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1500 | हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू विक्रमादित्य के नेतृत्व में अफ़गानों नें मुगल सेना को पराजित कर आगरा व दिल्ली पर पुनः अधिकार कर लिया। मुगल बादशाह अकबर ने अपनी राजधानी को दिल्ली से आगरा स्थान्तरित कर दिया। अकबर के पोते शाहजहाँ (१६२८-१६५८) ने सत्रहवीं सदी के मध्य में इसे सातवीं बार बसाया जिसे शाहजहाँनाबाद के नाम से पुकारा गया। शाहजहाँनाबाद को आम बोल-चाल की भाषा में पुराना शहर या पुरानी दिल्ली कहा जाता है। प्राचीनकाल से पुरानी दिल्ली पर अनेक राजाओं एवं सम्राटों ने राज्य किया है तथा समय-समय पर इसके नाम में भी परिवर्तन किया जाता रहा था। पुरानी दिल्ली १६३८ के बाद मुग़ल सम्राटों की राजधानी रही। दिल्ली का आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफ़र था जिसकी मृत्यू निवार्सन में ही रंगून में हुई। १८५७ के सिपाही विद्रोह के बाद दिल्ली पर ब्रिटिश शासन के हुकूमत में शासन चलने लगा। १८५७ के इस प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के आंदोलन को पूरी तरह दबाने के बाद अंग्रेजों ने बहादुरशाह ज़फ़र को रंगून भेज दिया तथा भारत पूरी तरह से अंग्रेजो के अधीन हो गया। प्रारम्भ में उन्होंने कलकत्ते (आजकल कोलकाता) से शासन संभाला परन्तु ब्रिटिश शासन काल के अन्तिम दिनों में पीटर महान के नेतृत्व में सोवियत रूस का प्रभाव भारतीय उपमहाद्वीप में तेजी से बढ़ने लगा। जिसके कारण अंग्रेजों को यह लगने लगा कि कलकत्ता जो कि भारत के धुर पूरब में था वहां से अफ़ग़ानिस्तान एवं ईरान आदि पर सक्षम तरीके से आसानी से नियंत्रण नहीं स्थापित किया जा सकता है आगे चल कर के इसी कारण से १९११ में उपनिवेश राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया एवं अनेक आधुनिक निर्माण कार्य करवाए गये। शहर के बड़े हिस्सों को ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था। १९४७ में भारत की आजादी के बाद इसे अधिकारिक रूप से भारत की राजधानी घोषित कर दिया गया। | शाहजहाँ द्वारा बनाया गया शहर किस नाम से प्रख्यात है? | {
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"शाहजहाँनाबाद"
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288
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} | By what name is the city built by Shah Jahan known? | After Humayun's death, the Afghans under the leadership of Hemu Vikramaditya defeated the Mughal army and recaptured Agra and Delhi. Mughal emperor Akbar shifted his capital from Delhi to Agra. Akbar's grandson Shahjahan (1628-1658) settled it for the seventh time in the middle of the seventeenth century, which was called Shahjahanabad. Shahjahanabad is colloquially called the Old City or Old Delhi. Since ancient times, many kings and emperors have ruled over Old Delhi and its name was also changed from time to time. Old Delhi remained the capital of the Mughal emperors after 1638. The last Mughal emperor of Delhi was Bahadur Shah Zafar who died in exile in Rangoon. After the Sepoy Mutiny of 1857, Delhi started being ruled under the British rule. After completely suppressing the movement of this first Indian independence struggle of 1857, the British sent Bahadur Shah Zafar to Rangoon and India became completely under the British. Initially he ruled from Calcutta (nowadays Kolkata), but in the last days of British rule, the influence of Soviet Russia started increasing rapidly in the Indian subcontinent under the leadership of Peter the Great. Due to which the British started feeling that they could not easily control Afghanistan and Iran etc. from Calcutta, which was in the far east of India. Later, for this reason, the colonial capital was shifted to Delhi in 1911. It was completed and many modern construction works were done. Large parts of the city were designed by the British architects Sir Edwin Lutyens and Sir Herbert Baker. After India's independence in 1947, it was officially declared the capital of India. | {
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288
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"Shahjahanabad"
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1501 | हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू विक्रमादित्य के नेतृत्व में अफ़गानों नें मुगल सेना को पराजित कर आगरा व दिल्ली पर पुनः अधिकार कर लिया। मुगल बादशाह अकबर ने अपनी राजधानी को दिल्ली से आगरा स्थान्तरित कर दिया। अकबर के पोते शाहजहाँ (१६२८-१६५८) ने सत्रहवीं सदी के मध्य में इसे सातवीं बार बसाया जिसे शाहजहाँनाबाद के नाम से पुकारा गया। शाहजहाँनाबाद को आम बोल-चाल की भाषा में पुराना शहर या पुरानी दिल्ली कहा जाता है। प्राचीनकाल से पुरानी दिल्ली पर अनेक राजाओं एवं सम्राटों ने राज्य किया है तथा समय-समय पर इसके नाम में भी परिवर्तन किया जाता रहा था। पुरानी दिल्ली १६३८ के बाद मुग़ल सम्राटों की राजधानी रही। दिल्ली का आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफ़र था जिसकी मृत्यू निवार्सन में ही रंगून में हुई। १८५७ के सिपाही विद्रोह के बाद दिल्ली पर ब्रिटिश शासन के हुकूमत में शासन चलने लगा। १८५७ के इस प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के आंदोलन को पूरी तरह दबाने के बाद अंग्रेजों ने बहादुरशाह ज़फ़र को रंगून भेज दिया तथा भारत पूरी तरह से अंग्रेजो के अधीन हो गया। प्रारम्भ में उन्होंने कलकत्ते (आजकल कोलकाता) से शासन संभाला परन्तु ब्रिटिश शासन काल के अन्तिम दिनों में पीटर महान के नेतृत्व में सोवियत रूस का प्रभाव भारतीय उपमहाद्वीप में तेजी से बढ़ने लगा। जिसके कारण अंग्रेजों को यह लगने लगा कि कलकत्ता जो कि भारत के धुर पूरब में था वहां से अफ़ग़ानिस्तान एवं ईरान आदि पर सक्षम तरीके से आसानी से नियंत्रण नहीं स्थापित किया जा सकता है आगे चल कर के इसी कारण से १९११ में उपनिवेश राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया एवं अनेक आधुनिक निर्माण कार्य करवाए गये। शहर के बड़े हिस्सों को ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था। १९४७ में भारत की आजादी के बाद इसे अधिकारिक रूप से भारत की राजधानी घोषित कर दिया गया। | पुराणी दिल्ली मुग़ल सम्राज्य की राजधानी किस वर्ष बनी थी? | {
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"१६३८"
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} | In which year Old Delhi became the capital of the Mughal Empire? | After Humayun's death, the Afghans under the leadership of Hemu Vikramaditya defeated the Mughal army and recaptured Agra and Delhi. Mughal emperor Akbar shifted his capital from Delhi to Agra. Akbar's grandson Shahjahan (1628-1658) settled it for the seventh time in the middle of the seventeenth century, which was called Shahjahanabad. Shahjahanabad is colloquially called the Old City or Old Delhi. Since ancient times, many kings and emperors have ruled over Old Delhi and its name was also changed from time to time. Old Delhi remained the capital of the Mughal emperors after 1638. The last Mughal emperor of Delhi was Bahadur Shah Zafar who died in exile in Rangoon. After the Sepoy Mutiny of 1857, Delhi started being ruled under the British rule. After completely suppressing the movement of this first Indian independence struggle of 1857, the British sent Bahadur Shah Zafar to Rangoon and India became completely under the British. Initially he ruled from Calcutta (nowadays Kolkata), but in the last days of British rule, the influence of Soviet Russia started increasing rapidly in the Indian subcontinent under the leadership of Peter the Great. Due to which the British started feeling that they could not easily control Afghanistan and Iran etc. from Calcutta, which was in the far east of India. Later, for this reason, the colonial capital was shifted to Delhi in 1911. It was completed and many modern construction works were done. Large parts of the city were designed by the British architects Sir Edwin Lutyens and Sir Herbert Baker. After India's independence in 1947, it was officially declared the capital of India. | {
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545
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"1638"
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1502 | हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू विक्रमादित्य के नेतृत्व में अफ़गानों नें मुगल सेना को पराजित कर आगरा व दिल्ली पर पुनः अधिकार कर लिया। मुगल बादशाह अकबर ने अपनी राजधानी को दिल्ली से आगरा स्थान्तरित कर दिया। अकबर के पोते शाहजहाँ (१६२८-१६५८) ने सत्रहवीं सदी के मध्य में इसे सातवीं बार बसाया जिसे शाहजहाँनाबाद के नाम से पुकारा गया। शाहजहाँनाबाद को आम बोल-चाल की भाषा में पुराना शहर या पुरानी दिल्ली कहा जाता है। प्राचीनकाल से पुरानी दिल्ली पर अनेक राजाओं एवं सम्राटों ने राज्य किया है तथा समय-समय पर इसके नाम में भी परिवर्तन किया जाता रहा था। पुरानी दिल्ली १६३८ के बाद मुग़ल सम्राटों की राजधानी रही। दिल्ली का आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफ़र था जिसकी मृत्यू निवार्सन में ही रंगून में हुई। १८५७ के सिपाही विद्रोह के बाद दिल्ली पर ब्रिटिश शासन के हुकूमत में शासन चलने लगा। १८५७ के इस प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के आंदोलन को पूरी तरह दबाने के बाद अंग्रेजों ने बहादुरशाह ज़फ़र को रंगून भेज दिया तथा भारत पूरी तरह से अंग्रेजो के अधीन हो गया। प्रारम्भ में उन्होंने कलकत्ते (आजकल कोलकाता) से शासन संभाला परन्तु ब्रिटिश शासन काल के अन्तिम दिनों में पीटर महान के नेतृत्व में सोवियत रूस का प्रभाव भारतीय उपमहाद्वीप में तेजी से बढ़ने लगा। जिसके कारण अंग्रेजों को यह लगने लगा कि कलकत्ता जो कि भारत के धुर पूरब में था वहां से अफ़ग़ानिस्तान एवं ईरान आदि पर सक्षम तरीके से आसानी से नियंत्रण नहीं स्थापित किया जा सकता है आगे चल कर के इसी कारण से १९११ में उपनिवेश राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया एवं अनेक आधुनिक निर्माण कार्य करवाए गये। शहर के बड़े हिस्सों को ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था। १९४७ में भारत की आजादी के बाद इसे अधिकारिक रूप से भारत की राजधानी घोषित कर दिया गया। | बादशाह अकबर के पोते का क्या नाम है ? | {
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"शाहजहाँ"
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214
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} | What is the name of Emperor Akbar's grandson? | After the death of Humayun, the Afghans led by Hemu Vikramaditya defeated the Mughal army and took control of Agra and Delhi again.Mughal emperor Akbar transferred his capital to Agra from Delhi.Akbar's grandson Shah Jahan (1827–1457) settled it for the seventh time in the middle of the seventeenth century, which was called as Shahjahanabad.Shahjahanabad is called the old city or Old Delhi in the language of common speech.Many kings and emperors have ruled Old Delhi since ancient times and from time to time its name was also changed.Old Delhi was the capital of the Mughal emperors after 1837.The last Mughal emperor of Delhi was Bahadur Shah Zafar, who died in Rangoon in Nivasan itself.After the soldiers rebellion of 1857, Delhi started ruling in the rule of British rule.After fully suppressed the movement of this first Indian freedom struggle of 1857, the British sent Bahadur Shah Zafar to Rangoon and India became completely under the British.Initially, he took over by Calcutta (nowadays Kolkata), but in the last days of the British rule, the influence of Soviet Russia under the leadership of Peter Great began to grow rapidly in the Indian subcontinent.Due to which the British felt that Calcutta, which was in the east of India, cannot be easily controlled on Afghanistan and Iran etc.It was done and many modern construction works were done.Large parts of the city were designed by British architects Sir Edwin Lutyens and Sir Herbert Baker.After India's independence in 1949, it was officially declared the capital of India. | {
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214
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"Shah Jahan."
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1503 | हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू विक्रमादित्य के नेतृत्व में अफ़गानों नें मुगल सेना को पराजित कर आगरा व दिल्ली पर पुनः अधिकार कर लिया। मुगल बादशाह अकबर ने अपनी राजधानी को दिल्ली से आगरा स्थान्तरित कर दिया। अकबर के पोते शाहजहाँ (१६२८-१६५८) ने सत्रहवीं सदी के मध्य में इसे सातवीं बार बसाया जिसे शाहजहाँनाबाद के नाम से पुकारा गया। शाहजहाँनाबाद को आम बोल-चाल की भाषा में पुराना शहर या पुरानी दिल्ली कहा जाता है। प्राचीनकाल से पुरानी दिल्ली पर अनेक राजाओं एवं सम्राटों ने राज्य किया है तथा समय-समय पर इसके नाम में भी परिवर्तन किया जाता रहा था। पुरानी दिल्ली १६३८ के बाद मुग़ल सम्राटों की राजधानी रही। दिल्ली का आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफ़र था जिसकी मृत्यू निवार्सन में ही रंगून में हुई। १८५७ के सिपाही विद्रोह के बाद दिल्ली पर ब्रिटिश शासन के हुकूमत में शासन चलने लगा। १८५७ के इस प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के आंदोलन को पूरी तरह दबाने के बाद अंग्रेजों ने बहादुरशाह ज़फ़र को रंगून भेज दिया तथा भारत पूरी तरह से अंग्रेजो के अधीन हो गया। प्रारम्भ में उन्होंने कलकत्ते (आजकल कोलकाता) से शासन संभाला परन्तु ब्रिटिश शासन काल के अन्तिम दिनों में पीटर महान के नेतृत्व में सोवियत रूस का प्रभाव भारतीय उपमहाद्वीप में तेजी से बढ़ने लगा। जिसके कारण अंग्रेजों को यह लगने लगा कि कलकत्ता जो कि भारत के धुर पूरब में था वहां से अफ़ग़ानिस्तान एवं ईरान आदि पर सक्षम तरीके से आसानी से नियंत्रण नहीं स्थापित किया जा सकता है आगे चल कर के इसी कारण से १९११ में उपनिवेश राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया एवं अनेक आधुनिक निर्माण कार्य करवाए गये। शहर के बड़े हिस्सों को ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था। १९४७ में भारत की आजादी के बाद इसे अधिकारिक रूप से भारत की राजधानी घोषित कर दिया गया। | शाहजहांपुर को अभी किस नाम से जाना जाता है? | {
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"पुरानी दिल्ली"
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} | By what name is Shahjahanpur now known? | After Humayun's death, the Afghans under the leadership of Hemu Vikramaditya defeated the Mughal army and recaptured Agra and Delhi. Mughal emperor Akbar shifted his capital from Delhi to Agra. Akbar's grandson Shahjahan (1628-1658) settled it for the seventh time in the middle of the seventeenth century, which was called Shahjahanabad. Shahjahanabad is colloquially called the Old City or Old Delhi. Since ancient times, many kings and emperors have ruled over Old Delhi and its name was also changed from time to time. Old Delhi remained the capital of the Mughal emperors after 1638. The last Mughal emperor of Delhi was Bahadur Shah Zafar who died in exile in Rangoon. After the Sepoy Mutiny of 1857, Delhi started being ruled under the British rule. After completely suppressing the movement of this first Indian independence struggle of 1857, the British sent Bahadur Shah Zafar to Rangoon and India became completely under the British. Initially he ruled from Calcutta (nowadays Kolkata), but in the last days of British rule, the influence of Soviet Russia started increasing rapidly in the Indian subcontinent under the leadership of Peter the Great. Due to which the British started feeling that they could not easily control Afghanistan and Iran etc. from Calcutta, which was in the far east of India. Later, for this reason, the colonial capital was shifted to Delhi in 1911. It was completed and many modern construction works were done. Large parts of the city were designed by the British architects Sir Edwin Lutyens and Sir Herbert Baker. After India's independence in 1947, it was officially declared the capital of India. | {
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375
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"Old Delhi"
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1504 | हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू विक्रमादित्य के नेतृत्व में अफ़गानों नें मुगल सेना को पराजित कर आगरा व दिल्ली पर पुनः अधिकार कर लिया। मुगल बादशाह अकबर ने अपनी राजधानी को दिल्ली से आगरा स्थान्तरित कर दिया। अकबर के पोते शाहजहाँ (१६२८-१६५८) ने सत्रहवीं सदी के मध्य में इसे सातवीं बार बसाया जिसे शाहजहाँनाबाद के नाम से पुकारा गया। शाहजहाँनाबाद को आम बोल-चाल की भाषा में पुराना शहर या पुरानी दिल्ली कहा जाता है। प्राचीनकाल से पुरानी दिल्ली पर अनेक राजाओं एवं सम्राटों ने राज्य किया है तथा समय-समय पर इसके नाम में भी परिवर्तन किया जाता रहा था। पुरानी दिल्ली १६३८ के बाद मुग़ल सम्राटों की राजधानी रही। दिल्ली का आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफ़र था जिसकी मृत्यू निवार्सन में ही रंगून में हुई। १८५७ के सिपाही विद्रोह के बाद दिल्ली पर ब्रिटिश शासन के हुकूमत में शासन चलने लगा। १८५७ के इस प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के आंदोलन को पूरी तरह दबाने के बाद अंग्रेजों ने बहादुरशाह ज़फ़र को रंगून भेज दिया तथा भारत पूरी तरह से अंग्रेजो के अधीन हो गया। प्रारम्भ में उन्होंने कलकत्ते (आजकल कोलकाता) से शासन संभाला परन्तु ब्रिटिश शासन काल के अन्तिम दिनों में पीटर महान के नेतृत्व में सोवियत रूस का प्रभाव भारतीय उपमहाद्वीप में तेजी से बढ़ने लगा। जिसके कारण अंग्रेजों को यह लगने लगा कि कलकत्ता जो कि भारत के धुर पूरब में था वहां से अफ़ग़ानिस्तान एवं ईरान आदि पर सक्षम तरीके से आसानी से नियंत्रण नहीं स्थापित किया जा सकता है आगे चल कर के इसी कारण से १९११ में उपनिवेश राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया एवं अनेक आधुनिक निर्माण कार्य करवाए गये। शहर के बड़े हिस्सों को ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था। १९४७ में भारत की आजादी के बाद इसे अधिकारिक रूप से भारत की राजधानी घोषित कर दिया गया। | तोमर शासकों में दिल्ली की स्थापना का श्रेय किसको जाता है? | {
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} | Who among the Tomar rulers is credited with the establishment of Delhi? | After the death of Humayun, the Afghans led by Hemu Vikramaditya defeated the Mughal army and took control of Agra and Delhi again.Mughal emperor Akbar transferred his capital to Agra from Delhi.Akbar's grandson Shah Jahan (1827–1457) settled it for the seventh time in the middle of the seventeenth century, which was called as Shahjahanabad.Shahjahanabad is called the old city or Old Delhi in the language of common speech.Many kings and emperors have ruled Old Delhi since ancient times and from time to time its name was also changed.Old Delhi was the capital of the Mughal emperors after 1837.The last Mughal emperor of Delhi was Bahadur Shah Zafar, who died in Rangoon in Nivasan itself.After the soldiers rebellion of 1857, Delhi started ruling in the rule of British rule.After fully suppressed the movement of this first Indian freedom struggle of 1857, the British sent Bahadur Shah Zafar to Rangoon and India became completely under the British.Initially, he took over by Calcutta (nowadays Kolkata), but in the last days of the British rule, the influence of Soviet Russia under the leadership of Peter Great began to grow rapidly in the Indian subcontinent.Due to which the British felt that Calcutta, which was in the east of India, cannot be easily controlled on Afghanistan and Iran etc.It was done and many modern construction works were done.Large parts of the city were designed by British architects Sir Edwin Lutyens and Sir Herbert Baker.After India's independence in 1949, it was officially declared the capital of India. | {
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""
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} |
1505 | हैदराबाद आंध्र प्रदेश की वित्तीय एवं आर्थिक राजधानी भी है। यह शहर राज्य के सकल घरेलू उत्पाद, कर एवं राजस्व का सर्वाधिक अंशदाता है। 1990 के दशक से इस शहर का आर्थिक प्रारूप बदल कर, एक प्राथमिक सेवा नगर से बहु-सेवा वर्णक्रम स्वरूप हो गया है, जिसमें व्यापार, यातायात, वाणिज्य, भण्डारण, संचार, इत्यादि सभी सम्मिलित हैं। सेवा उद्योग मुख्य अंशदाता है, जिसमें शहरी श्रमशक्ति कुल शक्ति का 90% है। हैदराबाद को मोतीयों का नगर भी कहा जाता है। और सूचना प्रौद्योगिकी में तो इसने बंगलौर को भी पछाड़ दिया है। मोतिओं का बाजार चार मीनार के पास स्थित है। मोतिओं से बने आभूषण चारकमान बाज़ार से या अन्य मुख्य बाज़ारों से भी लिये जा सकते हैं। चांदी के उत्पाद (बर्तन व मूर्तियां, इत्यादि), साड़ियां, निर्माल एवं कलमकारी पेंटिंग्स व कलाकृतियां, अनुपम बिदरी हस्तकला की वस्तुएं, लाख की रत्न जड़ित चूड़ियां , रेशमी व सूती हथकरघा वस्त्र यहां बनते हैं, व इनका व्यापार सदियों से चला आ रहा है। आंध्र प्रदेश को पूर्व हैदराबाद राज्य से कई बड़े शिक्षण संस्थान, अनुसंधान प्रयोगशालाएं, अनेकों निजी एवं सार्वजनिक संस्थान मिले हैं। मूल शोध हेतु अवसंरचना सुविधाएं यहां देश की सर्वश्रेष्ठ हैं, जिसके कारण ही एक बड़ी संख्या में शिक्षित लोग देश भर से यहां आकर बसे हुए हैं। हैदराबाद औषधीय उद्योग का भी एक प्रमुख केन्द्र है, जहां डॉ० रेड्डीज़ लैब, मैट्रिक्स लैबोरेटरीज़, हैटरो ड्रग्स लि०, डाइविस लैब्स औरोबिन्दो फार्मा लि० तथा विमता लैब्स जैसी बड़ी कम्पनियां स्थापित हैं। जीनोम वैली एवं नैनोटैक्नोलॉजी पार्क, जैसी परियोजनाओं द्वारा, जैव प्रौद्योगिकी की अत्यधिक संरचनाएं यहां स्थापित होने की भरपूर आशा है। हैदराबाद में भी, भारत के कई अन्य शहरों की ही भांति, भू-संपदा व्यापार (रियल एस्टेट) भी खूब पनपा है। | आंध्र प्रदेश की राजधानी का क्या नाम है? | {
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"हैदराबाद"
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} | What is the name of the capital of Andhra Pradesh? | Hyderabad is also the financial and economic capital of Andhra Pradesh. The city is the largest contributor to the state's gross domestic product, taxes and revenue. Since the 1990s, the economic profile of the city has changed from a primary service city to a multi-service spectrum, encompassing trade, transportation, commerce, storage, communication, etc. The service industry is the main contributor, with the urban workforce accounting for 90% of the total force. Hyderabad is also called the city of pearls. And in information technology it has even overtaken Bangalore. The pearl market is located near Char Minar. Jewelery made of pearls can also be bought from Charkaman market or other main markets. Silver products (utensils and idols, etc.), sarees, Nirmal and Kalamkari paintings and artefacts, unique Bidri handicraft items, lac gemstone bangles, silk and cotton handloom clothes are made here, and their trade has been going on for centuries. . Andhra Pradesh has inherited many big educational institutions, research laboratories, many private and public institutions from the former Hyderabad state. The infrastructure facilities for basic research here are the best in the country, due to which a large number of educated people from all over the country have come and settled here. Hyderabad is also a major center of the pharmaceutical industry, where big companies like Dr. Reddy's Lab, Matrix Laboratories, Hetero Drugs Ltd., Divis Labs Aurobindo Pharma Ltd. and Vimta Labs are established. There is great hope of setting up large biotechnology infrastructure here through projects like Genome Valley and Nanotechnology Park. In Hyderabad too, like many other cities of India, real estate business has also flourished. | {
"answer_start": [
0
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"text": [
"Hyderabad"
]
} |
1506 | हैदराबाद आंध्र प्रदेश की वित्तीय एवं आर्थिक राजधानी भी है। यह शहर राज्य के सकल घरेलू उत्पाद, कर एवं राजस्व का सर्वाधिक अंशदाता है। 1990 के दशक से इस शहर का आर्थिक प्रारूप बदल कर, एक प्राथमिक सेवा नगर से बहु-सेवा वर्णक्रम स्वरूप हो गया है, जिसमें व्यापार, यातायात, वाणिज्य, भण्डारण, संचार, इत्यादि सभी सम्मिलित हैं। सेवा उद्योग मुख्य अंशदाता है, जिसमें शहरी श्रमशक्ति कुल शक्ति का 90% है। हैदराबाद को मोतीयों का नगर भी कहा जाता है। और सूचना प्रौद्योगिकी में तो इसने बंगलौर को भी पछाड़ दिया है। मोतिओं का बाजार चार मीनार के पास स्थित है। मोतिओं से बने आभूषण चारकमान बाज़ार से या अन्य मुख्य बाज़ारों से भी लिये जा सकते हैं। चांदी के उत्पाद (बर्तन व मूर्तियां, इत्यादि), साड़ियां, निर्माल एवं कलमकारी पेंटिंग्स व कलाकृतियां, अनुपम बिदरी हस्तकला की वस्तुएं, लाख की रत्न जड़ित चूड़ियां , रेशमी व सूती हथकरघा वस्त्र यहां बनते हैं, व इनका व्यापार सदियों से चला आ रहा है। आंध्र प्रदेश को पूर्व हैदराबाद राज्य से कई बड़े शिक्षण संस्थान, अनुसंधान प्रयोगशालाएं, अनेकों निजी एवं सार्वजनिक संस्थान मिले हैं। मूल शोध हेतु अवसंरचना सुविधाएं यहां देश की सर्वश्रेष्ठ हैं, जिसके कारण ही एक बड़ी संख्या में शिक्षित लोग देश भर से यहां आकर बसे हुए हैं। हैदराबाद औषधीय उद्योग का भी एक प्रमुख केन्द्र है, जहां डॉ० रेड्डीज़ लैब, मैट्रिक्स लैबोरेटरीज़, हैटरो ड्रग्स लि०, डाइविस लैब्स औरोबिन्दो फार्मा लि० तथा विमता लैब्स जैसी बड़ी कम्पनियां स्थापित हैं। जीनोम वैली एवं नैनोटैक्नोलॉजी पार्क, जैसी परियोजनाओं द्वारा, जैव प्रौद्योगिकी की अत्यधिक संरचनाएं यहां स्थापित होने की भरपूर आशा है। हैदराबाद में भी, भारत के कई अन्य शहरों की ही भांति, भू-संपदा व्यापार (रियल एस्टेट) भी खूब पनपा है। | हैदराबाद किस उद्योग के लिए प्रमुख रूप से जाना जाता है? | {
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"औषधीय उद्योग"
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1128
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} | Hyderabad is majorly known for which industry? | Hyderabad is also the financial and economic capital of Andhra Pradesh.The city is the highest contributor of the state's gross domestic product, tax and revenue.Since the 1990s, the economic format of the city has been changed to multi-service spectrum from a primary service city, which includes trade, traffic, commerce, storage, communication, etc. all.The service industry is the main contributor, with 90% of the total power of urban manpower.Hyderabad is also called the city of Moti.And it has also surpassed Bangalore in information technology.The market of beans is located near four tower.Jewelry made of bears can be taken from the Charkman Bazaar or from other main markets.Silver products (utensils and sculptures, etc.), saris, nirmal and palate paintings and artifacts, unique handicraft items, lacquer gems, bangles, silk and cotton handloom are made here, and their trade has been going on for centuries.Andhra Pradesh has received many major educational institutions, research laboratories, many private and public institutions from the state of East Hyderabad.Infrastructure facilities for original research are the best of the country, due to which a large number of educated people are settled here from all over the country.Hyderabad is also a major center of the medicinal industry, where large companies like Dr. Reddy's Lab, Matrix Laboratriage, Hatro Drugs Ltd, Davis Labs Aurobindo Pharma Ltd and Vomat Labs are established.By projects such as Genome Valley and Nanotchnology Park, excessive structures of biotechnology are fully expected to be established here.Even in Hyderabad, like many other cities in India, real estate has also flourished. | {
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1128
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"text": [
"The pharmaceutical industry"
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1507 | हैदराबाद आंध्र प्रदेश की वित्तीय एवं आर्थिक राजधानी भी है। यह शहर राज्य के सकल घरेलू उत्पाद, कर एवं राजस्व का सर्वाधिक अंशदाता है। 1990 के दशक से इस शहर का आर्थिक प्रारूप बदल कर, एक प्राथमिक सेवा नगर से बहु-सेवा वर्णक्रम स्वरूप हो गया है, जिसमें व्यापार, यातायात, वाणिज्य, भण्डारण, संचार, इत्यादि सभी सम्मिलित हैं। सेवा उद्योग मुख्य अंशदाता है, जिसमें शहरी श्रमशक्ति कुल शक्ति का 90% है। हैदराबाद को मोतीयों का नगर भी कहा जाता है। और सूचना प्रौद्योगिकी में तो इसने बंगलौर को भी पछाड़ दिया है। मोतिओं का बाजार चार मीनार के पास स्थित है। मोतिओं से बने आभूषण चारकमान बाज़ार से या अन्य मुख्य बाज़ारों से भी लिये जा सकते हैं। चांदी के उत्पाद (बर्तन व मूर्तियां, इत्यादि), साड़ियां, निर्माल एवं कलमकारी पेंटिंग्स व कलाकृतियां, अनुपम बिदरी हस्तकला की वस्तुएं, लाख की रत्न जड़ित चूड़ियां , रेशमी व सूती हथकरघा वस्त्र यहां बनते हैं, व इनका व्यापार सदियों से चला आ रहा है। आंध्र प्रदेश को पूर्व हैदराबाद राज्य से कई बड़े शिक्षण संस्थान, अनुसंधान प्रयोगशालाएं, अनेकों निजी एवं सार्वजनिक संस्थान मिले हैं। मूल शोध हेतु अवसंरचना सुविधाएं यहां देश की सर्वश्रेष्ठ हैं, जिसके कारण ही एक बड़ी संख्या में शिक्षित लोग देश भर से यहां आकर बसे हुए हैं। हैदराबाद औषधीय उद्योग का भी एक प्रमुख केन्द्र है, जहां डॉ० रेड्डीज़ लैब, मैट्रिक्स लैबोरेटरीज़, हैटरो ड्रग्स लि०, डाइविस लैब्स औरोबिन्दो फार्मा लि० तथा विमता लैब्स जैसी बड़ी कम्पनियां स्थापित हैं। जीनोम वैली एवं नैनोटैक्नोलॉजी पार्क, जैसी परियोजनाओं द्वारा, जैव प्रौद्योगिकी की अत्यधिक संरचनाएं यहां स्थापित होने की भरपूर आशा है। हैदराबाद में भी, भारत के कई अन्य शहरों की ही भांति, भू-संपदा व्यापार (रियल एस्टेट) भी खूब पनपा है। | हैदराबाद को किस रूप में जाना जाता है? | {
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} | What is Hyderabad known as? | Hyderabad is also the financial and economic capital of Andhra Pradesh. The city is the largest contributor to the state's gross domestic product, taxes and revenue. Since the 1990s, the economic profile of the city has changed from a primary service city to a multi-service spectrum, encompassing trade, transportation, commerce, storage, communication, etc. The service industry is the main contributor, with the urban workforce accounting for 90% of the total force. Hyderabad is also called the city of pearls. And in information technology it has even overtaken Bangalore. The pearl market is located near Char Minar. Jewelery made of pearls can also be bought from Charkaman market or other main markets. Silver products (utensils and idols, etc.), sarees, Nirmal and Kalamkari paintings and artefacts, unique Bidri handicraft items, lac gemstone bangles, silk and cotton handloom clothes are made here, and their trade has been going on for centuries. . Andhra Pradesh has inherited many big educational institutions, research laboratories, many private and public institutions from the former Hyderabad state. The infrastructure facilities for basic research here are the best in the country, due to which a large number of educated people from all over the country have come and settled here. Hyderabad is also a major center of the pharmaceutical industry, where big companies like Dr. Reddy's Lab, Matrix Laboratories, Hetero Drugs Ltd., Divis Labs Aurobindo Pharma Ltd. and Vimta Labs are established. There is great hope of setting up large biotechnology infrastructure here through projects like Genome Valley and Nanotechnology Park. In Hyderabad too, like many other cities of India, real estate business has also flourished. | {
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1508 | हैदराबाद आंध्र प्रदेश की वित्तीय एवं आर्थिक राजधानी भी है। यह शहर राज्य के सकल घरेलू उत्पाद, कर एवं राजस्व का सर्वाधिक अंशदाता है। 1990 के दशक से इस शहर का आर्थिक प्रारूप बदल कर, एक प्राथमिक सेवा नगर से बहु-सेवा वर्णक्रम स्वरूप हो गया है, जिसमें व्यापार, यातायात, वाणिज्य, भण्डारण, संचार, इत्यादि सभी सम्मिलित हैं। सेवा उद्योग मुख्य अंशदाता है, जिसमें शहरी श्रमशक्ति कुल शक्ति का 90% है। हैदराबाद को मोतीयों का नगर भी कहा जाता है। और सूचना प्रौद्योगिकी में तो इसने बंगलौर को भी पछाड़ दिया है। मोतिओं का बाजार चार मीनार के पास स्थित है। मोतिओं से बने आभूषण चारकमान बाज़ार से या अन्य मुख्य बाज़ारों से भी लिये जा सकते हैं। चांदी के उत्पाद (बर्तन व मूर्तियां, इत्यादि), साड़ियां, निर्माल एवं कलमकारी पेंटिंग्स व कलाकृतियां, अनुपम बिदरी हस्तकला की वस्तुएं, लाख की रत्न जड़ित चूड़ियां , रेशमी व सूती हथकरघा वस्त्र यहां बनते हैं, व इनका व्यापार सदियों से चला आ रहा है। आंध्र प्रदेश को पूर्व हैदराबाद राज्य से कई बड़े शिक्षण संस्थान, अनुसंधान प्रयोगशालाएं, अनेकों निजी एवं सार्वजनिक संस्थान मिले हैं। मूल शोध हेतु अवसंरचना सुविधाएं यहां देश की सर्वश्रेष्ठ हैं, जिसके कारण ही एक बड़ी संख्या में शिक्षित लोग देश भर से यहां आकर बसे हुए हैं। हैदराबाद औषधीय उद्योग का भी एक प्रमुख केन्द्र है, जहां डॉ० रेड्डीज़ लैब, मैट्रिक्स लैबोरेटरीज़, हैटरो ड्रग्स लि०, डाइविस लैब्स औरोबिन्दो फार्मा लि० तथा विमता लैब्स जैसी बड़ी कम्पनियां स्थापित हैं। जीनोम वैली एवं नैनोटैक्नोलॉजी पार्क, जैसी परियोजनाओं द्वारा, जैव प्रौद्योगिकी की अत्यधिक संरचनाएं यहां स्थापित होने की भरपूर आशा है। हैदराबाद में भी, भारत के कई अन्य शहरों की ही भांति, भू-संपदा व्यापार (रियल एस्टेट) भी खूब पनपा है। | हैदराबाद में मोतियों का बाजार कहाँ स्थित है ? | {
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"चार मीनार के पास"
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503
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} | Where is the pearl market located in Hyderabad? | Hyderabad is also the financial and economic capital of Andhra Pradesh.The city is the highest contributor of the state's gross domestic product, tax and revenue.Since the 1990s, the economic format of the city has been changed to multi-service spectrum from a primary service city, which includes trade, traffic, commerce, storage, communication, etc. all.The service industry is the main contributor, with 90% of the total power of urban manpower.Hyderabad is also called the city of Moti.And it has also surpassed Bangalore in information technology.The market of beans is located near four tower.Jewelry made of bears can be taken from the Charkman Bazaar or from other main markets.Silver products (utensils and sculptures, etc.), saris, nirmal and palate paintings and artifacts, unique handicraft items, lacquer gems, bangles, silk and cotton handloom are made here, and their trade has been going on for centuries.Andhra Pradesh has received many major educational institutions, research laboratories, many private and public institutions from the state of East Hyderabad.Infrastructure facilities for original research are the best of the country, due to which a large number of educated people are settled here from all over the country.Hyderabad is also a major center of the medicinal industry, where large companies like Dr. Reddy's Lab, Matrix Laboratriage, Hatro Drugs Ltd, Davis Labs Aurobindo Pharma Ltd and Vomat Labs are established.By projects such as Genome Valley and Nanotchnology Park, excessive structures of biotechnology are fully expected to be established here.Even in Hyderabad, like many other cities in India, real estate has also flourished. | {
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503
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"Near the four minarets"
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1509 | होलकरों ने नंदलाल के परिवार को राव राजा" की विभूति प्रदान की। साथ ही साथ होलकर शासकों दशहरा पर होलकर परिवार से पहले "शमी पूजन" करने की अनुमति भी दे दी। २९ जुलाई १७३२, बाजीराव पेशवा प्रथम ने होलकर राज्य में '२८ और आधा परगना' में विलय कर दी जिससे मल्हारराव होलकर ने होलकर राजवंश की स्थापना की। उनकी पुत्रवधू देवी अहिल्याबाई होलकर ने १७६७ में राज्य की नई राजधानी महेश्वर में स्थापित की। लेकिन इंदौर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सैन्य केंद्र बना रहा। १८१८ में, तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध के दौरान, महिदपुर की लड़ाई में होलकर, ब्रिटिश से हार गए थे, जिसके परिणामस्वरूप राजधानी फिर से महेश्वर से इंदौर स्थानांतरित हो गयी। इंदौर में ब्रिटिश निवास स्थापित किया गया, लेकिन मुख्य रूप से दीवान तात्या जोग के प्रयासों के कारण होलकरों ने इन्दौर पर एक रियासत के रूप में शासन करना जारी रखा। उस समय, इंदौर में ब्रिटिश मध्य भारत एजेंसी का मुख्यालय स्थापित किया गया। उज्जैन मूल रूप से मालवा का वाणिज्यिक केंद्र था। लेकिन जॉन मैल्कम जैसे ब्रिटिश प्रबंधन अधिकारियों ने इंदौर को उज्जैन के लिए एक विकल्प के रूप में बढ़ावा देने का फैसला किया, क्योंकि उज्जैन के व्यापारियों ने ब्रिटिश विरोधी तत्वों का समर्थन किया था। १९०६ में शहर में बिजली की आपूर्ति शुरू की गई, १९०९ में फायर ब्रिगेड स्थापित किया गया और १९१८ में, शहर के पहले मास्टर-योजना का उल्लेख वास्तुकार और नगर योजनाकार, पैट्रिक गेडडेज़ द्वारा किया गया था। (१८५२-१८८६) की अवधि के दौरान महाराजा तुकोजी राव होलकर द्वितीय के द्वारा इंदौर के औद्योगिक व नियोजित विकास के लिए प्रयास किए गए थे। १८७५ में रेलवे की शुरूआत के साथ, इंदौर में व्यापार महाराजा तुकोजीराव होलकर तृतीय, यशवंतराव होलकर द्वितीय, महाराजा शिवाजी राव होलकर के शासनकाल तक तरक्की करता रहा। १९४७ में भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद, अन्य पड़ोसी रियासतों के साथ साथ इस रियासत ने भारतीय संघ को स्वीकार कर लिया। | वर्ष 1948 में मध्य प्रदेश की ग्रीष्म राजधानी कौन सा शहर था ? | {
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} | Which city was the summer capital of Madhya Pradesh in the year 1948? | The Holkars conferred the status of "Rao Raja" on Nandlal's family. The Holkar rulers also allowed the Holkar rulers to perform "Shami Puja" before the Holkar family on Dussehra. On 29 July 1732, Bajirao Peshwa I annexed the Holkar state in '28 and 'Half Pargana' from which Malharrao Holkar established the Holkar dynasty. His daughter-in-law, Devi Ahilyabai Holkar, established the new capital of the state at Maheshwar in 1767. But Indore remained an important trading and military centre. In 1818, the third British -During the Maratha War, the Holkars were defeated by the British in the Battle of Mahidpur, as a result of which the capital was again shifted from Maheshwar to Indore. The British residence was established at Indore, but mainly due to the efforts of Dewan Tatya Jog, the Holkars continued to rule Indore as a princely state. At that time, the headquarters of the British Central India Agency was established in Indore. Ujjain was originally the commercial center of Malwa. But British management officials like John Malcolm made Indore a part of Ujjain. As an alternative, Ujjain traders supported anti-British elements. Electricity was supplied to the city in 1906, a fire brigade was established in 1909 and in 1918, the first master-plan of the city was drawn up by the architect and town planner, Patrick Geddes. During the period (1852-1886), efforts were made for the industrial and planned development of Indore by Maharaja Tukoji Rao Holkar II. With the introduction of railways in 1875, trade in Indore continued to flourish during the reigns of Maharaja Tukojirao Holkar III, Yashwantrao Holkar II, Maharaja Shivaji Rao Holkar. Shortly after India became independent in 1947, the princely state, along with other neighboring princely states, acceded to the Indian Union. | {
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1510 | होलकरों ने नंदलाल के परिवार को राव राजा" की विभूति प्रदान की। साथ ही साथ होलकर शासकों दशहरा पर होलकर परिवार से पहले "शमी पूजन" करने की अनुमति भी दे दी। २९ जुलाई १७३२, बाजीराव पेशवा प्रथम ने होलकर राज्य में '२८ और आधा परगना' में विलय कर दी जिससे मल्हारराव होलकर ने होलकर राजवंश की स्थापना की। उनकी पुत्रवधू देवी अहिल्याबाई होलकर ने १७६७ में राज्य की नई राजधानी महेश्वर में स्थापित की। लेकिन इंदौर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सैन्य केंद्र बना रहा। १८१८ में, तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध के दौरान, महिदपुर की लड़ाई में होलकर, ब्रिटिश से हार गए थे, जिसके परिणामस्वरूप राजधानी फिर से महेश्वर से इंदौर स्थानांतरित हो गयी। इंदौर में ब्रिटिश निवास स्थापित किया गया, लेकिन मुख्य रूप से दीवान तात्या जोग के प्रयासों के कारण होलकरों ने इन्दौर पर एक रियासत के रूप में शासन करना जारी रखा। उस समय, इंदौर में ब्रिटिश मध्य भारत एजेंसी का मुख्यालय स्थापित किया गया। उज्जैन मूल रूप से मालवा का वाणिज्यिक केंद्र था। लेकिन जॉन मैल्कम जैसे ब्रिटिश प्रबंधन अधिकारियों ने इंदौर को उज्जैन के लिए एक विकल्प के रूप में बढ़ावा देने का फैसला किया, क्योंकि उज्जैन के व्यापारियों ने ब्रिटिश विरोधी तत्वों का समर्थन किया था। १९०६ में शहर में बिजली की आपूर्ति शुरू की गई, १९०९ में फायर ब्रिगेड स्थापित किया गया और १९१८ में, शहर के पहले मास्टर-योजना का उल्लेख वास्तुकार और नगर योजनाकार, पैट्रिक गेडडेज़ द्वारा किया गया था। (१८५२-१८८६) की अवधि के दौरान महाराजा तुकोजी राव होलकर द्वितीय के द्वारा इंदौर के औद्योगिक व नियोजित विकास के लिए प्रयास किए गए थे। १८७५ में रेलवे की शुरूआत के साथ, इंदौर में व्यापार महाराजा तुकोजीराव होलकर तृतीय, यशवंतराव होलकर द्वितीय, महाराजा शिवाजी राव होलकर के शासनकाल तक तरक्की करता रहा। १९४७ में भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद, अन्य पड़ोसी रियासतों के साथ साथ इस रियासत ने भारतीय संघ को स्वीकार कर लिया। | अहिल्याबाई होल्कर ने राजधानी महेश्वर की स्थापना किस वर्ष की थी? | {
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"१७६७"
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328
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} | Ahilyabai Holkar founded the capital Maheshwar in which year? | Holkar gave Nandlal's family to the family of Rao Raja ". Also allowed to do" Shami Pujan "before the Holkar family on Holkar rulers Dussehra. 29 July 1832, Bajirao Peshwa I gave permission in Holkar State '26 andHalf Pargana merged with which Malharrao Holkar established the Holkar dynasty. His daughter -in -law Devi Ahilyabai Holkar established the new capital of the state in Maheshwar in 18. But Indore remained an important business and military center.During the Maratha War, Holkar lost to the British in the battle of Mahidpur, resulting in the capital to move from Maheshwar to Indore again. British residence was established in Indore, but mainly due to the efforts of Diwan Tatya JogContinued to rule Indore as a princely state. At that time, the headquarters of the British Central India Agency was established in Indore. Ujjain was originally a commercial center of Malwa. But British management officials like John Malcolm, Indore, Indore, IndoreDecided to promote as an alternative to Ujjain traders supported anti -British elements.Electricity supply was launched in the city in 1907, a fire brigade was established in 1909 and in 1914, the first master-plan of the city was mentioned by the architect and city planner, Patrick Geddes.(1852–14) During the period, efforts were made for the industrial and planned development of Indore by Maharaja Tukoji Rao Holkar II.With the introduction of Railways in 185, the trade in Indore continued to progress till the reign of Maharaja Tukojirao Holkar III, Yashwantrao Holkar II, Maharaja Shivaji Rao Holkar.Shortly after India became independent in 1949, this princely state along with other neighboring princely states accepted the Indian Union. | {
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328
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"1767"
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1511 | होलकरों ने नंदलाल के परिवार को राव राजा" की विभूति प्रदान की। साथ ही साथ होलकर शासकों दशहरा पर होलकर परिवार से पहले "शमी पूजन" करने की अनुमति भी दे दी। २९ जुलाई १७३२, बाजीराव पेशवा प्रथम ने होलकर राज्य में '२८ और आधा परगना' में विलय कर दी जिससे मल्हारराव होलकर ने होलकर राजवंश की स्थापना की। उनकी पुत्रवधू देवी अहिल्याबाई होलकर ने १७६७ में राज्य की नई राजधानी महेश्वर में स्थापित की। लेकिन इंदौर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सैन्य केंद्र बना रहा। १८१८ में, तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध के दौरान, महिदपुर की लड़ाई में होलकर, ब्रिटिश से हार गए थे, जिसके परिणामस्वरूप राजधानी फिर से महेश्वर से इंदौर स्थानांतरित हो गयी। इंदौर में ब्रिटिश निवास स्थापित किया गया, लेकिन मुख्य रूप से दीवान तात्या जोग के प्रयासों के कारण होलकरों ने इन्दौर पर एक रियासत के रूप में शासन करना जारी रखा। उस समय, इंदौर में ब्रिटिश मध्य भारत एजेंसी का मुख्यालय स्थापित किया गया। उज्जैन मूल रूप से मालवा का वाणिज्यिक केंद्र था। लेकिन जॉन मैल्कम जैसे ब्रिटिश प्रबंधन अधिकारियों ने इंदौर को उज्जैन के लिए एक विकल्प के रूप में बढ़ावा देने का फैसला किया, क्योंकि उज्जैन के व्यापारियों ने ब्रिटिश विरोधी तत्वों का समर्थन किया था। १९०६ में शहर में बिजली की आपूर्ति शुरू की गई, १९०९ में फायर ब्रिगेड स्थापित किया गया और १९१८ में, शहर के पहले मास्टर-योजना का उल्लेख वास्तुकार और नगर योजनाकार, पैट्रिक गेडडेज़ द्वारा किया गया था। (१८५२-१८८६) की अवधि के दौरान महाराजा तुकोजी राव होलकर द्वितीय के द्वारा इंदौर के औद्योगिक व नियोजित विकास के लिए प्रयास किए गए थे। १८७५ में रेलवे की शुरूआत के साथ, इंदौर में व्यापार महाराजा तुकोजीराव होलकर तृतीय, यशवंतराव होलकर द्वितीय, महाराजा शिवाजी राव होलकर के शासनकाल तक तरक्की करता रहा। १९४७ में भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद, अन्य पड़ोसी रियासतों के साथ साथ इस रियासत ने भारतीय संघ को स्वीकार कर लिया। | मालवा के वाणिज्यिक केंद्र का क्या नाम था? | {
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"उज्जैन"
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} | What was the name of the commercial center of Malwa? | Holkar gave Nandlal's family to the family of Rao Raja ". Also allowed to do" Shami Pujan "before the Holkar family on Holkar rulers Dussehra. 29 July 1832, Bajirao Peshwa I gave permission in Holkar State '26 andHalf Pargana merged with which Malharrao Holkar established the Holkar dynasty. His daughter -in -law Devi Ahilyabai Holkar established the new capital of the state in Maheshwar in 18. But Indore remained an important business and military center.During the Maratha War, Holkar lost to the British in the battle of Mahidpur, resulting in the capital to move from Maheshwar to Indore again. British residence was established in Indore, but mainly due to the efforts of Diwan Tatya JogContinued to rule Indore as a princely state. At that time, the headquarters of the British Central India Agency was established in Indore. Ujjain was originally a commercial center of Malwa. But British management officials like John Malcolm, Indore, Indore, IndoreDecided to promote as an alternative to Ujjain traders supported anti -British elements.Electricity supply was launched in the city in 1907, a fire brigade was established in 1909 and in 1914, the first master-plan of the city was mentioned by the architect and city planner, Patrick Geddes.(1852–14) During the period, efforts were made for the industrial and planned development of Indore by Maharaja Tukoji Rao Holkar II.With the introduction of Railways in 185, the trade in Indore continued to progress till the reign of Maharaja Tukojirao Holkar III, Yashwantrao Holkar II, Maharaja Shivaji Rao Holkar.Shortly after India became independent in 1949, this princely state along with other neighboring princely states accepted the Indian Union. | {
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835
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"Ujjain"
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1512 | होलकरों ने नंदलाल के परिवार को राव राजा" की विभूति प्रदान की। साथ ही साथ होलकर शासकों दशहरा पर होलकर परिवार से पहले "शमी पूजन" करने की अनुमति भी दे दी। २९ जुलाई १७३२, बाजीराव पेशवा प्रथम ने होलकर राज्य में '२८ और आधा परगना' में विलय कर दी जिससे मल्हारराव होलकर ने होलकर राजवंश की स्थापना की। उनकी पुत्रवधू देवी अहिल्याबाई होलकर ने १७६७ में राज्य की नई राजधानी महेश्वर में स्थापित की। लेकिन इंदौर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सैन्य केंद्र बना रहा। १८१८ में, तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध के दौरान, महिदपुर की लड़ाई में होलकर, ब्रिटिश से हार गए थे, जिसके परिणामस्वरूप राजधानी फिर से महेश्वर से इंदौर स्थानांतरित हो गयी। इंदौर में ब्रिटिश निवास स्थापित किया गया, लेकिन मुख्य रूप से दीवान तात्या जोग के प्रयासों के कारण होलकरों ने इन्दौर पर एक रियासत के रूप में शासन करना जारी रखा। उस समय, इंदौर में ब्रिटिश मध्य भारत एजेंसी का मुख्यालय स्थापित किया गया। उज्जैन मूल रूप से मालवा का वाणिज्यिक केंद्र था। लेकिन जॉन मैल्कम जैसे ब्रिटिश प्रबंधन अधिकारियों ने इंदौर को उज्जैन के लिए एक विकल्प के रूप में बढ़ावा देने का फैसला किया, क्योंकि उज्जैन के व्यापारियों ने ब्रिटिश विरोधी तत्वों का समर्थन किया था। १९०६ में शहर में बिजली की आपूर्ति शुरू की गई, १९०९ में फायर ब्रिगेड स्थापित किया गया और १९१८ में, शहर के पहले मास्टर-योजना का उल्लेख वास्तुकार और नगर योजनाकार, पैट्रिक गेडडेज़ द्वारा किया गया था। (१८५२-१८८६) की अवधि के दौरान महाराजा तुकोजी राव होलकर द्वितीय के द्वारा इंदौर के औद्योगिक व नियोजित विकास के लिए प्रयास किए गए थे। १८७५ में रेलवे की शुरूआत के साथ, इंदौर में व्यापार महाराजा तुकोजीराव होलकर तृतीय, यशवंतराव होलकर द्वितीय, महाराजा शिवाजी राव होलकर के शासनकाल तक तरक्की करता रहा। १९४७ में भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद, अन्य पड़ोसी रियासतों के साथ साथ इस रियासत ने भारतीय संघ को स्वीकार कर लिया। | होल्करों ने नंदलाल के परिवार को किस उपाधि से नवाजा था? | {
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"राव राजा"
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} | What title did the Holkars bestow on Nandlal's family? | Holkar gave Nandlal's family to the family of Rao Raja ". Also allowed to do" Shami Pujan "before the Holkar family on Holkar rulers Dussehra. 29 July 1832, Bajirao Peshwa I gave permission in Holkar State '26 andHalf Pargana merged with which Malharrao Holkar established the Holkar dynasty. His daughter -in -law Devi Ahilyabai Holkar established the new capital of the state in Maheshwar in 18. But Indore remained an important business and military center.During the Maratha War, Holkar lost to the British in the battle of Mahidpur, resulting in the capital to move from Maheshwar to Indore again. British residence was established in Indore, but mainly due to the efforts of Diwan Tatya JogContinued to rule Indore as a princely state. At that time, the headquarters of the British Central India Agency was established in Indore. Ujjain was originally a commercial center of Malwa. But British management officials like John Malcolm, Indore, Indore, IndoreDecided to promote as an alternative to Ujjain traders supported anti -British elements.Electricity supply was launched in the city in 1907, a fire brigade was established in 1909 and in 1914, the first master-plan of the city was mentioned by the architect and city planner, Patrick Geddes.(1852–14) During the period, efforts were made for the industrial and planned development of Indore by Maharaja Tukoji Rao Holkar II.With the introduction of Railways in 185, the trade in Indore continued to progress till the reign of Maharaja Tukojirao Holkar III, Yashwantrao Holkar II, Maharaja Shivaji Rao Holkar.Shortly after India became independent in 1949, this princely state along with other neighboring princely states accepted the Indian Union. | {
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30
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"Rao Raja"
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1513 | होलकरों ने नंदलाल के परिवार को राव राजा" की विभूति प्रदान की। साथ ही साथ होलकर शासकों दशहरा पर होलकर परिवार से पहले "शमी पूजन" करने की अनुमति भी दे दी। २९ जुलाई १७३२, बाजीराव पेशवा प्रथम ने होलकर राज्य में '२८ और आधा परगना' में विलय कर दी जिससे मल्हारराव होलकर ने होलकर राजवंश की स्थापना की। उनकी पुत्रवधू देवी अहिल्याबाई होलकर ने १७६७ में राज्य की नई राजधानी महेश्वर में स्थापित की। लेकिन इंदौर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सैन्य केंद्र बना रहा। १८१८ में, तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध के दौरान, महिदपुर की लड़ाई में होलकर, ब्रिटिश से हार गए थे, जिसके परिणामस्वरूप राजधानी फिर से महेश्वर से इंदौर स्थानांतरित हो गयी। इंदौर में ब्रिटिश निवास स्थापित किया गया, लेकिन मुख्य रूप से दीवान तात्या जोग के प्रयासों के कारण होलकरों ने इन्दौर पर एक रियासत के रूप में शासन करना जारी रखा। उस समय, इंदौर में ब्रिटिश मध्य भारत एजेंसी का मुख्यालय स्थापित किया गया। उज्जैन मूल रूप से मालवा का वाणिज्यिक केंद्र था। लेकिन जॉन मैल्कम जैसे ब्रिटिश प्रबंधन अधिकारियों ने इंदौर को उज्जैन के लिए एक विकल्प के रूप में बढ़ावा देने का फैसला किया, क्योंकि उज्जैन के व्यापारियों ने ब्रिटिश विरोधी तत्वों का समर्थन किया था। १९०६ में शहर में बिजली की आपूर्ति शुरू की गई, १९०९ में फायर ब्रिगेड स्थापित किया गया और १९१८ में, शहर के पहले मास्टर-योजना का उल्लेख वास्तुकार और नगर योजनाकार, पैट्रिक गेडडेज़ द्वारा किया गया था। (१८५२-१८८६) की अवधि के दौरान महाराजा तुकोजी राव होलकर द्वितीय के द्वारा इंदौर के औद्योगिक व नियोजित विकास के लिए प्रयास किए गए थे। १८७५ में रेलवे की शुरूआत के साथ, इंदौर में व्यापार महाराजा तुकोजीराव होलकर तृतीय, यशवंतराव होलकर द्वितीय, महाराजा शिवाजी राव होलकर के शासनकाल तक तरक्की करता रहा। १९४७ में भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद, अन्य पड़ोसी रियासतों के साथ साथ इस रियासत ने भारतीय संघ को स्वीकार कर लिया। | मल्हारराव होल्कर की बहू का क्या नाम था? | {
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"देवी अहिल्याबाई"
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303
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} | What was the name of Malharrao Holkar's daughter-in-law? | Holkar gave Nandlal's family to the family of Rao Raja ". Also allowed to do" Shami Pujan "before the Holkar family on Holkar rulers Dussehra. 29 July 1832, Bajirao Peshwa I gave permission in Holkar State '26 andHalf Pargana merged with which Malharrao Holkar established the Holkar dynasty. His daughter -in -law Devi Ahilyabai Holkar established the new capital of the state in Maheshwar in 18. But Indore remained an important business and military center.During the Maratha War, Holkar lost to the British in the battle of Mahidpur, resulting in the capital to move from Maheshwar to Indore again. British residence was established in Indore, but mainly due to the efforts of Diwan Tatya JogContinued to rule Indore as a princely state. At that time, the headquarters of the British Central India Agency was established in Indore. Ujjain was originally a commercial center of Malwa. But British management officials like John Malcolm, Indore, Indore, IndoreDecided to promote as an alternative to Ujjain traders supported anti -British elements.Electricity supply was launched in the city in 1907, a fire brigade was established in 1909 and in 1914, the first master-plan of the city was mentioned by the architect and city planner, Patrick Geddes.(1852–14) During the period, efforts were made for the industrial and planned development of Indore by Maharaja Tukoji Rao Holkar II.With the introduction of Railways in 185, the trade in Indore continued to progress till the reign of Maharaja Tukojirao Holkar III, Yashwantrao Holkar II, Maharaja Shivaji Rao Holkar.Shortly after India became independent in 1949, this princely state along with other neighboring princely states accepted the Indian Union. | {
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303
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"text": [
"Devi Ahilyabai"
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} |
1514 | होलकरों ने नंदलाल के परिवार को राव राजा" की विभूति प्रदान की। साथ ही साथ होलकर शासकों दशहरा पर होलकर परिवार से पहले "शमी पूजन" करने की अनुमति भी दे दी। २९ जुलाई १७३२, बाजीराव पेशवा प्रथम ने होलकर राज्य में '२८ और आधा परगना' में विलय कर दी जिससे मल्हारराव होलकर ने होलकर राजवंश की स्थापना की। उनकी पुत्रवधू देवी अहिल्याबाई होलकर ने १७६७ में राज्य की नई राजधानी महेश्वर में स्थापित की। लेकिन इंदौर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सैन्य केंद्र बना रहा। १८१८ में, तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध के दौरान, महिदपुर की लड़ाई में होलकर, ब्रिटिश से हार गए थे, जिसके परिणामस्वरूप राजधानी फिर से महेश्वर से इंदौर स्थानांतरित हो गयी। इंदौर में ब्रिटिश निवास स्थापित किया गया, लेकिन मुख्य रूप से दीवान तात्या जोग के प्रयासों के कारण होलकरों ने इन्दौर पर एक रियासत के रूप में शासन करना जारी रखा। उस समय, इंदौर में ब्रिटिश मध्य भारत एजेंसी का मुख्यालय स्थापित किया गया। उज्जैन मूल रूप से मालवा का वाणिज्यिक केंद्र था। लेकिन जॉन मैल्कम जैसे ब्रिटिश प्रबंधन अधिकारियों ने इंदौर को उज्जैन के लिए एक विकल्प के रूप में बढ़ावा देने का फैसला किया, क्योंकि उज्जैन के व्यापारियों ने ब्रिटिश विरोधी तत्वों का समर्थन किया था। १९०६ में शहर में बिजली की आपूर्ति शुरू की गई, १९०९ में फायर ब्रिगेड स्थापित किया गया और १९१८ में, शहर के पहले मास्टर-योजना का उल्लेख वास्तुकार और नगर योजनाकार, पैट्रिक गेडडेज़ द्वारा किया गया था। (१८५२-१८८६) की अवधि के दौरान महाराजा तुकोजी राव होलकर द्वितीय के द्वारा इंदौर के औद्योगिक व नियोजित विकास के लिए प्रयास किए गए थे। १८७५ में रेलवे की शुरूआत के साथ, इंदौर में व्यापार महाराजा तुकोजीराव होलकर तृतीय, यशवंतराव होलकर द्वितीय, महाराजा शिवाजी राव होलकर के शासनकाल तक तरक्की करता रहा। १९४७ में भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद, अन्य पड़ोसी रियासतों के साथ साथ इस रियासत ने भारतीय संघ को स्वीकार कर लिया। | होल्कर राज्य को 28 और आधा परगना में किसके द्वारा मिला दिया गया था? | {
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"बाजीराव पेशवा प्रथम"
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165
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} | The Holkar kingdom was merged into 28 and a half parganas by whom? | Holkar gave Nandlal's family to the family of Rao Raja ". Also allowed to do" Shami Pujan "before the Holkar family on Holkar rulers Dussehra. 29 July 1832, Bajirao Peshwa I gave permission in Holkar State '26 andHalf Pargana merged with which Malharrao Holkar established the Holkar dynasty. His daughter -in -law Devi Ahilyabai Holkar established the new capital of the state in Maheshwar in 18. But Indore remained an important business and military center.During the Maratha War, Holkar lost to the British in the battle of Mahidpur, resulting in the capital to move from Maheshwar to Indore again. British residence was established in Indore, but mainly due to the efforts of Diwan Tatya JogContinued to rule Indore as a princely state. At that time, the headquarters of the British Central India Agency was established in Indore. Ujjain was originally a commercial center of Malwa. But British management officials like John Malcolm, Indore, Indore, IndoreDecided to promote as an alternative to Ujjain traders supported anti -British elements.Electricity supply was launched in the city in 1907, a fire brigade was established in 1909 and in 1914, the first master-plan of the city was mentioned by the architect and city planner, Patrick Geddes.(1852–14) During the period, efforts were made for the industrial and planned development of Indore by Maharaja Tukoji Rao Holkar II.With the introduction of Railways in 185, the trade in Indore continued to progress till the reign of Maharaja Tukojirao Holkar III, Yashwantrao Holkar II, Maharaja Shivaji Rao Holkar.Shortly after India became independent in 1949, this princely state along with other neighboring princely states accepted the Indian Union. | {
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165
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"Bajirao Peshwa I"
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1515 | होलकरों ने नंदलाल के परिवार को राव राजा" की विभूति प्रदान की। साथ ही साथ होलकर शासकों दशहरा पर होलकर परिवार से पहले "शमी पूजन" करने की अनुमति भी दे दी। २९ जुलाई १७३२, बाजीराव पेशवा प्रथम ने होलकर राज्य में '२८ और आधा परगना' में विलय कर दी जिससे मल्हारराव होलकर ने होलकर राजवंश की स्थापना की। उनकी पुत्रवधू देवी अहिल्याबाई होलकर ने १७६७ में राज्य की नई राजधानी महेश्वर में स्थापित की। लेकिन इंदौर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सैन्य केंद्र बना रहा। १८१८ में, तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध के दौरान, महिदपुर की लड़ाई में होलकर, ब्रिटिश से हार गए थे, जिसके परिणामस्वरूप राजधानी फिर से महेश्वर से इंदौर स्थानांतरित हो गयी। इंदौर में ब्रिटिश निवास स्थापित किया गया, लेकिन मुख्य रूप से दीवान तात्या जोग के प्रयासों के कारण होलकरों ने इन्दौर पर एक रियासत के रूप में शासन करना जारी रखा। उस समय, इंदौर में ब्रिटिश मध्य भारत एजेंसी का मुख्यालय स्थापित किया गया। उज्जैन मूल रूप से मालवा का वाणिज्यिक केंद्र था। लेकिन जॉन मैल्कम जैसे ब्रिटिश प्रबंधन अधिकारियों ने इंदौर को उज्जैन के लिए एक विकल्प के रूप में बढ़ावा देने का फैसला किया, क्योंकि उज्जैन के व्यापारियों ने ब्रिटिश विरोधी तत्वों का समर्थन किया था। १९०६ में शहर में बिजली की आपूर्ति शुरू की गई, १९०९ में फायर ब्रिगेड स्थापित किया गया और १९१८ में, शहर के पहले मास्टर-योजना का उल्लेख वास्तुकार और नगर योजनाकार, पैट्रिक गेडडेज़ द्वारा किया गया था। (१८५२-१८८६) की अवधि के दौरान महाराजा तुकोजी राव होलकर द्वितीय के द्वारा इंदौर के औद्योगिक व नियोजित विकास के लिए प्रयास किए गए थे। १८७५ में रेलवे की शुरूआत के साथ, इंदौर में व्यापार महाराजा तुकोजीराव होलकर तृतीय, यशवंतराव होलकर द्वितीय, महाराजा शिवाजी राव होलकर के शासनकाल तक तरक्की करता रहा। १९४७ में भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद, अन्य पड़ोसी रियासतों के साथ साथ इस रियासत ने भारतीय संघ को स्वीकार कर लिया। | भोपाल किस वर्ष मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी बना था ? | {
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} | In which year Bhopal became the capital of Madhya Pradesh state? | Holkar gave Nandlal's family to the family of Rao Raja ". Also allowed to do" Shami Pujan "before the Holkar family on Holkar rulers Dussehra. 29 July 1832, Bajirao Peshwa I gave permission in Holkar State '26 andHalf Pargana merged with which Malharrao Holkar established the Holkar dynasty. His daughter -in -law Devi Ahilyabai Holkar established the new capital of the state in Maheshwar in 18. But Indore remained an important business and military center.During the Maratha War, Holkar lost to the British in the battle of Mahidpur, resulting in the capital to move from Maheshwar to Indore again. British residence was established in Indore, but mainly due to the efforts of Diwan Tatya JogContinued to rule Indore as a princely state. At that time, the headquarters of the British Central India Agency was established in Indore. Ujjain was originally a commercial center of Malwa. But British management officials like John Malcolm, Indore, Indore, IndoreDecided to promote as an alternative to Ujjain traders supported anti -British elements.Electricity supply was launched in the city in 1907, a fire brigade was established in 1909 and in 1914, the first master-plan of the city was mentioned by the architect and city planner, Patrick Geddes.(1852–14) During the period, efforts were made for the industrial and planned development of Indore by Maharaja Tukoji Rao Holkar II.With the introduction of Railways in 185, the trade in Indore continued to progress till the reign of Maharaja Tukojirao Holkar III, Yashwantrao Holkar II, Maharaja Shivaji Rao Holkar.Shortly after India became independent in 1949, this princely state along with other neighboring princely states accepted the Indian Union. | {
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1516 | १६वीं सदी के दक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में इन्दौर का अस्तित्व था। १७१५ में स्थानीय जमींदारों ने इन्दौर को नर्मदा नदी घाटी मार्ग पर व्यापार केन्द्र के रूप में बसाया था। अठारहवीं सदी के मध्य में मल्हारराव होल्कर ने पेशवा बाजीराव प्रथम की ओर से अनेक लड़ाइयाँ जीती थीं। मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। १७३३ में बाजीराव पेशवा ने इन्दौर को मल्हारराव होल्कर को पुरस्कार के रूप में दिया था। उसने मालवा के दक्षिण-पश्चिम भाग में अधिपत्य कर होल्कर राजवंश की नींव रखी और इन्दौर को अपनी राजधानी बनाया। उसकी मृत्यु के पश्चात दो अयोग्य शासक गद्दी पर बैठे, किन्तु तीसरी शासिका अहिल्या बाई (१७५६-१७९५ ई.) ने शासन कार्य बड़ी सफलता के साथ निष्पादित किया। जनवरी १८१८ में इन्दौर ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया। यह ब्रिटिश मध्य भारत संस्था का मुख्यालय एवं मध्य भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी (१९५४-५६) था। इन्दौर में होल्कर नरेशों के प्रासाद उल्लेखनीय हैं। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था, जो की उस समय एक दुर्लभ उच्च श्रेणी थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद, यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। | इंदौर मध्य भारत की राजधानी किस वर्ष रही है ? | {
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} | In which year has Indore been the capital of Central India? | Indore existed as a business center between the 17th century Deccan (South) and Delhi.In 1815, local landlords settled Indore as a trade center on the Narmada River Valley Road.In the middle of the eighteenth century, Malharrao Holkar won many battles on behalf of Peshwa Bajirao I.After taking full control over Malwa, Indore joined the Maratha Empire on 14 May 1824.In 1833, Bajirao Peshwa gave Indore to Malharrao Holkar as an award.He defeated the South-West part of Malwa and laid the foundation of the Holkar dynasty and made Indore his capital.After his death, two unqualified ruler sat on the throne, but the third ruler Ahilya Bai (1857–145 AD) executed the rule with great success.In January 1814, Indore became under British rule.It was the headquarters of the British Central India institution and the summer capital of Central India (1957–56).The processions of Holkar kings in Indore are notable.In the days of British Raj, the princely state of Indore was a 19 gun cellute (21) princely state, which was a rare high class at that time.Even during the English period, it was ruled by the Holkar dynasty.Shortly after India became independent, it was merged with the India Deaf. | {
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1517 | १६वीं सदी के दक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में इन्दौर का अस्तित्व था। १७१५ में स्थानीय जमींदारों ने इन्दौर को नर्मदा नदी घाटी मार्ग पर व्यापार केन्द्र के रूप में बसाया था। अठारहवीं सदी के मध्य में मल्हारराव होल्कर ने पेशवा बाजीराव प्रथम की ओर से अनेक लड़ाइयाँ जीती थीं। मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। १७३३ में बाजीराव पेशवा ने इन्दौर को मल्हारराव होल्कर को पुरस्कार के रूप में दिया था। उसने मालवा के दक्षिण-पश्चिम भाग में अधिपत्य कर होल्कर राजवंश की नींव रखी और इन्दौर को अपनी राजधानी बनाया। उसकी मृत्यु के पश्चात दो अयोग्य शासक गद्दी पर बैठे, किन्तु तीसरी शासिका अहिल्या बाई (१७५६-१७९५ ई.) ने शासन कार्य बड़ी सफलता के साथ निष्पादित किया। जनवरी १८१८ में इन्दौर ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया। यह ब्रिटिश मध्य भारत संस्था का मुख्यालय एवं मध्य भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी (१९५४-५६) था। इन्दौर में होल्कर नरेशों के प्रासाद उल्लेखनीय हैं। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था, जो की उस समय एक दुर्लभ उच्च श्रेणी थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद, यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। | कम्पेल के स्थानीय परगना मुख्यालय को इंदौर में किस वर्ष स्थानांतरित किया गया ? | {
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} | In which year was the local pargana headquarters of Kampel shifted to Indore? | Indore existed as a business center between the 17th century Deccan (South) and Delhi.In 1815, local landlords settled Indore as a trade center on the Narmada River Valley Road.In the middle of the eighteenth century, Malharrao Holkar won many battles on behalf of Peshwa Bajirao I.After taking full control over Malwa, Indore joined the Maratha Empire on 14 May 1824.In 1833, Bajirao Peshwa gave Indore to Malharrao Holkar as an award.He defeated the South-West part of Malwa and laid the foundation of the Holkar dynasty and made Indore his capital.After his death, two unqualified ruler sat on the throne, but the third ruler Ahilya Bai (1857–145 AD) executed the rule with great success.In January 1814, Indore became under British rule.It was the headquarters of the British Central India institution and the summer capital of Central India (1957–56).The processions of Holkar kings in Indore are notable.In the days of British Raj, the princely state of Indore was a 19 gun cellute (21) princely state, which was a rare high class at that time.Even during the English period, it was ruled by the Holkar dynasty.Shortly after India became independent, it was merged with the India Deaf. | {
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1518 | १६वीं सदी के दक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में इन्दौर का अस्तित्व था। १७१५ में स्थानीय जमींदारों ने इन्दौर को नर्मदा नदी घाटी मार्ग पर व्यापार केन्द्र के रूप में बसाया था। अठारहवीं सदी के मध्य में मल्हारराव होल्कर ने पेशवा बाजीराव प्रथम की ओर से अनेक लड़ाइयाँ जीती थीं। मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। १७३३ में बाजीराव पेशवा ने इन्दौर को मल्हारराव होल्कर को पुरस्कार के रूप में दिया था। उसने मालवा के दक्षिण-पश्चिम भाग में अधिपत्य कर होल्कर राजवंश की नींव रखी और इन्दौर को अपनी राजधानी बनाया। उसकी मृत्यु के पश्चात दो अयोग्य शासक गद्दी पर बैठे, किन्तु तीसरी शासिका अहिल्या बाई (१७५६-१७९५ ई.) ने शासन कार्य बड़ी सफलता के साथ निष्पादित किया। जनवरी १८१८ में इन्दौर ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया। यह ब्रिटिश मध्य भारत संस्था का मुख्यालय एवं मध्य भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी (१९५४-५६) था। इन्दौर में होल्कर नरेशों के प्रासाद उल्लेखनीय हैं। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था, जो की उस समय एक दुर्लभ उच्च श्रेणी थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद, यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। | अहिल्या बाई का शासनकाल कब से कब तक रहा था? | {
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"१७५६-१७९५ ई"
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} | How long was Ahilya Bai's reign? | Indore existed as a business center between the 17th century Deccan (South) and Delhi.In 1815, local landlords settled Indore as a trade center on the Narmada River Valley Road.In the middle of the eighteenth century, Malharrao Holkar won many battles on behalf of Peshwa Bajirao I.After taking full control over Malwa, Indore joined the Maratha Empire on 14 May 1824.In 1833, Bajirao Peshwa gave Indore to Malharrao Holkar as an award.He defeated the South-West part of Malwa and laid the foundation of the Holkar dynasty and made Indore his capital.After his death, two unqualified ruler sat on the throne, but the third ruler Ahilya Bai (1857–145 AD) executed the rule with great success.In January 1814, Indore became under British rule.It was the headquarters of the British Central India institution and the summer capital of Central India (1957–56).The processions of Holkar kings in Indore are notable.In the days of British Raj, the princely state of Indore was a 19 gun cellute (21) princely state, which was a rare high class at that time.Even during the English period, it was ruled by the Holkar dynasty.Shortly after India became independent, it was merged with the India Deaf. | {
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"1756-1795 E"
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1519 | १६वीं सदी के दक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में इन्दौर का अस्तित्व था। १७१५ में स्थानीय जमींदारों ने इन्दौर को नर्मदा नदी घाटी मार्ग पर व्यापार केन्द्र के रूप में बसाया था। अठारहवीं सदी के मध्य में मल्हारराव होल्कर ने पेशवा बाजीराव प्रथम की ओर से अनेक लड़ाइयाँ जीती थीं। मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। १७३३ में बाजीराव पेशवा ने इन्दौर को मल्हारराव होल्कर को पुरस्कार के रूप में दिया था। उसने मालवा के दक्षिण-पश्चिम भाग में अधिपत्य कर होल्कर राजवंश की नींव रखी और इन्दौर को अपनी राजधानी बनाया। उसकी मृत्यु के पश्चात दो अयोग्य शासक गद्दी पर बैठे, किन्तु तीसरी शासिका अहिल्या बाई (१७५६-१७९५ ई.) ने शासन कार्य बड़ी सफलता के साथ निष्पादित किया। जनवरी १८१८ में इन्दौर ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया। यह ब्रिटिश मध्य भारत संस्था का मुख्यालय एवं मध्य भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी (१९५४-५६) था। इन्दौर में होल्कर नरेशों के प्रासाद उल्लेखनीय हैं। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था, जो की उस समय एक दुर्लभ उच्च श्रेणी थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद, यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। | स्थानीय जमींदारों ने इंदौर को किस मार्ग पर व्यापारिक केंद्र के रूप में स्थापित किया था? | {
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"नर्मदा नदी घाटी मार्ग"
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138
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} | On which route did the local zamindars establish Indore as a trading centre? | Indore existed as a business center between the 17th century Deccan (South) and Delhi.In 1815, local landlords settled Indore as a trade center on the Narmada River Valley Road.In the middle of the eighteenth century, Malharrao Holkar won many battles on behalf of Peshwa Bajirao I.After taking full control over Malwa, Indore joined the Maratha Empire on 14 May 1824.In 1833, Bajirao Peshwa gave Indore to Malharrao Holkar as an award.He defeated the South-West part of Malwa and laid the foundation of the Holkar dynasty and made Indore his capital.After his death, two unqualified ruler sat on the throne, but the third ruler Ahilya Bai (1857–145 AD) executed the rule with great success.In January 1814, Indore became under British rule.It was the headquarters of the British Central India institution and the summer capital of Central India (1957–56).The processions of Holkar kings in Indore are notable.In the days of British Raj, the princely state of Indore was a 19 gun cellute (21) princely state, which was a rare high class at that time.Even during the English period, it was ruled by the Holkar dynasty.Shortly after India became independent, it was merged with the India Deaf. | {
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138
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"Narmada River Valley Route"
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1520 | १६वीं सदी के दक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में इन्दौर का अस्तित्व था। १७१५ में स्थानीय जमींदारों ने इन्दौर को नर्मदा नदी घाटी मार्ग पर व्यापार केन्द्र के रूप में बसाया था। अठारहवीं सदी के मध्य में मल्हारराव होल्कर ने पेशवा बाजीराव प्रथम की ओर से अनेक लड़ाइयाँ जीती थीं। मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। १७३३ में बाजीराव पेशवा ने इन्दौर को मल्हारराव होल्कर को पुरस्कार के रूप में दिया था। उसने मालवा के दक्षिण-पश्चिम भाग में अधिपत्य कर होल्कर राजवंश की नींव रखी और इन्दौर को अपनी राजधानी बनाया। उसकी मृत्यु के पश्चात दो अयोग्य शासक गद्दी पर बैठे, किन्तु तीसरी शासिका अहिल्या बाई (१७५६-१७९५ ई.) ने शासन कार्य बड़ी सफलता के साथ निष्पादित किया। जनवरी १८१८ में इन्दौर ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया। यह ब्रिटिश मध्य भारत संस्था का मुख्यालय एवं मध्य भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी (१९५४-५६) था। इन्दौर में होल्कर नरेशों के प्रासाद उल्लेखनीय हैं। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था, जो की उस समय एक दुर्लभ उच्च श्रेणी थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद, यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। | पेशवा ने मल्हारराव होल्कर को पुरस्कार के रूप में इंदौर कब दिया था? | {
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"१७३३"
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} | When did the Peshwa give Indore to Malharrao Holkar as a reward? | Indore existed as a business center between the 17th century Deccan (South) and Delhi.In 1815, local landlords settled Indore as a trade center on the Narmada River Valley Road.In the middle of the eighteenth century, Malharrao Holkar won many battles on behalf of Peshwa Bajirao I.After taking full control over Malwa, Indore joined the Maratha Empire on 14 May 1824.In 1833, Bajirao Peshwa gave Indore to Malharrao Holkar as an award.He defeated the South-West part of Malwa and laid the foundation of the Holkar dynasty and made Indore his capital.After his death, two unqualified ruler sat on the throne, but the third ruler Ahilya Bai (1857–145 AD) executed the rule with great success.In January 1814, Indore became under British rule.It was the headquarters of the British Central India institution and the summer capital of Central India (1957–56).The processions of Holkar kings in Indore are notable.In the days of British Raj, the princely state of Indore was a 19 gun cellute (21) princely state, which was a rare high class at that time.Even during the English period, it was ruled by the Holkar dynasty.Shortly after India became independent, it was merged with the India Deaf. | {
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401
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"text": [
"1733"
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1521 | १६वीं सदी के दक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में इन्दौर का अस्तित्व था। १७१५ में स्थानीय जमींदारों ने इन्दौर को नर्मदा नदी घाटी मार्ग पर व्यापार केन्द्र के रूप में बसाया था। अठारहवीं सदी के मध्य में मल्हारराव होल्कर ने पेशवा बाजीराव प्रथम की ओर से अनेक लड़ाइयाँ जीती थीं। मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। १७३३ में बाजीराव पेशवा ने इन्दौर को मल्हारराव होल्कर को पुरस्कार के रूप में दिया था। उसने मालवा के दक्षिण-पश्चिम भाग में अधिपत्य कर होल्कर राजवंश की नींव रखी और इन्दौर को अपनी राजधानी बनाया। उसकी मृत्यु के पश्चात दो अयोग्य शासक गद्दी पर बैठे, किन्तु तीसरी शासिका अहिल्या बाई (१७५६-१७९५ ई.) ने शासन कार्य बड़ी सफलता के साथ निष्पादित किया। जनवरी १८१८ में इन्दौर ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया। यह ब्रिटिश मध्य भारत संस्था का मुख्यालय एवं मध्य भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी (१९५४-५६) था। इन्दौर में होल्कर नरेशों के प्रासाद उल्लेखनीय हैं। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था, जो की उस समय एक दुर्लभ उच्च श्रेणी थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद, यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। | इंदौर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा कब बनाया गया था? | {
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"१८ मई १७२४"
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341
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} | When was Indore made a part of the Maratha Empire? | Indore existed as a business center between the 17th century Deccan (South) and Delhi.In 1815, local landlords settled Indore as a trade center on the Narmada River Valley Road.In the middle of the eighteenth century, Malharrao Holkar won many battles on behalf of Peshwa Bajirao I.After taking full control over Malwa, Indore joined the Maratha Empire on 14 May 1824.In 1833, Bajirao Peshwa gave Indore to Malharrao Holkar as an award.He defeated the South-West part of Malwa and laid the foundation of the Holkar dynasty and made Indore his capital.After his death, two unqualified ruler sat on the throne, but the third ruler Ahilya Bai (1857–145 AD) executed the rule with great success.In January 1814, Indore became under British rule.It was the headquarters of the British Central India institution and the summer capital of Central India (1957–56).The processions of Holkar kings in Indore are notable.In the days of British Raj, the princely state of Indore was a 19 gun cellute (21) princely state, which was a rare high class at that time.Even during the English period, it was ruled by the Holkar dynasty.Shortly after India became independent, it was merged with the India Deaf. | {
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341
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"18 May 1724"
]
} |
1522 | १७२४ में असफ़ जाह प्रथम, जिसे मुगल सम्राट ने "निज़ाम-उल-मुल्क" का खिताब दिया था, ने एक विरोधी अधिकारी को हैदराबाद पर अधिकार स्थापित करने में हरा दिया। इस तरह आसफ़ जाह राजवंश का प्रारंभ हुआ, जिसने हैदराबाद पर भारत की अंग्रेजों से स्वतंत्रता के एक साल बाद तक शासन किया। आसफ़ जाह के उत्तराधिकारीयों ने हैदराबाद स्टेट पर राज्य किया, वे निज़ाम कहलाते थे। इन सात निजामों के राज्य में हैदराबाद सांस्कृतिक और आर्थिक दोनों भांति विकसित हुआ। हैदराबाद राज्य की आधिकारिक राजधानी बन गया और पुरानी राजधानी गोलकुंडा छोड़ दी गयी। बड़े बड़े जलाशय जैसे कि निज़ाम सागर, तुंगबाद्र, ओसमान सागर, हिमायत सागर और भी कई बनाये गये। नागार्जुन सागर परियोजना के लिये सर्वे भी इसी समय शुरु किया गया, जिसे भारत सरकार ने १९६९ में पूरा किया। हैदराबाद के लगभग सभी प्रमुख सार्वजनिक इमारतों और संस्थानों, जैसे उस्मानिया जनरल अस्पताल, हैदराबाद उच्च न्यायालय, जुबली हॉल, गवर्नमेंट निज़ामिआ जनरल हॉस्पिटल, मोजाम जाही बाजार, कचिगुडा रेलवे स्टेशन, असफिया लाइब्रेरी (राज्य केंद्रीय पुस्तकालय), निज़ाम शुगर फैक्ट्री, टाउन हॉल (असेंबली हॉल), हैदराबाद संग्रहालय अब राज्य संग्रहालय के रूप में जाना जाता है और कई अन्य स्मारक इस शासनकाल के दौरान बनाए गए थे। जब १९४७ में भारत स्वतंत्र हुआ, ब्रिटिश शासन से हुई शर्तों के तहत हैदराबाद ने; जिसका प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल और 'निज़ाम' कर रहे थे, स्वतंत्र होने को चुना, एक मुक्त शासक की भांति या ब्रिटिश साम्राज्य की रियासत की भांति भारत ने हैदराबाद स्टेट पर आर्थिक नाकेबंदी लगा दी। परिणामतः हैदराबाद स्टेट को एक विराम समझौता करना पड़ा | भारत की स्वतंत्रता के करीब एक साल बाद, १७ सितम्बर १९४८ के दिन निज़ाम ने अधिमिलन प्रपत्र पर हस्ताक्षर किये। | भारत को भाषा के आधार पर पुनर्गठित कब किया गया था ? | {
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} | When was India reorganized on the basis of language? | In 1826, Asaf Jah I, who was given the title of "Nizam-ul-Mulk" by the Mughal Emperor, defeated an opposing officer in establishing authority over Hyderabad.In this way, the Asaf Jah dynasty began, which ruled Hyderabad till one year of independence from the British of India.Asaf Jah's successors ruled the Hyderabad State, they were called Nizams.In the state of these seven Nizams, Hyderabad developed both cultural and economic.Hyderabad became the official capital of the state and left the old capital Golconda.Large reservoirs such as Nizam Sagar, Tungabad, Osman Sagar, Himayat Sagar and many more were made.The survey for Nagarjuna Sagar Project was also started at this time, which was completed by the Government of India in 1979.Almost all major public buildings and institutions of Hyderabad, such as Osmania General Hospital, Hyderabad High Court, Jubilee Hall, Government Nizamia General Hospital, Mojam Jahi Bazar, Kachiguda Railway Station, Asafia Library (State Central Library), Nizam Sugar Factory, Town Hall (Assembly Hall), Hyderabad Museum is now known as the State Museum and many other monuments were built during this reign.When India became independent in 1949, Hyderabad under the conditions of British rule;The Chief Minister, cabinet and 'Nizam', which were represented, chose to be independent, like a free ruler or like the princely state of the British Empire, India imposed an economic blockade on the Hyderabad State.As a result, Hyderabad State had to make a break.Nearly a year after India's independence, on the day of 14 September 1949, the Nizam signed the reform form. | {
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1523 | १७२४ में असफ़ जाह प्रथम, जिसे मुगल सम्राट ने "निज़ाम-उल-मुल्क" का खिताब दिया था, ने एक विरोधी अधिकारी को हैदराबाद पर अधिकार स्थापित करने में हरा दिया। इस तरह आसफ़ जाह राजवंश का प्रारंभ हुआ, जिसने हैदराबाद पर भारत की अंग्रेजों से स्वतंत्रता के एक साल बाद तक शासन किया। आसफ़ जाह के उत्तराधिकारीयों ने हैदराबाद स्टेट पर राज्य किया, वे निज़ाम कहलाते थे। इन सात निजामों के राज्य में हैदराबाद सांस्कृतिक और आर्थिक दोनों भांति विकसित हुआ। हैदराबाद राज्य की आधिकारिक राजधानी बन गया और पुरानी राजधानी गोलकुंडा छोड़ दी गयी। बड़े बड़े जलाशय जैसे कि निज़ाम सागर, तुंगबाद्र, ओसमान सागर, हिमायत सागर और भी कई बनाये गये। नागार्जुन सागर परियोजना के लिये सर्वे भी इसी समय शुरु किया गया, जिसे भारत सरकार ने १९६९ में पूरा किया। हैदराबाद के लगभग सभी प्रमुख सार्वजनिक इमारतों और संस्थानों, जैसे उस्मानिया जनरल अस्पताल, हैदराबाद उच्च न्यायालय, जुबली हॉल, गवर्नमेंट निज़ामिआ जनरल हॉस्पिटल, मोजाम जाही बाजार, कचिगुडा रेलवे स्टेशन, असफिया लाइब्रेरी (राज्य केंद्रीय पुस्तकालय), निज़ाम शुगर फैक्ट्री, टाउन हॉल (असेंबली हॉल), हैदराबाद संग्रहालय अब राज्य संग्रहालय के रूप में जाना जाता है और कई अन्य स्मारक इस शासनकाल के दौरान बनाए गए थे। जब १९४७ में भारत स्वतंत्र हुआ, ब्रिटिश शासन से हुई शर्तों के तहत हैदराबाद ने; जिसका प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल और 'निज़ाम' कर रहे थे, स्वतंत्र होने को चुना, एक मुक्त शासक की भांति या ब्रिटिश साम्राज्य की रियासत की भांति भारत ने हैदराबाद स्टेट पर आर्थिक नाकेबंदी लगा दी। परिणामतः हैदराबाद स्टेट को एक विराम समझौता करना पड़ा | भारत की स्वतंत्रता के करीब एक साल बाद, १७ सितम्बर १९४८ के दिन निज़ाम ने अधिमिलन प्रपत्र पर हस्ताक्षर किये। | निजाम-उल-मुल्क की उपाधि किसे दी गई थी? | {
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"असफ़ जाह प्रथम"
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} | Who was given the title of Nizam-ul-Mulk? | In 1826, Asaf Jah I, who was given the title of "Nizam-ul-Mulk" by the Mughal Emperor, defeated an opposing officer in establishing authority over Hyderabad.In this way, the Asaf Jah dynasty began, which ruled Hyderabad till one year of independence from the British of India.Asaf Jah's successors ruled the Hyderabad State, they were called Nizams.In the state of these seven Nizams, Hyderabad developed both cultural and economic.Hyderabad became the official capital of the state and left the old capital Golconda.Large reservoirs such as Nizam Sagar, Tungabad, Osman Sagar, Himayat Sagar and many more were made.The survey for Nagarjuna Sagar Project was also started at this time, which was completed by the Government of India in 1979.Almost all major public buildings and institutions of Hyderabad, such as Osmania General Hospital, Hyderabad High Court, Jubilee Hall, Government Nizamia General Hospital, Mojam Jahi Bazar, Kachiguda Railway Station, Asafia Library (State Central Library), Nizam Sugar Factory, Town Hall (Assembly Hall), Hyderabad Museum is now known as the State Museum and many other monuments were built during this reign.When India became independent in 1949, Hyderabad under the conditions of British rule;The Chief Minister, cabinet and 'Nizam', which were represented, chose to be independent, like a free ruler or like the princely state of the British Empire, India imposed an economic blockade on the Hyderabad State.As a result, Hyderabad State had to make a break.Nearly a year after India's independence, on the day of 14 September 1949, the Nizam signed the reform form. | {
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9
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"Asaf Jah I"
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1524 | १७२४ में असफ़ जाह प्रथम, जिसे मुगल सम्राट ने "निज़ाम-उल-मुल्क" का खिताब दिया था, ने एक विरोधी अधिकारी को हैदराबाद पर अधिकार स्थापित करने में हरा दिया। इस तरह आसफ़ जाह राजवंश का प्रारंभ हुआ, जिसने हैदराबाद पर भारत की अंग्रेजों से स्वतंत्रता के एक साल बाद तक शासन किया। आसफ़ जाह के उत्तराधिकारीयों ने हैदराबाद स्टेट पर राज्य किया, वे निज़ाम कहलाते थे। इन सात निजामों के राज्य में हैदराबाद सांस्कृतिक और आर्थिक दोनों भांति विकसित हुआ। हैदराबाद राज्य की आधिकारिक राजधानी बन गया और पुरानी राजधानी गोलकुंडा छोड़ दी गयी। बड़े बड़े जलाशय जैसे कि निज़ाम सागर, तुंगबाद्र, ओसमान सागर, हिमायत सागर और भी कई बनाये गये। नागार्जुन सागर परियोजना के लिये सर्वे भी इसी समय शुरु किया गया, जिसे भारत सरकार ने १९६९ में पूरा किया। हैदराबाद के लगभग सभी प्रमुख सार्वजनिक इमारतों और संस्थानों, जैसे उस्मानिया जनरल अस्पताल, हैदराबाद उच्च न्यायालय, जुबली हॉल, गवर्नमेंट निज़ामिआ जनरल हॉस्पिटल, मोजाम जाही बाजार, कचिगुडा रेलवे स्टेशन, असफिया लाइब्रेरी (राज्य केंद्रीय पुस्तकालय), निज़ाम शुगर फैक्ट्री, टाउन हॉल (असेंबली हॉल), हैदराबाद संग्रहालय अब राज्य संग्रहालय के रूप में जाना जाता है और कई अन्य स्मारक इस शासनकाल के दौरान बनाए गए थे। जब १९४७ में भारत स्वतंत्र हुआ, ब्रिटिश शासन से हुई शर्तों के तहत हैदराबाद ने; जिसका प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल और 'निज़ाम' कर रहे थे, स्वतंत्र होने को चुना, एक मुक्त शासक की भांति या ब्रिटिश साम्राज्य की रियासत की भांति भारत ने हैदराबाद स्टेट पर आर्थिक नाकेबंदी लगा दी। परिणामतः हैदराबाद स्टेट को एक विराम समझौता करना पड़ा | भारत की स्वतंत्रता के करीब एक साल बाद, १७ सितम्बर १९४८ के दिन निज़ाम ने अधिमिलन प्रपत्र पर हस्ताक्षर किये। | आसफ जाह के उत्तराधिकारियों को क्या कहा जाता था? | {
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"निज़ाम"
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46
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} | What were Asaf Jah's successors called? | In 1826, Asaf Jah I, who was given the title of "Nizam-ul-Mulk" by the Mughal Emperor, defeated an opposing officer in establishing authority over Hyderabad.In this way, the Asaf Jah dynasty began, which ruled Hyderabad till one year of independence from the British of India.Asaf Jah's successors ruled the Hyderabad State, they were called Nizams.In the state of these seven Nizams, Hyderabad developed both cultural and economic.Hyderabad became the official capital of the state and left the old capital Golconda.Large reservoirs such as Nizam Sagar, Tungabad, Osman Sagar, Himayat Sagar and many more were made.The survey for Nagarjuna Sagar Project was also started at this time, which was completed by the Government of India in 1979.Almost all major public buildings and institutions of Hyderabad, such as Osmania General Hospital, Hyderabad High Court, Jubilee Hall, Government Nizamia General Hospital, Mojam Jahi Bazar, Kachiguda Railway Station, Asafia Library (State Central Library), Nizam Sugar Factory, Town Hall (Assembly Hall), Hyderabad Museum is now known as the State Museum and many other monuments were built during this reign.When India became independent in 1949, Hyderabad under the conditions of British rule;The Chief Minister, cabinet and 'Nizam', which were represented, chose to be independent, like a free ruler or like the princely state of the British Empire, India imposed an economic blockade on the Hyderabad State.As a result, Hyderabad State had to make a break.Nearly a year after India's independence, on the day of 14 September 1949, the Nizam signed the reform form. | {
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46
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"text": [
"Nizam"
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} |
1525 | १७२४ में असफ़ जाह प्रथम, जिसे मुगल सम्राट ने "निज़ाम-उल-मुल्क" का खिताब दिया था, ने एक विरोधी अधिकारी को हैदराबाद पर अधिकार स्थापित करने में हरा दिया। इस तरह आसफ़ जाह राजवंश का प्रारंभ हुआ, जिसने हैदराबाद पर भारत की अंग्रेजों से स्वतंत्रता के एक साल बाद तक शासन किया। आसफ़ जाह के उत्तराधिकारीयों ने हैदराबाद स्टेट पर राज्य किया, वे निज़ाम कहलाते थे। इन सात निजामों के राज्य में हैदराबाद सांस्कृतिक और आर्थिक दोनों भांति विकसित हुआ। हैदराबाद राज्य की आधिकारिक राजधानी बन गया और पुरानी राजधानी गोलकुंडा छोड़ दी गयी। बड़े बड़े जलाशय जैसे कि निज़ाम सागर, तुंगबाद्र, ओसमान सागर, हिमायत सागर और भी कई बनाये गये। नागार्जुन सागर परियोजना के लिये सर्वे भी इसी समय शुरु किया गया, जिसे भारत सरकार ने १९६९ में पूरा किया। हैदराबाद के लगभग सभी प्रमुख सार्वजनिक इमारतों और संस्थानों, जैसे उस्मानिया जनरल अस्पताल, हैदराबाद उच्च न्यायालय, जुबली हॉल, गवर्नमेंट निज़ामिआ जनरल हॉस्पिटल, मोजाम जाही बाजार, कचिगुडा रेलवे स्टेशन, असफिया लाइब्रेरी (राज्य केंद्रीय पुस्तकालय), निज़ाम शुगर फैक्ट्री, टाउन हॉल (असेंबली हॉल), हैदराबाद संग्रहालय अब राज्य संग्रहालय के रूप में जाना जाता है और कई अन्य स्मारक इस शासनकाल के दौरान बनाए गए थे। जब १९४७ में भारत स्वतंत्र हुआ, ब्रिटिश शासन से हुई शर्तों के तहत हैदराबाद ने; जिसका प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल और 'निज़ाम' कर रहे थे, स्वतंत्र होने को चुना, एक मुक्त शासक की भांति या ब्रिटिश साम्राज्य की रियासत की भांति भारत ने हैदराबाद स्टेट पर आर्थिक नाकेबंदी लगा दी। परिणामतः हैदराबाद स्टेट को एक विराम समझौता करना पड़ा | भारत की स्वतंत्रता के करीब एक साल बाद, १७ सितम्बर १९४८ के दिन निज़ाम ने अधिमिलन प्रपत्र पर हस्ताक्षर किये। | हैदराबाद के निजाम ने भारत के साथ विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर कब किए थे? | {
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"सितम्बर १९४८"
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1478
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} | When did the Nizam of Hyderabad sign the Instrument of Accession with India? | In 1826, Asaf Jah I, who was given the title of "Nizam-ul-Mulk" by the Mughal Emperor, defeated an opposing officer in establishing authority over Hyderabad.In this way, the Asaf Jah dynasty began, which ruled Hyderabad till one year of independence from the British of India.Asaf Jah's successors ruled the Hyderabad State, they were called Nizams.In the state of these seven Nizams, Hyderabad developed both cultural and economic.Hyderabad became the official capital of the state and left the old capital Golconda.Large reservoirs such as Nizam Sagar, Tungabad, Osman Sagar, Himayat Sagar and many more were made.The survey for Nagarjuna Sagar Project was also started at this time, which was completed by the Government of India in 1979.Almost all major public buildings and institutions of Hyderabad, such as Osmania General Hospital, Hyderabad High Court, Jubilee Hall, Government Nizamia General Hospital, Mojam Jahi Bazar, Kachiguda Railway Station, Asafia Library (State Central Library), Nizam Sugar Factory, Town Hall (Assembly Hall), Hyderabad Museum is now known as the State Museum and many other monuments were built during this reign.When India became independent in 1949, Hyderabad under the conditions of British rule;The Chief Minister, cabinet and 'Nizam', which were represented, chose to be independent, like a free ruler or like the princely state of the British Empire, India imposed an economic blockade on the Hyderabad State.As a result, Hyderabad State had to make a break.Nearly a year after India's independence, on the day of 14 September 1949, the Nizam signed the reform form. | {
"answer_start": [
1478
],
"text": [
"September 1948"
]
} |
1526 | १९०६ तक नगर की जनसंख्या दस लाख के लगभग हो गयी थी। अब यह भारत की तत्कालीन राजधानी कलकत्ता के बाद भारत में, दूसरे स्थान सबसे बड़ा शहर था। बंबई प्रेसीडेंसी की राजधानी के रूप में, यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का आधार बना रहा। मुंबई में इस संग्राम की प्रमुख घटना १९४२ में महात्मा गाँधी द्वारा छेड़ा गया भारत छोड़ो आंदोलन था। १९४७ में भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, यह बॉम्बे राज्य की राजधानी बना। १९५० में उत्तरी ओर स्थित सैल्सेट द्वीप के भागों को मिलाते हुए, यह नगर अपनी वर्तमान सीमाओं तक पहुंचा। १९५५ के बाद, जब बॉम्बे राज्य को पुनर्व्यवस्थित किया गया और भाषा के आधार पर इसे महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में बांटा गया, एक मांग उठी, कि नगर को एक स्वायत्त नगर-राज्य का दर्जा दिया जाये। हालांकि संयुक्त महाराष्ट्र समिति के आंदोलन में इसका भरपूर विरोध हुआ, व मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाने पर जोर दिया गया। इन विरोधों के चलते, १०५ लोग पुलिस गोलीबारी में मारे भी गये और अन्ततः १ मई, १९६० को महाराष्ट्र राज्य स्थापित हुआ, जिसकी राजधानी मुंबई को बनाया गया। १९७० के दशक के अंत तक, यहां के निर्माण में एक सहसावृद्धि हुई, जिसने यहां आवक प्रवासियों की संख्या को एक बड़े अंक तक पहुंचाया। इससे मुंबई ने कलकत्ता को जनसंख्या में पछाड़ दिया, व प्रथम स्थान लिया। इस अंतःप्रवाह ने स्थानीय मराठी लोगों के अंदर एक चिंता जगा दी, जो कि अपनी संस्कृति, व्यवसाय, भाषा के खोने से आशंकित थे। बाला साहेब ठाकरे द्वारा शिव सेना पार्टी बनायी गयी, जो मराठियों के हित की रक्षा करने हेतु बनी थी। नगर का धर्म-निरपेक्ष सूत्र १९९२-९३ के दंगों के कारण छिन्न-भिन्न हो गया, जिसमें बड़े पैमाने पर जान व माल का नुकसान हुआ। इसके कुछ ही महीनों बाद १२ मार्च,१९९३ को शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों ने नगर को दहला दिया। इनमें पुरे मुंबई में सैंकडों लोग मारे गये। १९९५ में नगर का पुनर्नामकरण मुंबई के रूप में हुआ। | मुंबई में वर्ष 2006 के ट्रेन विस्फोट में कितने लोग मारे गए थे ? | {
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} | How many people were killed in the 2006 train blasts in Mumbai? | By 1907, the population of the city was around one million.Now it was the largest city in India, after the then capital of India Calcutta.As the capital of the Bombay Presidency, it remained the basis of the Indian freedom struggle.The major event of this struggle in Mumbai was the Quit India Movement launched by Mahatma Gandhi in 1962.After Indian independence in 1949, it became the capital of the state of Bombay.In 1950, the city reached its current borders, mixing parts of the island of Selset on the northern side.After 1955, when the state of Bombay was re-located and on the basis of language it was divided into the states of Maharashtra and Gujarat, a demand arose, that the city should be given an autonomous city-state status.However, it was strongly opposed in the United Maharashtra Committee's movement, and emphasis was on making Mumbai the capital of Maharashtra.Due to these protests, 105 people were also killed in police firing and eventually the state of Maharashtra was established on 1 May, 1960, the capital of which was made to Mumbai.By the end of the 1960s, the construction here led to a militant, which brought the number of in -arrival migrants to a larger points here.With this, Mumbai beat Calcutta in population, and took first place.This intra -site raised a concern inside the local Marathi people, who were apprehensive of losing their culture, business, language.The Shiv Sena Party was formed by Bala Saheb Thackeray, which was formed to protect the interests of the Marathas.The secular formula of the city was disintegrated due to the riots of 1972-93, in which there was a large loss of life and property.A few months later, on March 12, 193, the serial bomb blasts shocked the city.Hundreds of people were killed in all over Mumbai.The city was renovated in 1950 as Mumbai. | {
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} |
1527 | १९०६ तक नगर की जनसंख्या दस लाख के लगभग हो गयी थी। अब यह भारत की तत्कालीन राजधानी कलकत्ता के बाद भारत में, दूसरे स्थान सबसे बड़ा शहर था। बंबई प्रेसीडेंसी की राजधानी के रूप में, यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का आधार बना रहा। मुंबई में इस संग्राम की प्रमुख घटना १९४२ में महात्मा गाँधी द्वारा छेड़ा गया भारत छोड़ो आंदोलन था। १९४७ में भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, यह बॉम्बे राज्य की राजधानी बना। १९५० में उत्तरी ओर स्थित सैल्सेट द्वीप के भागों को मिलाते हुए, यह नगर अपनी वर्तमान सीमाओं तक पहुंचा। १९५५ के बाद, जब बॉम्बे राज्य को पुनर्व्यवस्थित किया गया और भाषा के आधार पर इसे महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में बांटा गया, एक मांग उठी, कि नगर को एक स्वायत्त नगर-राज्य का दर्जा दिया जाये। हालांकि संयुक्त महाराष्ट्र समिति के आंदोलन में इसका भरपूर विरोध हुआ, व मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाने पर जोर दिया गया। इन विरोधों के चलते, १०५ लोग पुलिस गोलीबारी में मारे भी गये और अन्ततः १ मई, १९६० को महाराष्ट्र राज्य स्थापित हुआ, जिसकी राजधानी मुंबई को बनाया गया। १९७० के दशक के अंत तक, यहां के निर्माण में एक सहसावृद्धि हुई, जिसने यहां आवक प्रवासियों की संख्या को एक बड़े अंक तक पहुंचाया। इससे मुंबई ने कलकत्ता को जनसंख्या में पछाड़ दिया, व प्रथम स्थान लिया। इस अंतःप्रवाह ने स्थानीय मराठी लोगों के अंदर एक चिंता जगा दी, जो कि अपनी संस्कृति, व्यवसाय, भाषा के खोने से आशंकित थे। बाला साहेब ठाकरे द्वारा शिव सेना पार्टी बनायी गयी, जो मराठियों के हित की रक्षा करने हेतु बनी थी। नगर का धर्म-निरपेक्ष सूत्र १९९२-९३ के दंगों के कारण छिन्न-भिन्न हो गया, जिसमें बड़े पैमाने पर जान व माल का नुकसान हुआ। इसके कुछ ही महीनों बाद १२ मार्च,१९९३ को शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों ने नगर को दहला दिया। इनमें पुरे मुंबई में सैंकडों लोग मारे गये। १९९५ में नगर का पुनर्नामकरण मुंबई के रूप में हुआ। | महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई कब बनी थी? | {
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"१ मई, १९६०"
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} | When was Mumbai, the capital of Maharashtra, founded? | By 1907, the population of the city was around one million.Now it was the largest city in India, after the then capital of India Calcutta.As the capital of the Bombay Presidency, it remained the basis of the Indian freedom struggle.The major event of this struggle in Mumbai was the Quit India Movement launched by Mahatma Gandhi in 1962.After Indian independence in 1949, it became the capital of the state of Bombay.In 1950, the city reached its current borders, mixing parts of the island of Selset on the northern side.After 1955, when the state of Bombay was re-located and on the basis of language it was divided into the states of Maharashtra and Gujarat, a demand arose, that the city should be given an autonomous city-state status.However, it was strongly opposed in the United Maharashtra Committee's movement, and emphasis was on making Mumbai the capital of Maharashtra.Due to these protests, 105 people were also killed in police firing and eventually the state of Maharashtra was established on 1 May, 1960, the capital of which was made to Mumbai.By the end of the 1960s, the construction here led to a militant, which brought the number of in -arrival migrants to a larger points here.With this, Mumbai beat Calcutta in population, and took first place.This intra -site raised a concern inside the local Marathi people, who were apprehensive of losing their culture, business, language.The Shiv Sena Party was formed by Bala Saheb Thackeray, which was formed to protect the interests of the Marathas.The secular formula of the city was disintegrated due to the riots of 1972-93, in which there was a large loss of life and property.A few months later, on March 12, 193, the serial bomb blasts shocked the city.Hundreds of people were killed in all over Mumbai.The city was renovated in 1950 as Mumbai. | {
"answer_start": [
865
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"May 1, 1960"
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} |
1528 | १९०६ तक नगर की जनसंख्या दस लाख के लगभग हो गयी थी। अब यह भारत की तत्कालीन राजधानी कलकत्ता के बाद भारत में, दूसरे स्थान सबसे बड़ा शहर था। बंबई प्रेसीडेंसी की राजधानी के रूप में, यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का आधार बना रहा। मुंबई में इस संग्राम की प्रमुख घटना १९४२ में महात्मा गाँधी द्वारा छेड़ा गया भारत छोड़ो आंदोलन था। १९४७ में भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, यह बॉम्बे राज्य की राजधानी बना। १९५० में उत्तरी ओर स्थित सैल्सेट द्वीप के भागों को मिलाते हुए, यह नगर अपनी वर्तमान सीमाओं तक पहुंचा। १९५५ के बाद, जब बॉम्बे राज्य को पुनर्व्यवस्थित किया गया और भाषा के आधार पर इसे महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में बांटा गया, एक मांग उठी, कि नगर को एक स्वायत्त नगर-राज्य का दर्जा दिया जाये। हालांकि संयुक्त महाराष्ट्र समिति के आंदोलन में इसका भरपूर विरोध हुआ, व मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाने पर जोर दिया गया। इन विरोधों के चलते, १०५ लोग पुलिस गोलीबारी में मारे भी गये और अन्ततः १ मई, १९६० को महाराष्ट्र राज्य स्थापित हुआ, जिसकी राजधानी मुंबई को बनाया गया। १९७० के दशक के अंत तक, यहां के निर्माण में एक सहसावृद्धि हुई, जिसने यहां आवक प्रवासियों की संख्या को एक बड़े अंक तक पहुंचाया। इससे मुंबई ने कलकत्ता को जनसंख्या में पछाड़ दिया, व प्रथम स्थान लिया। इस अंतःप्रवाह ने स्थानीय मराठी लोगों के अंदर एक चिंता जगा दी, जो कि अपनी संस्कृति, व्यवसाय, भाषा के खोने से आशंकित थे। बाला साहेब ठाकरे द्वारा शिव सेना पार्टी बनायी गयी, जो मराठियों के हित की रक्षा करने हेतु बनी थी। नगर का धर्म-निरपेक्ष सूत्र १९९२-९३ के दंगों के कारण छिन्न-भिन्न हो गया, जिसमें बड़े पैमाने पर जान व माल का नुकसान हुआ। इसके कुछ ही महीनों बाद १२ मार्च,१९९३ को शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों ने नगर को दहला दिया। इनमें पुरे मुंबई में सैंकडों लोग मारे गये। १९९५ में नगर का पुनर्नामकरण मुंबई के रूप में हुआ। | भारत छोड़ो आंदोलन किसके द्वारा शुरू किया गया था? | {
"text": [
"महात्मा गाँधी"
],
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264
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} | The Quit India Movement was started by whom? | By 1907, the population of the city was around one million.Now it was the largest city in India, after the then capital of India Calcutta.As the capital of the Bombay Presidency, it remained the basis of the Indian freedom struggle.The major event of this struggle in Mumbai was the Quit India Movement launched by Mahatma Gandhi in 1962.After Indian independence in 1949, it became the capital of the state of Bombay.In 1950, the city reached its current borders, mixing parts of the island of Selset on the northern side.After 1955, when the state of Bombay was re-located and on the basis of language it was divided into the states of Maharashtra and Gujarat, a demand arose, that the city should be given an autonomous city-state status.However, it was strongly opposed in the United Maharashtra Committee's movement, and emphasis was on making Mumbai the capital of Maharashtra.Due to these protests, 105 people were also killed in police firing and eventually the state of Maharashtra was established on 1 May, 1960, the capital of which was made to Mumbai.By the end of the 1960s, the construction here led to a militant, which brought the number of in -arrival migrants to a larger points here.With this, Mumbai beat Calcutta in population, and took first place.This intra -site raised a concern inside the local Marathi people, who were apprehensive of losing their culture, business, language.The Shiv Sena Party was formed by Bala Saheb Thackeray, which was formed to protect the interests of the Marathas.The secular formula of the city was disintegrated due to the riots of 1972-93, in which there was a large loss of life and property.A few months later, on March 12, 193, the serial bomb blasts shocked the city.Hundreds of people were killed in all over Mumbai.The city was renovated in 1950 as Mumbai. | {
"answer_start": [
264
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"text": [
"Mahatma Gandhi."
]
} |
1529 | १९०६ तक नगर की जनसंख्या दस लाख के लगभग हो गयी थी। अब यह भारत की तत्कालीन राजधानी कलकत्ता के बाद भारत में, दूसरे स्थान सबसे बड़ा शहर था। बंबई प्रेसीडेंसी की राजधानी के रूप में, यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का आधार बना रहा। मुंबई में इस संग्राम की प्रमुख घटना १९४२ में महात्मा गाँधी द्वारा छेड़ा गया भारत छोड़ो आंदोलन था। १९४७ में भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, यह बॉम्बे राज्य की राजधानी बना। १९५० में उत्तरी ओर स्थित सैल्सेट द्वीप के भागों को मिलाते हुए, यह नगर अपनी वर्तमान सीमाओं तक पहुंचा। १९५५ के बाद, जब बॉम्बे राज्य को पुनर्व्यवस्थित किया गया और भाषा के आधार पर इसे महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में बांटा गया, एक मांग उठी, कि नगर को एक स्वायत्त नगर-राज्य का दर्जा दिया जाये। हालांकि संयुक्त महाराष्ट्र समिति के आंदोलन में इसका भरपूर विरोध हुआ, व मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाने पर जोर दिया गया। इन विरोधों के चलते, १०५ लोग पुलिस गोलीबारी में मारे भी गये और अन्ततः १ मई, १९६० को महाराष्ट्र राज्य स्थापित हुआ, जिसकी राजधानी मुंबई को बनाया गया। १९७० के दशक के अंत तक, यहां के निर्माण में एक सहसावृद्धि हुई, जिसने यहां आवक प्रवासियों की संख्या को एक बड़े अंक तक पहुंचाया। इससे मुंबई ने कलकत्ता को जनसंख्या में पछाड़ दिया, व प्रथम स्थान लिया। इस अंतःप्रवाह ने स्थानीय मराठी लोगों के अंदर एक चिंता जगा दी, जो कि अपनी संस्कृति, व्यवसाय, भाषा के खोने से आशंकित थे। बाला साहेब ठाकरे द्वारा शिव सेना पार्टी बनायी गयी, जो मराठियों के हित की रक्षा करने हेतु बनी थी। नगर का धर्म-निरपेक्ष सूत्र १९९२-९३ के दंगों के कारण छिन्न-भिन्न हो गया, जिसमें बड़े पैमाने पर जान व माल का नुकसान हुआ। इसके कुछ ही महीनों बाद १२ मार्च,१९९३ को शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों ने नगर को दहला दिया। इनमें पुरे मुंबई में सैंकडों लोग मारे गये। १९९५ में नगर का पुनर्नामकरण मुंबई के रूप में हुआ। | बॉम्बे शहर का नाम मुंबई किस वर्ष कर दिया गया ? | {
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"१९९५"
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1594
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} | In which year the city of Bombay was renamed Mumbai? | By 1907, the population of the city was around one million.Now it was the largest city in India, after the then capital of India Calcutta.As the capital of the Bombay Presidency, it remained the basis of the Indian freedom struggle.The major event of this struggle in Mumbai was the Quit India Movement launched by Mahatma Gandhi in 1962.After Indian independence in 1949, it became the capital of the state of Bombay.In 1950, the city reached its current borders, mixing parts of the island of Selset on the northern side.After 1955, when the state of Bombay was re-located and on the basis of language it was divided into the states of Maharashtra and Gujarat, a demand arose, that the city should be given an autonomous city-state status.However, it was strongly opposed in the United Maharashtra Committee's movement, and emphasis was on making Mumbai the capital of Maharashtra.Due to these protests, 105 people were also killed in police firing and eventually the state of Maharashtra was established on 1 May, 1960, the capital of which was made to Mumbai.By the end of the 1960s, the construction here led to a militant, which brought the number of in -arrival migrants to a larger points here.With this, Mumbai beat Calcutta in population, and took first place.This intra -site raised a concern inside the local Marathi people, who were apprehensive of losing their culture, business, language.The Shiv Sena Party was formed by Bala Saheb Thackeray, which was formed to protect the interests of the Marathas.The secular formula of the city was disintegrated due to the riots of 1972-93, in which there was a large loss of life and property.A few months later, on March 12, 193, the serial bomb blasts shocked the city.Hundreds of people were killed in all over Mumbai.The city was renovated in 1950 as Mumbai. | {
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1594
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"1995."
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1530 | १९०६ तक नगर की जनसंख्या दस लाख के लगभग हो गयी थी। अब यह भारत की तत्कालीन राजधानी कलकत्ता के बाद भारत में, दूसरे स्थान सबसे बड़ा शहर था। बंबई प्रेसीडेंसी की राजधानी के रूप में, यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का आधार बना रहा। मुंबई में इस संग्राम की प्रमुख घटना १९४२ में महात्मा गाँधी द्वारा छेड़ा गया भारत छोड़ो आंदोलन था। १९४७ में भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, यह बॉम्बे राज्य की राजधानी बना। १९५० में उत्तरी ओर स्थित सैल्सेट द्वीप के भागों को मिलाते हुए, यह नगर अपनी वर्तमान सीमाओं तक पहुंचा। १९५५ के बाद, जब बॉम्बे राज्य को पुनर्व्यवस्थित किया गया और भाषा के आधार पर इसे महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में बांटा गया, एक मांग उठी, कि नगर को एक स्वायत्त नगर-राज्य का दर्जा दिया जाये। हालांकि संयुक्त महाराष्ट्र समिति के आंदोलन में इसका भरपूर विरोध हुआ, व मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाने पर जोर दिया गया। इन विरोधों के चलते, १०५ लोग पुलिस गोलीबारी में मारे भी गये और अन्ततः १ मई, १९६० को महाराष्ट्र राज्य स्थापित हुआ, जिसकी राजधानी मुंबई को बनाया गया। १९७० के दशक के अंत तक, यहां के निर्माण में एक सहसावृद्धि हुई, जिसने यहां आवक प्रवासियों की संख्या को एक बड़े अंक तक पहुंचाया। इससे मुंबई ने कलकत्ता को जनसंख्या में पछाड़ दिया, व प्रथम स्थान लिया। इस अंतःप्रवाह ने स्थानीय मराठी लोगों के अंदर एक चिंता जगा दी, जो कि अपनी संस्कृति, व्यवसाय, भाषा के खोने से आशंकित थे। बाला साहेब ठाकरे द्वारा शिव सेना पार्टी बनायी गयी, जो मराठियों के हित की रक्षा करने हेतु बनी थी। नगर का धर्म-निरपेक्ष सूत्र १९९२-९३ के दंगों के कारण छिन्न-भिन्न हो गया, जिसमें बड़े पैमाने पर जान व माल का नुकसान हुआ। इसके कुछ ही महीनों बाद १२ मार्च,१९९३ को शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों ने नगर को दहला दिया। इनमें पुरे मुंबई में सैंकडों लोग मारे गये। १९९५ में नगर का पुनर्नामकरण मुंबई के रूप में हुआ। | महाराष्ट्र की राजधानी का क्या नाम है? | {
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"मुंबई"
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219
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} | What is the name of the capital of Maharashtra? | By 1907, the population of the city was around one million.Now it was the largest city in India, after the then capital of India Calcutta.As the capital of the Bombay Presidency, it remained the basis of the Indian freedom struggle.The major event of this struggle in Mumbai was the Quit India Movement launched by Mahatma Gandhi in 1962.After Indian independence in 1949, it became the capital of the state of Bombay.In 1950, the city reached its current borders, mixing parts of the island of Selset on the northern side.After 1955, when the state of Bombay was re-located and on the basis of language it was divided into the states of Maharashtra and Gujarat, a demand arose, that the city should be given an autonomous city-state status.However, it was strongly opposed in the United Maharashtra Committee's movement, and emphasis was on making Mumbai the capital of Maharashtra.Due to these protests, 105 people were also killed in police firing and eventually the state of Maharashtra was established on 1 May, 1960, the capital of which was made to Mumbai.By the end of the 1960s, the construction here led to a militant, which brought the number of in -arrival migrants to a larger points here.With this, Mumbai beat Calcutta in population, and took first place.This intra -site raised a concern inside the local Marathi people, who were apprehensive of losing their culture, business, language.The Shiv Sena Party was formed by Bala Saheb Thackeray, which was formed to protect the interests of the Marathas.The secular formula of the city was disintegrated due to the riots of 1972-93, in which there was a large loss of life and property.A few months later, on March 12, 193, the serial bomb blasts shocked the city.Hundreds of people were killed in all over Mumbai.The city was renovated in 1950 as Mumbai. | {
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219
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"Mumbai"
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} |
1531 | १९०६ तक नगर की जनसंख्या दस लाख के लगभग हो गयी थी। अब यह भारत की तत्कालीन राजधानी कलकत्ता के बाद भारत में, दूसरे स्थान सबसे बड़ा शहर था। बंबई प्रेसीडेंसी की राजधानी के रूप में, यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का आधार बना रहा। मुंबई में इस संग्राम की प्रमुख घटना १९४२ में महात्मा गाँधी द्वारा छेड़ा गया भारत छोड़ो आंदोलन था। १९४७ में भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, यह बॉम्बे राज्य की राजधानी बना। १९५० में उत्तरी ओर स्थित सैल्सेट द्वीप के भागों को मिलाते हुए, यह नगर अपनी वर्तमान सीमाओं तक पहुंचा। १९५५ के बाद, जब बॉम्बे राज्य को पुनर्व्यवस्थित किया गया और भाषा के आधार पर इसे महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में बांटा गया, एक मांग उठी, कि नगर को एक स्वायत्त नगर-राज्य का दर्जा दिया जाये। हालांकि संयुक्त महाराष्ट्र समिति के आंदोलन में इसका भरपूर विरोध हुआ, व मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाने पर जोर दिया गया। इन विरोधों के चलते, १०५ लोग पुलिस गोलीबारी में मारे भी गये और अन्ततः १ मई, १९६० को महाराष्ट्र राज्य स्थापित हुआ, जिसकी राजधानी मुंबई को बनाया गया। १९७० के दशक के अंत तक, यहां के निर्माण में एक सहसावृद्धि हुई, जिसने यहां आवक प्रवासियों की संख्या को एक बड़े अंक तक पहुंचाया। इससे मुंबई ने कलकत्ता को जनसंख्या में पछाड़ दिया, व प्रथम स्थान लिया। इस अंतःप्रवाह ने स्थानीय मराठी लोगों के अंदर एक चिंता जगा दी, जो कि अपनी संस्कृति, व्यवसाय, भाषा के खोने से आशंकित थे। बाला साहेब ठाकरे द्वारा शिव सेना पार्टी बनायी गयी, जो मराठियों के हित की रक्षा करने हेतु बनी थी। नगर का धर्म-निरपेक्ष सूत्र १९९२-९३ के दंगों के कारण छिन्न-भिन्न हो गया, जिसमें बड़े पैमाने पर जान व माल का नुकसान हुआ। इसके कुछ ही महीनों बाद १२ मार्च,१९९३ को शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों ने नगर को दहला दिया। इनमें पुरे मुंबई में सैंकडों लोग मारे गये। १९९५ में नगर का पुनर्नामकरण मुंबई के रूप में हुआ। | वर्ष 1906 में बॉम्बे की जनसँख्या कितनी थी ? | {
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"दस लाख"
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24
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} | What was the population of Bombay in the year 1906? | By 1907, the population of the city was around one million.Now it was the largest city in India, after the then capital of India Calcutta.As the capital of the Bombay Presidency, it remained the basis of the Indian freedom struggle.The major event of this struggle in Mumbai was the Quit India Movement launched by Mahatma Gandhi in 1962.After Indian independence in 1949, it became the capital of the state of Bombay.In 1950, the city reached its current borders, mixing parts of the island of Selset on the northern side.After 1955, when the state of Bombay was re-located and on the basis of language it was divided into the states of Maharashtra and Gujarat, a demand arose, that the city should be given an autonomous city-state status.However, it was strongly opposed in the United Maharashtra Committee's movement, and emphasis was on making Mumbai the capital of Maharashtra.Due to these protests, 105 people were also killed in police firing and eventually the state of Maharashtra was established on 1 May, 1960, the capital of which was made to Mumbai.By the end of the 1960s, the construction here led to a militant, which brought the number of in -arrival migrants to a larger points here.With this, Mumbai beat Calcutta in population, and took first place.This intra -site raised a concern inside the local Marathi people, who were apprehensive of losing their culture, business, language.The Shiv Sena Party was formed by Bala Saheb Thackeray, which was formed to protect the interests of the Marathas.The secular formula of the city was disintegrated due to the riots of 1972-93, in which there was a large loss of life and property.A few months later, on March 12, 193, the serial bomb blasts shocked the city.Hundreds of people were killed in all over Mumbai.The city was renovated in 1950 as Mumbai. | {
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24
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"Ten million"
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} |
1532 | १९८४ के चुनावों में ज़बरदस्त जीत के बाद १९८९ में नवगठित जनता दल के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय मोर्चा ने वाम मोर्चा के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई, जो केवल दो साल चली। १९९१ के चुनावों में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, परंतु कॉंग्रेस सबसे बडी पार्टी बनी, और पी वी नरसिंहा राव के नेतृत्व में अल्पमत सरकार बनी जो अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल रही। १९९६ के चुनावों के बाद दो साल तक राजनैतिक उथल पुथल का वक्त रहा, जिसमें कई गठबंधन सरकारें आई और गई। १९९६ में भाजपा ने केवल १३ दिन के लिये सरकार बनाई, जो समर्थन ना मिलने के कारण गिर गई। उसके बाद दो संयुक्त मोर्चे की सरकारें आई जो कुछ लंबे वक्त तक चली। ये सरकारें कॉंग्रेस के बाहरी समर्थन से बनी थीं। १९९८ के चुनावों के बाद भाजपा एक सफल गठबंधन बनाने में सफल रही। भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग, या एनडीए) नाम के इस गठबंधन की सरकार पहली ऐसी सरकार बनी जिसने अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा किय। २००४ के चुनावों में भी किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, पर कॉंग्रेस सबसे बडी पार्टी बनके उभरी, और इसने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग, या यूपीए) के नाम से नया गठबंधन बनाया। इस गठबंधन ने वामपंथी और गैर-भाजपा सांसदों के सहयोग से मनमोहन सिंह के नेतृत्व में पाँच साल तक शासन चलाया। | भाजपा का गठन कब हुआ था? | {
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} | When was the BJP formed? | In 1979, the newly formed Janata Dal -led National Front formed the government with the outdoor support of the Left Front, which lasted only two years after a tremendous victory in the 1979 elections.No party got a majority in the 191 elections, but the Congress became the largest party, and under the leadership of PV Narasimha Rao, a minority government was formed which managed to complete its term.After the 1949 elections, there was a time of political upheaval for two years, in which many coalition governments came and went.In 1949, the BJP formed a government for only 13 days, which fell due to lack of support.After that the two joint front governments came which lasted for a long time.These governments were formed with the external support of the Congress.After the 1979 elections, the BJP was successful in forming a successful alliance.Under the leadership of Atal Bihari Vajpayee of BJP, the government of this coalition named National Democratic Alliance (NDA, or NDA) was formed the first government which completed its five -year term.No party got a majority even in the 2007 elections, but the Congress emerged as the largest party, and it formed a new alliance in the name of the United Progressive Alliance (UPA, or UPA).The alliance ruled for five years under the leadership of Manmohan Singh with the help of leftist and non-BJP MPs. | {
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1533 | १९८४ के चुनावों में ज़बरदस्त जीत के बाद १९८९ में नवगठित जनता दल के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय मोर्चा ने वाम मोर्चा के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई, जो केवल दो साल चली। १९९१ के चुनावों में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, परंतु कॉंग्रेस सबसे बडी पार्टी बनी, और पी वी नरसिंहा राव के नेतृत्व में अल्पमत सरकार बनी जो अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल रही। १९९६ के चुनावों के बाद दो साल तक राजनैतिक उथल पुथल का वक्त रहा, जिसमें कई गठबंधन सरकारें आई और गई। १९९६ में भाजपा ने केवल १३ दिन के लिये सरकार बनाई, जो समर्थन ना मिलने के कारण गिर गई। उसके बाद दो संयुक्त मोर्चे की सरकारें आई जो कुछ लंबे वक्त तक चली। ये सरकारें कॉंग्रेस के बाहरी समर्थन से बनी थीं। १९९८ के चुनावों के बाद भाजपा एक सफल गठबंधन बनाने में सफल रही। भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग, या एनडीए) नाम के इस गठबंधन की सरकार पहली ऐसी सरकार बनी जिसने अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा किय। २००४ के चुनावों में भी किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, पर कॉंग्रेस सबसे बडी पार्टी बनके उभरी, और इसने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग, या यूपीए) के नाम से नया गठबंधन बनाया। इस गठबंधन ने वामपंथी और गैर-भाजपा सांसदों के सहयोग से मनमोहन सिंह के नेतृत्व में पाँच साल तक शासन चलाया। | मनमोहन सिंह लगातार कितनी बार प्रधानमंत्री बने थे? | {
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} | How many consecutive times did Manmohan Singh become the Prime Minister? | In 1979, the newly formed Janata Dal -led National Front formed the government with the outdoor support of the Left Front, which lasted only two years after a tremendous victory in the 1979 elections.No party got a majority in the 191 elections, but the Congress became the largest party, and under the leadership of PV Narasimha Rao, a minority government was formed which managed to complete its term.After the 1949 elections, there was a time of political upheaval for two years, in which many coalition governments came and went.In 1949, the BJP formed a government for only 13 days, which fell due to lack of support.After that the two joint front governments came which lasted for a long time.These governments were formed with the external support of the Congress.After the 1979 elections, the BJP was successful in forming a successful alliance.Under the leadership of Atal Bihari Vajpayee of BJP, the government of this coalition named National Democratic Alliance (NDA, or NDA) was formed the first government which completed its five -year term.No party got a majority even in the 2007 elections, but the Congress emerged as the largest party, and it formed a new alliance in the name of the United Progressive Alliance (UPA, or UPA).The alliance ruled for five years under the leadership of Manmohan Singh with the help of leftist and non-BJP MPs. | {
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1534 | १९८४ के चुनावों में ज़बरदस्त जीत के बाद १९८९ में नवगठित जनता दल के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय मोर्चा ने वाम मोर्चा के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई, जो केवल दो साल चली। १९९१ के चुनावों में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, परंतु कॉंग्रेस सबसे बडी पार्टी बनी, और पी वी नरसिंहा राव के नेतृत्व में अल्पमत सरकार बनी जो अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल रही। १९९६ के चुनावों के बाद दो साल तक राजनैतिक उथल पुथल का वक्त रहा, जिसमें कई गठबंधन सरकारें आई और गई। १९९६ में भाजपा ने केवल १३ दिन के लिये सरकार बनाई, जो समर्थन ना मिलने के कारण गिर गई। उसके बाद दो संयुक्त मोर्चे की सरकारें आई जो कुछ लंबे वक्त तक चली। ये सरकारें कॉंग्रेस के बाहरी समर्थन से बनी थीं। १९९८ के चुनावों के बाद भाजपा एक सफल गठबंधन बनाने में सफल रही। भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग, या एनडीए) नाम के इस गठबंधन की सरकार पहली ऐसी सरकार बनी जिसने अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा किय। २००४ के चुनावों में भी किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, पर कॉंग्रेस सबसे बडी पार्टी बनके उभरी, और इसने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग, या यूपीए) के नाम से नया गठबंधन बनाया। इस गठबंधन ने वामपंथी और गैर-भाजपा सांसदों के सहयोग से मनमोहन सिंह के नेतृत्व में पाँच साल तक शासन चलाया। | कांग्रेस द्वारा 2004 में कौन सा गठबंधन बनाया गया था? | {
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"यूपीए"
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} | Which coalition was formed by the Congress in 2004? | In 1979, the newly formed Janata Dal -led National Front formed the government with the outdoor support of the Left Front, which lasted only two years after a tremendous victory in the 1979 elections.No party got a majority in the 191 elections, but the Congress became the largest party, and under the leadership of PV Narasimha Rao, a minority government was formed which managed to complete its term.After the 1949 elections, there was a time of political upheaval for two years, in which many coalition governments came and went.In 1949, the BJP formed a government for only 13 days, which fell due to lack of support.After that the two joint front governments came which lasted for a long time.These governments were formed with the external support of the Congress.After the 1979 elections, the BJP was successful in forming a successful alliance.Under the leadership of Atal Bihari Vajpayee of BJP, the government of this coalition named National Democratic Alliance (NDA, or NDA) was formed the first government which completed its five -year term.No party got a majority even in the 2007 elections, but the Congress emerged as the largest party, and it formed a new alliance in the name of the United Progressive Alliance (UPA, or UPA).The alliance ruled for five years under the leadership of Manmohan Singh with the help of leftist and non-BJP MPs. | {
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1009
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"UPA"
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1535 | १९८४ के चुनावों में ज़बरदस्त जीत के बाद १९८९ में नवगठित जनता दल के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय मोर्चा ने वाम मोर्चा के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई, जो केवल दो साल चली। १९९१ के चुनावों में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, परंतु कॉंग्रेस सबसे बडी पार्टी बनी, और पी वी नरसिंहा राव के नेतृत्व में अल्पमत सरकार बनी जो अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल रही। १९९६ के चुनावों के बाद दो साल तक राजनैतिक उथल पुथल का वक्त रहा, जिसमें कई गठबंधन सरकारें आई और गई। १९९६ में भाजपा ने केवल १३ दिन के लिये सरकार बनाई, जो समर्थन ना मिलने के कारण गिर गई। उसके बाद दो संयुक्त मोर्चे की सरकारें आई जो कुछ लंबे वक्त तक चली। ये सरकारें कॉंग्रेस के बाहरी समर्थन से बनी थीं। १९९८ के चुनावों के बाद भाजपा एक सफल गठबंधन बनाने में सफल रही। भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग, या एनडीए) नाम के इस गठबंधन की सरकार पहली ऐसी सरकार बनी जिसने अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा किय। २००४ के चुनावों में भी किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, पर कॉंग्रेस सबसे बडी पार्टी बनके उभरी, और इसने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग, या यूपीए) के नाम से नया गठबंधन बनाया। इस गठबंधन ने वामपंथी और गैर-भाजपा सांसदों के सहयोग से मनमोहन सिंह के नेतृत्व में पाँच साल तक शासन चलाया। | वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा ने किसके नेतृत्व में सरकार बनाई थी? | {
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} | Under whose leadership did the BJP form the government in the 2014 elections? | In 1979, the newly formed Janata Dal -led National Front formed the government with the outdoor support of the Left Front, which lasted only two years after a tremendous victory in the 1979 elections.No party got a majority in the 191 elections, but the Congress became the largest party, and under the leadership of PV Narasimha Rao, a minority government was formed which managed to complete its term.After the 1949 elections, there was a time of political upheaval for two years, in which many coalition governments came and went.In 1949, the BJP formed a government for only 13 days, which fell due to lack of support.After that the two joint front governments came which lasted for a long time.These governments were formed with the external support of the Congress.After the 1979 elections, the BJP was successful in forming a successful alliance.Under the leadership of Atal Bihari Vajpayee of BJP, the government of this coalition named National Democratic Alliance (NDA, or NDA) was formed the first government which completed its five -year term.No party got a majority even in the 2007 elections, but the Congress emerged as the largest party, and it formed a new alliance in the name of the United Progressive Alliance (UPA, or UPA).The alliance ruled for five years under the leadership of Manmohan Singh with the help of leftist and non-BJP MPs. | {
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1536 | १९८४ के चुनावों में ज़बरदस्त जीत के बाद १९८९ में नवगठित जनता दल के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय मोर्चा ने वाम मोर्चा के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई, जो केवल दो साल चली। १९९१ के चुनावों में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, परंतु कॉंग्रेस सबसे बडी पार्टी बनी, और पी वी नरसिंहा राव के नेतृत्व में अल्पमत सरकार बनी जो अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल रही। १९९६ के चुनावों के बाद दो साल तक राजनैतिक उथल पुथल का वक्त रहा, जिसमें कई गठबंधन सरकारें आई और गई। १९९६ में भाजपा ने केवल १३ दिन के लिये सरकार बनाई, जो समर्थन ना मिलने के कारण गिर गई। उसके बाद दो संयुक्त मोर्चे की सरकारें आई जो कुछ लंबे वक्त तक चली। ये सरकारें कॉंग्रेस के बाहरी समर्थन से बनी थीं। १९९८ के चुनावों के बाद भाजपा एक सफल गठबंधन बनाने में सफल रही। भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग, या एनडीए) नाम के इस गठबंधन की सरकार पहली ऐसी सरकार बनी जिसने अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा किय। २००४ के चुनावों में भी किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, पर कॉंग्रेस सबसे बडी पार्टी बनके उभरी, और इसने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग, या यूपीए) के नाम से नया गठबंधन बनाया। इस गठबंधन ने वामपंथी और गैर-भाजपा सांसदों के सहयोग से मनमोहन सिंह के नेतृत्व में पाँच साल तक शासन चलाया। | एनडीए गवर्नमेंट की पहली सरकार का नेतृत्व कौन कर रहे थे ? | {
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"मनमोहन सिंह"
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1097
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} | Who was heading the first government of NDA government? | In 1979, the newly formed Janata Dal -led National Front formed the government with the outdoor support of the Left Front, which lasted only two years after a tremendous victory in the 1979 elections.No party got a majority in the 191 elections, but the Congress became the largest party, and under the leadership of PV Narasimha Rao, a minority government was formed which managed to complete its term.After the 1949 elections, there was a time of political upheaval for two years, in which many coalition governments came and went.In 1949, the BJP formed a government for only 13 days, which fell due to lack of support.After that the two joint front governments came which lasted for a long time.These governments were formed with the external support of the Congress.After the 1979 elections, the BJP was successful in forming a successful alliance.Under the leadership of Atal Bihari Vajpayee of BJP, the government of this coalition named National Democratic Alliance (NDA, or NDA) was formed the first government which completed its five -year term.No party got a majority even in the 2007 elections, but the Congress emerged as the largest party, and it formed a new alliance in the name of the United Progressive Alliance (UPA, or UPA).The alliance ruled for five years under the leadership of Manmohan Singh with the help of leftist and non-BJP MPs. | {
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1097
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"Manmohan Singh."
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1537 | २ अक्टूबर गाँधी का जन्मदिन है इसलिए गाँधी जयंती के अवसर पर भारत में राष्ट्रीय अवकाश होता है १५ जून २००७ को यह घोषणा की गई थी कि "संयुक्त राष्ट्र महासभा " एक प्रस्ताव की घोषणा की, कि २ अक्टूबर (2 October) को "अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस" के रूप में मनाया जाएगा.अक्सर पश्चिम में महात्मा शब्द का अर्थ ग़लत रूप में ले लिया जाता है उनके अनुसार यह संस्कृत से लिया गया है जिसमे महा का अर्थ महान और आत्म का अर्थ आत्मा होता है। ज्यादातर सूत्रों के अनुसार जैसे दत्ता और रोबिनसन के रबिन्द्रनाथ टगोर: संकलन में कहा गया है कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले गाँधी को महात्मा का खिताब दिया था। अन्य सूत्रों के अनुसार नौतामलाल भगवानजी मेहता ने २१ जनवरी १९१५ में उन्हें यह खिताब दिया था। हालाँकि गाँधी ने अपनी आत्मकथा में कहा है कि उन्हें कभी नहीं लगा कि वे इस सम्मान के योग्य हैं। मानपत्र के अनुसार, गाँधी को उनके न्याय और सत्य के सराहनीये बलिदान के लिए महात्मा नाम मिला है। १९३० में टाइम पत्रिका ने महात्मा गाँधी को वर्ष का पुरूष का नाम दियाI १९९९ में गाँधी अलबर्ट आइंस्टाइन जिन्हे सदी का पुरूष नाम दिया गया के मुकाबले द्वितीय स्थान जगह पर थे। टाइम पत्रिका ने दलाई लामा, लेच वालेसा, डॉ मार्टिन लूथर किंग, जूनियर, सेसर शावेज़, औंग सान सू कई, बेनिग्नो अकुइनो जूनियर, डेसमंड टूटू और नेल्सन मंडेला को गाँधी के अहिंसा के आद्यात्मिक उत्तराधिकारी के रूप में कहा गया. भारत सरकार प्रति वर्ष उल्लेखनीय सामाजिक कार्यकर्ताओं, विश्व के नेताओं और नागरिकों को महात्मा गाँधी शान्ति पुरस्कार से पुरस्कृत करती है। दक्षिण अफ्रीकी नेल्सन मंडेला, जो कि जातीय मतभेद और पार्थक्य के उन्मूलन में संघर्षरत रहे, इस पुरूस्कार को पाने वाले पहले गैर-भारतीय थे। | यूनाइटेड किंगडम ने किस वर्ष में डाक टिकटों की श्रृंखला जारी की थी? | {
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} | In which year did the United Kingdom issue a series of postage stamps? | October 2 is Gandhi's birthday, so on the occasion of Gandhi Jayanti, there is a national holiday in India on 15 June 2007, it was announced that the "United Nations General Assembly" announced a proposal that "international non -violence on 2 October (2 October) (2 October)Day will be celebrated as "the meaning of the word Mahatma is taken wrongly in the west, according to him it is taken from Sanskrit, in which Maha means great and self means soul.According to most sources, like Dutta and Robinson's Rabindranath Tagor: The compilation states that Rabindranath Tagore first gave Gandhi the title of Mahatma.According to other sources, Nautamlal Bhagwanji Mehta gave him this title on 21 January 1915.However, Gandhi has said in his autobiography that he never felt that he was worthy of this honor.According to the Manpatra, Gandhi has received the name Mahatma for his appreciation of his justice and truth.In 1930, Time magazine named Mahatma Gandhi the man of the year.Time magazine said the Dalai Lama, Lach Walesa, Dr. Martin Luther King, Junior, Sesar Shavez, Aung San Suu Ki, Bannigno Akuino Junior, Desmond Tutu and Nelson Mandela as the primitive successor of Gandhi's non -violence.The Government of India rewards notable social workers, world leaders and citizens with Mahatma Gandhi Peace Prize every year.South African Nelson Mandela, who struggled in the eradication of ethnic differences and Parthakya, was the first non-Indian to receive this award. | {
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1538 | २ अक्टूबर गाँधी का जन्मदिन है इसलिए गाँधी जयंती के अवसर पर भारत में राष्ट्रीय अवकाश होता है १५ जून २००७ को यह घोषणा की गई थी कि "संयुक्त राष्ट्र महासभा " एक प्रस्ताव की घोषणा की, कि २ अक्टूबर (2 October) को "अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस" के रूप में मनाया जाएगा.अक्सर पश्चिम में महात्मा शब्द का अर्थ ग़लत रूप में ले लिया जाता है उनके अनुसार यह संस्कृत से लिया गया है जिसमे महा का अर्थ महान और आत्म का अर्थ आत्मा होता है। ज्यादातर सूत्रों के अनुसार जैसे दत्ता और रोबिनसन के रबिन्द्रनाथ टगोर: संकलन में कहा गया है कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले गाँधी को महात्मा का खिताब दिया था। अन्य सूत्रों के अनुसार नौतामलाल भगवानजी मेहता ने २१ जनवरी १९१५ में उन्हें यह खिताब दिया था। हालाँकि गाँधी ने अपनी आत्मकथा में कहा है कि उन्हें कभी नहीं लगा कि वे इस सम्मान के योग्य हैं। मानपत्र के अनुसार, गाँधी को उनके न्याय और सत्य के सराहनीये बलिदान के लिए महात्मा नाम मिला है। १९३० में टाइम पत्रिका ने महात्मा गाँधी को वर्ष का पुरूष का नाम दियाI १९९९ में गाँधी अलबर्ट आइंस्टाइन जिन्हे सदी का पुरूष नाम दिया गया के मुकाबले द्वितीय स्थान जगह पर थे। टाइम पत्रिका ने दलाई लामा, लेच वालेसा, डॉ मार्टिन लूथर किंग, जूनियर, सेसर शावेज़, औंग सान सू कई, बेनिग्नो अकुइनो जूनियर, डेसमंड टूटू और नेल्सन मंडेला को गाँधी के अहिंसा के आद्यात्मिक उत्तराधिकारी के रूप में कहा गया. भारत सरकार प्रति वर्ष उल्लेखनीय सामाजिक कार्यकर्ताओं, विश्व के नेताओं और नागरिकों को महात्मा गाँधी शान्ति पुरस्कार से पुरस्कृत करती है। दक्षिण अफ्रीकी नेल्सन मंडेला, जो कि जातीय मतभेद और पार्थक्य के उन्मूलन में संघर्षरत रहे, इस पुरूस्कार को पाने वाले पहले गैर-भारतीय थे। | अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस कब मनाया जाता है ? | {
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} | When is the International Day of Non-Violence celebrated? | October 2 is Gandhi's birthday, so on the occasion of Gandhi Jayanti, there is a national holiday in India on 15 June 2007, it was announced that the "United Nations General Assembly" announced a proposal that "international non -violence on 2 October (2 October) (2 October)Day will be celebrated as "the meaning of the word Mahatma is taken wrongly in the west, according to him it is taken from Sanskrit, in which Maha means great and self means soul.According to most sources, like Dutta and Robinson's Rabindranath Tagor: The compilation states that Rabindranath Tagore first gave Gandhi the title of Mahatma.According to other sources, Nautamlal Bhagwanji Mehta gave him this title on 21 January 1915.However, Gandhi has said in his autobiography that he never felt that he was worthy of this honor.According to the Manpatra, Gandhi has received the name Mahatma for his appreciation of his justice and truth.In 1930, Time magazine named Mahatma Gandhi the man of the year.Time magazine said the Dalai Lama, Lach Walesa, Dr. Martin Luther King, Junior, Sesar Shavez, Aung San Suu Ki, Bannigno Akuino Junior, Desmond Tutu and Nelson Mandela as the primitive successor of Gandhi's non -violence.The Government of India rewards notable social workers, world leaders and citizens with Mahatma Gandhi Peace Prize every year.South African Nelson Mandela, who struggled in the eradication of ethnic differences and Parthakya, was the first non-Indian to receive this award. | {
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1539 | २ अक्टूबर गाँधी का जन्मदिन है इसलिए गाँधी जयंती के अवसर पर भारत में राष्ट्रीय अवकाश होता है १५ जून २००७ को यह घोषणा की गई थी कि "संयुक्त राष्ट्र महासभा " एक प्रस्ताव की घोषणा की, कि २ अक्टूबर (2 October) को "अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस" के रूप में मनाया जाएगा.अक्सर पश्चिम में महात्मा शब्द का अर्थ ग़लत रूप में ले लिया जाता है उनके अनुसार यह संस्कृत से लिया गया है जिसमे महा का अर्थ महान और आत्म का अर्थ आत्मा होता है। ज्यादातर सूत्रों के अनुसार जैसे दत्ता और रोबिनसन के रबिन्द्रनाथ टगोर: संकलन में कहा गया है कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले गाँधी को महात्मा का खिताब दिया था। अन्य सूत्रों के अनुसार नौतामलाल भगवानजी मेहता ने २१ जनवरी १९१५ में उन्हें यह खिताब दिया था। हालाँकि गाँधी ने अपनी आत्मकथा में कहा है कि उन्हें कभी नहीं लगा कि वे इस सम्मान के योग्य हैं। मानपत्र के अनुसार, गाँधी को उनके न्याय और सत्य के सराहनीये बलिदान के लिए महात्मा नाम मिला है। १९३० में टाइम पत्रिका ने महात्मा गाँधी को वर्ष का पुरूष का नाम दियाI १९९९ में गाँधी अलबर्ट आइंस्टाइन जिन्हे सदी का पुरूष नाम दिया गया के मुकाबले द्वितीय स्थान जगह पर थे। टाइम पत्रिका ने दलाई लामा, लेच वालेसा, डॉ मार्टिन लूथर किंग, जूनियर, सेसर शावेज़, औंग सान सू कई, बेनिग्नो अकुइनो जूनियर, डेसमंड टूटू और नेल्सन मंडेला को गाँधी के अहिंसा के आद्यात्मिक उत्तराधिकारी के रूप में कहा गया. भारत सरकार प्रति वर्ष उल्लेखनीय सामाजिक कार्यकर्ताओं, विश्व के नेताओं और नागरिकों को महात्मा गाँधी शान्ति पुरस्कार से पुरस्कृत करती है। दक्षिण अफ्रीकी नेल्सन मंडेला, जो कि जातीय मतभेद और पार्थक्य के उन्मूलन में संघर्षरत रहे, इस पुरूस्कार को पाने वाले पहले गैर-भारतीय थे। | गांधी जी का जन्म दिवस कब है ? | {
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"२ अक्टूबर"
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} | When is Gandhiji's birthday? | October 2 is Gandhi's birthday, so on the occasion of Gandhi Jayanti, there is a national holiday in India on 15 June 2007, it was announced that the "United Nations General Assembly" announced a proposal that "international non -violence on 2 October (2 October) (2 October)Day will be celebrated as "the meaning of the word Mahatma is taken wrongly in the west, according to him it is taken from Sanskrit, in which Maha means great and self means soul.According to most sources, like Dutta and Robinson's Rabindranath Tagor: The compilation states that Rabindranath Tagore first gave Gandhi the title of Mahatma.According to other sources, Nautamlal Bhagwanji Mehta gave him this title on 21 January 1915.However, Gandhi has said in his autobiography that he never felt that he was worthy of this honor.According to the Manpatra, Gandhi has received the name Mahatma for his appreciation of his justice and truth.In 1930, Time magazine named Mahatma Gandhi the man of the year.Time magazine said the Dalai Lama, Lach Walesa, Dr. Martin Luther King, Junior, Sesar Shavez, Aung San Suu Ki, Bannigno Akuino Junior, Desmond Tutu and Nelson Mandela as the primitive successor of Gandhi's non -violence.The Government of India rewards notable social workers, world leaders and citizens with Mahatma Gandhi Peace Prize every year.South African Nelson Mandela, who struggled in the eradication of ethnic differences and Parthakya, was the first non-Indian to receive this award. | {
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"October 2"
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1540 | २ अक्टूबर गाँधी का जन्मदिन है इसलिए गाँधी जयंती के अवसर पर भारत में राष्ट्रीय अवकाश होता है १५ जून २००७ को यह घोषणा की गई थी कि "संयुक्त राष्ट्र महासभा " एक प्रस्ताव की घोषणा की, कि २ अक्टूबर (2 October) को "अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस" के रूप में मनाया जाएगा.अक्सर पश्चिम में महात्मा शब्द का अर्थ ग़लत रूप में ले लिया जाता है उनके अनुसार यह संस्कृत से लिया गया है जिसमे महा का अर्थ महान और आत्म का अर्थ आत्मा होता है। ज्यादातर सूत्रों के अनुसार जैसे दत्ता और रोबिनसन के रबिन्द्रनाथ टगोर: संकलन में कहा गया है कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले गाँधी को महात्मा का खिताब दिया था। अन्य सूत्रों के अनुसार नौतामलाल भगवानजी मेहता ने २१ जनवरी १९१५ में उन्हें यह खिताब दिया था। हालाँकि गाँधी ने अपनी आत्मकथा में कहा है कि उन्हें कभी नहीं लगा कि वे इस सम्मान के योग्य हैं। मानपत्र के अनुसार, गाँधी को उनके न्याय और सत्य के सराहनीये बलिदान के लिए महात्मा नाम मिला है। १९३० में टाइम पत्रिका ने महात्मा गाँधी को वर्ष का पुरूष का नाम दियाI १९९९ में गाँधी अलबर्ट आइंस्टाइन जिन्हे सदी का पुरूष नाम दिया गया के मुकाबले द्वितीय स्थान जगह पर थे। टाइम पत्रिका ने दलाई लामा, लेच वालेसा, डॉ मार्टिन लूथर किंग, जूनियर, सेसर शावेज़, औंग सान सू कई, बेनिग्नो अकुइनो जूनियर, डेसमंड टूटू और नेल्सन मंडेला को गाँधी के अहिंसा के आद्यात्मिक उत्तराधिकारी के रूप में कहा गया. भारत सरकार प्रति वर्ष उल्लेखनीय सामाजिक कार्यकर्ताओं, विश्व के नेताओं और नागरिकों को महात्मा गाँधी शान्ति पुरस्कार से पुरस्कृत करती है। दक्षिण अफ्रीकी नेल्सन मंडेला, जो कि जातीय मतभेद और पार्थक्य के उन्मूलन में संघर्षरत रहे, इस पुरूस्कार को पाने वाले पहले गैर-भारतीय थे। | गांधी जी को महात्मा की उपाधि किसने दी थी ? | {
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"रवीन्द्रनाथ टैगोर"
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} | Who gave the title Mahatma to Gandhiji? | October 2 is Gandhi's birthday, so on the occasion of Gandhi Jayanti, there is a national holiday in India on 15 June 2007, it was announced that the "United Nations General Assembly" announced a proposal that "international non -violence on 2 October (2 October) (2 October)Day will be celebrated as "the meaning of the word Mahatma is taken wrongly in the west, according to him it is taken from Sanskrit, in which Maha means great and self means soul.According to most sources, like Dutta and Robinson's Rabindranath Tagor: The compilation states that Rabindranath Tagore first gave Gandhi the title of Mahatma.According to other sources, Nautamlal Bhagwanji Mehta gave him this title on 21 January 1915.However, Gandhi has said in his autobiography that he never felt that he was worthy of this honor.According to the Manpatra, Gandhi has received the name Mahatma for his appreciation of his justice and truth.In 1930, Time magazine named Mahatma Gandhi the man of the year.Time magazine said the Dalai Lama, Lach Walesa, Dr. Martin Luther King, Junior, Sesar Shavez, Aung San Suu Ki, Bannigno Akuino Junior, Desmond Tutu and Nelson Mandela as the primitive successor of Gandhi's non -violence.The Government of India rewards notable social workers, world leaders and citizens with Mahatma Gandhi Peace Prize every year.South African Nelson Mandela, who struggled in the eradication of ethnic differences and Parthakya, was the first non-Indian to receive this award. | {
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511
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"Rabindranath Tagore"
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1541 | २ अक्टूबर गाँधी का जन्मदिन है इसलिए गाँधी जयंती के अवसर पर भारत में राष्ट्रीय अवकाश होता है १५ जून २००७ को यह घोषणा की गई थी कि "संयुक्त राष्ट्र महासभा " एक प्रस्ताव की घोषणा की, कि २ अक्टूबर (2 October) को "अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस" के रूप में मनाया जाएगा.अक्सर पश्चिम में महात्मा शब्द का अर्थ ग़लत रूप में ले लिया जाता है उनके अनुसार यह संस्कृत से लिया गया है जिसमे महा का अर्थ महान और आत्म का अर्थ आत्मा होता है। ज्यादातर सूत्रों के अनुसार जैसे दत्ता और रोबिनसन के रबिन्द्रनाथ टगोर: संकलन में कहा गया है कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले गाँधी को महात्मा का खिताब दिया था। अन्य सूत्रों के अनुसार नौतामलाल भगवानजी मेहता ने २१ जनवरी १९१५ में उन्हें यह खिताब दिया था। हालाँकि गाँधी ने अपनी आत्मकथा में कहा है कि उन्हें कभी नहीं लगा कि वे इस सम्मान के योग्य हैं। मानपत्र के अनुसार, गाँधी को उनके न्याय और सत्य के सराहनीये बलिदान के लिए महात्मा नाम मिला है। १९३० में टाइम पत्रिका ने महात्मा गाँधी को वर्ष का पुरूष का नाम दियाI १९९९ में गाँधी अलबर्ट आइंस्टाइन जिन्हे सदी का पुरूष नाम दिया गया के मुकाबले द्वितीय स्थान जगह पर थे। टाइम पत्रिका ने दलाई लामा, लेच वालेसा, डॉ मार्टिन लूथर किंग, जूनियर, सेसर शावेज़, औंग सान सू कई, बेनिग्नो अकुइनो जूनियर, डेसमंड टूटू और नेल्सन मंडेला को गाँधी के अहिंसा के आद्यात्मिक उत्तराधिकारी के रूप में कहा गया. भारत सरकार प्रति वर्ष उल्लेखनीय सामाजिक कार्यकर्ताओं, विश्व के नेताओं और नागरिकों को महात्मा गाँधी शान्ति पुरस्कार से पुरस्कृत करती है। दक्षिण अफ्रीकी नेल्सन मंडेला, जो कि जातीय मतभेद और पार्थक्य के उन्मूलन में संघर्षरत रहे, इस पुरूस्कार को पाने वाले पहले गैर-भारतीय थे। | गांधी जी ने अपनी कानून की शिक्षा कहां से प्राप्त की थी? | {
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} | Where did Gandhiji get his law education? | October 2 is Gandhi's birthday, so on the occasion of Gandhi Jayanti, there is a national holiday in India on 15 June 2007, it was announced that the "United Nations General Assembly" announced a proposal that "international non -violence on 2 October (2 October) (2 October)Day will be celebrated as "the meaning of the word Mahatma is taken wrongly in the west, according to him it is taken from Sanskrit, in which Maha means great and self means soul.According to most sources, like Dutta and Robinson's Rabindranath Tagor: The compilation states that Rabindranath Tagore first gave Gandhi the title of Mahatma.According to other sources, Nautamlal Bhagwanji Mehta gave him this title on 21 January 1915.However, Gandhi has said in his autobiography that he never felt that he was worthy of this honor.According to the Manpatra, Gandhi has received the name Mahatma for his appreciation of his justice and truth.In 1930, Time magazine named Mahatma Gandhi the man of the year.Time magazine said the Dalai Lama, Lach Walesa, Dr. Martin Luther King, Junior, Sesar Shavez, Aung San Suu Ki, Bannigno Akuino Junior, Desmond Tutu and Nelson Mandela as the primitive successor of Gandhi's non -violence.The Government of India rewards notable social workers, world leaders and citizens with Mahatma Gandhi Peace Prize every year.South African Nelson Mandela, who struggled in the eradication of ethnic differences and Parthakya, was the first non-Indian to receive this award. | {
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1542 | ९ मई को, उन्होंने मानव विज्ञानी अलेक्जेंडर गोल्डनवेइज़र द्वारा आयोजित एक सेमिनार में भारत में जातियां: उनकी प्रणाली, उत्पत्ति और विकास नामक एक शोध पत्र प्रस्तुत किया, जो उनका पहला प्रकाशित पत्र था। ३ वर्ष तक की अवधि के लिये मिली हुई छात्रवृत्ति का उपयोग उन्होंने केवल दो वर्षों में अमेरिका में पाठ्यक्रम पूरा करने में किया और १९१६ में वे लंदन गए। अक्टूबर 1916 में, ये लंदन चले गये और वहाँ उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट (Doctorate) थीसिस पर काम करना शुरू किया। जून 1917 में, विवश होकर उन्हें अपना अध्ययन अस्थायी तौरपर बीच में ही छोड़ कर भारत लौट आए क्योंकि बड़ौदा राज्य से उनकी छात्रवृत्ति समाप्त हो गई थी। लौटते समय उनके पुस्तक संग्रह को उस जहाज से अलग जहाज पर भेजा गया था जिसे जर्मन पनडुब्बी के टारपीडो द्वारा डुबो दिया गया। ये प्रथम विश्व युद्ध का काल था। उन्हें चार साल के भीतर अपने थीसिस के लिए लंदन लौटने की अनुमति मिली। बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में काम करते हुये अपने जीवन में अचानक फिर से आये भेदभाव से डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर निराश हो गये और अपनी नौकरी छोड़ एक निजी ट्यूटर और लेखाकार के रूप में काम करने लगे। यहाँ तक कि उन्होंने अपना परामर्श व्यवसाय भी आरम्भ किया जो उनकी सामाजिक स्थिति के कारण विफल रहा। अपने एक अंग्रेज जानकार मुंबई के पूर्व राज्यपाल लॉर्ड सिडनेम के कारण उन्हें मुंबई के सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स मे राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गयी। १९२० में कोल्हापुर के शाहू महाराज, अपने पारसी मित्र के सहयोग और कुछ निजी बचत के सहयोग से वो एक बार फिर से इंग्लैंड वापस जाने में सफ़ल हो पाए तथा 1921 में विज्ञान स्नातकोत्तर (एम॰एससी॰) प्राप्त की, जिसके लिए उन्होंने 'प्रोवेन्शियल डीसेन्ट्रलाईज़ेशन ऑफ इम्पीरियल फायनेन्स इन ब्रिटिश इण्डिया' (ब्रिटिश भारत में शाही अर्थ व्यवस्था का प्रांतीय विकेंद्रीकरण) खोज ग्रन्थ प्रस्तुत किया था। 1922 में, उन्हें ग्रेज इन ने बैरिस्टर-एट-लॉज डिग्री प्रदान की और उन्हें ब्रिटिश बार में बैरिस्टर के रूप में प्रवेश मिल गया। 1923 में, उन्होंने अर्थशास्त्र में डी॰एससी॰ (डॉक्टर ऑफ साईंस) उपाधि प्राप्त की। उनकी थीसिस "दी प्राब्लम आफ दि रुपी: इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्यूशन" (रुपये की समस्या: इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान) पर थी। लंदन का अध्ययन पूर्ण कर भारत वापस लौटते हुये भीमराव आम्बेडकर तीन महीने जर्मनी में रुके, जहाँ उन्होंने अपना अर्थशास्त्र का अध्ययन, बॉन विश्वविद्यालय में जारी रखा। उनकी तीसरी और चौथी डॉक्टरेट्स (एलएल॰डी॰, कोलंबिया विश्वविद्यालय, 1952 और डी॰लिट॰, उस्मानिया विश्वविद्यालय, 1953) सम्मानित उपाधियाँ थीं। | भीमराव आंबेडकर ने एलएलडी की डिग्री किस विश्वविद्यालय से पूरी की थी ? | {
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"कोलंबिया विश्वविद्यालय,"
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} | Bhimrao Ambedkar completed his LLD degree from which university? | On May 6, he presented a research paper called his system, origin and development in India at a seminar organized by anthropologist Alexander Goldenwear, which was his first published letter.He used the scholarship received for a period of 3 years to complete the course in the US in just two years and went to London in 1914.In October 1916, he moved to London and there he took admission in Graz Inn for a barrister course (law study), and also admitted to London School of Economics where he started working on the doctorate of economics..In June 1917, he was forced to leave his study temporarily and returned to India as his scholarship from Baroda state was over.While returning, his book collection was sent to a separate ship from the ship that was submerged by the Torpedo of the German submarine.This was the period of the First World War.He was allowed to return to London for his thesis within four years.Working as the Army Secretary of Baroda State, Dr. Bhimrao Ambedkar was disappointed with the sudden discrimination in his life and left his job and started working as a private tutor and accountant.He even started his counseling business which failed due to his social status.He got a job as a professor of a political economy at Sidnem College of Commerce and Economics, Mumbai due to Lord Sidnem, former Mumbai Governor of Mumbai.In 1920, with the support of Shahu Maharaj of Kolhapur, his Parsi friend's support and some personal savings, he was able to return to England once again and got Science Postgraduate (MSc ॰) in 1921, for which he 'provided'The decentralization of Imperial Finance in British India (Provincial decentralization of the royal economy) discovered search book.In 1922, he was awarded a barrister-at-loz degree by Graz Inn and got entry into the British bar as a barrister.In 1923, he received the degree in Economics D.Sc. (Doctor of Science).His thesis was on "The Problem of the Rupee: It's Origin and It's Solution" (Rupee problem: its origin and its solution).Returning to India after completing the study of London, Bhimrao Ambedkar stayed in Germany for three months, where he continued his economics study at Bonn University.His third and fourth doctors (LLD, Columbia University, 1952 and Dlit ॰, Osmania University, 1953) were honored titles. | {
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2333
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"The Columbia University,"
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1543 | ९ मई को, उन्होंने मानव विज्ञानी अलेक्जेंडर गोल्डनवेइज़र द्वारा आयोजित एक सेमिनार में भारत में जातियां: उनकी प्रणाली, उत्पत्ति और विकास नामक एक शोध पत्र प्रस्तुत किया, जो उनका पहला प्रकाशित पत्र था। ३ वर्ष तक की अवधि के लिये मिली हुई छात्रवृत्ति का उपयोग उन्होंने केवल दो वर्षों में अमेरिका में पाठ्यक्रम पूरा करने में किया और १९१६ में वे लंदन गए। अक्टूबर 1916 में, ये लंदन चले गये और वहाँ उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट (Doctorate) थीसिस पर काम करना शुरू किया। जून 1917 में, विवश होकर उन्हें अपना अध्ययन अस्थायी तौरपर बीच में ही छोड़ कर भारत लौट आए क्योंकि बड़ौदा राज्य से उनकी छात्रवृत्ति समाप्त हो गई थी। लौटते समय उनके पुस्तक संग्रह को उस जहाज से अलग जहाज पर भेजा गया था जिसे जर्मन पनडुब्बी के टारपीडो द्वारा डुबो दिया गया। ये प्रथम विश्व युद्ध का काल था। उन्हें चार साल के भीतर अपने थीसिस के लिए लंदन लौटने की अनुमति मिली। बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में काम करते हुये अपने जीवन में अचानक फिर से आये भेदभाव से डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर निराश हो गये और अपनी नौकरी छोड़ एक निजी ट्यूटर और लेखाकार के रूप में काम करने लगे। यहाँ तक कि उन्होंने अपना परामर्श व्यवसाय भी आरम्भ किया जो उनकी सामाजिक स्थिति के कारण विफल रहा। अपने एक अंग्रेज जानकार मुंबई के पूर्व राज्यपाल लॉर्ड सिडनेम के कारण उन्हें मुंबई के सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स मे राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गयी। १९२० में कोल्हापुर के शाहू महाराज, अपने पारसी मित्र के सहयोग और कुछ निजी बचत के सहयोग से वो एक बार फिर से इंग्लैंड वापस जाने में सफ़ल हो पाए तथा 1921 में विज्ञान स्नातकोत्तर (एम॰एससी॰) प्राप्त की, जिसके लिए उन्होंने 'प्रोवेन्शियल डीसेन्ट्रलाईज़ेशन ऑफ इम्पीरियल फायनेन्स इन ब्रिटिश इण्डिया' (ब्रिटिश भारत में शाही अर्थ व्यवस्था का प्रांतीय विकेंद्रीकरण) खोज ग्रन्थ प्रस्तुत किया था। 1922 में, उन्हें ग्रेज इन ने बैरिस्टर-एट-लॉज डिग्री प्रदान की और उन्हें ब्रिटिश बार में बैरिस्टर के रूप में प्रवेश मिल गया। 1923 में, उन्होंने अर्थशास्त्र में डी॰एससी॰ (डॉक्टर ऑफ साईंस) उपाधि प्राप्त की। उनकी थीसिस "दी प्राब्लम आफ दि रुपी: इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्यूशन" (रुपये की समस्या: इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान) पर थी। लंदन का अध्ययन पूर्ण कर भारत वापस लौटते हुये भीमराव आम्बेडकर तीन महीने जर्मनी में रुके, जहाँ उन्होंने अपना अर्थशास्त्र का अध्ययन, बॉन विश्वविद्यालय में जारी रखा। उनकी तीसरी और चौथी डॉक्टरेट्स (एलएल॰डी॰, कोलंबिया विश्वविद्यालय, 1952 और डी॰लिट॰, उस्मानिया विश्वविद्यालय, 1953) सम्मानित उपाधियाँ थीं। | भीमराव आंबेडकर को ओसमानीया विश्वविद्यालय से कौन सी डिग्री प्राप्त हुई थी ? | {
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"डी॰लिट॰"
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2365
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} | Which degree did Bhimrao Ambedkar receive from Osmania University? | On May 6, he presented a research paper called his system, origin and development in India at a seminar organized by anthropologist Alexander Goldenwear, which was his first published letter.He used the scholarship received for a period of 3 years to complete the course in the US in just two years and went to London in 1914.In October 1916, he moved to London and there he took admission in Graz Inn for a barrister course (law study), and also admitted to London School of Economics where he started working on the doctorate of economics..In June 1917, he was forced to leave his study temporarily and returned to India as his scholarship from Baroda state was over.While returning, his book collection was sent to a separate ship from the ship that was submerged by the Torpedo of the German submarine.This was the period of the First World War.He was allowed to return to London for his thesis within four years.Working as the Army Secretary of Baroda State, Dr. Bhimrao Ambedkar was disappointed with the sudden discrimination in his life and left his job and started working as a private tutor and accountant.He even started his counseling business which failed due to his social status.He got a job as a professor of a political economy at Sidnem College of Commerce and Economics, Mumbai due to Lord Sidnem, former Mumbai Governor of Mumbai.In 1920, with the support of Shahu Maharaj of Kolhapur, his Parsi friend's support and some personal savings, he was able to return to England once again and got Science Postgraduate (MSc ॰) in 1921, for which he 'provided'The decentralization of Imperial Finance in British India (Provincial decentralization of the royal economy) discovered search book.In 1922, he was awarded a barrister-at-loz degree by Graz Inn and got entry into the British bar as a barrister.In 1923, he received the degree in Economics D.Sc. (Doctor of Science).His thesis was on "The Problem of the Rupee: It's Origin and It's Solution" (Rupee problem: its origin and its solution).Returning to India after completing the study of London, Bhimrao Ambedkar stayed in Germany for three months, where he continued his economics study at Bonn University.His third and fourth doctors (LLD, Columbia University, 1952 and Dlit ॰, Osmania University, 1953) were honored titles. | {
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"D.Litt."
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1544 | ९ मई को, उन्होंने मानव विज्ञानी अलेक्जेंडर गोल्डनवेइज़र द्वारा आयोजित एक सेमिनार में भारत में जातियां: उनकी प्रणाली, उत्पत्ति और विकास नामक एक शोध पत्र प्रस्तुत किया, जो उनका पहला प्रकाशित पत्र था। ३ वर्ष तक की अवधि के लिये मिली हुई छात्रवृत्ति का उपयोग उन्होंने केवल दो वर्षों में अमेरिका में पाठ्यक्रम पूरा करने में किया और १९१६ में वे लंदन गए। अक्टूबर 1916 में, ये लंदन चले गये और वहाँ उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट (Doctorate) थीसिस पर काम करना शुरू किया। जून 1917 में, विवश होकर उन्हें अपना अध्ययन अस्थायी तौरपर बीच में ही छोड़ कर भारत लौट आए क्योंकि बड़ौदा राज्य से उनकी छात्रवृत्ति समाप्त हो गई थी। लौटते समय उनके पुस्तक संग्रह को उस जहाज से अलग जहाज पर भेजा गया था जिसे जर्मन पनडुब्बी के टारपीडो द्वारा डुबो दिया गया। ये प्रथम विश्व युद्ध का काल था। उन्हें चार साल के भीतर अपने थीसिस के लिए लंदन लौटने की अनुमति मिली। बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में काम करते हुये अपने जीवन में अचानक फिर से आये भेदभाव से डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर निराश हो गये और अपनी नौकरी छोड़ एक निजी ट्यूटर और लेखाकार के रूप में काम करने लगे। यहाँ तक कि उन्होंने अपना परामर्श व्यवसाय भी आरम्भ किया जो उनकी सामाजिक स्थिति के कारण विफल रहा। अपने एक अंग्रेज जानकार मुंबई के पूर्व राज्यपाल लॉर्ड सिडनेम के कारण उन्हें मुंबई के सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स मे राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गयी। १९२० में कोल्हापुर के शाहू महाराज, अपने पारसी मित्र के सहयोग और कुछ निजी बचत के सहयोग से वो एक बार फिर से इंग्लैंड वापस जाने में सफ़ल हो पाए तथा 1921 में विज्ञान स्नातकोत्तर (एम॰एससी॰) प्राप्त की, जिसके लिए उन्होंने 'प्रोवेन्शियल डीसेन्ट्रलाईज़ेशन ऑफ इम्पीरियल फायनेन्स इन ब्रिटिश इण्डिया' (ब्रिटिश भारत में शाही अर्थ व्यवस्था का प्रांतीय विकेंद्रीकरण) खोज ग्रन्थ प्रस्तुत किया था। 1922 में, उन्हें ग्रेज इन ने बैरिस्टर-एट-लॉज डिग्री प्रदान की और उन्हें ब्रिटिश बार में बैरिस्टर के रूप में प्रवेश मिल गया। 1923 में, उन्होंने अर्थशास्त्र में डी॰एससी॰ (डॉक्टर ऑफ साईंस) उपाधि प्राप्त की। उनकी थीसिस "दी प्राब्लम आफ दि रुपी: इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्यूशन" (रुपये की समस्या: इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान) पर थी। लंदन का अध्ययन पूर्ण कर भारत वापस लौटते हुये भीमराव आम्बेडकर तीन महीने जर्मनी में रुके, जहाँ उन्होंने अपना अर्थशास्त्र का अध्ययन, बॉन विश्वविद्यालय में जारी रखा। उनकी तीसरी और चौथी डॉक्टरेट्स (एलएल॰डी॰, कोलंबिया विश्वविद्यालय, 1952 और डी॰लिट॰, उस्मानिया विश्वविद्यालय, 1953) सम्मानित उपाधियाँ थीं। | डॉ. भीमराव अम्बेडकर अपनी पढ़ाई छोड़ कर भारत कब लौटे थे ? | {
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} | When did Dr. Bhimrao Ambedkar leave his studies and return to India? | On May 6, he presented a research paper called his system, origin and development in India at a seminar organized by anthropologist Alexander Goldenwear, which was his first published letter.He used the scholarship received for a period of 3 years to complete the course in the US in just two years and went to London in 1914.In October 1916, he moved to London and there he took admission in Graz Inn for a barrister course (law study), and also admitted to London School of Economics where he started working on the doctorate of economics..In June 1917, he was forced to leave his study temporarily and returned to India as his scholarship from Baroda state was over.While returning, his book collection was sent to a separate ship from the ship that was submerged by the Torpedo of the German submarine.This was the period of the First World War.He was allowed to return to London for his thesis within four years.Working as the Army Secretary of Baroda State, Dr. Bhimrao Ambedkar was disappointed with the sudden discrimination in his life and left his job and started working as a private tutor and accountant.He even started his counseling business which failed due to his social status.He got a job as a professor of a political economy at Sidnem College of Commerce and Economics, Mumbai due to Lord Sidnem, former Mumbai Governor of Mumbai.In 1920, with the support of Shahu Maharaj of Kolhapur, his Parsi friend's support and some personal savings, he was able to return to England once again and got Science Postgraduate (MSc ॰) in 1921, for which he 'provided'The decentralization of Imperial Finance in British India (Provincial decentralization of the royal economy) discovered search book.In 1922, he was awarded a barrister-at-loz degree by Graz Inn and got entry into the British bar as a barrister.In 1923, he received the degree in Economics D.Sc. (Doctor of Science).His thesis was on "The Problem of the Rupee: It's Origin and It's Solution" (Rupee problem: its origin and its solution).Returning to India after completing the study of London, Bhimrao Ambedkar stayed in Germany for three months, where he continued his economics study at Bonn University.His third and fourth doctors (LLD, Columbia University, 1952 and Dlit ॰, Osmania University, 1953) were honored titles. | {
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592
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"June 1917"
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1545 | ९ मई को, उन्होंने मानव विज्ञानी अलेक्जेंडर गोल्डनवेइज़र द्वारा आयोजित एक सेमिनार में भारत में जातियां: उनकी प्रणाली, उत्पत्ति और विकास नामक एक शोध पत्र प्रस्तुत किया, जो उनका पहला प्रकाशित पत्र था। ३ वर्ष तक की अवधि के लिये मिली हुई छात्रवृत्ति का उपयोग उन्होंने केवल दो वर्षों में अमेरिका में पाठ्यक्रम पूरा करने में किया और १९१६ में वे लंदन गए। अक्टूबर 1916 में, ये लंदन चले गये और वहाँ उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट (Doctorate) थीसिस पर काम करना शुरू किया। जून 1917 में, विवश होकर उन्हें अपना अध्ययन अस्थायी तौरपर बीच में ही छोड़ कर भारत लौट आए क्योंकि बड़ौदा राज्य से उनकी छात्रवृत्ति समाप्त हो गई थी। लौटते समय उनके पुस्तक संग्रह को उस जहाज से अलग जहाज पर भेजा गया था जिसे जर्मन पनडुब्बी के टारपीडो द्वारा डुबो दिया गया। ये प्रथम विश्व युद्ध का काल था। उन्हें चार साल के भीतर अपने थीसिस के लिए लंदन लौटने की अनुमति मिली। बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में काम करते हुये अपने जीवन में अचानक फिर से आये भेदभाव से डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर निराश हो गये और अपनी नौकरी छोड़ एक निजी ट्यूटर और लेखाकार के रूप में काम करने लगे। यहाँ तक कि उन्होंने अपना परामर्श व्यवसाय भी आरम्भ किया जो उनकी सामाजिक स्थिति के कारण विफल रहा। अपने एक अंग्रेज जानकार मुंबई के पूर्व राज्यपाल लॉर्ड सिडनेम के कारण उन्हें मुंबई के सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स मे राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गयी। १९२० में कोल्हापुर के शाहू महाराज, अपने पारसी मित्र के सहयोग और कुछ निजी बचत के सहयोग से वो एक बार फिर से इंग्लैंड वापस जाने में सफ़ल हो पाए तथा 1921 में विज्ञान स्नातकोत्तर (एम॰एससी॰) प्राप्त की, जिसके लिए उन्होंने 'प्रोवेन्शियल डीसेन्ट्रलाईज़ेशन ऑफ इम्पीरियल फायनेन्स इन ब्रिटिश इण्डिया' (ब्रिटिश भारत में शाही अर्थ व्यवस्था का प्रांतीय विकेंद्रीकरण) खोज ग्रन्थ प्रस्तुत किया था। 1922 में, उन्हें ग्रेज इन ने बैरिस्टर-एट-लॉज डिग्री प्रदान की और उन्हें ब्रिटिश बार में बैरिस्टर के रूप में प्रवेश मिल गया। 1923 में, उन्होंने अर्थशास्त्र में डी॰एससी॰ (डॉक्टर ऑफ साईंस) उपाधि प्राप्त की। उनकी थीसिस "दी प्राब्लम आफ दि रुपी: इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्यूशन" (रुपये की समस्या: इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान) पर थी। लंदन का अध्ययन पूर्ण कर भारत वापस लौटते हुये भीमराव आम्बेडकर तीन महीने जर्मनी में रुके, जहाँ उन्होंने अपना अर्थशास्त्र का अध्ययन, बॉन विश्वविद्यालय में जारी रखा। उनकी तीसरी और चौथी डॉक्टरेट्स (एलएल॰डी॰, कोलंबिया विश्वविद्यालय, 1952 और डी॰लिट॰, उस्मानिया विश्वविद्यालय, 1953) सम्मानित उपाधियाँ थीं। | डॉ. भीमराव अम्बेडकर को बैरिस्टर-एट-लॉ की डिग्री किस वर्ष मिली थी ? | {
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"1922"
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1808
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} | In which year did Dr. Bhimrao Ambedkar receive the degree of Barrister-at-Law? | On May 6, he presented a research paper called his system, origin and development in India at a seminar organized by anthropologist Alexander Goldenwear, which was his first published letter.He used the scholarship received for a period of 3 years to complete the course in the US in just two years and went to London in 1914.In October 1916, he moved to London and there he took admission in Graz Inn for a barrister course (law study), and also admitted to London School of Economics where he started working on the doctorate of economics..In June 1917, he was forced to leave his study temporarily and returned to India as his scholarship from Baroda state was over.While returning, his book collection was sent to a separate ship from the ship that was submerged by the Torpedo of the German submarine.This was the period of the First World War.He was allowed to return to London for his thesis within four years.Working as the Army Secretary of Baroda State, Dr. Bhimrao Ambedkar was disappointed with the sudden discrimination in his life and left his job and started working as a private tutor and accountant.He even started his counseling business which failed due to his social status.He got a job as a professor of a political economy at Sidnem College of Commerce and Economics, Mumbai due to Lord Sidnem, former Mumbai Governor of Mumbai.In 1920, with the support of Shahu Maharaj of Kolhapur, his Parsi friend's support and some personal savings, he was able to return to England once again and got Science Postgraduate (MSc ॰) in 1921, for which he 'provided'The decentralization of Imperial Finance in British India (Provincial decentralization of the royal economy) discovered search book.In 1922, he was awarded a barrister-at-loz degree by Graz Inn and got entry into the British bar as a barrister.In 1923, he received the degree in Economics D.Sc. (Doctor of Science).His thesis was on "The Problem of the Rupee: It's Origin and It's Solution" (Rupee problem: its origin and its solution).Returning to India after completing the study of London, Bhimrao Ambedkar stayed in Germany for three months, where he continued his economics study at Bonn University.His third and fourth doctors (LLD, Columbia University, 1952 and Dlit ॰, Osmania University, 1953) were honored titles. | {
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1808
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"1922."
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1546 | ९ मई को, उन्होंने मानव विज्ञानी अलेक्जेंडर गोल्डनवेइज़र द्वारा आयोजित एक सेमिनार में भारत में जातियां: उनकी प्रणाली, उत्पत्ति और विकास नामक एक शोध पत्र प्रस्तुत किया, जो उनका पहला प्रकाशित पत्र था। ३ वर्ष तक की अवधि के लिये मिली हुई छात्रवृत्ति का उपयोग उन्होंने केवल दो वर्षों में अमेरिका में पाठ्यक्रम पूरा करने में किया और १९१६ में वे लंदन गए। अक्टूबर 1916 में, ये लंदन चले गये और वहाँ उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट (Doctorate) थीसिस पर काम करना शुरू किया। जून 1917 में, विवश होकर उन्हें अपना अध्ययन अस्थायी तौरपर बीच में ही छोड़ कर भारत लौट आए क्योंकि बड़ौदा राज्य से उनकी छात्रवृत्ति समाप्त हो गई थी। लौटते समय उनके पुस्तक संग्रह को उस जहाज से अलग जहाज पर भेजा गया था जिसे जर्मन पनडुब्बी के टारपीडो द्वारा डुबो दिया गया। ये प्रथम विश्व युद्ध का काल था। उन्हें चार साल के भीतर अपने थीसिस के लिए लंदन लौटने की अनुमति मिली। बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में काम करते हुये अपने जीवन में अचानक फिर से आये भेदभाव से डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर निराश हो गये और अपनी नौकरी छोड़ एक निजी ट्यूटर और लेखाकार के रूप में काम करने लगे। यहाँ तक कि उन्होंने अपना परामर्श व्यवसाय भी आरम्भ किया जो उनकी सामाजिक स्थिति के कारण विफल रहा। अपने एक अंग्रेज जानकार मुंबई के पूर्व राज्यपाल लॉर्ड सिडनेम के कारण उन्हें मुंबई के सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स मे राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गयी। १९२० में कोल्हापुर के शाहू महाराज, अपने पारसी मित्र के सहयोग और कुछ निजी बचत के सहयोग से वो एक बार फिर से इंग्लैंड वापस जाने में सफ़ल हो पाए तथा 1921 में विज्ञान स्नातकोत्तर (एम॰एससी॰) प्राप्त की, जिसके लिए उन्होंने 'प्रोवेन्शियल डीसेन्ट्रलाईज़ेशन ऑफ इम्पीरियल फायनेन्स इन ब्रिटिश इण्डिया' (ब्रिटिश भारत में शाही अर्थ व्यवस्था का प्रांतीय विकेंद्रीकरण) खोज ग्रन्थ प्रस्तुत किया था। 1922 में, उन्हें ग्रेज इन ने बैरिस्टर-एट-लॉज डिग्री प्रदान की और उन्हें ब्रिटिश बार में बैरिस्टर के रूप में प्रवेश मिल गया। 1923 में, उन्होंने अर्थशास्त्र में डी॰एससी॰ (डॉक्टर ऑफ साईंस) उपाधि प्राप्त की। उनकी थीसिस "दी प्राब्लम आफ दि रुपी: इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्यूशन" (रुपये की समस्या: इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान) पर थी। लंदन का अध्ययन पूर्ण कर भारत वापस लौटते हुये भीमराव आम्बेडकर तीन महीने जर्मनी में रुके, जहाँ उन्होंने अपना अर्थशास्त्र का अध्ययन, बॉन विश्वविद्यालय में जारी रखा। उनकी तीसरी और चौथी डॉक्टरेट्स (एलएल॰डी॰, कोलंबिया विश्वविद्यालय, 1952 और डी॰लिट॰, उस्मानिया विश्वविद्यालय, 1953) सम्मानित उपाधियाँ थीं। | अम्बेडकर ने मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री किस वर्ष प्राप्त की थी ? | {
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