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117
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मत करो भैया नहीं हैं तो क्या हुआ मैं हूं ना |
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इन्हें गृहस्थी की चिंताओं से क्या प्रयोजन |
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क्योंकि उसे अब अपने नौकरों पर जरा भी विश्वास न था |
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मुंशी चंद्रिका प्रसाद पीढ़े पर पालथी मारकर बैठे रोटी के |
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मैं दया को नहीं समझ सकता |
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मैं अपनी राह जाता हूँ |
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तू ही तो है अब जो ये बताए |
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जैसे छोटे और |
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उसमें से दो पुलिसवाले उतरे एक पतला और |
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उसकी अंतिम विदाई में मार्मिकता का सैलाब उमड़ रहा था |
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मैंने एक कदम पीछे हटाया |
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जब से तुमने मेरी पंचायत की |
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तो कोई कठिनाई न पड़ती |
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वह चंपा को रानी कहती |
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जगदीश प्रसाद बच्चों को पढ़ाने के लिए शहर में रहने लगे थे |
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प्रयाग में कुम्भ लगा तो पंडित जी भी स्नान करने गये |
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माली अंदर से गाली देता हुआ निकलता है |
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मैंने बहुत उत्साह से खबर दादाजी को सुनाई |
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क्या सोचते हो मुन्ने राजा तुम क्या सोचते हो |
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मैंने सीढ़ी खड़े करने में डॉक्टर की मदद की |
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बोली रहने दो भाभी बच्ची की किस्मत में तो कांटे भरे हैं |
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ईमानदार मनुष्य स्वभावतः स्पष्टभाषी होता है |
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नाइन |
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उसके चले जाने के बाद आकर स्त्री से पूछने लगेयह शैतान की |
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इस तरह कई साल गुजर गये |
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ऊपर इमली के घने वृक्षों की छाया है |
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दादाजी आसानी से मानने वाले नहीं थे |
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मुंशी जी ने अपना गट्ठर उतारा और चादर से |
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मुंशी जी दाललगे हाथ को चाट रहे थे |
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उनके पहले बच्चे का निधन |
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पानी का पानी कर दे |
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जब लोग किसी व्यक्ति का दयालु व्यवहार देखते हैं तो |
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कंचुकी से एक कृपाण निकाल लिया |
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आप तीन मौके ले सकते हैं। |
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और मिनटों में आसमान में बड़ा और रंगबिरंगा कोलम दिखने लगा |
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शाकाहारी आंदोलन में |
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वहाँ बैलराम का रातिब थासाफ पानी |
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वन |
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अलगू इस सवाल का कोई उत्तर न दे सका |
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अल्लाह के बन्दे हंस दे |
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शिक्षक काफ़ी मुश्किल में थे |
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यदि हुक्म दें तो मैं मुंशी जी से कुछ पूछूँ |
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वह तीन घंटों में वापस आएगा। |
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आँधी की संभावना है |
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बैल देखा गाड़ी में दौड़ाया बालभौंरी की पहचान करायी |
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इंडिया टुडे ग्रुप ने प्रधानमंत्री को श्वेत पत्र सौंपा |
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वह ऊपर क्यों गया |
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कॉलेज व दफ़्तरों का बायकॉट किया |
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मेरी जड़ खोदने पर तुला हुआ है |
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मोरू ने सर खुजलाया |
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यह कौनसा रंग है |
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आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की जरूरत कयानी |
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उसकी अंतिम विदाई में मार्मिकता का सैलाब उमड़ रहा था |
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मेरा जो कुछ होगा ले लूँगी |
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इस घोषणा से सभी मुखिया परेशान हो गए और |
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भव्य व खूबसूरत है |
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तुम शहर में कहीं मुँह दिखाने के लायक भी न रहे |
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हाँ मैं भानुकुँवरि का तीस हजार का ऋणी अवश्य हूँ |
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बहुत दूर तक भटकने के बाद वे गंगा किनारे पहुँचे |
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सहुआइन ने घर में घुस कर किवाड़ बंद कर लिये |
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जिसके लिए गांधी इतने दिनों से संघर्ष कर रहे थे |
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को ब्रिटेन का समर्थन करने को कहा |
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प्रिंस चार्ल्स ने भारत के लिए नए शिक्षा बॉन्ड का समर्थन किया |
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उनके सुप्रबंध से रियासत दिनोंदिन उन्नति करती जाती थी |
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जब मैं अपने हृदय पर विश्वास नहीं कर सकी |
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और नैतिकताओं का पक्का पाठ पढ़ाया |
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फिर संपूर्ण विलीन हो गया |
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गांधी को जेल से रिहा कर दिया गया |
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बनारस में दलित बस्ती का दौरा करेंगे केजरीवाल |
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देखो बड़े मियाँ वह कहने लगा |
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मीनू ने अपनी मां को कहा |
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हाँ वह भी कभी भटकते हैं भूलते हैं |
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मैं पसीनापसीना हो गया |
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सिद्धेश्वरी लोटा लेकर पानी लेने चली गई |
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रश्मि की माँ का बचपन में ही देहांत हो गया था |
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जब गोदामों में आई माल की कमी का ब्यौरा अंकित |
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पर हिम्मत न थी |
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दिन मुश्किल से कटता था |
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आग बुझानेवाले पाँचों कर्मचारी काम में जुट चुके थे |
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एक नहीं हजार मुकदमें चलाएं डिगरी मेरी होगी |
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यह बात गाँव के लोगों को बहुत ही अजीब लगी थी |
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दादाजी का मन कॉफ़ी पीने का नहीं था |
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मोहन तो उसकी बड़ी इज्जत करता है |
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भारत से युद्ध का खतरा नहीं गिलानी |
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नहीं तो बुरा होगा |
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लीजिए यह वाला आपका है। |
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कृष्णदेव राय जब अपनी राजधानी पहुंचे तो तेलानीराम रास्ते में ही पीछे रह गए |
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जिस आत्मविश्वास से उसने कहा एक बार फिर तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी |
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घबरा कर इधरउधर देखा |
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वन |
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हम राजनीतिक ध्रुवीकरण के एक युग में जी रहे हैं |
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पता नहीं हम कब भारत को वर्ल्ड कप में हराएंगे मिस्बाह |
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मैं आपको एक सबक सिखाने वाला हूँ। |
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उसे हर घड़ी यही चिंता रहती थी कि |
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दस मिनट के बाद भेड़िया बोला मज़ा आ गया प् |
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जो लौट के घर न आये |
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स्वाद भी चखने को मिल जाता था |
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वह क्रोध से उछल पड़ा |
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ज़रा याद करो क़ुरबानी |
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सास को बच्चे के नहलानेधुलाने |