और दूसरी ओर चलाकर ले जाएँ, और फिर दो दिन जंगल के भीतर चलें, सिर्फ सबसे पास के क्लिनिक तक पहुँचने के लिए | एक अरब लोग सँसार के सबसे पिछड़े इलाकों मे रहते हैं और बावजूद हमारी चिकित्सा और तकनीक उत्थान के, हमारी नई खोज, दूर दराज़ के इलाकों तक नहीं पहुँच पा रही है। ये समुदाय पिछड़े रह गए हैं, क्योंकि इन तक पहुँचना कठिन माना जाता है और सेवा करना और भी कठिन। बीमारी तो सार्वभौमिक है; परन्तु चिकित्सा की व्यवस्था नहीं। और इस एहसास ने मेरी आत्मा में एक आग सी लगा दी। किसी की मौत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वह डॉक्टर या क्लिनिक से दूर हैं। कोई स्थिति स्थायी नहीं होनी चाहिए। और इस बार मदद बाहर से नहीं आई, वास्तव, में वह भीतर से आई। वह समुदायों से स्वयं आई। मुसु से मिलें। दूर कहीं ग्रामीण लाइबेरिया में, जहाँ अधिकतर लड़कियों को प्राथमिक स्कूल पूरा करने का मौका नहीं मिलता, मुसु में दृढ़निश्चय था। १८ साल की उम्र में उसने हाई स्कूल पूरा किया, और अपने समुदाय में वापिस आई। उसने देखा किसी बच्चे को उपचार नहीं मिल रहा था जिन बीमारियों के लिए उन्हें उपचार की ज़रूरत थी... जानलेवा बीमारियाँ, जैसे मलेरिया और न्यूमोनिया। तो वह स्वयंसेवक बन गई। हमारे सँसार के ग्रामीण क्षेत्रों में मुसु जैसे करोड़ों स्वयंसेवक हैं, और हम सोचने लगे... मुसु जैसे समुदाय के सदस्य वास्तव में हमें इस समस्या का हल दे सकते हैं। हमारी स्वास्थ्य प्रणाली की रचना इस तरह की है कि बीमारी का निदान करना और दवा लिखना मुझ जैसे डॉक्टरों और नर्सों की टीम तक सीमित है। परंतु डॉक्टर और नर्सें तो शहरों में केंद्रित हैं, इसलिए मुसु जैसे ग्रामीण समुदाय पीछे रह जाते हैं। तो हमने कुछ सवाल पूछने शुरू किए: अगर हम स्वास्थ्य प्रणाली रचना में थोड़ा बदलाव लायें? अगर हम मुसु जैसे समुदाय के सदस्यों को अपनी मेडिकल टीम का हिस्सा या केंद्र बनायें ? अगर मुसु शहरों के क्लिनिकों से स्वास्थ्य देखभाल अपने पड़ोसियों के घरों तक लाने में हमारी मदद कर सके तो ? जब मैं उससे मिला तो मुसु ४८ की थी। और उसके अदभुत कौशल और दृढ़ता के बावजूद, और पिछले ३० वर्षों से उसकी कोई पेशेवर नौकरी नहीं थी | तो अगर तकनीक उसकी सहायता कर सकती तो कैसा रहता? अगर हम उसे असली प्रशिक्षण दे सकते, असली दवाएँ दे सकते, और एक वास्तविक नौकरी भी? 2007 में, मैं इन सवालों का जवाब ढूँढ रहा था, और उस वर्ष मेरी और मेरी बीवी की शादी हो रही थी। हमने अपने रिश्तेदारों से कहा शादी के उपहार रहने दें और उसके बजाय कुछ पैसा दान कर दें ताकि हम एक गैर-लाभकारी संस्था के लिए पैसा जुटा सकें। मैं आपको वादा करता हूँ, मैं इससे कहीं ज़्यादा रोमांचक हूँ। (हँसी) हमने 6000 डॉलर इकट्ठे कर लिए, कुछ अमरीकनों और लाइबेरियनों के साथ मिलकर एक गैर-लाभकारी लास्ट माइल हैल्थ शुरू किया। हमारा लक्ष्य है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता हर जगह हर किसी के पास पहुँच पाए। हमने एक तीन कदम की प्रक्रिया बनाई... प्रशिक्षित करो, सामान दो और पैसे दो... मुसु जैसे स्वयंसेवकों में गहरा निवेश करने के लिए ताकि वे पैरा कार्यकर्ता बन सकें, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता बन सकें। हमने मुसु को प्रशिक्षण दिया, उसके गाँव में प्रचलित १० घातक बीमारियों को रोकने, निदान करने और उपचार करने के बारे में। एक नर्स सुपरवाइज़र हर महीने उसे सिखाने जाती थी। हमने उसे नवीन मेडिकल यंत्रो से सुसज्जित किया, जैसे यह १ डॉलर का मलेरिया रेपिड टेस्ट, और उसे न्यूमोनिया जैसी संक्रामक बीमारियों के उपचार के लिए दवाओं से भरे ऐसे थैले में डाल दिया, और अत्यावश्यक, एक स्मार्टफ़ोन, ताकि उसे महामारियों को देखने और रिपोर्ट करने में सहायता मिले। अंत में, हमने मुसु के काम की प्रतिष्ठा को पहचाना। लाइबेरियन सरकार के साथ एक अनुबंध बनाया, उसे पैसे दिए और उसे वास्तविक नौकरी करने का मौका दिया। और वह अदभुत है। मुसु 30 मेडिकल कौशल सीख चुकी है, बच्चों की जाँच से लेकर कुपोषण तक, स्मार्टफ़ोन से बच्चे की खाँसी का कारण जानने तक, एचआईवी से पीड़ित लोगों की सहायता करने तक और जो लोग अपने अंग खो चुके हैं उनकी अनुवर्त्ति देखभाल तक। हमारी टीम की सदस्य के रूप में काम करते हुए, एक कार्यकर्ता के रूप में काम करते हुए, एक सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता सुनिश्चित कर सकता है जो आपका पारिवारिक डॉक्टर करता है और उन जगहों तक पहुँच सकता है जहाँ अधिकतर पारिवारिक डॉक्टर कभी न जाएँ| मेरा पसंदीदा काम है कि मै अपने मरीज़ों का ख़याल रख सकूँ अपने सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से। पिछले साल मैं जब ए-बी से मिलने गया था, और मुसु की तरह, ए-बी को भी स्कूल जाने का मौका मिला था। वह माध्यमिक स्कूल में था, आठवीं में, जब उसके माता-पिता नहीं रहे। और एक अनाथ होने के कारण उसे स्कूल छोड़ना पड़ा। पिछले वर्ष, हमने ए-बी को नौकरी और स्वास्थ्य कार्यकर्ता का प्रशिक्षण दिया। और जब वह लोगों से मिल रहा था, तब उसकी मुलाकात एक प्रिंस नामक बच्चे से हुई, जिसकी माँ को उसे स्तनपान करवाने में मुश्किल हो रही थी, और ६ महीने की उम्र में ही वह, दुर्बल होने लगा था। ए-बी ने हाल ही में कलर-कोड टेप का इस्तेमाल करना सीखा था जो एक बच्चे की बाजू में बाँधी जाती है, कुपोषण का अनुमान लगाने के लिए। ए-बी को लगा कि प्रिंस की स्थिति लाल सीमा पर है, जिसका मतलब उसे, अस्पताल में होना चाहिए था। इसलिए, ए-बी उस बच्चे और उसकी माँ को नदी पर ले गया, किश्ती लाया, और चार घंटे तक चप्पू चलाता रहा, उसे अस्पताल पहुँचाने के लिए। बाद में, प्रिंस को अस्पताल से छुट्टी होने के बाद, ए-बी ने माँ को बच्चे को खाद्य पूरक खिलाना भी सिखाया। कुछ महीने पहले, ए-बी मुझे प्रिंस के पास ले गया, और वह अब एक प्यारा गोल-मटोल बच्चा है | (हँसी) वह अपने मापदंडों पर ठीक है, अपने आपको खड़ा कर सकता है, और कुछ बोलना भी शुरू कर दिया है। मुझे इतनी प्रेरणा मिलती है इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के काम से। और मै अक्सर उनसे पूछता हूँ, कि आप यह सब क्यों करते हो, और जब मैंने ए-बी से यह पूछा, उसने कहा, "डॉक्, जबसे मैंने स्कूल छोड़ा है, तब से पहली बार मैंने पेन पकड़ा है और कुछ लिखने का मौका मिला है। मेरा दिमाग ताज़ा हो रहा है।" ए-बी और मुसु की कहानियों ने मुझे एक बहुत बुनियादी चीज़ सिखाई है, एक इंसान होने के बारे में। हमारी औरों की सेवा करने की इच्छाशक्ति, हमें वास्तव में, अपनी परिस्थितियों को बदलने में मदद कर सकती है। मैं इतना द्रवित हुआ कि पड़ोसियों की मदद करने की हमारी इच्छा कितनी प्रबल हो सकती है कुछ वर्ष पहले, जब हमने वैश्विक प्रलय का सामना किया। दिसम्बर २०१३ में, हमारी सीमा के पार के गिनी के जंगलों में कुछ हुआ। एमील नामक नन्हा बच्चा उल्टी, बुखार और दस्त से पीड़ित हो गया। वह जहाँ रहता था वहाँ सड़कें नाम की ही थी और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भी कमी थी। एमील की मौत हो गई, और कुछ हफ्तों बाद उसकी बहन भी चल बसी, और कुछ हफ्तों बाद उसकी माँ भी चल बसी। और यह बीमारी एक समुदाय से दूसरे समुदाय में फैलती जा रही थी। और इसके तीन महीनों बाद सँसार ने इसे इबोला का नाम दिया। जब हर मिनट कीमती था, हमने महीने गँवा दिए, और तब तक यह वायरस पश्चिमी अफ्रीका में आग की तरह फैल चुका था, और आखिरकार सँसार के अन्य भागों में। व्यापार ठप हो गए, हवाई कंपनियों ने उड़ानें बंद करना शुरू कर दीं। इस संकट की स्थिति में, जब हमें बताया गया कि १४ लाख लोग संक्रमित हो सकते हैं, जब हमें बताया गया कि उनमें से अधिकतर मर जाएँगे, जब हम सारी उम्मीद खो चुके थे, मुझे याद है मैं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के एक समूह के साथ खड़ा था ऊष्ण कटिबंधीय जंगल में जहाँ इबोला अभी शुरू हुआ था। हम उन्हें प्रशिक्षित कर रहे थे और बता रहे थे पहनना नकाब, दस्ताने और गाउन जो उन्हें ज़रूरी थे वायरस से बचने के लिए जब वे अपने मरीज़ों की सेवा कर रहे थे। मुझे याद है उनकी आँखों में वह खौफ। और मुझे याद है रात भर जागना, डर के मारे कि क्या मैंने उन्हें वहाँ भेजकर ठीक किया। जब इबोला ने मानवता को झकझोर दिया, लाइबेरिया के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने डर के आगे घुटने नहीं टेके। उन्होंने वह किया जो वे हमेशा करते थे: अपने पड़ोसियों की मदद के आह्वाहन को बेकार नहीं जाने दिया। पूरे लाइबेरिया के सामुदायिक कार्यकर्ताओं ने इबोला के लक्षण सीखे, नर्सों और डॉक्टरों के साथ मिलकर बीमारों की खोज में घर-घर गए ताकि उनकी देखभाल कर सकें। उन्होंने हज़ारों ऐसे लोगों को ढूँढ निकाला जो वायरस के संपर्क में आ चुके थे और उस तरह से प्रसार की कड़ी को तोड़ा। कुछ दस हज़ार स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने जीवन जोखिम में डालकर इस वायरस को खोजने की और रोकने की कोशिश की । (तालियाँ) आज, इबोला पश्चिमी अफ्रीका में नियंत्रण में है, और हमने कुछ बातें सीखी हैं। हमने सीखा कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के कमज़ोर विषय बीमारी का गढ़ बन सकते हैं, और उससे हम सभी को अधिक खतरा है। हमने सीखा है कि सबसे प्रभावशाली आपातकालीन प्रणाली वास्तव में रोज़मर्रा की प्रणाली है, और उस प्रणाली को हर समुदाय तक पहुँचना है, एमील के ग्रामीण समुदायों समेत। और सबसे ज़रूरी, हमने लाइबेरिया के सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साहस से सीखा है कि हम जैसे लोगों को स्थितियाँ कभी परिभाषित नहीं कर सकतीं, चाहे वे कितनी ही निराशाजनक क्यों ना दिखें। हमें परिभाषित करता है कि हम उनसे कैसे जूझते हैं। पिछले १५ वर्षों से, मैं इस विचार की प्रबलता देख रहा हूँ आम नागरिकों को सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता बनाना... और उन्हें रोज़मर्रा के नायक। और मैंने इसे हर जगह होते देखा है, पश्चिमी अफ्रीका के वनवासियों से लेकर, अलास्का के ग्रामीण मछुआरे गाँवों तक। यह सच है, ये सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता न्यूरोसर्जरी नहीं कर रहे, पर संभव कर रहे हैं कि स्वास्थ्य सेवा हर जगह हर किसी के पास पहुँच सके। तो अब क्या? हम जानते हैं अभी भी निरोध्य कारणों से सँसार के ग्रामीण समुदायों में लाखों लोग जान गँवा रहे हैं। और हम जानते हैं कि इनमें से अधिकतर मौतें इन ७५ नीले रंग वाले देशों में हो रही हैं। हम यह भी जानते हैं अगर हम सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की एक फौज प्रशिक्षित करें जीवन बचाने के ३० कौशल सीखने में भी, हम २०३० तक ३०० लाख लोगों की जानें बचा पाएँगे। तीस सेवाएँ २०३० तक ३०० लाख जानें बचा लेंगी। यह सिर्फ़ एक रूपरेखा नहीं है... हम सिद्ध कर रहे हैं कि यह संभव है। लाइबेरिया में, इबोला के बाद, लाइबेरिया की सरकार ए.बी.और मुसु जैसे हज़ारों कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दे रही है, देश में हर बच्चे और परिवार तक स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने के लिए। और हम उनके साथ काम करके सम्मानित हैं, और अब हम अन्य देशों में काम कर रहे बहुत से संगठनों के साथ मिलकर उनकी मदद कर रहे हैं ताकि वे भी ऐसा कर सकें। अगर हम इन देशों को बढ़ा सकें, हम लाखों जीवन बचा सकेंगे, और साथ में, लाखों नौकरियाँ भी सृजित कर सकेंगे। पर, बिना तकनीक के, हम ऐसा नहीं कर सकते। लोग चिंतित हैं कि तकनीक हमारी नौकरियाँ चुरा लेगी, पर जहाँ तक सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का सवाल है, तकनीक ने उनके लिए नौकरियाँ सृजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तकनीक के बिना... इस स्मार्टफ़ोन के बिना, इस रैपिड टेस्ट के बिना... हम कभी भी मुसु और ए.बी. को नौकरी नहीं दे सकते थे। और मुझे लगता है समय आ गया है तकनीक का प्रशिक्षण में हमारी मदद करने का, लोगों को तेज़ी से प्रशिक्षित करने का, और जैसा पहले नहीं हुआ उससे बेहतर। एक डॉक्टर होने के नाते, मैं तकनीक का प्रयोग आधुनिकतम रहने और प्रमाणित रखने के लिए करता हूँ। मैं स्मार्टफ़ोन और एप्पस और ऑनलाइन कोर्स इस्तेमाल करता हूँ। परंतु जब ए.बी. को सीखना होता है, उसे उस किश्ती में कूदना पड़ता है प्रशिक्षण केंद्र पहुँचने के लिए। और जब मुसु प्रशिक्षण के लिए आती है, उसके प्रशिक्षक फ्लिप चार्टों और मार्करों में फँसे पड़े हैं। उनके पास भी सीखने के वही तरीके क्यों नहीं जो मेरे पास हैं? अगर हम चाहते हैं कि सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता जीवन बचाने के कौशल सीखें और भी बहुत कुछ सीखें, हमें इसे शिक्षा के पुराने ढंग को बदलना होगा। सही मायने में तकनीक यहाँ पर सब बदल सकती है। मैं डिजिटल शिक्षा क्रांति का सम्मान करता हूँ जो खान अकादमी, एडएक्स जैसे ला रहे हैं। और मैं सोच रहा हूँ कि समय आ गया है: समय आ गया है टक्कर का डिजिटल शिक्षा क्रांति और सामुदायिक स्वास्थ्य क्रांति के बीच। और इसलिए, यह मुझे ले आया है मेरी टेड प्राइज़ विश पर। मैं चाहता हूँ... मैं चाहता हूँ आप हमें मदद करेंगे सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सँसार की सबसे बड़ी फौज तैयार करने में सामुदायिक स्वास्थ्य अकादमी बनाकर, प्रशिक्षित करने, जोड़ने और सशक्त करने का एक वैश्विक मंच। (तालियाँ) शुक्रिया। (तालियाँ) शुक्रिया। यह है विचार: हम डिजिटल शिक्षा स्त्रोतों में सबसे बेहतर को बनाएँगे और प्रबंधित करेंगे। हम उन्हें सँसार के सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तक पहुँचाएँगे, ए.बी. और मुसु तक भी। उन्हें बच्चों को टीका लगाने पर वीडियो पाठ मिलेंगे और अगले प्रकोप को पहचानने पर ऑनलाइन कोर्स, ताकि वे फ्लिप चार्टों पर ही निर्भर ना रहें। हम इन देशों को अपने कार्यकर्ताओं को मान्यता दिलवाने में मदद करेंगे, ताकि वे बिना पहचान के नाकाबिल समूह बनकर ना रह जाएँ, बल्कि प्रसिद्ध, सशक्त पेशेवर बनें, डॉक्टर और नर्सों की तरह। और हम कंपनियों और उद्यमकर्ताओं का नेटवर्क बनाएँगे जिन्होंने जान बचाने के लिए नई खोज की है और उन्हें मुसु जैसे कार्यकर्ताओं से संपर्क करवाएँगे, ताकि वह अपने समुदाय की बेहतर सेवा कर सके। और हम लगातार सरकारों को मजबूर करेंगे वे सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य सेवा योजना का आधार बनाएँ। हम अकादमी को लाइबेरिया और कुछ अन्य साथी देशों में टेस्ट करेंगे और मूल रूप बनाएंगे, और फिर हम पूरे विश्व में ले जाएँगे, ग्रामीण उत्तरी अमरीका में भी। इस मंच के पराक्रम द्वारा, हमारा मानना है देशों को मजबूर किया जा सकता है कि स्वास्थ्य सेवा क्रांति सच में संभव है। मेरा सपना है कि यह अकादमी समुदाय के हज़ारों सदस्यों के प्रशिक्षण में योगदान देगी अपने पड़ोसियों तक स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने के लिए... करोड़ों जो सँसार के सबसे पिछड़े इलाकों में रहते हैं, पश्चिमी अफ्रीका के वनवासियों से लेकर, ग्रामीण अलास्का के मछुआरे गाँव तक; एपलेचिया के पहाड़ों से, अफ्गानिस्तान के पर्वतों तक। अगर आपकी परिकल्पना इससे मेल खाती है, communityhealthacademy.org पर जाएँ, और इस क्रांति का हिस्सा बनें। अगर आप या आपका संगठन या आपका कोई परिचित हमारी मदद कर सकता है तो हमें बताएँ जैसे हम इस अकादमी को अगले साल में बनाने की कोशिश में हैं। अब, मैं जब इस कमरे में देखता हूँ, मुझे एहसास होता है कि हमारे सफर स्वनिर्मित नहीं होते: उन्हें आकार दूसरे देते हैं। और यहाँ पर कितने हैं जो इस मकसद से जुड़े हैं। हम इस समुदाय का हिस्सा होने में सम्मानित महसूस करते हैं, और एक समुदाय जो अपनाने को तैयार है ऐसे निर्भीक मकसद को, तो मैं पेश करना चाहता था, जैसे मैं समाप्त कर रहा हूँ, एक आभास। मैं उस बारे में बहुत सोचता हूँ जो मुझे मेरे पिताजी ने सिखाया। इन दिनों, मैं भी पिता बन गया हूँ। मेरे दो बेटे हैं, और मेरी बीवी और मुझे अभी मालूम हुआ कि वह हमारे तीसरे बच्चे की माँ बनने वाली है। (तालियाँ) शुक्रिया। (तालियाँ) हाल ही में मैं लाइबेरिया में एक महिला की सेवा कर रहा था जो, मेरी बीवी की तरह, अपनी तीसरी गर्भावस्था में थी। परंतु, मेरी बीवी की तरह, उसके पहले दो बच्चों के समय उसकी कोई प्रसवपूर्व देखभाल नहीं हुई थी। वह जंगल में एक एकाकी समुदाय में रहती थी जो बिना स्वास्थ्य सेवा के १०० वर्षों से चल रहा था जब तक... पिछले वर्ष एक नर्स ने उसके पड़ोसियों को सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में प्रशिक्षित नहीं किया था। तो मैं यहाँ था, इस मरीज़ को देख रहा जो अपने दूसरे तिमाही में थी, और शिशु को देखने के लिए मैंने अल्ट्रासाउँड निकाला, और उसने हमें अपने पहले दोनों बच्चों की कहानियाँ सुनाना शुरू किया, और मैंने अल्ट्रासाउंड प्रोब उसके पेट पर रखा, और वह बात सुनाते हुए रुक गई। वह मेरी ओर घूमी और बोली, "डॉक्, वह आवाज़ क्या है?" उसने अपने शिशु के दिल की धड़कन पहली बार सुनी थी। और उसकी आँखें वैसे ही चमक उठीं जैसे मेरी और मेरी बीवी की आँखें चमकी थीं जब हमने हमारे शिशु के दिल की धड़कन सुनी थी। समस्त मानव इतिहास में, बीमारी तो सार्वभौमिक है और चिकित्सा की व्यवस्था नहीं। पर जैसे एक बुद्धिमान व्यक्ति ने मुझे एक बार कहा था: कोई स्थिति स्थायी नहीं होती। समय आ गया है। समय आ गया है हमें इस स्थिति को बदलने के लिए जो करना पड़े मिलकर करेंगे। शुक्रिया। (तालियाँ) (संगीत ) सोफी हॉली - वेल्ड : आप खड़े न हों लेकिन हम आपको वास्तव में स्पष्ट देख सकते हैं (हास्य) तो आपको हमारे साथ नृत्य करना है और हमारे पास है, ऐसे निर्देशित नृत्य जो हम अब करेंगे बैटा लेम: बहुत आसान है सोफी हॉली - वेल्ड : और हम अपनी कलाई को ऐसे घुमाएंगे और आप हमारे साथ ऐसा करेंगे और आप खड़े भी हो सकते हैं (संगीत) (गाना) मुझे पता है कलाई नहीं उठाई मैंने (दोनों गाते हुए) मुझे पता है नहीं पकड़ा उसे वो आया, वो आया ये गया, ये गया जल्द विजयी हुआ मैं वहां थी और फिर चली गयी आऊ मुझे पता है कलाई नहीं उठाई मैंने मुझे पता है नहीं पकड़ा उसे वो आया, वो आया ये गया, ये गया जल्द विजयी हुआ मैं वहां थी और फिर चली गयी आऊ (बैटा लेम) फिर शुरू करेंगे (संगीत) (सोफी हॉली - वेल्ड) आगे एक और पेशकश है एक छोटा सा इशारा -ऊँगली नृत्य है (संगीत) बैठे हुए लोग मैं चाहूंगी आप अपनी ऊँगली से इशारा करें येह (गाना) मुझे पता है कलाई नहीं उठाई मैंने (दोनों गाते हुए) मुझे पता है नहीं पकड़ा उसे वो आया, वो आया ये गया, ये गया जल्द विजयी हुआ मैं वहां थी और फिर चली गयी आ......... (तालियों की गड़गड़ाहट) आऊ (संगीत) (तालियां) (संगीत) आ .. सोफी हॉली - वेल्ड: ठीक है, कलाई झटकिये मुझे पता है कलाई नहीं उठाई मैंने मुझे पता है नहीं पकड़ा उसे वो आया, वो आया ये गया, ये गया जल्द विजयी हुआ मैं वहां थी और फिर चली गयी मुझे पता है कलाई नहीं उठाई मैंने मुझे पता है नहीं पकड़ा उसे वो आया, वो आया ये गया, ये गया जल्द विजयी हुआ मैं वहां थी और फिर चली गयी (संगीत) टकर हेलरन: आप मेरी उम्मीद से ज़्यादा मज़ेदार है (हास्य) (संगीत) आऊ (तालियां) सोफी हॉली - वेल्ड: बहुत बहुत धन्यवाद् (तालियां) उसने लिखा: " मैं प्रसिद होनेपर सब को बतौंगी मै मार्लोन पीटरसन हीरो को जानती हूं" शायद ही कोई हीरो मुझ जैसा दीखता है. असल में, मैं कचरे जैसा दिखता हूँ. नहीं, सबसे आकर्षक तरीका नहीं एक बात खोलने का या एक बातचीत की शुरुवात करने का , शायद आपके सरमे कुछ प्रश्न घूम रहे होंगे क्यों कोई अपने बारे मे ऐसी बात कहेगा? उसका क्या मतलब है? कोई कैसे उसे हीरो की तरह देखता है, जब की वह खुद को कचरा समझता हो? मेरा मानना है की हम जवाबों से अधिक प्रश्नों से सीखते है क्योंकि जब हम कोई प्रश्न उठाते है, हम निवेश करते है नाइ जानकारी पाने के लिए, या हम जूझते किसी तरह के अज्ञान से जो हमें असहज महसूस करता है और यही कारण है कि मैं यहां हूं: यह हमें प्रेरित करता है सवाल करने को, यहाँ तक के यह हमें असज करता है. मेरे माता-पिता ट्रिनीदाद और टोबागो से है, कैरिबियन में दक्षिणी द्वीप. ट्रिनीदाद भी घर है एकमात्र ध्वनिक साधन क. जिसका अविष्कार २० विं सदी मे हुआ थ: स्टील पैन. अफ़्रीकी ड्रम से व्युत्पत्ति हुई और त्रिनिदाद के एक घेटो की प्रतिभा से विकसित, लावेंतिल्ले नामक एक शहर, और उपेक्षा अमेरिकी सेना का...... ठीक है, मुझे आपको बताना चाहिए, अमेरिका ने WWII के दौरान त्रिनिदाद में सैन्य ठिकानों की स्थापना की, और जब युद्ध समाप्त हो गया, वे द्वीप से बहार निकल पड़े खली तेल के ड्रम पीछे छोड़कर-- उनके कचरा. तो लैवेंटीले के लोगने पुराने ड्रम क पुनरुद्देशित किया पूर्ण रंगीन पैमाने में: स्टील पैन. अब बीथोवेन से संगीत बजाना बॉब मार्ले से 50 सेंट्स तक, शब्दिक रूप मे उन्होंने कचरे से संगीत बनाया. मेरे 20 वें जन्मदिन के बारह दिन पहले, मुझे गिरफ्तार किया गया था एक हिंसक डकैती क प्रयास करने के लिए मैनहट्टन का दक्षिणी भाग मे. जब लोग एक कॉफी शॉप में बैठे थे चार लोगों को गोली मार दी गई। दो मारे गए थे. हम में से पांच गिरफ्तार किए गए थे. हम सभी त्रिनिदाद और टोबैगो की उत्पाद थे . हम "खराब आप्रवासी" थे या "लंगर शिशु" जो ट्रम्प और लाखों अमेरिकियों को आसानी से बदमाश हो जाते हैं मुझे बर्बाद सामग्री की तरह छोड़ दिया गया था -- और उचित रूप से बहुत से. मैंने अंततः 10 साल, दो महीने और सात दिन जेल की सजा काटी. मुझे सजा के एक दशक के लिए एक सुधारक संस्था में सजा सुनाई गई थी. मुझे असंबद्धता की सजा सुनाई गई - मानवता के विपरीत. दिलचस्प बात यह है, यह उन वर्षों के दौरान ही जेल मे पत्रों की एक श्रृंखला ने मुझे बचा लिया, मुझे आगे बढ़ने में मदद मिली अंधेरे और अपराध से जो मेरे युवा जीवन के सबसे ख़राब क्षण से जुदा था . मुझे एक भावना दी कि मैं उपयोगी था. वह 13 साल की थी. उसने लिखा था कि उसने मुझे नायक के रूप में देखा था. मुझे याद है वोह पत्र, और मुझे याद है मै रो रहा थ जब मैंने उन शब्दों को पढ़ा. वह 50 से अधिक छात्रों में से एक थी और 150 पत्र जो मैंने लिखा था एक सलाह पत्राचार कार्यक्रम के दौरान जिसको मैंने एक दोस्त के साथ सह-डिजाइन किया थ जो एक शिक्षक थे ब्रुकलिन में एक मिडिल स्कूल में मेरा गांव. हमने इसे युवा विद्वान कार्यक्रम कहा. हर बार जब युवा लोगोने मेरे साथ अपनी कहानी साझा की, उनके संघर्ष, हर बार जब वे एक तस्वीर आकर्षित किया उनके पसंदीदा कार्टून चरित्र का और मुझे भेजा, हर बार उन्होंने कहा कि वे निर्भर थे मेरे पत्र या मेरे सलाह के पर, यह योग्यता की मेरी समझ को बढ़ाया. यह मुझे समझ में आया के मैं इस ग्रह में क्या योगदान कर सकता हूँ. यह मेरे जीवनमी बदलाव लाया उन पत्र के कारण और जो उन्होंने मेरे साथ साझा किया, किशोर जीवन की उनकी कहानियाँ, उन्होंने मुझे अनुमति दी, अपने आप को स्वीकार करने के लिए कि वहाँ कारण थे - बहाने नहीं - लेकिन 1999 के अक्टूबर में उस विनाशकारी दिन के लिए कारन थे; कि आघात जुड़े हुए हैं एक समुदाय में रहने के साथ जहां बंदूकें प्राप्त करना भूत आसान है; कि 14 साल की उम्र में बंदूक की नोक पर बलात्कार होने के साथ जुड़े आघात से; कि वे मेरे लिए कारण हैं क्यों वोह निर्णय लेने, वह घातक निर्णय, प्रस्ताव के विपरीत नहीं था. क्योंकि उन पत्र मेरे लिए इतना मायने रखते है, क्योंकि लिखना और प्राप्त करना और उस संचार का होना उन लोगों के साथ मेरे जीवन को प्रभावित किया, मैंने मौका साझा करने का फैसला किया मेरे कुछ दोस्तों के साथ जो मेरे साथ भी अंदर थे मेरे दोस्त बिल और कोररी और अरोक्स, हिंसक अपराधों के लिए सभी जेल में भी, अपने ज्ञान के शब्दों को साझा किया युवा लोगों के साथ, और भावना प्राप्त की बदले में प्रासंगिकता की. अब हम प्रकाशित लेखक और युवा कार्यक्रम प्रर्वतक है और आघात विशेषज्ञों है और बंदूक हिंसा की रोकथाम वकील, और टेड बोलने वालें और - (हंसी) और अच्छे डैडी इसी को मै कहता हूँ एक सकारात्मक निवेश की वापसी. और सब से ऊपर, और उस कार्यक्रम का निर्माण करना मुझे सिखाथा है कि जब हम बोते हैं, जब हम लोंगों की मानवता में निवेश करते हैं बिना कोई फर्क किये कि वे कहां हैं, हम अद्भुत पुरस्कार पा सकते हैं. इस आपराधिक न्याय सुधार नवीनतम युग में, मैं अक्सर सवाल और आश्चर्य करता हूँ के क्यों - ऐसा क्यों है कि इतने सारे लोग विश्वास करते हैं कि केवल जिन लोगों को दोषी ठहराया गया है अहिंसक दवा अपराधों का योग्यता और मान्यता प्राप्त मानवता के यौग्य है? आपराधिक न्याय सुधार मानव न्याय है क्या मैं इंसान नहीं हूं? जब हम लोगों की प्रासंगिकता को बढ़ाने की संसाधनों में निवेश करते हैं लैवेंटीले जैसे समुदायों में या ब्रुकलिन के कुछ हिस्सों मे या आपके पास के एक घेटो के पास, हम सचमुच बना सकते हैं जो समुदाय हम चाहते हैं हम बेहतर कर सकते हैं हम केवल संसाधन के रूप में कानून प्रवर्तन में निवेश करने से बेहतर कर सकते हैं क्योंकि वे हमें प्रासंगिकता की भावना नहीं देते यही कारण है कि हम में से बहुत से लोगों के बीच में क्यों है इतने सारे हानिकारक चीजें करते हैं मामले की खोज में देखो, बंदूक की हिंसा बहुत ही अंतर्निहित आघातों का एक दृश्य प्रदर्शन है जब हम प्रासंगिकता के मुक्ति मूल्य में निवेश करते हैं, हम व्यक्तिगत जिम्मेदारी और उपचार की वापसी दोनों प्रदान कर सकते हैं। यही लोगों के काम के मुझे परवाह है, क्योंकि लोग काम करते हैं. परिवार, मैं आपको कड़ी मेहनत करने के लिए कह रहा हूँ, मुश्किल काम, अनुग्रह दयालुता को बहाल करने का मंथन कार्य उन पर जिनको हम कचरे की तरह हटा सकते हैं, जिन को हम आसानी से उपेक्षा और त्याग सकते हैं. मैं खुद से पूछ रहा हूँ पिछले दो महीनों से, मैंने दो मित्रों को बंदूक हिंसा मे खो दिया दोनों निर्दोष दर्शक. एक घर जाते समय कारसे शूट करनेसे में पकड़ा गया था. दूसरा कैफे में बैठकर नाश्ता खाने के दौरान, मियामी में छुट्टी पर. मैं प्रासंगिकता की बचत मूल्य देखने केलिए खुद से पूछ रहा हूं उन लोगों में जिन्होंने उन्हें मार डाला, मुझे में मूल्य देखने के कड़ी मेहनत के कारण मैं अपनी क्षमता को चुनौती देने के लिए जोर दे रहा हूं पूरी तरह से हमारी मानवता का अनुभव करने के लिए, पूर्ण जीवनी को समझकर उन लोगों की, जिन्हें हम आसानी से अनदेखा कर सकते हैं, क्योंकि नायक मान्यता प्राप्त होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं और संगीतकार बनने की प्रतीक्षा कर रहे है , धन्यवाद. (तालियां) किसी पर चीज बराबर ध्यान देना: यह आसान नहीं है, है ना? क्योंकि हमारा ध्यान बहुत दिशाओं में जाता है यदि आप अपना ध्यान केंद्रित रख पाएं तो यह बहुत बढ़िया है l बहुत से लोगो को लगता है कि अवधान सिर्फ ध्यान केंद्रित करने के बारे में है अवधान का सम्बन्ध इससे भी है कि हमारा मस्तिष्क क्या फ़िल्टर करने की कोशिश कर रहा है l दो तरीकों से आप अपना ध्यान निर्देशित करते हैं सबसे पहले, अपरोक्ष ध्यान से l इसमें आप अपनी आँखें एक वस्तु पर ले जाते हैं l उस वस्तु पर ध्यान देने के लिए l दूसरे प्रकार का ध्यान, गुप्त ध्यान है। गुप्त ध्यान में, आप एक वस्तु पर ध्यान देते हैं, अपनी आँखों को हिलाये बिना l गाड़ी चलाने के बारे में सोचें l आपका अपरोक्ष ध्यान, आपकी आँखों की दिशा, सामने की तरफ हैं, लेकिन यह आपका गुप्त ध्यान है जो लगातार आपके क्षेत्र का क्रमवीक्षण कर रहा है, पर आप वास्तव में उन पर नहीं देखते हैं l मैं कम्प्यूटेशनल तंत्रिकावैज्ञानिक हूं, संज्ञानात्मक मस्तिष्क-मशीन जुड़ाव पर काम करता हूं, या मस्तिष्क और कंप्यूटर को एक साथ लाता हूँ मुझे मस्तिष्क के प्रतिमान से प्यार है l मस्तिष्क के प्रतिमान हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उस आधार पर कंप्यूटर नमूना बनाते है, और इन नमूनों पर आधारित कंप्यूटर बता सकते हैं कि हमारा दिमाग कैसे काम कर रहा है l और अगर यह अच्छे से काम नहीं करता, तो कंप्यूटरों की सहायता ली जा सकती है चिकित्सा के लिए l लेकिन उसका भी कुछ मतलब है क्योंकि गलत प्रतिरूप चुनने पर, हमें गलत नमूना मिलेगा l और इसलिए गलत उपचार होंगे l है ना ? ध्यान के मामले में, तथ्य यह कि हम केवल अपनी आंखों से ध्यान नहीं बदलते, बल्कि हमारी सोच से भी -- और इसलिए गुप्त ध्यान कंप्यूटर के लिए एक दिलचस्प नमूना है मस्तिषक-तरंग प्रतिरूप कैसा होता है, जब आप खुलकर या गुप्त रूप से देखते हैं l मैंने इसके लिए एक प्रयोग किया l इस प्रयोग में दो झिलमिलाते वर्ग हैं, उनमें से एक धीमी गति से झिलमिला रहा है l जिस झिलमिलाहट पर आप ध्यान देंगे, आपके मस्तिष्क के कुछ भाग उसी झिलमिलाहट के दर में गूंजेगे l तो मस्तिष्क के संकेतों का विश्लेषण करके, हम पता कर सकते हैं कि आप कहाँ देख रहे हैं या आप कहाँ ध्यान दे रहे हैं। अपरोक्ष ध्यान देते हुए दिमाग में क्या होता है? मैंने लोगों को एक वर्ग में सीधे देखने और उसपर ध्यान देने को कहा । आश्चर्य की बात नहीं, के इस मामले में हमने देखा कि ये झिलमिलाते वर्ग उनके दिमाग के संकेत में दिखाई देते हैं जो उनके सिर के उस पिछले भाग से आ रहा था, जो आपकी दृश्य सूचना के लिए जिम्मेदार है l लेकिन मेरी दिलचस्पी यह जानने में थी कि गुप्त ध्यान के वक्त आपके दिमाग में क्या होता है? तो मैंने लोगों से स्क्रीन के बीच में देखने कहा, बिना उनकी आखें हिलाते हुए, इन वर्गों में से एक पर ध्यान देने के लिए l जब हमने ऐसा किया, दोनों झिलमिलाहट दर दिमाग के संकेत में दिखी, लेकिन दिलचस्प यह है कि, उनमें से केवल एक, जिस पर ध्यान दिया गया था, उसके संकेत मजबूत थे l तो मस्तिष्क में कोई चीज़ थी जो इस जानकारी को संभाल रहा थी , और वह थी मस्तिष्क के ललाट क्षेत्र की सक्रियता हमारे मस्तिष्क के आगे का हिस्सा जिम्मेदार है मानवरूप में उच्च संज्ञानात्मक कार्यों के लिए l ललाट भाग एक छन्नी के रूप में काम करता है जो जानकारी को उसी झिलमिलाहट से आने देता है जिसपर आप पर ध्यान दे रहे हैं और अनदेखी वस्तु की जानकारी को बाधित करता है। दिमाग की छानने की क्षमता ध्यान के लिए ज़रूरी है जो कुछ लोगों में अनुपस्थित होती है, उदाहरण के लिए एडीएचडी वाले लोगों में जो ध्यान-भंग वाले विचारों को बाधित नहीं कर पाते, इसलिए वे एक ही कार्य में ध्यान नही लगा पाते पर सोचिये अगर यह व्यक्ति विशिष्ट कंप्यूटर खेल के द्वारा, जिसमें उसका मस्तिष्क कंप्यूटर से जुड़ा हो, अपने दिमाग को प्रशिक्षित कर सके इन विचारों को बाधित करने के लिए l एडीएचडी सिर्फ एक उदाहरण है। हम इन संज्ञानात्मक मस्तिष्क-मशीन जुड़ाव का उपयोग कई अन्य संज्ञानात्मक क्षेत्रों में कर सकते हैं कुछ साल पहले की ही बात है मेरे दादाजी को मस्तिष्क-आघात हुआ था वो फिर कभी बोल नहीं पाए वह बात समझ पाते थे पर जवाब नही दे पाते थे लिखित में भी नहीं, क्योंकि वह अशिक्षित थे तो चुप्पी में ही उनका निधन हो गया l मुझे याद है कि मैं उस समय सोचता था कि कैसा होता अगर हमारे पास एक कंप्यूटर होता जो उनके लिए बात कर सकता? अब, सालों बाद जब मैं इस क्षेत्र में काम कर रहा हूं, मैं देखता हूं कि यह संभव हो सकता है। सोचिए अगर हम मस्तिषक-तरंग का प्रतिरूप पा सकें, जब लोग छवियों, पत्रों के बारे में सोचते हैं, जैसे अक्षर 'अ' का मस्तिषक-तरंग प्रतिरूप, अक्षर 'प' से अलग होता है क्या एक दिन कंप्यूटर मूक लोगों के लिए बोल सकेगा? क्या होगा यदि कोई कंप्यूटर हमें अचेत व्यक्ति के विचारों को समझने में मदद करेगा ? हम वहाँ अभी तक नहीं पहुँचे हैं, लेकिन करीब से ध्यान देने पर, हम जल्द ही वहां होंगे l धन्यवाद। (तालियां) नौ दिन पहले मेरे घर में आग लग गयी मेरा कलेक्शन: १७५ फ़िल्मे, मेरे १६ मिलीमीटर के नेगेटिव, मेरी मेरे पिता की किताबें, फ़ोटोग्राफ़ मैंने ये सब जोड़ा था -- मैं चीज़ें इकट्ठी करता था, ख़ूब, जम के। वो सब चला गया। मैं बस देखता रहा गया, और कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करूँ। मतलब, ऐसे की -- क्या मेरा वजूद सिर्फ़ उन चीज़ों भर का था? मैं तो हमेशा आज में जीता हूँ - आज से प्यार करता हूँ। मैं भविष्य को ले कर ख़ुश रहता हूँ। और बचपन में मुझे कुछ अलग सी बातें सिखायी गयी थीं। जैसे, ख़राब चीज़ से कुछ बढ़िया बनाओ जहाँ गड़बड़ हो, उस से कुछ बेहतर निकालो। और ये बहुत कठिन था, मेरे लिए -- मैं खाँस रहा था, बीमार था। ये कैमरे का लेंस है। मेरा पहला लेंस -- जिससे मैंने ३५ साल पहले बॉब डिलन को शूट किया था। ये मेरी पहली फ़ीचर फ़िल्म है। "किंग मर्रे" १९७० के कान फ़ेस्टिवल को जीतने वाली -- ये उसका इकलौता प्रिंट था। ये मेरे काग़ज़ पत्तर हैं। ये मिनटों में हुआ - मात्र २० मिनट। मुझे जैसे दिव्य ज्ञान सा प्राप्त हुआ। जहाँ गड़बड़ हो, उस से कुछ बेहतर निकालो। मैं सब दोस्तों, बहन से, लगातार कहने लगा। और देखिए, "स्पुटनिक", ये पिछले साल किया था। ये नेगेटिव आग से अनछुआ रह गया। ये टुकड़े मेरी फ़िल्म स्पुटनिक में इस्तेमाल हुई चीज़ों के हैं। ये न्यूयॉर्क में दो हफ़्ते में रिलीज़ होगी डाउंटाउन में। दोस्तों और बहन को बुलाया कि, "आओ देखो" ये मैं अपने डेस्क के साथ। इस डेस्क ने ४० साल की यात्रा की थी। मतलब - सब चला गया। ये मेरे बेटी है - जीन। ये आई। ये सन फ़्रांसिस्को में नर्स है। "देखो क्या बचा है?" मैंने कहा। "सब टुकड़े निकालो। छोटे बड़े सब।" मुझे एक आयडीआ सूझा: टुकड़ों से बनी ज़िंदगी का , जिस पर मैं अपना अगला प्रोजेक्ट करूँगा। ये मेरी बहन है। इसने फ़ोटोग्राफ़ का ध्यान रखा, क्योंकि मैं कैंडिड फ़ोटो का बड़ा भारी संग्रह करता था क्योंकि उस में बहुत कुछ निहित होता है, और ये उन में से कुछ फ़ोटो हैं - इन जली हुई फ़ोटो में कुछ खिंचाव सा था। मुझे समझ नहीं आ रहा था। मैंने उन्हें देखा "अरे, ये क्या पहले से बेहतर --" ये टीवी फ़िल्म जिमी डूलिटल का प्रपोज़ल ये भी एक ही कापी थी। उस के टुकड़े हैं। औरतों सम्बंधी काम के आयडिया। तो मैंने कहा, "भाई, तुम ने काफ़ी खोया है! और ये बड़े दुःख की बात है।" पर मैंने कहा, "मैं इस से कुछ बनाऊँगा, शायद अगले साल" और मैं शुक्रगुज़ार हूँ इस लम्हे का की इतने लोगों के सामने खड़ा हूँ जिन्होंने मुझे पहले ही बहुत सहारा दिया है, और टेड दर्शकों से ये कह पाना: मुझे ख़ुद पर गर्व है। मैं कुछ बिगड़ा हुए से, कुछ अच्छा बनाऊँगा, इन टुकड़ों से, ये आर्थर लेपजिग का असली फ़ोटो है, मेरा पसंदीदा। मैं रेकॉर्ड्भी इकट्ठा करता था -- दुर्लभ रेकर्ड। फ़िल्म बहुत तेज़ जलती है, ग़ज़ब तेज़ मतलब ये 16 मिलीमीटर की सेफ़ फ़िल्म थी। सारे नेगेटिव जल के ख़त्म हो गए है, मेरे पिता के लेटर सलाह कि मैं किस लड़की से शादी करूँ ये मेरी बेटी और मैं। ये अभी वही है - इस सुबह से। ये मेरा घर। मेरा परिवार अभी स्कॉट व्हेली में हिल्टन में रह रहा है ये मेरे पत्नी, हेडी, जो इस से मेरी तरह आसानी से नहीं उबर पायी। मेरे बच्चे, डेवी और हेनरी। ये मेरा बेटा, डेवी, दो दिन पहले होटल में । तो आप के लिए मेरे पास यही संदेश है कि, इन तीन मिनट में, मुझे ये मौक़ा अपनी आपबीती कहने का मिला है। मुझे टेड बेहद पसंद है। मैं यहाँ जीवित होने आया था, और ज़िंदा हो कर लौट रहा हूँ । ये संता क्रूज़, बोनी दून में मेरी खिड़की से दिखता नज़ारा है यहाँ से सिर्फ़ ३५ मील पर। बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियाँ) जब पहली बार मै पानी के नीचे रोई थी. सन २००८ मे करकाउ के टापू दक्षिणी कैरेबियन सागर में बहुत नीचे यह खूबसूरत जगह है . पीएचडी के लिए मैं प्रवालशैल का अध्ययन कर रही थी. कई दिन एक ही प्रवालभित्ती में गोता लगाने के बाद मैंने उन्हें व्यक्तिगत तौर पर जाना. मैंने प्रवाल बस्तियों से दोस्ती की जो कि एक बहत ही सामान्य बात है! ओमर नाम के समुद्री तूफ़ान ने उन्हें उखड फेंका, उनकी त्वचा उधेड दी तूफ़ानने पीछे घाव भरे छोटे टुकड़े छोडे जिनके लिए पुनः स्वस्थ होना एक चुनौती थी. मृत कंकाल के बड़े बड़े टुकड़ो पर अब शैवाल उग गयी थी जब मैंने पहली बार इस नुकसान को देखा जो कि ऊपर से गहराई में नीचे तक फैला था मैं गोताखोरी के भेष मेही बालू में समा गयीऔर मैं रोई. यदि प्रवाल इतनी जल्दी ख़त्म हो सकता है एक प्रवालभित्ती कैसे बचेगी? और मैं क्यूँ इनके लिए लड़ने को अपना पेशा बना रही थी? मैंने कभी भी किसी और वैज्ञानिक को ऐसी कहानी बताते नहीं सुना पिछले साल तक गुआम के एक वैज्ञानिक ने लिखा, "मैं मास्क के अंदर ही रो पड़ा" प्रवाल भित्ती में हुए नुकसान को देख कर फिर ऑस्ट्रेलिया के एक वैज्ञानिक नें लिखा मैंने मेरे प्रवाल-सर्वेक्षण को अपने विद्यार्थियों को दिखायाऔर हम रोये प्रवालों के लिए रोना भी एक लम्हे के होने जैसा है, (हंसी) ऐसा इसलिए है क्यूंकि प्रशांत की प्रवाल-भित्तियां से पहेलेसे ज्यादा तेज़ी से प्रवाल ख़त्म हो रहा है, जलवायु में परिवर्तन की वजह से गर्मियों में पानी इतना गर्म हो जाता है की ये प्राणी सामान्यरूप से काम नहीं कर पाते अपनी त्वचा में जीने वाली रंगीन शैवाल को वे बहर फेंक रहे हैं साफ़ और फीका ऊतक भूख से मर जाने को बाकि रह जाता है और अंततः गल जाता है फिर अस्थियों में शैवाल उग जाता है यह अविश्वसनीय श्रेणी में हो रहा है पिछले साल उत्तरी ग्रेट बैरियर रीफ ने दो तिहाई भाग खो दिया सैकड़ों मील की दूरी में इस साल फिर से सफ़ेदी हो गयी और यह दक्षिण की तरफ आगे बढ़ रहा है प्रशांत में प्रवाल भित्तियां अब और भी गहराई में हैं और कोई भी नहीं जानता की ये और कितना बुरा हो सकता है बनिस्पत कैरबियन में जहाँ में कार्यरत हूँ हम पहले से ही भरी गिरावट में थे भित्तियां सदियों के तीव्र-मानवीय प्रताडनाओं को झेल चुकी थी हम जानते हैं ये कहानी किस और जा रही है इससे भविष्य की घटनाका पता चले चलिए हम एक ग्राफ की मदद लेते है स्कूबा के शोध के समय से ही वैज्ञानिकों ने समुद्र की तलहटी में प्रवाल के मात्र को मापा है और ये समय के साथ किस तरह से बदल रही है और सदियों के मानवीय दोहन के बाद कैरेबियन भित्तियां तीन में से एक नियति को प्राप्त हुयी कुछ भित्तिओं से प्रवाल बड़ी जल्दी ख़त्म हो गए कुछ भित्तिओं से प्रवाल थोड़ा धीरे ख़त्म हुए बुत एक तरह से वे एक ही प्रारब्ध को प्राप्त किये अच्छा, अभी तक ये सब कुछ काफी अच्छा नहीं लग रहा पर करेबियन में कुछ भित्तियां जिन्हें सर्वोत्तम संरक्षण मिला और जो कि मानवों से थोड़ा दूर थीं उन्होंने किसी तरह से अपने प्रवाल बचा रखे हैं हमें कोई चुनौती दीजिये और, हमने लगभग कभी भी एक प्रवाल भित्ति को पूरी तरह से ख़त्म होते नहीं देखा दूसरी बार जब मैं पानी के भीतर रोई वह कुराकाओ के उत्तरी किनारे पर २०११ में वह साल का सबसे शांत दिन था पर में ज़रा चिंतित थी वहां जाने को लेकर मेरा दोस्त और मैं धरा के विपरीत तैरे मैंने अपना कंपास देखा वापस जाने का रास्ता खोजने और वह शार्क के लिए निगरानी कर रहा था अभी २० मिनट तैरनेपर लगा जैसे १ घंटा हो गया अंततः, हम पानी मे प्रवाल भित्ति की तरफ बढे और मैं अचंभित रह गयी मैं काफी खुश थी और मेरी आँखें भर आई वहां हजारों साल पुराणी प्रवाल भित्तियां एक के बाद एक कतारबद्ध थी ये कैरेबियन में यूरोपियन उपनिवेशवाद के दौरान जीवित रहीं एवं उससे भी सदियों पहले से ये जीवित हैं. मुझे नहीं पता था की मौका दिए जाने पर मूंगा भी फल-फूल सकता है वास्तव में अब भी जब हम इतने सरे मोंगों को खो रहे हैं और जबकि इतने सरे मुंगे मरते जा रहे हैं कुछ भित्तियां जीवित रहेंगी कुछ खुरदरी हो जाएँगी कुछ सुन्दर होंगी और तटरेखा को बचाकर हमें भोजन उपलब्ध करा कर पर्यटन को सहयोग का के वे अरबों अरब डॉलर प्रतिवर्ष जीतनी महत्ता वाली होंगी भित्तियों को बचने के लिए सर्वोत्तम समय ५० वर्ष पहले था लेकिन दूसरा सबसे अच्छा समय अभी है जबकि हम विरंजन की घटनाओं से गुज़र रहे हैं जिनकी आवृत्ति बढ़ गयी है और अधिक जगहों में कुछ मूंगा वापस स्वस्थ होने लायक होंगे कैरेबियन में विरंजन २०१० में हुआ था जिसने, इस जैसे बोल्डर मूंगा से त्वचा के बड़े टुकड़ों को हटा दिया इस मोंगे ने अधि त्वचा खो दी लेकिन अगर आप इसके किनारों पर कुछ साल बाद देखें तो, यह मूंगा वास्तव में फिर से स्वस्थ है. यह वही कर रहा है जो एक स्वस्थ मूंगा करता है यह अपने पोलिप्स की प्रतिलिपि कर रहा है यह शैवाल से मुकाबला कर रहा है और यह अपनी क्षेत्र पर अधिकार कर रहा है यदि कुछ पोलिप्स जीवित रहते हैं तो एक प्रवाल दोबारा पनप सकता है इसे सिर्फ समय और संरक्षण एवं एक उचित तापमान की आवश्यकता होती है कुछ प्रवाल १० वर्षों में ही पुनः बढ़ सकते हैं अन्य उससे ज्यादा भी ले सकते हैं जितने ज्यादा दबावों को हम स्थानीय स्तरपर उनसे अलग रखें चीज़ें जैसे अत्यधिक मछली पकड़ना, मल व उर्वरक प्रदूषण तल्कर्षण, तटीय निर्माण जितना बेहतर वे हमारे साथ बने रहते हैं जबकि हम जलवायु को वापस स्थिर कर रहे हैं, उतना ही तेज़ी से वे वापस बढ़ सकते हैं और जैसे जैसे हम पृथ्वी की जलवायु को स्थिर करने के लम्बे, कठिन और आवश्यक विधि से गुजर रहे हैं कुछ नाहे मुंगे भी जन्म लेंगे इसका मैंने अपने अनुसन्धान में अध्ययन किया है. हम जानना चाहते हैं की कैसे मोंगे बच्चों को जन्मते हैं और कैसे ये बच्चे भित्ति में अपनी जगह बनाते हैं, हम उनको जीवित रखने के नए तरीके खोजते हैं वे जीवन की प्रारंभिक, कोमल अवस्था मेरे हमेशा से पसंदीदा मोंगा बच्चों में से एक "ओमर" तूफ़ान के जाने के बाद दिखा यही प्रजाति के बारे में मैं तूफ़ान से पहले पढ़ रही थी आप कभी भी इस प्रजाति की संतति नहीं देख पाएंगे ये बहुत ही अनूठा है. यह वास्तव में एक लुप्तप्राय प्रजाती है. इस तस्वीर में, यह छोटा मूंगा, या पोल्य्प्स का घेरा कुछ वर्षों पुराना है. इसके भाइयों जैसे जो विरंजित हो गये यह शैवाल से मुकाबला कर रहा है और अपने उत्तरी तट वाले भाइयों जैसे ही, यह हज़ार साल जीने को लक्ष्य बनाये है. जो भी दुनिया और समन्दर में हो रहा है उसने क्षितिज को बदल दिया है हम उम्मीद छोड़ सकते हैं अगर एक छोटे समय की बात करें, क्षति पर दुखी हो सकते हैं जिसे की हमने अनुदत्त मान लिया है पर हम एक लम्बे समय के लिए अब भी आशावान हो सकते हैं, इस संघर्ष मे हम अब भी महत्वकांक्षी हो सकते हैं और हम उम्मीद करते हैं अपनी सरकारों से, अपने ग्रह से. प्रवाल पृथ्वी पर लाखों वर्षों से बसे हैं वे डायनासोर के विलुप्त होने पर भी बचे रहे वे बदमाश हैं. (हंसी) एक प्रवाल भयानक क्षतिऔर पूर्ण स्वास्थ्य लाभ तक जा सकता है यदि इसे मौका और संरक्षण दिया जाये प्रवाल हमेशा से ही एक लम्बी पारी खेलते आये हैं और उसी प्रकार से अब हम भी बहुत बहुत धन्यवाद (तालियाँ) दस साल पहले, कंप्यूटर दृष्टि शोधकर्ताओं ने सोचा था कि एक कंप्यूटर द्वारा एक बिल्ली और एक कुत्ते के बीच अंतर बताना लगभग असंभव होगा, कृत्रिम बुद्धि में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद भी अब हम इसे 99 प्रतिशत से भी अधिक यथार्थता के साथ कर सकते हैं इसे छबी वर्गीकरण कहा जाता है - इसे एक छबी दें, उस छवि पर एक लेबल डालें - और कंप्यूटर हजारों अन्य श्रेणीयां भी जानते हैं मैं वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एक स्नातक छात्र हूँ, मैं डार्कनेट परियोजना पर काम करता हूं, जो एक तंत्रिका नेटवर्क ढांचा है कंप्यूटर दृष्टि मॉडल के प्रशिक्षण और परीक्षण के लिए चलो देखते हैं कि डार्कनेट क्या सोचता है? इस छवि के बारे में, जो हमारे पास है. जब हम अपने वर्गीकारक को इस छवि पर चलाते हैं. फिर हम केवल कुत्ते या बिल्ली का ही नहीं , वास्तव में हमें विशिष्ट नस्ल का पूर्वानुमान भी हो जाता है अब ग्रैन्युलैरिटी का यह स्तर है और यह सही है मेरा कुत्ता वास्तव मेंअलास्का का है इसलिए हमने आश्चर्यजनक प्रगति की है छवि वर्गीकरण में, लेकिन क्या होता है जब हम अपने वर्गीकारक को चलाते हैं ऐसी छवि पर जो इस तरह दिखती है? अच्छा तो ... हम देखते हैं कि क्लासिफायर वापस आता है एक बहुत ही समान भविष्यवाणी के साथ और यह सही है,छबी में एक मलम्यूट है, लेकिन सिर्फ इस लेबल से , हम वास्तव में इतना नहीं जानते हैं कि छवि में क्या हो रहा है? हमें कुछ अधिक शक्तिशाली चाहिए। मैं वस्तु का पता लगाने की समस्या पर काम करता हूँ, जहां हम एक छवि को देखते हैं, वस्तुओं को खोजने का प्रयास करते हैं, उनके आसपास बाउंडिंग बक्से लगाते हैं और कहते हैं कि वे वस्तुओं क्या हैं? जब हम इस छवि पर डिटेक्टर चलाते हैं तो यह होता है। अब, इस तरह के परिणाम के साथ, ¶ हम बहुत कुछ कर सकते हैं कंप्यूटर दूर दृष्टि एल्गोरिदम के साथ हम जानते हैं कि इसे पता है कि एक बिल्ली व एक कुत्ता है यह उनके सम्बंधित स्थानों को जानता है उनका आकार यह कुछ अतिरिक्त जानकारी भी जान सकता है कि पृष्ठभूमि में किताब है और अगर आप कंप्यूटर दृष्टि के शीर्ष पर एक सिस्टम बनाना चाहते हैं जैसे कि एक स्वयं संचालित वाहन या एक रोबोट प्रणाली, आप इस प्रकार की जानकारी चाहते हैं आप कुछ ऐसा चाहते हैं जिससे आप भौतिक दुनिया के साथ बातचीत कर सकते हैं अब, जब मैंने वस्तु का पता लगाने पर काम करना शुरू किया एक एकल छवि को संसाधित करने के लिए 20 सेकंड लगे इस डोमेन में गति कितनी महत्वपूर्ण है, ऐसा महसूस करने के लिए यहाँ एक वस्तु डिटेक्टर का उदाहरण है जो दो सेकंड लेता है एक छबी को संसाधित करने के लिए तो यह 10 गुना तेज है 20 सेकंड प्रति छवि डिटेक्टर से, और आप उस समय में देख सकते हैं जब यह पूर्वानुमान लगता है, दुनिया की संपूर्ण स्थिति बदल गई है, और यह बहुत उपयोगी नहीं होगा लागू करने के लिए अगर हम इसे दस गुना और तेज करते हैं यानि कि डिटेक्टर के पांच फ्रेम प्रति सेकंड पर चलते हुए यह बहुत बेहतर है, लेकिन उदाहरण के लिए अगर कोई बहुत अधिक हिलना डुलना है, मैं अपनी कार चलाने के लिए ऐसा सिस्टम नहीं चाहूंगा लैपटॉप पर वास्तविक समय में चलती हुई यह हमारी पहचान प्रणाली है तो यह आसानी से ट्रैक करता है जब मैं फ्रेम के पास गति विधि करता हूँ और यह विविध आकार मुद्रा में, आगे, पीछे परिवर्तन में मजबूत है। यह भी खूब रही। हमें वास्तव में यही चाहिए अगर हम सिस्टम कंप्यूटर दृष्टि के शीर्ष पर बनाने जा रहे हैं (तालियां) तो बस कुछ ही वर्षों में, हम प्रति छवि 20 सेकंड से प्रति छवि 20 मिलीसेकंड तक चले गए हैं यानि कि एक हजार गुना तेज! हम वहां कैसे पहुंचे? ठीक है, अतीत में, ऑब्जेक्ट डिटेक्शन सिस्टम इस तरह की एक छवि ले कर और इसे क्षेत्रों के एक गुच्छे में विभाजित कर के और फिर इन क्षेत्रों में प्रत्येक पर क्लासिफायर चलाते हुए और उस क्लासिफायर के उच्च स्कोर को छवि में पहचान माना जाता था लेकिन इसमें छवि पहचान के लिए छवि पर हजारों बार क्लासिफायर चलाना, हजारों तंत्रिका नेटवर्क मूल्यांकन करना होता था इसके बजाय, हमने हर पहचान के लिए एक एकल नेटवर्क को प्रशिक्षित किया यह एक साथ सभी बक्सों और श्रेणी संभावनाओं को बनाता है हमारे सिस्टम से एक छवि को हजारों बार देखने की बजाय उसका पता लगाने के लिए, आप केवल एक बार देखते हैं, यही कारण है कि हम इसे कहते हैं वस्तु का पता लगाने की योलो विधि तो इस गति के साथ, हम सिर्फ छवियों तक सीमित नहीं हैं; हम वास्तविक समय में वीडियो संसाधित कर सकते हैं और अब, सिर्फ देखने के बजाय कि बिल्ली और कुत्ते, हम उन्हें चारों ओर घूमते देख सकते हैं और एक दूसरे के साथ बातचीत करते हुए। यह एक डिटेक्टर है जिसे हमने प्रशिक्षित किया है 80 विभिन्न वर्गों पर माइक्रोसॉफ्ट के कोको डाटासेट में इसमें सभी प्रकार की चीजें हैं जैसे चम्मच और कांटा, कटोरा, उस तरह की सामान्य वस्तुएं इसमें कई प्रकार की विदेशी चीजें हैं: जानवर, कार, ज़ेबरा, जिराफ और अब हम कुछ मज़ा करने वाले हैं अब हम दर्शकों के बीच जाने वाले हैं देखें किस प्रकार की चीजों का पता लगाते हैं क्या कोई भरवां पशु चाहता है? वहाँ कुछ टेडी भालू हैं और हम पता लगाने की अपनी सीमा थोड़ी सी नीचे कर सकते हैं ताकि हम अधिक लोगों को दर्शकों में ढूंढ सकते हैं चलो देखते हैं कि हम रोकने के संकेत प्राप्त कर सकते हैं। हमें कुछ बैकपैक मिलते हैं चलो थोड़ा सा साइज बड़ा करें और यह बढ़िया है और सभी प्रसंस्करण वास्तविक समय में हो रहा है लैपटॉप पर और यह याद रखना महत्वपूर्ण है ¶ कि यह एक सामान्य उद्देश्य है ऑब्जेक्ट डिटेक्शन सिस्टम, इसलिए हम इसे किसी भी छवि डोमेन के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं। उसी कोड का, जिसका हम उपयोग करते हैं रोकने के संकेत या पैदल चलने वालों को ढूंढने के लिए, स्वयं संचालित वाहन में साईकलों का, कैंसर कोशिकाओं को खोजने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है ऊतक बायोप्सी में और दुनिया भर के शोधकर्ता पहले से ही इस तकनीक का इस्तेमाल दवाइओं ,रोबोटिक्स जैसी चीजों की प्रगति के लिए कर रहे हैं आज सुबह, मैंने एक पेपर पढ़ा जहां वे नैरोबी राष्ट्रीय उद्यान में पशुओं की जनगणना कर रहे थे योलो पहचान प्रणाली के साथ जो इसका हिस्सा रहा और इसका कारण यह है कि डार्कनेट खुला स्रोत है और सार्वजनिक डोमेन में है, जो सभी के लिए नि:शुल्क है (तालियां) ¶ हमने पड़ताल को और भी पहुँच वाला व उपयोगी बनाना चाहा¶ मॉडल अनुकूलन की नेटवर्क बिनारिजेशन और सन्निकटन के संयोजन माध्यम से, हमारी वस्तु जाँच प्रणाली एक फोन पर चल रही है (तालियां) ¶ और मैं वास्तव में उत्साहित हूँ क्योंकि अब हमारे पास एक बहुत शक्तिशाली समाधान है¶ इस निम्न स्तरीय कंप्यूटर दृष्टि समस्या के लिए, कोई भी इसे ले सकता है और कुछ निर्माण कर सकता है अतः बाकी सब आप व दुनिया भर के लोगों पर, इस सॉफ़्टवेयर की पहुंच के साथ, निर्भर करता है और मैं इंतजार नहीं कर सकता कि लोग इस तकनीक से क्या बनायेगें धन्यवाद। ¶ आपने आज कितनी कम्पनियों के साथ बातचीत की है? ठीक है, आप सुबह उठ गए, नहाए, अपने बालों को धोया, एक हेयर ड्रायर इस्तेमाल किया, नाश्ता किया -- अनाज, फल, दही, जो भी खाया- कॉफी ली - - चाय। आपने यहां आने के लिए सार्वजनिक गाड़ी पकड़ी, या शायद आपकी निजी कार इस्तेमाल की। जिस कंपनी में काम करते हो जिसके आप मालिक हो वहां बातचीत की । आपने अपने ग्राहकों के साथ बातचीत की, आपके ग्राहक, इत्यादि इत्यादि। मुझे पूरा यकीन है कम से कम सात कम्पनियों के साथ आपने आज बातचीत की है। मैं आपको आश्चर्यजनक आंकड़े बताता हूँ। सात में से एक बड़ा सार्वजनिक निगम हर साल धोखाधड़ी करता है। यह एक अमेरिकी शैक्षणिक अध्ययन है जो अमेरिकी कंपनियों को देखता है -- मुझे विश्वास है कि यह यूरोप में स्थिति अलग नहीं है। यह एक अध्ययन है जो दोनों जाने व अनजाने धोखे धड़ी को देखता है सांख्यिकीय विधियों का उपयोग करके। यह छोटी धोखाधड़ी नहीं है। इस धोखे धड़ी की कीमत इन कंपनियों के शेयरधारकों के लिए , और इसलिए समाज के लिए , प्रति वर्ष 380 अरब डॉलर है। हम सभी कुछ उदाहरण सोच सकते हैं, है न? कार उद्योग के रहस्य अब और इतने गुप्त नहीं हैं। धोखा एक विशिष्ट बात हो गई है, दोष नहीं, वित्तीय सेवा उद्योग में। यह दावा मैं नहीं कर रहा हूँ, यह अमेरिकन फाइनेंस एसोसिएशन के प्रधान ने अपने प्रधानीय सम्बोधन में कहा। यह एक बड़ी समस्या है अगर आप इस बारे सोचते हो, विशेष रूप से, स्विट्जरलैंड अर्थव्यवस्था बारे , जो अपने वित्तीय उद्योग में विश्वास पर बहुत निर्भर करती है। दूसरी ओर, सात कंपनियों में से छह हैं जो वास्तव में ईमानदार रहती हैं धोखाधड़ी शुरू करने के सभी प्रलोभन के बावजूद भी। पर्दा फ़ाश करने वाले भी हैं जैसे माइकल वुडफोर्ड, जिन्होंने ओलम्पस का पर्दा फ़ाश किया। ये पर्दा फ़ाश करने वाले अपनी जीविका को खतरे में डालते हैं, अपनी दोस्ती, अपनी कंपनियों की सच्चाई लाने के लिए। अन्ना पोल्तिकोवस्काया जैसे पत्रकार मानव अधिकार उल्लंघन रिपोर्ट हेतु अपना जीवन भी दाव पर लगाते हैं। वह मारी गई - हर साल, करीब 100 पत्रकार मारे जाते हैं उनके सच्चाई लाने के विश्वास की वजह से। तो आज मेरी बात में, मैं आपसे साझा करना चाहता हूं कुछ अंतर्दृष्टि जो मैंने प्राप्त की व सीखी है इस में पिछले 10 वर्षों में अनुसंधान करते हुए। मैं एक शोधकर्ता हूं, एक वैज्ञानिक अर्थशास्त्रियों के साथ कार्यरत , वित्तीय अर्थशास्त्री, नैतिकतावादी, तंत्रिका विज्ञानियों, वकीलों और अन्यों के साथ समझने की कोशिश में कि मनुष्य यह क्यों करता है, और हम निगमों में धोखाधड़ी के इस मुद्दे को कैसे संबोधित कर सकते हैं ताकि दुनिया के सुधार के लिए योगदान दे पाएं। मैं दो बहुत अलग दृष्टांत साझा करते हुए शुरू करना चाहता हूं कि लोग कैसे व्यवहार करते हैं। सबसे पहले, एडम स्मिथ से मिलें, आधुनिक अर्थशास्त्र के संस्थापक पिता। उनका मूल विचार था अगर हरेक अपने स्वहित में व्यवहार करता है, तो यह अंत में सभी के लिए अच्छा है। स्वहित एक संकुचित परिभाषित अवधारणा नहीं है बस आपके तत्काल उपयोगिता के लिए। इसका दूरगामी निहितार्थ है। चलो इस बारे सोचें। यहाँ इस कुत्ते के बारे में सोचो। यह हम हो सकते हैं। प्रलोभन है -- मैं सभी शाकाहारियों से माफी मांगता हूं, लेकिन -- (हँसी) कुत्ते बव्वा सॉसेज पसंद करते हैं। (हँसी) अब, सीधे-ऊपर, स्वहित चाल यहाँ उसे प्राप्त करना है। तो मेरा मित्र एडम यहां कूद सकता है, सॉसेज प्राप्त करके इस सुंदर मेज़ सामग्री को बर्बाद कर सकता है। लेकिन एडम स्मिथ का ऐसा मतलब नहीं था। उसका यह मतलब नहीं था सभी परिणामों की उपेक्षा -- के विपरीत। उसने सोचा होगा, ठीक है, नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, उदाहरण के लिए, स्वामी कुत्ते से गुस्सा हो सकता है और कुत्ते को यदि यह आभास होता तो वह ऐसा व्यवहार न करता। वह हम हो सकते हैं , अपने कृत्यों के लाभ हानि का मूल्यांकन करते हुए। यह कैसा होता है? खैर,आप में से बहुत, मुझे यकीन है, आपकी कंपनियों में, खासकर अगर यह एक बड़ी कंपनी है, एक आचार संहिता है। और फिर अगर आप उस आचार संहिता के अनुसार व्यवहार करते हैं, वह बोनस प्राप्त करने के आपके मौके को बेहतर बनाता है। और दूसरी तरफ, यदि आप इसकी उपेक्षा करते हैं, तो आपका बोनस न मिलने की अधिक संभावनाएं हैं या इसकी कम होने की। दूसरे शब्दों में, यह एक बहुत ही आर्थिक प्रेरणा है लोगों को और अधिक ईमानदार होने की कोशिश करने की, या निगम के सिद्धांतों के अधिक अनुरूप। इसी तरह, प्रतिष्ठा एक बहुत ही शक्तिशाली आर्थिक बल है। ठीक? हमारी प्रतिष्ठा बनाने की कोशिश है , शायद ईमानदार होने के लिए , ताकि तब लोग भविष्य में हम पर अधिक विश्वास करें। ठीक? एडम स्मिथ ने बेकर के बारे में बात की जो अच्छी ब्रैड रोटी का उत्पादन परोपकार के कारण नहीं कर रहा है उन लोगों के लिए जो ब्रैड रोटी का उपभोग करते हैं, लेकिन क्योंकि वह भविष्य में अधिक ब्रैड रोटी बेचना चाहता है। मेरे शोध में, हम पाते हैं, उदाहरण के लिए, ज्यूरिख विश्वविद्यालय में, कि जो स्विस बैंक मीडिया में पकड़े जाते हैं , और ऐसे संदर्भ में, उदाहरण के लिए, टैक्स धोखाधड़ी में, कर चोरी में, उनकी मीडिया कवरेज खराब होती है। वे भविष्य में कुल नया पूंजी निवेश खो देते हैं और इसलिए कम लाभ कमाते हैं। यह एक बहुत शक्तिशाली प्रतिष्ठा बल है। लाभ और लागत। यहां दुनिया का एक और दृष्टिकोण है। इम्मानुअल कांट से मिलो, 18 वीं सदी के जर्मन दार्शनिक सुपरस्टार। उन्होंने इस धारणा को विकसित किया परिणामों से स्वाधीन, कुछ कृत्य सिर्फ सही हैं और कुछ सिर्फ गलत हैं। उदाहरण के लिए, झूठ बोलना गलत है। तो, यहां मेरे मित्र इम्मानुएल से मिलें। वह जानता है कि सॉसेज बहुत स्वादिष्ट है, पर वह मुख मोड़ने वाला है क्योंकि वह एक अच्छा कुत्ता है। वह जानता है कि ऊपर कूदना गलत है और यह सब सुंदर मेज़ सामग्री को बर्बाद करना जोखिम भरा है। यदि आप मानते हैं कि लोग इस तरह से प्रेरित होते हैं, तो सभी प्रोत्साहनों के बारे में बातें , आचार संहिता के बारे में सारी चीज़ें व बोनस सिस्टम व कुछ इसी तरह, समझ में नहीं आता है। लोग शायद अलग मूल्यों से प्रेरित होते हैं। तो, वास्तव में लोग कैसे प्रेरित होते हैं? यहां ये दो सज्जन हैं सही बाल बनाये हुए है, लेकिन वे हमें दुनिया के बारे में बहुतअलग विचार देते हैं। हम इस के साथ क्या करते हैं? ठीक है, मैं एक अर्थशास्त्री हूँ और हम तथाकथित प्रयोग करते हैं इस मुद्दे के समाधान के लिए। हम तथ्यों को दूर करते हैं जो वास्तविकता में भ्रमित करने वाले हैं। वास्तविकता इतनी समृद्ध है, वहाँ बहुत कुछ चल रहा है, यह जानना लगभग असंभव है कि लोगों के व्यवहार को वास्तव में क्या चलाता है। तो चलिए एक छोटा सा प्रयोग एक साथ करते हैं। निम्नलिखित स्थिति की कल्पना करें। आप कमरे में अकेले हैं, यहाँ की तरह नहीं। पांच फ़्रैंक का सिक्का है जैसा कि मैं अभी पकड़े हूं तुम्हारे सामने। यहां आपके लिए निर्देश हैं: सिक्के को चार बार उछालो, और फिर आपके सामने एक कंप्यूटर टर्मिनल पर, पूँछ की संख्या दर्ज करें। यह स्थिति है। यहाँ कठिनाई है। हर बार जब आप घोषणा करते हैं कि तुम्हारे उछले सिक्के में पूंछ थी , आपको पांच फ्रैंक मिलते हैं तो अगर आप कहते हैं कि तुम्हारे उछले सिक्के से दो बार पूंछ थी, आपको 10 फ्रैंक मिलते हैं। यदि आप कहें कि आपके पास शून्य था, आपको शून्य फ्रैंक मिलता है। यदि आप कहते हैं, "मेरे पास चार पूंछ थी," तो आपको 20 फ्रैंक का भुगतान मिलता है। यह गुमनाम है, कोई नहीं देख रहा है कि आप क्या कर रहे हैं, और आपको गुमनाम रूप से उस पैसे का भुगतान मिलता है। मेरे आपके लिए दो प्रश्न हैं। (हँसी) तुम्हें पता है अब क्या आ रहा है, है न? सबसे पहले, आप उस स्थिति में कैसे व्यवहार करेंगे? दूसरा, अपने बाईं ओर देखो और अपने दाईं ओर देखो - (हँसी) और इस बारे सोचें कि कैसे आपके बगल में बैठा व्यक्ति उस स्थिति में व्यवहार कर सकता है। हमने यह प्रयोग वास्तव में किया। हमने इसे मेनीफेस्टा कला प्रदर्शनी में किया। जो हाल ही में ज्यूरिख में हुआ, विश्वविद्यालय प्रयोगशाला में छात्रों के साथ नहीं लेकिन वास्तविक आबादी के साथ, आप जैसे लोग। सबसे पहले, आँकड़ों का त्वरित अनुस्मारक। अगर मैं सिक्का चार बार फेंक दूँ और यह एक उचित सिक्का है, तो चार बार पूंछ आने की संभावना 6.25 प्रतिशत है। व मुझे आशा है आप आसानी से देख सकते हैं कि उनमें से सभी चार बार पूंछ होंने की संभावना बहुत कम है उनमें से दो बार पूंछ हैं, ठीक है? यहाँ विशिष्ट संख्याएं हैं यहाँ क्या हुआ। लोगों ने इस प्रयोग को वास्तव में किया। करीब 30 से 35 प्रतिशत लोगों ने कहा, "ठीक है, मेरे पास चार बार पूंछ आया था।" यह बहुत कम संभावना है। (हँसी) लेकिन यहां वास्तव में आश्चर्यजनक बात है, शायद एक अर्थशास्त्री के लिए, लगभग 65 प्रतिशत लोगों ने नहीं कहा कि उनके पास चार बार पूंछ आया , हालांकि उस स्थिति में, जब कोई तुम्हें देख नहीं रहा है, एकमात्र ऐसा परिणाम जो इस स्थिति में है आपको और पैसा मिलता अगर आप चार कहते हैं कम की बजाए। आप शून्य की घोषणा करके मेज पर 20 फ़्रैंक छोड़ते हैं। मुझे नहीं पता कि क्या अन्य सभी लोग ईमानदार थे या असल में उन्होंने थोड़ा कम या अधिक कहा क्योंकि यह गुमनाम है। हमने केवल वितरण देखा। पर मैं आपको बता सकता हूं - व यहाँ एक और सिक्के का टॉस है वहाँ तुम जाओ, यह पूंछ है (हँसी) जांच न करें, ठीक है? (हँसी) जो मैं आपको बता सकता हूं यह है कि हर कोई व्यवहार नहीं करता जैसे एडम स्मिथ ने भविष्यवाणी की होगी तो इससे हमें क्या पता चलता है? ठीक है, ऐसा लगता है कि लोगों को कुछ आंतरिक मूल्यों से प्रेरित किया जाता है और हमारे शोध में, हम इस पर ध्यान देते हैं। हम इस विचार को देखते हैं कि लोगों के पास तथाकथित संरक्षित मूल्य हैं। एक सुरक्षित मूल्य केवल कोई भी मूल्य नहीं है। एक सुरक्षित मूल्य एक मूल्य है जिसकीआप कीमत चुकाने को तैयार हैं उस मूल्य को रखने हेतु। आप प्रलोभन में फंसे बिना कीमत चुकाने को तैयार हैं। और परिणाम यह होता है कि आप को अच्छा लगता है अगर आप एक तरह से आपके मूल्यों के अनुरूप पैसा कमाते हैं। मैं आपको यह फिर से दिखाता हूँ हमारे प्रिय कुत्ते के रूपक में यहाँ। अगर हम सॉसेज प्राप्त कर लेते हैं हमारे मूल्यों का उल्लंघन किए बिना, तो सॉसेज बेहतर स्वाद है। यही हमारे शोध से पता चलता है। अगर, दूसरी तरफ, हम ऐसा करते हैं -- अगर हम सॉसेज प्राप्त करते हैं और ऐसा करने में हम वास्तव में मूल्यों का उल्लंघन करते हैं, हम सॉसेज को कम महत्व देते हैं। मात्रात्मक रूप से, यह काफी शक्तिशाली है। हम इन सुरक्षित मूल्यों को माप सकते हैं, उदाहरण के लिए, एक सर्वेक्षण के उपाय के अनुसार। सरल, नौ विषय सर्वेक्षण इन प्रयोगों में काफी पूर्वानुमानित है। यदि आप औसतन जनसंख्या के बारे में सोचते हैं और फिर इसके चारों ओर वितरण है -- लोग भिन्न हैं,हम सभी भिन्न हैं। जिन लोगों के पास सुरक्षित मूल्यों का एक सेट है यह औसत से ऊपर एक मानक विचलन है, वे झूठ बोल कर प्राप्त धनराशि लगभग 25 प्रतिशत कम आँकते हैं। इसका मतलब है कि झूठ बोलने पर प्राप्त हुआ एक डॉलर उनके लिए केवल 75 सेंट का है बिना किसी प्रोत्साहन के उनके लिए ईमानदारी से व्यवहार करना। यह उनकी आंतरिक प्रेरणा है। वैसे, मैं एक नैतिक प्राधिकारी नहीं हूँ मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मेरे पास ये सब सुंदर मूल्य हैं, ठीक? पर मुझे रुचि है कि लोग कैसे व्यवहार करते हैं और हम मानव स्वभाव में उस समृद्धि का लाभ कैसे उठा सकते हैं वास्तव में हमारे संगठनों के कामकाज सुधारने के लिए। तो दो बहुत ही भिन्न दृष्टांत हैं। एक ओर , आप लाभ और लागतों का हवाला दे सकते हैं और उनसे लोगों को व्यवहार करवाने की कोशिश कर सकते हो। दूसरी ओर, आप उन लोगों का चयन कर सकते हैं जिनके पास मूल्य हैं और वांछनीय विशेषताऐं, बेशक - दक्षताएं जो आपके संगठन के अनुरूप जाएं। मुझे अभी तक नहीं पता है ये सुरक्षित मूल्य वास्तव में कहाँ से आते हैं। क्या यह शिक्षा है या प्रकृति? जो मैं आपको बता सकता हूं यह है कि वितरण पुरुषों और महिलाओं के लिए बहुत ही समान दिखता है। यह काफी समान है उन लोगों के लिए जिन्होंने अर्थशास्त्र का अध्ययन किया था या जिन लोगों ने मनोविज्ञान का अध्ययन किया। यह विभिन्न आयु वर्गों के लिए भी बिल्कुल वैसा ही है वयस्कों में। पर मैं अभी तक नहीं जानता यह जीवनभर कैसे विकसित होता है। यह भविष्य में अनुसंधान का विषय होगा। मेरे विचार से प्रलोभन का हवाला देना ठीक तो है। मैं एक अर्थशास्त्री हूं; मैं निश्चित रूप से विश्वास करता हूं कि प्रलोभन काम करते हैं। लेकिन सही लोगों के चयन बारे भी सोचें इसकी अपेक्षा कि पहले लोगों को रखें और फिर प्रलोभन दें। सही लोगों का सही मूल्यों के साथ चयन लम्बे समय तक काम आता है आपको मुसीबत से बचाने और बहुत सा पैसा बचाने में आपके संगठनों में। दूसरे शब्दों में, लोगों के चयन को प्राथमिकता देना लाभकारी होगा । धन्यवाद। (तालियॉँ ) मै भयभीत हूँ। अभी इस मंच पर, मै भय महसूस कर रहा हूँ । जीवन मे, मै ऐसे बहुत कम लोगों से मिला हूँ जो ये स्वीकार करते हैं कि वो भयभीत हैं । और ऐसा इसलिए क्यूंकि वो जानते हैं कि ये कितनी आसानी से फैलता है. जैसा आप सभी जानते हैं, भय एक बीमारी की तरह है जो किसी जंगल की आग कि तरह फैलता है. लेकिन तब क्या होता है जब आप डरे हुए होते हो, लेकिन आप वही करते हो जो आपको करना है ? उसे ही साहस कहते हैं . और डर की तरह ही , साहस भी एक संक्रामक रोग है. मैं पूर्वी सेंट लुइस, इलेनॉइस से हूँ. जोकि एक छोटा शहर है मिसिसिप्पी नदी के पार सेंट लुइस, मिसौरी से मै अपनी सारी उम्र सेंट लुइस मे या उसके आस - पास ही रहा हूँ. जब माइकल ब्राउन जूनियर, एक साधारण सा किशोर, जिसे पुलिस ने 2014 मे गोली मार दी थी फ़र्गुसन, मिसौरी मे जोकि उत्तरी सेंट लुइस मे एक छोटी बस्ती है मै सोचता हूँ कि वो पहला नहीं था जिसे वहां कि कानूनी संस्था ने मार दिया था लेकिन उसकी मौत औरों से अलग थी क्यूंकि जब माइक को मारा गया था, मुझे याद है डर को हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया था पुलिस ने एक शोकग्रसित समुदाय के खिलाफ बल प्रयोग किया उन्हें डराने के लिए : सैन्य पुलिस का भय, कारावास, जुर्माना आदि लगाया. मीडिया ने भी कोशिश की हमें एक-दूसरे से डरने के लिए कहानी को घुमा कर पेश किया और ये सभी बातें उनके पक्ष मे गयी. लेकिन जैसा मैंने कहा था इस बार ये अलग था. माइकल ब्राउन कि मौत और समुदाय का उपचार फ़र्गुसन और सेंट लुइस मे विरोध प्रदर्शन का कारण बना. जब मुझे चौथे या पांचवे दिन इस विरोध प्रदर्शन के बारे मे मालूम चला यह साहसिक तो था ही ; यह अपराधबोध से मुक्त था. आप जानते हैं मेरी छवि काली है. मुझे नहीं पता मैंने ऐसा क्यूँ कहा. (हास्य) लेकिन मै सेंट लुइस मे नहीं रुक सकता था जो, फ़र्गुसन से कुछ मिनट ही दूर है, मै ये देखे बिन नहीं रह सकता था इसलिए मै तुरंत ही वहां के लिए निकल पड़ा जब मै वहां पहुंचा, मैंने कुछ आश्चर्यजनक देखा लोगों मे गुस्सा था ; और बहुत ज्यादा था लेकिन मैंने उससे भी ज्यादा प्यार देखा लोग का आपस मे प्रेम अपने समुदाय के प्रति प्रेम और ये बहुत खूबसूरत था -- जब तक पुलिस नहीं आयी थी फिर बातचीत मे एक नयी भावना का समागम हुआ भय मेरा यकीन करिए; जब मैंने उन सैन्य वाहनों उस पर लगे हथियार, और उन बंदूकों, और उन सभी पुलिस वालों को देखा तो मै डरा हुआ था खुद मे और मैंने अपने आस-पास लोगों को देखा मैंने पाया बहुत से लोग मेरी तरह ही महसूस कर रहे हैं लेकिन मैंने उन सभी के भीतर कुछ और भी देखा वो था साहस वो सब चिल्ला रहे थे वे सभी चिल्लाये और वो पुलिस को देखकर पीछे हटने वाले नहीं थे क्यूंकि वो उस डर को पार कर चुके थे और तब मैंने अपने अन्दर कुछ महसूस किया मै भी चीखा और चिल्लाया और मेरे आस-पास के सभी लोग ऐसा ऐसा कर रहे थे और अब वहां डर जैसा कुछ नहीं था इसलिए मैंने कुछ और करने का सोचा मै घर वापस गया और सोचा मै कलाकार हूँ मैंने अभी तक सिर्फ बकवास कि है इसलिए मैंने विरोध के लिए विशिष्ट चीजों का निर्माण किया, चीजें जो इस आध्यात्मिक युद्ध मे हथियार का काम करेंगी चीजें जो लोगों को एक आवाज़ देंगी और जो उन्हें आगे बढ़ने मे मदद करेंगी मैंने योजना तैयार कि जिसमे मैंने लोगों के हाथों के चित्र लिए और उन्हें ऊपर - नीचे इमारतों पर और दुकानों मे हर जगह लगाया मेरा लक्ष्य लोगों मे जागरूकता और मनोबल बढ़ाना था और मैंने एक मिनट के लिए सोचा और फिर वही किया फिर मैंने सोचा, मैं उत्थान करना चाहता हूं इन लोगों की कहानियों का उस क्षण मै साहसिक महसूस कर रहा था और मै मेरा मित्र निर्माता और भागीदार सब्बह फोलायन ने एक वृत्त चित्र बनाया, " हूज स्ट्रीट्स ?" मैं एक वाहक बन गया ये जो साहस मुझे प्राप्त हुआ था और मै सोचता हूँ एक कलाकार के रूप मे ये हमारा काम था मुझे लगता है कि हमें वाहक होना चाहिए उस सहस का जिसकी हम बात करते हैं और मुझे लगता है कि हम दीवार हैं सामान्य लोगों और उन लोगों के बीच जो भय और घृणा फैलाते हैं विशेषकर ऐसे समय मे. इसलिए मै आपसे पूछना चाहता हूँ क्यों, वो सभी पहल करने वाले, जो सोच से जन नेता हैं आप सब क्या करना चाहते हो उन उपहारों से जो आपको दिए गए हैं हमे हर दिन डरा कर तोड़ना चाहते हो ? क्यूंकि मै हर दिन डरा हुआ महसूस करता हूँ मुझे नही याद है कि कब मै डरा हुआ नहीं था एक बार मुझे ये मालूम चल जाये कि ये डर मुझे अपंग बनाने के लिए नही है ये मेरी सुरक्षा के लिए है और इस डर का उपयोग मै कैसे करूं, तब मै शक्तिशाली महसूस करूँगा धन्यवाद ( सराहना ) यहाँ एक दिलचस्प तथ्य है¶ सुसान पिंकर विकसित दुनिया में, हर जगह, महिलाएं पुरुषों की तुलना में औसतन छह से आठ वर्ष अधिक जीवित रहती हैं। छह से आठ वर्ष अधिक लम्बे समय यह, एक विशाल अंतर जैसा है, 2015 में, "लैनसेट" ने एक लेख प्रकाशित किया एवं दर्शाया कि अमीर देशों में पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा मरने की संभावना किसी भी उम्र में दुगुनी होती है। लेकिन दुनिया में एक स्थान है¶ जहां पुरुष उतने दीर्घायु होते हैं हैं जितना कि महिलाऐं। यह एक दूरस्थ, पहाड़ी क्षेत्र है, एक नीला क्षेत्र, जहां बहुत अधिक लंबी उम्र दोनों लिंगों के लिए आम बात है। यह सारडिनिया में नीला क्षेत्र है, भूमध्य में एक इतालवी द्वीप, कोर्सिका और ट्यूनीशिया के बीच, जहां छह गुना शतायु व्यक्ति (सौ वर्ष के व्यक्ति) अधिक हैं इतालवी मुख्य भूमि से , यह 200 मील से कम दूरी पर है। वहाँ उत्तर अमेरिका से दस गुना अधिक शतायु व्यक्ति हैं। यह एकमात्र स्थान है जहां पुरुष व महिलाऐं उतने ही दीर्घायु होते हैं। पर क्यों¶ मेरी जिज्ञासा उत्पन हो गयी थी। मैंने उन स्थानों और उन जगहों की आदतों पर शोध करने का निर्णय लिया, और मैंने आनुवंशिक प्रोफाइल से शुरुआत की। मैंने जल्दी ही पाया कि दीर्घायु के लिए 25 प्रतिशत भूमिका आनुवंशिक है। बाकी 75 प्रतिशत भूमिका जीवन शैली की है। तो 100 या उससे ऊपर जीने के लिए क्या चाहिए?¶ वे सही क्या कर रहे हैं? आप जो देख रहे हैं, गांव का एक हवाई दृश्य है। यह नीले क्षेत्र के उपरिकेंद्र पर एक गांव है जहां मैं यह जांच करने गई, और जैसा कि आप देख सकते हैं, स्थापत्य सौंदर्य इसका मुख्य गुण नहीं है, घनत्व है: बहुत साथ-साथ सटे मकान, एक दूसरे से जुड़ी मध्यवर्ती गलियां व सड़कें। इसका मतलब है कि ग्रामीणों के जीवन लगातार अन्तर्निहित हैं। और जैसे ही मैं गांव से गुज़री, मैं महसूस कर सकी कि सैंकड़ो आंखें मुझे दरवाज़ों व् पर्दों, एवं किवाड़ों के पीछे से देख रही हैं। क्योंकि सभी प्राचीन गांवों की तरह, विलाग्रांडे बच नहीं सकता था इस संरचना के बिना, इसकी दीवारों के बिना, इसके गिरजाघर के बिना, इसके गांव चौक के बिना, क्योंकि रक्षा और सामाजिक सामंजस्य ने इसकी संरचना को परिभाषित किया हुआ था। जैसे ही हम औद्योगिक क्रांति की दिशा में चले तो शहरी प्राथमिकताएं बदल गईं¶ क्योंकि संक्रामक रोग उन दिनों खतरा बन गया। लेकिन अब क्या? अब, सामाजिक अलगाव हमारे समय का सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम है। अब, आबादी के एक तिहाई लोग कहते हैं निर्भरता के नाम पर उनके पास दो या उससे कम लोग हैं। लेकिन इसके विपरीत आओ अब हम विलाग्रांडे गांव चलें ¶ कुछ शतायु व्यक्तिओं को मिलने चलें। जियुसेपे मुरीनु को मिलिए वह 102 वर्ष का है, एक महान शतायु व्यक्ति¶ और विलाग्रांडे गांव का एक आजीवन निवासी। वह एक विनम्र सुसामाजिक आदमी था। उसे कथाएँ बताना अच्छा लगता था, जैसे वह एक पक्षी जैसे कैसे रहता था जिससे जंगल में वह कुछ ढूँढ सका एक नहीं बल्कि दो विश्व युद्धों के दौरान, कैसे वह और उसकी पत्नी, जो 100 वर्ष से भी अधिक जीवित् रही , ने छह बच्चों का एक छोटे, घरेलू रसोईघर में पालन पोषण किया, जहां मैंने उससे मुलाकात की। यहाँ वह अपने बेटों एंजेलो और डॉमिनिको के साथ है, दोनों अपने 70 के दशक में और उनके पिता की देखभाल करते हुए, और जो काफी स्पष्ट रूप से मेरे और मेरी बेटी, के प्रति बहुत संदेहशील थे इस शोध यात्रा पर जो मेरे साथ आई थी क्योंकि सामाजिक सामंजस्य का दूसरा पहलू अजनबी और बाहरी लोगों से सावधान रहना है। लेकिन जियुसेप, वह बिल्कुल शंकायुक्त नहीं था। वह एक खुश-भाग्यशाली अल्हड़ , एक सकारात्मक दृष्टिकोण वाला बहुत बहिर्गामी आदमी था। और मुझे आश्चर्य है: यही व्यवहार ही है जो 100 वर्ष या उस से आगे जीने का राज़ है , सकारात्मक सोच? दरअसल नहीं। (हँसी)¶ गियोवन्नी कोरीस से मिलें, वह 101 वर्ष का है,¶ जितनोसे मैं अब तक मिला हूँ उन सबसे क्रोधी, तुनुकमिज़ाज व्यक्ति। (हँसी)¶ और उन्होंने इस धारणा को झुठलाया¶ कि आपको एक लंबा जीवन जीने के लिए सकारात्मक होना चाहिए। और इसके लिए प्रमाण है। जब मैंने उससे पूछा कि वह इतने लंबे समय तक जीवित क्यों है, उसने मुझे देखा ढके हुए पलकों के नीचे और वह गुर्राया, किसी को मेरे रहस्यों को जानने की ज़रूरत नहीं है।" (हँसी)¶ लेकिन चिड़चिड़ा या कटु होने के बावजूद,¶ भतीजी जो उसके साथ रहती थी और उसकी देखभाल करती थी उसे "इल टेशोरो", "अपना खज़ाना " कहती थी"। और वह उसे सम्मान देती थी एवं प्यार करती थी , और उसने मुझे बताया, जब मैंने सवाल किया कि यह स्पष्ट उसकी स्वतंत्रता पर आघात था, "आप नहीं समझते न? इस आदमी की देख भाल करना मेरा आनंद है। यह मेरे लिए एक बड़ा विशेषाधिकार है। यह मेरी विरासत है। " और वास्तव में, जहां कहीं भी मैं इन शतायुयोँ के साक्षात्कार के लिए गई, मुझे एक रसोई पार्टी मिली । यहां दो भतीजीओं के साथ जियोवानी है, उसके ऊपर मारिया और उसके बगल में उसकी बड़ी भतीजी सारा, जो वहां ताजे फल और सब्जियां लाने आयीं जब मैं वहां थी। और मुझे जल्दी ही वहाँ रह कर पता चल गया कि नीले क्षेत्र में, जैसे ही लोगों की उम्र बढ़ती है , और वास्तव में उनके जीवन काल में, वे हमेशा घिरे रहते हैं विस्तरित परिवार द्वारा, मित्रों द्वारा, पड़ोसियों द्वारा, पुजारी, मधुशाला नौकर, किरानेवाले द्वारा। लोग हमेशा वहां रहते हैं या आते रहते हैं वे कभी एकाकी जीवन जीने के लिए नहीं छोड़े जाते हैं। यह सब विकसित दुनिया के विपरीत है, जहां जॉर्ज बर्न्स ने चुटकी ली, "अन्य शहर में एक बड़ा, प्यार व परवाह करने वाले परिवार में ख़ुशी है।" (हँसी)¶ अब, अभी तक हम केवल पुरुषों से मिले हैं,¶ दीर्घायु पुरुष, लेकिन मैं महिलाओं से भी मिली, और यहां आप ज़िया टेरेसा को देखते हैं। उसने 100 वर्ष आयु के पार होते हुए मुझे स्थानीय विशेष चाय बनानी सिखाई, जिसे किलुर्जिनेस कहा जाता है, जो ये बड़ी पास्ता जेबें हैं इस आकार रैवियोली की तरह, यह आकार, और वे भरे हुए हैं उच्च वसा रिकोटाऔर पुदीना के साथ और टमाटर सॉस में भीगा हुआ। और उसने मुझे दिखाया कि उसे कैसे ठीक तरह से मोड़े ताकि वह खुले नहीं , और वह हर रविवार उन्हें अपनी बेटियों के साथ मिल कर बनाती है और उन्हें पड़ोसियों और दोस्तों में दर्जनों के हिसाब से बाँट देती है। और तब मुझे पता चला एक कम वसा, लासा मुक्त आहार नीले क्षेत्र में 100 वर्ष रहने के लिए नहीं चाहिए। (तालियां)¶ अब, इन शतायुयोँ की कहानियां एवं उसके पीछे के विज्ञान ने ¶ मुझे खुद से भी कुछ सवाल पूछने के लिए प्रेरित किया, जैसे, जब मैं मरने वाली हूँगी और मैं उस दिन को कैसे टाल कर सकती हूँ? और जैसा कि आप देखेंगे, इसका उत्तर वह नहीं है जो हम उम्मीद करते हैं। जूलियन होल्ट-लुनस्टैडब्रिघम यंग विश्वविद्यालय में एक महिला शोधकर्ता है और उसने इस प्रश्न का संज्ञान, अध्ययनों की एक श्रृंखला में, हजारों मध्यम आयु वर्ग बहुत कुछ यहां के श्रोतागणों की तरह लोगों का लिया। और उसने उनकी जीवन शैली के हर पहलू को परखा: उनका आहार, उनका व्यायाम, उनकी वैवाहिक स्थिति, कितनी बार वे डॉक्टर के पास गए, क्या उन्होंने धूम्रपान किया या शराब पी, इत्यादि। उसने यह सब रिकॉर्ड किया और फिर उसने और उसके सहयोगियों ने सात साल तक कठोर इंतजार किया देखने के लिए कि अभी भी कौन जिन्दा है। और जो लोग बच गए थे, उनके मरने के अवसर को किसने सबसे कम किया? वह उसका सवाल था। तो अब उसकी आधार-सामग्री को सारांश में देखें,¶ सबसे कम शक्तिशाली से सबसे मजबूत भविष्यवक्ता की ओर बढ़ते हुए। ठीक? तो साफ हवा, जो महान है, यह भविष्यवाणी नहीं करती कि आप कब तक जीवित रहेंगे। आपके उच्च रक्तचाप का इलाज करवा लेना अच्छा है। अभी भी एक मजबूत भविष्यवाणी नहीं है। आप दुबले या अधिक वज़नी हो, इस बारे दोषी महसूस करना बंद कर सकते हैं, क्योंकि यह केवल तीसरे स्थान पर है। अगली बात है कि आपको कितना व्यायाम मिल रहा है, अभी भी केवल एक मध्यम भविष्यवक्ता चाहे आपके पास हृदय संबंधी घटना हो और पुनर्वसन में हैं और व्यायाम कर रहे हैं, अब अधिक ऊँचे हो रहे हो। चाहे आपने एक फ्लू के लिए टीकाकरण करवाया था। क्या कोई यहां जानता है कि एक फ्लू टीकाकरण आपको व्यायाम करने से अधिक सुरक्षा देता है? चाहे आप शराब पी रहे थे और छोड़ दी, या चाहे आप एक संयत शराबी हो, चाहे आप धूम्रपान नहीं करते या यदि आपने किया था, चाहे आपने छोड़ दिया हो, और शीर्ष भविष्यवाणियों की तरफ हो रही आपके सामाजिक जीवन की दो विशेषताएं हैं। पहली, आपके करीबी रिश्ते। ये लोग हैं जिन्हें आप ऋण के लिए कह सकते हैं अगर आपको अचानक पैसे चाहिए, जो डॉक्टर को फोन करेगा अगर आप अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं या जो आपको अस्पताल ले जाएगा, या जो आपके साथ बैठेंगे अगर आपको एक अस्तित्व का संकट हो रहा है, यदि आप निराश हैं। वे लोग, वह लोगों की छोटी सी पकड़, एक मजबूत भविष्यवक्ता हैं, यदि वे आपके पास है, कि आप कब तक रहेंगे। और फिर कोई चीज़ जिसने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया, कुछ जिसे सामाजिक अखण्डता कहा जाता है। इसका मतलब है किआप लोगों के साथ कितनी बातचीत करते हैं जैसे-जैसे आप अपने दिन को बिताते हैं। आप कितने लोगों से बात करते हैं? और ये आपके दोनों कमजोर और मजबूत बंधन दर्शाते हैं, तो वास्तव में न सिर्फ वे लोग आप जिनके करीब हैं, जो बहुत अर्थपूर्ण हैं, लेकिन, जैसे, क्या तुम ऐसेआदमी से बात करते हो जो हर दिन तुम्हारे लिए कॉफी बनाता है? क्या आप डाकिये से बात करते हैं? क्या महिला से बात करते हैं जो हर दिन कुत्ते के साथ आपके घर से गुज़रती है? क्या आप ब्रिज या पोकर खेलते हो? आपकी पुस्तक क्लब है ? इस तरह की बातचीत गतिविधियां सबसे मजबूत भविष्यवक्ताओं में से एक हैं कि आप कब तक जियेंगे। अब, यह मुझे अगले प्रश्न की ओर ले जाता है:¶ किसी भी अन्य गतिविधि की तुलना में अगर हम अब ऑनलाइन अधिक समय बिताते हैं, नींद सहित, हम अब एक दिन में 11 घंटे तक रहे हैं, वैसे, पिछले साल की तुलना में एक घंटा ज्यादा, क्या इससे कोई फर्क पड़ता है? क्यों भेद करें? व्यक्तिगत बातचीत के बीच और सोशल मीडिया के माध्यम से बातचीत में क्या यह वही बात है जैसे आप बच्चों के बीच में हैं या उदाहरण के लिए यदि अपने बच्चों से आप लगातार पत्र द्वारा संपर्क में हैं? खैर, इस प्रश्न का संक्षिप्त उत्तर " न" है, यह एक ही बात नहीं है। व्यक्तिगत संपर्क न्यूरोट्रांसमीटर का एक संपूर्ण झरना बहाता है, और एक टीकाकरण की तरह, वे वर्तमान में और भविष्य में अच्छी तरह से आपकी रक्षा करते हैं। तो बस किसी के साथ आँख संपर्क बनाने से , हाथ मिलाते हुए, किसी को पांच में से पांच अंक देना ऑक्सीटोसिन स्त्रावित करने के लिए पर्याप्त है, जो आपके विश्वास के स्तर को बढ़ाता है और यह आपके कॉर्टिसोल के स्तर को कम करता है। अतः यह आपके तनाव को कम करता है। और डोपामाइन उत्पन्न होता है, जो हमें थोड़ा अधिक देता है और यह दर्द को मारता है यह एक स्वाभाविक रूप से निर्मित अफ़ीम की तरह है। अब, यह सब हमारे सचेत रडार के नीचे से गुज़रता है,¶ इसलिए हम ऑनलाइन गतिविधि को असली चीज़ के साथ मिलाते हैं। लेकिन हमारे पास अब प्रमाण हैं, नए प्रमाण, कि एक अंतर है। तो चलो कुछ न्यूरोसाइंस को देखें मैरीलैंड विश्व-विद्यालय की तंत्रिका विज्ञानी एलिजाबेथ रेडके ने इस अंतर को जानने की कोशिश की कि हमारे दिमाग में क्या चल रहा होता है जब हम व्यक्तिगत रूप से बातचीत करते हैं या जब हम कुछ स्थिर वस्तु देख रहे होते हैं। और उसने क्या किया उसने मस्तिष्क प्रक्रिया की तुलना लोगों के दो समूहों के बीच की, एक वे लोग जिनके साथ साक्षात् व्यक्तिगत बातचीत की गयी या उसके एक अनुसंधान सहयोगी के साथ एक क्रियाशील बातचीत में, और उसने इसकी तुलना उन लोगों की मस्तिष्क गतिविधि से की, जो उसी विषय पर उसकी बात देख रहे थे, लेकिन एक डिब्बाबंद वीडियो में, जैसे यूट्यूब पर। और वैसे, अगर आप जानना चाहते हैं कि वह दो लोगों को एक ही समय में एक एम.आर.आई. स्कैनर में कैसे फिट करती है, तो मुझसे बाद में बात करना। तो क्या अंतर है?¶ यह वास्तविक सामाजिक संपर्क पर आपका मस्तिष्क है। आप मस्तिष्क गतिविधि में अंतर देख रहे हैं जो व्यक्तिगत साक्षात् बातचीत और स्थिर सामग्री से बातचीत के बीच है। नारंगी में, आप मस्तिष्क क्षेत्रों को देखते हैं जो ध्यान से जुड़े हुए हैं, सामाजिक बुद्धिमत्ता -- इसका अर्थ है यह आशा करना कि कोई और क्या सोच रहा है, महसूस कर रहा है और योजना बना रहा है- और भावनात्मक इनाम। और ये क्षेत्र अधिक व्यस्त हो जाते हैं जब हम जीवित साथी के साथ बातचीत कर रहे होते हैं। अब, ये बहुमूल्य मस्तिष्क हस्ताक्षर¶ यही कारण होगा जिस से 500 भाग्यशाली कंपनियां के नियोक्ताओं ने प्रत्याशिओं का मूल्यांकन करते हुए सोचा कि प्रत्याशी तीव्रबुद्धि थे जब उन्होंने उनकी आवाज़ें सुनीं उस की अपेक्षा जब उनके केवल लिखित विवरण पढ़े उदाहरणार्थ या एक ई-मेल या एक पत्र। हमारी आवाज़ें और शरीर की भाषा अच्छे संकेत व्यक्त करते हैं। इससे पता चलता है कि हम विचारवान , संवेदनशील मनुष्य हैं जो एल्गोरिदम से बहुत अधिक हैं। अब निकोलस एप्पली द्वारा यह शोध शिकागो विश्वविद्यालय के व्यावसायिक विद्यालय से काफी आश्चर्यजनक है क्योंकि यह हमें एक सरल बात बताता है। अगर कोई आपकी आवाज सुनता है, वे सोचते हैं आप अधिक तीव्रबुद्धि हैं। मेरा मतलब है, यह एक साधारण बात है। अब, शुरुआत में लौटने के लिए,¶ महिलाएं पुरुषों से अधिक दीर्घायु क्यों हैं? और एक प्रमुख कारण यह है कि महिलाओं की अपने जीवन काल में व्यक्तिगत रूप से संबंधों को पहल देने व संवारने की संभावना अधिक है। हाल ही का प्रमाण दर्शाता है ये व्यक्तिगत मित्रताएं रोग और गिरावट के विरुद्ध एक जैविक शक्ति उत्पन करती है। और यह मनुष्यों के बारे में ही सच नहीं है बल्कि उनके और हमारे मूलभूत मनुष्य- सदृश जानवर संबंधों के बारे में भी। मानव विज्ञानी जोआन सिल्क का कार्य दर्शाता है कि महिला लंगूर जिनके पास महिला मित्र हैं वे कोर्टिसोल के स्तर के आधार पर तनाव के निम्न स्तर दिखाते हैं, वे दीर्घायु होती हैं और उनकी संताने अधिक जीवित होती हैं। कम से कम तीन स्थिर रिश्ते। यह जादुई संख्या थी। इसके बारे में सोचो। उम्मीद है आपके पास तीन हैं। इस तरह के आमने-सामने संपर्क की शक्ति¶ सामाजिक कार्यकर्ताओं में विक्षिप्त लोगों की सबसे कम दर का वास्तव में यही कारण है। अतः स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की बीमारी से बचने की संभावना एकाकी महिलाओं से चार गुना अधिक है। वे पुरुष जिन्हे आघात पहुंचा हो और जो नियमित रूप से पोकर खेलने या कॉफ़ी पीने के लिए या पुराने जमाने की हॉकी खेलने हेतु मिलते हैं - मैं कनाडियन हूं, आखिरकार - (हँसी)¶ वे उस सामाजिक संपर्क के द्वारा ¶ दवा की तुलना से बेहतर संरक्षित हैं। वे पुरुष जिन्हे आघात पहुंचा हो और जो नियमित रूप से मिलते हैं - यह कुछ बहुत शक्तिशाली है जो वे कर सकते हैं। यह आमने-सामने का संपर्क आश्चर्यजनक लाभ प्रदान करता है, फिर भी अब लगभग एक चौथाई आबादी कहती है कि उनके पास कोई बात करने वाला नहीं है। हम इस बारे में कुछ कर सकते हैं।¶ सर्दिनियाई ग्रामीणों की तरह, यह जानना एक जैविक रूप से अनिवार्य है कि हम भी संबंधित हैं, और न सिर्फ हमारे बीच की महिलाएं। हमारे शहरों में, हमारे कार्यस्थलों में, वैयक्तिक रूप से संपर्क हमारे एजेंडा में प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाती है , खून और मस्तिष्क के माध्यम से बढ़ता हुआ अच्छा हार्मोन भेजता है व हमें दीर्घायु में मदद करता है मैं इस निर्माण को आपका गांव कहती हूँ, और इसे निर्मित करना और इसे संभालना जीवन और मृत्यु का सवाल है। धन्यवाद। (तालियां)¶ हेलेन वाल्टर्स: सुसान, वापस आओ। मेरा आपसे एक सवाल है।¶ मैं सोचती हूँ क्या कोई बीच का मार्ग है। तो आप आमने-सामने संपर्क से न्यूरोट्रांसमीटर के बारे में बात करते हैं, पर डिजिटल प्रौद्योगिकी बारे क्या? हमने डिजिटल तकनीक में बहुत भारी सुधार देखा है जैसे कि "फेसटाइम", वैसे ही और चीजें। क्या यह भी काम करता है? मतलब, मैं भतीजे को देखता हूं। वह "माइन क्राफ्ट" खेलता और दोस्तों पर चिल्लाता है। लगता है वह बहुत अच्छी तरह संपर्क साधे है। क्या यह उपयोगी है? क्या यह सहायक है? सुसान पिंकर: कुछ आंकड़े अभी सिर्फ आ रहे हैं।¶ आंकड़े इतने नए हैं कि डिजिटल क्रांति घटित हुई और स्वास्थ्य आंकड़े पिछड़ गए । तो हम सिर्फ सीख रहे हैं, लेकिन मैं कहूंगी कुछ सुधार हैं जो कि हम प्रौद्योगिकी में कर सके। उदाहरण के लिए, आपके लैपटॉप पर कैमरा स्क्रीन के शीर्ष पर है, इसलिए उदाहरण के लिए, जब आप स्क्रीन में देख रहे हो, आप असल में नेत्र संपर्क नहीं बना रहे तो कुछ उतना सरल कि सिर्फ कैमरे में देखने से, उन न्यूरोट्रांसमीटर को बढ़ा सकते हैं, या शायद कैमरे की स्थिति बदल कर। तो इसमें समानता नहीं हैं , लेकिन हम प्रौद्योगिकी की मदद से बहुत करीब हैं। एचडब्ल्यू: महान बहुत बहुत धन्यवाद।¶ सपा: धन्यवाद।¶ (तालियां)¶ वह एक चीज़ क्या है जो कि इस कमरे में हर व्यक्ति बनने वाला है? ¶ बूढ़ा ! और हममें से ज्यादातर इस कठोर संभावना से डरे हुए हैं। यह शब्द आपको कैसा महसूस करवाता है? मैं उसी तरह महसूस किया करता था। मुझे सबसे ज्यादा चिंता क्या थी ? किसी गंभीर संस्थागत दालान में लार टपकाते हुए रहना। और फिर मुझे पता चला कि केवल चार प्रतिशत वृद्ध अमेरिकी नर्सिंग होम में रह रहे हैं, और प्रतिशत आंकड़ा गिर रहा है मुझे और क्या चिंता थी? पागलपन! पता चलता है कि हम में से अधिकांश सिर्फ अच्छे अंत की सोच सकते हैं। पागलपन की दरें भी गिर रही हैं। असली बड़ी भयंकर चिंता तो विस्मरण की है (हंसी) ¶ मुझे यह भी पता लगा कि वृद्ध व्यक्ति उदास निराश थे ¶ क्योंकि वे बूढ़े थे और वे जल्द ही मरने वाले थे। (हंसी) ¶ लोग जितने दीर्घायु होते हैं, उतना ही मृत्यु से कम डरते है, और यह कि लोग सबसे ज्यादा खुश, जीवन की शुरुआत और उसके अंत में होते हैं। इसे खुशी का यू-वक्र कहा जाता है, और यह दुनिया भर के दर्जनों अध्ययनों का परिणाम है। आपको बौद्ध या अरबपति होने की ज़रूरत नहीं है। वक्र मार्ग बढ़ती आयु की मस्तिष्क को प्रभावित करने की ही प्रक्रिया है। तो मुझे वृद्ध अवस्था अच्छी लगने लगी, ¶ और मेरे दिल में घर कर गयी कि लोग क्यों इन बातों को नहीं जानते हैं? इसका कारण आयुवाद है: उम्र के आधार पर भेदभाव और रूढ़िबद्ध। हम कभी ऐसा अनुभव करते हैं कि कोई हमें किसी चीज़ के लिए अधिक वृद्ध मानता है। यह जानने के बजाय कि हम कौन हैं और हम क्या करने में सक्षम हैं, या नौजवान या बहुत छोटे। आयुवाद दोनों तरीकों से हानिप्रद है। सभी-वाद सामाजिक रूप से निर्मित विचार: - नस्लवाद, लिंगवाद, समलैंगिकता - हैं। और इसका मतलब है कि हम उन्हें बनाते हैं, और वे समय के साथ बदल सकते हैं। ये सभी पूर्वाग्रह हमें एक-दूसरे के खिलाफ प्रदर्शन की यथास्थिति बनाए रखने के लिए, जैसे अमेरिकी ऑटो श्रमिकों की मेक्सिको ऑटो श्रमिकों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा, इसके बजाय कि बेहतर मजदूरी व्यवस्थित करें। (तालियां) ¶ हम जानते हैं कि संसाधनों को वंश या सेक्स अनुसार आवंटित करना ठीक नहीं है। ¶ तो वृद्ध व युवा की जरूरतों को एक दूसरे के विपरीत देखना क्यों ठीक है ? सभी पूर्वाग्रह "अन्य" पर निर्भर हैं - लोगों के एक समूह को स्वयं से अलग रूप में देखकर: अन्य जाति, अन्य धर्म,अन्य राष्ट्रीयता। आयुवाद के बारे में अजीब बात है: कि हम दूसरे हैं। आयुवाद इनकार पन पर पोषित होता है - स्वीकृति की हमारी अनिच्छा कि हम उतने वृद्ध व्यक्ति होने वाले हैं। यह अस्वीकृति है-हम छोटी उम्र के लिए समर्थन करने की कोशिश करते हैं या जब हम उम्र बढ़ने के विरोधी उत्पादों में विश्वास करते हैं, या जब हम महसूस करते हैं कि हमें अपने शरीर धोखा दे रहे हैं, बस क्योंकि वे बदल रहे हैं। पृथ्वी पर हम उम्र बढ़ने की अनकूलन शक्ति का जश्न मनाना बंद क्यों कर देते हैं हैं? जैसे हम जीवन में आगे बढ़ते हैं? अच्छी उम्र ढलने का अर्थ अपनी जवानी में दिखने व चलने के अनुरूप जूझते रहना क्यों होना चाहिए ? बूढ़ा कहलाना शर्मिंदगीपूर्ण है जब तक हम इस शर्मिंदगी धारणा को नहीं छोड़ते, और जीवन यापन भविष्य से डरते हुए करना स्वास्थ्यवर्धक नहीं है। जितनी जल्दी हम इस आयु वृद्धि के भूतिए पहिये से अपना पीछा छुड़वाएंगे हम उतने ही अच्छे होंगे। निस्संदेह रूढ़िवादी हमेशा गलत होते हैं, ¶ लेकिन विशेषकर जब यह उम्र की बात हो , क्योंकि जैसे ही हम दीर्घायु होते हैं, हम एक दूसरे से अधिक अलग बन जाते हैं। सही? इसके बारे में सोचो। और फिर भी, हम सेवानिवृत्ति घर में सभी को एक ही उम्र का ही मानते हैं : बूढ़ा - (हंसी) ¶ जब वे चार दशकों तक चले जा सकते हैं ¶ क्या आप इस तरह लोगों के समूह सोच की कल्पना कर सकते हैं ? 20 और 60 की उम्र के बीच? क्या आप पार्टी में हमउम्र लोगों की ओर अग्रसर होते हैं?¶ क्या आप कभी हकदार सहस्त्राब्दियों के बारे में बड़बड़ाये हो? क्या आपने कभी बाल कटवाने या रिश्ते या आउटिंग को इसलिए अस्वीकार किया है? क्योंकि यह उम्र उपयुक्त नहीं है? वयस्कों के लिए, ऐसी कोई चीज नहीं है। यह सभी व्यवहार उम्र से जुड़े हैं। हम सब उन्हें करते हैं, और हम पक्षपात को जानें बिना उसे चुनौती नहीं दे सकते। कोई भी जन्मजात उम्रवादी नहीं होता, लेकिन यह बचपन से ही शुरू हो जाता है, उसी समय ही नस्ल और लिंग के आधार पर दृष्टिकोण बनने प्रारम्भ हो जाते हैं। क्योंकि बढ़ती उम्र के नकारात्मक संदेशों की बौछार हम पर मीडिया और लोकप्रिय संस्कृति से हर मोड़ पर पड़ती है। ठीक है? झुर्रियां कुरूप हैं । बूढ़े लोग दयनीय होते हैं। बूढ़ा होना दुखदायी है। हॉलीवुड को देखो ¶ हाल ही के सर्वश्रेष्ठ चित्र नामांकन सर्वेक्षण में पाया गया कि केवल 12 प्रतिशत बोलने वालों या नामित चरित्रों उम्र 60 साल और ऊपर थी , और उनमें से कई विक्ष्पित रूप में चित्रित किये गए थे। वृद्ध लोग सबसे उम्र वादी हो सकते हैं , क्योंकि हमने एक जीवनकाल लिया है इन संदेशों को आंतरिक बनाने के लिए और हमने उनको चुनौती देने के लिए कभी नहीं सोचा है मुझे इसे स्वीकार करना पड़ा और मिली भगत बंद करो. उदाहरण के लिए, "वरिष्ठ क्षण" चुटकी लेता है मैंने चुटकी लेना बंद कर दी जब मुझे समझ आई, कि जब मैंने हाईस्कूल में कार की चाबी गुम की, तो मैंने इसे "जूनियर पल" नहीं कहा। (हंसी) ¶ मैंने 64 साल की उम्र में घुटने के दर्द को दोष देना बंद कर दिया। मेरा दूसरा घुटना नहीं दुखता, और यह उतनी ही उम्र का है। (हंसी) ¶ (तालियां) ¶ हम सभी बूढ़े होने के किसी पहलू को लेकर चिंतित हैं , ¶ चाहे पैसे की कमी हो, बीमार होना हो , अकेले रह जाना हो , और वे डर वैध और वास्तविक हैं। हमें अधिकांश को कभी आभास नहीं होता कि बुढ़ापे तक पहुंचने का अनुभव किसी संस्कृति के परिपेक्ष में बेहतर या बदतर हो सकता है जहां यह घटित होता है। यह एक योनि का होना नहीं है जो महिलाओं के लिए जीवन कठिन बनाती है। यह लिंगवाद है (तालियां) ¶ यह उस आदमी को प्यार करना नहीं जो समलैंगिकों का जीना कठिन बनाता है।¶ यह समलैंगिकों के प्रति भय है। यह समय के बीतने की बात नहीं है जो बूढ़े होने को इतना कठिन बनाता है जितना है नहीं। यह आयुवाद है। जब लेबल को पढ़ना कठिन होता है या कोई रेलिंग नहीं होती या हम जार नहीं खोल सकते, हम स्वयं को दोष देते हैं, अपनी उम्र को सफलतापूर्वक न ढलने की विफलता को, बजाय उस आयुवाद के जो प्राकृतिक बदलाव को शर्मनाक बनाता है और वह भेदभाव जो उन बाधाओं को स्वीकार्य बनाता है। आप संतुष्टि से पैसा नहीं बना सकते, लेकिन शर्म और डर बाजारों को बनाते हैं, और पूंजीवाद को हमेशा नए बाजारों की आवश्यकता होती है। कौन कहता है झुर्रियाँ बदसूरत हैं? अरबो डॉलरका त्वचा निगा उद्योग जगत ! कौन कहता है कि पेरिमेनोपॉज़ और कम टी और हल्के संज्ञानात्मक विकृति चिकित्सा सम्बन्धी परिस्थितयाँ हैं? ट्रिलियन-डॉलर औषधीय उद्योग जगत ! (तालियां) ¶ जितनी स्पष्टता से हम इन सक्रिय ताकतों को समझते हैं, ¶ विकल्प ढूंढ़ना उतना आसान हो जाता है और अधिक सकारात्मक और अधिक सटीक आख्यान। उम्र बढ़ना समस्या या बीमारी नहीं, जिसका समाधान ढूंढा जाना है या इलाज होना है। यह एक प्राकृतिक, शक्तिशाली, आजीवन प्रक्रिया है, जो हम सभी को एकजुट करती है। मुझे पता है संस्कृति को बदलना बहुत बड़ा कार्य है, लेकिन यह परिवर्तनशील है। ¶ देखिये महिलाओं की स्थिति मेरे जीवनकाल में कितनी बदल गई हैं या समलैंगिक अधिकार आंदोलन की अविश्वसनीय प्रगति जो कुछ दशकों में हुई , ठीक है? (तालियां) ¶ लिंग को देखो ¶ हम इसे द्विआधारी, पुरुष या महिला के रूप में सोचते थे, और अब हम समझते हैं कि यह एक स्पेक्ट्रम है। अब वृद्ध-युवा द्विआधारी प्रचलन समाप्त करने का भी उपयुक्त समय है। वृद्ध और युवा के बीच,रेत में कोई रेखा नहीं होती, जिसके बाद यह सब डाउनहिल है। उस विचार को चुनौती देने की हम जितनी लम्बी प्रतीक्षा करेंगे, उतना यह हमें स्वयं को एवं विश्व में हमारी स्थिति को हानि पहुंचाएगा, जैसे कर्मचारियों की संख्या में, जहां उम्र भेदभाव बड़े पैमाने पर है। सिलिकॉन वैली में, इंजीनियर बोटॉक्सेड और बाल-प्लग हो रहे हैं मुख्य साक्षात्कार से पहले - ये तीस के कुछ ऊपर की आयु के कुशल श्वेत पुरुष हैं, तो पूरी भोजन श्रृंखला में प्रभावों की कल्पना करें। (हंसी) ¶ व्यक्तिगत और आर्थिक परिणाम विनाशकारी हैं। ¶ वृद्ध श्रमिकों के बारे में कोई एक रूढ़िबद्ध धारणा जांच में खरी नहीं उतरती। कंपनियां अनुकूलनीय और रचनात्मक नहीं हैं क्योंकि उनके कर्मचारी युवा हैं; इसके बावजूद वे अनुकूलनीय और रचनात्मक हैं। कंपनियां - (हंसी) ¶ (तालियां) ¶ हम जानते हैं कि विविध कंपनियाँ सिर्फ काम के लिए अच्छी जगह नहीं हैं; ¶ वे बेहतर काम करती हैं। और बस नस्लऔर सेक्स की तरह, उम्र विविधता के लिए एक कसौटी है। आकर्षक अनुसंधान का उभरता संगठन ¶ दिखाता है कि बढ़ती उम्र का दृष्टिकोण दिमाग और शरीर क्रिया प्रणाली को कोशिका स्तर पर कैसे प्रभावित करता है? जब हम इस तरह वृद्ध लोगों से बात करते हैं उन्हें "स्वीटी" या "युवती" कहते हैं - इसे "एल्डर स्पीक" कहते हैं वे तत्काल वृद्ध , चलने एवं बातें करने में कम सक्षम प्रतीत होती हैं । बढ़ती उम्र से जुडी अधिक सकारात्मक भावना वाले लोग तेज़ चलते हैं, उनकी स्मरण शक्ति बेहतर होती है , वे जल्दी स्वस्थ होते हैं और वे दीर्घ आयु होते हैं। यहां तक कि दिमागी हालात से उलझनों में होते हुए कुछ लोग अंत तक सतर्क रहे। उनमें खास सामान्य बात क्या थी? उद्देश्य की भावना। और जीवन में देरी से उद्देश्य की भावना बनाने में सबसे बड़ी बाधा क्या है? एक संस्कृति जो हमें बताती है कि वृद्ध होने का अर्थ मंच के पीछे फेर बदल करना है। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन एक वैश्विक आयुवाद-विरोधी पहल विकसित कर रहा है जो न केवल जीवन अवधि लेकिन स्वास्थ्य अवधि विस्तार करने के लिए भी है। महिलाएं आयुवाद और लिंगवाद की दोहरी मार झेलती हैं, तो हम बढ़ती उम्र को अलग तरह से अनुभव करते हैं। यहां काम पर एक डबल मानक है - सदमा लगा ! (हंसी) ¶ यह धारणा कि बढ़ती उम्र पुरुषों को बढ़ावा देती है व स्त्रियों को कम आंकती है ¶ महिला इस डबल मानक को मजबूत करते हैं जब हम युवा रहने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, एक और दन्डित करने वाला एवं हारने का प्रस्ताव। क्या इस कमरे में कोई महिला वास्तव में विश्वास करती है कि वह किसी से कम है - कम दिलचस्प, बिस्तर में कम मस्त, कम मूल्यवान - - उससे कम जैसी महिला वह पहले जवानी में थी? यह भेदभाव हमारे स्वास्थ्य को, हमारी भलाई और आय प्रभावित करता है, और यह प्रभाव समय के साथ-साथ बढ़ जाते हैं। नस्ल व वर्ग उसको और भी पेचीदा कर देते हैं यही कारण है कि, हर जगह दुनिया में, गरीबों में सबसे गरीब रंग भेदभाव वाली महिलाएं बूढ़ी हैं। उस मैप से लेना क्या है? ¶ 2050 तक, हम में से पांच में से एक, लगभग दो अरब लोग, 60 वर्ष और ऊपर आयु के होंगे। दीर्घायु मानव प्रगति की मौलिक कसौटी है। ये सभी बुजुर्ग एक विशाल अभूतपूर्व और अप्रयुक्त बाजार का प्रतिनिधित्व करते हैं। और फिर भी, पूंजीवाद और शहरीकरण उम्र पूर्वाग्रह चालित है दुनिया के हर कोने में, स्विट्जरलैंड जहां बुजुर्ग सबसे अच्छे रहते हैं, से लेकर अफगानिस्तान तक जहां वैश्विक वृद्ध देखभाल सूचांक सबसे निम्न स्तर पर है। दुनिया के आधे देशों का उस सूची में उल्लेख नहीं किया गया है। क्योंकि हम लाखों लोगों पर आंकड़े एकत्रित करने की परवाह नहीं करते है, क्योंकि वे अब युवा नहीं हैं। दुनिया भर के 60 वर्ष की आयु से अधिक लगभग दो-तिहाई लोग कहते हैं कि उन्हें स्वास्थ्य सेवा में परेशानी है। लगभग तीन-चौथाई कहते हैं कि उनकी आय बुनियादी सेवाओं जैसे भोजन, पानी, बिजली और सभ्य आवास के लिए प्रयाप्त नहीं है। क्या हम ऐसी दुनिया चाहते है, अपने बच्चों के लिए , जो सौ साल जी सकते हैं, उत्तराधिकारी बनने के लिए? सब लोग - सभी उम्र,सभी लिंग, सभी राष्ट्रीयताएं - पुरानी या भविष्य में पुरानी होने वाली है, और जब तक हम इसे खत्म नहीं करते, आयुवाद हम सब पर अत्याचार करेगा। और यह इसकी सामूहिक वकालत के लिए एक सही लक्ष्य बना देता है। क्यों सूची में एक और -वाद को जोड़े जब बहुत से, विशेष रूप से नस्लवाद, ¶ कार्यवाही हेतु पहले से अपेक्षित हैं? यही बात है: हमें चुनना नहीं है। जब हम दुनिया को दीर्घायु हेतु बेहतर स्थान बनाते हैं, हम इसे एक बेहतर स्थान बनाते हैं जिसमें कहीं और से होना हो, विकलांग होना, विचित्र होना, गैर-समृद्ध होना, गैर-सफेद होना और जब हम सभी उम्र में दिखाते हैं जो भी कारण हमारे लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है - व्हेल बचाओ, लोकतंत्र बचाओ - हम उस प्रयास को न केवल और अधिक प्रभावी बनाते हैं, बल्कि हम इस प्रक्रिया में आयुवाद को विघटित करते हैं। दीर्घायु यहाँ रहने ही वाली है¶ आयुवाद समाप्त करने के लिए आंदोलन चल रहा है। मैं इसमें हूँ, और मुझे आशा है कि आप मुझसे जुड़ेंगे। (तालियाँ और वाह-वाह!) ¶ धन्यवाद। आओ इसे करें! आओ इसे करें! ¶ (तालियां) ¶ एक कंबोडियन अनाथालय में स्वयं सेविका के रूप में ये मेरे कुछ फ़ोटो हैं। 2006 में। जब ये तस्वीरें ली गईं, मैंने सोचा कि मैं सच में अच्छा कार्य कर रही थी मैं वास्तव में उन बच्चों की मदद कर रही थी। मुझे बहुत कुछ सीखना था। यह सब मेरे लिए तब शुरू हुआ जब मैं 19 वर्ष की थी व दक्षिण पूर्व एशिया से मैंने वापसी की त्यारी की। जब मैं कंबोडिया पहुंची, छुटिओं पर होते हुए स्वयं को इतना गरीबी से घिरी हुई पाकर मुझे असहज लगा और बदले में देने के लिए कुछ करना चाहती थी। अतः मैंने कुछ अनाथालयों का दौरा किया और कुछ कपड़े और किताबें दान की और कुछ पैसे उन बच्चों की मदद के लिए जो मुझे मिले। लेकिन उनमें से एक अनाथालय जिसका मैने दौरा किया बेहद ही गरीब था। मैंने अपने जीवन में इतनी गरीबी का सामना पहले कभी नहीं किया था। उनके पास पर्याप्त धन नहीं था भोजन के लिए , स्वच्छ जल के लिए या चिकित्सा उपचार के लिए, और उन बच्चों के उदास छोटे चेहरे हृदय विदारक थे। मैं उनकी कुछ और सहायता करने हेतु मजबूर हो गयी। मैंने ऑस्ट्रेलिया में फंड जुटाया और अगले वर्ष कंबोडिया लौट आई अनाथालय में कुछ माह के लिए स्वयंसेविका कार्य हेतु। मैंने अंग्रेजी पढ़ाई और पानी के फिल्टर और भोजन खरीदा और सभी बच्चों को उनके जीवन में पहली बार दंत चिकित्सक के पास ले गई। लेकिन अगले वर्ष के दौरान, मुझे पता चला कि यह अनाथालय जिसका मैं समर्थन कर रही थी बहुत भ्रष्ट था। इसका निर्देशक अनाथालय को दान में प्राप्त पूरी धनराशि का गबन कर रहा था। और मेरी अनुपस्थिति में, बच्चे इतने भारी उपेक्षित थे कि वे अपने पेट भरने के लिए चूहों को पकड़ने के लिए बाध्य थे। मुझे बाद में यह भी पता चला कि निर्देशक बच्चों का शारीरिक और यौन शोषण किया करता था। मैं उन बच्चों से मुँह नहीं मोड़ सकती थी जिनसे मेरा परिचय हुआ था जिनकी मैंने देखभाल की थी और ऑस्ट्रेलिया जिंदगी जीने हेतु वापिस चली आती। इसलिए मैंने एक स्थानीय टीम और अधिकारियों के साथ काम किया। एक नया अनाथालय स्थापित करने और बच्चों को बचाने के लिए उन्हें नया सुरक्षित घर देने हेतु काम किया। लेकिन अब यहां मेरी कहानी अन्य अप्रत्याशित मोड़ लेती है। जैसे ही मैंने अपने नए जीवन को कंबोडिया में एक अनाथालय चलाते हुए ढाला मैंने ख्मेर को धारावाहिक प्रवाह से बोलना सीखा, जिसका अर्थ है कि मैंने ख्मेर भाषा को धारावाहिक प्रवाह से बोलना सीखा। और जब मैं बच्चों के साथ ठीक से संवाद कर पाई, मैंने कुछ अजीबो-गरीब बातें पता लगानी शुरू कर दीं। बहुत सारे बच्चे जिन्हें हमने अनाथालय से हठाया था वास्तव में, बिल्कुल अनाथ ही नहीं थे। उनके माता-पिता थे, और थोड़े से जो अनाथ थे उनके अन्य रिश्तेदार थे जैसे दादा दादी और चाचियाँ व चाचे और अन्य भाई-बहन। तो ये बच्चे अनाथालय में क्यों रह रहे थे?¶ जब वे अनाथ नहीं थे? 2005 के बाद से कंबोडिया में अनाथालयों की संख्या में 75 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और कंबोडिया के अनाथालयों में रह रहे बच्चों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है, इस तथ्य के बावजूद कि इन अनाथालयों में रह रहे बहुधा बच्चे पारंपारिक दृष्टि से अनाथ नहीं हैं। वे गरीब परिवारों के बच्चे हैं। तो अगर अनाथालयों में रह रहे बहुधा बच्चे अनाथ नहीं हैं, तो शब्द "अनाथालय" वास्तव में एक आवासीय देखभाल संस्था के लिए सिर्फ एक मज़ेदार नाम है। ये संस्थाएं अन्य नामों से भी जानी जाती हैं, जैसे "आश्रय", "सुरक्षित घर," "बाल भवन, " "बाल ग्राम," यहां तक ​​कि "बोर्डिंग स्कूल।" और यह समस्या केवल कंबोडिया तक सीमित नहीं है। यह मानचित्र कुछ देशों को दर्शाता है जहां नाटकीय ढंग से वृद्धि हुई है आवासीय देखभाल संस्थानों की संख्या में और बहुधा बच्चों को संस्थागत किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, युगांडा में, संस्थाओं में रहने वाले बच्चों की संख्या में 1992 से 1,600 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। और संस्थानों में बच्चों को डालकर उत्पन्न हुईं समस्याएं केवल ऐसी भ्रष्ट और अपमानित संस्थानों से संबंधित नहीं हैं जिस तरह की संस्था से मैंने बच्चों को बचाया। समस्याएं सभी प्रकार की आवासीय देखभाल संस्थानों के साथ हैं। 60 वर्षों से अधिक अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान ने हमें दर्शाया है वे बच्चे जो कि संस्थानों में पलते व बड़े होते हैं, यहां तक ​​कि बहुत ही बेहतरीन संस्थान भी, गंभीर जोखिम से भरे हैं मानसिक बिमारियों के विकास के लिए , लगाव विकार, विकास और भाषण विलंब, और कई असमर्थता से संघर्ष करेंगे एकीकरण के लिए समाज वापसी में जीवन में बाद के पड़ाव में और वयस्कों के रूप में स्वस्थ संबंध बनाने में। ये बच्चे किसी भी पारिवारिक मॉडल के बिना बड़े होते हैं या अच्छा लालन पालन कैसा होता है , तो वे फिर अपने बच्चों के लालन पालन के लिए संघर्ष करते रह सकते हैं। इसलिए यदि आप बड़ी संख्या में बच्चों को संस्थागत करते हो, तो यह न केवल इस पीढ़ी को प्रभावित करेगा, लेकिन आने वाली कई पीढ़िओं को भी। हमने ये सबक ऑस्ट्रेलिया में पहले सीखें हैं। यही तो हुआ हमारी "चुराई गयी पीढ़ियों" के साथ वे स्वदेशी बच्चे जिन्हें अपने परिवारों से हटा दिया गया था इस विश्वास के साथ कि हम बेहतर कार्य कर सकते हैं अपने बच्चों को पालने पोसने हेतु। बस एक पल के लिए कल्पना करो एक बच्चे के लिए आवासीय देखभाल कैसी होगी? सब से पहले, देखभाल कर्ता की निरंतर अदला बदली, जैसे कि हर आठ घंटे बाद नए कार्यकर्ता का बदलाव। और फिर ऊपर से आगंतुकों की लगातार आवा जावी। और स्वयंसेवकों का आना, उस प्यार और स्नेह को बखेरना जिसके लिए आप तरस रहे हैं और फिर से छोड़ कर जाना, परित्याग की उन सभी भावनाओं को आह्वान करना और बार-बार साबित करना कि आप प्यार पाने योग्य नहीं हैं। अब हमारे यहाँ ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन में अनाथालय नहीं हैं, और इसका बहुत अच्छा कारण है: एक अध्ययन से पता चला है कि संस्थाओं में पाले पोसे युवा वयस्कों की अपने साथियों की अपेक्षा वैश्यावृत्ति में फंसने की दस गुना अधिक संभावना है, आपराधिक रिकॉर्ड की 40 गुना अधिक संभावना है, और 500 गुना अधिक संभावना है. आत्महत्या की। दुनिया भर में अस्सी लाख अनुमानित बच्चे अनाथालय जैसी संस्थाओं में रह रहे हैं, इस तथ्य के बावजूद कि उनमें से लगभग 80 प्रतिशत अनाथ नहीं हैं। ज्यादातर बच्चों के परिवार हैं जो उनकी देखभाल कर सकते थे अगर उनके पास सही समर्थन हो तो। लेकिन मेरे लिए, सबसे चौंकाने वाली बात समझने की है कि इस उछाल का कारण क्या है इतने सारे बच्चों काअनावश्यक संस्थाकरण करने में: ये हम हैं -- पर्यटक, स्वयंसेवक और दानी लोग। 2006 में मेरे जैसे लोगों की अच्छी भावना से समर्थन है, जो इन बच्चों के पास पर्यटक जाते हैं , स्वयं सेवा करते हैंऔर दान देते है , जो अनजाने ऐसे उद्योग को बढ़ावा देते हैं जो कि बच्चों का शोषण करता है और परिवारों को अलग कर देता है। यह वास्तव में कोई संयोग नहीं है कि ये संस्थाएं काफी हद तक स्थापित होती हैं ऐसी जगह जहां पर्यटकों को आसानी से फुसलाया जा सकता है यात्रा करने के लिए और बदले में स्वैच्छिक दान देने के लिए। नेपाल में 600 तथाकथित अनाथालयों में से, 90 प्रतिशत से अधिक सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण केंद्रों में स्थित हैं कड़वा सच यह है कि , इन संस्थानों के समर्थन में जितना अधिक धन आता है, उतने अधिक संस्थान खुलते हैं और अधिक बच्चे उनके परिवारों से दूर किये जाते हैं अपने स्थान भरने के लिए। यह सिर्फ आपूर्ति और मांग का नियम है। मुझे इन सब बातों को बहुत कठिनाई से सीखना पड़ा, जब मैंने कंबोडिया में पहले से ही एक अनाथालय स्थापित कर लिया था। मुझे यह स्वीकार करने में कड़वा घूँट पीना पड़ा कि मैंने गलती की थी और अनजाने में समस्या का हिस्सा बन गयी थी। मैं एक अनाथालय की पर्यटक रही हूं, एक स्वैच्छिक पर्यटक। मैंने तब स्वयं का अनाथालय स्थापित किया और अनाथालय पर्यटन को सुगम किया अपने अनाथालय के लिए धनराशि जुटाने हेतु, इससे पहले कि मैं बेहतर जान पाती। जो मैं समझ पाई यह कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरा अनाथालय जितना भी अच्छा था, यह उन बच्चों को वह देने वाला नहीं था जिसकी वास्तव में उन्हें जरूरत थी: उनके परिवार। मुझे पता है कि इससे अविश्वसनीय निराशा हो सकती है यह जान कर कि कमजोर बच्चों की मदद करना और गरीबी पर काबू पाना उतना आसान नहीं है जितना हमें विश्वास दिलवाया गया है कि यह होना चाहिए। लेकिन शुक्र है, एक समाधान है। ये समस्याएं सुल्ट सकती हैं और रोकी जा सकती हैं, और जब हम बेहतर जानते हैं, हम बेहतर कर सकते हैं जो संस्था मैं आज चलाती हूं, कंबोडियन बच्चों का ट्रस्ट, अब एक अनाथालय नहीं है। 2012 में, हमने मॉडल को परिवार आधारित देखभाल के रूप में बदल दिया। अब मैं कंबोडिया के सामाजिक कार्यकर्ताओं,नर्सों और शिक्षकों की अद्भुत टीम का नेतृत्व करती हूँ,। इक्ट्ठे, हम समुदायों के भीतर काम करते हैं सामाजिक मुद्दों के एक जटिल मक्क्ड़जाल को उधेड़ने का और कम्बोडिया परिवारों को गरीबी से छुटकारे हेतु मदद करते हैं। हमारा प्राथमिक ध्यान सबसे कमजोर परिवारों में से कुछ को रोकना है हमारे समुदाय में पहले नंबर पर अलग होने से। लेकिन ऐसे मामलों में जहां यह संभव नहीं है एक बच्चे के लिए अपने जैविक परिवार के साथ रहना, हम उन्हें पालक देखभाल में समर्थन देते हैं। परिवार-आधारित देखभाल हमेशा बेहतर होती है संस्था में बच्चा रखने की अपेक्षा। क्या आपको फोटो याद है जो मैंने आपको पहले दिखाया? क्या आपको फोटो याद है जो मैंने आपको पहले दिखाया? उसका नाम टॉर्न है वह एक मजबूत, बहादुर और जमकर बुद्धिमान लड़की है। लेकिन 2006 में, जब मैं पहली बार उससे मिली उस भ्रष्ट और अपमानजनक अनाथालय में रहते हुए वह स्कूल में कभी नहीं गयी थी। वह भयानक उपेक्षा ग्रस्त थी, और वह अंदर से बुरी तरह से तड़प रही थी उसकी मां की गर्मजोशी और प्यार के लिए। लेकिन यह टॉर्न की उसके परिवार के साथ आज की तस्वीर है। उसकी मां के पास अब एक सुरक्षित नौकरी है, उसके भाई बहन हाई स्कूल में अच्छा कर रहे हैं और वह विश्वविद्यालय में अपनी नर्सिंग डिग्री खत्म करने वाली है। टॉर्न के परिवार के लिए - (तालियां)¶ टॉर्न के परिवार के लिए,¶ गरीबी का चक्र टूट गया है। परिवार आधारित देखभाल मॉडल जो हमने "कंबोडियन बच्चों का ट्रस्ट" विकसित किया है, इतना सफल रहा है, कि अब इसे यूनिसेफ कंबोडिया और कंबोडिया सरकार द्वारा आगे रखा जा रहा है बच्चों को परिवारों में रखने के लिए एक राष्ट्रीय समाधान के रूप में। और सर्वश्रेष्ठ में से एक - (तालियां)¶ व जिस सर्वोत्तम तरीके से आप इस समस्या को हल करने में मदद कर सकते हैं वह है: इन आठ लाख बच्चों को एक आवाज़ देकर और परिवार आधारित देखभाल के लिए एकअधिवक्ता बन कर। यदि हम जागरूकता बढ़ाने के लिए मिलकर काम करते हैं, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि दुनिया जान जाए कि हमें अनावश्यक संस्थाकरण समाप्त करना होगा कमजोर बच्चों का। हम इसे कैसे प्राप्त करते हैं? हमारे समर्थन और दान को पुनः निर्देशित करके अनाथालयों और आवासीय देखभाल संस्थानों से दूर परिवारों में बच्चों को रखने के लिए प्रतिबद्ध संगठनों के प्रति। मेरा मानना ​​है कि हम ऐसा हमारे जीवनकाल में कर सकते है, और परिणामस्वरूप, हम देखेंगे विकासशील समुदाय को पनपते हुए और सुनिश्चित करेंगे कि हर जगह कमजोर बच्चों को वह मिलेगा जो सब बच्चे चाहते हैं और जिनके वे अधिकारी हैं : एक परिवार। धन्यवाद। (तालियां) इससे पहले कि मैं वहाँ पहुंचुं जो मुझे कहना है, मैं अपने बारे में कुछ बातें बताने के लिए बाध्य महसूस कर रहा हूँ। मैं कोई रहस्यवादी नहीं हूँ, कोई आध्यात्मिक प्रकार का इन्सान। मैं विज्ञान का लेखक हूँ। मैंने कॉलेज में भौतिक विज्ञान पढ़ा है। मैं एनपीआर के लिए वैज्ञानिक संवाददाता था। इतना कहने के बाद: राष्ट्रीय सार्जनिक रेडियो NPR के लिए एक कहानी पर काम करते समय, मुझे एक खगोलशास्त्री से कुछ सलाह मिली जिसने मेरे दृष्टिकोण को चुनौति दी, और सच कहूँ, मेरा जीवन बदल दिया। देखिए, कहानी एक ग्रहण के बारे में थी, आंशिक सूर्य ग्रहण जो मई, १९९४ को देश से गुज़रने वाला था। वह खगोलशास्त्री... मैंने उनका इंटरव्यू लिया, और उन्होंने समझाया कि क्या होने वाला है और उसे कैसे देखना चाहिए, पर उन्होंने जोर दिया, चाहे आंशिक सूर्य ग्रहण कितना ही रोचक हो, अधिक दुर्लभ संपूर्ण सूर्य ग्रहण एकदम भिन्न होता है। संपूर्ण सूर्य ग्रहण में, पूरे दो या तीन मिनट के लिए, चंद्रमा पूरी तरह सूर्य की सतह को आच्छादित करके उसका सृजन करता है, जिसे उन्होंने संपूर्ण प्रकृति में अति-विस्मयकारी चमत्कार के रूप में वर्णित किया। तो उन्होंने मुझे यह सलाह दी: उन्होंने कहा, "मरने से पहले, तुम्हें अपने लिए इतना करना होगा कि खुद को संपूर्ण सूर्य ग्रहण का अनुभव करवाओ।" सच कहूँ, मुझे थोड़ा अजीब लगा एक ऐसे इन्सान से यह सुनना जिससे मैं भली-भांति परिचित भी नहीं था; एक प्रकार से अंतरंग सा महसूस हुआ। पर उस बात ने मेरा ध्यान आकर्षित कर लिया, और मैंने कुछ शोध किया। संपूर्ण सूर्य ग्रहण की बात यह है, अगर आप इंतज़ार करेंगे कि कोई आप तक आएगा, तो बहुत लंबे समय तक इंतज़ार करना होगा। पृथ्वी पर कोई भी बिंदु ४०० सालों में एक बार संपूर्ण ग्रहण का अनुभव करता है। पर यदि आप यात्रा करने के लिए तैयार हों, तो इतना इंतज़ार नहीं करना पड़ता। और मैंने जाना कि कुछ साल बाद, 1998 में, एक संपूर्ण सूर्य ग्रहण कैरिबियन से गुज़रने वाला था। अब, एक संपूर्ण सूर्य ग्रहण केवल एक संकीर्ण मार्ग पर दिखाई देता है, लगभग सौ मील चौड़ा, और चंद्रमा की छाया वहीं पड़ती है। उसे कहते हैं "संपूर्णता का मार्ग।" और फरवरी १९९८ में, संपूर्णता का मार्ग अरूबा से होकर गुज़रने वाला था। तो मैंने अपने पति से कहा, हमने सोचा; फरवरी? अरूबा? वैसे भी अच्छा विचार लग रहा था। (हंसी) तो हम दक्षिण की ओर चल पड़े, सूर्य का आनंद उठाने और देखने कि क्या होता है जब सूर्य कुछ पल के लिए गायब हो जाए। ग्रहण के दिन हम और बहुत से अन्य लोग हयात रीजेंसी के पीछे, समुद्री तट पर, शो के शुरू होने की प्रतीक्षा में, इकट्ठे हो गए। और हमने ग्रहण देखने वाले चश्मे पहने थे जिनकी गत्ते की फ्रेमें थीं और बहुत गहरे लेंस ताकि हम सूर्य को सुरक्षित देख सकें। संपूर्ण सूर्य ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण की तरह ही शुरू होता है, जब चंद्रमा धीरे-घीरे सूर्य के आगे आ जाता है। तो पहले ऐसे लगा कि सूर्य का किनारा थोड़ा सा कटा हुआ था, और फिर वह कटाव बढ़ा और बढ़ता गया, सूर्य को एक नवचंद्र के आकार का बना दिया। और वह सब बहुत रोचक था, परंतु मैं उसे बहुत शानदार नहीं कहूँगा। मेरा मतलब, दिन उतना ही उज्जवल रहा। अगर मैं नहीं जानता कि आसमान में क्या हो रहा है, तो मुझे कुछ भी अजीब ना दिखाई देता। जब संपूर्ण सूर्य ग्रहण के शुरू होने में बस १० मिनट बचे थे, अजीब बातें होनी शुरू हो गईं। शीतल पवन सी बहने लगी। दिन का प्रकाश कुछ विचित्र लगने लगा, परछांइयाँ अनोखी सी दिखने लगीं; उनमें अजीब सी स्पष्टता दिखने लगी, जैसे किसीने टीवी का वैषम्य बढ़ा दिया हो। तब मैंने खुले समुद्र में देखा, और मैंने नौकाओं को प्रकाशित देखा, तो स्पष्ट है कि अँधेरा हो रहा था, हालांकि मुझे एहसास नहीं हो रहा था। जल्द ही, जाहिर हो गया कि अँधेरा हो रहा था। ऐसा महसूस हुआ कि मेरी आँखों की रोशनी जा रही थी। और फिर अचानक, अँधेरा हो गया। उस पल, समुद्र तट से प्रसन्नता की लहर उभर आई, और मैंने अपने ग्रहण वाले चश्मे उतार दिए, क्योंकि संपूर्ण सूर्य ग्रहण में इस पल, सूर्य को बिना चश्मे के देखना सुरक्षित था। और मैंने ऊपर की ओर देखा, और मैं हक्का-बक्का रह गया। अब, सोचें कि इस समय, मैं ३० के दशक के मध्य में था। मैं पृथ्वी पर इतने साल जी चुका था कि मैं जानता था आसमान कैसा दिखता है। मेरा मतलब... (हंसी) मैंने नीले आसमान और धुंधले आसमान और तारों से जगमगाते और गुस्से वाले आसमान और सूर्योदय के गुलाबी आसमान देखे थे। पर ऐसा आसमान मैंने आज तक नहीं देखा था। पहले तो वे रंग थे। सबसे ऊपर, गहरा बैंगनी धुंधला सा रंग, जैसे गोधूलि। पर क्षितिज पर नारंगी रंग था, सूर्यास्त की तरह, ३६० डिग्री। और ऊपर, गोधूलि में, चमकदार तारे और ग्रह बाहर आ गए थे। तो वहाँ बृहस्पति था, और बुध था और शुक्र था। वे सभी एक रेखा में थे। और फिर, इसी रेखा के पास, यह चीज़ थी, यह शानदार, विस्मयकारी चीज़। चांदी की तारों से बुने हुए हार की लग रही थी, वह बस झिलमिलाती हुई सी अंतरिक्ष में लटकी थी। वह था सूर्य का बाहरी वातावरण, सौर प्रभामंडल। और तस्वीरें इसका सही विवरण नहीं कर पातीं। यह सूर्य के बाहर केवल एक छल्ला या आभामंडल नहीं है; इसकी बहुत ही महीन बनावट है, जैसे यह रेशम के धागों से बना हो। हालांकि वह हमारे सूर्य जैसा बिल्कुल नहीं दिख रहा था, मैं तो जानता था कि वह वही था। तो वह सूर्य था और ग्रह भी थे, और मैं देख सकता था कि ग्रह सूर्य की परिक्रमा कैसे करते हैं। ऐसा था कि मैं अपने सौर मंडल को छोड़कर किसी अनजान संसार में सृजन को देखते हुए खड़ा था। और जीवन में पहली बार, मैं ब्रह्माण्ड से एक असंगत रूप में उसकी पूर्ण विशालता से जुड़ गया। समय थम गया, या एक तरह से अवास्तविक सा महसूस हुआ, और जो मैंने अपनी आँखों से देखा... मैंने सिर्फ़ देखा ही नहीं, बल्कि अलौकिक सौंदर्य की तरह महसूस किया। और मैं उस निर्वाण में खड़ा रहा पूरे १७४ सेकंड्स... तीन मिनट से कुछ कम... जब अचानक सब सामप्त हो गया। सूर्य बाहर आ गया, नीला आसमान वापिस आ गया, सितारे और ग्रह और प्रतिभामंडल गुम हो गए। संसार सामान्य हो गया। पर मैं बदल गया था। और इस तरह मैं एक ग्रहण प्रेमी बन गया... ग्रहण का पीछा करने वाला। (हंसी) तो, मैं अपना समय और मेहनत से कमाया पैसा इस तरह खर्च करता हूँ। मैं हर दो सालों के बाद, जहाँ भी चंद्रमा की छाया गिरेगी अंतरिक्षीय आनंद के कुछ पलों का अनुभव लेने निकल पड़ता हूँ, ताकि आस्ट्रेलिया में दोस्तों से, जर्मनी के एक पूरे शहर से, अनेक लोगों से अपना अनुभव बांट सकूँ। १९९९ में, म्यूनिक में, मैं हज़ारों के साथ था जो सड़कों और छतों के ऊपर थे और जब सौर प्रतिभामंडल उभरा तो एक साथ चिल्ला रहे थे। और समय के साथ, मैं कुछ और भी बन गया हूँ: ग्रहण प्रचारक। मैं इसे अपना कर्त्तव्य समझता हूँ कि मुझे वर्षों पहले मिली सलाह को आगे बढ़ाऊँ। तो आपको बताता हूँ: इससे पहले कि आप मरें, आपको अपने लिए इतना करना होगा कि खुद को संपूर्ण सूर्य ग्रहण का अनुभव करवाएँ। यह विस्मय का चरम अनुभव है। अब, यह शब्द "विस्मयकारी" इतना इस्तेमाल किया जाता है कि इसने अपना मूल अर्थ ही खो दिया है। हमारे जीवन में कुछ विशाल और भव्य होने पर असली विस्मय, आश्चर्य की भावना और निरर्थकता, बहुत दुर्लभ है। पर जब उसका अनुभव करते हैं, वह प्रबल है। विस्मय अहंकार को लुप्त कर देता है। यह हमें जुड़ा हुआ महसूस करवाता है। दरअसल, यह सहानुभूति और उदारता को बढ़ावा देता है। कोई भी चीज़ संपूर्ण सूर्य ग्रहण से अधिक विस्मयकारी नहीं हो सकती। दुर्भाग्यवश, बहुत कम अमरीकियों ने यह देखा है, क्योंकि ३८ वर्ष हो गए हैं जब इसने अंतिम बार महाद्वीपीय संयुक्त राज्य अमरीका को छुआ था और ९९ वर्ष हो गए हैं जब अंतिम बार पूरे देश की चौड़ाई से गुज़रा था। पर वह बदलने वाला है। अगले ३५ वर्षों में, महाद्वीपीय संयुक्त राज्य अमरीका में पाँच संपूर्ण सूर्य ग्रहण होंगे, और उनमें से तीन खासकर शानदार होंगे। आज से छह हफ्तों बाद, २१ अगस्त, २०१७ को... (तालियाँ) चंद्रमा की छाया ओरेगॉन से साउथ कौरोलाइना तक जाएगी। ८ अप्रैल, २०२४ को चंद्रमा की छाया उत्तर की ओर टैक्सास से मेन तक जाएगी। २०४५ में, १२ अगस्त को, मार्ग कैलिफ़ोर्निया से फ्लोरिडा तक जाएगा। मैं कहता हूँ: कैसा हो अगर हम इन्हें अवकाश घोषित कर दें? कैसा हो अगर हम... (हंसी) (तालियाँ) कैसा हो अगर चंद्रमा की छाया में, हम सब एक साथ खड़े हों, जितने ज़्यादा लोग हो सकते हैं, हो सकता है, यह विस्मय का साझा अनुभव हमारे मतभेदों को सुलझाने में मदद करे, हम एक-दूसरे से थोड़ा अधिक मानवीय व्यवहार करने लगें। अब, बेशक, कुछ लोग मेरे इस प्रचार को थोड़ा सा मेरा जुनून, मेरी सनक समझते हैं। मेरा मतलब, इतनी संक्षिप्त घटना पर अपना ध्यान केंद्रित क्यों करें? क्यों उसके लिए दुनिया को पार करना, या राज्य सीमाओं के पार जाना... जो बस तीन मिनट तक ही रहता है? जैसा मैंने कहा: मैं कोई आध्यात्मिक इन्सान नहीं हूँ। मैं ईश्वर को नहीं मानता। काश मैं मानता होता। पर जब अपनी नश्वरता के बारे में सोचता हूँ... और मैं बहुत अधिक सोचता हूँ... जब मैं सोचता हूँ कितनों को खो चुका हूँ, विशेषकर मेरी माँ, मुझे आरूबा के उस विस्मय के पल से सांत्वना मिलती है। मैं उस समुद्र तट पर खुद को देखता हूँ, आसमान की ओर देखते हुए, और वह एहसास याद करता हूँ। मेरा अस्तित्व चाहे अस्थायी हो, पर वह ठीक है, क्योंकि, हे ईश्वर, देखो तो मैं किसका हिस्सा हूँ। तो, मैंने यह सबक सीखा, और यह सामान्य रूप से जीवन में लागू होता है: अनुभव की अवधि प्रभाव के बराबर नहीं होती। एक सप्ताहांत, एक वार्तालाप... एक नज़र... सब बदल सकता है। दूसरे लोगों से गहरे संबंध, प्राकृतिक संसार से संबंध, उन पलों को संजो के रखें और उन्हें प्राथमिकता बनाएँ। हाँ, मैं ग्रहणों का पीछा करता हूँ। आप किसी और का पीछा कर सकते हैं। पर यह उन १७४ सेकंडों के बारे में नहीं है। यह उस बारे में है कि वह कैसे आने वाले वर्षों को बदल देते हैं। धन्यवाद। (तालियाँ) यह काम अभी प्रक्रिया में है कुछ उन टिप्पणियों पर आधारित जो TED में दो साल पहले की गयी थी टीके के भण्डारण की ज़रुरत के बारे में. (संगीत) [इस ग्रह पर] [१.६ अरब लोग] [बिजली को उपयोग नहीं कर सकते है] [प्रशीतन] [या संग्रहीत ईंधन] [यह एक समस्या है] [यह प्रभावित करती है ] [बीमारी के प्रसार] [खाद्य और दवा के भंडारण] [और जीवन की गुणवत्ता को ] [तो योजना यह है : सस्ती प्रशीतन जो बिजली का उपयोग नहीं करता है.....] [....प्रोपेन,गैस,मिट्टी का तेल, या उपभोग्य सामग्रियों का भी नहीं ] [अब कुछ ऊष्मप्रवैगिकी के लिए समय] [और आंतरायिक अवशोषण रेफ्रिजरेटरों की कहानी] तो २९ साल पहले , मेरे ऊष्मप्रवैगिकी शिक्षक ने अवशोषण और प्रशीतन के बारे में बात की थी। यह उन चीजों है जो मेरे सिर में फँस गयी। यह स्टर्लिंग इंजन जैसे था : यह अच्छा था लेकिन तुम्हें इसके साथ क्या करना है पता नहीं था। और यह 1858 में फर्डिनेंड कार द्वारा आविष्कार किया गया था , लेकिन वह वास्तव में उसके साथ कुछ भी नहीं बना सकते थे क्योंकि समय के उपकरणों के साथ यह कुछ भी नहीं बना सका इस दीवाने कनाडियन पोवल क्रोस्ले ने आईसीबाल (Icyball) को १९२८ में वाणिज्यिक किया, और यह एक बहुत बधिया विचार था, और यह क्यों काम नहीं किया मैं बताने जा रहा हूँ, लेकिन यह इस प्रकार काम करता है. वहाँ दो क्षेत्रों है और वे एक दूरी से अलग होते है. एक मैं तरल पदार्थ , पानी , और अमोनिया है, और दूसरे मैं संघनित्र है. अगर आप एक तरफ गरम करें , तो गर्म पक्ष. अमोनिया उड जाती है, और वह फिर दूसरे पक्ष में गाढ़ी हो जाती है इसे कमरे के तापमान तक ठंडा करे और फिर, जैसे ही अमोनिया फिर से उड जाती है और पानी के साथ जुड़ जाती है वापस पूर्व गर्म कक्ष की ओर, यह एक शक्तिशाली शीतलन प्रभाव पैदा करता है. तो यह एक अच्छा विचार है , लेकिन यह बिल्कुल काम नहीं किया क्योंकि अमोनिया से तुम्हें बेहद उच्च दबाव मिलेगा अगर तुम उन्हें गलती से गरम किया हुआ हो. यह ४०० psi तक गया. अमोनिया विषाक्त था. यह हर जगह छिड़काव किया. लेकिन यह एक दिलचस्प विचार की तरह था. तो, २००६ के बारे में महान बात यह है की यहाँ सचमुच महान कम्प्यूटेशनल काम आप कर सकते हैं. तो हमने पूरी स्टैनफोर्ड के ऊष्मप्रवैगिकी विभाग को शामिल किया. कम्प्यूटेशनल तरल गतिकी का पुरा उपयोग किया. हम लोग ने अमोनिया प्रशीतन सारणी को गलत साबित किया. हमने कुछ गैर विषैले सर्द ढूंढे जो बहुत कम भाप के दबाव में काम करते है ब्रिटेन की एक टीम को लाया गया -- वहाँ बहुत से महान प्रशीतन लोग है, ब्रिटेन में-- वहाँ एक टेस्ट रिग का निर्माण किया , और साबित कर दिया कि हम एक कम दबाव , गैर विषैले रेफ्रिजरेटर बना सकते हैं. तो यह इस तरह काम करता है. तुम इसे खाना पकाने की आग पर डाल सकते है. दुनिया में ज्यादातर लोग आग में खाना पकाते है, चाहे वो ऊंट गोबर या लकड़ी हो यह लगभग ३० मिनट तक गरम होता है, फिर एक घंटे के लिए ठंडा होता है. इसे एक कंटेनर में डाल दीजिए और यह 24 घंटे के लिए ठंडा रहेगा. यह इस तरह दिखता है. यह पांचवां प्रोटोटाइप है. यह पूरा नही बना है. इसका वजन ८ पौंड है, और यह इस तरह काम करता है. आप इसे एक १५ लीटर बर्तन में डालिए , लगबग ३ गैलन , और यह इसे ठंड के नीचे रखेगा , शून्य के ऊपर तीन डिग्री, २४ घंटे तक ३० डिग्री के माहौल में. यह वास्तव में सस्ता है. हमें लगता है कि हम उच्च मात्रा में लगभग 25 डॉलर के लिए इन का निर्माण कर सकते हैं, कम मात्रा में लगभग 40 डॉलर के लिए. और हमें लगता है कि हम प्रशीतन बना सकते हैं जो हर कोई खरीद सकता है. धन्यवाद । तालियाँ यह संभाषण शर्करा और कैंसर के बारे में है| जब मैं कॉलेज में थी मुझे शर्करा में रुचि हो गई। इस तरह की चीनी नहीं| यह शर्करा थी जिसके बारे में हमारे जीव विज्ञान प्रोफेसरों ने हमें सिखाई आपकी कोशिकाओं के लेप के संदर्भ में। शायद आपको नहीं पता कि आपकी कोशिकाएं शर्करा से लेपित हैं। और मुझे भी यह नहीं पता था, जब तक मैंने कॉलेज में इन पाठ्यक्रमों को नहीं लिया, लेकिन तब उन दिनों उस समय - और यह 1980 के दशक की बात है - लोगों को इस बारे में बहुत नहीं पता था कि हमारी कोशिकाएं शर्करा लेपित क्यों हैं। और जब मैंने अपने नोट्स को तलाशा , मैंने उसे ध्यान से देखा जो मैंने लिखा था यह है कि हमारी कोशिकाओं पर शर्करा लेप एक मूंगफली एम एंड एम पर चीनी लेप की तरह है। और लोगों ने सोचा हमारी कोशिकाओं पर चीनी का लेप एक सुरक्षात्मक कवच की तरह था जो हमारी कोशिकाओं को मजबूत या सख्त बनाते थे। लेकिन कई दशकों बाद अब हम जानते हैं, कि इससे कहीं अधिक जटिल है, और हमारी कोशिकाओं पर शर्करा वास्तव में बहुत जटिल हैं। और यदि आप स्वयं को एक सूक्ष्म वायुयान के समान सिकोड़ कर छोटा कर लें और फिर अपनी कोशिकाओं की सतह पर उड़ान भरें, भौगोलिक मुखाकृति के साथ यह ऐसा कुछ दिखाई दे सकता है। और अब, जटिल शर्करा ये पेड़ और झाड़ियां हैं - रोने वाली विलो जो कि हवा में लहरा रही हैं और लहरों के साथ बढ़ रही हैं। और जब मैंने इन सभी जटिल शर्करा के बारे में सोचना शुरू कर दिया जो हमारी कोशिकाओं पर इस पत्ते की तरह हैं, यह मेरी सामना करने वाली समस्याओं में सबसे दिलचस्प समस्या बन गयी एक जीवविज्ञानी और रसायनज्ञ के रूप में भी। और इसलिए अब हम शर्करा को ऐसा मानते हैं कि वह हमारी कोशिकाओं की सतह पर एक भाषा के रूप में बस रही है। उनके पास उनके जटिल संरचनाओं में संग्रहीत बहुत सारी जानकारी है। लेकिन वे हमें क्या बताने का प्रयास कर रहीं हैं?¶ मैं आपको बता सकती हूं कि हमें कुछ जानकारी है जो इस शर्करा से आती है, और यह पहले से अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण साबित हुई , दवा की दुनिया में। उदाहरण के लिए, एक बात आपकी शर्करा जो हमें बता रही है वह आपके रक्त का प्रकार है। तो आपकी कोशिकाएं, लालरक्त कोशिकाएं , शर्करा लेपित हैं, और उस शर्करा की रसायनिक संरचना आपके रक्त प्रकार का निर्धारण करती है। तो उदाहरण के लिए, मुझे पता है कि मेरा रक्त प्रकार "ओ" है। कितने लोग रक्त प्रकार "ओ" हैं? अपने हाथ ऊपर करो। यह एक बहुत आम बात है, अतः जब कुछ हाथ ऊपर उठते हैं, या तो आप ध्यान नहीं दे रहे या आपको पता नहीं है, और ये दोनों खराब हैं। (हँसी) पर उन लोगों के लिए जिनका रक्त प्रकार मेरी तरह "ओ" है , इसका मतलब यह है कि हमारे पास यह रसायनिक संरचना है हमारी रक्त कोशिकाओं की सतह पर: तीन साधारण शर्करा अधिक जटिल शर्करा बनाने के लिए साथ जुड़े हुए हैं। और वह, परिभाषा के अनुसार, रक्त प्रकार "ओ" है अब, कितने लोग रक्त प्रकार "ए" हैं? बिल्कुल यहीं। इसका मतलब है कि आपकी कोशिकाओं में एक एंजाइम है जो एक और बिल्डिंग ब्लॉक जोड़ता है, लाल शर्करा , अधिक जटिल संरचना बनाने के लिए। और रक्त प्रकार "बी" के कितने लोग हैं? बिल्कुल थोड़े से। "ए" लोगों की तुलना में आपके पास थोड़ा अलग एंजाइम है, तो आप थोड़ाअलग संरचना निर्माण करते हो, और आप में से जो "ए बी" हैं आपकी मां से एक एंजाइम है, अपने पिता से दूसरा एंजाइम, और अब आप इन दोनों संरचनाओं को मोटे तौर पर समान अनुपात में बनाते हैं। और जब यह पता चला था, जो अब पिछली शताब्दी में है, इसने दुनिया में एक सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रक्रिया को सक्षम बनाया, जो, निस्संदेह, रक्त आधान है। और आपका रक्त प्रकार क्या है जान कर, हम पक्के होते हैं, यदि आपको कभी रक्त चढ़ाना ज़रूरी हो, कि आपके रक्त दाता का वही रक्त प्रकार है, ताकि आपका शरीर इसे बाहरी शर्करा न समझे, जो इसे पसंद नहीं करेगा और पक्का अस्वीकार करेगा। आपकी कोशिकाओं की सतह पर शर्करा हमें और क्या बताने की कोशिश कर रही है। खैर, ये शर्करा हमें बता रहे हैं कि आपको कैंसर है। तो कुछ दशकों पहले, ट्यूमर ऊतक विश्लेषण से सह संबंध उभरने शुरू हुए। और ठेठ परिदृश्य है रोगी के ट्यूमर का पता चल जाएगा और बायोप्सी प्रक्रिया में ऊतक हटा दिया जाएगा और फिर एक रोग-निदान प्रयोगशाला को भेजा जाएगा जहां रसायनिक परिवर्तन देखने हेतु ऊतक विश्लेषण किया जाएगा जो कैंसर विशेषज्ञ को सर्वोत्तम उपचार प्रक्रिया बारे सूचित कर सकता है। ऐसे अध्ययन से यह खोजा गया कि शर्करा बदल गए हैं जब स्वस्थ कोशिकाएं रोगग्रस्त हो जाती हैं। और वे सहसंबंध बार बार पुनः स्थापित हुए हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह रहा है: क्यों? कैंसर के शर्करा भिन्न क्यों होते हैं? इसका महत्व क्या है? ऐसा क्यों होता है, और हम इसके बारे में क्या कर सकते हैं यदि इसका संबंध रोग प्रक्रिया से है ही? इसलिए, परिवर्तनों में से एक जिसका हम अध्धयन करते हैं एक विशेष प्रकार की शर्करा का घनत्व में वृद्धि है उसे सिआलिक अम्ल कहा जाता है। और मुझे लगता है कि यह सब शर्करा में सबसे महत्वपूर्ण होगी हमारे समय की, अतः इस शब्द से परिचित होने के लिए मैं सभी को प्रोत्साहित करूंगी । सिआलिक अम्ल ऐसी शर्करा नहीं है जिस प्रकार की चीनी हम खाते हैं। वे शर्करा अलग हैं। यह एक प्रकार की चीनी है जो वास्तव में पाई जाती है आपके शरीर की सभी कोशिकाओं में कुछ स्तरों पर। यह वास्तव में आपके कोशिकाओं में काफी सामान्य है। लेकिन किसी कारण से, कम से कम एक सफल प्रगतिशील रोग की कैंसर कोशिकाओं में, अधिक सिआलिक अम्ल होते हैं सामान्य, स्वस्थ कोशिकाओं की तुलना में। और क्यों? इसका क्या मतलब है? अच्छा, हमने सीखा है कि इसका सम्बन्ध आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली से है। तो मुझे आपको प्रतिरक्षा प्रणाली के महत्व बारे थोड़ा बताना चाहिए कैंसर में। और मुझे लगता है, इन दिनों समाचार में यह बहुत कुछ चलता है। तुम्हें पता है, लोग "कैंसर की प्रतिरक्षा चिकित्सा" परिभाषा से परिचित होना शुरू कर रहे हैं। और आप कुछ ऐसे लोगों को भी जानते होंगे जो कैंसर के इलाज के इन बहुत नए तरीकों से लाभान्वित हो रहे हैं। अब हम जानते हैं कि आपकी प्रतिरक्षा कोशिकाएं, जो सफेद रक्त कोशिकाएं हैं आपके रक्त प्रवाह से चलती हुई , दिन प्रतिदिन कैंसर सहित बिगड़े हालातोँ से आपकी रक्षा करती हैं। और अतः इस तस्वीर में, वे छोटे हरे रंग की गेंदें आपकी प्रतिरक्षा कोशिकाएं हैं, और वह बड़ी गुलाबी कोशिका कैंसर कोशिका है। व ये प्रतिरक्षा कोशिकाएं चारों ओर हैं और आपके शरीर में सभी कोशिकाओं का स्वाद लेती हैं। यही उनका काम है| और ज्यादातर , कोशिकाओं का स्वाद ठीक होता है। लेकिन कभी- कभार कोशिका का स्वाद खराब हो सकता है। उम्मीद है, वह कैंसर कोशिका हो, और जब उन प्रतिरक्षा कोशिकाओं को स्वाद खराब लगता है, वे उन पर पुरज़ोर आक्रमण करके उन कोशिकाओं को मार देती हैं। तो हम यह जानते हैं। हम यह भी जानते हैं कि यदि आप स्वाद चखने की शक्ति को बना सकते हैं अगर प्रतिरक्षा कोशिकाओं को प्रोत्साहित कर सकते पहले जैसे बड़ा ग्रास काट खाने हेतु उन कैंसर कोशिका में से , स्वयं को अच्छी तरह से हर रोज कैंसर से बचाने का काम मिल जाता है और शायद कैंसर ठीक करने का भी। और अब बाजार में कुछ दवाएं हैं जो कैंसर रोगियों के इलाज में उपयोगी हैं जो वास्तव में इस प्रक्रिया से कार्य करते हैं। वे प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करते हैं ताकि प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक जोरदार हो हमें कैंसर से बचाने में। वास्तव में, उन में से एक दवा ने ¶ राष्ट्रपति जिमी कार्टर को जीवन दान दिया हो। क्या आपको याद है, राष्ट्रपति कार्टर? उन्हें घातक मेलेनिन-अर्बुद था जिसने उनके मस्तिष्क को विक्ष्प्त किया था, और यह एक ऐसा निदान है आमतौर पर गिने चुने दिनों का जैसे "जीवित रहने के लिए महीने।" लेकिन उनका इलाज इन नई प्रतिरक्षा उत्तेजक दवाओं में से एक के साथ किया गया, और अब उसका मेलेनिन-अर्बुद कम हुआ प्रतीत होता है, जो असाधारण है, केवल कुछ साल पहले की स्थिति पर विचार कर के। वास्तव में, यह बहुत असाधारण है कि यह एक तरह उत्तेजक बयान: "कैंसर एक पेनिसिलिन पल है," लोग कह रहे हैं, इन नई प्रतिरक्षा चिकित्सा दवाओं से। मेरा मतलब है, यह एक बीमारी के बारे अविश्वसनीय साहसिक कथन है जिससे हम एक लंबे समय से लड़ रहे हैं और ज्यादातर लड़ाई हारते हुए। तो यह बहुत ही रोमांचक है अब इस बात का शर्करा से क्या लेना देना है?¶ खैर, मैं आपको बताती हूँ कि हमने क्या सीखा है। जब एक प्रतिरक्षा कोशिका कैंसर कोशिका के खिलाफ स्वाद चखने के लिए चिपक जाती है यह रोग के लक्षणों की तलाश में है, और अगर ये उन संकेतों को पाती है, कोशिका सक्रिय हो जाती है और यह मिसाइल आक्रमण करके कोशिका को मार गिराती है। लेकिन अगर उस कैंसर कोशिका के घने जंगल हैं उस चीनी का,सिआलिक अम्ल, ठीक है, यह स्वाद में बहुत अच्छा लगता है। और प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर एक प्रोटीन है जो सिआलिक अम्ल पकड़ लेता है, और अगर वह प्रोटीन अन्तर्ग्रथन की पकड़ में आ जाता है प्रतिरक्षा कोशिका और कैंसर कोशिका के बीच, यह प्रतिरक्षा कोशिका को सुला देता है। सिआलिक अम्ल प्रतिरक्षा कोशिका को कह रहा है, "अरे, यह कोशिका ठीक है यहाँ देखने के लिए कुछ भी नहीं है, आगे चलो। कहीं और देखो। " तो दूसरे शब्दों में, जब तक हमारी कोशिकाओं पर सिआलिक अम्ल की मोटी परत चढ़ी हुई है, वे शानदार लगते हैं, ठीक है ना? यह आश्चर्यजनक है। और क्या होगा अगर आप उस परत को हटा सकें और उस चीनी को दूर ले जाएं? ठीक है, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर कोशिका को देखने में सक्षम हो सकती है यह वास्तव में क्या है: कुछ जिसको नष्ट करने की आवश्यकता है और इसलिए यही हम अपनी प्रयोगशाला में कर रहे हैं। हम नई दवाइयां विकसित कर रहे हैं जोकि मूल रूप से कर रहे हैं कोशिका-सतह लॉन-माउवर - अणु जो इन कैंसर कोशिकाओं की सतह पर नीचे जाते हैं और उन सिआलिक अम्ल को काट देते हैं, ताकि प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी पूर्ण क्षमता तक पहुंच पाए हमारे शरीर से उन कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने लिए। तो अंत में,¶ मैं आपको फिर से याद दिला दूँ: आपकी कोशिकाएं शर्करा से लेपित हैं। उस कोशिका के आसपास शर्करा कोशिकाओं को बता रही हैं कि कोशिका अच्छी है या बुरी। और यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को अच्छी कोशिकाएं अकेले छोड़ना ज़रूरी है। अन्यथा, हमारे पास स्वत: प्रतिरक्षी रोग होंगे। लेकिन कभी कभार , कैंसर क्षमता प्राप्त कर लेते हैं इन नए शर्करा को व्यक्त करने की। और अब हम समझते हैं कैसे वे शर्करा प्रतिरक्षा प्रणाली को मंत्रमुग्ध करते हैं, हम उन प्रतिरक्षा कोशिकाओं को जागृत करने हेतु नई दवाइयों के साथ आ सकते हैं, उन्हें बता सकते हैं, "शर्करा को अनदेखा करें, कोशिका खाओ एक स्वादिष्ट नाश्ता करो कैंसर का।" धन्यवाद। (तालियां) चाहे तुम्हें पसंद हो या नहीं ¶ पूर्ण पारदर्शिता व एल्गोरिथम द्वारा फैसले लेना आप तक तेज़ी से बढ़ रहे हैं। और यह आपके जीवन को बदलने वाला है। क्योंकि एल्गोरिदम द्वारा यह अब आसान है और उन्हें कंप्यूटर में लागू करना और वह सब जानकारी इकट्ठा करना जोकि तुम स्वयं पर छोड़ रहे हो सभी स्थानों पर, और तुम्हें पता है कि तुम कैसे हो, और फिर आपसे आदान प्रदान करने के लिए कंप्यूटर को निर्देश दें जो अधिकांश लोगों के तरीकों से बेहतर हैं। खैर, यह डरावना लग सकता है।¶ मैं ऐसा एक लंबे समय से कर रहा हूँ और मैंने इसे अद्भुत पाया है। मेरा उद्देश्य रहा है अर्थपूर्ण कार्य करने का और अपने सहकर्मियों के साथ अर्थपूर्ण रिश्ते बनाने का और मुझे पता चला है कि ऐसा नहीं हो सकता था जब तक कि मेरे पास वह पूर्ण पारदर्शिता और निर्णय लेने का एल्गोरिथम न थे। मैं आपको दिखाना चाहता हूं ऐसा क्यों है, मैं आपको दिखाना चाहता हूं यह कैसे काम करता है। और मैं आपको सजग करता हूँ कुछ चीजें जो मैं दिखाने वाला हूँ शायद थोड़ा चौंकाने वाली हों। बचपन से ही मेरी रटने कि यादाश्त बहुत अधिक थी। और मुझे निर्देश लेना पसंद नहीं था, मैं निर्देशों का अनुसरण करने में अच्छा भी नहीं था। पर मुझे यह जानना पसंद था कि मेरे लिए चीज़ें कैसे काम करती थीं। जब मेरी आयु 12 वर्ष थी, मुझे स्कूल से नफरत थी लेकिन मुझे बाज़ारों के कारोबार से प्यार हो गया। मैंने उस समय थैले उठा कर , प्रति थैला लगभग पांच डॉलर कमाए। और मैंने इस पैसे को शेयर बाज़ार में लगाया। और यह सिर्फ इसलिए था क्योंकि उस समय शेयर बाज़ार में तेज़ी थी। और पहली कम्पनी जिसका मैंने शेयर खरीदा उस कम्पनी का नाम पूर्वोत्तर एयरलाइंस था। पूर्वोत्तर एयरलाइंस ही ऐसी कंपनी थी जिसका मैंने सुना था वह प्रति शेयर पांच डॉलर से कम बेच रही थी। (हँसी)¶ और मुझे लगा मैं और शेयर खरीद सकता था,¶ और अगर यह ऊपर गया, तो मैं और पैसा कमाऊंगा। तो, यह एक मूक रणनीति थी, है न? लेकिन मेरा पैसा तीन गुना बढ़ा, व धन तिगुना हुआ क्योंकि मैं भाग्यवान था। कंपनी लगभग दिवालिया होने ही वाली थी, लेकिन किसी अन्य कंपनी ने इसका अधिग्रहण कर लिया , और मेरा पैसा तीन गुना बढ़ गया। और मैं जुड़ सा गया था। और मैंने सोचा, "यह खेल आसान है।" समय के साथ, मैंने सीखा कि खेल कुछ भी हो पर आसान है। एक प्रभावी निवेशक बनने के लिए, हमें सर्वसम्मति के खिलाफ जोखिम उठाना और सही होना होता है। आम सहमति के खिलाफ जोखिम उठाना और सही होनाआसान नहीं है। हमें सर्वसम्मति के खिलाफ जोखिम उठाना और सही होना होता है। क्योंकि आम सहमति मूल्य में समाहित है। और एक उद्यमी होने के लिए, एक सफल उद्यमी, को सर्वसम्मति के खिलाफ जोखिम उठाना और सही होना होता है। मुझे एक उद्यमी निवेशक होना था - और उसके साथ बहुत दर्दनाक गल्तियाँ करना चलता है। तो मैंने बहुत दर्दनाक गल्तियाँ कीं, और समय के साथ, उन गल्तियों बारे मेरा दृष्टिकोण बदलना शुरू हो गया। मैं उन्हें पहेली के रूप में सोचने लगा। कि अगर मैं पहेलियों को हल कर सका , तो वे मुझे रत्न देंगे। और पहेलियाँ थीं: भविष्य में मैं ऐसा क्या अलग करूँगा कि मैं वह दर्दनाक गलती न करूं? और वे रत्न सिद्धांत थे जिन्हें मैं लिख लेता और याद कर लेता जो भविष्य में मेरी मदद करते। और क्योंकि मैंने उन्हें इतनी स्पष्ट रूप से लिखा था, तब मैं कर सकता था - अंततः खोज - तब मैं उन्हें एल्गोरिदम में लागू कर के उपयोग कर सका। और उन एल्गोरिदम को कंप्यूटर में लागू किया जाता, और कंप्यूटर मेरे साथ मिल कर निर्णय करता ; और अतः समानांतर रूप में, हम ये निर्णय लेते। और मैं उन निर्णयों को मेरे अपने निर्णयों के परिपेक्ष में देख सकता था, और मैं यह देख सकता था वे निर्णय कहीं अधिक बेहतर थे। और इसका कारण था कि कंप्यूटर फैसले बहुत तेज कर सकता था, यह बहुत अधिक जानकारी संसाधित कर सकता था और यह अधिक फैसले कर सकता था - कम भावनात्मक रूप से। तो मौलिक रूप से मेरा निर्णय लेने में काफी सुधार हुआ। मेरे ब्रिजवॉटर शुरू करने के आठ साल बाद,¶ मेरी सबसे बड़ी विफलता थी मेरी सबसे बड़ी गल्ती। यह 1970 के दशक के अंत की बात थी, मैं 34 साल का था, और मैंने गणना की थी कि अमेरिकी बैंकों ने उभरते हुए देशों को इतना अधिक पैसा दे दिया था कि वे देश वापस उतना भुगतान करने में सक्षम नहीं थे और हम सबसे बड़े कर्ज़ संकट में होंगे महान वित्तीय मन्दी के बाद। और इसके साथ, एक आर्थिक संकट और स्टॉक में एक बड़ा मन्दी बाज़ार। उस समय यह एक विवादास्पद राय थी। लोगों ने सोचा था कि यह झक्की राय थी। लेकिन अगस्त 1982 में, मेक्सिको कर्ज़ चुकता करने में नाकाम रहा और कई अन्य देशों ने इसका अनुसरण किया। और महान मन्दी के बाद से हम सबसे बड़े कर्ज़ संकट में थे। और क्योंकि मैंने वह पूर्व अनुमान लगाया था, मुझे कांग्रेस के समक्ष साक्षी के लिए व "वॉल स्ट्रीट वीक" में आने को कहा गया जो उस समय का नामी ग्रामी शो था। बस इसका थोड़ा सा भान कराने के लिए, मेरे पास एक अंश है, और तुम मुझे इसमें देखोगे। (वीडियो)श्री अध्यक्ष, श्री मिशेल, ¶ आपके समक्ष आ पाना बहुत खुशी और महान सम्मान की बात है यह जांचने हेतु कि हमारी अर्थव्यवस्था के साथ क्या गड़बड़ हो रही है। अर्थव्यवस्था अब समतल है - असफलता के कगार पर डगमगा रही है। मार्टिन ज़ेइग: आप हाल ही एक लेख में उद्धृत थे¶ आपने कहा, "मैं यह पूर्ण निश्चितता से कह सकता हूं क्योंकि मुझे बाज़ारों की जानकारी हैं। " रे डैलिओ: मैं कह सकता हूं पूर्ण निश्चितता से¶ कि अगर आप चल निधि आधार को देखते हैं निगमों और पूरे विश्व में , तो चल निधि का स्तर इतना कम है कि तुम वापस स्थिरता के युग में नहीं जा सकते। " अब मुझे लगता है कि "क्या दम्भी झटका है! "¶ (हँसी)¶ मैं इतना दम्भी और गलत था।¶ मेरा मतलब है, जब यह कर्ज़ संकट घटित हुआ, शेयर बाज़ार और अर्थव्यवस्था नीचे जाने की बजाय ऊपर चले गए, और मैंने अपना और अपने ग्राहकों का इतना पैसा खोया कि मुझे अपना कार्य बहुत ज्यादा बंद करना पड़ा, मुझे लगभग सभी को जाने देना पड़ा था। और ये विस्तारित परिवार की तरह थे, मेरा दिल टूट चुका था। और मैंने इतना पैसा खो दिया था कि मुझे अपने पिताजी से 4,000 डॉलर उधार लेने पड़े थे मेरे पारिवारिक बिल भुगतान मदद हेतु। यह मेरे जीवन का सबसे दर्दनाक अनुभवों में से एक था...¶ लेकिन यह मेरे जीवन का सबसे महान अनुभव निकला क्योंकि इसने मेरा निर्णय लेने बारे दृष्टिकोण बदल दिया। यह सोचने के बजाय, "मैं सही हूँ" मैंने खुद से पूछना शुरू कर दिया, "मुझे कैसे पता कि मैं सही हूँ?" मुझे विनम्रता मिली जिसकी मुझे जरूरत थी मेरी धृष्टता को संतुलित करने के लिए। मैंने ऐसे उच्चतम कुशाग्र बुद्धि लोगों को ढूंढ़ना चाहा जो मुझसे असहमत होंगे ताकि मैं उनके दृष्टिकोण समझने की कोशिश करूं या उन्हें अपने दृष्टिकोण का कठोर परीक्षण करने दूँ। मैं यह अवधारणा प्रतिभा आधारित बनाना चाहता था। दूसरे शब्दों में, एक निरंकुशता तंत्र नहीं जिसमें मैं नेतृत्व करूं और दूसरे पालन करें और लोकतंत्र भी नहीं जिसमें प्रत्येक के विचार का समान मूल्य हो, लेकिन मैं प्रतिभा आधारित विचार चाहता था जिसमें सर्वश्रेष्ठ विचार जीतें। और ऐसा करने के लिए, मुझे लगा कि हमें आमूल परिवर्तनवादी सच्चाई की आवश्यकता होगी और तत्त्वरूप पारदर्शिता। आमूल परिवर्तनवादी सच्चाई और तत्त्वरूप पारदर्शिता से मेरा मतलब है ¶ लोगों को वैसा कहना चाहिए जैसा सच में विश्वास करते हैं और सब कुछ देखने के लिए। और हम सचमुच लगभग सारी बातचीत को अक्षरशः टेप करते हैं और सभी को सब कुछ देखने देते हैं, क्योंकि अगर हम ऐसा नहीं करते, हम वास्तव प्रतिभा आधारित विचार नहीं ले सकते। एक प्रतिभा आधारित विचार लेने के लिए, हमने लोगों को वह बोलने व कहने दिया जो वे चाहते थे। बस आपको उदाहरण देने के लिए, यह जिम हास्केल द्वारा भेजी एक ईमेल है - कोई जो मेरे लिए काम करता है - और कंपनी में हर किसी के लिए यह उपलब्ध था। "रे, आप एक 'डी' के लायक हैं आज बैठक में आपके प्रदर्शन के लिए... आपने बिल्कुल अच्छी तैयारी नहीं की क्योंकि यह हो ही नहीं सकता कि आप इतने अव्यस्थित होते। " क्या यह बड़ी बात नहीं है? (हँसी)¶ एक दम बढ़िया।¶ यह अच्छा है क्योंकि, सर्वप्रथम, मुझे ऐसी प्रतिक्रिया चाहिए थी। मुझे ऐसी प्रतिक्रिया ही चाहिए। और यह अच्छा है क्योंकि अगर मैं जिम और जिम जैसे लोगों को आज्ञा नहीं देता, उनके दृष्टिकोण को व्यक्त करने को, हमारे संबंध वैसे न होते। और अगर मैंने उसे सभी के देखने के लिए सार्वजनिक नहीं किया होता, हमारे पास प्रतिभा आधारित विचार न होता। तो हम पिछले 25 सालों से इसी तरह काम कर रहे हैं।¶ हम इसी मूलभूत पारदर्शिता के साथ काम कर रहे हैं और फिर इन सिद्धांतों का संग्रह करते हुए, अधिकतर गल्तियां करने से, और फिर उन सिद्धांतों को एल्गोरिदम में लागू करने से। और फिर वे एल्गोरिदम प्रदान करते हैं - हम एल्गोरिदम का अनुसरण कर रहे हैं हमारी सोच के साथ-साथ। हमने निवेश कारोबार ऐसे चलाया है, और लोगों के प्रबंधन कार्य को भी हम ऐसे ही करते हैं। आपको एक झलक देने के लिए कि यह कैसा दिखता है,¶ मैं आपको एक मीटिंग में ले जाना चाहता हूं और हमारे एक उपकरण "डॉट कलेक्टर" से परिचित करवाना चाहता हूँ जो हमें इसमें मदद करता है। अमेरिकी चुनाव के एक सप्ताह बाद, हमारी शोध टीम ने एक बैठक आयोजित की थी बहस हेतु कि राष्ट्रपति ट्रम्प का अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा। स्वाभाविक रूप से, लोगों की इस मामले पर अलग-अलग राय थी और हम चर्चा को कैसे ले रहे थे। "डॉट कलेक्टर" इन विचारों को एकत्रित करता है। इसमें कुछ दर्जन विशेषताओं की सूची है, इसलिए जब भी कोई व्यक्ति कुछ सोचता है किसी अन्य व्यक्ति की सोच के बारे, उनके मूल्यांकन को व्यक्त करना उनके लिए आसान है; वे केवल विशेषता को ध्यान में रखते हैं और एक से 10 से मूल्यांक प्रदान करते हैं उदाहरण के लिए, जैसे बैठक शुरू हुई, एक शोधकर्ता जेन ने मुझे 3 अंक दिए - दूसरे शब्दों में, बुरी तरह - (हँसी)¶ खुले दिमाग और मुखरता का अच्छा संतुलन न दिखाने के लिए। ¶ जैसे-जैसे बैठक प्रक्षेपित हुई, लोगों के लिए जेन का आंकलन इस तरह रहा। कमरे में अन्यों कीअलग राय है। यह सामान्य है। अलग-अलग लोग हमेशा अलग-अलग राय ही रखते हैं। और किसे पता कि कौन सही है? आइए देखें कि लोग क्या सोचते हैं कि मैं कैसे कर रहा था। कुछ लोगों ने सोचा कि मैंने अच्छा किया, दूसरों ने सोचा, खराब। इन सभी विचारों के साथ, हम संख्याओं के पीछे की सोच का पता लगा सकते हैं। ये जेन और लैरी ने कहा है। ध्यान दें कि हर कोई अपनी सोच व्यक्त करता है, उनकी आलोचनात्मक सोच का भी , कंपनी में उनके पद का विचार किए बिना। जेन, जो 24 साल का है और अभी-अभी कॉलेज से पढ़ कर आया है, मुझे, मालिक को, बता सकते हैं कि काम करने का मेरा ढंग बेकार है। यह उपकरण लोगों को मदद करता है दोनों अपनी राय व्यक्त करने हेतु¶ और फिर स्वयं को अपनी राय से अलग कर के चीजों को उच्च स्तर से देखने के लिए। जब जेन और अन्य अपना ध्यान अपनी स्वयं की दी हुई राय से हटा कर पूरी स्क्रीन पर नीचे देखते हैं, तो उनका दृष्टिकोण बदल जाता है। वे अपनी राय को कईयों में से सिर्फ एक के रूप में देखते हैं और स्वाभाविक रूप से खुद से पूछना शुरू करते हैं, "मुझे कैसे पता कि मेरी राय सही है?" दृष्टिकोण में यही बदलाव उसे एक आयाम में देखने से बहु आयामों में देखने का हो जाता है। और यह हमारे विचारों पर बहस करने की बातचीत के रुख को बदल देता है निष्पक्ष मापदंड से निर्धारित करने के लिए कि कौन सी राय सबसे अच्छी है। "डॉट कलेक्टर" के पीछे एक कंप्यूटर है जो देख रहा है।¶ यह देखता है जो ये सब लोग सोच रहे हैं और यह सहसंबंध स्थापित करता है कि वे कैसे सोचते हैं। और यह उसके आधार पर प्रत्येक को सलाह देता है। तो यह सभी बैठकों से आँकड़े लेता है एक बिन्दुनुमा पेंटिंग बनाने के लिए लोग किस तरह के हैं और वे कैसे सोचते हैं। और इसे यह एल्गोरिदम निर्देशों द्वारा करता है। लोगों की प्रवृति जान कर उनको नौकरी के अनुरूप बेहतर बना सकते हैं उदाहरण के लिए, एक रचनात्मक विचारक जो अविश्वसनीय है को किसी ऐसे से जोड़ा जा सकता है जो विश्वसनीय है पर रचनात्मक नहीं। लोगों की प्रवृति जान कर फैसला कर पाते हैं कि उन्हें क्या जिम्मेदारियां दें और अपने फैसले लोगों के गुणों के आधार पर करें। इसे उनकी विश्वसनीयता कहते हैं। यहां वोट का उदाहरण है जो हमने लिया जहां बहुमत लोगों का एक ही मत था ... लेकिन जब हमने लोगों के गुणों के आधार पर मत को जांचा, उत्तर पूरी तरह से अलग था। इस प्रक्रिया से हम निर्णय ले पाते हैं लोकतंत्र पर आधारित नहीं, स्वाधीनता पर आधारित नहीं, लेकिन एल्गोरिदम के आधार पर जो लोगों की विश्वसनीयता को विचारती है। हां, हम वास्तव में ऐसा करते हैं।¶ (हँसी)¶ हम ऐसा करते हैं क्योंकि यह भ्रम निकाल देता है¶ मुझे क्विश्वास है मानव जाति की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक जो है , और वह है कि लोग धृष्टता से, भोलेपन से अपनी गलत अवधारणों को दिमाग में संजोय रखना, और उनको कार्यान्वित करना , और उनको कठोर परीक्षण से न गुज़रने देना। और यह एक त्रासदी है और हम ऐसा करते हैं क्योंकि यह हमें अपनी अवधारणा से ऊपर उठाता है हम चीजों को सब की दृष्टि से देखना शुरू कर देते हैं, और हम चीजों को सामूहिक रूप से देखते हैं। सामूहिक निर्णय लेना व्यक्तिगत निर्णय लेने से कहीं अधिक अच्छा है अगर यह अच्छे से किया है। यह गुप्त मसाला रहा है हमारी सफलता के पीछे। यही कारण है हमने ग्राहकों के लिए अधिक पैसा बनाया समकालीन अन्य बचत निधि की अपेक्षा और पिछले 26 वर्षों में से 23 में पैसा बनाया तो समस्या क्या है मौलिक सच्चा होने में ¶ और एक दूसरे के साथ पूरी तरह पारदर्शी? लोग कहते हैं यह भावनात्मक रूप से कठिन है। आलोचकों का कहना है कि यह एक सूत्र है एक क्रूर काम के माहौल के लिए। तंत्रिका वैज्ञानिक बताते हैं इसका सम्बन्ध मस्तिष्क कैसे पहले से तैयार हैं, से है। हमारे दिमाग का एक हिस्सा है जो हमारी गलतियों को जानना चाहेगा और हमारी कमज़ोरियों को देखना चाहेगा ताकि हम अधिक अच्छा कर सकें। मुझे बताया गया है कि यह "प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स" है। और फिर हमारे दिमाग का एक हिस्सा है जो सभी को हमलों के रूप में देखता है। मुझे बताया गया है कि यह "अमिगडाला" है दूसरे शब्दों में, आपके अंदर दो व्यक्तित्व हैं: एक भावुक आप और दूसरे एक बौद्धिक आप, और अक्सर वे प्रतिकूल हैं, और अक्सर वे तुम्हारे खिलाफ काम करते हैं। यह हमारा अनुभव रहा है कि हम इस युद्ध को जीत सकते हैं। हम इसे समूह में जीतते हैं। इसमें आमतौर पर लगभग 18 महीने लगते हैं। यह जानने के लिए कि ज्यादातर लोग इस तरह से संचालन पसंद करते हैं, इस मौलिक पारदर्शिता के साथ एक अधिक अपारदर्शी वातावरण में संचालन करने की अपेक्षा। राजनीति नहीं है, क्रूरता नहीं है - आप जानते हैं, सब छुपे हुए को , परदे के पीछे -- एक प्रतिभा आधारित विचार जहां लोग बोल सकते हैं। और यह बहुत अच्छा रहा है इसने हमें अधिक प्रभावी काम दिया है, और इसने हमें अधिक प्रभावी रिश्ते दिए हैं। लेकिन यह सब के लिए नहीं है। हमने पाया कि जनसंख्या के लगभग 25 या 30 प्रतिशत के लिए यह नहीं है। और वैसे, जब मैं पूर्ण पारदर्शिता कहता हूं, मैं सब कुछ में पारदर्शिता नहीं कह रहा हूँ। मेरा मतलब है, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि किसी का गंजापन बढ़ रहा है या उनका बच्चा बदसूरत है। तो, मैं बस बात कर रहा हूँ - (हँसी)¶ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बात कर रहा हूँ¶ इसलिए -- (हँसी)¶ तो जब आप इस कमरे से जाएं,¶ मैं चाहता हूं कि आप दूसरों के साथ बातचीत करते हुए स्वयं को देखें। कल्पना करो अगर आप जानते कि वे वास्तव में क्या सोच रहे थे, और कल्पना करो अगर तुम्हें पता हो वे सच में कैसे थे ... और कल्पना करो अगर वे जानते कि तुम सच में क्या सोच रहे थे और वास्तव में आप कैसे थे। यह निश्चित रूप से बहुत कुछ चीजों को स्पष्ट करेगा और आपके इक्क्ठे संचालन कार्य को अधिक प्रभावी बनाएगा। मुझे लगता है कि यह आपके रिश्तों को सुधारेगा। अब कल्पना करो कि आपके पास एल्गोरिदम हो सकते हैं जो आपको वह सब जानकारी इकट्ठा करने में मदद करेगा और आप को प्रतिभा आधारित विचार से निर्णय लेने में मदद करेगा। इस प्रकार की पूर्ण पारदर्शिता तुम तक आ रही है और यह आपके जीवन को प्रभावित करने वाला है। और मेरी राय में, यह अद्भुत होने जा रहा है। अतः मुझे आशा है यह आपके लिए भी उतना ही अद्भुत है जितना कि मेरे लिए । आपका बहुत बहुत धन्यवाद।¶ (तालियां)¶ शायद आपमें से कई लोग दो विक्रेताओं (सेल्समेन) की कहानी जानते हैं जो १९०० सदी में अफ्रीका गए. उन्हें वहाँ संभावनाओं की तलाश में भेजा गया था जूते बेचने की. और उन्होंने वापस मैनचेस्टर तार भेजे. और उनमें से एक ने लिखा: "हालत निराशाजनक है. विराम." ये लोग जूते नहीं पहनते." और दूसरे ने लिखा: "शानदार मौका. इनके पास अब तक जूते नहीं हैं." (हंसी) अब शास्त्रीय संगीत की दुनिया में भी कुछ ऐसी ही परिस्थिति है, क्योंकि यहाँ कुछ लोग हैं जो सोचते हैं कि शास्त्रीय संगीत का अंत हो रहा है. और कुछ हम जैसे लोग हैं जो सोचते हैं कि अभी तो बहुत कुछ होना बाकी है. और बजाए इसके कि मैं आंकड़ों व नयी धाराओं में जाऊं और आपको बताऊँ कि कितने सारे ऑर्केस्ट्रा बंद हो रहे हैं, और कितनी रिकॉर्ड कंपनियों का अंत हो रहा है, मैंने सोचा कि हमें आज रात एक प्रयोग करना चाहिए -- एक प्रयोग. असलियत में तो यह सच्चा प्रयोग नहीं है क्योंकि मैं इसका परिणाम जानता हूँ. पर है यह प्रयोग की तरह ही. अब, इससे पहले कि -- (हंसी) - इससे पहले कि हम शुरू करें, मुझे दो चीज़ें करनी हैं. एक, मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि एक सात-साल का बच्चा कैसा सुनाई देता है जब वो पियानो बजाता है. शायद यह बच्चा आप के घर में भी हो. वो कुछ इस तरह से बजाता है. (पियानो) देख रहा हूँ कि आपमें से कुछ लोग इस बच्चे को पहचानते हैं. अब, अगर ये एक साल अभ्यास करता है और सीखता है, तो आठ साल का हो गया और अब इस तरह से बजाता है. (पियानो) फिर वो एक और साल अभ्यास करता है और सीखता है; अब वो नौ साल का है. (पियानो) फिर वो एक और साल तैय्यारी करता है और सीखता है; अब वो दस का हो गया. (पियानो) इस समय पर अक्सर बच्चे ये सब छोड़ देते हैं. (हंसी) (तालियाँ) अब, अगर आपने इंतज़ार किया होता, अगर एक साल और इंतज़ार किया होता, तो आप ये सुन पाते: (पियानो) अब, वास्तव में जो हुआ, वो वैसा नहीं है जैसा आप शायद सोच रहे हैं, कि ये बच्चा अचानक जोश से भर गया, जुड़ गया, भागीदार बन गया, उसे नया टीचर मिल गया, परिपक्वता आ गयी, या जो भी कहिये. असलियत में ये हुआ कि गतियाँ कम हो गयीं. खुद देखिये, जब वो पहली बार बजा रहा था तो हर स्वर पर एक गति थी, एक स्पंदन था. (पियानो) और अगली बार हर दूसरे स्वर पर एक स्पंदन था. (पियानो) आप मेरे सर के हिलने से यह देख सकते हैं. (हंसी) नौ-साल का बच्चा, नौ-साल का बच्चा हर चार स्वरों पर एक स्पंदन डालता था. (पियानो) और दस-साल का बच्चा हर आठ स्वरों पर. (पियानो) और ग्यारह-साल वाला, पूरी लाइन में सिर्फ एक स्पंदन डालता है. (पियानो) जानता हूँ -- पर यह नहीं जानता कि हम इस मुद्रा में कैसे पहुंचे. (हंसी) मैंने तो नहीं कहा था कि मैं अपने कंधे को हिलाऊँगा, अपने शरीर को हिलाऊँगा. नहीं, पर संगीत ने मुझे हिला दिया, और यही कारण है कि मैं इसको एक-कूल्हे का वादन (बजाना) कहता हूँ. (पियानो) अब कूल्हा कोई भी हो सकता है. (पियानो) जानते हैं, एक बार एक सज्जन मेरे एक प्रदर्शन को देख रहे थे जब मैं एक युवा पियानोवादक के साथ काम कर रहा था. वे ओहायो की किसी कंपनी के अध्यक्ष थे. और मैं इस युवा पियानोवादक के साथ काम कर रहा था और मैंने कहा, "तुम्हारे साथ परेशानी यह है कि तुम दो-कूल्हे के कलाकार हो. तुम्हें तो एक-कूल्हे का वादक होना चाहिए." और जब वो बजा रहा था, तो मैंने उसके शरीर को इस तरह घुमाया. और अचानक संगीत बदल गया. ऊंचे स्थान पर पहुँच गया. श्रोताओं ने जब इस फर्क को महसूस किया तो वो धक् से रह गए. और फिर उन सज्जन ने मुझे एक चिट्ठी लिखी. उन्होंने कहा, " मैं बहुत प्रभावित हुआ. मैंने वापस जा कर अपनी कंपनी पूरी तरह से बदल डाली एक-कूल्हे वाली कंपनी में." (हंसी) अब जो दूसरी चीज़ जो मैं करना चाहता हूँ, वो है आपको आपके ही बारे में बताना. मेरे ख़याल से यहाँ कोई १६०० लोग हैं. मेरा अंदाज़ है कि आप में से करीब ४५ लोग शास्त्रीय संगीत के बारे में एकदम दीवाने हैं. आप शास्त्रीय संगीत से बेहद प्यार करते हैं. आपका रेडियो हमेशा शास्त्रीय स्टेशन पर ही लगा रहता है. आपकी कार में उसके सीडी भरे रहते हैं, और आप संगीत के कार्यक्रमों में जाते हैं. और आपके बच्चे कई तरह के साज़ बजाते हैं. आप शास्त्रीय संगीत के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते. यह पहला समूह है; काफी छोटा समूह है. फिर एक और समूह है, बड़ा समूह. ये वो लोग हैं जो शास्त्रीय संगीत को बर्दाश्त कर लेते हैं. (हंसी) जानते हैं न, आप लम्बे दिन के बाद घर आते हैं और आप वाइन के एक गिलास के साथ आराम से अपने पैर ऊपर कर के बैठते हैं. अब नेपथ्य में थोड़ा सा विवाल्डी कोई नुक्सान नहीं पहुँचाता. (हंसी) यह है दूसरा समूह. अब नंबर आता है तीसरे समूह का. ये वो लोग हैं जो कभी शास्त्रीय संगीत नहीं सुनते. वो आपकी दुनिया का हिस्सा है ही नहीं. आप शायद कभी उसे एयरपोर्ट पर झेले गए बासी धुंए की तरह सुन लें, मगर -- (हंसी) -- और शायद आईडा से लिया गया थोड़ा सा संगीत कानों में पड़ा हो जब आप हॉल में आ रहे थे. पर अन्यथा आप कभी उसे नहीं सुनते हैं. यह सबसे बड़ा समूह है इन सब में. और फिर एक बहुत छोटा समूह है. ये वो लोग हैं जो सोचते हैं कि उन्हें सुर की पहचान ही नहीं है. बहुत सारे लोग सोचते हैं कि उन्हें सुर की पहचान नहीं है. मैं अक्सर सुनता हूँ, "मेरे पति को सुर समझ नहीं आते." (हंसी) असलियत में आप सुर-हीन हो ही नहीं सकते. कोई भी सुर-रहित नहीं होता. अगर आप सुर-रहित होते, तो आप कार के गियर भी नहीं बदल पाते उन पुराने तरह की कारों पर जिन में हाथ से गियर बदलते हैं. आप कोई फ़र्क नहीं बता पाते टैकसस में रहने वाले और रोम में रहने वाले व्यक्तियों के बीच में. और टेलिफोन. टेलिफोन. अगर आपकी माँ का फोन आता है उस निकम्मे फोन पर, वो आपको फोन करती हैं और कहती हैं, "हलो," तो आप न केवल यह जान जाते हैं कि कौन है, बल्कि यह भी जान जाते हैं कि वो किस मूड में हैं. आपका कान बहुत शानदार है. हरेक व्यक्ति का कान बहुत शानदार है. कोई भी सुर-हीन नहीं होता. पर मैं आपसे एक बात कहूँगा. कोई तुक ही नहीं है कि मैं बोलता जाऊं उस इतनी बड़ी खाई के बारे में, जिसके एक तरफ वो लोग हैं जो शास्त्रीय संगीत के प्रति प्रेम और लगाव रखते हैं, और दूसरी तरफ वो जिनका उस के साथ कोई रिश्ता ही नहीं है. क्योंकि वे सुर-रहित लोग, वे तो यहाँ हैं ही नहीं. पर इन तीन समूहों के बीच, वाकई में बहुत बड़ी खाई है. तो मैं तब तक आगे नहीं बढ़ने वाला, जब तक यहाँ पर उपस्थित हर व्यक्ति, नीचे भी और पूरे ऐस्पें में, और जो कोई भी इसे देख रहा हो, वो हरेक व्यक्ति शास्त्रीय संगीत को समझने और उससे प्यार न करने लगे. तो अब हम यही करने वाले हैं. अब, क्या आपने ध्यान दिया कि मेरे दिमाग में रत्ती भर भी संदेह नहीं है कि यह संभव हो पायेगा, अगर आप मेरे चेहरे को देखें, है न? एक सफल नेता का ख़ास गुण यही है कि वो संदेह न करे, एक मिनट के लिए भी नहीं कि जिन लोगों का वो नेतृत्व कर रहा है, उनमें उसके सपने साकार करने की क्षमता नहीं है. ज़रा कल्पना कीजिये अगर मार्टिन लूथर किंग ने कहा होता, " मेरे पास एक सपना है. पर हाँ, मुझे पक्का नहीं पता कि ये सब उसे पूरा कर पायेंगे." (हंसी) अच्छा. तो अब मैं शोपैं की एक रचना ले रहा हूँ. यह शोपैं की एक बेहद सुन्दर संगीतात्मक भूमिका है. आप में से कुछ इसे जानते होंगे. (संगीत) आप जानते हैं कि मेरे हिसाब से अभी इस कमरे में क्या हुआ? जब मैंने बजाना शुरू किया, तो आपने सोचा, "कितना सुन्दर संगीत है." (संगीत) "मुझे नहीं लगता हमें उसी जगह वापस जाना चाहिए अगली गर्मी की छुट्टियों में." (हंसी) मजेदार है न? कितनी मजेदार बात है कि यह विचार कैसे हमारे दिमाग में तैरते रहते हैं. और वाकई -- (तालियाँ) -- और वाकई, अगर रचना बहुत लम्बी है और आपका दिन भी लम्बा रहा हो, तो आप शायद झपकी भी ले सकते हैं. फिर आपका साथी आपको कोहनी मार कर कहेगा, "उठो! यह संस्कृति है!"!" और फिर आप को और भी बुरा लगेगा. पर क्या आपने कभी यह सोचा है कि आपको अगर झपकी आती है शास्त्रीय संगीत में, तो उसका कारण आप नहीं हैं, बल्कि हम हैं? जब मैं बजा रहा था तो क्या किसी ने सोचा, "ये इतने स्पंदन क्यों लगा रहे हैं?" अगर मैं अपना सर इस तरह हिलाता तो आप ज़रूर ऐसा सोचते. (संगीत) और अपने बाकी जीवन में, हर बार जब आप शास्त्रीय संगीत सुनें तो आप हमेशा जान पायेंगे कि ये स्पंदन कब आ रहे हैं. तो चलिए देखते हैं कि यहाँ वाकई क्या हो रहा है. यह है बी का सुर. यह भी है बी. अगला सुर है सी. और सी का काम है बी को उदास बनाना. और वो बनाता है, है न? (हंसी) संगीतकार यह जानते हैं. अगर उन्हें उदास संगीत चाहिए हो तो वो बस यह दो सुर बजाते हैं. (संगीत) असलियत में यह अकेला बी है, चार दुखी स्वरों के साथ. (हंसी) अब, यह नीचे जाता है ए तक. अब जी तक, और फिर एफ़ तक. तो अब हमारे पास हैं बी, ए, जी, एफ़. और अगर हमारे पास हों बी, ए, जी, एफ़, तो हम क्या अपेक्षा कर सकते हैं? ओह, यह शायद अचानक हो गया. चलो फिर देखते हैं. वाह, यह तो है टेड का समूहगान. (हंसी) और आपने देखा कोई भी सुर-हीन नहीं है, देखा? कोई भी नहीं. आप जानते हैं, बांगलादेश के हर गाँव में और चीन के हर मोहल्ले में . सब जानते हैं: डा, डा, डा, डा -- डा. हर व्यक्ति जानता है कि उस ई के स्वर की कौन राह देख रहा है. अब शौपें नहीं चाहते थे कि ई वहाँ तक पहुंचे, क्योंकि फिर क्या हो जाता? सब समाप्त हो जाता, हैमलेट की तरह. आपको ध्यान है हैमलेट? पहला ऐक्ट, तीसरा सीन: जब उसे पता चलता है कि उसके चाचा ने उसके पिता को मार डाला. आपको ध्यान होगा कि वो अपने चाचा के पास बार बार जाता है और मारने वाला होता है. और फिर वो पीछे हट जाता है और फिर उनके पास जाता है और मारने वाला ही होता है. और सारे आलोचक, जो सब वहाँ पीछे की लाइन में बैठे हैं, उनको तो अपनी राय देनी ही होती है, तो वो कहते हैं, " हैमलेट टालमटोल करता है." (हंसी) या फिर वो कहते हैं, " हैमलेट में ईडीपस कॉम्प्लेक्स है." नहीं, वरना नाटक समाप्त हो जाता, मूर्ख. इसीलिए तो शेक्सपियर ने वो सब कुछ हैमलेट में डाला. आप जानते हैं, ओफीलिया का पागल होना और वो सब नाटक में नाटक, और योरिक की खोपड़ी, और वो सब कब्र खोदने वाले. वो सब उन्होनें डाला लम्बा खींचने के लिए -- ऐक्ट ५ में उसके मरने तक. बिलकुल यही शोपैं के साथ है. वो ई तक करीब करीब पहुँचने ही वाले हैं, और फिर उनके दिमाग में आता है, "अरे, चलो वापस जा कर दुबारा शुरू करते हैं." तो वो फिर से उसे करते हैं. फिर वो जोश में आ जाते हैं -- यह जोशीलापन है, इस के बारे में आपको चिंता नहीं करनी चाहिए. अब वो तीव्र एफ़ पर पहुँचते हैं और अंत में ई पर उतर आते हैं, पर यह गलत सुर है. क्योंकि जिस सुर की वो तलाश कर रहे हैं वह ये है, और इसकी जगह वो बजाते हैं .. अब, हम लोग इसे कहते हैं भ्रमकारी आरोह-अवरोह, क्योंकि यह हमें भ्रम में डालता है. मैं हमेशा अपने छात्रों से कहता हूँ, "अगर तुम्हारे पास भ्रमकारी आरोह-अवरोह है, तो अपनी भंवें चढ़ाना मत भूलना, फिर सब समझ जायेंगे." (हंसी) (तालियाँ) बराबर. तो वो ई तक आते हैं, पर यह गलत सुर है. अब वो फिर ई लगाते हैं. यह स्वर काम नहीं करता. एक बार फिर वो ई लगाते हैं. यह स्वर काम नहीं करता. अब वो फिर ई लगाते हैं, और वह काम नहीं करता. और फिर अंत में.... आगे की कतार में एक सज्जन थे जो बोले, "हम्म्म." यह वही भाव है जो वो तब दिखाते हैं जब घर पहुँचते हैं एक लम्बे दिन के बाद, जब वो कार की चाबी बंद कर के कहते हैं, "भई वाह, मैं घर आ गया हूँ." क्योंकि हम सब पहचानते हैं कि घर कहाँ है. तो यह वो रचना है जो बाहर से आ कर घर पहुँचती है. और अब मैं इसे बिना रुके लगातार बजाऊँगा और आप इसे ध्यान से सुनेंगे -- बी, सी, बी, सी, बी, सी, बी -- नीचे ए तक, नीचे जी तक, नीचे एफ़ तक. रचना करीब करीब ई तक जाती है, मगर तब तो नाटक ख़त्म हो जाएगा. वो वापस ऊपर बी तक जाते हैं. बहुत जोश में आते हैं. तीव्र एफ़ तक जाते हैं. ई तक जाते हैं. वह गलत स्वर है. वह गलत स्वर है. वह गलत स्वर है. और अंत में ई पर जाते हैं, और रचना घर आ जाती है. और जो आप देखने वाले हैं वो एक-कूल्हे का वादन है. (हंसी) क्योंकि मेरे लिए, बी को ई से जोड़ने के लिए, मुझे रास्ते के हर स्वर के बारे में सोचना बंद करना पड़ता है और सोचना होता है उस लम्बी, लम्बी रेखा के बारे में जो बी से ई तक जाती है. आप जानते हैं, हम अभी हाल में दक्षिण अफ्रीका में थे, और आप दक्षिण अफ्रीका नहीं जा सकते मंडेला के २७ साल के कारावास के बारे में सोचे बिना. वो किस विषय में सोचा करते होंगे? खाना? नहीं, वो तो दक्षिण अफ्रीका के लिए अपने सपने के बारे में सोचते थे देश के और मानवजाति के सपने के बारे में. इसीने तो उन्हें संभाला -- यह सपने के बारे में है; यह लम्बी रेखा के बारे में है. उस चिड़िया की तरह जो खेतों के ऊपर उड़ती है और नीचे की चाहरदीवारी की परवाह नहीं करती, है न सही? तो अब आप पूरी तरह उस रेखा के पीछे चलेंगे जो बी से ई तक जाती है. और मेरा एक अंतिम अनुरोध है, इस से पहले कि मैं यह रचना शुरू से अंत तक बिना रुके बजाऊँ. क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को याद करेंगे जो आपका अतिप्रिय हो, और अब आपके साथ नहीं है? एक परमप्रिय नानी, कोई प्रेमी, आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति जिसे आप पूरे दिल से प्यार करते हैं, पर वो व्यक्ति अब आपके साथ नहीं है. उस व्यक्ति को अपने मन में लाइए, और इस के साथ ही बी से ई तक की रेखा के पीछे पूरे रास्ते चलिए, और आपको वो सब सुनाई दे जाएगा जो शोपैं कहना चाहते थे. (संगीत) (तालियाँ) अब आपको अचरज हो रहा होगा, अचरज हो रहा होगा कि मैं ताली क्यों बजा रहा हूँ. तो मैंने बौस्टन के एक स्कूल में ये सब किया करीब ७० सातवीं-कक्षा वालों के साथ -- १२ साल के बच्चे. और मैंने बिलकुल वही किया जो आपके साथ किया है, और उन्हें बताया और समझाया और सारा कुछ किया. और अंत में वो पागलों की तरह तालियाँ बजाने लगे. वो तालियाँ बजा रहे थे. मैं ताली बजा रहा था. वो बजा रहे थे. आखिर मैंने कहा, "मैं क्यों ताली बजा रहा हूँ?" और एक छोटे बच्चे ने कहा, "क्योंकि हम सुन रहे हैं." (हंसी) आप खुद सोचिये. १६०० लोग, व्यस्त लोग, तरह तरह के कामों में लगे हुए लोग. शौपैं की एक रचना को सुनें, समझें और दिल में उतारें, उस से जुड़ जाएँ. अब ये हुई न कोई बात. अब मुझे विश्वास है कि हरेक व्यक्ति ने उसे सुना, समझा, उससे जुड़ा, प्रभावित हुआ. हालांकि मैं पक्के तौर से तो नहीं कह सकता. पर मैं इतना कह सकता हूँ जो मेरे साथ हुआ. मैं १० साल पहले के दंगों के समय आयरलैंड में था, और मैं कुछ कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट बच्चों के साथ काम कर रहा था झगड़ों के समाधान के बारे में. और मैंने यह उनके साथ किया. जोखिम का काम था क्योंकि वे सड़कों पर रहने वाले बच्चे थे. और उनमें से एक मेरे पास अगली सुबह आया और बोला, "आप जानते हैं, मैंने अपनी ज़िन्दगी में कभी शास्त्रीय संगीत नहीं सुना, पर जब आपने वो शौपिंग वाला टुकड़ा बजाया ..." (हंसी) उसने कहा, "मेरे भाई को पिछले साल गोली लगी थी और मैं उसके लिए नहीं रोया. पर कल रात जब आप वोह टुकड़ा बजा रहे थे, तो मैं उसके बारे में सोच रहा था. और मुझे अपनी आँखों से आंसू बहते महसूस हुए. और आप जानते हैं, अपने भाई के लिए रोने से मुझे बहुत अच्छा लगा." तो मैंने उसी पल में निश्चय कर लिया कि शास्त्रीय संगीत सब के लिए है. सब के लिए. अब यह मैं कैसे चलाता -- क्योंकि आप जानते हैं, मेरा व्यवसाय, संगीत का व्यवसाय इसे इस तरह नहीं देखता है. वो कहते हैं कि केवल ३ प्रतिशत जनसँख्या शास्त्रीय संगीत पसंद करती है. अगर हम इसे ४ प्रतिशत तक ले आयें तो हमारी सारी परेशानियां दूर हो जायेंगी. मैं कहता हूँ, "आप कैसे चलेंगे? कैसे बात करेंगे? कैसे रहेंगे अगर आप सोचें कि केवल ३ प्रतिशत जनसँख्या शास्त्रीय संगीत पसंद करती है? अगर हम इसे ४ प्रतिशत तक ले आयें. आप कैसे चलेंगे? कैसे बात करेंगे? कैसे रहेंगे अगर आप सोचें कि हर व्यक्ति शास्त्रीय संगीत पसंद करता है -- बस उन्हें अभी तक यह पता नहीं चला है." (हंसी) देखा, ये दोनों एकदम अलग-अलग दुनियाएं हैं. अब मुझे एक अदभुत अनुभव हुआ. मैं ४५ साल का था, मैं २० साल से संगीत निर्देशक था, और अचानक मुझे एक अनुभूति हुई. एक ऑर्केस्ट्रा का निर्देशक कोई आवाज़ नहीं करता. मेरी तस्वीर सीडी के ऊपर लगती है -- (हंसी) -- पर निर्देशक कोई आवाज़ नहीं करता. वो अपनी शक्ति के लिए दूसरे लोगों को शक्तिशाली बनाने की अपनी क्षमता पर निर्भर होता है. और इस बात ने मेरी दुनिया बदल दी. यह वाकई कायापलट करने वाली बात थी. मेरे ऑर्केस्ट्रा के लोग मेरे पास आ कर बोले, "बेन, क्या हुआ?" यह हुआ था. मैंने यह जाना कि मेरा असली काम था लोगों में छुपी संभावनाएं जगाना. और हाँ, मैं जानना चाहता था कि मैं यह कर भी पा रहा हूँ कि नहीं. आपको पता है कि कैसे मालूम होता है? आप उनकी आँखों में देखते हैं. अगर उनकी आँखें चमक रही हों, तो आपको पता चल जाता है कि आप सही काम कर रहे हैं. देखिये, इस बन्दे की आँखों से आप पूरे गाँव में उजाला कर सकते हैं. (हंसी) ठीक. तो अगर आँखें चमक रही हैं, तो आप काम सही कर रहे हैं. अगर आँखें नहीं चमक रही हैं, तो आप एक सवाल पूछ सकते हैं. और वो सवाल यह है: मैं क्या होता जा रहा हूँ कि मेरे खिलाड़ियों की आँखें चमक नहीं रहीं? यह सवाल हम अपने बच्चों के साथ भी कर सकते हैं. मैं क्या होता जा रहा हूँ कि मेरे बच्चों की आँखें चमक नहीं रहीं? वो बिलकुल ही अलग दुनिया है. अब, हम सब इस जादुई, ऊंचाइयों-से-भरे हफ्ते को समाप्त करने वाले हैं, और वापस असली दुनिया में जा रहे हैं. और इसलिए मैं कहूँगा, हमारे लिए उचित है यह प्रश्न पूछना: हम क्या होते जा रहे हैं, जब हम वापस असली दुनिया में जा रहे हैं? और आप जानते हैं, मेरे पास सफलता की क्या परिभाषा है. मेरे लिए यह बहुत सरल है. सफलता पैसे और यश और शक्ति के बारे में नहीं है. यह इस बारे में है कि मैं कितनी चमकती आँखें अपने चारों ओर देखता हूँ. तो अब मेरे दिमाग में बस एक अंतिम विचार यह है कि जो हम बोलते हैं उससे वाकई फ़र्क पड़ता है. जो शब्द हमारे मुंह से निकलते हैं. यह मैंने एक औरत से सीखा जो आउशविट्ज़ (जर्मन कैम्प) से बच कर निकली थी. उन दुर्लभ लोगों में से एक जो वहाँ से बच निकले. वो आउशविट्ज़ तब गयी थी जब वो १५ साल की थी, और उसका भाई ८ साल का था, और उनके माँ-बाप खो चुके थे. और उसने मुझे यह बताया, उसने कहा, "हम आउशविट्ज़ जाने वाली ट्रेन में थे और मैंने नीचे देखा और देखा कि मेरे भाई के पैरों में जूते नहीं थे. और मैंने कहा, "तुम इतने बेवक़ूफ़ क्यों हो, क्या अपनी चीज़ें भी नहीं संभाल सकते भगवान् के लिए?" -- जैसे एक बड़ी बहिन अक्सर अपने छोटे भाई से बोलती है. दुर्भाग्यवश, वो अंतिम शब्द थे जो उसने कभी भी उससे कहे क्योंकि वो फिर कभी उसे नहीं दिखा. वो नहीं बच पाया. और इसीलिए जब वो आउशविट्ज़ से बाहर आयी, तो उसने एक कसम खाई. यह उसीने मुझे बताया. उसने कहा, " मैं आउशविट्ज़ से बाहर आ कर ज़िंदगी की ओर निकली और मैंने एक कसम खाई. और वो कसम थी, मैं कभी भी ऐसा कुछ नहीं कहूंगी जो मेरे मुंह से निकले आख़िरी शब्द की कसौटी पर पूरा न उतरे." तो, क्या हम ऐसा कर सकते हैं? और शायद हम अपने आपको गलत साबित कर दें और दूसरों को भी. पर यह एक संभावना तो है जिसको हम सच कर सकते हैं. धन्यवाद. (तालियाँ) चमकती आँखें, चमकती आँखें. धन्यवाद, धन्यवाद. (संगीत) मैं सोचा करती थी जीवन का पूर्ण उद्देश्य प्रसन्नता का पीछा करना था। सभी ने कहा सफलता प्रसन्नता की राह थी, इसलिए मैंने ऐसी आदर्श नौकरी की खोज की, ऐसे सही प्रेमी की, ऐसे सुंदर अपार्टमेंट की। लेकिन कभी भी पूरी संतुष्ट महसूस करने की बजाय, मैं चिंतित और डाँवाँडोल रही। और मैं अकेली नहीं थी ; मेरे मित्र -- वे भी इसी से संघर्ष गुज़रे। आखिर, मैंने सकारात्मक मनोविज्ञान के लिए स्नातक स्कूल जाने का निर्णय लिया यह जानने के लिए कि वास्तव में लोगों को क्या खुश करता है? लेकिन मुझे वहां जो पता चला मेरी उसने जिंदगी बदल दी। आंकड़े बताते हैं कि खुशी का पीछा करना लोगों को दुखी कर सकता है। और वास्तव में जो मुझे सूझा वह यह था: दुनिया भर में आत्महत्या की दर बढ़ रही है, और हाल ही यह अमेरिका में 30 साल की उच्चतम दर तक पहुंची। हालांकि भौतिक परिपेक्ष में जीवन अच्छा हो रहा है लगभग हर कल्पनीय मानक द्वारा, अधिक लोगों को निराशा है, वे उदास और अकेले हैं। लोगों के लिए एक कष्टमय खालीपन है, लाक्षणिक दृष्टि से उदास महसूस करना जरूरी नहीं है। मुझे लगता है कि देर सवेर हम सभी को आश्चर्य होता है: क्या बस इतना ही है? और शोध अनुसार, इस निराशा का कारण प्रसन्नता का अभाव नहीं है। यह किसी और बात की कमी है, जीवन में अर्थ होने की कमी। इसने मेरे मन में कुछ प्रश्न पैदा कर दिए। क्या जीवन में प्रसन्न रहने से बढ़ कर कुछ और भी है? और अंतर क्या है प्रसन्न होने में और जीवन अर्थपूर्ण होने में ? कई मनोवैज्ञानिक प्रसन्नता को आराम और आसान परिस्थिति से परिभाषित करते हैं, उस पल अच्छा महसूस करने को। मतलब, हालांकि, गहरा है। प्रसिद्ध मनोविज्ञानी मार्टिन सेलिग्मन कहते हैं अर्थ लगाव होने से आता हैऔर अपने स्वार्थ से हट के कुछ सेवा कार्य करने से और आप के भीतर सर्वश्रेष्ठता लाने से। हमारी संस्कृति खुशी से ग्रस्त है, लेकिन मुझे पता चला कि अर्थ की चाह अधिक परिपूर्ण पथ है। और अध्ययनों से पता चलता है कि वे लोग जिनका जीवन अर्थपूर्ण है, वे अधिक लचीले होते हैं, वे स्कूल में और काम पर अच्छे होते हैं, और वे दीर्घायु भी होते हैं। तो इस सब ने मुझे आश्चर्यचकित किया : कैसे हम में से प्रत्येक अधिक अर्थपूर्ण रह सकता है ? पता लगाने के लिए, मैंने पांच साल सैकड़ों लोगों का साक्षात्कार करने में बिताए और हजारों पन्नों को पढ़ने में मनोविज्ञान के, तंत्रिका विज्ञान और दर्शन शास्त्र के इन सब को एकत्रित करके, मैंने पाया कि एक अर्थपूर्ण जीवन के चार स्तम्भ हैं। और हम सब अर्थपूर्ण जीवन निर्मित कर सकते हैं हमारे जीवन में इन स्तंभों में से कुछ या सभी का निर्माण करके। पहला स्तंभ संबंधित होना है। संबंध बनाने से लगाव होता है जहां आपका अपनी आंतरिक विशेषता के कारण मूल्याकन होता है और वहां आप दूसरों को भी महत्व देते हैं। लेकिन कुछ समूह और रिश्ते सस्तेपन का एहसास कराते हैं ; आपके विचारों से आप का मूल्याकन होता है, आप किससे नफरत करते हैं, इसलिए नहीं कि आप कौन हैं। सत्य लगाव प्रेम से हिलोरे लेता है। यह व्यक्तियों के बीच हर पल रहता है, और यह एक विकल्प है - आप चुन सकते हैं दूसरों के साथ संबंध बढ़ाने के लिए। यहाँ एक उदाहरण है हर सुबह, मेरा दोस्त जोनाथन एक समाचार पत्र खरीदता है न्यूयॉर्क में एक ही सड़क विक्रेता से। यद्यपि वे सिर्फ एक लेनदेन ही नहीं करते हैं। वे धीमे, बात करने के लिए एक क्षण लेते हैं, और मनुष्यों की तरह एक-दूसरे के साथ व्यवहार करते हैं। लेकिन एक बार, जोनाथन के पास खुले पैसे नहीं थे, और विक्रेता ने कहा, "इस बारे चिंता मत करो।" लेकिन जोनाथन ने भुगतान पर जोर दिया, तो वह दुकान में गया और उसने कुछ खरीदा जिसकी उसे ज़रूरत नहीं थी खुले पैसों के लिए। लेकिन जब उसने विक्रेता को पैसा दिया, विक्रेता ने इंकार किया । उसे दुःख हुआ। वह कुछ दयालु होने की कोशिश कर रहा था, लेकिन जोनाथन ने उसे अस्वीकार कर दिया था। मुझे लगता है हम सभी ऐसे ही छोटे तरीके से लोगों को मना करते हैं । मैं करती हूँ। मैं किसी परिचित के पास से बिना अभिवादन गुज़र जाती हूँ। मैं अपना फोन देखती हूँ जब कोई मेरे साथ बात कर रहा है। ये कार्य दूसरों को कम समझते हैं। वे उन्हें अदृश्य और अयोग्य महसूस कराते हैं। लेकिन जब आप प्यार से बढ़ते हो, आप एक सम्बन्ध बनाते हैं जो आप सब का मनोबल बढ़ाता है। कई लोगों के लिए अर्थ का सबसे आवश्यक स्रोत लगाव है, परिवार व दोस्तों के लिए रिश्तों का बंधन। दूसरों के लिए, अर्थ की कुंजी दूसरा स्तंभ है: उद्देश्य अब, अपना उद्देश्य ढूंढना वही बात नहीं है जैसे ऐसी नौकरी की तलाश जिससे आपको खुशी होती है। उद्देश्य आप जो पाना चाहते हैं उसके मुकाबले आप जो देते हैं एक अस्पताल संरक्षक ने बिमारों को ठीक करना उद्देश्य बताया। कई माता-पिता मुझे बताते हैं, "मेरा उद्देश्य मेरे बच्चों को पालन है।" उद्देश्य की कुंजी अपनी शक्तियों का उपयोग कर अन्य सेवा करना है। बेशक, हम में से कईयों के लिए, यह काम के माध्यम से होता है। इसी तरह हम योगदान करते हैं और ज़रूरत महसूस करते हैं। लेकिन इसका अर्थ यह भी है काम से हटाए जाना जैसे मुद्दे, बेरोज़गारी, कम श्रम बल भागीदारी - ये सिर्फ आर्थिक समस्याएं नहीं हैं, वे अस्तित्व की भी हैं। कुछ सार्थक करने के बिना, लोग अस्थिर होते हैं। बेशक, आपको काम पर उद्देश्य खोजने की जरूरत नहीं है, लेकिन उद्देश्य आपको जीने के लिए कुछ देता है, कुछ "क्यों" जो आपको अग्रेषित करता है अर्थ का तीसरा स्तंभ अपने स्वार्थ से परे आगे कदम के बारे में भी है, लेकिन पूरी तरह से अलग तरीके से: श्रेष्ठता। श्रेष्ठ परिस्थितियां वे दुर्लभ क्षण हैं जब आप दैनिक जीवन की हलचल से ऊपर उठे होते हैं, स्वयं का अस्तित्व ओझल हो जाता है, और आप एक उच्च वास्तविकता से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। एक व्यक्ति की श्रेष्ठ परिस्थिती अत्याधुनिक कला देखने से बनी दूसरे व्यक्ति के लिए, यह चर्च में था। मेरे लिए, मैं एक लेखिका हूं, यह लेखन के माध्यम से होता है। कभी-कभी मुझे देश काल का आभास तक नहीं रहता। ये उत्कृष्ट अनुभव आपको बदल सकते हैं। एक अध्ययन में छात्रों ने 200 फुट लम्बे नीलगिरि पेड़ो के ऊपर देखा एक मिनट के लिए। लेकिन बाद में उन्होंने आत्म-केंद्रित महसूस किया, और उन्होंने व्यवहार भी अधिक उदारता से किया जब उन्हें किसी की मदद करने का मौका दिया । लगाव, उद्देश्य, उत्कृष्टता अब, चौथा अर्थपूर्ण स्तंभ, मैंने पाया है, लोगों को आश्चर्यचकित करता है चौथा स्तंभ कहानी सुनाना है, आपकी अपनी कहानी जो आप स्वयं को सुनाते हो। अपने जीवन की घटनाओं से एक कथा बनाना स्पष्टता लाता है। यह आपको समझने में मदद करता है आप जो हो वह कैसे बने। पर हमें सदा एहसास नहीं होता कि हम हमारी कहानियों के लेखक हैं और हम अपने सुनाने के ढंग से बदल सकते हैं। आपका जीवन केवल घटनाओं की एक सूची नहीं है आप संपादन व व्याख्या कर सकते हैं व अपनी कथा पुनः सुना सकते हैं, भले ही आप तथ्यों से विवश हो। मैं एमेका नामक युवक से मिला जो फुटबॉल खेलते हुए अपंग हो गया था। अपनी चोट के बाद, एमेका ने खुद से कहा, "मेरा जीवन फुटबॉल खेलते हुए महान था, लेकिन अब मुझे देखो। " जो लोग इस तरह से कहानियां सुनाते हैं - "मेरा जीवन अच्छा था। अब यह बुरा है।" -- अधिक उत्सुक और उदास हो जाते हैं और कुछ समय के लिए एमेका ऐसा था। लेकिन समय के साथ, उसने एक अलग कहानी बनानी शुरू कर दी। उसकी नई कहानी थी, "चोट से पहले मेरी, मेरी ज़िंदगी निरुद्देश्य थी। मैंने बहुत कुछ किया और एक बहुत स्वार्थी आदमी था। पर मेरी चोट से मुझे लगा कि मैं एक बेहतर आदमी हो सकता था।" उसकी कहानी को उस संपादन ने एमेका के जीवन को बदल दिया। खुद को नई कहानी सुनाने उपरांत, एमेका ने बच्चों का मार्गदर्शन शुरू किया, और उसने पाया कि उसका उद्देश्य था: दूसरों की सेवा। मनोवैज्ञानिक दान मैकआडम इसे "मुक्ति कहानी" कहते हैं जहां अच्छाई द्वारा बुराई से मुक्ति मिल जाती है। उसे पता लगा है कि सार्थक जीवन जीने वाले लोग अपने जीवन बारे कहानियां सुनाते हैं मुक्ति, विकास और प्रेम से परिभाषित। लेकिन लोग अपनी कहानियों को कैसे बदलते हैं? कुछ लोग चिकित्सक से सहायता लेते हैं, लेकिन आप इसे स्वयं पर भी कर सकते हैं, सिर्फ अपने जीवन पर विचारपूर्वक प्रतिबिंबित करके, कैसे आपके परिभाषित अनुभवों ने आपको ढाला, तुमने क्या खोया, क्या पाया। एमेका ने यही किया। आप रातो रात अपनी कहानी नहीं बदलोगे; सालों साल लग सकते हैं और यह दर्दनाक हो सकता है। आख़िर, हम सब ने कष्ट झेला है, और हम सब संघर्ष करते हैं। पर उन दर्दनाक यादों को गले लगा हमें नई अंतर्दृष्टि व ज्ञान हो सकता है उस अच्छाई को ढूंढ़ने का जो हमें संभालता है। संबंध लगाव, उद्देश्य, श्रेष्टता, कहानी सुनाना: ये सार्थकता के चार स्तंभ हैं। जब मैं छोटी थी, चारों ओर से सभी स्तंभों द्वारा घिरी मैं बहुत भाग्यशाली थी। मेरे माता-पिता ने मॉन्ट्रियल में हमारे घर से सूफी सभा गृह चलाया। सूफीवाद एक आध्यात्मिक अभ्यास है जो झूमने से संबंधित है और कवि रूमी से। सप्ताह में दो बार, सूफ़ी हमारे घर आते ध्यान के लिए, फ़ारसी चाय पीने, और कहानियों को साझा करने। उनके अभ्यास में सभी सृजन की सेवा भी शामिल थी प्यार के छोटे कृत्यों के माध्यम से, अर्थ यह था दयालु होना चाहे जब लोगों ने आपसे गलत किया हो। लेकिन इसने उन्हें एक उद्देश्य दिया: अहंकार पर संयम के लिए। अंततः, मैंने कॉलेज के लिए घर छोड़ दिया और मेरे जीवन में सुफीवाद की दैनिक मूल-सिद्धांतों के बिना, मैं बेलगाम हो गई। और मैंने उन चीजों को खोजना शुरू किया जो जीवन को जीने योग्य बनाते हैं। इसी ने मुझे इस यात्रा पर लगा दिया। पीछे देख कर मुझे अब अहसास होता है कि सूफी गृह में अर्थपूर्ण वास्तविक संस्कृति थी। स्तम्भ वास्तुकला के हिस्से थे, और स्तम्भ उपस्थिति ने हम सब की अधिक गहराई से जीने में मदद की। बेशक, वही सिद्धांत लागू होता है अन्य मजबूत समुदायों में भी - - अच्छे और बुरे समुदायों में। गिरोह, संप्रदाय: ये अर्थपूर्ण संस्कृतियां हैं जो स्तंभों का उपयोग करती हैं और लोगों को कुछ जीने और मरने के लिए देती हैं। इसलिए हमें एक समाज के नाते बेहतर विकल्प प्रदान करने चाहियें। हमें इन स्तंभों को बनाने की ज़रूरत है हमारे परिवारों व संस्थानों में लोगों को स्वयं में सर्वश्रेष्ट बनने में मदद हेतु। लेकिन एक सार्थक जीवन जीने के लिए काम करना होता है। यह एक सतत प्रक्रिया है। जैसे-जैसे हर दिन बीतता है, हम सतत अपना जीवन निर्मित करते है, अपनी कहानी में जोड़ते हुए। और कभी-कभी हम पटरी से उतर सकते हैं। जब भी मेरे साथ ऐसा होता है, मैं अपने पिता संग घटित उस शक्तिशाली अनुभव को याद करती हूँ। मेरे कॉलेज से स्नातक करने के कई महीनों बाद, मेरे पिता को दिल का भयंकर दौरा पड़ा जिससे वह मर सकते था । वो बच गये, और जब मैंने उससे पूछा उनके दिमाग में क्या चल रहा था जब उसे मौत का सामना करना पड़ा, उन्होंने कहा कि वे जो सोच सके वो यह था कि वे जीना चाहते थे ताकि वे मेरे भाई के और मेरे पास हो सकें, और इसने उसे जीवन के लिए लड़ने हेतु इच्छाशक्ति दी। जब वो आपातकालीन सर्जरी के लिए बेहोश हुए, 10 से पीछे की गिनती के बजाय, उसने हमारे नामों को एक मंत्र की तरह दोहराया। उन्होंने चाहा कि पृथ्वी पर बोले उसके अंतिम शब्द हमारे नाम हों अगर वह मर जाये। मेरे पिता एक बढ़ई और सूफी हैं यह एक विनम्र जीवन है, लेकिन एक अच्छा जीवन। मौत का सामना करते लेटे हुए, उसके पास जीने का कारण था: मोहब्बत। अपने परिवार में उसकी लगाव भावना, एक पिता के रूप में उनका उद्देश्य, उनका उत्कृष्ट ध्यान, हमारे नाम दोहराना - ये, वह कहते है, ये कारण हैं कि वो क्यों बच गये। यह वह कहानी है जो वो स्वयं बताते है। यह अर्थ की शक्ति है खुशी आती और जाती है लेकिन जब जीवन वास्तव में अच्छा है और जब चीजें सचमुच खराब होती हैं, कुछ अर्थपूर्ण होने से उससे चिपके रहने का कारण बनता है। धन्यवाद। (तालियां) जब कोई क्यूबा का उल्लेख करता है, आप क्या सोचते हो? क्लासिक, क्लासिक कारें? शायद अच्छे सिगार? शायद आप सोचें कि एक प्रसिद्ध बेसबॉल खिलाड़ी। तब क्या जब कोई उत्तरी कोरिया का उल्लेख करता है? आप उन मिसाइल परीक्षणों बारे सोचते हैं, शायद उनके कुख्यात नेता या उसके अच्छे दोस्त, डेनिस रोडमैन। (हँसी) एक बात जो शायद मन में नहीं आती वह है देश की दूरदर्शिता, एक खुली अर्थव्यवस्था, जिनके नागरिकों की सस्ती उपभोक्ता उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच है मैं यहां तर्क देने के लिए नहीं हूं कि ये देश जहां आज हैं वहाँ कैसे पहुँचे। मैं बस उन्हें देशों व नागरिकों के उदाहरण के रूप में इस्तेमाल करना चाहता हूँ जो प्रभावित हुए हैं, नकारात्मक रूप से, एक व्यापार नीति से जो आयात प्रतिबंधित करती है व स्थानीय उद्योगों को बचाती है। हाल ही में हमने कई देशों को सुना है आयात सीमित करने के बारे में बात करते व उनके स्थानीय,घरेलू उद्योग को बचाते हुए। अब, यह सुनने में ठीक लग सकता है, लेकिन वास्तव में यह संरक्षणवाद है। हमने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान इस बारे बहुत कुछ सुना है। हमने इसके बारे ब्रेक्सिट बहस के दौरान सुना और हाल ही में फ़्रेंच चुनावों के दौरान। वास्तव में, यह सच में एक महत्वपूर्ण विषय हो गया है दुनिया भर में जिस बारे बात की जा रही है, और कई आकांक्षी राजनेता ऐसे प्लेटफार्म पर चल रहे हैं जो संरक्षणवाद को अच्छा ठहरा रहे हैं। अब, मैं देख सका कि वे क्यों सोचते हैं संरक्षणवाद अच्छा है, क्योंकि कभी-कभी ऐसा लगता है कि व्यापार अनुचित है। कुछ लोगों ने व्यापार को दोषी ठहराया है कुछ समस्याओं के लिए जो हमारे यहां अमेरिका में हैं। वर्षों से हम सुन रहे हैं अमेरिकी विनिर्माण की उच्च भुगतान नौकरियां को खोना बहुत से लोग सोचते हैं कि अमेरिका में विनिर्माण में गिरावट आयी है क्योंकि कंपनियां उनके संचालन अपतटीय कर रही हैं कम लागत वाले श्रमिकों के बाजार में जैसे चीन, मैक्सिको और वियतनाम। वे यह भी सोचते हैं कि व्यापार समझौते कभी-कभी अनुचित हैं, जैसे नाफ्टा और ट्रांस-पॅसिफिक भागीदारी क्योंकि इन व्यापार समझौते कंपनियों को अनुमति देते हैं उन सस्ते उत्पादित सामान को फिर से वापस अमेरिका में आयात करने के लिए और अन्य देशों में जहां से नौकरियां ली गईं। तो यह ऐसा लगता है जैसे निर्यातक जीतते हैं और आयातक हारते हैं। अब, वास्तविकता यह है यू एस में विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन वास्तव में बढ़ रहा है, लेकिन हम नौकरियां खो रहे हैं। हम उनमें बहुत खो रहे हैं वास्तव में, 2000 से 2010 तक, 57 लाख विनिर्माण रोजगार खो गए थे। लेकिन वे उन कारणों से नहीं खो रहे जो आपको लगता है। टोलीडो, ओहियो में माइक जॉनसन ने कारखाने में अपनी नौकरी नहीं खोई मोंटेरे, मेक्सिको में मिगुएल संचेज़ के कारण नहीं। माइक ने एक मशीन के कारण अपनी नौकरी खो दी। 87 प्रतिशत खोई हुई विनिर्माण नौकरियों का सफाया इसलिए हुआ क्योंकि हमने सुधार किए हैं हमारी अपनी उत्पादकता में स्वचालन के माध्यम से। तो इसका मतलब है कि 10 में से एक खोई हुई विनिर्माण नौकरी अपतटीय के कारण थी। अब, यह सिर्फ एक अमेरिकी घटना नहीं है। नहीं। वास्तव में स्वचालन हर उत्पादन लाइन के लिए फैल रहा है दुनिया भर के हर देश में। लेकिन देखो, मुझे ये लगता है: अगर आपने अपना काम खो दिया है व फिर आप समाचार पत्र में पढ़ते हैं कि आपकी पुरानी कंपनी ने किया चीन के साथ एक सौदा किया, यह सोचना आसान है कि आप सिर्फ प्रतिस्थापित हुए थे एक-से-एक सौदे में। जब मैं ऐसी कहानियां सुनता हूं, मुझे लगता है लोगों की धारणा है व्यापार केवल दो देशों के बीच होता है। एक देश में निर्माता उत्पादों का उत्पादन व निर्यात करते हैं अन्य देशों में उपभोक्ताओं के लिए, और ऐसा लगता है जैसे विनिर्माण देश जीतते हैं और आयात करने वाले देश हारते हैं। ठीक है, वास्तविकता थोड़ीअलग है मैं आपूर्ति श्रृंखला पेशेवर हूँ, व मैं मेक्सिको में रहता व काम करता हूं। व मैं बीच में काम करता हूं निर्माताओं के एक उच्च संयोजित नेटवर्क में सभी दुनिया भर से सहयोग करते हुए हमारे आज के उपयोगी कई उत्पादों के उत्पादन हेतु। जो मैं समझता हूँ मेक्सिको शहर में मेरी अग्रिम पंक्ति के स्थान से वास्तव में इस तरह दिखता है। और यह एक अधिक सटीक चित्रण है कि वास्तव में व्यापार कैसा दिखता है। मुझे खुशी है कि मैं देख पाया कितने अलग-अलग उत्पाद निर्मित होते हैं, गोल्फ क्लब से लैपटॉप कंप्यूटरों तक इंटरनेट सर्वर, ऑटोमोबाइल और हवाई जहाज भी। व मुझपे विश्वास करो, इसमें कोई भी सीधी रेखा में नहीं होता। मैं आपको उदाहरण देता हूं। कुछ महीने पहले, मैं विनिर्माण संयंत्र का दौरा कर रहा था एक बहुराष्ट्रीय एयरोस्पेस कंपनी का क्वेरेतारो, मेक्सिको में, और रसद के उपाध्यक्ष बताते हैं एक पूरी अंतिम भाग कीअसेंबली पता चला यह अंतिम भाग की असेंबलियाँ पैनल से बनाई जाती हैं जो फ़्रांस में निर्मित होते हैं, और वे मेक्सिको में इकट्ठे हुए हैं अमेरिका से आयातित घटकों का उपयोग करके जब उन अंतिम भाग असेंबली पूरी हो जाती हैं, वे कनाडा से ट्रक में निर्यात होते हैं अपने प्राथमिक असेंबली संयंत्र तक जहां वे एक साथ आते हैं हजारों अन्य भागों के साथ, जैसे पंखे व सीटें और छोटे रंगों छोटी खिड़कियों पर, नए हवाई जहाज का हिस्सा बनने के लिए सभी आते हैं इसके बारे में सोचो। ये नए हवाई जहाज, इससे पहले कि वे अपनी पहली उड़ान भरें, उनके पासपोर्ट में अधिक टिकटें हैं एंजेलीना जोली से। अब, प्रसंस्करण के लिए यह दृष्टिकोण दुनिया भर में चलता है कई उत्पादों का निर्माण करने के लिए जिनका हम हर दिन उपयोग करते हैं, त्वचा क्रीम से लेकर हवाई जहाज तक। जब आप आज रात घर जाएँ, अपने घर में एक नज़र डालना । आप को आश्चर्य हो सकता है इस तरह के लेबल को देख कर। "संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्मित अमेरिकी और विदेशी भागों से। " अर्थशास्त्री माइकल पोर्टर वर्णित किया जो यहाँ सर्वोत्तम हो रहा है। कई दशक पहले, उन्होंने कहा कि यह एक देश के लिए सबसे अधिक फायदेमंद है ऐसे उत्पादों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना जिसे यह कुशलतापूर्वक बना सकता है और बाकी के लिए व्यापार। तो वह यहाँ कह रहा है वह साझा उत्पादन है, और दक्षता खेल का नाम है। आपने शायद इस का एक उदाहरण देखा है घर पर या काम पर। चलो एक उदाहरण पर एक नज़र डालें। इस बारे सोचें कि आपका घर कैसे बनाया गया था या आपकी रसोई का नवीनीकरण आमतौर पर, एक सामान्य ठेकेदार होता है जो प्रयासों के समन्वय हेतु ज़िम्मेदार होता है। सभी विभिन्न ठेकेदारों की: योजना बनाने के लिए एक वास्तुकार, मिट्टी खोदने वाली कंपनी नींव खोदने के लिए, एक प्लंबर, एक बढ़ई और इस तरह। तो सामान्य ठेकेदार क्यों नहीं सिर्फ एक कंपनी को चुनता सभी काम करने के लिए, जैसे, कहो, आर्किटेक्ट? क्योंकि यह मूर्खपना है। सामान्य ठेकेदार विशेषज्ञों का चयन करता है क्योंकि सालोँ साल लगते हैं सीखने और निपुण होने हेतु एक घर बनाने या रसोईघर का पुनरुद्धार करने के लिए, उनमें कुछ को विशेष प्रशिक्षण की ज़रूरत होती है। इसके बारे में सोचो: क्या आप चाहते हैं कि अपने वास्तुकार को अपने शौचालय स्थापित करने के लिए? बिल्कुल नही। तो हम इस प्रक्रिया को लागू करते हैं कॉर्पोरेट जगत के लिए। कंपनियां आज विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं उस उत्पादन पर जिसे वे सबसे अच्छा और सबसे कुशलतापूर्वक बनाते हैं, और वे बाकी सब कुछ का व्यापार करते हैं। तो इसका मतलब है कि वे भरोसा करते हैं एक वैश्विक, परस्पर जुड़े, विनिर्माताओं के अन्योन्याश्रित नेटवर्क पर इन उत्पादों को बनाने को । असल में वह नेटवर्क इतना परस्पर जुड़ा हुआ है यह लगभग असंभव है विघटन करना और उत्पादों का उत्पादन केवल एक देश में करना। चलो एक नज़र डालते हैं परस्पर जुड़े वेब पर हमने कुछ क्षण पहले देखा था, और हम सिर्फ एक तट पर ध्यान केंद्रित करते हैं अमेरिका और मेक्सिको के बीच विल्सन संस्थान का कहना है कि साझा उत्पादन अमेरिका और मेक्सिको के बीच आधा ट्रिलियन डॉलर के 40 प्रतिशत व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है यह करीब 200 अरब डॉलर है, या पुर्तगाल के जी डी पी के समान। तो चलिए बस कल्पना करें कि अमेरिका मेक्सिको से सभी आयात पर 20 प्रतिशत सीमा कर लागू करने का फैसला करता है। अच्छी बात है। लेकिन क्या आपको लगता है कि मैक्सिको बस चुप चाप देखता रहेगा और ऐसा होने देगा? नहीं। ऐसा कदाचित नहीं है। इसलिए प्रतिशोध में, वे ऐसा ही कर लगाते हैं अमेरिका से आयात किए जाने वाले सभी सामानों पर, और अदले बदले का यह छोटा सा खेल चलता है, और 20 प्रतिशत - बस कल्पना करो कि 20 प्रतिशत कर हर सामान, उत्पाद, उत्पाद घटक में जोड़ा जाता है सीमा पार आने जाने पर, और आप करों में 40 प्रतिशत की वृद्धि और भी देख सकते हैं, या 80 अरब डॉलर। अब, अपने आप को बेवकूफ न बनाईये, ये कीमतें चुकानी पड़ेंगी आप को और मुझे। अब, आइए सोचें कि कुछ उत्पादों पर इनका क्या प्रभाव हो सकता है, या उत्पादों की कीमतों पर, जोकि हम हर दिन खरीदते हैं। तो अगर करों में 30 प्रतिशत की वृद्धि हमें चुकानी हो, हम कुछ कीमतों में बहुत महत्वपूर्ण बढ़ोतरी को देख रहे होंगे। एक लिंकन एम के ज़ेड 37,000 डॉलर से लेकर 48,000 तक होगा। और एक शार्प 60 इंच एच डी टी वी की कीमत 898 डॉलर से 1,167 डॉलर तक होगी। और एक 16 औंस जार की कीमत सी वी एस त्वचा मॉइस्चराइजर 13 डॉलर से 17 डॉलर तक जायेगा। अब, याद रखो, यह केवल दिख रही है उत्पादन श्रृंखला के एक तट पर अमेरिका और मेक्सिको के बीच, तो यह बहुत गुणा करें सभी तटों में। प्रभाव काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। अब, बस इस बारे में सोचें: भले ही हम सक्षम थे इस नेटवर्क को खत्म करने के लिए और सिर्फ एक देश में उत्पादों का उत्पादन के लिए, जो करने की अपेक्षा कहना आसान है, हम फिर भी केवल बचा रहे होंगे या सुरक्षित कर रहे होंगे 10 में से एक खोया विनिर्माण रोज़गार। यह सही है, क्योंकि याद करो, उन नौकरियों में से अधिकांश, 87 प्रतिशत, हमारी अपनी उत्पादकता में सुधार के कारण खो गए थे। और दुर्भाग्य से, वे नौकरियां अच्छे के लिए गयी हैं। तो असली सवाल यह है, क्या कीमतें बढ़ाना हमारी समझदारी है? ऐसे में हम में से बहुत लोग हर दिन उपयोग होने वाला बुनियादी सामान नहीं जुटा सकते नौकरी बचाने के उद्देश्य के लिए जो कुछ वर्षों में वैसे भी समाप्त हो सकती है? वास्तविकता यह है कि साझा उत्पादन हमें उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के निर्माण करने की अनुमति देता है कम लागत पर। यह इतना आसान है। यह हमें और अधिक प्राप्त करने देता है सीमित संसाधनों और हमारी विशेषज्ञता से सीमित संसाधनों और हमारी विशेषज्ञता से यह याद रखना वास्तव में महत्वपूर्ण है कि साझा उत्पादन प्रभावी होने के लिए, यह सीमा पार कुशल कच्चे माल की आवाजाही पर निर्भर करता है, घटकों और तैयार उत्पादों की। तो यह याद रखें: अगली बार जब आप किसी को सुन रहे हैं इस विचार पर आपको बेचने का प्रयास करें कि संरक्षणवाद एक अच्छा सौदा है, यह ऐसा नहीं है धन्यवाद। (तालियां) अंत कहाँ से शुरू होता है? अच्छा, मेरे लिए, यह सब इस छोटे साथी के साथ शुरू हुआ। यह प्यारा जीव - ठीक, मैं इसे आराध्य सोचती हूँ - जिसे टेट्राहैमेन कहा जाता है और यह एक एकल कोशिका वाला प्राणी है। यह तालाब मैल के रूप में भी जाना जाता है। तो यह सही है, मेरा पेशा तालाब मैल के साथ शुरू। अब, यह कोई आश्चर्य नहीं था मैं एक वैज्ञानिक बन गई। यहाँ से बहुत दूर बड़ी होती हुई, छोटी लड़की के रूप में मैं बहुत अधिक उत्सुक थी उस सब कुछ बारे जिसमें प्राण था। मैं घातक जहरीली चुभने वाली लप्सीमच्छली उठाया करती थी और उनके आगे गाती थी। और इसप्रकार अपने पेशे की शुरुआत करते हुए, मैं बहुत अधिक उत्सुक थी मौलिक रहस्यों बारे जीवन की सबसे बुनियादी निर्माण खंडों की, और मैं एक समाज में, जहां वह जिज्ञासा मूल्यवान थी रहने के लिए भाग्यशाली थी। अब, मेरे लिए, यह छोटा तालाब का जीव टेट्राहीमेना मौलिक रहस्य अध्ययन करने का एक शानदार तरीका था जिसके लिए मैं अत्याधिक उत्सुक थी: हमारी कोशिकाओं में डी.एन.ए. के वे पुलिँदे जिन्हेँ गुण सूत्र (क्रोमोसोम) कहा जाता है। और ऐसा इसलिए था क्योंकि मैं उत्सुक थी गुणसूत्रों के अन्तिम छोर बारे, जिसे टेलोमेरेस कहते हैं। अब, जब मैंने अपनी खोज शुरू की, हम केवल इतना जानते थे कि वे गुण सूत्रों के सिरों की रक्षा में मदद करते थे। इसका महत्व कोशिकाएँ विभाजित होते समय था। यह वास्तव में महत्वपूर्ण था लेकिन मैं जानना चाहता थी टेलोमेरेस में क्या था, और इसके लिए, मुझे वे बहुत चाहिएँ थे। और ऐसा होता है कि उस प्यारे से टेट्राहीमेना में बहुतसारे छोटे रेखीय गुणसूत्र हैं, लगभग 20,000, अतः बहुत सारे टेलोमेरेस। और मुझे पता चला कि टेलोमेरेस में विशेष खंड शामिल थे ठीक गुणसूत्रों के सिरों पर गैर-कोडिंग डी.एन.ए. के। लेकिन यहां एक समस्या है। अब, हम सभी एक एकल कोशिका के रूप में जीवन प्रारंभ करते हैं। यह दो हो जाता है।दो चार हो जाते हैं। चार आठ हो जाते हैं, और इस प्रकार दो अरब खरब कोशिकाएँ बनाने हेतु जो हमारे वयस्क शरीर को बनाते हैं। और इनमें से कुछ कोशिकाओं को हजारों बार विभाजित होना पड़ता है। वास्तव में, यहां तक ​​जैसा कि मैं यहां आपके सामने खड़ी हूं, मेरे सारे शरीर में, कोशिकाएँ अति वेग से पुनःपूर्ति कर रही हैं ठीक मुझे यहाँ आपके समक्ष खड़ा रखा रखने के लिए। तो हर बार जब एक कोशिका विभाजित होती है, इसके सभी डी.एन.ए. की प्रति होनी होती है, गुणसूत्रों के अंदर डी.एन.ए की सभी कोडिंग, क्योंकि उसमें महत्वपूर्ण क्रिया संचालन निर्देश होते हैं जोकि हमारी कोशिकाओं को अच्छे से कार्यशील रखते हैं, ताकि मेरी हृदय कोशिकाएं नियमित धड़कती रह सकती हैं, जो जो मुझे यकीन है वे अभी नहीं कर रहे हैं, और मेरी प्रतिरक्षा कोशिकाएँ जीवाणु और वायरस से लड़ सकते हैं, और हमारे दिमाग की कोशिकाएँ हमारे पहले चुंबन की याददाश्त को बचा सकती हैं और पूरे जीवन में सीखती रह सकती हैं। लेकिन एक गड़बड़ है जिस तरह से डी.एन.ए. की नकल की जाती है यह जीवन के उन तथ्यों में से सिर्फ एक है। हर बार जब कोशिका विभाजित होती है और डी.एन.ए. की प्रतिलिपि बनती है, छोर से उस डी.एन.ए. में से कुछ घिस कर छोटा हो जाता है, उस टेलोमेरे का कुछ डी.एन.ए.। और इस बारे सोचो अपने जूतों के तस्मों के सिरे पर लगी सुरक्षात्मक टोपी की तरह। और वे तस्मों को या गुणसूत्र को उधड़ने से बचाते हैं, और जब वह सिरा बहुत छोटा हो जाता है, यह गिर जाता है, और वह घिसा हुआ टेलोमेरे कोशिकाओं को एक संकेत भेजता है। "अब डी.एन.ए. की रक्षा नहीं हो रही है।" यह एक संकेत भेजता है। मृत्यु का समय। तो, कहानी का अंत। खैर, खेद है, इतनी जल्दी नहीं। यह कहानी का अंत नहीं हो सकता, क्योंकि इस पृथ्वी से जीवन समाप्त नहीं हुआ है। तो मैं उत्सुक थी: अगर ऐसा तोड़ - जोड़ अनिवार्य है, धरती पर प्रकृति माँ कैसे सुनिश्चित करती है हम अपने गुणसूत्रों को बरकरार रख सकते हैं? अब, उस तालाब के मैल वाले छोटे टेट्राहैमेन को याद करें? अत्यंत उत्साहपूर्ण बात थी, टेट्राहैमेन कोशिकाएँ कभी बूढ़ी नहीं हुईं और न ही मरीं। उनके टेलोमेरेस समय बीतने के साथ-साथ छोटे नहीं हो रहे थे। कभी-कभी तो वे और भी बड़े हो गए। कुछ और ही चीज़ काम कर रही थी, व मेरा यकीन करो, कि वह कुछ चीज़ किसी भी पाठ्यपुस्तक में नहीं थी। अतः अपनी प्रयोगशाला में काम करते हुए अपने असाधारण छात्र कैरोल ग्रीनर और कैरल के साथ मैंने इस काम के लिए नोबेल पुरस्कार साझा किया - हमने प्रयोग करने शुरू कर दिए और हमने खोजा कोशिकाओं में कुछ और होता है। यह पहले से न खोजा आशातीत एंजाइम था जो कि पुनः पूर्ति कर सकता था, लंबे टेलोमेरेस बना सकता था, और हमने इसे टेलोमोरेज़ नाम दिया है और जब हमने हमारे तालाब मैल का टेलोमोरेज़ हटा दिया, उनके टेलोमेरेस कम हो गए और वे मर गए। तो यह उनके बहुतायत से टेलोमेरेज़ का प्रताप था कि हमारे तालाब के मैल जीव कभी बूढ़े नहीं हुए। ठीक है, अब, वह एक अविश्वसनीय आशावादी संदेश है हम मनुष्यों के लिए तालाब मैल से प्राप्त करने का, क्योंकि यह पता चला है कि जैसे हम मानव आयु में बढ़ते हैं, हमारे टेलोमेरेस कम होते हैं, और उल्लेखनीय है, वही कमी हमें बूढ़ा बना रही है। सामान्यतः जितने लम्बे आपके टेलोमेरेस होंगे उतने ही आप अच्छे रहोगे। यह टेलोमेरेस का अधिक छोटा होना ही है जो हमें उम्र बढ़ने के संकेत महसूस करवाता है और दिखाता है। मेरी त्वचा की कोशिकाएं मरना शुरू होती हैं और मैं बारीक रेखाओं, झुर्रियों को देखने लगती हूँ। बालों की रंगद्रव्य कोशिकाएँ मर जाती हैं। आपके बाल सफेद दिखने शुरु हो जाते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाएँ मर जाती हैं। आप बीमार होने के अपने ज़ोखिमों को बढ़ाते हैं। वास्तव में, पिछले 20 वर्षों से संचयी अनुसंधान ने स्पष्ट किया है कि टेलोमेरे संघर्षण हमारे ज़ोखिमों में योगदान दे रहा है हृदय रोग होने में, अल्जाइमर, कुछ कैंसर और मधुमेह, जैसी बहुत परिस्थितियां में जिससे हम में से बहुत मरते हैं। और इसलिए हमें इस बारे सोचना होगा। क्या हो रहा है? यह उन्मूलन, हम देखते हैं व हम बूढ़े महसूस करते हैं, हाँ। हमारे टेलोमेरेस तेज़ी से संघर्षण युद्ध हार रहे हैं। और हम में से जो अब युवा महसूस करते हैं, अभिप्राय है कि हमारे टेलोमेरेस अधिक देर तक टिके हुए हैं लंबे समय के लिए, युवापन की हमारी भावनाओं को बढ़ाते हुए और सब के ज़ोखिमों को कम करते हुए जिससे हम अधिक भयभीत होते हैं जैसे-जैसे जन्म दिन गुज़रते हैं। ठीक, बुद्धिहीन की तरह लगता है। अब, अगर मेरे टेलोमेरेस जुड़े हुए हैं कि मैं कितनी जल्दी बूढ़ा महसूस करने या होने वाली हूँ, अगर मेरे टेलोमेरेस मेरे टेलोमेरेज़ द्वारा नवीकृत हो सकते हैं, तो मुझे उम्र बढ़ने के चिह्न और लक्षणों को उल्टाने के लिए यह पता लगाना है कि "कॉस्टको" आकार की बोतल कहाँ खरीदें प्रथम श्रेणी की जैविक निष्पक्ष व्यापार टेलोमेरेज़, ठीक? महान! समस्या सुलझ गयी। (तालियां) इतनी जल्दी नहीं, मुझे माफ करना। काश, यह मामला नहीं है। ठीक। और क्यों? ऐसा इसलिए है क्योंकि मानव आनुवंशिकी ने हमें सिखाया है कि जब यह हमारे टेलोमेरेज़ की बात आती है, हम इंसान एक छुरी की धार पर रहते हैं। ठीक है, साधारण भाषा में, हाँ, टेलोमेरेज़ को दबाना कुछ रोगों के ज़ोखिमों को कम करता है, लेकिन यह ज़ोखिम बढ़ाता भी है निश्चित और बहुत बुरे कैंसर का। तो अगर आप खरीद भी सकें वह टेलोमेरेज़ की "कॉस्टको" आकार की बोतल, और कई वेबसाइटें हैं ऐसे संदिग्ध उत्पादों का विपणन करने की, समस्या यह है कि आप कैंसर के अपने जोखिमों को आगे बढ़ा सकते हैं। और हम ऐसा नहीं चाहते हैं। अब, चिंता मत करो, और क्योंकि, जब मुझे लगता है कि यह मज़ेदार है कि अभी, आप जानते हैं, हम में से कई सोच सकते हैं, ठीक है, मैं तालाब मैल की तरह होता। (हँसी) हम मनुष्यों के लिए कुछ है टेलोमेरेस की कहानी और उनके रखरखाव में लेकिन मुझे एक चीज स्पष्ट करनी है। यह मानव जीवन अवधि का अत्यंत विस्तार बारे नहीं है या अमरता बारे। यह स्वास्थ्य अवधि बारे है। अब, स्वास्थ्य अवधि संख्या है आपके जीवन के वर्षों की जब आप बीमारी से मुक्त होते हैं, आप स्वस्थ हैं, आप उत्पादक हैं, आप दिलचस्पी से जीवन का आनंद ले रहे हैं। रोग अवधि, स्वास्थ्य अवधि के विपरीत, आपके जीवन का समय बुढ़ापे में, बीमारी में और मरे मरे बिताना। तो असली सवाल बन जाता है, ठीक है, अगर मैं टेलोमेरेज़ नहीं ले सकता, क्या मेरे पास मेरे टेलोमेरेस की लंबाई का नियंत्रण है और इसलिए मेरे कल्याण, मेरे स्वास्थ्य का, बिना कैंसर के खतरे की उन कमियों के? ठीक? तो, यह वर्ष 2000 है अब, मैं छोटे नन्हें टेलोमेरेस की सूक्ष्मता से जांच कर रही हूं कई वर्षों से बहुत खुशी से, जब मेरी प्रयोगशाला में एलिसा एपेल नामक एक मनोवैज्ञानिक आती है। अब, एलिसा की विशेषज्ञता गंभीर, क्रोनिक मनोवैज्ञानिक तनाव प्रभाव में है हमारे मन और हमारे शरीर के स्वास्थ्य पर। और वह मेरी प्रयोगशाला में खड़ी थीं, जिसने व्‍यंग्‍यात्‍मक ढंग से शवगृह की अनदेखी की, और - (हँसी) और वह उसके पास मेरे लिए जिन्दगी और मौत का सवाल था। " जो लोग लंबे समय से तनावग्रस्त हैं उनमें टेलोमेरेस का क्या होता है?" उसने मुझसे पूछा। देखिए, वह देखभाल कर्त्ताओं का अध्ययन कर रही थी, और विशेष रूप से ऐसे बच्चों की माताओं का जिन्हें पुराने रोग थे, यह पेट विकार हो, यह स्वलीनता हो, आप इसे जो भी नाम दें - स्पष्ट रूप से एक समूह जो विशाल और लंबे समय तक मनोवैज्ञानिक तनाव में होता था। मुझे कहना है, उसके प्रश्न ने मुझे गंभीरतापूर्वक बदल दिया। देखो, अब तक सब समय मैं टेलोमेरेस बारे सोच रही थी एक बहुत छोटे आणविक संरचनाओं रूप में जो वे हैं, और जीन जो टेलोमेरेस को नियंत्रित करते हैं और जब एलीसा ने मुझसे देखभाल करने वालों का अध्ययन करने बारे पूछा, मैंने अचानक टेलोमेरेस एक नए ढंग से देखा। मैंने जीनों और गुणसूत्रों से हट कर देखा असली लोगों के जीवन में जिनका हम अध्ययन कर रहे थे। और मैं खुद एक माँ हूँ, और उस पल में, मैं इन महिलाओं की छवि द्वारा प्रभावित हुई थी एक बच्चे को सम्भालना एक ऐसी हालत में जिसे अक्सर बिना मदद के संभालना कठिन हो। और ऐसी महिलाएं, बस, प्रायः थकी हारी दिखती हैं। तो क्या यह संभव था कि उनके टेलोमेरेस भी अच्छी तरह से घिस पिट गए थे? तो हमारी सामूहिक जिज्ञासा ने जी जान लगा दी। एलिसा ने हमारे पहले अध्ययन के लिए चुना ऐसी देखभाल करने वाली माताओं का एक समूह, और हम जानना चाहते थे: उनके टेलोमेरेस की लंबाई क्या है उन वर्षों की तुलना में जितने वर्ष से वे देखभाल कर रहे हैं अपने बच्चों की चिरकाल पुरानी अवस्था में? तो चार साल बाद और दिन आता है जब सभी परिणाम सामने हैं, और एलिसा ने हमारे पहले बिंदु अंकित प्रसार पर दृष्टि डाली और सच मुच आह भरी, क्योंकि आंकड़ो में एक प्रतिमान था, और यह सटीक उतार-चढ़ाव था जिसका हमें सबसे अधिक अंदेशा था। यह बिल्कुल पृष्ठ पर ही था। जितना लंबा समय, यानि जितने अधिक वर्ष, माँ इस देखभाल की स्थिति में थी, उसकी उम्र इसका कोई लेना देना नहीं, उसके टेलोमेरेस छोटे थे। और उसने जितना अधिक महसूस किया अपनी स्थिति को अधिक तनावपूर्ण, उतना ही अधिक उसका टेलोमेरेज़ कम था और उतने ही अधिक छोटे उसके टेलोमेरेस थे। तो हमने कुछ अनजानी खोज की थी: आप जितना अधिक पुराने तनाव में हैं, उतने ही अधिक छोटे आपके टेलोमेरेस, जिसका मतलब है कि आपके जल्दी बीमार होने की संभावना अधिक थी और शायद असामयिक मृत्यु। हमारे निष्कर्षों का मतलब है कि लोगों की जीवन घटनाएँ और हमारी इन घटनाओं के प्रति प्रतिक्रिया अनुसार हमारे टेलोमेरेस स्तर को परिवर्तित कर सकता है। तो टेलोमरेस की लंबाई सिर्फ वर्षों में गणना की गई उम्र की बात नहीं थी। मुझसे एलीसा का प्रश्न, जब वह पहली बार मेरी प्रयोगशाला में आई, वास्तव में जीवन और मौत का सवाल था। अब, सौभाग्य से, उन आंकड़ो में आशा छिपी थी। हमने देखा कि कुछ माताएँ, अपने बच्चों की कई सालों तक ध्यान से देखभाल करने के बावजूद, अपने टेलोमेरेस को बनाए रखने में सक्षम थीं। इसलिए इन महिलाओं का करीब से अध्ययन करने से पता चला कि वे तनाव में सहज होती थीं। किसी तरह वे अपनी परिस्थितियों का अनुभव करने में सक्षम थीं दिन प्रति दिन खतरे के रूप में नहीं लेकिन एक चुनौती के रूप में, और इससे हम सभी को एक बहुत महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि मिली है: हमारा उम्र ढलने के ढंग पर नियंत्रण हमारी कोशिकाओं में ही है। ठीक है, अब हमारी प्रारंभिक जिज्ञासा संक्रामक बन गई। विभिन्न क्षेत्र के हज़ारों वैज्ञानिकों ने टेलोमेरे शोध के लिए अपनी विशेषज्ञता का योगदान दिया, और निष्कर्ष आए हैं। वैज्ञानिक शोध पत्र 10,000 से ऊपर है और गिनती बढ़ रही है। तो कई अध्ययनों ने तेजी से हमारी प्रारंभिक खोज की पुष्टि की कि हाँ, स्थिर तनाव टेलोमेरे हेतु बुरा है। वअब कई लोग खुलासा कर रहे हैं कि हमारे पास अधिक नियंत्रण है इस विशेष उम्र बढ़ने की प्रक्रिया पर जिसकी हममें से किसी ने कभी कल्पना नहीं की थी। कुछ उदाहरण: कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स के एक अध्ययन उन लोगों पर जो मनोभ्रंश रिश्तेदार की, दीर्घकालिक, देखभाल कर रहे हैं, और उनके देखभालकर्ता की टेलोमेरे रखरखाव क्षमता को जाँचा और पाया कि इसमें सुधार हुआ था उनके द्वारा एक प्रकार के ध्यान का अभ्यास करने से दो महीने तक केवल 12 मिनट प्रतिदिन के लिए। नज़रिए से फ़र्क पड़ता है। यदि आप आदतन नकारात्मक विचारक हैं, आप आमतौर पर एक तनावपूर्ण स्थिति देखते हैं एक ख़तरे की तनाव प्रतिक्रिया के साथ, जिसका अर्थ है कि यदि आपका बॉस आपको देखना चाहता है, आप स्वतः सोचते हैं, "मुझे निकाल दिया जाना है," व आपकी रक्त वाहिकाएँ संकुचित होती हैं, और आपके तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, और फिर यह ऊपर कायम रहता है, और समय के साथ, कोर्टिसोल का लगातार उच्च स्तर वास्तव में आपके टेलोमेरेज़ कम करता है। आपके टेलोमेरेस के लिए अच्छा नहीं। दूसरी ओर, यदि आप आमतौर पर कुछ तनावपूर्ण को सुलझाने वाली चुनौती देखते हो, तो रक्त आपके दिल व मस्तिष्क की ओर बहता है, व आप कोर्टिसोल प्रवाह में क्षणिक बदलाव से ज्वलंत ऊर्जा का संक्षिप्त अनुभव करते हो। और उस अभ्यस्त दृष्टिकोण "जो है सामने रखो" के कारण, आपके टेलोमेरेस सिर्फ ठीक रहते हैं। इसलिए ... यह सब हमें क्या बता रहा है? आपके टेलोमेरेस सिर्फ ठीक करते हैं। आपके पास वास्तव में शक्ति है क्या हो रहा है इसे बदलने की अपने खुद के टेलोमेरेस को। लेकिन हमारी जिज्ञासा बस अधिकाधिक तीव्र हो गई, क्योंकि हमें आश्चर्य होने लगा, हमारी अपनी त्वचा के बाहर कारकों के बारे क्या? क्या वे भी हमारे टेलोमेरे रखरखाव को प्रभावित कर सकते हैं? तुम्हें पता है, हम इंसान बहुत ही सामाजिक प्राणी हैं। क्या यह भी संभव था कि हमारे टेलोमेरेस भी सामाजिक थे? और परिणाम आश्चर्यजनक रहे हैं बचपन से ही, भावनात्मक उपेक्षा, हिंसा से संपर्क, बदमाशी और नस्लवाद सभी आपके टेलोमेरेस को प्रभावित करते हैं और प्रभाव दीर्घकालिक हैं। क्या आप बच्चों पर प्रभाव की कल्पना कर सकते हैं एक युद्ध क्षेत्र में रहने वाले वर्षों की? जो लोग अपने पड़ोसियों पर भरोसा नहीं कर सकते और जो अपने पड़ोस में सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं उनके टेलोमेरेस लगातार छोटे होते हैं। तो आपके घर का पता भी टेलोमेरेस के लिए फ़र्क डालता है। इसके विपरीत, अच्छी तरह से जुड़े, लम्बा विवाहित जीवन, और आजीवन दोस्ती, यहां तक ​​कि, सब कुछ टेलोमेरे रखरखाव में सुधार लाते हैं। तो यह सब क्या बता रहा है? यह हमें बता रहा है कि मेरे पास शक्ति है अपने खुद के टेलोमेरेस को प्रभावित करने की, और मेरे पास भी तुम्हारे टेलोमेरे को प्रभावित करने की शक्ति है। टेलोमेरे विज्ञान ने हमें बताया है बस हम सब कैसे एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। लेकिन मैं अभी भी उत्सुक हूँ। मुझे आश्चर्य भी है हम सभी उत्तराधिकार में क्या भावी पीढ़ी के लिए छोड़ेंगे? क्या हम निवेश करेंगे भावी युवा महिला या आदमी में एक माइक्रोस्कोप के माध्यम से झांकते हुएअगले छोटे जीव पर, तालाब मैल के भावी थोड़े से भाग पर, एक प्रश्न, बारे उत्सुक होते हुए, जिसे हम आज भी सवाल नहीं मानते हैं? यह बढ़िया सवाल हो सकता है जो पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है। और शायद, शायद आप अपने बारे में उत्सुक हैं। अब आपको पता है अपने टेलोमेरेस की रक्षा कैसे करें, क्या आप उत्सुक हैं कि आप क्या करने वाले हो उन अच्छे स्वास्थ्य भरे दशकों में? और अब जब आप जानते हैं कि आप दूसरों के टेलोमेरेस को प्रभावित कर सकते हैं, क्या तुम उत्सुक हो आप अन्तर कैसे लाओगे? और अब जब आप दुनिया को बदलने के लिए जिज्ञासा की शक्ति जानते हैं, आप यह सुनिश्चित कैसे करेंगे कि दुनिया जिज्ञासा में निवेश करती है हमारे पीछे आने वाली पीढ़ियों के लिए? धन्यवाद। (तालियां) लेकिन वैसे भी, यह विज्ञान की बुराइयों के बारे में है, तो मुझे लगता है कि यह सही है. ♫हे भगवान्, चलता फिरता, मेरा प्यारा♫ ♫हाँ, यह है मेरा, कलोनी♫ ♫ओह, अगर मैं गाड़ी घूमा सकती, किसे पता था मैं इतनी अच्छी लग सकती,♫ ♫सिर्फ बात करती फ़ोन पर उससे, कलोनी♫ ♫हम हैं दोस्त, और यह सही है, क्योकि हम नहीं हैं, अकेले♫ ♫उथला जीन कुंड, नहीं परेशान करता उसे, कलोनी♫ ♫तुम और मैं, चले चले, अच्छे या बुरे♫ ♫दिन और रात, सिर्फ हमारा डीएनए, ओल्सन जोड़े के पास हमसे ज्यादा कुछ नहीं,♫ ♫हम जियेंगे, एक साथ, माँ प्रकृति,उसे न बुलाना जाली, मेरी कलोनी♫ ♫अमीर थी, निरोग नहीं, कोई न साथ रहने को♫ ♫देखो फिर किसे जन्म दिलवाना मैंने, कलोनी♫ ♫गरीब नहीं, रसहीन, अमीर जन, हमें असली की कोई ज़रुरत नहीं♫ ♫हमारे बच्चे - बड़े ही आते हैं, कलोनी♫ ♫हम गले लगाने लायक होंगे,पत्रकार को बुलाएँगे♫ ♫उन्हें दिखांगे, सबसे प्यारी चीज़ हैं हम एमिनेम के बाद♫ ♫ओह मेरे दोस्त, वंश बढाओ, हम मताधिकार हैं, डिस्नी और लेस्टर की तरह♫ ♫हमारा कैंसर फिल स्पेक्टर के संग से ज्यादा सौम्य है♫ ♫हम साथ जी लेंगे, हमें अनुबंध करना था वेर्व के बजाये सोनी,♫ ♫तुम हो मेरी कलोनी, "कलोनी मैं तुमसे प्यार करती हूँ"♫ ♫हा, मैं एकलौती हूँ जिसे मैंने प्यार किया♫ ♫भगवान्!, यह मजेदार है, तुम मेरा घातक आकर्षण हो. मेरी कलोनी♫ ♫धन्यवाद.♫ (हर्षध्वनि) मैं कॉलेज के छात्रों को असमानता और शिक्षा चल रही स्पर्धा से अवगत करता हू . तथा मैं अपना कार्यालय खुला रखता हूं, किसी भी छात्र के लिए जो मुझसे बातचीत करना चाहें। और कुछ सेमेस्टर पहले, मेरा सबसे अधिक हंसमुख छात्र, "महारि" मुझे देखने आया था उसने बताया काला होनेसे वह परिष्कृत महसूस कर रहा था . वह अभी ही न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय अाया है एक सामुदायिक कॉलेज से योग्यता छात्रवृत्ति पर, और पता चला कि, केवल पांच प्रतिशत छात्र न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में, काले हैं। और इसलिए मुझे याद आया कि मुझे पता है कि बाहरी व्यक्ति होने की क्या भावना है अपने ही समुदाय में। यह आंशिक रूप से मुझे इस काम के लिए आकर्षित किया मेरे विश्वविद्यालय में, मैं कुछ सदस्यों में से एक हूं, जिसका रंग अलग है, और बढ़ते हुए, मैंने अनुभव किया मेरे परिवार की सामाजिक गतिशीलता, मकान के बाहर एक अच्छे घर में जा रहा हूं, लेकिन एक अपरिहार्यता थी मै गोरे लोगोके पड़ोस में रहाता था . मैं 12 साल का था, और बच्चे चौंक कर कहते थे कि, मैं करी की तरह गंध नहीं करता। (हँसी) ऐसा इसलिए है क्योंकि स्कूल सुबह में है, और मुझे नाश्ते के लिए एग्गो वेफल्स था। (हँसी) करी रात को खाते हैा (हँसी) तो जब "महारि" निकल रहा था, मैंने उससे पूछा था कि वह कैसे सामना कर रहा अकेलापन का‍। और उसने कहा कि अकेलापन महसूस करने के बावजूद, वह सिर्फ अपना काम करता रहा, अौर उसने "धैर्य" से रणनीतियॉं बनाई, और सफल होने की कोशिश की। मेरा एक गुरु वास्तव में डॉ एंजेला डकवर्थ है, जो पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में मनोवैज्ञानिक है, "धैर्य" को परिभाषित किया है "दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए दृढ़ता और जुनून" एंजेला की पुस्तक सर्वश्रेष्ठ विक्रेता बन गई है और देशभर के स्कूलों, विशेष रूप से निजी स्कूलों, "धैर्य" को मुख्य महत्व के रूप में उद्धृत करने में रुचि हो गई है। लेकिन कभी-कभी धैर्य पर्याप्त नहीं है, खासकर शिक्षा में। जब महारि मेरे कार्यालय से बाहर निकला, तो मुझे चिंता थी कि उसे कुछ और जरूरत पड़ सकती है उसे उन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए। समाजशास्त्री के रूप में, मैं उपलब्धि का भी अध्ययन करता हूं, लेकिन थोड़ा अलग दृष्टिकोण से। मैं उन छात्रों का शोध करता हूं जिन्होंने अपनी पृष्ठभूमि से संबंधित बहुत बड़ी बाधाओं को पार किया है। कम-आय वाले छात्र, अक्सर एकल माता-पिता के घरानों वाले बेघर हो चुके, कैद में रहने वाले या शायद बिना दस्तावेज वाले छात्र, या वे लोग जिन्होंने मादक द्रव्यों का सेवन किया हो या हिंसक या यौन आघात का शिकार हुआ हो। मैं आपको दो धैर्यशील लोगों के बारे में बताता हूं जिनसे मैं मिला। "तारिक" अकेली माँ का परवरिश किया हुआ, और फिर उच्च विद्यालय के बाद, गलत संगती में पड़ गया। उसे सशस्त्र डकैती के लिए पकड़ा गया। लेकिन जेल में, वह मेहनत करना शुरू कर दिया। उसने कॉलेज क्रेडिट पाठ्यक्रम लिया, इसलिए जब वह बाहर निकला, तो उसने स्नातकोत्तर प्राप्त किया और आज वह एक गैर-लाभकारी प्रबंधक है। "वैनेसा" जब एक बच्ची थी तो उसे बहुत कुछ घूमना पड़ता था, ईस्ट साइड से स्टेटन द्वीप से ब्रोंक्स तक। वह मुख्य रूप से अपने विस्तारित परिवार द्वारा परवरिश की गई थी, क्योंकि उनकी मां की हेरोइन की लत थी। फिर भी 15 की, उम्र में, वैनेसा को स्कूल छोड़ना पड़ा, और उसका अपना एक बेटा था। लेकिन आखिरकार, वह सामुदायिक कॉलेज गयी, मध्यवर्ती डिग्री लिया, और उसके बाद एक कुलीन विश्वविद्यालय में गयी अपना स्नातक प्राप्त किया। कुछ लोग इन कहानियों को सुनेंगे और कहेंगे "हां, ये दो निश्चित रूप से धैर्यशील हैं। वे मूल रूप से स्वयं के प्रयासों से खुद को खींचा।" लेकिन यह एक अधूरी तस्वीर है, क्योंकि महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या उनके जीवन में कारकों की वजह उनके "साधन" को प्रभावित करती थी, या उनकी विशिष्ट क्षमता, उन बाधाओं पर काबू पाने में मदद करती थी और आगे बढ़ने का क्षमता देती थी जैसा भी परिस्थिति हो। मुझे विस्तृत करने की अनुमति दें जेल में, तारिक वास्तव में लक्ष्यहीन था, जैसा कि वह 22 वर्षीय, रीकर्स द्वीप पर था। ऐसा तब तक रहा जब तक कि एक पुराने बंदी युवा कार्यक्रमों में मदद करने के लिए उससे पूछा। और युवाओं के मार्गदर्शन में, वह अपनी गलतियों और किशोरों की संभावनाओं को देखना शुरू कर दिया। यही उसे कॉलेज-क्रेडिट पाठ्यक्रम लेने में रुचि जगाई। और जब वह बाहर हो गया, तो उसे फॉर्च्यून सोसाइटी में नौकरी मिली, जहां कई अधिकारी पहले जेल में रखा रह चुके थे। वहां वह सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर प्राप्त किया, और आज, वह कोलंबिया में जेल सुधार के बारे में भी व्याख्यान देता है। और वैनेसा ... उसके बेटे के जन्म के बाद, उसे वोकेशनल फाउंडेशन नामक एक प्रोग्राम मिला, जिसने उसे 20 डॉलर साप्ताहिक, एक मेट्रो कार्ड, और कंप्यूटर के साथ उसका पहला अनुभव दिया। ये सरल संसाधन से उसे सामान्य शैक्षिक विकास प्राप्त करने में मदद मिली लेकिन फिर उसे एक गंभीर गुर्दे की विफलता का सामना करना पड़ा, जो विशेष रूप से समस्याग्रस्त था क्योंकि उसके पास केवल एक गुर्दा था। वह एक सफल प्रत्यारोपण के लिए 10 साल डायलिसिस पर रही। उसके बाद, सामुदायिक कॉलेज के गुरु उसके साथ संपर्क में थे, और इसलिए वह जाने में सक्षम थी, और उन्होंने उसे ऑनर्स कार्यक्रम में रखा। और यही वह रास्ता है जिससे उसे महिलाओं के लिए सबसे विशिष्ट कॉलेजों ने स्वीकारा, और उसने 36 वर्ष की आयु में अपने स्नातक प्राप्त की, अपने बेटे के लिए एक अविश्वनीय उदाहरण स्थापित किया। ये कहानियां मुख्य रूप से इंगित करती हैं कि शिक्षण सामाजिक और सामाजिक मचान से लाभ उठाती है। इन दोनों को एक दिशा में बढ़ाने वाले बहुत साधन और कारण थे, लेकिन अनुरूप नियोजन और अवसरों के माध्यम से वे अपने परिस्थितियों पर प्रतिबिंबित करने और नकारात्मक प्रभावों का विरोध करने में सक्षम थे। उन्होंने सरल कौशल भी सीखा जैसे कि एक सामाजिक नेटवर्क विकसित करना, या मदद के लिए पूछना -- इस कमरे में हम में से बहुत लोग भूल जाते है की हमें समय-समय पर जरूरत पड़ती है, सही मूल्य नहीं समझते। व जब हम इन लोगों के बारे में सोचते हैं तो हमें उन्हें केवल असाधारण मानना चाहिए, लेकिन अपवादों के रूप में नहीं। अपवाद के रूप में उन्हें सोचना हमें मुक्त करता है सामूहिक जिम्मेदारी का इसी तरह की स्थितियों में छात्रों की सहायता करने से जब राष्ट्रपतियों बुश, ओबामा और अब भी ट्रम्प, ने शिक्षा को "हमारे समय के नागरिक अधिकारों का मुद्दा" बुलाया है, शायद हमें भी इसे इस तरह लेना चाहिए। यदि विद्यालय अपने छात्रों के लिए ऐसे साधन के बारे में सोचने लगे और छात्रों को आगे बढ़ाते वक़्त उसका सहायता ले तो जो छात्र सीखते हैं उनके जीवन के लिए अधिक प्रासंगिक हो सकते हैं, और फिर वे धैर्य और चरित्र के उन आंतरिक भंडार को पहचान सकेंगे। तो ये यहां -- मेरा छात्र महाारी को कानून विद्यालय ने स्वीकार कर लिया, छात्रवृत्ति के साथ, और मैं अपनी बड़ाई नही कर रहा, बल्कि मैंने उसका एक अनुशंसा पत्र लिखा था। (हँसी) और भले ही मुझे पता है कि कड़ी मेहनत से उसे यह उपलब्धि मिली है, मैंने देखा उसने अपनी विशिष्ट शैली को पहचाना जो के हमेशा शर्मीला स्वभाव का था, मुझे पता है कि यह समय और समर्थन लेता है। तो भले ही वह अपने धैर्य पर बहुत भरोसा करे की धर्य से वो अपने कानून स्कूल का प्रथम वर्ष निकल लेगा, मैं उसके लिए एक गुरु के रूप में रहूंगा, समय-समय पर उसका खैरियत लुॅंगा, शायद मैं उसे करी खिलाने ले जाऊं ... (हँसी) ताकि वह अपनी साधन को और भी अधिक सफल करने के लिए आगे बढ़ा सके। धन्यवाद। (तालियां) तो, मा मुझे कुछ समझाने की कोशिश कर रहा थी¶ दादी के बारे में और जब वे बड़े हुए, लेकिन मैं उसे ध्यान नहीं दे सका क्योंकि मैं पांच साल का था, और मुझे डर लगता था। मैंने अभी अभी हरी महिला को देखा था। अब, एक हफ्ते पहले, मैंने उस फिल्म "गॉडज़िला" को देखा था उस विशाल छिपकली जैसे जानवर के बारे एक प्रमुख शहर पर हमला करते हुए , और मेरे लिए एक हरे राक्षस का विचार मेरे मन में अटक गया था। और अभी मैं अपनी माँ के साथ लोअर मैनहट्टन के सिरे पर था, बस उसे घूरते हुए : उसके सींग, उसकी मांसपेशियां - इन सब ने सिर्फ मुझे डरा दिया। और मुझे नहीं पता था कि वह एक राक्षस थी या नायिका। इसलिए मैंने उस समय के गूगल से परामर्श करने का निर्णय लिया-- मा! मा!" (हँसी)¶ मेरी मां ने समझाया कि हरी महिला वास्तव में स्वतंत्रता की प्रतिमा है¶ और वह प्रवासियों का स्वागत कर रही थी। अब, उसके आंशिक स्पष्टीकरण ने वास्तव में मेरे युवा दिमाग में यह गड़बड़ कर दी कि तथ्य यह था कि, मा के अनुसार, हमसे बहुत पहले, हरी महिला वास्तव में भूरी थी, मेरे जैसे भूरे रंग की, और समय के साथ उसने रंग बदल लिया, बिल्कुल अमेरिका की तरह। अब, वह अंश जो सचमुच इस बारे दिलचस्प है यह है कि जब उसने रंग बदला , उसने मुझे मेरे बारे में सुचवाया। यह सब मुझे समझ आया, क्योंकि पहली पीढ़ी के अमेरिकी के रूप में, मैं आप्रवासियों से घिरा हुआ था। वास्तव में, मेरे नज़दीकी सामाजिक मंडल के भीतर वे लोग जो मुझे समर्थन करते हैं, मेरा जीवन समृद्ध करते हैं, कम से कम दो विदेश में जन्में हैं। अमेरिकी नागरिक के रूप में मेरा जीवन कई तरह से नवागंतुकों द्वारा ढाला गया है, और संभावना है, आपका भी। संयुक्त राज्य अमेरिका में 4 करोड़ से अधिक आप्रवासी हैं।¶ जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्र के एक चौथाई बच्चों के माता पिता में से कम से कम एक विदेश में जन्मा है। क्योंकि मैं वैश्विक प्रवास स्वरूप का अध्ययन करता हूं तो आंकड़ों को जानता हूं । मैं एक पत्रकार हूं, और पिछले कुछ वर्षों से, मैं अमेरिकी नागरिकों के जीवन को दर्ज़ कर रहा हूं जिन्होंने लोगों को निर्वासन में खोया है। और आंकड़े विशाल हैं। 2008 से 2016 तक, तीस लाख से अधिक लोगों के "हटाए जाने का आदेश हुआ" - यह तकनीकी शब्द है निर्वासित किये जाने के लिए। इसमें आर्थिक, राजनीतिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक लागत है उन निर्वासनों के लिए - उस क्षण से जब से ये घेरे टूट जाते हैं। एक बार मैंने अमेरिकी सैनिक से पूछा,¶ "आप इस युद्ध को लड़ने हेतु स्वयंसेवक क्यों बने ?" और उसने मुझसे कहा,¶ "क्योंकि मुझे अपने देश रक्षा पर गर्व है।" लेकिन मैंने और टटोला -¶ "वास्तव में, जब आप जंग में होते हैं, और तुम दूर बम विस्फोट सुनते हो , और आप वापस आते हुए सैनिको को देखते हैं जो गंभीर रूप से घायल हैं, उस पल में, जब आप जानते हैं कि आप अगले हो सकते हैं, 'मेरा देश' क्या मतलब है? " उसने मेरी ओर देखा। "मेरा देश मेरी पत्नी है, मेरा परिवार, मेरे दोस्त, मेरे सैनिक। " वह मुझसे कह रही थी कि "मेरा देश" इन मजबूत संबंधों का एक संग्रह है; ये सामाजिक दायरे। जब सामाजिक दायरे कमजोर होते हैं,¶ एक देश ही कमजोर होता है। हम आप्रवासन नीति के बारे में बहस में एक महत्वपूर्ण पहलू को भुला रहे हैं। व्यक्तियों पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय, हमें उनके आसपास घेरे पर, ध्यान देना चाहिए, क्योंकि ये लोग हैं जो पीछे रह गए हैं: मतदाता, करदाता, जो कि उस नुकसान से पीड़ित हैं। और यह सिर्फ निर्वासितों के बच्चे नहीं जो प्रभावित होते हैं। आपके भाई और बहन हैं जो सीमाओं के कारण बिछुड़ जाते हैं। आप के सहपाठी, शिक्षक, कानून प्रवर्तन अधिकारीगण, प्रौद्योगिकीविद, वैज्ञानिक, डॉक्टर, हैं जो सब नई वास्तविकताओं का मतलब समझने के लिए हाथ पांव मार रहे हैं जब उनके सामाजिक दायरे टूट जाते हैं। इन सभी आंकड़ों के पीछे ये वास्तविक जिंदगियां हैं जोकि आप्रवासन नीति चर्चा पर हावी होती हैं। लेकिन हम अक्सर उनके बारे नहीं सोचते। व मैं इसे बदलने की कोशिश में हूं। यहां मेरी एकत्रित की हुई वास्तविक जीवन कहानियों में से सिर्फ एक है।¶ और यहअभी भी मुझमें घर किए है। मैंने 2016 में रमोन और उनके पुत्र से मुलाकात की, उसी वर्ष दोनों को ही देश निर्वासन का आदेश दिया जा रहा था। रमोन को लैटिन अमेरिका में भेजा जा रहा था, जबकि उसका बेटा, जो एक सार्जेंट था अमेरिकी सेना में, तैनात किया जा रहा था। निर्वासित ... को तैनात किया। यदि आप केवल रमोन के मामले को देखते हैं, यह स्पष्ट नहीं होगा कि वह कैसे देश से गहराई से जुड़ा है। लेकिन उसके बेटे की सोचें: एक अमेरिकी नागरिक ऐसे देश की रक्षा करे जिसने उसके पिता को भगा दिया है। यहाँ सामाजिक दायरा महत्वपूर्ण है। यहाँ एक और उदाहरण है जो उन महत्वपूर्ण बंधनों को दर्शाता है¶ फिलाडेल्फिया में नागरिकों का एक समूह अपनी नौकरी के बारे में चिंतित था, क्योंकि रेस्तरां का कानूनन मालिक जहां वे काम करते थे एक अप्रतिबंधित आप्रवासी था, और आप्रवास अधिकारियों ने उसे खोज लिया था। वे उसके साथ खड़े हो गए। एक आप्रवास वकील ने तर्क दिया स्थानीय समुदाय के लिए वह बहुत महत्वपूर्ण था निर्वासित न किये जाने के लिए। सुनवाई पर, उन्होंने रेस्तरां की समीक्षा भी प्रस्तुत की -- रेस्तरां की समीक्षा! अंत में, एक न्यायाधीश ने "न्यायिक विवेक" का उपयोग किया और उसे देश में रहने की अनुमति दी, लेकिन केवल इसलिए कि उन्होंने सामाजिक दायरे का विचार किया। संयुक्त राज्य अमेरिका में दो करोड़ तीस लाख गैर-नागरिक हैं,¶ सत्यापित संघीय आंकड़े अनुसार, और इसमें बिना दस्तावेज वाले शामिल नहीं है, क्योंकि उस जनसंख्या के लिए संख्या सबसे जटिल अनुमानों पर हैं। चलो बस हमारे पास जो है उसके साथ काम करते हैं। यह दो करोड़ तीस लाख सामाजिक मंडलियां हैं - लगभग दस करोड़ व्यक्ति जिनका जीवन निर्वासन से प्रभावित हो सकता है। और इस सब का तनाव आबादी में नीचे तक पहुंच रहा है। लोंस एंजेलिस विश्वविद्यालय के निवासीसियों द्वारा 2017 के मतदान ने पाया कि लोंस एंजलिस के 30 प्रतिशत नागरिक निर्वासन को लेकर तनावग्रस्त हैं , इसलिए नहीं कि उनको हटाया जा सकता है, बल्कि, क्योंकि उनके सामाजिक मंडल के सदस्य खतरे में थे। मेरा यह सुझाव नहीं कि कोई भी कभी भी निर्वासित न हो;¶ उस के साथ मुझे भ्रमित मत करो। लेकिन मैं कह रहा हूं कि हमें बड़ी तस्वीर देखने को ज़रूरत है। यदि आप मेरी आवाज़ की आवाज सुन रहे हो हैं, मैं चाहता हूं कि आप एक पल के लिएअपनी आँखें बंद करें और अपने स्वयं के सामाजिक दायरे की जांच करें आपके जो परिचित प्रदेश जन्में हैं? यह कैसा लगेगा अगर दायरा टूट जाए? अपनी कहानी साझा करें।¶ मैं एक वैश्विक संग्रह बना रहा हूँ प्रथम-व्यक्ति खातों का और मैपिंग तकनीक के साथ उन्हें जोड़ते हुए, ताकि हम बिल्कुल देख सकें जहां ये दायरे टूट जाते हैं , क्योंकि यह सिर्फ एक अमेरिकी मुद्दा नहीं है। दुनिया भर में पचीस करोड़ प्रवासी हैं; लोग, उन देशों में जहां वे पैदा नहीं हुए थे, रहते हैं, प्यार करते हैं और सीखते हैं। और मेरे व्यवसाय व जीवन में, मैं उनमें से एक रहा हूँ: चीन , अफ्रीका, यूरोप में और हर बार जब मैं इन विदेशियों में से एक होता हूं- नई धरती पर इन अजीब दिखने वाले लोगों में से एक - उस दिन को सोचे बिना नहीं रह सकता जब मैं लोअर मैनहट्टन में अपनी माँ के साथ था उन सभी दशकों पहले, जब मैं डर गया था, और मैंने सिर्फ उस हरी महिला को देखा था। मैं उस प्रश्न जिसे में सोचता रहता हूँ का अंदाज़ा लगाता हूँ जब मैं उसे देखता हूँ और उसकी सभी युवा प्रतिकृतियां जो स्पष्ट रूप से भूरे रंग की होती हैं, और यहां तक ​​कि उसे प्रदर्शित करते शुरुआती चित्र भी बिल्कुल हरे रंग के नहीं - जब मैं ये सब देखता हूं, वह प्रश्न जिसका मेरी खोज उत्तर खोजना चाहती है मेरे लिए वही का वही हो जाता है जिसने मुझे उन सभी वर्षों पहले उलझाए रखा: क्या वह एक राक्षस है या नायिका? धन्यवाद।¶ (तालियां)¶ मैं तुम्हारे साथ यह सोचने के लिए एक क्षण लेना चाहती हूं आप पांच साल की छोटी लड़की हैं एक आईना के सामने बैठे, आप पूछते हैं, क्या मैं मौजूद हूँ? इस स्थान में, बहुत कम संदर्भ हैं, और आप एक अलग स्थान पर जाते हैं, लोगों से भरा हुआ निश्चित रूप से, अब आप जानते हैं आप अपनी खुद की कल्पना नहीं हैं आप एक ही हवा में साँस लेते हैं आप उन्हें देख सकते हैं, तो वो भी आप को देख सकते है लेकिन फिर भी, आप को आश्चर्य है क्या मैं केवल तब ही मौजूद हून जब लोग मुझसे बात करते हैं? एक बच्चे के लिए, बहुत भारी सोच है, है ना? लेकिन विभिन्न कलाकृतियों के माध्यम से जो हमारे समाज पर प्रतिबिंबित करते हैं, मैं समझ गयी कैसे एक युवा काली लड़की यह सोच कर बड़ी हो सकती है की ना वो किसी को दिखाई देती हैं और शायद मौजूद ही नहीं वास्तव में, अगर युवा लोग अपना सकारात्मक छवियाँ नहीं देखते हैं और केवल नकारात्मक छवियाँ ही रहती है, यह उनकी गरिमा को प्रभावित करता है लेकिन यह भी प्रभावित करता है कि समाज उनके साथ कैसे पेश आते हैं मुझे ये पता चला पांच साल केप टाउन में रहने के बाद अव्यवस्था और अदृश्यता में ने गहराई से महसूस किया मैं खुद को प्रतिनिधित्व नहीं देख सकती थी मैं उन महिलाओं को नहीं देख सकी जिन्होंने मुझे परवरिश धी, जिन लोगों ने मुझे प्रभावित किया, और जिन लोगों ने दक्षिण अफ़्रिका को वो बनाया जो वो आज है मैंने इसके बारे में कुछ करने का सोचा जब आप ये देखते हैं तो आप क्या सोचते है? अगर आप एक काली लड़की थे, इस से देख कर आप को कैसे लगता? जब आप सड़क पर चल रहें हैं, आप का शहर आप के बारे में क्या कहता है? क्या प्रतीकों मौजूद हैं? कौन से इतिहास मनाये जाते है? और दूसरी तरफ, कौन से छोड़ दिए जाते हैं? वास्तव में, सार्वजनिक स्थल इतने भी तटस्थ नहीं होते जितना दिखते है मुझे ये पता चला जब मैंने 2013 विरासत दिवस पर एक प्रदर्शन किया केप टाउन भरा परा है मर्दाना वास्तुकला के साथ, स्मारकों और मूर्तियों के साथ, जैसे उस तस्वीर में लुईस बोथा यह सफेद औपनिवेशिक और अफरीकनर राष्ट्रवादी पुरुषों का आगमन न केवल एक एक सामाजिक, लिंग और नस्लीय विभाजन गूंजता है, लेकिन यह भी प्रभावित होता है जिस तरह से महिलाओं -- और जिस तरह, विशेष रूप से, काली महिलाओं -- सार्वजनिक स्थानों में खुद को देखती है प्रमुख पुरुष के संबंध में यह और अन्य कारण, मुझे नहीं लगता की हमें मूर्तियों की ज़रुरत है इतिहास का संरक्षण और याद करने का कार्य अधिक यादगार और प्रभावी तरीके में प्राप्त किया जा सकता है एक साल के लंबे भाग के रूप में सार्वजनिक अवकाश श्रृंखला, मैं प्रदर्शन कला का उपयोग करती हूँ सामाजिक टिप्पणी के एक रूप के रूप में लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ मुद्दों पर, साथ ही अनुपस्थिति को संबोधित करते हुए काली महिला शरीर का स्मारक सार्वजनिक स्थानों में, खासकर सार्वजनिक छुट्टियों पर महिला दिवस आ रहा था। मैंने देखा कि दिन का मतलब क्या है - महिला मार्च 1 9 56 में यूनियन भवनों में, पास कानूनों के खिलाफ याचिका दायर पाखंड के साथ जुक्सटॉज महिलाओं को कैसे व्यवहार किया जाता है, विशेष रूप से आज सार्वजनिक स्थानों में, मैंने इसके बारे में कुछ करने का फैसला किया शीर्षक: [छोटी फ्रॉक में महिलाओं ने टैक्सी रैंक पर हमला कर दिया] मैं इस तरह के ध्रुवीय विरोधों पर कैसे टिप्पणी करूं? मेरी महान-दादी की आड़ में, मैंने नंगा सीना प्रदर्शन किया, क्वालालंगा में टैक्सी रैंक के करीब इस स्थान को फ्रीडम स्क्वायर भी कहा जाता है, जहां महिलाएं प्रदर्शनों का एक हिस्सा थीं रंगभेद कानूनों के खिलाफ मैं महिलाओं को समाज में केवल पीड़ितों के रूप में देखने में खुश नहीं थी | आप लोगों की प्रतिक्रिया जान कर आश्चर्य चकित होंगे (हर्ष ध्वनि) हाँ बहुत खूब, क्यो॑? तालियां तब मैनें जाना कि मेरे कार्यकलापों से मैं आम जनता को समाज के प्रति अभिव्यक्ति के लिये प्रेरित कर रही थी भूतकाल अौर वर्तमान जनतन्त्र को देख्ते हुए (पुरूष) ये वहां ३ बजे से हैैं (पुरूष २) ३ बजे से पह्ले? लगभग १ घंटा? (पुरूष १) आज एक गरम दिन है (पुरूष १) येह रोचक है यह बहुत प्रबल है सोचता हूँ यह मजेदार है सोचता हूँ बहुत से लोग इस सगंठन की सदस्य्ता जल्दी लेंगे यह एक आन्दोलन है परन्तु बहुत लोग अकेले कुछ करना नहीं चाह्ते (पुरुष २) तो यह व्यक्ति और सगंठन की तुलना है (पुरुष १) हाँ सोचता हूँ वह अपना सन्देश अपने प्रदर्शनों के माध्यम से प्रसारित करती हैं यह प्रबल है यह बहुत प्रबल है स्वयम करने के कारण जानने की इच्छा है कि वे अपने बालों का विस्तार पन्ख के लिये क्यों करती हैं या वह जो भी कुछ है यह पन्ख है क्या? (महिला ३) वह वहां खड़े हो कर मेरा एेसा मानना है कि हम उस मूर्ति को गिरा रहें हैं और उसे उठा रहें हैं जो अफ़्रिकी गौरव का प्रतीक है या कुछ एेसा ही कुछ बना रहे जब रोडस गिरे सम्भवतः वह यही कह रहीं हैं हाँ, धन्यवाद (पुरुष ३) मेरे साथ अफ़्रिकी सभ्यता का प्रतीक क्या है हम साम्राज्यवादी विधियां नहीं मान सकते तो हमें साम्राज्यवादी मूर्ति हटानी होंगी हमें अपनी मूर्ति लगानी होंगी हमारे अपने नेता - बमबाथा, मोशोशो, क्वमे क्रुमा - जिन्होने हमारी स्वतन्त्रता के लिये जीवनदान दिया इक्कीसवीं सदी में नहीं हो सकता इक्कीसवीं सदी में नहीं हो सकता साम्राज्यवादी हमारे देश में नहीं कहीं और, सम्भव्तः संग्रहालय में पढ़ाई के संस्थानों में जहां युवा विद्यार्थी युवा मन बनाये जाते हैं हम लुई बोथा, रोडस और अन्य के साथ नहीं चल सकते क्योंकि वह साम्राज्यवाद का प्रतीक हैं (तालियां) सेथेम्बिले मेज़ाने: अप्रैल ९, २०१५ पर सिसिल जौन रोडस की मूर्ति हटाने का कार्यक्रम बना एक महीने की पक्ष विपक्ष के सभी पक्षधरों की वार्ता के उपरान्त इसके कारण दक्षिण अफ़्रिका में इन मूर्तियों में रुचि हुई् विवादस्पद था पर पत्रकार माध्यमों ने इसे सम्स्या बनाया मुर्तियों को हटाने के विषय में उसी वर्ष मैंने अपना स्नातक कार्य प्रारम्भ किया था केप टाउन विश्वविध्यालय में इस वार्ताकाल में मैने एक स्वप्न में बार बार एक पंछी देखा तब मैने उसे मानसिक, आत्मिक्, और पह्नावे में साकार किया उस दिन मेरी अपने पर्यवेक्षकों से बात की उन्होंने उस मूर्ति के गिराने की बात बतायी मैनें बाद में समझाने की बात कही पर हमें बात स्थगित करनी पड़ी क्योंकि मैं मूर्ति के गिरने पर प्रदर्शन करने वाली थी उसका नाम चुपुंगु था वह एक खनिज पत्थर की १८८० में ज़िम्बाबवे से चुरायी गयी चिड़िया थी और केप शहर में सिस्ल जौन रोडस के घर में थी उस दिन मैने उसे अपने शरीर​ में प्रतिरोपित जाना उस तेज़ धूप में चार घंटे खड़े होकर. सही समय पर उठाने का यन्त्र हरकत में आ गया जनता भी चीखने लगी, चिल्लाने लगी अपनी मुत्ठी कस कर और उस क्षण की अपने कैमरे और फ़ोन पर तस्वीर लेने लगे चुपुंगु के पन्ख् और यन्त्र उठे सिस्ल जौन रोडस के गिरने को घोषित करने के लिये (तालियां) वातावरण में हर्ष के साथ वह अपनी जड़ से नहीं रहा पर वह चिड़िया वहीं रही आधे घंटे तक तेईस वर्ष रंगभेद के बाद, कट्टरपंथियों की एक नई पीढ़ी दक्षिण अफ्रीका में पैदा हुआ है चापुंगू और रोड्स की कहानी एक ही स्थान और समय में महत्वपूर्ण सवाल पूछते हैं संबंधित लिंग से, शक्ति से, आत्म प्रतिनिधित्व से, इतिहास बनाने और प्रत्यावर्तन से उसके बाद से, मुझे एहसास हुआ कि मेरी आध्यात्मिकता विश्वास और सपने मेरी भौतिक वास्तविकता बनाते हैं लेकिन मेरे लिए, मैने चापुंगू की कहानी अधूरी महसूस की यह खनिज पत्थर पक्षी, एक आध्यात्मिक माध्यम और दूत भगवान और पूर्वजों की, उसे अपनी कहानी जारी रखने के लिए मेरी ज़रूरत और इसलिए मैं सपने के अंतरिक्ष में डब थोड़ा और अधिक, और यह कैसे "गिरने" पैदा हुआ था [थैबिसो मिसेन की एक फिल्म] (वीडियो) (एपेला गायन) [गिरने] (तालियां) फिल्म में, जिम्बाब्वे, दक्षिण अफ्रीका और जर्मनी की कहानी एक समान है खनिज पत्थर पक्षियों के बारे में कि ग्रेट जिम्बाब्वे से लूटे गए थे जब जिम्बाब्वे ने अपनी आज़ादी हासिल की, एक के अलावा सभी पक्षियों स्मारक पर लौट आए थे "गिरने" पौराणिक विश्वास की पड़ताल कि जब तक अंतिम पक्षी वापस नहीं आएगा अशांति हो जाएगी मेरे काम के माध्यम से, मैंने बहुत कुछ महसूस किया है मेरे आसपास की दुनिया के बारे में हम कैसे रिक्त स्थान में आगे बढ़ते हैं किसे हम जश्न मनाने के लिए चुनते हैं और हम किसे याद करते हैं अब मैं आईने में देखती हूँ, और न केवल अपने आप की एक छवि देखती हूं, लेकिन वो महिलाओं जिन्नोने मुझे वो बना दिया है जो में आज हूँ मैं अपने काम में लम्बी खड़ी हूँ, महिलाओं के इतिहास को मनाते हुए, आशा में कि शायद एक दिन, कोइ छोटी काली लड़की कभी ऐसा महसूस न करे जैसे वो मौजूद नहीं है धन्यवाद (तालियां) हम मानव एक शहरी प्रजाति बन रहे हैं, तो शहर, वे हमारे प्राकृतिक आवास हैं। जहां हम रहते हैं। 2014 में, 54 प्रतिशत से अधिक विश्व जनसंख्या शहरों में रह रही थी , और मैं आप से शर्त लगा सकती हूँ कि इनमें से बहुत लोगों ने सोचा है कि वे चीज़ों को अलग से कैसे करेंगे, जैसे यदि मेरे पास साधन हों मेरे शहर में चीजों को बदलने के लिए, मैं क्या करूंगा? मेरे सपनों का शहर कैसा होगा? ? और ये उपकरण, यह वही है जो हमने उन्हें दिया। दो साल पहले, मेरी टीम और मैंने, हमने एक खेल जारी किया, "सिटीज़ : स्काईलाईन्ज़।" यह शहरों के निर्माण बारे एक खेल है। इसलिए मेरी रूचि सदा शहरी व्यवस्था में रही है। यह कुछ ऐसा है जो मुझे बेहद दिलचस्प लगता है। लेकिन जो मुझे समझ में नहीं आया वह था कि मैं इसमें अकेली नहीं थी। लोग शहरों से प्यार करते हैं। उन्हें रुचि है। उनके पास विचार हैं। खेल एक दम सफल था। अब तक, 35 लाख से ज्यादा लोगों ने इसे खेला है। और यह सिर्फ खेलने के बारे में नहीं है हमारे पास वास्तव में बहुत बढ़िया साझाकरण प्रणाली भी है। तो लोग खेलते हैं, वे शहर बनाते हैं और फिर वे इन रचनाओं को साझा कर रहे हैं, दिखाने के लिए कि उन्होंने क्या बनाया है। और मैं जो आपको दिखाऊंगी इन शहरों में से कुछेक को जो खिलाड़ियों ने बनाये। तो खेल आत्म अभिव्यक्ति के बारे में है, रचनात्मकता के बारे में, न केवल नक़ली चीज़ द्वारा समक्ष रखी चुनौतियों पर काबू पाने की। यह दिखाने के बारे में है कि आपके शहर कैसे दिखते हैं। तो मेरे पास कुछ वीडियो हैं ये यूट्यूब से हैं। और ये कुछ सबसे ज्यादा शहरों के दिलचस्प नमूने हैं जो मैंने देखे हैं। तो वे सभी अलग हैं, और मुझे आशा है कि आप इन सभी को पसंद करेंगे। इसे नीदरलैंड कहा जाता है यह सिल्वरेट द्वारा है। और जब आप खेल शुरू करते हैं, आपके पास भूमि का एक खाली टुकड़ा होता है। यह भूमि, यह असली दुनिया पर आधारित हो सकता है, इसे नक्शा संपादक में हाथ से तैयार किया जा सकता है, या आप निश्चित रूप से, किसी का बनाया शहर डाउनलोड कर सकते हैं और उसमें खेल सकते हैं। लेकिन सिल्वरट ने यहां क्या किया है यह है कि वह जो बनाना चाहता था एक असली शहर नहीं था। यह एक काल्पनिक शहर है, हालांकि यह असली लगता है। तो वह काल्पनिक शहर बनाना चाहता था जो नीदरलैंड्स में हो सकता है। तो उसने एक प्रकार से छानबीन की नीदरलैंड में शहरों की विशेषतायें क्या हैं और उनमें से कुछ जोड़ा, और यही है जो उसने बनाया। तो यह एक शहर है, लेकिन यह एक असली शहर नहीं है, लेकिन यह हो सकता है। यह नीदरलैंड की तरह दिखता है। तो जगहें वास्तव में घनी आबादी वाले हैं। तो आपको चाहियें राजमार्ग, रेलगाड़ियां , कुछ भी, इन छोटे शहरी केंद्रों को एक साथ जोड़ने हेतु। बहुत सारे लोग, बहुत सारे चलते हुए, इसलिए परिवहन यहां की कुंजी है। लेकिन आओ फिर हम और भी काल्पनिक तौर पर आगे बढ़ें। आइए भविष्य में चलें। यह मेरे व्यक्तिगत पसंदीदा में से एक है। ये शहरी नमूने हैं जिन्हें मैं सबसे ज्यादा प्यार करती हूँ। तो यह संघर्ष विद्रोही द्वारा एक टियर वाला शहर है, और मूल विचार है कि आपके पास समकक्ष चक्र मार्ग हैं। तो शहर एक बड़ा वृत्त है अंदर छोटे चक्रों के साथ। और बात यह है कि आप सभी सेवाओं को केंद्र में रखते हो, और फिर लोग वास्तव में बाहरी चक्रपथ पर रहते हैं, क्योंकि यातायात ,शोर, प्रदूषण सब कम हैं, तो यही वह जगह है जहां आप रहना चाहते हैं। लेकिन सेवाएं अब भी वास्तव में नज़दीक हैं। वे केंद्र में हैं। और यह खेल की आत्मा है। खिलाड़ी को समझना होगा क्या इच्छाएं हैं, जरूरतें क्या हैं शहरों में रहने वाले छोटे लोगों की। तो आपको पता होना चाहिए जहां आपको चीजें डालनी चाहिए। जैसे, केवल अस्पताल होना पर्याप्त नहीं है। यहां पहुंचना सुलभ होना आवश्यक है। नागरिकों को अस्पताल पहुंचने की ज़रूरत है और यह करने का एक तरीका है। तो शायद यह कुछ है कि हम किसी दिन देख रहे होंगे। और भविष्य में फिर और भी अधिक। यूटथो द्वारा एस्टरगा। तो यूटथो यूट्यूब वीडियो बनाता है और खेल खेलता है। उसने यहाँ जो किया वास्तव में एक 12 स्थल श्रृंखला थी इस शहर को बनाने की। तो वह क्या करता है वह खेल खेलता है, वह इसे रिकॉर्ड करता है और वह बताता है जैसे जैसे वह जा रहा है वह क्या और क्यों कर रहा है। और इस श्रृंखला के लिए , उसने वास्तव में एक वास्तविक शहरी नियोजक से साक्षात्कार किया जिसका नाम जैफ स्पेक है। और स्पेक पद यात्रा अवधारणा का विशेषज्ञ है। बुनियादी विचार यह है कि यदि आप अपने नागरिकों को पैदल चलाना चाहते हो , जो फायदेमंद है, आपको वास्तव में पद यात्रा को परिवहन का उचित माध्यम रखने की ज़रूरत है। विभिन्न स्थानों तक पहुंचने का यह अच्छा तरीका होना चाहिए। तो युटथो ने इस अवधारणा/सिद्धांत को समझाया, उसे स्पेक ने भी समझाया, और फिर उसने इसे उस शहर के लिए लागू किया जिसे वह बना रहा था। तो हम युटथो की भविष्य में परिकल्पना देख रहे हैं: बहुत सारे सार्वजनिक परिवहन, पद यात्रा पथ, प्लाजा, एक दूसरे से जोड़ती ऊंची इमारतें। हो सकता है भविष्य ऐसा दिखे। और इस के लिए खेल प्रणाली वास्तव में अच्छी तरह से काम करती है। हम इस खेल के वास्तविक दुनिया में कुछ उपयोग देख रहे हैं। अतः हमें पता है कुछ शहरी नियोजक इस रेखांकन उपकरण का उपयोग करते हैं, तो जबकि नकल पूरी तरह से यथार्थवादी नहीं है, फिर भी यह पर्याप्त यथार्थवादी है कि अगर कुछ खेल में काम करता है, यह बहुत संभावना है कि यह असली दुनिया में भी काम करेगा, ताकि आप वास्तव में चीजों को जाँच सकें, देखें कि क्या यह अंतथप्रतिच्छेदन इस तरह की स्थिति में सही बैठता है। अगर हम एक नई सड़क का निर्माण करें, तो क्या यह मदद करेगा? और आप इस खेल के साथ क्या कर सकते हैं। वास्तव में एक दिलचस्प प्रतियोगिता आयोजित की गई थी हमेनेलिंना के फिनिश शहर द्वारा। तो उन्होंने यह किया कि उनके पास नया क्षेत्र था जिसे वे शहर में विकसित करना चाहते थे। उन्होंने मौजूदा शहर के साथ एक नक्शा बनाया, उन्होंने वह क्षेत्र खाली छोड़ दिया जिसे उन्होने विकसित करना चाहा और इस नक्शे को साझा किया। तो कोई भी नक्शा डाउनलोड कर सकता था, खेल खेल सकता था, क्षेत्र का निर्माण सकता था और अपनी कृतियों को नगर परिषद में जमा कर सकता था। इसलिए उन्होंने अभी तक कुछ नहीं बनाया है, लेकिन यह हो सकता है कि वे इन योजनाओं में से एक का उपयोग करें खेल से बनाई गई वास्तव में वास्तविक शहर का निर्माण करने के लिए। और ये वीडियो जो मैंने आपको दिखाए हैं, ये लोग हैं जो नए प्रकार के समाधान के साथ आ रहे हैं। हम जानते हैं कि शहर बढ़ रहे हैं। जैसे ही हम जाते हैं वे बड़े होते जा रहे हैं, और शहरी आबादी का प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। तो हमें समाधान चाहियें और ये खेल खेलने वाले लोग, वे विभिन्न प्रकार के समाधानों की कोशिश कर रहे हैं। उनके पास वास्तव में कुछ महत्वपूर्ण हो सकता है। तो हम यहां जो देख रहे हैं वे सपनो के शहर हैं जो एक दिन सच में हो सकते हैं। तो यह हो सकता है कि यह सिर्फ एक खेल नहीं है। यह एक तरीका हो सकता है हमारे अपने भाग्य को तय करने का। धन्यवाद। (तालियां) तुम यहाँ क्या कर रही हो इस मंच पर वो भी इतने सारे लोगों के सामने? (ठहाका) भागो (ठहाका) तेज़ भागो. यह आवाज़ है मेरे अंदर की चिंता की जब कुछ भी ग़लत ना हो, तब भी मुझे कई बार एक तीव्र एहसास होता है जैसे कुछ बहुत ही ग़लत होने वाला है आप जानते हें कुछ साल पहले, निदान हुआ .मै चिंताग्रस्त हूँ निराश हू यह दो स्थिती एकसाथ चलती है मै यह किसीसे नहीं कहती खासकर इतने बडे श्रोतो के सामने एका अश्वेत महिला होने पर यशस्वी होने के लिये मुझे बहुतही प्रयास करने पडे . जैसेआमतौर पर मेरे समाज के लोगो की धारणा है डिप्रेशन एक कमज़ोरी है एक अवगुन है लेकिन मैं कमज़ोर नहीं थी मैं सफल थी मैंने मीडिया स्टडीज़ में मास्टेर की डिग्री पायी है और टेलिविजन और मूवी बिज़्नेस में बहुत अच्छी नौकरियों की क़तार थी मेरे आगे यहाँ कि मैंने २ एमी अवार्ड्स भी जीते हैं मैं बहुत व्यस्त थी जो चीज़ें मुझे बहुत पसंद थी अब मुझे उन मैं रुचि नहीं दिखती थी खाना खाने का वक़्त नहीं था नींद नहीं आती थी बहुत अकेला और जर्जर महसूस करती थी लेकिन डिप्रेस्ड ? मैं ? बिलकुल नहीं मुझे २ हफ़्ते से ज़्यादा लगे स्वीकार करने मैं लेकिन डाक्टर्ज़ सही थे मुझे डिप्रेशन था अभी भी मैंने किसी को अपने निदान के बारे में नहीं बताया मैं बहुत शर्मिंदा थी मुझे लगता था मुझे कोई हक़ नहीं है नीराश होने का मेरी ज़िंदगी बहुत विशेष थी एक प्यारा परिवार और सफल जीविका और जब मैं उन अनकहे भयानक वाक़्यों को सोचती जो मेरे पूर्वजों ने सहे मेरे अछे भविशेय के लिए मैं आत्म गलानी से भर जाती मैं उनके कंधों पर खड़ी थी मैं उनकी आशाएँ कैसे तोड़ सकती थी मैं अपना सिर ऊँचा करके चेहरे पर एक मुस्कान ला कर चल पड़ी, किसी से बिना कुछ कहे ४ जुलाई २०१३ को मेरी दुनिया बिखर गयी उस दिन मेरी माँ का फ़ोन आया उन्होंने बताया, मेरे २२ वर्षीय भांजे पॉल ने डिप्रेशन से हार कर आत्महत्या कर ली शब्दों में बयान नहीं कर सकती मैं किस तरह टूट गयी थी मैं और पॉल बहुत क़रीब थे, लेकिन उसकी तकलीफ़ से अनजान थी हम दोनो ने ही कभी एक दूसरे से अपने संघर्ष के बारे मैं बात नहीं की थी शर्म के कारण हम दोनो ही चुप थे मुझे आदत है दुःख का डट कर सामना करने की मैंने २ साल डिप्रेशन/ ऐंज़ाइयटी पर खोज करी मैंने जो जाना, वो बहुत अद्भुत था WHO के अनुसार डिप्रेशन दुनिया की सभी बीमारियों का सबसे बड़ा रोग है अभी डिप्रेशन का असली कारण नहीं साफ़ है लेकिन खोज के अनुसार ज़्यादातर दिमाग़ी रोग दिमाग़ में एक केमिकल असंतुलन या जनन-प्रवृत्ति के कारण होता हैं आप इससे एक दम से पीछा नहीं छुड़ा सकते अफ़्रीकी अमेरिकन लोगों के लिए जातिवाद और सामाजिक आर्थिक असमानताओं के कारण दिमाग़ी रोग होने का २० प्रतिशत ज़्यादा ख़तरा रहता है और यह लोग अमरीकी लोगों के मुक़ाबले ५० प्रतिशत कम मदद माँगते हें इसका एक कारण है शर्म ६३ प्रतिशत नीग्रो का सोचना है कि डिप्रेशन एक व्यक्तिगत कमज़ोरी है बड़े दुःख की बात है, कि पीछले २० सालों में नीग्रो बच्चों की आत्महत्या की संख्या दुगनी हो गयी है अछी ख़बर यह है कि ७० प्रतिशत डिप्रेशन के रोगी सही इलाज और दवाई और थेरपी से ठीक हो सकते हैं इस जानकारी के साथ मैंने एक फ़ैसला किया कि अब में और चुप नहीं रहूँगी मेरे परिवार के आशीर्वाद से मैं अपनी कहानी लोगों के सामने लाऊँगी इस उमीद से कि एक विश्व जागरूकता आएगी मेरी एक दोस्त केली पीरे लूई ने कहा है हमारी सुदृढ़तआ हमें अंदर ही अंदर मारती है उसने सही कहा है हमें उन पुरानी दक़ियानूसी विचारों से बाहर आना होगा जहाँ औरत को मानसिक सुदृढ़ और पुरुष को शारीरिक सुदृढ़ होना ज़रूरी बताया गया है कितनी भी मुसीबतें आएँ लेकिन कमज़ोर नहीं पड़ना, लड़ते रहो भावनाएँ होना कोई कमज़ोरी नहीं है भावनाओं का मतलब है हम इंसान हैं जब हम अपनी इंसानियत को भूल जाते हें तो अंदर से खोखले हो जाते हें फिर उस कमी को पूरा करने के लिए हम बाहर ख़ुद से दवाई ढूँढते हैं मेरे लिए मेरी सफलता ही मेरी दवा थी आजकल मैं अपनी कहानी खुल कर बताती हूँ और चाहती हूँ दूसरे भी ऐसा करें मेरा यही मान ना है कि उन लोगों की मदद करना जो चुपी में इस बीमारी से अकेले जूझते हें उन्हें बताना कि वो अकेले नहीं हैं सही मदद से वो ठीक हो सकते हैं मैं अभी भी जूझ रही हूँ अपनी ऐंज़ाइयटी से, लेकिन संभाल लेती हूँ हर रोज़ ध्यान व योगा करने से और सही खाना खाने से (ठहाका) अगर कभी फिर ऐंज़ाइयटी लगती है तो अपनी थेरपिस्ट से मिलती हूँ उनका नाम है डॉन आर्म्स्ट्रॉंग बहुत ही मज़ाक़िया हैं और सुखद स्वभाव मुझे हमेशा खेद रहेगा कि मेरे भांजे के पास मैं नहीं थी लेकिन आशा करती हूँ की मेरी कहानी से दूसरे सीखें और प्रेरित हो सकें ज़िंदगी बहुत ख़ूबसूरत है कभी कभी उलझ जाती है बहुत तरंगी व मनमौजी है लेकिन आप हिम्मत रखें और सही मदद लें तो सब ठीक हो जाता है अगर सिर दर्दी बहुत बढ़ जाए तो प्लीज़ मदद ज़रूर लें धनयवाद (तालियाँ) मैं चाहती हूं कि हम इस यंत्र के बारे सोचते हुए शुरू करें, यानि कि उस फोन बारे जो शायद अभी आपकी जेबों में है। 40 प्रतिशत से अधिक अमेरिकी अपने फोन की जाँच करते हैं हर सुबह पांच मिनट जागने के भीतर। और फिर वे दिनभर इसे 50 बार और देखते हैं। बड़े व्यक्ति इस यंत्र को आवश्यक समझते हैं। लेकिन अब मैं चाहती हूं कि आप तीन वर्षीय बच्चे के हाथों में इसकी कल्पना करे, और एक समाज के रूप में, हम चिंतित हो जाते हैं। माता-पिता बहुत चिंतित हैं कि यह यंत्र उनके बच्चों के सामाजिक विकास में अवरोध उत्पन्न करने वाला है; कि यह उन्हें उठने और आगे बढ़ने से रोकने वाला है; कि किसी तरह, यह बचपन को बाधित करने जा रहा है। तो, मैं इस दृष्टिकोण को चुनौती देना चाहती हूं। मैं एक भविष्य की कल्पना कर सकती हूँ जहां हम पूर्वस्कूली बच्चे को चित्रपट से बातचीत करते हुए देख कर उत्साहित होंगे। ये चित्रपट बच्चों को उठने और चलने में अधिक सक्षम बना सकती हैं। उनके पास हमें बताने की और अधिक शक्ति है कि बच्चा क्या सीख रहा है एक मानकीकृत परीक्षण की तुलना में। और यहां सच में बहुत उत्साहपूर्ण विचार है: मुझे विश्वास है इन चित्रपटों में शक्ति है अधिक वास्तविक जीवन वार्तालापों को शीघ्र संकेत देने की बच्चों और उनके माता-पिता के बीच। अब, मैं इस कार्य हेतु संभावित समर्थक नहीं थी। मैंने बच्चों के साहित्य का अध्ययन किया क्योंकि मुझे बच्चों व पुस्तकों के साथ काम करना था । लेकिन लगभग 20 साल पहले, मेरा एक अनुभव था जिसने मेरे ध्यान का रुख बदल दिया। मैं पूर्वस्कूली बच्चों व वेबसाइटों बारे शोध अध्ययन नेतृत्व में मदद कर रही थी। और मैं अन्दर गई और मुझे मारिया नामक एक तीन वर्षीय लड़की सौंपी गई थी। वास्तव में मारिया ने पहले कभी कंप्यूटर नहीं देखा था। तो पहली चीज़ मुझे उसे माउस का उपयोग करना सिखाना था, और जब मैंने चित्रपट खोला, तो उसने इसे चित्रपट पर हिलाया, और उसने एक्स नामक उल्लू के चरित्र पर रोका। और जब उसने ऐसा किया, उल्लू ने अपने पंख को उठाया और उसने उसे उसकी ओर लहराया। मारिया ने माउस को गिराया, मेज़ से पीछे हटी, ऊपर उछली व व पागलपन से वापस उसकी तरफ लहराना शुरू कर दिया। उस चरित्र से उसका संबंध आंत का था। यह एक निष्क्रिय चित्रपट अनुभव नहीं था। यह एक मानव अनुभव था। और तीन वर्षीय के लिए यह बिल्कुल उचित था। मुझे अब पी.बी.एस. बच्चों में काम करते 15 वर्षों से अधिक हो गए हैं, और मेरा काम वहाँ पर केंद्रित है प्रौद्योगिकी की शक्ति का दोहन करना बच्चों के जीवन में एक सकारात्मक रूप में। मुझे विश्वास है कि एक समाज के रूप में, हम एक बड़ा मौका गंवा रहे हैं। हम अपने डर और हमारे संदेह के कारण इन उपकरणों की क्षमता का लाभ उठाने से चूक रहे हैं अपने बच्चों के जीवन में। बच्चों और प्रौद्योगिकी के बारे में भय कुछ नया नहीं है; हम पहले भी इस स्थिति से गुज़रें हैं। 50 साल पहले, नए प्रमुख मीडिया के बारे में बहस चल रही थी: टेलीविज़न। वह संदूक बैठक कक्ष में? यह बच्चों को एक दूसरे से अलग कर सकता है। यह उन्हें बाहर की दुनिया से दूर रख सकता है। लेकिन यह वह क्षण है जब फ्रेड रोजर्स, लंबे समय तक चलने वाला मेजबान "मिस्टर रोजर्स 'नेबरहुड का," ने समाज को चुनौती दी टेलीविजन को एक उपकरण के रूप में देखने के लिए, एक ऐसा उपकरण जो भावनात्मक वृद्धि को बढ़ावा दे सकता था। यहाँ उसने यह किया: उसने चित्रपट से बाहर देखा, और उसने एक बातचीत आयोजित की, जैसे कि वह प्रत्येक बच्चे से व्यक्तिगत रूप से बोल रहा था भावनाओं के बारे में। और फिर वह रुक जाता और उन्हें उनके बारे में सोचने देता। आप आज मीडिया परिदृश्य में उसका प्रभाव देख सकते हैं, लेकिन उस समय, यह क्रांतिकारी था। उसने बच्चों के जीवन में टी.वी.देखने के हमारे सोचने के ढंग को बदल दिया। आज यह सिर्फ एक संदूक नहीं है। बच्चों के उपकरणों से घिरे हुए हैं। और मैं भी मां हूं - मैं समझती हूँ चिंता की इस भावना को। लेकिन मैं चाहती हूं कि हम तीन आम आशंकाओं पर विचार करें जोकि माता-पिता की हैं, और देखें कि क्या हम अपना ध्यान बदल सकते हैं उन अवसरों के लिए जो उनमें से प्रत्येक में है। इसलिए। डर नंबर एक: "स्क्रीनें निष्क्रिय हैं। यह हमारे बच्चों को उठने व आगे बढ़ने से प्रभावित करने वाला है। " क्रिस क्रैट और मार्टिन क्रैट प्राणी विज्ञानी भाई हैं जो जानवरों बारे "जंगली क्रेट्स" शो की मेज़बानी करते हैं। और उन्होंने पी.बी.एस. टीम से कहा, "क्या हम उन कैमरों के साथ कुछ कर सकते हैं जोकि अब हर यंत्र में होता है? क्या वे कैमरे बच्चे के खेल के स्वाभाविक ढंग को कैद कर सकते थे- जानवर होने का नाटक?" तो हमने चमगादड़ के साथ शुरू किया। और जब बच्चे इस खेल को खेलने के लिए आए, वे खुद को पंखों के साथ स्क्रीन पर देखकर प्यार करते थे। पर इस का मेरा पसंदीदा हिस्सा है, जब खेल खत्म हो गया था और हमने स्क्रीन बंद कर दी? बच्चे चमगादड़ बने रहे। वे कमरे के चारों ओर उड़ते रहे, वे मच्छरों को पकड़ने के लिए बाएँ व दाएँ खड़े रहे। और उन्होंने चीजों को याद रखा। उन्हें याद रहा कि चमगादड़ रात में उड़ते हैं। और उन्हें याद रहा कि जब चमगादड़ जाते हैं, वे उल्टा लटकते हैं व अपने पंखों को अंदर करते हैं। इस खेल ने निश्चित रूप से बच्चों को ऊपर किया व उन्हें हिलने डुलने दिया। लेकिन यह भी, अब जब बच्चे बाहर जाते हैं, क्या वे एक पक्षी को देखते हैं और सोचते हैं, "एक पक्षी मुझसे अलग कैसे उड़ता है? जब मैं चमगादड़ था? " अंकीय तकनीक ने अवतरित सीख प्रबुद्ध की जिसे बच्चे अब दुनिया में बाहर ले जा सकते हैं डर नंबर दो: "इन चित्रपटों पर खेल खेलना समय की बर्बादी है। यह बच्चों को उनकी शिक्षा से विचलित करने वाला है।" खेल बनाने वाले जानते हैं कि आप एक खिलाड़ी के कौशल बारे बहुत कुछ सीख सकते हैं पिछले आंकड़े को देखकर: एक खिलाड़ी कहाँ रुका? उन्होंने सही उत्तर ढूंढने से पहले कुछ गलतियां कहाँ कीं? मेरी टीम उस टूल सेट को लेकर शैक्षिक सिखलाई में इसे लागू करना चाहती थी। बोस्टन में हमारे निर्माता, डब्ल्यू.जी.बी.एच. ने, जिज्ञासु जॉर्ज खेल की एक श्रृंखला बनाई गणित पर केंद्रित। और शोधकर्ता आए और इन खेलों को 80 पूर्वस्कूली बच्चों को खिलाया। उन्होंने तब उन सभी 80 बच्चों को दिया। एक मानकीकृत गणित परीक्षण हम जल्दी से देख सके कि ये खेल वास्तव में बच्चों की मदद कर रहे थे कुछ महत्वपूर्ण कौशल समझने में। लेकिन यू.सी.एल.ए. में हमारे भागीदारों ने हमें अधिक गहराई तक जाने को कहा। वे आंकड़ों के विश्लेष्ण और छात्र मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित करते हैं। और वे खेल के पीछे के आंकड़ों को जाँचना चाहते थे व देखना चाहते थे कि इसका उपयोग बच्चे के गणित अंकों की भविष्यवाणी हेतु हो सकता था। अतः उन्होंने तंत्रिका जाल बनाया - व अनिवार्य रूप से कंप्यूटर प्रशिक्षित किया इन आंकड़ों का उपयोग करने के लिए, और परिणाम ये हैं। यह बच्चों के मानकीकृत गणित अंकों का एक उपसमुच्चय है। और यह अंकों की प्रत्येक बच्चे के अंकों की कंप्यूटर भविष्यवाणी है, कुछ जिज्ञासु जॉर्ज खेलों के खेलने पर आधारित। भविष्यवाणी आश्चर्यजनक रूप से सटीक है, विशेषकर इस तथ्य पर विचार करते हुए इन खेलों को नहीं बनाया गया था मूल्यांकन के लिए। इस अध्ययन को करने वाली टीम का मानना है कि ऐसे खेल हमें बच्चे की संज्ञानात्मक शिक्षा बारे और अधिक सिखा सकते हैं एक मानकीकृत परीक्षण की तुलना में। यदि कक्षा में खेल परीक्षण समय को कम कर पाएं तो क्या बात है? क्या होगा अगर वे परीक्षण की चिंता को कम कर सकें? कैसे वे शिक्षक को अंतर्दृष्टि के तुरंत चित्र दे सकते थे उनकी व्यक्तिगत सीख पर अच्छी तरह से ध्यान दे कर सहायता करने हेतु? तो तीसरा भय जिसका मैं निवेदन करना चाहती हूँ ऐसा है जिसे मैं प्राय: सबसे बड़ा मानती हूँ। और वह यह है: "ये चित्रपट मुझे मेरे बच्चे से अलग कर रही हैं। " आइए एक परिदृश्य खेलें मान लें कि आप माता-पिता हैं, और आपको 25 मिनट निर्बाध समय की आवश्यकता है रात्रि भोज करने के लिए। और ऐसा करने के लिए, आप अपने तीन वर्षीय बच्चे को एक टैबलेट हाथ में देते हो। अब, यह एक पल है जहां आप शायद बहुत दोषी महसूस करते हैं उसके लिए जो अपने अभी किया। लेकिन अब यह कल्पना करो: बीस मिनट बाद, आपको एक लिखित संदेश प्राप्त होता है उस सेल फोन पर जो हमेशा आपकी पहुंच में है। और यह कहता है: "एलेक्स ने अभी पांच छद्म शब्दों का मिलान किया। उसे आपसे इस खेल को खेलने के लिए कहें। क्या आप एक शब्द बारे सोच सकते हैं जो 'बिल्ली' से मेल खाता है? या 'गेंद' बारे क्या ख्याल है? " हमारे अध्ययन में, जब माता-पिता को इस तरह की सरल युक्तियां प्राप्त होती हैं,, वे सशक्त महसूस करते हैं। वे बहुत उत्साहित थे अपने बच्चों से इन खेलों को खाने की मेज पर खेलने के लिए। और बच्चों को भी यह पसंद आया। न केवल यह जादू की तरह लगा कि उनके माता-पिता जानते थे वे क्या खेल रहे थे, बल्कि बच्चे अपने माता - पिता के साथ खेल खेलना पसंद करते हैं। बस बच्चों से उनके मीडिया बारे बात करने का कार्य अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली हो सकता है। पिछली गर्मियों में, टेक्सास तकनीकी विश्वविद्यालय ने अध्ययन प्रकाशित किया कि शो "डैनियल टाइगर का पड़ोस " बढ़ावा दे सकता है बच्चों के बीच सहानुभूति विकास को लेकिन वास्तव में इस अध्ययन में एक महत्वपूर्ण खास बात थी: सबसे बड़ा लाभ केवल तब था जब माता-पिता बच्चों से बात करते थे कि उन्होंने क्या देखा के बारे में। न सिर्फ देखना न सिर्फ इसके बारे में बात करना काफी था; दोनों का संयोजन ही कुंजी थी। इसलिए जब मैं इस अध्ययन को पढ़ा, मैं इसके बारे में सोचने लगी शायद ही पूर्वस्कूली बच्चों के माता पिता सच में सामग्री बारे बच्चों से बात करते हैं वे क्या खेल रहे हैं और वे क्या देख रहे हैं। व अतः मैंने इसे अपने चार वर्षीय बच्चे साथ कोशिश की। मैंने कहा, "क्या आप आज पहले कार का खेल खेल रहे थे?" और बेंजामिन ने ऊपर उठकर कहा, "हाँ! और क्या आपने देखा? कि मैंने अपनी कार को अचार से निकाल दिया? वास्तव में ट्रंक खोलना मुश्किल था। " (हँसी) यह प्रसन्न वार्तालाप कि खेल में क्या मजेदार था और क्या बेहतर हो सकता था उस सुबह विद्यालय तक के सारे रास्ते जारी रहा। मैं आपको सुझाव देने के लिए यहां नहीं हूं कि सभी अंकीय मीडिया बच्चों के लिए महान है। हमारे लिए चिंतित होने के वैध कारण हैं बच्चों की सामग्री की वर्तमान स्थिति के बारे में इन चित्रपटों पर। और संतुलन बारे सोचना हमारे लिए सही है: अन्य सभी चीजों के मुकाबले चित्रपट कहाँ फिट होते हैं जिनसे कि बच्चों को सीखने और विकसित होने की आवश्यकता है? लेकिन जब हम इसके बारे में हमारी आशंकाओं को तय करते हैं, हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात भूल जाते हैं, और यह है कि बच्चे उसी दुनिया में रह रहे हैं, जहाँ हम रहते हैं, दुनिया जहां वयस्कअपने फोन को देखते हैं प्रति दिन 50 बार से अधिक। चित्रपट बच्चों के जीवन का एक हिस्सा हैं। और अगर हम दिखाते हैं कि वे नहीं हैं, या यदि हम अपने भय से अभिभूत हो जाते हैं, बच्चे कभी नहीं सीखने वाले हैं कि उनका उपयोग कैसे और क्यों करें। अगर हम अपनी अपेक्षाओं को ऊपर उठाना शुरू करते हैं तो क्या होगा इस मीडिया के लिए? अगर हम नियमित बच्चों से बात करना शुरू करते हैं इन चित्रपटों पर सामग्री के बारे में? अगर हम सकारात्मक प्रभावों के लिए तलाश शुरू करते हैं जो हमारे बच्चों के जीवन में यह तकनीक ला सकती है? यह तब है जब इन उपकरणों की क्षमता वास्तविकता बन सकती है धन्यवाद। (तालियां) तो इन दिनों चिंता बहुत वैध है कि हमारी तकनीक इतनी चतुर हो रही है कि हमने खुद को भविष्य में बेरोजगारी के पथ पर डाला है। और मुझे एक स्वचालित कार उदाहरण की सोच आती है वास्तव में देखने में सबसे आसान है। तो सभी प्रकार के विभिन्न कारणों से ये शानदार होने जा रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि "चालक" वास्तव में सबसे आम नौकरी है 50 अमेरिकी राज्यों में से 29 में? इन नौकरियों का क्या होगा? जब हम अपनी कारों को नहीं चला रहे हैं या अपना खाना नहीं पका रहे या अपनी बीमारियों का निदान नहीं कर रहे ? अच्छा, फोरेस्टर रिसर्च से एक हाल ही का अध्ययन यहां तक भविष्यवाणी करता है कि 25 लाख नौकरियां अगले 10 वर्षों में गायब हो सकती हैं। इस परिप्रेक्ष्य में, ये वित्तीय संकट के बाद में खोयी नौकरियों से तीन गुना ज्यादा है। और यह कायिक काम की ही नौकरी नहीं जो जोखिम में हैं। वॉल स्ट्रीट पर और सिलिकॉन वैली में, हम भारी लाभ देख रहे हैं विश्लेषण की गुणवत्ता में और निर्णय लेने मशीन सीखने की वजह से। तो सबसे चतुर, उच्चतम-भुगतान वाले लोग भी इस परिवर्तन से प्रभावित होंगे। यह स्पष्ट है कि कोई फर्क नहीं कि तुम्हारा काम क्या है, यदि आपके सभी काम नहीं तो कम से कम कुछ, अगले कुछ वर्षों में एक रोबोट या सॉफ्टवेयर द्वारा किए जाने वाले हैं। और यही कारण है कि मार्क जकरबर्ग और बिल गेट्स जैसे लोग सरकार द्वारा वित्त पोषित न्यूनतम आय स्तर की ज़रूरत बारे बात कर रहे हैं। पर अगर हमारे राजनेता स्वास्थ्य देखभाल जैसी चीजों से सहमत नहीं हो सकते या यहां स्कूल लंच पर, मुझे नहीं सूझता कि उनकी सर्वसम्मति होगी कुछ इतने बड़ी और महंगी सार्वभौमिक बुनियादी जीवन आय पर। इसके बजाय, मुझे लगता है कि प्रतिक्रिया नेतृत्व हमसे उद्योग में होना चाहिए। हमें हमारे आगे के बदलाव को पहचानना होगा। व नई नौकरियों को डिजाइन करना शुरू करना है जो रोबोटिक्स युग में भी प्रासंगिक होगा। अच्छी खबर यह है कि हमने सामना किया और ठीक हुए दो बार पहले नौकरियों की बड़ी विलुप्ति पर। 1870 से 1 9 70 तक, खेतों पर आधारित अमेरिकन श्रमिकों की 90 प्रतिशत गिरावट आई, और फिर 1 950 से 2010 तक, कारखानों में काम करते अमेरिकियों का प्रतिशत 75% तक गिर गया। हालांकि इस बार चुनौती समय की है। खेतों से कारखानों तक जाने के लिए हमारे पास सौ साल थे, और फिर 60 साल पूरी तरह सेवाअर्थव्यवस्था बनाने में। आज परिवर्तन की दर का संकेत है कि शायद हमारे पास केवल संवारने के लिए 10 या 15 वर्ष हों, व अगर हम शीघ्र कुछ नहीं करते हैं, इसका अर्थ है आज के प्राथमिक विद्यालय के छात्र महा विद्यालय-जाने योग्य होंगे, हम रोबोटों की दुनिया में रह रहे हो सकते हैं, बड़े पैमाने पर बेरोजगार और गैर-महान अवसाद प्रकार में फंसे हुए। पर मुझे नहीं लगता कि इसे ऐसे होना है। देखो, मैं नवाचार में काम करता हूं, और मेरी नौकरी बड़ी कंपनियां को नई प्रौद्योगिकियों लागु करने हेतु बताना है निश्चित रूप से इनमें से कुछ तकनीकें विशेष रूप से मानव श्रमिकों की जगह लेने के इरादे से हैं। पर मुझे विश्वास है कि अगर हम अभी से कदम उठाना शुरू करते हैं। काम की प्रकृति को बदलने के लिए, हम न केवल वातावरण बना सकते हैं जहां लोग काम पर आने से प्यार करते हैं पर वे आवश्यक नवाचार उत्पन्न भी करते हैं। प्रौद्योगिकी के कारण खोई लाखों नौकरियों को बदलने हेतु। मुझे विश्वास है कि हमारे बेरोजगार भविष्य को रोकने की कुंजी यह खोजना है कि हमें मानव क्या बनाता है, और मानव केंद्रित नौकरियों की एक नई पीढ़ी बनाने के लिए जो हमारी छिपी प्रतिभा और जुनून को उजागर करे जो कि हर दिन हमारे साथ होती है। पर पहले, मुझे लगता है यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि हम स्वयं इस समस्या को लाए। और आप जानते हैं यह सिर्फ इसलिए नहीं है कि हम रोबोट का निर्माण कर रहे हैं। लेकिन भले ही अधिकांश नौकरियां दशकों पहले कारखाने छोड़ गईं, हम अभी भी इस कारखाना सोच को पकड़े हुए हैं मानकीकरण और कौशल हटाने की। अभी हमारी सेवाएँ प्रक्रियात्मक कार्यों से परिभाषित हैं व फिर लोगों को इन कार्यों को करने हेतु घंटों के हिसाब से भुगतान करते हैं। हमने संकीर्ण नौकरी परिभाषाएं घड़ी हैं जैसे कि ख़ज़ाँची, ऋण प्रक्रमक या टैक्सी चालक और फिर लोगों से पूरी आजीविका का निर्माण करने को कहा इन्हीं प्रकार के कार्यों के आसपास। इन विकल्पों ने हमें वास्तव में दो खतरनाक दुष्प्रभाव के साथ छोड़ दिया है। पहला यह है कि ये बारीकी से परिभाषित रोजगार रोबोटों द्वारा विस्थापित होने वाले पहले पहल होंगे क्योंकि एकल-कार्य रोबोट का निर्माण सबसे आसान है। लेकिन दूसरा, इसे हमने गलती से बनाया है ताकि दुनिया भर में लाखों श्रमिकों का अविश्वसनीय उबाऊ कामकाजी जीवन हो। (हँसी) हम कॉल सेंटर एजेंट का उदाहरण लेते हैं हम पिछले कुछ दशकों से कम परिचालन लागत बारे शेखी बघारते हैं क्योंकि हमने दिमागी शक्ति की सबसे अधिक ज़रूरत को व्यक्ति से बाहर कर सिस्टम में डाल दिया है। अपने दिन में अधिकतर , वे स्क्रीन पर क्लिक करते हैं, वे लिपि पढ़ते हैं। वे मनुष्यों की बजाय मशीनों की तरह काम करते हैं। और दुर्भाग्य वश अगले कुछ वर्षों में, जैसे ही हमारी तकनीक अधिक उन्नत होती है, वे, लिपिकों व बहीखातालेखकों जैसे लोगों के साथ, विशाल बहुतायत उनके काम को लुप्त होते पाएंगे। इसे प्रभावहीन बनाने हेतु हमें नई सेवाएँ शुरू करनी है जो कम केन्द्रित हैं उन कार्यों पर जो व्यक्ति करता है और अधिक कौशल पर केंद्रित है कि एक व्यक्ति काम पर लाता है। उदाहरण के लिए, रोबोट महान हैं दोहराव और विवश काम पर, लेकिन मनुष्य के पास अद्भुत क्षमता है क्षमता को रचनात्मकता के साथ इकट्ठा लाने के लिए जब पहले कभी न देखी समस्याओँ का सामना करने पड़े। यह तब होता है जब हर दिन एक छोटा सा आश्चर्य लाता है कि हमने मनुष्यों हेतु काम डिज़ाइन किया है और न कि रोबोटों के लिए। हमारे उद्यमी और इंजीनियर पहले से ही इस दुनिया में रहते हैं, लेकिन हमारी नर्सें और हमारे प्लंबर भी ऐसा करते हैं और हमारे चिकित्सक भी। तुम्हें पता है, यह बहुत सारी कंपनियों और संगठनों की प्रकृति है सिर्फ लोगों को काम पर आने व उनका काम करने के लिए पूछना। पर यदि आपका काम रोबोट द्वारा बेहतर होता है, या आपके निर्णय कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा बेहतर होते हैं, तो आप क्या करेंगे? खैर, मैं प्रबंधक के लिए सोचता हूं, हमें वास्तव में लुप्त होने वाले कार्य बारे सोचने की ज़रूरत है अगले कुछ वर्षों में व अधिक सार्थक और मूल्यवान काम, जो इसका स्थान ले, की योजना शुरू करने की ज़रूरत है। हमें माहौल बनाने की ज़रूरत है जहां दोनों मनुष्य और रोबोट पनपे। मेरा कहना है हम रोबोटों को ज्यादा काम दें, व हम ऐसे काम से शुरू करें जिसे करते हम पूरी तरह नफरत करते हैं। यहां, रोबोट, ऐसी दर्दनाक जड़ रिपोर्ट बनाएं। (हँसी) व इस बक्से को हटाएं। धन्यवाद। (हँसी) और मनुष्यों के लिए, हमें शिकागो विश्वविद्यालय के हैरी डेविस की सलाह का पालन करना चाहिए। उनका कहना है कि हमें इसे ऐसा बनाना है ताकि लोग खुद को बहुत ज्यादा मत छोड़े अपनी कार के ट्रंक में। मेरा मतलब है, मनुष्य सप्ताहांत पर अद्भुत हैं। उन लोगों बारे सोचो जिन्हें आप जानते हैं और वे शनिवार क्या करते हैं। वे कलाकार, बढ़ई, शाहकार और खिलाड़ी हैं। लेकिन सोमवार को वे फिर से वापिस हैं कनिष्ठ मानव संसाधन विशेषज्ञ होने के लिए और प्रणाली विश्लेषक 3 (हँसी) तुम्हें पता है, ये संकीर्ण नौकरी खिताब न केवल ध्वनि उबाऊ, पर वे वास्तव में हो एक सूक्ष्म प्रोत्साहन लोगों को संकीर्ण बनाने के लिए और उबाऊ नौकरी का योगदान पर मैंने यह देखा है जब आप लोगों को अधिक होने को आमंत्रित करते हैं, वे हमें विस्मित करते हैं वे कितने अधिक हो सकते हैं कुछ साल पहले, मैं बड़े बैंक में काम कर रहा था जो अपनी कंपनी संस्कृति में अधिक नवाचार लाने हेतु कोशिश कर रहा था। तो मेरी टीम व मैंने आदर्श प्रतियोगिता डिज़ाइन की कि किसी को भी बनाने के लिए आमंत्रित किया कुछ भी जो वे चाहते थे। हम सच पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि नवाचार के लिए प्राथमिक सीमक विचारों या प्रतिभा की कमी है कि नहीं , और यह पता चला कि इनमें से कुछ नहीं था। यह सशक्तीकरण समस्या है। और कार्यक्रम के परिणाम अद्भुत थे। हम ने लोगों को पुन: कल्पना हेतु आमंत्रित किया कि ऐसा क्या था जो वे टीम में ला सकते थे। यह प्रतियोगिता न केवल मौका था कुछ भी जो आप चाहते हैं बनाने के लिए लेकिन वह कुछ भी हो जिसे आप चाहते थे। और जब लोग अब अपने दिन-प्रतिदिन नौकरी शीर्षक से सीमित नहीं थे, उन्होंने हर तरह के विभिन्न कौशल व प्रतिभाएं लाते स्वतंत्र महसूस किया उन समस्याओं हेतु जिन्हें वे हल करने की कोशिश में थे। हमने देखा कि प्रौद्योगिकी वाले लोग डिजाइनर हैं, विपणन लोग आर्किटेक्ट हैं, व यहां तक ​​कि वित्तपोषित लोग मज़ाक लिखने की क्षमता दिखा रहे थे। (हँसी) हमने कार्यक्रम दो बार चलाया। और हर बार 400 से ज्यादा लोग काम करने की अपनी अनपेक्षित प्रतिभा लाए व उन समस्याओं का समाधान किया जिनका कई वर्षों से हल चाहते थे सामूहिक रुप से उन्होंने लाखों डॉलर मूल्य का कार्य किया, जैसे कॉल सेंटर के लिए बेहतर टच-टोन प्रणाली जैसी चीजें बनाना, शाखाओं के लिए आसान डेस्कटॉप उपकरण व धन्यवाद कार्ड प्रणाली भी यह कर्मचारी के कार्य अनुभव की एक आधारशिला बन गया है आठ सप्ताह के दौरान, लोगों ने माँसपेशियाँ दिखाई जिन्हें काम पर उपयोग करने का सपना कभी न देखा था लोग नए कौशल सीख गए, वे नए लोगों से मिले, और अंत में, किसी ने मुझे एक तरफ खींच लिया और कहा, "मुझे आपसे कुछ कहना है, पिछले कुछ हफ़्ते सबसे अत्यधिक में से एक रहा, मेरे पूरे जीवन के कठिनतर कार्य अनुभव का, परन्तु एक पल भी यह काम जैसा नहीं लगा। " और यही कुंजी है उन कुछ हफ्तों के लिए लोग रचनाकार और नवीन आविष्कारक बन गए। वे समाधानों का सपना देख रहे थे उन समस्याओं हेतु जो वर्षों से उन्हें खाये जा रही थीं, और यह उन सपनों को सच्चाई में बदलने का मौका था। और वह सपना देखना एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो मशीनों से हमें अलग करता है। अभी के लिए, हमारी मशीनें निराश नहीं होतीं, वे नाराज़ नहीं होतीं, और वे निश्चित रूप से कल्पना नहीं करतीं। लेकिन हम मनुष्य रूप में - हम दर्द महसूस करते हैं, हम निराश हो जाते हैं। और जब हम सबसे अधिक नाराज़ हैं और अधिक जिज्ञासु कि हम समस्या की जड़ तक पहुंचने व बदलाव लाने हेतु प्रेरित होते हैं। हमारी कल्पनायें नए उत्पादों, नई सेवाओं के जन्मस्थान हैं, और नए उद्योगों के भी। मुझे विश्वास है कि भविष्य की नौकरियां उन लोगों की बुद्धि से आएंगी जिन्हें आज हम विश्लेषक और विशेषज्ञ कहते हैं, पर सिर्फ अगर हम उन्हें आज़ादी व संरक्षण देते हैं कि उन्हें बढ़ना चाहिए खोजकर्ता और अन्वेषक बनने में। अगर हम सच में अपनी नौकरी रोबोट-प्रूफ चाहते हैं, हम नेताओं को मानसिकता छोड़नी होगी कि लोगों को क्या करना है यह बताना व इसके बजाय उन्हें पूछना शुरू करें कि वे किन समस्याओं को हल करने हेतु प्रेरित हैं और कौनसी प्रतिभाएं वे काम पर लाना चाहते हैं। क्योंकि जब आप अपने शनिवार व्यक्तित्व को बुधवार काम करने हेतु ला सकते हैं, आप सोमवार की और अधिक इंतजार करेंगे, और उन भावनाओं को कि हमारे पास सोमवार के बारे में है हमें मानव बनाने का हिस्सा हैं। व जैसे हम बुद्धिमान मशीनी युग हेतु काम फिर से डिज़ाइन करते हैं, मैं आप सब को मेरे साथ काम हेतु आमंत्रित करता हूं हमारे कामकाजी जीवन में अधिक मानवता लाने के लिए। धन्यवाद। (तालियां) तो महिला होने का अर्थ क्या है? हम सब में एक्सएक्स क्रोमोसोम होते हैं न? असल में, यह सच नहीं है। कुछ महिलाएँ मिश्रण होती हैं। उनके पास एक्सवाई या एक्सएक्सएक्स वाला एक्स क्रोमोज़ोम का मिश्रण हो सकता है। अगर यह हमारे क्रोमोज़ोम के बारे में नहीं है, तो महिला होने का क्या मतलब है? स्रीलिंग होना? शादी करना? बच्चे पैदा करना? इन नियमों के अपवाद देखने के लिए आपको ज़्यादा दूर नहीं जाना पड़ेगा, पर हम सबमें कुछ है जिसकी वजह से हम महिलाएँ हैं। शायद वह कुछ हमारे दिमाग में है। आपने पिछली सदी से कई सिद्धांत सुने होंगे कि गणित में पुरुष महिलाओं से बेहतर हैं क्योंकि उनके दिमाग बड़े होते हैं। ये सिद्धांत गलत साबित हो गए हैं। एक औसत आदमी का दिमाग एक आम हाथी के दिमाग से तीन गुना छोटा होता है, पर इसका मतलब यह नहीं कि एक आम आदमी हाथी से तीन गुना अधिक मूर्ख होता है... या ऐसा है? (हँसी) महिला न्यूरोसाइंटिस्ट की एक नई लहर है जो न्यूरॉन कनेक्टिविटी, दिमाग की संरचना, दिमाग की गतिविधि को लेकर महिला और पुरुष दिमागों में महत्वपूर्ण अंतर खोज रही है। उन्हें पता चल रहा है कि दिमाग चिथड़ों से जुड़ी रज़ाई की तरह... एक मिश्रण है। महिलाओं में अधिकतर महिला चिथड़े होते हैं और कुछ पुरुष चिथड़े। इन नए आँकड़ों के साथ, एक महिला होने का क्या अर्थ होता है? मैं जीवन भर यही सोचती रही हूँ। जब लोगों को पता चलता है कि मैं एक ऐसी महिला हूँ जो विपरीतलिंगी है, वे हमेशा पूछते हैं, "आप कैसे जानती हैं कि आप महिला हैं?" एक वैज्ञानिक होने के नाते, मैं लिंग का जैविक आधार खोज रही हूँ। मैं समझना चाहती हूँ कि मैं ऐसी क्यों हूँ। विज्ञान में हो रही नई खोज उन जैविक प्रतीकों पर रोशनी डाल रही है जो लिंग को पारिभाषित करते हैं। आनुवान्शिकी, न्शयूरोसाइंस, शरीर क्रिया विज्ञान और मनोविज्ञान में मैं और मेरे साथी यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि लिंग कैसे काम करते हैं। इन अत्यंत भिन्न क्षेत्रों में एक समानता है... एपिजेनेटिक्स। एपिजेनेटिक्स में, हम पढ़ रहे हैं कि डीएनए गतिविधि कैसे वास्तव में मौलिक और स्थायी रूप से बदल सकती है, हालांकि अनुक्रम वही रहता है। डीएनए वे लंबे, धागे-जैसे अणु हैं जो हमारी कोशिकाओं में पाए जाते हैं। इतना अधिक डीएनए होता है कि वह असल में गांठों जैसी चीज़ों में उलझ जाता है... हम इन्हें गांठें ही कहेंगे। तो इन डीएनए गांठों का बनना बाहरी कारणों से प्रभावित होता है। आप इसे ऐसे देख सकते हैं: हमारी कोशिकाओं में विभिन्न यंत्र निर्माण कर रहे हैं, सर्किट जोड़ रहे हैं, वो सब कर रहे हैं जो जीवन के लिए ज़रूरी है। यह रहा एक जो डीएनए को पढ़कर आरएनए बना रहा है। और फिर यह वाला न्यूरोट्रांसमीटर के बड़े बोरे को दिमाग की कोशिका के एक सिरे से दूसरे सिरे तक ले जा रहा है। क्या इस जोखिम भरे काम के लिए इन्हें भत्ता नहीं मिलता? (हँसी) यह वाला तो एक पूरा अणु कारखाना है... कुछ कहते हैं कि यह जीवन का रहस्य है। इसे राइबोज़ोम कहते हैं। मैं २००१ से इसका अध्ययन कर रही हूँ। हमारी कोशिकाओं के बारे में एक अद्भुत बात यह है कि इनके अंदर के तत्व स्वाभाविक रूप से सड़ जाते हैं। वे घुल जाते हैं, और फिर हर दिन उनका पुनर्निर्माण होता है, एक तरह का चलता-फिरता उत्सव जिसमें हर रोज़ झूले उतारे जाते हैं और फिर हर रोज़ लगाए जाते हैं। हमारी कोशिकाओं और चलते-फिरते उत्सव के बीच एक बड़ा अंतर है कि उत्सव में, निपुण कारीगर होते हैं जो हर रोज़ झूलों को लगाते हैं। हमारी कोशिकाओं में, ऐसे कोई निपुण कारीगर नहीं होते, बस निर्माण करने वाली मूर्ख मशीनें, जो योजना के अनुसार निर्माण करती हैं, चाहे योजना में कुछ भी लिखा हो। वे योजनाएं हैं डीएनए। हमारी कोशिकाओं के भीतर के हर कोने और छेद के लिए योजनाएँ। मान लो, अगर हमारे दिमाग की कोशिकाओं में हर कुछ हर दिन घुल जाता है, तो दिमाग उस दिन से पहले का सब कैसे याद रख सकता है? यही तो डीएनए का काम है। डीएनए उन चीज़ों में से एक है जो घुलता नहीं। पर डीएनए के लिए यह याद रखना कि कुछ हुआ था, उसे किसी तरह से तो बदलना होगा। हम जानते हैं कि बदलाव अनुक्रम में नहीं हो सकता; अगर अनुक्रम हमेशा बदलता रहता, तो हमारे शरीर में हर रोज़ कुछ नया उगता, जैसे नया कान या नई आँख। (हँसी) तो, इसके बजाय वह आकार बदलता है, और यह है डीएनए गाँठों की भूमिका। इन्हें डीएनए याददाश्त की तरह समझ सकते हैं। जब हमारे जीवन में कोई बड़ी घटना होती है, जैसे बचपन में कोई अभिघातक घटना घटी हो, स्ट्रेस हार्मोन दिमाग पर धावा बोलते हैं। स्ट्रेस हार्मोन डीएनए के अनुक्रम पर कोई प्रभाव नहीं डालते, पर उनका आकार ज़रूर बदल देते हैं। वे डीएनए के उस हिस्से को प्रभावित करते हैं जिसमें आणविक मशीनों के लिए निर्देश होते हैं जिससे स्ट्रेस कम होता है। डीएनए का वह टुकड़ा गाँठ में बंध जाता है, और अब मूर्ख निर्माता मशीनें निर्देश पढ़ नहीं पातीं जो उन्हें चाहिए मशीनों को बनाने के लिए जो स्ट्रेस कम करें। ज़्यादा हो गया, परंतु माइक्रो स्तर पर यही हो रहा है। मैक्रो स्तर पर, आप तनाव झेलने की क्षमता ही खो देते हैं, और वह अच्छा नहीं है। तो इस तरह डीेएनए याद रखता है कि अतीत में क्या हुआ था। मुझे लगता है मेरे साथ यही हो रहा था जब मेरा लिंग परिवर्तन शुरू हुआ था। मैं अंदर ही अंदर जानती थी मैं महिला हूँ, और बाहर महिलाओं के कपड़े पहनती थी, पर सबको मैं ड्रेस पहने एक पुरुष दिखती थी। मुझे एहसास हुआ कि चाहे मैं जितनी कोशिश कर लूँ, मुझे कोई महिला की तरह नहीं देखेगा। विज्ञान में, आपकी विश्वसनीयता ही सब कुछ होती है, और लोग गलियारों में मज़ाक उड़ाते थे, मुझे घूरते थे, घृणा भरी निगाहों से... मेरे करीब आते डरते थे। परिवर्तन के बाद की पहली टॉक मुझे याद है। इटली में थी। मैं पहले भी प्रतिष्ठिक टॉक दे चुकी हूँ, पर इस वाली से मैं डरी हुई थी। मैंने दर्शकों की ओर देखा, और लोगों ने काना-फूसी शुरू कर दी... वो घूरना, वो मज़ाक, वो हँसी। आठ साल पहले हुए अनुभव को लेकर आज भी मुझ में सामाजिक घबराहट है। मैंने उम्मीद खो दी। चिंता मत करो। मैंने इलाज करवाया है तो मैं ठीक हूँ... मैं अब ठीक हूँ। (हँसी) (वाह-वाही) (तालियाँ) पर मुझे लगा बहुत हो गया: मैं एक वैज्ञानिक हूँ, मैंने खगोल भौतिकी में डॉक्टरेट की है, मेरे लेख मानी हुई पत्रिकाओं में छपे हैं, जिसमें तरंग कण अंतर्क्रिया, अंतरिक्ष भौतिकी, न्यूकलिक एसिड जैव रसायन शामिल हैं। मुझे हर बात की तह तक पहुँचने का प्रशिक्षण प्राप्त है, तो... (हँसी) मैं ऑनलाइन गई... (तालियाँ) तो मैं ऑनलाइन गई, और मुझे ज़बरदस्त शोध पत्र मिले। मुझे पता चला कि ये डीएनए गाँठें हमेशा बुरी नहीं होती। असल में, ये गाँठें लगना और खुलना... एक जटिल कम्प्यूटर भाषा की तरह है। यह हमारे शरीर को उत्म परिशुद्धता से प्रोग्राम करता है। तो जब हम गर्भवती होते हैं, हमारे निषेचित अंडों से बच्चे जन्म लेते हैं। इस प्रक्रिया के लिए हज़ारों डीएनए निर्णय ज़रूरी होते हैं। क्या भ्रूण कोशिका रक्त कोशिका बनेगी? या दिल की कोशिका? या दिमाग की? और ये निर्णय गर्भावस्था में विभिन्न समयों पर लिए जाते हैं। कुछ पहली तिमाही में, कुछ दूसरी तिमाही में और कुछ तीसरी तिमाही में। डीएनए के निर्णय लेने को सही में समझने के लिए, हमें गाँठें बनने की प्रक्रिया के परमाणु विस्तार को देखना होगा। सबसे शक्तिशाली माइक्रोस्कोप भी नहीं देख सकता। अगर हम इसका कम्प्यूटर पर अनुरूपण करें तो कैसा रहेगा? ऐसा करने के लिए लाखों कम्प्यूटर चाहिए होंगे। लॉस एलमोस लैब्स में हमारे पास यही तो है... एक विशाल गोदाम में लाखों कम्प्यूटर जुड़े हुए। तो यहाँ हम दिखा रहे हैं एक डीएनए जो एक पूरा जीन बना रहा है गाँठों की विशेष आकारों में लिपट कर। पहली बार, मेरी टीम ने डीएनए का एक पूरा जीन बनाया है... आज तक की सबसे बड़ी बायोमोलिक्यूलर सिमुलेशन। पहली बार, हम समझ पा रहे हैं उस अनसुलझी समस्या को कि हार्मोन इन गाँठों को बनाने में कैसे योगदान देते हैं। डीएनए में गाँठों का बनना कैलिको बिल्लियों में खूबसूरती से देख सकते हैं। नारंगी और काले का निर्णय पहले ही भ्रूण में ले लिया जाता है, ताकि वह नारंगी-काला चिथड़ों का नमूना, एकदम वही रीडआउट है जब वह बिल्ली अपनी माँ के भ्रूण में एक नन्ही सी जान थी। और यह चिथड़ों का नमूना हमारे दिमाग में और कैंसर में असल में होता है। इसका सीधा संबंध बौद्धिक विकलांगता और स्तन कैंसर से है। डीएनए के ये निर्णय शरीर के बाकी हिस्सों में भी लिए जाते हैं। यह पता चला है कि अग्रदूत जननांग गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिला या पुरुष में बदलते हैं। जबकि अग्रदूत दिमाग, गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में महिला या पुरुष में बदलते हैं। तो कार्य करने के इस मॉडल के कारण मेरी माँ के भ्रूण में विचित्र मिश्रण के कारण अग्रदूत जननांग एक तरह से बदले, परंतु अग्रदूत दिमाग में दूसरी तरह से बदलाव आया। पश्चजनन संबंधी अधिकतर शोध ने तनाव, चिंता, डिप्रेशन पर अधिक ध्यान दिया है... जो एक तरह से निराशाजनक है, बुरी बात है। (हँसी) परंतु आजकल... आधुनिक कार्यों में... लोग आराम पर ध्यान दे रहे हैं। क्या उसका डीएनए पर धनात्मक प्रभाव पड़ सकता है? अभी चूहों के मॉडल में हमारे पास महत्वपूर्ण आँकड़े नहीं हैं। हमें पता है चूहे आराम करते हैं, परंतु क्या वे दलाई लामा की तरह ध्यान लगा सकते हैं? आत्मज्ञान प्राप्त कर सकते हैं? क्या वे जेडई मास्टर योडा की तरह अपनी दिमाग से पत्थर हिला सकते हैं? (योडा की आवाज़ में): हम्, जेडई चूहे को बल का प्रवाह महसूस होना चाहिए, हम्। (हँसी) (तालियाँ) मैं सोचती हूँ क्या इटली में मेरी उस टॉक के बाद मुझे जो समर्थन मिला उससे मेरे डीएनए में कोई परिवर्तन आया। मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं, मेरे माता-पिता का मुझे सहारा है और मेरा एक अच्छा सा प्रेमी है जिससे मुझे शक्ति मिलती है और दूसरों की मदद करने की उम्मीद मिलती है। मैं काम पर इंद्रधनुष कड़ा पहनती हूँ। कई बार लोग हैरान होते हैं, परंतु उससे जागरूकता भी बढ़ती है। इतने सारे विपरीतलिंगी लोग हैं... खासकर अश्वेत महिलाएँ... जिनके लिए बस एक अपमानजनक टिप्पणी उन्हें आत्महत्या तक ले जा सकती है। हम में से चालीस प्रतिशत आत्महत्या की कोशिश कर चुके हैं। अगर आप सुन रहे हैं और आपको लगता है कि आपके पास कोई और चारा नहीं, किसी दोस्त को फ़ोन करें, ऑनलाइन जाएँ और किसी समर्थन समूह में शामिल हो जाएँ। अगर आप महिला हैं जो विपरीतलिंगी है पर आप अकेले रहने के दर्द को जानती हैं, यौन हमले... आगे बढ़ें। तो महिला होने का मतलब क्या है? आधुनिक शोध के अनुसार महिला और पुरुष दिमाग भ्रूण में विभिन्न तरह से विकसित होते हैं, जिससे हम महिलाओं को जन्म से ही महिला होने का एहसास हो जाता है। इसके विपरीत, शायद यह हमारी समानता की वह साझी भावना है जो हमें महिला बनाती है। हमारे कितने ही विभिन्न आकार और माप हैं कि महिला होने का क्या अर्थ है शायद सही सवाल न हो। यह एक कैलिको बिल्ली से पूछने जैसा है कि कैलिको बिल्ली होने का क्या अर्थ है। शायद महिला होने का मतलब है खुद को मान लेना कि हम असल में हैं क्या और दूसरों को भी वही स्वीकृति देना। मैंने आपको देखा। और आपने मुझे अब देख लिया है। (तालियाँ) में एक न्यूरोसाइंटिस्ट हूँ मै बैकयार्ड ब्रेन्स का सह-संस्थापक हूँ, हमारा मिशन न्यूरो-साइंटिस्ट्स की अगली पीढी को ट्रेन करना है ग्रेजुएट लेवल के न्यूरोसाइंस अनुसन्धान उपकरण को मध्यम व् उच्च विद्यालयओं के बचों को उपलब्ध कर. ताकि जब हम कक्षा में जाएँ, उन्हें मस्तिष्क के बारे में, जो बहुत जटिल है, सोचने के लिए उन्हें एक सरल प्रशन पूंछे न्यूरोसाइंस के बारे में और वो है " मस्तिष्क किस्मे है?" जब हम ये सवाल पूछेंगे छात्र तुरंत बतायेंगे कि उनकी बिल्ली या कुत्ते में एक मस्तिष्क है, और ज्यादातर कहेंगे की चूहे या एक छोटी कीड़े में भी एक मस्तिष्क है, पर ये कोई नहीं कहता की पोधा या पेड़ या एक झाड़ी में एक मस्तिष्क है। और इसलिए जब आप जोर देते हैं - क्योंकि यह वर्णन करने में मदद कर सकता है की वास्तव में मस्तिष्क कैसे काम करता है तो आप जोर दे और कहे "ठीक है, वह क्या कारन है की जीवित चीजों में मस्तिष्क है या नहीं है " और अक्सर वे वापस वर्गीकरण करेंगे कि जो चीजें चलती हैं उनमें मस्तिष्क होते हैं। और यह बिल्कुल सही है। हमारा नर्वस सिस्टम विकसित हुआ क्योंकि यह बिजली है। यह तेज़ है, इसलिए हम उत्तेजना का तुरंत उत्तर दे सकते हैं और हिल सकते है अगर जरूरत है तो . लेकिन आप उस छात्र से वापस कह सकते है "अच्छा पौधों में दिमाग नहीं है, लेकिन पौधे तो हिलते हैं। " जिसने पोधा उगाया है उसने देखा होगा की पोधा घूमता है सूरज की और. पर वे कहेंगे, "लेकिन यह एक धीमी चाल है। यह नहीं मान सकते । यह एक रासायनिक प्रक्रिया हो सकती है। " लेकिन तेज चलने वाले पौधों के बारे में क्या? अब, 1760 में, आर्थर डॉब्स, उत्तरी कैरोलिना के रॉयल गवर्नर, एक बहुत ही आकर्षक खोज करी. अपने घर के पीछे की दलदल में, उसने एक पौधा पाया जो ख़त से बंद होता जब भी उसमे कोई कीड़ा गिरता . उन्होंने इस पौधे को फ्लाईट्रैप कहा, और एक दशक में इसने यूरोप के लिए अपना रास्ता बना लिया . जहाँ महान चार्ल्स डार्विन इस पौधे का अध्ययन करने के लिए मिला और इस पौधे ने उसे पूरी तरह से चकित किया । उसने इसे दुनिया का सबसे अद्भुत पोधा कहा । यह पौधा एक उत्क्रांति का आश्चर्य था। यह पौधा जल्दी चलता है, जो दुर्लभ है, और यह मांसाहारी है, जो भी दुर्लभ है। और यह एक ही पौधे में है। मैं आज यहां आपको यह बताने आया हूं यह भी सबसे अच्छी चीज नहीं है इस पौधे के बारे में। सबसे अच्छी बात है यह है कि पौधे गिन सकते हैं। तो यह दिखाने के लिए, हमें कुछ शब्दावली ठीक करनी होगी . तो मैं वह करूँगा जो हम छात्रों के साथ कक्षा मेंकरते हैं। हम इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी का एक प्रयोग करेंगे, जो रिकॉर्डिंग है शरीर के विद्युत संकेत के, या तो न्यूरॉन्स से आ रहा है या मांसपेशियों से। और मैं कुछ इलेक्ट्रोड अपनी कलाई पर डाल रहा हूँ जैसे ही मैं उन्हें जोड़ता हूं, हम एक संकेत देखेंगे यहां स्क्रीन पर। और यह संकेत आपको परिचित हो सकता है। इसे ईकेजी या इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम कहते है। और यह मेरे दिल के न्यूरॉन्स सेआ रहा है जो फायरिंग कर रहे हैं यह एक्शन पोटेंशियल कहलाता है, पोटेंशियल यानि वोल्टेज और एक्शन का अर्थ है तेजी से ऊपर और नीचे चलना, जो मेरे दिल को आग लगने का कारण बनता है, जो सिग्नल उत्पन्न करता है जो आप यहां देखते हैं। और मैं चाहूँगा कि आप यह आकार को याद रखे क्योंकि यह महत्वपूर्ण होने जा रहा है। इस तरह मस्तिष्क जानकारी एन्कोड करता है एक एक्शन पोटेंशियल के रूप में। तो अब कुछ पौधों की और चलते हैं । तो मैं पहले आपको मिमोसा से परिचय करवाता हूँ, पेय नहीं, लेकिन मिमोसा पुडिका, और यह पौधा मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है और इसका व्यवहार है। और पहला व्यवहार मैं तुम्हें दिखाऊंगा अगर मैं यहां पत्तियों को छूता हूं, आप देखेंगे की पत्तियां मुद जा रही हैं. और फिर दूसरा व्यवहार है, अगर मैं पत्ती को टैप करता हूं, पूरी शाखा गिरने लगती है। तो ऐसा क्यों होता है ? विज्ञान इसे नहीं जनता है. एक कारण यह भी हो सकता हा कि यह कीड़ों को डराता है या यहशाकाहारियों को यह कम आकर्षक लगता है। लेकिन यह कैसे करता है? अब, यह दिलचस्प है। पता लगाने के लिए हम एक प्रयोग कर सकते हैं तो हम अब क्या करने जा रहे हैं, जैसे मैंने रिकॉर्ड किया मेरे शरीर से विद्युत क्षमता, हम रिकॉर्ड करेंगे विद्युत् शमता इस पौधे, मिमोसा की । और इसके लिए मैंने तने के चारों ओर एक तार लपेट दिया है, और ग्राउंड इलेक्ट्रोड मुझे कहाँ मिला है? जमीन में। यह एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग मजाक है .ठीक. (हंसी) ठीक है। तो मैं आगे बढता हूँ और यहां पत्ते को टैप करता हूँ. आप विद्युत रिकॉर्डिंग देखें कि हम पौधे के अंदर देखने जा रहे हैं। वाह। यह बहुत बड़ा है, मुझे इसे स्केल करना होगा। ठीक है। तो वह क्या है? यह एक क्रिया क्षमता है यह पौधे के अंदर हो रहा है। यह क्यों हो रहा था? क्योंकि यह हिलना चाहता था। सही? और इसलिए जब मैंने टच रिसेप्टर्स को छुआ इसने एक वोल्टेज भेजा तने के अंत तक जिस की वजह से ये हिला । अब हम अपनी बाहों में, अपनी मांसपेशियों को हिलाएंगे , लेकिन पौधे की मांसपेशिया नहीं होती. कोशिकाओं के अंदर पानी क्या है और जब वोल्टेज इसे हिट करता है, यह खुलता है, पानी जारी करता है, कोशिकाओं के आकार में परिवर्तन, और पत्ता गिरता है। ठीक। यहां हम एक एक्शन पोटेंशियल देखते हैं हिलाने के लिए एन्कोडिंग जानकारी। ठीक है? पर क्या यह और ज्यादा सकता है? तो चलो पता लगते हैं. हम अपने अच्छे दोस्त के पास चलते हैं वीनस फ्लाई ट्रैप और हम एक नज़र डालेंगे की पत्ते के अंदर क्या होता है जब एक फ्लाई यहां पर उतरती है। तो मैं अभी एक फ्लाई की तरह बनता हूँ। और यहाँ नेरी वीनस फ्लाई तर्प है, और पत्ते के अंदर, आप नोटिस करने जा रहे हैं कि यहां तीन छोटे बाल हैं, जो की ट्रिगर बाल हैं। तो जब एक फ्लाई उतरती है - मैं एक बाल छूने जा रहा हूँ तैयार? एक दो तीन। हमें क्या मिलेगा ? हमें मिला एक सुंदर एक्शन पोटेंशियल । हालांकि, फ्लाईट्रैप बंद नहीं होता है। और समझने के लिए कि क्यों है, हमें थोड़ा और जानने की जरूरत है फ्लाईट्रैप के व्यवहार के बारे में। नंबर एक- यह है कि यह लेता है जाल वापस खोलने के लिए एक लंबा समय - आप जानते हैं, लगभग 24 से 48 घंटे अगर इसके अंदर कोई फ्लाई नहीं है। और इसमें बहुत सारी ऊर्जा लगती है। और दो, इसे खाने की जरूरत नहीं है कि साल भर कई मक्खियों। केवल एक मुट्ठी भर पाया सूर्य से इसकी अधिकांश ऊर्जा। यह ज़मीन के कुछ पोषक तत्वों को मक्खियों से बदल रहा है । और तीसरी बात यह है कि, यह केवल तब खुलता है जब जाल बंद हो जाता है कुछ हद तक जब तक कि जाल मर जाता है। तो, यह वास्तव में सुनिश्चित करना चाहता है कि इसके अंदर एक भोजन है फ्लाईट्रैप बंद होने से पहले। तो यह कैसे करता है? यह सेकंड की संख्या की गणना करता है लगातार के बीच उन बालों को छूना तो विचार ये है कि एक उच्च संभावना है, अगर वहां के अंदर एक फ्लाई है, वे एक साथ जल्दी होने जा रहे हैं, और इसलिए जब यह पहला हो जाता है क्रिया सामर्थ्य, यह गिनती करता है, एक, दो, और अगर यह 20 हो जाता है और यह फिर से आग नहीं है, तो यह बंद नहीं होगा, लेकिन यदि यह उसके भीतर करता है, तो फ्लाईट्रैप बंद हो जाएगा। तो हम अभी वापस जा रहे हैं। मैं छूने जा रहा हूँ वीनस फ्लाईट्रैप फिर से। मैं बात कर रहा हूँ 20 सेकंड से अधिक के लिए। तो हम देखते हैं कि क्या होता है जब मैं बालों को दूसरी बार छूता हूं। तो हमे क्या मिलता हैं? हमें दूसरी एक्शन पोटेंशियल मिलती है, लेकिन फिर, पत्ता बंद नहीं होता है। तो अब अगर मैं वहां वापस जाऊंगा यदि मैं एक फ्लाई हूँ जो चारों ओर घूम रहा हूँ, तो मैं पते को कुछ बार छुंगा । मैं इसे कुछ बार ब्रश कर रहा हूं। और तुरंत, फ्लाईट्रैप बंद हो जाता है। तो यहां हम फ्लाईट्रैप देख रहे हैं वास्तव में एक गणना कर रही है। यह निर्धारित है अगर जाल के अंदर एक फ्लाई है, और फिर यह बंद हो जाता है। तो चलिए अपने मूल प्रश्न पर वापस जाएं। क्या पौधे मस्तिष्क करते हैं? खैर, जवाब नहीं है। यहां कोई दिमाग नहीं है। कोई अक्षांश नहीं, कोई न्यूरॉन्स नहीं है। यह उदास नहीं होता है। यह जानना नहीं चाहता टाइगर्स का स्कोर क्या है। यह नहीं है आत्म-वास्तविकता की समस्याएं। पर उसके पास ऐसा कुछ है जो हमारे जैसा ही है, जो की बिजली का उपयोग कर संवाद करने की क्षमता। यह सिर्फ थोड़ा उपयोग करता है हम से अलग आयनों, लेकिन यह वास्तव में एक ही काम कर रहा है। तो बस आपको दिखाने के लिए सर्वव्यापी प्रकृति इन एक्शन पोटेंशियल में से, हमने इसे वीनस फ्लाईट्रैप में देखा, हमने देखा एक्शन पोटेंशियल मिमोसा में . हमने देखा एक्शन पोटेंशियल इन्सान में . अब, यह मस्तिष्क का यूरो है। इस तरह से जानकारी पास होती है. और हम उस एक्शन पोटेंशियल का उपयोग कर सकते हैं जानकारी पास करने के लिए पौधों की प्रजातियों के बीच। और इसलिए यह हमारी पौधे से पौधे के संवाद का जरिया है , और हमने यह एक नया प्रयोग बनाया है जहां हम रिकॉर्ड करने जा रहे हैं वीनस फ्लाईट्रैप से एक्शन पोटेंशियल और हम इसे भेजने जा रहे हैं संवेदनशील मिमोसा में। तो आप याद करें की क्या होता है जब हम मिमोसा की पत्तियों को छूते हैं। इसमें टच रिसेप्टर्स हैं जो वह जानकारी भेजते हैं वापस एक एक्शन पोटेंशियल के रूप में. और फिर क्या होगा अगर हम कार्य क्षमता लेते हैं वीनस फ्लाईट्रैप से और इसे भेज देते हैं मिमोसा के सभी तनो में ? हमें सक्षम होंगे मिमोसा का व्यवहा बनाने में इसे खुद छूए बिना। और अब यदि आप मुझे अनुमति दें, मैं अभी इस मिमोसा को ट्रिगर करूँगा इस वीनस फ्लाईट्रैप के बाल पर छूकर। तो हम जानकारी भेज रहे हैं एक पौधे से दूसरे में स्पर्श के बारे में। तो यहाँ आप देखते हैं। तो - (तालियां) तो मुझे उम्मीद है कि आपने आज पौधों के बारे में कुछ सीखा होगा , और न केवल वह। आपने सीखा कि पौधों का न्यूरोसाइंस पढ़ाने में मदद ली सकती है और neurorevolution लाईजा सकती है। धन्यवाद। (तालियां) चलो एक खेल खेलते है। कल्पना कीजिए कि आप लास वेगास में हैं, एक कैसीनो में, और आप कैसीनो के एक कंप्यूटर पर एक खेल खेलने का फैसला करते हैं , जैसे आप खेल सकते हैं सोलितैर या शतरंज। कंप्यूटर मूव कर सकता है खेल में, एक मानव खिलाड़ी की तरह। यह एक सिक्के का खेल है। इसकी शुरुआत एक सिक्के से होती है, और कंप्यूटर पहले खेलेंगा । सिक्का उछाले या नही इसका निर्णय कम्पूटर लेगा., लेकिन आप परिणाम नहीं देख सकते । इसके बाद, आपकी बारी है। आप भी चुन सकते हैं सिक्का पलटने के लिए या नहीं और आपकी चाल का खुलासा नहीं करेंगे आपके प्रतिद्वंद्वी कंप्यूटर को । अंत में, कंप्यूटर फिर से खेलता है, और सिक्का फ्लिप कर सकते हैं या नहीं, और इन तीन दौरों के बाद, सिक्का दिखाया जाता है, और अगर यह चित है, तो कंप्यूटर जीतता है, अगर यह पट है, तो आप जीतते हैं। तो यह एक बहुत ही सरल खेल है, अगर सभी ईमानदारी से खेलता है, और सिक्का सही है, तब आपके पास 50 प्रतिशत मौका है इस खेल को जीतने का। और इसकी पुष्टि करने के लिए, मैंने अपने छात्रों को खेलने के लिए कहा हमारे कंप्यूटर पर , और कई के बाद, कई कोशिश करता है, उनकी जीतने की दर समाप्त हो गई 50 प्रतिशत, या 50 प्रतिशत के करीब, जैसा सोचा था। एक उबाऊ खेल की तरह लगता है, है ना? लेकिन क्या होगा अगर आप इसे क्वांटम कंप्यूटर पर खेल सकें ? अब, लास वेगास कैसीनो क्वांटम कंप्यूटर नहीं हैं, जहाँ तक मुझे पता है, लेकिन आईबीएम ने बनाया है एक काम कर क्वांटम कंप्यूटर। यही पर है। लेकिन क्वांटम कंप्यूटर क्या है? खैर, क्वांटम भौतिकी ऐसा वर्णन है परमाणुओं का व्यवहार और मूलभूत कण, इलेक्ट्रॉनों और फोटॉनों की तरह। इसलिए एक क्वांटम कंप्यूटर संचालित होता है व्यवहार को नियंत्रित करके इन कणों में, लेकिन यह तरीका नियमित कंप्यूटर से पूरी तरह से अलग है । तो क्वांटम कंप्यूटर सिर्फ एक अधिक शक्तिशाली संस्करण नहीं है हमारे वर्तमान कंप्यूटरों में, बिलकुल एक प्रकाश पुंज की तरह अधिक शक्तिशाली मोमबत्ती नहीं है। बेहतर से बेहतर मोमबत्तियां बना कर एक प्रकाश बल्ब का निर्माण नहीं हो सकता एक प्रकाश बल्ब एक अलग तकनीक है, गहन वैज्ञानिक समझ पर आधारित है। इसी तरह, एक क्वांटम कंप्यूटर एक नई तरह की डिवाइस है, क्वांटम भौतिकी के विज्ञान पर आधारित, और एक प्रकाश बल्ब की तरह रूपांतरित समाज, क्वांटम कंप्यूटर में प्रभावित करने की क्षमता है हमारे जीवन के कई पहलुओं, हमारी सुरक्षा जरूरतें, स्वास्थ्य देखभाल और यहां तक ​​कि इंटरनेट भी । तो दुनिया भर की कंपनियां इन उपकरणों को बनाने के लिए काम कर रहे हैं, और क्या देखना है उत्साह सभी के बारे में है, चलो क्वांटम कंप्यूटर पर अपना गेम खेलते हैं। इसलिए मैं आईबीएम क्वांटम कंप्यूटर में यहीं से लॉगइन कर सकता हूं , यानि कि मैं खेल को दूरस्थ रूप से खेल सकती हूं, और आप भी ऐसा कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए, आपको याद से टेड से पहले ईमेल प्राप्त करना है , जो आपसे पूछेगा कि क्या आप सिक्का पलटने के लिए चुनेंगे या नहीं अगर आपने खेल खेला है। वास्तव में, हमने आपको एक चक्र या एक वर्ग के बीच चुनने के लिए कहा। आप इसे नहीं जानते थे, लेकिन आपके चयन का मतलब है "सिक्का फ्लिप करें" और वर्ग का आपका चयन का अर्थ "फ्लिप नहीं था।" हमें 372 प्रतिक्रियाएं मिलीं। धन्यवाद। मतलब है कि हम 372 गेम खेल सकते हैं क्वांटम कंप्यूटर के खिलाफ आपके चुनाव का उपयोग कर। और यह एक बहुत तेज खेलने वाला खेल है, इसलिए मैं आपको यहां परिणाम दिखा सकता हूं। दुर्भाग्य से, आपने बहुत अच्छा नहीं किया। (हँसी) लगभग हर खेल क्वांटम कंप्यूटर जीता । यह केवल कुछ खेल हारा कंप्यूटर में परिचालन त्रुटियों की वजह से । (हँसी) तो इसने कैसे हासिल की यह अद्भुत जीत ? यह जादू या धोखे की तरह लगता है, लेकिन वास्तव में, यह सिर्फ क्वांटम फिजिक्स का कार्य है । यहां देखिए यह कैसे काम करती है। आम कंप्यूटर एक सिक्के के चित और पट को एक बिट के रूप में समझता है , एक शून्य या एक, या करंट चालू और बंद आपके कंप्यूटर की चिप के अंदर। एक क्वांटम कंप्यूटर पूरी तरह से अलग है। एक क्वांटम बिट में अधिक द्रव होता है, गैर पहचान। यह एक सुपरपोजिशन में मौजूद हो सकता है, या शून्य और एक जोड़े में , शून्य होने की कुछ संभावना के साथ और एक होने की कुछ संभावना। दूसरे शब्दों में, इसकी पहचान एक स्पेक्ट्रम पर है। उदाहरण के लिए, यह हो सकता है शून्य होने की 70 प्रतिशत संभावना और एक होने का 30 प्रतिशत मौका या 80-20 या 60-40। संभावनाएं अनंत हैं। यहाँ प्रमुख विचार है कि हमें शून्य और एक के सटीक मूल्यों को छोड़ देना होगा और कुछ अनिश्चितता को रहने देना होगा। तो खेल के दौरान, क्वांटम कंप्यूटर बनाता है चित और पट का यह द्रव संयोजन, शून्य और एक, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता किखिलाड़ी पलटें या ना पलटें, सुपरपोजिशन बरकरार है। यह दो तरल पदार्थों के मिश्रण को हिलाने की तरह है । आप हिलाएं या न हिलाएं , तरल पदार्थ एक मिश्रण में रहते हैं, लेकिन अपने अंतिम चाल में, क्वांटम कंप्यूटर शून्य और एक को अलग सकते हैं, पूरी तरह से चित ला कर ताकि आप हर बार हार जाएँ । (हँसी) अगर आपको यह सब थोड़ा अजीब लगता है ,तो आप बिलकुल सही हैं । सामान्य सिक्के चित और पट वाले मौजूद नहीं हैं। हम वास्तविक में द्रव क्वांटम अनुभव नहीं करते हमारे रोजमर्रा के जीवन में। तो अगर आप क्वांटम से भ्रमित हैं, तो चिंता न करें, आप इसे प्राप्त कर रहे हैं। (हँसी) लेकिन भले ही हम अनुभव न करें क्वांटम विचित्रता, हम इसका प्रभाव वास्तविक में देख सकते हैं। आपने खुद डेटा देखा है। क्वांटम कंप्यूटर जीता क्योंकि इसने उपयोग किया सुपरपोजिशन और अनिश्चितता का , और ये क्वांटम गुण शक्तिशाली हैं, सिर्फ सिक्के के खेल को जीतने के लिए ही नहीं, बल्कि भविष्य की क्वांटम प्रौद्योगिकियाँ का निर्माण करने के लिए भी । तो मैं आपको तीन उदाहरण देती हूं संभावित उपयोगों के जो हमारे जीवन को बदल सकता है। पहला, क्वांटम अनिश्चितता का निजी कुंजी बनाने के लिए उपयोग हो सकता है संदेशों को एन्क्रेपट करने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने में ताकि हैकर्स कुंजी को सही तरह से कॉपी नहीं कर सकें , क्वांटम अनिश्चितता के कारण। उन्हें क्वांटम भौतिकी के नियमों को भंग करना होगा कुंजी को हैक करने के लिए। इस तरह का अटूट एन्क्रेप्शिन पहले ही बैंकों द्वारा टेस्ट किया जा रहा है और दुनिया भर के अन्य संस्थानों में भी । आज, हम विश्व में 170 करोड़ से अधिक जुड़े हुए उपकरण का उपयोग करते हैं । कल्पना करो भविष्य में क्वांटम एन्क्रिप्शन का प्रभाव क्या हो सकता है। दूसरे, क्वांटम तकनीकें स्वास्थ्य देखभाल और दवा को बदल सकती है । उदाहरण के लिए, अणुओं का डिजाइन और विश्लेषण दवा के विकास के लिए आज एक चुनौतीपूर्ण समस्या है, वो इसलिए क्योंकि बिल्कुल सही वर्णन और गणना सभी क्वांटम गुणों की सभी परमाणुओं के अणु एक कम्प्यूटेशनल रूप से मुश्किल काम है, सुपर कंप्यूटरों के लिए भी। लेकिन एक क्वांटम कंप्यूटर बेहतर कर सकता है, क्योंकि यह प्रयोग करता है वही क्वांटम गुण जो अणु अनुकरण करने की कोशिश कर रहा है। तो भविष्य क्वांटम सिमुलेशन बड़े पैमाने पर दवा के विकास के लिए शायद अल्जाइमर जैसी बीमारियों के उपचार की और ले जा सकता है जो हजारों लोगों के जीवन को प्रभावित करता है। और तीसरा, मेरा पसंदीदा क्वांटम अनुप्रयोग सूचना का प्रसारण है एक स्थान से दूसरे स्थान पर बिना भौतिक रूप से सूचना संचारित करे। विज्ञान-कल्पना की तरह लगता है, लेकिन यह संभव है, क्योंकि ये द्रव पहचान हैं क्वांटम कणों की अंतरिक्ष और समय में उलझ सकते हैं इस तरह से जब आप बदलते हैं एक कण के बारे में कुछ, यह दूसरे को प्रभावित कर सकता है, और वह बनाता है टेलीपोर्टेशन के लिए एक चैनल। यह पहले से ही प्रदर्शित किया गया है अनुसंधान प्रयोगशालाओं में और हिस्सा हो सकता है एक भविष्य क्वांटम इंटरनेट का। हमारे पास अभी तक ऐसा कोई नेटवर्क नहीं है, लेकिन मेरी टीम काम कर रही है इन संभावनाओं पर, क्वांटम नेटवर्क का अनुकरण करके एक क्वांटम कंप्यूटर पर। हमने कुछ दिलचस्प नए प्रोटोकॉल डिजाइन और लागू किये है जैसे कि टेलीपोर्टेशन नेटवर्क में विभिन्न उपयोगकर्ताओं के बीच और कुशल डेटा ट्रांसमिशन और यहां तक ​​कि सुरक्षित मतदान भी। तो यह मेरे लिए बहुत मजेदार है, क्वांटम भौतिक विज्ञानी होने के नाते। मैं इसकी पुरजोर सलाह देती हूँ। (हँसी) हमें खोजकर्ता बनना है एक क्वांटम वंडरलैंड में। कौन जानता है कि कौन से अनुप्रयोग हम अगली खोज करेंगे। हमें सावधानीपूर्वक और जिम्मेदारी से चलना चाहिए जैसे क्वांटम भविष्य का निर्माण होगा और मेरे लिए, व्यक्तिगत रूप से, मैं क्वांटम भौतिकी को सिर्फ क्वांटम कंप्यूटर बनाने के एक उपकरण के रूप में नहीं देखती । मैं देखती हूँ क्वांटम कंप्यूटर एक जरिया है जो हमें प्रकृति के रहस्यों की जांच कर और इस छुपी हुई दुनिया के बारे में हमारे अनुभवों से अधिक बतायेगा । हम इंसान कितने अद्भुत हैं, हमारे ब्रह्मांड की अपेक्षाकृत सीमित पहुंच होने पर भी , हमारे क्षितिज से परे देख सकते हैं बस हमारी कल्पना का उपयोग कर और हमारी सरलता। और ब्रह्मांड हमें पुरस्कृत करता है हमें दिखाते हुए कि कितना दिलचस्प और आश्चर्यजनक है। भविष्य बुनियादी रूप से अनिश्चित है, और मेरे लिए, यह निश्चित रूप से रोमांचक है। धन्यवाद। (तालियां) मैं तुम्हें मेरे जीवन में लगभग सात वर्ष पीछे ले जाना चाहता हूँ। शुक्रवार की दोपहर, क्रिसमस 2009 के कुछ दिन पहले मैं संचालन निदेशक था सैन फ्रांसिस्को में एक उपभोक्ता उत्पाद कंपनी में, और मुझे एक मीटिंग, जो पहले से ही चल रही थी, में बुलाया गया था। वह मीटिंग मेरी निकासी साक्षात्कार की निकली। मुझे कई अन्य लोगों के साथ निकाल दिया गया था। उस समय मैं 64 साल का था। यह पूरी तरह अप्रत्याशित न था। मैंने कागज़ात के एक ढेर पर हस्ताक्षर किए, मेरी व्यक्तिगत चीज़ें एकत्रित की, और अपनी पत्नी को मिलने के लिए चल दिया जो पास के रेस्तरां में मेरा इंतजार रही थी, पूरी तरह से अनजान। कुछ घण्टों बाद, हम दोनों बुरी तरह से नशे में धुत थे। (हँसी) तो, निरंतर नौकरी के 40 वर्ष से अधिक विभिन्न कंपनियों के लिए, बड़ी और छोटी, सब खत्म हो गया था। मेरे पास एक अच्छा नेटवर्क था, एक अच्छी प्रतिष्ठा - मैंने सोचा कि मैं ठीक हूँगा। मैं विनिर्माण और पैकेजिंग में एक इंजीनियर था। मेरी अच्छी पृष्ठभूमि थी। सेवानिवृत्ति, अन्य बहुत लोगों के जैसे, बस मेरे लिए एक विकल्प नहीं थी। तो मैं अगले कुछ वर्षों के लिए परामर्श दाता बन गया किसी भी जुनून के बिना। और फिर एक विचार ने जड़ रूप लेना शुरू किया, जो हमारे पर्यावरण के लिए मेरी चिंता से उपजा मैं अपना खुद का व्यवसाय बनाना चाहता था, अपशिष्ट से बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग का डिजाइन और विनिर्माण - कागज, कृषि, यहां तक ​​कि कपड़ा अपशिष्ट - जो विषाक्त डिस्पोजेबल प्लास्टिक पैकेजिंग की जगह लेगा, जिसके लिए हम सभी आदी हो गए हैं। इसे स्वच्छ प्रौद्योगिकी कहा जाता है, और यह मुझे वास्तव में सार्थक लगा। एक उद्यम जो अरबों पाउंड कम करने में मदद कर सकता है हर साल फेंके गए एकल उपयोग प्लास्टिक पैकेजिंग की और हमारे देश को प्रदूषित करते हैं, हमारी नदियों और महासागरों को, और जिसे भविष्य की पीढ़ियों को हल करने के लिए छोड़ दिया है - हमारे नाती पोतों के लिए, मेरे नाती पोतों के लिए। और अब 66 वर्ष की आयु में, 40 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं बिल्कुल पहली बार एक उद्यमी बन गया। (प्रशंसा) (तालियां) धन्यवाद। लेकिन और भी कुछ है। (हँसी) निपटने के लिए बहुत सारे मुद्दे: विनिर्माण, आउटसोर्सिंग, नौकरी सृजन, पेटेंट, भागीदारी, निधिकरण - एक स्टार्ट-अप के लिए ये सभी विशिष्ट मुद्दे हैं लेकिन शायद ही मेरे लिए सामान्य है। और निधिकरण बारे एक शब्द। मैं सैन फ्रांसिस्को में रहता और काम करता हूं। और अगर आप निधिकरण की तलाश कर रहे हैं, आप आम तौर पर कुछ बहुत ही युवा लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा करने जा रहे हैं उच्च तकनीक उद्योग से, और यह बहुत हतोत्साहित करने और डराने वाला हो सकता है, मेरे जूते इनमें से अधिकतर लोगों की आयु से भी पुराने हैं। (हँसी) हाँ, हैं। (हँसी) लेकिन पांच साल बाद, मैं आपके साथ साझा करने के लिए रोमांचित और गर्वित हूँ कि हमारे राजस्व हर साल दोगुने हुए, हम पर कोई कर्ज़ नहीं है, हमारे पास कई बड़े ग्राहक हैं, हमें पेटेंट मिला हुआ है, मेरा एक अद्भुत साथी है जो मेरे साथ शुरुआत से ही रहा है, और हमने जो काम किया है उसके लिए 20 से अधिक पुरस्कार जीते हैं। लेकिन सभी सबसे अच्छा, हम एक छोटी सी कमी - एक बहुत छोटी सी कमी लाये हैं - विश्वव्यापी प्लास्टिक प्रदूषण संकट में। (तालियां) और मैं सबसे ज्यादा फायदेमंद और मेरे जीवन का अभी सार्थक काम कर रहा हूँ। मैं आपको बता सकता हूं हर उम्र उद्यमियों के लिए बहुत सारे संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन पांच साल पहले मैं वास्तव में ललसाया अन्य पहली बार बने उद्यमियों को ढूंढने हेतु, जो मेरी उम्र के थे। मैं उनके साथ जुड़ना चाहता था। मेरे पास कोई रोल मॉडल नहीं था, बिल्कुल कोई नहीं। वह 20 कुछ ऐप डेवलपर सिलिकॉन वैली से मेरा रोल मॉडल नहीं था (हँसी) मुझे यकीन है वह बहुत चालाक था - (हँसी) मैं उसके बारे में कुछ करना चाहता हूं, और मैं चाहता हूं कि हम सभी उस बारे में कुछ करें मैं चाहता हूं कि हम और बात करना शुरू करें उन लोगों बारे जो वरिष्ठ होने तक उद्यमी नहीं बनते इन साहसी पुरुषों और महिलाओं बारे बात करें जो शुरू कर रहे हैं, जब उनके साथी, असल में, छोड़ रहे हैं। और फिर इन सभी लोगों को उद्योगों से, क्षेत्रों से, जोड़ कर देश विदेश में -- एक समुदाय निर्मित करते हुए। तुम्हें पता है, लघु व्यवसाय प्रशासन हमें बताता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में निजी क्षेत्र में पैदा किये 64 प्रतिशत नए रोज़गार शुक्र है कि मेरे जैसे छोटे व्यवसायों के कारण हैं। और कौन कहता है कि हम हमेशा के लिए छोटे रहेंगे? हमारी एक दिलचस्प संस्कृति है जो असल में आशा करती है कि एक निश्चित आयु में, आप गोल्फ या चेकर्स खेलने वाले हो , या सारा समय पोते पोतियों की देखभाल करने वाले हो। और मैं अपने पोते पोतियों, दोते दोतियों को पसंद करता हूँ - (हँसी) और मैं भी भावुक हूँ वैश्विक बाजार में कुछ सार्थक करने के बारे में। और मेरी बहुत सी कम्पनियाँ होने वाली हैं। जनगणना ब्यूरो का कहना है कि 2050 तक, इस देश में 84 मिलियन वरिष्ठ नागरिक होंगे। यह एक अद्भुत संख्या है। यह लगभग आज से लगभग दो गुना है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कितने पहली बार उद्यमी होंगे 84 मिलियन लोगों के बीच? और उन सब के पास चार दशकों का अनुभव होगा। (हँसी) तो जब मैं कहता हूं,"चलो इन अद्भुत उद्यमियों बारे अधिक बात करना शुरू करें," मेरा मतलब होता है, चलो उनके उद्यमों के बारे में बात करें, जैसे हम उनके बहुत युवा समकक्षों के उपक्रमों का करते हैं। इस देश के वृद्ध उद्यमियों की सफलता दर 70 प्रतिशत है नए उद्यम शुरू करने की। 70 प्रतिशत सफलता दर हम उद्यमियों के स्वर्णिम राज्य योद्धा की तरह हैं - (हँसी) (तालियां) और यह संख्या युवा उद्यमियों के लिए 28 प्रतिशत है। यह एक इंग्लैंड स्थित सी एम आई नामक समूह के अनुसार है। क्या एक 70 वर्षीय उद्यमी की उपलब्धियां नहीं हैं हर प्रकार से सार्थक, हर प्रकार से समाचार अनुकूल, 30 वर्षीय उद्यमी की उपलब्धियों की तरह? बेशक वे हैं। यही कारण है कि मैं वाक्यांश बनाना चाहता हूं "70 से अधिक 70" बस ठीक वैसा (हँसी) बस जैसा आम स्थान व "30 से कम 30" जैसा वाक्यांश। (प्रशंसा ) धन्यवाद। (प्रशंसा) (तालियां) दक्षिणी अफ्रीका में तार का सजावटी उपयोग सैकड़ों वर्षों से हो रहा है. लेकिन आधुनिकीकरण वास्तव में संचार लाया और टेलीफोन तार के रूप में एक पूरी नई सामग्री,. ग्रामीण के शहरी प्रवास की वजह से, नई औद्योगिक सामग्री ने कठिनाई से मिलने वाली प्राकृतिक घास का स्थान ले लिया. तो, यहाँ आप परिवर्तन देख सकते हैं समकालीन सामग्री के उपयोग की शुरुआत. इन टुकड़ों की तारीख 1940-1950 है. '90 के दशक में, मेरी समकालीन कला रूपों की रुचि और जूनून मुझे एक नए रूप में ले गया, जो डरबन के बाहर एक स्कुँत्टर शिविर से आया था. और मुझे इस समुदाय के साथ काम शुरू करने का अवसर मिला और वह काफी बढ गया और उन्हें सलाह देना, पैमाने के रूप में, डिजाइन के मामले में. और जल्द ही परियोजना एक साल में ५ से ५० बुनकरों में बदल गयी. जल्द ही हम स्क्रैप यार्ड के पार निकल गए, वो जितना दे सकते थे, तो हमने एक तार निर्माता को मजबूर किया हमारी मदद करने के लिए, और बोब्बिंस पर न केवल सामग्री की आपूर्ति करने के लिए, लेकिन हमारे रंग विनिर्देशों के उत्पादन के लिए. उसी समय में, मैं सोच रही थी, यहाँ बहुत सारी संभावना है, समकालीन उत्पादों का उत्पादन करने की, जातीय से अलग, थोड़ा और अधिक समकालीन. तो मैंने एक बड़े पैमाने पर उत्पादन होने वाली पूरी श्रृंखला बनायीं जो स्पष्ट रूप से एक उच्च सजावट बाजार में फिट होती थी जो हमारे स्थानीय बाजार से सेवा निर्यात की जा सके हमने प्रयोग शुरू कर दिया, जैसा कि आप देख सकते हैं आकार के मामले में, रूपों में. उत्पाद का पैमाना बहुत महत्वपूर्ण बन गया, और यह हमारी महत्त्वपूर्ण परियोजना बन गयी. यह सफल है, यह 12 साल से चल रहा है. और हम कोरण दुकानों की पूर्ति करते हैं, और डोना करन, यह महान है. यह हमारे बुनकरों का मुख्य समूह है. वे डरबन साप्ताहिक आधार पर आते हैं. सभी के बैंक खाते हैं. वे सब उसी ग्रामीण क्षेत्र वापस चले गए जहाँ से वे आये थे. यह उत्पादन का एक साप्ताहिक चक्र है. यह समुदाय है जो मैंने आप को पहले दिखाया था. और आज यह आधुनिक हो गया है, और यह ३०० बुनकरों का समर्थन कर रहा है. और यह अपनी कथा खुद बयां करता है. बहुत बहुत धन्यवाद. (अभिवादन) जब मैं २१ साल की थी, भौतिक विज्ञान का मै घर में पढती थी. भौतिकी का पाठ करते समय मुझे आराम लेना ज़रूरी है, और विकिपीडिया अपेक्षाकृत नया था, इसलिए मैंने वहां बहुत आराम किया. मैं ग्लेशियर, अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड, पर बार-बार उन लेखों को पढ़ते हुए, एक ही लेख पर वापस जाती रहती थी. इन जगहों पर जाना कितना अच्छा होगा और ऐसा करने के लिए क्या लगेगा? तो हम यहाँ हैं एक पुनर्मुद्रण वायुसेना कार्गो विमान पर नासा द्वारा संचालित ग्रीनलैंड बर्फ शीट पर उड़ान भर रहे है यहां देखने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन बहुत कुछ छिपा हुआ है, खोज की प्रतीक्षा कर रहे . विकिपीडिया के लेख ने मुझे क्या नहीं बताया यह है कि वहाँ तरल पानी है बर्फ की चादर के अंदर छिपा हुआ है, क्योंकि हम तब वो नहीं जानते थे मैंने विकिपीडिया पर सीख लिया था कि ग्रीनलैंड बर्फ पत्र विशाल है, मेक्सिको के समान आकार, और बर्फ ऊपर से नीचे तक दो मील मोटी है लेकिन यह सिर्फ स्थिर नहीं है. बर्फ समुद्र की ओर एक नदी की तरह बहती है चूंकि यह झुकता है, विकृत और दरारें इस पर आती हैं. मुझे मौका मिला अध्ययन करने का ये अद्भुत बर्फ गतिशीलता जो कि पृथ्वी पर स्थित सबसे दूरस्थ भौतिक वातावरण में से एक में स्थित हैं ग्लेसिओलॉजी में अभी काम करने के लिए २००० के दशक में फेसबुक की बुनियादी बातों को प्राप्त करने की तरह है (हंसी) हवाई जहाज उड़ाने की हमारी क्षमता और बर्फ शीट पर उपग्रहों ग्लेसिओलॉजी क्रांति कर रहा है. यह विज्ञान के लिए कर रहा है जो स्मार्टफोन ने सोशल मीडिया के लिए किया है उपग्रह हमें अवलोकन के धन दे रहे हैं जो नए छिपे हुए तथ्यों का खुलासा कर रहे हैं बर्फ शीटों के बारे में लगातार उदाहरण के लिए, हमारे पास टिप्पणियां हैं ग्रीनलैंड बर्फ शीट के आकार का २००२ से हर महीने आप देख सकते हैं चित्रपट के नीचे महीने और वर्ष आगे बढ़ते हुए आप देख सकते हैं कुछ क्षेत्रों में बर्फ की चादर पिघलती या बर्फ खो जाती हैं गर्मियों में दूसरे क्षेत्रों में बर्फ गिरती है या सर्दियों में बर्फ वापस आती है यह मौसमी चक्र, हालांकि, ग्रहण किया गया है सामूहिक नुकसान की समग्र दर से कि एक ग्लेशियोलॉजिस्ट ५० साल पहले दंग रह जाएगा हम ने कभी नहीं सोचा था की एक बर्फ की चादर इतनी जल्दी अपना धैर्य समुन्दर को खोदेगा चूंकि ये माप २००२ में शुरू हुआ था, बर्फ की चादर बहुत बर्फ खो गया है कि अगर उस पानी को ढेर किया गया हमारे छोटे महाद्वीप पर, यह ऑस्ट्रेलिया घुटने-गहराई में डूब जाएगा यह कैसे संभव है? बर्फ के नीचे झुकाव है हम पहाड़ों की छवि को रडार का इस्तेमाल करते हैं, घाटियों, पहाड़ों और अवसाद जो बर्फ पर बहती है बर्फ की चादर के नीचे छिपे हुए हैं नहरों जो हैं ग्रांड कैन्यन का आकार की प्रत्यक्ष बर्फ और पानी ग्रीनलैण्ड से और महासागर में रडार आधार का खुलासा कर सकता है क्योंकि बर्फ रडार के लिए पूरी तरह से पारदर्शी है आप एक प्रयोग कर सकते हैं. घर जाओ और माइक्रोवेव में डालो एक बर्फका घन यह पिघलेगा नहीं, क्योंकि माइक्रोवेव, या रडार, सीधे बर्फ के अंदर और बाहर बिना परेशानी के आप बर्फ घन को पिघलाना चाहते हैं, आपको इसे गीला करना है, क्योंकि पानी आसानी से तपता है माइक्रोवेव में माइक्रोवेव ओवन उस संपूर्ण सिद्धांत के आसपास बनाया गया है रडार पानी देख सकता है. और रडार ने खुलासा किया है तरल पानी का विशाल पूल मेरे सहयोगी ओलिविया के नीचे छिपा हुआ है, उसके पैरों से 7 गुज नीचे यहां, पम्प इस्तेमाल किया कुछ पानी वापस बर्फ की चादर की सतह पर लाने के लिए सिर्फ छह साल पहले, हमें पता नहीं था इस ग्लेशियर जलीय अस्तित्व में है जब गर्मियों में बर्फ पिघलता है जलभृत का गठन होता है और नीचे चला जाता है यह एक साथ आता है विशाल पूल बनाने के लिए वहां से, बर्फ एक इग्लू के रूप में कार्य करता है, इस पानी को अलग करना ठंड और हवा से तो पानी रह सकता है बर्फ की चादर में छिपा हुआ तरल रूप में वर्षों तक सवाल यह है कि आगे क्या होगा? क्या पानी हमेशा के लिए वहाँ रहता है? हो सकता है या वैश्विक महासागर पहुंचने के लिए एक रास्ता निकालता है? एक तरीका जिसके साथ पानी आधार तक पहुँच सके और वहां से सागर तक पहुँच सके है एक हिम दरार या बर्फ में एक दरार जब दरारें पानी से भर जाती हैं, पानी का वजन उन्हें गहरा और गहरा बल देता है और पानी के दवाब काम करता है पृथ्वी के भीतर से प्राकृतिक गैस को निकालने के लिए. दबाव वाले तरल पदार्थ तोडते चट्टानों को आरंभ करने के लिए यह एक दरार है. तोह, हमने हाल ही में खोज की कि वहाँ उपलब्ध दरारें हैं ग्रीनलैंड बर्फ की चादर में इस ग्लेशियर जलीय के पास आप उड़ सकते हैं ग्रीनलैंड बर्फ चादर के अधिकांश कुछ भी देखे बिना कोई दरारें, सतह पर कोई विशेषताओं नहीं, लेकिन इस घिरनीदार विमान के रूप में तट की तरफ उड़ता है, पानी उस मार्ग की खोज करेगा जो ढलान में बहता है एक दरार प्रकट होता है, फिर दूसरा और तीसरा क्या ये दरारें तरल पानी से भरे हैं? और यदि हाँ, तो कितना गहराई टक वो पानी लेते हैं? क्या इसे आधार पर ले जा सकते हैं और महासागर ? इन सवालों का जवाब देने के लिए, हमें कुछ चाहिए दूरस्थ संवेदन डेटा से परे हमें संख्या चित्रण चाहिऐ है मैं बड़े कम्प्युटर की लिए संख्या चित्रण लिखती हूँ संख्या चित्रण बस समीकरणों का एक समूह है एक साथ काम करता है कुछ का वर्णन करने के लिए यह उतना आसान हो सकता है जैसे एक अनुक्रम में अगली संख्या -- एक, तीन, पांच, सात -- या यह अधिक जटिल हो सकता है समीकरणों का समूह जो भविष्यवाणी करता है वर्तमान में ज्ञात शर्तों के आधार पर हमारे मामले में, क्या हैं समीकरण कैसे बर्फ दरारें आते हैं ? इंजीनियर पहले से ही रखा है एक बहुत अच्छी समझ कैसे एल्यूमीनियम, स्टील और प्लास्टिक तनाव के तहत टूटता है यह हमारे समाज में एक महत्वपूर्ण समस्या है. और बाद में पता चला इंजीनियरिंग समीकरण कैसे सामग्री टूटना अलग नहीं हैं मेरे भौतिक विज्ञान के अध्ययन से इसलिए मैंने उनको उधार लिया, बर्फ के लिए अनुकूलित किया, और फिर मेरे पास एक संख्या चित्रण था कैसे एक हिम दरार टूटता है. जब जलभृत से पानी से भरा होता है. यह गणित की शक्ति है. यह हमें समझने में मदद कर सकती है दुनिया में वास्तविक प्रक्रिया मैं अब आपको दिखाऊँगी मेरे संख्या चित्रण के परिणाम, लेकिन पहले मुझे बता देना चाहिए की हिम दरार गहरी से एक हजार बार संकरा है, यहां मुख्य पैनल में , ठीक से देखने के लिए हमने उसे बड़ा किया है. आप छोटे दाहिने ओर पैनल को देख सकते हैं सच पैमाने देखने के लिए कितना लम्बा और पतला हिम दरार है जैसे जलभृत के पानी हिम दरार में बहती है, कुछ तोह फिर से जम जाता है नकारात्मक १५ डिग्री सेल्सियस बर्फ में यह आपकी रसोई फ्रीजर जितना ठंडा है लेकिन इस नुकसान को दूर किया जा सकता है अगर से प्रवाह दर में ग्लेशियर एक्विइमर पर्याप्त उच्च है हमारे मामले में, यह है, और जलभृत पानी हिम दरार को चलाता है बर्फ चादर के आधार के लिए सभी तरह एक हजार मीटर नीचे वहां से, एक स्पष्ट रास्ता है महासागर तक पहुंचने के लिए इसलिए जलमग्न का पानी एक हिस्सा है तीन मिलीमीटर का प्रति वर्ष समुद्र के स्तर में वृद्धि का जो हम एक वैश्विक समाज के रूप में अनुभव करते हैं. लेकिन अधिक है: जलभृत पानी उसके वजन से ऊपर छिद्रण हो सकता है जटिल तरीके से बर्फ बहती है कुछ स्थानों में, बर्फ बहुत तेज़ बहता है वहां पानी होने की आदत है यहां बर्फ चादर के आधार पर अन्य स्थानों में, इतना तेज़ नहीं आमतौर पर, पानी आधार पर मौजूद नहीं है अब जब हम जानते हैं कि जलमग्न के पानी बरफ शीट के आधार पर मिल रहा है, अगला सवाल है: क्या यह समुद्र को समुद्र में तेजी से प्रवाह कर रहा है ? ग्रीनलैंड बर्फ शीट के अंदर छिपे हुए रहस्यों को उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि हम बेहतर योजना बना सकें समुद्र के स्तर में वृद्धि के लिए २००२ के बाद से ग्रीनलैंड खो गया है बर्फ की मात्रा सिर्फ एक छोटा अंश है उस बर्फ की चादर का रखरखाव बर्फ की चादरें विशाल, शक्तिशाली मशीन हैं जो लंबे समय से चलते हैं अगले ८० वर्षों में, वैश्विक समुद्र के स्तर कम से कम २० सेंटीमीटर बढ़ेगा, शायद एक मीटर जितना अधिक हो, और शायद अधिक भावी समुद्र के स्तर में वृद्धि हमारी समझ अच्छी है, लेकिन हमारे अनुमानों की एक विस्तृत श्रृंखला है ग्लेशियोलॉजिस्ट और वैज्ञानिकों के रूप में यह हमारी भूमिका है इन अनिश्चितताओं को कम करने के लिए कितना समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, और यह कितनी तेजी से यहां आएगा ? हमें यह जानना होगा कि कितना और कितनी तेजी से, ताकि दुनिया और उसके समुदायों समुद्र के स्तर में आने वाली वृद्धि के लिए योजना कर सकते हैं धन्यवाद (तालियां) पृथ्वी पर दो शक्तिशाली घटनाएं सामने आ रहीं है: ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि और महिलाओं और लड़कियों का उदय। उनके बीच की कड़ी को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है, लेकिन लिंग न्यायनीति एक मुख्य जवाब है हमारे ग्रह-संबंधी चुनौतियों के लिए। मुझे समझाने दो। पिछले कुछ वर्षों से,vc मैं एक प्रयास पर काम कर रही हूं जिसे "प्रोजेक्ट ड्रॉडाउन" कहा जाता है। हमारी टीम ने मानवता का ज्ञान छान मारा है समाधान के लिए ताकि ऊष्मा-जाल, जलवायु-परिवर्तन उत्सर्जन कम कर सके वातावरण में - "किसी दिन, शायद,अगर हम भाग्यशाली हैं "समाधान नही, 80 सर्वोत्तम प्रथाऐं और तकनीक पहले से ही हाथ में: स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा, सौर और पवन सहित; हरित इमारतों, दोनों नए और पुराना; कुशल परिवहन ब्राजील से चीन तक; संरक्षण और बहाली के माध्यम से संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र; कचरे को कम करना और उसके मूल्य को पुनः प्राप्त करना; अच्छे तरीकों से भोजन बढ़ाना जो मिट्टी को पुन: उत्पन्न करता है; आहार को कम मांस, अधिक पौधों में स्थानांतरित करना; और महिलाओं और लड़कियों के लिए न्यायनीति। लिंग और जलवायु अटूट रूप से जुड़े हुए हैं। उत्सर्जन कम करना सके बढ़ने पर निर्भर करता है। पहले, थोड़ा संदर्भ। हम तात्कालिकता की स्थिति में हैं, गंभीरता और गुंजाइश जो मानव जाति के सामने कभी नहीं थी। अब तक, हमारी प्रतिक्रिया पर्याप्त के कहीं करीब भी नहीं है। लेकिन आप यह पहले से ही जानते है। आप इसे अपने अंदर जानते हैं, अपने हर एक कण मे। हम प्रत्येक भाग हैं ग्रह की जीवित प्रणाली का, जो लगभग 7.7 अरब मानवों के साथ बुना हुआ है और 180 लाख ज्ञात प्रजातियां। हम आपस में जुड़ाव महसूस कर सकते हैं। हम टूटन को महसूस कर सकते हैं और वो बंद खिड़की इसे ठीक करने के लिए । यह पृथ्वी, हमारा घर, हमें बता रही है कि रहने का एक बेहतर तरीका उभरना चाहिए,और जल्द । मेरे अनुभव में, आँखें खुली रहने के लिए हर दिन एक टूटे हुए दिल को पकड़ना है। यह दु: ख की बात है कि मैं शायद ही कभी बोलता हूं, हालांकि मेरा काम आवाज की ताकत का है । मैं अपने आप को याद दिलाती हूं कि दिल बस टूट सकता है, या यह टूट के खुल सकता है। टूटा-खुला दिल जागा और जीवित है और कार्रवाई के लिए कहता है। यह पुनर्योजी है, प्रकृति की तरह, खंडहर जमीन को फिर से विकसित करता। जीवन अधिक जीवन की ओर बढ़ता है, उपचार की ओर। पूर्णता की ओर। यह एक मौलिक पारिस्थितिक सत्य है। और हम, हम सब, हम जीवन शक्ति हैं। इसके चेहरे पर, प्राथमिक लिंक महिलाओं, लड़कियों और एक गर्म दुनिया के बीच जीवन नहीं है लेकिन मृत्यु है। जागरूकता बढ़ रही है कि जलवायु प्रभाव महिलाओं और लड़कियों के लिए सबसे कठिन है, मौजूदा कमजोरियाँ। विस्थापन का बड़ा खतरा है, घायल होने की अधिक संभावना या एक प्राकृतिक आपदा के दौरान मरने की। लंबे समय तक सूखा जल्दी शादी के लिए तैयार कर सकते हैं जब परिवार अभाव से जूझते हैं। बाढ़ वेश्यावृत्ति को मजबूर कर सकती है जब महिलाऐं आवशयकता पूर्ति के लिए संघर्ष करती है। सूची बढ़ती और विस्तृत होती जाती है। ये गतिकी गरीबी की परिस्थितियों में सबसे तीव्र होती हैं, न्यू ऑरलियन्स से नैरोबी तक। बहुत बार, कहानी यहाँ समाप्त होती है। लेकिन आज नही। एक और सशक्त सत्य देखने को मिलता है। यदि हम लैंगिक समनाता मानते है हम ग्लोबल वार्मिंग पर भी कामयाबी हासिल करते हैं। यह संबंध तीन प्रमुख क्षेत्रों में प्रकाश में आता है, तीन क्षेत्र महिलाओं और लड़कियों के अधिकार सुरक्षित कर सकते हैं, प्रतिरोधक्षमता मजबूत करे और एक ही समय में उत्सर्जन को टालें। महिलाएं दुनिया की प्राथमिक किसान हैं। वे निम्न-आय वाले देशों में भोजन का 60 से 80 प्रतिशत उत्पादन करती हैं, अक्सर पांच एकड़ से कम पर काम कर रही है। यही "स्मॉलहोल्डर" शब्द का अर्थ है। पुरुषों की तुलना में, महिलाऐं "स्मॉलहोल्डर" की संसाधनों तक कम पहुंच है, भूमि अधिकार सहित, क्रेडिट और पूंजी, प्रशिक्षण, उपकरण और प्रौद्योगिकी। वे पुरुषों जैसे ही समझदारी और कुशलता से खेती करते हैं, लेकिन यह अच्छी तरह से प्रलेखित असमानता संसाधनों और अधिकारों में का मतलब है कि महिलाएं कम भोजन बनाती हैं उतनी ही जमीन पर। उन अंतरालों को बंद करें, और खेत की पैदावार में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि होती है। मतलब 20 से 30 प्रतिशत ज्यादा खाना एक ही बगीचे या एक ही मैदान से। भूख के निहितार्थ, स्वास्थ्य के लिए, घरेलू आय के लिए - वे स्पष्ट हैं। चलो इस डोर का जलवायु तक पीछा करे। हम इंसानों को भोजन उगाने के लिए जमीन की जरूरत होती है। दुर्भाग्य से,यह आपूर्ति करने के लिए जंगल अक्सर साफ किये जाते है, और यह उत्सर्जन का कारण बनता है वनों की कटाई से। लेकिन अगर मौजूदा खेत पर्याप्त भोजन का उत्पादन करते हैं, जंगलों को खोने की संभावना कम है। तो एक लहर प्रभाव है। महिलाओं स्मॉलहोल्डर का समर्थन करें, एहसास करे उच्च पैदावार, वनों की कटाई से बचें और बनाए रखे जीवनप्रद वनों की शक्ति। प्रोजेक्ट ड्राडाउन का अनुमान है कि कृषि में असमानता को संबोधित करने से अब और 2050 के बीच का दो बिलियन टन उत्सर्जन को रोका जा सकता है। यह प्रभाव घरेलू पुनर्चक्रण के बराबर है जो विश्व स्तर पर हो सकता है। इस असमानता को संबोधित कर हम महिलाओं की भी मदद कर सकते है भोजन उगाने की चुनौतियों के साथ जलवायु परिवर्तन मे। खेती में प्राणशक्ति है। अंतिम गणना में, 130 मिलियन लड़कियां अभी भी वंचित हैं उनके स्कूल जाने के मूल अधिकार से। माध्यमिक स्कूलों की कक्षाओं में रिक्तियाँ सबसे ज़्यादा है। बहुत सारी लड़कियां जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण आधार को खो रही है। शिक्षा का मतलब है बेहतर स्वास्थ्य महिलाओं और उनके बच्चों के लिए, बेहतर वित्तीय सुरक्षा, घर और समाज में बृहत्तर साधन, एक जलवायु बदलती दुनिया का संचालन करने के लिए अधिक क्षमता। शिक्षा का मतलब विकल्प,अनुकूलनशीलता, शक्ति हो सकता है। इसका मतलब कम उत्सर्जन भी हो सकता हैं । कई किस्म के कारणों के लिए, जब हमारे पास शिक्षा के अधिक वर्ष होते है, हम आमतौर पर बाद में शादी करने को चुनते हैं और कम बच्चे । तो हमारे परिवार छोटे होते है । व्यक्तिगत स्तर पर क्या होता है समय के साथ दुनिया भर में जुड़ता है । एक एक करके एक के बाद एक, स्कूल जाने का अधिकार इस ग्रह पर कितने मनुष्य रहते हैं पर असर करता और अपने जीवन प्रणालियों पर प्रभाव डालता । इसीलिए लड़कियों को शिक्षित नहीं होना चाहिए। यह एक सार्थक परिणाम है । शिक्षा सिक्के का एक पक्ष है । दूसरा परिवार नियोजन है: उच्च गुणवत्ता की स्वैच्छिक प्रजनन स्वास्थ्य परिचर्या तक पहुँच। संयोग के बजाय चुनाव से बच्चे होना स्वायत्तता और गरिमा की बात है। अभी तक अमेरिका में, गर्भधारण का 45 प्रतिशत अनायास है। कम आय वाले देशों में चौबीस करोड़ दस लाख महिलाऐं कहती हैं कि वे तय करना चाहती हैं कि और कब गर्भवती हो लेकिन गर्भनिरोधक का उपयोग नहीं कर रहे हैं। महिलाओं की जरूरतों को सुनना, उन जरूरतों को संबोधित करना, न्यायनीति और कल्याण को आगे बढ़ाना: वो उद्देश्य होना चाहिए परिवार नियोजन, अवधि के । हमारी मानव जनसंख्या के विकास पर रोक एक पक्ष प्रभाव है, हालांकि शक्तिशाली। यह नाटकीय रूप से खाद्य, परिवहन, बिजली की मांग को कम कर सकता, इमारतें, माल और बाकी सब, जिससे उत्सर्जन कम होता है । शिक्षा तक पहुंच और परिवार नियोजन के बीच अन्तर को खत्म करे, और मध्य सदी तक, हम मिल सकता है कि एक अरब कम लोग पृथ्वी पर वास कर रहे हो अगर हम कुछ नही करे। परियोजना ड्रॉडाउन के अनुसार, एक अरब कम लोग का मतलब हो सकता है कि हम बचा सकते है उत्सर्जन के लगभग 120 अरब टन । प्रभाव के उस स्तर पर, लैंगिक समानता एक शीर्ष समाधान है जीवन योग्य जलवायु बहाल करने के लिए । प्रभाव के उस स्तर पर, लिंग समानता हवा टर्बाइन बराबरी पर है और सौर पैनलों और जंगलों के। सीखने में जीवन शक्ति होती है और चुनाव में जीवन शक्ति । अब, मुझे स्पष्ट होने दो: इसका मतलब नहीं है कि महिलाएं और लड़कियां सब कुछ सही करने के लिए जिंमेदार हैं। (हंसी) हालांकि हम शायद करेंगे । (हंसी) (तालियां) महिलाओं के लिए न्यायनीति कृषि में, शिक्षा और परिवार नियोजन: ये एक गिरावट समाधान प्रणाली के भीतर के समाधान है। साथ में, वे शामिल हैं संभावना का एक खाका। और मुझे इस बारे में स्पष्ट होने दें: जनसंख्या को उत्पादन या खपत से अलगाव में नहीं देखा जा सकता। मानव परिवार के कुछ खंड तेजी से अधिक नुकसान का कारण, जबकि अन्य लोगों को बाहरी अन्याय सहना पड़ा। सबसे संपन्न - हम सबसे ज्यादा जवाबदेह हैं। हमारे पास करने के लिए सबसे ज्यादा है। लिंग-जलवायु संबंध नकारात्मक प्रभावों से परे फैली हुई है और शक्तिशाली समाधानों से परे है। महिलाएं महत्वपूर्ण आवाज हैं और एजेंट इस ग्रह पर परिवर्तन के, और फिर भी हम अक्सर लापता या यहां तक ​​कि लौकिक तालिका से वर्जित है। हमे अक्सर नजरअंदाज या बोलते हुए चुप किये जाते हैं। हम बहुत बार पार कर दिए जाते है जब योजनाएं बनाई या निवेश किया जाता है। एक विश्लेषण के अनुसार, सिर्फ 0.2 प्रतिशत परोपकारी धन महिलाओं और पर्यावरण, की ओर विशेष रूप से जाता है, वैश्विक स्तर पर केवल 110 मिलियन डॉलर, एक व्यक्ति द्वारा खर्च की गई राशि पिछले साल एक सिंगल बेसक्यूट पेंटिंग पर। ये गतिशीलता न केवल अन्यायपूर्ण हैं, वे हमें विफलता के लिए स्थापित कर रहे हैं। तेजी से, मौलिक रूप से समाज को नया रूप देने के लिए, हमें हर समाधान और हर समाधान करने वाले की जरूरत है, हर मन, दिल का हर टुकड़ा, हर हाथ । हम अक्सर कार्रवाई के लिए एक सरल बुलावे की लालसा करते हैं, किंतु यह चुनौती तथ्य पत्रक से अधिक मांगता है और एक चेकलिस्ट से अधिक। हमें एक पारिस्थितिकी तंत्र की तरह कार्य करने की आवश्यकता है, हमारी विविधता में ताकत खोजना। आपको पता है कि आपके ताकत क्या हैं। आप एक शिक्षक, किसान, मरहम लगाने वाले, निर्माता, प्रचारक, ज्ञान-रक्षक है। आप जहां हैं, वहां आप हाथ को कैसे जोड़ सकते हैं समाधान आगे बढ़ाने के लिए? एक भूमिका है जो मैं पूछना चाहती हूं आप सभी निभाए: संदेशवाहक की भूमिका। यह महान जागरण का समय है। हमें चुप्पी तोड़ने की जरूरत है हमारे ग्रह की स्थिति को लेकर; निर्मित बहसों से परे जलवायु विज्ञान के बारे में; समाधान साझा करें; टूटे-खुले दिल से सच बोले; सिखाए कि जलवायु परिवर्तन को दूर करने के लिए, हमें लैंगिक समानता को एक सत्य बनाना चाहिए। और असंभव प्रतीत होती चुनौती के सामने, महिलाएं और लड़कियां संभावना का एक भयंकर स्रोत हैं। जिंदा रहना शानदार बात है एक पल में जो इतना मायने रखता है। यह पृथ्वी, हमारा घर, हमारे लिए साहसिक होने का आह्वान कर रहा है, हमें याद दिलाते हुए कि हम सब हैं इसमें एक साथ - महिला पुरुष, सभी लिंग पहचान के लोग, सभी प्राणी। हम जीवन शक्ति हैं, एक पृथ्वी, एक मौका। चलिए इसे जब्त करते हैं। धन्यवाद। (तालियां) दशकों के शोध के बाद और अरबों डॉलर नैदानिक ​​परीक्षणों पर खर्चे जाने के बाद, हमें कैंसर की दवा वितरण में अभी भी एक समस्या है। हम अभी भी रोगी को रसायन चिकित्सा देते हैं, जो इतना गैर विशिष्ट है कि भले ही यह कैंसर कोशिकाओं को मारता है, यह एक तरह शरीर के बाकी हिस्सों को भी मारता है। और हाँ, हमने अधिक चयनात्मक दवाएं विकसित की हैं, लेकिन उन्हें ट्यूमर में ले जाने की अभी भी एक चुनौती है, और वे अन्य अंगों में भी संचित हो जाती हैं या मूत्र में बह जाती हैं, जो बिल्कुल बर्बादी है। और मेरे जैसे क्षेत्र उभर करआए हैं जहां हम इन दवाओं को कैप्सूल में डालते हैं उन्हें शरीर में से गुज़रते समय बचाने के लिए। लेकिन इन संशोधनों के कारण समस्याएं हैं जिन्हें ठीक करने के लिए हम और अधिक संशोधन करते हैं। तो मैं असल में यह कहने की कोशिश कर रही हूँ कि हमें अच्छी दवा वितरण प्रणाली चाहिए । और मैं प्रस्ताव रखती हूँ, मानव डिजाइन का उपयोग करने के बजाय, प्रकृति का उपयोग क्यों नहीं करते? प्रतिरक्षा कोशिकाएं ऐसी बहुमुखी वाहन हैं जो हमारे पूरे शरीर में यात्रा करती हैं, रोग के लक्षणों के लिए गश्त लगाती हुई और चोट के कुछ ही मिनट बाद एक घाव पर पहुंचने के लिए। तो मैं आप लोगों से पूछती हूं: यदि प्रतिरक्षा कोशिकाएं बीमारी या चोट स्थान पर पहले ही से जा रही हैं हमारे शरीर में, क्यों न एक और यात्री जोड़ दें? प्रतिरक्षा कोशिकाओं का उपयोग औषधियां देने हेतु क्यों न करें हमारी कुछ बड़ी समस्याएं ठीक करने के लिए बीमारी में? मैं एक जैव चिकित्सा इंजीनियर हूं, व आपको बताती हूँ कि कैसे मैं प्रतिरक्षा कोशिकाओं का उपयोग करती हूँ सबसे बड़ी कैंसर समस्याओं में से एक को लक्षित करने के लिए। क्या आप जानते हैं कि 90 प्रतिशत से अधिक कैंसर मौतें इसके फैलने से होती हैं? तो अगर हम इन कैंसर कोशिकाओं को रोक सकें प्राथमिक ट्यूमर से एक दूर स्थान पर जाने से, हम इनके रास्ते में कैंसर को रोक सकते हैं व लोगों की जिंदगी का अधिक भाग लौटा सकते हैं। इस विशेष मिशन को करने के लिए, हमने वसा से बना एक नैनो कण देने का निर्णय लिया, यह वही सामग्री है जिससे आपकी कोशिका झिल्ली बनी हुई है। और हमने दो विशेष अणुओं को जोड़ दिया है। एक को ई-चयनिन कहा जाता है, जो एक गोंद का काम करता है जो नैनो कण को प्रतिरक्षा कोशिका से बांधता है। और दूसरे वाला पदचिन्ह कहा जाता है पदचिन्ह एक चिकित्सीय दवा है जो कैंसर कोशिकाएं मारता है पर सामान्य कोशिकाओं को नहीं। अब, जब आप इन दोनों को एक साथ रखते हो, आपके पास पहियों पर एक तुच्छ हत्यारी मशीन है। इस परीक्षण करने के लिए, हमने एक चूहे पर प्रयोग किया। तो हमने नैनो कणों का टीका लगाया, और वे लगभग तुरंत रक्तप्रवाह में प्रतिरक्षा कोशिकाओं से बंध गए। और फिर हमने एक प्रक्रिया बतौर नकल कैंसर कोशिकाओं का टीका किया जिससे कैंसर कोशिकाएं हमारे शरीर भर में फैल जाए। और हमें कुछ बहुत ही रोमांचक मिला। हमने पाया कि हमारे इलाज समूह में, शुरू में टीके से दिए कैंसर कोशिकाओं के 75 प्रतिशत से अधिक मृत थे या मर रहे थे, केवल 25 प्रतिशत की तुलना में। तो बस कल्पना करें: इन कम कोशिकाओं की मात्रा उपलब्ध थी वास्तव में शरीर के एक अलग भाग में फैलने हेतु सक्षम होने के लिए। और यह केवल उपचार के दो घंटेबाद है। हमारे परिणाम अद्भुत थे, और हमारे पास कुछ बहुत दिलचस्प समाचार था। मेरा पसंदीदा शीर्षक वास्तव में था, "चिपचपाती गेंदे कैंसर फैलाव को रोक सकती हैं।" (हँसी) मैं आपको बता नहीं सकती कि मेरे पुरुष सहयोगी कितने आत्मसंतुष्ट थे, जानते हुए कि उनकी चिपचपाती गेंदें एक दिन कैंसर का इलाज कर सकती हैं। (हँसी) लेकिन मैं आपको बता सकती हूं कि उन्होंने बनाई कुछ सुंदर, सुंदर, रोमांचक, सुंदर गेंदवाली टी-शर्ट। रोगियों से बात करने का मेरा भी यह पहला अनुभव था जहां उन्होंने पूछा कि कितनी जल्दी हमारी चिकित्सा उपलब्ध होगी। और ये कहानियाँ मेरे पास होती हैं मुझे महत्व की याद दिलाने के लिए विज्ञान, वैज्ञानिकों और रोगियों के। अब, हमारे तेज असर वाले परिणाम बहुत दिलचस्प थे, लेकिन हमारे पास अभी भी एक लटकता सवाल था : क्या हमारी चिपचिपीं गेंदे , हमारे कण वास्तव में संलग्न हैं प्रतिरक्षा कोशिकाओं से, वास्तव में कैंसर फैलने से रोक सकते हैं? तो हम हमारे पशु मॉडल के पास गए, और हमने तीन महत्वपूर्ण भाग पाए। हमारे प्राथमिक ट्यूमर छोटे थे हमारे इलाज किये गए जानवरों में, संचलन में कम कोशिकाएं थीं, और दूर अंगों में ट्यूमर का बोझ न के बराबर या बिल्कुल नहीं था अब, यह सिर्फ एक जीत नहीं थी हमारे और हमारे चिपचिपा गेंदों के लिए। यह मेरे लिए भी एक जीत थी दवा वितरण में, और यह प्रतिमान बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, एक क्रांति -- सिर्फ दवाओं का उपयोग करने से, बस उन्हें टीके से देने से और उम्मीद करना कि वे शरीर में सही जगह पर जाते हैं, आपके शरीर में विशेष वितरण चालकों की तरह प्रतिरक्षा कोशिकाओं का उपयोग करने के लिए इस उदाहरण के लिए, हमने दो अणुओं का इस्तेमाल किया, ई-चयन और पदचिन्ह, लेकिन वास्तव में, जिन दवाओं का आप उपयोग कर सकते हैं उनकी संभानाएँ अंतहीन हैं। और मैंने कैंसर के बारे में बात की, पर जहां रोग जाता है प्रतिरक्षा कोशिकाएं भी वहाँ जाती हैं। तो इसे किसी भी बीमारी के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। कल्पना करो महत्वपूर्ण घाव-चिकित्सा चीज़ों को वितरित करने हेतु प्रतिरक्षा कोशिकाओं का उपयोग करने की रीढ़ की हड्डी की चोट के बाद, या ड्रग्स देने के लिए प्रतिरक्षा कोशिकाओं का उपयोग करना रक्त मस्तिष्क बाधा के आगे पार्किंसंस या अल्जाइमर रोग के इलाज के लिए ये विचार हैं जो मुझे विज्ञान बारे सबसे अधिक उत्तेजित करते हैं। और जहां से मैं खड़ी हूं, मुझे बहुत ज़्यादा उम्मीद व अवसर दिखाई देते हैं। धन्यवाद। (तालियां) जब मैं लगभग 8 वर्ष की थी, तब मैंने पहली बार जलवायु परिवर्तन या ग्लोबल वार्मिंग के बारे में सुना था । प्रतीत होता था कि यह ऐसा कुछ था जिसकी रचना मनुष्यों ने अपनी जीवनशैली द्वारा की थी । मुझे बिजली बचाने के लिए बत्तियां बंद करने और (प्राकृतिक) संसाधनों को बचाने के लिए कागज़ को रीसायकल करने के लिए कहा गया था । मुझे याद है कि मैं सोच रही थी कि यह कितना विचित्र है कि मनुष्य जो दूसरे जीवों की ही तरह एक जीव प्रजाति है, वे पृथ्वी के जलवायु को बदलने में सक्षम हो सकते थे । क्योंकि यदि हम में यह क्षमता होती और वाकई बदलाव हो रहा होता तो हम किसी और चीज़ के विषय में बात ही नहीं कर रहे होते । जैसे ही आप टीवी चालू करते, तो सब कुछ इसी विषय पर होता । मुख्य समाचार, रेडियो, समाचार पत्र, आप किसी अन्य विषय पर कभी कुछ पढ़ते या सुनते ही नहीं, जैसे कि विश्व युद्ध चल रहा हो । परन्तु कोई भी कभी इस (विषय) पर बात नहीं करता था । यदि जीवाश्म ईंधन जलाना इतना हानिकारक था कि इससे हमारे अस्तित्व पर ही खतरा बन आया था, तो हम पहले की तरह जीवन का निर्वाह कैसे जारी रख रहे थे ? कोई प्रतिबंध क्यों नहीं थे ? इसे अवैध क्यों नहीं किया गया था ? मैं यह समझ नहीं पा रही थी । यह बिल्कुल वास्तविक नहीं लग रहा था । तो जब मैं 11 वर्ष की थी, मैं बीमार पड़ गई । मैं गहरी निराशा से जूझ रही थी, मैंने बात करना और खाना खाना बंद कर दिया था । दो महीनों में मेरा वजन लगभग 10 किलो कम हो गया था । तत्पश्चात यह निदान किया गया कि मैं एस्पर्जर सिंड्रोम, विचार चिंतित याने ओसीडी और चयनात्मक गूंगापन से पीड़ित थी । इसका अर्थ यह है कि मैं केवल तभी बोलती हूँ जब मुझे लगता है कि यह ज़रूरी है । यह उन पलों में से एक है । (तालियां) हम में से वे लोग जो (आटिज्म) स्पेक्ट्रम पर है, उनके लिए लगभग हर चीज़ सही या फिर गलत होती है । हम झूठ बोलने में बहुत अच्छे नहीं है और हम आमतौर पर सामाजिक मेलजोल में भाग लेने में आनंद नहीं लेते जो ऐसा लगता है कि आप शेष सभी को अत्यंत पसंद है । (हंसी) मुझे लगता है कि कई मायनों में हम खुद के विचोरोसे चितित होते है और शेष सभी लोग काफ़ी विचित्र, (हंसी) ख़ास तौर पर जब जीवन के निरंतर अस्तित्व पर खतरे की बात आती है, जहां सभी यह कहते रहते हैं कि जलवायु परिवर्तन हमारे अस्तित्व के लिए एक खतरा है और सभी समस्याओं में से सबसे महत्वपूर्ण है और फिर भी वे पहले की ही तरह (जीवन) व्यतीत कर रहे हैं । मैं यह समझ नहीं पा रही हूँ क्योंकि यदि उत्सर्जन रुकने चाहिए, तो हमें उत्सर्जनों को रोकना होगा । मेरे लिए यह बहुत ही स्पष्ट था । अस्तित्व का प्रश्न हो तो फिर बीच का कोई रास्ता नहीं होता । या तो हम सभी को एक सभ्यता के रूप में आगे बढ़ना होगा या फिर नहीं। हमें बदलना होगा । स्वीडन जैसे समृद्ध देशों को उत्सर्जनों को कम करना शुरू करना होगा, हर वर्ष कम से कम 15 प्रतिशत तक, और यह इसलिए ताकि हम 2 डिग्री सेल्सीयस के वार्मिंग लक्ष्य के नीचे रह सके । हालांकि, जैसा कि आईपीसीसी ने हाल ही में प्रदर्शित किया है, इसके स्थान पर 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को हासिल करने पर जलवायु पर पड़ रहा प्रभाव काफी कम हो जाएगा । पर हम केवल कल्पना कर सकते हैं कि उत्सर्जन को इतना कम करने के लिए क्या मायने होंगे। आप सोच रहे होंगे कि समाचार माध्यम और हमारे सभी नेता किसी अन्य चीज़ पर चर्चा नहीं कर रह होंगे परन्तु वे कभी इसका ज़िक्र भी नहीं करते हैं । न ही कभी कोई वायुमंडल में पहले से मौजूद ग्रीनहाउस गैसों का ज़िक्र करता है और न ही वायु प्रदूषण द्वारा तापमान में हुई (वास्तविक) वृद्धि को छिपाए जाने कि क्योंकि जब हम जीवाश्म ईंधन को जलाना बंद कर देंगे तो हमारे पास पहले से ही तापमान में वृद्धि की एक अतिरिक्त मात्रा होगी जो संभवतः 0.5 से 1.1 डिग्री सेल्सियस तक ऊँची हो सकती है । इसके अलावा, शायद ही कोई इस तथ्य पर बात करता है कि हम छठी बार घटित हो रहे जीवों के व्यापक विनाश के मध्य में है जहां हर दिन 200 जीव प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं, (और) जीवों के विलुप्त होने की वर्त्तमान गति सामान्य गति से 1000 से 10,000 गुना तक अधिक है । ना ही कभी कोई समानता या जलवायु न्याय के उस पहलू की बात करता है जिसकी व्याख्या स्पष्ट रूप से पेरिस समझौते में की गई है, जो कि वैश्विक स्तर पर उसे सफल बनाने के लिए अत्यंत आवश्यक है । इसका अर्थ यह है कि समृद्ध देशों को अपनी वर्त्तमान उत्सर्जन गति को 6 से 12 वर्षों के भीतर शून्य उत्सर्जन तक लाना होगा और यह इसलिए करना होगा ताकि गरीब देशों में रह रहे लोगों को अपने जीवन के स्तर को उठाने का अवसर मिल सके कुछ बुनियादी ढांचों के निर्माण के द्वारा, जिनका निर्माण हम पहले कर चुके हैं जैसे कि सड़कें, स्कूल, अस्पताल, स्वच्छ पेयजल, बिजली इत्यादि । क्योंकि हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि भारत या नाइजीरिया जैसे देश जलवायु संकट के बारे में चिंता करे जबकि हम जिनके पास पहले से ही सब कुछ है स्वयं एक क्षण के लिए भी इस विषय पर या पेरिस समझौते में किए गए अपने असल वादों के बारे में नहीं सोचते तो क्यों हम अपने उत्सर्जनों को कम नहीं कर रहे हैं ? वास्तव में वे अभी भी बढ़ क्यों रहे हैं ? क्या हम जानबूझकर असंख्य जीवों का विनाश कर रहे हैं ? क्या हम बुरे हैं ? नहीं । निस्संदेह नहीं । लोग जैसा (जीवन व्यतीत) कर रहे थे वैसा ही कर रहे हैं क्योंकि एक विशाल बहुमत को हमारी रोजमर्रा की ज़िन्दगी के वास्तविक परिणामों के बारे में कोई ज्ञान नहीं है और उन्हें यह नहीं पता है कि हमें तेज़ी से परिवर्तन की आवश्यकता है हम सभी सोचते हैं कि हमें पता है, हम सभी को लगता है कि हर किसी को पता है, परन्तु ऐसा नहीं है । क्योंकि हमें कैसे पता हो सकता था ? यदि वास्तव में कोई संकट होता और इस की उत्पत्ति हमारे द्वारा किये गए उत्सर्जन के कारण हुई होती तो हमें कुछ संकेत तो अवश्य दिखाई देते । सिर्फ बाढ़ में डूबे हुए शहर ही नहीं अपितु हज़ारों की संख्या में मृतक और ढही हुई इमारतों के ढेर के समान उजड़े हुए समूचे राष्ट्र । आपको कुछ प्रतिबंध तो अवश्य दिखाई देते । परन्तु ऐसा नहीं है और इस विषय पर कोई बात भी नहीं कर रहा है। कोई आपातकालीन बैठकें, कोई मुख्या समाचार, कोई ब्रेकिंग न्यूज नहीं है । कोई भी ऐसे आचरण नहीं कर रहा है जैसा कि संकट में करना चाहिए । यहां तक ​​कि अधिकांश जलवायु वैज्ञानिक या पर्यावरणवादी नेता भी मांस और दूध से बने उत्पाद खाना जारी रखते हुए दुनिया भर में उड़ते रहते हैं । यदि मैं 100 वर्ष (की आयु) तक जीवित रही (तो) मैं वर्ष 2103 में जीवित रहूंगी । आज जब आप भविष्य के बारे में सोचते हैं, तो आप वर्ष 2050 के आगे नहीं सोचते । अगर सब कुछ अच्छा रहा (तो) तब तक मैंने अपना आधा जीवन भी नहीं बिताया होगा । उसके बाद क्या होगा ? वर्ष 2078 में मैं अपना 75वां जन्मदिन मनाऊंगी । अगर मेरे बच्चे या पोते हुए तो शायद वे वह दिन मेरे साथ बिता रहे होंगे । शायद वे मुझसे आप के बारे में पूछेंगे, वे लोग जो 2018 में जीवित थे । शायद वे पूछेंगे कि आप लोगों ने क्यों कुछ नहीं किया था जब कोशिश करने के लिए फिर भी समय था । इस समय हम जो कुछ भी करेंगे या नहीं करेंगे उसका असर मेरे संपूर्ण जीवन और मेरे बच्चों और पोतों के जीवन पर पड़ेगा । इस समय हम जो कुछ भी करेंगे या नहीं करेंगे, मैं और मेरी पीढ़ी भविष्य में उसे बदल नहीं सकेंगे । इसलिए जब इस वर्ष अगस्त में स्कूल की शुरुआत हुई थी, तब मैंने यह निर्णय लिया था कि अब बहुत हो चुका था । मैं स्वीडिश संसद के बाहर मैदान में बैठ गई । मैंने जलवायु संरक्षण के लिए स्कूल से हड़ताल की थी । कुछ लोग कहते है कि इसके स्थान पर मुझे स्कूल में होना चाहिए था । कुछ लोग कहते है कि मुझे जलवायु वैज्ञानिक बनने के लिए पढ़ाई करनी चाहिए ताकि मैं जलवायु संकट को हल कर सकूं । परन्तु जलवायु संकट को तो पहले से ही सुलझाया जा चुका है । सभी तथ्य और समाधान हमारे पास पहले से ही है । हमें बस इतना करना है कि जागना है और बदलना है । और मैं एक ऐसे भविष्य के लिए पढ़ाई क्यों करूँ जिसका जल्द ही अस्तित्व ही नहीं होगा, जिसे बचाने के लिए कोई भी कुछ कर ही नहीं रहा है । और इस शिक्षा प्रणाली में पढ़ाए जाने वाले तथ्यों को सीखने का क्या लाभ, जब उसी शिक्षा प्रणाली में पढ़ाए जा रहे उत्कृष्ट विज्ञान द्वारा दिए गए सबसे महत्वपूर्ण तथ्य स्पष्ट रूप से हमारे नेताओं और हमारे समाज के लिए कुछ मायने ही नहीं रखते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि स्वीडन सिर्फ एक छोटा सा देश है और हम जो कुछ भी करें इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, परन्तु मुझे लगता है कि अगर कुछ बच्चे पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोर सकते हैं मात्र कुछ हफ़्तों तक स्कूल नहीं जा कर, (तो) कल्पना कीजिये की अगर आप चाहे तो हम मिलकर क्या कर सकते हैं । (तालियां) अब हम लगभग मेरी बात के अंत तक पहुँच चुके हैं और यह वह समय है जहां लोग आमतौर पर उम्मीद, सौर पैनल, वायु ऊर्जा, सर्कुलर इकॉनमी और इसी तरह की अन्य बातें करने लगते हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं करुँगी । हमें 30 वर्ष हो गए है प्रोत्साहन भरी बातें सुनते हुए और आशावादी विचारों को बेचते हुए और मुझे खेद है पर यह काम नहीं कर रहे हैं । क्योंकि यदि यह (कारगर) होते तो उत्सर्जन अब तक कम हो चुके होते । वे कम नहीं हुए हैं । और हाँ, हमें उम्मीद की ज़रूरत है, निस्संदेह । परन्तु वह एक चीज़ जिसकी ज़रूरत हमें उम्मीद से भी ज्यादा है, वह है कुछ करने की । जैसे ही हम कोशिश करना शुरू करेंगे तो हम पाएंगे की उम्मीद हर जगह है इसलिए उम्मीद ढूंढने की जगह यह ढूंढिए की आप क्या कर सकते हैं । तब और सिर्फ तभी आशा (की किरण) नज़र आएगी । आज हम प्रतिदिन 10 करोड़ बैरल तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं । इसे बदलने के लिए कोई राजनैतिक (प्रयास) नहीं किये जा रहे हैं । इस तेल को धरती में ही रखने के लिए कोई कानून नहीं हैं । इसलिए (मौजूदा) नियमों का पालन करके हम दुनिया को नहीं बचा पाएंगे क्योंकि इन नियमों को ही बदलना होगा । प्रत्येक चीज़ को बदलना होगा और इसकी शुरुआत आज से ही करनी होगी । धन्यवाद । (तालियां) संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, अरबों लोग अभी भी पते के बिना रहते हैं। अर्थशास्त्री हर्नोंडो डी सोतो ने कहा, "एक पते के बिना, आप कानून के बाहर रहते हैं। जैसे आपका कोई अस्तित्व ही न हो। " मैं बताऊँगा कि मेरी टीम और मैं कैसे इसे बदलने की कोशिश कर रहे हैं। यदि आप ऑनलाइन मानचित्र पर जाकर ब्राजील की गरीब बस्ती देखते हो या दक्षिण अफ्रीका में एक बस्ती, आप कुछ सड़कें लेकिन बहुत सारी खाली जगह देखेंगे। लेकिन अगर आप उपग्रह दृश्य व्यवस्था जाँचें, हजारों लोग,घर और व्यवसाय हैं इस विशाल बिना मानचित्र और बिना पते के स्थान में। घाना की राजधानी अकरा में, दीवारों के सिरे पर भद्दी पोताई में संख्याएं और अक्षर हैं, जहां उन्होंने पता प्रणाली संचालित की पर उन्हें पूरा नहीं किया। लेकिन इन जगहों पर, इन बिना पते के स्थानों में, बड़ी आर्थिक क्षमता है। यही कारण है कि पते का मुद्दा मुझे सूझा। मैंने संगीत व्यवसाय में 10 वर्ष काम किया, और संगीत की दुनिया के बारे में जो आपको नहीं पता है यह है कि हर दिन, लोग पते की समस्याओं से जूझते हैं। तो संगीतकारों से लेकर जिन्हें हल्की नाव या टमटम ढूँढना है उत्पादन कंपनियों तक जो उपकरण लाते हैं, हर कोई हमेशा जैसे खो सा जाता है। हमें भीअपने कार्यक्रमों हेतु किसी को जोड़ना था जो व्यक्ति आपने बुलाया था जब आपको लगा कि तुम पहुँच गए हो लेकिन तब लगा आप पहुँचे न थे। और हमारे कुछ बहुत बुरे दिन थे, जैसे इटली में, जहां एक ट्रक चालक ने सभी उपकरणों को उतार दिया रोम के उत्तर की बजाए दक्षिण में एक घंटे दूरी पर, और थोड़ा बुरा दिन स्वर-पटल वादक खिलाड़ी ने मुझे बुला कर कहा, "क्रिस, भयभीत मत होना, लेकिन हमने सिर्फ ध्वनि-जांच कर दी होगी गलत लोगों की शादी में। " (हँसी) रोम की दैवनिर्दिष्ट घटना के थोड़े समय बाद ही, मैंने इस बारे अपने मित्र से बात की जो एक गणितज्ञ है, और हमने सोचा कि यह एक समस्या थी हम जिस बारे कुछ कर सकते थे। हमने सोचा, ठीक है, हम एक नई प्रणाली बना सकते हैं, पर यह पुरानी प्रणाली जैसी नहीं दिखनी चाहिए। हम सहमत थे कि पते खराब थे। हमें पता था कि हम कुछ बहुत सटीक चाहते थे, लेकिन जी पी एस निर्देशांक, अक्षांश और देशांतर, बहुत जटिल थे। तो हमने दुनिया को तीन-तीन मीटर के वर्गों में विभाजित किया। दुनिया में तीन मीटर वर्ग के करीब 57 ट्रिलियन हिस्से बनते हैं, और हमने पाया कि वे संयोजन पर्याप्त हैं शब्दकोश के तीन शब्दों का कि हम दुनिया में हर तीन मीटर वर्ग का नाम विशिष्ट रूप से रख सकते हैं सिर्फ तीन शब्दों के साथ। हमने 40,000 शब्द उपयोग किए, तो ये 40,000 वर्ग हुए, तीन शब्दों के 64 ट्रिलियन संयोजन, जो करीब 57-ट्रिलियन तीन-तीन मीटर वर्ग के लिए पर्याप्त से अधिक है, कुछ अधिक के लिए भी। तो हमने बिल्कुल यही किया। हमने दुनिया को विभाजित किया तीन मीटर वर्गों के भागों में, हर एक को अद्वितीय, तीन शब्द पहचान दी - - जिसे हम तीन शब्द का पता कहते हैं। तो उदाहरण के लिए, यहाँ देखिये, मैं सरसों-कूपन-मोहक पर खड़ा हूँ, (हँसी) लेकिन यहाँ पर ... मैं चुटकी-अकेले-संरक्षक में खड़ा हूँ। पर हमने इसे अंग्रेजी में ही नहीं किया है। हमने सोचा कि यह आवश्यक था कि लोग इस प्रणाली का उपयोग करने में सक्षम हों अपनी भाषा में। अब तक, हमने इसे 14 भाषाओं में बनाया है, फ्रेंच, स्वाहिली और अरबी सहित, और हम अब और भी काम कर रहे हैं, जैसे ज़ोसा, ज़ुलु और हिंदी। पर यह अवधारणा तो बहुत अधिक कर सकती है सिर्फ मेरे संगीतकारों को टमटम को समय पर लाने की बजाए। यदि 75 प्रतिशत देश जो विश्वसनीय पते से जूझ रहे हैं तीन-शब्द पता उपयोग करना शुरू करें, महत्वपूर्ण अनुप्रयोग का कहीं अधिक अम्बार है। डरबन, दक्षिण अफ्रीका में, "गेटवे हेल्थ नामक" एक एन जी ओ ने 11,000 तीन शब्दों के पते संकेत वितरित किए हैं अपने समुदाय के लिए, अतः गर्भवती माताएँ, जब वे प्रसव पीड़ा में होती हैं, आपातकालीन सेवाओं को बुला सकतीं हैं व उन्हें ले जाने को अपना सही स्थान बता सकतीं हैं, क्योंकि अन्यथा, एम्बुलेंस को अक्सर उन्हें खोजने को कई घंटे लगते हैं। मंगोलिया में, राष्ट्रीय डाक सेवा ने इस प्रणाली को अपनाया है और अब कई लोगों के घरों में डाक पहुँचा रहे हैं पहली बार। संयुक्त राष्ट्र इसे आपदा क्षेत्र में तस्वीरें जियोटैग करने को उपयोग कर रहा है ताकि वे बिल्कुल सही जगह पर सहायता प्रदान कर सकें डोमिनोज़ पिज़्ज़ा भी कैरिबियन में इसका उपयोग कर रहे हैं, क्योंकि वे ग्राहक घरों को खोजने के लिए सक्षम नहीं हैं, पर वे वास्तव में उन्हें उनके गर्म पिज्जा प्राप्त करवाना चाहते हैं शीघ्र ही आप ऐसी कार में होंगे, तीन शब्द बोलो, व कार आपको नेविगेट करके उस सटीक स्थान पर ले जाएगी। अफ्रीका महाद्वीप में, मेंढक छलाँग दूरी पर फोन लाइनें हैं मोबाइल फोन पर जाने के लिए, सीधे मोबाइल से भुगतान करने के लिए पारंपरिक बैंकों को नजरअंदाज किया है। वास्तव में हमें गर्व है कि तीन अफ्रीकी देशों की डाक सेवाओं - नाइजीरिया, जिबूती और कोटे डी आइवर, ने तीन शब्दों के पते को सीधे अपना लिया है, जिसका अर्थ है कि उन देशों के लोगों के पास वास्तव में आज यह समझाने के लिए आसान तरीका है कि वे कहाँ रहते हैं। मेरे लिए, खराब पते एक कष्टप्रद हताशा थी, लेकिन अरबों लोगों के लिए, यह एक बड़ी व्यावसायिक अक्षमता है, उनके बुनियादी ढांचा विकास को गंभीर रूप से बाधित करती है, व जीवन दाव पर लग सकते हैं। हम इसे बदलने के लिए मिशन पर हैं, एक समय में तीन शब्द। धन्यवाद। (तालियां) मैं आठ साल की थी। मुझे वह दिनअच्छी तरह याद है मानो कल की घटना है । मेरी मां बीड़ी बनाती है। वह देशी सिगरेट हाथ से बनाती है हमारे परिवार को चलाने के लिए। वह मेहनती है और 10 से 12 घंटे हर दिन बीडी रोल करती है । उस दिन उसने मुझे अपनी बीड़ी बनाने की मजदूरी की किताब दिखाई। उसने मुझसे पूछा कि उसने हफ्ते मैं कितने रूपए कमाएं हैं। मैंने उस किताब को पढ़ा, और मैंने देखा कि प्रत्येक पृष्ठ पर उसके अंगूठे के निशान थे। मेरी माँ कभी स्कूल नहीं गई थी । वह हस्ताक्षर के बजायअपने अंगूठे के निशान लगाती है अपनी कमाई का हिसाब रखने के लिए। उस दिन, किसी वजह से , मैं उसे पढ़ाना चाहती थी की कलम कैसे पकड़ें और नाम कैसे लिखें। वह पहले अनिच्छुक थी। उसने मासूमियत से मुस्कुराया और मना कर दिया । लेकिन मन में , मुझे यकीन था कि वह इसे आज़माना चाहती थी। थोड़ी दृढ़ता के साथ और बहुत प्रयास, हम उसका नाम लिखने में कामयाब रहे। उसके हाथ काँप रहे थे, और उसका चेहरा गर्व के साथ खिल रहा था। जब मैंने उसे ऐसा करते हुए देखा, मेरे जीवन में पहली बार, मुझे एक अनमोल एहसास था: कि मैं इस दुनिया के लिए कुछ काम की हो सकती हूं। वह एहसास बहुत खास था, क्योंकि मैं उपयोगी होने के लिए बनी ही नहीं थी । ग्रामीण भारत में, लड़कियों को आम तौर पर बेकार माना जाता है। वे एक दायित्व या बोझ होती हैं। यदि उन्हें उपयोगी माना जाता है, तो वह केवल खाना पकाने , और घर को साफ रखने के लिए या बच्चों को पालने के लिए । मेरे रूढ़िवादी भारतीय परिवार में दूसरी बेटी के रूप में, मुझे बहुत कम उम्र से ही स्पष्ट था कि किसी को मुझसे कोई उम्मीद नहीं थी। मुझे यह विश्वास कराया गया था की मेरी तीन पहचान हैं - गरीब गाँव की लड़की - इसका मतलब था कि मुझे जीवन जीना था बिना आवाज और बिना कोई इच्छा । इन तीन पहचानों ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि मुझे कभी पैदा नहीं होना चाहिए था । फिर भी, मैं मौजूद थी । मेरे पूरे बचपन में, जब मैं अपनी माँ के साथ बीड़ी बनाती मैं सोचा करती : मेरा भविष्य क्या होगा ? मैंने अक्सर अपनी माँ से पूछा, बहुत चिंता के साथ, “अम्मा, क्या मेरी ज़िन्दगी आप से अलग होगी ? क्या मुझे अपना जीवन चुनने का मौका मिलेगा? क्या मैं कॉलेज जाऊंगी ? ” और वह वापस जवाब देती , "पहले हाई स्कूल खत्म कर लो ।" मुझे यकीन है कि मेरी माँ मुझे हतोत्साहित करना नहीं चाहती थी । वह केवल मुझे समझना चाहती थी कि मेरे सपने बहुत बड़े हैं मेरे गाँव की लड़की के लिए। जब मैं 13 साल का थी , तब मुझे हेलेन केलर की आत्मकथा मिली । हेलेन मेरी प्रेरणा बन गयीं । मैंने उसकी अदम्य भावना की प्रशंसा की। मैं चाहती थी उनकी तरह एक कॉलेज की डिग्री, इसलिए मैंने अपने पिता और रिश्तेदारों से कॉलेज भेजने के लिए झगडा किया , और यह काम किया। मेरे स्नातक की डिग्री के अंतिम वर्ष के दौरान मेरी , मैं शादी करने की मजबुरी से बचना चाहता थी , इसलिए मैने दिल्ली के एक फेलोशिप प्रोग्राम में आवेदन भरा , जो मेरे गाँव से लगभग 1,600 मील दूर है। (हँसी) वास्तव में, मुझे याद है कि एकमात्र तरीका मेरे आवेदन भर सकने का मेरे कॉलेज जाने के सफ़र के दौरान था। मेरे पास कंप्यूटर तक की पहुंच नहीं थी, इसलिए मुझे एक कॉलेज जूनियर का सेलफोन उधार लेना पड़ा। एक महिला के रूप में, मैं एक सेलफोन के साथ नहीं देखी जा सकती थी, इसलिए मैं उसका फोन अपनी शाल के नीचे छिपा देती और जितना संभव हो धीरे-धीरे टाइप करती यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई सुन न पाए। कई मुलाकात के बाद, मैं फेलोशिप प्रोग्राम में शामिल हुई पूरी छात्रवृत्ति के साथ। मेरे पिता उलझन में थे, मेरी माँ चिंतित थी - (तालियां) मेरे पिता उलझन में थे, मेरी माँ चिंतित थी, लेकिन मुझे घबराहट थी क्योंकि मैं अपने गाँव से बाहर कदम रखने वाली थी पहली बार देश की राजधानी में पढ़ने के लिए। उस वर्ष चुने गए 97 फेलो में से, मैं अकेली ग्रामीण कॉलेज ग्रेजुएट थी । वहाँ कोई और मेरी तरह दिखता या बोलता नहीं था। मैंने महसूस किया अलग-थलग, भयभीत और बहुतों से आँका जाना । एक फेलो साथी ने मुझे "कोकोनट गर्ल" कहा। क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि क्यों? कोई भी ? ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने अपने बालों में बहुत सारा नारियल का तेल लगाया था । (हँसी) एक अन्य ने मुझसे पूछा कि मैंने अंग्रेजी बोलना कहाँ से सीखा था, और मेरे कुछ साथियों ने मुझे अपनी असाइनमेंट टीमों में लेना पसंद नहीं किया क्योंकि उन्हें लगा कि मैं उनकी चर्चा में योगदान नहीं कर पाऊंगी । मुझे लगा कि मेरे कई साथी मानते हैं कि ग्रामीण भारत का एक व्यक्ति मूल्य का कुछ भी प्रदान नहीं कर सकता , फिर भी भारत की ज़्यादातर जनसंख्या आज ग्रामीण है। मुझे एहसास हुआ कि मेरी जैसी कहानियाँ बहुत अलग मानी जाती हैं और कभी आशा नहीं की जाती । मैं मानती हूँ कि हम जिस वास्तविकता में पैदा होते हैं उसे वैसे ही स्वीकार करते हैं जब तक कुछ हमें जगाता है और एक नई दुनिया खुल जाती है। जब मैंने अपनी माँ का पहला हस्ताक्षर देखा उसकी बीवी-रोलिंग वेज बुक पर, जब मुझे महसूस हुआ मेरे चेहरे पर दिल्ली की गर्म हवा 50 घंटे की ट्रेन यात्रा के बाद, जब मैंने अंत में स्वतंत्र महसूस किया और अपने आप को, मैंने एक झलक देखी उस नई दुनिया की जिसकी मैंने लालसा की थी , एक ऐसी दुनिया जहाँ मेरे जैसी एक लड़की अब कोई दायित्व या बोझ नहीं है बल्कि उपयोग का एक व्यक्ति, मूल्य का एक व्यक्ति और योग्य व्यक्ति है । जब तक मेरी फ़ेलोशिप समाप्त हुई, मेरा जीवन बदल गया था। न सिर्फ मैंने अपनी खोई हुई आवाज पाई थी , बल्कि एक विकल्प भी था खुद को उपयोगी बनाने के लिए। मेरी उम्र 22 थी। मैं अपने गाँव वापस आ गयी बोधि ट्री फाउंडेशन स्थापित करने के लिए, एक संस्था जो ग्रामीण युवाओं को समर्थन देती है उन्हें शिक्षा,जीवन कौशल और अवसर प्रदान करके। हम अपने ग्रामीण युवाओं के साथ मिलकर काम करते हैं उनके जीवन को बदलने के लिए और हमारे समाज की भलाई के लिए। कैसे पता कि मेरी संस्था काम कर रही है? छह महीने पहले, हमारे पास एक नया शामिल हुआ थी । उसका नाम कविरसी है। मैंने उसे पहली बार देखा तिरुनेलवेली के एक स्थानीय कॉलेज में मेरे एक प्रशिक्षण सत्र के दौरान। आप देख सकते हैं, उसकी मुस्कान जिसे आप कभी नहीं भूल सकते। हमने उसका मार्गदर्शन किया अशोक विश्वविद्यालय, दिल्ली में अध्ययन प्राप्त करने के लिए। सबसे अच्छी बात यह है कि वह अब बोधि ट्री में ट्रेनर के रूप में वापस आ गई हैं बदलाव लाने के लिए समर्पण के साथ काम करना उसके जैसे दूसरों के जीवन में। कविवरसी एक अपवाद की तरह महसूस करना नहीं चाहती । वह उपयोग में आना चाहती है इस दुनिया में दूसरों के लिए। हाल ही में, कविरासी ने अनीता का उल्लेख किया, वो भी एक दूरदराज के ग्रामीण गांव से आई है, 10-फुट-बाय-10 फुट के घर में रहती है, उसके माता-पिता भी खेत मजदूर हैं। कविरासी ने अनीता को प्रवेश में मदद की एक प्रतिष्ठित स्नातक कार्यक्रम में भारत में एक शीर्ष विश्वविद्यालय में पूरी छात्रवृत्ति के साथ। जब अनीता के माता-पिता उसे दूर भेजने के लिए अनिच्छुक थे, हमने जिले प्रशासन के अधिकारी से पूछकर अनीता के माता-पिता से बात की , और यह काम किया। और यह पदमा है। पदमा और मैं एक साथ कॉलेज गए। वह अपने पूरे गाँव में पहली है स्नातक तक पढने के लिए। वह बोधि ट्री में मेरे साथ काम कर रही थी एक दिन उसने फैसला किया स्नातक विद्यालय जाने के लिए। मैंने उससे पूछा क्यों। उसने मुझे बताया कि वह सुनिश्चित करना चाहती थी वह कभी किसी के लिए एक दायित्व या बोझ नहीं बनेगी अपने जीवन के किसी भी छोर पर। पदमा, अनीता और कविवरसी सबसे कठिन में परिवारों और समुदायों में बड़ी हुईं जिसकी कोई कल्पना ही कर सकता है। फिर भी इस दुनिया में अपनी उपयोगिता खोजने की यात्रा में उनकी सेवा की इस दुनिया के लिए उनकी उपयोगिता। बेशक चुनौतियां हैं। बदलाव रात भर नहीं होता है। मैं परिवारों और समुदायों के साथ मिलकर काम करती हूँ उन्हें समझने में मदद करने के लिए की शिक्षा पाना सभी के लिए उपयोगी है। उन्हें समझाने का सबसे तेज तरीका है कर के देखना । जब वे अपने बच्चों को शिक्षा प्राप्त करते देखते हैं , एक असली नौकरी पाते हुए , वे बदलने लगते हैं। सबसे अच्छा उदाहरण है जो मेरे घर पर हुआ है मुझे हाल ही में एक पुरस्कार दिया गया मेरे सामाजिक कार्य की मान्यता के लिए मेरे राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा। इसका मतलब मैं टेलीविजन पर होने जा रहा थी । (हँसी) उस सुबह हर कोई टेलीविजन पर चिपका हुआ था , मेरे माता-पिता सहित। मेरा विश्वास है कि टेलीविजन पर अपनी बेटी को देखकर मेरी माँ को भी उपयोगी लगा होगा । उम्मीद है, वह अब मुझे शादी करने के दबाव को रोक देंगी । (हँसी) अपना उपयोग खोजने से मुझे मदद मिली है अपनी पहचान से मुक्त होने में जो समाज ने मुझ पर डाली थी - गरीब गाँव की लड़की। मेरे उपयोग को खोजने से मुझे मदद मिली है उस डब्बे से मुक्त होने के लिए, बंदी और बोतलबंद। मेरे उपयोग को खोजने से मुझे मदद मिली है मेरी आवाज़ खोजने के लिए, मेरा आत्म-मूल्य और मेरी स्वतंत्रता। मैं आपको इस विचार के साथ छोड़ती हूं: आप इस दुनिया में कहां उपयोगी हैं? क्योंकि उस सवाल का जवाब वह जगह है जहाँ आप पाएंगे आपकी आवाज़ और आपकी आज़ादी। धन्यवाद। (तालियां) कुछ दिनों पहले की बात है, मेरे परिवार के कुछ सदस्यों के तीन छोटे-छोटे ऑपरेशन हुए थे, करीब आधे-आधे घंटे के, और हमें तीन बिल थमा दिए गए। पहले वाले के लिए, एनेस्थीसिया का बिल ही 2,000 डॉलर का था; दूसरे के लिए, 2,000 डॉलर; तीसरे का 6,000 डॉलर। मैं एक पत्रकार हूँ। मुझे लगा कि यह हो क्या रहा है? मैंने पता लगाया कि असल में, महंगे वाले के लिए, मुझसे सामान्य मतली विरोधी दवा के 1,419 डॉलर लिए जा रहे थे जो मैं ऑनलाइन दो डॉलर और उनचास सेंट में खरीद सकती थी। मैंने अस्पताल वालों, बीमा वालों और अपने नियोक्ता से देर तक बहस की, पर निराशा ही हाथ आई। सबकी एक ही राय थी कि इसमें कुछ ग़लत नहीं। पर मैंने सोचना शुरू किया, जितनी मैंने लोगों से बातें की, उतना मुझे एहसास हुआ कि किसी को पता ही नहीं है कि स्वास्थ्य कल्याण में खर्चे क्या हैं। आपको अंदाज़ा ही नहीं होता कि कितना पैसा खर्च होने वाला है न प्रक्रिया से पहले, न उसके दौरान और न उसके बाद। महीनों के बाद जाकर आपको "फायदों की व्याख्या" मिलती है जिससे कुछ समझ नहीं आता। तो मुझे भी कुछ समय बाद ख़याल आया। मैंने न्यू यॉर्क टाइम्स से शेयर खरीदना कबूल किया था, जहाँ मैंने पत्रकार के रूप में 20 साल से भी ज़्यादा तक काम किया था। मैं अपना अगला काम ढूंढ रही थी। हुआ ऐसा कि वह अगला काम होने वाला था एक ऐसी कंपनी बनाना जो लोगों को स्वास्थ्य कल्याण में चीज़ों की लागतें बताएगी। मैंने वही करने के लिए "शार्क टैंक"-जैसी प्रतियोगिता जीती। पिछले साल, हमारे सकल घरेलू उत्याद का 18 प्रतिशत तो स्वास्थ्य लागत में चला गया, पर लोगों को पता नहीं कि किस चीज़ की क्या कीमत है। पर अगर हमें पता होता तो? तो हमने छोटी सी शुरुआत की। हमने डॉक्टरों को और अस्पतालों में फ़ोन किए और उनसे पूछा कि वे साधारण से काम के लिए नकद कितने पैसे लेंगे। कुछ लोगों ने बहुत मदद की। बहुत से लोगों ने फ़ोन ही बंद कर दिया। कुछ लोग बहुत बदतमीज़ी से पेश आए। वे बोले, "हमें नहीं पता," या "हमारे वकीलों ने यह जानकारी किसी को बताने से मना किया है," फिर भी हमें बहुत सी जानकारी मिली। उदाहरण के लिए, हमें पता चला कि यहाँ, न्यू यॉर्क में, आप ब्रुकलिन में 200 डॉलर में इकोकार्डियोग्राम करवा सकते हैं या कुछ किलोमीटर दूर जाकर, मैनहैटन में 2,150 डॉलर में करवा सकते हैं। न्यू ऑर्लिन्स में वही साधारण रक्त परीक्षण यहाँ 19 डॉलर में होता है, तो कुछ ही दूरी पर 522 डॉलर लगते हैं। सैन फ़्रैंसिस्को में वही एमआरआई, 475 डॉलर में, या 40 किलोमीटर दूर 6,221 डॉलर में होता है। हमने जिन प्रक्रियाओं और जिन शहरों का सर्वेक्षण किया सब में कीमतों में भिन्नता थी। फिर हमने लोगों से पूछना शुरू किया कि उनका स्वास्थ्य पर कितना खर्चा होता है। न्यू यॉर्क में सार्वजनिक रेडियो स्टेशन के साथ मिलकर, हमने महिलाओं से मैमोग्राम की कीमतें पूछना शुरू कीं। लोगों ने हमें कहा कि कोई नहीं बताएगा क्योंकि यह बहुत निजी बात है। पर तीन हफ़्तों के अंदर, हमें 400 महिलाओं ने कीमतें बता दी थीं। फिर हमने अपने डेटाबेस में लोगों के लिए अपना डेटा सांझा करना आसान बनाया। यह स्वास्थ्य कल्याण के लिए kayak.com और Waze ट्रैफ़िक एप का मिश्रण है। (हँसी) हम इसे स्वास्थ्य कीमतों की समुदाय-निर्मित गाइड कहते हैं। हमारा सर्वेक्षण और क्राउडसोर्सिंग काम न्यू ऑर्लिन्स, फ़िलेडेल्फ़िया सैन फ़्रैंसिस्को, लॉस एंजेलिस-- मिआमी और अन्य जगहों में राष्ट्र भर के सर्वोच्च समाचार पत्रों का साझेदार बन गया। हमने डेटा का प्रयोग किया उन लोगों के बारे में कहानियाँ सुनाने में जो दुखी थे और उस दुख और उस बिल से बच सकने के रास्ते बताने में। न्यू ऑर्लिन्स की एक महीला ने हमारे डेटा का प्रयोग करके 4,000 डॉलर बचाए। सैन फ़्रैंसिस्को से किसी ने अपना बीमा कार्ड न दिखाकर नकद पैसे देकर 1,300 डॉलर बचाए। बहुत से लोग नेटवर्क के अंदर वाले अस्पतालों में जाते हैं और नेटवर्क के बाहर वाले बिल मिलते हैं। और एक अस्पताल ऐसा था जो एक मृतक को बिल भेजे जा रहा था। हमें पता चला कि हज़ारों लोग हमें अपनी कीमतें बताना चाहते थे। वे जानना चाहते थे असली कीमत क्या है, बिल के बारे में बहस कैसे करें, इस समस्या को सुलझाने में मदद करना चाहते थे जो उन्हें, दोस्तों और परिवारों को थी। हमने उनसे बात की जिन्हें स्वास्थ्य बिल चुकाने के लिए कार बेचनी पड़ी, दीवालिया होना पड़ा, कीमत के कारण उपचार बंद करना पड़ा। सोचिए अगर आप निदान का खर्च उठा सकें, पर उपचार का नहीं। हमने कीमतों पर लंबी चौड़ी बातचीत शुरू की जिसमें डॉक्टर और अस्पताल ही शामिल नहीं थे, बल्कि उनके मरीज़ भी, या जैसे हम उन्हें कहना चाहते हैं, लोग। (हँसी) हमने नीति परिवर्तन करवाए। लुइज़ियाना विधान सभा में उपभोक्ता संरक्षण बिल जो दस सालों से अटका हुआ था हमारे आने के बाद पास हो गया। आइए सामना करते हैं: यह धीरे-धीरे बढ़ने वाला , बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट एक राष्ट्रीय आपदा है। और मुझे नहीं लगता सरकार हमारी किसी भी समय मदद करने वाली है। पर अगर जवाब साधारण सा हो तो: सारी कीमतें हर समय सबको बताई जाएँ। क्या हमारे बिल कम होंगे? हमारे स्वास्थ्य बीमे की किश्तें? इस बारे में अच्छे से जान लें: यह संयुक्त राज्य की समस्या है। बाकी के अधिकतर विकसित देशों में, बीमार लोगों को पैसों की चिंता नहीं करनी पड़ती। यह भी सच है कि कीमत स्पष्ट दिखाने से कोई समस्या हल नहीं होगी। फिर भी महंगे उपचार होते रहेंगे, हमारी बीमा प्रणाली से बड़ा टकराव होगा। तब भी धोखाधड़ी होगी और अति उपचार और अति निदान की भारी समस्याएं भी। और सब कुछ तो खरीदा नहीं जा सकता। हर कोई सबसे सस्ती अपेंडेक्टोमी या सबसे सस्ता कैंसर का इलाज नहीं चाहता। पर जब हम इन स्पष्ट प्रभावों की बात करते हैं, तो हम एक असली मसले की बात कर रहे हैं जो असल में बहुत साधारण सा है। जब हमने पहली बार कीमतें मांगना शुरू किया, हमें सच में लगता था जैसे हमें गिरफ़्तार कर लिया जाएगा। दवा और स्वास्थ्य कल्याण की एक साथ बात करना ऐसा था जैसे कोई नियम तोड़ रहे हों, पर फिर भी इससे फायदा ही हुआ, क्योंकि हमें डेटा ही नहीं मिला पर ऐसे भले और ईमानदार लोग भी मिले जो लोगों को जो चाहिए था, वह उन्हें सही कीमत पर दिलाना चाहते हैं। और पूछना आसान हो गया। तो मैं आखिर में आपसे कुछ सवाल पूछूंगी। अगर हमें पहले से स्वास्थ्य कल्याण कीमतों का पता होता, तो क्या होता? अगर आप हर बार एमआरआई की गूगल पर खोज करते, आपको एक सूची मिलती जो बताती कहाँ से खरीदना है और कितने का, जैसे आप लेज़र प्रिंटर के लिए गूगल पर खोज करते हैं, तो क्या होता? अगर इस प्रणाली में जो पैसा और ऊर्जा कीमतें छिपाने में लगाया जाता है उसे बाहर निकाल दिया जाता तो? अगर हम में से हर कोई, हर बार 19 डॉलर का परीक्षण चुन सकता न कि 522 डॉलर वाला? क्या हमारे व्यक्तिगत बिल कम होते? हमारी किश्तें? मैं नहीं जानती, पर अगर आप पूछेंगे नहीं तो कभी जानेंगे भी नहीं। और आप बहुत सारा पैसा बचा सकेंगे। और मुझे लगता है कि हम में से बहुत से लोग और यह प्रणाली भी अधिक स्वस्थ हो जाएगी। शुक्रिया। (तालियाँ) जब मुझे पता चला कि मैं आपसे बात करने आ रही हूँ, तो मैंने सोचा, "मुझे अपनी माँ से बात करनी चाहिए." मेरी छोटी सी माँ क्यूबा से हैं -- वो बस इतनी सी हैं. चार फुट लम्बी -- उनके साकार रूप के सारे भागों को जोड़ कर भी इससे ज्यादा नहीं. आप सुन तो रहे हैं न? (हंसी) मैंने उन्हें फ़ोन लगाया, "हल्लो, कैसी हो, बिटिया?" "अरे माँ, मुझे आपसे बात करनी है." "वो तो तुम कर ही रही हो. क्या हुआ?" मैंने कहा, "मुझे कुछ भले लोगों से बात करनी है." "तुम हमेशा ही भले लोगों से बात करती हो, सिवाय उस बार जब तुम व्हाईट हाउस गयी थीं ---" "माँ, फिर से मत शुरू करो!" फिर मैंने उन्हें बताया कि मैं टेड के लिए आ रही थी, और वो बोलीं, "तो मुसीबत क्या है?" और मैंने कहा, "बस, मुझे समझ नहीं आ रहा." मैंने कहा, " मुझे उनसे कहानियों के बारे में बात करनी है. टेड का मतलब है तकनीक, मनोरंजन और डिज़ाइन." और वो बोलीं, " अच्छा,जब तुम कहानी बनाती हो, तो वो उसका डिज़ाइन हुआ, जब उसे लोगों को सुनाती हो, तो वो मनोरंजन है और माइक तो तुम इस्तेमाल करोगी ही." (हंसी) मैंने कहा," माँ, आप तो लाजवाब हैं. पापा वहाँ हैं क्या?" "क्यों क्या हुआ? मेरी इतनी बढ़िया राय के मोती जो मेरे होंठों से बारिश की तरह टपक रहे हैं, तुम्हारे लिए काफी नहीं क्या?" (हंसी) फिर मेरे पिताजी फ़ोन पर आये. मेरे पापा -- वो पुराने लोगों में से हैं, आप जानते हैं -- कामागुए के पुराने क्यूबन पुरुष. कामागुए क्यूबा का एक प्रदेश है. वो फ्लोरिडा के रहने वाले हैं. १९२४ में वहां पैदा हुए थे. वो कच्चे फर्शों वाले एक झोपड़े में बड़े हुए, जिसकी बनावट वैसी थी जैसी तैनोस इस्तेमाल करते थे, तैनोस, यानि हमारे अरावाक पूर्वज. मेरे पिताजी हाजिरजवाब हैं, और साथ में थोड़े बदमाश भी, और फिर वो कुछ ऐसी मर्मस्पर्शी बात कह देते हैं कि आप अचानक अवाक रह जाएँ. "पापा, कुछ करिए." "मैंने तुम्हारी माँ की बात सुनी. वो सही तो कह रही है." (हंसी) "और मैंने जो कहा, उसके बाद भी?" मेरे पूरे जीवन में, पापा ने हमेशा मेरा साथ दिया है. तो हमने कुछ मिनटों के लिए बातें कीं, और वो बोले, "तुम उन्हें वो सब क्यों नहीं बतातीं जिस में तुम विश्वास करती हो?" बढ़िया ख़याल है, पर हमारे पास इतना वक़्त नहीं है. कहानी सुनाने की अच्छी कला का मतलब है ऐसी कहानी गढ़ना जिसे कोई सुनना चाहे. पर बेहतरीन कहानी का मतलब है रिहाई देना -- मुक्त करना. तो मैं आपको एक छोटी-सी कहानी सुनाऊँगी. मत भूलिए, यह परंपरा हमारे पास आयी है पुराने समय में अवालौन से उठते कोहरों से नहीं, बल्कि उससे भी पहले के समय से, जब हम यह कहानियाँ भोजपत्रों पर लिख रहे थे, उससे भी पहले, या जब हम गीली, सीलन-भरी गुफाओं की दीवारों पर चित्रकथाएं बना रहे थे, उससे पहले. तब भी हमारे अन्दर एक उत्तेजना थी, एक ज़रुरत, कहानी सुनाने की. जब लेक्सस कंपनी आपको कार बेचना चाहती है, तो वो आपको कहानियाँ सुनाते हैं. क्या आप विज्ञापन देखते रहे हैं? क्योंकि हम सबके अन्दर यह इच्छा है, एक बार -- सिर्फ एक बार -- कि हम अपनी कहानी सुनाएं और लोग उसे सुनें. अब वो कहानियाँ हैं जिन्हें हम अलग-अलग अवस्थाओं में सुनाते हैं. या फिर वो कहानियाँ हैं जिन्हें हम सुनाते हैं अच्छी सी मदिरा के साथ, एक छोटे से समूह में. और वो कहानियाँ हैं जिन्हें हम देर रात तक एक दोस्त को सुनाते हैं, जीवन में शायद एक बार. और फिर वो कहानियाँ हैं जिन्हें हम नर्क जैसे अँधेरे में बहुत हलके से सुनाते हैं. वो कहानी मैं आपको नहीं सुना रही हूँ. मैं आपको ये वाली सुना रही हूँ. इसका नाम है, "तुम मुझे भुला न पाओगी." ये मानवीय संबंधों के बारे में है. मेरी क्यूबन माँ, जिनसे मैंने आपका संक्षिप्त परिचय कराया था उस छोटे से पात्र विवरण में, वो कोई १००० साल पहले अमरीका आई थीं. मैं पैदा हुई कोई १९ -- अब मुझे याद नहीं, और इस देश में आयी अपने माँ-बाप के साथ, क्यूबा में हुई क्रांति के बाद. हम हवाना, क्यूबा से डेकाटूर, जॉर्जिया, में आ गए. और डेकाटूर, जॉर्जिया एक छोटा सा दक्षिणी शहर है और उस छोटे से दक्षिणी शहर में, मैं बड़ी हुई, इन कहानियों को सुनते सुनते बड़ी हुई. पर यह कहानी अभी कुछ साल पहले की ही है. मैंने अपनी माँ को फ़ोन किया. शनिवार की एक सुबह थी. और मैं फ़ोन इसलिए कर रही थी क्योंकि मुझे अजियाको बनाने की विधि सीखनी थी. वो एक क्यूबन व्यंजन है. बहुत स्वादिष्ट. बहुत चटपटा. मुंह के कोनों से लार की फुहारें बरसा देता है. आपकी बगलों को रसीला बना देता है, समझे क्या? कुछ उस तरह का खाना, हाँ. यह इस प्रोग्राम का रसीला भाग है, लोगों. तो मैंने अपनी माँ को फ़ोन किया, और वो बोलीं, "कारमेन, जल्दी यहाँ आओ, प्लीज़. मुझे मॉल जाना है, और तुम तो अपने पिताजी को जानती ही हो, वे दोपहर में सोते हैं, और मुझे ज़रूरी जाना है. एक काम निपटाना है." यहाँ पर मुझे रुक कर, कोष्ठकों में, आपको बताना है -- मेरी माँ, एस्थर, ने कई साल पहले गाडी चलाना बंद कर दिया था जिससे अटलांटा के समूचे शहर ने राहत की सांस ली थी. जब से मैं छोटी सी बच्ची थी, उन महोदया के साथ ली गयी कोई भी वाहन-सम्बन्धी सैर -- भाइयों, अंत होती थी चमकती नीली रौशनियों में. मगर वो भी नीली वर्दी वाले लड़कों को चकमा देने में उस्ताद हो गयी थीं, और जब उन्हें मिलतीं भी, तो वाह, उनके साथ अद्भुत -- तारतम्य ही कहिये -- बिठा लेती थीं. "श्रीमती जी, क्या आप को पता है कि अभी आपने ट्रैफिक लाइट का उल्लंघन किया?" (तेजी से बोली गयी स्पैनिश) "आप अंग्रेजी नहीं जानतीं?" "नहीं." (हंसी) पर आखिर हर चोर का दिन आता है, और वो भी ट्रैफिक कोर्ट में पहुँच ही गयीं, जहाँ उन्होंने जज के साथ कम चालान लगाने के लिए भाव-ताव किया. यह एक ऐतिहासिक वारदात है. पर अब वो सत्तर से ऊपर की थीं, और गाडी चलाना बंद कर चुकी थीं. और इसका मतलब था कि परिवार के हर सदस्य का फ़र्ज़ बनता था कि उन्हें अपने बाल रंगने के लिए ले कर जाए, जी हाँ, उस अजीब से नीले रंग में, जो उनके पॉलीएस्टर पैंटसूट से एकदम मेल खाता है, आप जानते हैं न, एकदम ब्विक जैसा रंग. बेशक? ठीक. जाँघों पर उसी जगह छोटे-छोटे छेद जहाँ वो अपनी कढ़ाई करती हैं और छोटे-छोटे फंदे छोडती हैं. रौकपोर्ट के जूते -- इसीलिए बने हैं. तभी तो उन्हें यह नाम मिला है. (हंसी) तो यह है मेरी माँ का एढ़ी से चोटी तक का परिधान. और यही वो औरत है जो मुझे शनिवार की सुबह आने के लिए कह रही है जब मुझे और भी कई काम हैं, पर बहुत देर नहीं लगती क्योंकि क्यूबन अपराध-बोध बहुत वज़नदार होता है. अब आप को क्या बताऊँ -- और मैं अपनी माँ के घर चली जाती हूँ. मैं पहुँचती हूँ. वो कार की जगह पर खड़ी हैं. जी हाँ, उनके पास कार की जगह -- यानि कारपोर्ट -- है. वही, लहरदार छत वाला, आप जानते हैं न? ब्विक उसके बाहर खड़ी है, और वे चाबियों का एक गुच्छा लहरा, घुमा रही हैं. "तुम्हारे लिए एक आश्चर्य है, बिटिया!" "हम आपकी गाडी ले जा रहे हैं?" "हम नहीं, मैं." और वो अपनी जेब में हाथ डालती हैं और एक बड़ी बला निकालती हैं. यह कहानी चल रही है. आदान-प्रदान की कला.आप मुझ से बात कर सकते हैं. तो वो बला है लाइसेंस -- पूरी तरह से कानूनी ड्राइविंग लाइसेंस. उनके अपने प्रांत के मोटरगाड़ी विभाग द्वारा जारी किया गया लाइसेंस. साले उल्लू के पट्ठे सब के सब. (हंसी) मैंने पूछा, " क्या यह असली है?" "लगता तो है." "क्या आप देख भी सकती हैं?" "देखना तो पड़ेगा शायद." "हे भगवान्." वो कार में घुसती हैं, वो दो फ़ोन की किताबों के ऊपर बैठती हैं. मैं बिलकुल गप्पें नहीं मार रही क्योंकि वो वाकई इतनी छोटी-सी हैं. उन्होंने एक छाते का भी प्रबंध कर रखा है ताकि वो -- धड़ाम -- दरवाज़ा बंद कर सकें. उनकी बेटी, मैं -- गाँव की गंवार जिसका दिमाग पिघल कर आइसक्रीम बन चुका है -- अभी भी वहां जबड़ा लटकाए खड़ी है. "तुम आ रही हो? कि नहीं आ रही हो?" "हे भगवान." मैंने कहा, "ठीक है, क्या पापा जानते हैं कि आप गाडी चला रही हैं?" "पागल तो नहीं हो गयीं तुम?" "तो फिर कैसे निकल रही हैं आप?" "उन्हें सोना भी तो होता है." और इस तरह हम पापा को सोता छोड़ कर निकले, क्योंकि मुझे पता था वो मुझे मार डालेंगे अगर मैंने माँ को अकेले जाने दिया, और हम गाडी में बैठ गए. वो गाडी रिवर्स में डालती हैं. गेट से निकलते निकलते ५५ कि रफ़्तार, वो भी रिवर्स में. मैं आगे से सीटबेल्ट कस रही हूँ, पीछे से झटक कर खींच रही हूँ, मैं दोहरी गांठें बाँध रही हूँ. मतलब यह, कि मेरा मुंह सूख कर कालाहारी रेगिस्तान जैसा हो गया है. मैंने एक हाथ से पूरी तरह कस कर दरवाज़े को पकड़ा हुआ है. आप समझ रहे हैं न मैं क्या कह रही हूँ? और वो आराम से सीटी बजा रही हैं, और आखिर मैं उस तरह की प्रसव-काल की सांसें लेना शुरू कर देती हूँ -- जानते हैं न, वही वाली? बस कुछ ही औरतें शुरू हो गयी हैं उह-ऊह, उह-ऊह, उह-ऊह. सही है. और मैंने कहा, "माँ, आप धीरे चलाएंगी क्या?" क्योंकि अब उन्होनें हाईवे २८५ पकड़ ली है, जो अटलांटा के चारों ओर की परिधि बांधती है -- उसमें अब सात लेन हैं -- वो सातों पर चला रही हैं, लोगों. मैंने कहा, "माँ, एक लेन चुनिए!" "अब वो सात लेन देते हैं, तो उम्मीद रखते हैं कि सब का इस्तेमाल होगा." और वो बढ़ती जाती हैं, वाकई. मैं मिनट भर के लिए भी विश्वास नहीं करती कि वो बाहर निकली हैं और अब तक रोकी नहीं गयीं. तो मुझे लगता है, अरे, हम बात कर सकते हैं. उनका दिमाग दूसरी तरफ लग जाएगा. मेरी साँसों को आराम मिलेगा. मेरी नब्ज़ भी काबू में आ जायेगी, शायद. "मम्मी, मुझे पता है आप रोकी गयी हैं." "नहीं, नहीं, क्या बात कर रही हो तुम?" "आपके पास लाइसेंस है. कब से चला रही हैं आप?" "चार या पांच दिनों से." "अच्छा. और आप रोकी नहीं गयी हैं?" "मुझे टिकट नहीं मिला है." मैंने कहा, "हाँ, हाँ, हाँ, हां, मगर बताइए, बताइए, बताइए." "अच्छा चलो, तो मैं एक बत्ती पर रुकी तो देखा कि एक आदमी है, तुम जानती हो, मेरे पीछे." "क्या इस आदमी के पास नीली वर्दी और बुरी तरह डरा हुआ चेहरा तो नहीं था?" "तुम वहां थीं भी नहीं, अब शुरू मत करो." "बताइए भी. टिकट मिला क्या?" "नहीं." उन्होंने समझाया -- "वो आदमी" -- मुझे उन्हीं के तरीके से बताना है क्योंकि अगर मैं ऐसा न करूँ तो मज़ा नहीं आता, है न? -- "वो खिड़की पे आया, और उसने बस ऐसे किया -- इससे मुझे पता चलता है कि वह काफी बुड्ढा है, वाकई. तो मैं ऊपर देखती हूँ और मैं सोच रही हूँ, शायद इसे अभी भी मैं थोड़ी प्यारी सी लग सकती हूँ." "माँ, आप अभी भी ये सब करती हैं?" "अगर तुक्का लगता है, तो लगता है, बेटी." तो, मैं कहती हूँ (स्पैनिश) "अब सोचो, क्या हुआ, वो होंडुरास में शांति पलटन में काम कर चुका था -- उसे स्पैनिश आती थी." (हंसी) तो वह उनसे बात कर रहा है, और बीच में वो अचानक कहती हैं, "फिर, पता है, वही हुआ. बस वही. सब हो गया." "हाँ? क्या? उसने आपको टिकट दिया? या नहीं दिया? क्या?" नहीं. मैंने ऊपर देखा, और वो बत्ती, वो बदल गयी." (हंसी) आपको आतंकित हो जाना चाहिए. अब मुझे नहीं पता कि वो मेरे साथ खिलवाड़ कर रही हैं या नहीं, जैसे एक बिल्ली चूहे के साथ लगी रहती है, लगी रहती है -- बाँया पंजा, दाँया पंजा, बाँया पंजा, दाँया पंजा. पर तब तक हम मॉल पहुँच गए हैं. अब आप सब छुट्टियों में मॉल जा चुके हैं, है न? मुझ से बात करिए. हाँ. हाँ. आप हाँ कह सकते हैं. दर्शक: हाँ. ठीक है, तब आप को पता है कि अब आप पार्किंग लौट के यातनास्थल पर पहुँच गए हैं, जहाँ आप अनवरत उपलब्धता के भगवान् से प्रार्थना कर रहे हैं कि जैसे ही आप कारों की उस रेंगती हुई लम्बी सर्पीली कतार में घुसें, तभी कोई बन्दा ब्रेक की बत्तियां जला दे उसी वक़्त, जब आप उसके पीछे रुकें. पर ऐसा ज़्यादातर नहीं होता, है न? तो, पहले मैं कहती हूँ, "माँ, हम यहाँ क्यों आये हैं?" "तुम्हारा मतलब, इस कार में?" नहीं, रुकिए -- हम यहाँ आज किसलिए आये हैं? आज तो शनिवार है. छुट्टी का दिन है." "क्योंकि मुझे तुम्हारे पापा के कच्छे बदलने हैं." अब देखिये, निकल आई, कुछ चाणक्य-जैसी सोच जो करनी पड़ती है -- आप जानते हैं, मेरे हिसाब से एक खरगोश के बाढ़े जैसा है इस औरत का दिमाग. क्या मैं उसमें घुसना चाहती हूँ, क्योंकि अगर मेरे पास ऐरियादने का धागा नहीं है जिसे -- बहुत सी उपमाएं हो गयीं न? -- कहीं गाढ़ सकूं, तो मैं बाहर नहीं निकल पाऊँगी. पर आप तो जानते हैं -- (हंसी) "हमें पापा के कच्छे आज ही क्यों लौटाने हैं ? और किसलिए? क्या खराबी है उनके कच्छों में?" "तुम बिना बात परेशान हो जाओगी." "नहीं परेशान होऊंगी. क्यों? क्या? क्या तकलीफ है उन्हें?" "नहीं, नहीं, नहीं. तकलीफ बस यह है कि वो मूर्ख हैं. मैंने उन्हें दुकान भेजा -- वो मेरी पहली गलती थी -- और वो गए कच्छे खरीदने, और उठा लाये बिलकुल कसे हुए कच्छे, जबकि उन्हें लाने थे जांघिये." "क्यों?" "मैंने इन्टरनेट पर पढ़ा था. आप बच्चे नहीं पैदा कर सकते." "हे भगवान्!" (हंसी) ओलिविया? हुंह? हुंह? अब तक हम और चार फुट की दूरी तक सरक चुके हैं, और मेरी माँ आखिरकार मुझसे कहती हैं, "मैं जानती थी, मैं जानती थी. मैं परदेसी हूँ. हम अपने लिए जगह बना ही लेते हैं. मैंने क्या कहा था तुमसे? वो देखो, वहाँ." और वो अपनी खिड़की से इशारा करती हैं, और मैं बाहर देखती हूँ, और तीन -- तीन -- गलियों के बाद -- "वो देखो, वो शेवी." आप हँसना चाह रहे हैं , पर नहीं जानते कैसे -- यहाँ पर आप इतने 'सही' रहते हैं -- आपको नहीं लगता? दूसरी दिशा में जा कर देखिये, कुछ नहीं होगा. "वो देखो, वो शेवी -- इसी तरफ आ रहा है." "मामा, मामा, मामा, रुको, रुको, रुको. शेवी वाला अभी तीन गली दूर है." वो मुझे ऐसे देखती हैं जैसे मैं उनकी मंदबुद्धि बच्ची हूँ, समझ गए न -- महामूर्ख, जिससे उन्हें बहुत धीरे धीरे, कुछ अलग तरीके से बात करनी है. "मैं जानती हूँ, प्यारी बेटी. कार से निकलो और जब तक मैं वहां आऊँ, तब तक उस पार्किंग की जगह पर खड़ी हो जाओ." अच्छा, अब मुझे वोट लेना है. बताइए, बताइए. नहीं, नहीं. आप में से कितने लोग एक बार -- जब आप बच्चे थे, या बड़े थे -- पार्किंग की जगह किसी के लिए रोकने के लिए वहां जा कर खड़े हुए हैं? देखा, हम किसी ख़ुफ़िया क्लब से कम नहीं हैं जिसका अपना ख़ुफ़िया संकेत होता है. (हंसी) और बरसों की मनश्चिकित्सा के बाद, हम बहुत दुरुस्त चल रहे हैं. हम बहुत दुरुस्त हैं. बहुत बढ़िया हैं. खैर, मैं उनका सामना करती रही. ऐसा है -- पता है, आपको लगेगा अब तक तो मैं -- और -- अभी भी बची हूँ? मैंने कहा, " बिलकुल नहीं, माँ, आपने सारी उम्र मुझे शर्मिंदा किया है." निस्संदेह, उनका जवाब हमेशा रहता है, "मैंने कब तुम्हें शर्मिंदा किया है?" (तेजी से स्पनिश) और वो बातें करते करते कार पार्किंग गियर में डालती हैं, फिर इमरजेंसी ब्रेक लगाती हैं, दरवाज़ा खोलती हैं, और अपनी उम्र की औरत के हिसाब से बड़ी ही फुर्ती से, कार से छलांग मारती हैं, फ़ोन की किताबों को एक झटके से गिराती हैं, और फिर वो चलती हैं -- वो अपना सस्ता-सा के-मार्ट का पर्स हाथ में उठाये हैं -- कार के आगे से हो कर. अपनी उम्र की औरत के हिसाब से उनकी थल-गति भी बड़ी प्रभावशाली है. मेरे समझने से पहले ही, वो पार्किंग स्थल के पार सरक गयी हैं कारों के बीच में से, और मेरे पीछे के लोग कुछ उस तरह की सामान्य धार्मिक उदारता के साथ जो छुट्टियों में हम सब में आ जाती है, वाँ-वाँ वाँ-वाँ कर रहे हैं. "मैं आ रही हूँ." इटली के हस्त-संकेत मिलते हैं. मैं दूसरी ओर भागती हूँ. दरवाज़ा बंद करती हूँ. मैं फ़ोन की किताबों को छोड़ देती हूँ. यह नया और तेज़ अनुभव है, ताकि आप -- आप मेरे साथ हैं न? हम मंद गति वालों के लिए रुकेंगे. ठीक है. मैं गाड़ी स्टार्ट करती हूँ -- और तभी एक बच्ची मेरे से कहती है -- और कहानी का मज़ा तभी है जब मैं उसके बारे में यहाँ तक आपको कुछ न बताऊँ. क्योंकि यह मेरी अल्प-भाषी (कम बोलने वाली) बच्ची है. इस बच्ची के साथ सब कुछ छोटा, संक्षिप्त होता है -- कम कम. आप समझते हैं न, ये खाना कम मात्रा में खाती है. भाषा भी इसके अनुसार बोली जाती है छोटे छोटे ध्वनिग्रामों में -- बस छोटे हूं, हूं-हूं-हूं-हूं ये एक स्पाइरल कॉपी और एक पेन ले कर चलती है. बहुत क्षमता रखती है ये. ये ध्यान से सुनती है, क्योंकि कहानीकार सबसे पहले ऐसा ही करते हैं. पर ये बीच बीच में रुक कर पूछती है, "इसे कैसे लिखते हैं? किस साल में हुआ? ठीक." जब ये करीब २० साल बाद अपनी कलई खोलने वाली किताब लिखेगी, तो उसके एक शब्द पर भी विश्वास मत करियेगा. पर ये है लौरेन, मेरी असाधारण बच्ची, इसमें बहुत हलके तौर से ऐस्पर्गर के लक्षण हैं. भला हो आपका, डॉक्टर वॉटसन. वो कहती है," माँ, ज़रा देखिये तो सही!" अब जब ये बच्ची कहती है कि मुझे देखना चाहिए, तो आप जानते ही हैं. पर ऐसा तो नहीं है कि मैंने यह हंगामा कभी देखा ही नहीं है. आखिर मैं इस महिला के साथ बड़ी हुई हूँ. मैंने कहा, "लौरेन, देखो बेटी, मुझे दृश्य-ब-दृश्य बयान करती जाओ. मैं नहीं --" "नहीं, मामा, यह तो आपको देखना ही पड़ेगा." तो मैंने देखा. देखना ही पड़ा. आप भी देखना चाहेंगे? वो खड़ी हैं वहाँ. मैं हक्के-बक्के विस्मय के साथ देख रही हूँ -- वो खड़ी हैं, उनके रौकपोर्ट जूते एक-दूसरे से थोड़े दूर, पर ज़मीन पर अच्छी तरह जमे हुए. वो अपने सस्ते के-मार्ट पर्स को आगे बढ़ाये हैं, और उसका इस्तेमाल कर रही हैं. वो कई-टन स्टील को पीछे धकेल रही हैं सिर्फ अपने छोटे-से व्यक्तित्व के जोर से, उस बूढी आवाज़ में, कुछ इस तरह की बातें कहते हुए, "पीछे हटो, दोस्त! नहीं, यह जगह ली जा चुकी है!" (हंसी) आप तैयार हैं? मजबूती से पकडिये. ये आया तूफ़ान. "नहीं, मेरी बेटी, वो आ रही है उस ब्विक में. रानी, ठीक से बैठो ताकि ये तुम्हें देख सकें." हे यीशु. हे यीशु. मैं आखिरकार पहुँचती हूँ, और अब यह तो (अमरीका का) दक्षिण है. मुझे नहीं पता आप देश के किस भाग में रहते हैं. मेरा ख्याल है हम सब को कहानियां पसंद हैं. गुप-चुप रूप से हम सब अपना कम्बल और अपना खिलौना चाहते हैं. हम सब आलथी-पालथी मार कर कहना चाहते हैं, "मुझे सुनाओ, मुझे सुनाओ. आओ, रानी, मुझे सुनाओ कहानी." पर दक्षिण में तो, हम अच्छी कहानी पर जान देते हैं. लोग बगल में खड़े हो गए हैं. मेरा मतलब, वो उस कतार में से निकल आये हैं, उन्होनें अपनी गाड़ियों के ट्रंक खोल लिए हैं, फोल्डिंग कुर्सियां निकाल ली हैं और ठन्डे पेय भी. शर्तें लग रही हैं. "मैं तो देवी जी के पक्ष में हूँ. साला." (हंसी) और वे मुझे अन्दर ला रही हैं, सालसा नृत्य जैसी लय के साथ. वो -- आखिर -- क्यूबन हैं. मैं सोच रही हूँ, "ऐकसिलरेटर ब्रेक. ऐकसिलरेटर ब्रेक." जैसे आपने तो कभी अपनी ज़िन्दगी में यह सोचा ही नहीं है? ठीक? अच्छा. मैं अन्दर आती हूँ, गाड़ी को पार्क करती हूँ. इंजन अभी भी दौड़ रहा है -- मेरा, कार का नहीं. मैं कूद कर उनके पास कहते हुए उतरती हूँ "हिलिएगा नहीं आप!" "मैं कहीं नहीं जा रही हूँ." उन्हें तो ग्रीक त्रासदी (ड्रामे) में सबसे आगे की सीट मिली है, वो क्यों जायेंगी. मैं बाहर आती हूँ, और वो खड़ी हैं एस्थर. वो अपने पर्स को गले लगाए हैं. "क्वे?" जिसका मतलब है, "क्या?" -- और भी बहुत कुछ. (हंसी) "माँ, आपको ज़रा भी शर्म नहीं है? लोग चारों ओर से हमें देख रहे हैं, ठीक?" अब, इन में से कुछ -- हमें बनानी पड़ती हैं, भाइयों. इस पेशे का राज़ है. अंदाज़ लगाइए? इनमें से कुछ कहानियां मैं थोड़ी-बहुत तराशती हूँ कुछ, एकदम तैयार होती हैं, एकदम. उन्हें सीधे परोस सकते हैं. वो मुझसे यह कहती हैं. मेरे आरोप के बाद -- मैं आपकी याददाश्त ताज़ा कर दूं -- "आपको ज़रा भी शर्म नहीं है? "नहीं, वो मैंने लम्बे मोजों के साथ ही छोड़ दी -- दोनों बहुत दबाव डालते हैं." (हंसी) (तालियाँ) जी हाँ, आप तालियाँ बजा सकते हैं, पर आप कहानी के अंत से करीब ३० सेकण्ड दूर हैं. मैं सूखी टहनी की तरह चरमराने को तैयार हो ही रही हूँ, जब अचानक कोई मेरे कंधे पर हाथ रखता है. बहादुर आत्मा है कोई. मैं सोच रही हूँ, "यह मेरी लड़की है. उसकी हिम्मत कैसे हुई? वो कार से कूद गयी." ठीक है, क्योंकि मेरी माँ मुझ पर चिल्लाती हैं, मैं उस पर चिल्लाती हूँ. सुन्दर तारतम्य है, और प्रभावशाली भी. (हंसी) मैं मुड़ती हूँ, पर वो मेरी बच्ची नहीं है. एक युवा स्त्री है. मेरे से थोड़ी लम्बी. हलकी हरी प्रसन्न आँखें. उसके साथ एक युवक भी है -- पति, भाई, प्रेमी -- मुझे क्या लेना-देना. और वो कहती है, "माफ़ कीजिये, देवीजी" -- यहाँ दक्षिण में हम इसी तरह बात करते हैं -- "क्या ये आपकी माँ हैं?" मैंने कहा, " नहीं, मैं पार्किंग लौट में बूढी औरतों का पीछा करती हूँ यह देखने के लिए कि वो रुकेंगी या नहीं. हाँ, वो मेरी माँ हैं." फिर वो लड़का, वो कहता है, "जी, मेरी बहन का मतलब था" -- वे एक दूसरे की तरफ देखते हैं -- एक अनुभवी निगाह से -- " हे भगवान, वो तो पागल हैं!" मैंने कहा, (तेजी से स्पैनिश), और युवक और युवती कहते हैं "न, न, रानी, हम तो बस एक बात और जानना चाहते हैं." मैंने कहा, "देखिये, प्लीज़, मुझे उनको सँभालने दीजिये, ठीक है, क्योंकि मैं उन्हें जानती हूँ, और विश्वास कीजिये, वो एक छोटे परमाणु अस्त्र की तरह हैं आप जानते हैं न, उन्हें तो बड़ी सावधानी से सँभालने की ज़रुरत है." और युवती कहती है, "मैं जानती हूँ, पर, मेरा मतलब है, मैं कसम खाती हूँ, वो हमें अपनी माँ की याद दिलाती हैं." मैं मुश्किल से सुन पाती हूँ. वो अपनी एढ़ी के बल घूम कर उनकी ओर मुड़ता है. उसकी आवाज़ एकदम हलकी है, "हे भगवान, मैं उन्हें भुला नहीं पाता." और फिर वो दोनों घूमते हैं, कंधे से कन्धा मिलाये, और चले जाते हैं, अपने ही ख्यालों में खोये. किसी बावली औरत की यादों में खोये, जो उनकी आनुवंशिक लौटरी का नतीजा थी. और मैं एस्थर की ओर मुड़ती हूँ, जो उन जूतों पर झूल रही हैं, और कहती हैं, "तुम जानती हो, रानी?" "क्या, माँ?" "मैं तुम्हें पागल बनाती रहूंगी शायद अगले १४, १५ सालों तक, अगर तुम्हारा नसीब अच्छा रहा, पर उसके बाद, रानी, तुम मुझे भुला न पाओगी." (तालियाँ) नमस्ते, मैं यहाँ आपसे प्रशंसा, आभार और धन्यवाद के महत्व के बारे में बातें करने आयी हूँ, और इसे विशिष्ट और वास्तविक रखेंगे | और जिस तरह इसमें मेरे रूचि बढ़ी वो था, मैंने खुद में देखा जब मैं बड़ी हो रही थी, और कुछ सालो पहले तक, कि मैं किसी को धन्यवाद कहना चाहती थी, मैं उनकी प्रंशसा करना चाहती थी, मैं उनसे अपनी प्रशंसा सुनना चाहती थी और वहीँ रुक गयी होती | और मैंने खुद से पूछा, क्यों? मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई | और फिर मेरा सवाल बन गया, क्या मैं अकेली हूँ जो ये करती है? तो मैंने जानने की ठानी | मैं भाग्यशाली थी कि मैंने पुनर्वसन केंद्र में काम किया, मुझे उन लोगो को जानने का मौका मिला जिनका जीवन और मृत्यु नशे की जकड़ में था | और कभी कभी यह् इतना साधारण होता था कि उनका सबसे बड़ा दुख था कि उनके पिता की मृत्यु हो गई बिना कभी कहे कि उन्हें उन पर गर्व था | लेकिन उन्होंने यह परिवार और दोस्तों से सुना था कि उनके पिता ने बाकी सबसे कहा था कि उन्हें उन पर गर्व है, लेकिन कभी अपने बेटे से नहीं कहा | ऐसा हुआ क्युंकि उन्हें पता ही नहीं था कि उनका बेटा यह सुनना चाहता है | तो मेरा सवाल है, हम उन चीजों के लिए क्यों नही पूछते जो हमे चाहिए? मैं एक सज्जन को जानती हूँ जो 25 सालो से शादीशुदा है जो तड़प रहे है अपनी पत्नी से सुनने के लिए, "धन्यवाद घर के आजीविका चलने के लिए जिससे मैं बच्चो के साथ घर में रह सकी" लेकिन पूछेंगे नहीं | मैं एक महिला को जानती हूँ जो इसमें अच्छी है | वह, हफ्ते में एक बार, अपने पति से मिल कर कहती है, "मैं सच में चाहुंगी कि तुम मुझे धन्यवाद करो उन सब चीजों के लिए जो मैंने घर में और बच्चो के साथ की" और वो शुरू हो जाते है "यह बढ़िया है, यह बढ़िया है" और प्रशंसा सच में वास्तविक होनी चाहिए, लेकिन वो उसकी जिम्मेदारी लेती है | और मेरे एक मित्र, अप्रिल, जिन्हें में नर्सरी से जानती हूँ, वो बच्चों को उनका काम करने के लिए धन्यवाद करती है | और कहती है "मैं क्यों ना धन्यवाद करू, भले ही उन्हें ये करना ही है ? " तो सवाल है कि मैं क्यों इसे रोक रही थी? क्यों दुसरे लोग इसे रोक रहे थे ? मैं कह सकती हूँ कि "मुझे कैसा खाना चाहिए, मुझे जूते 6 नंबर के चाहिए "लेकिन मैं नहीं कहूँगी, "क्या तुम इस तरह मेरी तारीफ करोगे?" और ये इसीलिए क्युंकि मैं आपको अपने बारे में बता रही हूँ | मैं आपको बता रही हूँ कि मैं कहाँ असुरक्षित हूँ | मैं आपको बता रही हूँ कि मुझे कहाँ आपकी मदद चाहिए | और आपसे ऐसे बर्ताव कर रही हूँ, मेरे अंदुरनी क्षेत्र में, जैसे आप मेरे दुश्मन है | क्युंकि आप मेरे में जान कर क्या कर सकते हैं? आप मेरी उपेक्षा कर सकते हैं | आप इसका दुरूपयोग कर सकते हैं | या असल में आप मेरी जरूरत पूरी कर सकते हैं | और मैं अपनी सायकल को दुकान ले गयी - मुझे ये अच्छा लगा -- वही सायकल, और वहां पर वो चक्को को सीधा करते हैं | उस आदमी ने कहा "क्या आप जानती है, चक्को को कब सीधा करते है " यह सायकल को पहले काफी बेहतर बनायेगा" मैंने वही सायकल वापस ली, और उन्होंने चक्को के छोटे मोटे टेड़ेपन को ठीक कर दिया यह सायकल ठाई साल पुरानी थी, और अब नयी के समान हो गयी | तो मैं आप सबको चुनौती दूंगी | मैं चाहती हूँ आप अपने चक्को को सीधा करे: और ईमानदार रहे उस प्रशंसा के बारे में जो आप सुनना चाहता हैं | आप क्या सुनना चाहते है? घर में पत्नी के पास जाइये, उससे पूछिए, उसे क्या चाहिए ? घर में अपने पति के पास जाइये -- उसे क्या चाहिए? घर जाइये और ये सवाल पूछिए और फिर अपने आसपास के लोगो की मदद कीजिये | और यह आसान है | और हम इसकी चिंता क्यों करे? हम विश्व शांति की बाते करते हैं | हम विभिन्न संस्कृतियों और विभिन्न भाषाओ के साथ विश्व में कैसे शांति हो सकती है? मैं सोचती हूँ यह घर से शुरू होती है, एक ही छत के नीचे | तो चलिए इसे अपने आसपास ठीक करते है और मैं आप सभी श्रोताओ का धन्यवाद करती हूँ अच्छे पति, अच्छी माँ, दोस्त, बेटी, बेटा होने के लिए | और शायद किसी ने आप से कभी नहीं कहा, लेकिन आपने सच में बहुत अच्छा काम किया हैं | और धन्यवाद यहाँ आने के लिए, और अपने विचारों से दुनिया बदलने के लिए | धन्यवाद | (अभिवादन) खतरनाक जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए, हमें तेज़ी से उत्सर्जन में कटौती करने की ज़रूरत होगी। यह एक सुंदर अनसुमित वक्तव्य होना चाहिए। , निश्चित रूप से इस दर्शक समूह के साथ। लेकिन यहाँ यह कुछ थोड़ा अधिक विवादास्पद है: यह पर्याप्त नहीं होगा। हम अपना शेष कार्बन निर्धारण लक्ष्य जल्दी खत्म कर लेंगे डेढ़ डिग्री के लिए कुछ ही सालों में, और दो डिग्री निर्धारण लक्ष्य लगभग दो दशकों में। हमें बहुत तेज़ी से उत्सर्जन में कटौती करने की न केवल आवश्यकता है, बल्कि हमें वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड बाहर करने की भी ज़रूरत है। धन्यवाद। (हँसी) मैं इन प्रस्तावित तकनीकों की पूरी श्रृंखला का आकलन करता हूँ कि क्या वे काम कर सकते हैं। हम पौधों का उपयोग कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने, और फिर इसे पेड़ों में, मिट्टी में, गहरी भूमिगत या महासागरों में संग्रहीत के लिए। हम तथाकथित कृत्रिम पेड़ यानि कि बड़ी मशीनों का निर्माण कर सकते हैं,, जो हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को हटा देगा। इन विचारों के लिए संभव होने के लिए, हमें समझना चाहिए कि क्या वे विशाल पैमाने पर लागू हो सकते हैं जो एक तरह से सुरक्षित, आर्थिक और सामाजिक रूप से स्वीकार्य हों। ये सभी विचार आदान-प्रदान से आते हैं। उनमें से कोई भी सम्पूर्ण नहीं है, लेकिन कईं सशक्त हैं। यह संभावना नहीं है कि उनमें से कोई भी इसे अपने दम पर हल करेगा। कोई चांदी की गोली नहीं है, लेकिन संभवतः एक साथ, वे चांदी के बक्से का निर्माण कर सकते हैं, कि हमें जलवायु परिवर्तन को इसकी पटरियों में रोकना होगा। मैं स्वतंत्र रूप से एक विशेष विचार पर काम कर रहा हूं जो प्राकृतिक गैस का उपयोग बिजली पैदा करने के लिए करता है जोकि एक तरह से कार्बन डाइऑक्साइड को हवा से बाहर करता है। है न? वह कैसे काम करता है? तो ओरिजन ऊर्जा प्रक्रिया ईंधन सेल में प्राकृतिक गैस डालता है। लगभग आधी रासायनिक ऊर्जा बिजली में परिवर्तित हो जाती है, और शेष गर्मी में, जिससे चूना पत्थर से चूना और कार्बन डाइऑक्साइड बनता है। अब इस बात पर शायद आप सोच रहे हों कि मैं पागल हूँ। यह सच में कार्बन डाइऑक्साइड पैदा कर रहा है। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है, सारी उत्पन्न हुई कार्बन डाइऑक्साइड , दोनों ईंधन कक्ष और चूने के भट्ठे से, शुद्ध है, और यह सच में महत्वपूर्ण है, अतः या तो कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग कर सकते हैं या आप इसे कम कीमत पर गहरे भूमिगत में इकट्ठा कर सकते हैं। और फिर चूना उत्पाद औद्योगिक प्रक्रियाओं में इस्तेमाल किया जा सकता है, और इस्तेमाल होने पर, यह हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को साफ़ करता है कुल मिलाकर प्रक्रिया कार्बन को कम करती है। यह हवा से कार्बन डाइऑक्साइड निकालता है। यदि आप सामान्य रूप से प्राकृतिक गैस से बिजली उत्पन्न करते हैं, आप लगभग 400 ग्राम किलोवाट प्रति घंटा कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं। इस प्रक्रिया के साथ, यह आंकड़ा शून्य से 600 नीचे है। फिलहाल, बिजली उत्पादन जिम्मेदार है सभी कार्बन डाइऑक्साइड के लगभग एक चौथाई उत्सर्जन के लिए। परिकल्पित रूप से यदि आपने सभी बिजली उत्पादन इस प्रक्रिया से करें, तो आप न केवल बिजली उत्पादन से सभी उत्सर्जन समाप्त करेंगे बल्कि आप उत्सर्जन को अन्य क्षेत्रों से भी हटाना शुरू कर देंगे, संभावित रूप से समग्र कार्बन उत्सर्जन की 60 प्रतिशत कटौती। आप चूने को सीधे समुद्री जल में मिला कर समुद्री अम्लीकरण को प्रभावहीन बनाने हेतु भी कर सकते हैं, जोकि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के कारण अन्य मुद्दों में से एक है। वास्तव में, आप को अधिक लाभ मिलता है। आप कार्बन डाइऑक्साइड को समुद्री जल में मिला कर दोगुणा अधिक खपा सकते हैं इसे औद्योगिक रूप से उपयोग करने की अपेक्षा। लेकिन यहाँ यह वास्तव में जटिल हो जाता है। जबकि सागर का अम्लीकरण प्रभावहीन करना एक अच्छी बात है, हम पूरी तरह से नहीं समझते कि पर्यावरण के परिणाम क्या हैं, और इसलिए हमें आंकलन करने की आवश्यकता है कि क्या यह उपचार वास्तव में यह बीमारी से बेहतर है। हमें कदम-दर-चरण नियंत्रित प्रयोगों के लिए सुरक्षित रूप से मूल्यांकन की ज़रूरत है। और पैमाने: खतरनाक जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए, हमें खरबों को हटाने के लिए ज़रूरत होगी। और हां, यह खरबों है - वातावरण से आगे आने वाले दशकों में खरबों टन कार्बन डाइऑक्साइड। जी.डी.पी. के कुछ प्रतिशत खर्च होंगे - लगता है रक्षा-आकार के व्यय, बहुत सारी औद्योगिक गतिविधियाँ और अनिवार्य रूप से हानिकारक दुष्प्रभाव। लेकिन अगर परिमाण विशाल लगता है, यह समस्या परिमाण के कारण है, जिसका हम हल ढूँढ रहे हैं। यह भी विशाल ही है। अब हम इन कांटेदार मुद्दों से बच नहीं सकते। हम जोखिमों का सामना करते हैं जो भी हम करते हैं: जलवायु परिवर्तन से बदली दुनिया या जलवायु परिवर्तन से बदली दुनिया और जलवायु परिवर्तन को रोकने के हमारे प्रयास। क्या यह ऐसा नहीं था, लेकिन हम अब अपनी आँखें और कान बंद नहीं रहने दे सकते हैं, और कहें ला-ला-ला। हमें बड़े होकर अपने कार्यों के परिणामों का सामना करने की ज़रूरत है। (तालियाँ) क्या जलवायु परिवर्तन इलाज की बात उत्सर्जन कटौती करने की इच्छा को कम आँकती है? यह एक वास्तविक चिंता है, इसलिए हमें उत्सर्जन को कम करने के महत्व पर सर्वोपरि ज़ोर देना चाहिए और ये विचार कैसे काल्पनिक लगते हैं। लेकिन ऐसा करने के बाद, हमें अभी भी उनकी जांच करने की ज़रूरत है। क्या हम जलवायु परिवर्तन ठीक कर सकते हैं? मैं नहीं जानता, लेकिन बिना प्रयत्न किए हम निश्चित रूप से नहीं कर सकते। हमें बिना अहंकार महत्वाकांक्षा की ज़रूरत है। हमें महत्वाकांक्षा की आवश्यकता है वातावरण को बहाल करने के लिए, कार्बन डाइऑक्साइड को नीचे लाने के लिए वापस ऐसे स्तर पर जो स्थिर जलवायु और स्वस्थ महासागरों के अनुकूल हो। यह एक विशाल उपक्रम होगा। आप इसे एक कैथेड्रल परियोजना के रूप में वर्णन कर सकते हैं। जो शुरू में शामिल थे वे योजनाओं का मसौदा तैयार कर सकते हैं और नींव खोद सकते हैं, लेकिन वे पूर्ण ऊंचाई तक शिखर नहीं बढ़ाएंगे यह काम, यह विशेषाधिकार, हमारे वंशजों का है। हम में से कोई भी वह दिन नहीं देखेंगे, लेकिन हमें आशा से शुरू करना चाहिए कि भावी पीढ़ियाँ काम खत्म करने में सक्षम होंगी। तो क्या आप दुनिया को बदलना चाहते हैं? मैं नहीं। मैं दुनिया को बदलना नहीं चाहता, लेकिन इसे वैसे रखने के लिए जिस अर्थ से यह है। धन्यवाद। (तालियाँ) क्रिस एंडरसन: धन्यवाद। मैं तो बस आपसे कुछ अन्य प्रश्न पूछना चाहता हूँ। हमें सागर में चूना डालने के विचार बारे कुछ और बताएँ। मेरा मतलब है, लगता तो है कि, यह बहुत आकर्षक है - समुद्री अम्लीकरण विरोधी - और यह अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है। आपने बताया कि हमें इस पर प्रयोग करने की आवश्यकता है। एक जिम्मेदार प्रयोग क्या होगा? टिम क्रूगर: तो मुझे लगता है कि आपको ढेरों प्रयोग करने होंगे, लेकिन आपको उन्हें करना होगा बस बहुत ही छोटे चरण-दर-चरण। उसी तरह जैसे आप नई दवा का परीक्षण कर रहे हैं, आप बस सीधे मानव परीक्षणों में नहीं जाएँगे। आप एक छोटा सा प्रयोग करेंगे। और पहले हम पर्यावरण से दूर विशेष कंटेनरों में ज़मीन पर ही प्रयोग करेंगे। और फिर जब एक बार आपको भरोसा होता है कि यह सुरक्षित रूप से किया जा सकता है, आप अगले चरण में जाते हैं। अगर विश्वास न हो, तो आप नहीं करते। लेकिन कदम-दर-कदम। सी.ए: और ऐसे प्रयोगों को कौन निधि देगा? क्योंकि वे कुछ स्तर पर पूरे ग्रह को प्रभावित करते हैं। क्या इस कारण से इस पर कुछ नहीं हो रहा है? टी.के: तो मुझे लगता है कि आप छोटे पैमाने पर राष्ट्रीय जल में प्रयोग कर सकते हैं, और फिर यह शायद ऐसा करना राष्ट्रीय निधि कोष की आवश्यकता है। पर अंत में यदि आप ऐसे समुद्र में वैश्विक स्तर पर अम्लीकरण का मुकाबला करना चाहो आपको यह अंतरराष्ट्रीय जल में करना होगा, और फिर आप को इस पर काम करने हेतु अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आवश्यकता होगी। सीए: राष्ट्रीय जल में भी, आप जानते हैं, महासागर सभी जुड़ा हुआ है। वह चूना वहाँ से बाहर निकलने वाला है। और ग्रह पर प्रयोग करने से लोग गुस्सा होते हैं,, जैसा हमने सुना है। आप इसका जवाब कैसे देते हैं? टीके: मुझे लगता है कि आप सच में महत्वपूर्ण मुद्दा उठा रहे हो। यह काम करने हेतु सामाजिक लाइसेंस बारे है। और मुझे लगता है कि हो सकता है यह करना असंभव है, लेकिन हमें कोशिश करने की हिम्मत चाहिए, इसे बढ़ाने व देखने हेतु कि हम क्या कर सकते हैं, खुले तौर पर जुड़ने हेतु। और हमें लोगों के साथ पारदर्शी तरीके से जुड़ने की ज़रूरत है हमें उनसे पहले से पूछने की ज़रूरत है। और मुझे लगता है अगर हम उनसे पूछें, हमें संभावना के लिए खुला होना चाहिए कि जवाब वापस आएगा, "नहीं, ऐसा मत करो।" सी.ए: बहुत बहुत धन्यवाद यह वास्तव में आकर्षक था। टी.के: धन्यवाद। (तालियां) लगभग दो साल पहले, मुझे एक फोन आया जिसने मेरी जिंदगी बदल दी। "अरे, यह तुम्हारे चचेरे भाई हसन है।" मैं भौचक्का हुआ। आप देखिए, मेरे 30 से अधिक चचेरे भाई हैं, लेकिन मैं हसन नाम का कोई नहीं जानता था। यह पता चला कि हसन वास्तव में मेरी माँ का चचेरा भाई था और अभी शरणार्थी के रूप में मॉन्ट्रियल में आया था। और अगले कुछ महीनों में, कनाडा में शरण के लिए आवेदन करने मेरे 3 और रिश्तेदार आएंगे उनकी पीठ पर कपड़े से थोड़ा अधिक के साथ। और उस फोन कॉल के बाद से दो साल में, मेरा जीवन पूरी तरह से बदल गया। मैंने शिक्षा छोड़ दी और अब विविध प्रौद्योगिकीविदों, शोधकर्ताओं और शरणार्थियों की टीम का नेतृत्व करता हूँ जो नए लोगों के लिए स्व-सहायता संसाधन विकसित कर रहा है। हम उन्हें भाषा, सांस्कृतिक और अन्य बाधाओं को दूर करने में मदद करना चाहते हैं जिससे उन्हें अपने स्वयं के जीवन पर नियंत्रण खो दिया है की तरह लग रहा है। AI अधिकारों प्रतिष्ठा को बहाल करने में मदद कर सकता है कई लोग मदत मांगणे का मौका गवा देते । मेरे परिवार का शरणार्थी अनुभव अद्वितीय नहीं है। यूएनएचसीआर के अनुसार, हर मिनट, 20 लोग नए विस्थापित होते हैं जलवायु परिवर्तन, आर्थिक संकट से और सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता से । और यह एक स्थानीय वाईएमसीए आश्रय में स्वेच्छा से था जहां मेरे चचेरे भाई हसन और अन्य रिश्तेदारों को भेजा गया था हमने देखा और सराहना करने के लिए सीखा है कि कितना प्रयास और समन्वय पुनर्वास की आवश्यकता है। जब आप पहली बार आते हैं, तो आपको एक वकील जरुरी है जो दो सप्ताह के भीतर कानूनी दस्तावेज भरें सके । आपको पूर्व-अधिकृत चिकित्सक के साथ चिकित्सा परीक्षा भी निर्धारित करनी होगी, ताकि आप वर्क परमिट के लिए आवेदन कर सकते हैं। और आपको रहने के लिए जगह की तलाश शुरू करनी होगी इससे पहले कि आप सामाजिक सहायता प्राप्त करते हैं। हजारों संयुक्त राज्य अमेरिका भागने के साथ पिछले कुछ वर्षों में कनाडा में शरण लेने के लिए, हमने जल्दी से देखा कि यह कैसा दिखता है जब अधिक लोग होते हैं जिन्हें मदद की आवश्यकता है उनकी मदद करने के संसाधनोंसे। सामाजिक सेवाएं जल्दी से बड़े पैमाने पर नहीं होती, और समुदायों उनकी पूरी कोशिश भले ही करें सीमित संसाधनों के साथ अधिक लोगों को मदद करने के लिए, नवागंतुक अंत में अधिक समय के लिए इंतजार कर रहे हैं, न जाने कहां मुड़ना है। मोंट्रियल में, उदाहरण के लिए, पुनर्वास प्रयासों का समर्थन करने के लिए लाखों डॉलर खर्च किए जाने के बावजूद, लगभग 50 प्रतिशत नए लोग अभी भी नहीं जानते हैं वहाँ मुक्त संसाधन मौजूद हैं कागजी कार्रवाई को भरने से सब कुछ उनकी मदद करने के लिए से नौकरी पाने के लिए। चुनौती यह नहीं है कि यह जानकारी मौजूद नहीं है। इसके विपरीत, जरूरतमंद लोगों को अक्सर इतनी जानकारी के साथ बमबारी की जाती है कि यह सब समझ में आना मुश्किल है। "मुझे और जानकारी मत दो, बस मुझे बताओ क्या करना है, " एक भावना थी जिसे हमने बार-बार सुना। और यह दर्शाता है कि आपके व्यवहार प्राप्त करना कितना कठिन हो सकता है जब आप पहली बार एक नए देश में आते हैं। दुर्भाग्य से मै उन्हीं मुद्दों से जूझता रहा,जब मैं मॉन्ट्रियल आया और मेरे पास पीएचडी है। (हँसी) हमारी टीम के अन्य सदस्य के रूप में, खुद भी एक शरणार्थी हैं, इसे डालें: "कनाडा में, एक सिम कार्ड भोजन से अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम भूख से नहीं मरेंगे। ” लेकिन सही संसाधनों और सूचना तक पहुंच पाना जीवन और मृत्यु के बीच अंतर हो सकता है। मुझे फिर वही बात कहना है: सही संसाधनों और सूचना तक पहुंच पाना जीवन और मृत्यु के बीच अंतर हो सकता है। इन मुद्दों का समाधान करने के लिए, हमने अतर का निर्माण किया, पहली बार AI- संचालित आभासी वकील जो आपके पहले सप्ताह से चरण-दर-चरण मार्गदर्शन करता है एक नए शहर में पहुंचने की। बस अतर को बताएं कि आपको क्या मदद चाहिए। अतर तो आपसे कुछ बुनियादी सवाल पूछेगा अपने विशिष्ट परिस्थितियों को समझने के लिए और संसाधनों के लिए अपनी योग्यता का निर्धारण के लिए। उदाहरण के लिए: क्या आपके पास आज रात रहने के लिए जगह है? यदि नहीं, तो क्या आप एक अखिल महिला आश्रय पसंद करेंगे? क्या आपके बच्चे हैं? तब अतर एक कस्टम, चरण-दर-चरण सूची उत्पन्न करेगा जो आपको वह सब कुछ बताता है जो आपको जानना चाहिए, जहां से जाना है, वहां कैसे जाएं, अपने साथ क्या लाना है और क्या उम्मीद है । आप किसी भी समय एक प्रश्न पूछ सकते हैं, और अगर अतर का जवाब नहीं है, आप एक वास्तविक व्यक्ति के साथ संपर्क में रहेंगे। लेकिन सबसे रोमांचक बात यह है हम मानवीय और सेवा संगठनों की मदद करते हैं डेटा और एनालिटिक्स इकट्ठा करनें जो समझने के लिए आवश्यक है नए लोगों की बदलती जरूरतों को वास्तविक समय में। वह गेम चेंजर है। हम पहले से ही UNHCR साथ भागीदारी की है कनाडा में इस तकनीक प्रदान करने के लिए, और हमारे काम में अभियानों का आयोजन किया है अरबी, अंग्रेजी में फ्रेंच, क्रियोल और स्पेनिश। जब हम शरणार्थियों के मुद्दे पर बात करते हैं, हम अक्सर सरकारी आँकड़ों पर ध्यान केंद्रित करते हैं की 65.8 मिलियन जबरन दुनिया भर में विस्थापित। लेकिन वास्तविकता इससे कहीं अधिक है। 2050 तक, अतिरिक्त 140 मिलियन लोग होंगे जो पर्यावरण के क्षरण के कारण विस्थापित होने का खतरा रखते हैं। और आज - वह आज है - लगभग एक बिलियन लोग जो पहले से ही अवैध बस्तियों और झुग्गियों में रहते हैं। पुनर्वास और एकीकरण हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। और हमारी आशा है कि अतर हर एक नवागंतुक को एक वकील प्रदान कर सकता है। हमारी आशा है कि अतर मौजूदा प्रयासों को बढ़ा सकता है और सामाजिक सुरक्षा नेट पर दबाव कम करे वह पहले से ही कल्पना से परे फैला है। लेकिन हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है हमार काम अधिकारों व सम्मान को बहाल में मदद करता है जो शरणार्थी पूरे एकीकरण और एकीकरण में खो जाते हैं उन्हें वे संसाधन देकर जो उन्हें स्वयं की मदद करने के लिए चाहिए। धन्यवाद। (तालियां) नमस्ते, मैं जैक हूँ, और मैं किन्नर हूं। मैं कुछ विचारों पर अनुमान लगाता हूँ जो अभी आपके दिमाग में चल रहे हैं। "किन्नर? रुको, क्या इसका मतलब यह है कि वे वास्तव में एक आदमी या एक औरत हैं?" "मुझे आश्चर्य है कि अगर उसकी अभी सर्जरी हुई है ... ओह,अब मैं उसकी जाँघें देख रहा हूं। दाएं देखो, देखने को सुरक्षित जगह है।" "हाँ, मुझे पता था! असली आदमी के वैसे कूल्हे नहीं होते।" "मेरी दोस्त की बेटी किन्नर है - मुझे आश्चर्य है कि क्या वे परिचित हैं।" "हे भगवान, वह बहुत बहादुर है मैं पुरुष शौचालय उपयोग हेतु उसके अधिकार का समर्थन करूंगा। रुको, पर वह शौचालय उपयोग कैसे करता है? वह कैसे सेक्स करता है? " ठीक है, ठीक है, उन काल्पनिक प्रश्नों को रोकते हैं इससे पहले कि हम अधिक करीब हों। मतलब है, मुझे गलत मत समझो, मैं आज यहां किन्नर होने के नाते अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा करने आया था, लेकिन आज सुबह मैं इस पूरी सभा को बताने की इच्छा से नहीं जगा मेरे लैंगिक जीवन के बारे। बेशक, किन्नर होने में समस्या है, सही है? लोग हमेशा बहुत ही सोचते हैं कि हम यौन संबंध कैसे करते हैं और हम बेल्ट से नीचे किस तरह के उपकरण उपयोग करते हैं। किन्नर होना अजीब है। सिर्फ इसलिए नहीं कि जन्म समय निर्धारित लिंग मेरी वास्तविकता से भिन्न है। किन्नर होना अजीब है क्योंकि हर कोई अजीब हो जाता है जब वे मेरे आसपास होते हैं। जो लोग मुझे और अन्य सभी किन्नरों का पूरे दिल से समर्थन करते हैं अक्सर गलत बात कहने से डरे होते हैं, शर्मिंदा हैं कि क्या जो सोचते हैं उन्हें पूछना चाहिए, पर वे कभी नहीं पूछते। किन्नर होने में जो अंदर से बात झंझोड़ती है यह पता होना था कि लोग वह न समझेंगे जो मेरा अभिप्राय था। और जब कोई समलैंगिक सामने आता है, लोग जानते हैं क्या अर्थ है, पर जब आप किन्नर सामने आते हो, आपका गलत धारणाओं से सामना होता है कि आपके बारे राय अन्य लोगों के विचार से प्रभावित होगी उन्हें आप के शिक्षित करने के बाद भी ... और आपको उन्हें शिक्षित करना होगा। जब मैं बाहर आया, मैंने 10-पृष्ठ विश्वकोषीय दस्तावेज़ लिखा संगीत और वीडियो का एक ज़िप फ़ाइल अनुलग्नक के साथ जोकि मैंने हर एकल व्यक्ति जिसे मैं मिला को भेजा। (हँसी) व बाद में मैंने इसे महीनों अपने ईमेल हस्ताक्षर में रखा था, क्योंकि तुम भी कभी बाहर आना बंद नहीं करते। मैं अकाउंटेंट के पास आया मेरे करों साथ मेरी मदद करवाने हेतु और टी.एस.ए. एजेंट जिन्हें पता नहीं था कि उनमें से किसे मुझे थपथपाना चाहिए, आदमी या महिला। मेरा मतलब है, मैं बाहर आया हर एक के पास जो यह देख रहे थे। जब मैं अपने पिता के पास आया, शुक्र था कि मेरे ट्रान्स होने पर भी वह पूरी तरह से शांत था, पर जब मैंने जैसे ही शरीरिक परिवर्त्तन बारे बात करना शुरू किया, उसका व्यवहार विचित्र था। और मुझे जल्दी ही एहसास हुआ कि वह भी अन्य बहुत लोगों जैसे , सोचता है कि शारीरिक संक्रमण का मतलब केवल एक चीज है: शल्य चिकित्सा। अब सुनो, अगर कोई एक जादुई सर्जरी होती जोकि मुझे बना सकता एक लंबा, बलवान, सामाजिक रूप से रातोंरात सही छवि का आदमी, तो मैं पल भर में तैयार होता। दुर्भाग्यवश, यह इतना आसान नहीं है। इसमें दर्जनों अलग-अलग लिंग-पुष्टि शल्यचिकित्साएँ हैं छाती शल्यचिकित्सा से नितम्ब शल्यचिकित्सा तक चेहरे के नारीकरण और मानव-मूर्तिकला तक। बहुत सारे ट्रान्स अपने पूरे जीवन में यदि हो तो केवल एक ही प्रक्रिया से गुज़रेंगे। शायद वे व्यक्तिगत जरूरत महसूस नहीं करते लेकिन यह भी क्योंकि वे महंगे भी हैं, व स्वास्थ्य बीमा केवल उन्हें कवर करना शुरु कर रहा है। इसके बजाय, संक्रमित इंसान के लिए पहला कदम शारीरिक संक्रमण चाहने वाले की आमतौर पर हार्मोन प्रतिस्थापन चिकित्सा है। हार्मोन के कारण मेरी आवाज़ भारी है और मेरी गर्दन पर कुछ विचित्र मूंछे और मेरी ठोड़ी पर एक विशाल दाना है। असल में, वे तुम्हें एक दूसरे यौवन काल में डालते हैं ... यह एक विस्फोट है। (हँसी) अब, क्योंकि हमारे बदलाव धीमें व नियमित हैं ऐतिहासिक गलत धारणाओं की अपेक्षा तो लोग सोच सकते हैं, कुछ भ्रम हो सकता है कि किसी को कब उनके नए नाम या सर्वनाम से सम्बोधित करें। शारीरिक बदलाव में कोई विशिष्ट परिस्थिति नहीं है जब एक किन्नर व्यक्ति का असली लिंगनिश्चित हो जाता है। जैसे ही वे आपको उनका नया नाम और सर्वनाम बताते हैं, तब आप उन्हें प्रयोग करना शुरू करते हैं। परिवर्तन करना मुश्किल हो सकता है। आप यहां और वहां चूक सकते हैं; मैंने स्वयं चूक की है अन्य ट्रान्स लोगों के साथ। पर मैं हमेशा सोचता हूं, यदि हम पफ़ डैडी को पी. डैडी कह कर बदल सकते हैं, और अगर हम बेहद माफी माँगते हैं जब हमने गलत लिंग सर्वनाम का उपयोग किया है किसी की पालतू बिल्ली के लिए - मुझे लगता है कि हम वही प्रयास कर सकते हैं अपने जीवन में असली मनुष्यों के लिए। अब, कोई ऐसा विषय नहीं है जो दूसरों को संक्रमित लोगों बारे अधिक अजीब बनाता है सार्वजनिक शौचालयों की तुलना में। आह, शौचालय - नवीनतम राजनीतिक ताज़ा मुद्दा एल.जी.बी.टी विरोधियों के लिए। शौचालयों बारे एक मज़ेदार तथ्य है: किसी सार्वजनिक शौचालय हमले में अमेरिकी कांग्रेसियों को अधिक दोषी ठहराया गया है ट्रान्स लोगों की तुलना में। (हँसी) सच है हम ट्रान्स आप से ज्यादा भयभीत हैं उसकी अपेक्षा जितना आप हमसे भयभीत हैं। यह चर्चा का एक बड़ा मुद्दा है ट्रान्स समुदायों में कि किस शौचालय का उपयोग शुरू करें और कब , इसलिए ताकि हमारी तरफ ध्यान न जाए जिससे कि हमारे खिलाफ हिंसा हो। मैंने पुरुष शौचालय का उपयोग शुरू कर दिया जब मुझे भ्रम होने लगा था और महिलाओं के शौचालयों में डरी हुई शक्लें देखने लगा था, भले ही मुझे पुरुषों के शौचालयों में जाना शुरू करने के लिए डर था। और अक्सर हम सिर्फ शौचालयों में न जाना चुनते हैं। ट्रान्स लोगों के 2015 के एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण ने पाया कि हम में से आठ प्रतिशत लोगों के मूत्र पथ में संक्रमण था। पिछले साल शौचालयों से बचने के परिणाम स्वरूप। ये शौचालय बिल किसी की रक्षा नहीं कर रहे। जो वे सब कर रहे हैं यह सुनिश्चित करना है कि जब ट्रांस लोगों पर शौचालयों में हमला होता है, कानून हमारे पक्ष में नहीं रह जाएगा जब हम इसे रिपोर्ट करेंगे। ट्रांस होने का मतलब है इन गलत धारणाओं पर एक दैनिक हमला। और मेरे लिए यह बहुत आसान है। मैं एक श्वेत, सक्षम शरीर वाला आदमी हूँ लगभग विशेषाधिकार पर्वत शिखर पर बैठा। गैर-द्विआधारी लोगों के लिए, ट्रांस महिलाओं के लिए, रंग वाले ट्रांस लोगों के लिए, यह बहुत कठिन है तो मैंने आपको ट्रांस ज्ञान का प्रारम्भिक परिचय दिया है मुझे आशा है कि यह आपको स्वयं सीखने की राह दिखाएगा। ट्रांस लोगों से बात करें हमें सुनें। हमारी आवाज़ें उठाएँ। हमारी भड़ास दूर करें व अपने आसपास अवगत कराएँ ताकि हर समय हमें न करना पड़े। शायद किसी दिन, जब मैं कहता हूं, "नमस्ते, मैं जैक हूं, और मैं किन्नर हूं" केवल एक ही प्रतिक्रिया जो मुझे मिलेगी, "नमस्ते, तुमसे मिलकर अच्छा लगा।" धन्यवाद। (तालियां) मैं कुछ सोच विचार कर रही हूँ। मैं अपने पिता को मारने वाली हूँ। मैंने अपनी बहन को बुलाया। "सुनो, "मैं कुछ सोच विचार कर रही हूँ।, मैं पिता जी को मारने वाली हूँ। मैं उसे ओरेगन ले जा रही हूँ कुछ अफ़ीम ढूंढ़ने वाली हूँ, और उन्हें देने वाली हूँ। मेरे पिताजी को मनो विक्षिप्तता/उन्मत्तता है, या एफ.टी.डी। यह भ्रामक बीमारी लोगों को उनके 50 या 60 के दशक में होती है। यह पूरी तरह से किसी के व्यक्तित्व को बदल सकता है, उन्हें पागल व हिंसक बनाते हुए भी। मेरे पिताजी एक दशक से बीमार हैं, लेकिन तीन साल पहले वे वास्तव में बीमार हो गए , और हमें उन्हें अपने घर से बाहर ले जाना पड़ा - वह घर जिसमें मैं बड़ी हुई, वह घर जिसे उन्होंने अपने हाथों से बनाया। अस्वाभाविक स्वर गायन आवाज के साथ मेरे हृष्ट-पुष्ट, शांत पिताजी को सुविधा केन्द्र में चौबीस घण्टे देखभाल हेतु जाना था जब वे सिर्फ 65 वर्ष के थे। पहले मेरी माँ, बहनों और मैंने गलती की उसे एक नियमित नर्सिंग होम में डालने की। यह वास्तव में सुंदर था; यहाँ आलीशान कालीन था और दोपहर की कला कक्षाएं और डियान नामक एक कुत्ता। लेकिन फिर मुझे एक फोन आया। "सुश्री मैलोन, हमने आपके पिता को गिरफ्तार कर लिया है।" "क्या?" "अच्छा, उसने सब को छुरी-काँटे से धमकी दी व फिर उसने झटका दे कर दीवार से पर्दे खींचे, व फिर उसने पौधे खिड़की से बाहर फैंकने कोशिश की। और हाँ फिर उसने सभी वृद्ध महिलाओं को उनकी पहियेदार कुर्सी से बाहर को खींच लिया।" "सभी वृद्ध महिलाओं को?" (हँसी "कैसा चरवाहा !" (हँसी) उनके वहाँ से बाहर निकाले जाने के बाद , हम उन्हें कुछ सरकारी सुविधा केन्द्रों में उछालते रहे विशेष कर मनो विक्षिप्तता/उन्मत्तता वाले लोगों के लिए उपचार केंद्र ढूंढने से पहले। सबसे पहले, वह उन्हें किसी तरह पसंद आया, पर समय के साथ उनका स्वास्थ्य गिरा, और एक दिन मैं अंदर चली गई और उन्हें एक पीस कपड़े की पोषाक पहने ज़मीन पर कुबड़े बैठे पाया ऐसी पोषाक जिसकी ज़िप पीछे होती है। मैंने उसे एक घंटे भर देखा जब उन्होंने उसे झटके से खींचा, इस चीज़ से बाहर निकलने का प्रयास करते हुए। और यह व्यावहारिक माना जाता है, पर मुझे यह एक सीधे जैकेट की तरह लग रहा था। और इसलिए मैं बाहर भागी मैंने उन्हें वहां छोड़ दिया। मैं अपने ट्रक में बैठ गई - उनका पुराना ट्रक - उसके ऊपर झुकी हुई, यह असली गहन कंठ्य ध्वनी क्रंदन मेरे पेट के अंदर से निकलता हुआ। मुझे विश्वास नहीं था कि मेरे पिताजी, मेरी जवानी के सौन्दर्य देव , मेरे असली प्रिय मित्र, सोचेंगे कि इस प्रकार का जीवन अब और जीने के लायक था। हम उत्पादकता को प्राथमिकता देने के लिए कार्यक्रमबद्ध हैं। तो जब एक व्यक्ति - इस मामले में एक सौन्दर्य देव - अब उत्पादक नहीं है जिस तरह से हम उससे होने की उम्मीद करते हैं, जिस तरह वह खुद होने की उम्मीद करता है ऐसे जीवन का क्या मूल्य बचा है? उस दिन ट्रक में, सभी जो मैं सोच पाई वह यह था कि मेरे पिताजी पर अत्याचार किया जा रहा था और उनका शरीर उस यातना का पोत था। मुझे उस शरीर से बाहर निकालना होगा मुझे उन्हें उस शरीर से बाहर निकालना है; मैं पिताजी को मारने वाली हूँ। मैं बहन को फोन करती हूँ। "बेथ," उसने कहा। "तुम अपने बाकी के जीवन में जीना नहीं चाहती इस सोच से कि तुमने अपने पिता को मारा। और मुझे लगता है कि तुम कैद हो जाओगी, क्योंकि वह इसे रद्द नहीं कर सकता। व तुम यह भी नहीं जानती कि अफ़ीम कैसे खरीदोगी। " (हँसी) यह सच है, मैं नहीं जानती। (हँसी) सच है हम उनकी मृत्यु बारे बहुत बात करते हैं। यह कब होगी? यह कैसी होगी? लेकिन मैं चाहती हूं कि हम मृत्यु बारे बात करते जब हम सभी स्वस्थ होते हैं। मेरी सबसे अच्छी मौत कैसी दिखती है? तुम्हारी सबसे अच्छी मौत कैसी दिखती है? पर मेरे परिवार को वह करने का नहीं पता था। और मेरी बहन सही थी। मुझे अफ़ीम से पितृ हत्या नहीं करनी चाहिए, पर मुझे उन्हें उस शरीर से बाहर निकालना है। तो मैं एक मनौवैज्ञानिक के पास गई। और फिर एक पुजारी, और फिर एक समर्थन समूह, और उन सबने एक ही बात कही: कभी-कभी लोग अड़े रहते हैं जब वे प्रियजनों बारे चिंतित होते हैं। बस उन्हें बताओ आप सुरक्षित हैं, व जबआप तैयार हो, जाना चाहो, तो जाओ। तो मैं पिताजी को देखने गई। उन्हें एक पीस कपड़े की पोषाक पहने ज़मीन पर कुबड़े बैठे पाया। वह मेरे पीछे घूर रहे थे और सिर्फ जमीन की तरफ देखने की तरह मैंने उन्हें अदरक जौ शराब दी व बस ऐसे ही बात करना शुरू किया किसी विशेष मुद्दे पर नहीं, लेकिन जैसा कि मैं बात कर रही थी, उसने अदरक जौ की शराब से छींक मारी। और छींक -से शरीर को सीधे झटका लगा, जिससे वे थोड़ा सा जीवंत हो गए। और वे केवल पीते व छींकते रहे तथा पुनः पुनः उत्साहित होते रहे जब तक यह बंद नहीं हुआ। और मैंने सुना, "हेहेहेहेह ..., हेहेहेहेह ... यह बहुत शानदार है यह बहुत शानदार है।" उनकी आँखें खुली थीं और वे मुझे देख रहे थे, और मैंने कहा, "नमस्ते, पिताजी!" और उन्होंने कहा, "नमस्ते, बेथ।" व मैंने उन्हें बताने हेतु मुंह खोला, ठीक? "पिताजी, यदि आप मरना चाहते हैं, तो आप मर सकते हैं। हम सब ठीक हैं। " पर जैसे मैंने अपना मुंह बताने को खोला, सब जो मैं कह सकी, "पिताजी! मुझे आप की याद आती है।" व फिर उन्होंने कहा, "अच्छा, मैं भी तुम्हें याद करता हूं।" और फिर मैं बस गिर गई क्योंकि मैं सिर्फ असमञ्जस में हूँ। तो मैं गिर गई और मैं उनके साथ वहां बैठ गई क्योंकि वे लंबे समय में पहली बार एक तरह से ठीक लगे। और मैंने उनके हाथों को याद किया, आभार महसूस करते हुए लग रहा है कि उनकी आत्मा अभी भी उनके शरीर में थी। और उस पल मुझे एहसास हुआ मैं इस व्यक्ति के लिए ज़िम्मेदार नहीं हूँ मैं उसकी डॉक्टर नहीं हूँ, मैं उसकी माँ नहीं हूँ, मैं निश्चित रूप से उनका भगवान नहीं हूँ, और शायद उनकी और मेरी मदद करने का सबसे अच्छा तरीका पिता और बेटी की हमारी भूमिकाओं को फिर से शुरू करना है। और इसलिए हम बस वहाँ बैठे, शांत और चुप जैसे हमने हमेशा किया है। कोई भी उत्पादक नहीं था हम दोनों अभी भी मजबूत हैं। "ठीक है, पिताजी, मैं जा रही हूँ, पर मैं आपको कल मिलूँगी। " "ठीक है," उन्होंने कहा। "अरे, यह एक बहुत अच्छी संपदा है। " धन्यवाद। (तालियां) हम पांच भाई है, सब वैज्ञानिक और अभियांत्रिक है| कुछ साल पहेले, मैंने उनको एक निम्नलिखित मेल भेजा: "प्यारे भाइओ, मुझे आशा है की यह सन्देश आपको अच्छा लगे | मैंने आपको यह ईमेल यह बतानेके लिए किया है की मैं अपनी अभियांत्रिकी मैं मास्टर्स की पढाई छोड़ रहा हूँ पूर्णकालीन संगीतकार बनने के लिए | मुझे आपको यही बताना है की मेरी चिंता ना करे |" सबसे बड़े भाई का प्रतिउत्तर आया | वो बड़े उत्साहजनक है लेकिन थोड़े संशयी भी | उन्होंने बोला, "तुम्हें मेरी ओर से हार्दिक शुभेच्छाऐ। तुम्हे ज़रुरत पड़ेगी |" (हास्य) दुसरे नंबर का भाई और ज्यादा संशयी है | उसने बोला, "ऐसा मत कर | यह तेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती होगी | तेरा वास्तविक पेशा ढूंढ | (हास्य) और, मेरे दुसरे भाई मेरे निर्णयसे इतने खुश थे , की उन्होंने जवाब ही नहीं दिया | (हास्य) मैं जनता हु की जो संशय मेरे भाईओ में आया था, वोह मेरी चिंता और समज के लिए था | वे चिंतित थे | वोह सोच रहे थे की कलाकार बनना बड़ा मुश्किल काम है, यही सबसे बड़ी चुनौती होगी | और आपको पता है? वे सही थे| पूर्णकालीन कलाकार बनना बहोत बड़ी चुनौती है| मेरे कही दोस्त है जो दूसरी नौकरी करते है प्लान- बी के रूप मैं , अपने खर्चे निकालने के लिए कई बार प्लान- बी, प्लान- ऐ बन जाता है | और यह मेरे दोस्त ही नहीं महसूस करते | यु एस .के जनगणना कार्यालय ने बताया की सिर्फ १० प्रतिशत कला स्नातक पूर्णकालीन कलाकार बनते है | बाकीके ९० प्रतिशत, अपना पेशा बदलते है , वे मार्केटिंगमैं, बिक्रीमैं, शिक्षामैं और दुसरे व्यावसायो मैं काम करते है | यह कोई नई बात नही थी हम सभी कलाकारो को संघर्षशील कलाकार मानते है | पर हम यह उम्मीद क्यों कर रहे है? मैंने "हफिंगटन पोस्ट" मैं एक लेख पढ़ा था उसमैं लिखा था चार साल पहेले, यूरोपियन संघने दुनिया का सबसे बड़े कला के निधिकरण करने की पहल की है सर्जनात्मक युरोपने २.४ बिलियन डॉलर दिए ३ लाख से ज्यादा कलाकारों के लिए | दूसरी तरफ, संयुक्त अमेरीका का कलाके लिए का राष्ट्रिय विन्यास, पुरे संयुक्त अमेरीका का एक मात्र निधिकरण सिर्फ १४६ मिलियन डॉलर का है| सब चीजों पे एक नज़र करे तो, संयुक्त अमेरीका के सेना के मार्चिंग बैंड का बजट पुरे उसके राष्ट्रीय शिक्षा सस्था से दुगना है दूसरी प्रहारजनक छबी "हफिंगटन पोस्ट" के ब्रेंडन मेकमाहोन ने दिखाई, कहा की, १ त्रिलियन का बजट जो सेना और संरक्षणके खर्च के लिए है यदि कला के लिए उसका ०.०५ प्रतिशत दिया जाए, उससे २० पूर्ण कालीन सिम्फनी ओर्केस्ट्रा का वेतन हो जाएगा २० मिलियन डॉलर में से, और ८०,००० से ज्यादा कलाकारों को ५०,००० डॉलर सालाना तनख्वाह दे सकते है | जोकि है ०.०५ प्रतिशत i अगर पूरा १ प्रतिशत हो तो क्या होगा | अब, में जानता हूँ हम पूंजीवादी समाज में रहते है, और मुनाफा बहुत माइने रखता है| चलो हम उसको मुनाफे की नज़र से देखते है| यु.एस .का गैर-लाभकारी कला उद्योग १६६ बिलियन डॉलर से भी ज्यादाकी आर्थिक गतिविधि पैदा करता है, वह ५.७ मिलियन लोगोको रोजगार देता है और १२.६ बिलियन डॉलर वापिस अदा करता है टैक्स के रूप में | पर यह सिर्फ आर्थिक नजरिया है, है ना? हम जानते है, कला आर्थिक किमत से ऊपर है| कला जीवनमें मायने लाती है| यह हमारी संस्कृति का प्राण है| यह लोगोको पास लाती है और सर्जनात्मकता और समाजकी एकजुटता को बढ़ावा देती है| पर जो कला का योगदान अर्थव्यवस्था में इतना है, फिर भी हम कला और कलाकार मैं इतना कम निवेश क्यों करते है? क्यों देशकी ८० प्रतिशत स्कुलमैं कला शिक्षण का बजट कटा जाता है? कला और कलाकार का मूल्य क्या है जो हम समाज नहीं पा रहे? मुझे लगता है तंत्रमें गड़बड़ी है और अच्छी से काफी दूर है, और में यह बदलने में मदद करना चाहता हूँ| मैं ऐसे समाज में जीना चाहता हु जहा कलाकारों को ज्यादा अहमियत मितली हो और ज्यादा सांस्कृतिक और आर्थिक समर्थन हो ताकि वे कला पर ध्यान दे सके, नाकि उनपे उबर ड्राइवर बनने का दबाव हो या कोई कोर्पोरेट नौकरी ले जिसकी उनको जरूरत नहीं| फिरभी, कलाकारों को पैसे कमाने के औरभी स्त्रोत है| कई निजी संस्थाऐ है, जो अनुदान और दान के लिए पैसे देती है, पर ज्यादातर कलाकारों को उन अवसरों के बारे मैं पता नहीं होता| एक ओर आपके पास संस्था है और धनवान लोग है| दूसरी ओर कलाकार धन खोज रहे है| पर कलाकार धनवानों को नहीं जानते, और धनवानों को जानने की ज़रुरत नहीं लगती इन सभी कलाकारों को| इसी लिए मुझे ख़ुशी हो रही है आपको "ग्रांटपा" के बारे मैं बताते हुए यह एक ऑनलाइन मंच है जो तकनीक को कलाकार को अनुदान और निधिकरण से जोड़ता है यह आसान, जल्दी और कम परेशानीवाला रास्ता है ग्रांटपा एक कदम है परेशानी सुल्जाने की तरफ, अनुदानकी असमानता की| पर हमें अलग अलग मोर्चों पर साथमें काम करना पड़ेगा कलाकारों के बारे में समाजका नजरिया बदलने के लिए हम कलाको वैभवी मानते है की जरूरत? हम कलाकार के जीवन के बारेमैं क्या जानते है, या अभी भी हम ये मानते है की वो कितनाभी संघर्ष करे, वे खुश है क्युकी वे अपने जूनून को अहमियत देते है? कुछ सालोमै, मेंने अपने भाईओ को निम्नलिखित ईमेल भेजनेका सोचा है: "प्यारे भाईओ,"प्यारे भाइओ, मुझे आशा है की यह सन्देश आपको अच्छा लगे | मैंने यह ईमेल आपको यह बताने के लिए किया है की में बढ़िया हूँ और दुसरे हजारो कलाकारभी जिनका सांस्कृतिक और आर्थिक मुल्यांकन ज्यादा है और उनको पर्याप्त अनुदान मिलता है ताकि वे अपनी कला पर ध्यान दे सके और ज्यादा रचनाऐ बना सके | में आपके समर्थन की प्रसंशा करता हूँ आपके बिना में यह नहीं कर पाता |" धन्यवाद | (तालिया) "मैं तो केवल अपनी योग्यतानुसार ही एक पदोन्नति चाहती थी , और उसने मुझे कहा बेंच पर खड़े हो जाओ और उन्हें फैलाओ।" "मेरे कार्यालय में सब पुरुषों ने कागज के टुकड़े पर लिखा था कि मैं उनके यौन अनुग्रह बारे क्या कर सकती थी। मैंने तो केवल खिड़की वाले कार्यालय की ही माँग की थी।" "मैंने उससे सलाह माँगी कि मैं समिति के बाहर बिल कैसे प्राप्त कर सकती थी; उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं अपने घुटनों के पैड लाई। " वे तो कुछ ही भयानक कहानियां हैं जोकि पिछले वर्ष तक मैंने महिलाओं से सुनीं, जैसा कि मैं कार्यस्थल यौन उत्पीड़न जांच कर रही हूं। और जो मुझे पता चला यह दुनिया भर में एक महामारी है। यह लाखों महिलाओं के लिए एक भयावह वास्तविकता है, जब वे हर रोज केवल करना चाहते हैं काम पर जाना। यौन उत्पीड़न भेदभाव नहीं करता है आप एक स्कर्ट पहन सकते हैं, अस्पताल झाड़न, सेना वर्दी। आप युवा या वृद्ध हो सकते हैं, विवाहित या अविवाहित, सांवली या गोरी । आप रिपब्लिकन हो सकते हैं, एक डेमोक्रेट या एक स्वतंत्र। मैंने कई महिलाओं से सुना है: पुलिस अधिकारी, हमारे सैन्य सदस्य, वित्तीय सहायक, अभिनेत्री, इंजीनियर, वकील, बैंकर, एकाउंटेंट, शिक्षक ... पत्रकार। ऐसा लगता है यौन उत्पीड़न, सेक्स के बारे में नहीं है। यह अधिकार सत्ता के बारे में है, और इस बारे कि कोई आपसे क्या करता है कोशिश करने और आपका अधिकार छीनने हेतु। और आज मैं यहां हूं आपको जानने के लिए प्रोत्साहित करना कि आप अपने उस अधिकार को वापिस ले सकती हैं। (तालियां) 6 जुलाई 2016 को, मैं स्वयं एक चट्टान से कूद गयी। यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा भयानक क्षण था; चुनने के लिए एक कष्टदायक विकल्प। मैं बिल्कुल स्वयं अकेले से खाई में गिर गयी, न जानते हुए कि नीचे क्या होगा। लेकिन फिर कुछ चमत्कार होना शुरु हुआ। हज़ारों महिलाओं ने मुझ तक पहुँचना शुरू कर दिया अपनी दर्द, पीड़ा और शर्म की कहानियों को साझा करने के लिए। उन्होंने मुझे बताया कि मैं उनकी आवाज़ बन गयी - वे बेज़बान थीं। और अचानक, मुझे एहसास हुआ कि 21 वीं सदी में भी, हर महिला की अभी भी एक कहानी है जॉइस की तरह, एक उड़ान परिचर पर्यवेक्षक जिसका मालिक, हर दिन बैठकों में, उसे अश्लील मूवी बारे बताता जो उसने पिछली रात देखी होती थी अपने नोटपैड पर लिंग चित्रित करते हुए। वह शिकायत करने गयी। उसे "पागल" कहा और नौकरी से निकाल दिया। वॉल स्ट्रीट बैंकर जोआन की तरह। उसके पुरुष सहयोगी उसे हर दिन नीचतापूर्ण शब्दों वाले फोन किया करते थे। उसने शिकायत की -- उपद्रवी घोषित की गयी , वॉल स्ट्रीट में फिर से दूसरा सौदा न करने के लिए। एक सेना अधिकारी एलिज़ाबेथ की तरह, उसके अधीनस्थ पुरुष उसके चेहरे पर एक डॉलर का नोट लहराया करते , और कहते हैं, "मेरे लिए नृत्य करो!" और जब वह एक मेजर को शिकायत करने गयी, उसने कहा, "क्या? केवल एक डॉलर? आप कम से कम पांच या दस के लायक हो! " पढ़ने के बाद, सभी को जवाब देने और इन सभी ईमेलों पर रोने के बाद, मुझे एहसास हुआ कि मेरे करने के लिए बहुत काम था। यहाँ चौंकाने वाले तथ्य हैं: हमारी जानकर तीन महिलाओं में से एक - से कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न किया गया है। उन घटनाओं में से इकहत्तर प्रतिशत की कभी भी कोई शिकायत नहीं की जाती। क्यूं ? क्योंकि जब महिलाएं आगे आती हैं, उन्हें अभी भी झूठा व उपद्रवी कहा जाता है और अपमानित कर के व कचरे की तरह फैंक कर व पदावनत व ब्लैकलिस्ट किया जाता है व नौकरी से निकाला जाता है। कई मामलों में यौन उत्पीड़न की शिकायत आजीविका का अंत हो सकता है। उन सभी महिलाओं में से जो मुझ तक पहुँचीं, आज लगभग कोई भी अपने चुने हुए पेशे में काम नहीं कर रही है, और वह अपमानजनक है। मैं भी, शुरुआत में चुप थी। मेरे साथ यह मिस अमेरिका के रूप में साल के अंत में हुआ , जब मैं एक बहुत उच्च स्तर टीवी कार्यकारी से मिल रही थी न्यूयॉर्क शहर में। मैंने सोचा कि वह दिन भर मेरी मदद कर रहा था, बहुत सारे फोन कॉल करते हुए। हम रात्रि भोज के लिए गए, और एक कार की पिछली सीट पर, वह अचानक मेरे ऊपर कूद पड़ा व मेरे गले नीचे अपनी जीभ घुसेड दी। मुझे नहीं पता था कि "कुछ करने के लिए "- मुझ मतिहीन से - उसका इरादा मेरी पैंट में भी आने का था। और सिर्फ एक हफ्ते बाद, जब मैं लॉस एंजिल्स में एक उच्च प्रतिष्ठित पत्रकार के साथ बैठक में थी, यह फिर से हुआ। फिर, एक कार में। और उसने मेरी गर्दन अपने हाथ में ली, व उसने मेरा सिर अपनी जाँघ में इतनी ज़ोर से ढकेला कि , मैं सांस नहीं ले सकी। ये घटनाएं हैं जो आपके सारे आत्मविश्वास को जीवन से चूस बाहर करते हैं। ये घटनाएं हैं जिन्हें अब तक, मैंने हमला भी नहीं कहा। और यही कारण है कि हमारे पास करने को बहुत काम है। मिस अमरीका के रूप में मेरे वर्ष के बाद, मैंने बहुत सारे प्रसिद्ध लोगों को मिलना जारी रखा, डोनाल्ड ट्रम्प को भी। जब यह चित्र 1988 में लिया गया था, कोई कभी भविष्यवाणी नहीं कर सकता था आज हम जहाँ होंगे। (हँसी) मैं कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न समाप्त करने के लिए लड़ रही हूँ; वह, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति इस सब के बावजूद। व उसके शीघ्र बाद ही, मुझे मिल गया टीवी समाचार में मेरा पहला टमटम रिचमंड, वर्जीनिया में उज्ज्वल गुलाबी जैकेट साथ उस विश्वासपूर्ण मुस्कान को देखो इतना बालों को नहीं। (हँसी) मैं साबित करने की मेहनत कर रही थी कि गोरे शरीर व नीले नेत्रों पास बहुत दिमाग है। पर विडंबना है मेरी सबसे पहली कहानी जिसे मैंने दर्शाया वह वाशिंगटन, डी.सी. में अनिता हिल की सुनवाई थी। और उसके शीघ्र बाद ही, मुझे भी कार्यस्थल में यौन उत्पीड़ित किया गया था। मैं ग्रामीण वर्जीनिया में कहानी दर्शा कर रही थी, और जब हम कार में वापस आ गए, मेरे कैमरामैन ने मुझसे कहना शुरू किया , सोच रहा था मुझे कितना मज़ा आया था जब उसने मेरे स्तनों को छुआ जब उसने मुझ पर माइक्रोफोन रखा। और वह वहां से नीचे उतर गया। मैं स्वयं यात्री दरवाजे से सट साहस कर रही थी - यह सेलफोन से पहले था। मैं डर गयी थी। मैंने वास्तव में अपने आप को उस दरवाजे के बाहर लुढ़कते हुए की कल्पना की। कार 50 मील प्रति घंटे से जा रही थी जैसे मैंने फिल्मों में देखा था, और सोच रही थी कि इससे कितनी चोट लगेगी। जब हार्वे वेन्स्टीन बारे कहानी प्रकाश में आई - सारे हॉलीवुड जगत में सबसे प्रसिद्ध में से एक मूवी मुगल - आरोप भयानक थे। लेकिन इतनी सारी महिलाएं आगे आईं, और उसने मुझे महसूस करवाया जो मैंने कुछ किया था उसका कुछ मतलब था। (तालियां) उनके पास इतना असन्तोषजनक बहाना था उसने कहा कि वह '60 और '70 के दशक का एक उत्पाद था, और तब उस समय वह संस्कृति थी। हाँ, उस समय वह संस्कृति थी, और दुर्भाग्य से, यह अभी भी है। क्यूं ? सभी भ्राँतियों के कारण जो अभी भी यौन उत्पीड़न के साथ जुडी हैं। "महिलाओं को सिर्फ दूसरी नौकरी लेनी चाहिए व दूसरा कैरियर ढूँढे। " हाँ, सही। एकाकी माँ को बताओ जो दो नौकरियां कर रही हैं, गुज़ारा करने की कोशिश है है, उसका भी यौन उत्पीड़न किया जा रहा है। "महिलाएँ -- वे इसे खुद स्वयं पर लाते हैं। " हम जो कपड़े पहनते हैं और श्रृंगार जो हम करते हैं। हाँ, मुझे लगता है टोपी वाली जैकेट उबेर इंजीनियर सिलिकॉन वैली में पहनते हैं सिर्फ इतना उत्तेजक हैं। "महिलाएं इसे बनाती हैं।" हाँ, क्योंकि यह बहुत मजेदार और फायदेमंद है अपमानित और नीचे होना। मुझे पता होगा। "महिलाएं इन दावों को लाती हैं क्योंकि वे प्रसिद्ध और समृद्ध होना चाहती हैं। " हमारे अपने अध्यक्ष ने वह कहा। मुझे यकीन है टेलर स्विफ्ट, सबसे प्रसिद्ध और दुनिया में सबसे अमीर गायकों में से एक, को अधिक पैसे या प्रसिद्धि नहीं चाहिए थी जब वह आगे आई अपने अँधखोज अभियोग को लेकर एक डॉलर के लिए। और मुझे खुशी है कि उसने किया। ताज़ा खबर: महिलाओं बारे अनकही कहानी और कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न: महिलाओं को सिर्फ सुरक्षित, स्वागत वाला और परेशानी -मुक्त वातावरण चाहिए। बस इतना ही। (तालियां) तो हम अपनी शक्ति वापस लेने बारे क्या करते हैं? मेरे पास तीन समाधान हैं। नंबर एक: हमें दर्शकों और समर्थकों को सहयोगी बनाने की आवश्यकता है। अभी संयुक्त राज्य अमेरिका के अठानवे प्रतिशत निगमों में यौन उत्पीड़न प्रशिक्षण नीतियां हैं। सत्तर प्रतिशत में रोकथाम कार्यक्रम हैं। लेकिन फिर भी अत्यधिक , दर्शक व गवाह आगे नहीं आते। 2016 में, हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू ने इसे "दर्शक प्रभाव" कहा। और फिर भी - 9/11 याद है। लाखों बार हमने सुना है, "यदि आप कुछ देखते हैं, कुछ कहें।" कल्पना कीजिए कि अगर हम इसी विचार को आगे फैलाएँ, तो यह कितना प्रभावशाली होगा, यौन उत्पीड़न बारे कार्यस्थल में आसपास खड़े लोगों को - इन घटनाओं को पहचानने और बीच में रोकने हेतु; अपराधियों का उनके मुँह पर सामना करने के लिए; पीड़ितों की सहायता और रक्षा करने के लिए। यह मेरी पुरुषों के लिए चिल्हाट है: हमें इस लड़ाई में आपकी आवश्यकता है। और महिलाओं को भी - सहयोगियों के समर्थकों को भी। नंबर दो: कानून बदलो। आप में से कितनों को पता है आपके पास एक बलपूर्वक मध्यस्थता उपनियम है या नहीं आपके नियुक्ति अनुबंध में? बहुत सारे हाथ नहीं। और अगर आपको नहीं पता, तो आपको चाहिए, और इसका कारण यह है। " टाइम मैगज़ीन" कहती है, ठीक चित्रपट पर, "प्रतिबंध में छोटा छोटा प्रिंट जो यौन उत्पीड़न दावों को अनसुना रखता है।" वह यह है। बलपूर्वक मध्यस्थता आपके सातवें संशोधन अधिकार को लेता है एक खुली जूरी प्रक्रिया में। यह एक राज़ है। आपको वही गवाह या बयान नहीं मिलते। कई मामलों में, कंपनी आपके लिए पंच चुनती है। कोई अपील नहीं है, और केवल 20 प्रतिशत मामलों में ही कर्मचारी जीतता है। लेकिन फिर, यह गुप्त है, इसलिए कोई भी कभी नहीं जानता कि आपके साथ क्या हुआ। यही कारण है कि मैं इतनी मेहनत कर रही हूँ कैपिटल हिल वाशिंगटन, डी.सी. में कानूनों को बदलने के लिए। और मैं सिनेटर्ज़ को बताती हूं: यौन उत्पीड़न अराजनैतिक है। इससे पहले कि कोई आपको परेशान करे, वे आपसे पहले नहीं पूछते हैं कि आप क्या हैं एक रिपब्लिकन हो या डेमोक्रेट। वे सिर्फ यह करते हैं। और यही कारण है कि हम सभी को परवाह करनी चाहिए। नंबर तीन : प्रचण्ड बनो। यह तब शुरू होता है जब हम सीधे खड़े होते हैं, और हम उस आत्मविश्वास को निर्मित करते हैं। और हम खड़े होकर बोलते हैं, और हम दुनिया को बताते हैं कि हमारे साथ क्या हुआ। मुझे पता है कि यह भयानक है, पर आओ इसे हम अपने बच्चों के लिए करें। आइए अगली पीढ़ियों के लिए इसे रोकें। मुझे पता है कि मैंने इसे अपने बच्चों के लिए किया। वे मेरे निर्णय लेने में सर्वोपरि थे कि क्या मैं आगे आती हूं या नहीं। मेरे खूबसूरत बच्चे, मेरे 12 वर्षीय बेटा, क्रिस्चियन, मेरी 14 साल की बेटी, कैया। और मैंने उनको कम आंका। पिछले साल स्कूल का पहला दिन दिन था जब मेरे संकल्प की घोषणा की गयी थी, और मैं बहुत चिंतित थी कि वे किसका सामना करेंगे। मेरी बेटी स्कूल से घर आई और उसने कहा, "माँ, इतने सारे लोगों ने मुझसे पूछा गर्मियों में तुम्हारे साथ क्या हुआ। " फिर उसने आँखों में मुझे देखा और उसने कहा, "और माँ, मैं बहुत गर्वित थी यह कहने में कि आप मेरी माँ थी। " और दो सप्ताह बाद, जब उसने अंत में दो बच्चों के सामने खड़े होने का साहस जुटाया जो उसका जीवन दुखीदायी बना रहे थे, वह घर आई और उसने कहा, "माँ, मुझे ऐसा करने के लिए साहस मिला क्योंकि मैंने आपको ऐसा करते देखा है। " (तालियां) आप देखते हैं, साहस का उपहार देना संक्रामक है। और मुझे आशा है कि मेरी यात्रा ने आपको प्रेरित किया है, क्योंकि अभी, यह महत्वपूर्ण क्षण है। हम इतिहास को घटित होते देख रहे हैं। अधिक से अधिक महिलाएं आगे आ रही हैं और कह रही हैं, "अब बहुत हो गया है।" (तालियां) कंपनियों के लिए मेरी अंतिम याचिका है। चलो उन सभी महिलाओं को वापस नौकरी दें जिनकी नौकरियां छूट गयी थीं कुछ एकाएक झटके के कारण। चूंकि जो मैं महिलाओं बारे यह जानती हूं : हम अब कम नहीं आंकी जाएंगी, धमकाई नहीं जाएंगी या हटाई नहीं जाएंगी ; हम चुप नहीं होंगे संस्थान के तरीकों से या अतीत अवशेष से। नहीं। हम खड़ी होंगीऔर बोलेंगी और अपनी आवाज़ सुना कर रहेंगी। हम वे महिलाएं होंगी जो हमें होना चाहिए। और सब से ऊपर, हम हमेशा प्रचण्ड रहेंगे। धन्यवाद। (तालियां) अधिकतर लोग सोचते हैं कि नई तकनीक या उन्नत प्रौद्योगिकी अफ्रीका में कभी शुरू नहीं हो सकती है। इसके बजाय, वे सोचते हैं कि महाद्वीप को आगे बढ़ाने की मदद हेतु सबसे अच्छा तरीका है सहायता या सेवाएं प्रदान करना जोकि महाद्वीप खुद के लिए प्रदान नहीं कर सकते। इसलिए जब हम उन्नत रोबोटिक्स और कृत्रिम बुद्धि जैसी तकनीक देखते हैं और कृत्रिम बुद्धि विकसित दुनियाँ में तेजी से बढ़ती हुई, वही लोग चिंतित हैं कि तकनीकी रूप से अफ्रीका पिछड़ रहा है। यह रवैया अधिक गलत नहीं हो सकता है। मैंने बतौर रोबोटिक्स उद्यमी अफ्रीका में बहुत समय बिताया है। और 2014 में हमने ज़िपलाइन बनाया, ऐसी कंपनी जोकि बिजली के स्वायत्त विमान का उपयोग करती है अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों की माँग पर दवाई पहुँचाने के लिए। पिछले साल, हमने दुनियाँ की पहली स्वचालित वितरण प्रणाली की शुरुआत की राष्ट्रीय स्तर पर संचालन हेतु। और अंदाज लगाइये क्या? हमने वह अमेरिका में नहीं किया, हमने इसे जापान में नहीं किया, और हमने यूरोप में ऐसा नहीं किया। यह वास्तव में राष्ट्रपति पॉल कगामे थे और रवांडा स्वास्थ्य मंत्रालय जिन्होंने इस तकनीक की क्षमता पर दाँव खेला व वाणिज्यिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए देश में बहुसंख्या रक्त की माँग के वितरण के लिए। (तालियाँ) हाँ, वे प्रशंसा के योग्य हैं। रक्त क्यों महत्वपूर्ण है? एक वर्ष में रवांडा 60000 और 80,000 के बीच रक्त की इकाइयां एकत्रित करता है। अतः यह एक उत्पाद है जब आपको इसकी ज़रूरत होती है, आप को वास्तव में यह चाहिए ही। लेकिन रक्त भी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इसका बहुत ही अल्पकालिक जीवन होता है , बहुत ही विभिन्न संचयन आवश्यकताएं हैं, और माँग की भविष्यवाणी करना वास्तव में कठिन है इन विभिन्न रक्त समूहों के लिए इससे पहले कि एक मरीज़ को सच में इसकी कुछ ज़रूरत हो। लेकिन अच्छी बात यह है कि इस तकनीक का उपयोग करके, रवांडा अधिक रक्त को विकेंद्रीकृत करके रखने में सक्षम हो गया है और फिर इसे प्रदान करने में, जब किसी रोगी को कुछ चाहिए, किसी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ औसतन 20 या 30 मिनट में। आप देखना चाहते हैं यह कैसे काम करता है? (श्रोतागण) हाँ। ठीक है। किसी को मुझ पर विश्वास नहीं है, इसलिए ... दिखाना बेहतर है। यह हमारा वितरण केंद्र है, जो कि लगभग किगाली के बाहर 20 किलोमीटर है। नौ महीने पहले यह वास्तव में एक मकई का खेत होता था, और रवांडा सरकार के साथ मिल कर, इसे समतल करके कुछ हफ्तों में इस केंद्र का निर्माण किया। इसलिए जब किसी मरीज को आपात स्थिति होती है, उस अस्पताल में डॉक्टर या नर्स हमें एक व्हाट्सएप भेज सकते हैं, कि उन्हें क्या चाहिए। और फिर हमारी टीम तुरंत हरकत में आ जाएगी। हम अपने स्टॉक से खून लेते हैं, जो राष्ट्रीय रुधिर-आधान केंद्र से दिया जाता है; हम अपनी प्रणाली में रक्त की जाँच करते हैं इससे स्वास्थ्य मंत्रालय को पता रहता है कि रक्त कहाँ जा रहा है; व फिर हम मूल रूप से इसे एक ज़िप में पैक करेंगे, जिन्हें हम छोटे स्वायत्त हवाई जहाज़ कहते हैं जोकि बैटरी पर चलते हैं। व फिर एक बार जब ज़िप जाने के लिए तैयार है, हम इसे शून्य से 100 किलोमीटर प्रति घंटा तक गति देते हैं लगभग आधे सेकंड में। (दर्शक) वाह! और जिस क्षण यह लॉन्चर को छोड़ता है, यह पूरी तरह से स्वायत्त होता है। (वीडियो: एयर यातायात नियंत्रक ट्रैफिक निर्देशित करता है) हमारा हवाई यातायात नियंत्रक किगाली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से बात करते हुए । और जब ज़िप अस्पताल में आता है, यह लगभग 30 फुट तक नीचे उतरता है व पार्सल गिराता है। हम सच में साधारण पेपर पैराशूट का उपयोग करते हैं - सरल चीजें सबसे अच्छी होती हैं - जोकि पार्सल को ज़मीन पर धीरे-धीरे और स्थिरता से आने देता है हर बार उसी स्थान पर। तो यह सवारी साझा करने की तरह है; डॉक्टर को लिखित संदेश मिलता है पहुँचने से एक मिनट पहले, कहते हुए, "बाहर चलो और अपना वितरण प्राप्त करें।" (हँसी) और तब -- (तालियाँ) और फिर रोगी के जीवन को बचाने के लिए डॉक्टरों के पास वह है जो चाहिए। यह वास्तव में हमारे वितरण केंद्र से एक वितरण होते हुए दिखना है; यह वाहन करीब 50 किलोमीटर दूर है। जैसे ही यह अस्पताल में डिलीवरी करता है हम वाहन को देखने में सक्षम हैं वास्तविक समय में। आपने देखा होगा कि गुनगुनाहट भनभनाहट है जो उस वाहन के चित्रपट पर आ रही है। ये गुनगुनाहट भनभनाहट आँकड़े पैकेट हैं कि हम मिल रहे हैं सेल फोन नेटवर्क पर। तो इन विमानों में सिम कार्ड हैं जैसे आपके सेल फोन में होता है, और वे सेल नेटवर्क पर संवाद कर रहे हैं हमें बताने हेतु कि वे कहां हैं और वे हर समय कैसे कर रहे हैं। विश्वास करें या नहीं, हम सच में परिवार योजना लेते हैं (हँसी) वाहनों के इस बेड़े के लिए, क्योंकि ऐसे हमें सबसे सस्ता पड़ता है। (हँसी) यह वास्तव में एक मज़ाक नहीं है। (हँसी) तो आज, हम वितरित कर रहे हैं लगभग 20 प्रतिशत रवांडा की राष्ट्रीय रक्त आपूर्ति का किगाली के बाहर। हम 12 अस्पतालों की सेवा करते हैं, और हम उस नेटवर्क में अस्पतालों को तेज़ी से जोड़ रहे हैं। उन सभी अस्पतालों को केवल इस तरह से रक्त प्राप्त होता है, और उन अस्पतालों में से अधिकांश वास्तव में प्रतिदिन कई ऑर्डर देते हैं। इसलिए कारण - सभी स्वास्थ्य देखभाल रसद में, तुम सदा उपव्ययता व उपयोगिता में समझ से तालमेल बिठा रहे होते हो। तो यदि आप उपव्ययता का समाधान चाहते हैं, आप सब कुछ विकेंद्रीकृत रखते हैं। नतीजतन, जब रोगियों की स्थिति आपातकालीन है, कभी-कभी उनके पास वह चिकित्सा उत्पाद नहीं है जिनकी ज़रूरत है। यदि आप उपयोगिता का हल चाहते हैं, तो बहुत दवाएं प्रचुर मात्रा में रखते हैं, अस्पतालों या स्वास्थ्य केंद्रों पर, और फिर रोगियों को ज़रूरी दवा उपलब्ध होगी। लेकिन फिर आप को बहुत दवाएँ फेंकनी पड़ती हैं, जो बहुत महंगा पड़ता है। आश्चर्यजनक बात यह है कि रवांडा सरकार सक्षम हो गई है इस चक्र को स्थायी रूप से तोड़ने में। क्योंकि डॉक्टरों को जो तुरंत चाहिए वह मिल सकता है, वे वास्तव में अस्पतालों में कम खून स्टॉक करते हैं। इसलिए हालांकि रक्त उत्पादों के उपयोग में काफी हद तक वृद्धि हुई है अस्पतालों में जहाँ हम सेवा देते हैं, पिछले नौ महीनों में, रक्त इकाइयों की समाप्त समय सीमा शून्य रही है इनमें से किसी भी अस्पताल में। (तालियाँ) यह एक अद्भुत परिणाम है। यह सच में हासिल नहीं हुआ है किसी अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली से ग्रह पर, और यह यहाँ हुआ है। लेकिन ज़ाहिर है, जब हम चिकित्सा उत्पादों को तुरंत वितरित करने बारे बात कर रहे है, सबसे महत्वपूर्ण पहलू रोगी हैं। मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ। कुछ महीने पहले, एक 24 साल की माँ उनमें से एक अस्पताल में आई जहाँ हम सेवा देते हैं, और उसने सी-सेक्शन द्वारा जन्म दिया। लेकिन इससे जटिलताएं हो गईं, और उसमें खून बहना शुरू हो गया। सौभाग्य से, डॉक्टरों के पास कुछ खून उसके रक्त ग्रुप का उपलब्ध था जोकि ज़िपलाइन की नियमित सेवा के माध्यम से दिया गया था, और इसलिए उन्होंने उसे दो चार इकाइयाँ रक्त की चढ़ाईं। लेकिन लगभग 10 मिनट में उतना रक्त बाहर बह निकला। इस मामले में, उस माँ की जिंदगी गंभीर खतरे में होती है - दुनियाँ के किसी भी अस्पताल में। लेकिन सौभाग्य से, डॉक्टरों ने जो उसकी देखभाल कर रहे थे 2तुरंत हमारे वितरण केंद्र से सम्पर्क साधा, वे एक आपातकालीन मांग आदेश भेजा, सच हमारी टीम ने आपातकालीन स्थिति में किया, एक के बाद एक, एक के बाद एक आपातकालीन वितरण एक के बाद आपातकालीन वितरण। आखिर उन्होंने भेजीं लाल रक्त कोशिकाओं की सात इकाइयां, प्लाज्मा की चार इकाइयां और प्लेटलेट्स की दो इकाइयां। आपके शरीर में पूरी रक्त मात्रा से भी अधिक। यह सब उसे में चढ़ाया गया था, डॉक्टर उसे स्थिर करने में सक्षम थे, और वह आज स्वस्थ है। (तालियाँ) जब से हमने यह शुरू किया है तब से हमने 400 ऐसे प्रसव में आपातकालीन वितरण किये हैं, और उन आपातकालों के पीछे अधिकांश उस जैसी एक कहानी है। यहाँ सिर्फ कुछ माताएँ हैं जिन्हें इस तरह रक्त दान दिया गया है पिछले कुछ महीनों में। हमें सदा याद रखना है: जब हम एक डॉक्टर की एक माँ के जीवन बचाने में मदद करते हैं, यह सिर्फ उसकी जिंदगी नहीं है जिसे आप बचा रहे हैं। यह एक बच्चा भी है या एक बच्ची भी है जिनके पास लालन पालन हेतु माँ होती है। (तालियाँ) पर मैं स्पष्ट होना चाहता हूं: प्रसूति रक्तास्राव - यह रवांडा की समस्या नहीं है, यह एक विकासशील विश्व समस्या नहीं है - यह एक वैश्विक समस्या है। मातृ स्वास्थ्य हर जगह एक चुनौती है। मुख्य अंतर यह है कि रवांडा पहला देश था कट्टरपंथी प्रौद्योगिकी का उपयोग करने हेतु इस बारे कुछ करने के लिए। और यही कारण है यह रवैया है अफ्रीका में बाधित हो रहा है या उन्नत तकनीक यहां काम नहीं कर रही है या सहायता की ज़रूरत है तो पूरी तरह से गलत है। अफ़्रीका इस धारणा को मिटा सकता है। ये छोटी, चुस्त, विकासशील अर्थव्यवस्थाएं बड़ी, समृद्ध अर्थव्यवस्थओं से अधिक नवपरिवर्तन ला सकती हैं। और वे पूरी तरह से छलांग लगा सकते हैं विरासती बुनियादी ढांचे की अनुपस्थिति में सीधे नई और बेहतर प्रणाली पर जाने के लिए। 2000 में, अगर आपने कहा होता कि उच्च गुणवत्ता वाले सेलुलर नेटवर्क लगभग आनेवाले थे पूरे अफ्रीका में, लोगों ने आपको पागल कहा होता। और फिर भी, किसी ने भी अनुमान नहीं लगाया था कि वे नेटवर्क कितनी तेज़ी से लोगों को जोड़ने वाले और सशक्त बनाने वाले थे। आज, केन्या की 44 प्रतिशत जी.डी.पी. एम-पेसा के माध्यम से होती है, उनके मोबाइल भुगतान प्लेटफार्म। और न केवल यही, लेकिन वाहनों के हमारे स्वायत्त बेड़े उस सेलुलर नेटवर्क पर निर्भर करते हैं। अगले कुछ वर्षों में जैसे हम शुरू करते हैं निजी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की सेवा, हम उस मोबाइल भुगतान मंच का भी उपयोग करेंगे वितरण की फीस एकत्र करने के लिए। तो नवाचार अधिकाधिक नवाचार की ओर ले जाता है। और इस बीच, ज़्यादातर लोग जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं में रहते हैं सोचते हैं कि ड्रोन वितरण तकनीकी रूप से असंभव है, भले ही यह चाहे यह अकेले चल रहा हो पूर्व अफ्रीका में राष्ट्रीय स्तर पर। और मेरा मतलब है पूर्वी अफ्रीका, न सिर्फ रवांडा। गुरुवार को, बस कुछ दिन पहले, तंजानिया के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की कि वे यह वही तकनीक उपयोग करने वाले हैं चिकित्सा उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला के त्वरित वितरण प्रदान करने के लिए देश के एक करोड़ अत्यन्त दुर्गम पहुँच वाले लोगों तक। (तालियाँ) यह वास्तव में दुनियाँ में कहीं की स्वायत्त प्रणाली से सबसे बड़ी होने वाली है। आपको एक समझ देने के लिए यह कैसा दिखता है, यह पहले वितरण केन्द्रों में से एक है। आप वितरण केंद्र के आसपास एक 75-किलोमीटर सेवा के त्रिज्या देख सकते हैं, जहाँ से हम सैकड़ों स्वास्थ्य सुविधाओं व अस्पतालों को सेवा दे पाते हैं, जो सभी ग्रामीण हैं, उस एकल वितरण केंद्र से। लेकिन तंजानिया की 20 प्रतिशत से अधिक आबादी की सेवा करने के लिए, हमें कई वितरण केन्द्रों की ज़रूरत होने वाली है। हमें सच में 4 की ज़रूरत होगी। और इन वितरण केंद्रों से, हमें यहाँ प्रतिदिन कईं सैंकड़ो जीवनरक्षी प्रसव किये जाने की आशाएँ हैं, और यह व्यवस्था देश में आखिरकार सेवा करेगी 1,000 से अधिक स्वास्थ्य सुविधाओं और देश में अस्पतालों की। तो हाँ, पूर्वी अफ्रीका वास्तव में तेज़ी से बढ़ रहा है। एक बात जो लोग, मुझे लगता है, अक्सर भूल जाते हैं यह है कि इस प्रकार की छलांगें मिश्रित लाभ देती हैं। उदाहरण हेतु, रवांडा, स्वास्थ्य देखभाल के इस बुनियादी ढांचे में निवेश करके, अब एक हवाई लॉजिस्टिक्स नेटवर्क है जिसका वह उपयोग कर सकता है अपनी अर्थव्यवस्था के अन्य भागों को उत्प्रेरित करने के लिए, जैसे कृषि या ई-कॉमर्स इससे भी महत्वपूर्ण बात, इन वितरण केंद्रों पर 100 प्रतिशत नौकरी पर रखी टीमें स्थानीय हैं। तो यहां हमारी रवांडा टीम है, जो असाधारण इंजीनियरों और ऑपरेटरों का एक समूह है। वे केवल दुनियाँ की एकमात्र स्वचालित वितरण प्रणाली का संचालन करते हैं राष्ट्रीय स्तर पर संचालित। वे कुछ ऐसी दक्षता प्राप्त करने में सक्षम हुए हैं जो दुनियाँ की सबसे बड़ी तकनीकी कंपनियां अभी तक पता नहीं लगा पाईं हैं। इसलिए वे संपूर्ण नायक हैं। (तालियॉँ) वे संपूर्ण नायक हैं। हमारी टीम का लक्ष्य चिकित्सा के लिए मूलभूत औषधि पहुँचाना है ग्रह पर सभी सात अरब लोगों के लिए, कोई बात नहीं, उन तक पहुँचना कितना भी कठिन क्यों न हो। हम अक्सर उस मिशन बारे लोगों को बताते हैं, और वे कहते हैं, "यह आपकी उदारता है, यह बहुत परोपकारी है।" नहीं! परोपकार से इसका कुछ लेने देना नहीं है। वाणिज्यिक अनुबंधों के कारण जोकि हम स्वास्थ्य के मंत्रालयों के साथ करते हैं, ये नेटवर्क 100 प्रतिशत धारणीय और मापनीय हैं। और कारण है कि हम बहुत दृढ़ता से महसूस करते हैं उस गलत धारणा को सुधारने बारे मानव इतिहास में एकमात्र बल उद्यमिता ही है जिसने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। (तालियॉँ) विदेशी मदद का कोई वित्तीय अनुदान स्थायी रूप से रोज़गार प्रदान करने वाला नहीं है 25 करोड़ अफ्रीकी युवाओं को। और वे नौकरियाँ जो इन बच्चों को 10 वर्ष पहले मिली होंगी अधिकतर स्वचालित की जा रही हैं या नाटकीय रूप से प्रौद्योगिकी द्वारा बदली जा रही हैं। इसलिए वे नए कौशल श्रेणी की तलाश में हैं, नए प्रतिस्पर्धात्मक फायदे। वे नए छोटे उद्यमों की तलाश में हैं। तो इन वैश्विक समस्याओं को सुलझाने वाले और अधिक नए उद्यम क्यों नहीं हैं जिनका सामना विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में अरबों लोगों द्वारा किया जाता है? इसका कारण यह है कि निवेशक और उद्यमी पूर्ण अनभिज्ञ हैं अवसर के लिए। हमें लगता है कि ये समस्याएं गैर सरकारी संगठनों या सरकारी अधिकार क्षेत्र की हैं, न कि निजी कंपनियों की। हमें यही बदलना है। आपने ध्यान दिया होगा मैंने वीडियो से कुछ छोड़ दिया जोकि मैंने तुम्हें दिखाया। मैंने नहीं दिखाया कि विमान कैसे उतरते हैं जब वे वापस वितरण केंद्र में आते हैं। इसलिए, यह आप के लिए स्पष्ट हो सकता है: इन विमानों में कोई लैंडिंग गियर नहीं है। धावन पथ भी नहीं हैं जहां हम काम करते हैं। तो हमें विमान की गति कम करने में सक्षम होना है लगभग एक सेकंड के आधे में 100 किलोमीटर प्रति घंटे से शून्य तक। और हम ऐसा करने के लिए हम वास्तव में एक तार का प्रयोग करते हैं जो उस आने वाले विमान पर नज़र रखती है , सेंटीमीटर स्तर की सटीकता के साथ। हम आकाश से विमान को गाँठ में लपेटते हैं, और फिर हम इसे धीरे से सक्रिय हवा भरे गद्दे पर गड़म करके उछालते हैं। यह मूलतः एक संयोजन है एक विमान वाहक और एक उछलने वाले महल का (हँसी) तो आपको दिखाता हूँ। (हँसी) (तालियॉँ) और यह आपके लिए स्पष्ट होगा क्यों मुझे इस वीडियो से समाप्त करना था। मैं आपको बच्चों और किशोरों को दिखाना चाहता था जो हर दिन बाड़ पर पंक्तिबद्ध होते हैं। वे हर प्रक्षेपण और हर लैंडिंग पर वाहवाही करते हैं। (हँसी) (तालियॉँ) कभी-कभी मैं वास्तव में वितरण केंद्र में जल्दी आ जाता हूं विमान यात्रा थकान के कारण। मैं संचालन से एक घंटा पहले आता हूँ। व बाड़ पर बच्चे होंगे तो अच्छी जगह मिलेगी। (हँसी) और आप ऊपर जाते हैं व उन्हें पूछते हैं, "आप विमानों बारे क्या सोचते हैं?" और वे कहते हैं, "ओह, यह आकाश एम्बुलेंस है। " तो वे इसे समझते हैं। मेरा मतलब है, वे इसे अधिकतर वयस्कों से ज़्यादा समझते हैं। तो मैं पहले पूछ रहा था: अफ्रीकी प्रौद्योगिकी विघटनकारी कंपनियों को कौन पैदा करने वाला है अगले दशक में? आखिरकार, यह इन बच्चों पर निर्भर करने वाला है। वे रवांडा और अफ्रीका के इंजीनियर हैं। वे इंजीनियर हैं हमारे साझा भविष्य के। लेकिन एकमात्र तरीका है कि वे भविष्य निर्माण कर सकते हैं अगर हम महसूस करें विश्व में परिवर्त्तन लाने वाली कम्पनियाँ अफ्रीका में व्यवसाय बढ़ा सकती हैं, और उस विघटनकारी तकनीक को यहाँ पहले शुरू कर सकती हैं। धन्यवाद। (तालियॉँ) इसका मतलब है मै हस रहा हु और इसका भी इसका मतलब है चूहा बिल्ली और यह है एक कहानी कहानी की शुरुआत, इसका मतलब है एक व्यक्ति और यह है सहयात्री जिसकी चोटी है और यह है जो आगे होता है यह तब है जब लड़की अपने टेप में कैसेट डालती है वह इसे हमेशा अपने साठ रखती है वह कोई पुरानी वास्तु नहीं पर उसे कुछ संगीत जैसा हो वैसा ही सुनना पसंद है उसकी की मुद्रा देखिये अद्वितीय है क्योंकि वह नृत्य करती है अब वह बंदा सभी चीज़ों को मद्देनज़र रखते हुए विचार करता है "मेरे इसे प्रभावित कर पाने की कोई सम्भावना है या नहीं " [हंसी] ओर वो सोचता है की वो कह सकता है "हे भगवान् " या "मुझे तुम पसंद हो" "मैं ज़ोरों से हंस रहा हूँ" "मैं तुम्हे गले लगाना चाहता हूँ" मगर वो इन सब के अलावा कह देता है की "मैं काफ्फी के कप पर तुम्हारा चित्र बनाना चाहता हूँ" [फिर से हंसी] इसमें एक केकड़ा डालो और थोडा पानी डालो सात अलग अलग नमक उसका मतलब है की उसकी धारणा है की वह सुखी ज़मीन पे खड़ा रहे और वह जैसे समंदर से भीख मांग रहा हो और वह कह उठता है की "तुम जलपरी जैसी दिखती हो पर चलना तुम्हारा ज्यों नृत्य हो " लड़की ने आश्चर्यचकित होकर कहा "क्य़ा ??" लड़के ने फिर कहा "हाँ मैं जानता हूँ मई जानता हूँ " मेरी धड़कने वाहियात बातें कह रही हैं ऐसा ही लग रहा है मैं कभी कभी जोकर जैसे बर्ताव करता हूँ क्योंकि मैं अप्शाब्दा कह देता हूँ या चुप्पी साध लेता हूँ या फिर केवल तुक लगा लेता हूँ और अभी जब मैं तुमसे बात कर रहा हूँ मैं तो इंसान भी नहीं हूँ मैं बन्दर हूँ [हंसी] चुम्बन उड़ेलते हुए तितलियों की ओर वह फिर कहता है पर हमें फिर मिलना चाहिए पहली बार फिर कुछ दिनों बाद और फिर बार बार हमें कल शहर के दक्सिन पश्चिम में मिलना चाहिए और मई उसी कोने में रुकुंगा जब तक तुम आ ना जाओ या तुम्हारी चुटिया ना आ जाए मैं नहीं जानता मैं तुमसे और क्या कहूँ "मेरे पास एक पेंसिल है जो तुम उदार ले सकती हो " "तुम इसे अपने फ़ोन में रख सकती हो " मगर लड़की न हिली न मुस्कुराई और न ग्गुस्सा हुई उस ने सिर्फ इतना कहा "नहीं शुक्रिया " क्या तुम्हे पता है ? ? [ अब मुझे लिखने की ज़रूरत नहीं ] (तालियाँ) १८ मिनट की समय सीमा बहुत निर्दयी है, इस लिये मै सिधे मुद्दे पर आता हूँ. जैसे ही मै इसे काम करा सकूँ. आइये चलें. मैं ५ अलग चीज़ों के बारे में बात करूंगा. मैं बताऊंगा कि उम्र को हराना क्यों जरूरी हैं. मैं बताऊंगा कि क्यों हमें सावधान होना होगा, और इसके बारे में और अधिक बातें करनी चाहिये. निसंदेह मैं सम्भावनाऒं के बारे में भी बोलूँगा. मैं बताऊंगा कि क्यॊं हम इतने भाग्य्वादी कयों हैं जहां तक उम्र के बारे मे कुछ करने का प्रश्न है. और फिर शायद मैं वार्ता का दूसरा भाग ये बताने मे लगाऊं कि कैसे हम शायद भाग्यवाद को गलत साबित कर सकें, वास्तव में इसके बारे में कुछ कर के. इसे मैं दो भागों में करूंगा. पहले मैं इस बारे में बात करूंगा कि कैसे जीवन काल में छोटी सी व्रिधी से शुरू कर के -- जिसे मैं उन लॊगॊं के संदर्भ में ३० साल की अवधी मानता हूं जो शुरुआत में पहले से ही अधेडावस्था में हॊं -- ऐसी स्थीति में पहूंचा जा सकता है जिसे वास्तव में बुढापे को पराजित करना समझा जा सकता है. मूलत:, इसका मतलब उस रिशत॓ को समाप्त करना है जो आपकी उम्र और अगले साल आपकी संभावित मर्त्यु के बीच है -- या बीमार होने के. और आखिर में मैं बात करूंगा कि कैसे उस माध्यमिक कदम तक पहूंचा जा सकता है, ३० साल उम्र में वृधि के. तो मैं इस बात से शुरु करूंगा कि हमें यह क्यों करना चाहिय॑. अब मैं एक सवाल पूछना चाहत्ता हूं. श्रोताओं में कोई हैं जो मलरिया के ह्क मे हैं तो अपने हाथ खडे करें. यह तो आसान था. ठीक है. अच्छा हाथ उठाएं श्रोताओं में से कोई जो यह नहीं जानते कि मलेरिआ एक अच्छी चीज़ है या बुरी? अच्छा. तो हम सब ये सोचते हैं कि मलेरिया एक बुरी चीज़ है. यह तो बहुत अच्छी खबर है, क्योंकि मैंने सोचा था कि जवाब यही होना चाहिए. अब जो मैं आपको बताना चाह्ता हूं कि हमारे द्वारा मलेरिया को बुरे समझे जाने का मुख्य कारण मलेरिया की वो विशेषता के कारण है जो बूढे होने से मिलती जुलती है. और वह विशेषता यह है. अंतर मात्र ये है कि उम्र का बढ्ना मलेरिया से कहीं ज्यादा लोगों की जान लेता है. मैं श्रोताओं के बीच, खास तौर से ब्रिटेन में, लोमडी के शिकार से तुलना के बारे में बात करना पसंद करता हूं. जिसे एक लंबे संघर्ष के बाद प्रतिबंधित किया गया था, सरकार के द्वारा, कुछ ही महीने पहले. मैं जानता हूं दर्शकों मे सहानुभूति है, लेकिन, जैसा कि हमें पता है, बहुत से लोग इस तर्क से सहमत नहीं हैं. और मुझे लगता है यह काफ़ि अच्छी तुलना है. काफ़ी लोगों नें कहा, "ऐसा है, शहरी लोग कौन होते हैं हम ग्रामीण लोगों को बताने बाले कि अपने समय के साथ क्या करें. यह हमारी जीवन शैली का एक परंपरागत हिस्सा है, और हमें यह करते रहने देना चाहिये. यह वातावर्ण के लिये अच्छा है; यह लोमडियों की संख्या को अधिक बढ्ने से रोकता है." लेकिन अंत में चली तो सरकार की ही, क्योंकि अधिकांश ब्रिटिश जनता, और निसंदेह सांसदों का बहुमत, इस निष्कर्ष पर पहूंचा कि यह ऐसी चीज़ है जो सभ्य समाज में सहन नहीं करी जा सकती. और मैं समझता हूं कि इन्सान का बूढा होना इन सभी विशेशताओं के काफी समान है. इसमें से कौनसी बात लोग नहीं समझ पाते ? निसंदेह यह केवल जीवन के बारे में नहीं है -- (ठ्हाके) यह स्वस्थ जीवन के बारे में है -- कमज़ोर, दयनीय और आश्रित होने में कोई आनंद नहीं है, चाहे मरने में आनंद हो या न हो. इसका वर्णन मैं ऐसे करना चाहूंगा. यह एक वैश्विक भ्रम है. ये वैसे ही अविश्वसनीय तर्क हैं जैसे लोग बूढे होने के संदर्भ में देते हैं. मैं यह नहीं कह रहा कि यह तर्क पूरी तरह से बेकार हैं. इन में कुछ अच्छे तर्क भी हैं. जिनके बारे में हमें सोचना चाहिए, प्रायोजन करना चाहिए जिससे कुछ भी बेकार न जाए, और जब हम बूढे होने का इलाज ढूंढ लें तो कम से कम उथल पुथल हो. लेकिन ये उस समय पागलपन लगता है, जब आप अनुपात की भावना का ध्यान रखते हैं. यह तर्क, ये वह चीज़ें हैं जिनके बारे में चिंतित होना जायज़ है. लेकिन सवाल यह है, क्या ये इतने खतरनाक हैं -- बूढे होने के बारे में कुछ करने के जोखिम -- कि इससे विपरीत करने के नुक्सान को नज़रअंदाज़ किया जा सके, यानि, बूढे होने को एसे ही छोड दिया जाए? क्या ये इतने बुरे हैं कि इनसे बेहतर है १००,००० लोगों को हर रोज़ बेवजह अकस्मात मर्त्युद्ण्ड दिया जाए. यदि आपके पास इससे बडा कोई तर्क नहीं है, तो मैं कहता हूं कि मेरा समय बर्बाद न करें. (ठहाके) हां एक तर्क है जो कुछ लोगों के विचार में सचमुच प्रबल है, और वह ये है. लोग जनसंख्या व्रिधी के बारे में चिंता करते हैं; वे कहते हैं, "अगर हम बूढे होने का इलाज निकाल लेते हैं, तो शायद ही कोई मरेगा, या कम से कम मरने वालॊं की संख्या बहुत कम होगी, सिर्फ़ यमराज से पंगा लेने पर. और इसकी वजह से हम ज्यादा बच्चे पैदा नहीं कर पाएंगे, और ज्यादातर लोगों के लिये बच्चे बहुत मायने रखते हैं." और यह सच है. और मालूम है, बहुत से लोग जान कर भी इस सवाल का गलत जवाब देते हैं, कुछ इस तरह से. मैं इन जवाबों से सहमत नहीं हूं. मेरे ख्याल से ये बुनियादी तौर से काम नहीं करते. मैं समझता हूं, हमें इस संबंध में दुविधा का सामना करना पडेगा. हमें यह तय करना हॊगा कि हमें जन्म दर कम चाहिये, या मर्त्यु दर ज्यादा. उच्च मर्त्यु दर, निसंदेह, केवल इन उपचारों को नकार के बहुत से बच्चे पैदा को स्वीकारने से ही हो जाएगा. और, मैं कहता हूं यह ठीक है -- मानवता के भविष्य को यह निर्णय लेने का हक है.™ लेकिन भविष्य की ओर से हमारे द्वारा यह तय करना ठीक नहीं है. अगर हम संकोच करेंगे या डोलेंगे, और दरअसल इन उपचारों का विकास नहीं करेंगे, तो हम लोगों की एक बडी संख्या कॊ सज़ा दे रहे हैं -- जो इन इलाज के तरीकों से फ़ायदा उठाने के लिये जवान और स्वस्थ होते लेकिन नहीं होंगे, क्योंकि हमने इन्हें संभावित तेज़ी से विकसित नहीं किया -- हम इन लोगों को अनिश्चित तौर से लम्बे जीवनकाल से वंचित रख रहे हैं, और मैं समझता हूं कि यह अनुचित है. अधिक जनसंख्या के सवाल का यह मेरा ज़वाब है. अच्छा. तो अगली चीज़ है, कि हमें इस पर थोडा और सक्रीय क्यों होना चाहिए? और बुनियादी ज़वाब यह है कि बुढापे के हित में लोगों का भ्रम इतना मूर्खतापूर्ण नहीं है जितना दिखता है. यह असल में बूढे होने का सामना करने का एक समझदारीपूर्ण तरीका है. उम्र का बढ्ना भयानाक किन्तु निश्चित है, इस लिए, हमें इसे अपने दिमाग से निकालने का कोई तरीका ढूंढना है, और एसा करने के लिए हमें जो भी करना पडे वह सही है. जैसे, उदाहरण के लिए, ये हास्यासपद तर्क देना कि क्यों उम्र का बढ्ना असल में अच्छी बात है. लेकिन यह तभी काम कर सकता है जब हमारे पास ये दोनों भाग हों. और जैसे ही अपरिहार्यता वाला भाग कुछ साफ़ होता है, और हम बढ्ती उम्र के बारे में कुछ करने की स्थिती में हो सकते हैं, यह समस्या का एक हिस्सा बन जाता है. बुढापे के हित में लोगों का भ्रम ही है जो हमें इन चीज़ों के बारे में आन्दोलन करने से रोकता है. और इसलिए हमें इस के बारे में काफ़ी चर्चा करनी है -- मैं तो यहां तक कहूंगा इसका प्रचार करना है -- जिस से हम लोगों का ध्यान आकर्शित कर सकें, और उन्हें यह आभास दिला सकें कि वे इस मामले में भ्रम में हैं. तो इसके बारे में मैं इतना ही कहूंगा. अब मैं बात करूगा व्यवहार्यता की और हमारे यह सोचने का कि उम्र का बढ्ना निश्चित है का बुनियादी कारण अभी मेरे द्वारा दिये जाने वाली उम्र के बढ्ने की परिभाशा मे संक्षिप्त है. एक बहुत ही सरल परिभाशा. उम्र का बढना जीवित होने का एक अतिरिक्त असर है, कहा जाए तो चयापचय, या हमारे शरीर के विभिन्न अंगों का अपना अपना काम करना. यह केवल शब्दॊं का खेल नहीं है; यह एक उचित कथन है. उम्र का बढ्ना एक ऐसी प्रक्रिया है जो गाडियों जैसी निर्जीव वस्तुओं के साथ होता है, और यह हमारे साथ भी होता है, बावज़ूद इसके कि हमारे शरीर के पास बहुत से चतुर तंत्र हैं जिन से वह स्वयं की मरम्म्त कर सकता है, क्योंकि ये तंत्र परीपूर्ण नहीं हैं. तो बुनियादी तौर पे चयापचय, जिसकी परिभाशा है हर चीज़ जो हमें दिन प्रतिदिन जीवित रखती है, के कुछ अतिरिक्त असर होते हैं. ये असर एकत्रित होते रहते हैं और अंततः बीमारी पैदा करते हैं. यह अच्छी परिभाशा है. तो हम इन शब्दों में कह सकते हैं: हम कह सकते हैं, ये घटनाओं की श्रृंखला है. और प्रायः दो मत हैं, अधिकतर लॊगॊं के, उम्र के बढ्ने को टालने को लेकर. ये हैं जिन्हें मैं ग्रेंटोलॊजी दृष्टिकोण और जेरिऎट्रिक्स या जराचिकित्सा दृष्टिकोण कहूंगा. जराचिकित्सक की बारी बाद में आएगी, जब बीमारी जाहिर हो रही होगी, और जराचिकित्सक वक्त के बढ्ते हुए कदमों को रोकने का प्रयास करेगा, और अतिरिक्त प्रभावों को इतनी जल्दी बीमारी पैदा करने से रोकने का. निसंदेह, यह एक अल्प-कालीन रणनीति है, एक हारी हुई लडाई, क्योंकि बीमारी पैदा करने वाले कारण वक्त के साथ अधिक होते जा रहे हैं. ऊपरी तौर पर ग्रेंटोलोज़ि का रास्ता अधिक आशाजनाक लगता है, क्योंकि, जैसा आप जानते हैं, बचाव उपचार से बेहतर है. दुर्भाग्यतापूर्ण बात यह है कि हम चयापचय को बहुत अच्छी तरह समझते नहीं हैं. बल्कि जीवों की कार्यशौली के बारे में हमारी समझ काफ़ी कमज़ोर है - कोशिकाओं के बारे में भी हम अभी बहुत अच्छे नहीं हैं. उदाहरण के तौर पे हमनें आर एन ए हस्तक्षेप जैसी चीज़ों के बारे में कुछ साल पहले ही जाना है, और ये तो कोशिकाऒं के काम काज का बुनियादी भाग है. अंतत:, ग्रेन्टोलोजी एक अच्छा रास्ता है, पर वह सामयिक नहीं है जब हम हस्तक्षेप के बारे में बात करते हैं. तो हमें इसके बारे में क्या करना चाहिए? मेरा मतलब है, यह तर्क अच्छा है, और काफ़ी पक्का है, है ना? किन्तु ऐसा नहीं है. इससे पहले कि मैं आपको बताऊं कि यह क्यों नहीं है, मै कुछ बात करूंगा उस बारे मे जिसको मैं दूसरा कदम कह रहा हूं. कल्पना करिये, जैसे कि-- आज, केवल उदाहरण के लिये -- हमें ३०साल अतिरिक्त सेहतमंद जीवन प्रदान करने की क्षमता मिल जाती है उन लोगॊं कॊ जॊ पहले ही अ्धेडावस्था में हैं, मसलन ५५ साल के. मैं उसे मजबूत मानव कायाकल्प कहुंगा. ठीक है. इसका असली मतलब क्या होगा आज विभिन्न आयु वाले लोग कितनी देर तक -- या यों कहें, विभिन्न आयु के उस समय जब ये उपचार उपलब्ध हो जाती हैं वास्तव में जियेंगे? इस सवाल का जवाब देने के लिए -- आप भले ही सोचें कि ये आसान है, किन्तु ये आसान नहीं है.. हम यह नहीं कह सकते, "अगर वे इन उपचारॊं का लाभ उठाने लायक उम्र में है, तो वे ३० साल अधिक जियेंगे." यह गलत जवाब है. और इसके गलत जवाब होने का कारण प्रगति है. दॊ तरह की तकनीकि प्रगति हैं इस मायने में. बुनियादी, बडी सफ़लताएं, और इन सफ़लताऒं का वृद्धिशील शोधन. और इन में काफ़ी अंतर है समय काल के अनुमान लगाए जाने कॊ लेकर. बुनियादी सफ़लताएं: अनुमान लगाना बहुत मुशकिल है कि कितना समय लगेगा बुनियादि सफ़लता पाने में. हमनें यह बहुत समय पहले तय कर लिया था कि उडने में मज़ा आयेगा, और हमें १९०३ तक का समय लगा पता लगाने के लिए कि यह कैसे किया जाए. लेकिन उसके बाद यह काफ़ी संतुलित और सामान्य हो गया. मैं समझता हूं कि यह उस घटनाक्रम का जायज़ ब्य़ॊरा है जो संचालित उडान की प्रगति में हुआ. यह भी सोचा जा सकता है कि इन में हर एक पिछले चरण के आविश्कारक की कल्पना के परे है. वृद्धिशील विकास का नतीजा इस तरह का है जो वृद्धिशील नहिं रहा. आप इस तरह की चिज़ किसी बुनियादी सफ़लता के बाद देख सकते हैं. आप इन्हें कई तरह की तकनीकों में देख सकते हैं. क्म्पयूटर के मामले में भी आप को सामान्तर समय रेखा देखने को मिलेगी, अपितु कुछ देर बाद. आप चिकित्सा संभाल को देख सकते हैं. मेरा मतलब है स्वच्छता, टीके, एंटीबायोटिक -- यानि कि, उसी तरह का समय सीमा इस लिये मै सोचता हूं, असल में दूसरा कदम, जिसे मैंने अभी अभी कदम बॊला था, कदम नहीं है. वॊ लॊग जिन की उम्र इतनी कम है कि वे इन चिकित्साऒं से लाभ उठा सकें जो यह थॊडा सा जीवन काल को बढा सकते हैं, यद्य्पि जब ये चिकित्साएं आएं तो वे अधेडावस्था में पहुंच चुके हों, एक तरह से बीच की स्थीति में होंगे. वे आम तौर पे उन्न्त उपचार पाने तक बच जाएंगे जो उन्हें ३०या५० साल और दे देगा. यानि कि वे इस खेल में आगे रहेंगे. चिकित्सा में इस गति से तेजी से सुधार हो जाएगा जिस गति से चिकित्सा में शेष खामियां उभर रही हैं. यह बहुत महत्वपुर्ण मुद्दा है जो मैं समझाना चाहता हूं.♫ क्यॊंकि अधिकतर लोग जब यह सुनते हैं कि मैं यह भविश्यवाणी करता हूं कि आज जीवित बहुत से लॊग १,००० साल या अधिक जियेंगे, वॊ सोचते हैं मैं कह रहा हुं कि हम अगले कुछ दशकॊं में उपचारों का आविश्कार करने जा रहे हैं जो उम्र के बढ्ने को पूरी तरह से समाप्त कर देंगे और ये उपचार हमें १,००० साल या अधिक जीवित रहने देंगे. मैं यह बिलकुल भी नहीं कह रहा हुं. मैं कह रहा हूं कि इन उपचारॊं में सुधार की दर पर्याप्त होगी. ये कभी भी परिपूर्ण नहीं हॊंगी, लेकिन हम उन चीज़ॊं को ठीक कर पाएंगे जिन से २०० साल के लॊग मरते हैं, इससे पहले कोई २०० साल के हों. और इसी तरह से ३००, ४०० और अधिक . मैंने इसे यह छोटा सा नाम दिया है, "दीर्घायु escape velocity." (ठहाके) लगता है बात समझ में आती है इससे. तो यह पथ रेखाएं दर्शाती हैं कि हमारी अपेक्षा में लोग कैसे जियेंगे, शेष जिवन प्र्त्याशा के संदर्भ में, जैसा कि उन के स्वस्थ से नापा जा सकता है, दी गयी आयु के लिये जब ये उपचार आये जो उनकी थी. अगर आप पहले से १०० साल, या ८० साल के भी हैं -- एक औसत ८० वर्षीय व्यक्ति, तो शायद हम इन उपचारो से आप के लिए कुछ अधिक ना कर पाएं, क्योंकि आप मौत के दरवाज़े के बहुत करीब हैं और यह प्रयॊग के तौर पे किये गए शुरुआती उपचार आप के लिए काफी नहीं होंगे. आप उन्हें सह नहीं पाऎंगे. लेकिन यदि आप केवल ५० साल के हैं, तो संभावना है कि आप को लुड्कने से बचाया जा सके -- (ठहाके) बाहर निकाला जा सके. और सही मायने में जैविक तौर से जवान बनने लगें, शारीरिक और मानसिक तौर से जवान, और उम्र संबंधी कारणॊं से मरने के आपके खतरे के मायने में. अवश्य, अगर आप उससे कुछ छॊटे हैं, तो आप कभी भी सचमुच उम्र संबंधी कारणों से मरने लायक कमज़ॊर अवस्था में भी नहीं होंगे. तो मैं इस सच्चे निष्कर्ष पर पहुंचा हूं, कि पहला १५० साल का व्यक्ति - हम नहीं जानते कि वह इन्सान आज कितने साल का है, क्योंकि हमें नहीं पता कि कितना समय लगेगा इन पहली पीढ़ी के उपचार पाने में. लेकिन चाहे वह उम्र कितनी भी हो, मैं यह दावा कर रहा हूं कि १,००० साल तक जीवित रहने वाला पहला व्यक्ति - वैष्विक आपदाओं को ध्यान में रखते हुए - वास्त्व में पहले १५० साल के व्यक्ति से शायद केवल १० वर्ष कम आयु का है. और यह सोचने लायक है. अच्छा तो अंत में मैं बाकी की वार्ता मेरे अंतिम साढे सात मिनट, पहले कदम पर बिताऊंगा; यानि कि, वास्तव में हम जीवन में यह मामूली सी व्र्धी कैसे पा सकते हैं जो हमें मनचाही गति प्राप्त करने देगा? और यह करने के लिये, मुझे कुछ देर चूहों के बारे में बात करने की आव्श्य्क्ता है. मेरे पास मजबूत मानव कायाकल्प से मिलता जुलता मानक है. मैं उसे मजबूत चूहा कायाकल्प बुला रहा हूं, जो ज्यादा कल्पनाशील नहीं है. और वह ये है. मैं कहता हूं कि हम एक लंबे जीवन वाले चूहे का प्रकार लेंगे, जिसका मूलतः अर्थ है चूहे जॊ औसतन तीन साल तक जीते हैं. जब तक वो दॊ साल के हों हम उनको कुछ ना करें. और फ़िर हम उन के साथ काफ़ी कुछ करें, और इन उपचारों के साथ, हम उन्हें जीवित रखें, औसतन, उनके पांचवे जन्म दिन तक. तो, अन्य शब्दों में. हम दो वर्ष बढा दें -- हम उनके बाकि जीवन काल को तीन गुना कर दें, उस समय से शुरू कर के जब से हमनें उपचार शुरू करा. प्र्शन यह है कि, इसका समय संद्र्भ के लिए क्या अभिप्राय है जब तक कि हम मनुषयों के मानक तक पहुंच सकें जिसके बारे में मैंने बात की थी? जिसे कि, जैसा मैंने समझाया, मजबूत मानव कायाकल्प या मनचाही गति बराबरी से कहा जा सकता है. दूसरा, इसका आम धारणा के लिये क्या अभिप्राय है इस बारे में कि हमें इन चीज़ॊं तक पहुंचने में कितनी देर लगेगी, चूहे मिलने से शुरू कर के? और तीसरे, सवाल यह है, यह क्या करेगा लॊगॊं की इसके लिये चाह के लिये? और मुभे यह लगता है कि पहला सवाल केवल जीव विग्यान का है और इसका जवाब देना बहुत मुशकिल है. इन्सान को सॊचना पड़ता है, और मेरे कई मित्र कहेंगे कि हमें इस प्रकार सोचना नहीं चाहिए, कि हमें अधिक जानकारी प्राप्त करने तक सब्र करना चाहिए. मैं कहता हूं यह बकवास है. मैं कहता हूं कि अगर हम इस पर चुप रहें तो यह गैर जिम्मेदाराना होगा. हमें इस समय के संदर्भ के बारे मे बेहतरीन अनुमान लगाना चाहिए, लोगों को अनुपात की भावना देने के लिये जिससे वे अपनी प्राथमिकताऒं का आंकलन कर सकें. तो मैं कहता हूं कि हमारे पास ५०/५० मौका है इस पडाव पर पहुंचने का, मजबूत मानव कायाकल्प, १५ साल के अन्दर उस समय से जब हम मजबूत चूहा कायाकल्प तक पहुंच जाएं. १५ साल चूहे के बाद. लोगों का दृषिटकॊण शायद उससे कुछ बेहतर होगा. लोग विग्य़ान की मुश्किलों का पूरी तरह से आंकलन नहीं कर पाते. तो वो सोचते हैं वो पांच साल दूर है. वे गलत होंगे, लेकिन असल में उसका ज्यादा फ़रक नहीं पड़ेगा. आखिरकार, निसंदेह, मैं सोचता हूं यह कहना जायज़ होगा कि लोग उम्र के बढ़्ने के बारे में दोहरे विचार क्यों रखते हैं का बड़ा कारण है वैश्विक भ्रम जिसके बारे में मैंने पहले बात करी थी, मुकाबला करने की रणनीति. वो यहां इतिहास बन जाएगी, क्योंकि अब यह विशवास करना मुमकिन नहीं होगा कि उम्र का बढ़्ना इन्सानों के लिए अपरिहार्य है, चूंकि चूहों मे उसे कुशलता से टाला गया है. तो हम लोगों के स्वभाव में एक मज़बूत बदलाव देख सकते हैं, निसंदेह इसके काफ़ी बडे़ परिणाम हो सकते हैं. तो आपको यह बताने के लिए कि हम उन चूहॊं तक कैसे पहुंचेंगे, मै अपने द्वारा दिए गए उम्र के बढ़्ने के विवर्ण की कुछ व्याख्या करूंगा. मैं "नुक़्सान" श़ब्द का प्रयोग करूंगा उन माध्यमिक चीज़ॊं को जाहिर करने के लिए जो चयापचय के कारण होती हैं, और अंततः विकृति पैदा करती हैं. क्यॊंकि इसमें ज़रूरी बात यह है कि चाहे नुक्सान अंत में विकृति को जन्म देता है, यह नुक्सान खुद अपनेआप लगातार जिंदगी भर चलता रहता है, पैदा होते ही शुरू होकर. पर यह चयपचय का हिस्सा नहीं है. और यह बात बहुत काम आ सकती है. क्योंकि इस तरह से हम मूल चित्रों को दुबारा बना सकते हैं. हम कह सकते हैं, मूलतः, कि ग्रेंटालाजी और जेरियाट्रिक्स में अंतर यह है कि ग्रेंटालाजी उस गति को कम करने की कोशिश करता है जिस गति से चयपचय इस नुक्सान को करता है. और मैं समझाता हूं कि यह नुक्सान दरअसल क्या है स्पष्ट जैविक तौर पे, एक मिनट में. और जेरियाट्रिक्स वक्त के प्रवाह को रोकने की कोशिश करता है इस नुक्सान को विकृति बनने से रोक कर. और यह एक हारी हुई लडा़ई है क्योंकि नुक्सान जमा होता जाता है. तो एक तीसरा रास्ता है, अगर हम इस तरह से देखें. हम इसे यात्रिकि रास्ता कह सकते हैं. और मैं दावा करता हूं कि यांत्रिकि रास्ता सीमा के अन्दर है. यांत्रिकि रास्ता किसी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता. वो इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता, य़ा इस में. और यह अच्छा है क्यॊंकि इसका मतलब है कि यह हारी हुई लडा़ई नहीं है, और यह एसा कुछ है जो कि हमारे द्वारा करे जाने कि सीमा में है, क्योंकि इसमें बेहतरी या विकास शामिल नहीं होते. यांत्रिकि रास्ता सिर्फ़ कहता है, "हमें थोडी़ थोडी़ देर में सभी प्रकार के नुक्सानों की मरम्मत करनी चाहिये -- जरूरी नहीं पूरी तरह से, पर काफ़ी हद तक उनकी मरम्मत, जिससे हम नुक्सान का स्तर उस दहलीज़ के नीचे रहे जिसका होना ज़रूरी है, जो इसे रोगजनक बना देता है." हमें पता है कि यह दहलीज़ मौज़ूद है, क्योंकि मध्यम आयु में पहुंचने तक हमें उम्र संबंधी बिमारियां नहीं होती, यद्यपि पैदा होने के समय से ही नुकसान इकट्ठा हो रहा है. मैं क्यों कहता हूं कि हम सीमा के अंदर हैं? वो मूलतः इसलिए. इस स्लाइड का सार नीचे है. अगर हम यह कहने की को्शश करें कि चयपचय के कौनसे भाग उम्र बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण हैं, तो हमे सारी रात यहां रहना पडे़गा, क्योंकि मूलतः पूरा चयपचय किसी न किसी तरह से उम्र बढ़्ने के लिए महत्वपूर्ण है, यह केवल उदाहर्ण के लिए है, यह अधूरा है. दाहिने तरफ़ वाली सूची भी अधूरी है. यह सूची उम्र संबंधी अलग अलग विकृतियों की है, और यह सिर्फ़ एक अधूरी सूची है. लेकिन मैं आप से यह दावा करना चाहूंगा कि ये बीच वाली सूची पूर्ण है, ये उन चीज़ों की सूची है जो नुक्सान होने के काबिल कहे जा सकते हैं, चयपचय के दुष्प्रभाव जो अंत में विकृतियं पैदा करते हैं. या जो विकृतियां पैदा कर सकते हैं. और ये केवल सात हैं. ये चीज़ों की श्रेणियां हैं, पर सिर्फ़ सात हैं. कोषिकाओं का नुक्सान, गुणसूत्रों में उत्परिवर्तन, माइटोकॊंड्रिया में उत्परिवर्त,न आदि. सबसे पहले, मैं तर्क देना चाहूंगा कि ये सूची पूर्ण क्यों है. हां, निश्च्य ही हम जैविक बहस कर सकते हैं. हम कह सकते हैं, ठीक है, हम किन चीज़ों के बने हैं? हम कोशिकाओं और उनके बीच के सामान के बने हैं. नुक्सान किन में जमा हो सकता है? जवाब है, दीर्घायु अणु, क्योंकि अगर लघु आयु वाले अणु को नुक्सान होता है, लेकिन अणु बरबाद हो जाता है -- जैसे प्रोटीन प्रोटेओलाइसिस से ध्वस्त हो रहा है -- तो नुक्सान भी खत्म हो जाता है. वह निश्चित ही दीर्घायु अणु होंगे. तो, यह सात चीज़ें ग्रेंटॊलॊजी में काफ़ी समय से चर्चित रही हैं और यह काफ़ी अच्छी खबर है, क्योंकि इसका मतलब है, कि हम इन २० सालों में जीव विज्ञान में काफ़ी प्रगति कर चुके हैं, तो ये बात कि हमनें इस सूची को बढ़ाया नहीं है इस बात का अच्छा सबूत है कि इसे बढ़ाया जाने लायक कुछ नहीं है. बल्कि, इस से भी बेहतर है, हमे असल में पता है कि इन सब को ठीक कैसे करना है चूहों में, सिद्धांत के तौर पे - और सिद्धांत से मेरा मतलब है, कि शायद हम वास्तव में इन उपचारों को एक दशक में लागू कर सकते हैं. इनमें से कुछ, ऊपर वाले, आंशिक तौर पे लागू हो चुके हैं. मेरे पास सब के बारे मे बताने का वक्त नहीं है, लेकिन मेरा निषकर्श यह है कि, अगर हमें इसके लिए उपयुक्त धन मिल जाए, तो शायद हम १० साल में ही मजबूत जन कायाकल्प का विकास कर सकते हैं, लेकिन हमें इसके बारे में गंभीर होना पड़ेगा. हमें कोशिश करनी शुरू कर देनी चाहिए. नि:संदेह, दर्शकों में कुछ जीवशास्त्री हैं, और मैं आपके कुछ संभावित सवालों का जवाब देना चाहूंगा. आप इस वार्ता से असंतुष्ट हुए हो सकते हैं, लेकिन मौलिक तौर पे आप को जाकर इस चीज़ को पढ़ना है. मैने इसपर काफ़ी कुछ लिखा है; मैं उन प्रयोगिक कार्यों का हवाला देता हूं, जिन पर मेरा आशावाद आधारित है, और इन में काफ़ी विस्तृत ब्यौरा है. ये ब्यौरा ही मुझ में आत्मविश्वास जगाता है इन आक्र्मक समय संदर्भों का जिनकी मैं भविष्य वाणी कर रहा हूं. तो अगर आप सोचते हैं कि मैं गलत हूं, तो बेहतर हो आप जाकर पता लगाएं कि आप ऎसा क्यॊं सोचते हैं. नि:सेदेह, मुख्य बात यह है कि आपको उन लोगों पर विश्ववास नहीं करना चाहिए जो अपने आप को ग्रेन्टोलोजिस्ट कह्ते हैं क्योंकि, जैसा कि किसी भी क्षेत्र में पहले की सोच से घोर प्रस्थान में होता है, आप मुख्र्य धारा में लोगों से अपेक्षा करते हैं कि वो अवरोध करेंगे और इसे गंभीरता से नहीं लेंगे. तो, पता है, आप को वास्त्व में अपनी तैयारी करनी पड़ती है, यह समझने के लिए कि क्या यह सच है. और हम कुछ चीज़ों के साथ समापन करेंगे. एक, पता है, अगले सत्र में आप एक शक्स को सुनेंगे जिसने कुछ समय पहले कहा था कि वह मानव जीनोम को कुछ ही समय में अनुक्रम कर सकता है, और सब ने कहा, "ज़ाहिर है यह मुमकिन नहीं है." और आप को पता है क्या हुआ. तो, पता है, एसा होता है. हमारे पास अलग अलग रणनितियां हैं - मतूशेलह माउस पुरुस्कार है, जो मूलतः कुछ नया करने के लिए प्रोत्साहन है, और वो करने के लिए जो आप सोचते हैं काम करेगा, और अगर आप जीत जाते हैं तो आपको उसके लिए पैसे मिलते हैं. एक प्रस्ताव है वास्तव में एक संस्थान तैयार करने का. यही है जिसमें थोडा़ पैसा लगेगा. पर, मेरा मतलब है, देखिए -- इराक युद्द में इतना खर्च करने में कितना समय लगता है? ज़्यादा समय नहीं. ठीक है. ठहाके और यह परोपकारी होना चाहिए, क्योंकि मुनाफ़ा जीवन शास्त्र से ध्यान बंटाता है, पर इसे सफ़ल होने की ९० प्रतिशत संभावना है, मेरे ख्याल से. और मैं सोचता हूं हमें पता है कि यह कैसे करना है. और मैं यहीं रुकता हूं. धन्यवाद. तालियां क्रिस एन्डरसन: अच्छा, मुझे पता नहीं कि कोई सवाल होंगे कि नहीं पर मैने सोचा मैं लोगों को मौका दूं. दर्शक: आपने बढ़ती उम्र और उसे हराने की बात की, पर ऎसा क्यॊं है कि आप अपने आप को एक वृद्ध व्यक्ति की तरह जता रहे हैं? ठहाके ए जी: क्योंकि मैं वृद्ध हूं. मैं दर असल १५८ साल का हूं. ठहाके तालियां दर्शक: नस्लें इस ग्रह पर प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ विकसित हुई हैं बिमारियों से लड़ने के लिए जिससे लोग प्रज्न्न हेतु जीवित रह सकें. लेकिन, जहां तक मैं जानता हूं, सभी नस्लें अस्ली में मरने के लिए ही विकसित हुई हैं, तो जब कोषाणुं विभाजित होते हैं, तो तेलोमेरेज़ छोटे होते हैं, और अंततः नस्लें मर जाती हैं. तो क्यों - विकास नें - लगता है अमरता के खिलाफ़ चुनाव किया है, जब कि यह इतनी फ़ायदेमंद है, या विकास अभी अधूरा है? ए जी: उत्तम. एसा सवाल पूछने के लिये शुक्रिया जिसका ज़वाब मैं गैर-विवादास्पद रूप में दे सकता हूं. मैं आपके सवाल का असली मुख्य धारा वाला जवाब देने जा रहा हूं, जिस से मैं भी सहमत हूं. जॊ कि यह है कि, नहीं, उम्र का बढ़ना चुनाव का हिस्सा नहीं है; विकास केवल विकासीय उपेक्षा का परिणाम है. अन्य शब्दो में, हमारी उम्र बढ़ती है क्योंकि उसका न बढ़ने में मेहनत लगती है; आप को अधिक आनुवंशिक राहें चाहिए होती हैं, आप के आनुवंश में अधिक परिषकार अगर उम्र को और धीरे बढ़ना हो तो, और यह सच रहता है जितनी देर तक आप यह चाहें. तो, उस मामले में विकास से कोई फ़र्क नहीं पड़ता, परवाह नहीं करता चाहे आनुवंश व्यक्तियों द्वारा पारित हों, जो लंबे समय तक जीवित रहें, या उत्पत्ति द्वारा, इसमें कुछ मात्रा में समता है, इसलिए अलग नस्लों के अलग जीवनकाल होते हैं, और इसलिए कोई अमर नस्लें नहीं हैं. सी ए: आनुवंश परवा नहीं करते पर हम करते हैं? ए जी: सही. दर्शक: मैंने कहीं पढा़ था कि पिछ्ले २० सालों में, धरती पे किसी का भी औसत जीवनकाल १० साल बढ़ गया है. अगर मैं इसका व्याख्यान करूं, तो मैं सोचता हूं कि अगर मैं अपनी मोटरसाइकल पे टक्कर ना मारूं, तो मैं १२० साल तक जीवित रहूंगा. इसका मतलब है कि मैं आपके उन लोगों में से हूं जो १००० साल के हो सकते हैं? ए जी: अगर आप अपना वजन थोडा़ कम कर लेते हैं तो. ठहाके आपके अंक कुछ गलत हैं. मानक आंकडे़ कहते हैं कि जीवनकाल हर दश्क में एक से दो साल तक बढ़ रहे हैं. तो, यह वैसा नहीं है जैसा आप सोचें - आप उम्मीद करें. पर मेरा इरादा जल्द से जल्द इसे बढा़ कर एक साल प्रति साल करना है. दर्शक: मुझे बताया गया था कि दिमाग के कई कोषाणु जो हमारे पास व्यस्क्ता में होते हैं वो वास्तव में मानव भ्रूण में होते हैं, और दिमाग के कोषाणु ८० साल तक चलते हैं. अगर यह सच है तो, क्या जीवन शास्त्र में इसके कायाकल्प की दुनिया में निहितार्थ हैं? अगर मेरे शरीर में कोषाणु हैं जो पूरे ८० साल जीते हैं, बनिस्प्त साधारण तौर पे, पता है, कुछ महीने? ए जी: इसके तकनीकि निहितार्थ ज़रूर हैं. बुनियादि तौर पे हमें कोषाणु बदलने हैं दिमाग के उन कुछ हिस्सों में जो इन्हे जायज़ दर से खोते हैं, खास तौर से न्युरान, लेकिन हम उन्हें इस से तेज़ बदली नहीं करना चाह्ते या बहुत ज्यादा तेज़ तो नहीं, क्योंकि इन्हे बहुत तेज़ बदलने से संज्ञानात्मक कार्य पर दुष्प्र्भाव पडेगा. पहले मैंने जो कोई बूढ़े न होने वाली नस्ल न होने की बात करी थी वो कुछ ज्यादा ही सरलीकरण था. कुछ नस्लों की उम्र नहीं बढ़्ती - जैसे कि हाइड्रा - पर वे ऎसा करते हैं क्योंकि उनमें नरवस सिस्ट्म नहीं होता - और कोई ऊतक नहीं होती जो अपने कार्य के लिये आश्रित हो लंबे समय तक जीवित रहने वाले कोषाणुओं पर. मैं ये कह कर शुरु करना चाहूँगा, कि ह्यूस्टन, हम मुश्किल में हैं. इन्सान की अंतरिक्ष यात्रा को लेकर हम ठहराव की दूसरी पीढ़ी में पहुँच रहे हैं. सच्चाई ये है कि हम पीछड़ गए हैं . हम बहुत बड़ा मौका गँवाने वाले हैं अपने युवाओं को प्रेरित करने का, जिससे कि वो इस बहुत ही महत्वपूर्ण काम को जारी रख सकें जो कि हमने मानव होने के नाते हमेशा किया. हम बड़ी सहजता से निकल पड़े और मुश्किल चढ़ाईयाँ लांघ ली, दुर्गम से दुर्गम स्थान तक पहुँच गए, और बाद में, हैरत के साथ महसूस किया, कि यही तो हमारे जीने का मकसद था. मैं बड़ी शिद्दत से महसूस करता हूँ कि ये बिल्कुल सही नहीं है कि हम बच्चों की ऎसी पीढ़ियाँ बनाँए जिनकी अपेक्षाँए वीडियो वाले बेहतर सेल-फोन तक सीमित हों. उन्मे अनुस्न्धान की इच्छा होनी चाहिए, संगठित होने की सोच होनी चाहिए, नई खोज के लिए उत्सुकता होनी होगी. ये इन बच्चों के लिए ज़रूरी है. हमें उन्हे प्रोत्साहित करना होगा, क्योंकि वे ही आगे रहकर भविष्य में हमारा अस्तित्व बनाए रखने में भूमिका निभाएंगे. नासा नए बुश सिद्धांतो को लेकर अभी जो कर रही है, उससे मुझे बेहद परेशानी है, जिससे कि- अगले डेढ़ दशक का समय - ओह, मैंने गड़ब़ड़ कर दि. हमें ख़ास हिदायत दी गई थी कि हम यहाँ राजनीति पर चर्चा ना करें. (ठहाका) हमेँ जिस चीज़ की अपेक्षा है -- (तालियाँ) तो हम जो उम्मीद कर रहे हैं वह सिर्फ हमारे बच्चों का प्रोत्साहन ही नहीं है, बल्कि अभी योजना यह भी है कि कैसे इस देश के सबसे रचनात्मक लोग -- बोईंग और लॉकहीड के स्पेस इंजीनियरों को नई चुनौति और नए प्रयोगों से रोका जा सके. हम चाँद पे फिर से जा रहे हैं -- 50 साल बाद -- पर जा रहे हैं नया कुछ ना सीखने की विशिष्ट योजना लेकर. मुझे इस बात से बड़ी परेशानी होती है. वैसे भी -- मैं आज आपसे जो बातें करना चाहता हूँ वो इसी मुद्दे पर आधारित हैं, कि हम कैसे उन लोगों को प्रभावित करते हैं जो कि भविष्य में हमारे महान नेता बनेंगे. मेरे अगले 15 मिनटों की बातों का विषय यही है. मुझे लगता है प्रेरणा की शुरुवात बहुत बचपन से होती है; तीन-साल-की उमर, 12 साल तक, 14 साल की उमर. जो हम -- वो क्या देखते हैं, यही सबसे महत्वपूर्ण है. चलिए वायु-यात्रा की एक झलक लेते हैं. एक छोटा सा समयकाल था, शानदार चार‌ सालों का, जिनमें ग़ज़ब की चीज़ें हुंई. इसकी शुरुवात 1908 मैं हुई, जब राईट बंधुओं ने पैरिस में उड़ान भरी, और सभी ने कहा, 'ओह, ये तो हम भी कर सकते हैं.' बहुत ही गिने-चुने लोग 1908 के शुरुवात में उड़ान भर सकते थे. अगले चार सालों में 39 देशों के पास सैंकड़ों हवाई जहाज़ थे, और हज़ारों विमान चालक. हवाई जहाज़ों का आविष्कार एक स्वाभाविक प्रक्रिया के तहत हुआ. आप आज ये कह सकते हैं कि सूक्ष्म डिज़ाईनों के ज़रीए हमारे आज के वायु-यान डिज़ाईन किए जाते हैं, लेकिन वायु-यानों के उन पहले दिनों में ऎसे सू़क्ष्म डिज़ाईन उपलब्द्ध नहीं थे. कम से कम 30,000 अलग अलग चीज़ें आज़माई गई होंगी, और उनके क्रैश होने और विमान चालक की मौत के बाद ही ये समझ आया होगा कि ये तरीक़ा नहीं चलेगा. कुछ वायु-यान उड़े और ठीक-ठाक उतर भी सके पर उनमे भी कोई प्रशिक्षित चालक नहीं होते थे जिन्हे वायु-यान उड़ाने का सही तरीक़ा पता हो. तो हमने, हज़ारों बार कोशिश करते करते, उन चार सालों में वह सारे सिद्धान्तों का आविष्कार किया जिनकी बदौलत आज हम विमान चलाते हैं. वायु-यात्रा इसी कारण सुरक्षित बन पाई, क्योंकि हमने क्या सही है, ये पता लगाने के लिए काफी़ प्रयोग किए. पर अंतरिक्ष में उड़ान भरने के मामले में ऎसा नहीं हुआ. सिर्फ दो ही सिद्धान्तों का परीक्षण किया गया -- अमरीकियों द्वारा दो और रूसियों द्वारा एक. तो बताईए, उस समय इस विषय पर किन लोगों ने उत्साह दिखाया था? 'एवियेशन वीक' ने मुझे एक सूचि बनाने का काम दिया जिसमें मुझे हवाई उड़ान के पहले 100 वर्षों में मुख्य भूमिका निभाने वालों को चुनना था. मैंने सूचि बनाई और बाद में पाया कि उन में से हर किसी का बचपन हवाई यात्रा में जागरण के उस अद्भुत समयकाल में बीता था. ख़ैर, जब मैं बच्चा था, तब भी कुछ महत्वपूर्ण चीज़ें घटीं. जेट युग शुरु हुआ, मिसाईल युग का प्रदुर्भाव हुआ. वॉन ब्रौन ने मंगल ग्रह पर जाने की तरकी़ब बताई -- ये सब स्पुटनिक के पहले की बात है. और अस समय मंगल को लेकर आज से ज़्यादा कौतुहल था. हमें लगता था वहाँ जानवर होंगे, हम लगभग जानते थे कि वहाँ पौधे भी मिलेंगे, अलग रंगों के, है ना? पर क्या करें, नासा ने पूरा मामला ही गड़बड़ कर दिया, रोबोट तो भेजे लेकिन उन्हे उतारा केवल रेगिस्तानों में! (ठहाका) अगर आप देखें -- ये छोटी काली रेखा दर्शाती है कि इंसान ने कितनी रफ्तार से उड़ान भरी, ये लाल रेखा सबसे अच्छे मिलिटरी विमानों को दर्शाती है और ये नीली रेखा व्यवसायिक हवाई यातायात की है. आप देख सकते हैं कि यहाँ एक बड़ा उछाल है. जब मैं छोटा था -- मुझे लगता है कि कहीं तो इस बात ने मुझे हिम्मत भी जुगाई कि मैं निकल पड़ूँ और ऎसा कुछ करूँ जिसे करने की हिम्मत अब तक किसी ने नहीं दिखाई हो. तो, बचपन में मैंने ऎसा क्या किया? मैं तेज़ गाड़ियों, लड़कियों या डिस्को के पीछे नहीं भागता था. उन दिनों ड्रग्स नहीं मिला करते थे. पर मैंने वायु-यान के मॉडलों की प्रतियोगिताओं में भाग लिया. मैंने क़रीब सात साल ग़ुज़ारे वियेतनाम युद्ध के दौरान वायु सेना के यानों की उड़ान-क्षमता का परीक्षण करते हुए. इसके बाद मैंने बड़े मज़े से ऎसे प्लेन बनाने लगा जिन्हे लोग अपने गैरेज में ही जोड़ सकते थे. उनमें से क़रीब 3,000 उड़ान भर रही हैं. हाँ, 'अराऊन्ड द वर्ल्ड वॉयेजर भी उन्ही विमानों में से एक है. मैंने सन '82 में एक और कंपनी की स्थापना की, जो अब मेरी कंपनी है. हमने 1982 से लेकर हर साल एक से ज़्यादा नई तरह के वायु-यान बनाए हैं. उनमें से बहुत से ऎसे हैं जिन्हे मैं इस चार्ट पर नहीं दिखा सकता. मेरे हिसाब से किसी वायु-यान का अब तक का सबसे प्रभावशाली नक्शा जेट विमानों के चालु होने के सिर्फ 12 साल बाद बन गया था. इसे ज़ंग पड़ कर उड़ने के नाक़ाबिल हो जाने तक सेवा में रखा गया, फिर हटा दिया गया. '98 में हम '56 में विकसित की हुई चीज़ को वापस ले आए. क्या? सबसे शानदार अंतरिक्ष यान, मेरे हिसाब से, ग्रुम्मान लुनर लैण्डर थी. ये-- जैसा की आप जानते हैं, चाँद पर उतरी, चाँद से वापस आई, और इसे रख-रखाव की ज़रूरत नहीं पड़ी -- कमाल की बात है. हमने वो क्षमता खो दी है. हमने सन '72 में ही उसका त्याग कर दिया था. इसका नक्शा 1961 में गैगारिन की पहली अंतरिक्ष यात्रा के तीन साल बाद बनाया गया था. सिर्फ तीन सालों में, और आज हम वो नहीं कर पा रहे जो हमने तब किया. अजीब बात है. अगर हम नवप्रवर्तन चक्रों की चर्चा करें, तो ज़ोर पकड़ने वाली विचारधाराएँ भी दूसरी विचारधाराओं से प्रतिस्थापित होकर लुप्त हो जाति हैं. यह परिवर्तन हर 25 साल में होता है, 40 साल लंबे अंतरछादित चक्रों में. यह सिद्धांत सभी तरह की तकनीकों पर लागु होता है. इसमें ध्यान देने वाली बात -- यानी गति, माफ कीजिए, तीव्र-गति से यात्रा इन प्रवर्तन चक्रों का शीर्षक है. यहाँ ऎसा कुछ भी नही़ है. इन दो नये विमानों की गति उतनी ही है जितनी 1958 के DC8 की. मुद्दे की बात यह है कि ये प्रवर्तन चक्र आपको उपलब्द्ध नहीं होंगे अगर सरकार ही उन्हे बनाए और सरकार ही उनका प्रयोग करे. इसका सबसे अच्छा उदाहरण है 'DARPA नेट' (प्राथमिक नेटवर्क जिससे आजके ईंटरनेट का विकास हुआ) कंप्युटरों का पहले इस्तेमाल युद्ध सामग्रीयों के लिए किया गया, फिर IRS (करारोपण और कर संग्रहण देखने वाली अमरीकि सरकारी एजेन्सी) के लिए. पर जब हमें वो मिली, तो हमने हर कार्य क्षेत्र में उसका पूरा लाभ उठाया. ये काम निजी क्षेत्र का होता है. ये ध्यान में रखियेगा. मैंने प्रवर्तन को-- मैंने अंतरिक्ष के विषय पर प्रवर्तन चक्रों की खोज की, और मुझे कुछ नहीं मिला. उसी साल जिस साल गैगारिन ने अंतरिक्ष यात्रा की, और उसके चंद हफ्तों बाद एलन शेफर्ड ने भी, पूरे विश्व से पाँच मानव चालित यान अंतरिक्ष में छोड़े गए थे, पहले ही साल में. 2003 में अमरीका ने जितने भी व्यक्ति अंतरिक्ष में भेजे, सभी मारे गए. 2003 में केवल तीन या चार उड़ाने भरी गईं थी. 2004 में, केवल दो उड़ानें भरी गईं : दो रूसी सोयूज़ विमान जो कि अंतर्राष्ट्रिय मानव चालित स्टेशन में भेजी गईं. पर मुझे मोहावे में तीन उड़ानें अपने चौबीस लोगों के छोटे से दल को लेकर भरनी पड़ी ताकि कुल उड़ानों की संख्या पाचँ तक पहुँच सके, जो कि 1961 में भरी उड़ानों के बराबर था. कोई बढ़ौतरी नहीं. कोई हलचल नही. कुछ भी नहीं. ये 'स्पेस शिप वन' से खींची हुई तस्वीर है. इस तस्वीर को औरबिट (अंतरिक्ष यान का कक्षपथ) से खींचा गया. हमारा उद्देश्य यह है कि हम वहाँ तक पहुँच सकें ताकि आप इस तस्वीर का आनंद उठा सकें. आज हम कक्षाओं से नीचे भी सुरक्षित उड़ान भर सकते हैं. कम से कम पहले दौर के वायु-यानों में उड़ान जितनी सुरक्षा के साथ. अब मैं यह् बताना चाहूँगा कि कैसे एक छोटी कंपनी होने के बावजूद हमने हिम्मत दिखाई. तो, आगे क्या होने वाला है? उद्योग के शुरुवाती दौर में काम की मात्रा अधिक होगी, और उद्योग में निवेश करने वालों की भी. पिछले हफ्ते ही एक और नए निवेश की घोषणा हुई. और ये सब कक्षा के नीचे उड़ने वाली उड़ानों के लिए होगा. ऎसा इसलिए होगा, क्योंकि हमारे पास सुरक्षा के पर्याप्त साधन नहीं हैं जिससे हम आम जनता को कक्षाओं में उड़ान भरवा सकें. ये काम सरकार कर रही है -- तीन सरकारें 45 सालों से कर रही हैं, फिर भी वायुमण्डल के बाहर जाने वाले चार फिसदी लोगों की मौत हुई है. तो -- आप सुरक्षा के ऎसे परिणाम लेकर व्यवसाय चलाना नहीं चाहेंगे. यह व्यवसाय बड़े पैमाने का होगा, हमें लगता है कि 2020 तक क़रीब 1,00,000 लोग ऎसी उड़ानें भरेंगे. ये कब शुरु होगा मैं आपको नहीं बता सकता, क्योंकि मैं अपने प्रतिद्वन्द्वियों को मेरे कार्यक्रम की जानकारी नहीं देना चाहूँगा. पर मुझे लगता है कि एक बार ये शुरु हो जाए, हमें रास्ते मिलने लगेंगे. और बहुत जल्द, आपको कक्षा में ही होटल, रिसॉर्ट मिलने लगेंगे. बहुत आसानी से आप चाँद का चक्कर लगा कर उसके नज़ारे का आनंद उठा पाएंगे. बहुत दिलचस्प मामला होगा. चूँकि चाँद में वायुमण्डल नहीं है -- आप चाहें तो उससे सिर्फ 10 फीट की दूरी पर उसकी अण्डाकार परिक्रमा भी लगा सकते हैं. ओह, बड़ा मज़ा आएगा. (ठहाका) ओके. मेरे आलोचक कहते हैं कि 'ये रूटान तो बस अमीरों के पैसों से अमीरों के मौज का सफर जुटाने में लगा है. ये सब है क्या? ये कोई सफर का ज़रीया नहीं, बल्कि केवल मनोरंजन का साधन है." मुझे ये सुनकर तक़लीफ होती थी, पर तब मैंने सोचा, एक मिनट. मैंने अपना पहला एपल कंप्युटर 1978 में ख़रीदा था और इसलिए ख़रीदा था ताकि मैं कह सकूँ कि, "मेरे घर में कंप्युटर है और तुम्हारे घर नहीं. "आप उससे क्या करते हैं?" आई देखिए. उससे फ्रॉगर (एक कंप्युटर गेम) खेल सकते हैं." ओके. (ठहाका) बैंक या लौकहीड का कंप्युटर नहीं, घर का कंप्युटर सिर्फ गेम्स खेलने के लिए था. एक पूरे दशक तक कंप्युटर सिर्फ मनोरंजन के लिए था -- हमें ये भी नहीं पता था कि इसका क्या इस्तेमाल हो. पर इसके बाद जो हुआ, हम जो इतना बड़ा उद्योग खड़ा कर पाए, ज़्यादा विकास, बड़े सुधार, अधिक सक्षमता, और भी ऎसा बहुत कुछ, और जैसे जैसे कंप्युटर ज़्यादा से ज़्यादा घरों में पहुँचने लगा, उसने हमें नए आविष्कारों के लिए तैयार कर दिया. और ये आविष्कारक इन श्रोताओं में से कोई भी हो सकता है. अल गोर ने इंटरनेट का आविष्कार किया और उसी की वजह से, जिसका की हमने पूरे एक साल -- माफ कीजिएगा, जिसका पूरे एक दशक तक हमने सिर्फ मनोरंजन के इस्तेमाल किया, हमारा सब कुछ बन गया -- हमारा वाणिज्य, हमारा अनुसंधान, हमारा संपर्क-साधन और, अगर गुगल के लोगों को बस दो हफ्ते और सोचने दें, तो इस सूची में दर्जन भर चीज़ें और जुड़ जाएँगी. जल्द ही ऎसे दिन भी आएँगे जब हम बच्चों को विश्वास नहीं दिला पाएँगे कि हमेशा हमारे घरों में कंप्युटर नहीं हुआ करते थे. तो, मनोरंजन का समर्थन किया ही जा सकता है. ओके, मैं अब आपको एक व्यस्त सा चार्ट दिखाना चाहूँगा, जिसमें कि मैंने बताने चाहा है कि भविष्य में क्या होने वाला है. और यहाँ ये अपने साथ एक विषय और सामने लाता है. कुछ लोग हैं जो आगे आए हैं -- आप उनमें से हर किसी को नहीं जानते -- पर जो लोग सामने आए हैं उन्हें उनके बचपन में, यही, तीन से 15 साल की उमर में हमारे उस दौरान की अंतरिक्ष और चाँद की यात्रा से प्रेरणा मिली थी पॉल ऎलेन, एलान मस्क, रिचार्ड ब्रैन्सन, जेफ बेज़ोस, अन्सारी परिवार जो कि अब रूसी उप-कक्षाओं की उड़ानों के लिए आर्थिक मदद दे रहे हैं. बॉब बिजेलौ, एक निजी स्पेस स्टेशन और कार्माक. ये लोग पैसे लेकर उसे एक दिलच्स्प क्षेत्र में लगा रहे हैं, जो मेरे हिसाब से किसी बेहतर सेल-फोन या ऎसी किसी चीज़ में लगाने से अच्छा है -- पर ये इसे बहुत ही [अस्पष्ट] क्षेत्रों में लगा रहे हैं जो हमें इतना क़ाबिल बना देगी, कि हम अगली बड़ी सीढ़ी तक पहुँच सकें, और नए आयामों को ढूँढ सकें. मुझे लगता है, कालांतर में संघबद्ध होने में और अवलुप्ति से बचने में भी सहायक होगी. ये लोग बड़ी उन्नतियों से प्रेरित हुए थे. पर ज़रा उस समय के बाद हुए विकास को देखिए. यहाँ दो उदाहरण देखे जा सकते हैं. मिलिटरी सैनिकों के पास सबसे बेहतरीन मिलिटरी विमान SR71 था. इस विमान ने अपना जीवन चक्र पूरा किया, पुराना होकर उड़ने के अयोग्य हो गया, और तब इसे सेवा से हटा दिया गया. कॉनकार्ड ने हवाई यात्रा की गति को दुगना कर दिया. उसने अपना पूरा जीवन-चक्र बिना प्रतिस्पर्धा के पूरा किया; और फिर उसे सेवा से हटा लिया गया. और आज भी हम मिलिटरी विमानों की वही पुरानी क्षमता पर ठहरे हुए हैं, उसी व्यवसायिक हवाई यात्रा पद्धति का उपयोग कर रहे हैं जो हम '50 वी दशक के आखिर में किया करते थे. पर आज हमारे बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए हमारे पास कुछ नया है. चाहे आपका बच्चा एकदम शिशु हो या 10-साल तक की उमर तक का. कुछ बहुत ही अद्भुत चीज़ें होने वाली हैं. जल्द ही, आप टिकट ख़रीद कर आज के सबसे अच्छे मिलिटरी विमानों से ज़्यादा ऊँची और ज़्यादा तेज़ उड़ान भर सकेंगे. ऎसा पहले कभी नहीं हुआ. अपनी कार्य-क्षमता को एक स्तर पर लाकर ठहर जाने की वजह यही (सोच) है कि भई, अगर आप 12 मिनट में कोई युद्ध जीत सकते हैं, तो इससे बेहतर करने की ज़रूरत क्या है? पर जब आप लोग टिकट ख़रीद कर अंतरिक्ष में कक्षा से नीचे की उड़ाने भरने लगेंगे, बहुत ही जल्द -- एक मिनट, देखिए, हमारे पास कक्षा से नीचे उड़ने वाले मिलिटरी विमान भी होंगे और बहुत ही जल्द ये सुविधा भी. पर इसमें ग़ौर करने वाली बात ये है, कि पहले व्यवसायिक लोग ये काम करेंगे. ओके, मैं उम्मीद कर रहा हूँ एक ऎसे दौर की, जिसे चाहे तो आप नया 'पूँजिवादी अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा' कह सकते हैं. आप को याद होगा, '60 के द्शक की अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा देशाभिमान का मुद्दा था, पर उसमें हम पहले दो चरण हार गए. हमारी हार तकनीकि कारणों से नहीं थी. चूँकि हमारे पास वो सारे संसाधन मौजूद थे, जिससे हम अंतरिक्ष यान कक्षा में भेज सकें, जो कि हमने वॉन ब्रौन को अंतरिक्ष में भेज कर सिद्ध भी किया, यही बताते हैं कि ये हार तकनीकि नहीं थी. स्पुटनिक तकनीकि हार नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा की हार थी. अमरीका -- विश्व ने देखा अमरीका तकनीक में सबसे आगे नहीं है, और ये बहुत बड़ी बात है. हमने गैगारिन की अंतरिक्ष यात्रा के कुछ ही हफ्तों के अंदर ऎलन शेफर्ड को अंतरिक्ष भेजा, महीनों या दशकों बाद नहीं. तो वो क्षमता थी हमारे पास. पर अमरीका हार गया. हम हार गए. और इस वजह से, अपनी प्रतिष्ठा फिर स्थापित करने के लिए हमने बहुत बड़ी छलांग लगाई. फिर भी, मुद्दे की बात यही है कि हम पहले ही रूसियों से शुरु के दो मक़ाम हार चुके हैं. आप आज भी अंतरिक्ष की यात्रा का टिकट अमरीका में नहीं ख़रीद सकते -- पर आप उसे रशिया में ख़रीद सकते हैं. आप रूसी संसाधनों से अंतरिक्ष यात्रा कर सकते हैं, जो कि इस लिए उपलब्द्ध है क्योंकि रूसी अंतरिक्ष कार्यक्रम में धन की ज़बरदस्त कमी है, और एक सीट के बदले बीस मिलियन डॉलर की राशि का वो खुले दिल से स्वागत करेंगे. ये विशुद्ध व्यवसाय है. इसे आप अंतरिक्ष पर्यटन भी कह सकते हें. ये लोग चाँद के चारों ओर दौरा लगाने का भी प्रस्ताव रख रहे हैं, जैसे एपोलो आठ से किया गया था. 100 मिलियन डॉलर -- और हाँ, मैं चाँद जा सकता हूँ. पर जैसा कि आपने '60 के दशक में सोचा होगा, जब ये अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा पूरे ज़ोर पर था, कि पहला आम पूँजिवादियों के तरह का काम यही टिकट ख़रीद कर चाँद पर जाना -- ये रूसी संसाधनों के ज़रीए होगा? और क्या आपने अंदाज़ा लगाया होगा, या रूसियों ने भी कल्पना की होगी, कि जब वो पहली बार अपने पूर्ण विकसित संसाधनों के ज़रीए चाँद पर जाएँ, तो उनके यान में बैठने वाला कोई रूसी नहीं होगा? बल्कि कोई जापानी या अमरीकी करोड़पति होगा? सच में ये बहुत अजीब लगेगा. ख़ैर, मैं सोचता हूँ हमें उन्हे फिर हराना चाहिए. मुझे लगता है कि हम एक बहुत ही सफल अंतरिक्ष यात्रा उद्योग देखने वाले हैं. इसमें इस बात से कुछ आता नहीं की हम पहले हैं या नहीं. रूसियों ने कॉनकार्ड से पहले ही आवाज़ से तेज़ गति में चलने वाला यान बना लिया था. उससे उन्होने कुछेक मालवाही यात्राएँ करवाईं, ओर फिर उसे सेवा से बाहर कर दिया. आप ऎसे उदाहरण वाणिज्यिक चीज़ों में भी पाएँगे. ठीक, तो अब हम मनुष्य के अंतरिक्ष यात्रा के वाणिज्यिक पक्ष पर बात करेंगे. ये छोटी सी चीज़ बताती है कि नासा जो 2020 में करेगी, ये उसका कम से कम पाँच गुना होगी. मैं बताना चाहूनासा जो 2020 में चाहूँगा कि अब तक विश्व भर में कम से कम डेढ़ बिलियन से एक दशमलव सात बिलियन डॉलर का निवेश निजी अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में हो चुका है, जिसका सरकारों से कोई सरोकार नहीं. अगर आप पढ़ना चाहें -- गूगल में ढूँढना चाहें, आप को इससे लगभग आधे का आंकड़ा मिलेगा, पर असल में उससे दुगनी राशि को इस परियोजना के लिए चिन्हित किया जा रहा है -- अभी ख़र्च नहीं हुई है, पर अगले चंद सालों की योजनाओं के लिए निर्धारित की जा रही है. बहुत बड़ी राशि है. मेरा अनुमान है कि ये उद्योग बहुत ही लाभजनक होगा -- फायदा होना ही है जब आप लोगों से 200,000 डॉलर लेकर उन्हें यात्रा करवाएँ जबकि पूरी व्यवस्था को चलाने का ख़र्च केवल उसका दसवां हिस्सा हो, या उससे भी कम -- बहुत फायदे का सौदा है. मेरा अनुमान ये भी है कि इसमें होने वाला निवेश उस राशि के आधे से भी कम होगा जो अमरीकी करदाता नासा के मानव चालित अंतरिक्ष यान के काम में ख़र्च करता है. और तुलनात्मक रूप से इस काम में लगने वाले हर डॉलर का कम से कम 10 से 15 गुणा बेहतर इस्तेमाल होगा. इसके मायने ये होंगे कि हमारे ठीक से समझने के पहले ही, इंसान की अंतरिक्ष यात्रा में प्रगति, बिना करदाताओं के पैसे के, कम से कम पाँच गुना हो जाएगी नासा के आज के इंसानी अंतरिक्ष यात्रा के लिए बनाए गए बजटों से. और इसका सीधा सा कारण हैं हम. निजी उद्योग. आप इस तरह की चीज़ों के लिए कभी सरकार पर आश्रित नहीं हो सकते -- हम ये बहुत दिनों से करते आए हैं. नासा के पहले NACA (पहले की सरकारी कमीटी जो वैमानिकी में अमरीकी सरकार को परामर्श देती थी ) ने न तो किसी विमान को बनाया और न ही किसी विमान संस्था को चलाया. पर नासा अंतरिक्ष यान बना रही है, हमेशा से बनाती आई है, और अंतरिक्ष यात्रा का ज़रीया केवल उन्ही को उपलब्द्ध है. पर हम उससे बचते आए हैं क्योंकि हमें उससे डर लगता है. लेकिन जून 2004 के बाद, जब मैंने दिखाया कि एक छोटा सा दल भी ये काम कर सकता है, जिससए उसकी स्थापना की शुरुवात होती है, उस समय से सब कुछ बदल गया. ओके, बहुत धन्यवाद आप सभी का. (तालियाँ) मैं चाहता हूँ आप सभी की दुनिया के बारे में सोच को थोड़ा बदलने के लिए, मैं आपको हमारी प्रकृति में निहित कुछ संरचनाएँ दिखाऊं. तो, ये मेरी पहली स्लाईड है जिसमें हम बात करेंगे ब्रह्माण्ड कि उत्पत्ति के बारे में और उस विषय पर भी, जिसे मैं 'महाविश्व का घटनाचक्र अन्वेषण' कहूँगा, जिसमें हम सृ्ष्टि के अवशेषों के माध्यम से यह अनुमान लगाने का प्रयास करेंगे कि आरंभ में क्या हुआ था, फिर उसे अच्छे से समझने की कोशिश करेंगे. तो एक प्रश्न मैंने आपसे पूछा था, कि जब आप चारों ओर नज़र घुमाते हैं तो क्या पाते हें? आप इस पूरे जगह को देख रहे हैं जिसे डिज़ाईनरों ने बनाया है और लोगों की मेहनत से बना, पर आप जो देख रहे हैं उसमें लगाई गई बहुत सी सामग्री ऎसी है जो पहले से ही मौजूद थी, केवल उसे एक सुनिश्चित आकार दिया गया है. अब प्रश्न यह है कि ये सामग्री यहाँ पहुँची कैसे? नए रूप में ढलने से पहले वाली अवस्था में वो कैसे पहुँची, और उसके पहले वो क्या थी? तो अब सवाल ये है कि इन तारतम्यों का आपस में क्या संबंध है? देखने वाली बातों में ये भी है, कि ब्रह्माण्ड का प्रारंभ कैसे हुआ और यह इस आकार में कैसे आया? ब्रह्माण्ड की सृष्टि और उसके विकास की वो प्रक्रिया कैसी थी जिससे गुज़र कर हमें इस प्रकार की सामग्री मिली? तो ये आज के विषय का एक अंश होगा, और अब आगे मैं आपको हबल अल्ट्रा डीप फील्ड चित्र दिखाना चाहूँगा. अगर आप इस तस्वीर को देखें, तो आप इसके अधिकांश भाग में अंधकार के बीच में कुछ चमकीले बिंदु पाएँगे. चमकीले वस्तुओं में चार सितारे हैं, और आप उन्हें वहाँ देख सकते हैं -- छोटे प्लस के आकार के. ये सितारा है, ये सितारा है, बाकी सब कुछ आकाशगंगा हैं, ठीक है? तो यहाँ आप हजारों आकाशगंगाओं को अपनी आंखों से आसानी से देख सकते हैं. और जब मैं विशेषकर इस आकाशगंगा को देखता हूँ, जो हमारी आकाशगंगा जैसी लगती है, तो मुझे यह जानने की उत्सुकता होती है कि क्या वहाँ भी किसी आर्ट डिज़ाईन कॉलेज का सम्मेलन चल रहा है, जहाँ बुद्धिमान जीव यह सोचविचार कर रहे हैं कि किस तरह के डिज़ाईन बनाए जाएँ, और वहाँ कुछ ब्रह्माण्डविद भी बैठकर सोच रहे हों कि ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कहाँ से हुई, और ये भी हो सकता है कि उस आकाशगंगा से कोई हमारी ओर देख रहा हो, और अनुमान लगा रहा हो कि यहाँ क्या होता होगा. मगर दूसरी और बहुत सारी आकाशगंगाएँ हैं, जिनमें से कुछ पास हैं, और कुछ-कुछ सूर्य के रंग की ही हैं, जबकि कुछ दूर हैं और इसलिए तुलनात्मक रूप से ज़्यादा नीले प्रतीत होते हैं. पर अब आपके मन में ये सवाल आएगा -- कि इतनी सारी आकाशगंगाएँ क्यों हैं? चूँकि ये आकाश के एक साफ-सुथरे भाग का चित्र है, इसमें केवल 1,000 आकाशगंगाएँ हैं. हमारा अनुमान है कि -- हबल स्पेस टेलिस्कोप से दिख जाने वाले, मतलब यदि आप समय निकालकर चारों तरफ स्कैन करके देखें तो -- क़रीब 100 अरब आकाशगंगाएँ देखी जा सकती हैं. ठीक है? आकाशगंगाओं की यह बहुत बड़ी संख्या है. हमारी आकाशगंगा में तारो की संख्या भी लगभग इतनी ही है. पर जब आप इस तरह की जगहों को देखेंगे, तो पाएँगे कि यहाँ तारों से अधिक आकाशगंगाएँ हैं, जो अपने आप में एक पहेली है. आपके मन में ये सवाल उठना चाहिए कि, वो कैसी डिजाइन थी, और किस तरह की सृजन प्रक्रिया, व किस तरह की संरचनाएँ जिसने संसार को ऐसा बनाया? और अब मैं आपको जो दिखाने जा रहा हूँ, वह वास्तव में और भी जटिल है. हम उसे समझने-बूझने की कोशिश करेंगे. हमारे पास एक साधन है जो इस अध्ययन में हमारी सहायता करता है, और वो यह कि ब्रह्माण्ड का इतना अकल्पनीय विशाल होना उसे कुछ मायनों में टाईम मशीन जैसा बना देता है. हमने इन गोलाकृति पिंण्डों का समूह जैसा मॉडल बनाया है जिसे आप देख रहे हैं. हम पृ्थ्वी को इन पिण्डों का केन्द्र मान लेते हैं, इसलिए क्योंकि हम इसी स्थान से प्रेक्षण कर रहे हैं. चाँद हमसे बस दो सेकण्ड की दूरी पर है, तो अगर आप साधारण रोशनी में चाँद का चित्र लें तो ये चाँद की अब से दो सेकण्ड पहले की अवस्था है, जिससे बहुत फर्क नहीं पड़ता. दो सेकण्ड मतलब हाल की ही बात है. सूरज को हम आठ मिनिट बाद देखते हैं. ये भी कोई बड़ी बात नहीं है, यदि कोई सौर तूफ़ान हमारी ओर नहीं आ रहा हो, और हमें उससे बचना ज़रूरी हो. ऐसे में आप पूर्वचेतावनी रखना चाहेंगे. पर अगर आप बृ्हस्पति तक जाएं जो कि 40 मिनिट दूर है. तब समस्या आती है. आपने मंगल के बारे में सुना होगा कि वहाँ संपर्क साधना मुश्किल है क्योंकि प्रकाश को वहाँ तक पँहुचने में काफी समय लगता है. पर अब यदि आप सबसे निकटतम तारों को देखें, सबसे पास के 40 या 50 तारों को, वे लगभग 10 प्रकाशवर्ष की दूरी पर हैं. याने अगर आप अभी उनका चित्र खींचे, तो वो दरअसल उनके 10 साल पहले की अवस्था है. अब अगर आप आकाशगंगा के केन्द्र को देखें, तो वो उनकी हज़ारों साल पहले की अवस्था है. अगर आप एन्ड्रोमिडा को देखें, जो हमारी सबसे क़रीबी बड़ी आकाशगंगा है, वो हमसे बीस लाख प्रकाशवर्ष की दूरी पर है. अगर आप बीस लाख साल पहले की पृ्थ्वी का चित्र खींचें, तो वहाँ मनुष्य का नामोनिशान भी नहीं होगा, क्योंकि हमें नहीं लगता कि उस समय तक मनुष्य आए होंगे. ये उदाहरण आपको समय के अंतराल से दूरी का आभास भर देता है. हबल स्पेस टेलिस्कोप के ज़रीए हम कई सौ करोड़ों, अरबों वर्षों को देख रहे हैं. पर अगर हम इतने सक्षम हो जाएँ और ऐसा कुछ कर पाएँ जिससे हम और पीछे देख सकें -- ऐसी घटनाएँ जो और पहले घटी हो, मैंने अपने बहुत सारे शोधकार्य में यही किया, ऐसी तकनीकों के विकास पर काम किया -- जिससे हम तारों और आकाशगंगाओं के बनने के युगों पहले की घटनाएँ देख सकें, उस समय की, जब ब्रह्माण्ड गरम और सघन और बहुत ही अलग था. तो घटनाक्रम कुछ ऐसा ही था, और मेरे पास इसकी एक काल्पनिक प्रस्तुति भी है. इसमें बीच में स्थित आकाशगंगा हमारी है, जिसे 'मिल्की वे' कहते हैं, और उसके चारों ओर हबल से दिखने वाली करीबी आकाशगंगाएँ हैं, और यहाँ एक गोलक पिण्ड है, जिससे अलग-अलग समय को चिन्हित किया गया है. और उसके पीछे नई आकाशगंगाएँ हैं. क्या आप इस पूरे परिदृश्य को समझ पा रहे हैं? समय की उत्पत्ति कुछ अजीब है -- ये बाहर की ओर है, ठीक? और ब्रह्माण्ड का एक हिस्सा ऐसा भी है जिसे हम देख नहीं सकते क्योंकि वो इतना सघन और गरम है, कि उससे प्रकाश भी बाहर नहीं निकल पाता. कुछ वैसे ही जैसे आप सूर्य के केन्द्र तक देख नहीं सकते, उसके लिए उन तकनीकों का प्रयोग करना होगा जो बताएं कि सूर्य के अंदर क्या घट रहा है. लेकिन आप सूर्य की सतह को देख सकते हैं, और कुछ इसी तरह से ब्रह्माण्ड को भी हम देख पाते हैं. अब बाहरी भाग के इस मॉडल जैसी जगह को देखिए, ये बिग बैंग से निकला विकिरण (रेडियेशन) है, जो कि अद्भुत एकरूपता से बिखरा हुआ है. ब्रह्माण्ड लगभग एक सटीक गोले की भांति है, पर उसमें कुछ बहुत ही छोटी अनियमितताएं हैं जिन्हें हम यहाँ बहुत बढ़ाकर दिखा कर रहे हैं. और उनमें से कालानुक्रम में बढ़ते हुए इन छोटी अनियमितताओं से इन बेडौल आकाशगंगाओ, और फिर प्रारंभिक तारों से विकसित आकाशगंगाओं की ओर से अंततः सौरमंडल में हम यहां तक आते हैं. संरचना की दृष्टि से ये बहुत बड़ी बात है, पर अब हम देखेंगे कि इस समय क्या चल रहा है. इन परिमापनों (मेज़रमेंट्स) के लिए उपग्रह समूहों का उपयोग किया गया, जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं. यहाँ आप कोबे (COBE) उपग्रह को देख सकते हैं, जिसे 1989 में छोड़ा गया था, और जिससे इन अनियमितताओं की खोज हुई. फिर 2000 में, मैप (MAP) उपग्रह - फिर WMAP -- जिससे और अच्छी तस्वीरें मिली. और उसके बाद इस साल (2008) के अंत -- ये शानदार स्टेल्थ वर्ज़न है, जिसमें बहुत अच्छी डिज़ाईन क्षमताएँ हैं, अब देखिए -- प्लैंक उपग्रह को प्रक्षेपित किया जाएगा, जो बहुत अधिक रिज़ोल्यूशन के मानचित्र उपलब्ध कराएगा. और इस तारतम्य से ब्रह्माण्ड के आरंभ की समझ विकसित होगी. हमने इन तस्वीरों में अनियमितताओं को देखा, जिनसे अंतरिक्ष में समय के गठन, और ब्रह्माण्ड में निहित अवयवों के रहस्य उजागर होने लगे, साथ ही सृष्टि के प्रारंभ में उसकी उत्पत्ति के बारे में भी पता चलने लगा. तो हमारे पास ये बहुत ही अनूठी तस्वीर है, और अब मैं वापस शुरु से शुरु करता हूँ, जहाँ किसी रहस्यमयी प्रक्रिया से ब्रह्माण्ड की रचना होती है. फिर एक समय ऐसा आता है, जब त्वरित गति से विस्तार होता है, और ये ब्रह्माण्ड फैलने लगता है, फिर ये ठंडा होकर उस अवस्था तक पहुँच जाता है, जब ये पारदर्शी बन जाता है, फिर अंधकार युग का आरंभ होता है, जिसके बाद सर्वप्रथम तारों का जन्म होता है, जो आकाशगंगाएँ बनाते हैं, फिर उनसे और अधिक विस्तृ्त आकाशगंगाओं का विकास होता है. कुछ इसी दौरान हमारा सौर मण्डल अस्तित्व में आने लगता है. और ये आज भी विकसित हो रहा है. और भी कुछ अद्भुत चीज़ें हैं. ये जो चोगे जैसा आकार है, ये दर्शाता है कि इस दौरान अंतरिक्ष में समय का ढाँचा क्या कर रहा है. ये बहुत ही विचित्र मॉडल है, है ना? तो फिर किस आधार पर हम इसे सही मान रहे हैं? चलिए मैं आपको प्रकृ्ति में निहित कुछ संरचनाएँ दिखाता हूँ जो इसी का परिणाम है. मेरा मानना है कि स्पेसटाइम अंतरिक्ष की मुख्य सारवस्तु है, जबकि ये आकाशगंगाएँ और तारे सिर्फ समुद्र की झाग की तरह है. ये सब संकेत हैं कि हमें कहां रोचक तरंगें मिलेंगी और वहाँ क्या हुआ होगा. ये है स्लोअन डिजिटल स्काई सर्वे जिससे इस समय हम लाखों आकाशगंगाएँ देख रहे हैं. यहाँ का हर बिन्दु एक आकाशगंगा है. इसमें टेलिस्कोप के ज़रिए आकाश की तस्वीरें ली जाती हैं, उनमें से तारों को छांटकर अलग करके आकाशगंगाओं का अध्ययन किया जाता है, उनकी दूरी का अनुमान लगाकर उन्हे अंतरि़क्ष के मानचित्र में डाल दिया जाता है, और फैलते हुए अर्द्ध-व्यास में उनके स्थिति की दिशा के अनुसार लगा दिया जाता है. आप इन संरचनाओं को देख रहे हैं, इसे हम ग्रेट वॉल कहते है, पर इसके साथ ही शून्य स्थान और वे पदार्थ भी हैं जो बहुत हल्के नज़र आते हैं क्योंकि हमारे टेलिस्कोप इतने उन्नत नहीं हैं कि उन्हें देख पाएं. अब मैं आपको यही चित्र 3D में दिखाता हूँ. इन तस्वीरों को धरती की अपनी धुरी पर घूमने के दौरान लिया जाता है, इसलिए ये आपको विस्तृत आकाश में फैले हुए पंखे के आकार में दिखते हैं. अंतरिक्ष के कुछ भाग हम अपनी आकाशगंगा के कारण नहीं देख पाते, या फिर इसलिए क्योंकि उन्हे दिखा सकनेवाले टेलिस्कोप अभी बने नहीं हैं. अगली तस्वीर में हम इस घूमने की प्रक्रिया का त्रि-आयामी (3D) रूपांतरण देखेंगे. क्या आप आसमान में फैले पंखे के आकार के इन स्कैन को देख रहे हैं? ध्यान दें, यहाँ हर एक बिन्दु एक आकाशगंगा है, आप उन आकाशगंगाओं को भी देख पा रहे हैं जो एक तरह से हमारे पड़ोसी हैं, और आप उनकी संरचना को भी देख पा रहे हैं. आप अब उस आकार को देख रहे हैं जिसे हम ग्रेट वॉल कहते हैं, आप इसकी जटिल बनावट को देख सकते हैं, और इन शून्य स्थानों को भी. अंतरिक्ष में कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ एक भी आकाशगंगा नहीं है, और कुछ ऐसे जहाँ हज़ारों आकाशगंगाएँ एक साथ ठंसी हुई हैं. ये एक अद्भुत आकृति है, लेकिन हमारे पास उतने आंकड़े उपलब्द्ध नहीं है कि हम इसका वास्तविक स्वरूप देख सकें. हमारे पास दस लाख आकाशगंगाएँ हैं, ठीक? जैसे हवा में दस लाख गेंदें एकसाथ लटकी हुई हैं. पर इसके पीछे क्या चल रहा है? इससे मिलता-जुलता एक और सर्वे किया गया था, जिसे 'टू-डिग्री फील्ड ऑफ व्यू गैलेक्सी रेडशिफ्ट सर्वे' कहा जाता है. अब हम इसके बीच से पलक झपकते ही गुज़र जाएंगे. यहां जब भी हमें कोई आकाशगंगा मिलती है -- तो हम उस आकाशगंगा के बारे में हमारी उपलब्द्ध जानकारी रेडशिफ्ट परिमापन और इसी तरह के तरीकों से जुटा लेते हैं और उसके आधार पर आकाशगंगा का प्रकार और रंग दर्ज कर देते हैं, जिससे यह वास्तविक प्रतिरूप बन गया है. आप जब आकाशगंगाओं के बीचोंबीच हों, तो वहाँ से उनकी आकृ्ति को समझना कठिन है, ये जीवन के बीच फंसे रहने जैसा ही कुछ है. दृश्य के बीच में स्थित होकर उसका समूचा विवरण जान लेना बहुत मुश्किल है, इसलिए हम इसकी आकृति का अनुमान नहीं लगा पाएंगे. तो इसलिए हम बाहर निकलकर इसे वापस पलटकर देखेंगे. फिर पहले हमें इस सर्वे से निर्मित विन्यास दिखेगा, और फिर हम वहाँ दिखने वाली आकाशगंगाओं की संरचना दिखने लगेंगीं. फिर से, पहले हमें आकाशगंगाओं की ग्रेट वॉल का यह विस्तार दिख रहा है. लेकिन आप शून्य स्थानों को भी देख पा रहे हैं, और इस जटिल बनावट को देख कर शायद आप सोच रहे होंगे, कि ये कैसे बना? मान लीजिए कि आप ब्रह्माण्ड के रचयिता हैं, आप आकाशगंगाओं को इस प्रकार के विन्यास में कैसे लगाएंगे? आखिर इन्हें बिना किसी उद्द्देश्य के यूँ ही तो नहीं फैला दिया गया होगा. इसमें कोई बहुत ही पेचीदा प्रक्रिया सम्मिलित है. आखिर ऐसी रचना हम कैसे बना सकते हैं? अब हमारे सामने मामला गंभीर हो चला है. हमें पूरी गम्भीरता के साथ ईश्वर की भूमिका अदा करनी है, सिर्फ लोगों का जीवन ही नहीं, बल्कि हमें दुनिया भी बनानी है. अगर ये आपकी ज़िम्मेदारी हो, तो आप इसे कैसे निभाएँगे? कौनसी तकनीक का इस्तेमाल करेंगे? उसकी प्रक्रिया के चरण क्या होंगे? अब मैं आपको हमारे द्वारा बहुत ही विशाल पैमाने पर किए सिम्युलेशन के परिणाम दिखाऊँगा, जो इस पर आधारित है कि हमारी समझ से ब्रह्माण्ड कैसा हो सकता है, इसमें हमने मुख्य रूप से कार्य और रचना के कुछ ऐसे सिद्धान्तों को अपनाया है, जिन्हें मनुष्य को तो सीखने में बड़ी मशक्कत लगी, पर प्रकृ्ति उनसे आदिकाल से ही परिचित थी. और वो बस यह है कि आप एकदम सरलतम उपादानों को साधारण नियमों से इस्तेमाल करें, पर आपके पास पर्याप्त उपादान होने चाहिए ताकि इसे आगे जटिल बनाया जा सके. अब इस प्रारूप में कुछ बेतरतीबियां सम्मिलित कीजिए, कुछ अनिश्चितता और बेतरतीब अनियमितता, फिर आप पाएँगे कि अलग-अलग निरूपणों का अंबार लग गया है. अब मैं आपको पैमानों के फलन के रूप में पदार्थ का वितरण दिखाना चाहूँगा. ये उसी का नक्शा है, और अब हमे अंदर की ओर ज़ूम करेंगे. ब्रह्माण्ड के सही निरूपण के लिए हमें इसमें एक और चीज़ जोड़्नी पड़ेगी. जिसे हम डार्क मैटर कहते हैं. ये ऐसा पदार्थ है जो प्रकाश से वैसी प्रतिक्रिया नहीं करता जैसी सामान्य पदार्थ करते हैं, याने जैसे ये रोशनी मुझपर या मंचपर पड़ रही है. ये पदार्थ प्रकाश के लिए पारदर्शी है, पर आप इसे यहाँ देख सकें, इसलिए हमने उसे सफेद रंग में दर्शाया है, ठीक है? तो इस तस्वीर में जो कुछ सफेद रंग में है वह डार्क मैटर है. हमें इसे अदृश्य पदार्थ कहना चाहिए, लेकिन अभी हमने इसे यहाँ दृश्यमान कर लिया है. पीले रंग में दिखने वाला पदार्थ, वह सामान्य पदार्थ है जो तारों और आकाशगंगाओं में परिवर्तित हो जाता है. मैं आपको अगली फिल्म दिखाता हूँ. यहां पर हम फिर ज़ूम करते हैं. इन आकृ्तियों को ध्यान से देखिए. हम अब और ज़्यादा ज़ूम कर रहे हैं. आप अब इन तंतु जैसे आकारों को, संरचनाओं को और शून्य स्थानों को देख रहे हैं. और जब ऐसे बहुत सारे तंतु एक साथ किसी गांठ की जुड़ जाते हैं, तो आकाशगंगाओं का महागुच्छ बन जाता है. ये जगह जिस पर अभी हम ज़ूम कर रहे हैं इस छोटे से क्षेत्र में क़रीब 1 लाख से 10 लाख आकाशगंगाएँ हैं. हम तो बहुत ही उजाड़ सी जगह में रहते हैं. न तो वह सौरमण्डल का केन्द्र है, न ही हमारी आकाशगंगा का केन्द्र और हमारी आकाशगंगा भी अपने आकाशगंगा समूह के केन्द्र में नहीं है. हम फिर ज़ूम करते हैं. इस क्षेत्र में लगभग 1 लाख से 10 लाख के बीच आकाशगंगाएँ मिल सकती हैं. हम ज़ूम करते रहेंगे. ठीक है? मैं आपको इसका पैमाना बताना भूल गया था. एक पारसेक 3.26 प्रकाशवर्ष के समान है. तो एक गीगा-पारसेक 3 अरब प्रकाश वर्ष है -- और यही हमारा पैमाना है. मतलब प्रकाश को इस दूरी को तय करने में 3 अरब साल लगेंगे. अब हम इस बिन्दु से उस बिन्दु की दूरी पर हैं. ये दूरी हमारे और हमसे निकटतम एन्ड्रोमिडा आकाशगंगा के बीच की दूरी है. ये छोटे धब्बे जैसी चीज़ें आकाशगंगाएँ हैं. अब हम बाहर की तरफ ज़ूम करेंगे, और आप इस संरचना को देख रहे हैं, जो कि बहुत दूर से नियमित आकृति जैसी दिखती है, पर ये बहुत सारी अनियमितताओं से मिलकर बनी हैं. ये संरचना के सरल सारभूत उपादान हैं. इसमें पहले तो एक सरल तरल द्रव है. इसमें डार्क मैटर है, सामान्य पदार्थ है, उसमें फोटोन और न्युट्रिनो हैं, जिनकी ब्रह्माण्ड के उत्तरार्द्ध में ज़्यादा उपयोगिता नहीं है. द्रव बहुत ही सरल है, जो समय के साथ साथ जटिल संरचना में परिवर्तित हो जाता है. जब आपने पहले इस तस्वीर को देखा, तो शायद ही ये उतना महत्वपूर्ण लगा हो. यहाँ आप समूचे दृश्यमान ब्रह्माण्ड का एक प्रतिशत हिस्सा देख रहे हैं और उसमें आप अरबों आकाशगंगाएँ और उनके समूह देख रहे हैं, लेकिन, आप जान चुके हैं कि ये प्रमुख संरचना नहीं है. इस ढाँचे का आधार डार्क मैटर, याने अदृश्य पदार्थ है, जिसने पूरी संरचना को एक सूत्र में बांधे रखा है. हम अब फिर इसके बीच से गुज़रते हैं, और आप देख सकते हैं कि दृश्य के बीच में बैठकर उसकी संपूर्ण अवधारणा बनाना कितना कठिन है. तो यहाँ भी हमें वही नतीजा मिलता है. आप ये तंतु देख पा रहे हैं, ये प्रकाश अदृश्य पदार्थ है, और ये पीला रंग तारों या आकाशगंगाओं को दर्शाता है. अब हम इसके चारों ओर का चक्कर लगाएंगे, यहाँ आप बीच-बीच में तंतुओं को एक दूसरे में उलझते देख सकते हैं, जिससे आकाशगंगाओं का एक बड़ा समूह बन जाता है. अब हम वहाँ जाएंगे जहाँ आकाशगंगाओं का बहुत बड़ा समूह है, आप देख सकते हैं कि वो कैसा दिखता है. तो अंदर से ये उतना पेचीदा नहीं लगता है, है ना? पर जब आप इसे बहुत बड़े पैमाने पर देखें, और इसका अध्ययन करें, तो आप पाएंगे कि ये बहुत ही उलझी हुई, महीन, और जटिल रचना है. ये किसी विशेष पद्धति से पनपी है. तो सवाल ये है, कि ऐसी संरचना का बनना कितना मुश्किल होगा? कामगारों की कितनी बड़ी फौज लगी होगी इस ब्रह्माण्ड को बनाने में? मुद्दा यही है, है ना? तो शुरु करते हैं. आप देख सकते हैं कि कैसे ये तंतु -- देखिए कैसे बहुत सारे तंतु एक साथ मिलकर आकाशगंगाओं का महागुच्छ बना रहे हैं. यहाँ आपको ये समझना होगा कि वास्तविकता में ये ऐसा नहीं दिखेगा यदि -- पहले तो, आप इतनी तेज़ यात्रा नहीं कर सकते, उससे सब कुछ विकृ्त हो जाएगा, लेकिन अभी हम जो देख रहे हैं, वो साधारण ग्रैफिक आर्ट के ज़रिए किया निरूपण है. यूँ कह लीजिए कि अगर आप अरबों साल ब्रह्माण्ड के चारों ओर सफर करते, तो दृश्य आपको कुछ ऐसा दिखता. और वो भी तब, जब आप अदृश्य पदार्थ को देख पाते. तो सवाल ये है कि, ऐसा कौनसा तरीक़ा हो सकता है, जिससे इस पूरे ब्रह्माण्ड को सरलता से बनाया जा सके? तो शुरू करते हैं इस समझ के साथ कि ये समूचा दृश्यमान ब्रह्मांड, वो पूरा विस्तार जो हम हबल स्पेस टेलिस्कोप और दूसरे उपकरणों के ज़रिए हर दिशा में फैला देखते हैं, एक समय किसी अणु से भी छोटा क्षेत्र था. इसकी शुरुआत कुछ बहुत ही सूक्ष्म क्वान्टम यांत्रिक उथलपुथल के ज़रिए हुई, जो बहुत ही प्रचंड गति से बढ़ने लगी. फिर ये अस्थिरताएँ महाकाशीय परिमाणों में फैलने लगी, और हमें यही अनियमितताएँ ब्रह्माण्ड में व्याप्त माइक्रोवेव तरंगों के आधार पर दिखती हैं. अब हमें कोई ऐसा तरीका चाहिए जिससे ये अस्थिरताएँ आकाशगंगाओं और आकाशगंगाओं के समूह में विकसित हो सके, और ये प्रक्रिया सतत चलती रहे. मैं अब आपको एक छोटा प्रारूपण (simulation) दिखाऊँगा. इस प्रारूपण को 1,000 कम्प्युटर प्रोसेसरों पर एक महीना चलाया गया था ताकि इसे देखने योग्य प्रस्तुति जैसा बनाया जा सके. अब मैं अगली तस्वीर में आपको एक और प्रारूपण दिखाता हूँ जिसे चलाने में किसी डेस्कटॉप कम्प्युटर को दो दिन लगते हैं. तो हम बहुत छोटी अस्थिरताओं से शुरु करते हैं जब ब्रह्माण्ड इस बिन्दु पर था, अब चार गुना छोटा, और इसी तरह आगे बढ़ते हैं. अब आप ये जालसदृश आकृतियां देख पा रहे हैं, और खगौलिक आकृतियों को भी बनते देख रहे हैं. ये बहुत ही सरल संरचना है, क्योंकि इसमें साधारण पदार्थ नहीं, केवल डार्क मैटर है. अब देखिए कैसे डार्क मैटर पदार्थ के रूप में इकट्ठा होने लगता है, और कैसे साधारण पदार्थ उसका अनुसरण करता है. यहाँ देखिए. शुरुआत में ये बहुत नियमित है. अस्थिरताएँ केवल 1,00,000 का एक अंश हैं. और कहीं-कहीं 10,000 के एक अंश तक पहुँच रहीं हैं, फिर अरबों सालों में गुरुत्वाकर्षण अपना काम करने लगता है. यहाँ घनत्व बढ़ रहा है, जिससे आसपास का पदार्थ इसकी ओर खिंचने लगता है. इससे ये और पदार्थ को खींचने लगता है, फिर और ज़्यादा. पर ब्रह्मांड में दूरियाँ इतनी विशाल हैं और समय के पैमाने इतने बड़े कि इसे आकार लेने में बहुत समय लग जाता है. यह तब तक होता रहता है जबतक विस्तार की दृष्टि से ब्रह्माण्ड आज की अवस्था के लगभग आधे तक ना पहुँच जाए. वहाँ पहुँचने के बाद, ब्रह्माण्ड रहस्यमय रूप से बहुत तेज़ी से फैलने लगता है और अपनी वृ्हदाकार संरचनाएँ रोक देता है. तो हम उतने ही बड़े आकार की बनावट देख पा रहे हैं, जितना इस समय तक संभव है, उसके बाद केवल वही चीज़ें आकार लेती रहेंगी जिनका आकार लेना पहले ही शुरू हो चुका है और वही आगे भी विकसित होती रहेंगी. तो हम प्रारूपण में सफल हैं, लेकिन इसके लिए डेस्कटॉप कम्प्युटर पर दो दिन लगेंगे. हमें 1,000 कम्प्युटर प्रोसेसर पर क़रीब 30 दिन लगेंगे इसके पहले दिखाये प्रारुपण को देखने के लिए. तो अब हमें कुछ-कुछा पता चला है कि ये ब्रह्माण्ड कैसे बनाया जा सकता है, एक बूंद से भी कम सामग्री लगाकर हर दिशा में दिखने वाली हर चीज़ बनाई जा सकती है, लगभग कुछ नहीं से -- क्योंकि मूलतत्व इतना सूक्ष्म है, इतना सूक्ष्म -- और ये लगभग परिपूर्ण ही है, सिवाय इस बात के कि इसमें बहुत छोटी अस्थिरताएँ हैं, 1,00,000 में एक अंश के बराबर, जिनसे ये अद्भुत नक्शे और आकृ्तियाँ बनीं जो हम रहे हैं, आकाशगंगाओं और तारों जैसे रूपों में. अब हमारे पास एक प्रारूप है, जिसकी हम गणना कर सकते हैं और उपयोग भी, ब्रह्माण्ड दरअसल दिखता कैसा होगा उसकी रुपरेखा बनाने के लिए. ये रूपरेखा हमारे पहले की कल्पनाओं के बिल्कुल विपरीत है. 15 साल पहले हमने कॉसमिक बैकग्राउन्ड एक्सप्लोरर से शुरुआत की थी -- जिससे ऊपर दाएं ओर वाले चित्र बनाए, जो मूलतः ये बताते हैं कि बहुत बड़ी मात्रा के कुछ उतार-चढ़ाव हुए थे, ओर ये उतार-चढ़ाव कई पैमानों में थे. आप उसे यहाँ कुछ हद तक देख सकते हैं. उसके बाद हमारे पास WMAP आया, जिसने हमें बस बेहतर कोणीय विश्लेषण दिया. हम वही विशाल पैमाने की आकृ्तियाँ देख पा रहे हैं, पर साथ में कुछ छोटे पैमाने की भी. नीचे दाएं ओर की तस्वीर दर्शाती है कि अगर उपग्रह ने पलटकर पृ्थ्वी का चित्र लिया होता तो हमें कैसा चित्र मिलता. जैसा कि आप देख सकते हैं, आप सारे बड़े महाद्वीपों को देख सकते हैं, लेकिन उससे ज़्यादा नहीं. पर हम उम्मीद कर रहे हैं कि जब हमें प्लैंक उपग्रह मिलेगा, तो चित्रों में स्पष्टता लगभग वैसी होगी जैसा कि आप पृ्थ्वी के उस चित्र में देख पा रहे हैं, जिसमें आप पृ्थ्वी की जटिल संरचना को स्पष्ट रूप से देख पा रहे हैं. साथ ही, किनारों की स्पष्टता ये भी दिखा रही है कि महाद्वीपों को सटाने पर वे एक-दूसरे में अटक सकते हैं, जिससे पृ्थ्वी पर कुछ अरेखिय प्रक्रियाओं के चलने का भी आभास मिलता है. भूगर्भ में कुछ प्रभाव हैं, पृ्थ्वी की सतह के प्लेट्स के सरकने का. इसका पता आपको इस चित्र से ही मिल जाएगा. हम ब्रह्माण्ड के आदिकाल के चित्रों को इतना अच्छा बनाना चाहते हैं कि उन्हें देखते साथ ही हमें पता चले कि क्या किन्ही अरेखीय प्रभावों के चलते कोई हलचल, या परिवर्तन रूप ले रहा है, और साथ ही हमें कुछ भी सुराग मिल सके कि उत्पत्ति के समय अंतरिक्ष में स्पेसटाइम का सृजन कैसे हुआ होगा. तो आज हम इसी पर काम कर रहे हैं, और मैं आपको इसका छोटा सा स्वाद चखाना चाहता था. एक अलग सोच देना चाहता था कि ब्रह्माण्ड का नक्शा और बाकी सब कुछ कैसा होता होगा. धन्यवाद. (तालियाँ) जरूरत के समय में, हमें महान रचनात्मकता की जरूरत होती है l महान रचनात्मकता अचरजभरी , तार्किक या अतार्किक पर शक्तिशाली होती है I महान रचनात्मकता सहिष्णुता फैलाती है और स्वतंत्रता का समर्थन भी करती है, शिक्षा को एक प्रकाशदायी विचारसमजती है| ( हंसी ) महान रचनात्मकता जरूरतों पर प्रकाश डालती है, या फिर ये दिखाता है की जरूरतें जरूरी नहींI महान रचनात्मकता नेताओं को जीता सकती है, तो दलों को हरा भी सकती हैI ये युद्ध को किसी दुखांत घटना या तमाशा भी बना सकते हैंI रचनात्मकता एक सोच देती है| जिसे हम अपने टी शर्ट पर लगते है घोशवाक्योको जबान पर लाती है| ये हमे एक सीधा रास्ता दिखाती है मुश्किल मंजिलों तक पहुँचने का I विज्ञान ज्ञानपूर्ण है, पर महान रचनात्मकता को यह जानना जरुरी नहीं, ये जादुई है I और अब हमे ऐसे ही जादू की ही ज़रूरत है I ये समय है ज़रूरत काI हमारा मौसम बहुत जल्दी बदल रहा हैI और अब एक महान रचनाकारो की ज़रूरत है वो करने को जो वो हमेशा करता रहा है वह हमें प्रेरणा देती है नए सोच का जो नाट्यमय वचनों को जन्म देती है हमें अलग तरहसे विचार करने बाध्य करती है रद्दी चिचिजोसे नव निर्मिती का आनद देती है ऐसीही एक रद्दी चिजो बनी रचनात्मक चीज मैंने बनायीं है पर्यावरण रक्षण के लिए अन्योंको प्रेरणा देने वाली (व्हिडिओ) आदमी: तुम्हें पता है, आज ड्राइव के बजाय, मैं चलने के लिए जा रहा हूँ। अनाउन्सार: और वह चला गया, और चलते चलते उसने कुछ देखा उसने कभी नहीं देखी ऐसी अजीब और अद्भुत बातें। एक हिरन का खुजलीवाला पैर हवा में चलनेवाली मोटर सायकल; एक पिता और बेटी एक रहस्यमय दीवार से एक साइकिल से अलग कर दिया। और उसने चलना बंद कर दिया। उसके सामने चलकर वह आ गयी एक बच्चे के रूप में उसके साथ छोड़ दिया था और उसका दिल टूट गया। वास्तव में, वह ज्यादा आयु वर्गकी थी उम्र में बड़ी थी की वापसी के लिए सभी अपने पुराने जुनून महसूस किया। "फोर्ड," उसने धीरे से कहा जो उसका नाम था। "एक और शब्द, मत कहो गस्टी," उसने कहा, जो की उसका नाम था "मैं यहाँ से ठीक ३०० गज की दूरी पर हु अगले एक कारवां के लिए एक तम्बू में वहाँ जाने के और प्यार करते हैं। तम्बू में। " फोर्डने कपडे उतार लिये उसने ह एक पैर फैलाया, और फिर अन्य। गुस्टी ने तम्बुमे साहसपूर्वक प्रवेश किया और लय में उसके साथ प्यार किया फोर्ड ने उसे फिल्मायावह एक गहरी शौकिया पोर्नोग्राफर थी । पृथ्वी उन दोनों के लिए ले घुमने लगी और वे खुशी से बादन`में हमेशा एक साथ रहने लगे। और वह उस दिन चलने का फैसला किया इस वजह से ये हुवा। (तालियाँ) अँडी होब्सबाव्म: हमें विज्ञान मिला और बहस भी नैतिकता की मांग मेंज पर है महान रचनात्मकता यह सबके लिए आवश्यक है, उसे सरल और तेज कर सकते हैं। इसे कनेक्ट करने के लिए। यह लोगों में कार्य करनेकी चाह बनाने के लिए। तो यह एक पुकार है, एक दलील टेड समुदाय के लिए। पर्यावरण रक्षण के लिए रचनात्मक कार्य करने के लिए और जल्द ही यह करना है। धन्यवाद। (तालियाँ) 2019 में, मानवता को एक चेतावनी मिली: दुनिया के 30 अग्रणी वैज्ञानिकों ने परिणाम जारी किए वैश्विक कृषि के तीन साल के एक बड़े अध्ययन की और घोषणा की कि यह मांस उत्पादन हमारे ग्रह को नष्ट कर रहा है और वैश्विक स्वास्थ्य को खतरा है । अध्ययन के लेखकों में से एक ने समझाया कि "मानवता अब एक खतरा बन गया है ग्रह की स्थिरता पर ... [इसके लिए आवश्यक है] एक नई वैश्विक कृषि क्रांति की । " मैने पिछले दो दशक लगाये हैं औद्योगिक मांस उत्पादन से दूर होने की वकालत करने में , मैंने विश्वास किया कि यह स्पष्टीकरण एक फर्क करेगा । पर, मैंने इस तरह पहले देखा है बार-बार और कई दशकों तक। यहां "नेचर" जर्नल से 2018 है 2017 से "बायोसाइंस जर्नल," 2016 से नेशनल विज्ञान अकादमी। इन अध्ययनों का मुख्य मुद्दा जलवायु परिवर्तन होता है। लेकिन एंटीबायोटिक प्रतिरोध भी एक बड़े खतरे के रूप में दीखता है। हम बड़े पैमाने पर खेत जानवरों को एंटीबायोटिक दवाएं खिला रहे हैं। ये एंटीबायोटिक्स बाद में सुपरबग में उत्परिवर्तन होते हैं जिससे एंटीबायोटिक्स अप्रचलित होने का खतरा होता है हमारे सभी के जीवनकाल में । आपको एक डर बताऊँ ? गूगल किजिए "काम करने वाले एंटीबायोटिक्स का अंत।" मैं पहले एक चीज़ स्पष्ट कर दूं : मैं यह बताने नहीं आया हूं कि क्या खाना चाहिए। व्यक्तिगत कार्य बढ़िया है, लेकिन एंटीबायोटिक प्रतिरोध और जलवायु परिवर्तन - इन्हे अधिक की आवश्यकता है। वैसे भी दुनिया को कम मांस खाने के लिए समझान कभी काम नहीं किया है। पिछले 50 वर्षों से , पर्यावरणविदों, वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और पशु कार्यकर्ता जनता से विनती कर रहे है कम मांस खाने के लिए। और फिर भी, प्रति व्यक्ति मांस की खपत पूरे इतिहास में सबसे ज्यादा है । पिछले साल औसतन एक उत्तरी अमेरिकी ने 200 पाउंड से अधिक मांस खाया। और मैंने कोई नहीं खाया। (हँसी) जिसका मतलब है कि किसी और ने 400 पाउंड मांस खाया। (हँसी) हमारे वर्तमान बढोतरी स्तर पर, हमें 2050 तक 70 से 100 प्रतिशत अधिक मांस उत्पादन की ज़रुरत होगी । इसके लिए वैश्विक समाधान चाहिए । हमें आवश्यकता है, ऐसा मांस उत्पादन करने की जिसे लोग पासन्द करें , लेकिन हमें बनाना होगा एक बिलकुल नए तरीके से। मेरे पास कुछ विचार हैं। आइडिया नंबर एक: चलो पौधों से मांस उगाते हैं। पौधों के बढ़ने के बजाय, उन्हें जानवरों को खिलायें , और उस अक्षमता के सभी, उन पौधों को उगाओ, उनके साथ बायोमिमिक मांस, पौधे आधारित मांस बनाया जाये । आइडिया नंबर दो: वास्तविक पशु मांस के लिए, इसे सीधे कोशिकाओं से विकसित करें । जीवित जानवरों के बढ़ने के बजाय, सीधे कोशिकाओं को विकसित करें । एक चिकन को छह हफ्ते लगते हैं बढ़ने और वध करने के लिए सीधे कोशिकाओं को विकसित कर, वही विकास मिल सकता हैं छह दिनों में। ऐसा पैमाने पर दिखता है। यह आपके पड़ोस का मांस कारखाना है । (हँसी) इसके बारे में दो बातें बताऊंगा । पहला, हमें विश्वास है कि हम यह कर सकते हैं। हाल में, कुछ कंपनियों पौधों से मांस का उत्पादन कर रही हैं जिसे उपभोक्ता अंतर नहीं कर सकते वास्तविक पशु मांस से, और अब दर्जनों कंपनियां हैं वास्तविक पशु मांस बना रहीं हैं सीधे कोशिकाओं से। यह पौधे आधारित और कोशिका आधारित मांस है उपभोग्ताओं को वो सब देता है जो वे मांस में पसंद करते हैं स्वाद, बनावट और वगेरा - लेकिन एंटीबायोटिक दवाओं के बिना और यह सिर्फ एक अंश प्रतिकूल जलवायु पर प्रभाव से । और क्योंकि ये दोनों प्रौद्योगिकियां बहुत ही कुशल हैं, उत्पादन पैमाने पर ये उत्पाद सस्ते होंगे। पर इसके बारे में एक और बात - यह आसान नहीं होगा। ये प्लांट बेस्ड कंपनियों ने उनके बर्गर पर कुछ राशि खर्च की हैं, और सेल आधारित मांस अभी तक व्यावसायीकरण किया गया है। तो हमें सभी के साथ की जरूरत पड़ेगी इनको वैश्विक मांस उद्योग बनाने के लिए। शुरु में, हमें वर्तमान मांस उद्योग की जरूरत है । हम मांस उद्योग बाधित नहीं करना चाहते हैं , हम इसे बदलना चाहते हैं। हमें अर्थव्यवस्था पैमाने की ज़रुरत है, उनकी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला, उनकी वितरण विशेषज्ञता और उनके बड़े उपभोक्ता आधार। हमें सरकारों की भी जरूरत है। सरकारें करोड़ों-अरबों डॉलर खर्च करती हैं हर एक साल में अनुसंधान और विकास पर वैश्विक स्वास्थ्य और पर्यावरण पर । उन्हें उसका कुछ पैसा सुधर में लगाना चाहिए प्लांट-आधारित का और सेल आधारित मांस का उत्पादन। देखो, हजारों लोग मारे हैं एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी सुपरबग्स से उत्तरी अमेरिका में पिछले साल ही। 2050 तक, वह संख्या होने जा रही है वैश्विक स्तर पर प्रति वर्ष 10 मिलियन। और जलवायु परिवर्तन एक खतरा मौजूद है हमारे विशाल वैश्विक परिवार के लिए, जिसमें कुछ सबसे गरीब लोग भी हैं। जलवायु परिवर्तन, एंटीबायोटिक प्रतिरोध - ये वैश्विक आपात स्थिति हैं। मांस उत्पादन में तेजी आ रही है वैश्विक स्तर पर ये आपात स्थिति हैं। लेकिन हम मांस की खपत को कम नहीं कर रहे हैं जब तक हम उपभोक्ताओं को विकल्प नहीं देंगे जो उसके बराबर या कम दाम में हो और स्वाद में वही या बेहतर हो । हमारे पास समाधान है। चलिए पौधों से मांस बनायें । चलिए इसे सीधे कोशिकाओं से विकसित करें। अब समय है कि हम जुट जाएँ वे संसाधन इकठा करें जो आवशयक हैं अगले वैश्विक कृषि क्रान्ति बनाने के लिए । धन्यवाद। (तालियां) आपको याद है १२ जून, २०१६ को आप कहाँ थे? आपमें से कुछ को याद होगा, पर यकीनन कह सकता हूँ कि अधिकतर को शायद याद ना हो। १२ जून, २०१६ को एक अकेले बंदूकधारी ने अमरीकी इतिहास के सबसे घातक सामूहिक हत्याकांड में पल्स नाइटक्लब में ४६ लोगों को मार दिया। अब एक दशक पीछे चलते हैं। २९ अगस्त, २००५ कैसा रहेगा। आपको याद है आप कहाँ थे? वहाँ कुछ लोग सिर हिला रहे हैं। वह था हरिकेन कैटरीना। उत्तरी अमरीका की सबसे महंगी प्राकृतिक आपदा जिसमें १,८०० से ज़्यादा लोगों की मौत हुई। अब कुछ और साल पीछे चलते हैं और १०० प्रतिशत लोगों को याद होगा। याद है ११ सितम्बर, २००१ को आप कहाँ थे? अब सभी सिर हिला रहे हैं। अमरीकी इतिहास के सबसे बुरे आतंकवादी हमले में ३,००० से अधिक मरे थे। याद है आपको कैसा महसूस हुआ था? आप व्याकुल थे? डरे हुए थे? आप बीमार महसूस कर रहे थे? आप चपेट में थे? हर बार ऐसा होता है, हम असंवेदनशील बनते जा रहे हैं। हम अक्सर खबरों में देखते हैं सामूहिक हत्याकांड, प्राकृतिक आपदाएँ, जिनके परिणामस्वरूप जीवन का भारी नुकसान होता है, आतंकवादी हमले, और फिर हम चैनल बदल देते हैं कुछ अच्छा देखने के लिए। आज हम ऐसे समाज में रहते हैं, पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित लोगों के लिए इन दर्दनाक घटनाओं के प्रभाव कम गंभीर नहीं हैं, और अब हमारे समाज पर भावनात्मक दर्द का प्रभाव पहले से कहीं अधिक जटिल हो गया है। आपको याद है २० अप्रैल, १९९९ को आप कहाँ थे? दो छात्र कोलम्बीन हाई स्कूल में आए बंदूकें, अर्द्ध स्वचालित राइफलें और बहुत से घर के बने विस्फोटकों से सशस्त्र, और अमरीकी इतिहास के सबसे बुरे स्कूली गोलीकांड में १२ छात्रों और एक अध्यापक को मार डाला। मुझे याद है मैं कहाँ था। मैं अपने घनिष्ठ मित्र के साथ बस पुस्तकालय पहुँचा था बाकियों को मिलने जो लंच के लिए जाने की तैयारी में थे। कुछ ही पल में, जिन दरवाज़ों से हम अंदर आए, वहाँ से एक अध्यापक भागता हुआ आया चिल्लाते हुए कि सभी मेज़ के नीचे घुस जाएँ; किसी के पास बंदूक थी। मुझे याद है मैंने क्या महसूस किया। मैं व्याकुल था। मैं डरा हुआ था। मैं बीमार महसूस कर रहा था। और मैं चपेट में था। और बस कुछ मिनटों में, मैं मेज़ के नीचे मृत होने का नाटक कर रहा था मेरे साथ कोई लहूलूहान पड़ा था। मुझे गोली लगी थी, और मैंने अपने मित्र को आँखों के सामने मरते हुए देखा था जब हम एक साथ मदद का इंतज़ार कर रहे थे। मैं टूट चुका था। मैं सदमे में था, और मुझे दर्द हो रहा था। पर उस दिन दर्द की मेरी समझ वैसी नहीं थी जैसा दर्द को मैं अब समझता हूँ। जब आप दर्द के बारे में सोचते हैं तो पहली बात आपके जहन में क्या आती है? टूटी बाजू? सिरे में दर्द? मोच खाया टखना? शायद गोली लगने से घाव? मैं इन चीज़ों से दर्द को संबंधित समझता था, और ये दर्द की चिकित्सा परिभाषा से मिलती भी हैं: एक बेहद अप्रिय अनुभूति जो वास्तविक या संभावित ऊत्तक क्षति से जुड़ी हो और मस्तिष्क में विशिष्ट तंत्रिका तंतु से मध्यस्थता विभिन्न कारकों द्वारा संशोधित की जा सकती है। आपको परिभाषा में से कुछ कमी लग रही है? क्या आपको दर्द के भावनात्मक घटकों का कोई उल्लेख दिखा? मुझे भी नहीं। १९९६ में अमरीकी दर्द संस्था ने इस वाक्यांश का परिचय दिया, "दर्द पाँचवाँ महत्वपूर्ण चिन्ह है," मतलब जब आप आपातकालीन कमरे में जाते थे, आपकी स्थिति का प्रारम्भिक मूल्यांकन पाँच डेटा बिंदुओं पर आधारित था: पल्स दर, तापमान, श्वसन दर, रक्तचाप, और दर्द। यह एक सांस्कृतिक आंदोलन द्वारा लाया गया जो अविचल था कि हम दर्द का सही ढंग से उपचार नहीं कर रहे। और इस नए कार्यान्वयन के परिणाम और प्रभावशीलता को ट्रैक करने के लिए रोगी संतुष्टि सर्वेक्षण बनाए गए। चिकित्सक और अस्पताल के मुआवज़े को रोगी संतुष्टि से बाँधने के अलावा इन नीतियों के प्रचार करने का बेहतर तरीका क्या हो सकता है? औद्योगिक समूह फ़िसिशयन्स प्रैक्टिस द्वारा एक हालिया सर्वेक्षण की रिपोर्ट है कि दस में से तीन डॉक्टरों को बोनस रोगी संतुष्टि सर्वेक्षण के आधार पर दिए जाते हैं, और जिन अस्पतालों के अधिक अंक होते हैं उन्हें बीमा कंपनियआं अधिक भुगतान देती हैं। स्वाभाविक है, प्रशासकों और चिकित्सकों ने इस नए आंदोलन का समर्थन करना शुरू किया इस लक्ष्य के साथ कि हर किसीके दर्द को पैमाने पर शून्य दिखाना है। वह एक चिन्ह था। तुरंत नैतिक दुविधा बन गई, "मैं इस व्यक्ति को नशीले पदार्थ जारी करूँ ताकि इन्हें खुश रख पाऊँ, या इनकार कर दूँ, और संभावित है मुआवज़े, अस्पताल की आय को ठेस पहुँचाऊँ, या सबसे बुरा, दर्द का सही इलाज ना करने के लिए खुद की ही शिकायतें शुरू करवाऊँ जिसका संभवत: परिणाम हो सकता है नौकरी खोना?" मुझे दर्द का अनुभव है। कोलम्बीन हाई स्कूल पुस्तकालय के पिछले दरवाज़े से निकलने के आधे घंटे बाद, मुझे विभिन्न प्रकार के पदार्थ दिए गए जो मुझे शांत करने और दर्द को कम करने के लिए थे। मैं १७ साल का था और मैंने कभी बियर नहीं पी थी, चरस तो दूर कि बात है, इनसे बुरा तो क्या। मुझे पता भी नहीं था कि ये औषधियाँ क्या करेंगी। १७ साल की उम्र में मैं बस इतना जानता था कि बहुत से उच्च शिक्षित लोगों ने मुझे औषधियाँ लिख कर दीं जो मुझे बेहतर महसूस करवाएँगी और वे काम कर रही थीं, बस जिस तरह से करना चाहिए था वैसे नहीं। अगर आज आपको मेरी वार्ता से बस एक ही बात याद रहे, वह यह होनी चाहिए: ओपिओइड गहन रूप से शारीरिक दर्द के लक्ष्णों से राहत दिलाने के बजाय भावनात्मक दर्द के लक्ष्णों से मुक्ति दिलाने में अधिक प्रभावी हैं। मैं अक्सर उस दिन के दर्द के बारे में सोचता हूँ अगर मुझे उसे दर्द के पैमाने पर नापना हो, मेरा शरीरिक दर्द तीन या चार रहा होगा, और वही जवाब मैंने दिया होगा जब मुझसे पूछा गया था। पर मेरा भावनात्मक दर्द पूरा दस था। मेरी पीड़ा कोई समझ नहीं सकता था। पर उस बारे में कभी पूछा ही नहीं; उसकी कभी बात ही नहीं की गई। तीव्र शारीरिक दर्द अपेक्षाकृत जल्दी समाप्त होता है; जटिल भावनात्मक दर्द नहीं। मेरा शारीरिक दर्द थोड़े दिनों में थम गया था पर मेरा भावनात्मक दर्द वैसे ही दुर्बल कर रहा था जैसा उस दिन अस्पताल में बिस्तर पर लेटना था, तो मैं दर्द के लिए दी गई दवा लेता रहा। इससे पहले कि मुझे पता चलता कि क्या हो रहा है मैं आदी हो चुका था। अमेरिकन सोसाइटी ऑफ़ एडिक्शन मेडिसन द्वारा एक हालिया सर्वेक्षण की रिपोर्ट है, 86 प्रतिशत हेरोइन उपयोगकर्ता डॉक्टर के दिए ओपीओइडों से शुरू करते हैं। और सिर्फ़ २०१२ में, अमरीका में २५९ मिलियन ओपीओइड पर्चियाँ भरी गई थीं। उतने में हर अमरीकी व्यस्क को अपनी एक दवा की बोतल मिल जाए। भावनात्मक दर्द को आराम देने के लिए मैंने जल्द नशीली दवाओँ को ढूँढना शुरू कर दिया और बस कुछ ही महीनों में नुस्खे शराब, भंग, और मादक द्रव्यों के सेवन में बदल गए। और जैसा कि लत हमेशा करती है, अगले दशक के दौरान, मेरी सहिष्णुता बनती रही, मेरा जीवन निरंतर असहनीय होता रहा, और मेरा भावनात्मक दर्द वैसा ही रहा। ऐसे था कि मैने अपने भावनात्मक विकास का विराम बटन दबा दिया हो। मैं अपने दर्द को संभाल रहा था बस उस ही तरीके से जो मुझे पता था, और मैं अकेला नहीं था। मुझे लगता है कि भावनात्मक दर्द ही लत को महामारी बना रहा है। किसी के बारे में सोचें जिसे आप जानते हों और जो लत से संघर्ष कर रहा हो। मैं शर्त लगा सकता हूँ कि आप उस इन्सान में दबा हुआ या अनसुलझा भावनात्मक दर्द पाएँगे। अब उस समय की सोचें जब आप बहुत गहन भावनात्मक दर्द से गुज़र रहे थे और आप कितने हताश थे कि वह थम जाए। क्या होता अगर एक ऐसा साधन मिल जाता जिससे आप तुरंत बेहतर महसूस करने लगते? एक पल के लिए सोचें कि हिमस्खलन में आपकी टाँग टूट गई। अब वह दर्द अपने-आपमें ही एक बेहद दर्दनाक अनुभव है, पर उसे सहा जा सकता है। अल्पावधि दर्द प्रबंधन के द्वारा अधिकतर लोग एकदम ठीक हो जाएँगे। पर अब कल्पना करें वही चोट लगना, बस इस बार आपका प्रिय मित्र आपके साथ स्की कर रहा था, और वह हिमस्खलन से जीवित नहीं निकल पाया। मुझे एकदम स्पष्ट दिखाई देता है कि बिल्कुल दो अलग तरह के दर्द प्रबंधन तरीके अपनाए जाएँगे जो एक समान शारीरिक चोट दिखाई दे रही होगी, पर ऐसा नहीं है। भावनात्मक दर्द विषैला है, व्यापक है, समाज ने इससे बचने के लिए क्रमादेशित किया है। हम शराब, ड्रग्स, यौन और पोरनोग्राफ़ी से अपना इलाज करते हैं, यहाँ तक कि टेलीविज़न और तकनीक से भी, और अधिकांश समय हम यह बिना जाने करते हैं। हमारा समाज सचमें इस दर्द से परिभाषित किया जा रहा है। और अब, बहुत से लोग हर महीने मर रहे हैं क्योंकि वे सांत्वना की तलाश में हैं और उसे पाने का उन्हें वही एक तरीका आता है। उन्हें वैसे ही प्रोग्राम किया गया था। सभी को दर्द का सामना करना पड़ता है; यह अटल है। और हम यहाँ कैसे पहुँचे इसका मेरे पास एक सरल सा साराँश है। हमने एक ऐसे समाज का निर्माण किया है जो भावनात्मक दर्द और आघात से भरा है। उसे एक ऐसी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली से जोड़ दिया जिसका मुख्य लक्ष्य शारीरिक लक्ष्णों का उपचार करना है, फिर हम बिग फ़ार्मा को चालक बना देते हैं, जिसका मुख्य लक्ष्य आसानी से हेरफेर किए जाने वाले नियमों द्वारा लाभ कमाना है। और अब हम गुज़र रहे हैं उस स्थिति से जिसे पूर्व सर्जन जनरल ने देश का सबसे बदतर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट कहा था - दो साल पहले। वह अब और बदतर हो गया है, और जो पहले लत की महामारी थी उसे अब सामान्य तौर पर लत की विश्वव्यापी महामारी कहा जाता है। यह हमारी आज की स्थिति की एक झलक है। न्यू यॉर्क टाइम्स की पिछले माह रिपोर्ट में २०१६ में अधिक मात्रा में लेने से मृत्यु १९ प्रतिशत बढ़ी है, और २०१७ का प्राथमिक डेटा बताता है कि यह प्रवृत्ति बदतर होती जा रही है। हम बंदूकों, एड्स और कार दुर्घटनाओँ में हुई मौतों के लिए अब तक के सबसे बुरे साल से आगे बढ़ चुके हैं। यह डेटा मेरे लिए भयावह है। हमारे समाज में आज भी ऐसे लोग हैं जो इसे यह कहकर खारिज कर देंगे, "ये तो बस नशेड़ियों का समूह है।" मैं आपको यहाँ बताना चाहता हूँ... ऐसा नहीं है। ये पिता हैं, माता हैं, भाई हैं, बहन हैं, बच्चे हैं, कई बार तो किशोरावस्था से भी कम। ये आपके और मेरे जैसे ही लोग हैं, सामना करने की कोशिश कर रहे हैं जिस तरह उन्हें आता है, और हर महीने हज़ारों की संख्या में एक बढ़ती हुई दर पर मौत के मुँह में जा रहे हैं। लत ही एक ऐसी बीमारी है जहाँ सामान्यत: हम इंतज़ार करते हैं जब तक वह तीक्ष्णता के उच्चतम स्तर पर ना हो तब तक हम उसके बारे में चिंतित नहीं होते। और तब तक, अक्सर बहुत देर हो चुकी होती है। हमें शीघ्र शुरूआत करनी होगी। हमें प्रारम्भित हस्तक्षेप का अभ्यास करना होगा। हमें युवाओं को वास्तविक सांसारिक तरीकों से शिक्षित करना होगा। हमें यह सोच बदलनी होगी कि तीस दिनों में पुनर्वास किया जा सकता है, फिर हमें दीर्घकालीन उपचार के लिए पहुँच को सुधारना होगा। हमें लत के साथ जुड़े कलंक को मिटाना होगा और सबसे ज़रूरी, हमें इस खंडित स्वास्थ्य कल्याण प्रणाली को सुधारना होगा जो धीरे-धीरे इस तथ्य को मान रही है कि वे ही इस महामारी के लिए ज़िम्मेदार हैं। (तालियाँ) (वाह-वाह) इससे पहले कि मैं ठीक होने और सच में ठीक होने में अंतर जान पाऊँ मुझे सक्रिय लत के एक दशक से ऊपर लगा और ठीक होने में कई और। क्योंकि मुझे दर्द के सहारे जीना सीखना पड़ा। मुझे जल्द सुकून पाने की राह को ढूँढना बंद करना पड़ा। जो भावनात्मक कार्य करना ज़रूरी था मुझे वह करना पड़ा चाहे उससे मुझे कितना ही कष्ट हुआ। और अल्पावधि उपचार के कई प्रयासों के बाद, मुझमें वह इच्छा जागृत हुई कि चाहे कुछ भी हो मुझे वह करना है , और मैं वह जानने के लिए लगातार १४ महीने देखभाल में रहा। मुझे २९ वर्ष की उम्र में शोक के उन चरणों से गुज़रना पड़ा जो मुझे १७ की उम्र में करने चाहिए थे। पर मैंने उससे पीछा छुड़ाना बंद कर दिया, और मैं कामयाब रहा। (तालियाँ) सौभाग्यवश हमारे लिए, पोस्ट ट्रॉमैटिक वृद्धि जैसी एक चीज़ है, और आज आप मंच पर यह देख रहे हैं। पोस्ट ट्रॉमैटिक वृद्धि किसी मनुष्य में वह सकारात्मक मनोवैज्ञानिक परिवर्तन है जो एक अभिघातक जीवन घटना के अनुभव के बाद होता है। इसका अर्थ है सार्थक रूप से सहन करने के द्वारा रास्ता खोजने से, आप वास्तव में सार्थक व्यक्तिगत चरित्र का विकास कर सकते हैं और आप उच्च स्तर से कार्य कर सकें। परंतु पोस्ट-ट्रॉमैटिक वृद्धि पाने के लिए आपको दर्द का सहारा लेना होगा। आप उससे भाग नहीं सकते। आप उसके लिए दवा नहीं ले सकते। तो अब आपके लिए मेरे पास एक चुनौति है। अपने भावनात्मक दर्द के वर्तमान स्तर का परीक्षण करें। क्या आपको कोई शोक या मानसिक वेदना है जिसे आप संभाल नहीं पा रहे? क्या आपके साथ कुछ ऐसी दुखद घटना हुई है जिससे आप उभर नहीं पाए हैं? अगर ऐसा है, तो उस दर्द से खुद को वाकिफ़ करें। किसी मित्र को बुलाएँ, चिकित्सक से बात करें किसी अजनबी को सच बताएँ। इस अँधकार पर रोशनी डालने के लिए एक छोटा सा कदम उठाएँ क्योंकि मैंने देखा है अँधकार क्या कर सकता है। मैंने अस्पताल के कमरों में देखा है जब सिर्फ़ एक और वैसे नहीं हुआ जिस इरादे से लिया था। मैंने जेलों में देखा है उन लोगों के साथ जो पैदा ही व्यसन में हुए और कभी कुछ सीखने का मौका ही नहीं मिला। मैंने उन बच्चों की अंत्येष्टि में देखा है जो वास्तव में जीने का मौका मिलने से पहले ही चल बसे। और मैंने अपने हाई स्कूल के पुस्तकालय की मेज़ के नीचे से देखा है। मैं आप सबको वह बताना चाहता हूँ जो काश मैं १७ साल की उम्र में जानता होता। आप जो भी हैं, जिस किसी समस्या से गुज़र रहे हैं, आप जिस भी तरह से गुज़र रहे हैं, बस यह जान लें: उसे ठीक करने के लिए, आपको उसे महसूस करना होगा। हम लत की महामारी को एक रात में नहीं सुलझा सकते पर हम प्रगति करेंगे जब लोग शारीरिक और भावनात्मक दर्द के बीच का अंतर समझना शुरू कर देंगे और उसके बारे में कुछ करना शुरू करेंगे। ठीक होने में, हम अक्सर कहते हैं, आप देकर वह रख सकते हैं जो आपके पास है। दर्द का सहारा लेने का साहस ढूँढें, दूसरों की मदद करने में सफल हो सकते हैं। शुक्रिया। (तालियाँ) जब मैंने उन दरवाज़ों के ज़ोर से बंद होने की आवाज़ सुनी, मुझे एहसास हुआ कि वह वास्तविक था। मुझे उलझन महसूस हुई । मुझे लगा मेरे साथ धोखा हुआ। मैं परेशान थी। मुझे लगा किसीने मेरी आवाज़ छीन ली थी। ऐसा क्या हुआ था अभी? वे मुझे यहाँ कैसे भेज सकते थे? यह जगह मेरे लायक नहीं। अपने किए पर बिना किसी प्रतिघात के वे इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकते थे? मैं बहुत सी औरतें के समूह देखती हूँ जो फटी वर्दियाँ पहने हैं ऊँची दीवारों और द्वारों से घिरी हुईं, लोहे के कांटेदार तारों से घिरीं, और मुझे एक भयानक बदबू का एहसास होता है, और मैं खुद से पूछती हूँ, मैं सम्मानित वित्तीय बैंकिंग सैक्टर में काम करते-करते यहाँ कैसे पहुँच गई, स्कूल में इतनी मेहनत करने के बाद, अब केन्या की महिलाओं के लिए सबसे बड़ी जेल में बंद कैसे हो गई? लेंगाटा महिला अधिकतम सुरक्षा जेल में मेरी पहली रात सबसे कठिन थी। जनवरी, 2009 में, मुझे सूचित किया गया था कि जिस बैंक में मैं काम करती थी वहाँ मैंने अनजाने में एक झूठा लेनदेन किया था। मैं चौंक गई थी, डरी और घबराई हुई थी। मैं अपना कैरियर खो दूँगी जिसे मैं इतना चाहती थी। पर वह सबसे बदतर नहीं था। यह उससे भी बदतर हो गया जिसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकती थी। मुझे गिरफ्तार कर लिया गया, द्वेषपूर्ण अभियोग लगाया गया और मुकदमा चलाया गया। इसमें सबसे निरर्थक बात यह थी कि गिरफ्तार करने वाले अधिकारी ने मुझसे मुकदमा खारिज करने के लिए १०,००० डॉलर माँगे। मैंने इनकार कर दिया। ढाई साल बाद, अपनी बेगुनाबी साबित करने के लिए अदालतों के चक्कर काटने के बाद। मीडिया में सब जगह, अखबारों, टीवी, रेडियो में आ चुका था। वे फिर से मुझे मिलने आए। इस बार मुझे कहा, "अगर तुम हमें ५०,००० अमरीकी डॉलर दोगी, निर्णय तुम्हारे पक्ष में होगा," इस तथ्य के बावजूद कि कोई भी सबूत नहीं था कि मैंने कोई अवैध कार्य किया था जिसके कारण मुझपर आरोप लगा था। छह साल पहले मुझे अपराधी ठहराए जाने की वे घटनाएँ मुझे याद हैं जैसे कि कल की ही बात हो। जज का वह निर्मम, कठोर चेहरा जब उसने बृहस्पतिवार की एक शीत सुबह को मेरी सज़ा सुनाई उस अपराध के लिए जो मैंने नहीं किया था। मुझे याद है गोद में अपनी प्यारी तीन-महीने की बेटी को पकड़ना जिसका नाम मेंने तभी ओमा रखा था, जिसका मेरी बोली में अर्थ है, "सत्य और न्याय," क्योंकि मुझे इतने समय से बस उसीकी चाह थी। मैंने उसे उसकी पसंदीदा जामुनी पोशाक पहनाई, और वह, मेरे साथ सलाखों के पीछे इस एक साल की सज़ा काटने के लिए तैयार थी। पहरेदार इस आघात के प्रति संवेदनशील नहीं थे जो इस अनुभव से मुझे महसूस हो रहा था। दाखिल होने के प्रक्रिया के साथ ही मेरा सम्मान और मानवता भी चल दिए. उसमें नशे के लिए मेरी तलाशी ली गई, मेरे साधारण कपड़ों के बजाय मुझे जेल की वर्दी दे दी गई, ज़मीन पर चौंकड़ी मारकर बैठने को मजबूर किया गया, एक आसन जो मुझे जल्द पता चल गया हज़ारों तलाशियों, गिनतियों की दिनचर्या बन जाएगा, जो आगे होने वाले थे। औरतों ने मुझे बताया, "तुम्हें इस जगह की आदत पड़ जाएगी। तुम यहाँ की बन जाओगी।" मुझे अब टेरेसा जोरोगे कहकर नहीं बुलाया जाता था। नम्बर ४१५ बटा ११ मेरी नई पहचान थी, और मुझे जल्द यह भी पता चल गया कि जिन औरतों के साथ मैं रह रही थी उनके साथ भी ऐसा ही हुआ था। और मैंने जेल के भीतर की ज़िंदगी को अपना लिया: जेल का खाना, जेल की भाषा, जेल का जीवन। बेशक जेल कोई परियों का देश नहीं होता। मुझे दिखाई नहीं दिया जिन औरतों और बच्चों के साथ हम एक ही जगह में साथ समय बिता रहे थे, जिन औरतों को प्रशासन की गलतियों के कारण गिरफ्तार किया गया था, जिस भ्रष्टाचार को कोई चाहिए होता है, एक बली का बकरा बनाने के लिए, ताकि जो कसूरवार है वह बच जाए, एक भंग प्रणाली जो नियमित रूप से कमज़ोर पर इल्ज़ाम लगाती है, हममें से सबसे गरीबों पर, वे लोग जो अपनी ज़मानत भी नहीं दे सकते ना ही रिश्वतें। और हम ऐसे ही चलते रहे। जेल के उस एक साल के दौरान, मैं इन ७०० के करीब औरतों में से हर किसी की कहानी सुनती रही, मुझे शीघ्र एहसास हुआ कि इनमें से अधिकतर औरतें अपराध की वजह से जेल में नहीं थीं, उससे कहीं अधिक था। यह शिक्षा प्रणाली से शुरू हुआ था, जिसकी पूर्ति और गुणवत्ता सबके लिए समान नहीं है; आर्थिक अवसरों की कमी जो इन औरतों को तु्च्छ अस्तित्व अपराध की ओर धकेल देती हैं; यह स्वास्थ्य प्रणाली, सामाजिक न्याय व्यवस्था, आपराधिक न्याय व्यवस्था। अगर इनमें से कोई औरत जो अधिकतर गरीब घरों से थीं, वे पहले से ही भंग व्यवस्था की दरारों में गिर गईं, उस खाई में सबसे नीचे एक जेल है, बस। जब मैंने लेंगाटा महिला अधिकतम जेल में एक साल की सज़ा पूरी की, मुझमें उस परिवर्तन का हिस्सा बनने की एक भड़कती हुई चाह थी जो उन अन्यायों को सुलझाए जो मैंने देखे थे उन औरतों और लड़कियों के साथ होते हुए जो गरीबी के कारण कभी जेल से बाहर और कभी अंदर की इस कशमकश में फंसी पड़ी थीं। मेरी रिहाई के बाद, मैंने क्लीन स्टार्ट शुरू किया। क्लीन स्टार्ट एक सामाजिक उद्यम है जो इन औरतों और लड़कियों को एक दूसरा मौका देना चाहता है। हम इनके लिए रास्ता बनाते हैं। हम जेल में जाकर इनका प्रशिक्षण करते हैं, इन्हें कौशल, उपकरण और सहायता देते हैं ताकि ये अपनी सोच, अपने व्यवहार और दृष्टिकोण बदल सकें। हम निगमित क्षेत्र से जेल की ओर रास्ते भी बनाते हैं... वे व्यक्ति, संगठन जो क्लीन स्टार्ट के साझेदार बनकर इन महिलाओं, लड़कियों, पुरुषों और लड़कों को समाज में वापिस आने पर रोज़गार, घर जैसी जगह, नौकरियाँ, व्यावसायिक प्रशिक्षण देने में सक्षम बनाएँगे। मैंने कभी सोचा भी नहीं कि एक दिन मैं अपराधिक न्याय प्रणाली में हो रहे आम अन्यायों के बारे में कहानियाँ सुनाऊँगी, पर मैं यहाँ हूँ। हर बार जब मैं जेल वापिस जाती हूँ, मुझे घर सा महसूस होता है, पर उस सपने को साकार करने की चुनौति मुझे रातों को जगाए रखती है, लुइसियाना तक पहुँचना, जो संसार में जेलों की राजधानी मानी जाती है, अपने साथ उन हज़ारों महिलाओं की कहानियाँ साथ लिए हुए जिन्हें मैं जेल में मिली हूँ, जिनमें से कुछ दूसरा मौका अपना रही हैं। और अन्य जो अभी भी जीवन की राह के उस पुल पर खड़ी हैं। मैं महान माया एंजलू की एक पंक्ति को सिद्ध करती हूँ, "मैं अकेली हूँ, पर मैं १०,००० के जैसी हूँ।" (तालियाँ) क्योंकि मेरी कहानी तो सिर्फ़ मेरी है, पर मेरे साथ आज की जेलों के लाखों लोगों की कल्पना करें जो आज़ादी के लिए तरस रहे हैं। मुझे सज़ा मिलने के तीन साल बाद और मेरी रिहाई के दो साल बाद, अपील की अदालत ने मुझे बेकसूर ठहराया। (तालियाँ) इसी दौरान, मेरे बेटे का जन्म हुआ, जिसका नाम मैंने उहुरू रखा, जिसका मेरी बोली में अर्थ है "आज़ादी।" (तालियाँ) क्योंकि आखिरकार मुझे वह आज़ादी हासिल हुई जिसकी मुझे इतने समय से कामना थी। मैं अकेली हूँ, पर मै १०,००० जैसी हूँ, वास्तविकता और सुदृढ़ उम्मीदों से प्रेरित हम हज़ारों की संख्या में न्याय प्रणाली में सुधार और बदलाव लाने के लिए संगठित हुए, इस आश्वासन के साथ कि हम अपना कर्म, सही तरीके से, जैसा होना चाहिए, वैसे कर पा रहे हैं | और हमें बिना किसी शर्म और संकोच के ऐसे ही करते रहना चाहिए। धन्यवाद। (तालियाँ) मेरा नाम जॉन ग्रे है। वे मुझे डिश वाशर बुलाते हैं। मैं गैटो गेस्ट्रो का एक संस्थापक हूँ यह ब्रोन्क्स में स्थित एक समूह है जो फूड, डिजाईन और कला के लिए काम करता है। ब्रोन्क्स, जो कि मेरा घर है, हम यहाँ के लोगो के अनुभवों को चुनौती देने वाले प्रयोग करते हैं। यह बड़ा मज़ेदार है, मैं बस कुछ दिनों पहले ही पेरिस से वैंकूवर आया हूँ। हमने ब्रोन्क्स ब्रेसरी से प्लेस वेंडोम पर कब्जा कर लिया। ऊई ऊई शैरी (हँसी) यह पागलपन है, क्योंकि पेरिस में यह कहा जाता है, "ले ब्रोंक्स," जिसका मतलब गड़बड़ या परेशानी जैसा कुछ होता है। वह प्लेस वेंडोम है। हमने इसे एक बार बंद कर दिया। (हँसी) यह भाषा तब चलन में आयी जब ब्रोन्क्स जल रहा था, और "द वारियर्स" तथा "फोर्ट अपाचे" जैसी फिल्में अभी भी असर डाल रही थीं। कुछ लोग शायद न माने लेकिन मुझे यकीन है कि ब्रोन्क्स नाकाम होने के लिए ही था। वहाँ का पावर ब्रोकर, एक जोकर था रोबर्ट मोजेज़, जिसने लाल सागर को अलग करने के बजाय एक सिक्स लेन हाइवे से ब्रोंक्स को अलग कर दिया और मेरे समुदाय को अलग कर दिया। मेरे पुरखों का घर फीदरबेड लेन पर था, और इस नाम के उलट वे रात में कभी वहाँ नहीं सो पाये क्योंकि एक ब्लॉक की दूरी पर लगातार ड्रिलिंग और ब्लास्टिंग होती थी, जो क्रॉस ब्रोन्क्स एक्स्प्रेसवे बनाने के लिए ज़रूरी थी। मैं समझता हूँ कि ऐसे राजनीति फैसले जुर्म का खाका तैयार करते हैं। (तालियाँ) हम जैसे कस्बाई लोगों के लचीलेपन की वजह से इस सुव्यवस्थित उत्पीड़न में से हिप-हॉप संस्कृति किसी फीनिक्स की तरह इस राख़ और कचरे से पैदा हुई है। हिप-हॉप अब अरबों डॉलर का उद्योग है, लेकिन यह आर्थिक कार्यवाही ब्रोंक्स या उस जैसे समुदाय को वापस लौटा कर नहीं लाएगी। चलिये साल 1986 में चलते हैं। मेरा जन्म एड्स के संकट, कोकीन और ड्रग्स को लेकर होने वाले झगड़ों के ठीक बीच में हुआ था। रीगन से गैटो के अर्थशास्त्र तक एक ही चीज़ रिस कर आती थी तकलीफ, जेल और गरीबी। मुझे खूबसूरत, प्रतिभाशाली और पढ़ी-लिखी नीग्रो औरतों ने पाला है। फिर भी मेरे पिता इस तस्वीर में नहीं है, और मैं गलियों के आकर्षण से बच नहीं सका। जैसा कि बिगी ने कहा था यू आर आईदर स्लिंगिंग क्रेक रॉक ऑर यू गॉट ए विकेड जंप शॉट। गलत मत समझिए, मेरे जम्पर गीले थे। (हँसी) माई शिट वाज़ वेट। (तालियाँ) लेकिन जब मैं 15 साल का हुआ तो वीड्स बेचने लगा, मैंने हाई स्कूल पूरा नहीं किया, न्यूयॉर्क एजूकेशन बोर्ड ने मुझे सभी स्कूलों में बैन कर दिया, लेकिन 18 साल का होने पर मैने कोकीन बेचने के लिए ग्रेजूएशन की। सब कुछ अच्छा रहा। जब तक कि मैं एक केस में पकड़ा नहीं गया, तब मैं 20 साल का था। मैं 10 साल की सज़ा काट रहा था। मैने जमानत ली, एक फैशन इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया, मैने सड़कों से सीखे अपने हुनर को यहाँ आजमाया अपना फैशन ब्रांड शुरू करने के लिए। मेरे वकील ने मेरी महत्वकांक्षा को देखा उसने सुझाया कि जज मेरी सजा रोक देंगे। मेरी ज़िंदगी में पहली बार, यह रोक बहुत अच्छी साबित हुई। (हँसी) दो साल तक कोर्ट की कई तारीखों के बाद अंत में मेरा केस खारिज हो गया। मेरे दोनों भाई जेल में रह चुके हैं, तो जेल के तौर-तरीकों की पकड़ से बच निकालना मुझे संभव नहीं लगता था। मेरा एक भाई इस वक्त 20 साल की सजा काट रहा है। मेरी माँ ने बहुत प्रयास किए हैं, वह मुझे बाहर खिलाने ले जाती, उनकी कोशिश रहती कि हम म्यूज़ियम जाएँ और विदेश यात्रा पर भी, ताकि मैं संस्कृति से ज्यादा से ज्यादा परिचित हो सकूँ। मुझे याद है कि जब मैं बच्चा था, तो मैं सबके लिए कैसे डिनर का ऑर्डर दिया करता था। ब्रेड तोड़ना मेरे लिए हमेशा किसी साँचे को तोड़ने जैसा रहा है और लोगों से मिलने जैसा। मैं और मेरा साथी लेस, हम ब्रोंक्स की एक ही गली मैं पले-बढ़े हैं, गली के दो यार। वह एक शेफ हुआ करता था। हम अपने लोगों के फ़ायदे के लिए फूड गेम में कुछ नया करने की संभावना के बारे में चर्चा करते थे। लेस ने तब एक फूड शो "चोप्ड" जीता था। हमारा साथी मेल्कम, नोमा में एक पेस्ट्री किचन चलाने के लिए कमर कस रहा था, हाँ, कोपनहेगन में दुनिया की बेहतरीन नोमा, आप तो जानते ही हैं। मेरे साथी पी ने अभी-अभी इटली में अपनी ट्रेनिंग पूरी की है, वह भी मिलानों में। हमनें तय किया कि दुनिया को थोड़े ब्रोंक्स के तड़के की ज़रूरत है, तो हमने एकजुट होकर गेटो गेस्ट्रो बनाई। (तालियाँ) जबकि मैं जानता हूँ कि यह नाम बहुत से लोगों को असहज कर देता है, हमारे लिए 'गेटो' मतलब घर। ठीक वैसे जैसे मुंबई या नैरोबी का रहने वाला "स्लम" शब्द का प्रयोग करता है। यह हमारे लोगों का पता लगाने और यह दिखाने के लिए है कि हमें अनदेखा करने से यह स्थितियाँ पैदा हुयी हैं। (तालियाँ) तो गेटो गेस्ट्रो क्या है? अंत में यह एक आंदोलन और एक फ़िलोसोफी है। हम अपने काम को कूटनीति मानते हैं, जिसमें हम भोजन और नज़ाकत के ज़रिए सीमाओं को तोड़ते और सभ्यताओं को जोड़ते हैं। पिछले साल टोक्यो में, हमनें कैरिबियन पार्टी की, हमनें जर्क वाग्यु बीफ और शिओ कोम्बू बनाया। हमनें ब्रोंक्स क्लासिक को जापानी चीजों के साथ मिलाया। और क्वांजा के लिए, हमने अपने प्यूर्तो रिकन्स को श्रद्धांजली दी और हमने कोकोनट चारकोल कोन्येक कोकितों बनाया। डिमेलों! (हँसी) यह हमारा ब्लैक पॉवर वेफ़ल है, थोड़े गोल्ड लीफ सीरप के साथ। ध्यान रखना, फिसल मत जाना। (हँसी) यहाँ पर 36 ब्रिक्स प्लांट-बेस्ड वेलाटो है। स्ट्रॉबेरी फील्ड्स, आपको पता ही है। कम्प्रेस्स्ड़ वॉटरमेलन, बेसिल सीड्स, और ऊपर थोड़ी सी स्ट्रॉबेरी। फिर से ब्रोंक्स ब्रेसेरी की ओर, आपको पता ही है कि हमें केवियर और कोर्नब्रेड से उन पर सीधी चोट करनी थी। (हँसी) (तालियाँ) हम डू-रेग वाली चालाकी भी अपनाते हैं। (हँसी) क्योंकि, अपना काम करते वक्त हम खुद के साथ काँट-छांट नहीं करते हैं। हमारे भेष के कारण, हमें अक्सर रैपर या एथलीट समझ लिया जाता है। ऐसा पिछले साल यहीं TED में हुआ था। एक लड़का दौड़ कर मेरे पास आया और पूछा कि मेरी परफॉर्मेंस कब होगी। अब क्या ख्याल है? (तालियाँ) तो आपने देखा, हम ब्रोंक्स को दुनियाभर में ले जा रहे हैं लेकिन अब हमारी नज़र दुनिया को ब्रोंक्स तक लाने पर है हमनें अभी अपना स्पॉट खोला है, एक आईडिया किचन जहाँ हम चीजों को डिजाईन करते हैं कंटेन्ट तैयार करते हैं -- (संगीत) और कम्यूनिटी इवैंट को होस्ट करते हैं। हमारा मकसद अपने लोगों के लिए एक आर्थिक और सांस्कृतिक पूँजी का निर्माण करना है। ब्रोंक्स में एक रेफेटोरिओ के लिए हम मशहूर शेफ मसीमों बोतुरा के साथ साझेदारी कर रहे हैं। रेफेटोरिओ एक सूप किचन और कम्यूनिटी सेंटर होता है। देख रहे हैं आप। (तालियाँ) रैपर और आंत्रप्रन्योर नेप्से हसल की हत्या से हाल ही में लोगों की जो भावनाएँ भड़की थीं उसका बड़ा कारण यह था कि उसने अपनी जगह छोडने की बजाय वहीं रहने के फैसला किया था, उसकी मौत के बाद, कुछ लोगों को यह फैसला मूर्खतापूर्ण लग सकता है, लेकिन मैं हर रोज़ यही फैसला लेता हूँ ब्रोंक्स में ही बने रहने का, ब्रोंक्स के निर्माण का, ब्रोंक्स को सँवारने का। (तालियाँ) गेटो गेस्ट्रो में हम, "गेटो" शब्द से दूर नहीं भागते हैं, और हम गेटो से भी दूर नहीं रहते हैं। क्योंकि दिन खत्म होने पर, गेटो गेस्ट्रो का मतलब है आपको वह दिखाना जो हम पहले से जानते हैं : हुड बढ़िया है। (तालियाँ) शुक्रिया। (तालियाँ) हेलो में आपको किसी से मिलाना चाहता हु। ये जोमनि है। मतलब की "जॉनी " पर गलती से एक "म " के साथ बोला गया अगर आप सोच रहे थे, हम सब परिपूर्ण नहीं हैं। जोमनि एक एलियन है| जिसे पृथ्वी पर मनुष्यो का अध्ययन करने भेजा गया था। जोमनी भटका हुआ और अकेला और घर से दूर महसूस कर रहा है| और मुझे लगता है की हम सब ऐसा महसूस करते है या फिर कम से कम मैंने ऐसा महसूस किया है। मैंने यह कहानी इस एलियन के बारे मै तब लिखी जब मै खुद को एलियन जैसा महसूस कर रहा था। मै बस कैंब्रिज में आया ही था MIT में ;अपना कार्य शुरू किया यह डरा हुआ खुद को अकेला महसूस कर रहा था ऐसा जैसे की में यहां से संबंधीत नहीं हु। लेकिन मेरे पास एक तरह की जीवन रेखा थी। देखिए, मैं सालों-साल से चुटकुले लिख रहा था और उन्हें सोशल मीडिया पर साझा कर रहा था, और मैंने पाया कि मैं इसे और अधिक करने की ओर मुड़ रहा था। अब, कई लोगों के लिए, इंटरनेट एकांत जगह की तरह महसूस कर सकता है। यह ऐसा महसूस कर सकता है, एक बड़ा, अंतहीन, विशाल शून्य जहाँ आप लगातार इसे कॉल कर सकते हैं, जोकी किसी को नही सुनाई पडे। लेकिन मुझे वास्तव में स्वयं से बोलने में एक सुविधा मिली। अपनी भावनाओं को शून्य के साथ साझा करने में, आखिरकार शून्य वापस बोलने लगा। और यह पता चला है कि शून्य यह अंतहीन अकेला विस्तार बिल्कुल नहीं है, लेकिन यह अन्य लोगों के सभी प्रकार से भरा हुआ है, यह भी बाहर घूर रहा है और यह भी सुनना चाहता है। अब, सोशल मीडिया से कई बुरी चीजें सामने आई हैं। मैं विवाद नहीं कर रहा हूं। किसी भी बिंदु पर ऑनलाइन होना इतना दुख और गुस्सा और हिंसा महसूस करना है। यह दुनिया के अंत जैसे लगता है | फिर भी, एक ही समय में, मैं विवादित हूं क्योंकि मैं इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकता कि मेरे कई करीबी दोस्त ऐसे लोग हैं जिनसे मैं मूल रूप से ऑनलाइन मिला था। और मुझे लगता हैकि यह आंशिक रूप से है| सोशल मीडिया कि मान्यता । ऐसा महसूस कर सकते हैं कि आप इस व्यक्तिगत, अंतरंग डायरी में लिख रहे हैं, जो पूरी तरह से निजी है, फिर भी एक ही समय में आप चाहते हैं कि दुनिया में हर कोई इसे पढ़े। और मुझे लगता है हमें इस बात का आनंद मिलता है कि हम उन लोगों से दृष्टिकोण का अनुभव कर सकते हैं जो खुद से बिल्कुल अलग हैं, और कभी-कभी यह एक अच्छी बात है। जब मैंने पहली बार ट्विटर ज्वाइन किया, तो मैंने पाया कि जिन लोगों का मैं पीछा कर रहा था, उनमें से कई मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात कर रहे थे, जिनमें से कोई भी ऐसा नहीं था, जो वे अक्सर करते हैं जब हम व्यक्ति में इन के बारे में बात करते हैं । उनके माध्यम से, मानसिक स्वास्थ्य के आसपास की बातचीत सामान्य हो गई थी, उन्होंने मुझे यह महसूस करवाया कि चिकित्सा में जाना कुछ ऐसा था जो मुझे भी मदद करेगा। अब, कई लोगों के लिए, अब, कई लोगों के लिए, इन सभी विषयों के बारे में सार्वजनिक रूप से और इंटरनेट पर खुले तौर पर बात करना एक डरावना विचार लगता है। मुझे ऐसा लगता है कि बहुत से लोग सोचते हैं कि ऑनलाइन होना एक बड़ी, डरावनी बात है यदि आप पहले से ही पूरी तरह से और पूरी तरह से गठित नहीं हैं। मुझे लगता है कि इंटरनेट वास्तव में नहीं जानने कि बडी जगह हो सकती है, और मुझे लगता है कि हम उस उत्साह के साथ इलाज कर सकते हैं, क्योंकि मेरे लिए आपकी खामियों और आपकी असुरक्षा और अन्य लोगों के साथ आपकी कमजोरियों को साझा करने के बारे में कुछ महत्वपूर्ण है। (हँसी) अब, जब कोई साझा करता है कि वे दुखी , या अकेले महसूस करते हैं, जैसे कि , यह वास्तव में मुझे अकेला महसूस करता है, मेरे अकेलेपन से छुटकारा पाने के द्वारा नहीं, बल्कि यह दिखा कर कि मैं अकेला महसूस करने वाला अकेला नहीं हूं। एक लेखक एक कलाकार के रूप में, मैं इस कमज़ोर होने न देने का ख्याल रखता हूं, जिसे हम एक-दूसरे के साथ साझा कर सकते हैं। मैं आंतरिक को बाहरी बनाने के बारे में उत्साहित हूं, उन अदृश्य व्यक्तिगत भावनाओं के बारे में जिनके पास मेरे लिए शब्द नहीं हैं, उन्हें प्रकाश में रखना, उन्हें शब्द देना अन्य के साथ उन्हें इस उम्मीद में साझा करना कि यह उनकी मदद कर सकता है उनकी भावनाओं को खोजने के लिए शब्दों को खोजें। अब, मुझे पता है कि यह एक बड़ी बात लगती है, लेकिन आखिरकार मुझे इन सभी चीजों को छोटे, स्वीकार्य पैकेजों में डालने में दिलचस्पी है, क्योंकि जब हम उन्हें इन छोटे टुकड़ों में छिपा सकते हैं, उनको उस दृष्टिकोण से अवगत कारण आसान है, मजेदार भी है | वे आसनी से हमारी मानवता को देखने में हमारी मदद कर सकते हैं। कभी-कभी यह एक छोटी कहानी का रूप ले लेता है कभी-कभी उदाहरणों की एक सुंदर पुस्तक का रूप ले लेता है। यह एक मजाक का रूप ले लेता है जिसे मैं इंटरनेट पर फेंक दूंगा। उदाहरण के लिए, कुछ महीने पहले , मैंने इस ऐप विचार को एक डॉग-वॉकिंग सेवा के लिए पोस्ट किया था जहाँ एक कुत्ता आपके दरवाजे पर आणे पर आपको घर से बाहर निकलना पड़ता है और टहलने जाना पड़ता है। (हँसी) यदि दर्शकों में ऐप डेवलपर हैं, बात करने के बाद मुझे खोजें। या,हर बार एक ईमेल भेजने के बारे में चिंतित महसूस करायेगा | वो होगा मेरा सर्वश्रेष्ठ,ईमेल "मैं पूरी कोशिश करता हु ", इसका संक्षिप्त ", मैं वादा करता हूं कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहा हूं!" या क्लासिक आइसब्रेकर के लिए मेरा जवाब, अगर मैं किसी के साथ डिनर कर सकता, मृत या जीवित, मैं करूंगा। मैं बहुत अकेला हूँ। (हँसी) और मुझे लगता है कि जब मैं इन चीजों को ऑनलाइन पोस्ट करता हूं, प्रतिक्रिया बहुत समान है। लोग एक साथ एक हंसी साझा करने आते हैं, उस भावना को में साझा करने , फिर जल्दी से वितरित करने के लिए। (हँसी) हां, मुझे एक बार फिर अकेला छोड़कर। लेकिन मुझे लगता है कि कभी-कभी ये छोटी सभाएँ काफी सार्थक हो सकती हैं। उदाहरण , जब मैंने स्नातक किया आर्किटेक्चर स्कूल से और मैं कैम्ब्रिज चला गया, मैंने यह प्रश्न पोस्ट किया है: “तुम्हारे जीवन में कितने लोग पहले से हैं आपकी अंतिम बातचीत? " और मैं सोच रहा था मेरे अपने दोस्त जो दूर चले गए थे विभिन्न शहरों विभिन्न देशों, के लिए यहां तक ​​कि, और यह कितना कठिन होगा मेरे लिए उनके साथ संपर्क में रहना। लेकिन अन्य लोगों ने जवाब देना अनुभवों को साझा शुरू कर दिया किसी ने अयशस्वी परिवार के सदस्य के बारे में बात की किसी ने किसी प्रियजन के बारे में बात की जो गुजर गया था जल्दी और अप्रत्याशित रूप से। किसी और से बात हुई स्कूल से अपने दोस्तों के बारे में जो दूर चला गया था। लेकिन फिर कुछ बहुत अच्छा होने लगा। केवल मुझे जवाब देने के बजाय, लोगों ने एक दूसरे को जवाब देना शुरू कर दिया, और वे एक दूसरे से बात करने लगे और अपने स्वयं के अनुभव साझा करें एक दूसरे को दिलासा देते हैं और एक दूसरे को प्रोत्साहित करें उस दोस्त तक पहुँचने के लिए कि उन्होंने कुछ समय में बात नहीं की थी या वह परिवार का सदस्य कि वे एक साथ बाहर गिर गया था। और आखिरकार, हमें मिल गया इस छोटे से छोटे microcommunity ऐसा लगा कि यह सहायता समूह गठित हुआ सभी प्रकार के लोग एक साथ आ रहे हैं। और मुझे लगता है कि हर बार हम ऑनलाइन पोस्ट करते हैं, हर बार करनेसे एक मौका होता है ये थोड़े ही हैं लघु समूह बना सकते हैं। वहाँ एक मौका है कि सभी प्रकार है विभिन्न प्राणियों के एक साथ आ सकते हैं एक साथ खींचे जा सकते हैं। और कभी-कभी, के माध्यम से इंटरनेट की टक, आप एक दयालु आत्मा पाने के लिए। कभी-कभी वह जवाब पढ़ने में और टिप्पणी अनुभाग और खोज एक उत्तर जो विशेष रूप से दयालु है या व्यावहारिक या मजाकिया कभी-कभी वह किसी का अनुसरण करने में और यह देखते हुए कि वे पहले से ही आप का पालन करें। और कभी-कभी किसी को देखने में जो आप वास्तविक जीवन में जानते हैं और उन चीजों को देखना जो आप लिखते हैं और वे चीजें जो वे लिखते हैं और एहसास है कि आप इतने सारे साझा करते हैं जैसे ही वे करते हैं, और जो उन्हें लाता है आप के साथ करीब। कभी-कभी, यदि आप भाग्यशाली हैं, आप एक अन्य विदेशी से मिलने के लिए। [जब दो अलिबैन एक दूसरे को ढूंढते हैं एक अजीब जगह में, यह घर की रोशनी महसूस करता है] लेकिन मैं चिंतित हूं, हम सभी जानते हैं, अधिकांश भाग के लिए इंटरनेट ऐसा महसूस नहीं होता। सभी जानते हैं अधिकांश भाग के लिए, इंटरनेट एक जगह की तरह लगता है जहां हम एक दूसरे को गलत समझते हैं, जहां हम संघर्ष में आते हैं एक दूसरे के साथ, जहां हर तरह का भ्रम है और चिल्ला और चिल्ला और चिल्ला, और ऐसा लगता है सब कुछ बहुत ज्यादा है। यह अराजकता की तरह लगता है, और मैं नहीं जानता कि कैसे दूर वर्ग के लिए अच्छे के साथ बुरे हिस्से, जैसा हम जानते हैं ,हमने देखा है, बुरे हिस्से वास्तव में हमें चोट पहुँचा सकते हैं। प्लेटफार्मों कि हम इन ऑनलाइन स्थानों को वास करने के लिए उपयोग करते हैं डिजाइन किए गए हैं या तो अज्ञानता से या इच्छाशक्ति से उत्पीड़न और दुर्व्यवहार की अनुमति देने, गलत सूचना का प्रसार करने के लिए, घृणा और अभद्र भाषा को सक्षम करना और इससे होने वाली हिंसा, वर्तमान प्लेटफार्मों में से कोई भी नहीं काफी कर रहे हैं इसे ठीक करने के लिए। लेकिन फिर भी, और शायद शायद दुर्भाग्य से, मैं अब भी इन ऑनलाइन स्थानों के लिए तैयार हूं,जितने अन्य हैं, क्योंकि कभी-कभी यह सिर्फ महसूस होता है जैसे कि सभी लोग हैं और मुझे मूर्खतापूर्ण लगता है और कभी-कभी बेवकूफ इन छोटे क्षणों का मूल्यांकन करने के लिए इन जैसे समय में मानवीय संबंध। लेकिन मैंने हमेशा इस विचार के तहत काम किया है कि मानवता के इन छोटे क्षणों शानदार नहीं हैं। वे पीछे हटते नहीं हैं दुनिया भर से, लेकिन इसके बजाय वे कारण हैं हम इन स्थानों पर क्यों आते हैं। वे महत्वपूर्ण और वे पुष्टि करते हैं और वे हमें जीवन देते हैं। और ये छोटे हैं, अस्थायी अभयारण्य यह दिखता है कि हम अकेले नही है जैसा हम सोचते है| और हां, भले ही जीवन खराब हो और हर कोई दुखी है और एक दिन हम सब मरने वाले हैं - देखो, जीवन खराब है,सब दुखी है। सब को मरना है, लेकिन मैं खरीदा है इस inflatable उछाल वाले महल यू यू गोना उर शूज उतारो या नहीं] मुझे लगता है कि inflatable रूपक इस मामले में उछालभरी महल वास्तव में हमारे रिश्ते हैं और अन्य लोगों के लिए हमारे कनेक्शन। और इसलिए एक रात, जब मैं दुखी महसूस कर रहा था और दुनिया के बारे में निराशाजनक, मैं चिल्लाया बाहर अर्थहीन शब्दोसे , एकाकी अंधकार को मैंने कहा, "इस बिंदु पर, सोशल मीडिया पर लॉग इन करना दुनिया के अंत में किसी का हाथ पकड़ने जेसा है और इस बार, के बजाय शून्य प्रतिक्रिया, यह लोगों को दिखाया गया था जिसने मुझे और फिर जवाब देना शुरू कर दिया जो आपस में बात करने लगे, और धीरे-धीरे यह थोड़ा छोटे समुदाय का गठन। सब लोग हाथ पकड़ने के लिए एक साथ आए। और इन खतरनाक और अनिश्चित समय में, इस सब के बीच में, मुझे लगता है कि हमारे पास जो चीज है अन्य लोगों को पकड़ना है। और मुझे पता है कि यह एक छोटी सी बात है छोटे क्षणों से बना है, लेकिन मुझे लगता है कि यह एक छोटी बात है, प्रकाश के छोटे कांपनेवाला सभी अंधेरे में। धन्यवाद। (तालियां) धन्यवाद। (तालियां) धन्यवाद। मैं यहाँ कुत्तों के बारे में बात करने आई हूँ, खास तौर पर, बुरे कुत्तों के बारे में बात करने आई हूँ, और मैं उनसे प्यार क्यों करती हूँ। मैं एक संरक्षण जीवविज्ञानी हूँ, मतलब अजीब प्रजातियों का अध्ययन करती हूँ और उन्हें गिनने का प्रयास करती हूँ। और मैं खोजी कुत्तों का प्रशिक्षक भी हूँ, और जहाँ वे दो दुनियाएँ मिलते हैं वहाँ मैं रहती हूँ, और काम करती हूँ। इस तरह के काम के लिए हमें ज़्यादातर जो कुत्ते मिलते हैं, शरण स्थाल ढूँढ़ते हैं क्यूंकि यह बुरे कुत्ते हैं, और वे अच्छे पालतू पशु नहीं बनते हैं। और आप जानते हैं यह कुत्ते, आप अपने दोस्त के बारबेक्यू को जाते हैं, और वह कुत्ता आ जाता है, और वह आपको देखकर बहुत खुश है वह आपके पैरों पर पेशाब करता है, और वह यह बड़ा, राल बहानेवाला गेंद आपके गोद में रखता है, और आप इसे अपने और इस कुत्ते के बीच ज्यादा से ज्यादा दूरी लाने के कोशिश के लिए फेंक देते हैं, और वह वापस आता है, और फिर ९५०वें बार फेंक से आप सोच रहे हैं, "ओह, उन्होंने इस कुत्ते से छुटकारा क्यों नहीं पाया?" और अक्सर वे करते हैं। वे शरण स्थाल में पहुँचते हैं क्योंकि उन्हें अक्सर आपको चीजों लाने के लिए यह ज़बरदस्त इच्छा होती है। (हँसी) उन्हें लगता है कि आप सच में इसका आनंद ले रहे हैं। कुत्ता बहुत खुश है, यह सोचकर कि आप सभी इस खेल का आनंद ले रहे हैं क्योंकि आप कुछ फेंक रहे हैं और वह आपके लिए ला रहा है। और वे आपको बता रहे हैं कि यह चीज़ कहाँ है, और यही हमने उनसे करने को कहा है समय के क्रमिक विकास से ऊपर कुत्तों के साथ हमारा साहचर्य, हमने उन्हें सामान लाने को कहा। और वे बहुत अच्छा काम करते हैं। वे हमें हमारे लिए पशुधन लाते हैं, और वे हमें खाना और खेल लाते हैं, और यह ग्रह पर एकमात्र प्रजाति है हमें सामान लाने के लिए कष्ट उठाते हैं और वे क्या जानते हैं यह हमें बताने का कष्ट उठाते हैं। मेरा मतलब है कि आप एक ऊंट या भालू से पूछ सकते हैं, या आप अपनी बिल्ली से पूछ सकते हैं, और आपको कुछ नहीं मिलता। (हँसी) लेकिन कुत्तों को यह बताना पसंद है कि वे क्या जानते हैं। और जो इसे बहुत बहुत, बहुत प्यार करते हैं, वह हद से ज़्यादा हैं, उनके पास यह गज़ब की शक्ति है, बस निरंतर जोश है। और हम इसे सिर्फ एक अस्वीकार कुत्ते के रूप में वर्गीकृत करते हैं। यह बहुत ज्यादा है, यह विनाशकारी है, सब कुछ मिलाके। लेकिन इन लक्षणों वाले कुत्तों से मैं काम करना पसंद करती हूँ। छोड़ने की अक्षमता: यह इच्छा ही नहीं है, यह छोड़ने की अक्षमता है, यही तो है लचीलापन। एक कुत्ता जो रुकता नहीं है, आप उस कुत्ते को बहुत सरी चीजें करने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं और आपको जानकारी लादें। मैं आपको इस विशेष कुत्ते के बारे में थोड़ा बताना चाहती हूँ, उसका नाम रुगर है। और वह एक बहुत बुरा कुत्ता है। वह ज़ांबिया का पहला विरोध अवैध शिकार कुत्ता है, एक नैशनल पार्क के ठीक बगल में रहता है जहाँ जानवरों को पार्क के बाहर शिकार, फँसाया और अवैध व्यापार किया जाता है, और यहाँ तक कि, आप जानते हैं, हाथी दांत कांगो बेसिन से तंजानिया से होकर जाम्बिया से होकर विदेश भेजे जाने वाले बंदरगाहों को ले जाया जा रहा है। और यह कुत्ता हाथीदांत और गैंडे का सींग, जंगल मांस, अन्य वन्यजीव निषिद्ध माल और बंदूकें और गोला-बारूद खोजने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। मैंने उसे प्रशिक्षित किया, और मैंने उसे एक भयानक कुत्ता पाया। वह लोगों को काटता और गुर्राता, वह पहुँच के लिए डरावना था, वह सब कुछ था जो आप एक कुत्ते में पाते, और यह पता चला कि वह अंधा हो रहा था। तो मैं इस कुत्ते को जाम्बिया लेके गई, और मैंने उसे इन स्काउट्स के साथ जोड़ा जिनके पास पालतू जानवर या कुत्तों के साथ होने का कोई इतिहास नहीं है गाँव के कुत्तों पर पत्थर फेंकने के सिवा। और उन्होंने इस कुत्ते को एक सहकर्मी के रूप में सोचना सीखा। और कुत्तों के साथ गहन प्रशिक्षण के चार महीने बाद, उन्होंने मार्ग रोक को स्थापित करना शुरू किया और इस पार्क के बाहर सड़कों के पास वाहनों में अवैध निषिद्ध माल को ढूंढना जारी किया। और उन्होंने वाहनों की जाँच की, और एक मनुष्य से इसे, करने में घंटों लग सकते हैं, खासकर सामान और भोजन से भरी एक बस जैसे की यह ऊपरी कोने में। और रुगर ने कुछ ही मिनटों में इसकी जाँच की क्योंकि मार्ग रोक पर उनका यह पहला अभ्यास प्रशिक्षण है। और उसने सतर्क किया, जिसका अर्थ है कि वह बैठा, और अपने प्रहस्तक को घूरा, और प्रहस्तक सोच रहा था कुछ ऐसे, "हे भगवान"! उन्होंने इसे खोजा, गौर से परखा, और उन्होंने कुछ भी नहीं पाया, और उनका उत्साह ढीला पड़ गया। लेकिन उन्होंने उस मिनीवन से माल उतार दिया, और सामान बाहर निकाल दिया, और फिर रुगर ने सामान का एक टुकड़ा उठाया और बैठ गया, और उन्होंने इसे गौर से परखा और कुछ नहीं पाया। और रुगर ने जोर दी, और वे वापस आए, और फिर रुगर ने कपड़े के अंदर एक प्लास्टिक बैग में लिपटे एक छोटे माचिस पेटी को दिखाया। और उस माचिस पेटी के अंदर एक प्राइमर कैप था, जो एक हस्तनिर्मित राइफल के लिए एक अवैध फायरिंग पिन है। तो सभी, उस बस में सभी यात्री, सभी स्काउट्स, उन्हें अचानक विश्वास हो गया। उनका मानना था कि रुगर जानता था कि वह क्या कर रहा है क्योंकि उसने छोड़ा नहीं। उसका एक और भी दिलचस्प इतिहास है। वह इंडियन रेज़र्वैशन से आया है, मोंटाना में दी ब्लैकफीट रेज़र्वैशन। और वह एक ख़राब पिल्ला था, और उन पिल्लों के मालिक ने सभी कुत्तों को गोली मार दी। किसी तरह रुगर बच गया, वह हेलेना में एक शरणस्थान में पहुँचा। किसी ने उसे पाया और देखा कि वह कितना बुरा था और उसे एक संरक्षण खोजी कुत्ते के रूप में प्रशिक्षित करने के लिए हमारे पास लाया। उसने बहुत बड़ा बदलाव लाया। अपनी अविश्वसनीय शक्ति और काम करने की इच्छा और काम के प्यार के कारण, वह हमें अद्भुत जानकारी प्रदान करता है। एक और कुत्ता है मैं आपसे मिलना चाहता हूँ। उसका नाम पेपिन है, और वह हमारी कार्यकारी के साथ है, डॉ. पीट कोप्पोलिलो, जो आपको थोड़ा और बताने जा रहे हैं, और मैं आपके लिए पेपिन से काम करवाना शुरू करुँगी। पीसी: ठीक है, मेगन, पेपिन तैयार हो जाओ। मैं आपको रुगर पर थोड़ा ताज़ा समाचार दूंगा। मिनीबस में अपनी पहली खोज करने के चार महीने बाद, उसने पता लगाया और स्काउट्स जिनके के साथ वह काम करता है १५ बंदूको जब्त की। ज्यादातर घर का बना मज़ललोडर्स, जो हाथी के अवैध शिकार के लिए उनकी पसंदीदा बंदूक है। उनका उपयोग इसलिए भी किया जाता है क्योंकि अफ्रीका में बंदूकों का आना मुश्किल है, कभी सात, कभी १०, कभी अधिक अलग शिकारियों द्वारा। तो, फ़िलहाल, अब १००-१५० अलग-अलग शिकारी हो सकते हैं जो रुगर की बदौलत बिना काम के हैं। (तालियाँ) (चीयर्स) और इन असाधारण, जोश भरे कुत्तों के लिए, आप जानते हैं, रुगर सच में अपवाद नहीं नियम है। और मैं आपको और भी बताऊँगा। यह सीमस है। सीमस डायर्स वोड का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है, जो वहाँ उस मटके में अपतृण है। और जब लचीलेपन की बात आती है, डायर्स वोड साल में १२,००० से १५,००० के बीच बीज गिराता है। तो यह एक बहुत अप्रिय अपतृण है, और जब यह स्थापित हो जाता है, इससे छुटकारा पाना बहुत कठिन है। इसलिए लोग लगभग १० वर्षों के लिए मिसौला में माऊँट सेंटिनल में इससे छुटकारा पाने पर काम कर रहे थे, और वे कोई प्रगति नहीं कर रहे थे। इसलिए २०११ में, हमने सीमस को लाया। और सीमस कुछ करने में सक्षम है जो हम मानव खोजी नहीं कर सकते, जो इसके फूलने से पहले सूंघ लेता है। सीमस ने डायर्स वोड पर ९५ प्रतिशत से अधिक रोकथाम की। उसकी बदौलत, हम कुछ ऐसा करने जा रहे हैं जो कुछ साल पहले अकल्पनीय थी, जो एक बहुत अप्रिय अपतृण को मिटाना है, एक बहुत अप्रिय अपतृण का खराब पर्याक्रमण। और यह विकेट है। विकेट सर्वश्रेष्ठ कहानियों में से एक है। वह एनाकोंडा, मोंटाना में एक शरणस्थान में थी, और जब हम उसे लेने आये, शरणस्थान के निदेशक ने कहा, "आपको वह कुत्ता नहीं चाहिए। वह कुत्ता पागल है।" (हँसी) और अब ऐमी ने कहा, "मुझे लगता है कि वह सही तरह की पागल हो सकती है।" विकेट अब दुनिया की सबसे कुशल संरक्षण खोजी कुत्ता है। उसने तीन महाद्वीपों पर काम किया, उसने बहुत सारे अमेरिकी राज्यों में काम किया है, और यहाँ वह एक नाव में ज़ेबरा शंबुक के लिए खोज रही है जिसका एक सूक्ष्म डिंभकी चरण है जिसे हम देख नहीं सकते हैं। निपुण और पागल की बात करते हुए, (हँसी) अब आप लोग पेपिन अपना काम करते हुए देखेंगे। अब मेग ने उसकी बण्डी डाली। यह उसे संकेत देता है कि काम का समय है। आप देख सकते हैं कि वह कम-केंद्रित है। (हँसी) वह जाने के लिए तैयार है। तो मैंने हाथीदाँत छिपाया। मैंने कमरे में हाथीदाँत छिपाया। पेपिन हाथीदाँत कुत्तों में से एक है, और मैंने कमरे में कुछ हाथीदाँत छिपाया। आप लोग, वहीँ रहिए। वह मादक पदार्थों पर प्रशिक्षित नहीं है, तो किसी को दरवाज़े की तरफ (हँसी) भागने के ज़रुरत नहीं है, और जब मेग उसे जाने को कहती है, वह अपना काम करेगा। तो आप जो देखने जा रहे हैं, आप उसे काम करते हुए देखेंगे, और आप उसका सिर देख सकते हैं, वह अपना सिर ऊपर-नीचे करेगा, भीतर थोड़ा मुश्किल है क्योंकि यहाँ हवा कुछ ज़्यादा नहीं है। लेकिन वह खोजेगा, और आप उसे तेज़ी से दौड़ते हुए देखेंगे, दिशा बदलते देखेंगे, उसकी चेतावनी को हम "निष्क्रिय चेतावनी" कहते हैं। वह बैठता है। और उसके करने का कारण है क्योंकि हमने उसे नमूनों को न छेड़ने का प्रशिक्षण दिया है। कभी-कभी यह एक अपराध स्थल है, इसलिए वे सबूत इकट्ठा करना चाहेंगे। कभी-कभी हम डीएनए या उस तरह की चीजों के लिए मल इकट्ठा करते हैं। आम तौर पर, वह बड़े खुले जगहों में काम करता है। वह भूरा भालू में प्रशिक्षित है, वह वॉल्वरिन में प्रशिक्षित है, इसलिए वह बड़े, ऊंचे मैदानों और चरागाहों पर दौड़ता है, लेकिन वह माल डिब्बों, वाहनों और इमारतों में भी प्रशिक्षित है। और वह वहाँ जाँच रहा है। आप देखेंगए कि उसे सूंघ मिल गयी है। लो वह चला। अच्छा काम है, दोस्त! यही उसकी चेतावनी है। और उसके पास एक आदेश है जो है, "मुझे दिखाओ!" और वह दिखाएगा कि कहाँ है। तो वह एक टूटा हुआ हाथीदाँत है। (तालियाँ) बहुत बढ़िया। धन्यवाद! (तालियाँ) लिया चेज़: ओह, यह कितना खूबसूरत है। मैंने कभी ऐसा कमरा और इतनी खूबसूरती और ताकत नहीं देखी जैसी आज देख रही हूँ। बढ़िया है। है ना। खूबसूरत कमरा है। पैट मिचेल: मैंने आपकी उम्र बता ही दी थी, क्योंकि आपने आज्ञा दी थी, पर मुझे एहसास हुआ कि मैं आपको एक साल बड़ी बना रही हूँ। आप तो बस ९४ की हैं। (हंसी) (तालियाँ) लिया: हाँ, मैं बस ९४ की हूँ। (तालियाँ) मेरा मतलब, तुम इतने बूढ़े हो जाओ तो शरीर घिसने लगता है। तुम्हारी टाँगें साथ नहीं देतीं। मेरे बच्चे हमेशा एक बात कहते हैं: "पर आपके मुँह को तो कुछ नहीं हुआ।" (हंसी) कुछ तो चलता रहना चाहिए, इसलिए मेरा मुँह चलता रहता है। (हंसी) पैम: तो, श्रीमती चेज़, जब हम पहली बार वहाँ थे, मैं TED में अपने साथ काम कर रही कुछ युवतियों को किचन में लाई थी, और हम सब आपके पास खड़े थे जब आप कई सौ लोगों का खाना बना चुकी थी जैसा कि आप हर रोज़ करती हैं, और आपने उनकी तरफ़ देखा। आपको इन दर्शकों को बताना होगा जो आपने उन युवतियों को बताया था। लिया: आप जानती हैं मैं तो हर समय युवतियों से बात करती हूँ, और मुझे अब इससे कष्ट होने लगा है, क्योंकि देखो मैं कितनी दूर तक आ पहुँची। मैं उन औरतों में से थी जिन्हें मेहनत करना और काम करना पड़ता था, और औरतों सा व्यवहार करना जानती थीं। वे पुरूषों को नीचे नहीं दिखातीं। और, खैर, हम आपके जैसी शिक्षित नहीं थीं, और भगवान, मुझे इतना गर्व होता है जब मैं उन सब औरतों को देखती हैं जिन्होंने इतनी शिक्षा हासिल की है। इसीलिए, मैंने मेहनत की, सबको उन स्रोतों को इस्तेमाल करवाने की कोशिश करवाई। वे अपनी शक्ति नहीं जानती, और मैं उन्हें हमेशा कहती हूँ, मेरी माँ को देखो, बेटा होने से पहले उनकी १२ बेटियाँ हुईं। (हंसी) तो आपको पता चल गया मैं कैसे आई। (हंसी) अब, उनके १४ बच्चे थे। उन १४ में से उन्होंने ११ को बड़ा किया, और पिछले साल तक, हम सभी जी रही थीं, कुछ बूढ़ियों की तरह, पर हम अभी भी यहाँ हैं। (हंसी) और कभी-कभी हम झगड़ालू और वह सब हो जाती हैं, पर हम अब भी चल रही हैं। और मुझे औरतों से मिलना अच्छा लगता है। आप जानती नहीं कि मुझे कितना अच्छा लगता है आज की औरतों को उनके ओहदों पर देखकर। मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं औरतों को उन ओहदों पर देख पाऊँगी जहाँ वे आज हैं। कितनी बड़ी बात है। मेरे पास एक युवती आई थी। वह एक अफ़्रीकी-अमरीकी युवती थी। और मैंने कहा, "तुम क्या करती हो, प्यारी?" उसने कहा, "मैं नौसेना में पाइलट थी।" हे भगवान, मुझे इतनी खुशी हुई, क्योंकि मैं जानती थी उस नौसेना को संगठित करना कितना मुश्किल था। जानती हैं, नौसेना का सबसे अंत में संगठन किया गया था, और वह भी फ़्रैंकलिन रूज़वेल्ट द्वारा अफ़्रीकी-अमरीकियों के लिए एहसान के तौर पर, लेस्टर ग्रेंजर से मैं भली भांति परिचित थी। उस समय वह नैशनल अर्बन लीग के अध्यक्ष थे, और जब रूज़वेल्ट ने उन्हें पूछा, शायद वह लेस्टर को अपने मंत्रि मंडल में शामिल करना चाहते थे। लेस्टर ने कहा, "नहीं, मुझे वह नही बनना। बस मैं चाहता हूँ आप नौसेना को संगठित करें।" और फ़्रैंकलिन ने वही किया। फ़्रैंकलिन तो जीते जी नहीं कर पाए, पर ट्रूमैन ने किया। पर जब इस औरत ने मुझे बताया, "मैंने सभी उड़ने वाले जहाज़ चलाए हैं," सभी विमानों की तरह बॉम्बर भी, मुझे तो इतनी खुशी हुई, यह देखकर कि औरतें कहाँ तक पहुँच गई हैं। और मैंने उसे कहा, "तुम अंतरिक्ष कार्यक्रम में जा सकती हो।" उसने कहा, "पर श्रीमती चेज़, मैं बहुत बूढ़ी हूँ।" वह कुछ ६० साल की होगी, और आप जानती हैं, उस उम्र में आप अपनी युवास्था से आगे निकल चुके होते हैं। (हंसी) वे नहीं चाहते कि ६० साल का कोई आसमान में उड़े। ज़मीन पर ही रहो। जब मैं औरतों से मिलती हूँ, और अब तो सभी मेरे किचन में आते हैं, और आप जानती हैं, और इससे मेरी बेटी, स्टेला को परेशानी है। उसे लोगों का किचन में आना पसंद नहीं। पर मैं तो वहीं होती हूँ, और आप तो मुझे किचने में ही देख पाएँगे। तो, जब वे वहाँ आते हैं, मुझे हर तरह के लोग मिलते हैं। और मुझे वास्तव में जिससे बहुत उत्साह मिलता है, वह है जब मैं सफल औरतों से मिलती हूँ। जब मुझे सफल औरतें मिलती हैं, उससे मुझे फायदा होता है। अब, मैं वह झंडा लहराने वाली औरतों में से नहीं हूँ। आप मुझे वहाँ लहराते हुए नहीं देखेंगी। नहीं, मैं वह नहीं करती। (हंसी) नहीं, मैं वह नहीं करती, और मैं नहीं चाहती कि आपमें से कोई ऐसा करे। बस अच्छी औरत बनें। और जानती हैं, मेरी माँ ने हमें सिखाया... वह हमपर बहुत सख्ती करती थीं, और वह कहती थीं, "पता है, लिया," उन्होंने हम सभी को यह फलक दिया था, "भली औरत बनने के लिए सबसे पहले लड़की जैसी दिखोे।" मुझे लगता था मैं लड़की जैसी हूँ। "स्री की तरह व्यवहार करो।" जो मैंने कभी करना नहीं सीखा। (हंसी) "पुरुष की तरह सोचो।" अब, उस पुरुष की तरह बनो मत; बस उसकी तरह सोचो। और "कुत्ते की तरह काम करो।" (हंसी) तो हमने कठिनाई से यह सीखा। और वे तुम्हें वही सिखाते थे। वे तुम्हें सिखाते थे कि औरतों को क्या करना चाहिए। हमें सिखाया जाता था कि औरतें ही पुरुषों का व्यवहार नियंत्रित करती हैं। जैसा आप करेंगी, वैसा ही वे करेंगे। तो आपको वह करना होगा, और मैं आपको हर समय कहती हूँ। पता है, इस आदमी को नीचे मत दिखाओ। मुझे दुख होता है जब शायद आपका पति आपके जितना पढ़ा-लिखा ना हो, पर फिर भी आप उसे नीचा नहीं दिखा सकतीं। आपको उसे हमेशा प्रोत्साहित करना है, क्योंकि आपको चूहे के साथ तो नहीं रहना। तो आप चाहती हैं वह पुरुष पुरुष ही बने, और वह सब करे जो उसे करना है। और हमेशा याद रखें, वह तो सस्ते तेल पर चलता है। (हंसी) तो, उसमें सस्ता तेल भरो... (हंसी) और फिर वह आपका है। बस ऐसा है... (हंसी) बस ऐसा... पैम: हमें एक मिनट देना होगा इसे हजम करने के लिए। (हंसी) लिया: मेरे मंच पर आने से पहले जब मैंने इस युवती को सुना... वह इतनी खूबसूरत थी, और मैंने सोचा काश मैं ऐसी होती, और मेरे पति, बेचारे... शादी के ७० सालों के बाद मैंने उन्हें खो दिया... एक बात पर सहमत नहीं होते थे, कभी नहीं हुए, किसी बात पर भी, पर हमारी अच्छी निभती थी क्योंकि वे मुझे समझना जान गए थे, और वह बहुत मुश्किल था, क्योंकि वह इतने अलग थे। और उस युवती ने मुझे याद दिलाया। मैंने कहा, "काश मैं बिल्कुल इस जैसी होती, डूकी को सच में बहुत अच्छा लगता।" (हंसी) पर मैं नहीं थी। मैं हमेशा आगे बढ़ने में लगी रहती, हमेशा कुछ करती रहती, और वह हमेशा मेरे पास आकर कहते "जान, भगवान तुम्हें सज़ा देंगे।" (हंसी) "तुम... तुम बिल्कुल कृतज्ञ नहीं हो।" पर ऐसा नहीं कि मैं कृतज्ञ नहीं हूँ, पर मुझे लगता है कि जब तक आप ज़िंदा हैं, आपको आगे बढ़ते रहना चाहिए, आपको उठने को कोशिश करते रहना चाहिए और जो काम करना है उसे करते रहना चाहिए। (तालियाँ) आप बैठ नहीं सकते। आपको चलते रहना होगा, हर दिन कुछ करते रहना चाहिए। हर दिन, आप कुछ थोड़ा सा करें, उसे बेहतर करने की कोशिश करें। और मेरा पूरा जीवन यही रहा है। मैं देहात में पली-बढ़ी, छोटा सा कस्बा, सबकुछ करना पड़ता था, पानी भी लाना पड़ता था, कपड़े धोने पड़ते थे, यह करो, वह करो, साली स्ट्राबैरिज़ तोड़ो, वह सारे काम। (हंसी) पर फिर भी, मेरे पिताजी ज़ोर डालते थे कि हम अच्छे बनें, दयालु बनें। और बस। जब मैंने इस युवती को सुना... ओह, वह कितना सुंदर बोल रही थी... मैंने कहा, "काश मैं ऐसी हो सकती।" पैम: श्रीमती चेज़, हम चाहते हैं कि आप जैसी हैं वैसी रहें। इसमें कोई शक नहीं। आपसे पूछना चाहती हूँ। इसीलिए आप जैसों से बात करना इतना अच्छा लगता है जिनका इतना तजुर्बा है... लिया: बहुत लम्बा समय। पैम: रूज़वेल्ट को याद करने से लेकर उस इन्सान तक जिनके लिए वह काम किया। आपके दिमाग और दिल में क्या है और क्या आपने देखा और आपके सामने जो हुआ... एक बात जिसे याद करके हमेशा अच्छा लगता है, जब आपने वह रेस्तराँ खोला था, इस शहर में गोरे और काले एक साथ खाना नहीं खा सकते थे। यह कानून के खिलाफ़ था। और फिर भी वे डूकी चेज़ पर खाते थे। मुझे उस बारे में बताएँ। लिया: वे वहाँ खाते थे। मेरी सास ने वह शुरू किया था, और उन्होंने उसे शुरू किया क्योंकि उनके पति बीमार रहते थे, और वे बाहर जाते... और शिकागो और बाकी सब जगहों से लोग, वे उनके काम को "नम्बर रनर" कहते थे। पर यहाँ न्यू ऑरलीन्स में, हम बहुत परिष्कृत हैं... (हंसी) तो वे "नम्बर रनर" नहीं, बल्कि लॉटरी बेचने वाले थे। (हंसी) तो देखा, हम उसे श्रेष्ठ बना देते हैं। पर वह ऐसे ही करते थे। और वह घर-घर जाकर ग्राहक इकट्ठे नहीं कर सकते थे, क्योंकि वह बीमार थे, तो इसलिए, उन्होंने यह छोटी सैंडविच दुकान शुरू की, ताकि वह नम्बर ला सके, क्योंकि वह इतना बीमार रहते थे। उन्हें नासूर थे। उनकी हालत लंबे समय से बहुत खराब थी। तो वह दुकान चलाती थीं... और उन्हें कुछ नहीं आता था, पर वह सैंडविच बनाना जानती थीं। वह जानती थीं वह पका सकती हैं, और उन्होंने बियर बनाने वालों से ६०० डॉलर उधार लिए। सोच सकते हैं आज के समय में ६०० डॉलर से व्यापार शुरू करना और कुछ पता नहीं कि आप कर क्या रहे हैं? और मुझे हमेशा हैरानी होती थी कि वह क्या कुछ कर सकती थीं। वह पैसे को अच्छे से रखना जानती थीं। जो, मुझे नहीं आता। मेरे पति मुझे दिवालीया बहन बुलाते थे, (हंसी) "जो मिलता है सब खर्च कर देती है।" और मैं ऐसा ही करती थी। पैम: पर फिर भी आपने रेस्तराँ चलाए रखा, विवाद के उन दिनों में भी, जब लोग विरोध कर रहे थे और लगभग बहिष्कार कर रहे थे। मेरा मतलब, आपके पति और आपने काफ़ी विवादास्पद कदम उठाया। लिया: उठाया, और पता नहीं हमने वह कैसे किया, पर जैसे मैंने कहा, मेरी सास बहुत ही दयालु इन्सान थीं, और उस समय की पुलिस में कोई अफ़्रीकी-अमरीकी नहीं थे। वे सभी गोरे थे। पर वे आते थे, और वह कहतीं, "मैं तुम्हारे लिए छोटा सैंडविच बनाने वाली हूँ।" तो वह उनके लिए सैंडविच बनातीं। आज वे उसे रिश्वत कहते। (हंसी) पर वह बस ऐसी ही थीं। वह दूसरों के लिए कुछ करना चाहती थीं। वह देना चाहती थीं। तो वह वही करतीं, और शायद उसीसे हमें मदद मिली, क्योंकि किसीने हमें कभी तंग नहीं किया। हमारे रेस्तराँ में जिम डमब्रॉव्सकी, एलबर्ट बेन स्मिथ ने हर कुछ शुरू किया, और किसीने हमें कभी तंग नहीं किया। तो हम बस वैसे ही चलते रहे। पैम: माफ़ कीजिए। आपने मुझे उस दिन बताया था उस तथ्य के बारे में कि कैसे लोग आपके रेस्तराँ को सुरक्षित जगह मानते थे जहाँ वे इकट्ठे हो सकते थे, खासकर अगर वे नागरिक अधिकारों या मानवीय अधिकारों पर काम कर रहे होते, या कानून बदलने के लिए काम कर रहे होते। लिया: क्योंकि एक बार आप उन दरवाज़ों के अंदर आ गए, कोई आपको कभी तंग नहीं करता था। पुलिस कभी अंदर आकर हमारे ग्राहकों को तंग नहीं करती थी। तो उन्हें वहाँ आना सुरक्षित लगता था। वे खा सकते थे, योजना बना सकते थे। सभी "फ़्रीडम राइडर", वहीं अपनी योजनाएँ बनाते थे। वे आते और हम उन्हें गंबो का कटोरा और फ़्राइड चिकन पेश करते। (हंसी) तो मैंने कहा, हमने गंबो के कटोरे और फ़्राइड चिकन से अमरीका का रुख बदल डाला। (तालियाँ) मैं अब नेताओं को आमंत्रित करना चाहती हूँ, गंबो का कटोरा और फ़्राइड चिकन खाने, बात करने और हम चलकर वह करें जो हमें करना हो। (तालियाँ) और हम बस यही करते थे। पैम: लंच पर आमंत्रित करने के लिए हम आपको सूची भेजें? (हंसी) लिया: हाँ, आमंत्रण। क्योंकि हम वही तो नहीं कर रहे। हम बात नहीं कर रहे। एक साथ नहीं बैठ रहे। मुझे परवाह नहीं चाहे आप रिपब्लिकन हो या जो भी हो... एक साथ तो बैठो। बात करो। मैं उन भले लोगों को जानती हूँ। मेरी उन बूढ़ों के साथ दोस्ती थी, जैसे टिप ओ' नील और वे सब लोग। वे जानते थे एक साथ बैठना और बात करना, और कभी-कभी आप शायद असहमत होते। पर कोई बात नहीं। पर आप बात करते, और हम एक अच्छी बात पर सहमत हो जाते। और हम उस रेस्तराँ में वही करते थे। वे मीटिंग की योजना बनाते, ओरेथा की माँ, ओरेथा हेली की माँ। वह माताओमेसे में बड़ी थी। उसकी माँ ने मेरी 42 साल देखभाल की . और वह मेरे जैसी थीं। हम कार्यक्रम समझते नहीं थे। हमारे हम उम्र कोई नहीं समझते थे, और हम बिल्नकुल नहीं चाहते थे हमारे बच्चे जेल जाएँ। ओह, वह... हे भगवान। पर वे जवान बच्चे अपने विश्वास के लिए जेल जाने को तैयार थे। हम थर्गुड और ए.पी. टूरो और एनएएसीपी के उन सभी लोगों के साथ काम करते थे। पर वह एक धीमी चाल थी। हम अभी भी दरवाज़े से अंदर जाने के लिए उनका इंतज़ार कर रहे होते। (हंसी) पैम: आप थर्गुड मार्शल की बात कर रही हैं? लिया: थर्गुड मार्शल। पर मुझे थर्गुड पसंद था। वह एक अच्छा आंदोलन चलाता था। वे बिना किसी को कष्ट दिए बिना यह करना चाहते थे। मैं कभी ए.पी. टूरो को नहीं भूलूँगी: "पर तुम गोरों को कष्ट नहीं दे सकते। उन्हें कष्ट मत देना।" पर इन जवान लोगों को परवाह नहीं थी। वे बोले, "हम जा रहे हैं। तैयार हैं या नहीं, हम यह करेंगे।" और इसलिए हमें उनका समर्थन करना पड़ा। हम उन्हीं बच्चों को जानते थे, नेक बच्चे थे। हमें उनकी मदद करनी थी। पैम: और वे बदलाव लाए। लिया: और वे बदलाव लाए। जानती हैं, वह मुश्किल था, पर कभी-कभार बदलाव लाने के लिए मुश्किल काम करने पड़ते हैं। पैम: और आपने कितने सारे बदलाव देखे हैं। रेस्तराँ एक पुल था। आप अतीत और वर्तमान के बीच की पुल हैं, पर आप अतीत में नहीं जीती, हैं ना? आप वर्तमान में जीती हैं। लिया: और यही बात आजकल के नौजवानों को बतानी है। ठीक है, आप विरोध कर सकते हैं, पर अतीत को अपने पीछे छोड़ दें। मैं तुम्हें तुम्हारे दादा के किए के लिए ज़िम्मेदार नहीं ठहरा सकती। वह तुम्हारे दादा थे। मुझे उसपर आगे बढ़ना है। मुझे बदलाव लाने हैं। मैं वहाँ खड़े होकर नहीं कह सकती, "ओह, देखो, उन्होंने उस समय हमारे साथ क्या किया। देखो अब वे हमारे साथ क्या करते हैं।" नहीं, आपको याद रहता है, पर उसीसे आप आगे बढ़ते रहते हैं, पर आप हर रोज़ उसकी शिकायत नहीं करते। आप काम करते हैं, और कुछ कर दिखाने के लिए करते हैं, और सभी को शामिल होना चाहिए। मेरे बच्चे बोले, "माँ, राजनीति की बात मत करना," पता है। (हंसी) "राजनीतिक मत बनना, क्योंकि आपको पता है हमें वह अच्छा नहीं लगता।" पर आज तो आपको राजनीतिक बनना होगा। शामिल होना होगा। प्रणाली का हिस्सा बनना होगा। देखो तब कैसा था जब हम प्रणाली का हिस्सा नहीं बन सकते थे। जब डच मोरियल मेयर बने, अफ़्रीकी-अमरीकी समुदाय के लिए एक अलग सा एहसास था। हमें लगा हम भी प्रणाली का हिस्सा बने। अब हमारा अपना मेयर है। हमें एहसास होता है जैसे हम यहाँ के हैं। डच के आने से पहले मून ने कोशिश की। पैम: मेयर लैंड्रयू के पिता, मून लैंड्रयू। लिया: मेयर लैंड्रयू के पिता, उन्होंने बहुत जोखिम उठाए अफ़्रीकीअमरीकियों को सिटी हॉल में रखकर। लंबे समय के लिए उन्हें उसका अंजाम भुगतना पड़ा, पर वह दूरदर्शी थे, और उन्होंने वही काम किए जिनसे वे जानते थे शहर की मदद होगी। वे जानते थे हमें शामिल होना होगा। तो हमें वही करना होगा। हम उसकी शिकायत नहीं करते। बस हम चलते रहते हैं, और मिच, आपको पता है, मैं हमेशा मून को कहती हूँ "तुमने अच्छा काम किया।" पर मिच ने आपसे बड़ा और बेहतर किया। जब उन्होंने उन मूर्तियों को नीचे गिराया, मैंने कहा, "यार, तुम पागल हो!" (तालियाँ) तुम पागल हो। पर वह एक अच्छी राजनीतिक चाल थी। पता है, जब मैंने पी.टी. बूरगार्ड को गिराए जाते देखा, मैं बैठकर खबरें सुन रही थी, और मुझे एहसास हुआ कि यह सब वास्तव में क्या था। मेरे लिए, यह जाति के बारे में नहीं था यह एक राजनीतिक चाल थी। और मैं इतना भड़क उठी, अगली सुबह मैं उस किचन में वापिस आई, और मैंने कहा, चलो, तैयार हो और काम पर चलो, क्योंकि तुम पीछे रह जाओगे। और तुम्हें वही करना है। तुम्हें आगे बढ़ना होगा, वे भी आगे बढ़ रहे हैं। इससे शहर को नई दिशा मिलेगी। तो तुम्हें वह लक्ष्य दिखा... उसपर आगे बढ़ो, खुद को ऊपर उठाओ, जो करना है वह करो, और उसे अच्छे से करो। और हम इतना ही करते हैं। मैं इतना ही करने की कोशिश करती हूँ। पैम: पर आपने अभी पलटाव का मंत्र बताया। हैं ना? तो आप बेशक संसार भर में पलटाव की सबसे उत्तम मिसाल हैं, तो कुछ तो होगा जो आप सोचती होंगी... लिया: मुझे भावनात्मक ताकत पसंद है। मुझे वे लोग पसंद हैं जिनमें भावनात्मक और शारीरिक ताकत होती है, और शायद मेरे लिए सही नहीं। जनरल पैटन हमेशा मेरे सबसे पसंदीदा थे। आप जानती हैं, बहुत अच्छी बात नहीं। (हंसी) पैम: हैरानी की बात है। लिया: मेरे डाइनिंग रूम में जॉर्ज पैटन की तस्वीर है क्योंकि मैं याद रखना चाहती हूँ। उन्होंने अपने लिए लक्ष्य तय किए, और वे उन लक्ष्यों को पाने आगे बढ़े थे। वह कभी रुके नहीं। और मुझे उनके शब्द हमेशा याद रहेंगे "नेतृत्व करो, साथ चलो, या रास्ते से हटो।" अब, मैं नेतृत्व नहीं कर सकती... (तालियाँ) मैं नेता नहीं बन सकती, पर एक अच्छे नेता के साथ चल सकती हूँ, पर मैं रास्ते से हटने वाली नहीं। (तालियाँ) पर आपको वही तो करना है। (तालियाँ) अगर आप नेतृत्व नहीं कर सकते... नेताओं को समर्थक तो चाहिए, तो अगर मैं आपको आगे बढ़ने में मदद करूँ, मैं उसका फायदा तो उठाऊँगी, और मुझे याद नहीं मैंने कितनों का फायदा उठाया। (हंसी) अच्छे से खाना खिलाऊँगी। तुम मेरी मदद करोगे। (हंसी) और जीवन बस यही तो है। हर कोई कुछ ना कुछ कर सकता है, पर शामिल हो जाओ। कुछ करो। हमें इस शहर में, सभी शहरों में जो काम करना है... वह है माताओं को आज से माताएँ बनना शुरू करना है। जानती हैं? उन्हें समझना शुरू करना है... कि जब आप इस बच्चे को संसार में लाते हैं, आपको उसे अच्छा पुरुष बनाना है, अच्छी औरत बनाना है, और उसके लिए मेहनत करनी होगी। त्याग करना होगा। शायद आप लंबे नाखून नहीं रख पाएँगी, शायद आपके बाल सुंदर नहीं होंगे। पर वह बच्चा आगे बढ़ेगा, और आपको वही करना है। हमें उन्हें शिक्षित करने में ध्यान देना होगा और समझाना होगा कि यह सब है क्या। और आपको कहना अच्छा नहीं लग रहा, सज्जनों, ऐसा एक अच्छी औरत ही कर सकती है। ऐसा एक अच्छी औरत ही कर सकती है। (तालियाँ) पुरुष अपना काम कर सकते हैं। दूसरा हिस्सा है बस वह करो जो करना है और घर लेकर आओ, पर बाकी का हम संभाल सकती हैं, और हम बाकी का संभालेंगी। अगर आप एक अच्छी औरत हैं, तो आप कर सकती हैं। पैम: आप यहाँ पहले सुन चुकी हैं। हम बाकी का संभाल सकती हैं। लिया: हम बाकी का संभाल सकती हैं। श्रीमती चेज़, बहुत-बहुत धन्यवाद... लिया: धन्यवाद। पैम: काम से समय निकालने के लिए जो आप हर रोज़ इस समुदाय में करती हैं। लिया: पर आप जानती नहीं इससे मुझे क्यया मिलता है। जब मैं इन लोगों को एक साथ देखती हूँ... मेरे किचन में संसार भर से लोग आते हैं। लंदन से लोग आए हैं, अब दो बार मेरे साथ ऐसा हुआ। पहले एक आदमी आया, और मुझे नहीं पता वह यहाँ क्यों आया... हर साल, शेफ़ कुछ करते हैं जिसे "शेफ़ का दान" कहते हैं। ऐसा हुआ कि मैं वहाँ अकेली औरत थी, और अफ़्रीकी-अमरीकी भी जो उस मंच पर प्रदर्शन कर रही थी, और मैं तब तक नहीं छोड़ूँगी जब तक कोई दूसरी महिला वहाँ ना आए। मैं ऊपर नहीं जाने वाली... वे मुझे उठाकर ले जाएँगे जब तक कोई दूसरी महिला वहाँ ना आए। (हंसी) तो अब एक और आ गई है, ताकि मैं पीछे हट सकती हूँ। तो यह आदमी लंदन से था। तो, उसके बाद, मैंने उस आदमी को अपने किचन में पाया। वह मेरे किचन में आया, और बोला, "आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूँ।" ठीक है, मुझे लगा खाने के बारे में कुछ पूछेगा। "यह सारे गोरे पुरुष आपके आस-पास क्यों मंडराते हैं?" (हंसी) क्या? (हंसी) मैं समझ नहीं पाई। उसे वह समझ नहीं आया। मैंने कहा, "हम मिलकर काम करते हैं। इस शहर में हम ऐसे ही रहते हैं। शायद मैं आपके घर कभी ना जाऊँ, शायद आप मेरे घर कभी ना आएँ। पर जब काम करने की बात आती है, जैसे इस विशेष स्कूल के लिए पैसा इकट्ठा करना, हम एक साथ मिल जाते हैं। हम ऐसा ही करते हैं।" और फिर मेरे किचन में एक महीना पहले अच्छे से कपड़े पहने हुई, एक और आती है, एक औरत। वह बोली, "आपके डाइनिंग रूम में जो हो रहा है, मुझे समझ नहीं आता।" मैंने कहा, "क्या दिख रहा है?" उसे गोरे और काले एक साथ दिखे। हम तो ऐसे ही करते हैं। हम मिलते हैं। हम बात करते हैं। और हम मिलकर काम करते हैं, और हमें वही तो करना है। अपने शहर, अपने देश को बेहतर बनाने के लिए काम करने के लिए ज़रूरी नहीं कि तुम मेरे सबसे अच्छे मित्र हो। हम बस एक साथ मिलकर काम करते हैं, और हम इस शहर में यही करते हैं। हम लोग थोड़े से अजीब हैं। (हंसी) हमें कोई समझता नहीं, पर हम तुम्हें अच्छे से खिलाते हैं। (हंसी) (तालियाँ) (वाहवाही) धन्यवाद। (तालियाँ) (संगीत) (तालियाँ) नमस्ते । मैं सिरैना हूँ। मैं ११ साल की हूँ और कनेक्टिकट से हूँ। (तालियाँ) खैर, मैं यहाँ क्यों हूँ मैं नहीं जानती हूँ। (हंसी) मेरा मतलब है, इसका क्या संबंध है , प्रौद्योगिकी, मनोरंजन और बनावट के साथ ? खैर, मैं प्रौद्योगिकी के रूप में अपने आइपॉड, सेलफोन और कंप्यूटर को गिनती हूं लेकिन इसका उसके साथ कुछ संबंध नहीं है। तो मैंने इस पर एक छोटा से अनुसंधान किया। खैर, मुझे यह परिणाम मिला है। बेशक, मुझे लगता है मैं इसे याद कर सकती हूँ | सारंगी मूल रूप से बना है एक लकड़ी के बॉक्स और चार मुख्य तार से । तार बजाने से, तार थरथराता है और एक ध्वनि तरंग पैदा करता है। ध्वनि एक बृज कहे जाने वाली लकड़ी के एक टुकड़े से होकर गुजरती है और लकड़ी के बॉक्स की अोर नीचे चला जाता है और परिलक्षित हो जाता है लेकिन ... मुझे सोचने दें | (हंसी) अच्छा। दूसरी तरफ कुंजीपटल पर एक अलग स्थान में अपनी उंगली रखने से यह स्ट्रिंग की लंबाई परिवर्तित करता है, जो कि ध्वनि तरंग की आवृत्ति बदल देता है। हे भगवान, ओह! (हंसी) ठीक है। यह एक प्रौद्योगिकी की तरह है लेकिन इसे १६ वीं सदी की तकनीक कह सकते हैं। लेकिन असल में, सबसे आकर्षक बात जो मैंने पाई वो ये थी कि श्रव्य प्रणाली भी या लहर संचरण आजकल अभी भी मूल रूप से एक ही सिद्धांत पर आधारित हैं ध्वनि उत्पादन और ध्वनि पेश करने के । यह बढ़िया नहीं है? (हंसी) (तालियाँ) बनावट - मुझे इसकी बनावट पसंद है| मुझे याद है जब मैं छोटी थी मेरी माँ ने मुझसे पूछा, क्या तुम सारंगी या महावाद्य वादन करना चाहोगी? मैंने उस विशाल राक्षस की अोर देखा और अपने आप से कहा - मैं उस बेंच पर अपने आप को बंद करने नहीं जा रही हूँ पूरे दिन। यह छोटा और हल्का है। मैं इसका वादन खड़े होकर, बैठेकर या चलते वक्त कर सकती हूँ। और क्या आप जानते हैं ? सबसे अच्छा तो ये हैकि अगर मैं अभ्यास नहीं करना चाहती हूं तो मैं इसे छुपा सकती हूं| (हंसी) सारंगी बहुत सुंदर है। कुछ लोग इसे एक महिला की आकृति के रूप से जोङते हैं लेकिन, आप इसे पसंद करें या न करें, यह ४०० से अधिक वर्षों से ऐसा ही है, आधुनिक सामान के विपरीत जो आसानी से दिनांकित लगता है। लेकिन मुझे लगता है कि यह बहुत ही व्यक्तिगत और अद्वितीय है कि हालांकि प्रत्येक सारंगी काफी समान लगता है, लेकिन किन्ही दो सारंगी की ध्वनि समान नहीं होती । यहां तक कि एक ही निर्माता से या एक ही मॉडल पर आधारित | मनोरंजन - मुझे मनोरंजन पसंद है लेकिन वास्तव में केवल उपकरण ही बहुत ही मनोरंजक नहीं है। मेरा मतलब है, जब मुझे पहली बार अपना सारंगी मिला और यों ही वादन की कोशिश की, यह था वास्तव में, बहुत बुरा क्योंकि इसकी ध्वनि वैसी नहीं थी जैसी मैनें दूसरे बच्चों से सुनी थी -- इतनी भयानक और इतना खुरखुरी - इसलिए यह बिल्कुल भी मनोरंजक नहीं था। लेकिन इसके अलावा, मेरे भाई को यह बहुत ही हास्यास्पद लगा। युक, युक, युक| (हंसी) कुछ साल बाद मैंने एक चुटकुला सुना सबसे महान सारंगीवादक जाचा हेइफेत्ज़ के बारे में । श्री हेइफेत्ज़ के संगीत कार्यक्रम के बाद एक महिला वहां पर आईं और सराहना की, "ओह, श्री हेइफेत्ज़, आज रात अपका सारंगी वादन इतना महान लग रहा था।" और श्री हेइफेत्ज़ एक बहुत ही बिंदास व्यक्ति थे, तो उन्होंने अपना सारंगी उठाया और कहा, " हास्यजनक, मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा है।" (हंसी) और अब, मुझे उस संगीतकार के रूप में एहसास होता है कि, हम मनुष्यों के पास एक शानदार दिमाग है, कलात्मक दिल और कौशल जो कि १६ वीं सदी की प्रौद्योगिकी बदल सकते हैं और एक महान बनावट एक अद्भुत मनोरंजन के लिए। अब, मुझे पता है मैं यहाँ क्यों हूँ । (संगीत) (तालियाँ) पहले तो मैंने सोचा कि मैं यहाँ सिर्फ प्रदर्शन करने के लिए यहाँ अाने जा रही थी लेकिन अप्रत्याशित रूप से मैंने सीखा है और मुझे बहुत अधिक मज़ा आया। लेकिन ... उनमें से कुछ मेरे लिए काफी ऊपर वहाँ थे। (हंसी) बहु आयाम चीजों की तरह। मैं ईमानदारी से काफी खुश होगी यदि मैं वास्तव में स्कूल में अपने दो आयाम सही प्राप्त कर सकती हूँ। (हंसी) लेकिन असल में, मेरे लिए सबसे प्रभावशाली बात ये है कि ..., वास्तव में, मैं सभी बच्चों की तरफ से भी सभी वयस्कों को, धन्यवाद कहना चाहती हूं, वास्तव में हमारी बहुत देखभाल करने के लिए और हमारे भविष्य को बेहतर बनाने के लिए। धन्यवाद। (संगीत) ¶ (संगीत) (तालियाँ) (संगीत) (तालियाँ) पिछले हफ़्ते फ़ाउण्डेशन संबंधी बातों को लेकर मैंने एक पत्र लिखा, कुछ समस्याओं का ज़िक्र करते हुए। और वारेन बफ़ेट ने मुझे सुझाव दिया कि मैं यह करता हूँ -- क्या अच्छा हुआ, क्या नहीं इस बारे में ईमानदार रहते हुए, और इसे एक सालाना क्रम बनाते हुए। मेरा उद्देश्य था उन समस्याओं पर काम करने के लिए अधिक लोगों को लाना, क्योंकि मुझे लगता है कि कुछ समस्याएँ बहुत महत्वपूर्ण हैं जिन पर अपने आप काम नहीं हो सकता। अर्थात वैज्ञानिकों, संचारकों, विचारकों, सरकारों को सही चीज़ें करने के लिए बाज़ार प्रेरित नहीं करता। केवल इन चीज़ों पर ध्यान देकर और बेहतर लोगों को साथ लेकर जो समझते हैं और दूसरे लोगों को भी समझाकर क्या हम उतना आगे बढ़ सकते हैं जितना ज़रूरी है। तो आज सुबह मैं उनमें से दो समस्याएँ बाटूँगा और बात करेंगे उनकी स्थिति के बारे में। लेकिन उन पर जाने से पहले मैं यह स्वीकारना चाहता हूँ कि मैं आशावादी हूँ। कितनी भी मुश्किल समस्या हो, मैं मानता हूँ कि हल की जा सकती है। और इसी संदर्भ में मुझे लगता है कि एक ज़रिया है अतीत में देखा जाए। पिछली सदी से, औसत जीवनकाल दुगुने से भी ज़्यादा हो गया है। एक और आंकड़ा जो मुझे पसंद है, बाल मृत्युदर को देखें। 1960 के दौरान, 11 करोड़ बच्चे पैदा हुए और उनमें से 2 करोड़ पाँच साल से ज़्यादा जीवित नहीं रहे। पाँच साल पहले, साढ़े 13 करोड़ बच्चे पैदा हुए थे -- इसी तरह, और -- और उनकी संख्या 1 करोड़ से कम थी जो पाँच साल से ज़्यादा जीवित नहीं रहे। तो ये दिखाते है कि बाल मृत्युदर पहले से आधी हो गयी है । यह वास्तव में कमाल है। उनमें से हर एक की ज़िंदगी बहुत कीमती है। और प्रमुख कारण जिसकी वजह से यह हो सका सिर्फ़ बढ़ती आमदनी नहीं थी बल्कि कुछ महत्वपूर्ण सफ़लताएँ हैं: टीके, जिनका उपयोग व्यापक रूप से किया गया। उदाहरण के लिए, खसरे से चालीस लाख मौत हुई थी 1990 के दौरान और अब 4,00,000 से भी कम है। हम वाकई बदलाव ला सकते हैं। अगली उपलब्धि है उस एक करोड़ को आधा करना. और मुझे लगता है कि यह 20 से कम सालों में हो जाएगा। क्यों? क्योंकि कुछ ही बीमारियाँ हैं जो इनमें से अधिकांश मौतों का कारण हैं: डायरिया, निमोनिया और मलेरिया। तो इस प्रकार हम उस समस्या पर आते हैं जिसका ज़िक्र मैं सुबह करने वाला हूँ, वो यह कि किस प्रकार हम मच्छरों द्वारा फ़ैलाई जाने वाली जानलेवा बीमारी को रोक सकते हैं? इस बीमारी का इतिहास क्या है? यह हज़ारों सालों से एक भयंकर बीमारी रही है। वास्तव में, यदि हम इसकी उत्पत्ति देखें, केवल यही बीमारी हम देखते हैं जिसके लिए अफ़्रीका निवासियों ने मलेरिया से हुई मौतों से बचने के लिए कई चीज़ों का विकास किया। मौतें वास्तव में 1930 वाले काल के दौरान बढ़कर सबसे ज़्यादा पचास लाख हो गई। तो यह यकीनन बहुत भारी थी। और बीमारी दुनिया भर में फैली थी। एक भयानक बीमारी। जो अमेरिका में थी। जो युरोप में थी। 1900 के शुरुआत में लोग नहीं जान पाए कि इसका कारण क्या है, तब एक ब्रिटिश सैनिक ने पता लगाया कि यह मच्छरों से थी। इसलिए सब जगह थी। और दो उपकरणों ने मृत्यु दर को नीचे लाने में सहयोग दिया। एक था डीडीटी से मच्छरों को मारना। दूसरा था कुनैन और कुनैन सजातीय द्वारा मरीजों का इलाज करना। और इस प्रकार मृत्यु दर नीचे आई। अब, विपरीत तरीके से देखें कि क्या हुआ, इसका खात्मा परिमित क्षेत्रों से किया गया, जहाँ सम्पन्न देश आते हैं। तो हम देखते हैं: 1900, यह सब जगह है। 1945, अभी तक अधिकांश स्थानों में है। 1970, यूएस और अधिकांश यूरोप इससे छुटकारा पा चुके हैं। 1990, अधिकांश उत्तरी क्षेत्र इससे मुक्त हैं। और हाल ही में आप देख सकते हैं कि यह सिर्फ़ भूमध्य रेखा के आसपास है। और इसी लिए यह इस विरोधाभास पैदा करता है कि क्योंकि यह बीमारी केवल गरीब देशों में है, इसमें ज़्यादा निवेश नहीं हो पाता। उदाहरण के लिए, गंजेपन की दवाइयों पर ज़्यादा धन लगाया जाता है मलेरिया के मुकाबले। गंजापन, एक भयंकर चीज़ है। (हँसी) और अमीर लोग पीड़ित हैं। और इसी कारण से प्राथमिकता तय हुई है। लेकिन, मलेरिया -- एक साल में मलेरिया से करोड़ मौतें होने पर भी इसके प्रभाव को बहुत ही कम आंका गया है। एक समय में 20 करोड़ से भी ज़्यादा लोग इससे ग्रस्त रहते हैं। यानी इन क्षेत्रों में आपको अर्थव्यवस्था अच्छी नहीं मिलेगी क्योंकि इसने काफ़ी समय से जकड़ रखा है। मलेरिया, वास्तव में मच्छरों द्वारा फैलता है। कुछ को मैं लेकर आया हूँ, ताकि आप इसे अनुभव कर सकें। इन्हें थोडा ऑडिटोरियम में चारों ओर घूमने देते हैं। (हँसी) यह अनुभव भला केवल गरीब लोग ही क्यों लें। (हँसी) (तालियाँ) वैसे ये मच्छर संक्रमित नहीं हैं। तो हम कुछ नई चीज़ें लेकर आए। मच्छरदानी। और मच्छरदानी एक बेहतरीन साधन है। मतलब ये कि माँ और बच्चे को रात में मच्छरदानी में रहना है, ताकि रात को काटने वाले मच्छर उन तक न पहुँच सकें। और जब आप डीडीटी युक्त स्प्रे का उपयोग घर में करते हैं और इन मच्छरदानियों का तो आप 50 प्रतिशत मौतें कम कर सकते हैं। और कुछ देशों में यह हो रहा है। यह देखकर बहुत अच्छा लगता है। लेकिन हमें सावधान रहना होगा क्योंकि मलेरिया -- बीमारी पनपती है और मच्छर भी। तो प्रत्येक साधन जिसे हम पहले काम में ले चुके हैं एक समय पर अप्रभावी हो जाते हैं। और इस तरह आपके पास अंत में दो विकल्प रहते हैं। यदि आप एक ऐसे देश में जाते हैं जहाँ सही साधन और सही तरीके हैं, आप खुलकर रहते हैं, आप वास्तव में स्थानीय समाधान प्राप्त कर सकते हैं। और वहाँ हम देखते हैं कि मलेरिया का दायरा कम है। या, यदि आप किसी बेमन वाली जगह जाते हैं, तो कुछ समय के लिए आप इस बीमारी का बोझ कम कर दें, लेकिन धीरे-धीरे वो साधन अप्रभावी हो जाएँगे, और मृत्युदर वापस बढ़ने लगेगी। और जब दुनिया में ऐसा हुआ तब इस पर ध्यान दिया गया और फिर ध्यान नहीं दिया। अब हम बढ़ रहे हैं। मच्छरदानी का कोश बढ़ रहा है। नई दवाई की खोज जारी है। हमारी फ़ाउण्डेशन ने एक वैक्सीन पर काम किया है जो तीसरे ट्रायल के दौर में है जो आने वाले महीने में शुरु होगा। और जो संभवतः दो तिहाई से अधिक जान बचाएगा यदि प्रभावी रहा तो। तो हमारे पास ये नए उपकरण होने वाले हैं। लेकिन केवल यह ही हमें रास्ता नहीं दिखाता। क्योंकि इस बीमारी से बचने के रास्ते में बहुत सी चीज़ें हैं। इसमें आवश्यकता है संचारकों की जो कोश एकत्रित कर सकें, सोच बनाए रखने के लिए, सफलता की कहानियाँ सुनाने के लिए। आवश्यकता है सामाजिक वैज्ञानिकों की, ताकि हम जान सकें कि मच्छरदानी का उपयोग केवल 70 प्रतिशत लोगों तक न रहे, बल्कि 90 प्रतिशत हो। हमें आवश्यकता है गणितज्ञों की जो आगे आएँ और इसे सुलझाएँ, कुछ मोण्टे कार्लो करें यह समझने के लिए कि किस तरह इन उपकरणों को मिलाकर एक साथ काम किया जाए। बेशक हमें आवश्यकता है दवा कंपनियों की जो हमें अपनी विशिष्टता दें। हमें आवश्यकता है दुनिया की अमीर सरकारों की जो इन चीज़ों में सहायता प्रदान करने के लिए उदार बनें। और इस तरह ये सभी एक साथ होकर, मैं इसे लेकर आशावादी हूँ कि हम मलेरिया को जड़ से मिटा देंगे। चलिए मैं अब एक दूसरे प्रश्न की ओर बढ़्ता हूँ, एक बिल्कुल अलग प्रश्न, लेकिन मैं कहूँगा उतना ही महत्वपूर्ण। वो यह: कैसे एक महान अध्यापक बनाएँ? यह ऐसा प्रश्न है जिस पर लोग काफ़ी समय खर्च करेंगे, और हम यह अच्छी तरह समझते हैं। और उत्तर है, सचमुच हम नहीं जानते। चलिए इससे शुरु करते हैं कि यह क्यों महत्वपूर्ण है। मुझे विश्वास है कि, हम सभी जो इस समय यहाँ हैं, के कुछ अध्यापक महान थे। हमें बहुत अच्छी शिक्षा मिली है। यही एक कारण है कि हम आज यहाँ हैं, इसी कारण की वजह से हम सफल हैं. हालांकि मैं कॉलेज ड्रॉप-आउट हूँ पर फिर भी यह कह सकता हूँ। मेरे अध्यापक महान थे। वास्तव में, यूनाइटेड स्टेट्स में, शिक्षण प्रणाली ने बहुत अच्छा काम किया है। यहाँ सीमित स्थानों में बहुत प्रभावशाली अध्यापक हैं। इसलिए श्रेष्ठ 20 प्रतिशत छात्रों ने अच्छी शिक्षा प्राप्त की है। और वो 20 प्रतिशत दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं, यदि आप दुनिया के अन्य श्रेष्ठ 20 प्रतिशत से तुलना करें। और उन्होंने सॉफ़्टवेयर और बायोटेक्नॉलोजी में क्रांति उत्पन्न की है और यू एस को सबसे आगे बानाए हुए हैं। अब, उन 20 प्रतिशत की ताकत तुलनात्मक रूप से कम होना शुरु हो गई है, लेकिन उससे अधिक चिंताजनक है शिक्षा का संतुलन जो लोग प्राप्त कर रहे हैं। वह न सिर्फ़ कमज़ोर है; कमज़ोर हो रहा है। और यदि आप अर्थव्यवस्था को देखें, यह केवल उन लोगों को अवसर प्रदान कर रही है जिनके पास बेहतर शिक्षा है। और हमें इसे बदलना है। हमें इसे बदलना है ताकि लोगों को समान अवसर मिले। हमें इसे बदलना है ताकि देश मजबूत हो और हमेशा आगे रहे उन चीज़ों में जो उन्नत शिक्षा द्वारा संचालित हैं, जैसे विज्ञान और गणित। जब मैंने सबसे पहले सांख्यिकी सीखा मैं चौंक गया था कि चीज़ें कितनी बुरी हैं। 30 प्रतिशत से अधिक बच्चे हैं जिन्होंने उच्च स्कूली शिक्षा पूरी नहीं की। और यह काफ़ी लम्बे समय तक छुपाया गया क्योंकि वे हमेशा ड्रॉपआउट दर को एक ऐसी संख्या के रूप में लेते थे जिन्होंने सीनियर वर्ष में शुरु किया और इसकी तुलना की जाती थी उस संख्या से जिन्होंने सीनियर वर्ष पूरा किया. क्योंकि वे यह ट्रैक नहीं कर रहे थे कि उससे पहले बच्चे कहाँ थे। लेकिन अधिकाँश ड्रॉपआउट उससे पहले हो चुके थे। उन्हें कथित ड्रॉपआउट दर को बढ़ाना पड़ा जैसे ही ट्रैकिंग पूरी हुई 30 प्रतिशत से अधिक। अल्पसंख्यक बच्चों के लिए, यह 50 प्रतिशत से अधिक है। और भले ही आप हाई स्कूल से ग्रेजुएट हों, यदि आपकी निम्न-आय है, तो आपके लिए कॉलेज डिग्री पूरी करने की संभावना 25 प्रतिशत से भी कम है। यदि यूनाइटेड स्टेट्स में आपकी निम्न-आय है, तो आपके जेल जाने की ज्यादा संभावना है एक चार साल की डिग्री प्राप्त करने के मुकाबले। और यह सब पूरी तरह से ठीक नहीं लगता। तो, आप किस तरह शिक्षा को बेहतर बनाएँगे? फ़िलहाल, हमारी फ़ाउण्डेशन ने, पिछले नौ सालों से, इस पर काफ़ी काम किया है। बहुत से लोग इसमें जुटे हैं। हमने छोटी स्कूलों पर काम किया, छात्रवृत्ति प्रदान की, हमने लाइब्रेरियों पर काफ़ी चीज़ें की। बहुत सी चीज़ों का प्रभाव अच्छा रहा। लेकिन हमने जितना ज़्यादा देखा, हमने पाया की बेहतरीन शिक्षकों की आवश्यकता बहुत मुख्य चीज़ थी। और हम कुछ लोगों से मिले जो इस पर काम कर रहे थे कि शिक्षकों के बीच कितनी असमानता है, मसलन, शीर्ष एक चौथाई भाग -- सबसे बेहतर -- और निचले एक चौथाई। एक स्कूल में या स्कूलों के बीच कितनी असमानता है? और जवाब यह है कि ये असमानताएँ वास्तव में अविश्वसनीय हैं। शीर्ष एक चौथाई शिक्षक अपनी कक्षा का प्रदर्शन बढ़ाते हैं -- परीक्षा परिणामों पर आधारित -- एक साल में 10 प्रतिशत से अधिक। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब है कि यदि पूरा यू एस, दो सालों के लिए, श्रेष्ठ एक चौथाई शिक्षक रखे, तो हमारे और एशिया के बीच का पूरा अंतर खत्म हो जाएगा। चार सालों के भीतर हम दुनिया में सभी को परे बिठा देंगे। तो, यह आसान है। बस ज़रूरत है उन श्रेष्ठ एक चौथाई शिक्षकों की। और इस तरह आप कहेंगे, "वाह, हमें इन लोगों को पुरस्कार देना चाहिए। हमें इन लोगों को प्रोत्साहन देना चाहिए। हमें पता लगाना चाहिए कि वे क्या कर रहे हैं और उनकी योग्यता को दूसरे लोगों में विकसित करना चाहिए।" लेकिन, मैं आपको बताता हूँ कि आज ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा है। इस श्रेष्ठ एक चौथाई की क्या विशेषताएँ हैं? ये कैसे लगते हैं? आप सोच रहे होंगे कि ये बहुत सीनियर शिक्षक होने चाहिए। लेकिन जवाब है नहीं। जब कोई हमें तीन साल पढ़ाता है उसकी पढ़ाने की गुणवत्ता लगातार नहीं बदलती। बहुत, बहुत कम बदलाव आता है। आप सोचेंगे कि ये लोग मास्टर डिग्री वाले हैं। वे जा चुके हैं और उन्होंने अपनी शिक्षा की मास्टर उपाधि प्राप्त कर ली है। इस चार्ट में चार अलग अलग कारक हैं। और देखते हैं कि ये शिक्षण गुणवत्ता को कैसे समझाते हैं। सबसे नीचे, जो दिखाता है कि वहाँ कोई प्रभाव नहीं है, वो मास्टर डिग्री है। अभी, जिस तरह आय प्रणाली काम करती है दो चीज़ों को पुरस्कृत किया जाता है। पहली है वरिष्ठता। क्योंकि आपकी आय बढ़ती है और आप अपनी पेंशन बनाते हैं। दूसरी है उन लोगों को अधिक धन देना जिनके पास मास्टर डिग्री है। लेकिन यह किसी भी तरीके से एक अच्छे शिक्षक होने से संबंधित नहीं है। अमेरिका के लिए पढ़ाएँ: इससे थोड़ा प्रभाव पड़ेगा। गणित शिक्षकों के लिए गणित में विशिष्टता से थोड़ा बेहतर प्रभाव पड़ेगा। लेकिन, पूरे ज़ोर से, यह आपका पिछला प्रदर्शन है। कुछ लोग हैं जो इसमें बहुत अच्छे हैं। और हमने लगभग कुछ नहीं किया यह पढ़ने में कि यह क्या है और इसे आकार देने में और आधार देने में, औसत सामर्थ्य बढ़ाने के लिए -- या लोगों को प्रोत्साहन देने में कि वो इस प्रणाली में बने रहें। आप कह सकते हैं, "क्या अच्छे शिक्षक रहते हैं और बुरे शिक्षक छोड़ जाते हैं?" उत्तर है, औसत रूप से, थोड़े से बेहतर शिक्षक प्रणाली छोड़ देते हैं। और यह प्रणाली है बहुत उच्च बिक्री युक्त है। अभी, कुछ स्थान हैं -- बहुत कम -- जहाँ महान शिक्षक बनते हैं। एक अच्छा उदाहरण है विशेष स्कूलों का एक समूह के आई पी पी। के आई पी पी अर्थात नॉलेज इज़ पावर। यह एक अविश्वसनीय चीज़ है। उनके 66 स्कूल हैं -- अधिकाँश माध्यमिक स्कूल, कुछ उच्च स्कूल -- और जो हो रहा है वो है बेहतरीन शिक्षा। वे सबसे गरीब बच्चों को लेते हैं, और उनके 96 प्रतिशत से भी अधिक उच्च स्कूल ग्रेजुएट चार-वर्षीय कॉलेजों में जाते हैं। और उन स्कूलों में उत्साह और रवैया सामान्य पब्लिक स्कूल से बहुत अलग है। वे शिक्षण टीम हैं। वे लगातार अपने शिक्षकों को बेहतर बना रहे हैं। वे डाटा, परीक्षा प्राप्तांक लेते हैं, और शिक्षक से कहते हैं, "जनाब, इस बढ़त के लिए आप जिम्मेदार हैं।" वे शिक्षण को बेहतर बनाने में पूरी तरह से लगे हुए हैं। वास्तव में जब आप इनमें से किसी एक कक्षा में जाते हैं और बैठते हैं, पहली बार में बड़ा बेतुका लगता है। मैं बैठे हुए सोच रहा था, "यह क्या हो रहा है?" शिक्षक चारों तरफ़ दौड़ रहा था, और कमाल की ऊर्जा थी। मुझे लगा, "मैं किसी खेलकूद रैली जैसी जगह पर हूँ। क्या हो रहा है ये?" और शिक्षक लगातार यह पता लगाने के लिए देख रहा था कि कौन से बच्चे ध्यान नहीं दे रहे, कौन बोर हो रहे थे, और तेज़ी से बच्चों को कह रहा था, मेरा ध्यान सब पर है। बहुत ही गतिशील वातावरण था, क्योंकि विशेष रूप से माध्यमिक स्कूल के उन वर्षों में -- पांचवी से आठवीं तक -- लोगों को जोड़े रखने के लिए और एक लय बनाने के लिए ताकि कक्षा में सभी ध्यान दें, कोई भी इसका मज़ाक न बनाए या उस बच्चे का स्थान ले जिसका ध्यान कहीं और है। सभी को ध्यान देने की ज़रूरत है। और यही के आई पी पी कर रहा है। इसकी तुलना एक सामान्य स्कूल से कैसे की जा सकती है? एक आम स्कूल में शिक्षकों को यह नहीं बताया जाता कि वे कितने अच्छे हैं। डाटा इकट्ठा नहीं किया जाता। शिक्षक के कॉण्ट्रैक्ट में, प्रिंसीपल के कक्षा में आने की सीमा तय की जाती है -- कई बार साल में सिर्फ़ एक बार। और उन्हें ऐसा करने से पहले सूचना देनी होती है। तो सोचिये एक फ़ैक्ट्री है जहां काम करने वाले हैं, जिनमें से कुछ घटिया काम करते हैं और मैनेजमेंट से कहा जाता है, "साहब, आप साल में केवल एक बार आ सकते हैं, लेकिन आपको हमें पहले बताना होगा, क्योंकि यदि हम आपको मूर्ख बना रहे हों, तो हम उस बड़े क्षण में अच्छा काम करने की कोशिश करें।" बल्कि एक शिक्षक जो अच्छा करना चाहता है उसके पास उपकरण नहीं है करने के लिए। उनके पास परीक्षा प्राप्तांक नहीं हैं, और एक पूरी चीज़ है जो डाटा ब्लॉक करने की कोशिश करती है। उदाहरण के लिए, न्यूयॉर्क में एक कानून पास हुआ जिसमें कहा गया कि शिक्षक सुधार डाटा उपलब्ध नहीं किया जाएगा और काम में नहीं लिया जाएगा शिक्षकों के पद की अवधि निर्धारण हेतु। और यह विपरीत दिशा में हो रहा काम है। लेकिन मैं इस बारे में आशावादी हूँ, मुझे लगता है कि कई साफ़ चीज़ें हैं जो हम कर सकते हैं। सबसे पहले, अच्छे खासे परीक्षण करने की ज़रूरत है, ताकि हम सही तस्वीर देख पाएँ कि हम कहाँ हैं। और उससे हम यह मझ पाएँगे कि कौन अच्छा कर रहा है, और उन्हें बुलाकर, पता लगाएँ कि वे कौनसी तकनीकें हैं। बेशक, डिजीटल वीडियो अब काफ़ी सस्ता है। कुछ कैमरे कक्षा में लगाकर और बताकर कि रिकॉर्डिंग नियमित रूप से की जाएगी सभी पब्लिक स्कूलों के लिए बहुत प्रायोगिक है। और इस तरह शिक्षक सप्ताह में कभी बैठें और बताएँ, "हाँ, इस क्लिप में मुझे लगता है कि अच्छा हुआ है। इस क्लिक में मुझे लगता है मैंने गलत किया। मुझे बताएँ -- उस बच्चे के वैसा करने पर मुझे क्या करना चाहिए था?" और वे सब एक साथ बैठकर उन समस्याओं पर काम कर सकते हैं। आप सबसे बेहतरीन शिक्षक ले सकते हैं और इस तरह की गतिविधि कर सकते हैं, ताकि सब जान पाएँ कि इस बात को समझाने में कौन सबसे बेहतर है। आप वे बेहतरीन कोर्स लेकर उन्हें उपलब्ध करा सकते हैं ताकि कोई बच्चा जा सके और वह कोर्स देख सके, उससे सीख सके। यदि कोई बच्चा है जो कमज़ोर है, आप जानकर विषय को देखने और दोहराने के लिए उसे वह वीडियो निर्दिष्ट कर सकते हैं। और, ये मुफ़्त कोर्स केवल इंटरनेट पर ही उपलब्ध न रहे, आप डीवीडी बना सकते हैं जो हमेशा उपलब्ध रहे, और इस तरह हर कोई जिसके पास डीवीडी प्लेयर है उसके पास बेहतरीन शिक्षक है। और इसे एक निजी सिस्टम के रूप में सोचते हुए, हम और बेहतर कर सकते हैं। एक किताब है, के आई पी पी पर -- एक जगह जहाँ ऐसा होता है -- जे मैथ्यूज़, एक समाचार पत्रकार, ने लिखी है -- "वर्क हार्ड, बी नाइस।" और मुझे लगा कि यह बहुत अच्छी है। यह आपको बताती है कि एक अच्छा शिक्षक क्या करता है। यहाँ आए सभी लोगों को मैं इस किताब की एक प्रति मुफ़्त दूँगा। (तालियाँ) हमने शिक्षा पर काफ़ी खर्च किया है, और मुझे वाकई लगता है कि शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है देश के हित में और एक मजबूत भविष्य बनाने में जैसा कि होना चाहिए। वास्तव में हमारा एक उकसाने वाला विधेयक है -- रुचिकर है -- इन डाटा सिस्टम के लिए हाउस संस्करण ने इसमें धन लगाया है, और यह सीनेट में लिया गया है क्योंकि कुछ लोग हैं जो इन चीज़ों से भयभीत हैं। लेकिन मैं -- मैं आशावादी हूँ। मुझे लगता है कि लोग यह अनुभव करने लगे हैं कि यह कितना महत्वपूर्ण है, और यह वाकई लाखों लोगों की ज़िंदगी में एक बदलाव ला सकता है, यदि हम इसे कर पाए। मेरे पास केवल इतना ही समय था कि इन दो समस्याओं पर बात कर सकूँ। इस तरह की बहुत सी समस्याएँ और हैं -- एड्स, निमोनिया -- मैँ देख रहा हूँ कि आप उत्सुक हैं, इन जैसे कई नामों को लेकर। और इन चीज़ों से निपटने के लिए दक्षता बहुत व्यापक है। आप जानते हैं, सिस्टम अपने आप कुछ नहीं करता। सरकारें अपने आप सही तरीके से ये चीज़ें नहीं चुनतीं। प्राइवेट सेक्टर इन चीज़ों में अपने आप अपने संसाधन नहीं लगाता। तो इसमें ज़रूरत है आप जैसे बेहतरीन लोगों की इन चीज़ों को पढ़ने के लिए, दूसरे लोगों को लाने के लिए -- और आप समाधान निकालने में सहायक बन रहे हैं। और इसके साथ, मुझे लगता है कई बेहतरीन चीज़ें हैं जो निकलकर आएँगी। धन्यवाद। (तालियाँ) मैं कहानियाँ सुनाती हूँ, लेकिन मुसीबतें भी खड़ी करती हूँ। (हँसी) और मुझे कठिन सवाल पूछने की आदत है। यह तब शुरू हुआ जब मैं 10 साल की थी, और मेरी माँ के पास अपने छ्ह बच्चों को पालने का वक्त नहीं था। मेरे 14 साल की होने पर, उसने मेरे बढ़ते सवालों से तंग आकर मुझे सुझाया कि मैं पाकिस्तान के स्थानीय अँग्रेजी अखबार में लिखना शुरू करूँ, उसने कहा कि मैं अपने सवाल पूरी दुनिया से पूछूँ। (हँसी) सत्रह साल की उम्र में मैं एक अंडरकवर खोजी पत्रकार थी। मुझे नहीं लगता कि मेरे एडिटर को पता था कि मैं तब कितनी छोटी थी जब मैंने एक कहानी भेजी थी जिसने कुछ बेहद रसूखदारों को बदनाम कर दिया। जिन लोगों के बारे में मैंने लिखा था, वे मुझे सबक सिखाना चाहते थे। वे मुझे और मेरे परिवार को बदनाम करना चाहते थे। उन्होने मेरा और मेरे घर वालों का नाम स्प्रे पेंट से लिख दिया भद्दी गालियों के साथ हमारे घर के दरवाजे और अड़ोस-पड़ोस में। उनका ख्याल था कि कट्टर विचारों वाले मेरे पिता मुझ पर रोक लगा देंगे। इसके बजाय, मेरे पिता ने मेरे सामने खड़े होकर कहा, "यदि तुम सच बोल रही हो तो मैं तुम्हारे साथ रहूँगा, और पूरी दुनिया भी।" और फिर उन्होनें -- (तालियाँ) और फिर उन्होनें कुछ लोगों को इकट्ठा करके दीवारों पर सफेदी पोत दी। (हँसी) मैं हमेशा अपनी कहानियों से लोगों को झटका देना चाहते थी, उन्हें एक गंभीर बहस के लिए उकसाना चाहती थी। और मुझे लगा कि दृश्यों के ज़रिए यह करना ज़्यादा असरकार होगा। तो 21 साल की उम्र में मैं एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मकार बन गई, अपने कैमेरे का रूख युद्ध क्षेत्र की पहली पंक्ति में हाशिये पर पड़े समुदाय की ओर मोड़ते हुए अंत में अपने घर पाकिस्तान लौटते हुए, जहाँ मैं औरतों के खिलाफ हिंसा को दर्ज़ करना चाहती थी। पाकिस्तान 20 करोड़ लोगों का घर है। और साक्षरता कम होने के कारण, फिल्म लोगों के मसलों को समझने का तरीका बदल सकती है। एक प्रभावी कहानीकार हमारी भावनाओं को सुनाता है, दया और सहानुभूति को उजागर करता है, और हमारे नज़रिये को बदलने पर ज़ोर देता है। मेरे देश में फिल्म, सिनेमा से आगे जाने की ताकत रखती थी यह ज़िंदगियाँ बदल सकती थी। जिन मुद्दों को मैं हमेशा उठाना चाहती थी -- समाज को हमेशा आईना दिखाना चाहती थी -- उन मुद्दों ने मेरे गुस्से के पारे को बढ़ा दिया। और मेरे गुस्से का पारा मुझे 2014 के ऑनर किलिंग तक ले गया। ऑनर किलिंग दुनिया के कई हिस्सों में होती है, जहाँ मर्द उन औरतों को सज़ा देते हैं जो उनके बनाए नियमों को तोड़ती हैं; जो औरतें अपनी मर्ज़ी से शादी के फैसले लेती हैं; या जो औरतें तलाक चाहती हैं; या जिन औरतों पर अवैध संबंध रखने का शक होता है। बाकी सभी देशों में ऑनर किलिंग को हत्या माना जाता है। मैं हमेशा से यह कहानी इसकी शिकार हुई किसी औरत के नज़रिये से कहना चाहती थी। लेकिन वे औरतें अपनी कहानी सुनाने के लिए ज़िंदा नहीं बचती थी बल्कि किसी गुमनाम कब्र में दफन हो जाती थीं। तो एक सुबह, जब मैं अख़बार पढ़ रही थी, और मैंने पढ़ा कि एक जवान औरत उस हमले में चमत्कारपूर्ण ढंग से बच गई थी जिसमें उसके बाप और चाचा ने उसके चेहरे पर गोली मारी थी क्योंकि उसने अपनी मर्ज़ी से एक आदमी से शादी करने का फैसला किया था। मैं समझ गई कि मुझे अपनी कहानीकार मिल गई। तय था कि सबा अपने पिता और चाचा को जेल भिजवा देगी, लेकिन अस्पताल छोडने के कुछ दिनों के दौरान उस पर उन्हें माफ करने का दवाब डाला गया। जानते हैं, कानून में बच निकलने का एक रास्ता था जो यह इजाज़त देता था कि पीड़ित अपने दोषियों को माफ कर दे इससे वे जेल जाने से बच जाते थे। और उसे कहा गया कि उसका बहिष्कार कर दिया जाएगा और उसके घर तथा ससुराल वालों को समाज से बाहर कर दिया जाएगा, क्योंकि कई लोग यह महसूस करते थे कि उसके पिता को हक था, उसे सजा देने का। वह लड़ती रही -- महीनों तक। लेकिन अदालत के फैसले वाले दिन, उसने उनके नाम माफ़ीनामा लिख दिया। बतौर फ़िल्मकार, हमें नुकसान हुआ, क्योंकि हम यह वाली फिल्म बनाने नहीं निकले थे। बाद में लगा कि अगर वह अपना मुकदमा लड़ती और जीत जाती, तो वह एक मिसाल बनती। जब इतनी मजबूत औरत को चुप करवा दिया गया, तो दूसरी औरतों के लिए क्या उम्मीद थी? और हमने सोचना शुरू किया कि कैसे हम अपनी फिल्म से ऑनर किलिंग के बारे में लोगों का नज़रिया बदलें, कानून की ख़ामी को टक्कर दें। और जब हमारी फिल्म एकेडेमी अवार्ड के लिए चुनी गई, और ऑनर किलिंग खबरों की हैडलाइन बनी, और प्रधानमंत्री ने, अपनी बधाइयाँ भेजते हुए, अपने ऑफिस में इस फिल्म के पहले प्रदर्शन की मेजबानी करने को कहा। बिलकुल, इस मौके को हमने लपक लिया, क्योंकि इस देश के इतिहास में किसी प्रधानमंत्री ने कभी ऐसा नहीं किया था। और प्रदर्शन के वक्त, जिसे राष्ट्रीय टेलीविज़न पर लाईव दिखाया था, उन्होनें ऐसा कुछ कहा जो देश भर में गूँज उठा: उन्होनें कहा, "इज्ज़त के लिए की गई हत्या में कोई इज्ज़त नहीं है" (तालियाँ) लॉस एंजिल्स में एकेडेमी अवार्ड के वक्त कई विद्वानों नें हमें ख़ारिज़ कर दिया था, लेकिन हमें महसूस हुआ कि देश के विधान को बनाए रखने के लिए, हमें यह पुरस्कार चाहिए। और फिर, मेरा नाम पुकारा गया, और मैं मंच पर चप्पल पहने हुए ही चढ़ी, क्योंकि मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी। (हँसी) और मैंने ऑस्कर स्टेचू कबूल किया, मुझे देख रहे करोड़ों लोगो को यह बताते हुए, कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपने कानून को बदलने का संकल्प लिया है, क्योंकि, प्रधानमंत्री को जवाबदेह बनाए रखने का, बिल्कुल यह एक तरीका है। (हँसी) और -- (तालियाँ) वहाँ मेरे देश में, हमारी ऑस्कर जीत की खबर सुर्खियों में आगे थी, और कई लोग इस लड़ाई से जुड़े, यह माँग करते हुए कि कानून की यह ख़ामी दूर की जाए। और फिर अक्टूबर 2016 में, कई महीनों की कवायद के बाद, यह ख़ामी दूर कर दी गई। (तालियाँ) और अब जो मर्द इज्ज़त के नाम पर औरतों को कत्ल करते हैं उन्हें उम्रक़ैद दी जाती है। (तालियाँ) फिर भी, अगले ही दिन, एक औरत इज्ज़त के नाम पर कत्ल कर दी गई, और फिर एक और, फिर एक और। हमनें विधानसभा को हिला दिया, लेकिन यह काफी नहीं था। हमें अपनी फिल्म और उसके संदेश को छोटे गाँव, कस्बों के बीच और देश भर में ले जाने की ज़रूरत थी। देखिए, मेरे लिए, सिनेमा एक सकारात्मक माध्यम है जो समाज को एक सही दिशा में ढालने और बदलने की भूमिका अदा करता है। लेकिन हम इन जगहों पर कैसे पहुँचते? हम उन छोटे गाँव-कस्बों तक कैसे जाते? हमनें मोबाईल सिनेमा बनाया, एक ट्रक, जो देश के कोने-कोने में चला जाता, जो छोटे गाँव-कस्बों में रुक जाता। हमनें इसमें एक बड़ी स्क्रीन लगायी, जो रात के आकाश में रोशन होती, और हम इसे कहते थे, "देखो मगर प्यार से।" यह उन लोगों को शाम को एक साथ बैठ कर फिल्म देखने का मौका देता। हमें पता था, हम मर्दों और बच्चों को मोबाईल सिनेमा से लुभा सकते हैं। वे आते और फिल्म देखते। लेकिन औरतों का क्या? इन छोटे अलग-थलग ग्रामीण समुदायों में औरतें को हम बाहर कैसे लाते? इसके लिए हमें संस्कृति के निर्धारित नियमों के मुताबिक काम करना पड़ा, और तब हमनें सिनेमा के भीतर एक और सिनेमा बनाया, हमनें इसमें स्क्रीन और सीटें लगायीं जहा औरतें भीतर जाकर फिल्म देख सकती थीं, बिना किसी डर या शर्म या परेशानी के। हम उनका परिचय फिल्मों से करवाने लगे जिनहोने दुनिया के नज़रिये के प्रति उनके दिमागों को खोला, बच्चों में गहरी सोच बनाने को बढ़ावा देते हुए ताकि वे सवाल पूछ सकें। और हम अपनी सोच के दायरे को ऑनर किलिंग से परे ले गए, आर्थिक असमानता के बारे में बात करके, परिवेश के बारे में, जातीय सम्बन्धों, धार्मिक सहिष्णुता और दबाव के बारे में बात करके। और अंदर, उन औरतों के लिए हमनें वे फिल्में दिखाईं जिनमें वे शिकार नहीं बल्कि हीरो थीं, और हमनें उन्हें बताया कि वे कानून और पुलिस का कैसे इस्तेमाल कर सकती हैं, उन्हें उनके हक के बारे में सिखाया, उन्हें बताया कि घरेलू हिंसा का शिकार होने पर वे कहाँ शरण ले सकती हैं, वे कहाँ जाकर मदद माँग सकती हैं। हमें हैरानी हुई कि उनमें से कई जगहों पर हमारा स्वागत हुआ, जहां हम गए थे। कई कस्बों ने टीवी और सोशल मीडिया कभी देखा ही नहीं था, और वे अपने बच्चों को सिखाने के इच्छुक थे। लेकिन जो आईडिया हम अपने साथ लेकर जा रहे थे, उसके कुछ नुकसान भी थे। हमारी मोबाईल सिनेमा टीम के दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया, क्योंकि गाँवों से धमकी मिली थी। और ऐसे ही एक गाँव में, जहाँ हम फिल्म दिखा रहे थे, उन्होने वह बंद करवा दी और कहा कि वे नहीं चाहते कि औरतें अपने हक के बारे में जानें। लेकिन इसके उलट, एक दूसरे गाँव में जब फिल्म को रोक दिया गया, सादा कपड़ों में बैठे एक पुलिसवाले ने उठ कर दुबारा शुरू करने का आदेश दिया, और हमारी टीम की हिफाज़त करते हुए, उसने सबको बताया कि यह उसका फर्ज़ है कि नौजवानों को दूसरे मुल्कों के नजरियों से वाकिफ कराया जाए। वह एक साधारण हीरो था। लेकिन अपनी इस यात्रा में हमें ऐसे कई हीरो मिले। एक दूसरे कस्बे में, जहाँ मर्दों ने कहा कि केवल वे ही फिल्म देख सकेंगे और औरतों को घर में रहना पड़ेगा, वहाँ एक बुजुर्ग आगे आए, उन्होने लोगों को इकट्ठा किया, उनसे बातचीत की, और फिर औरत-मर्दों ने एक साथ बैठ कर फिल्म देखी। हम जो कर रहे हैं, उसे दर्ज़ कर रहे हैं। हम लोगों से बात करते हैं। तालमेल बैठाते हैं। फिल्मों की लाईनअप बदलते हैं। जब हम मर्दों को वे फिल्में दिखाते हैं जिनमें हिंसा के दोषियों को जेल में दिखाया जाता है, तो हम यह सच समझाना चाहते हैं कि यदि मर्द हिंसा करेंगे, तो उसके नतीजे भी भुगतेंगे। लेकिन हम वे फिल्में भी दिखाते हैं जिनमें मर्द औरतों को सहयोग कर रहे होते हैं, क्योंकि हम चाहते हैं कि वे भी यही भूमिका निभाएँ। औरतों को जब हम वे फिल्में दिखाते हैं, जिनमें वे घर की मुखिया होती हैं, या कोई वकील या डॉक्टर या किसी अग्रणी स्थिति में होती हैं, हम उनसे बात करके इन भूमिकाओं में आने के लिए बढ़ावा देते हैं। हम उन तरीकों को बदल रहे हैं जिनसे लोग इन गाँवों में दो-चार होते हैं, और हम अपनी ये जानकारी दूसरी जगहों पर ले जा रहे हैं। अभी, एक ग्रुप ने हमसे संपर्क किया और वे चाहते हैं कि हम अपने मोबाईल सिनेमा को बांग्लादेश और सीरीया ले जाएँ, और हम अपनी जानकारी उनसे साझा कर रहे हैं। हम महसूस करते हैं कि यह बहुत ज़रूरी है, कि जो हम कर रहे हैं उसे दुनिया भर में फैलाएँ। पाकिस्तान के छोटे गाँव-कस्बों में, औरतों के प्रति मर्द अपना रूख बदल रहे हैं, बच्चे दुनिया को देखने का अपना नज़रिया बदल रहे हैं, एक बार में एक गाँव, सिनेमा के जरिए। शुक्रिया। (तालियाँ) जुलाई 1969 में तीन अमेरिकी अंतरिक्ष में भेजे गए । अब, वे चाँद की सतह पर पहुँचे । उन्होंने अपने इस विशाल पग से ख्याती प्राप्त की । बज़ ऐलड्रिन और नील आर्मस्ट्राँग चाँद की सतह पर चले । उन्होनें वहाँ यह ध्वज फहराया । इस पल को हम अमेरिका में, अपनी विजय के रूप में मनाते हैं । हमारा मानना है कि यह एक बड़ी उप्लब्धी थी । उन्होनें वहाँ पर सिर्फ यह ध्वज ही नहीं छोड़ा, एक पट्टिका को भी छोड़ आए । यह पट्टिका एक सुंदर वस्तु है, मैं आपसे इसी पट्टिका के बारे में बात करना चाहता हूँ । आपको ज्ञात होगा दो ग्लोबों द्वारा धरती को चित्रित किया गया है और फिर एक सुंदर वाक्य लिखा हुआ है - हम मानवता के शान्ति दूत बनकर आए । प्रथम दृष्टि में तो ये काव्य पंक्तियाँ हैं । परंतु यह टाइपफेस समय के अनुकूल है । यह औद्योगिक व कृत्रिम प्रतीत होता है । यह उत्तम नाम है जो कि कोई ऐसी वस्तु के लिए जो चाँद पर स्थित हो। अब फोंट्स के बारे में चर्चा करते हैं, और क्यों यह टाइपफेस इस समय महत्वपूर्ण है । क्योंकि यह मात्र अनुष्ठानिक नहीं है । और आज जब आप सब यहाँ आए तब आपको वास्तव में फोंट्स के बारे पड़ा । आपने इसपर गौर नहीं किया होगा । परंतु अवचेतन रूप से आप सभी टोपोग्रफी के ज्ञाता हैं । टोपोग्रफी में हम फोंट्स के बारे में पढ़ते हैं । इसमें शब्दों के स्थान पर चित्रों का प्रयोग किया जाता है । इस विषय में रोचक तथ्य यह है, मुझे ज्ञात है कि आप मेरी तरह फोंट में रुचि नहीं रखते । कुछ लोग रुचि रखते हों परंतु अगर नहीं तब भी कोई बात नहीं, क्योंकि मैं हर दिन कई घंटे व्यतीत करता हूँ किसी प्रोजेक्ट के लिए सही इन्टरफेस कौन-सा होगा । या मैं वर्ष में हज़ारों डॉलर सही फीचर्स को खोजने के प्रयास में व्यय करता हूँ । आप प्रतिदिन हज़ारो घंटे फॉन्ट्स को परखने में व्यतीत करते हैं । अगर आपको विश्वास नहीं होता तो तनिक विचार कीजिए यहाँ तक पहुँचने के लिए आपको कई बार संकेतों पi निर्णय लेने पड़े अपने फोन पर भी आपको चुनाव करना होता है । आप फॉन्ट्स iका विश्लेषण कर रहे थे । हो सकता है कि आप कुछ क्रय करने जाएँ तब आपको सोचना पड़ता है यह सस्ता है या कीमती सुलभ है या दुर्लभ । रोचक बात यह है कि आप फिर भी विद्वान प्रतीत नहीं होते । परंतु जब भी आप किसी अनावश्यक वस्तु,को देखते हैं तो तुरंत पहचान लेते हैं ( हँसते हुए ) मुझे टोपोग्रफी, फॉन्ट्स और फ्यूचुरा फोन्ट आदि इसलिए पसंद हैं क्योंकि मैं जो कुछ भी पढ़ता हूँ मुझे सब जगह वही दिखाई देता है । मैं किसी भी सड़क पर चलूँ, कोई भी किताब पढ़ूं हर स्थान पर मुझे मेरी पसंद की वस्तु मिल जाती है । यदि एक बार आप टोपोग्रफी के इतिहास को जान जाएँ तो आप सम्पूर्ण इतिहास को जान जाएंगे । और यही फ्यूचुरा का टाइपफेस है । जैसा कि आपको ज्ञात होगा यह आधुनिकता का संकुचित रूप है । आधुनिकता ने इसी मार्ग से इस देश में प्रवेश किया । और स्वयं संभवतः 20वीं सबसे प्रसिद्ध और अनेक विकल्पों वाला इन्टरफेस बन गया । 'कम ही अधिक है' ये आधुनिकता के सूत्र हैं । और दृश्य कला मैं भी यही हुआ । यदि प्रमुख बातों पर ध्यान दें, मूल आकारों पर ध्यान दें, तो पाएँगे कि फ्यूचुरा क्रांतिकारी लागती । आपने ध्यान दिया होगा कि फ्यूचुरा फोन्ट में गोल,वर्ग, त्रिभुज आदि आकृतियाँ हैं । कुछ आकार गोल पर आधारित हैं जैसे O, D और C. या कुछ त्रिभुज के नुकीले शिखर समान हैं । जबकी कुछ स्केल और प्रकार की सहायता से बनाए हुए प्रतीत होते हैं । वे ज्यामितिक या गणित के जैसे प्रतीत होते हैं । वास्तव में यह पूरा सिस्टम ही अपने आप में टाइपफेस डिजाइन को लिए हुए हैं ऐसा लगता है मानो इसे दूसरे टाइप पैसों की अपेक्षा अलग बनाया गया हो जहां दर्शाए गए हैं कम माध्यम और ज्यादा बजनी सभी के पास अपनी एक अलग कहानी है ऐसा प्रतीत होता है जैसे इन्हें हाथ से बनाया गया हो हाथ से बनाया गया तब मेरा मतलब होता है कि शायद जब आप किसी चीज को हाथ से या कलम की मदद से बनाते हैं तब वहा कुछ मोटे या पतले लगते हैं. कुछ बहुत ही प्रचलित टाइपफेसेज जैसे गारामोंड मैं यह प्राचीन कला दिखाई देती है देख सकते हैं कि किस प्रकार A ऊपर की तरफ पतला होता है और नीचे की तरफ मोटा क्योंकि उसे ऐसा बनाया गया है जैसे कि हाथ से मनाया गया लेकिन फ्यूचुरा को लगता है जैसे उसे किसी ने हाथ भी ना लगाया हो लगता है उसे मशीन ने बनाया हो मशीनी युग के लिए एक औद्योगिक युग के लिए वास्तव में यहां हाथ की सफाई है पाउल रेन्नर जिन्होंने ऐसे 1927 में बनाया आप को दिखाई देगा वर्तुळाकारआकार शाफ्ट से जुड़ता है तब वह का आकार ले लेता है सैकड़ों तरीकों में से यह एक तरीका मात्र है जो इसकी डिजाइन को ज्यामिति के रूप में सही बनाता है गणित के रूप से नहीं रूप से नहीं टाइपफेस के डिजाइनर हर दिन यही करते हैं दूसरे भी डिजाइनर्स हैं जो यही कर रहे हैं इसी समय यूरोप में भी और अमेरिका में भी यूरोप से भी कुछ असाधारण उदाहरण है जो कुछ नया बनाने के प्रयास में है नए युग के नए समय के लिए जर्मनी में भी कुछ ऐसे टाइपफेस हैं जो कुछ मायनों में फ्चुयूरा से मिलते जुलते हैं शायद ऊपर और नीचे के अनुपात में तो फिर ऐसा क्यों हुआ कि फ्यूचुरा दुनिया में सबसे ज्यादा प्रचलित है यदि आप ऊपर के नामों को पढ़ें तो आप पाएंगे कि उनका उच्चारण आसान नहीं है Erbar, Kabel Light, Berthold-Grotesk, Elegant Grotesk आप समझ गए होंगे कि यह घरेलू नाम नहीं है अगर आप इसकी तुलना फ्यूचुरा से करें तो आप समझ जाएंगे कि यह एक बहुत ही अच्छा प्रयास था इस नाम में ऐसा क्या खास है एस नाम की खासियत यह है कि यह एक नाम है जो भविष्य की आशा की ओर इशारा करता है और यह जर्मन का कोई शब्द नहीं है कोई जर्मन नाम भी नहीं है उन्होंने बस एक ऐसा शब्द चुना जिसे एक बहुत बड़ा वर्ग समझ पाए आप इसकी तुलना उन प्रयासों से करेंगे जो अमेरिका में हो रहे थे तो आप पाएंगे कि यह टाइपफेस उसी समय के हैं यानी अमेरिका के 1920 के दशक के बोल्ड नाज़ुक शेख़ीबाज़ आपको ऐसा लगेगा जैसे यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे कि 1920 के दशक में स्टॉक मार्केट हुआ करते थे और आप समझ जाएंगे कि फ्यूचुरा में कुछ क्रांतिकारी है अब हम इस टाइप फेस के 1 उदाहरण की ओर चलते हैं एक मैगजीन है उसके बारे में आप जानते होंगे vanity fair 1929 की गर्मियों में या कुछ इस प्रकार की दिखती थी और इस डिजाइन में कुछ भी गलत नहीं है 1920 में यह एक आम बात थी यह एक महत्वपूर्ण व्यक्ति की तस्वीर है Franklin Roosevelt जो उस समय न्यूयॉर्क शहर के गवर्नर थे सब कुछ केंद्रित और सममित प्रतीत होता है हल्की सी सजावट भी है कुछ पेंटिंग के अंशु भी देख रहे हैं यह आधुनिक पेंटिंग नहीं है सब कुछ ठोस सा प्रतीत होता है कई जगहों पर ड्रॉप कैप्स का भी प्रयोग है लेकिन अक्टूबर 1929 में यह सब कुछ बदल गया बर्लिन के एक डिजाइनर ने आकर वैनिटी फेयर को पुनः डिजाइन किया और वह फ्चुयूरा के साथ कुछ इस तरह की दिखाई देने लगी अप गवर्नमेंट स्थान पर यहां एक सुंदर और काल्पनिक दृश्य की फोटो है यहां एक समुद्र के और ड्रॉप कैप्स के स्थान पर कुछ भी नहीं है ओ केंद्रीयकरण के स्थान पर अब यहां आसममति है जैसे-जैसे आप पत्रिका पढते हैं और भी मुलभूत होता जाता है जैसे कि और भी ज्यादा असममति होती जाती है जहां पर पबलो पिकासो का एक चित्र है जो कि एक पृष्ठ से दूसरे पृष्ठ तक बना हुआ है एक चीज और भी ज्यादा क्रांतिकारी है अगर आप फ्यूचुरा को ध्यान से देखें पहले ही नजर में समझ में आ जाएगा यहां पर बड़े अक्षरों का प्रयोग नहीं किया गया है शायद आपको लगे यह कोई नयी बात नहीं है लेकिन आप कोई भी पत्रिका खोजें कोई भी वेबसाइट पर मैं आपको गारंटी देता हूं आप इसे आसानी से नहीं खोज पाएंगे आज भी यह एक क्रांतिकारी विचार है. यह क्रांतिकारी क्यों है. जब हम बड़े अक्षरों के बारे में सोचते हैं. वे किसी महत्वपूर्ण ची.ज का प्रतिनिधित्व करते हैं फिर चाहे वह हमारा नाम हो या उपनाम या फिर हमारी निगम का ही नाम हो या सिर्फ एक ट्रेडमार्क वास्तव में कई मायनों में अमेरिका कैपिटलाइजेशन का गढ़ है हम हर स्थान पर कैपिटल अक्षरों का प्रयोग करते हैं सब हंसते हैं जरा सोचिए यह कितना क्रांतिकारी होगा कि हम एक पत्रिका से सारे बड़े अक्षर हटा दें इसमें एक राजनीतिक ताकत भी होगी अब हम सर्वनाम जैसी चीजों पर भी बहस करने लगे हैं 1920 के दशक में रूसी क्रांति के थोड़े ही समय बाद ऐसा हुआ वास्तव में लोगों को ऐसा लगा जैसे लाल क्रांति ने अमेरिका में प्रवेश किया हो छोटे अक्षरों को समानता का प्रतीक समझा जाने लगा हर चीज को एक समान बना देना जय एक क्रांतिकारी विचार था आप कितनी बार बड़े अक्षरों का प्रयोग करते हैं ताकत और प्रतिष्ठा को दर्शाने के लिए तो उन लोगों को ऐसा लगा जैसे फ्यूचुरा भी इसी चीज का प्रयोग कर रहा है दूसरे डिजाइन एंड फ्यूचुरा के साथ अलग प्रयोग कर रहे थे कुछ लोग कुछ में आधुनिकता के विचार लेकर के आए चाहे वह चित्रण के विचार हों या महाविद्यालयी चित्रण के विचार हों या फिर नई पुस्तक के कवर हों फिर चाहे वे यूरोप से ही क्यों ना हो लेकिन मजेदार बात यह है 1920 के दशक में किसी टाइपफेस का प्रयोग करना हो तो से सीधे अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड नहीं कर सकते थे आपको में शीशे के टुकड़ों की आवश्यकता पड़ती इसलिए जो अमेरिकी इसका प्रयोग करना चाहते थे इसे अपने सिस्टम का हिस्सा बनाना चाहते थे ताकि रोजमर्रा के जीवन में इसका प्रयोग कर सकें विचारों में और अन्य स्थानों पर तब उन्हें धातु की आवश्यकता पड़ती थी इसलिए एक अच्छे बड़े अक्षरों का प्रयोग करने वाले होने के नाते हमने क्या किया हमने हर प्रकार की कॉपीज बनाई ऐसी भी जिनका फ्यूचुरा से कोई लेना देना नहीं था लेकिन दिखने में बिल्कुल उसी के जैसी थी फिर चाहे वह स्पार्टन हो या टेंपो पास तो हमें द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत होने तक अमेरिकी कंपनियां नात्सियों द्वारा बनाई गई सामान का बहिष्कार करने का प्रयास कर रही थी उन्होंने कहा कि आप हमारी कॉपी का उपयोग करो स्पार्टन या वोगन या टेंपो का प्रयोग करने की सलाह दी गई यह फ्कीयूचुरा की तरह ही दिखती है अधिकतर लोगों ने तो वास्तव में इनके नाम तक नहीं सीखे विनय फ्यूचुरा ही कहते थे तो अमेरिका ने इस टाइपफेस का प्रयोग आरंभ कर दिया इसे जीत लिया और अपना बना लिया जब तक द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होता अमेरिकियों ने हर जगह पर इसका प्रयोग आरंभ कर दिया था फिर चाहे कैटलॉग हों या एटलस या इनसाइक्लोपीडिया या चार्ट या ग्राफ या कैलेंडर या राजनीतिक सामग्री यहां तक कि एक नई फुटबॉल टीम का चिन्ह भी कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण प्रचारों में भी 20वीं सदी में इसका प्रयोग किया गया इस संदर्भ में अमेरिकी सरकार भी इन टाइपफेसों का प्रयोग कर रही थी द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद नक्शे और प्रोजेक्ट्स में फ्यूचुरा का प्रयोग किया गया जय एक अच्छा चुनाव था और क्रांतिकारी चुनाव भी था इसका कम्युनिज्म से कोई लेना देना नहीं था इसका प्रयोग कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण नक्शों में किया गया जैसे 1962 के वायु सेना के नक्शे पर या 1966 के वियतनाम के नक्शों पर इसलिए यह कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है कि जब अंतरिक्ष यात्रियों ने मरक्यूरी प्रोग्राम आरंभ किया जैसे कि जॉन ग्लेन द्वारा धरती की परिक्रमा उन्होंने जिन चार्ट और नक्शा ओं का प्रयोग किया वे फ्यूचुरा मैं प्रिंटेड थे और जब तक अपोलो की शुरुआत हुई तब तक इस टाइपफेस का प्रयोग और भी अधिक स्थानों पर किया जाने लगा था जैसे सुरक्षा के निर्देशों पर उपकरणों के पैनल्स पर नेविगेशन में सहायक यंत्रों पर क्षेत्रों पर भी जो सिस्टम के सही तरह से काम कर रहेने की खबर देते थे पर आश्चर्यजनक बात यह है इसका प्रयोग सिर्फ कागजों पर ही नहीं किया गया बल्कि इंटरफ़ेसों पर भी जिनका प्रयोग अंतरिक्ष यात्रियों मशीन के कार्य प्रणाली को सीखने के लिए किया नासा सिर्फ एक कॉरपोरेशन ही नहीं था जो सब कुछ बना रहा हो बल्कि वहां सैकड़ों कॉन्ट्रैक्टर भी थे जैसे बोइंग, IBM, McDonnell Douglas आदि । सभी अलग-अलग मशीनों पर कार्य करते हुए विभिन्न ने मशीनों पर विभिन्न प्रकार के टाइपफेस का प्रयोग करना पड़े अंतरिक्ष यान के अलग अलग उपकरणों पर तब उसे चला पाना लगभग नामुमकिन हो जाता वे संज्ञानात्मक अधिभार से ग्रसित हो जाते जब उन्हें किसी सिस्टम को चालू करना पड़ता इसलिए सभी सिस्टम पर फ्यूचुरा के प्रयोग ने इस प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद की इसका प्रयोग सिर्फ बटन पर ही नहीं किया गया बल्कि लेबल्स खाने के राशन औजारों पर भी इसका प्रयोग किया गया इसका प्रयोग गुंडी ,उत्तोलक पर किया गया पता चल सके कि कैसे उनका प्रयोग करना है लेकिन कुछ स्थानों पर तो जहां सरलता की आवश्यकता थी वहां पर तो निर्देशों को पूर्णतया फ्यूचुरा में प्रिंट किया गया ताकि एक ही क्षण में पता चल सके कि क्या करना है उन्हें सभी चीजों को याद ना रखना पड़े हर चीज हर निर्देश उनके सामने हो इस केस में फ्यूचुरा ने उनकी मदद की ताकि इस जटिल सिस्टम को सरल बनाया जा सके बल्कि एक अंतरिक्ष यात्री ने पहली और अंतिम चीज जो देखी होगी अंतरिक्ष यान में प्रवेश और यान से बाहर जाते समय वह फ्यूचुरा ही रही होगी मेरे पसंदीदा फ्यूचुरा के प्रयोगों में यह उदाहरण शामिल है यह एक कैमरा है यह एक हैसलब्लाड है जिसे एक स्वीडन की कंपनी ने बनाया है अच्छा कैमरा है आप लोगों में से कुछ लोगों के पास तो यह होगा भी एक बहुत ही उत्तम कैमरे के रूप में आप समझ गए होंगे अगर आपको कैमरों के बारे में थोड़ी भी जानकारी है कि इस कैमरे में कुछ परिवर्तन किए गए हैं आप पर कनस्तर के चारों तरफ स्टीकर चिपकाए गए हैं कैमरे के विभिन्न हिस्सों में भी स्टीकर चिपकाए गए हैं इससे नासा को यह सहायता मिली की फोटोग्राफी में अंतरिक्ष यात्रियों को सहूलियत हो क्योंकि वे फोटोग्राफर नहीं है वे इस क्षेत्र में एक्सपर्ट नहीं है लेकिन कम से कम इन लेबल्स को देख कर इतना तो समझ सकते हैं की कैमरे का प्रयोग किस प्रकार से करना है इसलिए इस केस में फ्यूचुरा ने यह सुनिश्चित किया कि वे जिन वस्तुओं का प्रयोग करें उसके बारे में उन्हें जानकारी हो तब तक नहीं निकालना है जब तक उसे एक्सपोज ना किया जा चुका हो अन्यथा हमें वे फोटो कभी ना मिलते जो हमें लेबल की सहायता से प्राप्त हो सके जब भी हमें कुछ इस प्रकार से सजा हुआ दिखता है या इस चांद पर मौजूद इस पट्टीका की तरह की कोई वस्तु दिखती है तो हम समझ जाते हैं कि फ्यूचुरा मात्र एक अनुष्ठान नहीं है यह किसी साधारण डिजाइन से भी बढ़कर है यहां तक कि फ्यूचुरा का अपना अलग ही वर्चस्व है अपनी एक वैधताऔर एक ताकत है जो कि इसी चुनाव की वजह से है एक और चीज है जिसके बारे में मैं अपनी बात खत्म करने से पहले बात करना चाहता हूं वह यह है की फ्यूचुरा एक कहानी सुनाती है और मुझे बारे में जो पसंद है वह यह है कि वे सभी एक कहानी सुनाते हैं इस केस में यह टाइपफेस एक बहुत ही प्रभावशाली कहानी सुनाता है जो की है परिपाकता के बारे में, अ मेरिका के बारे में और कैसे वह अमेरिकी संस्कृति का हिस्सा बनी उस बारे में भी सबसे ज्यादा अच्छी चीज और सबसे ज्यादा बुरी चीज जो अमेरिका करता है वह यह है हम चीज को तोड़ मरोड़ कर वापस कर देते हैं और यह दावा करते हैं कि जैसे वह हमारी ही खोज हो ऐसा ही हुआ फ्यूचुरा मिरर्स और उसके पीछे की टेक्नोलॉजी के साथ फ्यूचुरा एक जर्मन आविष्कार था जिसे अमेरिकन बना दिया गया और वह टेक्नोलॉजी भी जर्मन थी वह रॉकेट भी वे वैज्ञानिक भी सभी जर्मनी से आए थे यह कई अर्थों में यह एक जर्मन टाइपफेस अमेरिकन पट्टिका पर बहुत ही अच्छी तरह से दर्शाता है कि उस तकनीक के साथ क्या हुआ और इस केस में आप समझ जाते हैं कि किस प्रकार चांद पर मौजूद टाइपोग्राफी वैद्यता और आधिपत्य का प्रतीक है । और इसी ने अंतरिक्ष यात्रियों को जय ताकत दी कि वे चांद तक पहुंच सकें । धन्यवाद (तालियों की आवाज़) (तालियाँ) धन्यवाद। बहुत बहुत धन्यवाद। मुझसे पहले वाले वक्ता की तरह, मैं - टेड में नवीन हूँ,मुझे लगता है - मैं भी यहाँ पहली बार हूँ, और क्या कहना है मुझे नहीं पता है। (तालियाँ) श्री एंडरसन ने मुझे आमंत्रित किया है इसके लिए मैं बहुत खुश हूँ। मैं वास्तव में आभारी हूँ कि मुझे हर किसी के लिए वादन का मौका मिला है। और वादन का गीत जोज़ेफ़ होफ्मन द्वारा था। यह "बहुरूपदर्शक" कहा जाता है| और होफ्मन 19 वीं सदी के एक पोलिश महावाद्यवादक और संगीतकार है, और वह व्यापक रूप से सभी समय का सबसे महान महावाद्यवादकों में से एक माने जाते है। मैं आप के लिए एक और वादन करना चाहती हूँ| यह रॉबर्ट शुमान द्वारा " अबेग वेरियेशंस " कहा जाता है, एक जर्मन 19 वीं सदी के संगीतकार। नाम "अबेग" - "अबेग," वास्तव में अ-ब-इ-जी-जी है, और यह राग में मुख्य विषय है। यही शुमान की महिला मित्रों में से एक के आखिरी नाम से आता है। (हंसी) लेकिन उन्होंने यह अपनी पत्नी के लिए लिखा है। (हंसी) तो, वास्तव में, अगर आप ध्यान से सुनें, इस अबेग विषय पर पांच विविधताएं होनी चाहिए । यह पुरानी है, तो भले ही १८३४ के आसपास लिखित है मुझे उम्मीद है आपको यह पसंद आइ|(संगीत) (तालियाँ) अब वो हिस्सा आता है जिससे मुझे नफरत है । खैर, क्योंकि श्री एंडरसन ने मुझे बोला यह सत्र " सिंक और फ्लो" कहा जाता है, मैं सोच रही थी, ""मुझे एसा क्या पता है जो इन प्रतिभाशालीयों को पता नहीं है?" तो, मैं संगीत रचना के बारे में बात करूंगी, भले ही मैं नहीं जानती कि कहां से शुरू करना है। मैं कैसे रचना करूं? मुझे लगता है यामाहा एक बहुत अच्छा काम करता है हमारे शिक्षण में कि कैसे रचना करनी चाहिए| मैं पहले क्या करती हूं कि, मैं बहुत सारे छोटे संगीत विचार बना लेती हूं -- आप सिर्फ महावाद्य पर यहाँ तात्कालिक गीत तरतीब कर सकते हैं -- और मैं चुनती हूं उनमें से एक को मेरा मुख्य विषय, मेरा मुख्य राग, अबेग की तरह जो आपने अभी सुना है । और अपना मुख्य विषय चुनते ही मुझे तय करना होता है कि, संगीत में सभी शैलियों में से, मुझे कौन सी शैली चाहिए? और इस वर्ष मैंने एक रोमानी शैली की रचना की। तो, प्रेरणा के लिए मैंने लिज्ट और चायकोव्स्की सुने और सभी महान रोमानी संगीतकार। इसके बाद, मैं अपने शिक्षकों के साथ सभी टुकङों की संरचना बनाती हूं। वे इसमे मेरी मदद करते हैं, और फिर कठिन हिस्सा, संगीत विचारों के साथ इसे भरने में है, क्योंकि तब आपको सोचना पङता है। (हंसी) और फिर, जब टुकड़ा कुछ हद तक एक ठोस रूप ले लेता है - ठोस रूप आपको वास्तव में, टुकड़ा व विवरण तराशने चाहिए, और फिर रचना के समग्र प्रदर्शन को तराशना चाहिए। मुझे एक और काम करने में मजा है,वो है चित्रकारी - चित्रकारी, क्यूंकि मुझे पसंद है जापानी अनीम कला बनाना| मुझे लगता है कि सभी किशोरों के बीच इसका एक उन्माद है। और एक बार मुझे यह एहसास हुआ कि, संगीत वादन और कला वादन के बीच एक समांता है, क्योंकि आपके मकसद या आपके छोटे प्रारंभिक विचार आपकी रेखाचित्र के लिए, यह अपका पात्र है - आप तय करते हैं आप किसे बनाना चाहते हैं, या आप एक मूल पात्र बनाना चाहते हैं। और फिर आप ये तय करना चाहते हैं कि कैसे पात्र बनाना है? जैसे, क्या मैं एक पृष्ठ का उपयोग करने जा रही हूँ? क्या मैं कंप्यूटर पर चित्र बनाने चित्र बनाने जा रही हूँ? क्या मैं दो पृष्ठ फैलाव एक हास्य किताब की तरह उपयोग करने के लिए जा रही हूँ अधिक भव्य प्रभाव के लिए, मुझे लगता है? और फिर आपको चरित्र का प्रारंभिक स्केच करना है, जो, एक टुकड़ा आपकी संरचना की तरह है, और फिर आप कलम और पेंसिल से और अपनी जरूरत अनुसार जानकारी जोड़ें - ये है चित्र तराशना । और इन दोनों में आम एक और चीज है आपकी मन: स्थिति, क्योंकि मैं नहीं - मैं उन किशोरों में से एक हूँ जो वास्तव में आसानी से विचलित हो जाते हैं, इसलिए यदि मैं होमवर्क करने की कोशिश कर रही हूँ , (हंसी) यदि मैं होमवर्क करने की कोशिश कर रही हूँ और मेरी इच्छा नहीं है, मैं चित्रकारी करने की कोशिश और, आप जानते हैं, अपना समय बर्बाद करूंगी| और फिर क्या होता है कभी कभी मैं बिल्कुल भी चित्रकारी नहीं कर पाती हूं, या मैं बिल्कुल भी रचना नहीं कर पाती हूं, और फिर यह ऎसे है जैसे अपने दिमाग के लिए बहुत ज्यादा है। आपको जो करना चाहिए उस पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। और कभी कभी, यदि आप अपना समय बुद्धिमानी से उपयोग करते हैं और इस पर काम करते हैं, तो आपको इसे से कुछ मिल जाएगा, लेकिन यह स्वाभाविक रूप से नहीं आता है। क्या होता है, यदि कुछ जादुई होता है, यदि आपको कुछ प्राकृतिक हो गया, तो आप तुरन्त ही इन सभी खूबसूरत चीज का उत्पादन करने में सक्षम हैं और फिर जिसे मैं "प्रवाह" समझती हूं, क्योंकि तब सब कुछ क्लिक करता है और आप कुछ भी करने में सक्षम होते हैं। आपको लगता है जैसे आप अपने खेल के शीर्ष पर हैं और आप जो चाहें कर सकते हैं। मैं आज अपनी रचना वादन करने नहीं जा रही हूँ क्योंकि , हालांकि मैंने इसे पूरा कर लिया था, यह बहुत ही लंबा है। इसके बजाय, मैं इम्पृोवाइजेशन।" की कोशिश करना चाहुंगी| मैं पास यहाँ सात नोट कार्ड हैं, संगीत वर्णमाला के प्रत्येक सुर के साथ एक, और मैं चाहती हूं कि कोइ यहाँ आए और किन्ही पांच का चयन करे -- कोइ यहाँ आइए और किन्ही पांच का चयन करे और फिर मैं उसे किसी प्रकार का राग बना सकती हूं और मैं उसमे तात्कालिक सुधार करूंगी। वाह, एक स्वयंसेवक, हाँ! (तालियाँ) आपसे मिलकर अच्छा लगा। गोल्डी हॉन: धन्यवाद। पांच चुनें? जेनिफर लिन: हाँ, पांच कार्ड। कोई पांच कार्ड। जीएच: ठीक है। एक। दो। तीन। ओह, डी और एफ - भी परिचित । (हंसी) जेएल: एक और । जीएच: ठीक है, ई प्रयास के लिए । जेएल: जिस क्रम में आपने इन्हें चुना है उसी क्रम में इन्हें पढ़ने में आपको एतराज़ है? जीएच: ठीक है। सी, जी, बी, ए और ई जेएल: बहुत बहुत धन्यवाद। जीएच: आपका स्वागत है। और इन के बारे में क्या? जीएल: मैं उन्हें प्रयोग नहीं करूंगी। धन्यवाद। (तालियाँ) अब, उन्होंने सी, जी, बी, ए, ई चुने| मैं इसे किसी प्रकार के क्रम में डालने की कोशिश करने जा रही हूँ। (तराना वादन) ठीक है, यह अच्छा है। तो, मुझे लगता है कि एक पल सोचने के लिए चाहिए, और मैं इससे कुछ बनाने की कोशिश करूंगी। (संगीत) (तालियाँ) अगला गीत, या आवृत्ति, जो मैं वादन करने जा रही हूँ वो जैक फीना द्वारा "बुम्बल बूगी," कहा जाता है। (तालियाँ) (तालियाँ) तो सबसे महत्वपूर्ण समाधानों में से एक वैश्विक चुनौती के लिए जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न हर दिन हमारे पैर के ठीक नीचे रहता है यह मिट्टी है मिट्टी सिर्फ पतली घूंघट है जो भूमि की सतह को कवर करता है, लेकिन यह आकार देने की शक्ति रखता है हमारे ग्रह की नियति देखें, छह फुट या मिट्टी का, ढीली मिट्टी की सामग्री जो पृथ्वी की सतह को कवर करता है, जीवन के बीच अंतर का प्रतिनिधित्व करता है और पृथ्वी प्रणाली में निर्जीवता और यह हमारी मदद भी कर सकता है जलवायु परिवर्तन का मुकाबला अगर हम केवल गंदगी की तरह इसका इलाज करना बंद कर सकते हैं। (हँसी) जलवायु परिवर्तन हो रहा है पृथ्वी का वातावरण गर्म है बढ़ती राशि के कारण ग्रीनहाउस गैसों की हम वातावरण में विमोचन करते रहते हैं आप सभी जानते हैं कि लेकिन जो मैं मानता हूं वह आपने नहीं सुना होगा यह सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है हमारा मानव समाज कर सकता है जलवायु परिवर्तन को संबोधने वहीं मिट्टी में पड़ा रहता है मैं एक मृदा वैज्ञानिक हूं जो रहा हूं 18 साल की उम्र से मिट्टी का अध्ययन क्योंकि मुझे अनलॉक करने में दिलचस्पी है मिट्टी के रहस्य लोगों को यह जलवायु परिवर्तन समस्या समझने में मदद कर रहा है. तो यहाँ जलवायु के बारे में तथ्य हैं कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता पृथ्वी के वातावरण में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है बस पिछले 150 वर्षों में या तो मानव क्रियाएं अब जारी हो रही हैं 9.4 बिलियन मीट्रिक टन कार्बन वातावरण में गतिविधियों से जैसे जीवाश्म ईंधन जलाना और गहन कृषि पद्धतियाँ और अन्य तरीके हम बदलते हैं भूमि का उपlu वनों की कटाई सहित लेकिन कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता वह वातावरण में रहता है इसके बारे में केवल आधे से बढ़ रहा है, कार्बन का आधा हिस्सा हम वातावरण में विमोचन करते रहते हैं वर्तमान में लिया जा रहा है भूमि और समुद्रों द्वारा एक प्रक्रिया के माध्यम से हम जानते हैं कार्बन अनुक्रम तो संक्षेप में, जो भी परिणाम आपको लगता है कि हम सामना कर रहे हैं जलवायु परिवर्तन से अभी हम केवल परिणाम का अनुभव कर रहे हैं हमारे प्रदूषण का 50 प्रतिशत क्योंकि प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र हमें बाहर निकाल रहे हैं लेकिन बहुत सहज नहीं है क्योंकि हमारे पास दो प्रमुख चीजें हैं अभी हमारे खिलाफ काम कर रहा है एक: जब तक हम कुछ बड़ा नहीं करते और फिर तेजी से उत्सर्जन में वृद्धि जारी रहेगी और दूसरा: क्षमता इन प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों के कार्बन डाइऑक्साइड लेने के लिए वातावरण से और प्राकृतिक आवासों में इसे क्रमबद्ध करें वर्तमान में समझौता हो रहा है जैसा कि वे गंभीर अनुभव कर रहे हैं मानवीय कार्यों के कारण गिरावट तो यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि हमें जमानत मिलती रहेगी इन प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों द्वारा अगर हम इस पर जारी रहे व्यापार के रूप में सामान्य रास्ता है कि हम किया गया है यहाँ मिट्टी कहाँ आती है: लगभग तीन हजार बिलियन है मिट्टी में मीट्रिक टन कार्बन यह लगभग 315 बार है कार्बन की मात्रा हम जारी करते हैं वर्तमान में वातावरण में और वनस्पति और हवा में मिट्टी की तुलना में दोगुना कार्बन है एक सेकंड के लिए इसके बारे में सोचिए मिट्टी में अधिक कार्बन होता है सभी में है दुनिया की वनस्पति के रसीला उष्णकटिबंधीय वर्षावनों सहित और विशाल अनुक्रम विशाल घास के मैदान खेती की गई प्रणालियों के सभी और हर तरह की वनस्पतियों की आप कल्पना कर सकते हैं पृथ्वी के चेहरे पर प्लस सभी कार्बन जो वर्तमान में है वातावरण में, संयुक्त और फिर दो बार खत्म इसलिए, एक बहुत छोटा परिवर्तन मिट्टी में संग्रहीत कार्बन की मात्रा बड़ा बदलाव ला सकता है पृथ्वी के वायुमंडल के रखरखाव में लेकिन मिट्टी केवल नहीं है कार्बन के लिए एक भंडारण बॉक्स, हालांकि यह बैंक खाते की तरह काम करता है और कार्बन की मात्रा किसी भी समय मिट्टी में है कार्बन की मात्रा का एक कार्य है मिट्टी के अंदर और बाहर आना कार्बन मिट्टी में आता है प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के माध्यम से जब हरे पौधे कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं वातावरण से और इसका उपयोग अपने शरीर को बनाने के लिए करते हैं और मृत्यु पर, उनके शरीर मिट्टी में प्रवेश करते हैं और कार्बन मिट्टी छोड़ता है और ठीक वायुमंडल में वापस चला जाता है जब उन लोगों के शव पूर्व में रहने वाले जीव रोगाणुओं की गतिविधि द्वारा मिट्टी में क्षय देखें, सड़न जारी वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड साथ ही अन्य ग्रीनहाउस गैसों जैसे मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड लेकिन यह सभी पोषक तत्वों को भी जारी करता है हम सभी को जीवित रहने की जरूरत है मिट्टी बनाने वाली चीजों में से एक इस तरह के एक बुनियादी घटक किसी भी जलवायु परिवर्तन शमन की रणनीति क्योंकि यह प्रतिनिधित्व करता है कार्बन का दीर्घकालिक भंडारण कार्बन जो होता शायद एक या दो साल क्षय अवशिष्ट में अगर यह सतह पर छोड़ दिया गया था सैकड़ों वर्षों तक मिट्टी में रह सकते हैं, और भी हजारों मेरी तरह मृदा जैव जैव रसायन मिट्टी प्रणाली कैसे अध्ययन करें यह संभव बनाता है कार्बन को बंद करके खनिजों के साथ शारीरिक संबंध में मिट्टी खनिजों के समुच्चय के अंदर और मजबूत रासायनिक बंधों का निर्माण यह खनिजों की सतह पर कार्बन को बांधता है देखें कि कब मिट्टी में कार्बन फंसा है इस प्रकार के संघों में मिट्टी के खनिजों के साथ यहां तक कि रोगाणुओं का सबसे कमजोर आसानी से इसे नीचा नहीं कर सकते। और कार्बन जो तेजी से घट नहीं रहा है कार्बन है कि वापस नहीं जा रहा है ग्रीनहाउस गैसों के रूप में वातावरण में लेकिन कार्बन सीवेज के लाभ सिर्फ सीमित नहीं है जलवायु परिवर्तन के लिए शमन मिट्टी जो बड़ी मात्रा में कार्बन का भंडारण करती है स्वस्थ, उपजाऊ, मुलायम है यह निंदनीय है। यह व्यावहारिक है यह इसे स्पंज की तरह बनाता है इस पर पकड़ हो सकती है बहुत सारा पानी और पोषक तत्व इस तरह स्वस्थ और उपजाऊ मिट्टी सबसे गतिशील, प्रचुर मात्रा में समर्थन करें और जीवित चीजों के लिए विविध निवास स्थान कि हम कहीं भी जानते हैं पृथ्वी प्रणाली पर यह हर चीज के लिए जीवन को संभव बनाता है सबसे सूक्ष्म जीवों में से जैसे कि बैक्टीरिया और कवक सभी उच्च पौधों के लिए रास्ता और भोजन को पूरा, फ़ीड और फाइबर सभी जानवरों के लिए की जरूरत है तुम और मैं सहित तो इस बिंदु पर, आप मान लेंगे कि हमें मिट्टी का उपचार करना चाहिए कीमती संसाधन की तरह यह है। दुर्भाग्य से, यह मामला नहीं है दुनिया भर की मिट्टी का अनुभव कर रहे हैं गिरावट की अभूतपूर्व दर विभिन्न मानवीय क्रियाओं के माध्यम से जिसमें वनों की कटाई शामिल है, गहन कृषि उत्पादन प्रणाली चराई अत्यधिक आवेदन कृषि रसायनों का कटाव और इसी तरह की चीजें दुनिया की आधी मिट्टी वर्तमान में अपमानित माना जाता है मिट्टी का क्षरण कई कारणों से खराब है लेकिन मैं अभी आपको एक दंपति बताता हूं। एक: अपमानित मिट्टी कम हो गई है संयंत्र उत्पादकता का समर्थन करने की क्षमता और इसलिए, मिट्टी को नीचा करके, हम भोजन और अन्य संसाधनों को प्रदान करने के लिए अपनी क्षमताओं से समझौता कर रहे हैं कि हमें हमारे लिए चाहिए और जीवित चीजों का हर सदस्य पृथ्वी के चेहरे पर और दूसरा मिट्टी का उपयोग और क्षरण, बस पिछले 200 वर्षों में या तो, ने 12 गुना अधिक कार्बन छोड़ा है वातावरण में की दर से तुलना करें जो हम कार्बन छोड़ रहे हैं अभी माहौल में है मुझे डर है कि और भी बुरी खबर है। यह मिट्टी की कहानी है उच्च अक्षांश पर ध्रुवीय वातावरण में पीटलैंड वैश्विक मिट्टी कार्बन भंडार के एक तिहाई के बारे में कहानी ये पीटलैंड हैं स्थायी रूप से जमे हुए जमीन के नीचे पेराफ्रोस्ट, और कार्बन निर्माण करने में सक्षम था लंबे समय तक इन मिट्टी में क्योंकि पौधे सक्षम हैं संक्षेप के दौरान प्रकाश संश्लेषण करने के लिए गरमी के महीने पर्यावरण जल्दी ठंडा और अंधेरा हो जाता है और फिर रोगाणुओं सक्षम नहीं हैं कुशलता से अवशेषों को तोड़ने के लिए तो मिट्टी कार्बन बैंक इन ध्रुवीय वातावरण में सैकड़ों से अधिक का निर्माण किया हजारों सालों से लेकिन अभी, वायुमंडलीय वार्मिंग के साथ permafrost पिघलना और जल निकासी है और जब परमफ्रोस्ट थैव और नालियां यह संभव बनाता है रोगाणुओं में आने के लिए और जल्दी से इस सारे कार्बन का अपघटन, सैकड़ों को रिहा करने की क्षमता के साथ अरबों मीट्रिक टन कार्बन वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के रूप में और अतिरिक्त की यह रिलीज ग्रीनहाउस गैसों के वायुमंडल में केवल आगे वार्मिंग में योगदान देगा जो इस भविष्यवाणी को और भी बदतर बना देता है जैसा कि यह एक आत्म-सुदृढ़ीकरण शुरू करता है सकारात्मक प्रतिक्रिया पाश कि और पर और पर जा सकते हैं हमारे जलवायु भविष्य को नाटकीय रूप से बदल रहा है सौभाग्य से, मैं आपको बता भी सकता हूं इसका एक हल है इन दो दुष्ट समस्याओं के लिए मृदा क्षरण और जलवायु परिवर्तन। जैसे हमने ये समस्याएं पैदा कीं हम समाधान जानते हैं, और समाधान निहित है एक साथ काम करने में इन दो चीजों को एक साथ संबोधित करने के लिए जिसे हम कहते हैं, उसके माध्यम से जलवायु-स्मार्ट भूमि प्रबंधन प्रथाओं मेरा यहाँ क्या मतलब है? मेरा मतलब है कि जमीन का प्रबंधन एक तरह से यह स्मार्ट है अधिकतम करने के बारे में मिट्टी में हम कितना कार्बन जमा करते हैं। और हम इसे पूरा कर सकते हैं जगह में रखकर गहरी जड़ें बारहमासी पौधों जब भी संभव हो जंगलों को वापस लाना जुताई और अन्य गड़बड़ियों को कम करना कृषि पद्धतियों से उपयोग को अनुकूलित करने सहित कृषि रसायनों और चराई के और यहां तक कि मिट्टी में कार्बन जोड़कर, जब भी संभव हो पुनर्नवीनीकरण संसाधनों से जैसे कि खाद और यहां तक कि मानव अपशिष्ट इस तरह की भूमि पर कब्जा कोई मौलिक विचार नहीं है यह संभव बना दिया है उपजाऊ मिट्टी के लिए मानव सभ्यताओं का समर्थन करने में सक्षम होना पुरातन समय से वास्तव में, कुछ अभी कर रहे हैं एक वैश्विक प्रयास चल रहा है इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए यह प्रयास जो फ्रांस में शुरू हुआ "4 प्रति 1000" प्रयास के रूप में जाना जाता है और यह एक आकांक्षात्मक लक्ष्य निर्धारित करता है कार्बन की मात्रा बढ़ाने के लिए प्रति वर्ष 0.4 प्रतिशत मिट्टी में संग्रहीत एक ही तरह का क्लाइमेट-स्मार्ट का उपयोग करना भूमि प्रबंधन प्रथाओं मैंने पहले उल्लेख किया और अगर यह प्रयास पूरी तरह सफल रहा यह एक तिहाई की भरपाई कर सकता है वैश्विक उत्सर्जन का जीवाश्म ईंधन से प्राप्त कार्बन वातावरण में लेकिन भले ही यह प्रयास पूरी तरह से सफल नहीं है लेकिन हम अभी शीर्ष करना शुरू करते हैं उस दिशा में हम अभी भी मिट्टी के साथ समाप्त होते हैं वे स्वस्थ हैं, अधिक उपजाऊ हैं सभी भोजन का उत्पादन करने में सक्षम हैं और संसाधन जो हमें चाहिए मानव जनसंख्या और अधिक के लिए, और भी मिट्टी जो बेहतर सक्षम हैं कार्बन डाइऑक्साइड के पुनरावर्तन का वातावरण से और साथ मदद कर रहा है जलवायु परिवर्तन का शमन मुझे पूरा यकीन है कि यही राजनेता हैं विन-विन समाधान को कॉल करें और हम सभी की यहां भूमिका हो सकती है हम मिट्टी का इलाज करके शुरू कर सकते हैं इस सम्मान के साथ कि वह योग्य है अपनी क्षमता के लिए सम्मान पृथ्वी पर सभी जीवन के आधार के रूप में, सेवा करने की अपनी क्षमता के लिए सम्मान कार्बन बैंक के रूप में और अपनी जलवायु को नियंत्रित करने की अपनी क्षमता का सम्मान करें। और अगर हम ऐसा करते हैं हम फिर एक साथ पता कर सकते हैं दो सबसे दबाना हमारे समय की वैश्विक चुनौतियां जलवायु परिवर्तन और मिट्टी का क्षरण और इस प्रक्रिया में, हम सक्षम होंगे भोजन और पोषण सुरक्षा प्रदान करने के लिए हमारे बढ़ते मानव परिवार के लिए धन्यवाद (तालियां) यहाँ से केवल एक मील दूर, एडिन्ब्रह के ओल्ड टाउन में, है पैनम्यूर हाउस। पैनम्यूर हाउस दुनिया के सबसे प्रसिद्ध स्कॉटिश अर्थशास्त्री ऐडम स्मिथ का घर था। उनके काम "दी वेल्थ ऑफ़ नेशन्स" में ऐडम स्मिथ ने अन्य चीज़ों के साथ कहा, की एक देश की धन-संपत्ति सिर्फ़ उसके सोने और चाँदी में नहीं है। वह एक देश का समस्त उत्पादन और व्यापार है। यह ही शायद उस चीज़ का सबसे पुराना वर्णन था जिसे आज हम सकल घरेलू उत्पाद, यानि जीडीपी कहते हैं। अब, इतने सालों से, उस उत्पादन और व्यापार का माप, जीडीपी, इतना महत्गत्यावपूर्ण है, कि आज -- और मैं नहीं मानती कि यही ऐडम स्मिथ चाहते होंगे -- कि अब यह अक्सर एक देश की सम्पूर्ण सफलता का सबसे महत्त्वपूर्ण माप समझा जाता है। और मेरा तर्क है कि अब इसे बदलने का वक़्त आ गया है। आप जानते हैं, जिसे हम अपने देश को मापने के लिए चुनते हैं, वह ज़रूरी है। यह ज़रूरी है, क्योंकि राजनैतिक फोकस उससे तय होता है, और सार्वजनिक गतिविधि भी। और इसलिए, मुझे लगता है कि एक देश की सफलता मापने के लिए जीडीपी की कमियाँ ज़ाहिर सी हैं। आप जानते हैं कि जीडीपी हमारे सारे काम का उत्पादन बताता है, लेकिन वह हमारे काम के स्वरूप के बारे में नहीं बताता, कि वह काम सुयोग्य है या नहीं। वह एक कीमत लगा देता है, जैसे कि गैरकानूनी ड्रग्स का सेवन करना, लेकिन अवैतनिक देख-भाल पर नहीं। वह इकॉनमी की प्रगति के लिए अल्पावधि वाले काम को मान देगा, चाहे वह हमारे ग्रह के लिए आगे जाके नुकसानदायक क्यों न हो। और अगर हम पिछले दशक के राजनैतिक और आर्थिक उभार को, बढ़ती विषमता को सोचें, और अब हम आने वाली जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को देखें, बढ़ता स्वचालन, बढ़ती उम्र वाली आबादी, फिर मैं सोचती हूँ कि एक सफल देश, समाज की परिभाषा क्या होनी चाहिए, जिसका तर्क सही मायने में हो, और वैसा ही रहे। इसलिए, स्कॉटलैंड ने, 2018 में, एक नए नेटवर्क, वेलबींग इकॉनमी गवर्नमेन्ट्स ग्रुप बनाने का नेतृत्व लिया, और संस्थापक सदस्य देश स्कॉटलैंड, आइसलैंड, और न्यू ज़ीलैंड को साथ लाया, ज़ाहिर सी वजहों के लिए हमें कभी कभी "सिन" देश बुलाया जाता है, जबकि हमारा फोकस सार्वजनिक हित का ही रहता है। और इस समूह का उद्देश्य जीडीपी के संकुचित माप पर सवाल करना है। यह कहना कि हाँ, आर्थिक विकास मायने रखता है -- वह ज़रूरी है -- लेकिन इतना भी ज़रूरी नहीं। और जीडीपी में विकास के पीछे किसी भी कीमत पर नहीं पड़ना चाहिए। इस समूह का तर्क यह है कि आर्थिक नीति का उद्देश्य सार्वजनिक हित होना चाहिए: कि प्रजा कितनी खुश और स्वस्थ है, न कि सिर्फ़ कितनी धनी है। और मैं उन नीतियों के नतीजे के बारे में अभी बताऊँगी, लेकिन मुझे लगता है कि जिस दुनिया में हम आज रहते हैं, उसकी एक गहरी गूँज है। जब हम जनहित के बारे में सोचते हैं, हम एक संवाद शुरू करते हैं, जो कुछ एहम और मौलिक सवाल उठाता है। हमारी ज़िन्दगी में असल में क्या मायने रखता है? हमारे समुदायों में किन चीज़ों की कीमत है? हम किस तरह का देश, किस तरह का समाज वाकई बनना चाहते हैं? और जब हम लोगों को इन सवालों के साथ शामिल करते हैं, उन सवालों के जवाब ढूँढने में, तो मुझे लगता है कि हम तब ही लोगों का राजनीति में दिलचस्पी न रखने के बारे में समझ सकते हैं, जो दुनिया के बहुत से विक्सित देशों में प्रचलित है। निति में, यह सफ़र स्कॉटलैंड के लिए 2007 में शुरू हुआ, जब हमने नेशनल परफॉरमेंस फ्रेमवर्क का प्रकाशित किया, उन सूचक को ध्यान में रखते हुए जिससे हम अपना माप करते हैं। वे सूचक विभिन्न हैं जैसे कि आय असमानता, बच्चों की ख़ुशी, हरे स्थानों तक पहुँच, घर होने की पहुँच। जीडीपी के आंकड़ों में यह सब नहीं होता, लेकिन यह एक स्वस्थ और खुशहाल समाज के लिए ज़रूरी है। (तालियाँ) और यही तरीका अपनाना हमारी आर्थिक रणनिति का सबसे बड़ा हिस्सा है, जहाँ हम विषमता को संभालना और आर्थिक प्रगति दोनों को महत्त्व देते हैं। इससे हम निष्पक्ष काम कर पाते हैं, ताकि लोगों के लिए काम संतोषप्रद और सही वेतन देने वाला हो। यह हमारे जस्ट ट्रांजीशन कमीशन की स्थापना करने के निर्णय के लिए है, जो हमें एक कार्बन ज़ीरो इकॉनमी बनने की तरफ़ ले जाएगा। हमें आर्थिक इतिहास से पता है कि अगर हम ध्यान से न रहे, तो फ़ायदे से ज़्यादा नुक्सान है। और जैसे जैसे जलवायु परिवर्तन और स्वचालन की चुनौतियाँ आ रही हैं, हमें वह गलतियाँ वापस नहीं दोहरानी। जो काम हम यहाँ स्कॉटलैंड में कर रहे हैं, वह महत्त्वपूर्ण है, लेकिन हमें दुसरे देशों से सीखने के लिए बहुत कुछ है। कुछ क्षण पहले मैंने आपको वेलबींग नेटवर्क के पार्टनर देशों के बारे में बताया: आइसलैंड और न्यू ज़ीलैंड। इस पर गौर करना, लेकिन यह निर्णय आपका है कि यह प्रासंगिक है या नहीं, कि यह तीनों देश इस समय औरतें चला रही हैं। (तालियाँ) और वे भी बहुत बढ़िया काम कर रहे हैं। न्यू ज़ीलैंड ने, 2019 में, अपना पहला वेलबींग बजट प्रकाशित किया, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य सबसे एहम है; आइसलैंड सामान वेतन, बच्चे की देखभाल, और पितृत्व अधिकार की तरफ़ बढ़ता -- ऐसी नीतियाँ जिनके बारे में हम धनी इकॉनमी बनाते वक़्त सोचते भी नहीं, लेकिन नीतियाँ जो एक स्वस्थ इकॉनमी और एक खुशहाल समाज के लिए ज़रूरी हैं। मैंने ऐडम स्मिथ के "वेल्थ ऑफ़ दी नेशन्स" से शुरुआत की। ऐडम स्मिथ के पुराने काम "दी थ्योरी ऑफ़ मोरल सेंटीमेंट्स" में, जो भी बहुत महत्त्वपूर्ण है, उन्होंने बताया कि किसी भी सरकार की कीमत की परख उस अनुपात में होगी जितना वह अपनी प्रजा को खुश रख सकती है। यह मेरे हिसाब से एक अच्छा सिद्धांत है किसी भी देशों के समूह के लिए जो जनता का हित चाहते हो। हम सबके पास सारे जवाब तो नहीं है, स्कॉटलैंड, ऐडम स्मिथ का जन्मस्थान के पास भी नहीं। लेकिन जिस दुनिया में हम आज रहते हैं, बढ़ते विभाजन और विषमता के साथ, अलगाव की भावना के साथ, अभी ही वक़्त है कि हम सवाल पूछ कर उनके जवाब ढूँढे और उस समाज की दृष्टि को बढ़ावा दें जहाँ सिर्फ़ धन नहीं, लेकिन खुशहाली पर ध्यान दिया जाए। (तालियाँ) आप इस वक़्त खूबसूरत, धूप वाली राजधानी ... (सब हँसते हैं) उस देश में है जो दुनिया को प्रबोधन की तरफ़ ले गया, जो देश दुनिया को औद्योगिक युग की तरफ़ ले गया, जो देश इस समय दुनिया को कम कार्बन की तरफ़ ले जाने में मदद कर रहा है। मैं चाहती हूँ कि स्कॉटलैंड वह देश भी हो जो देशों और सरकारों का फोकस बदलने में मदद करें, ताकि वे हर चीज़ में खुशहाली और स्वास्थ्य को महत्त्व दें। मुझे लगता है कि हमें यह इस पीढ़ी के लिए करना ज़रूरी है। और मुझे बिलकुल लगता है कि यह हमें उन साड़ी पीढ़ियों के लिए करना है जो हमारे बाद आएँगी। और अगर हम यह करें, उस देश से जो प्रबोधन की तरफ़ ले गया, हम एक बेहतर, स्वस्थ, निष्पक्ष, और खुशहाल समाज, यहाँ इस घर में बना सकते हैं। और हम निष्पक्ष और खुशहाल दुनिया बनाने का कर्ताव्व्य स्कॉटलैंड में निभा सकते हैं। आप सब का बहुत धन्यवाद। (तालियाँ) हेलो, मेरा नाम डेसा है, और मैं डूमट्री नाम के एक हिप हॉप ग्रुप का हिस्सा हूँ। मैंने टैंक टॉप पहना हुआ है। (हँसते हैं) और मैं अपनी आमदनी रैप और गायकी के प्रदर्शन से कमाती हूँ। जब हम एक समूह में प्रदर्शन करते हैं, हमारा शो कुछ ऐसा दीखता है। मैं बूट्स में हूँ। बहुत कूदना होता है। बहुत पसीना आता है। सब ज़ोर से। इसकी भारी ऊर्जा होती है। कभी कभी आप स्टेज पे न चाहते हुए अपना बर्ताव बदलने लगते हैं। कभी कभी चाहते हुए भी। यह एक हॉकी गेम और कॉन्सर्ट के मेल की तरह है। लेकिन, जब भी मैं अपने गायकी का प्रदर्शन अकेले करती हूँ, मैं उदासी के लहज़े में गाती हूँ। कुछ साल पहले, मैंने अपनी माँ को मेरे नए अलबम के कुछ गाने बताए, और उन्होंने कहा, "बेटा, यह खूबसूरत है, लेकिन इसमें हमेशा उदासी क्यों है?" (हँसते हैं) "तुम्हारे संगीत से तो हमेशा कान फंटने लगते हैं।" और मैंने सोचा, "आपने यह सब बोलना कहाँ से सीखा?" (हँसते हैं) लेकिन अपने करियर में मैंने इतने सारे उदास प्रेम के गीत लिखे कि मुझे फैन से ऐसे मेसेज आते: "आप नया गाना या बुक रिलीज़ करें। मुझे अपने ब्रेक अप के साथ मदद चाहिए।" (हँसते हैं) और इन गानों के साथ घूमते हुए उनका प्रदर्शन करने और रिकॉर्ड करने के बाद, मैंने खुद को ऐसी स्तिथि में पाया कि व्यावसायिक रूप से मेरी खूबी रोमानी दुख में है। जिसे मैं सार्वजनिक नहीं कर सकती, यह एक बात थी की अधिकतम गाने एक ही लड़के के बारे में लिखे गए थे। और दो साल तक, हमने सुलह करने की कोशिश की, फिर पांच सालों तक और इधर उधर दस सालों तक। और न सिर्फ़ मेरा दिल टूटा था, लेकिन मैं शर्मिंदा भी थी कि जिस चीज़ से लोग इतनी आसानी से उभरते हैं उससे मैं आसानी से आगे नहीं बढ़ पा रही थी। और हालाँकि मुझे पता था कि हम दोनों के लिए अच्छा नहीं है, मैं बस समझ नहीं पा रही थी कि अपने प्यार को कैसे जाने दूँ। फिर, एक रात वाइन पीते हुए, मैंने डॉ. हेलेन फिशर नाम की औरत की एक TED टॉक देखि, और उन्होंने कहा कि उनके काम में, वे दिमाग में प्यार के निर्देशांक का नक्षा बना पाई थी। और मुझे लगा, कि अगर मैं अपने दिमाग में प्यार ढूँढ सकती हूँ, तो मैं उसे निकाल सकती हूँ। तो मैं ट्विटर पर गई। "और मैंने पूछा की किसी को रात में जाने के लिए, कोई ऍफ़एमआरआई लैब पता है? मैं बैकस्टेज के पास और व्हिस्की दूँगी।" (हँसते हैं) और वे डॉ. शेरिल ओलमैन हैं, जो की यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिनेसोटा के मैग्नेटिक रेसोनेंस रिसर्च केंद्र में काम करती हैं। उन्होंने मेरी मदद की। मैंने डॉ फिशर का तरीका समझाया, और हमने उसको वापस बनाने के लिए एक नमूना लिया, मैं। (हँसते हैं) तो फिर मुझे हरे अस्पताल वाले कपड़े पहना दिए गए, और एक बिस्तर पर लेटा दिया और एक ऍफ़एमआरआई मशीन में डाला। और अगर आप उस टेक्नोलॉजी से अपरिचित हैं, तो एक ऍफ़एमआरआई मशीन एक बड़े, ट्यूब से मैगनेट की तरह है जो आपके खून में डीऑक्सीजनेटेड आयरन की प्रगति मापता है। तो वह यह खोजने की कोशिश करता है कि आपके दिमाग के कौनसे भागों की किसी क्षण में उपापचयी मांग सबसे ज़्यादा है। और उससे, यह पता चलता है कि कौनसे भाग किसी काम से सम्बंधित हैं, जैसे की अपनी ऊँगली को थपथपाना, उससे हमेशा एक ही जगह लाइट जलेगी, या मेरे मामले में, अपने एक्स-बॉयफ्रेंड की तसवीरें देखना और फिर एक दूसरे लड़के की तसवीरें देखना जो थोड़ा सा उसकी तरह दिखता था लेकिन जिसके लिए मेरी गहरी भावनाएँ नहीं थी। वह नियंत्रण था। (हँसते हैं) और जब मैं मशीन से निकली, मेरे दिमाग की हाई-रेज़ोल्यूशन तसवीरें आई। हम उसको दो अलग भागों में बाँट पाए। हम कोर्टेक्स को फुलाकर झुर्रियों के अन्दर देख सकते, जिसको डॉ शेरिल ओलमैन "ब्रेन स्किन रग" कहती। (हँसते हैं) और हमने देखा कि दोनों लड़कों की तसवीरें देख कर मेरे दिमाग का क्या बर्ताव था। और यह ज़रूरी था। हम सारी गतिविधि ट्रैक कर पाए जब मैंने नियंत्रण को देखा और जब मैंने अपने एक्स को देखा, और इन डाटा सेट की तुलना करके हमने पाया कि हम प्यार को वैसे पाते, उसी तरह से देख पाते, कि अगर एक वेट मशीन पर मैं कपड़ों में खड़ी होती और फिर नंगी होकर खड़ी होती, तो उन आँकड़ों में का अंतर सिर्फ़ मेरे कपड़ों का भार होता। तो जब हमने उनकी तुलना की, हमने एक में से दूसरे को सबट्रैक्ट किया, हमने उन्हीं जगहों पर गतिविधि पाई जहाँ डॉ फिशर शायद बोलती। यह मैं हूँ। और वह मेरा दिमाग है, प्यार में। उस छोटे से नारंगी बिंदु में कुछ गतिविधि थी जो वेंट्रल टेगमेंटल एरिया है, वह लाल चीज़ एंटीरियर सिंग्यूलेट है और वे सुन्हेरे हॉर्न कौडेट्स हैं। उनका टीम और सहभागी एंड्रिया और फिल के के साथ डाटा के विश्लेषण करने के बाद, शेरिल ने मुझे एक तस्वीर भेजी, एक स्लाइड। वह मेरा दिमाग का अनुप्रस्थ काट था, गतिविधि के एक चमकदार बिंदु के साथ जो उस बन्दे की तरफ़ मेरी भावनाओं का प्रतीक था। और मुझे पता था मैं प्यार में थी, इसलिए ही तो मैं इतनी मेहनत कर रही थी। लेकिन उस तस्वीर से वह बिलकुल पूरी तरह से साबित हुआ, जैसे, "हाँ, यह सब मेरे दिमाग में है, लेकिन अब मुझे पता है कि कहाँ।" (हँसते हैं) और मुझे एक हत्यारे की तरह महसूस हुआ जिसे अपना निशाना पता तह। और मुझे उसी को मारना था। तो मैंने सोचा कि एक इलाज की प्रक्रिया शुरू की जाए जिसे "न्यूरोफीडबैक" कहते हैं। मैंने एक पेनीजीन ग्रेसफायर नाम की औरत के साथ काम किया, और उसने मुझे समझाया कि हम मेरे दिमाग का प्रशिक्षण करेंगे। हम किसी चीज़ का ऑपरेशन नहीं कर रहे थे। हम उसका प्रशिक्षण ऐसे कर रहे थे जैसे किसी मस्पेशियो का करते, ताकि वह इतना लचीला और तन्यक बने की वह किसी भी स्तिथि में सही तरह से अपनी प्रतिक्रिया दे। तो जब हम ट्रेडमिल पर होते हैं, हमें लगता है कि हमारा दिल ज़ोर से धड़केगा, और जब हम सोते हैं, तब वह धीमा हो जाता है। वैसे ही, जब मैं एक अच्छे, लम्बे समय वाले, भावनात्मक, प्यार भरे रिश्ते में होती हूँ, मेरे दिमाग के भावनातक भागों को उसमें हिस्सा लेना चाहिए, और जब मैं ऐसे रिश्ते में नहीं होती, उन्हें शांत हो जाना चाहिए। तो वह सिक्के से भी छोटे इलेक्ट्रोड्स के साथ आई जो मेरे हड्डी, बाल और सर से मस्तिष्क की तरंगों की तरफ़ संवेदनशील थे। और जब उन्हें लगा दिया, मैं उसी वक़्त अपने दिमाग को चलते देख सकती। और जब उसने अलग तरीके से उसे दिखाया, मैं देख सकती कि मेरे दिमाग के कौनसे भाग बहुत तेज़ी से चल रहे हैं, जो यहाँ लाल में दिख रहे हैं; जो थोड़े धीमे हैं, नीले रंग वाले; और जो सही बर्ताव की सीमाएँ हैं, हरे रंग वाला ज़ोन, गोल्डीलॉक्स ज़ोन, जिसमें मैं जाना चाहती थी। और हम सिर्फ़ उन हिस्सों को अकेले देख सकते हैं, जो रोमानी विनियमन से सम्बंधित है जो हमने फिशर स्टडी में पाए थे। तो पेनीजीन ने, काफ़ी बार, उन इलेक्ट्रोड्स को मुझपर लगाये , औ मुझे समझाया कि मुझे कुछ करने या सोचने की ज़रूरत नहीं है। मुझे बस सतर्क और जगे रहकर देखना था। (हार्प और वाईब्राफ़ोन की ध्वनी) तो मैंने वही किया। और जब भी दिमाग एक स्वस्थ सीमा के अन्दर काम करता, हार्प या वाईब्राफ़ोन की ध्वनी आती। और मैं अपने डैड के फ्लैट स्क्रीन टीवी पर अपने दिमाग को एक गायरो मशीन की गति पर घूमता हुआ पाती। जो सामान्य तौर पर नहीं लगता। उसने कहा था की सब सीखना अचैतन्य होता। फिर मैंने दूसरी सीखी हुई चीज़ों के बारे में सोचा, बिना अपने मस्तिष्क को चैतन्य के साथ उपयोग करके। जब आप साइकिल चलते हैं, मुझे यह नहीं पता होता कि मेरे बाएँ पैर की मासपशियो क्या कर रहे हैं, या मेरे पैर का कोई और हिस्सा क्या करता है, जब मैं बाई ओर हिलने लगती हूँ। हमारा शरीर बस सीख जाता है। वैसे ही, पावलोव के कुत्तों को, शायद, प्रोटीन स्ट्रक्चर, या एक बजती हुई घंटी की तरंगों के बारे में न पता हो, लेकिन फिर भी उनकी जीभ से लार निकलती है, शरीर की सम्बंधित की गई उसकाव से। उन सबको ख़तम करने के बाद, मैं डॉ. शेरिल ओलमैन की ऍफ़एमआरआई मशीन पर गई, हमने फिर से प्रक्रिया दोहराई, वाही तसवीरें -- एक्स की, कंट्रोल की और, वैज्ञानिक कारणों के लिए शेरिल और उनकी टीम को पता नहीं था कौन कौन है, ताकि वे परिणाम पर प्रभाव न डालें। और फिर जब उन्होंने दूसरे डाटा का विश्लेषण किया, उन्होंने मुझे वह तस्वीर भेजी। उन्होंने कहा, "पहले बन्दे का तुम्हारे ऊपर से प्रभाव अधिकतम रूप से निकल चुका है। यही परिणाम चाहिए था," अल्प विराम, हाँ, प्रश्न चिह्न। (हँसते हैं) और वही परिणाम चाहिए था। और फिर मैंने खुद समय के साथ उस चीज़ के बारे में सोचा, कि, मुझे कैसा लगा? एक तरह से लगा, की यह वही भावनाएँ थी जो मुझे बहार से महसूस हो रही थी। यह "इटरनल सनशाइन ऑफ़ दी स्पॉटलेस माइंड" नहीं है। वह बाँदा कोई अनजान नहीं था। लेकिन मेरे मन में सिर्फ़ प्यार और जलन और मित्रता और आकर्षण और सम्मान था और वह सारी भावनाएँ जो लम्बे समय तक प्यार में होने के बाद होती हैं। लेकिन मुझे लगता था की सारी अच्छी वाली भावनाएँ ही क्यों आ रही हैं, और जो उतनी अच्छी वाली भावनाएँ नहीं थी वह मुझे महसूस नहीं हुई। और यह कोई छोटी सी चीज़ लग रही होगी, ये मेरी भावनाओं का अलग तरीके से उभारना, लेकिन यह मेरे लिए बड़ी चीज़ थी। जैसे, अगर मैं आपको बोलूँ, "मैं आपको बेहोश करने वाली हूँ, और मैं आपका एक दांत निकलने वाली हूँ, आपको फ़र्क पड़ेगा कि मैं उन चीज़ों को किस क्रम में करती हूँ। (हँसते हैं) और मुझे लगा कि मेरे पास यह असामन्य तात्विक अधिकार था प्यार को समझने का। उस लैब ने मुझे मेरे दिमाग की तस्वीर को 3D प्रिंट करके दिया। और मेरा प्यार मेरे हाथ में था। (हँसते हैं) मैंने उसको पीतल रंग का किया और उसका माला बनाके अपने शोस में मर्च की तरह बेच दिया। (हँसते हैं) (तालियाँ) और फिर, मिनियापोलिस में कुछ दोस्तों की मदद से, उनमें से एक बेकी थी, हमने उसका डिस्को बॉल बनाया -- (हँसते हैं) जो ऊपर से बड़े शोस में नीचे आता। और मुझे लगा कि मेरे पास प्यार को समझने का एक अच्छा मौका मिला जो अनिवार्य भाग हैं वे भी। यह एक तस्वीरों में दिखने वाला दिल नहीं है। यह शारीरिक, प्रणालीगत, खोपड़ी के किसी भाग में दफ़न भेड़ के अजीब सींग हैं, और जब वह प्यारा लड़का आता है, वह चमक उठता है, और अगर वह भी आपको पसंद करता है, और आप एक दूसरे को खुश करते हो, और फिर आप साथ रहते हैं। और अगर वह पसंद नहीं करता, तो आप एक दिमागी वैज्ञानिकों का समूह इकठ्ठा करते हैं ताकि वह भावनाएँ चली जाएँ। (हँसते हैं) धन्यवाद। (तालियाँ) अभिनेता होने के नाते, मुझे कथानक दिए जाते हैं और मेरा काम होता है कथानक के अनुसार चलना, अपनी पंक्तियाँ दोहराना और उस चरित्र को जीवित करना जो किसी और ने लिखा था। मैं गर्व महसूस करता हूँ कि मेरे कैरियर के दौरान, मुझे टेलीविज़न के सबसे महान पुरुष रोल मॉडलों की भूमिका निभाने का सम्मान मिला। आप शायद मुझे पहचान गए होंगे "मेल एस्कॉर्ट नंबर १"। (हंसी) "फ़ोटोग्राफ़र डेट रेपिस्ट," पुरस्कृत "स्प्रिंग ब्रेक शार्क अटैक" का "शर्टलेस डेट रेपिस्ट"। (हंसी) "शर्टलेस मेडिकल स्टूडेंट", "शर्टलेस स्टेरॉयड-यूसिंग कॉन मैन" और मेरी सबसे प्रसिद्ध भूमिका, रफ़ायेल। (तालियाँ) एक उदास, सुधरा हुआ रसिक जो सब चीज़ों को छोड़कर, एक कुंवारी के इश्क में पड़ जाता है, और जो कभी-कभी शर्टलेस (बिना कमीज़ के) होता है। (हंसी) अब, ये भूमिकाएँ वह नहीं दर्शाती जो मैं वास्तविकता में हूँ। पर मुझे अभिनय के बारे में यही पसंद है। मैं अपने से भिन्न चरित्रों के अंदर जी सकता हूँ। पर जब भी ये भूमिकाएँ मुझे मिलीं, मुझे हैरानी हुई, क्योंकि मैं अधिकतर ऐसे पुरुषों की भूमिका अदा करता हूँ जिनमें मर्दानगी, प्रतिभा और शक्ति कूट-कूटकर भरी है, और जब मैं आईने में खुद को देखता हूँ मुझे ऐसा कुछ दिखाई नहीं देता। पर हॉलीवुड को मैं ऐसा ही नज़र आया, और समय के साथ, मैंने पाया कि जो भूमिकाएँ मैं स्क्रीन पर करता हूँ और उसके बाहर दोनों में एक समानता है। मैं आजीवन ऐसा पुरुष बनने का नाटक करता रहा जो मैं नहीं हूँ। मैं ताकतवर बनने का नाटक करता रहा जबकि मैं कमज़ोर महसूस करता था, असुरक्षित होते हुए भी विश्वस्त रहा और मजबूत दिखा जबकि वास्तव में कष्ट में था। मुझे लगता है अधिकतर समय तो मैं एक तरह से नाटक ही कर रहा था, पर नाटक करते-करते थक चुका हूँ। और मैं आपको अभी बता सकता हूँ कि हर समय सबके लिए साहसी बने रहना अत्यंत थका देता है। अब... सही? (हंसी) मेरे भाई ने मेरी बात सुनी। अब, जहाँ तक मुझे याद है, मुझे बताया गया है कि मुझे बड़े होकर कैसा मर्द बनना चाहिए। बचपन में, मैं बस चाहता था कि अन्य लड़के मुझे स्वीकारें और पसंद करें, पर उस स्वीकृति का अर्थ था कि मुझे स्रियों के बारे में ये घृणित विचार रखने होंगे, और क्योंकि हमें बताया गया था कि स्रीलिंग पुल्लिंग का विपरीत है, मुझे या तो इनमें से किसी गुण को स्वीकारना नहीं था या फिर खुद अस्वीकार्य बन जाना था। हमें यही कथानक दिया गया था। सही? लड़कियाँ कमज़ोर होती हैं, और लड़के मजबूत। संसार भर में लाखों लड़कों और लड़कियों को अवचेतन ढंग से यही बताया जा रहा है, जैसा कि मुझे बताया गया। मैं आज यहाँ इसलिए आया हूँ, ताकि एक पुरुष होने की हैसियत से कह सकूँ कि यह गलत है, ज़हरीला है, और इसका अंत होना चाहिए। (तालियाँ) मैं यहाँ इतिहास का पाठ पढ़ाने नहीं आया। शायद हम सभी जानते ही हैं कि हम यहाँ कैसे पहुँचे, हैं ना? पर मैं वह पुरुष हूँ जो ३० साल बाद जागा और मुझे महसूस हुआ कि मैं तो संघर्ष की स्थिति में जी रहा था। उन दो शख्सों के बीच का संघर्ष: मैं भीतर से जो हूँ और वह शख्स जो संसार मुझे बताता है कि मुझे बनना चाहिए। पर मुझे मर्दानगी की खंडित परिभाषा पर पूरा उतरने की कोई चाह नहीं है। क्योंकि मैं बस एक अच्छा पुरुष ही नहीं बनना चाहता। मैं एक अच्छा मनुष्य बनना चाहता हूँ। और मेरा मानना है कि यह तभी संभव है अगर पुरुष उन गुणों को अपनाना सीखें जिन्हें आज तक महिलाओं के गुण समझते आए हैं और आवाज़ उठाने की हिम्मत करें, ताकि उन महिलाओं से सीखें और उनके पक्ष में बोलें जिनमें वे गुण हैं। अब, पुरुषों... (हंसी) मैं यह नहीं कह रहा कि हमने जो भी सीखा ज़हरीला है। अच्छा? मैं यह नहीं कह रहा कि मुझमें और आपमें कुछ स्वाभाविक रूप से गलत है, और मैं यह भी नहीं कह रहा कि हमें पुरुष बनकर नहीं रहना चाहिए। पर हमें संतुलन तो चाहिए, हैं ना? हमें संतुलन चाहिए, और स्थिति को बदलने का एक ही तरीका है कि वे कथानक जो हमें पीढ़ी दर पीढ़ी दिए जा रहे हैं और वे भूमिकाएँ जो हम पुरुष होने के नाते अपने दैनिक जीवन में अपनाते आ रहे हैं, हम उन सबको ध्यान से देखें। तो कथानक की बात करते हुए, मेरा सबसे पहला कथानक मेरे पिताजी ने मुझे दिया। मेरे पिता बहुत अच्छे इन्सान हैं। वह प्यार करने वाले, दयालु, संवेदनशील, अच्छी परवरिश करने वाले हैं। वह यहाँ हैं। (तालियाँ) वह रो रहे हैं। (हंसी) पर माफ़ करें, पिताजी, बचपन में मैं उनकी इसी बात पर नाराज़ रहता था, क्योंकि मुझे नरम बनाने के लिए मैं उन्हें दोषी ठहराता था, क्योंकि ऑरेगन के उस छोटे शहर में जहाँ हम नए आए थे वहाँ यह स्वीकार्य नहीं था। क्योंकि नरम होने का अर्थ था लोग मुझ पर धौंस जमाते थे। देखिए, मेरे पापा पारंपरिक रूप से मर्दाना नहीं थे, तो उन्होंने मुझे हाथ चलाना नहीं सिखाया। उन्होंने मुझे शिकार करना, लड़ाई लड़ना, मर्दों वाले काम नहीं सिखाए। उसके बजाय, उन्होंने मुझे वह सिखाया जो वह जानते थे कि मर्द होना त्याग से संबंधित है और अपने परिवार के लिए जो कुछ कर सको उनका खयाल रखने और ज़रूरतों को पूरा करने के लिए। पर पिताजी से मैंने एक और भूमिका भी सीखी, जो, मुझे पता चला कि उन्होंने अपने पिताजी से सीखी थी, जो एक राज्य सेनेटर थे, जिन्हें बाद में अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करने के लिए रातों को चौकीदार का काम करना पड़ा। और उन्होंने किसी को भी नहीं बताया। वह भूमिका थी अकेले में सहने की। और अब तीन पीढ़ियों के बाद, मैं भी वही भूमिका अदा कर रहा हूँ। तो, क्यों मेरे दादा एक और मर्द से बात नहीं कर पाए और मदद नहीं माँग पाए? क्यों आज तक मेरे पिता यह सोचते हैं कि उन्हें अकेले ही सब करना होगा? मैं एक ऐसे मर्द को जानता हूँ जो मर जाएगा पर दूसरे मर्द को नहीं बताएगा कि उसे कष्ट है। पर ऐसा इसलिए नहीं है कि हम सभी मजबूती से अकेले में सह सकते हैं। ऐसा नहीं है। हममें से बहुत से मर्द दोस्त बनाना, बातें करना, कुछ भी वास्तविक करना नहीं जानते। (हंसी) यदि कुछ काम या खेलों या राजनीति या औरतों से संबंधित है, हमें अपनी राय बताने में कोई हर्ज नहीं, पर अगर यह हमारी असुरक्षाओं या हमारे संघर्षों के बारे में है, असफलता के हमारे डर के बारे में है, तो ऐसा लगता है मानो लकवा मार गया हो। कम से कम, मुझे तो ऐसा लगता है। तो इस व्यवहार से मुक्ति पाने के लिए मैं जो तरीके आज़मा रहा हूँ वे हैं: ऐसे अनुभवों का सृजन करना जो मुझे कमज़ोर होने के लिए मजबूर कर दें। तो अगर मेरे जीवन में कुछ ऐसा हो रहा है कि मुझे शर्मिंदगी का अनुभव हो रहा है, मैं सीधे उसमें शामिल हो जाता हूँ, चाहे वह कितना ही भयानक हो... और कई बार, जनता के सामने भी। क्योंकि ऐसा करने से मैं उसकी शक्ति छीन लेता हूँ, और मेरे कमज़ोर होने की वजह से अन्य मर्दों को ऐसा करने की इजाज़त मिल जाती है। उदाहरण के तौर पर, कुछ समय पहले, मैं अपने जीवन में किसी मसले से जूझ रहा था जिसके बारे में मैं जानता था मुझे अपने मर्द दोस्तों से बात करनी होगी, पर मैं इतना अधिक भयभीत था कि वे मेरे बारे में राय बनाएंगे और मुझे कमज़ोर समझेंगे और मैं अपना नेतृत्व खो दूँगा कि मैं जानता था कि मुझे उन्हें शहर से बाहर तीन दिन के ट्रिप पर ले जाना होगा जिसमें सिर्फ मर्द हों... (हंसी) बस बात बताने के लिए। और सोचें क्या हुआ? तीसरे दिन के अंत तक ही मैं उनसे बात करने की हिम्मत जुटा पाया कि मेरे साथ क्या बीत रहा है। पर जब मैंने बताया, कुछ हैरत भरी बात हुई। मुझे एहसास हुआ कि मैं अकेला नहीं हूँ, क्योंकि मेरे दोस्त भी संघर्ष कर रहे थे। और जैसे मुझे उनसे बात करनी की हिम्मत मिली और अपनी शर्मिंदगी बांटने का साहस, सब खत्म हो गया। अब, समय के साथ मैंने सीखा है कि अगर मैं कमज़ोरी का अभ्यास करना चाहता हूँ, तो मुझे खुद के लिए उत्तरदायित्व की प्रणाली का विकास करना होगा। तो एक अभिनेता होने के नाते मैं भाग्यशाली हूँ। मेरे बहुत से ज़बरदस्त प्रशंसक हैं, बहुत प्यारे और दिलचस्प, और इसलिए मैंने अपने सोशल मीडिया को एक तरह से अपनी ताकत के रूप में प्रयोग किया जहाँ मैं अपनी सच्चाई और कमज़ोरी का एक दैनिक अभ्यास बना सकूँ। प्रतिक्रिया अविश्वसनीय रही है। लोगों ने पुष्टि की, दिल को खुश किया। मुझे हर रोज़ बहुत सारा प्यार और सकारात्मक संदेश आते हैं। पर यह सब जनसंख्या के एक खास हिस्से हैं: महिलाओं की ओर से। (हंसी) यह वास्तविक है। क्यों सिर्फ महिलाएँ ही मेरी अनुयायी हैं? पुरुष कहाँ हैं? (हंसी) एक वर्ष पहले, मैंने यह तस्वीर पोस्ट की थी। अब, मैं बाद में कमेंट पढ़ रहा था, और मैंने देखा कि मेरी एक महिला प्रशंसक ने अपने बॉयफ्रैंड को तस्वीर में टैग किया था, और बॉयफ्रैंड ने जवाब में लिखा था, "कृपया मुझे इस समलैंगिक बकवास में टैग करना बंद करो। धन्यवाद।" (हंसी) जैसे कि समलैंगिक होने से तुम्हारी मर्दानगी कम हो जाती है, हैं ना? तो मैंने गहरी सांस ली, और जवाब लिखा। मैंने बहुत विनम्रतापूर्वक लिखा, मुझे बस जिज्ञासा थी, क्योंकि मैं मर्दानगी की खोज में निकला हूँ, और मैं जानना चाहता था कि मेरी बीवी के लिए मेरा प्यार समलैंगिक बकवास कैसे हो गई। और फिर मैंने कहा, सच में मैं बस जानना चाहता था। (हंसी) उसने तुरंत मुझे जवाब लिखा। मुझे लगा वह मुझ पर गुस्सा दिखाएगा, पर उसने माफ़ी मांगी। उसने मुझे बताया कि जब वह बड़ा हो रहा था, सबके सामने प्यार जताना अच्छा नहीं समझा जाता था। उसने मुझे बताया कि वह अपने अहम् से संघर्ष कर रहा था, और वह अपनी प्रेमिका से कितना प्रेम करता था और वह उसके धैर्य के लिए कितना शुक्रगुज़ार था। और फिर कुछ हफ्तों बाद, उसने मुझे फिर संदेश भेजा। इस बार उसने मुझे घुटने टेके हुए प्रस्ताव देते हुए अपनी तस्वीर भेजी। (तालियाँ) और उसने बस इतना कहा, "धन्यवाद।" मैं ऐसा ही पुरुष था। मैं समझ सकता हूँ। देखिए, सबके सामने वह बस अपनी भूमिका अदा कर रहा था, स्री जाति को अस्वीकार करते हुए, हैं ना? पर अंदर ही अंदर वह स्वयं को व्यक्त करने, अपनी बात कहने, अपनी असलियत दिखाने की इजाज़त पाने का इंतज़ार कर रहा था। और बस उसे एक और मर्द की ज़रूरत थी जो उसे ज़िम्मेदारी का एहसास दिलाता और उसे सुरक्षित महसूस करवा सकता, और वह तत्काल बदल गया। मुझे यह अनुभव बहुत पसंद आया, क्योंकि इसने मुझे एहसास करवाया कि बदलाव संभव है, प्रत्यक्ष संदेश के द्वारा भी। तो मैं जानना चाहता था कि मैं और पुरुषों तक कैसे पहुँच पाऊँगा, क्योंकि वे तो निस्संदेह मेरे अनुयायी नहीं थे। (हंसी) तो मैंने एक प्रयोग किया। तो मैंने रूढ़िवादी मर्दाना चीज़ों को पोस्ट करना शुरू किया... (हंसी) जैसे कि मेरी चुनौतिपूर्ण कसरतें, मेरा खान-पान, चोट लगने के बाद ठीक होने की मेरी यात्रा। और सोचिए क्या हुआ? पुरुषों ने लिखना शुरू किया। और फिर, अचानक, मेरे पूरे कैरियर में पहली बार, पुरुषों की एक फिटनेस पत्रिका ने मुझसे सम्पर्क किया, और उन्होंने कहा वे मुझे अपने एक परिवर्तक के रूप में सम्मानित करना चाहते हैं। (हंसी) क्या उससे सच में परिवर्तन हुआ? या क्या वह बस आदर्शों का पालन करना मात्र था? और देखिए, यही तो समस्या है। पुरुषों का मेरा अनुयायी बनना जब मैं पुरुषों की चीज़ों की बात करूँ और मैं लिंग आदर्शों के अनुरूप चलूँ एकदम मस्त है। पर अगर मैं बात करूँ कि अपनी बीवी से या अपनी बेटी या अपने १०-दिन के बेटे से कितना प्यार करता हूँ, कैसे मैं मानता हूँ कि शादी चुनौतिपूर्ण परंतु खूबसूरत है, और कैसे एक पुरुष होते हुए मैं शारीरिक कायवैकल्य से जूझता हूँ, या जब लैंगिक समानता को प्रोत्साहन देता हूँ तो केवल महिलाएँ ही दिखाई देती हैं। पुरुष कहाँ हैं? तो, पुरुषों, पुरुषों! (तालियाँ) मैं समझ सकता हूँ। बड़े होते हुए, हम एक-दूसरे को चुनौति देते हैं, हमें सबसे मजबूत बनना है, सबसे ताकतवर, सबसे साहसी मर्द बनना है। और हममें से अधिकतर के लिए, मेरे लिए भी, हमारी पहचान इसी में संलिप्त है कि दिन के आखिर में क्या हमें एहसास हुआ कि हम साहसी हैं। पर मेरे पास सभी पुरुषों के लिए एक चुनौति है। क्योंकि पुरुषों को चुनौति अच्छी लगती है। (हंसी) मैं आपको चुनौति देता हूँ कि अपने अंदर तक झांकने में आप उन सभी गुणों को प्रयोग करें जिनसे आपको लगता है कि आप मर्दानगी महसूस करते हैं। आपकी ताकत, आपका साहस, आपकी मजबूती: क्या हम उन्हें पुन: परिभाषित करके अपने ही दिलों के अंदर झांक सकते हैं? क्या आपमें इतना साहस है कि कमज़ोर बन पाएँ? मदद की ज़रूरत महसूस होने पर दूसरे मर्द का आसरा ले सकें? अपनी शर्मिंदगी को स्पष्ट मान सकें? क्या आप इतने ताकतवर हैं कि संवेदनशील बनें, दर्द हो या खुशी हो तो आँसू बहा सकें, चाहे उससे आप कमज़ोर ही दिखें? क्या आपमें इतना आत्मविश्वास है कि आपके जीवन में जो महिलाएँ हैं उनकी बात सुन सकें, उनके विचार और उनके समाधान सुनें, उनके दर्द सहें, और असलियत में उनपर यकीन करें, चाहे वे आपके खिलाफ ही कुछ कह रही हों? और क्या आपमें इतना साहस आ सकता है कि बाकी पुरुषों का विरोध कर पाएँ जब आप अश्लील बातें, या यौन उत्पीड़न की कहानियाँ सुनें? जब आप दोस्तों को उसके कूल्हे पकड़ने या उसे नशे में चूर करने की बात करते सुनें, क्या आप सच में विरोध करेंगे और कुछ ऐसा करेंगे ताकि एक दिन हमें ऐसे संसार में ना रहना पड़े जहाँ एक औरत को सबकुछ दाँव पर लगाना पड़ता है आगे बढ़कर "मैं भी" कहने के लिए? (तालियाँ) यह गंभीर मसला है। मुझे सच में ध्यान से देखना होगा कि मैंने किस तरह से अनजाने में उम्र भर औरतों को कष्ट पहुँचाया है, और यह अच्छा नहीं है। मेरी बीवी ने मुझे बताया कि मेरा व्यवहार उसे तकलीफ़ दे रहा था और मैं खुद को बदल नहीं रहा था। असल में, कभी-कभी जब वह कुछ कहने जाती घर पर या बाहर, मैं उसे बीच में काटकर उसकी बात पूरी कर देता था। बहुत बुरी बात है। सबसे बुरी बात तो यह थी कि मैं इस बात से बिल्कुल अनजान था कि मैं ऐसा कर रहा था। अनजाने में कर रहा था। तो मैं यहाँ अपना काम कर रहा हूँ, एक नारीवादी बनने की कोशिश कर रहा हूँ, संसार भर की नारियों की आवाज़ बुलंद कर रहा हूँ, और फिर भी घर पर, मैं जिस औरत से सबसे अधिक प्यार करता हूँ उसी को चुप करवाने के लिए इतना चिल्लाता था। तो मुझे खुद से एक मुश्किल सवाल पूछना था: क्या मुझ में इतना साहस है कि बस चुप करके बात सुन पाऊँ? (हंसी) (तालियाँ) मुझे सच कहना होगा। काश इस बात पर आप तालियाँ ना बजाते। (हंसी) दोस्तों, यह वास्तविक है। और मैं तो बस सतह की बात कर रहा हूँ, क्योंकि हम जितना गहरा जाएँगे, उतना भद्दा होता जाएगा, यकीनन कह सकता हूँ। मेरे पास औरतें के खिलाफ़ हिंसा और अश्लीलता या घरेलू कर्तवयों का विभाजन या लैंगिक वेतन में असमानता की बात करने का समय नहीं है। पर मेरा मानना है कि पुरुष होने के नाते, समय आ गया है कि हम अपने विशेषाधिकार से परे देखें और पहचानें कि हम केवल समस्या का हिस्सा नहीं हैं। यारों, समस्या हम ही तो हैं। वह अवरोध है क्योंकि हमने उसे वहाँ बनाया है, और अगर हमें समाधान का हिस्सा बनना है, तो अब केवल लफ्ज़ों से काम नहीं होगा। बहाय लेखों में से एक कहावत है जो बचपन से सुनी और मुझे बहुत पसंद है। इसमें लिखा है, "मानवता का संसार दो पंखों से बना है, पुरुष और स्री। जब तक इन दोनों पंखों की ताकत में समानता नहीं होगी, परिंदा उड़ेगा नहीं।" तो महिलाओं, संसार भर के पुरुषों की ओर से, जो मुझ जैसा महसूस करते हैं, कृपया हमें क्षमा कर दें कि हम आपकी ताकत पर भरोसा नहीं कर सके। और मैं अब आपसे हमारी औपचारिक तौर पर मदद करने के लिए कहूँगा, क्योंकि हम यह काम अकेले नहीं कर सकते। हम पुरुष हैं। हम गड़बड़ तो करेंगे। हम गलत बातें कहेंगे। हमें कुछ सुनाई नहीं देगा। हम शायद, संभवत:, आपका अपमान भी करेंगे। पर उम्मीद मत हारें। हम आपकी वजह से यहाँ हैं, और आपकी तरह, पुरुषों की तरह, हमें हिम्मत दिखानी होगी और आपका साथ देना होगा जब आप लगभग हर चीज़ के खिलाफ जंग लड़ेंगी। अपनी कमज़ोरी को पहचानने के लिए हमें आपकी मदद चाहिए और हमारे साथ धैर्य दिखाने के लिए ताकि हम दिमाग से दिल तक की यह लंबी, बहुत लंबी यात्रा तय कर पाएं। और अंत में, माता-पिता के लिए: अपने बच्चों को यह सिखाने के बजाय कि बेटे साहसी और बेटियाँ सुंदर बनें, क्या हम शायद उन्हें इतना सिखा पाएँगे कि वे भले इन्सान बनें? तो वापिस मेरे पिताजी की बात पर। बड़े होते हुए, हर लड़के की तरह, मैंने भी बहुत से मसलों का सामना किया, पर अब मुझे एहसास होता है कि यह उनकी संवेदनशीलता और भावनात्मक ज्ञान की बदौलत है कि मैं यहाँ खड़ा होकर आपसे यह बात कर पा रहा हूँ। मुझे अपने पिताजी से जो गिला था, मुझे अब एहसास है कि उसका उनसे कोई संबंध नहीं था। वह सब मुझसे संबंधित था और मेरी उस स्वीकारे जाने की चाह से और वह भूमिका निभाने की जो मेरे लिए बनी ही नहीं थी। तो हालांकि, मेरे पिताजी ने मुझे हाथों का प्रयोग करना नहीं सिखाया, उन्होंने मुझे दिल का इस्तेमाल करना सिखाया, और उसकी वजह से वह मेरे लिए सबसे साहसी पुरुष हैं। धन्यवाद। (तालियाँ) मैं इस सवाल को लेकर अचंभे में हूं कि क्या हम एक छठी इन्द्री का विकास या आवर्ण कर सकते हैं - एक इन्द्री जो हमें सहज पहुँचाए और असानी से पहुँचाए जानकारी के परे या उस सूचना तक जो कहीं अस्तित्व रखती हो जो अनुरूप हो हमें सही निर्णय लेने में मदद देने में उसके बारे में जो भी हमारे सामने आ रहा है. और आप में से कुछ यह तर्क दे सकते हैं, कि क्या आज के सेल फोन यह पहले से ही नहीं करते? लेकिन मैं कहूँगी नहीं. जब आप किसी से यहाँ टेड में मिलते हैं - और निश्चय ही यह साल की शीर्ष नेटवर्किंग करने की जगह है - आप किसी का हाथ मिला कर यह नहीं कहते, " क्या आप एक पल के लिए इन्तज़ार करेंगे जब तक मैं अपना फ़ॊन निकाल कर आप को गूगल कर सकूँ?" या जब आप बाज़ार जाते हैं और आप उस विशाल गलियारे में खड़े होते हैं अलग अलग तरह के टाइलेट पेपर्स के, आप अपना सेल फ़ोन निकाल कर ब्राउज़र नहीं खोलते, और किसी वेबसाइट पे जाकर निर्णय करने की कोशिश नहीं करते कि इन विभिन्न तरह के टाइलेट पेपर में से पर्यावर्ण के हिसाब से सबसे जिम्मेदारी की ख़रीदारी कौनसी होगी? इसलिए हमारे पा वास्तव में आसान पहुँच नहीं है इस सब प्रासंगिक जानकारी को जो हमारी मदद कर सकती है इष्टतम फ़ैसले लेने में इस बारे में कि अब क्या करें और क्या कदम उठाएं. तो, मीडिया लैब में मेरा शोध समूह आविशकारों की एक श्रृंखला का विकास कर रहा है जो हमें इस जानकारी तक पहुंचा सकती है एक आसान तरीके से, विना इस बात की ज़रूरत के कि उपयोगकर्ता अपने किसी व्यवहार को बदले. और मैं यहाँ हूँ अनावरण करने के लिए हमारी नवीनतम कोशिश का, और अब तक कि सबसे सफ़ल कोशिश, जिसपर कि अभी भी वास्तव में कार्य प्रगति पर है. मैंने वास्तव में वह यंत्र अभी पहन रखा है और हमनें एक तरह से इसे एकत्रित किया है एसे भागों से जो बाज़ार में उपल्ब्ध हैं - और वैसे, उनकी कीमत सिर्फ़ ३५० डौलर है इस समय मैंने एक कैमरा पहना है, एक साधारण वेब कैम, एक पोर्टेबल, बैट्री से चलने वाला प्रक्षेपण यंत्र एक छोटे शीशे के साथ. ये भाग मेरी जेब में रखे मेरे सेल फ़ोन के साथ संपर्क कर सकते हैं जो कि संचार और अभिकलन यंत्र का काम करता है. और इस विडियो में हम मेरे छात्र प्रणव मिस्त्री को देख सकते हैं जो वास्तव में वह प्रत्तिभाशाली व्यक्ति है जो लागू कर रहा है इस पूरी व्यवस्था को बना कर. और हम देखते हैं कि कैसे यह व्यवस्था उसे किसी भी सतह तक जाकर अपने हाथों का इस्तेमाल करने देती है उस जानकारी के साथ व्यवहार करने देती है जो उसके सामने प्रख्शेपित है. यह व्यवस्था चार मुख्य उंगलियों का ध्यान रखती है. यहाँ पर उन्होंनें साधारण प्रदर्श्क टोपियां पहन रखी हैं जो आप पहचान सकते हैं. लेकिन यदि आप को और अधिक स्टाइल चाहिए तो आप अपने नाखूनों को अलग रंगों में रंग सकते हैं. और कैमरा मूलत: इन चार उंगलियों का पीछा करता है और वह जो इशारे करता है, उन्हें पहचानता है तो वह, उदाहरण के तौर पे, लौंग बीच के नक्शे पर जा कर उसे बड़ा या छोटा कर सकता है. यह प्रणाली चिह्नात्मक संकेतों को भी पहचानती है जैसे कि फ़ोटो खींचने का संकेत, और यह आपके सामने जो भी है उसकी फ़ोटो खींच लेती है. और जब वह मीडिया लैब में वापस जाते हैं, तो वे किसी भी दिवार के पास जाकर सारी फ़ोटो को दिखा सकते हैं जो उन्होंने ली हैं, और उन्हें देख कर उन्हें व्यवस्थित कर सकते हैं, और उनको छोटा या बड़ा कर सकते हैं, वगैरह, ये भी साधारण इशारों के साथ. तो, निस:देह आप में से कुछ लोग शायद दो साल पहले यहाँ थे और जेफ़ हान द्वारा प्रदर्शन देखा होगा और आप में से कुछ ये सोच रहे होंगे, "ये तो माइक्रोसौफ़्ट के सरफ़ेस टेबल कि तरह दिखता है" और हाँ, उसमें भी आप साधारण इशारों से काम करते हैं, दोनों हाथों वगैरह. लेकिन फ़र्क यह है कि आप किसी भी सतह का प्रयोग कर सकते हैं, आप किसी भी सतह के पास जा सकते हैं, और अगर कुछ और नहीं मिले तो अपने हाथ पर भी और इस डेटा के साथ वार्तालाप कर सकते हैं यह यंत्र पूरी तरह से पोर्टेबल है, और इस से ... (तालियाँ) तो एक मह्त्वपूर्ण फ़र्क है कि इसे कहीं भी ले जाया जा सकता है. और इस से भी महत्वपूर्ण फ़र्क यह है कि बड़े पैमाने पर उत्पादन किये जाने पर कल इसकी कीमत आज के सेल फ़ोन से अधिक नहीं होगी और असल में इसका आकार बड़ा नहीं होगा - ये दिखने में भी ज्यादा सजीला हो सकता है इस वाले से जो मैंने अपने गले में पहना हुआ है. लेकिन अलावा इसके कि आप में से कुछ अपनी कल्पना की उड़ान को पूरा कर सकें "माइनौरटी रिपोर्ट" फ़िल्म में टौम क्रुज़ जैसा दिखने की, इस यंत्र के बारे में हमारी उत्तेजना का कारण यह है कि यह सही मायने में उन छठी इन्द्री यंत्रो के जैसे काम कर सकता है जो आपको प्रासंगिक जानकारी दे सकें उसके बारे में जो आपके सामने हो. तो हम प्रणव को बाज़ार में जाते हुए देख सकते हैं और वह पेपर टावल खरीद रहा है. और जैसे ही वह किसी उत्पाद को उठाता है, यह प्रणाली पहचान सकती है उस उत्पाद को जो वह उठा रहा है छवि मान्यता या मार्कर प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए, और उसे हरी या नारंगी बत्ती दिखा सकती है. वह अधिक जानकारी माँग सकता है. तो ये वाली चीज़ यहाँ उसके व्यक्तिगत मापदंड के हिसाब से अच्छी है. आप में से कुछ सबसे ज्यादा ब्लीच वाला टौइलेट पेपर चाह सकते हैं बजाए सबसे वातावर्ण-जिम्मेदार पसंद से. (ठहाके) अगर वह किताब कि दुकान में कोई किताब उठाता है, तो उसे उसकी अमेज़न रेटिंग मिल सकती है. वह किताब के कवर पे ही दिखाई जा सकती है. यह जुआन कि पुस्तक है, हमारे पिछले वक्ता, जिसे, वैसे, अमेज़न से बहुत अच्छी रेटिंग मिली है. और, जैसे प्रणव किताब के पन्ने पलटता है वह इस किताब के बारे में अधिक जानकारी देख सकता है - पाठक टिप्पणियाँ, अपने पसंदीदा आलोचक द्वारा जानकारी इत्यादि. अगर वह किसी विशेष पन्ने पे जाता है और हमारे दोस्त के किसी विशेषज्ञ की टिप्पणी पाता है जो उसे थॊड़ी और जानकारी देती है और जो भी उस पन्ने पर है. अख़बार पढ़ते हुए - उसे कभी पुराना होने की ज़रूरत नहीं है. (ठहाके) आप जिस घटना के बारे में पढ़ रहे हैं उसके वीडियो एनोटेशन प्राप्त कर सकते हैं आप खेलकूद के ताज़ा स्कोर पा सकते हैं, वगैरह. यह थोड़ा अधिक विवादास्पद है. (ठहाके) जैसे आप टेड में किसी से वार्तालाप करते हैं, शायद आप टैगस के शब्दों का एक बादल देख सकते हैं, वो शब्द जो उस व्यक्ति से संबंद्धित हैं उनके ब्लौग या ज्याति वेब पेजों में. यहाँ पर, यह छात्र कैमरे इत्यादि में रूचि रखता है. एयरपोर्ट जाते हुए, अगर आप अपना बोर्डिंग पास उठाते हैं, वह आप को बता सकता है कि आपकी उड़ान देर से है, और गेट बदली हो गया है, वगैरह. और अगर आप जानना चाहते हैं कि अभि समय क्या है जो यह एक घड़ी बनाने जितना आसान है - (ठहाके) (तालियाँ) अपने हाथ पे. तो अभी तक हम यहाँ हैं इस छठी इन्द्री तैयार करने में जो कि हमें यह सभी प्रासंगिक जानकारी सहज प्रदान करेगा उन चिज़ों के बारे में जो हमारे सामने आती हैं. मेरा छात्र प्रणव, जिसका दिमा़ग वास्तव में, जैसा मैंने कहा, इसके पीछे है. (तालियाँ) वह वास्तव में तारीफ़ के काबिल है क्योंकि मुझे नहीं लगता वह पिछले तीन महीनों में ज्यादा सोया है. और उसकी गर्लफ़्रेंड भी शायद उससे ज्यादा खुश़ नहीं है. लेकिन यह पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है, इस पर काम चल रहा है और कौन जानता है, हो सकता है कि १० साल बाद हम दिमाग के अंदर लगाए जाने वाला छठी इन्द्रिय का यंत्र लेकर यहां आएं. धन्यवाद. (तालियाँ) आज की दुनिया में बहुत सी समस्याएँ हैं। यह सारी एक दूसरे से सम्बंधित पेचीदा और मुश्किल हैं। लेकिन हम कुछ कर सकते हैं। मुझे लगता है कि लड़कियों की शिक्षा उस चाँदी के गोली के करीब है जो दुनिया की सबसे मुश्किल समस्याएँ हल कर सकता है। लेकिन आपको मुझपर यकीन करने की ज़रूरत नहीं। दी वर्ल्ड बैंक के अनुसार लड़कियों की शिक्षा एक देश के सबसे बेहतरीन इन्वेस्टमेंट में से एक है। वह 17 में से 9 सतत विकास के लक्ष्यों को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। सबमें, स्वास्थ्य से लेके पोषण, रोज़गार -- इन सब पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जब लड़कियाँ शिक्षित होती हैं। उसके साथ, जलवायु वैज्ञानिकों ने ग्लोबल वार्मिंग को उल्टा करने के 80 क्रियाओं में से लड़कियों की शिक्षा को छटा स्तर दिया है। छटे नंबर पर, उसका स्तर सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक गाड़ियों से भी ऊँचा है। और यह इसलिए है क्योंकि जब लड़कियाँ शिक्षित होंगी, उनके परिवार छोटे होंगे, और आबादी में कमी होगी जो कार्बन के उत्सर्जन बहुत कम कर देगा। लेकिन उससे ज़्यादा, यह एक ऐसी समस्या है जो हमें एक बार हल करनी है। क्योंकि एक शिक्षित माँ का अपने बच्चों को शिक्षा करने की संभावना दुगनी है। मतलब एक बार करके, हम लैंगिक और साक्षरता का अंतर हमेशा के लिए ख़त्म कर देंगे। मैं भारत में काम करती हूँ, जिसने सबके लिए प्राथमिक शिक्षा लाने में बहुत प्रगति की है। लेकिन, हमारे पास अब भी चालीस लाख लड़कियाँ स्कूल के बाहर हैं, दुनिया में सबसे अधिक में से एक। और लड़कियाँ स्कूल के बाहर गरीबी, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलूओं के कारण हैं। लेकिन एक मानसिकता का भी पहलू है। मैं एक लड़की से मिली थी जिसका नाम था नाराज़ नाथ। नाराज़ मतलब गुस्सा होना। जब मैंने उससे पूछा, "तुम्हारा नाम 'नाराज़' क्यों है? उसने कहा, "क्योंकि सब बहुत नाराज़ थे जब एक लड़की का जन्म हुआ था।" दूसरी लड़की जिसका नाम था अंतिम बाला मतलब आखरी लड़की। क्योंकि सबकी उम्मीद थी कि वह आखरी पैदा होने वाली लड़की हो। एक लड़की जिसका नाम था आचुकी। मतलब कोई जो आ गई। उसका आना कोई न चाहता, पर आ गई। और यही मानसिकता है जो लड़कियों को पढ़ाई करने से रोकती है जिससे वे स्कूल नहीं आती। यह मान्यता है कि एक बकरी संपत्ति है और एक लड़की बोझ। मेरा संसथान "एड्यूकेट गर्ल्स" इसे बदलने के लिए काम करता है। और हम कुछ बहुत मुश्किल, ग्रामीण, दूरस्थ और आदिवासी गाँवों में काम करते हैं। कैसे? सबसे पहले हम उन्ही गाँवों में से जवान, उत्साही, और पड़े लिखे युवाओं को ढूँढते हैं। लड़के और लड़कियाँ, दोनों। हम उनको टीम बालिका बुलाते हैं, बालिका मतलब बेटी, तो यह टीम हम बेटी के लिए बना रहे हैं। और जब हम इन सामुदायिक स्वयंसेवकों को काम पर रखते हैं, हम उनको तैयार करते हैं, सिखाते हैं, उन्हें एक एक चीज़ बताते हैं। तब हमारा काम शुरू होता है। सबसे पहले हम हर उस लड़की को ढूँढते हैं जो स्कूल नहीं जाती। लेकिन जिस तरह से हम करते हैं वह थोड़ा अलग और हाई-टेक है, कम से कम मेरे हिसाब से। हमारे सारे कार्यकर्ताओं के पास एक स्मार्टफ़ोन है। उन सबमें एड्यूकेट गर्ल्स एप है। और इस एप में हमारी टीम के लिए सब कुछ है। वे जहाँ पर भी सर्वेक्षण लेने जाएँगे, उन सब जगहों के डिजिटल नक़्शे हैं, उसमें वे सर्वेक्षण हैं, सारे सवाल, और कैसे अच्छे सर्वेक्षण लेने हैं, ताकि हमारे पास डाटा उसी समय पर आए और उसकी गुणता अच्छी हो। इनके साथ साथ, हमारी टीम और स्वयंसेवक घर घर जाते हैं हर घर हर उस लड़की को ढूँढने जो स्कूल में कभी दाखिल ही न हो या जिसने स्कूल छोड़ दिया हो। और चूँकि हमारे पास यह डाटा और टेक्नोलॉजी है, हम जल्द ही पता लगा सकते हैं कि यह लड़कियाँ कौन हैं और कहाँ हैं। क्योंकि हमारे सारे गाँव जीयोटैग्ड हैं और हम उस जानकारी का बहुत जल्दी पता लगवा सकते हैं। और जब हमें पता चलता है लड़कियाँ कहाँ हैं, हम उन्हें स्कूल वापस लाने की प्रक्रिया फिर से शुरू करते हैं। और यह हमारे समुदाय को साथ लाने की भी प्रक्रिया है, पहले यह गाँवों की सभा बनाकर शुरू होती है, नगरों की सभा, और फिर माता-पिताओं और परिवारों के साथ व्यक्तित्व रूप से बातचीत, ताकि हम लड़कियों को वापस स्कूल ले आ पाएँ, और यह थोड़े हफ़्तों से लेकर महीने लगा सकती है। एक बार हम लड़कियों को स्कूल की व्यवस्था में ले आएँ, हम स्कूल के साथ भी काम करते हैं यह देखने के लिए कि स्कूल में ज़रूरी सुविधाएँ हो ताकि लड़कियाँ तह पाएँ। और उनमें लड़कियों के लिए अलग शौचालय होने चाहिए, पीने का पानी, ऐसी सुविधाएँ जिनसे वे वहाँ रहें। लेकिन यह सब बेकार होगा अगर हमारे बच्चे सीख न रहे हो। तो हम एक सीखने का योजना रखते हैं। और यह एक अनुपूरक योजना है, और यह बहुत, बहुत ज़रूरी है, क्योंकि हमारे बच्चे यहाँ पहली पढ़ने वाली पीढ़ी हैं। जिसका मतलब है कि घर पर गृहकार्य में मदद करने के लिए कोई नहीं, कोई नहीं जो उनकी शिक्षा का समर्थन कर पाए। उनके माँ-बाप पढ़ नहीं सकते। तो यह बहुत ज़रूरी है कि हम कक्षा में उनके सीखने की प्रक्रिया का समर्थन करें। तो यह हमारा मॉडल है, लड़कियों को ढूँढने और उनको लाने के बारे में, ताकि वह स्कूल में रहें और पढ़ें। और हमें पता है कि हमारा मॉडल काम करता है। और हमें यह पता है क्योंकि हाल ही में इसकी प्रभावकारिता साबित करने के लिए एक नियंत्रित मूल्यांकन हुआ था। हमारे मूल्यांकनकरता ने पाया कि तीन साल के दौर में एड्यूकेट गर्ल्स 92% स्कूल के बाहर वाली लड़कियों को वापस स्कूल ले आया था। (तालियाँ) और सीखने की मामले में, हमारे बच्चों की सीख नियंत्रित स्कूलों से काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई। इतनी, की जैसे किसी औसत छात्र के लिए यह स्कूल का एक और साल था। और यह बड़ी बात है, जब आप एक आदिवासी बच्चे के बारे में सोचें जो पहली बार स्कूली व्यवस्था में जा रहा हो। तो यहाँ हमारे पास एक मॉडल है जो काम करता है; हमें पता है यह बड़ा हो सकता है, क्योंकि हम पहले से ही 13,000 गाँवों में काम कर रहे हैं। हमें पता है यह स्मार्ट है, क्योंकि इसमें डाटा और टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है। हमें पता है यह सतत और व्यवस्थित है, क्योंकि हम समुदाय के साथ साझेदारी से काम करते हैं, इसे समुदाय ही चलता है। हम सरकार से साथ साझेदारी में काम करते हैं, तो यहाँ कोई और व्यवस्था की रचना नहीं हुई है। और क्योंकि हमारे पास समुदाय और सरकार के साथ के साथ यह नवीन साझेदारी है, यह स्मार्ट मॉडल, हमारे पास यह बड़ा, बुलंद ख्वाब है। और वह है कि हम भारत में स्कूल के बाहरवाली लड़कियों की अगले पाँच सालों में पूरी 40 प्रतिशत समस्या हल करें। (तालियाँ) और आप सोच रहे होंगे, कि यह थोड़ा... कि मैं यह करने का सोच भी कैसे रही हूँ, क्योंकि भारत कोई छोटी सी जगह नहीं हैं, एक बड़ा देश है। 10 करोड़ से भी ज़्यादा लोगों का देश है। हमारे यहाँ 650,000 गाँव हैं। ऐसा कैसे है कि मैं यहाँ खड़ी हूँ, यह कहते हुए कि एक छोटा संस्थान पूरी 40% समस्या हल करेगा? यह इसलिए है क्योंकि हमारे पास एक विचार है। और वह है, कि हमारे पूरे तरीके की वजह से, जो डाटा और टेक्नोलॉजी के साथ है, कि भारत के पांच प्रतिशत गाँवों में 40 प्रतिशत सकूल के बाहरवाली लडकियाँ हैं। और यह एक पहेली का बड़ा हिस्सा है। जिसका मतलब है, कि मुझे पूरे देश में काम करने की ज़रूरत नहीं। मुझे उन पांच प्रतिशत गाँवों में काम करना है, लगभग 35,000 गाँव, ताकि मैं उस समस्या का बड़ा हिस्सा हल कर पाऊँ। और यह ही वह चीज़ है, क्योंकि इन्हीं गाँवों में, स्कूल के बाहरवाली लड़कियों का बोझ ही नहीं, लेकिन बहुत से दूसरे सूचक भी हैं, जैसे कुपोषण, धीमी गति से बढ़ना, गरीबी, शिशु मृत्यु-दर, बाल विवाह। तो यहाँ पर काम करने और ध्यान करने से, आप इन सब सूचकों में एक बड़ा गुणक का प्रभाव बना सकते हो। और उसका मतलब होगा कि हम 16 लाख लड़कियों को वापस स्कूल में ला सकते हैं। (तालियाँ) मैं कहना चाहूँगी, मैं एक दशक से ज़्यादा से काम कर रही हूँ, और मैं कभी किसी लड़की से नहीं मिली, जिसने कहा हो, "मैं घर पर रहना चाहती हूँ," "मैं पशुओं को घास चराना चाहती हूँ," "मैं अपने भाई-बहन की देखबाल करना चाहती हूँ," "मैं बालिका वधू बनना चाहती हूँ।" मैं जिस लड़की से मिलती हूँ वह स्कूल जाना चाहती है। और हम वही करना चाहते हैं। हम 1.6 मिलियन सपने पूरे करना चाहते हैं। और इसमें ज़्यादा नहीं लगता। हमारे मॉडल से एक लड़की को ढूँढकर दाखिल कराने में 20 डॉलर लगते हैं। और यह देखना कि वह सीख रही है और उसे अच्छा पढ़ाई की योजना दिलाना, में और 40 डॉलर हैं। लेकिन आज समय है इसे करने का। क्योंकि वह वाकई हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है। मैं सफ़ीना हुसैन हूँ, और मैं लड़कियों को शिक्षा देती हूँ। धन्यवाद। (तालियाँ) मैं एक संग्रहालय में, ६ से ८ साल के, करीब ३०० ,बच्चों के झुंड से बात कर रही थी, और मैं अपने साथ टांगों से भरा एक थैला ले कर गयी, जो आप यहाँ देख रहे हैं ऐसी ही टांगें, और मैंने उन्हें बच्चों के लिए मेज पर लगा दिया| और मेरे अनुभव के हिसाब से, आप जानते ही हैं, बच्चे बहुत उत्सुक होते हैं उन चीजों के बारे में के जो वो नहीं जानते, या नहीं समझते हैं या जो उनके लिए अजीबोगरीब होती हैं. वो इन असमानताओं से तब डरना सीखते हैं जब कोई बडा़ उन्हें ऐसा करना सिखाता है, और शायद उनकी स्वाभाविक उत्सुकता को दबाता है, या फिर उनके प्रश्नों पर लगाम लगा देता है ताकि वो अच्छे सभ्य बच्चे बन सकें इसलिए मैंने अंदाज़ लगाया कि बाहर लॉबी में एक पहली कक्षा की टीचर इन असभ्य बच्चों से कह रही होगी ,"अब चाहे तुम और कुछ भी करो, उसकी टांगों को मत घूरना ." पर वाकई, असल बात तो वही है. इसीलिये तो मैं वहाँ थी, मैं उन्हें देखने और खोजने के लिए ही तो बुलाना चाहती थी. इसलिए मैंने बडों़ के साथ सौदेबाजी की कि बच्चे पहले २ मिनट के लिए अकेले अन्दर आयेंगे, बिना किसी बडे़ के अपनेआप तो दरवाजा खुलता है, बच्चे टांगों भरी मेज़ पर पहुँचते हैं और वो दबा रहे हैं , छेड़ रहे हैं, और पैरों की उँगलियों को हिला-डुला रहे हैं, और दौढ़ने वाली टाँग पर अपना पूरा वजन डाल रहे हैं कि देखें उस पर क्या असर होता है. और मैंने उनसे कहा, "बच्चों, जल्दी सुनो -- मैं आज सुबह उठी, मैंने निर्णय किया कि आज मुझे एक घर के ऊपर छलांग लगानी है -- बहुत ऊंचा घर नहीं, बस २ या ३ मंजिला -- पर, अगर तुम किसी भी जानवर, या सुपर हीरो, या कार्टून के पात्र के बारे में सोच सको जो भी तुम्हारा सपना हो, इस वक़्त, तो तुम किस तरह की टाँगे मेरे लिए बनाओगे?" और तुंरत एक आवाज़ आई," कंगारू!" "न न न! उसे मेंढक होना चाहिए!" "नहीं. इसे तो गो गो गैजेट होना चाहिए!" "नहीं, नहीं, नहीं! उसे होना चाहिए 'अद्भुत लोग' (दी इनक्रेडिबिल्स) जैसा." और ऐसी ही कई चीजें़ जिन्हें मैं भी नहीं जानती थी. और फिर, एक ८ साल के बच्चे ने कहा, "अरे, पर आप उड़ना क्यों नहीं चाहेंगी?" और पूरा कमरा, मेरे समेत, बोल उठा, " अरे हाँ." (हंसी) और बस इसी तरह, मैं एक ऐसी औरत से, जिसे ये बच्चे "विकलांग" या "अक्षम" समझने के आदी होते, एक ऐसे व्यक्ति में बदल गयी जिसमें वो संभावना थी जो अभी उनके शरीर में नहीं आ पाई थी. ऐसी व्यक्ति जो उनके लिए शायद महा-सक्षम थी. मजेदार. तो आप में से कुछ लोगों ने मुझे टेड में देखा है, ११ साल पहले, और बहुत बातें हो रहीं हैं कि यह कांफ्रेंस कितनी असाधारण है, कायापलट कर देती है, श्रोता और वक्ता दोनों का ही, और मैं कोई अपवाद नहीं हूँ टेड से वाकई मेरी जीवन यात्रा के अगले १० वर्षों की असली शुरुआत हुई उस समय जो टांगें मैंने दिखाई थीं, वे कृत्रिम अंगों के क्षेत्र में अतुलनीय थीं. मेरे पास कार्बन के रेशों से बुनी दौड़ने वाली टांगें थीं जो चीते की पिछली टांगों के आधार पर बनायी गयी थीं, जिन्हें आपने शायद कल स्टेज पर देखा हो. और ये बहुत सजीव, बडी़ बारीकी से रंगी हुई सिलिकॉन की टांगें. तो उस समय, मेरे लिए बडा़ अच्छा मौका था कि मैं मेडिकल कृत्रिम अंग बनाने वाली बिरादरी के बाहर निकल कर नए विचारकों को बुलाऊँ ताकि वो अपने गुणों को इस विज्ञान और कला में लगा सकें जिससे टांगें बनायी जाती हैं. ताकि हम रूप, उपयोगिता और सौंदर्य को अलग अलग खानों में डालना बंद करें, और उन्हें अलग अलग मूल्य देना भी. मेरा सौभाग्य था कि कई लोगों ने मेरे इस बुलावे का जवाब दिया. मजेदार बात यह, कि ये यात्रा टेड कांफ्रेंस में भाग ले रही एक व्यक्ति से शुरू हुई -- ची पर्लमैन, उम्मीद करती हूँ आज भी वो श्रोताओं में कहीं हैं उस वक़्त वो ID नाम की पत्रिका की संपादक थीं और उन्होंने मुझ पर एक मुख्य कहानी लिखी. उससे एक अविश्वसनीय यात्रा की शुरुआत हुई. उस समय मेरे साथ बडी़ अनोखी मुलाकातें हो रही थीं; मैं वक्ता के रूप में कई निमंत्रण स्वीकार कर रही थी ताकि मैं दुनिया को उन चीते जैसी टांगों के डिजाइन के बारे में बताऊँ. कांफ्रेंस में मेरी बातचीत के बाद लोग मेरे पास आते थे, आदमी और औरतें, दोनों. और कुछ इस तरह का वार्तालाप शुरू हो जाता था. "आप जानती हैं एमी, आप बहुत आकर्षक हैं. आप बिलकुल विकलांग नहीं लगतीं." (हंसी) मैंने सोचा, "अच्छा, यह तो आश्चर्यजनक है, क्योंकि मैं तो विकलांग महसूस भी नहीं करती." और इस बात ने मेरी आँखें इस वार्तालाप की तरफ खोल दीं जो सौंदर्य की परिभाषा को खोज सके. एक सुन्दर महिला को कैसा दिखना चाहिए? एक कामुक शरीर कैसा होता है? और दिलचस्प बात, अपनी पहचान के दृष्टिकोण से, अक्षम या विकलांग होने का मतलब क्या होता है? मेरा मतलब है, लोगों के -- पैमेला एंडरसन के शरीर में मेरे से कहीं ज्यादा कृत्रिम अंग हैं. उन्हें तो कोई विकलांग नहीं कहता. (हंसी) इस तरह से यह पत्रिका, ग्राफिक डिजाइनर पीटर सेविल के हाथों से, फैशन डिजाइनर एलेकजेंडर मकक्वीन के पास गयी, और फिर फोटोग्राफर निक नाइट के पास, वो सब भी इस वार्तालाप को आगे ले जाना चाहते थे. तो इस तरह टेड कांफ्रेंस के ३ महीने बाद मैं हवाई जहाज में बैठी थी लन्दन के लिए, जहां मेरी पहली फैशन शूटिंग होने वाली थी, उससे यह मुखपृष्ठ निकला -- फैशन- सक्षम? उसके ३ महीने बाद मैंने एलेकजेंडर मैकक्वीन के साथ अपना पहला शो किया जिसमें मैंने ठोस ऐश से बनी, हाथों से तराशी हुई लकडी़ की टांगें पहनी थीं. किसी को पता भी नहीं चला -- सबको लगा वो लकडी़ के बूट थे. असल में वो यहीं मेरे पास स्टेज पर हैं: बेलें, बूटियाँ, वाकई बहुत खूबसूरत. कविता का असर होता है. कविता ही है जो एक साधारण और उपेक्षित वस्तु को चढा़ देती है कला की ऊंचाइयों तक. जिस चीज़ से लोग शायद डर जाते, वो उस चीज़ को बदल कर कुछ ऐसा बना देती है कि लोग देखें और देखते रह जाएँ, और शायद समझ भी जाएँ. यह मैंने खुद अपने अगले अनुभव से सीखा. कलाकार मैथ्यु बार्नी की अपनी फिल्म कृति, जिसका नाम है "क्रेमास्टर साईकिल" तब मुझे सच में इस बात का आभास हुआ -- कि मेरी टांगें पहनने योग्य मूर्तिकला भी हो सकती हैं. और इस मोड़ पर भी, मैं मानव-पन की नक़ल करने की ज़रुरत से दूर हटने लगी वही अकेला कलात्मक आदर्श तो नहीं है. और हमने वो टांगें बनायीं जिन्हें लोग प्यार से कांच की टांगें कहते हैं जबकि असलियत में ये पारदर्शी पॉलीयूरीथेन हैं, जो बोलिंग की गेंद बनाने में इस्तेमाल होता है. जानदार ! फिर हमने ये टांगें बनाईं जिनका सांचा मिट्टी से बना है आलू की एक पूरी जड़ इनमें उग रही है, और ऊपर चुकंदर निकल रहे हैं, और एक बहुत सुन्दर पीतल का अंगूठा. यह इसका पास से लिया गया अच्छा फोटो है. एक और चरित्र यह था -- आधी औरत, आधा चीता -- मेरी व्यायाम से भरी जि़न्दगी के लिए एक छोटा सा सम्मान. १४ घंटे का कृत्रिम बनाव-सिंगार एक ऐसा प्राणी बनने के लिए जिसके पास कृत्रिम पंजे, नाखून थे, और एक पूँछ जो लपक रही थी, छिपकली की तरह. (हंसी) और फिर एक और जोडी़ टांगें जिन पर हमने एक साथ काम किया, वो ये थीं... जेलीफिश की टांगों जैसी लगती हैं. ये भी पॉलीयूरीथेन. और जो अकेला काम यह टांगें कर सकती हैं, इस फिल्म के सन्दर्भ के परे, वो है इन्द्रियों को उत्तेजित करना और कल्पना को उडा़न देना. तो मनमौजीपन का असर भी होता है. आज मेरे पास १२ जोडी़ से ऊपर कृत्रिम टांगें हैं जो विभिन्न लोगों ने मेरे लिए बनायी हैं, और उनके साथ मैं अपने पैरों तले की ज़मीन से विभिन्न तरह के समझौते करती हूँ. और मैं अपनी लम्बाई बदल सकती हूँ -- मेरे पास ५ विभिन्न लम्बाईयाँ बदलने की क्षमता है. (हंसी) आज, मैं ६'१" हूँ. और ये टांगें मैंने एक साल से कुछ पहले ही बनवाई थीं इंगलैंड के डोरसेट और्थोपेडिक से और जब मैं उन्हें मैनहैटन अपने घर लायी तो पहली ही रात मैं एक बहुत बढि़या पार्टी में गयी. और वहां एक लड़की थी जो मुझे कई सालों से जानती है मेरी आम ५'८" की लम्बाई से. मुझे देख कर उसका मुंह खुले का खुला रह गया, और वो कहती ही रही,"पर तुम कितनी लम्बी हो!" और मैंने कहा,"जानती हूँ. मजे़ की बात है न?" मेरा मतलब, ये कुछ ऐसा ही है जैसे सीडी़ पर सीडी़ लगाना. पर मेरा दरवाजे़ के जैम के साथ अब वो खा़स नया सम्बन्ध हो गया है जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि हो पायेगा. और मैं उसके साथ मजे़ ले रही थी. और उसने मुझे देखा, और बोली,"पर, एमी, यह तो सही नहीं है." (हंसी) (तालियाँ) और अविश्वसनीय बात यह थी कि वो संजीदा थी. यह तो सही नहीं है कि तुम अपनी लम्बाई बदल लो, जब मन में आये. और तब मैंने जाना -- कि समाज के साथ का वो वार्तालाप अब मूलभूत रूप से बदल गया है पिछले १० सालों में. अब यह बातचीत कमी या अक्षमता को दूर करने के बारे में नहीं है. यह बातचीत अब वृद्धि के बारे में है. यह बातचीत अब संभावनाओं के बारे में है. एक कृत्रिम अंग अब अभाव को पूरा करने की ज़रुरत नहीं दर्शाता है. यह अब इस बात का प्रतीक हो सकता है कि उसे पहनने वाला उस हर चीज़ को रचने की शक्ति रखता है जो वो रचना चाहता है उस जगह पर. तो वो लोग जिन्हें पहले समाज विकलांग समझता था अब अपनी पहचान खुद बना सकने की क्षमता रखते हैं और अपनी पहचान को बदलते भी रह सकते हैं अपने शरीर की रूपरेखा को बदल कर और अपनी शक्ति को समझ कर. और मेरे लिए अभी यह बहुत जोश भरी बात है कि नयी प्रभावशाली तकनीक जैसे -- रोबोटिक्स, बियोनिक्स -- का मिश्रण सदियों पुरानी कविता से कर के, हम अपनी सामूहिक मानवता को समझने की ओर बढ़ रहे हैं. मैं सोचती हूँ कि यदि हम पूरी संभावना समझना चाहते हैं अपने समस्त मनुष्यत्व की, तो हमें उन मर्मभेदी शक्तियों को सराहना होगा और उन शानदार अक्षमताओं को भी जो हम सब में हैं. मुझे शेक्सपियर के शाईलौक की याद आती है: "अगर तुम हमें काटते हो, तो क्या हमारा खून नहीं बहता, और अगर तुम हमें गुदगुदाते हो, तो क्या हम हंसते नहीं?" यह हमारी मानवता ही तो है, और उसमें छुपी सारी संभावनाएं, जो हमें सुन्दर बनाती हैं. धन्यवाद. (तालियाँ) मैं एक पूंजीवादी हूं, और पूंजीवाद में 30 वर्ष के कैरियर के बाद तीन दर्जन कंपनियों में समय बिताने, बाजार मूल्य में दसियों अरबों डॉलर का उत्पादन करने के बाद, मैं सिर्फ शीर्ष 1 % में नहीं हूं ,मैं सभी शीर्ष अर्जकों में .01 % से ऊपर हूं। आज मैं हमारी सफलता के रहस्यों को साझा करने के लिए आया हूं, क्योंकि मेरे जैसे अमीर पूँजीपति कभी अमीर नहीं हुए हैं। तो सवाल यह है कि हम इसे कैसे करें? हम लेने का प्रबंधन कैसे करते हैं हर साल आर्थिक कुल आय की बढ़ती हुई हिस्सेदारी ? क्या यह है कि 30 वर्ष पहले की तुलना में अमीर लोग होशियार हो गए हैं ? क्या यह है कि हम पहले से अधिक मेहनत कर रहे हैं ? क्या हम लम्बे, बेहतर दिख रहे हैं ? दुख की बात है, नहीं। यह सब सिर्फ एक चीज पर आता है: अर्थशास्त्र। क्योंकि, यहाँ गंदा रहस्य है। एक समय था जब अर्थशास्त्र व्यवसाय जनहित में काम करता था, लेकिन नवउदारवादी युग में, आज-कल, वे केवल बड़े संगठनों और अरबपतियों के लिए काम करते हैं और यह थोड़ी समस्या पैदा कर रहा है। हम उन आर्थिक नीतियों को लागू करने का विकल्प चुन सकते हैं जो अमीरों पर कर बढ़ाए, शक्तिशाली संगठनों को विनियमित करें या श्रमिकों की मजदूरी बढ़ाएँ। हमने पहले भी किया है। लेकिन नवउदारवादी अर्थशास्त्री चेतावनी देंगे यह सभी नीतियां एक भयानक गलती हो सकती है, करों में वृद्धि हमेशा आर्थिक विकास को रोक देती है, और किसी भी प्रकार का सरकारी विनियमन अप्रभावी होता है और वेतन वृद्धि सदा नौकरियां खत्म करती हैं। खैर, इस सोच के परिणामस्वरूप, पिछले 30 वर्षों में, अकेले यूएसए में, शीर्ष के एक प्रतिशत में 21 ट्रिलियन डॉलर अमीरी बढ़ी है जबकि नीचे के 50 प्रतिशत 900 अरब डॉलर गरीब हो गए हैं, असमानता के बढ़ने के स्वरूप ने पूरे विश्व में काफी हद तक खुद को दोहराया है। फिर भी,मध्यम वर्ग के परिवार उस मजदूरी पर गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं जो की लगभग 40 वर्षों में हिली भी नहीं है, नवउदारवादी अर्थशास्त्री निरंतर चेतावनी दे रहे हैं कि कष्टदायक रूप से अव्यवस्थित हुई मितव्ययिता और वैश्वीकरण के लिए उचित प्रतिक्रिया और भी अधिक मितव्ययिता और वैश्वीकरण है। तो, एक समाज को क्या करना है ? खैर, यह मेरे लिए बहुत स्पष्ट है कि हमें क्या करना है। हमें एक नए अर्थशास्त्र की आवश्यकता है। इसलिए,अर्थशास्त्र का वर्णन निराशाजनक विज्ञान के रूप में किया गया है, और अच्छे कारण के लिए, क्योंकि आज जितना पढ़ाया जाता है, वह एक विज्ञान बिल्कुल नहीं है, इस सब श्रेष्ठ गणित के बावजूद। वास्तव में, अधिकतर शिक्षाविदों और व्यवसायियों ने निष्कर्ष निकाला है कि नवउदार आर्थिक सिद्धांत गंभीर रूप से गलत है और आज असमानता में वृद्धि का बढ़ता संकट और बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता दशकों के खराब आर्थिक सिद्धांत का प्रत्यक्ष परिणाम हैं। अब हम जानते हैं कि वह अर्थशास्त्र जिसने मुझे इतना अमीर बना दिया, सिर्फ गलत नहीं हो सकता, वह पिछड़ा हुआ है, क्योंकि यह पता चला है वह पूंजी नहीं है जिससे आर्थिक विकास होता है, वह लोग हैं ; और यह स्वार्थ नहीं है जो जनहित को बढ़ावा देता है, यह पारस्परिकता है; और वह प्रतिस्पर्धा नहीं है जो हमारी समृद्धि को बढ़ाती है, वह सहयोग है। अब हम जो देख सकते हैं, वह ऐसा अर्थशास्त्र है जो न तो तटस्थ है और न ही समावेशी यह सामाजिक सहयोग के उच्च स्तर को बनाए नहीं रख सकता जो आधुनिक समाज को आगे बढ़ने में सक्षम करने के लिए जरूरी है। तो हम कहां चूक गए ? खैर, यह पता चला है व् स्पष्ट रूप से प्रकट हो गया है कि मौलिक धारणाएं जो नवउदारवादी आर्थिक सिद्धांत से गुजरती हैं, वे केवल निष्पक्ष रूप से गलत हैं, और इसलिए आज मैं सबसे पहले उन गलत मान्यताओं में से कुछ लेना चाहता हूं और फिर वर्णन करता हूं कि विज्ञान के अनुसार,वास्तव में समृद्धि कहाँ से आती है। तो, नवउदारवादी आर्थिक धारणा नंबर एक है कि बाजार एक कुशल संतुलन प्रणाली है, जिसका वास्तव में अर्थ है कि अगर अर्थव्यवस्था में एक चीज़ जैसे , मजदूरी ऊपर जाती है, तो अर्थव्यवस्था में दूसरी चीज, जैसे नौकरियां, नीचे जानी चाहिए। उदाहरण के लिए, सिएटल में, जहां मैं रहता हूं, जब 2014 में हमने अपने देश का पहला न्यूनतम वेतन 15 डॉलर पारित किया, तो नवउदारवादी अपने अमूल्य संतुलन पर उत्तेजित हो गए। उन्होंने चेतावनी दी “यदि आप श्रम की कीमत बढ़ाते हैं, तो व्यवसाय इन्हे कम खरीदेंगे। हजारों कम वेतन वाले श्रमिक अपनी नौकरी खो देंगे। रेस्टोरेंट बंद हो जाएँगे।” इसके बावजूद ... उन्होंने यह नहीं किया। बेरोजगारी दर आकस्मिक रूप से गिर गई। सिएटल में रेस्तरां व्यवसाय में उछाल आया। क्यों ? क्योंकि कोई संतुलन नहीं था। क्योंकि मजदूरी बढ़ाना, नौकरियाँ ख़त्म नहीं करता, वह उन्हें उत्पन्न करता है; क्योंकि, उदाहरण के लिए, जब रेस्तरां मालिकों को अचानक रेस्तरां के कर्मचारियों को पर्याप्त भुगतान करने की आवश्यकता होती है ताकि अब वे भी रेस्तरां में खाने का खर्च उठा सकें, तो यह रेस्तरां व्यवसाय को कम नहीं करते है, जाहिर है,यह इसे बढ़ाते है। (तालियां) धन्यवाद। दूसरी मान्यता यह है कि किसी वस्तु की कीमत हमेशा उसके मूल्य के बराबर होती है, जिसका मूल अर्थ यह है कि यदि आप एक वर्ष में 50,000 डॉलर कमाते हैं और मैं एक वर्ष में 50 मिलियन डॉलर कमाता हूं, तो इसलिए कि मैं आप से एक हजार गुना अधिक मूल्य का सृजन कर रहा हूं। अब, आपको यह जानकर आश्चर्य नहीं होगा कि यह बहुत ही आरामदायक मान्यता है यदि आप एक सीईओ हैं जो स्वयं को 50 मिलियन $ प्रति वर्ष दे रहे हैं, लेकिन अपने श्रमिकों को गरीबी मजदूरी देते हैं। लेकिन कृपया, इसे किसी से ले लें जिसने दर्जनों व्यवसाय चलाए हों यह निरर्थक है। लोगों को उनकी क्षमता अनुसार भुगतान नहीं किया जाता। उन्हें भुगतान किया जाता है उनकी तय करने की शक्ति पर, और मजदूरी का सकल घरेलू उत्पाद का गिरता हिस्सा इसलिए नहीं है क्योंकि श्रमिक कम उत्पादक हो गए हैं इसलिए है, क्योंकि नियोक्ता अधिक शक्तिशाली हो गए हैं। और -- (तालियां) और यह ढोंग करके कि पूंजी और श्रम के बीच विशाल असंतुलन की शक्ति मौजूद नहीं है, नवउदारवादी आर्थिक सिद्धांत अनिवार्य रूप से अमीरों के लिए एक सुरक्षा रैकेट बन गया है। और अब तक सबसे हानिकारक, तीसरी मान्यता एक व्यवहार मॉडल है जो मनुष्य का वर्णन "होमो इकोनोमस" के रूप में करता है, जिसका मूल अर्थ है कि हम सभी पूरी तरह से स्वार्थी, पूरी तरह तर्कसंगत और अथक रूप से स्वयं के लिए बढ़ाता है। लेकिन सिर्फ अपने आप से पूछो, क्या यह प्रशंसनीय है कि अपने पूरे जीवन के लिए हर एक बार, जब आपने किसी और के लिए कुछ अच्छा किया, तो आप जो कर रहे थे, वह आपकी खुद की उपयोगिता को बढ़ा रहा था ? क्या यह प्रशंसनीय है, जब कोई साथी सैनिकों को बचाने के लिए एक हथगोले पर कूदता है, तो वे अपने संकीर्ण स्वार्थ को बढ़ावा दे रहे हैं ? यदि आपको लगता है कि यह पागल है, तो किसी भी उचित नैतिक अंतर्ज्ञान के विपरीत, ऐसा इसलिए है क्योंकि यह नवीनतम विज्ञान के अनुसार है। सच नहीं है। लेकिन यह वह व्यवहारिक मॉडल है, जो नवउदारवादी अर्थशास्त्र के कठोर क्रूर दिल पर है, और यह नैतिक रूप से घातक है और यह वैज्ञानिक रूप से गलत है क्योंकि अगर हम अंकित मूल्य को स्वीकार करते हैं कि मनुष्य मौलिक रूप से स्वार्थी है, और फिर हम दुनिया भर में देखते हैं इसमें समस्त स्पष्ट समृद्धि है, तो यह तार्किक रूप से अनुसरण करता है, फिर परिभाषा के अनुसार यह सच होना चाहिए कि अरबों व्यक्ति के स्वार्थपूरक कार्य जादुई रूप से समृद्धि और सामान्य रूप से अच्छे में बदल जाते हैं। यदि हम मनुष्य मात्र स्वार्थी हैं, तो स्वार्थ ही हमारी समृद्धि का कारण है। और इस आर्थिक तर्क से, लालच अच्छा है, असमानता को बढ़ाना कुशल है, और संगठन का एकमात्र उद्देश्य शेयरधारकों को समृद्ध बनाना हो सकता है, क्योंकि ऐसा करना आर्थिक विकास को धीमा करना और समग्र रूप से अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंचाता है। और यह स्वार्थ की सत्यता है जो नवउदारवादी अर्थशास्त्र का वैचारिक आधार बनाता है, एक ऐसी सोच है जिसने आर्थिक नीतियों का निर्माण किया है जिसने मुझे और मेरे अमीर दोस्तों को शीर्ष एक प्रतिशत में सक्षम किया है पिछले 40 वर्षों में विकास के सभी लाभों को हड़पने के लिए। लेकिन, अगर इसके बजाय हम नवीनतम प्रयोगसिद्ध शोध को स्वीकार करते हैं। वास्तविक विज्ञान, जो मानव का सही वर्णन करता है अत्यधिक सहयोगी , पारस्परिक और सहज रूप से नैतिक प्राणियों के रूप में , फिर यह तार्किक रूप से अनुसरण करता है कि यह सहयोग होना चाहिए न कि स्वार्थ जो हमारी समृद्धि का कारण है, और यह हमारा लोभ नहीं है बल्कि हमारे अंतर्निहित पारस्परिकता जो मानवता की आर्थिक महाशक्ति है। तो इस नए अर्थशास्त्र के बीच में अपने बारे में एक कहानी है जो हमें अपने सर्वश्रेष्ठ स्वयं होने की अनुमति देती है, और, पुराने अर्थशास्त्र के विपरीत, यह एक ऐसी कहानी है जो नेक है और सत्य होने का गुण भी है। अब, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि यह नया अर्थशास्त्र वह नहीं है जिसकी मैंने निजी रूप से कल्पना या आविष्कार किया है। इसके सिद्धांत और मॉडल विकसित और परिष्कृत किए जा रहे हैं दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में अर्थशास्त्र में सर्वश्रेष्ठ नए अनुसंधानों में से कुछ पर निर्माण जटिलता सिद्धांत, विकासवादी सिद्धांत, मनोविज्ञान, नृविज्ञान और अन्य विषयों। और हालांकि इस नए अर्थशास्त्र में अभी तक अपनी खुद की पाठ्यपुस्तक या यहां तक कि आमतौर पर नाम पर सहमति नहीं है, व्यापक रूप में समृद्धि कहाँ से आती है उसकी व्याख्या कुछ इस तरह से है। अतः, बाजार पूंजीवाद एक विकासवादी प्रणाली है जिसमें समृद्धि एक सकारात्मक प्रतिक्रिया लूप के माध्यम से उभरती है नवीनीकरण की बढ़ती मात्रा और उपभोक्ता मांग की बढ़ती मात्रा के बीच। नवीनीकरण वह प्रक्रिया है जिससे हम मानवीय समस्याओं का समाधान करते हैं, उपभोक्ता मांग वह तंत्र है जिसके माध्यम से बाजार उपयोगी नव खोजों का चयन करता है, और जैसे-जैसे हम और अधिक समस्याओं का समाधान करते जाते हैं, हम और अधिक समृद्ध होते जाते हैं। लेकिन जैसे-जैसे हम और अधिक समृद्ध होते जाते हैं, हमारी समस्याएं और समाधान अधिक जटिल हो जाते हैं, और इस बढ़ती तकनीकी जटिलता के लिए सामाजिक और आर्थिक सहयोग के उच्च स्तर की आवश्यकता होती है अधिक विशिष्ट उत्पादों का उत्पादन करने के लिए यह आधुनिक अर्थव्यवस्था को परिभाषित करता है। अब, पुराना अर्थशास्त्र बिल्कुल सही है, बाजार कैसे काम करते हैं इसमें प्रतियोगिता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन यह जो देखने में विफल है वह काफी हद तक अत्यधिक सहकारी समूहों के बीच एक प्रतियोगिता है - फर्मों के बीच प्रतिस्पर्धा, कंपनियों के नेटवर्क के बीच प्रतिस्पर्धा, राष्ट्रों के बीच प्रतिस्पर्धा - और जो कोई भी सफल व्यवसाय चलाता है वह जानता है सभी की प्रतिभाओं को शामिल करके एक सहकारी टीम का निर्माण करना, हमेशा स्वार्थी शुरुआत की तुलना में लगभग एक बेहतर रणनीति है। तो हम नवउदारवाद को कैसे पीछे छोड़ें और अधिक टिकाऊ, अधिक समृद्ध और अधिक न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करें ? नए अर्थशास्त्र में अंगूठे के सिर्फ पांच नियमों का सुझाव दिया गया है। पहला यह है कि सफल अर्थव्यवस्थाएं जंगल नहीं हैं, वे बागान हैं, यह कहना है कि बाजार को , बागानों की तरह झुकना होगा, जो बाजार की अब तक की सबसे बड़ी सामाजिक तकनीक है मानवीय समस्याओं के समाधान के लिए, लेकिन सामाजिक मानदंडों या लोकतांत्रिक विनियमन द्वारा असंवैधानिक, बाजार अनिवार्य रूप से हल करने की तुलना में अधिक समस्याएं पैदा करते हैं। जलवायु परिवर्तन, 2008 का महान वित्तीय संकट दो सरल उदाहरण हैं। दूसरा नियम यह है कि समावेश से आर्थिक विकास होता है। तो नवउदारवादी विचार समावेश यह पसंदिदा विलासिता है जिसे तब वहन किया जा सकता है जब विकास गलत और पिछड़ा हुआ हो। अर्थव्यवस्था लोग हैं। अधिक लोगों को अधिक तरीकों से शामिल करना बाजार की अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक वृद्धि का कारण बनता है। तीसरा सिद्धांत व्यापार का उद्देश्य केवल शेयरधारकों को समृद्ध करना नहीं है। समकालीन आर्थिक जीवन में सबसे बड़ी गड़बड़ी नवउदारवादी विचार है जो व्यवसाय का एकमात्र उद्देश्य है और अधिकारियों की एकमात्र जिम्मेदारी खुद को और शेयरधारकों को समृद्ध करना है। नए अर्थशास्त्र को जोर देना चाहिए निगम का उद्देश्य सभी हितधारकों के कल्याण में सुधार करना है: ग्राहकों, श्रमिकों, एक जैसे समुदाय और शेयरधारक नियम चार: लालच अच्छा नहीं है। लालची होना आपको पूँजीवादी नहीं बनाता है, वह आपको एक मनोरोगी बनाता है। (हँसी) (तालियां) और एक अर्थव्यवस्था जैसे की हमारे पैमाने पर सहयोग पर निर्भर है, समाजोपचार व्यवसाय के लिए उतना ही बुरा है जितना कि समाज के लिए। और पांचवां और अंतिम भौतिकी के नियमों के विपरीत, अर्थशास्त्र के नियम एक विकल्प हैं। अब, नवउदारवादी आर्थिक सिद्धांत ने स्वयं को तुम्हे अपरिवर्तनीय प्राकृतिक कानून के रूप में बेच दिया है, जब वास्तव में यह सामाजिक मानदंड और निर्मित कथाएं हैं छद्म विज्ञान पर आधारित है। अगर हम वास्तव में अधिक साम्यिक चाहते हैं, अधिक समृद्ध और अधिक स्थायी अर्थव्यवस्था, अगर हम उच्च-कार्य लोकतंत्र चाहते हैं और नागरिक समाज, हमारे पास एक नया अर्थशास्त्र होना चाहिए। और यहाँ अच्छी खबर है: अगर हम एक नया अर्थशास्त्र चाहते हैं, हमें बस इतना करना है उसे लेने के लिए चुनना है । धन्यवाद। (तालियां) मध्यस्थ: तो निक,मुझे यकीन है आपके मन में यह सवाल बहुत बार आता है यदि आप आर्थिक प्रणाली से बहुत दुखी हैं, क्यों न आप अपना सारा पैसा दे दें और 99 प्रतिशत के साथ जुड़ें ? निक हनूर: हाँ, नहीं, हाँ, सही है। आपके पास वह बहुत है। आपके पास वह बहुत है। यदि आप करों का ख्याल करते हैं, तो अधिक कर क्यों नहीं देते अगर आपको मजदूरी की परवाह है, तो अधिक भुगतान क्यों नहीं करते और मैं ऐसा कर सकता था। समस्या यह है, इससे इतना फर्क नहीं पड़ता, और मैंने एक कार्यनीति खोजी है यह सचमुच हज़ार गुना बेहतर काम करती है - मध्यस्थ: ठीक है। एनएच: जो मेरे पैसे का उपयोग खातों का निर्माण और कानूनों को पारित करने के लिए अन्य सभी अमीर लोगों चाहिए होंगे कर भरने और अपने श्रमिकों को बेहतर वेतन देने के लिए। (तालियां) उदाहरण के लिए, 15-डॉलर की न्यूनतम मजदूरी जिसे हमने निर्मित किया है ने अब तक 30 मिलियन श्रमिकों पर प्रभाव डाला है। इसलिए यह बेहतर काम करता है। मध्यस्थ: यह अच्छा है| अगर आपने विचार बदला तो हम आपके नया लेनेवाला ढूंढ लेंगे। ऍनएच : ठीक है। धन्यवाद। मध्यस्थ: बहुत-बहुत धन्यवाद। [यह व्याख्यान (और परिचय) तात्कालिक है, और ऑडियंस द्वारा दिए गए विषय पर है। वक्ता को स्लाइड्स का कंटेंट नहीं पता है।] मॉडरेटर: हमारे अगले वक्ता -- (हँसते हैं) एक -- बहुत ही -- (हँसते हैं) एक बहुत ही अनुभवी भाषाविद हैं जो MIT के लैब में रिसर्च वालों के एक छोटे समूह के साथ काम करते हैं, और भाषा की पढ़ाई कर और कैसे हम एक दूसरे से संवाद करते हैं, उन्होंने मानव आत्मीयता का राज़ खोजा है। अपने विचार व्यक्त करने के लिए, स्वागत कीजिए, ऍनथनी वेनेज़ीआलि का। (तालियाँ) (हँसते हैं) ऍनथनी वेनेज़ीआलि: आप सोच रहे होंगे कि मैं आपको समझता हूँ। आप मुझे इस लाल बिंदु पर देख रहे होंगे, या आप मुझे स्क्रीन पर देख रहे होंगे। एक सेकंड के छटवे भाग की देरी है। क्या मैंने खुदको पकड़ा? हाँ। मैं मुड़ने से पहले खुद को देख पाया, और वह छोटी सी देरी से विभाजन होता है। (हँसते हैं) और मानव भाषा और भाषा को समझने में वाही विभाजन होता है। मैं ज़रूर MIT के एक छोटे से लैब से काम करता हूँ। (हँसते हैं) और हम हर छोटी चीज़ समझने की कोशिश करते हैं। (हँसते हैं) यह कोई कंप्यूटर से सम्बंधित चुनौती नहीं होती, लेकिन इस मामले में हमने पाया कि दृष्टि के हठ और श्रवण सेवन में काफ़ी समानता है, और वह हम इस पहली स्लाइड में देख सकते हैं। (हँसते हैं) (तालियाँ) आप सोचने लगते हैं, "क्या वह एक ठोस-उबला हुआ अंडा है?" (हँसते हैं) "क्या वह अंडे की खूबी है कि वह एक पत्थर का भार उठा प् रहा है? क्या वह सच मच एक पत्थर है?" जब हमें कोई दृश्य मिलता है तो हम सवाल करते हैं। लेकिन जब हमें कुछ सुनाई देता है तो यह होता है। (हँसते हैं) हमारे दिमाग के दरवाज़े शंघाई की गलियों की तरह खुल जाते हैं। (हँसते हैं) इतनी साड़ी जानकारी है समझने के लिए, इतने विचार, विषय, भावनाएँ और इतनी कमज़ोरियाँ जो हम बताना नहीं चाहते। तो इसलिए हम छुपते हैं, हम इस आत्मीयता के दरवाज़े के पीछे छुपते हैं। (हँसते हैं) और उस दरवाज़े के पीछे क्या है? वह किस चीज़ से बना है? सबसे पहले तो -- (हँसते हैं) पहले हमने पाया कि छह अलग जीनोटाइप के लिए सब अलग है। (तालियाँ) और, हाँ, हम इन जीनोटाइप्स का एक न्यूरोनोर्मेटिव और न्यूरोडाईवर्स अनुभव में श्रेणीबद्ध कर सकते हैं। (हँसते हैं) स्क्रीन के दाईं तरफ़, आप न्यूरोडाईवर्स सोच की स्पाइक्स देख सकते हैं। आम तौर पर सिर्फ़ दो भावनात्मक स्तिथियाँ होती हैं जो एक न्यूरोडाईवर्स दिमाग एक बार में समझ सकता है, और उससे उनकी भावनात्मक उपस्तिथि की संभावना शायद पूरी तरह से चली जाती है। लेकिन बाईं तरफ़ आप न्यूरोनोर्मेटिव दिमाग देख सकते हैं, जो एक समय पर पांच भावनात्मक संज्ञानात्मक जानकारी समझ सकते हैं। यह कुछ छोटे अंतर हैं जो आप 75, 90 और 60 प्रतिशतक में देख रहे हैं, और फिर बड़े अंतर जो आप 25, 40 और 35 प्रतिशतक में देख सकते हैं। (हँसते हैं) लेकिन हाँ, ऐसा कौनसा दिमागी नेटवर्क है जो इन अलग अलग चीज़ों को साथ लाने का काम कर रहा है? (हँसते हैं) डर। (हँसते हैं) (तालियाँ) और हम सबको पता है, डर अमिगडाला में बसा होता है, और यह एक बहुत प्राकृतिक प्रतिक्रिया है, और वह दृश्य बोध से काफ़ी पास से सम्बंधित है। वह मौखिक बोध से उतना सम्बंधित नहीं है, तो हमारे डर के रिसेप्टर्स भाषा के कोई शब्द या संकेत से पहले ही बंद होते जाएँग। तो इन डर के पलों में, हमें समझ नहीं आता क्या किया जाए। हम एक दिशा में लड़खड़ा जाते हैं, जो आत्मीयता से दूर है। (हँसते हैं) ज़ाहिर है, कि आदमी के नज़रिए में औरत के नज़रिए में हिजड़ों के नज़रिए में, उनके बीच अन्य लोगों के नज़रिए में, और लिंग के वर्णक्रम के बहार वालों के नज़रिए में अंतर है। (हँसते हैं) लेकिन जो डर है वह हमारी प्रतिक्रिया प्रणाली का एक एहेम हिस्सा है। लड़ो या भागो सबसे तेज़, कुछ कहते हैं यह वातावरण की तरफ़ जानवरों जैसी प्रतिक्रिया है। कैसे हम अमिगडाला के सींग से खुद को अलग करेंगे? (हँसते हैं) खैर, मैं अब आपको राज़ बताऊँगा। (तालियाँ) यह सारी बातों का बहुत मतलब बन रहा है। (हँसते हैं) राज़ यह है कि हमें अपनी पीठ एक दूसरे पर मोड़ लेनी चाहिए, और मैं जानता हूँ कि जो आप सोच रहे थे यह उससे एकदम विपरीत है, लेकिन अपने रिश्ते में जब आप अपने साथी पर अपनी पीठ मोड़ देते हैं, और अपनी पीठ उनके पीठ से जोड़ते हैं -- (हँसते हैं) आपको कुछ नज़र नहीं आता। (हँसते हैं) (तालियाँ) और आप पहले असफल होने के लिए उपलब्ध होते हो -- और पहले असफल होना -- (हँसते हैं) दूसरों और खुद को खुश करने की जिन सीमाओं तक हम जाते हैं, उनसे बड़ा होता है। हम बिलियन से बिलियन डॉलर खर्चते हैं, कपड़ों पर, मेक अप पर, नए किस्म के चश्मों पर, लेकिन हम एक दूसरे से मिलने जुलने के लिए समय और पैसे नहीं खर्चते, ऐसे मिलाप के जो सच्चाई से भरा हो और उन दृश्य प्रापक से न जुड़ा हो। (तालियाँ) (हँसते हैं) मुश्किल लग रहा होगा, है न? (हँसते हैं) लेकिन हमें इसके बारे में गुस्सा होना है। हमें सिर्फ़ काउच पर बैठे नहीं रहना है। आज एक हिस्टोरियन ने पहले कहा था, कि कभी कभी ज़रूरी है कि आप उस काउच से उठें और उसके आस पास घूमें। और हम यह कैसे कर सकते हैं? हाँ, बर्फ़ इसका बड़ा हिस्सा है। इनसाइट, कम्पैशन और एम्पथी: आई, सी, ई। (तालियाँ) और जब हम आइस वाला तरीका अपनाते हैं, तब, संभावनाएँ हमसे भी बड़ी हो जाती हैं। असल में, वे आपसे भी छोटी हो जाती हैं। एक परमाणु के स्तर पर, मुझे लगता है कि इनसाइट एक साथ लाने वाला विषय है हर उस टॉक के लिए जो आपने TED में देखी हैं और यह तब तक वैसा रहेगा जब तक हम इस छोटे से ग्रह, इस कगार, इस चट्टान पर अपना सफ़र तय कर रहे हों, और हम देख सकते हैं कि, हाँ, मृत्यु अनिवार्य है। (हँसते हैं) क्या हम सबके साथ यह एक ही समय होगा, मुझे लगता है, यह सवाल हम सबके मन में है। (हँसते हैं) मुझे लगता है यह समय की सीमा बढ़ती है जब हम आइस का इस्तेमाल करते हैं और जब हम एक दूसरे पर अपनी पीठ रखते हैं और साथ सब बनाते हैं, डर को पीछे छोड़कर और काम करना है -- (हँसते हैं) यह हिस्सा वे लोग एडिट कर देंगे -- (हँसते हैं) एक अनुभव जिसमें प्यार, सहानुभूति, सच्चाई पर आधारित आत्मीयता जो आप अपने दिमाग की आँखों से बाँट रहे हैं और वह दिल जो हम छू सकते हैं, महसूस कर सकते हैं, और शायद हमारा एक प्यारा सा अनुभव हो जिसे हम यूँ ही फेंक न दें, लेकिन हम उस अनुभव को समझें, हमारे अन्दर की बातों का, हमारे विचारों का हम बीज बोएँ, और उसे पीठ से पीठ बाँटें। धन्यवाद। (तालियाँ) मैं पेशेवर उपद्रवी हूँ। (हंसी) एक लेखिका, स्पीकर, और शक्की नाइजेरिया वासी होने के नाते मेरा काम संसार की आलोचना करना है, उन तुच्छ प्रणालियों व लोगों की आलोचना जो बेहतर काम करना नहीं चाहते... (हंसी) मुझे लगता है मेरा उद्देश्य यह बिल्ली बनना है। (हंसी) मैं वह इन्सान हूँ जो दूसरों को देख रही हूँ, जैसे कि, "मैं चाहती हूँ, तुम इसे ठीक करो।" ऐसी हूँ मैं। मैं चाहती हूँ हम इस दुनिया से जाएँ तो इसे पहले से बेहतर बनाकर। और मैं यह परिवर्तन लाने के लिए स्पष्टता से बोलना चाहती हूँ, सबसे पहले बोलकर और डॉमिनो बनकर। डॉमिनो की एक कतार को गिरने के लिए, पहले का गिरना ज़रूरी होता है, जिससे अगले डॉमिनो के पास गिरने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता। और वह डॉमिनो जो गिरता है, हम आशा कर रहे हैं कि अगला व्यक्ति जो इसे देखेगा उसे डॉमिनो बनने की प्रेरणा मिलेगी। मेरे लिए डॉमिनो बनने का अर्थ है, स्पष्टता से बात करना और वे सब काम करना जो सच में मुश्किल हैं, खासकर जब उनकी ज़रूरत है, इस उम्मीद के साथ कि बाकी लोग शामिल होंगे। और बात यह है: मैं वह हूँ जो शब्दों में व्यक्त करती हूँ उसे, जो शायद आप सोच रहे हों पर कहने की हिम्मत ना हो। अक्सर लोग सोचते हैं कि हम निडर हैं, जो लोग ऐसा करते हैं, वे निडर हैं। हम निडर नहीं हैं। ऐसा नहीं कि हम सत्ता को सच बताने के परिणामों से या उन बलिदानों से डरते नहीं। बात यह है कि हमें लगता है हमें ऐसा करना ही होगा, क्योंकि संसार में बहुत कम लोग हैं जो डॉमिनो बनने को तैयार हैं, बहुत कम लोग वह पहला डॉमिनो बनकर गिरने को तैयार हैं। ऐसा नहीं कि हमें ऐसा करने से डर नहीं लगता। आइए, अब डर की बात करते हैं। बचपन से ही जानती थी कि बड़े होकर मुझे क्या बनना है। मैं कहती, "मैं डॉक्टर बनूँगी!" सपना था डॉक्टर लव्वी बनने का। मैं डॉक् मेक्स्टफ़िन्स थी क्योंकि वह एक चलन था। (हंसी) और मुझे याद है जब कॉलेज गई, मेरा पहला साल, मुझे प्रिमेड में अपना मुख्य विषय रसायनशास्र १०१ लेना था। मैं अपने शैक्षणिक कैरियर में पहली और अंतिम बार फेल हुई। (हंसी) तो मैं अपने सलाहकर्ता के पास गई, और कहा, "अच्छा, हम प्रिमेड छोड़ देते हैं, क्योंकि मुझसे यह डॉक्टर वाला काम नहीं होगा, क्योंकि मुझे तो अस्पताल पसंद भी नहीं। तो..." (हंसी) "हम इसे समाप्त समझते हैं।" और उसी सेमेस्टर मैंने ब्लॉगिंग करना शुरू किया। वह २००३ की बात है। तो जहाँ एक सपना टूट रहा था, दूसरे की शुरूआत हो रही थी। और फिर यह प्यारी सी हॉबी मेरा काम बन गई जब २०१० में मेरी मार्केटिंग वाली नौकरी चली गई। पर फिर भी, "मैं लेखक हूँ" कहने में मुझे दो साल ज़्यादा लग गए। जब मैंने लिखना शुरू किया, उसके नौ साल बाद कहा, "मैं लेखक हूँ," क्योंकि मुझे डर था बिना सेवानिवृत्ति योजना के क्या होगा, बिना अपने जूतों के कैसे जिऊँगी? मेरे लिए वह ज़रूरी है।" (हंसी) तो मुझे इतना समय लगा यह मानने में कि मेरा उद्देश्य यही था। और फिर मुझे एहसास हुआ, हमें उन उद्देश्यों को कहने और पूरा कर पाने से रोकने में डर की बहुत अधिक शक्ति होती है। और मैंने कहा, "पता है क्या? डर को अपने जीवन पर राज नहीं करने दूँगी। डर के आदेश पर मैं काम नहीं करूँगी।" और फिर ये सब ज़बरदस्त बातें होने लगीं, और डॉमिनो गिरने लगे। तो जब मुझे एहसास हुआ मैंने कहा, "ठीक है, २०१५ में, मैं ३० की हो गई, यह है मेरा साल जब मुझे 'करना ही होगा।' मुझे जिससे से भी डर लगता है उसी को सक्रियता से करूँगी।" तो, मेरी मकर राशी है। मुझे वास्तविकता में जीना अच्छा लगता है। मैंने अपने जीवन की पहली छुट्टी अकेले बिताने का निर्णय लिया, और वह भी विदेश में, डामिनिकन गणराज्य में। तो अपने जन्मदिन पर मैंने क्या किया? पुंटा काना के जंगलों में ज़िपलाइनिंग करने गई। और पता नहीं क्यों, पर मैंने काम पर पहनने वाले कपड़े पहने थे। अब यह मत पूछना क्यों। (हंसी) और मैने बहुत अच्छा समय बिताया। और मुझे पानी के अंदर डूबे रहना पसंद नहीं। बल्कि ठोस ज़मीन पर रहना पसंद है। तो मैं मेक्सिको जाकर पानी के नीचे डॉल्फ़िनों के साथ तैरी। और फिर उस साल वह मस्त चीज़ मैंने की जो सबसे कठिन थी मैंने अपनी किताब लिख डाली, "आई एम जजिंग यू: द डू-बेटर मैनूअल," और मुझे मानना पड़ा... (तालियाँ) वह सारी लिखने वाले बात , हैं ना? हाँ। पर उस साल जो काम मैंने अपने विरूद्ध किया जिससे मैं सच में डर गई... मैं आसमान से कूदी। हम जहाज़ से गिरने वाले हैं। मैं बोली, "मैंने जीवन में कुछ बेवकूफ़ काम किए। यह उनमें से एक है।" (हंसी) और फिर हम पृथ्वी की ओर गिर रहे थे और मेरी सांस ही रुक गई जब मैंने पृथ्वी को देखा, और मैंने कहा, "मैं तो जानबूझकर एक बिल्कुल ठीक जहाज़ से गिर पड़ी।" (हंसी) "मेरी समस्या क्या है?" पर फिर मैंने नीचे की सुंदरता की ओर देखा, और मैं कह उठी, "मैं इससे बेहतर कुछ नहीं कर सकती थी। यह एक बहुत अच्छा निर्णय था।" और मैं उस समय के बारे में सोचती हूँ जब मुझे सच बोलना होता है, मुझे लगता है जैसे मैं जहाज़ से गिर रही हूँ। वह उस पल जैसा लगता है जब मैं जहाज़ के छोर पर खड़ी थी, और खुद से कहा, "तुम्हें यह नहीं करने चाहिए।" पर फिर भी मैं करती हूँ, क्योंकि मुझे एहसास होता है कि करना है। उस जहाज़ के छोर पर बैठे हुए और उस जहाज़ पर रुके रहने से मुझे सुकून सा मिल रहा था। और मुझे लगता है कि हर दिन जब मैं उन संस्थाओं और अपने से बड़े लोगों और न्याय की उन शक्तियों के खिलाफ़ सच बोलती हूँ जो मुझसे अधिक शक्तिशाली हैं, मुझे लगता है कि मैं जहाज़ से गिर रही हूँ। पर मुझे एहसास है सुविधा का मूल्य ज़रूरत से ज़्यादा लगाया गया है। क्योंकि ख़ामोश रहना सुविधाजनक है। स्थिति को वैसे ही बनाए रखना आरामदायक है। और सुविधा ने तो बस यथास्थिति ही बनाए रखा है। तो हमें ज़रूरत पड़ने पर इन कठिन सत्यों को बोलकर असुविधा से सुविधा महसूस करनी होगी। और मैं... (तालियाँ) और मेरे लिए, हालांकि, मुझे एहसास है कि मुझे ये सत्य बोलने होंगे, क्योंकि ईमानदारी का मेरे लिए बहुत महत्व है। मैं अपनी सत्यनिष्ठा को जान से ज़्यादा चाहती हूँ। न्याय... मुझे नहीं लगता कि न्याय एक विकल्प होना चाहिए। हमें हमेशा न्याय मिलना चाहिए। और, मैं शे मक्खन को मूल मंत्र समझती हूँ, और... (हंसी) और मेरा विचार है कि संसार बेहतर होता अगर हम सभी नमी से युक्त हों। पर उसके अलावा, इन मूल मंत्रों के साथ, मुझे सच बोलना होगा। मेरे लिए इसमें कोई विकल्प नहीं है। पर मुझ जैसे लोगों के लिए, पेशेवर उपद्रवियों को ही डॉमिनो बनना पड़े, यह ज़रूरी तो नहीं। जो हमेशा जहाज़ों से बाहर गिरें या सबसे पहली गोली खाने को तैयार हों। लोग इन गंभीर परिणामों से इतने डरते हैं, कि उन्हें यह भी एहसास नहीं होता कि अक्सर जब हम कहीं जाते हैं वहाँ हम ही तो कुछ अत्यंत शक्तिशाली लोगों में से होते हैं... हम शायद दूसरे दर्जे पर हों, या तीसरे दर्जे पर हों। और मुझे पूर्ण विश्वास है कि उन स्थितियों में हमारा काम होता है जो चल रहा है उसमें विघ्न डालें। और फिर अगर हम शक्तिशाली ना भी हों, अगर हम जैसे दो मिल जाएँ, तो शक्तिशाली बन जाएँगे। यह तो वैसा है कि मीटिंग में उस महिला का साथ देना जानते हैं ना, वह महिला जो अपनी बात कह नहीं पा रही, या यह सुनिश्चित करना कि दूसरे की बात सुनी जाए, चाहे अपनी व्यथा कह नहीं पा रही। हमारा काम है यह सुनिश्चित करना कि वे ऐसा कर पाएँ। सभी का कल्याण करना, यही तो समुदाय का काम है। अगर हम यह बात स्पष्ट कर दें, हम उसे समझेंगे, कि कब हमें मदद की ज़रूरत होगी, हमें अपने आस-पास देखने में इतनी कठिनाई नहीं होगी अगर हम सुनिश्चित कर सकें कि हम किसी की मदद करेंगे। और ऐसे भी मौके होते हैं जब मुझे लगता है मैंने सबके सामने काफी कुछ सहन किया है, जैसे जब मुझे एक सम्मेलन में बोलने के लिए कहा गया, और वे चाहते थे मैं वहाँ जाने के लिए पैसे दूँ। और फिर मैंने कुछ शोध किया और पता चला कि गोरे पुरुष वक्ताओं को मुआवज़ा मिला और उनकी यात्रा का भुगतान भी दिया गया। गोरी महिला वक्ताओं की यात्रा का भुगतान दिया गया। साँवली महिला वक्ताओं से वहाँ बोलने के लिए पैसे लिए जा रहे थे। और मैंने सोचा, "मैं क्या करूँ?" और मैं जानती थी कि अगर इस बारे में सबके सामने कुछ कहा, मुझे वित्तीय हानि हो सकती है। पर फिर मैं यह भी समझ गई कि मेरे चुप रहने से किसी का फायदा नहीं। तो मैंने डर-डर कर सबके सामने वह कह दिया, और अन्य महिलाओं ने भी आगे आना शुरू किया, "मैंने भी इस तरह की वेतन की असमानता का सामना किया है।" और शुरूआत हो गई भेदभावपूर्ण वेतन भुगतान की जिसकी इस सम्मेलन में चर्चा हो रही थी। मुझे लगा कि जैसे मैं डॉमिनो थी जिस समय मैंने एक मशहूर हस्ती का विक्षुब्ध संस्मरण पढ़ा और उसके बारे में लेख लिख डाला। मैं जानती थी वह मुझसे अधिक रसूखदार था और मेरा कैरियर प्रभावित कर सकता था, पर मैंन सोचा, "मुझे यह करना होगा, मुझे इस जहाज़ के छोर पर बैठना होगा, शायद दो घंटे भी।" और मैंने किया। और "पब्लिश" दबा दिया, और मैं भाग गई। (हंसी) और वापिस आई तो पोस्ट वायरल हो चुकी थी और लोग कह रहे थे, "हे भगवान, मुझे खुशी है किसी ने तो कर दिखाया।" और उससे वार्तलाप शुरू हो गया मानसिक स्वास्थ्य और स्व-देखभाल के बारे में, और मैंने कहा, "ठीक है। अच्छा है। मैं जो यह कर रही हूँ मुझे लगता है इससे कुछ तो हो रहा है।" और फिर कितने ही लोग डॉमिनो बने हैं जब वे बताते हैं कैसे उन्हें रसूखदार लोगों द्वारा उत्पीड़ित किया गया। और फलस्वरूप लाखों महिलाएँ "मैं भी"कहने में शामिल हुईं। तो, यह आंदोलन चालू करने के लिए टाराना बर्क को धन्यवाद। (तालियाँ) लोग और प्रणालियाँ हमारी ख़ामोशी के बल पर ही हमें यथास्थिति में रख पाते हैं। अब, कभी-कभार डॉमिनो बनने का अर्थ होता है सच में अपनी असलियत दिखा पाना। तो, तीन साल की उम्र से मैं थोड़ी शक्की थी। (हंसी) यह मेरे तीसरे जन्मदिन की तस्वीर है। पर मैं उम्र भर ऐसी ही लड़की रही हूँ, और मुझे लगता है वह भी एक डॉमिनो था, क्योंकि यह संसार चाहता है कि हम अपने प्रतिनिधी बनकर रहें इसलिए अपनी असली झलक दिखाना तो एक क्रांतिकारी कार्य हो सकता है। और जो संसार चाहता है हम काना-फूसी करें, मैंने चिल्लाने का निर्णय लिया। (तालियाँ) जब समय आता है इन कठिन बातों को कहने का, मैं खुद से तीन सवाल पूछती हूँ। पहला: क्या तुम सच में ऐसा चाहती थीं? दूसरा: तुम इसका समर्थन कर सकती हो? तीसरा: क्या तुमने प्यार से ऐसा कहा? अगर इन तीनों सवालों का जवाब हाँ में है, मैं कह देती हूँ और परिणाम देखती हूँ। वह ज़रूरी है। खुद के साथ वह पक्का करने से हमेशा मुझे जवाब मिलता है, "हाँ, तुम्हें यह करना चाहिए।" सच बोलना... विचारवान सच बोलना... कोई क्रांतिकारी कार्य नहीं होना चाहिए। सत्ता के सामने सच बोलना बलिदान नहीं होना चाहिए, परंतु है। मुझे लगता है अगर हममें से अधिकतर ऐसा करते तो अधिकतर का भला हो सकता, हम अभी से बेहतर स्थिति में होते। अधिक कल्याण की बात की तो मुझे लगता है हमें खुद को प्रतिबद्ध करना होगा ताकि सामान्य आधार पर सत्य बोलकर पुल बना सकें, और सत्य की कसौटी पर जो पुल नहीं बने वे टूट जाएँगे। तो, यह हमारा काम है, हमारा दायित्व है, हमारा कर्त्तव्य है कि सत्ता तक सच पहुंचाएँ, डॉमिनो बनें, केवल तब नहीं जब कठिन हो... पर खासकर तब, जब कठिन हो। धन्यवाद। (तालियाँ) मैं पिछले २० वर्षों से गरीबी से जुडे मसलों पर काम करती आयी हूँ, और बडी विडंबना है कि मेरी सबसे बडी समस्या रही है कि गरीबी की सही परिभाषा आखिर क्या है? गरीबी का अर्थ क्या है? तो, अक्सर हम रुपये-पैसे से मापते हैं -- जो लोग एक या दो डॉलर रोज़ाना से कम कमा पाते हैं। लेकिन ये समस्या इतनी जटिल है कि इसे कमाई से आगे जा कर देखना होगा। क्योंकि, मौलिक रूप से, ये प्रश्न है विकल्पों की उपलब्धि, और स्वतंत्रता की कमी का मेरे एक अनुभव ने मुझे उस रूप मे इसे समझने में मदद की जिस रूप में मैं आज इसे समझती हूँ। मैं तब कीन्या में थी, और मैं आज इस अनुभव को आपसे बाँटना चाहती हूँ। मैं अपनी एक फ़ोटोग्राफ़र दोस्त, सूज़न मेसालस, के साथ थी, माथेरा घाटी की झुग्गियों में। देखिये, माथेरा घाटी अफ़्रीका की सबसे पुरानी झुग्गियों में से है। ये राजधानी नैरोबी से करीब तीन मील बाहर है, और ये खुद एक मील लम्बी और २०० गज चौडी है, जहाँ करीब ५ लाख लोग टीन के डब्बों जैसे घरों में ठुँसे रहते है, पीढी दर पीढी, उनका किराया देते हुए, करीब आठ से दस लोग प्रति कमरे की दर पर। और ये घाटी वेश्यावृत्ति, हिंसा, और नशीली दवाओं का गढ है। यहाँ पलना-बढना कठिन अनुभव है। और जन हम यहाँ की पतली पतली गलियों में चल रहे थे, तो ये असंभव था कि हमारे पाँव घरों के साथ लगे टट्टी के खुले ढेरों और कूडे के जमावडों में न पडें। पर साथ ही, हमारे लिये ये भी असंभव था कि वहाँ मौजूद मानव उत्साह को अनदेखा करें, वहाँ रहने वाले लोगों की उतकंठाओं और महत्वाकाक्षाओं को अनदेखा करें। बच्चों को नहलाती, कपडे धोती सुखाती औरतें। वहाँ मैं एक औरत से मिली - मामा रोज़, जिसने पिछले ३२ साल से टीन के छोटे से कमरे को किराये पर लिया हुआ था, और अपने सात बच्चों के साथ जीवन यापन कर रही थी। चार लोग एक डबल बेड में सोते थे, और तीन मिट्टी और लिनोलियम के फ़र्श पर। और वो उन सब को पढा रही थी, उसी घर से पानी बेच कर, और साबुन और ब्रेड बेच कर। वो दिन उद्‍घाटन का अगला दिन भी था, और मुझे ये भी दिखा कि मथारे घाटी अभी भी दुनिया की घटनाओं से जुडी है। मुझे गली के नुक्कडों पर बच्चे दिखे, जो कह रहे थे, "ओबामा, वो तो हमारा ही भाई है!" और मैने कहा, "हाँ, ओबामा मेरा भी भाई है, और इस तरह तुम भी मेरे भाई हुए।" तो वो कौतुहल से मेरी ओर देख के कहते, "ये हुई न बात!" और ऐसे ही माहौल में मेरी मुलाकात जेन से हुई। मुझे जेन के चेहरे में निहित दयाभावना और सद्‍भाव ने सहज ही छू लिया, और मैने उन से अपनी कहानी सुनाने के लिये कहा। उसने शुरुवात ही अपने सपनों से की। उसने कहा, "देखिये,मेर दो सपने थे।" मेर पहला सपना था कि मैं डॉक्टर बनूँ, और दूसरा था कि एक ऐसे अच्छे आदमी से शादी करूँ जो मेरे और मेरे परिवार के साथ रहे। क्योंकि मेरी माँ अकेली थीं, और मेरे स्कूल की फ़ीस नहीं दे पाती थीं, मुझे अपना पहला सपना छोडना पढा, और मैनें दूसरे वाले पर ध्यान दिया।" जेने की शादी १८ वर्ष में हो गयी, और तुरंत ही एक बच्चा भी। और बीस साल की उम्र मे, वो दोबारा पेट से थी, उसकी माँ का देहान्त हो चुका था, पति ने उसे छोड कर दूसरी औरत से शादी कर ली थी। तो वो वापस माथेरा में थी, बिना किसी हुनर के, बिना पैसे के, और बिना कमाई के। और लिहाज़ा, उसने वेश्यावृत्ति अपना ली। और जैसा हम अक्सर सोचते हैं, वैसा विधिवत बंदोबस्त नहीं था वो रात को करीब २० लडकियों के साथ शहर में जाती थी, काम ढूँढती थी, और कई बार केवल कुछ पैसे ले कर ही लौटती थी, और कई बार, बिना कुछ कमाये भी। उसने कहा, "पता है, गरीबी उतना नहीं सताती जितनी कि बेज्जती और ऐसा करने की शर्म।" २००१ में उसका जीवन बदल गया। उसकी एक सहेली थी, जिसने जामी बोरा नामक संस्था के बारे में सुना था। ये संस्था आपको कर्ज़ा देती थी, चाहे आप कितने भी गरीब क्यों न हों, बस आपके पास कुछ बचाया हुआ धन होना चाहिये। तो उसने एक साल मेहनत करके ५० डॉलर (२००० रुपैये) बचाये, और कर्ज़ लेना शुरु किया, और धीरे धीरे सिलाई मशीन खरीद ली। और उसने दर्ज़ीगिरि शुरु कर दी। और वहीं से शुरुवात उसके आज की, जहाँ वो पुराने कपडे खरीदती है, और करीब सवा तीन डॉलरों में एक पुराना गाउन खरीदती है। हो सकता उसमें कुछ आपके द्वारा दान किये गये हों। और वो इन्हें फ़िर से रिबन और पट्टियाँ लगा कर सुंदर बनाती है, और उन सुंदर गाउनों को औरतों को बेच देती है, उनकी बेटियों के सोलहवें जन्मदिन या किसी और मौके के लिए -- जिसे लोग खुशनुमा ढँग से मनाना चाहते हैं, चाहे अमीर हों या गरीब। और उसका धंधा बढिया चलता है। मैने उसे खुद गलियों में फ़ेरी लगाते देखा है। और पलक झपकते ही, उसके आसपास औरतों की भीड जुट जाती है, उसका सामान खरीदने के लिए। और मैं सोच रही थी, जैसे मैं जेन को कपडे और गहने बेचते देख रही थी, कि अब तो जेन रोज़ाना चार डॉलर से ज्यादा ही कमाती होगी। और कई परिभाषाओं के हिसाब से वो अब गरीब नहीं है। मगर वो अब भी मथारे घाटी में ही रहती है। और वो अब भी वहाँ से नहीं निकल सकती है। वो अब भी उस सारी असुरक्षा के साथ रहती है, और जनवरी के दंगों मे, उसे घर से भगा दिया गया था, और उसे दूसरा ठिकाना ढूँढना पडा जहाँ वो अब रहेगी। जामी बोरा संस्था ये समझती है। और ये भी कि जब हम गरीबी की बात करते हैं, तो हमें सारे आर्थिक स्तरों के गरीबों को ध्यान में लेना होगा। और इसलिये अक्यूमन और ऐसी और संस्थाओं की धैर्यवान पूँजी, कर्ज़ और निवेश से, जो कि लम्बे समय तक साथ देने को तैयार हैं, जामी बोरा ने एक कम-खर्च रिहायशी इलाका विकसित किया है, नैरोबी सेन्ट्रल से करीब एक घन्टे की दूरी पर। और उन्होनें इसे अभिकल्पित करते समय जेन जैसे ग्राहकों के बारे में सोचा है, और जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व पर दबाव डाला गया है। इसलिये, जेन को घर की दस प्रतिशत कीमत -- करीब ४०० डॉलर (१६००० रुपैये), अपनी बचत से चुकाना पडा। और फ़िर उन्होंने उसकी मासिक किस्त को उसके किराये जितना ही कर दिया। अगले कुछ हफ़्तों मे, वो इस रिहायिशी इलाके में आने वाले पहले २०० परिवारों मे से एक होगी। जब मैनें उस से पूछा कि क्या वो किसी बात से डरती है, या फ़िर मथारे की किस बात की उसे याद आयेगी, तो उसने कहा, "मुझे ऐसा कौन सा डर लग सकता है जो मैनें अब तक न झेला होगा? मुझे एड्स है। वो भी मैने झेल लिया।" और उसने कहा, "मुझे क्या याद आयेगा? आपको लगता है कि मुझे खून-खराबा या नशीली दवायें याद आयेंगी? या पूरी तरह से खुले में रहना? क्या आपको लगता है कि मैं याद रखना चाहूँगी बच्चों के घर वापस न आने का डर?" उसने कहा, "अगर आप मुझे दस मिनट दें," तो मैं चलने के तैयार हो सकती हूँ।" मैने पूछा, "और तुम्हारे सपने?" और उसने कहा, "पता है, मेरे सपने वैसे नहीं हैं जैसे तब थे जब मैं बच्ची थी। लेकिन अब सोचने पर लगता है, कि पति की मेरी चाहत असल में ऐसे परिवार के लिये मेरी झटपटाहट थी जहाँ प्यार मिले। और मैं अपने बच्चों को, वो मुझे, बहुत प्यार करते हैं।" उसने कहा, "मुझे लगता था कि मैं डॉक्टर बनना चाहती थी, पर वास्तव में मैं ऐसा कुछ बनना चाहती थी जो सेवा करे, इलाज करे, और बीमारी हटाये। और जो भी आज मेरे पास है, मुझे बहुत भाग्यशाली महसूस करवाता है, मैं भाग्यशाले हूँ कि हफ़्ते में दो दिन मैं एड्स मरीज़ों को सलाह देती हूँ। और मैने कहा, "मेरी तरफ़ देखो। तुम खत्म नहीं हो चुकी हो। तुम अभी जीवित हो, और इसलिये तुम्हें सेवा करनी ही चाहिये।" और उसने कहा, "मैं दवाई देने वाली डॉक्टर तो नहीं हूँ।" मगर शायद मैं और भी ज्यादा कीमती कुछ देती हूँ क्योंकि मैं आशा बाँटती हूँ ।" और आर्थिक मंदी के इस दौर में, जहाँ हम सब बस चुपचाप भागना चाहते है, डर के मारे, मुझे लगता है कि हमें जेन से कुछ सीखना चाहिये, और ये समझना चाहिये कि गरीब होने क मतलब साधारण होना नहीं है। क्योंकि जब व्यवस्था टूट चुकी होती है, जैसा कि हम आज दुनिया में देख रहे हैं, तो वो मौका होता है अविष्कार का और नव-रचना का। ये एक मौका है वास्तव में ऐसी दुनिया बनाने का जहाँ हम सेवाओं और उत्पादों को हर व्यक्ति तक ले जा पाएँगे, जिससे कि वो अपने फ़ैसले ले सकें और उनके पास विकल्प हों। मैं मानती हूँ कि यहीं से स्वाबलम्बन शुरु होता है। हमें विश्व में जेन जैसे लोगों का आभारी होना चाहिये। और उतना ही ज़रूरी है कि हम भी अपना कर्तव्य निभायें। धन्यवाद। तालियाँ और अभिवादन हम वास्तव मे युद्ध की अवस्था अनुभव कर रहे है . यह एक युद्ध है जो हम वास्तव में खो रहे हैं हम लढ रहे है सुपरबग्स से . तो आपको आश्चर्य हो सकता है, मैं सुपरबॉग्ज के बारे में कह रहा हूं, मैं आपको एक तस्वीर क्यों दिखा रहा हूँ कुछ फुटबॉल प्रशंसकों का - लिवरपूल सॉकर प्रशंसकों एक प्रसिद्ध जीत का जश्न मनाते हुए एक दशक पहले इस्तांबुल में पीठ में, लाल शर्ट में, ठीक है, यह मैं हूँ, और लाल टोपी में मेरे पास, वह मेरा दोस्त पॉल राइस है तो कुछ साल इस तस्वीर के बाद लिया गया था, पॉल अस्पताल में चला गया कुछ छोटी शल्य चिकित्सा के लिए, और उसने विकसित किया एक सुपरबग से संबंधित संक्रमण, और वह मर गया। और मैं वास्तव में चौंक गया था वह जीवन के प्रमुख में एक स्वस्थ व्यक्ति थे। तो वहाँ और फिर, और वास्तव में बहुत प्रोत्साहन के साथ कुछ टेडस्टर्स से, मैंने अपनी खुद की घोषणा की सुपरबग्स पर व्यक्तिगत युद्ध तो चलो सुपरबॉग्ज के बारे में बात करते हैं एक पल के लिए। कहानी वास्तव में 1940 के दशक में शुरू होती है व्यापक रूप से एंटीबायोटिक दवाओं का परिचय और तब से, दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया उभरने के लिए जारी रखा है, नई नई दवाये विकसित करने के लिए हमे मजबूर किया गया है इन नए जीवाणुओं से लड़ने के लिए और यह दुष्चक्र वास्तव में सुपरबगों की उत्पत्ति है, जो केवल बैक्टीरिया है जिसके लिए हमारे पास प्रभावी दवाएं नहीं हैं मुझे यकीन है कि आप पहचान लेंगे कम से कम इनमें से कुछ सुपरबॉग्ज ये अधिक हैं आज के आसपास आम लोगों पिछले साल करीब 700,000 लोग मारे गए सुपरबाग संबंधी रोगों से. भविष्य पर विचार करते हुए, अगर हम उस रास्ते पर चलते हैं जो हम जा रहे हैं, जो मूल रूप से एक दवाओं आधारित है समस्या के प्रति दृष्टिकोण, सबसे अच्छा अनुमान इस शताब्दी के मध्य तक यह है कि दुनिया भर में मरने वालों की संख्या सुपरबाग से 10 मिलियन हो जाएगा। एक करोड़। बस उस संदर्भ में डालने के लिए, कि वास्तव में अधिक है लोगों की संख्या की तुलना में कि पिछले साल कैंसर से मृत्यु हो गई थी। तो यह बहुत स्पष्ट लगता है कि हम एक अच्छी सड़क पर नहीं हैं, और ड्रग्स-आधारित दृष्टिकोण इस समस्या के लिए काम नहीं कर रहा है मैं एक भौतिक विज्ञानी हूँ, और इसलिए मुझे आश्चर्य है, हम ले सकते हैं एक भौतिक विज्ञान आधारित दृष्टिकोण - इस समस्या के लिए एक अलग दृष्टिकोण और उस संदर्भ में, पहली बात हम जानते हैंपक्का, क्या हम वास्तव में जानते हैं कि कैसे मारना है सूक्ष्म जीव की सभी प्रकार की, हर प्रकार का वायरस, हर तरह के बैक्टीरिया और यह पराबैंगनी प्रकाश के साथ है हम वास्तव में यह जानते हैं 100 से अधिक वर्षों के लिए मुझे लगता है कि आप सभी जानते हैं क्या पराबैंगनी प्रकाश है यह एक स्पेक्ट्रम का हिस्सा है जिसमें इन्फ्रारेड, इसमें दृश्य प्रकाश, और लघु तरंग दैर्ध्य हिस्सा इस समूह का पराबैंगनी प्रकाश है यहां हमारे परिप्रेक्ष्य से महत्वपूर्ण चीज है यह है कि पराबैंगनी प्रकाश बैक्टीरिया को मारता है एक पूरी तरह से अलग तंत्र द्वारा जिस तरह से दवाओं बैक्टीरिया मार तो पराबैंगनी प्रकाश केवल उतना ही सक्षम है एक दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया को मारने की किसी अन्य बैक्टीरिया के रूप में, और क्योंकि पराबैंगनी प्रकाश सभी कीड़े को मारने में बहुत अच्छा है, वास्तव में बहुत कुछ किया जाता है कमरे निर्जंतुक करने के लिए, कामकाजी सतहों को निर्जंतुक करने आप यहां क्या देख रहे हैं शल्य चिकित्सा थियेटर है जीवाणुनाशक के साथ निष्फल हो रहा है पराबैगनी प्रकाश। लेकिन जो आप नहीं देखते हैं इस तस्वीर में, वास्तव में, कोई भी व्यक्ति हो , उस के लिए एक बहुत अच्छा कारण है पराबैगनी प्रकाश वास्तव में एक स्वास्थ्य खतरा है, तो यह हमारी त्वचा में कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, कारण त्वचा कैंसर,यह आंखों की कोशिकाओं कोनुकसान पहुंचाता है, नेत्र रोग जैसे कारण मोतियाबिंद तो आप पारंपरिक, जीवाणुनाशक, पराबैंगनी प्रकाश जब लोग आस-पास होते हैं और निश्चित रूप से, हम अधिकतर बाँझ बनाना चाहते हैं जब आसपास के लोग हैं तो आदर्श पराबैंगनी प्रकाश वास्तव में सक्षम होगा सभी जीवाणुओं को मारने के लिए, सुपरबाग सहित, लेकिन मानव जोखिम के लिए सुरक्षित होगा और वास्तव में यही मेरा भौतिक विज्ञान है पृष्ठभूमि इस कहानी में लात मारी मेरे भौतिक विज्ञान सहयोगियों के साथ मिलकर, हमें एहसास हुआ कि वास्तव में एक विशेष है पराबैंगनी प्रकाश की तरंग दैर्ध्य कि सभी जीवाणुओं को मारना चाहिए, लेकिन मानव जोखिम के लिए सुरक्षित होना चाहिए उस तरंग दैर्ध्य को दूर-यूवीसी प्रकाश कहा जाता है, और यह सिर्फ लघु तरंग दैर्ध्य हिस्सा है पराबैंगनी स्पेक्ट्रम का तो देखते हैं कि यह कैसे काम करेगा। आप यहाँ क्या देख रहे हैं हमारी त्वचा की सतह है, और मैं उस पर आरोपित करने जा रहा हूँ त्वचा के ऊपर हवा में कुछ बैक्टीरिया। अब हम यहां देखते हैं क्या होता है जब परंपरागत, जीवाणुनाशक, इस पर पराबैंगनी प्रकाश impinges। तो आप जो देखते हैं वह है, ह म जानते हैं, germicidal प्रकाश बैक्टीरिया को मारने में प्रभावी है, लेकिन आप जो भी देखते हैं यह है कि यह प्रवेश करता है हमारी त्वचा की ऊपरी परतों में, इससे नुकसान हो सकता है त्वचा में उन प्रमुख कोशिकाओं जो अंततः, क्षतिग्रस्त होने पर, त्वचा कैंसर का कारण बन सकता है तो चलो अब तक तुलना-यूवीसी प्रकाश के साथ तुलना करें - वही स्थिति, त्वचा और कुछ बैक्टीरिया उनके ऊपर हवा में तो अब आप क्या देख रहे हैं वह फिर से, अब तक यूवीसी लाइट का है बैक्टीरिया को मारने में बिल्कुल ठीक, लेकिन क्या दूर- UVC प्रकाश नहीं कर सकता हमारी त्वचा में घुसना है और एक अच्छा, इसके लिए ठोस भौतिकी का कारण: दूर-यूवीसी प्रकाश दृढ़ता से है सभी जैविक सामग्री द्वारा अवशोषित होता है. तो यह बहुत दूर नहीं जा सकता अब, वायरस और बैक्टीरिया वास्तव में, वास्तव में, वास्तव में छोटे, तो दूर-यूवीसी प्रकाश निश्चित तौर पर घुसकर उन्हें मारता है , लेकिन यह क्या नहीं कर सकता त्वचा में घुसना है, यह भी प्रवेश नहीं कर सकता मृत पेशिके अंदर सही हमारी त्वचा की सतह पर अब तक- यूवीसी प्रकाश बैक्टीरिया को मारने में सक्षम होना चाहिए, सुरक्षित रूप से मारने तो यह सिद्धांत है यह काम करना चाहिए, सुरक्षित होना चाहिए असल मे क्या होता है ? वास्तव में काम करता है? वास्तव मे सुरक्षित है? प्रयोगशाला क्या कान करती है पिछले पांच या छह साल से मुझे जवाब देने में खुशी हो रही है इन दोनों प्रश्नों के लिए एक जोरदार हाँ है हाँ, यह काम करता है, लेकिन हाँ, यह सुरक्षित है मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता होती , वास्तव में मैं बहुत आचरज नही कह्नेनेसे यह विशुद्ध रूप से जुडा है भौतिकविज्ञान नियमोपर तो हम भविष्य को देखें। मुझे खुशी है कि हमारे पास अब है एक पूरी तरह से नया हथियार, और मुझे एक सस्ती हथियार कहना चाहिए, सुपरबॉग्ज के खिलाफ हमारी लड़ाई में उदाहरण के लिए, मैं शल्य थियेटर में दूर-यूवीसी रोशनी देखता हूं। मैं दूर-यूवीसी रोशनी देख रहा हूं भोजन की तैयारी के क्षेत्र में और रोकने के मामले में वायरस का प्रसार, मैं स्कूलों में दूर-यूवीसी रोशनी देखता हूं, इन्फ्लूएंजा के प्रसार को रोकना, खसरा के प्रसार को रोकने, और मैं दूर-यूवीसी प्रकाश देखता हूं हवाई अड्डों या हवाई जहाज में, वैश्विक प्रसार को रोकना एच 1 एन 1 वायरस जैसी वायरस तो मेरे दोस्त पॉल राइस को वापस। वह वास्तव में एक प्रसिद्ध था और अच्छी तरह से प्यार स्थानीय राजनीतिज्ञ अपने और मेरे लिवरपूल शहर में, और उन्होंने अपनी स्मृति में एक प्रतिमा रखी लिवरपूल के केंद्र में, और वहां यह है। किन्तु मैं, मैं चाहता हूं कि पौलुस की विरासत एक बड़ी अग्रणी हो सुपरबग्स के खिलाफ इस युद्ध में प्रकाश की शक्ति के साथ सशस्त्र, यह वास्तव में हमारी समझ में है धन्यवाद। (तालियां) क्रिस एंडरसन: यहां रहें, डेविड, मुझे आपके लिए एक सवाल मिला है। (तालियां) डेव्हिड , हमें बताएं कि आप कहां हैं इसे विकसित करने में, और शेष बाधाएं क्या हैं बाहर रोल करने की कोशिश करने के लिए और इस सपने का एहसास? डेविड ब्रेनर: , है हम अब जान गये की यह सभी जीवनुको को मारता है, लेकिन पता था शुरू करने से पहले, लेकिन हमने निश्चित रूप से इसका परीक्षण किया। हमें बहुत सारे प्रयास करने है सुरक्षा परीक्षण के र इसलिए यह सुरक्षा के बारे में अधिक है ह प्रभावकारिता की तुलनासे और हमें अल्पावधि परीक्षण करने की ज़रूरत है, हमें दीर्घकालिक परीक्षण करना पडेगा जानने के लिये की कर्कावस्था न बढे कई वर्षोंतक तो उन अध्ययनों इस बिंदु पर बहुत अच्छी तरह से किया जाता है निश्चित रूप से एफडीए कुछ है हमें इससे निपटना होगा, और ठीक ही तो, क्योंकि हम निश्चित रूप से इस का उपयोग नहीं कर सकते असली दुनिया में एफडीए के बिना मंजूरी CA: क्या आप कोशिश कर रहे हैं अमेरिका में पहले लॉन्च करने के लिए, या कहीं और? डीबी: वास्तव में, कुछ देशों में जापान और अमेरिका में, दोनों सीए: क्या आप राजी करने में सक्षम हैं? जीवविज्ञानी, डॉक्टर, कि यह एक सुरक्षित दृष्टिकोण है? डीबी: ठीक है, जैसा आप कल्पना कर सकते हैं, वहाँ एक निश्चित संदेह है क्योंकि सभी जानते हैं कि यूवी प्रकाश सुरक्षित नहीं है तो जब किसी के साथ आता है और कहते हैं, "ठीक है, यह यूवी प्रकाश सुरक्षित है," पार करने के लिए एक बाधा है, लेकिन डेटा वहाँ हैं, और मुझे लगता है कि यह क्या है हम पर खड़े होने जा रहे हैं सीए: ठीक है, हम आपको अच्छी तरह से चाहते हैं यह संभावित रूप से महत्वपूर्ण काम है बहुत बहुत धन्यवाद साझा करने के लिए धन्यवाद, डेविड (तालियां) क्रिस एंडरसन: तो, पिछले कुछ सालों से आप इस समस्या पर काम कर रहे हैं। आपके शब्दों में, यह समस्या है क्या? एंड्रयू फ़ॉरेस्ट: प्लास्टिक। बस इतना ही। हम इसका उपयोग अद्भुत ऊर्जावाली वस्तु के रूप में नहीं कर पाते हैं, और इसे यूँ ही फेंक देते हैं। क्रिस: और इसलिए हम हर जगह कचरा देखते हैं। अपने चरम रूप में, यह कुछ इस तरह दिखता है। मेरा मतलब है, यह तस्वीर कहाँ ली गई थी? एंड्रयू: यह फिलीपीन्स में है, और देवियों और सज्जनों, आप जानते हैं, वहाँ बहुत सी नदियाँ हैं, जो बिल्कुल इसी तरह दिखती हैं। एंड्रयू: यह फिलीपीन्स में है, यह पूरे दक्षिणपूर्व एशिया में है। क्रिस: प्लास्टिक नदियों में फेंक दिया जाता है, और वहाँ से, बेशक, वह समुद्र में पहुँच जाता है। मतलब, हम इसे समुद्र तटों पर देखते हैं, लेकिन यह आपकी मुख्य चिंता बिल्कुल नहीं है। चिंता यह है कि वास्तव में समुद्रों में इसका क्या हो रहा है। बात उसकी है। एंड्रयू: ठीक है। धन्यवाद, क्रिस। लगभग चार साल पहले, मैंने सोचा था कि मैं वाकई पागलों जैसा कुछ करूँगा, और मैंने समुद्री पारिस्थितिकी में पीएचडी करने की ठान ली। और सचमुच, उसका डरावना हिस्सा यह था कि, हाँ, मैंने समुद्री जीवन के बारे में बहुत सीखा, लेकिन इसने मुझे समुद्री मौतों और मछली, समुद्री जीवन, समुद्री स्तनधारियों, जो जीव विज्ञान से हमसे करीब हैं, उनके बारे में सीखा, जो भारी मात्रा में जो प्लास्टिक की वजह से लाखों या करोड़ों की संख्या में मर रहे हैं। क्रिस: लेकिन लोग प्लास्टिक को बदसूरत परंतु टिकाऊ समझते हैं। है न? आप समुद्र में कुछ फेंकेंगे, "तो वह हमेशा के लिए वहीँ रहेगा। इससे कोई नुकसान नहीं होगा, है ना?” एंड्रयू: क्रिस, देखो यह अर्थव्यवस्था के लिए बनाया गया एक अविश्वसनीय पदार्थ है। यह पर्यावरण के लिए सबसे अधिक खराब पदार्थ है। प्लास्टिक के बारे में सबसे खराब बात है, पर्यावरण से टकराते ही, यह टुकड़ों में बंट जाता है। यह हमेशा प्लास्टिक ही बना रहता है। यह छोटे और छोटे और छोटे टुकड़ों में टूटता चला जाता है, और क्रिस, ब्रेकिंग साइंस, जिसे हम समुद्री पारिस्थितिकी में पिछले कुछ वर्षों से जानते हैं, इसका मनुष्यों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। हम अब जानते हैं कि नैनोप्लास्टिक, अर्थात प्लास्टिक के बहुत छोटे-छोटे कण, अपने ऋणात्मक आवेश के साथ आपकी त्वचा के छिद्रों में से सीधे अंदर जा सकते हैं। यह बुरी खबर नहीं है। बुरी खबर यह है कि यह ब्लड-ब्रेन बैरियर में से, आपके मस्तिष्क की सुरक्षात्मक कोटिंग में सीधे चला जाता है। आपका मस्तिष्क थोड़ा आकारहीन, छोटे-छोटे विद्युत आवेशों से भरा गीला पिंड है। आप उसमें एक ऋणात्मक कण डालते हैं, रक ऐसा ऋणात्मक कण जो अपने साथ रोगाणुओं को ले जा सकता है – इसलिए आपके पास एक ऋणात्मक आवेश होता है, यह रोगाणुओं, विषाक्त पदार्थों, पारा, सीसा जैसे धनात्मक आवेश तत्वों को आकर्षित करता है। यह वह ब्रेकिंग साइंस है जिसे हम अगले 12 महीनों में देखेंगे। क्रिस: शायद आप मुझे पहले ही बता चुके हैं कि समुद्र में रहने वाली हर मछली के हिस्से में 600 प्लास्टिक बैग या ऐसा ही कुछ आता है। और वे टूट रहे हैं, और उनकी संख्या और अधिक बढ़ती रहने वाली है, और हमने उसके परिणामों को अभी देखा भी नहीं है। एंड्रयू: नहीं, हमने वाकई नहीं देखा है। एलेन मैकआर्थर फाउंडेशन की टीम, अच्छे वैज्ञानिकों का एक समूह है, हम कुछ समय से उनके साथ काम कर रहे हैं। मैंने उनके काम की पूरी तरह से जांच की है। क्रिस, वे कहते हैं कि 2025 तक -- न कि 2050 तक -- हर तीन टन मछली के लिए, एक टन प्लास्टिक होगा, और मैं उन लोगों के साथ बेचैन हो जाता हूँ जो 2050 की बात करते हैं। यह बहुत नज़दीक है। यह यहाँ और अभी है। समुद्री जीवन को हर तरह से नष्ट करने के लिए आपको एक टन प्लास्टिक की ज़रूरत नहीं है। उससे कम मात्रा से भी यह काम बखूबी हो सकता है। इसलिए हमें इसे तुरंत समाप्त करना होगा। हमारे पास समय नहीं है। क्रिस: ठीक है, तो इसे समाप्त करने के लिए आपके पास एक विचार है, और मैं कहूँगा कि, आप इसमें सामान्य पर्यावरण प्रचारक नहीं बल्कि एक कारोबारी, और उद्यमी की तरह कह रहे हैं, जिसने – आपने पूरा जीवन वैश्विक आर्थिक प्रणालियों और उनके काम करने के तरीके के बारे में सोचने में लगा दी है। अगर मैं इसे ठीक से समझा हूँ, तो आपका विचार उन नायकों पर टिका है जो कुछ इस तरह दिखते हैं। उस लड़की का पेशा क्या है? एंड्रयू: क्रिस, वह एक रैगपिकर है, और उसके जैसे 15 से 20 मिलियन रैगपिकर थे, जब तक चीन ने सभी का कचरा लेना बंद कर दिया। और प्लास्टिक की कीमत बहुत कम होने से, यह काम बंद हो गया। इस कारण उसके जैसे लोग, अब - वह एक ऐसी बच्ची है जो स्कूली छात्रा है। उसे स्कूल में होना चाहिए। शायद यह बिल्कुल गुलामी जैसा है। मेरी बेटी ग्रेस और मैं उसके जैसे सैकड़ों लोगों से मिल चुके हैं। क्रिस: और कई वयस्क भी हैं, सचमुच दुनिया भर में ऐसे लाखों लोग हैं, और कुछ उद्योगों में तो, उदाहरण के लिए, उनकी बदौलत सचमुच अब हमें दुनिया में धातु का बहुत ज़्यादा कचरा नहीं दिखता। एंड्रयू: बिल्कुल सही। वह छोटी लड़की, वास्तव में, पर्यावरण की हीरो है। वह एक बहुत बड़े पेट्रोकेमिकल प्लांट के साथ प्रतिस्पर्धा में है, जो बिल्कुल नज़दीक, साढ़े तीन अरब डॉलर का पेट्रोकेमिकल प्लांट है। यही समस्या है। मेरिका के पूरे तेल और गैस संसाधनों की तुलना में हमारे पास प्लास्टिक और लैंडफिल में अधिक तेल और गैस है। इसलिए वह हीरो है। और देवियो और सज्जनो, यह लैंडफिल इस तरह दिखता है, और इसमें सॉलिड तेल और गैस है। क्रिस: तो उसमें संभावित रूप से भारी मूल्य छिपा हुआ है जिससे दुनिया के रैगपिकर, यदि कर सकें तो, जीवन-यापन करना चाहेंगे। लेकिन वे क्यों नहीं कर सकते? एंड्रयू: चूंकि हमने जीवाश्म ईंधन से प्राप्त प्लास्टिक की जो कीमत तय की हुई है, वह प्लास्टिक से प्लास्टिक को आर्थिक और लाभदायक रूप से रीसाइकिल करने से थोड़ी कम होती है। देखिए, पूरा प्लास्टिक तेल और गैस से ब्लॉक बना रहा है। प्लास्टिक 100 प्रतिशत पॉलिमर है, जो 100 प्रतिशत तेल और गैस है। और आप जानते हैं कि हमारी सभी ज़रूरतों के लिए दुनिया में पर्याप्त प्लास्टिक उपलब्ध है। और जब हम प्लास्टिक को रीसाइकिल करते हैं, अगर हम इसे जीवाश्म ईंधन प्लास्टिक से सस्ता रीसाइकिल नहीं कर पाते हैं, तो वाकई, दुनिया सिर्फ़ जीवाश्म ईंधन प्लास्टिक से चिपकी रहेगी। क्रिस: तो मूल समस्या यही है, रीसाइकिल किए गए प्लास्टिक की कीमत आमतौर पर अधिक तेल से ताजा बने प्लास्टिक को खरीदने की कीमत से अधिक होती है। मूल समस्या यही है? एंड्रयू: क्रिस, यहाँ नियमों में मामूली फेरबदल करना होगा। मैं तो बनिया हूँ। मुझे पता है कि हमारे यहाँ, विशेष रूप से विकासशील दुनिया में, गाँवों में चारों ओर कबाड़ धातु और रद्दी लोहे और तांबे के टुकड़े पड़े होते थे। लोगों को पता लगा कि इसका मूल्य होता है। यह वास्तव में मूल्य की वस्तु है, बेकार की नहीं। अब गाँव और शहर और सड़कें साफ हैं, आप अब रद्दी तांबे या रद्दी लोहे पर लड़खड़ाते नहीं हैं, क्योंकि यह मूल्य की वस्तु है, इसे रीसाइकिल किया जाता है। क्रिस: तो फिर, आपका क्या विचार है, इसे प्लास्टिक में बदलने की कोशिश करने के लिए? एंड्रयू: क्रिस, इसीलिए, उस पीएचडी के अधिकांश भाग के लिए, मैं शोध करता रहा हूँ। और इसे ठीक-ठाक करने वाला कारोबारी होने के बारे में अच्छी बात यह है कि लोग आपको देखना चाहते हैं। भले ही आप कुछ हद तक चिड़ियाघर के जानवर की प्रजातियों की तरह हों, दूसरे कारोबारी जाँच करना चाहेंगे और कहेंगे, हाँ, ठीक है, हम सभी ट्विगी फॉरेस्ट से मिलेंगे। और इसलिए एक बार वहाँ पहुँचने पर, आप उनसे पूछताछ कर सकते हैं। और मैं दुनिया की अधिकतर तेल और गैस और शीघ्र बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुओं की कंपनियों में गया हूँ, और उनमें बदलने की सचमुच इच्छा है। मेरा मतलब है, वहाँ कुछ डायनासोर हैं जो बहुत अच्छा होने की आशा तो करेंगे पर कुछ करेंगे नहीं, लेकिन उनमें सचुमच बदलाव की इच्छा है। इसलिए मैं जो चर्चा करता आ रहा हूँ, वह यह है कि दुनिया के साढ़े सात अरब लोग वास्तव में अपने पर्यावरण को प्लास्टिक से नष्ट किए जाने के हकदार नहीं हैं, उनके महासागरों ने प्लास्टिक के कारण समुद्री जीवन को क्षीण या बंजर कर दिया है। तो आप उस चेन तक आते हैं, और ऐसे हज़ारों लाखों ब्रांड हैं, जिनसे हम सब ढेरों उत्पाद खरीदते हैं, लेकिन फिर भी केवल सौ प्रमुख रेज़िन उत्पादक, बड़े पेट्रोकेमिकल प्लांट हैं, जिनसे बनाए गए पूरे प्लास्टिक का एकबारगी उपयोग होता है। क्रिस: इसलिए सच तो यही है, एक सौ कंपनियां इस फूड चेन के ठीक नीचे कार्यरत हैं। एंड्रयू: हाँ। क्रिस: और इसलिए आप उन सौ कंपनियों से क्या करवाना चाहते हैं? एंड्रयू: ठीक है, इसलिए हम चाहते हैं कि वे बस तेल और गैस से से निर्मित प्लास्टिक के बिल्डिंग ब्लॉक्स के मूल्य को बढ़ाएं, जिसे मैं "खराब प्लास्टिक" कहता हूँ, उसके मूल्य को बढ़ाएं, ताकि जब यह ब्रांडों से होकर, हम ग्राहकों तक पहुँचेगा, तो हमें अपने कॉफी के कप या कोक या पेप्सी, या किसी भी चीज़ में शायद ही कोई वृद्धि दिखेगी। क्रिस: जैसे, कितनी, जैसे एक सेंट अतिरिक्त? एंड्रयू: कम। चौथाई सेंट, आधा सेंट। यह बहुत ही कम होगी। लेकिन इससे क्या होता है, यह दुनिया भर में प्लास्टिक के हर टुकड़े को मूल्य की वस्तु बनाता है। जहाँ आपके पास सबसे ज़्यादा कचरा है, जैसे दक्षिणपूर्व एशिया, भारत, वहीं धन सबसे अधिक है। क्रिस: ठीक है, तो ऐसा लगता है कि इसके दो हिस्से हैं। एक तो यह, यदि वे अधिक धन वसूल करेंगे, लेकिन उसका अलग करके भुगतान करेंगे - कहाँ? - कहाँ कि? -- इस समस्या से निपटने के लिए किसी के द्वारा संचालित फंड? उस पैसे का उपयोग किस लिए किया जाएगा, जिसके लिए वे अतिरिक्त शुल्क लेते हैं? फ़ॉरेस्ट: इसलिए बहुत बड़े कारोबारियों से बात करते समय मैं कहता हूँ, "देखिए, मैं चाहता हूँ कि आप बदलें, और सचमुच तेजी से बदलें,” इस पर उनकी ऊब भरी आंखें फटने लगती हैं, जब तक मैं यह नहीं कहता, "और यह अच्छा कारोबार है।" "ठीक है, एंड्रयू, अब मैं आपकी बात पर ध्यान दे रहा हूँ।" तो मैं कहता हूँ, "ठीक है, मैं चाहता हूँ कि आप पर्यावरण और उद्योग संक्रमण निधि में अंशदान करें। दो या तीन सालों में, संपूर्ण वैश्विक प्लास्टिक उद्योग अपने बिल्डिंग ब्लॉकों को जीवाश्म ईंधन के बजाय अपनी बुनियाद को प्लास्टिक से प्राप्त करने में संक्रमण कर सकता है। प्रौद्योगिकी पहले से मौजूद है। यह सिद्ध है। " मैंने दो मल्टीबिलियन-डॉलर के प्र चालनों को शून्य से लिया है, यह देखते हुए कि प्रौद्योगिकी को बढ़ाया जा सकता है। सब प्लास्टिक कार्यों के लिए मुझे प्लास्टिक में एक दर्जन प्रौद्योगिकियां दिखती हैं। इसलिए एक बार उन प्रौद्योगिकियों में आर्थिक मार्जिन होने पर, जो उन्हें इससे मिलता है, यही वह जगह है जहाँ वैश्विक जनता को अपने सभी प्लास्टिक मौजूदा प्लास्टिक से प्राप्त होंगे। क्रिस: इसलिए वर्जिन प्लास्टिक की हर बिक्री क ऐसे फंड में पैसे का योगदान करती है जिसका उपयोग मूल रूप से उद्योग के संक्रमण और सफाई जैसी अन्य चीज़ों के भुगतान के लिए किया जाता है। एंड्रयू: बिल्कुल। बिल्कुल। क्रिस: और इसका अविश्वसनीय गौण लाभ है, जो शायद बाज़ार तैयार करने के लिए मुख्य लाभ भी है। यह रीसाइकिल करने योग्य प्लास्टिक को अचानक एक बहुत बड़ा कारोबार बना देता है जो दुनिया भर के लाखों लोगों को जीवन-यापन का नया अवसर उपलब्ध करता है। एंड्रयू: हाँ, बिलकुल। तो इसमें, आपको इस मूल्य पर जीवाश्म ईंधन प्लास्टिक और इस मूल्य पर रीसाइकिल किया गया प्लास्टिक मिला है। आप इसे बदलते हैं। इसलिए रीसाइकिल किया गया प्लास्टिक सस्ता है। क्रिस, इस बारे में मुझे सबसे अच्छी बात यह लगती है कि आप जानते हैं, हम पर्यावरण में 300 से 350 मिलियन टन प्लास्टिक बर्बाद करते हैं। तेल और गैस कंपनियों के अपने खाते में, यह बढ़कर 500 मिलियन टन होने जा रहा है। यह एक बढ़ती हुई समस्या है। लेकिन इसका हर टन पॉलिमर है। पॉलिमर 1,000 डॉलर से 1,500 डॉलर प्रति टन है। यह आधा ट्रिलियन डॉलर है जिसे कारोबार में लगाया जा सकता है और दुनिया भर में नौकरियों और अवसरों और धन का सृजन कर सकता है, विशेष रूप से सबसे अधिक गरीब तबके में। फिर भी हम इसे फेंक देते हैं। क्रि: तो इससे बड़ी कंपनियां दुनिया भर में रीसाइकिलिंग प्लांट में निवेश कर सकेंगी - एंड्रयू: पूरी दुनिया में। क्योंकि प्रौद्योगिकी कम-पूंजीगत लागत वाली है, आप इसे बड़े होटलों, कूड़े के डिपो के नीचे, हर जगह, कचरे के ढेरों में लगा सकते हैं, उनको रेज़िन में बदल सकते हैं। क्रिस: आप एक परोपकारी व्यक्ति हैं, और आप अपना कुछ धन इसमें लगाने के लिए तैयार हैं। इस परियोजना में परोपकार की क्या भूमिका है? एंड्रयू: हमें इसे चालू रखने के लिए 40 से 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करना होगा, और फिर हमें पूरी पारदर्शिता रखनी होगी ताकि हर कोई देख सके कि वास्तव में क्या चल रहा है। रेज़िन उत्पादकों से लेकर ब्रांड के उपभोक्ताओं तक, हर कोई देख सकता है कि कौन चालाकी कर रहा है, कौन पृथ्वी की रक्षा कर रहा है, और कौन परवाह नहीं करता है। और इसमें हर सप्ताह कुछ एक मिलियन डॉलर का खर्च आएगा, और हम इसकी पांच साल के लिए हामीदारी करने जा रहे हैं। कुल अंशदान लगभग 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। क्रिस: वाह! अब -- (तालियाँ) आपने इस दुनिया की अन्य कंपनियों, जै से कोका-कोला से बात की है, जो ऐसा करने के लिए तैयार हैं, वे ऊँची कीमत चुकाने को तैयार हैं, वे तब तक ऊँची कीमत चुकाना चाहेंगे, जब तक यह उचित है। एंड्रयू: हाँ, यह उचित है। इसलिए, कोका-कोला पेप्सी का सहयोग करना पसंद नहीं करेगी जब तक पूरी दुनिया को पता न चल जाए कि पेप्सी सहयोग नहीं कर रही है। फिर वे परवाह नहीं करते। इसलिए यह बाजार की पारदर्शिता है, जहाँ, अगर लोग कोशिश करते हैं और सिस्टम को धोखा देते हैं, तो बाजार इसे देख सकता है, उपभोक्ता इसे देख सकते हैं। उपभोक्ता इसमें भूमिका निभाना चाहते हैं। हम साढ़े सात अरब लोग। हम नहीं चाहते कि हमारी दुनिया को सौ कंपनियाँ तहस-नहस कर दें। क्रिस: ठीक है, तो हमें बताएँ, आपने बताया कि कंपनियां क्या कर सकती हैं और आप क्या करने को तैयार हैं। लोगों की जागरूकता क्या कर सकती है? एंड्रयू: ठीक है, इसलिए मैं चाहूँगा कि दुनिया भर में, हम सभी noplasticwaste.org नामक वेबसाइट पर जाएँ। आप अपने सौ रेज़िन उत्पादकों से संपर्क करें जो आपके क्षेत्र में हैं। आपके पास कम से कम एक संपर्क ईमेल या ट्विटर में होगा या आपका कोई टेलीफोन संपर्क होगा, और उन्हें बताएँ कि आप चाहेंगे कि वे एक फंड में अंशदान करें, जिसका प्रबंध उद्योग कर सकता है या उसका प्रबंध विश्व बैंक कर सकता है। इसमें प्रति वर्ष अरबों डॉलर जुटाए जाते हैं ताकि आप उद्योग में परिवर्तन ला सकें कि वह अपने पूरे प्लास्टिक को प्लास्टिक से प्राप्त करे, जीवाश्म ईंधन से नहीं। हमें इसकी ज़रुरत नहीं है। यह बुरा है। यह अच्छा है। और यह पर्यावरण को साफ़ कर सकता है। हमारे पास पर्याप्त पूंजी है, क्रिस, हमारे पास पर्यावरण को साफ़ करने के लिए हर साल अरबों डॉलर होते हैं। क्रिस: आप रीसाइकिलिंग कारोबार में हैं। क्या यह आपके लिए हितों का टकराव नहीं है, या यों कहें, आपके लिए बहुत बड़ा कारोबारी अवसर नहीं है? एंड्रयू: हाँ, देखिए, मैं लौह अयस्क के कारोबार में हूँ, और मैं स्क्रैप मेटल कारोबार के साथ प्रतियोगी हूँ, और इसीलिए आपके आसपास कोई कबाड़ नहीं पड़ा जिससे आप फिसलकर गिर जाएँ और आपका अंगूठा कट जाए, क्योंकि इसे एकत्र किया जाता है। क्रिस: यह प्लास्टिक रीसाइकिलिंग कारोबार में जाने का आपका बहाना नहीं है। एंड्रयू: नहीं, मैं इस बूम का स्वागत करूँगा। यह प्लास्टिक कचरे का इंटरनेट होगा। यह एक बूम उद्योग होगा जो दुनिया भर में फैलेगा, और विशेष रूप से जहाँ गरीबी सबसे अधिक है क्योंकि वहीँ कचरा सबसे अधिक है, और यही संसाधन है। इसलिए मैं इसका स्वागत करूँगा और दूर रहूँगा। क्रिस: ट्विगी, हम एक ऐसे युग में हैं जहाँ दुनिया भर में बहुत से लोग एक नई, पुनरुत्पादक अर्थव्यवस्था, इन बड़ी सप्लाई चेनों, इन बड़े उद्योगों को मूलभूत रूप से बदलने के लिए तरस रहे हैं। मुझे यह एक बहुत बड़ा विचार लगता है, और आपको इसे साकार करने के लिए बहुत से लोगों के प्रोत्साहन की ज़रूरत होगी। हमारे साथ रहने के लिए धन्यवाद। एंड्रयू: आपका बहुत बहुत धन्यवाद। धन्यवाद, क्रिस। (तालियाँ) नमस्ते मेरा नाम हरमन है, और मैं हमेशा मारा गया हूं कैसे सबसे महत्वपूर्ण, प्रभावशाली, सुनामी जैसा बदलाव हमारी संस्कृति और हमारे समाज के लिए हमेशा उन चीजों से आते हैं हम कम से कम सोचते हैं उस प्रभाव के लिए जा रहे हैं। मेरा मतलब है, एक कंप्यूटर वैज्ञानिक के रूप में, मुझे याद है जब फेसबुक डॉर्म रूम में सिर्फ छवि-साझाकरण था, और जो आप पूछते हैं उसके आधार पर, यह अब चुनावों को जीतने में शामिल है। मुझे याद है जब क्रिप्टोक्यूरेंसी या स्वचालित व्यापार कुछ पुनर्जागरण द्वारा विचारों की तरह थे वित्तीय संस्थानों में स्वचालित व्यापार के लिए दुनिया में, या ऑनलाइन, cryptocurrency के लिए, और वे अब जल्दी आकार लेने आ रहे हैं जिस तरह से हम काम करते हैं। और मुझे लगता है कि आप में से प्रत्येक उस पल को याद कर सकते हैं जहां इन विचारों में से एक को महसूस किया कुछ आग्नेय, व्युत्पन्न चीज़ की तरह, और अचानक, ओह, बकवास, बिटकॉइन की कीमत क्या है। या, ओह, बकवास, अनुमान है कि किसे चुना गया है। वास्तविकता यह है कि, आप जानते हैं, मेरे दृष्टिकोण से, मुझे लगता है कि हम इसके बारे में हैं फिर से सामना करने के लिए और मुझे लगता है कि एक सबसे बड़ा, सबसे प्रभावशाली परिवर्तन जिस तरह से हम अपना जीवन जीते हैं, जिन तरीकों से हम शिक्षित हैं, शायद यहां तक कि हम कैसे अंत करते हैं आय कर रहा है, एअर इंडिया से नहीं आने वाला है, अंतरिक्ष यात्रा या बायोटेक से नहीं - ये सभी बहुत महत्वपूर्ण हैं भविष्य के आविष्कार - लेकिन अगले पांच वर्षों में, मुझे लगता है कि यह आने वाला है वीडियो गेम से। तो यह एक साहसिक दावा है, ठीक है। मुझे कुछ संदेह भरे चेहरे दिखाई देते हैं दर्शकों में। लेकिन अगर हम एक पल ले किस वीडियो गेम को देखने की कोशिश करें आज पहले से ही हमारे जीवन में बन रहे हैं, और क्या बस थोड़ा सा तकनीकी प्रगति के बनाने वाला है, यह बनने लगता है एक अनिवार्यता के अधिक। और मुझे लगता है कि संभावनाएं काफी विद्युतीकरण कर रहे हैं। तो चलिए बस एक पल पैमाने के बारे में सोचने के लिए। मेरा मतलब है, वहाँ पहले से ही है 2.6 बिलियन लोग जो गेम खेलते हैं। और वास्तविकता यह है कि एक अरब अधिक है पांच साल पहले की तुलना में। उस समय में एक अरब अधिक लोग। न कोई धर्म, न कोई मीडिया, ऐसा कुछ भी नहीं फैला है। न कोई धर्म, न कोई मीडिया, ऐसा कुछ भी नहीं फैला है। जब अफ्रीका और भारत बुनियादी सुविधाओं को हासिल करें पूरी तरह से महसूस करने के लिए गेमिंग की संभावनाएं लेकिन मुझे जो खास लगा वो है - और यह अक्सर बहुत से लोगों को झटका देता है - यह है कि एक गेमर की औसत आयु, जैसे, एक अनुमान है, इसके बारे में सोचो। यह छह नहीं है, यह 18 नहीं है, यह 12 नहीं है। यह 34 है। यह 34 है। यह मुझसे उम्र में बड़ा है। और वह हमें कुछ बताता है, यह मनोरंजन नहीं है बच्चों के लिए अब और नहीं। यह पहले से ही एक माध्यम है जैसे साहित्य या कुछ और यह एक मौलिक होता जा रहा है हमारे जीवन का हिस्सा। एक प्रतिमा मुझे पसंद है वह है लोग जो आम तौर पर गेमिंग उठाते थे 15, 20 वर्षों के अंतिम क्रम में आम तौर पर रोक नहीं है। रास्ते में कुछ बदला यह माध्यम व्यवस्थित है। और इससे अधिक, यह अभी और नहीं खेल रहा है, है ना? आपने आज कुछ उदाहरण सुने हैं, लेकिन लोग कमा रहे हैं एक आय खेल खेल। और स्पष्ट तरीकों से नहीं। हाँ, ई-स्पोर्ट्स है, पुरस्कार हैं, पैसा बनाने का अवसर है प्रतिस्पर्धात्मक तरीके से। 2: 48.56 लेकिन वहाँ भी आय अर्जित लोग हैं खेलों को संशोधित करना, उनमें निर्माण सामग्री, उनमें कला कर रहे हैं। मेरा मतलब है, एक पैमाने पर कुछ है फ्लोरेंटाइन पुनर्जागरण के समान, अपने बच्चे के iPhone पर हो रहा है आपके लिविंग रूम में। और इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। नोवा, व्हाट मोर मोर एक्साइटिंग फॉर मी ऐसा ही हुआपीन के लिए होता है। और जब आप गेमिंग के बारे में सोचते हैं, युराए प्रोबेबिलिया ulriadia इमेजिंग यह पता चलता है कि यह, इनफिनिटी वर्ल्ड, सत्य पर जूते है, गेम्स नॉन-डीपली लिमिटेड बहुत लंबी टीम के लिए एक तरह से उद्योग का तरीका अब कवर को कवर करना मुश्किल है जितना संभव हो उतना ट्रिनिटी के साथ। यदि रूपक ई हमें लीक करता है, यदि आप मुझे एक पल के लिए बाहर निकाल दें, यह एक थिएटर की धारणा है। पिछले 4 वर्षों से, खेल अब बहाना करने के लिए उन्नत दृश्य प्रभाव, नाल विसर्जन, खेलों का फ्रंट एंड। निर्मलता को बूट करें, वास्तविक अनुभव वास्तविकता ए वर्ल्ड ऑफ एनीथिंग हंस रेमेडी वोफी लि। Elal एक पल के लिए परिप्रेक्ष्य में एक साथ रखा। ई कलदे लेवे थेस थिएटर रीथ नोवा, ई-कैडर डॉ। सोमी भित्तिचित्र, इस लड़ाई में उतरो, प्यार में पड़ो। वास्तव में डॉ। हज़ारों चीज़ें हुईं, सभी बिंदु ठीक है हिंसा अब विवेक। यह शोक तरंग फेंकने की वास्तविकता - आप सभी उनके साथ बातचीत करेंगे विपरीत टीम में। इसने दो दृढ़ता का उल्लंघन किया। और थोस रे बहुत महत्वपूर्ण गुण तो क्या असली दुनिया असली बनाता है। खेलों में सीज़न के पीछे नोवा, हमारे पास बहुत लंबी टीम के लिए एक सीमा है। और सीमा है, बिहाइंड द विजुअल्स, वास्तविक जानकारी का आदान प्रदान किया जा रहा है खिलाड़ियों या संस्थाओं के बीच इस गाँव की दुनिया में हंस नॉन-डीपली बाउंडेड खेल जो उन्हें फिट करते हैं Mostley इस सिंगल सर्वर पर प्लस लेता है या इस एकल को कुरेद कर। यहां तक कि विश्व Warcraft की यह असल में हज़ारों छोटे-छोटे संसार है। जब आपने फोर्टनाइट में संगीत कार्यक्रम सुना है, Yau'er acctually हेरिंग हज़ारों छोटे-छोटे समारोहों के बारे में। याओ कर्णोव, व्यक्तिगत, जैसा कि आज साइड एयररियर था, कैम्प फायर या कैश। वास्तव में, यह सकारात्मकता इसलिए यह सब एक साथ लाओ। मुझे लगता है कि यह क्षण बस है वास्तव में समझे कि क्या मतलब है। जब आप इसे देखते हैं, Yaw देख सकते हैं, सुंदर दृश्य, सभी चीजें जो बात है आँगन के सामने का भाग। ठीक उसी तरह निर्मलता पर बूट करें, तेरा यह कैसा दिखता है। तो एक कंप्यूटर वैज्ञानिक, आप सभी देखते हैं जस्ट जस्ट सूचना की छोटी मारो इस किशोर के लिए बदले में दिया जा रहा है सार्थक संस्थाओं या वस्तुओं का। तुम्हें पता है, दो बातें, "इन्फिनिटी वर्ल्ड में ईवे मढ़वाया।" वैसे यह आपके द्वारा दिए गए वादों से कहीं अधिक है ट्रेडमिल पर। जैसा कि आपने दुनिया को कभी नहीं देखा, वे गैर-चालाकी से भागों को काट रहे हैं यह है कि आप गायब नहीं हैं, और इसके पुर्जे आपके सामने ऊपरी करने के लिए। द गुड ट्रिक, बूट नोट द बेसिस क्रांति के लिए वह ई-वादा किया है वार्ता की शुरुआत में। लेकिन वास्तविकता यह है, हजारों युवाओं के लिए उस रे PASCONETTE गेमर्स एंड एग्जिट हो सकता है और यॉ के थॉमस के लिए वह किरण कामोत्तेजक और मेरी बात बे, वह सब बदलने वाला है। बाकुस फिनाले, तकनीक प्लस में है इसलिए सीमा से परे अच्छी तरह से जाना यह पहला दृश्य है। मैं एक समर्पित Mayan वाहक रहा हूँ, मेरे लेखक हैं समस्या पर चलना - हार्डी द्वारा इसका श्रेय स्व बूट तरीका बिंदु नोवा पर है जहां हम अंत में पा सकते हैं डॉ। इम्पॉसिबल हार्ड थिंग एक साथ हजारों बुनाई प्रस्थान मशीनें एकल सिमुलेशन ईंटें वह रे सुविधाजनक अन्नघे तो दो प्रस्तावों पर ध्यान दें, बूट करने के लिए दो buildable या अन्य शरीर: और दो बिंदु पर जहां हम अनुभव शुरू कर सकते हैं ऐसी चीजें थीं जो फतह पर नहीं हो सकती थीं। आइए जस्ट ट्रेन इस मोमेंट तो दृश्य बेहतर होते। मैं व्यक्तिगत नहीं के बारे में बात कर रहा हूँ छोटे छोटे सिमुलेशन व्यापक संभावना बूट करता है नेटवर्क का इंटरैक्शन। विशाल वैश्विक कार्यक्रम वह केन हुप्पन इनसाइड होगा। असली दुनिया में करने के लिए चीजें उत्पादक होने पर chelaging बनें जो हुआ है उसका पैमाना। और ई कर्णोव सोमे आप रे गेमर्स, तो मैं आपको दिखाने जा रहा हूं सोमे की बातें सोम्मे फुटेज यह Im सुंदर यकीन है कि निश्चित रूप से करने के लिए है, हमारे सहयोगियों के सोम से। टेड और मैंने आगे-पीछे किया। वहाँ हे इन फ़ेव चीजें सोचा नोट वैध पेपाल अब सीन ब्यूफोर्ट, सोमे न्यू एक्सपेरिएंसर्स प्रौद्योगिकी के इस नोक से Povd ELL JUST [TAKE] द मोमेंट तो आपको कुछ सामान दिखाते हैं। यह एकल गाँव की दुनिया है सिमुलतीनोस के हजारों के साथ पेहलपाल संघर्ष में भाग ले रहे हैं। यह हंस भी है: यह ओवन पारिस्थितिकी तंत्र है, यह शिकारी और शिकार की अपनी भावना है। आपके द्वारा देखी गई हर एक वस्तु यह किसी तरह से नकली है। निर्मित होने जैसा कुछ भी नहीं है दुनिया के सबसे बड़े साथियों में से, ध्यान दें, यह कंपनी मैं चीनी है। और वे इसे प्राप्त करेंगे तीन सहायक क्रिएटिव सिमुलेशन जहां खिलाड़ियों के समूह केन कॉकर्रे और साथ में, Acrosis गुणक उपकरण, इस विश्व स्तरीय आहार में जब आप डॉन को जानते हैं। यह तेल की कहानियों के लिए एक प्लस है और अब साहसी। अठारह अठारह नकली है। और यह बहुत बढ़िया है। और यह मेरा निजी पसंदीदा है। यह पेपाल का समूह है, बर्लिन में पायनियर्स, समूह को कॉलिंग गेम्स कहा जाता है, और वे पूरी तरह से पागल हैं, और वे मुझे नीचा दिखाते थे। और वे मॉडल बनाने का एक तरीका ढूंढते हैं, बाजीकली, द ऐंटरे प्लैनेट। वे अब इस सिमुलेशन को करने जा रहे हैं लाखों गैर-खिलाड़ी चार्टर्स के साथ अंत के खिलाड़ी लगे। उन्होंने लॉरेंस लासिग को जोरदार अभिनय किया इसलिए समझने में मदद करें राजनीतिक प्रभाव विश्व का मार्ग बनाना। यह पूर्ववत की तरह है अनुभवी लोगों का सेट, अच्छी तरह से परे हम अब क्या कल्पना कर सकते हैं, अगर नो पॉसिबल होगा तो दो पॉसिबल। और वह सिर्फ पहला कदम है इसमें जो तकनीक आती है। तो अगर आप उससे आगे बढ़ते हैं, तो क्या होता है? खैर, कंप्यूटर साइंस निविदाएं दो सभी प्रतिपादक हैं, ओन्स वे क्रैक रियली हार्ड प्रॉब्लम्स। और मैं उससे बहुत सुंदर हूं, हम इस प्लस में दो करने जा रहे हैं जहाँ हम कर सकते हैं कम्प्यूटेशनल शक्ति के नुस्खे लीच नोरथिंग देखें। और जब यह होता है, अवसर ... यह इस पल को पेड़ पर ले जाने लायक है इसलिए इमरती मिल गई जिसके बारे में मैं बात कर रहा हूं। हजारों पाताल या लाखों पेपाल किसी के सामने ऐंठन होना। इन प्रजातियों के रूप में हमारे अंतिम दल अन्य अवसर की सीमा इसलिए बिल्ड या डॉ समथिंग समथिंग उस मई पेहोले के साथ पुरातनता में था। और सिरमकोस्टीजिस क्यों कम से अधिक इष्टतम, हम विज्ञान करेंगे। मोस्टली कंफ्लिक्टर्स या बिल्डिंग पिरामिड। नेस्टरली नॉट द बेस्ट थिंग फॉर अस तो दो टीम ड्राइंग पर खर्च। बूट अगर आप एक साथ लाया वैध पेपाल, साझा अनुभव की तरह सोचा काँटे से ... ई थिंक इट एक्सरसाइज द सोशल मसल इन अस वह रास्ता हमने खो दिया और भूल गया। दूर जा रहे हैं, अगर आप ये मोमेंट चाहते हैं तो सोचिए इसका क्या मतलब है चार रिश्ते, पहचान के लिए। अगर हम दूसरी दुनिया के साथ रह सकते हैं, पैमाने पर अनुभवकर्ता जहां हम खर्च कर सकते हैं हमारी टीम की सार्थक राशि, वी कैन चेंज व्हाट इट मी तो दो अलग-अलग। हम इस एकल पहचान से परे जा सकते हैं तो यह व्यक्तिगत पहचान का सेट है। द गैंडर, जूस, पर्सनैलिटी ट्रीट्स यू वॉन्टेड बोर्न विथ मई बे कुछ चाहता है इसलिए अलग से अनुभव करें। यो माइट दो सोमेमे सोचा था कि मुझे दो और चाहिए। वे ऑल रे, इनसाइड, मल्टीप्ले पेहोप्ले। रास्ता दुर्लभ गेट अपॉर्च्युनिटी में फ्लेक्स होता। यह सहानुभूति के बारे में भी है। ई अब यह दादी हो ई अब सचमुच साथ में सामान्य मुझे उसके चूतड़ बहुत पसंद हैं, जूते हर कहानी वह 1 में शुरू होता है और 1 में कभी-कभी समाप्त होता है। और हर कहानी ई अब यह लीक 4 साल का पत्र है। बूट अगर आपके पास कभी नहीं है, सह-अनुभव बातें एक साथ, फ्रीसाइकल फ्रिलिटी द्वारा बहुत गहरे खत्म या संदर्भ के आधार पर, करता है और पूरी तरह से, बैंक के परिवर्तन, यह बांड एक अंतर तरीके से पेरोल करते हैं। आई एम स्टिक बाय सोशल मीडिया हंस प्रवर्धित और मान्य अंतर, और रयाली हमसे ज्यादा हो रास्ते रे अन्य पेपल की उपस्थिति में। ई थिंक गेम्स कल वास्तव में शुरू होता है हमारे लिए अवसर फिर से Empathies के लिए। तो अब साझा विज्ञापन, साझा अवसर। ई-मोम, सांख्यिकीय, टीम में इस पल में, रे पेहले है संघर्ष के विरोध में सिंध, हो अब गैर मच्छर तोगड़ ईंटें ऐसी ही होती हैं और क्या आप इसे नहीं जानते? यह व्यापक अवसर है तो चांग द वे लुक एंड थिंग्स। अंत में, थॉस ऑफ येउ हो पैरैप्स के लिए यहां सभी के बारे में अधिक दृश्य, हो सकता है कि यह अद्भुत दुनिया नहीं है एंड गेम्स री योर कप ऑफ टी यह वास्तविकता है जहाँ अब एक, और यह आर्थिक प्रभाव है मैं किस बारे में बात कर रहा हूँ विल बे प्राउंड। रिघत नोवा, हजारों फोपेले अब गेमिंग में फुल-टीम जॉब्स। तो, यह पेपाल के दो लाखों होंगे। जहां कहीं भी यह मोबाइल फोन है, नौकरी होगी। कुछ के लिए तीन अवसर यह रचनात्मक और समृद्ध है और युवा आय देता है, कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस देश में हैं, कोई बात नहीं क्या कौशल या अवसर यो माइट अब सोचो। प्रोबेलिया पहला डॉलर अधिकांश बच्चे आज पैदा हुए दो-एक की तरह हो सकता है। यह दो नए पेपर होंगे, वह नया होगा आय का अवसर अपने पत्ते में जल्द से जल्द टीम में। इसलिए मैं समाप्त करना चाहता हूं लगभग प्ले के साथ, रयाली, थाउथ थुथस। द सेंस ऑफ, ई थिंक, हू वी नीड इसलिए इस नए अवसर को लटका दिया थोड़ा अलग तो अब किसी तरह से अतीत में। यह एक सौ पाखंडी है एक और टेक्नोलॉजिस्ट में चार इसलिए स्टैग और विज्ञान पर खड़े हो जाओ, "पाद महान होगा, टेक्नोलॉजी इसे ठीक कर देगी। ” और वास्तविकता यह है, अभी कुछ नहीं चल रहा है। बूट्स थाउज़ेंड द्वारा प्रवर्धित एक बूट यदि रास्ता, आनेवाला, साइंटिज़्म और डार्किऑन के साथ, अवसरवादी ने उपस्थित लोगों को धमकाया। वोर्सेट थिंग द वे वेड पोस्ड यह फव्वारा या फव्वारा परिसरों के विपरीत है अंतिम उप डोमेन दूसरे के अपग्रेड स्पा में। (Eplasae) बैकलेस वे डैफ़न के लिए नहीं जा रहे हैं हो और हो माका पैसा जम गया था। द रियलिटी इज़, वी आर नोवा टॉकिंग परिभाषित करने के बारे में हम कैसे सोचते हैं, क्या नियम हैं गोल पहचान और सहयोग, वर्ल्ड वे लीव के नियम। इस हंस को दो सुखदायक तरीके मिले, सभी ओवन, रास्ता सभी कॉकर। तो, मेरा अंतिम नाटक क्या सच में थॉस इंजीनियर्स हैं, थोसे वैज्ञानिक, थोसे कलाकार ऑडियंस टुडे में। द रियलिटी इज़, वी आर नोवा टॉकिंग परिभाषित करने के बारे में हम कैसे सोचते हैं, वास्तविकता यह है कि, रे वर्ल्ड्स हैं आप रिघाट हरे, रिघाट नोवा का निर्माण कर सकते हैं, वे लोगों के जीवन को बदल सकते हैं। वहाँ रे स्टील मांगे टेक्नोलॉजिकल फ्रंटियर्स कहने की जरूरत नहीं है, दो ओवरकोट यहाँ हैं, ज़रूर, थोस वे फेसिड जब ईयरली इंटरनेट का निर्माण। सभी तकनीक अद्भुत दुनिया के पीछे अलग है। तो, मेरा नाटक था। चलो इसे प्राप्त करते हैं, चलो यह सब है, चलो कायस्थों को खुश करने के लिए वास्तव में पेड़ है इस तरह से एक सकारात्मक तरीके से अभिशाप, बल्कि अब दो कर रहे हैं। आपका धन्यवाद (Eplasae) मैं आज आपसे दो चीजों के बारे में बात करना चाहता हूँ: पहली, उपलब्ध रहने की संस्कृति में वृध्दि; और दूसरी, एक अनुरोध | तो हम देख रहे हैं इस उपलब्धता में वृध्दि मोबाईल साधनों के फैलाव से बढ़ रही हैं, विश्व में, सभी सामाजिक स्तर पर | हम , मोबाईल साधनों के फैलाव के साथ, हमारे उपलब्ध होने की आशा भी देख रहे हैं | और, उसके साथ, तीसरी बात आती हैं, जो कि कर्तव्य हैं -- और उपलब्ध होने का कर्तव्य | और समस्या है, हम अभी भी सामाजिक दृष्टिकोण से काम कर रहे हैं, कि कैसे हम लोगो को उपलब्ध होने दे | यहाँ एक महत्वपूर्ण अंतर हैं, वास्तव में, हम जो स्वीकार करने के लिए तैयार हैं उसमे | हेन्स रोस्लिंग से क्षमा चाहता हूँ -- उन्होंने कहा है कि जो भी वास्तविक आकड़े उपयोग नहीं करता वो झूट हैं -- लेकिन बड़ा अंतर यह है कि हम इससे सार्वजानिक दृष्टिकोण से कैसे निपटते हैं | तो हमने इस अंतर को कम करने के लिए कुछ युक्तियाँ और नीतियाँ विकसित की हैं | पहले का नाम है "द लीन(the lean)." और अगर आप किसी ऐसी मीटिंग में रहे हैं जिसमे आप एक तरह का खेल रहे हैं, वहाँ पर बैठे हुए, किसी व्यक्ति की तरफ देखते हुए, और उनके कहीं और देखने का इंतेज़ार कर रहे हैं और फिर जल्दी से मोबाईल चेक करते हैं | हालाँकि आप देख सकते हैं कि दाहिने ओर से कोई और इसे देख रहा हैं | "द स्ट्रेच(The stretch)" ठीक हैं, बाये तरफ के श्रीमान कहते हैं " भाड़ में जाओ, मैं अपना मोबाईल देखूंगा" लेकिन यहाँ दाहिने ओर के व्यक्ति, वो स्ट्रेच कर रहे हैं | यह पसारना हैं, शारीरिक विकृति अपने मोबाईल को टेबल से थोड़ी निचे रखने की | या मेरा पसंदीदा "लव यु; मीन इट(Love you; mean it)" (हँसी) कुछ भी नहीं कहता "मुझे तुमसे प्रेम है" जैसे "मुझे किसी और को खोजने दो मुझे इसकी परवाह नहीं हैं" या, यह वाला, भारत से हमारे पास आ रहा हैं | आप इसे युटुब में खोज सकते हैं. यह श्रीमान जो मोटरसायकल पर लेटे हुए हैं मेसेज भेजते समय | या हम कहते हैं "मुझे रोकिये इससे पहले कि मैं फिर से मारू" यह वास्तव में मोबाईल हैं | यह यहाँ जो कर रहा हैं, हम पाते हैं -- (हँसी) एक सीधी टक्कर -- हम एक सीधी टक्कर पाते हैं उपलब्धता और उपलब्ध होने से क्या संभव हैं उसके बीच -- और मुलभुत मानवीय जरुरत -- जिसके बारे में बहुत सुन रहे हैं, वास्तव में -- सांझे विवरण बनाने की जरुरत की | हम व्यक्तिगत विवरणों को बनाने में बहुत अच्छे हैं, लेकिन सांझे विवरण हमारी संस्कृति बनाते हैं | और जब आप किसी के साथ खड़े हैं, और आप अपना मोबाईल देख रहे हैं, वास्तव में आप उनसे कह रहे हैं, "आप उससे ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हैं, सचमुच में, जो कुछ भी इस मोबाईल के द्वारा मुझ तक आ सकता हैं" अपने आसपास देखिये | कोई वहाँ हो सकता हैं, बहु-आयामी अनुबंध में भाग लेता हुआ | (हँसी) हमारी वास्तविकता इस समय कम रोचक है उससे जो हम बाद में बताने वाले हैं | यह वाला मुझे पसंद हैं | यह बेचारा बच्चा, एक साधन -- मुझे गलत मत समझिए, एक इच्छुक साधन -- लेकिन चुबंन जो बताया गया हैं लगता है बुरा था | यह एक हाँथ से ताली बजाने की आवाज़ है | तो, जैसे हम अपनी पहचान का संदर्भ खोते हैं, यह अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि जो आप साँझा करते हैं वह सांझे विवरण का संदर्भ बन जाता है , वो संदर्भ बन जाता है जिसमे हम जीते हैं | कहानियाँ जो हम बताते हैं -- जो बाहर निकालते हैं -- जो हम हैं ये वहीँ बन जाते हैं | लोग केवल पहचान बता ही नहीं रहे हैं, वे इसे बना रहे हैं | और यहीं वो अनुरोध है जो आज यहाँ आप सभी से हैं हम तकनीक बना रहे है जो कि एक नया साझा अनुभव बनाएगी, जो एक नयी दुनिया बनाएगी | तो मेरा अनुरोध है, कृप्या, चलिए ऐसी तकनीक बनाये जो लोगो को ज्यादा मानवीय बनाये, और कम नहीं | धन्यवाद | यह लगभग सर्दियों का अंत है, और आप एक ठंडे घर में जाग गए हैं, जो अद्भुत है, क्योंकि आपने पूरी रात हीटर चलता छोड़ दिया। आप रोशनी जलाते हो। यह काम नहीं कर रही है। वास्तव में, कॉफी मशीन, टीवी - उनमें से कोई भी काम नहीं कर रहा है बाहर का जीवन भी बंद हो गया लगता है कोई स्कूल नहीं हैं, अधिकांश व्यवसाय बंद हैं, और कोई कार्यरत रेल सेवा नहीं हैं। यह एक सर्वनाश ज़ोंबी फिल्म का प्रारंभिक दृश्य नहीं है। यह वही है जो मार्च 1989 में घटित हुआ था कनाडा के क्यूबेक प्रांत में, जब बिजली संचरण ने शक्ति खो दी। दोषी? एक सौर तूफान। सौर तूफान कणों के विशाल बादल हैं समय-समय पर सूर्य से निकलते हुए, और एक निरंतर अनुस्मारक कि हम एक सक्रिय सितारे के पड़ोस में जीते हैं। और एक सौर भौतिक विज्ञानी के रूप में, मेरे पास इन सौर तूफानों का अध्ययन करने के लिए एक बहुत बड़ा मौका है। लेकिन आप देखते हैं, "सौर तूफान अनुसरणकारी" सिर्फ एक अच्छा शीर्षक नहीं है। मेरा शोध समझने में मदद करता है वे कहाँ से आते हैं, वे कैसे व्यवहार करते हैं और, अंत में, मानव समाजों पर उनके प्रभाव को कम करना है, जो मैं कुछ क्षण में बताऊँगी। अंतरिक्ष अन्वेषण की शुरुआत में 50 साल पहले ही, हमने जो जाँच ऐषणी अंतरिक्ष में भेजे उनसे पता चला है कि हमारे सौर मंडल के ग्रह लगातार सूर्य से आ रहे कणों की एक धारा में स्नान करते हैं और उसे हम सौर वायु कहते हैं। और इसी तरह से यहाँ पृथ्वी पर वैश्विक हवा स्वरूप तूफान से प्रभावित हो सकता है, सौर वायु कभी कभी सौर तूफानों से प्रभावित होती है जिसे मैं "अंतरिक्ष तूफान" कहना पसंद करती हूँ। जब वे ग्रहों पर पहुँचते हैं, वे अंतरिक्ष पर्यावरण में उपद्रव कर सकते हैं, जो उत्तरी या दक्षिणी प्रकाश उत्पन्न करने का कारण होते हैं, उदाहरण के लिए, यहां पृथ्वी पर, लेकिन शनि पर भी और बृहस्पति पर भी। सौभाग्य से, यहां धरती पर, हम हमारे ग्रह की प्राकृतिक ढाल द्वारा सुरक्षित हैं, एक चुंबकीय बुलबुला जिसे हम चुंबकमंडल कहते हैं और आप यहां दाहिने तरफ़ देख सकते हैं। फिर भी, सौर तूफान अभी भी जिम्मेदार हो सकता है उपग्रह दूरसंचार और संचालन को बाधित करने के लिए, पथ प्रदर्शन प्रणाली को बाधित करने के लिए, जैसे कि जी.पी.एस., साथ ही बिजली शक्ति संचरण। ये सभी प्रौद्योगिकियां हैं जिस पर हम मानव अधिक से अधिक निर्भर करते हैं। मेरा मतलब है, कल्पना करो अगर कल तुम उठो एक ख़राब मोबाइल फ़ोन के साथ - उस पर कोई इंटरनेट नहीं, जिसका मतलब कोई सामाजिक साधन नहीं। मेरा मतलब है, मेरे लिए यह ज़ोंबी सर्वनाश की तुलना में बदतर होगा। (हँसी) सूर्य की लगातार निगरानी करके, हालांकि, अब हम जानते हैं सौर तूफान कहाँ से आते हैं। वे सूर्य के क्षेत्रों से आते हैं जहां एक ज़बरदस्त मात्रा में ऊर्जा का संग्रह किया जा रहा है। आपके यहां एक उदाहरण है, एक जटिल संरचना के रूप में सौर सतह से ऊपर लटकती हुई, बस विस्फोट के कगार पर। दुर्भाग्यवश, हम जाँच ऐषणी नहीं भेज सकते सूर्य के कर्कश गर्म वातावरण में, जहां तापमान लगभग एक करोड़ डिग्री केल्विन तकबढ़ सकता है। तो मैं क्या करती हूं मैं कंप्यूटर सतत अनुकरण का उपयोग करती हूं इन तूफानों के व्यवहार का विश्लेषण करने व पूर्व अनुमान लगाने के लिए भी जब वे सिर्फ सूर्य में पैदा होते हैं। यद्यपि यह केवल कहानी का एक ही हिस्सा है। जब ये सौर तूफान अंतरिक्ष में घूम रहे हैं, उनमें से कुछेक की अनिवार्य रूप से अंतरिक्ष जाँच ऐषणी से मुठभेड़ भी होगी जो हम मनुष्यों ने अन्य दुनिया का पता लगाने के लिए भेजी हैं। दूसरे संसारों से मेरा क्या मतलब है, उदाहरण के लिए, ग्रह, जैसे कि शुक्र या बुध, लेकिन वस्तुएँ भी, जैसे धूमकेतु। और जब इन अंतरिक्ष जाँच ऐषणी को बनाया गया है विभिन्न वैज्ञानिक प्रयासों के लिए, वे छोटे ब्रह्मांडीय मौसम संबंधी स्टेशन के रूप में कार्य भी कर सकते हैं और इन अंतरिक्ष तूफानों के उद्भव की निगरानी कर सकते हैं। अतः मैं, शोधकर्ताओं के एक समूह साथ, आँकड़े, एकत्रित करके उनका विश्लेषण करती हूँ, सौर मंडल के विभिन्न स्थानों से आने वाले। और ऐसा करके, मेरा शोध दिखाता है कि, वास्तव में, सौर तूफानों का सामान्य आकार होता है, और जैसे सौर तूफान सूर्य से दूर जाते हैं तो यह आकृति विकसित होती है। और क्या आपको पता है? यह अंतरिक्ष मौसम की भविष्यवाणी करने हेतु उपकरण बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। मैं तुम्हें इस सुंदर छवि के साथ छोड़ना चाहूँगी। ये हम हैं पृथ्वी पर, यह पीला नीला छोटा धब्बा। और जब मैं हर दिन सूर्य और उसके तूफान का अध्ययन करुँगी, मेरे पास हमेशा इस सुंदर ग्रह के लिए एक गहरा प्रेम होगा - एक पीला नीला छोटा धब्बा। लेकिन एक पीला नीला छोटा धब्बा। एक अदृश्य चुंबकीय ढाल के साथ यह जो हमारी रक्षा करने में मदद करता है धन्यवाद। (तालियाँ) तो, 2016 में, मुझे एक फोटो निबंध बनाने के लिए कहा गया था, जो फ्लिंट, मिशिगन में हो रहे जल संकट के बारे में था। और वह 2014 से चलता आ रहा है। मैंने यह कार्य स्वीकार किया, और मेरे मन में इरादा था कि मैं तीन पीढ़ियों की औरतों की तसवीरें लूँगी जो रोज़ाना इस संकट से झूंझ रही हैं। मैं अपने दो सबसे अच्छे दोस्तों से मिली, कलाकार, कार्यकर्ता और कवी एम्बर हसान और शेय कॉब, जिन्होंने मुझे फ्लिंट में घुमाया। एक स्कूल बस ड्राईवर होने के नाते, शेय कॉब उस फोटो निबंध का मुख्य विषय बन गई, अपनी माँ, मिस रेने, और अपनी आठ साल की बेटी, ज़ायन के साथ। मैंने शेय के बस के रास्तों को रोज़ाना ध्यान दिया। और जब वह बस नहीं चलाती, वह ज़ायन की पढ़ाई पर ध्यान देती। मैंने शेय के जीवन के हर हिस्से से खुद को जोड़े रखा। जब शेय मुझे ज़ायन के स्कूल ले गई, और मैंने एक पानी का फुवारा देखा जिसके पास साइन थे जिनपर लिखा था, "दूषित। इसे मत पीजिए," मैं उसकी तस्वीर लेने के लिए कैमरा उठा ही नहीं पाई। मैं यह देख कर हिल गई कि अमेरिका में, हमारे ऐसे फुवारे जिनपर "सिर्फ़ गोरे" या "सिर्फ़ काले," लिखने से लेकर आज ऐसे फुवारे हैं जिनपर लिखा है, "दूषित पानी। इसे मत पीजिए।" लिखा जा सकता है। और यह स्वीकार भी किया जा रहा है? फ्लिंट के नागरिकों को बोतल के पानी से पीना, खाना बनाना और नहाना पड़ रहा है, और देश में पानी के लिए सबसे ज़्यादा बिल भरने पड़ रहे हैं, ऐसे पानी के लिए जिसमें जानलेवा लेजीओनेला बैक्टीरिया है। मेरे लिए फ्लिंट जाना सामान्य था, क्योंकि औद्योगिक प्रद्युषण, बैक्टीरिया से दूषित पानी मेरे लिए अपने शहर ब्रैडॉक, पेन्सिल्वेनिया में बड़े होते जाना पहचाना था, जहाँ मेरी माँ और मैंने कैंसर और ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसे लूपस का सामना किया। हमारा 14-साल का सहयोग, "परिवार की धारणा," जो कुछ चीज़ों से लड़ने के संघर्ष से बना था जैसे परिवेष्टक जातिवाद, स्वास्थ्य संबंधी असमानता और बड़े केमिकल उत्सर्जन जो नियंत्रण मुक्त थे और यूनाइटेड स्टेट्स स्टील कारपोरेशन से, जिससे ब्रैडॉक देश में अस्थमा और शिशु मृत्यु दर के रेट सबसे ज़्यादा थे। मोनोगहेला नदी से फ्लिंट नदी तक, डब्ल्यू. ई. बी. दू बोइ के शब्दों में, "पूरे शहर, पूरी वादी ने नदी से अपना मुँह फेर लिया है। उस नदी को एक नाली की तरह अपना कचरा फेंकने के लिए इस्तेमाल किया है।" जनरल मोटर्स पर दशकों से फ्लिंट नदी में केमिकल फेंकने का आरोप है। जब मेरा फोटो निबंध "फ्लिंट परिवार है" अगस्त 2016 में आया, वह अमेरिका को यह याद दिलाने के लिए था कि फ्लिंट भले ही समाचार की हैडलाइन न हो, जल संकट ख़त्म होने से बहुत दूर था। और, बिलकुल, मुझे पता था कि मेरी तरफ़ से तस्वीरों के अलावा भी मेहनत लगने वाली थी ताकि इस वाहन शहर के लोगों को राहत मिले। शेय और मेरी दोस्ती हमारी माओं और नानियों की बातों से गहरी हुई। एम्बर और मेरी दोस्ती लूपस से लड़ाई याद करते गहरी हुई। हमने निर्णय लिया कि हम एक दूसरे के जीवन में रहकर अपनी तरफ़ से रचनात्मक मेहनत करेंगे। 2017 में, शेय और एम्बर ने साथ में कलाकार समूह दी सिस्टर टूर" बनाया, जिसका उद्देश्य है फ्लिंट के कलाकारों को एक सुरक्षित मंच दिलवाना। एक साल बाद, मैंने "फ्लिंट परिवार है" का एकल प्रदर्शन किया, यही न्यू यॉर्क के गैविन ब्राउन्स एंटरप्राइज़ में जो वेस्ट 127वे स्ट्रीट पर है। जैसे ही ऑडियंस बिल्डिंग के करीब पहुँचती, उन्हें एक 30-फुट का बिलबोर्ड देखता। वह बिलबोर्ड तीन बड़े कलर नेगेटिव से बना है जिसपर लिखा है "जल जीवन है," जो द सिस्टर टूर द्वारा नेस्ले की पानी की बोतलों से लिखा है। नेस्ले, जो दुनिया की सबसे बड़ी पानी के बोतल की कंपनी है, जो अकुइफ़ायर से लेक मिशिगन में प्रति मिनट 400 गैलन पानी पम्प करते, लगभग मुफ़्त में। यह कंपनी लाखों लीटर पानी फर्स्ट नेशन रिजर्वेशन से भी निकालती, जबकि उनके पास साफ़ पानी है ही नहीं। इसका ज़िक्चंर मैंने चंदा इकठ्ठा करने के समय भी किया, ताकि द सिस्टर टूर अलग अलग जगह जाकर लोगों को इस संकट के बारे में जानकारी दे पाएँ। मैंने लोगों का ध्यान बनाए रखने के लिए उलटी गिनती वाले झंडों का भी उत्पादन किया जो देश के बहुत से संगठनों में प्रदर्शित किए गए। गई जून में, एम्बर ने मुझे ईमेल में बताया कि मिशिगन के अटॉर्नी जनरल ने फ्लिंट जल संकट कार्यवाही में अपराधिक आरोपों को हटा दिए, जहाँ आठ राज्य और शहर के कर्मचारियों पर हत्या जैसे गंभीर आरोप थे। सरकार अपना काम करे उसका मैं बैठके और इंतज़ार नहीं कर सकती थी। न्याय में देरी हुई थी, और न्याय से वंचित किया गया। पाँच साल हो गए हैं, और हम अब भी फ्लिंट के आदमी, औरत और बच्चों को न्याय मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं। मैंने एम्बर से पूछा, "मैं क्या कर सकती हूँ?" उसने मुझे पुएर्तो रीको में रहने वाले एक आदमी मोसेस वेस्ट के बारे में बताया, जिसने एक 26,000 पाउंड का एक एटमोस्फियरिक वाटर जनरेटर बनाया। एम्बर मोसेस को फ्लिंट शहर के निर्वाचित अधिकारीयों के पास ले गई। कोई भी फ्लिंट की समस्या सुलझाने के लिए मशीन को लाने के लिए रुचि नहीं ले रहा था। एम्बर को टेक्सस के एक मिलिट्री बेस से मशीन फ्लिंट तक लानी थी। फ्लिंट में किसी के पास उतने पैसे नहीं थे। और उसी वक़्त मैंने मेरे एकल प्रदर्शनी "फ्लिंट परिवार है" से मिले पैसे और रोबर्ट रोशनबर्ग फाउंडेशन से मिले मैच ग्रांट को मोसेस वेस्ट को भेज दिया। इस जुलाई, मोसेस वेस्ट अपने एटमोस्फियरिक वाटर जनरेटर के साथ फ्लिंट, मिशिगन में, मरेंगो और पुलास्की के बीच नॉर्थ सैगीनॉ पर आए, और अब भी वहीँ पर काम कर रहे हैं। जो समुदाय डाउनटाउन से तीन मील तक रहती हैं, उनकी पहुँच स्कूल, किराने और साफ़ पानी तक अब नहीं रही। सामजिक रूप से, उनको एक लड़ाकू, ग़रीब समुदाय की तरह देखा जा रहा है। लेकिन मैं उसे एक अलग नज़रिए से देखती हूँ। मोसेस, एक कर्मचारी, वनपाल, और पुराने सिपाही, को अपना बचाव मिशन पता था: फ्लिंट के लोगों के लिए मुफ़्त, स्वच्छ जल दिलवाना था। उनको मशीन चलाना सिखाओ, उन्हें उसका ख्याल रखना सिखाओ, और सबसे ज़रूरी, उस मशीन को अपना मानके चलो। शहर में सबको अपने अपने कंटेनर लाने को बोलो ताकि वे आकर जितना पानी ले सकते हैं ले लें, खाक्स्कर की सर्दी के मौसम के आने से पहले; ताकि मशीन ठन्डे तापमान में नामी न खींच ले। इसकी टेक्नोलॉजी एक हाई-वॉल्यूम एयर फ़िल्टर से हवा खींचती है। यंत्रवत् रूप से संक्षेपण करती है, जो रोज़ाना 2000 गैलन पानी का उत्पादन करता है। नागरिक सुबह 9 बजे से रात के 8 बजे तक कभी भी मशीन से जाकर जितना पानी चाहो ले सकते हो, ताकि उन्हें रोज़ बोतल से पानी लेने के लिए लम्बी लाइन में खड़ा न होना पड़े। मशीन पर रहते मैं लोगों से सवाल पूछती, "मोसेस की मशीन का होना आपके समुदाय के लिए कैसे मायने रखता है?" और, "बिना साफ़ पानी के होना आपके लिए कैसा रहा है?" अलीटा ने मुझसे कहा, "यह एक चमत्कार है कि भगवान ने मोसेस को ज्ञान और टेक्नोलॉजी दी जिससे आज हमें साफ़ पानी नसीब हो रहा है।" उसने मुझे यह भी कहा कि मशीन आने से पहले, उसे ज़ोर से सरदर्द होता था, और उस पानी से उसका पेट इतना ख़राब हो जाता, कि वह खाना नहीं खा पाती। टीना ने मुझे बताया कि लेड से दूषित पानी से उसके बाल झड़ते। आमतौर पर वह बहुत कमज़ोर रहती है। लेकिन यह मशीन के इस्तेमाल करने के बाद, उसमें ऊर्जा और ताकत आई है। डेविड, ख़ुशी से अभिभूत था कि टेक्सस से किसी कोई परवाह कर रहा था। जब उसने पानी को चखा, उसके मन में पहला विचार था, "यह भगवान का दिया हुआ पानी है।" वह अपने बारबेक्यू स्टैंड में इस्तेमाल करने के लिए तीन सात-गैलन के कंटेनर भरने के लिए लाता है। रचनात्मकता और एकजुटता से, एम्बर हसान, शेय कॉब, टुक्लोर सेनेगल, द सिस्टर टूर, मैं, फ्लिंट के लोग, डेक्सटर मून, मोसेस वेस्ट और उनका एटमोस्फियरिक वाटर जनरेटर 120,000 गैलन मुफ़्पात और साफ़ पानी का उत्पादन कर पाए हैं। (तालियाँ) फ्लिंट के नागरिकों को स्वच्छ जल होने का हक़ है। जल जीवन है। यह वही भावात्मा है जो हमें बीमारी, मृत्यु और तबाही से दूर रखता है। ज़रा सोचिए की हम कितने लाखों में जानें बचा सकते अगर मोसेस की मशीन न्यूआर्क, न्यू जर्सी, साउथ अफ्रीका, और भारत में मुनाफ़े की जगह सहानुभूति की भावना से होती। मैंने अपना कैमरा लोड किया, अपना फोकस बनाए रखा, और शटर पर अपनी ऊँगली तब रखी, जब शेय और ज़ायन साफ़ पानी का पहला घूँट पीने जा रहे थे। जब शटर दबाया, मेरे मन में एक गहरे आनंद और नेकी की भावना आई। जब मैंने शेय को कुछ तसवीरें भेजी, उसने लिखा, "मेरे शहर में रोशनी लाने के लिए तुम्हारा फिर से शुक्रिया।" और मैंने उससे कहा, "वह रोशनी तुम्हारे अन्दर पहले से थी।" फ्लिंट में मुझे फोटोग्राफी करते हुए चार साल हो गए, और अब मुझे लगता है कि मैंने आदर्श न्याय किया है। चाहे परिस्तिथि में कितना भी अँधेरा हो, एक कैमरा रोशनी ढूँढके नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल सकता है। धन्यवाद। (तालियाँ) अगर आप आज यहां मौजूद हैं और मैं बहुत ख़ुश हूं कि आप यहां हैं - आप सभी ने सुन लिया होगा कि किस प्रकार निरंतर उभार हमें हमसे बचा लेगा। हालांकि हम टीईडी पर नहीं हैं, तो हमें अनेक बार यह बताया जाता है कि ख़ासतौर पर न्‍यू यार्क शहर जैसे बड़े शहरी इलाकों में वास्तविक तौर पर एक सहनीय नीति मुद्दा किसी भी प्रकार से व्यवहारिक नहीं है। यह इसलिए है क्योंकि सार्वजनिक तथा निजी दोनों क्षेत्रों में निर्णय लेने वाले अधिकांश लोग वास्तव में यह महसूस नहीं करते कि वे ख़ुद ख़तरे में हैं। मैं आज यहां एक कुत्ते के कारण मौजूद हूं : एक त्यक्त पिल्ला, जो मुझे सन् 1998 में बारिश में मिला। वह मेरी सोच से ज़्यादा बड़े आकार की कुत्तिया बनी। जब वह मेरी ज़िंदगी में आई, तब हम एक बड़ी कचरे की सुविधा के ख़िलाफ़ लड़ रहे थे, जो कि नदी के पूर्वी जलभाग के लिए योजनाबद्ध थी। इस तथ्‍य के बावजूद कि पूरे शहर के वाणिज्यिक कचरे का 40 प्रतिशत हिस्सा न्यूयार्क शहर का हमारा छोटा सा भाग पहले से ही संभाल रहा है। एक मल शोधक संयंत्र, एक मलीन कीचड़ संयंत्र, चार ऊर्जा संयंत्र, विश्‍व का सबसे बड़ा भोजन वितरण कें‍द्र, साथ ही अन्य उद्योग जिनके कारण 60:00 डीज़ल ट्रक प्रत्येक सप्ताह इस क्षेत्र में चक्कर लगाते हैं। इस क्षेत्र में उद्यानों और लोगों का अनुपात भी शहर में सबसे कम है। इसलिए जब उद्यान विभाग ने नदी तट परियोजनाओं के विकास में सहायता हेतु 10:00 अमरीकी डालर के बीज अनुदान कार्यक्रम के लिए मुझसे संपर्क किया, तो वे मुझे कुछ सार्थक लगे, परन्‍तु कुछ सहज भी। मैं आजीवन इस क्षेत्र में रही हूं और नदी तक नहीं पहुंच पायी हूं क्योंकि, जैसा कि मैंने पहले बताया था कि वहां पर कैसी भी सुविधाएं नहीं दी गई थीं। फिर एक दिन प्रात:काल मैं जब अपने कु‍तिया के साथ दौड़ लगा रही थी, तो वह मुझे एक ढ़ेर की ओर खींच कर ले गई जिसे मैंने सोचा कि ग़ैर-क़ानूनी ढंग से फैंका गया कचरा है। वहां कई तरह से फैंका गया कचरा था जिसके बारे मैं यहां नहीं कहूंगी। वह मुझे खींचती रही, और देखा तो सामने नदी थी। मैं जानती थी कि यह भुला दिया गया सड़क का छोर, जिसे कुत्ते की भांति छोड़ दिया गया था, वह बचाने योग्य था। एक गौरवशाली शुरुआत बन सकती है। नए दक्षिणी ब्रोंक्स के ऊत्थान की। और मेरी कुत्तिया की भांति ये सोच भी ज़्यादा बड़े आकार की बनी। हमने साथ-साथ बहुत सा समर्थन प्राप्‍त किया। और 60 वर्षों में हंटस प्वाइंट रिवरसाईड पार्क, दक्षिणी ब्रोंक्स का पहला जल अभिमुख पार्क बन गया था। हमें मिली हुई 10:00 अमरीकी डालर की अनुदान राशि को 300 गुणा अधिक प्रभावशाली ढंग से प्रयोग कर उस पार्क को 30 लाख डालर का बना दिया। और आने वाले पतझड़ के मौसम में मैं अपने प्रेमी के साथ शादी करने जा रही हूं। आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद। (प्रशंसा करते हैं) वह वही व्‍यक्‍ति है जो पीछे बटन दबा मुझे हर समय प्रेरित करता रहता है। (हंसते हैं) (प्रशंसा करते है) (हंसते हैं) (प्रशंसा करते हैं) परंतु हम में से जो लोग पर्यावरण न्‍यायिक समाजों में रहते हैं वे कोयले की ख़ान में हीरे की तरह होते हैं। हम समस्‍याओं को अभी महसूस कर रहे हैं और ये कुछ समय तक और रहेंगी। जिन लोगों को पर्यावरण न्याय का अर्थ मालूम नहीं है उनके लिए अर्थ इस प्रकार है : किसी एक समुदाय को किसी अन्‍य समुदाय की तुलना में अधिक पर्यावरण के बोझ से दबाना नहीं चाहिए और किसी अन्‍य से पर्यावरण लाभ कम नहीं दिए जाने चाहिए। दुर्भाग्‍यवश, जाति और वर्ग बहुत हद तक इस बात के विश्‍वसनीय सूचक हैं कि यहां पर पार्क या पेड़ों जैसी अच्छी चीज़ें देखी जा सकती हैं या फिर कहां पर बिजली संयंत्र तथा कचरे से निपटने की सुविधाएं जैसी घटिया चीज़ें देखी जा सकती हैं। अमरीका में काली नस्‍ल का होने के कारण मेरा आवास ऐसे क्षेत्र में होने की संभावना गोरी नस्‍ल के व्यक्ति से दुगुनी हो जाती है जहां पर वायु प्रदूषण मेरे स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक ख़तरा बन सकता है। और किसी बिजली संयंत्र या रसायन उद्योग के कुछ ही दूरी पर मेरे आवास की संभावना पांच गुणा हो जाती है – जहां पर मैं अब भी रह ही रही हूं। जगह के प्रयोग संबंधी फैसलों ने विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न कर दी हैं जिनसे मोटापा, मधुमेह तथा अस्‍थमा जैसी समस्याएं पैदा हो गई हैं। कोई भी अपने विषैले पड़ोस में सुबह की सैर करने के लिए क्यों जाना चाहेगा? मोटापे का 27 प्रतिशत दर इस देश के लिए भी ज़्यादा है और मधुमेह की भी यही स्‍थिति है। साऊथ ब्रोंक्स में प्रति चार बच्चें में से एक बच्चा अस्थमा से पीड़ित है। अस्थमा के इलाज हेतु अस्पताल में भर्ती का हमारा दर राष्ट्रीय औसत से सात गुणा ज़्यादा है। ये प्रभाव सभी के जीवन में आ रहे हैं। हमें इस ठोस गंदगी के लिए अत्‍यधिक दाम चुकाने पड़ते हैं, इससे हमें प्रदूषण द्वारा स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं इससे अधिक घिनौनापन तब होता है जब हमें उन काली नस्ल और लेटिन युवाओं को क़ैद में रखने का बोझ उठाना पड़ता है जिनमें बहुत सी क्षमताएं छुपी होती हैं। हमारे 50 प्रतिशत निवासी ग़रीबी रेखा पर या उससे नीचे रहते हैं। हमसे 21 प्रतिशत लोग बेरोज़गार हैं। कम आय वाले नागरिक प्राथमिक चिकित्‍सा हेतु ज़्यादातर आपातकालीन कक्ष में जाते हैं। यह टैक्‍स अदा करने वालों के लिए महंगा पड़ता है और अनुपात के अनुसार कोई लाभ नहीं देता है। ग़रीब लोग केवल ग़रीब ही नहीं हैं वे अस्‍वस्‍थ भी हैं। भाग्यवश, मेरे जैसे बहुत से लोग हैं जो कि उपायों के लिए प्रयास कर रहे हैं और वे काली नस्ल के कम आय वाले लोगों के लिए लघु अवधि के लिए समझौता नहीं करेंगे और इन्हीं को दीर्घ अवधि हेतु वे पूर्णत: नष्‍ट नहीं होने देंगे। वह सब हममें से कोई भी चाहता और हम सभी में इस बात के लिए समानता है। तो हम सभी में और क्‍या कुछ एक समान है? हां, सबसे पहले हम सभी आश्चर्यजनक तौर पर अच्छे दिखते हैं – (हंसते हुए) – उच्च शिक्षा प्राप्त है। कालेज स्नातकोत्तर डिग्रियां ग्रहण की हुई हैं, रूचिपूर्ण स्थानों की यात्रा की हुई, किशोरावस्‍था में बच्चे पैदा नहीं किए हैं, वित्तीय तौर पर स्थित हैं, कभी जेल नहीं गए। ठीक है बहुत अच्‍छे । (हंसते हैं) परंतु काली नस्ल की महिला होने के बावजूद, मैं आपमें से ज़्यादातर लोगों से अनेक प्रकार से अलग हूं। मैंने अपने पड़ोस की लगभग आधी बिल्‍डिंगों को जलते हुए देखा है। मेरे बड़े भाई लैनी ने विएतनाम में युद्ध किया, उसे घर से कुछ ही दूरी पर गोली मार दी गई। हे भगवान, मैं तो नशे की दुक़ान के सामने एक मकान में रहते हुए बड़ी हुई हूं। हां, मैं घेट्टो की एक काली नस्ल की ग़रीब बच्ची हूं। ये चीज़ें मुझे आपसे अलग करती हैं। परंतु हम लोगों में जो कुछ भी समान है वह मुझे मेरे समुदाय के बहुत से अन्य लोगों से अलग बनाता है तथा मैं इन दोनों प्रकार की दुनिया के बीच हूं, और मुझमें दुनिया के दूसरे लोगों के लिए न्याय प्राप्त करने हेतु पर्याप्त हिम्मत है। तो हमारे लिए यह सभी कुछ इतना अलग क्यों हो गया? मेरे पिता एक दास के पुत्र थे, वे रेल के शयनयान में दरबान का कार्य करते थे, उन्होंने 40 के बाद के कुछ वर्षों में साउथ ब्रोंकस के हंट्स प्वाइंट भाग में एक घर ख़रीदा, उसके कुछ सालों बाद उन्होंने मेरी मां से शादी की। उस समय समुदाय के अधिकांश लोग सफ़ेद नस्ल के थे अड़ोस-पड़ोस के अधिकतर लोग नौकरी पेशा थे। मेरे पिता अकेले नहीं थे। उनकी तरह अन्य लोग भी अमरीकी स्वप्न के साथ-साथ चलते रहे, साऊथ ब्रोंकस और देश के बहुत से शहरों में गोरों के भाव बढ़ने लगे। बैंकों द्वारा लाल रेखा प्रयोग की गई और हमारे भाग सहित शहर के कुछेक भागों में गया। हमारे द्वारा किसी प्रकार का भी निवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। बहुत से मकान मालिकों ने सोचा कि अपनी बिल्‍डिंगों को आग लगाना ज़्यादा फ़ायदे का सौदा है, उन हालात में बेचने से बेहतर बीमा की राशि इकट्ठी करने में ज़्यादा फ़ायदा है। मृत या घायल किराएदारों की तरफ़ कोई ध्‍यान नहीं दिया गया। हंट्स प्वाइंट पहले एक ऐसा समुदाय था जो कि पैदल चलकर काम पर जाता था, परंतु अब निवासियों के पास न तो काम ही था और न ही पैदल चलकर जाने के लिए घर। हमारी समस्याओं में राष्‍ट्रीय राजमार्ग बनाने की तेज़ी को जोड़ दिया गया। न्‍यूयार्क में, राबर्ट मोसेस ने राजमार्ग विस्तार अभियान में तीव्रता दिखाई। उसका एक प्रमुख लक्ष्य वेस्ट चेस्टर काऊंटी के अमीर समुदाय के निवासियों को मैनहट्टान जाने के लिए आसान बनाया जाना था। साऊथ ब्रोंकस जो बीच में पड़ता था उससे कोई मतलब नहीं था। कभी-कभी तो वहां के निवासियों की बिल्‍डिंगें तोड़ने के पहले उनको एक महीने से भी कम समय का नोटिस दिया जाता था। 600:00 लोग बेघर हो गए। आम धारणा यह थी कि साऊथ ब्रोंकस में तो केवल दलाल या वेश्याएं ही रहती हैं। अगर आपको पहले ही बता दिया जाए कि आपके समुदाय के लिए कुछ अच्‍छा नहीं होने वाला है और जो कुछ भी होगा वह बुरा और भद्दा ही होगा, तो ऐसी बात की प्रतिक्रिया आप पर क्यों नहीं झलकेगी? अब मेरे परिवार की संपत्ति मूल्यहीन हो गई, सिवाय इसके कि वह हमारा घर था और जो भी कुछ था वह बस वही था। और ख़ुशक़िस्मती से मेरे लिए वह घर और उसमें बसा प्‍यार और साथ ही शिक्षकों, सलाहकारों और मित्रों द्वारा की गई सहायता मेरे लिए काफ़ी थी। अब, यह कहानी महत्वपूर्ण क्यों है? चूंकि प्रत्‍यक्ष योजना से, आर्थिक गिरावट उत्पन्न होती है और आर्थिक गिरावट से पर्यावरण में गिरावट उत्पन्न होती है, जिससे सामाजिक गिरावट आती है। 1960 के दशक में जो विनिवेश प्रारंभ हुआ था उसने आने वाले पर्यावरण संबंधी अन्याय के लिए आधार बना दिया। पुराने क्षेत्रिय वर्गीकरण तथा ज़मीन के इस्तेमाल संबंधी नियम क़ानून आज तक प्रयोग किए जा रहे हैं जो कि मेरे आसपास प्रदूषण उत्पन्न कर रहे हैं। जब ज़मीन के इस्तेमाल संबंधी नीति तय की जाती है तब क्‍या इन कारणों को विचाराधीन रखा जाता है? इन निर्णयों की क़ीमत क्‍या होती है? तथा उसे कौन अदा करता है? उससे किन्हें लाभ होता है? क्‍या कोई यह सोचता है कि स्थानीय समुदाय को किन हालात का सामना करना पड़ता है? यह वह ‘योजना’ थी, जिसमें हमारे लिए कुछ अच्‍छा नहीं सोचा गया था। एक बार जब हमें अहसास हो गया, तब हमने निश्‍चय किया कि अब समय आ गया है कि हम अपनी योजना ख़ुद तैयार करें। वह छोटा सा पार्क जिसके बारे में मैंने आपको पहले बताया था वह साऊथ ब्रोंकस में हरित क्रांति लाने का प्रथम चरण था। जल अभिमुख खुले मैदान की जिसके साथ बाईक पथ हो ऐसी योजना तैयार करने हेतु मैंने 12.50 लाख रुपए की संयुक्‍त परिवहन अनुदान राशि की मांग की। वास्तव में होने वाले सुधारों से ट्रैफिक सुरक्षा के लिए सार्वजनिक नीति तैयार करने में सहायता मिलती है, उससे कचरा तथा अन्य सुविधाओं के लिए स्‍थान चुनने में सहायता मिलती है जो कि सही से किया जाए तो समाज के लोगों को जीवन में गुणवत्‍ता से समझौता नहीं करना पड़ेगा? ये शारीरिक तौर पर और अधिक चुस्त रहने के लिए अवसर प्रदान करते हैं, साथ ही स्थानीय आर्थिक विकास भी होता है। सोचिए बाईक की दुकानें, जूस की दुकानें। पहले चरण की परियोजनाओं को तैयार करने हेतु हमने 200 लाख डालर प्राप्त किए। यह लाफयेट एवेन्यू है और मैथयू-नीलसन नामक वास्तुकारों द्वारा पुन: इसका डिज़ाईन बनाया गया। एक बार इस मार्ग का निर्माण हो जाएगा तो यह साऊथ ब्रोंकस को रेंडल आईलैंड पार्क की 400 एकड़ से भी ज़्यादा भूमि के साथ जोड़ देगा। अभी भी लगभग 25 फीट पानी द्वारा अलग कर दिए गए हैं परंतु यह निर्माण उसे बदल देगा। जिस प्रकार हम प्राकृतिक पर्यावरण का पोषण करते हैं, उसकी प्रचुरता हमें और भी अधिक वापस लौटाएगी। हम ब्रोंकस इकोलजिकल सटूवार्डशिप ट्रेनिंग नाम की एक परियोजना चला रहे हैं, जो पर्यावरण पुनर्वास के क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करती है; इससे हमारे समुदाय के लोगों के पास इन अच्‍छे वेतन वाली नौकरियों के लिए दावेदारी करने योग्‍य कौशल होगा। धीरे-धीरे हम इन क्षेत्र में पर्यावरण संबंधी नौकरियां उत्पन्न कर रहे हैं – इससे लोगों की पर्यावरण में वित्तीय तथा व्यक्तिगत हिस्सेदारी होगी। शेरीडैन एक्‍सप्रेस मार्ग राबर्ट मोसेस युग में कम प्रयुक्त किए जाने का एक चिन्ह है, जिसमें बांटे गए आसपास के क्षेत्र का कोई ध्यान नहीं रखा गया था। यह भीड़ वाली समयावधि में भी खाली पड़ा रहता है। समुदाय ने एक अन्य परिवहन योजना तैयार की है; जिससे राजमार्ग को हटाया जा सकता है। अब हमें अवसर मिला है कि हम सभी सहभागियों को एक साथ ले आएं और दोबारा विचार करें कि 28 एकड़ भूमि को पार्क बनाने, उचित मूल्‍य के घर बनाने तथा स्‍थायी आर्थिक विकास के लिए किस प्रकार प्रयोग में लाएं। हमने न्‍यूयार्क शहर की पहली हरित और शीतल छत की प्रदर्शन परियोजना अपने आफ़िसों की छत पर बनाई है। शीतल छतें अत्‍यधिक प्रतिबिंबित सतह होती हैं जो सूर्य की गर्मी को सोखती नहीं हैं और उसे बिल्‍डिंग या वातावरण में नहीं भेजती हैं। हरित छतें मिट्टी तथा पौधों से बनी होती हैं। पेट्रोलियम आधारित छत बनाने की सामग्री बजाए इन दोनों चीज़ों का इस्तेमाल किया जा सकता है। पेट्रोलियम से बनी सामग्री गर्मी को सोखती है और शहरी ‘’हीट आईलैंड’’ प्रभाव को बढ़ाती है तथा सूरज की गर्मी के कारण बिखरती है, जो कि हमारी सांसों में घुल जाती है। हरित छतें 75 प्रतिशत बारिश का पानी अपने भीतर रोक सकती हैं; जिससे ये शहरों में पाईप डालने वाले महंगे उपायों को भी घटाते हैं – जो दुर्भाग्यवश, पर्यावरण न्याय समुदायों मे स्थित होते हैं – जैसे कि हमारे क्षेत्र में। और वे हमारे छोटे-छोटे मित्रों के लिए रहने की जगह प्रदान करते हैं। तब – (हंसते हैं) – बहुत शीतल है! कुछ भी कहो, प्रदर्शन परियोजना हमारे हरित छत लगाने के व्‍यवसाय के लिए आगे बढ़ने का मार्ग है; जो साऊथ ब्रोंकस के लिए नौकरियां तथा स्थिर आर्थिक गतिविधि लेकर आएगा। (हंसते हैं) (प्रशंसा करते हैं) मुझे यह भी पसंद आया। मुझे मालूम है कि हमें यहां ज़्यादा नहीं चढ़ना चाहिए। परंतु चूंकि आप सभी का ध्‍यान मुझ पर है, हमें निवेशक चाहिए। पिच की समाप्‍ति अनुमति लेने से क्षमा मांग लेना बेहतर होता है। ख़ैर – (हंसते हैं) (प्रशंसा होती है) ठीक है कैटरीना, कैटरीना से पहले साऊथ ब्रोंकस तथा न्यू ओरलीनस नवें वार्ड के बीच बहुत कुछ समान था। दोनों जगहों पर ज़्यादातर लोग काली नस्ल के ग़रीब लोगों की आबादी हैं। दोनों जगहों पर सांस्‍कृतिक खोजबीन होती थी : हिप-हॉप और जैज़ के बारे में सोचें। दोनों ही जल अभिमुख समाज हैं जिनमें दोनों में उद्योग लगे हैं तथा निवासी आपस में एक दूसरे के क़रीब रहते हैं। कैटरीना के बाद के युग के बाद, हमारे बीच और भी बहुत कुछ एक जैसा है। हम सबसे अधिक नज़रअंदाज़ किया गया। बुरा भला कहा गया तथा गाली दी गई। यह सभी कुछ लागू करने वाली एजेंसियों की लापरवाही, हानिप्रद क्षेत्र का बंटवारा तथा सरकार की जवाबदेही में ढीलापन है। न तो नवें वार्ड की और न ही साऊथ ब्रोंकस के नष्‍ट करने को टाला जा सकता था। परंतु हमने ख़ुद को कैसे बचाना है इस बारे में हम कुछ मूल्यवान सबकों के साथ ऊभर कर आए हैं। हम शहरी अभिशाप के राष्ट्रीय चिन्हों से भी कुछ ज़्यादा है। या फिर हमारी समस्याएं पहले आ चुके और भविष्‍य में आने वाले राष्‍ट्रपतियों के खोखले वादों द्वारा सुलझाई जाएगी। क्‍या हम गल्फ कोस्ट को भी साऊथ ब्रोंकस की भांति बिगड़ी हालत में बहुत समय तक पड़े रहने दें? या फिर हम, मेरे जैसे मेरे समुदाय में निराशा के फलस्वरूप कार्यकता बने आम आदमी से कुछ शिक्षा लें और कुछ सक्रिय कदम उठाएं? अब सुनिए, मैं यह आशा नहीं रखती कि कोई व्यक्ति विशेष, निगम या सरकार विश्‍व को इसलिए एक बेहतर जगह बनाएं क्योंकि यह अधिकार है या फिर यह नैतिकता से संबंधित है। आज का यह प्रस्‍तुतीकरण केवल मेरे सामने आई कुछेक घटनाएं हैं जिनका मैंने थोड़ा सा सामना किया था। आपके पास कोई सुराग नहीं है। परंतु अगर आप जानना चाहते हैं तो मैं आपको बाद में बताऊंगी परंतु यह विचार करने योग्य बात है या फिर यह किसी के लिए उपलब्धि है, जो कि अंत में लोगों को प्रेरित करेगी। स्थिर विकास जिन तीन विचारों को उत्पन्न कर सकता है मैं उनमें रूचि रखती हूं। वे विकास जिनमें सभी के लिए रचनात्‍मक कार्य करने की क्षमता हो : विकास करने वाले, सरकार तथा वह समाज जहां पर ये परियोजनाएं विकसित की जाती हैं। आज न्यूयार्क शहर में ऐसा नहीं हो रहा है। हम बड़े पैमाने पर शहरी योजना में न्‍यूनता के साथ कार्य कर रहे हैं। सरकार की तरफ़ से एक बड़ी सहायता का प्रस्ताव आने वाला है। और स्‍टेडियमों के विकास हेतु सरकार वित्तीय सहायता का प्रस्‍ताव रखेगी, परंतु बढ़ते हुए यातायात, प्रदूषण गंदगी के और खुले वातावरण में इनके प्रभावों से निपटने को लेकर शहरी एजेंसियों में आपसी तालमेल बहुत कम नज़र आ रहा है। और स्थानीय अर्थव्यवस्था तथा रोज़गार विकसित करने की दिशा में उनका रवैया इतना ढीला है कि उस पर हंसा भी नहीं जा सकता। इसके ऊपर, विश्व का सबसे धनवान खेल दल रूथ द्वारा बनाए गए उस घर को हटा रहे हैं जिसे दो बहुत प्‍यारे समुदाय पार्कों को नष्‍ट करके बनाया गया था। अब आंकड़े उन आंकड़ों से भी कम होंगे जो मैंने पहले आपको बताए थे। जबकि साऊथ ब्रोंकस में 25 प्रतिशत से कम निवासियों के पास कारें हैं फिर भी इन परियोजनाओं में हज़ारों नई पार्किंग की जगह शामिल की गई हैं, और अभी भी सार्वजनिक परिवहन की ओर कोई ध्‍यान नहीं दिया गया है। इस बहस में जिस बात की कमी है वह है लागत लाभ विश्लेषण की विस्तृत जानकारी, जो अस्वस्थ बिगड़े हुए पर्यावरण वाले समाज के सुधार को न देखने और संरचनात्मक व स्थायी बदलावों के बीच है। मेरी एजेंसी कोलंबिया विश्वविद्यालय तथा अन्य लोगों के साथ काम करके इन मुद्दों पर प्रकाश डालने का प्रयास कर रही है। अब हम सीधी बात करें। मैं विकास विरोधी नहीं हूं। यह हमारा शहर है, यह कोई सुनसान जगह नहीं है। मैंने अपने भीतर के पूंजीपति को गले लगा रखा है। और शायद आप सभी में भी वह होता है, और अगर वह आपके पास नहीं है तो आपको उसकी आवश्यकता है। (हंसते हैं) इसलिए मुझे निर्माणकर्ताओं के पैसा बनाने से कोई परेशानी नहीं है। इससे पहले भी बहुत से उदाहरण हैं जो यह दर्शाते हैं कि सहारा देने वाले, समाज के लिए भले विकास द्वारा भी कमाई की जा सकती है। जेईडी के साथी कार्यकर्ता बिल मैकडोनो तथा एमरी लोविन्‍स – दो ही मेरे लिए हीरो हैं और दोनों ने कर दिखाया है कि आप जो चाहे उसे कर सकते हैं। मुझे उन विकास कार्यों से परेशानी अवश्य होती है जो धन कमाने के लिए राजतैनतिक दृष्टि से सुभेद्य समुदायों का अत्यधिक शोषण करते हैं। यह चलता रहता है यह हम सभी के लिए शर्मनाक बात है और चूंकि हम सभी लोग इसको ख़ुद तैयार किए गए भविष्य के लिए ज़िम्मेदार हैं। ख़ुद की और अधिक ज़िम्मेदारियों के लिए मैं एक चीज़ करती हूं और वह है कि मैं अन्य शहरों के काल्‍पनिक लोगों से शिक्षा लेती हूं। वैश्‍वीकरण के बारे में मेरा यही कहना है। हम बोगोटा को लें। वहां पर गरीब, लेटिनों लोग हैं जो कि चारों ओर से हिंसक गोलीबारी से घिरे हुए हैं तथा वहां पर ड्रग्‍स का धंधा भी होता है : साऊथ ब्रोंकस की छवि उस जगह की छवि जैसी नहीं है। हालांकि 1990 के दशक के अंत में इस शहर में एनेरीक पेनलोसा नामक एक प्रभावशाली मेयर हुए थे। उन्होंने इस शहर की जनसांख्यिकी को देखा। बोगोटा के कुछ ही निवासियों के पास कारें थीं, तब भी शहर के संसाधनों का बहुत अधिक भाग उन्हीं की सेवा में ख़र्च कर दिया जाता था। अगर आप शहर के मेयर हैं तो आप इसका कोई हल निकाल सकते हैं। उसके प्रशासन ने निगम के प्रमुख आम रास्तों को पांच लेन से तीन लेन का बना दिया; इन सड़कों पर गाड़ी खड़ी करने को मनाही कर दी, पैदल पथ तथा बाईक लेन चौड़े कर दिए, सार्वजनिक लोगों के लिए नगर चौक बनवाएं और पूरे विश्व की सबसे कुशल बस सेवा प्रणाली बनाई। उसके इन अच्‍छे प्रयासों के लिए उसपर दोषारोपण किया गया। परंतु जब लोगों ने देखा कि उनके रोजमर्रा के मुद्दों का प्राथमिकता दी जा रही है, अविश्वसनीय घटनाएं घटने लगीं। क्योंकि सड़कों पर लोग सक्रिय थे। इसलिए लोगों ने गंदगी फैंलाना बंद जुर्म घटने लगा। क्योंकि सड़कें तो लोगों से ही जिवित थीं उसके प्रशासन के दौरान उसके शहरी समस्याओं को एक साथ निपटाया गया और वह भी एक बहुत ही कम बजट में। इस देश में हमारे पास कोई बहाना नहीं है। मुझे क्षमा करें। परंतु मुख्य बात यह थी कि पीपल-फर्स्ट मुद्दा कार रखने में सक्षम लोगों को सज़ा देना नहीं था अपितु वह तो सभी बोगाटा वासियों को शहर के उत्थान में भाग लेने का अवसर प्रदान करना था। विकास अधिकांश जनता को नुक़सान पहुंचाकर नहीं किया जाना चाहिए, अमरीका में इस विचार को आज भी प्राथमिकता दी जाती है। परंतु बोगोटा के उदाहरण में उसे बदलने की क्षमता है। आपको हालांकि प्रभावशाली होने का वरदान प्राप्त है। इसलिए ही आप यहां हैं और इसलिए आप हमारे द्वारा दी जाने वाली जानकारी को महत्वपूर्ण मानते हैं। अपने प्रभाव को सभी जगह लाभकारी स्थायी बदलाव लाने में सहायतार्थ प्रयोग करें। इसके बारे में केवल टीईडी पर बात न करें।यह संपूर्ण राष्ट्र के लिए नीति मुद्दा है जिसे मैं बनाने का प्रयास कर रही हूं और जैसाकि आप जानते हैं राजनीति व्यक्तिगत होती है। मुझे नवीन काले को हरित बनाने में सहायता करें। सहारे को आकर्षक बनाने में मेरी सहायता करें। इसे अपने रात्री भोज और कॉकटेल पार्टी में चर्चा कर विषय बनाएं। पर्यावरण और आर्थिक अन्याय से लड़ने में मेरी सहायता करें। ट्रिपल बॉटम लाईन प्राप्‍ति के लिए निवेश का समर्थन करें। सहारे को जनतांत्रिक बनाने और सभी को इकट्ठा करने में मेरी सहायता करें, और यह दबाव डालें कि लाभदायक़ योजना की चर्चा हर जगह की जा सकती है। बहुत अच्‍छे, मुझे ख़ुशी है कि मेरे पास थोड़ा और समय बाकी है। सुनिए – जब उस दिन नाश्‍ते के बाद जब मैंने मिस्‍टर गोर से बातचीत की, तब मैंने उनसे पूछा कि नई विपणन योजना में पर्यावरण कार्यकर्ताओं को किस प्रकार शामिल किया जाएगा। उनका जबाव अनुदान कार्यक्रम के बारे में था। मैं यह नहीं समझती हूं कि उन्होंने यह समझ लिया कि मैं पैसों की मांग नहीं कर रही हूं। मैं उन्‍हें एक प्रस्‍ताव दे रही थी (प्रशंसा होती है)। मुझे यह परेशानी थी कि यह ऊपर से नीचे की सोच अब भी मौजूद है। आप मुझे ग़लत न समझें; मुझे पैसा चाहिए (हंसते है)। परंतु निर्णय लेने की प्रक्रिया के दौरान ज़मीन से जुड़े लोगों की आवश्यकता होगी। मिस्‍टर गोर ने प्रतिदिन 90 प्रतिशत व्यर्थ जाने वाली ऊर्जा के बारे में मुझे बार-बार याद दिलाया, वे बोले कि उस गिनती में हमारी व्यर्थ गई ऊर्जा, बुद्धिमता तथा गहरे अनुभव को न जोड़े। (प्रशंसा होती है)। मैं आपसे इतनी दूर से इस तरह मिलने चली आयी हूं। कृपया मुझे व्यर्थ न समझें। साथ मिलकर काम करने से हम ऐसा छोटा सा, तेज़ी से बढ़ने वाले व्यक्तियों का समूह बन सकते हैं जिनमें वास्तव में यह मानने का साहस और हिम्‍मत होती है कि वे संसार को बदल सकते हैं। हम सभी इस सम्‍मेलन में जीवन के बहुत से विभिन्न स्टेशनों से आए होंगे, परंतु विश्वास मानिए, हम सभी में एक अविश्वसनीय शक्तिशाली बात है – वह है कि हमारे पास खोने को कुछ भी नहीं है और पाने को सब कुछ है। अलविदा दोस्तों (प्रशंसा होती है)। TED में पिछले साल मैंने LHC का परिचय दिया था। और वापस आकर आपको यह अपडेट देने का वादा भी किया था कि यह मशीन कैसे काम करती है? तो यह लीजिए। और आप में सो जो लोग वहाँ नहीं थे, उनके लिए LHC अब तक का सबसे बड़ा वैज्ञानिक प्रयोग है -- परिधि में 27 किलोमीटर। और इसका काम है उन परिस्थितियों को पुनः जन्म देना जो उपस्थित थी, संसार की शुरुआत के एक सेकंड के अरब भाग में -- हर सेकंड में 60 करोड़ बार। यह काफ़ी महत्त्वाकांक्षी है। यह जेनेवा के नीचे रखी मशीन है। हम अनुवेदकों के अन्दर छोटे धमाकों की तस्वीर लेते हैं। इस पर मैंने काम किया है। इसे एटलस अनुवेदक कहते हैं यह 44 मीटर चौड़ा है, और इसका व्यास 22 मीटर है। एटलस के निर्माण के समय की कुछ अद्भुत तस्वीरें ताकि आप इसकी विशालता का अंदाज़ा लगा सकें। पिछले साल 10 सितम्बर को हमने इस मशीन को पहली बार चलाया था। और इस तस्वीर को एटलस ने लिया था। इसकी वजह से नियंत्रण कक्ष में काफ़ी उत्सव भी हुआ था। यह पहली किरण के परमाणु की तस्वीर है जो LHC का चक्कर लगा रहा है, और ज़बरदस्ती LHC के एक अंश से टकराता है, और अनुवेदक में परमाणुओं की वर्षा करता है। दूसरे शब्दों में, जब हमने 10 सितम्बर को वह तस्वीर देखी तो हम समझ गए कि मशीन काम कर गयी है, जो कि एक बहुत बड़ी जीत है। मुझे नहीं पता कि इसे ज्यादा तालियाँ मिली, या उसे, जब कोई गूगल पर गया और उसने देखा कि पहला पन्ना ऐसा था। इसका मतलब यह है कि हमने सांस्कृतिक प्रभाव बनाया और वैज्ञानिक प्रभाव भी। हफ्ते भर बाद हमने मशीन में कठिनाई का सामना किया, जो असल में इन तारों से जुड़ी थी -- इन सोने के तारों से। इन तारों में 13 हज़ार एम्पीयर का करण्ट होता है जब मशीन अपनी पूरी क्षमता पर होती है। आप में से जो इंजीनियर हैं, वो इसे देखेंगे और कहेंगे, "ऐसा नहीं हो सकता है। यह तार बहुत छोटे हैं।" ऐसा हो सकता है क्योंकि जब ये बहुत ठण्डे होते हैं तो ये सुपर-कण्डक्टिंग तार होते हैं। तो शून्य से 271 डिग्री नीचे, जो कि आसमान के तारों के बीच की जगह से भी ठंडा है, यह तार उस करण्ट को ले जा सकते हैं। LHC के नौ हज़ार चुम्बकों के बीच के एक जोड़ में, एक विनिर्माण दोष था। तो तार थोड़े गरम हो गए, और उनके 13 हज़ार एम्पीयर के करण्ट को विद्युत प्रतिरोध मिल गया। उसका नतीजा यह था। यह ज्यादा प्रभावशाली लगता है जब आप यह सोचें कि हर चुम्बक का वज़न 20 टन है, और वे एक फ़ुट के करीब खिसक गए। हमने ऐसे करीब 50 चुम्बकों को नुकसान पहुँचाया। हमें उन्हें बाहर निकलना पड़ा, जो हमने किया। हमने उन सब को फिर से संगठित किया, ठीक किया। अब वे सब फिर से सतह के नीचे जा रहे हैं। मार्च के अंत तक LHC फिर से संपूर्ण हो जाएगा। हम उसे शुरू कर देंगे, और संभवतः जून या जुलाई में हमें आंकड़े मिलने लगेंगे, और अपनी खोज को जारी रखेंगे, यह पता करने के लिए कि ब्रम्हांड के मूलभूत अंग क्या हैं। अब ज़ाहिर है, एक तरह से उन दुर्घटनाओं से बहस फिर से शुरू हो जाती है कि क्या उच्च कोटि विज्ञान और प्रौद्योगिकी की यह कीमत सही है? इसका खंडन आसानी से किया जा सकता है। मुझे लगता है कि यह तथ्य कि यह बहुत मुश्किल है, यह तथ्य की हम ज़रुरत से आगे जा रहे हैं, ही सही मायने में LHC का सही मोल है। मैं अंत में अँग्रेज़ वैज्ञानिक, हम्फ्रे डेवी के शब्द दोहराना चाहूँगा, जो, मुझे लगता है, उन्होंने अपने छात्र के बेकार प्रयोगों का बचाव करते हुए कहे थे, उनके छात्र थे माइकल फैराडे, उन्होंने कहा, "मनुष्य के दिमाग के विकास में इससे ज़्यादा खतरनाक कुछ भी नहीं कि यह मान लिया जाए कि विज्ञान के बारे में हमारे विचार परिपूर्ण हैं, प्रकृति में अब और कोई रहस्य नहीं है, अब हमारी विजय पूरी हो चुकी है, और यह कि अब ढूँढने के लिए कुछ नहीं है।" धन्यवाद। (तालियाँ) मैं एक आइडिया एक्टिविस्ट हूं। मतलब, मैं लड़ता हूं उन विचारों के लिए जिन्हें मैं मानता हूँ मौजूद होना चाहिए , चाहे वे भूमध्य रेखा के किसी भी तरफ पैदा हुए हों । साथ ही मुझे भी चाहिए। मैं दुनिया के उस हिस्से से हूं अक्सर शिष्ट भाषा में बुलाया जाता है या तो "ग्लोबल साउथ" या "विकासशील दुनिया।" पर चलिए इसे स्पष्ट कहें: जब हम ये शब्द कहते हैं, तब वास्तव में हमारा मतलब होता है गरीब दुनिया - दुनिया के वे कोने जो तैयार पात्र हैं अन्य स्थानों और अन्य लोगों के उपयोग किये, नीच विचारों के लिए। लेकिन मैं यहां हूं इस स्क्रिप्ट से थोड़ा सा अलग हटने के लिए और आपको समझाने की कोशिश करने के लिए कि ये स्थान वास्तव में जीवित हैं और विचारों से बुलबलातें हैं । असली मुद्दा है: मैं कहां से शुरू करूं? तो शायद मिस्र, अलेक्जेंड्रिया, जहां हम रिजवान से मिलते हैं। जब वह अपनी सूक के बाहर चलता है, दिल की दवा लेने एक फार्मेसी में जाता है जो रक्त को उसकी धमनियों में जमने से रोक सकती है , वह इस तथ्य का सामना करता है कि, बढ़ती महामारी के बावजूद वर्तमान में मिस्र में 82 प्रतिशत मौतें, यह दवाई इन्हे संबोधित कर सकती हैं कि नकली दवाएं , बुरी जीनियस हैं, निशाना लगाने का फैसला किया है। वे नकली दवाइयाँ बनाते हैं । किस्मत से रिजवान, मेरी टीम और मैंने , अफ्रीका में सबसे बड़ी दवा कंपनी के साथ साझेदारी में काम कर , अद्वितीय कोड रखे हैं - इन्हे एक बार के पासवर्ड की तरह सोचें - मिस्र में सबसे ज्यादा बिकने वाले दिल की दवा के प्रत्येक पैक पर । इसलिए जब रिजवान दिल की दवा खरीदता है, वह एकमुश्त पासवर्ड डाल सकता है टोल-फ्री शॉर्ट कोड के लिए कि हमने मिस्र की सभी दूरसंचार कंपनियों को स्थापित किया है बिना शुल्क । उसे एक संदेश मिलता है - इसे जीवन का संदेश कहें - जो उसे आश्वस्त करता है कि यह दवा मिस्र की उन 12 प्रतिशत दवाओं में से एक नहीं है जो नकली हैं। नील नदी के भव्य तट से, हम केन्या की सुंदर रिफ्ट वैली में जाते हैं। नारोक टाउन में, हम ओले लेनकु से मिलते हैं, नमक-की-पृथ्वी साथी। जब वह एक कृषि विज्ञानी की दुकान में जाता है, वह गोभी के प्रमाणित और उचित बीज लेना चाहता है अगर वह उन्हें लगाए, पर्याप्त रूप से समृद्ध फसल प्राप्त करेगा जिससे वह अपने बच्चों की स्कूल फीस का भुगतान कर सकेगा । उसे बस इतना ही चाहिए। दुर्भाग्य से, ज़्यदातर अंतरराष्ट्रीय संगठन के हिसाब से, पूर्वी व् दक्षिणी अफ्रीका में बेचे जाने वाला 40 प्रतिशत बीज संदिग्ध गुणवत्ता के होते हैं, कभी-कभी बिल्कुल नकली। सौभाग्य से ओले के लिए, एक बार फिर, हमारी टीम काम पर है, और, केन्या में अग्रणी कृषि नियामक के साथ काम कर, हमने पूरी प्रमाणन प्रक्रिया का डिजिटलीकरण कर दिया है उस देश में बीज के लिए, प्रत्येक बीज - बाजरा, सोरगम, मक्का - ऐसे कि जब ओले लेनकु बाजरा के एक पैकेट पर एक कोड डालता है वह पुनः एक डिजिटल प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है जो उसे आश्वासन देता है कि बीज ठीक से प्रमाणित है। केन्या से, हम भारत में नोएडा चलते हैं , जहां दृढ़-संकल्प अंबिका कुलीन एथलीट बनने के अपने सपने को बहुत तेजी से पकड़े हुए है, ज्ञान में सुरक्षित है कि हमारे अवयवों के कारण रेटिंग तकनीक, वह गलती से कुछ नहीं निगलेगी , जो उसके डोपिंग परीक्षणों को गड़बड़ कर दे और उसे उसके पसंदीदा खेल से बाहर निकाल दें। अंत में, हम पहुंचते हैं घाना में, मेरा अपना देश, जहाँ एक और समस्या के समाधान की आवश्यकता है - अंडर-वैक्सीनेशन की समस्या या खराब गुणवत्ता वाले टीकाकरण। आप देखें, जब आप कुछ टीके लगाते हैं एक शिशु के रक्तप्रवाह में, आप उन्हें जीवन भर का बीमा दे रहे हैं खतरनाक बीमारियों के खिलाफ जो उन्हें अपंग या मार सकती है। कभी-कभी, यह जीवन भर के लिए होता है। समस्या यह है कि टीके वास्तव में नाजुक जीव हैं और उन्हें दो डिग्री और आठ डिग्री के बीच संग्रहीत किया जाना चाहिए । और अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो वे अपनी शक्ति खो देते हैं, और तब वे उन्मुक्ति प्रदान नहीं करते हैं जो बच्चे को मिलनी चाहिए । कंप्यूटर दृष्टि वैज्ञानिकों के साथ काम कर, हमने साधारण मार्कर बदल दिए हैं टीकों की शीशियों पर जिसे आप कच्चे थर्मामीटर कह सकते हैं। तो, ये पैटर्न धीरे-धीरे बदलते हैं समय के साथ तापमान के जवाब में जब तक वे एक अलग पैटर्न नहीं छोड़ते वैक्सीन की सतह पर, ऐसा कि एक नर्स, फोन के स्कैन के साथ, पता लगा सके कि क्या टीका सही तापमान में संग्रहीत किया गया था और इसलिए अभी भी उपयोग के लिए अच्छा है बच्चे को यह देने से पहले - सचमुच अगली पीढ़ी को सुरक्षित कर रहा है। ये कुछ समाधान काम कर रहें हैं जीवन को बचाने, समाजों को बचाने , दुनिया के इन हिस्सों में। लेकिन मैं आपको याद दिलाऊंगा कि इनके पीछे शक्तिशाली विचार हैं, मैं कुछ फिर से बताता हूँ । एक, सामाजिक विश्वास पारस्परिक विश्वास के समान नहीं है। दो, खपत और विनियमन के बीच का विभाजन एक बढ़ती परस्पर-निर्भर दुनिया में अब व्यवहार्य नहीं है। और तीन, कि विकेंद्रीकृत स्वायत्तता, पश्चिम में ब्लॉकचेन उत्साहियों की परवाह किए बिना - जिनका मैं बहुत सम्मान करता हूँ , मजबूत करने में महत्वपूर्ण नहीं हैं जितना सामाजिक जवाबदेही प्रतिक्रिया। ये कुछ विचार हैं। हर बार जब मैं यह भाषण कहीं देता हूं और मैं ये टिप्पणियां करता हूं और मैं ये उदाहरण देता हूं, लोग कहते हैं, “अगर ये विचार बहुत शानदार हैं, तो ये हर जगह क्यों नहीं हैं? मैंने इन्हें कभी नहीं सुना। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूँ, इसका कारण जो अपने इन विचारों को नहीं सुना ही वास्तविक पॉइंट है जो मैने शुरुआत में बताया। और वह है कि दुनिया में कई हिस्से हैं जिनके अच्छे विचार बढ़ नहीं पाते सिर्फ इसलिए क्योंकि उनका जन्म अक्षांश के किस ओर हुआ। मैं इसे कहता हूं कि "मानसिक अक्षांश साम्राज्यवाद।" (हँसी) वास्तव में यही कारण है। लेकिन आप विरोध में कह सकते हैं, "शायद यह एक महत्वपूर्ण समस्या है, लेकिन यह एक अस्पष्ट समस्या है दुनिया के कुछ हिस्सों में। आप ऐसी समस्याओं का वैश्वीकरण क्यों चाहते हैं ? मेरा मतलब वे स्थानीय बेहतर हैं। क्या हो अगर, जवाब में, मैं आपको बताऊँ वास्तव में, प्रत्येक इन समस्याओं के नीचे जिनका मैंने वर्णन किया है एक बुनियादी मुद्दा है विश्वास के टूटने का बाजारों और संस्थानों में, और इससे अधिक वैश्विक, अधिक सार्वभौमिक आपके और मेरे करीब कुछ भी नहीं है, भरोसे की समस्या से। जैसे कि, अमेरिका में विपणन समुद्री भोजन का एक चौथाई मिथ्या लेबल है। तो जब आप मैनहट्टन में एक ट्यूना या सालमन सैंडविच खरीदते हैं, हो सकता है कि आप जो खा रहे हैं वो जापान में विषाक्त से प्रतिबंधत हो । सचमुच। आप लोगो ने उस समय के बारे में सुना होगा जब घोड़े का मांस बीफ के रूप में बनाया यूरोप में बर्गर पैटीज़ में? आपने सुना है। आपको पता नहीं है किइस नकली मांस पेटिस का एक अच्छा हिस्सा है कैडमियम से भी दूषित था , जो आपके गुर्दे को नुकसान पहुंचा सकता है। यह यूरोप था। कई लोग प्लेन क्रैश के बारे में जानते हैं और विमान दुर्घटना की चिंता करते है, क्योंकि हर कुछ दिन में, उनमें से एक आपकी चेतना में घुसपैठ करता है। लेकिन मुझे यकीन है आप नहीं जानते कि एक भी जांच ने उजागर किया हो एक लाख नकली घटनाएं अमेरिका की वैमानिकी आपूर्ति श्रृंखला में। तो यह एक वैश्विक समस्या है, पूर्ण विराम। यह एक वैश्विक समस्या है। एकमात्र कारण कि हम इसे तात्कालिकता से संबोधित नहीं कर रहे हैं यह है की सबसे अच्छा समाधान, सबसे उन्नत समाधान, सबसे प्रगतिशील समाधान, दुर्भाग्य से, दुनिया के उस हिस्सों में हैं जहां समाधान मान्य नहीं हैं। और यही कारण है कि यह आश्चर्यजनक नहीं है कि सत्यापन मॉडल बनाने के प्रयास फार्मास्यूटिकल्स के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में अब एक दशक पीछे हैं, जबकि यह नाइजीरिया में पहले ही उपलब्ध है। एक दशक, और लागत में सौ गुना अधिक। और इसीलिए, जब तुम न्यूयॉर्क में एक वाल्ग्रींस में जाते हो , आप अपनी दवा कीस्रोत की जांच नहीं कर सकते, लेकिन मैदुगुरी में उत्तरी नाइजीरिया में कर सकते हैं । यही वास्तविकता है। (तालियां) यही वास्तविकता है। (तालियां) तो हम विचारों के मुद्दे पर वापस जाते हैं। याद रखें, समाधान केवल पैक किये हुए विचार हैं, तो यह विचार हैं जो सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसी दुनिया में जहां ग्लोबल साउथ के विचार हम हाशिए पर रख दें , हम विश्व स्तर पर समावेशी समस्या हल करने वाले मॉडल नहीं बना सकते। आप कह सकते हैं, "ठीक है, यह बुरा है, लेकिन ऐसी दुनिया में जहाँ हमें कई अन्य समस्याएं हैं, क्या हमें एक और कारण की ज़रुरत है? " मैं कहता हूं कि हां, हमें एक और कारण चाहिए। दरअसल, वह कारण आपको हैरान कर देगा: बौद्धिक न्याय का कारण। आप कहेंगे , "क्या? बौद्धिक न्याय? मानवाधिकारों के हनन की दुनिया में? ” और मैं इस तरह से समझाता हूं: अन्य समस्याओं के सभी समाधान जो हमें प्रभावित करते हैं और हमें आराम देते हैं उन्हें समाधान की जरूरत है। उन्हें संबोधित करने के लिए सर्वोत्तम विचारों की ज़रुरत है। और इसीलिए आज मैं आपसे पूछता हूँ, क्या हम सब इसे एक बार दे सकते हैं बौद्धिक न्याय के लिए? (तालियां) 23 अप्रैल 2013 को, एसोसिएटेड प्रेस ने ट्विटर पर निम्न ट्वीट किये । इसमें कहा गया , "ब्रेकिंग न्यूज: व्हाइट हाउस में दो विस्फोट और बराक ओबामा घायल हो गए हैं। " यह ट्वीट 4,000 बार रीट्वीट किया गया पाँच मिनट से कम समय में, और इसके बाद यह वायरल हो गया। यह ट्वीट वास्तविक समाचार नहीं था एसोसिएटेड प्रेस द्वारा भेजा गया। वास्तव में यह झूठी खबर थी, या फर्जी खबर थी, यह सीरिया के हैकरों द्वारा प्रचारित किया गया था जो एसोसिएटेड प्रेस के ट्विटर हैंडल में घुसपैठ की थी। उद्देश्य समाज में गड़बड़ करना था, पर और भी अधिक गड़बड़ हुई । क्योंकि स्वचालित ट्रेडिंग एल्गोरिदम ने तुरंत इस ट्वीट के भाव को पकड़ लिया गया, और क्षमता के आधार पर काम करना शुरू किया कि संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति घायल या मारे गए थे इस विस्फोट में। और जैसे ही उन्होंने ट्वीट करना शुरू किया, उससे शेयर बाजार तुरंत दुर्घटनाग्रस्त हो गया, एक ही दिन में140 बिलियन डॉलर इक्विटी वैल्यू का सफाया हो गया । रॉबर्ट मुलर, संयुक्त राज्य अमेरिका के विशेष वकील प्रासीक्यूटर , ने तीन रूसी कंपनियों के खिलाफ अभियोग जारी किए और 13 रूसी व्यक्तियों पर संयुक्त राज्य को ठगने की साजिश 2016 के राष्ट्रपति के चुनाव में दखल देकर । और यह अभियोग जो कहानी बताता है वह इंटरनेट अनुसंधान एजेंसी की कहानी है, क्रेमलिन की छायादार भुजा सोशल मीडिया पर। सिर्फ राष्ट्रपति चुनाव के दौरान, इंटरनेट एजेंसी के प्रयास से 126 मिलियन लोगों ने संयुक्त राज्य अमेरिका में फेसबुक पर, तीन मिलियन व्यक्तिगत ट्वीट और 43 घंटे की यूट्यूब सामग्री जारी की । जो सभी झूठे थे - गलत सूचना जो बनायीं गई थी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में खलबली के लिए। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा हाल ही में किया गया एक अध्ययन दिखता है ताजे स्वीडिश चुनाव में , सोशल मीडिया पर फैली जानकारी का एक तिहाई हिस्सा चुनाव के बारे में नकली था या गलत सूचना थी। इसके अलावा, इस प्रकार के सोशल-मीडिया गलत सूचना अभियान फैला सकते हैं, जिसे कहा जाता है "जनसंहारक प्रचार" . उदाहरण के लिए बर्मा में रोहिंग्या, भारत में भीड़ की हत्याओं को ट्रिगर करना। हमने फर्जी खबरों का अध्ययन किया और इसका अध्ययन जब शुरू किया तब यह एक लोकप्रिय शब्द नहीं था। और हमने हाल ही में प्रकाशित किया है सबसे बड़ा अनुदैर्ध्य अध्ययन ऑनलाइन फर्जी खबरों का प्रसार "विज्ञान" के कवर पर इस साल के मार्च में। हमने सभी सत्यापित का अध्ययन किया सच्ची और झूठी खबरें जो कभी ट्विटर पर फैला था, 2006 से 2017 तक इसकी स्थापना से। और जब हमने इस जानकारी का अध्ययन किया, हमने सत्यापित समाचारों का अध्ययन किया कि छह द्वारा सत्यापित किया गया स्वतंत्र तथ्य-जाँच संगठन। हमें पता था कि कौन सी कहानियां सच थीं और कौन सी कहानियाँ झूठी थीं। हम उनके प्रसार को माप सकते हैं, उनके प्रसार की गति, उनके प्रसार की गहराई और चौड़ाई, कितने लोग उलझ जाते हैं इस जानकारी के बहाव में, इत्यादि । और इस पेपर में हमने यह किया कि हमने सच्ची खबरों के प्रसार की तुलना की झूठी खबर के प्रसार से । और यहाँ हमने यह पाया हमने पाया कि झूठी खबर ज्यादा आगे, तेजी से, और गहरी फैलती है और सच्चाई से अधिक मोटे तौर पर सूचना की हर उस श्रेणी में जिसका हमने अध्ययन किया, कभी-कभी परिमाण कहीं ज्यादा । और वास्तव में, झूठी राजनीतिक खबरें सबसे ज्यादा वायरल हुई थी । यह ज्यादा आगे, तेजी से, गहराई से, और अधिक व्यापक रूप से फेली किसी अन्य प्रकार की झूठी खबरों की तुलना में। जब हमने यह देखा, हम तुरंत चिंतित हो गए लेकिन उत्सुक भी। क्यों? झूठी खबर क्यों यात्रा करता है ज़्यादा आगे, तेज, और गहराई से और सच्चाई से अधिक बड़े पैमाने पर? हमारी पहली परिकल्पना थी , “शायद जो लोग झूठी खबरें फैलाते हैं उनके ज़्यादा अनुयायियों हों या, अधिक लोगों का अनुसरण करते हों , या अधिक बार ट्वीट करतें हों , या शायद वे 'ट्विटर के अधिक त्यापित' उपयोगकर्ता और अधिक विश्वसनीय हों, या शायद वे ट्विटर पर लंबे समय तक रहे हैं। " इसलिए हमने बारी-बारी हर एक की जाँच की। और जो हमने पाया ठीक इसके विपरीत था। झूठी खबर फैलाने वालों के कम अनुयायी थे, कम लोगों का अनुसरण कर रहे थे, कम सक्रिय थे, अक्सर कम "सत्यापित" थे और ट्विटर पर कम समय से थे । और फिर भी, झूठी खबर 70 प्रतिशत अधिक री-ट्वीवीट होने की संभावित थी सच्चाई के मुकाबले , इन सभी और कई अन्य कारक के नियंत्रण में । इसलिए हमने अन्य स्पष्टीकरण दूंदे। और हमने जो तैयार किया उसे कहा "नवीनता परिकल्पना।" इसलिए यदि आप साहित्य पढ़ते हैं, यह जाना जाता है कि मानव ध्यान नवीनता की ऑर आकर्षित होता है, जो चीजें पर्यावरण में नई हैं। और अगर आप समाजशास्त्र साहित्य पढ़ते हैं, आप जानते होगे कि हम नयी जानकारी साझा करना पसंद करते हैं । इससे हमें ऐसा लगता है जैसे हमारे पास अंदर की जानकारी है , और हम प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं इस तरह की जानकारी फैलाकर। इसलिए हमने आने वाले सच्चे या झूठे ट्वीट की नवीनता को मापा , कॉर्पस की तुलना में उस व्यक्ति ने क्या देखा था ट्विटर पर 60 दिनों के पूर्व में। लेकिन यह पर्याप्त नहीं था, क्योंकि हमने सोचा , “शायद झूठी खबर अधिक उपन्यासिक है एक सूचना के सिद्धांत में, लेकिन शायद लोग इसे अधिक उपन्यासिक रूप में नहीं देखें। " तो लोगों को झूठी खबरों की धारणा को समझने के लिए , हमने देखा उस भावना को जो निहित थी उन सच्चे और झूठे ट्वीट के उत्तरों में । और हमने पाया कि विभिन्न भावनाों एक झुंड में - आश्चर्य, घृणा, भय, उदासी, प्रत्याशा, आनंद और विश्वास - झूठी खबर दर्शाती है काफी अधिक आश्चर्य और घृणा झूठे ट्वीट के जवाब में। और सच्ची खबर दर्शाती है काफी अधिक प्रत्याशा, आनंद और विश्वास सच्चे ट्वीट्स के जवाब में। आश्चर्य चकित कर देता है हमारी नवीनता परिकल्पना। यह नया और आश्चर्यजनक है, इसलिए हम इसे साझा करने की अधिक संभावना रखते हैं। एक ही समय पर, कांग्रेस की गवाही थी कांग्रेस के दोनों सदनों के सामने संयुक्त राज्य अमेरिका में, गलत सूचना के प्रसार में बॉट्स की भूमिका के लिए । तो हमने इसे भी देखा - हमने कई जटिल बॉट-डिटेक्शन एल्गोरिदम इस्तेमाल किये हमारे डेटा में बॉट खोजने के लिए और उन्हें बाहर निकालने के लिए। तो हमने उन्हें बाहर निकाला, फिर उन्हें वापस अंदर डाल दिया और हमने तुलना की कि हमारे माप में क्या होता है। और जो हमने पाया, वह वास्तव में ही, ऑनलाइन झूठी खबर का प्रसार, बॉट्स बढ़ा रहे थे लेकिन वे सच्ची खबर का प्रसार भी तेज कर रहे थे लगभग उसी दर पर। जिसका मतलब है कि बॉट जिम्मेदार नहीं हैं ऑनलाइन सच और झूठ के प्रसार में अंतर के लिए । हम उस जिम्मेदारी का पालन नहीं कर सकते, क्योंकि हम, इंसान, उसके प्रसार के लिए जिम्मेदार हैं। अब, वह सब कुछ जो मैंने तुम्हें अभी तक बताया है दुर्भाग्य से हम सभी के लिए, अच्छी खबर है। इसका कारण यह है की और भी बुरा होने वाला है। और दो विशिष्ट प्रौद्योगिकियां इसे और बुरा बनाने जा रहे हैं। हम देखेंगे सिंथेटिक मीडिया के उदय की जबरदस्त लहर। नकली वीडियो, नकली ऑडियो जो मानवीय नज़र को बहुत आश्वस्त है। और यह दो तकनीकों द्वारा संचालित होगा। इनमें से पहला "सामान्य प्रतिकूल नेटवर्क" नाम से जाना जाता है। यह एक मशीन लर्निंग मॉडल है दो नेटवर्क के साथ: एक भेद करनेवाला, जिसका काम है यह निर्धारित करना कि यह सच है या झूठ , और एक जनरेटर, जिसका काम है सिंथेटिक मीडिया उत्पन्न करना । तो सिंथेटिक जनरेटर उत्पन्न करता है, सिंथेटिक वीडियो या ऑडियो और भेदभावकर्ता बताने की कोशिश करता है, "यह असली या यह नकली है?" और वास्तव में, यह काम है जनरेटर का संभावना को अधिकतम करने का जिससे यह भेदभावकर्ता को बेवकूफ बना दे सोचने में कि जो सिंथेटिक वीडियो और ऑडियो बना रहा है, वह वास्तव में सच है। कल्पना करें एक मशीन की जो हाइपरलूप में है , बेहतर की कोशिश और हमें बेवकूफ बनाने में बेहतर होने के लिए । यह दूसरी तकनीक के साथ जुड़ा है, जो मूल रूप से लोकतंत्रीकरण है लोगों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता का , किसी के लिए भी, बिना किसी पृष्ठभूमि के कृत्रिम बुद्धि में या मशीन सीखने में , ऐसे एल्गोरिदम को तैनात करने के लिए सिंथेटिक मीडिया बनाने के लिए यह अंततः बहुत आसान बनाता है वीडियो बनाने के लिए। व्हाइट हाउस ने एक झूठा, बनाया हुआ वीडियो जारी किया एक पत्रकार का जो इंटर्न से बात करते हुए माइक्रोफोन लेने की कोशिश कर रहा था। उन्होंने इस वीडियो से फ्रेम हटा दिए उसके कार्यों को अधिक असरदार बनाने के लिए । और जब वीडियो ग्राफर और स्टंटमैन और महिलाओं से जब पुछा गया इस प्रकार की तकनीक के बारे में, उन्होंने कहा, "हां, हम इसका इस्तेमाल फिल्मों में हमेशा करते हैं हमारे घूंसे और लात मारने के लिए अधिक अधिक आक्रामक दिखे । ” उन्होंने फिर यह वीडियो डाला और कुछ हिस्से कोऔचित्य के रूप में इस्तेमाल किया जिम एकोस्टा ,रिपोर्टर का, प्रेस पास वापिस लेने के लिए, व्हाइट हाउस से। और सीएनएन को मुकदमा करना पड़ा उस प्रेस पास को बहाल करना है। मेरी सोच में लगभग पांच अलग रास्ते हैं जिनका हम अनुसरण कर सकते हैं कुछ पता करने के लिए आज की इन बहुत ही कठिन समस्याओं में से । उनमें से हर एक ने भरोसनीय है, लेकिन उनमें से हर एक अपनी चुनौतियां हैं। पहला है लेबल करना। इसे इस तरह से सोचिये : जब आप किराने की दुकान पर जाते हैं उपभोग के लिए भोजन खरीदने के लिए, इसे बहुत लेबल किया गया है। आपको पता है कि इसमें कितनी कैलोरी है, इसमें कितना वसा होता है - पर हम जिस सूचना का उपभोग करते हैं, उसका कोई लेबल नहीं है। इस जानकारी में क्या निहित है? क्या स्रोत विश्वसनीय है? यह जानकारी कहां से एकत्र की गई है? हमारे पास वह जानकारी नहीं है जब हम जानकारी का उपभोग कर रहे हैं। यह एक संभावित एवेन्यू है, लेकिन यह अपनी चुनौतियां हैं। जैसे कि समाज में,यह निर्णय कौन लेता है, कि क्या सच है और क्या झूठ ? क्या यह सरकारें हैं? क्या यह फेसबुक है? क्या यह एक स्वतंत्र तथ्य-चेक करने का संघ है? और तथ्य-चेकर्स की जाँच कौन करता है? एक संभावित एवेन्यू प्रोत्साहन राशि है। हम जानते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान गलत सूचना की लहर थी जो मैसेडोनिया से आई थी इसका कोई राजनीतिक मकसद नहीं था लेकिन इसका एक आर्थिक मकसद था। और यह आर्थिक मकसद मौजूद था, क्योंकि झूठी खबरें बहुत दूर, तेज जाती हैं और सच्चाई से अधिक गहराई से, और आप विज्ञापन डॉलर कमा सकते हैं जब आप ध्यान आकर्षित करते हैं इस प्रकार की जानकारी के साथ। लेकिन अगर हम प्रसार को दबा सकें इस जानकारी के लिए, तो शायद यह आर्थिक प्रोत्साहन कम हो जाएगा पहले स्थान पर, जहाँ यह पैदा किया जाता है। तीसरा, हम विनियमन के बारे में सोच सकते हैं, और निश्चित ही, हमें इस विकल्प को सोचना चाहिए। इस समय, संयुक्त राज्य अमेरिका में, हम तलाश रहे हैं कि अगर फेसबुक को विनियमित किया जाये तो क्या हो। जबकि हमें चीजों पर विचार करना चाहिए राजनीतिक भाषण को विनियमित करने, तथ्य को लेबल करना कि यह राजनीतिक भाषण है, सुनिश्चित करना कि विदेशी कलाकार राजनीतिक भाषण को पूँजी नहीं दे सकें, इसके अपने खतरे भी हैं। मिसाल के तौर पर, मलेशिया ने हाल ही में छह साल की जेल की सजा बनायीं है गलत सूचना फैलाने वाले के लिए । और सत्तावादी शासन में, ऐसी नीतियां अल्पसंख्यक राय को दबाने के लिए उपयोग की जा सकती हैं और दमन को जारी रखने के लिए। चौथा संभव विकल्प पारदर्शिता है। हम जानना चाहते हैं फेसबुक के एल्गोरिदम कैसे काम करते हैं डेटा एल्गोरिदम के साथ गठबंधन कैसे करता है हम जो परिणाम देखते हैं उसका उत्पादन कैसे करता है ? हम चाहते हैं कि वे किमोनो खोलें और हमें आंतरिक कामकाज दिखाए कि फेसबुक कैसे काम कर रहा है। और अगर हम जानना चाहते हैं सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव, हमें वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं की ज़रुरत है और दूसरों के पास पहुंच है इस तरह की जानकारी के लिए। लेकिन उसी समय पर, हम फेसबुक से कह रहे हैं सब कुछ बंद करने के लिए, सभी डेटा को सुरक्षित रखने के लिए। तो, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जिसका सामना कर रहे हैं उसे मैं पारदर्शिता विरोधाभास कहता हूँ । हम उनसे कह रहे हैं, एक ही समय में , खुला और पारदर्शी होना और, इसके साथ ही सुरक्षित भी । ऐसा करना बहुत ही मुश्किल है, पर उन्हें ऐसा करना होगा अगर हम वादे को हासिल करना चाहते हैं सामाजिक प्रौद्योगिकियों का और वह भी उनके संकट से बचते हुए । अंतिम बात जो हमने सोची वह एल्गोरिदम और मशीन लर्निंग है। प्रौद्योगिकी जो जड़ से उखाड़ फेंके नकली ख़बरों को, और समझें यह कैसे फैलता है, और इसके प्रवाह को कम करे । मनुष्य को इस तकनीकी के घेरे में ही रहना है , क्योंकि हम कभी बच नहीं सकते कि किसी भी तकनीकी अंतर्निहित है समाधान या दृष्टिकोण एक मौलिक नैतिकता है और दार्शनिक सवाल हम सच्र और झूठ को कैसे परिभाषित करते हैं, हम किसको शक्ति देते हैं सत्य और मिथ्या को परिभाषित करना और कौन सी राय वैध हैं, किस प्रकार का भाषण अनुमति दी जानी चाहिए और इत्यादि । तकनीक उसके लिए कोई समाधान नहीं है। नैतिकता और दर्शन उसके लिए एक समाधान है। लगभग हर सिद्धांत मानव निर्णय लेने का, मानव सहयोग और मानव समन्वय इसके मूल में सच्चाई का कुछ बोध है। लेकिन नकली समाचार के उदय के साथ, नकली वीडियो के उदय के साथ , नकली ऑडियो के उदय के साथ , हम कगार पर हैं वास्तविकता के अंत की, हम बता नहीं सकते जो असली है वह नकली है। और वह संभावित है अविश्वसनीय रूप से खतरनाक। हमें सतर्क रहना होगा सच्चाई का बचाव करने में गलत सूचना के खिलाफ। हमारी तकनीकों के साथ, हमारी नीतियों के साथ और, शायद सबसे महत्वपूर्ण बात, हमारी व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के साथ, निर्णय, व्यवहार और कार्य। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियां) मुझे भारत के बारे में बात करनी है विचारों के विकास के माध्यम से. अब मुझे विश्वास है कि यह इसे देखने का एक दिलचस्प तरीका है क्योंकि, हर समाज में, विशेष रूप से एक खुले लोकतान्त्रिक समाज में, केवल जब विचार जड़ लेते हैं कि चीज़े बदलती हैं. धीरे धीरे विचार विचारधारा में बदलते हैं, लाते हैं नीतियां जो लाती हैं कार्यवाही. 1930 में इस देश के एक महान अवसाद आया, जो राज्य और सामाजिक सुरक्षा के सभी विचारों को लाया, और अन्य सभी चीजें जो रूजवेल्ट के समय में हुई. 1980 के दशक में रीगन क्रांति आई, जिससे अविनियम आया. और आज, वैश्विक आर्थिक संकट के बाद, नियमों का एक नया ढांचा था कि राज्य को कैसे हस्तक्षेप करना चाहिए. तो विचार स्थिति बदलते हैं. और मैंने भारत को देखा और कहा, वहाँ वास्तव में चार प्रकार के विचार हैं जो वास्तव में भारत पर एक प्रभाव डालते हैं. पहले, मेरे मन में, हैं "विचार जो कि आ चुके हैं." ये विचार जिन्होंने एक साथ कुछ लाया है वह जिसने भारत को आज का रूप दिया. दूसरा समूह "प्रगति में विचार" वह विचार जो हमने स्वीकार किये हैं लेकिन अभी तक लागु नहीं किये. तीसरा समूह हैं विचार जिनके बारे में हम बहस करते हैं यह वह विचार हैं जिनके बारे में हम लड़ते हैं, वैचारिक लड़ाई, तरीकों को ले कर. और चौथी बात, जो मुझे विश्वास है कि सबसे महत्वपूर्ण है, विचार जिनकी हमें आशा करनी चाहिए. क्योंकि जब आप एक विकासशील देश हैं दुनिया में जहाँ आप अन्य देशो की समस्याएं देख सकते हैं , वास्तव में आप अंदाजा लगा सकते हैं उन्होंने क्या किया अलग तरीके से. अब मैं भारत के मामले में मानता हूँ कि वहाँ छह विचार हैं जो आज के लिए जिम्मेदार हैं. पहले वास्तव में लोगों का दृष्टिकोण है. '६० और '७०के दशक में हम लोगों को एक बोझ के रूप में देखते थे. एक दायित्व के रूप में जानते थे. आज हम एक परिसंपत्ति के रूप में लोगों की बात करते हैं. हम मानवीय पूंजी के रूप में लोगों की बात करते हैं. और मैं मानसिकता में इस परिवर्तन को, लोगो को बोझ की तरह जानने से मानवीय पूंजी, भारतीय मानसिकता में मौलिक परिवर्तन है. और मानवीय पूंजी की यह सोच में परिवर्तन तथ्य से जुड़ा है कि भारत एक जनसांख्यिकीय लाभांश के माध्यम से जा रहा है. स्वस्थ्य-देखबाल में जैसे सुधार होता है, शिशु मृत्यु दर नीचे जाती है, प्रजनन दर गिरना शुरू होता हैं. और भारत यह देख रहा है. भारत के पास होगा एक जनसांख्यिकीय लाभांश के साथ कई युवा लोग अगले 30 वर्षों के लिए. इस जनसांख्यिकीय लाभांश के बारे में अद्वितीय है कि भारत दुनिया में अकेला देश होगा इस जनसांख्यिकीय लाभांश के साथ. दूसरे शब्दों में, यह एक बूढी दुनिया में अकेला जवान देश होगा. और यह बहुत महत्वपूर्ण है. उसी समय अगर आप भारत में जनसांख्यिकीय लाभांश को हटा दे, वहाँ वास्तव में दो जनसांख्यिकीय श्रेणी है. एक दक्षिण और पश्चिम में है, जो पहले से ही पूरी तरह से २०१५ तक व्यय किया जा रहा है, क्योंकि देश के इस भाग में, प्रजनन दर पश्चिम यूरोपीय देश के लगभग बराबर है. तो फिर वहाँ पूरा उत्तरी भारत है, जो भविष्य के जनसांख्यिकीय लाभांश का बड़ा हिस्सा होगा. लेकिन एक जनसांख्यिकीय लाभांश उतना ही अच्छा है जितना आपका मानवीय पूंजी में निवेश. सिर्फ अगर लोग शिक्षित हैं, उनके पास अच्छा स्वास्थ्य है, बुनियादी ढांचा है, काम पर जाने के लिए सड़के हैं , अध्ययन करने के लिए रात में रोशनी है - केवल उन मामलों में आप वास्तव में लाभ पा सकते है एक जनसांख्यिकीय लाभांश का. दूसरे शब्दों में, अगर आप वास्तव में एक जनसांख्यिकीय पूंजी में निवेश नहीं कर रहे हैं, वही जनसांख्यिकीय लाभांश एक जनसांख्यिकीय आपदा हो सकती है. इसलिए भारत एक महत्वपूर्ण बिंदु पर है या तो यह लाभ उठा सकता है इस जनसांख्यिकीय लाभांश का या यह एक जनसांख्यिकीय आपदा की ओर जा सकता है. भारत में दूसरी बात परिवर्तन है उद्यमियों की भूमिका का. जब भारत स्वतंत्र हुआ उद्यमियों को देखा गया एक बुरे रूप में, वह लोग जो फायदा उठाएँगे. लेकिन आज, ६० वर्ष से उद्यमशीलता की वृद्धि की वजह से, उद्यमि भूमिका ढ़ाचा बन गए हैं, और वे समाज को बड़ा योगदान दे रहे हैं. यह परिवर्तन योगदान दे रहा है जीवन शक्ति और पूरी अर्थव्यवस्था के लिए. तीसरी बड़ी बात, मुझे विश्वास है, जिसने भारत को बदल दिया है अंग्रेजी भाषा की ओर हमारा रवैया है. अंग्रेजी भाषा साम्राज्यवाद की भाषा के रूप में देखी गयी थी. लेकिन आज वैश्वीकरण के साथ, आउटसोर्सिंग के साथ, अंग्रेजी आकांक्षा की भाषा बन गई है. इसने इससे वह बना दिया जिससे सब सीखना चाहते हैं. और अब तथ्य यह है कि हमारा अंग्रेजी होना एक बड़ी सामरिक सम्पन्ति बन गया है. अगली बात प्रौद्योगिकी है. चालीस साल पहले, कंप्यूटर देखा गया निषिद्ध रूप में, उससे हम डरते थे, वह नौकरियों कम करता था. आज हम एक ऐसे देश में रहते हैं जो अस्सी लाख मोबाइल फोन एक महीने में बेचता है, उन मोबाइल फोन का ९० प्रतिशत प्रीपेड फोन है क्योंकि लोगों के पास क्रेडिट इतिहास नहीं है. उन प्रीपेड फोन के चालीस प्रतिशत प्रत्येक पुनर्भरण पर १० रूपये से कम डालते हैं. यह पैमाना है जिस पर प्रौद्योगिकी ने आज़ाद किया और सुलभ बना दिया. और इसलिए प्रौद्योगिकी चली गयी है निषिद्ध रूप से डरावनी से, सशक्तिकरण करने वाली चीज़ पर. बीस साल पहले, जब वहाँ बैंक कंप्यूटरीकरण पर एक रिपोर्ट थी उन्होंने रिपोर्ट को नाम नहीं दिया था कंप्यूटर पर एक रिपोर्ट, वे उन्हें कहते थे "लेजर की पोस्टिंग मशीनें. वे वास्तव में संघ को नहीं बताना चाहते थे कि वह कंप्यूटर हैं. और जब वे और अधिक उन्नत, अधिक शक्तिशाली कंप्यूटर चाहते थे वे उन्हें "उन्नत लेजर पोस्टिंग मशीनें" बुलाते थे. तो हम उन दिनों से एक लंबा सफर तय कर चुके हैं टेलीफोन सशक्तिकरण का एक साधन है, और वास्तव में भारतीयों की प्रौद्योगिकी के बारे में सोच बदल गई है. और फिर मुझे लगता है कि अन्य बिंदु है कि भारतीयों आज बहोत अधिक वैश्वीकरण के साथ आरामदायक हैं. २०० से अधिक वर्षों के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी के साम्राज्यवादी शासन के अधीन रहने के बाद, भारतीयों का वैश्वीकरण की ओर एक बहुत ही स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी कि यह साम्राज्यवाद का एक रूप थी. लेकिन आज, जैसे भारतीय कंपनियों विदेश जाती हैं, और दुनिया भर में भारतीय कार्य करते हैं, भारतीयों को बहुत अधिक विश्वास आया है और वह महसूस करते हैं कि वैश्वीकरण में वह भाग ले सकते हैं. और तथ्य यह है कि जनसांख्यिकी हमारे पक्ष में हैं, क्योंकि हम बूढी हो रही दुनिया में अकेले युवा देश हैं, भूमंडलीकरण सभी भारतीयों के लिए और अधिक आकर्षक बना देती है. और अंत में, भारत में लोकतंत्र गहन हुआ है. जब लोकतंत्र भारत ६० साल पहले आया यह एक विशिष्ट अवधारणा थी. यह कुछ लोग थे जो लोकतंत्र लाना चाहते थे क्योंकि वे विचार लाना चाहते थे यूनिवर्सल मतदान और संसद और संविधान वगेहरा. लेकिन आज लोकतंत्र एक नीचे से ऊपर की प्रक्रिया बन गयी है जहां हर कोई एहसास करता है एक आवाज होने के लाभ का एक खुले समाज में होने का लाभ. और इसलिए लोकतंत्र गुथा हुआ बन गया है . मैं इन छह कारकों को मानता हूँ - जनसांख्यिकीय पूंजी के रूप में जनसंख्या को देखने के कारण, भारतीय उद्यमियों की वृद्धि, आकांक्षा की भाषा के रूप में अंग्रेजी की वृद्धि, सशक्त बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका, सकारात्मक कारक के रूप में वैश्वीकरण, और लोकतंत्र का गहन होना, इन्होने योगदान दिया है कि भारत आज आगे बढ़ रहा है उन दरों पर जो कभी नहीं देखे गए. लेकिन, फिर हम आते हैं उन विचारों पर जो प्रगति में हैं. यह वो विचार हैं जिनके लिए समाज में कोई तर्क नहीं है, लेकिन आप उन चीजों को लागू करने में सक्षम नहीं हैं. और वास्तव में यहाँ चार चीजें हैं. एक शिक्षा का सवाल है. किसी कारण से, शायद पैसे की कमी, प्राथमिकताओं की कमी, एक बड़ी धार्मिक संस्कृति होने की वजह से, प्राथमिक शिक्षा को कभी आवश्यक ध्यान नहीं दिया गया था. लेकिन अब मुझे विश्वास है कि यह एक बिंदु तक पहुँच चूका है जहाँ यह बहुत महत्वपूर्ण बन गया है. दुर्भाग्य से सरकारी स्कूल कार्य नहीं करते, तो बच्चे निजी स्कूलों में जा रहे हैं. यहां तक ​​कि भारत की मलिन बस्तियों में 50 प्रतिशत से अधिक शहरी बच्चे निजी स्कूलों में जा रहे हैं. तो वहाँ स्कूलों से कार्य करना एक बड़ा चैलेंज है. लेकिन, वहाँ एक विशाल इच्छा है गरीब सहित सब लोग में, अपने बच्चों को शिक्षित करने की. तो मेरा मानना ​​है कि प्राथमिक शिक्षा एक विचार है जो आ गया है लेकिन अभी लागू नहीं हुआ है. इसी तरह, बुनियादी सुविधाएँ, एक लंबे समय तक, बुनियादी सुविधाएँ प्राथमिकता नहीं थीं. आप में से जो भारत गए हैं उन्होंने देखा है. निश्चित रूप से यह चीन की तरह नहीं है. लेकिन आज मुझे विश्वास है कि बुनियादी सुविधाओं में है कुछ जिस पर सहमति है और जो लोग लागू करना चाहते हैं. यह राजनीतिक बयानों में परिलक्षित होता है. २० साल पहले राजनीतिक नारा था, "रोटी, कपड़ा, और मकान," जिसका मतलब था, "रोटी, कपड़ा और मकान". और आज का राजनीतिक नारा है, "बिजली, सड़क, पानी," जिसका मतलब है "बिजली, सड़क और पानी." और यह मानसिकता में बदलाव है जहां बुनियादी सुविधाएँ अब स्वीकार कर ली गयी हैं. तो मुझे विश्वास है कि यह एक विचार है जो आ गया है, लेकिन लागू नहीं हुआ. तीसरी बात फिर शहरों में है. क्योंकि गांधी गांवों में विश्वास करते थे और क्योंकि ब्रिटिश शहरों से राज करते थे, इसलिए नेहरू नई दिल्ली को एक अभारतीय शहर के रूप में देखते थे. हम एक लंबे समय तक हमारे शहरों की उपेक्षा करते रहे हैं. और उसका नतीजा आप देख सकते हैं. लेकिन आज, अंत में, आर्थिक सुधारों के बाद, और आर्थिक विकास, यह प्रस्ताव कि शहर इंजन है आर्थिक विकास के, शहर रचनात्मकता के इंजन हैं, शहर नवविचार के इंजन हैं, अंत में स्वीकार कर लिया गया है. और मुझे लगता है कि अब आप हमारे शहरों में सुधार लाने की ओर कदम देख रहे हैं. फिर से, एक विचार जो आ गया है मगर लागु नहीं हुआ है. अंतिम बात, एकल बाजार के रूप में भारत को देखना है - क्योंकि जब आप भारत को एक बाजार के रूप में नहीं देखते, तुम आप एक एकल बाजार के बारे में परेशान नहीं थे, क्योंकि इससे फर्क नहीं पड़ता था. और इसलिए आप एक स्थिति में थे जहां हर राज्य के पास अपने उत्पादों के लिए अपने बाजार थे. हर प्रांत का कृषि के लिए अपना बाजार था. अब तेजी से नीतियां कराधान और बुनियादी ढाचे की, एक एकल बाजार के रूप में भारत बनाने की ओर बढ़ रही हैं. तो वहाँ आंतरिक वैश्वीकरण हो रहा है, जो बाहरी वैश्वीकरण के बराबर महत्वपूर्ण है. मेरा मानना ​​है कि इन चार कारकों प्राथमिक शिक्षा, बुनियादी ढांचा, शहरीकरण, और एक एकल बाजार भारत में वह विचार हैं जिन्हें स्वीकार कर लिया गया है, लेकिन लागू नहीं किया गया है. फिर है वह विचार जो विचार संघर्ष में हैं. विचार जिन पर हम बहस करते हैं. तर्क है जो गतिरोध हैं. क्या है वोह विचार? एक मुझे लगता है, वैचारिक मुद्दे हैं. ऐतिहासिक भारतीय पृष्ठभूमि की वजह से, जाति व्यवस्था में, और इस वजह से की कई लोगों को जो बाहर छोड़ दिए गए , राजनीति का बड़ा हिस्सा इस बारे में हैं कि कैसे सुनिश्चित करें कि हम उन की पूर्ती करें. और यह आरक्षण और अन्य तकनीक का कारण हैं. यह कारण है कि हम अनुवृत्ति देते हैं, और सभी लेफ्ट और राईट तर्क जो हैं. भारतीय समस्याएँ विचारधाराओं से जुड़ी हैं जाति और अन्य बातों की. यह नीति गतिरोध पैदा कर रही है. यह कारक हैं जो हमें हल करना है. दूसरा है श्रम नीति, जो मुश्किल बना रही है उद्यमियों के लिए कंपनियों में नौकरियों बनाने में कि भारतीय श्रमिक का ९३ प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में है. उनके पास कोई लाभ नहीं है: सामाजिक सुरक्षा नहीं है; पेंशन नहीं है, हेल्थ, उन चीजों में से कोई भी नहीं है. यह ठीक होना ज़रूरी है, क्योंकि जब तक आप इन लोगों को औपचारिक कर्मचारियों में नहीं लाते हैं, आप बहोत लोगों को बेदखल कर रहे हैं. इसलिए हमें नए श्रम कानून बनाने की जरूरत है, जो आज जैसे कठिन नहीं हैं. साथ ही बहुत अधिक लोगों के औपचारिक क्षेत्र होने की नीति बनाये, और लाखों लोगों के लिए नौकरियों बनाएँ जो हमें करने की जरूरत है. तीसरी बात हमारी उच्च शिक्षा है. भारतीय उच्च शिक्षा पूरी तरह नियंत्रित है. बहुत मुश्किल है एक निजी विश्वविद्यालय शुरू करना. बहुत मुश्किल है एक विदेशी विश्वविद्यालय के लिए भारत में आना. परिणाम स्वरुप हमारी उच्च शिक्षा भारत की मांगों के साथ तालमेल नहीं रख रही है. इससे बहोत परेशानिया उत्तपन हो रही हैं. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण वह विचार हैं जिनका हमें अंदाजा होना चाहिए. यहाँ भारत पश्चिम की ओर देख सकता है और कहीं और, और देख सकते है कि क्या किया जाना चाहिए. पहली बात है, हम बहुत भाग्यशाली हैं कि प्रौद्योगिकी ऐसे बिंदु पर है जहां यह और अधिक उन्नत है अन्य देशों की तुलना में जब उनका विकास हुआ. तो हम शासन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकते हैं. हम प्रत्यक्ष लाभ के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकते हैं. हम पारदर्शिता, और कई अन्य चीजों के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकते हैं. दूसरी बात है, स्वास्थ्य के मुद्दे. भारत में उतना ही भयानक है हृदीय मुद्दे की स्वास्थ्य समस्याएँ, मधुमेह की, मोटापे की. तो कोई फायदा नहीं है वहाँ गरीब देश के रोगों को बदल अमीर देश के रोगों को लाने का. इसलिए हमें पूरी तरह से स्वास्थ्य पर पुनर्विचार करना है. हमें वास्तव में एक रणनीति बनाने की आवश्यकता है ताकि हम स्वास्थ्य की अन्य चरम की और न जाये. इसी प्रकार पश्चिम में आज आप देख रहे हैं पात्रता की समस्या - सामाजिक सुरक्षा, चिकित्सा, चिकित्सा-सहायता की लागत. इसलिए जब आप एक युवा देश हैं, आप के पास मौका है एक आधुनिक पेंशन प्रणाली बनाने का ताकि आप पात्रता समस्याएं नहीं बनाएँ आने वाले समय के लिए. और फिर, भारत के पास आसान विकल्प नहीं है अपने वातावरण को गन्दा बनाने का, क्योंकि यहाँ पर्यावरण और विकास को साथ चलाना है. सिर्फ एक विचार देने के लिए, दुनिया को स्थिर होना है प्रति वर्ष २० गिगाटन पर. नौ अरब की आबादी पर हमारी औसत कार्बन उत्सर्जन प्रति वर्ष दो टन होनी चाहिए. भारत प्रति वर्ष दो टन पर आ चूका है. लेकिन अगर भारत आठ प्रतिशत पर बढ़ता है, प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति आय २०५० तक १६ गुना बाद जाएगी. तो हम कह रहे हैं: १६ गुना आय और कार्बन में कोई विकास नहीं. इसलिए हम मौलिक रूप से पर्यावरण पर पुनर्विचार करेंगे, जिस तरह से हम ऊर्जा को देखते हैं, जिस तरह से हम विकास के पूरे नए मापदंड बनाते हैं. अब यह आप के लिए महत्वपूर्ण क्यों है? क्यों १० हजार मील दूर से आपको फर्क पड़ता है? सबसे पहले, इस वजह से यह एक अरब से अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व करता है. एक अरब लोग, विश्व की जनसंख्या का १/६. यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह एक लोकतंत्र है. और यह साबित करना महत्वपूर्ण है कि विकास और लोकतंत्र असंगत नहीं हैं, कि आप एक लोकतंत्र में, एक खुले समाज में, विकास कर सकते हैं. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर आप इन समस्याओं को सुलझा पाते हैं, आप दुनिया में गरीबी की समस्याओं को हल कर सकते हैं. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया की पर्यावरण समस्याओं को हल करने के लिए इसकी जरूरत है. यदि हम वास्तव में एक बिंदु पर आना चाहते हैं, हम वास्तव में अपने कार्बन उत्सर्जन पर रोक लगाना चाहते हैं, हम वास्तव में ऊर्जा का उपयोग कम करना चाहते हैं - यह भारत जैसे देशो में हल किया जाना है. आप अगर विकास को देखो पश्चिम में २०० से अधिक वर्ष, औसत विकास दर दो प्रतिशत के बराबर रही होगी. यहाँ हम आठ से नौ प्रतिशत पर बढ़ रहे देश के बारे में बात कर रहे हैं. और वह एक बड़ा फर्क है. जब भारत ३-३.५ प्रतिशत पर बढ़ रहा था और जनसंख्या दो प्रतिशत से, इसकी प्रति व्यक्ति आय हर ४५ साल में दोगुनी हो रही थी. जब आर्थिक विकास आठ प्रतिशत चला जाता है और जनसंख्या वृद्धि १.५ प्रतिशत पर गिरता है, तो प्रति व्यक्ति आय हर नौ साल में दोगुनी होती है. दूसरे शब्दों में, आप निश्चित रूप से तेजी से अग्रेषण कर रहे हैं पूरी प्रक्रिया को एक अरब लोगों की समृद्धि में जाने की. और आप के पास एक स्पष्ट रणनीति होनी चाहिए जो दुनिया के लिए और भारत के लिए महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि मुझे लगता है कि आप सभी को इसके साथ समान रूप से चिंतित होना चाहिए, जैसे मैं हूँ. बहुत बहुत धन्यवाद. (अभिवादन) मैं आपको तंत्रिका विज्ञान के बारे में बताना चाहता हूँ. मैं प्रशिक्षण से भौतिक वैज्ञानिक हूँ। लगभग तीन साल पहले, मैंने भौतिकी विज्ञान छोड़ी और मस्तिष्क कैसे काम करता है, यह समझने की कोशिश की। और यह मैंने पाया। बहुत से लोग अवसाद पर काम कर रहे हैं। और यह बहुत अच्छा है, अवसाद के बारे में हम वास्तव में समझना चाहते हैं। आप इस तरह कर सकते है एक घड़ा लें और इसे आधा भरें और फिर आप एक चूहा घङे में डाल दें, ठीक है? चूहा थोड़ी देर के लिए चारों ओर तैरता है कुछ समय बाद, चूहा थक जाता है और फिर चूहा तैरना रोकने का फैसला करता है। और जब यह तैराकी बंद कर देता है, वह अवसाद है। ठीक है? मैं सैद्धांतिक भौतिकी से हूं, इसलिए मैं जानता हूँ कि लोग अक्सर जटिल गणितीय मॉडल का प्रयोग करते हैं भौतिक घटनाओं का सटीक वर्णन करने के लिए इसलिए जब मैंने अवसाद के लिए बनाया गया मॉडल देखा, मैंने खुद से कहा, "हे भगवान, हमें बहुत सारा काम करना है।" (हंसी) लेकिन यह न्यूरोसाइंस में सामान्य समस्या है तो उदाहरण के लिए, 'भावना' लें। बहुत से लोग 'भावनाओं' को समझना चाहते हैं। लेकिन आप 'भावना' का अध्ययन चूहों या बंदरों में नहीं कर सकते हैं क्योंकि आप उनसे पूछ नहीं सकते वे क्या महसूस या अनुभव कर रहे हैं। इसलिए, जो लोग 'भावना' समझना चाहते हैं आमतौर पर वे 'प्रेरित व्यवहार' का अध्ययन कर रहे होते हैं ये कोड है "चूहा क्या करता है जब यह वास्तव में, पनीर चाहता है। " मैं इस विषय पर बहुत कुछ कह सकता हूं परंतु, महत्वपूर्ण है की, एनआईएच सालाना 5.5 अरब डॉलर न्यूरोसाइंस शोध पर खर्च करता है। और फिर भी, अभी तक, परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार नहीं है, मस्तिष्क रोगों के रोगियों के लिए, पिछले 40 वर्षों में। मुझे लगता है कि ये मूल रूप से इस तथ्य के कारण है चूहों का प्रयोग कैंसर या मधुमेह के लिए मॉडल के रूप में ठीक हो सकता है लेकिन चूहों का मस्तिष्क पर्याप्त विवेकीनहीं है मानव मस्तिष्क रोग या मानव मनोविज्ञान को पुनरुत्पादित करने के लिए। ठीक है? इसलिए यदि चूहों का मॉडल इतने खराब हैं, हम अभी भी उनका उपयोग क्यों कर रहे हैं? यह मूल रूप से इस कारण है: मस्तिष्क न्यूरॉन्स से बना है ये छोटी कोशिकाऐं ऐक दूसरे को विद्युत सिग्नल भेजती हैं। मस्तिष्क कैसे काम करता है,समझने के लिए इन न्यूरॉन्स की विद्युत गतिविधि मापने में सक्षम होना आवश्यक है। लेकिन ऐसा करने के लिए, आपको न्यूरॉन्स के करीब पहुंचना होगा बिजली रिकॉर्डिंग डिवाइस या माइक्रोस्कोप के द्वारा। आप चूहों और बंदरों में ऐसा कर सकते हैं क्योंकि आप भौतिक रूप से चीजों को उनके मस्तिष्क में डाल सकते हैं लेकिन कुछ कारणों से हम अभी भी इंसानों में ऐसा नहीं कर सकते । इसके बजाए, हमने आविष्कार किया है इनको मानव का अधिकार देकर तो सबसे लोकप्रिय एक शायद यह है, कार्यात्मक एमआरआई, एफएमआरआई, जो आपको इस तरह की सुंदर तस्वीरें बनाने देता है यह दिखाता है कि आपके दिमाग के कौन से हिस्से में रोशनी है जब आप व्यस्त हैं विभिन्न गतिविधियों में। लेकिन यह एक परॉक्सी है। आप वास्तव में यहाँ तंत्रिका गतिविधि माप नहीं रहे हैं। आप माप रहे हैं, मस्तिष्क में रक्त प्रवाह। जहां अधिक खून है। यह वास्तव में है जहां अधिक ऑक्सीजन है! आप विचार समझे, ठीक है? दूसरी चीज जो आप कर सकते हैं इलेक्ट्रोएन्सफ्लोग्राफी - आप सिर पर ये इलेक्ट्रोड डाल सकते हैं, और फिरअपने मस्तिष्क तरंगों को माप सकते हैं। और यहां, आप वास्तव में विद्युत गतिविधि माप रहे हैं लेकिन आप न्यूरॉन्स की गतिविधि माप नहीं रहे हैं। आप माप रहे हैं इन विद्युत धाराओं को, आपके दिमाग में आगे पीछे जाते हुऐ। तो मुद्दा बस है, कि हमारे पास ये तकनीकें हैं जो वास्तव में गलत चीज़ को माप रही हैं। क्योंकि अधिकांश बीमारियों के लिए हम समझना चाहते हैं - जैसे, पार्किंसंस क्लासिक उदाहरण है। पार्किंसंस में, एक विशेष न्यूरॉन है आपके मस्तिष्क में गहराई में यह रोग के लिए ज़िम्मेदार है, और ये प्रौद्योगिकि विकसित नहीं हैं उस गहराई तक पहुचने के लिऐ। यही कारण है हम अभी भी जानवरों के साथ अटक गए हैं। कोई भी अवसाद का अध्ययन चूहों को घडा में डालकर नहीं करना चाहता है। यह सिर्फ इतना है कि यह व्यापक है समझो कि यह संभव नहीं है न्यूरॉन्स की गतिविधि को देखने के लिए स्वस्थ मनुष्यों में। इसलिए मैं यह करना चाहता हूं। मैं आपको भविष्य में ले जाना चाहता हूं। एक तरह देखने से मुझे लगता है कि यह संभवतः संभव हो सकता है। इसलिए मैं आपको आरंभ में ही कहना चाहता हूं, मेरे पास सभी विवरण नहीं हैं। इसलिए मैं आपको एक रूपरेखा प्रदान करने जा रहा हूं। हम साल 2100 जा रहे हैं। अब वर्ष 2100 कैसा दिखता है? जलवायु के साथ शुरू करें, सामान्य से थोड़ा गर्म है। (हंसी) ¶ और वह रोबोट वैक्यूम क्लीनर, जो आप जानते हैं कुछ पीढ़ियों के माध्यम से, और सुधार हमेशा इतने अच्छे नहीं थे। (हंसी) ¶ यह हमेशा बेहतर नहीं होता है। लेकिन वास्तव में, वर्ष 2100 में ज्यादातर चीजें आश्चर्यजनक रूप से पहचाने जाने योग्य हैं। सिर्फ मस्तिष्क बिल्कुल अलग है। उदाहरण के लिए, वर्ष 2100 में, हम अल्जाइमर के मूल कारणों को समझते हैं। इसलिए हम लक्षित तरीके से अनुवांशिक उपचार या दवाएं दें सकते हैं अपजनन सम्बन्धी प्रक्रिया को रोकने के लिए, इससे पहले कि यह शुरू होता है। तो हमने यह कैसे किया? अनिवार्य रूप से तीन कदम थे। पहला कदम हमें पता लगाना था खोपड़ी के माध्यम से बिजली पाने का तरीका ताकि हम माप सकें न्यूरॉन्स की विद्युत गतिविधि। और यह आसान और जोखिम मुक्त होना था। जिसे मूल रूप से सभी स्वीकार करेंगे, जैसे, शरीर भेदी की तरह क्योंकि 2017 में , खोपड़ी तक पहूॅंचने का एकमात्र तरीका जिसे हम जानते थे, वह था, इन क्वार्टर आकार छेद ड्रिल करके आप कभी नहीं चाहेंगे कोई आपके साथ ऐसा करे। तो 2020 में, ¶ लोगों ने प्रयोग करना शुरू किया - इन विशाल छेद ड्रिल करने के बजाय, माइक्रोस्कोपिक छेद ड्रिलिंग, बालों के टुकड़े से मोटा नहीं। और यहां विचार वास्तव में निदान के लिए था - मस्तिष्क विकारों के निदान में कई बार आप खोपड़ी के नीचे तंत्रिका गतिविधि देखना चाहते हैं और ड्रिल करने में सक्षम होना इन सूक्ष्म छेद इसे इतना आसान बना देगा रोगी के लिए। अंत में, यह एक शॉट प्राप्त करने की तरह होगा। आप बस अंदर जाते हैं और आप बैठते हैं और यह आपके सिर पर आता है, और एक क्षणिक डंक और फिर यह हो गया, और आप अपने दिनचर्या में वापस जा सकते हैं। इसलिए हम अंततः इसे करने में सक्षम हैं छेद ड्रिल करने के लिए लेजर का उपयोग करके। और लेजर के साथ, यह तेज़ और बेहद विश्वसनीय था, आप भी बता नहीं सकते थे छेद वहां थे, आपको कुछ पता नहीं चलेगा और मुझे पता है कि यह पागल लग सकता है, अपनी खोपड़ी में छेद ड्रिल करने के लिए लेजर का उपयोग करना, लेकिन 2017 में , सर्जन लोगों की आंखों में लेजर का उपयोग करते थे, सुधारात्मक सर्जरी के लिए। तो जब आप पहले से ही यहां हैं, यह एक कदम का बड़ा नहीं है। ओके? अगले चरण में,जो 2030 के दशक में हुआ, ¶ कि यह सिर्फ खोपड़ी के माध्यम से हो नहीं रही है। न्यूरॉन्स की गतिविधि को मापने के लिए आपको इसे वास्तव में मस्तिष्क ऊतक में पहुँचना है। और जब भी आप मस्तिष्क ऊतक में कुछ डालते हैं, स्ट्रोक का जोखिम है। रक्त वाहिका को चोट लग सकता है और यह स्ट्रोक का कारण बनता है। तो, 2030 के मध्य तक, हमने इन लचीली जांच का आविष्कार किया था। वें रक्त वाहिकाओं के चारों ओर जाने में सक्षम थे। और उनके माध्यम से, इन जांच की विशाल जांच उपकरण बैटरी हम डाल सकते थे रोगियों के दिमाग में और उनके हजारों न्यूरॉन्स से रिकॉर्ड कर सकते थे, बिना किसी जोखिम के। और जो प्रकट हुआ, उसने हमें आश्चर्यचकित कर दिया कि न्यूरॉन्स जिन्हें हम पहचान सकते हैं विचारों या भावनाओं जैसी चीजों के लिए, जवाब नहीं दे रहे हैं ..... जो हमने आशा की थी। वे ज्यादातर प्रतिक्रिया दे रहे थे चीज़ों के लिए, जैसे कि, जेनिफर एनिस्टन या हेले बेरी या जस्टिन ट्रूडू। मेरा मतलब है - (हंसी) ¶ हिंडसाइट में, हमें आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए था। मेरा मतलब है, आपके न्यूरॉन्स ज्यादातर समय में क्या सोचते हैं? (हंसी) ¶ लेकिन वास्तव में, मुद्दा यह है कि इस तकनीक ने हमें व्यक्तियों में तंत्रिका विज्ञान का अध्ययन करने में सक्षम बनाया। आनुवंशिकी में संक्रमण की तरह, एकल सेल स्तर पर, हमने तंत्रिका विज्ञान का अध्ययन करना शुरू किया, एक मानव स्तर पर। लेकिन हमें अभी और प्रगति की जरूरत थी। इन प्रौद्योगिकियों के साथ, अभी भी हम सीमित थे, चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए, जिसका मतलब था कि हम पढ़ रहे थे बीमार मस्तिष्क, स्वस्थ दिमाग नहीं। क्योंकि आपकी तकनीक कितनी भी सुरक्षित हो, आप कोई छड़ी किसी के दिमाग में नहीं डाल सकते हैं अनुसंधान उद्देश्यों के लिए। इसे खुद आजमाने की इच्छा होनी चाहिए। और इसे कोई क्यों आजमाना चाहे? जैसे ही आपके पास है मस्तिष्क के लिए एक विद्युत कनेक्शन, आप मस्तिष्क को कंप्यूटर से हुक कर सकते हैं। ओह..., आप जानते हैं, आम जनता पहले बहुत संशयात्मक थी। मेरा मतलब है, कौन हुक करना चाहता है अपने दिमाग को कंप्यूटर पर? कल्पना करें की आप विचार से ईमेल भेजने में सक्षम हैं । (हंसी) ¶ कल्पना करें की आप आंखों से तस्वीर लेने में सक्षम हैं (हंसी) ¶ कल्पना करें कि अब और कुछ भी नहीं भूलना, ¶ कुछ भी जो आप याद रखना चाहते हैं स्थायी रूप से संग्रहीत किया जाएगा कहीं एक हार्ड ड्राइव पर, इच्छा पर स्मरण कर सकते हैं। (हंसी) ¶ यहां पागल और दूरदर्शी के बीच की रेखा कभी स्पष्ट नहीं थी। लेकिन सिस्टम सुरक्षित थे। इसलिए जब एफडीए ने 2043 में, लेजर ड्रिलिंग सिस्टम का विनियमन करने का फैसला किया वाणिज्यिक मांग में विस्फोट हुआ। लोगों ने ईमेल हस्ताक्षर करना शुरू किया, "कृपया टाइपो के लिए क्षमा करें, मेरे दिमाग द्वारा भेजा गया।"¶ (हंसी) नए वाणिज्यिक सिस्टम बनाए गए, नवीनतम और महानतम तंत्रिका इंटरफेसिंग प्रौद्योगिकी का उपयोग कर। सौ इलेक्ट्रोड थे। एक हजार इलेक्ट्रोड। एक महीने में केवल 99.99 में उच्च बैंडविथ। (हंसी) ¶ जल्द, हर किसी के पास था। और वह कुंजी थी। क्योंकि, 2050 के दशक में, यदि आप एक न्यूरोसायटिस्ट थे, कोई भी सड़क से आपकी प्रयोगशाला में आ सकता है और आप उन्हें भावनात्मक कार्य में व्यस्त कर सकते थे या सामाजिक व्यवहार या अमूर्त तर्क, चीजें आप कभी चूहों में अध्ययन नहीं कर सकते थे। और आप उनके न्यूरॉन्स की गतिविधि रिकॉर्ड कर सकते हैं मौजूदा इंटरफ़ेस का उपयोग करके। और फिर आप उन्हें पूछ भी सकते हैं, वे क्या अनुभव कर रहे थे। मनोविज्ञान और तंत्रिका विज्ञान के बीच इस लिंक जो आप कभी जानवरों में नहीं कर सकते थे, अचानक, अब था। शायद इस के क्लासिक उदाहरण तंत्रिका अंतर्दृष्टि के आधार पर खोज है। "आह!" पल, पल जब सब एक साथ आता है, यह क्लिक करता है। और यह खोजा गया था 2055 में दो वैज्ञानिकों द्वारा, बेरी और लेट, जिन्होने पृष्ठीय प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में देखा किसी के दिमाग में किस तरह एक विचार को समझने की कोशिश होति है, न्यूरॉन्स की विभिन्न आबादी खुद को पुनर्गठित कैसे करते हैं- आप तंत्रिका गतिविधि को देख रहे हैं, नारंगी रंग में - अंततः उनकी गतिविधि संरेखित होती है एक तरह से सकारात्मक प्रतिक्रिया की ओर जाती है। वहाँ। यह है समझना। आखिर में, हम समझने में सक्षम थे, उन चीज़ों को, जो हमें मानव बनाते हैं। और यही वह तरीका है जिसने वास्तव में रास्ता खोला दवा से प्रमुख अंतर्दृष्टि के लिए। क्योंकि 2060 के दशक से शुरूआत हुई तंत्रिका गतिविधि रिकॉर्ड करने की क्षमता विभिन्न मानसिक बीमारियों के रोगियों के मस्तिष्क में, बीमारियों को परिभाषित करने के बजाय उनके लक्षणों के आधार पर, जैसे हम सदी की शुरुआत में थे, हमने उन्हें परिभाषित करना शुरू कर दिया वास्तविक पैथोलॉजी के आधार पर, जो तंत्रिका स्तर पर असल में देखा गया। उदाहरण के लिए, एडीएचडी के मामले में, हमने पाया कि वहां दर्जनों बीमारियॉं हैं , सदी की शुरुआत में, सभी को एडीएचडी कहा गया था वास्तव में, वे सभी अलग थे सिर्फ़ उनके लक्षण समान थे। उन्हें अलग तरीकों से इलाज करने की ज़रूरत थी। तो पुनरावलोकन करने पर, यह अविश्वसनीय था, की शताब्दी की शुरुआत में, हम उन सभी अलग-अलग बीमारियों का इलाज एक ही दवा, एमफिटामीन से कर रहे थे, स्किज़ोफ्रेनिया और अवसाद वैसे ही हैं। अतीत जैसे, लोगों को यादृच्छिक रूप से दवा निर्धारित करने के बजाय, हमने सीखा कि कैसे भविष्यवाणी की जाए कौन सी दवाएं सबसे प्रभावी होंगी किस रोगी के लिए और सिर्फ इससे परिणामों में विशाल सुधार हुआ मैं अब आपको वापस ले जाना चाहता हूं वर्ष 2017 तक इनमें से कुछ व्यंग्यात्मक अौर कुछ क्लिष्ट व असुगम लग सकते हैं। और इनमें से कुछ हैं भी। मेरा मतलब है, मैं वास्तव में भविष्य में नहीं देखें सकता। मैं वास्तव में नहीं जानता हम 30 वर्षों में हमारे सिर में सैकड़ों ड्रिलिग करने जा रहे हैं या हजारों माइक्रोस्कोपिक छेद लेकिन मैं आपको यह बता सकता हूं कि हम कोई प्रगति नहीं करने जा रहे हैं मानव मस्तिष्क या मानव रोग को समझने के लिए जब तक हम स्वस्थ इंसानों में न्यूरॉन्स की विद्युत गतिविधि नहीं समझते हैं! और ईस दिशा में अभी कोई शोध नहीं कर रहा है। यह न्यूरोसाइंस का भविष्य है। और मुझे लगता है कि अब समय आ गया है न्यूरोसाइस्टिक्स के लिए कि चूहे के मस्तिष्क पर शोध बंद करें और आवश्यक विचार व निवेश समर्पित करें मानव मस्तिष्क व मानव रोग को समझने के लिए। धन्यवाद। (तालियां) मुम्बई हो या दिल्ली, चन्नई हो या कोलकाता, हमारे देश के बड़े शहरों की एक खास खूबी हैं। रोजगार के तलाश में छोटी जगहों से आने वाले लोगों के लिये ये अपने बाहें हमेशा खुली रखते हैं। लेकिन, ये भी सच है कि इन खुली बाहों का शहरों पर बहुत असर पड़ता हैं। रहनी की नयी समस्याएँ पैदा हो जाती हैं। आज हमारे साथ ऐसे ह्यूमन सेटलमेंट एक्सपर्ट और रिसर्चर डॉक्टर गौतम भान है जिनको इस बढ़ती समस्या में भी एक समाधान नजर आता है। अर्बन इंडिया की एक नयी तस्वीर दिखाई देती है जो ये आज हमें यहाँ दिखाने वाले है। TED Talks India नयी सोच पर स्वागत है डॉक्टर गौतम भान का। डॉक्टर गौतम भान आईये . इस देश में कुछ साल पहले तक अगर आप किसी से पूछते "आप हो कहाँ से?" और जवाब आता दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता। तो आप भी फट से एक दूसरा सवाल पूछते। "नहीं, आप बिलोंग कहाँ से करते हो?" हाल तक हिंदुस्तान में शहरों से कोई होता नहीं था। शहर सिर्फ लोग आते थे। ये बदलने लगा है। शहरीकरण हिंदुस्तान को बदलने लगा है। मगर क्या हमारे शहर तैयार है? मानिये की आपका जन्म कहीं और हुआ होता। मानिये की पूरी जिंदगी आपके माँ बाप ने कुछ मजदूरी की होती। आगे बढ़ने के लिये आप भी शहर आते। या जैसे आज अक्सर होता है आपका जन्म ही शहर में हुआ होता। एक दिन आप शहर में एक रहने की जगह ढूंढते। खरीदने के लिये या शायद सिर्फ किराये पर। क्या मिलेगी आपको किफायती सस्ती आवास? सरकार कहती है की दो करोड़ घरों की कमी हैं। दो करोड़ घर यानी दस करोड़ लोग। और ये कोई तीन बी.एच.के. फ्लैट की कमी नहीं है। ९५% कमी उन घरों में है जहां महीने की आमदनी सिर्फ दस से पंद्रह हजार रुपये है। इस बजट में मिलेगा आपको वो सस्ता किफायती घर? ऐसे आपके साथ होता तो आप क्या करते? घर गाडी या गहना नहीं होता। घर रोटी ओर कपड़ा होता है। इसके बिना कोई जी नहीं सकता। अगर शहर में आपको खरीदने के लिये या किराया पे घर नहीं मिलता आप भी वही करते जो ज्यादातर लोग करते हैं। जहां हो सके आप घर बनाते। आप भी बस्ती ही बनाते। सरकार इसके भले स्लम कहते रहे मगर वहां के रहने वाले लोगों के साथ मैं भी सिर्फ इससे बस्ती ही बुलाऊंगा। दस करोड़ लोग बेघर नहीं हैं। उनके पास घर हैं। ऐसे घर जो उन्होंने खुद बनायें हैं। मगर ये घर ज्यादातर बस्तियों में ही है। ये है हिंदुस्तान में किफायती आवाज की सच्ची कहानी। बस्ती में घर सस्ते है, मगर दुरुस्त नहीं। बस्ती के बाहर घर दुरुस्त है, मगर सस्ते नहीं। नयी सोच की बुनियाद यहीं से हमें शुरू करनी पड़ेगी। बस्ती समस्या नहीं, बस्ती समाधान है। इसी को सुरक्षित और दुरुस्त बनाना है हमने। दो करोड़ घरों की कमी कम करने के लिये आप दो करोड़ पच्चीस स्क्वायर मीटर के नये फ्लैट नहीं बना सकते ओर ना आपको बनाना चाहिए। आप एक उदाहरण ले लीजिये। कर्नाटक सरकार को ले लीजिये। इस मामले में कर्नाटक सरकार का रिकॉर्ड बहुत अच्छा माना जाता है। दो हजार बीस तक कर्नाटक को छब्बीस लाख घरों की जरूरत है। पिछले दस सालों में बनाये है साढ़े तीन लाख। पूरी निष्ठा से भी कोई सरकार अगर कोशिश करें इतनी बड़ी कमी वो जन्मों तक नहीं मिटा पाएगी। अगर हम नये घर ना बनाये तो समाधान आगे क्या है? बस्ती को सुरक्षित कैसे किया जाये? पहले, विस्थापन रोकिए। बुलडोजर नहीं चलाइए। इससे ना विकास कभी हुआ है ना विकास हो सकता है। हमें मान लेना होगा की शहर को बनाने और चलाने वाले मजदूरों का शहर की जमीन पे हक हैं। मैं जानता हूँ आप क्या सोच रहे हैं। आप सोच रहे पर बस्ती तो किसी और की जमीन पे कब्जे से बनती है। मगर सोचिए रात के अंधेरे में कब्जा नहीं होता। जमीन सरकारी हो या गैर सरकारी चोरी छुपे नहीं बस्ती बसती। बसाई जाती है। सरकार खुद मानता है की हमारे शहरों की बस्तियां दस, बीस, तीस, चालीस सालों से बसी हुई है। चालीस साल पुरानी है। ये कैसा कब्जा है जो तीस साल तक नजरअंदाज कर दिए जाता है और विस्थापन के एक दिन पहले गैर कानूनी करार कर दिया जाता है। बस्ती अलग अलग शहरों में १५-६०% आबादी को बसाती है मात्र एक, दो, ज्यादा से ज्यादा दस प्रतिशत जमीन का इस्तेमाल करती है। क्या इतनी आबादी को इतनी जमीन पे हक नहीं? शहर के विकास को हम अक्सर जमीन की कीमत से नापते है। जमीन पे बसी हुई की जिन्दगी की कीमत कैसे नापेंगे हम? बस्ती आपसे कोई चमकता हुआ घर नहीं मांग रही। वो मांग रही है सिर्फ बुनियादी सुविधाएं बिजली, सड़क, पानी, शौचालय और ड्रेनेज। इसको हम स्थानीय विकास कहते है। अंग्रेजी में शब्द है अपग्रेडेशन। अपग्रेडेशन का एक उदाहरण सुनिए। अहमदाबाद में एक प्रोग्राम चला। १० साल के लिए ४४ बस्तियों को वादा किया की विस्थापन नहीं होगा। बस वादा। कोई पट्टा, कुछ लिखित में नहीं दिया। बुनियादी सुविधाएं उसकी ऊपर दी गयीं। दस सालों में वो स्लम मोहल्ला बना, जगह बनी, दुनिया बनी। और सरकार को एक नया घर नहीं बनाना पड़ा। थाईलैंड ने इसी प्रोग्राम को ऐसे राष्ट्रीय स्तर पे चलाया, इस पैमाने पे चलाया की १३७ शहरों में एक लाख लोगों का फायदा हुआ। और यहाँ हर रहने वाले को जमीन पे हक मिला। मगर गौर कीजिए। बेचने का हक नहीं, मगर रहने का हक, इस्तेमाल करने का हक, बसने का हक। पूरी दुनिया में जो सोच है वो यही है कि आगे बढ़ने के लिए बस्ती को हम हटा नहीं सकते। बस्ती के पीछे हमें सुरक्षा और दुरुस्त बनाने की सोच ही आगे बढ़ानी है। मगर एक बात अगर हम यह जानते है तो होता क्यों नहीं है? बस्ती में यह नयी सोच लगाने के लिए पहले आप में और मुझ में, हमारे मन में जो छुपी छुपी घृणा है, अनादर है, आशंका है, पहले वो बदलनी पड़ेगी। सच तो यह है की आज आपके सामने मुझे नहीं होना चाहिए। आज आपके सामने उस बस्ती के साथी को होना चाहिए जो बस्ती बनाता है और वहाँ रहता है। मगर अगर वो आते तो आप नहीं सुनते। आप मेरी सुन रहे हैं, क्योंकि आपको लगता है मैं बस्ती से नहीं हूँ। यही तो सोच है जो बदलने की जरूरत है। शुक्रिया। थैंक यू वेरी मच। थैंक यू डॉक्टर गौतम भान। बहुत बहुत धन्यबाद। आप मुझे बताये, थाईलैंड में आपने हमको उदहारण दिया की ऐसा हुआ और उसमें एक बहुत बड़ी बात बोली की यह घर बसने के लिए है, इन घरों को आगे बेचा नहीं जा सकता, इसका धंधे के लिए यूज़ नहीं किया जा सकता। तो हमारे देश के अंदर भी कोई ऐसी विचार धारणा है? ऐसा कोई प्रोग्राम है? आपकी बातों से, लोगों की बातों से हो रहा है क्या? मुझे लगता है की मेरी बातों से तो नहीं, मगर जनांदोलन जो है, जो शहर के हकों के लिए लड़ते है, जो बस्ती की आंदोलन है जो खुद लड़ते है, उनका प्रभाव होने लगा है। तो ओडिशा आप ले लीजिये। वहाँ का जो चीफ मिनिस्टर है, मिस्टर पटनायक, उन्होंने यही स्कीम अनाउंस की है कि पूरे राज्य में बस्ती में सारे रहने वाले लोगों को उनकी जमीन पे हक मिलेगा। और मुझे लगता है की ये जो उनकी नीति है इसे पॉपुलिस्म (लोकलुभावनवाद) न कहा जाये, इसे एक इकोनॉमिक डिवेलप्मेंट स्ट्रेटजी कही जाई। क्योंकि आर्थिक विकास की शुरुआत ऊपर से नहीं, नीचे से होती है। मैं भी आज के बाद यह वादा करता हूँ बस्तियां ही बोलूंगा, स्लम्स कभी नहीं कहूंगा। हंड्रेड परसेंट। डॉक्टर भान आपने यहाँ पर आये और आपने हमें बहुत अच्छी बात कही। और एक छोटा सा गीत है जो मैं गाऊंगा नहीं, क्योंकि मैं गाता बहुत खराब हूँ। मैं भी नहीं गाऊंगा, मैं भी गाता बहुत खराब हूँ। मगर हम चुप भी नहीं रह सकते, क्योंकि अच्छी बात कर रहे है तुम दोनों। तो सिर्फ बोलेंगे। - बसते बसते बस जाएगी इस दिल की बस्ती। - बसते बसते बस जायेगी इस दिल की बस्ती। तभी जीवन में आएगी प्यार भरी मस्ती। लेडीज एंड जेंटलमैन डॉक्टर गौतम भान। थैंक यू। थैंक यू वेरी मच। दो साल पहले यहां TED पर मैंने हमारी खोज के बारे में बताया था शनि ग्रह की यात्रा पर कैसिनी अंतरिक्षयान द्वारा एक अनियमित रूप से गर्म और भौगोलिक दृष्टि से सक्रिय क्षेत्र देखा गया. शनि के छोटे चांद के दक्षिणी छोर पर एनसेलेडस पर, इस जगह पहली बार देखे गए इस क्षेत्र में कैसिनी द्वारा 2005 में लिए गए इस चित्र में, यह दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र है. बाघ की धारियों जैसी दरारों वाला यह प्रसिद्ध क्षेत्र दक्षिणी ध्रुव के आर-पार जाता है. और इसे हाल में 2008 के अंत में ही देखा गया है. इसी क्षेत्र में दोबारा इस स्थान पर आधे भूभाग में अंधेरा है क्योंकि दक्षिणी गोलार्ध में अगस्त के आगमन के साथ ही अब शीतकाल शुरू हो गया है. मैंने यह भी बताया था कि हमने यह हैरतअंगेज़ खोज की है -- बहुत लंबे समय के बाद हमने खोज की है इन ऊंचे फव्वारों की जो दक्षिणी ध्रुव की उन दरारों से फूट रहे हैं, इनमें पानी की बर्फ के सूक्ष्म क्रिस्टल हैं, तथा जलवाष्प भी है और कार्बन डाइऑक्साइड एवं मीथेन जैसे सरल कार्बनिक यौगिक हैं. और दो साल पहले उस समय मैंने यह बताया था कि हमारे अनुमान से ये फव्वारे असल में गीज़र्स हो सकते हैं, जो उन पॉकेट्स से या सतह के नीचे द्रव पानी के चैंबरों से फूट रहे हैं. लेकिन हम इस बारे में सुनिश्चित नहीं थे. हांलांकि, इन परिणामों के तात्पर्य ये थे कि इस चांद में ऐसा वातावरण संभव है जो जीवन की उत्पत्ति के पूर्व की रासायनिक अवस्था को प्रोत्साहित करता है, और शायद जीवन की उपस्थिति को भी, हम इतने उत्साहित थे कि बीच के दो सालों में हमने एनसेलेडस पर अधिक ध्यान केंद्रित किया. हमने कैसिनी यान को इस चांद पर कई बार भेजा है. इन फव्वारों के और निकट से गुजरते हुए फव्वारों के सघन क्षेत्र में, इस प्रकार अब हमारे पास कुछ बहुत स्पष्ट संयोजनिक गणनाएं हैं. और हमने यह पाया है कि इस चांद से निकल रहे कार्बनिक यौगिक असल में उनसे भी जटिल हैं जिनके बारे में हमने पहले सूचित किया था. यद्यपि वे अमीनो ऐसिड नहीं हैं हमें ऐसी चीजें मिल रहीं हैं जैसे प्रोपेन और बेंजीन, हाइड्रोजन सायनाइड, और फॉर्मएल्डिहाइड. और यहां पानी के सूक्ष्म क्रिस्टल ऐसे लग रहे हैं जैसे वे नमकीन पानी की जमी हुई बूंदें हैं. और यह खोज यह इंगित करती है कि ये फव्वारे केवल द्रव पानी के पॉकेट्स से ही नहीं निकलते बल्कि यह भी कि द्रव पानी चट्टानों के संपर्क में है. और यह ऐसी परिस्थिति है जिससे रासायनिक ऊर्जा की आपूर्ति होती है और जीवन की उत्पत्ति में सहायक यौगिक बनते हैं. इस प्रकार इन परिणामों से हम बहुत उत्साहित हैं. और दो साल पहले की तुलना में हम और अधिक आश्वस्त हैं कि हमने यकीनन इस चांद पर दक्षिणी ध्रुव के नीचे ऐसा वातावरण या क्षेत्र पा लिया है जो सजीव प्राणियों के लिए अनुकूल है. वहां पर सजीव प्राणी हैं या नहीं, यह एक अलग विषय है. और इसके लिए हमें एनसेलेडस पर अंतरितक्षयान की निकट भविष्य में वापसी की प्रतीक्षा करनी होगी. ताकि वह इस प्रश्न विशेष का उत्तर देने के लिए तैयार हो. लेकिन इस बीच मैं आपको आमंत्रित करती हूं कि उस दिन की कल्पना करें जब शायद हम शनि के उपग्रहमंडल की यात्रा करें और एनसेलेडस के अंतर्ग्रहीय गीज़र पार्क में भ्रमण करें, क्योंकि हम यह कर सकते हैं. धन्यवाद. (तालियां) फॉरेस्ट नोर्थ: किसी भी सहयोग की शुरुआत एक बातचीत के साथ शुरू होती है. और मैं आप के साथ बाँटना चाहता हूँ वह बातचीत जिसके साथ हमने शुरू किया. मैं एक लॉग केबिन में वाशिंगटन राज्य में बड़ा हुआ मेरे हाथों में बहुत अधिक समय था यवेस बिहार: और मैं सुंदर स्विट्जरलैंड में. FN: मुझे हमेशा वैकल्पिक वाहनों के लिए एक जुनून था. यह नेवादा रेगिस्तान में एक भूमि नौका दौड़ रही है. YB: इस आविष्कार में विंडसर्फिंग और स्कीइंग का संयोजन है. FN: और मुझे खतरनाक आविष्कारों में भी रुचि थी. यह एक 100,000 वोल्ट टेस्ला कुंडल है जो कि मैं अपने शयन कक्ष में बनायी, मेरी माँ बहोत निराश थीं. YB: मेरी माँ भी निराश थी यह खतरनाक किशोर फैशन है. (हँसी) FN: और मैं यह सब एक साथ लाया, वैकल्पिक ऊर्जा का यह जुनून और ऑस्ट्रेलिया के आर-पार एक सौर कार चलाई अमेरिका और जापान में भी . YB: तो, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा - हमारे पास बात करने के लिए बहुत कुछ था. हमारे पास बहोत था हमें उत्साहित करने के लिए तो हम एक विशेष परियोजना साथ करने का फैसला किया. इंजीनियरिंग और डिजाइन का गठबंधन ... FN: वास्तव में एक पूरी तरह से एकीकृत उत्पाद बनाने का, सुंदर कुछ बनाने का. YB: और हमने एक बच्चा बनाया. (हँसी) FN: आप हमारे बच्चे को ला सकते हैं? (अभिवादन) यह बच्चा पूरी तरह से बिजली से चलता है. यह 150 मील प्रति घंटे पर चल सकता है. यह किसी भी बिजली की मोटर साइकिल से दोगुना है. एक मोटर साइकिल के बारे में वास्तव में एक रोमांचक बात इंजीनियरिंग और डिजाइन का सुंदर एकीकरण है. इसमें अद्भुत उपयोगकर्ता अनुभव है. यवेस बिहार के साथ काम करना अद्भुत था. उन्होंने नाम और लोगो का निर्णय किया. हम मिशन मोटर्स हैं. और हमें केवल तीन मिनट मिले हैं, लेकिन हम इसके बारे में घंटों बात कर सकते हैं. YB: धन्यवाद. FN: धन्यवाद TED. और धन्यवाद क्रिस, हमें बुलाने के लिए, धन्यवाद. (अभिवादन) मैं ब्रह्मांड में अपनी जगह के बारे में सोच रहा थी, और मेरे पहले विचार के बारे में कि, अनंत का क्या मतलब हो सकता है, जब मैं बच्ची थी। और मैंने सोचा कि, अगर समय पहुँच सकता है, आगे और पीछे असीम रूप से, इसका मतलब यह नहीं कि, हर समय वास्तव में असीम रूप से छोटा होता है, और इसलिए कुछ हद तक अर्थहीन है। इसलिए हमारे पास वास्तव में ब्रह्मांड में जगह नहीं है, उतनी दूर तक जितना एक समय रेखा पर। लेकिन, कुछ नहीं कर सकते हैं। इसलिए हर पल वास्तव में सबसे महत्वपूर्ण पल होता है। ऐसा कभी हुआ है,अभी इस क्षण सहित। और इसलिए, यह संगीत आप सुनने वाले है शायद सबसे महत्वपूर्ण संगीत है आप अपने जीवन में कभी सुनेंगे। (हास्य) (तालियां) (तालियां) धन्यवाद। (तालियां) (तालियां) उन लोगों के लिए जो बाद में मिलने के लिए भाग्यशाली होंगे। आप कहने से बच सकते हैं, "हे भगवान, आप वास्तविक जीवन में बहुत छोटे हैं।" (हास्य) क्योंकि यह ऐसा है, जैसे मंच एक दृष्‍टि भ्रम है, किसी कारण के लिए। (हास्य) कुछ हद तक ब्रह्मांड की वक्रता की तरह। मुझे नहीं पता कि यह क्या है। मुझे इंटरव्यू में बहुत पूछा जाता है, "मेरे भगवान, आपका गिटार बहुत विशाल है !" (हास्य) "आपको उसे विशिष्ट बनवाना चाहिए - विशेष, विनम्र गिटार।" (हास्य) (सराहना) आपका बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियां) मैं यहां जीवन की पवित्रता का सम्मान करने के लिए हूं जो मैं दक्षिण टेक्सास में सीमा पर देखता हूं। 2014 में, मैंने एक निरोध सुविधा का दौरा किया जहाँ सैकड़ों छोटे अप्रवासी बच्चे को कई हफ्तों तक हिरासत में रखा गया था बहुत दिल तोड़ने वाला स्थिति में। वो गंदे और मैले थे और रो रहे हैं। उनके चेहरे आंसुओं से भरे थे। मुझे अंदर जाने का और उनके साथ रहने का मौका मिला। वो मेरे चारों ओर थे। वे छोटे थे, पाँच साल के अंदर थे कुछ बच्चे। और वे मुझसे कह रहे थे कि, (स्पानिष) "Sácame de aquí." "मुझे यहां से बाहर निकालो।" (स्पॅनिश ) "Por favor, ayúdame." "कृपया मेरी मदद करें।" उनके साथ वहां रहना इतना मुश्किल था कि मैं उनके साथ रोने लगा, और मैंने उनसे कहा, "आइए हम सब प्रार्थना करते हैं।" (स्पॅनिश ) "Vamos a rezar." उन्होंने मेरे बाद दोहराया, (स्पॅनिश ) "Diosito, ayúdanos." "भगवान, हमारी मदद करें।" जैसा कि हमने प्रार्थना की, सीमा गश्ती अधिकारियों कांच की खिड़की से देख रहे थे। वे आंसुओं के कगार पर थे। जैसा कि उन्होंने बच्चों को सुना प्रार्थना और गवाह। एक छोटा लड़का मेरे करीब आया, क्योंकि वे सब चारों ओर थे, हम उस छोटी सी सेल में मुश्किल से फिट हो सकते थे। और यह छोटा लड़का मुझे बताने लगा कि, (spanish ) "Ayúdame.मेरी मदद करो। मैं अपनी मम्मी के साथ जाना चाहता हूं। ” "कृपया मेरी मदद करें। मैं अपनी मां के साथ रहना चाहता हूं। वह यहां है, मैं उससे अलग हो गई थी। ” मैने उससे कहा, "बेटा, अगर तुम्हारी माँ यहाँ है, मुझे यकीन है कि आप उनसे मिल जाएंगे। ” जब मैं सेल से बाहर चला गया, एक अधिकारी मेरे करीब गया और मुझसे कहा, “दीदी, धन्यवाद। आपने हमें महसूस करने में मदद की है कि वे इंसान हैं। ” तुम्हें पता है, कभी-कभी, कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे पास कौन सी नौकरी है, हमें पहचानना कभी नहीं भूलना चाहिए दूसरों में मानवता। अन्यथा, हम अपनी मानवता खो देंगे। आपको थोड़ा बता देता हूं मैं क्या देखता हूं और क्या करता हूं दक्षिणी सीमा में अमरीका का मैं कहाँ रहता हूँ और कहाँ काम करता हूँ। सैकड़ों परिवार संयुक्त राज्य में प्रवेश करते हैं रियो ग्रांडे नदी को पार करके। और एक बार वे संयुक्त राज्य में, उनमें से कई को अनुमति दी जायेगा आव्रजन की उनकी प्रक्रिया को जारी रखने के लिए बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका में। इन सभी वर्षों से मुझे क्या विस्मय हुआ कि अद्भुत मानवीय प्रतिक्रिया दक्षिण टेक्सास में समुदाय के। हजारों स्वयंसेवक अपने समय को इतनी उदारता से दिया है। मेरे लिए, वे सभी अद्भुत लोग हैं। और पूरे समुदाय, शहर की सरकार, स्थानीय व्यापारी नेताओं से लेकर नागरिक संगठनों, सभी विश्वास समुदाय, सीमा गश्ती और ICE में। हम सब साथ आए हैं मदद करने के प्रयास में 150,000 या अधिक आप्रवासी उस दिन के बाद से हम शुरू हो गए। उन पहले दिनों में वापस जब हम पहली बार शामिल हुए थे अप्रवासियों की मदद करने में, हम अपने राहत केंद्र में थे, और शहर का एक अधिकारी मुझे बताता है, "दीदी, आप यहाँ क्या कर रही हैं?" मैंने मुड़ कर देखा क्या हो रहा था राहत केंद्र में। मैं हैरान था कि मैं क्या देख रहा था। सैकड़ों स्वयंसेवक थे वहां कई परिवारों की मदद करने केलिये जिनको मदद की जरूरत है। उन्हें सफाई देने के तरीके बताए स्वच्छ कपड़े, भोजन प्राप्त करने के लिए स्वच्छता रखे बस प्यार और करुणा हर जगह देखा गया था। इसलिए मैंने उसे कहा, “मानवीय गरिमा को बहाल करना। हम यही तो कर रहे हैं।" मुझे नहीं लगता कि उसे उम्मीद थी उस जवाब से मुझे, क्योंकि उसने एक कदम पीछे ले लिया और फिर मुझसे संपर्क किया और कहा, "बहन, अगर मेरे पास जादू की छड़ी थी, वह जादू की छड़ी तुम्हारे लिए क्या करेगी? ” "बारिश?" इतना ज़रूर, कि शाम हमारे पास शावर की एक मोबाइल यूनिट थी।उसे गजब का। और उसके बाद, हमें सरकार की 100 प्रतिशत समर्थन था। हम लोग वहाँ थे, यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम मदद कर रहे थे और हमारी प्रतिक्रिया के साथ सफल हो इतने सारे परिवार जो हम देख रहे थे हर एक दिन। मुझे लगता है कि हमें दूसरों को देखने मदद करनी चाहिए हम जो देखते हैं। मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि हम दूसरों के साथ साझा कर सकते हैं। आपने शायद यह विचार पहले सुना हो - कि हमें हमेशा देखना चाहिए भगवान के बच्चे समान। लेकिन ऐसा करने के लिए, मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है उन्हें देखने में सक्षम होना जैसे कि लोग। व्यक्तिगत मुठभेड़ करने में सक्षम होने के लिए, जब हम महसूस कर सकते हैं जो वे महसूस करते हैं, जब हम समझ सकते हैं वे कैसे मुसीबत में हैं। वास्तव उनसे मिलने के लिए। तभी ही हम उनके साथ हैं मानवता से जब हम सब उनको अपने परिवार में लायें। और मान सकते हैं कि हम सब एक ही परिवार का । उन दिनों के दौरान, एक महिला मुझसे कहती है, “दीदी, मैं 100 प्रतिशत विरुद्ध हूं तुम जो करते हो, एलियंस की मदद करना। और मैंने उससे कहा, "मैं आपको बताऊं कि मैं क्या और क्यों करता हूं। इसलिए मैंने उसके साथ साझा किया और उसका परिचय दिया परिवारों और बच्चों से, उन कहानियों को साझा किया जो वे जी रही हैं। जब मैंने उसके साथ बात खत्म की, वह मुड़कर मुझे देखती है और कहती है, “दीदी, मैं 100 प्रतिशत हूं आप जो करते हैं उसके पक्ष में। " (हँसी और तालियाँ) उस शाम, उसके पति ने मुझे फोन किया, उसने मुझसे कहा, "दीदी, मुझे नहीं पता आपने मेरी पत्नी के साथ क्या किया। लेकिन आज शाम वह घर आई और उसने कहा, 'अगर सिस्टर नोर्मा आपको कभी फोन करती है, आप सुनिश्चित करें कि आप वही करें जो वह आपसे कहती है। ' तो मैं आपको बताने जा रहा हूं मैं किसी भी तरह से मदद करने के लिए यहां हूं। ” अच्छा आप जानते हैं ... मैं सोच रहा हूँ कि - क्या यह एक व्यक्तिगत मुठभेड़ थी जो उसके पास थी? मुझे लगता है कि यह एक अच्छा विचार है, एक अच्छा संदेश है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह पूरी कहानी है। उस मुठभेड़ में, हमें अलग रखना होगा हमारा पूर्वाग्रह है कि हम दूसरों की ओर हैं, हमें अलग करता है और हमें उन्हें देखने की अनुमति नहीं है, हमारी दीवारें जो हम अपने दिल में बसाते हैं कि हमें दूसरों से अलग रखें। जब हम ऐसा करने में सक्षम होते हैं, हम उन तक पहुंचने में सक्षम हैं। तुम्हें पता है, मुझे लगता है कि यह संभव नहीं है डर से - हम डरते हैं। और क्योंकि हम डरते हैं - संभावना से यह है हमने मीडिया में देखा है यह सब नकारात्मक बयानबाजी हम आप्रवासियों के बारे में सुनते हैं, उनका प्रदर्शन होता है, जैसे वे इंसान नहीं हैं, कि हम उन्हें नज़रअंदाज़ कर सकते हैं और हम उनसे छुटकारा पा सकते हैं, और बुरा भी नहीं लगता हम ऐसा कर रहे हैं। अप्रवासी परिवार अपराधी नहीं हैं। अप्रवासी परिवार हमारे परिवारों की तरह हैं, हमारे पड़ोसियों की तरह। वे अच्छे लोग हैं जो हमारे देश, संयुक्त राज्य अमेरिका में आ रहा है केवल इसलिए कि वे भाग रहे हैं हिंसा से दूर और वे सुरक्षित रहना चाहते हैं। दुर्भाग्य से, हम सीमा पर क्या देखते हैं भयानक है। लोग तड़प रहे हैं और पीड़ित हैं। उनमें से हजारों हैं। और ज्यादातर मुझे लगता है यह उन दीवारों के कारण है जो हमने डाला, जो हमारे दिल में है, यह हमें परवाह नहीं करता है। इसलिए हमारे पास नीतियां हैं वजो लोग वापस मेक्सिको लौट रहे हैं, वे इंतजार कर सकते हैं। और वे वहां महीनों इंतजार करते हैं। भयानक परिस्थितियों में, जहां लोग दुख और तकलीफ में हैं। हनन। और ठीक होने का साधन भी नहीं। मुझे लगता है कि यह सच है हमें अपने देश को सुरक्षित रखना चाहिए, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए जो हमारे देश में प्रवेश करता है, कि अपराधियों को दूर रखा जाना चाहिए। लेकिन यह सच भी है कि हमें हारना नहीं चाहिए ऐसा करने में हमारी मानवता। हमारे पास नीतियां और प्रक्रियाएं होनी चाहिए जो योगदान नहीं है मानव दुख के लिए जो लोग पहले से ही पीड़ित हैं। और हम समाधान पा सकते हैं जो सभी मानव जीवन के लिए सम्मानजनक हैं। हम यह कर सकते हैं, अगर हम पूरी कोशिश करेंगे। मै सीमा पर जो देखता हूं परिवार हैं, पुरुष, जो बच्चे के साथ और आराम करने की कोशिश करेंगे वह बच्चा जो रो रहा है क्योंकि वह बच्चा रो रहा है अपने अपने पिता के लिए। और ये आदमी उस बच्चे के साथ रो रहे हैं। मैं पुरुषों और महिलाओं को देखता हूं जो अपने घुटनों पर गिरते हैं, प्रार्थना से। जैसा कि वे धन्यवाद में प्रार्थना करते हैं। मैं उन बच्चों को देखता हूं जो अलग हो चुके हैं महीनों तक उनके माता-पिता से। और जब वे फिर से मिले, वे अलग होने से डरते हैं खुद उनसे, क्योंकि वे डरते हैं वे अपनी माँ को फिर से खो देंगे। एक बार एक बच्चे ने मेरी तरफ देखा फिर से मिलने बाद, और उसने मुझसे कहा, (स्पेनिश) "Hoy no voy a llorar." "आज मैं रोने वाला नहीं हूँ।" और मैंने कहा, (स्पेनिश) "Por qué, mi hija?" उसने कहा, “क्योंकि मैं रो रही हूं पिछले पूरे महीने के लिए, क्योंकि मुझे नहीं पता था कि मेरी माँ कहाँ थी। लेकिन आज रात, मैं उसके साथ रहने जा रहा हूं। " जिस दिन मैंने नजरबंदी देखी 2014 में, एक छोटा लड़का था जिसने मुझसे संपर्क किया और मुझसे पूछा मुझे उसकी माँ को खोजने में मदद करने के लिए। खैर, उस शाम, जब मैं था मानवीय राहत केंद्र में, छोटा लड़का अपनी माँ के साथ अंदर चला आया। और जैसे ही उसने मुझे देखा, वह मेरी ओर दौड़ता है, मैं उसे नमस्कार करने जाता हूं, और वह सिर्फ मुझे गले लगाने के लिए खुद को फेंकता है। कितनी खूबसूरत थी, यह सही मायने में था एक सुंदर मानव मुठभेड़। मुझे लगता है कि यह अपने सबसे अच्छे रूप में मानवता है। इसे ही हम सब की उम्मीद हैं। इसके बारे में सोचो। हमें बस जरूरत है देखने के लिए पर्याप्त है, और हम परवाह करेंगे। धन्यवाद। (थालियाँ) मैं मीडिया के बदले हुए परिदृश्य के बारे में बात करना चाहता हूँ, और यह उन के लिए क्या मायने रखता है जिन के पास कोई संदेश है जो वे भेजना चाहते हैं दुनिया में कहीं भी. और मैं इसे कुछ कहानियां सुना कर स्पष्ट करना चाहता हूँ उस बदलाव के बारे में. मैं यहां से शुरू करूँगा. पिछ्ले नवंबर में राष्ट्रपति का चुनाव था. शायद आपने उसके बारे में अखबारों में कुछ पढा होगा. और ये आशंका थी कि देश के कुछ भागो में वोटिंग में गड़बड़ हो सकती है. तो वोटिंग को विडियो करने की योजना बनी. और विचार यह था कि प्रत्येक नागरिक जिन के पास विडियो बनाने वाला या फ़ॊटो लेने वाला फ़ोन था अपने मतदान केंद्रों का ब्योरा रखेंगे, और किसी प्रकार की गड़बड़ के लिए सतर्क रहेंगे. और वो उसे एक केंन्द्रीय जगह पर अपलोड करेंगे. और यह एक प्रकार से नागरिक अवलोकन की तरह काम करेगा. नागरिक वहाँ केवल अपने व्यक्तिगत वोट डालने के लिए नहीं होंगे. बल्कि वोट की समग्र पवित्रता को निश्चित करने के लिए भी. तो यह एक ख़ाका है जो यह सोच कर चलता है कि हम सब इस में एक साथ हैं. जो यहां मायने रखता है वो तकनीकि धन नहीं है. वो सामाजिक धन है. ये उपकरण सामाजिक तौर पे मज़ेदार नहीं बनते जब तक वो तकनीकी रूप से उबाऊ नहीं बन जाते. एसा नहीं है कि जब चमकीले नए उपकरण आते हैं तो उनका उपयोग समाज में रिसना शुरू हो जाता है. एसा तब होता है जब सब उनको साधारण मानने लगते हैं. क्योंकि अब मीडिया तेज़ी से सामाजिक हो रहा है, नवोन्मेष कहीं भी हो सकता है जहाँ लोग इस बात पर आसानी से यकीन कर सकें कि हम सब इस में एक साथ हैं. तो हमें एक मीडिया परिदृश्य दिखाई देना शुरू हो रहा है जिस में नवोन्मेष हर जगह हो रहा है. और एक जगह से दूसरी जगह जा रहा है. यह एक विशाल परिवर्तन है. इस की गहराई में जाए बिना, जिस पल में हम जी रहे हैं, जिस पल में हमारी ऎतिहासिक पीढ़ी जी रही है अपनी भावनाओं को प्रगट करने की क्षमता में सबसे बड़ी वृद्धि वाला है मानव इतिहास में. यह एक बड़ा दावा है. मैं इसे साबित करने की कोशिश करूँगा. पिछ्ले ५०० सालों में केवल चार काल एसे हैं जहाँ मीडिया का बदलाव इतना रहा है कि उसे क्रांति कहा जा सके. इनमें पहला मशहूर है, छपाई की प्रेस. बदली किए जा सकने वाला टंकण, तेल आधारित श्याही, नवाचारों का वो समूह जिन्होंने मुद्रण को संभव बनाया और १४०० की शताब्दी के मध्य से शुरू होकर यूरोप की काया पलट दी. फ़िर कुछ सौ साल पहले दो तरफ़ा संचार में नवाचार हुआ. संवादी मीडिया, पहले तार, फ़िर दूरभाष. धीमे, लिखित संवाद, फ़िर वास्तविक समय में ध्वनि आधारित संवाद. फ़िर, लगभग १५० साल पहले, छ्पाई के इलावा आलेखित मीडिया में क्राँति हुई. पहले तस्वीरें, फ़िर ध्वनि की रिकार्डिंग, फ़िर चलचित्र, सब भौतिक वस्तुओं पे प्रतिबिंबित. और अंत में लगभग १०० साल पहले, विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम का वशिकर्ण ध्वनि और चित्रॊं को हवा, रेडियो और टेलीविजन के माध्यम से भेजने के लिए. यह मीडिया का परिदृश्य है जैसे हम २०वी सदी में जानते थे. हम मे से वो जो कि एक निश्चित उम्र के हैं इसी के साथ बड़े हुए हैं, और इसी की हमें आदत है. पर यहाँ पे एक विचित्र सी विशम्ता है. मीडिया जो बातचीत के निर्माण में अच्छी है समूहों के निर्माण में अच्छी नही है. और जो समूहों के निर्माण में अच्छी है बातचीत के निर्माण में अच्छी नहीं है. अगर आप बातचीत करना चाहते हैं तो इस दुनिया में आप को ये किसी एक और व्यक्ति के साथ करनी पड़ेगी. अगर आप एक समूह को संबॊधित करना चाहते हैं, तो आप वही संदेश लेते हैं और समूह में सब को दे देते हैं. चाहे आप ये प्रसारण टावर के माध्यम से कर रहे हैं या मुद्र्ण यंत्र के. यह था मीडिया का परिदृश्य जैसा बीसवीं सदी में हमारे पास था. और ये है वो जो बदल गया. ये चीज़, जो गाड़ी के शीशे से टकराया हुआ मोर लगता है दरअसल बिल चेसविक द्वारा इन्टरनेट का मानचित्र है. वो व्यक्तिगत नेटवर्क के किनारों को दिखाते हुए उनको अलग रंगों से दर्शाता है. इन्टरनेट इतिहास का पहला माध्यम है जिस में समूहों के लिए जन्मजात समर्थन है और साथ साथ वार्तालाप के लिए. जब कि दूर्भाष नें हमें एक से एक का खा़का दिया. और टेलिविज़न, रेडियो, पत्रिकाओं और किताबों नें हमें एक से अनेक का खा़का दिया. इन्टरनेट हमें अनेक से अनेक का खा़का देता है. पहली बार मीडिया जन्मजात रुप से इस तरह की वार्तालाप के समर्थन में अच्छा है. ये बड़े बद्लावों में से एक है. दूसरा बड़ा बदलाव है कि सभी मीडिया का डिजिकरण हो जाता है इन्टरनेट वाहन भी बन जाता है बाकि सभी मीडिया के लिए. मतलब कि फ़ोन की कौलें इन्टरनेट को विस्थापित हो जाती हैं. पत्रिकाएं इन्टरनेट को विस्थापित हो जाती हैं. फ़िल्में इन्टरनेट को विस्थापित हो जाती हैं. और इसका मतलब है कि हर माध्यम हर दूसरे माध्यम के ठीक बराबर है. दूसरी तरह कहा जाए तो, मीडिया तेजी से सूचना का स्रोत कम और समन्वय का स्थान ज्यादा बनता जा रहा है. क्योंकि समूह जो किसी चीज़ को सुनते या देखते हैं अब एकत्रित हो कर एक दूसरे से बात भी कर सकते हैं. और तीसरा बड़ा बदलाव है कि भूतपूर्व दर्शक, जैसा कि डैन गिलमोर उन्हें बुलाते हैं, अब निर्माता भी हो सकते हैं उपभोगता नहीं. हर बार एक नया ग्राहक मीडिया के इस परिदृश्य से जुड़्ता है तो एक नया निर्माता भी जुड़्ता है. क्योंकि वही उपकर्ण, फ़ोन, कंप्यूटर, आप को उपभोग और निर्माण करने देते हैं. ये ऎसा है जैसे आपने एक किताब ख़रीदी हो, और उन्हॊंने साथ में मुद्र्ण यंत्र मुफ़्त में दे दिया हो. जैसे कि आप के पास फ़ोन हो जिसे आप रेडियो में बदल सकें अगर आप सही बटन दबा सकें. ये एक बहुत बड़ा बदलाव है मीडिया परिदृश्य में जिसकी हमें आदत है. और यह सिर्फ़ इन्टरनेट के होने या न होने कि बात नहीं है. हमारे पास इन्टरनेट उसके सार्वजनिक रूप में तकरीबन २० साल से है. और वह अभी भी बदल रहा है जैसे मीडिया और सामाजिक बन रहा है. वह अभी भी अपने ख़ाके बदल रहा है उन समूहॊं में भी जो इन्टरनेट का इस्तेमाल अच्छे से जानते हैं. दूसरी कहानी. पिछली मई, चीन के शिचुआन राज्य में ७.९ तीव्रता का भयंकर भूचाल आया, बड़े इलाके में भारी तबाही, रिक्टर पैमाने के मुताबिक. और भूचाल के आने के दौरान ही उसकी ख़बर दी जा रही थी. लोग अपने फोन से संदेश भेज रहे थे. वो ईमारतों की तस्वीरे ले रहे थे. वो हिलती हुई ईमारतों के विडियो बना रहे थे. और उन्हें क्यू क्यू पर अपलोड कर रहे थे, जो चीन की सबसे बड़ी इन्टरनेट सेवा है. और उसको ट्विटर कर रहे थे. तो, जैसे भूचाल आ रहा था ख़बर दी जा रही थी. और सामाजिक रिश्तों की वजह से चीनी छात्र दूसरी जगह आ कर स्कूल जा रहे थे. या बाकि दुनिया के व्यापार चीन में दफ़्तर खोल रहे थे. पूरी दुनिया में लोग सुन रहे थे, और समाचार पा रहे थे. बी बी सी को चीनी भूकंम की पहली ख़बर ट्विटर से मिली. ट्विटर नें भूकंप की घॊशणा कर दी थी इस से कुछ मिनिट पहले अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण नें इसके बारे में कुछ ओनलाइन डाला जो कोई पढ सके. पिछली बार जब चीन में इस तीव्रता का भूकंप आया था तो उन्हें ये मानने में तीन महीने लगे थे कि एसा कुछ हुआ है. (ठहाके) अब यहां वो ये करना चाहते होंगे, इन तस्वीरों को औनलाइन जाते देखने के बजाए. पर उन्हें यह विकल्प नही दिया गया. क्योंकि उनके नागरिक उन से तेज़ निकले. सरकार नें भी भुकंप के बारे में अपने नागरिकों से सुना, बजाए ज़िनहुआ समाचार एजेंसि के. और यह जंगल में आग की तरह फ़ैल गयी. कुछ देर के लिए वहाँ पे १० सबसे ज्यादा क्लिक होने वाले लिंक ट्विटर पे , जो कि दुनिया की सरल संदेश सेवा है, १० मे से नौ लिंक भूकंप के बारे में थे. लोग सूचना एकत्रित कर रहे थे, लोगों को समाचार के स्रॊतों की तरफ़ इशारा कर रहे थे, अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की ऒर इशारा कर रहे थे. १०वीं लिंक एक बिल्ली के बच्चे के बारे में थी, जो एक ट्रेड्मिल पर चढी हुई थी, पर इन्टरनेट ऐसा ही है. (ठहाके) लेकिन उन पहले घण्टॊं में १० में से नौ. और आधे दिन के अंदर दान लेने की वेब्साइट तैयार हो गई थीं. और दुनिया में चारों तरफ़ से दान आ रहे थे. यह एक अविश्वसनीय, समन्वित वैश्विक प्रतिक्रिया थी. और फ़िर चीनिओं नें, मीडिया के खुलेपन की एक अवधि के दौरान यह फ़ैसला कर लिआ कि वो इसे जाने देंगे. और वो नागरिकों द्वारा इस तरह से ख़बरें दिए जाने देंगे. और यही हुआ. शिचुआन प्राँत में लोगों नें यह अनुमान लगाया, कि इसका कारण कि इतनी सारे स्कूलों की ईमारतें गिर गईं, क्योंकि दुर्भाग्य से भूकंप एक स्कूल के दिन के दौरान हुआ इसका कारण कि इतनी सारे स्कूलों की ईमारतें गिर गईं यह है कि भ्रष्ट कर्मचारियों नें रिश्व्त ली थी उन ईमारतों को निर्देशों से घटिया मापद्ण्ड पे बनने देने के लिए. और इस तरह उन्होंने, नागरिक पत्रकारों नें इसकी भी सूचना देनी शुरू कर दी. और वहँ एक विचित्र तस्वीर थी. आपनें न्यू यार्क टाइम्स के मुख्य पृश्ठ पर एक देखी होगी. एक स्थानीय अधिकारी सचमुच सड़्क पर लेट गया, इन प्रदृशनकारियों के सामने. जिससे वो चले जाएं. अनिवार्य रूप से कहने के लिए, "हम कुछ भी करने के लिए तैयार हैं आप को शांत करने के लिए. बस क्रृपा कर के सार्वजनिक प्रदृशन रोक दो." लेकिन ये वो लोग थे जो कट्टरपंथी बन गए थे. क्योंकि इकलौते बच्चे वाली नीति की वजह से उन्होंने अपनी अगली पीढी में सब को खो दिया. किसीने जब अपने इकलौते बच्चे की मौत देखी हो उसके पास अब खोने को कुछ नहीं रह जाता. तो अवरोध जारी रहे. और आखिर चीनी सरकार उन पर टूट पडी. नागरिक मीडिया काफ़ी हो गई थी. तो उन्होंनें आन्दोलनकारियों को पकड्ना शुरू कर दिया. उन्होंने वो माध्यम बंद करने शुरु कर दिए जिन पर विरोध हो रहे थे. चीन शायद सबसे सफ़ल प्रबंधक है इन्टरनेट पे सेंसर का, दुनिया में, उसके इस्तेमाल के द्वारा, जिसे चीन की महान फ़ायरवौल कहा जाता है. और चीन की महान फ़ायरवौल अवलोकन बिंदुओं का समूह है जो यह मान के चलता है कि मीडिया का निर्माण पेशेवरों द्वारा होता है, वो ज्यादातर बाहर की दुनिया से अंदर आती है, वो अपेक्षाकृत छोटे हिस्सों में आती है, और अपेक्षाकृत धीरे आती है. और इन चार विषेश्ताओं कि वजह से वो सक्षम हैं इसको छानने में जैसे यह देश के अंदर आती है. लेकिन मैगिनौट रेखा की तरह, चीन की महान फ़ायरवौल गलत दिशा कि तरफ़ मुख कर रही थी इस चुनौति के लिए. क्योंकि इन चारों चीज़ों में से इस परिवेश में कोई भी सही नहीं था. मीडिया का न्रिर्माण स्थानीय तौर पे हो रहा था. उसका निर्माण नौसिखियों द्वारा हो रहा था. निर्माण तेज़ी से हो रहा था. और निर्माण अविश्वसनीय बहुतायत से हो रहा था और कोई तरीका नहीं था कि उसके बनते ही उसे छाना जा सके. तो अब चीनी सरकार, जो १२ साल से सफ़लता के साथ वेब को छान रहे थे, अब अवस्था में है यह फ़ैसला करने की कि क्या पूरी सेवाएं चलने दें या बंद कर दें. क्योंकि शौकिया मीडिया के लिए परिवर्तन इतना विशाल है कि वे इसके साथ किसी भी अन्य तरीके से निपटा नहीं कर सकता है. और बलकि यह इस हफ़्ते हो रहा है. टिआनामेन की २० वीं वर्षगांठ पर दो ही दिन पहले उन्होंनें घोषणा की कि वह ट्विटर का उपयोग बाध्य कर रहे हैं. क्योंकि कोई तरीका नहीं है कि इसे फ़िल्टर किया जा सके. उन्हें नल्का बिल्कुल बंद करना पडा. अब ये परिवर्तन सिर्फ़ उन लोगों को प्रभावित नहिं करते जो संदेशों को सेंसर करना चाहते हैं. ये उन्हें भी प्रभावित करते हैं जो संदेश भेजना चाहते हैं. क्योंकि यह दरअसल पारिस्थितिकी तंत्र का पूर्णतः परिवर्तन है. केवल एक विशेष रणनीति नहीं. बीसवीं सदी की ठेठ मीडिया समस्या यह है कि किस तरह एक संस्था जिस के पास एक संदेश है जो वे देना चाहते हैं लोगों के समूह को जो एक तानाबाने के किनारों में फ़ैले हुए हैं. और यह रहा बीसवीं सदी का जवाब. संदेश को एकत्रित कर दो. वही संदेश सब को भेज दो. राषट्रीय संदेश. लक्षित व्यक्ति. अपेक्षाकृत विरल उत्पादकों की संख्या. करने में बहुत महंगा. तो ज्यादा प्रतियोगिता नहीं है. एसे आप लोगों तक पहुँच सकते हैं. वह सब ख़त्म हो गया है. हम तेज़ी से एसे परिदृश्य में जा रहे हैं जहाँ मीडिया वैश्विक है. सामाजिक, सर्वस्व और सस्ता. अब ज्यादातर संगठन जो संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं बाहर की दुनिया को, दर्शकों के विस्तृत समूह को, अब इस बदलाव को इस्तेमाल कर रहे हैं. दर्शक वापस बात कर सकते हैं. और यह थोड़ा अजीब है. पर आपको कुछ देर में इसकी आदत पड़ सकती है, जैसे लोगों को हो जाती है. पर यह वह उन्मादी बदलाव नहीं है जिस के बीचों बीच हम रह रहे हैं. असली उन्मादी बदलाव यहां है. वह यह तथ्य है कि वे अब आपस में बेजोड़ नहीं हैं. ये तथ्य कि भूतपूर्व उपभोगक्ता अब उत्पादक हैं. ये तथ्य कि दर्शक अब सीधे आपस में बात कर सकते हैं. क्योंकि पेशेवरों कि तुलना में शौकिया लोग ज्यादा हैं. और नेटवर्क के आकार की वजह से, नेटवर्क की जड़िलता दरअसल गुनिया है भाग लेने वालों कि संख्या का. मतलब कि जब नेटवर्क बड़ा हो जाता है, तो बहुत बहुत बड़ा हो जाता है. अभी पिछले दशक तक, ज्यादातर मीडिया जो आम जनता के लिए उपल्बध थी पेशेवरों के द्वारा उत्पादित थी. वो दिन अब ख़त्म हो गए हैं और कभी वापस नहीं आएंगे. अब तो हरी रेखाएं हैं, जो मुफ़्त सामग्रि के स्रोत हैं. जो कि मुझे अपनी आखिरी कहानी पर ले आती है. हम कुछ कल्पनाशील प्रयोग देखा सामाजिक मीडिया का ओबामा के चुनाव प्रचार के दौरान. और मेरा मतलब राजनीति में कल्पनाशील प्रयोग नहीं है. मेरा मतलब है सबसे कल्पनाशील कहीं भी. और एक चीज़ जो ऒबामा नें करी, कि मशहूर तौर पे, ओबामा प्रचार नें, महशूर तौर पे, माए बराक ऒबामा डोट कौम, माएबीओ.कौम और लाखों नागरिक भाग लेने के लिए उमड पड़े, और यह समझने के लिए कि वे किस तरह से मदद कर सकते हैं. और वहाँ एक अविश्व्स्नीय वार्ता उभर के आई. और फ़िर, पिछ्ले साल इसी समय, ओबामा नें घोषणा करी कि वो फ़ीसा पे अपना मत बदलने जा रहे थे, विदेशी खु़फ़िया निगरानी एक्ट. उन्होंने जनवरी में कहा कि वो एक बिल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे जो दूरसंचार को बिना वारंट के जासूसी करने के लिए प्रतिरक्षा दे अमरीकी लोगों पर. गर्मीयों तक, आम चुनाव प्रचार के बीच में, उन्होंने कहा, "मैंने इस विषय में और सोचा हैए. मैंने अपना मत बदल लिया है. मैं इस बिल को अपना मत दूंगा." और उनके कई समर्थक उनकी ही साइट पर सार्वजनिक रूप से बेलगाम हो गए. जब उन्होंने इसे बनाया तो वह सेनेटर ऒबामा था. बाद में उन्होंने नाम बदल दिया. कृप्या फ़िसा को सही तरह से लें. इस समूह के बनने के कुछ ही दिनों बाद वह मायबीऒ.कौम पर सबसे तेज़ी से बढ़्ता हुआ समूह था. बनने के कुछ ही हफ़्तों बाद यह सबसे बड़ा समूह था. ओबामा को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करनी पड़ी. उन्हें ज़वाब देना पड़ा. और उन्होंने मूलतः कहा, " मैने इस विषय के बारे में सोचा है. मैं समझता हूँ आप के विचारों का आधार क्या है. लेकिन इस सब के बारे में सोचने के बाद, मैं अभी भी अपना मत उसी तरह ड़ालूँगा. लेकिन मैं आप तक पहूंचना चाहता था यह कहने के लिए, मैं समझता हूं कि आप मुझ से सहमत नहीं हैं, और इसे मैं झेल लूँगा." इस से कोई खुश़ नहीं हुआ. पर फ़िर इस वार्तालाप में एक मज़ेदार बात हुई. उस समूह में लोगों को यह एहसास हो गया कि ओबामा नें उन्हें कभी बंद नहीं किया. ओबामा प्रचार में किसी नें कभी इस समूह को छिपाने की कोशिश नहीं करी या इसमें मिलना मुशकिल बनाया, या इसके अस्तित्व को नकारा, या मिटाने की कोशिश करी, उस को साइट से निकालने की. वो ये समझ गये थे कि उनकी भूमिका माएबीओ.कौम के साथ उनके समर्थकॊं को एकत्रित करना था पर उनके समर्थकों को नियंत्रित करना नहीं. और यह वो अनुशासन है जो लगता है सुलझा हुआ इस्तेमाल करने का इस मीडिया का. मीडिया, मीडिया का परिदृश्य जो हम जानते थे, जो जाना पहचाना था, संकल्पित तौर पे आसान था इस विचार से निपटना कि पेशेवार प्रसारण संदेशों का गैर पेशेवार लोगों को हाथ से निकलता जा रहा है. एक दुनिया में जहां मीडिया वैश्विक, सामजिक, सर्वत्र और सस्ती है, एक दुनिया में जहां पहले के दर्शक अब तेज़ी से पूरे प्रतिभागी बन रहे हैं, उस दुनिया में, मीडिया कम से कम एक अकेले संदेश के बनाने के बारे मे है जो अकेले व्यक्तियों द्वारा उपभोग किया जाए. ये ज्यादा से ज्यादा एक तरीका है आयोजन के लिए एक माहौल बनाने का और समूहों को सहायता देने के लिए. और जो विकल्प हमारे सामने हैं, मेरा मतलब कोई भी जिसके पास कोई संदेश है जो वे सुनाना चाहते हैं दुनिया में कहीं भी, यह नहीं है कि क्या यह मीडिया का परिवेश है जिस में हम काम करना चाहते हैं. यही मीडिया का परिवेश है जो हमारे पास है. सवाल जो हमारे सामने है वो ये है, "हम इस मीडिया का सर्वोत्म इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं? य्द्यपि इसका मतलब हमें अपना पुराना तरीका बदलना हो." बहुत बहुत धन्यवाद. तालियां) अब, यदि राष्ट्रपति ओबामा मुझे गणित का राजा बनने के लिये आमंत्रित करें तब मेरे पास उनके लिये एक सुझाव होगा जो कि मैं सोचता हूँ कि इस देश में गणित की शिक्षा को बहुत उन्नत बना देगा और इसको कार्यान्वित करना सुलभ है और कम खर्च वाला भी। गणित का जो पाठ्यक्रम हमारे यहाँ है, वह अंकगणित और बीजगणित की नीँव पर आधारित है और उसके बाद जो भी हम सीखते हैं वह उत्तरोत्तर एक ही विषय की ओर बढ़ता है। और उस पिरामिड के शिखर पर है - कैलकुलस (समाकलन) और मैं यहाँ यह कहता हूँ कि मेरे विचार से यह पिरामिड का ग़लत शिखर है। सही शिखर - जो छात्रों को, हर एक माध्यमिक शिक्षा स्नातक छात्र को जानना चाहिये वह - सांख्यिकीय होना चाहिये। संभावना-विज्ञान और सांख्यिकीय। (तालियोँ की गड़गड़ाहट) मेरा मतलब, मुझे ग़लत मत समझें, समाकलन एक महत्वपूर्ण विषय है। यह मानव बुद्धि की महान उत्पत्तियों में से एक है। प्रकृति के नियमों का उल्लेख समाकलन की भाषा में किया जाता है, और वे सभी छात्र जो, गणित, विज्ञान, अभियांत्रिकी, अर्थशास्त्र विषयों का अध्ययन करते हैं, उन्हें अवश्य ही अपने स्नातक के प्रथम वर्ष की समाप्ति तक समाकलन को सीखना चाहिये। परंतु मैं यहाँ, गणित के आचार्य की हैसियत से कहता हूँ कि बहुत कम व्यक्ति वास्तविकता में समाकलन का प्रयोग सचेत, अर्थपूर्ण रूप में, दैनिक जीवन में करते हैं। दूसरी ओर, सांख्यिकीय -- एक ऐसा विषय जो आप दैनिक जीवन में कर सकते है, और करना चाहिये। ठीक है न ? यह जोखिम (को समझने के बारे में) है , यह (संभावनाओं को समझने के बारे में) है। यह प्रेक्षणों (डाटा) को समझने का विज्ञान है। मेरा विचार है कि यदि हमारे विद्यार्थियों, सभी माध्यमिक शिक्षा विद्यार्थियों हमारे सभी अमरीकी नागरिकों को संभावना और सांख्यिकीय का ज्ञान होता तो हम (आज) ऐसी बिगड़ी हुयी अर्थवयवस्था में न होते जैसे आज हम हैं। न केवल यह -- धन्यवाद -- न केवल यह (अपितु) यदि यह सही ढंग से पढाया जाय तब यह मनोरंजक भी हो सकता है। मेरा मतलब संभावना विज्ञान और सांख्यिकीय यह खेल और द्यूत (जुए) का गणित है। यह लक्षणॉं (आँकलन) के विश्लेषण के बारे में है, यह भविष्य के अनुमान के बारे में है। देखिये, विश्व परिवर्तित हो चुका है एनालॉग से डिजिटल में। और यह समय है हमारे गणित के पाठ्यक्रम के बदलने का एनालॉग से डिजिटल में। अपने शास्त्रीय (प्रचलित), निरंतर की गणित के रूप से अधिक नवीन, अनिरंतर (discrete) गणित असंभावितता की गणित का प्रेक्षणों की अनियमितता का और संभावना विज्ञान और सांख्यिकीय का सारांश में यह कि हमारे विद्यार्थी, बजाय इसके कि, समाकलन की तकनीक सीखें, मैं सोचता हूँ कि यह अधिक महत्वपूर्ण होगा कि वे सभी यह जानें कि दो सामान्य विचलनों का, औसत से क्या अर्थ है। और मैं वास्तव में मेरा मतलब यह ही है। धन्यवाद। (तालियोँ की गड़गड़ाहट) मध्य 19 वीं सदी में पूरे यूरोप में प्रलम्बन पुल ढहते जा रहे थे। उनके औद्योगिक तार उग्र मौसम में घिस जाते थे और अपने पुल के भार से टूट जाते थे। तो जब जॉन रॉबलिंग नाम के एक जर्मन-अमेरिकी इंजीनियर ने न्यू यॉर्क की पूर्वी नदी पर अब तक का कल्पित सबसे बड़ा और सबसे महंगा प्रलम्बन पुल बनाने का प्रस्ताव रखा रखा तो शहर के अधिकारी जायज़ ही संशय में थे। पर मैनहैट्टन की भीड़ तेज़ी बढ़ रही थी और ब्रुकलिन के यात्री नदी में जाम लगा देते थे। 1867 की फरवरी में सरकार ने रॉबलिंग के प्रस्ताव को मंज़ूर कर दिया। यूरोप के पुलों की विफलताओं से बचने के लिए रॉबलिंग ने एक संकर पुल का प्रतिमान बनाया। उन्होंने प्रलम्बन पुलों से, केन्द्रीय स्तम्भों के सहारे से हर तट पर लंगर डाले हुए बड़े तारों को संयुक्त किया। यह बनावट ऐसे लम्बे पुलों को सहारा देने के लिए आदर्श थी, जिन्हें थोड़े छोटे लंबरूप तारों से लटकना था। परन्तु रॉबलिंग का प्रतिमान तार धारित पुलों से भी प्रेरित था। यह थोड़ी छोटी संरचनाऐं अपने पुलों को तिरछे तारों से खड़ा रखती थीं जो सीधे सहारा देने वाले बुर्जों को जाते थे। इन अतिरिक्त तारों को जोड़कर रॉबलिंग ने, न केवल लंगर डाले हुए तारों पर पड़ते हुए भार को कम किया, बल्कि पुल की स्थिरता में भी सुधार किया। कुछ दुसरे पुलों के लिए समान बनावट का प्रयोग किया गया था परन्तु रॉबलिंग की योजना की परिधि उन सबको पीछे छोड़ देती थी। उनका नया पुल 480 मीटर तक जाता था -- इससे पहले बने किसी भी प्रलम्बन पुल से 1.5 गुना ज़्यादा। क्योंकि साधारण सन का रस्सा पुल के 14,680 टन के भार से टूट जाता, उनके प्रस्ताव ने पुल के तार बनाने के लिए 5,600 किलोमीटर से भी ज़्यादा धातु के तारों के मांग की। इतने सारे भार को सहारा देने के लिए बुर्जों को समुद्र स्तर से 90 मीटर ऊपर खड़ा होना था-- जिससे वह पश्चिमी गोलार्ध्द की सबसे ऊँची संरचनाएँ बन जाते। रॉबलिंग को आत्मविश्वास था कि उनकी बनावट काम करेगी, परन्तु 1869 में स्थल का सर्वेक्षण करते हुए, एक आती हुई नाव ने बंदरगाह पर उनका पैर कुचल दिया। एक माह के अन्दर धनुस्तंभ से उनकी मृत्यु हो गई। भाग्यवश, जॉन रॉबलिंग के बेटे, वॉशिंगटन भी, एक प्रशिक्षित इंजीनियर थे और उन्होंने अपने पिता का कार्यभार सम्भाल लिया। आने वाले वर्ष में, बुर्जों की बुनियादों के निर्माण का कार्य, आखिरकार आरम्भ हुआ। निर्माण कार्य का यह पहला कदम सबसे चुनौतीपूर्ण भी था। पथरीली नदी-तल पर निर्माण करने में ज़्यादातर अपरीक्षित प्रौद्योगिकी का प्रयोग होता था, जिसे वायवीय केसन कहते हैं। कर्मीदल इन लकड़ी के वायु-रोधक डब्बों को नदी में उतारते थे, जहाँ एक पाइपों की प्रणाली दबाव वाली हवा को अन्दर पम्प करती और पानी बाहर निकालती थी। एक बार स्थापित होने के बाद हवा बन्द होने से कर्मीदल कक्ष में घुसकर नदी के तल की खुदाई कर सकता था। जैसे जैसे वह खोदते जाते थे केसन पर पत्थरों की परत लगते जाते थे। जब वह आखिरकार आधार से टकराते थे, उसको कंक्रीट से भर देते थे, जिससे वह बुर्ज की स्थायी बुनियाद बन जाता था। इन केसनों में कार्य करने की स्थिति निराशाजनक और खतरनाक थीं। केवल मोमबत्तियों और लालटेनों से प्रज्वलित, इन कक्षों में कई बार आग लग जाती थी, जिससे उनको खाली करा कर पानी भरना पड़ता था। उससे भी ज़्यादा खतरनाक थी एक रहस्यमय बीमारी जिसे "दि बेन्ड्स" कहते थे। आज हम इसे विसंपीड़न बीमारी के नाम से जानते हैं परन्तु उस समय वह एक अस्पष्ट दर्द या चक्कर आने जैसा लगता था जिसने कई कर्मियों का जीवन ले लिया। 1872 में, इसने मुख्य इंजीनियर की लगभग जान ले ली। वॉशिंगटन बच गए, परन्तु उन्हें बायीं तरफ लकवा मार गया और वह शय्याग्रस्त हो गए। पर एक बार फ़िर, रॉबलिंग परिवार अदम्य साबित हुए। वॉशिंगटन की पत्नी एमिली ने न केवल अपने पति और इंजीनियरों के बीच संचार कराया, बल्कि जल्द ही रोज़ के परियोजना प्रबंधन को भी अपने हाथों में ले लिया। दुर्भाग्यवश, पुल की कठिनाइयाँ ख़त्म होने से अभी कोसों दूर थीं। 1877 तक, निर्माण कार्य आय-व्ययक से ऊपर और निर्धारित समय से पीछे था। ऊपर से, पता चला कि पुल के तारों का ठेकेदार उनको दोषपूर्ण तार बेच रहा था। अगर जॉन रॉबलिंग की रचना में चूक से बचने के अत्यधिक तरीके नहीं होते तो यह एक जानलेवा दोष होता। तारों को अतिरिक्त तारों से सुदृढ़ बनाने के बाद उन्होंने पुल को टुकड़े-टुकड़े में प्रलंबित किया। इसमें 14 वर्ष, आज के 40 करोड़ डॉलर, और तीन अलग अलग रॉबलिंग के जीवन भर का कार्य लगा परन्तु जब 24 मई 1883 को ब्रुकलिन पुल आखिरकार खुला तो उसका वैभव निर्विवाद था। आज ब्रुकलिन पुल उन्हीं पुराने केसनों के ऊपर उन गॉथिक बुर्जों और अन्तर्विभाजक तारों को सहारा देते हुए खड़ा है जो न्यू यॉर्क शहर के प्रवेश द्वार की चौखट की तरह है। ये ठीक वो क्षण है जब मैनें टिंकरंग स्कूल का निर्माण करना शुरु किया था। टिंकरिंग स्कूल ऐसी जगह है जहाँ बच्चों को लकडियाँ हथौडी, और ऐसे ही खतरनाक से सामान से खेलने दिया जाता है, इस विश्वास के साथ कि वो खुद को चोट नहीं पहुँचायेंगे, दूसरों को भी आहत नहीं करेंगे। टिंकरिंग स्कूल में कोई सधा हुआ पाठ्यक्रम नहीं है। और परीक्षायें भी नहीं होती हैं। हम किसी को भी कुछ खास चीज़ नहीं सिखाना चाहते हैं। जब बच्चे आते हैं, तमाम सारा सामान उन्हें चुनौती देता है, लकडियाँ और कीलें और रस्सियाँ और पहिये, और तमाम औज़ार, असली, सचमुच के औज़ार। ये बच्चों के लिये छः दिन का मग्न कर देने वाल अनुभव होता है। और इस संदर्भ में, हम उन्हें पूरा समय देते हैं। समय, जिसकी हमेशा कमी होती है उनके अति-व्यस्त जीवन में। हमारा लक्षय ये है कि जब वो जायें तो उन्हें बेहतर अंदाज़ा हो कि चीजें कैसे बनती हैं, मुकाबले उसके जब वो आये थे, और एक गहरा अंदरूनी अहसास हो कि आप चीज़ों से छेडछाड कर के युक्ति निकाल सकते हैं। कुछ भी... योजना के हिसाब से नहीं होता है. कभी भी नहीं। (हँसी) और बच्चे जल्दी ही सीख लेते हैं कि प्रोजेक्ट खराब हो सकते हैं -- (हँसी) और इस बात से सहज हो जाते हैं कि हर अगला कदम उन्हें प्रोजेक्ट में एक कदम आगे बढाता है, सफ़लता की ओर, या फ़िर असफ़लता की ओर। हम ऐसे ही गुड्मुड स्केच बना कर शुरुवात करते हैं। और कभी कभी असल-सी दिखती योजनायें भी बनाते हैं। और कभी हम बस चीज़ बनाना शुरु कर देते हैं। 'निर्माण' इस अनुभव का केंद्र बिंदु है। असल दुनिया जैसा, गहरे पैठा हुआ और पूरी तरह से हाथ आयी समस्या को समर्पित। रॉबिन और मैं, सहयोगियों के रूप में, प्रोजेक्ट को लगातार कार्य पूर्ण होने की दिशा में बढाते हैं। सफ़लता तो असल में कार्य के करने में है। और नाकामयाबियों की सराहना और विश्लेशण किया जाता है। समस्यायें पहेलियों के रूप में देखी जाती हैं, और रुकावटें छू-मंतर हो जाती हैं। जब किसी खास कठिनाई का सामना होता है, या कोई बडी गडबड या जटिलता, एक बडा ही रोचक व्यवहार दिखता है: सजावट। (हँसी) अधूरे प्रोजेक्ट की सजावट एक तरीके से संरचना के अंडे को सेने जैसा है। और इन मध्यांतरों से बहुत ही गहरी सोच और नये गज़ब के समाधान निकलते हैं, उन्हें मध्यांतरों जो दो क्षण पहले हमें हतोत्साहित कर रहे थे। हर प्रकार का पदार्थ इस्तेमाल के लिये मौजूद है। यहाँ तक कि बोरिंग, घृणित, प्लास्टिक की थैलियाँ भी एक पुल का निर्माण कर सकती हैं - और हमारी कल्पना से भी ज्यादा मजबूत। और जो चीजें ये बनाते हैं, वो उन्हें खुद ही आश्वर्यचकित कर देती हैं। विडियो: तीन, दो, एक, जाओ! गेवर टली: ये झूला जो सात साल के बच्चों ने बनाया है। विडियो: याहू....! (अभिवादन) गेवर टली: धन्यवाद, आज बहुत आनंद आया। (अभिवादन) 20 जुलाई 1969 को लगभग श्याम के 4 बजे मानवजाति चँद्रमा पर कदम रखने से कुछ ही क्षण दूर थी। पर अन्तरिक्ष यात्रियों के आखरी अवतरण शुरू करने पहले ही एक आपातकालीन चेतावनी की बत्ती जल उठी। कुछ ऐसा था जो कम्प्यूटर पर अधिभार कर रहा था और भूमि पर अवतरण को बीच में ही रोक देने वाला था। वहाँ धरती पर मार्गरेट हैमिलटन की साँस अटकी थी। उन्होंने उड़ान के लिए पहला सॉफ्टवेयर बनाने वाले दल का नेतृत्व किया था, इसलिए वह जानती थीं कि यहाँ कोई चूक नहीं हो सकती। परन्तु इस आखिर से दूसरी आपातकाल स्थिति की प्रकृति जल्द ही यह सिद्ध कर देने वाली थी कि उनका सॉफ्टवेयर बिलकुल योजना अनुसार काम कर रहा था। 33 वर्ष पहले पेओली, इंडियाना में जन्मी हैमिलटन हमेशा से ही जिज्ञासु थीं। मैसैच्यूसैट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में अनुसंधान क्षेत्र में कार्य आरम्भ करने से पहले स्नातक विद्यालय के शुल्क का भार उठाने के लिए उन्होंने महाविद्यालय में गणित और दर्शनशास्र की पढ़ाई की। यहाँ अराजकता सिद्धांत के नए क्षेत्र में अनुसन्धान में सहायक एक सॉफ्टवेयर को बनाते हुए उनका परिचय उनके पहले कम्प्यूटर से हुआ। उसके बाद MIT की लिंकन प्रयोगशाला में हैमिलटन ने अमेरिका की पहली वायु रक्षा प्रणाली के लिए दुश्मन के विमान को ढूँढने का सॉफ्टवेयर बनाया। परन्तु जब उन्हें पता चला कि जाने माने इंजीनियर चार्ल्स ड्रेपर मनुष्य को चाँद तक पहुँचाने के लिए मदद की खोज में थे तब वह तुरन्त उनके दल में शामिल हो गयीं। NASA ने ड्रेपर और उनके 400 से भी ज़्यादा इंजीनियरों के दल को पहले सघन डिजिटल उड़ान कम्प्यूटर, अपोलो गाइडेंस कम्प्यूटर (AGC), के आविष्कार का काम सौंपा। अन्तरिक्ष यात्रियों से जानकारी ले कर यह यंत्र अन्तरिक्ष यान का मार्गदर्शन और नियन्त्रण करने के लिए जिम्मेदार होना था। एक ऐसे समय में जब अविश्वसनीय कम्प्यूटर पूरे कमरे जितने बड़े होते थे AGC को बिना कोई गलती किए संचालित होना था और एक घन-फुट तक की जगह में आ जाना था। ड्रेपर ने प्रयोगशाला को दो दलों में विभाजित किया, एक हार्डवेयर बनाने के लिए और एक सॉफ्टवेयर बनाने के लिए। हैमिलटन ने उस दल का नेतृत्व किया जिसने आदेश और चँन्द्र सम्बन्धी मापांक दोनों का उड़ान सॉफ्टवेयर बनाया। यह कार्य, जिसको उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का नाम दिया, बहुत ही ज़्यादा बड़ा दाँव था। इन्सानी ज़िन्दगियाँ दाँव पर थीं, इसलिए हर प्रोग्राम को बिलकुल सटीक होना था। मार्गारेट का सॉफ्टवेयर जल्दी से अप्रत्याशित त्रुटियों को भॉंपने और उन्हें तुरन्त ठीक करने में सक्षम होना चाहिए था। परन्तु इस तरह का अनुकूलनीय प्रोग्राम बनाना मुश्किल था, क्योंकि शुरुआती सॉफ्टवेयर केवल पहले से निर्धारित क्रम में ही काम पूरे कर सकता था। इस समस्या को सुलझाने के लिए, मार्गरेट ने अपने प्रोग्राम को "अतुल्यकालिक" बनाया, अर्थात्, सॉफ्टवेयर के ज़्यादा ज़रूरी कार्य कम ज़रूरी कार्यों को बाधित कर सकते थे। उनका दल हर कार्य की एक अद्वितीय प्राथमिकता निर्धारित करता था जिससे हर कार्य सही क्रम में और सही समय पर घटित हो अप्रत्याशित घटनाओं के बावजूद। इस आविष्कार के बाद मार्गरेट को एहसास हुआ कि उनका सॉफ्टवेयर अन्तरिक्ष यात्रियों को अतुल्यकालिक वातावरण में काम करने में भी सहायक हो सकता था। उन्होंने प्राथमिकता प्रदर्शनों की रचना की जो अन्तरिक्ष यात्री को आपात स्थितियों की चेतावनी देने हेतु नियमित निर्धारित कार्य बाधित कर सकते थे। उसके बाद अन्तरिक्ष यात्री योजना नियंत्रण केंद्र से संवाद कर सबसे बेहतर उपाय निर्धारित कर सकता था। इससे पहली बार उड़ान का सॉफ्टवेयर एक पायलट से सीधे तथा अतुल्यकालिक रूप में संवाद कर सकता था। यही वह असफलता से बचाने वाले प्रोग्राम थे जिन्होंने चँद्रमा पर उतरने से ठीक पहले चेतावनियों की बत्तियाँ जला दीं। बज़ ऑल्ड्रिन को जल्द ही अपनी गलती का एहसास हुआ - उन्होंने अनजाने में मिलन राडार स्विच दबा दिया था। यह राडार उनकी घर वापसी की यात्रा में आवश्यक होना था, परन्तु यहाँ वह उनके महत्वपूर्ण कम्प्यूटेशनल संसाधनों का प्रयोग कर रहा था। भाग्यवश, अपोलो गाइडेंस कम्प्यूटर इसे सँभालने के लिए पूर्णतः लैस था। इस अधिभार के दौरान, सॉफ्टवेयर के पुनर्प्रारंभ करने वाले प्रोग्रामों ने केवल सर्वोच्च प्राथमिकता वाले कार्यों को ही पूरा होने दिया-- जिसमें विमान को उतारने के लिए ज़रूरी प्रोग्राम भी शामिल थे। प्राथमिकता प्रदर्शनों ने अन्तरिक्ष यात्रियों को उतरने और न उतरने के विकल्प दिए। नियंत्रण केंद्र ने समय के कुछ ही क्षण रहते आदेश दे दिया। अपोलो 11 का उतरना, अन्तरिक्ष यात्रियों, नियंत्रण केंद्र, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, सबके एक साथ प्रणालियों की एक एकीकृत प्रणाली की तरह कार्य करने जैसा था। हैमिलटन का योगदान उन इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के कार्य के लिए अनिवार्य था जो राष्ट्रपति जॉन फि. केनेडी के चँद्रमा तक पहुँचने के लक्ष्य से प्रेरित थे। और उनका जीवन बचाने वाला यह कार्य अपोलो 11 के भी कहीं आगे तक गया-- अपोलो के किसी भी कर्मी दल सहित जाने वाले मिशन में इस उड़ान सॉफ्टवेयर में कभी कोई दोष नहीं पाया गया। अपोलो पर उनके काम के बाद, हैमिलटन ने एक कम्पनी बनाई जो अपनी अद्वितीय सार्वत्रिक प्रणाली भाषा का प्रयोग कर प्रणालियों और सॉफ्टवेयर का अविष्कार करती है। 2003 में NASA ने उनकी उपलब्धियों को किसी भी व्यक्ति को दिए गए सबसे बड़े वित्तीय पुरस्कार से नवाज़ा। और उनके सॉफ्टवेयर के अन्तरिक्ष यात्रियों को पहली बार चँन्द्रमा पर मार्गदर्शन करने के 47 वर्षों बाद हैमिलटन को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारी सोच में बदलाव लाने के लिए राष्ट्रपति पद के स्वतन्त्रता पदक से पुरुस्कृत किया गया। नमस्ते, मेरा नाम एलिजाबेथ है. मैं ट्रेडिंग फ्लोर पर काम करती हूं। लेकिन मैं अभी भी इसके लिए बहुत नया हूं। मैंने कॉलेज से स्नातक किया लगभग डेढ़ साल पहले, और काफी ईमानदार से, मैं अब भी ठीक हो रही हूं भर्ती प्रक्रिया से मुझे यहां पहुंचने के लिए गुजरना पड़ा। (हँसी) अब, मैं आपके बारे में नहीं जानती , लेकिन यह सबसे हास्यास्पद बात है कि मुझे अभी भी याद है पूरी प्रक्रिया के बारे में, असुरक्षित कॉलेज के छात्रों से पूछती थी ऊनका सबसे बड़ा जुनून क्या था। जैसे, क्या आप मुझसे उम्मीद करते हैं उस के लिए एक जवाब है? (हँसी) बिल्कुल मैंने किया। और काफी ईमानदार होने के लिए, मैंने वास्तव में उन भर्तियों को दिखाया मैं कितना भावुक था उन सब को बता कर मेरी वैश्विक अर्थव्यवस्था रुचि के बारे में, जो, बातचीत से मुझे लगता है कि मैंने सुन पाना मेरे अप्रवासी माता-पिता के पैसे और उतार-चढ़ाव मैक्सिकन पेसो मूल्य के बारे में । उन्हें एक अच्छी निजी कहानी पसंद है। लेकिन आप जानते हैं? मैंने झूठ बोला। (हँसी) और इसलिए नहीं जो बातें मैंने कही थीं, वे सच नहीं थीं - मेरा मतलब है, मेरे माता-पिता बात कर रहे थे इस के बारे में। लेकिन इसी राज नहीं है इसी राज मैंने वित्त में काम का फैसला किया। मैं वास्तव में अपना किराया देना चाहती थी । (हँसी) और बात ये है। मेरे किराए का भुगतान करने की वास्तविकता और असली वयस्क चीजें करते हैं कुछ ऐसा है जो हम शायद ही कभी करते हैं, नियोक्ताओं को स्वीकार करने के लिए तैयार, दूसरों को भी और खुद को भी। मुझे पता है कि मैं नहीं थी मेरे रिक्रूटर्स को बताने के लिए कि मैं पैसे के लिए वहाँ गया था। और इसलिए कि अधिकांश भाग के लिए, हम खुद को आदर्शवादी के रूप में देखना चाहते हैं और जो लोग ऐसा करते हैं, वे जिस पर विश्वास करते हैं और चीजों को आगे बढ़ाएं कि वे सबसे रोमांचक पाते हैं। लेकिन हकीकत ये है कि हम में से बहुत कम वास्तव में ऐसा करने का विशेषाधिकार है अब, मैं हर किसी के लिए बात नहीं कर सकता, लेकिन यह युवा के लिए विशेष रूप से सच है मेरे जैसे आप्रवासी पेशेवर। और कारण यह सच है आख्यानों के लगान से उस समाज ने हमें मार रखा है समाचार में, कार्यस्थल में और यहां तक कि उन लोगों द्वारा भी हमारे सिर में आत्म-गंभीर आवाज़ें। तो मैं किन कथाओं का जिक्र कर रही हूं? ठीक है, वहाँ दो कि दिमाग में आते हैं जब प्रवासियों की बात आती है। पहला विचार है आप्रवासी कार्यकर्ता की। आप जानते हैं, जो लोग अमेरिका आते है मजदूरों के रूप में नौकरियों की तलाश में, या क्षेत्र के कार्यकर्ता, डिश वाशर। तुम्हें पता है, चीजें जो हम समझते है कम वेतन वाली नौकरि लेकिन आप्रवासियों? यह एक अच्छा अवसर है। आजकल की खबरें विचाराधीन हैं वह पूरी बात थोड़ी। आप कह सकते हैं कि यह अमेरिका का बना है आप्रवासियों के साथ संबंध जटिल। और आप्रवासी विशेषज्ञ के रूप में जॉर्ज बोरजस ने इसे रखा होगा, ये एैसा है कि अमेरिका को मजदूरों की को जरूरत है, किन फिर, वे भ्रमित हो गए जब हमें इसके बदले लोग मिले। (हँसी) मेरा मतलब है, यह स्वाभाविक है कि लोग प्रयास करना चाहते हैं उनके सिर पर छत लगाने के लिए और एक सामान्य जीवन जीते हैं, है ना? तो स्पष्ट कारणों के लिए, यह कथा मुझे चला रही है थोड़ा सा दिवाना। लेकिन यह केवल एक ही नहीं है। दूसरा आख्यान कि मैं बात करने जा रही हूँ सुपरमाइग्रेंट का विचार है। अमेरिका में, हम सुपरमाइग्रेंट्स को पहचानना पसंद करते हैं अमेरिका सफलता के आदर्श प्रतीकों के रूप में। मैं सुपरमाइग्रेंट्स की प्रशंसा करते हुए बड़ा हुआ, क्योंकि उनके अस्तित्व ने मेरे सपनों को हवा दी और इससे मुझे आशा मिली। इस कथा के साथ समस्या यह है कि यह भी उन पर एक छाया डालने लगता है जो सफल नहीं होते हैं या कि इसे उस तरह से नहीं बनाते हैं, जितना कम से कम। और वर्षों तक, मैं उन तरीकों में फंस गया, जिसमें यह लगता था कि ए क प्रकार का आप्रवासी जबकि दूसरे को खलनायक। मेरा मतलब है, मेरे माता-पिता थे ' बलिदान पर्याप्त नहीं है? क्या तथ्य यह था कि मेरे पिताजी घर आए थे धातु कारखाने से संक्षारक धूल में कवर, क्या वह सुपर नहीं था? झे गलत मत समझो, मैंने दोनों को नजरबंद कर दिया है इन कथाओं में कुछ हद तक, और कई मायनों में, मेरे नायकों को सफल होते देख, इसने मुझे ऐसा करने के लिए प्रेरित किया है। किन ये दोनों आख्यान तरीकों में त्रुटिपूर्ण हैं जिसमें वे लोगों को अमानवीय करते हैं अगर वे एक निश्चित सांचे में फिट नहीं होते हैं या एक निश्चित तरीके से सफल होते हैं। और इससे मेरी आत्म-छवि प्रभावित हुई, क्योंकि मैंने इन विचारों पर सवाल उठाना शुरू कर दिया था मेरे माता-पिता कौन थे और मैं कौन था, और मुझे आश्चर्य होने लगा, “क्या मैं रक्षा करने के लिए पर्याप्त कर रहा हूँ मेरा परिवार और मेरा समुदाय अन्याय से हमने हर दिन महसूस किया है?” तो मैंने "बेचना" क्यों चुना त्रासदियों को देखते हुए ठीक मेरे सामने? अब, मुझे बहुत समय लग गया मेरे निर्णयों के साथ आने के लिए। और मुझे वास्तव में लोगों को धन्यवाद देना है हिस्पैनिक चलानेवाली छात्रवृत्ति निधि, या एचएसएफ, इस प्रक्रिया को जल्दी मान्य करने के लिए। और जिस तरह से एचएसएफ - एक संगठन जो मदद करने का प्रयास करता है छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं परामर्श और छात्रवृत्ति के माध्यम से - जिस तरह से उन्होंने मेरी चिंता को शांत करने में मदद की, यह मुझे बता कर, सुपर परिचित कुछ। कुछ ऐसा जो आप सभी शायद पहले सुना हो पहले कुछ मिनटों में एक उड़ान में सवार होने के बाद। आपातकालीन के समय, पहले अपना ऑक्सीजन मास्क लगाएं अपने आसपास के लोगों की मदद करने से पहले। अब मुझे समझ में आया कि इसका मतलब है अलग-अलग लोगों को अलग-अलग चीजें। लेकिन मेरे लिए, इसका मतलब था जो अप्रवासी नहीं कर सकते थे और कभी फिट नहीं हो पाएगा किसी एक कथा में, क्योंकि हम में से ज्यादातर वास्तव में हैं बस एक स्पेक्ट्रम के साथ यात्रा, अस्तित्व के लिए संघर्ष करना। और हालांकि लोग हो सकते हैं जीवन में आगे भी साथ हैं पर उनके ऑक्सीजन मास्क के साथ और जगह में सुरक्षित है, निस्संदेह दूसरों के लिए जा रहे हैं वे अभी भी अपने संघर्ष पर लगे हुए हैं इससे पहले कि वे सोच भी सकें अपने आसपास के लोगों की मदद करने के बारे में। अब, यह पाठ वास्तव में मेरे लिए घर पर हिट हुआ, क्योकि मेरे माता-पिता, जबकि वे चाहते थे कि हम सक्षम हों अवसरों का लाभ उठाने के लिए इस तरह से कि हम सक्षम नहीं होंगे कहीं और भी ऐसा करने के लिए - रा मतलब है, हम अमेरिका में थे, और इसलिए एक बच्चे के रूप में, इसने मुझे बनाया ये पागल, महत्वाकांक्षी हैं और सपने विस्तृत करें मेरा भविष्य कैसा दिख सकता है। लेकिन जिस तरीके से दुनिया आप्रवासियों को देखती है, यह बस से अधिक प्रभावित करता है वे कथाएँ जिनमें वे रहते हैं। यह तरीकों पर भी असर डालता है कानून और व्यवस्था समुदायों को प्रभावित कर सकते हैं, परिवारों और व्यक्तियों। मुझे यह पहली बार पता है, क्योंकि इन कानूनों और प्रणालियों, खैर, उन्होंने मेरे परिवार को तोड़ दिया, और उन्होंने मेरे माता-पिता का नेतृत्व किया मेक्सिको लौटने के लिए। और 15 पर, मेरा आठ साल का भाई और मैं, हमने खुद को अकेला पाया और मार्गदर्शन के बिना हमारे माता-पिता हमेशा हमें प्रदान किया है। अमेरिकी नागरिक होने के बावजूद, हम दोनों पराजित हुए क्या हम हमेशा से जानते थे अवसर की भूमि। अब, हफ्तों में मेरे माता-पिता की मेक्सिको वापसी, जब यह स्पष्ट हो गया वे वापस नहीं आ पाएंगे; मुझे देखना था मेरे आठ साल के भाई के रूप में स्कूल से बाहर निकाला गया था अपने परिवार के साथ रहना। और इसी समय के दौरान, मैं सोच रहा था कि क्या वापस जाना मान्य होगा मेरे माता-पिता का बलिदान और इसलिए मैंने किसी तरह मना लिया मेरे माता-पिता मुझे रहने दें, उन्हें गारंटी देने में सक्षम होने के बिना कि मैं कहीं रहने के लिए मिल जाऊंगा या मैं ठीक हो जाऊंगा। लेकिन आज तक, मैं कभी नहीं भूला कितना कठिन था अलविदा कहने का। और मैं कभी नहीं भूलूंगी कि यह कितना कठिन था मेरा छोटा भाई देख रहा है उनकी बांहों में ऐंठ के रूप में अलविदा लहराया स्टील के दूसरे किनारे से। अब, यह क्रेडिट ग्रिट के लिए भोली होगी क्यों के लिए एकमात्र कारण के रूप में मैं फायदा उठा पा रहा हूं उस दिन के बाद से बहुत सारे अवसर। मेरा मतलब है, मैं वास्तव में भाग्यशाली था, और मैं चाहता हूं कि आप यह जान लें। क्योंकि सांख्यिकीय रूप से, जो छात्र बेघर हैं या जिनके पास अस्थिर रहने की स्थिति है, वे शायद ही कभी हाई स्कूल पूरा करते हैं। किन मुझे लगता है यह मेरे माता-पिता की वजह से था मुझे जाने देने में भरोसा था कि मैं किसी तरह मिल गया साहस और शक्ति अवसरों को लेने के लिए यहां तक कि जब मैं अनिश्चित या अयोग्य महसूस किया। अब, कोई इनकार नहीं कर रहा है वहाँ एक लागत है अमेरिकी सपने को जीने के लिए। आप होना जरूरी नहीं है एक आप्रवासी या बच्चा अप्रवासियों को यह जानने के लिए। लेकिन मुझे पता है कि अब, आज, मैं कुछ करीब रह रहा हूं मेरे माता-पिता ने क्या देखा उनके अमेरिकी सपने के रूप में। क्योंकि जितनी जल्दी हो जैसा कि मैंने कॉलेज से स्नातक किया, मैने अपने छोटे भाई को उड़ाया मेरे साथ रहने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका, ताकि वह भी अपनी शिक्षा को आगे बढ़ा सके। फिर भी, मुझे पता था कि यह कठिन होगा मेरे छोटे भाई को वापस लाना। मुझे पता था कि यह कठिन होगा मांगों को संतुलित करना और व्यावसायिकता प्रवेश स्तर की नौकरी की आवश्यकता एक बच्चे के लिए जिम्मेदार होने के दौरान सपने और खुद की महत्वाकांक्षाओं के साथ। किन आप सोच सकते हैं कि यह कितना मजेदार है 24 साल की हो, मेरी जवानी के चरम पर, न्यूयॉर्क में रहते हैं, एक अस्थिर किशोर रूममेट के साथ जो व्यंजन करने से घृणा करता है। (हँसी) सबसे खराब। (हँसी) लेकिन जब मैं अपने भाई को देखती हूं खुद की वकालत करना सीखना और जब मैं देखती हूं तो वह उत्तेजित हो जाता है उसकी कक्षाओं और स्कूल के बारे में, मुझे कुछ भी संदेह नहीं है। क्योंकि मुझे पता है कि यह विचित्र है, सुंदर और विशेषाधिकार प्राप्त जीवन कि अब मैं रहता हूँ क्यों का असली कारण है मैंने करियर बनाने का फैसला किया इससे मुझे और मेरे परिवार को मदद मिलेगी वित्तीय स्थिरता का पता लगाएं। मुझे उस समय इसकी जान कारी नही थी । लेकिन उन आठ वर्षों के दौरान कि मैं अपने परिवार के बिना रहता था, मेरे पास अपना ऑक्सीजन मास्क था और मैंने अस्तित्व पर ध्यान केंद्रित किया। और उन्हीं आठ वर्षों के दौरान, मुझे बेबस होकर देखना पड़ा दर्द और चोट इससे मेरा परिवार अलग हो गया। एयरलाइंस आपको क्या नहीं बताती हैं यह है कि पहले अपना ऑक्सीजन मास्क लगाएं अपने आसपास के लोगों को संघर्ष करते हुए देखते हुए - बहुत हिम्मत चाहिए। किन उस आत्म-नियंत्रण के लिए सक्षम होने के नाते कभी-कभी एकमात्र रास्ता होता है हम अपने आस-पास के लोगों की मदद करने में सक्षम हैं। अब मैं एक जगह होने के लिए सुपर लकी हूं जहां मैं अपने छोटे भाई के लिए वहां जा सकता हूं ताकि वह आश्वस्त और तैयार महसूस करे जो कुछ भी वह आगे करने के लिए चुनता है उसे लेने के लिए। लेकिन मुझे भी पता है क्योंकि मैं हूं विशेषाधिकार की इस स्थिति में मेरी भी जिम्मेदारी है यह सुनिश्चित करने के लिए कि मेरा समुदाय उन स्थानों को ढूँढता है जहाँ वे मार्गदर्शन पा सकते हैं, पहुंच और समर्थन। मैं जानने का दावा नहीं कर सकता जहाँ आप में से हर एक है जीवन के माध्यम से अपनी यात्रा पर, लेकिन मुझे पता है कि हमारी दुनिया एक है। अलग होने पर यह फूलता है आवाजें एक साथ आती हैं। मेरी आशा है कि आप साहस पाएंगे अपने ऑक्सीजन मास्क को लगाना जब आपको आवश्यकता हो, मुझे आशा है इससे आपकॉ बल मिलेगा । अपने आसपास के लोगों की मदद करने के लिए जब आप कर सकते हैं। धन्यवाद। (तालियां) मेरे अनुसार ये चीजे सामान्य रूप से होती हैं.. जिन्हें हम करियर संकट कह सकते हैं और ये ज्यादातर,वास्तव में , रविवार के शाम से ठीक सूर्य अस्त के शुरूआत के समय हॊते है , और मेरी खुद के लिए मेरी उम्मीदों का अंतर , और मेरे जीवन की सच्चाई ऐसे दर्दनाक तरीके से बिखरने लगती है कि मैं अंत मे तकिया ले कर रो पड़ता हूँ । मैं इस सब का उल्लेख कर रहा हूँ , इस सब का उल्लेख कर रहा हूँ, क्योकि मुझे लगता है कि यह महज एक व्यक्तिगत समस्या नहीं है । . आप सोच सकते है की मैं इस बारे में गलत हूँ, लेकिन मुझे लगता है कि हम एक ऐसे युग मे रहते है जहाँ हमारा जीवन नियिमत रूप से, कैरियर संकट से घिरा रहता है कितने पल जब हम सोचते थे की हम जानते हैं हमारे जीवन के बारे मे .... अपने कैरियर के बारे मे एक भयावह कर देने वाली सच्चाई हमारे सामने आ जाती है! जबकि अगर देखा जाये तो पहले की तुलना में एक अच्छा जीवन पाना आज शायद ज्यादा आसान है। लेकिन ये पहले की तुलना में शायद कहीं ज्यादा मुश्किल है की हम, की हम शांत रह पायें और करियर की चिंताओं से खुद को मुक्त रख सकें मैं देखना चाहता हूँ, अगर मैं कर सकता हूँ तो.. कि वो कौनसे कारण हैं , जिनकी वजह से हम अपने करियर (व्यवसाय) में चिंताएं महसूस कर रहे हैं । हम इन कैरियर संकटों के शिकार क्यों हो सकते है, जबकि हम धीरे से तकिये में सर रख कर रो रहे हों... हमारे दुखों के कारणों मे से एक हो सकता है कि.. हम मिथ्याभिमानी (झूठा अभिमान करने वाले) लोगों से घिरे हैं । अब...., एक तरह से, मेरे पास कुछ बुरी खबर है.. मुख्य रूप से उसके लिए जो बाहर से ऑक्सफोर्ड आ रहा है, वहां पर लोगो को कम आंकना एक मुख्य समस्या है क्योकि ब्रिटेन से बाहर के लोग कभी कभी.. कल्पना करते है कि दंभ मुख्य तौर पे ब्रिटेन में होने वाली एक घटना है जो कि वहां के घरों और खिताबों पर छपी हुयी हैं बुरी खबर यह है कि ये सच नहीं है दंभ एक वैश्विक घटना है | हम एक वैश्विक संगठन हैं | यह एक वैश्विक घटना है. यह मौजूद है | एक मिथ्याभिमानी (झूठा अभिमानी ) क्या है? एक मिथ्याभिमानी वो है जो आपका एक छोटा सा हिस्सा लेता है और उसका प्रयोग करके आपकी पूरी छवि बना लेता है ये दंभ है और दंभ का प्रमुख प्रकार जो आज कल मौजूद है , नौकरी की दंभ है किसी भी पार्टी में आप इससे कुछ ही पलों में रूबरू हो जाते हैं जब आपसे वो मशहूर और एकलौता प्रश्न पुछा जाता है २१वी सदी कि शुरुवात का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न.."आप क्या करते हैं?" और आप इस प्रश्न का किस प्रकार से उत्तर देते हैं उसी अनुसार लोग या तो आप को देख कर अविश्वनीय रूप से खुश होते हैं या फिर अपनी घडी में देख कर कुछ बहाना बनाना शुरू कर देते हैं.. (हँसी) अब एक घमंडी/मिथ्याभिमानी का विपरीत है, आपकी माँ (हँसी) जरुरी नहीं है कि आप कि और कहने को मेरी माँ हो.. बल्कि यहाँ हम एक आदर्श माँ कि कल्पना कर रहे हैं कोई ऐसा जो आपकी उपलब्धियों के बारे में कोई परवाह नहीं करता लेकिन दुर्भाग्यवश , हर कोई इस दुनिया में माँ जैसा नहीं होता ज्यादातर लोग एक खास सहसंबंध बनाते है की कितना समय और यदि आपको पसंद हो , प्यार ,.. प्रसंगयुक्त प्यार नहीं, हालाँकि वह कुछ भी हो सकता है लेकिन सामान्य रूप से प्यार , आदर जो कि वो लोग हमें खुद से दे सकते हैं, उसकी कड़ी परिभाषा हमारी सामाजिक स्तर से निर्धारित होगी | और यही एक सबसे बड़ा कारण है जिसकी वजह से हम अपने करियर के बारे में इतना अधिक सोचते हैं और वास्तव में भौतिक वस्तुओं का इतना ज्यादा ख्याल रखने लगते हैं आपको मालूम है , हमें अक्सर कहा जाता है की हम भौतिक समय में रह रहे हैं जहाँ हम सब कि सब लालची हैं पर मैं ऐसा नहीं सोचता कि हम सभी भौतिकवादी हैं, बल्कि मुझे ऐसा लगता है कि हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहाँ हमने अपने आप को कुछ ऐसे भावनात्मक सुखों से जोड़ रखा है जिसे आप भौतिक वस्तुओं का संग्रह बोल सकते हैं वास्तविकता में हम ये वस्तुएं नहीं चाहते, बल्कि हम इनके होने से मिलने वाले आदर को चाहते हैं और ये एक नया तरीका है, विलासी (महंगी) वस्तुओं के हमारे पास होने को देखने का तो अगली बार अगर आप किसी को फेर्रारी (एक बहुत महंगी कार) चलाते हुए देखें तो ये न सोचें कि "ये व्यक्ति तो लालची लगता है" बल्कि सोचें "ये वह व्यक्ति है जो कि अंदर से बहुत अकेला है और इसे प्यार कि बहुत ज्यादा जरुरत hai" दुसरे शब्दों में --(हँसी) हमदर्दी रखे , घृणा नहीं . कुछ और कारण भी हैं हँसी कुछ और भी कारण हैं जिसकी वजह से शायद आज ये बहुत मुश्किल है कि पहले कि तुलना में शांत महसूस कर पाना इनमे से एक, देखा जाये तो भ्रमित करने वाला है, क्यूंकि यह कुछ अच्छी चीज के साथ जुड़ा हुआ है और वह है हमारे करियर के लिए हमारी आशाएं इससे पहले कभी ये आशाएं इतनी ऊँची नहीं रहीं कि एक इंसान अपने जीवन कल में क्या क्या पा सकता है हमें कहा जाता है, बहुत सारे स्थानों पर, कि कोई इंसान कुछ भी पा सकता है हम जातिवाद का अंत कर चुके हैं अब हम एक ऐसी सभ्यता में हैं जहाँ कोई भी ऊपर उठ सकता है उस स्थान तक, जिसे वो पसंद करते हैं और यह एक बहुत ही अच्छा विचार है और इसके साथ साथ एक समानता का भाव भी है; हम सब वास्तव में एक समान हैं जहाँ पर कोई भी कड़ाई से लिखा हुआ पदों का क्रम नहीं है पर इसके साथ जुडी हुयी एक बड़ी समस्या भी है और वो समस्या है, ईर्ष्या इर्ष्या , इर्ष्या की चर्चा करना प्रतिबंधित माना जाता है परन्तु अगर आज के समाज में कोई प्रमुख भाव बचा है, तो वो भाव ईर्ष्या का है और यह समानता की भावना से जुड़ा हुआ है , चलिए मैं आपको समझाता हूँ मुझे लगता है कि यह किसी के भी लिए बहुत असामान्य होगा जो यहाँ पर उपस्तिथ है या इसे देख रहा है . इंग्लैंड कि महारानी से इर्शयालु होना हालाँकि वो आप में से किसी कि भी तुलना में बहुत अमीर है. और उनके पास एक बहुत ही बड़ा घर है. हम उनसे ईर्ष्या क्यों नहीं करते है ,इसका कारण है क्योंकि वह बहुत अजीब है. वह बस बहुत अजीब है हम अपने आप को उन से जोड़ कर नहीं देख पाते,वह बहुत अजीब तरीके से बोलती है. वह एक विशिष्ट जगह से आयीं हैं तो हम खुद को उनसे जोड़ कर नहीं देख पाते हैं और जब आप किसी से संबंधित नहीं हो सकते हो, तो आप उन्हें ईर्ष्या नहीं करते हो. जितना लोग करीब होते हैं , उम्र में,प्रष्ठभूमि में, पहचानने की प्रक्रिया में ,वहां पर ईर्ष्या का और अधिक खतरा होता है. संयोग से भी, आप में से किसी को भी,कभी भी,एक स्कूल के छात्रों के पुनर्मिलन के लिए जाना नहीं चाहिए. क्योंकि वहाँ कोई मजबूत सन्दर्भ बिंदु नहीं है. उन लोगो के अलावा जो कि आपके साथ स्कूल में पढ़े थे लेकिन समस्या, आमतौर पर, आधुनिक समाज की है, जो इस पूरी दुनिया को बदल देती है एक स्कूल में, हर कोई जींस पहन रहा है, हर कोई एक सामान है लेकिन फिर भी, वो नहीं हैं तो वहां पर समानता के भाव के साथ एक गहरी असमानता जुडी हुयी है जो एक बहुत ही तनावपूर्ण स्थिति को पैदा कर सकता है आजकल के समय में ये शायद असम्भव है कि कोई उतना ही अमीर और प्रसिद्ध हो पाए जितना कि बिल गेट्स हैं ऐसा १७ वीं सदी में होने कि संभावना नहीं थी. कि आप फ्रेंच अभिजात वर्ग के रेंक को स्वीकार करोगे. लेकिन मुद्दा यह है, कि इसे उस तरह से महसूस नहीं करते हैं इसे पत्रिकाओं और अन्य मीडिया आउटलेट के द्वारा महसूस कराया जाता है, यदि आपके पास ऊर्जा और प्रोधोगिकी के बारे में कुछ उज्जवल विचार हैं , चाहे वो एक गेराज हो, आप भी कुछ बड़ा शुरू कर सकते हैं (हँसी) और इस समस्या के परिणाम स्वरुप खुद को किताबों कि दुकान में महसूस करा रहे हैं जब आप एक बड़ी किताबों वाली दुकान में जाते हो और स्व-सहायता वाले वर्गों को देखते हो, जैसा मैं भी कभी कभी करता हूँ, यदि आप स्व-सहायता वाली उत्पादित कि गयी किताबों का विश्लेषण करते हो आजकी दुनिया में मूलतः दो प्रकार हैं पहला प्रकार आपको बताता है , "आप यह कर सकते हो! आप यह बन सकते हो! कुछ भी संभव है!" दूसरा प्रकार आपको बताता है कि आप कैसे निपट सकते हैं जिसे हम विनम्रता से कह सकते हैं "आत्म-सम्मान की कमी" और अविनम्रता से से बोल सकते हैं "अपने बारे में बहुत बुरा महसूस करना" यहाँ पर एक वास्तविक संबंध है, एक वास्तविक संबंध एक समाज के बीच में जो कि लोगों को बताता है कि वे कुछ भी कर सकते है और साथ में, कम आत्म सम्मान का अस्तित्व. तो यह एक दूसरा तरीका है जिसमें कुछ है जो काफी सकारात्मक है लेकिन जिसके नतीजे काफी ख़राब हो सकते हैं कुछ और कारण हैं जिनकी वजह से हो सकता हैं हम बहुत उद्विघन महसूस कर रहे हों पहले से बहुत ज्यादा , अपने करियर के बारे में, आज कि दुनिया में अपनी स्थिति के बारे में, और यह, फिरसे किसी अच्छी चीज के साथ जुड़ा हुआ है और यह अच्छी चीज है जिसे हम मेरिटॉक्रसी (ऐसी स्तिथि जहाँ बुद्धि को सम्मान दिया जाता है- प्रतिभाशाली) कह सकते हैं सभी लोग, सभी राजनेता बाएँ और दाएँ पर सहमत है कि meritocracy एक बड़ी बात है, और हम सभी को अपने समाज को वास्तव में एक प्रतिभाशाली (meritocratic) समाज बनाने की कोशिश करनी चाहिए. दूसरे शब्दों में, एक "meritocratic" समाज क्या है ? प्रतिभाशाली (meritocratic) समाज वो है जिसमे अगर आपके पास प्रतिभा और ऊर्जा और कौशल है, तो आप बहुत ऊँचाइयों तक जायेंगे, कोई चीज आपको रोक नहीं सकती यह एक सुंदर विचार है. समस्या यह है, अगर आप सच में एक ऐसे समाज में विश्वास करते हो जिसमें अगर किसी में प्रतिभा है, और उसे ऊपर जाना चाहिए, वही ऊपर जाता है उसी तरीके से, आप को उस समाज में भी भरोसा करना चाहिए, हालाँकि ये काफी बुरा लग सकता है जहाँ कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो हमेशा बिलकुल नीचे रहने के हकदार हैं जो नीचे हैं और उन्हें वहीँ रहना चाहिए दुसरे शब्दों में कहें तो आपका स्थान भी कोई अचंभित करने वाला नहीं है बल्कि आपकी प्रतिभा के अनुसार है और आप इसके हकदार हैं और इसी कारण से आपकी असफलता ज्यादा दुखदायी और दर्द देने वाली है आप जानते हैं , कि मध्य युग में इंग्लैंड में, जब आप किसी बहुत ही गरीब व्यक्ति से मिलते थे... उस व्यक्ति को "बदकिस्मत" कहा जाता था सच में, कोई भी जिसके साथ भाग्य नहीं है, बदकिस्मत है आजकल, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में, अगर आप सामाजिक तौर पर किसी निचले तबके के व्यक्ति से मिलते हो अविनम्र तरीके से उन्हें "लूज़र" (हरा हुआ इन्सान) के नाम से बुलाया जाता है एक बदकिस्मत और लूज़र में एक बहुत ही प्रमुख अंतर है और वो अंतर समाज में 400 वर्षों के विकास को दर्शाता है और हमारा विश्वास कि कौन हमारे ऐसे जीवन के लिए जिम्मेदार है इसका कारण इश्वर नहीं बल्कि हम खुद हैं, और हम ही इसे आगे बढ़ा रहे हैं यह सब बहुत ही अच्छा महसूस करने वाला है, अगर आप खुद बहुत अच्छा कर रहे हों और बहुत ही कुचला हुआ अगर आप बहुत अच्छा नहीं कर रहे हैं, (अपने काम में) एक समाजशास्त्री के विश्लेषण में, यह सबसे ख़राब मामलों में से एक होता है Emil Durkheim की तरह, यह आत्महत्या के दर को बढ़ जाने का एक कारण भी होता है वहाँ विकसित व्यक्तिपरक (अकेले रहना पसंद करने वाले समुदाय) देशों में अधिक लोग आत्महत्या कर रहे है दुनिया के किसी अन्य भाग में की तुलना में और इसके कुछ कारण ये भी हैं की लोग जो कुछ भी होता है उन्हें बहुत ही व्यक्तिगत रूप से अपने ऊपर लेते हैं वे अपनी सफलता के मालिक है. लेकिन अपनी असफलता के भी वही मालिक है. क्या इनमे से कुछ दवाबों से कोई राहत मिल सकती है? जिनकी रूपरेखा मैं यहाँ तैयार कर रहा हूँ? मुझे लगता है हाँ, और मैं उनमें से कुछ की तरफ जाना चाहता हूं चलो प्रतिभा (meritocracy) को लेते हैं. यह विचार जो कहता है, की हर किसी को वो पाना चाहिए जिसका वो हकदार है मुझे लगता है यह एक पागल विचार है, पूरी तरह से पागल मैं बाएँ और दाएँ के किसी भी राजनैतिक दल का समर्थन करूँगा, जिनके पास आधे अधूरे ही सही, पर सभ्य प्रतिभावान विचार हैं मैं उस अर्थ में एक प्रतिभावान व्यक्ति हूँ लेकिन मुझे लगता है की ये पागलपन ही होगा की हम कभी भी एक ऐसा समाज बनाने की कल्पना करें जो सही मायने में प्रतिभाशाली है. यह एक असंभव सपना है यह विचार है कि हम एक समाज बनायेंगे जहाँ सचमुच सभी लोग वर्गीकृत है, अच्छा शीर्ष पर है, और बुरा नीचे है, और ये बिलकुल ऐसे ही हो, जैसा की इसे होना चाहिए, यह असंभव है वहां और भी कई आकस्मिक कारक है : दुर्घटनाएं, जन्म की दुर्घटनाएं, लोगो के सिर पर गिरने वाली चीजों से दुर्घटनाएं, बीमारियाँ, आदि. हम उन्हें कभी वर्गीकृत नहीं करेंगे, और ना ही कभी इंसानों को, जैसा की उन्हें होना चाहिए मैंने St. Augustine के द्वारा कही कही गयी एक कहावत से बहुत प्रभावित हुआ; "परमेश्वर का शहर " जहाँ वे कहते है," कि किसी भी आदमी को उसके पद के कारण आंकना , यह एक पाप है " आधुनिक अंग्रेजी में उसका मतलब होगा किसी से बात करके उसके बारे में दृष्टिकोण बनाना एक पाप है, जो कि केवल उनके बिज़नस (व्यावसायिक) कार्ड्स देख कर बनाया जाये यह पद नहीं है जिसकी गिनती करना चाहिए St. Augustine के अनुसार, यह केवल परमेश्वर है जो वास्तव में सभी लोगो को उनकी जगह पर रख सकते है. और वो ही न्याय के दिन वह करने वाला है जब ढोल नगाडो और स्वर्ग से आये दूतों के साथ, ये आकाश खुल जायेगा उन्मुक्त विचार है, अगर तुम एक धर्मनिरपेक्षतावादी व्यक्ति हो, मेरी तरह , लेकिन फिर भी, उस विचार में कुछ बहुत ही मूल्यवान है. अपने आप को थोडा रोकिये जब आप किसी को आंकने का प्रयास करते हैं हो सकता है आप नहीं जानते हो कि किसी की सच्ची कीमत क्या है ये उनका एक अज्ञात हिस्सा हो सकता है और हमें ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए कि हम ये जानते है. एक और स्त्रोत है जहाँ इन सब से सांत्वना और आराममिल सकता है जब हम जीवन में असफल होने के बारे में सोचते है, जब हम विफलता के बारे में सोचते है, इसका एक कारण है की हमें इस बात कर डर नहीं है कि हमारी कोई आय नहीं रहेगी या कोई स्तिथि नहीं रहेगी हमें दूसरों के निर्णय और उपहास का डर है, और ये वास्तविकता में है आप जानते होंगे, उपहास उड़ने का पहली वस्तु आजकल के समय में , समाचार पत्र है. और अगर आप सप्ताह के किसी भी दिन अख़बार खोलते है, यह उन लोगों से भरा है, जो अपने जीवन को ख़राब कर चुके है. वे गलत व्यक्ति के साथ सोये है. उन्होंने गलत पदार्थ लिया है. उन्होंने कानून का गलत हिस्सा पारित किया है. यह जो भी है. पर उपहास उड़ाने के लिए फिट (ठीक) है दूसरे शब्दों में, वे हार चुके है. और उन्हें" हारे हुए" के रूप में वर्णित किया गया है. अब, क्या हमारे पास इसके लिए कोई विकल्प है? मुझे लगता है कि पश्चिमी परंपरा हमें एक शानदार विकल्प दिखाती है. और वह है..दुर्घटना दुखद कला, के रूप में, यह प्राचीन यूनान के थिएटरों में विकसित की गयी है. पांचवी शताब्दी ई. पू. में, अनिवार्य रूप से एक कला केवल इस बात के लिए समर्पित थी की लोग विफल क्यूं होते हैं और उनके अनुसार सहानभूति का एक स्तर भी जो की उन्हें साधारण ज़िन्दगी से शायद नहीं मिल पायेगी मुझे याद है, कुछ साल पहले मैं इन सब के बारे में सोच रहा था, और मैं "रविवार खेल" देखने गया था एक tabloid (खबरों को बड़ा चढ़ा कर लिखने वाले) समाचार पत्र में, जिसे पड़ने को मैं आपको नहीं बोलूँगा यदि आप पहले से इससे परिचित नहीं रहे है. मैं उनसे बात करने गया था पश्चिमी कला कि महान त्रासदियों में से कुछ के बारे में. मैं देखना चाहता था कि कैसे वे नंगे हड्डियों को जब्त करेंगे उन कुछ कहानियों की जो समाचार की तरह सामने आएँगी शनिवार की दोपहर newsdesk पर. तो उन्हें मैंने ओथेलो (एक प्रसिद्द उपन्यास) के बारे में बताया, उन्होंने इसके बारे में सुना नहीं था, पर वे काफी प्रभावित हुए (हंसी ) और मैंने उन्हें ओथेलो की कहानी के लिए शीर्षक लिखने को कहा और उन्होंने लिखा "प्यार में पागल अप्रवासी ने सीनेटर की बेटी को मारा" पूरा शीर्षक जलते बुझते हुए मैंने उन्हें महोदया Bovary की कथावस्तु (plotline) दी. फिर से एक और किताब जिसे खोज कर वे बहुत खुश हुए और उन्होंने लिखा "धोखाधड़ी के कारण खरीदारी के लिए पागल एक लड़की ने आर्सेनिक (एक प्रकार जा ज़हर) निगला" हँसी और अब मेरा पसंदीदा ये लोग अपने आप में एक तरह से महान लोग होते हैं मेरा पसंदीदा है "Sophocles ईडिपस राजा" "Sex With Mum Was Blinding" हँसी तालियां एक तरह से, अगर आपको पसंद हो, सहानभूति के इन रंगों के एक तरफ आपको tabloid (ख़बरों को बड़ा चढ़ा कर लिखने वाला) अख़बार मिल गया है और स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर आपको त्रासदी और दुखद कला मिल गयी है, और मुझे लगता है, मैं यही बहस कर रहा हूँ, की इनसे हमें कुछ सीखना चाहिए दुखद कला में क्या हो रहा है, के बारे में. हेमलेट को हरा हुआ इंसान बोलना पागलपन होगा वह एक हारा हुआ नहीं है, हालाँकि वह खो चुका है. और मुझे लगता है कि यह हमारे लिए त्रासदी का सन्देश है, और क्यों, मुझे लगता है यह तो बहुत, बहुत महत्तवपूर्ण है. आधुनिक समाज के बारे में अन्य बात और क्यों यह चिंता का कारण है यह है कि हमारे पास गैर मानव (मनुष्य से हटकर) के केंद्र में कुछ भी नहीं है हम ऐसी दुनिया के पहले समाज में रह रहे है जहाँ हम खुद के अलावा और किसी की भी पूजा नहीं करते है. हम खुद के लिए बहुत ज्यादा सोचते है और ऐसा करना चाहिए. हमने लोगों को चाँद पर रखा है. हमने सभी प्रकार के असाधारण काम किये है. और इसलिए हम खुद को पूजा करते है मानव हीरो हमारा हीरो है. यह एक बहुत ही नई स्थिति है. बहुत से अन्य समाजों के बिलकुल मध्य में कुछ उत्कृष्ट वस्तुओं की पूजा थी, इश्वर थे एक भावना थी , एक प्राकृतिक बल था , ब्रहमांड था, जो कुछ भी ये था, पर कुछ हमेशा ऐसा था जिसकी पूजा होती थी हम इस आदत को थोडा सा खो चुके है, जो की, मुझे लगता है, हमने प्रकृति से लिया है अपने स्वास्थ्य के लिए नहीं, जैसा अधिकतर इसे दिखाया जाता है पर इसलिए, की ये इंसानों द्वारा बनाये गए परिवेश से भागने का एक रास्ता है यह हमारे खुद के बीच की प्रतियोगिता से भागने का एक रास्ता है और हमारे अपने खुद के नाटकों से भी भागने का और इसलिए हम ग्लेशियरो और महासागरों को देखकर आनंद लेते है और प्रथ्वी को इसकी परिधि के बाहर देखने के लिए सोचकर, इत्यादि हम उन वस्तुओ के संपर्क में रहना पसंद करते है जो मानवीय नहीं है, और वह हमारे लिए बहुत ज्यादा महत्तवपूर्ण है. मुझे क्या लगता है कि मैं वास्तव में सफलता और विफलता के बारे में बात कर रहा हूँ. और सफलता के बारे में एक सबसे दिलचस्प (आकर्षित) करने वाली बात है की हमें लगता है, की ये हम जानते हैं, की इसका मतलब क्या है यदि मैंने आपसे ये कहा कि वहाँ परदे के पीछे कोई है जो की बहुत बहुत अधिक सफल है, ये सुनकर कुछ ऐसे विचार तुरंत आपके दिमाग में आयेंगे जैसे की, उस व्यक्ति ने बहुत पैसा कमाया होगा या किसी क्षेत्र में बहुत नाम कमाया होगा मेरी सफलता का अपना सिद्धांत है- और मैं कुछ हूँ जो सफलता में बहुत रूचि लेते है. मैं वास्तव में सफल बनना चाहता हूँ. मैं हमेशा सोचता हूँ कि" मैं कैसे और अधिक सफल हो सकता हूँ". लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ा हुआ, मैं उतना ही छोटा रहा इस बात को समझने में की "सफलता" आखिर में क्या है यहाँ एक सूक्ष्म बात है सफलता के बारे में, जो की मैंने महसूस की है आप हर चीज़ में सफल नहीं हो सकते हो. हम कार्य और जीवन के बीच संतुलन बनाने के लिए कई बातें सुनते हैं सब बकवास है, तुम सब नहीं पा सकते हो, बस नहीं पा सकते हो! तो सफलता के लिए चाहे कोई भी दृष्टिकोण हो उसे यह समझना ही पड़ेगा की खोना क्या है जहाँ नुकसान होने के तत्व रहते हैं मुझे लगता है कोई भी बुद्धिमान जीवन इस बात को मानेगा कि जैसा कि मैं कह रहा हूँ, हमेशा कोई न कोई ऐसी जगह रहेगी, जहाँ सफलता ना मिले एक सफल जीवन के बारे में जो बात है वो है, कि बहुत सारा समय, हमारे विचार इस बारे में कि हम सफलतापूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हैं या नहीं, हमारे अपने विचार नहीं हैं वो अन्य लोगो से (को देखकर) लिए गए हैं मुख्यतः अगर तुम एक आदमी हो,तो तुम्हारे पिता, और अगर तुम एक औरत हो,तो तुम्हारी माँ, मनोविश्लेषण से ये बात अस्सी वर्षों में कई बार सामने आ चुकी है चाहे कोई भी ध्यान से इसे सुन ना रहा हो, पर मुझे लगता है ये वाकई में बिलकुल सच है और हम बहुत सारी अन्य जगहों से भी सन्देश लेते हैं टेलीविजन से, लेकर विज्ञापन, विपणन आदि, ये सब बहुत ही शक्तिशाली ताकतें हैं जो यह स्पष्ट करती है कि हम क्या चाहते है और हम खुद को कैसे देखते है. जब हमें यह बताया गया कि बैंकिंग एक बहुत ही सम्मानित पेशा है हममे से बहुत से लोग बैंकिंग में जाना चाहते है. लेकिन जब बैंकिंग इतना सम्मानजनक पेशा नहीं रह गया है, तो हमने बैंकिंग में अपनी रूचि खो दी है. हम सुझाव के लिए अत्यधिक खुले है. तो मैं इसके लिए आपसे बहस नहीं करना चाहता हूँ कि हमें यह छोड़ देना चाहिए सफलता के लिए हमारे खुद के विचार लेकिन हमें ये पक्का करना होगा कि ये विचार हमारे खुद के हैं हमें अपने विचारों पर ध्यान देना चाहिए. और पक्का करना होगा इ हम उनके मालिक हैं कि हम वास्तव में अपनी महत्वकांक्षाओं के लेखक है. क्योंकि ये काफी बुरा है,वह ना पाना जो कि आप चाहते हो , लेकिन उससे भी अधिक बुरा होना ये है कि कि आप अपनी यात्रा के अंत में ये पायें कि ये भी वह सब कुछ नहीं है, जो कि आप चाहते थे तो अब यहीं पर मैं इसका अंत करने जा रहा हूँ पर मैं अभी भी जो बात जोर डालके कहना चाहता हूँ हाँ, सफलता, हर तरह से है . लेकिन उसके लिए हमें अपने विचारों में से कुछ की विचित्रिता को अपनाना होगा चलिए, अपने खुद के सफलता के विचारों का विश्लेषण करते हैं चलिए ये पक्का करते हैं की सफलता के लिए जो विचार हैं, वो हमारे खुद के हैं बहुत, बहुत धन्यवाद. (तालियां). क्रिस एंडरसन: यह बहुत आकर्षक था. आप कैसे सामंजस्य करते है किसी के होने का यह विचार- एक हारे हुए आदमी की तरह किसी के बारे में सोचना, यह बुरा है इस विचार के साथ की बहुत से लोग आपके जीवन का नियंत्रण खुद लेना चाहते हैं और वह एक समाज है जो उसे प्रोत्साहित करता है शायद उसमें कुछ सफल और असफल लोगो को होना ही चाहिए Alain de Botton: हाँ मुझे लगता है कि यह केवल आकस्मिकता है जीतना और हारना एक प्रक्रिया है जिस पर मैं प्रभाव डालना चाहता था. क्योंकि आजकल बातों को जोर डालकर कहना बहुत जरुरी है सब के न्याय पर, और नेता हमेशा न्याय के बारे में बात करते है. अब मैं न्याय में एक कठोर आस्तिक हूँ, मुझे बस यही लगता है कि यह असंभव है. तो हमें वो सब करना चाहिए, जो हम कर सकते है हमें वो सब करना चाहिए जिसे हम आगे बढ़ा सकते है लेकिन दिन के अंत में हमें हमेशा याद रखना चाहिए बाधा जो भी हमारे सामने है और जो कुछ भी उनकी जिंदगियों में हुआ है जहाँ भाग्य का होना एक बहुत ही मजबूत कारण होगा और उसी के लिए मैं जगह बनाने की कोशिश कर रहा हूँ अन्यथा ये काफी छोटा भी हो सकता है सीए;मेरा मतलब है, कि क्या आपको विश्वास है कि आप संयोजित कर सकते है आपकी एक दयालु और कोमल सफलता की विचारधारा एक सफल अर्थव्यवस्था के साथ? क्या आपको लगता है कि आप नहीं कर सकते हो? लेकिन इससे उतना फर्क नहीं पड़ता है कि हम उस पर बहुत अधिक जोर डाल रहे है. AB एक बुरा सपना ही होगा ये सोचना की लोगो को डरा के काम निकलना सबसे बेहतर तरीका है और एक तरीके से पर्यावरण भी बहुत कठोर हो जायेगा जब चुनोतियों का सामना करने के लिए अधिक से अधिक लोग खड़े हो जायेंगे आप सोचना चाहेंगे, की किसको आप अपने आदर्श पिता की तरह देखते हैं ? और अगर आपके आदर्श पिता कोई हैं, तो वो बहुत कठोर हैं पर कोमल भी और ये बहुत ही कठिन परिस्तिथि है बनाने के लिए हमें पिताजी चाहिए, लेकिन वैसे ही पिताजी जैसे समाज में थे ,जिन्हें दोहराया जा सके केवल दो चरम संभावनाओं को छोड़कर जो की एक तरफ सत्तावादी और अनुशासक हो और दूसरी तरफ, न वह कठोर हो और ना जिनके कोई नियम हो सीए:Alain de Botton. AB: आपको बहुत बहुत धन्यवाद्. (तालियां) तो 6 मई 2019 को, सूर्य चमक रहा था, आकाश नीला था, बादलों के झोंके सफेद थे यह एक आदर्श वसंत का दिन था। मैं वापस अपने कार्यालय जा रहा था, कि मेरा फोन बजने लगा। फोंन पर लेफ्टिनेंट बोल रहे थे मैंने बोला, "हे, जॉन। आप कैसें हैं?" उन्होंने कहा, "सर, मैं अच्छा हूँ। लेकिन मुझे कुछ बुरी खबर मिली है। उन्होंने कहा कि हमारे कार्यकारी अधिकारी की, उस सप्ताहांत में, मौत हो गई। हमने विचार परामर्श किया "आपका मतलब क्या है, आप क्या बोल रहें हैं?" मैंने उनसे पूछा कि हुआ क्या। उन्होंने कहा, "सर, उन्होंने आत्महत्या की।" मैं अपने कार्यालय में, कुछ घंटों के लिए, एक पूरे संभ्रम में चलता रहा, समझने की कोशिश करनें में कि यह क्या हुआ था, क्यों? मैंने उनके साथ सिर्फ कुछ महीनों पहले हि संवाद किया था। और मुझे कोई कल्पना नहीं थी कि यह अधिकारी पीड़ा में थें। मैं एक नेता के रूप में खुद को दोष देता हूं, इस्पे बोध नहीं होने पर। मैं इसे समझने कि राह पर चला गया क्यों? वेटरन समुदाय में हो क्या रहा है? यह घटनाऐं क्यों हो रहीं हैं? मैंने वेटरन मामलों के विभाग में से रिपोर्टें पठीं, रक्षा विभाग के रिपोर्टें भी, मानसिक स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय अध्ययन भी पठें और इनसे जुड़े मसले भी। मैं आपके साथ साझा करने जा रहा हूं, कुछ तथ्य जो मैंने सीखे हैं। आत्महत्या की सबसे अधिक राशि, वेटरन मामलों के विभाग में है। और यह वास्तव में, उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उनके रिपोर्टों और मेरे द्वारा गणना की गई संख्या के आधार पर 2001 और 2019 के बीच, 'आतंक पर वैश्विक युद्ध' के समय के दौरान, मेरा अनुमान है कि, 115,000 वेटरन हैं जो अपने ही हाथों मारे गए हैं। मैंने रक्षा विभाग के रिपोर्ट को भी देखा जो हताहतों को प्रदर्शित करता है। यह व्यक्तिगत रिपोर्ट 2001 के अक्टूबर से हताहतों की सूची दिखाती है। विनिर्दिष्टतः, पिछले साल के 18 नवंबर तक। उस समय सीमा और 'आतंकवाद पर वैश्विक युद्ध' के दौरान, 5,440 सक्रिय ड्यूटी सदस्य हैं, जो कार्रवाई में मारे गए थें। तो मेरे हिसाबों से, 115,000 अनुमानित आत्महत्याएं, कार्रवाई में 5,440 मारे गए। इसका मेरे लिए क्या मतलब है? हमारे पास लगभग 21 वेटरन हैं जो अपने ही हाथों से अपना खून कर रहे हैं, हर एक के लिए जो दुश्मन के हाथों मरा। यह एक चौंका देने वाला सांख्यिकीय है। वह राष्ट्रीय अध्ययन जो मानसिक स्वास्थ्य के साथ जुड़ा है, हमें बतातें है कि अगर आपके परिवार में किसी भी प्रकार का आनुवंशिक मानसिक स्वास्थ्य मसला है, जो पारित किया जा सकता है, या आपके बचपन में कुछ हुआ है जो दर्दनाक था, आपकी पी.टी.एस.डी से लडने कि क्षमता, काफी घट जाती है। वह हमें यह भी बताते हैं कि अगर आप पूर्ण मूल्यांकन करवाना चाहतें हैं, यह निर्धारित करने के लिए कि किसी के पास पी.टी.एस.डी है, आपको कम से कम एक घंटे के लिए साक्षात्कार देना होगा, एक मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के साथ जो पी.टी.एस.डी को खोजने में प्रशिक्षित हैं, और बता सक्तें हैं अगर आप उस्से पीड़ित हें। अब मैं आपको यह बताता हूँ, कि जब सेना में प्रवेश करते हैं, तो क्या होता है। जब आप सशस्त्र बलों में शामिल होते हैं, आप एक मेडिकल परीक्षा देतैं हैं, शारीरिक फिटनेस परीक्षण देतैं हैं, दवा/ड्रग परीक्षण देतैं हैं, और एक व्यावसायिक परीक्षण देतैं हैं, पता लगाने के लिए, कि आप किस चीज़ में अच्छे हैं और आपको उस कोटि में नौकरी दें। लेकिन क्या आप विश्वास करेंगे कि पिछले 20 वर्षों में, लगभग 115,000 आत्महत्याऐं और राष्ट्रीय अध्ययन से जो हम जानकारी जानते हैं, कि कैसे निर्धारित करें अगर कोइ पी.टी.एस.डी के साध लड पाऐगा, हमारे पास अभी भी हमारे सेवा में प्रवेश करने वालें भर्तियों के लिए मानकीकृत मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन नहीं है। मुझे लगता है कि यह कुछ है जिस्से बदलने की जरूरत है। नंबर दो, जब आप सेवा छोड़तें हैं-- जब मैंने 2003 में सेवा छोड़ दी, मुझे कुछ अनिवार्य पाठों में भाग लेना पड़ा, लगभग दो दिन के पाठों का वक्त, और फिर मैं अपने रास्ते निकल पड़ा। आजकल, यह थोड़ा अलग है। अगर आप --जिसे हम बुलातें हैं-- 'टर्मिनल लीव' पर हैं, या सवेतन अवकाश जो आप उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं इससे पहले कि आप पूरी तरह से नौकरी छोड़ जाऐं, आजकल आपको एक कॉल ही मिलेगा। मैंने एक वेटरन से बात की जिसे कॉल मिला। वह कार्यालय से घर जा रहा था, और केवल एक चीज जो वह सोच सकता था था कि, "मैं इस काॅल को कभ काट सकता हूँ?" और मुझे लगता है कि कॉल शायद 10 या 15 मिनट चली। लेकिन फिर भी राष्ट्रीय अध्ययन हमें बताते हैं, केवल एक व्यक्ति, एक घंटे का साक्षात्कार देगा। मुझे लगता है कि यह कुछ है जो हम सुधार सकते हैं। एक और चीज़ है जिसके बारे में वेटरन अफेयर्स विभाग के रिपोर्ट्स में बात हुई। उन्होंने कहा कि हमारे सेवा सदस्य जो स्वयं औषधि लेतें हैं उन्का, काफी हद तक, आत्महत्या का खतरा ज्यादा अधिक है। तो जो वेटरन हैं जो शराब के साथ आत्म-चिकित्सा, या नशीली दवाओं का दुरुपयोग-- और वास्तव में, वेटरन अफेयर्स के विभाग ने वर्गीकरण किया है कि ओपिओइड उपयोग विकार/ओ.यू.ड़ी, महामारी का एक रूप है। तो जब मैंने अपनी यूनिट के मरीन्स से बात की और इसके बारे में और जानने की कोशिश की, तो मुझे पता चलनें लगीं कुछ सच में चौंकानें वाली बातें। मैं किसी मरीन को जांता था जो इराक से वापस आया था और वह "पीठ दर्द" के लिए अस्पताल गया जहाँ उसे ओपियोिड्स निर्धारित किए गए थे। उसके पास, दुर्भाग्य से, पी.टी.एस.डी भी था। उसे इन दर्द निवारक दवाओं कि लत लग गई, क्योंकि दवाओं ने उसके पीठ दर्द में मदद हि नहीं बल्कि कुछ भयावह चीजों के साथ --जो मध्य पूर्व में हुआ था, जो कि उसे देखना, अनुभव करना और साध लेना पड़ा-- निपटने में भी मदद की। और आखिरकार उसने कुछ ज़्यादा हि ले लिया। एक और चुनौती जिस्का हम सामना करते हैं, है कि, जब हम सक्रिय ड्यूटी पर हों, हम रक्षा विभाग के अधीन होतें हैं। और इसलिए आपके सभी डॉक्टर, आपका पूरा स्वास्थ्य देखभाल उसी श्रेणी में है। जब आप सेवा छोड़ देते हैं, तब आप वेटरन अफेयर्स के विभाग का हिस्सा बन जातें। तो ये सक्रिय ड्यूटी सदस्य जो अपने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के लिए मदद चाहते हैं, और पी.टी.एस.ड़ी या दूसरे मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के साथ निदान हो, जब वे सेवा छोड़ देते हैं, तो किसी डॉक्टर का संक्रमण नहीं है जो कि वेटरन मामलों के विभाग में हो या शायद असैनिक दुनिया में गोपनीयता कृत्यों के कारण। अब इसमें कुछ अच्छी खबर भी है। हाल ही में, कानून बनाया गया था कि एक डेटाबेस बनाया जाएगा जिस्में रक्षा विभाग के स्वास्थ्य रिकॉर्ड्स और वेटरन मामलों का विभाग के स्वास्थ्य रिकॉर्ड्स संग्रहित किए जाऐंगे। लेकिन मैं इस सोच को एक कदम आगे ले जाना चाहता हूँ। मेरा संगठन 204 मरीन और नाविक मजबूत था। जो मैंने देखा और अपने मरीन्स को भी बोला, उस्से हमने निष्कर्ष निकाला था कि हमारे आत्महत्या करने वाले सदस्यों एक दर्जन अधिक हैं। जब मैं बटालियन में वरिष्ठ नेतृत्व से बात करता हूं, और बटालियन लगभग छह से सात सौ मरीन है, वे अनुमान लगाते हैं कि हम उन सैकड़ों में से हैं जिन्होंने आत्महत्या कर ली है। तो चलिए इस डेटाबेस को लेते हैं जिसे हम बना रहे हैं, और इसे थोड़ा आगे लेतें हैं। जब भी कोई वेटरन गुजर जाता है, चाहे वह प्राकृतिक कारण हो, अतिदेय या आत्महत्या, हम उसे वेटरन मामलों के डे़टाबेस में ड़ाल सकें, जो फ़िर रक्षा विभाग के रिकॉर्ड तक पहुंचने में सक्षम हो, और फ़िर पहचानें कि वे किस प्रकार की इकाइयों में थे, किन आकस्मिकता और ऑपरेशनों में उन्होंने भाग लिया। और चलो डेटा बिंदुओं को बनाने कि कोशिश करते हैं कि क्या ऐसी इकाइयाँ हैं जो पी.टी.एस.ड़ी को विकसित करने के लिए अधिक संवेदनशील हैं ताकि हम तैनाती और थिएटर से पहले मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त कर सकें। यदि वे थिएटर में हैं, तो जब वे उसमें हैं, और इससे पहले कि वे बाहर निकलकर घर जाऐं, वे मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करें। (तालियाँ) और वैसे, अगर हम डेटा बिंदुओं के सेटों का ऐसा निर्माण करने में सक्षम हो सकते हैं, तो हम उन्हें केवल सैन्य पर लागू नहीं करेंगे, हम सामान्य लोग के लिए भी इसका उपयोग कर सकतेें हैं। अगर हम अपने दिमागों और संसाधनों को जोड़ें, और इस्पे खुलकर बात करें, और अमेरिका में चल रही इस महामारी का समाधान खोजें, उम्मीद है कि हम एक जीवन बचा सकते हैं। यह मेरे विचार हैं, मुझे उम्मीद है कि यह चर्चा इस विषय का अंत नहीं है, बल्कि इसकी शुरुआत है। और मैं आज आपके समय के लिए धन्यवाद देता हूँ। (तालियां) में एक परिवार में पैदा हुई जिसमे मेरे पिताजी सभी पैसों का प्रबंधन करते थे लेकिन किसी कारण के लिए, जब मैं आठ या नौ साल की थी, उन्होने मुझे पैसे के बारे में चीज़े दिखाना शुरू कर दिया। वह मुझे रसोई के टेबल पर बैंक के कितबे दिखते थे। ये इंटरनेट के पहले, हमारे जमाने की बात है, जब हमारे पास चोटी कितबे होती थी जिसमे हम अपनी जानकारी रखते थे। और वह मुझे दिखते थे की उन्होने इन अकाउंट मे पैसे कैसे जमा किए वह इन पैसो से हमारे बिल भुगतान करते थे। और जब वह मुझे कुछ पैसे के बारे में बताते थे वह अंत में कहते थे, "और ये अपनी माँ को मत बताना" (हंसी) आज तक, मुझे पता नहीं उन्होने ऐसा क्यों कहा, पर मुझे ये पता है की उस आठ साल की लड़की के लिए इसका मतलब था, "एक शब्द भी मत कहो" सालो बाद, जब मुझे अपना पहला जॉब मिला मेरे पिताजी ने कहा, "तुम मुझे अपना चेक दो, और में तुम्हारे लिए बैंक में दाल दूंगा" लेकिन उन्होने मुझे जो सिखाया उसके कारण, मैंने कहा, "मुझे मेरी बैंक बुक चाहिए।" और मैं आश्चर्यचकित हो गयी की उन्होनों मुझे दे दिया तभी, में जब 16 साल का था, मैंने अपने पैसो का प्रबंधन शुरू कर दिया। मैं कॉलेज में अपना CPA में करियर शुरू करने के लिए गयी, पर अभ, मेरे पास कर्ज़, एक घर, और जॉब था, मैंने अपनी कर्ज़ लेने की और उसे चुकाने की सवारी शुरू कर दि और में कर्ज़ लेते गयी। कई साल बाद, शादी करने के बाद, मैं एक अप्रत्याशित तलाक से गुज़रा, मुझे एक घर के साथ छोड़ दिया गया जो मैं बर्दाश्त नहीं कर सकती थी और बिल जो में चुका नहीं पाई। आप ये सोच रहे होंगे, "ऐस एक इंसान के साथ कैसे हो सकता है जो शिक्षित और कुशल है लोगों के पैसे का प्रबंधन करने में? " मैंने जो बचपन में पढ़ा था असपे मैं वापस लौट आई थी: की एक इंसान पैसे का प्रबंधन करता था मैंने अपनी वित्तीय शक्ति सौंप दी थी, और मैं आर्थिक रूप से निर्भर हो गयी था। वित्तीय निर्भरता वह होती है जब कोई एक व्यक्ति पर निर्भर है, एक जॉब या पियसे के लिए, और वो कैद महसूस करते है। दो तरह के लोग होते है: पसंद के साथ निर्भर और एक विकल्प के बिना निर्भर है। कोई पसंद के साथ निर्भर है जब वे अपनी वित्तीय शक्ति सौंप देते हैं और उनकी भागीदारी। यह व्यक्तिगत में हो सकता है या व्यावसायिक संबंध जब एक व्यक्ति नहीं चाहता पैसे के साथ शामिल होने के लिए, वह ये ज़िम्मेदारी अपने पति या पत्नी, साथी, या पेशेवर, जैसे मुनीम या प्रबन्धक को देते है। यह मेरी स्थिति थी। मैं पूरा दिन लोगो के पैसो का प्रबंधन करती थी तो में निश्चिंत थी की मेरे पति हमारे पैसो का प्रबंधन करते थे। में मुक्त थी! मेरे पहले जॉब के बाद पहले बार मेरे पास पैसो की प्रबंधन की ज़िम्मेदारी नहीं थी पर मुझे ये पता नहीं चला की जो स्वतंत्रा महसूस हो रही थी वह असल में निर्भरता थी। मेरी गलती थी की मैं शामिल नहीं हुई या मैं समझी नहीं की हमारे पैसे के साथ हो क्या रहा था आपने ये खुद महसून किया होगा, या हस्तियो और पेशेवर एथलीट के किस्से सुनो होंगे जो अपने परिवार, दोस्तो, और दूसरों पे अपने पैसो का प्रबंधन के लिए निर्भर होते है, वह धोका खा लेते है और कंगाल हो जाते है क्योंकि उन्होंने चुनाव किया अपनी वित्तीय शक्ति सौंपने के लिए। जो बिना चुनाव के निर्भर महसून करता है वो कैद महसूस करता है उनकी आर्थिक सस्थिति के कारण। वह एक जॉब या करियर में हो कटे है जहा वोह दुखी या परेशान हो पर वो छोड़ना बर्दाश नहीं कर सकते। या, किससी को अपने परिवार और दोस्तो के साथ रहना पड़ा क्यूकी वो बीमार दे या उनका तलाक हुआ, या उनके साथ कुछ बूरा हुआ। और अभ वो आर्थिक रूप से दूसरों पर नीरभर है। और हम सबको ऐसे लोग पता है जिनके पास एक बुजुर्ग माता-पिता या रिश्तेदार है जो खुद का खयाल नहीं रख सकते, और वह अभ दूसरों पे निर्भर है, कभी-कभी अपना घर गिरवी रखते है या अपने संपत्ति बेचते है। एक अन्य प्रकार की निर्भरता एक विकल्प के बिना वित्तीय दुरुपयोग है। वित्तीय दुरुपयोग एक पैटर्न है अपमानजनक व्यवहार का जिससे एक साथी को नियंत्रित या भयभीत किया जा सकता है। पीड़ित एक संबंध मे होते है, दूसरे व्यक्ति के पास उनके ऊपर ताकत होती है, क्यूकी पीड़ित के पास पैसे और उसकी जानकारी पे पहुँच नहीं होती या उनके पास संसाधन और सहारा नहीं होता जिससे वो बाहर निकाल पाए। ऑलस्टेट फाउंडेशन का एक कार्यक्रम है पर्पल पर्स कहा जाता है जो घरेलु हिंसा के पीड़ित की मद्दत करते है वित्तीय सशक्तिकरण से वो कहते है की 99% -- 100 में से 99 घरेलु हिंसा के केस में आर्थिक शोषण पीड़ित को रिश्ते में कैद रहती है पर्पल पर्स आर्थिक शोषण को "अदृश्य हथियार" कहती है क्यूकी जो अदृश्य हिंसा नहीं होती वह चोट और निशान छोड़ जाती है लेकी आर्थिक शोषण नहीं। आर्थिक शोषण और आर्थिक निर्भरता भावनात्मक निशान छोड़ती है जो हम देख नहीं पाते यह भावनात्मक निशान मैं निराशा, अपराधबोध, शर्म, अवसाद, आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की कमी शामिल है। आर्थिक निर्भरता इसलिए भी अदृश्य है क्यूकी इसके बारे में कोई बात नहीं करता। क्यू? क्यूकी कोई अपने भावनात्मक निशान दिखाना नहीं चाहता और क्यूकी हमे सिखाया गया है की पैसो के बारे में बात न करने के लिए। मैं कई लोगो से ये समस्या के बारे में बात करती हु उनके पास भी ये समस्या है और एक कहानी है लेकिन वो वह कहानी किसिकों बता नहीं रहे। मुझे जब रसोई के तेबल पर कहा गया, "एक शब्द भी मत कहो" मैंने किससी को एक शब्द भी नहीं कहा मेरे लिए अभी भी तोड़ना मुश्किल है वह नियम जो मैंने बहुत पहले सीखा था। तो मै क्या कर सकती हूँ? तुम क्या कर सकते हो? हम सभ ये अदृश्य हथियार के वीरुध क्या कर सकते है? हम तीन समस्याओं को हल कर सकते हैं। पहली समस्या जागरूकता की कमी है, क्यूकी पैसे और पैसो की जानकारी होना हमेशा उपाय नहीं होते। मेरे स्थिति में, में पढ़ी लिखी थी और में पैसो का प्रबंधन करती थी, लेकिन में फिर भी आर्थिक रूप से निर्भर थी। क्यू? क्यूकी बचपन से मेरी धारणा थी: की एक इंसान सारे पैसे का प्रबंधन करता है। मेरे तलाक के बाद, मुझे अपनी ज़िंदगी आर्थिक और भावनात्मक रूप से फिरसे बनानी पड़ी। तो मैंने सारे स्वयं का विकास के कोर्स लिए और सारी स्वयं सहायता कितब पढ़ डाली और ताभ मैं अपने परिवार का गतिविज्ञान समझने लगी और कैसे उनके कारण मैंने अपनी आर्थिक ताकत सौपी जब आप अपने भीतरी चोट और निशान के बारे में जानकार बनते है तभी ही आप आर्थिक निर्भरता से मुक्त हो सकते है अगली समस्या अभाव है वित्तीय साक्षरता के बारे में जानकारी वित्तीय साक्षरता जानकारी और कौशलता होना है जिससे एक इंसान पैसे को बारे में सही निर्णय बना सके। इसमे बचत और निवेश, बजट और कर्ज। 2018 में, केवल 17 राज्य में वित्तीय साक्षरता हाइ स्कूल में अवशक्त था। यह हाल के अध्ययनों से मेल खाती है यह दर्शाता है कि 66 प्रतिशत अमेरिकी आर्थिक रूप से निरक्षर है। अगर आप एक आर्थिक निरभित स्थिति मे है, अपने वित्त को देखिये, पैसो को मामलो में निर्णय में शामिल होइए। यदि आप वित्तीय दुरुपयोग की स्थिति में हैं, आपकी जानकारी के लिए पहुँच प्राप्त करें। वित्तीय दस्तावेज देखें जैसे बैंक क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट, सामाजिक सुरक्षा जानकारी और खाता पास कोड। आखिरी समस्या सहारा देने और लेने की है। बहुत से लोग नहीं जानते वहाँ मुक्त संसाधन हैं ऑनलाइन और आपके स्थानीय समुदाय मे जो आपको सही पैसों की आदत सीखा सकते है। अगर आप वित्तीय शोषण के पीड़ित है, तो आपके लिए मुफ्त संसाधन है जैसे पर्पल पर्स। जो आर्थिक रूप से निर्भर है उनको आप सहारा उनकी कहानी बिना निर्णय या आलोचना से सुनकर दे सकते हो। आप अपनी भी कहानी बता सकते हो क्यूकी जब आप अपनी कहानी बताते हो, आप दूसरों को सशक्त करते हो, और उन्हे उनकी कहानी वापिस लिकने की अनुमति देते हो। मेरी आशा है की मेरी कहानी बताकर और लोग आर्थिक निर्भता के बारे में जानेंगे, और अपनी कहानी कहेंगे और दूसरे लोगो के साथ मिलकर इस समस्या पे ध्यान देंगे ताकि हम सभके पास वित्तीय स्वतंत्रता हो। (वाहवाही) हे वा:आपको देख खुशी हुई। जुडने के लिए धन्यवाद, अब तक २०२० कैसा रहा। हुआंग हंग: मेरे लिए २०२० की शुरुआत साधारण थी। मैं जनुअरी में पेरिस गयी थी, वहां पर मैंने फैशन वीक के लिए अपना साक्षात्कार किया, २२ जनुअरी को मैं बीजिंग वापस आ गई, और यह पाया कि चीज़ें थोड़ी तीव्र हो गई हैं क्यूंकि कई तरह की अफवाहें थी। सार्स से बचने के बाद मैं उतनी चिंतित नहीं थी। और २३ को, न्यूयॉर्क से मेरी एक दोस्त मेरे घर आयी थी जिसको फ़्लू हुआ था, हमने रात को साथ मैं खाना खाया, और हमारी एक और दोस्त आयी थी जो अगले ही दिन छुटिओं के लिए विमान में ऑस्ट्रलिस गई। तो हम इसको उतनी गंभीरता से नहीं ले रहे थे जब तक लॉकडाउन शुरू हुआ। हे व : और हमने इसे हर जगह होते हुए देखा। मुझे लगता हैं कि अब भी कुछ लोग यह नहीं समझ पाए हैं कि चीन में ली गए उपायों की गंभीरता क्या हैं। मेरा मतलब हैं, हमने चीन की अनुक्रिया से क्या नहीं सीखा हैं ? हु हु : ऐतिहासिक दृष्टि से, हम दो बहुत अलग देश हैं, संस्कृति और इतिहास के अनुसार। मेरा मतलब हैं, यह दो बहुत ही अलग अनुभव हैं इनके लोगों के लिए। तो चीन में, जब लॉकडाउन होता हैं, लोग ठीक हैं। लोग इस से सहमत हैं, क्यूंकि उन्हे लगता हैं कि एक अच्छे माता या पिता को यही करना चाहिए। जब एक बच्चा बीमार पड़ता हैं, तो उसे एक कमरे में डालते हैं, उसे वहाँ बंद करके यह सुनिश्चित करते हैं कि दुसरे बच्चे बीमार न पड़े। और वे लोग सरकार से यही अपेक्षा रखते हैं। लेकिन जब यह चीन से बाहर, अमेरिका में हो तो यह एक बड़ा विषय बन जाता कि राजनीती के अनुसार क्या करना सही हैं और कि क्या यह निजी स्वतंत्रता का उल्लंघन कर रही हैं। तो, लोकतांत्रिक समाज में जिन मुद्दों आपको निपटना पड़ता हैं, वही मुद्दे हैं जिनसे चीन में किसी को निपटना नहीं पड़ता। मुझे यह कहना होगा की चीनी में एक शब्द हैं जो किसी और भाषा में नहीं हैं, और वह शब्द हैं "गुआइ। " इसे आप एक बच्चा को कहते हैं जो अपनी माता-पिता की बात सुनता या सुनती हैं। तो मुझे यह लगता हैं कि जनता के रूप में, हम बहुत "गुआइ" हैं। हमारे पास एक प्रकार की सत्तावादी मूर्ति हैं जिसकी चीनी आदर करते हैं, और हमेशा यह अपेक्षा रखते हैं कि सरकार वातव में कार्रवाई करें, और वे उसे संभाल लेंगे। कितनी भी कठिनाइयँ हो. उन्हें लगता हैं कि ठीक हैं, अगर बड़े भाई ने कहा हैं की यह करने होगा, तो इसे करना पड़ेगा। और यही बात चीन को एक अलग मानसिकता के रूप में परिभाषित करती हैं। चीन का एक अलग ही मानसिकता हैं, जैसे, यूरोप और अमेरिका में लोगों की हैं। हे व: ऐसी सामूहिक जिम्मेदारी की भावना, कभी कभी लगता हैं कि इस संस्कृति में तोड़ा अनुपस्थित हैं। उसी समय, मुझे लगता हैं कि कुछ चिंताएँ वैध हैं जो निगरानी और डाटा गोपनीयता जैसे चीज़ों के बारे में हैं। इस में संतुलन क्या हैं? और निगरानी और स्वतंत्रता के बीच संतुलन क्या हैं? हु ह: मुझे लगते हैं कि इंटरनेट के ज़माने में, यह चीन और यु.एस. के बीच में हैं। मुझे लगता हैं कि जब आप व्यक्तिगत स्वतंत्रता बनाम सामूहिक सुरक्षा लेते हैं, तब कहीं न कहीं संतुलन होना चाहिए। निगरानी के साथ, बैदु के प्रधान, रोबिन ली, ने एक बार कहा था कि चीनी लोग कुछ व्यक्तिगत अधिकारों को छोड़ने के लिए काफी इच्छुक हैं, सुविधा के बदले में। वास्तव में,चीनी सोशल मीडिया पर उनकी पूरी आलोचना हुई, पर मुझे लगता हैं कि वे सही हैं। चीनी लोग कुछ अधिकारों को छोड़ने के लिए इच्छुक हैं उदाहरण के लिए, हमारे पास... चीनी ज़्यादातर हमारे पास मौजूद भुगतान प्रणाली पर बहुत गर्व करते, जो यह हैं की आप सिर्फ अपनी आईफ़ोन के साथ कहीं भी जा सकते हैं और सब का भुगतान कर सकते हैं और वह केवल चेहरा स्कैन करते हैं। मुझे लगता हैं की इसी बात से अमेेरीकियों घबरा जातें हैं। आपको पता हैं, चीन अभी, हम अभी भी अर्द्ध-लॉकडाउन में हैं, तो आप जहाँ भी जाएँ, एक एप्प हैं जो स्कैन कर सकती हैं आप अपनी मोबाइल फ़ोन नंबर डाले , वह एप्प, उदाहरण के लिए, मॉल के प्रवेश द्वार पर गॉर्ड को यह बताएगी कि आप पिछले १४ दिन से कहाँ थे। अभी, जब मैंने यह बात, एक अमेरिकन को बताया, तो वह भयातुर हो गयी, और उसे लगा कि यह गोपनीयता का ऐसा आक्रमण था। दूसरी ओर, चीनी होने पर और पिछले २० वर्ष से चीन मैं रहने के बाद, हांलाकि मैं अमेरिकन मानसिकता को समझती हूँ, मुझे लगता कि मैं यह सोचने के लिए काफी चीनी हूँ कि "मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं हैं, और मैं बेहतर हूँ, मुझे लगता हैं कि मॉल प्रवेश करना सुरक्षित हैं क्यूंकि सभी लोगों को स्कैन किया गया हैं," लेकिन, मैं यह सोचती हूँ कि व्यक्तिगत स्वंतन्त्रता एक अमूर्त अवधारणा के रूप में एक ऐसी सर्वव्यापी महामारी में में बहुत ही व्यर्थ हैं। इसलिए, मैं यह सोचती हूँ कि पश्चिम को वास्तव में पूर्व की ओर एक कदम बढ़ाना चाहिए और समग्र रूप में सामूहिक के बारे में सोचना चाहिए ना कि अपनेआप को केवल एक व्यक्ति के रूप में सोचे। हे वा: अमेरिका और चीन के बीच विरोधी बयानबाज़ी का उदय स्पष्ट रूप से एक परेशान हैं, और बात यह हैं कि यह दोनों देश आपस में जुड़े हैं लोग वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को समझता हैं या नहीं। आपको क्या लगता हैं कि हम आगे कहाँ जायेंगे? हु ह: आपको पता हैं कि इस सब से निकलनेवाली सबसे भयानक चीज़ यही हैं, इस सर्वव्यापी महामारी मैं जो दोनों तरफ से जिस तरह के राष्ट्रवादी भावनायें हैं। क्योंकि मैं एक आशावादी हूँ, मैं यह सोचती हूँ कि इस सब से यह निकल आएगी कि दोनों पक्ष को इसका एहसास होगा कि यह लड़ाई पूरे मानव जाती को साथ में करनी चाहिए और अलग होकर नहीं। बयानबाजी के बावजूद, वैश्विक र्थव्यवस्था इस तरह के एकीकरण के लिए विक्सित हुई है कि अलग होना बेहद मेहेंगा और दर्दनाक होगा यूनाइटेड स्टेट्स और चीन, दोनों के लिए। हे वा: यह मेरे लिए भी दिलचस्प रहा हैं कि चीन को जो आलोचना मिली हैं, उसे देखने। उदाहरण के लिए, मृतकों की संख्या कम बताने के लिए उनकी आलोचना की गयी हैं, यकीनन, डॉ ली को बुरा दिखाने की कोशिश के लिए भी, वुहान के डॉक्टर जिनहोने करोनावैरुस के बारे में पहले सचेत किया था। मैंने रिपोर्ट देखी "न्यूयॉर्क टाइम्स" में वेइबो उपयोगकर्ता डॉ। ली की अंतिम पोस्ट पर बार-बार पोस्ट कर रहे हैं और उनके लिए इसे एक तरह की जीवित स्मारक के रूप में उपयोग करते हुए उनसे बातें कर रहे हैं। ऐसे ही कुछ ८७0,000 टिप्पणियाँ और बढ़ रही है उस आखिरी पोस्ट पर। क्या आप मीडिया में बदलाव देखत रहे हैं? क्या आप चीनी नेतृत्व के दृष्टिकोण में बदलाव देखते हैं कि वास्तव में यह चीन को शायद केंद्र की ओर बढ़ा सकता हैं, बस के रूप में शायद अमेरिका को चीनी मॉडल की ओर अधिक बढ़ने की जरूरत है? हे ह: दुर्भाग्य से, वास्तव में नहीं, क्योंकि मुझे लगता है कि एक रास्ता है सत्तावादी सरकारों और उसके लोगों के बीच संवाद करने के लिए। जिस रात डॉ। ली की मृत्यु हुई, जब यह घोषणा की गई कि वे मर गए , चीनी सोशल मीडिया में धूम मची। उनके साथ अनुचित रूप से मुखबिर के जैसा व्यवहार किया गया था, लेकिन वे फिर भी अस्पताल में काम करने गए और एक डॉक्टर के रूप में लोगों को बचाने की कोशिश की, और उनके मृत्यु हो गई क्योंकि वे भी बीमार पड़ गए। तो गुस्सा था, हताशा थी, और वह सब बाहर आ गया एक मूर्ति को स्मरण करने की तरह जिनके साथ, उन्हें लगता है कि, सरकार ने अन्याय किया। यह फैसला और इस पर एक तरह की आधिकारिक आवाज कि “डॉ ली कौन है? क्या वे एक अच्छे आदमी या बुरे आदमी है? ” पूरी तरह से 180 डिग्री बदल गया। वे, एक दुष्कर्मी डॉक्टर से एक नायक बन गए जिनहोने ने लोगों को सचेत किया था। तो सत्तावादी सरकार के तहत, वे अभी भी बहुत जागरूक हैं जनता की राय के बारे में, लेकिन दूसरी ओर, जब लोग शिकायत करते हैं और जब वे डॉ। ली को याद करते हैं, क्या वे वास्तव में व्यवस्था को बदलना चाहते हैं? और मेरा जवाब हैं नहीं, क्योंकि वे इस विशेष निर्णय को पसंद नहीं करते, लेकिन वे सिस्टम को बदलना नहीं चाहते हैं। और इसका एक कारण है कि वे किसी और प्रणाली के बारे में कभी नहीं, कभी भी नहीं जानते। यह वह प्रणाली है जो वे जानते हैं कि कैसे काम करता है। हे व: कडाई-फ़ेंक क्या हैं, हुआंग? ह ह: ओह, कडाई-फेंक यह हैं कि जब आप किसी और को दोष देते हैं। मूल रूप से, एक कठबोली चीनी के अनुसार कोई जो जिम्मेदार है, वो एक काले कडाई को लिए जाता है। आपको बलि का बकरा बनाया जाता है, किसी बुरे चीज़ के लिए। तो मूल रूप से, ट्रम्प ने इसे "चीनी वायरस" बुलाना शुरू किया, और इसे "वुहान वायरस" बुलाया और कोरोनावाइरस महामारी का पूरा दोष चीनी पर डालने की कोशिश की। और फिर चीनी ने, मुझे लगता है, अमेरिकियों पर वापस कड़ाही फेंक दिया। तो यह बहुत ही मजेदार मजाक था चीनी सोशल मीडिया पर- कड़ाई-फ़ेंक। एक कड़ाई-फ़ेंक कसरत एरोबिक्स व्यायाम वीडियो हैं जो वायरल हो गया। हे व: लेकिन, हुआंग, हमे बताइएं कि आप टिक-टोक पर नृत्य भी कर रहे हैं, है ना? ह ह: ओह बेशक। मैं टिक-टोक पर बहुत कड़ाई-फ़ेंक एरोबिक्स कर रही हूँ। हे व: इस सब से, यह अच्छा हुआ हैं कि यह पता चला हैं कि इस व्यवस्था मैं कुछ अन्यायऐं और असमानताऐं हैं , हमारे पास टूटी हुई संरचनाएं हैं और अगर हम होशियार हैं, तो हम बेहतर पुनर्निर्माण कर सकते हैं। हु ह: हाँ। मुझे लगता है कि इस महामारी में अच्छी बात यह हैं कि हम \महसूस करते हैं कि मानव जाति को एक साथ कुछ करना चाहिए ना कि हमारी जाती प्रतिष्ठित हो, हमारे त्वचा के रंग से या हमारी राष्ट्रीयता से; जो जाहिर है कि यह वायरस किसी के साथ भेदभाव नहीं कर रहा है, चाहे आप अमीर हों या गरीब, महत्वपूर्ण या महत्वपूर्ण नहीं या जो भी त्वचा का रंग या राष्ट्रीयता आप हो। तो यह समय दुनिया के लिए एक साथ रहने का है ना कि दुनिया को अलग करने की कोशिश करने का और वापस अपने ही राष्ट्रवादी गोले के अंदर रेंगने का। हे वा: यह एक खूबसूरत भाव है। हुआंग हंग, बीजिंग से हमारे साथ जुड़ने के लिए धन्यवाद। कृपया स्वस्थ रहे। ह ह: धन्यवाद हेलेन, आप भी स्वस्थ रहे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसी जगह पर TED टॉक दूंगा। हालाँकि, आधी दुनिया के जैसे मैंने भी पिछले चार हफ्ते कोविद - 19, वैश्विक महामारी के कारण लॉकडाउन में गुजारें है। मैं अपने को किस्मत वाला समझता हूँ, कि ऐसे समय में मैं दक्षिणी इंग्लैंड में अपने घर के करीब स्थित जंगल में आ सका। इन जंगलों ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है, और जैसे कि मानवअब यह सोचते है कि हम अपनी क्रियाओं को नियंत्रित करने की प्रेरणा कैसे ढूंढे ताकि मुश्किल बाधाएँ हमारे रास्ते पर ना आएं और उनको पार करने में हमे कठिनाई हो। मैंने सोचा कि ये कि ये एक अच्छा स्थान है बात करने के लिए। मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ - छह साल पहले की बात मैं पहली बार यूनाइटेड नेशन में शामिल हुआ मेरा दृढ़ विश्वास है UN अब विश्व में सहयोग और सहोद्योग को बढ़ावा देने में अद्वितीय महत्वता रखता है। लेकिन जब आप इससे जुड़ते है तो वह आपको यह नहीं बताते कि यह महत्वपूर्ण कार्य मुख्यता अत्यन्त उबाऊ और लम्बी बैठकों के रूप में कराया जाता है। निःसंदेह, अब आपको यह लग सकता है कि आप भी लम्बी और उबाऊ बैठकों में भाग ले चुके है। पर UN की बैठके अलग स्तर की है, और वहाँ पर कार्यरत लोग इनमें अलग स्तर की शांति के साथ शामिल होते हैं, सामान्यतः जो ज़ेन मास्टर्स हासिल कर पाते है। लेकिन मैं इसके लिए तैयार न था। मैं ड्रामा, तनाव, व नवीन खोज की उम्मीद लेकर शामिल हुआ था। मैं ऐसी गति से चलने को तैयार नहीं था, जो कछुआ चाल से भी धीमे थी। ऐसी ही एक बैठक के बीच में मुझे किसी ने एक पत्र पकड़ा दिया और यह और कोई नहीं बल्कि मेरी एक दोस्त, साथी और सह-लेखिका थी, जिसका नाम था क्रिस्टीना फ़िगरिस। क्रिस्टीना UN के जलवायु विभाग की एक कार्यकारी सचिव थी और उसकी UN के प्रति जो जिम्मेदारियां थी, वह बढ़कर पेरिस सहमति बन गयी। मैं उस पर राजनीतिक रणनीति चला रहा था। तो जब उन्होंने मुझे यह पत्र दिया तो मैंने यह कल्पना की कि इसमें इस समस्या जिसमे हम बुरी तरह से फ़से हुए है, मैंने पत्र लिया और उसको देखा, उसमें लिखा था, "दुःखद ! लेकिन चलो प्यार से आगे बढ़ते है ! मुझे यह पत्र कई कारणों से पसंद आया मुझे "दुःखद " शब्द से निकलती हुई लताएँ पसंद आयी । यह मेरी उस वक़्त कि मनःस्थिति को प्रकट करने का एक अच्छा तरीका था । लेकिन मुझे यह विशेष रूप से पसंद आया क्योंकि जब मैंने इसे देखा तब मुझे यह आभास हुआ कि यह एक राजनैतिक अनुदेश है और यह कि क्या हम सफल होंगे? और हम सफलता इस तरीके से पा सकते है । मैं समझाने कि कोशिश करता हूँ, मैं उन बैठकों में स्वयं को नियंत्रित महसूस करता था। मैं ब्रूकलिन, न्यू यॉर्क को छोड़कर बोन, जर्मनी में जा बसा; हालाँकि यह मेरी पत्नी की इच्छा के विपरीत था। मेरे बच्चे अब उस स्कूल में थे जहां की भाषा भी वे बोल नहीं सकते थे, और मैंने सोचा कि मेरे इस त्याग का फल यह होगा कि मैं आने वाली स्थिति पर कुछ हद तक नियंत्रण पा लूँगा। मैंने कई सालों तक यह सोचा कि जलवायु संकट हमारी पीढ़ी की सबसे बड़ी चुनौती होगी और इसके बचने के लिए मैं अपना योगदान देने को तैयार था ताकि मानवता को बचाया जा सके। लेकिन कई अवसरों के मिलने पर भी मेरे तमाम प्रयासों के बावजूद भी बात नहीं बनी मैंने यह एहसास किया की मैं सिर्फ रोज-मर्रा के काम ही कर सकता था। "क्या मैं आज ऑफिस बाइक से जाऊं?" "आज मैं खाना कहाँ पर खाऊँ?" जबकि चीज़ें जी हमारी सफलता को निर्धारित करती वह कुछ ऐसी थीं - "क्या रूस मोलभाव बंद कर देगा?" "क्या चीन गैस उत्सर्जन की जिम्मेदारी लेगा ?" "क्या यूनाइटेड स्टेट्स गरीब देशों की जलवायु बदलाव के वक़्त मदद करेगा?" अंतर बहुत बड़ा था, शुरुवात में मैं अपनी सोच और इन बातों का तालमेल नहीं बैठा सका। मुझे बुरा लगा। मैंने यह सोचना शुरू कर दिया कि मैंने गलती कर दी है, मैं तनाव में आ गया। लेकिन उस समय भी मुझे यह अहसास हुआ कि मैं जो भी महसूस कर रहा था वह बिलकुल वैसा था जैसा मैंने तब महसूस किया था जब मैंने जलवायु संकट के बारे में पहली बार सुना था। मैंने अपने किशोरावस्था के कई रचनात्मक साल बौद्ध साधू की तरह व्यतीत किये, लेकिन मैंने मठवासी जीवन को छोड़ दिया क्योकि 20 साल पहले भी मुझे यह लगने लगा था कि जलवायु संकट करीब है और मुझे अपना योगदान देना है। लेकिन जैसे ही मैंने अपने को संसार से दोबारा जोड़ा, मैंने यह सोचा कि मैं क्या नियंत्रित कर सकता हूँ। यह मेरा और मेरे परिवार द्वारा किये हुए उत्सर्जन का कुछ टन था, किस राजनीतिक पार्टी को मैंने सालों तक वोट दिया, मैं कितने जुलूसों में गया। फिर मैंने मुद्दे को देखा जो परिणाम को निर्धारित करेगा और वे थे बड़े राजनीतिक मोल-भाव, बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे पर खर्च करने कि योजना जैसा कि हर कोई करता है। इसमें फिर से इतना अंतर था कि मैं उसे किसी तरीके से ख़त्म नहीं कर सकता था। मैंने प्रयास जारी रखा, लेकिन कुछ हुआ नहीं। मुझे बेहद दुःख हुआ। हमें पता है कि बहुत से लोग इसे अनुभव कर सकते है। शायद आपको भी यह अनुभव हुआ हो। जब हमें एक बड़ी चुनौती का सामना करते है तो हमें नहीं लगता कि हमारे पास कोई नियंत्रण है तब हमारा मन रक्षा के लिए छोटी सी तरकीब कर सकता है हमें यह बिल्कुल स्वीकार नहीं कि कठिन समय में हम खुद पर नियंत्रड खो दे, इसीलिए हमारा दिल ये बताएगा कि शायद ये इतना आसान नहीं है, शायद यह उस तरह नहीं हो रहा जैसा लोग कहते है। या फिर ये अपनी भूमिका फिर निभा रहा है "तुम अकेले कुछ नहीं कर सकते, तो कोशिश ही क्यों करना ?" लेकिन यहां पर कुछ गड़बड़ हो रहा है। क्या यह वास्तव में सच है कि मनुष्य इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर निरंतर काम करते रहेंगे जब उन्हें यह महसूस होगा कि वे इसे काफी हद तक नियंत्रण करते रहेंगे। इन तस्वीरों को देखिये। ये लोग नर्स और देखभाल करने वाले है, जो मानवता को कोविद- १९, जो पूरे विश्व में पैर पसर चुक है, से बचाने में मदद कर रहे है, ये लोग पिछले कुछ महीनों से कार्यरत है। क्या ये लोग बीमारी को फैलने से बचा पाए ? नहीं। क्या ये लोग संक्रमित लोगों को मरने से बचा पाए कुछ लोग तो बच गए, लेकिन कुछ लोग नियंत्रड में नहीं आ सके। पर क्या यह उनके योगदान को व्यर्थ बनता है ? दरअसल ऐसा कहना अपमानजनक होगा। क्योंकि ऐसी आपदा में भी ये लोग मानवता को बचाने का काम कर रहे है। और यह कार्य बेहद प्रशंसनीय है, आप इन तस्वीरों को देखिये आपको यकीन हो जाएगा कि ये लोग जो साहस और इंसानियत दिखा रहे है वह उनके काम को और भी महत्वपूर्ण साबित करता है फिर चाहे भले ही परिणाम उम्मीदों पर खरा ना उतरे। यह काफी रोचक है, क्यूंकि यह ये दर्शाता है कि हम कोई भी कार्य निष्ठा और लगन से कर सकते है चाहे उसका परिणाम हमारी पहुँच से दूर हो। लेकिन यह हमारे सामने एक दूसरी चुनौती खड़ी कर देता है। हम जलवायु संकट से बचने के लिए जो काम करते है वह इसके प्रभावों से हट के है। जबकि इन तस्वीरों में नर्सेज विश्व को बदलने का बुलंद लक्ष्य नहीं रखती है बल्कि इनको जीवन का प्रेरणा जरूरतमंदो कि मदद से मिलती है । जलवायु संकट से निपटना इससे काफी अलग है। पहले मैं यह सोचा करता था कि हम उस संकट से काफी दूर है और जलवायु संकट का प्रभाव भविष्य में काफी दूर है। लेकिन हम अब उस भविष्य में आ चुके है। सारे महाद्वीप अब संकट में है। शहर जल में समाये जा रहे है। कई देश डूबने कि कगार पर है। आज लाखों लोग जलवायु संकट के कारण पलायन करने को मजबूर है। चाहे भले ही यह संकट हमारे करीब हो, फिर भी कुछ ऐसा है जो हमे इसे महसूस होने नहीं देता। हमें लगता है कि ये चीज़ें दूसरी जगह, दूसरे लोगों के साथ होती है या फिर इस तरह से होती है जिससे हम अभी तक अभ्यस्त नहीं हुए है। भले ही यह नर्सो जैसे मानव प्रकति के बारे में नही है, उतना प्रत्यक्ष नहीं है फिर भी हम जलवायु संकट से निबटने का तरीका खोज निकालेंगे। बल्कि ऐसा करने का एक तरीका है - अगर हम सब एकजुट होकर, सामंजस्य बैठा कर, सभी के सहयोग से इस लक्ष्य को पाने की कोशिश करे, तो हम अवश्य सफल होंगे। इतिहास में यह एक प्रभावशाली तरीका रहा है। मुझे एक ऐतिहासिक कहानी सुनाने का मौका दीजिये। अभी मैं अपने घर के समीप दक्षिड़ी इंग्लैंड के जंगलों में हूँ। ये लंदन से ज्यादा दूर नहीं है। 80 साल पहले यह शहर हमले के अंतर्गत आता था। 1930 के अंत में, ब्रिटेन के लोग कुछ भी करने ओ तैयार थे युरोप मे हिटलर से बचाव करने इज वास्तविकता का सामना नही करना चाहते थे पहले विश्व-युद्ध कि यादें अभी ताज़ा थी, वे नाज़ी के गुस्से से डरे सहमे हुए थे, वे वास्तविकता से बचने के लिए कुछ भी करने को तैयार नहीं थे। अंत में उन्हे सामना करना पडा । चर्चिल को कई चीज़ों के लिए याद किया जाता है, उसमे सारी चीज़ें पॉजिटिव नहीं है, लेकिन युद्ध के शुरुआती दिनों में ही उन्होंने ब्रिटेन के लोगों द्वारा सुनाई जाने वाली कहानी ही बदल दी, जो "वो क्या कर रहे थे?" और "क्या आने वाला था?" पर निर्भर थी। जहाँ पहले घबराहट और बेचैनी थी, वहाँ अब शांति, एक आइलैंड, एक अच्छा समय, एक बेहतर पीढ़ी, एक देश जो तटों, पहाड़ियों और गलियों में लड़ेगा और हार नहीं मानेगा। घबराहट और बेचैनी से वास्तविकता से सामना करने तक का बदलाव जो कुछ भी था, उसका युद्ध को जीतने का कोई ताल्लुक नहीं था। वहाँ युद्ध जीतने जैसा कोई समाचार नहीं था, यहाँ तक कि कोई मित्र सेना के सहयोग से जीतने की संभावना बढ़ गयी, ऐसा भी कुछ नही था। यह केवल एक वरीयता थी। एक गहरा और अडिग आशावाद का उदय हुआ, इसने घिरते अंधकार को नहीं दबाया पर इससे भयभीत होना छोड़ दिया। ये अडिग आशावाद बेहद शक्तिशाली है। इसमें हम अपनी जीत के बारे अथवा एक अच्छे भविष्य के बारे में नहीं सोचते हैं। यह हमें उत्साहित कर हमें प्रेरणा देता है। हमे उस समय से पता है कि खतरे और चुनौतियों के बावजूद भी वह एक विचारपूर्ण समय था और विभिन्न स्रोतों के अनुसार सभी कामों को तबज़्ज़ो दी गयी थी चाहे वह युद्ध में लड़ने वाले के पाइलट हो या आलू के ठेले लगाने वाले विक्रेता हो। उन्होंने एक समान लक्ष्य और समान परिणाम को पाने के लिए एकजुट होकर काम किया। इस बात का इतिहास गवाह है। यह गहरे और निर्धारित आशावाद का वक अनूठा जोड़ है जब आशावादी सोच एक निर्धारित क्रिया को जन्म देती है तब आत्मनिर्भरता बिना रुकावट के आती है। बिना किसी काम की कोशिश किये यह आशावादी सोच केवल एक मनोदृष्टि है। पर ये दोनों साथ में कोई भी मुद्दे का निराकरण करके विश्व को बदल सकते है। हमने यह कई बार देखा है। हमने इसे देखा जब रोजा पार्क ने बस से उठने से मना कर दिया। हमने यह गाँधी के डंडी-मार्च में देखा था, जब स्फ़्रागेटिस ने कहा था "साहस हर जगह साहस को पुकारता है। " और जब कनैडी ने कहा था कि दस साल के अंदर एक इंसान को चाँद पर भेज देंगे। इन सब चीज़ों ने युवा पीढ़ियों को उत्साहित किया उनको बुरी परिस्थितियों का सामना करके एक समान लक्ष्य की ओर बढ़ने को प्रेरित किया हालाँकि लोगो को इसको प्राप्त करने का तरीका नहीं पता था इन सभी मामलों में, एक वास्तविक व कड़वी लेकिन निर्धारित आशावादी सोच सफलता का परिणाम नहीं थी बल्कि सफलता का कारण थी। ठीक उसी तरह जैसे पेरिस समझौते की राह में इस सोच ने परिवर्तन ला दिया। वो चुनौतीपूर्ण, जटिल, निराशावादी बैठकें आसान हो गयी जब कई लोगों को यह अहसास हुआ कि यह काम करने का सही पल है और हमें कोई गलती नहीं करनी है, और हमें हर संभव परिणाम तक पहुँचना है। ज्यादातर लोगों ने इस नजरिये से अपने आप को परिवर्तित किया और काम पर जुट गए और अंत में यह तरकीब काम आयी और गति कि लहर में हमने चुनौतीपूर्ण मुद्दों पर ऐसा काम किया जैसा हमने कभी ना सोचा था। आज कई सालों बाद, व्हाइट-हाउस के असहयोग के साथ, जो भी हमने गतिमान किया था उसका अभी भी खुलासा नहीं हुआ है। और हमारे पास आने वाले महीनों और सालों में जलवायु संकट से लड़ने के लिए सब कुछ उपस्थित है। इस समय हम लगभग सभी की ज़िन्दगी के सबसे जटिल वक़्त से गुजर रहे है। वैश्विक माहमारी भयावह है चाहे भले ही इसमें हमने किसी अपने को न खोया हो फिर भी इसने हमे यह अहसास करा दिया कि हम किसी बड़े बदलाव के लिए अभी भी शक्तिहीन है। हम उस हद तक पहुँच गए जहाँ आधी मानवता ने असुरक्षित लोगों को बचाने के लिए कड़े कदम उठाये। यदि हम यह करने में सक्षम है, तो शायद हमे इस बात का अंदाज़ा नहीं कि हम सब एक समान चुनौती से बचने के लिए किस हद तक जा सकते है। अब हमें इस "शक्तिहीन" की कहानियों से आगे बढ़ाना होगा क्योंकि आने वाला जलवायु संकट इस महामारी से कई गुना ज्यादा घातक साबित हो सकता है यदि हम अभी भी सतर्क न हुए। हम इस संकट जो हमारी तरफ तेजी से आ रहा है, इसको अभी भी टाल सकते है। हम अब इस "शक्तिहीन" अहसास को अब और नहीं महसूस कर सकते है। सच्चाई तो यह है कि आने वाली पीढ़ी इस समय को मुड़कर विस्मयपूर्वक देखेगी जहाँ हमारे सामे दो रास्ते है- पहला सुधरे हुए भविष्य का, दूसरा जहाँ सब कुछ नष्ट हो गया। और सचाई यह भी है कि इस बदलाव में बहुत कुछ अच्छे से निपट रहा है। शुद्ध ऊर्जा की कीमत कम हो रही है। भूमि का पुनर्जन्म किया जा रहा है। लोग गलियों में निकल कर उत्साह व दृढ़ता से बदलाव के लिएउस तरह गुहार लगा रहे है जैसा हमने पीढ़ियों से नहीं देखा। वास्तविक सफलता और असफलता दोनों ही संभव है इसीलिए ये हमारे जीवन का विशेष समय है। हम इसी क्षण यह निर्णय ले सकते है कि हम इस चुनौती को साहसिक, वास्तविक और दृढ आशावाद के साथ स्वीकार करेंगे और हम हर संभव प्रयास के साथ इस महामारी से एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ने के लिए नए रास्ते खोज निकालेंगे। हम यह निश्चय करें कि हम मानवता के लिए आशा के प्रकाश बनेंगे फिर चाहे आने वाले दिन कितने ही अंधकार से भरे हुए हों। हम यह भी निश्चय करेंगे कि हम अपनी जिम्मेदारी स्वयं लेंगे और 10 साल के अंदर उत्सर्जन कम से कम 50 % घटा देंगे। और हम सरकार और निगम की नीतियों में स्वयं को संलघ्न करके ये निर्धारित करने में मदद करेंगे कि इस आपदा से निबट कर एक बेहतर कल बनाने के लिए जरूरी कदम उठाये जा रहे है कि नहीं। अभी ये सारी चीज़ें करना संभव है। मैं उस बात पर लौटता हूँ जहाँ एक उबाऊ बैठक में मुझे कृष्टीना ने मुझे एक पत्र दिया था जिसे देखने के बाद मुझे मेरे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण अनुभव याद आये थे। सब चीज़ों में एक चीज़ जो मैंने सन्यासी जीवन से सीखी वह यह है कि उज्ज्वल मष्तिष्क और हर्षित ह्रदय जीवन का मूल और लक्ष्य है। यह दृढ आशावाद, प्यार का ही एक रूप है। यह दोनों ही है - एक ऐसा संसार जो हम बनाना चाहते है और तरीके जिनसे हम उसे बनाते है। यह हम सब के लिए एक विकल्प है इस मुश्किल घड़ी का सामना यदि हम एक आशावादी सोच के साथ करें तो यह हमारी ज़िन्दगी को सार्थक और लक्ष्य से भर सकती है। इस तरह से हम इतिहास का चक्र पर हाथ रख कर उसे मनचाहे भविष्य कि तरफ मोड़ सकते है। यह हकीकत है कि जीवन अब नियंत्रण से परे महसूस होता है, यह डरावना और भयावह प्रतीत होता है। लेकिन हमे आने वाली इन मुश्किल परिस्थितियों में लड़खड़ाना नहीं है। हमें इनका एक दृढ आशावाद के साथ सामना करना है। हाँ, इस समय में वैशविल स्तर पर बदलाव देखना दुखःद है लेकिन हमे प्यार से आगे बढ़ना है। धन्यवाद। हेलेन वाल्टर्स: तो, क्रिस, कौन पैहले है. क्रिस एंडरसन: ठीक है, हमारे पास एक आदमी है जो महामारी के बारे में चिंतित रहा है लगभग पूरा जीवन उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, 40 से अधिक साल पहले, दुनिया को चेचक से छुटकारा पाने में और 2006 में, दुनिया को चेतावनी देने के लिए TED में आयें एक वैश्विक महामारी के भयावह जोखिम, और हम इसके बारे में क्या कर सकते हैं। तो कृपया स्वागत करें डॉ लैरी ब्रिलियंट लैरी, आपको देखकर अच्छा लगा लैरी ब्रिलियंट: धन्यवाद, तुम्हें देखकर लगा CA: लैरी, उस बात में, आपने एक अनुकरण का वीडियो क्लिप दिखाया था जो महामारी कैसा लग सकता है, दर्शात्ता था मैं इसे दिखाना चाउंगा इसने मुझे भयभीत कर दिया। लैरी ब्रिलियंट: मैं आपको एक अनुकरण दिखाता हूं की महामारी कैसी दिखती है, ताकि हमें पता रहे कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं। चलो मान लेते हैं, उदाहरण के लिए, यह पहला मामला दक्षिण एशिया में होता है। यह शुरू में काफी धीरे-धीरे बढ़ता है, आपको दो या तीन असतत स्थान मिलते हैं। फिर द्वितीयक प्रकोप होता है। और बीमारी फैल जाती है इतनी तेजी से एक देश से दूसरे देश में कि आपको पता नहीं चलेगा कि आपने क्या मारा। तीन सप्ताह के भीतर, यह दुनिया में हर जगह होगा। अगर हमारे पास एक पूर्ववत बटन रहता था, और हम वापिस जा सकते थे और इससे अलग कर के पक्कड़ सकते थें जहाँ से यह शुरू हुआ था अगर हम इससे शुरू मैं ही ढूंढ पाते और जल्दी प्रतिक्रिया कर पातें , और हम हर एक वायरस को रख देतें जेल में, यही एकमात्र तरीका है एक महामारी के साथ भिड़ने का । सीए: लैरी, वह वाक्यांश आपने वहां बताया, "प्रारंभिक खोज," "प्रारंभिक प्रतिक्रिया," यह उस वार्ता का एक प्रमुख विषय था, आपने हम सभी को इसे कई बार दोहरवाया । क्या वह अभी भी कुंजी है महामारी को रोकने के लिए? LB: ओह, निश्चित रूप से। आपको पता है जब एक महामारी आता है, तेज गति से चलती हुई कोई चीज़, यदि आप पहले दो सप्ताह चूकते हैं, यदि आप पहले दो सप्ताह देर हो जातें हैं, सिर्फ मौत और बीमारी नहीं है जिससे पहले दो हफ्तों से आप हारते हैं, यह चरम के दो सप्ताह है। यदि आप जल्दी कार्य करते हैं तो आप उन्हें रोका पातें है। प्रारंभिक प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है, शुरुआती पता लगाना एक शर्तीया जरूरत है। CA: और आप दुनिया को कैसे ग्रेड देंगे इसकी शुरुआती पहचान पर और COVID-19 की प्रारंभिक प्रतिक्रिया पर? LB: बेशक, आपने मुझे दिया यह सवाल पहले ही दिया था , इसलिए मैं इसके बारे में बहुत सोच रहा हूं। मुझे लगता है कि मैं देशों के माध्यम से जाऊँगा , और मैंने वास्तव में एक सूची बनाई है। मुझे लगता है कि ताइवान के द्वीप गणराज्य, आइसलैंड और निश्चित रूप से न्यूजीलैंड को ए मिलेगा। यूके का द्वीप गणराज्य और संयुक्त राज्य अमेरिका - जो एक द्वीप नहीं है, कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितना सोचते हैं कि हम हैं - को असफल ग्रेड मिलेगा। मैं दक्षिण कोरिया और जर्मनी को बी देता हूं और बीच में ... तोह यह काफी भिन्न प्रतिक्रिया है एक पूरे के रूप में दुनिया लड़खड़ा रही है। हमें गर्व नहीं करना चाहिए अभी क्या हो रहा है CA: मेरा मतलब है, हमने बहुत पहले पता लगा लिया था या कम से कम चीन में कुछ डॉक्टर बहुत पहले पता लगा लिया। LB: 2002 SARS की तुलना में पहले, जिसमें छह महीने लगे। इसमें लगभग छह सप्ताह का समय लगा। और पता लगाने का मतलब केवल इसे खोजना नहीं है, लेकिन यह जानना कि यह क्या है। तो मैं हमें उस पर एक अच्छा स्कोर देता हूँ। पारदर्शिता, संचार - वे अन्य मुद्दे हैं। CA: तो आपके नजर में क्या महत्वपूर्ण गलती उन देशों ने किए जिससे आपने उन्हें F (FEAR) गुट मी रखा LB: मुझे लगता है कि डर, राजनीतिक अक्षमता, हस्तक्षेप, इसे जल्द ही गंभीरता से नहीं लेना - यह बहुत मानवीय है। मुझे लगता है कि पूरे इतिहास में, हर महामारी पहले इनकार और संदेह के साथ देखा जाता है। लेकिन जिन देशों ने तेजी से काम किया, और यहां तक ​​कि जो धीमी शुरुआत करते थे, दक्षिण कोरिया की तरह, वे अभी भी इसके लिए कर सकते हैं, और उन्होंने वास्तव में अच्छा किया। हमने दो महीने खो दिए हैं। हमने एक वायरस को वोह दिया है जो तेजी से आगे बढ़ता है दो महीने की शुरुआत। यह एक अच्छा विचार नहीं है, क्रिस। CA: नहीं, वास्तव में। मेरा मतलब है, उलझन भरी जानकारी अभी भी वहाँ है इस वायरस के बारे में। आपको वैज्ञानिक सहमति क्या लगती है जैसे, दो प्रमुख राय इसकी संक्रामकता का और इसकी घातक दर पर ? LB: तो मुझे लगता है कि जिस तरह का है ध्यान में रखने के लिए समीकरण यह है कि वायरस फैलता है तीन प्रमुख मुद्दों पर निर्भर है एक R0 REVERSE OSMOSIS है, माध्यमिक मामलों की पहली संख्या कि जब वायरस उभर रहे हैं। इस मामले में, लोग इसके 2.2, 2.4 होने की बात करते हैं। लेकिन एक बहुत महत्वपूर्ण कागज तीन हफ्ते पहले, "इमर्जिंग इंफेक्शियस डिसीसेस" पत्रिका में निकली, वुहान डेटा के पीछे देखने पर मालूम चलता है की यह वास्तव में 5.7 है। तो तर्क के लिए, मान लीजिए कि वायरस चल रहा है घातीय गति से और घातांक कहीं 2.2 और 5.7 के बीच है। अन्य दो कारक जो मायने रखते हैं ऊष्मायन अवधि है या जनन का समय। जितना लंबा समय होगा, यह महामारी हमें उतनी ही धीमी प्रतीत होती है। जब यह छोटा होता है,छह दिनों के भीतर, यह बिजली की तरह चलती है। और फिर आखिरी, और सबसे महत्वपूर्ण - और इसे अक्सर अनदेखा किया जाता है - अतिसंवेदनशील का घनत्व है। यह एक नया वायरस है, इसलिए हम जानना चाहते हैं कि इसके कितने ग्राहक संभवतः हो सकतें हैं और जैसा कि यह नया है, यह हम - आठ अरब हैं दुनिया एक वायरस का सामना कर रही है जो हम सभी को समान रूप से देखता है प्रभावित करने के लिये हमारे रंग, जाति से कोई फर्क नहीं पड़ता, या हम कितने अमीर हैं। CA: मेरा मतलब है, कोई भी संख्या जिसकी आपने अब तक का उल्लेख किया है अपने आप में अलग नही है, हाल के वर्षों में किसी भी अन्य संक्रमण से। क्या संयोजन है जिसने इसे इतना घातक बना दिया है? LB: खैर, यह ठीक-ठीक संयोजन है की इसकी छोटी ऊष्मायन अवधि के और उच्च संप्रेषण। क्योंकी आप जानते हैं, इस कॉल पर हर किसी का कोई न कोई बीमार है। अफसोस की बात है, कि कई लोगों ने प्रियजन को खोया है। यह एक भयानक बीमारी है जब यह गंभीर रूप में होता है। और मुझे डॉक्टरों से फोन आते हैं आपातकालीन कमरों से और आईसीयू में लोगों का इलाज करते हुये पूरी दुनिया से, और वे सभी एक ही बात कहते हैं: “मैं कैसे चुनूं कि कौन जिये और कौन मरे? मेरे पास निपटने के लिए बहुत कम उपकरण हैं। ” यह एक भयानक बीमारी है, एक वेंटिलेटर के साथ अकेले मरते हुए और यह एक बीमारी है जो हमारे सभी अंगों को प्रभावित करता है। यह एक श्वसन रोग है - शायद भ्रामक। आप लगता है कि यह एक फ्लू है । लेकिन बहुत सारे मरीज के मूत्र में रक्त मिलता है गुर्दे की बीमारी से, उन्हें आंत्रशोथ है, उन्हे निश्चित रूप से कैइ बार दिल का दौरा होता है , हम जानते हैं कि यह स्वाद और गंध की घ्राण तंत्रिकाओं प्रभावित करता है, हम जानते हैं, निश्चित रूप से, फेफड़े के बारे में। प्रश्न जो मैं पूछना चाहता हूँ : की क्या कोई अंग है जिससे यह प्रभावित नहीं करता है? और इस अर्थ में, यह मुझे चेचक की याद दिलाता है। CA: तो हम मुश्किल मैं हैं। यहाँ से आगे का रास्ता क्या है? LB: खैर, आगे का रास्ता अभी भी वही है। तेजी से पता लगाने, शीघ्र प्रतिक्रिया। हर मामले का पता लगाना, और फिर सभी संपर्कों का पता लगाना। हमें बड़ी नई तकनीक मिली है संपर्क अनुरेखण के लिए, हमें अद्भुत वैज्ञानिक मिले हैं जो प्रकाश की गति से काम कर रहें हैं। हमें परीक्षण किट, एंटीवायरल और टीके देने के लिए। हमें धीमा करने की आवश्यकता है, बौद्ध कहते हैं कि धीरे कर दो समय की रफ़्तार ताकि आप अपना दिल और आत्मा लगा सकें, उस समय में। हमें धीमा करने की जरूरत है इस वायरस की गति को , जिसके कारण हम सामाजिक भेद करते हैं। केवल स्पष्ट करने के लिए -- वक्र को समतल करना, सामाजिक भेद, यह बदलता नहीं है मामलों की पूर्ण संख्या को, लेकिन यह बदलता है जो हो सकता है एक माउंट फ़ूजी जैसी चोटी एक कंपन में, और फिर हम नहीं खोएंगे इंसान अस्पताल के बेड के प्रतिस्पर्धा के कारण, लोग जिनको दिल का दौरा पड़ा है, कीमोथेरेपी, मुश्किल जन्मों में जरूरत है, अस्पताल जा सकतें है, और हम दुर्लभ संसाधन का उपयोग कर सकते हैं विशेष रूप से विकासशील दुनिया में, लोगों का इलाज करने के लिए। तो धीमा हो जाना है, महामारी की गति को धीमा करना है, और फिर गर्त में, लहरों के बीच, कूदो, दोगनी रफ़्तार से, इस पर कदम देना है , और हर मामले का पता लगाएं, हर संपर्क को पता करें, हर मामले का परीक्षण करें, और फिर केवल संगरोध उन्ही को करें जिन्हें अलग करने की आवश्यकता है, और जब तक हमारे पास कोई टीका नहीं मिलता है। CA: तो ऐसा लगता है की हमें सिर्फ न्यूनीकरण की अवस्था से पार जाना है जहाँ हम बस कोशिश कर रहे हैं सामान्य शटडाउन लेने के लिए, उस बिंदु पर जहां हम शुरू कर सकते हैं व्यक्तिगत मामलों की पहचान करना फिर से और उनके लिए संपर्क-साधना और उन्हें अलग से उपचार करना मेरा मतलब है, ऐसा करने के लिए, ऐसा लगता है कि यह लेने जा रहा है समन्वय बढ़ाने कि जरुरत, महत्वाकांक्षा, संगठन, निवेश, हम वास्तव में नहीं देख रहे हैं कुछ देशों में अभी तक के संकेत। क्या हम ऐसा कर सकते हैं, हम यह कैसे कर सकते हैं? LB: ओह, निश्चित रूप से हम यह कर सकते हैं। मेरा मतलब है, ताइवान ने इसे कितनी खूबसूरती से किया, आइसलैंड ने इतनी खूबसूरती से किया जर्मनी, सभी विभिन्न रणनीतियों के साथ, और दक्षिण कोरिया। इसके लिए सक्षम शासन की आवश्यकता है, गंभीरता की भावना के साथ, और वैज्ञानिकों को सुनकर, न की राजनेताओं को । बेशक हम ऐसा कर सकते हैं। सबको याद दिला दूं - यह ज़ोंबी द्वारा लाई गयी कयामत नहीं है, यह एक सामूहिक विलोपन घटना नहीं है। आप जानते हैं, 98, 99 प्रतिशत लोग इससे जीवित बाहर निकलने जा रहे हैं। हमें इससे निपटने की जरूरत है जिस तरह से हम कर सकते हैं, और हमें होना चाहिए खुद का सबसे अच्छा संस्करण। दोनों घर बैठे विज्ञान में भी, और निश्चित रूप से नेतृत्व में। CA: और वहाँ हो सकता है और बदतर रोगजनकों भविष्य में? जैसे, क्या आप चित्रित या वर्णन कर सकते हैं उन नंबरों का और भी बुरा संयोजन कि हमें इसके लिए तयारी शुरू करना चाहिए? LB: ठीक है, चेचक 3.5 से 4.5 का R0 था, इसलिए शायद यही मेरे बारे में है यह COVID होगा लेकिन इसने एक तिहाई लोगों की जान ले ली। लेकिन हमारे पास एक टीका था। तो वे अलग हैं आपके पास जो सेट है। लेकिन मैं ज्यादातर किस बारे में चिंतित हूं, और कारण जो हमने "कंटैजियन" फिल्म बनाया और वह एक काल्पनिक वायरस था - आप जो देख रहे हैं, उनके लिए मैं दोहराता हूं, यह कल्पना है। हमने एक वायरस बनाया जिसने ज्यादा लोगों को मारा वनिस्पत इस वायरस से। CA: आप बात कर रहे हैं "कंटागियन" फिल्म के बारे में वह नेटफ्लिक्स पर ट्रेंड कर रहा है। और आप उस के लिए एक सलाहकार थे। LB: बिलकुल, यह सही है। लेकिन हमने वह फिल्म जानबूझकर बनाई यह दिखाने के लिए कि एक वास्तविक महामारी क्या दिखती है, लेकिन हमने एक बहुत भयानक वायरस का चयन किया। और इसका कारण हमने ऐसा दिखाया, एक चमगादड़ से एक सेब में गया, फिर एक सूअर से रसोइया को, फिर ग्वेनेथ पाल्ट्रो को, क्योंकि वह प्रकृति में है जिसे हम स्पिलओवर कहते हैं, जूनोटिक रोगों के रूप में, जानवरों के रोग, मनुष्यों पर हावी हो जाना। और अगर मैं तीन दशक पीछे देखता हूं या तीन दशक आगे - पिछड़े तीन दशकों से देख रहे हैं, इबोला, सार्स, ज़िका, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, वेस्ट नाइल, हम लगभग एक जिरह शुरू कर सकते हैं और कोलाहल को सुनें इन नामों के ऊपर। लेकिन 30 से 50 नये वायरस थे जो मनुष्य में आयी। और मुझे डर है, आगे देखने पर, हम महामारी के युग में हैं, हमें ऐसा व्यवहार करना होगा, हमें एक स्वास्थ्य का अभ्यास करने की आवश्यकता है, हमें समझने की जरूरत है हम उसी दुनिया में रह रहे हैं जानवरों के रूप में, पर्यावरण, और हमें, और इस कल्पना से छुटकारा पाना है कि हम कुछ विशेष प्रकार की प्रजातियाँ हैं। वायरस के लिए, नहीं। सीए: मम्म। आपने हालांकि टीकों का उल्लेख किया है। क्या आपको कोई त्वरित दिखाई देता है एक टीके का रास्ता? LB: हाँ । मैं वास्तव में उत्साहित हूं कि हम कुछ कर रहे हैं हम केवल यही सोचते हैं कंप्यूटर विज्ञान में, जो हम बदल रहे हैं जो हमेशा से होना चाहिए था, या हमेशा रहा है, बल्कि, कई अनुक्रमिक प्रक्रियाएं। सुरक्षा परीक्षण करें, फिर आप प्रभावशीलता के लिए परीक्षण करते हैं, फिर दक्षता के लिए। और फिर आप निर्माण करते हैं। हम तीनों या चारों चरणों कर रहें हैं, इसे क्रम में करने के बजाय, हम समानांतर में कर रहे हैं। बिल गेट्स ने कहा है कि वह निर्माण करेंगें सात वैक्सीन उत्पादन पंक्तियां संयुक्त राज्य अमेरिका में, और उत्पादन की तैयारी शुरू करेंगें, अंत टीका क्या होगा, यह नहीं पता है। हम एक साथ सुरक्षा और प्रभावकारिता परीक्षण कर रहे हैं। मुझे लगता है कि NIH ने छलांग लगाई है। मैं यह देखकर बहुत रोमांचित हूं। CA: और यह आपके अनुसार कितना समय ले सकता है? एक वर्ष, 18 महीने, क्या यह संभव है? LB: आप जानते हैं, टोनी फौसी इसमें हमारे गुरु हैं, और उन्होंने कहा कि 12 से 18 महीने। मुझे लगता है प्रारंभिक वैक्सीन हम इससे तेजी से करेंगे। लेकिन आपने सुना होगा कि यह वायरस हमें दीर्घकालिक प्रतिरक्षा नहीं दे सकता है - जैसा चेचक देता। इसलिए वैसे टीके बनाने की कोशिश कर रहे हैं जहां हम गुणवर्धक औषधि जोड़ते हैं इससे टिके में बेहतर प्रतिरक्षा बनती है बीमारी की तुलना में, ताकि हमें उन्मुक्ति मिले बहुत सालौ के लिए। इसमें थोड़ी देर लगने वाली है। CA: आखिरी सवाल, लैरी। 2006 में टेड पुरस्कार के विजेता के रूप में, हमने आपको एक इच्छा दी, और आप चाहते थें कि दुनिया में एक महामारी से लड़ने की प्रणाली तयार हो, वह बचाएगा जो अभी हो रहा रहा है मुझे लगता है कि हम, दुनिया, आपको निराश किया है। यदि आप अभी एक और इच्छा करना चाहते थे, वह क्या हो सकता है? LB: ठीक है, मुझे नहीं लगता कि हम निराश हैं पता लगाने की गति के मामले में। मैं वास्तव में बहुत प्रसन्न हूं। जब हम 2006 में मिले, एक जानवर से मानव में छलांग लगाने की एक वायरस की औसत, यह पता लगाने में हमें छह महीने लगे - उदाहरण के लिए पहले इबोला की तरह। अब हम खोज रहे हैं दो सप्ताह में पहले मामले। मैं उस बारे में दुखी नहीं हूँ, मैं इसे नीचे धकेलना चाहूंगा एक ऊष्मायन अवधि के लिए। यह मेरे लिए एक बड़ा मुद्दा है। मैंने जो पाया वह अंदर है चेचक का उन्मूलन कार्यक्रम सभी रंगों के लोग, सभी धर्मों, सभी जातियों, इतने सारे देश, एक साथ आए। और इसने एक वैश्विक समुदाय के रूप में काम किया एक वैश्विक महामारी को जीतने के लिए। अब, मुझे लगता है कि हम शिकार हो गए हैं केन्द्रापसारक ताकतों के। हमने अपने आप को राष्ट्रवादी किलेबंदी कर किए है। हम एक महामारी को जीतने में सक्षम नहीं होंगे जब तक हम विश्वास नहीं करते हम सब इसमें एक साथ हैं। यह कुंभ राशि का कुछ काल नहीं है, या कुंबाया बयान, यह एक महामारी है हमें महसूस करने के लिए मजबूर करता है। हम सब इसमें एक साथ हैं, हमें एक वैश्विक समाधान की आवश्यकता है एक वैश्विक समस्या के लिए। उससे कम कुछ भी अकल्पनीय नहीं है। CA: लैरी ब्रिलियंट, आपका बहुत धन्यवाद। LB: धन्यवाद, क्रिस। अब जिस वक्ता को मैं आपके सामने प्रस्तुत करने वाला हूँ उनके बारे में मेरा यह मानना है कि मैं सोचता हूँ लफ्ज़ों का जो इस्तेमाल है उनसे बेहतर ना कोई जानता है, न कोई समझता है। अपने चालीस साल के लेखन व्यवसाय में उन्होंने इतनी खूबसूरती से लफ्ज़ों का इस्तेमाल किया है और इतनी अलग तरह से। जैसे खिलता गुलाब... जैसे बच्चन साहब का मुँह तोड़ जवाब... (हँसी) जैसे उर्दू कविता की सबसे अधिक बिकने वाली किताब... जैसे, अच्छा, क्या कहूं... सिर्फ़ जावेद अख़्तर साहब। (तालियाँ) जी हाँ। (तालियाँ) कृप्या मंच पर स्वागत कीजिए माननीय जावेद अख़्तर साहब का। (प्रशंसा .... . तालियाँ) दोस्तों, विषय बड़ा दिलचस्प है और मेरे दिल के बहुत करीब है। एक बड़ी अजीब सी बात है कि जो चीज़ें हमारे सामने होती हैं, हमारे करीब होती हैं उनके बारे में हम ज़रा कम सोचते हैं| कितने लोग सोचते हैं कि हवा पारदर्शी क्यों होती है? पानी गीला क्यों होता है? कितने लोग सोचते हैं कि यह क्या चीज़ है जो गुज़र रही है, कितना वक़्त गुज़र गया, क्या आया, क्या गुज़र गया? कितने लोग हैं जो सोचते हैं ऐसे ही... हम जो सुबह से लेकर शाम तक शब्द बोलते रहते हैं और सुनते रहते हैं, कितनी बार हमने सोचा की ‘शब्द’ हैं क्या? यह बड़ी अजीब चीज़ है शब्द। आप एक बार देखिए एक जानवर है, उसे देखकर मैंने तय कर लिया बिल्ली है। अभी बिल्ली तो ध्वनि है। बिल्ली का इस जानवर से कोई वास्ता नहीं। लेकिन मैंने तय कर लिया बिल्ली है। चलिए, यानि मैंने इस ध्वनि में यह इस जानवर के मायने भर दिए। उसके बाद मैंने एक अर्द्ध वृत्त बनाया, एक पिरामिड बनाया जिसे बीच से काट दिया, फिर एक सीधी लकीर खींची, फिर नीचे एक सीधी लकीर खींच दी, यह बिल्ली लिखा हुआ है| ये टेढ़ी मेढ़ी लकीरों में ध्वनि भर दी, और ध्वनि में अर्थ भर दिया। अब यह तो बिल्ली है। अब चाहे वो मोहब्बत की बातें हों, या गुस्से की बात हो, ख़्याल हो, कि सोच हो, कि दर्द हो, कि ग़म हो, कि ख़ुशी हो, हैरत हो। हर चीज़ को आपने ध्वनि दे दी। और उन ध्वनियों, टेढ़ी मेढ़ी लकीरें जिन्हे हम लिपि कहते हैं, लेखन कहते हैं, वह दे दिया। तीन चीज़ें जिनका एक दूसरे से कोई वास्ता नहीं था, उन्हें जोड़ के आपने शब्द बना दिए। मतलब, ध्वनि जो कि असल में बड़बड़ाना ही है, हमने डाल दिया उसमें। और ये जो लकीरें, टेढ़ी मेढ़ी लकीरें, ये शब्द हो गए। कमाल की चीज़ है! और वक़्त के साथ मुझे ऐसे लगता है कि शब्द भी जो हैं, शब्द जो हैं, ये इंसान की तरह बन गए हैं| मनुष्य की पहचान उसकी संगत से होती है। उसी तरह शब्द की भी। यह शब्द किसकी संगत में रहा है? इसके साथ कौन से शब्द इस्तेमाल होते रहे हैं? एक औसत संज्ञा या औसत क्रिया से, एक औसत दिमाग में कितने सन्दर्भ बनते हैं जल्दी से? कहाँ सुना था? क्या देखा था? इससे क्या याद आता है? इसका सम्बन्ध क्या है? कब यह बात हुई थी? क्या मेरा अनुभव है इससे? एक भीड़ आती है यादों की। आप जब सुनते हैं शब्द को, जब याद आता है और अच्छा लेखक या अच्छा बोलने वाला वह है जो यह जाने कि मैं जो शब्द इस्तेमाल करूँगा तो एक औसत दिमाग में सन्दर्भ क्या बनेंगे, कौन सी चीज़ें उसे याद आएँगी। तब वह शब्द के चारों तरफ सही वातावरण बना सकेगा। और इसकी शक्ति क्या है, इस शब्द की? कि वह लोरी हो माँ की, या नेता की तक़रीर हो, या किसी प्रेमी के मोहब्बत भरे खत हों, या किसी की शिकायत हो या कोई इन्कलाब का नारा हो... गुस्सा हो, ग़म हो, ख़ुशी हो, हैरत हो, अपनापन हो, गैरियत हो, दुनिया की कोई चीज़, दुनिया का कोई ख़्याल, दुनिया का कोई जज़्बा, दुनिया की कोई भावना, कोई एहसास... वह जब तक शब्द में नहीं ढलेगा... तो पूरी तरह दूसरे तो जाने दीजिए, आप खुद भी नहीं समझ पाएँगे। शब्द, शब्द जो हैं वे विचार नहीं हैं, जैसे कि ईंटें मकान नहीं हैं। लेकिन मकान ईंटों से बनते हैं। अगर ईंटें कम हैं तो छोटे मकान बना पाएँगे आप। आपके पास जितने शब्द होंगे, उतना स्पष्ट आप सोच सकते हैं और उतना स्पष्ट आप अपना सन्देश दे सकते हैं| आज कल मैं अक्सर सुनता हूँ, खास कर के युवाओं से, “आप तो जानते ही हैं मेरा क्या मतलब है”। तो मैं उनसे कहता हूँ कि मुझे नहीं पता तुम्हारा क्या मतलब है, बताओ? “आप जानते हैं मेरा क्या मतलब है” में शब्द ख़त्म हो रहे हैं। तो हर चीज़ तेज़ हो गई है, तो संवाद भी तेज़ हुआ है। लेकिन दुख की बात यह है कि ये जो शब्द हैं, जो इनका इस्तेमाल है, गहराई के मूल्य पर हमने यह गति हासिल की है। जल्दी तो बोल रहे हैं, जल्दी तो हो रहा है, इसलिए कि ज़ाहिर है कि हर चीज़ तेज़ हो गई तो ज़बान भी तेज़ हो गई, संवाद भी तेज़ हो गया। लेकिन इस संवाद की तेज़ी में जो गहराई थी वह चली गई। इसके मतलब ये हैं कि बाकियों का ग़म मत कीजिए... आप अपना ही ग़म देखिए... कि आप अपनी बात, अपना एहसास, अपना जज़्बा, अपनी भावना, पूरे विस्तार से, सही तरह से नहीं बता पा रहे हैं। अब ये शब्द हैं, जब तक कि ये शब्द जो हैं, ये शब्द जो हैं ये सिर्फ मतलब के लिए नहीं हैं। ये एक प्रवहणी पट्टा भी हैं। भाषा के, शब्द जो कि आपकी संस्कृति, आपकी परंपरा, आपकी प्रथा, आपका उत्तराधिकार, जो आपका सांस्कृतिक धन है सदियों का, पीढ़ियों का, वे सब इन्हीं शब्दों के साथ चलते हैं। इंसान को एक तरह के शब्दों से काट दीजिए, वह एक संस्कृति से कट जाएगा, वह एक इतिहास से कट जाएगा। यह हमारे साथ हो रहा है। तो भाषा बहुत शक्तिशाली चीज़ है। शब्द बहुत शक्तिशाली हैं। लेकिन अपने अंदर न वे अच्छे हैं न बुरे, अगर हम शब्दों से मोहब्बत शुरू करें और हम जानें कि इनकी ताकत क्या है, इसलिए कि दुनिया में जो कुछ हुआ है वह तो शब्दों से ही हुआ है। वरना होता ही नहीं। हममें और बाकी जो जीव जन्तु हैं, जो जानवर हैं, हम भी जानवर हैं, लेकिन एक फर्क है। कि हम एक पीढ़ी शब्दों में अपना अनुभव... अपना शऊर, अपनी समझ, अपना तज़ुर्बा जमा कर के दूसरी पीढ़ी को दे सकते हैं। तो हम सिर्फ मूल प्रवृत्ति पर नहीं जीतें हैं, हम धीरे-धीरे, धीरे-धीरे, सदियों का जो अनुभव है, सदियों का जो ज्ञान है वे कैसे आगे बढ़े हैं... शब्दों में, और कैसे ? और अगर वे शब्द न हों, तो फिर धीरे-धीरे, धीरे-धीरे हमारा जो लाभ है दूसरी जातियों पर वह कम होता ही चला जाएगा। और हमारा जो, हम आगे इतने निकल गए इसलिए कि हमारे पास ज़बान थी। अगर ज़बान नहीं होती तो हम यहाँ नहीं होते। हम वहीं होते जहाँ से शुरू हुए थे। और ज़बान का क्या मतलब है? शब्द! तो शब्दों की इज़्ज़त कीजिए। शब्दों से मोहब्बत कीजिए। शब्दों से दोस्ती कीजिए। उन्हें ध्यान से सुनिए, और उन्हें ध्यान से बोलिए। शुक्रिया! (तालियाँ) बहुत-बहुत शुक्रिया जावेद साहब। आप यहाँ पर हमारे बीच में आए। और इतनी अच्छी-अच्छी खूबसूरत बातें आपने कहीं। जावेद साहब को मैं तब से जानता हूँ जब से मैं मुंबई आया हूँ, तकरीबन २५ साल हो गए। - मैं बहुत छोटा था। - हाँ। अभी भी छोटे ही हैं, श्रीमान जी, आप। मेरी बहुत सारी शिक्षा, बहुत सारे ख़्यालात बहुत सारी चीज़ें जो मैंने सीखी हैं वे जावेद साहब से सीखी हैं। एक छोटा सा किस्सा बताऊँगा मैं आपको इनके बारे में। एक बार यह हमसे बहुत नाराज़ हो गए थे। हम एक फिल्म में इनके साथ काम कर रहे थे। इनको कभी-कभी नाराज़गी हो जाती है, जब हमारे जैसे अनपढ़ लोग इनको सुझाव देते हैं कि जावेद साहब यह वाला अगर शब्द हो तो। तो हमारी फिल्म का नाम था कुछ कुछ होता है और इनको लगा यह शीर्षक ठीक नहीं है। और बहुत नाराज़ थे हमसे, तो एक बार एकदम गुस्सा हो कर, हम सब बच्चे ही थे और अभी भी हैं जावेद साहब के हर तरह से, सीखने में, उम्र में भी और इन्होंने ऐसे नाराज़गी में, 'यार तुम लोग जो ऐसे कर रहे हो, यह ले लो यार तुम कि अब तो मेरा दिल जागे ना सोता है, क्या करूँ हाय कुछ कुछ होता है यह चाहिए तुम्हें? यह लो तुम यार।' हाँ, जो वास्तव में शब्द हैं उस गाने के जावेद साहब ने ऐसे ही गुस्से में हम पर फैंक दिए थे। और वह गाना इतना चला, तो जब यह गुस्से में शब्द फैंकते भी हैं, तो वे जो हैं असल में सुनहरे शब्द बन जाते हैं| तो इनकी यह ख़ासियत है| (तालियाँ) देखिए जो किस्सा सुनाया शाहरुख़ साहब ने बिलकुल सच्चा है, यह जो था शीर्षक, कुछ कुछ होता है; ज़रा मैं चौंका, मुझे कुछ थोड़ा लगा कि प्रतिष्ठा इसमें कम है। (हँसी) इसका वैसे, मैं आपको ईमानदारी से बताऊँ.. मुझे दुख बहुत है कि इतनी सुपरहिट और इतनी अच्छी फिल्म छोड़ दी, शीर्षक की वजह से। तो मैंने फिल्म छोड़ दी तो बाद में मुझे भी बहुत शर्मिंदगी हुई कुछ दुख भी हुआ। तो हमने कहा चलो ठीक है जो हो गया सो हो गया, अगली फिल्म में करेंगे। तो फिर मैंने उनकी यह फिल्म जो है कल हो ना हो तो मैंने उनसे कहा कि अपनी जगह बाकी बातें हैं, लेकिन मैं आपके "दो कुछ" का कर्ज़दार हूँ, "दो कुछ"। तो मैं एक गाना लिख के वे "दो कुछ" आपको वापस कर दूँगा। तो एक गाना मैंने इसीलिए लिखाI कुछ तो हुआ है, कुछ हो गया है (तालियाँ) तो "दो कुछ" मैंने उन्हें दे दिए। देवियों और सज्जनों, एक बार ज़ोरदार तालियाँ जावेद अख़्तर साहब के लिए। (तालियाँ) आपके हाथ, करीब से, कुछ भी लेकिन चिकनी हैं। चोटियों और घाटियों के साथ, सिलवटों और दरारें भी, छिपने के बहुत सारे स्थान हैं एक विषाणु के लिए। यदि आप अपना चेहरा छूते हैं, तब विषाणु आपको संक्रमित कर सकता है। लेकिन असाधारण रूप से सरल दो ऐसे तरीके हैं जिससे आप ऐसा होने से रोक सकतें हैं साबुन और पानी, और हाथ प्रक्षालक। तो कौन सा बेहतर है? वह कॉरोनोवायरस जो COVID-19 का कारण बनता है कई में से एक विषाणु है जिसका सुरक्षात्मक बाहरी सतह चर्बी की दोहरी परत से बना है। ये चर्बी, कील के आकार के अणु होते हैं जिनके सिर पानी की ओर आकर्षित होते हैं, और पूंछ हटातें हैं। इसलिए पानी से भरपूर वातावरण में, लिपिड स्वाभाविक रूप से इस तरह एक खोल बनाते हैं, बाहर के तरफ सिर और अंदर पूंछ। पानी के लिए उनकी साझा प्रतिक्रिया लिपिड आपस में एक-दूसरे से चिपक जाते हैं- इसे हाइड्रोफोबिक प्रभाव कहा जाता है। यह बाहरी संरचना कीटाणु की आणविक यंत्रसमूह को मदद करती है कोशीय झिल्ली को तोड़ कर हमारी कोशिकाओं को बंधक बना लेने में। लेकिन इसमें हजारों की संख्या कमजोर बिंदुओं हैं जहां सही अणु लगाने पर इसे अलग किया सकता है। और यहीं पे साबुन आता है। साबुन के किसी भी ब्रांड की एक बूंद में एक करोड़ शंख अणुओं होते हैं जिन्हे एम्फीफाइल्स कहा जाता है, जो जैविक चर्बी जैसा दिखता है। उनकी पूंछ, जो समान रूप से पानी से दूर जातें हैं, जगह के लिये कीटाणु के चर्बीनुमा खोल से प्रतिस्पर्धा करतें हैं। लेकिन वे बस उतना ही अलग हैं, जितना कीटाणु की झिल्ली की नियमितता को तोड़ने के लिये, जिससे पूरी सरंचना टूट कर बिखर जाती है। येह उभयचरों फिर बुलबुले बनते हैं उन कणों के आसपास कीटाणु के आरएनए और प्रोटीन समेत। पानी से आप धो लेंगे, पूरा का पुरा बुलबुला। हाथ प्रक्षालक एक लोहदंड की तरह कम, वनिसपत एक भूकंप की तरह काम करता है। जब आप एक कोरोनावायरस को पानी से घेर लेते हैं तब हाइड्रोफोबिक प्रभाव, बंधन को झिल्ली के भीतर की ताकत देता है। यही प्रभाव बड़े प्रोभूजिन को पकड़ देती है उस स्थान पर कोरोनावायरस के नोक बनते हैं और उन्हें सक्षम बनातें हैं आपकी कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए। यदि आप वायरस को हवा में सुखाते हैं, यह अपनी स्थिरता बनाए रखता है। लेकिन अब इसे घेर लें शराब की उच्च सांद्रता के साथ, जैसे इथेनॉल या आइसोप्रोपेनॉल जो पाया जाता है सब हाथ के - प्रक्षालक में। यह हाइड्रोफोबिक प्रभाव गायब कर देता है, और अणु को जगह दे देता है इधर उधर घूमने के लिये। समग्र प्रभाव, एक घर से सभी कील और गारा को हटाने जैसा है और फिर इसे भूकंप कि झटका देना। कोशिका का झिल्ली ढह जाता है और प्रोभूजिन के नोक उखड़ जाते हैं। दोनों विधि में, वास्तविक प्रक्रिया जो कीटाणु को मिटाता है सिर्फ एक या दो पल में होता है। लेकिन डॉक्टर कम से कम २० सेकंड तक हाथ धोने की सलाह देते हैं क्योंकी आपके हाथ पर जटिल परिदृश्य है। साबुन और प्रक्षालक को हर जगह पहुंचना है, आपकी हथेलियों और उंगलियों तक, आपके हाथों के बाहरी हिस्से, और उंगलियों के बीच, आपकी पूर्ण सुरक्षा के लिए। और जब बात एक कोरोनावाइरस प्रकोप, की है डॉक्टर आपके हाथ को धोने की सलाह देते हैं जब भी संभव हो साबुन और पानी के साथ। हालांकि दोनों दृष्टिकोण समान रूप से प्रभावी हैं कीटाणु को मारने में , साबुन और पानी के दो फायदे हैं: पहले यह किसी भी गंदगी को धो देता है अन्यथा कीटाणु के कणों को छिपे हो सकतें है। लेकिन अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि, साबुन और पानी से अपने हाथ को पूरी तरह से आवरण करना आसान है २० सेकंड के लिए। बेशक, हस्त प्रक्षालक बाहर में उपयोग करने के लिए अधिक सुविधाजनक है। एक हौदे की अनुपस्थिति में, प्रक्षालक उपयोग करें जितना हो सके और अपने हाथों को आपस में रगड़ें जब तक वे सूख न जाएं। दुर्भाग्य से, अरबों लोग जिनके पास साफ पीने के पानी की पहुंच नहीं है, जो किसी भी समय एक बड़ी समस्या है लेकिन विशेष रूप से एक प्रकोप के दौरान। शोधकर्ता और सहायता समूह काम कर रहे हैं इन समुदायों को समाधान प्रदान करने के लिये। एक उदाहरण वह उपकरण है जो नमक पानी, और गाड़ी की बैटरी का उपयोग करता है, क्लोरीनयुक्त पानी बनाने के लिए जो हानिकारक रोगजनकों को मारता है और हाथ धोने के लिए सुरक्षित है। इसलिए जहां भी संभव हो, साबुन और पानी की सलाह कोरोनावायरस के लिए दी जाती है, लेकिन क्या यह सबसे अच्छा है हर वायरल के प्रकोप के लिए? जरुरी नहीं है। कई आम सर्दी राइनोवायरस के कारण होते हैं जिसमें एक ज्यामितीय प्रोटीन संरचना होती है जिसे एक कैप्सिड कहा जाता है बजाय, एक चर्बी वाला झिल्ली का। कैप्सिड में नहीं के बराबर होता है कमजोर बिंदु जहां साबुन उभयचरों को अलग कर सके, इसलिए इसमें अधिक समय लगता है साबुन को प्रभावी होने के लिए। हालांकि इसकी सतह के कुछ प्रोटीन कमजोर होतें हैं हस्त प्रक्षालक का विनाशकारी प्रभाव के लिए। इस तरह के मामलों में, हस्त प्रक्षालक अधिक प्रभावी हो सकता है, खासकर यदि अवशिष्ट कणों को हटाने के लिए बाद में अपने हाथों को धोते हैं। जानने का सबसे अच्छा तरीका किसी भी प्रकोप में उपयोग करने के लिए करना है जो सबसे अच्छा है बीमारी से संबंधित सभी चीज: मान्यता प्राप्त चिकित्सा पेशेवरों की सलाह का पालन करें। अपना हाथ उठाओ और मुझे सच बताओ क्या आपने कभी 'बहुत सारे काम' शब्द का इस्तेमाल किया है? अपने दिन के बारे में बात करने के लिए, आपका सप्ताह, आपका महीना। मैं एक डॉक्टर हूँ जो आपातकालीन कक्ष में काम करती है और मैंने कभी 'बहुत सारे काम' वाक्यांश का उपयोग नहीं किया हैl और आज के बाद मुझे उम्मीद है कि आप भी इसका इस्तेमाल बंद कर देंगे आप अपने काम का वर्णन करने के लिए 'व्यस्त' का उपयोग नहीं कर सकते हैं क्योंकि अगर हम साधारण चीजों को व्यस्त बताते हैं तो हम वास्तविक व्यस्त को संभाल नहीं पाएंगे आइए देखें कि क्या होता है शरीर में स्ट्रेस ’हार्मोन बढ़ते रहते हैं आपके दिमाग का 'प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स' ठीक से काम करना बंद कर देता है जब ऐसा होता है तो आपकी सोचने की क्षमता में गिरावट आती है दिमाग को गुस्सा आने लगता है और कभी-कभी आपको डर भी लगता है क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है? बात यह है कि आप 'आपातकालीन विभाग' जितना व्यस्त हो सकते हैं व्यस्त महसूस किए बिना जानना चाहते हैं कैसे? उसी उपकरण का उपयोग करके जो हम उपयोग करते हैं हर किसी का मन एक समान तरीके से स्ट्रेस महसूस करता है लेकिन हम इस पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं यह आपात स्थिति या दैनिक गतिविधियों के आधार पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होता है अब अपने 'व्यस्त' के बारे में सोचें और इसकी तुलना आपातकालीन कक्ष से करें जो कोई भी मदद के लिए दरवाजे से आता है - हमें तैयार रहना होगा चाहे वह मल्टीपल कार पाइलअप हो, या कोई ऐसा व्यक्ति जिसकी छाती में दर्द हो, जो लिफ्ट में फंस गया हो या कोई ऐसा व्यक्ति जिसके पास कोई चीज अटकी हुई हो, वह चीज स्टेक नहीं होनी चाहिए कोई व्यक्ति जिसके पास कोई चीज अटकी हुई हो, वह चीज स्टेक नहीं होनी चाहिए (हंसी) उन दिनों भी जब आप कसम खा सकते हैं कि आपको इस बारे में झूठ बोला जा रहा है हम डरे नहीं क्योंकि हम जानते थे कि जो भी आएगा हम उसे संभाल सकते हैं हम उसके लिए तैयार है इसे रेडी मॉड कहा जाता है हमें इस तरह की स्थितियों के लिए प्रशिक्षि ट्रेनिग किया गया है आप इस तरह के ट्रेनिग भी प्राप्त कर सकते हैं इस तरह से - पहला कदम - हमें व्यस्त मोड से तैयार मोड में जाना चाहिए जैसे कि हम एमरजेंसी रूम में करते हैं व्यस्त मोड में हम हमेशा तनाव में रहते हैं क्योंकि हर चुनौती की एक ही प्रतिक्रिया होती है रेडी मोड में जहां हम ट्राइएज करते हैं, इसका अर्थ है कि हम तात्कालिकता के आधार पर चीजों को प्राथमिकता देते हैं इस तरह से चीजें आसानी से हो जाती हैं डॉ। रॉबर्ट सैपॉल्स्की के शोध से पता चलता है कि जब लोग अंतर नहीं कर सकते कि क्या खतरा है और क्या खतरा नहीं है और हर स्थिति पर समान प्रतिक्रिया दें उनका स्ट्रेस दोगुना हो जाता है। यही कारण है कि पहला कौशल यह है कि हम एक साथ सब कुछ का ध्यान नहीं रख सकते हैं और हमें करना भी नहीं चाहिए क्योंकि हम ट्राइएज करते हैं। लाल का मतलब है जानलेवा या तत्काल ध्यान पीला - गंभीर, लेकिन जीवन के लिए खतरा नहीं। हरा - मामूली। पहले हमें अपना ध्यान रेड्स पर करना चाहिए अब यह सुनिए 'व्यस्त मोड' की समस्या यह है कि आप हर चीज पर प्रतिक्रिया करते हैं जैसे कि यह एक लाल स्थिति है इसलिए सही तरीके से ट्राई करना शुरू करें। अपने रेड्स को पहचानो वे सबसे महत्वपूर्ण है और उस से, आप सबसे अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं अब शोर से भ्रमित होना आसान है लेकिन शोर हमेशा लाल नहीं होता है। मेरे 'एस्थमैटिक' रोगी को सबसे अधिक खतरा तब होता है जब वह शांत होता है लेकिन यह व्यक्ति जो कॉफी माँग रहा है - शोरगुल है, लेकिन लाल नहीं है मैं आपको अपने जीवन से एक उदाहरण दूंगी। पिछले वसंत में, मेरे घर में बाढ़ आ गई थी, मेरा एक साल का बच्चा इमरजेंसी रूम में था मुझे एक फंडरेसी करनी थी मेरे चार साल के बच्चे के स्कूल के लिए और मैंने अपनी पुस्तक लिखना समाप्त नहीं किया था अंतिम अध्याय स्ट्रैस पर था (हंसी) मेरे लाल कार्य यह थे - मेरे बीमार एक वर्षीय बच्चे को ठीक करने और मेरी पुस्तक लेखन समाप्त करें बस इतना ही याद रखें, लगातार ट्राइएज। बाढ़ के कारण घर की मरम्मत? जब क्षति बंद हो गई वह अब एक लाल काम नहीं था यह लाल लगा, लेकिन यह वास्तव में सिर्फ शोर था। नहीं, नहीं, वास्तव में, यह काफी शोर था, दाईं ओर देखें - मैं इस तस्वीर में इयरप्लग पहन रही हूं। अपनी पुस्तक पर ध्यान देने के लिए मैं अपनी किताब पढ़ रही हूं जब फर्श सुखाया जा रहा है अपने 'लाल' को पहचानो अन्य रंगों को आपको विचलित करने की अनुमति न दें वैसे, कभी-कभी एक ह रे रंग का कार्य मजेदार होता है और मन को कुछ राहत देता है कि कोई मरने वाला नहीं है (हंसी) अगर हर काम पूरी तरह से नहीं हुआ है तो ठीक है अब एक अंतिम ट्राइएज स्तर है कि हम सबसे खराब परिदृश्य में उपयोग करते हैं। और वह है - काला । यह उन लोगों के लिए है जिन्हें हम बचा नहीं सकते जहां हमें आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि यह बहुत मुश्किल है मैं आपको यह बता रही हूं, क्योंकि आप में से प्रत्येक के जीवन में काली कठिनाइयाँ हैं ये ऐसी चीजें हैं, जिन्हें आपको अपने लिश्ट से निकालना होगा और मुझे लगता है कि आप सभी जानते हैं कि मैं किस बारे में बात कर रहा हूं। इस स्थिति में, मेरे लिए, यह फंडरेसी थी। मैं कुछ नहीं कर सकती थी क्योंकि जैसा कि हम ईआर में जानते हैं, यदि आप सब कुछ करने की कोशिश करते हैं, आप अपना लाल नहीं बचा सकते दूसरा कदम आपातकालीन स्थिति के लिए उम्मीद और डिजाइन करना आपात स्थिति से निपटने का आधा हिस्सा उसकी तैयारी में है तो अगर पहले कदम में हम ट्राइएज करते हैं, दूसरे कदम में हमें यह देखना होगा कि इन कौशलों को आसान कैसे बनाया जाए विज्ञान हमें दिखाता है अगर हमारे पास कई विकल्प हैं तो निर्णय लेने में अधिक समय लगता है जब हम बहुत सारे निर्णय लेते हैं तो हमारा मस्तिष्क बहुत थका हुआ महसूस करता है और इस वजह से हम ठीक से सोच भी नहीं सकते जिसके कारण यह दूसरा कदम हमारे द्वारा प्रतिदिन किए जाने वाले निर्णयों को कम करने के बारे में है यहां चार उदाहरण दिए गए हैं जिनका उपयोग आप अपनी दैनिक जीवन शैली में कर सकते हैं। योजना सप्ताहांत में अपने सप्ताह की खाने की योजना बनाएं ताकि जब बुधवार आए और छ: बजे को हर कोई पिज्जा चाहता है आपको निर्णय लेने के लिए परेशान होने की आवश्यकता नहीं है स्वचल अपने अधिकांश काम स्वचालित होने दें चाहे पुनरावृत्ति के रूप में शेड्यूल कर रहा हो या सहेजी गई सूची, या आवर्तक खरीद। हर चीज को उसकी जगह पर रखें जब व्यायाम की बात आती है, सभी उपकरणों को एक साथ रखें चार्ज और तैयार, ताकि आप उसकी तलाश में समय और ऊर्जा बर्बाद न करें और प्रलोभनों कम करें, चीनी और मीठा से प्यार करने वालों के लिए क्या यहाँ कोई ऐसा है? चलो, बताओ बताओ वह खुद एक क्रेजी मोड है और क्रेजी मोड के लिए स्व-दवा, लेकिन अपनी इच्छा शक्ति को चलाना बंद करें। इसे अलग तरह से डिजाइन करें। यदि चॉकलेट जैसा खाना शीर्ष शेल्फ पर है और इस तक पहुंचने के लिए आपको एक स्टूल का उपयोग करना होगा तब लोग इसे कम खाएंगे यह एक अध्ययन कहता है मैं कहती हूँ - इसे हम पहले समझें (हंसी) विकल्पों को आसान बनाने के लिए हमें उन्हें अच्छी तरह से डिजाइन करना चाहिए जो हमें तीसरे कदम में लाता हैं अपने मन की मूर्खतापूर्ण बात को रोकने के लिए मेरे साथ आओ। अलग कहानी। मैं एक छोटे से आपातका लीन कक्ष में काम कर रही हूँ जब एक गर्भवती महिला आती है। मुझे पता चला कि गर्भनाल बच्चे के गले दो बार लपेटा था आपातकालीन कक्ष में केवल मैं थी मैं डर गई लेकिन मैं डर नहीं सकती थी हर कीसी को घबराहट महसूस होती है हम अक्सर डर जाते हैं डरने के बाद आप जो करते हैं वह महत्वपूर्ण है यह पहली भावना समस्या नहीं है। वह एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है। समस्या तब शुरू होती है जब हम डर को हम पर शासन करने देते हैं जब हमारी आंतरिक बात शुरू होती है और हम सोचते हैं कि हम जो कर रहे हैं वह कैसे गलत हो सकता है हम उस 'पागल मोड' कहते हैं और आप इस तरह से कुछ भी हल नहीं कर सकते। कहानी पर वापस लेकिन पहले, मैं कैसे निकलूं मेरे ही दिमाग से? मस्तिष्क इतने सारे समाधान करता है लेकिन मेरे लिए किसी और पर अपना ध्यान केंद्रित करना सबसे अच्छा लगता है। मुझे रोगी के साथ संघर्ष में खुद को देखना पसंद है उन्हें क्या चाहिए, उन्हें क्या डर है और मैं कैसे मदद कर सकती हूँ? यह आपको मूर्खतापूर्ण लग सकता है लेकिन ऐसा नहीं है। अनुसंधान से पता चलता है कि जब आप अपने मस्तिष्क को करुणा से भरते हैं हम नकारात्मक सोच को रोकते हैं आपको अपनी धारणा को व्यापक बनाना होगा इस तरह से आपका मस्तिष्क अधिक जानकारी ले सकता है, और बेहतर निर्णय ले सकता है इसे आजमाएं समझें कि नकारात्मक सोच आपको नुकसान पहुंचा सकती है और जब आप यह बात अपने दिमाग से बाहर निकालेंगे आप अपने आप को नुकसान से रोकते हैं अब उस बच्चे का क्या हुआ? मैंने अपने डर पर ध्यान केंद्रित नहीं किया, इसके बजाय मैंने माँ और उसके बच्चे की मदद करने पर ध्यान केंद्रित किया मैंने गर्भनाल को काट दिया और एक स्वस्थ, मारने वाला बच्चा आया उसी क्षण पिता पार्किंग क्षेत्र से भागते हुए आए "हाय, बेटा हुआ है, मैं डॉ। दरिया हूँ।" "बधाई हो, आप कॉर्ड काटना चाहते हैं? " (हंसी) और एक पल के लिए, एक नवजात शिशु के मजबूत रोने ने आपातकालीन कमरे में सभी तनाव को मिटा दिया लेकिन वहाँ कुछ और था। क्योंकि जब मैं उस मां के कमरे से बाहर आई मैंने अपने कई मरीज़ों को उस माँ के कमरे के पास देखा मुझे अचानक एहसास हुआ अपनी समस्याओं के बावजूद वे बच्चे को प्रोत्साहित करने के लिए आपातकालीन कक्ष में आए और अब वे सभ खुश थे क्योंकि वही होता है जब आप क्रेजी मोड से रेडी मोड में जाते हैं। लोग नोटिस करते हैं हालांकि वे भी ऐसा ही चाहते हैं वे नहीं जानते कि इसे कैसे प्राप्त किया जाए उन्हें सिर्फ एक उदाहरण की जरूरत है। और वह उदाहरण आप हो सकते हैं 'व्यस्त' को गले लगाओ इसे पागलपन मत कहो आपके पास हमेशा वह क्षमता थी। पर अब ... आप तैयार हैं। धन्यवाद। (तालियां) (तालियां) दो झीलों को अलग करने वाला एक पहाड़। फर्श से छत तक, ब्राइडल सैटिन्स से सजा कमरा। नसवार की डिबि का ढक्कन। ये असंबंधित प्रतीत होने वाली छवियां, हरमन मेलविले के "मोबी डिक" में एक स्पर्म व्हेल के सिर के दौरे पर ले जाती है। सतह पर, ये किताब कप्तान अहाब की मोबी डिक के खिलाफ बदला लेने की कहानी है, वह सफेद व्हेल जिसने अहाब का पैर काटा था। हालांकि किताब में समुद्री डाकू, टाइफून, उच्च गति का पीछा, और विशाल विद्रूप है, आपको एक पारंपरिक साहसिक रोमांच की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय, ये एक बहुपक्षीय अन्वेषण है, न केवल एक व्हेलिंग जहाज पर जीवन के अंतरंग विवरण का, बल्कि मानव और प्राकृतिक इतिहास के भी विषयों का, कभी चंचल और दुखद, तो कभी हास्यकर और अति आवश्यक। कथावाचक एक सामान्य नाविक है, जो हमे इस खोज में मार्गदर्शन देता है। उसका नाम इश्माएल है। इश्माएल ने अपनी कहानी बताना शुरू किया जब उसे जमीनी जीवन से दुःख और निराशा हुई और उसने समुद्र में जाने फैसला किया। लेकिन जब उसकी दोस्ती, पेसिफिक आइलैंडर क्वेइक से हुई और वह अहाब के पेक्वोड नामक जहाज दल में शामिल हुआ, तब इश्माएल, पाठक के लिए, एक पारंपरिक चरित्र कम और एक सर्वज्ञ गाइड अधिक बन जाता है। जब अहाब बदला लेने पर जोर देता है और मुख्य अधिकारी स्टारबक, उसके साथ तर्क करने की कोशिश करता है, तब इश्माएल हमें "उपनगरों को मिला कर, पूरे ब्रह्मांड” के अर्थ की खोज पर ले जाता है। उसके हिसाब से, जीवन का सबसे बड़ा सवाल छोटे से बड़े विवरण में ही मिलता है। अपने कथाकार की तरह, मेलविले एक बेचैन और उत्सुक इंसान थे, जिन्होंने एक नाविक के रूप में, अपनी जवानी में, दुनिया भर में भीषण यात्राओं की एक श्रृंखला कर, अपरंपरागत शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने १८५१ में "मोबी डिक" प्रकाशित की, जब संयुक्त राज्य अमेरिका का व्हेलिंग उद्योग अपने चरम पर था। नान्केट, जहां पेक्वॉड जलयात्रा करता है, वह खूनी वैश्विक उद्योग का आकर्षक का केंद्र था जिसने दुनिया की व्हेल आबादी का पतन किया। उनके समय में असामान्य, मेलविले इस उद्योग के बदसूरत पक्ष से शरमाये नहीं, यहां तक ​​कि व्हेल के दृष्टिकोण को भी एक समय पर उन्होंने लिया, जब उन्होंने कल्पना की कि प्राणियों के लिए जहाजों की विशाल छाया के नीचे तैरना कितना भयानक होगा। इश्माएल के विशद विवरणों में, लेखक का व्हेलिंग पर प्रत्यक्ष परिचय बार-बार स्पष्ट होता है। एक अध्याय में, व्हेल के लिंग की त्वचा एक चालक दल के लिए, सुरक्षात्मक कपड़े बन जाती है। अध्याय जो शीर्षक के साथ अप्रमाणिक हैं, जैसे "सिस्टर्न एंड बकेटस" वो उपन्यास के सबसे पुरस्कृत हैं जैसे जब इश्माएल, स्पर्म व्हेल के सिर निकालने की तुलना दाई के काम से करता है जिसके कारण प्लेटो पर प्रतिबिंब बनते हैं। उलझे हुए व्हेल लाइने "हमेशा मौजूद संकट" को उकसाती है, एक मजाकिया प्रतिबिंब जो सभी मनुष्यों को उलझाते हैं। वह ज्ञान की विविध शाखाओं पर ग़ौर करता है, जैसे कि जूलॉजी, गैस्ट्रोनॉमी, कानून, अर्थशास्त्र, पौराणिक कथाएँ,और धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं की शिक्षा श्रृंखला। पुस्तक लेखन शैली के साथ विषय वस्तु पर भी प्रयोग करती है। एक एकालाप में, अहाब शेक्सपियर शैली में मोबी डिक को चुनौती देता है: "तेरी ओर मैं घुमु, सब नष्ट करने वाली अपराजित व्हेल; आखिर तक तुझसे हाथापाई करू; पत्थर दिल से तुझे चीर दूं; नफरत के ख़ातिर अपनी आखिरी सांस तुझ पर देदूं।" एक अध्याय, नाटक के रूप में लिखा गया है, जिसमे पेक्वॉड के बहु-जातीय सदस्य, अकेले भी और मिलकर भी ताल मिलाते हैं। अफ्रीकी और स्पेनिश नाविक अपमान का लेन देन करते हैं, जबकि ताहितियन घर के लिए तरसते हैं, चीनी और पुर्तगाली नाविक दल नृत्य के लिए बुलाते हैं, और एक युवा लड़का आपदा का पूर्वानुमान लगाता है। एक अन्य अध्याय में, इश्माएल व्हेल के तेल की डिकैन्ट प्रक्रिया को महाकाव्य शैली में गाता है, जब जहाज समुद्र में आधी रात को ऊपर नीचे और रोल होता है और पीपे गड़गड़ाती है, भूस्खलन की तरह। इतनी विस्तृत श्रृंखला किताब में सभी के लिए कुछ है। पाठकों को इसमें धार्मिक और राजनीतिक दृष्टांत, अस्तित्वगत जांच, सामाजिक व्यंग्य, आर्थिक विश्लेषण, और अमेरिकी साम्राज्यवाद की अभ्यावेदन, औद्योगिक संबंध और नस्लीय संघर्ष मिला है। जैसे कि इश्माएल अर्थ का पीछा करता है और अहाब सफेद व्हेल का, पुस्तक आशावाद और अनिश्चितता की विरोधी ताकतों की पड़ताल करती है, जिज्ञासा और भय जो मानव अस्तित्व कि विशेषता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम किसका पीछा कर रहे हैं। "मोबी डिक" के कई पृष्ठों के माध्यम से, मेलविले अपने पाठकों को अज्ञात में छलांग लगाने के लिए आमंत्रित करते हैं "जीवन के अप्राप्य प्रेत" में शामिल होने के लिए। आप हाइवे पर गाड़ी चला रहे हैं, तभी अचानक आपको ब्रेक लाइट की अंतहीन पंक्तियाँ दिखायी देती है। कोई दुर्घटना नहीं है, स्टॉपलाइट नहीं है, गति सीमा में बदलाव नहीं है, या सड़क की संकीर्णता नहीं है। तो क्यों है @ # $%! इतना ट्रैफिक? जब ट्रैफ़िक, बिना किसी प्रकट कारण के, ठहराव के करीब पर आता है, तो इसे फैन्टम ट्रैफिक जाम कहते हैं। फैन्टम ट्रैफिक जाम एक आकस्मिक घटना है जिसका व्यवहार स्वयं के जीवन पर, उसके भागों के योग से अधिक होता है। लेकिन इसके बावजूद, हम वास्तव में इन जामों को मॉडल कर सकते हैं, सिद्धांत जो इसे आकार देते हैं, उन्हें समझ सकते हैं — और हम काफी करीब हैं, भविष्य में इस तरह के ट्रैफिक को रोकने के लिए। फैन्टम ट्रैफिक जाम के लिए, सड़क पर बहुत सारी कारें होनी चाहिए। इसका मतलब ये नहीं है कि आवश्यक रूप से बहुत अधिक कार हों सड़क पर अबाध गति से गुज़रने के लिए, कम से कम नहीं, अगर हर ड्राइवर एक ही लगातार गति और अंतर बनाए रखता है अन्य ड्राइवरों से। इस घने, लेकिन बढ़ते हुए ट्रैफिक में केवल एक छोटी सी गड़बड़ी से घटनाओं की श्रृंखला बन सकती है जो ट्रैफिक जाम का कारण बनता है। मान लीजिये, एक ड्राइवर ने थोड़ा ब्रेक लगाया। प्रत्येक क्रमिक ड्राइवर तब थोड़ी और दृढ़ता से ब्रेक लगाता है, जिससे सड़क पर ब्रेक लाइट की एक लहर, कारों के माध्यम से पीछे की और पैदा हो जाती है। ये रूक-रूक कर चलने वाली तरंगे, हाइवे पर मीलों तक यात्रा कर सकती हैं। सड़क पर कारों के कम घनत्व के साथ, यातायात सुचारू रूप से चलता है क्योंकि छोटी सी गड़बड़ी, जैसे व्यक्तिगत कारों का पथ बदलना या घुमाव पर धीमा करना, अन्य ड्राइवरों के समायोजन से अवशोषित होता है। लेकिन जब सड़क पर, कारों की संख्या एक संकटमय घनत्व से अधिक हो जाये, आमतौर पर, जब कारों का स्थान 35 मीटर से कम की दूरी पर हो, तब सिस्टम का व्यवहार, प्रभावशाली तरीके से बदलता है। ये गतिशील अस्थिरता प्रदर्शित करने लगता है, मतलब छोटी गड़बड़ी बढ़ जाती है। फैन्टम ट्रैफिक में गतिशील अस्थिरता अनोखी नहीं है — ये बारिश की बूंदे, रेत के टीले, बादल के पैटर्न, के लिए भी जिम्मेदार है। अस्थिरता एक सकारात्मक प्रतिक्रिया लूप है। महत्वपूर्ण घनत्व से ऊपर, कोई भी अतिरिक्त वाहन, कारों की संख्या प्रति सेकंड कम करता है सड़क पर दिए गए बिंदु से होकर गुजरने पर। बदले में ये अधिक समय लेता है एक स्थानीय ढेर के सड़क के एक हिस्से से बाहर जाने के लिए, वाहन घनत्व और भी अधिक बढ़ जाता है, जिससे अंततः रुक-रुक कर जाने वाला ट्रैफ़िक बढ़ता है। ड्राइवर्स को एहसास नहीं होता है कि उन्हें ट्रैफिक जाम दूर तक तोड़ना पडेगा, जिसका अर्थ है कि वे टक्कर से बचने के लिए कठिन ब्रेक लगाते हैं। यह ब्रेकिंग की लहर को मजबूत करता है, वाहन से वाहन तक। और तो और, ड्राइवस मंदी से बाहर आते समय तेजी से ऐक्सेलरैट करते हैं, यानी वे तेजी से गाड़ी चलाते हैं यातायात के औसत प्रवाह की तुलना में। फिर, उन्हें फिर से ब्रेक लगाना पड़ता है, अंततः एक और फीडबैक लूप तैयार होता है जो ट्रैफ़िक और अधिक रोकने का कारण बनता है। दोनों मामलों में, ड्राइवर यातायात को बदतर बनाते हैं क्योंकि उनके पास आगे की स्थितियों की समझ नहीं होती। स्वयं चालक कारें, जिनमे डेटा जुड़े वाहनों से या सड़क सेंसर से आगे के ट्रैफिक की स्थिति बताते हैं, वो वास्तविक समय में फैन्टम ट्रैफिक प्रतिकार करने में सक्षम हो सकता है। ऐसे वाहन एक समान गति, सुरक्षा की अनुमति, बनाए रखेंगे, जो समग्र प्रवाह की औसत गति से मेल खाता है, ट्रैफिक तरंगों को बनने से रोकने में। ऐसी स्थितियों में जहां पहले से ही एक ट्रैफ़िक तरंग हो, स्वचालित वाहन यह अनुमान लगाने में सक्षम होगा, जल्दी और अधिक धीरे ब्रेक लगा पाएगा, एक मानव चालक की तुलना में और लहर की ताकत को कम कर सकेगा। और इसके लिए ज़्यादा सेल्फ ड्राइविंग कारें नहीं लगेगी- हाल के एक प्रयोग में, एक स्वशासी वाहन हर 20 मानव चालकों के लिए पर्याप्त है ट्रैफिक तरंगों को तोड़ने और रोकने के लिए। ट्रैफिक जाम सिर्फ एक दैनिक झुंझलाहट नहीं है- ये घातक घटनाओं का एक प्रमुख कारण है, व्यर्थ संसाधन, और ग्रह-खतरनाक प्रदूषण का भी कारण है। लेकिन नई तकनीक ये पैटर्न कम करने में मदद कर सकती है, हमारी सड़कों को सुरक्षित, हमारी दैनिक सवारी अधिक कुशल, और हमारी हवा स्वच्छ कर सकती है। और अगली बार जब आप ट्रैफ़िक में फंसेंगे, आपको याद दिलाएगा कि जरूरी नहीं अन्य ड्राइवर दुर्भावना से गाड़ी चला रहे हों, बस सड़क की आगे की स्थिति से अनजान हो कर ड्राइव कर रहे हों। इस दुर्भाग्यवश जाने पहचाने परिदृश्य के बारे में विचार कीजिए। कुछ माह पहले एक अत्यधिक संक्रामक, कभी-कभी प्राणघातक श्वसनतंत्रीय वाइरस ने मनुष्य को पहली बार संक्रमित किया। फ़िर सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय इसकी रोक-थाम कर पाते, उससे भी तेज़ी से यह फ़ैल गया। अब वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन (WHO) ने एक वैश्विक महामारी का एलान कर दिया है, जिसका अर्थ है कि यह पूरे विश्व में फैल रही है। मृतकों की संख्या बढ़ने लगी है और सब के अधरों पर एक ही प्रश्न है: यह वैश्विक महामारी आखिर समाप्त कब होगी? जहाँ तक है, WHO इस वैश्विक महामारी के समाप्त होने का एलान तब करेगा, जब संक्रमण की अधिकतर रोक-थाम हो जाएगी, और हस्तांतरण की दरें सम्पूर्ण विश्व में बहुत हद तक गिर जाएँगी। परन्तु यह होता कब है वह तो इस पर निर्भर करता है कि वैश्विक सरकारों का अगला कदम क्या होता है। उनके पास तीन मुख्य उपाय हैं: दौड़ कर पार करना, विलम्ब और टीकाकरण, या समन्वय कर कुचलना। इन में से एक को ज़्यादातर सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और हो सकता है यह वह ना हो जिसे आप सोच रहे हैं। पहले उपाय में, सरकारों और और समुदायों को संक्रमण रोकने के लिए कुछ नहीं करना बल्कि जितना जल्दी हो सके लोगों को संक्रमित होने देना है। वायरस के बारे में शोध करने के अभाव में चिकित्सकों को अपने मरीज़ों को बचाने के तरीकों के बारे में बहुत कम जानकारी है, और अस्पताल अपनी उच्च क्षमता तक लगभग तत्काल पहुँच जाएँगे। लगभग दस लाख से दस करोड़ के बीच कहीं मृतकों की सँख्या होगी, या तो वायरस के कारण, या चिकित्सा प्रणालियों के पतन के कारण। जल्द ही ज़्यादातर लोग संक्रमित हो चुके होंगे और या तो उनकी मृत्यु हो चुकी होगी या वह प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं का निर्माण कर बच चुके होंगे। इस समय के आस पास झुण्ड रोग प्रतिरोधक शक्ति बनने लगेगी, जिसमें वायरस नए मेज़बान नहीं ढूँढ पाएगा। तो वैश्विक महामारी अपनी शुरुआत के कुछ समय में ही समाप्त हो जाएगी। परन्तु झुण्ड रोग प्रतिरोधक शक्ति बनाने का एक और तरीका है जिसमें इतने सारे जीवनों से कीमत भी ना चुकानी पड़े। आइये दोबारा उस समय पर जाते हैं जब WHO ने वैश्विक महामारी का एलान किया था। इस बार, दुनिया भर की सरकारें और समुदाय वायरस के संक्रमण की गति को धीमा कर देते हैं, ताकि अनुसंधान सुविधाओं को एक टीका विकसित करने का समय मिल सके। वह समय मांग रहे हैं, कुछ ऐसी युक्तियों का प्रयोग कर जिनमें वाहकों की पहचान के लिए बड़े पैमाने पर जांच, संक्रमित लोगों को, और जिनके संपर्क में वह आए उनको संगरोध करना और शारीरिक दूरी शामिल हैं। इन उपायों के होते हुए भी वायरस धीरे धीरे फैलता जाता है, लाखों की मृत्यु का कारण बनता है। कुछ शहर उद्भेद को नियन्त्रित कर लेते हैं और रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में वापस चले जाते हैं पर पुनरुत्थान होता है और उन्हें शारीरिक दूरी की ज़िन्दगी में वापस जाना पड़ता है, जब कोई नया मामला आता है। अगले कुछ वर्षों में, एक या संभवतः कई टीके व्यापक रूप से, आशापूर्वक मुफ्त में उपलब्ध हो जाते हैं, दुनियाभर की कोशिश के कारण। जब 40-90 % जनसँख्या को टीका लग जाता है-- उस सटीक मात्रा में जो वायरस के अनुसार परिवर्तनीय है-- झुण्ड रोग प्रतिरोधक शक्ति बनने लगती है और विश्‍वमारी ख़त्म होने लगती है। आइये घड़ी की सुईं को एक बार फिर से पीछे ले कर जाते हैं, एक अन्तिम रणनीति पर विचार करने के लिए: समन्वय कर कुचलना। यहाँ हम वायरस को एक साथ हर जगह भूखा मार देना चाहते हैं संगरोध, सामाजिक दूरी, तथा यात्रा प्रतिबन्धित कर। इसमें महत्वपूर्ण बात है एक-साथ प्रतिक्रिया करना। एक आम वैश्विक महामारी में जब एक देश में मामले शिखर पर होते हैं तब कोई दूसरा देश अपने पहले मामलों से परिचय कर रहा होता है। हर नेता के अपने अधिकार-क्षेत्र में जो हो रहा हो उस पर प्रतिक्रिया करने की जगह यहाँ हर एक को विश्व को एक विशाल परस्पर जुड़ी प्रणाली की तरह समझना होगा। अगर सही तरह से समन्वय किया जाए तो इस विश्वमारी को कुछ ही महीनों में समाप्त किया जा सकता है वह भी कम जीवनों की क्षति हुए। परन्तु जब तक वायरस का पूर्णतः विनाश नहीं हो जाता-- जिसकी सम्भावना बहुत ही कम है-- वैश्विक महामारी के स्तर तक जाने का ख़तरा बना रहेगा। और जानवरों के वाहक बन संक्रमण फ़ैलाने जैसे घटक हमारी बेहतरीन कोशिशों को भी नाकामयाब कर सकते हैं। तो कौनसी रणनीति इस प्राणघातक, संक्रामक श्वसनतंत्रीय वाइरस के लिए बेहतरीन है? दौड़ कर पार करना त्वरित समाधान है, पर वह एक वैश्विक तबाही होगा, और अगर लोग दोबारा संक्रमित हो सकते हैं, तो शायद यह काम ही ना करे। केवल समन्वय कर वायरस कुचलना भी अपनी गति के कारण मोहक समाधान है, परन्तु केवल सच्चे और लगभग असम्भव वैश्विक सहयोग के साथ ही विश्वसनीय है। इसीलिए जितना हो सके उतने वैश्विक समन्वय की सहायता के साथ टीकाकरण को ही ज़्यादातर विजयी रणनीति माना जाता है; दौड़ में यह एक धीमा, स्थिर, और सिद्ध किया हुआ विकल्प है। अगर यह वैश्विक महामारी आधिकारिक तौर पर टीका बनने से पहले समाप्त हो भी जाती है, तो भी वायरस दोबारा बदलती ऋतुओं में फ़िर प्रकट हो सकता है तो टीका लोगों की रक्षा करता रहेगा। और चाहे टीका बनाने में वर्षों लग जाएँ, लोगों के जीवन में अवरोध पूरी अवधि तक रहे, यह ज़रूरी नहीं। उपचार और लक्षणों की रोकथाम के नए तरीके वायरस को कम खतरनाक बना सकते हैं, और इसलिए रोकथाम करने के कम चरम उपायों की आवश्यकता होगी। भरोसा रखिये: यह वैश्विक महामारी समाप्त होगी। इसकी विरासत दीर्घ काल तक रहेगी, पर पूर्णतः बुरी नहीं होगी; जिन नए तरीकों, सामाजिक सेवाओं, और प्रणालियों को हम विकसित करेंगे, वह सबके भले के लिए प्रयोग की जा सकेंगी। और अगर हम सफलताओं से प्रेरणा और असफलताओं से शिक्षा लें तो हम अगली सम्भवतः वैश्विक महामारी को इतना नियन्त्रित कर सकते हैं कि हमारे बच्चों के बच्चों को शायद उसका नाम भी ना पता चले। एक बच्चे के रूप में, मुझे कई डर थे। मैं बिजली, कीड़ों, तेज़ शोर की आवाजों और वेशभूषा वाले पात्रों से डरती थी मुझे दो बहुत गंभीर फोबिया (भय) भी थे डॉक्टरों और इंजेक्शन के | हमारे परिवार के डॉक्टर से दूर भागने के लिए मेरे संघर्ष के दौरान, मैं शारीरिक रूप से इतनी जुझारु ( लड़ाकू) बन गयी कि उन्होंने मुझे बेहोश करने के लिए वास्तव में मेरे थप्पड़ मारा | मैं छह साल की थी | उस वक़्त मैं फाइट और फ्लाइट प्रकार वाली थी, और मुझे एक साधारण-सा टीका लगाने के लिए तीन से चार बड़ों को शामिल होना पड़ता था, जिनमें मेरे माता - पिता भी शामिल होते थे | बाद में, हमारा परिवार न्यू यॉर्क से फ़्लोरिडा शिफ्ट हो गया जिस वक़्त मैं हाई स्कूल में पहुंची ही थी, और धर्म संस्थाश्रित स्कूल में एक नयी बच्ची होने, जो किसी को नहीं जानती और उस परिवेश में घुल पाने के बारे में चिन्तित है, स्कूल के पहले ही दिन, एक शिक्षिका रोल्स ले रही थीं और उन्होंने आवाज लगाई " ऐनी मैरी अल्बानो, " मैंने जवाब दिया (स्टेटन द्वीपीय लहज़े में ) "यहाँ हूँ (हियर ) !" वह हसीं और कहा, " ओह, खड़ी होना | कहो D-O-G|" और मैंने उत्तर दिया, (स्टेटन द्वीपीय लहज़े में ) "डॉग? " पूरी कक्षा शिक्षिका के साथ में बहुत ज़ोर से हसने लगी | और यह ऐसा ही चलता रहा, क्यूंकि उनके पास मेरा मज़ाक बनाने के लिए बहुत से शब्द थे | मैं घर रोती हुई पहुंची | परेशान और न्यू यॉर्क वापिस जाने की भीख मांगती हुई या फिर किसी आश्रम | मैं इस स्कूल में वापिस नहीं जाना चाहती थी, कभी भी नहीं | मेरे माता -पिता ने मुझे सुना और मुझे कहा कि वे फिर से न्यू यॉर्क में मोन्सिन्योर ( सम्मानित शब्द ) ढूंढेंगे, पर मुझे हर रोज़ वहां ( स्कूल ) जाना पड़ेगा ताकि मेरे पास अटेंडेंस का रिकॉर्ड हो जिससे मुझे स्टेटन आईलैंड के लिए नवीं कक्षा में ट्रांसफर मिल सके | यह सब कुछ ईमेल और सेल फ़ोन के आने से पहले था, तो कुछ हफ्तों बाद, अनुमानित रूप से, मॅन हटन मियामी के प्रधान पादरी और और व्हे0 कन के भी के बीच पत्र भेजे गए, और हर दिन, मुझे स्कूल रोते हुए जाना पड़ता और फिर घर भी रोते हुए आती जिसके बाद मेरी मम्मी मुझे यह अपडेट देती कि " जब तक कि हम कोई जगह नहीं ढूंढ लेते तब तक स्कूल जाती रहो |" क्या मैं बुद्धू थी या क्या? ( हसीं ) खैर, कुछ हफ्तों के बाद, एक दिन, स्कूल बस का इंतजार करते वक़्त, मुझे एक debbie नाम की लड़की मिली और उसने मुझे अपने दोस्तों से मिलाया | और वो मेरे दोस्त बन गए, और, खैर, पोप से छुटकारा मिला (हसीं ) मैंने ढलने की शुरआत कर दी | मेरे पिछले तीन दशकों में बच्चों की चिंता (anxiety) को अध्ययन की शुरआत मेरी आत्म-समझ की ख़ोज से शुरू होती है और मैने काफी कुछ सीखा है | युवा लोगों के लिए, चिंता बचपन की सबसे ज्यादा कॉमन मानसिक स्थिति होती है | ये विकार (disorders ) चार साल की उम्र से शुरू होते हैं, और किशोरावस्था में, 12 युवाओं में से एक घर पर स्कूल में और साथियों के साथ कार्य करने की उनकी क्षमता में, इससे बुरी तरह से प्रभावित होता है | ये बच्चे बहुत डरते हैं चिन्तित होते हैं, सच में, उनकी चिंता के कारण शारीरिक रूप से असहज होते हैं | उनके लिए स्कूल में ध्यान दे पाना, आराम करना और मज़े करना, दोस्त बना पाना और वो काम करना जो बच्चों को करना चाहिए , बहुत ही मुश्किल होता है | चिंता बच्चे के लिए दुख पैदा कर सकती है, और माता -पिता अपने बच्चे के संकट की साक्षी (witness ) होते हैं | जैसे -जैसे मैं अपने काम के माध्यम से अधिक से अधिक चिंता वाले बच्चों से मिली, मुझे अपने मम्मी -पापा के पास वापिस जाकर उनसे कुछ सवाल पूछने पड़े| " आपने मुझे पकड़कर क्यों रखा जब मैं इंजेक्शन लगने से इतनी डरी हुई थी और मुझे जबरदस्ती उन्हें क्यों लगाया? और मुझे बताइये कि आपने मुझे स्कूल भेजनें के लिए वो लम्बी कहानियाँ क्यों बनायीं जब मैं दुबारा बेइज्जती करे जाने के बारे में इतनी परेशान थी? " उन्होंने कहा, " हमारा दिल तुम्हारे लिए हर बार टूटता था, पर हम जानते थे कि ये वो चीजें हैं जो तुम्हे करनी ही पड़ेंगी हमें तुम्हे उदास होने के इस खतरे में डालना पड़ा जब तक हमने ये इंतजार किया कि तुम समय और अनुभवों के साथ इस स्थिति की आदी हो जाओ तुम्हे टीका लगवाना जरुरी था | तुम्हारा स्कूल जाना जरुरी था |" मेरे माता -पिता नहीं जानते थे, पर वो मुझे खसरे का टीका लगवाने से ज्यादा कुछ कर रहे थे | वे मुझे जीवनभर के चिंता विकारों का भी टीका लगा रहे थे | बच्चे में बहुत ज्यादा चिंता एक सुपरबग की तरह है - और संक्रामक, बल्कि दोगुना होने वाले | इस तरह कि बहुत से बच्चे जिन्हे मैं देखती हूँ एक ही समय पर एक से ज्यादा चिंतामय स्थिति के साथ आते हैं | उदाहरण के लिए, उन्हें एक विशिष्ट फोबिया होगा साथ में अलगाव की चिंता साथ में सामाजिक चिंता सब कुछ एक साथ | जो कि अनुपचारित रह जाता है, बचपन की चिंता युवावस्था में डिप्रेशन का रूप ले सकती है | यह मादक द्रव्यों के सेवन और आत्महत्या के लिए योगदान दे सकता है | मेरे माता-पिता चिकित्सक नहीं थे। मेरे माता-पिता चिकित्सक नहीं थे। वे केवल इतना जानते थे कि ये स्थितियां मेरे लिए असहज हो सकती हैं, परन्तु वे ख़तरनाक नहीं हैं | अगर उन्होंने मुझे इन स्थितियों को नज़रअंदाज़ करने दिया और इनसे बचने दिया और यदि मैंने यह नहीं सीखा कि प्रासंगिक संकट को कैसे सहें तो मेरी अत्यधिक चिंता मुझे लंबी अवधि में अधिक नुकसान पहुँचाएगी | तो संक्षेप में, माँ और पिताजी घर पर ही अपनी तरह की एक्सपोज़र थेरेपी कर रहे थे जो कि चिंता के cognitive behavioural treatment का केंद्रीय और प्रमुख घटक है मेरे सहयोगियों और मैंने, 7 से 17 साल के बच्चों के चिंता (anxiety ) के इलाजों का सबसे बड़ा यादृच्छिक (randomized ) अध्ययन किया | हमने पाया कि बच्चे पर आधारित cognitive behavioural एक्सपोज़र थेरेपी या फिर एक चुनिंदा serotonin reuptake inhibitor के साथ दवाई 60 प्रतिशत उपचारित युवाओं के लिए प्रभावी हैं | और दोनों का मेल 80 प्रतिशत बच्चों को 3 महीनों में ठीक कर देता है | यह सारी अच्छी खबरें हैं | और अगर वे दवाईंयां लेते रहते हैं या मासिक एक्सपोज़र ट्रीटमेंट करते हैं जैसा कि हमने अध्ययन के दौरान करा, वे आगे के सालों के लिए भी बिलकुल ठीक रह सकते हैं | हालांकि, इस ट्रीटमेंट के बाद अध्ययन खत्म हो गया था, पर हम वापिस गए और पार्टिसिपेंट्स के साथ एक follow-up स्टडी करी, और हमने पाया कि इनमें से बहुत से बच्चे समय के साथ दुबारा वैसे ही हो गए और, बेस्ट सबूतों पर आधारित ट्रीटमेंट के बावजूद भी, हमने यह भी पाया कि 40 प्रतिशत चिंता वाले बच्चे, वे उस पूरे समय के दौरान भी इस से ग्रसित रहे | हमने इन नतीजों के बारे मैं बहुत सोचा | हम कहाँ चूक रहे थे? हमने इसके कारण की परिकल्पना करी कि क्यूंकि हम सिर्फ बच्चे पर केंद्रित हस्तक्षेप पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे, शायद वहाँ कुछ महत्वपूर्ण है माता-पिता को संबोधित करने के बारे में और उन्हें भी उपचार में शामिल करने के बारे में | मेरी अपनी लैब और दुनिया भर के सहयोगियों के अध्ययन ने एक सुसंगत प्रवृत्ति दिखायी है: अभिभावक अक्सर अनजाने में तैयार हो जाते हैं इस चिंता के चक्र में | वे देते हैं, और वे अपने बच्चे के लिए बहुत से बदलाव करते हैं, और वे अपने बच्चों को इन चुनौतीपूर्ण स्थितियों से बचने देते हैं मैं चाहती हूं कि आप इसके बारे में इस तरह सोचें: आपका बच्चा घर में आँसुओं से रोता हुआ आता है वे पाँच या छह साल की उम्र का है | "मुझे स्कूल में कोई भी पसंद नहीं करता ! ये बच्चे मतलबी हैं | कोई भी मेरे साथ नही खेलेगा |" आप अपने बच्चे को उदास देख कर कैसा महसूस करते हैं? आप क्या करते हैं? प्राकृतिक पेरेंटिंग वृत्ति है कि उस बच्चे को सांत्वना देना, उन्हें शांत करना, उनकी रक्षा करना और स्थिति को ठीक करना | बीच-बचाव करने के लिए शिक्षक को बुलाना या अन्य माता-पिता को खेल की व्यवस्था करने के लिए, यह शायद पाँच वर्ष की उम्र में तो ठीक है | लेकिन अगर आपका बच्चा आंसुओं में दिन रात घर आता रहता है तब आप क्या करेंगे ? क्या आप 8, 10, 14 वर्ष की उम्र में भी उनके लिए सब कुछ ठीक करते हैं? बच्चों के लिए, जैसे जैसे वे विकसित हो रहे होते हैं वे हमेशा ही चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने जा रहे हैं : नींद, मौखिक रिपोर्ट, एक चुनौतीपूर्ण परीक्षा जो एक दम से आती है, एक खेल टीम के लिए प्रयास करना या स्कूल के खेल में एक जगह, साथियों से टकराव ... इन सभी स्थितियों में जोखिम शामिल है: अच्छा नहीं करने का, वे जो चाहते हैं, वह नहीं मिलने का जोखिम, गलतियां करने का जोखिम शर्मिंदगी का जोखिम | चिंता वाले बच्चे जो जोखिम नहीं लेते और शामिल नहीं होते हैं, फिर वे यह नहीं सीख पाते कि इस प्रकार की स्थितियों का सामना कैसे करें | सही कहा ना? क्योंकि कौशल समय के साथ विकसित होता है, बच्चों के सामने रोज़ दोहराकर आने वाली परिस्थितियों से : आत्म-सुखदायक कौशल या उदास होने पर अपने आप को शांत करने की क्षमता; समस्या को सुलझाने के कौशल, दूसरों के साथ संघर्ष को हल करने की क्षमता के साथ; संतुष्टि की देरी, या अपने प्रयासों को जारी रखने की क्षमता इस तथ्य के बावजूद कि आपको परिणाम देखने के लिए समय का इंतजार करना पड़ेगा | ये और कई अन्य कौशल बच्चों में विकसित होते हैं जो जोखिम लेते हैं और शामिल होते हैं | और सेल्फ - एफ्फिकेसी आकार लेती है, जो, सीधे शब्दों में कहें तो, अपने आप में विश्वास है कि आप चुनौतीपूर्ण स्थितियों से निपट सकते हैं | चिंता से ग्रस्त बच्चों के लिए जो इन स्थितियों से बचते हैं और दूर भागते हैं और अन्य लोगों से उनके लिए करवाते हैं वे समय के साथ और अधिक चिन्तित हो जाते हैं साथ ही, खुद पर कम भरोसा रखने वाले भी | अपने साथियों के विपरीत जो चिंता से ग्रस्त नहीं हैं, वे मान लेते हैं कि वे इन स्थितियों का प्रबंधन करने में असमर्थ हैं | उन्हें लगता है कि उन्हें किसी की ज़रूरत है,कोई अपने माता-पिता की तरह, जो उनके लिए उनका काम कर दे | अब, जबकि प्राकृतिक पेरेंटिंग वृत्ति ही यह है कि बच्चे को आराम तथा सुरक्षा और आश्वासन दें, 1930 में, मनोचिकित्सक Alfred Adler ने पहले ही माता -पिता को चेताया था कि हम एक बच्चे को जितना प्यार करना चाहें उतना कर सकते हैं, पर हमें इस बच्चे को कभी भी (हम पर ) निर्भर नहीं बनाया चाहिए | उन्होंने माता -पिता को सुझाया कि उन्हें बच्चों को शुरुआत से ही train करना शुरू कर देना चाहिए कि वे खुद के पैरों पर खड़े रहें | उन्होंने यह भी चेताया कि अगर बच्चों को आभास हो जाए कि उनके माता -पिता के पास उन्हें गोदी लेने और बुलाने पर आने की तुलना में कोई बेहतर काम नहीं है वे प्यार का एक गलत विचार हासिल करेंगे। इन दिनों और वक़्त में चिंता वाले बच्चे, वे हमेशा अपने माता -पिता को बुला रहे होते हैं या उन्हें पूरे दिन और रात संकट की कॉल देते रहते हैं | तो अगर चिंता वाले बच्चे छोटे से ही प्रॉपर झूझने के तरीकों को नहीं सीखते हैं फिर उनके बड़े होने पर उनके साथ क्या होता है? मैं चिंता विकारों के साथ युवा वयस्कों के माता -पिता के लिए समूह चलाती हूँ | इन युवाओं की उम्र 18 से 28 के बीच है | वे ज्यादातर घर पर रहते हैं, अपने माता - पिता पर निर्भर | उनमें से बहुत, संभव है कि स्कूल और कॉलेज गए हों | कुछ ग्रेजुएटड भी हैं | ज्यादातर सब ही काम नहीं कर रहे हैं, केवल घर पर ही रहते हैं और ज्यादा कुछ नहीं करते | उनके दूसरों के साथ अर्थपूर्ण (meaningful ) सम्बन्ध नहीं हैं, और वे बहुत ज्यादा अपने माता -पिता पर आधारित हैं जो उनके लिए उनके सारे काम करते हैं | उनके माता -पिता अभी तक उनके लिए उनके डॉक्टर के अपॉइंटमेंट करवाते हैं | वे बच्चों के पुराने दोस्तों को कॉल करते हैं और उनसे मिलने आने की विनती करते हैं | वे बच्चों की लॉन्ड्री करते हैं और उनके लिए खाना बनाते हैं | और वे अपने युवा वयस्क के साथ बहुत द्वंद में हैं, क्यूंकि चिंता विकसित हो चुकी है परन्तु युवा नहीं | इन माता-पिता को भारी अपराधबोध महसूस होता है, लेकिन फिर आक्रोश, और फिर अधिक अपराध बोध। अच्छा, कुछ अच्छी खबर के बारे में क्या ख्याल है? अगर बच्चे के माता -पिता और उसके जीवन के मुख्य लोग उनके डर का सामना करने के लिए, समस्या सुलझाना सीखने में बच्चे की मदद कर सकते हैं, उनकी सहायता कर सकते हैं| फिर ये ऐसा है कि बच्चों की चिंता का प्रबंध करने के लिए उनके आंतरिक कोपिंग तंत्र का वे विकास करने जा रहे हैं | हम अब माता-पिता को हर पल सावधान रहना सिखाते हैं और अपने बच्चे की चिंता के लिए उनकी प्रतिक्रिया को सोचने को कहते हैं | हम उनसे पूछते हैं, "स्थिति को देखो और पूछो, 'यह स्थिति क्या है? मेरे बच्चे के लिए यह कितना खतरनाक है? और आखिरकार मैं इससे उन्हें क्या सिखाना चाहता हूँ? " अब, निश्चित रूप से, हम चाहते हैं कि माता -पिता ध्यान से सुनें | अगर एक बच्चे को गंभीर रूप से धमकाया जा रहा है या नुकसान में डाला जा रहा है, हम चाहते हैं कि माता-पिता हस्तक्षेप करें, पूर्ण रूप से | परन्तु आम तौर पर, हर रोज़ चिंता पैदा करने वाली परिस्थितियों में, माता -पिता उनके बच्चे के लिए सबसे अधिक उपयोगी हो सकते हैं अगर वे शांत रहें और matter-of-fact and warm बने रहें, यदि वे बच्चे की भावनाओं को मान्य करते हैं लेकिन फिर बच्चे की मदद करें, बच्चे की योजना बनाने में उनकी सहायता करें कि कैसे वे स्थिति का प्रबंधन करें और फिर -- यही यह कुंजी है - जिससे बच्चा वास्तव में खुद स्थिति से निपट सके | बेशक, यह दिल तोड़ने वाला है एक बच्चे को इस प्रकार परेशान होते हुए देखना, जैसा कि मेरे माता-पिता ने मुझे वर्षों बाद बताया, जब आप अपने बच्चे को पीड़ा में देखते हैं लेकिन आपको लगता है कि आप बीच में आ सकते हैं और उन्हें इसके दर्द से बचा सकते हैं, यही सब कुछ है, ठीक ? यही हम करना चाहते हैं। पर चाहें हम छोटे हों या बड़े, अत्यधिक चिंता हमें जोखिम और संकट को बड़ा मनवाती है और सामना करने की हमारी क्षमता को कम | हम जानते हैं कि जिससे हम डरते हैं उसको बार -बार दोहराने से चिंता कम होती है, और संसाधन और लचीलापन बढ़ता है| मेरे माता -पिता ऐसा ही कुछ कर रहे थे आज के हाइपर-चिंताशील युवाओं की अत्यधिक सुरक्षात्मक पेरेंटिंग द्वारा मदद नहीं की जा रही है| शांति और आत्मविश्वास सिर्फ भावनाएं नहीं हैं। वे सामना कर पाने के कौशल हैं जिन्हे माता -पिता और बच्चे सीख सकते हैं | धन्यवाद (तालियाँ) मैं पहली महिला राष्ट्रपति थी एक अफ्रीकी राष्ट्र की और मेरा मानना ​​है कि और देश कोशिश करनी चाहिए कि (हंसी) (तालियाँ और जयकार) एक बार कांच की छत टूट गई, इसे कभी भी एक साथ नहीं रखा जा सकता है हालाँकि कोई भी ऐसा करने की कोशिश करेगा जब मैंने लाइबेरिया का राष्ट्रपति पद ग्रहण किया जनवरी 2006 में, हमने जबरदस्त चुनौतियों का सामना किया संघर्ष के बाद के राष्ट्र: ढह गई अर्थव्यवस्था, नष्ट बुनियादी ढांचा, दुष्क्रियाशील संस्थाएँ, भारी कर्ज, बहुत अधिक सिविल सेवा हमने पीछे रह गए लोगों की चुनौतियों का भी सामना किया सभी नागरिक युद्धों के प्राथमिक शिकार: महिलाओं और बच्चों पद में मेरे पहले दिन, मैं उत्साहित था और मैं थक गया थाथी। यह बहुत लंबी चढ़ाई थी मैं कहाँ थी महिलाओं को सबसे ज्यादा सहना करना पड़ा है हमारे नागरिक संघर्ष में, और महिलाएं इसे सुलझाने वाली थीं। हमारा इतिहास रिकॉर्ड करता है ताकत और कार्रवाई की कई महिलाएं। संयुक्त राष्ट्र के एक राष्ट्रपति सामान्य सभा, एक प्रसिद्ध सर्किट कोर्ट के न्यायाधीश, लाइबेरिया विश्वविद्यालय के एक अध्यक्ष। मुझे पता था कि मुझे बनना है एक बहुत मजबूत टीम व्याख्यान की क्षमता के साथ हमारे राष्ट्र की चुनौतियां। और मैं महिलाओं को रखना चाहती थी सभी शीर्ष पदों पर। लेकिन मुझे पता था कि यह संभव नहीं था। और इसलिए मैंने उन्हें लगाने के लिए समझौता किया रणनीतिक स्थितियों में। मैंने विश्व बैंक से एक बहुत सक्षम अर्थशास्त्री की भर्ती की मारे वित्त मंत्री होने के लिए, हमारे ऋण-राहत प्रयास का नेतृत्व करने के लिए। मंत्री बनने के लिए एक और विदेशी मामलों की, हमारे द्विपक्षीय को फिर से सक्रिय करने के लिए और बहुपक्षीय संबंध। पुलिस की पहली महिला प्रमुख हमारी महिलाओं के डर को दूर करने के लिए, जिसने बहुत कुछ झेला था गृहयुद्ध के दौरान। लिंग मंत्री बनने के लिए एक और, सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम होना और महिलाओं की भागीदारी। अधिक समय तक, न्याय मंत्री, सार्वजनिक कार्यों के मंत्री, कृषि मंत्री, वाणिज्य और उद्योग मंत्री। नेतृत्व में भागीदारी मेरे प्रशासन में अभूतपूर्व था। और हालाँकि मुझे पता था पर्याप्त महिलाएँ नहीं थीं अनुभव के साथ सभी महिला कैबिनेट बनाने के लिए - जैसा मैं चाहती थी - मैंने कई महिलाओं को नियुक्त किया कनिष्ठ मंत्री पदों में, अधिकारियों के रूप में, प्रशासक के रूप में, स्थानीय सरकार में, राजनयिक सेवा में, न्यायपालिका में, सार्वजनिक संस्थानों में। यह काम कर गया 2012 के अंत में, हमारी आर्थिक वृद्धि नौ प्रतिशत पर पहुंच गया था। हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा था बहुत जल्दी पुनर्निर्माण किया हमारे संस्थान फिर से काम कर रहे थे। 4.9 बिलियन का हमारा कर्ज काफी हद तक रद्द कर दिया गया था। हमारे अच्छे संबंध थे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ, विश्व बैंक, अफ्रीकी विकास बैंक। हमारे अच्छे कामकाजी संबंध भी थे with all our sister African countries और पूरी दुनिया में कई राष्ट्र। हमारी औरतें सो सकती थीं रात को फिर से शांति से, बिना डर ​​के। हमारे बच्चे फिर से मुस्कुरा रहे थे, जैसा कि मैंने उनसे वादा किया था मेरा पहला उद्घाटन भाषण। प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता हमारे राष्ट्र की, संघर्ष के कई वर्षों में खो दिया, बहाल कर दिए गए। लेकिन प्रगति की कभी गारंटी नहीं होती है। और हमारे विधायिका में, मेरे पहले कार्यकाल में, महिलाएं 14 प्रतिशत थीं। दूसरे कार्यकाल में, यह घटकर आठ प्रतिशत हो गया, क्योंकि पर्यावरण तेजी से विषाक्त था। मेरे पास मेरे उचित शेयर थे आलोचना और विषाक्तता की। कोई भी पूर्णतया कुशल नहीं होता। लेकिन इससे ज्यादा कोई पूर्वानुमान नहीं है एक मजबूत महिला की तुलना में जो चीजों को बदलना चाहता है, जो बाहर बोलने के लिए बहादुर है, एक्शन में कौन बोल्ड है। लेकिन मैं आलोचना के साथ ठीक हूं। मुझे पता है कि मैंने जो निर्णय लिए, मैंने क्यों किए और मैं परिणामों से खुश हूं। लेकिन इसीलिए ज्यादा महिलाएं नेताओं की जरूरत है। वहाँ हमेशा उन हो जाएगा जो हमें फाड़ देगा, जो हमें नष्ट कर देगा क्योंकि वे चाहते हैं यथास्थिति बने रहने के लिए। हालांकि उप-सहारा अफ्रीका बड़ी सफलताएं मिली हैं महिलाओं के नेतृत्व और भागीदारी में, विशेष रूप से विधायिका में - संसद में, जैसा कि यह कहा जाता है - बहुत सारी महिलाएं 50 प्रतिशत और अधिक, हमारे देशों में से एक, 60 प्रतिशत से अधिक, संसार में सर्वोत्तम -- लेकिन हम जानते हैं कि यह पर्याप्त नहीं है। जबकि हमें बहुत आभारी होना चाहिए और हमने जो प्रगति की है, उसकी सराहना करते हैं, हम जानते हैं कि बहुत कुछ है अधिक परिश्रम करना होगा। कार्य को संबोधित करना होगा द लिविंग वेराइटीज़ संरचनात्मक के ... महिलाओं के खिलाफ कुछ। बहुत सारे स्थानों में, राजनीतिक दलों संरक्षण पर आधारित हैं, पितृसत्तात्मकता, स्री जाति से द्वेष कि महिलाओं को रखने की कोशिश करें उनके सही स्थानों से, कि उन्हें बाहर बंद करो नेतृत्व के पदों को लेने से। बहुत बार, महिलाओं का सामना - सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए, जबकि क्षमता में बराबर या बेहतर - असमान वेतन। और इसलिए हमें काम करना जारी रखना चाहिए चीजों को बदलने के लिए। हमें बदलने में सक्षम होना चाहिए स्टीरियोटाइपिंग। हमें यह सुनिश्चित करने में सक्षम होना चाहिए उन संरचनात्मक बाधाओं महिलाओं को रखा है इक्विटी होने में सक्षम होने से वे योग्य हैं। और हमें पुरुषों के साथ भी काम करना चाहिए। क्योंकि तेजी से, मान्यता है कि पूर्ण लिंग इक्विटी एक मजबूत अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करेगा, अधिक विकसित राष्ट्र, एक अधिक शांतिपूर्ण राष्ट्र। और इसीलिए हमें काम करते रहना चाहिए। और इसीलिए हम भागीदार हैं। मैं एक केंद्र शुरू करूंगा महिलाओं और विकास के लिए वह साथ लाएगा - (तालियां) जिन महिलाओं ने शुरुआत की है और प्रतिबद्ध हैं उनके नेतृत्व में शामिल होने के लिए। उन महिलाओं के साथ जिन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और एक साथ नेतृत्व में उन्नत। 10 साल की अवधि में, हम दृढ़ता से विश्वास करते हैं हम महिलाओं की इस लहर का निर्माण करेंगे जो लेने के लिए तैयार हैं, निश्चित रुप से, जानबूझकर नेतृत्व और प्रभाव पूरे समाज में। इसलिए -- (हंसता) 81 साल की उम्र में, मैं रिटायर नहीं हो सकता। (तालियाँ और हँसी) (तालियाँ और जयकार) महिलाएं बदलाव के लिए काम कर रही हैं अफ्रीका में। महिलाएं बदलाव के लिए काम कर रही हैं विश्वभर में। मैं उनके साथ रहूंगा, और उनमें से एक, सदैव। (तालियां) सुनने के लिए धन्यवाद। बाहर जाओ और दुनिया को बदलो। (तालियाँ और जयकार) मछुआरे के मंदिर में, क्यूक्सो, गाँव के शोमैन, समुद्र के ऊपर दिखता है और डूब जाता है। यह अभी भी सुबह है असामान्य रूप से अभी भी, और हवा की कमी नवीनतम है परेशान करने वाले संकेतों की एक श्रृंखला में। वर्ष 1400 ई.पू. क्युक्सो के गांव धूल में बैठते हैं, बेस्वाद रेगिस्तान एंडीज के बीच में और प्रशांत महासागर। ग्रामीण समुद्र से दूर रहते हैं, फसल कटाई, उन्हें धूप में सुखाना,और मछली पकड़ने की नावों के निर्माण के लिए उनका उपयोग करना। गर्मियों में हर दिन, लोग इन नावों पर निकल पड़े शार्क और अन्य मछलियों का शिकार करना जब महिला फसल काटती है शंख और समुद्री अर्चिन। सर्दियों में, तूफान शक्तिशाली लहरें लाते हैं, जो विशाल महासागर को पार करता है इन तटों पर विस्फोट करना। अधिकांश वर्षों में, क्यूक्सो का गांव कैच करता है पर्याप्त मछली से अधिक। लेकिन इस साल हवाओं ने दम तोड़ दिया और मछली घट गई है। क्यूक्सो ने इस पैटर्न को पहले देखा है: मछली गायब हो जाती है, तब हिंसक बारिश आ जाती है, जिससे बाढ़ की विभीषिका भंग होती है मिट्टी की ईंटें और बस्तियों को धोना। उसे खराब मौसम को रोकने की जरूरत है तूफान आने से पहले- उसकी एकमात्र आशा एक विशेष अनुष्ठान है वह योजना बना रहा है। क्यूक्सो बहुत कम समय खर्च करता है अन्य ग्रामीणों की तुलना में समुद्र में। वह देखते ही शमां बन गया एक सुबह समुद्र में एक संकेत अपने पिता और दादा की तरह उसके सामने। आज सुबह, वह पास के पवित्र पर्वत पर चला गया जैसे ही सूरज उगता है। वहाँ, वह औपचारिक कैक्टस इकट्ठा करता है और "घोड़े की पूंछ" की तरह जड़ी बूटी "पत्थरबाज," और वेलेरियन, खनिज हेमेटाइट के साथ। गाँव में वापस, हर कोई छोड़ने की तैयारी कर रहा है एक धार्मिक त्योहार के लिए एक बड़े मंदिर में अंतर्देशीय। त्योहार किस चीज की शुरुआत का प्रतीक है आमतौर पर बहुतायत का मौसम है, लेकिन तूफानों की ओर इशारा करते हुए, क्यूक्सो बहुत जश्न मनाने वाला नहीं है। पूरे परिवार त्योहार पर जाते हैं, जहाँ वे कुछ दिनों के लिए डेरा डालते हैं। उन्होंने समुद्री शैवाल, नक्काशीदार हड्डियां, लौकी के कटोरे, ईख की चटाई, और व्यापार के लिए अन्य सामान मंदिर के आसपास के बाजार में। क्यूक्सो माल बनाने के लिए निरीक्षण करता है यकीन है कि सब कुछ बेहतरीन गुणवत्ता का है। वह जड़ी बूटियों को इकट्ठा करता है जिसे वह सिनेबार के लिए व्यापार करना, एक खनिज जो आता है एंडीज में हाइलैंड्स से। उसे अपने संस्कार के लिए सिनेरबार की जरूरत है तूफान को रोकने के लिए। दोपहर के भोजन के आसपास, विशाल मंदिर आगे रेगिस्तान से निकलता है। लोग सब साथ से आए हैं तट और तलहटी। महिलाएं व्यापार लेनदेन संभालती हैं- वे कपास और मिट्टी के पात्र की तलाश में हैं। पुरुषों को आमतौर पर अनुमति नहीं है ट्रेडिंग करने के लिए लेकिन शमां एक अपवाद हैं। हालांकि क्युक्सो एक व्यक्ति है, अनुष्ठान के दौरान वह आधा आदमी बन जाता है, आधी औरत, और यह अस्पष्टता उनकी भूमिका बनाती है समारोहों के बाहर भी अधिक लचीला। क्यूक्सो को कोई भी सिनेबार नहीं मिलेगा बाजार में, इसलिए वह मुख्य मंदिर में जाता है, मैदान में खेल रहे बच्चों को चकमा दे रहा है। वह अपने औपचारिक परिधान को धारण करता है: लाल चेहरा पेंट, झुमके, और शार्क के दांतों का एक हार और कशेरुक। अंदर, समारोह पहले से ही चल रहे हैं, और शेमस ने शराब पी रखी है पवित्र कैक्टस पेय। उनमें से कई क्वैक्सो के दोस्त हैं वर्षों से त्योहारों, लेकिन वह पहाड़ के शमसानों को नहीं देखता कौन सिनबर होगा। वह घबराने लगता है। यदि हाइलैंड शमां नहीं दिखाते हैं, उसका एकमात्र विकल्प बनाना होगा पहाड़ों में लंबी सैर। यह एक खतरनाक यात्रा है पाँच दिन लगते हैं, कीमती समय वह बर्बाद नहीं होगा। लेकिन शायद उसके पास कोई विकल्प नहीं है। वह पवित्र कैक्टस को मना कर देता है और पहाड़ों की ओर रवाना हो गया। जैसे ही वह बस्ती को पीछे छोड़ता है, वह एक समूह से संपर्क करता है। वह उन्हें हाइलैंडर्स के रूप में पहचानता है उनके लामाओं द्वारा। वह अपने थानेदार की ओर लपका। नमस्कार कहने के लिए बमुश्किल, उन्होंने उसे हेमटिट, सूखे समुद्री शैवाल, और खाली गोले चूने के लिए पीसने के लिए और कोका के पत्तों के साथ चबाएं। बदले में, दूसरा शमां उसे कीमती सिनेबार देता है। हाथ में उनके अनुष्ठान की कुंजी के साथ, कुएक्सो मंदिर के प्रमुख हैं मछुआरे का ज्वार को मोड़ने की आशा में। बात साफ़ है कि हम कठिनाई के दौर में हैं । ये कहा जा सकता है कि वित्त-बाजार असफ़ल रहे हैं और अनुदान-पद्धति ने भी असफ़लता ही दी है। और इसके बावज़ूद, मै दृढता से आशावादियों के साथ खडी हूँ जो ये मानते है कि जीवित होने का आज से बेहतर समय कभी था ही नहीं । कुछ नयी तकनीकों के कारण कुछ नये साधनों के कारण, नये हुनरों के कारण, और ज़ाहिर है कि पूरी दुनिया में दिखती नई प्रतिभा के कारण, जो बदलाव लाने के लिये मानसिक रूप से प्रतिबद्ध हैं। और हमारे राष्ट्रपति भी 'वसुधैव कुटुंबकम' में विश्वास रखते हैं, और ये मानते है कि अब कोई एक देश महाशक्ति नहीं बन सकता है, बल्कि हमें अपनी दुनिया को नये नज़रिये से देखने की ज़रूरत है। और पारिभाषिक रूप से, इस कमरे में बैठे हर शख्श को खुद को विश्व-आत्मा ही मानना चाहिये, वैश्विक-नागरिक। आप सामने से नेतृत्व करने वाले लोग हैं। और आपने बढिया से बढिया और बुरे से बुरा कृत्य देखा है जो मानवों ने दूसरों के लिये, और दूसरों के साथ किया है। और चाहे आप किसी भी देश में रहते या काम करते हों, आप गवाह होंगे मानवो द्वारा किये गये इन असाधारण कृत्यों के, साधारण आम इंसानों द्वारा किये गये कृत्यों के। आजकल एक ज़ोरदार बहस चल रही है कि कैसे लोगों को गरीबी से निज़ात दिलाया जाये, कैसे उन में दबी आत्म-शक्ति को प्रवाहित किया जाये। एक तरफ़ ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि अनुदान-प्रणाली इतनी टूट चुकी है कि उसे उखाड फ़ेंकना चाहिये. दूसरी तरक वो हैं जो कहते हैं कि समस्या ये है कि भरपूर अनुदान कभी दिया ही नहीं गया। और मैं ऐसी चीज़ के बारे में बात करना चाहती हूँ जो बाज़ार और अनुदान दोनो है। इसे हम धैर्यवान पूँजी कहते हैं। आलोचक उँगली उठाते हैं कि ५०० बिलियन डॉलर (बीस हज़ार करोड रुपये) खर्च हो चुके हैं अफ़्रीका पर १९७० से अब तक और पूछते हैं कि हमने क्या पाया सिवाय पर्यावरण के ह्रास के, और अमानवीय स्तर की गरीबी और महामारी जैसे भ्रष्टाचार के? वो मोबोटू का उदाहरण देते हैं। और से नीती बनाने की बात कहते हैं जिससे कि सरकार को जवाबदेह बनाया जाये, पूँजी बाजारों को केंद्र में रख जाये, और दान के बजाय निवेश किया जाये। दूसरी तरफ़, जैसा कि मैनें कहा, वो हैं जो कहते हैं कि समस्या है कि हमें और पैसा अनुदान में चाहिये। कि रईसों को बचाने के लिये हम राहत-अनुदान देने को तैयार हैं अर बहुत ज्यादा खर्च करते हैं। पर जब बात गरीबों पर आती है, वो हम अपना पल्लू झाड लेते हैं। वो अनुदान की सफ़लता के ओर इशारा करते हैं: बडी चेचक (स्मालपोक्स) के खात्मे की ओर, और कई करोड मच्छरदानियों के वितरण की ओर। दोनों ही सही हैं। और समस्या ये है कि दोनो ही पक्ष दूसरे की बात सुनने को राज़ी नहीं हैं। और इससे भी बडी समस्या ये कि वो उन्हें सुनने को भी तैयार नहीं जिन गरीबों के लिये वो काम करना चाहते हैं। २५ साल तक काम करने के बाद गरीबी और नवपरिवर्तन के मसलों से जुडे रहने पर, मुझे लगता है कि बाज़ार से जुडे लोगों की संखया इस धरती पर उतनी ही है जितनी कि गरीबों की। गरीबों को भी रोज़ बाज़ारों से रूबरू होना पडता है, छोटे छोटे दर्ज़नों फ़ैसले लेने होते हैं, समाज में अपनी राह बनाते के लिये। और इतनी कडी मेहनत के बावजूद भी सिर्फ़ एक छोटी स्वास्थय समस्या जो उनके परिवार को झेलनी पड जाये, उन्हें वापस गरीबी में धकेल सकती है, कई बार तो कई पीढियों के लिये। और इसलिये हमें बाज़ारों की उतनी ही ज़रूरत है जितनी कि अनुदानों की। धैर्यवान पूँजी इन दोनों के बीच अपने लिये एक ख़ास जगह बनाती है, और दोनो की बेहतर बातों को स्वयं में समाहित करती है। ये पूँजी वो धन है जिसे उन उद्यमियों को सौंपा गया है जिन्हें अपने समाज की पहचान है और जो हल निकाल रहे हैं समस्याओं का जैसे कि स्वास्थ सेवाएँ, जल-आपूर्ति, आवास, वैकल्पिक ऊर्जा का, गरीबों को सिर्फ़ दया का प्राप्त मानते हुये नहीं, बल्कि उन्हें ग्राहक, मुवक्किल, और उप्भोक्ता का दर्ज़ा देते हुए, गरीबो को अपने जीवन के फ़ैसले लेने की गरिमा देते हुए। धैर्यवान पूँजी का निवेश चाहता है कि हम में जोखिम उठाने की अविश्वसनीय काबलियत हो, और असाधारण दूरदर्शिता हो जो हमें इन उद्यमियों को समय देने दे, कि वो बाजार में प्रयोग कर के सीख सकें, और ये स्वीकार करें कि हमें बाज़ार-भाव से कम मुनाफ़ा होगा, मगर हम बेहतरीन सामाजिक असर डाल पाएँगे। धैर्यवान पूँजी निवेश ये मान कर ही किया जायेगा कि बाज़ार की अपनी मियादें हैं। और इसलिये धैर्यवान पूँजी कुछ हद तक अनुदान का भी प्रयोग करती है जिस से कि वैश्विक अर्थव्यवसथा के फ़ायदे सब लोगों तक पहुँचें। देखिये, उद्यमियों को धैर्यवान पूँजी की आवश्यकता तीन कारणों से होती है। पहला ये कि वो ऐसी बाज़ारों में हैं जहाँ लोगों की दैनिक कमाई एक से तीन डॉलरों के बीच है और उन्हें अपने सारे फ़ैसले उसी कमाई के स्तर पर लेने होते हैं। दूसरा ये कि जिन जगहों पर वो काम करते हैं वहाँ बुनियादी सुविधाएँ भी खस्ताहाल हैं। सडकें गायब ही हैं, बिजली कभी आई, कभी नहीं, और जबरदस्त भ्रष्टाचार है। तीसरा ये कि अक्सर वो लोग पूर्णतः नयी बाज़ार बना रहे होते हैं। यदि आप साफ़ पानी भी पहली बार किसी गाँव में ले जा रहे हैं, वो बिलकुल नयी चीज़ है। और बहुत सारे गरीब लोगों ने बहुत सारे झूठे वादे सुने और झेले हैं, और तमाम ठगों और नकली दवाओं से उनका पाला पड चुका है, कि उनका विश्वास ग्रहण करने में बहुत वक्त लगता है, और धैर्य भी आजमाइश भी होती है। उन्हें ढेरों मदद चाहिये होती है प्रबंधन में भी, न सिर्फ़ नयी प्रणाली बिठाने के लिये, और ऐसे व्यावसायिक ढाँचों को बनाने के लिये जो कि गरीबों तक चिरस्थायी रूप से पहुँचे, पर इन व्यवसायों की पहुँच को दूसरे बाज़ारों तक, सरकारों तक, और बडे निगमों तक विकसित करने में-- सच्ची साझेदारियाँ जो कि काम के पैमाने को विशालता दें। मैं आपसे एक कहानी बाँटना चाहती हूँ ड्रिप-सिंचाई नाम की एक नवीन तकनीक की कहानी। सन २००२ में मेरी मुलाकात एक महान उद्यमी से हुई भारत के अमिताभ सडाँगी, जो लगभग २० सालों से धरती के शायद सबसे गरीब किसानों के साथ काम कर रहे हैं। और उन्होंने अपनी निराशा ज़ाहिर की कि अनुदान व्यवस्था ने इन गरीब किसानों बिलकुल ही अनदेखा कर दिया था, जबकि ये सत्य है कि करीब २० करोड किसान केवल भारत में ही प्रतिदिन एक डॉलर से नीचे कमाते हैं। और अनुदान या आर्थिक मदद या तो बडे खेतों को मिल रही थी, या फ़िर छोटे किसानों को सिर्फ़ सलाह मिल रही थी वो भी वो जो देने वाली ठीक समझते थे, और किसान उन्हें लागू नहीं करना चाहते थे। उसी समय अमिताभ भी ड्रिप-सिंचाई की तकनीक में आकंठ डूबे हुये थे जिसका ईज़ाद इज़राइल में हुआ था। ये पानी की थोडी थोडी मात्रा को सीधे पौधे तक पहुँचाने की तकनीक है। और इस तकनीक ने रेगिस्तानों तक को हरे भरे खेतों में तब्दील कर डाला था। और साथ ही बाज़ार-व्यवस्था ने भी गरीब किसानों को अनदेखा कर दिया था। क्योंकि ये तकनीक बहुत महँगी थी, और केवल बडे खेतों में इस्तेमाल के लिये ही बनायी गयी थी। आम छोटे गाँव का किसान ज्यादा से ज्यादा एक या दो एकड खेत में काम करता है। और इसलिये अमिताभ ने फ़ैसला किया कि वो इस तकनीक को दुबारा विकसित करेंगे उसे गरीब किसानों के लिये उपयोगी बनाने के लिये। क्योंकि उन्होंने किसानों को समझते हुए कई साल बिताये थे, न कि अपनी सोच उन पर थोपते हुए। तो उन्होनें तीन मौलिक सिद्धान्तों का प्रयोग किया। पहला था लघुकरण, चीज़ को छोटा बनाना। ड्रिप-सिंचाई व्यवसथा को इतना छोटा होना होगा कि एक किसान को केवल चौथाई एकड ज़मीन में ही जोखिम उठाना पडे, चाहे उसके पास दो एकड खेत ही क्यों न हो, क्योंकि असफ़लता का मतलब किसान के लिये भयंकर होता है। दूसरा, उसे बहुत ही सस्ता होना होगा। दूसरे शब्दों मे, चौथाई एकड पर उठाया गया जोखिम एक बार की फ़सल से ही चुकाया जा सके। नहीं तो किसान तकनीक के इस्तेमाल का जोखिम उठाएँगे ही नहीं। और तीसरा, जिसे अमिताभ कहते है बेहद विस्तार के काबिल हो। मेरा मतलब है कि पहले चौथाई एकड के मुनाफ़े से किसान दूसरे के लिये खरीद सकें, और फ़िर तीसरे, और फ़िर चौथे के लिये। आज, अमिताभ की संस्था, आई.डी.ई., ३०० से ज्यादा किसानों को ये तकनीक बेच चुकी है और उनकी पैदावार और कमाई को औसतन दोगुना या तिगुना कर चुकी है। पर ये अचानक हुआ चमत्कार नहीं है। जब आप शुरुवात पर नज़र डालेंगे, तो पायेंगे कि निजी निवेशक इस नयी तकनीक को बनाने में जोखिम नहीं ले रहे थे वो भी ऐसी बाज़ार के लिये जहाँ लोग प्रतिदिन एक डॉलर से कम कमाते थे, और जोखिम नहीं उठाने के लिये जाने जाते थे, और जो दुनिया के सबसे जोखिम भरे कामों में से एक था, खेतीबाडी। तो हमने अनुदान दिया। और उन्होने इन अनुदानों का इस्तेमाल शोध, प्रयोग करने, असफ़ल होने, और फ़िर से कोशिश करने में किय। और जब हमारे पास एक नमूना तैयार हो गया और बाज़ार और किसानों के रिश्ते की समझ भी बढ गयी, तब हम धैर्यवान पूँजी तक पहुँचे। और हमने उनकी मदद की, एक कंपनी बनाने में, मुनाफ़े के लिये काम करने वाली, जो कि आई.डी.ई. के ज्ञान को आगे ले जाएगी और निर्यात एवं बिक्री पर केंद्रित होगी, और दूसरी प्रकार के निवेशकों को आकर्षित कर सकेगी। वहीं, हम ये भी देखना चाहते थे कि क्या हम इस तकनीक को दूसरे देशों को निर्यात कर सकते हैं। तो हम डॉ. सोनो ख़ानघरानी से पाकिस्तान में मिले। और देखिये, हालांकि बहुत धैर्य चाहिये होता है भारत में बनी तकनीक को पाकिस्तान ले जाने में, केवल परमिट लेने में ही, फ़िर भी, हम एक कंपनी शुरु कर पाये डॉ. सोनो के साथ, जो कि एक विशाल समाज विकास संस्था चलाते हैं थार रेगिस्तान में, जो कि उनके देश के सुदूर और सबसे गरीब इलाकों में से एक है। और हालांकि ये कंपनी बस शुरु ही हुई है, हमारा अनुमान है कि यहाँ हम दसियों लाख लोगों पर असर देखेंगे। और ये केवल ड्रिप-सिंचाई से ही नही है। हम देख रहे है कि सारे संसार में सुखद बदलाव आ रहे हैं। तन्जानिया स्थित अरुशा में, ए टू जेड टेक्सटाइल मन्यूफ़ेक्चरिंग ने हमारे साथ साझेदारी की है, यूनिसेफ़ के साथ, वैश्विक निधियोंके साथ, एक कारखाना लगाने में जिसमें ७००० लोगों को रोज़्गार मिलता है, ज्यादातर स्त्रियों को। और वो २ करोड जीवनदायी मच्छरदानियाँ अफ़्रीका के लिये बनाते हैं। लाइफ़स्प्रिंग हॉस्पिटल अक्यूमन और भारत सरकार के बीच एक साझा उपक्रम है गुणकारी और सस्ती जच्चा-बच्चा स्वास्थ सेवा को गरीब महिलाओं तक पहुँचवा पाने के लिये। और ये इतना सफ़ल हुआ है कि आजकल हर पैंतीस दिन पर एक नया हॉसपिटल बन रहा है। और १२९८ अम्बुलेन्स ने ये फ़ैसला किया कि वो दुबारा से एक टूट चुके उद्योग को जीवित करेंगे, बंबई में अम्बुलेंस सेवा को बना कर, जो कि गूगल अर्थ की तकनीक को इस्तेमाल करेगा, और कई एक दामों के स्तर पर काम करेगा जिस से कि सब लोगों को सेवा मुहैया हो सके, और एक कठोर और कडा फ़ैसला किया कि किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार में भागी नहीं बनेंगे। यहाँ तक कि नवंबर में हुए आतंकी हमले में सबसे पहले सेवा देने ये ही पहुँचे थे, और अब वो बडे रूप में आ रहे है, सिर्फ़ इस साझेदारी के चलते। हाल ही में उन्हें सरकारी ठेका मिला है करीब सौ नई अम्बुलेन्स बनाने का, और ये ये शायद सबसे बडी और सबसे सुचारु अम्बुलेंस सेवा है भारत में। बडे पैमाने पर काम करना सबसे महत्वपूर्ण है। क्योंकि हम देख रहे हैं कि ये उद्यमी लाखों लोगों तक पहुँच पा रहे हैं। मैने जितने भी उदाहरण दिये हैं, वो सब कम से कम ढाई लाख लोगों तक अपनी सेवाएँ पहुँचा चुके हैं। परंतु सिर्फ़ इतना ही काफ़ी नहीं है। और यहीं पर साझेदारी की बात महत्वपूर्ण हो उठती है। चाहे वो उन नवीन तरीको को ढूँढ कर हो जोकि बाजार की पूँजी तक पहुँच सकते हैं, चाहे सरकार के साथ, या फ़िर निगमों के साथ, आज अविश्वसनीय मौके हैं कुछ नया विकसित करने के। राष्ट्रपति ओबामा इस बात को बिल्कुल समझते हैं। उन्होंने हाल ही में एक सामाजिक नवप्रवर्तन निधि की घोषणा की है जो इस देश में ढँग से चल रही चीजों पर केंद्रित होगा, और उन्हें बडे पैमाने पर ले जाने के तरीके खोजेगा। और मैं तो ये भी कहूँगी कि समय आ गया है कि कल्पना की जाये ऐसी ही नवप्रवर्तन निधि की जो कि विस्व स्तर पर काम करे, जो कि संसार भर के उद्यमियों को ढूँढे, जिन्होंने कुछ नया किया है, न सिर्फ़ अपने देश के लिये, बल्कि ऐसा कुछ जिसे हम विकसित देशों में भी इस्तेमाल कर सकें। न सिर्फ़ पूँजी ही निवेश कीजिये, बल्कि प्रबंधन सहायता भी दीजिये। और फ़िर उस से हुए फ़ायदे को नापिये, वित्तीय दृष्टिकोण से, और सामाजिक असर के दृष्टिकोण से। हम जब अनुदान को लेकर अपने नए नज़रिये की बात करते हैं, तो पाकिस्तान पर बात न करना असंभव है। इस देश से हमारी रिश्तेदारी बहुत ऊबड-खाबड रही है और यदि न्यायपूर्ण बात की जाये तो अमरीका बहुत विश्वसनीय साझेदार नहीं रहा है। मगर मैं फ़िर कहूँगी कि वो झण आ गया है जब कि असाधारण चीज़ें होने वाली हैं। और अगर हम वैश्विक नवप्रवर्तन निधि की योजना को लें, तो हम इस समय सीधे सरकार में पैसा सीधे निवेश करने के बजाय, हालांकि हमें उनका सहारा चाहिये होगा, और अंतर्राष्ट्रीय विदों में पैसा लगाने के बजाय, काम कर रहे उद्यमियों में पैसा लगाये, और सामजिक नेताओं में लगायें जो कि पहले से ही गजब के नये तरीके विकसित कर रहे हैं जो कि पूरे देश के लोगों तक पहुँच रहे हैं। रशानी ज़फ़र जैसे लोग, जिन्होनें देश के सबसे बडे लघुवित्त बैंक को बनाया, और अपने देश की और बाहर की औरतों के लिये आदर्श के रूप में उभरे। और तसनीम सिद्दिक़ि जिन्होनें तरीका निकाला जिसे "बढोत्तरी-आधारित आवास" (incremental housing) कह सकते हैं, जिसके द्वारा उन्होंने चालीस हज़ार झुग्गी निवासियों का सुरक्षित, सस्ते, सामुदायिक आवास योजनाओं में स्थानान्तरण कर पाया है। शैक्षिक क्षेत्र में हुई पहलें जैसे के डी.आई.एल. और सिटिज़न फ़ाउन्डेशन जो कि पूरे देश में स्कूल बना रहे हैं। और ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि ये नागरिक संगठन और ये सामाजिक उद्यमी सच में तालिबान के मुकाबले कुछ असली विकल्प पैदा कर रहे हैं। मुझे पाकिस्तान में निवेश करते हुए सात साल से भी ज्यादा हो चुके हैं और आप में से वो जिन्होंने वहाँ काम किया है ये गवाही दे सकते हैं कि पाकिस्तानी लोग बहुत मेहनती होते हैं। और आगे बढना और तरक्की उनके खून में हैं। राष्ट्रपति कैनेडी ने कहा था कि जो लोग अहिंसक आंदोलनों को असंभव बना देते हैं, वो साथ ही हिंसक आंदोलनों को ज़रूरी बना देते हैं। मेरे हिसाब से सत्य उसका ठीक उल्टा है। ये कि सामाजिक अगुआ जो कि सच में नवप्रवर्तन की ओर देख रहे हैं और अवसर मुहैया करवा रहे हैं उन सत्तर प्रतिशत पाकिस्तानियों को जो कि प्रतिदिन दो डॉलर से कम कमाते हैं, सच में आशा की ओर असली रास्ते पैदा कर रहे हैं। और हम सोच रहे हैं कि कैसे हम पाकिस्तान के लिये अनुदान का इन्तज़ाम करें, जहाँ न्यायपालिका को मज़बूत बनाने की ज़रूरत है, ज्यादा मज़बूत स्थिरता पैदा करने की ज़रूरत है, वहीं हमें उन नेतृत्व करने वालों को आगे बढाने की भी ज़रूरत है जो कि सारे विश्व के लिये आदर्श बन सकते हैं। हाल ही में मेरी एक पाकिस्तान यात्रा में मैने डॉ. सोनो से पूछा कि क्या वो मुझे थार रेगिस्तान में ड्रिप सिंचाई का काम दिखाने ले जाएँगे। तो हम एक सुबह कराँची से सूर्योदय के पहले ही निकल गये। करीब ११५ डिग्री फार्हेन्हाइट (४६ डिग्री सेल्सियस) का तापमान था। और हमने करीब आठ घन्टे तक ड्राइव किया ऐसे इलाके में जहाँ लग रहा था कि चाँद पर पहुँच गये हैं बहुत ही कम रँग, बहुत ज्यादा गर्मी, बहुत कम बातचीत क्योंकि हम एकदम ही थके हुए थे। और अंततः हमारी यात्रा खत्म हुई मुझे दूर क्षितिज पर एक पतली पीली रेखा दिख रही थी। और जब हम नज़दीक आये, तो पूरा माज़रा समझ आया। कि वहाँ रेगिस्तान में बीचोंबीच सूरजमुखी का एक खेत था, जहाँ सात-सात फ़ीट लम्बे पौधे थे। क्योंकि दुनिया के सबसे गरीब किसानों मे से एक को एक ऐसी तकनीक तक पहुँच मिली थी जिसने उसे अपने जीवन को बदल देने में सक्षम बनाय था। उसका नाम था राजा। और उसकी भूरी आँखों में उदारता और चमक थी, और उसके स्नेही बोलते-से हाथों ने मुझे अपने पिता की याद दिलाई। और उसने कहा कि ये पहली गर्मी है उसकी सारे जीवन में जब कि वो नहीं ले गया है अपने १२ बच्चों और पचास पोते-पोतियों को दो दिन लम्बी रेगिस्तानी यात्रा पर मज़दूरी करने के लिये, एक व्यापारिक खेत पर करीब आधा डॉलर प्रतिदिन पर (रुपये बीस प्रतिदिन) क्योंकि वो इस सूरजमुखी की इस फ़सल को पैदा कर रहा था। और अपने कमाये पैसे की वजह से उसे इस साल ये सफ़र नहीं करना पडा था। और उसके परिवार की तीन पीढियों में, पहली बार उसके बच्चे स्कूल जायेंगे। हमने उससे पूछा कि क्या वो अपनी बेटियों को भी बेटों के साथ पढने भेजेगा। और उसने कहा, "बिलकुल, मैं भेजूँगा। क्योंकि मैं नहीं चाहता कि बेटियों के साथ पक्षपात हो।" जब हम गरीबी की समस्या के उपाय सोचते हैं, हम लोगों को उनकी मौलिक गरिमा से अलग न करें। क्योंकि अंततः गरिमा इंसानों की आत्मा के लिये दौलत से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। और ये रोमांचक है कि इतने सारे उद्यमी अलग अलग क्षेत्रों में ऐसे नये प्रयोग कर रहे हैं जो ये समझते हैं कि लोग सच में जो चाहते हैं, वो है आज़ादी और विकल्प और मौके। क्योंकि यहीं से गरिमा की शुरुवात होती है। मार्टिन लूथर किंग ने कहा था कि बिना बदलाव लाने के ताकत के सिर्फ़ प्रेम केवल भावनात्मक और जोशरहित होता है। और ताकत मगर बिना प्रेम के उजड्ड और शोषणकारी होती है। हमारी पीढी ने दोनो ही तरह के तरीकों से कोशिश की है, और अक्सर मात खायी है। मगर मैं समझता हूँ कि हमारी पीढी ने ही शायद पहली बार प्रेम और ताकत दोनों को साथ ले कर चलने की हिम्मत दिखायी है। क्योंकि जैसे जैसे हम आगे बढेंगे, हमें यही चाहिये होगा कि हम सपने देखें और सोचे कि हमें क्या करना होगा एक ऐसी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाने के लिये, जिसमें हम सब निहित हों। और आखिर में एक मौलिक मत को कि सब इंसान बराबर हैं, इस धरती के हर इंसान को समझाने के लिये। समय आ गया है कि हम सब नव-प्रवर्तन में जुटे, और नये उपाय निकालें। मैं सिर्फ़ अपने अनुभव से ही बोल सकती हूँ। परंतु अक्यूमन फ़ंड को चलाने के पिछले आठ सालों में, मैने धैर्यवान पूँजी की ताकत को देखा है। न केवल नव-प्रवर्तन को आगे बढाने के लिये और जोखिम उठाने के लिये, पर ऐसी व्यवस्थाओं को जन्म देने के लिये जिन्होंने २५ हज़ार से भी ज्यादा रोजगार पैदा किये हैं और करोंडों सेवाओं और उत्पादों को दुनिया के कुछ सबसे गरीब लोगों तक पहुँचाया है। मुझे पता है कि धैर्यवान पूँजी काम करती है। मगर मुझे ये भी पता है कि कई और प्रकार के उपाय भी काम करते हैं। और इसलिये मैं आपसे अपील करती हूँ, कि जिस भी क्षेत्र में आप काम करते हों, और जिस भी रोज़गार में आप हों, ये सोचना शुरु कीजिये कि कैसे हम ऐसे उपाय निकाले जो कि उनके नज़रिये से सोचना शुरु करें जिनकी हम मदद करना चाहते हैं। इसके बचाय कि हम सोचें कि उन्हें क्या ज़रूरत है इसके लिये हमें सारी दुनिया दोनो हाथों से गले लगाना होगा। और इसके लिये हमें अपना दिल बडा करना होगा, और जिम्मेदारी लेनी होगी, सत्यनिष्ठा और पूरी मेहनत के साथ। और यही वो गुण हैं जिसके लिये इंसानों को पुरस्कृत किया गया है पीढी दर पीढी। और इतना कुछ अच्छा है जो कि हम कर सकते हैं। ज़रा रेगिस्तान में उगते हुए उन सूरजमुखी के सुंदर पौधों के बारे में सोचिये। धन्यवाद। (अभिवादन) मानव सामाजिक विकास सिद्धांतों के अनुसार, हम चौथे महान युगारंभ से गुज़र रहे हैं तकनीकी उन्नति के, सूचना युग। अंकीय प्रौद्योगिकी के माध्यम से संयोजकता एक आधुनिक चमत्कार है। हम कह सकते हैं इसने लोगों को अलग करने की समय व स्थान की बाधाओं को तोड़ा है, और इसने इस युग में ऐसे हालात पैदा किये हैं जहाँ सूचना और विचार स्वछन्दता से साझा किए जा सकते हैं। लेकिन क्या अंकीय प्रौद्योगिकी में ये महान उपलब्धियां हैं वास्तव में प्राप्य चीज़ों के लिए अंत है? मुझे ऐसा नहीं लगता, और आज मैं आपके साथ साझा करना चाहती हूँ मैं मानती हूँ डिजिटल प्रौद्योगिकी हमें अधिक ऊंचाई तक ले जा सकती है मैं पेशे से एक शल्य-चिकित्सक हूँ, और जब आज मैं यहॉँ खड़ी आप सभी से बात कर रही हूँ, दुनिया भर के पाँच अरब लोगों पास सुरक्षित शल्य-चिकित्सोपयोगी देखभाल की कमी है। पाँच अरब लोग। यह दुनियाँ की आबादी का 70 प्रतिशत है, जो विश्‍व स्वास्थ्‍य संगठन के लैनसेट आयोग अनुसार साधारण शल्य-चिकित्सोपयोगी प्रक्रियायों तक भी नहीं पहुँचते जब उन्हें ज़रूरत होती है। चलो सियरा लियोन पर ज़ूम करें, ६० लाख लोगों का देश, जहॉँ हाल ही के एक अध्ययन में पता चला है कि केवल १० योग्य शल्य-चिकित्सक हैं। हर ६00,000 लोगों के लिए एक ही शल्य-चिकित्सक है। सँख्या चौंका देने वाली है, व हमें वहाँ तक भी देखने की ज़रूरत नहीं है। अगर हम हमारे चारों तरफ अमेरिका में देखते हैं, ताज़ा अध्ययन ने सूचना दी कि हमें १00,000 शल्य-चिकित्सकों की अतिरिक्त ज़रूरत है। २०३० तक। बस नियमित शल्य-चिकित्सा प्रक्रियाओं की माँग को बनाए रखने के लिए। वर्तमान गति दर से हम उन संख्याओं को पूरा नहीं कर पाएँगे। शल्य-चिकित्सक नाते यह वैश्विक मुद्दा मुझे परेशान करता है। यह मुझे बहुत परेशान करता है, क्योंकि मैंने प्रत्यक्ष देखा है सुरक्षित और सस्ती स्वास्थ्य देखभाल पहुँच की कमी कैसे आम लोगों के जीवन को नष्ट कर सकती है। यदि आप एक मरीज़ हैं जिसे ऑपरेशन की जरूरत है और कोई शल्य-चिकित्सक उपलब्ध नहीं है, वास्तव में आप के पास कुछ कठिन विकल्प रह जाते हैं : यात्रा करने के लिए प्रतीक्षा करना, या बिल्कुल भी आपरेशन न करना। तो इसका उत्तर क्या है? अच्छा तो, आप के कुछ के पास आपके पास आज कुछ समाधान हैं: एक स्मार्टफोन, एक टैबलेट, एक कंप्यूटर। क्योंकि मेरे लिए, अंकीय संचार प्रौद्योगिकी में इससे कहीं अधिक करने की शक्ति है सिर्फ हमें ऑनलाइन खरीदारी करने देने, सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से जुड़ने और ताज़ा जानकारी प्राप्त करने की अपेक्षा। इसमें सामना होने वाले कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों के हल में हमारी मदद हेतु शक्ति है, जैसे महत्वपूर्ण शल्य चिकित्सा सेवाओं पहुँच तक की कमी। व आज मैं आपके साथ साझा करना चाहती हूँ एक उदाहरण अपनी सोच का कि हम इसे कैसे सम्भव बना सकते हैं। शल्य चिकित्सा का इतिहास सफलताओं से भरा है कैसे विज्ञान व प्रौद्योगिकी तत्कालीन शल्य चिकित्सकों की मदद में सक्षम थे सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना करने में। अगर हम कई सौ साल पीछे जाएँ, सूक्ष्म जीव विज्ञान की समझ से रोगाणुरोधक तकनीकें विकसित हुईं, जिन्होंने पक्का करने में बड़ी भूमिका निभाई शल्य चिकित्सा बाद रोगी जीवित रहने में सक्षम हों। कुछ सौ साल आगे आएँ व हमने कुंजी छेद या आर्थोस्कोपिक शल्य चिकित्सा विकसित की, जो वीडियो प्रौद्योगिकी और सटीक उपकरणों को जोड़ती है शल्य चिकित्सा को कम आक्रामक बनाने के लिए। और हाल ही में, आप में से बहुतों को रोबोट शल्य चिकित्सा बारे पता होगा, और रोबोटिक्स शल्य चिकित्सा बहुत कुछ आधुनिक स्वचालित मशीनरी की तरह है, अत्यन्त परिशुद्धता, प्रक्रियाओं को पूरा करने की क्षमता सबसे कम इकाइयों पर मानव हाथ से भी बढ़कर सटीकता के साथ लेकिन रोबोट शल्य चिकित्सा कुछ और भी लाई: यह सोच कि एक शल्य चिकित्सक को वास्तव में देखभाल करने के लिए रोगी की चारपाई के साथ खड़े होने की ज़रूरत नहीं है, कि वह एक चित्रपट पर देख सकता है और कंप्यूटर के माध्यम से रोबोट को निर्देश देते हुए। हम इसे दूरस्थ शल्य चिकित्सा कहते हैं। यह हम पर निर्भर है इन उत्तरों को हल करने वाले लागत प्रभावी व मापनीय तरीके से समाधान खोजने के लिए, ताकि हर कोई, दुनियाँ में कहीं भी क्यों न हो, इन समस्याओं को संबोधित करवा सकते हैं। तो क्या होगा अगर मैं आपको बताऊँ कि आपको सच में एक लाख डॉलर रोबोट की जरूरत नहीं थी दूरस्थ शल्य चिकित्सा के लिए? आपको केवल एक फोन, एक टैबलेट, या एक कंप्यूटर की ज़रूरत थी, एक इंटरनेट कनेक्शन, ज़मीन पर एक आश्वस्त सहयोगी और एक जादुई संघटक: एक संवर्धित वास्तविक सहभागिता सॉफ्टवेयर। इस संवर्धित वास्तविक सहभागिता सॉफ्टवेयर का उपयोग करके, एक विशेषज्ञ शल्य चिकित्सक अब वस्तुतः खुद को परिवहन कर सकते हैं किसी नैदानिक व्यवस्था में बस अपने फोन या टेबलेट या कंप्यूटर का उपयोग करके, व वह देख कर व व्यावहारिकता से ऑपरेशन में परस्पर बातचीत कर सकते हैं आरंभ से अंत तक, एक स्थानीय चिकित्सक को कदम कदम पर मार्गदर्शन और सलाह देते हुए। खैर, मैंने आपको इस बारे बहुत बता दिया है। अब मैं आपको दिखाना चाहूँगी। डा. मार्क टोपकिंस के पास लाइव जाने वाले हैं, जो मिनेसोटा विश्वविद्यालय में एक हड्डियों के शल्य चिकित्सक हैं। वह हमारे लिए एक आर्थोस्कोपिक सर्जरी का प्रदर्शन करने जा रहा है, घुटने की एक कुंजी छेद शल्य चिकित्सा, और मैं खुलासा करना चाहती हूँ कि इस रोगी ने ऑपरेशन की लाइव वीडियो दिखाने की सहमति दी है। मैं भी कहना चाहूँगी कि समय के हित में, हम अभी पहले चरण में से गुज़रने वाले हैं, रोगी को चिह्नित करके और बस कुछ प्रमुख संरचनात्मक स्थलों को पहचानते हुए। हैलो, डॉ. टॉम्पकिंस, क्या आप मुझे सुन सकते हैं? डॉ. मार्क टोम्पकिंस: गुड मॉर्निंग, नादिन। नादिन हाचच-हरम: टेड के सभी लोग नमस्ते कहते हैं। दर्शक: हाय। एन.एच.एच: ठीक है, डॉ. टॉम्पकिंस, चलो शुरू करें। तो चलो हमारे चीर फाड़ से शुरु करें और जहाँ हम इन को करने वाले हैं, पैटेलर कण्डरा के दोनों तरफ। तो अगर आप वहाँ और वहाँ अपने चीर फाड़ को कर सकते हैं, उम्मीद है कि इससे हम घुटने में पहुँच पाएँगे। एम.टी: ठीक है, मैं अंदर जा रहा हूँ। एन.एच.एच: महान। तो अब हम बस जोड़ के अंदर पहुँच रहे हैं। तो हम जल्दी से एक नज़र जानु-सन्धिकी अर्धचन्द्राकार उपास्थि पर डालते हैं। एम.टी: बिल्कुल सही। एन.एचएच: बढ़िया है, इसलिए हम वहां देख सकते हैं उपास्थि पर एक छोटी सी फाड़, लेकिन अन्यथा यह ठीक दिखता है। और घूम कर इस दिशा में बढ़ते हो, मेरी उंगली का अनुसरण करो, चलो ए.सी.एल. और पी.सी.एल. पर एक अविलंब नज़र डालें। वह वहाँ आपका ए.सी.एल. है, जो काफी स्वस्थ दिखता है, वहाँ कोई समस्या नहीं। इसलिए हमने सिर्फ पहचान की है उस उपास्थि पर एक छोटी सी फाड़, लेकिन अन्यथा तरल पदार्थ जोड़ के आसपास ठीक दिखता है। ठीक है, बहुत बहुत धन्यवाद, डा. टॉम्पकिंस आपके समय के लिए शुक्रिया। आप जारी रख सकते हो। आपका दिन शुभ हो। अलविदा। (तालियॉँ) तो मैं आशा करती हूँ इस सरल प्रदर्शन से मैं आप को वर्णन करने में सक्षम थी कि यह तकनीक कितनी शक्तिशाली हो सकती है। व मैं कहना चाहती हूँ कि मैं किसी विशेष उपकरण का उपयोग नहीं कर रही थी,, सिर्फ मेरा लैपटॉप और वास्तव में एक सरल वेब कैमरा। हम अंकीय तकनीक का उपयोग करने के आदी हैं आवाज़, लिखित शब्दों व वीडियो के माध्यम से संवाद करने के लिए, लेकिन संवर्धित वास्तविकता कुछ इतना गंभीर कर सकती है। यह दो लोगों को सच में परस्पर बातचीत करने देता है वे व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से कैसे सहयोग करेंगे की एक तरह से नकल है। किसी को यह दिखा पाना कि आप क्या करना चाहते हैं, वर्णन, प्रदर्शन और इशारा करके सिर्फ उन्हें बताने से बहुत अधिक शक्तिशाली है। और इस तरह यह महान शिक्षण उपकरण बना सकता है।, क्योंकि हम प्रत्यक्ष अनुभव से बेहतर सीखते हैं। तो दुनियाँ भर में यह कैसे एक अंतर ला रहा है? ठीक है, वापस मेरे शिक्षण अस्पताल में , हम इसका उपयोग स्थानीय जिला सामान्य अस्पतालों का समर्थन करने के लिए और त्वचा कैंसर सर्जरी और आघात उपचार प्रदान के लिए कर रहे हैं। अब, मरीज़ स्थानीय स्तर पर देखभाल पा सकते हैं। यह उनकी यात्रा समय कम करता है, उनकी पहुँच सुधारता है, और पैसे बचाता है। हमने इसका उपयोग देखना शुरू कर दिया है नर्सों के साथ घाव देखभाल प्रबंधन में और बाह्य रोगी प्रबंधन में। बिल्कुल हाल ही में, और काफी रोमांचक, यह गुर्दा कैंसर हटाने में शल्य चिकित्सक का समर्थन करने में इस्तेमाल किया गया था। और मैं यहाँ बहुत ही जल्दी से एक वीडियो सिर्फ आपके साथ साझा करना चाहती हूँ। मैं कुछ भयानक दृश्यों के लिए माफी चाहती हूँ। (वीडियो) डॉक्टर 1: ठीक है मुझे पुन: दिखाएँ। डॉक्टर 2: यदि आप यहाँ देखते हैं, वह ऊपरी भाग है, आपके ट्यूमर का सबसे बाहरी हिस्सा। डॉक्टर 1: हाँ। डॉक्टर 2: तो यह तीन सेंटीमीटर गहरा है, तो यह तीन सेंटीमीटर होना चाहिए। डॉक्टर 1: हाँ, हाँ। डॉक्टर 2: ठीक है, तो आपको 3.5 हाशिया प्राप्त करने की आवश्यकता है। डॉक्टर 1: मैं तुम्हें वैसे भी दिखाने जा रहा हूं और मुझे बताएँ कि आप इसके बारे में क्या सोचते हैं। एनएचएच: हम भी इस तकनीक का उपयोग वैश्विक स्तर पर देख रहे हैं, और सबसे ज्यादा दिलवाली कहानियों में से एक जो मैं याद कर सकती हूँ उत्तरी लीमा के पेरू में ट्रूजिलो शहर से है, जहाँ इस तकनीक से प्रावधान समर्थन दिया गया था बच्चों में कटे होंठ व तालु शल्य चिकित्सा हेतु, गरीब पृष्ठभूमि वाले बच्चे जिनके स्वास्थ्य बीमा नहीं थे। और इस शहर में, वहाँ अस्पताल में एक शल्य चिकित्सक थी देखभाल प्रदान हेतु कड़ी मेहनत कर रही है, डॉ. सोराया। अब, डॉ. सोरया संघर्ष कर रही थी सरासर माँग के तहत अपनी स्थानीय आबादी की, साथ ही तथ्य यह है कि वह विशेष रूप से इस प्रक्रिया में प्रशिक्षित नहीं थी। और हां, एक परोपकार की मदद से, हम उसे कैलिफोर्निया में कटे होंठ के शल्य चिकित्सक साथ जोड़ने में सक्षम थे, व वह इस तकनीकी उपयोग से उसका व उसके सहयोगियों का मार्गदर्शन कर पाया क्रमशः प्रक्रिया से , उन्हें मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और शिक्षण दे कर। कुछ महीनों के भीतर, वे ३0 प्रतिशत अधिक आपरेशन करने में सक्षम थे कम से कम जटिलताओं के साथ। और अब डॉ. सोराया और उनकी टीम इन कार्यों को कर सकते हैं स्वतंत्र रूप से, सक्षम रूप से और आत्मविश्वास से। और मुझे एक माँ का एक उद्धरण याद है जिसने कहा, "इस तकनीक ने मेरी बेटी को उसकी मुस्कान दी।" मेरे लिए, इस तकनीक की यह वास्तविक शक्ति है। सौंदर्य यह है कि यह सीमाएं तोड़ता है यह सभी तकनीकी कठिनाइयों का अतिक्रमण करता है। यह लोगों को जोड़ता है। यह पहुंच को लोकतंत्र बनाता है। वाई-फाई व मोबाइल प्रौद्योगिकी तेजी से बढ़ रहे हैं, और उन्हें सर्जिकल प्रावधान बढ़ाने में एक भूमिका निभानी चाहिए। हमने इसका उपयोग संघर्ष क्षेत्र में, जहाँ काफी जोखिम है, में भी होते देखा है कुछ स्थानों पर विशेषज्ञ शल्य चिकित्सक प्राप्त करने में। एक ऐसी दुनियाँ में जहाँ अधिक मोबाइल साधन हैं मनुष्य की तुलना में, तो वास्तव में इसकी एक वैश्विक पहुँच है। बेशक, हमारा अभी भी लंबा रास्ता है इससे पहले कि हम समस्या को हल कर पाएँ पाँच अरब लोगों तक सर्जरी पहुँचाने की, और दुर्भाग्य से, कुछ लोगों तक इंटरनेट की पहुँच अभी भी नहीं है। लेकिन चीजें सही दिशा में तेज़ी से बढ़ रही हैं। परिवर्तन की क्षमता है। मेरी टीम और मैं हमारे वैश्विक पदचिह्न बढ़ा रहे हैं, और हम इस तकनीक की क्षमता देख पा रहे हैं। अंकीय प्रौद्योगिकी के माध्यम से, साधारण, हर रोज़ के उपकरणों से जोकि हम अनुदत्त मान लेते हैं, भविष्य के उपकरणों के माध्यम से, हम वास्तव में चमत्कारी बातें कर सकते हैं आपका धन्यवाद। (तालियाँ) हैंक विल्स थोमस: मैं डैब का पुत्र (लोगों की हंसी) डेबराह विल्स: और मैं हेन्क्स की माँ। ऐच डब्ल्यु टी: हमने यह इतनी बार कहा है, हमने इस पर लेख तैयार किया है । नाम दिया है "कभी-कभी आप में मैं खुद को देखता हूँ," और यह बात करता है हमारे सहजीवी संबंध की जिसे हमने अपने जीवन और काम के माध्यम से विकसित किया है। और ये इसलिए है कि हम कहीं भी जायें साथ में या अकेले, ये उपनाम हमारे साथ हैं। मैं माँ के कदमों पर चल रहा हूँ जन्म से पहले से भी और समझ नहीं पा रहा कैसे रुकूँ। जैसे उम्र बढ़ रही है, यह और कठिन हो रहा है। सचमुच, यह और कठिन होता जाता है (लोगों की हंसी) माँ ने बहुत चीज़ें सिखाई हैं,पर, सबसे ज़्यादा कि प्यार सबसे बढ़कर है। उन्होंने सिखाया कि प्यार कर्म है, भावना नहीं। प्यार एक जीने का तरीका है, काम करने का तरीका, सुनने का तरीका है,और देखने का तरीका है। डीडब्ल्यू:और प्यार के बारे में, फोटोग्राफर, फोटो लेते समय प्यार को तलाशते हैं ढूंढते रहते हैं और प्यार पाते हैं। नार्थ फिलाडेलफिया में बडे होते हुए मैं दोस्तों और परिवार जनों से घिरी रही जो फोटोग्राफ लेते रहते और घरेलू कैमरे से जीवन की कहानी सुनाते खुशियों से परिपूर्ण जीवन की कि नार्थ फिलाडेलफिया में परिवार होना क्या था। तो मैंने काफी जीवन ऐसे तस्वीरें ढूंढने में बिताया जो कालों के प्यार, कालों की खुशियों और पारिवारिक जीवन को दर्शाती हों यह सोचना ज़रूरी है प्रेम उच्चतम क्रिया है एच डब्लू टीःकभी मैं सोचता हूँ निहारनाआनुवंशिक है क्यों कि, मेरी माँ के जैसे जबसे मुझे याद है मुझको फोटोग्राफ निहारना पसंद है, कभी सोचता हूँ- माँ व उनकी माँ के इलावा- फोटोग्राफी और फोटोग्राफ मेरा पहला प्यार है। पिताजी बुरा न मानें, पर मुझे "मज़ाकिया" बुलाने पर ऐसा ही होगा, हर जगह यही बुलाया आपने। मुझे याद है मैं जब भी नानी के घर जाता, वे सभी फोटो एलबम छुपा दिया करतीं क्योंकि वे डरतीं कि कहीं मैं पूछने न लगूँ, "उस फोटो में वो कौन था?" और "वे आपके कौन हैं और वे मेरे कौन हैं, और जब ये फोटो ली गई तब आपकी क्या उम्र थी? मेरी क्या उम्र थी जब ये फोटो ली गई थी? और वे काले और सफ़ेद क्यों थे? क्या मेरे जन्म से पूर्व दुनिया काली और सफ़ेद थी?" डी डब्लू: दिलचस्प सोच है, काली और सफेद दुनिया। मैं नार्थ फिलाडेलफिया के एक ब्यूटीशॉप में बडी हुई माँ की ब्यटी शॉप में, "ऐबनी मैगज़ीन" में, तस्वीरें ऐसी कहानियाँ बयान करती जो अख़बार की ख़बरों में नहीं, बल्कि पारिवारिक एलबम में मिलतीं। मैं अपने लिए एक जोशीली पारिवारिक एलबम चाहती थी, कहानी बताने का तरीका, और फिलाडेलफिया पब्लिक लायब्रेरी में मेरे हाथ एक किताब लगी उसका नाम था "द स्विट फ्लायपेपर ऑफ लाइफ" लेखक थे रॉय डीकारावा और लेंगस्टन ह्यूग्स। मुझे लगता है सात साल में मुझेआकर्षित किया शीर्षक, फ्लायपेपर, और स्विट, पर एक सात साल की बच्ची होने के बावजूद मैंने रॉय डीकारावा के बनाए सुन्दर चित्रों को देखा और फिर मैं जीवन की कहानी सुनाने के तरीके देखने लगी और वह नज़रिया मेरे जीवन को बदलने कारण बना। एच डब्लू टीः मेरे दोस्त क्रिस जोनसन ने मुझे बताया कि सभी फोटोग्राफर, सभी कलाकार, मूलभूत रूप से एक सवाल का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं और मुझे लगता है कि आपका सवाल होगा, "बाकी की दुनिया को हमारी सुंदरता क्यों नहीं दिखाई देती, और उनको मेरी नज़र से मेरा समुदाय देखने में कैसे मदद करूँ ? डी डब्लू:ललित कला स्कूल में पढते समय यह शायद सच है-- मुझे एक पुरूष प्रोफेसर ने बताया कि मैं एक सक्षम पुरुष की जगह ले रही थी। उसने मेरे फोटोग्राफर बनने के सपने का गला घोटना चाहा। उसने पुरुष फोटोग्राफरों से भरी कक्षा में मुझे शरमिंदा करने की कोशिश की। उसने कहा कि वहाँ मेरी जगह नहीं थी और औरत होने के नाते अनुचित था, और कहा कि तुम सिर्फ इतना कर सकती हो और करोगी बच्चा पैदा करना ,जबकि एक सक्षम पुरुष इस कक्षा में मेरी जगह होता ऐसे अनुभव ने मुझे भौचक्का कर चुप करा दिया। पर मेरे पास कैमरा था और मुझे उसको साबित करना था कि मैं उस कक्षा में बैठने के लायक थी। अब सोचती हूँ, तो खुद से पूछती हूँ: "उसको साबित करने की क्या ज़रूरत थी?" मेरे पास मेरा कैमरा था और मैं जानती थी कि मुझे ख़ुद को साबित करना था कि मैं फोटोग्राफी में कुछ अलग करूँगी। मुझे फोटोग्राफी से प्यार है और फोटो खिचने से मुझे कोई नहीं रोक सकता। एचडब्ल्यू टी: उसी समय मैं आया । डी डब्ल्यू: उस साल मैं स्नातक हुई, मैं गर्भवती हुई हाँ वह सही था मैंने तुमको जन्म दिया, और मैंने उसकी लिंग भेद करने वाली भाषा को झाड कर गिरा दिया और मैंने अपना कैमरा उठाया और रोज़ फोटो खिंचने लगी, स्नातक स्कूल में दाखिले की तैयारी के समय मैंने अपनी गर्भावस्था के फोटोग्राफ लिए। पर मैंने ये भी सोचा कि काले फोटोग्राफरों की तसवीरें नहीं थीं, फोटोग्राफी के इतिहास की किताबों में, और मैं कहानी बताने के तरीके ढूंढ रही थी। और मैंने गोरडन पार्कस् की किताब "अ चोइस ऑफ वेपनस्" देखी, जो उनकी आत्मकथा थी मैंने फोटोग्राफी शुरू की और छवियाँ बनाने लगी, और मेरी गर्भावस्था की कॉनटौक्ट शीट हटाकर रख दी और फिर तुमने मुझे प्रेरित किया नया टुकडा बनाने के लिए, एक टुकडा जो कह रहा था, "एक औरत एक सक्षम पुरूष से जगह ले रही है", "तुमने एक सक्षम पुरूष से जगह ली", और फिर मैंने भाषा को उलटा करके कहा, "मैंने एक सक्षम पुरुष के लिये जगह बनाई, तुम्हारे लिए" (तालियाँ) एच डब्लयू टी: धन्यवाद माँ जैसी माँ, वैसा बेटा। मैं फोटो से भरे घर में बड़ा हुआ। वे हर जगह थीं और माँ रसोईघर को डार्क रूम में बदल देती। वहाँ सिर्फ उनकी ली हुई फोटो नहीं थीं और परिवारजनों की फोटो ही नहीं ऐसी तस्वीरें दीवार पर होतीं जो न जाने किसने खींची और किस की थीं, अनजानआदमी औरऔरतें जिन्हें हम जानते नहीं थे धन्यवाद माँ (लोगों की हँसी) मेरी अपनी समय सटीकता है (लोगों की हँसी) मुझे कोंचा आप ने देखा? (लोगों की हँसी) कठपुतली के घागे। मैं फोटो से भरे घर में बड़ा हुआ (तालियाँ) पर ये सिर्फ उनकी फोटो नहीं थी जिनको हम जानते थे उन लोगों की थी जिन्हें मैं नहीं जानता था, काफी हद तक स्कूल में सिखा हुआ समझ आ गया, कि बाकी की दुनिया को भी नहीं, और मुझे काफी समय के बाद समझ आया कि वे क्या कर रही थीं, पर कुछ समय के बाद मैं समझ गया। जब मैं नौ साल का था, उन्होंने यह किताब छपवाई, "ब्लैक फोटोग्राफरस,1840-1940: जीवनी चलचित्र"। और मेरे लिए अचरज की बात है यह सोचना कि 1840 में,अफरिकी अमेरिकी फोटो खिंचते थे। इससे हम क्या समझें, उस समय गुलामी ख़त्म होने के दो तीन दशक पूर्व, लोग पढ़ना सिख रहे थे, उन्हें गणित सिखना पड़ रहा था, अत्याधुनिक विज्ञानऔर प्रौद्योगिकी की जानकारी ले रहे थे, सिर्फ एक फोटो के लिए गणित, भौतिकी व रसायन विज्ञान का उपयोग करना और प्यार के सिवा क्या मजबूरी होगी ये करने के लिए। उस किताब से दूसरी किताब बनी, "ब्लेक फोटोग्राफर्स, 1940-1988," और उस किताब से दूसरी किताब, और फिर एक और किताब, फिर एक और किताब,फिर एक और किताब, फिर एक और किताब,फिर एक और किताब, फिर एक और किताब,फिर एक और किताब, एक और किताब,फिर एक और किताब, फिर एक और किताब,फिर एक और किताब, एक और किताब, फिर एक और किताब, फिर एक और किताब, फिर एक और किताब,एक और (लोगों की हँसी) और मेरे पूरे जीवन में, उन्होंने दर्जनों किताबें संपादित और प्रकाशित कीं और हर महाद्वीप में बहुत सारी प्रदर्शनियाँ क्यूरेट की हैं, सभी काले फोटोग्राफरों के बारे में नहीं थीं पर प्रेरित थीं नार्थ फिलाडेलफिया की छोटी काली लड़की की जिज्ञासा से डीडब्ल्यू:मुझे पता लगा काले फोटोग्राफरों केपास कहानियाँ थीं बताने को और हमें सुनना ज़रूरी था। और तब मैंने पता लगाया और खोजा ऑगसटस वॉशिंगटन जैसे काले फोटोग्राफरों को, जिन्होंने ये सुन्दर डॉग्यूरोटाइपस बनाए, मेंक गिल परिवार 1840 और 50 के शुरू में। उनकी कहानियाँ अलग होती थीं, काले फोटोग्राफरों और उनका व्याख्यान अलग होता गुलामी के दिनों में काले लोगों के जीवन के बारे में पर ये उनके पारिवारिक जीवन, सौंदर्य और उनके समाज की कहानियों के बारे में भी थीं। मुझे कहानियों को जोडना नहीं आया, पर मैं जानती थी कि अध्यापकों को यह कहानी जाननी ज़रूरी थी एच डब्ल्यू टी: तो मुझे लगता है कि मैं माँ का पहला विद्यार्थी था। न चाहते हुए और अनजाने में-- कठपतली के धागे-- मैने कैमरा उठाने का निर्णय किया, और सोचा मुझे अपनी तस्वीरें चित्र बनानी चाहिए तब और अब और अब और तब की। मैनें सोचा किस प्रकार फोटोग्राफी के माध्यम से बताऊँ कैसे कैमरे के फ्रेम के बाहर की घटनाएं उसके अंदर दिखने वाले दृश्य पर असर डालता है। सच्चाई हमेशा चित्र बनाने वाले के हाथ में होती है और यह हम पर निर्भर करता है क्या दिख रहा है। मैंने सोचा कि मैं उनके शोध से शुरूआत करूँ उस सब की जो मैं समाज में देख रहा था और मैं सोचना शुरू करना चाहता था कि किस तरह पुरातन चित्रों के द्वारा भूतकाल को वर्तमान काल के समान बताया जा सकता है और किस तरह हम बात कर सकते हैं हमेशा से चले आ रहे मानवाधिकारों और सम अधिकार के संघर्ष की ये सब मेरी तस्वीरों के उपयोग से मूर्तिकला,विडियो, प्रतिष्ठापन और चित्रकारी। पर इन सबके द्वारा, एक चीज़ ने मुझ पर सबसे ज़्यादा असर किया अभी भी वह मेरा पोषण करती है। वह है अरनेस्ट बीदर्स की ली हुई फोटोग्राफ जो की 1968 में ली गई थी मेमफिस सैनीटेशन वरकर्स मार्च के दौरान जहाँ मर्द और औरतें साथ साथ खडे रहकर मानवता की पुष्टि कर रहे हैं। उन्होंने "मैं एक आदमी हूँ" के बैनर पकडे हुए थे, और मुझे उस नारे ने चौका दिया क्योंकि मैं जो सुन कर बड़ा हुआ वह "मैं एक आदमी हूँ" नहीं, बल्कि " मैं आदमी हूँ" था, और मैं हैरान था कि किस तरह सबके अलग अलग होने पर सामूहिक नारा, एकीकरण के बाद स्वार्थी सा लगने वाला नारा बन गया। और मैं इस बारे में सोचना चाहता था, तो मैंने निर्णय लिया कि विषय वाक्य को अलग अलग तरह से रीमिक्स करूँ, और मैं पहले वाक्य को अमरिकी इतिहास के घटनाक्रम की तरह सोचना पसंद करूंगा और आखिरी पंक्ति कविता के रूप में, और वह होगी, "मैं आदमी हूँ। कौन आदमी है। तुम आदमी हो। क्या आदमी है। मैं आदमी हूँ। मैं बहुत हूँ। मैं हूँ, क्या मैं हूँ । मैं हूँ, मैं हूँ,मैं हूँ। एमेन डी डब्लयू: कितना लुभावना। (तालियाँ) मगर हमनें इस अनुभव से यह सिखा कि अँग्रेज़ी भाषा के दो ताकतवर शब्द हैं, "मैं हूँ"। और हम सब में प्यार करने की क्षमता है। धन्यवाद (तालियाँ) मैं एक कथावाचक हूं. और मैं आपको कुछ निजी कहानियां सुनाना चाहती हूं जिन्हें मैं "इकलौती कहानी के खतरे" कहती हूं. मैं पूर्वी नाइजीरिया के एक यूनीवर्सिटी कैंपस में बड़ी हुई. मेरी मां बताती हैं कि मैंने दो साल की अवस्था में पढ़ना शुरु कर दिया था, पर मुझे लगता है कि यह चार साल के आसपास हुआ होगा. इस तरह मैंने जल्दी पढ़ना शुरु कर दिया. और मैं ब्रिटिश व अमेरिकी बाल साहित्य पढ़ती थी. मैंने लिखना भी जल्दी शुरु कर दिया. जब मैं लगभग सात साल की थी तभी से मैं पेंसिल और क्रेयॉन से चित्रित करके कहानियां लिखने लगी जिन्हें मेरी बेचारी मां को ही पढ़ना पड़ता था. मैं वैसी ही कहानियां लिख रही थी जैसी मैं उस समय पढ़ रही थी. मेरी कहानियों के सारे चरित्र गोरे थे और उनकी आंखें नीली होती थीं. वे बर्फ़ में खेलते थे. वे सेब खाते थे. (हंसी) और वे मौसम के बारे में बहुत बातें करते थे, जैसे सूरज निकलने पर कितना अच्छा लग रहा होता है. (हंसी) हांलाकि, मैं प्रारंभ से ही नाइजीरिया में ही रहती आई थी, और वहां से बाहर कभी नहीं गई थी. हमने बर्फ़ कभी नहीं देखी. हम आम खाते थे. और हम मौसम के बारे में कभी बात नहीं करते थे, क्योंकि उसकी कोई ज़रूरत नहीं थी. मेरी कहानियों के चरित्र जिंजर बीयर बहुत पीते थे, क्योंकि जो ब्रिटिश कहानियां मैं पढ़ती थी उनके चरित्र भी जिंजर बीयर पीते थे. जबकि मुझे पता भी नहीं था कि जिंजर बीयर क्या चीज थी. (हंसी) और आगे कई सालों तक मेरे भीतर जिंजर बीयर चखने की बहुत गहरी इच्छा बनी रही. पर वह दूसरी कहानी है. मैं सोचती हूं कि इस सब से यह दिखाता है कि कहानियाँ कैसे हम पर छाप छोड़ जाती हैं, खासकर तब, जब हम बच्चे हों. चूंकि मैं वही पुस्तकें पढ़ा करती थी जिनके चरित्र विदेशी थे, इसलिए मैं आश्वस्त हो गई थी कि पुस्तकों का मूल स्वभाव ही है कि उनमें विदेशी हों, और ऎसे तत्व भी जिनसे मैं खुद तादात्म्य का अनुभव नहीं करती थी. लेकिन जब मैंने अफ़्रीकी पुस्तकें पढ़ना शुरु किया तो चीजें बदल गईं. उस समय ये पुस्तकें बहुत कम उपलब्ध थीं. और जो थीं वे भी विदेशी पुस्तकों जितनी आसानी से नहीं मिलतीं थीं. लेकिन चिनुआ अचेबे और कमारा लाए जैसे लेखकों को पढ़ने पर मेरे साहित्यबोध में सहसा बहुत बड़ा परिवर्तन आया. मुझे लगा कि मेरे जैसे लोग, चाकलेटी कांति वाली लड़कियां जिनके घुंघराले बालों से पोनीटेल नहीं बनती, वे भी साहित्य का अंग हो सकते हैं. मैंने उन चीजों के बारे में लिखना शुरु किया जिन्हें मैं पहचानती थी. वैसे, मुझे अमेरिकी और ब्रिटिश पुस्तकों से प्रेम था. उन्होंने मुझे कल्पनाशील बनाया. मेरे लिए नई दुनिया का द्वार खोला. लेकिन इसका अनभिप्रेत परिणाम यह हुआ कि मुझे इस बात का ज्ञान नहीं हो सका कि मेरे जैसे लोगो का भी साहित्य में कोई स्थान है. इस प्रकार मुझे अफ़्रीकी लेखकों की जानकारी मिलने से यह हुआ कि इसने मुझे केवल एक ही तरह की पुस्तकें होती है - वाली राय से बचा लिया. मेरा जन्म एक पारंपरिक मध्यवर्गीय नाइजीरियाई परिवार में हुआ था. मेरे पिता प्रोफ़ेसर थे. मेरी मां प्रशासक के पद पर थीं. और इस प्रकार, जैसा वहां चलन था, हमारे घर में नौकर-चाकर थे जो पास के गांव-देहात से आते थे. जब मैं आठ साल की हुई, हमारे घर में काम करने एक लड़का आया. उसका नाम फ़ीडे था. मेरी मां ने उसके बारे में यही बताया कि उसका परिवार बहुत गरीब था. मेरी मां ने उसके घर जिमीकंद, चावल, और हम लोगों के पुराने कपड़े भेजे. और जब कभी मैं अपना खाना छोड़ देती, तो मेरी मां कहतीं, "खाना मत छोड़ो, तुम जानती हो, फ़ीडे जैसे लोगों के पास खाने को भी नहीं है". तब मुझे फ़ीडे के परिवार पर बहुत दया आती थी. फिर एक शनिवार को मैं उसके गांव तक गई. और उसकी मां ने मुझे खूबसूरत बुनाईवाली बास्केट दिखाई, जो उसके भाई ने ताड़ के रंगे हुए पत्तों से बनाई थी. वह देखकर मैं हैरान रह गई. मैं सोच भी नहीं सकती थी कि उसके परिवार में वास्तव में कोई कुछ बना सकता था. मैं सिर्फ यही सुनती आई थी कि वे बहुत गरीब थे, और इस तरह मैं उनके बारे में कुछ और नहीं जान सकी थी इसके सिवाय कि वे बहुत गरीब थे. मेरे पास एकमात्र कहानी उनकी गरीबी की थी. सालों बाद, मैंने इस बारे में सोचा जब मैं नाइजीरिया छोड़कर यूनाइटेड स्टेट्स के विश्वविद्यालय में पढ़ने गई. उस समय मैं 19 साल की थी. मेरी अमेरिकी रूम-मेट मुझसे मिलकर बहुत अचंभित हुई. उसने मुझसे पूछा कि मैंने इतनी अच्छी अंग्रेजी कहां सीखी, और मुझसे यह सुनकर वह चकरा गई कि अंग्रेजी नाइजीरिया की राजकीय भाषा है. उसने मुझसे कहा कि वह "मेरा आदिवासी संगीत" सुनना चाहती है, और उसे तब और भी निराशा हुई जब मैंने उसे मेरे मराइया कैरी के टेप दिखाए. (हंसी) उसे यह लगता था कि मुझे स्टोव इस्तेमाल करना नहीं आता होगा. और मुझे उससे मिलकर ऐसा लगा जैसे मुझसे मिलने के पहले ही उसे मुझपर तरस आने लगा था. मेरे अफ़्रीकी होने ने उसमें मेरे प्रति कृ्पा, सदाशयता, और करूणा जगा दी थी. मेरी रूम-मेट के पास अफ़्रीका की एक ही कहानी थी. घोर दुर्गति की कहानी. इस इकलौती कहानी में कोई संभावना नहीं थी कि उसमें अफ़्रीकावासी किसी तरह भी उसके समान हों. उसमें दयाभाव से इतर अनुभूति की कोई संभावना नहीं थी. समानता के संबंध की कोई गुंजाईश नहीं थी. मैं यहाँ ये कहना कहूंगी कि अमेरिका जाने के पहले मैं खुद को सचेतन रूप से एक अफ़्रीकी के रूप में नहीं देखती थी. लेकिन अमेरिका में जब अफ़्रीका का ज़िक्र चलता तो सारी आंखें मुझपर टिक जातीं थीं. इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि मैं नामिबिया जैसी जगहों के बारे में कुछ नहीं जानती थी. लेकिन मैं अपनी इस नई पहचान से बहुत अच्छे से जुड़ गई. और अब कई अर्थों में मैं स्वयं को अफ़्रीकी ही मानती हूं. हांलांकि मुझे तब बहुत खीझ होती है जब अफ़्रीका को एक बड़े देश के रूप में देखा जाता है. इसका ताजा उदाहरण ये है कि मेरी लगभग शानदार यात्रा में लागोस से दो दिन पहलेवाली उड़ान में वर्जिन एयरवेज़ के विमान में उन्होंने "भारत, अफ़्रीका, व अन्य देशों में" जारी परोपकारी कार्यों की जानकारी दी. (हंसी) एक अफ़्रीकी के रूप में अमेरिका में कुछ साल बिताने के बाद मैं मेरे प्रति मेरी रूम-मेट की प्रतिक्रियाओं को समझने लगी. यदि मैं नाइजीरिया में पलती-बढ़ती नहीं तो मेरे मन में भी अफ़्रीका की प्रचलित छवियां ही रहतीं, मुझे भी यही लगता कि अफ़्रीका एक स्थान है, जहां रमणीय परिदृश्य, सुंदर जानवर, और अबूझ लोग रहते हैं, जो फ़िजूल में लड़ते रहते हैं, गरीबी और एड्स से मरते हैं, जो अपने अधिकारों के लिए कुछ नहीं कर पाते, और इस इंतजार में रहते हैं कि उन्हें कोई दयालु गोरा विदेशी आकर बचाएंगे. मैं अफ़्रीका को उसी प्रकार से देखती जिस तरह से मैंने बचपन में फ़ीडे के परिवार को देखा था. मेरे विचार से, अफ़्रीका की बेचारगी की यह इकलौती कहानी पश्चिमी साहित्य से आती है. मेरे पास यहां एक उद्धरण है लंदन के व्यापारी जॉन लोक ने क लिखा, जो 1561 मे पश्चिमी अफ़्रीका आया, और उसने अपनी यात्रा के रोचक विवरण लिखे. अश्वेत अफ़्रीकावासियों के लिए वह लिखता है "जंगली जानवर जो घरों में नहीं रहते", वह लिखता है, "यहां ऐसे लोग भी हैं जिनके सिर नहीं हैं, और जिनके मुंह और आंखें उनके वक्षस्थल में हैं". इसे पढ़ते समय मैं हर बार हंस पड़ती हूं. जॉन लॉक की कल्पनाशक्ति की तो दाद देनी होगी. लेकिन उसकी कहानी की खास बात यह है कि यह पश्चिम को अफ़्रीका की कहानियाँ बताने की परंपरा की शुरुवात का निरूपण करती है. ऎसी परंपरा, जो अधो-सहारा अफ़्रीका को नकारात्मक बातों से भरी, असमानताओं की, अंधेकार की, और इसके निवासियों को शानदार कवि रुडयार्ड किपलिंग के शब्दों में "आधे दैत्य, आधे शिशु" कहने की रही है. और तब मुझे यह समझ में आने लगा कि कि मेरी अमेरिकी रूम-मेट ने उसके पूरे जीवनकाल में ऐसी ही एकतरफा कहानी के विभिन्न रूप देखे-सुने होंगे, जिस प्रकार मेरे एक प्रोफेसर ने एक बार मुझसे कहा था कि मेरे उपन्यास "प्रामाणिक रूप से अफ़्रीकी" नही लगते थे. देखिए, मैं यह स्वीकार कर लेती हूं कि मेरे उपन्यास में कुछ गड़बड़ियां रही होंगी, और कुछ स्थानों पर मैंने गलतियां भी की थीं. लेकिन मैं यह नहीं मान सकती कि मैं अफ़्रीकी प्रामाणिकता को प्राप्त करने में असफल रही थी. असल में मैं यह जानती ही नहीं थी कि अफ़्रीकी प्रामाणिकता का अर्थ क्या है. मेरे प्रोफेसर ने मुझे बताया कि मेरे चरित्र बहुत हद तक उनकी ही तरह पढ़े-लिखे और मिडिल-क्लास से संबंधित थे. मेरे चरित्र कार चलाते थे. वे भूखे नहीं मर रहे थे. इसलिए उन्हें प्रामाणिक तौर पर अफ़्रीकी नहीं कहा जा सकता था. लेकिन मुझे यह भी जल्द स्वीकार कर लेना चाहिए कि मैं भी ऐसी ही एक एकतरफा कहानी को मानने की दोषी हूं. कुछ सालों पहले मैं अमेरिका से मैक्सिको की यात्रा पर गई थी. उन दिनों अमेरिका में राजनीतिक वातावरण तनावपूर्ण था. और आप्रवासन पर बहुत वाद-विवाद हो रहा था. और जैसे कि अमेरिका में अक्सर होता है, आप्रवासन के विषय को मैक्सिकोवासियों से जोड़ दिया गया. वहां मैक्सिकोवासियों के बारे में बहुतेरी कहानियां कही जा रही थीं जैसे कि ये लोग स्वास्थ्य सुविधाओं को चौपट कर रहे थे, सीमाओं पर सेंध लगा रहे थे, उनकी गिरफ़्तारियां हो रहीं थी, ऐसी ही बातें. मुझे गुआडालाहारा में पहले दिन पैदल घूमना याद है, जब मैंने लोगों को काम पर जाते, बाजार में टॉर्टिला बनाते, सिगरेट पीते, हंसते हुए देखा. यह सब देखकर मुझे हुआ आश्चर्य मुझे याद आ रहा है. और फिर मैंने बहुत शर्मिंदगी भी महसूस की. मुझे लगने लगा कि मैं भी मीडियावालों द्वारा मैक्सिकोवासियों की रची गई छवि को सच मान बैठी थी, और यह कि मैं भी मन-ही-मन उन्हें अधम आप्रवासी मान चुकी थी. मैंने अपने भीतर मैक्सिकोवासियों की एकतरफा कहानी घर कर ली थी और ऐसा करने पर मैं बहुत लज्जित अनुभव कर रही थी. तो ऐसे ही एकतरफा कहानियां बनती रहतीं हैं, जो व्यक्तियों को वस्तु की तरह दिखाती हैं, केवल एक वस्तु की तरह बार-बार दिखातीं हैं, और वही वे अंततः बन जाते हैं. शक्ति की चर्चा किए बिना एकतरफा कहानी की बात करना नामुमकिन है. इग्बो (पश्चिमी अफ़्रीकी भाषा) में एक शब्द है, और जब भी मैं शक्ति के स्वरूप के बारे में सोचती हूं, तब यह शब्द "नकाली" मुझे ध्यान में आता है. ये संज्ञा शब्द है जिसका कुछ-कुछ अनुवाद है "दूसरों से अधिक बड़ा या महत्वपूर्ण होना". हमारे आर्थिक व राजनीतिक जगत के सदृश कहानियों की व्याख्या भी नकाली के सिद्धांत द्वारा की जाती है. वे कैसे कही जाती हैं, उन्हें कौन कहता है, और जब वे कही जातीं हैं तो कितनी कही जाती हैं, इस सबका निर्धारण शक्ति द्वारा ही होता है. शक्ति संपन्न होना केवल किसी व्यक्ति की कहानी कहने की क्षमता तक सीमित नहीं है, बल्कि उसे उस व्यक्ति की निर्णायक कहानी बनाना भी है. फ़िलिस्तीनी कवि मौरीद बरघूती ने लिखा है कि यदि तुम किन्ही व्यक्तियों का स्वत्व हरना चाहते हो तो इसका सबसे आसान तरीका है उनकी कहानी कहो, और इसे "दूसरी तरफ" कहकर शुरु करो. अमेरिकी मूल निवासियों के तीरों की बात से कहानी शुरु करो, ब्रिटिश दस्तों के आगमन से नहीं, और तुम्हारे पास एक बिल्कुल अलग कहानी होगी. कहानी की शुरुआत करो अफ़्रीकी राज्यों की विफलताओं से, और अफ़्रीकी राज्यों के औपनिवेशीकरण को दरकिनार कर दो और तुम्हारे पास एक बिल्कुल अलग कहानी होगी. मैंने हाल में ही एक विश्वविद्यालय में व्याख्यान दिया जहां एक विद्यार्थी ने मुझसे कहा कि यह बहुत शर्म की बात है कि नाइजीरियाई पुरुष स्त्रियों का उसी प्रकार शारीरिक शोषण करते हैं जिस तरह मेरे एक उपन्यास में एक पिता का चित्रण है. मैंने उसे कहा कि हाल में ही मैंने एक उपन्यास पढ़ा है जिसका नाम है "अमेरिकन साइको" -- (हंसी) -- और यह बड़े शर्म की बात है कि युवा अमेरिकी क्रमिक हत्यारे होते हैं. (हंसी) (तालियां) देखिए, मैंने यह थोड़ा चिढ़कर कहा था. (हंसी) मैं इस तरह की बात नहीं सोच सकती थी कि चुंकि मैंने ऎसा उपन्यास पढ़ा जिसका एक पात्र क्रमिक हत्यारा है, वह किसी भी तरह सारे अमेरिकियों का चित्रण हो सकता है. और ऐसा इसलिए नहीं है कि मैं उस विद्यार्थी से बेहतर व्यक्ति हूं, बल्कि इसलिए कि मैं अमेरिका की सांस्कृतिक और आर्थिक शक्ति की बहुत सारी कहानियां सुन चुकी थी. मैं टाइलर, अपडाइक, स्टाइनबैक, और गैट्सकिल को पढ़ चुकी थी. मेरे पास अमेरिका की बस एक ही कहानी नहीं थी. सालों पहले जब मैंने यह सुना कि लोग यह सोचते थे कि सफल लेखक वे होते हैं जिनका बचपन बहुत बुरा बीता हो, तो मैं सोचने लगी कि मैं किस तरह उन बुरी बातों की खोज करूं जो मेरे माता-पिता ने मेरे साथ की हों. (हंसी) लेकिन सच्चाई यह है कि मेरा बचपन बहुत सुखद था, हमारा परिवार बहुत प्रेम और आनंद के साथ एकजुट रहता था. लेकिन मेरे पितामह आदि भी थे जिनकी मृत्यु शरणार्थी कैंप में हुई थी. मेरा कज़िन पोल मर गया क्योंकि उसे समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलीं. मेरी बहुत करीबी दोस्त ओकोलोमा विमान दुर्घटना में जलकर मर गई क्योंकि हमारी अग्निशमन गाड़ियों में पानी नहीं था. मैं दमनकारी सैनिक शासन के बीच बड़ी हुई जिसने शिक्षा का अवमूल्यन कर दिया, जिसके कारण कभी-कभी मेरे माता-पिता को वेतन नहीं मिलता था. फिर मैंने बचपन में अपने नाश्ते की टेबल से जैम की बोतल गायब होते देखी, उसके बाद मारजारिन भी गायब हो गया, फिर ब्रैड बहुत महंगी हो गई, और दूध राशन से मिलने लगा. और इससे भी अधिक, एक सामान्यीकृत राजनीतिक भय ने हमारे जीवन को घेर लिया. इन सभी कहानियों ने ही मुझे वह बनाया है जो मैं आज हूं. लेकिन इन नकारात्मक कहानियों को ही महत्व देना मेरे अनुभवों को कम करके आंकना होगा और इससे वे दूसरी कहानियां अनदेखी रह जाएंगीं जिन्होंने मुझे आकार दिया है. इकलौती कहानी रूढ़ियों का निर्माण करती है. और रूढ़ियों के साथ समस्या यह नहीं है कि वे सत्य नहीं होतीं, बल्कि यह है कि वे अपूर्ण होतीं हैं. वे एक कहानी को एकमात्र कहानी बना देतीं हैं. बेशक, अफ़्रीका दुःख और दुर्गति की महागाथा है. कुछ अत्यंत भयंकर हैं, जैसे कांगो के विभत्स बलात्कार. और कुछ अवसादपूर्ण हैं, जैसे नाइजीरिया में एक भर्ती के लिए 5,000 लोग आवेदन करते हैं. लेकिन वहां कुछ ऐसी कहानियां भी हैं जो दर्दनाक नहीं हैं, और यह कहना ज़रूरी है कि वे भी इतनी महत्वपूर्ण हैं कि उनकी चर्चा हो. मैं हमेशा से यह मानती आई हूं कि किसी परिवेश या व्यक्ति से भली-भांति जुड़े बिना उस स्थान या व्यक्ति की सभी कहानियों से संबद्ध हो पाना संभव नहीं है. इकलौती बयान की कहानी की परिणति यह होती है कि यह मनुष्य को उसकी गरिमा से वंचित कर देती है. यह हमारी इन्सानों में समानता की पहचान को कठिन बना देती है. यह दर्शाने की जगह कि हम कितने समान हैं, वो ये दिखाती है कि हम कैसे अलग हैं. क्या होता अगर मैक्सिको जाने से पहले मैंने आप्रवासन पर हुए वाद-विवादों में सं. रा. अमेरिका और मैक्सिको दोनों ही पक्षों को सुना होता? क्या होता अगर मेरी मां ने मुझे बताया होता कि फ़ीडे का परिवार बहुत गरीब पर मेहनती है? और क्या होता यदि हमारे पास अफ़्रीकी टीवी नेटवर्क होता जो विविध अफ़्रीकी कहानियों को दुनिया भर में प्रसारित करता? यह वही होता जिसे नाइजीरियाई लेखक चिनुआ अचेबे ने "कहानियों का संतुलन" कहा है. क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को नाइजीरियाई प्रकाशक मुक्ता बकारे के बारे में पता होता, एक असाधारण आदमी जिसने बैंक की नौकरी छोड़कर अपने सपनों की राह पर चलकर प्रकाशनगृह की स्थापना की? लेकिन आम धारणा तो यह थी कि नाइजीरियाइ लोग साहित्य नहीं पढ़ते. उन्होने इसका विरोध किया. उन्हे लगा कि जो लोग पढ़ना जानते हैं, वे ज़रूर पढ़ेंगे यदि हम खरीद पाने लायक मूल्य में उन्हें साहित्य उपलब्ध कराएं. जब उन्होने मेरा पहला उपन्यास छापा उसके कुछ ही समय बाद मैं लागोस में एक टीवी स्टेशन में साक्षात्कार देने गई. और वहां मैसेंजर का काम करनेवाली एक महिला मेरे पास आई और मुझसे बोली, "मुझे आपका उपन्यास अच्छा लगा, पर मुझे उसका अंत पसंद नहीं आया. अब आप उसका सिक्वेल ज़रूर लिखें, और उसमें ऐसा होना चाहिए कि..." (हंसी) और वह मुझे बताने लगी कि सिक्वेल में क्या लिखना चाहिए. उसकी बातों ने मुझे न सिर्फ़ मोहित किया बल्कि भीतर तक छू दिया. वह तो एक साधारण औरत थी, नाइजीरियाई जनता का एक अंशमात्र जिसे हम अपने पाठकवर्ग में नहीं गिनते थे. उसने न सिर्फ़ वह पुस्तक पढ़ी, बल्कि उसे वह उसकी पुस्तक जैसी लगी और मुझे यह बताना उसे तर्कसंगत लगा कि मुझे पुस्तक का सिक्वेल लिखना चाहिए. क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को मेरी निडर मित्र फूमी ओंडा के बारे में पता होता, जो लागोस में एक टीवी कार्यक्रम में मेजबान है, और उन कहानियों को सामने लाना चाहती है जिन्हें हम भूलना ठीक समझते हैं? क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को हृदय के उस ऑपरेशन के बारे में पता होता जिसे लागोस के अस्पताल में पिछले सप्ताह अंजाम दिया गया? क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को समकालीन नाइजीरियन संगीत के बारे में पता होता? जिसमें प्रतिभाशाली गायक अंग्रेजी और पिजिन में, इग्बो में, योरूबा में, और इजो में, जे-ज़ी से लेकर फ़ेला, और बॉब मार्ली से लेकर अपने पितामहों के सुमेलित प्रभाव में गाते हैं. क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को उन महिला वकीलों के बारे में पता होता जो हाल में ही नाइजीरिया की अदालत में एक हास्यास्पद कानून को चुनौती देने गईं जिसके अनुसार किसी स्त्री को अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए अपने पति की स्वीकृति लेना आवश्यक किया गया था? क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को नॉलीवुड के बारे में पता होता, जहां विशाल तकनीकी कठिनाइयों के बाद भी मौलिकता से तर लोग फ़िल्म बना रहे हैं? इतनी चलने वाली फ़िल्में जो इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है कि नाइजीरियाई लोग अपने ज़रूरत के मुताबिक चीज़ें बना सकते हैं. क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को मेरी चोटी बनानेवाली उस ज़बर्दस्त महत्वाकांक्षी लड़की के बारे में पता होता, जिसने हाल में ही बालों के एक्सटेन्शन का व्यापार शुरु किया है? या उन लाखों नाइजीरियाई लोगों के बारे में जो कामधंधा शुरु करते हैं पर कभी-कभी असफल हो जाते हैं, लेकिन अपनी महत्वाकांक्षाओं का पोषण करते रहते हैं? हर बार जब मैं घर जाती हूं तो मेरा सामना होता है नाइजीरियाई लोगों की आम शिकायतों से, जैसेः हमारा बुनियादी ढांचा खराब है, हमारी सरकार नाकारा है. लेकिन मैं उनके अविश्वसनीय जुझारूपन को भी देखती हूं जो शासन व्यवस्था के साए में नहीं बल्कि उसके अभाव में पनपते हैं. मैं हर गरमियों में लागोस में लेखन कार्यशाला में पढ़ाती हूं. और यह देखकर हैरत होती है कि कितने लोग आवेदन करते हैं, कितने सारे लोग लिखने के लिए व्यग्र हैं, अपनी कहानियां कहना चाहते हैं. मैंने अपने नाइजीरियाई प्रकाशक के साथ हाल में ही एक नॉन-प्रॉफ़िट ट्रस्ट बनाया है जिसका नाम फ़ाराफ़िना ट्रस्ट है. और हमारा बड़ा सपना यह है कि हम पुस्तकालय बनाएं और पुराने पुस्तकालयों का नवीनीकरण करें, और उन शासकीय विद्यालयों को पुस्तकें उपलब्ध कराएं जिनके पुस्तकालयों में कुछ भी नहीं है, और पठन-पाठन से संबंधित अनेकानेक कार्यशालाओं का आयोजन करें, ताकि अपनी कहानियां कहना चाहनेवाले व्यक्तियों को अवसर मिलें. कहानियां महत्वपूर्ण हैं. कहानियों के ज़्यादा होने का महत्व है. कहानियों का उपयोग वंचित करने व मलिन करने के लिए होता आया है. लेकिन कहानियां सामर्थ्यवान बनातीं हैं, और मानवीकरण करतीं हैं. कहानियां लोगों की गरिमा को भंग कर सकतीं हैं. पर वे उनकी खंडित गरिमा का उपचार भी कर सकतीं हैं. अमेरिकी लेखिका ऐलिस वॉकर ने उनके दक्षिणी संबंधियों के बारे में लिखा है जो उत्तर में जाकर बस गए थे. उन्होंने अपने संबंधियों को एक पुस्तक सुझाई जिसमें पीछे छूट गए उनके दक्षिणी जीवन का वर्णन था. "वे मेरे इर्द-गिर्द बैठे, खुद उस पुस्तक को पढ़ते हुए, और मुझसे उस पुस्तक को सुनते समय, लगा जैसे स्वर्ग की पुनःप्राप्ति हो गई". मैं इस विचार के साथ समापन करना चाहूंगीः कि जब हम किसी एकलौती कहानी को ठुकरा देते हैं, और जब हम यह जान जाते हैं कि किसी स्थानविशेष की कभी कोई एकलौती कहानी नही होती, तो हम भी अपने स्वर्ग की पुनःप्राप्ति कर लेते हैं. धन्यवाद. (तालियां) मैं डॉ डेविड हेनसन हूँ, और मैं चरित्र वाले रोबोट बनाता हूँ | और इससे, मेरा मतलब है कि मैं ऐसे रोबोट बनाता हूँ जो कि चरित्र है, लेकिन फिर भी रोबोट जो अंतत: आपसे सहानुभूति दिखायेंगे | तो हम विभिन्न तरह की तकनीकियों के साथ शुरू कर रहे हैं जो बात करने वाले रोबोट के रूप में मिल जाते है जो चेहरे देख सकते है, आपके साथ नज़रे मिलाते हैं, विभिन्न तरह के चेहरे के भाव बनाते है, बात को समझते है, और आप जो महसुस कर रहे हैं और जो आप है उसका प्रतिरूप बनाना शुरू करते हैं, और आपके साथ रिश्ते बनाता है | मैंने बहुत सी तकनीकियां बनायीं है जो रोबोट को ज्यादा वास्तविक चेहरे के भावो को बनाने में सक्षम करता है पहले की अपेक्षा, कम ऊर्जा में, जिसने दो पैरों वाले रोबोट्स को सक्षम बनाया है, पहले यंत्र-मानव(androids) | तो, यह चेहरे के सारे प्रकार के भाव इंसानी चेहरे के मुख्य मांसपेशियों का प्रतिरूपण करते है, बहुत छोटी बैटरी पर चलते है, बहुत कम वजन | ऐसी सामग्री जो बैटरी से संचालित चेहरे के भावो को बना सके को हम फ्रब्बर(Frubber) कहते है, और इस सामग्री के तीन मुख्य अविष्कार हैं जो ऐसा होना संभव करते हैं | एक वर्गीकृत छिद्र है | और दूसरी बहुत छोटे स्तर की आणविक छिद्रिलता है | यहाँ यह चलना शुरू कर रहा है | यह Korean Advanced Institute of Science and Technology में है | मैंने सर बनाया | उन्होंने शरीर बनाया | तो यहाँ मशीनों में संवेदनशीलता हासिल करना लक्ष्य है, और सिर्फ संवेदनशीलता नहीं, बल्कि सहानुभूति | हम Machine Perception Laboratory के साथ काम कर रहे हैं U.C. San Diego में | उनके पास सच में असाधारण चेहरे के भावो की तकनीक है जो चेहरे के भाव को पहचानती है, कौन से भाव आप बना रहे हैं | यह इसे भी पहचानता है कि आप कहाँ देख रहे है, और आपका सर किस तरफ है | हमने सभी मुख्य चेहरों के भाव का प्रतिरूपण किया है, और फिर इसे सॉफ्टवेयर से नियंत्रित करते है जिसे हम Character Engine कहते है | और यहाँ उस तकनीकी का छोटा हिस्सा जो इसमें है | वास्तव में, इस वक्त -- यहाँ से लागाईये और फिर वहाँ से लागाईये, और अब चलिए देखते है क्या यह मेरे चेहरे के भाव जान पता है | ठीक है | तो मैं मुस्कुरा रहा हूँ | (हँसी) अब मैं अब तेवर दिखा रहा हूँ | और सच में यहाँ पीछे का बहुत प्रकाश हैं | ठीक है, चलिए देखते है ओह, यह दुखी है | ठीक है, तो आप मुस्कुराइए, तेवर दिखाईये | तो आपके भावुक अवस्था की इसकी अनुभूति मशीनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है प्रभावशाली रूप से सहानुभूति दिखाने के लिए | मशीन भयानक रूप से कुछ चीज़ों के योग्य बन रही है जैसे की हत्या | हैं ना? उन मशीनों के पास संवेदना की कोई जगह नहीं है | और उन पर करोड़ो डालर खर्च हो रहे है | चरित्र वाली रोबोटिक्स बीज रोपित कर सकती है उन रोबोट्स के लिए जिनके पास संवेदना हो | तो, अगर वो मानवीय बुद्धिमत्ता के स्तर को प्राप्त कर ले या, संभव है, मानवीय बुद्धिमत्ता के स्तर से ज्यादा, यह भविष्य की आशा के बीज हो सकते हैं | तो, हमे पिछले आठ सालो में 20 रोबोट्स बनाये हैं, Ph.D. के पढाई के दौरान | और तब मैंने हेनसन रोबोटिक्स की शुरुवात की, जो बड़ी मात्रा में उत्पादन के लिए इस तरह की चीज़े बना रहा है | यह हमारे रोबोट्स में से एक है जिसे हमने में दो साल पहले प्रदर्शित किया था | और यह एक दृश्य में बहुत से लोगो को देखता है, याद रखता है हर व्यक्ति क्या क्या कर रहा था, और हर व्यक्ति को देखता है, लोगो को याद रखता है | तो, हम दो चीज़ों को मिला रहे है | पहली लोगो का अनुभव | और दूसरा, प्राकृतिक संपर्क, संपर्क का प्राकृतिक रूप, जिससे आपके लिए रोबोट से संपर्क करना सहज हो | आप विश्वास करना शुरू करते है कि यह जीवित और सचेत है | तो मेरी पंसदीदा योजनओं में से एक था इन चीज़ों को साथ में लाना विज्ञान परिकल्पना लेखक फिलिप के डीक के यंत्र मानव के कलात्मक प्रर्दशन के लिए, जिन्होंने बहुत अच्छा लिखा है जैसे "Do Androids Dream of Electric Sheep?" जो कि फिल्म "Bladerunner" का आधार था | इन कहानियों में, रोबोट्स अक्सर सोचते है कि वो इंसान है, और वो जीवित हो जाते है | तो हमने उनके लेखन, खत, उनके साक्षात्कार, पत्राचार, को हज़ारो पन्नों के संग्रह में रखा है, और फिर कुछ प्राकृतिक भाषा संगणना का उपयोग किया आपको उनके साथ वास्तव में बात कराने के लिए | यह एक तरह से डरावना था | क्युंकि वो ऐसी चीज़े कहेगा जिससे आपको लगेगा वो सच में आपको समझते है | और सबसे ज्यादा रोमांचक योजना थी जिसका हम निर्माण कर रहे थे | जो कि इसके चरित्र का हिस्सा है अनुकूल कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए, अनुकूल मशीनी बुद्धिमत्ता के लिए | और हम इसका बड़ी मात्रा में उत्पादन कर रहे हैं | हमने इसे इस तरह से बनाया है कि इसमें सामग्रियों का कम से कम खर्चा हो, जिससे यह बच्चों के बचपन का साथी बन सके | इंटरनेट में उनके साथ संपर्क करे, आने वाले सालो में यह और भी बुद्धिमान होगा | जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता विकसित होगी, इसकी बुद्धिमत्ता भी विकसित होगी | क्रिस एंडरसन: बहुत धन्यवाद| यह अद्भुत है | (अभिवादन) आप में से कितने लोग थक चुके हैं? यह देखकर की मशहूर हस्तियों अफ़्रीकी बच्चे को गोद लेते रहते हैं (हंसी ) लेकिन यह इतना भी बुरा नहीं हैं मैं गोद लिया गया था मैं यूगांडा में पला-बड़ा था मैंने अपने माता-पिता को छोटी उम्र में खो दिया था जब वे चले गए मुझे निर्धनता के सारे बूरे परिणाम महसूस हुए बेघरपन से कचरा बवासीर में से खाने थक जो आप सोच पाओ लेकिन मेरी ज़िन्दगी तब बदली जब मुझे एक अनाथालय में दाखिला मिला एक एक-अनाथ-को-प्रायोजित-कीजिये योजना द्वारा मुझे प्रायोजन और एक शिस्क्षा और एक शिस्क्षा पाने की मौक्का मिला मैंने शुरुआत यूगांडा में की थी में स्कूल गया, और इस योजना के अनुसार आप उच्च विद्यालय पूर्ण करते, और उसके बाद आप एक व्यापार सीखते हो जैसे एक बढ़ई, मैकेनिक बनना या वैसे ही कुछ मेरी स्थिति थोडी अलग थी मुझे प्रायोजित करने वालइ परिवार इस अनाथालय को महीने के १६२५ रुपया देते थे. मुझे प्रायोजित करने के लिए जिसने (में उनसे कभी नहीं मिला था. कहा था "चलो.. हम आपको इसके बजाय कॉलेज भेजना चाहेंगे" अरे...यह बेहतर होता है (हंसी) और उन्होंने कहा,"अगर तुम्हे कागजी-कार्रवाई मिली, हम तुम्हे यहाँ बजाये अमरीका पढ़ने भेज देंगे" फिर उनके मदत के साथ मैं दूतावास अपने वीज़ा की आवेदन के लिए गया मुझे वीज़ा मिला. मुझे यह दिन, एकदम कल जैसे याद हैं मैं दूतावास से, इस कागज़ को हाथ में लिए, निकला मेरी चाल में उजाल मुँह पर मुस्कान यह जानकर की मेरी ज़िन्दगी बदलने वाली थी मैं उस रात घर गया और अपने पासपोर्ट के साथ सोया इसी डर के साथ की कोई उसे चुरा लेगा (हंसी) मैं सो न पाया मैं उसे छूता रहा मुझे सुरक्षा के लिए एक अच्छा विचार आया मैंने कहा, "ठीक हैं- "मैं इसको एक प्लास्टिक की थैली में ढालकर बहार लेजाकर, एक छेद में छुपा देता हूँ" वो मैंने किया, और फिर भीतर जाकर और फिर नींद नहीं आने पर मैंने सोचा, "किसी ने मुझे देख लिया होगा" मैं वापस गया (हंसी ) मैंने उसे निकलकर पूरी रात मेरे पास रखा कहने को, वह एक चिंता भरी रात थी (हंसी ) पहले बार अमरीका जाना, जैसे किसी और वक्ता ने कहा था, मेरे लिए पहले बार प्लेन देखना था एक पर रहे, फिर उस पर बैठकर दूसरे देश में उड़के जाने के लिए दिसंबर १५, २००६ श्याम के ७.०८ बजे. मैं कुर्सी ७-ा पर बैठा था एमिरेट्स हावईजहाज़ में एक सबसे सुन्दर औरत मेरे पास आयी छोटी लाल टोपी और सफेद घूंघट मैं डरा हुआ लग रहा हूँ मुझे मालुम नहीं मैं क्या कर रहा हूँ। वो मुझे एक गर्म तौलिया देती हैं- गर्म, बाष्पमय, बर्फ सफेद मैं इस नर्म तौलिये को देख रहा हूँ मुझे अपने ज़िन्दगी का कुछ नहीं पता और यह तौलिया का तो बिलकुल नहीं (हंसी) (तालियां) मैंने वो इक वही जो इस हालत में कोई भी कर सकता हैं मेरे आस पास देखा की लोग क्या कर रहे थे मैंने वही किया याद रहे, मैंने उस दिन अपने गाँव से हवाईअड्डे तक की यात्रा, सात घंटे गाड़ी में की थी तो मैं इस गरम तौलिये को लेकर अपना मुँह पोछता हूँ- वैसेही जैसे सब कर रहे हैं मैं उसे देकता हूँ जैसे सब लोग कर रहे है छी ! हंसी वह पूरा गंदला भूरा था (हंसी ) मुझे याद है मैं इतना शर्मिंदा था, कि जब वह इसे लेने के लिए आयी थी मैंने मेरा नहीं दिया (हंसी) वो मेरे पास अब भी हैं (हंसी) (तालियां) अमरीका जाना मेरे लिए बहुत दरवाज़े खोलने लगा मेरी पूर्ण ईश्वर द्वारा दी गयी क्षमता को पूरा करने के लिए मुझे याद है, जब मैं पहुंचा मेरे प्रायोजक-परिवार ने मुझे गले लगाया उनको मुझे सब शुरुवात से सिखाना पड़ा यह माइक्रोवेव है , वो फ्रिज है यह चीज़े मैंने पहले कभी नहीं देखी थी और यह पहला बार था की मैं एक नए और अलग संस्कृति में डूबा था इन अजनबियों ने मुझे सच्चा प्यार दिखाया इन अजनबियों ने मुझे दिखाया कि मैं मायने रखता हूं, मेरे सपने मायने रखते हैं (तालिया) धन्यवाद इन लोगों के अपने दो सगे बच्चे थे और जब मैं आया, मेरी भी ज़रूरते थी उनको मुझे अंग्रेजी सिखाना पड़ा मुझे सचमुच सब कुछ सिखाना पड़ा इसके कारण वे मेरे संग बहुत वक्त बिताने लगे और उनके बच्चे थोड़े जलने लगे तो अगर इस कमरे में कोई एक माता या पिता हो जिसके पास वो किशोर बच्चे हो जिनको आपके प्यार और स्नेह से दूर रहना हो असल में उन्हें यह सब अरुचिकर लगता है मेरे पास इसका उपाय है एक बच्चे को गोद ले लो (हंसी ) समस्या का समाधान होगा (तालिया) मैंने आगे दो इंजीनियरिंग डिग्री हासिल किये दुनिया की एक सर्वोत्तम कॉलेज से मुझे आपको बोलना पड़ेगा प्रतिभा सार्वभौमिक है, लेकीन मौके नहीं और मैं यह श्रेय उनको देता हूँ जो बहुसंस्कृतिवाद को अपनाते हैं प्यार, सहानुभूति और दूसरो के लिए हमदर्दी हम एक नफरत भरी दुनिये में रहते हैं दीवारों को खड़ा करना ब्रेक्सिट यहाँ अफ्रीका मैं, विदेशियों को ना अपनाना बहुसंस्कृतिवाद उपाय हो सकता है, सबसे खराब मानव विशेषताओं का आज मैं आप सबको बुलावा देता हूं एक छोटे बच्चे की मदद करे, और बहुसंस्कृतिवाद महसूस करे मैं आपको वचन देता हूं, उनका जीवन समृद्ध होगा और बदले में आपका भी समृद्ध होगा और अधिलाभ में उनमे से एक शायद एक टेड टॉक भी दे (हंसी) (तालियां) शायद हम इस दुनिया की कट्टरता और नस्लवाद को कभी सुलझा न पाए लकिन हम ज़रूर बच्चे पाल सकते हैं जो एक आशावादी, समावेशी और जुड़ा हुआ संसार बना सकते हैं सहानुभूति से भरा, प्यारा और दयालु प्यार की जीत होती हैं. धन्यवाद (तालियां) जब मै बच्ची थी. मुझे अपनी चाची की याद है जो मेरे बाल ब्रश करती थी मैंने अपने पेट में झुनझुनी महसूस की, मेरे पेट में यह सूजन। उसका पूरा ध्यान मुझ पर, सिर्फ मुझ पर। मेरी सुंदर चाची बी, मेरे बाल पथपाकर एक अच्छा ब्रश ब्रश के साथ। क्या आपको ऐसा याद है जो आप अभी अपने शरीर में महसूस कर सकते हैं? भाषा से पहले, हम सभी संवेदना हैं। बच्चे ऐसे ही सीखते हैं खुद को अलग करने के लिए दुनियाँ - स्पर्श के माध्यम से। सब कुछ मुँह में जाता है, हाथ, त्वचा पर। संवेदना -- यह तरीका है कि हम पहले प्यार अनुभव करते हैं। यह मानव सम्बन्ध का आधार है। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे बड़े हों स्वस्थ अंतरंग संबंधों के लिए तो माता-पिता के रूप में, तो हम अपने बच्चों को सेक्स बारे सिखाते हैं। हमारी मदद हेतु किताबें हैं, मूल बातों के लिए स्कूल में यौन शिक्षा होती है। अंतराल भरने के लिए अश्लीलता है - और यह अंतराल भर देगा। (हँसी) हम अपने बच्चों को "भाषण" देते हैं जीव विज्ञान और यांत्रिकी के बारे में, गर्भावस्था और सुरक्षित सेक्स के बारे में, और हमारे बच्चे यह सोचते हुए बड़े होते हैं कि सेक्स बारे केवल इतना ही है। लेकिन हम इससे बेहतर कर सकते हैं। हम अपने बेटों और बेटियों को सिखा सकते हैं खुशी और वासना के बारे में, सहमति और सीमाओं के बारे में, सचेतन शरीर होना कैसा लगता है और यह जानना कि जब ऐसा नहीं हैं। और हम उस तरीके से करते हैं कि हम मॉडल स्पर्श करते हैं, खेलते हैं, आँख से संपर्क करते हैं -- सभी तरीकों से हम उनकी इंद्रियों को संलग्न करते हैं। हम अपने बच्चों को न सिर्फ सेक्स बारे सिखा सकते हैं, लेकिन कामुकता बारे भी। मुझे बतौर एक लड़की इस तरह की बात की ज़रूरत थी। मैं बेहद संवेदनशील थी, लेकिन जब तक मैं पूरी किशोर हुई, मैं बिल्कुल सुन्न थी। मेरे बदलते शरीर का मज़ाक उड़ाने से लड़कों की शर्म और फिर लड़कियों द्वारा मुझसे अलग थलग रहना, लड़कों में व्‍यंग्‍यात्‍मक ढंग से मेरी दिलचस्पी, बहुत ज्यादा थी। मेरे पास कोई भाषा नहीं थी मैं जो अनुभव कर रही थी; मुझे नहीं पता था यह गुज़रने वाला था। तो मैंने सबसे अच्छे काम किया जो मैं उस समय पर कर सकती थी और और मैंने स्वयं को हटा लिया। और आप बस मुश्किल भावनाओं को अलग नहीं कर सकते, इसलिए मेरी मौज़ मस्ती खो गई, खुशी, नाटक, और मैंने इस तरह दशकों बिताये, अपने इस निम्न श्रेणी अवसाद में, यह सोचते हुए कि बड़े होना यही होता है। पिछले एक साल से , मैं पुरुषों व स्त्रियों से यौन संबंधों बारे साक्षात्कार कर रही हूं और मैंने मेरी कहानी को बार-बार सुना है। लड़कियों को बताया गया था वे बहुत संवेदनशील थे, बहुत ज्यादा। लड़कों को पुरुषत्व होना सिखाया गया था - "इतना भावनात्मक न होओ " मुझे पता चला कि मैं स्वयं को नियंत्रित करने वाली अकेली नहीं थी। मेरी बेटी ने मुझे याद दिलाया था मैं कैसा महसूस किया करती थी। हम समुद्र तट पर थे। यह बहुत ही मूल्यवान दिन था। मैंने अपना सेल फोन बंद कर दिया, कैलेंडर में लिखा, "लड़कियों के साथ समुद्र तट पर दिन।" मैंने अपने तौलिए को बस समुद्र तटीय लहरों से दूर नीचे बिछाया और सो गयी। और जब मैं उठी, मैंने अपनी बेटी को इस तरह से उसकी बाज़ू पर रेत की बौछार करते देखा, और मैं रेत की हल्की गुदगुदी उसकी त्वचा पर महसूस कर सकी और मुझे मेरे बाल ब्रश करते हुए मेरी चाची की याद आई। तो मैं उसकी बगल में लहर की तरह घूमी और मैंने उसकी दूसरी बाज़ू और फिर उसके पैर पर रेत की बौछार की। और फिर मैंने कहा,"हे, क्या तुम चाहती हो कि मैं तुम्हें धँसाऊँ?" और बहुत फैल गईं और जैसे उसने कहा हो "हाँ!" तो हमने खड्डा खोदा और मैंने उसे रेत, शंखो और सिप्पियों से ढक दिया और इस छोटी मत्स्यकन्या की यह पूँछ बनाई। और फिर मैंने उसे घर ले गयी और स्नानगृह में उस पर झाग लगाई और उसकी खोपड़ी की मालिश की और मैंने उसे एक तौलिए से पोंछा। और मैंने सोचा, "आह! मैंने कितनी बार ऐसा किया था - उसे स्नान कराया और पोंछा - लेकिन क्या मैं कभी रुकी और ध्यान दिया उन उत्तेजनाओं पर जो मैं उसमें पैदा कर रही थी? " मैं ऐसे पेश आ रही थी जैसे वह बच्चों की समनुक्रम में थी जिन्हें खाना खिला कर सुलाया जाना था। और मुझे अहसास हुआ कि जब मैं मेरी बेटी को तौलिये से कोमलता से पोंछती हूँ जिस तरह से एक प्रेमी करेगा, मैं उसे वैसे स्पर्श की अपेक्षा करना सिखा रही हूँ मैं उसे उस पल आत्मीयता बारे सिखा रही हूँ इस बारे कि अपने शरीर से कैसे प्यार करे और उसका सम्मान करे। मुझे एहसास हुआ कि बात के कुछ हिस्से हैं जो शब्दों में अभिव्यक्त नहीं किया जा सकते। अपनी पुस्तक "लड़कियों और सेक्स" में, लेखक पैगी ओरेनस्टेन पाता है कि युवा महिलाएँ अपने साथी की खुशी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, न कि अपनी खुद की। मैं अपनी लड़कियों से जब वे बड़ी होंगी ऐसी कुछ बात करूँगी , लेकिन फिलहाल, मैं पहचानने में उनकी मदद करने के वे ढंग, जो उन्हें आनन्द देते हों, तलाशती हूं और उन्हें व्यक्त करने का अभ्यास करना। जब मैं उसे अंदर खींचती हूँ मेरी बेटी कहती है,"मेरी पीठ रगड़ो," और मैं कहती हूँ, "ठीक है, तुम क्या चाहती हो कि मैं तुम्हारी पीठ कैसे रगडूं?" वह कहती है,"मुझे नहीं पता" इसलिए मैं उसके निर्देशों की इंतजार में रुकती हूँ। अंत में वह कहती है, "ठीक है, ऊपर और दाएं, जैसे तुम मुझे गुदगुदी कर रही हो। " मैं अपनी उँगलियों के पोर उसकी रीढ़ पर फेरती हूँ। "और क्या?" मैं पूछती हूँ। "बायीं तरफ़, अब थोड़ा सख्ती से।" हमें अपने बच्चों की संवेदनाओं को व्यक्त करने के लिए सिखाने की जरूरत है ताकि वे उनसे परिचित रहें । यह करने के लिए मैं घर पर अपनी लड़कियों के साथ खेल खेलने के ढंग खोजती हूँ। मैं बेटी की बाज़ू नाखुनों से खरोंचती हूँ व कहती हूँ, "मुझे इस का वर्णन करने के लिए एक शब्द दो।" "हिंसक," वह कहते हैं। मैं उसे भींच कर गले लगाती हूँ, "संरक्षित," वह मुझसे कहती है मुझे अवसर ढूँढती हूँ उन्हें यह बताने के लिए कि मैं कैसा महसूस करती हूँ। , मैं क्या अनुभव करती हूँ, आम भाषा से। जैसे अभी, मेरे सिर से नीचे मेरी रीढ़ की हड्डी में झुनझुनी का मतलब है मैं परेशान और उत्साहित हूँ। मेरे जवाब में आप संवेदनाओं का अनुभव कर रहे हैं। मैं जिस भाषा का उपयोग कर रही हूँ, विचार जो मैं साझा कर रही हूँ। और हमारी प्रवृत्ति इन प्रतिक्रियाओं का निर्णय करना है व उन्हें पदानुक्रम में छाँटना: बेहतर या खराब, और फिर उन्हें ढूँढना या उनसे बचना। व ऐसा है क्योंकि हम दोहरी संस्कृति में रहते हैं व हमें बहुत कम उम्र से दुनियाँ को अच्छे और बुरे में क्रमबद्ध करना सिखाया जाता है। "क्या आपने उस पुस्तक को पसंद किया?" "क्या आपका दिन अच्छा रहा?" क्या विचार है,"उस कहानी बारे आपने क्या ध्यान दिया?" "अपने दिन बारे मुझे एक क्षण बताओ तुमने क्या सीखा?" चलो अपने बच्चों को उनके अनुभवों बारे खुले और उत्सुक रहना सिखाएँ, विदेश में एक यात्री की तरह। और इस तरह वे संवेदना के साथ रह सकते हैं उनसे बाहर निकले बिना - यहां तक ​​कि शिखर पर पहुँचे और चुनौतीपूर्ण - जिस तरह से मैंने किया, जैसे हम बहुतों ने किया है। यह भावना शिक्षा, यह शिक्षा मैं अपनी बेटियों के लिए चाहती हूँ। मुझे लड़की होने के नाते इस तरह की संवेदना शिक्षा की ज़रूरत थी। यह मैं हमारे सब बच्चों हेतु आशा करती हूँ। संवेदना बारे जागरूकता, यहीं से हमने बच्चों रूप शुरू किया है। यही हम अपने बच्चों से सीख सकते हैं और बदले में यह हम हमारे बच्चों को याद दिला सकते हैं जैसे वे उम्र में बढ़ते हैं। धन्यवाद। (तालियाँ) मैं आपको मैनसन की कहानी सुनाना चाहता हूँ। मैनसन एक 28 वर्ष का इन्टीरियर डिज़ाइनर था, वह प्यारी सी एक बेटी और एक बेटे का पिता था, जिसने खुद को एक खण्डित न्याय प्रणाली के कारण जेल की सलाखों के पीछे पाया। उस पर एक ऐसी हत्या का दोष मढ़ दिया गया जिसे उसने किया ही नहीं था और उसको फाँसी की सज़ा सुना दी गई। इस हत्या में दो लोग शिकार बने -- एक वह जो उस हत्या से वास्तव में मरा, और दूसरा मैनसन, जिसको एक ऐसे अपराध के लिए जेल की सज़ा सुना दी गई, जो उसने किया ही नहीं था। उसको आठ गुना सात के एक क़ैदख़ाने में कैद कर दिया गया 13 और आदमियों के साथ दिन के साढ़े 23 घण्टों के लिए। खाना मिलेगा या नहीं इसका कोई आश्वासन नहीं था। और मुझे याद है कल जब मैं उस कमरे में गया जिसमें मैं रह रहा था तो मैंने उस कमरे की कल्पना की जिसमें मैनसन रह रहा होगा। क्योंकि मेरा गुसलखाने का जो छोटा सा कमरा था वह आठ गुना सात के जेलखाने से भी थोड़ा बड़ा था। परन्तु उस कमरे में जल्लाद का इन्तज़ार करते हुए-- क्योंकि जेल में उसका कोई नाम नहीं था-- मैनसन एक सँख्या द्वारा जाना जाता था-- वह तो बस एक आँकड़ा था। उसे नहीं पता था कि उसका इन्तज़ार कितना लम्बा होगा। वह इन्तज़ार एक मिनट का हो सकता था, शायद जल्लाद अगले ही मिनट आ जाता, शायद अगले दिन, या फिर, 30 वर्ष भी लग सकते थे। इस इन्तज़ार का कोई अन्त नहीं था। और इस कष्टदायी पीड़ा, मानसिक यातना, और बहुत से अनुत्तरित प्रश्नों के बीच मैनसन को पता था कि वह विपत्ति-ग्रस्त नहीं बनेगा। उसने विपत्ति-ग्रस्त व्यक्ति की भूमिका अदा करना अस्वीकार कर दिया। वह तो उस न्याय प्रणाली पर क्रोधित था जिसने उसे सलाखों के पीछे डाल दिया था। पर वह जानता था कि अगर उसे न्याय प्रणाली को बदलना है या न्याय दिलाने में दूसरे लोगों की सहायता करनी है तो वह विपत्ति-ग्रस्त व्यक्ति कि भूमिका अदा नहीं कर सकता। मैनसन के जीवन में बदलाव तब आया जब उसने उन लोगों को क्षमा करना स्वीकार किया जिन्होंने उसे जेल में डाला था। मैं यह बात एक तथ्य की तरह कहता हूँ। क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैनसन कौन है। मैनसन मैं हूँ। मेरा वास्तविक नाम पीटर मैनसन ओउको। और मेरे प्रत्यय के बाद, क्षमा कर देने की जागृति के बाद, मेरे अन्दर व्यवस्था को बदलने के लिए काम करने के इरादे ने जन्म लिया। मैंने निर्णय किया कि मैं अब विपत्ति-ग्रस्त व्यक्ति नहीं रहूँगा। परन्तु मैं एक ऐसी व्यवस्था को कैसे बदलता जो हर रोज़ ऐसे छोटी उम्र के कैदियों को अन्दर ला रही थी जिन्हें अपने परिवारों के साथ रहने का अधिकार था? तो मैंने जेल में अपने सहकर्मियों, अपने साथी कैदियों को एकत्रित करना शुरू किया, पत्र और ज्ञापन लिखने के लिए, न्याय व्यवस्था को, न्यायिक सेवा आयोग को, और उन अनेक कार्यदलों को जिन्हें हमारे देश, केन्या में, संविधान में बदलाव लाने के लिए स्थापित किया गया था। और हमने ऐसे तिनकों को मुट्ठी में भींचने का निश्चय किया जिनसे न्याय व्यवस्था काम करे और सबके लिए काम करे। लगभग उसी समय मैं ग्रेटब्रिटेन के एलेक्ज़ैन्डर मैकलेन नमक एक युवा विश्वविद्यालय स्नातक से मिला। एलेक्ज़ैन्डर अपने विश्वविद्यालय के तीन या चार सहकर्मियों के साथ वर्ष के अंतराल में आया था और वह कमिति मैक्सिमम प्रिजन में एक पुस्तकालय स्थापित करने में मदद करना चाहते थे, जिसे अगर आप गूगल करें, तो आप पाएँगे कि वह विश्व के 15 सबसे बुरे जेलों में से एक है। पर वह तब की बात थी। पर जब एलेक्ज़ैन्डर आया तो वह एक २० वर्षीय युवा लड़का था। और मैं उस समय फाँसी की कतार में था। लेकिन हमने उसे अपने साथ मिला लिया। यह एक निष्कपट भरोसे की बात थी। यह जानते हुए भी कि हम फाँसी की कतार में हैं उसने हम पर भरोसा किया। और उस भरोसे के सहारे हमने उसे और उसके विश्वविद्यालय के सहकर्मियों को पुस्तकालय को नवीनतम प्रौद्योगिकी से नवीनीकरण करते और प्रग्णालय को बहुत अच्छे मानकों से स्थापित करते देखा ताकि अगर जेल में कोई बीमार पड़े तो जरुरी नहीं कि उसे अपमान के साथ मरना पड़े। एलेक्ज़ैन्डर से मिलने के कारण मेरे पास एक अवसर था. और उसने मुझे वह मौका और समर्थन दिया. एक विश्वविद्यालय की डिग्री के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ़ लन्दन में भरती होने का। बिलकुल जैसे मण्डेला ने दक्षिण अफ़्रीका से पढ़ाई की थी मुझे कमिति मैक्सिमम सिक्योरिटी प्रिजन में पढ़ने का मौका मिला। और दो वर्ष बाद मैं यूनिवर्सिटी ऑफ़ लन्दन के कार्यक्रम का जेल प्रणाली में से उत्तीर्ण होने वाला पहला स्नातक बना। स्नातक होने के बाद क्या हुआ -- (वाहवाही) धन्यवाद। (वाहवाही) स्नातक होने के बाद, मैं सशक्त महसूस करने लगा। मैं असहाय विपत्ति-ग्रस्त व्यक्ति बन कर नहीं रहने वाला था। पर मैं केवल खुद की मदद करने के लिए ही नहीं, केवल खुद का मुकदमा चलाने के लिए ही नहीं, बल्कि उन दूसरे कैदियों की मदद करने के भी सशक्त महसूस कर रहा था जो ऐसे ही अन्यायों से जूझ रहे थे जिनके बारे में यहाँ अभी बोला गया है। तो मैंने उनके लिए कानूनी संक्षिप्त लिखने शुरू किए। जेल में अपने दूसरे सहकर्मियों के साथ हम जो कर सकते थे, हमने किया। पर वह काफ़ी नहीं था। एलेक्ज़ैन्डर मैकलेन और अफ़्रीकन प्रिज़न्स प्रोजेक्ट की उसकी टीम ने और कैदियों की मदद करने का निश्चय किया। आज जब मैं यहाँ आपसे बात कर रहा हूँ, तब केन्या प्रिज़न सर्विस के 63 कैदी और कर्मचारी यूनिवर्सिटी ऑफ़ लन्दन में दूर - शिक्षण के द्वारा कानून की पढ़ाई कर रहे हैं। (वाहवाही) यह सब बदलाव लाने वाले लोग हैं जो न केवल उनकी मदद करने के लिए प्रेरित हैं जो समाज में सबसे निष्क्रिय हैं बल्कि कैदियों और दूसरों को न्याय दिलाने के लिए भी। वहाँ मेरे क़ैदख़ाने में कुछ था जो मुझे झकझोरता रहता था। मार्टिन लूथर किंग के शब्द मुझे हिलाते रहते थे। और वह मुझे हमेशा बताते रहते थे, "पीट, अगर तुम उड़ नहीं सकते, तो तुम भाग सकते हो। और अगर तुम भाग नहीं सकते, तो तुम चल सकते हो। पर अगर तुम चल नहीं सकते, तो तुम रेंग सकते हो। पर चाहे जो भी हो, जैसे भी हो, आगे बढ़ते रहो।" और इसलिए मुझे आगे बढ़ने की तीव्र इच्छा होती रहती थी। आज भी मैं जो भी करूँ उसमें आगे बढ़ने की मुझे तीव्र इच्छा होती रहती है। क्योंकि मुझे लगता है कि अगर अपने समाज को बदलने का कोई तरीका है, अपनी न्याय व्यवस्था को बदलने का, जो हमारे देश में बहुत बेहतर हो चुकी है, तो वह है उन व्यवस्थाओं को ठीक करने के लिए काम करना। इसलिए पिछले वर्ष 26 अक्टूबर को, जेल में 18 वर्ष काटने के बाद, मैं राष्ट्रपति के क्षमादान पर जेल से बाहर निकला। मैं अब अफ़्रीकन प्रिज़न्स प्रोजेक्ट की सहायता करने पर केन्द्रित हूँ-- उसका प्रशिक्षण का अधिदेश पूरा करने और जेल की सलाखों के पीछे बने पहले कानून विद्यालय और कानूनी महाविद्यालय को स्थापित करने के लिए। जहाँ हम प्रशिक्षण करेंगे -- (वाहवाही) जहाँ हम प्रशिक्षण करेंगे कैदियों और कर्मचारियों का न केवल अपने साथी कैदियों की मदद करने के लिए बल्कि सारे गरीब समाज की भी जिनकी कानूनी न्याय तक पहुँच नहीं है। तो आज मैं आपके सामने इस बोध के साथ खड़ा हूँ कि हम सब खुद का, अपनी परिस्थितियों का, अपने हालातों का पुनर्परीक्षण कर सकते हैं, और असहाय विपत्ति-ग्रस्त अफ़साने से दूर रह सकते हैं। असहाय विपत्ति-ग्रस्त अफ़साना हमें कहीं नहीं ले जाएगा। हाँ, मैं सलाखों के पीछे था, पर ना मैंने कभी खुद को एक कैदी महसूस किया और ना मैं कैदी था। एक मूल बात जो मुझे सीखने को मिली वह यह थी, कि अगर मैं सोचूँ, या आप सोचें, कि आप कर सकते हैं, तो आप करेंगे। लेकिन अगर आप यह सोच कर बैठे रहें कि आप नहीं कर सकते तो आप नहीं करेंगे। यह इतना सरल है। यहाँ मन्च पर शान्तिपूर्ण क्रान्तिकारियों को सुन कर मैं बहुत प्रोत्साहित हुआ हूँ। विश्व को आपकी अब ज़रूरत है, विश्व को आपकी आज ज़रूरत है। और इस संभाषण के अन्त में मैं यहाँ मौजूद हर एक व्यक्ति से, हर अद्भुत विचारक से, बदलाव लाने वाले से, नवपरिवर्तन लाने वाले से, TED के अद्भुत वैश्विक नागरिकों से, यही कहना चाहूँगा, कि बस मार्टिन लूथर किंग के शब्द याद रखना। उन्हें अपने दिल और अपने जीवन में गूँजते रहने देना। चाहे जो भी हो, जहाँ भी हो, जैसे भी हो, आगे बढ़ते रहो। धन्यवाद। (वाहवाही) धन्यवाद। (वाहवाही) मैं तंज़ानिया से हूँ इसलिए मैं आप सबका दोबारा स्वागत करता हूँ. पधारने के लिए धन्यवाद. शुरू करने से पहले, आप में से कितने लोग इस कीड़े के शिकार हुए हैं? हम सभी मच्छर पकड़ने वालो कि ओर से माफ़ी चाहते हैं. (हँसी) देवियों और सज्जनों सोचिये हर रोज़ संक्रामक मच्छर के 7 डंक होना इस हिसाब से साल में 2,555 बार मच्छर काटना मैं कॉलेज के लिए किलोम्बेरो रिवर वैली, जो तंज़ानिया के दक्षिण-पूर्व में हैं, में आया. यह ऐतिहासिक तौर पर दुनिया का सबसे ज्यादा मलेरिया ग्रसित क्षेत्र है यहाँ जीवन कठिन है मलेरिया के उत्तरार्ध में दौरे पड़ते हैं जो स्थानीय भाषा में देगेदेगे कहलाते हैं ये आदमी, औरत, बड़े और बच्चे सबको बिना दया के मारता है मेरा कॉलेज, इफाकारा हेल्थ इंस्टिट्यूट इस घाटी में 1950 के दशक में स्थापित हुआ स्थानीय लोगों की स्वास्थ्य समस्याओं केलिए. इफाकारा का मतलब है मरने की जगह जो यहाँ के जीवनस्थिति को दर्शाता है जब यहाँ हेल्थ सेवाएँ उपलब्ध नहीं थीं. यहाँ मेरा पहला काम था पता लगाना कि आस पास के गांवों में मलेरिया का संक्रमण कितना है और कौन से मच्छर इसे फैला रहे हैं मैं और मेरे सहकर्मी इफाकारा से 30 किमी दूर नदी के पार आये हरशाम हम गांवोंमें टॉर्च और यन्त्र लेकरआते अपनी पैन्ट्स ऊपर करते और मच्छरों के काटने का इंतज़ार करते ताकि उनको पकड़ सकें ये देखने के लिए कि क्या ये मलेरिया फैला रहे हैं? (दर्शकों की हँसी) हमने एक घर को चुनते और उसके अन्दर और बाहर खड़े रहते, और आधे घंटे बाद अपनी जगह बदलते. ऐसा हमने 24 रात रोज 12 घंटे तक किया. सुबह 4 घंटे सोते और बाकी दिनभर काम करते मच्छरो को छंटनी करना, पहचान करना, और उनके सर काट कर लैब में जांच करना कि क्या उनमे मलेरिया के जीवाणु तो नहीं? इससे पता चला की मलेरिया का फैलाव कितना है , और कौन से मच्छर इसे फैला रहे हैं. ये भी पता चला कि मलेरिया घरों के अन्दर ज्यादा है या बाहर मैं आज भी जीवनयापन के लिए मच्छर पकड़ता हूँ. पर लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए. इनको दुनियाका सबसे खतरनाक प्राणी कहा गया है. जो एक दुखद सत्य है पर हम मच्छरों के बारे में क्या जानते हैं? सच में, बहुत ही कम. हमारा मलेरिया से बचने का सबसे उत्तम उपाय है - कीटनाशक लगायी हुई मच्छरदानी सबको ज्ञात है कि अफ्रीका में कीटनाशक की मारक क्षमता कम हो चुकी है. इन्ही कीटनाशकों को इन मच्छरदानियों में लगाया जाता है ये आपको मच्छर के डंक से बचाती हैं लेकिन उनको मारने में सफल नहीं हैं. हमें मच्छरों कि संख्या को 0 करने के लिए बहुत कुछ करना पड़ेगा और ये हमारा कर्त्तव्य है. इफाकारा हेल्थ इंस्टिट्यूट में हम मच्छरों को समझ कर नए अवसर खोजने की कोशिश में हैं. एक नयी पद्धती नए तरीके जिनको हम मच्छरदानियों के साथ इस्तेमाल कर सकें और इनकी संख्या को ० कर सकें मैं कुछ उदहारण पेश करूँगा जो हम यहाँ पर करते हैं. इस उदाहरण को देखिये मच्छर जमे पानी में पलते हैं. जमे पानी को ढूंढना आसान नहीं है वे कई गांवों में फैले होते हैं, बहुत छोटे भी हो सकते हैं. आपके घर के पीछे हो सकते हैं या बहुत दूर भी अगर आपको मच्छरों का प्रजनन रोकना है तो उन तक पहुंचना ही मुश्किल हो सकता है हमने सोचा कि क्यों न हम इन मच्छरों का इस्तेमाल कीटनाशक को इनकी प्रजनन की जगह पर भेजने में करें ताकि उनके दिए हुए कोई भी अंडे बच न सकें ये है डिकसन ल्वेतोइजेरा इफाकारा में यह काम इसकी देखरेख में होता है उसने ये दिखाया है कि मच्छरों को खून की तलाश में घुमते वक़्त, कीटनाशक की डोस दी जा सकती है, जिसको वे अपने साथ ले जाते हैं और स्वतः अंडों को नष्ट करते हैं हमने देखा है कि ऐसा करने से इनकी संख्या बड़ी तेजी से घटाई जा सकती है ये अत्यंत सुन्दर है ये हमारा मच्छरों का शहर है ये विश्व का सबसे बड़ा मच्छर-पालन केंद्र है जहाँ मलेरिया से जुड़ी शोध की जाती है यहाँ मलेरिया के मच्छरों की बड़ी बड़ी कॉलोनियाँ हैं ये यहाँ मलेरिया मुक्त हैं ये हमें सुविधा प्रदान करता है नए तरीकों को तुरंत टेस्ट करने में और जल्द ही समझने में कि मच्छरों की संख्या को कैसे घटाया जाए या नियंत्रित किया जाए मेरे सहकर्मियों ने दिखाया है कि अगर 2-3 जगहों पर इन मारक दवाइयों को रखें जहाँ से मच्छर इनको उठाकर ले जाएँ तो इनकी संख्या 3 महीने में तेजी से कम हो सकती है इसे ऑटो-डीसीमीनेशन कहते हैं लेकिन क्या हम मच्छरों के यौन-व्यवहार को उनकी संख्या को नियंत्रित करने में इस्तेमाल कर सकते हैं? पहले मैं ये बताना चाहूँगा कि मच्छर झुंड में यौन-क्रिया करते हैं नर सूर्यास्त के बाद समूह में इकट्ठा होते हैं नर नाचने के लिए इकट्ठा होते हैं और मादा उड़कर बाद में वहां आती हैं और एक नर को चुनती हैं जो कि सबसे सुन्दर नर होता है वे गुच्छा होकर जमीन पर गिरते हैं यह बहुत सुन्दर दृश्य होता है. एक अभूतपूर्व घटना. यहीं से हमारा काम रोचक होता है हमने ये देखा हैं कि ये गीली कीचड़ वाली जगहें हमेशा उसी जगह होती हैं, हर रोज, हर हफ्ते, हर महीने और हर साल. वो हर शाम ठीक उसी समय शुरू होते हैं और ठीक उसी जगह मिलते हैं. यह हमें क्या बतलाता है? अगर हम इन लोकेशंस का पता लगा ले तो हम उनकी संख्या को एक ही तगड़ी मार से खत्म कर सकते हैं. जैसे न्यूक्लीयर बम गिरा दिया हो. हम यही प्रक्रिया गांवों में लड़के लडकियों की मदद से कर रहे हैं हम इनकी टीमों को इन झुंडों को ढूंढकर उनको स्प्रे करना सिखाते हैं हमें यकीन है कि इस नए तरीके से हमें इस घाटी को मच्छर-मुक्त कर पाएंगे. क्यूँकि मच्छर मनुष्य के खून पर जीते हैं, वे दुनिया के सबसे खतरनाक प्राणी हैं. सोच कर देखिये - मच्छर आपकी गंध से आपको पहचानते हैं. उन्होंने अपनी इस क्षमता को अत्यंत विलक्षण कर लिया है. वे 100 मीटर दूर से आपकी गंध ले सकते हैं. और पास आने पर वे परिवार के दो सदस्यों में भेद कर सकते हैं. वे पहचान कर सकते हैं आपकी सांस, चमड़ी, पसीना और शरीर की गंध से. हमने इफाकारा में ये पता किया कि मच्छरों को आपके शरीर, चमड़ी, पसीने में क्या पसंद आता है. इन तत्वों को समझ कर हमने एक मिश्रण तैयार किया है जो शरीर से पैदा होने वाली विभिन्न चीज़ों का कृत्रिम स्वरुप है और ये मनुष्य से 3-5 गुना ज्यादा मच्छर आकर्षित करता है. इससे क्या किया जा सकता है? जाल बिछा कर कई मच्छरों को मारा जा सकता है? और चौकसी रखने में इस्तेमाल कर सकते हैं. इफाकारा में हम मच्छरों के बारे में अपने ज्ञान में वृद्धि करके बीमारियों को नियंत्रित करते हैं, फिर मलेरिया हो या और कोई जैसे डेंगू, चिकनगुन्या, या ज़ीका. मैंने और मेरे सहकर्मियों ने ये देखा है कि मच्छर आपको पैरो पर काटते हैं. तो हमने ये ख़ास सैंडल बनाये हैं जिनको पर्यटक और अन्य लोग पहन सकते हैं. इनसे आपको मच्छर नहीं काटेंगे ये तब तक सुरक्षा प्रदान करते हैं जब तक आप मच्छरदानी में नही जाते. (तालियाँ और प्रशंसा) मच्छरों केसाथ मेरा प्रेम-द्वेषका रिश्ता है (हँसी) और यह बहुत समय तक चलेगा. कोई बात नहीं. WHO 2030 तक 35 देश मलेरिया मुक्त चाहता है अफ्रीकन यूनियन ने भी 2030 तक मलेरिया को खत्म करने का लक्ष्य रखा है इफाकारा में भी हमारा यही लक्ष्य है हमने वैज्ञानिको का एक दल तैयार किया है आदमी एवं औरतें जो सर्वोत्तम हैं और साथ मिलकर इस लक्ष्य को साधना चाहते हैं. वो इसको सत्य करने के लिए हर प्रयत्न करने को तैयार हैं और हम उनकी सहायता करते हैं. हम चाहते हैं कि ये सपना पूरा हो. देवियों और सज्जनों, अगर ये हमारे जीवनकाल में नहीं होता, अगर ये मेरे-आपके रहते हुए नहीं होता मुझे यकीन है की हमारे बच्चे ऐसे विश्व में रहेंगे, जो मलेरिया के मच्छर से मुक्त होगा. और मलेरिया मुक्त होगा. देवियों और सज्जनों, बहुत बहुत धयवाद. (तालियाँ और प्रशंसा) धन्यवाद. केलो कुबु: OK, फ्रेद्रोस. CRISPR के बारे में बताइए (हँसी) ये विश्व को अचंभित करता है और कई अचम्भे करने में सक्षम है. वैज्ञानिक CRISPR से मच्छर कैसे माररहे हैं? फ्रेद्रोस: समझते हैं कि समस्या क्या है ये वो बीमारी है, जो मारक क्षमता रखती है. WHO के अनुसार 429,000 मौतें. ज्यादातर अफ़्रीकी बच्चे हैं. कई देश मलेरिया से होने वाली मौतों में 50-60% गिरावट लाने में सफल हुए है. पर इसको 0 करने के लिए हमें कुछ करना होगा. यह देखा गया है कि जीन-एडिटिंग तकनीक (जैसे CRISPR) का इस्तेमाल मच्छरों को बदलने में कारगर है, ताकि वे मलेरिया न फैला पाएं इसे जनसंख्या परिवर्तन कहते हैं या उनको खत्म किया जा सकता है जिसे जनसंख्या दमन कहते हैं. यह लैब में किया जा चुका है. अगर इन जीन परिवर्तित मच्छरों की छोटी संख्या को वातावरण में छोड़ा जाए तो, मच्छरों को बहुत ही कम समय में खत्म किया जा सकता है. CRISPR जैसे तरीके हमें अवसर प्रदान करते हैं कि हम कुछ प्रभावशील कर सकें, बाकी तरीकों के अलावा, जो हमें 0 तक पहुचने में मदद करे. यह महत्त्वपूर्ण है. हमसे पूछा जाता है, जो एक सामान्य सवाल है, और आप भी पूछेंगे कि "अगर मच्छर खत्म हो गए तो क्या होगा?" KK: मैं नहीं पूछूंगी, आप बताओ. FO: मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि विश्व में मच्छर की 3,500 प्रजातियाँ हैं. शायद उससे भी ज्यादा. इसमें से 400 अनोफिलिन्स हैं उसमे से 70 मलेरिया फैलाते हैं अफ्रीका में इसमें से 3-4 ही पायी जाती हैं ये 99% मलेरिया फैलाते हैं. अगर हम CRISPR का इस्तेमाल करते हैं और जीन-एडिटिंग से मलेरिया की रोकथाम करते हैं हम 1 या 2 प्रजाति पर वार करेंगे इसमें जैव विविधता की कमी का प्रश्न नहीं है ये मेरा व्यक्तिगत विचार है मेरे हिसाब से ठीक है. कई सालों से हमने मच्छरों का खात्मा करने की कोशिश की है, उनको अमेरिका में स्प्रे करके गांवों से ख़त्म करने की कोशिश की है. अफ्रीका में घरों में स्प्रे करते हैं सबका उद्देश्य मच्छरों को मारना है तो किसी नयी तकनीक का इस्तेमाल करना गलत कैसे? पर मैं ये कहना चाहूँगा कि हमें नैतिक जिम्मेदारी से चलना होगा हमें रेगुलेटर एजेंसी के साथ काम करना होगा और हम जो भी करें, सही से करें. जिम्मेदारी से करना होगा और हमें इससे जुड़े जोखिम को समझना होगा ताकि यह तरीके ग़लत हाथों में ना पड़ जाएँ धन्यवाद. KK: धन्यवाद. (तालियाँ और प्रशंसा) मेरा एक पसंदीदा हास्य-चित्र (कार्टून) पात्र है स्नूपी । मुझे अच्छा लगता है जिस तरह वह अपने घर में बैठता है और ज़िन्दगी के महत्त्वपूर्ण विषयों का चिंतन करता है. तो जब मैंने करूणा के बारे में सोचा, तब मेरा मन तुरंत उसकी एक व्यंग-चित्र (कार्टून स्ट्रिप) की ओर गया जिसमे वह वहां लेटा है, और वह कहता है, "मैं सचमुच समझता हूँ, और मैं सचमुच सराहना करता हूँ किस तरह एक व्यक्ति को अपने पडोसी से वैसे ही प्रेम करना चाहिए जैसे वह खुद से करता है । एक मात्र परेशानी, वो लोग हैं जो आपके पड़ोस में रहते हैं, मैं उन्हें बर्दाश्त नहीं कर सकता." यह एक प्रकार की चुनौती है कि किस प्रकार एक अच्छे विचार का विवेचन करें. हम सभी, मैं सोचती हूँ कि, करुणा में विश्वास रखते हैं. अगर आप देखते हैं संसार के सभी धर्मो को, सभी मुख्य धर्मो को, आपको उन सब मे करुणा से सम्बंधित कुछ शिक्षाएं मिलेंगी. अतः, यहूदी धर्म में, हमारे तोरा (यहूदी धर्म ग्रन्थ) में, लिखा है कि आपको अपने पडोसी से वैसे ही प्रेम करना चाहिए जैसा आप खुद से करते है. और यहूदी शिक्षाओं में, रब्बी की शिक्षाओं में, हमारे पास है हिल्लेल (एक यहूदी धर्म गुरु) जिन्होंने सिखाया कि आपको दूसरों के साथ वो व्यवहार नहीं करना चाहिए जो आप अपने साथ किया जाना पसंद नहीं करते हो और सारे मुख्य धर्मो में समान शिक्षाएं हैं. और पुनः, यहूदी धर्म में ही, हमारे पास भगवान् के बारे में एक शिक्षा है जो करुणामय कहे जातें हैं, परमपिता इन सब के बाद भी, यदि भगवान् करुणामय ना हो, तो इस विश्व का अस्तित्व कैसे होगा. और हम, जैसा कि तोरा में सिखाया गया है, हम भगवान कि प्रतिमूर्ति हैं, अतः हमें भी करुणामय होना है. परन्तु, इसका क्या तात्पर्य है? हमारे दैनिक जीवन को यह किस प्रकार प्रभावित करता है? कभी-कभी, निश्चित रूप से, करुणामय होना हमारे अंतःकरण में ऐसी भावनाए पैदा कर सकता हैं जिन पर नियंत्रण करना कठिन है. मैं जानती हूँ कि अनेक बार मैं गयी हूँ और अन्त्येष्टि क्रिया का सञ्चालन किया है, और जब मैं बैठी होती हूँ वंचित लोगों के साथ या उनके साथ जो कि मर रहे हैं, मैं अभिभूत हो जाती हूँ दुखः से, कठिनाई से, उस चुनौती से जो परिवार के लिए है, मनुष्य के लिए है. और यह मुझे छू जाती हैं और मेरी आँखों में आंसू आ जाते हैं. और तब भी, यदि मैं स्वयं को इन भावनाओ से बोझिल होने दूं , मैं अपना कार्य नहीं कर पाऊंगी, क्योंकि मुझे सचमुच उनके साथ वहाँ रहना होगा और यकीन दिलाना है कि अनुष्ठान हुए है और संस्कारों का पालन हुआ है. और तब भी, दूसरी तरफ, यदि मैंने करुणा का अनुभव नहीं किया, तब मैं महसूस करती हूँ कि अब मेरे जामा लटकाने का समय आ गया है और रब्बी होने का परित्याग कर दूं . और यह अनुभव हम सभी के साथ होता है जब हम संसार का सामना करते हैं. करुणा से कौन द्रवित नहीं हो सकता, जब हम देखते हैं भयावह आतंक युद्ध के परिणामो का, या अकाल, या भूकंप, या सुनामी? मैं कुछ लोगों को जानती हूँ जो कहते हैं "अच्छा, आप जानते हैं वहां बहूत कुछ है, मैं कुछ नहीं कर सकता. मैं कोशिश भी नहीं करने जा रहा हूँ." और कुछ परोपकारी कार्यकर्ता भी हैं जो इसे करुणामय श्रम कहते हैं. कुछ और हैं जो महसूस करते हैं कि वे करुणा का और सामना नहीं कर सकते, और इसलिए, वे अपना दूरदर्शन बंद कर देते हैं, और नहीं देखते. यहूदी धर्मं में यद्यपि, हम हमेशा कहते हैं कि एक बीच का रास्ता होना चाहिए. आपको, निःसंदेह, दूसरों कि जरूरतों से अवगत होना चाहिए, परन्तु आपको इस प्रकार अवगत होना है कि आप उसे अपनी जिंदगी के साथ ले कर चल सकें. और लोगों कि सहायता करें. अतः करुणा का एक पक्ष, यह समझ है कि क्या लोगों को जगाती है. और, निःसंदेह, यह आप तभी कर सकते हैं जब आप खुद को थोडा ज्यादा समझें. और एक प्यारी रब्बिनिक व्याख्या है सृष्टि के शुरुआत के बारे में जो कहता है कि जब भगवान् ने संसार का निर्माण किया, भगवान् ने सोचा कि संसार का निर्माण करना सर्वोचित होगा केवल न्याय के दिव्य गुणों के साथ. क्योकि, सब से ऊपर , भगवान् न्यायसंगत हैं. इसलिए, संपूर्ण संसार में न्याय होना चाहिए. और तब भगवान् ने भविष्य की ओर देखा और अनुभव किया यदि संसार का निर्माण केवल न्याय के साथ होता, तो संसार का कोई अस्तित्व नहीं होता. अतः, भगवान् ने सोचा, "मैं विश्व का निर्माण सिर्फ करुणा के साथ करने जा रहा हूँ" और तब भगवान् ने भविष्य की ओर देखा और अनुभव किया कि, वास्तव में, यदि संसार मात्र करुणा से भरा होता, तो यहाँ सिर्फ अराजकता और विशृंखलता होती. सभी की सीमाएं होनी चाहिए. रब्बी इसे एक राजा की तरह होना वर्णित करते हैं जिसके पास एक सुन्दर, नाजुक कांच का प्याला है. यदि आप इसमें बहूत ज्यादा ठंडा पानी भर दें, यह टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा. यदि आप इसमें उबलता हुआ पानी भर दें, यह टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा. आपको क्या करना है? दोनों का सम्मिश्रण भरें. और इसलिए भगवान् ने इन दोनों ही संभावनाओं की इस संसार में रखा. यद्यपि कुछ और भी है जिसे वहां होना है. और वह है भावनाओं का अनुवाद जो हमारे पास हो सकता है करुणा का इस व्यापक संसार में, कर्म में, आप जानते हैं, स्नूपी की तरह, हम वहां पर पड़े नहीं रह सकते अपने पड़ोसियों के बारे में महान विचार नहीं सोच सकते. हमें वास्तव में इस बारे में कुछ करना है. और इसीलिए, यहूदी में, प्रेम और दयालुता की भावना भी है जो बहूत ही महत्वपूर्ण हो जाती है. अनुसरित होती है. इन तीनो को तब सम्मिलित होना है न्याय का विचार, जो हमारे जीवन को सीमाएं देता है और अनुभव देता है, जीवन में क्या सही है, जीवनयापन में क्या सही है, हमें क्या करते रहना चाहिए, सामाजिक न्याय. अच्छे कर्मो को करने की इच्छा होनी चाहिए, परन्तु, हमारी स्वस्थ मानसिकता की कीमत पर बिलकुल नहीं. आप जानते हैं, किसी के लिए कुछ भी करने का कोई मार्ग नहीं है, यदि आप हद से ज्यादा करते हैं. और इन सब को मध्य में संतुलित करना, करुणा की धारणा है. जिसे वहां होना है, यदि आप चाहें, हमारी मूलों में. हमें करुणा का विचार आता है क्योंकि हम भगवान् की प्रतिमूर्ति हैं. जो, अंततः, परम करुणामय है. करुणा क्या बतलाती है? यह बताती है दूसरों का दुःख समझना. परन्तु उससे भी ज्यादा, इसका मतलब है इस सम्पूर्ण सृष्टि से अपने सम्बन्ध का ज्ञान. यह ज्ञान कि हर कोई इस सृष्टि का एक अंग है, कि एक एकता कायम है सब जो हम देखते हैं, सब जो हम सुनते हैं, सब जो हम अनुभव करते हैं. मैं उस एकता को इश्वर कहती हूँ. और यह एकता ही है जो सम्पूर्ण सृष्टि को मिलाती है. और, बिलकुल, आधुनिक संसार में, पर्यावरण संबंधी गतिविधियों के साथ, हम लोग संबंधों से और भी ज्यादा अवगत होते जा रहे हैं, कि अगर हम कुछ यहाँ करते हैं तो वो वास्तव में अफ्रीका में प्रभाव डालता है, कि यदि मैं अपने कार्बन वृति का ज्यादा इस्तेमाल करती हूँ, तो ऐसा प्रतीत होता है कि, हम कारण बन रहे हैं, मध्य और पूर्वी अफ्रीका में एक बहूत बड़ी बर्षा की कमी का. अतः एक सम्बन्ध है. और मुझे समझना है कि सृष्टि के एक हिस्से के अंश के रूप में, इस पक्ष में कि मैं इश्वर की प्रतिमूर्ति हूँ. और मुझे समझना है कि मेरी आवश्यकताएं कभी-कभी दूसरी आवश्यकताओं में परिशोधित होनी हैं. यह १८ मिनट का कार्य, मुझे पूर्णतया मोहित करता है. क्योंकि, यहूदी में, यह शब्द, संख्या १८, हिब्रू अक्षरों में, ज़िन्दगी के लिए है, शब्द ज़िन्दगी. अतः, एक तरह से, यह १८ मिनट मुझे यह कहने के लिए ललकार रहे हैं कि जीवन में, यही है जो करुणा के लिये महत्त्वपूर्ण है, परन्तु कुछ और भी है. वस्तुतः, १८ मिनट महत्त्वपूर्ण हैं. क्योंकि अन्तःगति में, जब हमें सुखी (बिना खमीर की) रोटी खानी होती है, रब्बी बताते हैं कि क्या फर्क है उस लोई में जिससे रोटी(खमीर वाली) बनती है, और उस लोई में जिससे सुखी रोटी(बिना खमीर वाली) बनती है, मत्ज़ा. और वे बताते हैं यह है १८ मिनट. क्योंकि इतना ही समय लगता है, वे बताते हैं इस लोई में खमीर पैदा होने में. क्या मतलब है, लोई में खमीर आ जाता है? इसका मतलब है यह गर्म हवा से भर जाती है. मत्ज़ा क्या है? सुखी रोटी क्या है? आप नहीं जानते. प्रतीकात्मक रूप से, रब्बी कहते हैं, अंत समय में, जो हमें करना पड़ता है मुक्त होने के लिए हमारे गर्म मिजाज़ से, हमारे अहंकार से, हमारी सोच से कि हम इस सम्पूर्ण संसार में सबसे महत्वपूर्ण लोग हैं, और यह कि सब कुछ हमारे चारों ओर ही घुमनी चाहिए. अतः हम कोशिश करते हैं और उनसे मुक्ति पाते हैं, और ऐसा करते हुए, मुक्ति पाने की कोशिश में आदतों से, भावनाओं से, उस विचार से जो हमें गुलाम बनाती हैं, हमारी आँखें बंद कर देती हैं, हमारी दृष्टि को संकीर्ण करती हैं ताकि हम दूसरों की जरूरतों को नहीं देखें, और स्वयं को स्वतंत्र करें और इससे स्वतंत्र करें. और वह भी करुणा होने का एक आधार है, विश्व में हमारा स्थान समझने के लिए. अब, यहूदी में, एक मनमोहक कथा है एक धनवान व्यक्ति की जो एक दिन एक आराधनालय (पूजा स्थल) में बैठा. और, जैसा कि बहूत लोग करते हैं, वह धर्मोपदेश के दौरान ऊंघ रहा था. और जब वह ऊंघ रहा था, वे सब तोरह में लेवितिकुस कि पुस्तक से पढ़ रहे थे. और वे कह रहे थे कि प्राचीन काल में जेरुसलम के मंदिर में, पुजारियों के पास रोटी होती थी, जिसे वे जेरुसलम के मंदिर में एक विशेष मेज़ पे रखते थे. वह आदमी सोया हुआ था, परन्तु उसने उन शब्दों को सुना, रोटी, मंदिर, भगवान्, और जाग गया. उसने कहा, "भगवान् रोटी चाहते हैं. बस इतना ही. भगवान् रोटी चाहते हैं. मैं जानता हूँ कि भगवान् रोटी चाहते हैं." और वह घर की ओर भागा. थोड़े आराम के बाद, उसने १२ रोटियाँ बनायीं. उन्हें लेकर पूजा स्थल गया, पूजा स्थल के अन्दर गया, वहां रखा संदूक खोला और कहा, "भगवन, मैं नहीं जानता आप ये रोटियाँ क्यों चाहते हैं, पर वे यहाँ हैं." और उसने उसे संदूक में तोरह की पुस्तकों के साथ रख दिया. तब वह वापस घर चला गया. सफाई कर्मचारी पूजा स्थल में आया. "हे भगवन, मैं इतने कष्ट में हूँ. मेरे बच्चे भूखे हैं. मेरी पत्नी बीमार है. मेरे पास पैसे नहीं हैं. मैं क्या कर सकता हूँ." वह पूजा स्थल के अन्दर जाता है. "भगवान् क्या आप मेरी मदद करोगे? आह!, क्या अद्भुत सुगंध है." वह संदूक के पास जाता है. वह संदूक को खोलता है. "वहां रोटियाँ पड़ी हैं. भगवान्, आपने मेरी प्रार्थना सुन ली. आपने मेरे प्रश्न का उत्तर दिया है." रोटियाँ लेता है और घर चला जाता है. इस बीच, धनी व्यक्ति स्वयं में सोचता है, "मैं मूर्ख हूँ. भगवान् को रोटी चाहिए? भगवान्, जो पूरे ब्रह्माण्ड पे राज करते हैं, उन्हें मेरी रोटी चाहिए?" वह पूजा स्थल की ओर भागता है. "मैं उसे संदूक से निकाल लूँगा इससे पहले कि कोई और उसे ले ले." अन्दर जाता है, और रोटियाँ वहां नहीं हैं. और वह कहता है "भगवान आपको सचमुच इसकी जरूरत थी. आपको मेरी रोटी चाहिए थी. अगले सप्ताह, किशमिश के साथ." यह सालों तक चला. हर सप्ताह, वह व्यक्ति रोटियाँ और किशमिश लाता था, सारे प्रकार कि अच्छी चीज़ों के साथ, संदूक में रखता था. हर सप्ताह, सफाई वाला आता था. "भगवान् आपने पुनः मेरी प्रार्थना सुन ली." रोटियाँ लेता था. लेकर घर चला जाता था. ये सब नए रब्बी के आने तक चला. रब्बी हमेशा चीज़ों को बर्बाद करते हैं. रब्बी आये और उन्होंने देखा कि क्या हो रहा था. और उन्होंने उन दोनों को अपने कक्ष में बुलाया. और उन्होंने कहा, तुम जानते हो, "यह हो जो रहा है. ". और धनी व्यक्ति -- हे प्रिय -- हतोत्साहित. "आपका मतलब है भगवान् मेरी रोटी नहीं चाहते थे?" और गरीब मनुष्य ने कहा "और आपका मतलब है भगवान् ने मेरी प्रार्थना नहीं सुनी?" और रब्बी ने कहा, "तुम लोगों ने मुझे गलत समझा है." "तुमने पूर्णतया गलत समझा है", उन्होंने कहा. "निःसंदेह, जो तुम कर रहे हो", उन्होंने धनी व्यक्ति से कहा, "भगवान् कि प्रार्थना सुनना है कि हमें करुणामय होना चाहिए." "और भगवान्", उन्होंने गरीब व्यक्ति से कहा, "तुम्हारी प्रार्थना सुन रहे हैं कि लोगों को करुणामय होना चाहिए और दान करना चाहिए." उन्होंने धनी व्यक्ति की ओर देखा. उन्होंने धनी व्यक्ति के हाथ पकडे और कहा, "क्या तुम नहीं समझते?" उन्होंने कहा, "ये भगवान् के हाथ हैं." अतः इस प्रकार मैं अनुभव करती हूँ, कि मैं सिर्फ कोशिश कर सकती हूँ करुणामय होने की धारणा के पहल की, यह समझने की एक संबंध है, एक एकता है संसार में, कि मैं कोशिश करना चाहती हूँ और सेवा करना चाहती हूँ उस एकता की, और यह कि मैं कोशिश करना चाहती हूँ और एक समझ-बूझ के साथ करना चाहती हूँ, मैं आशा करती हूँ, दूसरों का दर्द समझने की कोशिश करना, परन्तु यह समझना कि सीमाएं हैं, लोगों को उत्तरदायित्व लेना है, कुछ समस्याओं की जो उनपे आती हैं, और मुझे समझना है कि मेरी शक्ति की सीमाएं हैं, देने की जो मैं दे सकती हूँ. मुझे उनका पुनर्मूल्यांकन करना है, कोशिश करना है और अलग करना है भौतिकताओं को और मेरी भावनाओ को जो मुझे जकड सकती हैं, ताकि मैं दुनिया को अच्छी तरह देख सकूं. और तब मुझे यह देखने की कोशिश करना है कि किस प्रकार से मैं इन्हें भगवान् के हाथ बना सकती हूँ. और इस लिए इस विश्व में जीवन में करुना लाने कि कोशिश करें. एक बच्चे का जन्म होता है और काफी लम्बे समय तक वह एक उपभोक्ता रहता है वो एक सचेतन सहयोगी नहीं हो सकता वो पूरी तरह से निरीह है उसे अपनी रक्षा करना भी नहीं आता जबकि उसके पास बचे रहने का सहजज्ञान है उसे जीवित रहने के लिए माँ की जरुरत होती है वो अपने पालनकर्ता पर संदेह नहीं कर सकता उसे पूर्ण आत्मसमर्पण करना होता है जिस तरह हम ऑपरेशन के पूर्व अपने को एनेस्थेटिस्ट के हवाले करते हैं उसे पूर्ण आत्मसमर्पण करना होता है यह काफी विश्वसनीयता प्रणामित करता है अर्थात भरोसेमंद व्यक्ति विश्वास को तोड़ नहीं सकता जैसे बच्चा बड़ा होता है उसे पता चलता है कि विश्वसनीय व्यक्ति विश्वास का अतिक्रमण कर रहा है उसे तो अतिक्रमण का मतलब भी नहीं पता होता इसलिए बच्चा खुद को दोषी मानता है अलफ़ाज़ रहित दोष जिसे हल करना बहुत मुश्किल है शब्द रहित आत्मदोष जैसे जैसे बच्चा वयस्क होता है अब तक वो एक उपभोक्ता था पर मनुष्य का विकास उसकी सहयोग क्षमता पर निर्भर करता है उसके सहभागी या सहयोगी होने पे जबतक हम खुद को सुरक्षित नहीं समझते हम सहयोग नहीं कर सकते खुद को बड़ा महसूस करते हमें लगता हमारे पास काफी है संवेदनशील होना कोई मजाक नहीं है यह सरल भी नहीं है व्यक्ति को अपने भीतर विशाल हृदयता तलाशनी होती है विशाल हृदयता हमारे इर्द गिर्द केन्द्रित होनी चाहिए पैसों के लिहाज से नहीं ना ही अपनी ताकत के लिहाज से और ना ही सामाजिक हैसियत से ये हमारे इर्द गिर्द केन्द्रित होनी चाहिए स्वयं आत्मबोध आत्मबोध पर केन्द्रित, विशाल हृदयता, सम्पूर्णता अगर ऐसा नहीं है तो संवेदना एक शब्द मात्र और स्वप्न मात्र से ज्यादा कुछ नहीं आप कभी कभी संवेदनशील, करूणामय हो सकते हैं.. समानुभूति से ज्यादा द्रविद होते हैं संवेदनशीलता की तुलना में भगवन का धन्यवाद की हम समानुभूति रखने वाले हैं जब कोई दर्द में होता है तो हम उसका दर्द महसूस करते हैं टेनिस के फ़ाइनल मुकाबले में दो लड़के संघर्ष करते है हरेक के पास दो गेम होते है मैच का रुख किधर भी मुड सकता है अभी तक उन्होंने जो पसीना बहाया है संघर्ष किया है उसका कोई मतलब नहीं रहता एक व्यक्ति विजयी होता है टेनिस का शिष्टाचार यह है की दोनों खिलाडी नेट तक आते हैं और एक दुसरे से हाथ मिलाते है विजेता हवा में मुक्का उछालता है और जमीन को चूमता है अपनी कमीज़ फेंकता है जैसे किसी को इसका इंतज़ार था (खिलखिलाहट) और इस विजयी खिलाडी को नेट तक आना होता है जब वह नेट पर पहुँचता है, तो आप देखते हैं,उसका पूरा चेहरा बदल जाता है. ऐसा लगता है जैसे कि वह चाह रहा है कि वो न जीतता क्यों? समानुभूति .. हमदर्दी ऐसा है मानव हृदय कोई भी मानव हृदय समानुभूति, हमदर्दी से वंचित नहीं है¥ कोई धर्म उसे ध्वस्त नहीं कर सकता है कोई संस्कृति,कोई देश,और राष्ट्रवाद कुछ भी उसे छू नहीं सकता क्योंकि यह समानुभूति है और समानुभूति का सामर्थ्य लोगों तक पहुंचने का माध्यम है आप कुछ ऐसा करें जिससे किसी के जीवन में फर्क पड़ता हो शब्दों के माध्यम से या फिर समय से करुणा एक रूप में परिभाषित नहीं है. कोई भारतीय हमदर्दी नहीं है. न ही कोई अमेरिकी सहानुभूति यह देश, लिंग, उम्र के बंधन के परे है क्यों? क्योंकि यह सब में है. यह कभी कभार लोग अनुभव करते हैं तब ये यदा-कदा सहानुभूति की बात हम नहीं कर रहे हैं ये यदा-कदा नहीं रह सकती जनादेश करके, आप एक व्यक्ति दयालु नहीं कर सकते आप यह नहीं कह सकते "कृपया मुझे प्यार करो ." प्रेम का अहसास धीरे धीरे होता है यह एक क्रिया नहीं है लेकिन अंग्रेजी भाषा में, यह एक क्रिया भी है. मैं इस पर बाद में आऊँगा तो व्यक्ति को एक पूर्णता तलाशनी होती है मैं परिपूर्णता की संभावना का हवाला देने जा रहा हूँ जो हमारे अनुभव के दायरे के भीतर है, हर किसी के अनुभव के दायरे के भीतर एक बहुत ही दुखद जीवन के बावजूद, हम खुश होते हैं कुछ ही क्षण के लिए जो काफी देर बाद आते हैं और जो कोई खुश है, एक भद्दे मजाक पर भी अपने आप को स्वीकार करता है, और उन परिस्थितियों को भी, जिनमें वह एक अपने आप को पाता है. यानि पूरे ब्रह्मांड को, जानी अनजानी चीज़ों को, सब के सब पूरी तरह से स्वीकार किए जाते हैं क्योंकि आप अपने आप में अपनी पूर्णता पा लेते हो कर्त्ता, मैं और प्रयोजन, परिस्थितियां सब एक हो जाते हैं एक अनुभव जिससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता है एक सर्वसामान्य अनुभव यह अनुभव, जो पुष्टि करता है कि, हमारी सभी सीमाओं के बावजूद,™ हमारी सारी अतृप्त इच्छाओं और चाहतों, क्रेडिट कार्ड और छंटनी, और, अंत में गंजापन के बावजूद, आप खुश रह सकते हो लेकिन इस तर्क का विस्तार है कि खुश रहने के लिए अपनी इच्छा को पूरा करने की जरूरत नहीं है आप स्वयम ही वह आनन्द हो, वो पूर्णता हो जो तुम बनना चाहते हो इस में कोई विकल्प नहीं है. ये सिर्फ हकीकत की पुष्टि है कि तुम पूर्णता से अलग नहीं हो पूर्णता तुम्हारे बिना पूर्ण नहीं हो सकती वो समपूर्णता तुम ही तो हो तुम पूर्णता का हिस्सा नहीं होते हुए पूर्ण नहीं हो सकते आपके खुशी के क्षण इस वास्तविकता को प्रकट करते हैं वह बोध, वह स्वीकृति शायद मैं ही सम्पूर्णता हूँ शायद स्वामी सही है. शायद स्वामी सही है. आप अपना नया जीवन शुरू करते हैं. तब सब कुछ सार्थक हो जाता है. फिर मेरे पास अपने आप को दोष देने का कोई कारण नहीं रहता अगर आप खुद को दोष देते हैं तो इसके हजारों कारण है लेकिन अगर मैं कहता हूँ, मेरे शरीर सीमित होने के बावजूद अगर यह काला है तो सफेद नहीं है, यदि यह सफेद है तो काला नहीं है, किसी भी दृष्टिकोण से शरीर सीमित है. सीमाबद्ध तुम्हारा ज्ञान सीमित है,स्वस्थ सीमित है और इसलिए तुम्हारा सामर्थ्य सीमित है और तुम्हारी प्रसन्नचित्तता भी सीमित रहेगी तुम्हारी संवेदना भी सीमित होगी सब कुछ असीम रहेगा तुम संवेदना को आदेश नहीं दे सकते जब तक तुम असीमित नहीं होते, और कोई भी अपरिमित नहीं बन सकता या तो तुम हो या नहीं हो. विराम और तुम्हारे असीम नहीं होने का भी कोई रास्ता नहीं है आपके खुद के अनुभव प्रकट करते हैं की सभी सीमाओं के बावजूद आप सम्पूर्ण हो और ये परिपूर्णता आपकी सच्चाई है जब तुम दुनिया से सम्बन्ध बनाते हो वह पहले प्यार है जब तुम दुनिया से सम्बन्ध बनाते हो पूर्णता की गतिशील अभिव्यक्ति जिसे हम प्रेम कहते है और वह संवेदना में परिवर्तित हो जाता है अगर वो वस्तु आप में वह भावना जगाती है और फिर उसके बाद देने और सहभागिता में परिवर्तित हो जाये आप खुद को अभिवयक्त करते हो क्यूंकि आप में संवेदना है दया और संवेदना को खुद में तलाशने और तराशने के लिए आपको दयालु होना होगा देने और बांटने का समर्थ तलाशने के लिए आपको दानी और बाँटनेवाला होना होगा कोई छोटा रास्ता नहीं है. ये तैर कर तैराकी सिखने जैसा है आप तैर कर ही तैराकी सीखते हैं आप दरी पर तैराकी सीख कर पानी में नहीं उतर सकते (खिलखिलाहट) आप तैर कर ही तैराकी सीखते हैं. साइकिल चलाना आप साइकिल चला कर ही सीखते हैं आप खाना बनाना खाना बना कर सीखते हैं आपने आसपास के दयालु लोगों को आपना बनाया खाना खिला कर (खिलखिलाहट) और, इसलिए मैं कहता हूँ आपको कुछ बनाने के लिए नक़ल करना होगा (खिलखिलाहट) और कोई चारा नहीं है मेरे पूर्वाधिकारी ने भी यही कहा आपको ऐसा बर्ताव करना होगा आपको सहानुभूतिपूर्ण बर्ताव करना होगा दया, संवेदना के लिए कोई क्रिया नहीं है पर संवेदना के लिए एक क्रिया विशेषण है यह मुझे काफी रोचक लगता है आप सहानुभूति पूर्वक कार्य करो पर आप सहानुभूति पूर्वक कार्य कैसे करोगे अगर आप में करुणा न हो यहीं पर आप नक़ल कर सकते हैं नक़ल करके बन जाइये. यही तो अमेरिका का मन्त्र है (खिलखिलाहट) नक़ल करके बन जाइये आप सहानुभूति पूर्वक कार्य करो, जैसे आप में करुणा हो अपने दाँत पीसो अपनी समर्थन प्रणाली से पूरी मदद लें अगर तुम्हें प्रार्थना करना आता है तो प्रार्थना करो. इश्वर से करुणा मांगो मुझे सहानुभूति पूर्ण और करुणामय व्यवहार करने दो ऐसा करो तुम करुणा को खोज लोगे और धीरे धीरे पहले की तुलना में दया, और धीरे धीरे, शायद अगर तुम सही शिक्षण मिल, तुम्हें पता चलेगा कि करुणा एक गतिशील अभिव्यक्ति है तुम्हारे यथार्थ की, सम्पूर्णता और एकता, और वही तो तुम हो इन्हीं शब्दों के साथ, बहुत बहुत धन्यवाद (प्रशंसा ध्वनि) मैं संवेदना के बारे में इस्लाम के दृष्टिकोण से बात कर रहा हूँ, और शायद मेरे धर्म के बारे में ऐसा नहीं समझा जाता कि संवेदना से गहरे जुड़ा हुआ है. हालांकि सच्चाई कुछ अलग है हमारे धर्मग्रन्थ क़ुरान में ११४ अध्याय हैं और हर अध्याय शुरू होता है उस शब्द से, जिसे हम कहते हैं बिस्मिल्लाह जो कि ईश्वर के नाम में, जो संवेदनापूर्ण हैं, और दयालु हैं या जैसा कि सर रिचर्ड बर्टन वो रिचर्ड बर्टन नहीं जिन्होंने एलिज़ाबेथ टेलर से शादी कि थी परन्तु वो सर रिचर्ड बर्टन जो उनसे १ शताब्दी पहले हुए थे और जिन्होंने पूरी दुनिया का भ्रमण किया था और कई साहित्यों का अनुवाद किया था वो उस शब्द का अनुवाद करते हैं " ईश्वर के नाम में, जो कि संवेदनशील और करुणापूर्ण हैं" और क़ुरान, जो कि मुसलमानों के लिए ईश्वर का मानवता को सन्देश है, उसकी एक कहावत में, ईश्वर अपने पैगंबर मुहम्मद से, जिनको हम पैगम्बरों कि श्रृंखला में अंतिम मानते हैं उस श्रृंखला में जो आदम से शुरू हुई, और नूह, मूसा, इब्राहिम और यीशु मसीह भी शामिल है, और जो मोहम्मद के साथ समाप्त हुई कहते हैं " ओह मोहम्मद, हमने आपको भेजा है केवल दया, और मानवता के लिए संवेदना का स्रोत बना कर " और हम मनुष्यों के लिए, और निश्चित रूप से हम मुसलमानों के लिए , जिनका लक्ष्य और उद्देश्य, पैगम्बर के रास्ते पर चल कर अपने आप को पैगम्बर की तरह बनाना है और पैगम्बर ने अपने एक कथन में कहा है "अपने आप को परमेश्वर के गुणों से सजाओ". और क्योंकि परमेश्वर ने खुद कहा है कि करुणा उनकी प्राथमिक गुण है , वास्तव में, कुरान में कहा गया है कि, "ईश्वर ने खुद पर करुणा का नियम बनाया ," या, "करुणा के राजत्व में रहे" इसलिए, हमारा उद्देश्य और हमारा लक्ष्य करुणा का स्रोत करुणा के उत्प्रेरक, करुणा के पात्र , करुणा के वक्ता और करुणा के कर्ता बनना होना चाहिए. यह सब तो ठीक है, पर हम गलत कहाँ हो जाते हैं, और दुनिया में करुणा की कमी का स्रोत क्या है? इसका जवाब जानने के लिए, हमे मुड़ कर देखना होगा अपने आध्यात्मिक पथ की ओर हर धार्मिक परंपरा में एक बाहरी और एक आंतरिक पथ होता हैं, या कहें की भीतर की चेतना और बाहर की चेतना का पथ भीतर की चेतना के पथ को इस्लाम में सूफ़ीवाद, या अरबी में तसव्वुफ़ कहा जाता है और ये हकीम या ये गुरु, सूफी परंपरा के ये आध्यात्मिक गुरु, हमारे पैगम्बर की शिक्षाओं और उदाहरणों को उद्धृत करते हैं, जो हमें सिखाता है कि हमारी समस्याओं का स्रोत कहाँ है, पैगम्बर ने जो युद्ध लड़े उनमें से एक में, उन्होंने अपने अनुयायियों से कहा, "हम छोटे युद्ध से लौट रहे हैं एक बड़ी लड़ाई, एक बड़े युद्ध की ओर." और उन्होंने कहा, " ईश्वर के सन्देश वाहक, हम युद्ध से थक चुके हैं, हम एक बड़े युद्ध में कैसे जा सकते हैं?" उन्होंने कहा, "यह आत्म की लड़ाई है, अहंकार की लड़ाई है." मनुष्य की समस्याओं के स्रोत का लेना देना अहंकारवाद से है. मैं. प्रख्यात सूफी गुरु रूमी, आप में से ज्यादातर जिसे अच्छी तरह जानते हैं. की एक कहानी है जिसमे वह एक आदमी की बात करते हैं जो अपने एक दोस्त के घर जाता है और दरवाज़ा खटखटाता है, और एक आवाज़ जवाब देती है, " कौन है?" "हम हैं", या व्याकरण के लिहाज से ज्यादा सही, "यह मैं हूँ." जैसा कि हम अंग्रेजी में कह सकते हैं. वह आवाज़ कहती है,"चले जाओ." कई वर्षों के प्रशिक्षण, अनुशासन, खोज और संघर्ष, के बाद, वह वापस आता है, और काफी ज्यादा विनम्रता से फिर दरवाजा खटखटाता है वह आवाज़ पूछती हैं "कौन है वहां?" वह कहता है, "ये तुम हो, ओ दिल तोड़ने वाले." दरवाज़ा खुलता है और आवाज़ कहती है, "अन्दर आ जाओ, क्योंकि इस घर में दो 'मैं' के लिए जगह नहीं है. दो बड़े मैं, ये आँखें नहीं, बल्कि दो अहंकार. और रूमी की कहानियां आध्यात्म के मार्ग की उपमा हैं. ईश्वर की उपस्थिति में एक से ज्यादा मैं की जगह नहीं. और यह मैं देवत्व का है. हमारी परंपरा में एक शिक्षा जिसे हदीस ख़ुदसी कहते हैं, ईश्वर कहते है, "मेरे सेवक", या "मेरे जीव, मेरे मानव जीव, जो मुझे प्यारा है उसके सहारे मेरे पास नहीं आता बल्कि उसके सहारे जो मैंने करने को कहा है और आप में से जो नियोक्ता हैं, वे अच्छी तरह जानते हैं की मैं क्या कहना चाहता हूँ आप चाहते हो कि आपके कर्मचारी वह ही करें जो आपने उनसे करने को कहा है, और अगर उन्होंने वह कर लिया तो वे और ज्यादा कर सकते हैं, लेकिन उसे नज़रंदाज़ मत करना कि तुमने उनसे क्या करने को कहा है, और ईश्वर कहते है, मेरे सेवक मेरे और करीब होते जाते हैं, मैंने जो उनसे करने को कहा है, उससे ज्यादा कुछ करके, हम उसे कुछ ज्यादा साख कह सकते हैं, जब तक मैं उसको प्यार नहीं करता, और जब मैं अपने सेवकों को प्यार करता हूँ", ईश्वर कहते हैं, मैं वो आँखें बन जाता हूँ, जिनसे वह देखते हैं. कान जिनसे वह सुनते हैं. हाथ जिससे वह पकड़ते हैं. पैर जिससे वह चलते हैं. और दिल जिससे वह समझता या समझती हैं." यह हमारे अहम् और देवत्व का वह समामेलन है. यह हमारे अध्यात्मिक मार्ग और हमारी सभी धार्मिक परम्पराओं का उद्देश्य और सबक है. मुसलमान यीशु को सूफीवाद का गुरु मानते हैं, महानतम पैगम्बर और संदेशवाहक जो आध्यात्मिक मार्ग पर जोर देने आया. जब वह कहता है, " मैं आत्मा हूँ, मैं रास्ता हूँ." जब पैगम्बर मोहम्मद कहते हैं, "'जिसने मुझे देखा है उसने ईश्वर को देख लिया," ऐसा इस लिए क्यों कि वे ईश्वर के पुर्जे बन गए, वे ईश्वर की वाष्प का हिस्सा बन गए, ताकि ईश्वर की इच्छा उनके जरिये फ़ैली अपने स्व और अहम् के जरिये काम नहीं किया. धरती पर मानवीयता दी गयी है, यह हममें है. हमें बस यही करना है कि रास्ते से अपने अहम् हटा देना है, अपने अहंकरवाद रास्ते से हटा देना है. में निश्चित हूँ कि यहाँ मौजूद आप में से संभवतः सभी, या निश्चित ही आप में से बहुसंख्य, को हुआ होगा, जिसे आप आध्यात्मिक अनुभव कहते हैं, आपके जीवन में एक लम्हा, जब कुछ सेकंडों या शायद एक मिनट को, आपके अहम् की सीमायें ख़त्म हो गयीं,. और उस मिनट आपने खुद को ब्रह्माण्ड का हिस्सा महसूस किया, उस पानी से भरे जग में, हर एक इन्सान में, परम पिता में, और तुमने स्वयं को शक्ति, विस्मय के सानिध्य में पाया, सबसे गहरे प्यार, संवेदना और दया की सबसे गहरी भावना में जो तुमने अपनी जिंदगी में कभी महसूस किया है ये वह लम्हा है जो ईश्वर का हमें तोहफा है, एक तोहफा जब एक लम्हे के लिए वह सीमा हटा देता है, जो हमें मैं, मैं, मैं, हम, हम हम पर जोर देने देता है, और इसके विपरीत, रूमी की कहानी के व्यक्ति की तरह, हम कहते हैं, ' ओह, ये सब तुम हो. ' यह सब तुम हो, यह हम सब हैं. और हम, और मैं, हम सब तुम्हारे अंश हैं, सब निर्माता, सब उद्देश्य, हमारे अस्तित्व का स्रोत, और हमारी यात्रा का अंत. तुम हमारे दिलों को तोड़ने वाले भी हो. तुम वो हो जिसकी ओर हम सबको होना चाहिए, जो हमारे जीने का कारण होना चाहिए, और जिसके लिए हमें मरना चाहिए, औए जिसके लिए हमें पुनर्जन्म लेना चाहिए. ईश्वर को जवाब देने के लिए कि हम संवेदनशील रहे हैं. आज हमारा सन्देश, और आज हमारा उद्देश्य, और तुममे में से जो आज यहाँ हैं, और संवेदना के इस अधिकारपत्र का उद्देश्य याद दिलाना है. क्योंकि कुरान हमेशा हमें याद रखने को, एक दूसरे को याद दिलाने को कहती है, क्योंकि सत्य का ज्ञान हर एक इंसान के भीतर है. हम यह सब जानते हैं. हमारे पास इसका जरिया है. जंग इसे अवचेतना कह सकते थे. हमारी अवचेतना के जरिये, तुम्हारे ख्वाबों में, जिसे कुरान कहती है, हमारी निद्रा की स्थिति, अल्प मौत, अस्थाई मौत. अपनी निद्रा की स्थिति में हमें स्वप्न आते हैं, हमें आभास होता है, हम अपने शरीर के बाहर यात्रा करते हैं, हममे से बहुत, और हम अद्भुत चीजें देखते हैं. हम जैसा अंतरिक्ष जानते हैं, उसकी सीमाओं के परे यात्रा करते हैं, हम समय की जो सीमायें जानते हैं उसके परे. लेकिन यह सब हमारे लिए विधाता के नाम का गुणगान करने के लिए है जिसका मूल नाम दयावान, दयालु है. गौड, बोख, चाहे जिस नाम से पुकारो, अल्ला, राम, ॐ, नाम कोई भी हो सकता है जिससे तुम नाम देते हो या देवत्व की मौजूदगी प्राप्त करते हो, पूर्ण तत्व का केंद्र बिंदु है. पूर्ण प्रेम और दया और संवेदना, और पूर्ण ज्ञान और विवेक, जिसे हिन्दू सच्चिनंद कहते हैं. भाषा अलग है, पर उद्देश्य समान है. रूमी के पास एक और कहानी है तीन लोगों के बारे में, एक तुर्क, एक अरब, और मैं तीसरे का नाम भूल गया, पर मेरे वास्ते, वह एक मलय हो सकता है. कोई अंगूर मांग रहा है, जैसे कि एक अंग्रेज़, कोई एनेब मांग रहा है और कोई ग्रेप्स मांग रहा है. और उनमें झगडा और बहस होती है क्योंकि, मुझे ग्रेप्स चाहिए, मुझे एनेब चाहिए, मुझे अंगूर चाहिए, यह जाने बगैर कि जिस शब्द का वह इस्तेमाल कर रहे हैं वह एक ही सच्चाई को अलग अलग भाषाओँ में बताता है. परिभाषा के अनुसार सिर्फ एक ही पूर्ण सच्चाई है, परिभाषा के अनुसार एक पूर्ण अस्तित्व है, क्योंकि परिभाषा के अनुसार पूर्ण, एकल है, और पूर्ण और एकल,. यह अस्तित्व का पूर्ण केन्द्रीकरण है, अवचेतना का पूर्ण केन्द्रीकरण है, जागरूकता, संवेदना और प्रेम का पूर्ण केन्द्रीकरण जो देवत्व के मूल भाव को पारिभाषित करता है. और वह होना भी चाहिए इन्सान होने का जो मतलब है, उसका मूल भाव. जो इंसानियत को पारिभाषित करता है, शायद शारीरिक रूप से, हमारा जीवतत्व है, लेकिन ईश्वर हमारी इंसानियत को हमारे अध्यात्म से, हमारी प्रकृति से पारिभाषित करता है. और कुरान कहती है, वह फरिश्तों से बात करता है और कहता है, जब मैंने मिट्टी से आदम का निर्माण पूरा कर लिया, और अपनी आत्मा से उसमें सांस फूंकी, और उसके सामने साष्टांग गिर गया. " फ़रिश्ते साष्टांग होते हैं, लेकिन मानव शारीर के समक्ष नहीं, बल्कि मानव आत्मा के समक्ष. क्यों? क्योंकि आत्मा, मानव आत्मा, दैवी श्वास के एक हिस्से का मूर्त रूप है, दैवी आत्मा का एक टुकड़ा है . यह बाईबिल के कोष में भी वर्णित है जब हमें यह सिखाया जाता है कि हम दैवी तस्वीर में बनाये गए थे. ईश्वर का चित्र क्या है? ईश्वर का चित्र पूर्ण अस्तित्व है. पूर्ण जागरूकता, ज्ञान और विवेक और पूर्ण संवेदना और प्रेम. और, इसलिए, हमें इन्सान होने के लिए, इन्सान होने का क्या मतलब है इसके सबसे बड़े मायने में, इन्सान होने का क्या मतलब है इसके सबसे खुशनुमा मायने में, मतलब यह है कि हमें उचित कारिन्दा होना पड़ेगा हमारे भीतर जो दैवी श्वास है उसका, और हमारे भीतर अस्तित्व के भाव के साथ परिपूर्ण होने के प्रयास, जीवित होने के, अस्तित्व के, विवेक के भाव, चेतना के, जागरूकता के, और भाव संवेदनशील होने का, प्रेम भरा होने का. यही है वह जो मैं अपने धर्म की परम्पराओं से समझता हूँ, यही है वह जो मैं दूसरे धर्म की परम्पराओं के अपने अध्धयन से समझता हूँ, और यह एक समान मंच है जिस पर हम सबको जरूर खड़े होना चाहिए, और इस मंच पर जब हम ऐसे खड़े होंगे, मुझे यकीन है कि हम एक अद्भुत दुनिया बना सकते हैं. और मुझे व्यक्तिगत तौर पर विश्वास है कि हम कगार पर हैं, कि आप जैसे लोग जो यहाँ हैं उनकी उपस्थिति और मदद से, हम ईसा की भविष्यवाणी को सच बना सकते हैं. क्यों कि उसने एक समय के बारे में बताया था जब लोग अपनी तलवारों को हल के फल में बदल देंगे और न युध्द सीखेंगे और न और कभी युध्द करेंगे. हम मानव इतिहास में ऐसे मुकाम पर पहुँच गए हैं, जब हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. हमें जरूर, जरूर ही अपने अहम् को गिराना होगा, हमारे अहम् पर नियंत्रण, चाहे वह एक का अहम् हो, व्यक्तिगत अहम् हो, परिवार का अहम्, राष्ट्र का अहम्, और सब परमेश्वर के गुणगान में जुटें, धन्यवाद्, ईश्वर आपको आशीर्वाद दे. (तालियों की ध्वनि) हमारा विकास अपने चारों ओर की वस्तुओं के साथ व्यवहार कर हुआ है। इनमें से बहुत से ऐसे हैं जिन्हें हम प्रतिदिन प्रयोग करते हैं। हमारे अधिकांश कम्प्यूटिंग यन्त्रों की अपेक्षा इन वस्तुओं को प्रयोग करने में ज्यादा मज़ेदार लगता है। जब हम वस्तुओं की बात करते हैं, इनसे जुङी एक और चीज़ स्वतः सामने आती है, और वो है संकेत : कैसे हम इन वस्तुओं से काम लेते हैं, कैसे हम इन वस्तुओं को रोज़मर्रा के कार्यों के लिये प्रयोग करते हैं। हम संकेतों द्वारा न केवल इन वस्तुओं से काम लेते हैं, पर इनके प्रयोग से हम एक दूसरे से सम्पर्क भी स्थापित करते हैं। यह संकेत "नमस्ते" का, किसी को आदर देने के लिये, या फ़िर -- भारत में मुझे किसी बच्चे को यह बताने की जरूरत नहीं है कि इसका मतलब "चौका" है क्रिकेट में। यह हमारी रोज़ की सीख से आता है। तो, मुझे हमेशा से यह दिलचस्पी रही है, कि कैसे हम अपनी रोज़ाना की वस्तुओं और संकेतों की जानकारी, व इन वस्तुओं का प्रयोग कर सकते हैं, डिजिट्ल दुनिया के साथ सम्पर्क करने के लिये। बजाय अपने कीबोर्ड और माउस के, क्या मैं अपना कम्पयूटर प्रयोग कर सकता हूँ उसी प्रकार जैसे मैं असल दुनिया से संपर्क करता हूँ? इसलिये मैंने यह खोज लगभग आठ वर्ष पहले शुरू की, और वास्तव में इसकी शुरूआत हुयी मेरे मेज़ के एक माउस से। उसे अपने कम्प्यूटर के साथ प्रयोग करने के बजाय, मैंने उसे खोल दिया। आप में से बहुत यह जानते होंगे, कि उन दिनों माउस में एक गेंद होती थी, व साथ में दो रोलर थे जो वास्तव में गेंद की दिशा कम्प्यूटर को निर्धारित करते थे, व उसी अनुसार माउस की चाल का मार्गदर्शन करते थे। तो, मुझे इन रोलरों में दिलचस्पी हुई, मुझे असल में और चाहिये थे, तो मैंने एक माउस अपने एक मित्र से माँग लिया-- और कभी लौटाया नहीं-- तो अब मेरे पास चार रोलर थे। दिलचस्प बात है कि मैंने इन रोलर्ज़ के साथ यह किया, उन्हें मैंने इन माउसों में से निकाल लिया और उन्हें एक पंक्ति में रख दिया। साथ में कुछ तारें और चरखियाँ थीं व कुछेक स्प्रिन्ग थे। मुझे मौलिक रूप से एक सांकेतिक इन्टरफेस यंत्र मिला जो वास्तव में एक चाल संवेदक यंत्र का कार्य करता था व बना था दो डौलर में। तो, यहॉ जो गतिविधि मैं अपनी दुनिया में करता हूँ उसकी नकल डिजिट्ल दुनिया में होती है सिर्फ़ इस छोटे से यंत्र के प्रयोग से, जो मैंने आठ वर्ष पूर्व बनाया था , सन 2000 में। क्योंकि मै इन दोनों संसारों को जोड़ने के लिये बहुत उत्सुक था, मैंने स्टिकी नोट्स के बारे में सोचा। मैंने सोचा "क्या मैं एक भौतिक स्टिकी नोट के सामान्य इंटरफ़ेस को डिजिटल दुनिया से जो़ड़ सकता हूँ ?" अपनी माँ को स्टि्की नोट पर लिखा एक संदेश एक काग़ज पर एक SMS के रूप में आ सकता है, या एक बैठक रिमाइंडर जो अपने आप मेरे डिजिट्ल कैलेंडर के साथ समक्रमित हो जाए-- एक कार्य-सूची जो अपने आप मेरे साथ समक्रमित हो जाए। पर आप डिजिट्ल दुनिया में खोज भी कर सकते हैं, या आप एक प्रश्न लिख सकते हैं, जैसे, "डा. स्मिथ का पता क्या है?" और यह छोटी पद्धति वास्तव में इसे प्रिंट कर सकती है-- तो यह एक आगत-उत्पाद पद्धति की तरह कार्य करता है, कागज़ से बना हुआ। एक और खोज में, मैंने एक ऐसा पेन बनाने का सोचा जो तीन-आयामी चित्र बना सके। तो, मैंने इस पेन को कार्यान्वित किया जो न केवल डिजाइनरों व वास्तुकारों को तीन-आयामी सोच देने में मदद करता है, पर वास्तव में रच भी सकता है तो इसे प्रयोग करना अधिक सहज़ है। अब मैंने सोचा, "क्यों न एक गूगल मैप बनाया जाए, पर भौतिक दुनिया में?" कुछ ढूढ़ने के लिए एक कीवर्ड लिखने के बजाय, मैंने अपनी वस्तुएँ उसके ऊपर रख दीं। अगर मैं एक बोर्डिंग पास रखूँ, तो वह मुझे फ़्लाइट गेट दिखाएगा। एक कौफ़ी कप दिखाएगा कहाँ मुझे और कौफ़ी मिलेगी, या कहाँ मैं कप को फ़ेंक सकता हूँ । तो यह मेरी कुछ पुरानी खोजें थीं जिन्हें मैंने किया था क्योंकि मैं इन दोनों संसारों को सीवनरहित जोड़ना चाहता था। इन सभी प्रयोगों में एक चीज़ सामान्य थी: मैं भौतिक दुनिया का एक हिस्सा डिजिट्ल दुनिया में लाने की कोशिश कर रहा था। मै वस्तुओं के कुछ भाग लेता, या वास्तविक दुनिया की कोई भी सहजता, और उन्हें डिजिट्ल दुनिया में लाता, क्योंकि लक्ष्य था हमारे कम्प्यूटिंग यंत्रों को और सहज बनाना। पर तब मुझे अहसास हुआ कि हम मानवों को वास्तव में कम्प्यूटिंग में रुचि नहीं है। हमें दिलचस्पी है जानकारी में। हमें चीज़ों के बारे में जानना चाहते हैं। हम अपने आसपास मौजूद परिवर्तनात्मक चीज़ों के बारे में जानना चाहते हैं। तो मैंने सोचा, पिछ्ले साल--पिछले साल की शुरुआत में-- मैंने सोचने लगा, "क्या मैं इस पद्धति को विपरीत ले जा सकता हूँ?" "क्यों न मैं डिजिट्ल दुनिया लेकर भौतिक दुनिया को डिजिट्ल जानकारी से रंग दूँ?" क्योंकि पिक्सल असल में, अभी, इन समकोणीय यंत्रों में कैद हैं जो हमारी जेबों में फ़िट हो जाते हैं। क्यों न मैं इस कैद को हटा दूँ और इसे अपने रोज़ाना जीवन में ले आऊँ ताकि उन पिक्सलों से पारस्परिक व्यवहार करने के लिए मुझे कोई नई भाषा न सीखनी पड़े? तो, इस सपने को पूरा करने के लिए मैंने वास्तव में अपने सिर पर एक प्रोजेक्टर रखने का सोचा। मेरे विचार से इस कारण इसे एक हेड-माउंटेड प्रोजेक्टर कहते हैं, है न? जैसा मैंने कहा, मैंने अपना बाइक हेलमेट लिया, उसे थोड़ा सा काटा ताकि प्रोजेक्टर अच्छी तरह लग जाए। तो अब, मैं इस डिजिट्ल जानकारी से अपनी दुनिया का फ़ैलाव कर सकता हूँ। पर बाद में, मुझे अहसास हुआ मैं इन डिजिट्ल पिक्सल्ज़ के साथ भी कार्य करना चाहता था। तो वहाँ मैंने एक छोटा कैमरा लगाया, जो एक डिजिट्ल आँख का काम करता है। बाद में, हमने इसका एक बेहतर, ग्राहक-अनुकूल पेंडेंट आवृत्ति निकाला, जिसे आप अब सिक्स्थ सेंस यंत्र के नाम से जानते हैं। पर इस तकनीक की सबसे रोचक तथ्य यह है कि आप अपनी डिजिट्ल दुनिया अपने साथ ले जा सकते हैं जहाँ भी आप जाएँ। आप किसी भी सतह को, पास की दीवार का प्रयोग कर सकते हैं, एक इंटरफेस की तरह। कैमरा आपके सारे संकेतों को भाँप रहा है। जो भी आप अपने हाथों से कर रहे हैं, वह संकेत समझ रहा है। और, जैसा आप देख सकते हैं,हमने प्रारंभिक आवृत्ति के साथ कुछ रंगीन मार्कर प्रयोग किए हैं। आप किसी भी दीवार पर चित्रकारी कर सकते हैं। दीवार के सामने रुककर उस पर चित्र बना सकते हैं। पर हम यहाँ एक ही उंगली से काम नहीं कर रहे हैं। हम आपको दोनों हाथ इस्तेमाल करने की आज़ादी दे रहे हैं, इससे आप दोनों हाथों से किसी नक्शे का आकार बढ़ा व घटा सकते हैं, सिर्फ़ उन सबको दबाने से। कैमरा वास्तव में यह कर रहा है-- सारे चित्रों को इकट्ठा करना-- व किनारों और रंग की पहचान करना और उसके अंदर कई प्रणालियाँ चल रहीं हैं। तो, तकनीकी तौर पर, यह थोड़ा पेचीदा है, पर यह आपको एक ऐसा उत्पाद देगा जो कुछ हद तक उपयोग करने में सहज है। पर मैं उत्सुक हूँ कि आप इसे बाहर भी ले जा सकते हैं। बजाय अपना कैमरा जेब से निकालने के, आप बस चित्र लेने का संकेत दें और यह आपके लिए चित्र ले लेगा। (तालियाँ) धन्यवाद। और बाद में कहीं भी, किसी भी दीवार पर, मैं चित्रों को देख सकता हूँ या फ़िर, "मैं इस चित्र को थोड़ा सुधार कर अपने मित्र को इमेल कर सकता हूँ ।" तो हम एक ऐसे युग की ओर देख रहे हैं जहाँ कम्प्यूटिंग यथार्थ में भौतिक संसार के साथ मिल जाएगी। और, अगर आपके पास कोई सतह नहीं है, आप अपना हाथ इस्तेमाल कर सकते हैं सरल कामों के लिए। यहाँ, मैं एक फ़ोन नंबर डायल कर रहा हूँ सिर्फ़ अपने हाथ के ज़रिए। यहाँ कैमरा सिर्फ़ आपके हाथों की चाल ही नहीं समझ रहा है, पर, दिलचस्पी से, यह उस वस्तु को भी समझ रहा है जो आपके हाथ में है। यहाँ असल में क्या हो रहा है-- उदाहरण के तौर पर, यहाँ, पुस्तक के कवर को हज़ारों या लाखों औनलाइन पुस्तकों के साथ मिलाया व यह भी पता किया कि यह कौन सी पुस्तक है। एक बार इसे यह जानकारी मिल गयी, वह फ़िर उसके बारे में और पुनरवलोकन प्राप्त करता है, या अगर New York Times के पास उसका कोइ ध्वनि पुनरवलोकन है, तो आप उसे एक पु्स्तक पर ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं। ("हार्वर्ड विश्वविद्यालय में मशहूर बात ") यह ओबामा की MIT में पिछ्ले हफ़्ते की मुलाकात थी। ("और मैं धन्यवाद करना चाहूँगा दो बेहतरीन MIT") तो, मैं इसकी वीडियो देख रहा था, बाहर, सिर्फ़ एक अखबार पर। आपका अखबार मौसम की ताज़ा जानकारी दिखाएगा बिना उसे अपडेट किये-- जैसे,आपको यह करने के लिए अपना कम्प्यूटर जाँचना पड़ता है, ठीक? (तालियाँ) जब मैं वापस जाऊँ , मैं सिर्फ़ अपना बोर्डिंग पास प्रयोग कर सकता हूँ यह देखने के लिए कि मेरी फ़्लाइट को आने में कितनी देर है, क्योंकि उस समय मुझे नहीं लगता कि मैं अपना iPhone निकालूँगा, और किसी आइकन को ढूँढूगा। और मुझे लगता है कि यह तकनीक उस तरीके को ही नहीं बदलेगी-- हाँ । वह तरीका भी बदलेगी जिस तरह हम लोगों के साथ व्यवहार करते हैं, नाकि केवल भौतिक दुनिया। मज़ेदार बात यह है, मैं Boston मैट्रो में जाता हूँ और पौंग खेल सकता हूँ ट्रेन के अंदर सतह पर, ठीक? (हँसी) और मुझे लगता है कि कल्पना ही सीमा है कि आप क्या इजाद कर सकते हैं जब यह तकनीक असल ज़िन्दगी के साथ जा मिलेगी। पर आप में से कई यह बोलेंगे, कि हमारा सारा काम वस्तुओं के साथ तो होता नहीं है। हम बहुत सी गणना व संपादन और ऐसी बहुत सी चीज़ें करते हैं, उनका क्या? और आप में से बहुत उन टेबलेट कमप्यूटरों को बाज़ार में आने को लेकर काफ़ी उत्सुक हैं। तो, बजाय उनका इंतज़ार करने के मैंने वह अपना खुद का बनाया, सिर्फ़ एक कागज़ को लेकर। तो, मैंने यहाँ अपना कैमरा निकाल दिया-- हर वेबकैम कैमरे के अंदर एक माइक्रोफ़ोन लगा होता है। मैंने वह माइक्रोफोन वहाँ से निकाल दिया, और उसे सिर्फ़ दबाया-- जैसे मैंने माइक्रोफ़ोन से एक क्लिप बनाया-- और उसे एक कागज़ से जोड़ दिया, किसी भी कागज़ से। तो अब स्पर्श की ध्वनि मुझे बताती है कि कब मैं कागज़ को छू रहा हूँ । पर कैमरा असल में देख रहा है कि मेरी अँगुलियां कहाँ जा रहीं हैं। आप मूवीज़ भी देख सकते हैं। ("Good Afternoon. My name is Russell...") ("...and I am a Wilderness Explorer in Tribe 54.") और आप गेम भी खेल सकते हैं। (कार इंजिन) यहाँ, कैमरा असल में समझ रहा है कि कैसे आपने कागज़ को पकड़ा हुआ है और आप एक कार-रेसिंग गेम खेल रहे हैं। (तालियाँ ) आप में से बहुतों ने यह सोचा होगा, ठीक है, आप ब्राउज़ कर सकते हैं। हाँ, आप किसी भी वेबसाइट को ब्राउज़ कर सकते हैं या आप किसी भी प्रकार की क्म्प्यूटिंग कर सकते हैं एक कागज़ पर जहाँ भी आप चाहें। तो, दिलचस्प तौर पर, मैं इसे एक और परिवर्तनात्मक तरीके में उपयोग करना चाहूँगा। जब मैं वापस आऊँ मैं उस जानकारी को बस दबाकर अपने डेस्क्टोप पर ला सकता हूँ ताकि उसे मैं अपने क्म्प्यूटर पर प्रयोग कर सकूँ । (तालियाँ ) और सिर्फ़ क्म्प्यूटर ही क्यों? हम बस कागज़ों के साथ खेल सकते हैं। कागज़ी दुनिया के साथ खेलना अधिक दिलचस्प है। यहाँ, मैं एक पत्र का एक भाग लेता हूँ और वहाँ दूसरी जगह से दूसरा भाग लेता हूँ-- और मैं असल में जानकारी में परिवर्तन करता हूँ जो वहाँ मेरे पास है। हाँ, और मैंने कहा, "ठीक है, ये अच्छा लगता है, क्यों न मैं इसे प्रिंट कर दूँ ।" तो अब मेरे पास उस चीज़ का प्रिंट-प्रति मेरे पास है, और अब-- कार्यप्रवाह बहुत ही सहजज्ञान हो गया है आज से 20 साल पहले के अपेक्षा, हमें इन दोनों संसारों को बदलने की ज़रूरत नहीं है। तो, मेरे ख्याल में, मैं सोचता हूँ कि रोज़मर्रा की वस्तुओं की जानकारियाँ एक करने से न सिर्फ़ हमें डिजिट्ल विभाजन से छुटकारा मिलेगा, इन दोनों संसारों के बीच की दूरी, बल्कि यह हमारी एक तरह से मदद भी करेगा, मानव रहने में, भौतिक दुनिया से और जुड़े रहने में। और यह वास्तव में हमारी मदद करेगा, कि हम मशीन बनकर मशीनों के सामने न बैठे रहें। बस यही। धन्यवाद्। (तालियाँ ) धन्यवाद्। (तालियाँ ) क्रिस एंडर्सन: तो, प्रणव, सबसे पहले, तुम प्रतिभाशाली हो। ये अविश्वसनीय है, सच में। तुम इसके साथ क्या करोगे? क्या किसी कंपनी की योजना है? या यह हमेशा शोध रहेगा, या क्या? प्रणव मिस्ट्री: वैसे बहुत सी कंपनियाँ हैं-- असल में Media Lab की प्रायोजक कंपनियाँ-- जो इसे किसी न किसी तरीके से आगे ले जाने के लिए उत्सुक हैं। मोबाइल फ़ोन ओपरेटर कंपनियाँ जो इसे अलग रूप में देखती हैं जैसे भारत के NGO, जो सोचती हैं,"हमारे पास केवल Sixth Sense ही क्यों? हमारे पास Fifth Sense भी होनी चाहिए इंद्रि रहित लोगों के लिए जो बोल नहीं सकते। इस तकनीक को अलग तरीके से बोलने के लिए उपयोग कर सकते हैं जैसे एक स्पीकर सिस्ट्म के साथ।" क्रिस एंडर्सन: आपकी क्या योजनाएँ हैं? क्या आप MIT में रहेंगे, या आप इसके साथ कुछ करने वाले हैं? प्रणव मिस्ट्री: मैं इसे लोगों को ज़्यादा उपल्ब्ध कराना चाहता हूँ ताकि हर कोई अपना खुद का Sixth Sense यंत्र विकसित कर सकें क्योंकि न तो हार्डवेयर बनाना असल में इतना मु्श्किल है, न खुद का बनाना। हम उनके लिए सारा ओपन सोर्स सोफ़्ट्वेयर देंगे, शायद अगले महीने से। क्रिस एंडर्सन: ओपन सोर्स, वाह। (तालियाँ ) क्रिस एंडर्सन: क्या आप इसके साथ भारत वापस आना चाहेंगे? प्रणव मिस्ट्री: हाँ। हाँ,हाँ बिल्कुल। क्रिस एंडर्सन: क्या योजना है आपकी? MIT? भारत? आगे बढ़ने के लिए आप कैसे समय बाँटेंगे? प्रणव मिस्ट्री: यहाँ बहुत सी ऊर्जा है। बहुत सा ज्ञान। जो भी काम आज आपने देखा वह सब भारत में मेरे ज्ञान के बारे में है। और अब, अब अगर आप लागत-प्रभाव के बारे में देखें: इस पद्धति का मूल्य सिर्फ़ 300 डालर है यदि इसकी तुलना 20,000 डालर सर्फ़ेस टेब्ल्ज़ से की जाए, या उसके जैसा कुछ भी। या वह माउस संकेत पद्धति जो उस समय 5000 डालर की थी? तो, हमने-- मैंने, एक सभा में, राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को यह दिखाया, उस समय, और उन्होंने कहा,"ठीक है, हमें इसे Bhabha Atomic Research Centre में लाना चाहिए किसी उपयोग के लिए।" तो मैं बहुत उत्सुक हूँ कि कैसे मैं इस तकनीक को आम लोगों तक पहुँचा सकूँ बजाय इसके कि मैं इस तकनीक को सिर्फ़ प्रयोगशाला में रखूँ । (तालियाँ ) क्रिस एंडर्सन: जैसे लोग मैंने TED पर देखें हैं उस आधार पर मैं कहना चाहूँगा कि आप अभी दुनिया में मौजूद दो या तीन आविष्कारकों में से एक हैं। आपका TED पर होना हमारा लिए सम्मान है। बहुत बहुत धन्यवाद्। यह अदभुत है। (तालियाँ ) ये समझने के लिये कि पौराणिक कथाओं का मामला और मुख्य विश्वास अधिकारी का काम क्या है, आपको एक कहानी सुननी होगी भगवान गणेश की कहानी, भगवान गजानन - हाथी के सर वाले भगवान की कहानी जो कि कथावाचकों के सरताज़ हैं, और उनके भाई, देवताओं के सेनापति कार्तिकेय । एक दिन दोनो भाइयों में एक प्रतियोगिता हुई - एक दौड पूरे ब्रह्माण्ड के तीन चक्कर लगाने की दौड कार्तिकेय अपने मोर पर सवार हुए और महाद्वीपों को नाप डाला फिर पहाडों को, फिर सागरों को, उन्होंने ब्रह्माण्ड का पहला चक्कर लगाया, फिर दूसरा और फिर तीसरा चक्कर भी लगा डाला । पर उनके भाई, गणॆश ने मात्र अपने माता-पिता की परिक्रमा की एक बार, दो बार, और तीन बार, और एलान कर डाला, "मैं जीत गया ।" कार्तिकेय ने पूछा, "कैसे ?" और तब गणेश ने कहा, "तुमने 'ब्रहमाण्ड' की परिक्रमा की । और मैने 'अपने ब्रह्माण्ड' की ।" संसार और मेरे संसार में ज्यादा महत्व किसका है ? यदि आप 'संसार' और 'मेरे संसार' के बीच के अंतर को समझ सके, तो आप 'सही' और 'मेरे लिये सही' के अंतर को समझ सकेंगे । 'संसार' लक्ष्य-निर्धारित है, तार्किक है, तथ्यात्मक है, संपूर्ण है, वैज्ञानिक है । 'मेरा संसार' व्यक्तिपरक है. यह भावुक है. यह निजी है. इसके अपने दृष्टिकोण, विचार हैं - अपननी भावनाएँ और अपने सपने है । ये जीवन मूल्यों का एक ढाँचा है जिससे अंतर्गत हम जीवन व्यतीत करते हैं । यह मिथक है कि हम तटस्थ हो कर रह रहे हैं । 'संसार' हमें बताता है कि क्या चल रहा है, सूरज उग कैसे रहा है, हम पैदा कैसे होते हैं । 'मेरा संसार' बताता है कि सूरज क्यों उग रहा है, हम क्यों पैदा हुए । हर संस्कृति स्वयं को ही समझने की कोशिश कर रही है, "हम अस्तित्व का कारण क्या है ?" और हर संस्कृति ने अपने अपने जवाब ढूँढे हैं, अपनी समझ के अनुरूप पौराणिक गाथाओं के रूप में । संस्कृति प्रकृति के प्रति हमारी प्रतिक्रिया है, और इस प्रतिक्रिया की समझ, हमारी पूर्वजों के अनुसार पीढी दर पीढी चलती आ रही है कथाओं, प्रतीकों और अनुष्ठानों के रूप में, जिन्हें तर्क, कारण और विश्लेषणॊं से कोई मतलब नहीं है । और जब आप इसमें गहरे उतरेंगे, तो आपको पता चलेगा कि दुनिया के अलग अलग लोग दुनिया को अपने अलग ढँग से समझते हैं । अलग अलग लोग एक ही चीज़ को : अलग अलग दृष्टिकोणों से देखते हैं । एक हुई मेरी दुनिया और एक हुई आपकी दुनिया, और मेरी दुनिया हमेशा मुझे आपकी दुनिया से बेहतर लगती है, क्योंकि देखिये, मेरी दुनिया तर्कसंगत है और आपकी अंधविश्वास पर आधारित, आपकी मात्र विश्वास पर चलती है तर्क पर आधारित नहीं है । यही सभ्यताओं के संघर्ष की जड़ है । 326 ईसा पूर्व में भी यह बहस एक बार हुई थी । सिंधु नदी के तट पर, जो कि अब पाकिस्तान में है । इस नदी से ही इण्डिया को उसका नाम मिला है । सिन्धु - हिन्दु - इन्दु - इन्डिया । सिकंदर, युवा मकदूनियन, वहाँ ऐसे व्यक्ति से मिला जिसे उसने 'जिमनोसोफ़िस्ट' कहा है, जिसका अर्थ है 'नंगा फ़कीर' हम नहीं जानते कि वह कौन था । शायद कोई जैन साधु रहा हो, जैसे कि बाहुबली, यहीं पास में ही, गोमतेश्वर बाहुबली, मैसूर से ज्यादा दूर नहीं है उनकी छवि । या फ़िर शायद वो कोई योगी रहा हो, चट्टान पर बैठा, आसमान को ताकता, और सूरज और चाँद को निहारता । सिकंदर ने पूछा, "आप क्या कर रहे हैं?" और नंगे फ़कीर ने जवाब दिया, "मैं शून्यता का अनुभव कर रहा हूँ." फिर फ़कीर ने पूछा, "आप क्या कर रहे हैं?" और सिकंदर ने जवाब दिया, "मैं दुनिया पर विजय प्राप्त कर रहा हूँ ।" और फिर वो दोनो हँसने लगे । दोनो एक दूसरे को मूर्ख समझ रहे थे । फ़कीर ने पूछा कि वो दुनिया को जीतने क्यों चाहता है । वो व्यर्थ है । और सिकंदर ने सोचा, "ये साधु यहाँ बैठ कर वक्त क्यों गँवा रहा है?" सारे जीवन को व्यर्थ कर रहा है । इन दोनों के विचारों के फ़र्क को समझने के लिये हमें समझना होगा कि सिकंदर का अपना सत्य समझना होगा: और उन मिथकों को, जिन्होने उस सत्य को जन्म दिया । सिकंदर के माँ-बाप और उसके शिक्षक अरस्तु ने उसे होमर के इलियाड की कहानियाँ सुनाई थीं । महान नायक अचिलस की कहानी, जिसका लडाई में होना भर, विजय सुनिश्चित करता था, पर यदि वो लडाई में न हो, तो हार भी निश्नित होती थी । "अचिलस वो व्यक्ति था जो इतिहास बदलने की क्षमता रखता था, नियति को काबू कर लेने वाला, और सिकंदर, तुम्हें उस जैसा बनना चाहिये ।" उसने ये सुना था । "और तुम्हें क्या नहीं बनना चाहिये ? तुम्हें सिसिफस नहीं बनना चाहिये, जो कि दिन भर भारी चट्टान को पहाड पर चढाता है और हर रात, चट्टान वापस लुढक जाती है । ऐसा जीवन मत जियो जो साधारण हो, औसत, निरर्थक हो । भव्य बनो ! -- ग्रीक नायकों की तरह, जैसे जेसन, जो कि समंदर पार गया अरगोनाट्स के साथ और सुनहरी ऊन ले कर आया । महान बनो जैसे थीसियस, जिसने नर्क में घुस कर भैंसे के सिर वाले राक्षस मिनोटोर को मार गिराया । जब जब प्रतियोगिता में भाग लो, जीतो ! -- क्योंकि जीत की प्रसन्नता, उसकी अनुभव देवों के सामीप्य का सबसे प्रत्यक्क्ष अनुभव होगा ।" देखिय, ग्रीक ये मानते थे कि आप केवल एक बार जीते है और जब आपकी मृत्यु होती है, आप स्टिक्स नदी पार करते हैं, और यदि आपने भव्य जीवन जिया है, तो आपको अलीसियम (स्वर्ग) में आमंत्रित किया जायेगा, या जिसे फ़्रांसीसी लोग 'शाम्पस-अलीयसीज़' (पेरिस की प्रसिद्ध बाज़ार) कहते हैं -- (हँसी) -- महापुरोषों का स्वर्ग । पर ये वो कहानियाँ नहीं थी जो हमारे फ़कीर ने सुनी थीं । उसने बहुत अलग कहानियाँ सुनी थीं । उसने भरत नाम के व्यक्ति के बारे में सुना था, जिसकी नाम पर इण्डिया को भारत भी कहते है । भरत ने भी विश्व-विजय प्राप्त की थी । और तब वो संसार के केंन्द्र-बिन्दु पर स्थित सबसे बडे पहाड की सबसे ऊँची चोटी पर गया, जिसका नाम था मेरु । और वो वहाँ अपने नाम का झंडा फहराना चाहता था, "मैं यहाँ आने वाला पहला व्यक्ति था ।" पर जब वो मेरु पर्वत पर पहुँचा, तो उसने उसे अनगिनत झंडों से ढका पाया, उससे पहले आने वाले विश्व-विजयिओं के झंडों से, हर झंडा दाव कर रहा था "मैं यहाँ सबसे पहले आया... ...ऐसा मैं सोचता था जब तक मैं यहाँ नहीं आया था ।" और अचानक, अनन्ता की इस पृष्ठभूमि में, भरत ने स्वयं को क्षुद्र, नगण्य़ पाया । ये उस फ़कीर का सुना हुआ मिथक था । देखिय, फ़कीर के भी अपने नायक थे, जैसे राम - रघुपति राम और कृष्ण, गोविन्द, हरि । परन्तु वो दो अलग अलग पात्र दो अलग अलग अभियानों पर निकले दो अलग अलग नायक नहीं थे । वो एक ही नायक के दो जन्म थे । जब रामायण काल समाप्त होता है, तो महाभारत काल प्रारंभ होता है । जब राम यमलोक सिधारते है, कृष्ण जन्म लेते है । जब कृष्ण यमलोक जाते है, तो वो पुनः राम के रूप में अवतार लेते हैं । भारतीय मिथकों में भी एक नदी है जो कि जीवितों और मृतकों की दुनिया की सीमारेखा है । पर इसे केवल एक बार ही पार नहीं करना होता है । इस के तो आर-पार अनन्ता तक आना जाना होता है । इस नदी का नाम है वैतरणी । आप बार-बार, बारम्बार आते जाते है । क्योंकि, आप देखिये, भारत में कुछ भी हमेशा नहीं टिकता, मृत्यु भी नहीं । इसलिये ही तो, हमारे भव्य आयोजनों में देवियों की महान मूर्तियाँ तैयार की जाती हैं, उन्हें दस दिन तक पूजा जाता है... और दस दिन के बाद क्या होत है ? उसे नदी में विसर्जित कर दिया जाता है । क्योंकि उसका अंत होना ही है । और अगले साल, वो देवी फिर आयेगी । जो जाता है, वो ज़रूर ज़रूर लौटता है और ये सिर्फ़ मानवों पर ही नहीं, बल्कि देवताओं पर भी लागू होता है । देखिये, देवताओं को भी बार बार कई बार अवतार लेना होगा, राम के रूप में , कृष्ण के रूप में न सिर्फ़ वो अनगिनत जन्म लेते हैं, वो उसी जीवन को अनगिनत बार जीते हैं जब तक कि सब कुछ समझ ना आ जाये । ग्राउन्डहॉग डे (इसे विचार पर बनी एक हॉलीवुड फ़िल्म) । (हँसी) दो अलग मिथयताएँ इसमें सही कौन सी है ? दो अलग समझें, दुनिया को समझने के दो अलग नज़रिये । एक सीधी रेखा में और दूसरा गोलाकार एक मानता है कि केवल यही और सिर्फ़ यही एक जीवन है। और दूसरा मानता है कि यह कई जीवनों में से एक जीवन है । और इसलिये सिकंदर के जीवन की तल-संख्या 'एक' थी । और उसके सारी जीवन का मूल्य इस एक जीवन में अर्जित उसकी उपलबधियों के बराबर था । फ़कीर के जीवन की तल-संख्या 'अनन्त, अनगिनत' थी । और इसलिये, वो चाहे इस जीवन में जो कर ले, सब जीवनों में बँट कर इस जीवन की उपलब्धियाँ नगण्य थीं । मुझे लगता है कि शायद भारतीय मिथक के इसी पहलू के ज़रिये भारतीय गणितज्ञों ने 'शून्य' संख्या की खोज की होगी । क्या पता ? और अब हम आते है कारोबार के मिथक पर । यदि सिकंदर का विश्वास उसके व्यवहार पर असर डाल सकता है, यदि फ़कीर का विश्वास उसके जीवन पर प्रभाव डालता है, तो निश्चय ही ये उन कारोबारों पर भी प्रभाव डालेगा जिनमें वो लगे थे । देखिये, कारोबार असल में इस बात का ही तो परिणाम है कि बाज़ार ने कैसा व्यवहार किया और संगठनों ने क्या व्यवहार किया ? यदि आप दुनिया भर की संस्कृतियों पर एक नज़र डालें, और उनके अपने अपने मिथकों को समझे, तो आप को उनका व्यवहार और उनका कारोबार का ढँग समझ आ जाएगा । धयान से देखिये । अगर आप एक ही जीवन वाली संस्कृति से नाता रखते हैं तो आप देखेंगे कि वो 'पूर्णतः सही या पूर्णतः गलत' के विचारधार से आसक्त हैं, निर्धारित पूर्ण सत्य, मानकीकरण, संपूर्णता, सीधी रेखा पर आधारित ढाँचे । पर यदि आप जीवन की पुनरावृत्ति वाली गोलाकार संस्कृति को देखेंगे आप देखेंगे कि वो अस्पष्ठता के सहज हैं, अनुमानों के साथ, विषयक सोच के साथ, 'लगभग' के साथ, संदर्भों पर आधारित मानकों के साथ -- (हँसी) ज्यादातर । (हँसी) चलिये, कला पर नज़र डालते हैं । बैले नर्तकी को देखिये । कैसे उसकी जुम्बिश सीधी रेखाकार होती है । और भारतीय सस्कृतिक नर्तकी को देखिये, कुचिपुडि, भरतनाट्यम नर्तकों को देखिये, घुमावदार । (हँसी) और धंधे के तरीके देखिये । मानकों पर आधारित ढाँचा: अवलोकन, लक्ष्य, मूल्य, विधियाँ लगता है जैसे किसी ऐसे यात्रा की कल्पना है जो कि जंगल से सभ्य समाज तक ले जाती है, एक नेता के दिये गये निर्देशों के अनुसार । यदि आप निर्देशों का पालन करेंगे, स्वर्ग प्राप्त होगा । पर भारत में कोई एक स्वर्ग नहीं है, बहुत सारे अपने अपने स्वर्ग हैं, आप समाज के किस हिस्से से हैं, इस के हिसाब से आप जीवन के किस पडाव पर हैं, इस के हिसाब से देखिये, कारोबार संगठनों की तरह नहीं चलाये जाते, किसी एक व्यक्ति के निर्देशानुसार। वो हमेशा पसन्द के अनुसार चलते हैं । मेरे अपनी खास पसंद के अनुसार । जैसे, भारतीय संगीत, मिसाल के तौर पर, उसमें अनुरूपता, स्वर-संगति की कोई जगह नहीं है । वादकों के समूह का कोई एक निर्देशक नहीं होता है । एक कलाकार प्रदर्शन करता है, और बाकी सब लोग उसका अनुगमन करते हैं । और आप कभी भी उसके प्रदर्शन को बिलकुल वैसे ही दुबारा प्रस्तुत नहीं कर सकते । यहाँ लिखित प्रमाणों और अनुबंधों का खास महत्व नहीं है । यहाँ बातचीत और विश्वास पर ज्यादा ज़ोर है । यहाँ नियमों के पालन से ज्यादा ज़रूरी है 'सेटिंग', बस काम पूरा होना चाहिये, चाहे नियम को मोड कर, या उसे तोड कर - अपने आसपास मौजूद भारतीयों पर नज़र डालिये, देखिये सब मुस्करा रहे हैं, उन्हे पता है मैं क्या कर रहा हूँ। (हँसी) और अब ज़रा उन्हें देखिये जिन्हें भारत में व्यवसाय किया है, उनके चेहरे पर रोष छुपाये नहीं छुप रहा । (हँसी) (अभिवादन) देखिये, आज का भारत यही है । धरातल की सच्चाई दुनिया को देखने के इसी गोलाकार नज़रिये पर टिकी है । इसीलिये ये लगातार बदल रही है, विविधताओं से परिपूर्ण है, अस्त-व्यस्त है, अनुमान से परे है । और लोगबाग इसे ठीक पाते हैं । और अब तो वैश्वीकरण हो रहा है । आधुनिक संगठननुमा सोच की माँग बढ रही है । जो कि रेखाकार सीधी सभ्यता की जड है । और एक वैचारिक मुठभेड होने वाली है, जैसे कि सिन्धु नदी के तट पर हुई थी । इसे होना ही है । मैनें खुद इसका अनुभव किया है । मैं एक प्रशिक्षित चिकित्सक हूँ । मुझे सर्जरी पढने का कतई मन नहीं था, और मत पूछिये क्यों । मुझे मिथक बहुत प्रिय हैं । मैं मिथकों को ही पढना चाहता था । मगर ऐसा कोई जगह नहीं है जहाँ ऐसा होता हो । तो मुझे स्वयं को ही पढाना पडा । और मिथकों से कमाई भी नहीं होती थी, कम से कम अब तक । (हँसी) तो मुझे नौकरी करनी पडी । और मैनें औषधि के उद्योग में काम लिया । फिर मैने स्वास्थय - उद्योग में भी काम किया । मैनें मार्कटिंग में काम किया, सेल्स में काम किया । तकनीकी जानकार के रूप में, प्रशिक्षक के रूप में, और विषय-वस्तु तैयार करने का काम भी किया । मै एक व्यावसायिक सलाहकार भी रहा हूँ- योजना और दाँव-पेंच तैयार करता रहा हूँ । और मुझे असंतुष्टि दिखती है अपने अमरीकन और यूरिपियन साथियों में जब वो भारत में काम करते हैं । उदाहरण के तौर पर: कृपया हमें बताइये कि हम हॉस्पिटलों को बिल कैसे भेजें । पहले A करें - फ़िर B करें - फ़िर C करें - ज्यादातर ऐसे ही होता है । (हँसी) अब आप 'ज्यादातर' की क्या परिभाषा लिखेंगे ? 'ज्यादातर' को साफ़्ट्वेयर में कैसे डालेंगे ? नहीं कर सकते । मैं उन्हें अपना दृष्टिकोण बताना चाहता था । मगर कोई भी सुनने को तैयार नहीं था, देखिये, जब तक मैं फ़्यूचर समुदाय के किशोर बियानी से नहीं मिला । देखिये, उन्होंने बिग बाजार नामक फुटकर बिक्री की सबसे बडी श्रंखला की स्थापना की है । और इसे कम से कम २०० अलग अलग तरीकों से भारत के करीब ५० शहरों और कस्बों में चलाय जाता है । और वो बहुत ही विविध और सक्रिय बाजारों से काम कर रहे थे । और उन्हें सहजता से पता था, कि उत्कृष्ट कार्य-प्रणालियाँ जो कि जापान, चीन, यूरोप और अमरीका में बनी हैं भारत में काम नहीं करेंगी । उन्हें पता था कि भारत में संस्थागत सोच नहीं चलेगी । यहाँ व्यक्तिगत सोच चलेगी । उन्हें भारत की मिथकीय बनावट की सहज समझ थी । तो, उन्होंने मुझसे मुख्य विश्वास अधिकारी बनने को कहा, और ये भी कहा, "मैं चाहता हूँ कि आप सबके विश्वास को एक धुरी पर लाएँ ।" कितना आसान सा लगता है ना । मगर विश्वास को मापा तो नहीं जा सकता । और ना ही उस पर प्रबंधन तकनीके लागू हो सकती हैं । तो आप कैसे विश्वास की आधार-शिला रखेंगे ? कैसे आप लोगों में भारतीयता के प्रति संवेदना बढाएँगे भारतीयों के लिये भी भारतीयता इतनी सहज या नहीं होती है । तो, मैनें संस्कृति का एक सर्वव्यापी ढाँचा तैयार करने का प्रयास किया, जो था - कहानियों का विकास करना, चिन्हों का विकास करना, और रीति-रिवाजों का विकास करना । और मैं ऐसे एक रिवाज के बारे में आपको बताता हूँ । देखिये ये हिन्दुओं की 'दर्शन' रीति पर आधारित है । हिन्दु धर्म में कोई धर्मादेश नहीं होते हैं । इसलिये जीवन में जो आप करते हैं, उसमें कुछ गलत या सही नहीं होता है । तो आप ईश्वर के सम्मुख पापी हैं या पुण्यात्मा, ये किसी को नहीं पता । तो आप जब मंदिर जाते है, आप सिर्फ़ ईश्वर से मिलना चाहते हैं । बस सिर्फ़ दो मिनट के लिय एक मुलाकात करना । आप सिर्फ़ उनके 'दर्शन' करना चाहती है, और इसलिये ईश्वर की बडी बडी आँखें होती हैं, विशाल अपलक टक टक ताकने वाले नेत्र, कभी कभी चाँदी के बने हुए, जिससे वो आप को देख सकें अब क्योंकि आपको भी ये नहीं पता कि आप सही थे या गलत, आप केवल देवता से समानुभूति की उम्मीद करते हैं । "बस जान लीजिये कि मैं कहाँ का हूँ, मैने जुगाड क्यों लगाई ।" (हँसी) "मैने ये सेटिंग क्यों भिडाई, मैं इतना नियम कानून की परवाह क्यों नहीं करता, थोडा समझिये ।" तो इस आधार पर हमने अगुआ लोगों के लिये कुछ रिवाज बनाए । जब उसका प्रशिक्षण समाप्त होता है, और वो अपने दुकान का दारोमदार लेने वाला होता है, हम उस की आँखों पर पट्टी बाँधते है, और उसे घेर देते हैं, ग्राहकों से, उसके परिवारजनों से, उसके दल से, उसके अफसर से । और हम उसकी जिम्मेदारियों और उससे अपेक्षित प्रदर्शन की बात करके उसे चाबी सौंप देते हैं, और फिर उसकी पट्टी हटाते हैं । और हमेशा, एक आंसू उसकी आँखों में तैरता दिखता है, क्योंकि वो समझ चुका होता है । उसे समझ आ जाता है कि सफल होने के लिये, उसे कोई पेशेवर वयवसायी बनने की जरूरत नहीं है, उसे अपनी भावनाओं को मारने की कतई ज़रूरत नहीं है, उसे बस सब लोगों को साथ ले कर चलना है, उसकी दुनिया के अपने लोगों को, और उन्हें खुश रखना है, अपने अफसर को खुश रखना है, सब लोगों को खुश रखना है । ग्राहक को प्रसन्न रखना ही है, क्योंकि ग्राहक ईश्वर का रूप है । इस स्तर की संवेदनशीलता की आवश्यकता है । एक बार ये विश्वास घर कर ले, व्यवहार भी आने लगता है, धंधा भी चलने लगता है । और चला है । वापस सिकंदर की बात करते हैं । और फकीर की । और अक्सर मुझसे पूछा जाता है, "सही रास्ता क्या है - ये य वो ?" और ये बहुत ही खतरनाक प्रश्न है । क्योंकि ये आपको हिंसा और रूढिवादिता के रास्ते पर ले जाता है । इसलिये, मैं इसका उत्तर नहीं दूँगा । मैं आपको इसका भारतीयता-पूर्ण उत्तर दूँगा, हमारा प्रसिद्ध सिर हिलाने का इशारा । (हँसी) (अभिवादन) संदर्भ के अनुसार, कार्य के परिणाम के हिसाब से, अपना दृष्टिकोण चुनिये । देखिये, क्योंकि दोनो ही नज़रिये इंसानी कल्पनाएँ हैं । सांस्कृतिक कल्पनाएँ हैं, न कि कोई प्राकृतिक सत्य । तो जब अगली बार आप किसी अजनबी से मिलें, एक प्रार्थना है: समझियेगा कि आप संदर्भ-आधारित सत्य में जीवित हैं, और वो अजनबी भी । इसे बिलकुल जहन में उतार लीजिये । और जब आप ये समझ जाएँगे, आप एक शानदार रत्न पा लेंगे । आपको इसका भान होगा कि अनगिनत मिथकों के बीच परम सत्य स्थापित है । संपूर्ण ब्रह्माण्ड को कौन देखता है ? वरुण हज़ार नेत्रों का स्वामी है । इन्द्र, सौ नेत्रो का । आप और मैं, केवल दो नेत्रों के । धन्यवाद (अभिवादन) एक भारतीय के नाते, और अब एक राजनीतिज्ञ और भारत सरकार में मंत्री के नाते मैं चिंतित हु, उस प्रचार से जो हम हमारे देश के बारे में सुन रहे है, भारत के विश्व-अग्रणी होने की बातें, यहाँ तक की अगले महाशक्ति होने की बातें भी. यहाँ तक की, मेरी किताब के अमरीकन प्रकाशकों ने, "द एलिफंट , द टाइगर एंड द सेलफोन," ( शशि थरूर की किताब का नाम "The Elephant, The Tiger and the Cellphone,") को एक एच्छिक उपशीर्षक दे दिया की- "भारत: इक्कीसवी सदी की महाशक्ति." और मुझे नहीं लगता की भारत इन सभी के बारे में है, या फिर इन सभी के बारे में होना चाहिए. दरअसल, मुझे चिंता दुनिया के नेतृत्व वाली धारणा के बारे में हैं, यह बात मुझे बहुत ही प्राचीन प्रतीत होती है. इन बातो में मुझे जेम्स बोंड की फिल्म और किपलिंग के गीतों की सुगंध आती है. आखिर, ये "विश्व का नेता" बना कैसे जाता है? अगर जनसँख्या से, हम शीर्ष पर पहुचने के मार्ग पर ही है. हम चीन की २०३४ तक पीछे छोड़ देंगे. क्या सेन्य शक्ति से? फिर हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना है. क्या परमाणु क्षमता से? हमे मालुम है की वह हमारे पास है. अमरीका ने इसे मान्यता भी दी है, एक समझोते में. क्या अर्थव्यवस्था से? अब हम दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, 'क्रय शक्ति समानता' के संदर्भ में. और हम आगे बढ़ते जा रहे है. जब पूरी दुनिया पिछले साल मात खा गयी थी, हार गयी थी, हम ६.७ प्रतिशत की रफ़्तार से बढ़ रहे थे. लेकिन, फिर भी, यह सब बातें मुझे कुछ समझ में नहीं आई, की क्या वास्तव में भारत, दुनिया को यह सब योगदान देने का लक्ष्य रखेगा, इक्कीसवी सदी के इस भाग में. और मैं आश्चर्य करता हु की, भारत के लिए भविष्य में क्या कुछ है, इन सभी का एक संयोजन, साथ में और भी बहुत सारी बातो का मेल, जैसे की, भारतीय संस्कृति का आकर्षण, दूसरे शब्दों में, " नर्म शक्ति". नर्म शक्ति की संकल्पना 'हार्वर्ड' के एक पंडित जोसेफ न्ये, जो की मेरे मित्र भी है, ने करी थी. और, बड़ी ही सरलता से, मैं उसे सारांशित कर रहा हु क्योकि, समय की थोड़ी पाबंदी है, यह एक देश की क्षमता होती है, दूसरो को अपनी ओर आकर्षित करने की, अपनी संस्कृति से, अपने राजनीतिक मूल्यों से, अपनी विदेश नीतियों से. और, जैसा की आप जानते ही है की काफी देश ऐसा करते है. वे पहले अमरीका के बारे में लिख रहे थे, लेकिन हमे फ़्रांसिसी गठबंधन ("Alliance Francais") के बारे में पता है की वह सिर्फ फ़्रांसिसी 'नर्म शक्ति' और अंग्रेजी परिषद् के बारे में है, 'बीजिंग ओलिम्पिक्स' चीनि 'नर्म शक्ति' के बारे में था. अमरीकनों के पास 'अमरीका की आवाज़'(Voice of America) और 'फुल्ब्राईट छात्रवृत्ति'(Fulbright Scholarships) है. लेकिन, वास्तव में जो तथ्य है, वह यह है की, हौलीवूड (Hollywood ) और एमटीवि (MTV) और मक्दोनाल्ड (McDonalds) अमरीकी 'नर्म शक्ति' के लिए, सरकार के दुनिया भर में किये गए किसी भी कार्य से बहुत ज्यादा ही किया है. इसलिए 'नर्म शक्ति' उभरती है, आंशिक रूप से सरकार की वजह से, लेकिन बाकी आंशिक तौर से बिना सरकार के. और इस सूचना के युग में जिसमे हम रहते है, हम इसे टेड(TED) युग भी कह सकते है. मैं कहना चाहता हु की देशो को आंका जा रहा है, एक वैश्विक जनता के द्वारा जिन्हें निरंतर खुराक दी जा रही है, इन्टरनेट से समाचार की, दूरदर्शन से चित्रों की, मोबाईल से विडियो की, ईमेल से बातचीत की, दुसरे शब्दों में, सभी तरह के सन्देश वाहक yantra, हमे दुनिया भर के देशो की कहानिया बता रहे है, सम्बंधित देश उन कहानियो को बताना चाहे या न चाहे तो भी. अब, इस युग में, जिन देशो के पास विभिन्न सूचना के संसाधनों तक पहुच है, उन्हें एक विशेष लाभ है. और अवश्य ही उनका ज्यादा प्रभाव है, और जैसा की देखा गया है की भारत में समाचार चैनल बाकि सभी देशो से ज्यादा है, यहाँ तक की विश्व के इस हिस्से के सभी देशो के समाचार चनेलो को जोड़ कर भी उनसे ज्यादा. लेकिन, तथ्य यह है की सिर्फ यह ही नहीं है. 'नर्म शक्ति' के लिए चाहिए की आप सभी से जुड़े रहे. कुछ लोग यह दावा कर सकते है की भारत आश्चर्यजनक रूप से एक जुदा हुआ देश बन रहा है. मुझे लगता है की आपने सभी आंकड़े सुन ही लिए होंगे. हमारे यहाँ एक महीने में १.५ करोड़ मोबाईल बिक रहे है. फिलहाल ५०.९ करोड़ मोबाईल है, भातियो के हाथो में, भारत में. और यह हमें अमेरिका से बड़ा मोबाईल का बाज़ार बनती है. और एक बात, यह १.५ करोड़ मोबाईल सबसे ज्यादा है, किसी भी देश में, अमेरिका और चीन को मिला के, संचार के इतिहास में. लेकिन आप में से कुछ लोगो यह एहसास नहीं होगा की में यहाँ आने के लिए कितनी दूर से आया हु. क्या आप जानते है, की जब में भारत में पल-भड रहा था, तब फोन भी दुर्लभ था. यहाँ तक की इतना दुर्लभ था की सांसदों को यह अधिकार था की वे १५ फोन की लाइन बाँट सकते थे, जिन्हें वे योग्य समझते थे. अगर आप भाग्यशाली होते की आप एक अमीर व्यवसायी है, या एक प्रभावशाली पत्रकार है, या एक चिकित्सक है, तो शायद आपके पास एक फोन होता. लेकिन वो भी एक जगह पड़ा रहता था. में कलकत्ता के एक उच्च माध्यमिक विद्यालय में पढता था. और हम उस यन्त्र को देखते थे जो आगे पड़ा रहता था. और जब भी हम उसे उठाते, आधी बार, एक आशा भरी आँखे लिए, उसमे डायल टोन ही नहीं होती थी. अगर होती और आप नंबर डायल करते, तो तीन में से दो बार तो नंबर मिलता ही नहीं. यहाँ तक की "यह गलत नंबर है" ज्यादा सुनने को मिलता बजाये "हेल्लो" के. (हंसी) और अगर आप को किसी दुसरे शहर में बात करनी हो, मान लीजिये, कलकत्ता से दिल्ली, तो आपको "ट्रंक काल" आरक्षित करवानी पड़ती थी, और फिर फोन के आगे पुरे दिन आस लगे के बैठते की कब फोन आ जाये. या फिर आप आठ गुना दाम दे सकते थे, ' लाइटनिंग काल' के लिए. हमारे देश में तब बिजली(ligthning) भी धीरे ही गिरती थी. उस ' लाइटनिंग काल' के लिए भी हमे आधा घंटा इंतज़ार करना पड़ता था. यह इनती खस्ताहाल थी की, एक सांसद ने १९८४ में संसद में शिकायत भी कर थी. और तब के हमारे संचार मंत्री ने गर्वित लहजे में उत्तर दिया, की हमारे जैसे विकासशील देश में, संचार एक विलासिता है न की अधिकार, और यह की सरकार बेहतर सेवा देने का कोई दायित्व नहीं है, और अगर माननीय मंत्री महोदय अपने फोन से संतुष्ट नहीं है, तो वे अपना फोन लौटा दे, क्योकि वैसे ही यहाँ पे आठ साल की प्रतीक्षा सूची है भारत में फोन के लिए. अब वापस आज में आते हुए आप देखते है की, देश में एक महीने में १.५ करोड़ मोबाईल. परन्तु, जो सबसे ज्यादा चोकाने वाली बात है, वह यह है की उन मोबाईल को कोन इस्तेमाल कर रहे है. क्या आप जानते है की अगर आप दिल्ली के किसी उपनगर में अपने मित्र से मिलने जाते है, तो सड़क के किनारे आप एक ठेले वाले को पाएंगे, जिसे देखने पर ऐसा लगेगा की वह सोहल्वी सदी के लिए बना है, वह एक कोयले की इस्त्री चलाता है, जिसका शायद अट्ठार्वी सदी में आविष्कार हुआ होगा, उसे इस्त्रिवाला पुकारा जाता है. लेकिन वह एक इक्कीसवी सदी का यन्त्र रखता है. उसके पास मोबाईल है, क्योकि आने वाली कॉल मुफ्त है, और इसी तरह वो अडोस-पड़ोस से कार्य लेता है, की कहा से कपडे इस्त्री के लिए उठाने है. कुछ दिनों पहले मैं केरल गया हुआ था, मेरे गाँव, एक दोस्त के खेतों me, जिसके २० किलोमीटर तक आस पास कोई शहर जैसा कुछ नहीं है, और उस दिन काफी गर्मी थी, मेरे दोस्त ने मुझसे पूछा, "क्या तुम ताज़ा नारियल पानी पीना चाहोगे?" वह सबसे अच्छी चीज़ है और सबसे ज्यादा पौष्टिक और तरोताज़ा करने वाली चीज़ जो आप पी सकते है जर्मी के उन दिनों में, इसलिए मैंने हाँ कर di. और उसने बिना देर किये अपना मोबाइल निकाला, और नंबर मिलाया, और आवाज़ आई,"मैं यहाँ ऊपर हूँ." और एक पास के नारियल पेड़ के ऊपर, एक हाथ में दरांती और दुसरे में मोबाईल पकडे हुए , एक स्थानीय ताड़ी था, जो हमें नारियल देने के लिए नीचे आने लगा. मछुँरे समुद्र में जा रहे है और अपने मोबाईल भी साथ लिए जा रहे है. जब वे मछलिया पकड़ लेते है तो वे तटीय बाजारों में फोन कर लेते है, पता करने के लिए की किधर उन्हें सबसे सही कीमत मिलेगी. किसान , जो की आधा दिन कड़ी कमर तोड़ मेहनत में निकाल देते थे, यह जानने में की कस्बे का बाज़ार खुला है की नहीं, की बाज़ार चालु है या नहीं, की जो फसल उन्होंने काटी है वह बिकेगी या नहीं, उनकी कीमत क्या होगी. वे कई बार एक आठ साल के बच्चे को ऊबड़-खाबड़ रस्ते पर बाज़ार भेज देते थे, यही सब जानकारी के लिए, उसके बाद ही वो अपनी गाडी में सामान रखते थे. आज वे यही आधे दिन का काम दो मिनट में ही मोबाईल से कर लेते है. यह नीचली वर्गों का सशक्तिकरण भारत के संपर्क में रहने की वजह से हुआ है. और यह परिवर्तन केवल उसका हिस्सा है जहाँ भारत जा रहा है. लेकिन, बेशक भारत में सिर्फ एक यही चीज़ नहीं है जो तेज़ी से फल-फूल रही है. आपके पास फिर बॉलीवुड है. मेरा बॉलीवुड की तरफ दृष्टिकोण बहुत सारांशित है दो बकरियों की एक कहानी बॉलीवुड के कचरे के ढेर में, शेखर कपूर को यह मालूम है, माफ़ करिएगा, और वे बॉलीवुड की किसी भवन से फेंके हुए सल्लुलोइड के डिब्बे खा रहे थे, और पहली बकरी खाते हुए बोलती है,"तुम्हे पता है, ये फिल्म उतनी बुरी नहीं है." और इस पर दूसरी बकरी जवाब देती है, " नहीं, किताब ज्यादा अच्छी थी." (हंसी) मैं ज्यादातर यही सोचता हु की किताब ही बेहतर होती है, लेकिन, यह कहने के बाद, यथार्थ यही है की बॉलीवुड अब अपने साथ एक भारतीयता और भारतीय संस्कृति पूरी दुनिया में ले जा रहा है, सिर्फ अमेरिका और ब्रिटेन के प्रवासी भारतीयों मैं ही नहीं, बल्कि अरब और अफ्रीका के पर्दों पर भी, सेनेगल और सीरिया के भी. में एक युवा लड़के से न्यू योर्क में मिला, जिनकी अनपढ़ माँ सेनेगल के एक जांव में रहती थी, वे महीने में एक बार बस लेती थी, डकर शहर जाने के लिए, एक ओल्ल्य्वूद की फिल्म देखने के लिए. वें संवाद नहीं समझ पाती थी. और वें अनपढ़ थी, तो फ़्रांसिसी उपशीर्षक भी नहीं पढ़ सकती थी. परन्तु, यह फ़िल्में ऐसी बाधाओं के बावजूद भी समझी जा सकती है, और उन्हें गाने, नृत्य एवं लड़ाई देख कर बहुत मज़ा आता tha, और वे अपनी आँखों में भारत की चकाचोंध ले कर वापस जाती थी. यह सब और भी ज्यादा हो रहा है. अफगानिस्तान में हमे पता है की सुरक्षा एक बहुत बड़ा मसला है. अफगानिस्तान हम में से बहुत लोगो के लिए है. भारत का वह कोई सेन्य अभियान चालु नहीं है. क्या आप जानते है की अफगानिस्तान में पिछले सां सालों में भारत की सबसे बड़ी संपत्ति क्या थी? एक बहुत ही छोटा सा तथ्य: आप अफगान में शाम ८:३० बजे फोन नहीं कर सकते the. क्यों? क्योकि यह वो समय था जब एक भारतीय दूरदर्शन नाटक, " क्योकि सास भी कभी बहु थी", का "धुर्री" रूपांतर, "तोदो टी.वि." पर प्रस्तुत किया जाता था. और वह अफगान के इतिहास का सबसे लोकप्रिय नाटक था. अफगान का हर एक परिवार इसे देखना चाहता था. उन्हें ८:३० के कार्यक्रम स्थगित करने पड़ते थे. शादियाँ भी बाधित हो जाती थी ताकि मेहमान टी.वि. के सामने इकठ्ठा हो कर उसे देख सके, और ताकि बाद में फिरसे अपना ध्यान दुल्हे दुल्हन पर केन्द्रित कर सकें. ८:३० बजे अपराध बढ़ गए. मेने एक 'रयूटर' की एक समाचार पढ़ा था-- यह एक भारत का प्रचार नहीं है, एक ब्रिटिश समाचार संसाधन-- की कैसे "मुससरी शरीफ" में चोरो ने एक गाडी को पूरा उघड दिया था, उसकी विंडशील्ड वाइपर, उसके पहिये के ढक्कन, उसके दर्पण, और जो कुछ भी हिलता हुआ उन्हें मिला, ८:३० बजे क्योकि चौकीदार वह नाटक देखने में व्यस्था थे नाकि अपने काम में. और उन्होंने विंडशील्ड पर लिख दिया, उस नाटक की नायिका के संधर्भ में, "तुलसी जिंदाबाद","तुलसी अमर रहे" (हंसी) यह है "नर्म" शक्ति. और यही भारत विकसित कर रहा है "टेड"(TED) के "इ"(E) से: इनकी खुद की मनोरंजन उद्योग से. और यही सच है -- और उदहारण बताने के लिए समाया थोडा कम है, लेकिन यही सच है हमारे और हमारी नृत्यकला, हमारे कला, योग, और भारतीय खान-पान के बारे में भी. मतलब की, भारतीय भोजनालयों के प्रसार , जब मैं पहले बार विद्यार्थी के तौर पर विदेश गया था, सत्तर के दशक में, और मैं आज क्या देखता हु, आप यूरोप और अमेरिका के किसी माध्यम आकर के शहर में नहीं जाए, और वहा कोई भारतीय भोजनालय नहीं मिले. यह ज्यादा अच्छा है ऐसा जरूरी नहीं है. लेकिन आज ब्रिटेन में, एक उधाहरण के तौर पर, ब्रिटेन में भारतीय भोजनालयों में, ज्यादा लोग काम करते है बजाये कोयलों की कादानो में, जहाज निर्माण और लोहे और इस्पात उद्योगों को मिलाकर भी. तो अब साम्राज्य जवाबी हमला कर सकता है. (तालियाँ) लेकिन, भारत की भड़ती जागरूकता, आपके साथ और मेरे साथ और बाकी सबके साथ ऐसे ही, अफगानिस्तान की कहानियो के साथ, इस सूचना युग में कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण आ रहा है, वह भावना की आज की यह दुनिया वह नहीं है जहाँ बड़ी सेना जीतती है, यह वो देश है जो एक प्रचलित बेहतर कहानी बताती है. और भारत है और रहेगा, मेरे विचार से, बेहतर कहानियो की धरती. छवियाँ बदल रही है. मेरा मतलब है की, फिरसे, अमेरिका जा कर, एक विद्यार्थी के तौर पर, सत्तर के दशक में, मुझे मालुम था की भारत की क्या तस्वीर है वहां, अगर कोई तस्वीर थी भी तो. आज "सिलिकॉन वैली" के और दूरसे जगहों के लोग आई.आई.टी., भारतीय तकनिकी संसथान, के बारे में बात करते है, उसी तरह जिस तरह की वे एम्.आई.टी. के बारे में करते थे. इसके कई बार अनापेक्षित परिणाम होते है. ठीक है. मेरा एक दोस्त है, इतिहास पढ़ा हुआ, मेरी तरह, उसे स्कैफोल हवाईअड्डे पर रोका गया , एक हाँफते हुए यूरोपियन द्वारा, यह कह कर, "आप एक भारतीय हो, आप एक भारतीय हो! क्या आप मेरा लैपटॉप ठीक कर सकते है?" (हंसी ) हम उस छवि से आगे निकल चुके है जहा भारत को कीलों के बिस्तर पर सोये हुए फकीरों की धरती कहा जाता था, और सपेरो की रस्सी वाले जादू की, से उस छवि तक जहा भारत को गणितज्ञों की धरती, कंप्यूटर के जादूगरों की धरती, सोफ्टवेयरों के गुरुओं की धरती तक. लेकिन यह भी भारतीय कहानी को बदल रहा है. लेकिन, वहा और भी कुछ ठोस है. यह कहानी एक आधारभूत ढांचे पर खड़ी हैं, राजनितिक बहुवाद के. यह एक सभ्यता की कहानी है. क्योकि भारत सदियों एक खुला समाज रहा है. भारत ने सबको पनाह दी है, यहूदी, जो अपने मंदिरों के तबाह होने पर भाग खड़े हुए थे, पहले कसदियों द्वारा फिर रोमनों द्वारा. यहाँ तक की यह भी कहा जाता है की देवदूत के शक करने पर, संत थोमस केरल के ही तट पर आये थे, मेरे जन्म भूमि, यही कही सन ५२ में, और उनका स्वागत एक यहूदी लड़की ने बांसूरी बजाते हुए किया था. और आज तक वे ही केवल एकमात्र यहूदी समुदाय है, यहूदियों के इतिहास में, जिन्होंने कभी, विरोध की एक घटना का भी सामना किया हो. (तालियाँ) यह है भारतीय कहानी. मुसलमान भी शांति से दक्षिण में आये, उत्तर के इतिहास से थोडा अलग. लेकिन, इन सभी धर्मो को भारत में अपनी जगह मिली है और भारत में इनका स्वागत किया गया है. जैसा की आप को पता है, हमने इसी साल जश्न मनाया है, हमारे राष्ट्रीय आम चुनाव, मानव के इतिहास में लोकतान्त्रिक मताधिकार का सबसे बड़ा आयोजन. और अगला इससे भी बड़ा होगा, क्योकि हमारी जनसँख्या २ करोड़ सालन की रफ़्तार से भड रही है. लेकिन, यह भी सच है की पिछले चुनावो ने, पांच साल पहले, दुनियां के सामने एक अशाधारण धटना हुई, एक महिला के चुनाव जितने की, इटालियन मूल की और रोमन कैथोलिक में विश्वास वाली, सोनिया गाँधी, और उन्होंने एक सिख के अपनी जगह दे दी, मन मोहन सिंह, ताकि वे प्रधान मंत्री बन सके, एक मुस्लमान के हाथो से, राष्ट्रपति अब्दुल कलाम, एक ऐसे देश में जहा ८१ प्रतिशत हिन्दू है. (तालिया) यह है भारत, और बेशक इससे भी ज्यादा अचंभित करने वाला है क्योकि चार साल बाद हमने सरहना करी अमेरिका की, आधुनिक विश्व की सबसे प्राचीन लोकतंत्र की, जहा २२० सालो से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव होते रहे है, जिसने पिछले साल तक इतना समय लगा दिया, एक राष्ट्रपति या एक उप राष्ट्रपति चुनने में, जो गोरा नहीं था, न ही पुरुष था, और न ही isaai. तो शायद, -- माफ़ करिएगा, वो इसाई है, क्षमा चाहता हु-- और वह पुरुष है, परन्तु गोरे नहीं है. बाकी सभी ये तीनो थे. (हंसी) इनसे पहले के बाकी सभी ये तीनो थे, और यही बात मैं बताना चाहता हु. (हंसी) लेकिन, मुद्दा यह है की जब लोग इस उदहारण की बात करते है, वे सिर्फ भारत के बारे में बात नहीं करते है, यह कोई मुद्दा नहीं है. क्योकि अंत में, उस चुनाव के परिणाम से दुनिया को कोई फर्क नहीं पड़ता. भारत स्वयं भारत ही बन रहा था. और अंत में, जैसा की मैं देख रहा हु, यह एक मुद्दे से ज्यादा बेहतर ही काम करता है. सरकार कहानिया सुननाने में अव्वल नहीं है. लेकिन, लोग समाज को उसी नज़र से देखते है जो की वह समाज है, और यह, जैसा की मैं सोचता हु, अंत में, अंतर लाएगा, आज के इस सूचना के युग में, इस "टेड" युग में. तो भारत अब, जाती, धर्म और भाषा के राष्ट्रवाद से परे है, क्योकि हमारे यहाँ सभी जातिया, जो की मानव को ज्ञात है, है, वास्तव में, हमारे यहाँ वे सभी धर्म है जो जो की मानव को ज्ञात है, शिन्तो धर्म को छोड़ कर. यद्यपि उसमे में कही हिन्दू तत्त्व है. हमारे संविधान में २३ अधिकारिक भाषाओ को मान्यता प्राप्त है. और जिन लोगो ने यहाँ अपने पैसे दिए है, वे यह जान कर आश्चर्यचकित हो जायेंगे यह देख कर की, एक रूपए के नोट पर कितनी भाषाओ से उसका मूल्य लिखा गया है. हमारे पास यह सब कुछ है. हमारी भोगोलिक स्तिथि भी एक भांति की नहीं है. क्योकि यहाँ उपमहाद्वीप का प्राकृतिक भूगोल, पहाड़ो और समुद्र से तराशा हुआ, खंडित कर दिया गया, १९४७ के पाकिस्तान के बंटवारे की वजह से. वास्तविकता में, आप इस देश का नाम भी सिर्फ बोलने के इए नहीं बोल सकते. क्योकि यह नाम "इंडिया", इंडस नदी से लिया गया है, जोकि अब पाकिस्तान से होकर गुज़रती है. लेकिन पूरा मुद्दा यह है की भारत एक कल्पना का राष्ट्रवाद है. यह एक कल्पना है सदा-सर्वदा-भूमि की, एक प्राचीन सभ्यता से उभरती हुई, इतिहास के योगदान से संगठित हुई वि, और इन सबसे ऊपर, बहुवाद लोकतंत्र से निरंतर स्थिर बनी रही. यह एक इक्कीसवी सदी की कहानी है, और एक प्राचीन कहानी भी हैं. और यह उस कल्पना का राष्ट्रीयकरण है जो कहता है की आप भिन्न भिन्न प्रकार की जाती, पंथ, रंग, संस्कृति, खान-पान, प्रथा एवं पहनावे को मानते है, औए फिर भी एक आम सहमति बना लेते है. और यह सहमती एक बहुत ही सरल सिद्धांत पर है, की भारत जैसे इस अनेकता के लोकतंत्र में आपको हमेशा एक ही बात पर सहमती नहीं बनानी पड़ती, जब तक आप उस नियम कायदे क़ानून मानते रहे की आप कैसे असहमति जताते है. यह भारत की सफलता की कहानी है, एक देश जिसके बारे में पंडित विद्वानों और पत्रकारों ने यह सोच लिया था की वह खंडित हो जायेगा, ५० व ६० के दशक में, लेकिन इन्होने इस बात पर सहमती बना ली की असहमति में भी कैसे जिया जाये. अब यही वो भारत है जो इक्कीसवी सदी में उभर रहा है. और मैं यही कहना छह रहा था की, अगर भारत के बारे में कुछ उल्लासपूर्ण hai, तो वह ना तो सेन्य शक्ति है, न ही आर्थिक ताकत. और वो जो कुछ भी आवश्यक है, लेकिन हमारे पास अभी भी बहुत सारी समस्याएं है सुलझाने के लिए. किसी ने कहा था की हम अति दरिद्र है और अति शक्तिशाली भी. हम वास्तव में ये दोनों साथ में नहीं हो सकते. हमे अपनी दरिद्रता को हराना है. हमे अभी समाधान करने है विकास के हार्डवेयर का, बंदरगाहों का, सडकों का, हवाईअड्डो का, और सभी बुनियादी ढांचों एवं सुविधायों का, और विकास के सोफ्टवेयर का, मानव संसाधन का,एक आम आदमी की जरूरत का की वह दो वक्त की रोटी खा सके, अपने बच्चो को भेज सके एक अच्छे विद्यालय में, और एक ऐसी नौकरी की khwaish जो उन्हें जिंदगी में ऐसे अवसर दे सके की वे अपने आप को परिवर्तित कर सकें. लेकिन, यह सब हो रहा है, यह एक महान रोमांचक यात्रा है इन सभी चुनौतियों पर काबू पाने की, उन वास्तविक चुनौतियों पर जिनका हम सभी दिखावा करते है की वे हैं ही नहीं. लेकिन, ये सब एक खुले समाज में हो रहा है, एक संपन्न और विविध और अनेकाताओ से भरी सभ्यता में, उसमे जिसने ढृढ़ निश्चय कर लिया है स्वतन्त्र होने का और लोगो की रचनात्मक बल को पूरा करने का. और इसलिए भारत 'टेड'(TED) में है, और इसीलिए 'टेड'(TED) भारत में है. बहुत बहुत धन्यवाद. (तालिया) आप यात्रा से होने वाले आनंद को जानते हैं तथा नृवंशी अध्ययन के शोध का एक आनंददायक अवसर प्राचीन ढंग से जीवन व्यतीत करने वाले लोगों के बीच रहना है, वे लोग जो अब भी अपने बीते हुए समय को महसूस कर रहे हों और पाषाण युग का अनुभव व पत्तियों का स्वाद चख कर जीवन व्यतीत कर रहे हों। यह जानने के लिए कि जगुआर शमनस अब भी आकाश गंगा के परे यात्रा करता है या फिर पूर्वजों की भावनात्मक अर्थपूर्ण कल्पनाओं अब भी प्रतिध्वनित हो रही है, या फिर हिमालय पर्वत में बौद्ध आज भी धर्म का अनुसरण कर रहे हैं, यह मानव शास्त्र के मूल भाव को वास्तविक तौर पर याद रखना है। इससे यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि हम जिस संसार में जीवन व्यतीत कर रहे हैं वह निश्चित तौर पर वैसा ही नहीं है अपितु वह तो वास्तविकता का एक नमूना है, हमारे पूर्वजों ने जो परंपरा बनाई वह अनुकूलक विकल्पों के एक निश्चित समूह का परिणाम है हालांकि वह अनेक पुश्तों पहले सफल था। और हां, हम सभी उन अति आवश्यक अनुकूलकों का प्रयोग कर रहे हैं। हम सभी ने जन्म लिया है। हम सभी अपने बच्चों को इस संसार में लाते हैं। हम दीक्षा के रीति रिवाजों से गुजरते हैं। हमें मृत्यु की कबेरता के कारण अलग होने को पीड़ा का सामना करना पड़ता है, इसलिए हमें आश्चर्य चकित नहीं होना चाहिए कि हम गाना गाते हैं, हम सभी नाचते हैं और हम सभी को कला का ज्ञान है। परंतु इसमें रोचक बात यह है कि सभी संस्कृतियों में गीत का आलाप, नृत्य की लय अनोखी होती है। चाहे इसमें बोरनियो के वनों में की जाने वाली तपस्या हो, या हैती में तंत्रमंत्र का अनुसरण हो, या उत्तरी केनिया के कैसुत मरूस्थल में यौद्धा हो, ऐंडिस पर्वतों में कुरानडेरो हो, या सहारा रेगिस्थान के मध्य में कैसवैन सेराऐ हो। यह शायद वह सहयात्री था जिसके साथ मैंने एक महीना पहले रेगिस्थान की यात्रा की है या फिर वास्तव में यह क्योमोलंगमा की ढालानों पर एक याक चराने वाला है। एवरेस्ट चोटी विश्व की देवी भी है। ये सभी लोग हमें यह शिक्षा देते हैं कि जीवन व्यतीत करने के अन्य तरीके भी हैं, सोचने के अन्य तरीके भी हैं, धरती पर रहने के अन्य तरीके भी है अगर आप इसके विषय में विचार करें तो यह आपके भीतर आशा की किरण उत्पन्न कर सकता है। अब आप विश्व की असंख्य संस्कृतियों को एकत्रित करें और आध्यामिक जीवन तथा सांस्कृतिक जीवन का जाल बुनें जो कि इस ग्रह को घेरती हैं, तथा वह ग्रह को बेहतर बनाने के लिए उतने आवश्यक हो जितने जीवन में मौजूद जीव जिन्हें हम बतौर जीव मंडल जानते हों। जीवन के इस सांस्कृतिक जाल को शायद आप नृवंशी समझ बैठें तथा आप विचारों व स्वपनों, कल्पनाओं, प्रेरणाओं, अंर्तज्ञान और जो भी कुछ चेतना की प्रारंभिक अवस्था से मानव कल्पना में मौजूद हो को एक साथ लेकर नृवंशी को परिभाषित करे नृवंशी होना मानवता की सबसे बड़ी विरासत है । हम सब क्या हैं यह उसका चिन्ह है तथा हम कितनी जिज्ञासु प्रजाति के हो सकते हैं । जैसे कि जीवनमंडल अत्यधिक नष्ट हो चुका है ठीक वैसे ही नृवंशीमंडल भी एक बहुत ही तेज गति से नष्ट हो चुका है । कोई भी जीव-वैज्ञानिक यह कहने का दुस्साहस नहीं करेगा कि सभी प्रजातियों में से 50 प्रतिशत या उससे अधिक प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर खड़ी हैं क्योंकि यह बिल्कुल सही बात नहीं है; इसके साथ-साथ जैविक विविधता की प्रभुता में यह भविष्य सूचक परिदृश्य है । जिसे हम अत्यधिक आशावादी परिदृश्य मानते हैं यह उस सांस्कृतिक विविधता का बहुत ही छोटा अंश है । भाषा की हानि इसकी उत्तम सूचक है । इस कमरे में मौजूद सभी लोगों का जब जन्म हुआ था तो उस समय इस ग्रह पर 6000 भाषाएं बोली जाती थी । आजकल भाषा मात्र एक शब्द संग्रह नहीं है या फिर वह व्याकरण नियमावली भी नहीं है । भाषा मानव आत्मा की चमक है । भाषा एक माध्यम है जिसके द्वारा किसी विशिष्ट संस्कृति की आत् एक अनात्मवादी संसार में प्रवेश करती है । प्रत्येक भाषा दिमाग के भीतर प्राचीन वन, जल-संभर, एक विचार, आध्यात्मिक संभावनाओं के परितंत्र की भांति होती है । जैसे कि आज हम मोनटेरे में बैठकर देख सकते हैं कि उन 6000 भाषाओं में से आधी भाषाएं बच्चों के कानों तक नहीं पहुंच रही हैं । वे शिशुओं को भी अब पढ़ाई नहीं जा रही हैं; जिसका अर्थ यह हुआ कि अगर कोई प्रभावशाली बदलाव नहीं होंगे तो वे पहले ही समाप्त हो जाएंगी । चुप्पी से घिरे रहने से ज्यादा अकेलापन और क्या होगा, आप अप भाषा बोलने वाले अपने लोगों में से आखिरी होंगे, आपके पास अपने पूर्वजों के ज्ञान को आगे पहुंचाने का या अपने बच्चों के इरादों का अनुमान लगाने को का कोई माध्यम नहीं होगा । तब भी यह भयानक किस्मत पृथ्वी पर कहीं न कहीं किसी की दर्दनाक अवस्था है; क्योंकि प्रत्येक दो सप्ताह में कोई ना कोई बड़ा व्यक्ति प्राण त्याग देता है और अपने साथ अपनी प्राचीन भाषा का ज्ञान ले जाता है । और मैं यह जानता हूं कि आप में से कुछ लोग कहेंगे; "क्या यह सही नहीं होगा ? क्या संसार बेहतर नहीं हो जाएगा अगर हम सभी लोग एक ही भाषा बोलेंगे ?" मैं भी यही कहता हूं कि बहुत अच्छे, हमें योरुबा भाषा को उस भाषा का दर्जा दे देना चाहिए । हमें कैनटोनीस को वह भाषा बनानी चाहिए । हमें कोगी को वह भाषा बनानी चाहिए । और तभी अचानक आप पाएंगे कि ऐसा हो जाएगा कि मानो आप अपनी खुद की भाषा को ही नहीं बोल पा रहे हैं। आज मैं आपके साथ जो भी करने जा रहा हूं वह एक प्रकार से नृवंशी की यात्रा------- नृवंशी में से एक लघ यात्रा करवाने जा रहा हूं; इसके माध्यम से मैं आपको यह समझाने का प्रयास कर रहा हूं कि आप क्या खो रहे हैं । जब मैं यह कहता हूं कि जीवन व्यतीत करने के विभिन्न तरीके हैं तो बहुत से लोग इसे कुछ भूल सा जाते हैं; मैं वास्तव में कहना चाहता हूं कि जीवन व्यतीत करने के अनेक तरीके होते हैं । उदारहण के तौर पर उत्तर-पूर्वी एमैज़ोन के बरसाना के एक बालक को ले लीजिए, अनाकोंडा के लोगों को लीजिए जो यह मानते हैं कि पौराणिक कथा के अनुसार वे पूर्व दिशा से दुग्ध नदी के पवित्र सापों के पेट से उत्पन्न हुए हैं । यही वे लोग हैं जो नीले रंग की पहचाने हरे रंग से अलग नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि स्वर्ग की छतरी को वनों की छतरी के समान माना गया है, जिस पर लोग निर्भर हैं । इनका भाषा और विवाह के लिए एक अलग ही नियम है जिसे भाषा के आधार पर जाति के बाहर विवाह करना कहा जाता है, आप उसी से विवाह कर सकते हैं जो आपसे विभिन्न भाषा बोलता हो । यह सभी कुछ पौराणिक है, फ़िर भी इन घरों में आशचर्य की बात ये है कि जहां इन घरों में अंतर्जातीय विवाह के कारण 6 या 7 भाषाएं बोली जाती हैं, आप कभी भी किसी को कोई एक भाषा प्रयोग करता हुआ नहीं सुन पाएंगे । वे पहले सुनते हैं फिर बोलना प्रारंभ करते हैं । उत्तर-पूर्वी इक्वाडोर की वाओरानी जाति एक ऐसी रोमांचकारी प्रजाति है, जिसके साथ मैं पहले कभी नहीं रहा हूं । सन् 1958 में कुछ विचित्र लोगों में शांतिपूर्ण ढंग से इन लोगों से संपर्क किया । सन् 1957 में पांच धर्म प्रचारकों ने इनसे संपर्क करने का प्रयास किया और एक गंभीर गलती कर दी । उन्होंने वायु मार्ग से अपनी आठ-दस चमकदार तस्वीरें इनके पास फैंक दी, जिसे हम दोस्ती का हाथ बढ़ाना कह सकते हैं; वे यह भूल कर गए कि वर्षा-प्रचुर वन के इन लोगों ने अपने जीवनकाल में कभी भी द्वि-आयामी कोई भी वस्तु नहीं देखी है । उन्होंने जमीन से इन तस्वीरों को उठाया और तस्वीर के मुख के पीछे देख आकृति को ढूढने का प्रयास किया, उन्हें जब कुछ प्राप्त नहीं हुआ तो उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि ये तो शैतानों का बुलावा है, इसलिए उन्होंने उन पांच धर्म प्रचारकों को भाले मार-मार कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया । परन्तु वाओरानी बाहर के लोगों पर आक्रमण नहीं करते हैं । वे एक दूसरे को मारते हैं । उनमें 54 प्रतिशत मृत्यु का कारण आपसी लड़ाई है । हमने उनकी पिछली 8 पुश्तों तक का अध्ययन किया और पाया कि केवल दो ही मृत्यु प्राकृतिक तौर पर हुई थी तथा जब हमने उन लोगों पर दबाव डालकर पूछताछ की, तो उन्होंने स्वीकार करते हुए बताया कि उनका एक साथी इतना बूढ़ा हो चुका था कि वह मरने की हालत में था, (हंसते हुए कहा) इसलिए हमने उसे मौत के घाट उतार दिया । परन्तु साथ ही उनके पास वन के बारे में चौका देने वाला सूक्ष्म ज्ञान था । उनके शिकारी 40 कदम की दूरी से ही पशुओं के मूत्र की गंध पहचान सकते थे और यह भी बता सकते थे कि मूत्र त्यागने वाला पशु कौन सा था । 80 के दशक की शुरुआत में, हमें एक अद्भुत काम करने का मौका मिला जब मुझे हावर्ड के मेरे एक प्रोफेसर ने मुझसे पूछा कि क्‍या मैं हेती जाने में, सामाजिक समूहों के बारे में जानकारी खोजने में, वे समूह जो कि डूबेलियर तथा टोनटोन मैकोट्स की नींव के बल थे और जोंबी बनाने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले विष के हासिल करने में रूचि है । इस सनसनी में से सही बात जानने के लिए मुझे वोडून के लिए इतना विश्वास रखने के बारे में तथा वूंडू कोई काले जादू की विधि नहीं है, के बारे में समझने की जरूरत थी । इसके विपरीत, विश्व भर में इसे पेचीदगीपूर्ण अध्यात्म विद्या समझा जाता है । यह रूचिपूर्ण है । अगर मैं आपको विश्व के कुछ महान धर्मों के नाम बताने को कहूंगा, तो आपका उत्तर क्या होगा ? ईसाई, इस्लाम, बौद्ध, जोविश और भी जो कोई धर्म हो । हमेशा कोई न कोई महाद्वीप छूट जाता है, ऐसा माना जाता था कि उप-सहारा वाले अफ्रीका में धर्म का पालन नहीं किया जाता । बिल्कुल वे भी धर्म को मानते थे तथा जादू-टोना तो गहरे धार्मिक विचारों का शुद्धिकरण है जो कि दास प्रथा युग की दर्दनाक समाप्ति के कारण उत्पन्न हुआ । लेकिन क्या चीज जादू-टोने को इतना रूचिकारक बनाती है, क्या वह उसमें मौजूद जीवित तथा मृत के बीच का संबंध है । आत्माओं को गहरे पानी के नीचे से भी बुलाया जा सकता है; उन्हें लय पर नचाने से लेकर कुछ क्षणों में से जीवित व्यक्ति में से बाहर निकालने तक प्रयोग किया जा सकता है, ताकि उस क्षण भर की चमक के लिए वह सेवक ईश्‍वर बन जाता है । इसलिए जादू-टोना करने वाले अंग्रेजों से कहते हैं कि "तुम गोरे लोग गिरिजाघर में जाकर भगवान के बारे में बात करते हो ।" हम मंदिर में नाचते हैं और भगवान बन जाते हैं । चूंकि आप आत्‍माग्रस्‍त होते हैं इसलिए आपको हानि कैसे पहुंच सकती है? तो आप ये अद्भुत प्रदर्शन देख सकते हैं । जादू-टोने के अनुचर को समाधि लेते हुए, जलते हुए कोयले के साथ सरलता से प्रयोग करते हुए, यह दिमाग की एक अद्भुत क्षमता का प्रदर्शन है जिससे प्रभावित होने वाले शरीर के अत्यधिक उत्तेजित होने के कारण उस पर प्रतिकूल स्थितियों का प्रभाव नहीं हो पाता है । अब तक मैं जितने भी लोगों के साथ रहा हूं उनमें से सर्वाधिक असाधारण लोग उत्तरी कोलंबिया के सिएरा नोवादा दे सांता मार्टा के कोगी होते हैं । प्राचीन कठोर सभ्यता के वंशज जो किसी समय आक्रमण के दृष्टिकोण से कोलंबिया के कैरेबियन तटीय समतल भूभागों में बसे हुए थे; ये लोग एक वीरान ज्वालामुखी पर्वत श्रृंखला में घुस गए जो कैरिबियन तटीय भूभाग के ऊपर दिखाई देती थी । खून खराबे से भरे इस महाद्वीप में, केवल यही लोग थे जिन पर स्पेन को कभी भी विजय प्राप्त नहीं हुई । आज तक भी एक पुरोहित ही उन पर शासन कर रहा है, परन्तु पुरोहित के लिए उनकी प्रशिक्षण विधि बहुत असाधारण है । धर्म के युवा अनुचरों को तीन या चार वर्ष ही आयु में ही उनके परिवार से अलग कर उन्हें 18 वर्षों तक बर्फीली चट्टानों में बने पत्थर के झोपड़ों में अंधकार में रखा जाता है । नौ महीनों की दो अवधियां जान-बूझकर चुनी जाती हैं क्योंकि ये गर्भधारण के नौ महीनों के समान दर्शायी जाती हैं । जिस दौरान वे नौ महीनों तक प्राकृतिक तौर पर मां के गर्भ में रहते हैं और अब वे एक तरह से महान धरती माता के गर्भ में रहते हैं । इस संपूर्ण अवधि में उनके भीतर जीवन के अच्छी बातें भरी जाती हैं, वे बातें जिनसे यह कथित होता है कि उनकी इन्हीं बातों पर ही यह संसार टिका हुआ है या हम यूं कहें कि पर्यावरण इन्हीं पर संतुलित हो रखा है । इस अद्भुत दीक्षा के बाद, अचानक एक दिन उन्हें बाहर निकाला जाता है और 18 वर्ष की आयु के पश्चात वे अपने जीवन को पहली बार सूर्योदय के दर्शन करते हैं और इस जागरूकता के स्वच्छ क्षणों में सूर्य की पहली किरण हैरान करने वाले खूबसूरत प्राकृतिक नजारों में ढालानों पर अपनी छटा बिखेरती है, उन्होंने अब तक जो कुछ भी शिक्षा ग्रहण की होती है, वह अचानक ही उन्हें चौका देती है । अब पुरोहित पीछे हटकर कहता है "आप देखिए ? यह बिल्कुल वैसा है जैसा मैंने आपको बताया था । वह सुंदर है । यह आपका है और आप ही को इसे बचाना है ।" वे स्वयं को ज्येष्ठ भ्राता कहते हैं और वे हमें कनिष्ठ भ्राता कहते हैं और वे इस संसार को नष्ट करने के लिए हमें जिम्मेदार ठहराते हैं । अब तक इस श्रेणी की दीक्षा बहुत आवश्यक होती है । जब कभी भी हम स्थान विशेष के लोगों तथा प्रकृति के बारे में सोचते हैं तो हम रोसेऊ का आह्वान करते हैं तथा उसके साथ पुरानी निराधार क्रूरता को याद करते हैं जो कि स्वयं ही एक जातिभेद पूर्ण विचार है, या फिर हम थोरेयू का आह्वान करते हैं और कहते हैं कि हमारी तुलना में ये लोग पृथ्वी के अधिक नजदीक हैं । हां, स्थानीय लोग न तो भावुक होते हैं और न ही कमजोर होते हैं । इन दोनों अवस्थाओं के लिए, न तो असमत के दलदल में और न ही तिब्बत की बर्फीली हवाओं में स्थान होता है, परन्तु फिर भी उन्होंने समय और रीतियों का प्रयोग कर पृथ्वी की परंपरागत रोचकता को गढ़ा है । यह स्व-योजना के विचार पर आधारित नहीं है, अपितु यह दीक्षा की सूक्षमता पर आधारित है: कि पृथ्वी स्वयं विराजमान रह सकती है क्योंकि इसे मानव चेतना द्वारा सींचा जा रहा है । अब बताइए, इसका क्या अर्थ हुआ ? इसका अर्थ हुआ कि अगर ऐंडस पर्वत के वासी किसी छोटे बच्चे का पालन-पोषण करते हुए उसे यह बताए कि पर्वत अपू की आत्मा होती है जो कि उसकी किस्मत को दिशा प्रदान करेगी, तब वह हृदय से एक भिन्न मानव होगा और उसका इस संसाधन या स्थान के साथ एक अलग ही संबंध होगा, जो कि मोन्टाना में पले-बड़े एक छोटे बच्चे से अलग होगा जिसे यह बताया गया है कि पर्वत तो पत्थरों का ढेर होता है और उसमें खान खोदी जाती है । चाहे वह आत्मा हो या धातु का ढेर हो यह सब बेकार की बातें हैं । इसमें व्यक्ति विशेष तथा प्राकृतिक संसार के बीच संबंध दर्शाने वाले लक्षण रुचिकारक हैं । मैं ब्रिटिश कोलम्बिया के जंगलों में पला बढा़ था, जहाँ ये माना जाता था कि जंगलों का अस्तित्व ही काटने के लिये है। इन बातों ने मुझे अपने क्वाक्यूती मित्रों के बीच कुछ अलग इंसान बना दिया, जो कि यह मानते थे कि वे वन हूकूक का आवास, स्वर्ग की टेढ़ी चोंच तथा संसार के उत्तरी छोर पर रहने वाली नरभक्षी आत्माएं थी, वे आत्माएं जिनकी आवश्यकता उन्हें हमेशा दीक्षा के दौरान पड़ेगी । अगर आप इन विचारों को देखें तो पाएंगे कि ये संस्कृतियां भिन्न-भिन्न वास्तविकताएं उत्पन्न कर सकती हैं; आप इनकी कुछ असाधारण खोजों को समझ सकते हैं । इस पौधे को ही लें । मैंने पिछले साल अप्रैल में यह तस्वीर उत्तर-पश्चिमी अमेजन में खींची थी । यह आयाहुअस्का है, जिसके बारे में आप में से बहुत से लोगों ने सुन रखा होगा; यह शमन के रंग पटल की सबसे शक्तिशाली दिमाग उत्तेजक पदार्थ है । आपको आयाहुअस्का मांत्र उसके संघटक क्षमता के कारण ही नहीं आकर्षित कर रही है, वरन उसके बारे में विस्तृत जानकारी आपको लुभा रही है । यह वास्तव में दो विभिन्न स्रोतों से तैयार की जानी है । एक तरफ तो छाल है जिसमें बीटाकैरोटीन, हार्मिन; हार्मोलीन, हल्‍के फुलके भ्रांतिकारक तत्‍वों की श्रृंखला मौजूद है। केवल इसकी लता को ही ले तो, ऐसा लगता है कि एक धुंधला नीला सा धुआं आपकी चेतना को छू गया है। परंतु इसे साईक्रोटिया विरीडिस नामक काफी के पौधे की प्रजाति की एक बूटी के साथ मिलाया जाता है।¥ दिमाग के सैरोटोनिन रसायन के बहुत ज्‍यादा समान ट्रीपटैमाईन, डाईमिथाईलट्रीपटैमाईन-5, मिथौक्‍सी डाईमिथाईलट्रीपटैमाईन, जैसे शक्‍तिशाली रसायन इस पौधे में मौजूद हैं। अगर कभी आपने यानोमामीयो को नाक से नसवार खींचते देखा हो वे वह पदार्थ अन्‍य किसी उपजाति का प्रयोग कर बनाते हैं, उसमें भी मिथोक्‍सी डाईमिथाईल ट्रीपटामाईन होती है। उस पाउडर को नाक से खींचने का मतलब, बंदूक की नली में से गोली निकलना जैसा होता है, साथ ही भड़कीले चित्रों की कतार दिखना तथा बिजली के सागर पर गिरने के समान होता है (हंसी)। यह वास्‍तविकता को भंग नहीं करता है, यह वास्‍तविक का विच्‍छेदन करता है। अदृश्‍य वस्‍तुओं को सुनने व देखने की बीमारी के के युग की शुरूआत करने वाले व्‍यक्‍ति, मेरे प्रोफेसर रिचर्ड ईवान शूल्‍टस ने 1930 में मैक्‍सिको में उनके द्वारा खोजे गए जादुई कुकुरमुतों के बारे में तर्क किया करता था। मैं तर्क करता था कि आप इन ट्रीपटैमीन को भ्रम उत्‍पन्‍न करने वाले पदार्थों में वर्गीकृत नहीं कर पाए क्‍योंकि जब तक आप उसके प्रभाव में रहते हो तब तक कोई भी उस भ्रम की अवस्‍था को समझने वाला घर पर नहीं होता है (हंसते हैं)। परंतु ट्रीपमाईन को आप मुंह के रास्‍ते नहीं ग्रहण कर सकते क्‍योंकि हमारे उदर में मौजूद एक मोनोएमाईन ऑक्‍सीडेस नामक एनजाईम द्वारा वह ग्रहण करने योग्‍य नहीं रहता। इन्‍हें मुख के रास्‍ते किसी अन्‍य रसायन के साथ लिया जा सकता है जो एमएओ को निष्‍क्रिय कर दे। अब रोमांचित करने वाली बात है कि बीटा-कार्बोलाईन पदार्थ जो छाल में पए जाते हैं, वे एमएओ रोधक होते है, जो कि एक प्रकार से ट्रीपटामाईन के क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्‍यक होते हैं। तो आप स्‍वयं से एक प्रश्‍न पूछें। 80,000 उपजातियों के पेड़ पौधों में ये लोग किस प्रकार रचना के आधार पर भिन्‍न दो असंबंधित पौधों की पहचान कर लेते हैं, जिन्‍हें जब मिलाया जाता है तो वे एक जैविक रसायन उत्‍पन्‍न करते हैं, जो कि जोड़े गए पदार्थों से कई गुणा अधिक प्रभावशाली होता है? चलिए हम मधुर शब्‍दों, प्रयास एवं त्रुटि का प्रयोग करते हैं, जो कि निरर्थक ही होता है। परंतु आप भारतीयों से बात करें, तो वे कहेंगे कि ‘’पौधे हमसे वार्तालाप करते है।‘’ इसका क्‍या मतलब हुआ? कोफान उपजाति में आयाहुआस्‍का की 17 किस्‍में हैं जो देखने में सभी एक जैसी उपजातियां प्रतीत होती हैं। और जब आप उनसे पूछेंगे कि उन्‍हें इसके वर्ग की पहचान कैसे की, तो वे उत्‍तर देंगे कि ‘’मैंने सोचा आपको पेड़ पौधों के बारे में कुछ पता होगा। मेरे कहने का तात्‍पर्य है कि क्‍या आपको कुछ मालूम नहीं है? तब मैंने उत्‍तर दिया ‘’नहीं’’। तो तब आप पूर्णीमा की रात को 17 की 17 किस्‍में ले लेते हैं, तब इनमें से प्रत्‍येक अलग-अलग ताल पर गुनगुनाती है। हां, यह सब करने से आपको हावार्ड में पीएचडी की डिग्री नहीं मिलने वाली, परंतु यह फूलों पराग के सिर गिनने से कहीं ज्‍यादा रूचिकारक है। अब, (धन्‍यवाद), समस्‍या ----------- समस्‍या यह है कि हम में से भी कुछ ½ (धन्‍यवाद), समस्‍या ----------- समस्‍या यह है कि हम में से भी कुछ लोग जिनको स्‍थानीय लोगों के साथ सहानुभूति है वे भी इसे प्राचीन और रंगीन मानते हैं, परंतु फिर भी यह इतिहास के हाशिए पर आ खड़ा हुआ है, चूंकि वास्‍तविक संसार, हमारा संसार तो चलता ही जा रहा है। हां, 20वी सदी ही सत्‍य होगी, अब से 300 वर्षों बाद, यह समय युद्धों या इसके तकनीकी क्षोध के लिए नहीं याद किया जाएगा, बल्‍कि इसे उस सदी की तरह से याद करेंगे, जिसमें हमने चुपचाप खड़े रहकर या उसमें क्रियाशील होकर भाग ले कर जैविक तथा सांस्‍कृकतिक विविधता का नाश इस ग्रह पर होते हुए देखा है। यह समस्‍या बदलाव नहीं है। हर समय सभी सांस्‍कृतियां जीवन में निरंतर बदलाव में व्‍यस्‍त रही है। तकनीक खुद ही एक समस्‍या नहीं है। जब सियोक्स भारतीयों ने तीर-कमान त्याग दिया तो उन्होंने सियोक्स कहलाना बंद नहीं किया। कि अमरीकी ने धोड़ा गाड़ी को छोड़ने के बाद खुद को अमरीकी कहना बंद कर दिया। बदलाव या तकनीक से नृवंशी को किसी प्रकार का खतरा नहीं होता है। ताकत है वह चीज जो खतरनाक बन जाती है। हावी होने का घिनौना चेहरा। और जब भी अपने आसपास देखते हैं तो आपको ज्ञात होगा कि ये सांस्‍कृतियां मिट जाने के लिए नहीं बनी हैं। ये तेजी से प्रगति करते हुए लोग हैं जो संभाले जाने वाले बल से अधिक बल द्वारा बाहर धकेले जा रहे हैं। चाहे वह पेनान की गृहभूमि में वनों का असाधारण काटना हो; पेनान दक्षिणी पूर्वी एशिया के सारवाक के चलवासी लोग, जो एक पुश्‍त पहले तक वनों से आजाद घूमते थे, अब सभी कुछ नदी किनारे दासत्‍व व वैश्‍यावृत्‍ति में बदलकर रह गया है। यहां आप देख सकते हैं कि नदी खुद ही प्रदूषक तत्‍वों से गंदी हो गई है और ऐसा प्रतीत होता है मानो वह आधा बोर्नयो चीनी सागर के दक्षिण की ओर ढोकर ले जा रहा हो। जहां पर जापानी मालवाहक किनारों पर वनों से काटे गए पेड़ों के तनों को पकड़ने के लिए तैयार खड़े हो। या यानोमामी के मामले में दखें तो वहां सोने की खोज के चलते रोग के रूप में वास्‍तविकता सामने आई है। या फिर हम अगर तिब्‍बत के पर्वतों की ओर जाएं, जहां पर मैं हाल ही में बहुत सा क्षोध कार्य कर रहा था, वहां आप राजनैतिक प्रभाव का बिगड़ा रूप देख पाएंगे। आप लोगों का लुप्‍त होना यानि वृंश संहार को तो समझते होगे इसकी विश्‍व भर में निन्‍दा की जाती है। परंतु, नृवंश संहार; जिसमें लोगों के जीने के तरीके का नाश हो रहा हो, विश्‍व भर में उसकी निंदा नहीं की जाती परंतु साथ ही उस पर खुशियां मनाई जाती हैं कि वह तो विकास का एक अंश है। आप उसकी जमीन से जुड़े बिना तिब्‍बत की पीड़ा को नहीं समझ सकते हैं। एक बार मैंने एक युवा साथी के साथ दक्षिण पूर्वी तिब्‍बत से होकर पश्‍चिमी चीन में चंगडू से लासा तक 6000 मील की यात्रा की। लासा पहुंचने पर ही मै उन आंकड़ों को समझ पाया जिनके बारे में आप सभी सुनते हैं। 6000 धार्मिक इमारतों को धूल में मिलाया गया। सांस्‍कृतिक आंदोलन के दौरान 12 लाख लोगों को शासन द्वारा मौत के घाट उतारा गया। इस युवक के पिता पर पांचेन लामा का आरोपण किया गया। उसका अर्थ था कि उन्‍हें चीन द्वारा आक्रमण के समय तुरंत मार दिया गया। इसका रिश्‍तेदार जन विसर्जन के दौरान धर्मगुरू के साथ नेपाल चला गया। इसकी मां को कैद कर लिया गया – यह उनके लिए धनवान होने की सजा थी। इसे दो वर्ष की आयु में जेल के भीतर घुसा दिया गया जहां इसे मां की र्स्‍कट के पीछे छुपना पड़ा, ऐसा इसलिए किया गया क्‍योंकि मां इसके बिना नहीं रह सकती थी। जिस बहन ने यह बहादुरी का काम किया उसे शिक्षा शिविर में भर्ती करा दिया गया। एक दिन उसने गलती से माओ के एक बाजूबंद पर पांव रख दिया, उसे इस अपराध के लिए सात वर्षों का कठोर परिश्रम बतौर सजा दिया गया। तिब्‍बत की परेशानी असहनीय थी, लेकिन लोगों के जीने की इच्छा मान रखने लायक थी। अंत में यह एक ही विकल्‍प पर पहुंचता है। क्‍या हम एक ही ढंग से सादगीपूर्ण जीवन व्‍यतीत करना चाहते हैं या फिर हम विविधवता के संसार की रंगीनियों को अपनाना चाहते हैं? अपनी मृत्‍यु से पहले महान मानव-शास्‍त्री मारग्रारेट मीड; ने कहा था कि मेरा सबसे बड़ा भय यह था सकल मनुष्‍य की सोच, विश्‍व भर का नरम रुख छोटी सोच में बदल गया, परंतु हम इस स्‍वप्‍न से एक दिन जरूर जाएगा। यह भूलकर की इसके अतिरिक्‍त और भी विकल्‍प मौजूद हैं। यह एक विनम्र विचार है कि हमारी उपजातियां लगभग 600,000 वर्षों से मौजूद हैं कि ज्‍यों ज्‍यों हम पाषाण युग की क्रांति की ओर बढ़ेंगे, पाषाण युग ने हमें कृषि प्रदान की, उस समय हम बीज के वशीभूत हो गए। शमन की कविताओं का स्‍थान धर्म गुरू के गद्यों ने ले लिया। हमने अनुक्रमण विशेषज्ञता अधिशेष की रचना की। यह केवल 10,000 वर्ष पूर्व ही हुआ था। हम जानते हैं कि आधुनिक औद्योगिक संसार मात्र 300 वर्ष पुराना है। इस नवीन इतिहास से मुझे यह महसूस होता है कि आने वाली शताब्‍दी में जिन समस्‍याओं का सामना करना पड़ेगा हमारे पास उनके लिए उत्‍तर उपलब्‍ध नहीं होंगे। जब हम विश्‍व की इन असंख्‍य संस्‍कृतियों से मनुष्‍य होने का अर्थ पूछते हैं तो वे 10,000 अलग-अलग आवाजों में उत्‍तर देते हैं। हम क्‍या हैं, यह सभी विकल्‍प हमारे पास मौजूद नहीं हैं। पूर्ण सचेत उपजाति, पूर्णत: यह सुनिश्‍चित करेंगे कि सभी लोगों तथा सभी उद्यानों को फलने फूलने का तरीका मिल जाए। सकारात्‍मकता के महान क्षण भी मौजूद हैं। यह तस्‍वीर मैंने तब खीची थी जब मैं बैफिन टापू के उत्‍तरी छोर पर इन्‍यूट प्रजाति के लोगों के साथ छोटी सफेद व्‍हेल के शिकार के लिए गया था, तब इस व्‍यक्‍ति, ओलाया ने मुझे अपने दादाजी की एक बहुत अच्‍छी कहानी सुनाई। कनाडा की सरकार कभी भी इन्‍यूट लोगों के लिए दयालु नहीं रही तथा उसने वर्ष 1950 के दशक में अपनी प्रधानता को स्‍थापित करने हेतु इन लोगों को कही और बसाने पर जोर दिया। इस बुजर्ग आदमी के दादाजी ने जाने से इन्‍कार कर दिया। उस व्‍यक्‍ति का डरा हुआ परिवार अपने साथ सभी हथियार व सभी औजारों को लेकर चला गया। अब आपको यह समझ लेना चाहिए कि इन्‍यूट लोग सर्दी से नहीं घबराते हैं, वे उसका लाभ उठाते हैं। उनकी गाड़ी के पहियों को मूलत: मछली केरिबोऊ की खाल में लपेट कर बनाया जाता था। तो इस आदमी के दादाजी उत्‍तरी ध्रुव की रातों से डरते नहीं थे और न ही वे वहां बह रही बर्फीली हवाओं से घबराते थे। वे सरलता से बाहर निकलते और सील मछली की खाल से बनी अपनी पतलून उतारकर अपने हाथ में विष्‍ठा कर लेते। जैसे ही विष्‍ठा ठंड के कारण जमने लगती वे उसे एक ब्‍लेड का आकार दे देते हैं। उन्‍होंने उस विष्‍ठा के चाकू के किनारे पर थूक छिड़की जो अंतत: जम कर कठोर हो गई, उन्‍होंने उस चाकू से एक कुत्‍ते को काट डाला। उन्‍होंने कुत्‍ते की खाल उतार कर अपनी गाड़ी की जीन को सुधारा, कुत्‍ते की पसलियों के ढांचे का प्रयोग कर अपनी गाड़ी को बेहतर बनाया; फिर पास खड़े एक कुत्‍ते को बांध कर बर्फ के ढेरों पर लुप्‍त हो गए, वह विष्‍ठा से बना चाकू उनकी बेल्‍ट में लगा था। खाली हाथ निकलने के बारे में कहिए (हंसते हैं)। और इसी तरह, अन्‍य बहुत से तरीके हैं; (शाबाशी मिलती है) यह इन्‍यूट लोगों तथा संसार के अन्‍य स्‍थानीय लोगों के लौटने का चिन्‍ह है। अप्रैल 1999 में कनाडा सरकार ने कैलीफोर्निया और टैकसास को जोड़कर बनने वाले क्षेत्र से भी अधिक क्षेत्र इन्‍यूट लोगों को पूर्णत: दे दिया। यह हमारी नई मातृभूमि है। इसे नूनावत कहते हैं। यह एक स्‍वतंत्र क्षेत्र है। ये सभी खनिज संसाधनों पर नियंत्रण रखते हैं। यह लोगों द्वारा प्रत्‍यर्पण पाने का राष्‍ट्र-प्रदेश प्राप्‍त करने का एक अदभुत उदाहरण है। और अंत में यह हम सभी के लिए और उनके लिए जिन्‍होंने इन दूर स्‍थित जगहों पर यात्रा की है; उनके लिए मैं कहना चाहूंगा कि कोई भी स्‍थान निजर्न नहीं है। वे किसी न किसी की मातृभूमि है। ये सभी मानव कल्‍पना का प्रतिनिधित्‍व बहुत पहले से ही करते आ रहे हैं। और हम सभी के लिए इन बच्‍चों के सपने, जैसेकि हमारे अपने बच्‍चे के सपने। आशा के नग्‍न भूगोल शास्‍त्र का एक भाग हैं। इसलिए हम नेशनल जियोग्राफिक्‍स पर अंतत:, प्रयास कर रहे, हमें यह विश्‍वास है कि इसे कोई राजनेता कभी भी पूरा नहीं कर पाएगा। हम समझते हैं कि तर्क --- (शाबाशी मिलती है) हम सोचते हैं कि तर्क द्वारा समझाया नहीं जा सकता; परंतु हमारा मानना है कि हम कहानी सुनकर संसार में बदलाव ला सकते हैं; और इसलिए शायद हम विश्‍व का सर्वश्रेष्‍ठ कथा वाचक संस्‍थान हैं। प्रतिमाह हमारी वेबसाईट 35 लाख बार खोली जाती है। 156 देश हमारा टेलीविजन चैनल दिखाते हैं। हमारी पत्रिकाएं करोड़ों लोगों द्वारा पढ़ी जाती हैं। हम यात्राओं की एक श्रृंखला तैयार कर रहे हैं जिसमें हम अपने दर्शकों को अदभुत संस्‍कृति वाले स्‍थानों पर ले जाएंगे; चाहे वे वहां किसी प्रकार की सहायता न दे पाए परंतु वे जो कुछ भी देखें उससे चकित हो वापिस लौटें, और आशा करते हैं वे मानव शास्‍त्र पर डाले गए प्रकाश की एक के बाद एक सराहना करें कि यह संसार विविधतापूर्ण होने की क्षमता रखता है। हम सही तौर पर बहु-सांस्‍कृतिक बहुवादी संसार में रहने का तरीका ढूंढ़ सकते हैं जहां पर सभी लोगों की बुद्धि हम सभी की भलाई में अपना योगदान दे सकती हैं। आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद। शाबाशी दी गई। यह वास्तव में दो घंटे का प्रदर्शन है जो मैं विद्यार्थियों को देता हूँ, जिसे तीन मिनट किया गया है। और यह शुरू हुआ जब एक दिन मैं विमान से टेड आ रहा था, सात वर्ष पहले। मेरी साथ की सीट पर हाई स्कूल की किशोर छात्रा बैठी थी, और वह सच में एक गरीब परिवार से थी। वह अपने जीवन मे कुछ बनना चाहती थी। और उसने मुझसे एक छोटा सा साधारण प्रश्न पूछा। उसने कहा, "सफलता का कारण क्या है?" और मुझे बहुत बुरा लगा, क्योंकि मै उसको उचित जवाब नहीं दे पाया। तो मै विमान से उतर कर टेड आता हूँ। और सोचता हूँ कि मैं एक कमरे में सफल लोगों के बीच हूँ ! तो उनसे ही पूछता हूँ कि किसने सफल होने में उनकी मदद की, और फिर बच्चों को बताया जाये ? तो 7 वर्ष और 500 साक्षात्कारों के बाद, मै आपको बताने जा रहा हूँ कि सफलता का क्या कारण है, टेड से जुड़े लोगों का। पहला कारण है जुनून। फ्रीमैन थॉमस कहते हैं, "मैं अपने जुनून से प्रेरित हूँ"। टेड से जुड़े लोग इसे प्यार से न कि पैसे हेतु करते हैं। कैरोल कोलेटा कहते हैं, "जो मैं करता हूँ उसे करने के लिए पैसे भी दे दूंगा। " और रोचक बात यह है कि अगर आप इसे प्यार हेतु करते हैं पैसा तो आता ही है। काम ! रूपर्ट मर्डोक ने मुझे बताया, "यह कठिन परिश्रम है। कुछ भी आसानी से नहीं मिलता, पर, मुझे इसमें बहुत मज़ा आता है।" क्या उसने मज़ा कहा ? रुपर्ट ? हाँ ! (हास्य) टेड से जुड़े लोग काम का मज़ा लेते हैं व कठिन परिश्रम करते हैं। मैंने देखा वे बहुत कार्यग्रस्त नहीं हैं। वे काम से खेलते हैं। (हास्य) अच्छा है ! (सराहना) एलेक्स गार्डन कहते हैं, "सफल होने के लिए, शुरू तो कीजिए और इसमें निपुण बनें।" यह कोई जादू नहीं है सिर्फ अभ्यास, अभ्यास व अभ्यास ही है। और यह ध्यान देना है। नॉर्मन जेवीसन ने मुझसे कहा, "मैं सोचता हूँ कि अपना ध्यान एक वस्तु पर केन्द्रित करना है।" और आगे बढ़ना है। डेविड गैलो कहते हैं, "स्वयं को आगे बढ़ाओ। शारीरिक, मानसिक रूप से, आपको हमेशा आगे बढ़ना है।" आपको शर्म और आत्म-संदेह से बाहर निकलना है। गोल्डी हान कहते हैं, "मुझे हमेशा आत्म-संदेह होता था। मैं अच्छा नहीं था; मैं स्मार्ट नहीं था। मुझे नहीं लगता था कि मैं कर पाउँगा।" सदा स्वयं को उत्साहित करना आसान नहीं है, और यही कारण है उन्होंने माँ को बनाया। (हास्य) (सराहना) फ्रैंक गेहरी ने मुझसे कहा, "मेरी मां ने मेरा उत्साह बढ़ाया।" (हास्य) सेवा करो ! शेरविन नूलंद कहते हैं, "डॉक्टरी सेवा विशेषाधिकार था।" बहुत सारे बच्चे करोड़पति बनना चाहते हैं। पहली बात यह है : "ठीक है, आप अपनी सेवा नहीं कर सकते; आपको दूसरों की मूल्यवान सेवा करनी है। लोगों के अमीर बनने का यही ढंग है।" विचार ! टेड से जुड़े बिल गेट्स कहते हैं, "मेरे पास एक विचार था: पहली माइक्रो कंप्यूटर सॉफ्टवेर कंपनी बनाने का।" मैं कहूँगा यह एक अच्छा विचार था। रचनात्मकता के लिए विचार आना कोई जादू नहीं है। यह सिर्फ कुछ आसान कार्य करने जैसा है। और मैं कई साक्ष्य देता हूँ। दृढ़ रहो ! जो क्रॉउस कहते हैं, " हमारी सफलता का पहला कारण दृढ़ता है।" आपको विफलता में दृढ रहना है। अपमानित होने पर भी दृढ होना है। जिसका मतलब है "आलोचना, अस्वीकृति, बेवकूफी और दबाव। " (हास्य) तो, इस सवाल का उत्तर सरल है: 4,000 धनराशि का भुगतान करें और टेड पर आएं। (हास्य) या ये न कर सकने पर ये आठ चीज़ें करें --व मेरा विश्वास करें, ये बड़ी आठ बातें हैं जो सफल बनाती हैं। सभी टेड मे आने वालों का धन्यवाद आपके साक्षात्कार के लिए ! (सराहना) भावनाएँ हैं, अतः हमें तुरंत रेगिस्तान की ओर नहीं बढ़ना चाहिए। इसलिए, पहले, एक छोटा सी घरेलू घोषणा: कृपया आपके दिमाग में इंस्टॉल सही अंग्रेजी जाँचने वाले प्रोग्राम्स बंद कर दें। (तालियाँ) तो, गोल्डन डेज़र्ट, भारतीय रेगिस्तान में आपका स्वागत है। जहाँ देश में सबसे कम बारिश होती है, न्यूनतम वर्षा। यदि आप इंच से भलीभाँति परिचित हैं, नौ इंच, सेण्टीमीटर, 16 इंच। जलस्तर 300 फ़ीट, 100 मीटर नीचे है। और अधिकांश भागों में यह खारा है, पीने योग्य नहीं है। तो आप हैण्ड पम्प नहीं लगा सकते या कुएँ नहीं खोद सकते, अधिकांश गाँवों में बिजली भी नहीं है। लेकिन मान लें कि आप हरित तकनीक का उपयोग करते हैं, सौर पम्प -- वे इस क्षेत्र में उपयोगी नहीं हैं। तो, गोल्डन डेज़र्ट में आपका स्वागत है। इस भूभाग में बादल कभी कभी ही आते हैं। लेकिन यहाँ बोली जाने वाली भाषा में बादलों के 40 अलग-अलग नाम हैं। वर्षा संरक्षण की यहाँ कई तकनीकें हैं। यह नया काम है, एक नया कार्यक्रम है। लेकिन डेज़र्ट सोसायटी के लिए यह कोई कार्यक्रम नहीं; उनकी ज़िन्दगी है। और वे बहुत तरीकों से बारिश जमा करते हैं। तो, यह है वो पहला उपकरण जिसका वे उपयोग करते हैं वर्षा संरक्षण में। इन्हें कुण्ड कहा जाता है; कुछ जगह इन्हें टांका भी कहते हैं। और आप देख सकते हैं इन्हें एक बनावटी जलग्रह जैसा बनाया गया है। रेगिस्तान है, रेत का टीला, एक छोटा मैदान। और यह खड़ा हुआ बड़ा प्लेटफ़ॉर्म। आप देख सकते हैं छोटे छेद पानी इस जलग्रह में गिरता है, और वहाँ एक ढ़लान है। कई बार हमारे इंजीनियर और वास्तुकार स्नानघर में ढ़लान पर ध्यान नहीं देते लेकिन यहाँ वे अच्छी तरह से देंगे। और पानी जहाँ जाना चाहिए वहीं जाता है। और यह 40 फ़ीट गहरा है। अच्छे से वाटरप्रूफ़िंग की गई है, हमारे शहर के ठेकेदारों से बढ़िया, क्योंकि पानी की कोई बूँद भी इसमें बर्बाद नहीं जानी चाहिए। ये एक मौसम में 100 हज़ार लीटर पानी इकट्ठा कर लेते हैं। और शुद्ध पीने का पानी। उसके नीचे बहुत खारा पानी है। लेकिन अब साल भर के लिए आपके पास यह है। ये हैं दो घर। एक शब्द है जिसे हम अधिकतर काम में लेते हैं कानूनन। क्योंकि हमें लिखी हुई चीज़ों की आदत है। लेकिन यह है जो कानून में लिखित नहीं है। और लोग अपने घर बनाते हैं, और पानी के टैंक। इस स्टेज की तरह वे अपने प्लेटफ़ॉर्म खड़े करते हैं। वास्तव में वे 15 फ़ीट नीचे जाते हैं, और छत से पानी इकट्ठा करते हैं, एक छोटा पाइप है, और अपने आँगन से। अच्छे मानसून में यह 25 हज़ार के लगभग संरक्षण भी कर सकता है। एक और बड़ा, यह निस्संदेह एक पूर्णतया रेगिस्तानी इलाके से बाहर है। यह जयपुर के पास है। इसे कहते हैं जयगढ़ किला। और यह एक मौसम में 60 लाख गैलन बारिश का पानी इकट्ठा कर सकता है। यह 400 साल पुराना है। अर्थात, 400 सालों से यह हर मौसम में लगभग साठ लाख गैलन पानी आपको दे रहा है। आप इस पानी की कीमत का अंदाज़ा लगा सकते हैं। यह 15 किलोमीटर लंबी नाल से पानी लाता है। देखिये एक आधुनिक सड़क, मुश्किल से 50 साल पुरानी। कभी-कभी टूट जाती है। लेकिन ये 400 साल पुरानी नाल, जिसमें पानी बहता है, कई पीढ़ियों से बरकरार है। हाँ यदि आप अन्दर जाना चाहते हैं, तो दोनों दरवाज़े बंद हैं। लेकिन TED वालों के लिए ये खोले जा सकते हैं। (हँसी) हम उनसे निवेदन कर सकते हैं। यहाँ एक आदमी आ रहा है पानी के दो कनस्तरों के साथ। और पानी का स्तर -- ये खाली कनस्तर नहीं हैं -- जल स्तर यहाँ तक है। इससे कई नगरपालिकाओं को जलन हो सकती है, पानी के रंग, स्वाद, शुद्धता से। और ये उस तरह का है जिसे वे ज़ीरो बी पानी कहते हैं, क्योंकि यह बादलों से आता है, शुद्ध आसव पानी। हम एक छोटे से कमर्शियल ब्रेक के लिए रुकेंगे, और फिर पारंपरिक प्रणालियों पर वापस आएँगे। सरकार ने सोचा कि यह बहुत पिछड़ा इलाका है और हमें चाहिए कि एक मल्टी-मिलियन डॉलर का प्रोजेक्ट लाएँ हिमालय से पानी लाने के लिए। यही कारण है कि मैंने कहा यह एक कमर्शियल ब्रेक है। (हँसी) लेकिन हम वापस आ गए हैं, दोबारा, पारंपरिक मुद्दे के साथ। तो, 300, 400 किलोमीटर दूर से पानी, जल्द ही ऐसा होता है। बहुत से भाग में, पानी के पौधे इस तरह से इन बड़े नाल को ढ़क लेते हैं। हाँ कुछ इलाके हैं जहाँ पानी पहुँच रहा है, मैं नहीं कह रहा कि यह बिल्कुल नहीं पहुँच रहा। लेकिन सबसे बाद का छोर, जैसलमेर इलाका, आप बीकानेर में इस तरह की चीज़ें देखेंगे: जहाँ पानी के पौधे नहीं उग सके इन नालों में रेत बह रही है। इसका बोनस ये है कि आपको इसके आसपास वन्यजीव मिल सकते हैं। (हँसी) फ़ुल-पेज विज्ञापन थे, कुछ 30 साल, 25 साल पहले जब यह नाल आई। जिनमें कहा गया था कि अपनी पारंपरिक प्रणालियों को हटा दो, ये नए सीमेण्ट टैंक आपको पाइप का पानी प्रदान करेंगे। यह एक सपना है। और यह एक सपना ही हो गया। क्योंकि पानी इन इलाकों तक नहीं पहुँच सकता था। और लोगों ने अपने ही ढ़ाँचे को पुनः बनाना शुरु किया। ये सब पारंपरिक पानी के ढाँचे हैं, जिन्हें एक छोटे से समय में हम नहीं समझ सकेंगे। लेकिन आप देख सकते हैं कि इन पर कोई औरत नहीं खड़ी है। (हँसी) और यहाँ काम कर रही है। (तालियाँ) जैसलमेर। रेगिस्तान का दिल। यह शहर 800 साल पहले बनाया गया था। उस समय जब शायद ही मुम्बई या दिल्ली, या चेन्नई या बैंगलोर थे। तो, सिल्क रूट के लिए यह टर्मिनल पॉइंट था। अच्छे से जुड़ा हुआ, 800 साल पहले, यूरोप से। हम में से कोई भी यूरोप नहीं जा सकता था, लेकिन जैसलमेर इससे अच्छे से जुड़ा था। और यह है 16 सेण्टीमीटर वाला क्षेत्र। बहुत ही कम वर्षा, पर इन क्षेत्रों में ज़िंदगी काफ़ी रंगो भरी है। इस स्लाइड में आपको पानी नहीं मिलेगा। लेकिन वह अदृश्य है। यहाँ से कोई नदी या नाला कहीं बह रहा है। या, यदि आप रंग भरना चाहें, तो आप सारा नीला भर सकते हैं क्योंकि इस तस्वीर में दिख रही सभी छतें बारिश की बूँदें इकट्ठी करती हैं और कमरों में जमा करती हैं। लेकिन इस प्रणाली के अलावा, उन्होंने इस कस्बे में 52 सुन्दर पानी के होद बनाए। और जिन्हें हम प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप कहते हैं आप इसमें एस्टेट भी जोड़ सकते हैं। तो, एस्टेट, पब्लिक और प्राइवेट एण्टरप्राइज़ इस सुन्दर पानी की होद को बनाने में एक साथ काम करते हैं। और यह सभी मौसमों के लिए एक प्रकार की पानी की होद है। आप इसकी प्रशंसा करेंगे। साल भर इस सुंदरता को निहार सकते हैं। भले ही पानी का स्तर ऊपर या नीचे हो, सुंदरता बनी रहती है। एक और पानी की होद, निश्चित ही सूखती है, गर्मी के दौरान, लेकिन आप देख सकते हैं कि पारंपरिक समाज किस प्रकार दिल से इंजीनियरिंग में सुंदरता मिलाता है। ये प्रतिमाएँ, शानदार प्रतिमाएँ, आपको पानी के स्तर की जानकारी देती हैं। जब बारिश होती है तो पानी इस टैंक में भरना शुरू हो जाता है, और इन सुन्दर प्रतिमाओं को डुबा लेता है जिसे आज हम अंग्रेजी में "मास कम्यूनिकेशन" कहते हैं। यह मास कम्यूनिकेशन के लिए था। कस्बे का हर आदमी जान लेगा कि हाथी डूब चुका है, मतलब अब सात महीने, नौ महीने या 12 महीने तक इसमें पानी रहेगा। और फिर वे आएँगे और कुण्ड की पूजा करेंगे, सम्मान देंगे, धन्यवाद देंगे। एक और छोटी पानी की होद, जिसे जसेरी कहते हैं। इसका अंग्रेजी में अनुवाद करना मुश्किल है, विशेषकर मेरी अंग्रेजी में तो। लेकिन सबसे निकट होगा "ग्लोरी", एक प्रतिष्ठा। रेगिस्तान में इस छोटी पानी की होद की प्रतिष्ठा है कि ये कभी नहीं सूखती। सूखे की गंभीर परिस्थितियों में भी किसी ने नहीं देखा कि ये पानी की होद सूख गई हों। और संभवतः वे भविष्य भी जानते थे। यह लगभग 150 साल पहले बनाई गई थी। लेकिन संभवतः वे जानते थे कि छ नवंबर 2009 को एक TED ग्रीन व ब्लू सेशन होगा, इसलिए उन्होंने इसे ऐसा रंग दिया है। (हँसी) (तालियाँ) सूखी होद। बच्चे इस पर खड़े हैं इस यंत्र का वर्णन करना बहुत मुश्किल है। इसे कुँई कहते हैं। जैसे धरातल का पानी और नींव का पानी होता है। लेकिन यह नींव का पानी नहीं है। नींव का पानी आप कुएँ से प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन यह कोई सामान्य कुआँ नहीं है। यह वो नमी सोखता है जो मिट्टी में होती है। और उन्होंने इस पानी को तीसरे रूप में बदला है जिसे रेजानी कहते हैं। और इसके नीचे जिप्सम की पट्टी चलती है। यह धरती माँ द्वारा जमा किया गया था, कुछ 30 लाख साल पहले। और जहाँ यह जिप्सम की पट्टी है वे इस पानी को जमा कर सकते हैं। यह वही सूखी पानी की होद है, इस समय, आपको कोई रानी नहीं दिखेगी; वे सब विलीन हो चुकी हैं। लेकिन जब पानी नीचे चला जाता है तो वे उन प्रतिमाओं से पानी ले पाते हैं, साल भर। इस साल केवल छ सेण्टीमीटर वर्षा ही हुई। छ सेण्टीमीटर वर्षा, लेकिन वे आपको टेलीफ़ोन कर सकते हैं कि यदि आपको अपने शहर में पानी की समस्या है, दिल्ली, मुम्बई, बैंग्लोर, मैसूर, कृपया हमारे छ सेण्टीमीटर वाले क्षेत्र में आएँ, हम आपको पानी दे सकते हैं। (हँसी) वे इसे कैसे बनाए रखते हैं? तीन बातें हैं: विचार की योजना बनाना, वास्तविक चीजें बनाना, और उन्हें बनाए रखना। यह एक संरचना है बनाए रखने के लिए, सदियों के लिए, पीढ़ियों द्वारा, बिना किसी विभाग के, बिना किसी कोष के, तो रहस्य है "श्रद्धा", आदर। आपकी अपनी चीज़, निजी सम्पत्ति नहीं, मेरी सम्पत्ति, हर बार। तो, यह पत्थर स्तंभ आपको बता देंगे कि आप एक पानी की होद वाले क्षेत्र में आ गए हैं। थूके नहीं, कुछ गलत न करें, ताकि यह साफ़ पानी भरा जा सके। एक और स्तंभ, पत्थर स्तंभ आपकी दायीं ओर। यदि आप ये पांच छ सीढियाँ चढ़ते हैं तो आपको कुछ बढ़िया दिखाई देगा। यह ग्यारहवीं सदी में बनाया गया था। और आपको थोड़ा नीचे जाना होगा। यूँ कहें कि यह तस्वीर हज़ार शब्द कहती है, तो हम एक हज़ार शब्द अभी कह सकते हैं, और एक हज़ार शब्द। यदि पानी का स्तर नीचे जाता है, आपको और सीढियाँ मिल जाती हैं। यदि यह ऊपर आता है, तो कुछ डूब जाती हैं। तो, साल भर यह सुन्दर संरचना आपको खुशी देती है। तीन तरफ़ ऐसी ही सीढियाँ, चौथी तरफ़ एक चार मंजिला इमारत जहाँ आप कभी भी ऐसी TED सभाएँ लगा सकते हैं। (तालियाँ) माफ़ कीजियेगा, ये संरचनाएँ किसने निर्मित कीं? वे आपके सामने हैं। हमारे बेहतरीन सिविल इंजीनियर, बेहतरीन योजना बनाने वाले, बेहतरीन वास्तुकार। हम कह सकते हैं कि इन्हीं के कारण, उनके पूर्वजों के कारण, भारत ने पहला इंजीनियरिंग कॉलेज खोला 1847 में। उस समय कोई इंग्लिश मीडियम स्कूल नहीं थे, बल्कि हिंदी स्कूल भी नहीं, कोई स्कूल नहीं। लेकिन इन लोगों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को विवश किया, जो यहाँ व्यापार करने आए थे, एक गंदा व्यापार... (हँसी) इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने नहीं, लेकिन इनकी वजह से, पहला इंजीनियरिंग कॉलेज बनाया गया एक छोटे गाँव में शहर में नहीं। आखिरी बिंदु, हम सब जानते हैं कि हमारे प्राथमिक स्कूलों में ऊँट रेगिस्तान का जहाज होता है। तो, आप अपनी जीप से ढ़ूँढ़ सकते हैं, ऊँट और ऊँटगाड़ी। यह टायर हवाई जहाज का है। तो आप देखें डेज़र्ट सोसायटी की सुंदरता जो वर्षा का पानी जमा कर सकती है, और ऐसा कुछ बना सकती है एक जेट प्लेन के टायर से, ऊँटगाड़ी के उपयोग हेतु। आखिरी तस्वीर, यह एक टेटू है, 2000 साल पुराना टेटू। इसका उपयोग शरीर पर किया जाता था। एक समय टेटू कुछ ब्लैक लिस्ट हो गया था कुछ बुरी चीज़, लेकिन अब वापस आ गया। (हँसी) (तालियाँ) आप इस टेटू को कॉपी कर सकते हैं। मेरे पास इसके कुछ पोस्टर हैं। (हँसी) जीवन के केन्द्र में पानी है। ये सुन्दर लहरें हैं। ये सुन्दर सीढ़ियाँ हैं जिसे हमने अभी एक स्लाइड में देखा था। ये पेड़ हैं। और ये फूल हैं जो हमारे जीवन में खुशबू फैलाते हैं। तो, यह रेगिस्तान का संदेश है। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियाँ) क्रिस एण्डरसन: सबसे पहले तो मैं दुआ करता हूँ कि मैं भी आप जितना अच्छा बोल सकूँ, सच में, किसी भी भाषा में। (तालियाँ) ये शिल्पकारी और संरचनाएँ बहुत प्रेरणा देने वाली हैं। क्या आपको लगता है कि इनका उपयोग और कहीं किया जा सकता है, ताकि इससे दुनिया कुछ सीख पाए? या यह इस जगह के लिए ही सही है? अनुपम मिश्रा: नहीं, मूल उद्देश्य है कि अपने इलाके में गिरने वाले पानी को काम में लेना। इसलिए, कुण्ड, खुली होद सब जगह हैं, श्रीलंका से कश्मीर तक, अन्य जगहों पर भी। और ये टाँके, जो पानी जमा करते हैं, दो तरह के हैं। एक पुनः बनाते हैं और एक हैं जो जमा करते हैं। तो, यह उस भू-भाग पर निर्भर करता हैं। लेकिन कुँई, जो जिप्सम बेल्ट को काम में लेती है, के लिए आपको कैलेण्डर में पीछे जाना होगा, तीस लाख साल पहले। यदि वहाँ ऐसा हुआ तो उसे अब भी किया जा सकता है। वरना, नहीं हो सकता। (हँसी) (तालियाँ) CA: आपका बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियाँ) मैं आपको बता रही हूँ मानव अधिकारों के उलंघन के सबसे गंदे रूप के बारे में, तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध, एक १० अरब डॉलर का उद्योग. मैं आपको बता रही हूँ आधुनिक दासत्व के बारे में. मैं आपको कहानी सुनाना चाहूंगी इन तीन बच्चों की, प्रणिता, शाहीन और अंजलि. प्रणिता की मां एक वेश्या थी, एक वेश्यावृत व्यक्ति. वह HIV से संक्रमित हो गयी, और जीवन के अंतिम समय में, जब वह एड्स की अंतिम अवस्था में थी, वह वेश्यावृति नहीं कर सकती थी, अतः उसने चार साल की प्रणिता को एक दलाल को बेच दिया. जब तक हमने यह सूचना पाई, हम वहां पहुंचे, तब तक प्रणिता का बलात्कार तीन लोगों के द्वारा हो चुका था. शाहीन की पिछली जिंदगी के बारे में मैं जानती तक नहीं हूँ. हमने उसे रेल की पटरियों पर पाया था, कितने ही लोगों के द्वारा बलात्कृत, मैं नहीं जानती कितने. परन्तु उसके शरीर पर इसके संकेत यह थे कि उसकी अंतड़ियाँ उसके शरीर के बाहर थीं. और जब हम उसे अस्पताल ले गए उसे बत्तीस टांकों कि जरूरत पड़ी थी उसकी अंतड़ियों को उसके शरीर के अन्दर डालने में. हम अभी तक नहीं जानते हैं कि उसके माता-पिता कौन हैं, वह कौन है, हम सिर्फ यह जानते हैं कि सैंकड़ों लोगों ने उसका निर्दयता से उपभोग किया था. अंजलि के पिता, एक शराबी, अपने बच्चे को अश्लील चित्रों के लिए बेच दिया. आप यहाँ तसवीरें देख रहे हैं तीन साल, चार साल, और पांच साल के बच्चों की जो व्यावसायिक यौन शोषण के लिए बेचे गए हैं. इस देश में, और पूरे विश्व में, सैंकड़ों और हजारों बच्चे, तीन साल की उम्र के, चार साल की उम्र के, यौन दासत्व के लिए बेचे जाते हैं. परन्तु यह मनुष्यों के व्यापार का एक मात्र कारण नहीं है. वे गोद लेने के नाम पर बेचे जाते हैं. वे अंग व्यापार नाम पर बेचे जाते हैं. वे बेचे जाते हैं श्रमिक नाम पर, ऊंट सवार, कुछ भी, सब कुछ. मैं व्यावसायिक यौन शोषण के मुद्दे पर काम करती हूँ. और मैं आपको वहां की कहानियाँ सुना रही हूँ. इन बच्चों के लिए काम करने की मेरी अपनी यात्रा एक किशोर बालिका के रूप में शुरू हुई. मैं १५ बर्ष की थी जब ८ लोगों ने मेरा सामूहिक बलात्कार किया था. मेरा बलात्कार मुझे उतनी अच्छी तरह याद नहीं है जितना की उसके बाद का गुस्सा. हाँ, वे ८ लोग थे जिन्होंने मुझे अपवित्र किया, मेरा बलात्कार किया, परन्तु उसने मेरी चेतना को कुंठित नहीं किया. मैंने स्वयं को कभी शिकार नहीं समझा, ना तब और ना अब. परन्तु, तो तब से अब तक साथ रहा -- मैं अब ४० की हूँ -- यह महत अपमानजनक क्रोध. दो बर्षों तक, मैं बहिष्कृत थी, मैं निन्दित थी, मैं अकेली थी, क्योंकि मैं एक शिकार थी. और यह है जो हम करते हैं उन सारे लोगों के साथ जो व्यापारीकरण से बचाए गए हैं. हम, एक समाज के रूप में, हमारे पास PhD है शिकारों का शिकार करने में. १५ बर्ष की आयु से, जब मैंने अपने आस पास देखना शुरू किया, मैंने सैंकड़ो हजारों महिलाओं और बच्चों को देखना शुरू किया जो यौन-दासत्व जैसे व्यवसायों में फंसे हुए हैं, परन्तु वे निसहाय हैं, क्योंकि हम उन्हें (अपने समाज में) आने की स्वीकृति नहीं देते हैं. उनकी यात्रा कहाँ से शुरू होती है? उनमे से बहुतेरे उन परिवारों से आते हैं जिनके पास कई सारे विकल्प हैं, गरीब (परिवारों) से नहीं. आप कभी-कभी माध्यम वर्ग के लोगों का भी बाजारीकरण देखेंगे. मेरे पास यह IAS अफसर की बेटी थी, जो १४ बर्ष की है, कक्षा ९ में पढ़ती है, जिसका बलात्कार हुआ था एक व्यक्ति से बातचीत (इन्टरनेट चैट) के कारण, और वह अपने घर से भाग गयी क्योंकि वह एक अभिनेत्री बनना चाहती थी, उसका बाजारीकरण हो गया. मेरे पास सैंकड़ो और हजारों ऐसी कहानियां हैं बहूत ही संपन्न परिवारों की, और बच्चों की जो संपन्न परिवारों से हैं, जिनका व्यवसाय हो रहा है. ये लोग ठगे हुए हैं, विवश हैं. उनमे से ९९.९ प्रतिशत लोग वेश्यावृति को अपनाने में विरोध जताते हैं. कुछ इसका मूल्य चुकाते हैं. वो मार दिए जाते हैं; हम उनके बारे में पता भी नहीं चलता. वे मूक हैं, अनाम लोग हैं. परन्तु बाकी, जो इसमें फँस जाते हैं, हर दिन यातनाओं से गुजरते हैं. क्योंकि जो लोग उनके पास आतें हैं वे उनमे से नहीं हैं जो आपको अपनी प्रियतमा बनाना चाहते हैं, या जो आपके साथ परिवार बसाना चाहते हैं. ये वो लोग हैं जो आपको खरीदते हैं एक घंटे के लिए, एक दिन के लिए, आपका इस्तेमाल करते हैं, आपको छोड़ देते हैं. हर लड़की जिसे मैंने बचाया है -- मैंने ३२०० से अधिक लड़कियों को बचाया है -- उनमे से हर एक मुझे एक आम कहानी बताती है ... (तालियाँ) एक कहानी एक आदमी के बारे में, कम से कम, उसकी योनि में मिर्च का चूर्ण डालता है, एक आदमी जो उसे सिगरेट से जलाता है, एक आदमी जो उसे पीटता है. हम उन लोगों के बीच में रहते हैं, वे हमारे भाई, पिता, चाचा, भतीजे, हमारे चारों ओर हैं. और हम उनके बारे में चुप हैं. हम सोचते हैं कि यह पैसा बनाने का आसान मार्ग है. हम सोचते हैं कि यह छोटा मार्ग है. हम सोचते हैं कि वो वही करना चाहती है जो वह कर रही है. परन्तु जो अतिरिक्त लाभ वो पाती है वे हैं बहुतेरे संक्रमण, यौन संचारित संक्रमण, HIV , एड्स, उपदंश, सुजाक, आप नाम लीजिये, मादक द्रव्यों का सेवन, नशीले पदार्थ, सब कुछ. और एक दिन वो आपको और मुझे छोड़ देती है, क्योंकि हमारे पास उनके लिए कोई विकल्प नहीं है. और इस लिए वो इस उत्पीडन कि आदि हो जाती है. वो मानती है "हाँ, अब यही है, यही मेरा भाग्य है." और यह सामान्य है, एक दिन में १०० लोगो के द्वारा बलात्कृत होना. और किसी की शरण में जाना असामान्य है. पुनर्वासित होना असामान्य है. मैं इसी विषय में काम करती हूँ. इसी विषय में मैं बच्चों को बचाती हूँ. मैंने तीन साल के बच्चों को बचाया है, और मैंने ४० साल की औरतों को बचाया है. जब मैंने उन्हें बचाया, एक सबसे बड़ी चुनौती जो मेरे सामने थी कि मैं कहाँ से शुरू करूँ. क्योंकि मेरे पास बहूत सारे थे जो पहले से ही HIV से संक्रमित थे. एक तिहाई लोग जिन्हें मैं बचाती हूँ HIV संक्रमित हैं. और इसीलिए मेरी चुनौती थी यह समझना कि कैसे मैं बहार निकालूँ इस दर्द से शक्ति को. और मेरे लिए, मैं अपनी महानतम अनुभव थी. स्वयं को समझना, स्वयं कि पीड़ा को समझना, मेरा अपना अकेलापन, मेरा सबसे बड़ा शिक्षक था. क्योंकि जो हमने इन लड़कियों के साथ किया वह है इनकी क्षमता को समझना. आप यहाँ एक लड़की को देख रहे हैं जो एक झाल लगाने वाली के रूप में प्रशिक्षित की गयी है. वो एक बहूत बड़े संगठन के लिए काम करती है, हैदराबाद की एक कार्यशाला में, जो फर्नीचर बनाती है. वो लगभग १२,००० रूपए कमाती है. वो एक अनपढ़ लड़की है, प्रशिक्षित, युक्त एक झाल लगाने वाली के रूप में. झाल लगाना की क्यों, कंप्यूटर क्यों नहीं? हमने अनुभव किया, एक चीज़ जो इन लड़कियों के पास थी वह है अमित साहस. उनके शरीर पर कोई पर्दा नहीं था, उनमे कोई शर्म नहीं थी, उन्होंने इसकी सीमाएं लाँघ ली हैं. और इसलिए वे एक पुरुष-प्रभुत्व संसार में काम कर सकती थीं, बहूत ही आसानी से, और वे इसमें किसी शर्म का अनुभव नहीं करतीं. हमने लड़कियों को प्रशिक्षित किया है बढई के रूप में, राजमिस्त्री के रूप में, सुरक्षा पहरेदार के रूप में, टैक्सी चालक के रूप में. और उनमे से हर एक अग्रगण्य है अपने चुने हुए क्षेत्र में, आत्मविश्वास पा रही है, इज्ज़त पा रही है, और अपने जीवन में आशाएं जगा रही है. ये लड़कियां बड़े निर्माण संगठनो में काम कर रही हैं जैसे राम-की कंस्ट्रक्शन, राजमिस्त्री के रूप में. मेरी चुनौती क्या रही है? मेरी चुनौती वो देह-व्यापारी नहीं रहे हैं जो मुझे पीटते हैं. मैं अपनी जिंदगी में १४ बार से ज्यादा पिट चुकीं हूँ. मैं अपने दायें कान से सुन नहीं सकती हूँ. मैंने अपना एक कार्यकर्ता खो दिया जिसे मार दिया गया जब वो एक बचाव कार्य पर था. मेरी सबसे बड़ी चुनौती है समाज. यह है आप और मैं. मेरी सबसे बड़ी चुनौती है इन भुक्तभोगियों को स्वीकार करने में आपकी बाधाएं हमारे अपनों की तरह. मेरी एक बहूत ही मददगार मित्र, मेरा भला चाहने वाली, मुझे हर महीने, २,००० रूपए दिया करती थी सब्जियों के लिए. जब उसकी माँ बीमार पड़ी तो उसने कहा, "सुनीता, तुम्हारे बहूत अच्छे संपर्क हैं. क्या तुम किसी को मेरे घर में काम करने के लिए ला सकती हो, ताकि वो मेरी माँ की देखभाल कर सके?" और कुछ देर तक शांति थी. और तब वो कहती है, "हमारी लड़कियों में से किसी एक को नहीं." मानव व्यवसायों के बारे में बातें करना काफी शौकिया है, इस अच्छे से वातानुकूलित कक्ष में. यह बहूत अच्छा है वाद-विवाद के लिए, प्रवचन के लिए, चलचित्रों के लिए और सभी बातों के लिए. पर उन्हें अपने घरों में लाने के लिए अच्छा नहीं है. उन्हें अपने कारखानों और संगठनों में रोजगार देना उचित नहीं है. उनके बच्चों का हमारे बच्चों के साथ पढना उचित नहीं है. वहां सब ख़त्म हो जाता है. वही मेरी सबसे बड़ी चुनौती है. अगर मैं आज यहाँ हूँ, तो मैं यहाँ सिर्फ सुनीता कृष्णन के रूप में नहीं हूँ. मैं यहाँ पर देह व्यापार के भुक्तभोगियों एवं उससे बचाए गए लोगों की आवाज़ बन कर आई हूँ. उन्हें आपकी करुणा की जरूरत है. उन्हें आपकी सहानुभूति की जरूरत है. इन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है, आपकी स्वीकृति. बहूत बार, जब मैं लोगों से बातें करती हूँ, मैं उन्हें एक ही बात कहती हूँ: मुझे वो सौ रास्ते मत बताईये कि आप इस समस्या से क्यों नहीं जूझ सकते हैं. क्या आप अपने दिमाग को उस एक दिशा में ले जा सकते हैं जिससे कि आप इस समस्या से जूझ सकें? और इसीलिए मैं यहाँ पर हूँ, आपका सहयोग मांगने के लिए, आपका सहयोग का दावा करने के लिए, आपके सहयोग की विनती करने के लिए. क्या आप अपनी चुप्पी की संस्कृति को तोड़ सकते हैं? क्या आप कम से कम दो लोगों को इस कहानी के बारे में बता सकते हैं? उन्हें ये कहानी सुनाईये. उन्हें यह कहानी दो और लोगों को सुनाने के लिए राजी कीजिये. मैं आप सभी लोगों को महात्मा गाँधी बनने के लिए नहीं कह रही हूँ या मार्टिन लूथर किंग, या मेघा पाटेकर, या उनकी तरह कुछ. मैं आप से मांग रही हूँ, आपके सीमित संसार में, क्या आप अपना मन खोल सकते हैं? क्या आप अपना दिल खोल सकते हैं? क्या आप इन लोगों को भी स्वीकार कर सकते हैं? क्योंकि वो भी हममे से एक हैं. वो भी इस संसार का हिस्सा हैं. मैं आपसे कह रही हूँ, इन बच्चों के लिए, जिनका चेहरा आप देख रहे हैं, इस संसार में नहीं हैं. वे पिछले साल एड्स से मर गए. मैं आपसे उनकी मदद करने के लिए कह रही हूँ, इंसान के रूप में स्वीकार करने के लिए कह रही हूँ, लोक-कल्याण की तरह नहीं, परोपकार की तरह नहीं, परन्तु इंसानों की तरह जिनका हमारे सहयोग पर हक बनता है. मैं यह आपसे इसलिए कह रही हूँ क्योंकि कोई बच्चा, कोई इंसान, उसका हक़दार नहीं है जो इन बच्चों पे गुजरी है. धन्यवाद. (तालियाँ) नमस्कार! आज मैं आपके साथ एक प्रयोग के बारे में बातचीत करने आया हूँ । कि कैसे हम मनुष्य की एक गहन समस्या को जड से ख़त्म कर सकते हैं । ये प्रयोग वास्तव में डॉ. वेनकटस्वामी की कहानी है । उनके लक्ष्य और उनके संदेश को आज हम अरविन्द आई केयर के अवतार में साक्षात देख सकते हैं । मेरे हिसाब से सबसे पहले दृष्टिविहीनता को सही मायनों में समझना ज़रूरी है । संगीत स्त्री: जहाँ भी मैं काम माँगने गयी, लोगों ने मना कर दिया, एक अंधी औरत हमारे किस काम की ? सूई में धागा डालने जैसे काम तो दूर की बात थी, मैं तो अपने बाल की जूँ तक नहीं देख सकती थी । अगर मेरे भात (चावल) में चींटी गिर जाती, तो भी मुझे पता नहीं चल सकता था । तुलसीराज रविल्ला: नहीं देख पाना तो एक भीषण समस्या है ही, लेकिन अंधापन व्यक्ति से उसका रोज़गार, और यहाँ तक कि उसका स्वाभिमान तक छीन लेता है, ना उसकी अपनी कोई आज़ादी बचती है और ना ही उसके परिवार में उसका कोई महत्व । तो आपने देखा कि ये स्त्री उन लाखों लोगों में से एक है जो देख नहीं सकते । और विडम्बना ये है कि इसे इस दुःख को झेलने की कतई ज़रूरत नहीं है । एक साधारण-सी, कई सालों से चली आ रही शल्य-क्रिया से लाखों लोगों की दृष्टि वापस आ सकती है । और उससे भी साधारण तरीका, एक चश्मा, जाने कितने ही और लोगों को देखने लायक बना सकता है । अगर यहाँ बैठे लोगों के स्तर पर बात की जाय जो कि चश्मे के कारण कार्य-कुशल है, तो लगभग हर पाँच में से एक भारतीय को नेत्र-चिकित्सा की आवश्यकता है, लगभग २० करोड लोगों को । मौजूदा स्थिति ये है कि हम इनमें से १० प्रतिशत तक भी नहीं पहुँच सके हैं । अरविन्द की कहानी का यही संदर्भ है करीब ३० साल पहले डॉ. वी ने रिटायरमेंट (अवकाश-प्राप्ति) के बाद एक बीडा उठाया । उन्होनें बिना किसी पूँजी के शुरुवात की । उन्हें अपने जीवन की सारी बचत, सारी संपत्ति गिरवी रखनी पडी थी तब जा कर बैंक से लोन मिल पाया था । और धीरे-धीरे, हम पाँच अस्पतालों के समूह में विकसित हो गये, ज्यादातर, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में, और फिर, हमने विज़न सेंटरों को विकसित करना शुरु किया उप-अस्पतालों के रूप में । और अब हमनें अस्पतालों का प्रबंधन करना भी शुरु किया है, देश के दूसरे भागों में और देश के बाहर भी हमने अस्पतालों की स्थापना शुरु की है पिछले तीन दशकों में हमने करीब ३५ लाख नेत्र ऑपरेशन किये हैं, उसमें से अधिकतर गरीब लोगों के लिये । आज हम हर साल लगभग ३ लाख ऑपरेशन करते हैं । किसी भी दिन औसतन हम लोग अरविन्द में एक हज़ार ऑपरेशन करते हैं । और लगभग ६ हज़ार मरीज़ देखते हैं, हम अपनी टीमों को गाँव-गाँव भेजते है, वहाँ से ज़रूरतमंद मरीज़ों को लाते हैं, कई बार दूर-संचार के माध्यम से भी इलाज करते हैं, और इस सब को कर पाने के लिये, बडे पैमाने पर प्रशिक्षण भी देते हैं । उन डाक्टरों और तकनीशियनों को, जो कि आगे चल कर अरविन्द के कार्यकर्ता बनते हैं । और फिर, हम यही काम दिन-रात, रात-दिन, बारम्बार करते जाते हैं, और बेहतर करते जाते हैं, इसके लिये बहुत तगडे मनोबल और कमरतोड मेहनत करने की ज़रूरत होती है मै ये मानता हूँ कि ये सब संभव है उस नींव की बदौलत जो डॉ. वी ने रखी कुछ अडिग मौलिक सिद्धान्त, एक सुचारु व्यवस्था-क्रम और कुछ नया करने की संस्कृति संगीत डॉ. वी: मैं गाँव-देश के आम लोगों के साथ बहुत उठा-बैठा हूँ क्योंकि मैं ख़ुद भी एक ग्रामीण ही हूँ और अचानक ऐसा लगता है जैसे आप इस व्यक्ति की अंतरात्मा से जुड रहे हों, आप उसके साथ मिल कर एक हो रहे हों। उस आम आदमी की आत्मा में विश्वास की सादगी भरी होती है । डाक्टर, जो भी आप कहेंगे, मैं करने को तैयार हूँ । मैं आप में अपना पूर्ण विश्वास रखता हूँ और आप उस विश्वास को किसी भी हालत में तोड नहीं सकते । मेरे सामने एक बूढी औरत है जिसे मुझमें संपूर्ण विश्वास है, मेरा कर्तव्य है कि मैं पूरी कोशिश करूँ । जब हम आत्मा को चेतन करते हैं, हम सारे संसार को स्वयं का हिस्सा समझने लगते हैं, इसलिये लेन-देन का सवाल ही नहीं उठता । हम तो स्वयं अपनी ही मदद कर रहे होते हैं । हम तो स्वयं अपना ही इलाज कर रहे होते हैं । अभिवादन इन विचारधारा से प्रेरित होकर हमें पूर्णतः रोगी-केंद्रित और आदर्श संस्था बनाई और वो सारे प्रबंध किये जिनकी ज़रूरत थी मगर... ऐसी संस्था चलाने के लिये आपको सर्वोत्तम सेवा सुचारु रूप से देनी पडती है, और अजीब लगेगा पर मुझे इसकी प्रेरणा मक्डोनॉल्डस्‌ से मिली । डॉ. वी: देखिये, मक्डोनॉल्डस् का सिद्धान्त साधारण सा है । उन्हें लगता है कि वो दुनिया भर के लोगों को प्रशिक्षण दे सकते हैं, अलग-अलग धर्मों, संस्कृतियों वगैरह वगैरह के बावजूद, अपने व्यंजनों को उसी ख़ास तरह से तैयार करने का और उसी ख़ास तरह से प्रस्तुत करने का वो भी सैकडों अलग अलग जगहों पर। लैरी ब्रिलियन्ट: वो हमेशा मक्डोनल्ड और हैम-बर्गर की बात करते रहते थे, और हमें कुछ भी समझ नहीं आता था । वो उप-संस्थानो का निर्माण करना चाहते थे, आँखों के इलाज को मुहैया करने का प्रबंध मक्डोनॉल्डस् जितनी सुचारू व्यवस्था से । डॉ. वी. : मान लीजिये मैं आँखों के इलाज का एक अदद तरीका निकाल लूँ, सारी तकनीकें, सारी कार्यप्रणालियाँ, बिलकुल एक सी, और उसे बंद-डिब्बा रूप में दुनिया के हर कोने में पहुँचा सकूँ । अँधेपन की समस्या हो गयी गायब, चुटकी बजाते ही । टी.आर. : यदि आप बारीकी से सोचें, तो आँखों की पुतली एक सी ही होती है, चाहे अमरीकन हो या फिर अफ़्रीकन, समस्या भी एक सी है, इलाज भी एक सा हो सकता है । तो फिरे कोई वजह नहीं कि गुणवत्ता और सेवा में इतना ज्यादा फर्क हो, और हमने यही मूल सिद्धान्त अपनाया जब हमने सेवाओं पद्धति का विकास किया । और सच है कि ये एक बहुत विशाल चुनौती थी, हम करोंडों लोगों की बात कर रहे हैं, बहुत ही कम संसाधनों के ज़रिये, और तंगी व प्रचालन की समस्याओं के एक पूरे पहाड के ख़िलाफ़ । और फिर लगातार हमें नई से नई जुगाड लगानी होती थी। हमने शुरु में ही एक ज़बरदस्त युक्ति निकाली, जो कि आज भी प्रयोग में है, हमने समस्या का हल निकालने का ज़िम्मा पूरे समुदाय पर डाल दिया, और उसके बाद उन्हें बाकयदा एक हिस्सेदार के रूप में शामिल किया और ये ऐसा ही एक आयोजन है, ये एक सामुदायिक शिविर है जो सबने मिल कर लगाया है, जहाँ उन्होनें ही जगह ढूँढी, उन्होंने ही स्वयं-सेवियों को बुलाया और फिरे हमने अपना योगदान दिया जो था - उनकी नज़रों की जाँच, फिर डॉक्टर पता लगाते है कि आखिर समस्या क्या है फिर आगे की प्रक्रिया का निर्धारण, और फ़िर उस प्रक्रिया का उन तकनीशियनों द्वारा निर्वाह जो कि चश्में के लिये पडताल करते हैं, या फिर काँचबिन्दु (ग्लूकोमा) के लिये जाँच करते है । और अंततः, सारी जाँचों के नतीज़े के आधार पर डॉक्टर निर्णय ले कर इलाज का निर्णायक तरीका सुझाते हैं, यदि किसी को चश्मे की ज़रूरत है, तो उसे शिविर में ही तुरंत चश्मा दिया जाता है, हालांकि ये सब ज्यादातर एक पेड के नीचे ही होता है, तब भी, उन्हें चश्में का ढाँचा उनकी रुचि के अनुसार ही दिया जाता है, ये बहुत ज़रूरी है क्योंकि मुझे लगता है कि चश्मा, लोगों को आँखों की रोशनी देने के अलावा, रोज़मर्रा की सज-धज का महत्वपूर्ण अंग भी है, और लोग इसके लिये खर्च करते हैं । उन्हें करीब बीस मिनट में चश्मा पूरी तरह तैयार हो कर मिल जाता है और जिन्हें शल्य-चिकित्सा की आवश्यकता होती है, उन्हें चिकित्सीय सलाह दी जाती है, बगल में ही बसें लगी होती हैं, जो कि रोगियों को मुख्य अस्पताल तक ले जाने के लिये तैयार होती हैं । खरी बात ये है कि यदि इस हद तक सेवा उपलब्ध न हो, तो इनमें से बहुत से लोगों कभी भी चिकित्सा नहीं पा पायेंगे, सही वक्त पर तो बिलकुल भी नहीं । शल्य चिकित्सा भी सलाह देने के ठीक दूसरे दिन ही दी जाती है, उसके बाद उन्हें एक दो दिन तक देखभाल के लिये रोका जाता है, फिर उन्हीं बसों से वापस भेज दिया जाता है, जहाँ से वो आये थे, और जहाँ उनके परिवारजन बेसब्री से उन्हें वापस ले जाने के इन्तज़ार में होते हैं । तालियों सहित अभिवादन और ये पूरी प्रक्रिया साल मे कई हज़ार बाद होती है । आप सब हर्षित होंगे कि हम बहुत रोगियों का इलाज कर रहें हैं, हमारी कार्यप्रणाली अत्यंत सुचारु है, पर हमने सोचा कि क्या हम वास्तव में समस्या हल कर पा रहे हैं ? हमने एक अध्ययन किया - वैज्ञानिक पद्धति से, और हमें बहुत आश्चर्य हुआ जब हमें ये पता चला कि हम सिर्फ़ सात प्रतिशत ज़रूरतमंदों तक ही पहुँच रहे थे, और लिहाज़ा, हम समस्या को उसकी विशालता के अनुरूप हल नहीं कर रहे थे । जाहिर था कि हमें कुछ अलग और नया करना पडा, तो हमने प्राथमिक नेत्र चिकित्सा केन्द्र, दृष्टि केंद्र खोले। ये सच में क़ागज़-रहित कार्यालय हैं पूर्णतः इलैक्ट्रानिक दस्तावेज़ वगैरह । इनके द्वारा व्यापक नेत्र जाँच उपलब्ध होती है । हमने एक तरह से साधारण डिजिटल कैमरे को आँख के अंदर झाँकने के यंत्र में बदल डाला, इस तरह हर रोगी को नेत्र-विशेषज्ञ से सीधे जोडा जा सका। इसका असर ये हुआ, कि पहले ही साल में, हम सात से चालीस प्रतिशत ज़रूरतमंद लोगों तक पहुँच पाने में सक्षम हो गये, जो कि पचास हज़ार लोगों से भी ज्यादा का समुदाय है। और दूसरे साल में, हम पचहत्तर प्रतिशत तक पहुँच गये । तो मैं समझता हूँ कि हमने ऐसी प्रक्रिया बना ली है जिससे हम विशाल स्तर पर हर एक ज़रूरतमंद तक पहुँच सकते है, यही नहीं, इस तकनीक के प्रयोग से हम ये भी सुनिश्चित करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को अस्पताल आने के ज़रूरत न पडे । और इसके लिये उन्हें कितने पैसे देने होंगे ? हमने एक दाम पक्का किया, ये देखा कि वो शहर ना आने से कितने पैसे बचा रहे है, तो वो हमें देते हैं कुल बीस रुपये, और इसके बदले में तीन बार डॉक्टरों से मिल सकते हैं । तालियों सहित अभिवादन एक और चुनौती थी, कि कैसे उच्च-तकनीकी सेवा और इलाज़ उपलब्ध करवाया जाय ? हमने एक वीसेट जडी वैन तैयार की, जिसके ज़रिये रोगी की तस्‍वीरें सीधे मुख्य अस्पताल को भेजी जाती हैं, जहाँ डॉक्टर जाँच करते हैं, और रोगी के देखते ही देखते, उसकी रिपोर्ट भी वापस वैन तक आ जाती है, प्रिंट हो जाती है, और रोगी को मिल भी जाती है, और विशेषज्ञ की सटीक सलाह उन्हें मिलती है, यानि, अभी तुरंत डॉक्टर से मिलिये, या फिर छः महीने बाद जाँच कराइये, और ये सब होता है नवीन तकनीक को आम जनता तक पहुँचा कर । इसक एक असर ये भी है कि जरूरतमंदों की संख्या भी बढी है, इस तकनीक ने कई लोगों को चिकित्सा की आवश्यकता के प्रति जागरुक किया है, और यही नहीं, चिकित्सा को उन तक पहुँचाया भी है, इस तरह से हम सार्थक विस्तार भी कर रहे हैं । इस सबका दूसरा पहलू ये है कि ये सब सुचारु रूप से कैसे चलाया जाय जबकि आपके पास केवल मुट्ठी भर नेत्र-विशेषज्ञ हैं ? इस वीडियो में आप शल्य-चिकित्सा होते देख रहे हैं और दूसरी तरफ आप देखेंगे कि एक और रोगी तैयार हो रहा है । जैसे ही ये क्रिया समाप्त होगी, सूक्ष्म-दर्शी को उस तरफ घुमा दिया जाएगा, मेज़ों को परस्पर सही दूरी पर टिकाया गया है, हमें इस हद तक सोचना होता है क्योंकि केवल इस तरह से सोच कर ही, हम एक शल्य-चिकित्सक की औसत क्षमता को चौगुने से भी ज्यादा बढा सकते हैं । लेकिन इस रफ़्तार पर काम कर रहे चिकित्सक के लिये एक टीम की ज़रूरत होती है । इसलिये हमनें ग्रामीण लडकियों को प्रशिक्षित किया, और अब वो ही हमारी संस्था की रीढ बन चुकी हैं । वो सारे के सारे कौशल-आधारित नित्य कर्म करने में सक्षम हैं । एक बार में एक कार्य करती हैं, और सर्वोच्च गुणवत्ता के साथ । नतीजा ये होता है कि हमारी उत्पादक्ता बहुत बढ जाती है, सर्वोच्च गुण्वत्ता, सबसे कम लागत पर । तो, कुल मिला कर, होता ये है कि हमारे कर्मचारियों की उत्पादक्ता विश्व-स्तर पर सर्वोच्च है । तालियों सहित अभिवादन ये बहुत ही व्यस्त मेज़ है, मगर इसका संदेश ये है कि जब बात गुणवत्ता की आती है, हम बहुत ही उच्च-स्तर की गारंटी देते हैं । इसलिये, हम यूनाइटेड किन्गडम्‌ जैसे देशों के मुकाबले भी बहुत कम ही केसों में पेचीदा स्थितियों का सामना करते है, ऐसे नतीज़े आपको बहुत कम देखने को मिलेंगे । तालियों भरा अभिवादन अब आते हैं पहेली के आखिरी हिस्से पर, इस सब को आर्थिक रूप से संभव कैसे बनाया जाय, ख़ासतौर पर तब, जब कि लोग पैसे देने में सक्षम हैं ही नहीं ? तो हमने अपनी सुविधाओ मे से ज्यादातर को मुफ़्त ही बाँटा, और जिन्होंने हमें पैसे दिये भी, उन्होंने बाजार के दामों पर ही दिये, न ज्यादा, और न ही कम, और बाज़ार कभी भी हमसे उत्पादक्ता में मुकाबला नहीं कर पाये । शायद हमारी सफ़लता की कुंची यही है, आज भी । असल में, आपके पास जो फालतू पडा है, उसे बाँटने के लिये एक खास मानसिकता की ज़रूरत होती है । परिणाम ये है कि साल दर साल, जहाँ हमारा खर्च दिन दूना रात चौगुना बढा है, वहीं हमारी आमदनी उससे भी ज्यादा रफ़तार से बढी है, जिससे हमें एक अच्छा मुआवज़ा मिला है जबकि हम तमाम लोगों का मुफ़्त इलाज़ भी कर रहे हैं । मैं मोटा मोटा हिसाब बताता हूँ, पिछ्ले साल, हमने करीब दो करोड डॉलर की आमदनी की, और खर्च करीब डेढ करोड का, मतलब चालीस प्रतिशत मुनाफ़ा तालियो सहित अभिवादन मगर असली मुद्दा इस सब के आगे है कि हमने क्या करते हैं, या हमने अब तक क्या किया है, यदि हमें इस अंधेपन की समस्या को जड से उखाड फेंकना है । हमने जो किया वो सामन्य समझदारी भरी सोच से बिल्कुल परे है । हमने खुद अपने लिये चुनौतियाँ खडी कीं, और नेत्र-चिकित्सा को सबकी पहुँच के भीतर लाये कम-खर्च में पाये जा सकने वाली तकनीक ईज़ाद कर के हमने ज़ोर-शोर से पर एक व्यवस्थित अंदाज में इन तकनीकों को भारत के कई एक अस्पतालों में लागू किया और भारत के बाहर भी । तकनीक को सबके साथ बाँटने से हुआ ये कि हमारे साथ काम करने के दूसरे ही साल में, अस्पतालों की क्षमता दुगुनी हो गयी, और आर्थिक रूप से भी वो सक्षम हो गये । अलावा इसके, एक समस्या है तकनीक की कीमत में वृद्धि की? एक समय था कि हम लाख चाहने पर भी कृत्रिम लेंस को कम कीमत पर उपलब्ध नहीं करवा पाये, तो हमने उन्हें खुद ही बनाने की ठान ली । और फिर, धीरे-धीरे, हम उनकी कीमत को कम करने में समर्थ हो गये हम ने उसकी कीमत को पहले के मुकाबले पचास गुना कम कर डाला । आज हम विश्व भर की माँग के सात प्रतिशत की आपूर्ति अकेले ही करते हैं, और हमारे लेंस एक सौ बीस से ज्यादा देशों में इस्तेमाल होते हैं । पर जो हम करते हैं, उसका कोई स्तर भी है, या केवल विकासशील देशों या भारत में ही हम तीसमारखाँ बने फिरते हैं ? तो हमने अरविन्द और यूके का एक तुलनात्मक अध्ययन किया । हमें ये पता लगा कि हम यूके का लगभग साठ प्रतिशत काम अकेले ही कर लेते हैं, पूरा यूके लगभग पाँच लाख शल्य-क्रियाएँ करता है । और हम करीब तीन लाख । इसके ऊपर हम हर साल करीब पचास नेत्र-विशेषज्ञों को प्रशिक्षित भी करते हैं जबकि पूरे यूके में सत्तर ऐसे विशेषज्ञ प्रशिक्षित होते हैं, और हमारी गुणवत्ता कहीं से भी कम नहीं है - न ही प्रशिक्षण में, न ही सेवा में । तो हम ठीक ही तुलना कर रहे हैं । फिर हमने लागत की तुलना की । खिलखिलाहट अभिवादन इस हिसाब से मेरा मत है कि ये कहना कि ये सब भारत में है, इसलिये सँभव है, गलत है । बात इस से आगे भी है । कई पहलुओ पर विमर्श की ज़रूरत है । हो सकता है कि -- बढती कीमतों का जवाब उच्चतम उत्पादक्ता में हो सकता है, या कि सुचारु कार्यप्रणाली में, या फ़िर पद्धति के पालन में, या फिर रोगी लेंस के लिये या और सुविधाओं के लिये कितना दाम दे रहे हैं, या फिर, बेहतर कानूनों मे, या रक्षात्मक कार्यप्रणालियों में इस समस्या को यदि सुलझा लिया जाय तो विकसित देशों को भी कई हल मिल सकते हैं यू.एस, और शायद ओबामा को लोग दोबारा चाहने लगें । ठहाका मैं आपको मंथन के लिये एक और विचार देना चाहता हूँ , जब समस्या गहन और विशाल हो, और सारे आर्थिक स्तरों के लोग उससे जूझ रहे हों, तो एक हल मिल सकता है, मेरे ख्याल से जो पद्धति मैनें बताई है, जैसे कि, उत्पादक्ता, गुणवत्ता, रोगी-केन्द्रित सेवा, वो इसका हल बन सकती है, और कई समस्याएँ हैं जिन पर ये पद्धति लागू हो सकती है । दँत चिकित्सा या श्रवण समस्या, या फिर जच्चा-बच्चा इत्यादि अनेकों समस्याओं का हल इस पद्धति में छुपा बैठा है, पर मुझे लगता है कि इस पद्धति की सबसे बडी कठिनाई है भावनाओं से जुडी हुई आप करुणा की भावना कैसे पैदा करेंगे ? कैसे आप लोगों से दूसरों की समस्याओं को अपनाने की बात कहेंगे, कैसे आप उन्हें कुछ करने के लिये प्रेरित करेंगे ? ये बहुत गहन मसले हैं । और मुझे विश्वास है कि यहाँ बैठे लोगों में हल निकालने की काबलियत है । मैं अपनी बातचीत का अंत इसी विचार के साथ करता हूँ और आपको चुनौती देता हूँ । डॉ. वी. : जब आप आत्म चेतना के रास्ते पर बढते है, आप पूरे संसार को अपना परिवार मानने लगते है इसलिये लेन-देन का सवाल ही नहीं उठता । हम तो स्वयं अपनी ही मदद कर रहे होते हैं । हम तो स्वयं अपना ही इलाज कर रहे होते हैं । टी. आर. : बहुत बहुत धन्यवाद अभिवादन तो, अब, बहुत से वेब २.० सलाहकार हैं जो बहुत पैसा बनाते हैं. बल्कि वे इन तरह की चीज़ों से अपनी जीविका चलाते हैं. मैं कोशिश करूंगा आपका समय और पैसा बचाने की और अगले तीन मिनट में इसके बारे में बताऊंगा, तो कृप्या धैर्य रखिए. मैंने २००५ में कुछ दोस्तॊं के साथ एक वेब्साइट शुरू करी थी, रेडिट.कौम. जिसे आप सामाजिक ख़बरों की वेब्साइट कह सकते हैं. इसका मतलब सिर्फ़ इतना है कि जनतांत्रिक मुख्य पृष्ठ वेब पर सब से अच्छी चीज़ है. आपको कुछ रोचक सामग्री मिलती है, जैसे कोई टेड(TED) वार्ता, उसे रेडिट पे डाल दें, और आपके साथियों का समुदाय उसे पसंद करेगा तो उसे वोट कर के या तो ऊपर उठा देंगे या फिर नीचे गिरा देंगे. और एसे मुख्य पृष्ट बनता है. वह हमेशा चढ़ता, गिरता रहता है, बदलता रहता है. 5 लाख लोग इसे रोज़ देखते हैं. लेकिन यह रेडिट के बारे में नहीं है. यह है उन नई चीज़ों को ढूंढने के बारे में जो वेब पर उभरती रहती हैं. क्योंकि पिछ्ले चार सालों में हमने हर तरह की धारणाएं देखी हैं, हर प्रकार के रुझान हमारे मुख्य पृष्ट पर ही पैदा होते हैं. लेकिन यह स्वयं रेडिट के बारे में भी नहीं है. असल में यह कुबड़ा व्हेल मछ्ली के बारे में है. अच्छा, ठीक है, तकनीकी तौर पे दरअसल ग्रीनपीस के बारे में ह, यह पर्यावर्ण से जुड़ी संस्था है जो कि जापानी सरकार को व्हेल के शिकार करने से रोकना चाहती थी. ये व्हेल मारी जा रहीं थीं. वो इसे रोकना चाहते थे. और एक तरीका जिसके ज़रिए वे एसा करना चाह्ते थे था कि इन में से एक व्हेल के अन्दर नज़र रखने वाला चिप डालि जाये. लेकिन इस आन्दॊलन को एक मानवी चेहरा देने के लिए, वे इसे नाम देना चाहते थे. तो, असली वेब के विधान में उन्होंने एक सर्वेक्षण तैयार किया जिसमें उनके पास बहुत विचारपूर्ण, सुलझे हुए नाम का झुंड था. मेरे ख्याल से यह फ़ारसी में ’अमर’ है. मेरे ख्याल से इसमा मतलब ’समुद्र की दैवीय शक्ति’ है एक पोलिनेशियाई भाषा में. और फ़िर ये था: "मिस्टर स्पलैशी पैंन्ट्स". (ठहाके) और ये, ये खास था. मिस्टर पैन्ट्स, या दोस्तॊं के लिए स्पलैशी, इन्टरनेट पे काफ़ी लोकप्रिय था. बल्कि, रेडिट पे किसी नें सोचा, "ऒह, कितनी अच्छी चीज़ है, हमे इसके लिए वोट करना चाहिए." और, पता है, रेडिट वालों ने प्रतिक्रियये दी और सब सहमत थे. तो मतदान शुरू हुआ, और हम खुद भी इसके पीछे लग गये. हमनें अपना पहचान चिन्ह, उस दिन के लिए, बाहरी ग्र्ह के वासी से बदल के स्पलैशी कर दिया, मदद करने के लिए. और कुछ ही देर में दूसरी वेबसाइट जैसे फ़ार्क तथा बोइन्ग बोइन्ग और बाकी इन्टरनेट कहने लगा, "हां! हमें स्पलॆशी पैंट्स बहुत पसंद है." तो, यह तकरीबन पांच प्रतिशत से, जब यह शुरु हुआ था, वोटिंग खत्म होने तक ७० प्रतिशत तक पहुंच गया. जो कि काफ़ी प्रभावशाली है, है ना? हम जीत गये! मिस्टर स्पलैशी पैन्ट्स चुन लिया गया. हमम, मजाक कर रहा हूं. ठीक है. तो, ग्रीनपीस दरअसल इसके बारे मे इत्न दीवना नही था, क्योंकि वे चाहते थे कि उनका कोई गम्भीर नाम जीते. तो उन्होंने कहा, "नहीं नहीं, मज़ाक कर रहे थे. हम एक और हफ़्ते के लिए वोटिंग होने देंगे." हमें इस बात से थोडा गुस्सा आया. तो, हमने उसे लडाकू स्पलैशी में बदल दिया. (ठहाके) और रेडिट समुदाय, सच में, और बल्कि सारा इन्टरनेट, सच में इस के पीछे हो गया. फ़ेस्बुक ग्रुप बनाए जा रहे थे. फ़ेस्बुक एप्प्लीकेशन बनाई जा रही थीं. विचार यह था कि, "अपने विवेक से वोट करें," मिस्टर स्पलैशी पैंन्ट्स के लिए वोट करें. और वास्तविक दुनिया में लोग चिन्ह लगा रहे थे - (ठहाके) - इस व्हेल के बारे में. और अंतिम परिणाम यह था. जब सब साफ़ हुआ ... ७८ प्रतिशत वोट, और भारी जीत का अंदाज़ा लगाने के लिए, अगले नाम को तीन प्रतिशत ही मिले. ठीक है? तो यहां पर एक साफ़ सबक था. और वो ये था कि इन्टरनेट को मिस्टर स्प्लैशी पैंन्ट्स से प्यार है. जो कि जाहिर है. यह बहुत अच्छा नाम है. सब समाचार वक्ता को "मिस्टर स्प्लैशी पैंन्ट्स" कहते सुनना चाहते हैं. (ठहाके) और मेरे विचार से इसने इसे चलाने में मदद की. लेकिन सही बात यह थी कि ग्रीनपीस के लिए परिणाम यह हुआ कि उन्होंने इसके इर्द गिर्द एक पूरा विपणन अभियान बना दिया. वो मिस्टर स्प्लैशी पैंन्ट्स की कमीज़ और बैज बेचते हैं. यहां तक कि उन्होंने एक ई-कार्ड भी तैयार किया जिस से आप अपने दोस्त को नाचता हुआ स्प्लैशी भेज सकते थे. पर और भी ज्यादा जरूरी बात यह थी कि वे वास्तव में अपने मिशन में कामयाब हो गये. जापानी सरकार नें अपना व्हेल के शिकार का अभियान रद्द कर दिया. मिशन कामयाब. ग्रीन पीस अति प्रसन्न थी. व्हेल खुश थीं. यह एक कथन है. (ठहाके) और असल में, इन्टरनेट समुदाय में रेडिट वाले भाग लेकर खुश थे, लेकिन वो व्हेल प्रेमी नहीं थे. और उन में से कुछ निश्चित ही थे. लेकिन हम बहुत सारे लोगों की बात कर रहे हैं जो असल में सिर्फ़ रुचि दिखा रहे थे और इस महान आंदोलन में भाग लिया बल्कि ग्रीन पीस से किसी ने साइट पे वापस आकर रेडिट को भाग लेने के लिए धन्यवाद किया. लेकिन यह परोपकारिता के कारण नहीं था.यह कुछ मज़ेदार करने की रुचि के कारण था. और यही तरीका है जिससे इन्टरनेट काम करता है. यह वो बडा रहस्य है. क्योंकि इन्टरनेट एक समतल कार्य स्थल है. आपका लिंक आपके लिंक जितना ही अच्छा है, जोकि मेरे लिंक जितना ही अच्छा है. जब तक हमारे पास ब्राउज़र है, कोई भी किसी वेबसाइट पे जा सकता है चाहे आपका बजट कितना भी बडा क्यों न हो. ये तब तक है जब तक आप तटस्थता को बनाए रखते हैं. दूसरी ज़रूरी बात ये है कि अब उस सामग्री को ओन्लाइन लाने में कुछ पैसे नहीं लगते. बहुत से अच्छे प्रकाशन उपकर्ण उपल्ब्ध हैं, अब कुछ तैयार करने में केवल आपका कुछ समय लगता है. और सब बार बार करने की कीमत इतनी कम है कि आप को लगता है कि कर के देख ही लिया जाए. और अगर आप करते हैं, तो इसके बारे में सच्चे रहें. इमानदार रहें. साफ़ बात करें. सबसे बडा सबक जो ग्रीनपीस नें वास्तव में सीखा वो था कि नियंत्रण खो देना बुरी बात नहीं है. अपने आप को कुछ कम गंभीरता से लेना ठीक है, ये देखते हुए कि, बशर्ते यह एक गंभीर मुद्दा है, आप अंत में अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सके. और यही अंतिम संदेश मैं आप सब के साथ बांटना चाहता हूं - कि आप ओनलाइन अछा काम कर सकते हैं. लेकिन अब संदेश सिर्फ़ उपर से नीचे की ओर नहीं आते. अगर आप सफ़लता चाहते हैं तो आप को नियंत्रण छोडने के लिए तैयार होना होगा. धन्यवाद. (तालियां) नमस्ते। सलाम। शलोम। सत श्री अकाल। आप सब को पाकिस्तान से मंगल-कामनाएँ| अक्सर ऐसा कहा जाता है कि हम सबसे ज्यादा उस से डरते हैं जिसे हम जानते नहीं। और पाकिस्तान की कहानी यही है। क्योंकि उसने उकसाईं है, और उकसा रहा है ऐसी अंदरूनी बेचैनी कई एक पश्चिमी सभ्यता में रचे बसे लोगों मे, खासकर तब जब कि उसे ऐसे शीशे से देखा जाता है जिस पर खलबली और बखेडों का रँग चढा हो। पर पाकिस्तान के कई एक पहलू और भी हैं। आगे तस्वीरों की एक लडी दिखेगी, ऐसी तस्वीरें जो कि पाकिस्तान के कुछ सबसे हुनरशुदा और युवा फोटोग्राफ़रों ने लिये हैं, आपको पाकिस्तान के दूसरे पहलुओं की झलक देने के लिये,\ एक कोशिश गहरे पैठने की पाकिस्तान के आम नागरिकों के ज़हन में। ये कुछ कहानियाँ हैं जो वो आपके साथ बाँटना चाहते थे। मेरा नाम अब्दुल ख़ान है। मैं पेशावर का रहने वाला हूँ। आशा है आप देख पाएँगे न सिर्फ़ मेरे तालिबान-जैसी दाढी, बल्कि उन रँगों और उस उत्साह को जो मेरे नज़रियों, मेरी आशाओं और मेरे सपनों मे भरा है, बिलकुल उतना ही रँग-बिरँगा जितना कि वो थैले जो मैं बेचता हूँ। मेरा नाम मेहर है, और ये मेरा दोस्त है ईरिम। मैं बडा हो कर जानवरों का डॉक्टर बनना चाहता हूँ जिस से कि मैं लावारिस कुत्ते और बिल्लियों की देखभाल कर सकूँ जो घूमते रहते हैं हमारे गाँव की सडकों पर, जिसका नाम है गिलगिट,उत्तर पाकिस्तान में। मेरा नाम कैलाश है और मैं लोगों के जीवन को रंग-बिरंगे काँच के ज़रिये जीने लायक बनाता हूँ। मैडम, क्या आप ये नारंगी चूडियाँ खरीदेंगी जिनमे ये गुलाबी बुंदे बने हैं? मेरा नाम ज़मीन है। और मैं एक आई.डी.पी. हूँ, एक आंतरिक विस्थापित व्यक्ति, स्वात से। क्या आप मुझे इस बाड के दूसरे तरफ़ देखते हैं? क्या आप के लिये मेरा कोई भी आस्तित्व, वज़ूद है? मेरा नाम है ईमान. मैं फ़ैशन मॉडल हूँ, और लाहौर के सबसे अच्छे मॉडलों में से एक। क्या आप मुझे सिर्फ़ इन कपडों में लिपटा देखते हैं? या फ़िर आप मेरे पर्दे के आगे भी झाँक सकते हैं और सच में असली मुझ तक पहुँच सकते हैं? मेरा नाम अहमद है। मै एक अफ़गानी शरणार्थी हूँ खैबर एजेन्सी से। मै बहुत ही गहन अँधेरे की दुनिया से आया हूँ। और इसीलिये मैं सारी दुनिया को रोशन करना चाहता हूँ। मेरा नाम पापुसे है। मेरा ढोल और मेर दिल एक ही ताल में बजते हैं। अगर धर्म जन-समुदायों का नशा है, तो मेरे लिये, मेरा संगीत ही मेरा गांजा है। एक चढता ज्वार सभी नावों को ऊपर उठाता है। और इस चढते ज्वार ने, जो भारत की अद्वितीय वित्तीय तरक्की से आया है, करीब ४० करोड भारतीयों को तरक्की पसंद मध्य-वर्ग में ला खडा किया है। पर अभी भी करीब ६५ करोड भारतीय, पाकिस्तानी, श्रीलंकाई, बाँग्लादेशी, और नेपाली बचे हैं, जो गरीबी में जी रहे हैं। इसलिये, भारत और पाकिस्तान के रूप में, और आप और मैं खुद अपने रूप में, हमें इन फ़र्कों को मिटाना होगा और अपनी विविधताओं का जश्न मनाना होगा। अपनी साझा मानवता का फ़ायदा उठाने के लिये। नया जीवन में हमारा साझा लक्ष्य, जिसे आप सब समझते हैं, कि उसका मतलब है 'नया जीवन' उर्दू और हिन्दी में. ये है कि हम कम आमदनी वाले दसियों लाख परिवारों को मुहैया करवा पाये ऐसी सुविधा जो उन्हें स्वास्थ सुविधा दे जब कोई आपातकालीन समस्या उन्हें घेर ले। ये सच में विकासशील दुनिया का पहला एच.एम.ओ. है शहरी गरीबों के लिये। और हम ये अलग अलग हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी हो कर क्यों करें? हम एक ही कपडे से खींचे गये दो धागे ही तो हैं। और अगर हमारी तकदीरें जुडी हुई है, तो हम ये भी समझते है कि ये एक अच्छा कर्म होगा, भाग्यशाली होगा। और हम से बहुत बहुत सारे लोगों का भाग्य और बहाली पिरामिड के तलवे में ही तो है। धन्यवाद। (अभिवादन) क्रिस एन्डर्सन: बहुत अच्छा, थोडी देर यहीं रुकिये। ये बहुत ही अच्छा था। मैं भावुक हो गया हूँ। आपको बता दूँ कि हमने बहुत बडी लडाई लडी है एक छोटे से पाकिस्तानी दल को यहाँ ला पाने की। मुझे लगा था कि ये सच में बहुत ज़रूरी है। इन्हें यहाँ आने के लिये बहुत बहुत परेशानियों का सामना करना पडा। क्या यहाँ मौजद पाकिस्तानी लोग कृप्या खडे हो सकते है? मैं बस आप सब का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। (अभिवादन) बहुत बहुत धन्यवाद। "संक्रामक" एक अच्छा शब्द है. H1N1 के समय में भी, मैं इस शब्द को पसंद करती हूँ. हसीं संक्रामक है. जोश संक्रामक है. प्रेरणा संक्रामक है. हमने कुछ विलक्षण वक्ताओं से कुछ असाधारण कहानियां सुनी हैं. परन्तु मेरे लिए, जो उन सब के बारे में संक्रामक था वे सब संक्रमित थे जिसे मैं कहती हूँ "मैं कर सकता / सकती हूँ" कीड़ा. इसलिए, प्रश्न यह है कि, वे ही क्यों? एक अरब से ज्यादा लोगों के देश में, थोड़े से(इतने कम) क्यों? क्या यह भाग्य है? क्या यह संयोग है? क्या हम व्यवस्थित रूप से और जान-बूझकर संक्रमित नहीं हो सकते? अतः, अगले ८ मिनट में मैं आपको अपनी कहानी बताना चाहूंगी. मैं संक्रमित हुई जब मैं १७ साल कि थी, जब, रचना महाविद्यालय कि एक छात्रा के रूप में मैं उन युवकों से मिली, जो वास्तव में मेरे विचारों से सहमत थे, मुझे चुनौती दी, और हमने एक साथ बहूत सारी चाय पी. और मैं इस आश्चर्यजनक अनुभव से प्रभावित हुई, और वह अनुभव कितना संक्रामक था. मुझे यह एहसास भी हुआ कि मुझे तभी संक्रमित हो जाना चाहिए था जब मैं सात साल की थी. इसलिए, जब मैंने १० साल पहले रिवरसाइड (Riverside) विद्यालय शुरू किया तो यह एक प्रयोगशाला बन गयी, रचना कार्यविधि को मूल रूप देने और सुधारने की प्रयोगशाला जो ज्ञात रूप से दिमाग को "मैं कर सकता हूँ" के कीड़े से संक्रमित कर सके. और मैंने पाया, कि यदि शिक्षा को वास्तविक जीवन से जोड़ दिया जाये, कि यदि आप विद्यालय और जीवन के बीच की रेखा को धुंधली करते हैं, तब बच्चे जानकारी की एक यात्रा से गुजरते हैं, जहाँ वे बदलाव को देख सकते हैं, सक्षम होते हैं, बदलते हैं, और तब समर्थ होते हैं, बदलाव का नेतृत्व करते हैं. और इसने छात्रों की भलाई को बढाया. बच्चे ज्यादा निपुण हुए, और कम असहाय हुए परन्तु यह सब सामान्य बोध था. इसलिए मैं आपको एक छोटी सी झलक दिखाना चाहूंगी जो सामान्य अभ्यास रिवरसाइड (Riverside) में दिखता है. एक छोटी पृष्ठभूमि: जब मेरे कक्षा पांच के बच्चे बाल अधिकारों के बारे में जान रहे थे, उनसे आठ घंटों तक सुगन्धित तीलियाँ, अगरबत्तियां बनवाई जा रही थी ताकि वे अनुभव कर सकें कि बाल श्रमिक होना क्या होता है. इसने उन्हें बदल दिया. जो आप देखेंगे यह उनकी यात्रा है और तब उनकी पूर्ण धारणा है कि वे बाहर जा सकते हैं और संसार को बदल सकते हैं (संगीत) ये वे हैं अगरबत्तियां बनाते हुए. और दो घंटे में, जब उनकी कमर टूट गयी, वे बदल चुके थे. और जब ऐसा हुआ, वे शहर में लोगों को मना रहे थे कि बाल श्रम पूर्णतया समाप्त होना चाहिए. और राघव को देखिये, उस समय जब उसके चेहरे पे बदलाव आता है क्योंकि वह यह समझने में सक्षम हो गया कि उसने उस मनुष्य की मानसिकता बदल दी है. और वह एक कक्षा में संभव नहीं हो सकता. इसलिए, जब राघव ने यह अनुभव किया तो उसका मन "शिक्षक ने यह कहा" से "मैं यह कर रहा हूँ" की ओर गया. और यही है "मैं कर सकता हूँ" मानसिक परिवर्तन और यह एक प्रक्रिया है जिसे शक्ति दी जा सकती है और पोषण किया जा सकता है. परन्तु, हमारे पास कुछ माता-पिता आये जिन्होंने कहा, "ठीक है, हमारे बच्चों को अच्छा इंसान बनाना बहूत अच्छा है, परन्तु, गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के बारे में क्या? हमें उनकी प्रगति दिखाईये." और हमने किया. आंकड़े निर्णयात्मक थे. जब बच्चे सशक्त होते हैं, वे सिर्फ अच्छा नहीं करते, वे अच्छी तरह से करते हैं, वास्तव में बहूत अच्छा करते हैं, जैसा कि आप इस राष्ट्रीय मानदण्ड मूल्यांकन में देख सकते हैं जो कि भारत के २,००० विद्यालयों से लिया गया है , रिवरसाइड (Riverside) के बच्चों ने भारत के १० सबसे अच्छे विद्यालाओं को गणित, अंग्रेजी और विज्ञान में मात दे रहे हैं अतः, इस युक्ति ने काम किया. अब समय आ गया था इसे रिवरसाइड (Riverside से बाहर लाने का. अतः, अगस्त १५, स्वतंत्रता दिवस, २००७ को, रिवरसाइड (Riverside ) के बच्चे अहमदाबाद को संक्रमित करने को बाहर आये. अब यह रिवरसाइड (Riverside) विद्यालय के बारे में नहीं था. यह सारे बच्चों के लिए था. इसलिए, हम लोग निर्ल्ल्ज़ थे. हम लोग नगरपालिका, पुलिस समाचार पत्रों, व्यवसायों के कार्यालयों में गए और मूल रूप से कहा "आप कब जागेंगे और प्रत्येक बच्चे के भीतर छिपी शक्ति को पहचानेगें. कब आप बच्चों को शहर में सम्मिलित करेंगें? मूलतया, अपने दिलों और दिमागों को बच्चे के लिए खोलें." तो, शहर ने अपनी प्रतिक्रिया कैसे दिखाई? २००७ से हर दुसरे महीने शहर अपने सबसे व्यस्त रास्तों को यातायात के लिए बंद कर देती है और इसे बच्चों और बचपन के क्रीड़ास्थल में बदल देती है. यहाँ एक शहर अपने बच्चे से कह रहा था, "तुम कर सकते हो." अहमदाबाद में संक्रमण की एक झलक. चलचित्र: [अस्पष्ट] अतः, व्यस्त रास्ते बंद कर दिए गए. हमारे साथ हैं यातायात पुलिस और नगर पालिका कर्मचारी हमारी मदद करते हुए. यह सब बच्चों के द्वारा किया गया है. वे स्केटिंग कर रहे हैं. वे नुक्कड़ नाटक कर रहे हैं. वे खेल रहे हैं, बिलकुल आजाद, सारे बच्चों के लिए. (संगीत) अतुल करवाल: Aproch एक संस्था है जो बच्चों के लिए पहले काम कर चुकी है. और हम इसे शहर के दुसरे हिस्सों में फ़ैलाने को सोचतें हैं. (संगीत) किरण बीर सेठी: और शहर अपना खाली समय देगी. और अहमदाबाद को संसार का पहला बच्चों-के-अनुकूल जेब्रा क्रोसिंग मिला. गीत सेठी: जब शहर अपने बच्चों को देता है भविष्य में बच्चे शहर को वापस देंगे. (संगीत) KBS: और इसी कारण से, अहमदाबाद भारत में पहले बाल-अनुकूल शहर के रूप में जाना जाता है. अतः, आपको एक नमूना मिल रहा है. पहले २०० बच्चे Riverside में. फिर ३०,००० बच्चे अहमदाबाद में, और बढ़ रहे है. अब समय था भारतवर्ष को संक्रमित करने का. अतः, अगस्त १५ को, पुनः, स्वतंत्रता दिवस, २००९, समान प्रक्रिया से सशक्त हो कर, हमने १००,००० बच्चों को यह कहने के लिए सशक्त किया कि "मैं कर सकता हूँ". कैसे? हमने एक साधारण साधन नियत किया, उसे आठ भाषाओं में बदला, और ३२,००० विद्यालयों में पहुंचे. हमने मूलतः बच्चों को एक बहूत ही साधारण चुनौती दी. हमने कहा, एक विचार लो, कुछ भी जो तुम्हे परेशान करता हो, एक सप्ताह चुनो, और करोड़ों जिन्दगियों को बदलो. और उन्होंने किया. बदलाव की कहानियां पूरे भारत से आने लगी पूरब में नागालैंड से, पश्चिम में झुनझुन तक, उत्तर में सिक्कम से, दक्षिण में कृष्णागिरी तक. बच्चे विभिन्न समस्याओं के समाधानों का निर्माण कर रहे थे. अकेलेपन से लेकर गली में गढ्ढे भरने तक, अधिक मदिरा पीने से उत्पन्न रोगों तक, और ३२ बच्चे जिन्होंने १६ बाल विवाह रोके राजस्थान में. मेरा मतलब है, यह अतुलनीय था. वस्तुतः पुनः पुष्टि करता हुआ कि जब बड़े बच्चों में विश्वास करें और कहें कि "तुम कर सकते हो", तब वे करेंगें. भारत में संक्रमण. यह राजस्थान में है, एक गाँव. बच्चा: हमारे माता-पिता अनपढ़ हैं और हम उन्हें पढना लिखना सिखाना चाहते हैं. KBS : पहली बार एक ग्रामीण विद्यालय में जमघट एवं नुक्कड़ नाटक -- अनसुना -- अभिभावकों को यह बताने के लिए कि साक्षरता क्यों महत्वपूर्ण है. देखिये उनके माता-पिता क्या कहते हैं. पुरुष : यह कार्यक्रम आश्चर्यजनक है. हम लोग बहूत अच्छा महसूस करते हैं कि हमारे बच्चे हमें पढना लिखना सीखा सकते हैं. महिला : मैं बहूत खुश हूँ कि मेरे छात्रों ने यह अभियान चलाया. भविष्य में, मैं कभी अपने छात्रों कि क्षमता पर संदेह नहीं करूंगी. देखिये ? उन्होंने कर दिखाया है. KBS : हैदराबाद शहर का एक विद्यालय. बालिका: ५८१. यह मकान संख्या ५८१ है.... हमें ५५५ से संग्रह शुरू करना है. KBS : लड़कियां और लड़के हैदराबाद में, बाहर निकलते हुए, बहूत कठीन है, परन्तु उन्होंने किया. महिला:जब कि वे इतने छोटे हैं, उन्होंने इतना अच्छा काम किया है. पहले उन्होंने आस-पास को स्वच्छ किया है, फिर हैदराबाद होगा, और जल्दी ही भारत. महिला: यह मेरे लिए एक रहस्योद्घाटन था. यह मुझे नहीं सूझा कि उनके अन्दर इतना कुछ था. बालिका: धन्यवाद, बहनों एवं भाईयों. नीलामी में हमारे पास आपके लिए कुछ आश्चर्यजनक चित्र हैं, एक बहूत ही अच्छे अभियोग के लिए, जो पैसे आप हमें देंगे वह श्रवण यन्त्र खरीदने के काम आएंगे. देवियों और सज्जनों क्या आप तैयार हैं ? दर्शकगन: हाँ! बालिका: क्या आप तैयार हैं? दर्शकगन: हाँ! बालिका: क्या आप तैयार हैं? दर्शकगन: हाँ! KBS: अतः, करुणा का प्राधिकार यहाँ से शुरू होता है. नुक्कड़ नाटक, नीलामी, याचना. मेरा मतलब है, वे जिंदगियां बदल रहे थे. यह अतुलनीय था. फिर, हम अब भी बचे हुए कैसे रह सकते हैं? कैसे हम उस जोश, ऊर्जा और उत्साह से बचे रह सकते हैं? मैं जानती हूँ यह स्पष्ट है, परन्तु मुझे अंत करना है बदलाव के सबसे शक्तिशाली प्रतीक से, गांधीजी. ७० साल पहले एक इंसान ने पूरे राष्ट्र को संक्रमित किया "हम कर सकते हैं" की शक्ति से. अतः आज कौन है जो १००,००० बच्चों से भारत के २० करोड़ बच्चों में संक्रमण फैलाएगा? अंततः, मैंने सुना है, प्रस्तावना कहती है, "हम, भारत के लोग," है ना? अतः, यदि हम नहीं, तो कौन? यदि अब नहीं, तो कब? जैसा कि मैंने कहा, "संक्रामक" एक अच्छा शब्द है. धन्यवाद. (तालियाँ) 2008 में, चक्रवात नरगिस ने म्यांमार को तबाह कर दिया. लाखों लोगों को मदद की गंभीर जरूरत थी. संयुक्त राष्ट्र क्षेत्र में लोगों को और आपूर्ति को जल्दी पहुचना चाहता था. लेकिन वहाँ कोई नक्शे नहीं थे, सड़कों के ना कोई अस्पतालों दिखाते नक्शे, चक्रवात पीड़ितों तक मदद पहुँचने का कोई रास्ता नहीं था जब हम लॉस एंजिल्स या लंदन के एक नक्शे को देखते हैं, यह विश्वास करना कठिन है कि 2005 तक, दुनिया का केवल 15 प्रतिशत विस्तार भू-संहिता के लायक प्रतिचित्रित है. संयुक्त राष्ट्र को एक समस्या का सामना करना पड़ा कि दुनिया की आबादी वाले चेहरे के बहुमत: के पास विस्तृत नक्शे नहीं हैं. लेकिन मदद आ रही थी. गूगल में 40 स्वयंसेवको ने एक नये सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल सड़कों की 120,000 किलोमीटर की दूरी, ३,००० अस्पतालों, रसद और राहत बिन्दुओं का नक्शा बनाने के लिए की. और उन्होंने यह चार दिन में किया. नया सॉफ्टवेयर जो उन्होंने प्रयोग किया? गूगल मैपमेकर. Google MapMaker एक तकनीक है जो हम सब को ताकत देती है की हम स्थानीय स्तर अपने ज्ञान से नक्शा बना सके. लोगो ने इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है सड़कों से नदियों तक सब कुछ का नक्शा बनाने के लिए, स्थानीय व्यापारों से स्कूलों तक, और कोने की दुकान से वीडियो स्टोर तक. मानचित्र ज़रूरी हैं. नोबेल पुरस्कार नामांकित व्यक्ति हेर्नान्दो दे सोतो मानते है कि आर्थिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है अधिकांश विकासशील देशों के लिए विशाल मात्रा में अप्रयुक्त ज़मीन को इस्तमाल करना. उदाहरण के लिए, एक ट्रिलियन डॉलर अकेले भारत में अचल संपत्ति में अप्रयुक्त है. पिछले साल में ही, 170 देशों में हजारों उपयोगकर्ताओं ने जानकारी के लाखों टुकड़े के नक़्शे बनाये हैं, और ऐसे विस्तार के स्तर पर नक़्शे बनाये है जो हमने कभी सोचे भी नहीं थे. और यह संभव बनाया गया भावुक प्रयोक्ताओं की शक्ति से. चलो नक्शे के कुछ नमूने देखते हैं जो उपयोगकर्ताओं द्वारा अभी बनाया जा रहा है. तो, इस समय, लोग दुनिया का मानचित्रण कर रहे हैं इन 170 देशों में. ब्रिजेट जिसने अभी अफ्रीका में सेनेगल में एक सड़क का नक्शा बनाया है. और, घर के पास, यहाँ चलुआ, एक N.G. सड़क बंगलौर में. यह कम्प्यूटेशनल ज्यामिति का परिणाम है, इशारा मान्यता, और मशीन की सीखने की ताकत. यह हज़ारों उपयोगकर्ताओं की जीत है, सैकड़ों शहरों में एक उपयोगकर्ता, एक समय में एक संपादन करे. यह 70 प्रतिशत के लिए एक निमंत्रण है हमारे अप्रतिचित्रित ग्रह के. नई दुनिया में आपका स्वागत है. (अभिवादन) अभी सबसे रोमांचक समय है नयी भारतीय कला को देखने का. भारत में समकालीन कलाकार दुनिया के साथ बातचीत कर रहे हैं जैसा पहले कभी नहीं हुआ. मैंने सोचा कि यह दिलचस्प हो सकता है, कई अनुभवी, TED संग्रहकर्ता, स्थानीय संग्रहकर्ताओं के लिए १० युवा भारतीय कलाकारों का एक बाहर का दृश्य मैं TED में सबको बताना चाहता हूँ. पहली हैं भारती खेर. भारती के अभ्यास की केंद्रीय आकृति है विनिर्मित दुकान पर मिलने वाली बिंदी, जो कि लाखों भारतीय महिलाएं अपने माथे पर लगाती हैं, हर दिन, एक कार्य जो निकटता से जुड़ा हुआ है विवाह के संस्थान से. लेकिन बिंदी का असली महत्व है तीसरी आँख का प्रतीक बनना आध्यात्मिक दुनिया और धार्मिक दुनिया के बीच. भारती इस रोजमर्रा के चलन को आजाद करना चाहती हैं, इसे कुछ शानदार चीज़ में विस्फोट कर. वह अक्सर पशुओं के जीवन आकार शीशे-रेशा मूर्तियां बनती हैं, जो वह फिर पूरी तरह से बिंदियों से ठक देती हैं, अक्सर शक्तिशाली प्रतीकों के साथ. वह कहती हैं कि उन्होंने पहली बार शुरू किया बिंदी के १० पैकेट के साथ, और फिर सोचा कि वह 10 हजार के साथ क्या कर सकती हैं. हमारे अगले कलाकार, बालसुब्रमण्यम वास्तव में चित्रकला, मूर्तिकला और स्थापना के चौराहे पर खड़े हैं, शीशे-रेशा के साथ अद्भुत काम कर रहे हैं. क्योंकि बाला खुद बाद में TED में बोल रहे हैं मैं उन पर बहुत ज्यादा समय आज यहां नहीं बिताऊंगा, सिर्फ कहूँगा कि वे सफल हैं अदृश्य को दृश्य बनाने में. ब्रुकलिन स्थित चित्रा गणेश अपने डिजिटल कोलाज के लिए जानी जाती हैं, भारतीय कॉमिक पुस्तकें, अमर चित्रकथा, का उपयोग कर अपने प्राथमिक स्रोत सामग्री के रूप में. यह कॉमिक्स एक मौलिक तरीका हैं कि बच्चे, विशेषकर प्रवासियों में अपने धार्मिक और पौराणिक लोक कथाओं को सीखते हैं. मैं इन में डूबा रहता था. चित्रा मूल रूप से रीमिक्स और फिर दुबारा खिताब कर इन प्रतिष्ठित छवियों से बाहर लाती हैं यौन और लिंग राजनीति जो इन गहरी प्रभावशाली कॉमिक्स में छुपी हैं. और वह इस शब्दावली का उपयोग अपने स्थापना के काम में भी करती हैं. जितिश कल्लत सफलतापूर्वक फोटोग्राफी करते हैं, मूर्तिकला, चित्रकला, और स्थापना. जैसा कि आप देख सकते हैं, वह भारी रूप से प्रभावित हैं भित्तिचित्रों और सड़क कला के द्वारा, और उनका शहर मुंबई उनके काम में हमेशा पेश तत्व है. वह वास्तव में घनत्व की भावना कब्ज करते हैं और ऊर्जा जो वास्तव में आधुनिक शहरी बंबई की विशेषता है. वह छायाचित्र मूर्तियां भी बनाते हैं राल से हड्डियों से बनी. यहाँ वह कंकाल की कल्पना करते हैं उस ऑटोरिक्शा का जो एक बार दंगे में जला देखा. अगले कलाकार, न. स. हर्षा, उनका मैसूर में स्टूडियो हैं . वह लघु परंपरा पर एक समकालीन स्पिन डाल रहे हैं. वह यह नाजुक छवियों बनाते हैं जो वह फिर एक भारी पैमाने पर दोहराते हैं . वह पैमाने का अधिक से अधिक शानदार उपयोग करते हैं, सिंगापुर में एक मंदिर की छत पर, या अपनी तेजी से महत्वाकांक्षी स्थापना के काम में, यहाँ १९२ सिलाई मशीनों के साथ, संयुक्त राष्ट्र के हर सदस्य के झंडे जोड़ते हुए. मुंबई स्थित ध्रुवी आचार्य हास्य किताबें और सड़क कला के अपने प्यार से टिप्पणी करती हैं भूमिकाओं और अपेक्षाओं पर आधुनिक भारतीय महिलाओं की. वह भी अमर चित्रकथा कथा की समृद्ध सामग्री का इस्तमाल करती हैं, लेकिन चित्रा गणेश की तुलना में एक बहुत अलग तरह से. यह विशेष काम में, वह छवियों को निकाल कर और वास्तविक पाठ को वहीँ छोड़ पहले अनदेखी और उत्तेजक चीज़ प्रकट करती हैं. रकीब शॉ कोलकाता में जन्मे, कश्मीर में बड़े हुए, और लंदन से प्रशिक्षित हैं. वह भी लघु परंपरा का पुनः अविष्कार कर रहे हैं. वह हिएरोंय्मुस बॉश द्वारा प्रेरित भव्य तब्लेऔस बनाते हैं, लेकिन अपनी जवानी के कश्मीरी वस्त्र द्वारा प्रेरित भी. वह वास्तव में अपने काम में धातु औद्योगिक पेंट इस्तमाल करते हैं साही पंख का उपयोग कर संपन्न विस्तृत प्रभाव लाते हैं. मैं यह अगले कलाकार के साथ धोखा कर रहा हूँ क्यूंकि रक्स मीडिया कलेक्टिव वास्तव में तीन कलाकार हैं जो साथ काम कर रहे हैं. रक्स शायद सबसे महत्वपूर्ण कलाकार हैं भारत में मल्टीमीडिया कला के, फोटोग्राफी, वीडियो, और स्थापना में काम में. वे अक्सर भूमंडलीकरण और शहरीकरण के विषयों का अन्वेषण करते हैं, और दिल्ली का उनका घर अक्सर उनके काम में एक तत्व है. यहाँ, वे एक अपराध का विश्लेषण करने के लिए दर्शको को आमंत्रित करते हैं सबूत देखने और सुराग ढूँढने इन पांच अलग स्क्रीन पर पांच बयान में, जिसमे शहर खुद अपराधी हो सकता है. यह अगले कलाकार शायद अल्फा पुरुष है समकालीन भारतीय कला का, सुबोध गुप्ता. पहले उन्हें विशाल यथार्थवादी तस्वीर कैनवस बनाने के लिए जाना जाता था, रोजमर्रा की वस्तुओं के चित्र, रसोई में स्टेनलेस स्टील के बर्तन और टिफिन कंटेनर प्रत्येक भारतीय द्वारा ज्ञात. वह इन स्थानीय और सांसारिक वस्तुओं का विश्व स्तर पर अनुष्ठान करते हैं, शानदार से शानदार पैमाने पर, उन्हें और अधिक भारी मूर्तियों और स्थापनाओं में शामिल कर. और अंत में दसवें, आखिरी लेकिन कुछ कम नहीं, रंजनी शेत्तर कर्नाटक में रहती और काम करती हैं, स्वप्निल मूर्तियां और प्रतिष्ठान बनती हैं जो वास्तव में औद्योगिक और जैविक को मिलाती हैं, और सुबोध की तरह, स्थानीय वैश्विक साथ लाता है ये वास्तव में मलमल में लिपटे तार हैं और सब्जी डाई में डूबे. और वह उन्हें ऐसे व्यवसथित करती है की दर्शक को स्थान में संचालन करना पड़ता है, और वस्तुओं के साथ बातचीत करता है. और प्रकाश और छाया उनके काम का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. वह उपभोक्तावाद के विषयों की पड़ताल भी करती हैं, और पर्यावरण, जैसे इस काम में, जहां यह टोकरी जैसी वस्तुए जैविक और बुनी हुई लगती हैं, और बुनी हैं, लेकिन इस्पात की पट्टियों के साथ, कारों से बचाया सामान जो उन्हें बंगलौर के कबाड़ में मिला . १० कलाकार, छह मिनट, मुझे पता है कि यह बहुत था लेकिन मुझे आशा है कि मैंने आपकी भूख बडाई है कि आप जाएँ और सीखें अद्भुत चीज़ों के बारे में जो भारतीये कला में हो रही हैं. सुनने और देखने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. (अभिवादन) सोचिए कि आप अमरीका में कहीं सड़क पर खड़े हैं और एक जापानी व्यक्ति आपसे आकर कहता है, 'माफ कीजिए, इस ब्लॉक (घरों की पंक्ति) का नाम क्या है?' आप जवाब देंगे, 'सॉरी, ये ओक स्ट्रीट है, और वो एल्म स्ट्रीट. ये 26 वाँ और वो 27 वाँ.' वो कहेगा,'ठीक है. पर इस ब्लॉक का नाम क्या है?' इस पर आप कहेंगे,' भई ब्लॉक के नाम नहीं होते. सड़क के नाम होते हैं, ब्लॉक सड़कों के बीच बने होते हैं और उनका कोई नाम नहीं होता.' वो कुछ हक्का-बक्का सा, निराश होकर चला जाएगा. अब कल्पना कीजिए कि आप जापान में किसी सड़क पर खड़े हैं, और अपने पास खड़े व्यक्ति से पूछते हैं, 'माफ कीजिए, इस सड़क का क्या नाम है?' वो कहता है,' अच्छा, वो ब्लॉक 17 है और ये ब्लॉक 16 है.' आप कहते हैं, ' ठीक है, पर इस सड़क का क्या नाम है?' और जवाब मिलता है, ' भई सड़कों के नाम नहीं होते. ब्लॉक के नाम होते हैं. आप यहाँ का गूगल मैप देख लीजिए. ब्लॉक 14,15,16,17,18,19 यहीं हैं. इन सभी ब्लॉक के नाम हैं. सड़कें तो बस ब्लॉक के बीच की जगह है जिनके नाम नहीं होते. आप पूछते हैं, 'अच्छा, फिर आप अपने घर का पता कैसे बताते हैं?' वो कहता है,' बहुत आसान है, ये आठवाँ ज़िला है. उसमें 17 वाँ ब्लॉक, 1 नंबर घर.' आप कहते हैं, 'ठीक है. पर आस पास चलते हुए मैंने देखा कि घरों के नंबर किसी क्रम के आधार पर नहीं हैं.' तो वो कहता है, ' अजी बिल्कुल क्रम के आधार पर है. उनके नंबर उसी क्रम पर हैं जिस क्रम से वो बने थे. किसी पंक्ति में बने सबसे पहले घर का नंबर एक होगा. दूसरे का दो. तीसरे का तीन. कितना आसान है. किसे के भी समझ में आ जाएगा.' मुझे ये बात बहुत ही ख़ूबसूरत लगती है कि कभी-कभी हमें दुनिया के दूसरे सिरे तक पहुँच कर अपनी मान्यताओं का पता चलता है, और साथ में ये भी पता चलता है कि उसके बिल्कुल विपरीत मान्यताएँ भी उतनी हीं खरी हैं. उदाहरण के लिए, चीन में ऎसे चिकित्सक हैं जो मानते हैं कि उनका काम आपको स्वस्थ रखना है. तो जब आप स्वस्थ हों, तभी उन्हें पैसे देने होते हैं, और जब आप अस्वस्थ हों तब बिल्कुल नहीं, क्योंकि वो अपने काम से चूक गए. आपका स्वस्थ होना उन्हें धनवान बनाता है, अस्वस्थ होना नहीं. (तालियाँ) संगीत में अधिकांश समय पहली ताल को 'एक' माना जाता है, जिससे किसी बंदिश की शुरुवात होती है. एक, दो, तीन, चार. पर पश्चिम अफ्रिकी संगीत में 'एक' बंदिश के आखिर में माना जाता है, जैसे किसी वाक्य के अंत का पूर्ण विराम. तो आप उसे बंदिशों में ही नहीं, बल्कि उनके संगीत में मात्राएँ गिनने में भी सुन सकते हैं. दो, तीन, चार, एक. और ये खाका भी अपने आप में बिल्कुल सही है. (ठहाका) कहा जाता है कि आप भारत के बारे में जो भी तथ्य कहें, उसका विपरीत भी उतना ही सच है. तात्पर्य ये, कि हम ये कभी ना भूलें कि चाहे टेड में, या कहीं और, आपकी या आपकी सुनी हुई किसी भी ज़बरदस्त सोच की बिल्कुल विपरीत सोच भी उतनी ही वैध हो सकती है. विदा, इस अवसर के लिए धन्यवाद. (जापानी भाषा में). मेरे विचार से मुझे सीधे सीधे शुरु करना चहिये और थोड़ा सा बोलना चाहिए कि औटिस्म क्या है? औटिस्म एक लम्बी श्रृंखला है जो बहुत गंभीर स्थिती, जिसमे बच्चा बोलता भी नही है , से एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों और इंजीनियरों बनने का रास्ता तय कर सकती है. और यहाँ मुझे एकदम घर जैसा लग रहा है क्योकि यहाँ बहुत सा औटिस्म जेनेटिक्स है आप के पास तो नही… (तालियां) यह केवल लक्षणों की श्रृंखला है कब कोई विलक्षण प्रतिभा वाला व्यक्ति बदल जाता है एस्परगर से ग्रसित व्यक्ति मे-जो मन्द औटिस्म का ही एक रूप है? मेरा मतलब है आईनस्टाइन और मोज़ार्ट से और टेलसा से , जिन्हे शायद आज औटिस्म स्पेक्ट्रम से ग्रसित घोषित कर दिया जाए और एक बहुत मह्त्तवपूर्ण बात जो आज मेरे लिए वास्तव में चिंता का विषय है वह है इन बच्चो तक पहुँचना जो कि आगे जा कर आविष्कार करेंगें आने वाली ऊर्जा का, अब, जैसा कि आज सुबह बिल गेट्स ने बताया है। अच्छा , अब अगर आप समझना चाह्ते है तो औटिस्म को ,जानवरो को। और मै आप सबसे बात करना चाह्ती हूँ भिन्न भिन्न तरह से सोचने की क्षमता की आप को वाणी से ध्यान हटाना होगा मै तस्वीरो मे सोचती हूँ मै भाषा मे नही सोचती अब, औटिसटिक दिमाग के बारे मे एक विशेष चीज़ यह है कि वह बारिकियो पर गौर करता है अच्छा , यह एक परीक्षा है , जहाँ आपको या तो केवल बडे अक्षर चुनने हैं , या सिर्फ छोटे अक्षर चुनने हैं । और औटिसटिक दिमाग छोटे अक्षर जल्दी चुनता है और यह बात भी है कि सामन्य दिमाग बारिकियो पर ध्यान नही देता। ले्किन, अगर आप एक पुल बनाने जा रहे है तो बारिकियो पर ध्यान देना ज़रूरी है अन्यथा वह गिर जाएगा,अगर आप्अने उसकी बारिकियों पर गौर नही किया। और सबसे बडी चिंता आज मुझे नीति सबंधी है बहुत सी चीज़े धुन्धली हो रही है लोग हाथ मे लिए काम करने से बच रहे है मुझे सचमुच चिन्ता हो रही है कि बहुत से स्कूलो ने कई कक्षाएँ बन्द कर दी है जैसे कला और अन्य ऐसी कक्षाएँ क्योंकि ये ही वो कक्षाएँ है जिनमे मैं अच्छी थी ठीक है, मवेशियों के साथ अपने काम में, मैंने बहुत कुछ छोटी चीजें देखी जो कि ज्यादातर लोगों नहीं देखते है उदाहरण के लिए पशुओं को क्या डराता है, जैसे वह हिलता हुआ झडा, पशु चिकित्सा सुविधा के सामने उसकी वजह से वह फ़ीड यार्ड पूरा पशु चिकित्सा सुविधा गिराने जा रहा था, उन्हे बस उन्हे वह झडा हटाना था इसके विपरीत तुरंत कार्यवाही हो गई, मैने जब 1970 मे शुरु किया , तब मै सीधे ढ्लान मे नीचे उतर गई यह देख्नने के लिये कि पशुओ को क्या दिखता है। लोगो ने सोचा कि मै पागल हूँ.उन्हें बाड़ पर पड़ा हुआ कोट डराता था परछाईयाँ उन्हे डरा देती थी, एक ज़मीन पर पडा पाईप भी लोग इन बातो पर ध्यान नही दे रहे थे। नीचे लटकती एक ज़ंज़ीर, और यह सब इस फ़िल्म मे बहुत अछे से दिखाया है। दरासल , मुझे यह फ़िल्म बेहद पसंद आई उन्होने मेरे सभी कार्यो को हूबहू दिखाया है.यह मेरी पढ़ाकू तस्वीर है मेरे बनाए चित्र भी इस फ़िल्म मे प्रदर्शित किए है और सचमुच इस फ़िल्म का नाम भी टेम्पल ग्रैन्डिन है, आप चित्रो मे नही सोच रहे है तो फ़िर चित्रो मे सोचना क्या है? यह सही मे एक फ़िल्म कि तरह है आपके दिमाग के अंदर मेरा दिमाग गूगल की तरह काम करता है, चित्रो के लिये जब , मैं एक छोटी बच्ची थी तब मैं नही जानती थी कि मेरी सोच अलग है मुझे लगता था कि सभी चित्रो में सोचते है और फ़िर जब मैने अपनी किताब "थिंकिंग इन पिक्चर्स" लिखी मैने कई लोगो का इन्टरवियू किया कि वो कैसे सोचते है और मै हैरान रह गई यह देख कर कि मेरी सोच कितनी अलग है। जैसे कि मै कहती हूँ "चर्च के घंटाघर के बारे मे सोचो बहुत से लोगो को यह साधारणता से एक आम छवि समझ आ जाएगी हो सकता है कि यह सही न हो इस कमरे मे लेकिन यह सही होगा बहुत सी अन्य जगहो में मै बहुत सटीक तस्वीरे देखती हूँ वे अपने आप मेरे दिमाग मे आ जाती है, एकदम गूगल की तस्वीरो की तरह और मेरी फ़िल्म मे , एक सीन है जिसमे "जूता" शब्द का इस्तेमाल होता है, और 50 से 60 जोडी जूते मेरे दिमाग मे आ जाते हैं ओके, ये मेरे बचपन की चर्च की तस्वीर है यह विशिष्ट है, और भी है, फ़ोर्ट कोलिन्स ओके , अब कुछ प्रसिद्ध तस्वी्रे कैसी रहेंगी? और वो खुद ही दिमाग मे आ जाती है,कु्छ इस तरह से जल्दी से, जैसे, गूगल पर एकदम से मिल जाती है और वो एक एक कर के ऊपर आने लगती है और मै सोचती हूँ , ओके चलो शायद बर्फ़ की तरह धीरे धीरे गिरने दो य तूफ़ान की तरह आने दो और मै उन्हे वहाँ रोक कर रख सकती हूँ और उनके विडियो बना सकती हूँ यह ज़रूर है कि चित्रो वाली सोच बहुत फ़ायदेमंद है मवेशियो को संभालने के मेरे काम मे और मैने बहुत मेहनत की है यह निश्चित करने मे कि कैसे मवेशियो को मारने के समय रखा जाता है मैन आपको कोई दहला देने वाले विभत्स द्र्श्य नही दिखाऊँगी अगर आप वह देखना चाहे तो आप यू ट्यूब पर देख सकते है लेकिन, एक चीज जो कि मैं अपने डिजाइन में काम करने में सक्षम हो सकी वह थी कि मैने वास्तविक परीक्षण किया अपने दिमाग मे उस उपकरण का बिल्कुल वैसे ही जैसे वास्तविकता कंप्यूटर प्रणाली मे होता है और यह एक हवाई दृश्य है फिल्म में इस्तेमाल किया गए मेरे एक प्रोजेक्ट के पुनः सृजन का वह वास्त्व मे बहुत मस्त था और वहाँ एस्पर्गर के प्रकार की तरह के बहुत व्यक्ति थे, और औटिस्म के प्रकार के भी, फिल्म सेट पर काम करने वालों मे भी बहुत (हँसी) लेकिन वास्तव मे एक चीज़ है जिसकी मुझे चिंता है वह ये कि आज के बच्चे किस दिशा मे जा रहे है वे सिलिकौन वैली मे नही पहुँच रहे जहाँ उन्हे होना चहिये था (हँसी) (तालियाँ) अब, एक बात जो मैने बहुत जल्दी सीखी है, क्योकि मै बहुत ज्याद घुलति -मिलती नही हूँ लोगो मे कि मुझे अपने काम को बेचना है अपने आप को नही और जिस तरह से मैने पशुओ कीं नौकरियों को बेचा मैने अपने चित्र दिखाए, मैनें चीजों की तस्वीरें दिखाई. एक और बात जिसने कि मेरी मदद की है, वह ये कि जब मै छोटी थी हमे सन 50 मे सचमुच शिष्टाचार सिखाया गया था. आपको सिखाया गया था आप अलमारियों से सामान नहीं खींच सकते हैं दुकानो मे और उसे बिखेर नही सकते और जब बच्चे तीसरी या चौथी कक्षा मे आते है आपदेख सकते है कि बच्चा एक दृश्य विचारक होने जा रहा है, एक परिप्रेक्ष्य मे यह चित्र अब, मैं निश्चित रूप से बताना चाह्ती हू कि हर औटिस्टिक बच्चा दृश्य विचारक नही हो सकता अब, मेरा एक ब्रेन स्कैन किया गया कई साल पहले, और मैं एक मजाक किया करती हू कि मेरे पास एक विशाल इंटरनेट ट्रंक लाइन मै द्र्श्य कल्पना मे गहरी जा रहा है. यह टेन्सर इमेजिंग है और मेरी विशाल इंटरनेट ट्रंक लाइन कंट्रोल से दुगनी बडी है यह लाल लकीरे मै हूँ और नीली लकीरे लैन्गिक और उम्र के सामान कंट्रोल है और उधर एक बडा सा है और वह कंट्रोल , वह नीले कट्रोल मे एक बहुत सा छोटा सा है और कुछ खोजों मे यह सामने आ रहा है यह है कि स्पेक्ट्रम पर लोग वास्तव में प्राथमिक दृश्य के साथ लगता है. अब, बात यह है, दृश्य विचारक, दिमाग का ,सिर्फ एक प्रकार है आप सम्झिए कि , औटिस्टिक दिमाग एक विशेश प्रकार का दिमाग होता है किसी चीज़ मे अच्छा, किसी मे खराब और क्योकी मै बीज गणित मे बुरी थी और मुझे कभी भी अनुमति नही मिली कि मै ज्योमैट्री य ट्रिग्नोमैट्रि सीखू वह बहुत बडी गलती थी,मैंने बहुत बच्चों को देखा जिन्हे बीजगणित को छोड कर सीधे ज्योमैट्री य ट्रिग्नोमैट्रि सीखनी चाहिए अब, दिमाग क एक और प्रकार , पैटर्न विचारक है. अधिक अमूर्त. ये अपने इंजिनियर रहे हैं, या आपके कम्पयूट्र प्रोग्रामर है अब, यह पैटर्न सोच है , जैसे यह प्रार्थना करता हुआ कीडा कागज़ के एक टुकडे से बनाया है कोई स्कॉच टेप, कोई काट-पीट नही और वहाँ पीछे इसे बनाने का तरीका दिखाया हुआ है यहाँ कुछ सोचने के प्रकार बताए है मेरी तरह यथार्थवादी दृश्य विचारक पैटर्न विचारक, संगीत और गणित मन. इन्मे से कुछ को अक्सर पढ़ने की समस्या होती है आप इस तरह की समस्याए उनमे भी देख सकते है जैसे डिसलिक्सिक बच्चे आप मन के इन विभिन्न प्रका्रो को देखे और फिर वहाँ एक मौखिक दिमाग है. उन्हे सब कुछ के बारे में हर तथ्य पता होता है अब, एक बात सवेदना से सबधी मुद्दों की है. मैं वास्तव में मेरे चेहरे पर इस गैजेट को पहनने के लिए होने के बारे में चिंतित थी और मैं आधे घंटे में पहले से आई थी ताकि मै इसे पहन सकू और इससे सहज हो सकूँ और उन्होने इसे मोड दिया है और अब ये मेरी ठोड़ी से नही टकरा रहा है पर सवेदना एक बडा मुद्दा है। कुछ बच्चो को फ्लोरोसेंट रोशनी से परेशानी होती है कुछ को आवाज़ की संवेदना से आप जानते है कि , याह परिवर्तन शील मुद्दा है अब, दृश्य सोच ने मुझे बहुत सी अंतर्दृष्टि दी है पशुओ के दिमाग मे क्योंकि अगर इसके बारे में सोचो. तो जानवर एक संवेदी आधारित विचारक है, मौखिक नहीं. वह तस्वीरों में सोचता है. आवाज़ में सोचता है , खुश्बू में सोचता है सोचिए कि उस आग बुझाने वाले यंत्र के पस कितनी जानकारी है उसे पता है कि कौन आया था वहाँ और कब आया था वे दोस्त थे या दुश्मन, क्या वह कोई ऐसा था जिसके साथ वे मेटिंग कर सकते थे उस आग बुझाने वाले यत्र के पास बहुत सी जानकारी है और बहुत बारीकियो मे है यह जानकारी है और इस तरह की बारिकियो को देख्नने से मुझे जानवरों में की सोच समझने की अंतर्दृष्टि मिली है अब, पशुओ के दिमाग और मेरे भी दिमाग मे संवेदना पर आधारित जानकारी को श्रेणियों मे रखा जाता है घोड़े पर आदमी और ज़मीन पर आदमी को दो बिल्कुल अलग तरह के रूप में देखा जाता है आपके पास एक घोड़ा है जिससे कि एक सवार द्वारा दुर्व्यवहार किया गया है वह जानवरों के डॉक्टर के साथ बिल्कुल ठीक रहेगा और घोडे की नाल लगाने वाले के साथ भी , लेकिन आप उस पर सवारी नही कर सकते आपके पास एक और घोडा है , जिसे नाल लगाने वाले ने मारा है वो बहुत तग करेगा ज़मीन पर रखी चीज़ को देख कर या जानवरों का डॉक्टर के साथ, लेकिन उस पर आप सवारी कर सकते है गाय भी ऐसी ही होती है घोड़े पर आदमी पैदल आदमी, दो अलग चीज़े है आप देखिए , यह एक दम अलग तस्वीर है देखो, मैं चाहती हूँ कि आप सम्झे कि यह कितना विशेष है अब, यह श्रेणियों में जानकारी रखने की क्षमता, मैने देखा है बहुत से लोग इसमे अच्छे नही होते जब मैं बाहर उपकरणो की समस्या का निवारण कर रही हूँ या संयंत्र में कुछ समस्याओं को देख रही हूँ वे लोग पता नही लगा पाते कि "मेरे लिए यह लोगो को प्रशिक्षण देने का मुद्दा है?" या "मेरे उपकरणों के साथ कुछ गलत है?" दूसरे शब्दों में, उपकरण समस्या का वर्गीकरण , लोगों की समस्या से अलग करना मैने देखा इसमे बहुत से लोगों को कठिनाई होती है. अब, मान लीजिए कि मैंने समझ लिया यह एक उपकरण समस्या है. तो क्या यह एक छोटी सी समस्या है , इतनी आसान कि मै खुद ही ठीक कर सकती हूँ या यत्र के पूरे डिज़ाइन मे ही गडगड है? बहुत से लोगों को इसे समझने मे कठिनाई होती है. चलिए बस ऐसे ही कुछ देखते है, जैसे कि आप जानते है एयरलाइनों को सुरक्षित बनाने की समस्याओं को सुलझाना हाँ, मै एक मिलियन माइल फ़्लायर हूँ और मै बहुत बहुत ज़्यादा हवाई यात्रा करती हूँ और अगर मै FAA मे होती क्या मै कौन सी चीज़ का प्रत्यक्ष अवलोकन कर रही होती? उनके हवाई जहाज की पूंछ का आप जानते हैं, पिछले 20 वर्षों में पांच घातक विनाश हुए है पूंछ या तो पूरा टूट गया या पूंछ के अंदर स्टीयरिंग का सामान टूट गया किसी तरह से समस्या पूंछ मे है स्पष्ट और सीधी बात और जब पाइल्ट्स जहाज के पीछे जाते है तो वह नही देख पाते पूंछ के भीतर का सामान आप जानते है कि अब जब मै इस बारे मे सोच रही हू तो मै सभी विशेष जानकारिओ के बारे मे सोच रही हूँ यह विशिष्ट है, अब आप देखे , कि मेरी सोच नीचे से उभरती है मै सारे छोटे छोटे टुकड़े लेती हूँ और उन्हे जोड कर पूरी पहेली सुलझाती हूँ अब, यहाँ एक घोड़ा है जो बहु्त डरता था चरवाहो की काली टोपियो से किसी के द्वारा उसके साथ दुर्व्यवहार किया था जो काली चरवाहा टोपी पहनता था सफेद चरवाहा टोपी से उसे कोई समस्या नही थी अब, बात है, दुनिया को ज़रूरत है विभिन्न प्रकार के सभी दिमागो के साथ मिलकर काम करने की हमे इन सभी प्रकार क दिमागो के विकास पर काम करना है और चीजें हैं जो मुझे वास्तव में पागल कर देती है मैं जो यात्राएँ करती हूँ और औटिस्म की बैठकें करती हूँ और मै बहुत से स्मार्ट , तेज़ और होशियार बच्चो को देखती हूँ और वो ज्यादा मिलनसार नही है और कोई उनके साथ उनकी रुचि विकसित करने के लिए काम भी नही कर रहा जैसे कि विज्ञान मे और यह मेरे विज्ञान शिक्षक की बात मेरे ध्यान मे लाता है. मेरे विज्ञान शिक्षक बह्त खूबसूरती से फिल्म में दिखाया गया है. जब मैं हाई स्कूल में थी, मैं एक बहुत मूर्ख छात्रा थी और मुझे पढाई कि बिल्कुल परवाह नहीं थी जब तक मैं श्री कार्लौक के विज्ञान वर्ग मे नही गई वह जो फिल्म में अब डा. कार्लौक है और उन्होने मुझे चुनौती दी एक ऑप्टिकल भ्रम कमरे को समझने की ये मुझे याद दिलाता है कि आपको भी बच्चों को आकर्षक चीज़े दिखानी चाहिए आप जानते हैं कि एक चीज़ जो मुझे लगता है शायद टेड को करनी चाहिए की सभी स्कूलों को बताए कि टेड पर कितने अच्छे व्याख्यान हैं, और इंटरनेट पर बहुत कुछ है इन बच्चों का उत्साह जगाने के लिए क्योंकि मै बहुत से स्मार्ट , तेज़ और होशियार बच्चो को देखती हूँ और मिडवेस्ट में शिक्षकों, और देश के अन्य भागों, जब आप इन तकनीक के क्षेत्रों से दूर जाते है, वहाँ वे नहीं जानते कि क्या इन बच्चों के साथ क्या करना है. वे सही रास्ते पर नहीं चल रहे हैं बात यह है कि , तुम एक अपना एक मत बना सकते हो और विचार्क और संज्ञानात्मक होने के लिए या आप अपने दिमाग को और समजिक होने के लिए बाध्य कर सकते हो और कुछ अनुसंधान ने औटिस्म के बारे मे दिखाया है कि ऐसे तेज़ लोगो के दिमाग मे कुछ ज़्यादा ही नसे हो सकती है और कुछ सामाजिक एरिया की नसे कम हो सकती है यह एक व्यापार की तरह है सोच और सामाजिकता के बीच मे और फिर तुम उस बिन्दु पर हो सकते हो जहाँ यह बहुत गंभीर है आपके सामने एक व्यक्ति है जो कि बिल्कुल नही बोलता एक सामान्य आदमी के दिमाग मे भाषा दृश्य सोच को जो हम मे जानवरो जैसी है, दबा देती है यह डॉ. ब्रूस मिलर का काम है. और उन्होने अल्जाइमर रोगियों का अध्ययन किया है जिन्हे टेम्पोरल लोब मनोभ्रंश था और उस मनोभ्रंश मस्तिष्क के भाषा भागों को नष्ट कर दिया था और इस कलाकृति को उसने बनाया है जो कभी कारो मे स्टीरियो लगाता था अब, वैन गौघ भौतिकी के बारे में कुछ नहीं जानते थे लेकिन मुझे लगता है यह बहुत दिलचस्प है कि वहाँ कुछ काम किया था यह दिखाने के लिए कि इस चित्र में इस तुफ़ान के पैटर्न मे अशांति के एक सांख्यिकीय मॉडल का पालन किया.गया है जो एक अलग ही दिलचस्प विचार लाता है इस गणितीय पैटर्न में से कुछ हो सकता है की हमारे अपने दिमाग में है. और वौलफ़्रम सामान के नोटस जो मैं ले रही थी और जो भी लिख रही थी खोज के जो शब्द जो मै इस्तेमाल कर रही थी क्योंकि मुझे लगा कि वह काम आएगे मेरे औटिस्म के व्याख्यानो मे हमे इन बच्चों क दिलचस्प चीज़े दिखानी है और उन्होने औटोशौप बंद कर दी है और प्रारूपण कक्षा और कला की कक्षाएँ भी मेरा मतलब है कि कला मेरा स्कूल में सबसे अच्छा विषय था. हमे दिमाग के इन सभी विभिन्न प्रकार के बारे में सोचना होगा और हमे इन दिमाग के विभिन्न प्रकार के साथ काम करना है क्योकि हमे निश्चित रूप से भविष्य में इस प्रकार के लोगों की आवश्यकता है और हम नौकरियों के बारे में बात करते हैं. ठीक है, मेरे विज्ञान शिक्षक ने मुझे अध्यन के लिए प्रेरित किया क्योकि मै मूर्ख थी और पढ्ना नही चह्ती थी लेकिन आप जानते हो क्या? मैं काम का अनुभव ले रही थी. मैं इन बच्चों कोदेख रही हूँ जो स्मार्ट है लेकिन उन्होने बुनियादी बातें नहीं सीखी है जैसे कैसे समय पर आया जाता है मुझे यह सिखाया गया था कि जब मैं आठ साल की थी आप जानते ही है कि दादी की रविवार की पार्टी मे खाने की मेज़ पर कैसे व्य्वहार करना चाहिए यह मुझे सिखाया गया था जब मै बहुत छोटी थी और जब मै तेरह साल की थी तब एक दर्ज़ी की दुकान पर मै नौकरी कर रही थी कपडे बेचने की मैने इंटर्नशिप की थी कौलेज़ मे मै सामान बनाती थी और मुझे ग्रहकार्य कैसे करना सीखना था. आपको पता है, जब मैं छोटी थी. मैं सिर्फ़ घोड़ों की तस्वीरें बनाना चाह्ती थी मेरी माँ कह्ती "चलो , अब किसी और चीज़ की तस्वीर बनाते है" उन्हे कुछ और करना भी सीखना चाहिए मान लीजिए कि बच्चा केवल लोगोज़ खिलौनो से ही खेलता है चलो तो उसे अलग अलग चीजों के निर्माण पर काम करने के लिए प्रेरित करे औटिस्टिक दिमाग के बारे में एक बात है कि वह ज़िद्दी होते है जैसे कि अगर बच्चे को रेस कार का शौक है तो रेस कार का ही उपयोग करे गणित की पढाई के लिए देखते है कि रेस कार एक निश्चित समय मे कितनी दूरी तक जा सकती है दूसरे शब्दों में, उस ज़िद्द का उपयोग करे उस बच्चे का उत्साह बढाने के लिए करे, यह एक कार्य है जो हमे करना चाहिए मै कभी कभी सच मे तग आ जाती हूँ , क्योकि, आप जानते है शिक्षक खासकर जब आप देश के इस भाग से दूर चले जाओ, उन्हे पता ही नही है कि इन होशियार बच्चो के साथ क्या करना है यह मुझे झुंझला देता है जब वे बड़े हो जाए तो दृश्य विचारक क्या काम कर सकते है वे ग्राफिक डिजाइन कर सकते है। कंप्यूटर के साथ सभी प्रकार के काम कर सकते हैं, फोटोग्राफी , औद्योगिक डिजाइन पैटर्न विचारक, वे है जो कि बन सकते है आपके गणितज्ञ, आपके सॉफ्टवेयर इंजीनियर, आपके कंप्यूटर प्रोग्रामर, इस प्रकार के सभी रोजगार और तब आपके शब्दो मे सोचने वाले दिमाग है. वे महान पत्रकारों बनते हैं. वे वास्तव में बहुत अच्छे मंच अभिनेता भी बन सकते है क्योंकि औटिस्टिक होने के बारे मे एक बात है कि जैसे मैने सामाजिक होने की कला स्टेज पर सीखी यह जैसे कि , बस आपको इसे सीखना है और हमे इन बच्चो के साथ काम करने की ज़रूरत है और यह मुझे मार्गदर्शको की याद दिलाता है आप जानते है क्या कि मेरे विज्ञान शिक्षक एक मान्यता प्राप्त शिक्षक नहीं थे. वह नासा के एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे. कुछ राज्यों अब यह हो रहा है कि अगर आपकी जीव विज्ञान में डिग्री, या रसायन विज्ञान में डिग्री है, आप स्कूल में आ सकते हैं और जीव विज्ञान रसायन शास्त्र या सिखा सकते हैं. हमे ऐसा करने की आवश्यकता है. क्योंकि मै देख रही हूँ काफ़ी सारे बच्चो के लिए , अच्छे शिक्षक बाहर सामुदायिक कॉलेजों में है हमे अपने उच्च विद्यालयों में इन अच्छे शिक्षकों को लाने की ज़रूरत है और एक बात जो बहुत सफ़ल हो सकती है वह ये कि बहुत से लोग जो अब रिटायर हो गये है सॉफ्टवेयर उद्योगो मे काम करने के बाद, और ये आपके बच्चो को पढा सकते है और यह फ़र्क नही पड्ता कि जो वे सिखा रहे है वो पुराना है। क्योंकि आप चिंगारी प्रकाशित कर रहे हैं आप उस बच्चे को उत्साहि त कर रहे है और जब वह प्रेरित हो जाएगा , तब वह बहुत सी नई बाते सीख लेगा मार्गदर्शक ज़रूरी है मै जितना भी कहूँ कम है कि मेरे विज्ञान के शिक्षक ने मेरे लिए क्या किया. और हमे उन्हें मार्गदर्शक बनाना है, गुरु बनाना है और अगर आप उन्हें अपनी कंपनियों में इंटर्नशिप के लिए ले आएँ औटिस्म के बारे में बात है, ऐस्पर्गी वाले दिमाग की उन्हे आपको एक निश्चित और तय काम ही देना होगा। आप ऐसा नही कह सकते कि "एक नया सौफ़्ट्वेयर बनाओ" आपको उन्हे बहुत अधिक विशिष्ट्ता मे बताना होगा "हम एक फ़ोन के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार कर रहे हैं और उसे यह विशेष कार्य करना है। और यह केवल इतनी ही स्मृति का उपयोग कर सकता है आपको इस तरह का विशलेषण करना होगा बस , यही मेरे व्याख्यान का अंत होता है और मै बस आप सबको यहाँ आने के लिए धन्यवाद देना चाह्ती हूँ यहाँ आना बहुत अच्छा रहा। (तालियाँ) ओह, आप मेरे से कोइ प्रश्न करना चाहते है (तालियाँ) क्रिस एन्डरसन: इस सब के लिए शुक्रिया आप जानती है, आपने एक बार यह लिखा था, मुझे यह पंक्तियाँ बेहद पसंद है 'अगर किसी जादू से, औटिस्म को धरती अर से मिटाया जा सके, तो आदमी आज भी एक लकड़ी जला कर आग के सामने किसी गुफ़ा के सामने मिलना जुलना कर रहा होता तेम्पल ग्रैंडिन: क्योंकि तम्हे क्या लगता है कि जो पहले पत्थर से भाले तैयार हुए थ,े किसने किए थे? ऐस्पर्गर आदमी ने। और अगर हमने सब आत्मकेंद्रित आनुवंशिकी से छुटकारा पा लिया तो सिलिकौन वैली ही नही रहेगी और ऊर्जा संकट का हल नहीं मिलेगा (तालियाँ) सी ए : तो, मै आप से कुछ और प्रश्न पूछ्ना चाहता हूँ और इनमे से कोई अनुपयुक्त महसूस करे तो आपको बस कहना है, "अगला सवाल "। लेकिन अगर यहाँ कोई है जिसे एक औटिस्टिक बच्चा है या वह किसी औटिस्टिक बच्चे को जानता है और उनसे अलग -थलग महसूस करता है आप उन्हे क्या सलाह देंगी टीजी: ,अच्छा, सबसे पहले तो, आप को उसकी उम्र देखनी चहिए , अगर वह एक दो, तीन या चार साल का है आप जानते है कि उसकी कोई भाषा नहीं, कोई सामाजिक संपर्क नही है, मै इस पर और पर्याप्त ज़ोर नही दे सकती इ।तज़ार मत करो, तम्हे ठीक शिक्षण के लिए कम से कम 20 घंटे एक सप्ताह में जरूरत है. आप जानते है कि बात यह है कि औटिस्म कैइ श्रेणियों मे आता है वहाँ स्पैक्ट्रम पर कम से कम आधे लोग होंगे जो कि कभी बोलना नही सीखेंगे और कभी काम नही कर पाएँगे सिलीकौन वैली उअनके लिए उनके लिए एक उचित कार्य नहीं होगा. लेकिन फिर आप स्मार्ट और तेज़ बच्चों को मिलते है जो औटिस्म से प्रभावित है और वहाँ आपको उन्हे प्रभावित करने की आवश्यकता है कुछ रोचक कार्यो द्वारा मैने कुछ सहयोगी रोचक कार्यो के माध्यम से सामाजिक संपर्क सीखा था मैने दूसरे बच्चों के साथ ही घोड़ों की सवारी की. मैनें दूसरे बच्चों के साथ मिल कर मॉडल रॉकेट बनाए है, दूसरे बच्चों के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स प्रयोगशाला मे काम किया था, और 60 के दशक मे उसमे शीशा चिपकाना होता था एक स्पीकर पर जिस पर एक रबर झिल्ली होती थी, रोशनी दिखाने के लिए वह कुछ इस तरह था, अरे हमे वो बहुत मस्त लगता था। सीए: क्या उनके लिए यह आशा करना या सोचना अवास्तविक है कि बच्चा उन्हे प्यार करता है, जैसे कि कुछ करते है या आशा करते है टीजी: अच्छा , मैन आपको बता दू कि बच्चा उनसे वफ़ादार रहेगा और अगर आपका घर जलने वाला हो तो वे आपको कैसे भी वहाँ से बाहर निकाल लेंगे सीए: वाह, ज़्यादातर लोग , अगर आप उनसे पूछे कि वे सबसे अधिक किसके के बारे में भावुक होते हैं, तो कहते हैं मेरी "बच्चों" या "मेरे प्रेमी" के लिए आप सबसे अधिक किस के बारे में भावुक हो? टीजी: मैं सबसे अधिक भावुक हूँ अपने कार्य जो मै करती हूँ दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए जब एक औटिस्टिक बच्चे कि मँ मुझ् से यह कहती है कि " मेरा बच्चा आपकी पुस्तक की वजह से या व्याख्यानो की वजह से कॉलेज गया", मुझे बहुत खुशी मिलती है। मैने पशुओ के वध करने वाले प्लांट्स के साथ काम किया है 80 के दशक मे वे बिल्कुल भयानक थे मैं वध संयंत्रों के लिए एक बहुत सरल स्कोरिंग प्रणाली विकसित की जहाँ आप सिर्फ परिणाम मापते थे , कि कितने मवेशी नीचे गिर गए कितने मवेशीयो को डडे से भोंका गया कितने मवेशी राँभ रँभ कर शोर मचा रहे है और यह बहुत आसान है आप सीधे सीधे कुछ सरल बातों पर ध्यान रखते है यह वास्तव में अच्छी तरह से काम किया . मुझे उससे बहुत संतोष मिलता है जिन चीज़ो से वास्तव मे बाह्री दुनिया मे फ़र्क पड्ता है। हमे ऐसे कार्यो की बहुत आवश्यकता है और बहुत कम ऊपरी बातो की (तालियाँ) सीए : जब हम फोन पर बात कर रहे थे आपने एक बात कही थी और मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि आपने कहा कि आप े सर्वर फार्मों मे बहुत रुचि रखती थी। उसके बारे मे मुझे कुछ बताएँ टीजी: उसका कारण था कि मैं बहुत उत्साहित हो गई जब मैने पढ़ा है कि उसमे बहुत ज्ञान होता है यह पुस्तकालय है. और मेर लिए ज्ञान कुछ महत्त्व रखता है जो बहुत कीमती है, लगभग 10 साल पहले हमारे पुस्तकालयो मे पानी भर गया. इंटरनेट तब बहुत बडा नही हुआ था और मै वास्तव में सभी पुस्तकों के बर्बाद होने से परेशान थी क्योंकि वह ज्ञान था जो नष्ट हो रहा था और सर्वर फार्मं, या डेटा केन्द्र ज्ञान के महान पुस्तकालय हैं. CA: टेम्प्ल, क्या मै कह सकता हूँ कि टेड मे तुम्हारे आने से हुम सब को बेहद खुशी हुई TG:अच्छा बहुत बहुत शुक्रिया। शुक्रिया। (तालियाँ) तो अब मैं जा रहा हूँ आपको नवीनतम प्रकरण दिखलाने, भारत के शायद विश्व के सबसे लम्बे समय तक चलने वाले धारावाहिक का जो है क्रिकेट . और ये हमेशा चलता रहे , क्योंकि ये मुझ जैसे लोगों को जीविका देती है. इसमें हर वो चीज़ है जो आप चाहते हैं की एक धारावाहिक में चाहिए . इसमें प्यार है, आनंद है, ख़ुशी है . दुःख , आंसू , ठहाके , बहुत सारा छल और प्रपंच . और हर अच्छे धारावाहिक की तरह ये २० साल आगे भी जाता है . जब दर्शको की रूचि बदलती है. और वास्तव में जो क्रिकेट ने किया है. यह बीस साल आगे पहुँच गया है एक बीस ओवर के खेल में. और इसी के बारे में मैं अभी बात करने जा रहा हूँ, कैसे एक छोटा बदलाब, बहुत बड़ी क्रांति को जन्म देता है. लेकिन यह हमेशा ऐसा नहीं था. क्रिकेट हमेशा ऐसा नहीं था तेज रफ़्तार वाली पीढ़ी का खेल. एक ऐसा समय था जब आप क्रिकेट खेलते थे, आप असामयिक टेस्ट मुकाबला खेला करते थे, आप तब तक खेलते थे जब तक मुकाबला खत्म न हो जाये. और एक ऐसा मुकाबला हुआ था मार्च १९३९ में वो तीन मार्च को शुरू हुआ था और चौदह मार्च को समाप्त हुआ था. और वो केवल इसलिए समाप्त हुआ क्योंकि अंग्रेजी खिलाडिओं को डरबन से केपटाउन जाना था, जो कि दो घंटे की रेल यात्रा थी, उस जलयान को पकड़ने के लिए जो सत्रह तारीख को जा रही थी, क्योंकि अगला जलयान लम्बे समय तक उपलब्ध नहीं था. इसलिए, वो मुकाबाला बीच में समाप्त हो गया. और एक अँगरेज़ बल्लेबाज़ ने कहा," आप जानते हैं ? और आधा घंटा और हम जीत जाते." (हँसी) आधा घंटा १२ दिनों के बाद. इस बीच में दो रविवार थे. परन्तु वस्तुतः रविवार के दिन गिरिजाघर के दिन होते हैं. इसीलिए आप रविवार को नहीं खेला करते और एक दिन बारिश हो गयी. इसलिए सभी एक साथ बैठे और दोस्त बने. लेकिन भारत का क्रिकेट से लगाव का एक कारण था. क्योंकि हमारी ज़िन्दगी की गति भी लगभग इसके बराबर है. (हँसी) महाभारत भी बिलकुल ऐसा ही था, था न? आप दिन में लड़ते थे. फिर सूर्यास्त होता था, इसलिए सभी वापस घर चले जाते थे. और तब आप अपनी रणनीति बनाते थे. और आप अगले दिन फिर लड़ने आते थे, और शाम में फिर वापस चले जाते थे. महाभारत और हमारी क्रिकेट में एकमात्र भिन्नता थी कि क्रिकेट में हर कोई जीवित वापस जाता था और फिर अगले दिन लड़ता था. राजाओं ने इस खेल को संरक्षण दिया, इसलिए नहीं क्योंकि उन्हें खेल पसंद था, बल्कि इसलिए कि यह खेल उनको आपस में जोड़ने का एक साधन था अंग्रेजी शासको के साथ. लेकिन एक और कारण था भारत से इस खेल के गहरे लगाव में पड़ने का, वो था, आपको जरूरत होती थी केवल एक लकड़ी के तख्ते की और एक रबड़ के गेंद की, और कितने भी लोग कहीं भी खेल सकते थे. एक निगाह डालें आप एक गड्ढे में खेल सकते हैं जहाँ कुछ पत्थर भी पड़े हों. आप एक छोटी सी गली में खेल सकते हैं. आप स्कवायर नहीं मार सकते क्योंकि बल्ला दिवार से टकरा जायेगा. वातानुकूलन और काल के तारो को मत भूलिए. (हँसी) आप गंगा के किनारों पे खेल सकते हैं. उस समय गंगा लम्बे अरसे तक साफ़-सुथरी थी. या आप जमीं के एक छोटे से हिस्से में कई खेल खेल सकते हैं, यहाँ तक की आपको भी नहीं पता की आप किस खेल में थे. (हँसी) जैसा की आप देख सकते हैं, आप कही भी खेल सकते हैं. मगर धीरे-धीरे खेल आगे बढ़ा, आप जानते हैं, आखिर में. आपके पास हमेशा पाँच दिन नहीं होते हैं. इसलिए, हम आगे बढ़े, और ५० ओवर का खेल खेलना शुरू किया. और फिर एक बहुत बड़ी और असाधारण घटना घटी. और भारत में हम खेलों में कुछ नहीं करते. कुछ घटनाये घटती है और कभी -कभी हम सही समय पे सही जगह पे होते हैं. और हम १९८३ का विश्व कप जीत गए. और अचानक हमे पचास ओवर के खेल से लगाव हो गया. और असल में हम इसे हर दिन खेलने लगे. पचास ओवर का खेल यहाँ हर जगह से ज्यादा खेला जाने लगा. मगर एक और बड़ी तारीख थी. १९८३ में हम विश्व कप जीते थे. १९९१-९२ में हमे एक वित् मंत्री मिला और एक प्रधानमंत्री जो चाहते थे की दुनिया भारत को देखे, वजाय कि षड्यंत्रों का देश होने के और रहस्यों से घिरे एक अवरुद्ध देश होने के, और इसलिए हमने बहुदेशी संगठनों को भारत में आने दिया. हमने सीमा-शुल्क कम किया. हमने आयत कर को कम कर दिया. हमने देखा बहुत सारे बहुदेशी संगठनो को भारत आते, बहुदेशी बजट के साथ, जिन्होंने प्रति व्यक्ति आय को देखा और भारत में संभावनाओ से खुश हुए, और हर भारतीय के पास पहुँचने का साधन तलाशने लगे. और भारत में केवल दो साधन हैं, एक वास्तविक, एक लिखित. लिखित वो है जो आप फिल्मों में देखते हैं. और वास्तविक क्रिकेट है. और इसलिए मेरे एक मित्र ने जो अभी मेरे सामने बैठे हैं, पेप्सी से रवि तारीवल, इन्होने निर्णय लिया इसे ले जाने का पुरे विश्व में. और पेप्सी एक बड़ी क्रांति थी. क्योंकि उन्होंने क्रिकेट को हर जगह पहुँचाना शुरू किया . और इसलिए क्रिकेट बड़ा होने लगा. क्रिकेट ने अमीर लोगों को खेल में लाना शुरू किया. दूरदर्शन ने क्रिकेट को प्रसारित करना शुरू किया. बहुत लम्बे समय तक दूरदर्शन ने कहा, "हम क्रिकेट का प्रसारण नहीं करेंगे. जब तक आप इसके प्रसारण के लिए पैसे नहीं देते." तब उन्होंने कहा," ठीक है, अगला प्रसारण अधिकार ५५० डॉलर में बेचा गया. अगला प्रसारण अधिकार 6120 डॉलर में बेचा गया." तो यह एक तरह का वक्र था. और फिर हमारे क्रिकेट में एक और बड़ी घटना हुई. इंग्लैंड ने २० ओवर की क्रिकेट की खोज की, और कहा ," सारी दुनिया को यह खेलना चाहिए." ठीक वैसे ही जैसे इंग्लैंड ने क्रिकेट की खोज की थी और बाकि दुनिया ने खेला. भगवान भला करे उनका. (हँसी) और इसलिए भारत को २० -२० क्रिकेट खेलना था. भारत २०-२० विश्व कप नहीं खेलना चाहता था. मगर हमे आठ-एक के बहुमत से खेलने को मजबूर किया गया. और फिर कुछ बहुत ही नाटकीय घटा. हम निर्णायक मुकाबले तक पहुँचे और फिर यह क्षण, जो हमेशा हमारे जेहन में रहेगा, हर किसी के, एक निगाह डालें. (दर्शको की प्रसन्नता) पाकिस्तानी बल्लेबाज ने क्षेत्ररक्षक के ऊपर से मारना चाहा. उद्घोषक : और श्रीशांत ने इसे पकड़ लिया! भारत जीत गया! क्या मुकाबला था, २०-२० विश्व कप का निर्णायक मुकाबला. भारत, विश्व विजेता. (उल्लास) भारत, २०-२० विजेता. मगर क्या मुकाबला था, एम् एस धोनी हवा में बहुत अच्छा पकड़ा, मिस्बाह उल हक, लाजवाब खिलाडी. एक बहुत बड़ी सफलता. भारत, विश्व टी-टी विजेता हर्षा भोगले: अचानक भारत ने टी-२० की ताकत को ढूंढ़ लिया. बेशक, एक घटना, बल्लेबाज ने सोचा गेंदबाज तेज गेंद फेंक रहा है. (हँसी) अगर गेंदबाज ने तेज गेंद फेंकी होती तो गेंद वहीँ जाती जहाँ उसे जाना था, लेकिन वो नहीं गया. और अचानक हमने यह महसूस किया कि हम इस खेल में अच्छा कर सकते हैं. और इसने यह भी किया हमे फक्र महसूस हुआ कि भारत विश्व में बेहतरीन बन सकता है. यह समय था जब भारत में निवेश आ रहा था, अब भारत अपने आप में थोडा आश्वस्त महसूस कर रहा था. और एक और भावना थी कि हम गर्व महसूस कर रहे थे उसमे, जो हम कर सकते हैं. और शुक्र से हमसब के लिए, अंग्रेज चीजों को ढूँढने में काफी अच्छे हैं. और जितने भद्र वो लोग हैं, वो पूरी दुनिया को इसमें निपुण बनने देते हैं. (हँसी) और इसलिए इंग्लैंड ने टी-२ओ कि खोज कि और भारत को इसे हड़पने दिया . यह किसी शोध की तरह नहीं था जैसा हम औषधि-शास्त्र में करते हैं . हमने इसे सीधी तरह लिया , जैसा ये है हँसी और इसीलिए हमने अपना टी-२० गुट आरम्भ किया . छः सप्ताह , नगर बनाम नगर . ये हमारे लिए एक नयी चीज़ थी . हमने आज तक केवल अपने देश का समर्थन किया था. भारत को सिर्फ दो क्षेत्रो मेंगर्व महसूस होता था अपने देश पे , मैदान में अपने आप को दर्शाने पे. एक युद्ध था , भारतीय सेना , जो हम नहीं चाहते की अक्सर हो और दूसरी थी भारतीय क्रिकेट . अब , अचानक हमे अपने शहरों का समर्थन करना था . लेकिन जो लोग इस शहरो के लीग में आ रहे थे उन लोगों ने इसकी झलक पश्चिमी देशों में देखी थी . अमेरिका लीगो का देश है . और उन्होंने कहा , ठीक है, हम लोग यहाँ भारत में चकाचौंध कर देने वाली लीग की रचना करेंगे . पर क्या भारत इसके लिए तैयार था ? क्योंकि क्रिकेट , बहुत लम्बे समय से भारत में व्यवस्थित था लेकिन इसे कभी प्रोत्साहित नहीं किया गया था . और देखिये उन्होंने क्या किया हमारे सुन्दर से, सभ्य साधारण पारिवारिक खेल के साथ . और अचानक से यह सब कुछ होने लगा संगीत एक प्रारंभिक उत्सव एक दुसरे को मिलाने के लिए . यह वो भारत था जो "कोर्वेत्ते" को खरीद रहा था . यह वो भारत था जो जगुआर को खरीद रहा था . यह वो भारत था जहाँ हर महीने मोबाइल फ़ोन बढ़ रहे थे न्यूजीलैंड की जनसँख्या के दोगुने से ज्यादा तो , ये एक अलग भारत था. लेकिन यह थोडा सा अलग और रूढ़िवादी भारत था जो आधुनिकता से खुश तो था लेकिन लोगो को ये बताना नहीं चाहता था . और इसीलिए , लोग चीयर लीडर्स के आने से भौच्च्कें रह गए . हर किसी ने चुपके से उन्हें देखा , लेकिन सभी ने नहीं देखने का दावा किया संगीत हँसी भारतीय क्रिकेट के नए पालनहार पुराने समय के राजा नहीं थे. वो नौकरशाह नहीं थे जिन्हें जबरदस्ती खेल में लाया गया था, क्योंकि ये उन्हें पसंद नहीं था . ये वो लोग थे जो बड़ी-बड़ी कंपनिया चलाते थे इसलिए उन्होंने क्रिकेट का बड़े स्तर पर प्रचार प्रसार किया . क्लब का बड़े स्तर पर प्रचार प्रसार शुरू किया और उन्होंने इसके पीछे पैसे का प्रचार किया मेरा मतलब है आई पी एल की कीमत २.३ बिलियन डॉलर का था बिना एक गेंद फेके huye. १.६ बिलियन डॉलर अगले दस वर्षो प्रसारण अधिकार के लिए और बाकी के ७० मिलियन डॉलर से ज्यादा फ्रेंचायीजिज से . वो पैसे लगा रहे थे . और फिर उन्हें अपने शहर के लोगो को आकर्षित भी करना था . लेकिन उन्हें ये सब पाश्चात्य तरीके से करना था , है न ? क्योंकि हम लीग की नीव रख रहे थे . लेकिन वो जो करने में बहुत अछे थे , इसे बिलकुल ही स्थानीय बनाने में . आप लोगो को केवल एक उदहारण दिखाने के लिए , कि उन्होंने ये कैसे किया मानचेस्टर युनायीतेद के तरीके से नहीं बल्कि आमची मुंबई प्रोत्साहन , एक निगाह डालें. संगीत बेशक बहुत लोगो ने कहा कि जितना अच्छा खेलते हैं उससे कहीं अच्छा नाचते हैं. हँसी लेकिन ये सब ठीक था . इसने एक और काम किया , हमारा क्रिकेट को देखने का नजरिया बदल दिया . इन सब के साथ , अगर आपको एक युवा क्रिकेटर चाहिए आप अपने मोहल्ले कि गलियों से चुन सकते हैं. अपने शहर से, और आप को गर्व महसूस होता है उस प्रणाली पे जो ऐसे क्रिकेटर पैदा करती है अब अचानक अगर आपके पास एक गेंदबाज़ कम है उदहारण के लिए अगर मुंबई के दल को एक गेंदबाज़ की जरूरत है, उन्हें कालबादेवी जाने कि जरूरत नहीं है या शिवाजी पार्क या कही और , उसे ढूँढने के लिए . वो त्रिनिदाद जा सकते हैं . ये एक नया भारत था , था न ? यह एक नयी दुनिया थी . जहाँ आप कही से भी कुछ भी खरीद सकते हैं, जब तक आप को बेहतर कीमत पर बेहतर चीज़ मिल रही हो . और एकाएक भारतीय क्रिकेट को इस सच्चाई का पता चल गया कि आप बेहतर कीमत पर बेहतर चीज़ पा सकते हैं . पूरी दुनिया में कहीं भी . इसलिए मुंबई इंडियंस ने ड्वायने ब्रावो को रातो रात त्रिनिदाद और टोवैगो से बुला लिया . और जब उन्हें वापस जाना था प्रतिनिधित्व करने वेस्ट इंडीज का , इन्होने पुछा ," आपको वहाँ कब पहुँचना है." उसने कहा ," मुझे वहाँ फलाने समय पे पहुँचना है . इसलिए मुझे आज यहाँ से निकलना होगा ." हमने कहा ," नहीं-नहीं. यह इसके बारे में नहीं है कि आपको कब जाना है ." महत्वपूर्ण यह है कि आपको वहाँ कब पहुँचना है . और तब उन्होंने कहा ," मुझे क्ष तारीख को वहाँ पहुँचना है. और इन्होने कहा ," ठीक है . आप x तारीख से एक दिन पहले तक यहाँ खेलिए . इसलिए ब्रावो ने हैदराबाद में खेला, खेल के बाद सीधे गए खेल के मैदान से हवाई अड्डे . एक निजी कॉर्पोरेट विमान में बैठे . पहली बार पुर्तगाल में ईंधन भरा गया दूसरी बार ब्राज़ील में और वो निश्चित समय पे वेस्ट इंडीज में थे . हँसी भारत ने इस पैमाने पे पहले कभी नहीं सोचा था . इससे पहले भारत ने कभी नहीं सोचा था ," मुझे एक खिलाडी चाहिए जो मेरे लिए एक मुकाबला खेले , और हम उसे एक कॉर्पोरेट विमान से उसे वापस किंग्स्टन , जमैका भेजेंगे . एक मुकाबले में खेलने के लिए . और मैंने अपने आप में सोचा वाह , हम दुनिया में कहीं तो पहुँच गए है , है न ? हमने कुछ हासिल किया है . हमारी सोच बेहतर हुई है . लेकिन इसने कुछ और भी किया और वो ये कि इसने शुरू किया भारतीय खेल में दो महत्वपूर्ण चीजों को जोड़ना . जो कि क्रिकेट और सिनेमा थी भारतीय मनोरंजन जगत में . क्रिकेट और सिनेमा और ये एक साथ आये क्योंकि जो लोग सिनेमा में थे उन्होंने क्लब खरीदना शुरु किया . और इसलिए लोगों ने क्रिकेट के मैदान में जाना शुरु किया प्रीति जिंटा को देखने के लिए . वो जाने लगे शाहरुख़ खान को देखने के लिए . और कुछ बहुत ही दिलचस्प हुआ . भारतीय क्रिकेट में हमे गीत और नृत्य देखने को मिला . और भारतीय क्रिकेट सिनेमा कि तरह प्रतीत होने लगा . और बेशक , अगर आप प्रीति जिंटा के दल में हैं जैसा कि आप देखेंगे अगले हिस्से में , अगर आप अच्छा करते हैं आपको प्रीति जिंटा के गले लगने का मौका मिलेगा . इसलिए यह एक बुनियादी कारण था अच्छा खेलने का . एक निगाह डालें. सभी प्रीति जिंटा कि ओर देख रहे हैं . संगीत और फिर नि:संदेह वहाँ शाहरुख़ खान भी थे कोलकाता के लोगों के साथ झूमते हुए . हम में से सभी कोलकाता में खेल देखा था , लेकिन हमने ऐसा कुछ कभी नहीं देखा था . शाहरुख़ , बंगाली संगीत के साथ, सभी दर्शको को उत्साहित करते हुए कोलकाता के लिए. भारत के लिए नहीं बल्कि कोलकाता के लिए . लेकिन इसपे एक निगाह डालें. संगीत एक भारतीय सिने अभिनेता एक पाकिस्तानी खिलाडी को गले लगा रहा है क्योंकि उन्होंने कोलकाता में जीत हासिल की थी . क्या आप कल्पना कर सकते हैं ? और क्या आप जानते हैं उन पाकिस्तानी खिलाडी ने क्या कहा ? तालियाँ काश मैं प्रीति जिंटा के दल के लिए खेल रहा होता . हँसी लेकिन मैंने सोचा मैं इस मौके का फायदा उठाऊंगा यहाँ कुछ लोग पाकिस्तान से भी आये हैं . मैं बहुत खुश हूँ की आप यहाँ आये . क्योंकि मुझे लगता है कि हम ये दिखा सकते हैं कि एक साथ रह सकते हैं और दोस्त बन सकते हैं . हम लोग साथ-साथ क्रिकेट खेल सकते हैं और दोस्त बन सकते हैं. इसलिए बहुत बहुत धन्यवाद् आप सब पाकिस्तानी लोगों का ,यहाँ आने के लिए . तालियाँ यहाँ पर आलोचनाएँ भी हुई थी क्योंकि लोगो ने कहा " खिलाडी ख़रीदे और बेचे जा रहे हैं ." क्या वो अनाज हैं ? क्या वे मवेशी हैं ? क्योंकि वहाँ नीलामी हुई थी, आप देख सकते हैं. आप एक खिलाडी कि कीमत कैसे निर्धारित करते हैं ? और इसलिए जो नीलामी हुई, उसमे लोग शाब्दिक तौर पे कह रहे थे धडाम ! फलाने और फलाने खिलाडी के इतने मिलियन डॉलर. ये यहाँ है . संगीत नीलामीकर्ता : १,५००,००० डॉलर के लिए , चेन्नई . शेन वार्ने बेचे गए ४५०,००० डॉलर के लिए . हर्षा भोगले : अचानक , एक खेल जिसमे एक खिलाडी एक दिन के पचास रूपये कमाता था अत: एक टेस्ट मुकाबले के लिए २५० रूपये , लेकिन अगर खेल चार दिन में खत्म हो जाता है तो केवल २०० रूपये . श्रेष्ठ भारतीय खिलाडी जिन्होंने हर एक टेस्ट मुकाबला खेला , हर अंतर्राष्ट्रीय एकदिवसीय मुकाबला , उच्च कोटि के खिलाडी , केंद्रीय अनुबंध होते थे २२०,००० डॉलर प्रतिवर्ष . और अब उन्हें छः दिन के ५००,००० डॉलर मिल रहे थे . एंड्रयू फ़्लिंटॉफ़ इंग्लैंड से आये उन्हें डेढ़ मिलियन डॉलर मिले , वो वापस गए और बोले , " चार सप्ताह में , मैं फ्रांक लम्पर्द और स्टीवेन गेर्राड से ज्यादा पैसे कम रहा हूँ. और मैं फूटबाल खिलाडियों से ज्यादा कम रहा हूँ, वाह ! और ये कहाँ से कमा रहे थे ? भारत में एक छोटे से क्लब से क्या आपने कल्पना की थी कि ऐसा भी दिन आएगा ? छः सप्ताह के काम के लिए डेढ़ मिलियन डॉलर . बुरा नहीं है, है क्या ? तो , २.३ बिलियन डॉलर बिना एक भी गेंद का खेल हुए . और भारत जो कर रहा था वो था एक मानदंड खड़ा करना पूरे विश्व में बेहतर प्रथाओं के सामने और यह एक बहुत बड़ा ट्रेड-मार्क बन गया . ललित मोती बिज़नस टुडे पत्रिका के आवरण पृष्ठ पर थे आई पी एल पूरे भारत में सबसे बड़ा ट्रेड-मार्क बन गया . और, हमारे यहाँ आम चुनावो के कारण , हमें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा . और हमें ये श्रृंखला तीन सप्ताह में शुरू करनी थी . एक पूरी श्रृंखला को तीन सप्ताह के अन्दर दक्षिण अफ्रीका ले जाना . लेकिन हमने ये कर दिखाया . और आप जानते हैं , क्यों ? क्योंकि कोई भी देश इतनी धीमी गति से काम नहीं करता जैसे हमने किया एक कार्यक्रम के तीन सप्ताह पहले तक और कोई भी इतना तेज नहीं करता जितना हमने किया आखिर के तीन सप्ताह में . तालियाँ हमारी जनसँख्या , जो एक लम्बे समय से हमारे लिए एक समस्या थी अचानक से हमारी सबसे बड़ी संपत्ति बन गयी . क्योंकि ज्यादा लोग क्रिकेट देख रहे थे -- बहुत बड़ा उपभोगी वर्ग सभी क्रिकेट को देखने आरहे थे हमने भारत में क्रिकेट को एकमात्र खेल बना दिया जिसपे हमें तरस आती है , लेकिन भारत में हर खेल क्रिकेट को बड़ा बनाने में भागीदार हुआ . जो की हमारे समय की एक बहुत बड़ी त्रासदी है . अब मेरे खत्म करने से पहले इसके एक दो और प्रभाव भी हैं. एक लम्बे समय तक भारत अभावों का देश था गन्दगी का, भिखारियों का , सपेरों का , कूड़े -करकट का , दिल्ली के ठग - लोगों ने आने से पहले दिल्ली के ठगों की कहानियां सुनी थी और , अचानक से , यह संभावनाओं का देश बन गया . पूरी दुनिया के क्रिकेट खिलाडी कहने लगे , आपको पता है, हमें भारत बहुत पसंद है . हमें भारत में खेलना बहुत अच्छा लगता है ." और आपको पता है ये हमें अच्छा महसूस हुआ . हमने सोचा ," डॉलर वाकई काफी ताकतवर है ." क्या आप कल्पना कर सकते हैं , डॉलर पे एक नज़र पड़ी और दिल्ली में बेईमानी का नामो-निशान नहीं था . कोई गन्दगी नहीं थी, न ही भिखारी थे . सारे सपेरे गायब हो गए . कोई गन्दगी नहीं थी, न ही भिखारी थे . सारे सपेरे गायब हो गए . ठीक है. और अंत में , एक अंग्रेजी खेल जिसे भारत ने एक हद तक अपनाया , मगर टी-२० पूरी दुनिया में अगला उद्धेश्य बनने जा रहा है अगर आप एक खेल को पूरी दुनिया में फैलाना चाहते हैं , ये खेल का सबसे छोटा रूप ही हो सकता है . आप एक असामयिक मुकाबले को चीन में जाकर १४ दिन तक बिना किसी नतीजे के नहीं खेल सकते , आप इसे पूरी दुनिया में नहीं ले जा सकते . और ठीक यही टी-२० कर रहा है . आशा है , यह हर किसी को और भी आमिर बनाये , खेल को और महान बनाये , और उम्मीद है कि यह क्रिकेट उद्घोषको को और ज्यादा काम दिलाएगा . बहुत बहुत धन्यवाद .धन्यवाद . तालियाँ मैं विज्ञान कथा के एक स्थिर आहार पर पला बढ़ा| उच्च विद्यालय में, मैं स्कूल के लिए एक बस लेके एक घंटे के हर तरह से हर दिन। और मैं हमेशा एक किताब में लीन था, विज्ञान कथा की एक पुस्तक जो मेरे मन को दूसरी दुनिया ले गयी, और संतुष्ट, एक कथा के रूप में, इस अतोषणीय जिज्ञासा की भावना जो मुझ में थी| और आप जानते हैं, कि जिज्ञासा भी स्वयं प्रकट तथ्य यह है कि जब भी मैं स्कूल में नहीं था मैं बाहर जंगल में था, लंबी पैदल यात्रा और 'नमूने'-लेते हुए मेंढ़क और साँप और कीड़ों और तालाब पानी -- और इसे वापस ला कर, माइक्रोस्कोप के नीचे देख रहा था । तुम्हें पता है, मैं एक असली विज्ञान geek था। लेकिन यह दुनिया को समझने की कोशिश करने के बारे में था, संभावना की सीमाओं को समझने के बारे में| और विज्ञान कथा का मेरा प्यार भी असल में मुझे चारों ओर दुनिया में नजर आता लग रहा था, क्योंकि क्या हो रहा था, इस देर ' 60' के दशक में था, हम चांद के लिए जा रहे थे, हम गहरे समुद्रों की खोज रहे थे। जाक कौस्टौ हमारे रहने वाले कमरे में आ गया था उनके अद्भुत विशेष के साथ जिसने हमें दिखायी पशुओं और स्थानों और एक चमत्कारिक दुनिया जिसके बारे में हमने पहले वास्तव में कभी नहीं सोचा था। तो, वह भरे हुए लग रहा थे पूरे विज्ञान कथा भाग के साथ। और मैं एक कलाकार था। मैं ड्राइंग कर सकता था। मैं चित्रकार भी था| वीडियो गेम्स नहीं थे मैंने पता कर लिया कि सी जी फिल्मों की इस संतृप्ति के सभी कल्पना जो मीडिया के परिदृश्य में थे, मुझे अपने दिमाग में इन छवियों को बनाना ही था । हमें पता हैं कि हम सब करते थे,बच्चे होते हुए, और लेखक के विवरण के माध्यम से एक किताब पढ़ी, हमारे दिमागी फिल्म परदे पर कुछ डाल दिया. इसके लिए मैंने तस्वीरें बनायी, चित्रांकन किया विदेशी प्राणियों, विदेशी दुनिया, यंत्रमानव, अंतरिक्ष-जहाज़ इन सबका। मैं अंतहीन गणित वर्ग में पर्दाफाश हो रहा था पाठ्यपुस्तक के पीछे ठगना। और इस रचनात्मकता को उसको एक निकास खोज निकालना ही था। और एक दिलचस्प बात हुई: जाक कौस्टौ के कार्यक्रम वास्तव में मुझे बहुत उत्तेजित किया इस बात के लिए कि पृथ्वी पर एक विदेशी दुनिया भी थी | मैं वास्तव में एक विदेशी दुनिया में नहीं जा सकता किसी दिन एक अंतरिक्ष यान में, शायद उसकी कोई संभावना नहीं थी। लेकिन वह एक दुनिया थी जहां मैं वास्तव में जा सकता था, इस पृथ्वी पर, जो सम्पुस्ट और विदेशी थे जो मैंने कल्पना की थी उन किताबो को पढ़ने से । तो मैंने स्कूबा गोताखोर बनने के का तय किया १५ साल के उम्र में समस्या यह थी कि जहाँ पे में रह रहा था कनाडा में एक गांव में ६०० मील दूर था, सबसे पास के समुन्दर से। पर मैंने इस बात को मुझे परेशान नहीं करने दिया मैंने अपने पिताजी को तंग किया जब तक उन्होंने बुफ्फल्लो, न्यूयॉर्क में एक स्कूबा डाइविंग के क्लास ढूंड निकाला। जहाँ हम रहते थे उसकी सीमा के उस पार। और मैं प्रमाणित भी हो गया । सर्दी में, एक वाई एम सी ए के एक पूल में, बुफ्फल्लो, न्यूयॉर्क में और सच में मैंने एक समुद्र को नहीं देखा, और दो साल के लिए, जब हम कैलिफ़ोर्निया चले गये । तबसे लेके, बीच बीच में, ४० साल मैंने करीब ३००० घंटे पानी के नीचे बिताए हैं और उनमें से ५०० घंटे तक पनडुब्बी में था । और मैंने जाना कि जहरी गहरी समुन्दर के पर्यावरण और उथले सागर के पर्यावरण भरे हुये हे अद्भुत जीवन से जो हम कल्पना भी नहीं कर सकते। प्रकृति की कल्पना तो असीम है हमारे तुलना में अल्प मानव कल्पना। में आज भी आश्चर्यचकित होके खड़ा हुँ वो सब देखके जब में डाइविंग करता हुँ । समुन्दर के साथ मेरा प्रेम अभी भी जारी हैं । उतनी ही मजबूती से जब मैं एक वयस्क के रूप में एक कैरियर का फैसला किया, यह फिल्म निर्माण था | और सबसे उत्तम तरीका था मेरी कहानिया बताने के चाह का और चित्र बनाने के चाह को मिलाके। में जब से बच्चा था, तबसे कॉमिक्स बनाया करता था तो, चित्रो और कहानियो को बनाने का एक तरीका था फिल्म निर्माण मेरे लिए । सब मिलाके, सही लगा । और जो भी कहानियाँ मैंने बताए, वह सब सब के सब विज्ञान गल्प थे । जैसे की "टर्मिनेटर ", "एलियन्स ", और "दि अबिस्स "। "दि अबिस्स" में, मैने फिल्म निर्माण में साथ मिलाया, मेरा प्यार, जो पानी के नीचे और डाइविंग से मुझे था। तो, दो जूनून को आपस में मिलाना । एक दिलचस्प बात "दि अबिस्स" से आया, जो था एक विशिष्ट कथा प्रश्न उस फिल्म का, जो था पानी के बने हुए एक प्राणी को बनाना । हमने सी जी को हमारे बाहों में ले लिया। और यह पहली नरम सतह पात्र थे जो सी जी एनीमेशन द्वारा एक फिल्म में बनाये गये थे । फिल्म ने कोई पैसा नहीं बनाया, फिर भी, कोई भी मुनाफा नहीं मिला, अगर में कहु, पर मैंने देखा कि दर्शक, दुनिया भरके, सभी मंत्रमुग्ध थे उस फिल्म के अंदर के जादू को देखकर । तुम्हे पता हैं? यह 'अर्थर के नियम' है कि किसी भी पर्याप्त रूप के उन्नत प्रौद्योगिकी जादू से अप्रभेद्य है| वे जादुई कुछ देख रहे थे. और इसने मुझे बहुत उत्तेजित किया | और मैंने सोचा "अरे वाह!,यह कुछ ऐसे चीज़ हे जो सिनेमाई कला में आना ही चाहिए" । तो,"टर्मिनेटर 2", जो मेरी अगली फिल्म थी, हम उससे बहुत आगे लेके गया । आई एल एम के साथ काम करके हम तरल धातु मनुष्य को बनाया उस फिल्म में"। सफलता इस बात के ऊपर आधारित थी कि उस प्रभाव का कोई असर होगा कि नही । और, असर पड़ा । और हमने फिर से जादूगरी की, और दर्शक से वही परिणाम मिला-- हालांकि इस बार हमने पहले से थोडा ज़्यादा पैसा भी कमाया। उन दो बिन्दुओं के बीच में एक पंक्ति बनाने का अनुभव आ गया इसपे की "यह एक नई दुनिया होगी" । यह रचनात्मकता के एक नयी दुनिया थी फिल्म कलाकारों के लिये। तो मैंने 'स्टान विल्सन' के साथ मिलके एक कंपनी बनाई मेरी अच्छी दोस्त, ' स्टान विल्सन' जो सबसे पहले के श्रृंगार और प्राणीयों के डिजाइनर थे एक समय, कंपनी का नाम था "डिजिटल डोमेन "। और कंपनी के संकल्पना यह थी कि हम आगे बढ़ेंगे इन पुराने ऑप्टिकल प्रिंटर्स आदी के प्रक्रियाओं से और हम सीधे डिजिटल उत्पादन की और चले जाएंगे। और हमने यह किया और इसने थोड़ी देर के लिए हमें फायदा भी दिया। पर ९० के अंत में हम धीमे पड़ गए इन जीव और जंतुवो के निर्माण में, जिनके लिये हम इस कंपनी को बनाया था। तो मैंने इस खंड को लिखा "अवतार," जो पूरी तरह से सीमाओं को पार कर जाएंगे, दृश्य प्रभावों के सी जी प्रभावों और कई सारे अनेक चीज़ो के भी वो भी, मानव पात्रों के साथ जो सी जी से बनेंगे और मुख्य पात्रों, सभी सी जी के होंगे और दुनिया सी जी में होगी। और उन सीमाओं ने हमें वापस पीछे धकेल दिया, और कंपनी के लोग ने मुझे बताया कि कुछ समय के लिए हम यह नहीं कर सकते। तो मैंने उसे हटाया और एक डूबते हुए, बड़े जहाज़ की फिल्म बनाई. (हँसी) मैंने स्टूडियो में जाकर कहा कि "यह रोमियो और जूलिएट" होगी एक जहाज़ में, "यह एक प्रेम महाकाव्य और भावुक फिल्म होगी। " चुपके से, क्या मैं करना चाहता था कि में टाइटैनिक के मलबे के अंदर गोता लगाना चाहता था। और इसलिए ही मैंने वो फिल्म बनायी थी (तालियां) और यही सच है। और स्टूडियो को यह नहीं पता था। पर मैंने उसको आश्वस्त किया। मैंने कहा, हम उस मलबे के अंदर गोता जाएंगे। हम असल में यह सब शूट करेंगे। हम फिल्म के शुरुआत में इसको उपयोग करेंगे। यह वास्तव में महत्वपूर्ण होगा | यह एक महान महान विपणन के अंकुड़ा होगा। मैंने एक अभियान के वित्तपोषण करने के लिए उन्को आश्वासन दिया। (हँसी) पागल लगता है | पर यह वापस जाती है उस विषय कि तरफ अपनी कल्पना को एक वास्तविकता बनाने के बारे में | क्यूंकि हमने एक वास्तविकता बनाया छह महीने बाद जब मैंने अपने आप को एक रूसी पनडुब्बी के अंदर पाया उत्तर अटलांटिक समंदर में करीब ढाई मील नीचे, "टाइटैनिक" के असली मलबे को देखते हुए एक दृश्य के बंदरगाह के माध्यम से। कोई फिल्म नहीं, कोई एच डी नहीं-- असल में। (तालियां) अब, इसने मेरे मन को उड़ा दिया। और इसके लिए हमें बहुत तैयारियां करनी पड़ी। हमें कैमरों और कई सारे दीपक आदि भी बनाने थे। पर, तब मुझे मालूम पड़ा कि इस गोता, यह गहरा गोता एक अंतरिक्ष मिशन जैसा ही था | जहाँ पे सब बहुत तकनीकी होता है, और विशाल नियोजन भी आवश्यक थे। तुम उस कैप्सूल के अंदर जाके, उस अंधेरी प्रतिकूल वातावरण में जहाँ पे बचाव की कोई उम्मीद नहीं है अगर तुम अपने आप वापस नहीं आ सकते तो। और मैंने सोचा कि "अरे वाह, मैं तो एक विज्ञान कथा फिल्म में जी रहा हुँ। यह बहुत अच्छा लग रहा है। तो, मुझे गहरे समुद्र अन्वेषण का कीड़ा काट ही गया था बेशक, वह जिज्ञासा जो थी, उस विज्ञान घटक-- वह सब कुछ थे। यह साहसिक था. यह जिज्ञासा थी, यह कल्पना थी। और वह एक ऐसा अनुभव था जो हॉलीवुड कभी भी मुझे दे नहीं पाती क्यूंकि तुम्हे पता है, मैं एक प्राणी को कल्पना कर सकता हुँ और हम उसके लिए एक दृश्य प्रभाव बना सकते है। पर मैं कल्पना भी नहीं कर सकता जो मैंने उस खिड़की से देखा। और जब हमने आगे कुछ अभियान किये तब मैंने जलतापीय छेदों में कुछ प्राणियों को देखा और कभीकभी वो चीजें जो मैंने पहले कभी नहीं देखीं । कभी कबार वो चीजें जो किसी ने कभी नहीं देखीं। और जो विज्ञान द्वारा वर्णित भी नहीं किया गया अभी तक उस समय जब हम यह सब देखते थे। तो, मैं इनसे पूरी तरह लिप्त हो गया था, और मुझे और भी कुछ करना था। और मैंने एक उत्सुक निर्णय लिया। "टाइटैनिक" के सफलता के बाद मैंने कहाँ कि "चलो, टीक है, मेरे दिन का काम, हॉलीवुड फिल्म निर्माता का, रोक रहा हूँ थोड़े देर के लिए. और कुछ समय के लिए मैं एक पूर्णकालिक अन्वेषक बनने जा रहा हूँ। और हमने नियोजन बनाना शुरू किया इस अभियानों के लिए | और हम "बिस्मार्क" पे गए और इसकी तलाश किये रोबोट वाहनों से हम टाइटैनिक के मलबे में वापस चले गए | हमने जो बॉटस बनाये थे, उसको लेकर, जिसमे फैबर ऑप्टिक केबल बंधे हुए थे, और विचार यह थे कि अंदर जाकर उस जहाज़ के आंतरिक सर्वेक्षण लेने का, जो कि पहले कभी किये नहीं गए | कोई भी कभी उस मलबे के अंदर नहीं देखा, उसके लिए कोई माध्यम नहीं था। तो हमने उसके लिए एक तकनीक बनायी। तो तुम्हे पता है, अभी मैं तट के ऊपर हुँ टाइटैनिक के, एक पनडुब्बी के अंदर बैठा हुँ, और देख रहा हुँ उन सभी पौधों को जो इसी तरह दिखती हैं, जहा पे बैंड बजाया करता था। और में एक रोबोट वाहन को चला रहा हुँ उस जहाज़ के गलियारों के अंदर से जब में कहता हूँ कि "मैं उनके ऊपर काम कर रहा हूँ" पर मेरा मन उस वाहन में है। मुझे लगा कि मैं शरीर से "टाइटैनिक" के मलबे के अंदर था | और यह सबसे असली "डेजा वू" अनुभव था जो मुझे हुआ क्यूंकि एक कोन लेने से पहले मुझे पता होता हे कि वहाँ पे क्या होगा वाहन के रोशनी उनको प्रत्यक्ष कराने से पहले, क्यूंकि मैंने सेट के ऊपर कई बार चले थे जब हम उस फिल्म को बना रहे थे । और वह सेट बना था एक सटीक प्रतिकृति की तरह। जो एक जहाज़ के मूल योजना के अनुसार थे। तो, यह एक बिल्कुल उल्लेखनीय अनुभव था। और वह मुझे एहसास दिलाया कि यह आभासी उपस्थिति के अनुभव-- जो कि तुम पा सकते हो इन रोबोट के बने अवतारों से और तुम्हारे चेतना को उन माध्यमों में डालकर, और इस तरह के एक अस्तित्व में जीना। यह वास्तव में बहुत गहरा था। यह सब झलकें हो सकती है अगले कुछ सालों में होने वाली बातों की जब हमारे पास साईबोर्ग देह होंगे अन्वेषण या अन्य कार्यो के लिए कई तरह के मानव जाती के विदुर भावी सौदे में जो मैं कल्पना कर सकूँ, एक विज्ञान कथा प्रशंसक होने के नाते। तो इन अभियानों को करने के बाद और जब मैंने जाना कि वास्तव में नीचे क्या है जैसे कि गहरे सागर छेद जहा पे यह अद्भुत जानवर रहते है-- वो असल में इस पृथ्वी पर रहने वाले विदेशी ही है। वह कीमोसिंथेसिस के पर्यावरण में जी रहे है। वे सूरज की रोशनी आधारित प्रणाली में नहीं जी सकते हमारे जैसे। तो,अब तुम जानवरों को देख रहे हो जो रह रहे है ५०० डिग्री तापमान के पानी के वातावरण में। तुम्हे लगता है कि वे नहीं हो सकते। उसी समय मुझे अंतरिक्ष विज्ञान में बहुत दिलचस्पी हो रही थी-- यह बचपन से चलती आ रही वि‍ज्ञान कल्‍प के प्रभाव थे। और मैं शामिल हो गया एक अंतरिक्ष समुदाय में, नासा के साथ, नासा के एक सलाहकार बोर्ड में बैठके, वास्तव में अंतरिक्ष अभियानों के नियोजन करके, रूस जाके, पूर्व अंतरिक्ष यात्री के जैव चिकित्सा प्रोटोकॉल से गुज़रके, और यह सब करके, ताकि में वास्तव में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जा सकूँ हम्हारे ३ डी कैमरा प्रणाली के साथ । और यह बहुत आकर्षक था। पर,मैं क्या करने लगा कि अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को अपने साथ लेके नीचे चला गया । और उनको नीचे ले जाना, ताकि उनको इन सबके पहुँच हमेशा रह सके-- खगोल जीववैज्ञानिकों, ग्रहों के वैज्ञानिकों लोग जिसको इन चरम वातावरण में रूचि हैं-- नीचे ले जाकर उनको यह सब दिखाना, और परीक्षण के नमूने लेना, उपकरणों का परीक्षण आदि। तो, इधर हम वृत्तचित्र फिल्में बना रहे हैं, पर वास्तव में हम विज्ञान कर रहे थे और वास्तव में अंतरिक्ष विज्ञान कर रहे थे। मैं पूरी तरह से पाश बंद कर दिया था विज्ञान कथा प्रशंसक के बीच, तुम्हे पता है, एक बच्चा होने के नाते और असल में यह सब करने में। और,पता है, इस यात्रा में खोज की राह पर, मैंने बहुत कुछ सीखा। मैंने विज्ञान के बारे में बहुत कुछ सीखा, पर मैं, नेतृत्व के बारे में भी बहुत कुछ सीखा। अब आप सोच रहे होंगे कि एक डायरेक्टर को अच्छा नेता भी होना पड़ेगा, जैसे कि जहाज के कप्तान, मैं वास्तव में नेतृत्व के बारे में नहीं सीखा जबतक मैंने इन अभियानों को किया। क्यूंकि कई बार,एक समय पर, मुझे पूछना पड़ा कि, "मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ? किसलिए मैं यह कर रहा हूँ ।" इनसे क्या मिलेंगा मुझे? हम इन शोज़ में कोई पैसे नहीं बनाते। हमें इनमें से कुछ पैसे नहीं मिलते। उसमे कोई प्रसिद्धि नहीं मिलती। लोग सोचे की में कही चला गया "टाइटैनिक" और "अवतार" के बीच में अपनी नाखून चमका रहा था किसी समुद्र तट पे बैठकर। इन सभी फिल्मों को बनाया, इन सभी दस्तावेजी फिल्मों को बनाया बहुत ही सीमित दर्शकों के लिए। कोई प्रसिद्धि नहीं, कोई महिमा नहीं, कोई पैसे भी नहीं, क्या कर रहे हो तुम? तुम उस कार्य के लिए ही यह सब कर रहे है। चुनौती के लिए-- क्यूंकि सबसे चुनौतीपूर्ण पर्यावरण, समुन्दर है-- खोज के रोमांच के लिए, और उस विचित्र बंधन जो बनते है जब एक छोटे लोगों का समूह एक कसी हुई टीम बनती है। क्यूंकि हम करीब १०,१२ लोगों के साथ यह करते है, कई सालों तक कई बार समुन्दर में, दो, तीन महीने तक । और उस बंधन में तुम्हे मालुम पड़ेगा कि सबसे महत्वपूर्ण बात है उनके प्रति आपके मन में रहने वाले आदर। और तुम्हारे लिए उनके मन में, तुमने एक काम किया हे जो कभी किसी को समझा नहीं सकते। आप किनारे आने के बात कहेंगे, हमे ऐसा करना था,फाइबर ऑप्टिक से,और क्षीणन, और यह और वह यह सब प्रौद्योगिकी, और कठिनाई, समुद्र पर काम करने के मानव प्रदर्शन पहलू," आप इसको लोगों को समझा नहीं सकते। यह वो चीज़ हे जो शायद पुलिस या योद्धाओं को परिचित होंगे और उसको मालुम है कि वह कभी यह समझा नहीं सकते । एक बंधन बनाता है, सम्मान का बंधन| तो, जब मैं वापस आया मेरी अगली फिल्म, "अवतार" को बनाने के लिए नेतृत्व का यही सिद्धांत मैंने लागू किया जो है कि तुम अपनी टीम का सम्मान करो, तुमें बदले में उनका सम्मान मिलेंगा । और इसने वास्तव में गति को बदल दिया। तो यहाँ मैं था एक छोटी सी टीम के साथ, अज्ञात क्षेत्र में, "अवतार" बना रहा हूँ, नई तकनीक से, जो पहले नहीं थी। काफी रोमांचक | काफी चुनौतीपूर्ण | साढ़े चार साल में हम एक परिवार की तरह बन गए । और यह मेरे फिल्मों को बनाने के तरीके को बदल दिया। तो लोगों ने इनके ऊपर टिप्पणी की "आपको पता है, समुद्र जीवों को वापस लाया उन्हें पैंडोरा ग्रह में डाला।" इन सबके ऊपर। मेरे लिए यह व्यापार करने का एक मौलिक तरीका था, वह प्रक्रिया जो खुद, उसके परिणाम में बदल गया"। तो, इन सबसे हम क्या संश्लेषण कर सकते हैं ? तो इन सब से सीखे सबक क्या हैं? मेरे विचार में, नंबर एक है जिज्ञासा। यह सबसे शक्तिशाली चीज़ है जिसके आप मालिक है । कल्पना एक ताकत है जो वास्तविकता में बदला जा सकता है । और अपनी टीम का सम्मान सबसे महत्वपूर्ण है दुनिया के सभी ख्याति से। मेरे पास कई जवान फिल्म निर्माताओं है जो आ के कहते है "यह करने के लिए मुझे कुछ सलाह दीजिये। " और में कहता हूँ । अपने आप पर कोई सीमाएं मत डालना । दूसरों तुम्हारे लिए वह करेंगे-- यह अपने आप मत करो अपने ही ऊपर शर्त मत लगाओ, जोखिम उठाओ" नासा के एक पसंदीदा मुहावरा है: "असफलता एक विकल्प नहीं है |" पर विफलता को एक विकल्प होना ही पड़ेगा कला और अन्वेषण में, क्यूंकि वह विश्वास की एक छलांग है। और कोई भी महत्वपूर्ण प्रयास हुए नहीं जिसमे नवाचार आवश्यक नहीं थे और जोखिम के बिना किये गये थे । तुम्हे उन जोखिम को उठाने के लिए तैयार रहना पड़ेगा। तो,यही एक सोच जो में आपके लिये छोड़ के जा रहा हूँ जो भी आप कर रहे हो, उसमें असफलता एक विकल्प है पर डर नहीं । धन्यवाद| (तालियां) मैं आज बात करने जा रहा हूँ विज्ञान और मानवीय मूल्यों के बीच के रिश्ते के बारे में | अब, सामान्य तौर पर यह समझा जाता है कि नैतिक प्रश्नों के विषय में - अर्थात अच्छाई और बुराई या सही और गलत के मामलों में - औपचारिक तौर पे विज्ञान की कोई राय नहीं है | माना जाता है कि विज्ञान बस हमारी सहायता कर सकता है, उन चीज़ों को हासिल करने में जो हमारे लिए मायने रखती हैं , मगर विज्ञान हमें कभी यह नहीं बता सकता कि कौनसी चीजें हमारे लिए मायने रखने योग्य हैं | और इसका नतीजा यह है कि ज़्यादातर लोग - मेरे ख्याल में यहाँ मौजूद ज्यादातर लोग भी- यह मानते हैं कि विज्ञान मानवीय जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर कभी नहीं दे सकता; ऐसे प्रश्नों का जैसे ; "ऐसा क्या है जिसके लिये हम जीना चाहें?" "ऐसा क्या है जो जान देने लायक है?" "एक अच्छा जीवन किन चीजों से बनता है?" तो, मैं यह तर्क करना चाहता हूँ कि यह एक भ्रम है - कि विज्ञान और मानवीय मूल्यों के बीच का अलगाव एक भ्रम है - और मानवीय इतिहास के इस दौर में ये वाकई एक खतरनाक भ्रम है अब, अक्सर कहा जाता है कि विज्ञान हमें नैतिकता और मानवीय मूल्यों की आधारशिला नहीं प्रदान कर सकता, क्योंकि विज्ञान की सिर्फ तथ्यों के बारे मे बताता हैं, और ऐसा लगता है कि तथ्यों और मूल्यों के स्थान एकदम अलग मंडलों में हैं | अक्सर माना जाता है कि विश्व की वास्तविक अवस्था का ऐसा कोई वर्णन नहीं है जो हमें बता सकता है कि विश्व की उचित व्यवस्था कैसी होनी चाहिए | मगर मैं इस मान्यता को बिल्कुल झूट मानता हूँ | मूल्य भी एक प्रकार का तथ्य हैं | वे तथ्य हैं चेतनावान प्राणियों की सुखद सद्गति के बारे में | क्या कारण है इस बात का कि पत्थरों के प्रति हमारे कोई नैतिक उत्तरदायित्व नहीं हैं ? हम पत्थरों के प्रति संवेदना का अनुभव क्यों नहीं करते? इसका कारण यह है कि हम नहीं मानते कि पत्थरों को कष्ट हो सकता है | और अगर हम कीड़ों से ज़्यादा हमारे वनमानुष-समुदाय के प्रति अधिक संवेदनाशील हैं , और वाकई हम हैं भी, यह इसलिए है क्योंकि हम सोचते हैं कि वे सुख और दुःख के अनुभव की काफी अधिक संभावनाओं के पात्र हैं | अब, यहाँ एक अहम मुद्दा यह है कि यह एक दावा है एक हकीकत का ; एक दावा जो सही या गलत निकल सकता है | अगर हमनें शारीरिक जटिलता और अनुभव की संभावनाओं के बीच के सम्बन्ध के विषय में अनुचित निष्कर्ष निकाला हो , तो संभवतः हम कीड़ों के आतंरिक जीवन के विषय में गलत भी हो सकते हैं | मैं अब तक मानवीय मूल्यों और नैतिकता के ऐसे किसी विचार या आदर्श से परिचित नहीं हुआ, जिसका चिंतन किसी तरह केन्द्रित नहीं है सचेतन अनुभव और उसके विभिन्न परिवर्तनों पर | यदि आप आपके जीवन-मूल्य किसी मजहब से प्राप्त करते हों, यदि आप यह भी मानते हों कि अच्छाई और बुराई अन्तत: मृत्यु के बाद की परिस्थितियों - या तो स्वर्ग में ईश्वर के साथ अनंत सुख या नरक में अनंत दुःख - से सम्बन्धित है. तब भी आपकी चिंता सचेतन अनुभव और उसके परिवर्तनों पर ही है | और यह कहना कि ऐसे अनुभव मृत्यु के पश्चात भी जारी हैं, एक तथ्यात्मक दावा है, जो हर दावे की तरह सही या गलत निकल सकता है | अब जब बात उठती है इस जीवन में सुखद सद्गति की परिस्थितियों की, मानव जाति की, तो हम जानते हैं कि इस विषय में वास्तविकताओं की एक विस्तृत पंक्ति है | हम जानते हैं कि एक भ्रष्ट और असमर्थ व्यवस्था में रहना सम्भव है, जहां हर संभव दुर्गति प्रत्यक्ष है; जहां माएँ अपने बच्चों को पोषित नहीं कर सकतीं, जहां अपरिचित व्यक्तियों के बीच शांतिपूर्ण सहयोग की संभावना ही न हो और जहां लोगों की अकारण हत्या हो | और हम यह भी जानते हैं कि वास्तविकताओं की इस पंक्ति पर हम ऐसे स्थानों पर भी पहुँच सकते हैं जो और शान्तिजनक हैं, ऐसे स्थान जहां इस प्रकार के सम्मेलन की कल्पना तो की जा सके | और हम जानते हैं -जानते ही हैं - कि सही और गलत उत्तर हैं इस प्रश्न के कि संभावनाओं के इस फैलाव में हमें किस प्रकार चलना चाहिए | क्या पानी में कोलेरा के कीटाणुओं को डालना एक अच्छा सुझाव है ? शायद नहीं | क्या यह एक अच्छा सुझाव है कि सब लोग 'बुरी नज़र' पर विश्वास रखें, ताकि वे किसी दुर्घटना के तुरंत बाद अपने पड़ोसियों को दोषी ठहरा सकें ? शायद नहीं | कुछ सत्य जानने योग्य हैं, जिनसे मानवीय समाज पनपते हैं, अगर हम इन सत्यों को समझते हों या ना | और नैतिकता इन सच्चाईयों से सम्बंधित है | तो, जब हम मूल्यों की बात करते हैं, तब हम तथ्यों की बात करते हैं | अब जरूर विश्व की अवस्था कई स्तरों में समझी जा सकती है - 'जीनोम' के स्तर से लेकर आर्थिक प्रणालियों और राजनैतिक व्यवस्थाओं के स्तर तक| मगर जब हम बात करते हैं मानव की सुखद सद्गति के बारे में, तब हम मानव के दिमाग के बारे में बात करने विवश हैं | क्योंकि हम जानते हैं कि विश्व का हमारा अनुभव और वहीं उपस्थित हमारा स्वानुभव हमारे दिमाग में ही निर्मित है - मृत्यु के पश्चात जो भी हो | अगर एक आत्मघाती विस्फोटक को जन्नत में ७२ कन्याएं मिल भी जाएं, तब भी उसकी यह जिंदगी, यह शक्सियत - काफी बदकिस्मत शक्सियत - उसके दिमाग की ही उपज़ है | तो संस्कृति का योगदान - अगर संस्कृति हमें परिवर्तित करती हो, जो कि वह वाकई करती है - ऐसा हमारे दिमाग को परिवर्तित करने से ही होता है | और इसलिए सांस्कृतिक तौर पर मानवीय सम्पन्नता में जो विभिन्नता है, वह कम से कम सैद्धान्तिक तौर पर तो समझी जा सकती है, अब के प्रगतिशील मन-सम्बंधित विज्ञान के जरिये - 'न्यूरोसायंस', मनोविज्ञान इत्यादि | तो मैं यह तर्क कर रहा हूँ कि मूल्य भी असलियत मे एक तरह से तथ्य ही हैं - - तथ्य जो कि सचेतन प्राणियों के सचेतन अनुभवों के बारे में हैं| और अब हम कल्पना कर सकते हैं इन सचेतन प्राणियों के अनुभव में बदलाव की संभावनाओं की | मैं इसे कल्पित कर रहा हूँ एक नैतिक क्षेत्र के रूप में जिस क्षेत्र के शिखर और घाटियों प्रतिबिम्ब हैं उन फ़र्कों का जो सचेतन प्राणियों की सुखद अवस्था में हैं, व्यक्तिगत और सामूहिक तौर पर | और गौर की एक चीज़ है कि मानवीय सद्गति के कुछ मुकाम हैं जहां हम कदाचित ही पहुँचते हैं, और जहां बहुत कम लोग पहुँचते हैं | और ऐसी अवस्थाएं हमारे खोज की प्रतीक्षा कर रही हैं | शायद ऐसी कुछ अवस्थाओं को पारमार्थिक या आध्यात्मिक कहना उचित होगा| शायद कुछ अवस्थाएं ऐसी हैं जो हमारे मन की रचना के कारण प्राप्त नहीं हो सकतीं, और शायद कुछ और मन ऐसे हैं जो संभवत: इन अवस्थाओं को प्राप्त करने में समर्थ हैं | अब, मुझे स्पष्ट करने दीजिए मैं क्या नहीं कह रहा हूँ | मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि आश्वस्त रूप से विज्ञान द्वारा हमें इस नैतिक क्षेत्र का नक्शा प्राप्त होगा, या वैज्ञानिक तौर पर हम नैतिक प्रश्न का उत्तर पा सकेंगे जिसकी हम कल्पना कर सकते हैं | मैं यह नहीं सोचता, मिसाल के तौर पर, कि आप एक दिन किसी परम-संगणक से परामर्श लेंगे आपके परिवार में एक और बच्चे को जोड़ने के विषय में, या इरान के परमाणु व्यवस्थाओं पर बम गिराने के विषय में , या इस प्रश्न का कि क्या आप इस TED सम्मेलन के खर्च को व्यावसायिक खर्च कहकर प्रतिपूर्ति मांग सकते हैं | (हंसी) मगर प्रश्न जब मानव कल्याण सम्बंधित हो, तो उनके उत्तर जरूर हैं, चाहे हमें यह उत्तर प्राप्त हों या ना| और बस यह कबूल करना - यह कबूल करना कि सही और गलत जवाब हैं उन सवालों के बारे में जो लोगों की सद्गति से सम्बंधित हैं - एक बदलाव लाएगा नैतिकता पर हमारी चर्चा की शैली में, और बदलाव लाएगा भविष्य में मानवीय सहयोग की अपेक्षाओं में | उदाहरण के लिए, २१ प्रांत हैं हमारे राष्ट्र में जहां कक्षा में शारीरिक दंड कानूनी हैं, जहां कानूनी है एक अध्यापक को एक बच्चे को मारना एक लकड़ी की पट्टी से, जोर से, ताकी चोट लगे और छाले पड़े और त्वचा भी चीर जाए | और, वैसे, लाखों बच्चे हर साल इसे झेलते हैं. इन प्रबुद्ध जिलों के ठिकाने मेरी राय में आपको आश्चर्यचकित नहीं करेंगे | हम कनेटिकट की बात नहीं कर रहे हैं | और ऐसे व्यवहार का कारण स्पष्ट रूप से धार्मिक है | ब्रह्माण्ड के सृष्टिकर्ता ने हमें स्वयं कहा है कि हम डंडे के उपयोग से न हिचकें, ताकि बच्चे बिगड़ न जाएं, - यह है नीतिवचन १३ और २०, और मैं मानता हूँ २३ में | मगर हम एक सीधा सवाल कर सकते हैं - क्या यह एक अच्छा सुझाव है, आम तौर पर, कि बच्चों को पात्र बनाया जाए वेदना, हिंसा और सार्वजनिक अपमान का, उनमें उत्तम मानसिक प्रगति और सदाचार को प्रेरित करने के नाम पर ? (हंसी) क्या कोइ शक है कि इस सवाल का जवाब है, और वह अहम है ? अब, आपमें से काफी लोगों को चिंता होगी कि मानव कल्याण के इस विचार कि सही परिभाषा देना असंभव है, और पुनर्विचार के लिए यह सदा खुला है| तो फिर, मानव कल्याण की एक प्रमाणिक संकल्पना कैसे हो सकती है ? ठीक है ,अनुरूपता के तौर पर विचार कीजिये आरोग्य की संकल्पना की | आरोग्य की संकल्पना अपरिभाषित है | जैसे हमने अभी माइकल स्पेक्टर से सुना, यह सालों से बदलती आ रही है | जब इस मूर्ति को तराशा गया था, तब औसत जीवनकाल शायद 30 साल था| अब विकसित विश्व में यह 80 के आस-पास है | एक समय आ सकता है जब हम हमारे जीनोम में इस प्रकार के अदल-बदल करेंगे कि , 200 की उम्र में मैराथन न भाग पाना एक गंभीर विकलांगता मानी जाएगी | जब आप उस अवस्था में हैं, तो लोग आपकी सहायता के लिए दान भेजेंगे | (हंसी ) इस बात पर गौर कीजिए कि ये सच है कि आरोग्य की संकल्पना खुली है, सचमुच खुली है संशोधन के लिए, मगर इससे यह अर्थहीन नहीं हो जाती | एक आरोग्यवान व्यक्ति और मृत व्यक्ति के बीच का अंतर लगभग उतना ही साफ़ और निर्णायक है जैसे कि विज्ञान मे होता है | गौर करने की एक और चीज़ यह है कि नैतिक क्षेत्र में अनेक शिखर हो सकते हैं - अनेक विकल्प हो सकते हैं सम्पन्नता पाने के तरीकों में ; अनेक विकल्प हो सकते हैं मानवीय समाज को संगठित करने में, ताकि सर्वाधिक मानवीय समृद्धि प्राप्त हो | अब, इससे एक वस्तुगत और नियमबद्ध नैतिकता को क्यों कोई ठेस नहीं पहुँचती? जरा सोचिए हम भोजन के विषय में कैसी चर्चा करते हैं ; मैं यह कभी आशा नहीं करूंगा आपके सामने यह तर्क रखने, कि एक ही पदार्थ खाने योग्य है | यह साफ है कि एक श्रेणी है जिसमें अनेक पदार्थ हैं जो आरोग्यवान भोजन हैं | मगर निस्संदेह एक साफ फर्क है भोजन और विष में | यह बात कि "भोजन क्या है ?" इस प्रश्न के अनेक उत्तर हैं, हमें यह कहने के लिए नहीं उकसाता कि मानवीय पोषण के विषय में जानने के लिए कोई सत्य नहीं हैं | बहुत लोगों को यह चिंता है कि एक सार्वलौकिक नैतिकता को आवश्यकता होगी ऐसे निर्देशों की जिनके अपवाद ही न हों | तो, उदाहरण के लिए, अगर झूट बोलना सचमुच गलत है, तो झूट बोलना हमेशा गलत होना चाहिए, अगर अप इसका एक भी अपवाद प्रस्तुत कर सकते हैं, तो फ़िर नैतिक सत्य नाम की कोई चीज़ है ही नहीं | हम ऐसा क्यों सोचते हैं ? विचार कीजिए , उदाहरण के तौर पर, शतरंज के खेल के बारे में | अब अगर आप अच्छा शतरंज खेलना चाहेंगे, तो एक आदर्श, जैसा कि "अपना वज़ीर मत खोना", मानने लायक है | मगर साफ है कि इसके कई अपवाद हैं | कुछ क्षण ऐसे हैं जब वज़ीर को खोना बड़ी चतुर चाल होगी | कुछ क्षण ऐसे हैं जब वही एक भली चाल है जो आप चल सकते हैं | फिर भी , शतरंज एक संपूर्णतः नियमबद्ध क्षेत्र है | यह हकीकत कि यहाँ कई अपवाद हैं, इस नियमबद्धता में कोई बदलाव नहीं लाती | अब यह हमें उस तरह की चालों की ओर ले जाता है जो कि लोग नैतिक मंडल में चलने मे निपुण हैं| विचार कीजिए इस गंभीर समस्या की, महिलाओं के शरीरों की - हम क्या करें इनके बारे में ? एक चीज़ तो हम कर सकते हैं - उन्हें पूरी तरह ढँक सकते हैं | अब, यह मत है, आम तौर पर, हमारे बुद्धिजीवी समुदाय का, कि भले ही हमें यह पसंद न हो, और हम बोस्टन और पालो अल्टो में इसे अनुचित समझते हों, हम कौन होते हैं एक प्राचीन सभ्यता के निवासियों से कहनेवाले कि उनकी बीवियों और बेटियों को कपडे की बोरियों में रहने पे मजबूर करना गलत है ? और हम होते कौन हैं यह कहने भी वाले कि वे गलत हैं उनपर लोहे की रस्सियो से वार करने में, या उनके चेहरों पर बैटरी अम्ल फेकने में, जब वे (महिलाएं) इस तरह की दम घोंटने वाली सुविधा को अस्वीकार करती हैं ? सचमुच, हम कौन होते यह नहीं कहने वाले ? हम कौन होते हैं ऐसे ढोंग करनेवाले कि हम मानव कल्याण के विषय में इतने अज्ञानी हैं कि हम ऐसी प्रथा के बारे मैं अनिश्चित हों ? मैं स्वेच्छा से पर्दा धारण करने की बात नहीं कर रहा हूँ - महिलाएं को जो वे चाहें पहन सकना चाहिए, जहां तक मेरा इससे कोइ लेना-देना है | मगर स्वेच्छा क्या मतलब रखती है ऐसे समाज में, जहां जब किसी लडकी के साथ बलात्कार होता है, तब उसके बाप की प्रथम उत्तेजना, काफी अक्सर, लज्जावश उसकी हत्या करने की है ? इस हकीकत का पलभर के लिए अपने मन में विस्फोट होने दीजिए - आपकी बेटी के साथ बलात्कार होता है, और आपका रवैय्या है कि आप उसका खून कर दें | कितनी संभावना है कि यह मानवीय समृद्धि के एक शिखर को चित्रित करता है ? अब, यह कहने का मतलब यह तो नहीं हुआ कि इस समस्या का परिपूर्ण समाधान हमारे समाज में मौजूद है | उदाहरण के लिए, किसी पत्रिकाओं के दुकान में जाने का अनुभव कुछ इस प्रकार है, सभ्य जगत में आप भले कहीं भी हों | अब माना कि बहुतांश आदमियों को दर्शनशास्त्र के अध्ययन और उपाधि की जरूरत पड़ेगी इन चित्रों में कुछ गलत महसूस करने के लिए | (हंसी) मगर जब हम चिंतन की मनोदशा में हैं, तब हम पूछ सकते हैं, " क्या यही है उत्तम अभिव्यक्ति मनोवैज्ञानिक संतुलन की, यौवन और सुन्दरता और महिलाओं के शरीर जैसे परिमाणों के मद्देनज़र ?" मेरा मतलब यह है कि क्या यही सर्वोत्तम पर्यावरण है हमारे बच्चों को पालने का ? शायद नहीं | खैर, शायद कोई स्थान हैं इस पंक्ति में इन दो अधिकतम स्थानों के बीच, जिस मुकाम पर बेहतर संतुलन है | (तालियाँ) शायद ऐसे कई स्थान हैं -- फिर भी, मानवीय सांस्कृतिक परिवर्तनों के मद्देनज़र, नैतिक क्षेत्र में बहुत सारे शिखर हो सकते हैं | मगर गौर करने की चीज़ यह है कि और भी बहुत स्थान हैं जो किसी शिखर पर नहीं हैं | अब, मेरी दृष्टि में, एक विडम्बना यह है कि, आम तौर पर मेरी यह बात माननेवाले, यह माननेवाले कि नैतिक प्रश्नों के सही और गलत उत्तर हैं, वही लोग हैं जो किसी प्रकार के मजहबी जनोत्तेजक नेता भी हैं | और, साफ है की वे सोचते हैं कि उनके पास नैतिक प्रश्नों के सही उत्तर इसलिए हैं क्योंकि उन्हें ये उत्तर किसी आकाशवाणी द्वारा प्राप्त हुए हैं , नाकि उन्होंने कोइ बुद्धिपूर्वक अन्वय किया है मानव तथा प्राणियों के कल्याण के कारण और अवस्थाओं के विषय में | सचमुच, लम्बे समय तक ज़्यादातर लोगों की, मज़हब नामक चश्मे के ज़रिये नैतिक प्रश्नों को देखने की वृत्ति ने ज़्यादातर नैतिक चर्चाओं को मानव और प्राणियों की पीड़ा से सम्बंधित असली सवालों से पूरी तरह अलग कर दिया है| इसलिए हम वक्त बिताते हैं समलैंगिक विवाह जैसे विषयों की चर्चा में, नाकि नरसंहार अथवा परमाणु संक्रमण अथवा गरीबी अथवा कोइ और महत्त्वपूर्ण परिणामी विषय की चर्चा में | मगर यह जनोत्तेजक नेता एक बात पर तो सही हैं - हमें आवश्यकता है मानवीय मूल्यों की एक सार्वभौमिक संकल्पना की | अब इस सब के मार्ग में क्या अवरोध है ? खैर, गौर करने की एक चीज़ यह है कि हम नैतिकता की चर्चाओं के समय एक अलग प्रकार का व्यवहार करते हैं -- विशेषतः धर्मनिर्पेक्ष, शैक्षिक और वैज्ञानिक किस्म के लोग | जब हम नैतिकता की चर्चा करते हैं, तब हम मतभेदों को इतना अहमियत देते हैं, जितना हम जीवन के किसी और क्षेत्र में नहीं देते | तो, उदाहरण के लिए, दलाई लामा हर सुबह जागते हैं करुणा का ध्यान करते हुए, और वे सोचते हैं कि अन्य लोगों की सहायता एक अविभाज्य अंग है मानवीय सुख का | दूसरी ओर पर है टेड बंडी जैसा कोई ; टेड बंडी को बड़ा शौक था युवा महिलाओं का अपहरण कर उन्हें यातनाएं देकर बलात्कार करके हत्या करने का | तो, ऐसा लगता है कि सचमुच एक मतभेद है इस विषय पर कि अपने समय को लाभदायक रूप में कैसे व्यतीत किया जाए | (हंसी) कई पाश्चात्य बुद्धिजीवी इस अवस्था को देखकर कहेंगे, "खैर, ऐसी कोइ बात नहीं जिसके बारे में दलाई लामा सचमुच सही हो सकते हैं --सचमुच सही हो सकते हैं -- या टेड बंडी सचमुच गलत हो सकता है, जिसके विषय में एक असल तर्क प्रस्तुत किया जा सकता है जो संभवतः विज्ञान की परिधि मे आता हो | एक को चाकलेट पसंद है , दुसरे को वनिला | ऐसी कोइ बात नहीं है जो एक दूसरे को कहकर उसे मना सकता है |" गौर कीजिए कि हम विज्ञान में ऐसा नहीं करते | बाएँ ओर पर हैं एडवर्ड विटन | यह 'स्ट्रिंग थियरी' के विशेषज्ञ हैं | अगर आस-पास के सबसे बुद्धिमान भौतिशास्त्रियों से पूछेंगे कि विश्व का सबसे बुद्धिमान भौतिकशास्त्री कौन है, तो मेरे अनुभव में उन में से आधे लोगों का उत्तर एड विटन होगा | शेष आधे कहेंगे कि उन्हें यह सवाल पसंद नहीं है | (हंसी) तो क्या होगा अगर मैं किसी भौतिकशास्त्र सम्मेलन में पहुंचूं और कहूं, "'स्ट्रिंग थियरी' एक पाखण्ड है | मेरा इससे ताल-मेल नहीं जमता | यह तरीका नहीं है जिससे मैं विश्व को लघु स्तर पर परखना चाहता हूँ | मैं इसका प्रशंसक नहीं हूँ |" (हंसी) खैर, कुछ नहीं होगा क्योंकि मैं एक भौतिकशास्त्री नहीं हूँ, और मैं 'स्ट्रिंग थियरी' नहीं समझता | मैं टेड बंडी हूँ 'स्ट्रिंग थियरी' का | (हंसी) मैं कोई लेना-देना नहीं रखना चाहूंगा 'स्ट्रिंग थियरी' के किसी भी संघ में जो मुझे सदस्य बना सकते हैं | पर अहम मुद्दा तो यही है | जब हम तथ्यों के बात कर रहे हैं तो कुछ मतों का निषेध करना आवश्यक है | यही मतलब है किसी क्षेत्र में निपुणता का | यही मतलब है ज्ञान को महत्त्व देने का | हमने अपने आप को कैसे मना लिया कि नैतिक क्षेत्र में नैतिक निपुणता, नैतिक कुशलता या नैतिक प्रतिभा नाम की भी कोई चीज़ें नहीं हैं ? हमने अपने आप को कैसे मना लिया कि प्रत्येक मत माननीय है ? हमने अपने आप को कैसे मना लिया कि इन विषयों पर हर एक संस्कृति के दृष्टिकोण विचार करने योग्य हैं ? क्या तालिबान का भौतिकशास्त्र पर कोई दृष्टिकोण है जो चर्चा के योग्य है ? नहीं | (हंसी) क्या मानव कल्याण के विषय में उनका अज्ञान कुछ कम ज़ाहिर है ? (तालियाँ ) तो यही, मैं सोचता हूँ, जो कि दुनिया को जानना चाहिए | इसके लिये हम जैसे लोगों को ये स्वीकार करने की आवश्यकता है, कि मानवीय समृद्धि से जुड़े प्रश्नों के सही और गलत उत्तर हैं, और नैतिकता तथ्यों के उस क्षेत्र से जुडी है | संभव है कि कुछ व्यक्ति, या पूरी सभ्यताएं अनुचित विषयों पर चिंतित होने लगें, जिसका मतलब यह हुआ कि संभवतः उनकी ऐसी मान्यताएं और कामनाएं हों जो निश्चित रूप से उन्हें अकारण पीड़ा तक पहुंचाती हों | बस यह स्वीकार करने से ही नैतिकता की हमारी चर्चा पूरी तरह परिवर्तित हो जाएगी | हम एक ऐसे विश्व में जी रहे हैं जिसमें देशों के बीच की सीमाओं का अर्थ क्षीण होते जा रहा है, और एक दिन वे पूरी तरह अर्थहीन हो जाएँगी | हम जी रहे हैं एक ऐसे विश्व में जो विनाशक यन्त्र-सामग्री से भरा है, और इन यंत्रों के आविष्कार को मिटाया तो नहीं जा सकता ; चीजों को तोडना उन्हें जोडने से हमेशा ज्यादा आसान रहेगा| मुझे इसलिए लगता है कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि हम मानव कल्याण की संकल्पना में विशाल मतभेदों का आदर और उन्हे सहन नहीं कर सकते, ठीक वैसे जैसे हम रोग के संक्रमण या इमारतों तथा विमानों की सुरक्षा के स्तर-मान के विषय में विशाल मतभेदों को ना तो सहन कर सकते है और ना उनका आदर कर सकते है| हमें बस उन उत्तरों पर एक होना है जो हम देना चाहेंगे मानव-जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण प्रश्नों का | और यह करने के लिए हमें स्वीकार करना होगा कि इन प्रश्नों के उत्तर हैं | आपका बहुत धन्यवाद | (तालियाँ) क्रिस एन्डरसन : तो, कुछ भड़कानेवाली चीज़ें थीं वहां | या इन दर्शकों में या विश्व में अन्य कहीं के लोगों में, कुछ तो लोग होंगे जो ये सब सुनकर आक्रोश से चीख रहे होंगे, आखिर, खैर कुछ लोग तो | यहाँ भाषा का काफी महत्त्व है | जब आप परदे की बात करते हैं, तब अब महिलाओं के बोरियों में आवृत होने की बात करते हैं | मैं मुस्लिम जगत में रहा हूं , और मैंने बहुत सारी मुस्लिम महिलाओं से बातचीत की है| और उनमें से कई कुछ और ही कहती हैं | वे कहेंगी "अब, आप जान लें, यह आदर व्यक्त करने की एक शैली है नारी की विशेषता की, और यह इस हकीकत का नतीजा है - और तर्क प्रस्तुत किया जा सकता है कि यह एक विकसित मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण है - इस हकीकत का कि पुरुष की कामुकता पर विश्‍वास नहीं किया जा सकता |" मेरा मतलब यह है कि क्या आप उस किस्म की महिला के साथ बिना किसी तरह के सांस्कृतिक साम्राज्यवादी जैसा नज़र आते हुए इस किस्म का संवाद कर सकते हैं? सैम हैरिस : हाँ, खैर मैं मानता हूँ कि मैंने इस बात को छेड़ने की कोशिश की, घड़ी को धड़कते देखते हुए - लेकिन सवाल ये है कि स्वेच्छा का क्या अर्थ है ऐसे सन्दर्भ में जहां पुरुषों की कुछ अपेक्षाएं हैं, और यह तय है कि आप के साथ एक निश्चित प्रकार का व्यवहार होगा अगर आप पर्दा धारण करने से इनकार करती हैं ? और फिर, अगर इस सभा में किसी को पर्दा पहनने की या कोई बडी विचित्र टोपी पहनने की, या अपने चहरे को गोदने की चाह है -- तो मेरे खयाल से हमें स्वेच्छा से जो जी चाहे करने के लिए स्वतन्त्र होना चाहिए, मगर हमें ईमानदारी से गौर करना है उन सख्त पाबन्दियों पर जो इन महिलाओं पर लागू हैं | और इसलिए मेरी राय है हम इतना उत्सुक न हों, एकदम इनकी बातों में आने में, खासकर तब, जब बाहर का तापमान 48 डिग्री हो और आप पूरी बुर्का पहने हों | क्रिस एन्डरसन : काफी लोग मानना चाहेंगे नैतिक प्रगति की इस संकल्पना को | पर क्या आप एक समझौते पर पहुँच सकते हैं ? मुझे लगता है कि मैंने आपको यह कहते हुए समझा कि एक समझौता मुमकिन है एक विश्व के साथ जो पूरी तरह , विविधताहीन नहीं है , जहां सब एक समान नहीं सोचते | ज़रा चित्रित कीजिए, घड़ी को ज़रा आगे घुमाकर, कि 50 साल बाद, 100 साल बाद, आप कैसी कल्पना करना चाहेंगे विश्व की जहां नैतिक प्रगति और विविधता का संतुलन हो | सैम हैरिस : देखिये, मैं समझता हूँ कि जब आप मानते हैं कि हम अपने मनों को हमारे दिमाग के स्तर पर सविस्तार समझ पाने के मार्ग पर हैं, तब आपको यह भी मानना होगा कि हम अपने आप के सभी सद्गुणों और दुर्गुणों को भी अधिक विस्तार में समझेंगे | तो, हम समझेंगे सहानुभूति और संवेदना जैसी सकारात्मक सामजिक भावनाओं को, हम समझेंगे इनके क्या कारक हैं जो इन्हें बढ़ावा देते हैं - क्या ये जन्मसिद्ध हैं, क्या ये लोगों के परस्पर संवाद की शैली पर निर्भर हैं; या आर्थिक व्यवस्थाओं पर; और जितना हम इसपर प्रकाश डालेंगे, उतने ही निश्चित तौर पर हम एकमत होंगे उस तथ्यों के क्षेत्र में | तो, सब कुछ बहस का मामला नहीं होगा | ऐसा कभी नहीं होगा कि जन्म से ही मेरी बेटी को परदे में रखने में उतनी ही अच्छाई है जितनी है उसे स्वाभिमानी और सुशिक्षित होना सिखाने में, उन पुरुषों के सन्दर्भ में जो महिलाओं के प्रति कामनाएँ रखते हैं | मेरा मतलब यह है, कि मैं यह नहीं मानता कि हमें एक NSF अनुदान की आवश्यकता होगी यह जानने के लिए मजबूरन पर्दा एक बुरा सुझाव है -- पर किसी मुकाम पर हम इससे समन्धित हर किसी के दिमाग की छान-बीन कर सकेंगे और इस तरह सचमुच पूछताछ कर सकेंगे | क्या इन व्यवस्थाओं में लोग अपनी बेटियों से इतना ही प्यार करते हैं ? और मैं सोचता हूँ कि इसके साफ सही जवाब हैं | क्रिस एन्डरसन : और अगर नतीजा निकला कि वे सचमुच करते हैं, तो क्या आप तैयार हैं इन समस्याओं से जुड़े आपके स्वाभाविक वर्तमान निर्णय को बदलने में? सैम हैरिस : खैर हाँ, बस एक ज़ाहिर हकीकत के मद्देनज़र, कि आप किसी से प्यार कर सकते हैं एक भ्रम-मय मान्यताओं की व्यवस्था के सन्दर्भ में भी | तो, आप ऐसा कुछ कह सकते हैं, "क्योंकि मुझे पता था कि मेरा समलैंगिक बेटा प्रेमी के तौर पर किसी लड़के को ढूँढता, तो जहन्नुम जाता, मैंने उसका सिर काट डाला | और यही सब से हमदर्द चीज़ थी जो मैं कर सकता था |" अगर आप इन सब भागों को एक रूपरेखा में जोड़ेंगे, तो हाँ हो सकता है कि आप प्रेम की भावना महसूस कर रहें हों | मगर फिर से, हमें बात करनी चाहिए कल्याण की, एक अधिक विशाल सन्दर्भ में | इसमें हम सब मिले-झुले हैं एकत्रित रूप में, यह बात बस उस एक आदमी की नहीं है जिसे किसी बस में आत्मघाती विस्फोट करके मरने में परमानंद का अनुभव होता हो | क्रिस एन्डरसन : सैम, यह एक संवाद है जो में सचमुच घंटों तक जारी रखना चाहूंगा | अब तो हमारे पास समय है नहीं, मगर शायद फिर कभी | TED में आने के लिए धन्यवाद| सैम हैरिस : सचमुच यह एक सम्मान है | धन्यवाद | (तालियाँ) हम समाचारों में डूब रहे हैं | सिर्फ रॉयटरस(Reuters) अकेले एक साल में 35 लाख समाचारो के बारे में बताते है | यह केवल एक स्त्रोत है | मेरा प्रश्न है कि इनमे से कितने समाचार आख़िरकार लंबे समय में हमारे लिए मायने रखते है ? द लॉन्ग न्यूज़ (The Long News) के पीछे यही विचार है | यह द लॉन्ग नाऊ फाउंडेशन(The Long Now Foundation) की परियोजना है, जो TEDsters के द्वारा स्थापित की गयी है जैसे कि केविन केली और स्टीवर्ट ब्रांड | और हम ऐसे समाचारों को खोज रहे हैं जो शायद मायने रखेंगी आज से 50 या 100 या 10,000 सालो बाद भी | और जब समाचारों को ऐसी छलनी से छान कर देखते हैं, बहुत से समाचार पीछे रह जाते हैं | अगर आप पिछले के साल में A.P. के मुख्य समाचारों को ले क्या ये एक दशक के लिए मायने रखेंगे? क्या यह? क्या यह? सच में? क्या ये 50 या 100 सालो के बाद मायने रखेंगे? अच्छा तो ये बढिया था | (हँसी) लेकिन पिछले साल के मुख्य समाचार आर्थिक मंदी के बारे में थे | और मैं सिर्फ अंदाज़ा लगा रहा हु कि जल्द ही या बाद में यह आर्थिक मंदी एक पुराना समाचार बन जायेगी | तो किस तरह के समाचार शायद भविष्य में महत्वपूर्ण होंगे? चलिए विज्ञान के बारे में सोचे | एक दिन, छोटे रोबोट्स हमारी धमनियों में से हमे ठीक करते हुए गुजरेंगे | वो एक दिन असल में आ चुका है अगर आप एक चूहे है तो | कुछ हाल ही के समाचार: नैनो मधुमक्खी ने असली मधुमक्खी के जहर से ट्यूमर को नष्ट किया | दिमाग में जीन भेजे जा रहे हैं | ऐसे रोबोट्स बनाये गए है जो आदमी के शरीर के अंदर चल सकते हैं | संसाधनों के बारे में क्या? हम 9 सौ करोड़ लोगो के लिए खाना कहाँ से लायेंगे ? आज 6 सौ लोगो के खाने की आपूर्ति के लिए कठिनाई हो रही है | जैसे कि हमने कल हमने सुना, सौ करोड़ लोगो से ज्यादा लोग भूखे हैं | अनुवांशिक रूप से विकसित फसलों के बिना ब्रिटेन भूखा रहेगा | बिल गेट्स ने सौ करोड़ रुपये लगाये हैं कृषि अनुसंधान में लगाये हैं | विश्व की राजनीती के बारे में क्या ? यह दुनिया बहुत अलग होगी अगर चाइना अपना लक्ष्य निर्धारित कर ले, और वो कर सकते हैं | कारों के सबसे बड़े उत्पादक बन कर उन्होंने अमेरिका को पछाड़ दिया है | सबसे ज्यादा निर्यात करके उन्होंने जर्मनी को पछाड़ दिया है | और उन्होंने बच्चो पर DNA परीक्षण शुरू कर दिये है उनका पेशा चुनने के लिए | हम हर तरह के रास्ते खोज रहे है उन हदों को पार करने के लिए जिन्हें हम जानते हैं | कुछ हाल ही के खोजे: अर्जेंटीना की एक चीटियों की प्रजाति जो अब अंटार्कटिका को छोड़ कर सारे महाद्वीप में फैल चुकी है | एक स्वयं निर्देशित रोबोट वैज्ञानिक जिसने एक आविष्कार किया है | जल्द ही, विज्ञान को हमारी आवश्यकता नहीं होगी | और शायद जीवन को भी हमारी आवश्यकता नहीं होगी | एक जीवाणु 120,000 सालो के बाद जागता है | हमारे साथ या हमारे बिना भी जीवन चलता रहेगा | लेकिन लॉन्ग न्यूज़ के लिए पिछले सालो के समाचार से मेरा चुनाव होगा, चंद्रमा पर पानी मिलना | जो वहां सभ्यता विकसित करना आसान बनाता है | और अगर NASA इसे नहीं करेगी, तो चाइना शायद कर दे, या शायद इस सभा से कोई शायद कोई बड़ा योगदान दे | मेरा तर्क है कि लंबे समय में, कुछ समाचार बाकियों से ज्यादा महत्वपूर्ण होंगे | (अभिवादन) देवियों और सज्जनों, TED में हम नेतृ्त्व और आंदोलन करने पर काफी चर्चा करते हैं. तो चलिए एक मुहिम को बनते देखते हैं, शुरु से अंत तक, तीन मिनट से भी कम समय में, और इससे कुछ सीखते हैं. सबसे पहले, आप बखूबी जानते हैं, कि एक नेता में वो बात होनी चाहिए कि वो सबसे अलग कुछ कर सके और अपना उपहास होता भी देख सके. लेकिन जो कुछ उसने शुरू किया, उसका अनुसरण करना आसान है. तो ये आया उसका पहला अनुगामी, जिसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. अब वो बाकी सभी को सिखाएगा कि अनुसरण कैसे करना है. अब देखिए नेता कैसे उसे अपने समान दर्जा देकर गले लगाता है. तो अब ये मुहिम केवल नेता की नहीं रही, ये उन दोनों की है, बहुवचन बन गई है. अब ये अपने दोस्तों को बुलाने लगा है. अगर आप ध्यान से देखें तो पहला अनुगामी असल में नेतृ्त्व का ही कुछ कमतर आंका हुआ स्वरूप है. इस तरह आगे बढ़कर साथ देने के लिए बड़ी हिम्मत चाहिए. पहला अनुयायी वह ऐसा व्यक्ति है जो एक अकेले सनकी को नेता बना देता है. (हंसी) (तालियाँ) और अब दूसरा अनुगामी आता है. अब ये कोई एक सनकी या दो सनकी एक साथ नहीं हैं, बल्कि तीन, याने मजमा लग गया है, और मजमे का लगना एक ख़बर है. तो किसी मुहिम या आन्दोलन का सार्वजनिक होना ज़रूरी है. ये इसलिए ज़रूरी है, ताकि सिर्फ नेता ही नहीं, अनुगामी भी दिख सकें क्योंकि आप देखेंगे कि नए अनुगामी नेता का नहीं, बल्कि उसके अनुगामियों का अनुसरण करते हैं. अब यहाँ दो लोग और आ जाते हैं, और उसके तुरंत बाद तीन और आ जाते हैं. यहाँ से ये ज़ोर पकड़ने लगता है. यही उसके कायापलट का क्षण है. ये जद्दोजहद अब एक मुहिम बन चुकी है. ग़ौर कीजिए, जैसे-जैसे और लोग जुड़ने लगते हैं, जोखिम कम हो जाता है. तो जो लोग इसे दूर से ताक रहे थे, उनके पास दूर रहने की अब कोई वजह नहीं बचती. वो अलग-थलग पड़ना नहीं चाहेंगे. वो खिल्ली उड़ाया जाना भी नहीं चाहेंगे. पर अगर वो जल्दी करें, तो नज़र में चढ़ चुकी इस भीड़ का हिस्सा बन सकते हैं. (हंसी) तो अब अगले ही पल आप उन लोगों को जुड़ते देख सकते हैं जो भीड़ के साथ ही चलना चाहेंगे ताकि कोई उनका इसलिए मज़ाक न बना सके कि वो इसमें शामिल नहीं हुए, और इस तरह एक आंदोलन आकार लेता है. चलिए इससे मिले कुछ सबक हम फिर से देखें. तो पहले, अगर आप उस तरह के हैं, मतलब बिना कमीज़ के अकेले नाचते हुए उस शख्स की तरह के, तो अपने शुरुआती अनुयायियों से समानता का व्यवहार रखने का महत्व याद रखिए ताकि मुहिम ही मुद्दा बने, आप नहीं. ठीक है, पर शायद हम यहाँ मिली असली सीख को अनदेखा कर रहे हैं. सबसे बड़ी सीख, अगर आपने ध्यान दिया हो -- क्या आप समझ पाए -- वो ये है कि नेतृत्व को अति महिमा-मण्डित किया जाता है, हाँ, सच है कि बिना कमीज़ वाले शख्स ने शुरुआत की थी, और उसे इसका पूरा श्रेय भी मिलेगा, पर असल में वो पहला अनुयायी था जिसने एक अकेले सनकी को नेता में तब्दील कर दिया. याने अगर हमें ये कहा जाए कि हम में से हर किसी को नेता बनना है, तो वास्तव में ये तरीक़ा कारगर नहीं होगा. अगर सच में आप किसी विषय पर आंदोलन छेड़ना चाहते हैं, तो आप में पीछे चलने की और दूसरों को अनुसरण करना सिखाने की काबिलियत होनी चाहिए. और अगर आपको कभी कोई सनकी कुछ अद्भुत करता दिख जाए, तो आगे बढ़ कर उसका साथ देने में पहल करने का दम दिखाइये. और उसके लिए सबसे सही जगह है, TED. धन्यवाद. (तालियाँ) अब, मैं एक प्रश्न से शुरूआत करना चाहती हूँ: आप को पिछली बार कब "बचकाना" बुलाया गया था? मेरे जैसे बच्चों के लिए, "बचकाना" कहलाया जाना एक आम बात है. हर बार जब हम नासमझी की मांगें करते हैं, गैरजिम्मेदार व्यवहार दिखाते हैं, या कोई और लक्षण दिखाते हैं आम अमरीकी नागरिक होने के, तब हमें बचकाना कहा जाता है, जो मुझे वाकई परेशान करता है. आखिर, इन घटनाओं पर एक नज़र डालिए: साम्राज्यवाद और उपनिवेशन, विश्व युद्ध, जॉर्ज डब्लू बुश, आप खुद से पूछिए: कौन ज़िम्मेदार है? वयस्क. अब बच्चों ने क्या किया है? ऐन फ्रांक ने करोड़ों लोगों का दिल छुआ यहूदियों के विध्वंस के अपने सशक्त वर्णन से , रूबी ब्रिजिस ने अमरीका में पृथकतावाद को ख़त्म करने में मदद की, और अभी हाल ही में, चार्ली सिम्पसन ने अपने प्रयत्न से हैती के लिए १२० हज़ार पौंड जुटाए अपनी छोटी सी साइकिल पर. तो, जैसा कि आप इन उदाहरनों से देख सकते हैं, उम्र का इससे कोई सम्बन्ध नहीं है. जो लक्षण "बचकाना" शब्द संबोधित करता है वे वयस्कों में इतनी बार पाए जाते हैं कि हमें इस उम्र-पक्षपाती शब्द को मिटा ही देना चाहिए जब उस का इस्तेमाल ऐसे व्यवहार के बारे में हो जो गैरजिम्मेदार और नासमझ सोच से जुड़ा है. (तालियाँ) धन्यवाद. लेकिन फिर, कौन कह सकता है कि कुछ प्रकार की नासमझ सोच ऐसी है, जिसकी दुनिया को ज़रुरत है? शायद आपने भी कभी बड़ी भारी योजनायें बनाई होंगी, पर अपने आपको यह सोच कर रोक लिया होगा, कि यह तो नामुमकिन है या बहुत मंहगा है या इससे मेरा कुछ फायदा नहीं होगा. अब अच्छी बात हो या बुरी, हम बच्चे इतनी उलझन में नहीं पड़ते जब किसी चीज़ को करने के बारे में सोचना हो. बच्चे प्रेरणात्मक महत्वाकांक्षाओं से भरे होते हैं और आशाजनक सोच से भी. जैसे मेरी यह इच्छा कि कोई भूखा न रहे या फिर सब चीज़ें मुफ्त होने का ख्याली पुलाव. आप में से कितने लोग अभी भी ऐसे सपने देखते हैं और उनकी संभावनाओं में विश्वास करते हैं? कभी कभी इतिहास की जानकारी और आदर्शवादी ख्यालों की पुरानी असफलताएं एक बोझ बन सकती हैं क्योंकि आप जानते हैं कि अगर सब कुछ मुफ्त होता, तो खाने के भण्डार खाली हो जाते, अभाव हो जाता और खलबली मच जाती. मगर दूसरी तरफ, हम बच्चे अभी भी पूर्णता की कल्पना कर सकते हैं. और यह अच्छी बात है क्योंकि किसी चीज़ को वास्तविक बनाने के लिए, पहले आपको उसके बारे में कल्पना करनी पड़ती है. कई प्रकार से, हमारी कल्पना की धृष्टता संभावना की सीमाओं को आगे बढाती है. जैसे, तकोमा, वॉशिंगटन में जो शीशे का संग्रहालय है, मेरा राज्य, वॉशिंगटन, क्या कहने -- (तालियाँ) उसमें एक प्रोग्राम है जिसका नाम है 'बच्चे शीशे के डिज़ाइन बनाएं' और उसमें बच्चे शीशे की कला के बारे में अपनी कल्पनाएँ बनाते हैं अब, वहां के स्थानीय कलाकार ने कहा कि उसे इस प्रोग्राम के द्वारा अपने बेहतरीन ख़याल मिले हैं क्योंकि बच्चे उन पाबंदियों के बारे में नहीं सोचते कि शीशे को कुछ आकृतियों में ढालना कितना मुश्किल हो सकता है. वे तो सिर्फ अच्छे विचारों के बारे में सोचते हैं. अब, जब आप शीशे के बारे में सोचते हैं, तब हो सकता है कि आप रंग-बिरंगे चिहुली डिजाइनों के बारे में सोचें या शायद इटली के फूलदानों के बारे में, पर बच्चे शीशे के कलाकारों को इसके परे जाने की चुनौती देते हैं -- टूटे-दिल वाले साँपों के क्षेत्र में और बेकन बौय्ज़ के क्षेत्र में, जिनका स्वप्न मांस से जुड़ा हुआ है. (हंसी) अब, यह ज़रूरी नहीं है कि हमारी स्वाभाविक बुद्धिमत्ता अंदरूनी जानकारी से ही निकले. बच्चे वैसे भी बड़ों से बहुत कुछ सीखते हैं, पर हमारे पास बांटने के लिए भी बहुत कुछ है. मुझे लगता है कि बड़ों को बच्चों से सीखना शुरू कर देना चाहिए. अब मैं अधिकतर शिक्षा से जुड़े लोगों के सामने बोलती हूँ, शिक्षक और छात्र, और मुझे यह उपमा पसंद है. कक्षा में सिर्फ एक शिक्षक को ही नहीं होना चाहिए जो छात्रों को बताता रहे ऐसे करो, वैसे करो बल्कि छात्रों को भी अपने शिक्षक को पढ़ाना चाहिए. बड़ों और बच्चों के बीच में ज्ञान का लेन-देन दो-तरफा होना चाहिए. दुर्भाग्य से, वास्तविकता थोड़ी अलग है, और इसका सम्बन्ध विश्वास से, या उसकी कमी से है. अब, अगर आप किसी पर विश्वास नहीं करते, तो आप उस पर प्रतिबन्ध लगाते हैं, है न? अगर मुझे अपनी बड़ी बहिन की क्षमता पर भरोसा नहीं है कि वह वो १० प्रतिशत सूद वापस दे पाएगी जो मैंने उसके पिछले क़र्ज़ पर लगाया था, तो मैं उसकी मेरे से और पैसा लेने की क्षमता पर रोक लगाऊँगी जब तक वो अपना क़र्ज़ नहीं चुका देती. (हंसी) वैसे यह सत्य घटना है, वाकई. अब बड़ों में अक्सर बच्चों के लिए एक प्रतिबंधात्मक रवैय्या होता है हर "वो मत करो", "ये मत करो", जो हर स्कूल की पुस्तिका में रहता है, से ले कर स्कूल के इन्टरनेट के इस्तेमाल पर लगे प्रतिबंधों तक. जैसा कि इतिहास बताता है, हुकूमतें तब बहुत कठोर हो जाती हैं जब वे नियंत्रण रखने के बारे में डरी हुई हों. और, हालांकि बड़े अभी उस हद तक नहीं पहुंचे हैं जहां सर्वसत्तावादी हुकूमतें पहुँच चुकी हैं, फिर भी बच्चों को नियम बनाने का बिलकुल नहीं, या बहुत कम, मौका मिलता है जबकि यह रवैय्या दो-तरफा होना चाहिए, मतलब वयस्क जनता को सीखना और समझना चाहिए कि उनकी इच्छाएं क्या हैं -- छोटी उम्र के लोगों की. अब प्रतिबन्ध से भी ज्यादा बुरा है कि बड़े अक्सर बच्चों की योग्यताओं को कम महत्व देते हैं. हमें चुनौतियां पसंद हैं, पर जब अपेक्षाएं कम हों, तो विश्वास कीजिये, हम उनके स्तर तक झुक जायेंगे. मेरे माँ-बाप की अपेक्षाएं कभी कम नहीं रहीं मुझसे और मेरी बहिन से. ठीक है, उन्होनें हमें डॉक्टर बनने के लिए नहीं कहा या वकील या कुछ ऐसा ही, पर मेरे पिताजी हमें पढ़ के सुनाया करते थे अरिस्तोतले के बारे में और अग्रणी रोगाणु-नाशकों के बारे में. जब बहुत से बच्चे सुन रहे थे "बस के पहिये गोल-गोल घूमें" तो वो भी हमने सुना, पर "अग्रणी रोगाणु-नाशक" वाकई उस सबसे कहीं आगे हैं. (हंसी) मुझे चार साल की उम्र से लिखना पसंद था, और जब मैं ६ की थी तब मेरी माँ ने मुझे मेरा अपना लैपटॉप ला कर दिया, जिसमें माईक्रोसॉफ्ट वर्ड था. धन्यवाद बिल गेटस और धन्यवाद माँ . मैंने तीन सौ से ऊपर छोटी कहानियाँ लिखीं उस छोटे लैपटॉप पर, और मैं उन्हें छपवाना चाहती थी. इस अपरम्परागत इच्छा पर हंसने के बजाय कि एक बच्ची प्रकाशन चाहती है, या एक कहने की बजाय कि रुको, पहले तुम बड़ी हो जाओ, मेरे माँ-बाप ने पूरी तरह सहयोग दिया. कई प्रकाशक इतने सहयोग्यपूर्ण नहीं थे. विडम्बना यह, कि बच्चों के एक बड़े प्रकाशक ने कहा कि वे बच्चों के साथ काम नहीं करते हैं. बच्चों के प्रकाशक बच्चों के साथ काम नहीं करते? पता नहीं, मुझे लगता है कि आप एक बड़े ग्राहक को दूर रख रहे हैं. (हंसी) अब एक प्रकाशक, ऐक्शन प्रकाशन, यह दूरी कम करने और मुझ पर भरोसा करने को तैयार थे, और सुनना चाहते थे कि मुझे क्या कहना है. उन्होनें मेरी पहली किताब -- "उडती उंगलियाँ"-- छापी -- जो आप यहाँ देख रहे हैं -- और वहां से शुरू हो कर, अब मैं कई सौ स्कूलों में बोलती हूँ, हज़ारों शिक्षकों को भाषण देती हूँ, और आज, आखिर आपसे बात कर रही हूँ. मैं आज आपकी एकाग्रता का आदर करती हूँ, क्योंकि अपनी परवाह दिखाने का एक ही तरीका है कि आप ध्यान से सुनें. पर एक खामी है, इस खुशहाल तस्वीर में कि बच्चे बड़ों से कई गुना बेहतर हैं -- बच्चे बड़े हो कर आप ही की तरह वयस्क बन जाते हैं. (हंसी) या एकदम आपकी तरह से, वाकई? उद्देश्य यह नहीं है कि बच्चों को आपकी तरह का वयस्क बनाना चाहिए, बल्कि आप जैसे हैं, उससे बेहतर वयस्क, जो एक चुनौतीपूर्ण काम है आप सब की योग्यताएं देखते हुए, पर प्रगति इसी तरह होती है कि नयी पीढियां और नए दौर आगे आते हैं और पहले वालों से बेहतर हो जाते हैं. इसीलिए तो अब हम अन्धकार-युग में नहीं हैं. जीवन में आपकी चाहे जो भी स्थिति या जगह हो, यह ज़रूरी है कि आप बच्चों के लिए अवसर पैदा करें. ताकि हम बड़े हो कर आपको उड़ा सकें. (हंसी) वयस्कों और टेड के साथियों, आपको बच्चों से सुनना और सीखना चाहिए हम पर भरोसा करना चाहिए और हमसे अपेक्षाएं भी रखनी चाहियें. आज हमारी बात सुनिए, क्योंकि हम आने वाले कल के नेता हैं, यानी हम आप की तब देखभाल करेंगे जब आप बूढ़े और सठियाये हुए होंगे; नहीं, नहीं, मैं मज़ाक कर रहीं हूँ, वाकई, हम अगली पीढ़ी हैं, जो इस दुनिया को आगे बढ़ाएंगे. और अगर आप सोचते हैं कि इस सब का आपसे कोई सम्बन्ध नहीं है, तो ध्यान रखिये कि अब क्लोनिंग भी हो सकती है, और उसका मतलब होता है दुबारा बचपन से गुज़रना, तब तो आप भी अपनी आवाज़ सुनाना चाहेंगे जैसा मेरी पीढ़ी चाहती है. अब दुनिया को नए अवसरों की ज़रुरत है -- नए नेताओं और नए ख्यालों के लिए. बच्चों को नेतृत्व और कामयाबी के नए मौकों की ज़रुरत है क्या आप यह देने के लिए तैयार हैं? क्योंकि दुनिया की समस्याएं मानव परिवार की विरासत नहीं होनी चाहियें. धन्यवाद. (तालियाँ) dhanyavaad. dhanyavaad. तो, पहला रोबोट जिसके बारे में बात करेंगे वो STriDER है | इसका पूरा नाम Self-excited Tripedal Dynamic Experimental Robot है | यह ऐसा रोबोट है जिसके तीन पैर हैं, जो प्रकृति से प्रेरित है | लेकिन आपने प्रकृति में कोई भी पशु देखा हैं जिसके तीन पैर हो? शायद नहीं | तो, क्यों मैं इसे जैविक-प्रेरित कहता हूँ? यह कैसे काम करता है? लेकिन इसके पहले, चलिए पॉप संस्कृति को देखते हैं | तो, आप एच जी वेल्स की वार ऑफ द वर्ल्डस उपन्यास और फिल्म के बारे जानते हैं | और जो आप यहाँ देख रहे वो एक लोकप्रिय वीडियो गेम है | परिकल्पना में वो परग्रही जीव को तीन पैरों वाले रोबोट के रूप में दिखाते हैं जो पृथ्वी को आंतकित करता है | लेकिन मेरा रोबोट, STriDER, इस तरह नहीं चलता | तो, यह असली गतीय अनुरूपण एनिमेशन है | मैं आपको दिखाने वाला हूँ कि यह रोबोट कैसे काम करता है | यह अपने शरीर को 180 डिग्री से पलटता है | यह गिरने से बचने के लिए दो पैरों के बीच से पैर को घुमाता है | तो, इस तरह यह चलता है | लेकिन जब आप हम इंसानों को देखते हैं, जो दो पैरों पर चलते हैं, आप असल में मांसपेशियों का उपयोग नहीं कर रहे हैं अपने पैर को उठाने और रोबोट की तरह चलने में | है ना? आप गिरने से बचने के लिए असल में अपना पैर घुमाते हैं, फिर से खड़े हो जाइये, पैर घुमाइए और गिरने से बचिये | अपने अंदर की गतिकी का उपयोग करके, आपके शरीर का भौतिक विज्ञान, किसी पेंडुलम की तरह | हम इसे निष्क्रिय गतिकी चाल(passive dynamic locomotion) कहते हैं | आप क्या कर रहे हैं, जब आप खड़े होते हैं, स्थितिज ऊर्जा से गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा से गतिज ऊर्जा | यह लगातार गिरने की प्रक्रिया है | तो, फिर भी प्रकृति में ऐसा कुछ नहीं है जो ऐसा दिखता हो, सच में हम जीव विज्ञान से प्रेरित थे और चलने के सिद्धांतों को इस रोबोट पर लागू कर रहे थे, इस तरह यह जीव विज्ञान से प्रेरित रोबोट है | आप जो यहाँ देख रहे हैं, यह हम आगे करना चाहते हैं | लंबी दुरी की गति के लिए हम पैरों को मोड़ना और ऊपर फेंकना चाहते हैं | जब यह पैर फैलाता है, यह बिल्कुल स्टार वार्स की तरह दिखता है | जब यह नीचे आता है, यह झटके को सह लेता है और चलना शुरू कर देता है | आप जो यहाँ देख रहे हैं, यह पीली चीज़, यह मारने वाली किरणे नहीं है | यह सिर्फ आपको यह दिखाने के लिए है कि अगर आपके पास कैमरा है या विभिन्न तरह के सेंसर है क्युंकि यह ऊँचा है, इसकी ऊंचाई 1.8 मीटर है, तो अवरोधों को देख सकते हैं जैसे कि झाड़ीयां और उस तरह की चीज़े | तो हमारे पास दो नमूने हैं | पहला संस्करण, पीछे है, यह STriDER I है | जो सामने है, छोटा वाला, STriDER II है | STriDER I के साथ समस्या थी कि इसका शरीर भारी भरकम था | इसमें बहुत सारी मोटर्स थी, जोड़ो को एक रेखा में लाने के लिए, और इस तरह की चीज़ों के लिए | तो, हमने एक यांत्रिक तंत्र बनाने का निश्चय किया जिससे हम सारी मोटर्स से छुटकारा पा सके, और एक मोटर के साथ हम सभी चालो को समायोजित कर सके | यह समस्या का यांत्रिक हल था, बजाय मेकाट्रानिक्स(mechatronics) इस्तेमाल करने के | तो, अब इसके साथ, शरीर का उपरी भाग इतना हल्का है कि यह प्रयोगशाला में चल सकता है | यह सर्वप्रथम सफल कदम था | लेकिन अभी भी परिपूर्ण नहीं था, इसकी काफी नीचे गिर जाती है, तो अभी भी हमे बहुत काम करना है | दूसरा रोबोट जिसके बारे में मैं बात करना चाहता हूँ उसका नाम IMPASS है | इसका पूरा नाम Intelligent Mobility Platform with Actuated Spoke System है | तो, यह पहिये के पैरों वाला संकरित रोबोट है | तो, बिना रिम के पहिये के बारे में सोचिये, या स्पोक वाले पहिये के बारे में | लेकिन स्पोक जो स्वतंत्र रूप से धुरी के अंदर बाहर जा सकते हैं | तो यह पहिये के पैरों वाला संकरित है | हम यहाँ सच में पहिये का फिर से अविष्कार कर रहे हैं | मुझे दिखाने दीजिए कि यह कैसे काम करता है | तो, इस वीडियो में हम एक पद्धति का उपयोग कर रहे हैं जिसका नाम प्रतिक्रियाशील पद्धति है | सिर्फ पैरों में एक स्पर्शनीय सेंसर का उपयोग करके, यह एक बदलते क्षेत्र में चलने की कोशिश कर रहा है, एक मुलायम क्षेत्र जहाँ यह नीचे की ओर धकेलता है और बदलता है और सिर्फ स्पर्श की सुचना के आधार पर यह सफलतापूर्वक इस तरह के क्षेत्रो को पार कर लेता है | लेकिन, जब इसका सामना एक कठिन क्षेत्र से होता है, जैसे इस वक्त, अवरोध की ऊंचाई रोबोट की ऊंचाई से तीन गुणा ज्यादा है, तब यह सुविचारित प्रणाली में बदल जाता है, जहाँ लेसर दुरी मापक और कैमरो के तंत्र का उपयोग करता है, अवरोध और उसके आकार को जानने के लिए, और यह सावधानी से स्पोक की चालो के लिए योजना बनाता है, और इसे संयोजित करता है जिससे यह दिखा सकता है एक बहुत ज्यादा प्रभावित करने वाली गतिशीलता | शायद आपने ऐसा कुछ पहले देखा नहीं होगा | यह एक बहुत गतिशील रोबोट है जिसे हमने बनाया है, जिसका नाम IMPASS है | क्या यह अच्छा नहीं है? जब आप अपनी कार चलाते हैं, जब आप कार को मोड़ते हैं, आप एक तरीका इस्तेमाल करते है जिसका नाम Ackermann steering है | आगे का चक्का इस तरह से घूमता है | बहुत से छोटे चक्को वाले रोबोट के लिए differential steering नाम की प्रणाली का उपयोग करते है जिसमे बाये और दाहिने तरफ के चक्के विपरीत दिशा में मुड़ते है | IMPASS को हम बहुत से विभिन्न तरह से चला सकते है | उदाहरण के लिए, जैसे यहाँ पर, बाये और दाहिने चक्के एक ही धुरी से जुड़े हुए है फिर भी, सामान वेग के कोण से घूम रहे है | हम सिर्फ स्पोक की लंबाई बदल देते है | यह व्यास पर प्रभाव डालती है, और तब बाये ओर मुड़ती है, दाहिने ओर मुड़ती है | तो, यह सिर्फ उन बेहतरीन चीजों का उदाहरण है जो हम IMPASS के साथ कर सकते है | इस रोबोट का नाम CLIMBeR है, Cable-suspended Limbed Intelligent Matching Behavior Robot | तो, NASA JPL के वैज्ञानिको से मेरी बाते होती रहती थी, JPL में वो Mars rovers के लिए प्रसिद्ध है | और वैज्ञानिक, भूवैज्ञानिक हमेशा मुझे बताते है कि असली रोमांचक विज्ञान, विज्ञान से भरी जगह, हमेशा चट्टानों पर होती है | लेकिन अभी के rovers वहां नहीं जा सकते | तो, उससे प्रेरित होकर हम एक रोबोट बनाना चाहते थे जो सरंचना वाले चट्टानों पर चढ़ सके | तो, यह CLIMBeR है | तो, यह क्या करता है, इसके तीन पैर हैं | यह देखना थोडा कठिन है, लेकिन इसके उपरी सिरे में एक घिरनी और तार है | और पैर रखने की सबसे अच्छी जगह को जानने की कोशिश करता है | और जब वास्तविक समय में यह जान जाता है यह बलो के वितरण की गणना करता है | कितना बल इसे लगाना पड़ेगा उस सतह पर ताकि यह झुके या फिसले नहीं | जब यह स्थिर हो जाता है अपना पैर उठाता है, और फिर घिरनी के सहारे, यह इन तरह की चीज़ो पर चढ सकता है | खोज और बचाव कार्यो के लिए भी | पांच साल पहले मैंने NASA JPL में वास्तव में काम किया है ग्रीष्म ऋतू के दौरान संकाय सहयोगी के रूप में | और उनके पास पहले से छै पैरों वाला LEMUR नामक रोबोट है | तो, यह असल में उस पर आधारित था. इस रोबोट का नाम MARS है, Multi-Appendage Robotic System | तो, यह छै पैरों वाला रोबोट है | हमने हमारा अनुकूलित चाल की योजना बनाने वाला बनाया | हमारे पास वास्तव में एक रोमांचक अंतरिक्ष उपकरण है | छात्र मज़ा करना पसंद करते है | और आप यहाँ देख सकते है कि यह बिना सरंचना के क्षेत्रो पर भी चलता है | यह खुरदुरे क्षेत्र पर चलने की कोशिश कर रहा है, रेतीली जगह, लेकिन रेत के कणो की नमी के आधार पर पैरों का जमीन में धसने वाला नमूना बदलता है | तो, इस तरह की चीजों को सफलतापूर्वक पार करने के लिए यह अपनी चाल को अनुकूलित करने की कोशिश करता है | और हाँ, यह कुछ मज़ाकिया चीज़े भी करता है, जैसा कि आप सोच सकते है | हमारी प्रयोगशाला में बहुत से दर्शक आते हैं | तो, जब दर्शक आते हैं, MARS कंप्यूटर तक चल के जाता है, टाइप करना शुरू करता है "नमस्ते, मेरा नाम MARS है " RoMeLa में आपका स्वागत है, वर्जीनिया टेक की Robotics Mechanisms Laboratory | यह रोबोट एक अमीबा रोबोट है | अब, हमारे पास तकनीकी विवरण में जाने के लिए पर्याप्त समय नहीं है, मैं सिर्फ आपको कुछ प्रयोग दिखाऊंगा | तो, यह प्रारंभिक संभावना परखने के प्रयोग हैं | इसे चलाने के लिए हम इसकी लचीली त्वचा में स्थितिज ऊर्जा को संचित करते हैं | या इसे चलाने के लिए तनाव वाली सक्रीय डोरी का उपयोग करते है आगे और पीछे | इसका नाम ChIMERA है | हम UPenn के कुछ वैज्ञानिको और अभियांत्रिको के साथ भी काम कर रहे हैं इस रोबोट के रासायनिक रूप से सक्रीय संस्करण को बनाने के लिए | हम कुछ का कुछ करते है और जादू की तरह, यह चलता है, एक बूंद | यह रोबोट काफी नयी योजना है | इसका नाम RAPHaEL है | Robotic Air Powered Hand with Elastic Ligaments | बाज़ार में बहुत से बेहतरीन और बहुत अच्छे रोबोटिक हाथ है | समस्या यह है कि वो बहुत महंगे है, हज़ारो डालर्स | तो, कृत्रिम उपयोगों के लिए यह व्यावहारिक नहीं है, क्युंकि यह सस्ता नहीं है | हम इस समस्या का सामना एक बहुत अलग दिशा में करना चाहते थे | बिजली की मोटर की जगह, electromechanical actuators, हम संकुचित हवा का उपयोग कर रहे है | हमने जोड़ो के लिए उत्तम actuators बनाये है | यह सम्मत है | आप वास्तव में बल को बदल सकते है, बस हवा का दबाव बदल कर | और वास्तव में यह सोडा के खाली डब्बे को दबा सकता है | यह बहुत नाजुक चीज़े जैसे कि कच्चे अंडे को उठा सकता है | जैसे यहाँ पर, बिजली का बल्ब | सबसे अच्छी बात, इसके पहले नमूने को बनाने में सिर्फ 200 डालर खर्च हुए | यह रोबोट वास्तव में सर्प रोबोट्स का परिवार है जिसे हम HyDRAS कहते है, Hyper Degrees-of-freedom Robotic Articulated Serpentine | यह रोबोट विभिन्न सरंचनाओ पर चढ सकता है | यह HyDRAS का हाथ है | यह 12 अंश तक घूमने वाला रोबोटिक हाथ है | लेकिन प्रयोगकर्ता से संबंध इसकी और भी अच्छी बात है | वहाँ पर वो तार, वो एक ऑप्टिकल फाइबर है | और यह छात्रा, शायद इसे पहली बार उपयोग कर रहा है, लेकिन वो इसे विभिन्न तरीको से उपयोग कर सकती है | तो, उदाहरण के लिए इराक में, आप जानते है, युद्ध क्षेत्र, वहाँ सड़को के किनारे बम है, अब आप इस दूर से नियंत्रित वाहन को जो कि सशस्त्र है भेजिए | इसमें बहुत समय लगता है और यह महंगा है चालक को इस जटिल रोबोट को चलाने के परीक्षण देने के लिए | यहाँ पर यह काफी सहज है | यह छात्र, शायद पहली बार इसे उपयोग कर रहा है, एक जटिल हस्त कौशल का काम कर रहा है, चीज़ों को उठाने में बस ऐसे ही, बहुत सहज | अब, यह रोबोट हमारा स्टार रोबोट है | DARwIn रोबोट के लिए वास्तव में हमारा एक प्रशंसक संघ भी है, Dynamic Anthropomorphic Robot With Intelligence | जैसे कि आप जानते हैं हमे काफी रूचि है मानवीय रोबोट में, मानवों की तरह चलने में, तो हमे निश्चय किया एक छोटा मानवीय रोबोट बनाने का | यह 2004 में, उस समय यह सच में बहुत क्रांतिकारी था | यह मुख्यत: इसकी संभावना का अध्धयन था, किस तरह की मोटर हमे उपयोग करनी चाहिए? क्या संभव है? किस तरह के नियंत्रण हमे करने चाहिए? तो, इसमें कोई भी सेंसर नहीं है | तो, यह एक ओपन लूप नियंत्रण है | आप में से कुछ जो शायद जानते हैं कि क्या होता जब कोई सेंसर ना हो और कुछ गड़बड़ी हो, आप जानते क्या होता है | (हँसी) तो, हमारी सफलता के आधार पर, अगले साल हमने उचित यांत्रिकी डिजाईन की kinematics से शुरू करके | और ऐसे, 2005 में DARwIn का जन्म हुआ | यह खड़ा होता है | चलता है, बहुत प्रभावी है | हालांकि, अभी भी, जैसे आप देख सकते हैं, इसकी एक गर्भनाल है | तो, अभी भी हम बाहरी ऊर्जा स्त्रोत का उपयोग कर रहे है, और बाहरी संगणना | तो, 2006 में, अब समय था वास्तव में मज़े लेने का | चलिए इसे बुद्धिमत्ता देते है | हम इसे वो कंप्यूटर की शक्ति देंगे जिसकी इसे जरुरत है, 1.5 gigahertz Pentium M chip, दो Firewire कैमरा, आठ gyros, accelerometer, पैरों पर चार आघूर्ण सेंसर, लिथियम बैटरी | और अब DARwIn II पूरी तरह से स्वचालित है | यह दूर से नियंत्रित नहीं है | वहाँ कुछ बंधा हुआ है | यह आसपास देखता है, गेंद को खोजता है, आसपास देखता है, गेंद खोजता है, और यह फूटबाल खेलने की कोशिश करता है, स्वचालित, कृत्रिम बुद्धि | चलिए देखे यह कैसे काम करता है | यह हमारा पहला परीक्षण था, और [वीडियो: गोल !] तो, वास्तव में एक RoboCup नाम की प्रतियोगिता है | मुझे नहीं पता आप में से कितनो को RoboCup के बारे में पता है | यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्वचालित रोबोट फूटबाल प्रतियोगिता है | और RoboCup का लक्ष्य है, मुख्य लक्ष्य है, 2050 तक हम चाहते है कि पूरे आकार के स्वचालित मानवीय रोबोट्स इंसानी विश्व कप विजेता के खिलाफ फूटबाल खेले और जीते | यह असली लक्ष्य है, यह बहुत महत्वकांक्षी लक्ष्य है, लेकिन हमे सच में भरोसा है कि हम इसे कर सकते है | तो, चीन में पिछले साल | हम अमेरिका की पहली टीम थी जिसने स्थान प्राप्त किया मानवीय रोबोट प्रतियोगिता में | और इस साल, ऑस्ट्रिया में | आप इसे देखेंगे, तीन के खिलाफ तीन, पूरी तरह स्वचालित | हाँ ! रोबोट खुद से खेलते है, समूह खुद के खिलाफ खेलते है | यह बहुत प्रभावशील है | यह वास्तव में अनुसंधान की प्रतियोगिता है एक ज्यादा रोमांचक प्रतियोगिता के रूप में | जो आप यहाँ देखते है, यह सुंदर है लुई वित्तों कप ट्राफी | तो, यह सबसे बेहतर मानवीय रोबोट के लिए है, और इस अमेरिका के लिए पहली बार जितना चाहेंगे, अगले साल, तो हमे दुआ दीजिए | धन्यवाद | (अभिवादन) DARwIn के पास और भी योग्यता है | पिछले साल इसने Roanoke Symphony Orchestra संचालित किया छुट्टी के कार्यक्रम में | यह अगली पीढ़ी का रोबोट है, DARwIn IV, लेकिन ज्यादा बुद्धिमान, ज्यादा तेज, ज्यादा मजबुत | और अपनी योग्यता दिखाने की कोशिश कर रहा है | "मैं मजबुत हूँ" मैं जैकी चेन की तरह युद्ध कला की कलाबाज़ी भी कर सकता हूँ | (हँसी) और अब यह जा रहा है | तो, यह DARwIn IV है, एक बार फिर, आप इसे लॉबी में देख सकेंगे | हमे सच में भरोसा है कि यह अमेरिका का पहला मानवीय दौड़ने वाला रोबोट होगा, तो, देखते रहिये | ठीक है, तो मैं आपको हमारे कुछ रोमांचक रोबोट्स दिखाए | तो, हमारी सफलता का रहस्य क्या है? ऐसे विचार हमे कहाँ से आते है? इस तरह के विचारों का हम निर्माण कैसे करते है? हमारे पास पूरी तरह से स्वचालित वाहन है जो शहरी परिवेश में चल सकती है | हमने पांच लाख डालर जीते थे DARPA Urban प्रतियोगिता में | हमारे पास विश्व की पहला वाहन भी है जिसे एक दृष्टीविहीन व्यक्ति चला सकता है | हमे इसे दृष्टीविहीन चालक प्रतियोगिता कहते है, बहुत रोमांचक, और बहुत सी रोबोटिक परियोजनाए जिनके बारे में मैं बात करना चाहता हूँ | यह वो पुरस्कार है जो हमने में 2007 जीते थे, रोबोटिक प्रतियोगिता और इसी तरह की प्रतियोगिता में | तो, वास्तव में हमारे पांच रहस्य है | पहला हमे कहाँ से प्रेरणा मिलती है, कहाँ से हमे कल्पना की शक्ति मिलती है? यह सच्ची कहानी है, मेरी व्यक्तिगत कहानी | रात में जब मैं सोने जाता हूँ, सुबह के 3 या 4 बजे, लेट जाता हूँ, आँखे बंद करता हूँ, और मैं रेखाए और वृत्त देखता हूँ और विभिन्न आकार तैरते हुए, और वो जुड़ते है, और वे इस तरह का तंत्र बनाते है | तब मैंने सोचा " आह यह अच्छा है" तो, मैंने बिस्तर के पास ही एक नोटबुक रखता हूँ, एक पत्रिका, एक विशिष्ट पेन के साथ जिस पर लाईट लगी हुई है, LED लाईट, क्युंकि क्युंकि मैं लाईट जला कर अपनी पत्नी को नहीं जगाना चाहता | तो, मैंने इसे देखता हूँ, सब लिखता हूँ, चित्र बनाता हूँ, और फिर सोता हूँ | हर दिन सुबह पहली चीज़ जो मैं काफी के पहले कप के पहले करता हूँ, मुंह धोने के पहले, अपनी नोटबुक खोलता हूँ | बहुत बार यह कोरी होती है, कभी कभी कुछ होता है तो कभी यह बेकार होता है, लेकिन ज्यादातर मैं अपनी ही लिखाई नही पढ़ पाता | और, सुबह के 4 बजे और क्या आशा रख सकते है, हैं ना ? तो, मुझे समझने की जरुरत है कि मैंने क्या लिखा है | लेकिन कभी कभी मैं शानदार विचार वहाँ देखता हूँ, और मेरा उरेका(eureka) पल होता है | मैं सीधे अपने घर के कार्यालय में जाता हूँ, अपने कंप्यूटर पर बैठता हूँ, अपने विचार लिखता हूँ, चित्र बनाता हूँ, और अपने विचारों का संग्रह रखता हूँ | तो, जब हमे प्रस्ताव देने होते हैं मैं एक समानता खोजने की कोशिश करता हूँ मेरे संभावित विचारों और समस्या में, अगर कोई समानता होती है तो हम शोध के लिए प्रस्ताव लिखते है, शोध के लिए धन प्राप्त करते है, और इस तरह हम अपना शोध कार्य आरंभ करते है | लेकिन सिर्फ कल्पना ही काफी नहीं है | हम इस तरह के योजनाओं का निर्माण कैसे करे? हमारी प्रयोगशाला RoMeLa में, Robotics Mechanisms Laboratory, हम विचारों के आदान प्रदान का शानदार सत्र करते है | तो, हम साथ में आते है, और समस्या और सामाजिक समस्या के बारे चर्चा करते है और बाते करते है | लेकिन शुरू करने से पहले हम ये नियम बनाते है | नियम है कि: कोई किसी के विचार की आलोचना नहीं करेगा | कोई किसी के राय की आलोचना नहीं करेगा | यह महत्वपूर्ण है, क्युंकि ज्यादातर वक्त, छात्र, वो डरते हैं या वो असुविधाजनक महसूस करते है कि दूसरे क्या सोचेंगे उनकी राय या विचारों के बारे में | तो, जब आप यह करते हैं, यह अद्भुत है कि छात्र कैसे खुल जाते है | उनके पास अजीब अच्छे सनकी बुद्धिमान विचार होते हैं, पूरे कमरे में एक सकारत्मक ऊर्जा होती हैं | और इस तरह हम अपनी योजनाएं बनाते है | अच्छा, हमारे पास समय की कमी है, एक और चीज़ जिसके बारे में मैं बात करना चाहूँगा आप जानते है, सिर्फ विचारों का आना और उनका निर्माण काफी नहीं है | एक बहुत अच्छा TED से जुड़ा पल है, मुझे लगता है वो सर केन रोबिनसन थे, क्या वे थे? उन्होंने एक बहुत अच्छा व्याख्यान दिया था कि कैसे शिक्षा और स्कुल रचनात्मकता को खत्म करते हैं | वास्तव में कहानी के दो नज़रिए होते हैं | तो, सिर्फ इतना ही है जो कोई कर सकता है एक बेहतरीन विचार के साथ और रचनात्मकता और अच्छे अभियांत्रिकी सहज ज्ञान के साथ | अगर थोड़े बहुत काम से आगे जाना चाहते हैं तो, अगर रोबोटिक के शौक से आगे जाना चाहते हैं तो और रोबोटिक के बड़ी चुनौती से निपटना चाहते है तो कठोर शोध के बाद भी हमे उससे ज्यादा करना पड़ेगा, और यहाँ स्कुल का महत्व है | बैटमेन, बुरे लोगो के खिलाफ लड़ता हुआ, उसके पास सामान वाली बेल्ट है, बांधने वाला हुक है, उसके पास विभिन्न प्रकार के औज़ार हैं | हमारे लिए रोबोट विशेषज्ञ, अभियंता और वैज्ञानिक, यह औज़ार, यह विषय और सबक जो कक्षा में लेते है | गणित, अवकल समीकरण | मैंने रेखीय बीजगणित, विज्ञान, भौतिक सिखा था, यहाँ तक कि अब, रसायन शास्त्र और जीवविज्ञान, जैसा कि आप देख सकते हैं | और यहीं वो सब औज़ार जिनकी हमे जरूरत हैं | तो, जितने ज्यादा औज़ार होंगे, बैटमेन के लिए उतना ही प्रभावशाली ही होगा बुरे लोगो से लड़ना, हमारे लिए, ज्यादा औज़ार इस तरह की समस्या से लड़ने के लिए | तो, शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है | और, यह इसके बारे में नहीं है, सिर्फ इसके बारे, आपको हमेशा बहुत कड़ी मेहनत करनी होगी | तो, मैं अपने छात्रों से हमेशा कहता हूँ चतुरता से काम करिये, फिर कड़ी मेहनत करिये | यह पीछे का चित्र सुबह के 3 बजे का हैं | मैं दावा करता हूँ अगर आप हमारी प्रयोगशाला में सुबह 3 या 4 बजे आयेंगे वहाँ छात्र काम करते रहेंगे, इसलिए नहीं कि मैंने उनसे कहा है, बल्कि इसलिए क्युंकि हम बहुत मज़े कर रहे हैं | जो आखिरी विषय की तरफ ले जाता है | मज़े करना मत भूलिए | यह वास्तव में हमारी सफलता का रहस्य है, हम बहुत मज़े कर रहे हैं | मैं सच में विश्वास करता हूँ सबसे ज्यादा उत्पादकता तब होती है जब आपको मज़ा आ रहा हो | और हम यहीं कर रहे हैं | आप सभी का बहुत धन्यवाद | (अभिवादन) मैं आपको किसी के बारे में बताना चाहता हूँ। मैं उसे रवि नंदा का नाम दूँगा। उसकी रक्षा के लिए मैं उसका नाम बदल रहा हूँ। रवि भारत के पश्चिम तट पर, गुजरात के गडरिए समुदाय से है जहाँ से मेरा परिवार है। जब वह १० साल का था, उसके पूरे समुदाय को वहाँ से जाना पड़ा क्योंकि एक बहुराष्ट्रीय निगम ने उस ज़मीन पर एक विनिर्माण सुविधा का निर्माण कर दिया जहाँ वे रहते थे। फिर, २० साल बाद, उसी कंपनी ने एक सीमेंट फैक्ट्री बना दी उस जगह से १०० फुट दूर जहाँ वे अब रहते हैं। भारत में कागज़ात पर बड़े दृढ़ पर्यावरण नियम हैं, पर इस कंपनी ने उनमें से अधिकतर का उल्लंघन किया है। उस फैक्ट्री की धूल रवि की मूँछों और उसके सारे कपड़ों को ढक कर रखती है। मैं तो बस उसके घर दो दिन रहा था और हफ्ता भर खाँसता रहा। रवि का कहना है कि अगर लोग या जानवर उसके गाँव में उगा कुछ भी खा लें या पानी भी पी लें, वे बीमार हो जाते हैं। वह कहता है कि बच्चे अब गायों और भैंसों के लिए अदूषित चरागाहों की खोज में बहुत दूर तक जाते हैं। वह कहता है कि इनमें से बहुत सारे बच्चे तो स्कूल छोड़ चुके हैं, जिसमें उसके तीन बच्चे भी शामिल हैं। रवि कई सालों से कंपनी को दरखास्त दे रहा है। वह कहता है, "मैंने इतने पत्र लिखे हैं कि मेरा परिवार उनसे मेरी चिता जला सकता है। उन्हें लकड़ी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।" (हंसी) उसका कहना है कि कंपनी ने उसके हर पत्र को नज़रअंदाज़ किया, और इसलिए २०१३ में, रवि नंदा ने विरोध का अपना आखिरी दाँव लगाने का निर्णय लिया जो उसे लगा कि आखिरी बचा था। वह आत्म-दाह करने के निर्णय से हाथ में पेट्रोल की बाल्टी लिए फैक्ट्री के गेट तक गया। एक रवि ही हताश नहीं है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि संसार में, चार अरब लोगों के पास न्याय की आधारभूत सुविधा तक पहुंच नहीं है। इन लोगों की सुरक्षा, इनकी आजीविका, इनकी मर्यादा को गंभीर खतरा है। किताबों में अवश्य ऐसे कानून होंगे जो इन्हें बचा सकें पर अक्सर इन्होंने उन कानूनों के बारे में सुना ही नहीं होता। और इन कानूनों को लागू करने वाली प्रणालियाँ भ्रष्ट या खंडित, या दोनों ही होती हैं। हम अन्याय की एक वैश्विक महामारी के साथ जी रहे हैं, पर हम उसे नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। इस समय, सियरा लियोन में, कंबोडिया में, ईथियोपिया में, किसानों को फुसलाकर ५०-साल के पट्टा समझौतों पर अंगूठे के निशान लगवाए जा रहे हैं, उनकी सारी ज़मीन कौड़ियों के भाव ली जा रही है, बिना उन्हें शर्तें समझाए। सरकारों को लगता है कि यह ठीक है। इस समय, अमरीका में, भारत में, स्लोवेनिया में, रवि जैसे लोग उन फैक्ट्रियों और खानों की छाँव में अपने बच्चे बड़े कर रहे हैं जो उनके पानी और हवा को ज़हरीला बना रहे हैं। पर्यावरण संबंधी कानून हैं जो इन लोगों की रक्षा कर सकते हैं, पर अधिकतर ने वे देखे ही नहीं हैं, उन्हें लागू करना तो दूर की बात है। और संसार को लगता है कि यह सब ठीक है। इसे कैसे बदलेंगे? कानून तो वह भाषा है जिसके द्वारा हम न्याय के बारे में अपने सपनों को उन जीवित संस्थाओं के रूप में साकार करते हैं जो हमें बाँधें रखती हैं। कानून तो केवल अंतर है रसूखदार लोगों के द्वारा शासित समाज और ऐसे समाज के बीच, जो सबका मान रखता है, चाहे कमज़ोर या शक्तिवान। इसीलिए २० साल पूर्व, मैंने अपनी दादी माँ से कहा कि मैं लॉ स्कूल जाना चाहता हूँ। दादी माँ एक पल भी ना रुकी। एक क्षण भी नहीं खोया। वह बोलीं, "वकील झूठा होता है।" (हंसी) उनका कहा निरुत्साहित लगा। (हंसी) पर दादी माँ एक तरह से सही हैं। कानून और वकीलों के बारे में कुछ तो गड़बड़ हो गई है। पहले तो, हम वकील लोग महंगे होते हैं, और हमारा ध्यान औपचारिक कोर्ट चैनलों पर होता है जो लोगों की अधिकतर समस्याओं के लिए अव्यवहारिक हैं। उससे बदतर, हमारे पेशे ने कानून को जटिलता का चोगा पहना दिया है। कानून तो एक पुलिस अफसर की उस पोशाक जैसा है जो दंगे के समय पहनते हैं। यह डरावना और अभेद्य है, और यह कहना मुश्किल है कि इसके भीतर कुछ मानवीय है भी। अगर हम सभी के लिए न्याय को एक वास्तविकता बनाना चाहते हैं, हमें कानून को एक धमकी या मात्र कल्पना से कुछ ऐसे में बदलना होगा जिसे हर कोई समझ सके, प्रयोग कर सके और बदल सके। उस लड़ाई में वकील तो बेशक महत्वपूर्ण हैं, पर हम यह सिर्फ वकीलों के हाथ में तो नहीं छोड़ सकते। उदाहरण के तौर पर, स्वास्थ्य कल्याण में, हम मरीज़ों की सेवा के लिए केवल डॉक्टरों पर तो निर्भर नहीं रहते। हमारे पास नर्सें, दाइयाँ और कम्युनिटी हैल्थ वर्कर हैं। ऐसा ही न्याय के लिए भी होना चाहिए। कम्यूनिटी लीगल वर्कर, कई बार हम उन्हें कम्यूनिटी पैरालीगल भी कहते हैं, या बेयरफुट वकील, एक कड़ी का काम कर सकते हैं। ये पैरालीगल उन्हीं समुदायों से होते हैं जहाँ वे काम करते हैं। ये कानून का रहस्य खोलते हैं, उसे साधारण शब्दों में व्यक्त करते हैं, और फिर समाधान ढूँढने में लोगों की मदद करते हैं। वे केवल अदालतों पर ध्यान नहीं देते। वे सब जगह देखते हैंः मंत्रालय विभागों, स्थानीय सरकार, लोकपाल का दफ्तर। कई बार वकील अपने मुवक्किलों से कहते हैं, "मैं संभाल लूंगा। मैं हूँ ना।" पैरालीगल अलग संदेश देते हैं, "मैं आपके लिए सुलझा दूँगा" नहीं, बल्कि, "हम मिलकर सुलझाएँगे, और इस प्रक्रिया में हम दोनों तरक्की करेंगे।" कम्यूनिटी पैरालीगल्स ने कानून से मेरे संबंध की भी रक्षा की है। लॉ स्कूल में एक साल के बाद, मैं तो बस छोड़ने ही वाला था। मैं सोच रहा था कि शायद मुझे दादी माँ का कहना मान लेना चाहिए था। यह तब की बात है जब २००३ में मैंने सियरा लियोन में पैरालीगल्स के साथ काम करना शुरू किया था, तब मुझे कानून पर फिर से विश्वास होने लगा, और तब से मैं बस उसी धुन में हूँ। रवि की बात पर वापिस आता हूँ। २०१३, वह फैक्ट्री के गेट पर पहुँचा हाथ में पेट्रोल की बाल्टी लिए, पर इससे पहले कि वह कुछ कर पाता, उसे गिरफ्तार कर लिया गया। वह अधिक समय तक जेल में नहीं रहा, पर वह बुरी तरह परास्त महसूस कर रहा था। फिर, दो साल बाद, वह किसी से मिला। मैं उसे कुश बुलाऊँगा। कुश कम्यूनिटी पैरालीगल्स के दल का सदस्य है जो गुजरात के तट पर पर्यावरण न्याय के लिए काम करता है। कुश ने रवि को समझाया कि कानून उसके साथ है। कुश ने कुछ ऐसा गुजराती में अनुवाद किया जो रवि ने पहले कभी नहीं देखा था। जिसे कहते हैं, "सहमति से कार्य करना।" यह राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है, और इसके द्वारा फैक्ट्री तभी काम कर सकती है अगर वह कुछ विशिष्ट शर्तों को पूरा करे। तो, दोनों ने मिलकर कानूनी आवश्यकताओं की वास्तविकता से तुलना की, उन्होंने सबूत इकट्ठे किए, और एक अर्जी का प्रारूप तैयार किया... अदालत के लिए नहीं, बल्कि दो प्रशासनिक संस्थाओं के लिए, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन। उन अर्जियों ने प्रवर्त्तन के कारकों को सक्रिय बनाया। एक प्रदूषण अधिकारी साइट निरीक्षण के लिए आया, और उसके बाद, कंपनी ने वायु फिल्ट्रेशन प्रणाली चालू की जो उसे शुरू से करनी चाहिए थी। उसने उन १०० ट्रकों को भी ढकना शुरू किया जो हर दिन प्लांट से आते-जाते थे। उन दो उपायों से वायु प्रदूषण काफी हद तक कम हुआ। मामला अभी खत्म नहीं हुआ है, पर कानून सीखकर उसका प्रयोग करने से रवि की उम्मीद जाग उठी। कई जगहों पर कुश जैसे लोग रवि जैसे लोगों का साथ दे रहे हैं। आज, मैं नमती नामक समूह के साथ काम कर रहा हूँ। नमती कानूनी सशक्तिकरण को समर्पित एक वैश्विक नेटवर्क को समायोजित करने में मदद करता है। कुल मिलाकर, १२० देशों में हम कुछ एक हज़ार संगठनों से अधिक हैं। सामूहिक तौर पर, हम कई हज़ारों कम्यूनिटी पैरालिगलों को परिनियोजित करते हैं। आपको एक और उदाहरण देता हूँ। यह खदीजा हमसा है। यह कीनिया के पचास लाख लोगों में से एक है जिसे राष्ट्रीय पहचान पत्र पाने के लिए भेदभावपूर्ण परीक्षण प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है। यह अमरीका के जिम क्रो साउथ जैसा है। अगर आप किसी खास कबीले से हो, जो अधिकतर मुस्लिम हैं, आपको एक अलग पंक्ति में भेज दिया जाता है। बिना पहचान पत्र के, आप नौकरी के लिए अर्जी नहीं दे सकते। आप बैंक से श्रृण नहीं ले सकते। आप विश्वविद्यालय में दाखिल नहीं हो सकते। आपको समाज से बाहर निकाल दिया जाता है। खदीजा लगभग आठ साल पहचान पत्र लेने की कोशिश में असफल रही। फिर उसे उसके समुदाय में काम कर रहा एक पैरालीगल मिला, जिसका नाम हस्सन कासिम था। हस्सन ने खदीजा को समझाया कि परीक्षण कैसे किया जाता है, उसने उसकी आवश्यक दस्तावेज़ इकट्ठे करने में मदद की, परीक्षण समिति के समक्ष जाने में उसकी तैयारी करवाई। आखिरकार, हस्सन की मदद से उसे पहचान पत्र मिल गया। पहचान पत्र मिलते ही सबसे पहले उसने अपने बच्चों के लिए जन्म प्रमाण पत्र लेने की अर्जी दी, जो उन्हें स्कूल जाने के लिए चाहिए। अमरीका में अन्य समस्याओं के साथ, आवास संकट है। कई शहरों में, आवास अदालतों में ९० प्रतिशत मकानमालिकों के पास वकील हैं, जबकि ९० प्रतिशत किराएदारों के पास नहीं हैं। न्यू यॉर्क में, पैरालीगलों का एक नए समूह... जिसका नाम है एक्सेस टू जस्टिस नैविगेटर्स... लोगों को आवासीय कानून समझने और अपनी वकालत खुद करने में मदद करता है। आम तौर पर, न्यू यॉर्क में, दस में से नौ किराएदार जो आवास अदालत में लाए जाते हैं उन्हें घर से निष्कासित कर दिया जाता है। शोधकर्ताओं ने १५० मामले देखे, जिनमें लोगों की पैरालीगल ने मदद की, और उन्होंने पाया कि किसी को भी घर से निकाला नहीं गया, एक भी नहीं। थोड़ा सा कानूनी सशक्तिकरण बहुत अधिक सफलता ला सकता है। मुझे एक वास्तविक आंदोलन की शुरूआत दिखाई दे रही है, परंतु हमें जितनी आवश्यकता है उससे बहुत दूर हैं। अभी तो करीब नहीं। संसार भर के अधिकतर देशों में, हस्सन और कुश जैसे पैरालीगलों को सरकारें एक पैसे का समर्थन नहीं देतीं। अधिकतर सरकारें तो पैरालीगल की भूमिका को मान्यता भी नहीं देतीं, ना ही उन्हें तकलीफ से बचाती हैं। मैं भी आपको ऐसा नहीं दर्शाना चाहता कि पैरालीगल और उनके मुवक्किल हमेशा जीतते हैं। बिल्कुल नहीं। रवि के गाँव के पीछे की वह सीमेंट फैक्ट्री, वह रात के समय फिल्ट्रेशन प्रणाली को बंद कर देती है, जब कंपनी के पकड़े जाने के आसार सबसे कम हों। उस फिल्टर को चलाने में खर्चा होता है। रात के प्रदूषित आसमान की तस्वीरें रवि वॉट्सऐप करता है। यह उसने मई में कुश को भेजी थी। रवि कहता है कि हवा में साँस लेना अभी भी मुश्किल है। इस साल एक बार तो, रवि ने भूख हड़ताल कर दी। कुश हताश था। वह बोला, "अगर कानून का प्रयोग करें, तो हम जीतेंगे।" रवि बोला, "मैं कानून में विश्वास करता हूँ। पर इससे हमें कोई फायदा नहीं हो रहा।" चाहे यह भारत हो, कीनिया, अमरीका या कहीं भी, खंडित प्रणाली से न्याय ले पाना रवि के मामले जैसा है। आशा और निराशा का चोली दामन का साथ है। और इसलिए हमें संसार भर में तत्काल बेयरफुट वकीलों के काम का समर्थन और रक्षा ही नहीं करनी, हमें प्रणालियों को ही बदलना होगा। हर मामला जो एक पैरालीगल लेता है वह एक कहानी है कि प्रणाली वास्तव में कैसे काम कर रही है। जब आप उन कहानियों को जोड़ें, उनसे आपको प्रणाली का एक विस्तृत विवरण मिल जाता है। लोग कानून और नीतियों में सुधार की माँग के लिए उस जानकारी का उपयोग कर सकते हैं। भारत में, पैरालीगल और उनके मुवक्किलों ने अपने मुकदमों के अनुभव के आधार पर खनिजों से संबंधित बेहतर नियमों का प्रस्ताव दिया है। कीनिया में, पैरालीगल और उनके मुवक्किलों ने हज़ारों मुकदमों के आँकड़ों का प्रयोग परिक्षण के असंवैधानिक होने पर तर्क करने के लिए किया है। सुधार करने के लिए यह एक अलग तरीका है। यह कोई कंसलटेंट नहीं है जो जहाज़ से मयांमार आया और मेसेडोनिया के किसी टेम्पलेट को काटकर चिपकाएगा, और यह कोई भड़कीली ट्वीट भी नहीं है। यह तो आम आदमी के अनुभव से सुधारों में विस्तार करने के बारे में है ताकि नियम और प्रणाली सही काम कर सकें। लोगों और कानून के बीच संबंध में यह परिवर्तन लाना ही सही बात है। हमारे समय की अन्य बड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए बहुत ज़रूरी है। हम पर्यावरण के विनाश को टाल नहीं सकते अगर हवा और पानी के साथ क्या होता है उसमें प्रदूषण से प्रभावित लोगों की बात सुनी नहीं जाती, और हम निर्धनता को कम नहीं कर सकते, ना ही अवसर बढ़ा सकते हैं अगर निर्धन लोग अपने आधारभूत अधिकारों का प्रयोग न करें। और मेरा मानना है कि अगर हमारी प्रणाली में धांधली होती रही तो हम कभी उस निराशा को दूर नहीं कर पाएँगे जिसका सत्तावादी राजनेता शिकार करते रहते हैं। यहाँ आने से पहले मैंने रवि से बात की उसकी कहानी बताने की इजाज़त लेने के लिए। मैंने उससे पूछा अगर वह कोई संदेश देना चाहता है। उसने कहा, "जागरुत थव।" जागो। "डरुन ना जोय।" डरो मत। "कगरिया ति लरो।" कागज़ से लड़ो। मुझे लगता है उससे उसका मतलब है बंदूकों से नहीं कानून से लड़ो। "आज नहीं, कदाचित् एक वरस मा नहीं, पाँच वरस मा नहीं, पन न्याय मलो।" शायद आज नहीं, इस साल नहीं, शायद पाँच सालों में नहीं, पर न्याय मिलेगा। अगर यह आदमी जिसके सारे समुदाय को हर दिन ज़हर पीना पड़ रहा है, जो अपनी जान लेने को तैयार था... अगर यह न्याय माँगने से पीछे नहीं हट रहा, तो संसार भी पीछे नहीं हट सकता। आखिरकार, जिसे रवि कहता है "कागज़ से लड़ना" का अर्थ है लोकतंत्र का एक गहरा रूप बनाना जिसमें हम लोग, हर कुछ सालों के बाद बस मतदान ही नहीं करेंगे, हम उन नियमों और संस्थाओं में भागीदार होंगे जो हमें बाँधे रखते हैं, जिसमें हर कोई, सबसे कम शक्तिशाली भी, कानून को जानता, उसका प्रयोग करता और उसमें परिवर्तन कर सकता है। ऐसा कर पाने, वह लड़ाई जीत पाने के लिए हम सब की ज़रूरत है। आपका धन्यवाद। धन्यवाद। (तालियाँ) केलो कुबुः शुक्रिया, विवेक। तो मैं कुछ मान्यताएँ लेकर चलूंगी कि कमरे में बैठे लोग सतत विकास लक्ष्यों के बारे में जानते हैं और जानते हैं कि प्रक्रिया कैसे चलती है, पर मैं कुछ बात करना चाहती हूँ उद्देश्य 16 के बारे मेंः शांति, न्याय और मज़बूत संस्थाएँ। विवेक मारूः हाँ। किसी को सहस्राब्दि विकास लक्ष्य याद हैं? ये २००० में संयुक्त राष्ट्र और संसार में सरकारों के द्वारा अपनाए गए थे और ये आवश्यक थे, प्रशंसनीय बातें थीं। बाल मृत्यु दर को दो तिहाई से कम करना, भूख को आधा कर देना, महत्वपूर्ण बातें। पर न्याय या निष्पक्षता या जवाबदेही या भ्रष्टाचार का कोई जिक्र नहीं था, पर इन १५ सालों में हमने तरक्की की है जब वे उद्देश्य प्रभावशाली थे, पर न्याय की माँग में हम बहुत पीछे हैं, और हम वहाँ नहीं पहुंच सकते जब तक न्याय को इसमें शामिल ना करें। तो, जब विकास के अगले ढांचे पर बहस छिड़ी, २०३० के सतत विकास उद्देश्य, संसार भर से हमारा समुदाय एकजुट हो गया इस बात को लेकर कि न्याय और सामाजिक सशक्तिकरण को इस नए ढांचे में शामिल किया जाना चाहिए। और इसका बहुत प्रतिरोध भी हुआ। ये चीज़ें अधिक राजनीतिक हैं, अन्य के मुकाबले में अधिक विवादास्पद हैं, इसलिए हम पिछली रात तक नहीं जानते थे कि यह सफल भी होगा या नहीं। हम सफल हो ही गए। १७ उद्देश्यों में से १६वाँ सभी के लिए न्याय तक पहुँच को लेकर है, जो कि एक बहुत बड़ी बात है। बहुत बड़ी बात है, हाँ। आइए न्याय की प्रशंसा करें। (तालियाँ) पर घोटाला तो यह है। जिस दिन उद्देश्य स्वीकार किए गए, उनमें से अधिकतर के साथ बहुत सारी प्रतिबद्धताएँ थींः गेट्स फाउंडेशन और ब्रिटिश सरकार की ओर से पोषण के लिए एक अरब डॉलर; सार्वजनिक और निजी वित्तपोषण में 25 अरब महिलाओं और बच्चों के लिए। न्याय तक पहुँच को लेकर हमारे पास कागज़ पर शब्द थे, पर किसी ने एक पैसा भी देने का वचन नहीं दिया, और इसलिए हमारे सामने यही अवसर और चुनौति है। संसार अच्छे से पहचान गया है कि बिना न्याय के विकास संभव नहीं, कि लोग अपना जीवन सुधार नहीं सकते अगर वे अपने अधिकार प्रयोग में ना लाएँ, और अब हमें यह करना है कि उस बयानबाज़ी, उस नियम को वास्तविकता में बदलें। (तालियाँ) केकुः हम कैसे मदद कर सकते हैं? इस कमरे में बैठे लोग क्या कर सकते हैं? वीएमः बढ़िया सवाल। पूछने के लिए धन्यवाद। मैं कहूँगा तीन बातें। पहला निवेश करें। अगर आपके पास १० डॉलर हैं, या सौ डॉलर, या दस लाख डॉलर, उसमें से कुछ आधारिक लीगल सशक्तिकरण में लगाने का सोचें। इसका अपना महत्व है, और यह महत्वपूर्ण है उस सबके लिए जिसकी हम परवाह करते हैं। नम्बर दो, अपने राजनीतिज्ञों और सरकारों पर दबाव डालें कि इसे सार्वजनिक प्राथमिकता दें। बिल्कुल स्वास्थ्य या शिक्षा की तरह, न्याय तक पहुँच उन चीज़ों में से एक होनी चाहिए जो सरकार को अपने लोगों को देनी ही है, और हम मंज़िल से बहुत दूर हैं, अमीर देशों में और निर्धन देशों में भी। नम्बर तीन हैः स्वयं एक पैरालीगल बनें। जहाँ आप रहते हैं वहाँ कोई समस्या या अन्याय ढूँढें। अगर देखें, तो ढूंढना ज़्यादा मुश्किल नहीं होगा। क्या वह नदी दूषित हो रही है, जो आपके शहर के बीच से होकर बहती है? क्या वहाँ श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी मिल रही है? या कौन बिना सुरक्षा चीज़ों के काम कर रहा है? उन्हें जानिए जो लोग सबसे अधिक प्रभावित हैं, जानिए कि नियम क्या कहते हैं, देखिए अगर आप उन नियमों का प्रयोग करके समाधान निकाल पाएँ। अगर सफलता नहीं मिलती, देखिए अगर आप मिलकर उन नियमों में सुधार कर सकते हैं। क्योंकि अगर हम सब कानून जान जाएँगे, उसे प्रयोग करना और बनाना सीख लेंगे, तो हम लोकतंत्र का एक गहरा रूप बना पाएँगे जिसकी मेरे विचार से संसार को बहुत ज़रूरत है। (तालियाँ) केकुः बहुत-बहुत धन्यवाद, विवेक। वीएमः धन्यवाद। आप जानते हैं कि रचनात्मक प्रक्रिया, पहली कल्पना से लेकर अंतिम उत्पाद तक, एक लंबी प्रक्रिया है। यह पुनरावृत्तीय है, कई सुधार करने होते है, खून, पसीना, आँसू और साल मांगती है. और हम नहीं कह रहे हैं आप टहलने के लिए जायेंगे, और आपके बाऐं हाथ में सिस्टिन चैपल लेके वापस आयेंगे. हमने इस प्रक्रिया के किस भाग पर ध्यान दिया? बस पहला हिस्सा. बस विचार मंथन, एक नये विचार का जन्म. हमने विभिन्न लोगों के साथ चार परिक्षण किये, जो पैदल चल रहे थे - भीतर या बाहर. इन चार परीक्षणों से एकजैसे निष्कर्ष निकले, मैं उनमे से एक के बारे में बात करुँगी. हमने एक टेस्ट किया - दूसरे उपयोग. इसमें आपके पास चार मिनट हैं. आपको रोज़मर्रा की चीज़ों के दूसरे उपयोग बताने हैं मसलन, एक चाबी से आप और क्या कर सकते हैं, ताला खोलने के अलावा. आप जिराफ़ की तीसरी आँख बना सकते हैं. ये दिलचस्प है, पर क्या ये रचनात्मक है? लोगोंने ऐसे उपयोग बताये. और हमें तय करना था: क्या ये रचनात्मक है या नहीं? रचनात्मकता की परिभाषा है, "उचित नवीनता". किसी चीज़ को उचित होने के लिए, उसका संभव होना जरुरी है. इसलिए, चाबी को आँख की तरह नहीं इस्तेमाल कर सकते. "नवीन" मतलब किसी अन्य ने वह उपयोग बताया? वह पहले उचित होना चाहिए, और नवीन भी. हमने जितने लोगों का सर्वे किया, किसी ने यह उत्तर नहीं दिया. अगर आप कहते हैं चाबी से कार में खरोंच मार सकते हैं, किसीऔर ने यहीउत्तर दिया, तो किसी का उत्तर सही नहीं माना जाएगा. एक व्यक्ति ने बोला: "आप मरते मरते अपने क़ातिल का नाम जमीन पर चाबी से लिख सकते हैं." एक व्यक्ति ने ये कहा. (हँसी) ये रचनात्मक है, क्यूँकि ये उचित है और नवीन भी. लोग ये टेस्ट बैठे हुए कर सकते हैं, या ट्रेडमिल पर चलते हुए. (हँसी) वे इस टेस्ट को दो बार करते हैं, अलग वस्तुओं के साथ. 1 ग्रुप पहले टेस्ट में बैठके उत्तर देता है और दूसरे टेस्ट में भी बैठा रहता है. 2 ग्रुप पहले बैठ के उत्तर देता है, और दूसरे टेस्ट में ट्रेडमिल पर चलते हुए. 3 ग्रुप - ये रोचक है - पहले चलते हुए, और फिर बैठे हुए. जो ग्रुप पहले टेस्ट में बैठे हुए थे, वे एक समान दिख रहे हैं, उन्होंने दिए 20 आईडिया प्रति व्यक्ति. जो ग्रुप ट्रेडमिल पर चल रहा था, वो दूसरों से दुगुने बेहतर थे. और वे एक बिना खिड़की के कमरे में चल रहे थे. याद रखिये, सबने टेस्ट दो बार दिया. जो दूसरी बार भी बैठकर टेस्ट दे रहे थे, उनके परिणाम में सुधार नहीं हुआ. पर जो पहले बैठे थे, फिर ट्रेडमिल पर गए, उनके परिणाम बेहतर हुए. दिलचस्प ये है कि, जिन्होंने पहले चलते हुए टेस्ट दिया, उनको बाद में बैठे हुए भी फायदा मिला, और वे बाद में भी रचनात्मक रहे. निष्कर्ष यह है की, आपको पैदल सैर पर जाना चाहिए, अगली बड़ी मीटिंग से पहले. हम आपको 5 सुझाव देते हैं, जो आपको बेहतरीन फायदा देंगे. 1: कोई विचारयोग्य समस्या या विषय चुनें. यह कोई "शावर इफ़ेक्ट" नहीं है, कि शावर लेते हुए अचानक एक नया आईडिया शैम्पू की बोतल से कूद पड़ेगा. ये ऐसा विषय है, जिसके बारे में आप लम्बे समय से सोच रहे हैं और अब, दूसरा दृष्टीकोण चाहते हैं. 2. - ये मुझसे कई बार पुछा जाता है: क्या हम ये दौड़ते हुएकर सकते हैं? सच में, अगर मैं दौड़ रही हूँ, तो मेरे दिमाग में एक ही विचार आता है - मैं कब रुकूंगी..... (हँसी). अगर आप दौड़ते वक़्त आराम से हैं, तो ठीक है. कोई भी गतिविधि, जो ज्यादा ध्यान नहीं खींचती, वो ठीक है. इसलिए पैदल चलना अच्छा चुनाव है. 3. आपका ध्येय बहुत सारे आईडिया खोजना है, इसलिए पहले आईडिया पर अटके मत रहिये, सोचते जाइये. बहुत सारे नए आईडिया सोचिये, फिर 1 या 2 पर गहराई से विचार करें. 4. शायद आप सारे आईडिया लिखना चाहेंगे, ताकि आप इन्हें भूल न जाएँ. इसके लिए उनको बोलते रहिये. सब अपने आईडिया के बारे में बोलेंगे और आप उनको फ़ोन पर रिकॉर्ड कर सकते हैं. बाद में उनपर वार्ता कर सकते हैं. आईडिया लिखने से, पहलेही छंटनी करने लगेंगे. आप सोचेंगे- ये लिखना चाहिए? फिर शायद लिखें या न लिखें. इसलिए आईडिया के बारे में बोलिए, रिकॉर्ड कीजिये. 5. इसको लगातार मत करते बैठिये. अगर आप चल रहे हैं और आपको आईडिया नहीं आ रहा, तो उसे किसी और समय पर करें. शायद अब ब्रेक का समय हो गया. तो मेरा एक सुझाव है: आप अपने विचारों के साथ क्यों न पैदल सैर करने चले जायें. धन्यवाद. (तालियाँ और प्रशंसा) मैं आपके लिये लाया हूँ एक संदेश दसियों हज़ार लोगों का, गाँवों और झुग्गियों से, देश के ह्रदय से, जिन्होंने समस्याओं को सुलझाया है अपनी खुद की बेमिसाल सोच से, बिना किसी बाहरी मदद के । हमारे गृह-मंत्री ने अभी कुछ हफ़्ते पहले ही लडाई छेड दी करीब एक-तिहाई भारत के साथ, लगभग २०० ऐसे ज़िलों के नाम ले कर, जिन्हें वो शाषन के काबिल ही नही समझते, वो सच्चाई को बिलकुल भूल ही गये । ऐसी सच्चाई जिसे हम सामने ला रहे हैं पिछले २१ वर्षों से और वो सच्चाई है कि लोग भले ही रूप से गरीब हों, वो दिमागी रूप से गरीब नहीं हैं । दूसरे शब्दों में, गरीबी में गुज़र-बसर करने वाला मष्तिश्क सोच से गरीब नहीं होता है । यही वो संदेश है, जिसका प्रसारण हमने ३१ साल पहले शुरु किया था । और इससे हुआ क्या ? चलिये, मैं आपको अपनी जीवन-यात्रा के बारे में बताता हूँ, जो मुझे यहाँ तक ले कर आई है । ८५ से ८६ तक मैं बाँगलादेश में था वहाँ की सरकार और शोध-समिति के सलाहकार के रूप में कैसे वैज्ञानिक काम करें ज़मीन से जुड कर, गरीब लोगों के साथ मिल कर और कैसे शोध-आधारित तकनीकें विकसित की जायें, जो कि आम लोगों के ज्ञान पर आधारित हों । मैं ८६ में वापस आ गया । मुझ में एक शक्तिशाली नव-चेतना का संचार हो चुका था उस देश में मौजूद ज्ञान और रचनात्मक्ता को देख कर, जहाँ कि ६० प्रतिशत लोगों के पास ज़मीन तक नहीं है । लेकिन अद्भुत रचनात्मकता की कोई कमी नहीं है । मैने अपने काम पर गौर करना शुरु किया । वो सारा काम जो कि मैनें पिछले दस वर्षो में किया था, लगभग हर बार, मैनें लोगों के पारम्परिक ज्ञान का इस्तेमाल किया था जो के लोगों ने बेझिझक बाँटा था । और तो और, मुझे सलाहकार के रूप में, बहुत पैसे मिलते थे, फिर मैनें अपने आयकर पर ध्यान दिया और स्वयं से ये सवाल पूछा - "मेरे आयकर में से कितना हिस्सा उन लोगों के भले के लिये खर्च हुआ है जिन्होंने मुझसे अपना ज्ञान बाँटा था, और मेरे काम को संभव बनाया था ?" क्या मैं इतना होनहार था कि मुझे ये पुरस्कार मिल रहा था ? या कि मैं बहुत अच्छा लिखता था इसलिये ? या फ़िर इसलिये कि मैं अपनी बात ढँग से कह पाता था ? हो सकता है इसलिये कि मैं आँकलन में माहिर था ? या फिर केवल इसलिये कि मैं एक प्रोफ़ेसर था, और इस नाते मेरे प्रति समाज की कुछ ज़िम्मेदारियाँ थीं ? मैनें स्वयं को समझाने का प्रयत्न किया, "नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, मैंने नीति-परिवर्तन के लिये कार्य किया है। जिससे कि नीति ऐसे हो जायेगी कि गरीबों के प्रति संवेदनशीलता बढेगी, और इसलिये , मैने सोचा कि सब ठीक है ।" मगर साथ ही मुझे ये भी आभास हुआ कि इतने सालों से मैं शोषण के खिलाफ़ ही तो काम कर रहा था, जमींदारों द्वारा शोषण, साहूकारों द्वारा, व्यापारियों द्वारा, इससे मुझे ये लगा कि कहीं ना कहीं मैं भी एक शोषणकर्ता ही हूँ, क्योंकि मेरी आय का कोई भी भाग उन लोगों तक नहीं पहुँच रहा था जिनके ज्ञान के फलस्वरूप ये आय हुई थी, उन लोगों तक जिन्होंने अपने ज्ञान के भंडार को, और अपने विश्वास को मुझे सौंप दिया था, कुछ भी उन लोगों तक वापस नहीं पहुँचा । यहाँ तक कि, मेरे काम का ज्यादातर भाग उस समय तक अँग्रेज़ी भाषा में था । जिन लोगों से मैने सीखा था, उनमे से अधिकांश अँग्रेज़ी नहीं जानते थे । तो मै किस प्रकार से अपना योगदान दे रहा था ? मैं समाजिक न्याय की बात कर रहा था, और वास्तव में , मैं एक पेशेवर था जो कि हद दर्ज़े का अन्यायपूर्ण काम कर रहा था, भले-पूरे लोगों के ज्ञान को ले कर उनका वज़ूद ख्त्म कर के, उस ज्ञान के सहारे पैसे कमा कर, उसे बाँट के, सलाह दे कर, ज्ञातपत्र लिख कर, छपवा कर, बढिया सम्मेलनों मे आमंत्रित हो कर, और पैसा और नये कामों को पा कर, और भगवान जाने क्या क्या कर के । ये सोच कर मेरे दिमाग में एक दुविधा उठ खडी हुई, कि यदि मैं शोषण ही कर रहा हूँ, तो ये ठीक नहीं है; जीवन ऐसे नहीं चल सकता । और ये क्षण मेरे लिये पीडादायक था क्योंकि मैं उस तरह, शोषणकर्ता का जीवन नहीं बिता सकता था । तो मैंने फिर से समझना शुरु किया, सामाजिक-विज्ञान में निहित मूल्यों की लडाई और नैतिक विरोधाभासों को, और करीब १०० से भी अधिक ज्ञातपत्र पढे और लिखे । और मैं इस नतीज़े पर पहुँचा कि, मेरी दुविधा मुझे अकेले की नहीं है, लकिन इस दुविधा का समाधान खास होना चाहिये । और एक दिन - ना जाने क्या हुआ कि - दफ़्तर से वापस आते समय मैनें एक मधुमक्खी देखी, और तत्क्षण मुझे लगा, कि क्यों न मैं इस मधुमक्खी जैसा बन जाऊँ, जीवन कितना खुशनुमा हो जाएगा । मधुमक्खी क्या करती है : परागण की प्रक्रिया में मदद, एक फूल का पराग ले कर, दूसरे फूल तक पहुँचाना, जिससे परागण हो सके । और जब वो पराग लेती है, फूलों को ठगा हुआ सा महसूस नहीं होता । बल्कि, फूल उल्टा मधुमक्खी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं । और मधुमक्खियाँ सारा शहद भी सिर्फ़ अपने लिये ही बचा कर नहीं रखती हैं । "हनी बी नेटवर्क" के तीन मूल सिद्धान्त हैं -- कि जब भी हम लोगों से कुछ सीखेंगे, उसे उनके साथ उनकी ही भाषा में बाँटेंगे । उनके वजूद को गुप्त नहीं रखेंगे । और मैं आपको बताऊँ, कि बीस साल बाद भी, मैनें एक प्रतिशत भी इस सिद्धान्त को कार्यान्वित नहीं कर पाया है । ये एक दुखद सत्य है जिसे मैं आज भी ढो रहा हूँ, और मैं चाहूँगा कि आप सब इस बात को फैलायें, कि हमारा पेशा आज भी इस बात को नज़रअंदाज़ करता है कि लोगों का ज्ञान बिना उन्हें कोई पहचान दिये इस्तेमाल होता है, और उनके वजूद का खात्मा करता है । अमरीकी राष्ट्रीय साइंस अकादमी के दिशा-निर्देश या ब्रिटिश शोध समिति के, या कि भारतीय विज्ञान शोध समिति के, ये मुकम्मल नहीं करते हैं कि जब भी आप लोगों से सीखें, आप उनके साथ वापस बाँटें । और हम बात कर रहें हैं जिम्मेदार समाज की, जो कि न्यायपूर्ण और बराबरी पर आधारित है । और ज्ञान-क्षेत्र में न्याय नहीं करते हैं । भारत ज्ञान-आधारित समाज के रूप में अपने पहचान बनना चाहता है। कैसे भारत ऐसा कर पायेगा ? ज़ाहिर है, कि आप न्याय के दो सिद्धान्त नहीं अपना सकते, एक अपने लिये और एक बाकी सब के लिये । एक ही सिद्धान्त बनाना होगा । आप पक्षपात नहीं कर सकते हैं । आप केवल अपने मूल्यों के पक्ष में नहीं सोच सकते हैं, जो कि उन सिद्धान्तों से दूर है, जिनका पालन दूसरे लोग करते हैं । न्यायपूर्णता एक के लिये कुछ और, और दूसरे के लिये कुछ और नहीं हो सकती है । इस तस्वीर को देखिये । क्या आप बता सकते है कि ये कहाँ से ली गयी है, या इसे क्यों लिया गया है, कोई बताना चाहेगा ? देखिये मैं एक शिक्षक हूँ, मुझे पूछ्ने का पूरा अधिकार है । कोई भी? कोई तीर-तुक्का ? माफ़ कीजिये ? (दर्शक: राजस्थान ) । अनिल गुप्ता: मगर इसे किसलिये इस्तेमाल किया गया है ? (फुसफुसाहट) माफ़ कीजिये ? शायद आपका जवाब पूरी तरह से ठीक नहीं है । इनका अभिवादन करना चाहिये । क्योंकि इन्हें पता है कि हमारी सरकार कितनी संवेदनाहीन है । देखिये इसे । ये भारत सरकार का साइट है । और ये पर्यटकों को आमंत्रित कर रहा है हमारे देश के शर्मनाक पहलुओं को देखने के लिये । मैं ऐसा कहने के लिये माफ़ी चाहता हूँ । ये एक सुंदर चित्र है -- या फ़िर ये एक बेहद खराब चित्र है ? ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप लोगों के जीवन पर क्या नज़रिया रखते हैं । इस औरत को अपने सर पर पानी ढोना पडता है मीलों तक, दूर दूर तक, और ये बात उत्साहित हो कर बताने लायक नहीं है। हमें इसके लिये कुछ करना होगा । और मैं आपको बता दूँ, कि विज्ञान और तकनीक के इतने विकास के बावजूद, दसियों लाख औरतें आज भी सर पर इसी तरह पाने ढो रही हैं । और हम ये प्रश्न ही नहीं उठाते । आपने आज सुबह चाय तो पी ही होगी । एक मिनट के लिये सोचिये । चाय की पत्तियाँ, झाडियों से तोडी गयी पत्तियाँ । आपको पता है कि यहाँ क्या हो रहा है ? एक औरत कुछ पत्तियोँ को तोड कर, उन्हें अपनी पीठ पर टँगी डलिया में डालती है । केवल इसे काम को दस बार कर के देखिये; और आपको अपने कंधे में दर्द महसूस होगा । और वो औरत हजारों हजार बार यही दोहराती है हर दिन जो चावल आपने आज खाया, या खायेंगे उसे औरतें ही रोपित करती है एक बेहद अजीब ढँग से झुक कर, दसियों लाख औरतें, हर साल धान के मौसम में, जब वो धान रोप रही होती है, अपने पाँव पाने में डाल कर, तो उनके पाँवों में फफूँदी लग जाती है, संक्रमण हो जाता है । और उसमें दर्द होता है क्योंकि कीडे खास वहीं पर काटते हैं । और हर साल, ९९.९ प्रतिशत धान हाथ से ही लगाया जाता है । कोई मशीन नहीं बनाई गयी है इस काम के लिये । और इस बारे में वैज्ञानिकों की चुप्पी, तकनीशियनों और नीति बनाने वालों का दम साध लेना, बदलाव जिन्हें लाना है, उनके चुप रहने ने हमारा ध्यान आकर्षित किया कि समाज का ये ढँग बिलकुल सरासर गलत है । देखिय, हमारा संसद ऐसा नहीं कर सकता । हमारे पास रोजगार के लिये एक योजना है । इसके तहत २५ करोड लोगों को साल में १०० दिन का रोजगार देने के लिये हमारा देश वचनबद्ध है । लेकिन कैसा रोजगार? पत्थर तोडना, गड्ढे खोदना । तो हमने अपनी सरकार से एक सवाल पूछा, कि, क्या गरीब लोगों के पास दिमाग नहीं होता है? क्या गरीब लोगों के पास सिर्फ़ मुँह और हाथ होते है, मगर दिमाग गायब होता है? इसलिये हनी बी नेटवर्क उन संसाधनों को बढावा देता है जिनमें गरीब जनता सक्षम है । और इससे क्या हुआ ? अन्जान, अनाम व्यक्ति नेटवर्क से जुडा और उसने एक पहचान पाई । यही हनी बी नेटवर्क का काम है । और ये नेटवर्क स्वेच्छा से आगे बढा है, स्वेच्छा पर ही आगे बढ रहा है, और इसने करोडों लोगों के दिमाग को पढा है , अपने देश में और विश्व के अनेक भागों मे, जहाँ भी रचनात्मक्ता है । ये रचनात्कमक्ता शिक्षा के संदर्भ में हो सकती है; या फिर संस्कृति से जुडी हो सकता है कि ये संस्थानों से जुडी हो, पर काफ़ी सारा काम तकनीकी रचनात्मक्ता से जुडा मिला है, नये प्रयोगों से, चाहे वो आज के प्रयोग हों, या फिर पारंपरिक ज्ञान पर आधारित । और ये सब शुरु होता है जिज्ञासा से । केवल जिज्ञासा से । एक व्यक्ति, जो हमें मिले, और जिन्हें देख सकेंगे वेबसाइट www.sristi.org पर, ये एक जनजातीय व्यक्ति हैं, उनकी एक इच्छा थी । और उन्होंने कहा, "यदि मेरी इच्छा पूर्ण होती है" -- कोई वहाँ बीमार था, और ये उसकी देखभाल कर रहे थे -- "ईश्वर, इन्हें अच्छा कर दो ।" और यदि ये अच्छे हो गये, तो मैं अपनी दीवार रँग दूँगा ।" और एसे उन्होंने अपनी दीवार पर रोगन किया । कल किसी व्यक्ति ने मास्लोवियन वर्गीकरण की बात की थी । उससे ज्यादा गलत कुछ हो ही नहीं सकता है । उससे ज्यादा गलत कुछ हो ही नहीं सकता है । क्योंकि इस देश में गरीब लोगों के लिये ज्ञान के द्वार खुले हैं । कालवी, रहीम, और सारे महान सूफ़ी संत, सब गरीब थे, मगर उनके पास सुलझी हुई सोच थी । कृपया ऐसा कभी मत सोचिये कि केवल जब आप अपनी शारीरिक और आर्थिक ज़रूरतें पूरे कर लेंगे, तब ही जा कर आप अपनी आध्यातमक ज़रूरतों के बारे में सोचेंगे । कोई भी व्यक्ति कहीं भी इस काबिल है कि वो अपनी उपलब्धियों के चरम पर पहुँचे, केवल यदि वो ठान ले कि उसे कुछ पाना है । इस पर ध्यान दीजिये । हमें शोध यात्रा में ये देख्ने को मिला। हर छठे महीने हम पदयात्रा करते हैं देश के विभिन्न भागों में। मैने पिछले १२ सालों में करीब ४४०० कि.मी. की यात्रा पद-यात्रा की है । और इस दौरान, हमने गोबर के उपले देखे, जो कि ईंधन की तरह इस्तेमाल होते है । इस स्त्री ने, उपलों के ढेर की दीवार पर चित्रकारी की है । इसके पास यही इकलौती जगह है जहाँ ये अपनी रचनात्मक्ता को अभिव्यक्त कर सके । और ये स्त्री बेहतरीन कलाकार है । एक और स्त्री, राम तिमारी देवी, अनाज़ के ढेर पर, चम्पारन में शोध-यात्रा के दौरान वहाँ चलते समय, उस भूमि पर जहाँ गाँधीजी गये थे दुख, दर्द सुनने नील की खेती करने वालों का भाभी महतो, पुरिलिया, बनकुरा से । देखिये इन्होंने क्या किया है । ये पूरी दीवार इनका चित्रपटल है । और ये वहाँ एक झाडू ले कर बैठी हैं । ये कारीगर हैं या कि एक कलाकार ? बिलकुल ये एक कारीगर हैं, एक रचनात्मक व्यक्ति । यदि हम इन कलाकारों के लिये बाज़ार बना सकें, तो हमें इनसे गड्ढे खुदवाने और पत्थर तोडने के काम नहीं करवाने होंगे । उन्हें उस चीज़ के लिये पैसे दिये जाएँगे जिसमें वो पारंगत है, उसके लिये नहीं जो उन्हें नहीं आता । अभिवादन देखिये, रोज़ादीन ने क्या किया है । मोतिहारी, चम्पारन में, कई लोग हैं जो छोटे-मोटे ढेलों पर चाय बेचते हैं और ज़ाहिर है, कि चाय की बाज़ार सीमित है, हर सुबह आप चाय पीते है, और कॉफ़ी भी । तो उसने सोचा, कि क्यों न मैं एक प्रेशर-कुकर को कॉफ़ी मशीन में बदल दूँ । तो ये रही आपकी कॉफ़ी मशीन, जो कि सिर्फ़ कुछ सौ रुपये में उलपब्ध है । लोग अपना कुकर ले कर आते हैं, रोज़ादीन उसमें एक वाल्व और भाप की एक नली जोड देता है, और अब वो आपको एस्प्रेसो कॉफ़ी मुहैया करवाता है । और देखिये, ये सब वास्तविक है, और जेब-खर्च के भीतर कॉफ़ी मशीन जो कि गैस पर काम करती है । अभिवादन देखिये शेख़ जहाँगीर का कमाल । कई गरीब लोगों के पास इतना अनाज़ नहीं होता है कि वो उसे पिसवाने जायें । तो जहाँगीर क्या करते हैं कि आटा पीसने की एक चक्की को एक दुपहिया वाहन पर ले कर आते हैं । अगर आपके पास ५०० ग्राम, या एक किलो अनाज़ है, तो वो आपके लिये उसे पीस देगा; चक्कीवाला इतने कम अनाज़ को नहीं पीसेगा। कृपया गरीब लोगों के समस्या को समझिये । उनकी आवश्यकताएँ हैं जिन्हें रूप से पूरा करना है बिजली, कीमत, गुणवत्ता आदि को ध्यान में रख कर । उन्हें खराब स्तर के उत्पाद नहीं चाहिये । लेकिन अच्छी क्वालिटी के उत्पाद बनाने के लिये आपको अपनी तकनीक को उनके अनुसार बदलना होगा । और यही शेख़ जहाँगीर ने किया । पर ये काफ़ी नहीं है । यहाँ देखिये क्या हुआ है । अगर आपके पास कपडे हैं, मगर उन्हें धोने का समय नहीं है, तो वो आपके लिये वाशिंग-मशीन लाये हैं ठीक आपके दरवाजे पर, दुपहिया वाहन पर लगी हुई । ये एक ढाँचा है जो कि दुपहिया वाहन पर... वो आपके दरवाजे पर आपके कपडे धो और सुखा रहा है । (अभिवादन) आप अपना पानी लाइये, साबुन दीजिये । मैं आपके कपडे धो देता हूँ, पचास पैसे या एक रुपये में एक गट्ठर । व्यवसाय का एक नया प्रारूप निकल सकता है । और ये ही हमें चाहिये । और इसके आगे, वो लोग जो कि इसे कई गुना बडे स्तर पर कर सकें । आगे देखिये । ये एक सुंदर तस्वीर है । पर ये क्या है ? कोई पहचान सकता है ? भारतीयों को तो पता ही होगा । ये एक तवा है । मिट्टी से बना हुआ तवा । देखिये, इसकी खासियत क्या है ? जब आप नॉन-स्टिक तवा लेते हैं, तो उसकी कीमत आती है, करीब २५० रुपये, पाँच, छः डॉलर । और ये एक डॉलर से कम का है । और ये भी 'नॉन-स्टिक' है । इस पर परत चढाई गयी है खाद्य-स्तर के पदार्थ की । और सबसे बढिया बात ये है कि, जब आप महँगा नॉन-स्टिक तवा इस्तेमाल करते हैं, तो आप टेफ़्लान या टेफ़्लान जैसे पदार्थ को खाते हैं । क्योंकि कुछ दिन बाद वो गायब हो जाता है. और वो कहाँ जाता है ? आपके पेट में । वो आपके पेट में जाने लायक नहीं है । और देखिये, इस मिट्टी के तवे में, वो कभी भी आपके पेट में नहीं जाएगा, तो बेहतर है, सुरक्षित है; जेब-खर्च के भीतर है; और सीमित ऊर्जा से बनता है । दूसरे शब्दों में, ज़रूरी नहीं कि गरीबों के लिये बनाये गये उत्पाद घटिया हों, या फ़िर सिर्फ़ जुगाड कर के किसी तरह बना दिये गये हों । उन्हें तो बेहतर होना होगा, और ज्यादा गुण्वत्ता परक होना होगा, उन्हें सस्ता होना होगा । और बिलकुल यही मनसुख प्रजापति ने कर दिखाया है । उन्होंने ये हत्था-लगी प्लेट बनाई है । और अब आप एक डॉलर में एक बेहतर चीज पा सकते हैं बाज़ार में उपलब्ध चीज़ों से बेहतर । इन महिला को देखिये, इन्होंने वनस्पति पर आधारित कीटनाशक बनाया है। हमने इस के लिये पेटेंट की अर्ज़ी दी है, नेशनल इन्नोवेशन फ़ाउन्डेशन में । और क्या पता एक दिन, कोई इस तकनीक का लाइसेंस ले कर बाजार के लायक उत्पाद बनाये, और इस महिला को पैसे मिलें। एक बात कहनी यहाँ बहुत ज़रूरी है । मेरे हिसाब से हमें विकास का बहु-केन्द्रीय ढाँचा बनाना होगा, जहाँ कई प्रयास देश के विभिन्न भागों में और विश्व के विभिन्न भागों में, स्थानीय समस्याओं का निदान कर रहे हों सुचारु और अनुकूलित तरीकों से। जितना ही स्थानीय जुडाव होगा, उतना ही ज्यादा संभव होगा इसे आगे बढाना । और आगे बढने में एक स्वाभाविक विशिष्टता है कि वो स्थानीय स्वाद से परे होती जाती है, धीरे धीरे जैसे जैसे आप अपनी पूर्ति बढाते हैं । तो लोग इस बात को स्वीकार करने को तैयार क्यों हैं ? देखिये चीज़ें आगे बढ सकती हैं, और बढी भी हैं । मिसाल के तौर पर, मोबाइल फोन: हमारे देश में ४० करोड मोबाइल फ़ोन हैं । हो सकता है कि मैं अपने फोन के सिर्फ़ दो ही बटन इस्तेमाल करता हूँ, और फोन की सिर्फ़ तीन ही सुविधाएँ इस्तेमाल करता हूँ । उसमें ३०० सुविधाएँ हैं; मैं ३०० सुविधाओं की कीमत चुकाता हूँ, लेकिन सिर्फ़ तीन इस्तेमाल करता हूँ । लेकिन मैं इसके लिये तैयार हूँ, और इसलिये, ये आगे बढ सका है । लेकिन अगर मुझे खास अपने लिये एक फोन चाहिये होता, तो जाहिर है, कि मुझे एक अलग नमूने का फोन लेना पडता । तो हम ये कहना चाह रहे हैं कि विशाल बनने के चक्कर में चीज़ें ख्त्म नहीं हो जानी चाहियें । दुनिया में एक स्थान होना चाहिये सिर्फ़ स्थानीय-संदर्भ के समाधानों के लिये, फ़िर भी, उन पर पैसा लगाया जा सके । हमने एक बडे परीक्षण में पाया कि कई बार निवेशक ये सवाल पूछते हैं -- "इस युक्ति के विशाल हो पाने की संभावना क्या है? " जैसे कि समाज की वो ज़रूरतें जो कि खास समय और जगह के लिये है< और केवल स्थानीय ज़रूरतें हैं, उन्हे मुफ़्त पाने का किसी को कोई अधिकार ही नहीं है, बस इसलिये कि वो प्रचुर मात्रा में विशालता प्राप्त नहीं कर सकते । तो या तो आप अपनी ज़रूरतों को बदल डालिये या चुपचाप खेल से बाहर खडे रहिये । लेकिन प्रतिष्ठित ढाँचा (लाँग-टेल मॉडल) ये बताता है कि थोडा विक्रय, उदाहरण के लिये, कई सारी किताबें अगर थोडी थोडी बिकें, भी व्यावसायिक रूप से साध्य होगा । और हमें वो तरीका ढूँढना होगा जिसमें कि लोग एक साथ मिल कर आगे आयें, और निवेश कर पायें, जहाँ अलग अलग नये प्रयोग कम लोगों के पास उनके अपने स्थानों पर जाएँ, और तब भी, ये सब व्यावसायिक रूप से सुकर रहे । देखिये यहाँ क्या हो रहा है । सैदुल्ला साहिब गजब के व्यक्ति हैं । ७० बरस की उम्र में, ये कुछ बेहद रचनात्मक कर रहे हैं । (संगीत) सैदुल्लासाहिब: मुझसे नाव का इंतज़ार नहीं होता था । मुझे अपनी माशूका से मिलना ही था । इस इश्क ने ही मुझे अविष्कारक बना डाला । मोहब्बत को भी तकनीक से सहारा चाहिये । ये नये प्रयोग मेरी बेग़म नूर का हक़ है । नये अविष्कार मेरे जीवन की साथ हैं । मेरी तकनीक । (अभिवादन) अनिल गुप्ता: सैदुल्लासाहिब भी चम्पारन, मोतिहारी के ही गजब के इंसान हैं, और आज भी, उम्र की इस दहलीज़ पर, साइकिल पर शहद बेच कर गुज़ारा करते हैं क्योंकि हम ये वाटर-पार्क वालों, झील वालों इत्यादि को ये समझा नहीं सके । और हम अग्निशमन विभाग के लोगों को ये समझा नहीं सके मुम्बई में, जहाँ कुछ साल पहले बाढ आयी थी, और लोगों को बीस बीस कि.मी. तक पानी में चल कर जाना पडा था, कि, देखिये, आपके अग्निशमन केंद्र में ये साइकिल होनी चाहिये, क्योंकि ये आपको उन गलियों मे ले जाएगी जहाँ आपकी बसें और बडे वाहन नहीं जा पाएँगे । तो हमने अभी तक इस समस्या को नहीं सुलझाया है कि कैसे इसे हम बचाव-कार्य के उपयुक्त बनायें, या फ़िर फेरी लगाने के लिये इस्तेमाल करें पूर्वी भारत की बाढों के दौरान, जब आपको चीज़ें पहुँचानी होती है, अलग अलग टापुओं पर, जहाँ लोग अटके पडे होते हैं । मगर इस अविष्कार में दम है: बिलकुल दम है । देखिये अप्पचन ने क्या किया है! अप्पचन, दुर्भाग्यवश, इस दुनिया में नहीं हैं, मगर अपना संदेश छोड कर गये हैं, एक शक्तिशाली संदेश अप्पचन: मैं रोज़ इस दुनिया को जगते हुए देखता हूँ । (संगीत) ऐसा नहीं है कि मेरे सर पर एक नारियल गिरा, और मुझे ये निदान समझ आ गया । पढाई के पैसे नहीं होने की वजह से, मैं नई ऊँचाइयों पर चढा । अब सब मुझे स्थानीय स्पाइडरमैन कहते हैं । मेरी तकनीक । (अभिवादन) अनिल गुप्ता: आप में से कई लोगों के ये विश्वास नहीं होगा कि हमने इन उत्पादों को अंतर्रष्ट्रीय बाज़ारों में भी बेचा है -- इसे हम G2G कहते हैं, grassroot to global (गाँव से विश्व-भर में) और मेसेच्यूसेट्स विश्वविद्यालय के एक प्रोफ़ेसर ने, जीव विज्ञान विभाग के, ये मशीन खरीगी क्योंकि वो चाहती थीं कीटों की विविधता का अध्ध्यन करना पेड के ऊपर और इस उत्पाद से ये संभव हुआ कि वो अपने नमूने ऊँचे खजूर के पेडों से ले सकें, कुछ नमूनों के मुकाबले ज्यादा नमूने, इसके बिना उन्हे ईंटों से मचान बनानी होती थी और फिर उनके शोध-छात्रों को उस पर चढना होता था । तो, देखिये, हम लोग विज्ञान को भी बढावा दे रहे हैं । रेम्या जोस ने --- आप यूट्यूब पर जा कर 'इन्डिया इन्नोवेट्स' देखिये, और वहाँ आपको ये सब विडियो मिल जाएँगे । उस लडकी ने अद्भुत अविष्कार किया जब वो दसवीं में थी: वाशिंग-मशीन और कसरत की मशीन एक साथ । श्री खरारी जो कि विकलांग हैं, केवल एक फ़ुट छः इन्च ऊँचाई के है, पर उन्होंने एक दुपहिये वाहन को ऐसे बदना कि वो खुद को आज़ादी, इधर-उधर जाने की क्षमता दे सकें । ये अविष्कार रायो (ब्राज़ील) की झूग्गियों से आया है । और ये व्यक्ति, श्री उबिराजरा, मेरे ब्राजील के दोस्त हैं. प्रश्न है कि इसे ढाँचे को चीन और ब्राज़ील में कैसे बडा किया जाये । और हमारे पास बडा गतिशील नेटवर्क है, खासकर चीन में, पर हम ब्राजील और दुनिया के और भी भागों में काम कर रहे हैं । अगले पहियों पर लगा ये स्टैण्ड, आपको किसी साइकिल पर नहीं मिलेगा । भारत और चीन में सबसे ज्यादा संख्या में साइकिलें हैं । मगर ये ईज़ाद हुई है ब्राजील में । मुद्दा ये है कि हम से किसी को भी देश और राष्ट्रीयता को ले कर इतना कडा नहीं होना चाहिये कि हम चाहें कि सारे अच्छी योजनायें हमारे ही देश से आयें । बल्कि, हमें तो सीखने के सर झुका कर खडा होना चाहिये, सबसे, गरीबों से, जहाँ से भी हो । और यहाँ साइकलों पर आधारित एक पूरा जमावडा है अविष्कारों का: साइकिल जिससे छिडकाव होता है, साइकिल जो कि सडक पर लगने वाले झटकों से बिजली पैदा करती है । मैं रोड की स्थिति नहीं सुधार सकता; लिहाजा, मैं अपनी साइकिल को ही तेज़ दौडाउँगा । यही कनक दास ने कर दिखाया है । और दक्षिणी अफ़्रीका मे, हमने अपने अविष्कारकों को वहाँ के अविष्कारकों के साथ ज्ञान बाँटने के लिये मिलवाया कि कैसे अविष्कार बन सकता है एक ज़रिया आज़ादी का खराब ज़िन्दगी से, जो लोग जी रहे हैं । ये एक गधा-गाडी है जिसे विकसित किया है । इस में एक एक्सल लगा है, करीब, ३० से ४० किलोग्राम का, जो कि किसी काम का नहीं था । उसे हटाया, और अब गाडी को केवल एक ही मवेशी की ज़रूरत है । ये चीन है । यहाँ इस लडकी को साँस लेने के लिये मशीन चाहिये । गाँव के इन तीन लोगों ने मिल-बैठ कर सोचने का फ़ैसला किया कि, "कैसे हम इस बच्ची की ज़िन्दगी को और लम्बा बना सकेंगे?" वो उस बच्ची से जुडे हुए नहीं थे, मगर उन्होने ये फ़ैसला लिया, कि वाशिंग-मशीन का पाइप किस तरह से, एक साइकिल के साथ, साँस लेने के मशीन में तब्दील हो सकता है । और इस मशीन ने जानें बचाई हैं, और वो बहुत मानी जाती है। यहाँ अविष्कारों का मेला लगा हुआ है । ऐसे कार जो कि हवा के दबाव से चलती है छः पैसे प्रति किलोमीटर । असम, कनक गोगोई । और आपको ये कार अमरीका या यूरोप में नहीं दिखेगी, मगर भारत में ये मौज़ूद है । और ये स्त्री, जो कि कताई का काम करती थी पोचमपल्ली साडी के लिये । एक दिन में, १८००० बार, इसे ये लपेटना पडता था दो साडियाँ बनाने के लिये । ये उसके बेटे ने किया है सात साल की कोशिशों के बाद । स्त्री ने कहा, "अपना पेशा बदल लो ।" और बेटे ने कहा, "नहीं बदल सकता हूँ, मैं यही जानता हूँ मगर मैं इसे करने के लिये एक मशीन बनाऊँगा ।" जिस से कि तुम्हारी समस्या हल हो जाएगी ।" और देखिये उसने ये किया, ये सिलाई मशीन, उत्तर-प्रदेश में सो, सृष्टि ये कहना चाहते है कि, "मु्झे खडे होने की एक जगह दे दो, मैं धरती को ही हिला दूँगा ।" मैं आपको एक प्रतियोगिता के बारे में बताता हूँ जो कि हम बच्चों के बीच करवा रहे हैं रचनात्मक्ता के लिये । हमने उत्पादो को विश्व भर में बेचा है, यूथोपिया से ले कर के अमरीका तक । कुछ उत्पाद बाज़ार तक पहुँचे हैं । ये वो लोग हैं जिनके ज्ञान के कारण हरबावेट क्रीम का निर्माण सँभव हुआ । और यहाँ एक कम्प्नी है जिसने इस कीटनाशक का लाइसेन्स लिया, और अविष्कारक का चित्र उत्पाद के पैकेट पर लगाया जिसे से कि जब भी कोई उसे इस्तेमाल करे, उसे लगे कि वो खुद भी अविष्कारक बन सकता है । अगर आपके पास कोई अविष्कार है, तो हमें उसे के बार में बताइये ।" इसलिये, रचनात्मक्ता का मूल्य है, ज्ञान क महत्व है, अविष्कारों से बदलाव आते है, और शाबासी हौसला-अफ्ज़ाई करती है । और शाबासी, सिर्फ़ रुपये पैसे के रूप में ही नहीं , बल्कि उसके अलावा भी । धन्यवाद । (तालियों सहित अभिवादन) मैं चार साल पहले यहाँ था, और मुझे याद है, उस समय पर, कि वार्ता ऑनलाइन नहीं डाल रहे थे, मुझे लगता है वे एक बॉक्स में प्रवक्ताओ को दिये गये थे, एक बॉक्स डीवीडी सेट का, जिन्हें उन्होने अपने समतल पर रख दिया था, वे अब कहाँ हैं । हंसी ! और वास्तव में क्रिस ने मुझे फोन किया मेरे भाषण के एक सप्ताह के बाद और उसने कहा, "हम उन्हें ऑनलाइन डालना शुरू करने जा रहे हैं । क्या हम तुम्हारा ऑनलाइन "कर सकते हैं और मैं ने कहा," हाँ ।" और चार साल बाद जैसा कि मैंने कहा, यह देखा गया है चार ... खैर, इसे डाउनलोड किया गया है चालीस लाख बार. तो मुझे लगता है कि आप गुणा कर सकते है 20 या कुछ और से प्राप्त करने के लिए लोगों की संख्या जिन्होने इसे देखा है और जेसे क्रिस कहते हैं, यहाँ एक भूख है मेरे वीडियो के लिए । हंसी ! तालियाँ ! ... आपको नहीं लग रहा है? हंसी ! तो, यह पूरी घटना एक विस्तृत निर्माण है मुझे आपके लिये एक और करने के लिए हंसी ! अल गोर ने जेसे बोला टेड सम्मेलन में और चार साल पहले मैने बात की जलवायु संकट के बारे । ओर मैने संदर्भित किया मेरी अंतिम बात के अंत में तो मैं वही से उठाना चाहता हूँ क्योंकि मैरे पास केवल 18 मिनट हैं, सच में तो, जैसा कि मैं कह रहा था ... हंसी ! तुम देखो, वह सही है. मेरा मतलब है, यहाँ एक प्रमुख जलवायु संकट, जाहिर है. और मुझे लगता है कि अगर लोगों को यह विश्वास नहीं करते हैं, उन्हें और अधिक मिलना चाहिए. हंसी ! लेकिन मेरा मानना है कि यहाँ एक दूसरा जलवायु संकट है, जो उतना ही गंभीर है, जिसका एक ही मूल है, और जिससे निपटने के लिए उतनी ही अत्यावश्यकता है और इससे मेरा मतलब है - देखो, तुम कह सकते हो, "मैं अच्छा हूँ मैं पास एक जलवायु संकट है मैंझे वास्तव में एक दूसरे की ज़रूरत नहीं है. " लेकिन ये संकट प्राकृतिक संसाधनो का नहीं है, हालांकि मुझे लगता है कि ये सच है, लेकिन ये मानव संसाधनों का संकट है । मेरा मूलरूप से विश्वास है, जेसा कई वक्ताओं ने पिछले कुछ दिनों के दौरान कहा है कि हम बहुत निर्बल उपयोग करते है हमारी प्रतिभाओं का । बहुत सारे लोग अपने पूरे जीवन मे नही जाना कि उनकी वास्तविक प्रतिभा क्या हो सकती है, या उनके पास कुछ है बताने के लिए । मैं सभी प्रकार के लोगों से मिलता हूँ जिन्हें नहीं लगता कि वे वास्तव में किसी मे अच्छे हैं दरअसल, मैं दुनिया को दो समूहों में विभाजित करता हुँ जेरेमी बेनतम, महान उपयोगितावादी के दार्शनिक, ने एक बार महत्पूर्ण तर्क दिया. उन्होंने कहा, "इस दुनिया में दो लोगों के प्रकार हैं, जो दो प्रकार में विभाजित करते हैँ दुनिया को और जो लोग नहीं करते है हंसी ! खैर, मैं करता हूँ हंसी ! मैं सभी प्रकार के लोगों से मिलता हूँ जो खुश नहीं है उससे जो वो करते हैं. वे केवल अपने जीवन के साथ चलते रहते हैँ चलते रहते हैँ उन्हें उससे कोई महान सुख नही मिलता हैं जो वे करते हैं । वे इसे सहते है, बजाय आनंद लेने के और सप्ताहांत के लिए प्रतीक्षा करते है लेकिन मैं एसे लोगों से भी मिलता हूँ जो प्यार करते हैं जो वे करते हैं और कल्पना कुछ और करने की नहीं कर सकते है अगर आप उनसे कहो, "ऐसा ओर मत करो है," उन्हे आश्चर्य होता तुम किस बारे में बात कर रहे हो । क्योंकि यह नहीं कि वे क्या करते है, ये वही हैं. वे कहते हैं, लेकिन ये मैं हूँ, आप जानते हैं. यह मूर्खता होगी मुझे इसका परित्याग करना क्योंकि यह मेरी सबसे प्रामाणिक स्वयं है और यह काफी लोगों का सच नहीं है. वास्तव में, इसके विपरीत पर, मुझे लगता है इस तरह के लोग निश्चित रूप से अल्पसंख्यक है । और मुझे लगता है कि इसके लिए कई संभावित व्याख्या कर सकते हैं और उनके बीच उच्च मे शिक्षा है शिक्षा, एक तरह से, क्योंकि बहुत सारे लोगों को स्थानांतरण करती है उनकी प्राकृतिक प्रतिभा से और मानव संसाधन प्राकृतिक संसाधनों के समान हैं वे अक्सर गहरे दफन होते हैं आपको उनकी तलाश में जाना होगा । वे सिर्फ सतह पर चारों ओर नहीं है आपको परिस्थितियों बनानी होगी जहां वे खुद को दिखा सके और आप कल्पना कर सकते हैं. कि शिक्षा का तरीका क्या होता होगा लेकिन अक्सर, यह नहीं है. दुनिया में हर शिक्षा प्रणाली में सुधार किया जा रहा है और यह काफी नहीं है सुधार का अब ओर कोई फायदा नहीं है क्योंकि ये बस एक टूटी हुई मॉडल में सुधार है हमारी जरूरत क्या है और एक शब्द कई बार उपयोग किया गया पिछले कुछ दिनों के दौरान विकास नहीं है किन्तु शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांति यह तब्दील किया जाना चाहिए कुछ ओर में तालियाँ ! एक असली चुनौती है नई खोज करने की मौलिक रूप से शिक्षा के क्षेत्र में नई खोज कठिन है क्योंकि यह करने का मतलब जिसे लोग बहुत आसान नहीं मानते । यह चुनौती है कि हम क्या स्वीकार कर लेते है चीजें जो हमें लगता है कि स्पष्ट हैं सुधार के लिए एक बड़ी समस्या या परिवर्तन के लिए सामान्य ज्ञान का अत्याचार है चीजें हैं जो लोगों को लगता है खैर, यह किसी अन्य तरीके से नहीं किया जा सकता है क्योंकि यही तरीका है इसे करने का मैं हाल ही में अब्राहम लिंकन के एक महान खतन के पार आया ओर मैंने सोचा कि इस बिंदु पर उद्धृत करूँ हंसी ! उन्होने 1862 दिसंबर में यह कहा कांग्रेस की दूसरी वार्षिक बैठक को मुझे नहीं पता कि उस समय पर क्या हो रहा था हम ब्रिटेन में अमेरिकी इतिहास नही सिखाते हंसी ! इसे दबाते है, आप जानते हो, यह हमारी नीति है हंसी ! तो, कोई संदेह नहीं है, कुछ आकर्षक 1862 दिसंबर में हो रहा था जो हमारे बीच में अमेरिकियों को इसके बारे में पता होगा लेकिन उन्होंने यह कहा सिद्धांत स्थिर अतीत के अपर्याप्त हैं वर्तमान तूफानो के लिये अवसर उच्च कठिनाई के ढेर के साथ है और हम इस अवसर के साथ वृद्धि करे मुझे ये अच्हा लगता है इस तक नहीं, इसके साथ वृद्धि करे हमारी स्थिति नई है इसलिए हमें नये सिरे से सोचना चाहिए और नए सिरे से कार्य करना है हमे खुद को असीमित करना चाहिए और फिर हम अपने देश को बचाये मुझे अच्हा लगता है कि शब्द, "असीमित" तुम्हें पता है इसका क्या मतलब है कि यहाँ विचार है जिनके हम सभी आदि हैं हम जो केवल आसानी से अपना लेते है चीजों को प्राकृतिक आदेश के रूप में, जिस तरह से चीजे हैं और हमारे बहुत से विचार गठित नही है, इस सदी की परिस्थितियों को पूरा करने के लिये लेकिन वह पिछले सदियों की परिस्थितियों से निपटने के लिए है लेकिन हमारे मन अभी भी उनके द्वारा सम्मोहित हैं और हम खुद को उनसे से कुछ आजाद करे अब, क्या यह आसान है कि तुलना में कहा और किया यह बहुत मुश्किल है पता लगाना कि आप स्वयं क्या अपना लेते हो और कारण यह है कि आप इसे अपना लेते हो तो मै आपसे कुछ पूछता हूँ जो आप मानते हो आपमे से कितने यहाँ 25 वर्ष की उम्र से ऊपर है मुझे नहीं लगता है कि आप इसको मानते हो मुझे यकीन है कि आप परिचित हो इससे पहले से ही क्या यहाँ 25 वर्ष की उम्र के अंतर्गत लोग है बढ़िया है. अब, 25 से ऊपर के क्या आप हाथ ऊपर कर सकते है अगर आपने घड़ी पहनी हैं अब ये कोई बड़ी बात नहीं है एक किशोरों के पूरे कमरे से ये ही बात पूछो किशोर कलाई घड़िया नहीं पहनते मेरा मतलब नहीं है कि वे नहीं कर सकते या करने की अनुमति नहीं हैं वे अक्सर इसे नहीं चुनते और कारण तुम देखो, कि हम बङे हुये एक पूर्व डिजिटल संस्कृति में 25 से अधिक हम में से और हमारे लिए, इसलिए यदि आप समय जानना चाहता हो आप को यह बताने के लिए कुछ पहनना है बच्चे अब एक डिजीटल दुनिया में रहते हैं और उनके लिए समय हर जगह है वे ऐसा करने का कोई कारण नहीं देखते है और, वैसे, आपको भी ऐसा करने की कोई ज़रूरत नहीं है यह सिर्फ है कि आपने हमेशा इसे किया है, और आप इसे कर रहे है मेरी बेटी घड़ी कभी नहीं पहनती है, मेरी बेटी केट, जो 20 की है वह इस बात मै कोई उपयोगिता नहीं देखती वह कहती हैं, "यह एक कार्य - संबंधी यंत्र है." हंसी ! यह कितना असन्तोषजनक है और मैं कहता हूँ, "नहीं, नहीं, यह तिथि भी अच्छी तरह से बताती है हंसी ! यह कई कार्य करती है लेकिन तुम देखो, यहाँ हम मोहित हैं बहुत सी चीजो से शिक्षा के क्षेत्र में मै तुम्हे कुछ उदाहरण देता हूँ उनमें से एक रैखिक विचार है कि यह शुरू होता है, कि तुम एक ट्रैक के माध्यम से जाना और अगर तुम सब कुछ सही करोगे, तो आप अंत मे पहुँचोगे स्थापित कर लोगे अपने बाकी जीवन के लिए सब लोग जो टेड पर बोले परोक्ष रूप से या कभी कभी स्पष्ट, एक अलग कहानी कि जीवन रैखिक नहीं है, यह जैविक है हम अपनी ज़िन्दगी बनाते है जैसे जैसे हम अपनी प्रतिभा खोजते है संबंधित परिस्थितिया हमारी मदद करती है लेकिन तुम्हें पता है, हम आदि हो गए हैं इस रैखिक भावना के साथ और शायद शिखर के लिए शिक्षा कॉलेज में हो रही है मुझे लगता है हम थक चुके है किसी भी परकार के कॉलेज जाने से मेरा मतलब नहीं है आप कॉलेज नहीं जाये है, लेकिन सभी को जाने की जरूरत नहीं है, और हर किसी को अभी जाने की जरूरत नहीं है शायद वे बाद में जाये , अभी नहीं जाये और मैं एक समय पहले सेन फ्रांसिस्को में था एक किताब पर हस्ताक्षर कर रहा था वहा एक आदमी किताब खरीदने आया , जो अपने 30s में था और मैंने कहा, "तुम क्या करते हो" और उसने कहा, "मैं एक फायरमैन हूँ" और मैंने कहा, "तुम कब से एक फायरमैन हो" उसने कहा, "हमेशा, मैं हमेशा से एक फायरमैन रहा हूँ" और मैंने कहा, "ठीक है, तुमने यह कब तय किया ?" उसने कहा, "एक बच्चे के रूप में." उसने कहा, "दरअसल, स्कूल में मेरे लिए यह एक समस्या थी, क्योंकि स्कूल में, सभी फायरमैन बनना चाहता थे" उसने कहा, "लेकिन मैं एक फायरमैन ही बनना चाहता था." और उसने कहा, "जब मैं स्कूल के वरिष्ठ वर्ष में आया, मेरे शिक्षकों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया एक शिक्षक खासकर जिसने इसे गंभीरता से नहीं लिया उसने कहा कि मैं अपना जीवन व्यर्थ कर रहा हूँ अगर मैं इसे ही चुनता हूँ तो कि मुझे कॉलेज जाना चाहिए और एक पेशेवर व्यक्ति बनना चाहिए काफी क्षमता है मेरे मैं और मैं अपनी प्रतिभा को बर्बाद कर रहा हूँ और उसने कहा, "यह अपमानजनक था क्योंकि उसने यह पूरी कक्षा के सामने कहा, और वास्तव मुझे बहुत बुरा लगा लेकिन मैं येही चाहता था, जैसे ही मेने स्कूल छोड़ा मेने अग्निशमन सेवा करने के लिए निवेदन किया और मेरा निवेदन स्वीकार कर लिया गया और उसने कहा, "आप जानते हो, मैं उस आदमी के बारे में सोच रहा था हाल ही में, बस कुछ ही मिनट पहले जब तुम, इस शिक्षक के बारे में बात कर रहे थे, " उसने कहा, "कुछ छह महीने पहले, मेने उसकी जान बचाई " हंसी ! उसने कहा, "वह एक कार मलबे में था, और मेने उसे बाहर खीचा , सांस दिया था, और मेने उसकी पत्नी का भी जीवन बचा लिया " उसने कहा, "मुझे लगता है वह मेरे बारे में अब बेहतर सोचता है." हंसी ! तालियाँ ! आप जानते हो मानव समुदायों निर्भर करता है प्रतिभा की विविधता पर न की एक क्षमता के विलक्षण पर और हमारी चुनौतियों के दिल में तालियाँ ! और हमारी चुनौतियों के दिल में दुबारा से अपनी क्षमता को समझना और बुद्धिमत्ता को ये रैखिक एक समस्या है जब मैं L.A में आया नौ साल पहले मैं एक नीति वक्तव्य के पार आया बहुत अच्छी तरह से प्रायोजित था जिसमे कहा, "कॉलेज बालवाड़ी में शुरू होता है." नहीं, यह नहीं है हंसी ! यह नहीं होता है अगर हमारे पास समय हो , मैं इस में जा सकता हूँ, लेकिन हमारे पास नहीं है हंसी ! बालवाड़ी बालवाड़ी में ही शुरू होता है हंसी ! मेरे एक दोस्त ने एक बार कहा था "तुम्हें पता है, एक तीन वर्षीय छह साल का आधा नहीं होता है" हंसी ! तालियाँ ! वे तीन हैं. लेकिन जैसा कि हमने पिछले सत्र में सुना है, यहाँ अब बालवाड़ी में जाने के इतनी प्रतियोगिता है, एक उत्तम बालवाड़ी में जाने के लिए कि लोगों को तीन साल में साक्षात्कार देना होता है बच्चे अप्रभावित पैनल के सामने बैठे है अपने अपने संक्षिप्त विवरण के साथ, हंसी ! उनके विवरण को देखते हुए वहा बोलते है "ठीक है, बस येही है ?" हंसी ! तालियाँ ! आपने यहाँ पर 36 महीनो में किया क्या है, बस येही है ? हंसी ! "तुमने कुछ भी हासिल नहीं किया है पहले छह महीने स्तनपान में बिताये है, जिस तरह से मैं इसे देख सकता हूँ " हंसी ! देखो, यह एक अवधारणा के रूप में अपमानजनक है, लेकिन यह लोगों को आकर्षित करती है अन्य बड़ा मुद्दा अनुरूप है. हमने अपनी शिक्षा प्रणाली का निर्माण किया है फास्ट फूड के मॉडल पर इस बारे में जॅमी ओलिवर ने उस दिन बात की यहाँ खानपान में दो गुणवत्ता आश्वासन के मॉडल हैं एक फास्ट फूड है, जहां सब कुछ मानकीकृत है. अन्य है ZAGAT और Michelin रेस्तरां जहां सब कुछ मानकीकृत नहीं है वे स्थानीय परिस्थितियों के लिए अनुकूलित हैं और हमने खुद को शिक्षा के एक फास्ट फूड मॉडल में बेच दिया है और यह हमारी आत्मा और हमारी ऊर्जा को साधनहीन कर रहा है जितना फास्ट फूड हमारे भौतिक शरीर को नुकसान दे रहा है तालियाँ ! मुझे लगता है कि हम कुछ चीजों को पहचाने एक कि मानव प्रतिभा काफी विविध है लोग की बहुत अलग योग्यता है मैंने हाल ही में कुछ याद किया है कि मेरे को गिटार दिया गया था जब में बच्चा था एक ही समय में जब एरिक कल्प्तों को अपना पहला गिटार मिला तुम जानते हो की वह एरिक के काम आया , बस में यह कह रहा हूँ हंसी ! एक तरह से यह मेरे लिए नहीं था मैं इसका कुछ नहीं कर सकता था कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितनी बार या कितना मुश्किल से मैंने इसे बजाया यह मेरे लिए काम नहीं करा लेकिन यह केवल इस बारे में नहीं है यह जुनून के बारे में है अक्सर लोग जिनमें अच्छे होते है उसकी वह परवाह नहीं करते यह जुनून के बारे में है और क्या है जो हमारी आत्मा और हमारी ऊर्जा को उत्तेजित करती है और अगर आप कहते है कि आप जो कर रहे है वह आपको अच्छा लगता है और आप उसमें अच्छे है समय एक पूरी अलग तरह से लगता है मेरी पत्नी अभी एक उपन्यास लिख चुकी है और मुझे लगता है कि यह एक महान उपन्यास है लेकिन वह उसपर घंटो तक लगी रहती है आपको यह पता है, अगर तुम कुछ ऐसा कर रहे हो जो तुम्हे पसंद है एक घंटा भी पांच मिनट की तरह लगता है. अगर तुम कुछ कर रहे हैं जो आपकी आत्मा के साथ पसंद नहीं होता है पांच मिनट भी एक घंटे की तरह लगता है और येही कारण है बहुत से लोग शिक्षा के बाहर चयन कर रहे हैं क्योंकि यह उनकी आत्मा को संतुष्ट नहीं करता है यह उनकी ऊर्जा या उनके जुनून को संतुष्ट नहीं करता है तो मुझे लगता है कि हमें रूपांतर करना होगा हमें अनिवार्य रूप से शिक्षा के एक औद्योगिक मॉडल निकलना है एक विनिर्माण मॉडल जो रैखिक पर आधारित है और अनुरूप और एकत्र होना लोगों का हमें एक ऐसे मॉडल के लिए स्थानांतरित करना है जो कि अधिक कृषि के सिद्धांतों पर आधारित हो हमें समझना होगा कि मानव उत्कर्ष एक यांत्रिक प्रक्रिया नहीं है यह एक जैविक प्रक्रिया है और तुम मानव विकास के नतीजे की भविष्यवाणी नहीं कर सकते तुम सब एक किसान की तरह कर सकते हो जिसके तहत परिस्थितियों का निर्माण जिससे वे पनप ने शुरू हो जायेंगे तो जब हम शिक्षा में सुधार और इसे बदलने को देखे यह एक प्रणाली क्लोनिंग की तरह नहीं है यहाँ KIPPs जैसे महान लोग हैं, वह एक महान प्रणाली है यहाँ कई महान मॉडल हैं उन्हें अपनी परिस्थितियों के अनुकूलित करना है और व्यक्तिगत शिक्षा में और वास्तव में जो लोगोको अध्यापन करा रहे हैं इसको करने से, मुझे लगता है भविष्य के लिए जवाब है क्योंकि यह नऐ समाधान का विस्तार नहीं है इसका मतलब हैं शिक्षा के क्षेत्र में एक आंदोलन लाना जिसमें लोग अपने विकास के लिए स्वयं समाधान करे लेकिन बाहरी एक व्यक्तिगत पाठ्यक्रम पर आधारित समर्थन के साथ अब, इस कमरे में यहा लोग हैं, जो प्रतिनिधित्व करते हैं असाधारण संसाधन है व्यापार में मल्टीमीडिया में, इंटरनेट में इन प्रौद्योगिकियों को शिक्षकों की असाधारण प्रतिभा के साथ संयुक्त करे शिक्षा में क्रांति का अवसर प्रदान करें के लिए और मैं आग्रह करता हूं कि आप इसे में शामिल हो क्योंकि यह महत्वपूर्ण है न केवल खुद को, लेकिन हमारे बच्चों के भविष्य के लिए. लेकिन हमको औद्योगिक मॉडल से बदलना होगा एक कृषि मॉडल के लिए जहां प्रत्येक स्कूल कल समृद्ध किया जा सकता है वही पर बच्चों को जीवन का अनुभव होगा और घर पर , यदि वह वही पर शिक्षित होने का चयन करते है अपने परिवार या अपने दोस्तों के साथ यहा बहुत से भाषण हुए सपनो के बारे में कुछ दिनों से और बहुत जल्दी में, मैं कुछ कहना चाहता हुँ मैं कल रात बहुत प्रभावित था नेटली व्यापारी के गीतों से याद आ रही है एक पुरानी कविता मैं जल्दी में, एक छोटी कविता पढना चाहता हुँ डब्ल्यू बी अट्स से लिख्ति, जिसे तुम में से कुछ जानते होंगे. उसने इसे अपनी प्रेमिका के लिए यह लिखा मुद गोंने और वह वास्तव में शोकित था कि वह सच में उसे नहीं दे सका जो वह चाहती थी उससे और वह कहता हैं, "मैं कुछ और ले आया , लेकिन यह आपके लिए नहीं था " वह यह कहता हैं: अगर मेरे पास स्वर्गगो से बुना कपडा हो सोने के साथ बुना हुआ हो और चांदी का प्रकाश नीले और मंद और अंधेरे कपड़ा की रात और प्रकाश और आधा प्रकाश मैं तुम्हारे पैरों के नीचे कपड़ा फैला दूँगा लेकिन मैं, गरीब हुँ, मेरे पास केवल अपने सपने हैं मैं अपने सपनों को तुम्हारे पैरों के नीचे प्रसार दिया है धीरे चलना क्योंकि तुम्हे मेरे सपने पर चलना है" और हर दिन हर जगह हमारे बच्चे हमारे पैरों के नीचे अपने सपनों फैलते है और हमे धीरे चलना चाहिए धन्यवाद ! तालियाँ ! बहुत बहुत धन्यवाद ! आज़िम ख़मीसा: हम मनुष्यों के जीवन में बहुत से निर्णायक क्षण आते हैं। कई बार ये क्षण आनंदपूर्ण होते हैं, और कई बार उदासी से भरे, त्रासदीपूर्ण। परंतु यदि हम इन निर्णायक क्षणों में, सही चुनाव कर पाएँ, तो हम खुद में और दूसरों में सचमुच एक चमत्कार प्रकट कर सकते हैं। मेरा इकलौता बेटा, तारिक, यूनिवर्सिटी में पढ़ता था, दयालु, उदार, अच्छा लेखक, बहुत अच्छा फ़ोटोग्राफर, नेशनल जियोग्राफिक में काम करने की चाह थी, एक खूबसूरत लड़की से उसकी सगाई हो चुकी थी, शुक्रवार और शनिवार को पिज़्ज़ा बांटने का काम करता था। उसे एक युवा गिरोह द्वारा फर्जी पते पर बुलाया गया। और गिरोह के दीक्षा संस्कार में, एक १४-वर्षीय ने गोली चलाकर उसे मार डाला। एक मासूम, निहत्थे युवक की अचानक, निर्मम मौत; एक परिवार के लिए असहनीय गम; वह भ्रम, जब आप एक नई घृणित वास्तविकता को अपनाने की कोशिश करते हैं। कहने की ज़रूरत नहीं मेरा जीवन थम सा गया। मेरे लिए दूसरे शहर में रहने वाली उसकी माँ को फ़ोन करना मेरे लिए सबसे मुश्किल काम था। आप एक माँ को कैसे बताते कि वह अपने बेटे से कभी मिल नहीं पाएगी, ना ही उसकी हंसी सुन पाएगी, ना ही उसे गले लगा सकेगी? मैं एक सूफी मुस्लिम हूँ। दिन में दो बार नमाज़ पढ़ता हूँ। और कभी-कभी, गहरे आघात और गहरी त्रासदी में रोशनी की एक झलक दिखती है। तो मुझे नमाज़ पढ़ते समय एहसास हुआ कि बंदूक के दोनों ओर पीड़ित थे। यह देखना तो आसान है कि मेरा बेटा १४-वर्षीय के हाथों मारा गया, थोड़ा जटिल है यह देख पाना कि वह अमरीकी समाज के हाथों मारा गया। और इससे सवाल उठता है, अमरीकी समाज है कौन? वह मैं और आप ही तो हैं, क्योंकि मैं नहीं मानता कि समाज ऐसे ही बन जाता है। मुझे लगता है कि इस समाज को बनाने में हम सभी ज़िम्मेदार हैं। और जहाँ बच्चे ही बच्चों का मार डालें वह कोई सभ्य समाज की निशानी नहीं। तो तारिक की मौत के नौ महीनों बाद, मैंने तारिक ख़मीसा फांउडेशन की शुरूआत की और तारिक ख़मीसा फांउडेशन का मुख्य लक्ष्य है इस युवा हिंसा के चक्र को तोड़कर बच्चों को बच्चों द्वारा मारे जाने से रोकना। और हमारे पास तीन जनादेश हैं। सबसे पहला और महत्वपूर्ण है बच्चों का जीवन बचाना। ऐसा करना ज़रूरी है। हम रोज़ कितने ही जीवन खो देते हैं। हमारा दूसरा जनादेश सही विकल्पों को सशक्त करना है ताकि बच्चे गलत राह पर जाकर गिरोह और अपराध और नशे और शराब और हथियारों का जीवन ना चुनें। और अहिंसा, करूणा, सहानुभूति, क्षमा के सिद्धांत सिखाना ही हमारा तीसरा जनादेश है। मैंने एक मामूली सी बात को लेकर शुरू किया कि हिंसक बनना सीखा जाता है। कोई बच्चा हिंसक पैदा नहीं होता। यदि आप इसे सामान्य सत्य मान लें, अहिंसक होना भी सीखा जा सकता है, पर आपको सिखाना होगा, क्योंकि बच्चे इसके सम्पर्क में आकर नहीं सीखेंगे। उसके बाद, मैं अपने इस भाई के पास गया, इस रवैये के साथ कि हम दोनों ने अपना बेटा खोया है। मेरा बेटा तो मर गया। इनका दोहता व्यस्क जेल प्रणाली खा गई। और मैंने इन्हें मेरा साथ देने को कहा। जैसा कि आप देख रहे हैं, २२ सालों के बाद भी हम साथ हैं, क्योंकि मैं तारिक को जीवित नहीं कर सकता, यह टोनी को जेल से नहीं निकाल सकते, पर हम दोनों एक काम कर सकते हैं कि हमारे समुदाय का कोई भी युवा मरे नहीं और ना ही जेल की सलाखों के पीछे जाए। अल्लाह की कृपा से, तारिक ख़मीसा फांउडेशन सफल रही है। हमारा एक सुरक्षिक स्कूल मॉडल है जिसके चार अलग कार्यक्रम हैं। पहले में मेरे और प्लेस के साथ बैठक होती है। हमारा परिचय करवाया जाता है, इस आदमी के दोहते ने इस आदमी के बेटे को मार डाला, और यह दोनों एक साथ यहाँ हैं। हमारे पास कक्षा में पाठ्यक्रम है। स्कूल के बाद सलाह देने का कार्यक्रम है, और हम एक शांति क्लब बनाते हैं। और मुझे आपको बताते हुए खुशी है कि अहिंसा के ये सिद्धांत सिखाने के अलावा, हम बच्चों के स्कूल से निलम्बन और निष्कासन में ७० प्रतिशत कमी करने में सफल हुए हैं, (तालियाँ) जो बहुत बड़ी संख्या है। (तालियाँ) जो बहुत बड़ी संख्या है। तारिक की मौत के पाँच सालों बाद, और मुझे अपनी क्षमा की यात्रा पूर्ण करने के लिए, मैं उस युवक से मिलने गया जिसने मेरे बेटे को मारा था। वह १९ वर्ष का था। और मुझे वह मुलाकात याद है क्योंकि हम... वह अब ३७ का है, अभी भी जेल में... पर उस पहली मुलाकात में, हमने नज़रें मिलाई। मैं उसकी आँखों में देख रहा था, वह मेरी आँखों में देख रहा था, और मैं उसकी आँखों में हत्यारे को खोज रहा था, जो मुझे नहीं मिला। मैंने उसकी आँखों से उसकी मानवता को स्पर्ष किया, तो जाना कि उसके भीतर का वह प्रकाश मेरे भीतर के प्रकाश से भिन्न नहीं था ना ही किसी और के भीतर के प्रकाश से। तो मैं उसकी अपेक्षा नहीं कर रहा था। वह अपने किए पर शर्मिंदा था। वह स्पष्टवादी था। वह शिष्ट था। और मैं बता सकता था कि मेरी क्षमा से वह बदल गया था। तो, इसके साथ ही कृपया स्वागत करें मेरे भाई, प्लेस का। (तालियाँ) प्लेस फीलिक्स: टोनी, मेरी इकलौती बेटी का इकलौता बच्चा है। टोनी का जन्म हुआ जब मेरी बेटी मात्र १५ वर्ष की थी। मातृत्व इस संसार का सबसे कठिन कार्य है। इस संसार में इससे कठिन कार्य कोई नहीं कि आप एक नन्हीं जान को बड़ा करें उसे सुरक्षित रखें, सही स्थिति में रखें कि वह जीवन में सफल हो पाए। टोनी ने बचपन में बहुत हिंसक अनुभव किए। उसने लॉस एंजल्स में गिरोहों की आपस में स्वचालित हथियारों से बरसती आग में अपने सबसे प्यारे चचेरे भाई की हत्या होते देखी। वह बहुत दर्द से पीड़ित था। टोनी मेरे साथ रहने आ गया। मैं चाहता था कि उसके पास वह सब हो जो एक बच्चे को सफल होने के लिए चाहिए। पर इस खास शाम को, मेरे साथ कई साल बिताने के बाद, और सफल होने के लिए कई प्रयत्न करने के बाद और एक सफल इन्सान बनने की मेरी चाह पर पूरा उतर पाने की कोशिश में टोनी इस खास शाम को घर से भाग गया, उन लोगों के पास चला गया जिन्हें वह अपना दोस्त समझता था, उसे नशा करवाया और शराब पिलाई गई और उसने वह सब किया क्योंकि उसने सोचा कि उससे वह बेफिक्र महसूस करेगा। पर उससे केवल उसका तनाव और बढ़ा और उसकी सोच... और भी खतरनाक हो गई। उसे एक डकैती में बुलाया गया, उसे एक ९एमएम की हैंडगन दी गई। और एक १८-वर्षीय जिसने उसे आदेश दिया और दो १४-वर्षीय लड़के जिन्हें वह दोस्त समझता था, उनकी मौजूदगी में उसने तारिक ख़मीसा को गोली मार दी, जो इस आदमी का बेटा था। कोई शब्द ब्यान नहीं कर सकते एक बच्चे को खोने का गम। मेरी समझ के अनुसार मेरा दोहता इस आदमी की हत्या का ज़िम्मेदार था, बड़े-बूढ़ों के कहे अनुसार मैं प्रार्थना में गया, और वहाँ प्रार्थना करने लगा। श्रीमान ख़मीसा और मुझ में एक समानता है, जो हम जानते नहीं थे, अच्छे इन्सान होने के अलावा, हम दोनों ईश्वर में ध्यान लगाते हैं। (हंसी) इससे मुझे बहुत मदद मिली क्योंकि इससे मुझे मार्गदर्शन और स्पष्टता के लिए एक अवसर मिला कि मैं इस स्थिति में इस आदमी और इसके परिवार की सहायता कैसे करूँ। और मेरी प्रार्थना स्वीकार हुई, क्योंकि मुझे इस आदमी के घर पर मिलने के लिए बुलाया गया, इनके माता-पिता से मिला, इनकी बीवी, भाई, उनके परिवारों से मिला और इस इन्सान की अगुआई में ईश्वर में विश्वास रखने वाले लोगों के साथ मिलकर जो क्षमा की भावना लिए, एक रास्ता निकाला, मुझे अवसर दिया कि मैं कुछ काम आ सकूँ और इन्हें और बच्चों को एक ज़िम्मेदार व्यस्क के साथ रहने का महत्व, अपने गुस्से पर अच्छी तरह से ध्यान देने के महत्व, ध्यान लगाने का महत्व बता सकूँ। तारिक ख़मीसा फांउडेशन में हमारे जो कार्यक्रम हैं उनसे बच्चों को बहुत कुछ मिलेगा जिसका वे उम्र भर प्रयोग कर सकते हैं। यह ज़रूरी है कि हमारे बच्चे समझें कि स्नेही, ध्यान रखने वाले बड़े लोग उनकी परवाह करते हैं और समर्थन भी, पर ज़रूरी है कि हमारे बच्चे ईश्वर में ध्यान लगाना सीखें, शांतिप्रिय बनना सीखें, ध्यान लगाना सीखें और बाकी बच्चों के साथ दयालु, भावनात्मक और प्यार भरी बातचीत करना सीखें। हमारे समाज में प्यार की ज़रूरत है और इसीलिए हम यहाँ हैं बच्चों के साथ इस प्यार को बाँटने के लिए, क्योंकि हमारे बच्चे ही हमारे लिए राह बनाएँगे, क्योंकि हम सभी हमारे बच्चों पर निर्भर होंगे। जैसे-जैसे हम बूढ़े होकर निवृत्त होंगे, वे इस संसार पर राज करेंगे, तो जितना प्यार हम उन्हें सिखाएंगे, वे हमें वापिस देंगे। आशीर्वाद। धन्यवाद। (तालियाँ) अ.ख़: मेरा जन्म केन्या में हुआ, इंगलैंड में शिक्षा, और मेरे भाई बैपटिस्ट हैं। मैं एक सूफी मुस्लिम हूँ। यह अफ्रीकी अमरीकी हैं, पर मैं इन्हें हमेशा कहता हूँ, अफ्रीकी अमरीकी तो मैं हूँ। मैं अफ्रीका में पैदा हुआ। आप नहीं। (हंसी) और मैं अमरीका का नागरिक बना। मैं पहली पीढ़ी का नागरिक हूँ। और मुझे लगा कि अमरीकी नागरिक होने के नाते, अपने बेटे की हत्या में मुझे अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी तो माननी होगी। क्यों? क्योंकि बंदूक तो अमरीकी बच्चे ने ही चलाई थी। आप कह सकते हैं, उसने मेरे इकलौते बेटे को मार डाला, उसे तो फांसी लटकाया जाना चाहिए। उससे समाज का सुधार कैसे होगा? और मैं जानता हूँ आप शायद सोच रहे होंगे कि उस नौजवान का क्या हुआ। वह अभी भी जेल में है। २२ सितम्बर को ३७ वर्ष का हुआ, पर मेरे पास एक अच्छी खबर है। १२ सालों से हम उसे जेल से बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं। आखिरकार वह एक साल में हमारे साथ होगा। (तालियाँ) और मैं बहुत खुश हूँ कि वह हमारे साथ आने वाला है, क्योंकि मैं जानता हूँ हमने उसे बचा लिया, पर वह हज़ारों छात्रों को बचाएगा जब वह स्कूलों में अपना बयान देगा जहाँ हम नियमित रूप से जाते हैं। जब वह बच्चों से कहेगा, "११ वर्ष की उम्र में गिरोह में शामिल हुआ। जब मैं १४ वर्ष का था, मैंने श्रीमान खमीसा के बेटे को मार डाला। पिछले कई साल जेल में बिताए। तुम्हें बता रहा हूँ: इसका कोई फायदा नहीं," आपको लगता है बच्चे उसकी बात सुनेंगे? हाँ, क्योंकि उसकी आवाज़ के उतार-चढ़ाव में उस इन्सान की आवाज़ होगी जिसने बंदूक चलाई थी। और मैं जानता हूँ वह समय को वापिस मोड़ना चाहता है। ऐसा होना तो मुमकिन नहीं। काश मुमकिन होता। मेरा बेटा मुझे वापिस मिल जाता। मेरे भाई को उनका दोहता मिल जाता। तो मुझे लगता है यह क्षमा की शक्ति प्रदर्शित करता है। तो यहाँ महत्वपूर्ण बात क्या है? मैं इस सत्र के अंत में यह उद्धरण कहना चाहूँगा, जो मेरी चौथी किताब का आधार है, जो कि संयोगवश, उस किताब की प्रस्तावना टोनी ने लिखी थी। तो उसमें लिखा है: सद्भावना की निरंतरता ही मित्रता को जन्म देती है। बम फेंक कर तो आप मित्र नहीं बना सकते, हैं न? सद्भावना दिखा कर ही आप मित्र बना सकते हैं। वह तो स्पष्ट सी बात है। तो निरंतर सद्भावना से मित्रता बनती है, निरंतर मित्रता से विश्वास बनता है, निरंतर विश्वास से सहानुभूति पनपती है, निरंतर सहानुभूति से करूणा पैदा होती है, और निरंतर करूणा से शांति का उदय होता है। मैं इसे शांति का सूत्र कहता हूँ। इसकी सद्भावना, दोस्ती, विश्वास, सहानुभूति, करुणा और शांति से शुरूआत होती है। परंतु लोग मुझे पूछते हैं, जिसने आपके बेटे को मारा आप उसके प्रति सहानुभूति कैसे दिखा सकते हैं? मैं उन्हें कहता हूँ आप क्षमादान से ऐसा कर सकते हैं। जैसा कि स्पष्ट है कि मेरे लिए सफल रहा। मेरे परिवार के लिए सफल रहा। टोनी के लिए चमत्कार किया, उनके परिवार के लिए सफल रहा, यह आपके और आपके परिवार के लिए सफल हो सकता है, इज़राइल और फ़िलिस्तीन , उत्तर और दक्षिणी कोरिया, इराक, अफगानिस्तान, इरान और सीरिया के लिए काम कर सकता है। संयुक्त राज्य अमरीका के लिए सफल हो सकता है। तो मेरी बहनो और थोड़े से भाइयो, मैं आपसे इजाज़त लेता हूँ... (हंसी) इस बात के साथ कि शांति सम्भव है। मैं कैसे जानता हूँ? क्योंकि मैं शांति महसूस करता हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्ते। (तालियाँ) कुछ वर्ष पहले विश्व के सभी विकसित देश - जो संपन्न हैं - और सारी दानी संस्थाओंने मिलकर 200 अरब डॉलर का दान विकासशील देशों को दिया. यह देश दुनिया से सबसे बड़ी समस्याओं का भार वहन करते हैं, जैसे कि - गरीबी, भुखमरी, जलवायु परिवर्तन और असमानता. उसी वर्ष, उद्योगों ने 3.7 खरब डॉलर का निवेश उन देशों में किया. मुझे काम के सिलसिले में बहुत दौरे करने का अवसर प्राप्त होता है, और मुझे अदभुत चीज़ें देखने को मिलती हैं, जो NGO और सरकारें उन 200 अरब डॉलर से कर पाती हैं - कुपोषित बच्चों की मदद करना, या परिवारों के लिए साफ़ जल की व्यवस्था करना. बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करना. किन्तु यह पर्याप्त नहीं है, क्यूँकि इन समस्याओं के लिए, खरबों डॉलर की आवश्यकता है, न कि अरबों की. अगर हम स्थायी और अर्थपूर्ण प्रगति चाहते हैं, विश्व की बड़ी समस्याओं में, तो हमें उद्योग जगत की आवश्यकता होगी - कम्पनियाँ और निवेशक दोनों - समाधानों को संचालित करने में. बात करते हैं कि उद्योग क्या कर सकता है. आप ये सोचेंगे कि मैं, कॉर्पोरेट लोकोपकार या कॉर्पोरेट के सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) की बात करुँगी. CSR आज एक मानक है, और बहुत उपयोगी है. ये उद्योग जगत की उदारता के लिए माध्यम है, और यह उदारता कर्मचारियों एवं ग्राहकों के लिए महत्त्वपूर्ण है. लेकिन क्या आप जानते हैं, ये उतनी बड़ी नहीं है, या उतनी मजबूत नहीं है, या उतनी स्थायी नहीं है, कि विश्व की बड़ी समस्याओं के लिए समाधानों को संचालित कर पाए, क्यूँकि यह एक तरह से लागत है. जब व्यापार फल-फूल रहा हो, तब भी CSR को बढ़ने के लिए डिजाईन नहीं करते. और गिरावट के समय तो सबसे पहले इस खर्च को काट दिया जाता है. इसलिए CSR कॉर्पोरेट की सामाजिक जिम्मेदारी - सही उत्तर (तरीका) नहीं है. अपितु TSI - "संपूर्ण सामाजिक प्रभाव" सही है. TSI उन सभी तरीकों का जोड़ है जिस से उद्योग जगत, समाज को प्रभावित करता है. अपने रोजमर्रा के वास्तविक कार्य जैसे- आपूर्ति प्रक्रिया का ध्यान रखना, अपने उत्पाद की डिजाईन अथवा उत्पादन प्रक्रिया पर ध्यान देना या फिर उत्पाद के वितरण पर. जब उद्योग जगत के वास्तविक कार्य नवीन रीती से किये जायें तो व्यापारिक फायदे के अलावा, विश्व की जटिल समस्याओं को भी सुलझाया जा सकता है. TSI असल में क्या हो सकता है? TSI पर ध्यान देने का मतलब है सामाजिक एवं पर्यावरण सम्बन्धी सोच को व्यापार में सम्मिलित करना. दरअसल यह एकदम नयी बात नहीं है. इसपर कुछ समय से विचार हो रहा है. कठिनाई यह है कि उद्योग जगत केवल TSR के बारे में सोचता है - टोटल शेयरहोल्डर रिटर्न (अंशधारक का लाभ). किन्तु TSI - संपूर्ण सामाजिक प्रभाव - को TSR के साथ खड़ा होना पड़ेगा ताकि वह कॉर्पोरेट रणनीति और निर्णय प्रक्रिया का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन सके. हमारे पास कुछ आंकड़े हैं जो बतलाते हैं क्यूँ और कैसे. कुछ कम्पनियाँ पहले से ही इसपर काम कर रही हैं. वे इसे सार्थक करने की शुरुआत कर चुकी हैं. मैं आपको मार्स के बारे में बताती हूँ. मार्स USA की छठी सबसे बड़ी निजी कम्पनी है. अगर आप मेरे जैसे हैं तो वे हमारे लिए महत्त्वपूर्ण उत्पाद बनाते हैं जैसे कि कॉफ़ी और चॉकलेट. नियत है कि कोको उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण सामग्री है. उनके कुछ प्रतिद्वंदी काफी चिंतित हैं कोको की उपलब्धता को लेकर. किन्तु मार्स चिंतित नहीं. वे लम्बे समय तक कोको की उपलब्धता के लिए विश्वस्त हैं. ऐसा क्यूँ है? क्यूँकि वे विश्व के कई NGO से जुड़े किसानों के साथ काम कर रहे हैं. और ये NGO किसानों को अपनी फसल की पैदावार बढाने में मदद कर रहे हैं. वे सुनिश्चित करते हैं कि किसानों को सही मूल्य, नफा और मजदूरी मिले, और आपूर्ति प्रक्रिया में मानवाधिकार सम्बन्धी समस्याएं न आयें, और वन-कटाई जैसी पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं को घटाया जा सके. मार्स 100% प्रमाणित कोको की खरीद की तरफ बढ़ रहा है. ये किसानों के लिए अच्छा कार्यक्रम है, ये पर्यावरण के लिए अच्छा कार्यक्रम है, और मार्स के लिए अच्छा कार्यक्रम है, जिन्होंने कोको आपूर्ति की समस्या को सुलझा लिया है. अब कुछ आंकड़े देखते हैं, जो सही मायने में कमाल के हैं. जानते हैं, मैं किन आंकडों की बात कर रही हूँ. एनालिस्ट (विश्लेषक) एवं निवेशक, कंपनियों के विभिन्न आंकड़ो पर विचार करते हैं. मैं इस में से 2 के बारे में बात करुँगी. पहला, कंपनी का समस्त मूल्य - उसका मूल्यांकन - और दूसरा, उसका मुनाफ़ा. मूल रूप से, उसकी आय और लागत का शेष. हमने भू-तेल और पेट्रोलियम कंपनियों का अध्ययन किया, और वह कम्पनियाँ जो TSI के मानकों पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं - उनके मूल्यांकन में 19% की बढ़त है. 19%. जब वे कंपनी द्वारा, पर्यावरण एवं जल पर होने वाले परिणाम की, रोकथाम करते हैं, और अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा पर ध्यान देते हैं, और कर्मचारियों के प्रशिक्षण को महत्व देते हैं, उनके मुनाफ़े में 3.4% की वृद्धि देखी गयी. लेकिन दूसरे उद्योगों में क्या आंकड़े हैं? दवाई कंपनियों में जो TSI के मानको पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, उनके मूल्यांकन में 12% की बढ़ोतरी देखी गयी. अगर उनकी दवाइयों की विस्तारित पहुँच उत्तम हैं - ताकि जरुरतमंदो को दवाइयां मिलें - तो उनके मुनाफे में 6.7% बढ़ोतरी देखी गयी. TSI के मानकों पर अच्छे प्रदर्शन वाले बैंक के मूल्यांकन में 3% बढ़ोतरी देखी गयी, और जो वित्तीय समावेशन पर काम कर रहे हैं - - ताकि गरीबों को वित्तीय सुविधायें मिलें - उनके मुनाफे में 0.5% वृद्धि देखी गयी. बैंकों के आंकडे बहुत बड़े नहीं हैं, किन्तु तीव्र प्रतिद्वंदिता वाले उद्योगों में मुनाफे में छोटा फर्क बहुत मायने रखता है. देखते हैं उन कम्पनियों में - - जो कॉफ़ी और चॉकलेट जैसी वस्तुएँ बनती हैं. उपभोक्ता वस्तु कंपनियां जो TSI के मानकों पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं उनके मूल्यांकन में 11% वृद्धि देखी गयी. और अगर वे अपनी माल आपूर्ति, समावेशन और जिम्मेदारी के साथ करती हैं - तो उनके मुनाफे में 4.8% बढ़ोतरी देखी गयी. यह आंकड़े अर्थपूर्ण हैं. हम जानते हैं कि कंपनियों के मूलभूत वित्तीय मानक, वृद्धि दर और वित्तीय जोखिम, उनके मूल्यांकन के मूल आधार हैं, पर यह सख्त जांच दिखाती है कि सामाजिक और पर्यावरण सम्बन्धी कारण - TSI जैसे मानक - भी मूल्यांकन और मुनाफे से जुडे हैं. वाह! अगर सबकुछ समान हो - हमने इस जांच को पेचीदा नहीं किया. अगर सबकुछ समान हो, तो जो कंपनियां सामाजिक और पर्यावरण सम्बन्धी विषयों पर अच्छा प्रदर्शन करती हैं वो बेहतर मुनाफे कमाती हैं, और ज्यादा मूल्यांकन पाती हैं. मैं जानती हूँ कि कंपनियों पर मुनाफे को लेकर बहुत दबाव रहता है. किन्तु सौभाग्यवश, जो निवेशक यह दबाव बनाते हैं, वह स्वयं भी दूर की सोच रहे हैं, और TSI के दृष्टिकोण से विचार कर रहे हैं. निवेशकों के साथ हुई हमारी बातचीत में, 75% ने कहा कि वे बेहतर टर्नओवर की और बेहतर कार्यक्षमता की आशा करते हैं, उन कंपनियों से जो TSI के दृष्टिकोण से विचार कर रहे हैं. वे स्वयं अपने निवेश निर्णय करते समय इसके बारे में विचार करते हैं. पिछले साल, 23 खरब विश्व पूँजी निवेश में सामाजिक जिम्मेदारी के मानकों पर विचार किया गया. इसमें पिछले दो सालों में ही 5 अरब की वृद्धि हुई. और ये विश्व के समस्त पूँजी निवेश का 25% हिस्सा है. मैं समझती हूँ कि आप में से कुछ लोग अभी दुबक जाना चाहते होंगे. क्यूँकि मेरे रणनीति-परामर्श के व्यवसाय में मैंने अक्सर देखा है कि कई उद्योगपति, अच्छा काम करने के व्यापारिक फायदे के बारे में बात करने या सोचने से भी कतराते हैं. वे सोचते हैं कि ऐसा करने से, उस कार्य के महत्व में कमी आ जायेगी. या उनको निर्दयी या खुदगर्ज़ समझा जाएगा. पर हमें सच में थोडा हटकर सोचने की आवश्यकता है, इस काल की चुनौतीपूर्ण समस्याओं पर विजय हासिल कर पाना तभी संभव है, जब उद्योग जगत समाधानों को संचालित करेगा. उद्योगों का काम है उपभोक्ता की जरूरतों को मुनाफे के साथ पूरा करें. उनको भी बने रहना है. उद्योगों को अपनी समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए और लम्बी आयु के लिए कठिनतम चुनौतियों के हल खोजने होंगे, और यह मुनाफा कमाते हुए करना होगा. जब वे ऐसा उन्नतिशील, नैतिक, जिम्मेदाराना, और आश्चर्यजनक तरीके से कर पाएं, तो उन्हें गर्व होना चाहिए. अगर आप इससे सहमत नहीं हैं, तो कुछ और उदहारण लेते हैं. अगर आप एक टेक्नोलॉजी कम्पनी हैं, और आप अपने व्यवसाय को बढ़ाना चाहते हैं, उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ाना चाहते हैं, जैसे कि Airbnb Airbnb कई TSI गतिविधियाँ करता है, जो उनके मुख्य व्यवसाय से जुड़ी हैं. उनका एक कदम है कि विपत्ति में फंसे लोगों को मुफ्त रहने की जगह दे पाना - पीड़ितों को और राहत कर्मियों को. उनकी एक और कोशिश है NGOs की मदद से रिफ्यूजीयों को मुफ्त में रहने की जगह देना. इसमें मुझे जो बात पसंद आई वो ये है कि ज्यादातर लोगों को ये समझ नहीं आता है कि वह अपनी उदारता कैसे प्रकट करें, और कैसे अपने घरों को इतनी जल्दी और आराम से कैसे खोल दें - - अगर Airbnb ये नवीन माध्यम नहीं बनता. साथ में, ये उनकी कॉर्पोरेट रणनीति का मुख्य हिस्सा है, और उनके व्यवसाय में वृद्धि का भी, क्यूँकि वे मेजबानों और मेहमानों की बढती संख्या से पनपते हैं, जो उनकी वेबसाइट का प्रयोगकरते हैं. अगर वे सिर्फ़ अपने मुनाफे के बारे में सोचते, तो मुझे नहीं लगता की वे व्यवसाय बढाने के इस तरीके को सोच पाते, क्यूँकि इसके लिए वो कोई फीस नहीं ले रहे. यह एक रोमांचक तरीका है, यह सोचने का कि कैसे हम अपनी क्षमता का इस्तेमाल सामाजिक जरुरत को पूरा करने के लिए और साथ-साथ व्यवसाय वर्धन के लिए करें. क्या आप एक नवीन उपभोक्ता-खंड की खोज में हैं? तो दक्षिण अफ्रीका चलिए, और स्टैण्डर्ड बैंक की बात करते हैं. दक्षिण अफ्रीका के सरकारी नियम के अनुसार, हर बैंक को अपने मुनाफे का 0.2% हिस्सा दान करना होता है, अफ़्रीकी मूल के लघु उद्योगों के लिए. ज्यादातर बैंक, छोटे व्यवसाईयों को दान कर देते हैं, किन्तु स्टैण्डर्ड बैंक ने अलग सोचा. उन्होंने इस राशि का एक स्वतंत्र ट्रस्ट बनाया, जो मूल अफ़्रीकी व्यवसायियों को लोन देता है. यह एक उत्तम व्यवस्था है. वे कई व्यवसायियों को मदद दे पाते हैं, और क्यूँकि उनकी सफलता उन व्यवसायियों की सफलता पर निर्भर है, वे इस फण्ड से तकनीकी सहायता भी प्रदान करते हैं. ज्यादा व्यवसायियों को मदद मिली, और ज्यादा लोग गरीबी से बाहर निकले. और स्टैण्डर्ड बैंक भी सफल हुआ. इतना सफल, कि वो इस तरीके को दूसरे इलाकों में भी बढ़ाना चाहते हैं. ऐसा नहीं है कि हम दुनिया की समस्याओं को सुलझाने का प्रयास नहीं कर रहे. हम कर रहे हैं, पर वे अभी भी मौजूद हैं. हमने प्रगति की है, किन्तु ये काफी नहीं, या तेज नहीं, या व्यापक नहीं. हमें सोच बदलने की आवश्यकता है. हमें अपने उद्योगों द्वारा - कम्पनियाँ और निवेशक दोनों - नवीन, रचनात्मक तरीके से, कॉर्पोरेट रणनीति और पूँजी के साथ विश्व की बड़ी समस्याओं को सुलझाना होगा. और जब वे इसे नवीन तरीकों से करेंगे, अपनी सोच और रणनीति से करेंगे, और अपनी पूँजी द्वारा निवेशकों के लिए मुनाफ़ा कमाएंगे और साथ साथ संपूर्ण सामाजिक प्रभाव लायेंगे तो मुझे लगता है कि हम उन समस्याओं को मुनाफे और उदारता के साथ सुलझा पाएंगे. धन्यवाद! (प्रशंसा) मैं इस बात पर शर्त लगा सकता हूँ कि मैं इस कमरे में मौजूद सबसे मूर्ख व्यक्ति हूँ क्योंकि मैं स्कूल में पास ही नहीं होता था । पर मुझे बहुत छोटी उम्र में ही ये पता लग गया था कि मैं पैसे से प्यार करता था, और व्यापार से प्यार करता था और मैं ये उद्यमिता वगैरह से भी प्यार करता था । और मुझे उद्यमी बनने के लिये ही पाला गया था । और तब से आज तक मुझे एक बात का जुनून सवार है -- और मैनें आज से पहले इसके बारे में कभी बात नहीं की -- और इसलिये आप सब ये सुनने वाले पहले हैं, मेरी पत्नी के अलावा, तीन दिन पहले, क्योंकि उन्होनें मुझसे पूछा, "तुम किस बारे मे बात करने वाले हो?" और मैने उन्हें बताया -- कि मुझे लगता है कि हम सुनहरा अवसर खो देते हैं ऐसे बच्चों को ढूँढने का जिनमें उद्यमी बनने के लक्षण होते है, और उन्हें तैयार करने का, और उन्हें ये दिखा पाने का कि असल में उद्यमी बनना एक मज़ेदार और महान चीज़ है । इसमें कुछ खराब नहीं है, और इसे खराब कहा भी नहीं जाना चाहिये, जैसा कि अक्सर समाज में होता है । जब हम बच्चे होते है, हमारे पास सपनों का भन्डार होता है । और हमारे अपने जुनून, और अपनी योजनाएँ होती हैं । और हम किसी न किसी तरह से उन सब का कत्ल कर देते हैं । हमें सिखाया जाता है कि हमें पढाई पर और ध्यान देना चाहिये या हमें अपना ध्यान और केंद्रित करना चाहिये, या फ़िर ट्यूशन ले लेनी चाहिये । और मेरे माता-पिता ने मेरे लिये फ़्रेंच के ट्यूटर भी लगवाये थे, और मेरी फ़्रेंच आज भी एकदम बदतर है । दो साल पहले, मुझे सबसे उम्दा लेक्चरर का खिताब मिला एम.आई.टी. के उद्यमिता के स्नातकोत्तर कोर्स में । और इस कार्यक्रम में दुनिया भर के उद्यमियों के सामने भाषण देना था । जब मैं दूसरी में पढता था, मैनें अपने शहर के स्तर पर बोलने की प्रतियोगिता जीती थी, पर किसी ने ये नहीं कहा, "देखो, ये बच्चा अच्छा वक्ता है ।" ये अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है, मगर इसे आसपास घूमने और, लोगों को प्रोत्साहिते करनें में कितना मज़ा आता है ।" किसी ने नहीं कहा, "इसे बोलना सिखाओ ।" उन्होंने कहा, इसे वो चीज और सिखाओ जिसमें ये अच्छा नहीं है । तो बच्चे ये लक्षण प्रदर्शित करते हैं । और हमें इन्हें पकडने के लिये तैयार रहना चाहिये । मैं यह मानता हूँ कि हमें बच्चों को उद्यमी बनाने के लिये तैयार करना चाहिये, न कि वकील-इन्जीनियर । बदकिस्मती ये है कि हमारी स्कूल - व्यवस्था इस पूरे संसार को सिर्फ़ ये सिखा रही है कि बोलो, " चलो, या तो वकील बन जाते हैं, या फ़िर डॉक्टर ।" और हम सब यहाँ एक सुनहरा मौका खो रहे हैं क्योंकि कोई कभी ये नहीं कहता, "चलो यार, उद्यमी बनते हैं ।" उद्यमी वो लोग होते है --और ऐसे कई लोग हमारे साथ आज इस कमरे में है -- जिनके पास तमाम आयडिया और तमाम जुनून होते हैं, और जो दुनिया की ज़रूरतों को देख कर उन्हें पूरा करने का बीडा उठाते है, और पूरा भी करते हैं । और जो सोचा वो करने के लिये अपना सारा कुछ दाँव पर लगाने को तैयार होते हैं । और हमारे पास ये काबलियत होती है कि हम अपने आसपास के लोगों को जोडे जो हमारा सपना साकार करने के लिये साथ आना चाहते हैं । और मैं समझता हूँ कि अगर हम बच्चों को छोटी उम्र में ही उद्यमशीलता को गले लगाने दें, तो हम दुनिया में वो सब बदल सकते हैं जो कि समस्यापूर्ण है । हर एक समस्या जो कि विश्व में है, किसी न किसी के पास उसका हल है । और जब आप छोटे होते हैं, आप ये कही नहीं सकते कि 'होगा नहीं या असंभव' क्योंकि आपमें ये सब कह पाने की समझ ही नहीं होती है । मेरे ख्याल से, अभिभावक और समाज होने के नाते, ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने बच्चों को मछ्ली पकडना सिखायें, बजाय उन्हें मछली दे देने के । पुरानी कहावत है, " यदि किसी को मछली दोगे, तो उसका पेट एक दिन के लिये भरेगा । यदि किसी को मछली पकडना सिखा दोगे, तो जीवन भर वो पेर भर सकेगा ।" अगर हम अपने बच्चों को उद्यमी होना सिखा सकें, खासकर वो जो कि सही लक्षण प्रदर्शित करते हैं, जैसे कि हम विज्ञान में तेज़ बच्चों को वैज्ञानिक बनने के लिये कहते है। सोचिये यदि हम उद्यमी होने के लक्षण दिखाने वाले बच्चों को उद्यमी बनना सिखा सकें ? इतने सारे बच्चे व्यवसाय और उद्यमी गतिविधियों को आगे बढा रहे होंगे, बजाय सरकारी मदद का इंतज़ार करने के । हम असल में क्या कर रहे हैं कि हम अपने बच्चों को सिखा रहे है कि वो क्या न करें । मारो मत; काटो मत; गाली मत दो । और हम अपने बच्चों को बडी से बडी नौकरी पाने की सलाह देते हैं, और स्कूल-व्यवस्था उन्हे ऐसे लक्ष्य देती है जैसे कि डॉक्टर बनो, या फ़िर वकील बनो या फिर अकाउंटेण्ट बनो, या फ़िर डेन्टिस्ट या फ़िर अध्यापक या फ़िर पायलट । और मीडिया कहता है कि अगर आप मॉडल बन सकें या गायक बन सकें तो बहुत सही रहेगा, या फ़िर कोई बडे खिलाडी जैसे कि सिड्नी क्रोसबी हमारे एम.बी.ए. की पढाई तक बच्चों को उद्यमी बनना नहीं सिखाती है । मेरे एम.बी.ए. नहीं करने के पीछे यही कारण था -- वैसे मेरा कहीं हुआ भी नहीं था क्योंकि मेरे स्कूल में सिर्फ़ ६१ प्रतिशत नंबर थे और ६१ प्रतिशत पर उस समय सिर्फ़ एक ही जगह मुझे स्वीकार किया गया था - कार्ल्टन -- मगर हमारे एम.बी.ए. पाठ्यक्रम भी बच्चों को उद्यमी बनना नहीं सिखाते । वो उन्हें सिखाते है बडे बडे निगमों में काम करना । लेकिन ये बडी कम्पनियाँ शुरु किसने कीं ? उन्ही लक्षण दिखाने वाले कुछ लोगों ने । यहाँ तक कि प्रसिद्ध साहित्य तक मे भी सिर्फ़ एक ही किताब मुझे मिला -- और आप सब को ये पढनी चाहिये -- एक ही किताब मुझे मिली जो कि उद्यमी को नायक के रूप में पेश करती है - "एटलस श्रग्ड ।" इसके अलावा संपूर्ण विश्व मानो उद्यमियों को बुरे व्यक्तियों के रूप में देखता और दिखाता है । मैं अपने ही परिवार की बात करता हूँ । मेरे दादा और नाना, दोनो ही उद्यमी थे । मेरे पिता उद्यमी थे । मेरा भाई और मेरी बहन और मैं - हम तीनो की अपनी कम्पनियाँ हैं । और हमने ये सब शुरु करने का निर्णय इसलिये लिया क्योंकि शायद हम केवल यही करने के लायक थे । हम सामान्य काम कर ही नहीं पाते थे । हम किसी और के लिये काम कर ही नहीं पाते थे क्योंकि हम बहुत अकडू थे, और हम वो सारे लक्षण दिखाते थे । मगर हमारे बच्चे भी उद्यमी बन सकते हैं । मैं कुछ संगठनों से जुडा हुआ हूँ जो कि विश्व-स्तर पर एन्टरप्रिन्योर्स ओर्गेनाइज़ेशन और यंग प्रेसिडेंट ओर्गेनाइज़ेशन के नाम से जाने जाते हैं । मैं अभी बार्सिलोना से लौटा हूँ वाई.पी.ओ. की वैश्विक गोष्ठी में वक्तव्य दे कर, और वहाँ मैं जितने भी ऐसे लोगों से मिला जो कि उद्यमी हैं, उन सब को स्कूली पढाई में दिक्कतें हुई थीं । मुझमें डाक्टरी तौर पर ध्यान नहीं लगा पाने की बीमारी (अटेंशन डेफ़िसिट डिसार्डर) के १९ लक्षणों में से १८ पाये गये हैं । और इसलिये ये तमाम ताम-झाम मुझे बहुत कष्ट दे रहा है । (हँसी) शायद इसीलिये मैं इस वक्त थोडा सा घबराया हुआ भी हूँ -- शायद मैंने बहुत कॉफ़ी और शक्कर भी ले ली है -- मगर ये एक उद्यमी के लिये काफ़ी गडबड चीज़ है । अटेंशन डेफ़िसिट डिसार्डर, बाईपोलर डिसार्डर । क्या आपको पता है कि बाईपोलर डिसार्डर को सी.ई.ओ. बीमारी भी कहते हैं ? टेड टर्नर को ये बीमारी है । स्टीव जॉब को भी यही है । नेटस्केप के तीनो प्रतिष्ठाताओं को भी यही है । मैं पूरी लिस्ट बना सकता हूँ । बच्चों को देखिये -- ये लक्षण आपको उनमें दिखेंगे । और हम क्या करते है - हम उठा के उन्हें रीटालीन खिला देते हैं, ये कहते हुए, "उद्यमी मत बनो ये दूसर सिस्टम में ढल जाओ, और बढिया विद्यार्थी बनो ।" माफ़ कीजिये, मगर उद्यमी विद्यार्थी नहीं होते । हम फ़टाफ़ट चलना चाहते हैं । हम सारा खेल समझ सकते हैं । मैनें निबंधों की चोरी की है । परीक्षाओं में खूब नकल की है । मैनें दूसरे बच्चों को पैसा दे कर अपना काम करवाया विश्वविद्यालय के स्तर पर लगातार तेरह बार । पर एक उद्यमी हिसाब-किताब नहीं करता है, वो अकाउंटेंट को नौकरी पर रखता है । और मैनें ये थोडा पहले ही सीख लिया । (हँसी) (तालियों सहित अभिवादन) कम से कम मैं यह बात स्वीकार कर सकता हूँ कि मैने नकल की; आपमें से ज्यादातर नहीं कर सकते । और अब तो मैं पाठ्य-पुस्तकों में उद्धृत किया जाने लगा हूँ -- मेरी कही पंक्ति उसी विश्वविद्यालय पाठ्य-पुस्तक में मौजूद है हर कनीडियन विश्व-विद्यालय और कॉलेज में । प्रबंधनीय लेखाविधि में, मैं पाठ नं आठ हूँ । वो पाठ मेरे द्वार बजट पर दिये गये एक वक्तव्य से आरंभ होता है। और मैने लेखक को अपने साक्षातकार के बाद बताया था, कि मै उस पाठ्य-क्रम में नकल से पास हुआ था । उसे लगा कि मैं मजाकिया हूँ, और इसीलिये इस बात को शामिल नहीं किया गया। मगर बच्चों मे आप ये गुण देख सकते हैं । उद्यमी की परिभाषा है - "ऐस व्यक्ति जो कि संगठित करता है, चलाता है और व्यवसाय आगे बढाने के लिये खतरा मोल लेता है ।" इसका ये मतलब बिलकुल भी नहीं है कि आपको एम.बी.ए. करना पडेगा । इसमें ये भी नहीं लिखा है कि आपको मगज मार कर स्कूल में जाना ही पडेगा । इसका केवल इतना मतलब है कि कुछ बातें आपको अपने अंदर महसूस करनी होंगी । और हमने उन कुछ बातों के बारे में सुना है कि - क्या वो प्राकृतिक रूप से मौजूद होती हैं, या उन्हें सिखाया जा सकता है, सुना है ना? तो ये, ये चीज है या फ़िर वो चीज है? क्या है ये? देखिये, मुझे लगता है ये कोई भी एक चीज नहीं है । मेरे ख्याल से दोनों ही हो सकती है । मुझे उद्यमी बनने के लिये बाकयदा तैयार किया गया था । जब मैं बडा हो रहा था, मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था, क्योंकि मुझे हर मोड पर, बचपन से यही सिखाया गया था -- जब मेरे पिता ने ये महसूस किया कि मैं उस सब के लायक नहीं जो स्कूल में पढाया-सिखाया जा रहा था -- और ये कि वो मुझे छोटी उम्र में ही व्यवसाय सिखा सकते थे । उन्होंने हमें तराशना शुरु किया, हम तीनों बच्चों को, हमें नौकरी के ख्याल से घृणा करना सिखा दिया गया और इस बात से प्यार कि हम ऐसी कंपनियाँ खडी करेंगे जो और लोगों को नौकरी देंगी । व्यवसाय में मेरी पहली कोशिश, जब मैं सात साल का था, और विन्नीपेग में था, और अपने बिस्तर पर पडा हुआ था एक लम्बे तार वाला फ़ोन ले कर । और मैं सारे ड्राई-क्लीनरओं को कॉल कर रहा था ये पता करने के लिये कि वो लोग मुझे कोट हेंगरों के कितने पैसे दे सकते थे । और मेरे माँ कमरे में आईं और उन्होनें पूछा, "तुम इन्हें बेचने के लिये इतने सारे हेंगर कहाँ से लाओगे?" और मैने कहा, "चलिये, तहखाने में देखते हैं ।" और फ़िर हम तहखाने में गये और मैनें एक अलमारी खोली । और उसमें करीब करीब एक हज़ार कोट हेंगर थे जो मैनें इकट्ठे किये थे । क्योंकि जब मैं उन्हे ये बता कर निकलता था कि मैं खेलने जा रहा हूँ, मै दरवाजे-दरवाजे जा कर पडोसियों से हेंगर इकट्ठा करता था और तहखाने में, बेचने के लिये जमा करता था । क्योंकि मैने कुछ हफ़्तों पहले ये देखा था कि -- इस से पैसे बन सकते थे । वो लोग एक हेंगर के लगभग दो पैसे देते थे । तो मैने सोचा, कि चलो तमाम तरह के हेंगर होते है । मैं उन्हें ले लूंगा । और मुझे पता था कि माँ को ये पसंद नहीं आयेगा, तो मैने बिना बताये ही कर डाला । और मुझे पता लगा कि आप असल में लोगों के साथ मोल-भाव कर सकते थे । एक व्यक्ति ने मुझे तीन पैसे का प्रस्ताव दिया, और मै उसे साढे तीन तक ले गया । मुझे सात साल की उम्र में ही पता था कि मुझे एक पैसे का केवल कुछ भाग ही मिलेगा, और लोग ये पैसा देंगे, क्योंकि उन्हें आगे इस से फ़ायदा होगा । साता साल की उम्र में मैं ये सोच सका कि मुझे कोट हेंगर के लिये साढे तीन पैसे मिल सकते हैं । मैनें नंबर प्लेट का कवर भी दरवाजे-दरवाजे बेचा है । मेरे पिता ने मुझे ऐसे किसी व्यक्ति को ढूँढने भेजा जो कि मुझे होलसेल रेट पर माल बेचे । और नौ वर्ष की उम्र में मैं सडबरी शहर में घूम रहा था घर-घर नंबर प्लेट कवर बेचते हुए । और अपना एक ग्राहक तो मुझे पूरी तरह से याद है क्योंकि मैने उसके लिये और भी काम किया था । मैने अखबार भी बेचे । और ये आदमी मुझसे कभी अखबार नहीं खरीदता था । पर मुझे विश्वास था कि उसे मैं नंबर प्लेट कवर तो बेच ही डालूँगा । और उसने कहा, ""देखो, मुझे इसकी ज़रूरत नहीं है ।" तो मैने कहा, "पर आपके पास तो दो कारें है..." -- और मैं केवल नौं वर्ष का था । और मैनें ये भी कहा, "मगर आपके पास दो कारें है, और दोनो पे कवर नहीं हैं। " तो उसने कहा, "मैं जानता हूँ ।" तो मैने कहा, "ये देखिये, इस कार की नंबर प्लेट एकदम खराब हो चुकी है ।" तो उसने कहा, "हाँ, ये मेरी पत्नी की कार है ।" तो मैने कहा, "एक बार लगा कर देखते है आपकी पत्नी की कार पर, और देखते है कि क्या वो ज्यादा चलेगी ।" मुझे पता था कि वहाँ दो कारें थी, और उन पर दो-दो प्लेटें लगी थीं । अगर मैं चार कवर नहीं बेच सका, तो कम से कम एक तो बेच सकूँगा । ये मैनें बहुत छोटी उम्र में सीख लिया था । मैनें कॉमिक्स की अदला-बदली भी की । जब मैं करीब दस साल का था, मैं कॉमिक्स बेचता था जार्जियन खाडी की हमारी झोपडी से । और मैं साइकिल से समुद्र-तट के एक सिरे पर जाता था और गरीब बच्चों से कॉमिक्स खरीद लेता था । और फिर मैं तट के दूसरे सिरे पर जा कर रईस बच्चों को वो बेच देता था । ये मुझे प्राकृतिक रूप से पता था - सस्ता खरीदो, महँगा बेचो । और यहाँ माँग भी थी, और पैसा भी था । गरीब बच्चों को बेचने की कोशिश मत करो; उनके पास पैसा नहीं है । रईसों के पास है - थोडा तुम ले लो । तो ये बहुत स्वाभाविक है न । ये कुछ मंदी जैसा है - मंदी में क्या है ? अभी भी १३ बिलियन डॉलर अमरीकी बाज़ारों में घूम रहे हैं । उसमें से कुछ अपने लिये ले लो । ये मैनें बचपन में ही सीख लिया था । मैनें ये भी सीख लिया था कि अपने स्रोत के बारे में किसी को मत बताओ, क्योंकि ये धँधा शुरु करने के चार हफ़्तों के भीतर ही मेरी पिटाई हो गयी क्योंकि एक रईस बच्चे को ये पता लग गया था कि मैं कॉमिक्स कहाँ से खरीदता हूँ, और उसे ये बात अच्छी नहीं लगी कि वो मुझे अतिरिक्त पैसे दे रहा था । दस साल की उम्र में मुझे जबरदस्ती अखबार बेचना भेज दिया गया । मेरा बिलकुल भी मन नहीं था, पर दस साल की उम्र में, मेरे पिता ने कहा, "अखबार बेचना तुम्हारा अगला धँधा होगा ।" न सिर्फ़ मुझे एक इलाका दिया गया, बल्कि मुझे दो और इलाके लेने पडे, और फ़िर उन्होनें कहा कि मैं आधे अखबार बेचने के लिये किसी को नौकरी पर रखूँ, जो कि मैने किया, और तब मुझे पता लगा कि सारा पैसा तो असल में टिप्स में था । तो मैं टिप्स और भुगतान लेने जाता था । और सारे अखबारों के लिये खुद ही पैसा लेने जाने लगा । मेरा कर्मचारी सिर्फ़ अखबार बाँटने जाता था । क्योंकि तब तक मुझे पता लग गया था कि मैं पैसे बना सकता था । अब तक मुझे ये बात साफ़ हो चुकी थी कि मैं किसी और के लिये काम नहीं करने वाला था । (हँसी) मेरे पिता की एक गाडी सम्हालने और मशीन सम्हालने की दुकान थी । और उसमें बहुत सारे पुर्जे इधर-उधर पडे रहते थे । और उसमें पुराना पीतल और ताँबा भी पडा था । तो मैनें उनसे पूछा कि उसका क्या होगा । और उन्होनें बताया कि वो उसे फेंक देते थी । तो मैने कहा, "मगर इसके तो पैसे मिल सकते है ?" तो उन्होंने कहा, " हाँ, शायद ।" ये याद रखिये कि मैं दस साल का - ३४ साल पहले की बात है और मुझे उस कबाड में एक मौका दिख रहा था । उस कबाड से पैसा बनाया जा सकता था । तो मैनें अपनी साइकिल पर और भी दुकानों से ये कबाड इकट्ठा करना शुरु कर दिया । और शनिवाद को मेरे पिता मुझे ले कर जाते थे एक कबाडी के दुकान पर, जहाँ मुझे पैसे मिल जाते थे । मुझे ये बडा ही महान काम लगता था । और क्या विडंबना है कि, तीस साल बाद आज हम 1-800-GOT-JUNK बना रहे हैं ? और उस से पैसा भी बना रहे हैं । ११ साल की उम्र में मैने पिन रखने के लिये तकिया बनाया, और उन्हें अपनी माँ के लिये मदर-डे के लिये बनाया । और ये छोटे छोटे लकडी के टुकडों से बनता था -- जब हम घर के बाहर कपडे सुखा रहे होते थे । और हम कुछ कुर्सियाँ बनाते थी । और छोटे तकिये जो मैं सिलता था । और आप उस में अपनी पिनों को खोंस सकते थे । क्योंकि लोग सिलाई किया करते थे, और उन्हें ऐसे तकियों की ज़रूरत थी । पर मुझे लगा कि आपके पास विकल्प होने चाहिये । तो मैने उनमें से कुछ को भूर पेंट कर दिय । और जब मैं किसी के दरवाजे जाता था, तो ये नहीं कहता था, "क्या आपको चाहिये ?" मैं कहता था, "आपको कौन से रँग का चाहिये ?" देखिये आप दस साल के बच्चे को मना नहीं कर सकते हैं, खासकर, जब वो आपसे पूछता हो कि भूर वाल दूँ या सफ़ेद । तो पाठ भी मैने बचपन में ही सीख लिया था । और मैनें ये भी सीखा कि मजदूरी बहुत ही खराब काम है । जैसे कि लॉन की घास काटना घनघोर यातना है । पर क्योंकि मुझे गर्मियों में अपने सारे पडोसियों के लिये घास काटनी होती थी, और उसके लिये पैसे मिलते थे । मुझे लगा कि बार-बार आने वाली आमदनी एक ही ग्राहक से, बहुत मज़ेदार होती है । तो मैनें सोचा कि अगर मैं किसी ग्राहक की एक बार मदद कर दूँ, और हर हफ़्ते के लिये मुझे उससे पैसे मिले, तो ये बहुत बेहतर होगा बजाय पिनों के तकिये को एक व्यक्ति को बेचने के । क्योंकि वो बार बार नहीं बिक सकता है । तो मुझे ये बार-बार आमदनी वाली बात ही बचपन में ही सीखने को मिल गयी । देखिये, मुझे इन सब चीजों के लिये तैयार किया जा रहा था । मुझे कहीं भी नौकरी करना मना था । मैं लोगों के गोल्फ़-किट को ढोता था । मगर मुझे पता लगा कि गोल्फ़-कोर्स पर एक टीला है, तेरहवें छेद के पास, एक बडा टीला था । और लोग कभी भी अपना बैग खुद वहाँ ढोना नहीं चाहते थे । तो मैं वहीं एक कुर्सी डाल कर बैठ जाता था और सिर्फ़ उन लोगों का सामान ढोता था जिनके पास ढोने के लिये और कोई नहीं था । और मैं उनकी किटों को उस टीले के ऊपर तक ले जाता था, और एक डॉलर की कमाई करता था । जबकि मेरे दोस्त पाँच घण्टों तक काम करके किसी का सामान ढोते थे, और पाँच डॉलर कमाते थे । और मैं कहता था, "ये मूर्खता है क्योंकि तुमने पाँच घण्टे काम किया है ।" मुझे इसका कोई मतलब नहीं समझ आता था । "आपको पैसा बनाने की तेज तरकीब ढूँढनी चाहिये ।" हर हफ़्ते मैं कोने की दुकान से कुछ सामान लेता था । और फ़िर ७० साल के लगभग उम्र की ब्रिज खेलने में मशगूल महिलाओं के पास जा कर बेच देता था । और वो मुझे अगले हफ़्ते का आर्डर दे देती थीं । और मैं सिर्फ़ सामन पहुँचाता और दोगुना पैसा बटोरता था । और मैने इस बाज़ार पर कब्जा जमा लिया था । इसमें किसी लिखा-पढी की ज़रूरत नहीं होती है । बस कहीं माँग होनी चाहिये, और कहीं से आपूर्ति होनी चाहिये और कुछ लोग जो आपकी बात सुनने को तैयार हों । ये औरतें कभी किसी और से सामान नहीं लेती थीं क्योंकि मैं उन्हें पसंद था, और मुझे ये पता था । मैं गोल्फ़-कोर्स से गोल्फ़-बॉल ले आता था । हर कोई झाडियों में बॉल ढूँढ रहा होता था और गड्ढों में। और मैं कहता था कि ये क्या बकवास है । सारी बॉलें तो तालाब में हैं और कोई भी तालाब में जाने को तैयार नहीं था । तो मैं तालाब में घुस कर, इधर-उधर रेंग कर, अपने पैर से उन्हें उठाता था । उन्हें दोनो पैरों से उठाना पडता है । स्टेज पर नहीं किया जा सकता । और आप ये बॉल ले कर, बस उन्हें अपने बाथिंग-सूट के कच्छे में डाल लेते थे और जब आप काम खत्म करते थी, आपके पास कुछ सौ बॉलें होती थीं । मगर दिक्कत ये थी कि लोगों को पुराने बॉल नहीं चाहिये थे । तो मैनें उन्हें पकैट-बंद करना शुरु किया । और मैं १२ साल का था । उन्हें मैंने तीन तरह के पैकेजों में बाँटा । मेरे पास पिनैकल्स और डी.डी.एच ब्रांड की बॉलें थी, और वो बहुत मशहूर थीं । हर बॉल दो डॉलर की बिकती थी । तो मैं उन सारी बॉलों को एक साथ रखता था जो गन्दी नहीं दिखती थीं, और ५० सेन्ट की बेचता था । और मैं खराब बॉलों को पचास के पैकेट में बेचता था । और उन्हें लोग प्रैक्टिस के लिये इस्तेमाल कर सकते थे । स्कूल में मैनें धूप के चश्में भी बेचे हैं, उन सारे बच्चों को जो कि हाई-स्कूल में थे । और इस तरह की चीजों की वजह से लोग आपसे घृणा करने लगते है, क्योंकि आप हमेशा दोस्तों से पैसा निकलवाने के चक्कर में रहते हो । लेकिन इस से पैसा बनता है । और मैनें बहुत ही सारे धूप के चश्में बेचे । और जब मेरे स्कूल ने मुझे ये करने से मना कर दिया -- असल में एक दिन मुझे ऑफ़िस में बुला कर कहा गया कि मुझे ये करना बंद होगा -- तो मैं पैट्रोल-पंप गया और उन पंप वालों को कई कई चश्में बेचने लगा और फ़िर वो लोग अपने ग्राहको को बेच देते थे । और ये भी मस्त था क्योको अब मेरे पास रिटेल दुकानें थीं । उस समय शायद मैं चौदह साल का रहा हूँगा । मैने अपनी कार्ल्टन यूनिवर्सिटी की पहले साल की पूरी फ़ीस खुद ही भरी, वाइन का कवर बेच बेच कर । देखिये उसमें करीब ४० ओज़. की रम की बोतल आ जाती है और साथ में कोक की दो बोतलें? तो बढिया है न? और होता क्या था? लोग उसे अपने क्च्छों मे छुपा लेते थे, और जब आप फ़ुट्बाल का मैच देखने जाते, आप फ़्री में शराब अंदर ले जा सकते थे, और हर कोई उसे खरीदता था । माँग, आपूर्ति, मौका । मैनें उसकी ब्रांडिग भी की, और फ़िर उसे उसकी कीमत से पाँच गुना पर बेचा । उस पर मैनें अपनी यूनिवर्सिटी का चिन्ह बना दिया था । देखिए, हम अपने बच्चों को पढाते है, और उनके लिये खेल खरीदते हैं, पर अगर वो उद्यमी बच्चे हैं, तो हम ऐसे खेल क्यों नहीं खरीदते, जिससे कि उनकी उद्यमिता आगे बढे ? उन्हें आप पैसा नहीं बरबाद करना क्यों नहीं सिखाते ? मुझे याद है कि मुझे पैदल चलने के लिये छोड दिया गया था बान्फ़, अल्बर्टा में क्योंकि मैने एक सिक्का ज़मीन पर फेंक दिया था, और मेरे पिता ने कहा, "जा कर उसे उठाओ ।" उन्होंने कहा, "मैं पैसे कमाने के लिये बहुत मेहनत करता हूँ । मैं तुम्हें कभी भी एक पैसा भी बरबाद नहीं करने दूँगा ।" और मुझे उनका वो पाठ आज तक याद है । बँधा हुआ, घर से मिलने वाला पैसा बच्चों को खराब आदतें सिखाता है । पॉकिट-मनी, स्वाभाविक रूप से, बच्चों को नौकरी-पेशा होना सिखाती है । एक उद्यमी कभी भी तनख्वाह की अपेक्षा नहीं रखता है । और बचपन में मिलने वाला बँधा-बँधाया पैसा तनख्वाह की आदत डालता है । ये गलत है, मेरे हिसाब से, अगर आप उद्यमियों को पैदा करना चाहते हैं । मैं अपने बच्चों के साथ क्या करता हूँ -- मेरे दो बच्चे है, सात और नौ साल के -- कि मैं उन्हे ले कर घर भर में घूमता हूँ, ऐसी चीजें ढूँढने के लिये, जिन्हे किया जाना है । वो आ कर मुझे बताते है कि क्या करना है । या फ़िर मैं जा कर उन्हें बताता हूँ , " देखो, ये करने की ज़्रूरत है ।" और फ़िर हम क्या करते है? हम सौदा तय करते हैं । वो काम ढूँढ कर लाते हैं । और हम मोल-भाव करके ये तय करते हैं कि कितना पैसा दिया जाएगा । लेकिन उन्हें कोई भी बँधी-बँधायी पॉकिट-मनी नहीं मिलती, मगर उन्हें मौका मिलता है और ज्यादा काम ढूँढने का, और वो मोल-भाव करना भी सीखते हैं, और मौके ढूँढना भी । ऐसी चीजें सिखानी पडती हैं । मेरे हर बच्चे के पास एक गुल्लक है । उनकी कमाई का आधा हिस्सा घर के खर्च में जाता है, और आधा उनके खिलौनों के खाते में । और जो भी उनके खिलौनों के घाते में जाता है, उसे वो चाहे जैसे खर्च कर सकते हैं । और जो आधा भाग घर-खर्च में जाता है, हर छः महीने पर, उसे बैंक में जमा करते हैं । वो मेरे साथ चल कर जाते हैं । हर साल जितना पैसा इकट्ठा होता है, वो उनके ब्रोकर के पास जाताहै । जी हाँ, मेरे दोनो बच्चों के पास अपने स्टॉक-ब्रोकर भी हैं । पर मैं उन्हें पैसा बचाने की आदत जबरदस्ती डाल रहा हूँ । मुझे ये बात अजीब लगती है कि ३० साल उम्र के लोग कहते हैं, "हाँ, शायद अब मैं रिटायरमेंट के लिये पैसा जोडना शुरु करूँ ।" तुम पहले ही २५ साल बरबाद कर चुके हो । आप इन आदतों को बच्चों को सिखा सकते है क्योंकि उन्हें इस से कुछ खास फ़र्क नहीं पडता है । उन्हें हर रात को कहानी मत सुनाइये । हफ़्ते में चार दिन उन्हें सोते समय कहानी सुनाइये और बाकी तीन रात, उनसे कहानियाँ सुनिये । अपने बच्चों के साथ बैठ जायिये, और उन्हें चार चीजें दीजिये, एक लाल कमीज़, एक नीली टाई, एक कँगारू, और एक लैपटॉप, और उन्हें इन चारो के बारे में एक कहानी सुनाने के लिये कहिये । मेरे बच्चे खूब ऐसा करते हैं । इससे उन्हें अपनी योजनाओं को बेचना आयेगा; वो और रचनात्मक बनेंगे; उन्हें इस से अपने पाँवों पर खडा होना आयेगा । इस तरह का कुछ कर के देखिये, और उसका आनंद लीजिये । बच्चों को लोगों के समूहों के सामने खडा कर दीजिये, और उन्हें बोलने को कहिये, भले ही वो अपने परिवारजनों के सामने ही क्यों न हो और छोटे-छोटे नाटक, और भाषण देने के लिये कहिये । ये उद्यमी के लिये आवश्यक ऐसे कुछ गुण हैं जो कि आप चाहेंगे कि आपके बच्चे सीखें । बच्चों को बताइये कि खराब ग्राहक, और खराब कर्मचारी कैसे होते हैं । उन्हें घटिया कर्मचारियों को दिखाइए । जब आप घटिया ग्राहक-सेवा देखें, तो उसे खुल कर बच्चों को समझाइये । कहिये, ""देखो, ये घटिया कर्मचारी है ।" और कहिये, " देखो, ये वाल बढिया कर्मचारी है ।" (हँसी) अगर आप एक रेस्टोरेंट में जाते है, और आपको घटिया सेवा मिलती है, तो बच्चो को दिखाइये कि घटिया सेवा कैसी लगती है । (हँसी) हमारे सामने ये सब पाठ पडे हैं, मगर हम कभी इन मौकों का इस्तेमाल नहीं करते है; हम बच्चों की ट्यूशन लगवा देते हैं । सोचिये यदि आप बच्चों का सारा फालतू सामान और सारे खिलौने जो कि वो इस्तेमाल नहीं करते है, ले और कहें, "चलो इन्हें क्रेगलिस्ट और किजिजि पर बेच देते हैं ?" और बच्चे सच में इन्हें बेचें और सीखें कि कैसे तमाम ईमेलों में असल खरीदने वालों को कैसे ढूँढा जाये । ये ईमेल आपके अकाउंट में आ सकती है, या कुछ और इंतज़ाम हो सकता है । मगर उन्हें कीमत लगाना, कीमत का अंदाज़ा लगाना, और फोटो निकालना वगैरह सीखने का मौका मिलेगा । उन्हें सिखाइये कि कैसे इस तरह से पैसे बनाये जा सकते हैं । फ़िर जो पैसा उन्होने कमाया, उसमें से आधा घर के खाते में, और आधा उनके खिलौनों के खाते में । मेरे बच्चों के ये बहुत पसंद है । कुछ उद्यमिता के लक्षण जो कि आप बच्चों को सिखा सकते है: दक्षता, लगन, नेतृत्व, आत्म-चिंतन, सहकार्यता, नैतिक मूल्य । ये सारे लक्षण आपको बच्चों में मिलेंगे, और आप उन्हें विकसित कर सकते है । इस तरह की बातों पर ध्यान दीजिये । और दो ऐसे लक्षण हैं जिन पर मैं चाहता हूँ कि आप गौर करें कि उन्हें आप भुलवा न दें । पहले तो उन्हें ध्यान नहीं लगा पाने के लिये (अटेन्शन डेफ़िसिट डिसार्डर के लिये) दवाइयाँ मत खिलाइये जब तक कि बहुत ही खराब स्थिति न हो । (तालियों सहित अभिवादन) और यही बात धुनीपर, और तनाव, और उदासी पर भी लागू होती है, जब तक कि स्थिति बिल्कुल ही खराब न हो । बाईपोलर डिसार्डर को सी.ई.ओ. बीमारी के नाम से भी जाना जता है । स्टीव जर्वेटसन और जिम क्लार्क और जिम बार्क्स्डेल तीनों को ये है, और उन्होंने नेट-स्केप बनाया था । सोचिये, अगर उन्हें बचपन से ही रीटालीन की खुराक दी जाने लगती । ये सब कुछ नहीं होता हमारे पार, है न? अल गोर को इंटरनेट खुद ही बनाना पडता । (हँसी) ये ऐसी योग्यताएँ हैं जिन्हें हमें क्लास-रूम में पढाना चाहिये जैसे कि हम बाकी सब कुछ पढाते हैं । मैं ये बिलकुल नहीं कह रहा हूँ कि उन्हें वकील बनने से रोक दीजिये । मगर सिर्फ़ इतना चाहता हूँ कि उद्यमिता को भी उसी महत्व से देख जाये जैसे कि हम बाकी सारे उत्तम पेशों को देखते हैं । क्योंकि उद्यमिता में बहुत बहुत ताकत है । अंत में, मैं एक छोटा सा विडियो दिखाना चाहता हूँ । ये विडियो एक ऐसी कंपनी ने बनाया जिन्हें मैं सलाह देता हूँ । इन्हें ग्रास-होपर कहते हैं । ये बच्चों के बारे में है । ये उद्यमिता के बारे में है । आशा है कि इस से आप जो कुछ आपने सुना, उस पर ध्यान देने के लिये प्रोत्साहित होंगे और इस दुनिया को बेहतर बनाने के लिये कुछ करेंगे । [बच्चा..."और तुम्हें लगता था कि तुम जो चाहे कर सकते थे"?] [तुम आज भी कर सकते हो ।] [क्योंकि ऐसा बहुत कुछ जो हमें असंभव लगता है...] [वास्तव में बहुत ही आसानी से किया जा सकता है] [क्योंकि हम ऐसी जगह रहते हैं जहाँ] [कोई एक अकेला व्यक्ति भी बहुत कुछ बदल सकता है] [इसका सबूत चाहिये ?] [ज़रा उन लोगों के बारे में सोचो जिन्होने हमारा देश बनाया;] [हमारे माता-पिता, अंकल-आंटी, दादा-दादी...] [वो सब प्रवासी थे, नये लोग जिन्हें अपने लिये एक जगह बनानी थी] [वो अपने साथ बहुत थोडा कुछ ले कर आये थे] [या शायद कुछ भी नहीं सिवाय] [कुछ अच्छी योजनाओं के] [ये लोग विचारक थे, कर्मयोगी थे,,,] [...नया सोचने वाले लोग थे...] [जब तक कि उनके लिये एक नाम नहीं सोचा गया...] [...उद्यमी.. इंटर-प्रिन्योर ! ] [उन्होंने संभव की परिभाषा ही बदल डाली ।] [उन्हें साफ़ दिखता था कि कैसे वो जीवन को बेहतर बना सकते हैं] [सबके लिये, तब भी जब कि कठिन समय चल रहा हो ।] [आज, ये समझना मुश्किल है..] [...जबकि हमारे सामने तमाम कठिनाइयाँ हैं ।] [लेकिन कठिनाइयों से ही मौके निकलते हैं] [सफ़लताओं के, उप्लब्धियों के, और कठिनाई ही हमें मजबूर करती है...] [नये रास्ते खोजने के लिये] [तो आप क्या करेंगे और क्यों?] [यदि आप खुद को उद्यमी मानते हैं] [आप जानते हैं कि सिर्फ़ खतरा मोल लेना ही पुरस्कार नहीं है ।] [लेकिन पुरस्कार ही नवीनता को आगे बढा रहे हैं...] [...लोगों का जीवन बदल रहे हैं । रोजगार के अवसर बना रहे हैं ।] [तरक्की का ईंधन बन रहे हैं ।] [और दुनिया को बेहतर बना रहे है ।] [हमारे चारों तरफ़ उद्यमी हैं ।] [वो छोटेछोटे व्यवसाय करके हमारी अर्थ-व्यवस्था को सहारा दे रहे हैं,] [आपकी मदद के लिये नये औजार बना रहे हैं] [..आपको परिवार, दोस्तों से दुनिया के आर-पार जोड रहे हैं] [और समाज की पुरानी और कठिन समस्याओं के नये इलाज ढूँढ रहे हैं ।] [क्या आप किसी उद्यमी को जानते हैं ?] [कोई भी उद्यमी हो सकते हैं...] [आप भी! ] [इसलिये मौके को इस्तेमाल कर के रोजगार पैदा कीजिये,जो आपने हमेशा से सोचा था] [अर्थ-व्यवस्था को सुधारने में मदद कीजिये] [बदलाव लाने का ज़रिया बनिये ।] [अपने व्यवसाय को नयी ऊँचाइयों तक पहुँचाइये ।] [मगर सबसे ज़रूरी,] [याद कीजिये जब आप छोटे थे...] [और जब सब कुछ अपनी पहुँच के भीतर जान पडता था,] [और फ़िर खुद से चुपचाप कहिये, मगर ठोस भरोसे के साथ:] ["आज भी सब मेरी पहुँच के भीतर है ।"] मुझे यहाँ बुलाने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद जब मैं १० वर्ष कि थी, तो मुझे मेरा चचेरा भाई अपने चिकित्सा विद्यालय का दौरा कराने ले गया | और एक भेंट के रूप में उसने मुझे पैथोलॉजी लैब में एक वास्तविक मनुष्य मस्तिष्क एक जार से बहार निकाल मेरे हाथों में थमा दिया | और मैं उसे देखती रही, मानव चेतना का निवास स्थल, मनुष्य शरीर का ऊर्जा स्त्रोत, मेरे हाथों में | और उस दिन मैं जान गयी कि जब मैं बड़ी होउंगी, तो मैं बनूंगी एक मस्तिष्क चिकित्सक, वैज्ञानिक, या इन्हीं में से कुछ | सालों बाद, जब मैं अंततः बड़ी हुई, मेरा सपना सच हो गया | और जब मैं अपनी पी.एच.डी. कर रही थी बच्चों में डिस्लेक्सीअ के तंत्रिका संबंधी कारणों पर, तो एक आश्चर्यजनक बात मेरे सामने आई जोकि मैं आज आप सबको बताना चाहूंगी | ऐसा अनुमान है कि छः में से एक बच्चा छः में से एक, विकासात्मक विकलांगता से पीड़ित है | इस प्रकार की विकलांगता बच्चे का मानसिक विकास धीमा कर देती है और स्थायी रूप से मानसिक क्षति पहुंचाती है | इसका मतलब है कि आज आप में से हर एक शक्श कम से कम एक ऐसे बच्चे को जानता है जोकी विकासात्मक विकलांगता से पीड़ित है | किन्तु मुझे एक बात कि हैरानी है | हालांकि इस तथ्य के बावजूद कि ऐसी हर एक विकलांगता मस्तिष्क में उत्पन्न होती है, इनमे से ज़्यादातर विकलांगताओं कि जांच सिर्फ प्रत्यक्ष व्यवहार के आधार पर ही की जाती है | किन्तु मस्तिष्क विकार कि जांच मस्तिष्क को देखे बिना करना सामान्य है एक ह्रदय रोगी का इलाज़ करना उसके शारीरिक लक्षणों के आधार पर, बिना इ.सी.जी. या एक्स-रे लिए उसके ह्रदय को देखने के लिए | यह मुझे बहुत सहज लगा. मस्तिष्क विकारों का निदान और इलाज सही से करने के लिए, मस्तिष्क को सीधे ही देखना आवश्यक होना चाहिए. सिर्फ और सिर्फ व्यवहार को देखने में पूरी पहेली का कोई महत्वपूर्ण अंश छूट सकता है जिस से बच्चे की दिक्कतों का अधूरा यहाँ तक की गलत अनुमान भी लगाया जा सकता है. चिकित्सा क्षेत्र में तमाम विकास के बावजूद, मस्तिष्क विकारों का निदान छः में से एक बच्चों में अब भी काफी सीमित है. और तब मैं मिली हार्डवर्ड युनिवर्सिटी की एक टीम से जिन्होंने ऐसी ही एक प्रगतिशील चिकित्सा तकनीक का उपयोग किया, मस्तिष्क अनुसंधान कि जगह, बच्चों में मस्तिष्क विकारों का निदान करने के लिए. उनकी उन्नतिशील तकनीक मस्तिष्क कि इ.इ.जी. या विद्युत गतिविधि मापती हैं वास्तविक समय में, जिस से कि हम मस्तिष्क को विभिन्न कार्य करते हुए देख सकें और सूक्ष्म से सूक्ष्म विकारों को पकड़ सकें, इन में से किन्ही भी कार्यों में, दृष्टि, ध्यान, भाषा और श्रवण. फिर मतिष्क विद्युत गतिविधि मानचित्रण नामक एक क्रमादेश मस्तिष्क कि विकार्ता कि जड़ का पता लगता है. फिर एक दूसरा क्रमादेश, सांख्यिकीय संभाव्यता मानचित्रण, यह गणना करता है कि इनमे से कोई विकार नैदानिक रूप से महत्वपूर्ण है कि नहीं, जिस से कि हमें और भी सटीक स्नायविक निदान प्राप्त हो बच्चे के लक्षणों का. और इस तरह मई बन गयी नयूरोफिसियोलौजी कि प्रमुख इस टीम कि नैदानिक शाखा के लिए. अब अंततः हम इस तकनीक का प्रयोग कर सकते हैं मस्तिष्क विकारों से पीड़ित बच्चों कि मदद करने के लिए. और मुझे खुशी है कहते हुए कि मई अब इस तकनीक कि स्थापना भारत में करने की प्रक्रिया में हूँ. मई आपको ऐसे ही एक बच्चे के बारे में बताना चाहूंगी, जिसकी खबर ऐ.बी.सी. न्यूज़ ने भी दिखाई थी. सात वर्षीय जस्टिन सैनिगर हमारे चिकित्सालय बहुत ही गंभीर स्वलीनता के साथ आया था. कई स्वलीन बच्चों कि तरंह उसका मस्तिष्क उसके शरीर में बंद था. कई बार वह कुछ क्षणों के लिये बिलकुल ही खो जाता था. और चिकित्सकों ने उसके माता-पिता को बताया कि वह कभी सामाजिक रूप से संवाद या संचार नहीं कर पायेगा, और शायद ही कभी वह भाषा सीख पायेगा. जब हमने इस उल्लेखनीय इ.इ.जी. तकनीक का प्रयोग जस्टिन के मस्तिष्क को देखने के लिये किया, तो परिणाम चौंकाने वाले थे. यह सामने आया कि जस्टिन स्वलीन था ही नहीं. वह मस्तिष्कीय दौरों से पीड़ित था ज्योंकि नग्न आँखों से देखने असंभव थे, लेकिन वास्तव में स्वलीनता के लक्षणों कि तरंह दीखते थे. जस्टिन को दौरों कि दवाइयां देने के बाद, उसमे परिवर्तन अद्भुत था. ६० दिन कि अवधि के भीतर ही, उसकी शब्दावली मात्र २-३ शब्दों से ३०० शब्द हो गयी. और उसके संवाद और सामाजिक संचार में इतना नाटकीय रूप से सुधार आया, कि उसे सामान्य विद्यालय में दाखिला मिल गया और वह कराटे शूरवीर भी बन गया. अनिसंधान दिखता है कि ५० प्रतिशत बच्चे, प्रायः ५० प्रतीचत बच्चे जिनमे स्वलीनता के लक्षण पाए जाते हैं असल में छुपे हुए मस्तिष्कीय दौरों से पीड़ित होते हैं. यह उन बच्चों के चहरे हैं जिनका मैंने परिक्षण किया है ज्योकी जस्टिन कि ही तरंह थे. ये सभी बच्चे हमारे चिकित्सालय आये थे स्वलीनता, ध्यान आभाव विकार, मानसिक मंदता, और भाषा समस्यायों के इलाज के लिये. बजाय इसके, हमारी इ.इ.जी. जांच से पता लगा उनके मस्तिष्क में छुपी बहुत ही विशिष्ठ समस्यायों का ज्योकी व्यवहारिक अलान्कानों से कतई सामने नहीं आ सकते थे. तो इन इ.इ.जी. जांचों ने हमें सक्षम बनाया इन बच्चों को काफी सटीक न्यूरोलॉजिकल निदान और लक्षित उपचार प्रदान करने के. बहुत लंबे समय से, विकासात्मक विकलांगता से पीड़ित बच्चे गलत निदान से कष्ट सहते आये हैं जबकि उनकी वास्तविक समस्याओं का पता ना चलने के कारण वह और खराब होती चली गईं. और भी लंबे समय से, ये बच्चे और उनके माता पिता अनावश्यक निराशा और हताशा को सहते रहे हैं. लेकिन हम अब तंत्रिका विज्ञान के एक नए युग में हैं, जिसमे हम सीधे ही मस्तिष्क कार्यों को वास्तविक समय में सक्रामक प्रकार से देख सकते हैं बिना किसी जोखिम या दुष्प्रभाव के, और खोज सकते हैं बच्चों में विकलांगताओं के सही स्त्रोत को. तो अगर आज मैं आप दर्शकों में से एक छोटे से अंश को भी प्रेरित कर सकूँ, कि वह यह अग्रणी नैदानिक दृष्टिकोण किसी विकासात्मक विकलानाता से पीड़ित बच्चे के माता पिता के साथ बाँट सके, तो संभवतः एक और मस्तिष्क में एक और पहेली हल हो जायेगी. एक और दिमाग का टला खुल जायेगा. और एक और बच्चा जिसका प्रणाली द्वारा गलत या कोई निदान नहीं हुआ है अंततः अपनी असली क्षमता का एहसास करेगा जबकि उसके मस्तिष्क को ठीक होने में देर न हुई हो. और ये सब सिर्फ बच्चे कि मस्तिष्क तरंगे देखने से. धन्यवाद. (तालियाँ) घरों क्यों क्यों उगायें? क्योंकि हम कर सकते हैं. इस समय, अमेरिका एक निरंतर आघात की अवस्था में है. और वास्तव में, उसका एक कारण है. हमारे पास ब्रांडेड लोग, ब्रांडेड गाड़ियाँ, ब्रांडेड घर है. एक वास्तुकार के रूप में, मैंने ऐसी चीज़ों का सामना किया है. तो क्या है वेह तकनीक जो कि हमें असाधारण मकान बनाने देगी? खैर, यह लगभग 2500 वर्षों से यहाँ है. यह गूथना, या उपरोपन करना कहा जाता है, या फिर उपरोपन गुथ कर एक नाड़ी तंत्र में एकत्रित कर देना. और हम कुछ अलग करें जो हमने अतीत में किया उस से ; हम उसमें समझ की थोड़ी मात्रा जोड़ सकते हैं. हम सीएनसी से मचान बनाते हैं अर्द्ध गुणवाचक पदार्थ को , पौधों को, एक विशिष्ट रेखागणित में ऐसे सिखाना, कि वे एक घर बनाएं, जिसे हम बुलाते हैं "फैब ट्री हब". यह वातावरण में फिट बैठता है. यह खुद वातावरण है. यह खुद परिदृश्य है? और आप ऐसे लाखों घर बना सकते हो, और यह बहुत अच्छे हैं, क्योंकि वे कार्बन पीते हैं. वे दोषहीन हैं. आप 100 लाख परिवारों को, उपनगरों के बाहर ला सकते हैं, क्योंकि यह घर पर्यावरण का एक हिस्सा हैं. कल्पना कीजिए कि आप एक गांव का निर्माण कर रहे हैं, इसमें सात से दस साल लगते हैं - और सब कुछ हरा है. हम वेजी घर ही नहीं बनाते, हम बिना गर्भ के मांस के आवास भी बनाते हैं, इन पर ब्रुकलीन में शोध चल रहा है, जहां, एक वास्तुकला कार्यालय के रूप में, पहली बार आणविक कोशिका जीव विज्ञान प्रयोगशाला में डाल कर हम पुनर्योजी चिकित्सा के साथ प्रयोग शुरू कर रहे हैं और ऊतक इंजीनियरिंग और भविष्य में क्या होगा के बारे में सोचना अगर वास्तुकला और जीव विज्ञान एक बन गया. तो हम दो साल से यह कर रहे हैं, और यह है हमारी प्रयोगशाला. और हम उगा रहे सूअरों से बाह्य मैट्रिक्स. हम एक संशोधित इंकजेट प्रिंटर का उपयोग करते हैं, और हम ज्यामिति छापते हैं. जहां हम औद्योगिक डिजाइन वस्तुओं को छाप सकते हैं जैसे, जूते, चमड़े की बेल्ट, हैंडबैग, आदि, जहां कोई संवेदनशील प्राणी को नुकसान नहीं पहुंचाया जाते. यह शिकार के बिना है. यह एक टेस्ट ट्यूब से मांस है. तो हमारे सिद्धांत अंततः यह है कि हमें घरों के साथ यह करना चाहिए. तो यहाँ एक संवर्धन की दीवार है, एक वास्तु निर्माण, और यह एक अनुभाग है एक मांस घर के लिए हमारा प्रस्ताव, जहां आप देख सकते हैं हम इन्सुलेशन के रूप में फैटी कोशिकाओं का उपयोग करते हैं, हवा भार के साथ निपटने के लिए सिलिया और दरवाजों और खिड़कियों के लिए दबानेवाला यंत्र की मांसपेशियों. (हँसी) और हम जानते हैं कि यह अविश्वसनीय रूप से बदसूरत है. यह एक अंग्रेजी ट्यूडर या स्पैनिश कोलोनिअल हो सकता था, लेकिन हमने इस तरह की आकृति को चुना. और यह उगा हुआ है, कम से कम इसका एक खंड. हमने प्राग में एक बड़ा शो किया, और हम यह गिरजाघर के सामने रखने का फैसला किया तो धर्म मांस के घर का सामना कर सकता है. यही कारण है कि हम घरों उगाते हैं. बहुत बहुत धन्यवाद. (तालियां) मैं एक कहानी से शुरुवात करना चाहती हूँ, सेठ गोदिन की तरह, उन दिनों की कहानी जब मैं १२ साल की थी । मेरे अंकल एड ने मुझे एक खूबसूरत नीला स्वेटर दिया था -- कम से कम मुझे तो वो सुंदर ही लगता था। और उसमें पेट वाले हिस्से पर चलते हुए ज़ेबराओं का धुँधला डिज़ाइन बना था, और किलिमंज़ारो पर्वत और मेरु पर्वत सीने के आसपास थे, मगर वो भी धुंधले से। और मैं उसे पहनने को आतुर रहती थी, मुझे अपनी सारी चीज़ों में वो सबसे कमाल का लगता था। नवीं कक्षा के उस दिन तक, जब मैं बहुत सारे फ़ुट्बाल खिलाडियों के साथ खडी थी। और ज़ाहिर है कि मेरा शरीर बदल रहा था, और मैट मुसोलिना, जिस से हाई-स्कूल में मेरी हमेशा स्पर्धा रहती थी, ने गूँजती हुई आवाज़ में कहा कि अब हमें स्किंग के लिये दूर जाने की ज़रूरत नहीं पडेगी, क्योंकि हम सब नोवाग्रात्ज़ पर्वत पर स्कींग कर सकेंगे। (हँसी) और मुझे इतना अपमान और शर्मिंदगी महसूस हुई कि मैं सीधे भाग कर अपनी माँ के पास गयी और उनसे झगडा किया कि उन्होनें मुझे ये घटिया स्वेटर क्यों पहनने दिया। हम गुड्विल गये और हमने उस स्वेटर को फ़ेंक दिया काफ़ी आयोजित से तरीके से, मैने सोचा था कि अब मुझे ना तो उस स्वेटर के बारे में कभी सोचना है न ही उसे कभी देखना है। ठीक ग्यारह साल बाद, मैं २५ साल की हो चुकी थी। मैं किगाली, रवांडा में काम कर रही थी, और ढलान पर दौडते हुए मैने देखा कि मुझसे सिर्फ़ दस फ़ीट की दूरी पर, एक छोटा सा ११ साल का लडका -- मेरी तरफ़ भाग रहा था, मेरा ही स्वेटर पहने हुए। और मैने सोचा, नहीं, ये तो हो ही नहीं सकता। पर उत्सुक्तावश, मैं उस लडके के पास गयी - और बिल्कुल उस बेचारे बच्चे के होश उडाते हुए - उसका कॉलर पकड कर उलट कर देखा, और वहाँ मेरा नाम था उस स्वेटर के कॉलर पर लिखा हुआ। मैं ये कहानी हमेशा बताती हूँ, क्योंकि इसने हमेशा ही मुझे एक उदाहरण दिया है इस बात का कि हम किस हद तक जुडे हुए हैं अपनी धरती पर रहने वाले सब लोगों से। हम अक्सर नज़रअंदाज़ करते है कि हमारे शामिल होने, और हमारी तटस्थता से उन लोगों पर क्या असर पडेगा जिन्हें हमें लगता है कि हम कभी नहीं देखेंगे, न जानेंगे। मैं इस कहानी को इसलिये भी कहती हूँ क्योंकि ये एक बडी संदर्भीय कहानी है इस बात की, कि अनुदान आखिर क्या है, और क्या हो सकता है। कि कैसे ये स्वेटर वर्जिनिया के गुड्विल तक पहुँचा, और वहाँ से और बडी इकाई में, जो कि उस समय दसियों लाख टन पुराने कपडे अफ़्रीका और एशिया में पहुँचा रही थी। जो कि एक बहुत ही सार्थक काम था, सस्ते वस्त्र उपलब्ध करवाना। और ठीक उसी समय, रवांडा में तो निश्चय ही, उसने स्थानीय कपडा बाज़ार का क्रिया-कर्म कर डाला। मैं ये नहीं कह रही कि कपडे नहीं बँटने चाहिये थे, मगर ये कि हमें उन प्रश्नों के बेहतर उत्तर देने होंगे जो कि उस समय उठते हैं जब हम सोचते हैं निष्कर्शों और प्रतिक्रियाओं के बारे में। तो, मैं रवांडा में बिताये अपने १९८५ और १९८६ साल पर ही रहूँगी, जहाँ कि मैं दो काम कर रही थी। मैनें २० अविवाहित माओं के साथ मिल कर एक बेकरी शुरु की थी। हमें "बेड न्यूज़ बियर्स" कहा जाता था, और हमारा ध्येय थी कि हम किगाली के चाट-पकोडे के धंधे के उस्ताद बन जायें, जो कि इतना कठिन नहीं था क्योंकि हम से पहले कोई बाज़ार में था ही नहीं । और क्योंकि हम एक अच्छी योजना पर काम कर रहे थे, हम उस्ताद हो भी गये, और मैनें, छोटे स्तर पर ही सही, इन औरतों का रूपांतरण होते देखा। पर उसी समय, मैने एक लखु-वित्त बैंक (micro-finance bank) भी शुरु किया था, और कल इकबाल क़ादिर "ग्रामीण" के बारे में बात करेंगे, जो कि सारे लघु-वित्त बैंको के पिता हैं, जो कि अब एक अखल विश्व में होती क्रांति है - हर गली कूचे में - मगर तब ये एक नयी चीज़ थी, ख़ासकर ऐसी वित्त-व्यवस्था में जो कि वस्तु-विनिमय से व्यवसाय की ओर बढना ही शुरु कर रही थी। हम बहुत सी चीज़ें सही कर पा रहे थे। हमने एक विधिवत व्यवसाय योजना पर ध्यान केंद्रित किया, और जान की बाज़ी लगा कर काम किया। औरतें ही ये तय करती थीं कि अंततः उन्हें कैसे इस ऋण की सुविधा का इस्तेमाल करना है अपना व्यापार बढाने में, और अपनी कमाई बढाने में जिससे कि वो अपने परिवारों का बेहतर ख्याल रख सकें। हमें जो समझ नहीं आया, और जो हमारे आसपास हो रहा था, जाति-आधारित विवादों, फ़ैलते डर के माहौल और अनुदान के खेल की मिलीभगत को, अगर आप ध्यान से देखें, जो कि धीरे-धीरे फ़ैल रही थी= ज्यादातर अदृश्य रूप में मगर निश्चय ही रवांडा में वास्तविक रूप में, और ये कि उस समय, रवांडा के पूरे बजट का ३० प्रतिशत विदेशी अनुदान था। रवांडा में नरसंहार १९९४ में हुआ, उस पल के सात साल बाद जब ये औरतें एकजुट हुईं इस सपने को पूरा करने के लिये। और बढिया ख़बर ये है कि हमारी संस्था, हमारा बैंक, उसके बाद भी जीवित रह सका। और तो और, वो बहाली के लिये ऋण देने वाला रवांडा का सबसे बडा संस्थान बना। हाँ, बेकरी ज़रूर जड से ख्त्म हो गयी थी, पर मैनें उस से सीखा कि जवाबदेही काम करती है -- मुझे जमीन पर लोगों के साथ मिल कर कुछ बनाने का मौका मिला, व्यावासायिक योजनाओं के चलते, जहाँ, जैसा कि स्टीवन लेविट कहेंगे, "बेहतर काम, बेहतर फ़ायदा" का सिद्धांत काम करता है। समझिये, कि हम चाहे कितने भी पेचीदा क्यों न हों, प्रेरित होने पर आगे बढेंगे ही। तो जब क्रिस ने मुझे दिखाया कि कितना बढिया काम इस दुनिया में हो रहा है, और ये कि हम सामाजिक चेतना को जागृत कर रहे हैं, मैं एक तरफ़ तो उस से सहमत हुई, और बहुत उत्साहित हुई जो भी जी-८ के साथ हुआ, उसे देख कर -- कि ये संसार, टोनी ब्लेयर और बोनो और बॉब गेडोल्फ़ जैसे लोगों के कारण -- संसार वैश्विक गरीबी की बात कर रहा है, और दुनिया भर में अफ़्रीका की बात हो रही है उस अंदाज़ में, जिसमें आज तक नहीं हुई। ये बिलकुल रोमांचकारी अनुभव है। पर ठीक इसी समय, मुझे जो चिंता रातों को जगाए रहती है वो ये है कि हम जी-८ की उपलब्धियों को देखेंगे -- अफ़्रीका के अनुदान में ५० बिलियन डॉलर का इज़ाफ़ा, माफ़ किये ऋण के रूप में ४० बिलियन डॉलर -- उन जीतों की तरह जो सिर्फ़ पहले अध्याय पर ही अंत होंगी, और हमारी नैतिक जिम्मेदारी से छुटकार दिलाएँगी। और सच ये है कि, हमें इसे सिर्फ़ पहले अध्याय के रूप में ही देखना होगा, उसकी खुशी मनानी होगी, फ़िर उसे बंद कर के दूसरे अध्याय की तरफ़ बढना होगा जो कि गरजने के बजाय बरसने का अध्याय है - कि कैसे वो करें जिसका आश्वासन दिया है। और यदि आप आज की मेरी बातचीत से सिर्फ़ एक बात याद रखना चाहें, तो वो ये होगी कि गरीबी को जड से ख्त्म करने का एक ही रास्ता है, कि ज़मीनी सच्चाई से जुडी ऐसी प्रणालियाँ बनायीं जाएँ जो ज़रूरी उत्पाद और सेवाओं को गरीबों तक वहनीय दामों में पहुँचायें, वित्तीय रूप से पोषक और तरक्कीशुदा तरीकों से। यदि हम ऐसा करेंगे, तो हम सच में गरीबी को इतिहास में बदल सकेंगे। और इसी परिकल्पना ने ही मुझे अपनी उस कोशिश को शुरु करने के लिये प्रेरित किया जिसे अक्यूमन फ़ंड नाम से जाना जाता है, जो कि ऐसी छोटी-छोटी योजनाएँ बना रहा है कि कैसे हम जल, स्वास्थ, और आवास की समस्याओं का पाकिस्तान, भारत, कीन्या, तन्ज़ानिया और मिश्र में निदान करें। और मैं इस बारे में उदाहरणबद्ध तरीके से कुछ और बातें कहूँगी जिससे कि आप समझ सकें कि हम क्या कर रहे हैं। पर इस से पहले कि मैं ये करूँ - और ये भी मेरा चहेता विषय है -- मैं इस बारे में बात करूँगी कि वास्तव में गरीब का क्या अर्थ है। क्योंकि हम अक्सर उनके बारे में ऐसे बात करते हैं मानो वो कोई मजबूत, विशाल जनसमूह है जो कि आज़ादी चाहता है, जबकि सच्चाई बहुत ही अलग और आँखें खोलने वाली है। बडे स्तर पर, पृथ्वी पर करीब चार बिलियन (चार सौ करोड) लोग प्रतिदिन चार डॉलर से कम कमाते हैं। हम उन सबको गरीब मानते हैं। यदि आप हिसाब लगायें, तो ये संसार की तीसरी सबसे बडी अर्थ-व्यवस्था होगी, और तब भी इन में अधिकांश लोग अदृश्य हैं। जहाँ हम काम करते हैं, वहाँ सामान्यतः लोग करीब एक से तीन डॉलर प्रतिदिन कमाते हैं। लेकिन ये लोग हैं कौन? ये किसान हैं, और कारखाने के कारीगर हैं। ये सरकारी नौकर हैं। ये ड्राइवर हैं। ये घर पर रहने वाले लोग हैं। और इन्हें भी ज़रूरी उत्पाद और सेवाएँ जैसे कि पानी और स्वास्थ-सेवा, या आवास खरीदना पडता है, और ये करीब ३० से ४० गुना ज्यादा कीमत अदा करते है, मध्यवर्गीय लोगों की अपेक्षा -- कम से कम कराँची और नैरोबी के लिये तो ये आँकडा सच है। गरीब भी बढिया फ़ैसले लेना चाहते हैं, यदि आप उन्हें ये मौका दें तो। देखिये, दो उदाहरण हैं। एक तो भारत से, जहाँ कि करीब चौबीस करोड किसान हैं, जो कि प्रतिदिन दो डॉलर से भी कम कमाते हैं। हम जहाँ औरंगाबाद में काम करते है, ज़मीन असाधारण रूप से सूख चुकी है। वहाँ ऐसे लोग भी है जो कि आधे डॉलर से एक डॉलर के बीच कमाते है। ये गुलाबी कपडों में अमी तबर नाम के सामाजिक उद्यमी हैं। उन्होंने देखा कि कैसे इज़रायल में बडे स्तर पर योजना बना कर काम हो रहा था, और ये सीखा कि ड्रिप-सिंचाई कैसे करें, जो कि पानी को सीधे पौधे की जड में पहुँचाने का एक तरीका है। पर पहले ये सिर्फ़ बडे पैमाने के खेतों में ही संभव था, तो अमी तबर ने इसे एक एकड के आठवें भाग जितने बडे खेत में लगाने लायक बनाया। कुछ एक मूल सिद्धांत हैं -- लघु बनाइये। उसे गरीबों के लिये वहनीय और, असाधारण रूप से बढत लायक बनाइये। सरिता और उसके पति के इस परिवार ने १५ डॉलर की एक इकाई खरीदी जब वो तीन दीवारों के कमरे में टीन के छत डाल कर बसर कर रहे थे। और एक ही फ़सल के बाद, उन्होंने अपनी कमाई इतनी बढा ली है कि वो अब एक और इकाई खरीद कर चौथाई एकड के दो टुकडों में काम कर सकते हैं। कुछ साल बाद मैं उनसे मिली। और अब वो करीब चार डॉलर प्रतिदिन की कमाई करते हैं, जो कि भारत के मध्यवर्ग के बराबर है, और उन्होंने मुझे पक्की नींव दिखायी जो उन्होंने अभी डाली है अपन घर बनाने के लिये। और मैं गवाह खडी हूँ, उस औरत की आँखों मे बुनते हुए भविष्य की। ये ऐसा कुछ है जिसमें मैं सच में विश्वास रखती हूँ। आज आप गरीबी की बात मलेरिया-रोधक मच्छरदानियों को अनदेखा कर के नहीं कर सकते, और मैं फ़िर से हार्वाड के जैफ़्री साक्स को इसे बनाने के लिये तहेदिल से शुक्रिया देती हूँ - इसके इस पागलपन से भरे ध्येय के लिये - कि आप पाँच डॉलर में एक जीवन बचा सकते हैं। मलेरिया हर साल कम से कम १० से ३० लाख लोगों की जान लेता है। ३० से ५० करोड लोगों को ये बीमारी हर साल होती है। अंदाजन सिर्फ़ अफ़्रीका में ही करीब १३ बिलियन डॉलर हर वर्ष इस बीमारी की बलि चढता है। पाँच डॉलर से एक जीवन बच सकता है। जब हम लोगों को चाँद पर भेज सकते है, और ये जानना चाहते है मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं -- तो हम ५० करोड लोगों तक पाँच डॉलर में बनी मच्छरदानी क्यों नहीं दे सकते? प्रश्न ये नहीं है कि हम क्यों नहीं दे सकते, प्रश्न ये है कि हम अफ़्रीकी लोगों को ही स्वयं ये करने में मदद कैसे करें? बहुत सारी बाधायें हैं। पहली: उत्पादन क्षमता बहुत कम है। दूसरी: दाम बहुत ज्यादा है। तीसरी: ये हमारी फ़ैक्ट्री के पास की एक अपेक्षाकृत बेहतर सडक है। आवंटन किसी बुरे सपने जितना भयानक है, मगर असंभव नहीं है। हमने शुरुवात की ३५० हज़ार डॉलर का ऋण दे कर अफ़्रीका के सबसे बडे मच्छरदानी निर्माता को जिसके कि वो जापान से तकनीक खरीद सकें और पाँच साल तक चलने वाली मच्छरदानियाँ बना सकें। ये फ़ैक्ट्री की कुछ तस्वीरें हैं । आज, तीन साल बाद, इस कंपनी में हजार और महिलाएँ काम करती हैं। ये करीब ६०० हज़ार डॉलर तन्ख्वाहों के रूप में तनज़ानिया की वित्त-व्यवस्था में देती है। ये तन्ज़ानिया की सबसे बडी कंपनी है। और १५ लाख मच्छरदानियाँ प्रतिवर्ष की दर पर उत्पादन हो रहा है, जो कि इस साल के अंत तक ३० लाख तक पहुँच जाएगा। और अगले साल के अंत तक ये ७० लाख तक पहुँच जायेगा। तो उत्पादन की समस्या पर काम हो रहा है। आवंटन की समस्या पर, अभी भी, एकजुट हो कर, हमें बहुत काम करना है। इस समय, इन मच्छरदानियों का ९५% यू.एन. द्वारा खरीदा जाता है, और फ़िर अफ़्रीका में लोगों को बाँट दिया जाता है। और हम चाहते है निर्माण करना अफ़्रीका के सबसे कीमती संसाधन - लोगों का - उपयोग करके। वहाँ की औरतों की शक्ति का उपयोग करके। और इसलिये मैं आपको जैकलीन से मिलवाना चाहती हूँ, मेरे ही नाम की हैं, २१ साल उम्र की। अगर इसका जन्म तनजानिया के अलावा कहीं भी हुआ होता, तो मैं साक्षी हूँ, ये लडकी वॉल स्ट्रीट को नचा रही होती। ये दो लाइन चलाती है, और इसने इतना पैसा बचा लिया है कि ये अपनी घर के लिये अग्रणी जमाराशि का भुगतान कर सके। ये करीब दो डॉलर प्रतिदिन कमाती है, एक शिक्षा-निधि तैयार कर रही है, और इसने मुझे बताया कि न तो ये शादी करेगी न ही बच्चे जब तक कि ये इन चीज़ों को पूरा न कर ले। और इसलिये, जब मैने उसे अपनी योजना बतायी -- कि हो सकता है कि हम अमरीका की तरह ही एक समूह में औरतों को बाहर भेज कर ये मच्छरदानियाँ बेच सकें -- उसने तुरंत हिसाब लगाया कि उस से वो कितने पैसे कमायेगी और हमसे जुड गयी। हमने आई.डि.ई.ओ. (आइडियो), जो कि हमारी चहेती कंपनियों में से हैं, से सीखा और तुरंत इस का एक प्रारूप बनाय, और जैकलीन के पास ले गये, जहाँ वो रहती है। वो अपने साथ दस औरतों को तैयार कर के लाई जिनके साथ वो इन मच्छरदानियों को पाँच डॉलर में बेच कर देखना चाहती थी, लोगों के यह कहने के बावजूद कि कोई इन्हें नहीं खरीदेगा, और हमने बिक्री करना सीखा। ये अजीब ही लगेगा लेकिन, उसने एकदम अंत तक मलेरिया के बारे में बात ही नहीं की। पहले, उसने आराम, रुतबे और सुंदरता के बारे में बात की। उसने कहा, कि इन्हें चाहो तो फ़र्श पर लगा दो, तो घर से कीडे भाग जाते हैं। बच्चे सारी रात आराम से सो सकते है, घर सुंदर दिखता है, अगर आप उन्हें खिडकियों में लगा दें। और अब तो हमने ऐसे पर्दे भी बनाना शुरु कर दिये, और न सिर्फ़ ये सुंदर ही हैं, बल्कि लोग उसे सामाजिक रुतबे से जोड कर भी देखते हैं - कि आप अपने बच्चों की ठीक देखभाल करते हैं। और फ़िर आखिर में उसने अपने बच्चों की जान बचाने के बारे में बात की। ये इस बात की बेहतरीन शिक्षा है कि कैसे हम गरीबों को उत्पाद और सेवायें बेचें। आखिर में, मैं यह ही कहना चाहूँगी कि हमारे पास गज़ब का मौका है गरीबी को जड-मूल सहित नष्ट कर डालने का। ऐसा करने के लिये, हमें ऐसी व्यावसायिक योजनाओं को अंजाम देना होगा जिनमें बढत का माद्दा हो, और जो अफ़्रीकी और भारतीय लोगों के साथ, और विकासशील देशों के लोगों के साथ काम कर सके, जो कि खुद ये सब करने में सक्षम हैं। क्योंकि अंततः ये उन्हें साथ ले कर चलने की बात है। और ये इस बात को समझने की बात है कि लोगों को भीख नहीं चाहिये. बल्कि वो खुद अपने फ़ैसले लेने की ताकत चाहते हैं, और अपनी समस्याओं का निदान खुद करना चाहते हैं, और उन्हें साथ ले कर चलने से न सिर्फ़ हम उनके लिये ही स्वाभिमान पैदा करेंगे, बल्कि अपने लिये भी। और इसलिये मैं आप सब से विनती करती हूँ कि अगली बार ये ज़रूर सोचें कि इस योजना और मौके का इस्तेमाल जो हमारे पास है - गरीबी को नष्ट कर देने का -- इस प्रक्रिय का हिस्सा बन कर और हम-ऐसे-और-वो-वैसे वाली दुनिया से अलग हट कर और ये समझ कर कि ये हम सब के बारे में है, और हमारे अपने संसार के बारे में है, जिसमें हम रहना चाहते हैं। धन्यवाद। (अभिवादन) हम यह सोचकर बड़े हुए है की योनी शुचिता कौमार्य का प्रतिक है. लेकिन यह हमारी धारणा गलत थी. हमने जब जाना महिलोकी प्रचलित कौमार्य की कहानिया सुनकर जोकि शारीरिक मिथक याने गलत धारणा पर आधारित है जो की पुरे चिकित्सा व्यवस्थामे सौ सालसे चली आ रही . इस मिथक ने ..महिलओके जीवन को जीना मुश्किल कर दिया एलिन स्टोकेंन डही l: पहली गलत धारणा थी ...खून के बारेमे . यह हमें बताया जाता है कि हेमेन याने योनी परदा टूटता है और रक्तस्राव होता है यह होता है पहली बार सम्भोग के समय. इसका दूसरा मतलब निकलता है अगर खून नही निकला तो वह शुध्द नही . दूसरा मिथक पहलेका तार्किक परिणाम है . क्योकि लोग समजते थे योनी से ख़राब खूनका रिसाव होता है. वे मानते थे की योनिछाद गायब हो जाता है या कुछ रास्ते में मौलिक रूप से बदल जाता है एक महिला के पहले संभोग के दौरान अगर यह सच होता तो हम आसानीसे उसके जननांग देखकर उसके कौमर्यका पता कर लेते. NDB: इसलिए ये दो मिथक कुमारी हो तो खून बहता है तथा योनीछाद हमेशा के लिए गायब हो जाता है आपको शायद यह बात मामूली सी लगे इसलिए की एक स्त्री के शारीर में होने वाला एक मामूली बदल लगे? लेकिन यह वास्तव है की यह एक बड़ी सरचनात्मक मिथक है शारीरिक रचना की गलत सोच है. योनी पर्देकी यह गलत धारणा कई शतकोसे चल रही है. इसका कारण है ....सामाजिक महत्व पुरुषो ने एक शक्तिशाली अवजार बनाया है, स्त्री की कामुकता नियंत्रित करने के लिए जो आयी है इतिहास तथा संस्कृति से. स्त्री पर आजभी विश्वास नही किया जाता. यह शर्मिंदा करनेवाली बात है. चोट पहुचने वाली बात है. कभी कभी तो उसे मरना पड़ता है. अगर सुहाग रत पर खून न बहे. स्त्री को कुमारी होने का प्रमाण देकर लज्जित किया जाता है. कोई काम प्राप्त करने, अपनी लज्जा बचाने, या शादी करने के लिए, ESD: जैसे की इंडोनेशिया में मिलिटरी सेवा में जाने के लिए स्त्री की शारीरिक जाच की जाती है. 2011 के मिश्र विद्रोह के बाद महिला आन्दोलाको के एक समूह को कौमार्य परीक्षा का सामना करना पड़ा उनके ही मिलिटरी से . ओस्लो में तो नवजवान लड्कियोका भी योनी परिक्षण करते है माँ पिता को आश्वस्त करने की उनकी लडकिया सुरक्षित है . यह संख्या बढ़ रही है. योनी सम्बन्धी गलत मिथक से लडकिय बहुत डरती है इसलिए वे अन्य तरीकेसे इसका परिक्षण करना पसंद करती है. जिससे खून बह सके पहले सम्भोग में इसके लिए उपाय है प्लास्टिक सर्जरी पुनर कौमार्य निर्माण, या तो वो खून की बोतले इस्तेमाल करती है . बनावटी योनी पर्दा भी इन्टरनेट से खरेदी जाता है जो की नकली खून भी दिखाता है. जो आपका गुपित गुप्त ही रहने देता है हमेशा के लिए NDB: लडकियों को कहा जाता है की उसकी कोई भी चीज छुपेगी नही उनका शरीर कैसे बी करके सच उगलेगा वे भयभीत रहती है. लडकिया अपने आपसे बर्बाद होने से डर रही है वो खेलनसे डरती है. खेलना नही चाहती , कपडा नही प्रयोग में लाती या सेक्स करनेसे डरती है. हमने उनकी आज़ादी छीन ली है. समय आया है हमें इसे रोकना चाहिए . इन कहानियोको मिथक को ख़त्म कर देना छाहिये हमेशा के लिए , ESD: हम चिकित्सा विद्न्याँ के स्नातक है यौन स्वास्थ का ख्याल रखते है. हम ही है "The Wonder Down Under" के लेखक (हसी ) यह एक लोकप्रिय विद्न्यानिक किताब है महिलाके गुप्तांग के बारे में हमारा अनुभव कहता है की लोक विश्वास करते है योनी परदा योनिका आवरण होता है नर्वे के लोक इसे कुवारा परदा कहते है उसे सुनकर हमने योनोछाद को एक नाजुक , जोकि आसानीसे टुटा जा सकता है फटता है एक प्लास्टिक आवरण की तरह . आप सोच रहे होंगे की हम एक हूला हूप क्यों लाये मंचपर हम आप को दिखाते है. ( हसी ) जैसे की आप देख सकते है हूला हूप को कुछ हुआ है. इसे छिपाना बहुत कठिन है. मेरे मुक्केसे इसमें बदलाव आया.. आवरण टूट गया , जब तक हम प्लास्टिक नहीं बदलते हम हूला हूप के वास्तविक को नही ला सकते. अगर हा यह पता लगाये की हूला हूप कौमार्य है की नही toतो यह बहुत आसन है . (हसी ) NDB: पर योनी परदा कृत्रिम जैसा नहीं है यह प्लास्टिक से नहीं बना की आप उसे अन्न को धक् लेते या बंद कर देते . योनी पर्दा... एक रबर बैंड जैसा होता है ... जोकि प्रसरण हो सकता है खीचा जा सकता है . योनी के द्वार में एक प्रकारकी उतिया होती है जिसका आकर अर्धचन्द्राकार होता है. बिचमे एक बड़ा छिद्र होता है उनमे विभिन्त्ता होती है. या उसमे बहुत सारे छेद होते है नहीतो उसमे किनारे होते है झालर जैसे उसमे दो भाग होते है कहनेका मतलब यह की योनी आवरण प्राकृतिक रूपसे भिन्न होता है. ESD: इसीलिए उसका परिक्षण करना आसन नही होता है हमें योनी परदेके शारीरिक रचना का ज्ञान नहीं है. दो गालात धरणा के बरे मी जानेंगे. जब योनी से खून बहता है योनीपर्दा हमेशा के लिये खो जाता है लेकीन वह टूटता नही. वह एक खिचाव वाला होता हे रबर जैसा खीचा जा सकता है. (हसी ) आप उसे खीच सकते है वास्तव में वह प्रसारणशील याने खिचावदार होता है, ज्यादातर महिलओमे, योनीछाद जरुररी तक प्रसारण होता है संभोग अवस्था मे . बिना किसी तकलीफ से. कुछ महिलओमे फट सकता है लिंग को प्रविष्ट करने पर उससे वह गायब नही होगा . पहलेसे अलग दिखाई पडेगा . इसलिये आप उसका परीक्षण नही कर सकते. की लाडकी लाडकी कुवारी है या नही. 1906 मे, नॉर्वे के डॉक्टर ने ...मेरी जन्सेटने पाया , एक मध्यम आयुके सेक्स वर्कर मे , उसकी योनी आवरण कुमारी जैसी थी. लेकीन क्या यह हम मानते है ? उसका योनोपरदा संभोग दरम्यान कभीभी नष्ट नही हुआ . तो हम क्या उम्मीद कर रहे है ? ESD: क्योकी योनी परदा अनेक प्रकरो मी आता है यह पट करना मुश्कील है. योनी परद का अलग होना पहलेका टूटना दर्शाता है. या उसमे कुछ बदलाव हि नही आता. यह कोई परीक्षा नही कौमार्य जाचनेका यह एक पागलपन है . ३६ प्रतिशत कम आयु की लडकियो पर किये गये अभ्यास से और डोक्टरो की जाच से उन्होने दो हि लडकियो मी हि पाया लिंग प्रविष्ट होने के संकेत . क्या आप मानते है यह ३४ लडकिया कुमारी है . (हसी ) हमे यह मानना होगा की हमारी यह दुसरी मान्यता गलत है आप एक महिला के पैरो मी देख कर उसके यौन के बरे मी निष्कर्ष नही निकाल सकते NDB: अन्य कथा जैसे हि यह एक मिथक है यह कोई योनी का कवच नही जो संभोग दरम्यान गायब हो जाये. की आधी महिला है जो बिना खून बहे यशस्वी संभोग करती है. हम यह गलत धारणा मन से निकाल दे . इससे सब ठीक हो सक्त है लज्जीत होना ,आहत होना, मार डालना यह सब थम जायेगा. लेकीन यह आसान नही.. स्त्री उत्पिडन इससे भी गहरा है. गलत फहिमो के कारण नही . यह सास्कृतिक, धार्मिक समस्या है स्त्री की कामुकता नियंत्रण करने की आसानीसे नही बदलेगी . पर हमे कोशिश जरी रखनी चाहिये. ESD: एक चिकित्सक होने पर यह हमारा योगदान है. हम चाहते है सभी लडकिया ,उनके माता पिता, उनके मंगेतर यह जाने योनी परदा का यह सत्य उसकी रचना तथा कार्य वे यह भी जाने की योनी परदा होने का सबूत कौमार्य होना नही. हम इस गलत साधन स्त्री की कामुकता पर नियन्त्रण रखनेका नष्ट करे. यह सुनने के बाद आपन शयद सोचेंगे की इसका विकल्प क्या है ? अगर हम इससे पता नही क्र सकते तो तो कैसे पता करे कौमार्य का ? हम कहते है एसा कुछ है ही नही. (jजयजयकार ) अगर आप ... (तालिया ) janane chahate hein ki ladki ek kumari hein ki nahi to use puchiye. (haste hein) इस प्रश्न को कैसे उत्तर देना यह उन्हें तय करना है . धन्यवाद ! (तालिया ) अक्टूबर २०१० की बात है, अमरीकी न्यायपालिका जुडेगी 'द ९९' से। तमाम सुपरहीरो जैसे कि बैटमैन, सुपरमैन, वंडर वुमन, और उनके बाकी साथी दूसरे सुपरहीरो जैसे कि जब्बर, नूरा, जामी और बाकी साथियों से जुडेंगे। ये कहानी है अंतर्सांस्कृतिक आदान-प्रदान की। और उन से बेहतर लोग क्या मिलेंगे इस बारे में बात करने के लिये, जो कि खुद फ़ासिस्टों से लडाई कर के आगे आये हैं अपने अपने इतिहासों और भूगोलों में। १९३० के दशक में जब यूरोप में फ़ासिज़्म का बोलबाला हुआ, उत्तरी अमेरिका से एक अप्रत्याशित प्रतिक्रिया आयी। जैसे क्रिश्चन चिन्हों में बदलाव आया, और स्वास्तिक की परिकल्पना क्रूस से निकली, बैटमैन और सुपरमैन भी यहूदी युवाओं ने गढे अमरीका और कनाडा में वापस बाइबल तक। ये सोचिये: पैगम्बर साहब की तरह ही, सारे के सारे सुपरहीरो अपने अभिभावकों को खो चुके हैं। सुपरमैन के माता-पिता क्रिप्टान पर खत्म हो गये थी जब वो एक साल का भी नहीं था। ब्रूस वेन, जो कि बैटमैन बन जाता है, ने अपने माँ-बाप को छः साल की उम्र में गोथम शहर में खो दिया था। स्पाइडरमैन का पालन-पोषण उसके चाचा-चाची ने किया। और उन सब को, वैसे ही जैसे मुहम्मद पैगम्बर को संदेश मिलते हैं ईश्वर से गेब्रियल के ज़रिये, अपने संदेश ऊपर से ही मिलते हैं। पीटर पार्कर मैनहैटन की लाइब्रेरी में है जब एक मकडी ऊपर से आती है और अपना संदेश उसे डंक मार कर देती है। ब्रूस वेन अपने बेडरूम में है जब एक विशालकाय चमगादड उसके सर के ऊपर से उडता है, और ये उसे बैटमैन बनने के लिये प्रेरित करता चिन्ह लगता है। सुपरमैन को सिर्फ़ पृथ्वी पर स्वर्ग या क्रिप्टान से भेजा ही नहीं गया, बल्कि उसे एक पत्ते में भेजा गया, जैसे नील नदी पर मोजेस को। (हँसी) और आप उस के पिता, जोर-अल की आवाज़ सुनते हैं, पृथ्वी से कहते हुए, "मैने अपना इकलौता बेटा तुम्हें सौंप दिया है।" (हँसी) (अभिवादन) साफ़ तौर पर ये बाइबिल से सीधी उठाये किरदार हैं, और उस के पीछे मकसद ये था कि रचना हो कुछ सकारात्मक, विश्व भर को बाँधने वाली कहानियों की, जिन्हें उन चीज़ों से जोडा जा सके जिन से कि बाकी लोग गलत संदेश निकाल रहे थे। क्योंकि ऐसा करने से धर्म का गलत इस्तेमाल करते लोग, सिर्फ़ बुराई के संदेशवाहक बुरे लोग बन कर रह जायेंगे। और ये सिर्फ़ सकारात्मक सोच से ही संभव है कि नकारात्मक सोच को हटाया जा सके। ऐसी ही कुछ सोच पर आधारित है 'द ९९'। द ९९ कुरान में दिये गये अल्लाह के ९९ गुणों की ओर इशारा करती है, जैसे कि उदारता, दया, दूरदृष्टि, और अक्लमंदी और दर्ज़नों बाकी गुण जिन्हें दुनिया में कोई भी अस्वीकार नहीं करेगा, चाहे उसका कोई भी धर्म क्यों न हो। यदि आप नास्तिक भी हैं, तो भी आप अपने बच्चे को ये नहीं सिखाते कि, देखो, दिन में तीन बार झूठ ज़रूर बोलना। ये तो मूलभूत इंसानी अच्छाइयाँ हैं। तो 'द ९९' की कहानी है सन १२५८ की, जब इतिहास के हिसाब से मंगोलों ने बग़दाद को मटियामेट कर दिया था। बैत-अल-हिक्मा पुस्तकालय की सारी किताबें, उस ज़माने की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकालय को, टिग्रिस नदी में फेंक दिया गया, और टिग्रिस का रंग स्याही जैसा हो गया था। ये कहानी पीढी दर पीढी चली आ रही है। मैने वो कहानी फ़िर से लिखी। मेरे विवरण में, पुस्तकालय वालों को पता लग गया कि ऐसा होने वाला है -- और यहीं एक नोट भी है: अगर आप चाहते हैं कि कोई कॉमिक प्रसिद्ध हो, तो लाइब्रेरी वालों को हीरो बनाइये। सही रहेगा। (हँसी) (अभिवादन) तो पुस्तकालय वालों को पता लग गया और उन्होंने एक ख़ास रसायन तैयार किया, जिसे किंग्स वाटर (या राजसी जल) कह गया, जिसे कि ९९ पत्थरों से मिलाने पर, किताबों में निहित संस्कृति और इतिहास बच जायेगा। मगर मंगोल वहाँ पहले पहुँच गये। और किताबें और वो रसायन भी टिग्रिस नदी में फ़ेंक दिया गया। कुछ पुस्तकालय वाले बच निकले, और कई दिनों और हफ़्तों के बाद, उन्होंने टिग्रिस नदी में वो पत्थर डाल कर, वो सारी जानकारी और अक्ल हासिल कर ली जिसे हम सब ने खोया हुआ मान लिया था। उन पत्थरों को प्रार्थना की तीन मालाओ के दानों के रूप में छुपा कर तीन माला - हर एक में ३३ दाने अरब से अन्दूलेसिया से स्पेन तक तस्करी के ज़रिये लाया गया, और २०० साल तक छुपाया गया। मगर १४९२ में, दो महत्वपूर्ण घटनायें हुईं। पहली तो ग्रानादा का ध्वस्त होना, जो कि यूरोप में मुस्लिमों का आखिरी ठिकाना था। दूसरी ये कि कोलम्बस को भारत जाने के निकला, मगर खो गया। (हँसी) तो ३३ पत्थर तो तस्करी से नीना, पिन्टा, और संता मारिया तक लाये गये, और नयी दुनिया में फ़ैल गये। ३३ सिल्क रूट के ज़रिये चीन, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में फ़ैल गये। और बाकी ३३ यूरोप और मध्य-पूर्व और अफ़्रीका में फ़ैल गये। और अब २०१० है, और ९९ सुपरहीरो हैं जो कि ९९ अलग देशों से हैं। और ये सोचना बडा आसान है कि क्योंकि वो किताबें अल-हिक्मा पुस्तकालय से थी, तो इस्लामिक होंगी मगर ऐसा नहीं है क्योंकि जिस खलीफ़ा ने उसे बनवाया था, उसका नाम था अल-मामून -- वो हारुन अल-रशीद का बेटा था। उसने अपने सलाहकारों से कहा, ""मुझे वो सारे विद्वान चाहिये जो सारी किताबों का अरबी में अनुवाद कर दें, और मैं उन्हें उनकी किताबों के वज़न के बराबर सोना दूँगा।" कुछ दिन बाद, सलाहकारों ने शिकायत की। उन्होंने कहा, "महाराज, ये विद्वान धोखा कर रहे हैं वो बडे अक्षरों में लिख रहे हैं, ज्यादा सोने के लालच में।" तो खलीफ़ा बोला, "करने दो, क्योंकि वो हमें वो दे रहे हैं जिसकी कीमत सोने से कहीं ज्यादा है।" तो खुले स्थापत्य का, खुली जानकारी का विचार रेगिस्तानी इलाकों में नया नहीं है। ये परिकल्पना आधारित है नूर पत्थरों पर। अरबी में नूर का अर्थ है रोशनी। तो इन पत्थरों के, कुछ नियम वगैरह हैं: पहला, आप पत्थर तक नहीं पहुँचते, वो आप तक पहुँच जाते हैं। कुछ कुछ किंग आर्थर की कहानी की तरह, ठीक है। दूसरा, सारे के सारे ९९ हीरो, जब उनके पास पत्थर आता है, तो उसका गलत इस्तेमाल करते हैं; अपनी खुदगर्ज़ी के लिये। और उसमें एक शक्तिशाली संदेश निहित है कि जब आप पत्थर का गलत इस्तेमाल करते हैं आपका फ़ायदा उठाया जाता है उन लोगों के द्वारा जो आपकी शक्ति को गलत इस्तेमाल करते हैं। तीसरा कायदा, इन ९९ पत्थरों में सब कुछ है एक ऐसा तरीका जिससे इन्हें ताज़ा जानकारी मिलती रहती है। अब इस्लाम में दो तरह के लोग हैं सब लोग मानते हैं कि कुरान शाश्वत सत्य है - समय और स्थल से परे। कुछ लोग ये मानते हैं कि इसका मतलब वो कुरान है जिसे कई हज़ार साल पहले लिखा गया था। मेरा इस पर विश्वास नहीं है। एक और दल है जो मानता है कि कुरान जीवित, साँस लेता दस्तावेज़ है। और इसी बात को मैने इन पत्थरों के खुद ताज़ा होने में शामिल किया। अब जो मुख्य खलनायक है, रुघल, वो चाहता नहीं कि ये पत्थर ताज़ा जानकारी रखें। तो वो इन्हें नयी जानकारी तालीम लेने से रोकता है। वो ख़ुद इन पत्थरों का इस्तेमाल तो नहीं कर सकता है, मगर वो इन्हें रोक सकता है। और इन्हें रोक कर, वो अपना फ़ासिस्टनुमा अजेंडा चलाता है, और कुछ एक ९९ सुपरहीरो लोगों से अपने लिये काम करवाता है। वो सब एक तरह की वर्दी में है, एक ही रंग की। उन्हें इज़ाजत नहीं है खुद को अभिव्यक्त करने की, वो कौन है, क्या हैं बताने की। और वो उन पर ख़ासा शासन करता है। जबकि जब वो दूसरी तरफ़ से काम करते हैं, उन्हें पता लगता है कि वो गलत आदमी के लिये काम करते हैं, उन्हें इस्तेमाल किया गया है, और वहाँ तो कोई वर्दी वगैरह भी नहीं है, सबके अपने कपडॆ हैं। और आखिरी बात इन ९९ नूर पत्थरों के बारे में ये थी। तो ९९ हीरो तीन तीन की टीम में काम करते हैं। तीन ही क्यों? कुछ वजहे हैं। पहली ये कि इस्लाम में कभी भी आप एक लडके और एक लडकी को अकेला नहीं छोडते, क्योंकि तीसरा व्यक्ति लालच या फ़िर शैतान होता है, है न? ऐसा ही है न सारी अवधारणाओं में, है न? मगर ये धर्म के लिये नहीं है, ये तो पुराने मतों को तोडने जैसा है। यहाँ बहुत बडा सामाजिक संदेश है जिसका पहुँचना ज़रूरी है असहनीयता की गहराइयों तक. और इस का एक ही तरीका है कि कुछ खेल खेले जायें। और मैने इसका ये तरीका निकाला। वो तीन लोगों की टीम में काम करेंगे, दो लडके और एक लडकी, तीन लडकी, तीन लडके, समस्या ही खत्म। और स्विस मानसवेत्ता, कार्ल जंग, ने भी कहा है तीन के अंक के महत्व के बारे में, सारी संस्कृतियों मे, तो मुझे लगा कि मैं ठीक हूँ। ख़ैर... मुझे कुछ ब्लागों मे कहा गया कि मुझे पोप द्वारा कैथोलिक धर्म फ़ैलाने के लिये मध्य-पूर्व में भेजा गया है, तो आप -- (हँसी) आप जो चाहे माने -- मैं आपको अपनी कहानी सुना चुका हूँ। और ये कुछ किरदार हैं। मुजीबा, मलेशिया से, उसकी ताकत है कि सारे प्रश्नों के उत्तर जानती है। इसे बकवासकोष की अध्यक्ष कह सकते हैं। मगर जब उसे अपनी ताकत मिली थी, उसने कौन बनेगा करोडपति जैसे शो से पैसा कमाना शुरु कर दिया था। जब्बर है, साउदी अरब से, जिसने तोड फ़ोड शुरु कर दी थी ताकत मिलते ही। मुमिता भी मज़ेदार है। ये कुछ भी नष्ट कर सकती है। तो अल्लाह के ९९ गुणों में भी यिन और यांग हैं। वहाँ शक्ति है, ताकत है, आधिपत्य है। मगर वहाँ उदारता है, और दया भी है। मुझे लगा, कि क्या सारी लडकियाँ दयालु और उदार और सारे लडके ताकतवर होंगे? तो मैने सोचा, मैं कुछ एक विध्वंसक लडकियों से मिला तो हूँ अपने जीवन में... (हँसी) ये जामी है हंगरी से, जिसने ताकत मिलते ही हथियार बनाने शुरु कर दिये। ये तकनीक की विशेषज्ञ है। मुसव्विरा है घाना से, हायदा है पाकिस्तान से, जलील है ईरान से जो आग का इस्तेमाल करता है। और ये मेरी मन पसंद, अल-बतिना यमन से। अल-बतिना छुपी रुस्तम है। वो छुपी रहती है, और वो सुपरहीरो है। मैनें घर लौट कर अपनी पत्नी से कहा, "मैने तुम्हारे आधार पर एक किरदार बनाया है।" मेरी पत्नी साउदी की है, और यमन से रिश्ता रखती है। और उसने कहा, "दिखाओ मुझे।" तो मैने उसे ये दिखाया। और उसने कहा, "ये तो मैं नहीं हूँ।" मैने कहा, "आँखें देखो, तुम्हारी ही तो हैं।" (हँसी) तो मैनें अपने निवेशकों से वादा किया कि ये एक और घटिया सडल काम नहीं होगा। ये तो सुपरमैन जैसा कुछ होगा, वरना ये मेरे समय और आपके पैसे के लायक नहीं है। तो पहले ही दिन से, शीर्ष लोगों को इस प्रोजेक्ट में जोडा गया, नीचे बाईं ओर हैं फ़ाबियन निसिएज़ा, एक्स-मेक और पॉवर रेंज़र की लेखिका। उनके बगल में हैं डैल पानोसियन, नये एक्स-मैन के रचयिताओं में से एक। शीर्ष लेखक, स्टुअर्ट मूर, आयरन मैन के लेखकों में से एक। उनके बाजू में जॉन मक्क्रेआ, जो स्पाइडरमैन की इंकिग कर चुके हैं। और हमने पाश्चात्य मानस में प्रवेश किया इस लाइन से: "अगले रमज़ान तक, दुनिया में नये सुपर हीरो होंगे।" २००५ में। फ़िर मैं दुबई गया, एक अरब वैचारिक फ़ाउंडेशन कॉंफ़्रेंस में, और मैं कॉफ़ी पीते हुए किसी ठीक ठाक पत्रकार से टकराने का इंतज़ार कर रहा था। मेरे पास दिखाने को अपने जुनून के अलावा कुछ था नहीं। और मुझे न्यूयार्क टाइम्स से एक सज्जन मिले। मैनें उन्हें दबोच लिया, और उन्हे ये सब बताया। और शायद मैनें उन्हें डरा दिया था -- (हँसी) क्योंकि उन्होंने कुल मिला कर मुझसे वादा किया कि -- और मेरे पास तैयार सामग्री नहीं थी -- मगर वो बोले, "आर्ट सेक्शन में एक पैराग्राफ़ दें देंगे यदि आप मेरा पीछा छोड दें।" (हँसी) तो मैने कहा, "बढिया।" फ़िर उन्हें कुछ हफ़्तों बाद फ़ोन किया। मैने कहा, "हाय हेसा!" तो उन्होंने कहा, "हाय।" मैने कहा, "नया साल मुबारक हो।" उन्होंने कहा, "शुक्रिया, हमारे घर संतान हुई है।" मैने कहा, "बधाइयाँ।" जैसे मुझे बहुत फ़र्क पडा हो। "तो अगला आलेख कब आ रहा है?" उन्होंने कहा, "नईफ़, इस्लाम और कार्टून? इसका समय नहीं आया है। देखो, शायद अगले हफ़्ते, या अगले महीने, अगले साल, मगर ये आयेगा ज़रूर।" तो कुछ दिन और बीत गये, और क्या हुआ? डैनिश कार्टून विवाद ने सारे विश्व को हिला दिया। बस मेरा समय आ गया था। (हँसी) फ़िर तो न्यूयार्क टाइम्स से फ़ोन और ईमेल की बाढ ही आ गयी। और पलक झपकते ही, हमें पूरे पेज की बढिया कवरेज मिली थी, जनवरी २२, २००६ में, और इसने हमारा जीवन सदा के लिये बदल दिया। क्योंकि कोई भी इस्लाम और कार्टून और कॉमिक पर गूगल करता, तो सोचिये उसे क्या दिखता; उसे मेरा काम दिखता। और 'द ९९' तो सुपरहीरो बन गये मानो दुनिया के काम धाम से अलग उडे जा रहे हों। और उस से बहुत तरह की चीजें हुईं, कई विद्यालयों और यूनिवर्सिटियों के पाठ्यक्रम में शामिल होना -- मेरी पसंदीदा तस्वीर है दक्षिणी एशिया से, कुछ आदमी थी लंबी दाढी वाले और तमाम सारी लडकिया नकाब पहने हुए -- स्कूल जैसा लगता है। अच्छी खबर ये है कि ये सब 'द ९९' की कॉपी हाथ में ले कर मुस्करा रही हैं, और उन्होंने मुझे ढूंढ कर मेरे साइन करवाये। बुरी खबर ये है कि ये सब फ़ोटोकापियाँ थी, तो हमने इस से एक भी पैसा नहीं कमाया। (हँसी) हम 'द ९९' का लाइसेंसे देने में कामयाब हुए हैं, अब तक आठ भाषाओं में, चीनी, इन्डोनीशियन, हिंदी, उर्दू, तुर्की। एक लाइसेंस के अंतर्गत कुवैत में डेढ साल पहले थीम पार्क भी खुला है जिसे 'द ९९' विलेज थीम पार्क कहते हैं, ३००,००० वर्ग फ़ुट, २० झूले, हमारे किरदारों के साथ। स्पेन और तुर्की में कुछ लाइसेंस स्कूलों में इस्तेमाल के लिये। मगर अभी तक का सबसे बडा काम, जो कि बहुत मज़ेदार है, ये है कि हमने २६ कडियों का एनीमेशन धारावाहिक बनाया है, जो कि विश्व भर के दर्शकों के लिये है, और तो और, अब हम अमरीका और तुर्की में इसे पहुँचाने वाले हैं। ये थ्री-डी, सी.जी.आई है, जो बहुत उम्दा क्वालिटी का है, इसे हॉलीवुड में लिखा गया है, बेन १० के लेखकों द्वारा और स्पाइडरमेन, और स्टार वार्स के लेखकों के द्वारा। इस विडियो में मैं आपको दिखाऊँगा वो जो कभी सार्वजनिक नहीं किया गया, ये एक ज़ोर-आजमाइश चल रही है। दो किरदारों, जब्बर, जिसके पास तमाम डोले शोले हैं, और नूरा, जो कि रोशनी का इस्तेमाल जानती है, ने वही नौकरों वाली स्लेटी वर्दी पहनी हुई है क्योंकि उनका इस्तेमाल हो रहा है। उन्हें पता भी नही है, है न। और ये कोशिश कर रहे है कि 'द ९९' में से एक और उनसे जुड जाये। तो पूरी टीम में एक मतभेद है। तो ज़रा लाइट्स..... ["द ९९"] जब्बर: दाना, समझ नही आता कहाँ से पकडूँ। मुझे और रोशनी चाहिये। क्या हो रहा है? दाना: यहाँ बहुत अँधेरा है। रुघल: कुछ तो ज़रूर कर सकते होंगे हम। आदमी: मैं एक भी और कमांडो नहीं भेजूँगा बिना सुरक्षा के वादे के। डॉ. रज़ेम: मिकोलोस, जाने का वक्त आ गया है। मिकोलोस: फ़ाइल तो डाउनलोड पूरी करनी ही है। मैं आंटी को भूल नहीं सका। जब्बर: मैं तुम्हारे बिना ये नहीं कर सकता। दाना: मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकती। जब्बर: तुम कर सकती हो, अगर तुम्हें स्वयं पर विश्वास नहीं, तब भी। मुझे तुम पर भरोसा हो। तुम नूरा हो - खुद रोशनी। दाना: नहीं। मैं इसके लायक नहीं। मैं किसी चीज के लायक नहीं। जब्बर: तो फ़िर हम सब का क्या होगा? क्या हम बचाए जाने के लायक नही? क्या मैं भी? बताओ मुझे, किस तरफ़ जाना है। दाना: उस तरफ़। अलार्म: खतरा नज़दीक। जब्बर: आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। मिकोलोस: मुझसे दूर रहो। जब्बर: हम तुम्हारी मदद करने आये हैं। डॉ. रजेम: उनकी बात मत सुनो। दाना: मिकोलोस, वो आदमी तुम्हारा दोस्त नहीं है। मिकोलोस: नहीं, उसने मुझे पासवर्ड दिया, और तुम {०००} को रीबूट करना चाहते हो। नहीं होगा ऐसा। ["द ९९"] धन्यवाद। (अभिवादन) तो 'द ९९' तकनीक है; मनोरंजन है; डिजाइन है, रूपरेखा है। मगर ये सिर्फ़ आधी ही कहानी है। पाँच बेटों के पिता के रूप मे, मुझे चिंता होती है कि उनके आदर्श कौन लोग बनेंगे। मुझे चिंता होती है,क्योंकि मेरे आसपास, परिवार कुनबे में, मैं धर्म को गलत तरीके से इस्तेमाल होते देखता हूँ। एक मनोवैज्ञानी के तौर पर, मैं चिंतित सारे विश्व को ले कर और इस बारे में कि लोग खुद को कैसे देखते हैं, मेरे इलाके में। देखिये, मैं एक मनोवैज्ञानिक हूँ, और न्यूयार्क में प्रेक्टिस के लिये लाइसेंसधारी हूँ। मैने बेलेवु हस्पताल में राजनैतिक यातना भुगते लोगों के साथ काम किया है। और मैनें तमाम कहानियाँ सुनी लोगों की जो बडे हुए अपने नेताओं को अपना आदर्श मानते हुए, और अंततः उन्होंने अपने हीरो द्वारा ही यंत्रणा दी गयी। और यंत्रणा तो वैसी ही प्रचंड चीज़ है, मगर जब आपके आदर्श हीरो के हाथों हो, तो ये आपको कई तरीके से तोड डालती है। मैने बलुवे छोडा, बिज़नस स्कूल गया, और ये शुरु किया। एक और बात जो मैं कहता हूँ जब मैं -- इस संदेश के महत्व के बारे में -- वो ये है कि मैं कुवैत विश्वविद्यालय के मेडिकल स्कूल में लेक्चर देता हूँ जहाँ मैं व्यवहार के जीव-विज्ञानी कारणों को पढाता हूँ, और मैने अपने विद्यार्थियों को दो आलेख दिये, एक न्यूयार्क टाइम्स का, और एक न्यूयार्क मैगज़ीन का। और मैने उनके लेखकों के नाम छुपा दिय -- सब कुछ गायब कर दिया सिवा तथ्यों के। और पहला आलेख 'पार्टी ऑफ़ द गॉड' नामक एक ग्रुप पर था, जो कि वैलेन्टाइन डे पर रोक लगाना चाहते थे। और लडके लडकियों को मज़ाक करते पकडने पर उनकी तुरंत शादी करवा देना चाहते थे, ठीक? और दूसरा था एक औरत के बारे में जो शिकायत कर रही थी क्योंकि तीन गाडियों से छः दढियल मर्द उतरे, उसे पकडा और वहीं पर पूछताछ शुरु कर दी ऐसे आदमी से बतियाने के लिये जो उसका रिश्तेदार न था। मैने कुवैत में अपने विद्यार्थियों से पूछा कि उनके हिसाब से ये घटनायें कहाँ हुई होंगी। पहला वाला, उन्होंने कहा, साउदी अरब - और वो बिलकुल निश्चित थे। और दूसरे वाले में, अलग अलग विचार थे कि साउदी या फ़िर अफ़्गानिस्तान। जिस बात ने उनके होश उडा दिये वो ये थी कि पहला वाला भारत से था, और ये एक हिंदू भगवान की पार्टी थी। और दूसरा न्यूयार्क के ठीक बीच में हुआ था। एक रूढिवादी यहूदी समुदाय में। मगर जो बात मेरा दिल दुखाती है, और खतरनाक है वो ये कि इन दो बातचीतों मे, जो आसपास के लोग थे, जिनका साक्षात्कार भी लिया गया था, इस व्यवहार को तालिबानगिरी कहते हैं। दूसरे शब्दों में, अच्छे हिन्दू और अच्छी यहूदी ऐसा बर्ताव नहीं करते। ये हिन्दू धर्म पर और यहूदी धर्म पर इस्लाम का असर है। मगर कुवैत के विद्यार्थियों ने क्या कहा? उन्होंने कहा - ये तो हम ही हैं। और ये खतरनाक है। ये खतरनाक है जब कोई समुदाय इस व्यवहार को अपने व्यवहार सा पाने लगे। ये मेरा बेटा है रायन, और इसे स्कूबी डू की लत लग चुकी है। इसके चश्मे से साफ़ ज़ाहिर है। एक दिन इसने मुझे परेशान करने वाल बच्चा कहा। (हँसी) मगर मैने इस से कुछ सीखा है। पिछली गर्मी में जब हम अपने न्यूयार्क के घर में थे, ये बाहर लान में खेल रहा था। और मैं अपने ऑफ़िस में काम कर रहा था। और ये आया, "बाबा, अभी मेरे साथ चलो। मुझे खिलौना दिलवाओ।" "हाँ, रायन, अभी तुम जाओ।" उसने अपना स्कूबी डू अपने घर में छोड दिया था, मैने कह, "अभी तुम जाओ। मैं कुछ कर रहा हूँ।" और रायन ने क्या किया। वहीं बैठ गया, अपने पैर से फ़र्श पर ताल लगाई, साढे तीन मात्रा में, और मेरी तरफ़ देख कर बोला, "बाबा, मैं चाहता हूँ कि आप मेरे साथ मेरे घर में मेरे ऑफ़िस में चलें। मुझे कुछ काम करना है।" (हँसी) (अभिवादन) रायन ने स्थिति को पलट दिया था, और खुद को मेरे स्तर पर ला खडा किया था। (हँसी) और 'द ९९' का इस्तेमाल कर के, यही हम भी करना चाहते हैं। मुझे लगता है कि बडा भारी संबंध है क्रूस को मरोडने में, और स्वास्तिक बनाने में। और जब मै अभिभावकों और अंकलों की ऐसी तस्वीर देखता हूं जिन्हें लगता है कि ये प्यारा बात है कि बच्चे हाथ में कुरान और कमर पर आत्मघाती बम बाँध कर घूमें किसी बात के विरोध में, मेरी आशा बचती है ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक चीज़ों को कुरान से जोडने में, कि एक दिन हम इस बच्चे को उन बातों पर गर्व करने से रोक सकेंगे जिन पर वो अभी करता है, और दूसरी बात पर गर्वांवित देखेंगे। और मुझे लगता है -- मुझे लगता है कि 'द ९९' में शक्ति है, और वो ऐसा कर सकेगा। तुफ़्त विश्वविद्यालय के स्नातक विद्यार्थी के रूप में, एक दिन हम मुफ़्त फ़लाफ़ल बाँट रहे थी, और शायद उस दिन, मध्य-पूर्व दिवस था। और लोग आ रहे थे, और ले रहे थे, फ़लाफ़ल की सांस्कृतिक छवि को, खा रहे थी, और बातचीत कर के लौट रहे थे। और कोई भी दो लोग इस बात पर अलग नहीं थे कि मुफ़्त शब्द क्या होता है और फ़लफ़ल शब्द क्या होता है, हमारे पीछे लिखा था - मुफ़्त फ़लाफ़ल। समझे आप। (हँसी) या हम शायद ऐसा सोच रहे थे, जब तक हमारे पास एक औरत नही आयी और अपना बैग जमीन पर पलट कर, और उस बैनर की तरफ़ इशारा कर के बोली, "फ़लाफ़ल कौन है?" (हँसी) सच घटना है ये। (हँसी) वो अभी अभी अमनेस्टी इंटरनेशनल की मीटिंग से लौटी थी। (हँसी) आज ही, डी.सी. कॉमिक ने घोषणा की है हमारे नये कॉमिक के कवर की। उस पर आपको बैटमैन दिखेगा, सुपरमैन दिखेगा और पूरी तरह से ढकी हुई वंडर वुमन दिखेगी हमारे 'द ९९' के साउदी सदस्य के साथ, हमारे अमीरात के सदस्य और , हमारे लिब्या के सदस्य के साथ। अप्रैल २६ २०१० को, राष्ट्रपति बैरक ओबामा ने कहाकि उनके प्रसिद्ध काइरो भाषण से ले कर अब तक हुये प्रयासों में -- जिन में उन्होंने मुस्लिम दुनिया से जुडना चाहा है -- सबसे जबरदस्त है 'द ९९' का जुडना जस्टिस लीग ऑफ़ अमेरिका के साथ। हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहाँ मासूम से मासूम सांस्कृतिक चिन्हों जैसे कि फ़लाफ़ल, का गलत अर्थ लगाया जा सकता है संकीर्ण विचारधारा के चलते, और जहाँ धर्म को तोड-मरोड कर परोसा जा सकता है और वैसा बनाया जा सकता है जैसा वो नहीं है। ऐसी दुनिया में, सुपरमैन और 'द ९९; के लिये हमेशा ही काम बाकी रहेगा। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियों सहित अभिवादन) क़रीब दस साल पहले मैंने स्वेडिश छात्रों को वेश्विक विकास पढ़ाने का ज़िम्मा लिया। अध्ययन के प्रति लालयित होने के साथ-साथ अफ्रीका के अफ्रीकी संस्थानों के साथ क़रीबन 20 साल गुज़ार कर मुझसे विश्व के बारे में कुछ जानने की आशा की जाती थी। और मैंने अपनी चिकित्सकीय विश्वविधालय करोलिन्स्का संस्थान, एक पूर्वस्नातक पाठ्यक्रम शुरू किया। लेकिन जब आपको सुअवसर मिलता है तो आप नर्वस हो जाते हैं। इन छात्रों के उच्चतम ग्रेड हैं जो स्वेडिश कालेज प्रणाली में मिलते हैं- इसलिए इन छात्रों को वह सब आता होगा जो मैं इन्हें पढ़ाने वाला हूँ। इसलिए जब वे आये तो मैंने एक पूर्व-परीक्षा ली। और जिन प्रश्नों से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला उनमें से एक था: "इन पाँच युग्मों में से कौन से देश की बाल मृत्युदर सबसे अधिक है?" और मैंने प्रश्नों को एक साथ रख दिया, जिससे कि प्रत्येक देश के युग्म में, दूसरे देश की अपेक्षा बाल मृत्युदर दोहरी हो। और इसका अर्थ है कि आंकड़ों की अनिश्चितता की अपेक्षा यह एक बड़ा अंतर है। यहाँ मैं आपकी परीक्षा नहीं लूँगा, लेकिन यह देश टर्की है, जिसकी बाल मृत्युदर पोलेन्ड, रूस, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका की अपेक्षा सबसे अधिक है। और ये स्वेडिश छात्रों के परिणाम थे। मैंने इसे किया था इसलिए मैंने विश्वास अन्तराल प्राप्त किया, जोकि थोड़ा-सा अनुदार है, और मैं खुश हो गया, निश्चय ही पाँच सम्भावित जवाबों में 1.8 सही थे। इसका अर्थ है कि अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य (हँसते हुए) और मेरे पाठ्यक्रम के लिए एक प्रोफेसर की ज़रूरत थी। लेकिन एक देर रात, जब मैं रिपोर्ट इकट्ठी कर रहा था तो मैंने अपनी खोज के बारे में महसूस किया। कि स्वेडिश के शीर्ष छात्र भी गणना के आधार पर आवश्यकतानुसार विश्व के बारे में चिंपैंजी से भी कम जानते हैं। (हँसते हुए) क्योंकि अगर मैं चिंपैंजी को दो केले दे दूँ, तो वह श्रीलंका और टर्की के बारे में आधा सही बता देंगे। इन सवालों का वे आधे सही जवाब तो दे ही देंगे। लेकिन ये छात्र ऐसा नहीं कर सकते। यह समस्या अज्ञानता की नहीं थी: यह पूर्व कल्पना विचार थे। मैंने कारोलिंसका संस्थान के प्रोफसरों का भी अनीतिपरक अध्ययन किया (हँसते हुए) -- जो औषधि में नोबल पुरस्कार प्राप्त हैं, और वे वहाँ चिंपैंजी के तुल्य हैं। (हँसते हुए) तभी मुझे एहसास हुआ कि विश्व में क्या हो रहा है के आंकड़े और प्रत्येक देश के देश के बच्चे के स्वास्थ के बारे में जानने की ज़रूरत है। हमने यह सोफ्टवेयर बनाया जो इसे इस तरफ़ दर्शाता है : यहाँ प्रत्येक बुलबुला एक देश है। यहाँ यह देश चीन है। यह भारत है। बुलबुले का आकार जनसंख्या है, और यहाँ अक्ष रेखा पर मैं उत्पादन दर को रखता हूँ। क्योंकि मेरे छात्र, जब वे दुनिया को देखते हैं, वे कहते हैं, जब मैं उनसे पूछ्ता हूँ, "आप दुनिया के बारे में वास्तव में क्या सोचते हैं?" ठीक है, मैंने पहले यह परिणाम निकाला कि पाठ्य-पुस्तक मुख्यतया झुनझुना थी। (हँसते हुए) और उन्होंने कहा, "दुनिया महज 'हम' और 'वे' है। और हम पश्चिमी दुनिया है और वे तीसरी दुनिया।" "और पश्चिमी दुनिया से आपका क्या तात्पर्य है?" मैंने पूछा। "हाँ, उसका जीवन लम्बा और परिवार छोटा है, जबकि तीसरी दुनिया का जीवन छोटा परिवार बड़ा है।" तो यह सब में यहाँ प्रदर्शित कर सकता हूँ। मैं यहाँ उत्पादन दर को रखता हूँ: प्रति औरत बच्चों की संख्या, एक, दो, तीन, चार, प्रति औरत बच्चों की संख्या क़रीबन आठ तक। 1962 तक हमारे पास बहुत अच्छे आंकड़े हैं – 1960 में सभी देशों के परिवार के आकार्। त्रुटि हाशिया संकीर्ण है। यहाँ में कुछ देशों में जीवन प्रत्याशा, 30 साल से क़रीबन 70 साल रखता हूँ। और 1962 में यहाँ देशों का एक समूह था। वे औधोगिक देश थे, जिनमें परिवार छोटे और जीवन आयु लम्बी होती थी। और ये विकासशील देश थे: इनमें परिवार बड़े और जीवन आयु छोटी होती थी। अब 1962 से क्या हुआ है? हम बदलाव देखना चाहते हैं। क्या छात्र सही कह रहे हैं? क्या अभी भी दो प्रकार के देश हैं? या इन विकासशील देशों के परिवार अधिक छोटे हो गये हैं और वे यहाँ रह रहे हैं? या उनकी जीवन आयु बढ़ गयी है और वहाँ रह रहे हैं? आओ देखें। तब हमने दुनिया को रोक दिया। यह पूर्ण यूएन गणना है जो उपलब्ध रही है। हम यहाँ आते हैं। क्या आप वहाँ देख सकते हैं? यह चीन है, वहाँ स्वास्थ्य बेहतर हो रहे हैं, सुधार हो रहा है। सभी हरित लेटिन अमेरीकी देश छोटे परिवारों में तब्दील हो रहे हैं। यहाँ खाड़ी देश पीले रंग से दर्शाये गये हैं, उनके परिवार बड़े हैं, लेकिन उनकी न, तो लम्बी आयु है, और न ही, परिवार बड़े हो पाते हैं। यहाँ नीचे अफ्रीकी दिखाये गये हैं। वे अभी भी यहाँ हैं। यह भारत है। इंडोनेशिया बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। (हँसते हुए) और 80 के दशक में, वहाँ बंगलादेश अफ्रीकी देशों के बीच में था। लेकिन अब, बंगलादेश— में भी 80 के दशक में चमत्कार हो गया है। इमामों ने परिवार योजना को प्रोत्साहन देना शुरू कर दिया है। वे उस कोने से निकलकर आगे बढ़े और 90 में हम एचआईवी की भयंकर आपदा झेलते हैं जिससे अफ्रीकी देशों की जीवन प्रत्याशा नीचे आ जाती है और बाकी सब कोने में खिसक जाते हैं जहाँ आयु लम्बी और परिवार छोटे हैं, और हमारा एक पूर्णतया नया संसार बनता है। (करतल ध्वनि) मुझे सीधे संयुक्त राष्ट्र अमेरीका और वियतनाम में तुलना करने दो। 1964: अमेरिका के परिवार छोटे और लोगों की आयु लम्बी होती थी, वियतनाम के परिवार बड़े और लोगों की जीवन आयु छोटी होती थी, और जो होता है वह यह है: युद्ध के दौरान के आंकड़े दर्शाते हैं कि मृत्यु के वावजूद भी जीवन प्रत्याशा में सुधार आया। साल के अंत तक, वियतनाम में परिवार योजना शुरू हो गई और उनके परिवार छोटे होने लगे। और संयुक्त राष्ट्र में परिवार को सीमित कर लम्बा जीवन जीने लगे हैं और अब 80 में, वे सामाजिक योजना को त्यागकर बाज़ार अर्थव्यवस्था की और ध्यान देते हैं और यह सामाजिक जीवन से भी अधिक तेज़ गति से चलती है और आज, हमारे वियतनाम में जीवन की समान आशा और परिवार का समान आकार है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र में, 1974 में युद्ध के अंत था। मैं सोचता हूँ कि – कि यदि हम आंकड़े पर नज़र न डालें तो, एशिया में हुए आश्चर्यजनक परिवर्तन को हम कम आंकते हैं जोकि आर्थिक परिवर्तन की अपेक्षा सामाजिक परिवर्तन में पहले देखने को मिला। आओ अब दूसरी तरफ़ रुख़ करें जहाँ हम विश्व में आय के वितरण को देख सकते हैं। यह विश्व के लोगों की आय का वितरण है। प्रतिदिन एक डालर, 10 डालर या 100 डालर। अब अमीर और ग़रीब में ज़्यादा अंतर नहीं है। यह केवल एक मिथ्याभास है। यहाँ थोड़ी सी कमी है। लेकिन सभी तरफ़ लोग ही लोग हैं। और अगर हम वहाँ देखें जहाँ आय ख़त्म होती है- यह आय विश्व की वार्षिक आय की 100 प्रतिशत है, कुल सबसे अधिक अमीर 20 प्रतिशत हैं जिनकी आय क़रीबन 74 प्रतिशत है और सबसे ग़रीब 20 प्रतिशत हैं जिनकी आय 2 प्रतिशत है और यह दर्शाता है कि विकासशील देशों की संकल्पना अत्याधिक संदेहयुक्त है। हम सहायता राशि के बारे में सोचते हैं, जैसे कि यह लोग इन लोगों को सहायता राशि प्रदान कर रहे हैं, लेकिन बीच में अधिकांश विश्व की जनसंख्या है, और अब वह आय की 24 प्रतिशत है। हमने इसके बारे में दूसरे रूप में सुना। और ये कौन हैं? विभिन्न देश कहाँ हैं? मैं आपको अफ्रीका दिखा सकता हूँ। यह अफ्रीका है, विश्व की जनसंख्या का 10 प्रतिशत। यहाँ सबसे ज़्यादा ग़रीबी है। यह ओईसीडी है। अमीर देश। संयुक्त राष्ट्र का कंट्री क्लब। और वे यहाँ इस तरफ़ हैं। अफ्रीका और ओईसीडी के बीच पूर्णतया एक से दूसरा किनारा। और यह लेटिन अमेरीका है। यहाँ इस धरती ग्रह पर उपलब्ध सबकुछ है। ग़रीबी से लेकर अमीरी तक और उसके शीर्ष पर, हम पूर्वी यूरोप को रख सकते हैं, हम पूर्वी एशिया को रख सकते हैं। और हम दक्षिणी एशिया को रख सकते हैं। और कहीं अगर हम वापस 1970 के समय में चले जायें, तो कैसा लगेगा? और भी ज़्यादा अंतर। और जो सबसे ज़्यादा ग़रीबी में जीवन-यापन करते हैं वे हैं एशियाई लोग। एशिया की ग़रीबी विश्व की समस्या थी। और अगर मैं अब विश्व को आगे बढ़ने दूँ, तो आप देखोगे कि जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ेगी, एशिया में अरबों लोग ग़रीबी से बाहर आयेंगे और कुछ अन्य ग़रीबी में आ जायेंगे, आज हमारा यही स्वरूप बन गया है। और विश्व बैंक की सर्वश्रेष्ठ परिकल्पना यही है कि ऐसा होगा, और हमारा विश्व बंट नहीं पायेगा। मध्य में सबसे अधिक लोग नहीं होंगे। निस्संदेह यह लघुगणक पैमाना है। लेकिन हमारी आर्थिक व्यवस्था का संकल्प प्रतिशत के साथ विकास है। हम इसे प्रतिशतता वृद्धि की संभावना के रूप में देखते हैं। अगर मैं इसे बदल दूँ, और जीडीपी को पारिवारिक आय की अपेक्षा प्रति व्यक्ति लूँ, और इन व्यक्तिगत आंकड़ों को कुल घरेलु उत्पाद के क्षेत्रीय आँकड़ों के आधार पर लूँ और यहाँ क्षेत्र को नीचे कर दूँ, तो बुलबुले का आकार अभी भी जनसंख्या होगा। आप वहाँ ओईसीडी देखें और वहाँ उप-सहारा अफ्रीका और यहाँ हम अफ्रीका और एशिया दोनों से आकर खाड़ी राज्यों की ओर रूख़ करते हैं। और हम उन्हें अलग-अलग रखेंगे। और हम इस अक्ष रेखा का विस्तार कर सकते हैं, सामाजिक मूल्य, बाल जीवन को शामिल कर, और यहाँ मैं इसे एक नया परिमाण दे सकता हूँ, अब उस अक्ष पर मेरे पास पैसा है, और सम्भवता बच्चें संघर्ष कर सकते हैं। कुछ देशों में 99-7 प्रतिशत बच्चे पाँच साल की उम्र से संघर्ष करना शुरू कर देते हैं, और दूसरे देशों में सिर्फ़ 70 प्रतिशत। और यहाँ ओईसीडी और लेटिन अमेरिका, पूर्वी यूरोप, पूर्वी एशिया, खाड़ी देश, दक्षिणी एशिया, और उप-सहारन अफ्रीका के मध्य अंतर दिखलाई पड़ता है। बाल संघर्ष और धन के बीच अनुरेखीय बहुत सशक्त होता है। लेकिन मुझे उप-सहारन अफ्रीका पर आने दो। वहाँ स्वास्थ्य है और बेहतर स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता है। मैं यहाँ आ सकता हूँ और मैं उप-सहारन अफ्रीका से इसके देशों पर आ सकता हूं और जब यह फूटता है, तो देश के बुलबुले का आकार जनसंख्या का आकार होता है। सिएरा रोआंन वहाँ नीचे है। मोरिशस वहाँ ऊपर है। मोरिशस व्यापारिक बंधनों को तोड़ने वाला पहला देश था। और उसने अपनी चीनी का निर्यात किया। यूरोप और उत्तरी अमेरिका के लोगों की ही तरह मोरिशस के लोग भी समान शर्तों पर अपना कपड़ा बेच सके। अफ्रीका में बहुत बड़ा अंतर है। और घाना यहाँ मध्य में है। सिएरा रोआंन, मानवीय अनुदान, यूगांडा में विकास अनुदान, यहाँ समय का निवेश, यहाँ आप छुट्टियां बिताने जा सकते हैं। अफ्रीका में यह एक आश्चर्यजनक अंतर है जिसे हम कदाचित मान सकते हैं- जो सब चीजों के समान है। यहाँ से में दक्षिण अफ्रीका को अलग कर सकता हूँ। बीच में भारत एस बड़ा बुलबुला है। लेकिन अफगनिस्तान और श्रीलंका में एक बहुत बड़ा अंतर है मैं खाड़ी देशों में जा सकता हूँ। वे कैसे हैं? एक जैसी जलवायु, एक जैसी संस्कृति, एक जैसा धर्म। बहुत बड़ा अंतर। पड़ोसियों में भी। येमिन, धर्मनिरपेक्ष युद्ध। संयुक्त अरब अमीरात, धन जोकि बिल्कुल बराबर था और उसका सही इस्तेमाल होता था। यह कोई मिथ्याबोध नहीं और इसमें विदेशी कर्मचारियों के बच्चें, जो देश में हैं, भी शामिल हैं। आपके सोचने की अपेक्षा आंकड़े प्राय बेह्तर होते हैं। अधिकतर लोग कह्ते हैं कि आंकड़े अच्छे नहीं होते। अनिश्चितता की गुंजाइश है, लेकिन हम यहाँ अंतर देख सकते हैं: कम्बोडिया, सिंगापुर। आंकड़ों की दुर्बलता की अपेक्षा अंतर बहुत बड़ा है। पूर्वी यूरोप में लम्बे समय तक सोवियत अर्थव्यवस्था रही, लेकिन दस साल बाद वहां सबकुछ बिलकुल अलग था। लेटिन अमेरिका को लीजिए आज लेटिन अमेरिका में स्वस्थ देहात खोजने के लिए हमें क्यूबा जाने की ज़रूरत नहीं है। अब कुछ सालों में चिले में क्यूबा की अपेक्षा कम बाल जन्मदर होगी। और यहाँ ओईसीडी में हम उच्च-आय वाले देश देखते हैं। और पूरे विश्व का प्रारूप देखने को मिलता है जोकि क़रीब-क़रीब इस तरह है। और अगर हम इसे देखते हैं, तो, 1960 में विश्व किस तरह दिखता है, यह जानना होगा। यह ट्से-तुन्ग है, जो चीन में स्वास्थ्य लेकर आया और फिर उसका स्वर्गवास हो गया। और फिर डेन्ग कषिअओपिन्ग चीन में धन लाया, और एकबार फिर चीन मुख्यधारा से जुड़ गया। और फिर हम देख चुके हैं कि किस तरह देशों ने इस तरह विभिन्न दिशाओं में रूख़ किया। इसलिए कोई ऐसा देश जो विश्व प्रारूप का प्रदर्शन करें का उदाहरण प्रस्तुत करना मुश्किल काम है। मैं आपको फिर से यहाँ 1960 पर वापिस लाना चाहूँगा। मैं दक्षिण कोरिया, जोकि यह है, की तुलना ब्राज़ील, जोकि यह है, से करना चाहूँगा। नामपट्टी मुझे यहाँ ले आयी। और मैं युगांडा, जोकि वहाँ है, की तुलना करना चाहूँगा, और इस तरह मैं इसे आगे बढ़ा सकता हूँ। और आप देख सकते हैं कि दक्षिण कोरिया किस तरह बहुत तेज़ी से विकास कर रहा है। जबकि ब्राज़ील का विकास कितना धीमा है। और अगर हम फिर वापिस यहाँ आयें, और उनका, इस तरह अनुसरण करें, तो आप देख सकते हैं कि विकास की गति बिल्कुल अलग है, और राष्ट्र क़रीबन-क़रीबन उसी दर से आगे बढ़ रहे हैं जिस दर से धन और स्वास्थ्य, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि अगर आप पहले धनी होने की अपेक्षा स्वस्थ पहले हो जायें तो अधिक तेज़ गति से आगे बढ़ सकते हैं और दिखा सकते हैं कि, आप संयुक्त अरब अमीरात के मार्ग पर चल सकते हैं। वह खनिज पदार्थ वाल देश के रूप में प्रस्तुत हुआ। उसने अपने तेल को भुनाया, पैसा कमाया, लेकिन स्वास्थ्य सुपरबाज़ार में नहीं बिकता। आपको स्वास्थ्य में निवेश करना होता है। आपको स्वास्थ्य के लिए शिक्षण लेना होता है। आपको स्वास्थ्य स्टाफ को प्रशिक्षित करना होता है। आपको अपने देशवासियों को पढ़ाना होता है। और शेख सय्येद ने इसे बहुत अच्छी तरह से कर दिखाया। और तेल मूल्य गिरने के बावजूद भी, उन्होंने इस देश का विकास किया। इसलिए हम विश्व की मुख्यधारा की सम्भावना के बारे में बहुत कुछ जान चुके हैं, कि आज सभी देश अतीत की अपेक्षा अपने धन को कहाँ उपयोग करने के इच्छुक हैं। और, अगर आप सभी देशों के औसत आंकड़े देखें तो क़रीबन-क़रीबन यही स्थति है। अब औसत आंकड़ों का इस्तेमाल करना भी ख़तरनाक है, क्योंकि देश-देश में ज़मीन-आसमान का अंतर है। तो अगर यहाँ जाकर यह देखूँ तो हम देख सकते हैं कि आज युगांडा जहाँ है दक्षिण कोरिया वहाँ 1960 में ही पहुँच चुका था। अगर मैं युगांडा को छोड़ दूँ, युगांडा में पूर्णतया अंतर है। यह युगांडा का सार है। युगांडा के 20 प्रतिशत अमीर वहाँ हैं। और ग़रीब वहाँ नीचे। अगर मैं दक्षिण अफ्रीका को छोड़ दूं, तो वह ऐसा है। अगर आप नीचे जाकर नाइजीरिया को देखें, जहाँ इतना भयंकर अकाल पड़ा है, नाइजीरिया के 20 प्रतिशत सर्वाधिक ग़रीब यहाँ हैं, और दक्षिण अफ्रिका के 20 प्रतिशत सर्वाधिक अमीर वहाँ हैं, और फिर भी, हम इस बात पर चर्चा करने की इच्छा रखते हैं कि अफ्रिका का क्या समाधान होना चाहियें। अफ्रीका में वह सब विधमान है जो इस दुनिया में है। और आप एचआईवी की सर्वव्यापी पहुँच पर उस सार के साथ जो यहाँ ऊपर है उसी योजना के साथ जो नीचे है, चर्चा नहीं कर सकते। विश्व सुधार अत्यधिक प्रासंगिक होना चाहिए, और इसका क्षेत्रीय स्तर पर होना अनुरूप नहीं है हमारे पास और ज़्यादा जानकारी होनी चाहिए। हम पाते हैं कि जब छात्र इसका उपयोग कर सकते हैं तो वे बहुत ज़्यादा उतेजित हो जाते हैं। और नीति-निर्माता त्तथा व्यावसायिक क्षेत्र भी यह जानना चाह्ते हैं कि विश्व कैसे बदल रहा है? अब ऐसा क्यों नहीं होता ? हम उन आकंड़ों का इस्तेमाल क्यों नहीं करते जो हमारे पास हैं? हमारे पास ये आंकड़े संयुक्त राष्टों, राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसियाँ, विश्वविद्यालय और ग़ैर-सरकारी संगठनों में उपलब्ध हैं। चूँकि आंकड़े डेटाबेस में छिपे हैं लोग इन्हें इंटरनेट पर देख सकते हैं फिर भी हम उनका प्रभावपूर्ण तरीक़े से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। विश्व में परिवर्तन में जो कुछ सूचनाएँ हमने देखीं में, सार्वजनिक -निधि गणनायें शामिल नहीं हैं। इस तरह के कुछ वेबपेज हैं, लेकिन वे डाटाबेस की पुष्टि करते हैं। लेकिन लोग उन पर पैसा चार्ज करते हैं, अरोचक पासवर्ड बनाते हैं, और गणनाएँ भी ऊबाऊ होती हैं। (हँसते हुए) (करतल ध्वनि) और इस तरह काम नहीं चलेगा। तो देखिए किस चीज़ की ज़रूरत है? हमारे पास डाटाबेस है। आपको नये डाटाबेस की ज़रूरत नहीं है। हमारे पास अदभुत डिज़ाइन टूल्स हैं। और ज़्यादा से ज़्यादा यहां जोड़े जा रहे हैं। इसलिए हमने एक गैर-लाभकारी उपक्रम शुरू किया है जिसे हमने लिकिंग डाटा टू डिज़ाइन नाम दिया-- हम इसे गेपमाइंडर कह्ते हैं। लंदन वाले आपको चेतावनी देते हैं, "माइंड द गेप" इसीलिए हमने सोचा कि गेपमाइंडर उचित है। और हमने उस सोफ्ट्वेयर पर लिखना शुरू किया जो इस तरह के आंकड़े को जोड़ सकता था। और यह मुश्किल काम नहीं था। इसमें कुछ वर्ष लगे और हमने एनिमेशन का सृजन कर दिया। आप एक डाटा सैट ले सकते हैं और वहाँ रख सकते हैं। हम संयुक्त राष्ट्र डाटा को मुक्त कर रहे हैं, कुछ संयुक्त राष्ट्र संगठनों के। कुछ देश यह स्वीकार करते हैं कि उनका डाटाबेस विश्व में प्रसारित किया जा सकता है, लेकिन वास्तव में हमें जिस चीज़ की आवश्यकता है वह है, सर्च फंग्शन (खोज संचालन)। सर्च फंग्शन में हम डाटा को सर्चेबल फार्मेट में कोपी कर सकते हैं। और पूरे विश्व में प्रसारित कर सकते हैं। और जब हमें अपने आस-पास क्या सुनने को मिलता है? मैंने मुख्य परिगणन ईकाई में डिप्लोमा किया है। हर कोई कह्ता है -- "यह असम्भव है। ऐसा नहीं हो सकता। हमारी सूचना का वर्णन इतना निजी है कि इसे सर्च नहीं किया जा सकता जैसा कि दूसरे सर्च करते हैं" हम छात्रों को मुफ़्त डाटा प्रदान नहीं कर सकते, विश्व के उधमियों को भी नहीं।" लेकिन यही वह है जो हम देखना चाह्ते हैं, क्या नहीं? सार्वजनिक - विधि डाटा यहाँ डाउन करें। और हम नेट पर फूल उगाना चाहते हैं। और उनमें सबसे निर्णायक पहलुओं में से एक उन्हें सर्च करना है, और फिर लोग इसे वहाँ एनिमेट करने के लिए विभिन्न टूल का उपयोग कर सकते हैं। और मेरे पास आपके लिये एक अच्छी ख़बर है। यह अच्छी ख़बर यह है कि, संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी का वर्तमान मुखिया ऐसा नहीं कहता है कि यह असम्भव है। वह सिर्फ़ इतना कहता है कि, "हम यह नहीं कर सकते।" (हँसते हुए) और वह बहुत ही बुद्धिमान व्यक्ति है? (हँसते हुए) तो आने बाले सालों में हम बहुत सारा डाटा देख सकते हैं। हम एक बिल्कुल नये तरीक़े से आय वितरण को देख सकेंगे। यह 1970 में चीन का आय वितरण है। और यह 1970 में यूनाइटेड स्टेटस का आय वितरण है। लगभग सब अलग-अलग और क्या हुआ है? जो हुआ है वह यह है कि चीन विकास कर रहा है, वह अब और ज़्यादा समान नहीं है। और यहाँ दिखलाई पड़ रहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र की उपेक्षा कर रहा है। सम्भवता एक भूत की तरह? (हँसते हुए) यह बहुत ही अजीब है। लेकिन मुझे लगता है कि ये सारी सूचनाएँ रखना बहुत ज़रूरी हैं। हमें वास्तव में इसे देखने की ज़रूरत है और इसे देखने की अपेक्षा मैं प्रति 1000 इंटरनेट उपयोगकर्ता को दिखाकर समाप्त करना चाहूँगा। इस सोफ्टवेयर में हम बड़ी आसानी से सभी देशों के क़रीबन 500 बदलने योग्य डाटाओं पर पहुंच बना लेते हैं। इसे बदलने में थोड़ा वक्त लगता है। लेकिन शीर्ष पर, आप आसानी से अपना पसन्दीदा परिवर्तन प्राप्त कर सकते हैं। और यह सब आपको सिर्फ़ एस सेकेंड में किलक करके, मुफ़्त डाटाबेस प्राप्त करने, उन्हें सर्च करने, उन्हें ग्राफिक फोर्मेट में पाने, जहां आप उन्हें आसानी से समझ सकते हैं, में मदद करता है। अब गणनाकार इसे पसन्द नहीं करते, क्योंकि वे कहते हैं। कि यह- वास्तविकता नहीं दिखलायेगा: हमें परिगणना, विश्लेषणात्मक विधियाँ अपनानी पड़ती हैं लेकिन इस परिकल्पना का सृजन होता है। और मैं उस संसार के साथ समाप्त करता हूँ जहाँ इंटरनेट आ रहा है। इंटरनेट उपयोग्कर्ता की संख्या इस तरह बढ़ रही है। यह प्रति व्यक्ति जीडीपी है। और यह नयी प्रोद्योगिकी आ रही है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, यह देशों की अर्थव्य्वस्था से कैसे अनुरूप होगी। इसीलिए 100 डालर के कम्प्यूटर भी इतने महत्वपूर्ण होंगे। लेकिन ये एक अच्छी आदत है। यह ऐसा है मानो विश्व एकरूप हो रहा है। क्या नहीं? ये देश अर्थव्यवस्था से कहीं ऊपर उठ रहे होंगे और वर्षों तक इसका अनुसरण करना रुचिप्रद होगा, जैसा कि समस्त सार्वजनिक-डाटा-निधि के साथ आप अनुसरण करने में समर्थ हों। ऐसी मैं आशा करता हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद्। करतल ध्वनि मै हू स्टुअर्ट डंकन, लेकिन मैं शायद "ऑटिज़्म पिता " के रूप में ऑनलाइन (इन्टरनेट पर ) ज्यादा जाना जाता हूँ। यह मैं इंटरनेट पर हूँ मुझे पता है कि समानता अलौकिक है. (हँसी) पर आज मैं थोडा माईनन्क्राफ्ट के बारे में बात करूँगा । यह मेरा माईनन्क्राफ्ट चरित्र है यदि आप इस खेल को ज्यादा नहीं जानते हैं, तो इसमे चिंता न करें यह माध्यम है जो मैंने ज़रुरत के लिए इस्तेमाल किया था एक समय पर . और जो मैं बात करने जा रहा हूँ वह लागू होता है ज़्यादातर हर स्थिति में . चार साल पहले, मैने एक माईनन्क्राफ्ट गेमसर्वर शुरू किया ऑटिज्म के बच्चों और उनके परिवार के लिए, और मैंने इसे "आर्टक्राफ्ट" कहा। और तब से, हम दुनिया भर के समाचारों में हैं, टेलीविजन और रेडियो और पत्रिकाओं में . बज फीड ने हमें "इंटरनेट पर सबसे अच्छी जगह "बताया. हम एक पुरस्कार विजेता शोध पत्र का विषय भी हैं जिसका नाम है "माइन क्राफ्ट एक उपयुक्त सहायक टेक्नोलॉजी ऑटिज़्म के युवाओं के लिए । " थोडा लम्बा है बोलने मैं पर आप समझ गए होंगे, तो मैं थोड़ा बात करूँगा उस शोध पत्र के बारे में और यह किसके बारे में है लेकिन पहले मुझे आपको थोड़ा सा इतिहास देना है कि हमारा सर्वर कैसे बना 2013 के समय में, हर कोई माईनन्क्राफ्ट खेल रहा था। बच्चे और व्यसक सभी समान रूप से, ऑटिज्म के साथ और उसके बिना भी । लेकिन यह एक बड़ी बात थी मैंने सोशल मीडिया पर माता-पिता को आपस मे जुडते देखा. पूछते हुए कि क्या उनके ऑटिस्टिक बच्चे एक साथ खेल सकते हैं कारण कि जब उन्होंने कोशिश की सार्वजनिक सर्वर पर खेलने के लिए, तो उन्हें बदमाश और फंसाने वाले लोग मिल जाते । ऑटिज्म होने पर आप थोड़ा अलग व्यवहार करते हैं कभी-कभी बहुत अलग तरीके से. और हम सब जानते हैं की थोडा से अंतर की ही ज़रुरत है एक धौंसिये को आपको अपना अगला लक्ष्य बनाने के लिए तो ये भयानक, भयानक लोग जो ऑनलाइन हैं, वे सब नष्ट कर देंते जो भी ये बच्चे बनाने की कोशिश करते, वे उनकी सभी चीजों चुरा लेते और वे उन्हें बार बार मार डालते , खेल को लगभग नामुमकिन बना देते . लेकिन सबसे खराब बात जो वेदना देती थी वो थी जो वे इन बच्चों को कहते थे . वे उन्हें अस्वीकार किये गए और नुक्स वाले और पिछडे हुए कहते . वे इन बच्चों को बताते, जिनमे कुछ मात्र छह साल की उम्र के थे कि समाज उन्हें नहीं चाहता है, उनके माता-पिता कभी खंडित बच्चा नहीं चाहते हैं इसलिए उन्हें खुद को मार देना चाहिए और हां, ये बच्चे, आप समझते हैं, गुस्से और चोट की हालत में बच्चे सर्वेरो से निकल जाते वे अपने कीबोर्ड को तोड़ देते, वे सचमुच खुद से नफरत करते, उनके माता-पिता अपने आप को असहाय समझते इसलिए मैंने फैसला किया कि मुझे कोशिश करनी चाहिए मै ऑटिज्म से पिडीत हू, मेरा बडा बेटा भी उससे पिडीत है मैं ,मेरे दोनो बेटो को यह खेल पसंद हैं| तो मुझे कुछ करना होगा| तो मैंने अपने लिए एक माईनन्क्राफ्ट सर्वर लिया| मैंने थोडे समय में एक छोटा गाँव बनाया कुछ सड़कों के साथ और बड़ा स्वागत चिह्न और एक आदमी और एक पहाड़ पर एक लॉज , और इसे आमंत्रित बनाने की कोशिश की। विचार बहुत आसान था। मेरी एक सफेद सूची थी, इसलिए केवल वही लोग जुडते जिन्हें मैं मंज़ूर करता, मैं जितनी हो सके सर्वर की सिर्फ निगरानी करने लगा . सुनिश्चित करने कि कुछ भी गलत नहीं हो । और बस यही एक वादा था: बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए जिससे वे खेल सकते थे . जब यह हो गया, तब मैं फेसबुक पर गया और मेरे दोस्तों को संदेश पोस्ट किया, पर सार्वजनिक रूप से नहीं . यह जानने कि किसी की इसमे कोई रुचि थी, क्या यह मदद कर सकेगा? पता लगा कि मेरे अंदाज़े से कहीं अधिक इसकी आवश्यकता थी , क्योंकि 48 घंटे के भीतर, मुझे 750 ईमेल मिले मेरे पास इतनी फेसबुक मित्र ही नहीं हैं (हँसी) आठ दिनों के भीतर, मुझे अपग्रेड करना पडा होस्टिंग पैकेज आठ बार, सबसे नीचे के पैकेज से सबसे महंगे पैकेज के लिए, और अब, लगभग चार साल बाद, मेरे पास सफेद सूची पर 8,000 नाम हैं दुनिया भर से। लेकिन असली वजह जो मैं यहाँ हूँ आज आप से बात करने के लिए इसलिए नहीं कि मैंने बच्चों को खेलने की सुरक्षित जगह दी बल्कि वो जो हुआ जब वे खेले थे। मैंने माता-पिता से सुना जिन्होने बताया की उनके बच्चे पदना और लिखना सीख रहे थे सर्वर पर खेलकर. पहले वे चीजों की वर्तनी करते थे ध्वनि से, ज़्यादातर बच्चों की तरह, लेकिन क्योंकि वे एक समुदाय का हिस्सा थे, उन्होंने अन्य लोगों को देखा उसी शब्द का ठीक से वर्तनी और बस इसे खुद अपना लिया. मैंने माता-पिता से सुना जिन्होंने कहा था कि उनके गैर वर्तनीय बच्चे बोलना शुरू कर रहे हैं वे केवल माईनन्क्राफ्ट के बारे में बात कर रहे थे (हँसी) कुछ बच्चों ने स्कूल में दोस्त बनाये पहली बार। कुछ बच्चों ने साझा करना शुरू किया , यह अद्भुत था। और हर एक माता पिता मेरे पास आए और कहा कि यह आर्टक्राफ्ट के कारण था, जो तुम कर रहे हो. लेकिन क्यों ? यह सब कैसे हो सकता है बस एक वीडियो गेम सर्वर से? जैसा की मैं शोध पत्र के बारे में बात कर रहा था। इसमें, कुछ दिशानिर्देशों को बताया गया है जिन्हें मैंने सर्वर पर बनाये थे , दिशानिर्देश जो प्रोत्साहित करेंगे लोगों को बेहतर करने के लिए मैं उम्मीद करता हूँ । उदाहरण के लिए, संचार. ऑटिज्म के बच्चों के लिए यह कठिन है. यह कठिन हो सकता है ऑटिज्म के बिना वयस्कों के लिए भी . बच्चों को दंडित नहीं किया जाना चाहिए, उसने बात की जानी चाहिए. नौ में से दस बार, जब बच्चे सर्वर पर सही बर्ताव नहीं करते, वह इसलिए, जब दिन में कुछ हुआ होता है स्कूल या घर पर शायद एक पालतू पशु मारा हो। कभी-कभी यह बस दो बच्चों की बातचीत में एक गलतफ़हमी. कोई नहीं बताता कि वे क्या करने वाला हैं. हम मदद का प्रस्ताव देते हैं. हम हमेशा बच्चों को बताते हैं सर्वर पर की हम पागल नहीं हैं, और वे मुसीबत में नहीं हैं; हम मदद करना चाहते हैं. यह दर्शाता है कि न सिर्फ हमें परवाह है, बल्कि हम उनका सम्मान करते हैं और उनका दृष्टिकोण सुनेंगे सम्मान एक लंबा रास्ता तय करता है और, यह उन्हें दिखाता है कि उनके पास जरूरत का सब कुछ है भविष्य में इन समस्याओं को अपने आप हल करने के लिए और शायद उनसे बचने के लिए भी , क्योंकि, आप जानते हैं, संचार अधिकांश सर्वर पर, जैसे वीडियो गेम मैं होता हैं, बच्चों को यानि, खिलाड़ियों पुरस्कृत किया जाता है, प्रतियोगिता में अच्छा खेलने के लिए , सही है ? जितना बेहतर खेलेंगे, उतना बेहतर इनाम मिलेगा. यह स्वचालित किया जा सकता है; सर्वर काम करता है, कोड है ओट्राफ्ट पर, हम ऐसा नहीं करते. हमारे पास कुछ है जैसे "प्लेयर ऑफ द वीक" और "सीबीए," यानि "बहुत बढ़िया है।" (हँसी) हम खिलाड़ियों को सर्वर पर रैंक देते हैं उनकी प्रदर्शित विशेषताओं के आधार पर, जैसे कि लोगों के लिए "बडी" रैंक जो दूसरों से दोस्ताना हैं, और "जूनियर हेल्पर" उन लोगों के लिए जो दूसरों के प्रति सहायक हैं वयस्कों के लिए हमारे पास "वरिष्ठ सहायक" है पर वह स्पष्ट हैं, है ना? जैसे, लोग जानते हैं इन आशाएं को कैसे अर्जित किया जाए| उनके नाम की वजह से . जैसे ही कोई सर्वर पर आता है, वे जानते हैं किउन्हें पुरस्कृत किया जायेगा हमारा पुरस्कार, पिता ऑटिज्म तलवार, जो मेरे नाम पर है संस्थापक होनेसे , एक बहुत शक्तिशाली तलवार है जो आप खेल में नहीं जीत सकते बिना यह दिखाए कि आप अपने समुदाय को पूरी तरह से अपने ऊपर रखते हैं , और करुणा और दयालुता आपकी पहचान में मुख्य हैं. वास्तव में हमने काफी ऐसी तलवारें दी हैं , मुझे लगता है, अगर हम सर्वर पर ध्यान दे रहें हैं कि कुछ बुरा नहीं हो, तो हमें अच्छी चीजों को भी देखना चाहिए और इसके लिए लोगों को इनाम देना चाहिए हम हमेशा कोशिश करते हैं खिलाड़ियों को दिखाने की कि सभी को सामान माना जाता है, मुझे भी . लेकिन हम जानते हैं कि हम सभी को समान रूप से नहीं मान सकते कुछ खिलाडी को बहुत आसानी से गुस्सा आता है उनमें से कुछ के अतिरिक्त संघर्ष है जैसे ओ. सी.डी. या टुरेत्त के रूप में तो, मुझे इस आदत है सभी खिलाड़ियों को याद रखने की. मुझे उनका पहला दिन याद है, हमारे किए गए वार्तालाप, जिनपर हमने बात की,जो उन्हें करना है तो जब कोई आता है मेरे पास एक समस्या के साथ, मैं स्थिति को किसी भी अन्य खिलाड़ी की तुलना मेंअलग ढंग से संभालता हूं, जो उनके बारे में क्या जानता हूं अन्य प्रशासकों और सहायकों के लिए, हम सबकुछ दस्तावेज़ करते हैं इसलिए, चाहे वह अच्छा है या बुरा है या एक संबंधित बातचीत, यह मोजूद है, जिससे सभी को पता हो. मैं आपको एक उदाहरण देना चाहता हूं इस एक खिलाड़ी का वह थोड़ी देर के लिए हमारे साथ था, लेकिन एक बार उसने शुरू किया चैट में स्पैमिंग डैश, जैसे डैश की एक बड़ी लंबी लाइन स्क्रीन पर . कुछ देर बाद, वह इसे फिर से करना चाहता था. अन्य खिलाड़ियों ने उसे मना किया ऐसा से, और वह कहता , "ठीक है।" और फिर वह इसे फिर से करता । इससे अन्य खिलाडी हताशा होना शुरू हो गए । उन्होनें मुझसे उसे चुप कराने के लिए कहा उसे दंडित करने के लिए, लेकिन मुझे पता था कि यहाँ इससे अधिक कुछ होगा इसलिए मैं उसकी चाची के पास गया, जो उसका मेरे पास उसका संपर्क है उसने बताया कि वह एक आँख में अंधा हो गया था और दूसरे में उसकी दृष्टि खो रही थी तो वह चैट को बाँट रहा था छोटे आसानी से देखने वाले ब्लॉकों में, जो बहुत समझदारी है तो उसी रात, मैंने बात की मेरा एक मित्र जो कोड लिखता है और हमने एकदम नया तरीका बनाया सर्वर के लिए कि यह किसी भी खिलाडी के लिए ऐसा करता है, ज़ाहिर है, उसके लिए भी. सिर्फ एक आदेश देने से तुरन्त हर एक लाइन डैश द्वारा अलग ओ जाती . वे इसे बना सकते हैं तारांकन या रिक्त लाइनें या वे जो भी चाहें - जो भी उनके लिए अच्छा काम करे. हमने थोडा अतिरिक्त किया और इसे बनाया जो आपका नाम हाइलाइट करे , ताकि यह देखना आसान हो अगर कोई आपका उल्लेख करता है यह सिर्फ एक उदाहरण है कि कैसे थोड़ा सा अतिरिक्त कर, एक छोटा संशोधन, सभी को समान स्तर पर रहने में मदद करता है, भले ही आपने अतिरिक्त किया हो केवल उस एक खिलाड़ी के लिए . बड़ी बात है कि डर नहीं होना चाहिए। मेरे सर्वर पर बच्चे डरते नहीं हैं. वे सिर्फ खुद बने रहेने के लिए स्वतंत्र हैं, और यह इसलिए है क्योंकि हम एक दूसरे को प्रोत्साहित और समर्थन करते हैं. हम सभी जानते हैं कि कैसा लगता है निर्वासित होना नफरत किया जाना ,बस जीवित होने के लिए और इसलिए जब हम सर्वर पर एक साथ होते हैं, हम डरते नहीं रहे हैं। लगभग पहले दो वर्षों तक सर्वर पर, मैंने प्रति सप्ताह औसतन दो बच्चों से बात की थी जो आत्मघाती थे लेकिन वे मेरे पास आए क्योंकि मैं उन्हें सुरक्षित महसूस करा रहा था उन्हें लगा कि मैं अकेला व्यक्ति था दुनिया में जिससे वे बात कर सकते हैं इसलिए मेरा संदेश है: यदि आपके पास कोई दान संस्था है या कोई अन्य संगठन, या आप एक शिक्षक हैं या चिकित्सक हैं या आप माता-पिता हैं जो अपना सबसे अच्छा कर रहे है, या आप एक ऑटिस्टिक हैं, जैसे मैं हूं, भले आप कोई भी हो आप इन बच्चों की ज़रूर मदद करें . उन आशंकाओं को दूर करें| कुछ भी करनेसे पहले क्योंकि बाकी सब कुछ मुज्बुरी का महसूस करेगा तब तक जब तक वे डरे नहीं हों। यही कारण है कि सकारात्मक सुदृढीकरण हमेशा सफल होगा| सजा के किसी भी रूप से वे सीखना चाहते हैं जब वे सुरक्षित और खुश हों . यह स्वाभाविक रूप से होता है; बिना सीखने की कोशिश किये भी. ये बच्चे के शब्द हैं सर्वर का वर्णन करने के लिए सर्वर पर मैं आशा करता हूँ जो आप यहाँ से ले जा सकते हैं यह कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई और क्या है जीवन में अभी चल रहा है, क्या उन्हें धमकाया जा रहा है या नहीं स्कूल या घर पर, अगर वे अपनी कामुकता पर सवाल उठा रहे हैं या यहां तक कि उनके लिंग, जो बहुत कुछ होता है ऑटिज्म समुदाय में, अगर वे अकेले महसूस कर रहे हों या फिर आत्महत्या , आपको इस तरह से अपने जीवन जीना होगा की वह व्यक्ति आपके पास आ सके और आपसे बात कर पाए। इसके लिए उन्हें पूरी तरह सुरक्षित महसूस करना होगा यदि तुम देखना चाहो ऑटिस्टिक बच्चों का एक समूह - वे बच्चे जिन्हें समाज गलती से असामाजिक समझता है और सहानुभूति की कमी - अगर आप उन्हें एक साथ मिलना चाहते हैं और सबसे दयालु निर्माण और मैत्रीपूर्ण और उदार समुदाय जिसे आपने कभी देखा है, ऐसी जगह जिसके बारे में लोग लिखना चाहे. इंटरनेट पर जो सबसे अच्छी जगह है | वे ऐसा करेंगे मैँ यह देख चुका हूँ। मैं हर दिन वहां हूं लेकिन उनके पास कुछ बड़ी बाधाएं हैं, जिन्हे उन्हें काबू में करना हैं, और यह वास्तव में मददगार होगा अगर वहां कोई हो जो उन्हें दिखा सके की केवल एक चीज है जिससे उन्हें डरना चाहिए वह है स्वयं-संदेह है. तो मैं आपको पूछ रहा हूँ कृपया उन लोगों के लिए वह इंसान बनें , क्योंकि उन्हें, उन बच्चों के लिए - यह सब कुछ मान्य रखता है. आपका बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियां) टायलर डीवर : इस समय मुझे यह लग रहा है कि सभी वक्तागण वह सब कह चुके हैं जो मैं वास्तव में कहना चाहता था. (सब हंसते हैं) और अब मेरे लिए यही बचा रह गया है कि मैं आप सभी को आपकी सहृदयता के लिए धन्यवाद दूं. TD: लेकिन आपकी उदारता और उसके महत्व का मान रखने के लिए मैं आप सभी से स्वयं का एक छोटा सा किस्सा बांटना चाहता हूं. TD: जब मैं बहुत छोटा था तभी से मुझे बहुत से उत्तरदायित्व दिए गए, और जब मैं बड़ा हुआ तब मुझे यह लगने लगा कि मेरे लिए हर चीज नियत कर दी गई थी. मुझसे संबंधित सभी योजनाएं बनाई जा चुकी थीं. मुझे आवश्यक वस्त्रादि दे दिए गए थे और मुझे बताया गया कि मुझे कहां उपस्थित रहना है, इन बहुत मूल्यवान और पवित्र प्रतीत होनेवाले वस्त्रों के साथ एक समझ भी विकसित हो गई थी कि यह सब निस्संदेह बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण था. TD: लेकिन इस प्रकार की औपचारिक जीवनशैली को अपनाने से पहले मैं पूर्वी तिब्बत में अपने परिवार के साथ रहता था. और जब मैं सात साल का था तभी अचानक मेरे घर में एक खोजी दल का आगमन हुआ. वे अगले करमापा की खोज कर रहे थे और मैंने यह देखा कि वे मेरे माता-पिता से बात कर रहे थे, और फिर मुझे यह पता चला कि वे कह रहे थे कि मैं ही करमापा हूं. और इन दिनों लोग मुझसे बार-बार पूछते हैं कि मुझे उस समय कैसा लगा. और यह कि मुझे कैसा लगा जब वे आए, मुझे ले गए, और मेरा जीवन हमेशा के लिए बदल गया. ऐेसे में मैं जो कुछ उनसे ज्यादातर कहता हूं, वह ये है कि उस समय यह सब मेरे लिए बहुत रोचक था. मुझे यह लगा कि ये सब बहुत मजेदार होगा और यह कि मुझे खेलने के लिए बहुत सारी चीजें मिलेंगीं. (हंसी) TD: लेकिन यह सब उतना मनोरंजक या रोचक नहीं था जितने की मैंने कल्पना की थी. मुझे बड़े कठोर नियंत्रण के वातावरण में रखा गया. और तत्काल ही मुझपर मेरी शिक्षा संबंधी और अन्य जिम्मेदारियां मुझपर डाल दीं गईं. मैं अपने माता-पिता सभी परिजनों से दूर हो गया. मेरा कोई मित्र भी नहीं था जिसके साथ मैं समय बिताता, और मुझे कई प्रकार के दायित्व निभाने पड़ते थे. इस प्रकार मैंने करमापा बनकर आरामदायक जीवन व्यतीत करने की जो कल्पना की थी वह सच साबित नहीं हुई. मुझे यह लगता रहता था कि मुझे एक मूर्ति की भांति आदर दिया जा रहा है और मैं मूर्तिवत ही एक स्थान पर बैठा रहता था. उस पर भी, मुझे यह लगता था कि हांलांकि मैं अपने परिवार और प्रियजनों से दूर हो गया था -- और... खैर, अब तो मैं और अधिक दूर हो गया हूं. जब मैं 14 साल का था तब मैं तिब्बत से निकला और अपने माता-पिता, सगे-संबंधियों, मित्रों और मातृभूमि से और अधिक दूर हो गया. फिर भी, अब मेरे हृदय में विस्थापित होने का भाव घनीभूत नहीं है, क्योंकि मैं इन व्यक्तियों के प्रति प्रेम का अनुभव करता हूं. मेरे मन में, इन सभी व्यक्तियों और अपनी मातृभूमि के लिए बहुत गहरा प्रेम है. TD: और मैं अभी भी अपने माता-पिता से संपर्क बनाए रखता हूं, हांलांकि यह कम हो गया है. अपनी मां से मैं लंबे अंतराल में एक बार टेलीफ़ोन पर बात कर लेता हूं. और इस विषय पर मेरा अनुभव यह है कि जब मैं उनसे बात करता हूं तब हर गुज़रते पल के साथ हमारी बातचीत के दौरान हमें एक-दूसरे से जोड़नेवाला प्रेम हमें और अधिक समीप ले आता है. TD: तो ये कुछ बातें थीं मेरी पृष्ठभूमि के बारे में. और कुछ दूसरी बातें जो मैं आप सभी से बांटना चाहता हूं, वे कुछ विचार हैं, मेरे विचार से यह बहुत अच्छा अवसर है कि यहां विभिन्न स्थानों और पृष्ठभूमि के लोग एक साथ बैठकर अपने विचार साझा कर रहे हैं और एक-दूसरे से मित्रता स्थापित कर रहे हैं. और मुझे यह उसका प्रतीक लग रहा है जो हम ,सामान्यतः विश्व में अनुभव कर रहे हैं कि यह विश्व छोटा, और छोटा होतो जो रहा है और विश्व के समस्त नागरिकों को संपर्क के अच्छे अवसर मिल रहे हैं. यह बहुत अच्छी बात है, पर हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हमारे भीतर भी ऐसी ही प्रक्रिया का प्रारंभ होना चाहिए. बाहरी विकास और बढ़ते हुए अवसरों के साथ भीतरी विकास भी होना चाहिए और बाहरी संबंध पनपने के साथ-साथ हृदय के संबंध भी गहरे होने चाहिए. इस सप्ताह हमने डिजाइन के बारे में सुना और बातें की हैं. मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हमें यह याद रखें कि हमें हृदय की योजना का विकास करने के लिए और आगे प्रयास और उद्यम करते रहें. इस सप्ताह हमने तकनीक के बारे में बहुत कुछ सुना और हमें इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए कि हम अपनी ऊर्जा का अधिकाधिक उपयोग अपने हृदय की तकनीक के संवर्धन में लगाएं. TD: तो, हांलांकि मैं कुछ प्रसन्न हूं कि दुनिया भर में आश्चर्यजनक विकास हो रहा है फिर भी मुझे लगता है कि जब कभी भी हम हृदय-से-हृदय या मन-से-मन के स्तर पर एक-दूसरे से जुड़ना चाहते हैं तो हमारे सम्मुख बाधाएं आ जातीं हैं. मुझे लगता है कि कुछ चीजें हैं जो हमें ऐसा करने से रोक देतीं हैं. TD: हृदय-से-हृदय के संपर्क या मन-से-मन के स्तर के संपर्क की संकल्पनाओं से मेरे संबंध बहुत रोचक हैं क्योंकि आध्यात्मिक नेता के रूप मे मैं सदैव प्रयास करता हूं कि मैं अपने हृदय में दूसरों को स्थान दूं हृदय-से-हृदय के या मन-से-मन के स्तर के संपर्कों को विकसित करने के लिए स्वयं को शुद्ध मन से दूसरों के हांथों में सौंप दूं लेकिन उसी समय मुझे यह भी लगता है कि मैं इस बात पर ज़ोर दूं कि हृदय-से-हृदय के संपर्क के ऊपर मैं बुद्धि की महत्ता को दर्शाऊं क्योंकि मेरी जैसी स्थिति में होने के कारण यदि मैं बोध पर मुख्य रूप से विश्वास नहीं करूंगा तो मेरे साथ कुछ विपत्तिकारक भी हो सकता है. इस प्रकार इन सभी बातों में रोचक विरोधाभास हैं. लेकिन एक बार मुझे बहुत अद्भुत अनुभव हुआ, जब अफगानिस्तान से एक दल मुझसे मिलने के लिए आया और हमारे बीच बहुत अच्छी बातचीत हुई. हमने बामियान की बुद्ध प्रतिमाओं की बात भी की जिनके बारे में आप जानते हैं कि उन्हें कुछ वर्षों पहले अफगानिस्तान में ध्वस्त कर दिया गया था. लेकिन हमारी बातचीत का मूल बिंदु मुस्लिम और बौद्ध परम्पराओं में आध्यात्मिकता के प्रति भिन्न मान्यताओं पर केन्द्रित था. आप जानते हैं कि मूर्तिपूजा के सम्बन्ध में इस्लाम में काया और दैवीयता का चित्रण एवं मुक्ति का स्वरूप उस प्रकार नहीं मिलता है जैसा यह बौद्ध परम्परा में है जहां बुद्ध की अनेक प्रतिमाओं की ईश्वरतुल्य जानकार पूजा की जाती है और अपार आदर किया जाता है. इस तरह हमने इन परम्पराओं के मध्य स्थित अंतर पर चर्चा की हमारे ऊपर बामियान की प्रतिमाओं को धवस्त करने की त्रासदी का कैसा प्रभाव पड़ा. पर मैंने यह सुझाव भी दिया कि हम इसे भी सकारात्मक रूप से देख सकते हैं. हमने बामियान के बुद्धों के ध्वंसन को पदार्थ के अवक्षय के रूप में देखा, जैसे कुछ ठोस पदार्थ ऊपर से गिरकर बिखर गया. शायद इससे मिलती-जुलती बात हम बर्लिन की दीवार के टूटने में भी देख सकते हैं जहाँ दो प्रकार के व्यक्तियों को एक-दूसरे से अलग रखनेवाली दीवार गिर गयी और इस घटना ने सम्पर्क और सम्बन्ध विकसित करने का नया मार्ग दिया. तो मुझे लगता है कि इस प्रकार यह सदैव संभव है कि हम किसी सकारात्मक स्तर पर आ जाएँ जिससे हम एक-दूसरे को बेहतर समझ सकें. TD: विकास के संदर्भ में इस कांफ्रेंस में हम सभी जिसकी बात कर रहे हैं, मुझे यह लगता है कि इससे जो भी विकास हो वह हमारे ऊपर कोई बोझ न डाले बल्कि हमारी मूलभूत जीवनशैली में सुधार लाये ताकि हम सभी विश्व में बेहतर तरीके से जी सकें. TD: यह सत्य है कि मैं इस महान देश भारत की पवित्र भूमि के उत्थान और विकास से बहुत प्रसन्न हूँ पर उसी समय मैं यह भी सोचता हूँ कि हम लोगों में से कुछ यह जानते हैं कि हमें जागरूक होना चाहिए क्योंकि हम इस विकास के कुछ पहलुओं की उस रूप मे बड़ी भारी कीमत चुका रहे हैं जिससे हमारे विकास करने पर प्रश्नचिह्न लगने लगे हैं. जैसे-जैसे हम वृक्ष के ऊपर चढ़ रहे हैं तब वृक्ष पर आरोहण की प्रक्रिया में हम वे काम कर रहे हैं जिनसे इस वृक्ष की जड़ ही नष्ट हो रही है. ऐसे में, मुझे यह लगता है कि हमें न केवल इसका बोध होना चाहिए बल्कि हमें ध्यानपूर्वक अपनी प्रेरणा को इसपर केन्द्रित करना चाहिए ताकि इसके वास्तविक शुद्ध एवं सकारात्मक परिणाम आयें. इस सप्ताह हमने यहाँ सुना है कि विश्व में असंख्य महिलायें दिन-प्रतिदिन घोर कष्टप्रद जीवन जी रही हैं. इस बात की जानकारी हमें है पर अक्सर यह होता है कि हम इसपर ध्यान ही नहीं देना चाहते. हम इस बात का मौक़ा ही नहीं देते कि यह चीज़ हमारे ह्रदय पर कुछ प्रभाव डाले. मुझे लगता है कि -- दुनिया यह कर सकती है जिससे हमारे बाहरी विकास का हमारी खुशियों से सीधा तालमेल हो -- - इसका उपाय यह है कि हम इन जानकारियों से अपने ह्रदय को द्रवित होने दें. TD: मुझे लगता है कि हमारे बेहतर भविष्य के लिए या मनुष्य होने के सुखद अहसास के लिए परिशुद्ध प्रेरणा बहुत आवश्यक है, और मैं सोचता हूँ कि इसके लिए हमें अपने समस्त कार्यों को भली प्रकार करना चाहिए. विश्व के कल्याण के लिए आप जो भी कार्य करें, उसमें आप अपना समस्त दें, और उसका पूरा आनंद लें. TD: तो, इस पूरे सप्ताह हम यहाँ रहे हैं, हमने सम्मिलित होकर लाखों श्वास लीं हैं, पर शायद हमने अपने जीवन में किसी परिवर्तन का अनुभव नहीं किया है, या शायद हमने सूक्ष्म परिवर्तनों को अनदेखा कर दिया है. और मुझे लगता है कि कभी-कभी हम अपनी प्रसन्नता की विराट संकल्पनाएँ और धारणाएं बना लेते हैं, पर यदि हम ध्यान से देखें, तो हम पाएंगे कि हमारी हर श्वास में आनंद और प्रसन्नता के सूक्ष्म प्रतीक तत्व हैं. TD: यहाँ आमंत्रित आप सभी आगंतुक बहुत मेधावी हैं, और इस विश्व को बहुत कुछ दे सकते हैं, मेरे विचार से समापन के समीप हम यह कहना उचित होगा कि एक क्षण के लिए हम सोचें कि हम कितने भाग्यवान हैं कि हम सभी ने इस प्रकार यहाँ एकत्र होकर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया और अपने भीतर विशाल महत्वाकांक्षा और प्रेरणा का अर्जन किया कि हम इस कांफ्रेंस से कुछ अच्छी बातें जैसे ऊर्जा, आवेग, सकारात्मकता लेकर जायेंगे और उसे दुनिया भर में बोएंगे और प्रसारित करेंगे. परमपावन करमापा : कल मेरा व्याख्यान है. TD: लक्ष्मी ने व्याख्यानमाला का आयोजन और बहुत सारे काम यहाँ तक कि मुझे यहाँ आमंत्रित करने के लिए भी बड़ी मेहनत की है और मैं कभी-कभी थोड़ा-बहुत अनिच्छुक था, और इस पूरे सप्ताह बहुत नर्वस भी रहा. मैं अनमना सा रहता था और मुझे चक्कर भी आते थे, लोग मुझसे इसका कारण पूछते थे. मैं उनसे कहता था 'क्योंकि कल मेरा व्याख्यान है'. इस प्रकार लक्ष्मी को मेरी इन बातों से निपटना पड़ा पर मैं उसका बहुत आभारी हूँ कि उसने मुझे यहाँ उपस्थित रहने का अवसर दिया. और आप सभी को भी मेरा बहुत-बहुत धन्यवाद. (तालियाँ) परमपावन करमापा: धन्यवाद. (तालियाँ) सज्जनों, अपने जीवन के एक महतवपूर्ण लछ्य के बारे में सोचिये | कोई सच्चा लछ्य | एक सेकंड लीजिये और सोचिये | इस बात को समझने के लिए आप को इसे महशूस करना होगा | कुछ समय लीजिये और अपने जीवन के सबसे बड़े लछ्य के बारे में सोचिये | अभी अब आप सोचिये की उस लछ्य को आप पा कर रहेंगे | अब आप कल्पना कीजिये की आप अपने इस लछ्य के बारे में किसी व्यक्ति को बता रहे हैं | अब उस व्यक्ति की शुभकामनाएं और उसके मन में आप के प्रतिभाशाली व्यक्तित्व की कल्पना कीजिये | यूँ अपना लछ्य बताने में आप अच्छा महशुस करते हैं ना ? ऐसा नहीं लगता जैसे की आप लछ्य की ओर एक कदम बढ़ चुके हैं, और ये अब आपकी पहचान बन चुकी है ? बुरी खबर | आप को शांत रहना चाहिए था , क्योंकि उस शुखद भावना के कारण, शायद आप लछ्य प्राप्त ना कर पायें | मनोवैज्ञानिक परीक्षणों से साबित हुआ है की किसी को अपना लछ्य बताने पर उसे प्राप्त करने की सम्भावनाये कम हो जाती हैं | जब भी आप लछ्य निर्धारित करते हैं, तो लछ्य को प्राप्त करने के लिए कुछ नियमों को पालन करना होता है, | कुछ कार्य करने पड़ते हैं | आप को तब तक संतुष्ट नहीं होना चाहिए जब तक कार्य पूर्ण ना हो जाये | किन्तु जब आप अपना लछ्य किसी व्यक्ति को बताते हैं और वह व्यक्ति आपकी सराहना करता है इससे मनोवैज्ञानिकों ने जो निष्कर्ष निकला है उसे सामाजिक सच्चाई कहते हैं | जिसमे हमारे मन में ऐसी भावना आती है जैसे कि कार्य पूर्ण हो चूका है | और चूँकि हम संतुष्ट महशुस करते हैं, इसलिए कार्य के लिए आवश्यक मेहनत के लिए हम कम उत्साहित होते हैं | यह विचार उस पारम्परिक विचार के विपरीत है जिसके अनुसार हमें अपने लछ्य अपने मित्रों को बताने चाहिए, है ना? ताकि हम उत्साहित रह सकें | आईये कुछ प्रमाणों पर नजर डालें 1926 कर्ट लेविन(Kurt Lewin ), सामाजिक मनोविज्ञान के संस्थापक ने इसे प्रतिस्थापन (substitution ) कहा 1933 , वेरा मह्लेर (Vera Mahler ) ने निष्कर्ष निकला जब दूसरों के द्वारा लछ्य की स्वीकृति होती है तब मन में यह वास्तविक महशुस होता है | 1982 पीटर गोल्लवितज़ेर(Peter Gollwitzer ) ने इस पर एक किताब लिखी, और 2009 में उन्होंने कुछ परीक्षण किये जो प्रकाशित हुए वह परीक्षण कुछ इस प्रकार है 163 व्यक्तियों पर चार अलग परीक्षण सभी ने अपने लछ्य लिखे | उनमें से आधे लोगों अपने लछ्य के प्रति आपनी प्रतिबद्धता की घोषणा की और आधे लोगों ने नहीं की | फिर सभी को 45 मिनट का समय कार्य के लिए दिया गया जो की उन्हें उनके लछ्य की ओर लेकर जाये किन्तु कार्य करना किसी भी समय समाप्त किया जा सकता था | अब जिन्होंने अपने लछ्य की घोषणा नहीं की थी उन्होंने औसत पुरे 45 मिनट तक कार्य किया, और जब उनसे लछ्य प्राप्ति के बारे में पूंछा गया तो उन्हें लगा की उन्हें लछ्य प्राप्त करने के लिए और समय की आवश्यकता है | किन्तु जिन्होंने अपने लछ्य की घोषणा की थी उन्होंने औसत 33 मिनट में कार्य छोड़ दिया था, और जब उनसे लछ्य प्राप्ति के बारे में पूंछा गया, तो उन्हें लगा की वो लछ्य प्राप्त करने के बहूत करीब थे | अगर यह सच है , तो हम क्या कर सकते हैं ? हम अपने लछ्य की घोषणा करने से खुद को रोक सकते हैं | अपने लछ्य की स्वीकृति से मिलने वाली संतुष्टि को रोक सकते हैं | और आप समझ सकतें है की आप का मन लछ्य की बात करने को कार्य करने की तरह से लेने की गलती करता है | किन्तु अगर आप को लछ्य की बात करना हो तो आप कुछ इस तरह से कर सकते हैं जो कि आप को लछ्य प्राप्ति की संतुष्टि ना दे , जैसे की "मैं मेराथन में दौड़ना चाहता हूँ , इस लिए सप्ताह में पांच बार अभ्यास करूँगा, और अगर मैं नहीं करता हूँ तो मैं भोजन नहीं करूँगा | ठीक है ? तो श्रोतागण, अगली बार जब आप अपना लछ्य किसी को बताना चाहें तो आप क्या कहेंगे ? बिल्कुल सही | शाबाश | (तालियाँ ) यह कथन अपने आप में स्पष्ट है. मैंने इस कथन से शुरुआत कुछ 12 साल पहले की थी, और शुरुआत की थी विकासशील देशों में, पर आप लोग दुनिया के हर एक कोने से यहाँ आये हैं. अगर आप अपने देश के मानचित्र को देखेंगे, तो ये पायेंगे कि धरती पर हर एक देश के लिए, आप छोटे-छोटे क्षेत्र चुन सकते हैं, "ये वो क्षेत्र हैं जहाँ अच्छे शिक्षक नहीं जाते." ऊपर से, ये ऐसी जगह हैं जहाँ अपराध पनपता है. तो यह एक व्यांगिक समस्या है. अच्छे शिक्षक उन्ही जगहों पर नहीं जाना चाहते जहाँ उनकी ज़रुरत सबसे ज़्यादा है. 1999 में मैंने एक प्रयोग द्वारा इस समस्या को सुलझाने की कोशिश की, जो बहुत ही साधारण सा प्रयोग था नई दिल्ली में. मैंने नई दिल्ली की एक झोपड़-पट्टी में दीवार में एक कंप्यूटर जड़वा दिया. यहाँ के बच्चे स्कूल नहीं जाते थे. उन्हें अंग्रेजी नहीं आती थी. उन्होंने पहले कभी कंप्यूटर नहीं देखा था, और उन्हें ये भी नहीं पता था कि इंटरनेट क्या होता है. मैंने उसे उच्चतम इन्टरनेट से जोड़ दिया -- ये ज़मीन से लगभग तीन फीट ऊपर है -- कंप्यूटर चलाया और वहीँ छोड़ दिया. इसके बाद, हमने कुछ दिलचस्प चीज़ें देखी, जो आप भी देखेंगे. पर मैंने इसे पूरे भारत में दोहराया और उसके बाद विश्व के एक बड़े हिस्से में, और यह निष्कर्ष निकाला कि बच्चे वो चीज़ें सीख जायेंगे जो वो सीखना चाहते हैं. यह हमारा पहला प्रयोग था -- आपके दाहिने ओर एक 8 साल का लड़का एक 6 साल की लड़की को browse (ब्राउस) करना सिखा रहा था. यह मध्य भारत का लड़का -- राजस्थान के एक गाँव में, यहाँ बच्चों ने अपना खुद का संगीत रिकॉर्ड किया और उसे एक दूसरे को सुनाया, और इस प्रक्रिया में, बच्चों ने खूब मजे लिए. उन्होंने ये सब केवल चार घंटों में कर लिया, वो भी कंप्यूटर को पहली बार देखने के बाद. दक्षिण भारत के एक और गाँव में, इन लड़कों ने एक विडियो कैमरा जोड़ लिया और एक मधुमक्खी की तस्वीर लेने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने इसे Disney.com (डिस्नी डाट कौम) या ऐसी ही कोई वेबसाईट से डाउनलोड किया था. यह उन्होंने गाँव में कंप्यूटर लगने के सिर्फ 14 दिन में कर लिया था. आखिरकार, हमने निष्कर्ष निकला कि बच्चों के समूह अपने आप कंप्यूटर और इंटरनेट चलाना सीख सकते हैं, चाहे वो कोई भी हों या कहीं से भी हों. इसके बाद, मैं थोड़ा और महत्वाकांक्षी हो गया और ठान ली ये देखने की कि बच्चे कंप्यूटर के साथ और क्या कर सकते हैं. हमने हैदराबाद, भारत में एक प्रयोग से शुरुआत की, जहाँ मैंने एक बच्चों के समूह को -- वे एक तगड़े तेलेगु उच्चारण में अंग्रेजी बोलते थे. मैंने उन्हें एक कंप्यूटर दे दिया जिसमें आवाज़ को लेखन में बदलने वाला सोफ्टवेयर था, जो अब windows (विंडोस) के साथ आता है, और उन्हें इसमें बोलने को कहा. जब उन्होंने इसमें बोला, तब कंप्यूटर ने बेमतलबी शब्द दिखाए तो उन्होंने कहा, "यह कंप्यूटर हमारी कोई भी बात नहीं समझता." तो मैंने कहा, "हाँ, मैं इसे दो महीने के लिए यहाँ छोड़ देता हूँ. आप अपने आप को कंप्यूटर द्वारा समझने लायक बनवाइए." तो बच्चों ने कहा, "हम ये कैसे करें." और मैंने कहा, "असल में, मुझे नहीं पता." (ठहाके) फिर मैं चला गया. (ठहाके) दो महीने बाद -- और अब इसका दस्तावेज भी है Information Technology (सूचना प्रोद्योगिकी) के अंतर्राष्ट्रीय विकास पत्रिका में -- कि उनके अंग्रेजी उच्चारण बदल गए थे और सामान्य ब्रिटिश उच्चारण के काफी करीब थे जिसमें मैंने आवाज़ को लेखन में बदलने वाले यन्त्र को अभ्यास कराया था. दूसरे शब्दों में, वे सब James Tooley (जेम्स टूली) की तरह बोल रहे थे. (ठहाके) मतलब वे अपने आप ऐसा कर पाए. उसके बाद, मैंने कई और चीज़ों के साथ प्रयोग करने शुरू किये, चीज़ें जो वे शायद अपने आप करना सीख जायेंगे. एक बार मुझे कोलम्बो से एक दिलचस्प फोन कॉल आई, अब मृत Arthur C. Clarke (आर्थर सी. क्लार्क) से जिन्होंने कहा, "मैं जानना चाहता हूँ आप क्या कर रहे हैं." वे यात्रा नहीं कर सकते थे, तो मैं ही उनके पास गया. उन्होंने दो दिलचस्प बातें कही, "एक अध्यापक जिसका स्थान एक मशीन ले सके, उसे लेने देना चाहिए." (ठहाके) दूसरी बात -- "अगर बच्चे चाहें तो, शिक्षा अपने आप मिल जाती है." और मैं इसी बात पर अमल कर रहा था, तो मैं जब भी इसे होते हुए देखता तो उनके बारे में सोचता था. (विडिओ) आर्थर सी. क्लार्क: और ये बच्चे यक़ीनन लोगों की मदद कर सकते हैं, क्योंकि बच्चे जल्द ही यन्त्र चलाना और उनकी मनपसंद चीज़ें ढूँढना सीख लेते हैं. और जहां दिलचस्पी हो, वहाँ शिक्षा भी मिल जाती है. मित्रा: मैं इस प्रयोग को दक्षिण अफ्रीका ले गया. यह 15 वर्ष का एक लड़का है. (विडिओ) लड़का: ... मैं खेल खेलता हूँ मुझे जानवर पसंद हैं, और मैं संगीत सुनता हूँ मित्रा: फिर मैंने उससे पुछा, "क्या तुम ई-मेल भेजते हो?" उसने कहा, "हाँ, और वे समुन्दर पार जाती हैं." यह कम्बोडिया में है, ग्रामीण कम्बोडिया -- एक साधारण सा गणित का खेल है, जिसे कोई बच्चा कक्षा में या घर पर नहीं खेलेगा. वे इस खेल को आप पर वापस फेंक देंगे. कहेंगे, "ये दिलचस्प नहीं है." अगर आप इस खेल को फर्श पर रख दें, और सारे बढ़े कहीं और चले जाएँ, फिर ये एक दूसरे को दिखाएँगे कि ये क्या कर सकते हैं. ये बच्चे यही कर रहे हैं. ये गुना करने की कोशिश कर रहे हैं, मेरे ख्याल से. पूरे भारत में, लगभग दो साल के बाद, बच्चे अपने घर पे पाठ गूगल पर पूरे करने लगे थे. फलस्वरूप, अध्यापकों ने बच्चों की अंग्रेजी में विशाल सुधार देखे -- (ठहाके) तेज़ सुधार और सभी किस्म के परिवर्तन. उन्होंने कहा, "बच्चे गंभीर विचारक बन गए हैं, और फलाना फलाना." (ठहाके) और वास्तव में वो बन गए थे. मतलब, अगर चीज़ें गूगल पर मिल जाएँ, तो उन्हें अपने दिमाग में याद करने की क्या ज़रुरत है? अगले चार सालों के अंत में, मैंने पाया कि बच्चों के समूह शिक्षा पाने के लिए इन्टरनेट अपने आप चला सकते हैं. उस समय, बहुत सारा पैसा न्यूकैसल विश्वविद्यालय में भारत में शिक्षा सुधारों के लिए आया था. तो न्यूकैसल ने मुझे कॉल किया. मैंने कहा, "मैं दिल्ली से काम करूंगा." उन्होंने कहा, "किसी भी तरीके से आप दिल्ली में बैठे-बैठे विश्वविद्यलाय के करोडों रूपए खर्च नहीं कर सकते." इसीलिए 2006 में, मैंने एक भारी ओवरकोट ख़रीदा और न्यूकैसल चला आया. मैं इस पद्धति की सीमाएं जाचना चाहता था. न्यूकैसल से जो मैंने पहला प्रयोग किया वो दरअसल भारत में किया गया था. और मैंने अपने लिए एक नामुमकिन लक्ष्य तय किया: क्या 12 -साल के तमिल बोलने वाले, एक दक्षिण भारतीय गाँव का बच्चे अंग्रेजी में खुद को जीव-तकनीकी (biotechnology) सिखा सकते हैं? मैंने सोचा, "मैं बच्चों की परीक्षा लूँगा. वे फेल हो जायेंगे. मैं उन्हें पढाई की सामग्री दूंगा, वापस आऊँगा और फिर उनकी परीक्षा लूँगा. वे फिर फेल हो जायेंगे. मैं भारत वापस जाऊंगा और कहूँगा, "हाँ, कुछ चीज़ों के लिए हमें अध्यापक चाहियें." मैंने 26 बच्चों को बुलाया. वे सब वहां आये, और मैंने उनसे कहा कि इस कंप्यूटर पर कुछ बहुत कठिन पाठ्यक्रम है. मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर आप कुछ भी समझ न पाएं. सब कुछ अंग्रेजी में है, और मैं जा रहा हूँ. (ठहाके) तो मैंने उन्हें कंप्यूटर के साथ छोड़ दिया. मैं दो महीने बाद लौटा, और वो 26 बच्चे चुपचाप मेरे पास आये. मैंने पूछा, "तो बच्चों, क्या तुमने कंप्यूटर पर कुछ देखा?" उन्होंने कहा, "हाँ, हमने देखा." "कुछ समझ में आया?" "नहीं, कुछ भी नहीं." तो मैंने पूछा, "यह निर्णय करने के पहले कि तुम्हे कुछ समझ नहीं आया तुमने कितने समय तक अभ्यास किया?" उन्होंने कहा, "हम इसे हर रोज़ देखते हैं." तो मैंने पूछा, "दो महीने से आप एक ऐसी चीज़ देख रहे हैं जो आपको समझ नहीं आई? इस पर एक 12 वर्ष की लड़की ने अपना हाथ उठाया और बोली, सचमुच, (अंग्रेजी में) "इसके अलावा कि डी.एन.ए अणु की अनुचित प्रतिकृति से आनुवंशिक बीमारी होती है, हमने और कुछ नहीं सीखा." (ठहाके) (अभिवादन) (ठहाके) मुझे इस परिणाम को प्रकाशित करने में 3 साल लगे. हाल ही में इसे शिक्षा प्रोद्योगिकी की ब्रिटिश पत्रिका में प्रकाशित किया गया. एक पंच, जिन्होंने इस लेख का मूल्यांकन किया, ने कहा, "यह वास्तविक होने के लिए कुछ ज़्यादा ही अच्छा है," ये बात मुझे अच्छी नहीं लगी. एक लड़की ने खुद को अध्यापक बनना सिखा दिया. वो वहाँ पर यह लड़की है. याद रखिये, ये बच्चे अंग्रेजी नहीं पढ़ते. मैंने विडियो का आखिरी अंश बदल दिया है जिसमें मैंने पूछा, "न्यूरोन कहाँ है?" उसने बोला, "न्यूरोन? न्यूरोन?" फिर मेरी तरफ देखा और ऐसे इशारा किया. लेकिन उसके इशारे कुछ अच्छे नहीं थे. इन बच्चों के अंक शून्य से बढकर तीस प्रतिशत हो गए थे, जो कि इन हालातों में असंभव है. लेकिन तीस प्रतिशत से कोई पास नहीं होता. फिर मैंने पाया कि उनकी एक दोस्त है, एक स्थानीय मुनीम, एक युवा लड़की, और वे उसके साथ फुटबाल खेलते थे. मैंने उस लड़की से पूछा, "क्या तुम इन्हें इतनी जीव-तकनीकी सिखाओगी कि ये पास हो जाएँ?" उसने कहा, "मैं ये कैसे करूंगी? मुझे तो यह विषय नहीं आता." मैंने कहा, "नहीं, दादीमाँ का तरीका अपनाओ." उसने पूछा, "और वो क्या है?" मैंने कहा, "तुम्हे करना यह है कि उनके पीछे खड़ी हो जाओ और उनकी प्रशंसा करती रहो. उन्हें बस ये कहो, "बहुत खूब. लगे रहो. वो क्या है? क्या तुम इसे दोबारा कर सकते हो? क्या तुम मुझे थोड़ा और दिखा सकते हो?" उस लड़की ने ऐसा दो महीने तक किया. अब अंक 50 तक बढ़ गए, जो कि नई दिल्ली के आलिशान स्कूलों में बच्चों को मिल रहे थे, जहाँ काबिल जीव-तकनीकी के अध्यापक हैं. मैं इन परिणामों के साथ न्यूकैसल वापस लौटा और मैंने पहचाना कि यहाँ कुछ अलग हो रहा है जो निश्चित ही गंभीर होता जा रहा है. तो हर तरह की दूर-दराज़ जगहों पर प्रयोग करने के बाद, मैं ऐसी जगह पर आया जो मेरी कल्पना में सबसे दूर-दराज़ में है. (ठहाके) दिल्ली से लगभग 8000 किलोमीटर दूर गेट्सहैड नामक एक छोटा शहर है. गेट्सहैड में, मैंने 32 बच्चे लिए, और मैं अपनी तकनीक को तराशने लगा. मैंने उन्हें चार-चार के समूहों में बाँट दिया. मैंने कहा, "तुम खुद अपने चार-चार के समूह बनाओ. हर एक समूह एक ही कंप्यूटर का इस्तेमाल कर सकता है, चार का नहीं." आपको याद होगा - दीवार में जड़ा हुआ कंप्यूटर. "आप समूह बदल सकते हैं. अगर आपको अपना समूह पसंद न आये तो आप कोई दूसरे समूह के पास जा सकते हैं. किसी दूसरे समूह के पास जाकर आप झाँक कर देख सकते हैं कि वो क्या कर रहे हैं, फिर अपने समूह में आकर दावा कर सकते हैं कि वह आपका खुद का विचार था." मैंने उन्हें समझाया कि आपको पता है? कितने ही वैज्ञानिक अनुसंधान इसी तरह किया जाते हैं. (ठहाके) (अभिवादन) उन बच्चों ने उत्साहित होकर मुझसे पूछा, "आप हमसे क्या करवाना चाहते हैं?" मैंने उन्हें छह GCSE के सवाल दिए. पहले समूह ने, जो सबसे अच्चा समूह था, सारे सवाल 20 मिनट में हल कर दिए. सबसे ख़राब समूह ने 45 मिनट लिए. उन्हें जितना ज्ञान था उस सबका उन्होंने इस्तेमाल किया - समाचार, गूगल, विकिपीडिया, Ask Jeeves अध्यापकों ने पूछा, "क्या यह गहन शिक्षा है?" मैंने कहा, "चलो, परख लेते हैं. मैं दो महीने बाद लौटूंगा. हम उन्हें एक कागज़ी परीक्षा देंगे -- कोई कंप्यूटर नहीं, एक-दूसरे से बातचीत नहीं, फलाना, फलाना." जब मैंने कंप्यूटर और समूहों के साथ यह किया तो औसतन अंक 76 प्रतिशत थे. जब मैंने दो महीने बाद यह प्रयोग किया, जब परीक्षा ली, तो उनके अंक फिर 76 प्रतिशत थे. बच्चों के दिमाग में तस्वीरों के रूप में चीज़ें याद रह गईं, शायद इसलिए क्योंकि बच्चे आपस में चर्चा कर रहे थे. एक अकेला बच्चा कंप्यूटर के सामने बैठा हुआ कभी ऐसा नहीं करेगा. मेरा पास और भी परिणाम हैं, अंकों के जो वक़्त के साथ बढ़ते हैं, जो कि एक दम अविश्वसनीय हैं. उनके अध्यापक बताते हैं ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रयोग ख़तम होने के बाद भी, बच्चे गूगल का इस्तेमाल जारी रखते हैं. मेरे कुप्पम प्रयोग के बाद, यहाँ ब्रिटेन में, मैंने ब्रिटिश दादियों के लिए इश्तेहार बटवाए. आपको तो पता ही है, ब्रिटिश दादियाँ कितनी व्यवसायिक होती हैं. 200 दादियाँ तुरंत आगे आ गईं. (ठहाके) समझौता यह था कि वे घर पर बैठे हुए हफ्ते में एक दिन, मुझे इन्टरनेट पर अपना एक घंटा देंगी. उन्होंने ऐसा ही किया. और पिछले दो सालों के दौरान, कुल 600 घंटों का शिक्षण स्काइप (Skype) पर हुआ है, इसके द्वारा जिसे मेरे छात्र दादीमाँ का बादल (granny cloud) कहते हैं. दादीमाँ का बादल यहाँ बैठता है. मैं इन दादियों को किसी भी स्कूल से जोड़ सकता हूँ. अध्यापिका (अंग्रेजी में): तुम मुझे नहीं पकड़ सकते. अब तुम बोलो. तुम मुझे नहीं पकड़ सकते. बच्चे (अंग्रेजी में): तुम मुझे नहीं पकड़ सकते. अध्यापिका (अंग्रेजी में): मैं जिंजरब्रेड मैन हूँ. बच्चे (अंग्रेजी में): मैं जिंजरब्रेड मैन हूँ. अध्यापिका: शाबाश. बहुत अच्छे... मित्रा: और पीछे गेट्सहैड में, एक दस साल की लड़की 15 मिनट में हिंदुत्व के केंद्र तक पहुँच गई. इतनी गहराई में, जिसका मुझे कुछ अता-पता नहीं. दो बच्चों ने एक TEDTalk देखी. वो पहले फुटबाल खिलाडी बनना चाहते थे. आठ TEDTalks देखने के बाद, वो लिओनार्दो डा विन्ची बनना चाहता है. (ठहाके) (अभिवादन) यह काफी सरल बात है. मैं अब ऐसी चीज़ें बना रहा हूँ. इन्हें SOLEs (सोल्स) या स्व-संगठित शिक्षा वातावरण कहा जाता है. फर्नीचर इस तरह बनाया गया है कि बच्चे समूहों में, बड़े पर्दों और तेज़ इन्टरनेट के सामने बैठ सकें. अगर वो चाहें, तो दादीमाँ के बादल को बुला सकते हैं. यह न्यूकैसल में एक सोल है. यह मांझी भारत से है. तो हम किस हद तक जा सकते हैं? बस एक आखिरी बात. मैन मई में ट्यूरिन गया. मैंने सभी शिक्षकों को मेरे दस-साल के बच्चों से दूर कर दिया. मैं केवल अंग्रेजी बोलता हूँ, वे केवल इतालवी, हमारे पास बातचीत करने का कोई भी तरीका नहीं था. मैंने ब्लैकबोर्ड पर अंग्रेजी सवाल लिखने शुरू कर दिए. बच्चों ने उसकी तरफ देखा और कहा, "क्या?" मैंने कहा, "इसे हल करो." उन्होंने उसे गूगल पर टाइप किया, इतालवी में उसका अनुवाद किया, और फिर इतालवी गूगल पर वापस गए. 15 मिनट बाद... अगला सवाल: कोलकाता कहाँ है? इसके लिए उन्हें सिर्फ 10 मिनट लगे. फिर मैंने एक बहुत कठिन सवाल चुना. Pythagoras (पाइथागोरस) कौन थे और उन्होंने क्या किया? कुछ देर के लिए ख़ामोशी थी, और फिर वो बोले, "आपने गलत लिखा है. Pitagora (पीतागोरा) होना चाहिए." और फिर, 20 मिनट में, समकोण त्रिकोण कंप्यूटर पर दिखाई देने लगे. यह देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए. ये सिर्फ दस साल के बच्चे हैं. और 30 मिनट में तो ये रिलेटिविटी के सिद्धांत तक पहुँच जायेंगे. उसके बाद क्या? (ठहाके) (अभिवादन) मित्रा: क्या आप जानते हैं ये क्या हुआ? मेरे ख़याल से हमने एक अपने आप संगठित होने वाला प्रणाली खोज निकाली है. एक स्व- संगठनीय प्रणाली वो होती है जिसमें स्पष्ट बाहरी हस्तक्षेप के बिना ही एक आकार नज़र आता है. ऐसी प्रणालियाँ हमेशा उभारता भी दर्शाती हैं - यह प्रणाली ऐसी चीज़ें करने लगती है, जिसके लिए इसे कभी बनाया ही नहीं गया था. इसीलिए आप इस तरह की प्रतिक्रिया कर रहे हैं, क्योंकि यह असंभव लगता है. मेरे ख्याल से मैं अब एक अंदाजा लगा सकता हूँ. शिक्षा एक स्व-संगठनीय प्रणाली है, जिसमें सीखना एक उभरती घटना है. मुझे इसे प्रायौगिक ढंग में साबित करने में कुछ साल लगेंगे, पर मैं कोशिश करूंगा. लेकिन इस बीच एक तरीका है. 100 करोड़ बच्चों के लिए हमें 10 करोड़ मांझी चाहियें -- इस धरती पर उससे कहीं ज्यादा हैं -- एक करोड़ सोल्स, 18 हज़ार करोड़ डॉलर और दस साल. हम सब कुछ बदल सकते हैं. धन्यवाद. (अभिवादन) एक उपहार की कल्पना कीजिये | मैं चाहती हूँ आप इसकी अपने दिमाग में एक छवि बना ले | यह ज्यादा बड़ा नहीं है -- गोल्फ बाल के आकार का | तो कल्पना कीजिये यह पैक हुआ कैसा दिखता होगा | इसके पहले मैं आप दिखाऊ कि इसके अंदर क्या है, मैं आपको बताना चाहूंगी कि यह अविश्वसनीय चीज़े करेगा आपके लिए | यह आपके पूरे परिवार को एक साथ ले आएगा | आपको लोगो का स्नेह और सराहना मिलेगी जो पहले ना मिली हो आप उन दोस्तों और जान पहचान के लोगो से फिर से जुड़ेंगे जिनसे काफी दिनों से बात नहीं हुई हो | अति स्नेह और प्रशंसा आपको अति उत्साहित कर देगा | यह पुन: निर्धारित करेगी कि आपके जीवन में क्या महत्वपूर्ण है | यह आपके अध्यात्म और श्रद्धा की समझ को फिर से परिभाषित करेगा | आपमें अपने शरीर के बारे में एक नयी समझ और विश्वास होगा | आपमें नायाब जीवन शक्ति और ऊर्जा होगी | आपका शब्दकोष बढेगा, नए लोगो से मिलेंगे, और आपकी दिनचर्या ज्यादा स्वस्थ होगी | और इसे देखिये, आपको कुछ भी ना करने के लिए आठ हफ्तों की छुट्टी मिलेगी | आप अनगिनत अच्छे अच्छे खाने खाएंगे | बहुत बड़ी मात्रा में आप के पास फूल आयेंगे | लोग आपसे कहेंगे कि "आप अच्छे लग रहे है, क्या आपका कोई काम बचा है? " और आपके पास अच्छी दवाइयों की जीवन भर की आपूर्ति होगी | आप चुनौतीपूर्ण, प्रेरित और विनम्र होंगे | आपके जीवन एक नया अर्थ होगा | शांति, स्वास्थ शुद्धता, प्रसन्नता, निर्वाण | इसकी कीमत? 55,000 डालर | और यह एक बहुत बढिया सौदा है | मुझे पता है अब आप इसे जानने के लिए तड़प रहे होंगे क्या है यह और आप इसे कहाँ पा सकते है | क्या अमेज़न(Amezon) इस बेचता है ? क्या इसके ऊपर एप्पल(Apple) का निशान है ? क्या इसके लिए कोई प्रतीक्षा सूची है? बिल्कुल नहीं | यह उपहार मुझे करीब पांच महीने पहले प्राप्त हुआ | यह कुछ इस तरह दिख रहा था जब यह पैक था -- उतना सुंदर नहीं था | और यह | और फिर यह | यह एक दुर्लभ रत्न था, दिमाग का ट्यूमर, हेमनजियोब्लास्टोमा, ऐसा उपहार जो निरतंर देता रहता है | और अब जब मैं ठीक हो गयी हूँ, यह उपहार मैं आपके लिए बिल्कुल नहीं चाहुंगी | मुझे नहीं लगता आप इसे पाना चाहेंगे | लेकिन इससे मेरा अनुभव नहीं बदलेगा | इसने काफी गहराई से मेरा जीवन बदला उस तरह जैसा मैंने कभी सोचा नहीं था उन सभी तरीको से जो मैंने आपको बताये | तो अब अगली बार जब आपका सामना हो किसी अप्रत्याशित, अनचाहे और अनिश्चित चीज़ से, सोचिये यह सिर्फ एक उपहार हो सकता है (अभिवादन) एक बड़ा प्रिय भाग गेट्स फ़ाउन्डेशन में मेरे काम का यह है कि मुझे विकासशील दुनिया में जाने का मौका मिलता है, और मैं यह अक्सर करती हूँ. और जब मैं माँओं से मिलती हूँ इतने सारे सुदूर इलाकों में, तो मुझे इस बात का एहसास होता है कि हममें कितनी समानताएं हैं. वो भी अपने बच्चों के लिए वही चाहती हैं जो हम चाहते हैं, और वह है कि उनके बच्चे कामयाब निकलें, स्वस्थ हों, और एक सफल जीवन बिताएं. पर मैं हद दर्जे की गरीबी भी देखती हूँ, और वो बहुत हिला देती है, अपने पैमाने और अपने विस्तार, दोनों से. भारत में अपनी पहली यात्रा पर, मैं एक व्यक्ति के घर में थी जहां मिट्टी का फर्श था, और बहता पानी नहीं था, बिजली भी नहीं, और यही सब मैं सारी दुनिया में देखती हूँ. मूल बात यह है, कि मैं उन सब चीज़ों से भौंचक्की रह जाती हूँ जो उनके पास नहीं हैं. पर मैं उस एक चीज़ से चकित हो जाती हूँ जो उनके पास होती है: कोका-कोला. कोक हर जगह है. बल्कि जब मैं विकासशील देशों में जाती हूँ, तब कोक सर्वव्यापी लगता है. और इसलिए जब मैं इन दौरों से वापस आती हूँ, और विकास के बारे में सोच रही होती हूँ, और घर जा रही होती हूँ, तब सोचती हूँ, "हम लोगों को निरोध पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं, और तरह तरह के टीके भी." आप जानते हैं न, कोक की सफलता आप को सोचने पर मजबूर करती है: ऐसा कैसे है कि वे कोक पहुंचा सकते हैं उन सब दूर-दराज़ जगहों पर? अगर वो कर सकते हैं, तो सरकारें और गैर-लाभ संस्थाएं ऐसा क्यों नहीं कर सकतीं? और यह सवाल पूछने वाली मैं पहली नहीं हूँ. पर मैं सोचती हूँ, एक समुदाय के तौर पर, हमें अभी बहुत कुछ सीखना है. अगर कोका-कोला के बारे में सोचें तो वाकई चौंका देने वाली बात है. वे १.५ बिलियन यूनिट बेचते हैं हर एक दिन. यह कुछ ऐसा हुआ जैसे दुनिया का हर आदमी, औरत और बच्चा हफ्ते में एक बार कोक की एक यूनिट पिए. तो इस बात का क्या महत्त्व है? भई, अगर हम उन्नति को और तेजी से बढ़ाना चाहते हैं और जल्दी बढ़ना चाहते हैं उन मिलेनियम डिवेलपमेंट गोल्ज़ (एम् डी जी) की तरफ जो हमने दुनिया के लिए तय किये हैं, तो हमें अग्रणी लोगों से सीखना होगा, और यह अग्रणी लोग हर एक कार्यक्षेत्र से आते हैं. मुझे लगता है कि अगर हम समझ सकें कि कोका-कोला जैसी चीज़ सर्वव्यापी कैसे बन सकती है , तो हम यह सबक जनता के भले के लिए काम में ला सकते हैं. कोक की सफलता प्रासंगिक है, क्योंकि अगर हम उसे समझ सकते हैं, उससे सीख सकते हैं, तो हम कई जीवन बचा सकते हैं. इसीलिए मैंने कोक को समझने में कुछ समय लगाया, और मुझे लगता है कि असल में तीन चीज़ें हैं जो हम कोका-कोला से सीख सकते हैं. वो समकालीन आंकडें लेते हैं और उन का तुरंत प्रयोग प्रोडक्ट बनाने में करते हैं. वो लोकल उद्यमी प्रतिभा को पकड़ते हैं, और वो असाधारण मार्केटिंग करते हैं. तो हम आंकड़ों से शुरुआत करते हैं. कोक की मुनाफेदारी बहुत स्पष्ट है. वो शेयरधारकों के एक समूह के आगे जिम्मेवार हैं. उनके लिए लाभ दिखाना ज़रूरी है. तो वो आंकड़े लेते हैं, और उन्हें वृद्धि मापने के लिए इस्तेमाल करते हैं. उनका फीडबैक का चक्र भी लगातार चलता रहता है. वो कुछ भी सीखते हैं, तो उसे वापस अपने प्रोडक्ट में इस्तेमाल करते हैं, वापस अपने बाजारों में इस्तेमाल करते हैं. उनकी एक पूरी टीम है, जिसका नाम है "ज्ञान और बोध". ऐसा कई उपभोक्ता उद्योगों में होता है. तो अगर आप कोका-कला के लिए नामीबिया चला रहे हैं , और आपकी १०७ शाखाएं हैं, तो आपको मालूम होता है कि कहाँ पर प्रत्येक कैन या बोतल बिके स्प्राइट, फैंटा, या कोक के, चाहे वो कोने की दुकान हो, या सुपरमार्केट हो या फिर हाथगाढ़ी. तो अगर बिक्री कम होने लगती है, तब वह व्यक्ति समस्या को समझ सकता है और कारण पर ध्यान दे सकता है. अब हम एक मिनिट के लिए इसकी तुलना विकास के क्षेत्र से करें. विकास में, मूल्यांकन होता है प्रोजेक्ट के बिलकुल अंत में. मैं ऐसी कई सभाओं में बैठी हूँ. और तब तक, उन आंकड़ों का इस्तेमाल करने में बहुत देर हो जाती है. एक बार एक एनजीओ के किसी व्यक्ति ने मुझसे इस की तुलना अँधेरे में बोलिंग करने के बराबर दी. उन्होनें कहा, "तुम बॉल को लुढ़काते हो, कुछ पिनों के गिरने की आवाज़ सुनाई देती है. अँधेरा है, इसलिए जब तक बत्तियां न जलें, तुम देख नहीं सकते कि कौन सी गिरी , और फिर तुम अपना असर देख सकते हो." समकालीन आंकड़े उन बत्तियों को जलाते हैं. अब वह दूसरी चीज़ क्या है जिसमें कोक आगे है? वे बहुत आगे हैं लोकल उद्यमी प्रतिभा का इस्तेमाल करने में. कोक अफ्रीका में १९२८ से है, पर ज़्यादातर वे दूर-दराज़ के बाजारों में नहीं जा पाते थे, क्योंकि उनका तरीका विकसित देशों से बहुत मिलता-जुलता था, यानि एक भरी हुई ट्रक ले कर गलियों में निकलना. और अफ्रीका के दूर-दराज़ इलाकों में, अच्छी सड़कें मिलना बहुत मुश्किल है. पर कोक ने एक बात नोट की. उन्होंने देखा कि लोकल व्यक्ति सामान खरीद रहे थे, और वो भी थोक में, और फिर वो उसे दूर-दराज़ इलाकों में जा कर दोबारा बेच रहे थे. उन्हें यह सब देखने-समझने में थोड़ा समय ज़रूर लगा. और उन्होंने १९९० में निर्णय लिया कि वो लोकल उद्यमियों को प्रशिक्षण देना शुरू करना चाहते थे, उन्हें छोटे ऋण दे कर. उन्होंने यह सब शुरू किया माइक्रो-डिस्ट्रीब्यूशन केंद्र चला कर. जिसमें वही लोकल उद्यमी सेल्समेन रखते हैं, जो फिर साइकिल, हाथगाड़ी या ठेला ले कर निकलते हैं सामान बेचने के लिए. अब अफ्रीका में करीब ३००० ऐसे केंद्र हैं जिनमें १५००० लोग काम कर रहे हैं. तंज़ानिया और युगांडा में, वे ९०% भाग सँभालते हैं कोक की बिक्री का. अब विकास के क्षेत्र की तरफ देखें. ऐसा क्या है जो सरकारें और एनजीओ कोक से सीख सकते हैं? सरकारें और एनजीओ उस स्थानीय (लोकल) प्रतिभा के कोष का अपने काम के लिए उपयोग कर सकती हैं, क्योंकि स्थानीय लोग जानते हैं कि कैसे पहुंचना है दूर-दराज़ इलाकों में, उनके पड़ोसियों तक, वो यह भी जानते हैं कि उन्हें बदलाव लाने के लिए कैसे प्रेरित करना है. मैं सोचती हूँ कि इसका एक बढ़िया उदाहरण है इथियोपिया का नया स्वास्थ्य विस्तार प्रोग्राम. इथियोपिया में सरकार ने देखा कि बहुत सारे लोग किसी भी स्वास्थ्य-केंद्र से इतने दूर थे, कि उन्हें स्वास्थ्य केंद्र पहुँचने के लिए एक दिन से भी ज्यादा सफ़र करना पड़ता. तो अगर आप आपातकालीन अवस्था में हों, या बच्चा पैदा करने के लिए बिलकुल तैयार माँ हों, तो भूल जायें, स्वास्थ्य-केंद्र पहुंचना तो मुमकिन ही नहीं. सरकार ने तय किया कि यह ठीक नहीं था, तो वे भारत गए और वहाँ के केरल प्रदेश का अध्ययन किया जहाँ ऐसा ही सिस्टम था, और उन्होनें उसे इथियोपिया के हिसाब से अपना लिया. और २००३ में इथियोपिया की सरकार ने इस नए सिस्टम को अपने देश के लिए शुरू किया. उन्होनें ३५००० स्वास्थ्य-विस्तार कर्मचारियों को ट्रेन किया ताकि वे देख-रेख सीधे लोगों तक पहुंचा सकें. सिर्फ पांच सालों में, उनका अनुपात ३०००० लोगों के लिए १ कर्मचारी से बढ़ कर २५०० लोगों के लिए १ कर्मचारी हो गया. अब ज़रा सोचिये, इससे लोगों की ज़िन्दगी कितनी बदल सकती है. स्वास्थ्य विस्तार कर्मचारी कितनी चीज़ों में मदद कर सकते हैं, चाहे वह परिवार नियोजन हो, या प्रसव से पहले की देखभाल, या फिर बच्चों के लिए टीके, या किसी औरत को यह बताना कि वह समय से केंद्र पहुँच जाए समयपूर्वक प्रसव के लिए. यह होता है असली प्रभाव इथियोपिया जैसे देश के लिए, और इसीलिए आप देख सकते हैं कि उनके शिशु-मृत्यु आंकड़े २५% नीचे आ रहे हैं २००० से २००८ के बीच में. इथियोपिया में कई सौ हज़ार बच्चे जीवित हैं इसी स्वास्थ्य विस्तार कर्मचारी प्रोग्राम के कारण. तो इथियोपिया के लिए अगला कदम क्या है? भई, वो तो अभी से उसके बारे में बात शुरू कर रहे हैं. उनकी बातें शुरू हो रही हैं, "हम कैसे पक्का करें कि स्वास्थ्य समुदाय कर्मचारी नए विचार खुद उत्पन्न करें?" हम उन्हें उस असर के आधार पर कैसे बढ़ावा दें, जो वो दिखा रहे हैं उन दूर-दराज़ गांवों में?" इसी तरह से आप स्थानीय उद्यमी प्रतिभा का उपयोग कर सकते हैं और लोगों की क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं. कोक की सफलता का तीसरा भाग है उनकी मार्केटिंग. आखिरकार, कोक की सफलता एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण बात पर निर्भर करती है, और वह यह है कि लोग चाहते हैं एक कोका-कोला. अब वह कारण जिससे यह छोटे उद्यमी बिक्री कर सकते हैं या मुनाफा कमा सकते हैं, यह है कि उन्हें अपनी ठेलागाड़ी या हाथगाड़ी में रखी हर एक बोतल बेचनी होती है. तो वे कोका-कोला पर भरोसा करते हैं -- यानि उसकी मार्केटिंग पर. और उसकी मार्केटिंग का रहस्य क्या है? अरे,वह आकांक्षापूर्ण है. वह उस प्रोडक्ट को जोड़ती है उस तरह के जीवन के साथ जो लोग जीना चाहते हैं. तो हालांकि यह एक विश्वव्यापी कम्पनी है, पर उनका तरीका बहुत स्थानीय है. कोक के विश्वव्यापी अभियान का नारा है "उन्मुक्त आनंद". पर वो इसे स्थानीय बनाते हैं. और वो सिर्फ अनुमान नहीं लगाते कि लोग किस बात से खुश होते हैं, बल्कि वो लैटिन अमेरिका जैसी जगहों पर जाते हैं, और समझते हैं कि वहाँ पर आनंद पारिवारिक जीवन से जुड़ा हुआ है. और दक्षिणी अफ्रीका में, आनंद का ताल्लुक (अस्पष्ट) या समुदाय में इज्ज़त से है. अब यह तो हमें नज़र आया वर्ल्ड कप के अभियान में. चलिए इस गाने को सुनें जो कोक ने उसके लिए रचा, "लहराता झंडा" -- एक सोमाली रैप संगीतकार के द्वारा. (वीडिओ) के'नान 'ओह ओह ओह ओह ओह ओ-ओह' ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओ-ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओ-ओह तुम्हें मुक्ति दें, तुम्हें जोश दें, तुम्हें ज्ञान दें, ऊंचे ले चलें, देखो मैदान में विजेता उतर आये तुम अर्थ देते हो, गर्वित करते हो हमें गलियों में सर हमारे ऊंचे हो जाते हैं भूल जाते हैं हम प्रतिबन्ध बस आनंद ही आनंद, चारों ओर हमारे हर देश, चारों ओर हमारे मेलिंडा फ्रेंच गेट्स: मजेदार है, है न? मगर वो यहीं तक नहीं रुके. उन्होनें इसे १८ स्थानीय भाषाओँ में रूपांतरित किया. और वह लोकप्रिय चार्ट्स का एक नंबर गाना बना १७ देशों में. यह मुझे अपने बचपन के एक लोकप्रिय गाने की याद दिलाता है, "मैं दुनिया को गाना सिखाना चाहूं". वो भी लोकप्रिय चार्ट्स का नंबर एक गाना था. दोनों गानों में एक समानता है: एक जैसा आग्रह आनंद और एकता के लिए. तो स्वास्थ्य और विकास कैसे अपनी मार्केटिंग करते हैं? उनकी मार्केटिंग टाल-मटोल पर आधारित है, महत्त्वाकांक्षाओं पर नहीं. मुझे विश्वास है कि आपने इनमें से कुछ सन्देश अवश्य सुने होंगे. "निरोध इस्तेमाल करिए, एड्स से बचिए." "हाथों को धोइए, आपको दस्त नहीं होंगे." मुझे ये सब कहीं से भी "लहराता झंडा" जैसे नहीं लगते. और मुझे लगता है हम एक बुनियादी गलती करते हैं, हम पहले से ही एक धारणा बना लेते हैं, हम सोचते हैं कि अगर लोगों को किसी चीज़ की ज़रुरत है, तो हमें उनके अन्दर उस चीज़ की कामना नहीं उत्पन्न करनी चाहिए. और मुझे लगता है कि यह हमारी भूल है. और दुनिया भर में यह संकेत मिल रहे हैं कि इस में बदलाव आ रहा है. एक उदाहरण है सफाई-व्यवस्था. हमें पता है कि करीब १५ लाख बच्चे हर साल दस्त के रोग से मरते हैं, और इस का मुख्य कारण है खुले स्थान में शौच करना. और इसका समाधान है: शौचालय बनाना. पर हमें सारी दुनिया में पता चल रहा है, बार बार, कि अगर आप सिर्फ शौचालय बना कर छोड़ देते हैं, तो उसका प्रयोग नहीं होता. लोग अपने घर में उसके पत्थर का उपयोग कर लेते हैं. कभी वो उसका अनाज भरने के लिए उपयोग करते हैं. मैंने उसका मुर्गियों के दड़बे के लिए उपयोग होते भी देखा है. (हंसी) तो मार्केटिंग ऐसा क्या कर सकती है, जिससे सफाई के समाधान दस्त के रोग में अपना प्रभाव दिखा सकें? एक तो, आप समुदायों के साथ काम कर सकते हैं. आप लोगों को समझा सकते हैं कि खुले मैं शौच करना एक ऐसी चीज़ है जो गाँव में नहीं होनी चाहिए, और वो सहमत होते हैं. और फिर आप शौचालय को ले कर दिखा सकते हैं कि वो एक आधुनिक, नयी सहूलियत की चीज़ है. उत्तर भारत के एक प्रदेश में तो उन्होनें यहाँ तक किया है कि शौचालयों को शादी के लिए ज़रूरी बना दिया है. और इसका असर होता है. इन सुर्ख़ियों को देखिये. (हंसी) मैं मजाक नहीं कर रही हूँ. लड़कियाँ अब बिना शौचालय वाले आदमियों से शादी करने से इंकार कर रही हैं. शौचालय नहीं, तो शादी नहीं. (हंसी) अब यह सिर्फ मजाकिया सुर्खी नहीं है. यह नया है, मौलिक है. यह एक प्रगतिशील मार्केटिंग अभियान है. पर सबसे बढ़ कर, यह जीवन बचाता है. जरा इसे देखिये. यह कमरा कई युवा पुरुषों से भरा हुआ है, जिन के साथ हैं मेरे पति, बिल. और क्या आप अंदाज़ लगा सकते हैं कि ये युवक किसलिए इकट्ठे हुए हैं? ये सब खतने के इंतज़ार में रुके हैं. क्या आप विश्वास कर सकते हैं? हम जानते हैं कि खतने से एच आई वी संक्रमण आदमियों में करीब ६०% कम हो जाता है. और जब हमने फाउंडेशन में पहली बार इस परिणाम को सुना, तो मुझे स्वीकार करना पड़ेगा, बिल और मैं अपने सर खुजा रहे थे, और कह रहे थे, "पर कौन इस तरीके के लिए अपनी मर्ज़ी से आगे आएगा?" पर आदमी आगे आये, क्योंकि वो अपनी औरतों से सुनते हैं कि उन्हें यह चाहिए, और आदमियों को यह भी भरोसा है कि इससे उनकी यौन-क्षमता बेहतर होगी. तो अगर हम यह समझना शुरू करें कि लोग वाकई में क्या चाहते हैं स्वास्थ्य और विकास में, तो हम समुदायों को बदल सकते हैं और हम समूचे देशों को बदल सकते हैं. तो यह सब इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है? चलिए उस समय की बात करें जब यह सब होने लगेगा, जब यह तीनों चीज़ें एक साथ जुड़ जायेंगी. और मेरे ख़याल से पोलियो इसका सबसे प्रभावशाली उदाहरण है. हमने २० सालों में पोलियो में ९९% कमी देखी है. तो अगर आप १९८८ की ओर नज़र डालें, तो पोलिओ के करीब ३,५०,००० उदाहरण उस साल विश्व में थे. २००९ में, केवल १६०० ऐसे उदाहरण हैं. तो ऐसा कैसे संभव हुआ? चलिए भारत जैसे देश को देखें. इस देश में १ अरब से अधिक लोग हैं, पर केवल ३५.००० स्थानीय डॉकटर हैं जो लकवे की रिपोर्ट करते हैं, और चिकित्सक, औषध विक्रेताओं का एक बड़ा रिपोर्टिंग-सिस्टम. उनके पास २५ लाख टीका लगाने वाले हैं. पर मैं इस कहानी को आपके लिए और साकार बनाती हूँ. मैं आपको श्रीराम की कहानी सुनाती हूँ, जो एक १८ महीने का लड़का है, भारत के एक उत्तरी भाग, बिहार से. इस साल, ८ अगस्त को, उसे लकवा मार गया, और १३ तारीख को उसके माँ-बाप उसे डॉक्टर के पास ले गए. अगस्त १४ और १५ को उसके मल की जांच हुई, और २५ अगस्त तक, यह साबित हो चुका था कि उसे टाइप १ पोलिओ है. ३० अगस्त तक, एक आनुवंशिक टेस्ट किया गया, जिससे हमें पता चला कि श्रीराम के पोलिओ की नस्ल क्या है. अब यह नस्ल दो में से एक जगह से आ सकती थी. यह थोड़े उत्तर में, सीमा के पार, नेपाल से आ सकती थी, या फिर कुछ दक्षिण में, झारखंड से भी आ सकती थी. भाग्य से, आनुवंशिक टेस्ट ने साबित किया कि असल में यह नस्ल उत्तर से ही आई थी, क्योंकि अगर यह दक्षिण से आती, तो इसके प्रसार का असर कहीं अधिक होता. कहीं ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ जाते. तो निष्कर्ष क्या है? आखिर ४ सितम्बर को, एक बड़ा सफ़ाया-अभियान हुआ, जो पोलिओ में अक्सर किया जाता है. वो सब गए, और जहाँ श्रीराम रहता है, वहाँ २० लाख लोगों को टीका लगाया. तो एक महीने से कम समय में, तो लकवे के एक मामले से हम पहुँच गए एक उद्देश्यपूर्ण टीका-अभियान तक. और मुझे यह बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि उस इलाके में सिर्फ एक और व्यक्ति को पोलिओ हुआ. इसी तरह से आप रोक सकते हैं एक बड़े प्रकोप को फैलने से, और इससे पता चलता है कि क्या हो सकता है जब स्थानीय लोगों के हाथ में आंकड़े आते हैं; वो जानें बचा सकते हैं. तो पोलियो की सबसे बड़ी चुनौती अभी भी है -- मार्केटिंग, पर वो नहीं जो आप शायद सोच रहे होंगे. यह रोज़मर्रा की मार्केटिंग नहीं है. यह माँ-बाप को बताने वाली मार्केटिंग नहीं है -- "अगर लकवा देखें, तो अपने बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाइए या फिर उसे टीका लगवाइये." हमारी मार्केटिंग की समस्या है पैसा देने वाले समुदाय के साथ. जी ८ देश पोलिओ के लिए हमेशा बहुत ही उदार रहे हैं पिछले २० सालों से, पर अब हमें पोलियो-से-थकान जैसी कुछ चीज़ महसूस हो रही है, और वो यह कि पैसा देने वाले देश अब पोलियो पर और पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं हैं. इसलिए अगली गर्मियों तक, हमारे पास पोलियो के लिए पैसा नहीं रहेगा. तो अब हम ९९% इस लक्ष्य की ओर पहुँच चुके हैं, और जल्द ही हमारे पैसे कम पड़ने वाले हैं. और मैं सोचती हूँ कि अगर मार्केटिंग महत्त्वाकांक्षा पर आधारित हो, अगर हम एक समुदाय के तौर पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकें इस बात पर कि हम कितने आगे आ गए हैं और कितना अभूतपूर्व होगा इस बीमारी को जड़ से मिटा देना, तभी हम पोलियो-से-थकान को और पोलियो को अपने पीछे छोड़ सकेंगे. और अगर हम यह कर पाए, तो हम दुनिया भर में हरेक को टीका लगाना बंद कर देंगे, सारे देशों में, पोलियो के लिए. और यह बस वो दूसरी बीमारी बन जाएगा जिसे इस ग्रह से पूर्णतयः नष्ट कर दिया गया. और हम इसके इतने करीब हैं. और यह जीत इतनी मुमकिन है. तो अगर कोक के मार्केटिंग वाले मेरे पास आते और मुझसे ख़ुशी की परिभाषा पूछते, तो मैं कहती कि मेरे लिए ख़ुशी की झलक है वो माँ जो एक स्वस्थ बच्चे को लिए है अपनी गोद में. मेरे लिए, यही गहरी खुशी है. तो अगर हम हर क्षेत्र के पथ-प्रदर्शकों से कुछ सबक सीखना चाहते हैं, तो उस आने वाले कल में, जो हम मिल कर बना रहे हैं, वह ख़ुशी उतनी ही सर्वव्यापी हो सकती है जितना कोका-कोला. धन्यवाद. (तालियाँ) वाहे गुरू जी का खालसा, वाहे गुरू जी की फतह। प्रसव के समय एक पल आता है जब मृत्यु जैसा महसूस होता है। प्रसव वेदना में शरीर खिंचकर एक असंभव सा चक्र बना लेता है। संकुचन एक मिनट से भी कम के अंतर पर होते हैं। एक लहर के बाद दूसरी लहर, साँस लेने का समय ही नहीं होता। चिकित्सा में इसे कहते हैं, "परिवर्तन काल," क्योंकि मृत्यु जैसा महसूस करना वैज्ञानिक नहीं है। (हंसी) मैंने जाँच की है। मेरे परिवर्तन काल के दौरान मेरे पति मेरी कमर के पीछे की हड्डी दबा रहे थे ताकि मेरा शरीर संभला रहे। मेरे पिता अस्पताल के पर्दे के पीछे इंतज़ार कर रहे थे... एक तरह से छिपे हुए थे। पर मेरी माँ मेरे साथ थीं। दाई ने कहा कि उसे बच्चे का सिर दिखाई दे रहा है, पर मुझे तो बस अग्नि का चक्र महसूस हो रहा था। मैंने माँ की ओर देखकर कहा, "मैं नहीं कर सकती।" पर वह तो मेरे कान में पहले ही नाना की प्रार्थना गा रही थीं। "ताती वाओ ना लगी, पार ब्रह्म सरनाई। गर्म हवाएँ तुम्हें छू नहीं सकतीं। तुम साहसी हो," वह बोलीं। "तुम साहसी हो।" और अचानक मुझे माँ के पीछे मेरी नानी खड़ी हुई दिखाई दीं। और उनकी माँ उनके पीछे। और उनकी माँ उनके पीछे। महिलाओं की एक लंबी पंक्ति जो मुझसे पहले इस अग्नि में से गुज़री थीं। मैंने साँस ली; मैंने ज़ोर लगाया; मेरा बेटा पैदा हो गया। जब मैंने उसे बाहों में थामा, रोते हुए हिल रही थी उस ऑक्सिटॉक्सिन के बहाव के कारण जो मेरे शरीर में दौड़ रही थी, मेरी माँ मुझे खिलाने की तैयारी कर रही थीं। अपने बच्चे को खिला रहीं जैसे मैं अपने बच्चे को दूध पिला रही थी। मेरी माँ ने मेरे लिए कष्ट उठाना कभी बंद ही नहीं किया, मेरे जन्म से लेकर मेरे बेटे के जन्म तक। वह तो सब जानती थीं जिससे मेरी अभी पहचान हो रही थी। कि प्रेम भावना के तेज़ बहाव से कहीं ज़्यादा होता है जो हम महसूस करते हैं अगर खुशकित्मत हों। प्रेम तो प्यारी सी प्रसव वेदना है। भयंकर। कठोर। अपूर्ण। जीवन दान देने वाली। जिसे हम बार-बार चुनते हैं। मैं एक अमरीकी सिविल राइट्स कार्यकर्ता हूँ जिसने सितम्बर ११ से राज्य की अन्यायपूर्ण नीतियों से और सड़क में घृणा के कृत्यों से लड़ते हुए अश्वेत समुदायों के साथ कठिन श्रम किया है। और हमारे सबसे दुखदायी क्षणों में, अन्याय की अग्नि के समक्ष, मैंने प्रेम की वेदना को हमें बचाते देखा है। अमरीका में घृणा की लड़ाई लड़ते हुए मेरा जीवन एक अध्ययन रहा है जिसे मैं क्रांतिकारी प्रेम कहती हूँ। जो लोग हम जैसे नहीं दिखते हमारे विरोधी जो हमें कष्ट पहुँचाते हैं, और अपने लिए दर्द सहने का चुनाव करना ही क्रांतिकारी प्रेम है। अत्यंत रोष भरे इस युग में, जब हमारे चारों ओर अग्नि जल रही है, मैं मानती हूँ कि क्रांतिकारी प्रेम ही समय की पुकार है। अब, अगर आप शर्मिंदा हो जाते हैं जब लोग कहते, प्रेम ही कर सकता है... मैं भी हो जाती हूँ। (हंसी) मैं एक वकील हूँ। (हंसी) तो आइए आपको बताती हूँ कि मैंने तीन पाठों के ज़रिए प्रेम को सामाजिक न्याय की शक्ति कैसे जाना। घृणा से मेरी पहली मुलाक़ात स्कूल में हुई। मैं कैलिफ़ोर्निया में बड़ी हो रही एक छोटी सी लड़की थी, जहाँ मेरा परिवार एक शताब्दी से खेती कर रहे हैं। जब मुझे कहा गया कि अगर मैं इसाई नहीं हूँ तो मैं नरक जाऊँगी, मुझे "काला कुत्ता" कहा गया क्योंकि मैं श्वेत नहीं थी, मैं अपने नाना की बाहों में जाकर समा गई। पापा जी ने मेरे आँसू पोंछे... मुझे सिख धर्म के संस्थापक, गुरू नानक के शब्द सुनाए। "मुझे कोई अजनबी नहीं दिखता," नानक ने कहा। "मुझे कोई शत्रु नहीं दिखता।" मेरे नाना ने मुझे सिखाया कि मैं जिन चेहरों से मिलती हूँ मैं उनके बारे में चुनाव कर सकती हूँ और सोच सकती हूँ। और अगर मैं उनके बारे में सोचूँ, तो मैं उनकी कहानियाँ सुनुँगी, चाहे कितना ही मुश्किल क्यों न हो। मैं उनसे घृणा नहीं कर पाऊँगी चाहे वे मुझसे घृणा क्यों ना करें। मैं उन्हें बचाने का भी वादा करूँगी जब वे किसी विपदा में हों। सिख होने का यही मतलब हैः स-इ-ख। एक योद्धा संत के रास्ते पर चलना। उन्होंने मुझे पहली महिला सिख योद्धा की कहानी सुनाई, माई भागो। कहानी में एक साम्राज्य के खिलाफ़ लड़ाई में ४० सैनिक अपना पद छोड़कर गाँव वापिस आ गए, और गाँव की इस महिला ने उन्हें कहा, "तुम लड़ाई से नहीं भागोगे। तुम वापिस लड़ाई में जाओगे, और मैं तुम्हारा नेतृत्व करूँगी।" वह घोड़े पर चढ़ी। उसने पगड़ी बाँधी। और हाथ में तलवार और आँखों में आग लिए, उसने उनका नेतृत्व किया जहाँ कोई और ना कर सकता था। वह वही बन गई जिसका वह इंतज़ार कर रही थी। "अपना पद मत छोड़ो, प्यारी।" मेरे नाना मुझे एक योद्धा की तरह देखते थे। मैं दो लंबी चोटियों वाली एक छोटी बच्ची थी, पर मैंने वादा किया। आगे चलते हैं, मैं २० साल की हूँ, ट्विन टॉवर्स को गिरते हुए देख रही हूँ, वह आतंक मेरे गले से नीचे नहीं उतरा, और फिर स्क्रीन पर एक चेहरा आयाः पगड़ी और दाढ़ी वाला एक अश्वेत पुरुष, औऱ मुझे एहसास हुआ कि हमारे राष्ट्र का नया शत्रु मेरे नाना जैसा दिखता है। और ये पगड़ियाँ जो हमारी सेवा के प्रति प्रतिबद्धता दिखाती थीं वही हमें आतंकवादी दिखाने लगीं। और हमारे मुस्लिम भाई और बहनों के साथ सिख घृणा के लक्ष्य बन गए। सितम्बर ११ के बाद पहले घृणा अपराध में एक सिख पुरुष की ही मौत हुई, जो एरिज़ोना में अपने पेट्रोल पम्प के सामने खड़ा था। बलबीर सिंह सोढी हमारे पारिवारिक मित्र थे जिन्हें मैं अंकल बुलाती थी, उन्हें एक ऐसे आदमी द्वारा मार दिया गया जो खुद को "देशभक्त" कहता था। वह पहले हैं, पर उनके बाद कितनों को मारा गया, पर उनकी कहानी हमारी कहानियाँ तो शाम की खबरों में भी नहीं थीं। मैं नहीं जानती थी कि क्या करूँ, पर मेरे पास एक कैमरा था, मैने अग्नि का सामना किया। मैं उनकी विधवा, जोगिंद्र कौर के पास गई, मैं उनके साथ रोई, और फिर उन्हें पूछा, "अमरीका के लोगों को आप क्या बताना चाहेंगी?" मैं दोषारोपण की उम्मीद कर रही थी। पर उन्होंने मेरी ओर देखा और बोलीं, "उन्हें धन्यवाद कहना, ३,००० अमरीकी मेरे पति के स्मारक पर आए। वे मुझे नहीं जानते थे, पर मेरे साथ रोए। उन्हें धन्यवाद कहना।" हज़ारों लोग आए, क्योंकि राष्ट्रीय खबरों के विपरीत, स्थानीय मीडिया ने बलबीर अंकल की कहानी सुनाई। कहानियाँ वह आश्चर्य पैदा कर सकती हैं जिससे अजनबी भी भाई और बहन बन जाएँ। क्रांतिकारी प्रेम में मेरा यह पहला पाठ था... कि कहानियाँ हमें किसी को भी अजनबी की तरह देखने से रोक सकती हैं। और इसलिए... मेरा कैमरा मेरी तलवार बन गया। मेरी लॉ की डिग्री मेरी ढाल बन गई। मेरा फिल्म पार्टनर मेरे पति बन गया। (हंसी) मैंने ऐसी अपेक्षा नहीं की थी। और हम उन समुदायों के अधिवक्ताओं की पीढ़ी बन गए जो अपनी ही लड़ाई लड़ रहे हैं। मैंने सुपरमैक्स जेलों में काम किया है, ग्वांतानामो के तट पर, सामूहिक हत्याकांडों के स्थान पर जब भूमि पर खून की बूंदें अभी ताज़ा थीं। और हर बार, १५ सालों तक, हर फिल्म, हर मुकदमे के साथ, हर अभियान के साथ, मुझे लगा कि हम राष्ट्र को अगली पीढ़ी के लिए सुरक्षित बना रहे थे। और फिर मेरे बेटे का जन्म हुआ। ऐसे समय में... जब हमारे समुदायों के प्रति घृणा अपराध सितम्बर ११ से लेकर सबसे अधिक हैं। जब राइट-विंग राष्ट्रवादी आंदोलन दुनिया भर में बढ़ रहे हैं और अमरीका के राष्ट्रपति पद पर कब्ज़ा कर लिया है। जब श्वेत श्रेष्ठतावादी हमारी सड़कों पर चलते हैं, ऊँची मशालें लिए, टोपियाँ गिराए. और मुझे इस तथ्य के बारे में सोचना होगा कि मेरा बेटा ऐसे देश में बड़ा हो रहा है जो उसके लिए अधिक खतरनाक है जितना मुझे मिला था। और ऐसे क्षण होंगे जब मैं उसे बचा नहीं पाऊँगी जब उसे आतंकवादी समझा जाएगा... जैसे कि अमरीका के अश्वेत लोग अभी भी अपराधी माने जाते हैं। अश्वेत लोग, गैर-कानूनी। अजीब और विपरीत लिंगी, अनैतिक। स्वदेशी लोग, जंगली। महिलाएँ और लड़कियाँ, सम्पत्ति। और जब उन्हें हम किसी माँ के बच्चे नहीं दिखाई देते, हम पर आसानी से प्रतिबंध लगा सकते हैं, हमें रोक सकते हैं, हमें निष्कासित कर सकते हैं, हमें कैद कर सकते हैं, सुरक्षा के भ्रम में हमारा बलिदान दे सकते हैं। (तालियाँ) मैं अपना पद छोड़ना चाहती थी। पर मैंने एक वादा किया था, इसलिए मैं पेट्रोल पम्प पर वापिस गई जहाँ १५ साल पहले बलबीर सिंह सोढी की हत्या हुई थी। मैंने उस जगह पर एक मोमबत्ती जलाई जहाँ उनकी मृत्यु हुई थी। उनके भाई, राना ने मेरी ओर देख कर कहा, "कुछ भी नहीं बदला है।" और मैंने पूछा, "हमने अभी तक किसे प्रेम करने की कोशिश नहीं की?" हमने हत्यारे को जेल में फ़ोन करने का निर्णय किया। फ़ोन की घंटी बजी। मेरे दिल की धड़कनें कानों में बज रही हैं। मुझे फ़्रैंक रोक की आवाज़ सुनाई दी, जिस आदमी ने एक बार कहा था... "मैं सिर पर तौलिये लपेटने वाले कुछ लोगों को मारने जा रहा हूँ। हमें उनके बच्चों को भी मार डालना चाहिए।" और मेरे अंदर का हर भावनात्मक आवेग कहता है, "मैं नहीं कर सकती।" यह सोचने के लिए इच्छा का कार्य बन जाता है। मैं पूछती हूँ, "क्यों?" तुम हमसे बात करने के लिए क्यों सहमत हुए? फ़्रैंक कहता है, "जो हुआ उसके लिए मुझे अफसोस है, पर मुझे उन सब लोगों के लिए भी अफसोस है जो ११ सितम्बर को मारे गए।" वह अपनी ज़िम्मेदारी नहीं मानता। राना के बचाव में मुझे गुस्सा आ जाता है, पर राना अभी भी फ़्रैंक के बारे में सोच रहे हैं... सुन रहे हैं... जवाब देते हैं। "फ़्रैंक, यह पहली बार है कि मैंने तुम्हें कहते सुना कि तुम्हें अफसोस है।" और फ़्रैंक... फ़्रैंक कहता है, "हाँ। मुझे अफसोस है जो मैंने आपके भाई के साथ किया। एक दिन जब मैं स्वर्ग जाऊँगा ईश्वर से मिलेगा, मैं आपके भाई से मिलने के लिए कहूँगा। और मैं उसे गले लगाऊँगा। और उससे माफी मांगूंगा।" और राना कहते हैं... "हमने तो तुम्हें क्षमा कर दिया है।" क्षमादान भूल जाना नहीं है। क्षमादान तो घृणा से आज़ादी है। क्योंकि जब हम घृणा से आज़ाद हो जाएँ, जो हमें कष्ट पहुँचाते हैं, उन्हें हम राक्षस की तरह नहीं, पर ऐसे रूप में देखते हैं कि वे स्वयं जख्मी हैं, जिन्हें खुद ही भय है, जो नहीं जानते कि अपनी असुरक्षा के साथ क्या करें इसलिए हमें कष्ट देते हैं, गोली चलाते हैं, या मत डालते हैं, या हम पर केंद्रित नीति बनाते हैं। पर अगर हममें से कुछ उनके बारे में सोचने लगें, उनकी कहानियाँ भी सुनें, हम सीखते हैं कि दमन में भागीदारी की भी कीमत होती है। यह प्रेम करने की उनकी क्षमता से उन्हें काट देता है। क्रांतिकारी प्रेम में मेरा यह दूसरा पाठ था। हम अपने विरोधियों से प्रेम करते हैं जब उनके घावों पर मलहम लगाते हैं। घावों पर मलहम लगाना उन्हें ठीक करना नहीं... सिर्फ वे ही कर सकते हैं। बस मलहम लगाने से हम अपने विरोधियों को देख सकते हैं आतंकवादी, कट्टरपंथी, दुर्जनों का नेता। वे संस्कृतियों और नीतियों के द्वारा कट्टर बना दिए गए हैं जिन्हें हम मिलकर बदल सकते। मैंने अपने सारे अभियानों को देखा, और मुझे एहसास हुआ कि हमने बुरे अभिनोताओं से लड़ाई लड़ी, हममें ज़्यादा परिवर्तन नहीं आया। पर जब हमने बुरी प्रणालियों से लड़ने के लिए अपनी तलवारें और ढालें चलाना चुना, तब हमें परिवर्तन दिखाई दिया। मैंने ऐसे अभियानों पर काम किया है जिनसे हज़ारों लोग एकांत कारावास से रिहा हुए, एक भ्रष्ट पुलिस विभाग का सुधार किया, संघीय घृणा अपराध नीति को बदला। हमारे विरोधियों से प्रेम करने का विकल्प नैतिक और व्यावहारिक है, और इससे शुरू होती है पहले की सुलह की अकाल्पनिक संभावना। परंतु याद रखें... उस फ़ोन कॉल करने में 15 साल लग गए। मुझे पहले अपने गुस्से और दुख पर मलहम लगाना था। अपने विरोधियों से प्रेम करना है तो पहले स्वयं से प्रेम करना होगा। गाँधी, किंग, मंडेला... उन्होंने दूसरों को और विरोधियों को कैसे प्रेम करें सिखाया। उन्होंने स्वयं को प्रेम करने के बारे में ज़्यादा नहीं कहा। यह एक नारीवादी हस्तक्षेप है। (तालियाँ) हाँ। हाँ। (तालियाँ) क्योंकि बहुत लंबे समय से महिलाओं और अश्वेत महिलाओं को क्षमा और प्नेम के नाम पर अपने क्रोध को दबाने के लिए, अपने दर्द को दबाने के लिए कहा गया। परंतु जब हम अपने क्रोध को दबाते हैं, तभी यह दूसरों के प्रति घृणा में बदल जाती है, परंतु अक्सर भीतर की ओर ही होती है। पर मातृत्व ने मुझे सिखाया कि हमारी सभी भावनाएँ आवश्यक हैं। आनन्द प्रेम का उपहार है। दुख प्रेम की कीमत है। क्रोध वह शक्ति है जो इसकी रक्षा करती है। यह था क्रांतिकारी प्रेम में मेरा तीसरा पाठ। हम स्वयं से प्रेम करते हैं जब हम पीड़ा की अग्नि से साँस लेते हैं और उसे घृणा बनने से रोकते हैं। इसलिए मेरा मानना है कि क्रांतिकारी बनने के लिए तीनों दिशाओं में प्रेम का आचरण किया जाना चाहिए। बस स्वयं को प्रेम करने से ही अच्छा लगता है, परंतु वह आत्मकामिका है। (हंसी) केवल अपने विरोधियों से प्रेम करना स्वयं से घृणा है। केवल दूसरों से प्रेम करना अप्रभावशाली है। हमारे बहुत सारे अभियान इस समय यहीं जी रहे हैं। हमें तीनों प्रकार के प्रेम का आचरण करना होगा। तो, हम इसका आचरण कैसे करेंगे? तैयार? नम्बर एक... दूसरों से प्रेम करने के लिए, किसी को अजनबी न समझें। हम अपनी आँखों को प्रशिक्षित कर सकते हैं सड़क पर, सबवे में, स्क्रीन पर अजनबियों को देखने के लिए और मन में कहने के लिए, "भाई, बहन, काकी, काका। और जब हम ऐसा कहते हैं, हम कह रहे हैं, "तुम मेरे ही हिस्से हो जिसके बारे में मैं अभी जानती नहीं। मैंने तुम्हारे बारे में सोचने का चुनाव किया। मैं तुम्हारी कहानियाँ सुनूँगी और अगर तुम मुसीबत में हो तो तलवार उठाऊँगी।" तो, नम्बर दो अपने विरोधियों से प्रेम करने के लिए, घाव पर मलहम लगाएँ। जिन्होंने आपको दुख पहुँचाया क्या आप उनके घाव देख सकते हैं? क्या आप उनके बारे में कभी सोच भी सकते हैं? और अगर इस सवाल से आपके शरीर में कंपकंपी सी दोड़ने लगती है, तो अपनी आवश्यकताओं के बारे में सोचना, सुनना और उनपर ध्यान देना ही आपका सबसे क्रांतिकारी कार्य होगा। नम्बर तीन स्वयं से प्रेम करने के लिए, साँस लो और ज़ोर लगाओ। जब हम अपने शरीर की अग्नि या संसार की अग्नि के ख़िलाफ़ लड़ रहे होते हैं, हमें एक साथ साँस लेना ज़रूरी है ताकि एक साथ लड़ सकें। आप हर दिन कैसे साँस लेते हैं? आप किसके साथ साँस लेते हैं? क्योंकि... जब कार्यकारी आदेश और हिंसा की खबरें हमारे शरीरों को झिंझोड़ती हैं, कई बार तो एक मिनट से भी कम के अंतर पर, मृत्यु जैसा महसूस होता है। उन क्षणों में, मेरा बेटा अपना हाथ मेरी गाल पर रखता है और कहता है, "नाचने का समय, मम्मी?" और हम नाचते हैं। अँधकार में, हम साँस लेते और नाचते हैं। हमारा परिवार क्रांतिकारी प्रेम की एक मिसाल बन जाता है। हमारा आनन्द नैतिक प्रतिरोध का कार्य है। आप हर दिन अपने आनन्द का बचाव कैसे करते हैं? क्योंकि आनन्द में हम अँधेरे को भी नई दृष्टि से देखते हैं। इसलिए, मेरे अंदर की माँ पूछती है, क्या हो अगर यह अँधकार कब्र का अँधकार नहीं बल्कि गर्भ का अँधकार हो? अगर हमारा भविष्य मृत ना हो, बल्कि जन्म लेने के इंतज़ार में हो? अगर यह हमारा परिवर्तन काल हो? दाई की बुद्धिमत्ता याद रखें, "साँस लो," वह कहती है। और फिर... "ज़ोर लगाओ।" क्योंकि अगर हम ज़ोर नहीं लगाएँगे, हम मर जाएँगे। अगर हम साँस नहीं लेंगे, तो हम मर जाएँगे। क्रांतिकारी प्रेम चाहता है कि हम योद्धा के दिल और संत की आँखों से साँस लें और इस अग्नि से पार हों। ताकि एक दिन... एक दिन आप मेरे बेटे को अपने जैसा ही समझोगे और मेरी अनुपस्थिति में उसकी रक्षा करोगे। आप उन लोगों के घाव पर मलहम लगाएँगे जो उसे कष्ट पहुँचाना चाहते हैं। आप उसे स्वयं से प्रेम करना सिखाएँगे क्योंकि आप स्वयं से प्रेम करते हैं। आप उसके कान में कहेंगी, जैसे मैं आपके कान में कहती हूँ, "तुम साहसी हो।" तुम साहसी हो। धन्यवाद। (तालियाँ) वाहे गुरू जी का खालसा, वाहे गुरू जी की फतह। (तालियाँ) (प्रशंसा) (तालियाँ) तो भई हाँ, मैं अख़बारों के लिए कार्टून बनाने वाला कार्टूनिस्ट हूँ. राजनैतिक विषयों पर कार्टून बनाने वाला कार्टूनिस्ट. मुझे पता नहीं, क्या आप लोगों ने इस चीज़ के बारे में सुना है - अख़बार? ये काग़ज़ पर लिखी हुई पढ़ने की चीज़ होती है. (ठहाका) ये आई-पौड से हल्की होती है. उससे कुछ सस्ती भी. जानते है लोग क्या कह रहे हैं? यही कि प्रिंट मीडिया मर रही है. कौन हैं जो ऎसा कह रहे हैं? भई, मीडिया. पर ये आप लोगों के लिए कोई नई ख़ब्रर नहीं है, है ना? आप तो यह ख़बर पहले ही पढ़ चुके हैं. (ठहाका) देवियों और सज्जनों, दुनिया आज छोटी हो गयी है. मानता हूँ, ये काफी घिसी पिटी बात है, पर ज़रा देखिए, देखिए कितनी छोटी, कितनी क्षुद्र हो गई है दुनिया. और आप को इसकी वजह तो पता ही है. इस सब का कारण है टेक्नोलाजी. जी हाँ. (हँसी) क्या इस कमरे में कोई कंप्युटर डिज़ाईनर है? हाँ तो, आप लोगों ने मेरा जीना मुश्किल कर दिया है. क्योंकि ट्रेक-पैड पहले गोल हुआ करते थे, एक सुंदर गोल सा आकार. जिसका कार्टून अच्छा बनता है. पर आप चप्टे, सपाट ट्रेक-पैडों का क्या बना पाएंगे, उन चौकोन सी चीज़ों का? एक कार्टूनिस्ट के तहत वो मेरे काम की नहीं. हाँ मैं जानता हूँ कि आज दुनिया सपाट हो गई है. सच्ची बात है. और ईंटरनेट दुनिया के हर कोने में पहुँच चुकि है, सबसे ग़रीब, सबसे बीह्ड़ इलाकों में भी. आज अफ़्रिका के हर जंगल में साईबर कैफे मिलेंगे. (ठहाका) वहाँ जाकर फ्रैप्पुचिनो (कॉफी) की माँग मत कर डालिएगा. तो हम डिजिटल विश्व के विभेद मिटाने में जुटे हैं. तृतीय विश्व बाकी जगत से जुड़ चुका है. हम जुड़ चुके हैं. अब आगे क्या होगा? तो, आपके पास ई-मेल है. हाँ. इंटरनेट ने हमें ताक़तवर बनाया है. इसने आपको ताक़त दी है, मुझे ताक़त दी है, और इसने कुछ और बंदों को भी ताक़त दे डाली है. (ठहाका) आपको पता है, ये आख़री दो कार्टून, इन्हे मैंनै हैनोई के एक कान्फेरेन्स में लाईव बनाया था. उन्हे इसकी आदत नहीं थी, कम्युनिस्ट 2.0 वियेतनाम में. (ठहाका) तो मैं एक बड़े से स्क्रीन पर लाईव कार्टून बना रहा था- जो अपने आप में एक सनसनी थी- और तभी ये शख़्स मेरे पास आया. वो मेरे और मेरी बनाई चित्रों की तस्वीरें खींच रहा था. मैंने सोचा,' वाह, ये कोई वियेतनामी फैन है.' और जब वो दूसरे दिन भी आया, मैंने सोचा, 'भई वाह, ये तो सच में कार्टून प्रेमी है.' तीसरे दिन आखिरकार मेरी समझ में आया, कि वो शख़्स दरअसल ड्युटि पर था. तो अब तक वियेतनामी पुलिस की फ़ाईलों में अपने स्केचों के साथ मुस्कुराते हुए मेरी कम से कम सौ तस्वीरें होंगी. (ठहाका) ये सच है, ईंटरनेट ने दुनिया बदल दी है. इसने संगीत उद्योग को हिला कर रख दिया है. इसने हमारे संगीत आस्वदन के तरीक़े भी बदल दिए हैं. जिन्होने वो समय देखा है, उन्हे याद होगा, कि एक समय हमें दुकानों तक जाना पड़ता था संगीत चुराने के लिए. (ठहाका) इंटरनेट ने ये भी बदल दिया है कि आपका भावी नियोक्ता आपके नौकरी के आवेदन को कैसे परखेगा. तो सतर्क रहिए अपने फेसबुक अकाउंट को लेकर. आपकी माँ भी आपसे यही कहती है, सावधान रहो. टेक्नोलोजी ने हमें आज़ाद कर दिया है. ये फ्री वाई-फाई है. हाँ, सचमुच में इसने हमें मुक्ति दिला दी है आफिस डेस्क से. ये आपकी ज़िन्दगी है. इसका लुत्फ उठाईए. (हंसी) संक्षेप में, टेक्नोलोजी ने, इंटरनेट ने, हमारी जीवन शैली बदल दी है. टेक-गुरु, जैसे कि ये व्यक्ति -- जिन्हे एक जर्मन मैगाज़ीन ने इक्कीसवी शताब्दी का दार्शनिक कहा है -- ये हमारे काम करने के तरीक़े तय कर दे रहे हैं. वो ये तय कर दे रहे हैं कि हम किस तरह चीज़ों का इस्तेमाल करेंगे. यहाँ तक कि ये हमारी इच्छाओं को भी तय कर दे रहे हैं. (हँसी) (तालियाँ) आपको अच्छा नहीं लगेगा. टेक्नोलोजी ने यँहा तक कि हमारे भगवान से संबंध भी बदल दिए हैं. (ठहाका) मुझे इसमें नहीं पड़्ना चाहिए. धर्म और राजनैतिक कार्टून, जैसा कि आपने सुना हि होगा, एक मुश्किल जोड़ी है, 2005 के उस दिन के बाद से, जब डेनमार्क के कुछ कार्टूनिस्टों ने ऎसे कार्टून बनाए, जिन पर प्रतिक्रिया पूरे विश्व भर में दिखी, विरोध प्रदर्शन, फतवा. इन चित्रों ने हिंसा भड़का दी. लोग मारे गए. कितनी दर्दनाक बात है. लोग कार्टूनों की वजह से मारे गए. मतलब- उस समय मुझे ऎसा लगा कि असल में कार्टूनों का इस्तेमाल दोनों ही पक्षों ने किया. सबसे पहले एक डैनिश अख़बार ने इनका इस्तेमाल किया, इस्लाम पर एक मुद्दा बनाने के लिए. एक डैनिश कार्टूनिस्ट ने मुझे बताया कि वो उन 24 लोगों में से था जिन्हे पयगम्बर का चित्र बनाने का काम मिला था. उनमें से 12 लोगों ने ये काम करने से मना कर दिया. ये बात आपको पता थी? उसने मुझसे कहा, ' मुझे क्या बनाना है, ये किसी और को मुझे बता देने की ज़रूरत नहीं. इस काम का यही नियम है.' इसके बाद उन कार्टूनों को दूसरी तरफ से उग्रवादियों और राजनीतिज्ञों ने इस्तेमाल किया. उनका इरादा विवाद खड़ा करने का था. बाकी किस्सा तो आप जानते ही हैं. हम जानते हैं कि कार्टूनों को हथियार भी बनाया जा सकता है. इतिहास गवाह है, कि नात्ज़ीयों ने भी यहूदियों के ख़िलाफ इनका इस्तेमाल किया. और अब हम यहाँ आ पहुँचे हैं. संयुक्त राष्ट्र में लगभग आधा विश्व जुटा पड़ा है धार्मिक आस्थाओं पर आक्रमण को दण्डनिय बनाने में -- वे इसे धर्म का अपमान कहते हैं-- वहीं बाकी विश्व ने इस मुद्दे पर बोलने की आज़ादी के पक्ष में मुहीम छेड़ रखी है. तो सभ्यताओं की जंग छिड़ चुकि है, कार्टूनों को लेकर? इस बात ने मुझे सोच में डाल दिया. अब आप मुझे सोचता हुआ देख सकते हैं मेरी किचन टेबिल पर. और चूंकि आप मेरे किचन में हैं, मेरी बीवी से मिलिए. (ठहाका) इसके कुछ महीनों बाद, 2006 में मैं आईवरी कोस्ट गया -- पश्चिमी अफ्रिका. किसी विभक्त जगह कि कल्पना कीजिए. ये देश दो टुकड़ों में बंट चुका था. उत्तर के इलाकों में बगावत चल रही थी, सरकार दक्षिण में -- राजधानी अबिदजान -- और बीच में फ्रांसीसी सेना. ये एक बड़े हैमबर्गर की तरह है. और आप बीच का हैम नहीं बनना चाहेंगे. मैं वहाँ उस कहानी पर रिपोर्ट करने गया था कार्टूनों के माध्य्म से. मैं पिछ्ले 15 सालों से ये काम करता आया हूँ. चाहें तो इसे मेरा साईड-जॉब कह सकते हैं. जैसा कि आप देख सकते हैं, इस काम की शैली अलग है. सम्पादकियों के लिए बनने वाले कार्टूनों से ये कहीं ज़्यादा संजीदा मसला है. मैँ ग़ाज़ा जैसी जगहों पर भी गया वहाँ के 2009 के युद्ध के दौरान. असल में ये कार्टूनों के ज़रिए पत्रकारिता है. आपको इसके बारे में और पता चलने लगेगा. मुझे लगता है, यही पत्रकारिता का भविष्य भी है. ज़ाहिरी तौर पर, मैं उत्तर के विद्रोहियों से मिलने गया. ये अपने हक़ के लिए लड़ने वाले ग़रीब लोग थे. इस लड़ाई का एक जातीगत पक्ष भी था जैसा कि अफ्रिका में अक़्सर होता है. मैं डोज़ो लोगों से भी मिलने गया. डोज़ो परंपरागत शिकारी हैं पश्चिम अफ्रिका में रहने वाले. लोग उनसे डरते हैं. ये विद्रोह की बड़ी मदद करते हैं. लोग मानते हैं कि इनके पास जादुई शक्ति है. जैसे कि ये ग़ायब होकर गोलियों से बच सकते है. मैं एक डोज़ो प्रमुख से मिलने गया. उसने मुझे अपनी जादुई ताक़तों के बारे में बताया. उसने कहा, ' मैं अभी आपका सिर काटकर आपको फिर से ज़िन्दा कर सकता हूँ.' मैँने कहा, 'इसके लिए हमारे पास शायद अभी समय नहीं है.' (ठहाका) ' कभी और.' अबिदजान लौटने पर मुझे एक कार्यशाला का नेतृत्व करने दिया गया, जिसमें स्थानीय कार्टूनिस्ट थे. मैंने सोचा कि हाँ, एसे समय पर कार्टूनों को सच में दूसरे पक्ष के विरुद्ध हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. मेरा मतलब है, आईवरी कोस्ट का अख़बार जगत बुरी तरह से बंटा हुआ था. उसकी तुलना गणहत्या के पहले की रवांडा के मीडिया से की जा रही थी. बस अंदाज़ा लगाईए. तो इसमें एक कार्टूनिस्ट क्या कर सकता है? कभी-कभी संपादक कार्टूनिस्टों को वही बनाने को कहते हें जो वो ख़ुद देखना चाहते हैं, और बिचारे कार्टूनिस्ट को तो अपना परिवार चलाना होता है, ना. तो हमने बहुत ही आसान सी योजना बनाई. हमने कार्टूनिस्टों को आईवरी कोस्ट के हर कोने से इकट्ठा किया. हमने उन्हे उनके अख़बारों से तीन दिन के लिए ले लिया. मैंने उन्हे एक प्रोजेक्ट में साथ काम करने कहा, जिसमें उन्हें उनके देश की समस्याओं का समाधान कार्टूनों के ज़रीए बताना था. कार्टून के सकरात्मक शक्ति को दिखाना था. कार्टून संदेश संचार का ज़बरद्स्त तरीक़ा है अच्छे और बुरे दोनों उद्देश्यों के लिए. कार्टून सीमाँए लांघ सकते हैं, जैसा कि आप देख ही चुके हैं. मुझे लगता है, हास्य-विनोद एक बेहतरीन उपाय है गंभीर विषयों से जूझने का. बहरहाल, इन कार्टूनिस्टों के किए काम पर मुझे बड़ा गर्व है. भले ही, वे एक दूसरे से सहमत नहीं थे -- पर ये असल मुद्दा नहीं था. और मैने उन्हें सिर्फ़ ख़ुशगवार कार्टून बनाने को नहीं कहा था. पहले ही दिन, वे एक दूसरे से झगड़ पड़े. पर उन्होने मिलकर एक क़िताब बनाई, पिछले 13 साल से आईवरी कोस्ट में चल रहे राजनैतिक उथल-पुथल को लेकर. उद्देश्य यही था. मैंने इस तरह के और भी प्रोजेक्ट किए हैं, 2009 में लेबानान में, इसी साल, जनवरी में कीनिया में भी. लेबानान में हमने क़िताब नहीं बनाई. हम चाहते थे कि -- विभाजित देश के विषय पर ही -- अलग-अलग जगह से कार्टूनिस्ट लेकर उन्हे कुछ एक साथ मिलकर करने दिया जाए. तो लेबानान में हमने अख़बारों के संपादकों को काम पे लगाया, और उनसे अलग-अलग जगहों के आठ कार्टूनिस्टों का काम एक साथ एक ही पन्ने पर छपवाया, जिनमें लेबानान को प्रभावित करने वाले विषय उठाए गए थे, जैसे कि धर्म, राजनीति और दैनिक जीवन. ये कारगर साबित हुई. तीन दिनों तक, बैरूट के लगभग हर अख़बार ने इन सारे कार्टूनिस्टों का काम एक साथ छापा -- सरकार-विरोधी, सरकार के पक्ष में, ईसाई, मुस्लिम, ज़ाहिर है, अंग्रेज़ी-बोलने वाले, हर तरह के कार्टूनिस्ट. तो ये एक बढ़िया प्रोजेक्ट था. और फिर हमने कीनिया में जाति के मुद्दों पर काम किया, जो कि अफ्रिका के बहुत से इलाकों में ज़हर की तरह फैला है. हमने विडीयो क्लिप भी बनाए. आप उन्हे YouTube/KenyaTunes में देख सकते हैं. तो, बोलने की स्वाधीनता पर यहाँ खड़े होकर भाषण देना आसान है, पर जैसा कि आपने देखा कि जब दमन और विभेद का वातावरण हो, तो भला एक कार्टूनिस्ट भी क्या कर सकता है? उसे भी अपनी नौकरी बचानी होती है. पर मैं ये मानता हूँ कि माहौल चाहे कहीं कुछ भी रहे, उसके पास कम से कम ये चुनाव हमेशा रहता है कि वो ऎसे कार्टून ना बनाए जिनसे हिंसा को बढ़ावा मिलता हो. और यही संदेश मैं उन्हें देना चाहता हूँ. मुझे लगता है कि हमारे पास आखिर तक ये चुनाव रहता है कि हम ग़लत काम न करें. पर हमें समर्थन देना होगा इन [अस्पष्ट], विवेचक, ज़िम्मेदार आवाज़ों को जो अफ्रिका, लेबानान, आपके स्थानीय अख़बार या एपल के स्टोर से उठ रहे हैं. आज टेक्नोलाजी कंपनियाँ दुनिया के सबसे बड़े संपादक हैं. वही ये तय कर देते हैं कि आपको क्या नागवार गुज़्रेगा, या क्या भड़काऊ लग सकता है. तो दरअसल ये केवल कार्टूनिस्टों की स्वाधीनता का मसला नहीं है; ये आपकी स्वाधीनता का मसला भी है. दुनिया के सारे तानाशाहों के लिए बहुत अच्छी ख़बर होगी अगर सारे कार्टूनिस्ट, पत्रकार और समाजसेवी चुप पड़ जाएं. धन्यवाद. (तालियाँ) ठीक है. ♫सेंट्रल पार्क में टहलते हुए ♫ ♫हर कोई आज बाहर है♫ ♫ दैसिएस और दोग्वूड्स खिले हैं♫ ♫ओह, क्या शानदार दिन है♫ ♫पिकनिक और फ्रिस्बीस और रोलर स्कतेर्स हैं♫ ♫ दोस्तों और प्रेमियों और अकेले धूप सेंकने के लिए♫ ♫हर कोई जनवरी मैं मगन मैनहट्टन में बाहर है♫ (हँसी) (तालियाँ) ♫मैं बर्फीली चाय लायी हूँ ♫ ♫ क्या आप खटमल स्प्रे लाये? ♫ ♫ मक्खियां आपके सिर के नाप की हैं♫ ♫ ताड़ के पेड़ के पास हैं♫ ♫ क्या आप 'मगरमच्छ देखा है♫ ♫ खुश और पेट उसका भरा है♫ ♫हर कोई जनवरी मैं मगन मैनहट्टन में बाहर है♫ (सीटी) सब लोग! (सीटी) (हंसी) ♫ मेरे उपदेशक ने कहा♫ ♫ तुम चिंता क्यों करती हो♫ ♫ वैज्ञानिकों को सब गलत पता है♫ ♫ और, किसे परवाह है, जो यहाँ सर्दिया हैं ♫ ♫ और मैंने पहना छोटा टॉप है♫ ♫ और मैंने पहना छोटा टॉप है♫ ♫हर कोई जनवरी मैं मगन मैनहट्टन में बाहर है♫ (तालियां) क्रिस एंडरसन: जिल सोबुले! (अन्ना ऑक्सीजन द्वारा संगीत) (संगीत: मिरह द्वारा "शेल्स") ♪ आपने सीखा कैसे गोताखोर बनना चाहिए ♪ ♪ एक मुखौटा चढ़ा लो, और विश्वास करो ♪ ♪ मेरे लिए शेल्स का एक रात का खाना इकट्ठा कर लो ♪ ♪ टैंक को नीचे ले जाएँ ताकि आप सांस ले सकें ♪ ♪ नीचे ♪ ♪ गतिविधियां धीमे ♪ ♪ आप एक द्वीप हैं ♪ ♪ तब तक सभी रहस्य ♪ ♪ जिज्ञासुक हुए मैंने उन्हें थामे रखा ♪ ♪ जब तक वे स्थिर न हुए ♪ ♪ जब तक वे स्थिर न हुए ♪ ♪ जब तक वे स्थिर न हुए ♪ (संगीत) ( कैरोलीन लुफ्किन द्वारा संगीत ) (अन्ना ऑक्सीजन द्वारा संगीत) ♪ स्वप्न समय, मैं तुम्हे ढून्ढ लूंगी ♪ ♪ आप नए हैं , छायादार हैं ♪ ♪ मैं सुबह में उतनी अच्छी नहीं हूँ ♪ ♪ मैं बहुत स्पष्ट रूप से देख सकती हूँ ♪ ♪ मुझे रात का वक़्त पसंद है ♪ ♪ गहरा और धुन्धला ♪ ♪ गिरती रात ♪ ♪ मँडरा प्रकाश ♪ ♪ पुकारती रात ♪ ♪ मँडरा प्रकाश ♪ ♪ चांदनी के समय मैं अपना जीवन त्याग दूँगी♪ ♪ और गहरे सपनों में ♪ ♪ आप मुझे पाएंगे ♪ (तालियाँ) [" मिथक और इंफ्रास्ट्रक्चर" से कुछ अंश ] ब्रूनो गिउस्सानी: वापस आ जाओ। मीवा मात्रेयक ! (तालियाँ) ऑटोमेशन (स्वचालित मशीनीकरण) आजकल चिंता का विषय बन गया है, एक डर फैला हुआ है कि, भविष्य में, कई कार्य मशीनों द्वारा होंगे, न कि मनुष्यों द्वारा, क्यूँकि AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और रोबोट विज्ञान में अभूतपूर्व प्रगति हो रही है. ये साफ़ है कि बड़े पैमाने पर बदलाव होंगे. ये बदलाव कैसे असर करेंगे, ये साफ़ नहीं है. मेरी शोध संकेत देती है कि भविष्य, चिंताजनक और रोमांचक, दोनों ही होगा. तकनीक की वजह से बेरोज़गारी का खतरा है, लेकिन फिर भी ये एक अच्छी समस्या है. मेरे इस निष्कर्ष को समझाने के लिए, मैं तीन मिथकों पर चर्चा करना चाहूँगा, जो अभी इस स्वचालित भविष्य के बारे में, हमारी दृष्टी को धुंधला किए हुए है. हम जो तस्वीर TV में, किताबों में, फिल्मों में, और रोजमर्रा की चर्चा में देख रहे हैं, वह है रोबोट की सेना का कार्य-स्थल पर उतर आना, सिर्फ़ एक उद्देश्य लिए: मनुष्यों को उनकी नौकरियों से हटाना. ये "टर्मिनेटर मिथक" - मशीने मनुष्यों से कुछ कार्य छीनेंगी, किन्तु मनुष्यों की जगह पूर्णतया नहीं ले सकती. वे कई कार्यों में हमारी सहायक भी होती हैं, उस कार्य को बेहतर और अहम बनाती हैं. कभी सीधे तौर पर मनुष्यों की पूरक बनती हैं, हमें कार्यकुशल और उत्पादक बनाती हैं. जैसे कि टैक्सी चालक, ऑनलाइन नक़्शे का इस्तेमाल कर अनजानी जगह पर जा सकता है. एक वास्तुकार, डिजाईन सॉफ्टवेर का इस्तेमाल बड़ी और जटिल इमारतें बनाने के लिए कर सकता है. तकनीकी प्रगति मनुष्यों को सिर्फ़ सीधे तौर पर ही नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से भी असर करती है. इसके दो तरीके हैं - अगर हम अर्थव्यवस्था को एक केक की तरह मानें, तो तकनीकी प्रगति उसके आकार को बड़ा करती है. जैसे जैसे उत्पादकता बढती है, आय भी बढती है और खपत भी. उदहारणतः, ब्रिटेन का केक, ३०० साल में १०० गुना बढा है. पुराने केक में काम से विस्थापित लोगों को नए केक में नए तरह के कार्य मिले. तकनीकी प्रगति केवल केक का आकर ही नहीं बढाती है. वह उसकी सामग्री को भी बदल देती है. समय के साथ, लोगों की खर्च करने की पद्धति बदलती है, मौजूदा सामान के अलावा, नए सामानों में भी रूचि बढती है. नए उद्योगों की संरचना होती है नए कार्य पैदा होते हैं, और नए पद तैयार होते हैं. दोबारा ब्रिटेन के केक को देखते हैं: ३०० साल पहले, ज्यादातर लोग खेतों में काम करते थे १५० साल पहले, कारखानों में, और आज, ज्यादातर दफ्तरों में. ऐसे ही, पुराने केक के कामों से विस्थापित लोग नए केक में नए कामों में लग गए. अर्थशास्त्री इसे संपूरक प्रभाव कहते हैं, जो तकनीकी प्रगति से हुई मानवता की मदद को दर्शाने वाला एक मनोहर शब्द है. टर्मिनेटर मिथक दर्शाता है कि दो शाक्तियाँ काम कर रही हैं: मशीन द्वारा विस्थापन, जो नुकसानदायक है, और संपूरक प्रभाव, जो फायदेमंद है. अब दूसरा मिथक जो है, बुद्धिमत्ता मिथक. कार चलाने, रोग-निदान करने, और किसी चिड़िया को पलक झपकते ही पहचान लेने में क्या समानता है? अर्थशास्त्रियों के अनुसार, ये सब वह काम हैं जो कुछ समय पहले तक स्वचालित नहीं किये जा सकते थे. लेकिन आज किये जा सकते हैं. बड़ी कार कंपनियां आज बिना ड्राईवर की कार को लाने पर काम कर रही हैं. रोगों को समझकर निदान करने की कई प्रणालिया उपलब्ध हैं. और एक एप भी है जो पलक झपकते ही चिड़िया की प्रजाति पहचान लेता है. इसका मतलब ये नहीं है, कि उन अर्थशास्त्रियों की किस्मत खराब थी. वे गलत थे. गलती महत्त्वपूर्ण है. वे बुद्धिमत्ता मिथक के शिकार हुए, यह मानना कि मशीनें वैसे ही सोचेंगी और पता लगाएंगी, जैसे मनुष्य करते हैं. और तेज गति से बेहतर काम करेंगी. जब ये लोग पता लगा रहे थे कि कौन से काम मशीनें नहीं कर सकती, उन्होंने सोचा कि कार्य को स्वचालित करने के लिए, मनुष्यों के तरीके को ठीक तरह से समझ कर, मशीनों के लिए निर्देशों की नियत श्रेणी बनाकर दे दी जाए. यह पद्धति कृत्रिम बुद्धिमत्ता में इस्तेमाल होती थी. मैं ये जानता हूँ क्यूँकि रिचर्ड सस्किंड, जो मेरे पिता और सहलेखक हैं, ने १९८० के दशक में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में अपनी डॉक्टरेट में लिखा था, वे इस क्षेत्र के पुरोगामी थे. प्रोफेसर फिलिप कैपर और एक कानून के क्षेत्र के प्रकाशक, बटरवर्थ के साथ क़ानून के क्षेत्र की, विश्व की पहली कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली निर्मित की. इसकी होम स्क्रीन ऐसी थी. वे बताते हैं कि ये उस समय की शानदार होम स्क्रीन है. (हँसी) मैं ये नहीं मानता. इसे २ फ्लॉपी में प्रकाशित किया, उन दिनों फ्लॉपी सच में कमज़ोर होती थी. उनकी पद्धति उन अर्थशास्त्रियों जैसी थी: एक वकील से समझिये कि वह कैसे एक कानूनी समस्या को सुलझाती है, उस वर्णन से निर्देशों की श्रंखला तैयार की जाए, जिसका मशीन पालन करे. अर्थशास्त्र में ऐसे कार्य, जिनका वर्णन हो सकता है, नियमित कार्य कहलाते हैं, और इनको आसानी से स्वचालित किया जा सकता है. अगर वर्णन नहीं हो सकता, तो वे अनियमित कार्य हैं, और उनको पहुँच के बाहर समझा जाता है. आज यह नियमित-अनियमित के बीच बहुत फासला है. आपने कई बार लोगों को कहते सुना होगा मशीने वही कार्य कर सकती हैं जिनका अनुमान लग सके, जो पुनरावृत्तिय हो हों, नियमों और निश्चित सीमा में हों. ये सब नियमित कामों की अलग-अलग परिभाषाएँ हैं. मैंने जो 3 उदाहरण पहले दिए, वे अनियमित कार्यों की श्रेणी में आते हैं. किसी डॉक्टर से पूछा जाए कि वह रोग-निर्धारण कैसे करती है, तो वह कुछ आंकलन के नियम बता पाएगी, लेकिन आगे बताने में संघर्ष होगा. उसका कहना होगा कि इसमें रचनात्मकता और अनुमान की आवश्यकता होगी. और इनको स्पष्ट बता पाना मुश्किल है. इसलिए इन कार्यों को स्वचालित करना मुश्किल समझा जाता था. अगर मनुष्य वर्णन नहीं कर सकते, तो मशीनों के लिए निर्देश कैसे लिखे जाएँ? ३० साल पहले ये सही था, किन्तु आज शायद नहीं, और भविष्य में पूर्णरूप से असत्य होगा. कम्पुटर की कार्यशक्ति, संग्रह क्षमता, अल्गोरिथम रचना में हुई प्रगति से नियमित-अनियमित कार्यों में भेद करना ज्यादा काम का नहीं रहा. इसे समझने के लिए, रोग-निर्धारण वाले उदहारण पर चलते हैं. इसी साल स्टेनफोर्ड के शोधकोंने सूचित किया कि उन्होंने ऐसी प्रणाली बना ली है जो बता सकती है कि कोई दाग या चकत्ता कैंसर है या नहीं, उसी तरह जैसे कोई त्वचा का डॉक्टर बताता है. ये कैसे काम करता है? वह डॉक्टर के अनुमान या अनुभव की नक़ल नहीं उतार रहा. उसको चिकित्सा पद्धति के बारे में कुछ नहीं पता. वह तो केवल एक स्वरुप पहचान करने वाला अल्गोरिथम है जो पिछले १२९,४५० केस पढ़कर उनके और अभी के केस के बीच की समानताएं खोज रहा है. यह अपना काम मनुष्यों के जैसे नहीं कर रहा, वह इतने सारे केस का अध्ययन कर रहा है, जो एक डॉक्टर अपने जीवनकाल में नहीं कर सकता. इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता कि मनुष्य, या वह डॉक्टर अपनी कार्य पद्धति का वर्णन नहीं कर पाया. कुछ लोग कहते हैं कि यह मशीन हमारे जैसी नहीं बनी है. उदाहरणतः, IBM का वाटसन सुपरकम्पुटर, जिसने "जेओपरडी" नामक US का क्विज शो में भाग लिया, और २ विजेताओं को हरा दिया. उसके जीतने के एक दिन पश्चात्, द वॉल स्ट्रीट जर्नल में जॉन सीरले ने लिखा, "वाटसन को नहीं पता कि वह जीता !" ये बहुत बढ़िया है, और अचूक सत्य है. वाटसन ने ख़ुशी से चिल्लाकर जीत जाहिर नहीं की. उसने अपने माता पिता को फ़ोन करके अपने अच्छे कार्य की खबर नहीं दी. या किसी बार में जाकर जश्न नहीं मनाया. वह दूसरे प्रतियोगियों के तरीके की नक़ल नहीं उतार रहा था, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा. वह फिर भी जीत गया. बुद्धिमत्ता मिथक हमें बताता है कि मानवीय बुद्धिमत्ता, और हमारी सोच विचार करने की समझ, स्वचलन के लिए रुकावट नहीं है. और तो और जब ये मशीने उसी काम को मनुष्य से अलग तरीके से करती हैं, यह सोचना भी गलत होगा, कि मनुष्य की क्षमता, सबसे बेहतरीन है, क्यूँकि ये मशीनें आगे और भी बहुत कुछ करने में सक्षम होंगी. अब तीसरा मिथक, जिसे मैं उच्चता मिथक कहता हूँ. अक्सर कहा जाता है कि जो लोग तकनीकी प्रगति का उपयोगी पहलू भूल जाते हैं, वे भुलावे में हैं जिसे हम "श्रम के ढेले का भुलावा" कहते हैं. यह भुलावा ही, एक प्रकार से भुलावा है. और मैं इसे "श्रम के ढेले के भुलावे का भुलावा" कहता हूँ. संक्षेप में - LOLFF. लम्प ऑफ़ लेबर फलास्यी ऑफ़ फ्यूचर मैं स्पष्ट करता हूँ. श्रम के ढेले का भुलावा एक पुरानी धारणा है. डेविड श्लोस नामक एक अर्थशास्त्री ने १८९२ में इसे प्रचारित किया. उसने बंदरगाह के एक मजदूर को देखा, जो वॉशर बना रहा था, वो गोलाकार चपटी वस्तुएँ जो स्क्रू में लगते हैं, यह मजदूर अपनी अधिक उत्पादकता के लिए ग्लानी महसूस कर रहा था. अधिकतर, हमें इसका उल्टा अपेक्षित होता है, कि लोग कम उत्पादकता पर ग्लानी महसूस करते हैं, जैसे काम के वक्त फेसबुक या ट्विटर पर ज्यादा समय व्यतीत करने पर. लेकिन ये व्यक्ति अधिक उत्पादकता से परेशान था. पूछनेपर उसने कहा - "मैं गलत कर रहा हूँ." "मैं किसी और का रोजगार छीन रहा हूँ" उसके अनुसार काम का एक ढेला है, जो उसके मित्रों और उसके बीच बांटा जाना है. और अगर वह मशीन से ज्यादा काम करेगा, तो उसके मित्रों को कम काम मिलेगा. श्लोस उसकी गलती समझ गया. काम का वह ढेला स्थायी नहीं था. मशीन के इस्तेमाल से ज्यादा उत्पादन होने पर वॉशर का दाम गिरेगा, और उसकी खपत बढ़ेगी, और ज्यादा वॉशर बनाने पड़ेंगे जिससे और ज्यादा लोगों को काम मिलेगा. काम का वह ढेला बड़ा हो जाएगा. श्लोस ने इसे "श्रम के ढेले का भुलावा" कहा. आज लोग इसके बारे में बात करते हैं, जब वे भविष्य में काम के रूप के बारे में सोचते हैं भविष्य में काम का कोई स्थायी ढेला नहीं है, जिसको मशीनों और इंसानों में बांटना है हाँ, मशीने मनुष्यों की जगह ले लेंगी, जिससे काम का स्वरूप छोटा हो जायेगा, लेकिन वे मनुष्यों के पूरक भी होंगे, और काम का ढेला बड़ा हो जायेगा. शायद नहीं! गलती यहाँ है: तकनीक के विकास से, काम के ढेले का आकार बढेगा. कुछ कार्य अहम हो जायेंगे, और कुछ नए कार्य पैदा हो जायेंगे. पर ये सोचना गलत है कि नए कार्य मनुष्यों के लिए होंगे. इसे मैं उच्चता मिथक कहता हूँ. हाँ, काम का ढेला आकार और स्वरुप में बढेगा, पर जैसे जैसे मशीनों की क्षमता बढ़ेगी, वे ज्यादा कार्य खुद ही कर लेंगी. तकनीकी विकास, मनुष्यों के बजाय, मशीनों का पूरक सिद्ध होगा. इसको गाडी चलाने के उदहारण से समझते हैं. GPS की तकनीक मनुष्यों की पूरक है, क्यूँकि इससे हम कार को बेहतर चला सकते हैं. किन्तु भविष्य में, सॉफ्टवेर मनुष्यों को चालक की सीट से हटा देगा. और GPS, मनुष्यों का पूरक होने की जगह, इस बिना ड्राईवर की गाडी को अधिक कुशल बनाएगा. इसके अलावा तकनीक के संपूरक प्रभाव को देखिये जिनकी हमने बात की थी. आर्थिक रूप से केक का आकार बढेगा, लेकिन मशीनों की क्षमता बढ़ने से, हो सकता है कि जिन वस्तुओं की खपत बढ़ेगी, उनको मनुष्यों से कहीं बेहतर मशीने ही बना पाएंगी. केक का स्वरुप बदल जायेगा, लेकिन मशीनों की क्षमता बढ़ने से, वे कई कार्य मनुष्यों से बेहतर ढंग से कर पाएंगी. संक्षेप में, कार्यों के बढ़ने से, मानवीय श्रम की जरुरत नहीं बढ़ेगी. मनुष्यों का फायदा तभी होगा जब वे पूरक कार्यों में अपनी श्रेष्ठता बनाकर रखेंगे, लेकिन मशीनों की क्षमता बढ़ने से, ये संभव नहीं हो पायेगा. तो ये 3 मिथक हमें क्या बताते हैं? टर्मिनेटर मिथक से हमने जाना कि काम का भविष्य दो शक्तियों पर निर्भर करेगा एक, मनुष्यों का मशीनों द्वारा बदला जाना, जो हानिकारक है लेकिन कई नए कार्यों का पैदा होना, जिससे फायदा होगा. अभी तक इस गतिविधि से मनुष्यों का फायदा ही हुआ है. बुद्धिमत्ता मिथक दर्शाता है कि मशीनों का मनुष्यों की जगह लेना सत्य होता जा रहा है. मशीनें सब कुछ नहीं कर सकतीं, लेकिन बहुत कुछ कर रही हैं, जिन्हें पहले मनुष्यों का ही कार्य समझा जाता था. ऐसा सोचने का कोई कारण नहीं है की मशीने, मनुष्यों की कार्यक्षमता की सीमा रेखा तक ही जा सकती हैं, और मानव के सामान काबिल होकर वहीं पर रुक जाएँगी. मशीने तब तक परेशान नहीं करेंगी, जब तक उनके इस्तेमाल से नए कार्य पैदा होते रहेंगे, जिन्हें मनुष्य करेंगे. लेकिन उच्चता मिथक बताता है कि नए कार्य भी मशीनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देंगे और मनुष्यों की पूरक क्षमता को भी हानि पहुचाएंगे. इन तीनो मिथकों से हम भविष्य की चिंताजनक झलक देख सकते हैं. मशीनों की क्षमता बढती जाएगी, जो मनुष्यों के कार्यो को भी खुद कर पाएंगी, जिससे मनुष्यों का मशीनों द्वारा बदला जाना और तेज होगा और दोनों का पूरक होना कम होता जायेगा. और कभी न कभी, मशीनें मनुष्यों से बेहतर कार्य कर पाएंगी. आज, हम उसी राह पर हैं. "राह" इसलिए क्यूँकि हम अभी मंजिल पर नहीं पहुंचे हैं, लेकिन उसी दिशा में बढ़ रहे हैं. यही परेशानी है. मेरा मानना है कि ये एक अच्छी समस्या है. मानवीय इतिहास में एक आर्थिक समस्या हावी रही है कार्यों के केक को कैसे बढाया जाए, ताकि सबका गुजारा हो सके. पहली शताब्दी के वैश्विक आर्थिक केक को अगर सबके लिए बराबर बांटे तो सबके हिस्से में, कुछ सौ डॉलर आयेंगे. लगभग सभी गरीबी रेखा के आस पास ही थे. एक हज़ार साल बाद भी लगभग यही स्थिति थी. किन्तु पिछले कुछ शतकों में बहुत आर्थिक प्रगति हुई है. और केक का आकार कई गुणा बढ़ा है. विश्व का प्रतिव्यक्ति सकल उत्पाद, उन केक के प्रतिव्यक्ति हिस्से का मूल्य, लगभग 10,150 डौलर है. अगर आर्थिक वृद्धिदर 2% भी रहता है, तो हमारे बच्चे हमसे दुगुने अमीर होंगे. अगर ये सिर्फ़ 1% भी रहता है, तो हमारे नाती-पोते हमसे दुगुने अमीर होंगे. सामान्यतः, हमने मूल आर्थिक समस्या सुलझा ली है. अब, तकनीकी बेरोजगार, अगर ऐसा हुआ, इस सफलता का अजीब लक्षण होगा. एक समस्या सुलझाई - केक के आकार को बड़ा करना - पर उसकी जगह दूसरी खड़ी हो गयी - कैसे हर किसी को उसका हिस्सा मिले. कई अर्थशास्त्रियों के अनुसार, यह समस्या जटिल है. आज, लोगों के लिए उनकी नौकरी ही पेट भरने का मुख्य जरिया है, और ऐसी दुनिया में, जहाँ कम या बिलकुल भी काम न हो, उन्हें उनका हिस्सा कैसे मिलेगा. आजकल, सामान्य मूल आय के विषय पर बहुत चर्चा हो रही है, यह एक उपाय हो सकता है, और कई प्रयोग भी चल रहे हैं, USA, फ़िनलैंड और केन्या जैसे देशो में. ये सामूहिक चुनौती हम सबके सामने है, कि कैसे हर कोई इस आर्थिक खुशहाली का मजा उठा सके. ऐसी दुनिया में जहाँ की पारंपरिक व्यवस्था, केक के हिस्से काटना, अर्थात, लोगों का काम नष्ट हो रहा है, और शायद गायब भी हो जाए. इस चुनौती का हल निकालने के लिए कई अलग तरीकों से सोचना होगा. और सही कदम क्या होगा, इसपर बहुत मतभेद होगा लेकिन ये याद रखना जरुरी है कि ये हमारे पूर्वजों की समस्या - केक का आकार कैसे बढाया जाए - से बहुत अच्छी समस्या है. बहुत बहुत धन्यवाद. (तालियाँ) (संगीत) ऊपर सूरज चमक रहा है और यहाँ नीचे १० डिग्री से कम मैं अब एक ऐसी जगह पर जा रहा हूँ जहाँ सोने की सड़कें हैं वहाँ दो रेल गाड़ियाँ होंगी साथ साथ भागती कुछ रेल गाड़ियाँ बाहर को जाती हुई दो रेल गाड़ियाँ भागती भागती साथ साथ मैं उस तेज़ भागती रेल को पकडूँगा आसमान में अपने उस इनाम को पाने अब मेरे पिता के घर में होंगे बहुत सारे कमरे हे भगवान, एक तुम्हारे लिए और मेरे लिए अब मेरे पिता के घर में होंगे बहुत सारे कमरे ओह, एक तुम्हारे लिए और मेरे लिए भी कोई परेशानी नहीं, कोई दिक़्क़त नहीं हे मेरे भगवान, प्यारे जेसु, तुम्हारी जय हो चाँद से यहाँ तक एक महिमा है- हे भगवन, सूरज से नीचे देखते मेरे भगवान एक महिमा चाँद से यहाँ और एक सूरज से मैं अपनी मिट्टी का शरीर पीछे ही छोड़ जाऊँगा जब मेरे प्यारे भगवान जेसु आएँगे धन्यवाद . (तालियाँ)