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प्रदर्शन उपकरण
प्रदर्शन उपकरण प्रदर्शन उपकरण एक उत्पादन इकाई है जो डेटा के दृश्य प्रतिनिधित्व देता है। प्रदर्शन उपकरण के मुख्य आवेदन टीवी स्क्रीन और कंप्यूटर की निगरानी कर रहे हैं। आज कई सेंटीमीटर मोटाई की है जो एक प्रदर्शन युक्ति बाजार में उपलब्ध है। कंप्यूटर ग्राफिक्स के क्षेत्र में विकास प्रदर्शन उपकरण के विकास में एक नाटकीय परिवर्तन किया। प्रदर्शन उपकरण का इतिहास जल्द से जल्द प्रदर्शन युक्ति से एक सिअरटी (कैथोड रे ट्यूब) 1922 में वाणिज्यिक बनाया गया था। यह एक इलेक्ट्रॉन बंदूक के होते हैं जो भास्वर कोटिंग पर इलेक्ट्रॉनों की एक उच्च वेग बीम का उत्सर्जन करता है। वे बहुत भारी होते हैं और अधिक बिजली की खपत। पहले कैथोड रे ट्यूब एक ग्राफिकल प्रदर्शन के रूप में नहीं एक स्मृति डिवाइस के रूप में कंप्यूटर में दिखाई दिया। बाद में डिजाइनरों कैथोड रे ट्यूब को एक चित्रमय प्रदर्शन के रूप में परिवर्तित कर दिया। पहली व्यावसायिक रूप से इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन सेट के साथ कैथोड रे ट्यूब जर्मनी में टेलेफनकेन द्वारा 1934 में बनाया गया। इससे पहले सिअरटी केवल दो रंग या तो काला या सफेद प्रदर्शित कर सकते हैं। जो लाखों रंगों को प्रदर्शित कर सकते हैं प्रदर्शन डिवाइस अब उपलब्ध हैं। कुछ प्रदर्शन डिवाइस भी 3-डी छवियों परियोजना कर सकते हैं। प्रदर्शन डिवाइसेज़ का काम कर एक प्रदर्शन डिवाइस की तीन घटकों से मिलकर बनता है। डिजिटल मेमरी, तीव्रता मान प्रदर्शित करने के लिए छवियों का संग्रह करने के लिए उपयोग किया जाता है। एक टेलीविजन मॉनिटर। एक अंतरफलक प्रदर्शन नियंत्रक कि फ़्रेम बफ़र की सामग्री की निगरानी के लिए गुजरता है कहा जाता है। छवि स्क्रीन पर एक स्थिर चित्र बनाए रखने के लिए 30 या अधिक बार एक छवि मॉनिटर में गुजरना होगा। फ्रेम बफर में छवियाँ जो बाइनरी संख्या की एक पद्धति के रूप में जमा एक 2- डी सरणी का प्रतिनिधित्व करते हैं। काले और सफेद छवियाँ के मामले में एक के और शून्य के रूप में फ्रेम बफर में स्टोर कर रहे हैं। एक के काले पिक्सल और सफेद पिक्सेल के लिए शून्य के लिए उपयोग किया जाता है। डेटा की प्रत्येक उत्तरोत्तर बाइट प्रदर्शन नियंत्रक पढ़ता हैं और इसके एक के और शून्य में वीडियो संकेत से कनवर्ट करता है। इस वीडियो संकेत तब की निगरानी करने के लिए फैलता है। छवि स्क्रीन पर एक स्थिर चित्र बनाए रखने के लिए 30 या अधिक बार एक छवि मॉनिटर में गुजरना होगा। प्रदर्शन उपकरण के छवि गुणवत्ता छवि की गुणवत्ता छह कारकों पर निर्भर करता है आकार एक मॉनिटर का आकार सामान्य रूप से तिरछे में इंच स्क्रीन भर में मापा है। अब 15 से 50 इंच तक आकार के प्रदर्शन उपकरण उपलब्ध हैं। रिज़ॉल्यूशन रिज़ॉल्यूशन एक छवि के विस्तार रखती है। यह सबसे ज्यादा संख्या में पिक्सेल स्क्रीन पर ओवरलैप के बिना प्रदर्शित किया जा सकता है। स्क्रीन रिज़ॉल्यूशन स्पष्टता के पाठ और छवियाँ आपके स्क्रीन पर प्रदर्शित करने के लिए संदर्भित करता है। 1600 X 1200 पिक्सेल, जैसे उच्च संकल्प पर आइटम्स तेज दिखाई देते हैं। सिअरटी प्रदर्शित आम तौर पर 800 x 600 पिक्सेल्स के रिज़ॉल्यूशन का उपयोग करें। आधुनिक उपकरण जैसा लैपटॉप और स्मार्ट फोन उच्च रिज़ॉल्यूशन छवियों का उपयोग करे। बड़ा था स्क्रीन उच्च था रिज़ॉल्यूशन होगा। रेफ्रेश रेट यह बार की संख्या कि छवि स्क्रीन पर पारित किया है। उपकरणों के प्रदर्शन का सबसे ताज़ा करने की दर 60 से 80 बार प्रति सेकंड की का उपयोग करें। बेहतर देखने के लिए रेफ्रेश रेट कम से कम 70 बार दूसरी प्रति हो गया है। डॉट पिच डॉट पिच दो सन्निकट फॉस्फर बिंदु है एक ही रंग के बीच की दूरी है। छोटी दूरी बेहतर गुणवत्ता है। डॉट पिच से 0.15 mm 0.40 mm करने के लिए रेंज कर सकते हैं। पर्सिस्टेंस फॉस्फर के विभिन्न प्रकार के सिअरटी स्क्रीन के निर्माण में उपलब्ध हैं। फॉस्फर में फर्क उनके रंग और वे प्रकाश का उत्सर्जन जारी रखने के समय की अवधि पर आधारित है, बाद सिअरटी बीम निकाला है। उसे पर्सिस्टेंस कहते हें। अस्पेक्ट रेशियो यह ऊर्ध्वाधर क्षैतिज संकल्प के अनुपात के रूप में परिभाषित किया गया है। अस्पेक्ट रेशियो 4:3 का मतलब है कि चार अंकों के साथ एक अनुलंब रेखा प्लॉट के तीन अंक के साथ एक क्षैतिज रेखा के रूप में एक ही लंबाई है। विभिन्न प्रकार के प्रदर्शन उपकरण एलसीडी एलसीडी (लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले) नोटबुक में प्रदर्शित करता है औरअन्य छोटे कंप्यूटर के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया है। प्रकाश उत्सर्जकडायोड (एलईडी) औरगैस प्लाज्मा प्रौद्योगिकियों की तरह, एलसीडी प्रदर्शित करता है। कैथोड रे ट्यूब (सिअरटी) प्रौद्योगिकी से पतले होने केलिए अनुमति देते हैं। वे प्रकाश को अवरुद्ध करने के बजाय यह उत्सर्जन के सिद्धांत पर काम करते हैं क्योंकि एलईडी और गैस डिस्प्ले की तुलना में बहुत कम बिजली की खपत करते हैं। एक एलसीडी एक निष्क्रिय मैट्रिक्स या एक सक्रिय मैट्रिक्स प्रदर्शन ग्रिड या तो साथ किया जाता है। सक्रिय मैट्रिक्स एलसीडी भी एक पतली फिल्म ट्रांजिस्टर (TFT) प्रदर्शन के रूप में जाना जाता है। निष्क्रिय मैट्रिक्स एलसीडी ग्रिड में प्रत्येक चौराहे पर स्थित पिक्सल के साथ कंडक्टर का एक ग्रिड है। एक मौजूदा किसी भी पिक्सेल के लिए प्रकाश को नियंत्रित करने के लिए ग्रिड पर दो कंडक्टर में भेजा जाताहै। एक सक्रिय मैट्रिक्स एक पिक्सेल के ज्योतिर्मय को नियंत्रित करने के लिए कम वर्तमान की आवश्यकता होती है, प्रत्येक पिक्सेल चौराहे पर स्थित एकट्रांजिस्टर है। इस कारण से, एक सक्रिय मैट्रिक्स प्रदर्शन में वर्तमानस्क्रीन रिफ्रेश समय (अपने माउस उदाहरण के लिए, स्क्रीन भर में और अधिक आसानी से ले जाने के लिए दिखाई देगा) में सुधार, अधिक बार पर और बंदकिया जा सकता है। एक सिअरटी स्क्रीन के पीछे में आगे और पीछे एक इलेक्ट्रॉन बीम को ले जाकर काम करता है। किरण स्क्रीन भर में एक पास बना देता है और हर बार, यह इस तरह स्क्रीन के सक्रिय भागों रोशन, ग्लास ट्यूब के अंदर भास्वर डॉट्स रोशनी.स्क्रीन के ऊपर से नीचे तक ऐसे कई लाइनों ड्राइंग द्वारा, यह छवियों कीएक पूरी स्क्रीन बनाता है। नीचे सचित्र रूप में एक कैथोड रे ट्यूब, कई बुनियादी घटकों के होते हैं। इलेक्ट्रॉन बंदूक इलेक्ट्रानों की किरण उत्पन्न करता है। एनोडइलेक्ट्रान. मोड़ना कुंडल इलेक्ट्रॉन किरण. वहाँ के दिशा में निरंतर समायोजन के लिए अनुमति देता है। एक अत्यंत कम आवृत्ति विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र काउत्पादन में तेजी लाने मोड़ना कुंडल के दो सेट हैं। क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर (उदाहरण में, कुंडल के केवल एक सेट है पता चला के लिए सादगी.बीम की तीव्रता अलग किया जा सकता है। भास्वर में लिपटे स्क्रीन यह हमले जब इलेक्ट्रान बीम एक छोटे, उज्ज्वल दिखाई मौके पैदा करता है। फ्लैट पैनल कैथोड रे ट्यूब के लिए एक विकल्प के रूप में कंप्यूटर पर नज़र रखता है और टीवी में इस्तेमाल एक पतली, अक्सर हल्के वीडियो प्रदर्शन. फ्लैट पैनल प्रदर्शित अक्सर इस तरह के प्रकाश उत्सर्जक डायोड के रूप में तरल क्रिस्टल या इलेक्ट्रिक मोमबत्तियाँ खुशबू सामग्री को रोजगार करता है। सभी पोर्टेबल कंप्यूटर के साथ और डेस्कटॉप कंप्यूटर के साथ नया मानक बनने पाया पतला स्क्रीन दिखाता है। इसके बजाय कैथोड रे ट्यूब तकनीक के उपयोग के फ्लैट पैनल प्रदर्शित करता है। एक पारंपरिक मॉनिटर की तुलना में उन्हें बहुत हल्का और पतला बनाने के लिए लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (एलसीडी) प्रौद्योगिकी या अन्य वैकल्पिक का उपयोग करना चाहिए. सही करने के लिए चित्र में, एक Asus फ्लैट पैनल डिस्प्ले और फ्लैट पैनल डिस्प्ले की तरह लग सकता है। प्लाज्मा उनके सतहों पर जमा समानांतर इलेक्ट्रोड के साथ दो मुहरबंद गिलास प्लेट के बीच एक नीयन / क्सीनन गैस मिश्रण जोड़ना से काम करता है। यह फ्लैट पैनल डिस्प्ले का एक प्रकार है। यह इलेक्ट्रोड का सही कोण फार्म इतना है कि यहप्लेटों पिक्सल बनाने और सील करने में मदद करता हैं। एक वोल्टेज स्पंद दो इलेक्ट्रोड के बीच से गुजरता है, किसी गैस टूट जाती है और पराबैंगनी विकिरण का उत्सर्जन होता है जो कमजोर आयनित प्लाज्मा, पैदा करता है। पराबैंगनी विकिरण रंग फॉस्फोरस सक्रिय है और दृश्य प्रकाश प्रत्येक पिक्सेल से उत्सर्जित होता है। उपकरण
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कोटा श्रीनिवास राव
Articles with hCards कोटा श्रीनिवास राव (जन्म 10 जुलाई 1942) एक भारतीय चरित्र अभिनेता हैं जो मुख्य रूप से तेलुगु सिनेमा और तेलुगु थिएटर में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने तमिल, हिंदी, कन्नड़ और मलयालम की कुछ फिल्मों में भी अभिनय किया है। एक पूर्व राजनेता के रूप में, राव ने 1999 से 2004 तक भारत के आंध्र प्रदेश में विजयवाड़ा पूर्व से विधायक के रूप में कार्य किया है। उन्होंने 1978 में तेलुगू फिल्म प्रणाम खरीडू से अपनी शुरुआत की। उन्होंने 750 से अधिक फीचर फिल्मों में अभिनय किया। उन्हें खलनायक, चरित्र अभिनेता और सहायक अभिनेता की विभिन्न श्रेणियों में नौ राज्य नंदी पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। 2012 में, उन्होंने कृष्णम वंदे जगद्गुरुम में अपने काम के लिए SIIMA अवार्ड प्राप्त किया। 2015 में, उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री मिला। उन्हें S/O सत्यमूर्ति (2015) , अटरिन्टिकी डेरेडी (2013), रक्त चरित्र (2010), लीडर (2010), रेडी (2008), पेलैना कोथलो (2006), सरकार जैसी फिल्मों में उनकी विविध भूमिकाओं के लिए व्यापक आलोचनात्मक प्रशंसा मिली। (2006), बोम्मारिलु (2006), छत्रपति (2005), अथाडू (2005), आ नालुगुरु (2004), मल्लीश्वरी (2004), इडियट (2002), पृथ्वी नारायण (2002), चिन्ना (2000), गणेश (1998), अनगनागा ओका रोजू (1997), लिटिल सोल्जर्स (1996), आमे (1994), हैलो ब्रदर (1994), तीरपु (1994), गोविंदा गोविंदा (1993), गायम ( 1993), मनी (1993), सथ्रुवु (1990), शिवा (1989), अहा ना पेलंटा (1987), प्रतिघातन (1986), और रेपति पोरुलु (1986)। 2003 में, उन्होंने सामी के साथ एक सौम्य खलनायक के रूप में तमिल उद्योग में अपनी शुरुआत की। व्यक्तिगत जीवन कोटा श्रीनिवास राव का जन्म 10 जुलाई 1942 को वर्तमान आंध्र प्रदेश के कांकीपाडु गाँव में हुआ था। उनके पिता सीता राम अंजनेयुलु एक डॉक्टर थे। श्रीनिवास ने शुरू में एक डॉक्टर बनने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अभिनय के प्रति अपने प्रेम के कारण अंततः इसे नहीं बना सके। उन्होंने कॉलेज के दौरान नाटकों में मंच पर अपने करियर की शुरुआत की। उनके पास बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री है और फिल्म उद्योग में प्रवेश करने से पहले उन्होंने स्टेट बैंक के कर्मचारी के रूप में काम किया। उनका विवाह रुक्मिणी से हुआ और उनके तीन बच्चे (2 बेटियां और एक बेटा) हैं। उन्होंने अपने बेटे कोटा वेंकट अंजनेय प्रसाद को 20 जून 2010 को हैदराबाद में एक सड़क दुर्घटना में खो दिया। प्रसाद ने जेडी चक्रवर्ती की फिल्म सिद्धम में और अपने पिता के साथ गायम 2 (2010) में अभिनय किया। उनके अभिनय को समीक्षकों द्वारा सराहा गया। श्रीनिवास के छोटे भाई कोटा शंकर राव भी एक अभिनेता हैं। वह एक राष्ट्रीयकृत बैंक में काम करता है और सोप ओपेरा में काम करता है। पुरस्कार नागरिक सम्मान पद्म श्री (2015) नंदी पुरस्कार विशेष जूरी पुरस्कार - प्रतिघातन (1985) सर्वश्रेष्ठ खलनायक - गायम (1993) सर्वश्रेष्ठ खलनायक - टीरपू (1994) सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेता - लिटिल सोल्जर्स (1996) सर्वश्रेष्ठ खलनायक - गणेश (1998) सर्वश्रेष्ठ खलनायक - चिन्ना (2000) सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता - पृथ्वी नारायण (2002) सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेता - आ नालुगुरु (2004) सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेता - पेलैना कोथालो (2006) SIIMA अवार्ड्स साउथ इंडियन इंटरनेशनल मूवी अवार्ड - सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता - कृष्णम वंदे जगद्गुरुम (2012) अन्य सम्मान अल्लू रामलिंगैया पुरस्कारम फिल्मोग्राफी अभिनेता के रूप में संदर्भ बाहरी कड़ियाँ 1947 में जन्मे लोग कला में पद्मश्री के प्राप्तकर्ता जीवित लोग
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सृजन मिथक
सृजन मिथक संसार के निर्माण और लोगों के उसमें बसने के प्रतीकात्मक वर्णन को कहते हैं। हालाँकि मिथक शब्द सामान्य उपयोग में अक्सर झूठी या काल्पनिक कहानियों को संदर्भित करता है, पर औपचारिक रूप से इसका मतलब झूठ नहीं होता है। आम तौर पर संस्कृतियाँ अपने सृजन मिथकों को सत्य मानती हैं। सृजन मिथकों में आम तौर पर बहुत चीज़ें समान होती हैं। ये सभी धर्मों में पाये जाते हैं और इन्हें अक्सर पवित्र माना जाता है। इन कथाओं के पात्र अक्सर देवता, इंसान और बोलने वाले जानवर होते हैं। ये पात्र अक्सर आसानी से रूप बदल सकते हैं। ये कथाएँ अक्सर धुंधले या अविशिष्ट अतीत में घटती हैं। सृजन मिथक उन सवालों का व्याख्यान करते हैं जो उनमें विश्वास करने वाले समाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण हों। इन से हमें उस समाज के वैश्विक दृष्टिकोण और संसार में अपनी जगह के ढांचे का पता चलता है। सृजन मिथक मौखिक रूप में विकसित होते हैं। इसलिए इनके एक से ज्यादा संस्करण होते हैं। सृजन मिथक सभी मानव संस्कृतियों में पाए जाते हैं, ये मिथक के सबसे सामान्य प्ररूप हैं। इन्हें भी देखें बिग बैंग सिद्धांत सौर मंडल का गठन और विकास अजीवात् जीवोत्पत्ति क्रम-विकास सन्दर्भ ग्रंथ सूची
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शीतकालीन ओलम्पिक खेल
शीतकालीन ऑलंपिक खेल (अंग्रेज़ी:विंटर ऑलंपिक्स) एक विशेष ओलम्पिक खेल होते हैं, जिनमें में अधिकांशत: बर्फ पर खेले जाने वाले खेलों की स्पर्धा होती है। इन खेलों में ऑल्पाइन स्कीइंग, बायथलॉनबॉब्स्लेड, क्रॉस कंट्री स्कीइंग, कर्लिंग, फिगर स्केटिंग, फ्रीस्टाइल स्कीइंग, आइस हॉकी, ल्यूज, नॉर्डिक कंबाइंड, शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग, स्केलेटन, स्नोबोर्डिंग, स्पीड स्केटिंग आदि स्पर्धाएं होती हैं। इतिहास विंटर ओलम्पिक्स का आरंभ १९२४ में हुआ माना जाता है, किन्तु इसी तरह के खेल १९०१ से १९२६ के बीच यूरोप में स्वीडन में आयोजित कराए जाते थे जिन्हें नॉर्डिक गेम्स कहा जाता था। इनके पीछे जनरल विक्टर गुस्ताफ बाल्क का हाथ था जिन्हें स्वीडिश खेलों का पितामह कहा जाता था। सन् १९०८ तक इन्हें अधिक सफलता नहीं मिली, लेकिन उस वर्ष लंदन ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक्स के बाद इनकी स्थिति बदली। इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) द्वारा विंटर ओलम्पिक्स को ओलम्पिक्स में सम्मिलित किए जाने के प्रयास आरंभ किये। बाल्क भी यह चाहते थे और वह आईओसी के पांच सदस्यों में से एक थे भी, लेकिन स्कैन्डिनेवियाई देशों ने विरोध किया। उनका मानना था कि इससे नॉर्डिक खेलों की मौलिकता खत्म हो जाएगी। इसके बावजूद, १९१६ में पहली बार शीतकालीन ओलम्पिक खेल कराने का निर्णय लिया गया लेकिन उन दिनों प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था। फिर १९२० ओलम्पिक में आइस हॉकी को शामिल किया गया। इसके बाद १९२१ में आईओसी ने निर्णय किया कि १९२४ फ्रांस ओलम्पिक के बाद वहीं विंटर स्पोर्टस भी कराए जाएंगे। १९२८ में सेंट मोरिट्ज में आईओसी द्वारा दूसरे विंटर ओलम्पिक कराए गए। द्वितीय विश्वयुद्ध में आई रुकावट के बाद से अब तक कई विवादों और बहिष्कारों से गुजरते हुए विंटर ओलम्पिक खेल फ्रांस, जापान, अमेरिका, युगोस्लाविया (विभाजन पूर्व), इटली सहित कई अन्य स्थानों पर हो चुके हैं। विंटर ओलम्पिक खेलों में मुख्यत: एल्पाइन स्केटिंग, क्रॉस कंट्री स्कीइंग, कर्लिग, फिगर स्केटिंग, फ्रीस्टाइल स्कीइंग, आइस हॉकी, शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग, स्केलेटन, स्की जंपिंग, स्नोबोर्डिग और स्पीड स्केटिंग जैसे खेल आयोजित किए जाते हैं। दस सबसे सफल राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक। शीतकालीन ओलंपिक खेलों की सूची ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के विपरीत, 1940 के शीतकालीन ओलंपिक और 1944 के शीतकालीन ओलंपिक को शीतकालीन खेलों के लिए आधिकारिक रोमन संख्या में शामिल नहीं किया गया है। ग्रीष्मकालीन खेलों के आधिकारिक खिताब ओलम्पियाड की गिनती करते हुए, शीतकालीन खेलों के खिताब केवल खेलों की गणना करते हैं। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Olympic.org आई.ओ.सी आधिकारिक जालस्थल Wintergames.AP.org संबद्ध प्रेस ऑलंपिक शीतकालीन खेल- जालस्थल शीतकालीन ओलम्पिक शीतकालीन खेल हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
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खनियाधाना
खनियाधाना (Khaniyadhana) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के शिवपुरी ज़िले में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। ब्रिटिश राज काल में यह नगर खनियाधाना रियासत की राजधानी थी। खनियाधाना रियासत ब्रिटिश राज के काल में यह बुंदेल राजपूतों द्वारा शासित रियासत थी, जिसे खनियाधाना रियासत कहा जाता था। खनियाधाना इस रियासत की राजधानी थी। 1947 में भारतीय स्वतंत्रता से पहले महाराज खलकसिंह जूदेव इस रियासत के शासक थे। मन्दिर व वातावरण खनियाधाना अपने आठ जैन मन्दिरों के लिए जाना जाता है। निकटवर्ती दो दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्रों "गोलकोट जी" और "पचराई जी" के लिए भी विख्यात हैं। खनियाधाना के पास पर्यटकों के लिए अनेक सुंदर झरने और जंगल हैं। सीता पाटा यहां प्रसिद्ध है। प्रत्येक वर्ष यहां शिवरात्रि का मेला लगता है। जनसांख्यिकी भारत की 2011 जनगणना के अनुसार खनियाधाना में 15,877 निवासी थे, जिसमें से 8,284 पुरुष और 7,593 स्त्रियाँ थीं। खनियाधाना में औसत साक्षरता दर 72.26% है, पुरुष साक्षरता 82.61% है, और महिला साक्षरता 61.04% है। यहाँ 15.83% आबादी 6 साल से कम उम्र की है। इन्हें भी देखें खनियाधाना रियासत शिवपुरी ज़िला सन्दर्भ मध्य प्रदेश के शहर शिवपुरी ज़िला शिवपुरी ज़िले के नगर
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चदयामंगलम
चदयामंगलम भारत के केरल राज्य के कोल्लम में स्थित एक गाँव है। यह इत्तिक्कारा नदी और एमसी रोड के किनारे स्थित है जो केरल के प्रमुख शहरी स्थानों से होकर गुजरती है। यह चदयामंगलम ब्लॉक पंचायत, ग्राम पंचायत और विधानसभा क्षेत्र के लिए केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह अस्पतालों, स्कूलों और पुलिस स्टेशन सहित कई सरकारी संस्थानों की मेजबानी करता है। चदायमंगलम नवनिर्मित जटायु अर्थ सेंटर के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है, जो दुनिया की सबसे बड़ी पक्षी मूर्तिकला के साथ शहर में एक पर्यटन केंद्र है।इस जगह को जटायुमंगलम भी कहा जाता है। विवरण चादयामंगलम कोल्लम शहर से 37.5 किमी और इस राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 43 किमी दूरी है। यह शहर किलिमानूर और कोट्टाराकरा में स्थित है, किलिमनूर से 14 किमी और कोट्टारकरा से 21 किमी दूर है। यह कोट्टाराक्कारा तालुक के दक्षिण-पूर्व की ओर स्थित है। वहां की जनसंख्या 22,213 है। पंचायत में चित्रा, कडक्कल, चदयामंगलम, इत्तिवा, वेलिनालूर, एलामाडु  और निलमेल शामिल हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि शहर की उत्पत्ति इतिहासकारों द्वारा कम से कम 8 वीं-9वीं शताब्दी ईस्वी में खोजी गई है। अय वंश जो पांड्य और चेर वंश के बीच बफर के रूप में कार्य करता था, मुख्य रूप से स्वतंत्र शासन और पांडियन अधिपति के बीच स्थानांतरित हो रहा था। 765 सीई में पांड्य राजा जतिला परंथका/नेदुम चदयान वरगुना I (आर. 765-815 ईस्वी) द्वारा अय साम्राज्य की विजय और वेल सरदार (वेल मन्नान, जो कि अय परिवार से संबंधित हो सकता है) को हराकर बंदरगाह विझिंजम की बोरी) आय-वेल देश ("अपने शानदार खजाने के साथ उपजाऊ देश") का अधिकार (मद्रास संग्रहालय प्लेट्स ऑफ़ जतिला परंतका, 17वां वर्ष) था इस घटना को वेल्विक्कुडी प्लेट्स (तीसरा शासक वर्ष, नेदुम चडायन) में "विद्रोही अय-वेल के दमन के रूप में भी याद किया जाता है। पांड्य राजा "मारन चडायन" जतिला परंथका ने अरुवियूर (थलकुलम के पास अरुविक्करै) में एक किले को नष्ट कर दिया। 788 ईस्वी (23 वें वर्ष, कालुकुमलाई शिलालेख) में "मलाई नाडु" के चादयान करुणानाथन को हराकर विजय प्राप्त किया था। 792 ईस्वी (27 वें वर्ष, जतिला परंथका) में चेरा योद्धा (चेरमानार पदाई) विझिंजम में एक किले के लिए लड़ते हुए दिखाई देते हैं। मारन चडायन के एक कमांडर के खिलाफ कराईकोट्टा (थलाकुलम के पास कराईकोडु) में (मारन चडायन का त्रिवेंद्रम संग्रहालय शिलालेख) है। यह ऐतिहासिक साक्ष्य मौजूदा अय/वेल राजाओं को चादयान (मारन चडायन) नाम के साथ-साथ राज्य के आक्रमणकारी 'नेदुम चडायन' के साथ भी इसी तरह का नाम रखने की ओर इशारा करता है। जो बात इसे चादयामंगलम शहर से संबंधित बनाती है, वह है कोट्टुकल रॉक कट मंदिर की उपस्थिति, जो शहर के केंद्र से 4 किमी के भीतर स्थित है। मंदिर पुरातत्व स्रोतों के अनुसार 8वीं-9वीं शताब्दी के आसपास बनाया गया था और दक्षिणी तमिलनाडु और केरल में अन्य रॉक मंदिरों में उच्चारित वास्तुकला की पांडियन/अय शैली का अनुसरण करता है। ऐसा ही एक मंदिर 8वीं शताब्दी के अय साम्राज्य की राजधानी विज़िंजम में देखा जा सकता है। भले ही कोर पांडियन क्षेत्र में एक ही समय में बनाए गए पांडियन रॉक कट मंदिरों के लिए बड़ी समानताएं हैं, फिर भी अय राजाओं द्वारा वास्तुकला को अपनाने की संभावना को नहीं छोड़ा जा सकता है। इस अस्पष्टता को और मजबूत किया गया क्योंकि यह अय साम्राज्य में पांडियन विजय का समय था (पांडियन अगली शताब्दी तक विज़िंजम के आसपास के दक्षिणी हिस्सों पर कब्जा करना जारी रखते थे, जबकि उत्तरी भाग वेनाड बनाने के लिए अलग हो गए थे) और चादयामंगलम का निकटतम शहर अयूर है , जो बोलचाल की भाषा में मलयालम और तमिल में अय के कस्बे/गांव/स्थान के रूप में अनुवाद करता है। तो यह सब उस स्थान पर प्रकाश डालता है जहां पुरातनता में पांडियन या / और अय संरक्षण एक ही क्षेत्र के शासक के नाम से लिया गया है। पौराणिक पृष्ठभूमि रामायण के अरण्य-कांड में उल्लेख है कि जटायु "गिद्धों के राजा" (गिधरराज) हैं। महाकाव्य के अनुसार, राक्षस रावण देवी सीता को लंका ले जा रहा था जब जटायु ने उसे बचाने की कोशिश की। जटायु ने रावण के साथ बहादुरी से लड़ाई लड़ी, लेकिन जटायु बहुत बूढ़ा होने के कारण रावण ने जल्द ही उसे हरा दिया, उसके पंख काट दिए, और जटायु पृथ्वी पर गिर गया। राम और लक्ष्मण ने सीता की खोज के दौरान, पीड़ित और मरते हुए जटायु का पीछा किया, जिन्होंने उन्हें रावण के साथ युद्ध की सूचना दी और उन्हें बताया कि रावण दक्षिण की ओर चल रहा था। उसके बाद जटायु की उसके घावों से मृत्यु हो गई और राम ने उसका अंतिम संस्कार किया। लोकप्रिय धारणा यह है कि चदयामंगलम के चारों ओर यह है कि जदायु गिरने और अनुष्ठानों के बाद की पूरी घटना यहां हुई थी। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि चादयामंगलम इस मूल मिथक को भारत में दो अन्य स्थानों, आंध्र प्रदेश में लेपाक्षी और तमिल में विजयराघव पेरुमल मंदिर के साथ साझा करता है। चादयामंगलम में समुद्र तल से 1000 फीट ऊपर जदायु पारा (जिसे आमतौर पर मेलुपारा कहा जाता है) की चोटी पर कोडंदरामा मंदिर शामिल है। चादयामगलम में अन्य कई छोटे पहाड़ भी हैं जैसे वायनाम माला, पावूर माला, अलथारा माला, एलम्ब्राकोडु माला, अरकन्नूर मदप्पारा माला और थेवन्नूर माला इसकी प्राकृतिक सुंदरता को चिह्नित करते हैं। मंदिर परिसर में संबंधित कहानी में "कोक्करानी" (पानी की टंकी) की उपस्थिति शामिल है, जदायु ने अपनी चोंच से चट्टान को रगड़कर बनाया था। जैसा कि सीतापहरण की कथा सुनने के बाद पक्षी के शरीर छोड़ने का समय आ गया है, माना जाता है कि भगवान राम ने जदायु का अंतिम संस्कार किया था। इस प्रकार, भगवान ने जटायु चट्टान के शीर्ष पर एक पैर पर खड़े होकर जटायु को मोक्ष प्रदान किया, जहां उनका पैर का निशान सामने आया और यह अब भी मौजूद है।पदचिन्हों का यह स्थान और चट्टानी पर्वत की चोटी पर वर्ष भर पानी के छींटे पड़ते रहते हैं, जो मंदिर में आने वाले भक्तों द्वारा पूजनीय हैं। बोनट मकाक प्रजाति से संबंधित कई जंगली बंदर भी पहाड़ को अपना घर बनाते हुए पाए जाते हैं। कृषि धान, नारियल, रबड़। टैपिओका, काली मिर्च, काजू, केला, सुपारी आदि ब्लॉक में खेती के तहत प्रमुख फसलें हैं। सन्दर्भ भारत के गाँव
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A4%A6%20%E0%A4%AD%E0%A4%B5%E0%A4%A8%2C%20%E0%A4%93%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%BE%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A5%A8%E0%A5%A6%E0%A5%A7%E0%A5%AA
संसद भवन, ओटावा में गोलीबारी २०१४
२२ अक्टूबर २०१४ को ओटावा में संसद भवन पर कई बार गोलीबारी हुई। गोलीबारी १०:०० बजे (पूर्वी डेलाइट समय, यूटीसी - ४:००) से थोड़ी देर पहले आरम्भ हुई। कनाडाई प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने इसे आतंकी हमला बताया। गोलीबारी पहली गोलीबारी: नेशनल वार मेमोरियल गोलीबारी २२ अक्टूबर २०१४ को १०:०० (यूटीसी - ४:००) बजे से थोड़ी पहले आरम्भ हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार नीली जींस और काले जैकेट वाला एक बन्दूकधारी जिसने अपने सिर पर रूमाल बांध रखा था, नेशनल वार मेमोरियल डबल बैरल बन्दूक के साथ आया। उसने उस समय ड्यूटी कर रहे सैनिक पर गोली चलाई और उसके बाद अपने वाहन को संसद भवन में प्रवेश करवाया। दूसरी गोलीबारी: संसद भवन बन्दूकधारी कनाडाई संसद भवन की गली में आगे बढ़ा और वहाँ २०–३० गोलियाँ चलाई। कैनेडियन हाउस ऑफ़ कॉमन्स के सारजेन्ट-एट-आर्म्स केविन विकर्स ने कथित तौर पर संदिग्ध व्यक्ति को मार-गिराया। कंजर्वेटिव पार्टी और विपक्षी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी दोनों की वहाँ बैठक चल रही थी। प्रतिक्रिया राष्ट्रीय कनाडा के प्रधानमंत्री हार्पर ने दिन में टेलीविज़न पर बोलते हुये इसे आतंकी हमला बताते हुये इसकी निंदा की। अन्तर्राष्ट्रीय राष्ट्रों से उपर : महासचिव बान की मून ने बयान जारी कर कहा है कि उन्हें "स्थिति की जानकारी मिल गई थी... [और] वो आशा करते हैं कि स्थिति जल्दी ही ठीक हो जायेगी। वो अब कनाडा की जनता और सरकार के साथ हैं।" नोराड कमांडर जनरल ने भा इस हमले की निंदा की। देश : हमले के जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने अपनी संसद और कैनबरा में कनाडाई उच्चायोग की सुरक्षा बढ़ा दी। : भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमले की निंदा करते हुये ट्वीटर पर ट्वीट किया है, संसद में फ़ायरिंग चिंताजनक। सबकी कुशलता की प्रार्थना करता हूँ। : कथित तौर पर हार्पर ने राष्ट्रपति बेंजामिन नेतनयाहू से घटना के बारे में बात की। : प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने कहा कि वो "ओटावा में आज के हमले से चकित हैं" और उन्होंने अपने राष्ट्रमण्डल सदस्य देश की पूरी सहायता का प्रस्ताव रखा। : राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हमले की निंदा करते हुये कहा, "हमें चौकस रहने की ज़रूरत है।" सन्दर्भ कनाडा
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अंगुलि छाप
पहचान के प्रयोजनों के लिए उंगलियों के निशान के अध्ययन को अंगुलि चिह्न अध्ययन (Dactylography / डेकटायलोग्राफी) कहा जाता है। मनुष्य के हाथों तथा पैरों के तलबों में उभरी तथा गहरी महीन रेखाएँ दृष्टिगत होती हैं। ये हल चलाए खेत की भाँति दिखतीं हैं। वैसे तो वे रेखाएँ इतनी सूक्ष्म होती हैं कि सामान्यत: इनकी ओर ध्यान भी नहीं जाता, किंतु इनके विशेष अध्ययन ने एक विज्ञान को जन्म दिया है जिसे अंगुलि-छाप-विज्ञान कहते हैं। इस विज्ञान में अंगुलियों के ऊपरी पोरों की उन्नत रेखाओं का विशेष महत्त्व है। कुछ सामान्य लक्षणों के आधार पर किए गए विश्लेषण के फलस्वरूप, इनसे बनने वाले आकार चार प्रकार के माने गए हैं: (1) शंख (लूप), (2) चक्र (व्होर्ल), (3) चाप (आर्च) तथा (4) मिश्रित (र्केपोजिट)। इतिहास ऐसा विश्वास किया जाता है कि अंगुलि-छाप-विज्ञान का जन्म अत्यंत प्राचीन काल में एशिया में हुआ। भारतीय सामुद्रिक ने उपर्युक्त शंख, चक्र तथा चांपों का विचार भविष्य गणना में किया है। दो हजार वर्ष से भी पहले चीन में अंगुलि-छापों का प्रयोग व्यक्ति की पहचान के लिए होता था। किंतु आधुनिक अंगुलि-छाप-विज्ञान का जन्म हम 1823 ई. से मान सकते हैं, जब ब्रेसला (जर्मनी) विश्वविद्यालय के प्राध्यापक श्री परकिंजे ने अंगुलि रेखाओं के स्थायित्व को स्वीकार किया। वर्तमान अंगुली-छाप-प्रणाली का प्रारंभ 1858 ई. में इंडियन सिविल सर्विस के सर विलियम हरशेल ने बंगाल के हुगली जिले में किया। 1892 ई. में प्रसिद्ध अंग्रेज वैज्ञानिक सर फ्रांसिस गाल्टन ने अंगुलि छापों पर अपनी एक पुस्तक प्रकाशित की जिसमें उन्होंने हुगली के सब-रजिस्ट्रार श्री रामगति बंद्योपाध्याय द्वारा दी गई सहायता के लिए कृतज्ञता प्रकट की। उन्होंने अंगुलि रेखाओं का स्थायित्व सिद्ध करते हुए अंगुलि छापों के वर्गीकरण तथा उनका अभिलेख रखने की एक प्रणाली बनाई जिससे संदिग्ध व्यक्ति की ठीक से पहचान हो सके। किंतु यह प्रणाली कुछ कठिन थी। दक्षिण प्रांत (बंगाल) के पुलिस इंस्पेक्टर जनरल सर ई.आर. हेनरी ने उक्त प्रणाली में सुधार करके अंगुलि छापों के वर्गीकरण की सरल प्रणाली निर्धारित की। इसका वास्तविक श्रेय श्री अजीजुल हक, पुलिस सब-इंस्पेक्टर, को है, जिन्हें सरकार ने 5000 का पुरस्कार भी दिया था। इस प्रणाली की अचूकता देखकर भारत सरकार ने 1897 ई. में अंगुलि छापों द्वारा पूर्व दंडित व्यक्तियों की पहचान के लिए विश्व का प्रथम अंगुलि-छाप-कार्यालय कलकत्ता में स्थापित किया। अंगुलि छाप द्वारा पहचान दो सिद्धांतों पर आश्रित है, एक तो यह कि दो व्यक्तियों की अंगुलियों की छापें कभी एक सी नहीं हो सकतीं और दूसरा यह कि व्यक्तियों की अंगुलि छापें जीवन भर ही नहीं अपितु जीवनोपरांत भी नहीं बदलती। अत: किसी भी विचारणीय अंगुलि छाप को किसी व्यक्ति की अंगुलि छाप से तुलना करके यह निश्चित किया जा सकता है कि विचारणीय अंगुलि छाप उसकी है या नहीं। अंगुलि छाप के अभाव में व्यक्तियों की पहचान करना कितना कठिन है, यह प्रसिद्ध भवाल संन्यासीवाद (केस) के अनुशीलन से स्पष्ट हो जाएगा। उपयोग रेखाओं का ध्यान से निरीक्षण करने पर उनमें निजी विशेषताएँ रेखांतों (एडिंग) तथा द्विशाखाओं (बाइफ़र्केशन) के रूप में दिखाई देता है। अंगुलि-छाप-विज्ञान तीन कार्यों के लिए विशेष उपयोगी है, यथाः 1. विवादग्रस्त लेखों पर की अंगुलि छापों की तुलना व्यक्ति विशेष की अंगुलि छापों से करके यह निश्चित करना कि विवादग्रस्त अंगुलि छाप उस व्यक्ति की है या नहीं; 2. ठीक नाम और पता न बताने वाले अभियुक्त की अंगुलि छापों की तुलना दंडित व्यक्तियों की अंगुलि छापों से करके यह निश्चित करना कि यह पूर्व-दंडित है अथवा नहीं; और 3. घटनास्थल की विभिन्न वस्तुओं पर अपराधी की अंकित अंगुलि छापों की तुलना संदिग्ध व्यक्ति की अंगुलि छापों से करके वह निश्चित करना कि अपराध किसने किया है। अनेक अपराधी ऐसे होते हैं जो स्वेच्छा से अपनी अंगुलि छाप नहीं देना चाहते। अत: कैदी पहचान अधिनियम (आइडेंटिफ़िकेशन ऑव प्रिजनर्स ऐक्ट, 1920) द्वारा भारतीय पुलिस को बंदियों की अंगुलियों की छाप लेने का अधिकार दिया गया है। भारत के प्रत्येक राज्य में एक सरकारी अंगुलि-छाप-कार्यालय है जिसमें दंडित व्यक्तियों की अंगुलि छापों के अभिलेख रखे जाते हैं तथा अपेक्षित तुलना के उपरांत आवश्यक सूचना दी जाती है। इलाहाबाद स्थित उत्तर प्रदेश के कार्यालय में ही लगभग तीन लाख ऐसे अभिलेख हैं। 1956 ई. में कलकत्ता में एक केंद्रीय अंगुलि-छाप-कार्यालय की भी स्थापना की गई है। इनके अतिरिक्त अनेक ऐसे विशेषज्ञ हैं जो अंगुलि छापों के विवादग्रस्त मामलों में अपनी सेवायें देने का व्यवसाय करते हैं। अंगुलि छापों का प्रयोग पुलिस विभाग तक ही सीमित नहीं है, अपितु अनेक सार्वजनिक कार्यों में यह अचूक पहचान के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है। नवजात बच्चों की अदला-बदली रोकने के लिए विदेशों के अस्पतालों में प्रारंभ में ही बालकों की पद छाप तथा उनकी माताओं की अंगुलि छाप से ली जाती है। कोई भी नागरिक समाज सेवा तथा अपनी रक्षा एवं पहचान के लिए अपनी अंगुलि छाप की सिविल रजिस्ट्री कराकर दुर्घटनाओं या अन्यथा क्षतविक्षत होने या पागल हो जाने की दशा में अपनी तथा खोए हुए बालकों की पहचान सुनिश्चित कर सकती है। अमरीका में तो यह प्रथा सर्वसाधारण तक से प्रचलित है। इन्हें भी देखें केंद्रीय अंगुलिचिह्न ब्यूरो बाहरी कड़ियाँ सामान्य चेहरा झूठ बोल सकता है परन्तु अंगुलि चिह्यन नहीं FBI Fingerprint Guide FBI Fingerprinting Video Lesson (4-sec Quicktime video of rolling a single inked finger) Human Fingerprints at Fingerprinting.com. Fingerprint Processing Guide Latent Print Examination Fingerprint Articles at Crime & Clues पुस्तकें, लेख, पत्रिकाएँ Galton's Finger Prints Henry, Faulds, and Herschel's works on fingerprints James C. Cowger, Friction Ridge Skin: Comparison and Identification of Fingerprints (Boca Raton, Florida: CRC Press, 1992). David R. Ashbaugh, Quantitative-Qualitative Friction Ridge Analysis: An Introduction to Basic and Advanced Ridgeology (Boca Raton, Florida: CRC Press, 1999). Colin Beavan, Fingerprints: The Origins of Crime Detection and the Murder Case that Launched Forensic Science (New York, New York: Hyperion, 2001). Surgeon jailed for removing fingerprints - Sydney Morning Herald (news article) Extensive bibliography (So. Calif. Assn. of Fingerprint Officers) जैवमिति Enable Logon Using Biometric Fingerprint Reader in Windows 7 x86 & x64 3D fingerprints, 3D fingerprints, University of Kentucky. FAQ concerning biometrics and fingerprints, TST Biometrics Biometrics Biometrics Research Lab - Michigan State University and Colorado State University. त्रुटियाँ एवं चिन्ताएँ How to fake fingerprints Will West as fable Do Fingerprints Lie? The New Yorker (2002) Why Experts Make Errors, Itiel E. Dror, David Charlton, Journal of Forensic Identification The use of fingerprints for identification in schools (Leave Them Kids Alone) विज्ञान एवं सांख्यिकी Fingerprint research and evaluation at the U.S. National Institute of Standards and Technology Fingerprint pattern distribution statistics Do you have unusual fingerprints? FINGERPRINT EVIDENCE Sandy L. Zabell, Ph.D "Journal of Law and Policy" All American mom is convicted drug dealer Telegraph.co.uk May 2, 2008 वाणिज्यिक साइटें एवं समितियाँ FlashScan3D, LLC - FlashScan3D, LLC. The Fingerprint Society - Society for Fingerprint Examiners. Scientific Working Group on Friction Ridge Analysis, Study and Technology - U.S. national working group on fingerprint examination. अपराध विज्ञान
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सद्दाम समुद्र तट
सद्दाम समुद्र तट भारत के केरल राज्य के मलप्पुरम जिले में एक मछली पकड़ने वाला गांव है। इस गांव का नाम पूर्व इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के नाम पर है जो 1991 के खाड़ी युद्ध के दौरान एकजुटता के दर्शाता है। इस समुद्र तट नाम सद्दाम रखने का सुझाव कुवैत में काम करने वाली नौकरानियों द्वारा दिया गया था। व्युत्पत्ति इस समुद्र तट का नाम टीपू सुल्तान समुद्र तट था जब मैसूर के राजा टीपू सुल्तान ने 18 वीं सदी के दौरान ब्रिटिश औपनिवेशिक ताकतों के खिलाफ एक आक्रामक रुख लिया था। 1991 के खाड़ी युद्ध के बाद, ग्रामीणों ने इस गाँव का नाम बदने का फैसला किया ताकि इराकी नेता सद्दाम हुसैन के साथ एकजुटता व्यक्त किया जा सके। ग्रामीण जिनमे ज्यादातर लोग मुस्लिम थे ऊन्होने सद्दाम और संयुक्त राज्य अमेरिका की नीतियों 'के खिलाफ उसकी लड़ाई से प्रेरित होने का दावा किया। इतिहास यह तटीय गाँव तब समाचारों में आया जब इसने अपने तट का नाम इराकी नेता सद्दाम हुसैन के नाम पर रखा। तब से इस क्षेत्र के ग्रामीण सद्दाम और उनके 'साम्राज्यवाद विरोधी' रुख की अपनी प्रशंसा के बारे में विशेष रूप से मुखर रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में जब इराक पर आक्रमण हुआ तब इसकी यहाँ बहुत ज्यादा निंदा हुई। 2003 में जब "सद्दाम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे" का नाम बदल कर "बगदाद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे" रखा गया तब कुछ सद्दाम प्रशंसकों ने इस इसके तट पर एक झंडा लगाया था जिसपर लिखा था "सद्दाम तट पर आपका स्वागत है"। 2003 के खाड़ी युद्ध बगदाद के आक्रमण के दौरान इस गांव में कई अमेरिकी और ब्रिटिश विरोधी प्रदर्शनों को देखा। इन देशों में बनाये गए सामानों का आम तौर पर बहिष्कार किया गया और यहां तक कि समुद्र में फेंक दिया। बहुत सारे ग्रामीण जो खाड़ी देशों में काम करने गए थे उन्हें खाड़ी युद्ध के कारण अपनी नौकरी छोडनी पड़ी एवं गाँव वापस आना पड़ा इसके कारण पश्चिम देशों के प्रति उनमे नाराजगी का भाव आ गया। सद्दाम के बड़े बड़े पोस्टर, इराकी झंडे के साथ स्थानीय लोगों द्वारा सड़क के किनारे लगा दिए गए जो यहाँ के लोगों ने विरोध स्वरूप लगाया था। नवंबर 2006 में जब सद्दाम हुसैन को मौत की सजा दी गयी तब ग्रामीणों एक विरोध रैली निकला था जिसमे अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के खिलाफ नारे लगाये गए। करीब पचास लोग जिसमे महिलाये एवं बच्चों शामिल थे उन्होंने मार्च में भाग लिया था। सद्दाम समर्थक 30 दिसंबर, 2006 को जब सद्दाम हुसैन को मौत की सजा दी गयी तब सद्दाम हुसैन के गुस्साए हुए समर्थक में समुद्र तट पर एकत्रित हुए और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के खिलाफ नारे लगाए एवं इस घटना को "क्रूर" बताया संस्कृति सद्दाम बीच गांव एक मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी वाला क्षेत्र है। हिंदु यहाँ एक अपेक्षाकृत छोटी संख्या में मौजूद हैं। इसलिए इस इलाके की संस्कृति मुस्लिम परंपराओं पर आधारित है। यहाँ कई पुस्तकालय हैं जो मस्जिदों से जुडी हैं एवं इस्लामी अध्ययन का समृद्ध स्रोत हैं। इस क्षेत्र के हिन्दू अल्पसंख्यक उनके मंदिरों में विभिन्न त्योहारों के द्वारा अपनी समृद्ध परंपराओं का निर्वाह करते रहता है। परिवहन सद्दाम बीच गांव को परापणअन्गादी शहर के माध्यम से भारत के अन्य भागों को जोड़ा जाता है। सन्दर्भ मलप्पुरम ज़िला
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दमकलकर्मी
दमकल कर्मी या अग्नि-योद्धा प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता और सुरक्षाकर्मी हैं जो अग्निशमन में व्यापक रूप से प्रशिक्षित हैं, मुख्य रूप से विपज्जनक अग्नि बुझाने के लिए जो जीवन, सम्पत्ति और पर्यावरण को संकट में डालते हैं और साथ ही साथ लोगों को बचाने और कुछ मामलों या न्यायक्षेत्रों में पशुओं को भी संकटमय स्थितियों से बचाते हैं। अग्निशमन सेवा, जिसे कुछ देशों में अग्निशामक दल या अग्निशमन विभाग के रूप में भी जाना जाता है, तीन मुख्य आपातकालीन सेवाओं में से एक है। नगरीय क्षेत्रों से लेकर जहाजों पर सवार होकर, विश्व भर में दमकल कर्मी सर्वव्यापी हो गए हैं। दमकल कर्मियों के करियर के दौरान प्रशिक्षण मूल्यांकन के दौरान सुरक्षित संचालन के लिए आवश्यक कौशल नियमित रूप से अभ्यास किया जाता है। प्रारम्भिक अग्निशमन कौशल सामान्यतः स्थानीय, क्षेत्रीय या राज्य द्वारा अनुमोदित अग्नि अकादमियों या प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के माध्यम से सिखाए जाते हैं। एक विभाग की आवश्यकताओं के आधार पर, इस समय तकनीकी बचाव और पूर्व-चिकित्सालयी चिकित्सा जैसे अतिरिक्त कौशल और प्रमाणन भी प्राप्त किए जा सकते हैं। दमकल कर्मी अन्य आपातकालीन प्रतिक्रिया संस्थानों जैसे कि पुलिस और आपातकालीन चिकित्सा सेवा के साथ मिलकर काम करते हैं। अग्नि योद्धा की भूमिका दोनों के साथ अभिव्याप्त हो सकती है। अग्न्यन्वेषक या फायर मार्शल आग लगने के कारणों की जांच करते हैं। यदि अग्नि अग्निकाण्ड या अवहेलना के कारण लगी थी, तो उनका कार्य कानून प्रवर्तन के साथ अभिव्याप्त होगा। अग्नि योद्धा भी अक्सर आपातकालीन चिकित्सा सेवा कुछ मात्रा तक प्रदान करते हैं, जिसमें रोगीवाहन परिवहन आने तक उन्नत जीवन समर्थन शुरू करने के लिए कुछ प्रणालियों में इंजन, ट्रक और बचाव कम्पनियों से पूर्णकालिक पराचिकित्सकों के रूप में प्रमाणित करना और काम करना शामिल है। इन्हें भी देखें अग्निशमन आग आगज़नी अग्निशामक यंत्र सन्दर्भ अग्निशमन सुरक्षा-सम्बन्धी व्यवसाय
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ट्रॉन (फ़्रैंचाईज़ी)
ट्रॉन (TRON के रूप में शैलीबद्ध) स्टीवन लिस्बर्गर द्वारा बनाई गई एक अमेरिकी विज्ञान कथा मीडिया फ्रेंचाइजी है, जो 1982 की नामांकित फिल्म के साथ शुरू हुई थी। मूल फिल्म में जेफ ब्रिजेस को केविन फ्लिन, एक प्रतिभाशाली कंप्यूटर प्रोग्रामर और वीडियो गेम डेवलपर के रूप में चित्रित किया गया है, जो "द ग्रिड" नामक एक डिजिटल आभासी वास्तविकता के अंदर ले जाया जाता है, जहां वह भागने की अपनी खोज में कार्यक्रमों के साथ बातचीत करता है। वॉल्ट डिज़नी पिक्चर्स द्वारा निर्मित और रिलीज़, ट्रॉन एक पंथ फिल्म बन गई और इसके शानदार दृश्य प्रभावों और प्रारंभिक कंप्यूटर-जनित इमेजरी के व्यापक उपयोग के लिए प्रशंसित हुई। इसके बाद 2010 की सीक्वल फिल्म ट्रॉन: लिगेसी आई, जो पहली फिल्म की घटनाओं के 28 साल बाद होती है और फ्लिन के बेटे सैम के अपने खोए हुए पिता को ग्रिड के भीतर से वापस लाने के प्रयासों को दर्शाती है, जो अब एक भ्रष्ट कार्यक्रम द्वारा शासित है। फिल्म श्रृंखला ने जून 2012 में डिज्नी एक्सडी पर प्रसारित वीडियो गेम, एक कॉमिक बुक मिनिसरीज, म्यूजिक रिकॉर्डिंग एल्बम, थीम पार्क आकर्षण और एक एनिमेटेड टेलीविजन श्रृंखला सहित विभिन्न टाई-इन्स को जन्म दिया है। संदर्भ काल्पनिक साहित्य काल्पनिक विज्ञान ट्रॉन
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF
जागीरदार राज्य
जागीरदार राज्य वह राज्य है जिसका किसी श्रेष्ठ राज्य या साम्राज्य के प्रति पारस्परिक दायित्व होता है, जिसकी स्थिति मध्ययुगीन यूरोप में सामंती व्यवस्था में एक जागीरदार की स्थिति के समान होती है। जागीरदार राज्य निकट पूर्व के साम्राज्यों में आम थे, जो मिस्र, हत्ती और मितान्नी संघर्ष के साथ-साथ, प्राचीन चीन के युग के थे। जागीरदार राज्यों का उपयोग मध्य युग तक जारी रहा, ऐसे राज्यों का उपयोग करने वाला अंतिम साम्राज्य उस्मानी साम्राज्य था। जागीरदार शासकों और साम्राज्यों के बीच संबंध प्रत्येक साम्राज्य की नीतियों और समझौतों पर निर्भर थे। जबकि जागीरदार राज्यों के बीच ख़ैराज और सैन्य सेवा का भुगतान आम था, जागीरदार राज्यों को दी जाने वाली स्वतंत्रता और लाभों की मात्रा अलग-अलग होती थी। आज, कठपुतली राज्य, संरक्षित राज्य, ग्राहक राज्य, संबद्ध राज्य या उपग्रह राज्य अधिक सामान्य शब्द हैं। यह भी देखें मण्डल (दक्षिणपूर्व एशियाई राजनैतिक मॉडल) कठपुतली राज्य रोमन-फ़ारसी युद्ध, जिसके दौरान जागीरदार राज्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई संदर्भ बाहरी कड़ियाँ ग्राहक राज्य
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AD%E0%A5%81%20%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%87
बाजीप्रभु देशपाण्डे
बाजीप्रभु देशपाण्डे (1615-1660) एक नामी वीर थे। मराठों के इतिहास में उनका महत्वपूर्ण स्थान है। इनका जन्म मराठी कायस्थ परिवार मे हुआ था तथा ये एक वीर '''मराठा' योद्धा थे। इनकी वीरता से प्रभावित होकर शिवाजी महाराज ने इन्हे अपनी सेना में अहम स्थान दिया था। इन्होने मुगल सेना से युद्ध करते वक्त अपनी विरता का परिचय देते हुए मुगल सेना के एक सौ से भी अधिक खूँखार सैनिको से अकेले युद्ध किया तथा सभी को मौत के घाट सुला दिया तथा जीत हासिल की। इनकी वीरता और कौशल का अन्दाजा सिर्फ इस बात से लगया जा सकता है की कोई भी अकेला सैनिक इनसे युद्ध करने का साहस नही करता था। परिचय बाजी के पिताजी, हिरडस, मावल के देश कुलकर्णी थे। बाजी की वीरता को देखकर ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने उनको अपनी युद्धसेना में उच्चपद पर रखा। ई.स. १६४८ से १६४९ तक उन्होंने शिवाजी महाराज के साथ रहकर पुरन्दर, कोण्ढाणा और राजापुर के किले जीतने में भरसक मदद की। बाजी प्रभु ने रोहिडा किले को मजबूत किया और आसपास के किलों को भी सुदृढ़ किया। इससे वीर बाजी को मावलों का जबरदस्त कार्यकर्ता समझा जाने लगा। इस प्रान्त में उसका प्रभुत्व हो गया और लोग उसका सम्मान करने लगे। ई. सन् १६५५ में जावली के मोर्चे में और इसके बाद डेढ़ दो वर्षों में मावला के किले को जीतने में तथा किलों की मरम्मत करने में बाजी ने खूब परिश्रम किया। ई. सन् १६५९ के नवम्बर की दस तारीख को अफ़जल खाँ की मृत्यु होने के बाद पार नामक वन में आदिलशाही छावनी का नाश भी बाजी ने बड़े कौशल से किया और स्वराज्य का विस्तार करने में शिवाजी महाराज की सहायता की। ई. सन् १६६० में मोगल, आदिलशाह और सिद्दीकी इत्यादि ने शिवाजी महाराज को चारों तरफ से घेरने का प्रयत्न किया। पन्हाला किला से निकलना शिवाजी महाराज के लिए अत्यन्त कठिन हो गया। इस समय बाजीप्रभु ने उनकी सहायता की। शिवाजी महाराज को आधी सेना देकर स्वयं बाजी घोड की घाटी के दरवाजे में डँटे रहे। तीन चार घण्टों तक घनघोर युद्ध हुआ। बाजी प्रभु ने बड़ी वीरता दिखाई। उसका बड़ा भाई फुलाजी इस युद्ध में मारा गया। बहुत सी सेना भी मारी गई। घायल होकर भी बाजी अपनी सेना को प्रोत्साहित करता रहा। जब शिवाजी महाराज विशाळगढ पहुँचे तो उन्होंने तोप की आवाज से बाजी प्रभु को गढ़ में अपने सकुशल प्रवेश की सूचना दी। तोप की आवाज सुनकर स्वामी के कर्तव्य को पूरा करने के साथ १३ जुलाई १६६० ई. को इस महान वीर ने मृत्यु की गोद में सदा के लिए शरण ली। इन्हें भी देखें पन्हाला दुर्ग बाहरी कड़ियाँ स्वतंत्रता के लिए वीरोचित त्याग (चन्दामामा) A history of the Maratha people p.168-171 Read about Bajiprabhu deshpande HinduJagruti.org Full text of "Ethnographical notes on Chandraseniya Kayastha Prabhu" मराठा साम्राज्य
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%96%E0%A4%BE
सूखा
सूखा पानी की आपूर्ति में लंबे समय तक की कमी की एक घटना, चाहे वायुमंडलीय (औसत से नीचे है वर्षा) पानी हो, सतह का पानी हो या भूजल। सूखा महीनों या वर्षों तक रह सकता है, और इसे 15 दिनों के बाद घोषित किया जा सकता है। यह प्रभावित क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र और कृषि पर काफी प्रभाव डाल सकता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाता है। उष्ण कटिबंध में वार्षिक शुष्क मौसमों में सूखे के विकास और बाद में होने वाली आग की संभावना में काफी वृद्धि होती है। गर्मी की अवधि जल वाष्प के वाष्पीकरण को तेज करके सूखे की स्थिति को काफी खराब कर सकती है। सूखा दुनिया के अधिकांश हिस्सों में जलवायु की आवर्ती विशेषता है। सूखे के प्रकार जल विज्ञान के हिसाब से सूखा तीन प्रकार का होता है। आजकल के प्रौद्योगिकविदों ने इसमें एक प्रकार और जोड़ा है। ये चार प्रकार हैं - क्लाइमैटेलॉजिकल ड्रॉट यानी जलवायुक सूखा, हाइड्रोलॉजिकल ड्रॉट यानी जल विज्ञानी सूखा, एग्रीकल्चरल ड्रॉट अर्थात कृषि संबंधित सूखा और चौथा रूप जिसे सोशिओ-इकोनॉमिक ड्रॉट यानी सामाजिक-आर्थिक सूखा कहते हैं। अभी हम पानी के कम बरसने यानी सामान्य से 25 फीसदी कम बारिश को ही सूखे के श्रेणी में रखते हैं। इसे ही क्लाइमैटेलॉजिकल ड्रॉट यानी जलवायुक सूखा यानी जलवायुक सूखा कहते हैं। फर्ज कीजिए 12 फीसदी ही कम बारिश हुई, जैसा कि पिछली बार हुआ। अगर हम इसे सिंचाई की जरूरत के लिए रोककर रखने का इंतजाम नहीं कर पाए तो भी सूखा पड़ता है, जिसे हाइड्रोलॉजिकल ड्रॉट यानी जल विज्ञानी सूखा कहते हैं। जो पिछली बार पड़ा। दोनों सूखे न भी पड़े, लेकिन अगर हम खेतों तक पानी न पहुंचा पाएं, तब भी सूखा ही पड़ता है, जिसे एग्रीकल्चरल ड्रॉट या कृषि सूखा कहा जाता है। जो बीते साल कसकर पड़ा। चौथा प्रकार सोशिओ-इकोनॉमिक ड्रॅाट यानी सामाजिक-आर्थिक सूखा है, जिसमें बाकी तीनों सूखे के प्रकारों में सामाजिक आर्थिक कारक जुड़े होते हैं और इस स्थिति में किसानों में आत्महत्या की प्रवृत्ति आने लगती है। संदर्भ आगे पढ़ें क्रिस्टोफर डी बेलाचेन, "द रिवर" ( गंगा); सुनील अम्रिथ की समीक्षा; अनियंत्रित वाटर्स: हाउ रेन्स, रिवर्स, कोस्ट्स, एंड सीस है शेप्ड द एशिया हिस्ट्री; सुदीप्त सेन, गंगा: एक भारतीय नदी के कई विस्फोट; विक्टर मैलेट, रिवर ऑफ लाइफ, रिवर ऑफ डेथ: द गंगा एंड इंडियाज फ्यूचर), द न्यूयॉर्क रिव्यू ऑफ बुक्स, वॉल्यूम। एलएक्सवीआई, नहीं। 15 (10 अक्टूबर 2019), पीपी।  34-36। "1951 में औसत भारतीय व्यक्ति को सालाना 5,200 क्यूबिक मीटर पानी मिल पाता था। यह आंकड़ा आज 1,400 है ... और संभवत: अगले कुछ दशकों में 1,000 घन मीटर से नीचे गिर जाएगा - जो कि संयुक्त राष्ट्र की 'पानी की कमी' की परिभाषा है। गर्मियों की कम वर्षा समस्या को और गम्भीर बना देती है। । । भारत की वाटर टेबल, नलकूपोंकी संख्या में वृद्धि के कारण तेज़ी से गिर रही है । भारत में पानी की मौसमी कमी के अन्य योगदान नहरों से रिसाव [और] लगातार प्यासी फसलों की बुवाई है ... ”(पृ।  35। ) प्राकृतिक आपदाएँ मौसम संकट सूखा सूखा-सहनशील पौधे मौसम परिघटनाएँ जलवायु जलवायु विज्ञान
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A5%89%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B8%20360
एक्सबॉक्स 360
|image= |caption =बाएँ: एक्सबॉक्स 360 इलाइट, दायें: एक्सबॉक्स 360 एस और उसका संचालक |developer=माइक्रोसॉफ्ट |manufacturer=फ्लेक्सट्रोनिक्स, विस्टरों, सेलेस्टिका, फॉक्सकोन्न |family=एक्सबॉक्स |type=वीडियो गेम |generation= सातवी पीढ़ी |lifespan= }} एक्सबॉक्स 360 () माइक्रोसॉफ्ट द्वारा निर्मित दूसरा वीडियो गेम कंसोल है जो एक्सबॉक्स का उत्तराधिकारी है। यह सोनी के प्लेस्टेशन 3 और निनटेंडो के वी से स्पर्धा करता है जो सातवीं पीढ़ी के वीडियो गेम कंसोल है। 9 जनवरी 2012 के अनुसार एक्सबॉक्स 360 की 6 करोड़ 60 लाख बिक्री हो चुकी है। इतिहास विकास इसका विकास एक्सबॉक्स नेक्स्ट, जेनोन और एक्सबॉक्स 2 के समय हुआ। फरवरी 2003 में इसे जेनोन सॉफ्टवेयर के साथ उतारने की तैयारी की गई थी। जिसे माइक्रोसॉफ़्ट के उपाध्यक्ष जे अल्लार्ड ने निर्देश में किया गया। इसे 400 डेवलपर ने मिलकर बनाया था। प्रदर्शन इसे 22 नवम्बर 2005 में बाजार में निकाला गया। तब इसे अमेरिका और कनाडा में ही प्रदर्शित किया गया। यूरोप में इसे 2 दिसम्बर 2005 और जापान में इसे 10 दिसम्बर 2005 में निकाला गया। इसके पश्चात इसे मेक्सिको, ब्राज़ील, चिली, कोलंबिया, हाँग काँग, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, भारत और रूस में निकाला गया। यह पहले वर्ष 36 देशों में उतरा। हार्डवेयर तकनीकी जानकारी इसके अलग अलग ड्राइव बनाए गए हैं, जिसमें 20, 60, 150, 250 और 320 जीबी स्मृति शामिल है। यह तिहरा-कोर आईबीएम के द्वारा बनाए गए जेनोन को सीपीयू के तौर पर उपयोग करता है। इसके एक कोर 2 परेशानी को हल कर सकता है और कुल 3 कोर मिलकर एक समय में 6 परेशानी हल कर सकते हैं। ग्राफिक्स के लिए यह एटीआई जेनोस का उपयोग करता है। जिसमें 10 एमबी का ईडीआरएएम (eDRAM) होता है। इसका मुख्य स्मृति 512 एमबी का होता है। अन्य सामान इसमें खेलने के लिए एक संचालक (कन्ट्रोलर) जो तार के साथ या बिना तार के भी मिलता है। बात करने के लिए एक हेडसेट और एक दूसरे से देख देख कर बातें करने के लिए एक वेबकेम भी दिया जाता है। इसके अलावा इसमें पाँच अलग अलग आकार के ड्राइव दिये जाते हैं। 20, 60, 120, 250 जीबी के (केवल जापान के लिए)। तकनीकी परेशानी जब एक्सबॉक्स 360 को 2005 में बाजार में लाया गया था। तब कुछ जगहों पर इसके सही तरीके से कार्य न करने आदि की परेशानी सामने आने लगी। इस प्रकार की परेशानी के कारण माइक्रोसॉफ्ट ने एक्सबॉक्स 360 की वारंटी को 3 वर्ष कर दिया। एक्सबॉक्स 360 एस के पहले सभी संस्करण में यह त्रुटि दिख रही थी। यह त्रुटि General Hardware Failure जनरल हार्डवेयर फेलर नाम से दिखाई गई। लेकिन इस त्रुटि को Red Ring of Death के नाम से अधिक जाना जाता है। इसके पश्चात अप्रैल 2009 में इसकी वारंटी को और बढ़ा दिया गया। क्योंकि इसमें एक और त्रुटि E74 नाम से दिखाई दे रही थी। लेकिन यह वारंटी इसके अलावा और किसी भी त्रुटि के लिए नहीं दिया गया। इतने परेशानी झेलने के पश्चात माइक्रोसॉफ़्ट ने इसके लिए एक और तरह का बदलाव किया। इसमें इसके बाद गर्मी से होने वाले फैलाव के लिए जगह दी गई। इसके अलावा भी इसके किनारे को मोड़ दिया गया। इस बदलाव के पश्चात एक्सबॉक्स 360 एस को बाजार में लाया गया। यह और इसके बाद के किसी भी संस्करण में 3 वर्ष की वारंटी नहीं दी गई। इसे अति ताप से बचाने के लिए एक बटन में लाल रंग की रोशनी का उपयोग किया जाने लगा जो उपयोगकर्ता को गरम होने से इसके द्वारा पता चलता था की कब इसे ठंडा होने देना है। सॉफ्टवेयर खेल इसने उत्तरी अमेरिका में 14 और यूरोप में 13 खेलों को बाजार में उतारा। इसमें 2005 में सबसे अधिक बेचे गए खेलों में कॉल ऑफ ड्यूटि 2 शामिल है। जिसके लाखों प्रतियाँ बिक गई। इसके अन्य 5 खेल को लाखों लोगों ने इसके प्रथम वर्ष में खरीदा था। इसमें Ghost Recon Advanced Warfighter, The Elder Scrolls IV: Oblivion, Dead or Alive 4, Saints Row, और Gears of War शामिल हैं। 2006 में गेयर्स ऑफ वार सबसे अधिक बिकने वाले खेलों में शामिल हो गया। इस वर्ष इसके 30 लाख से अधिक प्रति बिकी। जो इसके बाद 2007 में हालो 3 ने ले ली। प्रारूप इसमें WMV नामक एक वीडियो प्रारूप काम करता है। दिसम्बर 2007 से MPEG-4 ASP के प्रारूप वाले वीडियो भी इसमें काम करने लगे। सेवा एक्सबॉक्स लाइव जब माइक्रोसॉफ्ट ने एक्सबॉक्स 360 को बाजार में उतारा था, तब यह ऑनलाइन खेलने की सेवा 24 घण्टों के लिए बन्द पड़ गई थी। इसे एक नए संस्करण में बनाने के लिए बन्द करना पड़ा था। तब इसे एक्सबॉक्स लाइव सिल्वर कहते थे। बाद में इसे एक्सबॉक्स लाइव फ्री नाम कर दिया गया। इसे निःशुल्क उपयोग किया जा सकता है। इसमें प्रयोक्ता के नाम और छवि को डालकर प्रोफ़ाइल बनाया जा सकता है। इसके अलावा माइक्रोसॉफ़्ट ने एक्सबॉक्स लाइव गोल्ड नाम के एक पैसे वाली सेवा भी बनाई। एक्सबॉक्स लाइव बाजारस्थल एक्सबॉक्स लाइव बाजारस्थल एक प्रकार का आभासी बाजार है, जिसे एक्सबॉक्स के उपयोगकर्ताओं के लिए बनाया गया है। जिससे वह कोई सामग्री खरीद सकें। इसके अलावा इसमें प्रचार के लिए भी सामग्री होती है। इसमें फ़िल्म और खेल के कुछ दृश्य भी और कुछ समय के लिए कोई खेल को खेलने के लिए भी दिया जाता है। इसके द्वारा एक्सबॉक्स लाइव आर्केड और कुछ एक्सबॉक्स के विषय आदि भी लेने कि सुविधा है। किसी पैसे वाले सामग्री को लेने के लिए माइक्रोसॉफ़्ट के पॉइंट का उपयोग करना होगा जो आप वास्तविक पैसे के उपयोग से 500, 1000, 2000 और 5000 पॉइंट ले सकते हैं। यह सामग्री उपयोगकर्ता अपने घरेलू कम्प्युटर से एक्सबॉक्स के आधिकारिक जालस्थल में जाकर भी देख सकता है। एक्सबॉक्स लाइव आर्केड एक्सबॉक्स लाइव आर्केड माइक्रोसॉफ़्ट द्वारा दी गई एक सेवा है, जिससे एक्सबॉक्स और एक्सबॉक्स 360 उपयोगकर्ता उसी समय किसी खेल को ले सकता है। यह प्लेस्टेशन आदि के लिए भी खेल प्रदान करती है। यह लगभग 5 अमेरिकी डोलर से 15 अमेरिकी डोलर तक पैसे मांगता है। यह 22 नवम्बर 2005 में एक्सबॉक्स 360 के उद्गम के दौरान इसे पुनः उदगमित किया गया। जिससे यह एक्सबॉक्स 360 के लिए भी अच्छे से कार्य कर पाये। एक्सबॉक्स वीडियो 6 नवम्बर 2006 में माइक्रोसॉफ़्ट ने अपने सेवा में वीडियो को जोड़ने की घोषणा की। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक जालस्थल एक्सबॉक्स 360
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0
राजेसुल्तानपुर
राजेसुल्तानपुर (Rajesultanpur) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अम्बेडकर नगर ज़िले में स्थित एक नगर व नगर पंचायत है। इतिहास राजेसुल्तानपुर सन 1876 से रियासत बना तथा यहीं से बस्ती तथा हसवर की रियासतें जन्मी। भूगोल राजेसुल्तानपुर अयोध्या-बलिया तथा ये राष्ट्रीय राजमार्ग २३३बी मार्ग पर सरयू नदी के मैदान में बसा है। नगर के पीछे से 'छोटी सरयू' नामक नदी बहती है जो आजमगढ़ तथा अंबेडकर नगर को विभाजित करती है। मुख्य सडकें: राजेसुल्तानपुर टान्डा रोड राजेसुल्तानपुर आजमगढ रोड राजेसुल्तानपुर कौडिया रोड राजेसुल्तानपुर खजनी रोड राजेसुल्तानपुर साबितपुर रोड राजेसुल्तानपुर सरदहा रोड राजेसुल्तानपुर बुढनपुर रोड राजेसुल्तानपुर से नजदीकी शहरों की दूरी: आजमगढ़ - 30 किलोमीटर गोरखपुर - 70 किमी अंबेडकर नगर - 75 किमी अयोध्या - 120 किमी वाराणसी- 130किमी बस्ती - 90किमी सन्त कबीर नगर - 65 किमी व्यवसाय राजेसुल्तानपुर का व्यवसाय मुख्यतः खेती तथा ग्रामीण आवश्यकताओ पर आधारित है। राजेसुल्तानपुर को चारो तरफ हरे भरे लहराते गाँव है तथा उनकी सभी आवश्यकताओ की पुर्ति राजेसुल्तानपुर से होती है। उर्वरक, कीटनाशक, खेती की मशीने एवं रोजमरा की सम्रागी मिल जाती है। राजेसुल्तानपुर पूरे पूर्वांचल एवं अवध में अपनी तम्बाकू के लिऐ प्रसिद्ध है। राजेसुल्तानपुर में तम्बाकू का उत्पादन अवध में गोँडा के बाद सबसे अधिक तम्बाकू का उत्पादन राजेसुल्तानपुर में होता है। राजेसुल्तानपुर की तम्बाकू विश्व प्रसिद्ध है जिस कारण गुटको, पान मसालो में राजेसुल्तानपुरी तम्बाकू लिखा जाता है। तम्बाकू उत्पादन क्षेत्र बलरामपुर से 30% तिहायतपुर से 10% बासगाँव से 10% बनकटा से 10% त्रिलोकपुर से 9% बछुआपार से 9% मल्लुपुर से 4% धारुपुर से 13% घुघुलपट्टी से 2% जमुनीपुर से 1% राजेपुर में 1% तुलसीपुर से 0.6% माधोपुर से 0.4% प्रशासन यहाँ पर एक कोतवाली है तथा एक माहिला पुलिस स्टेशन है तथा राजेसुल्तानपुर कोतवाली के अन्तगर्त कई चौकिया एव थाने है- ((राजेसुल्तानपुर कोतवाली के अन्तगर्त)) कम्हरिया घाट पुलिस चौकी साबितपुर/अराजीदेवारा पुलिस चौकी तेन्दुआईकला पुलिस चौकी देवरिया पुलिस चौकी त्रिमुहानी पुलिस हाल्ट यातायात यहाँ पर एक चौराहा है जहाँ से अकबरपुर डिपो, अयोध्या डिपो, आजमगढ डिपो, अबेँडकरनगर डिपो, सुलतानपुर डिपो की बसे चलती है जनसांख्यिकी राजेसुल्तानपुर की जनसख्या 2001 में 19,678थी जो 2011 में लगभग 27,970 के आस पास पहुच गयी राजेसुल्तानपुर में हिन्दू की सख्या 98% है तथा मुस्लिम की सख्या नाममात्र 1% तथा ईसाई, जैन, बौद्ध धर्म की सख्या 1% है(need to update again wrong data) बैकिंग सेवाऐ राजेसुल्तानपुर शहर में बैकिंग सुविधाओ का विकाश नहीं हुआ है यही कारण है कि राजेसुल्तानपुर में अभी भी बैकिंग की कमी है बैक आँफ बडौदा सहारा बैक भारतीय स्टेट बैक युनियन बैंक आफ इंडिया एचडीएफसी बैंक अयोध्या जिला सहकारी बैंक बैंक ऑफ इंडिया शिक्षा राजेसुल्तानपुर में कई सरकारी तथा गैर सरकारी कालेज हैं। सरकारी कालेजों की सूची गाँधी स्मारक इण्टर कालेज गाँधी स्मारक सस्कृत कालेज दीन दयाल उपाध्याय सस्कृत पोस्ट ग्रेजुऐट कालेज मदन मालवीय कालेज प्राइमरी कालेज मिडिल कालेज बसुधा राजकीय इंटर कालेज राजेसुल्तानपुर गैर सरकारी कालेजों की सूची ग्रुप कालेज आफँ सिरसिया लल्लन जी बलिका कालेज लल्लन जी महाविधालय सेन्ट जोवियस लिटिल फ्लावर कालेज राज इण्टर कालेज राधे मोहन पी जी कालेज राम नवल जुनियर हाईस्कुल पर्यटन राजेसुल्तानपुर के निम्नलिखित प्रसिद्ध स्थल हैं: बाबा ब्रहमचारी बाबा की कुटी ब्रह्म बाबा मान्दिर राजेसुल्तानपुर भैरो बाबा मान्दिर कालिका मान्दिर पोहारी बाबा मान्दिर शहीद पार्क दुर्गा माता मंदिर बिजली पण्ड़ौली इन्हें भी देखें अम्बेडकर नगर ज़िला बाहरी कड़ियाँ जागरण के एक लेख की कड़ी सन्दर्भ अम्बेडकर नगर ज़िला उत्तर प्रदेश के नगर अम्बेडकर नगर ज़िले के नगर भारत की रियासतें भारत के पारंपरिक क्षेत्र भारत के रजवाड़े
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ग्रीनहाउस गैस
ग्रीनहाउस गैसें ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और अंततः भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए उत्तरदायी होती हैं। इनमें सबसे ज्यादा उत्सर्जन कार्बन डाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प, ओजोन आदि करती हैं। कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले १०-१५ सालों में ४० गुणा बढ़ गया है। दूसरे शब्दों में औद्यौगिकीकरण के बाद से इसमें १०० गुणा की बढ़ोत्तरी हुई है। इन गैसों का उत्सर्जन आम प्रयोग के उपकरणों वातानुकूलक, फ्रिज, कंप्यूटर, स्कूटर, कार आदि से होता है। कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत पेट्रोलियम ईंधन और परंपरागत चूल्हे हैं। पशुपालन से मीथेन का उत्सर्जन होता है। कोयला बिजली घर भी ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत हैं। हालाँकि क्लोरोफ्लोरो का प्रयोग भारत में बंद हो चुका है, लेकिन इसके स्थान पर प्रयोग हो रही गैस हाइड्रो क्लोरो-फ्लोरो कार्बन सबसे हानिकारक ग्रीन हाउस गैस है जो कार्बन डाई आक्साइड की तुलना में एक हजार गुना ज्यादा हानिकारक है। कार्बन डाई आक्साइड गैस तापमान बढ़ाती है। उदाहरण के लिए वीनस यानी शुक्र ग्रह पर ९७.५ प्रतिशत कार्बन डाई आक्साइड है जिस कारण उसकी सतह का तापमान ४६७ डिग्री सेल्सियस है। ऐसे में पृथ्वीवासियों के लिए राहत की बात यह है कि धरती पर उत्सर्जित होने वाली ४० प्रतिशत कार्बन डाई आक्साइड को पेड़-पौधे सोख लेते हैं और बदले में ऑक्सीजन उत्सर्जन करते हैं। वातावरण में ग्रीन हाऊस गैसें ऊष्म अधोरक्त (थर्मल इंफ्रारेड रेंज) के विकिरण का अवशोषण और उत्सजर्न करती है। सौर मंडल में शुक्र, मंगल और टाइटन में ऐसी गैसें पाई जाती हैं जिसकी वजह से ग्रीन हाऊस प्रभाव होता है। विश्व बैंक ने १५ सितंबर, २००९ को वर्ष २०१० विश्व विकास रिपोर्ट विकास व जलवायु बदलाव जारी की एक रिपोर्ट में विकसित देशों को ग्रीस हाउस गैस का उत्सर्जन घटाने और विकासशील देशों को संबंधित धनराशि व तकनीकी सहायता प्रदान करने को कहा है। जलवायु परिवर्तन के पूरे समाधान के लिए भावी कई दशकों में विश्व ऊर्जा ढाँचे में बदलाव लाना पड़ेगा। रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी है कि वर्तमान वित्तीय संकट के बीच जलवायु परिवर्तन सवाल की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। सन्दर्भ इन्हें भी देखें ग्रीन हाउस प्रभाव भूमंडलीय ऊष्मीकरण भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव क्योटो प्रोटोकॉल ओजोन निःशेषण प्रदूषण </div> जलवायु परिवर्तन जलवायु परिवर्तन कारक कार्बन हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%AF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4
विजयकांत
नारायणन विजयराज अलगरस्वामी (जन्म 25 अगस्त 1952), जिन्हें उनके मंच के नाम विजयकांत से अधिक जाना जाता है, वह एक भारतीय राजनेता और पूर्व अभिनेता हैं जिन्होंने मुख्य रूप से तमिल सिनेमा में काम किया है। वह 2011 से 2016 तक तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। राजनीति में प्रवेश करने से पहले विजयकांत एक सफल अभिनेता, निर्माता और निर्देशक थे। विजयकांत तमिलनाडु विधानसभा के वर्तमान डीएमडीके अध्यक्ष भी हैं। वह देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कज़गम (डीएमडीके) राजनीतिक दल के संस्थापक और अध्यक्ष, महासचिव हैं और विधान सभा के सदस्य के रूप में क्रमशः विरुधचलम और ऋषिवंदियम के निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। व्यक्तिगत जीवन विजयकांत का जन्म 25 अगस्त 1952 को मदुरै में विजयराज अलगरस्वामी के रूप में हुआ था। उनके माता-पिता के.एन. अलगरस्वामी और आंदल अज़गरस्वामी हैं। उन्होंने 31 जनवरी 1990 को प्रेमलता से शादी की और उनके दो बेटे हैं, जिनमें शनमुगा पांडियन शामिल हैं, जो एक अभिनेता हैं जिन्होंने सगप्तम (2015) और मदुरा वीरन (2018) में अभिनय किया था। अभिनय कैरियर विजयकांत एसे बहुत कम तमिल अभिनेताओं में से एक हैं जिन्होंने अपने पूरे करियर में केवल तमिल फिल्मों में अभिनय किया है। उनकी फिल्मों को ज्यादातर तेलुगु और हिंदी में डब किया गया है। विजयकांत, फिल्म उद्योग में "पुराची कलाइग्नार" (क्रांतिकारी कलाकार) की उपाधि रखते थे। उन्हें अपनी फिल्मों में एक देशभक्त, गांव का भला करने वाले और दोहरी भूमिका निभाने के लिए भी जाना जाता है। कई लोगों ने उनके साथ काम करने से इनकार कर दिया और महान फिल्मकार फिल्में बनाने नहीं आए। उन्होंने एक पुलिस अधिकारी के रूप में 20 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। उन्हें कम बजट की फिल्मों के लिए जाना जाता है, जिसमें चुनौती देने वाले स्टंट दिखाए जाते थे, जिसमें वे अकेले ही अपने दुश्मनों को भगा देते थे। उनकी अधिकांश फिल्में भ्रष्टाचार, ईमानदारी और वादों को पूरा करने के इर्द-गिर्द घूमती हैं। उन्होंने प्रति दिन 3 शिफ्ट में काम किया और यह उनका अपने शिल्प के प्रति समर्पण था। विजयकांत ने विलंबित पारिश्रमिक लिया और कभी-कभी संघर्षरत उत्पादकों को लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें बिल्कुल भी नहीं लिया। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने इनका प्रचार करने की कोशिश नहीं की और दुनिया को इसे अपने लिए देखने और प्रेरणा लेने दिया। अभिनय करियर को आगे बढ़ाने के लिए फिल्म उद्योग में प्रवेश करने पर, उन्होंने अपनी पहली फिल्म एम. ए. काजा की इनिक्कुम इलमई (1979) द्वारा "विजयकांत" को अपने नाम से "राज" हटाकर "कंठ" के साथ जोड़ा। उसके बाद उन्हें एस ए चंद्रशेखर द्वारा निर्देशित सत्तम ओरु इरुत्तराई (1981) के साथ सफलता मिली; जिनके साथ उन्होंने ज्यादातर फिल्में कीं। 1980 और 1990 के दशक में, वह बॉक्स-ऑफिस पर लगातार अपील के साथ एक एक्शन आइकन थे। 100वीं फिल्म कैप्टन प्रभाकरन (1991) के बाद उन्हें "कैप्टन" की उपाधि मिली। सन्दर्भ 1952 में जन्मे लोग तमिल लोग
464
608170
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8A%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%9A%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0
ऊष्मागतिक चक्र
ऊष्मागतिक चक्र (thermodynamic cycle) कई ऊष्मागतिक प्रक्रमों से मिलकर बनता है। प्रत्येक ऊष्मागतिक प्रक्रम में निकाय के दाब, ताप, तथा अन्य प्रावस्था चर (स्टॅट वैरिएबुल्स) बदलते हुए ऊष्मा और कार्य का विनिमय हो सकता है। इन सारे परिवर्तनों के होते हुए निकार अपनी प्रारम्भिक अवस्था (स्टेट) में आता है और यही चक्र बार-बार होता रहता है। ऊष्मा इंजन तथा ऊष्मा पम्प में तरह-तरह के ऊष्मागतिक चक्र अपनाये जाते हैं। कुछ प्रमुख ऊष्मागतिक चक्र निम्नलिखित हैं- ब्रेटोन चक्र या जूलचक्र कार्ना चक्र डीजल चक्र एरिक्सन चक्र ऑटो चक्र रैंकाइन चक्र स्टर्लिंग चक्र जीमेन्स चक्र (siemens cycle) सिलिगर चक्र (seiliger proces) ऊष्मागतिकी
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%83%E0%A4%A5%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%80%20%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8
पृथ्वी दिवस
पृथ्वी दिवस एक वार्षिक आयोजन है जिसे 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए आयोजित किया जाता है। इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप की थी। अब इसे 192 से अधिक देशों में प्रति वर्ष मनाया जाता है। यह तारीख उत्तरी गोलार्द्ध में वसन्त और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद का मौसम है।जब बार से चुनगी आते थे संयुक्त राष्ट्र में पृथ्वी दिवस को प्रत्येक वर्ष मार्च विषुव (वर्ष का वह समय जब दिन और रात बराबर होते हैं) पर मनाया जाता है, यह अक्सर 20 मार्च होता है, यह एक परम्परा है जिसकी स्थापना शान्ति कार्यकर्ता जॉन मक्कोनेल के द्वारा की गयी। यह पृथ्वी का बड़ा ही मनाया जाने वाला दिवस है। महत्व पृथ्वी दिवस का महत्व इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि, इस दिन हमें ग्लोबल वार्मिंग के बारे में पर्यावरणविदों के माध्यम से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का पता चलता है। पृथ्वी दिवस जीवन संपदा को बचाने व पर्यावरण को ठीक रखने के बारे में जागरूक करता है। जनसंख्या वृद्धि ने प्राकृतिक संसाधनों पर अनावश्यक बोझ डाला है, संसाधनों के सही इस्तेमाल के लिए पृथ्वी दिवस जैसे कार्यक्रमों का महत्व बढ़ गया है। 22 अप्रैल दिवस का इतिहास जेराल्ड नेल्सन की घोषणा सितम्बर 1969 में सिएटल, वाशिंगटन में एक सम्मलेन में विस्कोंसिन के अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन घोषणा की कि 1970 की वसंत में पर्यावरण पर राष्ट्रव्यापी जन साधारण प्रदर्शन किया जायेगा. सीनेटर नेल्सन ने पर्यावरण को एक राष्ट्रीय कार्यसूची में जोड़ने के लिए पहले राष्ट्रव्यापी पर्यावरण विरोध की प्रस्तावना दी। वे याद करते हैं कि यह एक जुआ था लेकिन इसने काम किया। जानेमाने फिल्म और टेलिविज़न अभिनेता एड्डी अलबर्ट ने पृथ्वी दिवस, के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. हालाँकि पर्यावरण सक्रियता का सन्दर्भ में जारी इस वार्षिक घटना के निर्माण के लिए अलबर्ट ने प्राथमिक और महत्वपूर्ण कार्य किये, जिसे उसने अपने सम्पूर्ण कार्यकाल के दौरान प्रबल समर्थन दिया, लेकिन विशेष रूप से 1970 के बाद, एक रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी दिवस को अलबर्ट के जन्मदिन 22 अप्रैल, को मनाया जाने लगा, एक स्रोत के अनुसार यह गलत भी हो सकता है। अलबर्ट को टीवी शो ग्रीन एकर्समें प्राथमिक भूमिका के लिए भी जाना जाता था, जिसने तत्कालीन सांस्कृतिक और पर्यावरण चेतना पर बहुमूल्य प्रभाव डाला। संकल्पात्मक विकास रॉन कोब ने एक पारिस्थितिक प्रतीक का निर्माण किया, जिसे बाद में पृथ्वी दिवस के प्रतीक के रूप में अपनाया गया और लोस एंजिल्स फ्री प्रेस में 7 नवम्बर 1969 को प्रकाशित किया गया और फिर इसे सार्वजनिक डोमेन में रखा गया। यह प्रतीक "E" व "O" अक्षरों के संयोजन से बनाया गया था जिन्हें क्रमशः "Environment" व "Organism" शब्दों से लिया गया था। यह थीटा चिन्ह जो इसके समान है, का उपयोग पूरे इतिहास में एक चेतावनी के रूप किया जाता रहा है। लुक मैगजीन ने अपने 21 अप्रैल 1970 के अंक में एक ध्वज में इस प्रतीक को प्रस्तुत किया। इस ध्वज का प्रतिरूप संयुक्त राज्य के ध्वज के प्रतिरूप से लिया गया था और इसमें एक बाद एक तेरह हरी और सफ़ेद पट्टियां थीं। इसका केण्टन पारिस्थितिक प्रतीक के साथ हरा था जहाँ तारे संयुक्त राज्य के ध्वज में थे। विज्ञापन मुद्रण लेखक जुलियन केनिग 1969 में नेल्सन की संगठन समिति में सीनेटर थे और उन्होंने इस घटना को "पृथ्वी दिवस" नाम दिया। इस नए आन्दोलन को मनाने के लिए 22 अप्रैल का दिन चुना गया, जब केनिग का जन्मदिन भी होता है। उन्होंने कहा कि किल "अर्थ डे" "बर्थ डे" के साथ ताल मिलाता है, इसलिए यह विचार उन्हें आसानी से आया। 30 नवम्बर 1969 को न्यूयार्क टाइम्स में, सामने के पेज पर, एक लम्बे लेख में, ग्लेडविन हिल ने लिखा "पर्यावरण संकट" की बढती चिन्ता राष्ट्रों को प्रभावित कर रही है, जो छात्रों को वियतनाम में युद्ध में भाग लेने के लिए प्रेरित कर रही है। पर्यावरण की समस्या के प्रेक्षण का एक राष्ट्रीय दिन, जो वियतनाम में सामूहिक प्रदर्शन के समान है, अगले वसन्त के लिए इसकी योजना बनायी जा रही है, जब सीनेटर जेराल्ड नेल्सन के कार्यालय से समन्वित राष्ट्रव्यापी पर्यावरणी 'शिक्षण' का आयोजन किया जायेगा. सेनेटर नेल्सन ने इस घटना में राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय के लिए डेनिस हायेस को भी नियुक्त किया। शुरुआत और जारी विकास 22 अप्रैल 1970 को पृथ्वी दिवस ने आधुनिक पर्यावरण आन्दोलन की शुरुआत को चिन्हित किया। लगभग 20 लाख अमेरिकी लोगों ने, एक स्वस्थ, स्थायी पर्यावरण के लक्ष्य के साथ भाग लिया। हायेज और उनके पुराने स्टाफ ने बड़े पैमाने पर तट से तट तक रैली का आयोजन किया। हजारों कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने पर्यावरण के दूषण के विरुद्ध प्रदर्शनों का आयोजन किया। वे समूह जो तेल रिसाव, प्रदुषण करने वाली फैक्ट्रियों और उर्जा संयन्त्रों, कच्चे मलजल, विषैले कचरे, कीटनाशक, खुले रास्तों, जंगल की क्षति और वन्यजीवों के विलोपन के विरुद्ध लड़ रहे थे, ने अचानक महसूस किया कि वे समान मूल्यों का समर्थन कर रहें हैं। 200 मिलियन लोगों का 141 देशों में आगमन और विश्व स्तर पर पर्यावरण के विषयों को उठा कर, पृथ्वी दिवस ने 1990 में 22 अप्रैल को पूरी दुनिया में पुनः चक्रीकरण के प्रयासों को उत्साहित किया और रियो डी जेनेरियो में 1992 के संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी सम्मलेन के लिए मार्ग बनाया। सहस्राब्दी की शुरुआत के साथ ही, हायेज ने एक अन्य अभियान के नेतृत्व के लिए सहमति जतायी, इस बार ग्लोबल वार्मिंग पर ध्यान केन्द्रित किया गया और स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहन दिया गया। 22 अप्रैल 2000 का पृथ्वी दिवस पहले पृथ्वी दिवस की उमंग और 1990 के पृथ्वी दिवस की अन्तरराष्ट्रीय जनसाधारण कार्यशैली का संगम था। 2000 में, इण्टरनेट ने पूरी दुनिया के कार्यकर्ताओं को जोड़ने में पृथ्वी दिवस की मदद की। 22 अप्रैल के आते ही, पूरी दुनिया के 5000 समूह एकजुट हो गए और 184 देशों के लाखों लोगों ने इसमें हिस्सा लिया। ऐसे विविध घटनाक्रम थे: गेबन, अफ्रीका में गाँव से गाँव तक यात्रा करने वाली एक बोलते ड्रम की शृङ्खला, उदाहरण के लिए जब सैंकडों हजारों लोग वाशिंगटन, डी.सी., संयुक्त राज्य अमेरिका में नेशनल मॉल में एकत्रित हुए। 2007 का पृथ्वी दिवस अब तक के सबसे बड़े पृथ्वी दिवसों में से एक था, जिसमें अनुमानतः हजारों स्थानों जैसे कीव, युक्रेन; काराकास, वेनेजुएला; तुवालु; मनीला, फिलिपींस; टोगो; मैड्रिड, स्पेन, लन्दन; और न्यूयार्क के करोड़ों लोगों ने भाग लिया। पृथ्वी दिवस नेटवर्क राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण नागरिकता और साल भर उन्नति को बढ़ावा देने के लिए 1970 में पृथ्वी दिवस नेटवर्क की स्थापना पहले पृथ्वी दिवस के आयोजकों के द्वारा की गयी। पृथ्वी दिवस के नेटवर्क के माध्यम से, कार्यकर्ता, राष्ट्रीय, स्थानीय और वैश्विक नीतियों में परिवर्तनों को आपस में जोड़ सकते हैं। अन्तराष्ट्रीय नेटवर्क 174 देशों में 17,000 संस्थानों तक पहुँच गया है, जबकि घरेलू कार्यक्रमों में 5,000 समूह और 25,000 से अधिक शिक्षक शामिल हैं, जो साल भर कई मिलियन समुदायों के विकास और पर्यावरण सुरक्षा कार्यकर्ताओं की मदद करते हैं। विषुव (इक्विनोक्स) (सम्पात या वर्ष का वह समय जब दिन और रात बराबर होते हैं) पृथ्वी दिवस के इतिहास सम्पातिक पृथ्वी दिवस को मार्च इक्विनोक्स (20 मार्च के आस पास) पर मनाया जाता है, यह उत्तरी गोलार्द्ध में खगोलीय मध्य वसंत को तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में खगोलीय मध्य पतझड़ को चिन्हित करता है। खगोल विज्ञान में सम्पात वह समय है जब सूर्य के केन्द्र को पृथ्वी की भूमध्य रेखा के ठीक "ऊपर" देखा जा सकता है, यह स्थिति प्रति वर्ष 20 मार्च और 23 सितम्बर को देखी जा सकती है। अधिकांश संस्कृतियों में सम्पात और आयनकाल को किसी मौसम की शुरुआत या दो मौसमों के पृथक्करण का संकेत माना जाता है। जॉन मैक कोनेल ने 1969 में यूनेस्को (युनेस्को) में पर्यावरण पर हो रहे एक सम्मलेन के दौरान पहली बार "पृथ्वी दिवस" नामक एक विश्व अवकाश का विचार पेश किया। पहले पृथ्वी दिवस की घोषणा 21 मार्च, 1970 को सेन फ्रांसिस्को के मेयर जोसेफ अलिओटो के द्वारा जारी की गयी, कई नगरों में समारोहों का आयोजन किया गया जैसे सेन फ्रांसिस्को, डेविस, केलिफोर्निया और साथ ही कई स्थानों पर बहुदिवसीय सड़क पार्टियों का आयोजन किया गया। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव यु थाण्ट ने इस वार्षिक घटना को मनाने के लिए मैक कोनेल की विश्वस्तरीय शुरुआत को समर्थन दिया और 26 फरवरी 1971 को उन्होंने इस प्रभाव के लिए घोषणा पर हस्ताक्षर किये, जिसमें कहा गया था : हमारी सुन्दर अन्तरिक्षयान पृथ्वी के लिए केवल शान्तिपूर्वक और खुशी से युक्त पृथ्वी दिवस आयें, क्योंकि यह एक उष्ण और मृदु जीवन्त प्राण के भार को उठाकर इस स्नेहरहित अन्तरिक्ष में निरन्तर घूर्णन और वृत्तीय गति करती है। महासचिव वाल्धेइम ने पृथ्वी दिवस का अवलोकन 1972 में मार्च विषुव के समान उत्सवों के साथ किया और तभी से संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी दिवस उत्सव प्रतिवर्ष मार्च इक्विनोक्स को मनाया जाता है (संयुक्त राष्ट्र 22 अप्रैल की वैश्विक घटना के साथ भी काम करता है) मारग्रेट मीड ने भी सम्पात (इक्विनोक्स) पृथ्वी दिवस के लिए अपना समर्थन दिया और 1978 में घोषित किया: "पृथ्वी दिवस पहला पवित्र दिन है जो सभी राष्ट्रीय सीमाओं का पार करता है, फिर भी सभी भौगोलिक सीमाओं को अपने आप में समाये हुए हैं, सभी पहाड़, महासागर और समय की सीमाएँ इसमें शामिल हैं और पूरी दुनिया के लोगों को एक गूँज के द्वारा बाँध देता है, यह प्राकृतिक सन्तुलन को बनाये रखने के लिए समर्पित है, फिर भी पूरे ब्रह्माण्ड में तकनीक, समय मापन और तुरन्त संचार को कायम रखता है। पृथ्वी दिवस खगोल शास्त्रीय घटना पर एक नए तरीके से ध्यान केन्द्रित करता है- जो सबसे प्राचीन तरीका भी है- वर्नल इक्विनोक्स का उपयोग करते हुए, जिस समय सूर्य पृथ्वी की भूमध्य रेखा को पार करते हुए पृथ्वी के सभी भागों में दिन और रात की लम्बाई को बराबर कर देता है। वार्षिक पञ्चाङ्ग में इस बिन्दु पर, पृथ्वी दिवस प्रतीकों के किसी भी स्थानीय या विभाजक समुच्चय से सम्बन्धित नहीं होता है, जीवन के किसी भी एक रूप का दूसरे रूप पर प्रभावी होने या सत्य की स्थिति को नहीं देखा जा सकता है। लेकिन मार्च सम्पात का चुनाव एक सहभाजित घटना के ग्रहीय प्रेक्षण को सम्भव बनता है और एक ध्वज जो पृथ्वी को अन्तरिक्ष से उपयुक्त रूप से दर्शाता है।" सम्पात के क्षण पर, जापानी शान्ति घण्टी बजाकर पृथ्वी दिवस का प्रेक्षण करना पारंपरिक है, इस घण्टी को जापान के द्वारा संयुक्त राष्ट्र को दान कर दिया गया था। इन सालों में दुनिया के कई स्थानों पर उत्सव मनाये गए, साथ ही संयुक्त राष्ट्र में भी उत्सव मनाया गया। 20 मार्च 2008 को, संयुक्त राष्ट्र के उत्सव के अलावा, न्यूजीलैंड में उत्सव मनाये गए और केलिफोर्निया, वियना, पेरिस, लिथुअनिया, टोकियो और कई अन्य स्थानों पर घण्टियाँ बजायीं गयीं। संयुक्त राष्ट्र में समान्त पृथ्वी दिवस का आयोजन अर्थ सोसाइटी फाउण्डेशन के द्वारा किया जाता है। 22 अप्रैल के अनुसरण 1970 के पृथ्वी दिवस से पहले बढ़ती हुई पर्यावरणीय गतिविधियां. 1960 का दशक, संयुक्त राज्य में पारिस्थितिकी के लिए सैद्धांतिक और व्यवहारिक दोनों ही प्रकार से बहुत गतिशील रहा। 1960 दशक के मध्य में कोंग्रेस ने स्वीपिंग वाइल्डरनेस अधिनियम पारित किया और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश विलियम ओ डगलस ने पूछा, "कौन पेड़ों के लिए बोल रहा है?" 1960 के प्रारंभ में नसाऊ काउंटी, न्युयोर्क में DDT के खिलाफ जन साधारण सक्रियता ने राचेल कार्सन को अपनी श्रेष्ठ विकृत पुस्तक साइलेंट स्प्रिंग लिखने के लिए प्रेरित किया। राल्फ नाडर ने 1970 में पारिस्थितिकी के महत्त्व के बारे में बात करना शुरू किया। पृथ्वी दिवस 1970 व्यापक पर्यावरण प्रदूषण की प्रतिक्रिया स्वरुप, विस्कोंसिन से एक अमेरिकी सीनेटर, जेराल्ड नेल्सन ने एक पर्यावरणी शिक्षण, या पृथ्वी दिवस की शुरुआत 22 अप्रैल 1970 को की। उस साल 20 मिलयन से अधिक लोगों ने भाग लिया और अब पृथ्वी दिवस प्रतिवर्ष 22 अप्रैल को 175 देशों में राष्ट्रीय सरकारों और 500 मिलियन से अधिक लोगों के द्वारा प्रेक्षित किया जाता है। एक पर्यावरण कार्यकर्ता, सीनेटर नेल्सन ने, एक पर्यावरणी मुद्दे के लिए लोकप्रिय राजनैतिक समर्थन के प्रदर्शन की आशा में, इस उत्सव के आयोजन में मुख्य भूमिका निभायी, उन्होंने इसे तत्कालीन सबसे प्रभावी विएतनाम युद्ध विरोध पर प्रतिरूपित किया। पृथ्वी दिवस की अवधारणा सबसे पहले फ्रेड दत्तन के द्वारा लिखित JFK के लिए ज्ञापन में प्रस्तावित की गयी। सेंटा बारबरा, कैलिफोर्निया की समुदाय पर्यावरण परिषद के अनुसार: कहा जाता है कि पृथ्वी दिवस की धारणा को सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने सेंटा बारबरा से घूम कर आने के बाद शुरू किया, यह शुरुआत 1969 में भयंकर तेल रिसाव के ठीक बाद हुई. वह यह देखकर इतने आग-बबूला हुए कि वे वॉशिंगटन वापस लौट आये और 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाने के लिए एक राष्ट्रीय दिवस के रूप में एक चर्चित बिल पारित किया। सेनेटर नेल्सन ने गतिविधियों के राष्ट्रीय समन्वय के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र डेनिस हेल्स को नियुक्त किया। हयेज ने कहा कि वे चाहते हैं कि पृथ्वी दिवस "पारम्परिक राजनितिक प्रक्रिया से हटकर हो."गरेट ड्यूबेल ने एन्वायरनमेंटल हेंड बुक दी फर्स्ट गाइड टू दी एन्वायरनमेंटल टीच-इन का संकलन और संपादन किया। इसका प्रतीक था एक हरे रंग का ग्रीक अक्षर थीटा "दी डेड थीटा" समारोह के आयोजकों में से एक ने कहा: "हम पर्यावरणी घटनाओं की एक पूर्ण और बड़ी रेंज पर सार्वजनिक रूचि की काफी मात्रा पर ध्यान केन्द्रित करने जा रहे हैं, हम ऐसे तरीके से ऐसा करेंगे ताकि यह उनके बीच अंतर्संबंधों को चित्रित करे और लोग इसके द्वारा स्थिरतापूर्वक एक तस्वीर के रूप में पूरे मामले पर ध्यान दें, समाज का वह चित्र जो तेजी से गलत दिशा में जा रहा है और इसे रोक कर मोड़ना होगा. "यह एक बहुत बड़ा मामला होगा, मुझे लगता है। अब हमारे पास 12,000 हाई स्कूलों में, 2000 कोलेजों में और विश्वविद्यालयों में दो हजार अन्य समुदायों में कार्यरत समूह हैं। मेरे ख्याल में यह कहना सुरक्षित होगा कि लोगों की कुल संख्या जो किसी न किसी तरह इस काम में भाग लेगी, कई मिलियन होने जा रही है। यह विएतनाम युद्ध विरोध कार्यक्रम सहित राष्ट्रव्यापी घटना है, लेकिन माना जाता है कि यह पर्यावरण सन्देश के लिए प्रतिकर्षणउत्पन्न करेगी। वाशिंगटन DC के घटनाक्रम में पीट सीगेर प्रमुख वक्ता और कलाकार थे। पाल न्यूमेन और अली मैक्ग्रा ने न्यूयार्क शहर की घटना में भाग लिया। इस घटना का विरोध करने सबसे उल्लेखनीय संगठन था डॉटर्स ऑफ़ अमेरिकन रेवोलुशन. पृथ्वी दिवस 1970 के परिणाम पृथ्वी दिवस 1970 संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनिया में लोकप्रिय साबित हुआ। पहले पृथ्वी दिवस में भाग लेने वाले प्रशंसक दो हज़ार कोलेजों और विश्वविद्यालयों में, प्रायः दस हज़ार प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में और संयुक्त राज्य अमेरिका में सैंकडों संस्थाओं में थे। ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि "पर्यावरण सुधार के पक्ष में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के लिए 20 लाख अमेरिकीयों ने स्प्रिंग सनशाइन में भाग लिया।" सेनेटर नेल्सन ने कहा कि इस पृथ्वी दिवस ने जनसाधारण स्तर पर स्वतः प्रतिक्रिया के कारण "काम" किया। बीस मिलियन प्रदर्शनकारियों और हजारों स्कूलों और स्थानीय समुदायों ने भाग लिया। उन्होंने पहले पृथ्वी दिवस का श्रेय संयुक्त राज्य के राजनेताओं को दिया, जिनकी पर्यावरणी विधायिका में एक ठोस और स्थायी क्षेत्र है। 1970 के पृथ्वी दिवस के साथ कोंग्रेस के द्वारा कई महत्वपूर्ण कानून पारित किये गए, जिनमें शामिल हैं, स्वच्छ वायु अधिनियम, वन भूमि और महासागर और संयुक्त राज्य पर्यावरण सुरक्षा एजेन्सी का निर्माण . अब यह 175 देशों में मनाया जाता है और लाभ रहित पृथ्वी दिवस नेटवर्क इसका समन्वयन करता है, जिसके अनुसार अब पृथ्वी दिवस "विश्व का सबसे बड़ा धर्म निरपेक्ष अवकाश है, जिसे प्रतिवर्ष आधे बिलियन से अधिक लोगों के द्वारा मनाया जाता है।" पर्यावरण समूहों ने पृथ्वी दिवस को एक कार्यशील दिवस बनाने के लिए प्रयास किये हैं, जो मानव के व्यवहार को परिवर्तित करते हैं और नीति परिवर्तनों को बढ़ावा देते हैं। 22 अप्रैल का महत्व सीनेटर नेल्सन ने ऐसी तारीख को चुना जो कॉलेज केम्पस में पर्यावरण शिक्षण की भागीदारी को अधिकतम कर सके। उन्होंने निर्धारित किया कि इसके लिए 19-25 अप्रैल तक का सप्ताह सर्वोत्तम है। यह परीक्षा या वसंत की छुट्टियों के समय में नहीं आता है, न ही इस समय धार्मिक छुट्टियां जैसे ईस्टर आदि होती हैं और वसंत में इतनी पर्याप्त देरी से होता है कि इस समय मौसम अच्छा होता है। ज्यादा विद्यार्थियों के कक्षा में रहने की उम्मीद होती है और सप्ताह के मध्य में अन्य घटनाओं के साथ कम प्रतिस्पर्धा होती है, इसलिए उन्होंने बुधवार, 22 अप्रैल को चुना। पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने जानबूझकर लेनिन के सौंवें जन्मदिन को चुना है, नेल्सन ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक वर्ष में 365 दिन होते हैं और दुनिया में 3.7 बिलियन लोग रहते हैं, तो हर दिन 10 मिलियन लोगों का जन्म दिन होता है। "किसी भी दिन, बहुत सारे अच्छे और बुरे लोग जन्मे हैं," उन्होंने कहा."एक व्यक्ति जिसे बहुत से लोग दुनिया का प्रथम पर्यावरणवादी मानते हैं, वे हैं असीसी के संत फ्रांसिस, जिनका जन्म 22 अप्रैल को हुआ।" 21 अप्रैल जॉन मुइर का जन्म दिन था, जिन्होंने सियरा क्लब की स्थापना की। आयोजक इस बात को नहीं भूले थे कि मुइर का जन्मदिन अप्रैल 22 को होता है। 22 अप्रैल 1970 व्लादिमीर लेनिन का 100 वां जन्मदिन था। टाइम की रिपोर्ट के अनुसार कुछ लोगों का संदेह था कि यह दिनांक कोई संयोग नहीं है, लेकिन एक संकेत था कि घटना "एक कम्युनिस्ट चालाकी" थी और डॉटर्स ऑफ़ दी अमेरिकन रेवोल्यूशन के एक सदस्य ने कहा, "विनाशी तत्व इस बात की योजना बना रहे हैं कि अमेरिकी बच्चे एक ऐसे वातावरण में रहें जो उनके लिए अच्छा है।" यू. एस. फेडेरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन के निदेशक, जे. एडगर हूवर को लेनिन के साथ यह सम्बन्ध संदेहात्मक लगा; यह अभियोग लगाया गया कि FBI ने 1970 के प्रदर्शन में निरीक्षण किया। यह विचार कि इस दिनांक को लेनिन के सौ वर्ष पूरे करने के उत्सव के रूप में चुना गया है, अभी भी कुछ खेमों में पाया जाता है, हालांकि लेनिन को कभी भी एक पर्यावरणवादी नहीं माना गया। कुछ दूर छूट गए समूहों ने यह भी कहा कि उन्होंने प्रारंभिक संगठनात्मक अवधि के दौरान 22 अप्रैल को चुनने के लिए नेल्सन को 'प्रभावित' किया, लेकिन यह उनका चेतना पूर्ण निर्णय प्रतीत नहीं होता है। 22 अप्रैल जूलियस स्टर्लिंग मोर्टन का भी जन्मदिन है, जो अर्बोर डे के संस्थापक थे, यह दिन एक राष्ट्रीय वृक्षारोपण अवकाश है, जो 1872 में शुरू हुआ। अर्बोर दिवस नेब्रास्का में 1885 से नीतिगत छुट्टी बन गया। नेशनल अर्बोर डे फाउंडेशन के अनुसार "राज्य अनुसरण के लिए सबसे सामान्य दिन है अप्रैल महीने का अंतिम शुक्रवार... लेकिन अन्य समय पर कई राज्य अर्बोर दिवस, सर्वश्रेष्ठ वृक्ष रोपण मौसम के साथ संयोगवश मेल खाते हैं।" नेब्रास्का के अलावा, जहां इसकी उत्पत्ति हुई, यह व्यापक रूप से अधिक विस्तरित पृथ्वी दिवस के रूप में स्थापित हो गया है। पृथ्वी सप्ताह कई शहर पृथ्वी दिवस को पृथ्वी सप्ताह के रूप में पूरे सप्ताह के लिए मनाते हैं, आमतौर पर 16 अप्रैल से शुरू कर के, 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के दिन इसे समाप्त किया जाता है। इन घटनाओं को पर्यावरण से सम्बंधित जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया जाता है। इन घटनाओं में शामिल हैं, पुनः चक्रीकरण को बढ़ावा देना, ऊर्जा की प्रभाविता में सुधार करना और डिज्पोजेबल वस्तुओं में कमी लाना। 22 अप्रैल वार्षिक इओवाहॉक "वर्चुअल क्रुइसे" की भी तिथि है। दुनिया भर से लाखों लोग इसमे भाग लेते हैं। पृथ्वी दिवस पर्यावरणीय ध्वज विश्व के ध्वजों के अनुसार, पारिस्थितिक ध्वज का निर्माण कार्टूनिस्ट रोन कोब्ब के द्वारा किया गया और इसे 7 नवम्बर, 1969 को लोस एंजेलेस फ्री प्रेस में प्रकाशित किया गया और फिर बाद में पुब्लिक डोमेन में रखा गया। यह प्रतीक "E" व "O" अक्षरों के संयोजन से बनाया गया था, जिन्हें क्रमशः "Environment" व "Organism" शब्दों से लिया गया था। इस झंडे का प्रतिरूप संयुक्त राज्य अमेरिकी ध्वज से लिया गया था और इसमें एक के बाद एक तेरह हरी और सफ़ेद धारियां थीं। इसकी केंटन हरी थी और इसमें पीला थीटा था। बाद के ध्वजों में थीटा का उपयोग ऐतिहासिक रूप से या तो एक चेतावनी के प्रतीक के रूप में या शांति के प्रतीक के रूप में किया गया। थीटा बाद में पृथ्वी दिवस से सम्बंधित हो गया। एक16 वर्षीय स्कूल छात्र बेट्सी वोगेल जो पर्यावरणी एडवोकेट और सामाजिक कार्यकर्ता थे, उन्हें कोस्ट्युम सिलना और अनोखे उपहार बनाना पसंद था, उन्होंने पहले पृथ्वी दिवस की याद में एक 4 x हरा और सफ़ेद "थीटा" पारिस्थितिक ध्वज बनाया। प्रारंभ में उन्हें इस ध्वज को श्रेवेपोर्ट, लुसियाना में सी ई बिर्ड हाई स्कूल पर लहराने की आज्ञा नहीं दी गयी, वोगेल ने लुसियाना राज्य विधायिका और लुसियाना के गवर्नर जॉन मेककीथेन से पृथ्वी दिवस के समय ध्वज के प्रदर्शन की अनुमति प्राप्त कर ली। पृथ्वी दिवस 2020 का विषय पृथ्वी दिवस 2020 के लिए विषय जलवायु कार्रवाई है। भारी चुनौती - लेकिन जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई के विशाल अवसरों ने इस मुद्दे को 50वीं वर्षगाँठ के लिए सबसे अधिक दबाव वाले विषय के रूप में प्रतिष्ठित किया है। जलवायु परिवर्तन मानवता के भविष्य और जीवन-समर्थन प्रणालियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है जो हमारी दुनिया को रहने योग्य बनाता है। पृथ्वी दिवस पर आलोचनाएँ कुछ पर्यावरणवादी पृथ्वी दिवस के समालोचक बन गए, खास कर वे जो ब्राईट ग्रीन एन्वायरनमेंटलिज्म कैम्प में शामिल थे। उनका दावा था कि पृथ्वी दिवस पर्यावरण के खरखाव को सीमित करने का प्रतीक है और इसे मनाने से इसकी उपयोगिता और कम हो गयी है। 5 मई 2009 को द वॉशिंगटन टाईम्स ने की तुलना पृथ्वी दिवस से की, दावा किया कि अर्बोर दिवस पेड़ों का एक खुश, गैर-राजनैतिक उत्सव है, जबकि पृथ्वी दिवस एक निराशावादी, राजनैतिक विचार है जो मानव में नकारात्मक रोशनी को दर्शाता है। यह भी देखिए विश्व पर्यावरण दिवस सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ 22 अप्रैल पृथ्वी दिवस पृथ्वी दिवस नेटवर्क - पृथ्वी दिवस के लिए दुनिया भर की घटनाओं के साथ समन्वय. पृथ्वी सोसायटी फाउंडेशन - अधिकारिक संगठन जो संयुक्त राष्ट्र में वार्षिक समान्त पृथ्वी दिवस समारोह का आयोजन करता है। संयुक्त राज्य पृथ्वी दिवस - अमेरिकी सरकार की पृथ्वी दिवस साइट. पृथ्वी दिवस कनाडा - कनाडा की आधिकारिक साइट पृथ्वी दिवस के लिए अमेरिका को सुंदर रखें -अमेरिका को सुंदर रखें अभियान में राष्ट्र में समुदायों में सफाई के कार्य इस संगठन ने 1971 में पृथ्वी दिवस पर रोते हुए भारतीयों का प्रसिद्द अभियान शुरू किया। पृथ्वी दिवस प्रकृति संरक्षण में पृथ्वी दिवस पाठ योजना एवं शिक्षण संसाधन दिवस मार्च के अनुष्ठान अप्रैल के अनुष्ठान पर्यावरण जागरूकता दिवस पर्यावरणवाद का इतिहास धर्मनिरपेक्ष छुट्टियाँ संयुक्त राष्ट्र दिवस आवर्ती घटनाएं 1970 में स्थापित
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%B6%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%81%20%28%E0%A4%AE%E0%A4%97%E0%A4%A7%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE%29
अजातशत्रु (मगध का राजा)
अजातशत्रु (लगभग 493 ई. पू.) मगध का एक प्रतापी सम्राट और बिंबिसार का पुत्र जिसने पिता को मारकर राज्य प्राप्त किया। इस प्रकार अजातशत्रु मगध साम्राज्य का राजा था उसने अंग, लिच्छवि, वज्जी, कोसल तथा काशी जनपदों को अपने राज्य में मिलाकर एक विस्तृत साम्राज्य की स्थापना की। अजातशत्रु के समय की सबसे महान घटना बुद्ध का महापरिनिर्वाण थी (483 ई. पू.)। उस घटना के अवसर पर बुद्ध की अस्थि प्राप्त करने के लिए अजात शत्रु ने भी प्रयत्न किया था और अपना अंश प्राप्त कर उसने राजगृह की पहाड़ी पर स्तूप बनवाया। आगे चलकर राजगृह में ही वैभार पर्वत की सप्तपर्णी गुहा से बौद्ध संघ की प्रथम संगीति हुई जिसमें सुत्तपिटक और विनयपिटक का संपादन हुआ। यह कार्य भी इसी नरेश के समय में संपादित हुआ। विस्तार नीति बिंबिसार ने मगध का विस्तार पूर्वी राज्यों में किया था, इसलिए अजातशत्रु ने अपना ध्यान उत्तर और पश्चिम पर केंद्रित किया। उसने कोसल एवं पश्चिम में काशी को अपने राज्य में मिला लिया। वृजी संघ के साथ युद्ध के वर्णन में 'महाशिला कंटक' नाम के हथियार का वर्णन मिलता है जो एक बड़े आकर का यन्त्र था, इसमें बड़े बड़े पत्थरों को उछलकर मार जाता था। इसके अलावा 'रथ मुशल' का भी उपयोग किया गया। 'रथ मुशल' में चाकू और पैने किनारे लगे रहते थे, सारथि के लिए सुरक्षित स्थान होता था, जहाँ बैठकर वह रथ को हांककर शत्रुओं पर हमला करता था। पालि ग्रंथों में अजातशत्रु का नाम अनेक स्थानों पर आया है; क्योंकि वह बुद्ध का समकालीन था और तत्कालीन राजनीति में उसका बड़ा हाथ था। उसका मंत्री वस्सकार कुशल राजनीतिज्ञ था जिसने लिच्छवियों में फूट डालकर साम्राज्य का विस्तार किया था। कोसल के राजा प्रसेनजित को हराकर अजातशत्रु ने राजकुमारी वजिरा से विवाह किया था जिससे काशी जनपद स्वतः यौतुक रूप में उसे प्राप्त हो गया था। इस प्रकार उसकी इस विजिगीषु नीति से मगध शक्तिशाली राष्ट्र बन गया। परंतु पिता की हत्या करने के कारण इतिहास में वह सदा अभिशप्त रहा। प्रसेनजित का राज्य कोसल के राजकुमार विडूडभ ने छीनमें ही विडूडभ ने शाक्य प्रजातंत्र का ध्वंस किया था। मृत्यु इतिहासकारों द्वारा दर्ज अजातशत्रु की मृत्यु का खाता ५३५ ईसा पूर्व है। उनकी मृत्यु का खाता जैन और बौद्ध परंपराओं के बीच व्यापक रूप से भिन्न है। अन्य खाते उनकी मृत्यु के वर्ष के रूप में ४६० ईसा पूर्व की ओर इशारा करते हैं। ऐसा विवरण मिलता है के लगभग सभी ने अपने अपने पिता की हत्या की थी। इसिलए इतिहास में इन्हें पितृहन्ता वंश के नाम से भी जाना जाता है। जैन परम्परा जैन ग्रंथ आवश्यक चूर्णी के अनुसार, अजातशत्रु भगवान महावीर से मिलने गए। अजातशत्रु ने पूछा, "भन्ते! चक्रवर्ती (विश्व-सम्राट) उनकी मृत्यु के बाद कहां जाते हैं?" भगवान महावीर ने उत्तर दिया कि "एक चक्रवर्ती, यदि कार्यालय में मरते समय सातवें नरक में जाता है, जिसे महा-तम्हप्रभा कहा जाता है, और अगर एक साधु के रूप में मर जाता है तो निर्वाण प्राप्त करता है।" अजातशत्रु ने पूछा, "तो क्या मैं निर्वाण प्राप्त करूंगा या सातवें नरक में जाऊंगा?" उन्होंने जवाब दिया, "उनमें से कोई भी नहीं, तुम छठे नरक में जाओगे।" अजातशत्रु ने पूछा, "भन्ते, तब मैं चक्रवर्ती नहीं हूँ?" जिस पर उन्होंने जवाब दिया, "नहीं, तुम नहीं हो।" इसने अजातशत्रु को विश्व-सम्राट बनने के लिए चिंतित कर दिया। उन्होंने 12 कृत्रिम गहने बनाए और दुनिया के छह क्षेत्रों की विजय के लिए तैयार किए। लेकिन जब वह तिमिस्रा गुफाओं में पहुंचा, तो उसे एक संरक्षक देवता कृतमाल मिले जिन्होंने कहा था, "केवल चक्रवर्ती ही इस गुफा से गुजर सकते है, एक कालचक्र के आधे चक्र में 12 से अधिक चक्रवर्ती नहीं होते, और पहले से ही बारह चक्रवर्ती हो चुके हैं। " इस पर, अजातशत्रु ने अहंकारपूर्वक कहा, "फिर मुझे तेरहवें के रूप में गिनो और मुझे जाने दो वरना मेरी गदा इतनी मजबूत है कि तुम यम तक पहुँच सको।" अजातशत्रु के अहंकार पर देवता क्रोधित हो गए और उन्होंने अपनी शक्ति से उसे मौके पर ही राख बना दिया। अजातशत्रु का तब "तम्हप्रभा" नामक छठे नरक में पुनर्जन्म हुआ था। धर्म जैन धर्म का पहले उपांग में भगवान महावीर और अजातशत्रु के रिश्ते के बारे में जानने को मिलता हैं। यह वर्णन करता है कि अजातशत्रु ने भगवान महावीरस्वामी को सर्वोच्च सम्मान में रखा था। इसी ग्रन्थ में यह भी कहा गया है कि अजातशत्रु के पास भगवान महावीरस्वामी की दिनचर्या के बारे में रिपोर्ट करने के लिए एक अधिकारी था। उसे इस कार्य के लिए भारी रकम मिलती थी। अधिकारी के पास एक विशाल नेटवर्क और सहायक फील्ड स्टाफ था, जिसके माध्यम से वह अधिकारी, भगवान महावीर के बारे में सभी जानकारी एकत्र करता और राजा को सूचना देता था। उववई सूत्र में भगवान महावीरस्वामी का चम्पा शहर में आगमन,अजातशत्रु द्वारा उन्हें दिखाया गया सम्मान, और भगवान महावीर के अर्धमग्धी में उपदेश, के बारे में विस्तृत वर्णन और प्रबुद्ध चर्चा की गई हैं। अजातशत्रू एक बोध्द अणूयायी थे भगवान बुद्ध के निर्वाण के बाद प्रथम बुद्ध धम्म संगीति का राजगिर में आयोजन किया था सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Entry on Ajatasattu in the Buddhist Dictionary of Pali Proper Names मगधवंश के राजा भारत का इतिहास भारतीय बौद्ध भारत के शासक हर्यक राजवंश
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%87%E0%A4%B8%E0%A4%B2%E0%A5%88%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1
आइसलैण्ड
आइसलैंड (आइस्लैंडिक : Ísland), आधिकारिक रूप से आइसलैंड गणराज्य (आइस्लैंडिक: Lýðveldið Ísland) उत्तर पश्चिमी यूरोप में, उत्तरी अटलांटिक में ग्रीनलैंड, फ़रो द्वीप समूह, और नार्वे के मध्य बसा एक नार्डिक द्विपीय देश है। आइसलैण्ड का क्षेत्रफल लगभग १,०३,००० किमी२ है और अनुमानित जनसंख्या ३,१३,००० (२००९) है। यह यूरोप में ब्रिटेन के बाद दूसरा, व विश्व में अठारहवा सबसे बड़ा द्वीप है। आइसलैंड की राजधानी रेक्याविक है, और देश की आधी जनसंख्या राजधानी में ही निवास करती है। अवस्थापन साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि आइसलैंड में अवस्थापन ८७४ ईस्वी में आरंभ हुआ था, जब इंगोल्फ़र आर्नार्सन लोग यहाँ पर पहुँचे, यद्यपि इससे पहले भी कई लोग इस देश में अस्थाई रूप से रुके थे। आने वाले कई दशकों और शताब्दियों में अवस्थापन काल के दौरान अन्य बहुत से लोग आइसलैण्ड, नार्वे के ओल्ड कोवेनेन्ट के अधीन आया और 1918 में संप्रभुता मिलने तक नार्वे और डेनमार्क द्वारा शासित रहा। डेनमार्क और आइसलैण्ड के बीच हुई एक संधि के अनुसार आइसलैण्ड की विदेश नीति का नियामन डेनमार्क के द्वारा किया जाना तय हुआ और दोनों देशों का राजा एक ही था जब तक की 1944 में आइसलैण्ड गणराज्य की स्थापना नहीं हो गई। इस देश को विभिन्न नामों से पुकारा गया, विशेषरूप से कवियों द्वारा। बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में आइसलैण्डवासियों ने अपने देश के विकास पर पुरजोर ध्यान दिया और देश के आधारभूत ढाँचे को सुधारने और अन्य कई कल्याणकारी कामों पर ध्यान दिया जिसके परिणामस्वरूप आइसलैण्ड, संयुक्त राष्ट्र के जीवन गुणवत्ता सूचकांक के आधार पर विश्व का सर्वाधिक रहने योग्य देश है। आइसलैण्ड, सयुंक्त राष्ट्र, नाटो, एफ़्टा, ईईए समेत विश्व की बहुत सी संस्थाओं का सदस्य है। इतिहास सर्वप्रथम लोग जो आइसलैण्ड में रहे थे आयरलैंड के भिक्षु थे। वे लोग लगभग 800 ईस्वी में यहाँ आए थे। 9वीं शताब्दी में, नॉर्स लोग यहाँ रहने के लिए आए। आइसलैण्ड में रहने वाला सर्वप्रथम नॉर्स था फ़्लोकी विल्जरार्सन (Flóki Vilgerðarson)। यह उन लोगों में से था जिन्होंने आइसलैण्ड को यह नाम दिया। नार्वे का एक सेनापति जो आइसलैण्ड के दक्षिण पश्चिम में रहता था ने रेक्जाविक की स्थापना की थी। 930 में आइसलैण्ड के शासकों ने वहाँ का संविधान लिखा था। उन्होंने अल्थिन्ग (Alþingi), एक प्रकार की संसद बनाई जो पिन्ग्वेलिर नामक स्थान पर थी। यह विश्व की सर्वप्रथम संसद थी जो आज भी संचालन में है। 985 ईस्वी में एरिक, द रेड नामक एक व्यक्ति को किसी की हत्या के आरोप में आइसलैण्ड से निकाल दिया गया। उसने पश्चिम की ओर यात्रा की और ग्रीनलैंड की खोज कर डाली। एरिक के पुत्र लीफ़ एरिक्सन ने 1000 ईस्वी में अमेरिकी महाद्वीप की खोज की थी। उसने इसे विन्लैंड कहा। एरिक, लीफ़ और अन्यों की यात्राओं का उल्लेख गाथाओं (sagas) में मिलता है। 1262 में, आइसलैण्ड, नार्वे का भाग बना और 1662 में डेनमार्क का। उन्नीसवीं सदी में बहुत से आइसलैण्डवासी डेनमार्क से स्वतंत्र होना चाहते थे। 1918 में आइसलैण्ड को बहुत सी शक्तियां दी गईं, लेकिन डेनमार्क का शासक अभी भी आइसलैण्ड का भी शासक था। जब 9 अप्रैल, 1940 को जर्मनी ने डेनमार्क पर अधिकार कर लिया तो आइसलैण्ड की संसद अल्थिन्ग ने यह निर्णय लिया की आइसलैण्डवासियों को अपने देश का शासन स्वयं करना चाहिए, लेकिन उन्होंने अभी तक स्वतंत्रता की घोषणा नहीं की थी। पहले ब्रिटिश और बाद में अमेरिकी सैनिकों ने आइसलैण्ड का अधिकरण कर लिया ताकि जर्मन उसपर हमला ना कर सकें। अंततः 1944 में आइसलैण्ड एक पूर्ण स्वतंत्र राष्ट्र बना। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आइसलैण्ड उत्तरी अटलान्टिक सन्धि संगठन का सदस्य बना, लेकिन यूरोपीय संघ का नहीं। 1958 और 1976 के मध्य आइसलैण्ड और ब्रिटेन के बीच कौड मछलियों को पकड़ने को लेकर तीन बार वार्ता हुई। इसे कोड युद्द कहा गया। 1970 में विग्डिस फिन्बोगाडोटिर (Vigdís Finnbogadóttir) आइसलैण्ड की राष्ट्रप्ति चुनीं गई। वह किसी भी देश में निर्वाचित होने वाली सर्वप्रथम महिला राष्ट्रपति थीं। राजनीति आइसलैण्ड एक प्रतिनिधि लोकतंत्र और संसदीय गणतंत्र है। आधुनिक संसद, जिसे अल्पिंगी "Alþingi" कहा जाता है, 1845 में डेनमार्क के राजा के लिए एक सलाहकार निकाय के रूप में स्थापित की गई थी। इसे व्यापक रूप से 930 में स्थापित एक विधानसभा के रूप में देखा जाता है जिसकी स्थापना राष्ट्रमंडल काल में की गई थी और जिसे 1799 में निलंबित कर दिया। परिणामतः, "तर्क साध्य रूप से आइसलैण्ड दुनिया का सबसे पुराना संसदीय लोकतंत्र है" इसमें वर्तमान में 63 सदस्य होते हैं, जिन्हें चार वर्षीय कार्यकाल के लिए चुना जाता है। आइसलैण्ड का राष्ट्रपति मुख्यतः केवल एक औपचारिक राष्ट्राध्यक्ष है और एक राजनयिक के रूप में कार्य करता है, लेकिन वह संसद द्वारा पारित किसी भी कानून को रोक सकता है और राष्ट्रीय जनमत संग्रह के लिए रख सकता है। वर्तमान राष्ट्रप्ति ओलाफर रागनार ग्रिम्सन (Ólafur Ragnar Grímsson) हैं। सरकार का प्रमुख होता है प्रधानमंत्री, जो वर्तमान में जोहाना सिर्गुराडोटिर (Jóhanna Sigurðardóttir) हैं, जो अपनी मंत्रीपरिषद के साथ, कार्यकारी सरकार के प्रति उत्तरदाई है। मंत्रीपरिषद की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा आम चुनाव के बाद की जाती है, लेकिन, नियुक्ति पर आम तौर पर राजनीतिक दलों के नेताओं में विचार विमर्श होता है कि कौन से दल मंत्रीपरिषद में सम्मिलित हो सकते हैं और सीटों का बँटवारा कैसे होगा लेकिन इस शर्त पर की उस मंत्रीपरिषद को अल्थिन्ग में बहुमत प्राप्त होगा। जब दलों के नेता अपने आप एक निर्धारित अवधि में किसी निष्कर्ष तक पहुँचने में असमर्थ होते हैं तो राष्ट्रपति अपनी शक्ति का प्रयोग करके मंत्रीपरिषद की नियुक्ति स्वयं करता या करतीं हैं। यद्यपि 1944 में गणतंत्र बनने के बाद से अभी तक ऐसा नहीं हुआ है, लेकिन 1942 में देश के रीजेंट स्वीन जोर्न्सन (Sveinn Björnsson, जो 1941 में अल्थिन्ग द्वारा इस स्थिति में स्थापित किए गए थे) ने एक असंसदीय सरकार को नियुक्त किया था। रीजेंट, सभी व्यावहारिक प्रयोजनों के लिए, एक राष्ट्रपति की स्थिति थी और स्वीन वास्तव में 1944 में देश के पहले राष्ट्रपति बने। प्रशासनिक प्रभाग आइसलैण्ड क्षेत्रों, निर्वाचन-क्षेत्रों, काउंटियों और नगर पालिकाओं में विभाजित है। यहाँ आठ क्षेत्र हैं जो मुख्य रूप से सांख्यिकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं, जिला न्यायालय भी इस विभाग के एक पुराने संस्करण का उपयोग कर रहे हैं। 2003 तक, संसदीय चुनावों के लिए निर्वाचन क्षेत्र वही क्षेत्र थे, लेकिन संविधान संशोधन द्वारा, वे वर्तमान छह निर्वाचन क्षेत्रों में परिवर्तित किए गए: रेक्जाविक उत्तर और रेक्जाविक दक्षिण (नगरीय क्षेत्र); दक्षिण पश्चिम (चार भौगोलिक दृष्टि से अलग रेक्जाविक के चारों ओर के उपनगरीय क्षेत्र); उत्तर पश्चिम और पूर्वोत्तर (आइसलैण्ड का उत्तरी अर्धभाग, विभाजित) और, दक्षिण (आइसलैण्ड का दक्षिणी अर्धभाग, रेक्जाविक और उपनगरों को छोड़कर)। भूगोल आइसलैण्ड भूवैज्ञानिक रूप से बहुत सक्रिय है और खाड़ी की गर्म धाराएँ जो इसकी ओर बहती हैं, के कारण यहाँ भारी वर्षा और हिमपात होता है और इन धाराओं के कारण कई दिलचस्प और असामान्य भौगोलिक विशेषताओं का विकास हुआ है जो आर्कटिक वृत के इतने निकट किसी भी अन्य द्वीप से बहुत अलग हैं। इनमें से कुछ विशेषताएँ हैं, आइसलैण्ड के कई पहाड़, ज्वालामुखि, गरम चश्मे (हॉट स्प्रिंग्स), नदियां, छोटी झीलें, झरने, हिमनद और गीजर। बल्कि "गीजर" शब्द भी गीसिर नामक एक प्रसिद्ध गीजर से व्युत्पन्न हुआ है जो देश के दक्षिणी भाग में स्थित है। हिमनद इस द्विपीय देश के 11% भूभाग को अच्छादित किए हुए हैं और सबसे बड़ा, वात्नाजोकुल (Vatnajökull) लगभग 1 किमी मोटा है और यूरोप का सबसे बड़ा हिमनद है। आइसलैण्ड, हालांकि एक यूरोपीय देश माना जाता, लेकिन आंशिक रूप से उत्तर अमेरिका में पड़ता है, क्योंकि यह मध्य अटलांटिक कटक (रिज), जो यूरेशियाई और उत्तरी अमेरिका के विवर्तनिक प्लेटों के बीच सीमा के बनाता है, पर स्थित है। यह कटक ऐतिहासिक रूप से जनसंख्या वाले रेक्जाविक और थिंग्वेलिर क्षेत्रों के मध्य से होकर गुजरता है और इन अलग विवर्तनिक प्लेटों की गतिविधि क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में भूताप ऊर्जा का स्रोत है। अर्थव्यवस्था आर्थिक सूचको के आधार पर आइसलैण्ड विश्व के सर्वाधिक धनी देशों में है। वर्ष 2007 में प्रति व्यक्ति सकल आय 63,730 $ थी। (विश्व में चौथे स्थान पर, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार) अर्थव्यस्था मुख्य रूप से मछली पकड़ने पर आधारित है, जिसकी देश के निर्यात आय में भागीदारी 60% है और यह उद्योग देश के 8% कार्यबल को रोजगार दिए हुए है। आइसलैण्ड के पास मछली और अपार जलविद्युत और भूतापीय ऊर्जा के अतिरिक्त अन्य कोई संसाधन नहीं है। इसलिए यहाँ की अर्थव्यस्था पर अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में मछली उत्पादो और उनके प्रक्रमण मूल्यों पर होने वाले बदलावों का प्रभाव पड़ता है। सीमंट ही एकमात्र ऐसा उत्पाद है जिसके प्रक्रमण का कच्चा माल यहाँ बनता है। यहाँ अधिकांश भवन इसी से बनाए जाते है और लकड़ी (महँगी होने के कारण) कम ही उपयोग में लाई जाती है। मछली उद्योग पर निर्भरता ही एक ऐसा कारण है जो आइसलैण्ड के यूरोपीय संघ में सम्मिलित होने से रोके हुए है। उन्हें यह चिंता है कि यूसं का सदस्य बनने से देश के ऊपर कई नियामक लागू होंगे जिसके कारण मछली के कच्चे माल के प्रबंधन पर से उनका नियंत्रण समाप्त हो जाएगा। यद्यपि अर्थव्यस्था मछली उद्योग पर आधारित है लेकिन यह उद्योग अब कम महत्वपूर्ण हो रहा है और पर्यटन उद्योग (मुख्यतः पारिस्थितिकी पर्यटन) और आधुनिक प्रौद्योगिकी उद्योग (मुख्यतः सॉफ़्टवेयर और जैव प्रौद्योगिकी) बढ़ रहे हैं। 2003 में देश की विकास दर 4.3% थी और 2004 में 5.2%। 2004 की चौथी तिमाही में बेरोज़गारी दर 2.5% थी जो लिक्टेनस्टाइन के बाद यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र में सबसे कम थी। 2007 का आर्थिक संकट हाल ही के वर्षों में आइसलैण्ड को घोर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है, जो 2007 के बैंकिंग संकट के बाद से और गहरा गया। बढ़ती मुद्रास्फ़ीति, अस्थिर बैंकिंग और मुद्रा के कारण आइसलैण्ड की ऋणपात्रता निर्धारणता (क्रेडिट रेटिंग) ढ़ह गई और बहुत से विशेषज्ञो का मानना हैं कि बैंकिंग प्रणाली का चरमराना तब तक जारी रहेगा जब तक की आर्थिक नीतियों में नाटकीय बदलाव नहीं किए जाते। पर्यटन देश का लघु पर्यटन काल आधिकारिक रूप से 31 मई से आरंभ होकर 1 सितंबर को समाप्त होता है। जून के आरंभिक महीनों में भी कई क्षेत्र और मार्ग बर्फ़ से अच्छादित होते हैं। ग्रीष्मकालीन दिन लंबे होते हैं और अर्धरात्रि तक उजाला रहता है। जून की समाप्ति और जुलाई के महीनों में अधिकतर पर्यटक आते हैं। अगस्त के महीने में प्रवासी पक्षी भी आते हैं। पेपिन, जो राष्ट्रीय पक्षी अगस्त के अंत होने तक दिखने कम हो जाते हैं। 20 अगस्त पर्यटन के मौसम का आधिकारिक अंतिम दिन होता है। इसके बाद से दिन छोटे होने लगते हैं और बर्फ़बारी का मौसम आरंभ हो जाता है। पर्यटन के दो-तीन महीनों के दौरान ही आइसलैण्ड में लगभग 10 लाख पर्यटक आते हैं जो यहाँ की जंगली प्रकृति जैसे: हिमनद, झरने, ज्वालामुखी और जीजर देखने आते हैं। हाल ही के वर्षों में आइसलैण्ड में सर्दियों के दौरान भी पर्यटन में तेज़ी आई है। संस्कृति साहित्य आइसलैण्ड का अधिकांश साहित्य ईडा कविताएं हैं जो 900 से 1050 ईस्वी के बीच लिखीं गई थी और इनमें नायको और विभिन्न देवताओं का विवरण है, मुख्यतः गाथाओं के राजाओं का जो मध्यकाल में थे। सोनोरा स्टॉर्लोसन सहित्य ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ईसाईयत के यहाँ आने के बाद से चर्च से संबंधित साहित्य भी यहाँ लिखे गए। 19वीं सदी के आरंभ में आइसलैण्डिक साहित्य-लेखन में बहुत तेज़ी आई। उस काल के कुछ अति महत्वपूर्ण लेखक हैं वाई गिम्सन, ग्रोन्डल एम आइकोम्सन इत्यादि। आइसलैण्ड के 20वीं सदी के कुछ महत्वपूर्ण लेखक हैं: इप्स्टीन, ई वेन्डिक्ट्सन, जॉन गोनार्सन हाल्डोर लैक्जि़स जनसांख्यिकी नोटः यह आँकड़े वर्ष 2005 के लिए हैं। आइसलैण्ड की कुल जनसंख्या 2,96,737 है और यहाँ की नस्लीय बनावट इस प्रकार है: 94% आइसलैण्डी और 6% डैनिश, स्वीडिश, नार्वेजियाई, अमेरिकी और अन्य। आइसलैण्ड बहुत सीमा तक एक सजातीय देश है और यहाँ पूरे देश की जनसंख्या पर डीएनए शोध चल रहा है। जीवन प्रत्याशा: पुरुष 78.23 वर्ष, महिला 82.48 वर्ष। जनसंख्या वितरण: देश की 93% जनसंख्या नगरीय क्षेत्रों में निवास करती है जिसमें से लगभग आधे से भी अधिक केवल राजधअनी रेक्जाविक में रहते हैं। जनसंख्या की वृद्धि दर है 0.9%। धर्म आइसलैण्ड की बहुसंख्यक जनसंख्या ईसाई धर्म की है और अधिकांशतः लूथरन हैं। धार्मिक बनावट: 96% इवैंग्लिकल लूथरन, 2% अन्य ईसाई और अन्य मतावलम्बी और 2% कोई धार्मिक संबद्धता नहीं। भाषा यहाँ की आधिकारिक भाषा है आइसलैण्डी। यह भाषा पिछले 1,000 वर्षों में बहुत अधिक नहीं बदली है, इसलिए आइसलैण्डवासी अभी भी वाइकिंग की उन गाथाओं को पढ़ सकते हैं जो सदियों पहले लिखे गए थे। शिक्षा और विज्ञान आइस्लैंड में आठ वर्ष की शिक्षा अनिवार्य है। यहाँ दो विश्वविद्यालय, शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालय, महाविद्यालय और तकनीकी संस्थान हैं। आइस्लैंड की साक्षरता दर 100% है। प्रौद्योगिकी के मामले में आइसलैण्ड एक अत्यंत उन्न्त देश है। 1999 तक, 82.3% आइसलैण्डवासियों के पास कम्प्यूटर था। 2006 में आइसलैण्ड में प्रति 1,000 व्यक्तियों पर 1,007 मोबाइल फ़ोन थे, जो विश्व में 16वां सबसे अधिक उच्चतम आँकड़ा था। यूरोपीय मंगल एनालॉग शोध स्टेशन का मुख्यालय आइसलैण्ड में स्थित है। यातायात आइसलैण्ड की सामाजिक संरचना निजी कारों पर बहुत निर्भर है। आइसलैण्ड में प्रति व्यक्ति कार स्वामित्व विश्व में उच्चतम में से एक है: 2007 में 656.7 प्रति एक हज़ार निवासी (www.statice.is) 17 वर्ष से ऊपर। अधिकांश आइसलैण्डवासी यात्रा करने, काम पर जाने, विद्यालय या अन्य गतिविधियों के लिए कारों का ही उपयोग करते हैं।। आइसलैण्ड में यातायात का मुख्य साधन सड़क है। आइसलैण्ड में 13,034 किमी लंबी प्रशासित सड़कें हैं, जिनमें से 4,617 किमी पक्की और 8,338 कच्ची सड़कें हैं। रिंग रोड 1974 में पूरी की गई थी और कुछ वर्ष पूर्व ही सभी समुदायों को सड़क से जोड़ा गया है और इससे पहले सड़कों के छोटे-छोटे भाग ही पक्के थे। आज, देशभर में सड़कों का निर्माण और सुधार किया जा रहा है और राजधानी रेक्जाविक के आसपास महामार्गों का निर्माण किया जा रहा है। अभी भी बड़ी संख्या में सड़कें कच्ची हैं जिनमें अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में कम उपयोग में लाई जाने वाली सड़कें हैं। कस्बों में सड़कों पर गति सीमा 50 किमी/प्रति घंटा, पथरीली सड़कों पर 80 किमी/घंटा और पक्की सड़को़ पर 90 किमी/घंटा है। वर्तमान में आइसलैण्ड में कोई रेलमार्ग नहीं हैं। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ आइसलैण्ड का प्रवेशद्वार आइसलैण्ड के सरकारी कर्यालय 82237_cid_4608577,00.html आइसलैण्ड से समाचार आइसलैंड यूरोप के देश
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BE%20%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%A4%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%B2
पीड़ा फ़तहिय़ाल
पीड़ा फ़तहिय़ाल , पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल ज़िले का एक कस्बा और यूनियन परिषद् है। यहाँ बोले जाने वाली प्रमुख भाषा पंजाबी है, जबकि उर्दू प्रायः हर जगह समझी जाती है। साथ ही अंग्रेज़ी भी कई लोगों द्वारा काफ़ी हद तक समझी जाती है। प्रभुख प्रशासनिक भाषाएँ उर्दू और अंग्रेज़ी है। सन्दर्भ इन्हें भी देखें पाकिस्तान के यूनियन काउंसिल पाकिस्तान में स्थानीय प्रशासन पंजाब (पाकिस्तान) चकवाल ज़िला बाहरी कड़ियाँ चकवाल जिले के यूनियन परिषदों की सूची पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ़ स्टॅटिस्टिक्स की आधिकारिक वेबसाइट-१९९८ की जनगणना(जिलानुसार आँकड़े) चकवाल ज़िले के यूनियन परिषद् पाकिस्तानी पंजाब के नगर
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प्रश्लिष
प्रश्लिष सूक्ष्म ठोस कणों अथवा तरल बूंदों की हवा या किसी अन्य गैस में श्लैष मिश्रण (Colloid) को प्रश्लिष (Aerosol) कहा जाता है। हवा में उपस्थित प्रश्लिष को वायुमंडलीय प्रश्लिष (Atmospheric Aerosol) कहा जाता है। धुंध (haze), धूल (dust), वायुमंडलीय प्रदूषक अभिकण (particulate air pollutants), धुआं (smoke) - प्रश्लिष के उदाहरण हैं। तरल या ठोस अभिकण १ μm से ज्यादातर छोटे व्यास के हैं ; बड़े अभिकणों के तलछट में बैठने की महत्वपूर्ण गति, मिश्रण को निलम्बित रूप में लाती है, लेकिन भेद पूर्णतः स्पष्ट नहीं है। सामान्य बातचीत में, प्रश्लिष आमतौर पर प्रश्लिष फुहार (spray) को संदर्भित करता है, जो कि एक डब्बे या सदृश पात्र में उपभोक्ता उत्पाद स्वरुप में वितरित किया जाता है। यह भी देखिए प्रश्लिष (अंग्रेजी विकिपीडिया पर) अभिकण अभिकण (अंग्रेजी विकिपीडिया पर) वायु प्रदूषण वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) प्रदूषण
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A5%A7%E0%A5%AE%20%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%9A
१८ मार्च
18 मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 77वॉ (लीप वर्ष मे 78 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 288 दिन बाकी है। प्रमुख़ घटनाएं 18 मार्च 2006 को संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकार परिषद के गठन का प्रस्ताव मंजूर किया भारतीय आयुध निर्माणियाँ दिवस जन्म 1922- इगोन बारा, जर्मन राजनीतिज्ञ 1938 शशि कपूर -हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। (निधन 2017) 1975- बाबु माऩ -पंजाबी गायक निधन 1987 झारखण्डे राय पूर्वांचल में कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक थे। वह घोसी से सात बार सांसद व विधायक रहे। 2000 राजकुमारी दुबे- एक भारतीय पार्श्व गायिका थी 2010- मार्कंडेय, हिंदी कथाकार बाहरी कडियाँ बीबीसी पे यह दिन मार्च, १८
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%82%20%E0%A4%B8%E0%A4%AC%20%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%A4%E0%A5%80%20%E0%A4%B9%E0%A5%88
किट्टू सब जानती है
किट्टू सब जानती है एक भारतीय कॉमेडी-ड्रामा सीरीज़ है जो 14 नवंबर 2005 से 6 अप्रैल 2007 तक सहारा वन पर प्रसारित हुई। यह शो एक मध्यमवर्गीय लड़की कात्यायनी पुरोहित की कहानी पर आधारित था, जो अपने पारिवारिक और पेशेवर जीवन को संतुलित करने की कोशिश में एक अलग रास्ते से लड़ती है। शो का निर्माण मनीष गोस्वामी ने किया था। कथानक यह कहानी एक मध्यमवर्गीय भारतीय लड़की किट्टू के जीवन पर आधारित है। अपनी आँखों में सपने होने के बावजूद, वह अपने छोटे से मोहल्ले (कॉलोनी) के क्षितिज से परे सपने देखने की हिम्मत करती है। 20 साल की उम्र में उन्हें जीवन की सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जब अन्य लड़कियाँ अपने पतियों और अपनी पोशाकों की योजना बनाने में व्यस्त होती हैं, तो किट्टू को अपने परिवार को संभावित बर्बादी और जीवन भर के कर्ज से बचाने के लिए अपनी सारी कुशलता सामने लाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। किट्टू का पूरा नाम कात्यायनी पुरोहित है और वह बहुत होशियार लड़की है। उनका सपना न्यूज चैनल में काम करना है। हालाँकि, उसकी माँ ने एक बार फैसला किया कि वह कहीं भी काम नहीं करेगी और घर में महिलाएँ काम नहीं करेंगी! किट्टू के भाई ने नौकरी छोड़ दी और उन्होंने अपनी दुकान भी खो दी, फिर भी पैसे का प्रबंध किया, किट्टू काम न करने के लिए सहमत हो गई लेकिन उसने अपने परिवार को किसी तरह पैसे कमाने का सुझाव दिया: उसकी माँ घर पर ही दर्जी का काम करेगी और उसकी भाभी काम करेगी एक शिक्षक के रूप में उन सभी ग्रामीणों (बच्चों) को ट्यूशन देते हैं जो हिंदी में आलसी हैं ! इस तरह वे कुछ पैसे कमा लेते हैं. . लेकिन बाद में किट्टू की मां ने उन्हें न्यूज चैनल में काम करने के लिए स्वीकार कर लिया. काम के दौरान किट्टू को हमेशा ऑफिस के कुछ कर्मचारियों (लड़की) और अन्य द्वारा परेशान किया जाता है। उन्होंने किट्टू को फँसा लिया, लेकिन सौभाग्य से किट्टू अपने दोस्त की मदद से हमेशा सुरक्षित रही। न्यूज चैनल का बॉस बदल गया और युवराज की एंट्री हो गई। वह बहुत सख्त है लेकिन बाद में हम देखते हैं कि किट्टू रोहन के प्यार को अस्वीकार कर देती है जो हमेशा उसके पीछे रहता है। रोहन हर समय उसका पीछा करता रहता है, काम से पहले और काम के बाद भी लेकिन किट्टू की माँ को किट्टू का इस तरह रात में काम पर जाना और यहाँ तक कि रोहन का उसके घर पर फोन करना या किट्टू से बात करना भी नापसंद था। रोहन उच्च वर्ग श्रेणी के लोगों में से है। तो रोहन अमीर है. किट्टू ने पहली नजर में रोहन के अमीर होने का अनुमान लगा लिया था, लेकिन रोहन ने अपने दोस्त के साथ कपड़े बदल लिए, जो मध्यम वर्ग के कपड़े पहनता था और कभी-कभी वह किट्टू को उससे प्यार करने के लिए सड़क पर बिकने वाले मध्यम कपड़े खरीदता था। वह किट्टू से बुरी तरह पागल था। वह अपने ऑफिस में काम नहीं करना चाहता, हमेशा अपने बिजनेस से दूर भागता है और अपने ऑफिस की लड़कियों से दूर रहता है। रोहन की माँ एक नायक है और वह किट्टू से नफरत करती है लेकिन अपने बेटे के लिए असहाय है। वह किट्टू और रोहन के प्रस्ताव को किट्टू के पास ले जाती है और किसी भी तरह उनका प्रस्ताव मंजूर कर लिया जाता है। किट्टू की माँ बहुत खुश है उसकी बेटी की शादी बहुत अच्छे परिवार में हो रही है लेकिन एक दिन रोहन की माँ एक ड्राइवर के माध्यम से किट्टू के यहाँ एक टोकन साड़ी भेजती है लेकिन जब किट्टू को यह बात पता चलती है तो वह जाकर रोहन के पास साड़ी वापस कर देती है और अपनी माँ से कहती है कि उसे डिज़ाइन पसंद नहीं आएगा तो वह अपनी कॉलोनी के ही एक निम्न वर्ग के दर्जी को अपने डिज़ाइन देगी। इस प्रकार विदा लेकर वहां से चले गये। . . रोहन को चोट लगी है लेकिन वह उस दिन रात में उसे डिनर पर ले जाने की योजना बना रहा है ! उस दिन युवराज ने अभद्र नेता मुन्ना बाबू का इंटरव्यू लेने की जिम्मेदारी किट्टू को दी! किट्टू ने साक्षात्कार से पहले अपना शोध किया लेकिन युवराज ने उसे मुन्ना बाबू की पत्नी माला के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होने के लिए डांटा। किट्टू ने सोचा कि उसे साक्षात्कार का मौका नहीं दिया जाएगा लेकिन युवराज ने एक बार जो निर्णय ले लिया वह उसे नहीं बदलता है, इसलिए किट्टू जोगी के साथ साक्षात्कार के लिए जाती है जो कि निर्दोष किट्टू को फंसाने की योजना बनाता है। कलाकार कात्यायनी पुरोहित (किट्टू) के रूप में अमी त्रिवेदी युवराज के रूप में तरूण खन्ना रोहन कपूर के रूप में अमित वर्मा श्री पुरोहित (किटू के पिता) के रूप में नरेश सूरी यश सिन्हा प्रभाकर के रूप में उषा बचानी सोनिया कपूर (रोहन की मां) के रूप में श्रीमती के रूप में शमा देशपांडे पुरोहित (किट्टू की माँ) क्षितिज के रूप में हर्ष खुराना नंदिनी के रूप में सोनल पेंडसे जोगी के रूप में दया शंकर पांडे सांवरी के रूप में शुभावी चौकसे काजल के रूप में शीतल ठक्कर बलराज के रूप में अमर तलवार शिवानी के रूप में समिता वेरेकर इंद्रनील (नील) बनर्जी के रूप में सलिल आचार्य श्वेता साल्वे मलायका बनर्जी (रोहन की प्रेमिका) के रूप में श्वेता (रोहन की प्रेमिका) के रूप में आरज़ू गोवित्रिकर चांडी के रूप में प्रणीत भट्ट अमनदीप सोन बुद्धादित्य मोहंती नासिर खान दक्षा के रूप में बेनिका बिष्ट देव कांटावाला चार्वी संगकोलकर डॉली मिन्हास अमृत के रूप में कुणाल बख्शी निसार खान जगत के रूप में महासंग्राम वो रहने वाली महलों की की मुख्य किरदार रानी ने श्रृंखला के लॉन्च एपिसोड के दौरान अतिथि भूमिका निभाई। संदर्भ बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट भारतीय टेलीविजन धारावाहिक सहारा वन के धारावाहिक
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मानव श्वेताणु प्रतिजन
मानव श्वेताणु प्रतिजन प्रणाली (एचएलए (HLA)) मनुष्यों में मुख्य ऊतक-संयोज्यता संकुल (एमएचसी (MHC)) का नाम है। सुपर स्थल में मनुष्यों के प्रतिरक्षी तंत्र की कार्यप्रणाली से संबंधित जीन बड़ी संख्या में विद्यमान रहते हैं। यह जीन-समूह गुणसूत्र 6 पर स्थित रहता है और कोशिका-सतह प्रतिजन को प्रस्तुत करने वाले प्रोटीनों और कई अन्य जीनों को अनुकूटित करता है। एचएलए (HLA)) जीन एमएचसी (MHC)) जीन का मानव संस्करण हैं जो अधिकतर पृषठवंशियों में पाए जाते हैं (और इस प्रकार सर्वाधिक अध्ययन किए गए एमएचसी (MHC)) जीन हैं). अवयव प्रत्यारोपणों में कारकों के रूप में उनकी ऐतिहासिक खोज के परिणामस्वरूप कतिपय जीनों द्वारा अनुकूटित प्रोटीनों को प्रतिजन का नाम भी दिया जाता है। प्रतिरक्षी प्रकार्यों के लिये मुख्य एचएलए (HLA)) प्रतिजन आवश्यक तत्व हैं। विभिन्न वर्गों के भिन्न कार्य होते हैं। एमएचसी (MHC)) वर्ग I (ए, बी और सी) से संबधित एचएलए (HLA)) प्रतिजन कोशिका के भीतर के पेप्टाइडों (विषाणुज पेप्टाइड सहित, यदि उपस्थित हों) को प्रस्तुत करते हैं। ये पेप्टाइड पचे हुए उन प्रोटीनों से उत्पन्न होते हैं, जो प्रोटियासोम में विघटित हो जाते हैं। पेप्टाइड सामान्यतः छोटे बहुलक होते हैं और लंबाई में लगभग 9 अमीनो अम्लों जितने होते हैं। बाह्य प्रतिजन संहारक टी-कोशिकाओं (जो सीडी8 (CD8) सकारात्मक- या कोशिकाविषी टी-कोशिकाएं भी कहलाती हैं) को आकर्षित करते हैं, जो कोशिकाओं को नष्ट करते हैं। एमएचसी (MHC) वर्ग II (डीपी (DP), डीएम (DM), डीओए (DOA), डीओबी (DOB), डीक्यू (DQ) और डीआर (DR)) से संबंधित एचएलए (HLA) प्रतिजन टी-लिम्फोसाइटों के लिये कोशिका के बाहर से प्रतिजन प्रस्तुत करते हैं। ये विशेष प्रतिजन टी-हेल्पर कोशिकाओं के विभाजन को प्रोत्साहित करते हैं और तब ये टी-सहायक कोशिकाएं प्रतिरक्षी-उत्पादक बी-कोशिकाओं को उस विशिष्ट प्रतिजन के प्रति प्रतिरक्षकों का उत्पादन करने के लिये उत्प्रेरित करती हैं। स्वतः-प्रतिजनों का शमन शामक टी-कोशिकाओं द्वारा किया जाता है। एमएचसी (MHC) वर्ग III से संबंधित एचएलए (HLA) प्रतिजन पूरक प्रणाली के घटकों को अनुकूटित करते हैं। एचएलए (HLA) की अन्य भूमिकाएं भी होती हैं। वे रोग से रक्षा के लिये महत्वपूर्ण हैं। वे अवयव प्रत्यारोपण के अस्वीकरण का कारण हो सकते हैं। वे कैंसर से रक्षा कर सकते हैं या रक्षा करने में असमर्थ (यदि वे किसी संक्रमण द्वारा अवनियमित हो जाएं तो) हो सकते हैं। वे रोग से स्वतःप्रतिरक्षित होने में मध्यस्थता कर सकते हैं (उदाहरण: प्रकार। मधुमेह, उदरगुहा रोग). प्रजनन में भी, एचएलए (HLA) लोगों की व्यक्तिगत गंध से संबंध रख सकते हैं और सहवासी के चुनाव में शामिल हो सकते हैं। 6 मुख्य प्रतिजनों को अनुकूटित करने वाले जीनों के अलावा, एचएलए (HLA) समूह पर बड़ी संख्या में अन्य जीन स्थित होते है, जिनमें से कई प्रतिरक्षा के कार्य में हिस्सा लेते हैं। मानव आबादी में एचएलए (HLA) की विविधता रोग से रक्षा का एक पहलू है और इसके परिणामस्वरूप सभी स्थानों पर दो असंबंधित व्यक्तियों में एक समान एचएलए (HLA) अणुओं के पाए जाने की संभावना बहुत कम होती है। ऐतिहासिक रूप से, एचएलए (HLA) जीनों की पहचान समान एचएलए (HLA) वाले व्यक्तियों के बीच अवयवों के सफलतापूर्ण प्रतिरोपण की क्षमता का परिणाम थी। प्रकार्य एचएलए (HLA) द्वारा अनुकूटित प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं के बाह्य भाग पर स्थित होते हैं, जो उस व्यक्ति के लिये (प्रभावी रूप से) अद्वित्तीय होते हैं। प्रतिरक्षित तंत्र एचएलए (HLA) का प्रयोग स्वकोशिकाओं और गैर-स्वकोशिकाओं में अंतर करने के लिये करता है। किसी भी व्यक्ति के एचएलए (HLA) का प्रकार दर्शाने वाली कोई भी कोशिका उसी व्यक्ति की अपनी होती है (और इसलिये आक्रामक नहीं होती). ] संक्रामक रोग में . जब कोई बाह्य रोगाणु शरीर में प्रवेश करता है तो प्रतिजन-प्रस्तोता कोशिकाएं (एपीसी (APC)) भक्षककोशिकाक्रिया नामक एक प्रक्रिया द्वारा रोगाणु को निगल लेती हैं। रोगाणु के प्रोटीन को छोटे-छोटे टुकड़ों (पेप्टाइडों) में पचाए जाते हैं और एचएलए (HLA) प्रतिजनों (विशेषकर एमएचसी (MHC) वर्ग II) पर अधिभारित हो जाते हैं। फिर उन्हें प्रतिजन-प्रस्तोता कोशिकाओं द्वारा टी कोशिका नामक प्रतिरक्षित तंत्र की कतिपय कोशिकाओं के लिये प्रदर्शित किया जाता है, जो फिर रोगाणु को खत्म करने के लिये विविध प्रकार के प्रभाव उत्पन्न करते हैं। इसी तरह की एक प्रक्रिया के जरिये, अधिकांश कोशिकाओं के भीतर उत्पन्न प्रोटीन (मूल और बाह्य, जैसे विषाणुओं के प्रोटीन, दोनों), जैसे कोशिका सतह पर एचएलए (HLA) प्रतिजनों (विशेष रूप से एमएचसी (MHC) वर्ग I) पर प्रदर्शित किये जाते हैं। संक्रमित कोशिकाओं को प्रतिरक्षित तंत्र के घटकों (विशेषकर सीडी8+ टी कोशिकाएं) द्वारा पहचाना और नष्ट किया जा सकता है। बगल में दिया गया चित्र एचएलए-डीआर1 (HLA-DR1)- अणु के बंधनकारक फटे हुए भाग के भीतर बंधे हुए एक विषैले जीवाणु प्रोटीन (एसईआई (SEI) पेप्टाइड) के एक अंश को दर्शाता है। दूर नीचे दिये गए चित्र में, जो एक भिन्न दृश्य है, ऐसी ही एक दरार में बंधे हुए एक पेप्टाइड के साथ एक संपूर्ण डीक्यू (DQ) को देखा जा सकता है, जैसा कि बगल से दिखता है। रोग-संबंधित पेप्टाइड इन 'खांचों' में ऐसे फिट हो जाते हैं जैसे दस्ताने में हाथ फिट हो जाता है या ताले में चाबी फिट हो जाती है। इन संरचनाओं में पेप्टाइड टी-कोशिकाओं के सम्मुख प्रस्तुत किये जाते हैं। जब कतिपय पेप्टाइड बंधक दरार के भीतर होते हैं, तब एचएलए (HLA) अणुओं द्वारा टी-कोशिकाओं को प्रतिबंधित किया जाता है। इन कोशिकाओं पर ऐसे ग्राहक होते हैं जो प्रतिरक्षकों की तरह होते हैं और प्रत्येक कोशिका केवल कुछ वर्ग II-पेप्टाइड संयोजनों को पहचानती है। जब एक बार कोई टी-कोशिका किसी एमएचसी (MHC) वर्ग II अणु के भीतर किसी पेप्टाइड को पहचान लेती है, तो यह उन बी-कोशिकाओं को उत्तेजित करती हैं, जो उनके एसआईजीएम प्रतिरक्षकों में उसी अणु को पहचानती हैं। इसलिये ये टी-कोशिकाएं बी-कोशिकाओं को ऐसे प्रोटीनों के लिए प्रतिरक्षक बनाने में मदद करती हैं, जिन्हें वे दोनों पहचानती हैं। हर व्यक्ति में ऐसे करोड़ों भिन्न टी-कोशिका संयोजन संभव हैं, जिन्हें प्रतिजनों को पहचानने के लिये प्रयोग किया जा सकता है, जिनमें से अनेक सृष्टि के समय निकाल दिये जाते हैं क्योंकि वे स्वतःप्रतिजनों को पहचानते हैं। प्रत्येक एचएलए (HLA) कई पेप्टाइडों को बांध सकता है और प्रत्येक व्यक्ति में तीन एचएलए (HLA) प्रकार होते हैं और कुल 12 समप्रकारों के लिये डीपी (DP) के 4 समप्रकार, डीक्यू (DQ) के 4 समप्रकार और डीआर (DR) के 4 समप्रकार (डीआरबी1 (DRB1) के 2 और डीआरबी3 (DRB3), डीआरबी4 (DRB4) और डीआरबी5 (DRB5) के 2) होते हैं। इस तरह के विषमयुग्मजों में रोग-संबंधित प्रोटीनों का पहचाने जाने से बचना कठिन होता है। निरोप अस्वीकरण में . कोई और एचएलए (HLA) प्रकार दर्शाने वाली कोई भी कोशिका “गैर-स्वयं” और आक्रामक होती है, जिसके फलस्वरूप उन कोशिकाओं से युक्त अवयव अस्वीकृत हो जाता है। प्रतिरोपण में एचएलए (HLA) के महत्व के कारण, एचएलए (HLA) स्थल अन्य किसी स्वतःसूत्री युग्मविकल्पियों के मुकाबले सीरम विज्ञान या पीसीआर द्वारा सबसे अधिक वर्गनिर्धारित किये गए स्थलों में शामिल हैं। {| class="wikitable" style="float:right" |+ एचएलए (HLA) और ऑटोइम्यून रोग |- ! एचएलए (HLA) विकल्‍पी !! बढ़े हुए जोखिम के साथ रोग !! सापेक्ष जोखिम |- |rowspan=3| एचएलए (HLA)-बी (B)27 | एंकीलोसिंग स्पौंडीलाइटिस | 12 |- | पोस्ट गोनोकोकल आर्थ्राइटिस | 14 |-पोस्ट-सैल्मोनेला आर्थ्राइटिस | तीव्र अग्रभाग युविटिस |15 |- |rowspan=3| एचएलए (HLA)-डीआर (DR)3 | ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस | 14 |- | प्राथमिक सोग्रेन सिंड्रोम | 10 |- | डाइबिटीज मेलिटस टाइप 1 | 5 |- |rowspan=2| एचएलए (HLA)-डीआर (DR)4 | रूमेटोइड आर्थ्राइटिस | 4 |- |डाइबिटीज मेलिटस टाइप 1 | 6 |- | एचएलए (HLA)-डीआर (DR)3 और डीआर (DR)4 संयुक्त | डाइबिटीज मेलिटस टाइप 1 | 15 |- | एचएलए (HLA)-बी (B)47 | 21-हाइड्रोक्सिलेस का अभाव | 15 |- |colspan=3| जब तक बॉक्स में अन्यथा न दिया गया हो, तब तक संदर्भ है: |} स्वप्रतिरक्षा में . एचएलए (HLA) वर्ग आनुवंशिक होते हैं, और उनमें से कुछ का संबंध स्वप्रतिरक्षित विकारों और अन्य रोगों से होता है। कतिपय एचएलए (HLA) प्रतिजनों से युक्त लोगों में कुछ स्वप्रतिरक्षित रोगों के विकसित होने की अधिक संभावना होती है, जैसे, मधुमेह प्रकार I, अचलताजनक कशेरूकाशोथ, सीलियाक रोग, एसएलई (SLE) (सिस्टेमिक लूपस एरिथमेटोसस), माइएस्थीनिया ग्रैविस, इनक्लूजन बॉडी मांसपेशीशोथ और जोग्रेन्स रोगसमूह. एचएलए (HLA) वर्गनिर्धारण से सीलियाक रोग और मधुमेह प्रकार I के निदान में कुछ सुधार और तेजी आई है; फिर भी डीक्यू2 (DQ2) वर्गनिर्धारण के उपयोगी होने के लिये उच्च समाधान बी1* वर्गनिर्धारण (*0202 से *0201 तक समाधान करने वाली), डीक्यूए1* (DQA1*) वर्गनिर्धारण, या डीआर (DR) सीरोवर्गनिर्धारण की आवश्यकता होती है। चालू सीरोवर्गनिर्धारण एक पायदान में डीक्यू8 (DQ8) का समाधान कर सकती है। स्वप्रतिरक्षा में एचएलए (HLA) वर्गनिर्धारण का प्रयोग निदान के एक औजार के रूप में बढ़ता जा रहा है। सीलियाक रोग में, अचल लक्षणों, जैसे प्रत्युर्जता और द्वितीयक स्वप्रतिरक्षित रोग के प्रकट होने के पहले प्रथम दर्जे के संबंधियों में से अधिक जोखिम वाले लोगों और बिना जोखिम वाले लोगों की पहचान करने के लिये यह एकमात्र प्रभावशाली जरिया है। कैंसर में . कुछ एचएलए (HLA) मध्यस्थ रोग कैंसर को उकसाने में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होते हैं। ग्लुटेन संवेदक आंत्ररोग का संबंध टी-कोशिका लसीकाग्रंथिअर्बुद से संबंधित आंत्ररोग की घटना की वृद्धि से होता है और डीआर3-डीक्यू2 (DR3-DQ2) समयुग्मज सर्वाधिक जोखिम वाले समूह में आते हैं जिनमें लगभग 80 प्रतिशत ग्लुटेन संवेदक ईएटीएल (EATL) के मामले होते हैं। लेकिन अकसर एचएलए (HLA) अणु, यह जानते हुए कि ऐसे प्रतिजनों की संख्या में वृद्धि होती है जो सामान्य अवस्था में कम स्तरों के कारण सहन नहीं किये जाते हैं, एक रक्षात्मक भूमिका निभाते हैं। असामान्य कोशिकाएं एपोटोसिस के लिये लक्ष्य बन सकती हैं जो निदान के पहले कई कैंसरों की मध्यस्थता कर सकती हैं। भिन्नयुग्मक चुनाव के एक भाग के एचएलए (HLA) पर प्रभाव द्वारा कैंसर की रोकथाम हो सकती है। वर्गीकरण एमएचसी (MHC) वर्ग I प्रोटीन शरीर की अधिकांश नाभिकयुक्त कोशिकाओं पर कार्यात्मक ग्राहक का निर्माण करते हैं। एचएलए (HLA) में 3 मुख्य और 3 गौण जीन होते हैं - एचएलए-ए (HLA-A) एचएलए-बी (HLA-B) एचएलए-सी (HLA-C) गौण जीन हैं – एचएलए-ई (HLA-E), एचएलए-एफ (HLA-F) और एचएलए-जी (HLA-G). β2-माइक्रोग्लॉब्युलिन मुख्य और गौण जीन उपइकाइयों से जुड़ कर एक हेटेरोडाइमर का उत्पादन करता है। एचएलए (HLA) द्वारा अनुकूटित 3 मुख्य और 2 गौण एमएचसी (MHC) वर्ग II प्रोटीन होते हैं। वर्ग II के जीन संयुक्त होकर हेटेरोडाइमरिक (αβ) प्रोटीन ग्राहक बनाते हैं जो प्रतिजन प्रस्तोता कोशिकाओं की सतह पर व्यक्त होते हैं। मुख्य एमएचसी (MHC) वर्ग II एचएलए-डीपी (HLA-DP) एचएलए (HLA)-डीपीए1 (DPA1) स्थल द्वारा अनुकूटित α -श्रृंखला एचएलए (HLA)-डीपीबी1 (DPB1) स्थल द्वारा अनुकूटित β -श्रृंखला एचएलए (HLA)-डीक्यू (DQ) एचएलए (HLA)-डीक्यूए1 (DQA1) स्थल द्वारा अनुकूटित α -श्रृंखला एचएलए (HLA)-डीक्यूबी1 (DQB1) स्थल द्वारा अनुकूटित β -श्रृंखला एचएलए (HLA)-डीआर (DR) एचएलए (HLA)-डीआरए (DRA) स्थल द्वारा अनुकूटित α -श्रृंखला एचएलए (HLA)-डीआरबी1 (DRB1), डीआरबी3 (DRB3), डीआरबी4 (DRB4), डीआरबी5 (DRB5) स्थल द्वारा अनुकूटित 4 β-श्रृंखलाएं (प्रति व्यक्ति केवल 3 संभव) एमएचसी (MHC) वर्ग II वाले अन्य प्रोटीन, डीएम (DM) और डीओ (DO), का प्रयोग प्रतिजनों की आंतरिक तैयारी के लिये किया जाता है, जिसमें रोगाणुओं से उत्पन्न प्रतिजनीय पेप्टाइडों को प्रतिजन-प्रस्तोता कोशिका के एचएलए (HLA) अणुओं पर चढ़ाया जाता है। नामावली आधुनिक एचएलए (HLA) युग्मविकल्पी विस्तार के विविध स्तरों के साथ लिखे जाते हैं। अधिकांश नामांकन एचएलए (HLA)- और स्थल के नाम से शुरू होते हैं, फिर * और युग्मविकल्पी को इंगित करने वाले कुछ (सम) अंक लिखे जाते हैं। पहले दो अंक युग्मविकल्पी के समूह को दर्शाते हैं। पुरानी वर्गीकरण प्रणालियां अक्सर युग्मविकल्पियों को पूरी तरह पहचान नहीं पाती थीं और इसलिये इसी स्तर पर रूक जाती थीं। तीसरे से चौथे अंक एक समाननाम वाले युग्मविकल्पी को दर्शाते हैं। अंक पांच से अंक छह जीन के कूट फ्रेम के भीतर किसी भी समाननामी विकृतियों को दर्शाते हैं। सातवें और आठवें अंक कूटलेखन क्षेत्र से बाहर के परिवर्तनों में भेद करते हैं। एल (L), एन (N), क्यू (Q) या एस (S) जैसे अक्षर युग्मविकल्पी के नाम के बाद आकर उसके बारे में ज्ञात अभिव्यक्ति स्तर या अन्य गैर-जीनोमी जानकारी को दर्शा सकते हैं। इस प्रकार, कोई पूरी तरह से वर्णित युग्मविकल्पी 9 अंकों तक लंबा हो सकता है, जिसमें एचएलए (HLA)-उपसर्ग और स्थल-संकेतन शामिल नहीं हैं। विविधजन्यता स्तनपायियों में एमएचसी (MHC) स्थल आनुवंशिकतः सबसे अधिक परिवर्तनशील कूट स्थल में शामिल हैं और मानव एचएलए (HLA) स्थल भी कोई अपवाद नहीं हैं। इस सबूत के बाद भी कि मानव जनसंख्या 150000 वर्षों से भी पहले एक संकुचन से गुजरी थी जो कई स्थलों को तय करने में समर्थ था, एचएलए (HLA) स्थल ऐसे संकुचन से बड़ी मात्रा में भिन्नता के साथ बच निकले प्रतीत होते हैं। उपर्लिखित 9 स्थल में से, अधिकांश ने प्रत्येक स्थल के लिये एक दर्जन या उससे अधिक युग्मविकल्पी-समूहों को संभाले रखा है, जो मानव स्थलों के विशाल समुदाय की अपेक्षा काफी अधिक परिरक्षित परिवर्तन है। यह इन स्थलों के लिये भिन्नयुग्मक या संतुलनकारक चुनाव के गुणक के अनुकूल है। उसके अलावा, कुछ एचएलए (HLA) स्थल मानव जीनोम में सबसे अधिक तेजी से क्रमविकास कर रहे कूट क्षेत्रों में शामिल हैं। विविधीकरण की एक विधि के बारे में दक्षिण अमेरिका की अमेजोनियन जातियों के एक अध्ययन में पता चला है, जिनमें प्रत्येक जीन वर्ग में परिवर्तनशील युग्मविकल्पियों और स्थलों के बीच तीव्र जीन परिवर्तन हुआ लगता है। कम संख्या में एचएलए (HLA) जीनों के जरिये लंबे दायरे के उत्पादक पुनर्संयोजन देखे गए हैं, जिनसे द्विदेहांशी जीनों का उत्पादन होता है। पांच स्थलों के 100 से अधिक युग्मविकल्पी हैं जो मानव आबादी में पाए गए हैं, जिनमें से सबसे अधिक परिवर्तनशील हैं, एचएलए (HLA) बी (B) और एचएलए (HLA) डीआरबी1 (DRB1). 2004 तक निश्चित किये गए युग्मविकल्पियों को नीचे दी गई तालिका में अनुसूचित किया गया है। इस तालिका को समझने के लिये यह मानना जरूरी है कि युग्मविकल्पी किसी स्थल पर न्यूक्लियोटाइड (डीएनए (DNA)) क्रम का एक भिन्न रूप होता है, इस तरह कि प्रत्येक युग्मविकल्पी अन्य सभी युग्मविकल्पियों से कम से कम एक स्थिति (एकल न्यूक्लियोटाइड पालिमार्फिज्म, एसएनपी (SNP)) में भिन्न होता है। ये परिवर्तन अधिकतर अमीनो एसिड सीक्वेंसों में एक परिवर्तन लाते हैं जिसके फलस्वरूप प्रोटीन में हल्की से लेकर बड़ी कार्यात्मक भिन्नताएं हो सकती हैं। कुछ बाते हैं जो इस परिवर्तन को सीमित करती हैं। कुछ युग्मविकल्पी जैसे डीक्यूए1*0501 (DQA1*0505) और डीक्यूए1*0505 (DQA1*0505) समान रूप से तैयार किये गए उत्पादनों वाले प्रोटीनों को अनुकूटित करते हैं। अन्य युग्मविकल्पी जैसे डीक्यूबी1*0201 (DQB1*0201) और डीक्यूबी1*0202 (DQB1*0202) ऐसे प्रोटीनों का उत्पादन करते हैं जो कार्यात्मक रूप से समान होते हैं। वर्ग II (डीआर (DR), डीपी (DP) और डीक्यू (DQ)) के लिये, ग्राहक के पेप्टाइड बाइंडिंग फांक के भीतर के अमीनो एसिड भिन्नरूप भिन्न बाइंडिंग क्षमता वाले अणुओं का उत्पादन करते हैं। भिन्नरूपी युग्मविकल्पियों की तालिकाएं आईएमजीटी-एचएलए (IMGT-HLA) आंकडों के अनुसार वर्ग I स्थल पर स्थित भिन्नरूपी युग्मविकल्पियों की संख्या, जनवरी 2009 तक: वर्ग II स्थल (डीएम (DM), डीओ (DO), डीपी (DP), डीक्यू (DQ) और डीआर (DR)) पर भिन्नरूपी युग्मविकल्पियों की संख्या: अनुक्रम फ़ीचर संस्करण प्रकार (SFVT) एचएलए (HLA) जीनों की बड़ी हद तक परिवर्तनशीलता रोगों में एचएलए (HLA) जीनसंबंधी परिवर्तनों की भूमिका की जांच करने में काफी चुनौतियां खड़ी करती है। आदर्श रूप से रोग संबंध अध्ययन प्रत्येक एचएलए (HLA) युग्मविकल्पी को एक एकल पूर्ण इकाई मानते हैं, जो रोग से संबंधित अणु के भागों को प्रकाशित नहीं करती. कार्प डी आर और अन्य ने एचएलए (HLA) जीनसंबंधी विश्लेषण के लिये एक नवीन क्रम रूप भिन्नरूपी वर्ग (एसएफवीटी) का वर्णन किया है, जो एचएलए (HLA) प्रोटीनों को जीववैज्ञानिक रूप से अर्थपूर्ण छोटे क्रम रूपों (एसएफ) और उनके भिन्न प्रकारों में श्रेणीकृत करता है। क्रम रूपी रचनात्मक जानकारी (उदाहरण, बीटा-शीट 1), क्रियात्मक जानकारी (उदाहरण, पेप्टाइड प्रतिजन बंधन) और बहुरूपता के आधार पर परिभाषित अमीनो अम्लों के संयोजन होते हैं। ये क्रम रूप आच्छादन और रेखीय क्रम में विरामयुक्त या अनवरत हो सकते हैं। प्रत्येक क्रम के रूप के लिये भिन्न वर्ग वर्णित एचएलए (HLA) स्थल की सभी ज्ञात बहुरूपकताओं के आधार पर परिभाषित किये जाते हैं। एचएलए (HLA) का एसएफवीटी (SFVT) वर्गीकरण जेनेटिक संबंध विश्लेषण में इस तरह से प्रयुक्त किया जाता है कि विभिन्न एचएलए (HLA) युग्मविकल्पियों द्वारा साझा किये गए एपीटोपों के प्रभाव व भूमिकाओं को पहचाना जा सके. सभी संस्थापित एचएलए (HLA) प्रोटीनों के लिये क्रम रूप और उनके भिन्न प्रकारों का विवरण दिया गया है;एचएलए (HLA) एसएफवीटी (SFVT) का अंतर्राष्ट्रीय संग्रह आईएमजीटी (IMGT)/एचएलए (HLA) आंकड़ों पर अवलंबित किया जाएगा. एचएलए (HLA) युग्मविकल्पियों को उनके आंशिक एसएफवीटी (SFVT) में बदलने के लिये एक औजार प्रतिरक्षितविज्ञान डेटाबेस और विश्लेषण पोर्टल (ImmPort) वेबसाइट पर पाया जा सकता है। एचएलए (HLA) प्रकारों का परीक्षण सीरोवर्ग और युग्मविकल्पियों के नाम एचएलए (HLA) के लिये नामावली की दो समानांतर प्रणालियां उपलब्ध हैं। पहली और सबसे पुरानी प्रणाली सीरमवैज्ञानिक (प्रतिरक्षी पर आधारित) पहचान पर आधारित है। इस प्रणाली में प्रतिजनों को अंततः अक्षर और संख्याएं दी गईं.(उदाहरण के लिए, एचएलए (HLA)-बी27 (B27) या संक्षेप में, बी27 (B27)). एक समानांतर प्रणाली का विकास किया गया, जिससे युग्मविकल्पियों की अधिक सुघड़ परिभाषा संभव हुई, इस प्रणाली में एचएलए (HLA) को एक अक्षर* और चार या अधिक अंकों वाली संख्या के साथ (उदाहरण के लिए, एचएलए (HLA)-बी*0801, ए*68011, ए*240201एन एन=शून्य) प्रयोग किया जाता है, जिससे किसी दिये गए एचएलए (HLA) स्थल पर विशिष्ट युग्मविकल्पी का नामकरण किया जा सके. एचएलए (HLA) स्थल को आगे एमएचसी (MHC) वर्ग I और एमएचसी (MHC) वर्ग II (या विरल रूप से, डी स्थल) में वर्गीकृत किया जा सकता है। हर दो वर्षों पर शोधकर्ताओं को युग्मविकल्पियों के प्रति सीरोवर्गों को समझने में मदद करने के लिये एक नामावली प्रस्तुत की जाती है। सीरोवर्गनिर्धारण वर्गनिर्धारण अभिकर्मक बनाने के लिये, पशुओं या मनुष्यों का रक्त लेकर रक्त कोशिकाओं को सीरम से अलग होने दिया जाता है और सीरम को उसकी अनुकूलतम संवेदनशीलता तक पतला किया जाता है और अन्य व्यक्तियों या पशुओं की कोशिकाओं को वर्गीकृत करने के लिये प्रयोग में लाया जाता है। इस तरह सीरोवर्गनिर्धारण एचएलए (HLA) ग्राहकों और ग्राहक समरूपों को पहचानने का एक अपरिष्कृत तरीका बन गया। आगे के वर्षों में प्रतिरक्षकों का सीरोवर्गनिर्धारण और सुघड़ हो गया, जैसे-जैसे संवेदनशीलता बढ़ाने की तकनीकें सुधरीं और नए सीरोवर्गनिर्धारित प्रतिरक्षक प्रकट होने लगे. सीरोवर्ग विश्लेषण का एक लक्ष्य है, विश्लेषण के अंतरालों को भरना. वर्गमूल, अधिकतम संभावना विधि या पारिवारिक हैप्लोवर्गों के विश्लेषण द्वारा पर्याप्त रूप से वर्गनिर्धारित किये हुए युग्मविकल्पियों को समझने के आधार पर पूर्वानुमान करना संभव है। सीरोवर्गनिर्धारण तकनीकों का प्रयोग करने वाले इन अध्ययनों द्वारा, विशेषकर गैर-यूरोपियन या उत्तर-पश्चिम एशियन जनता के लिये, शून्य या रिक्त सीरोवर्गों की एक बड़ी संख्या का पता चला है। यह बात सीडबल्यू (Cw) स्थल के लिये अभी हाल तक खास तौर पर समस्यापूर्ण रही और लगभग आधे सीडबल्यू (Cw) सीरोवर्ग 1991 के मानव आबादी के सर्वे में बिना वर्ग किये रह गए। सीरोवर्ग कई प्रकार के होते हैं। एक बड़ा प्रतिजन सीरोवर्ग कोशिकाओं की पहचान का एक अपरिष्कृत तरीका है। उदाहरण के लिए, एचएलए (HLA) ए9 (A9) सीरोवर्ग ए23 (A23) और ए24 (A24) वाले व्यक्तियों की कोशिकाओं की पहचान कर सकता है, साथ ही यह ऐसी कोशिकाओं की भी पहचान कर सकता है जिन्हें ए23 (A23) और ए24 (A24) छोटी भिन्नताओं के कारण पहचान न पाए हों. ए23 (A23) और ए24 (A24) बंटे हुए प्रतिजन हैं, लेकिन उनके विशिष्ट प्रतिरक्षक बड़े प्रतिजनों के प्रतिरक्षकों की अपेक्षा अधिक बार प्रयोग में लाए जाते हैं। सेलुलर टाइपिंग एक प्रतिनिधि कोशिकीय विश्लेषण मिश्रित लसीकाकोशिका सम्वर्ध (एमएलसी) होता है और एचएलए (HLA) वर्ग II प्रकारों को निर्धारित करने के काम में लाया जाता है। कोशिकीय विश्लेषण सीरोवर्गनिर्धारण की तुलना में एचएलए (HLA) की भिन्नताओं का पता लगाने में अधिक संवेदनशील होता है। ऐसा इसलिये होता है क्यौंकि एलोएंटीसीरा द्वारा न पहचानी गई छोटी-मोटी भिन्नताएं टी कोशिकाओं को प्रोत्साहित कर सकती हैं। इस वर्गनिर्धारण को डीडबल्यू (DW) वर्ग का नाम दिया गया है। सीरोवर्ग डीआर1 (DR1) को कोशिकीय रूप से डीडबल्यू1 (DW1) या डीडबल्यू20 (DW2) नाम से और अन्य सीरोटाइपीकृत डीआर (DR) इस प्रकार परिभाषित किये गए हैं। तालिका डीआर (DR) युग्मविकल्पियों के लिये संबंधित कोशिकीय विशिष्टताएं दर्शाती है। फिर भी, कोशिकीय वर्गनिर्धारण में कोशिकीय व्यक्तियों के बीच प्रतिक्रिया में असामंजस्य होता है, जिससे कभी-कभी पूर्वानुमान से भिन्न परिणाम प्राप्त होते हैं। कोशिकीय वर्गनिर्धारण अभिकर्मकों को बनाने और संभालने में कोशिकीय विश्लेषण की कठिनाई के साथ, कोशिकीय विश्लेषण को डीएनए (DNA)-आधारित वर्गनिर्धारण विधि द्वारा विस्थापित किया जा रहा है। जीन क्रमीकरण सीरोवर्ग समूह के युग्मविकल्पियों के जीन उत्पादनों में अन्य प्रकारों से समानता लिये हुए उपप्रदेशों के प्रति हल्की प्रतिक्रियाएं देखी जा सकती हैं। प्रतिजनों का क्रम प्रतिरक्षकों की प्रतिक्रियात्मकताओं को निश्चित कर सकता है और इसलिये अच्छी क्रमीकरण क्षमता (या क्रम पर आधारित वर्गनिर्धारण) सीरोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं की जरूरत को टाल सकती है। इसलिये भिन्न सीरोवर्ग प्रतिक्रियाएं नए जीन क्रम को निश्चित करने के लिये व्यक्ति के एचएलए (HLA) को क्रम में रखने की आवश्यकता का संकेत दे सकती है। बड़े प्रतिजन प्रकार अभी भी उपयोगी हैं जैसे कई अनजान एचएलए (HLA) युग्मविकल्पियों वाली बहुत विविध आबादियों का वर्गनिर्धारण करने के लिये (अफ्रीका, अरब, दक्षिणपूर्व ईरान और पाकिस्तान, भारत). अफ्रीका, दक्षिण ईरान और अरब दर्शाते हैं कि जिन क्षेत्रों पर पहले कब्जा हुआ उनका वर्गनिर्धारण करना कठिन है। युग्मविकल्पीय विविधता बड़े प्रतिजन वर्गनिर्धारण के प्रयोग और उसके बाद जीन क्रमीकरण को आवश्यक बनाती है क्यौंकि सीरोवर्गनिर्धारण तकनीकों द्वारा गलत पहचान किये जाने का जोखिम बढ़ जाता है। अंत में, क्रम पर आधारित एक कार्यशिविर यह निश्चय करता है कि कौन सा नया युग्मविकल्पी कौन से सीरोसमूह में क्रम या प्रतिक्रियात्मकता के अनुसार जाएगा. एक बार क्रम का सत्यापन होने के बाद उसे एक संख्या आवंटित कर दी जाती है। उदाहरण के लिए, बी44 (B44) के नये युग्मविकल्पी को सीरोवर्ग बी*4465 (B*4465) कहा जाएगा क्यौंकि 65वां बी44 (B44) युग्मविकल्पी है। मार्श और अन्य.(2005) को एचएलए (HLA) सीरोवर्गों और जीनोवर्गों की एक कूटपुस्तक कहा जा सकता है और ऊतक प्रतिजन में मासिक अद्यतन के साथ द्वैवार्षिक नई पुस्तक निकाली जाती है। समलक्षणीनिर्धारण जीन वर्गनिर्धारण जीन क्रमीकरण और सीरोवर्गनिर्धारण से अलग होता है। इस तरीके से डीएनए (DNA) के भिन्न प्रकार वाले क्षेत्र के लिये खास पीसीआर प्राइमरों (एसएसपी (SSP)-पीसीआर (PCR)) का प्रयोग किया जाता है, यदि सही आकार का उत्पादन उपलब्ध होता है, तो यह समझा जाता है कि एचएलए (HLA) युग्मविकल्पी की पहचान हो गई है। नए जीन क्रमों के कारण अकसर बढ़ती हुई अस्पष्टता देखी जाती है। चूंकि जीन वर्गनिर्धारण एसएसपी (SSP)-पीसीआर (PCR) पर आधारित होता है, इसलिये यह संभव है कि नए प्रकार, विशेषकर वर्ग I और डीआरबी1 (DRB1) स्थल ध्यान में आने से रह जाएं. नैदानिक स्थिति में एसएसपी (SSP)-पीसीआर (PCR) अकसर एचएलए (HLA) समलक्षणियों को पहचानने के काम में लाया जाता है। किसी भी व्यक्ति के लिये विस्तारित फीनोलक्षणी का एक उदाहरण निम्न हो सकता है: ए (A)*0101/*0301, सीडब्लू (Cw)*0701/*0702, बी (B)*0702/*0801, डीआरबी1 (DRB1)*0301/*1501, डीक्यूए1 (DQA1)*0501/*0102, डीक्यूबी (DQB1)*0201/*0602 यह सामान्यतः विस्तारित सीरोवर्ग के समान होता है: ए (A)1, ए (A)3, बी (B)7, बी (B)8, डीआर (DR)3, डीआर (DR)15(2), डीक्यू (DQ)2, डीक्यू (DQ)6(1) कई आबादियों जैसे जापानी या यूरोपियन आबादियों के लिये इतने रोगियों का वर्गनिर्धारण किया जा चुका है कि नए युग्मविकल्पी अपेक्षाकृत नगण्य हैं और इस तरह युग्मविकल्पियों के समाधान के लिये एसएसपी-पीसीआर (SSP-PCR) पर्याप्त है। हैप्लोवर्ग परिवार के सदस्यों का वर्गनिर्धारण कर के प्राप्त किये जा सकते हैं। विश्व के उन भागों में जहां एसएसपी-पीसीआर (SSP-PCR) युग्मविकल्पियों को पहचानने में असमर्थ होता है, वहां वर्गनिर्धारण के लिये नए युग्मविकल्पियों के क्रमीकरण की जरूरत पड़ती है। विश्व के ऐसे इलाके जहां एसएसपी-पीसीआर (SSP-PCR) या सीरोवर्गनिर्धारण अपर्याप्त हो सकता है, उनमें केंद्रीय अफ्रीका, पूर्वी अफ्रीका, दक्षिणी अफ्रीका के कुछ भाग, अरेबिया और द.ईरान, पाकिस्तान और भारत शामिल हैं। हैप्लोवर्ग एचएलए (HLA) हैप्लोवर्ग गुणसूत्रों के आधार पर एचएलए (HLA) “जीनों” (स्थल-युग्मविकल्पी) की एक श्रृंखला होती है, जिनमें से एक माता और दूसरा पिता से आता है। ऊपर दिया गया समलक्षणी का उदाहरण आयरलैंड में अधिक सामान्य समलक्षणियों में से एक है और यह दो आम आनुवंशिक हैप्लोवर्गों का परिणाम है: ए (A)*0101 : सीडबल्यू (CW)*0701 : बी (B)*0801 : डीआरबी (DRB)1*0301 : डीक्यूए (DQA)1*0501 : डीक्यूबी (DQB)1*0201 (ए (A)1-सीडब्लू (Cw)7-बी (B)8-डीआर (DR)3-डीक्यू (DQ)2 के सीरोवर्गनिर्धारण द्वारा) जिसे “सुपर बी (B)8” या “पुश्तैनी” हैप्लोवर्ग कहते हैं और ए (A)*0301 : सीडबल्यू (CW)*0702 : बी (B)*0702 : डीआरबी (DRB)1*1501 : डीक्यूए (DQA)1*0102 : डीक्यूबी (DQB)1*0602 (ए (A)3-सीडब्लू (Cw)7-बी (B)7-डीआर (DR)15-डीक्यू (DQ)6 या पुराने रूप "ए (A)3-बी (B)7-डीआर (DR)2-डीक्यू (DQ)1" के सीरोवर्गनिर्धारण द्वारा) इन हैप्लोवर्गों का प्रयोग मानव आबादी के स्थानांतरण का पता लगाने के लिये किया जा सकता है, क्यौंकि वे क्रमविकास के दौरान हुई किसी भी घटना के उंगलियों के निशानों के समान होते हैं। सुपर-बी (B)8 हैप्लोवर्ग को पश्चिमी आयरिश में प्रचुर मात्रा में होता है, और उस क्षेत्र से दूर प्रवणताओं के साथ गिरता है तथा विश्व के केवल उन भागों में पाया जाता है जहां पश्चिमी यूरोपियन लोग स्थानांतरित हुए थे। ”ए (A)3-बी (B)7-डीआर (DR)2-डीक्यू (DQ)1” पूर्वी एशिया से आइबेरिया तक फैला हुआ है, सुपर-बी (B)8 का संबंध कई आहार संबंधित स्वतःप्रतिरक्षिती रोगों से है। मानव आबादी में लाखों विस्तारित हैप्लोवर्ग हैं लेकिन कुछ ही दर्शनीय और पार्विक गुण दर्शाते हैं। 100000 विस्तारित हैप्लोवर्ग हैं लेकिन केवल कुछ ही मानव आबादी में एक दृश्य और केंद्रीय चरित्र दिखाते हैं। युग्मवैकल्पिक भिन्नता की भूमिका मानवों और अन्य पशुओं के अध्ययन इस अपवादपूर्ण परिवर्तनशीलता की व्याख्या के रूप में इन स्थलों पर एक विषमयुग्मजी चुनाव प्रक्रिया होने की बात कहते हैं। एक विश्वसनीय प्रक्रिया है, लैंगिक चुनाव जिसमें मादाएं अपने स्वयं के वर्ग से भिन्न एचएलए (HLA) वाले नरों को पहचान सकती हैं। जबकि डीक्यू (DQ) और डीपी (DP) का अनुकूटन करने वाले स्थल में ए (A)1:बी (B)1 के कम युग्मविकल्पी संयोजन होते हैं, वे सैद्धांतिक रूप से क्रमशः 1586 डीक्यू (DQ) और 2552 डीपी (DP)αβ हेटेरोडाइमर, उत्पन्न कर सकते हैं। हालांकि मानव आबादी में इतनी बड़ी संख्या में समरूप नहीं पाए जाते हैं, प्रत्येक व्यक्ति में 4 परिवर्तनयोग्य डीक्यू और डीपी समरूप होते हैं, जो व्यक्तिगत रोगनिरोधक प्रणाली में इन ग्राहकों द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले प्रतिजनों की संभावित संख्या को बढ़ा सकते हैं। डीपी, डीआर और डीक्यू की परिवर्तनशील स्थितियों के अध्ययन बतलाते हैं कि वर्ग II अणुओं पर स्थित पेप्टाइड प्रतिजन संपर्क अवशेष सबसे अधिक बार प्रोटीन की प्राथमिक रचना में परिवर्तन का स्थल होते हैं। इसलिये, तीव्र युग्मवैकल्पिक परिवर्तन और/या उपइकाई युग्मन द्वारा वर्ग II “ पेप्टाइड” ग्राहक 9 या अधिक अमीनो अम्लों वाले पेप्टाइडों के लगभग अंतहीन परिवर्तन को बांधने की क्षमता रखते हैं और अंतर्प्रजनन कर रही उपआबादियों की नवजात रोगों या महामारियों से रक्षा करते हैं। एक आबादी के व्यक्तियों में भिन्न हैप्लोवर्ग होते हैं और इसके परिणामस्वरूप छोटे समूहों में भी कई संयोग बनते हैं। यह विविधता ऐसे समूहों में उत्तरजीविता को बढ़ाती है और रोगाणुओं में एपिटोपों के प्रादुर्भाव को रोकती है, जो अन्यथा प्रतिरक्षित प्रणाली से बच सकते हैं। प्रतिरक्षक एचएलए (HLA) प्रतिरक्षक सामान्यतः प्राकृतिक रूप से नहीं पाए जाते हैं और इसके कुछ अपवाद हैं, जो रक्त चढ़ाने, गर्भावस्था (पिता से प्राप्त प्रतिजनें), या अवयव या ऊतक प्रतिरोपण के जरिये विदेशी पदार्थ के प्रतिरक्षिती चुनौती के परिणामस्वरूप बनते हैं। रोग से संबंधित एचएलए (HLA) हैप्लोवर्गों के विरूद्ध प्रतिरक्षकों को तीव्र स्वप्रतिरक्षित रोगों के उपचार के लिये प्रस्तुत किया जा रहा है। दानी-विशिष्ट एचएलए (HLA) प्रतिरक्षकों का संबंध गुर्दे, हृदय, फेफड़े और प्रतिरोपण में निरोप की असफलता से पाया गया है। बीमार भाई बहन के लिए एचएलए (HLA) मिलान रक्तजनक स्टेम सेल प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले रोगों में, प्रत्यारोपणपूर्व आनुवंशिक निदान का उपयोग मिलानवाले एचएलए (HLA) के साथ भाई/बहिन की उत्पत्ति के लिए किया जा सकता है। इन्हें भी देखें एचसीपी5 (HCP5) आगे पढ़ें बाहरी कड़ियाँ यूरोपीय बायोइनफॉरमैटिक्स इंस्टिट्यूट पर आईएमजीटी (IMGT)/ एचएलए (HLA) (HLA) अनुक्रम डेटाबेस hla.alleles.org एंथोनी नोलन ट्रस्ट पर एचएलए (HLA) (HLA) सूचना समूह उतक अनुरूपता और इम्यूनोजेनेटिक्स के लिए अमेरिकी सोसाइटी इम्यूनोजेनेटिक्स के लिए यूरोपीय संघ उपकरण और स्टेम सेल प्रत्यारोपण के लिए हिस्टोचेक एचएलए (HLA) (HLA) मैचिंग टूल परिवर्तनीय इम्यून संबंधित लोकी पर विकल्पी आवृत्तियां एचएलए (HLA) (HLA)- एनालिसिसी पर आनुवंशिक मैचमेकिंग सन्दर्भ उन्मुक्त प्रणाली प्रतिरक्षा विज्ञान मानव एमएचसी (MHC) (MHC) हैप्लोग्रुप्स क्रोमोज़ोम 6 पर जीन
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%A4%E0%A4%BE%20%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A4
अनिश्चितता सिद्धान्त
अनिश्चितता सिद्धान्त (Uncertainty principle) की व्युत्पत्ति हाइजनबर्ग ने क्वाण्टम यान्त्रिकी के व्यापक नियमों से सन् १९२७ ई. में दी थी। इस सिद्धान्त के अनुसार किसी गतिमान कण की स्थिति और संवेग को एक साथ एकदम ठीक-ठीक नहीं मापा जा सकता। यदि एक राशि अधिक शुद्धता से मापी जाएगी तो दूसरी के मापन में उतनी ही अशुद्धता बढ़ जाएगी, चाहे इसे मापने में कितनी ही कुशलता क्यों न बरती जाए। इन राशियों की अशुद्धियों का गुणनफल प्लांक नियतांक (h) से कम नहीं हो सकता। यदि किसी गतिमान कण के स्थिति निर्दशांक x के मापन में , की त्रुटि (या अनिश्चितता) और x-अक्ष की दिशा में उसके संवेग p के मापने में , की त्रुटि हो तो इस सिद्धांत के अनुसार - , जहाँ, , h प्लांक नियतांक है। इससे प्रकट होता है कि किसी कण का कोई निर्दशांक और उसके संवेग का तत्संगन संघटक दोनों एक साथ यथार्थतापूर्वक नहीं जाने जा सकते और यदि इन दोनों संयुग्मी राशियों में से एक की अनिश्चितता बहुत कम हो तो दूसरी की बहुत अधिक होती है। अनिश्चितता के संबंध एक ओर तो कण की स्थिति की किसी तरंग से संगति स्थापित करने की संभावना के नियमों के तथा दूसरी ओर प्रायिकतामूलक निर्वचन (इंटरप्रिटेशन प्राबेबिलिस्टिक) के व्यापक नियमों के अनिवार्य परिणाम हैं। हाइजनबर्ग और मोहर ने नापने की प्रक्रिया का सूक्ष्म और गहन विश्लेषण करके यह सिद्ध कर दिया कि किसी भी माप के परिणाम अनिश्चितता सिद्धांत के प्रतिकूल नहीं निकल सकते। यदि हम किसी कण की स्थिति न् एकदम शुद्ध माप लें तो इसकी स्थिति की अनिश्चितता क़्न् शून्य बराबर होगी। तब उस कण के संवेग की अनिश्चितता गणित के नियमों के अनुसार: अर्थात् अपरिमित हो जाएगी। अत: हम इस सरल निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए बाध्य हो जाते हैं कि जिस क्षणकाल पर हम कण की स्थिति की यथार्थ माप प्राप्त करते हैं उस काल पर उसका वेग अनिर्णीत हो जाता है। अगर किसी क्षणकाल पर कण का वेग परम यथार्थता से मापा जाता है तो उस क्षणकाल पर कण की स्थिति क्या थी, यह पता लगाने का हमारे पास विकल्प नहीं रहता। ऐसी अवस्था में स्थिति और संवेग दोनों की माप कुछ अनिश्चितताओं (या त्रुटियों) के भीतर ही संभव है। इस प्रकार हाइजनबर्ग ने सिद्ध कर दिया कि सूक्ष्म कणों के विश्व में मापक उपकरणों की उपयोगिता सीमित होती है। ये उपकरण कणों की गति को यथार्थ रूप में मापने में अक्षम होते हैं। विज्ञान और तकनीकी के अनेक क्षेत्रों में सूक्ष्म मापों को मापने का स्तर काफी ऊँचाई पर है और इस दिशा में निरंतर प्रगति हो रही है लेकिन अनिश्चितता सिद्धांत मापों की शुद्धता के लिए एक नियत सीमा निर्धारित कर देता है। उपकरण की शुद्धता इस सीमा से अधिक नहीं सकती। आज तो लगभग सभी भौतिकज्ञ ऐसे मापन यंत्र के आविष्कार की असंभावना को स्वीकार करते हैं जो इस सिद्धांत में निहित सीमाओं का उल्लंघन कर सकें। अतः हम छोटे शब्दों में कह सकते हैं कि किसी कण की स्थिति तथा वेग दोनों एक साथ ज्ञात नहीं कर सकते हैं या स्थित ज्ञात होगा या तो वेग । या, किसी इलेक्ट्रॉन के लिए,एक समय में स्थिति और संवेग निश्चितता से ज्ञात नही कर सकते है । बाहरी कड़ियाँ अनिश्चितता का सिद्धान्त (विज्ञानविश्व :पारिभाषिक शब्दावली) Annotated pre-publication proof sheet of Uber den anschaulichen Inhalt der quantentheoretischen Kinematik und Mechanik, March 23, 1927. Matter as a Wave - a chapter from an online textbook Quantum mechanics: Myths and facts Stanford Encyclopedia of Philosophy entry aip.org: Quantum mechanics 1925–1927 - The uncertainty principle Eric Weisstein's World of Physics - Uncertainty principle Fourier Transforms and Uncertainty at MathPages Schrödinger equation from an exact uncertainty principle John Baez on the time-energy uncertainty relation The time-energy certainty relation - It is shown that something opposite to the time-energy uncertainty relation is true. The certainty principle क्वाण्टम यान्त्रिकी भौतिकी के सिद्धांत वैज्ञानिक नियम
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
तिनसुकिया
तिनसुकिया (Tinsukia) भारत के असम राज्य के तिनसुकिया ज़िले में स्थित एक शहर है। यह ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय तथा नगर निगम बोर्ड है। यह असम राज्य का एक प्रमुख क्षेत्रीय व्यापारिक केंद्र भी है। यह असम कि राजधानी गुवाहाटी से 486 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पूर्व में और अरुणाचल प्रदेश की सीमा से 84 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। असम के व्यापारिक राजधानी के रूप में प्रसिद्ध इस नगर में असमिया और अन्य भाषाई विशेषकर हिंदीभाषी, बंगाली, नेपाली और सिख लोग रहते हैं। कई नए मॉल और भवनों के निर्माण के साथ शहर एक आधुनिक शहर का रूप लेता जा रहा है। तिनसुकिया एक औद्योगिक और वाणिज्यिक केंद्र है जहाँ कृषि उत्पादों जैसे चाय, संतरे, अदरक और धान के भारी पैदावार के साथ साथ अनेक उद्यम भी प्रतिष्ठित हैं। तिनसुकिया में असम का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन है और यह जिले को देश के कई महत्वपूर्ण स्थलों से जोड़ता है। भौगलिक स्थिति तिनसुकिया शहर २७°३०′ उ ९५°२२′ पू / २७.५° उ ९५.३७° पू पर स्थित है। यह शहर ११६ मीटर (३८० फीट) की औसत ऊंचाई पर अवस्थित है। इतिहास पुराने समय में तिनसुकिया को बेंगमारा के नाम से जाना जाता था तथा मूल रूप से यह चांगमाई पथार के रूप में जाना जाता था। यह मटक राज्य की राजधानी थी जिसे स्वर्गदेव सर्वानन्द सिंघा ने स्थापित किया था। स्वर्गदेव सर्वानन्द सिंघा जो मेज़ारा भी कहलाता था एक योग्य प्रशासक के रूप में जाना जाता था। सर्वानन्द सिंघा नाम उसने राजा बनने के बाद अपनाया. सर्वानन्द सिंघा के निर्देश अनुसार उनके मंत्री गोपीनाथ बरबरुवा उर्फ़ गोधा बरबरुवा ने त्रिकोणीय आकार में एक तालाब का निर्माण किया जो तिनकोनिया पुखुरी के नाम से जाना जाता है। १८८४ में जब डिब्रू-सादिया रेल लाइन बिछाई गई थी तब इस तालाब के निकट एक स्टेशन का निर्माण किया गया था जो तिनसुकिया स्टेशन कहलाता था। बाद में इसी तिनसुकिया नाम से यह शहर जाना जाने लगा. १८वीं सदी के बाद के हिस्से और 19वीं सदी के प्रारंभिक भाग के दौरान असम के इतिहास में मटक राजवंश का एक अलग ही स्थान है। मटक लोगों ने असम के इतिहास में पहली बार सामाजिक, राजनीतिक आंदोलन का सूत्रपात किया था जिसे के मोमारिया विद्रोह रूप में जाना जाता है। इस विद्रोह से उन्होंने पराक्रमी अहोम साम्राज्य को हिलाकर असम के इतिहास को बदल डाला था। १८४१ में कप्तान हेमिल्टन वेच द्वारा तैयार नक्शे के अनुसार वर्तमान डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया जिले के एक बड़े हिस्से को "मोमारिया जनजाति के बेंगमारा देश” के रूप में पहचान की गई थी जिसकी राजधानी बेंगमारा में थी। असम के इतिहास में उत्तर पूर्व कोने में इस क्षेत्र बेंगमारा को बाद में “सौमार का मटक देश” नाम से लोकप्रियता मिली. मटक राज्य के पहले राजा स्वर्गदेव सर्वानन्द सिंघा थे। सर्वानन्द सिंघा ने गुहिजान नदी के किनारे स्थित रंगागोड़ा में अपनी राजधानी को स्थापित किया। १७९१ ई. में उन्होंने बेंगमारा में अपनी राजधानी को स्थानांतरित कर दिया. स्वर्गदेव सर्वानन्द सिंघा के दिनों में कई तालाबें खोदे गए। जैसे चावलधोवा पुखुरी, कदमनि पुखुरी, दा धरुवा पुखुरी, माहधोवा पुखुरी, बाटोरपुखुरी, लोगोनीपुखुरी, नापुखुरी, देवीपुखुरी, कुम्भीपुखुरी, रुपहीपुखुरी आदि. इसके अलावा मटक क्षेत्र के विभिन्न भागों में कई प्राचीन रास्ते निर्माण किये गए। गोधा बरबरुआ रोड, रंगागोड़ा रोड, राजगोढ़ सड़क और हाथिआली रोड क्षेत्र के मुख्य सड़क थे। प्रमुख आगंतुक महात्मा गांधी ने तिनसुकिया का दौरा किया और २० मार्च १९३४ को कचुजान क्षेत्र में एक जनसभा को संबोधित किया। १९३४ में जवाहर लाल नेहरू ने तिनसुकिया, डिगबोई, दूमदूमा आदि का दौरा किया। जलवायु तिनसुकिया में गर्मी, सर्दी और मौसमी चक्र बनाने वाले मानसून के द्वारा एक नम उष्णकटिबंधीय जलवायु पेश करती है। तिनसुकिया में ग्रीष्मकाल मार्च से मई के महीनों के दौरान आम तौर पर रहती है। इन महीनों में २४ डिग्री सेल्सियस (न्यूनतम) और ३१ डिग्री सेल्सियस (अधिकतम) का तापमान रहता है। वर्षा गर्मियों के महीनों के दौरान होती रहती हैं और नमी (आद्रता) के इस मौसम के दौरान अपने चरम पर पहुँच जाती है। मानसून (जून से सितंबर) के महीने तिनसुकिया में भारी वर्षा लाते हैं। तिनसुकिया में सर्दियाँ अक्टूबर से फरवरी के महीने के दौरान होती हैं। सर्दियाँ मौसम सुखद परन्तु धूलभरे रहते हैं और इस समय के दौरान इस क्षेत्र में तापमान लगभग २४ डिग्री सेल्सियस (अधिकतम) ११ डिग्री सेल्सियस (न्यूनतम) के बीच रहता है। परिवहन तिनसुकिया हवाई मार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे से जुड़ा हुआ शहर है। यह गुवाहाटी, असम के राज्य की राजधानी से सड़क मार्ग से ४८६ किमी दूर है। निकटतम हवाई अड्डा मोहनबाड़ी, डिब्रूगढ़ में है जो तिनसुकिया से लगभग ४० किमी दूर है। यहाँ से दिल्ली, गुवाहाटी, कोलकाता और पूर्वोत्तर राज्यों कि राजधानियों के लिए दैनिक और साप्ताहिक हिसाब से हवाई यात्रा उपलब्ध हैं। तिनसुकिया शहर बहुत अच्छी तरह से रेलवे से जुड़ा हुआ है। यह भारतीय रेल के पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के अंतर्गत आती है। इस शहर मे दो रेलवे स्टेशन है- न्यु तिनसुकिया जंक्शन और दूसरा है तिनसुकिया जंक्शन। ज्यादातर गाड़ियाँ न्यु तिनसुकिया स्टेशन से ही रवाना होती है। नई तिनसुकिया रेलवे स्टेशन से कई महत्वपूर्ण ट्रेन जैसे - डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस, ब्रह्मपुत्र मेल, कामरूप एक्सप्रेस, कामख्या एक्सप्रेस, चेन्नई एक्सप्रेस, लेडो इंटर सिटी एक्सप्रेस आदि चलते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 15 तिनसुकिया से होकर गुजरती है और यह अन्य राष्ट्रीय राजमार्गों जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग 315 और राष्ट्रीय राजमार्ग 315ए से जुडी हुई है। ३७ नंबर राष्ट्रीय राजमार्ग तिनसुकिया को राज्य के अन्य शहरों जैसे डिब्रूगढ़, जोरहाट, नौगाँव, गुवाहाटी आदि से जोडती है। इन शहरों के लिए दिन और रात्रि दोनों समय डीलक्स बसे चलती रहती है। अरुणाचल प्रदेश तथा राज्य के विभिन्न जगहों पर जाने के लिए असम राज्य परिवहन निगम द्वारा संचालित बसें, प्राइवेट बसें, विंगर और छोटे वाहन नियमित रूप से चलती हैं। स्थानीय परिवहन में ऑटो रिक्शा, ट्रैकर्स, रिक्शा आदि बुनियादी साधन हैं। जनसांख्यिकी २०११ में भारत की जनगणना के आधार में, तिनसुकिया की आबादी १,२५,२१६ है। पुरुषों की जनसंख्या ५५% और महिलाओं की ४५% है। तिनसुकिया की औसत साक्षरता दर ७०.१५% है जो के राष्ट्रीय औसत ६४.८४% से अधिक है। पुरुष साक्षरता दर ७७.८९% है और महिला साक्षरता ६३.५४% है। तिनसुकिया में, जनसंख्या का तमाम विवरण इस प्रकार है- व्यावसायिक केंद्र तिनसुकिया असम के वाणिज्य राजधानी के रूप में माना जाता है। यह शहर पूर्वी और दक्षिण पूर्वी अरुणाचल प्रदेश सहित दुलियाजान, नाहरकटिया, नामरूप, डूमडूमा, मार्घेरिटा, लेडो, जागुन, सदिया जैसे जगहों पर सामान आपूर्ति का केंद्र है। दैनिक जरूरत का हर सामान जैसे कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, कंप्यूटर हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर, अच्छी गुणवत्ता की चाय, खाद्य सामग्री, सब्जियां, मांस-मछली, अंडे यहाँ से विभिन्न स्थानों पर भेजी जाती हैं। यह शहर लकड़ी से संबंधित उत्पादों के लिए जाना जाता था परन्तु सरकार के नयी वन-नीति के कारण लकड़ी उद्योग प्राय: दम तोड़ चुका है। लकड़ी की कई फेक्ट्रियां जैसे किटप्लाई आदि बंद हो चुके हैं और कई बंद होने के कगार पर हैं। चैंबर रोड यहाँ के वाणिज्यिक केंद्र की हृदयस्थली है। आकर्षण के केंद्र शिव धाम: शिव धाम, भगवान शिव को समर्पित एक बड़ा मंदिर है, जिसके परिसर के भीतर स्थित एक बड़ा तालाब है। तिनसुकिया से २.५ कि॰मी॰ दूर ३७ नम्बर हाईवे के किनारे स्थित यह मंदिर शिवरात्रि के समय लोगों के आकर्षण का केंद्र रहता है। रेलवे हेरिटेज पार्क: न्यू तिनसुकिया रेलवे जंक्शन के प्रांगण में स्थित यह पार्क तिनसुकिया का प्रमुख आकर्षण है। इस पार्क में एक संग्रहालय है जो १९वीं सदी के विविध संग्रहों और रेलवे के अन्वेषकों को दर्शाती है। दिल्ली और कोलकाता के बाद तिनसुकिया केवल तीसरा ऐसा शहर है जहाँ ऐसा संग्रहालय है। इस पार्क में ब्रिटेन निर्मित छोटी लाइन भाप इंजन, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना द्वारा इस्तेमाल किये गये रेलवे पहियों और १८९९ में बनाये गए छोटी गेज के डब्बे जो टिपोंग कोलियरी से कोयले की ढुलाई के लिए इस्तेमाल किये जाते थे जैसी चीजें प्रदर्शित की गयीं है। यहाँ लोगों के मनोरंजन के लिए टॉय-ट्रेन और बच्चों के खेलने और मनोरंजन के कई साधन हैं। नौपुखुरी पार्क: नौपुखुरी तिनसुकिया के दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में स्थित नौ तालाबों का एक समूह है। यह राजा सर्वानन्द सिंघा की अवधि के दौरान बनाया गया एक ऐतिहासिक स्थान है। इसे मारुत नंदन कानन नाम से भी पुकारा जाता है। यहाँ एक सुन्दर उद्यान है और बच्चों के खेलने और मनोरंजन के कई साधन हैं। होटलों की सूची होटल हाईवे, रेलवे फ्लाईओवर के पास, ए.टी. रोड होटल बैलेरीना, प्रकाश बाजार, ए.टी. रोड होटल सेंटर प्वाइंट, सुपर मार्किट, जी.एन.बी. रोड होटल प्रेसिडेंट, रेलवे स्टेशन के पास होटल मद्रास, डेली बाज़ार, जी.एन.बी. रोड होटल रिट्ज, रंगागड़ा रोड होटल रॉयल हाइनेस, जी.एन.बी. रोड पद्मिनी रिसोर्ट, रंगागड़ा रोड (तिनसुकिया से ५ कि.मी.) होटल अरोमा रेजीडेंसी, रंगागड़ा रोड होटल ईस्ट इंटरनेशनल, चिरवापट्टी होटल ज्योति, रंगागड़ा रोड होटल मिड टाउन, ए.टी. रोड अस्पतालों की सूची लोकप्रिय गोपीनाथ बरदलै सिविल अस्पताल, बरदलैनगर सिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, जी.एन.बी. रोड लाइफलाइन हॉस्पिटल, जी.एन.बी. रोड जीवनज्योति हॉस्पिटल, पर्बतिया आदित्य हॉस्पिटल और डायगोनोसिस, रंगागड़ा रोड पाइनवुड हॉस्पिटल, सुबचनि रोड डे’ज नर्सिंग होम, तामुलबारी अपोलो क्लिनिक, रंगागड़ा रोड स्वस्तिक नर्सिंग होम प्रमुख बाजार विशाल मेगा मार्ट रंगघर काम्प्लेक्स डेली बाज़ार प्रकाश बाजार सुपर मार्किट शांति सुपर मार्किट न्यू मार्किट ए.टी.सी. मॉल टी.डी.ए. प्लाजा शिक्षा स्कूलों की सूची विवेकानंद केंद्र विद्यालय, तिनसुकिया सेनाईराम उच्च माध्यमिक विद्यालय (१९३७ में स्थापित) ए न्यू हाई स्कूल गुरु तेग बहादुर अकादमी आवर एबीसी अकादमी, बरगुडी कोर्ट तीनाली सेंट स्टीफ़न 'हाई स्कूल', बोरदोलोई नगर भागवत विद्या मंदिर हाई स्कूल, श्रीपुरिया डॉन बॉस्को हाई स्कूल, तिनसुकिया डॉन बॉस्को हाई स्कूल हिन्दी इंग्लिश हाई स्कूल होली चाइल्ड गर्ल्स/बॉयज हाई स्कूल बेबीज नर्सरी स्कूल बड्स नर्सरी स्कूल बडिंग बड्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल हिंदुस्तानी विद्यालय पाइनवुड स्कूल बिमला प्रसाद चालिहा नगर स्कूल आदर्शा प्राथमिक स्कूल सार्वजनीन बालिका विद्यालय सार्वजनीन हिन्दी बालिका विद्यालय सोमारज्योति विद्यालय बंगाली गर्ल्स हाई स्कूल रेलवे हाई स्कूल तिनसुकिया बंगीय विद्यालय (एच.एस.) बरगुडी हाई स्कूल तिनसुकिया इंग्लिश अकादमी जातीय विद्यालय केन्द्रीय विद्यालय, तिनसुकिया तिनसुकिया रेलवे हाई स्कूल कॉलेजों की सूची तिनसुकिया कॉलेज विमेंस कॉलेज इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (विमेंस कॉलेज शाखा) कृष्णकांत हंडीकै राज्यिक मुक्त विश्वविद्यालय (तिनसुकिया कॉलेज एवं तिनसुकिया कॉमर्स कॉलेज शाखा) जी.एस. लोहिया गर्ल्स कॉलेज तिनसुकिया लॉ कॉलेज तिनसुकिया कॉमर्स कॉलेज (श्रीपुरिया) अन्य जानकारी इस शहर का पिनकोड-७८६१२५ (तिनसुकिया), ७८६१२६(बरगुडी) एवं ७८६१९२ (हिजुगुड़ी, न्यु तिनसुकिया) है। एस टी डी कोड -+९१(०३७४) है। इन्हें भी देखें तिनसुकिया ज़िला सन्दर्भ असम के नगर तिनसुकिया ज़िला तिनसुकिया ज़िले के नगर
1,655
700147
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त्वा लोग
त्वा लोग (Twa या Cwa) अफ़्रीका की कई जातियों व जनजातियों का नाम है जो शिकारी-फ़रमर जीवन बसर करते हैं। यह अक्सर बांटू लोगों के समीप रहते हैं, हालांकि त्वा अपनी जीवनी जंगलों से चलाते हैं जबकि बांटू लोग कृषक होते हैं। सामाजिक रूप से त्वा को बांटूओं की तुलना में निचला दर्जा दिया जाता था। इनमें परस्पर-निर्भरता रही है: त्वा वनों से जानवर माँस व अन्य वन्य उत्पाद लाकर बांटूओं द्वारा उगाये गये अन्न, सब्ज़ियाँ व अन्य कृषि उत्पादनों से अदल-बदल का व्यापार करते हैं। कई त्वा जातियाँ पिग्मी की श्रेणी में आती हैं, यानि त्वाओं का क़द औसत मानव क़द से असाधारण रूप से कम है। इतिहासकार मानते हैं कि त्वाओं के पूर्वज अपने क्षेत्रों के आदि-निवासी थे और बांटू बाद में आये। इन्हें भी देखें पिग्मी बांटू लोग सन्दर्भ अफ़्रीकी पिग्मी कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य की मानव जातियाँ नामीबिया की मानव जातियाँ बोत्स्वाना की मानव जातियाँ ज़ाम्बिया की मानव जातियाँ रुआण्डा की मानव जातियाँ अंगोला की मानव जातियाँ
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प्रात:काल
प्रात:काल भारत में प्रकाशित होने वाला हिंदी भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। इन्हें भी देखें भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की सूची सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ NEWSPAPERS.co.in - A dedicated portal showcasing online newspapers from all over India Newspaper Index - Newspapers from India - Most important online newspapers in India ThePaperboy.com India - Comprehensive directory of more than 110 Indian online newspapers भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रहिंदी भाषा के समाचार पत्र
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किलनी
किलनी (Tick) छोटे वाह्य परजीवी जानवर हैं जो स्तनधारियों, पक्षियों और कभी-कभी सरीसृपों एवं उभयचरों के शरीर पर रहकर उनके खून चूसकर जीते हैं। इन्हें 'कुटकी' और 'चिचड़ी' भी कहते हैं। ये बहुत से रोगों के वाहक भी हैं जैसे लाइम रोग (Lyme disease), Q-ज्वर, बबेसिओसिस, आदि। सर्दियों में गायों में बाह्य परजीवी का नियंत्रण एक सुप्रबंधित डेरी फार्म पर जहां पशुओं के विचरण की आजादी हो, पर्याप्त मात्रा में अच्छा पोषण उपलब्ध हो और पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो, वहां पर जूँ और किलनी की उपस्थिति का पशुओं के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। परन्तु वातावरणीय परिस्थितियां (मुख्यतया अत्यधिक ठंडी) इन बाह्य-परजीवियों की सक्रियता को अत्यधिक बढ़ा देते हैं, जिससे पशुओं में निम्नलिखित प्रतिकूल लक्षण देखे जा सकते हैं - पशुओं में खुजली एवं जलन दुग्ध उत्पादन में कमी भूख कम लगना खाद्य रूपान्तरण दर का घटना रक्ताल्पता चमड़ी का खराब हो जाना एवं बालों का झड़ना तनाव बढ़ना कम उम्र के पशुओं पर इनका प्रतिकूल प्रभाव ज्यादा होता है। इनका प्रकोप सर्दियों में आम है, जबकि जाड़े के अंत और बसंत के प्रारम्भ (फरवरी/मार्च) में इनकी संख्या अधिकतम स्तर पर देखी जाती है। बांधकर रखे जाने वाले पशुओं में स्वतंत्र रूप से रखे जाने वाले पशुओं की तुलना में इनके संक्रमण की सम्भावना लगभग 2 गुना ज्यादा होती है। बचाव पशुओं को जितना सम्भव हो धूप में रखना चाहिये। पशुओं को बंद कमरों में कम से कम रखें। सर्दियों में पशुओं को अच्छी गुणवत्ता वाला आहार (मुख्यतः खनिज मिश्रण) प्रदान करें। पशुओं को पर्याप्त जगह प्रदान करते हुये तनावपूर्ण वातावरण से दूर रखें। नये पशुओं को पुराने पशुओं से कम से कम तीन सप्ताह तक अलग रखना। संक्रमित पशुओं को सामुदायिक चारागाह में स्वस्थ पशुओं के साथ चरने से रोकना चाहिये। रोकथाम जब पशुओं में अत्यधिक अतिक्रमण से उनके सामान्य व्यवहार में परिवर्तन हो जाता है, तो रोकथाम के सार्थक प्रयास की आवश्यकता होती है। खाद्य तेल (जैसे अलसी का तेल) का एक पतला लेप लगाना चाहिये। साबुन के गाढे घोल का इस्तेमाल एक सप्ताह के अंतराल पर दो बार करना चाहिये। आयोडिन को शरीर के ऊपर एक सप्ताह के अंतराल पर दो बार रगड़ना चाहिये। लहसुन के पाउडर का शरीर की सतह पर इस्तेमाल करें। एक हिस्सा एसेन्सियल आयल और दो-तीन हिस्सा खाद्य तेल को रगड़ना चाहिये। किलनी के विरूद्ध होम्योपैथिक ईलाज काफी उपयोगी होता है। पाइरिथ्रम नामक वनस्पतिक कीटनाशक भी काफी उपयोगी है। पशुओं की रीढ पर दो-तीन मुट्ठी सल्फर का प्रयोग करना चाहिये। चूना-सल्फर के घोल का इस्तेमाल 7-10 दिन के अंतराल पर लगभग 6 बार करना चाहिये। वाह्य परजीवी
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नकसीर फूटना
नाक से अचानक रक्त निकलने लगना नासा रक्तस्राव (nosebleed) या 'नकसीर फूटना' कहलाता है। यह रक्त आमाशय में भी जा सकता है जिससे उल्टी जैसा मन हो सकता है या उल्टी भी आ सकती है। कुछ गम्भीर मामलों में दोनों नासाछिद्रों से रक्त निकलता है। नकसीर फूटने के आम कारण गरम और सूखा वातावरण नाक में चोट लगना कठोर गतिविधियां उच्च रक्तचाप अधिक ऊंचाई पर जाना नाक जोर से झाड़ना संक्रमण के कारण नकसीर का फूटना नकसीर का फूटना संक्रमण के लक्षण भी हो सकता है। इन में यह बीमारियां प्रमुख हैं। हे फीवर (पराग कण से होने वाला एलर्जी) वायरल बुखार डेंगू इबोला रक्तस्रावी बुखार आमवाती बुखार प्राथमिक उपचार बैठ जाएं सामने की ओर थोड़ा झुकें ताकि खून आपके गले में न जाए नाक पर ठंडा और गीला कपड़ा रखें ताकि रक्त नालिकाओं में संकुचन हो और खून निकलना बंद हो जाए यदि केवल एक नथुने से ही खून निकल रहा हो तो नथुने के ऊपरी भाग को दबाकर रखें फिर भी यदि खून निकलना बंद नहीं हो रहा हो तो और 10 मिनट तक दबाकर रखें यदि चोट की वजह से खून बह रहा हो तो अधिक जोर से न दबाएं यदि खून निकलना बंद ही न हो रहा हो या बार बार खून निकल रहा हो तो डॉक्टर को दिखाएं। इन्हें भी देखें नाक, कान और गले के रोग बाहरी कड़ियाँ नकसीर फूटने पर घरेलु उपाय एरोमाथेरैपी से नकसीर का उपचार नाक नाक के रोग लक्षण प्राथमिक उपचार
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डाक सूचक संख्या
डाक सूचक संख्या या पोस्टल इंडेक्स नंबर (लघुरूप: पिन नंबर) एक ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से एक विशिष्ट सांख्यिक पहचान प्रदान की जाती है। ये विशिष्ट संख्या डाक के द्वारा भेजी जानें वाली हर प्रकार की सामग्री को सही गन्तव्य तक पहुंचने में मददगार है। भारत में पिन कोड में ६ अंकों की संख्या होती है और इन्हें भारतीय डाक विभाग द्वारा छांटा जाता है। पिन प्रणाली को 15 अगस्त 1972 को आरंभ किया गया था। पिन कोड की संरचना भारत में 9 पिन क्षेत्र हैं। पिनकोड का पहला अंक भारत (देश) के क्षेत्र को दर्शाता है। पहले 2 अंक मिलकर इस क्षेत्र में उपस्थित उपक्षेत्र या डाक वृतों में से किसी एक डाक वृत को दर्शातें हैं। पहले 3 अंक मिलकर जिले को दर्शाते हैं जबकि अंतिम 3 अंक सुपुर्दगी करने वाले डाकखाने का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये सांख्यिक कूट भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार डाक को छांटने का कार्य अत्यन्त सरल बना देते हैं। भारत में पिनकोड का वितरण बाहरी कड़ियाँ क्र. सं. पिन कोड क्रमांक भारत में क्षेत्र 1 पिन कोड 1 दिल्ली, हरियाणा , पंजाब, हिमाचल प्रदेश , जम्मू और कश्मीर 2 पिन कोड 2 उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड 3 पिन कोड 3 राजस्थान, गुजरात, दमन और दीव, दादर और नगर हवेली 4 पिन कोड 4 छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गोवा 5 पिन कोड 5 आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, यनाम (पुदुचेरी का एक जिला) 6 पिन कोड 6 केरल, तमिनलाडु, पुदुचेरी (यनाम जिले के अलावा), लक्षद्वीप 7 पिन कोड 7 पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, मेघालय, अंडमान और निकोबार दीप समूह 8 पिन कोड 8 बिहार, झारखण्ड 9 पिन कोड 9 सैन्य डाकखाना (एपीओ) और क्षेत्र डाकखाना (एफपीओ) भारत राष्ट्र-पिन कोड सन्दर्भ भारतीय डाक भारतीय डाक विभाग
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पुनर्चक्रण
पुनरावर्तन में संभावित उपयोग में आने वाली सामग्रियों के अपशिष्ट की रोकथाम कर नए उत्पादों में संसाधित करने की प्रक्रिया ताजे कच्चे मालों के उपभोग को कम करने के लिए, उर्जा के उपयोग को घटाने के लिए वायु-प्रदूषण को कम करने के लिए (भस्मीकरण से) तथा जल प्रदूषण (कचरों से जमीन की भराई से) पारंपरिक अपशिष्ट के निपटान की आवश्यकता को कम करने के लिए, तथा अप्रयुक्त विशुद्ध उत्पाद की तुलना में ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के लिए पुनरावर्तन में प्रयुक्त पदार्थों को नए उत्पादों में प्रसंस्करण की प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं। पुनरावर्तन आधुनिक अपशिष्ट को कम करने में प्रमुख तथा अपशिष्ट को "कम करने, पुनः प्रयोग करने, पुनरावर्तन करने" की क्रम परम्परा का तीसरा घटक है। पुनरावर्तनीय पदार्थों में कई किस्म के कांच, कागज, धातु, प्लास्टिक, कपड़े, एवं इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। हालांकि प्रभाव में एक जैसा ही लेकिन आमतौर पर जैविक विकृतियों के अपशेष से खाद बनाने अथवा अन्य पुनः उपयोग में लाने - जैसे कि भोजन (पके अन्न) तथा बाग़-बगीचों के कचरों को पुनरावर्तन के लायक नहीं समझा जाता है। पुनरावर्तनीय सामग्रियों को या तो किसी संग्रह शाला में लाया जाता है अथवा उच्छिस्ट स्थान से ही उठा लिया जाता है, तब उन्हें नए पदार्थों में उत्पादन के लिए छंटाई, सफाई तथा पुनर्विनीकरण की जाती है। सही मायने में, पदार्थ के पुनरावर्तन से उसी सामग्री की ताजा आपूर्ति होगी, उदाहरणार्थ, इस्तेमाल में आ चुका कागज़ और अधिक कागज़ उत्पादित करेगा, अथवा इस्तेमाल में आ चुका फोम पोलीस्टाइरीन से अधिक पोलीस्टाइरीन पैदा होगा। हालांकि, यह कभी-कभार या तो कठिन अथवा काफी खर्चीला हो जाता है (दूसरे कच्चे मालों अथवा अन्य संसाधनों से उसी उत्पाद को उत्पन्न करने की तुलना में), इसीलिए कई उत्पादों अथवा सामग्रियों के पुनरावर्तन में अन्य सामग्रियों के उत्पादन में (जैसे कि कागज़ के बोर्ड बनाने में) बदले में उनकें ही अपने ही पुनः उपयोग शामिल हैं। पुनरावर्तन का एक और दूसरा तरीका मिश्र उत्पादों से, बचे हुए माल को या तो उनकी निजी कीमत के कारण (उदाहरणार्थ गाड़ियों की बैटरी से शीशा, या कंप्यूटर के उपकरणों में सोना), अथवा उनकी जोखिमी गुणवत्ता के कारण (जैसे कि, अनेक वस्तुओं से पारे को अलग निकालकर उसे पुनर्व्यव्हार में लाना) फिर से उबारकर व्यवहार योग्य बनाना है। पुनरावर्तन की प्रक्रिया में आई लागत के कारण आलोचकों में निवल आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों को लेकर मतभेद हैं और उनके सुझाव के अनुसार पुनरावर्तन के प्रस्तावक पदार्थों को और भी बदतर बना देते हैं तथा अनुभोदन एवं पुष्टिकरण के पक्षपातपूर्ण पूर्वग्रह झेलना पड़ता है। विशेषरूप से, आलोचकों का इस मामले में तर्क है कि संग्रहीकरण एवं ढुलाई में लगने वाली लागत एवं उर्जा उत्पादन कि प्रक्रिया में बचाई गई लागत और उर्जा से घट जाती (तथा भारी पड़ जाती हैं) और साथ ही यह भी कि पुनरावर्त के उद्योग में उत्पन्न नौकरियां लकड़ी उद्योग, खदान एवं अन्य मौलिक उत्पादनों से जुड़े उद्योगों की नौकरियां को निकृष्ट सकझा जाती है; और सामग्रियों जैसे कि कागज़ की लुग्दी आदि का पुनरावर्तक सामग्री के अपकर्षण से कुछ ही बार पहले हो सकता है जो और आगे पुनरावर्तन के लिए बाधक हैं। पुनरावर्तन के प्रस्तावकों के ऐसे प्रत्येक दावे में विवाद है और इस संदर्भ में दोनों ही पक्षों से तर्क की प्रामाणिकता ने लम्बे विवाद को जन्म दिया है। इतिहास प्रारंभिक पुनरावर्तन मानव सभ्यता के इतिहास में पुनरावर्तन एक आम दस्तूर रहा है, जिसके 400 ईसापूर्व से प्लेटो जैसे हिमायती रहें हैं। ऎसी अवधियों में जब संसाधनों का अभाव रहा है अपशिष्ट कूड़े कर्कटों के प्राचीन पुरातात्विक अध्ययनों से पता चलता है कि घरों के कूड़े कर्कट (जैसे कि राख, टूटे-फूटे औजार एवं बर्तन इत्यादि) कम होतें थे — जिससे यह प्रमाणित होता है कि नए के अभाव में ज्यादा से ज्यादा कूड़े-कर्कट को पुनरावर्तित कर लिया जाता था। ऐसे भी प्रमाण है कि प्राक औद्योगिक काल में, यूरोप में कांसे एवं अन्य धातुओं की कतरनों को एकचित्र कर फिर से इस्तेमाल में लाने के लिए गलाया जाता था। ब्रिटेन में कूड़ा-कर्कट बटोरने वालों को कोयले की आग से इकठ्ठा की गई राख और धूल को मूल सामग्री के रूप में इस्तेमाल कर ईट बनाने में पुनरावृत कर लिया जाता था। इन पुनरावृति के के प्रभेदों में प्रमुख परिचालक पुनरावृत पुननिर्वेश योग्य सामान के स्टॉक की आर्थिक अनुकूलता थी, न कि कच्चे सुद्ध सामान की उपलब्धता साथ ही साथ धनी आबादी वाले इलाकों में कूड़ा-कर्कट की सफाई में कमी भी थी। वर्ष 1813 में, बेटली, यॉर्कशाइर बेंजामिन कानून ने चिथड़ों को "मोटे कपड़ों" तथा 'मांगो' उनी वस्त्रों में बदल देने की प्रक्रिया विकसित की। इस पदार्थ में पुनरावृत रेशों के साथ शुद्ध ऊन को मिश्रित कर दिया गया। पश्चिमी यॉर्कशायर के शहरों मरण मोटे खुरदरे कपड़ों के उद्योग उदाहरणार्थ बेटली और ड्यूसबरी, 19वीं सदी से आरंभ कर कम से कम प्रथम विश्व युद्ध तक बरकरार रहे। युद्धकालीन पुनरावर्तन विश्वयुद्धों के समय संसाधनों के अभाव, एवं ऐसे ही विश्व-परिवर्तनीय घटनाओं ने पुनरावर्तन को प्रोत्साहित किया। विश्वयुद्ध द्वित्तीय में शामिल हरेक देश में सरकारी स्तर पर पुनरावर्त का व्यापक रूप से प्रोत्साहन हेतु प्रचार-प्रसार किया गया, नागरिकों से देश भक्ति भावना प्रदर्शन करने हेतु यह निवेदन किया गया कि वे धातुओं और इस्तेमाल हो चुके वस्त्रों को दान कर दें। युद्ध के दौरान संसाधनों के संरक्षण हेतु परियोजनाएं लागू की गईं जो कुछ देशों में जहां प्राकृतिक संसाधनों के प्राचुर्य का अभाव था जैसे कि जापान में, युद्ध की समाप्ति के बाद भी जरी रही। युद्धोत्तर पुनरावर्तन उर्जा के लागत में वृद्धि के कारण, पुनरावर्तन में सबसे बड़ा निवेश 1970 के दशकों के दौरान हुआ। एल्यूमीनियम के पुनरावर्तन में शुद्ध उत्पादन हेतु केवल 5 प्रतिशत उर्जा की ही आवश्यकता होती हैं; कांच, कागज़ तथा धातुओं में नाटकीय रूप से कम किन्तु बहुत ही उल्लेखनीय रूप से उर्जा की बचत होती है, जब पुनरावर्तित जमे संसाधन के स्टॉक को उपयोग में लाया जाता है। समूचे संयुक्त राज्य में न्यूजर्सी वुड्बरी ही पुनरावर्तन को अधिदेशाधीन करने वाला एकमात्र प्रथम शहर था। रोज़ रोवाने के नेतृत्व में 1970 के आरंभिक दशकों में, अपशिष्ट प्रबंधन की गाड़ी के पीछे पुनरावर्तन ट्रेलर को खींचने का ख्याल आया ताकि कचरे तथा जमने वाली पुनरावर्तनीय सामग्री को साथ ही साथ संगृहीत भी किया जा सके। इस पद्यति का अनुकरण दूसरे कस्बों और शहरों ने भी किया और आज संयुक्त राज्य में कई शहर पुनरावर्तन के लिए आवश्यक सामग्री जुटा लेते हैं। वर्ष 1987 में, मोब्रो 4000 जलयान कूड़ा-कर्कट के भण्डार को न्यूयॉर्क से दक्षिणी केरोलिना ढ़ो कर ले गया; जहां उसे लेने से मना कर दिया गया। तब इसे बेलीज़ भेज दिया गया; वहां भी इसी तरह इसे लेने से मना कर दिया गया। जलयान न्यूयॉर्क लौट आया और कूड़ा-कर्कट के उस अम्बर को जलाकर भस्म कर दिया गया। इस घटना से अपशिष्ट के निष्पादन तथा पुनरावर्तन को लेकर मीडिया में गरमागरम बहस छिड गई। यह अक्सर 1990 के दशकों की पुनरावर्तन के "पागलपन" को प्रज्ज्वलित करने वाली घटना के रूप में मानी जाती है। कानून आपूर्ति पुनरावर्तन की परियोजना को कारगर बनाने में, व्यापक रूप से, पुनरावर्तनीय पदार्थ की सतत आपूर्ति कठिन है। ऐसी आपूर्ति की सृष्टि के लिए तीन वैकल्पिक विधान प्रयोग में लाए जाते हैं: अनिवार्य (आदेशात्मक) पुनरावर्तन संग्रहण, पात्र (कनेक्टर) में जमा करने का कानूनी आदेश, तथा अपशिष्ट पर प्रतिबन्ध. अनिवार्य (आदेशात्मक) संग्रहण कानूनों ने सहरों में परावर्तन के उद्देश्यों को आमतौर पर निश्चित तिथि तक सहर के कचरे का निर्धारित प्रतिशत अवश्य ही विस्थापित कर दिए जाने को लक्ष्य बनाया। तब शहर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उत्तरदायी हो गए। संग्राहक पात्र (कंटेनर) में जमा करने के कानून में कुछ कंटेनरों को लौटाने के एवज में कुछ राशि लौटने की पेशकश की गई, खासतौर पर कांच, प्लास्टिक और धातु. ऐसे कंटेनर में जब कोई उत्पाद ख़रीदा जाता था, एक अल्प अतिरिक्त शुल्क उसके मूल्य पर धार्य होता था। अगर कंटेनर को संग्रह-केंद्र पर लौटा दिया जाता था तो उपभोक्ता द्वारा यह अतिरिक्त शुल्क वापस मांग लिया जा सकता था। ये परियोजनाएं अक्सर 80% पुनरावर्तन के परिणाम के दर से काफी सफल रहीं। ऐसे परिणामों के बावजूद, संग्रहण आंचलिक सरकारों से हटकर उद्योग तथा उपभोक्ताओं के पास स्थानांतरित हो जाने के कारण कुछ क्षेत्रों में ऎसी योजनाओं को सशत्त प्रतिरोध का सामना करना पड़ा. पुनरावर्तनीय पदार्थों की आपूर्ति में वृद्धि की तीसरी पद्यति कुछ पदार्थों को अपशिष्ट के रूप में कूड़ा-कर्कट में निष्पादन पर प्रतिबन्ध लगाना है, जिनमें अक्सर इस्तेमाल हो चुके तेल, पुरानी बैटरियां, टायर्स तथा बाग़-बगीचों के कूड़े-कर्कट शामिल हैं। प्रतिबंधित उत्पादों के उचित निष्पादन के लिए व्यवहार्य आर्थिक स्थिति उत्पन्न करना ही इस पद्यति का प्रमुख उद्देश्य है। इस बारे में सावधानी बरतनी चाहिए कि ऐसी परावर्तनीय सेवाएं अधिकाधिक संख्या में मौजूद न हों, अथवा ऐसे प्रतिबंध गैरकानूनी तरीके से कूड़े-कर्कट का बहुत बड़ा अम्बार न खड़ा कर दे। सरकारी अधिदेशाधीन मांग पुनरावर्ततित पदार्थों के लिए मांग को बढ़ाने एवं बरकरार रखने के लिए भी कानून का प्रयोग किया गया। ऐसी चार क़ानूनी पद्धतियां मौजूद हैं: कम-से-कम पुनरावर्तित मात्रा के अधिदेश, उपयोगिता की दरें, अधिप्राप्ति की नीतियां, पुनरावर्तित उत्पाद के वर्गीकरण एवं नामकरण. कम से कम पुनरावर्तित मात्रा के अधिदेश तथा उपयोगिता की दरों ने उत्पादकों को उनके प्रचालन में परावर्तन को शामिल करने को सीधे बाध्य कर दिया। मात्रा के अधिदेशों में यह साफ़-साफ़ जाहिर है कि नए उत्पाद के कुछ निश्चित प्रतिशत में पुनरावर्तित पदार्थ का होना आवश्यक है। उपयोगिता की दरें अधिक लचीले विकल्प हैं; प्रचालन के किसी भी बिंदु पर अथवा यहां तक कि विपनीय ऋणों के लिए विनिमय में परावर्तन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उद्योगों को अनुबंध की भी अनुमति दे दी गई है। इन दोनों ही पद्धतियों के विरोधियों का निशाना उन्ली आवश्यकताओं को बाधा-चढ़ाकर पेश करने और यह दावा करने की कि वे उद्योगों से उनके जरुरी लचीलेपन को जबरदस्ती ले लेते हैं। सरकारों ने उनकी अपनी क्रुय, क्षमता का प्रयोग परावर्तनीय मोग को बढ़ाने के लिए जिस जरिए किया है उसे "प्रापण प्रबंध" नीति कहते हैं। इन नीतियों को या तो "दर किनार" कर दिया गया है, जो पुनरावृत उत्पादों में पूरी तरह खर्च करने के एक निश्चित परिमाण पर अपनी छाप छोड़ता है, अथवा "मूल्य की प्राथमिकता" की परिकल्पनाएं करता है जो पुनरावृत सामनों के खरीद जाने पर बड़े बजट का प्रावधान करता है। अतिरिक्त अधिनियम विशिष्ट मामलों को ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं: संयुक्त राज्य अमेरिका में, उदाहरणार्थ, पर्यावरणीय संरक्षण एजेंसी के तेल, कागज़, टायर तथा पुनरावृत अथवा यथासंभव पुनः संशोधित आवास में इस्तेमाल हुए रोधन (इन्सुलेशन) की खरीद पर अधिदेश जारी करती है। अंतिम रूप से सरकारी अधिनियम पुनरावृत उत्पाद की लेबलिंग (पृथक्करण और नामकरण) की बढ़ती हुई भाग को लेकर है। जब उत्पादकों को उनकी पुनरावृत पदार्थों के उत्पाद के परिणाम के साथ पैकेजिंग पर लेबलिंग (पृथककरण एवं नामकरण की जरुरत होती है पैकेजिंग के साथ) उपभोक्ता ही उचित समझदारी वाला चुनाव कर सकते हैं। क्रय करने की प्रचुर क्षमता वाले उपभोक्ता तब अधिक पर्यावरणनीय सचेतन विकल्प का चुनाव कर सकते हैं, उत्पादकों को उनके उत्पादों में पुनरावृत पदार्थ के परिमाण में वृद्धि के लिए तत्पर करते हैं, तथा परोक्ष रूप से मांग में वृद्धि करते हैं। परावर्तन के पृथक्करण एवं नामकरण के स्तरीकरण में भी पुनरावर्तीय आपूर्ति के घनात्मक प्रभाव हो सकते हैं अगर लेबलिंग में वे सूचनाएं भी शामिल हो कि कैसे और कहां उत्पादों को पुनरावर्तित किया जा सकता है। प्रक्रिया एकत्रीकरण पुनरावर्तीय पदार्थों को आम अपशिष्ट की बिखरी हुई सिलसिलेवार कतार से संग्रह कर एकत्रित करने की कई अलग-अलग प्रणालियां लागू की गई हैं। ये प्रणालियां आम जनता की सुविधा और सरकारी आसानी एवं खर्च के बीच व्यावसायिक प्रतिबिम्ब बनाती हैं। एकत्रीकरण की तीन प्रमुख श्रेणियां "कचरा फेंके जाने वाले केंद्र", पुनः खरीदे जाने वाले केंद्र एवं नियंत्रित क्षेत्र के एकत्रीकरण हैं। जहां कचरा गिराए जाते हैं ऐसे केन्द्रों में अपशिष्ट उत्पादकों को पुनरावर्तीय पदार्थों को केंद्रीय इलाके में, या तो स्थापित या फिर भ्राम्यमान संग्रहण स्टेशन अथवा खुद पुनः परिचालित संयत्र तक ढ़ोकर ले जाना पड़ता है। एकत्रीकरण के सबसे आसान तरीके तो ये मान लिए गए हैं, लेकिन अपेक्षित कार्यकलाप से अनभिज्ञ और कम होने के कारण सहना पड़ता है। पुनः ख़रीदे जाने वाले केंद्र पुनरावर्तनीय पदार्थों की खरीद और सफाई के मामले में चूंकि भिन्न हैं, अतः के निरंतर आपूर्ति एवं इस्तेमाल के लिए स्पष्ट प्रोत्साहन प्रदान करती है। तब संसाधनों परान्त पदार्थ को बेचा जा सकता है, इस आशा के साथ कि इससे लाभ होगा। दुर्भाग्यवश सरकारी आर्थिक सहायताएं पुनः खरीद जाने वाले केन्द्रों को उपयोगी लाभप्रद उद्योग बनाने के लिए सरकारी आर्थिक सहायताएं आवश्यक हैं, जैसा कि युनाइटेड स्टेट्स नेशन सॉलिड वेस्ट्स मैनेजमेंट के अनुसार एक टन सामग्री को प्रोसेस (संसाधित) करने में इसकी लागत औसतन 50 अमेरिकी डॉलर के आसपास आती है, जिसे केवल 30 अमेरिकी डॉलर पर ही फिर से बेचा जा सकता है। प्रतिबंधित क्षेत्र से एकत्रीकरण प्रतिबंधित क्षेत्र से एकत्रीकरण में कई प्रणालियां हैं जिनमें सूक्ष्म अंतर विशेषकर इस बात को लेकर है कि पुनरावर्तीय पदार्थों को कहां अलग-अलग कर साफ़ किया गया है। मिश्रित अपशिष्ट के एकत्रीकरण की प्रमुख श्रेणियां मिश्रित पुनरावर्तनीय तथा स्रोत से ही पृथक्करण है। अपशिष्ट को एकत्रित कर ढ़ोने वाली गाड़ी आमतौर पर कूड़ा-कर्कट उठाती है। इस प्रतिबिम्ब के एक छोर पर मिश्रित अपशिष्ट का एकत्रीकरण है, जिसमें सभी पुनरावर्तनीय पदार्थों को बाक़ी बचे दूसरे कूड़ा-कर्कट के साथ ही मिश्रित रूप में ही एकत्रित किया जाता है और तब बांछित पदार्थों के एक केंद्रीय छांटने वाले सुविधाजनक स्थान पर अलग-अलग कर साफ़ कर लिया जाता है। इसके फलस्वरूप एक बड़ी मात्रा में पुनरावर्तनीय अपशिष्ट, खासकर कागज़ इतने अधिक सड़ जाते हैं कि फिर से संसाधित हो ही नहीं सकते, बच जाते हैं, लेकिन इसके फायदे भी हैं; शहर को पुनरावर्तनी पदार्थों को अलग से एकत्रित करने के लिए न तो कुछ भुगतान ही करना पड़ता है, नहीं इसके लिए आम लोगों को कुछ सिखाने की जरुरत ही पड़ती है। जो पदार्थ पुनरावर्तनीय हैं उनमें कोई भी परिवर्तन लागू करना आसान है क्योंकि छांटने की प्रक्रिया एक निर्धारित केन्द्रीय स्थल पर ही होती है। एक मिश्रित अथवा एकल-धारा वाली प्रणाली में, एकत्रित किए जाने वाले सभी पुनरावर्तनीय पदार्थों को एक साथ मिला दिया जाता है लेकिन दूसरे अपशिष्ट से अलग ही रखा जाता है। इससे एकत्रीकरण के उपरान्त परिस्कृत किए जाने की आवश्यकता काफी कम तो हो जाती है किन्तु आम लोगों को यह सिखाने की जरुरत पड़ जाती है कि कौन-कौन से पदार्थ पुनरावर्तनीय है। दूसरी पद्यति स्रोत से अलग-अलग कर देने की है, जिसमें एकत्रीकरण से पूर्व ही प्रत्येक पदार्थ को अलग-अलग कर साफ़ कर लिया जाता है। इस पद्यति में एकत्रीकरण के पश्चात सबसे कम छांटन की जरुरत पड़ती है तथा उत्तम पुनरावर्तनीय पदार्थों की उत्पत्ति होती है, लेकिन प्रत्येक अलग-अलग छांटे गए पदार्थ के एकत्रीकरण के लिए अतिरिक्त परिचालन लागत आती है। इसमें विशद रूप से लोगों को प्रशिक्षित करने की परियोजना की भी आवश्यकता होती है जिसका सफल होना अवश्य ही अनिवार्य है अगर पुनरावर्तनीय पदार्थ में मिलावट से बचना है तो. स्रोत से ही छांटन की पद्यति को सर्वाधिक प्राथमिकता प्रदान की गई है क्योंकि मिश्रित एकत्रीकरण में अलग करने में काफी लागत आती है। छांटने और अलग-अलग करने की तकनीक में विकास के कारण (नीचे छांटन देखें), हालांकि इनमें काफी उल्लेखनीय गिरावट आ गई है-कई क्षेत्रों में जहां स्रोत से अलगाव की परिकल्पना विकसित की जा चुकी है, मिश्रित एकत्रीकरण की और मुड़ गए हैं। छांटन एक बार जब मिश्रित परावर्तनीय पदार्थ एकत्रित कर लिए जाते हैं और केंद्रीय एकत्रीकरण सुविधा को सुपुर्द कर दिए जाते हैं तब विभिन्न प्रकार के पदार्थों को अवश्य ही अलग-अलग छांट लेना चाहिए। यह कई स्तरों की श्रृंखला में की जाती है, जिसमें कई स्वचालित प्रक्रियाएं भी शामिल हैं जैसे कि पदार्थ से भरी लदी ट्रक की एक घंटे से भी इस समय में छंटाई कर ली जा सकती है। कुछ संयत्र ऐसे हैं जो पदार्थों को स्वचालित तरीके से अलग-अलग छांट सकते हैं, जिन्हें एकल-पद्यति का पुनरावर्तन कहा जा सकता है। पुनरावर्तन दर में 30 प्रतिशत की वृद्धि उन क्षेत्रों में देखी गई है जहां ये संयत्र मौजूद हैं। प्रारंभ में पुनरावर्तनीय पदार्थ एकत्रीकरण वाले वाहनों से अलग कर लिए जाते हैं और उन्हें वाहक पट्टो पर एक स्तर में फैला कर रख दिया जाता है। गत्ते के बड़े-बड़े टुकड़े और प्लास्टिक के थैलियों को हाथ से इस चरण में अलग कर लिया जाता है क्योंकि वे बाद में चलकर मशीन को जाम कर सकते हैं। बाद में, स्वाचालित मशीन परावर्तनीय पदार्थों को वजन के आधार पर अलग-अलग कर देती है, जिसमें भारी वजनी कांच और धातु से हल्के वजन-वाले कागज़ तथा प्लास्टिक अलग कर लिए जाते हैं। गत्तों को मिले-जुले कागजों से अलग कर लिया जाता है और सबसे अधिक सामान्य प्रकार के प्लास्टिक, PET (#1) और HDPE (#2), एकत्रित किए जाते हैं। यह छंटाई आमतौर पर, हाथ से ही की जाती है, लेकिन कुछ छंटाई केन्द्रों में अब यह स्वचालित हो गई है: आत्मसात तरंगदैर्य के आधार पर स्पेक्टेरोस्कोपिक स्कैनर यंत्र के जरिए विभिन्न प्रकार के कागज़ और प्लास्टिक अलग-अलग कर लिए जाते हैं और साथ ही साथ प्रत्येक पदार्थ को तदनुसार अलग-अलग दिशाओं में एकत्रीकरण के सही चैनलों में भेज दिया जाता है। लोहमय (फेरस) धातुओं को अलग करने के लिए शक्तिशाली चुम्बकों का प्रयोग किया जाता है, जैसा कि लोहा, इस्यात एवं टिन-के पत्तर लगे इस्पात के पात्र ("टिन कैन्स")। गैर लौहमय धातुओं को चुम्बकीय चक्रवातीय प्रवाहों के बल से बाहर निकाल लिया जाता है जिससे एल्युमीनियम के पात्रों के चरों और घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र वैधुतिक तरंग उत्प्रेरित करते हैं, जो बदले में, पत्रों के भीतर चुम्बकीय चक्रावातीया तरंग पैदा करते हैं। ये चुंबकीय चक्रावातीया तरंग एक बड़े चुम्बकीय क्षेत्र के द्वारा विकर्षित हो जाते हैं और पात्र बाकी बचे परावर्तीय प्रवाह से रिक्त हो जाता है। अंत में, कांच को भी हाथ से ही भूरा, कहुरुवा, हरा अथवा स्वच्छ पारदर्शी रंगों में अलग-अलग छांट दिया जाता है। लागत-लाभ विश्लेषण परावर्तन क्या आर्थिक दृष्टि से प्रभावी है या नहीं, इस बारे में कुछ विर्तक हैं। नगरपालिकाएं पुनरावर्तन की परियोजना को लागू करने में अक्सर राजकोषीय लाभ देखती हैं, व्यापक रूप से जमीन की भराई में क्रम लागत आने के कारण. टेक्नीकल यूनिवर्सिटी ऑफ़ डेनमार्क के द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला कि 83% मामलों में घरेलू कूड़े-कचरों को निपटाने के लिए पुनरावर्तन ही सबसे अधिक प्रभावी पद्यति है। हालांकि, डेनिश इन्वाइरन्मेन्टल असेसमेंट इंस्टीट्युट द्वारा वर्ष 2004 में किए आकलन के आधार पर यह निष्कर्ष निकला कि जलाकर भस्मीकरण कर देना ही पेय पात्रों, यहां तक कि एल्युमिनियम तक को निपटा कर नस्ट कर देने का सबसे कारगर तरीका है। राजकोषीय क्षमता आर्थिक क्षमता से सर्वथा अलग है। परावर्तन के आर्थिक विश्लेषण के अर्थशास्त्रियों की भाषा में बहिमुर्खता या बाहरीपन समाविष्ट हैं, जो निजी लेन-देनों से बाहर व्यक्तियों के लाभार्थ नहीं आंकी गई लागत है। उदाहरणों में शामिल हैं: घटता हुआ वायु-प्रदूषण तथा जलाकर भस्मीकरण की प्रक्रिया से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन जमीन की भराई से जोखिमी अपशिष्ट का विक्षालन (घुलकर बह जाना), उर्जा की घटती खपत, घटता हुआ अपशिष्ट एवं संसाधनों की खपत, जो अंततः खनन एवं लकड़ी के क्रियाकलाप की पर्यावरणीय क्षति में कमी लाती है। लगभग 4000 खनिजों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें से 100 के आसपास आम हैं, दूसरे कई सौ तुलनात्मक रूप से अपेक्षाकृत आम और साधारण है और बाक़ी बचे दुर्लभ हैं। अधिकाधिक पुनरावर्तन के बिना, वर्ष 2037 तक ही जस्ते का होना संभव है, इण्डियन एवं हाफनियम वर्ष 2017 तक पूरी तरह खर्च हो जाएंगे और टर्बियम तो वर्ष 2012 से पहले ही जा चुका होगा। मेकनीज़म्स के बिना जैसे कि कर एवं आर्थिक सहायताएं बाह्य्पन को आंतरिक करने में अगर लगाईं जाती हैं तो समाज पर लगाए गए लागतों के बावजूद व्यापार उनकी अनदेखी करेंगे। ऐसे गैर वित्तीय लाभों को आर्थिक दृष्टि से प्रासंगिक बनाने के लिए, समर्थन करने वाले अधिवत्ताओं ने विद्यायी (क़ानूनी) कार्यवाई पर जोर डालने को कहा है ताकि पुनरावर्ती पदार्थों की मांग में वृद्धि हो। संयुक्त राज्य अमेरिका पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) ने पुनरावर्तन के पक्ष में निष्कर्ष निकाला है, यह कहते हुए कि पुनरावर्तन के प्रयासों से देश के कार्बन उत्सर्जन में 2005 में निवल 49 मिलियन मेट्रिकटन तक की कमी आ गई है। यूनाइटेड किंगडम में, अपशिष्ट और संसाधन कार्य परियोजना (वेस्ट ऐंड रिसोर्सेस ऐक्शन प्रोग्राम) के कथानुसार ग्रेट ब्रिटेन के पुनरावर्तन प्रयासों ने कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन को प्रतिवर्ष 10 से 15 मिलियन टन तक कम कर दिया है। घनी आबादी वाले इलाकों में पुनरावर्तन अधिक प्रभावशाली है, क्योंकि वहां की आर्थिक व्यवस्था पैमाने पर आधारित है। पुनरावर्तन को आर्थिक रूप से व्यवहार्य और पर्यावरण की दृष्टि से कारीगर बनाने के लिए कुछ निश्चित आवश्यकताओं की पूर्ती अवश्य की जानी चाहिए। इनमें पुनरावर्तनीय पदार्थों का पर्याप्त स्रोत, कचरे की कतार से पुनरावर्तनीय पदार्थों को बाहर निकालने की प्रणाली, आसपास ही कारखाने की अवस्थिति जो पुनरावर्तनीय पदार्थों के पुनर्संसाधन में सक्षम हो, तथा पुनरावर्तित उत्पादों की संभावित मांग शामिल हैं। इन अंतिम दो आवश्यकताओं की अक्सर अनदेखी कर दी जाती है - संग्रहित पदार्थों को उत्पादन के उपयोग में लसे वाले औद्योगिक बाजार के बिना एवं उत्पादित माल के लिए उपभोक्ता बाजार के बिना, पुनरावर्तन अधूरा है और वास्तव में केवल "एकत्रीकरण" है। पुनरावर्तनीय की सेवाएं मुहैया कराने के लिए कई अर्थशास्त्री माध्यम स्तर पर सरकारी हस्तक्षेप के पक्ष में हैं। इस मानसिकता वाले अर्थशास्त्रियों की संभावित दृष्टि में उत्पाद निपटान उत्पादन का बाहरीपन है और साथ ही साथ में उनका तर्क है कि ऐसी दुविधा वाली संकटपूर्ण स्थिति को समाप्त करने में सर्वाधिक सक्षम है। हालांकि, नगरपालिका के पुनरावर्तन के प्रति ऐसे अहस्त्क्षेप वाले दृष्टिकोण के लिए सेवा के रूप में उत्पाद निष्पादन देखें जिसका मूल्यांकन उपभोक्ता करते हैं। एक मुक्त बाजार की दृष्टिमंगी उपभोक्ताओं की प्राथमिकता के साथ अधिक मेल खाती है चूंकि सरकार की तुलना में लाभार्जन तलाशने वाले व्यवसाय गुणवत्ता संपन्न उत्पादों के उत्पादन या सेवा पर अधिक बल देते हैं। इसके अलावा, अर्थशास्त्री हमेशा किसी भी बाजार में थोडा अथवा एकदम ही बाहरीपन नहीं के साथ सरकारी घुसपैठ के खिलाफ सलाह देते हैं। पुनरावर्तनीय पदार्थों में व्यापार कुछ देश असंसाधित परावर्तनीय पदार्थों का व्यवसाय करते हैं। कुछ ने शिकायत की है कि दूसरे देशों को बेच दिए गए पुनरावर्तित पदार्थों का अंतिम भविष्य अज्ञात है और पुनर्संसाधन के बदले में उनकी अंतिम नियति जमीन की भराई ही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में, 50-80% कम्प्यूटर्स जिनकी नियति पुनरावर्तित होने में है वे वास्तव में पुनरावर्तित होते ही नहीं। चीन के लिए अवैध अपशिष्ट आयात की ख़बरें भी हैं, जहां मौद्रिक लाभ के लिए उन्हें उपकरणों को पूरी तरह अलग-अलग कर पुनरावर्तित किया जाता है, श्रमिकों के स्वास्थ्य अथवा पर्यावरणीय क्षति के बारे में विचार किए बिना. हालांकि चीन की सरकार ने इन प्रथाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है, फिर भी पूरी तरह से उन्मूलित करने में वह सक्षम नहीं है। वर्ष 2008 में, पुनरावर्तनीय अपशिष्ट की कीमतें वर्ष 2009 में टकराकर आई हुई गेंद की तरह अचानक गिर गई। सन 2004 से 2008 के बीच कार्डबोर्ड औसतन 53 पाउंड टन से गिरकर 19 पाउंड टन तक पहुंच गया और फिर मई 2009 में 59 टन तक ऊपर उठ गया। PET प्लास्टिक औसतन लगभग £156/टन से £75/टन तक गिर कर फिर मई 2009 में £195/टन तक ऊपर उठ गया। कुछ अंचलों में जितना पुनरावर्तन कर पाते हैं उतना ही पदार्थ निर्यात कर पाने में कठिनाई है। यह समस्या सबसे अधिक कांच के साथ पहले से ही जुड़ी हुई है ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों ही देश हरे रंग की कांच की बोतलों में प्रचुर परिमाण शराब आयात करते हैं। यद्यपि इस कांच की आधिकारिक मात्रा पुनरावर्तन के लिए भेज दी जाती है, अमेरिका के मध्य पश्चिम में इतने सारे पुनः संसाधित वस्तुओं को उपयोग में ला पाने जितनी शराब का उत्पादन नहीं कर पाते हैं। आवश्यकता से अधिक को भवन-निर्माण में पुनः पुनरावर्तित कर लिया जाता है अथवा फिर से नियमित अपशिष्ट की धारा में छोड़ दिया जाता है। ठीक इसी प्रकार, अखबारों के पुनरावर्तन के लिए बाजार तलाशने में उत्तरी पश्चिम संयुक्त राज्य में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जबकि इन अंचलों को कागज़ की लुगदी बनाने के कारखाने बड़ी संख्या में बना दिए गए हैं साथ ही साथ एशियाई बाजारों की सभी पता भी मिल गई है। संयुक्त राज्य के दूसरे अंचलों में, हालांकि इस्तेमाल की जा चुकी अखबारी कागज़ की मांग में काफी उतार-चढ़ाव दिखाई भी देता है। संयुक्त राज्य के कुछ राज्यों में, रीसाइकल बैंक के नाम से जाने जाने वाला कार्यक्रम लोगों को रीसाइकल के कूपन दिए जाते हैं जो स्थानीय नगरपालिकाओं से जमीन की भराई में छूट के लिए, जिसे खरीद लिया जाना जरुरी है अर्थ (मुद्रा) पाने के लिए। इसमें एकल धारा की प्रक्रिया काम में लाई जाती है ज्सिमें सभी सामानों को स्वचालित तरीके से छांट कर अलग-अलग कर लिया जाता है। समीक्षा पुनरावर्तन में आनेवाली कठिनाई का अधिकांश इस तथ्य में निहित है कि अधिकतर उत्पाद पुनरावर्तन को दिमाग में रखकर डिजाइन नहीं किए जाते. सर्वदा उपलब्ध होने वाली डिजाइन की अवधारणा का लक्ष्य इस समस्या को सुलझाना है और इसे पहली बार एक पुस्तक में "Cradle to Cradle: Remaking the Way We Make Things " भवन शिल्पकार (आर्किटेक्ट) विलियम मैकडोनो तथा सायानविद माइकेल ब्राउनगर्ट ने उल्लेख किया है। उनकें परामर्शानुसार प्रत्येक उत्पाद (एवं सभी प्रकार की पैकेजिंग ज्सिकी उन्हें आवश्यकता होती है) को परिपूर्ण "बंद-लूप" प्रत्येक अंश के लिए लगा होना चाहिए यह एक ऐसा तारका है जिसमें प्रत्येक अंग या तो जैविक क्षरण अथवा अनिश्चित रूप से पुनरावर्तित प्राकृतिक पर्यावरणीय प्रणाली में लौट जाएगा. जैसा कि पर्यावरण के अर्थ-शास्त्र के साथ लागत और होने वाले लाभों के दृष्टिकोण से सावधानी अवश्य बरतनी चाहिए। उदाहरण के लिए, खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग के लिए गत्ते (कार्डबोर्ड) को प्लास्टिक की तुलना में आसानी से पुनरावर्तित कर दिया जा सकता है, लेकिन इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने में वजनी हो जाता है और नस्ट होकर अधिक कचरा पैदा कर सकता है। समीक्षा हेतु पुनरावर्तन में प्रयुक्त ये कई विचारणीय बिंदु हैं। ऊर्जा की बचत होती है इस बारे में विवाद है कि पुनरावर्तन के माध्यम से कितनी उर्जा बचाई जा सकती है। ऊर्जा सूचना प्रशासन (द एनर्जी इन्फौर्मेशन एडमिनिसट्रेशन EIA) के इसके अपने वेबसाईट पर उल्लेख करने के अनुसार "कागज़ की एक मिल पुनरावर्तित कागज़ से कागज़ बनाने में 40 प्रतिशत कम ऊर्जा का उपयोग करती है तुलनात्मक रूप से नये रूप से कागज़ की लुग्दी से कागज़ बनाने में जितनी उर्जा लगती है". समीक्षक अक्सर यह तर्क देते हैं कि पूरी प्रक्रिया में पुनरावर्तित उत्पादों के उत्पादों के उत्पादन में अधिक उर्जा की खपत होती है जितनी कि उन्हें परंपरागत जमीन की भराई में रद्दी के रूप कचरा बनाकर फेंक देने की पद्यति में. पुनरावर्तनीय पदार्थों के कूड़ेदानों के किनारे से एकत्रीकरण ने ही इस तर्क को जन्म दिया है, जिसे समीक्षकों के अनुसार अक्सर कचरे को किनारे से दूसरे ट्रकों से उठाया जाता है। पुनरावर्तन के प्रस्तावकों का मानना है कि दूसरी लकड़ी की अथवा बड़े-बड़े कुंदों को ढ़ोने वाले ट्रक को हटा दिया जाता है जब पुनरावर्तन के लिए कागज़ को एकत्रित किया जाता है। उर्जा की खपत अथवा अपशिष्ट के निस्पादन की प्रक्रिया में उत्पादन की सही मात्रा का निर्धारण करना कठिन है। पुनरावर्तन में कितनी उर्जा का इस्तेमाल हुआ यह व्यापक रूप से पुनरावर्तित पदार्थों के प्रकार पर तथा ऐसा करने के लिए इस्तेमाल में लाई गयी प्रक्रिया पर निर्भर करता है। आमतौर पर सभी इस बात से सहमत हैं कि खुरचनों से ऐल्युमीनियम के उत्पादन में ऊर्जा की खपत की तुलना में ऐल्युमीनियम पुनरावर्तन में कम ऊर्जा लगती है। EPA के वक्तव्यानुसार "उदहारण के लिए एल्यूमीनियम के पात्रों के पुनरावर्तन से 95 प्रतिशत ऊर्जा की बचत होती है जो इतने ही परिमाण में अपने प्राकृतिक स्रोत बॉक्साइट से एल्युमीनियम के उत्पादन में लगती है। अर्थशास्त्री स्टीवन लैंड्सबर्ग ने सलाह दी है कि जमीन की खाली जगह की भराई में कभी से एकमात्र लाभ ऊर्जा की आवश्कता तथा पुनरावर्तन की प्रक्रिया में प्रतिफलित प्रदूषण है। हालांकि दूसरों ने तो फिर भी जीवन-चक्र के माध्यम से गणना करते हुए यह आकलन किया है, कि पुनरावर्तित कगाज के उत्पादन में खेतीबारी फसल की कटाई-बुनाई, लुग्दी बनाई, प्रसंस्करण तथा मूलरूप से मौजूदा पेड़ों आदि की परिवहन में ढुलाई की तुलना में कम उर्जा और जल का व्यवहार कम किया जाता है। कम पुनर्नवीनीकरण किए गए कागज का उपयोग कर के, फार्मिंग (कृषि द्वारा उगाए गए) वनों के सृजन एवं रख-रखाव के लिए तब तक अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है जबतक कि ये वन कोरे प्राकृतिक रूप से विकसित वनों की तरह आत्म-निर्भर एवं स्वतः संपोषित नहीं हो जाते. कृषि अन्य जंगलों के सृजन और रख-रखाव में अतिरिक्त उर्जा की आवश्यकता होती है, जनता की नीति के विश्लेषक जेम्स वी, डेलाँग ने इशारा किया है कि पुनरावर्तन निर्माण की एक प्रक्रिया है और कई पद्धतियों में तो जितना बचाते हैं उससे कहीं अधिक उर्जा का इस्तेमाल होता है। ऊर्जा के उपयोग के अतिरिक्त, उन्होंने इस बात पर गौर किया है कि पुनरावर्तन में पूंजी और श्रम की जरुरत होती है जब भी अपशिष्ट से कुछ उत्पादन करना होता है। इन प्रक्रियाओं को मौलिक कच्चे पदार्थ तथा/अथवा पुनरावर्तन के लिए पारंपरिक कचरों के निपटान में अधिक उन्नत सक्षम और कारगर पद्यति की जरुरत है। मुद्रा की बचत होती है पुनरावर्तन से वास्तव में जिस मुद्रा की जितनी रकम बचती है वह पुनरावर्तन में प्रयुक्त प्रोग्राम की कार्यकारी क्षमता पर निर्भर करती है। द इंस्टीट्युट फॉर लोकल सेल्फ-रिलायेन्स का तर्क है कि पुनरावर्तन में लागत पुनरावर्तन करने वाले किसी समुदाय विशेष के चतुर्दिक कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि जमीन की भराई शुल्क एवं पुनरावर्तन करने वाले समुदाय के निपटान का परिमाण. इसके कथनानुसार, समुदाय के लोग जब पुनरावर्तन को अपनी पारंपरिक अपशिष्ट प्रणाली के स्थानापन्न के रूप में मानने लगते हैं तो वे मुद्रा की बचत करने लगते है न कि अपने काम के साथ जुड़ जाने वाला एक अतिरिक्त काम मानते हैं तथा अपने एकत्रीकरण के नियत कार्यों तथा/अथवा ट्रकों का पुनर्विन्यास करते हैं।" कई मामलों में, पुनरावर्तनीय पदार्थों की लागत भी कच्चे मालों की कीमत से काफी अधिक बढ़ जाती है। पुनरावर्तित रेज़ीन की कीमत से शुद्ध अप्रयुक्त प्लास्टिक रेज़ीन की कीमत 40% कम है। इसके अतिरिक्त, संयुक्त राज्य पर्यावरणीय संरक्षण एजेंसी (EPA) के एक अध्ययन के अनुसार जिसने 15 जुलाई से 2 अगस्त 1991 के बीच टूटे-फूटे साफ़ कांच के टुकड़ों की कीमत की लगातार परख करता रहा, पाया कि प्रतिटन औसत लागत 40 अमेरिकी यु.एस से 60 डॉलर तक पहुंचकर सीमाबद्ध रहा जबकि USGS रिपोर्ट यह दर्शाता है कि सन् 1993 से सन् 1997 के बीच अपरिस्कृत सिलिका के रेतीले बुरादे की प्रति टन की मत 17.33 यूएस डॉलर और 18.10 यूएस डॉलर के बीच गिर गई। सन् 1996 के द न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में, जॉन टायर्नी ने तर्क देते हुए यह कहा कि न्यूयॉर्क सिटी के कूड़ा-कचरों को पुनरावर्तित करने के लिए जमीन की भराई में इसे निपटान करने की तुलना में अधिक मौद्रिक लागत आती है। टायर्नी ने तर्क देते हुए यह भी कहा कि पुनरावर्तन की प्रक्रिया में अतिरिक्त अपशिष्ट निपटान, छंटाई, जांच-परख की खातिर अधिक लोगों को काम पर लगाया जाता है तथा कई प्रकार के शुल्क धार्य होते हैं क्योंकि उत्पाद को अंतिम रूप देने के लिए प्रसंस्करण की लागत उत्पाद की बिक्री के लाभ से अक्सर अधिक आती है। टायर्नी ने सॉलिड वेस्ट एसोसिएशन ऑफ़ नॉर्थ अमेरिका (SWANA) के द्वारा चलाए गए अध्ययन को भी संदर्भित किया जिसने छः समुदायों के लोगों के बीच चलाए गए अध्ययन में पाया कि, नुक्कड़ों या कूड़ादानों के आसपास चलाए गए पुनरावर्तन की योजना के अलावा सब में और सभी कूड़ा-खाद बनाने के ऑपरेशनों तथा अपशिष्ट निपटान की लगत में वृद्धि कर दी। टायर्नी इस बात की ओर संकेत देते हैं कि "कि कटी-छंटी (स्कैप) सामग्री के लिए भुगतान की गई कीमतें पुनरावर्तनीय के रूप में अपने पर्यावरणीय मूल्य के लिए उपाय स्वरूप हैं। एल्यूमिनियम के कटे-छंटे से ऊंची कीमतें मिलती हैं क्योंकि पुनरावर्तन की प्रक्रिया में नए एल्यूमीनियम की मेनूफैक्च्युरिंग में आयी ऊर्जा पर लागत की तुलना में बहुत कम आती है। कार्यप्रणाली की अनुकूलनता आलोचक अक्सर यह तर्क देते हैं कि जब पुनरावर्तन रोजगार के मौके पैदा कर सकता हैं, लेकिन ऐसे रोजगार जिनमें मजदूरी तो कम मिलती ही लेकिन कार्यप्रणाली अनुकूलनता भयंकर रूप से विपरीत पाई जाती है। इन नौकरियों को कभी-कभी उन लोगों के लिए समझा जाता है, जो उतना उत्पादन नहीं देते जितने के लिए उन्हें तनख्वाह दी जाती है। ऐसे अंचलों में जहां पर्यावरणीय विनियम नहीं लागू होते हैं तथा/अथवा मजदूरों की सुरक्षा गौरतलब नाहिंन होती हैं, पुनरावर्तन से संबधित कामों में जैसे कि जहाज को तोड़ने में कर्मचारियों और आसपास के निवासी समुदायों के बीच दुखद परिस्थतियां पैदा हो सकती हैं। पुनरावर्तन के प्रस्तावकों ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि समान परिमाण में कच्चे शुद्ध माल को जुटाने-बटोरने में इससे भी बद्तर काम पैदा होते हैं। लकड़ी की कटाई तथा अयस्क का खनन कागज़ के पुनरावर्तन एवं धातु के पुनरावर्तन से अधिक खतरनाक हैं। वृक्षों को बचाता है अर्थशास्त्री स्टीवन लैंड्सबर्ग ने यह दावा किया है कि कागज़ के पुनरावर्तन से पेड़ों की आबादी घटती है। उन्होंने तर्क दिया हैं कि कागज़ की कंपनियों को उनके अपने जंगलों को फिर से पेड़ों से भी देने के लिए प्रोत्साहन राशियां प्रदान की जाती हैं। क्योंकि कागज़ की विशाल मांग विशाल जंगलों की कम मांग की आपूर्ति के लिए छोटे-मोटे "कृषिज्ञ" जंगलों की जरुरत पड़ती है। ऎसी ही तर्क द फ्री मार्केट के एक लेख में सन् 1995 में अभिव्यक्त किए गए। जब जंगल का रख-रखाव करने वाली कंपनियों ने पेड़ों को काट कर गिरा दिए, उन जगहों पर उनसे अधिक की संख्या में, पेड़ लगाए गए। अधिकांश कागज़ लुग्दी के जंगलों से आते हैं जो कागज़ के उत्पादन के लिए खासतौर से लगाए गए हैं। कई पर्यावरणविद् यह संकेत देतें हैं कि, कई मायनों में कृषिज्ञ (उगाये गए) जंगल प्राकृतिक रूप स्वतः जन्में जंगलों की तुलना में निम्नतर कोटिके हैं। खेती-बारी कर तैयार किए गए (कृषिज्ञ) जंगल प्राकृतिक जंगलों की तरह गड्ढों मिट्टी को उतनी जल्दी भरकर मरम्मत कर देने में सक्षम नहीं है, जिससे व्यापक पैमाने पर कटाव (भूमि-स्खलन) पैदा होता और अक्सर इससे बचने के लिए बड़ी माया में खाद की आवश्यकता होती है जबकि छोटे-छोटे आकार के पेड़ों वाले तथा वन्य जीवन में, जेवी विविधता बनाए रखने के लिए प्राकृतिक जंगलों की तुलना में जरुरत पड़ती है। इसके अलावा, नए पेड़ जो लगाए गए वे उन पेड़ों जितने बड़े नहीं हैं जो काट दिए गए और यह तर्क कि और भी "अधिक संख्या में पेड़" लगाए जायेंगे, जंगल के पक्षधर समर्थकों को सहमति पर मजबूर नहीं कर पाते हैं जब वे नए लगाएं गए पौधों की गिनती करते हैं। कागज की पुनरावर्तन को उष्णकटिबंधीय जंगल की रक्षा के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए। कई लोगों को यह गलत धारणा है कि कागज़ बनाने के कारण ही उष्णकटिबंधीय वर्षों वाले वनों की कटाई हो रही है लेकिन शायद ही कागज़ के लिए किसी उष्णकटिबंधीय जंगल की खेतीबारी हो रही है। जंगलों की कटाई का एक मात्र कारण है जनसंख्या का दबाव जैसे कि कृषि एवं कास-स्थान निर्माण के लिए अधिक भूमी की मांग. इसलिए, कागज का पुनरावर्तन, हालांकि पेड़ों की मांग को कम करता है, उष्णकटिबंधीय वर्षा वाले जंगलों को इससे कोई लाभ नहीं पहुंचता है। संभावित आय में क्षति एवं सामाजिक लागत संसार के कुछ समृद्ध और कई कम समृद्ध देशों में, पुनरावर्तन का पारंपरिक पेशे को गरीब उद्यमियों द्वारा अंजाम दिया जाता है जैसे कि कारुंग गुनी, जैबेलीन, कूड़े-कर्कट और हड्डियां बटोरने वाले, अपशिष्ट चुनने वाले तथा कबाड़ी. बड़े पैमाने पर पुनरावर्तन के प्रतिष्ठानों के जन्म के कारण विधि-व्यवस्था अथवा आर्थिक पैमाने पर लाभप्रद हो सकते हैं, गरीबों को पुनरावर्तन एवं पुनउत्पादन के बाजार से बाहर निकाल दिए जाने की अधिक संभावना हो जाती है। गरीबों के आय में होने वाले नुक्सान की भरपाई के लिए, किसी सोसाइटी को गरीबों के सहायतार्थ अतिरिक्त सामाजिक कार्यक्रमों की सृष्टि करने की आवश्यकता है। टूटी खिड़की की नीति-कथा की तरह इससे गरीबों के लिए निवल नुक्सान है और संभवतः पूरी की पूरी सोसाइटी को भी पुनरावर्तन को कृत्रिम रूप से विधिसम्मत तरीकें से लाभप्रद बनाने में. पुनरावर्तन के काम में लगे गरीबों के आय में नुक्सान की तुलना में किसी देश का सामाजिक समर्थन कम होने के कारण, इस बात की अधिक संभावना हो जाती है कि गरीब पुनरावर्तन के बड़े प्रतिष्ठानों के साथ संघर्ष के लिए उतांरू हो जाएंगे. इसका मतलब यह है कि कम ही लोग इस बात का निर्णय ले सकेंगे कि क्या कुछ ख़ास अपशिष्ट अपने मौजूदा रूप में आर्थिक दृष्टि से अधिक पुनः प्रयोज्य हैं बजाय पुनरावर्तित होने के. गरीबों के द्वारा पुनरावर्तन के विरुद्ध हो सकता है उनके पुनरावर्तनकी दक्षता कुछ सामग्रियों के लिए वास्तव में उंची हो क्योंकि 'अपशिष्ट' समझी जाने वाली सामग्रियों पर व्यक्ति विशेष का नियंत्रण अधिक होता है। एक श्रम साध्य अव्यवह्त अपशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक एवं कंप्यूटर है। चूंकि यह अपशिष्ट अब भी व्यवहार में आने योग्य हो सकता है और विशेषकर गरीबों द्वारा इसकी मांग बनी रहती है इसलिए गरीब बेचारों को इसे बेच सकने अथवा इसे काम में लाने की क्षमता पुनरावर्तकों से अधिक है। पुनरावर्तन के कई पक्षधरों का मानना है कि यह अहस्तक्षेप व्यक्ति विशेष पर आधारित पुनरावर्तन पूरे समाज के पुनरावर्तन की जरूरतों को पूरा नहीं करता है। इस प्रकार, यह सुव्यस्थित पुनरावर्तन के कार्यक्रम को नहीं नकारता है। स्थानीय सरकार अक्सर गरीबों के पुनरावर्तन की गतिविधियों को संपत्ति की क्षति पूर्ति के रूप में विचार करती है। अखबारी कागज़ संसार में पुनरावर्तित फाइबर (रेशों) से अखबारी कागज़ के निम् उत्पादन की प्रतिशत की उच्चतम सीमा है। पुनरावर्तन की प्रकृति ने ही स्वतः सबसे स्पष्ट उपरी सीमा निर्धारित कर दी है। कुछ ऐसे फाइबर (रेशे) हैं जो लुग्दी बनाने के कारखाने में लुग्दी बनाने की प्रक्रिया में ही नस्ट हो जाते हैं, कारण प्रक्रिया में निहित अक्षमता होई है। फ्रेंड्स ऑफ़ द अर्थ के युनाइटेड किंगडम चैप्टर की वेबसाईट के अनुसार केवल लकड़ी के फाइबर का सामान्य रूप से फाइबर की क्षति के प्रति अपने अनुभव के कारण पांच बार पुनरावर्तन किया जा सकता है। इस प्रकार, जबतक अखबारी कागज़ कि मात्रा विश्वभर में व्यवह्ह्त होती है उतनी खो दिए गए फाइबर की मात्रा को प्रतिबंधित करने में अस्वीकार करती है, नए (अव्यवह्ह्त) फाइबर की निश्चित मात्रा की विश्वभर में प्रतिवर्ष जरुरत पड़ती है, हालांकि यह भी हो सकता है कि कुछ अखबारी कागज़ के कारखाने शत-प्रतिशत पुनरावर्तित फाइबर का ही उपयोग जारी रखें. इसके अतिरिक्त, कुछ पुराने अखबार कभी भी पुनरावर्तन के प्लांट में नहीं भेजे जाते, क्योंकि विभिन्न प्रकार के घरेलू और औद्योगिक अनुप्रयोगों में अथवा केवल जमीन की भराई के ही काम आकर समाप्त हो जाते हैं। पुनरावर्तन की दर (वार्षिक अखबारी कागज की खपत का प्रतिशत जो फिर से पुनरावर्तित होती है) एक देश से दूसरे देश में तथा, देशों के भीतर भी, एक शहर से ग्रामीण क्षेत्रों में साथ ही साथ एक शहर से दूसरे शहर में भी घटती बढ़ती रहती है। द अमेरिकन फॉरेस्ट एंड पेपर एसोसिएशन का अनुमान है कि 72% से अधिक अखबारी कागज़ जो 2006 में उत्तरी अमेरिका में उत्पादित हुआ उसे फिर से उपयोग में लाने के लिए या निर्यात के लिए उद्धार किया गया जिसका 58% पुनः प्रयोग के लिए कागज़ की मिल अथवा पेपर बोर्ड के कारखाने में भेज दिया गया, 16% का उपयोग लुग्दी की मिलों में (अंडे के कार्टून्स जैसे उत्पाद बनाने के लिए) किया गया और बाकी बची मात्रा को समुद्री रास्ते से दूसरे देशों को भेज दिया गया। उत्तरी अमेरिका की कागज़ मिलों अथवा पेपर बोर्ड की मिलों द्वारा पुनव्य्वह्ह्त का प्रतिशत AFPA के अनुमान से लगभग एक तृतीयांश अखबारी कागज़ के मैनुफैक्च्यर के लिए वापस जाता है। पुनरावर्तन की दर भी समयानुसार पुराने अखबारों के लिए बाज़ार द्वारा दिए गए मूल्य जो काफी अस्थिर हो सकते हैं, बदलती रहती है। उदाहरण के लिए, हाल-फिलहाल के वर्षों में चीन के विभिन्न प्रकार के कागज़ और पैकेजिंग के उत्पादन के रूप में उभरने के साथ-साथ उल्लेखनीय मात्रा में पुनरावर्तित फाइबर को संयुक्त राज्य अथवा अन्य कहीं से भी आयातित कर - पुराने अखबारी कागज़ों की इसकी मांग एक समय काफी ऊपर उठ गई जिसने विश्वभर में पुनरावर्तित फाइबर की कीमतों पर काफी असर डाला। हालांकि पुनर्नवीनीकरण वाले फाइबर की ऊंची कीमतें जमीन की भराई की मात्रा को कम करने के लक्ष्य की दिशा में अच्छी खबर के रूप में हैं, वे पुनर्नवीनीकरण किए गए फाइबर का उपयोग करने वाले कागज-मिलों के मुनाफे को प्रभावित कर सकते हैं। अखबारी कागज़ के मिलों द्वारा लागत के अलावे फाइबर के चयन में एक महत्वपूर्ण सोच-विचार फाइबर के चयन में अखबार छापने की आधुनिक मशीनों तथा आधुनिक समाचार पत्र के मुद्रण प्रेस की उच्च गति को लेकर किया जाता है। संयुक्त राज्य में अखबार छापने की ऐसी भी मशीनें हैं, जो 1400 मीटर प्रति मिनट की गति तक पहुंचकर परिचालित होती हैं, उद्योग समूह की जानकारी वाली संस्था, RISI इंक. के अनुसार, संसार की नवीनतम मशीनों में (जिनमें से कुछ को हाल ही में चीन में स्थापित किया गया) 1800 मीटर प्रतिमिनट की गति की ऊंचाई भी छु सकती है। आधुनिक अखबार के प्रेस प्रति घंटे 90,000 प्रतियां छाप सकने की गति तक परिचालित हो सकते हैं (प्रकाशन उद्योग संघ IFRA के अनुसार), जबकि कुछ तो 1,00,000 प्र.प्र.ध की गति तक भी पहुंच जाती हैं। ऐसी ऊंची गति-सम्पन्नता को सहने के लिए कागज़ फलक (पन्ने) की मैनुफैक्च्युरिंग की प्रक्रिया के दौरान कागज़ की मशीन पर तथा मुद्रण के दौरान प्रेस पर दोनों ही स्थितियों में क्षमता की मांग करता है। विश्वभर में एक बड़ी संख्या में अखबारी कागज़ की मिलें 100% पुनरावर्तनीय फाइबर (रेशों) का इस्तेमाल करते हुए वाणिज्यिक तौर पर स्वीकार्य गुणवत्ता वाले अखबारी कागज़ का उत्पादन करती हैं। हालांकि, ऐसी मिलों के ऑपरेटर को अपशिष्ट की शुद्धता के बारे में काफीचयनात्मक होना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे कम-से-कम न्यूनतम मिलावटों को काम में लगा रहे हैं तथा जितनी संभव हो उतने लंबे अखबारी रेशों को शामिल कर रहे हैं। विशुद्ध (अव्यव्ह्ह्त) अखबारी कागज़ लंबे फाइबर (रेशों) वाले (नरम लकड़ियों) पेड़ों जैसे कि दवादारू, मोखा (गुलमेहंदी) और चीड़ (पाइन) से बनते हैं, जबकि कुछ कागज़ और पेपर बोर्ड (गत्तों) के उत्पाद छोटे फाइबर वाली सख्त लकड़ियों से उत्पादित होते हैं। अखबारी कागज़ छापने की मिलें पुराने अखबारों, अथवा पुराने अखबारों और पुरानी पत्रिकाओं के मिश्रण को पसंद करते हैं न कि दूसरे ग्रेड के कागज़ का पुनरावर्तन को। जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका की नगरपालिकाओं ने हाल ही में "एकल स्ट्रीम" के पुनरावर्तन की ओर कदम बढ़ाया हैं - अनेक प्रकार अपशिष्ट उत्पादों को एक वाहन के एक डब्बे में एकत्रित करते हुए - मिलों को बाध्य कर दिया गया है कि वे स्वच्छ, उचित अपशिष्ट की धारा को ही लुग्दी बनाने के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अधिक राशी खर्च करें। संयुक्त राज्य अमेरिका में सन् 1996 में द न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में, जॉन टायर्नी ने यह दावा किया कि सरकार ने यह जनादेश जारी किया कि पुनरावर्तन में बचाने की तुलना में संसाधनों का खर्च अधिक होता है। लेख के विशिष्ट अंश इस प्रकार हैं: कुछ मामलों में जिसमें पुनरावर्तन सचमुच संसाधनों को बचाता है, जैसे कि बड़े पैमाने पर एल्युमीनियम के स्क्रैप, इससे बाज़ार के मूल्य पर असर दिखाई देगा, एवं पुनरावर्तन स्वेच्छ्यां ही अपनी जगह बना लेगा। इस प्रकार, इस बारे में सरकार को कोई जना आदेश जारी नहीं करनी होगी। "जितना फेंकों उतना भुगतान करो" की योजना को अपनाने से लोग इस बात से प्रेरित हो जाएंगे कि "पुनरावर्तन के कूड़ेदान में फेंकें जाने योग्य क्या है" अतः पुनरावर्तन के लिए कानूनी नियमों की जरुरत ही नहीं होगी। इसे साथ ही, पर्यावरण से जुड़े कुछ दलों ने समर्थन दिया है। पेड़-पौधे की खेती करने वाले किसान जितने पेड़ काटते हैं उससे अधिक पौधे लगाते हैं। सरकार ने यह जनादेश जारी किया कि कचरों से गड्ढों की भराई की तुलना में पुनरावर्तन अधिक खर्चीला हैं। कुछ छोटे-छोटे शहर जहां गड्ढों की भराई होती है वे कूड़ा-कचरों को दूसरे शहरों से आयातित कर काफी को रोजगार मिलता है और राजस्व से आय होती है। आजकल जमीन की आधुनिक भराई तुलनात्मक रूप से अधिक स्वच्छ और सुरक्षित हैं, तथा अतीत में अधिक गड्ढों की भराई की तुलना में रिसाव एवं प्रदूषण की संभावना कम है। पुनरावर्तन जितनी उर्जा बचाता है उससे अधिक उर्जा निर्दाहक (कचरों को जलाने वाले) उत्पन्न कर लेते हैं। इसके अलावा, कुछ चीजें, जैसे कि पॉलिश किए चमकदार कागजों को पुनरावर्तित नहीं किया जा सकता एवं उर्जा के लिए ऐसी सामग्रियों को जलाना ही बेहतर हैं। इस दावे के मामले में कि संयुक्त राज्य के पास जमीन की भराई के लिए अब गड्ढे ही नहीं हैं, टायर्नी ने लिखा, "वॉशिंगटन स्पोकेन के गोंजागा विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री, ए. क्लार्क वाइज़मैन ने गणना किया कि, अगर अमेरिकी मौजूदा दर पर 1000 सालों तक कचरा उत्पन्न करते रहे और अगर उनके पूरे कचरे को गहरी जमीन की भराई में डाला जाता रहा, तो 3000 सालों में यह राष्ट्रीय कचरे का ढ़ेर वर्ग जमीन के टुकड़े को दोनों ही तरफ से भर देगा. अमेरिका जैसे आकार वाले देश पर यह लागू होना बड़ा नहीं लगता. पर्यावरणविदों द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय सरणी के सौर पैनलों के लिए आवश्यक क्षेत्र के लिए यह कचरा केवल 5 प्रतिशत अंचल पर ही अपना कब्ज़ा कर पाएगा. हज़ार साल की जमीन की भराई महाद्वीपीय संयुक्त राज्य अमेरिका में चारागाह के लिए उपलब्ध भूमि के एक प्रतिशत के दसवें हिस्से में ही फिट होता है। और अगर यह अब भी आपको भावी पीढ़ी को उस वर्ग से वंचित करने के लिए सोचने पर मजबूर करता है, तो याद रखें कि यह नुकसान केवल अस्थायी है। आखिरकार, पिछली जमीन की भराई जैसी ही, कचरों के टीले घास से ढक जाएंगे और राष्ट्रीय उद्यान की भूमि में अतिरिक्त लघु संस्करण हो जाएंगे. टायर्नी के लेख को पर्यावरण सुरक्षा कोष से संदर्भित समालोचना की सलाह मिली, जिसमें यह दर्शाया गया कि "यह लेख एवं चिन्तनशील लोगों और सलाहकारों के एक वर्ग से प्राप्त उद्धरणों एवं सूचनाओं पर पूरी तरह निर्भरशील है जो परावर्तन के बारे सशक्त वैचारिक आपत्ति रखते हैं। सन् 2003 में, कैलिफोर्निया के सांता क्लारिटा शहर $28 अमेरिकी डॉलर प्रतिटन कचरे से जमीन की भराई के लिए भरपाई कर रहा था। तब इस शहर ने पुनरावर्तन कार्यक्रम के लिए एक अनिवार्य डायापर (नैपकिन) के इस्तेमाल को अपनाया जिससे प्रतिटन $1800 अमेरिकी डॉलर की लागत आई. ड्यूक युनिवर्सीटी के राजनीति विज्ञान के प्रधान, माइकल मुंगेर ने सन् 2007 में अपने एक लेख में लिखा "...नये सामानों के उपयोग करने की तुलना में अगर पुनरावर्तन अधिक खर्चीला है तो, यह किसी भी प्रकार कारगर हो ही नहीं सकता, कोई भी सामन संसाधन है।.. या केवल कचरा ही है इसे निर्धारित करने का एक साधारण-सा परीक्षण है।.. किसी सामन के लिए अगर आपको कोई भुगतान करता है, तो यह संसाधन है।. लेकिन अगर कोई सामन आपके पास से ले जाने के लिए आपको किसी को भुगतान करना पड़ता है, तो समझ लीजिए वह सामान कचरा है।" कैटो इंस्टीट्युट में प्राकृतिक संसाधन अध्ययन के निदेशक, जेरी टेलर, ने द हार्टलैंड इंस्टीट्युट के लिए सन् 2002 के एक लेख में लिखा, "अगर बाजार में नई उत्पादित प्लास्टिक को वितरित करने के लिए लागत X आती है, उदाहरण के लिए, लेकिन फिर से इस्तेमाल कि जा चुकी प्लास्टिक को बाजार में वितरित करने के लिए 10X लागत आएगी, इससे हम यह निस्कर्ष निकाल सकते हैं कि व्यवह्ह्त प्लास्टिक के पुनरावर्तन के लिए जिन संसाधनों की जरुरत होती है वे टूटे-फूटे टुकड़ों से प्लास्टिक बनाने के जरुरी संसाधनों की तुलना में दस गुना ज्यादा दुर्लभ हैं और क्योंकि पुनरावर्तन को संसाधनों के संरक्षण के रूप में मान लिया गया है, इसलिए उन परिस्थितियों पुनरावर्तन के लिए जनादेश जारी करना अच्छा करने से अधिक नुकसानदेह हो सकता है।" सन् 2002 में, WNYC ने अपनी एक रिपोर्ट में उल्लेख किया कि न्यूयॉर्क शहर के निवासी पुनरावर्तन के लिए कचरे का 40% जो छांट कर अलग करते हैं वह दर असल जमीन की भराई में ही समाप्त हो जाता है। आम पुनरावर्तनीय सामग्रियां ऐसी कई अलग-अलग तरह की सामग्रीयां हैं जो पुनरावर्तित हो सकती हैं लेकिन हर प्रकार के लिए अलग-अलग तकनीक की आवश्यकता है। एकत्रित सामूहिक सामग्री और ठोस सामान विध्वंस को ढाल देने वाले इलाकों से एकत्रित कुल ठोस सामग्रियों को चूर-चूर कर पीसने वाली मशीन (चक्की) से गुज़ारा जाता है, जिसमें अक्सर ऐस्फौल्ट, ईंट, गंदगी के गुबार एवं चट्टानें शामिल होती हैं। नए निर्माण की परियोजनाओं के लिए बजरी के रूप में कंक्रीट के छोटे-छोटे टुकड़ों का इस्तेमाल होता है। पीसे हुए पुनरावर्तित कंक्रीट का भी इस्तेमाल एकदम से नई कंक्रीट के साथ सूखा सूखा मिलाकर भी किया जा सकता है अगर यह मिलावटी से मुक्त है तो. यह दूसरे चट्टानों के खोद कर निकाले जाने की जरुरत को कम करता है, जिससे बदले में पेड़-पौधों और पर्यावरण की रक्षा होती है। बैटरियां बैटरियों के आकार और प्रकार में व्यापक भिन्नता उनके पुनरावर्तन को बेहद मुश्किल बना देती है: सबसे पहले उन्हें एक प्रकार में छांट कर अवश्य अलग-अलग कर लेना चाहिए और हर प्रकार के लिए पुनरावर्तन की अलग प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, पुरानी बैटरियों में पारा और कैडमियम होते हैं, जो हानिकारक पदार्थ हैं जिनकी देखभाल रखरखाव संभाल कर की जानी चाहिए। पर्यावरणीय क्षति करने की उनकी क्षमता के कारण, कई अंचलों में इस्तेमाल की जा चुकी बैटरियों के उचित निपटान के लिए कानूनी नियमों की आवश्यकता है। दुर्भाग्यवश, इस जनादेश को लागू किया जाना काफी दुष्कर हो गया है। शीशा-अम्ल (लेड-एसिड) वाली बैटरियां, जैसे कि ऑटोमोबाइल में इस्तेमाल में आने वाली बैटरियों की तरह, पुनरावर्तन करने में अपेक्षाकृत आसान हैं एवं कई अंचलों में विक्रेताओं को इस्तेमाल में आ चुके उत्पादों को स्वीकार करने के मामले में कानून की जरुरत होगी। संयुक्त राज्य अमेरिका में, 80% तक पुनरावर्तित सामग्री धारण करने वाली नई बैटरियों कि पुनरावर्तन दर 90% है। प्राकृतिक तरीके से सड़नशील अपशिष्ट रसोईघर, बगीचा, एवं अन्य हरे अपशिष्टों को सड़ाकर उपयोगी खाद में पुनरावर्तित किया जा सकता है। यह प्रक्रिया प्राकृतिक वायुजीवी बैक्टेरिया को अपशिष्ट विखंडित होने देती है जो मिटटी कि उर्वर के उपरी सतह का निर्माण करती है। सड़ाकर खाद बनाने का काम अधिकतर घरेलू पैमाने पर ही होता है, लेकिन इसके साथ ही साथ नगरपालिका द्वारा भी हरे अपशिष्ट के एकत्रीकरण का कार्यक्रम भी मौजूद है। उत्पादित उपरी उर्वर मिट्टी को बेचकर इन कार्यक्रमों के पूरक के लिए निधीयन हो सकता है। वस्त्र प्रेषण अथवा गमागमन के जरिए वस्त्रों का पुनरावर्तन काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। वस्त्रों के गमागमन (स्वैप) में, लोगों का एक समूह एक नियत स्थान पर एकत्रित, होकर आपस में वस्त्रों का आदान-प्रदान करते हैं। क्लोथिंग स्वैप इनका जैसी संस्थाओं में लावारिस कपड़ों को स्थानीय दान करने के लिए दान स्वरूप दे दिया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के पुरजे अलग करना एवं उद्धार करना बिजली के उपकरणों के प्रत्यक्ष निपटान-जैसे कि कंप्यूटर और मोबाइल फोन- कुछ अंदरूनी घटकों के विषाक्त होने के कारण - कई अंचलों में प्रतिबंधित कर दिए गए हैं। पुनरावर्तन की प्रक्रिया धातुओं, प्लास्टिक तथा सर्किट बोर्ड्स जो उन उपकरणों में निहित हैं उन्हें स्वतः यंत्रवत अलग करती है। जब यह एक अपशिष्ट पुनरावर्तन संयंत्र में बड़े पैमाने पर कर लिया जाता है घटक को उद्धार करने का कार्य लागत-प्रभावी तरीके से संपादित किया जा सकता है। लौह धातुएं लोहा और इस्पात संसार के सर्वाधिक पुनरावर्तित पदार्थ हैं, एवं पुनरावर्तन किए जाने वाले सामानों में सबसे आसान, क्योकि चुम्बक का इस्तेमाल कर उन्हें अपशिष्ट के ढ़ेर से अलग किया जा सकता है। इस्पात के कारखाने से होकर पुनरावर्तन की प्रक्रिया गुजरती है: वैधुतिक भट्टी में (90-100% स्क्रैप) को या तो फिर से गला दिया जाता है अथवा बेसिक ऑक्सीजन की भट्टी में (लगभग 25% स्क्रैप) का इस्तेमाल चार्ज के एक अंश के रूप में कर लिया जाता है। किसी भी दरजे के इस्पात उच्च कोटि के नये धातु, में पुनरावर्तित किया जा सकता है, गुणवत्ता के लिहाज से ऊंचे दर ने से नीचे दरजे में जिसकी पदावनति नहीं होती है क्योंकि इस्पात का बार-बार पुनरावर्तित किया जा सकता है। उत्पादित कच्चे इस्पात का 42% पुनरावर्तित पदार्थ ही तो है। अलौह धातुएं एल्यूमिनियम व्यापक रूप से पुनरावर्तित पदार्थों में से सर्वाधिक सक्षम है। एल्यूमीनियम को कसकर दबाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में पीस लिया जाता है, अथवा गाठों के रूप में कुचल दिया जाता है। इन टुकड़ों या गाठों को पिघले एल्यूमीनियम का उत्पादन करने के लिए एल्यूमीनियम पिघलाने वाली एक भट्टी पिघलाया जाता है। इस चरण तक पुनरावर्तित एल्यूमीनियम की विशुद्ध एल्यूमीनियम की अलग से पहचान नहीं हो पाती है और दोनों के लिए ही आगे चलकर संसाधन एक समान ही होता है। इस प्रक्रिया से धातु में कोई परिवर्तन नहीं पैदा होता है; अतः एल्युमिनियम अनिश्चितकाल तक के लिए पुनरावर्तित हो सकता है। नए एल्यूमीनियम के संसाधन करने की तुलना में एल्यूमीनियम के पुनरावर्तन से 95% उर्जा के लागत की बचत होती है। यह केवल इस कारण कि पुनरावर्तित लगभग शुद्ध, एल्यूमीनियम को पिघलाने में 600 °C तापमात्रा की आवश्यकता होती है, जबकि एल्यूमीनियम के अयस्क से खनिज एल्यूमीनियम के निष्कर्षण के लिए 900 °C तापक्रम की जरुरत पड़ती है। इतने ऊंचे तापमान तक पहुंचने के लिए अधिक से अधिक उर्जा की आवश्यकता होती है जिससे एल्यूमीनियम के पुनरावर्तन से ऊंचे पर्यावरणीय लाभ की ओर पहुंचा जाता है। अमेरिकी प्रतिवर्ष प्रचुर परिमाण एल्यूमीनियम फेंक देते हैं ताकि पूरे वाणिज्यिक हवाई बड़े का पुननिर्माण कर सकें. इसके अलावा एक एल्यूमीनियम के पात्र के पुनरावर्तन से बचाई गई उर्जा एक टेलीविज़न-सेट को तीन घंटे तक चलाने के लिए काफी है। कांच नुक्कड़ों पर रखे कूड़ेदानों से कांच की बोतलें और मर्तबान (जार कंटेनर) इकट्ठे कर संग्रह करने वाले ट्रक तथा बोतल-बैंकों में एकत्रित कर लिए जाते हैं जहां कांच को रंगों के वर्गीकरण के अनुसार छांट कर अलग-अलग कर लिया जाता है। टूटे-फूटे कांच के टुकड़ों को कांच के पुनरावर्तन संयंत्र में ले जाया जाता है जहां इसकी शुद्धता पर नजर रखी जाती है और मिलावट की गंदगियों को हटा दिया जाता है। कांच के टुकड़ों को कुचल दिया जाता है और कच्चे माल के एक मिश्रण के साथ मिलाकर पिघलाने वाली मट्टी में डाल दिया जाता है। तब इसे यांत्रिक तरीके से हवा से फुलाकर अथवा पिघला कर नए आकार के जोरों या बोतलों में गाढ़ा जाता है। कांच के टूटे-फूटे टुकड़ों का भी इस्तेमाल समग्र और ग्लासफॉल्ट के रूप में निर्माण उद्योग में किया जाता है। ग्लासफॉल्ट सड़क पर बिछाया जाने वाला एक पदार्थ है जिसमें पुनरावर्तित कांच का 30% शामिल है। कांच का पुनरावर्तन अनिश्चितकाल तक किया जा सकता है जैसा कि जब इसका पुनसंसाधन किया जाता है इसकी संरचना नस्ट होकर विकृत नहीं होती. रंग रंग अक्सर सरकार परिचालित घरेलू खतरनाक अपशिष्ट की सुविधाओं से इकट्ठा किया जाता है। वहां से, इसे पेंट पुनर्चक्रण संयंत्रों में ले जाया जाता है, जहां गुणवत्ता के आधार पर अलग किया जाता है। रंग के उपयोग जिन्हें पुनः संसाधित नहीं किया जा सकता और फिर से बेचा नहीं जा सकता पुनर्चक्रण द्वारा इसकी भिन्नताएं निर्धारित होती हैं। कागज़ कागज का पुनरावर्तन इसे लुग्दी बनाकर तथा नई कटाई वाली लकड़ी की लुग्दी के साथ मिलाकर किया जा सकता हैं। जैसा कि पुनरावर्तन की प्रक्रिया कागज़ के रेशों को तोड़ती जाती है, अतः जितनी बार कागज़ का पुनरावर्तन होता अहि, इसकी गुणवत्ता में कमी आती जाती है। इसका मतलब यह है कि या तो ऊंचे प्रतिशत में नए रेशों को जरुर जोड़ा जाना चाहिए या कागज को नीची गुणवत्ता वाले उत्पादों में पुनरावर्तित कर देना चाहिए। कोई लेखन या कागज पर रंग सर्वप्रथम डीइंकिंग के द्वारा हटा दिया जाना चाहिए, जो फिलर्स, मिटटी, तथा रेशों (फाइबर) के टुकड़ों को भी हटा देता है। आज तो लगभग सभी कागज पुनरावर्तित किए जा सकते हैं, किन्तु ऐसे भी प्रकार के कागज़ है जिन्हें दूसरों की तुलना में पुनरावर्तित करना कठिन है। कागज़ जो प्लास्टिक कोटेड होते हैं या एल्यूमीनियम फ़ॉयल, तथा ऐसे कागज़ जिनपर मोम का लेपन होता है, पेस्टेड या गोंद लगे होते हैं उनका आमतौर पर पुनरावर्तन नहीं होता है क्योंकि यह प्रक्रिया काफी महंगी है। उपहार-सामग्रियों को लपेटने वाले कागज़ भी अपनी ख़राब गुणवत्ता के कारण पुनरावर्तित नहीं हो सकते. कभी कभी पुनरावर्तक अख़बारों से चमकीले आवेषण को हटा देने को कहते हैं क्योंकि वे एक अलग ही प्रकार के कागज़ हैं। चमकीले आवेषणों पर मिट्टी की एक भारी परत होती है जिसे कुछ कागज़ की मिलें स्वीकार नहीं करती हैं। पुनरावर्तित कागज़ की लुग्दीसे अधिकांश मिट्टी को हटा दिया जाता है जिसका जरुर ही निपटान कर दिया कीचड़ के र्रोप में किया जाना चाहिए। अगर परत चढ़े कागज़ (कोटेड पेपर) मिट्टी के वजन के कारण 20% अधिक है तो चमकदार कागज के प्रति टन से 200 किलोग्राम से भी अधिक कीचड़ और 800 किलोग्राम से भी कम फाइबर पैदा होगा। प्लास्टिक प्लास्टिक का पुनरावर्तन स्क्रैप अथवा अपशिष्ट प्लास्टिकों को उबारने तथा पदार्थ को उपयोगी उत्पादों में पुनर्संसाधित करने की प्रक्रिया है। कांच अथवा धातु के सामानों से तुलना की जाय तो प्लास्टिक को अपूर्व चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। प्लास्टिक के प्रकारों की विशाल संख्या होने के कारण, प्रत्येक प्रकार के पास रेज़ीन का पहचान कोड होता है और पुनरावर्तन से पूर्व उन्हें अवश्य ही छांट कर अलग लेना चाहिए। हो सकता है यह महंगा हो, क्योंकि वैद्युतिक चुम्बकों का उपयोग कर धातुओं को जब अलग-अलग किया जा सकता है ऐसी कोई 'आसान छंटाई' वाली क्षमता-संपन्न उपाय या साधन प्लास्टिक के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके अतिरिक्त, पुनरावर्तन के लिए बोतलों से लेबलों को हटा दी जाने की जरुरत नहीं होती लेकिन ढक्कन अक्सर अलग तरह के अप्रवर्तनीय प्लास्टिक से बने होते हैं। विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक के सामानों में पदार्थों की अलग-अलग पहचान कर पाने के सहायतार्थ, छः आम प्रकार के पुनरावर्तनीय प्लास्टिक रेज़िन्स की पहचान के लिए 1 से 6 तक के रेज़िन्स आइडेंटीफिकेशन कोड नंबर्स आवंटित किए गए हैं। प्रत्येक रेज़ीन कोड को सम्मिलित करते हुए मानकीकृत प्रतीक उपलब्ध हैं। वस्त्र कपड़े या वस्त्र के पुनरावर्तन का ख्याल आते ही यह अवश्य समझ लेना चाहिए कि यह किस पदार्थ से बना हैं। अधिकतर कपड़े रुई (प्राकृतिक तरीके से स्वतः सड़नशील पदार्थ) एवं सिंथेटिक प्लास्टिक के संयोजन हैं। कपड़े की संरचना इसके टिकाउपन और पुनरावर्तन की पद्धति को प्रभावित करेगी। श्रमिक एकचित्र कपड़ों को छांटते और अच्छी क्वालिटी के वस्त्रों तथा जूतों को जिनका दोबारा इस्तेमाल हो सकता या जो पहने जा सकते हैं, उन्हें अलग करते हैं। ऐसी सुविधाओं को विकसित देशों से विकासशील देशों तक या तो दान की खातिर या सस्ती कीमतों पर बेच दिए जाने के लिए मुहैया करने की प्रवृति है। कई अंतराष्ट्रीय संगठन इस्तेमाल किए जा चुके वस्त्रों को दान-स्वरूप इकठ्ठा करते हैं और उन्हें तीसरी दुनिया के देशों को दान में दे देते है। पुनरावर्तन की इस आदत को प्रोत्साहित किया जाता है क्योंकि यह अवांछित को कम करने में मदद देती है साथ ही साथ जरुरत मंदों को वस्त्र मुहैया कराती है। नस्ट हो गए वस्त्रों को आगे चलकर ग्रेडों में छांट लिया जाता है जिनसे औद्योगिक झाड़न-पोंछन के कपड़े बनाए जाते हैं तथा कागज़ के विनिर्माण में या फाइबर उद्धार के लिए उपयोगी सामग्री में तथा भराई के उत्पादों के उपयोग में लाते हैं। अगर टेक्सटाइल के पुनर्संसाधक संयंत्र जीले अथवा सड़े-गले कपड़े पाते हैं, हालांकि इन्हें फिर भी जमीन की भराई में निपटा दिया जाता है, क्योंकि छांटन इकाइयों में धोने और सुखाने की सुविधाएं मौजूद नहीं हैं। रेशों के पुनरुद्धार की मिलें, फाइबर के प्रकार और रंग के आधार पर वस्त्रों को छांटती हैं। रंग की छंटाई पुनरावर्तित वस्त्रों को फिर से रंगने की आवश्यकता को कम करती है। वस्त्रों को "घटिया" फाइबर में कसकर बांध दिया जाता है और दूसरे चयनित फाइबरों के साथ एकसाथ मिला दिया जाता है पुनरावर्तित सूते के अंतिम उपयोग के इरादे पर निर्भर होकर. एकसाथ मिला हुआ यह मिश्रण घुनकर साफ़ कर दिया जाता है तथा बुनाई सिलाई के लिए काटकर तैयार कर दिया जाता. इन फाइबरों संकुचित कर गद्दे का उत्पादन भी किया जाता है। इन कपड़ों को गद्दों में भरने वाले उद्योगों के लिए कसकर दबाकर भेज दिया जाता है जो गाड़ियों के इन्सुलेशन में भरने वाली सामग्री के रूप में छत के फेल्ट्स, लाउडस्पीकर के कोन, पैनेल की लाइनिंग तथा फर्नीचर की पैडिंग के काम में लाया जाता है। लकड़ी पर्यावरण की दृष्टि से उपयोगी उत्पाद होने की अपनी छवि के कारण लकड़ी का पुनरावर्तन लोकप्रिय हो गया है, उपभोक्ताओं के इस आमविश्वास के साथ कि पुनरावर्तित लकड़ी की खरीद से हरी लकड़ी की मांग में कमी आएगी और अंततोगत्वा पर्यावरण लाभान्वित होगा। ग्रीनपीस भी पुनरावर्तित लकड़ी को पर्यावरण के लिए मित्रवत उपयोगी उत्पाद की दृष्टि से देखता है, उनकी अपनी वेबसाईट पर इसे लकड़ी के पसंदीदा बेहतर स्रोत के रूप में हवाला देते हुए. निर्माण के उत्पाद के उत्पाद के रूप में पुनरावर्तित लकड़ी का आगमन उभरते हुए उद्योग तथा जंगल की कटाई एवं लकड़ी मीलों को बढ़ावा देने तथा पर्यावरण के प्रति मित्रवत सहयोग के अभ्यास को अपनाने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। लकड़ी का पुनरावर्तन एक ऐसा विषय है जिसने हाल के वर्षों में हमारे जीवन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका अपना ली है। हालांकि, समस्या यह है कि, यद्यपि कई स्थानीय अधिकारी पुनरावर्तन के विचार को पसंद तो करते हिं, लेकिन वे पूरी तरह इसका समर्थन नहीं करते हैं। अनगिनत उदाहरणों में से एक जो समाचारों की सुरिवर्यों में बना रहा वह सचमुच लकड़ी के पुनरावर्तन की अवधारणा है जो शहरों में बढ़ती जा रही है। उदाहरण के लिए लकड़ी के पुनरावर्तन, पेड़ों एवं अन्य स्रोतों के नाम लिए जा सकते हैं। अन्य तकनीकें कई दूसरी सामग्रियां भी आमतौर पर पुनरावर्तित की जा सकती हैं, अक्सर एक औद्योगिक स्तर पर. जहाज को तोड़ना एक ऐसा उदाहरण है जो पर्यावरणीय, स्वास्थ्य, तथा सुरक्षा के जोखिमों से उस अंचल के लिए जुड़ा है जहां यह ऑपरेशन (कार्य संचालन) संपादित होता है, इन सब विचारों में संतुलन एक पर्यावरणीय न्याय की समस्या है। टायर का पुनरावर्तन भी आम बात है। इस्तेमाल में आ चुके टायरों को एसफॉल्ट के साथ मिलाकर सड़क की सतहों पर बिछाने में अथवा रबड़ के नकली घास-पात बनाने के काम में आ सकते हैं जो खेल के मैदानों की सुरक्षा के लिए व्यवह्ह्त होते हैं। इनका इन्सुलेशन एवं ताप के अवशोषण निर्गमन सामग्रियों में खासकर मिट्टी के जहाज कहे जाने वाले निर्मित घरों में अक्सर इस्तेमाल भी होया है। इन्हें भी देखें जैव-विविधता पर्यावरण के लिए डिजाइन सोने की खान में काम करनेवाला इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट पुनरावर्तन शुल्क आई-रीसाइकिल इसका पुनरावर्तनीय करें! फेंकें नहीं! पुनरावर्तनी आलोचना स्थिरता बकवास के असबाब कस्बाई लकड़हारापन कंटेनर-डिपोज़िट पुनरावर्तन के प्रकार रचनात्मक पुनःप्रयोग पूर्ण गहराई में रिसाइक्लिंग पनडुब्बी जहाज पुनरावर्तन कार्यक्रम एकल-स्ट्रीम पुनरावर्तन थर्मल डेपोलीमेराइज़ेशन रासायनिक उद्धार, उदाहरण के लिए हाइड्रोक्लोरिक एसिड पुनर्जनन सामान्य विषय इंवायरमेंटलिज़म अपशिष्ट पदानुक्रम ऊर्जा संरक्षण अपशिष्ट न्यूनीकरण प्रदूषण निवारण पुनःप्रयोग रीगिविंग फ्पुनरावर्तनीय कचरा प्रबंधन विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी फेंकने के लिए भुगतान करें व्यापार संघ इंटरनेशनल सॉलिड वेस्ट एसोसिएशन उत्तरी अमेरिका की सॉलिड वेस्ट एसोसिएशन चार्टर्ड इंस्टीट्युट ऑफ़ वेस्ट मैनेजमेंट सन्दर्भ आगे पढ़ने के लिए एकरमैन, फ्रैंक. (1997)। वाइ डू वी रिसाइकल?: मार्केट्स, वैल्यूज़, एंड पब्लिक पॉलिसी . आइलैंड प्रेस. ISBN 1-55963-504-5, 9781559635042 पोर्टर, रिचर्ड सी. (2002)। द इकॉनोमिक्स ऑफ़ वेस्ट . भविष्य के लिए संसाधन. ISBN 1-891853-42-2, 9781891853425 बाहरी कड़ियाँ पुनर्चक्रण कचरा प्रबन्धनgive me job near me pin code 281205 mob.9761971988
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स्वचालित तर्क
स्वचालित तर्क संज्ञानात्मक विज्ञान का एक क्षेत्र है (जिसमें ज्ञान प्रतिनिधित्व और तर्क शामिल हैं) और तर्क के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए समर्पित मेटलोजिक है। स्वचालित तर्क का अध्ययन कंप्यूटर प्रोग्रामों का उत्पादन करने में मदद करता है जो कंप्यूटरों को पूरी तरह से या लगभग पूरी तरह से स्वचालित रूप से तर्क करने की अनुमति देते हैं। हालाँकि स्वचालित तर्क को कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उप-क्षेत्र माना जाता है, लेकिन इसका सैद्धांतिक कंप्यूटर विज्ञान और दर्शन से भी संबंध है। स्वचालित तर्क की सबसे विकसित उप-प्रजातियां स्वचालित प्रमेय साबित होती हैं (और इंटरएक्टिव प्रमेय साबित करने के लिए कम स्वचालित लेकिन अधिक व्यावहारिक सबफ़ील्ड) और स्वचालित प्रूफ जाँच (निश्चित मान्यताओं के तहत सही तर्क के रूप में गारंटी के रूप में देखी गई)। व्यापक काम भी किया गया है सादृश्य का उपयोग करके। अन्य महत्वपूर्ण विषयों में अनिश्चितता और गैर-मोनोटोनिक तर्क के तहत तर्क शामिल हैं। अनिश्चितता क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा तर्क का है, जहां अधिक मानक स्वचालित कटौती के शीर्ष पर न्यूनतमता और स्थिरता की बाधाओं को लागू किया जाता है। जॉन पोलक का OSCAR सिस्टम एक स्वचालित तर्क प्रणाली का एक उदाहरण है जो केवल एक स्वचालित सिद्धांतकार होने की तुलना में अधिक विशिष्ट है। स्वचालित तर्क के उपकरण और तकनीकों में शास्त्रीय लॉजिक्स और केल्की, फ़ज़ी लॉजिक, बेइज़ियन अनुमान, मैक्सिमल एन्ट्रापी के साथ तर्क और कई कम औपचारिक तदर्थ तकनीक शामिल हैं। शुरुआती वर्ष औपचारिक तर्क के विकास ने स्वचालित तर्क के क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका निभाई, जिसने खुद कृत्रिम बुद्धि का विकास किया। एक औपचारिक प्रमाण एक प्रमाण है जिसमें गणित के मौलिक स्वयंसिद्धों के प्रति प्रत्येक तार्किक अनुमान को जाँच लिया गया है। सभी मध्यवर्ती तार्किक चरणों को बिना किसी अपवाद के आपूर्ति की जाती है। अंतर्ज्ञान के लिए कोई अपील नहीं की जाती है, भले ही अंतर्ज्ञान से तर्क तक का अनुवाद नियमित हो। इस प्रकार, एक औपचारिक प्रमाण कम सहज है, और तार्किक त्रुटियों के लिए कम संवेदनशील है। कुछ लोग 1957 की कॉर्नेल समर मीटिंग को मानते हैं, जो कई तर्कवादियों और कंप्यूटर वैज्ञानिकों को स्वचालित तर्क, या स्वचालित कटौती के मूल के रूप में एक साथ लाती है। अन्य लोगों का कहना है कि इससे पहले यह 1955 के लॉजिक न्यूर्ल, शॉ और साइमन के लॉजिक प्रोग्राम या मार्टिन डेविस की 1954 में प्रेस्बर्गर की निर्णय प्रक्रिया को लागू करने के साथ शुरू हुआ (जिसमें साबित हुआ कि दो सम संख्याओं का योग भी सम है) । स्वचालित तर्क, हालांकि अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण और लोकप्रिय क्षेत्र, अस्सी और नब्बे के दशक के शुरुआती दिनों में "एआई सर्दियों" के माध्यम से चला गया। हालाँकि, बाद में इस क्षेत्र को पुनर्जीवित किया गया। उदाहरण के लिए, 2005 में, Microsoft ने अपनी कई आंतरिक परियोजनाओं में सत्यापन तकनीक का उपयोग करना शुरू कर दिया और अपने 2012 के विजुअल सी में एक तार्किक विनिर्देश और जाँच भाषा को शामिल करने की योजना बना रहा है। महत्वपूर्ण योगदान प्रिंसिपिया मैथेमेटिका अल्फ्रेड नॉर्थ व्हाइटहेड और बर्ट्रेंड रसेल द्वारा लिखित औपचारिक तर्क में एक मील का पत्थर का काम था। प्रिंसिपिया मैथेमेटिका - गणित के सिद्धांतों का भी अर्थ - प्रतीकात्मक तर्क के संदर्भ में सभी या कुछ गणितीय अभिव्यक्तियों को प्राप्त करने के उद्देश्य से लिखा गया था। प्रिंसिपिया मैथमेटिका को शुरू में 1910, 1912 और 1913 में तीन खंडों में प्रकाशित किया गया था। लॉजिक थ्योरिस्ट (LT) 1956 में एलन नेवेल, क्लिफ शॉ और हर्बर्ट ए। साइमन द्वारा "मानव तर्क की नकल करने" के लिए प्रमेय सिद्ध करने के लिए विकसित किया गया था और प्रिंसिपिया मैथेमेटिका के अध्याय दो से बावन प्रमेयों पर प्रदर्शन किया गया था, ३८ साबित हुए। -उनमें से। प्रमेयों को सिद्ध करने के अलावा, कार्यक्रम में एक प्रमेय के लिए एक प्रमाण मिला, जो व्हाइटहेड और रसेल द्वारा प्रदान की गई तुलना में अधिक सुरुचिपूर्ण था। उनके परिणामों को प्रकाशित करने के असफल प्रयास के बाद, नेवेल, शॉ और हर्बर्ट ने 1958 में अपने प्रकाशन, द नेक्स्ट एडवांस इन ऑपरेशन रिसर्च: "अब दुनिया में ऐसी मशीनें हैं जो सोचते हैं, सीखते हैं और बनाते हैं। इसके अलावा, इन चीजों को करने की उनकी क्षमता तब तक तेजी से बढ़ने वाली है (जब तक कि एक दृश्यमान भविष्य में) उनकी समस्याओं की सीमा सह-व्यापक नहीं होगी। वह सीमा जिस पर मानव मन लगाया गया है। " अनुप्रयोग स्वचालित प्रमेय का निर्माण करने के लिए स्वचालित तर्क का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। अक्सर, हालांकि, प्रमेय साबित करने के लिए कुछ मानव मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है जो प्रभावी हो और इसलिए आमतौर पर प्रमाण सहायकों के रूप में योग्य होते हैं। कुछ मामलों में ऐसे प्रमेय एक प्रमेय साबित करने के लिए नए तरीकों के साथ आए हैं। लॉजिक थियोरिस्ट इसका एक अच्छा उदाहरण है। कार्यक्रम प्रिंसिपिया मैथेमेटिका में प्रमेयों में से एक के लिए एक प्रमाण के साथ आया था जो कि व्हाइटहेड और रसेल द्वारा प्रदान किए गए प्रमाण की तुलना में अधिक कुशल (कम चरणों की आवश्यकता) था। औपचारिक तर्क, गणित और कंप्यूटर विज्ञान, तर्क प्रोग्रामिंग, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सत्यापन, सर्किट डिजाइन, और कई अन्य लोगों में समस्याओं की बढ़ती संख्या को हल करने के लिए स्वचालित तर्क कार्यक्रम लागू किए जा रहे हैं। TPTP (Sutcliffe और Suttner 1998) ऐसी समस्याओं का एक पुस्तकालय है जिसे नियमित आधार पर अपडेट किया जाता है। CADE सम्मेलन में नियमित रूप से आयोजित स्वचालित प्रमेय साबित करने वालों के बीच एक प्रतियोगिता भी है (पेल्लेटियर, सुटक्लिफ और सुटनर 2002); प्रतियोगिता के लिए समस्याओं को TPTP लाइब्रेरी से चुना गया है। यह सभि देखे स्वचालित मशीन लर्निंग स्वचालित प्रमेय साबित करना रीजनिंग सिस्टम शब्दार्थ तार्किक कृत्रिम बुद्धि के अनुप्रयोग अनुमान इंजन संदर्भ Theoretical computer science Automated theorem proving Artificial intelligence Logic in computer science Automated reasoning
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असिन विराथु
Articles having same image on Wikidata and Wikipedia Articles having same image on Wikidata and Wikipedia विराथु ( , ; जन्म १० जुलाई १९६८ क्युकसे, मांडले डिवीजन, बर्मा में ) एक बर्मी बौद्ध भिक्षु हैं, और म्यांमार में ९६९ आंदोलन के नेता हैं। उन पर अपने भाषणों के माध्यम से म्यांमार में लोगो को सताने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। हालांकि वे एक शांतिपूर्ण उपदेशक होने का दावा करते हैं और हिंसा की वकालत नहीं करते हैं,जो दूसरों द्वारा विवादित है। धार्मिक रूप से भड़काऊ सामग्री परासारित न करने की बार-बार चेतावनी के बाद, अन्य समुदायों के प्रति धार्मिक घृणा फैलाने के आरोप में फेसबुक ने उनके पेज पर प्रतिबंध लगा दिया। पृष्ठभूमि विराथु 1968 में गांव, Myinsaing में पैदा हुआ था Kyaukse, पास मांडले । उन्होंने 14 साल की उम्र में संन्यासी बनने के लिए स्कूल छोड़ दिया था। 2001 में, वह 969 आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने बौद्ध भिक्षु बनने की दीक्षा ली थी, और सादा जीवन व्यतीत करने लगे। मुसलमानों द्वारा राज्य में उत्पात व कब्जा करने की प्रवृत्ति से आहत होकर उन्होंने बर्मा को सुरक्षित करने का प्रण लिया। 2001 में, वह 969 आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने रोहिंग्याओ को घरवापसी का उचित अवसर भी दिया था। दो साल बाद, 2003 में, उन्हें उनके उपदेशों के लिए 25 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन 2012 में कई अन्य राजनीतिक कैदियों के साथ रिहा कर दिया गया था। 2011 के सरकारी सुधारों के बाद से, वह YouTube और सोशल मीडिया के अन्य रूपों पर विशेष रूप से सक्रिय रहे हैं। 969 आंदोलन   बर्मा के रोहिंग्या मुसलमानों को तीसरे देश में भेजने की राष्ट्रपति थीन सीन की योजना को बढ़ावा देने के लिए विराथु ने सितंबर 2012 में मांडले में भिक्षुओं की एक रैली का नेतृत्व किया। एक महीने बाद, रखाइन प्रांत में और हिंसा भड़क उठी। विराथु का दावा है कि रखाइन में हिंसा म्यांमार के केंद्रीय शहर मिकतिला में बाद में हुई हिंसा की चिंगारी थी, जहां एक सरफ दुकान में विवाद तेजी से लूटपाट और आगजनी में बदल गया। शहर भर में मठों, दुकानों और घरों को जला दिए जाने के बाद 14 से अधिक लोग मारे गए थे।यह मुसलमानों की प्रतिक्रिया थी। एक बर्मी बौद्ध भिक्षु, शिन थॉबिता और एक अन्य् व्यक्ति सहित कम से कम दो लोगों पर 5 मार्च को भीड़ द्वारा कथित तौर पर हमला किया गया और उन्हें प्रताड़ित किया गया। 1 जुलाई 2013 को टाइम पत्रिका की कवर स्टोरी पर विराथु का उल्लेख "बौद्ध आतंक का चेहरा" के रूप में किया गया है। "आप दया और प्रेम से भरे हो सकते हैं, लेकिन आप पागल कुत्ते के बगल में नहीं सो सकते," विराथु ने मुसलमानों का जिक्र करते हुए कहा। "अगर हम कमजोर हैं," उन्होंने कहा, "हमारी भूमि मुस्लिम हो जाएगी।" इस्लमिक् हिंसा और पड़ोसी देशों में वर्चस्व और इंडोनेशिया में इस्लाम के प्रसार के उदाहरण का जिक्र करते हुए, विराथु का दावा है कि उनके मोहम्मद् विरोधियों ने उन्हें "बर्मी बिन लादेन" करार दिया, क्योंकि टाइम के लेख में गलत तरीके से उन्होंने खुद को इस तरीके से वर्णित किया था। उन्होंने कहा कि वह "हिंसा से घृणा करते हैं" और "आतंकवाद का विरोध करते हैं"। विराथु ने "जनता की रक्षा" करके इंग्लिश डिफेंस लीग के उदाहरण का अनुसरण करने के लिए प्रशंसा और इच्छा व्यक्त की है। थीन सीन ने टाइम पर बौद्ध धर्म की बदनाम करने और म्यांमार में इस्लाम् विरोधी हिंसा को बढ़ावा देने के मुखर मौलवी पर आरोप लगाकर राष्ट्रीय सुलह प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। राष्ट्रपति ने उन्हें "बुद्ध का पुत्र" बताते हुए, विराथु को शांति के लिए प्रतिबद्ध "महान व्यक्ति" के रूप में बचाव किया। "टाइम मैगज़ीन में लेख बौद्ध धर्म के बारे में गलतफहमी पैदा कर सकता है, जो सहस्राब्दी से अस्तित्व में है और बर्मी नागरिकों के बहुमत द्वारा इसका पालन किया जाता है," थीन सीन ने कहा। डीवीबी के साथ एक साक्षात्कार में, विराथु ने टाइम पर एक शब्दशः प्रश्न और उत्तर प्रारूप में अपने विचार प्रस्तुत करने से इनकार करके "गंभीर मानवाधिकारों का उल्लंघन" करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "इससे पहले कि मैंने [अफवाहों] को सुना था कि अरब दुनिया वैश्विक मीडिया पर हावी है," उन्होंने कहा, "लेकिन इस बार, मैंने इसे अपने लिए देखा है।" विराथु ने हाल की हिंसा को भड़काने के लिए खुले तौर पर मुसलमानों कुअरन् को दोषी ठहराया। विराथु ने दावा किया कि म्यांमार के मुसलमानों को मध्य पूर्वी ताकतों द्वारा वित्तपोषित किया जा रहा है, "स्थानीय मुसलमान कच्चे और बर्बर हैं क्योंकि चरमपंथी उन्हें वित्तीय, सैन्य और तकनीकी शक्ति प्रदान करते हुए तार खींच रहे हैं"। 21 जुलाई 2013 को, वह एक बम विस्फोट का स्पष्ट लक्ष्य था, लेकिन वह बच गये। विस्फोट में नव्-साधु समेत पांच लोग मामूली रूप से घायल हो गए। विराथु ने दावा किया कि बमबारी मुस्लिम चरमपंथियों द्वारा उनकी गर्जना को चुप कराने का एक प्रयास था। उन्होंने बौद्धों और मुसलमानों के बीच विवाह पर सम्पुर्न् प्रतिबंध, और मुस्लिम-स्वामित्व वाले व्यवसायों के बहिष्कार का आह्वान किया है। हालांकि, हर कोई उसकी अपनी आस्था के भीतर से उसकी शिक्षाओं से सहमत नहीं है। मांडले के म्यावाडी सयाडॉ मठ के मठाधीश अरिया वुथा बेवुन्था ने उनकी निंदा करते हुए कहा, "वह घृणा की ओर थोड़ा सा पक्ष रखते हैं [और यह था] जिस तरह से बुद्ध ने सिखाया नहीं था। बुद्ध ने जो सिखाया वह यह है कि घृणा अच्छी नहीं है, क्योंकि बुद्ध सभी को एक समान मानते हैं। बुद्ध लोगों को धर्म के माध्यम से नहीं देखते हैं।" द गार्जियन ने समझाया कि वे अपने अतिवाद के रूप में अज्ञानता के कारण थोड़ा अधिक देखते हैं, हालांकि उनके विचारों का म्यांमार में प्रभाव पड़ता है जहां कई व्यवसाय "मुसलमानों द्वारा सफलतापूर्वक चलाए जाते हैं"। बर्मी समर्थक लोकतंत्र कार्यकर्ता मौंग जर्नी ने नफरत फैलाने वाले भाषण फैलाने के लिए विराथु के 969 आंदोलन की निंदा की और तर्क दिया कि यूरोपीय संघ के देशों को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि म्यांमार एक "प्रमुख यूरोपीय संघ-सहायता प्राप्तकर्ता देश" है। 969 आंदोलन के प्रतिबंध के बाद की गतिविधियाँ मुस्लिम आबादी को सीमित करने के लिए नागरिक अधिकार कानूनों का मसौदा तैयार करने के लिए सितंबर 2013 में राज्य संघ महा नायक समिति द्वारा 969 आंदोलन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन कुछ ही समय बाद, जनवरी २०१४ में, पूर्व में ९६९ आंदोलन में शामिल लोगों ने म्यांमार के देशभक्ति संघ की स्थापना की, जिसे इसके बर्मी आद्याक्षर मा बा था के नाम से जाना जाता है। जिसमें देश की नस्ल के संरक्षण के विचारों को बढ़ावा दिया जाता रहा था । इसी तरह के प्रतिबंध के बाद 2017 में इस एसोसिएशन का नाम बदलकर बुद्ध धम्म चैरिटी फाउंडेशन कर दिया गया। विराथु ने इन प्रतिबंधों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि संघ महानायक समिति को सेना द्वारा नियंत्रित किया गया था और "बंदूक के नीचे" अपना निर्णय लिया। यद्यपि मा बा था का नेतृत्व एक कॉलेजियम समिति द्वारा किया जाता है, विराथु को मा बा था के मुखर नेता के रूप में बनाया गया है। जैसे, उन्होंने मुसलमानों के नागरिक अधिकारों को सीमित करने वाले कानूनों के पक्ष में मा बा था के अभियान में भाग लिया। उन्होने कई पत्नियां रखने, बौद्ध महिलाओं से शादी करने या परिवार में ही निकाह करने की कुप्रथाओ का अन्त किया है। उन्होने मुस्लिम में समाज सुधार या बाहिस्कार दोनों में से एक को चुनने को कहा था। जनवरी 2015 में, विराथु ने सार्वजनिक रूप से संयुक्त राष्ट्र के दूत यांगी ली को एक "कुतिया" और एक "वेश्या" जब उन्होंने विधायी पैरवी अभियान पर सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया दी, और उन्हें " कलाकारों को अपने गधे की पेशकश" करने के लिए आमंत्रित किया ( मुसलमानों के लिए अपमानजनक शब्द)। विराथु ने बैंकॉक में वाट फ्रा धम्मकाया पर थाई सरकार की छापेमारी की निंदा करने के लिए 23 फरवरी 2017 को मांडले में महामुनि बुद्ध मंदिर में प्रार्थना और विरोध का नेतृत्व भी किया। अय्यरवाडी क्षेत्र की धार्मिक परिषद, क्षेत्र के संघ महा नायक ने 10 मार्च 2017 को विराथु को इस क्षेत्र में प्रचार करने तक् प्रतिबंधित कर दिया। उनका बन्दी बनाया जाना प्रतिबंध समाप्त होने के बाद, उन्होंने अपने धार्मिक सतर्कता भाषणों को जारी रखा। उन्होंने म्यांमार टाइम्स के अनुसार आंग सान सू ची को उनके और सेना के बीच में दरार डालने की कोशिश करके उन्हें उखाड़ फेंकने का संकेत दिया, "लोगों को तातमाडॉ (सैन्य) सांसदों की पूजा करनी चाहिए जैसे कि वे बुद्ध की पूजा कर रहे हों ...", और आगे मायिक में वायरल हुए एक भाषण में सु ची की तुलना विदेशी हितों को चूसने वाली एक वेश्या से की। में उस भाषण के लिए राजद्रोह और आरोपो के आधार पर गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। गिरफ्तारी से बचने के डेढ़ साल बाद, उन्होंने 2020 के म्यांमार आम चुनाव से एक सप्ताह् पहले यांगून में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और गिरफ्तार हो गए। ऐसा प्रतीत होता है कि, सामान्य तौर पर, उच्च श्रेणी के भिक्षुओं ने गिरफ्तारी के खिलाफ अंतर्निहित कानूनी सुरक्षा प्राप्त की है, और इसका उपयोग देशहित के लिए तीखे षड्यंत्र के आरोपों के साथ भावनाओं को आसानी से भड़काने के लिए करते हैं; एक असंबंधित मामले में, मई 2019 में आंग सान सू की की प्रशंसा करते हुए कमांडर-इन-चीफ मिन आंग हलिंग के खिलाफ मानहानि कांड में एक भिक्षु पर आरोप लगाया गया था। सितंबर 2021 में, विराथु के खिलाफ राजद्रोह के आरोपों को सैन्य जुंटा द्वारा खारिज कर दिया गया था, और बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया है । यह सभी देखें 2013 म्यांमार मुस्लिम विरोधी दंगे 969 आंदोलन थिच ह्यूएन क्वांग बोडु बाला सेना म्यांमार के देशभक्ति संघ दक्षिण थाईलैंड विद्रोह संदर्भ कौन हैं म्यांमार के ‘साधु’ अशीन विराथु? जिन्हें सैन्य सरकार ने किया रिहा जिन्के दीवाने हो रहे लोग काश विराथु जैसे साधु संत हिन्दू धर्म में भी होते..! | The India Post ... About Ashin Wirathu: Burmese Buddhist monk (1968-) | Biography Untold story of militant Buddhism: ‘It is our duty to fight’ बाहरी कड़ियाँ ए बर्मी जर्नी क्यू एंड ए विथ आशिन विराथू (अंग्रेज़ी सबटाइटल) जीवित लोग 1968 में जन्मे लोग 969 Pages with unreviewed translations
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A5%8C%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%AE%20%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9
चौधरी प्रेम सिंह
चौधरी प्रेम सिंह (1932-2017) दिल्ली के एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। वे तीन बार दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।* उनका वर्ष 1956 से लेकर वर्ष 2008 के बीच कोई चुनाव नहीं हारने का रिकॉर्ड रहा है। उन्होने लगातार किसी भी चुनाव में 55 सालों तक अजेय रहने का रिकॉर्ड दर्ज कराते हुये 'लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में जगह बनाई थी। उन्होंने केंद्र, राज्य और एमसीडी में भी राजनीति की, लेकिन राजनीतिक जीवन में कभी दक्षिणी दिल्ली और अंबेडकर नगर का साथ नहीं छोड़ा. दिल्ली विधानसभा का अध्यक्ष रहने के अलावा सिंह तीन बार दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। सन्दर्भ 1932 में जन्मे लोग राजनीतिज्ञ भारतीय राजनीतिज्ञ २०१७ में निधन
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%20%E0%A4%AC%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%B0
आर्य बब्बर
आर्य बब्बर का जन्म 24 मई 1981 को हुआ, वो एक भारतीय अभिनेता हैं जो बॉलीवुड फ़िल्मों में और पंजाबी फ़िल्मों में काम करते हैं। व्यक्तिगत जीवन आर्य बब्बर भारतीय नेता और अभिनेता राज बब्बर और फ़िल्म व नाटकों में अभिनय के लिए प्रसिद्ध नादिरा बब्बर के पुत्र हैं, तथा अभिनेत्री जूही बब्बर तथा अभिनेता प्रतीक बब्बर के बड़े भाई हैं। फ़िल्में पंजाबी फ़िल्म सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ 1981 में जन्मे लोग जीवित लोग भारतीय फ़िल्म अभिनेता बिग बॉस प्रतिभागी मुंबई के लोग
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बीजिंग
बीजिंग (北京) (या पेय्चीङ) चीनी जनवादी गणराज्य, की राजधानी है। बीजिंग का अर्थ है "उत्तरी राजधानी", जबकि नान्जिंग का अर्थ है "दक्षिणी राजधानी"। बीजिंग १९४९ में साम्यवादी क्रान्ति के बाद से निरन्तर चीन की राजधानी है और उस समय तक यह विभिन्न कालों में अलग-अलग अवधियों तक चीन की राजधानी रहा है। बीजिंग, देश के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित है और चार नगरपालिकाओं में से एक है। इसका अर्थ है कि इन चारों नगरपालिकाओं को प्रान्तों के बराबर दर्जा प्राप्त है और यह उसी प्रकार का स्वशासन चलाते हैं जैसे कि कोई अन्य प्रान्त। १८२८ से पूर्व बीजिंग विश्व का सबसे बड़ा नगर था। मध्य बीजिंग में जनवरी २००७ में लगभग ७६ लाख लोग रह रहे थे। उपनगरीय क्षेत्रों को मिलाकर यहां की कुल जनसंख्या १ करोड़ ७५ लाख के लगभग है, जिसमें से १ करोड़ २० लाख के लगभग स्थाई निवासियों के रूप में पंजीकृत हैं और शेष ५५ लाख लोग अस्थाई अप्रवासी निवासी हैं। बीजिंग और उपनगरीय क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल बेल्जियम का लगभग आधा है। बीजिंग, चीन का सांस्कृतिक और राजनैतिक केन्द्र है, जबकि चीन का सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर शंघाई देश का वित्तीय केन्द्र है और जो हांगकांग के साथ इस पदवी के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा में है। अपने पूरे दीर्घकालिक इतिहास के दौरान बीजिंग ने अपनी एक विविध और विशिष्ट विरासत का विकास किया है। एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका, बीजिंग को "विश्व के महानतम" नगरों में से एक मानता है। सबसे प्रसिद्ध है त्यानमन चौक, जहां से "निषिद्ध नगर", "शाही महल" और "निषिद्ध नगर के मन्दिर" का मार्ग जाता है, जो १९८७ से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। यूनेस्कों सूची में "स्वर्ग का मन्दिर", "ग्रीष्मकालीन महल", "लामा मन्दिर" और "कन्फ़्यूशियस मन्दिर" भी हैं। [[File:BeijingWatchTower.jpg| १९८९ में बीजिंग में त्यानमन चौक पर छात्र विद्रोह हुआ था जिसे चीन की साम्यवादी सरकार ने क्रूरता से कुचल दिया था। छात्र लोग लोकतन्त्र की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। अगस्त २००८ में यहां २००८ ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों का आयोजन किया गया था। नाम बीजिंग का अर्थ है "उत्तरी राजधानी"। बीजिंग के समकक्ष नान्जिंग नगर रहा है, जो मिंग साम्राज्य की दक्षिणी राजधानी था। (जबकि नान्जिंग का अर्थ है दक्षिण राजधानी, टोक्यो का अर्थ है राजधानी और हनोई का अर्थ है पूर्वी राजधानी)। बीजिंग के प्रशासनिक क्षेत्र बीजिंग महानगरीय क्षेत्र १८ जिलों में विभाजित है, जो चार क्षेत्रों में बँटे हुए हैं: भीतरी राजधानी जिला क्षेत्रफल: ९२.३९ किमी२, जनसंख्या: २०,५२,००० (२००५), जिले: चोंग्वेन, डोंग चेन, श़ीचेंग, श़ूआन्वू। बाहरी महानगरीय जिला क्षेत्रफल: १,२७५.९३ किमी२, जनसंख्या: ७४,८०,००० (२००५), जिले: चाओयांग, फ़ेंग्ताई, हाइदान, शीजिंगशान। नवीन बस्ती क्षेत्र क्षेत्रफल: ६,२९५.५७ किमी२, जनसंख्या: ४१,१६,००० (२००५), जिले: चांग्पिंग, दाक्श़ीग, फ़ांग्शान, शुन्यी, तोंग्झोऊ। पारिस्थितिक सुरक्षा जिला क्षेत्रफल: ८,७४६.६५ किमी२, जनसंख्या: १७,३२,०००, (२००५), जिले: हुआइरोउ, मेन्तोउगोउ, मियून, पिंग्गू, यांग्किंग। चित्र दीर्घा भगिनी नगर एम्सटर्डम, नीदरलैण्ड (१९९४ से) अंकारा, तुर्की (१९९० से) बैंकाक, थाईलैण्ड (१९९३ से) बेल्ग्रेड, सर्बिया (१९८० से) बर्लिन, जर्मनी (१९९४ से) ब्रुसेल्स, बेल्जियम (१९९४ से) ब्यूनस आयर्स, अर्जेण्टीना (१९९१ से) काहिरा, मिस्र (१९९० से) कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया (२००० से) गौटेंग, दक्षिण अफ़्रीका (१९९८ से) हनोई, वियतनाम (१९९४ से) इल-दा-फ़्रान्स, फ़्रान्स (१९८७ से) इस्लामाबाद, पाकिस्तान (१९९२ से) जकार्ता, इण्डोनेशिया (१९९२ से) कोलोन, जर्मनी (१९८७ से) कीव, यूक्रेन (१९९३ से) लीमा, पेरू (१९८३ से) मैड्रिड, स्पेन (१९८५ से) मॉस्को, रूस (१९९५ से) न्यूयॉर्क नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका (१९८० से) ओटावा, कनाडा (१९९९ से) पेरिस, फ़्रान्स (१९९७ से) रियो डि जेनेरो, ब्राज़ील (१९८६ से) रोम, इटली (१९९८ से) सियोल, दक्षिण कोरिया (१९९३ से) तेल अवीव, इस्राइल टोक्यो, जापान (१९७९ से) वॉशिंगटन डी॰ सी॰, संयुक्त राज्य अमेरिका (१९८४ से) सन्दर्भ See also बीजिंग मेट्रो बाहरी कडियां बीजिंग सरकार भूमि से दिल्ली के लिए बीजिंग चीनी जनवादी गणराज्य के नगर एशिया में राजधानियाँ
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सिग्मा सैजिटेरियाइ तारा
सिग्मा सैजिटेरियाइ जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (σ Sgr या σ Sagittarii) दर्ज है, आकाश में धनु तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५२वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे २२८ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। अन्य भाषाओं में सिग्मा सैजिटेरियाइ को अंग्रेज़ी में "ननकी" (Nunki) भी कहा जाता है जो असीरियाई या बेबीलोनियाई भाषाओँ से लिया गया है और जिसका अर्थ "धरती का राजकुमार" था। यह नाम इतिहासकारों को खुदाई करने पर बेबीलोनियाई पुरातन स्थलों पर मिला और तारे के वर्णन से अंदाज़ा लगाया गया के यह सिग्मा सैजिटेरियाइ को बेबीलोनियाईओं द्वारा दिया गया नाम ही रहा होगा। भारतीय संस्कृति में ज़ेटा सैजिटेरियाइ (ζ Sgr) और सिग्मा सैजिटेरियाइ के दो तारे उत्तराषाढ़ नक्षत्र बनाते हैं। वर्णन सिग्मा सैजिटेरियाइ का मुख्य तारा एक नीले-सफ़ेद रंग वाला B2.5 V श्रेणी का तारा है। इसकी अंदरूनी चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) हमारे सूरज की ३३०० गुना है। इसका व्यास (डायामीटर) हमारे सूरज के व्यास का ५ गुना और इसका द्रव्यमान सूरज के द्रव्यमान का लगभग ७ गुना है। संभव है कि इसके साथ एक साथी तारा भी हो जिसके साथ यह एक द्वितारा मंडल हो लेकिन वैज्ञानिकों को यह पक्का ज्ञात नहीं है। आकाश में सिग्मा सैजिटेरियाइ सूर्यपथ (ऍक्लिप्टिक) के बहुत पास दिखता है और कभी-कभी चन्द्रमा के पीछे छुप हो जाता है। बहुत ही लम्बे अंतरालों के बाद कभी-कभार यह सौर मंडल के किसी ग्रह के पीछे भी छुप जाता है। १७ नवम्बर १९८१ की रात को यह शुक्र के पीछे छुपा था। यह मंगल के पीछे भी छुप सकता है लेकिन पिछली दफ़ा यह आज से सैंकड़ों साल पूर्व सन् ४२३ ईसवी की ३ सितम्बर की तिथि को मंगल द्वारा छुपाया गया था। इन्हें भी देखें द्वितारा धनु तारामंडल सन्दर्भ तारे धनु तारामंडल हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
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दि पार्क, चेन्नई
भारत के पांच सितारा विलासिता वाले होटलों में से दि पार्क चेन्नई प्रमुख है जो की अन्ना सलाई, चेन्नई में स्थित है। यह होटल जो की एपीजे सुरेन्द्र ग्रुप का एक हिस्सा है, १५ मई २००२ को खोला गया था। इस होटल के लिए लगभग १,००० मिलियन रुपयों का संग्रह किया गया था। होटल के एक रेस्टुरेंट को अपने विशिष्ट मेनू एवं व्यय के चलते फोर्ब्स पत्रिका द्वारा भारत के दस सबसे महंगे रेस्टुरेंटस की श्रेणी में भी शामिल किया गया था। इतिहास वह स्थान जहाँ पर आज यह होटल है कभी जेमिनी स्टूडियो हुआ करता था जो की अपने समय का बहुत ही अधिक श्रेष्ठ एवं सफल स्टूडियो था। जेमिनी स्टूडियो को दो अन्य स्टूडियो के विलयन से बनाया गया था जिनमें से एक स्टूडियो अग्नि दुर्घटना के कारण बहुत ही बुरी तरह से क्षति ग्रस्त हो गया था। १९४० के लगभग में यह स्टूडियो अपनी ऐतिहासिक फिल्मों के देने के चलते पूरे प्रदेश के अग्र गण्य स्थलों में से एक हो गया। २१ वीं शताब्दी के शुरुआती दौर में ही कोलकाता के पार्क होटल्स ग्रुप ने इसकी तीन सितारा प्रॉपर्टी को खरीद लिया तथा उसे एक पांच सितारा विलासिता होटल में तब्दील करके १५ मई २००२ को अतिथियों के लिए खोल दिया। मई २००२ में ही अन्य ब्लॉक्स की नीलामी की तैयारी इंडियन बैंक द्वारा की गयी जिसकी रिज़र्व कीमत ९३० मिलियन रूपए रखी गयी। २०१० में होटल की एक क़ानूनी लड़ाई, ओपन स्पेस रिजर्वेशन भूमि के लिए, कारपोरेशन ऑफ़ चेन्नई के साथ हुई जिस पर की होटल की दीवाल का ढांचा फव्वारों के साथ बना हुआ था। दि होटल इस कला संदर्भित बुटीक हाल में कुल २१४ कक्ष हैं जिसमें की १२७ डीलक्स कमरे, ३१ लक्ज़री कमरे हैं; ४१ निवासीय कमरे, ६ स्टूडियो कक्ष, ५ डीलक्स कक्ष, ३ प्रीमियर कक्ष तथा एक प्रेसिडेन्सिअल कक्ष है। होटल अपने अतिथियों को खाने पीने की विशेष सेवाएं प्रदान करता है जिसमे से थाई खाना पसंद करने वाले अतिथियों के लिए लोटस नाम का रेस्टुरेंट भी है। इसके अलावा सिक्स ओ वन नामक बार, पास्ता चोको बार, तथा आठवें माले पर स्थित एक्वा रेस्टुरेंट भी शामिल है। शहर के लेदर व्यवसाय को याद करते हुए होटल में दि लेदर बार नाम से भी एक बार है। खरीदारी के शौक़ीन अतिथियों को भी निराश होनें की जरूरत नहीं है क्यूंकि होटल में ही उनकी शौपिंग आदि जरूरतों की पूर्ति के लिए एक शौपिंग आर्केड का निर्माण किया गया है जहाँ श्रेष्ठ ब्रांडो की चीजें विक्रय के लिए उपलब्ध करायी गयी हैं। पुरूस्कार २००६ में फोर्ब्स नें "अट्रूइयम", जो की पार्क होटल चेन्नई में है, को इसके इटालियन शेफ अंटोनियो कर्लुसियो द्वारा डिजाईन किये गए मेनू के साथ, भारत के दस सबसे अधिक महंगे रेस्टुरेंटस की श्रेणी में रखा। यह रेस्टुरेंट अपने अतिथियों के लिए पर्सनलाइज्ड सेवाएं प्रदान करता है। इन्हें भी देखें चेन्नई की सबसे लम्बी इमारतें सन्दर्भ चेन्नई के होटल दक्षिण भारत के होटल भारत के प्रमुख पाँच सितारा होटल
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मयूर पूरी
मयूर पूरी एक भारतीय फिल्म निर्माता हैं। यह कई फिल्मों में गाने लिख चुके हैं। साथ ही संवाद निर्देशन आदि का कार्य भी कई फिल्मों में किया है। यह फराह खान द्वारा निर्देशित फिल्म हॅप्पी न्यू इयर में गुजजु नामक किरदार में भी नजर आए थे। फिल्म तेरे लिए मेरे यार की शादी है फन 2 इस्स धूम एक खिलाड़ी एक हसीना गरम मसाला चॉक्लेट फाइट क्लब प्रोवोक प्यार के साइड एफफ़ेक्ट्स गंगस्टेर अपना सपना मनी मनी सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ जीवित लोग 1974 में जन्मे लोग भारतीय फ़िल्म निर्देशक संगीतकार
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वज़वान
वज़वान कश्मीरी व्यंजनों में एक बहु-पाठ्यक्रम खाना है, जिसे तैयार करना एक कला माना जाता है और कश्मीरी संस्कृति और पहचान में गर्व का विषय है। लगभग सभी व्यंजन कुछ शाकाहारी व्यंजनों के साथ मेमने, बीफ या चिकन का उपयोग करके मांस आधारित होते हैं। यह पूरे कश्मीर में काफी पसन्द किया जाता है। इसके अलावा, वज़वान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीरी फूड फेस्टिवल्स और रीयूनियन्स में भी पेश किया जाता है। रिस्ता (एक तेज लाल ग्रेवी में मीटबॉल लहबी कबाब या मोची कबाब (दही में पका हुआ चपटा मटन कबाब) वाजा कोकुर (दो हिस्सों या दो पूर्ण चिकन पके हुए) डेनी फाउल (मटन डिश) दूधा रस (मीठे दूध की ग्रेवी में पका हुआ मटन) रोगन जोश (कश्मीरी मसालों के साथ पका हुआ मेमना) त्सीर-ए-गुश्ताब एक नरम मीटबॉल जिसमें खूबानी के साथ दही के साथ पकाया जाता है। तबक माज़ (मेमने की पसलियों को दही में नरम होने तक दानीवाल कोरमा (धनिया के साथ मटन करी) वाजा पालक (हरी पालक को छोटे मटन बॉल्स के साथ पकाया जाता है जिसे पालकी रिस्टे के नाम से जाना जाता है) आब गोश (दूध की सब्जी में पका हुआ मेमना) मार्चवांगन कोरमा (एक बेहद मसालेदार मेमने का व्यंजन) कबाब (गर्म कोयले के ऊपर कटार पर भुना हुआ कीमा बनाया हुआ मांस) गुश्तबा (सफेद दही की ग्रेवी में एक मखमली बनावट वाला मीटबॉल) यखन (स्वादिष्ट मसालेदार दही करी) रुआंगन छमन (पनीर के चौकोर टुकड़े टमाटर की ग्रेवी के साथ) दम एल्वा (आलू दही की ग्रेवी में पकाया जाता है) दम आलू गंद आचार (कटा हुआ प्याज मिर्च, नमक, दही और मसालों के साथ मिश्रित) Muji chetin या mooli akhrot चटनी (मूली और अखरोट चटनी ) फिरनी (सूजी या पिसे हुए चावल के साथ गाढ़ा दूध का हलवा, इलायची और वैकल्पिक रूप से केसर के स्वाद के साथ, कटे हुए मेवे और चांदी के पत्ते के साथ अलग-अलग कटोरे में सेट) संदर्भ कश्मीर कश्मीरी खाना
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विनीता बाली
विनीता बाली एक भारतीय महिला उद्यमी हैं, जो ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं। शिक्षा वर्ष 1975 में, उन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की। तत्पश्चात जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए किया। उन्होने संयुक्त राज्य अमेरिका के मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी से छात्रवृत्ति प्राप्त की और संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक प्रशिक्षु के रूप में कार्य किया। करियर उन्होने अपने करियर की शुरुआत वोल्टास में किया, जहां वे शीतल पेय ब्रांड रसना का शुभारंभ किया। उन्होने चौदह वर्षों तक कैडबरी के भारतीय डिवीजन के लिए काम किया है, जहां उन्होने भारत और अफ्रीका में कंपनी की बाजार का विस्तार किया। वर्ष 1994 में, उन्होने कोका कोला में विपणन निदेशक के रूप में कार्य किया और उसके बाद वे लैटिन अमेरिका के लिए विपणन उपाध्यक्ष नियुक्त हुईं। कोक में अपने नौ वर्षों के दौरान, उन्होने विपणन की रणनीति के अंतर्गत उपाध्यक्ष के रूप में काम किया।उन्होने सर्जियों ज़ीमान समूह में कार्य करने हेतु वर्ष 2003 में कोका-कोला छोड़ दिया। उन्हें ज़ीमान समूह की अटलांटा स्थित गतिविधियों का प्रमुख नियुक्त किया गया। उन्होने वर्ष 2005 में ज़ीमान समूह छोड़ दिया और भारतीय खाद्य कंपनी ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त हुईं, जहां उन्हें वर्ष 2006 में प्रबंध निदेशक के पद पर प्रोन्नत किया गया। बाली को वर्ष 2009 में "वर्ष के महिला उद्यमी" के रूप में इकोनॉमिक टाइम्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2009 में उन्होने ब्रिटानिया न्यूट्ररेशन फाउंडेशन की स्थापना की, जो भारत में स्कूली बच्चों के कुपोषण को मिटाने की दिशा में आंदोलनरत है। इस फाउंडेशन की स्थापना और उद्देश्यों के दृष्टिगत उन्हें सामाजिक दायित्व पुरस्कार से अलंकृत किया गया। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ भारतीय महिला उद्यमी उद्यमी जीवित लोग भारत के लोग व्यापार में भारतीय महिलाएँ 1955 में जन्मे लोग
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शिमशाल
शिमशाल (, Shimshal) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के हुन्ज़ा-नगर ज़िले की गोजाल तहसील में स्थित एक गाँव है। यह ३,१०० मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है और हुन्ज़ा वादी की सबसे ऊँची बस्ती है। शिमशाल गाँव में वाख़ी भाषा बोलने वाले लगभग २,००० लोग रहते हैं जो शिया धर्म की इस्माइली शाखा के अनुयायी हैं। यहाँ पहुँचना बहुत कठिन हुआ करता था लेकिन अक्टूबर २००३ के बाद पस्सू से यहाँ सड़क बनाकर इसे काराकोरम राजमार्ग से जोड़ दिया गया। शिमशाल दर्रा गावँ से ऊपर ४,७३५ मीटर ऊँचा शिमशाल दर्रा स्थित है। यह सिन्धु नदी और मध्य एशिया की तारिम नदी के जलसम्भर क्षेत्रों के बीच स्थित है। किसी ज़माने में हुन्ज़ा से आने वाले डाकू इस दर्रे से गुज़रकर लेह-यारकन्द मार्ग पर भारत और पूर्व तुर्किस्तान के बीच चलने वाले व्यापारिक क़ाफ़िलों पर हमला किया करते थे। यहाँ एक छोटा-सा दुर्ग भी बना हुआ था जिसका प्रयोग कभी तो यह डाकू और कभी हुन्ज़ा-नरेश के सैनिक किया करते थे। आजकल यहाँ पर्यटकों के लिए एक याक-धवन प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। इस दर्रे के पार शिमशाल ब्रल्दु नदी की वादी है जो शक्सगाम नदी की एक उपनदी है। स्थानीय पर्वत व हिमानियाँ शिमशाल के इर्द-गिर्द कई बुलन्द पर्वत खड़े हैं जिनमें दिस्तग़िल सर ( Destaghil Sar, ७८८५ मीटर), ओदवेर सर (Odver Sar, ६३०३ मी), मिंगलिक सर (Minglik Sar, ६१५० मी), लुपग़र सर (Lupghar Sar, ७२०० मी), यज़ग़िल सर (Yazghil Sar, ६००० मी) और कनजुत सर (Kunjut Sar) शामिल हैं। इस क्षेत्र में कई हिमानियाँ (ग्लेशियर) भी मौजूद हैं जिनमें मलंगुधी, यज़ग़िल, ख़ुरदोपिन, ब्रल्दु, ओदवेर और वेर झ़रव जाने-माने हैं। इन नामों में बिन्दुयुक्त 'ख़', बिन्दुयुक्त 'ग़' और बिन्दुयुक्त 'झ़' के उच्चारणों पर ध्यान दें। इतने पर्वतों, हिमानियों और दर्रों से घिरे होने के कारण स्थानीय शिमशाली लोग पर्वतारोहण में माहिर माने जाते हैं और काराकोरम शृंखला पर चढ़ने वाले उन्हें मार्गदर्शन के लिये अक्सर साथ ले लेते हैं। सम्बन्धित चित्र इन्हें भी देखें हुन्ज़ा-नगर ज़िला सन्दर्भ पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर हुन्ज़ा-नगर ज़िला गिलगित-बल्तिस्तान
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पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश(उर्दू:,;मुन्शिफ़-ए आज़म पाकिस्तान) , , पाकिस्तान की न्यायपालिका के प्रमुख एवं पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होते हैं। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट 1947 से 1960 तक संघीय अदालत के नाम से जानी जाती थी। मुख्य न्यायाधीश पाकिस्तान की उच्चतम न्यायालय के 16 न्यायाधीशों में वरिष्ठतम होते हैं। मुख्य न्यायाधीश पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी है एवं यह पाकिस्तान का उच्चतम न्यायालय पद है जो संघीय न्यायपालिका की नीति निर्धारण वह उच्चतम न्यायालय में न्यायिक कार्यों का कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। इस पद पर नियुक्ति के लिए नामांकन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा एवं नियुक्ति अंततः पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। अदालत की सुनवाई पर अध्यक्षता करते हुए मुख्य न्यायाधीश के पास न्यायालय की नीति निर्धारण के लिए अत्यंत ताकत है। साथ ही आधुनिक परंपरा अनुसार मुख्य न्यायाधीश के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत राष्ट्रपति को शपथ दिलाने का भी महत्वपूर्ण संवैधानिक कार्य है पाकिस्तान के सर्वप्रथम मुख्य न्यायाधीश सर अब्दुल राशिद थे। सूची पाकिस्तान में सबसे ज्यादा समय तक न्याय मंत्री मोहम्मद हलीम रहे और सबसे कम समय मोहम्मद शहाबुद्दीन रहे, मोहम्मद शहाबुद्दीन शपथ ग्रहण के बाद नौवें दिन मर गए थे। इफ़्तिख़ार मोहम्मद चौधरी एकमात्र न्यायाधीश प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अपने कार्यकाल लगातार पूरी नहीं की, बल्कि तीन भागों में पूरा किया। इन्हें भी देखें पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायिक परिषद पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश पाकिस्तान की राजनीति पाकिस्तान सरकार पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय पाकिस्तान का संविधान पाकिस्तान की संसद उच्च न्यायालय (पाकिस्तान) लाहौर उच्च न्यायालय पेशावर उच्च न्यायालय बलूचिस्तान उच्च न्यायालय इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ज़िला न्यायालय (पाकिस्तान) संघीय शरियाई न्यायालय पाकिस्तान की न्यायपालिका सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ www.supremecourt.gov.pk www.pakinformation.com-मुख्य न्यायाधीशगण की सूचि पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश पाकिस्तान की न्यायपालिका पाकिस्तान के संवैधानिक पद
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A3%E0%A5%80%20%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%9A%E0%A4%B2
नारायणी अंचल
मध्य दक्षीण नेपाल में पडनेवाला नारायणी अन्चल में पाँच जीले, चितवन, मकवानपुर, बारा, पर्सा, व रोतहट पडते हैं, यह अन्चल के दो जिले चितवन व मकवानपुर अधिकांस हिस्सा चितवन उपत्यका व पाहाडी क्षेत्रमे है लेकिन बाकी के तिन जिले बारा पर्सा व रोतहट बाहारी तराइमे पडते हैं। मुख्य स्थान १ भरतपुर, नेपाल २, वीरगंज ३,हेटौडा ४, रत्ननगर ५, कलैया ६, गौर ७, चन्द्रनिगाहपुर ८, पथलैया ९, मुग्लीगं १०, निजगढ ११, भिमफेदी १२, चिसापानी गढी १३, मकवानपुरगढी १४, उपरदांगगढी १५, सोमेस्वरगढी १६, दामन १७, टिस्टुङ १८, पालुङ १९, कुलेखानी २०, चितवन राष्ट्रीय निकुन्ज २१, देवघाट धाम नेपाल के पूर्व शासन प्रणाली मध्यमांचल विकास क्षेत्र
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B7%E0%A4%A3%20%28%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%9F%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97%29
त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग)
इंस्टेंट मेसेजिंग (आईएम) (त्वरित संदेश) साझा सॉफ्टवेयर ग्राहक के साथ-साथ वैयक्तिक (पर्सनल) कंप्यूटर या अन्य उपकरणों का प्रयोग करने वाले दो या अधिक लोगों के बीच समयोचित प्रत्यक्ष पाठ्य-आधारित संचार का एक रूप है। प्रयोक्ता के पाठ्य को एक नेटवर्क जैसे कि इंटरहनेट के माध्यम से भेजा जाता है। अधिक उन्नत त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) सॉफ्टवेयर ग्राहक संचार की परिष्कृत विधियों जैसे कि वॉयस या वीडियो कॉलिंग का उपयोग करने की अनुमति प्रदान करते हैं। परिभाषा आईएम (त्वरित संदेश) व्यापक शब्द ऑनलाइन चैट के अंतर्गत आता है, क्योंकि यह एक समयोचित पाठ्य-आधारित नेटवर्क से जुडी हुई संचार व्यवस्था है, लेकिन यह इस अर्थ में भिन्न है कि यह उन ग्राहकों पर आधारित है जो निर्दिष्ट रूप से ज्ञात प्रयोक्ताओं (अक्सर "बन्धु सूची", "मित्र सूची" या "संपर्क सूची" का इस्तेमाल करने वालों) के बीच संयोजनों को सहज बनाते हैं, जबकि ऑनलाइन 'चैट ' में वेब आधारित अनुप्रयोग भी शामिल होते हैं जो विविध-प्रयोक्ता परिवेश में (अक्सर गुमनाम) प्रयोक्ताओं के बीच संचार की अनुमति प्रदान करते हैं। समीक्षा इंस्टेंट मेसेजिंग (त्वरित संदेश) (IM) दो या अधिक प्रतिभागियों के बीच इंटरनेट या अन्य प्रकार के नेटवर्क पर समयोचित पाठ्य-आधारित संचार के लिए प्रयोग की जाने वाली प्रौद्योगिकियों का संग्रह है। इसका महत्व यह है कि ऑनलाइन चैट और इंस्टेंट मेसेजिंग (त्वरित संदेश भेजना) अन्य प्रौद्योगिकियों जैसे कि ई-मेल से प्रयोक्ताओं के समयोचित वार्तालाप चैट द्वारा संचारों की अनुभूत समक्रमिकता के कारण भिन्न होता है। कुछ प्रणालियां संदेशों को समय विशेष में ’लॉग ऑन’ नहीं रहने वाले लोगों को संदेश भेजने (ऑफ़लाइन संदेश) की अनुमति प्रदान करते हैं, इस प्रकार वे आईएम एवं ई-मेल के बीच के कुछ अंतरों को दूर करते हैं (अक्सर इसे संबंधित ई-मेल खाते में भेज कर किया जाता है). आईएम (त्वरित संदेश) प्रभावी और कुशल संचार की अनुमति प्रदान करता है, इस प्रकार स्वीकृति या उत्तर की तत्काल प्राप्ति की इजाजत देता है। कई मामलों में त्वरित संदेश भेजने (इंस्टेंट मेसेजिंग) में अतिरिक्त विशेषताएं शामिल होती हैं जो इसे अधिक लोकप्रिय बना सकती हैं। उदाहरण के लिए, प्रयोक्ता वेब कैमरे का उपयोग कर एक दूसरे को देख सकते हैं, या एक माइक्रोफोन एवं हेडफोनों या लाउडस्पीकरों का उपयोग कर इंटरनेट पर नि:शुल्क बातचीत भी कर सकते हैं। कई उपभोक्ता कार्यक्रम (क्लाइंट प्रोग्राम) फ़ाइल के हस्तांतरण की भी अनुमति प्रदान करते हैं, यद्यपि आम तौर पर वे विशिष्ट रूप से स्वीकार्य आकार की फ़ाइलों में ही सीमित रहते हैं। आमतौर पर एक पाठ्य संवाद को बाद के संदर्भ के लिए विशिष्ट रूप से सहेज कर रखना संभव है। त्वरित संदेश (इंस्टेंट मेसेज) अक्सर एक स्थानीय मेसेज हिस्ट्री (संदेश के पूर्ववृत्तों) में जमा रहते हैं और इस प्रकार इसे निरंतर प्रकृति वाले ई-मेलों के जैसा बना देते हैं। इतिहास इंस्टेंट मेसेजिंग (त्वरित संदेश प्रेषण) इंटरनेट का पूर्ववर्ती है, जो सबसे पहले 1960 के दशक में बहु-प्रयोक्ता ऑपरेटिंग प्रणाली जैसे कि सीटीएसएस (CTSS) एवं मल्टिक्स में उपस्थित हुआ। प्रारंभ में, इनमें से कुछ प्रणालियों का प्रयोग मुद्रण जैसी सेवाओं के लिए अधिसूचना प्रणाली के रूप में हुआ, लेकिन शीघ्र ही इनका प्रयोग एक ही मशीन (कम्प्यूटर) में लॉग्ड इन (सत्रारंभ करने वाले) अन्य प्रयोक्ताओं के साथ संचार सहज करने के लिए किया गया। जैसे-जैसे नेटवर्कों का विकास हुआ, नेटवर्कों के साथ प्रॉटोकोलों का भी प्रसार हुआ। इन में से कुछ ने समानांतर प्रॉटोकोल (उदाहरण टॉक, एनटॉक, वाईटॉक) का प्रयोग किया, जबकि अन्य लोगों को सर्वर से जोड़ने के लिए मित्र समूह की जरूरत थी (टॉकर एवं आईआरसी (IRC) देखें). बुलेटिन बोर्ड प्रणाली (BBS)(बीबीएस) की घटना के दौरान जो 1980 के दशक के दौरान शिखर पर पहुंची, कुछ प्रणालियों ने वार्तालाप (चैट) संबंधी उन विशेषताओं को शामिल किया जो इंस्टेंट मेसेजिंग (त्वरित संदेश भेजने) के समान ही थी; फ्रीलांसिंग राउंडटेबल इसका एक प्रमुख उदाहरण था। 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध में और 1990 के दशक के आरंभ में, कमोडोर 64 कम्प्यूटर्स के लिए क्वांटम लिंक ऑनलाइन सेवा ने वर्तमान में जुड़े हुए ग्राहकों को प्रयोक्ता से उपयोगकर्ता तक संदेश भेजने की सुविधा प्रदान की जिसे उन्होंने "ऑनलाइन संदेश" (या संक्षेप में (OLM) ओएलएम) और बाद में "फ्लैशमेल" कहा. (बाद में क्वांटम लिंक अमेरिका ऑनलाइन बना एवं एओएल (AOL) इंस्टेंट मेसेंजर (एआईएम)(AIM) तैयार किया, जिसकी चर्चा बाद में की गई है). जब क्वांटम लिंक सेवा केवल कमोडोर के पीईटीएससीII (PETSCII) पाठ्य-ग्राफिक्स का उपयोग करते हुए कमोडोर 64 पर काम करती थी, तब स्क्रीन को दृष्टिगत रूप से खंडों में विभाजित किया गया था एवं ओएलएल (OLMs) "से संदेश" व्यक्त करने वाले पीले रंग की पट्टी (बार) के रूप में दिखाई देता था: "और प्रयोक्ता द्वारा पहले से ही किये जा रहे कार्य के शीर्ष पर संदेश के साथ प्रेषक का नाम दिखाई देता था और यह उत्तर देने के विकल्पों की एक सूची भी प्रस्तुत करता था। इस कारण से, इसे एक प्रकार का जीयूआई (GUI)(ग्राफ़िकल यूज़र इंटरफ़ेस) माना जा सकता था, हालांकि यह परवर्ती प्रोग्रामों (क्रमादेशों) यूनिक्स, विंडोज एवं मेकिनटोश आधारित जीयूआई आईएम प्रोग्रामों (क्रमादेशों) की अपेक्षा अधिक प्राचीन था। ओएलएम (OLMs) वही थे जिन्हें क्यू-लिंक "प्लस सेवाएं" कहती थी जिसका अर्थ है कि उन्होंने मासिक क्यू-लिंक ऐक्सेस (अभिगम) की लागत के ऊपर अतिरिक्त प्रति मिनट शुल्क लगाया था। आधुनिक, इंटरनेट के माध्यम से, आज जीयूआई-आधारित संदेश भेजने वाले के रूप में ज्ञात ग्राहकों ने 1990 के मध्य दशक में पाऊवाऊ, (PowWow) आईसीक्यू (ICQ) एवं एओएल (AOL) ने त्वरित सन्देश प्रेषक (इंस्टेंट मेसेंजर) के साथ कार्य आरंभ किया। 1992 में सीयू-सी मी (CU-SeeMe) ने इसी तरह की कार्यक्षमता प्रस्तुत की; हालांकि यह मुख्य रूप से एक ऑडियो/वीडियो वार्तालाप कड़ी (चैट लिंक) थी, प्रयोक्ता टाइप कर एक-दूसरे को संदेश भेज सकते थे। बाद में एओएल (AOL) ने आईसीक्यू (ICQ) के निर्माता मिराबिलिस का अधिग्रहण किया; कुछ वर्षों बाद आईसीक्यू (ICQ) (अब एओएल के स्वामित्व में) को संयुक्त राज्य अमेरिका के पेटेंट कार्यालय द्वारा त्वरित संदेश भेजने (इंस्टेंट मेसेजिंग) के लिए दो पेटेंट प्रदान किये गये। इस बीच, अन्य कंपनियों ने अपने स्वयं के अनुप्रयोगों (एक्ससाईट, एमएसएन, यूबिक एवं याहू) को विकसित किया, जिसमें से प्रत्येक का स्वामित्व संबंधी अपना प्रॉटोकोल एवं ग्राहक था; यदि प्रयोक्ता इन एक से अधिक नेटवर्कों का उपयोग करना चाहते थे तो उन्हें बहु ग्राहक वाले प्रोग्राम को चलाना पड़ता था। 1998 में आईबीएम (IBM) ने आईबीएम लोटस सेमटाईम जारी किया जो, जो आईबीएम (IBM) द्वारा हाईफा-आधारित यूबिक एवं लेक्सिंग्टन-आधारित डाटाबीम को खरीदने के बाद प्राप्त प्रौद्योगिकी पर आधारित एक उत्पाद था। 2000 में, जैब्बर नामक एक खुले स्रोत वाले प्रोग्राम (अनुप्रयोग) एवं खुले मानक -आधारित प्रॉटोकोल को शुरू किया गया। प्रॉटोकोल को "एक्सटेंसिबल मेसेजिंग एंड प्रेजेन्स प्रॉटोकोल" (XMPP) के नाम के अंतर्गत मानकीकृत किया गया। एक्सएमपीपी (XMPP) सर्वर अन्य आईएम प्रॉटोकॉल के लिए गेटवे (प्रवेश द्वार) के रूप में कार्य कर सकते थे, जिससे एकाधिक ग्राहकों (क्लाइंट्स) को चलाने की जरूरत कम की जा सकती थी। बहु प्रॉटोकॉल वाले ग्राहक प्रत्येक प्रॉटोकॉल के लिए अतिरिक्त स्थानीय लाइब्रेरीज का उपयोग कर किसी भी लोकप्रिय आईएम प्रॉटोकॉल का उपयोग कर सकते हैं। आईबीएम लोटस सेमटाइम के नवंबर 2007 के संस्करण ने इसमें एक्सएमपीपी (XMPP) के लिए आईबीएम लोटस सेमटाइम'स गेटवे सहायता को शामिल कर लिया। वर्तमान युग में, सामाजिक नेटवर्किंग प्रदाता अक्सर आईएम क्षमताएं भी प्रदान करते हैं। त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) की कई सेवाएं वीडियो कॉलिंग की सुविधा, वॉयस ओवर आईपी (वीओआईपी) (VoIP) एवं वेब कॉन्फ्रेंसिंग की सेवाएं प्रदान करते हैं। वेब कॉन्फ्रेंसिंग सेवाएं वीडियो कॉलिंग एवं त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) की क्षमता दोनों को शामिल कर सकते हैं। कुछ त्वरित संदेश प्रेषक (इंस्टेंट मेसेजिंग) कंपनियां डेस्कटॉप शेयरिंग, आईपी रेडियो (IP radio) एवं आईपीटीवी (IPTV) से लेकर वॉयस एवं वीडियो सुविधाएं भी प्रदान कर रही हैं। "इन्स्टैंट मैसेन्जर" शब्द टाईम वार्नर का सेवा चिह्न है एवं संयुक्त राज्य अमेरिका में एओएल के साथ असंबद्ध सॉफ्टवेयर में इसका प्रयोग इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इस कारण से, इंस्टेंट मेसेजिंग ग्राहक जिन्हें पहले गेम (Gaim) या गिम (gaim) के रूप में जाना जाता था, ने अप्रैल 2007 में घोषणा की कि उन्हें नया नाम "पिडगिन" ("Pidgin") दिया जाएगा. ग्राहक प्रत्येक आधुनिक त्वरित सन्देश (IM) सेवा आम तौर पर अपने ग्राहक को या तो अलग से स्थापित सॉफ्टवेयर या ब्राउज़र-आधारित ग्राहक (क्लाइंट) प्रदान करती है। ये सब विशेष रूप से उस कंपनी की सेवा के साथ कार्य करते हैं, हालांकि कुछ अन्य सेवाओं के साथ सीमित कार्य की अनुमति भी प्रदान करते हैं। तीसरे पक्ष के ग्राहक (क्लाइंट) सॉफ्टवेयर प्रोग्राम भी हैं जो अधिकांश प्रमुख त्वरित सन्देश (IM) सेवाओं के साथ संयोजित हो जाएंगे. एडियम (Adium), डिग्स्बी (Digsby), मीबो (Meebo), मिरांडा आईएम, पिडगिन (Pidgin), क्यूनेक्स्ट (Qnext), सैपो मेसेंजर (SAPO) एवं ट्रिलियन (Trillian) उनमें से कुछ आम नाम हैं। अन्तरसंक्रियता मानक नि:शुल्क त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) कार्यक्रम फाइल (संचिका) अंतरण, संपर्क सूचियों, एक साथ बातचीत की क्षमता आदि जैसे उपयोग प्रदान करता है। ये वे सभी कार्य हैं जिनकी जरुरत एक छोटे व्यवसाय को होती है लेकिन बड़े संगठनों को और अधिक परिष्कृत प्रोग्रामों (अनुप्रयोगों) की जरुरत होगी जो एक-साथ कार्य कर सकें. इसके लिए सक्षम अनुप्रयोगों का पता लगाने का उपाय त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) अनुप्रयोगों के इंटरप्राइज संस्करण का उपयोग करना है। इसमें एक्सएमपीपी (XMPP), लोटस सेमटाइम, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस कम्यूनिकेटर आदि जैसे शीर्षक शामिल हैं जो अक्सर अन्य इंटरप्राइज अनुप्रयोगों जैसे कि कार्यप्रवाह प्रणालियों के साथ एकीकृत होते हैं। ये इंटरप्राइज अनुप्रयोग या इंटरप्राइज अनुप्रयोग एकीकरण (ईएआई) कुछ सीमाओं अर्थात् एक आम प्रारूप में आंकड़ा संचय करने तक के लिए निर्मित होते हैं। त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) के लिए एक एकीकृत मानक तैयार करने के कई प्रयास किये जा चुके हैं: आईटीएफ का एसआईपी (IETF's SIP) (सेशन इनिसियेशन प्रॉटोकोल) एवं एसआईएमपीएलई (SIMPLE) (एसआईपी (SIP) फॉर इंस्टेंट मेसेजिंग एंड प्रेजेंस लेवरेजिंग एक्सटेंशन्स), एपेक्स (APEX) (ऐप्लीकेशन एक्सचेंज), प्रिम (प्रेजेंस एंड इंस्टेंट मेसेजिंग प्रॉटोकोल), खुले एक्सएमएल (XML) आधारित एक्सएमपीपी (XMPP) (एक्सटेंसिबल मेसेजिंग एंड प्रेजेंस प्रॉटोकोल) एवं ओएमए (OMA's) (ओपेन मोबाइल अलायंस) के आईएमपीएस (IMPS) (इंस्टेंट मेसेजिंग एंड प्रेसेन्स सर्विस) जिसे विशेष रूप से मोबाइल उपकरणों के लिए तैयार किया गया है। प्रमुख आईएम प्रदाताओं (एओएल, याहू एवं माक्रोसॉफ्ट) के लिए एक एकीकृत मानक निर्मित करने के लिए किये गए अधिकांश प्रयास विफल हो चुके हैं और प्रत्येक अपने स्वयं के स्वामित्व वाले प्रॉटोकोल का उपयोग करता रहा है। तथापि, जब आईईटीएफ (IETF) पर चर्चा बंद हो गई, रायटर्स ने सितंबर 2003 में प्रथम अंतर - सेवा प्रदाता संयोजनीयता (कनेक्टिविटी) समझौता पर हस्ताक्षर किये। इस समझौते ने एआईएम (AIM), आईसीक्यू (ICQ) और एमएसएन (MSN) मैसेन्जर के उपयोगकर्ताओं को रायटर मेसेजिंग के अपने समक्ष उपयोगकर्ताओं एवं इसके विपरीत उपयोगकर्ताओं के साथ बातचीत करने में सक्षम बना दिया। इसके बाद, माइक्रोसॉफ्ट, याहू और एओएल (AOL) में एक समझौता हुआ, जिसमें माइक्रोसॉफ्ट के लाइव संचार सर्वर 2005 के उपयोगकर्ताओं के लिए भी सार्वजनिक त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) उपयोगकर्ताओं के साथ बातचीत करने की संभावना होती. इस सौदे ने एसआईपी/एसआइएमपीएलई (SIP/SIMPLE) को प्रॉटोकोल की अन्तरसंक्रियता के एक मानक के रूप में स्थापित किया एवं सार्वजनिकत्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) समूह का उपयोग करने के लिए एक संयोजनीयता (कनेक्टिविटी) शुल्क की स्थापना की। 13 अक्टूबर 2005 को, माइक्रोसॉफ्ट और याहू ने अलग से घोषणा की कि 2006 की तीसरी तिमाही तक वे एसआईपी/एसआइएमपीएलई (SIP/SIMPLE) का उपयोग करते हुए अन्तरसंक्रिय रूप से कार्य करेंगे जिसके बाद दिसंबर 2005 में एओएल (AOL) और गूगल के बीच नीतिगत भागीदारी के लिए सौदा हुआ जहां गूगल टॉक के उपयोगकर्ता एआईएम (AIM) और आईसीक्यू (ICQ) के उपयोगकर्ताओं के साथ बातचीत करने में सक्षम होंगे बशर्ते कि उनका एक एआईएम (AIM) खाता हो। कई भिन्न प्रॉटोकोलों को संयोजित करने के दो तरीके हैं: एक तरीका कई भिन्न प्रॉटोकोलों को आईएम (IM) ग्राहक अनुप्रयोग के भीतर संयोजित करना है। दूसरा तरीका है कई भिन्न प्रॉटोकोलों को आईएम (IM) सर्वर अनुप्रयोग के भीतर संयोजित करना। यह दृष्टिकोण अन्य सेवाओं के साथ संवाद करने के कार्य को सर्वर के पास भेज देता है। ग्राहकों को आईएम प्रॉटोकोलों के बारे में जानने या ध्यान रखने की कोई जरूरत नहीं होती. उदाहरण के लिए, एलसीएस (LCS) 2005 सार्वजनिक आईएम (IM) संयोजनीयता. यह दृष्टिकोण एक्सएमपीपी (XMPP) सर्वरों में लोकप्रिय है; हालांकि, तथाकथित परिवहन परियोजना बंद प्रॉटोकोलों या प्रारूपों वाले किसी अन्य परियोजना के समान ही विपरीत अभियांत्रिकरण की कठिनाईयों को झेलती है। कुछ पद्धतियां संगठनों को सर्वर तक सीमित पहुंच स्थापित करने में सक्षम कर (अक्सर अपने फायरवाल के पूर्ण रूप से पीछे स्थित आईएम नेटवर्क के साथ) अपने स्वयं के निजी त्वरित संदेश प्रेषक (इंस्टेंट मेसेजिंग) नेटवर्क बनाने की अनुमति एवं प्रयोक्ता की अनुमति प्रदान करते हैं। अन्य कॉर्पोरेट संदेश प्रणालियां एक सुरक्षित फायरवाल के अनुकूल एचटीटीपीएस (HTTPS)-आधारित प्रॉटोकोल का उपयोग कर पंजीकृत प्रयोक्ताओं को संस्था के लैन के बाहर से भी संबंध स्थापित करने की अनुमति प्रदान करती हैं। आमतौर पर, एक समर्पित कॉर्पोरेट आईएम सर्वर के कई लाभ होते हैं जैसे कि पहले से भरी हुई संपर्क सूची, समेकित प्रमाणीकरण और बेहतर सुरक्षा एवं गोपनीयता. कुछ नेटवर्कों ने ऐसे बहु-नेटवर्क वाले आईएम ग्राहकों द्वारा उनका उपयोग रोकने के लिए परिवर्तन किये हैं। उदाहरण के लिए, ट्रिलियन को अपने प्रयोक्ताओं को एमएसएन (MSN), एओएल (AOL) और याहू नेटवर्कों तक पहुंच स्थापित करने के लिए इन नेटवर्कों में किये गए परिवर्तनों के बाद कई संशोधनों एवं पैचों का इस्तेमाल करना पड़ा. प्रमुख आईएम प्रदाता आमतौर पर ये परिवर्तन लाने के लिए औपचारिक समझौते की जरूरत के साथ-साथ सुरक्षा संबंधी चिंताओं का कारणों का हवाला देते हैं। स्वामित्व संबंधी प्रोटोकॉल के उपयोग का तात्पर्य यह रहा है कि कई त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग नेटवर्क असंगत रहे हैं और लोग अन्य नेटवर्कों पर मित्रों से संपर्क स्थापित करने में असमर्थ रहे हैं। यह त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) प्रारूप को बहुत महंगा पड़ा है। मोबाइल इंस्टेंट मेसेजिंग मोबाइल त्वरित संदेश प्रेषण (मोबाइल इंस्टेंट मेसेजिंग)(एमआईएम)(MIM) एक प्रौद्योगिकी है जो मानक मोबाइल फोंनों से लेकर स्मार्टफोन (उदाहरण: जो उपकरण आईओएस, ब्लैकबेरी ओएस, सिम्बियन ओएस, एंड्रॉयड ओएस, विन्डोज मोबाइल और अन्य ऑपरेटिंग प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं) तक जैसे किसी सुवाह्य उपकरण से त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) सेवा को ऐक्सेस करने की ति प्रदान करता है। यह दो तरह से किया जाता है: अंतःस्थापित ग्राहक - प्रत्येक विशेष्ट उपकरण के लिए ग्राहक के अनुरूप आईएम तैयार कर ग्राहक रहित प्लेटफार्म - एक ब्राउज़र आधारित अनुप्रयोग जिसके लिए हैंडसेट में किसी सॉफ्टवेयर को डाउनलोड करने की आवश्यकता नहीं होती है और जो किसी भी नेटवर्क के सभी उपयोगकर्ताओं और सभी उपकरणों को उनकी आईएम सेवा से आदर्श रूप में संपर्क स्थापित करने में सक्षम बनाता है। व्यवहार में, ब्राउज़र क्षमताएं समस्याएं पैदा कर सकती हैं। वेब ब्राउज़र में जीमेल के वेबपेज में ही त्वरित संदेश भेजने की क्षमता है जिसका इस्तेमाल किसी वेब ब्राऊजर में आईएम ग्राहक डाउनलोड एवं स्थापित किये बिना किया जा सकता है। बाद में याहू और हॉटमेल ने भी इसे लागू किया। ईबडी (eBuddy) एवं मीबो (Meebo) वेबसाइटें विभिन्न आईएम सेवाओं का त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) प्रदान करती है। आम तौर पर ऐसी सेवाएं पाठ वार्तालाप (टेक्स्ट चैट) तक सीमित रहती हैं, हालांकि जीमेल में वॉयस एवं वीडियो की क्षमताएं भी हैं। अगस्त 2010 से, जीमेल अपने वेब-आधारित आईएम ग्राहक से नियमित फोन पर फोन करने की अनुमति प्रदान करता है। मित्र से मित्र अंतर्जाल (नेटवर्क) मित्र से मित्र अंतर्जाल (नेटवर्क) में त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) किया जा सकता है, जिसमें प्रत्येक नोड मित्र सूची के मित्रों को जोड़ता है। यह मित्रों को मित्र के साथ बातचीत करने एवं उस नेटवर्क पर सभी मित्रों के साथ त्वरित संदेशों के लिए वार्ताकक्ष (चैटरूम) का निर्माण करने की अनुमति प्रदान करता है। त्वरित संदेश (आईएम) भाषा कभी-कभी उपयोगकर्ता बातचीत को तेज करने या कुंजी को दबाने की संख्या को कम करने के लिये इंटरनेट की खास बोली या पाठ्य भाषा का उपयोग करते हैं। यह भाषा सार्वभौमिक बन गई है, जिसमें 'लोल' जैसे प्रसिद्ध कथनों का अनुवाद आमने-सामने की भाषा के रूप में किया जाता है। भावनाओं को अक्सर आशुलिपि में व्यक्त किया जाता है, जैसे कि संक्षिप्त नाम एलओएल (LOL), बीआरबी (BRB) एवं टीटीवाईएल (TTYL) क्रमशः जोर से हंसना, शीघ्र ही लौटेंगे एवं आप से बाद में बात करेंगे). हालांकि, कुछ लोग आईएम पर भावनात्मक अभिव्यक्ति को अधिक शुद्धता से व्यक्त करने की कोशिश करते हैं। सद्य प्रतिक्रियाएं जैसे कि (खुशी से हंसना) (chortle) (खर्राटा) (snort) (ठहाका)(guffaw) या (आंख घुमाना) (eye-roll) अधिक लोकप्रिय होते जा रहे हैं। इसके कुछ मानक हैं जिन्हें मुख्यधारा की बातचीत में शुरू किया जा रहा है जिसमें शामिल हैं '#' जो कथन में व्यंग्य को सूचित करता है और '*' जो वर्तनी की गलती एवं/या पिछले संदेश में व्याकरण में त्रुटि और इसके बाद उसके संशोधन को सूचित करता है। व्यावसायिक अनुप्रयोग त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) वैयक्तिक कंप्यूटर, इ-मेल एवं वर्ल्ड वाइड वेब के समान ही साबित हुआ है क्योंकि व्यावसायिक संवाद माध्यम के रूप में इसके उपयोग का अभिग्रहण प्रमुख रूप से औपचारिक अधिदेश या कॉर्पोरेट सूचना प्रौद्योगिकी विभागों द्वारा प्रावाधानीकरण की अपेक्षा कार्यस्थल पर उपभोक्ता सॉफ्टवेयर का उपयोग करने वाले व्यक्तिगत कर्मचारियों से प्रेरित था। वर्त्तमान में करोड़ों उपभोक्ता आईएम (IM) खातों का इस्तेमाल कंपनियों और अन्य संगठनों के कर्मचारियों द्वारा व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा है। व्यवसायिक-स्तर वाले आईएम (त्वरित संदेश) की मांग एवं सुरक्षा तथा कानूनी अनुपालन के प्रतिक्रयास्वरूप 1998 में लोटस सॉफ्टवेयर के आईबीएम लोटस सेमटाइम शुरू करने के समय "इन्टरप्राइज इंस्टेंट मेसेजिंग ("ईआईएम") ("EIM") नामक एक नए प्रकार के त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) का निर्माण किया गया। इसके शीघ्र बाद ही माइक्रोसॉफ्ट ने इसका उत्तर माइक्रोसॉफ्ट एक्सचेंज त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) के रूप में दिया, बाद में, इसने माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस लाइव कम्युनिकेशन सर्वर तैयार किया, एवं अक्टूबर, 2007 में ऑफिस कम्युनिकेशन सर्वर जारी किया। हाल ही में ओरेकल कार्पोरेशन भी अपने ओरेकल बिहाईव यूनिफाइड कोलैबरेशन सॉफ्टवेयर के साथ बाजार में उतर चुकी है। आईबीएम लोटस और माइक्रोसॉफ्ट दोनों ने अपने ईआईएम (EIM) प्रणालियों एवं कुछ सार्वजनिक आईएम (IM) नेटवर्कों के बीच संघ की शुरूआत की है जिससे कर्मचारी अपनी आंतरिक ईआईएम (EIM) प्रणाली एवं एओएल (AOL), एमएसएन (MSN) तथा याहू (Yahoo) पर अपने संपर्कों, दोनों में एक अंतरफलक का इस्तेमाल कर सकें. वर्तमान प्रमुख ईआईएम (EIM) प्लेटफार्मों में आईबीएम लोटस सेमटाइम, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस कम्युनिकेशन सर्वर, जैब्बर एक्ससीपी एवं सिस्को यूनिफाइड प्रेजेन्स शामिल हैं। इसके अलावा, उद्योग केंद्रित ईआईएम (EIM) प्लेटफॉर्म जैसे कि रायटर्स मेसेजिंग एवं ब्लूमबर्ग मेसेजिंग वित्तीय सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों को वर्धित आईएम क्षमताएं प्रदान करती हैं। संपूर्ण कॉर्पोरेट नेटवर्क में आईटी (IT) से संबंधित संगठनों के नियंत्रण के बाहर आईएम (IM) का अभिग्रहण उन कंपनियों के लिए जोखिम और दायित्व उत्पन्न करता है जो प्रभावी रूप से आईएम (IM) के उपयोग का संचालन एवं समर्थन नहीं करती. इन जोखिमों को कम करने और कर्मचारियों को सुरक्षित, सुनिश्चित, लाभदायक त्वरित संदेश भेजने की क्षमताएं प्रदान करने के लिये कंपनियां विशेष आईएम संग्रह एवं सुरक्षा उत्पाद और सेवाएं लागू करती हैं। उत्पादों की समीक्षा आईएम (IM) उत्पादों को विशेष रूप से दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: इंटरप्राइज इंस्टेंट मेसेजिंग (ईआईएम) एवं उपभोक्ता इंस्टेंट मेसेजिंग (सीआईएम). इंटरप्राइज सॉल्यूशंस एक आंतरिक आईएम सर्वर का उपयोग करते हैं, हालांकि यह हमेशा संभव नहीं होता, विशेष रूप से सीमित बजट वाले छोटे व्यवसायों के लिए। सीआईएम (CIM) का उपयोग करने वाला दूसरा विकल्प, लागू करने पर सस्ता होने का लाभ प्रदान करता है और इसके लिए नए हार्डवेयर या सर्वर सॉफ्टवेयर में निवेश करने की बहुत कम जरूरत होती है। कॉर्पोरेट उपयोग के लिये, सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण आम तौर पर कूटलेखन और वार्तालाप संग्रह को महत्वपूर्ण विशेषताओं के रूप में माना जाता है। कभी-कभी संगठनों में विभिन्न संचालन प्रणालियों 9ऑपरेटिंग सिस्टमों) का उपयोग करने के लिए उस सॉफ्टवेयर का उपयोग करने की मांग होती है जो एक से अधिक प्लेटफॉर्म को सहायता प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, कई सॉफ्टवेयर कंपनियां प्रशासनिक विभागों में विंडोज एक्सपी (XP) का उपयोग करती हैं लेकिन उनके पास सॉफ्टवेयर डेवलपर्स होते हैं जो लिनक्स (Linux) का उपयोग करते हैं। जोखिम और देयताएं हालांकित्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) प्रणाली से कई लाभ प्राप्त होते हैं पर यह कुछ जोखिम और दायित्व का भी वहन करती है, विशेष रूप से जब इसका इस्तेमाल कार्यस्थलों पर किया जाता है। इन जोखिमों और दायित्वों में निम्नलिखित शामिल हैं: सुरक्षा संबंधी जोखिम (उदाहरण: कम्प्यूटरों को स्पाईवेयर, वायरसों, ट्रोजन्स, वर्म्स से संक्रमित करने के लिए आईएम का इस्तेमाल) अनुपालन संबंधी जोखिम अनुचित उपयोग व्यापार संबंधी रहस्य का प्रकटन सुरक्षा संबंधी जोखिम सनकी व्यक्तियों (दुर्भावनापूर्ण "हैकर" या ब्लैक हैट हैकर) ने 2004 से अब तक आईएम नेटवर्कों का उपयोग निरंतर फ़िशिंग संबंधी प्रयास प्रदान करने वाले, "घातक यूआरएल (URLs)", एवं वायरसयुक्त फाइल अनुलग्नक के वाहकों के रूप में किया है जिसमें से 2004-2007 में 1100 से अधिक असतत हमलों को आईएम सुरक्षा केन्द्र द्वारा सूचीबद्ध किया गया है। हैकर्स आईएम के माध्यम से दुर्भावनापूर्ण कोड भेजने के दो तरीके अपनाते हैं: वायरसों, ट्रोजन हॉर्सेज या एक संक्रमित फाईल के साथ स्पाईवेयर का वितरण और "सामाजिक रूप से निर्माण किये गए" पाठ्य का एक वेब पता पर इस्तेमाल करना जो प्राप्तकर्ता को उसे एक ऐसे वेबसाइट से जोड़ने वाले यूआरएल (URL) पर क्लिक करने के लिए प्रलोभित करता है जो ऐसा करने पर दुर्भावनापूर्ण कोड को डाउनलोड करता है। मिसाल के तौर पर वायरस, कंप्यूटर वर्म्स एवं ट्रोजन्स अपने को संक्रमित प्रयोक्ता के बन्धु सूची के माध्यम से तेजी से फैलाकर प्रसारित होते हैं। एक घातक यूआरएल (URL) का इस्तेमाल करते हुये प्रभावी हमला छोटी सी अवधि में ही हजारों लोगों तक पहुंच सकता है जब प्रत्येक व्यक्ति की बन्धु सूची एक विश्वासी मित्र की तरफ से प्रतीत होने वाले संदेश प्राप्त करती है। प्राप्तकर्ता वेब पते पर क्लिक करते हैं और संपूर्ण चक्र फिर से शुरू होता है। संक्रमण उत्पात से लकर अपराधिक तक हो सकते हैं एवं वे प्रति वर्ष अधिक परिष्कृत होते जा रहे हैं। आईएम संपर्क आमतौर पर सामान्य पाठ में होते हैं, जो उन्हें छिप कर सुने जाने के कार्य से आसानी से प्रभावित होने योग्य बना देते हैं। इसके अलावा, आईएम ग्राहक सॉफ़्टवेयर में अक्सर प्रयोक्ता को दुनिया के सामने खुले यूडीपी (UDP) पोर्ट प्रकट करने की आवश्यकता होती है, जिससे संभावित सुरक्षा संबंधी कमजोरियों के खतरे बढ़ जाते हैं। अनुपालन संबंधी जोखिम दुर्भावनापूर्ण कोड संबंधी खतरे के अलावा, कार्यस्थल पर त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) का इस्तेमाल करना कारोबार में इलेक्ट्रॉनिक संचार के उपयोग को नियंत्रित करने वाले कानूनों एवं नियमों का पालन नहीं करने का जोखिम पैदा कर सकता है। अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में ही इलेक्ट्रॉनिक संदेश भेजने एवं रिकॉर्ड प्रतिधारण से संबंधित 10,000 से अधिक कानून और विनियम हैं। इनमें से बेहतर रूप से ज्ञात में शामिल हैं सार्बनिज-ऑक्स्ली अधिनियम, एचआईपीएए (HIPAA) एवं एसईसी (SEC) 17a-3. दिसंबर, 2007 में वित्तीय उद्योग विनियामक प्राधिकरण ("FINRA") की तरफ से वित्तीय सेवा उद्योग की सदस्य कंपनियों को स्पष्टीकरण जारी किया गया था, जिसमें यह नोट किया गया कि "इलेक्ट्रॉनिक संचार", "ईमेल" और "इलेक्ट्रॉनिक पत्राचार" का इस्तेमाल विनिमेयता के अनुसार किया जा सकता है और इसमें त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) एवं पाठ संदेश भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक संदेश प्रेषण के रूप शामिल हो सकते हैं। 1 दिसम्बर 2006 से प्रभावी सिविल प्रक्रिया के संघीय नियमों में परिवर्तन ने इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के लिये एक नई श्रेणी का निर्माण किया जिसके लिए कानूनी कार्यवाही में उद्भेदन के दौरान अनुरोध किया जा सकता था। दुनिया भर के अधिकांश देश भी संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह ही इलेक्ट्रॉनिक संदेश भेजने के उपयोग और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाए रखने को विनियमित करते हैं। कार्यस्थल पर आईएम से संबंधित सबसे आम नियमों में शामिल हैं कानून के तहत सरकार या न्यायिक अनुरोधों को संतुष्ट करने के लिए संग्रहीत व्यवसाय संचार प्रस्तुत करना। कई त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) संचार, व्यवसाय संचार की श्रेणी में आते हैं जिसे संग्रहीत किया जाना चाहिए और जो पुन: प्राप्ति योग्य होनी चाहिए। अनुचित उपयोग सभी प्रकार के संगठनों को अपने कर्मचारियों के द्वारा आईएम के अनुचित उपयोग के दायित्व से अपनी रक्षा करनी चाहिए। त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) की अनौपचारिक, तत्काल और प्रकट रूप से अनाम प्रकृति इसे कार्यस्थल में दुरुपयोग का एक पात्र बनाता है। आईएम के अनुचित प्रयोग का विषय अक्टूबर 2006 में समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ठ की खबर बन गया जब संयुक्त राज्य अमेरिकी कांग्रेस के मार्क फ़ोले ने अपने कांग्रेस के कार्यालय कम्प्यूटर से अवयस्क पूर्व हाऊस पेजेज को यौन प्रकृति वाले अपमानजनक संदेश भेजने की बात स्वीकार करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। मार्क फ़ोले के लोकापवाद से उन्हें मीडिया कवरेज मिला और मुख्य धारा के समाचार पत्रों के लेखों में कार्यस्थलों में आईएम के अनुचित उपयोग की जोखिम संबंधी चेतावनी के बारे में उल्लेख किया गया। अधिकांश देशों में, कर्मचारियों के लिए उत्पीड़न से मुक्त कार्य परिवेश सुनिश्चित कराने की कानूनी जेम्मेदारी निगमों की है। किसी व्यक्ति को परेशान करने के लिए या अनुचित मजाकों या भाषा का प्रसार करने के लिये कंपनी के स्वामित्व वाले कंप्यूटर, नेटवर्क और सॉफ्टवेयर का उपयोग करना, न केवल दोषी व्यक्ति बल्कि नियोक्ता के लिए भी दायित्व का निर्माण करता है। मार्च, 2007 में आईएम संग्रह एवं सुरक्षा प्रदाता एकोनिक्स सिस्टम्स इन्कॉर्पोरेट के द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण ने दर्शाया कि 31% प्रतिक्रियादाताओं को कार्यस्थल पर आईएम से परेशान किया गया था। अब कंपनियां त्वरित संदेश प्रेषण (इंस्टेंट मेसेजिंग) को वर्ल्ड वाइड वेब, ई-मेल और कंपनी की अन्य संपत्तियों के उचित प्रयोग के संबंध में अपनी नीतियों के अभिन्न अंग के रूप में शामिल करती हैं। सुरक्षा और संग्रह 2000 के आरंभिक दशक में, व्यावसायिक संचारों के लिए आईएम के उपयोग का चुनाव करने वाले निगमों द्वारा सामना किये जा रहे जोखिमों एवं दायित्वों से छुटकारा दिलाने के लिए आईटी सुरक्षा प्रदाता का एक नया वर्ग उत्पन्न हुआ। आईएम सुरक्षा प्रदाताओं ने निगम (कॉर्पोरेशन) में आने एवं कॉर्पोरेशन से बाहर जाने वाले यातायात का संग्रह करने, सामग्री स्कैनिंग और सुरक्षा की स्कैनिंग करने के उद्देश्य से कॉर्पोरेट नेटवर्कों में नये उत्पादों को स्थापित किया। ई-मेल शोधन करने वाले वेन्डरों के समान ही, आईएम सुरक्षा प्रदाता उपर्युक्त जोखिमों और दायित्वों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। कार्यस्थल में आईएम के तेजी से अभिग्रहण के साथ, 2000 के दशक के मध्य से आईएम सुरक्षा उत्पादों की मांग बढ़ने लगी। आईडीसी (IDC) के अनुसार, 2007 तक, सुरक्षा सॉफ्टवेयर खरीदने के लिए पसंदीदा प्लेटफॉर्म "कम्प्यूटर उपकरण" बन चुका था, जिसका अनुमान है कि 2008 तक, 80% नेटवर्क सुरक्षा उत्पाद एक उपकरण के माध्यम से वितरित किये जाएंगे. प्रयोक्ता (उपयोगकर्ता) आधार कृपया ध्यान दें कि इस खंड में सूचीबद्ध कई संख्याओं की सीधे तौर पर तुलना नहीं की जा सकती और कुछ कल्पित हैं। जबकि कुछ संख्याएं एक पूर्ण त्वरित संदेश प्रणाली के मालिकों द्वारा दी गई हैं, अन्य वितरित प्रणाली के एक हिस्से के वाणिज्यिक विक्रेता द्वारा प्रदान कराइ गई हैं। कुछ कंपनियों को अपने विज्ञापन की आय बढ़ाने के लिए या भागीदारों, ग्राहकों या उप्भिक्ताओं को आकर्षित करने के लिये अपनी संख्या बढ़ा-चढ़ा कर बताने के लिये प्रेरित किया जा सकता है। महत्वपूर्ण रूप से, कुछ संख्याओं को "सक्रिय" प्रयोक्ताओं (उस गतिविधि के साझा मानक के बिना) की संख्या के रूप में सूचित किया जाता है, कुछ संख्याएं कुल प्रयोक्ता खातों को सूचित करती हैं, जबकि अन्य व्यस्त उपयोग के समय में केवल लॉग ऑन किये हुए प्रयोक्ताओं को ही संकेतित करते हैं। इन्हें भी देखें ऑपरेटर मैसेजिंग माइक्रोब्लॉगिंग चैट रूम इंस्टैंट मेसेजिंग क्लाइंट्स की तुलना इंस्टैंट मेसेजिंग प्रॉटोकॉल की तुलना इंस्टैंट मेसेजिंग प्रबंधक लैन (LAN) मेसेंजर टेक्स्ट मेसेजिंग एकीकृत संचार इंस्टेंट मेसेजिंग ग्राहकों के उपयोग का हिस्सा सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ "ग्लोबल इंस्टैंट मेसेजिंग शेयर बाजार" - सीसी-लाइसेंस शेयर बाजार डेटा. आईएम (IM) और लैन (LAN) मेसेंजर्स आईएम (IM) और लैन (LAN) संदेश सॉफ्टवेयर के सूची इंटरनेट संस्कृति इंटरनेट रिले चैट सामाजिक नेटवर्क सेवाएं त्वरित संदेश ऑन-लाइन चैट वीडियोटेलीफोनी मैसेंजर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%95%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%BF
इराक की संस्कृति
इराक दुनिया के सबसे पुराने सांस्कृतिक इतिहास में से एक है। इराक वह जगह है जहां प्राचीन मेसोपोटामियन सभ्यताओं थे, जिनकी विरासत पुरानी दुनिया की सभ्यताओं को प्रभावित करने और आकार देने के लिए चला गया। सांस्कृतिक रूप से, इराक की एक बहुत समृद्ध विरासत है। देश अपने कवियों के लिए जाना जाता है और इसके चित्रकार और मूर्तिकार अरब दुनिया में सबसे अच्छे हैं, उनमें से कुछ विश्व स्तरीय हैं। इराक रग और कालीन सहित ठीक हस्तशिल्प बनाने के लिए जाना जाता है। इराक का वास्तुकला बगदाद के विशाल महानगर में देखा जाता है, जहां निर्माण ज्यादातर पुरानी इमारतों और यौगिकों के कुछ द्वीपों के साथ, और इराक में हजारों प्राचीन और आधुनिक स्थलों में कहीं और नया है। सिनेमा जबकि 1909 में इराक की पहली फिल्म प्रक्षेपण हुई थी, 1920 के दशक तक सिनेमा को सांस्कृतिक गतिविधि या शगल के रूप में नहीं माना जाता था। बगदाद के हलचल वाले अल-रशीद पर प्रसिद्ध अल-जवाड़ा सिनेमा की तरह पहली सिनेमाघरों ने ब्रिटिश नागरिकों के लिए ज्यादातर अमेरिकी मूक फिल्मों की भूमिका निभाई। इराक के राजा फैसल द्वितीय के शासन के तहत 1940 के दशक में, एक वास्तविक इराकी सिनेमा शुरू हुआ। ब्रिटिश और फ्रेंच फाइनेंसरों द्वारा समर्थित, फिल्म निर्माण कंपनियों ने खुद को बगदाद में स्थापित किया। बगदाद स्टूडियो की स्थापना 1948 में हुई थी, लेकिन जल्द ही अलग हो गया जब अरब और यहूदी संस्थापकों के बीच तनाव बढ़ गया। अधिकांश भाग के लिए, उत्पाद पूरी तरह से वाणिज्यिक, झुकाव रोमांस था जिसमें बहुत सारे गायन और नृत्य अक्सर छोटे गांवों में स्थापित होते थे। साहित्य 1970 के दशक के उत्तरार्ध में, आर्थिक उत्थान की अवधि, इराक के प्रमुख लेखकों को सद्दाम हुसैन की सरकार द्वारा एक अपार्टमेंट और कार प्रदान की गई, और प्रति वर्ष कम से कम एक प्रकाशन की गारंटी दी गई। बदले में, साहित्य से सत्तारूढ़ बाथ पार्टी के लिए समर्थन व्यक्त करने और गैल्वेनाइज करने की उम्मीद थी। ईरान-इराक युद्ध (1980-1988) ने देशभक्ति साहित्य की मांग को बढ़ावा दिया, लेकिन निर्वासन का चयन करने के लिए कई लेखकों को भी धक्का दिया। खेल फ़ुटबॉल इराक का सबसे लोकप्रिय खेल है। जकार्ता, इंडोनेशिया में आयोजित फाइनल में सऊदी अरब को हराकर इराक राष्ट्रीय फुटबॉल टीम 2007 एएफसी एशियाई कप चैंपियंस थी। 2006 में, इराक दो फीफा विश्व कप सेमीफाइनल में दक्षिण कोरिया को पराजित करने के बाद दोहा, कतर में 2006 एशियाई खेलों के फुटबॉल फाइनल में पहुंच गया और आखिरकार रनर-अप के रूप में समाप्त हो गया। ग्रीस के एथेंस में 2004 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में फुटबॉल टूर्नामेंट ने इराक को चौथे स्थान पर देखा, इटली की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम ने एक गोल से कांस्य का दावा किया। भोजन इराकी व्यंजन या मेसोपोटामियन व्यंजनों में सुमेरियन, बाबुलियों, अश्शूरीयों और प्राचीन फारसियों के लिए कुछ वर्षों तक एक लंबा इतिहास रहा है। इराक़ में प्राचीन खंडहरों में पाए गए गोलियां धार्मिक त्यौहारों के दौरान मंदिरों में तैयार व्यंजन दिखाती हैं - दुनिया की पहली कुकबुक। इराक में धर्म इस्लाम गणराज्य में इस्लाम आधिकारिक राज्य धर्म है, लेकिन संविधान धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। इराक इस्लाम, ईसाई धर्म, याजदानवाद, पारिस्थितिकतावाद, शबाकिज्म, यहूदी धर्म, मंडेवाद, बहाई, अहल-ए-हक़-यर्सानिस, इशिकिज्म और कई अन्य धर्मों के साथ एक बहु जातीय और बहु धार्मिक देश है, जिसमें देश में मौजूदगी है। शिया इस्लाम इराक में मुख्य धर्म है, जिसके बाद 60-65% आबादी है, जबकि सुन्नी इस्लाम के बाद 32-37% लोग हैं। पूरे इराक में कई शहर शिया और सुन्नी मुस्लिम दोनों के लिए ऐतिहासिक महत्त्व के क्षेत्र हैं, जिनमें नजाफ, करबाला, बगदाद और समारा शामिल हैं। संदर्भ इराक़ की संस्कृति
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A5%8D%E0%A4%AF%20%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE
मुख्य अनुक्रम
मुख्य अनुक्रम या मेन सीक्वॅन्स एक तारों की श्रेणी है। हज़ारों-लाखों तारों के अध्ययन के बाद देखा गया है के बहुत से छोटे आकार के तारों में तारे के रंग और उसकी निरपेक्ष कान्तिमान (यानि मूल चमक) में गहरा सम्बन्ध होता है। इन तारों की चमक जितनी ज़्यादा हो वे उतने ही नीले नज़र आते हैं और चमक जितनी कम हो वे उतने ही लाल नज़र आते हैं। ऐसे तारों को मुख्य अनुक्रम तारे या बौने तारे कहा जाता है। इन्हें भी देखें तारे तारों की श्रेणियाँ तारे खगोलशास्त्र हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%89%E0%A4%A5%20%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%9B
स्लॉथ रीछ
स्लॉथ रीछ () या स्लॉथ भालू, जिसे केवल रीछ या संस्कृत में ऋक्ष भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप में मिलने वाली एक भालू की जाति है। इसका वैज्ञानिक नाम मेलर्सस अरसिनस (Melursus ursinus) है। यह रीछ चींटीभक्षी है और फल, चींटी और दीमक का आहार करता है। वनों में इसके पर्यावास क्षेत्रों को हानि पहुँचने के कारण इस जाति को इसे आईयूसीएन लाल सूची में असुरक्षित श्रेणी में डाला गया है। उपजातियाँ स्लॉथ रीछ की दो ज्ञात उपजातियाँ हैं - भारतीय स्लॉथ रीछ और श्री लंकाई स्लॉथ रीछ। भारतीय स्लॉथ रीछ का आकार और बालों की लम्बाई श्री लंकाई स्लॉथ रीछ से अधिक होती हैं। इन्हें भी देखें भालू सन्दर्भ भालू भारत के स्तनधारी नेपाल के स्तनधारी श्रीलंका के स्तनधारी चींटीभक्षी स्तनधारी
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%89%E0%A4%A1%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%95
गॉडस्मैक
गॉडस्मैक लॉरेंस, मैसाचुसेट्स में 1995 में गठित एक अमेरिकी रॉक बैंड है। इस बैंड में उसके संस्थापक, प्रस्तुतकर्ता और गीतकार सुली इरना, गिटारवादक टोनी रोम्बोला, बासिस्ट रोबी मेरिल और ड्रमर शान्नोन लारकिन शामिल हैं। अपने गठन के बाद से गॉडस्मैक ने पांच स्टूडियो एल्बम, एक ईपी, चार डीवीडी तथा एक ग्रेटेस्ट हिट कलेक्शन जारी किये हैं। इस बैंड के तीन एल्बम (फेसलेस, IV तथा दी ओरेकल) बिलबोर्ड 200 पर लगातार नम्बर 1 एल्बम रहे हैं। इस बैंड के 15 ट़ॉप फाइव सहित 18 गाने टॉप टेन रॉक रेडियो हिट रहे हैं। पिछले एक दशक में गॉडस्मैक संसार भर में 19 मिलियन रिकॉर्ड बेच कर संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वाधिक लोकप्रिय हार्ड रॉक बैंड्स में से एक है। अपनी स्थापना के बाद से गॉडस्मैक ने एक से अधिक बार ओजफेस्ट पर दौरा किया और अपने एल्बम के प्रोत्साहन के लिए दौरों सहित कई अन्य दौरों तथा उत्सवों पर बड़ी-बड़ी यात्राएं कीं. 2009 की गर्मियों में गॉडस्मैक ने मोटली क्रू के 'क्रू फेस्ट 2 ' के प्रोत्साहन हेतु दौरा किया। इतिहास गठन और प्रारंभिक कार्य (1995-1997) अब बंद हो चुके बैंड 'स्ट्रिप माइंड' सहित 23 वर्ष से अधिक तक ड्रम बजाने के बाद फरवरी 1995 में सुली इरना ने मुख्य गायक के रूप में एक नया बैंड शुरू करने का फैसला किया। नए बैंड 'दी स्कैम' में गायक इरना, बासवादक रोबी मेरिल, स्थानीय गिटारवादक दोस्त ली रिचर्ड्स और ड्रमवादक टॉमी स्टीवर्ट थे। प्रदर्शन के लिए एक रिकॉर्डिंग करने के बाद 'दी स्कैम' ने अपना नाम बदल कर गॉडस्मैक रख लिया। नवगठित बैंड ने अपने गृहनगर, बोस्टन, मास में 'स्मॉल बार' बजाना शुरू कर दिया. 'कीप अवे' तथा 'वॉटएवर' जैसे स्थानीय रूप से लोकप्रिय गानों ने उन्हें जल्दी ही बोस्टन और न्यू इंग्लैण्ड एरिया में हिट सूची के टॉप पर ला दिया. मेरिल के अनुसार स्मैक दिस !' डीवीडी में बैंड का नाम एलिस इन चेन के गीत 'गॉड स्मैक' से लिया गया था। हालांकि इरना ने 1999 में एक साक्षात्कार में कहा कि "मैं किसी व्यक्ति, जिसके होंठ पर घाव था, का मजाक बना रहा था। अगले दिन वैसा ही घाव मेरे होंठ पर हो गया। तब किसी ने कहा कि भगवान (गॉड) ने मजाक में आपके चेहरे का चुंबन (स्मैक) लिया था। तब से ही उन्होंने गॉडस्मैक नाम को अपना लिया। हम 'ऐलिस इन चेन' के गीत के बारे में जानते थे लेकिन वास्तव में हमने इसके बारे में अधिक नहीं सोचा। यह एक अच्छा गाना है और इसका नाम हमारे लिये मायने रखता है। 1966 में अपने छः वर्षीय बच्चे के कारण रिचर्ड के छोड़ जाने पर टोनी रोम्बोला गिटारवादक के रूप में और जो डी'आरको ड्रमवादक के रूप में शामिल हुए. स्टीवर्ट ने व्यक्तिगत मतभेदों के कारण बैंड छोड़ दिया. उसी वर्ष बैंड ने '''ऑल वाउंड अप ' नामक सीडी की रिकॉर्डिंग करके स्टूडियो में प्रवेश किया। यह सीडी सिर्फ तीन दिन में $ 2600 में ही रिकॉर्ड हो गई थी। अगले दो वर्षों में बैंड ने बोस्टन के पूरे क्षेत्र में प्रदर्शन किये. अंततः गॉडस्मैक की सीडी बोस्टन के रेडियो स्टेशन डब्लूएएएफ (एफएम) के रात्रिकालीन डीजे रोक्को के हाथ पड़ गई। रेडियो स्टेशन ने गीत 'कीप अवे' को बार बार बजाया जिससे यह गीत इस रेडियो स्टेशन पर पहले स्थान पर आ गया। न्यू इंग्लैंड की एक रिकॉर्ड्स की दुकान श्रृंखला, न्यूबरी कॉमिक्स ने भेजे जाने पर सीडी बेचने के लिए सहमति दे दी. 'कीप अवे की सफलता के बाद गॉडस्मैक ने स्टूडियो जाकर 'वॉट एवर' नाम की सीडी रिकॉर्ड की जो स्थानीय डब्लूएएएफ (एफएम) पर बहुत लोकप्रिय हूई. एक साक्षात्कार में सुली इरना ने कहा कि डब्लूएएएफ द्वारा हमारा एल्बम लिये जाने के समय हम 50 प्रतियाँ प्रति माह बेच रहे थे। अचानक हम एक हजार रिकॉर्ड प्रति सप्ताह पर पहुँच गये। यह पागलपन था। एकदम दीवानापन, मैं यह सब अपने बेडरूम से कर रहा था। वर्षों तक पिसने के बाद आखिर हमारा भाग्य चल निकला था। गॉडस्मैक (1998-99) 1998 की गर्मियों में यूनिवर्सल / रिपब्लिक रिकॉर्ड्स ने इस बैंड को अनुबंधित किया। सुली ने जो डी'आरको को निजी कारणों से बैंड से बर्खास्त कर दिया और उसकी जगह पहले काम कर चुके टॉमी स्टीवर्ट को, फिर से बैंड में शामिल होने की इच्छा जताने पर वापस ले लिया। बैंड की पहली स्टूडियो रिकॉर्डिंग ऑल वाउंड अप ' पर पुनः काम किया गया। बैंड के अपने नाम वाली तैयार सीडी छः महीने बाद रिलीज हुई जिसने बैंड के पहले प्रमुख दौरे 'दी वूडू टूर' का रास्ता खोला. सीडी रिलीज के बाद बैंड ने सड़कों पर क्लब शो करने के साथ-साथ ओजफेस्ट तथा वुडस्टॉक '99' में भी बजाया और लोकप्रिय हुआ। इसके बाद ब्लैक सब्बाथ के समर्थन में यूरोप का दौरा किया। आलम्यूजिक के रोक्सेन ब्लेनफोर्ड ने इस बैंड को पाँच में से तीन स्टार देते हुए कहा कि गॉडस्मैक विश्वास के साथ रॉक संगीत को मेटल से तकनीकी युग में ले आये हैं। बिलबोर्ड 200 पर बाईसवें स्थान पर आने वाला बैंड का यह पहला एल्बम था जिसे आरम्भ में 1999 में स्वर्ण प्रमाण-पत्र तथा 2001 में आरआईएए द्वारा 4एक्स प्रमाण-पत्र दिया गया। गीत के बोलों में बार-बार कसमों का उल्लेख विवाद का कारण भी बना. अपने बेटे के पास उपलब्ध एल्बम को सुनने के बाद अमेरिका में एक पिता ने एल्बम बेचने वाली कंपनी वॉलमार्ट को शिकायत की कि गीत के बोल अपमानजनक थे। वॉल मार्ट और केमार्ट ने एल्बम को अलमारियों से बाहर निकाल दिया. इसके बाद बैंड ने एल्बम में अभिभावकीय सलाह का एक स्टिकर लगाया. कुछ दुकानों ने एल्बम की संशोधित प्रतियाँ भेजने के लिए कहा. इस स्थिति पर पत्रिका रॉलिंग स्टोन में टिप्पणी करते हुए इरना ने कहा "हमारा रिकॉर्ड बाजार में एक वर्ष से अधिक समय से अभिभावकीय सलाह के स्टीकर के बिना मौजूद है और केवल यही पहली शिकायत आई है। स्टिकर और गीत के बोल स्वभाव से व्यक्तिपरक हैं। हमने रिकॉर्ड पर एक स्टिकर लगाने का फैसला किया है". इस विवाद से एल्बम की बिक्री को नुकसान नहीं हुआ बल्कि इरना के अनुसार इसके कारण बच्चों में यह देखने की उत्सुकता जागी कि वे जाकर रिकॉर्ड खरीदें और देखें कि हमने उस पर क्या लिखा है। अवेक (2000-02) गॉडस्मैक ' की मल्टी-प्लैटिनम सफलता के बाद वर्ष 2000 में '''अवेक ' की रिकॉर्डिंग शुरू करने के लिये गॉडस्मैक स्टूडियो में लौटे. एल्बम 31 अक्टूबर 2000 को जारी किया गया। यह एल्बम बिलबोर्ड 200 पर पहली बार पाँचवें स्थान पर रहा तथा इसे आरआईएए ने 2एक्स प्लैटिनम प्रमाणित किया। एल्बम के एक गीत "वैम्पायर्स" ने 2002 में बैंड के लिए सर्वश्रेष्ठ रॉक इन्स्ट्रूमेंटल प्रदर्शन का ग्रेमी नामांकन भी अर्जित किया। "अवेक " की रिलीज के साथ ही गॉडस्मैक ने 'लिम्प बिजकिट' के प्रोत्साहन हेतु यूरोप का दौरा किया। इस समय इरना ने कहा, "हम अगस्त 1998 से लगातार दौरे कर रहे हैं। जब हम बैंड को बनाने के लिए अमेरिका और यूरोप के बीच आ-जा रहे थे, तब अवेक ' के बोल दौरे पर ही लिखे गये थे। वास्तव में "ओजफेस्ट" एकमात्र बड़ा दौरा था जब हम किसी और के पंखों पर सवार थे, हमने दौरे पर काफी काम स्वयं किया था". बैंड ने 1999 की तरह दुबारा 'ओजफेस्ट 2000 ' में भाग लिया। एल्बम के दो गानों ("सिक ऑफ लाइफ" तथा "अवेक") का संयुक्त राज्य अमेरिका में सैन्य विज्ञापनों में पार्श्व संगीत के रूप में इस्तेमाल किया गया। इरना ने कहा, "सेना में कोई हमारा प्रशंसक है क्योंकि उन्होंने हमारे संगीत को इस्तेमाल करने की अनुमति माँगी और हमने स्वीकार कर लिया। हालांकि, इरना के अनुसार गॉडस्मैक किसी भी युद्ध का समर्थन नहीं करता है। इरना का कहना है, 'गॉडस्मैक ने कभी भी किसी भी देश के लिए युद्ध का समर्थन नहीं किया है, न ही किसी सरकार के फैसले का समर्थन किया है। हम क्यों कभी दूसरों के कारोबार में दखलंदाजी करेंगे. हम हमारे सैनिकों का समर्थन करते हैं। और उन महिलाओं और पुरुषों का जो हमारे देश के लिए लड़ने जाते हैं तथा हमारे जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा रक्षा करते हैं। सुली ने एक साक्षात्कार में कहा है कि उनके पहले एल्बम गॉडस्मैक पर वही लड़की है जो "दी ग्रीड" म्यूजिक वीडियो में है। फेसलेस तथा दी अदर साइड (2002-05) 2002 में इरना से " दी स्कोर्पियन किंग " के लिये गीत लिखने और प्रदर्शन करने को कहा गया। यह चलचित्र दी ममी गाथा श्रृंखला की तीसरी कड़ी था। गॉडस्मैक ने जो गीत लिखा और प्रदर्शित किया उसका शीर्षक था "आई स्टैंड अलोन". यह गीत रॉक रेडियो पर पहले स्थान पर आया तथा यह 2002 में 14 सप्ताह तक लगातार सक्रिय रॉक गीत बना रहा. इसे खेल में भी इस्तेमाल किया गया था।Prince of Persia: Warrior Within टॉमी स्टीवर्ट के निजी कारणों से दुबारा चले जाने पर उनकी जगह शान्नोन लारकिन (पूर्व में अग्ली किड जो, सोल्स एट जीरो, रैथचाइल्ड अमेरिका तथा एमएफ पिटबुल्स) ने ले ली और इसके बाद 2003 में रिलीज होने वाले नये एल्बम को रिकॉर्ड करने के लिये गॉडस्मैक वापस स्टूडियो पहुंचे। "फेसलेस ", प्रथम सप्ताह में 269000 प्रतियों की बिक्री के साथ बिलबोर्ड 200 पर पहले स्थान पर रहा और पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में एल्बम की दस लाख से अधिक प्रतियाँ बिक गई। बिलबोर्ड 200 पर दूसरे स्थान पर रहे अपने दूसरे स्टूडियो एल्बम "मीटिओरा " की रिलीज के साथ "फेसलेस " वेस्ट कोस्ट के न्यू मेटल प्रतिद्वंद्वी लिंकिन पार्क को पराजित करने में सफल हुआ। "फेसलेस " शीर्ष कनाडाई एल्बमों में भी नौवें स्थान पर तथा शीर्ष इंटरनेट एल्बम्स में पहले स्थान पर रहा. इसके बाद "मेटालिका" के प्रोत्साहन के लिए अमेरिका और यूरोप का बड़े पैमाने पर दौरा किया गया। प्रमुख एकल गीत "स्ट्रेट आउट ऑफ लाईन" ने सर्वश्रेष्ठ हार्ड रॉक प्रदर्शन के लिए एक ग्रेमी पुरस्कार नामांकन प्राप्त किया। यह पुरस्कार इवानेसेन्स के एकल गीत "ब्रिंग मी टू लाइफ" को मिला. एल्बम को यह नाम स्विमिंग पूल की एक घटना के बाद मिला, जैसा कि लारकिन ने बताया, "सुली और मैं एक और छलांग लगाने के लिए खड़े थे, हम दोनों बिलकुल नग्न थे, जैसे ही मैंने बाईं ओर देखा वहाँ एक महिला ने अभी-अभी पर्दा हटाया था और उसका मुँह खुला का खुला रह गया था". इरना ने आगे जोड़ा, "वह बस जाग कर उठ ही रही थी, हम भागे, मुँह से निकला 'क्षमा करें' और फिर धड़ाम की आवाज के साथ पूल में...." आगे की बात जो हम जानते हैं वह यह है कि पुलिस दरवाजा पीट रही हैं और यही इस रिकॉर्ड को "फेसलेस " बुलाने का कारण है". हालांकि बाद में एक साक्षात्कार में मेरिल ने दूसरी ही बात कही जिससे इस एल्बम के शीर्षक की प्राप्ति के संबंध में अस्पष्टता और भी बढ़ गयी। उन्होंने कहा, ' यह बैंड की इस भावना से मिला कि हमारी रेडियो और बिक्री की सफलता के बावजूद हम अपने लक्ष्य से पीछे ही चल रहे हैं'. 16 मार्च 2004 को ध्वनिक (एकाउस्टिक) ईपी "दी अदर साईड " जारी किया गया। यह एल्बम बिलबोर्ड 200 पर पाँचवें स्थान पर रहा जो कि एक ध्वनिक ईपी के लिये अपेक्षाकृत ऊँचा स्थान है। इसमें तीन नये ध्वनिक गीतों के साथ पूर्व में जारी अनेक गीतों को ध्वनिक संस्करण में पुनः रिकॉर्ड करके शामिल किया गया था। नये गीतों में से एक, पूर्व गिटारवादक ली रिचर्ड्स तथा अब बंद हो चुके बैंड ड्रोफोक्स के जॉन कोस्को द्वारा तैयार किया हुआ गीत "टच" था। अन्य दो ध्वनिक गीत "रनिंग ब्लाइंड" और "वॉइसेज" थे। गीत "एस्लीप" बैंड के दूसरे एल्बम "अवेक" के गीत "अवेक " का ही ध्वनिक संस्करण है। इस ईपी में गॉडस्मैक ने अपनी भारी आवाज को अधिक मधुर ध्वनिक आवाज में ठीक उसी तरह परिवर्तित कर दिया जैसा एलिस इन चेन्स ने "सैप " तथा "जार ऑफ फाइल्स " ईपी में किया था। 'एलिस इन चेन्स' के साथ अन्य कई समानतायें भी थी जिनके लिये बैंड की आलोचना की गई। 2004 में गॉडस्मैक ने मेटालिका के "मैडले इन एंगर विद दी वर्ल्ड टूर" को स्वीकार कर लिया और ड्रोफोक्स के साथ दौरे पर निकल गये। बाद में 2004 की शरद ऋतु में बैंड ने दी अदर साइड के प्रोत्साहन के लिये अनेक शो किये तथा मेटालिका के लिए भी प्रदर्शन करते रहे. "IV " तथा गॉडस्मैक के दस वर्ष (2006-07) 25 अप्रैल 2006 को गॉडस्मैक ने "IV" शीर्षक से अपना चौथा स्टूडियो एल्बम जारी किया और उसके बाद "दी IV टूर" नामक अगस्त 2007 तक चलने वाले एक टूर को किया। इस एल्बम का निर्माण इरना द्वारा किया गया तथा लेड जेप्पेलिन के "लेड जेप्पेलिन IV " की इंजीनियरिंग के लिए जाने जाने वाले सुप्रसिद्ध निर्माता एवं इंजीनियर एंडी जोन्स द्वारा इनकी इंजीनियरिंग की गयी। एल्बम "स्पीक" का पहला एकल गीत 14 फ़रवरी 2006 को जारी किया गया। पहले सप्ताह में ही 211000 प्रतियो की बिक्री के साथ यह एल्बम बिलबोर्ड 200 पर पहले स्थान पर रहा. "IV " को अब तक स्वर्ण प्रमाणित किया जा चुका है। बैंड ने एल्बम के लिये चालीस से अधिक गीत लिखे थे लेकिन अंतिम ट्रैक लिस्टिंग में ग्यारह गीत ही थे। लारकिन ने टिप्पणी की, "यह सुली का बैंड तथा उन्हीं की दूरदर्षिता है। उन्होंने सारे संगीत में से जाँच-परख कर उन्हीं गीतों को चुना जिन्हें वे एल्बम में लेना चाहते थे। हम सब ने कहा 'ठीक है'. उनकी दूरदृष्टि गॉडस्मैक की प्रत्येक गतिविधि पर थी, कलाकृति से निर्माण से अभियांत्रकी से स्टूडियो से हमारे द्वारा किये गये टीवी शो तक. सब कुछ उनकी दृष्टि में था। सभी कुछ. जब गीत चुनने की बात आती तो निर्णय सुली ही करते हैं". एल्बम का इस छोटे नाम "IV" को न सिर्फ इसके बैंड का चौथा एल्बम होने के कारण, बल्कि लारकिन और इरना द्वारा सुनाई गई स्टेज के पीछे चलने वाले परिहास से भी निकला हैः एक बैंड के रूप में दस साल पूरे करने का जश्न मनाने के लिये गॉडस्मैक ने "गुड टाइम्स, बैड टाइम्स " शीर्षक से एक सबसे बड़ा हिट एल्बम जारी किया।गॉडस्मैक के दस वर्ष 4 दिसम्बर 2007 को पूरे हुए. एल्बम रिलीज के पहले सप्ताह में 40000 प्रतियाँ बिकीं तथा यह बिलबोर्ड 200 पर पैंतीसवें स्थान पर रहा. इसमें लेड जेप्पेलिन के गीत "गुड टाइम्स, बैड टाइम्स" के आवरण के साथ-साथ गॉडस्मैक द्वारा लास वेगास के हाउस ऑफ ब्लूज में किये प्रदर्शन की डीवीडी शामिल है। एल्बम को मूल रूप से एक डिब्बे के सेट में जारी किया जाना था लेकिन बैंड ने वह योजना रद्द करदी. अतः सर्वश्रेष्ठ गीतों का एल्बम जारी किया जा सका. एल्बम रिलीज के बाद गॉडस्मैक ने एक ध्वनिक संगीत का दौरा किया। सर्वाधिक हिट गीतों का एल्बम जारी करने के बाद कुछ समय आराम किये जाने की अफवाहों के बावजूद इरना को यह कहते हुए उद्धृत किया गया, "हम दूर नहीं जा रहे हैं, हम सिर्फ एक ब्रेक लेने वाले है और हमारे 10वें वर्ष का आनंद ले रहे हैं और हमारी ऊर्जा को रिचार्ज कर रहे हैं। और तब गॉडस्मैक पहले से अधिक धूमधाम के साथ वापस आएंगे. दी ओरेकल (2010-वर्तमान) नवंबर 2008 में लारकिन ने घोषणा की कि बैंड सुधार करेगा और एक नए एल्बम की रिकॉर्डिंग करेगा. आने वाली गर्मियों में बैंड ने मोटली क्रू के "क्रू फेस्ट 2 टूर" के प्रोत्साहन में दौरा किया तथा एल्बम-रहित एकल गीत "व्हिस्की हैंगोवर" रिलीज किया। दौरे के बाद गॉडस्मैक ने अपने नए एल्बम का निर्माण शुरू कर दिया. "दी ओरेकल " शीर्षक वाला एल्बम 4 मई 2010 को जारी किया गया। गॉडस्मैक के तीसरे सीधे पूर्ण लम्बाई वाले स्टूडियो एल्बम "दी ओरेकल " का लोकप्रिय स्वागत हुआ और पहले ही सप्ताह में इसकी 117000 प्रतियाँ बिक गईं. अपने पहले पदार्पण पर यह प्रथम स्थान पर रहा. पूर्व के ध्वनि एल्बम के बारे में इरना का यह कहना था - "मेरा मतलब है, यह बहुत आक्रामक है। मैं पूरे यकीन से नहीं कह सकती क्योंकि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी. अभी तो हम ने इन गर्मियों में होने वाले क्रू फेस्ट के लिए सिर्फ एक गीत की रिकॉर्डिंग का कार्य पूर्ण किया है। लेकिन जहाँ तक पूरे रिकार्ड का प्रश्न है, मुझे लगता है कि यह काफी कुछ आपकी आशा के अनुरूप होगा. मुझे नहीं लगता कि इस बार "वूडूज" या "सेरेनिटी" को दोहराया जायेगा. हमने पूरी क्षमता से काम करने का फैसला किया है". बैंड अपने नए एल्बम के प्रोत्साहन में अगस्त 2010 में दौरा शुरू करने को तैयार है। प्रभाव और शैली इरना, लारकिन और रोम्बोला के अनुसार एलिस इन चेन्स, ब्लैक सब्बाथ, लेड जेप्पेलिऩ एयरोस्मिथ, जुडास प्रीस्ट, पैन्टेरा, मेटालिका तथा रश से बैंड सर्वाधिक प्रभावित हुआ है। इरना का मानना है कि वे स्टेली से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। Subvulture.com के अनुसार एलिस इन चेन्स के एल्बम "डर्ट " की ध्वनि तथा इस बैंड के पहले दो एल्बमों की समग्र ध्वनि समान हैं। अभी हाल ही में गॉडस्मैक ने एलिस इन चेन्स से दूरी बनाये रखने का प्रयास किया जब मैट अशारे के साथ एक साक्षात्कार में इरना ने कहा कि उन्होंने अपने संगीत के बारे में ऐसा कभी नहीं सुना है। रॉलिंग स्टोन पत्रिका ने बैंड को 'हार्ड एज नेल्स' तथा 'क्रैंक्ड टू इलेवन' बताया तो ऑल्टरनेटिव प्रेस ने बैंड के मंथन और जाज ओस्टिनाटो चालित भारी, पुराने तथा वर्तमान सभी प्रकार के संगीत के मिश्रण की प्रशंसा की. बैंड के संगीत की प्रायः एलिस इन चेन्स के संगीत से तुलना की जाती है जिससे यह बैंड काफी प्रभावित रहा है। पॉपमैटर्स के एड्रियन बेग्रांड कहते हैं "इरना स्वर्गीय लेन स्टेली की धीमी, कण्ठस्थ, भयावह गायन और कर्कश मेटल-प्रेरित गुर्राहट की पूरी नकल कर लेती हैं। इरना की आवाज मेटालिका के जेम्स हेटफील्ड की याद दिलाती है तथा बैंड का संगीत जेरी कैंटेल के चर्निंग, निचले सुर वाले हार्ड रॉक की हूबहू पुनर्प्रस्तुति है". Amazon.com की कैथरीन टरमन का कहना है कि बैंड का संगीत गहरा, चक्करदार और अधिकारपूर्ण है। उन्होंने बैंड के तीसरे एल्बम "फेसलेस " पर भी टिप्पणी करते हुए कहा, "एलिस इन चेन के संगीत में एरिना रॉक का मिश्रण किया गया है तथा जाज-ओस्टिनाटो की भारी, स्तरित धुनें और तीखे, आत्मविश्वासपूर्ण, धांसू बोल हैं। ऐसा कहा जाता है कि इरना की गायन शैली "जेम्स हेटफील्ड की गुर्राहट" जैसी और "डार्क हारमोनी से बनी है जो एलिस इन चेन्स के समान लगती है". मेरिल की बास शैली बुलडोजर के तले और यदा-कदा स्लैप-बास की प्रतिध्वनि जैसी वर्णित की गई है। लारकिन की ड्रम बजाने की शैली "नील पिअर्ट और जॉन बोनहैम की दो जुड़वाँ वेदी यों पर एक साथ पूजा" जैसी मानी जाती है। और रोम्बोला की गिटार बजाने की शैली की "गिटार जिससे तबले की आवाज आती है" कह कर प्रशंसा की जाती है". बैंड के सदस्य मौजूदा सुली एर्ना: लीड वोकल्स, रिदम गिटार, कीबोर्ड्स, ड्रम्स, पर्कशन, हारमोनिका (1995-वर्तमान) टोनी रोम्बोला: प्रमुख गिटारवादक, सहायक गायक (1997-वर्तमान) रोबी मेरिल: बास गिटार, (1996-वर्तमान) शान्नोन लारकिन: ड्रम्स, पर्कशन (2002-वर्तमान) नोट: इरना ने बैंड के पहले एल्बम 'गॉडस्मैक' में ड्रम बजाया था और कभी कभी लारकिन के साथ लाइव शोज में भी ड्रम बजाते थे। फॉर्मर (भूतपूर्व) ली रिचर्ड्स: गिटार्स (1996-1997) जो डरको:ड्रम्स (1996-1997) टॉमी स्टीवर्ट: ड्रम्स (1997-2002) डिस्कोग्राफी 1998: गॉडस्मैक 2000: अवेक 2003: फेसलेस 2004: दी अदर साइड 2006: फोर्थ 2010: दी ओरक्ले पुरस्कार नामांकन (एवार्ड नॉमिनेशंस) ग्रैमी एवार्ड्स गॉडस्मैक को चार ग्रेमी एवार्ड्स के लिए नॉमिनेट किया गया इन्हें भी देंखे उन कलाकारों की सूची जो यू.एस. मैनस्ट्रीम रॉक चार्ट के नंबर एक पर पहुँचे सन्दर्भ एक्सटर्नल लिंक्स (बाह्य कड़ियाँ) Official Website Billboard.com पर Godsmack 1990 दशक के म्यूज़िक ग्रुप्स 2000 दशक के म्यूज़िक ग्रुप्स 2010 के दशक के म्यूज़िक ग्रुप्स अमेरिकी आल्टरनेटिव मेटल म्यूज़िकल ग्रुप्स अमेरिकी हार्ड रॉक म्यूज़िकल ग्रुप्स हेवी मेटल म्यूज़िकल ग्रुप्स फ्रॉम मैसाचुसेट्स 1996 में स्थापित म्यूज़िक ग्रुप्स अमेरिकन पोस्ट-ग्रंज म्यूज़िकल ग्रुप्स म्यूजिकल क्वारटेट्स लॉरेंस, मैसाचुसेट्स के लोग गूगल परियोजना
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%85%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%82%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%9A%E0%A5%80
भारतीय अचारों की सूची
भारत में अनेकों फलों से अचार बनाये जाते हैं। इसमें से आम, नीबू, और आँवला के अचार सबसे सामान्य हैं। अन्य अचार- कटहल का अचार लहसुन का अचार अमड़ा का अचार पका आम का अचार पपीता का अचार मूली का अचार गाजर का अचार ओल का अचार अचार आँवला का अचार प्रस्तावना आँवला एक फल देने वाला वृक्ष है। यह करीब २० फीट से २५ फुट तक लंबा झारीय पौधा होता है। यह एशिया के अलावा यूरोप और अफ्रीका में भी पाया जाता है। हिमालयी क्षेत्र और प्राद्वीपीय भारत में आंवला के पौधे बहुतायत मिलते हैं। इसके फूल घंटे की तरह होते हैं। इसके फल सामान्यरूप से छोटे होते हैं, लेकिन प्रसंस्कृत पौधे में थोड़े बड़े फल लगते हैं। इसके फल हरे, चिकने और गुदेदार होते हैं। स्वाद में इनके फल कसाय होते हैं। बाजार मे उपलब्ध होने वाले विभिन्न खाद्य पदार्थ के कारण मनुष्य की पसंदगी बढने लगी है। मनुष्य भोजन मे सब्जी के अलावा अचार का सेवन पसंद करता है। मौसम के अनुसार उपलब्ध होने वाले फलों तथा विभिन्न फल–सब्जियों से अचार बनाए जाने लगे है। उदा: आम, नीबू, इमली, मिर्ची, आवलें का अचार इत्यादि। अचार हेतु आवश्यक सामाग्री 1 किलो आँवला 250 ग्राम तेल 100 ग्राम सरसो की दाल 100 ग्राम लाल तीखा मिर्च पाउडर 50 ग्राम हल्दी पाउडर 4 चम्मच अजवाइन 4 चम्मच जीरा 4 चम्मच सौफ पाउडर 500 ग्राम सैधा नमक। अचार बनाने की विधी अचार के लिये अच्छी किस्म के आंवले लीजिये। आंवले को साफ पानी से धोइये। किसी बर्तन में आंवले डाल दीजिये और 1/2 कप पानी डाल दीजिये, उबाल आने के बाद, धीमी गैस पर इतने नरम होने तक पकने दीजिये जब तक इनकी फाके सिक जाए फिर गैस बन्द कर दीजिये। आंवले से पानी हटा दीजिये, ठंडा होने के बाद उनके फाकें अलग कर लीजिये, गुठली निकाल कर अलग कर दीजिये। कढ़ाई में तेल डाल कर गरम कीजिये। तेल जब अच्छी तरह गरम हो जाय तो गैस बन्द कर दीजिये। पीसी हुयी सरसो,हींग और अजवायन डाल दीजिये। 1-2 बार चमचे से चला कर भूनिये, हल्दी पाउडर, सोंफ पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, सरसों ओर नमक डाल कर मसाले को चमचे से मिला दीजिये, इस मसाले में आंवले डालिये। मसाला और आंवले अच्छी तरह मिलाकर सतेल गर्म करके हल्का ठंडा करके सभी को अच्छे से मिलाएँ और काँच के कंटेनर मे रख दें। 15-से 20 दिन मे आंवले का अचार तैयार हो जाएगा। 3-4 दिन तक हर रोज आंवले के अचार को साफ और सूखे चमचे से ऊपर नीचे कर दें। आंवले के अचार को आप पहले दिन से ही खा सकते हैं, लेकिन चार दिन में सारे मसाले आंवले के अन्दर तक चले जायेंगे, मसालों का स्वाद भी बढ़ जायेगा। अचार अधिक स्वादिष्ट लगेगा। अचार को लम्बे समय तक रखने के लिये, आंवले तेल में डुबे रहना चाहिये। आंवले का अचार बहुत ही स्वादिष्ट बनकर तैयार हो जाएगा। साल भर तक अपने खाने के साथ आंवले के अचार को कभी भी सेवन कर सकते हैं। आवलें का अचार बनाने की पूरी विधी विडियो के माध्यम से देखने के लिए इस लिंक को क्लिक को क्लिक करें। सावधानी अचार बनाते समय जो भी बर्तन स्तेमाल करें, वे सब सूखे और साफ हों, अचार में किसी तरह की नमी और गन्दगी नहीं जानी चाहिये। अचार के लिये कन्टेनर कांच या प्लास्टिक का हो, कन्टेनर को उबलते पानी से धोइये और धूप में अच्छी तरह सुखा लीजिये। कन्टेनर को ओवन में भी सुखाया जा सकता है। जब भी अचार कन्टेनर से निकालें, साफ और सूखे चम्मच का प्रयोग कीजिये। हफ्ते में 1 बार अचार को चमचे से चलाकर ऊपर नीचे कर दीजिये। अगर धूप है, तब अचार को 3 महिने में 1 दिन के लिये धूप में रख दीजिये, अचार बहुत दिन तक चलते हैं और स्वादिष्ट भी रहते हैं | मूली का अचार खाने के साथ में अचार होते हैं तो खाने का स्वाद बढ़ जाता है और भूख भी बढ़ जाती है। मौसम के हिसाब से सब्जियों के अचार भी कई तरह के बनाये जाते हैं जो 15-दिन से 1 माह तक रख कर खाये जा सकते हैं इसी श्रंखला में प्रस्तुत है मूली का अचार (Radish Pickle Recipe) आवश्यक सामाग्री मूली- 500 ग्राम (2-3 मूली) सरसों का तेल - 1/4 कप सिरका - 1/4 कप नमक - 2 छोटे चम्मच लाल मिर्च पाउडर आधा छोटी चम्मच हल्दी पाउडर आधा छोटी चम्मच हींग पाउडर 2 पिच अजवायन - आधा छोटी चम्मच मेथी दाना - 1 छोटी चम्मच राई - 2 टेबल स्पून विधि सबसे पहले मूली को साफ पानी से धोइये, फिर थोड़ी देर सुखाइये और छील कर लम्बे पतले टुकड़े में काट लीजिये. कटी मूली में 3/4 छोटी चम्मच नमक मिलाइये, नमक लगी मूली किसी ट्रे में रखकर 2-3 घंटे के लिये धूप में रख दिजिये, ट्रे को थोड़ा तिरछा करके रखें ताकि मूली से निकला पानी नीचे की ओर आ जाय, ये मूली से निकले रस को हटा दीजिये. मूली से पानी सूखने के बाद, मूली अचार के लिये तैयार है|कढ़ाई में मेथी अजवायन डालकर हल्के ब्राउन होने तक भून लीजिये,भुने मसाले प्याली में निकाल लीजिये,ठंडा होने के बाद भुने मसाले और राई को दरदरा पीस लीजिये|कढ़ाई में तेल डालकर गरम कीजिये|गरम तेल में मूली डालकर 2 मिनिट तक भून लीजिये, गैस बन्द कर दीजिये, मूली में हींग,हल्दी पाउडर, मिर्च पाउडर और नमक डालकर मिलाइये और भुने मसाले भी डालकर अच्छी तरह मिला दीजिये|अचार को थोड़ा ठंडा होने के बाद, सिरका डालकर मिला दीजिये|मूली का अचार तैयार है. मूली के अचार (Radish Pickle) को पूरी तरह ठंडा होने के बाद कन्टेनर में भर कर रख दीजिये|कन्टेनर को 3 दिन तक धूप में रख दीजिये, अचार ज्यादा स्वादिष्ट और ज्यादा चलते हैं|मूली का अचार को अभी भी खाया जा सकता है,लेकिन अचार का असली स्वाद 3 दिन के बाद मिलता है|मूली के अचार को 1 माह तक रख कर खा सकते हैं|[] सावधानियाँ मूली मे पानी की मात्रा ना हो अच्छे से धूप मे सुखाना अनिवार्य है|तैयार अचार को काँच के कंटेनर मे भरने से पहले कंटेनर को अच्छे से धोकर धूप मे सुखालें|अचार सेवन हेतु उपयोग करते समय साफ चम्मच का उपयोग करें|नमी से दूर रखें|हफ्ते दो हफ्ते के बीच धूप दिखाये ताकि अचार खराब होने से बचाया जा सकें| संदर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A5%A8%E0%A5%A6%E0%A5%A6%E0%A5%A6%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%B2%E0%A4%A1%E0%A4%A8%20%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B8%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE
२००० विम्बलडन टेनिस प्रतियोगिता
२००० विम्बलडन टेनिस प्रतियोगिता का आयोजन ऑल इंग्लैंड क्लब में 26 जून - 9 जुलाई को हुआ। पुरुष एकल में पिछले दो बार के विजेता के पीट सेमप्रास का मुकाबला के पैट्रिक रैफ्टर से हुआ जिसमें पीट सैमप्रास 6-7(10-12) 7-6(7-5) 6-4 6-2 से विजयी रहे। महिला एकल में की वीनस विलियम्स ने यह खिताब जीत लिया। उन्होंने फाइनल में अपने ही देश की लिंडसे डेवनपोर्ट को 6-3 7-6(7-3) से हराया। विम्बलडन ग्रैंड स्लैम टेनिस प्रतियोगिता 2000 की ग्रैंड स्लैम टेनिस प्रतियोगिता 2000 की टेनिस प्रतियोगिता
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लोकविभाग
लोकविभाग विश्वरचना सम्बंधी एक जैन ग्रंथ है। इसकी रचना सर्वनन्दि नामक दिगम्बर साधु ने मूलतः प्राकृत भाषा में की थी जो अब अप्राप्य है। किन्तु बाद में सिंहसूरि ने इसका संस्कृत रूपान्तर किया जो उपलब्ध है। इस ग्रंथ में शून्य और दाशमिक स्थानीय मान पद्धति का उल्लेख है जो विश्व में सर्वप्रथम इसी ग्रंथ में मिलता है। इस ग्रन्थ में उल्लेख है कि इसकी रचना ३८० शकाब्द में हुई थी (४५८ ई)। शून्य तथा दशमलव पद्धति इस ग्रन्थ में 13107200000 को निम्नलिखित प्रकार से अभिव्यक्त किया गया है- पंचभ्यः खलु शून्येभ्यः परं द्वे सप्त च अम्बरं एकं त्रीणि च रूपं च इसका अर्थ है, पाँच शून्य, उसके बाद दो और सात, आकाश, एक और तीन और रूप , (बाएँ से दाएँ) यहाँ, अम्बर = शून्य, रूप = एक सन्दर्भ इन्हें भी देखें शून्य दशमलव पद्धति बाहरी कड़ियाँ लोकविभाग (हिन्दी अर्थ सहित) (भारत का अंकीय पुस्तकालय) जैन ग्रंथ आगम
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AB%E0%A4%B0%20%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%89%E0%A4%9F
जेनिफर ग्राउट
जेनिफर ग्राउट (जन्म: 21 मई, 1990) अरबी और अमाज़ी ( तशेलहित ) संगीत की एक अमेरिकी गायिका हैं। जीवनी बोस्टन में जन्मे, ग्राउट ने बार्ड कॉलेज के लॉन्गी स्कूल ऑफ़ म्यूज़िक में अध्ययन किया, फिर कनाडा में मैकगिल विश्वविद्यालय में। वह एक पियानोवादक और वायलिन वादक की बेटी है और उसने 5 साल की उम्र में संगीत सीखना शुरू किया था 2012 में और मोरक्को की अपनी ग्रीष्मकालीन यात्रा के बाद, जेनिफर ग्रौट को अरबी और अमाज़ी संस्कृति और संगीत में दिलचस्पी थी। उसने अरब्स गॉट टैलेंट में प्रतिस्पर्धा की और 2013 में फिर 2014 में शाक्लाक मिश ग़रीब में एक फाइनलिस्ट थी। अरबी भाषा न जानने के बावजूद उन्होंने अरबी में एक गाना गाया, जिसके बाद वह अरब जगत में काफी लोकप्रिय हो गईं। इसी साल उन्होंने इस्लाम कबूल भी कर लिया। जेनिफर ग्राउट ने 2013 में अपने मोरक्को के पति से मिलने के बाद इस्लाम धर्म अपना लिया। हिजाब अपने हिजाब को लेकर ऑनलाइन बहस को लेकर जेनिफर ग्राउट ने कहा, 'हिजाब सिर्फ इबादत का एक रूप है।' यह इस्लाम के पांच स्तंभों का हिस्सा नहीं है, लेकिन लोगों की ऑनलाइन टिप्पणियों को पढ़कर ऐसा लगता है कि वे हिजाब को बहुत महत्व देते हैं और इसे इस्लाम के स्तंभों में से एक के रूप में देखते हैं।'' जेनिफर का कहना है कि लोगों को यह समझने की जरूरत है। मेरे जैसे धर्मान्तरित लोगों को एक ऐसे समाज में लाया गया है जो इस्लाम से बिल्कुल अलग है। और हर चीज को देखने का हमारा अपना नजरिया होता है।'' इन दिनों वह कभी हिजाब पहनती हैं और कभी नहीं। लेकिन बाद में एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्होंने कसम खा ली कि वह हिजाब नहीं उतारेंगी। और इस दौरान उन्होंने करीब सात महीने तक अबाया के साथ-साथ चेहरे पर पर्दा भी किया। इस दौरान वह कतर में रह रही थी। अमेरिका लौटकर जेनिफर ने हिजाब पहनना जारी रखा, लेकिन चेहरे से पर्दा हटा लिया। फिर अगले तीन सालों तक उसने नियमित रूप से हिजाब पहना। इन्हें भी देखें हव्वा हनीम इब्राहिम हूपर कीथ एल० मूर नईमा बी० रॉबर्ट References External links इस्लाम में परिवर्तित लोगों की सूची जीवित लोग 1990 में जन्मे लोग गायिका
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%B9%E0%A4%BE%20%E0%A4%97%E0%A5%8C%E0%A4%B9%E0%A4%B0
मदीहा गौहर
मदीहा गौहर (21 सितंबर 1956) कराची में - 25 अप्रैल 2018) पैदा होई एक पाकिस्तानी नाटक अदाकारा थी और औरतों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली एक समाजक कारकुन थी।वह अजोका नाटक मण्डली की नर्देशक थी।वह 1956 में कराची में पैदा हुई थी। उसने औरतों के अधिकारों के लिए एक संस्था बने थी जिसका नाम "अजोका रखा गया था जो एशिया और यूरोप में सरगरम है । 2006 में उन्हें अपने योगदान के लिए नीदर्लेन्ड में प्रिंस क्लाउस अवार्ड से समान्त किया गया था । जीवन मदीहा गौहर का जन्म कराची में 1956 में हुआ था । अंग्रेजी साहित्य में डिग्री प्राप्त करने के बाद वह इंग्लेंड चली गई थी जहाँ उसने थीएटर में एक और मास्टर डिग्री प्राप्त की थी । नाटक अमरीका चलो बुल्ला मौत गौहर का निधन 25 अप्रैल , 2018 को 61 वर्ष की उम्र में लाहौर , पाकिस्तान में हुआ ,वह तीन वर्ष से कैंसर की बीमारी से पीड़ित थी । संधर्भ पाकिस्तानी नारीवादी पाकिस्तानी अभिनेता
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सिद्धम
सिद्धम [𑖭𑖰𑖟𑖿𑖠𑖽] लिपि का प्रयोग पहले (लगभग ६०० ई - १२०० ई) संस्कृत लिखने के लिये होता था। यह लिपि, ब्राह्मी से व्युत्पन्न है। इसे 'सिद्धमात्रिका' भी कहते हैं। अक्षर तालिका स्वर {| class="wikitable" style="text-align:center;" |- !स्वरवर्ण का स्वतन्त्र स्वरूप!! देवनागरी!! -(क्य) के साथ स्वरर्ण का योग वैशिष्ट्यसूचक चिह्न युक्त!! स्वरवर्ण का स्वतन्त्र स्वरूप!! देवनागरी!! -(क्य) के साथ स्वरर्ण का योग वैशिष्ट्यसूचक चिह्न युक्त |- | ||अ|| | ||आ|| |- | ||इ|| | ||ई|| |- | ||उ|| | ||ऊ|| |- | ||ए|| | ||ऐ|| |- | ||ओ|| | ||औ|| |- | ||अं|| | ||अः|| |} {| class="wikitable" style="text-align:center;" |- !स्वरवर्ण का स्वतन्त्र स्वरूप!! देवनागरी!! -(क्य) के साथ स्वरर्ण का योग वैशिष्ट्यसूचक चिह्न युक्त!! स्वरवर्ण का स्वतन्त्र स्वरूप!! देवनागरी!! -(क्य) के साथ स्वरर्ण का योग वैशिष्ट्यसूचक चिह्न युक्त |- | ||ऋ|| | ||ॠ||style="background:#dddddd;"| |- | ||ঌ||style="background:#dddddd;"| | ||ৡ||style="background:#dddddd;"| |} {| class="wikitable" style="text-align:center;" |+वैकल्पिक स्वरूप |- | आ | इ | इ | ई | ई | उ | ऊ | ओ | औ | अं |} ब्यंजन {| class="wikitable" style="text-align:center;" |- |colspan="6" style="background:#dddddd;"| | ह |- | क | ख | ग | घ | ङ |colspan="2" style="background:#dddddd;"| |- | च | छ | ज | झ | ञ | य | श |- | ट | ठ | ड | ढ | ण | र | ष |- | त | थ | द | ध | न | ल | स |- | प | फ | ब | भ | म |colspan="2" style="background:#dddddd;"| |- | colspan="5" style="background:#dddddd;"| | व |colspan="1" style="background:#dddddd;"| |} {| class="wikitable" style="text-align:center;" |+युक्ताक्षर |- | क्ष |} {| class="wikitable" style="text-align:center;" |+वैकल्पिक स्वरूप |- | च | ज | ञ | ट | ठ | ढ | ढ | ङ | ण | थ | थ | ध | न | म | श | ष | व |} इन्हें भी देखें सिद्धम् (डेटाबेस) लिपि भाषा-विज्ञान
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डायन
डायन भारतीय परिप्रेक्ष्य में विशेषकर आदिवासी लोककथा में ऐसी स्त्री को कहते हैं जो जादू-टोना कर के दूसरों में बीमारी, मौत, अकाल लाना या कई और अनैतिक कार्य करती है। यह एक प्रकार का अंधविश्वास है। इस प्रकार से ये चुड़ैल से समानता रखता है। भारत में जहाँ आदिवासी अधिक पाए जाते हैं वहाँ महिलाओं को ओझा द्वारा डायन घोषित कर के हत्या तक कर दी जाती है। राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ में ऐसे कई मामले सामने आए हैं और इसके विरुद्ध कानून बनाए गए हैं। ऐसे आरोप अधिकतर बूढ़ी विधवा ओरतों पर लगाए जाते हैं जिनका मकसद अक्सर जमीन, धन या अन्य तरह की संपत्ति पर कब्जा करना होता है। डायन का चित्रण लोक संस्कृति में डायन का चित्रण 2013 की हिन्दी फ़िल्म एक थी डायन में हुआ है। लोकप्रिय धारावाहिक ससुराल सिमर का में भी कुछ दिन इस विषय पर कहानी चली थी। वर्तमान में 'स्टार प्लस' पर प्रसारित हो रहे लोकप्रिय धारावाहिक "डायन" में मनोरंजन के उद्देश्नय से डायन का नकारात्मक चित्रण किया गया है। इन्हें भी देखें जादू-टोना भूत-प्रेत पिशाच डाकन प्रथा सन्दर्भ जादू (भ्रम) अंधविश्वास भारत में महिला उत्पीड़न
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BE
अणिमा
अणिमा भारत के महान हिन्दी कवि और रचनाकार पण्डित सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की एक काव्य रचना है। अणिमा नामक, 1943 में प्रकाशित इस कविता संग्रह में निम्नलिखित कविताएं संकलित हैं: नूपुर के सुर मन्द रहे बादल छाये जन-जन के जीवन के सुन्दर उन चरणों में मुझे दो शरण सुन्दर हे, सुन्दर दलित जन पर करो भाव जो छलके पदों पर धूलि में तुम मुझे भर दो तुम्हें चाहता वह भी सुन्दर मैं बैठा था पथ पर मैं अकेला स्नेह-निर्झर बह गया है अणिमा निराला के इससे पहले की काव्य रचनाओं से कुछ अलग स्वर में विरचित कृति है जैसे कवि का अपने पहले के विचारों से मोहभंग हो रहा हो। "स्नेह निर्झर बह गया है" नामक कविता के शुरूआती अंश निम्नवत हैं: "स्नेह निर्झर बह गया है रेत ज्यों तन रह गया है आम की यह डाल जो सूखी दिखी कह रही है - अब यहाँ पिक या शिखी नहीं आते, पंक्ति मैं वह हूँ लिखी नहीं जिसका अर्थ ----जीवन दह गया है" सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%8B%20%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%A1
मास्लो पिरामिड
मास्लो पिरामिड या मास्लो का आवश्यकता पदानुक्रम (hierarchy of needs) अब्राहम मास्लो द्वारा प्रतिपादित एक मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त है जो उन्होने 'ए थिअरी ऑफ ह्यूमन मोटिवेशन' नामक अपने ग्रन्थ में १९५४ (1954)में प्रस्तुत किया था। मैसलो वह प्रथम मनोवैज्ञानिक है, जिसने "आत्मसिद्धि" प्रत्यय का अध्ययन किया। सिद्धान्त न केवल मनोविज्ञान के क्षेत्र में, बल्कि विज्ञापन के क्षेत्र में भी प्रसिद्ध हुआ। मनुष्य की आवश्यकताएं असीमित हैं अपने इस सिद्धान्त में मास्लो ने मानव आवश्यकताओं के कई स्तर बताये जो ये हैं- 1 व्यक्तिगत आवश्यकता:-A दैहिक आवश्यकता , B सुरक्षा आवश्यकता । 2 सामाजिक आवश्यकता:-A समबद्धता एवं स्नेह की आवश्यकता, B सम्मान की आवश्यकता । 3 बौद्धिक आवश्यकता:-A आत्मसिद्धि की आवश्यकता । (उपर्युक्त 1 को निम्न स्तरीय, व 2,3 को उच्च स्तरीय आवश्यकता भी कहते हैं।) उन्‍होंने कहा कि मानव का अभिप्रेरण (मोटिवेशन) इसी क्रम में गति करता है। अर्थात मूलभूत आवश्यकताओं के पूरा होने पर ही उच्चस्तरीय आवश्यकताएँ जन्म लेतीं हैं। मास्लो का सिद्धान्त उनकी १९५४ में रचित पुस्तक 'मोटिवेशन एण्ड पर्सनालिटी' में अपने पूर्ण रूप में सामने आया। यद्यपि यह आवश्यकताओं का यह पदानुक्रम अब भी समाजशास्त्रीय अनुसंधान, प्रबन्धकीय प्रशिक्षण आदि में बहुत महत्व रखता है, फिर भी बहुत सीमा तक इसका स्थान स्नेह सिद्धान्त (attachment theory) ने ले लिया है। मनोविज्ञान मनोविज्ञान आधार
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%86%E0%A4%88%E0%A4%B8%E0%A5%80%208462852
केआईसी 8462852
केआईसी 8462852 (KIC 8462852), जिसे टैबी का तारा (Tabby's Star) और बोयेजियन का तारा (Boyajian's Star) भी कहते हैं, F-श्रेणी का एक मुख्य अनुक्रम तारा है जो पृथ्वी से लगभग 1,470 प्रकाशवर्ष दूर स्थित है। यह पृथ्वी की सतह से देखे जाने पर आकाश में हंस तारामंडल के क्षेत्र में स्थित है। इसके कांतिमान में 22% तक की असाधारण कमी आती रहती है। इसका कारण अज्ञात है और इसकी सम्भावनाओं की कई कल्पनाएँ प्रस्तुत करी गई हैं। एक के अनुसार धूल का एक घना और अव्यवस्थित छल्ला तारे की परिक्रमा कर रहा है और इस से तारे की प्रतीत होने वाली चमक बढ़ती-घटती रहती है। एक अन्य के अनुसार धूमकेतुओं का एक झुंड परिक्रमा कर रहा है। एक तीसरी अवधारणा है कि वहाँ अतिविकसित और चेतनाशील परग्रही जीव रहते हैं जिन्होंने तारे की ऊर्जा प्रयोग करने के लिए उसके इर्द-गिर्द महान ढांचों का निर्माण करा हुआ है। ऐसे काल्पनिक निर्माण को "डायसन समूह" (Dyson swarm) कहते हैं लेकिन अधिकांश वैज्ञानिक ऐसे किसी कृत्रिम निर्माण की उपस्थिति-सम्भावना को कम मानते हैं। इन्हें भी देखें हंस तारामंडल मुख्य अनुक्रम सन्दर्भ हंस तारामंडल ऍफ़-प्रकार मुख्य अनुक्रम तारे सम्भावित खगोलीय वस्तुएँ परग्रही चेतना की खोज खगोलशास्त्र की अनसुलझी समस्याएँ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B0
राजश्री वारियर
राजश्री वारियर एक भरत नाट्यम नर्तक, शिक्षक और मीडियाकर्मी हैं। वह मलयालम में एक लेखक और एक गायिका भी हैं। वह डर्ना में दोहरी शोध (ताना वारनास और पाडा वर्नस) में अपने शोध के लिए संगीत में पीएचडी रखती है। वह सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स' की संस्थापक निदेशक हैं, जो भरत नाट्यम, कार्नेटिक संगीत और प्रायोगिक थियेटर में अनुसंधान और प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करती हैं। । वह अप्रैल 2016 से केरल संगीता नाटक अकादमी के कार्यकारी सदस्य हैं। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा राजश्री वॉरियर का जन्म भारत के तिरुवनंतपुरम, केरल में हुआ था। उन्होंने गुरु वी म्यथिली और गुरु जयंती सुब्रमण्यम के संरक्षण में भरतनाट्यम सीखा। उन्होंने मुल्लामुडु हरिहर अय्यर, पेरुम्बावूर जी। रवेन्द्रनाथ, परसाला पोन्नममल और बी। शशिकुमार के नेतृत्व में कार्निक संगीत का प्रशिक्षण प्राप्त किया। वॉरियर ने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी हासिल किया है। व्यक्तिगत जीवन राजश्री की शादी अनिल एस नायर से हुई है। राजश्री एक बेटी लावण्या है। शंगुमुगम बीच पर राजश्री कैरियर भरतनाट्यम नृत्य वॉरियर ने भारत और विदेशों में कई प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शन दिया है। उनकी नृत्य प्रस्तुतियों में गहराई से ज्ञान और असीम रचनात्मक क्षमताओं की गवाही है। चार साल तक लगातार एशियानेट पर लोकप्रिय ब्रेकफास्ट शो सुप्रभातम की एंकरिंग करने के बाद केरल में वॉरियर एक घरेलू नाम है। उन्होंने डीडी केरल, अमृता टीवी और एशियानेट पर कई कार्यक्रमों की एंकरिंग, स्क्रिप्टिंग और प्रोडक्शन भी किया है। प्रकाशन वॉरियर ने दो किताबें लिखी हैं, नार्थाकी को 2013 में डीसी बुक्स द्वारा प्रकाशित और नृथाकला को 2011 में चिन्त प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया था। प्रोडक्शंस लंकलक्ष्मी - सी एन श्रीकांतन नायर द्वारा मलयालम नाटक का अनुकूलन। नीला वर्णम - भरतनाट्यम में भगवान कृष्ण की आठ रचनाएँ। स्वर, कोरियोग्राफी और प्रस्तुति। अष्टिसार्यम आठ 'गुणों' को विस्तृत करता है, जिन्हें गहन ध्यान के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है और भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ा हुआ है। अष्टपत्नी अष्टौ वल्लभा की अवधारणा पर आधारित है जैसा कि भगवतम दशम स्कंदम उत्तरधाम में दर्शाया गया है। ट्रांसफॉर्मिंग लाइफ: त्रयी आग, पानी और पृथ्वी पर आधारित है। स्वाति थिरुनल राम वर्मा की रचनाओं पर एक मैगामी स्वाति स्मृति। रास - नारायणमयम् का एक अंश। माधवम माधवन या भगवान विष्णु के बारे में हैं, जो त्रिदेवों में से एक हैं। यह विकास के अपने विशिष्ट तरीकों में जीवन के उत्सव का विस्तार करने की कोशिश करता है। शेड्स ऑफ लव: एक महिला (नायिका या नायिका) के रोमांटिक सुकून पर एक विषयगत उत्पादन। भरतनाट्यम का निर्माण डॉ। एम। बालमुरलीकृष्ण की संगीत रचनाओं पर आधारित है। भरतनाट्यम का निर्माण इरेइम्मन थम्पी के दुर्लभ पैडम्स पर आधारित है। भरतनाट्यम का निर्माण रावणकृता शिवतांडव स्तोत्रम पर आधारित है। मीरा: मीरा (मीराबाई) की कहानी पर नाटकीय उत्पादन। पुरस्कार और सम्मान उत्कृष्ट रचनात्मक योगदान के लिए भरतनाट्यम 2014 के लिए देव दास राष्ट्रीय पुरस्कार। प्रस्तुत है देव दासी नृथ्य मंदिर, भुवनेश्वर। भरतनाट्यम के लिए कलश्री टाइटल और केरल संगीता नटका अकादमी पुरस्कार 2013। 2013 में भरतनाट्यम के क्षेत्र में योगदान के लिए केरल कलामंडलम से वीएस शर्मा एंडॉमेंट पुरस्कार। केरल राज्य फिल्म पुरस्कार 2014 में 'बुक्स एंड आर्टिकल्स' के जूरी के रूप में आमंत्रित। वायलर संस्कारिका समिति द्वारा दिया गया कलारत्न पुरस्कार सामाजिक कल्याण विभाग, केरल सरकार द्वारा 2012 में भारतीय शास्त्रीय नृत्य में योगदान के लिए महिला तिलक शीर्षक और पुरस्कार। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद - प्रतिष्ठित भरतनाट्यम कलाकार। साईं नाट्य रत्न, सत्य साईं सेवा संगठन द्वारा प्रदत्त, 2010। नटाना शिरोमणि 'पुरस्कार, चिल्का डांस अकादमी द्वारा प्रदान किया गया, 2009। भरतनाट्यम, 2007 के लिए नवरसम संगीता सभा पुरस्कार का प्राप्तकर्ता। छवि गैलरी स्रोत Rajashreewarrier.com Rajashreewarrier.com Narthaki.com Deccanherald.com Youtube.com Youtube.com Youtube.com Archives.deccanchronicle.com Deccanchronicle.com Thehindu.com Newindianexpress.com Timesofindia.indiatimes.com सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%BE-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%88%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%8F%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%AE
ला-शातैलिए का नियम
रसायन विज्ञान में ला-शतैलिए का नियम (Le Châtelier's principle) किसी रासायनिक साम्य से सम्बन्धित दशाओं को परिवर्तित करने पर उस साम्य पर पड़ने वाले प्रभाव का पूर्वानुमान लगाने में सहायक होता है। इसलिये इसे 'साम्य नियम' ((Equilibrium Law) भी कहते हैं। इस सिद्धान्त का प्रतिपादन फ्रान्स के वैज्ञानिक हेनरी लुई ला-शातैलिए (Henry Louis Le Châtelier) ने किया था किन्तु कार्ल फर्डिनाण्ड ब्राउन ने भी इसे स्वतन्त्र रूप से इसकी खोज की थी। यह नियम निम्नलिखित है- साम्यावस्था में स्थित किसी निकाय (सिस्टम) के सान्द्रण, ताप, आयतन, या दाब में परिवर्तन करने पर वह निकाय अपने को इस प्रकार समायोजित करता है कि किये गये परिवर्तन को (आंशिक रूप से) कम कर सके। इस प्रकार एक नयी साम्यावस्था स्थापित होती है। इसी को दूसरे तरह से इस प्रकार कह सकते हैं- साम्यावस्था में स्थित किसी निकाय को बिक्षुब्ध (disturb) करने पर वह तन्त्र अपने आप को इस प्रकार समायोजित करता कि परिवर्तन को निष्प्रभावी बनाया जा सके। साम्य रसायन
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लामा (पशु)
लामा (Lama glama), एक कैमिलिड पशु है जो दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है। इसे एक पालतू पशु के रूप में एंडियन लोगों द्वारा प्रागैतिहासिक काल से भी पहले से पाला जाता है और यह उनकी बोझा ढोने, ऊन और मांस की आवश्यकताओं को पूरा करता है। पूर्ण विकसित लामा की ऊँचाई 1.7 मीटर (5.5 फुट) से 1.8 मीटर (6 फुट) तक होती है। इनका वजन 130 किग्रा (280 पाउंड) and 200 किग्रा (450 पाउंड) के बीच होता है। जन्म के समय एक लामा छौने, जिसे क्रिआ कहते हैं का वजन 9.1 किग्रा (20 पाउंड) and 14 किग्रा (30 पाउंड) के बीच हो सकता है। लामा एक सामाजिक पशु है और यह दूसरे लामाओं के साथ झुंड में रहना पसन्द करते हैं। इनसे प्राप्त ऊन अत्यन्त मुलायम और लैनोलिन (अंग्रेजी: Lanolin; ऊन का मोम) से मुक्त होता है। लामा एक बुद्धिमान प्राणी है जो किसी सरल काम को कुछ प्रयासों के बाद करना सीख सकता है। यदि किसी लाम को बोझा ढोने के काम में लगाया जाये तो यह अपने वजन का 25% से 30% तक वजन कुछ मीलों तक ढो सकते हैं। लामाओं का प्रादुर्भाव उत्तरी अमेरिका के मैदानों में लगभग ४ करोड़ वर्ष पहले हुआ था। जहां से प्रवास कर दक्षिण अमेरिका में आये। पिछले हिमयुग के अंत में (10,000–12,000 वर्ष पहले) उत्तरी अमेरिका से कैमेलिड विलुप्त हो गये। 2007 तक दक्षिण अमेरिका में लगभग 70 लाख लामा और अलपाका थे और 20 वीं सदी के अंत में आयात होने के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में इनकी संख्या क्रमश: 158000 और 100000 के करीब है। सन्दर्भ दक्षिण अमेरिका के स्तनधारी पशु
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राजा मान मोरी
राजा मान चित्तौड़ के आखिरी मौर्य शासक थे जिनकी हत्या इनके ही सेनापति बप्पा रावल ने भीलों की मदत से कर दी थी।चालुक्यों के नवसारी शिलालेख के अनुसार अरबों ने मौर्यों पर हमला किया था। चित्तौड़ में मिले शिलालेख संवत 770 अर्थात् राजा मान सन् 713 ई० में राज्य करता था। मुहणोंत नैणसी ने भी अपनी ख्यात में “मौरी दल मारेव राज रायांकुर लीधौ,” लिखकर इसी सत्यता को पुष्ट किया है। मानमोरी का संस्कृत मे लिखा अभिलेख चित्तौड़ के पास मानसरोवर झील के तट से कर्नल टॉड को मिला था। जिसका हिन्दी अनुवाद निम्न प्रकार है (शुरू की २ देवस्तुति की पंक्ति छोड़कर) - इस पृथ्वी पर जब महाराज महेश्वर थे, वह एक महान राजा थे , जिनके शासन के दौरान उनके दुश्मन का नाम कभी नहीं सुना गया; जिनकी ख्याति आठ दिशाओं मे थी ; जिनका बाजू युद्ध जीत के लिए था। वह भूमि का प्रकाश थे।उनके वंश की प्रशंसा ब्रह्मा के खुद के मुँह से निर्धारित हुई थी। महाराज भीम ऐसे थे की उनका स्वरूप गौरव से भरपूर था, जो अपने पाले बतखों को अपने हाथों से खिलाते थे , जिनके मुख पर हमेशा तेज रहता था ,वे महाराज भीम थे, युद्ध के समुंदर में कुशल तैराक, जहाँ गंगा अपनी बहाव डालती है, वहाँ तक वे जाते थे युद्ध के लिए। जिनका निवास अवंति है। चाँद के समान चमकदार चेहरों वाले, जिनके होंठों पर उनके दांतों के निशान थे, उन्होने अपने दुश्मनों की पत्नियों को अपनी पटरानियाँ बनाई , वे सब भीम महाराज के दिल में बसी रहती थी । उन्होंने अपने दुश्मनों के भय को दूर किया; इसके लिए उन्होने उन्हें पूर्णरूप से मिटा दिया जिसे वे अपनी भूलों के रूप में मानते थे। वे ऐसे लगते थे जैसे आग से बनाए गए हों। वे समुंदर के स्वामी को भी शिक्षा देने में सक्षम थे। उनसे राजा भोज का जन्म हुआ। वह कैसे वर्णन किया जा सकता है, वही जिसने युद्ध के मैदान में अपनी तलवार से हाथी के सिर को विभाजित किया, उस हाथी के दिमाग से एक मोती निकला, जिसका अब उनके हृदय पर आभूषण बन गया है : जो राहू के समान अपने दुश्मनों को खा जाते है,जो अंतरिक्ष के सूर्य और चंद्रमा के रूप के जैसे तेजवान है । उसके बेटे का नाम मान था, जो गुणों से भरपूर और भाग्यवान है । एक दिन वह एक बूढ़े आदमी से मिले उसका रूप देखने पर उन्हे यह विचार करने पर मजबूर किया कि इसकी शरीर छाया की तरह अल्पकालिक है, जिसका आत्मा सुगंधित कदम के बीज की तरह है; जो राज्य की धन की भंडार स्वाभाविक हैं, जैसे एक घास की कटार, और व्यक्ति दिन के प्रकाश में प्रकट किए जाने वाले दीपक की तरह होता है। ऐसे विचार करते हुए उन्होने अपने पूर्वजों के लिए और अच्छे कर्म करने के लिए सोचा तब उन्होंने इस झील को बनाया, जिसके पानी विशाल भूमि पर हैं और गहराई अपरिमित है। जब मैं इस समुंदर-सा झील को देखता हूँ, तो मैं खुद से पूछता हूँ, क्या यही वह है जो आख़िरकार प्रलय का कारण बनेगा। राजा मान के योद्धा और मुखिया कौशलयुक्त और वीर हैं - उनके जीवन में शुद्धता है और वफादारी है। राजा मान गुणों का ढेर है - जो उसके पक्ष के मुख्य उपहारों को प्राप्त कर सकता है। जब सिर को उनके कमल चरण पर झुकाया जाता है, तब जो रेत की दानिया वहाँ चिपकता है वह आभूषण की तरह है , यह झील चारों ओर पेड़ों से छाया गया ,वो सब पेड़ पक्षियों से मढ़ित रहते है , जिसे भाग्यवान श्रीमान राजा मान ने बड़ी मेहनत से बनवाया है । इसके स्वामी के नाम "मान" से ही इस सरोवर की दुनिया में पहचान है। -मानमोरी अभिलेख (हिन्दी अनुवाद ) यह भी देखें मौर्य राजवंश चंद्रगुप्त मौर्य मोरी राजपूत चित्रांग मौर्य सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%20%E0%A4%94%E0%A4%B0%20%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%AC%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%82%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%96%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%86%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%B0%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%20%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%82%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%9A%E0%A5%80
सैन्य और अर्धसैनिक बलों की संख्या के आधार पर देशों की सूची
इस सूची में विश्व के देशों के संख्या के आधार पर सेना और अर्धसैनिक बल है । इसमें पूर्णकालिक सेना और अर्धसैनिक बल सम्मिलित है । सूची इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज द्वारा सालाना प्रकाशित "द बैटलन्स बैलेंस" के 2017 के संस्करण से निम्नलिखित सूची को प्राप्त किया गया है। सूची में शामिल नहीं कर रहे हैं, सेनाओं का अबकाज़िया, अफ़ग़ानिस्तान, भूटान, उत्तरी साइप्रस, मालदीव, मोनाको, Nagorno-Karabakh, सैन मैरिनो, सेंट किट्स और नेविस, साओ टोम और प्रिंसिपे, सोमालीलैंड, स्वाजीलैंड, टोंगा और वानुअतु. यह भी देखें सूची देशों के द्वारा स्तर के सैन्य उपकरण सैन्य व्यय के अनुसार देशों की सूची देशों की सूची से सैन्य खर्च प्रति व्यक्ति देशों की सूची से सैन्य ताकत सूचकांक देशों की सूची से वैश्विक सैन्यीकरण सूचकांक की सूची के बिना देशों के सशस्त्र बलों सूची की सेनाओं द्वारा देश सूची की सेनाओं है कि विदेशियों की भर्ती देशों की सूची से संख्या के पुलिस अधिकारियों नोट संदर्भ ग्रंथ सूची आगे पढ़ने
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%89%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%B6%20%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%95%20%E0%A4%85%E0%A4%97%E0%A5%87%E0%A4%A8
जॉनी इंग्लिश स्ट्राइक अगेन
जॉनी इंग्लिश स्ट्राइक अगेन एक 2018 एक्शन कॉमेडी फिल्म है, जो डेविड केर द्वारा निर्देशित है। जॉनी इंग्लिश रीबॉर्न (2011) की अगली कड़ी, यह <i id="mwFQ">जॉनी इंग्लिश</i> सीरीज़ की तीसरी किस्त है। फिल्म में रोवन एटकिंसन की भूमिका में बेन मिलर, ओल्गा कुरलेंको, जेक लैसी और एम्मा थॉम्पसन के साथ हैं । फिल्म टाइटुलर एमआई 7 एजेंट का अनुसरण करती है जिसे एक्शन में बुलाया जाता है, जब साइबर हमले में सभी अंडरकवर ऑपरेटर्स उजागर होते हैं। यह फिल्म यूनाइटेड किंगडम में सिनेमाघरों में 5 अक्टूबर 2018 को और यूनिवर्सल पिक्चर्स द्वारा 26 अक्टूबर 2018 को अमेरिका में रिलीज की गई थी। फिल्म को आम तौर पर आलोचकों से मिश्रित समीक्षा मिली, लेकिन यह बॉक्स ऑफिस पर सफल रही, दुनिया भर में $ 25 मिलियन की कमाई के साथ $ 159 मिलियन की कमाई की। संक्षेप साइबर हमले के बाद ब्रिटेन में सभी सक्रिय अंडरकवर एजेंटों की पहचान का पता चलता है, जॉनी इंग्लिश को मास्टरमाइंड हैकर को खोजने के लिए सेवानिवृत्ति से बाहर आने के लिए मजबूर किया जाता है। कास्ट रोवन एटकिंसन सर जॉनी इंग्लिश के रूप में, एक भूगोल शिक्षक और सेवानिवृत्त एमआई 7 एजेंट जो एक मिशन के लिए बहाल हैं। ओल्हेलिया भुलेटोवा के रूप में ओल्गा क्रुएलेंको, एक रूसी जासूस और जॉनी का प्यार। बेन मिलर जेरेमी बॉफ के रूप में, एक एमआई 7 एजेंट जो अंग्रेजी के लिए एक पुराना सहायक था। जेसन वोल्टा के रूप में जेक लेसी, एक सिलिकॉन वैली टेक अरबपति जो एक प्रणाली को बढ़ावा दे रहा है जो डेटा प्रबंधन में सुधार कर सकता है। एमआई 7 के प्रमुख पेगासस के रूप में एडम जेम्स । ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में एम्मा थॉम्पसन विकी पेप्परडाइन लिडिया के रूप में, बूफ़ की पत्नी लेसा के रूप में पिप्पा बेनेट-वार्नर तारा के रूप में मिरांडा हेनेसी विओना लिंच रूप में इरेना त्यश्यना फेबियन के रूप में डेविड मुमेनी टेड गेस्ट के रूप में टुनके गुन सामंथा रसेल स्वीडन के प्रधान मंत्री के रूप में निक ओवेनफोर्ड एक ऑस्ट्रेलियाई सहयोगी के रूप में जापानी राजनयिक के रूप में जुनिची काजीओका [ उद्धरण वांछित ][ उद्धरण वांछित ] पी के रूप में मैथ्यू दाढ़ी श्रीमती ट्रेटनर के रूप में पॉलीन मैक्लिन एजेंट पांच के रूप में माइकल गैंबोन एजेंट सात के रूप में चार्ल्स डांस एजेंट नौ के रूप में एडवर्ड फॉक्स नूह स्पीयर्स बैगाले के रूप में इबादुल्ला के रूप में केेंद्र मेई स्ट्रैकर के रूप में अल्फी कैनेडी उत्पादन मई 2017 में, यह घोषणा की गई कि रोवन एटकिन्सन फिल्म जॉनी इंग्लिश रीबोर्न (2011) की अगली कड़ी में जॉनी इंग्लिश की भूमिका लेने के लिए वापस लौटेंगे। 3 अगस्त 2017 को, वर्किंग टाइटल फिल्म्स ने घोषणा की कि उन्होंने निर्देशक डेविड केर के साथ उत्पादन और फिल्मांकन शुरू कर दिया है। छायाकार फ्लोरियन हॉफमिस्टर हैं। प्रोडक्शन डिज़ाइनर साइमन बाउल्स हैं, जिन्होंने 2019 ब्रिटिश फिल्म डिज़ाइनर्स गिल्ड अवार्ड्स में इस फिल्म के लिए अपने डिजाइनों के लिए एक पुरस्कार जीता, सेट डेकोरेटर लिज़ ग्रिफिथ्स और सुपरवाइजिंग आर्ट डायरेक्टर बेन कोलिन्स के साथ साझा किया। भागों को वेलहम ग्रीन, हर्टफोर्डशायर में भी फिल्माया गया था; और ग्लॉस्टरशायर में । फ्रांस में 26 सितंबर से, वार में सेंट आयगुल्फ समुद्र तट पर फिल्मांकन जारी रहा। 4 अप्रैल 2018 को, शीर्षक जॉनी इंग्लिश स्ट्राइक्स अगेन के रूप में सामने आया था, जिसके एक दिन बाद टीज़र ट्रेलर जारी किया गया था। रिलीज़ जॉनी इंग्लिश स्ट्राइक अगेन को यूनाइटेड किंगडम और यूनाइटेड स्टेट्स दोनों में 12 अक्टूबर 2018 को यूनिवर्सल पिक्चर्स द्वारा रिलीज़ किया जाना था; संयुक्त राज्य अमेरिका की तारीख बाद में २० सितंबर २०१ तक बढ़ा दी गई, २६ अक्टूबर २०१ को वापस धकेलने से पहले। इसे 5 अक्टूबर 2018 को सिनेमैक्स अंगोला द्वारा रिलीज़ किया गया था। यह फिल्म 4 फरवरी 2019 को डिजिटल रूप से और 18 फरवरी को डीवीडी और ब्लू-रे प्रारूप पर रिलीज़ होने के लिए तैयार थी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में यह 19 दिसंबर 2018 को रिलीज़ हुई। संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में ब्लू-रे और डीवीडी रिलीज़ 22 जनवरी, 2019 को हुई थी। रिसेप्शन अहमियतभरा जवाब एग्रीगेटर रॉटन टोमाटोज़ पर, फिल्म ने 105 समीक्षाओं के आधार पर 37% की स्वीकृति रेटिंग रखी है, जिसकी औसत रेटिंग 4.73 / 10 है। वेबसाइट की महत्वपूर्ण सर्वसम्मति में लिखा है, " जॉनी इंग्लिश स्ट्राइक्स अगेन को दर्शकों के लिए कुछ गिगल्स मिल सकते हैं जो बफ़ूनिश प्रैटफैस के लिए पिंग कर रहे हैं, लेकिन अधिकांश भाग के लिए, यह सीक्वल बस स्ट्राइक आउट करता है।" मेटाक्रिटिक पर, फिल्म में 22 आलोचकों के आधार पर 100 में से 39 का वजन औसत स्कोर है, जो "आम तौर पर प्रतिकूल समीक्षा" दर्शाता है। संदर्भ बाहरी कड़ियाँ अमेरिकी कॉमेडी फ़िल्में अमेरिकी फ़िल्में अमेरिकी एक्शन कॉमेडी फ़िल्में ब्रिटिश फ़िल्में 2018 की फ़िल्में अंग्रेज़ी फ़िल्में
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%9F%20%E0%A4%9F%E0%A5%80%E0%A4%AE
पारसी क्रिकेट टीम
पारसी क्रिकेट टीम एक भारतीय प्रथम श्रेणी क्रिकेट टीम थी जिसने वार्षिक बॉम्बे टूर्नामेंट में भाग लिया था। टीम की स्थापना बॉम्बे में जोरास्ट्रियन समुदाय के सदस्यों द्वारा की गई थी। पारसियों ने 1877 में अपनी शुरुआत से बॉम्बे टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा की, जब उन्होंने दो दिवसीय मैच के लिए बॉम्बे जिमखाना में यूरोपीय क्रिकेट टीम को चुनौती दी। इस समय, प्रतियोगिता को प्रेसीडेंसी मैच के रूप में जाना जाता था। यह 1892-93 से प्रथम श्रेणी के टूर्नामेंट के रूप में मान्यता प्राप्त थी, जब तक कि 1945-46 में इसका अंतिम मंचन नहीं हुआ। पारसी ने प्रथम श्रेणी टूर्नामेंट 10 बार जीता और 11 बार सयुंक्त विजेता रहे। पारसियों ने 1880 के दशक में इंग्लैंड के दो दौरे किए। इनमें से कोई भी मैच प्रथम श्रेणी दर्जे का नहीं था। देखें: 1886 में इंग्लैंड में पारसी क्रिकेट टीम और 1888 में इंग्लैंड में पारसी क्रिकेट टीम। बाहरी कड़ियाँ पारसी क्रिकेट टीम क्रिकेटअर्चिव पर स्रोत वसंत रायजी, India's Hambledon Men, Tyeby Press, 1986 मिहिर बोस, A History of Indian Cricket, Andre-Deutsch, 1990 रामचंद्र गुहा, A Corner of a Foreign Field - An Indian History of a British Sport, Picador, 2001 प्रथम श्रेणी क्रिकेट टीम
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B0%20%E0%A4%95%E0%A5%89%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%A1
डियर कॉमरेड
डियर कॉमरेड वर्ष 2019 की भारतीय तेलुगू फ़िल्म है। इसे भरत कम्मा ने लिखा और निर्देशित किया है। इसे मिथ्री मूवी मेकर्स और बिग बेन सिनेमाज ने निर्मित किया है। फ़िल्म में विजय देवरकोंडा, रश्मिका मंदाना और श्रुति रामचंद्रन हैं। फ़िल्म का मुख्य फिल्मांकन अगस्त 2018 में शुरू हुआ। फ़िल्म को 26 जुलाई 2019 को तेलुगू में जारी किया गया था। मलयालम, कन्नड़ और तमिल के डब संस्करण भी बाद में जारी हुए थे। जारी होने पर फ़िल्म को समीक्षकों से सकारात्मक समीक्षा मिली और फ़िल्म सुपरहिट रही। कहानी सारांश फिल्म बॉबी (विजय देवरकोंडा) के साथ शुरू होती है जो यह मानने को तैयार नहीं है कि उसकी प्रेमिका लिली अब उसे अपने जीवन में नहीं चाहती। कहानी अब पीछे जाती है, जहां बॉबी काकीनाडा के एक कॉलेज में वामपंथी छात्र संघ का नेता है। वह एक स्थानीय राजनेता, बुल्लिया के भाई से लड़ता है। इस पर वह अपने दोस्तों के साथ हवालात में एक रात भी गुजारता है। लौटते समय, वह लिली (रश्मिका मंदाना) से मिलता है। वह घर लौटता है और उसे पता चलता है कि लिली, वास्तव में, उसकी बचपन की दोस्त, (उसके पड़ोसी की बेटी जया की कज़िन बहन) थी। बाद में बॉबी को पता चलता है कि लिली वास्तव में एक राज्य स्तर की क्रिकेट खिलाड़ी है। वह उससे पूरी तरह प्रभावित हो जाता है और धीरे-धीरे उसके प्यार में पड़ने लगता है। जीत का जश्न मनाने की छोटी सी पार्टी के दौरान, लिली बॉबी को गरमागरम बहस में पड़ते हुए देखती है। उसके मना करने के बावजूद बॉबी हाथापाई में उलझ जाता है। वह उसे यह बताती है कि उसका एक भाई था जिसने कुछ साल पहले कॉलेज कैंपस में हुई झड़प में अपनी जान गंवा दी थी और बॉबी के कैंपस के झगड़े ने उन दर्दनाक यादों को वापस ला दिया है। जया की शादी के दौरान बॉबी ने लिली से अपने प्यार का इज़हार किया। लेकिन वह उसे बताती है कि वह अलग-अलग ज़िन्दगी जी रहे हैं और जैसे ही वह चली जाएगी वह शायद उसे भूल जाएगा। उसके जाने के बाद, बॉबी पूरी रात सफर कर हैदराबाद जाता है और उसे बताता है कि वह उसकी जीवन यात्रा में उसका साथी बनना चाहता है। यह स्वीकार करते हुए कि वह भी उसके बारे में बहुत कुछ सोचती रही है, वह मान जाती है। लेकिन लिली बॉबी को बताती है कि कैसे उसकी अत्यधिक आक्रामकता के कारण वह उससे डरती है। लेकिन वह इसे एक मामूली मुद्दा कहता है और अपने को सुधारने के लिए सहमत हो जाता है। उनका प्रेम-प्रसंग जोशपूर्ण तरीके से आगे बढ़ता है। एक दिन बॉबी बुल्लिया के भाई के गिरोह के साथ फिर से लड़ाई में शामिल हो जाता है और अनजाने में बुल्लिया के भाई की दुर्घटना का कारण बनता है। वह कोमा में चला जाता है। बुल्लिया नाराज हो जाता है और अपने आदमियों को बॉबी को मारने के लिए कहता है। वह बुल्लिया के आदमियों द्वारा गंभीर रूप से घायल हो जाता है। जब वह अस्पताल में उठता है, तो लिली उसे अपनी हिंसक प्रवृत्ति को छोड़ने की विनती करने लगती है। बॉबी इस मांग पर अपना आपा खो देता है क्योंकि उसे लगता है कि कोई भी उसकी बातों को सुनने को तैयार नहीं है और लिली को भगा देता है। बॉबी को बाद में अपनी गलती का एहसास होता है और वह लिली के पास पहुंचने की कोशिश करता है। लेकिन वह उससे कहती है कि वह उसे अब और परेशान न करें और अपने करियर पर ध्यान दें। फिर वह अपने दादाजी की सलाह पर यात्रा करने के लिए घर छोड़ देता है। उसके घर छोड़ने के तीन साल बाद, वह एक डॉक्टर से मिलने हैदराबाद जाता है और उसे जया और उसके पति दिखता है। तभी बॉबी को पता चलता है कि नेशनल सिलेक्शन के दिन लिली का एक्सीडेंट हो गया था। वह उसे अस्पताल से बाहर ले जाता है और उसे शारीरिक और भावनात्मक रूप से ठीक करने के लिए केरल की सड़क यात्रा पर ले जाता है। उसका पैर ठीक हो जाता है और वह धीरे-धीरे अपने पूर्व हंसमुख स्वभाव में वापस आती दिखाई देती है। वह उसे वापस उसके घर छोड़ देता है। डॉक्टर उसे चेतावनी देते हैं कि वह बाहर से खुश दिख सकती है, लेकिन उसके अंदर दर्द छिपा है। फिर वह बॉबी से उससे शादी करने के लिए कहती है। लेकिन बॉबी का कहना है कि उनकी शादी की कोई जल्दी नहीं है। आश्चर्य के साथ लिली खुलासा करती है कि उसने क्रिकेट छोड़ दिया है। वह बॉबी पर गुस्सा करती है कि वह लगातार उसे अपने क्रिकेट जीवन में वापस जाने के लिए मजबूर करता है और चला जाता है। लिली महसूस करती है कि बॉबी उस भावुक प्यार को भूल गया है जो उसने एक बार उसके लिए किया था। उसी समय, बॉबी को आश्चर्य होने लगता है कि लिली का क्रिकेट के प्रति जुनून अचानक से क्यों खो गया है। मुख्य कलाकार विजय देवरकोंडा — बॉबी रश्मिका मंदाना — लिली श्रुति रामचंद्रन — जया, लिली की कज़िन बहन राज अर्जुन — रमेश राव सुहास — मार्टिन विकास — रघु दिव्या श्रीपदा — अनीता, रघु की प्रेमिका चारुहासन — बॉबी के दादा आनंद — बॉबी के पिता कल्याणी नटराजन — बॉबी की मां प्रत्यूषा जोनलगड्डा — रुबीना के रूप में तुलसी — जया की मां संजय स्वरूप — लिली के पिता अश्रिता वेमुगंती — लिली की मां श्रीकांत अयंगर — पुलिस अधिकारी सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ तेलुगू फ़िल्में
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कामरान गुलाम
कामरान गुलाम (जन्म 10 अक्टूबर 1995) एक पाकिस्तानी क्रिकेटर हैं। वह 2014 आईसीसी अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप के लिए पाकिस्तान के दस्ते का हिस्सा थे। सितंबर 2019 में, उन्हें खैबर पख्तूनख्वा के दस्ते में 2019-20 क्वैद-ए-आज़म ट्रॉफी टूर्नामेंट के लिए नामित किया गया था। दिसंबर 2020 में, क्वैड-ए-आज़म ट्रॉफी के एक ही सीज़न में 1,000 रन बनाने वाले पहले क्रिकेटर बनने वाले 2020-21 क्वैड-ए-आज़म ट्रॉफी के दौरान, क्योंकि टूर्नामेंट पिछले वर्ष फिर से शुरू किया गया था। उसी महीने बाद में, उन्हें 2020 पीसीबी अवार्ड्स के लिए घरेलू क्रिकेटरों में से एक के रूप में चुना गया। जनवरी 2021 में, 2020-21 क्वैड-ए-आज़म ट्रॉफी के फाइनल में, उन्होंने मैच की दूसरी पारी में शतक बनाया और टूर्नामेंट के एकल संस्करण में सर्वाधिक रन बनाने के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया। फाइनल के बाद, उन्हें टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के रूप में नामित किया गया। जनवरी 2021 में, उन्हें 2020-21 पाकिस्तान कप के लिए खैबर पख्तूनख्वा के दस्ते में नामित किया गया था। उसी महीने बाद में, उन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ श्रृंखला के लिए पाकिस्तान के टेस्ट टीम में नामित किया गया था। सन्दर्भ जीवित लोग पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी 1995 में जन्मे लोग
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%20%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%A4
कुब्रा सैत
कुब्रा सैत एक भारतीय अभिनेत्री टीवी होस्ट और मॉडल हैं। उन्होंने सुलतान, रेडी और सिटी ऑफ लाइफ़ जैसी फिल्मों काम किया है। नेटफ्लिक्स के शो सेक्रेड गेम्स के पहले सीज़न में कुकू के रूप में उनके प्रदर्शन से उन्हें काफ़ी पहचान मिली। उन्होंने एप्पल टीवी+ शो फाउंडेशन में फ़ारा कीन की भूमिका भी निभाई। प्रारंभिक जीवन और कैरियर कुब्रा सैत का जन्म बेंगलुरु में जकारिया सैत और यास्मीन सैत के घर हुआ था। उनके छोटे भाई दानिश सैत एक रेडियो जॉकी और टेलीविजन होस्ट हैं। उनके चाचा तनवीर सैत एक राजनीतिज्ञ हैं। उनके दादा अज़ीज़ सैत कर्नाटक में एक मंत्री थे। 2005 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन एंड मैनेजमेंट साइंसेज, बेंगलुरु से स्नातक करने के बाद कुब्रा दुबई चली गईं। जब वे लगभग तेरह साल की थीं, तब उन्होंने शो की मेजबानी करना शुरू कर दिया था। कुब्रा ने मनोरंजन उद्योग में अपना भविष्य बनाने से पहले दुबई में माइक्रोसॉफ़्ट के साथ एक अकाउंट मैनेजर के रूप में काम किया। वे 2013 में भारत की सर्वश्रेष्ठ महिला एम्सी पुरस्कार की विजेता हैं। उन्होंने 2009 में मिस इंडिया वर्ल्डवाइड ब्यूटी पेजेंट में मिस पर्सनैलिटी का ख़िताब भी जीता। सैत को नेटफ्लिक्स शो सैक्रेड गेम्स में कुकू नाम की एक ट्रांसजेंडर महिला की भूमिका के लिए प्रशंसा भी मिली। संदर्भ बाहरी कड़ियाँ अभिनेत्री मॉडल बंगलोर के लोग
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अन्ना सुवोरोवा
अन्ना ए सुवोरोवा (जन्म 11 जनवरी 1949, मास्को) एक रूसी ओरिएंटलिस्ट और कला आलोचक है। वह रूसी और उर्दू में द्विभाषी है। जीवनी सुवोरोवा, ओरिएंटल स्टडीज संस्थान (रूसी एकेडमी ऑफ साइंसेज) में एशियाई साहित्य विभाग की प्रमुख, ओरिएंटल और शास्त्रीय संस्कृति संस्थान (मानविकी के लिए रूसी स्टेट यूनिवर्सिटी) में इंडो-इस्लामिक संस्कृति की प्रोफेसर, नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स (पाकिस्तान) में अंतरराष्ट्रीय फैकल्टी की सदस्य, लिंग और संस्कृति के अध्ययन केंद्र (पाकिस्तान), अकादमिक सलाहकार बोर्ड की सदस्य, रॉयल एशियाटिक सोसाइटी (ब्रिटेन) की फ़ैलो है। दक्षिण-एशियाई पूर्व आधुनिक साहित्य, भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लाम, सूफीवाद, दक्षिण-एशियाई प्रदर्शन और दृश्य कला उसके अनुसंधान के मुख्य क्षेत्र हैं। पाकिस्तानी साहित्य और सांस्कृतिक विरासत के शोध में उनके योगदान के लिए उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च राज्य पुरस्कार सितारा-इ-इम्तियाज से सम्मानित किया गया है। चयनित कार्य Masnavi: A Study of Urdu Romance. — कराची ओक्सफ़रड यूनीवर्सिटी प्रैस, 2000. Muslim Saints of South Asia: the eleventh to fifteenth century. — London—N.Y.: Routledge, 2004. बर-ए सगीर के औलिया और उनके मजार — लाहौर: मशाल, 2007 Early Urdu Theatre: traditions and transformations. — लाहौर नैशनल कॉलेज आफ़ आर्ट, 2009. A new wave of Indian inspiration. Translations from Urdu in Malay Traditional Literature and Theatre. Naya Drama in India: Rediscovering the Self in the Western Mirror. Lahore: Topophilia of Space and Place. - कराची ओक्सफ़रड यूनीवर्सिटी प्रैस, 2011 सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Reinterpreting Anarkali Lectures in the National College of Arts, 2009. 1949 में जन्मे लोग जीवित लोग उर्दू थीएटर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%95%E0%A4%BE
कालका
कालका (Kalka) भारत के हरियाणा राज्य के पंचकुला ज़िले में स्थित एक नगर है। यह हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित है और यहाँ से गुज़रने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 5 उस राज्य के में प्रवेश का एक मुख्य मार्ग है। इतिहास इस शहर का नाम प्रसिद्ध प्राचीन कालिका माता मंदिर पर है। आवागमन सड़क मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग ५ पर हरियाणा के पिंजौर व हिमाचल प्रदेश के परवाणू के बीच स्थित है। हाल ही में राष्ट्रीय राजमार्ग २२ पर बाईपास (हिमालयन एक्सप्रेसवे) बना दिया गया है, जो पिंजौर, परवाणू तथा कालका को बाहर से ही लांघ कर निकल जाता है। अतः अंबाला या चंडीगढ़ की तरफ से कालका जाने के लिए यात्रियों को खास ध्यान रखना चाहिए पिंजौर से ठीक पहले राष्ट्रीय राजमार्ग छोड़कर बाएं मुड़ें। शिमला से आते समय परवाणू से ठीक पहले राष्ट्रीय राजमार्ग छोड़कर दाएं मुड़ें। रेल मार्ग निकटतम रेलवे स्टेशन - कालका रेल मार्ग- दिल्ली कालका मुख्य रेल मार्ग, कालका शिमला नैरो गेज रेल मार्ग। कालका शिमला रेल मार्ग युनेस्कोके हेरिटेज स्थानो कि सूची में समाविष्ट है। वायु मार्ग निकटतम हवाई अड्डा - चंडीगढ़। दर्शनीय स्थल धार्मिक कालिका माता मंदिर यहाँ का सबसे लोकप्रिय स्थल है। स्थानीय बाज़ार में मिट्टी, चीनीमिट्टी (सिरेमिक्स) आदि की कलाकृतियों की दुकानें देखने लायक हैं। इसके अलावा, कालका के आसपास और भी दर्शनीय जगह है। जैसे की: पिंजौर गार्डन मोरनी की पहाड़ियां भीमा देवी मंदिर स्थल संग्रहालय श्री त्रिमूर्तिधाम बालाजी हनुमान मंदिर शिवलोत्तरीया इन्हें भी देखें कालका शिमला रेलवे पंचकुला ज़िला बाहरी कडियाँ कालका शिमला रेल मार्ग पर ट्रेनो कि संख्या बढाई गयी कालका से शिमला टोय ट्रेन कि समयसुची, तिकीटो कि किमत, जानकारी सन्दर्भ हरियाणा के शहर पंचकुला ज़िला पंचकुला ज़िले के नगर हरियाणा में हिल स्टेशन हरियाणा में हिन्दू मन्दिर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%B0%20%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9
परमवीर सिंह
विंग कमांडर परमवीर सिंह (जन्म 28 जुलाई 1975) भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी और साहसी एथलीट हैं। वो खुले जल में लम्बी दूरी के तैराक हैं जिन्होंने इंग्लिश चैनल में तैराकी का नेतृत्व किया। इसके अलावा उन्होंने गंगा नदी में भी लम्बी तैराकी का कीर्तिमान अपने नाम कर रखा है। प्रारंभिक अभियान परम ने प्रतिस्पर्धी तैराकी की शुरुआत अपने विद्यालयी दिनों में ही आरम्भ कर दी थी। 26 जून और 5 जुलाई 2012 को पहली बार भारतीय सेना से पहली बार इंग्लिश चैनल में तैराकी की गयी। इस समय में दो बार इंग्लैण्ड से फ़्रान्स तक दो बार इंग्लिश चैनल पार करने वाली भारतीय वायु सेना की टीम का सिंह ने नेतृत्व किया। सन्दर्भ 1975 में जन्मे लोग भारतीय वायुसेना के अधिकारी
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9B%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%B2
छेनी तारामंडल
छेनी या सीलम (अंग्रेज़ी: Caelum) खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक धुंधला-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा १८वी सदी में फ़्रांसिसी खगोलशास्त्री निकोला लूई द लाकाई (Nicolas Louis de Lacaille) ने की थी। इसका नाम एक तराशने के औज़ार पर रखा गया है जिसे हिंदी में "छेनी", लातिनी में "सीलम" और अंग्रेज़ी में चिज़ल (chisel) कहते हैं। छेनी तारामंडल में ८ तारें हैं जिन्हें बायर नाम दिए जा चुके हैं, जिनमें से अगस्त २०११ तक किसी के भी इर्द-गिर्द कोई ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करता हुआ नहीं पाया गया था। इस तारामंडल में कोई भी तारा ४ खगोलीय मैग्नीट्यूड से अधिक चमक नहीं रखता। याद रहे कि मैग्नीट्यूड की संख्या जितनी ज़्यादा होती है तारे की रौशनी उतनी ही कम होती है। छेनी तारामंडल का सब से रोशन तारा अल्फ़ा सिलाइ (α Caeli) नाम का एक दोहरा तारा है। इस तारामंडल में एक अन्य तारा गामा सिलाइ (γ Caeli) नामक तारा भी है जिसको शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर ज्ञात होता है के यह वास्तव में एक दोहरे तारे और एक द्वितारे का जोड़ा है (यानि कुल मिलकर चार ज्ञात तारे हैं)। इस तारामंडल में कुछ आकाशगंगाएँ भी हैं लेकिन वे केवल शक्तिशाली दूरबीनों से ही नज़र आती हैं। इन्हें भी देखें दोहरा तारा द्वितारा तारामंडल सन्दर्भ तारामंडल हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
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शानिया ट्वैन
शानिया ट्वैन, OC (28 अगस्त,1965) एक कनाडाई पॉप गायिका हैं। उनका तीसरा एल्बम कम ऑन ओवर किसी महिला संगीतकार द्वारा सर्वकालीन सबसे अधिक बिकने वाला तथा साउंड स्कैन युग में किसी संगीतकार द्वारा दूसरा सबसे अधिक बिकने वाला तथा इतिहास में देशीय संगीत का सबसे अधिक बिकने वाला एल्बम है। वे ऐसी पहली महिला संगीतकार हैं जिनके तीन एल्बमों को अमेरिका के रिकॉर्डिंग उद्योग एसोसियेशन ने डायमंड प्रमाणित किया और वे कनाडा में सबसे अधिक बिक्री वाले कलाकारों में भी साथी कनाडाई कलाकार सेलिन डियोन के बाद दूसरे स्थान पर हैं, जिनके तीन स्टूडियो एल्बमों को कनाडाई रिकॉर्डिंग उद्योग एसोसियेशन द्वारा डबल डायमंड प्रमाणित किया जा चुका है। ट्वैन को समीक्षात्मक तथा वित्तीय दोनों तरह की सफलता हासिल हुई है। उन्होंने पांच ग्रैमी पुरस्कार, 27 बीएमाई गीतकार अवार्ड जीते हैं और साथ ही आज की तारीख में उन्होंने दुनिया भर में 65 मिलियन एल्बमों की बिक्री की है जिसमें सिर्फ अमेरिका में ही 48 मिलियन की बिक्री की. 5 अप्रैल 2008 तक अपेक्षाकृत कम रिलीज़ों के आधार पर तकरीबन 33,591,000 की बिक्री के साथ उन्हें नील्सन साउंडस्कैन युग के 10वें सबसे अधिक बिक्री वाले कलाकार के ओहदे पर बिठाया गया है। प्रारंभिक वर्ष शानिया ट्वैन का जन्म ओन्टारियो के विंडसर में एलीन रेजिना एडवर्ड्स के रूप में क्लेरेंस और शैरोन एडवर्ड्स के घर हुआ। जब वे दो वर्ष की थी तो उनके माता-पिता का तलाक़ हो गया और उनकी मां एलीन और उनकी बहन जिल को लेकर ऑन्टेरियो के टिमिंस में चली गयी और जहां उन्होंने एक ओजिब्वा जेरी ट्वैन से शादी रचाई। उसने कानूनी तौर पर लड़कियों को गोद लेते हुए उनका पदनाम बदल कर ट्वैन रख दिया। अपने सौतेले पिता के साथ संबंध के कारण पहले लोग यही समझते रहे कि ट्वैन के पूर्वज ओजिब्वा थे, लेकिन उन्होंने अपने एक साक्षात्कार में स्पष्ट किया कि उनके जैविक पिता पार्ट क्री थे। अपनी मातृपक्ष की ओर से वे ज़चारी क्लौटियर की वंशज थी। पांच भाई-बहनों में से एक एलीन ट्वैन का बचपन टिमिंस में कठिनाइयों भरा रहा। उनके माता-पिता की आय सीमित थी और घर में अक्सर खाने के भी लाले पड़ जाते थे। एक वक़्त ऐसा भी आया जब जेरी काम पर गया हुआ था तो उनकी मां बाकी पूरे परिवार को टोरंटो स्थित बेघर लोगों के एक आश्रय में सहायता मांगने के लिए ले गई। उन्होंने अपनी परिस्थिति स्कूल प्राधिकारियों को इस डर से नहीं बताई कि कहीं वे उनके परिवार को तोड़ न दें। दूरस्थ इलाक़े में बीहड़ समुदाय के बीच उन्होंने शिकार करना और लकड़ियां काटना सीखा। ऑन्टेरियो के एक मैक्डोनाल्डस रेस्तरां में काम करने के साथ-साथ बहुत कम उम्र से ही अपने परिवार को सहारा देने के लिए स्थानीय क्लबों और बारों में गाने गा कर ट्वैन पैसे कमाने लगी. साधन जुटाने की जद्दोजहद में वे आठ साल की उम्र में ही बारों में गाने लगी, जिससे उन्हें अक्सर बीच रात तक बीस डॉलर की कमाई हो जाती थी और जब बार में परोसना ख़त्म हो जाता था तो वह सुबह तक बाकी बचे ग्राहकों के लिए गाने गाती रहती थी। हालांकि उन्होंने इस तरह के धुएं भरे माहौल में इतनी कम उम्र से गाना गाने के प्रति अपनी नापसंदगी ज़ाहिर की है, लेकिन शानिया का मानना है कि यह उनके लिए सड़कों पर एक कला विद्यालय की तरह था जिससे उन्हें एक सफल गायिका बनने में मदद मिली. शानिया ने इस कठिन परीक्षा के बारे में कहा है "मेरा गहरा जुनून संगीत था और इससे मुझे मदद मिली। ऐसे पल भी आये जब मुझे महसूस हुआ कि 'मैं इससे नफरत करती हूं'. मुझे बारों में जाने और शराबियों के बीच रहने से घिन आती थी। लेकिन मैंने संगीत से मुहब्बत की और इसीलिए मैं ज़िंदा हूं।" ट्वैन ने अपने पहले गाने इज़ लव अ रोज़ और जस्ट लाइक द स्टोरी बुक्स दस साल की उम्र में लिखे जो रिदम में कहे गए परीकथा थे। एक बच्चे के रूप में ट्वैन का वर्णन उसकी एक बचपन की करीबी सहेली ने "एक बेहद गंभीर बच्ची जो अपना ज़्यादातर समय अपने कमरे में ही बिताती थी" के रूप में किया है।" वास्तव में गाने लिखने की सृजन कला "उन्हें प्रस्तुत करने से काफी अलहदा थी और वह उत्तरोत्तर महत्वपूर्ण बनता चला गया।" 1980 के दशक की शुरुआत में शानिया ने कुछ वक़्त उत्तरी ऑन्टेरियो में अपने पिता के वनीकरण के व्यवसाय में बिताया. इस व्यवसाय से परिवार गहरे जुड़ा हुआ था और उसमें कुछ ओजिब्वे और क्री कामगार काम करते थे। हालांकि वहां काम का भारी दबाव था और पैसे बहुत कम मिलते थे पर ट्वैन ने अपने उस अनुभव के बारे में कहा है कि "मुझे अपने पैरों पर खड़े होना का अहसास बहुत प्यारा लग रहा था। मैं अपने माहौल में रहने और उसमें कठिन मेहनत करने से नहीं डरती. मैं बहुत मज़बूत थी, हर रोज़ मीलों चलती थी और पेड़ों के भारी बोझ उठाती थी। आप शैम्पू नहीं कर सकते, साबुन, दुर्गन्धनाशक का उपयोग या श्रृंगार या किसी भी तरह की खुशबू वाली चीज़ का इस्तेमाल नहीं कर सकते; आपको झील में नहाना होता है और वहीं अपने कपड़े धोने होते हैं। वहां रहना काफी बीहड़ अनुभव था लेकिन मैं सृजनशील थी और अपने कुत्ते और गिटार के साथ जंगल में अकेले बैठी गाने लिखा करती थी। पेशेवर संगीत ऐलीन ट्वैन के रूप में कैरियर 13 साल की उम्र में भावी "शानिया" ट्वैन को CBC टेलीविज़न के टॉमी हंटर शो में प्रस्तुति करने के लिए आमंत्रित किया गया। टिमिंस स्थित टिमिंस हाई एंड वोकेशनल स्कूल जाने के साथ-साथ वे "लाँगशॉट" नामक एक स्थानीय बैंड की गायिका रही, जो टॉप 40 पर पहुंचा। जुलाई 1983 में टिमिंस हाई से स्नातक करने के बाद ट्वैन अपने सांगीतिक क्षितिज को बढ़ाने की इच्छुक थी। अपने बैंड लाँगशॉट के बंद हो जाने पर ट्वैन को डाइन चेज़ द्वारा चलाये जाने वाले "फ्लर्ट" नामक कवर बैंड ने संपर्क किया, जिसके साथ उन्होंने समूचे ऑन्टेरियो का दौरा किया। उन्होंने टोरंटो के कोच इयान गैरेट से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू की और अक्सर अपनी शिक्षा के एवज में पैसे नहीं चुका पाने के कारण भुगतान के रूप में उनका घर साफ़ किया करती थी। 1984 की शरद ऋतु में ट्वैन की प्रतिभा को टोरंटो के DJ स्टेन कैम्पबेल ने परखा तथा कंट्री म्यूज़िक न्यूज़ के एक लेख में उनके बारे में लिखा "एलीन के पास प्रभावशाली रेंज के साथ एक शक्तिशाली आवाज है। उनके पास अपेक्षित ड्राइव, महत्वाकांक्षा और अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण है।" कैम्पबेल ने कनाडाई संगीतकार (और आज के CKTB रेडियो हस्ती) टीम डेनिस का एल्बम बनाया और ट्वैन ने उस एल्बम के हेवी ऑन द सनशाइन में सहायक गायिकाओं में से एक की भूमिका निभाई. कैम्पबेल बाद में ट्वैन को कुछ डेमो रिकॉर्ड करने के लिए नैशविले लेकर गए, जिसके लिए ट्वैन को ख़ास तौर पर पैसे लगाने में मुश्किलें आ रही थीं। इस दौरान ट्वैन की मुलाक़ात क्षेत्रीय गायक मेरी बैले से हुई जिसके कुछ गाने 1976 में देश में काफी सफल हुए थे। बैले ने उन्हें ऑन्टेरियो के सडबरी में प्रदर्शन करते हुए देखा था और कहा "मैंने इस नन्ही सी लड़की को मंच पर गिटार के साथ देखा और मैं पूरी तरह से विभोर हो गया। उसने विली नेल्सन की "ब्लू आइज़ क्राइंग इन द रेन" और हंक विलोइयाम्स की "आई एम सो लोनसम आई कुड क्राई" प्रस्तुत किया था। उसकी आवाज़ ने मुझे तान्या टकर की याद दिला दी, उसमें शक्ति, चरित्र और ढ़ेर सारी भावना थी। वह एक स्टार है और उसे मौका मिलना ही चाहिए." बैले ने बाद में कहा "उसने खुद अपने लिखे कुछ गाने गाये और मैं हैरत में पड़ गया कि आखिर उन्नीस साल की एक बच्ची में इतना सब कुछ आता कहां से है? यह साठ साल के व्यक्ति की अभिव्यक्ति जितना गहरा था।" मेरी बैले ने स्टान कैम्पबेल से अनुबंध खरीद लिया और ट्वैन लेक केनोगामी स्थित बैले के घर चली गई, जहां वह हर रोज़ घंटों अपने संगीत का रियाज़ करती. 1985 के अंत में बैले ट्वैन को नेशेविले एक रिकॉर्ड निर्माता मित्र टोनी मिग्लियोर के साथ रहने के लिए लेकर गए, जो उस वक़्त साथी कनाडाई गायिका केलिटा हेवरलैंड के लिए एक एल्बम का निर्माण कर रहे थे। ट्वैन ने उसके टू हॉट टू हैंडल गाने में सहायक गायिकाओं की भूमिका निभाई. उन्होंने सिरिल रॉसन के साथ एक प्रायोगिक गाने की रिकॉर्डिंग की, जो असफल रही. इसका आंशिक कारण ट्वैन की एक रॉक गायिका बनाने की तमन्ना थी न कि क्षेत्रीय गायिका. पांच महीने बाद वे कनाडा लौट आई और बैले के साथ डाउनटाउन किर्कलैंड के एक फ्लैट में रहने आ गईं। वहां पर वे एक रॉक कीबोर्डवादक एरिक लेम्बियर और ड्रम वादक रेंडी यारको से मिली और उन्होंने एक नया बैंड बनाया जिसके तीन महीने बाद वे टोरंटो के समीप बोमैनविले में आ गईं. 1986 की गर्मियों के आख़िर में मेरी बैले ने ट्वैन की मुलाक़ात जॉन किम बेल से करवाई जो आधे मोहौक तथा आधे अमेरिकी संयोजक थे और जिनका कनाडियन कंट्री म्यूज़िक एसोसिएशन के निदेशक के साथ करीब का रिश्ता था। बेल ने ट्वैन की क्षमता और रूप दोनों को पहचाना और दोनों अपनी विपरीत पृष्ठभूमि के बावजूद गुपचुप मिलने लगे. 1986 के आख़िर में ट्वैन ने क्षेत्रीय की बजाय एक पॉप या रॉक गायिका बनाने की अपनी तमन्ना ज़ाहिर करनी शुरू की, जिसकी वजह से दो साल के लिए मेरी बैले के साथ उनका संपर्क टूटा और उन्हें कोई सफलता हासिल नहीं हुई. उन्हें पहला मौका 8 फ़रवरी 1987 को तब मिला जब बेल ने टोरंटो स्थित रॉय थॉम्पसन हॉल में नेशनल एबऑरिजिनल एचिवमेंट फाउंडेशन के लिए निधि इकठ्ठा करने के लिए एक कार्यक्रम का मंचन किया, जिसमें ट्वैन ने ब्रॉडवे कलाकार बर्नाडेट पीटर्स, जैज़ गिटारवादक डॉन रॉस एवं टोरंटो सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा के साथ प्रस्तुति की. उनकी प्रस्तुति को थोड़ी-बहुत सराहना मिली लेकिन इससे पॉप संगीत से घृणा करने वाले बेल को यह स्पष्ट हो गया कि ट्वैन को इससे कोसों दूर रहना चाहिए और क्षेत्रीय संगीत पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। 1 नवम्बर 1987 को ट्वैन को पता चला कि उनकी माता तथा सौतेले पिता का एक कार दुर्घटना में निधन हो गया था। वे अपने सौतेले भाइयों मार्क और डेरिल तथा सौतेली बहन कैरी ऍन को ऑन्टेरियो के हंट्सविले ले आई तथा वहां करीब के डियरहर्स्ट रिसॉर्ट में प्रदर्शन कर उन्होंने अपने परिवार की देखरेख की. 1993-1994: शानिया ट्वैन जब ट्वैन के भाई-बहन अपने पैरों पर खड़े होकर चले गए तो उन्होंने अपने गानों की एक डेमो टेप तैयार की और उनके मैनेजर ने ट्वैन के हुनर को रिकॉर्ड अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए एक शोकेस बनाया. ट्वैन ने मर्करी नैशविले रिकॉर्ड्स सहित कुछ लेबलों का ध्यान आकर्षित किया, जिसने कुछ ही महीनों बाद उन्हें साइन कर लिया। इस दौरान उन्होंने अपना नाम बदल कर शानिया रख लिया। यह एक ओजिब्वा लफ्ज़ है, जिसका अर्थ है "मंज़िल की ओर". ट्वैन का अपने नाम पर बनाया गया पहला एल्बम अपने देश के बाहर दर्शक जुटाते हुए उत्तर अमेरिका में 1993 में रिलीज़ हुआ। यह एल्बम अमेरिकी कंट्री एल्बम्स चार्ट पर #67 तक ही पहुंच पाया, लेकिन इसे समालोचकों से काफी सकारात्मक समीक्षाएं प्राप्त हुईं. एल्बम के दो गाने "वाट मेड यू से दैट" और "डांस विद द वन दैट ब्रॉट यू" अमेरिका में मामूली सफल हुए. यह यूरोप में ज़्यादा सफल हुआ, जहां ट्वैन ने कंट्री म्यूज़िक टेलीविज़न यूरोप का "वर्ष की उभरती वीडियो प्रतिभा" अवार्ड जीता. शुरूआती तौर पर एल्बम की कुछ ख़ास प्रतियां नहीं बिकी, हालांकि ट्वैन को भविष्य में मिली की सफलता ने छः साल बाद एल्बम को RIAA द्वारा एक मिलियन से ज्यादा की बिक्री दर्ज करते हुए प्लैटिनम प्रमाणित करने की काफी वजह दे दी थी। उसी वर्ष ट्वैन ने सैमी कर्शौ के एल्बम "हॉरन्टेड हार्ट" के लिए सद्भावना गीत गाये. 1995-1996 : द वुमन इन मी जब रॉक निर्माता रॉबर्ट जॉन "मट" लैंग ने ट्वैन के मूल गानों तथा उनके गायन को सुना तो उन्होंने उन्हें वित्तीय संबल देने तथा उनके लिए गाने लिखने की पेशकश की. (ट्वैन के प्रबंधक मेरी बैले को पहले-पहल ये पता ही नहीं था कि वह है कौन) दूरभाष पर कई बार बातचीत करने के बाद 1993 में वे नैशविले के फैन फेयर में मिले. ट्वैन और लैंग कुछ ही हफ़्तों में काफ़ी घनिष्ठ हो गए। लैंग और ट्वैन ने या तो खुद या दोनों ने संग में मिलकर गाने लिखे जो उनके दूसरे एल्बम द वुमन इन मी का हिस्सा बनेंगे. द वुमन इन मी 1995 के बसंत में जारी किया गया। एल्बम का पहला एकल "हूज़ बेड हैव बूट्स बीन अंडर?" बिलबोर्ड कंट्री चार्ट पर #11 पर पहुंचा। इसके बाद उनका पहला टॉप 10 और #1 सफल गाना "एनी मैन ऑफ माइन" आया। ट्वैन ने #14 पर पहुंचने वाले एल्बम के शीर्षक गाने सहित "(इफ यू आर नॉट इन इट फॉर लव) आई एम आउट ऑफ हियर!", "यू विन माई लव" तथा "नो वन नीड्स टू नो" आदि #1 पर पहुंचे और तीन हिट गाने दिए. 2007 तक आते-आते इसने 12 मिलियन प्रतियों से भी ज़्यादा की बिक्री की. इस एल्बम को शीघ्रता से सफलता मिली. शानिया ने नैशविले के गिटार वादक रेंडी थॉमस ("बटरफ्लाईज़ किसेज़" गाने के सह-गीतकार) और बीच बॉयज़ के पूर्व कलाकार स्टेनली टी. के साथ कुछ चुने हुए अंतर्राष्ट्रीय प्रस्तुतियां तथा टेलिविज़न कार्यक्रम किये. मर्करी रिकॉर्ड्स द्वारा इस एल्बम के प्रचार का मुख्य आधार बड़े पैमाने पर इसका कामुक संगीत वीडियो की श्रृंखला था। द वुमन इन मी ने सर्वश्रेष्ठ कंट्री एल्बम के साथ-साथ वर्ष के सर्वश्रेष्ठ एल्बम के लिए कंट्री म्यूज़िक का अकैडमी अवार्ड जीता. इनमें से दूसरे समूह ने ट्वैन को सर्वश्रेष्ठ नवागत महिला गायिका के सम्मान से भी नवाज़ा. 1997-2000: कम ऑन ओवर 1997 में ट्वैन ने अपना अगला एल्बम कम ऑन ओवर रिलीज़ किया। यह वो एल्बम था जिसने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक सफल गायिका का दर्जा दिलाया। धीरे-धीरे इस एल्बम ने परत दर परत बिक्री बढ़ानी शुरू की। हालांकि यह कभी शीर्ष पर नहीं पहुंच पाया लेकिन बहुतेरे चार्टों पर सफल एकल गाने "यू आर स्टिल द वन" की वजह से इसकी बिक्री बुलंदी का आसमान चूम रही थी। "डोंट बी स्टूपिड", "हनी, आई एम होम", "मैन!आई फील लाइक अ वुमन!", "दैट डोंट इम्प्रेस मी मच" और "फ्रॉम दिस मोमेंट ऑन" आदि अन्यान्य गाने उन 12 गानों में शामिल हो गए जो अंततः एकल के रूप में रिलीज़ किये गए। "फ्रॉम दिस मोमेंट ऑन" गायक ब्रायन व्हाईट के साथ गाया हुआ एक युगल गीत है। यह एल्बम अगले दो वर्षों तक चार्ट पर बना रहा एवं कम ऑन ओवर ने अमेरिका में 2 करोड़ तथा दुनिया भर में 3.5 करोड़ से अधिक प्रतियों की बिक्री करते हुए इसे एक महिला संगीतकार द्वारा सर्वकालीन सबसे अधिक बिकने वाला एल्बम बनाया। यह अमेरिका में किसी भी प्रकार के कलाकार द्वारा आठवां सबसे अधिक बिकने वाला एल्बम बना। इस एल्बम के गानों ने अगले दो वर्षों में चार ग्रैमी अवार्ड जीते, जिनमें सर्वश्रेष्ठ कंट्री गीत तथा ट्वैन के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला कंट्री कलाकार ("यू आर स्टिल द वन" तथा "मैन! आई फील लाइक अ वुमन!" के लिए) शामिल हैं। लैंग ने "यू आर स्टिल द वन" और "कम ऑन ओवर" के लिए ग्रैमी पुरस्कार जीते। यही वह वक़्त था जब कई अवसरों पर ट्वैन ने अपने लेखन पर साथी कनाडाई संगीतकारों द बैरेनाकेड लेडीज़ का व्यापक प्रभाव होने का ज़िक्र किया। एल्बम की रिकॉर्ड बिक्री के बावजूद यह बिलबोर्ड 200 पर #2 पर पहुंच कर रह गया और शीर्ष स्थान पर अपनी जगह नहीं बना पाया। 1999 में यूरोपीय बाज़ार के मद्देनज़र एल्बम "कम ऑन ओवर" को देसी वाद्यों के कम समावेश के साथ एक पॉप एल्बम के रूप में रिमिक्स किया गया, जिसने उन्हें यूरोप में वाक़ई एक बड़ी कामयाबी दिलाई. वह और उनके निर्माता पति इतने अरसे से इसी कामयाबी की राह जोह रहे थे। "कम ऑन ओवर" ब्रिटेन के एल्बम चार्ट पर पूरे ग्यारह हफ़्तों तक #1 पर बना रहा. यह एल्बम ग्रेट ब्रिटेन में उस वर्ष का सबसे अधिक बिकने वाला एल्बम और साथ ही जर्मनी में एक मिलियन से अधिक प्रतियां तथा अकेले ब्रिटेन में तकरीबन 4 मिलियन प्रतियों की बिक्री करते हुए अन्यान्य बड़े यूरोपीय बाजारों में एक बेस्टसेलर बना. जिन गानों ने आख़िरकार यूरोप का ध्यान एल्बम की ओर खींचा वे थे, पॉप के साथ रिमिक्स किये हुए एकल ब्रिटेन में #3 पर आसीन तथा 1999 की गर्मियों में जर्मनी में शीर्ष 10 हिट गानों की सूची में शुमार दैट डोंट इम्प्रेस मी मच तथा मैन! आई फील लाइक अ वुमन! जो उस वर्ष की शरद ऋतु में ब्रिटेन तथा फ्रांस दोनों देशों में #3 पर पहुंचा। इसके अलावा इस एल्बम ने, 99 हफ़्तों तक शीर्ष 20 में बने रहकर, बिलबोर्ड 200 पर सबसे अधिक दिनों तक टिके रहने का रिकॉर्ड भी बनाया। ट्वैन की मुख्यधारा पॉप स्वीकृति को आगे उनकी 1998 में VH1 दिवा कॉन्सर्ट में प्रस्तुति से, जिसमें उन्होंने मारिया कैरे, सेलिन डियोन, ग्लोरिया स्टीफेन और एरेथा फ्रैंकलिन के साथ गायन किया और VH1 के 1999 के बिहाइंड द म्यूज़िक के व्यापक प्रसारण से मदद मिली, जिसमें उनके प्रारंभिक जीवन के त्रासद पहलुओं और साथ ही उनके शारीरिक आकर्षण और उनके ऐसे संगीत वीडियो बनाने पर नैशविले में हुए प्रारंभिक प्रतिरोध पर जोर दिया गया था। 1998 में ट्वैन ने अपने प्रबंधक जॉन लाण्डौ के सहयोग से, जो ब्रूस स्प्रिंगस्टीन के साथ बड़े पैमाने पर बहुत से दौरों के क्षेत्र में एक दिग्गज हैं, अपना पहला प्रमुख कॉन्सर्ट दौरा शुरू किया। कम ऑन ओवर के प्रदर्शनों को दुनिया भर के दर्शकों ने भरपूर जोश के साथ स्वीकार किया और इसने उन आलोचकों को भी करारा जवाब दे दिया जिनका दावा था कि वे लाइव प्रदर्शन नहीं कर सकतीं. 2000 में ट्वैन शुरूआती तौर पर एक क्रिसमस एल्बम रिलीज़ करने वाली थी लेकिन उसे रिलीज़ करने की योजना उस वर्ष बाद में रद्द कर दिया गया। 2002-2004: "अप!" प्रबंधन में एक बदलाव - लाण्डौ का स्थान क्युप्राइम ने ले लिया - तथा दो वर्ष के विराम के बाद ट्वैन और लैंग स्टूडियो वापस लौटे. अप! 19 नवम्बर 2002 को रिलीज़ किया गया। तकरीबन एक साल बाद ट्वैन ने अप! का दौराहेमिल्टन, औंटेरियो, कनाडा में 25 सितम्बर 2003 को शुरू किया। अप! एक दोहरे एल्बम के रूप में रिलीज़ किया गया था जिसमें तीन अलग अलग डिस्क थे - पॉप (एक लाल CD), कंट्री (एक हरी CD) और अंतर्राष्ट्रीय (एक नीली CD)। उत्तर अमेरिकी बाजारों के लिए पॉप डिस्क को कंट्री डिस्क के साथ और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों के लिए पॉप डिस्क के साथ वर्ल्ड म्यूज़िक डिस्क रखा गया था। अप! को रोलिंग स्टोन नामक पत्रिका ने पांच में से चार सितारे दिए और इसने पहले ही हफ्ते में 874,000 की बिक्री करते हुए बिलबोर्ड एल्बम चार्ट पर सीधे #1 पर शुरुआत की. यह पांच हफ़्तों तक शीर्ष पर बना रहा। अप! जर्मनी में #1 पर, ऑस्ट्रेलिया में #2 पर तथा ब्रिटेन और फ्रांस में शीर्ष पांच पर पहुंचा। जर्मनी में अप! को 4X प्लेटिनम प्रमाणित किया गया और यह डेढ़ वर्षों तक शीर्ष 100 में बना रहा. अंतर्राष्ट्रीय म्यूज़िक डिस्क की रिमिक्स ऑर्केस्ट्रा और पर्कशन वाद्यों की रिकॉर्डिंग मुंबई में कर बॉलीवुड शैली में बनायीं गयी थी। नए संस्करणों के निर्माता बरमिन्घम, इंग्लैंड के दो भाई साइमन और डायमंड दुग्गल थे। उन्हें मूलतः "आई एम गोन्ना गेट्चा गुड!" के पॉप संस्करण के कुछ हिस्सों को बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था। जिसमें बॉलीवुड प्रभाव बना रहा। ब्रिटेन में ट्वैन की लोकप्रियता लम्बे समय से चल रहे सांगीतिक कार्यक्रम टॉप ऑफ़ द पॉप्स में उनकी अनगिनत प्रस्तुतियों से परिलक्षित हो रही थी, जिसमें वे 1999 से कम ऑन ओवर के एकलों की प्रस्तुतियां करती आ रही थीं। 2002 में एक पूरा विशेष कार्यक्रम सिस्टर शो TOTP2 पर उन्हें समर्पित किया गया था, जिसमें ट्वैन ने खुद अपने सबसे हिट गानों की कुछ भूतपूर्व प्रस्तुतियों और अप! के नए एकलों को प्रस्तुत किया। आई एम गौन्ना गेत्चा गुड! का पहला एकल रिलीज़ होने के सिर्फ पांच दिनों के भीतर #24 पर शानदार शुरुआत करने के बाद अमेरिका के कंट्री हिट में शीर्ष 10 में पहुंचा, लेकिन पॉप चार्ट में यह केवल टॉप 40 तक ही अपनी जगह बना पाया। पॉप संस्करण के रूप में रिलीज़ किया गया यह एल्बम अटलांटिक के उस पार काफी सफल रहा. इसके एकल ने ब्रिटेन तथा ऑस्ट्रेलिया में टॉप पांच में तथा साथ ही जर्मनी और फ्रांस में टॉप 15 में अपनी जगह बना ली. अनुवर्ती एकल "अप!" अमेरिकी कंट्री चार्ट में टॉप 15 पर तो पहुंचा लेकिन पॉप टॉप 40 में अपनी जगह नहीं बना पाया। दूसरा यूरोपीय एकल मध्यम-गति गीत "का-चिंग!" बना (जो उत्तर अमेरिका में एक एकल के रूप में कभी रिलीज़ नहीं हुआ), जिसके बोलों के द्वारा ट्वैन अनियंत्रित उपभोक्तावाद की आलोचना करती हैं। यह गीत अंततः जर्मनी, ऑस्ट्रिया और अन्य यूरोपीय देशों में #1 पर तथा ब्रिटेन में टॉप 10 और फ्रांस में टॉप 15 में पहुंचते हुए अहम यूरोपीय बाज़ारों में एक और ज़बरदस्त हिट बना। एल्बम का तीसरा एकल अमेरिका में सबसे सफल बना. रोमांटिक बैले "फॉरएवर एंड फॉर ऑलवेज़" अप्रैल 2003 में एक एकल के रूप में रिलीज़ हुआ और कंट्री चार्ट में #4 की चोटी पर और समकालीन वयस्क चार्ट पर #1 पर पहुंच गया, साथ ही इसने बिलबोर्ड टॉप 20 में भी अपनी जगह बना ली। ब्रिटेन और जर्मनी दोनों में टॉप 10 पर पहुंचते हुए एक बार फिर सफलता अटलांटिक के उस पार कहीं अधिक मिली। इसके बाद वाला एकल शी इज़ नॉट जस्ट अ प्रीटी फेस कंट्री टॉप बना जबकि आखिरी अमेरिकी एकल इट ओनली हर्ट्स वेन आई एम ब्रीदिंग कंट्री और AC, दोनों में टॉप 20 में पहुंच गया। अप! और इसके पहले तीन एकलों को यूरोप में मिली भारी सफलता को देखते हुए 2003 के उत्तरार्द्ध में दो और एकल, अप-टेम्पो थैंक यू बेबी (यूरोप में#11, जर्मनी में टॉप 20 पर) और क्रिसमस के ऐन पहले रोमांटिक और ध्वनिमय बैले वेन यू किस मी जो दोनों ही क्षेत्रों में एक मामूली सफलता थी, रिलीज़ किये गए। शीर्षक गाना "अप!" ने 2004 के प्रारम्भ में यूरोपीय देशों के कुछ हिस्सों में, मसलन जर्मनी में, यह एक एकल के रूप में भी रिलीज़ हुआ। जनवरी 2008 में अप! ने अमेरिका में 5.5 मिलियन प्रतियां बेचीं और इसे RIAA द्वारा 11X प्लेटिनम के रूप में प्रमाणित किया गया (यह संगठन दोहरे एल्बमों को दो अलग-अलग इकाइयों के रूप में गिनती है)। 2003 में ट्वैन ने पार्टन के शास्त्रीय गाने "कोट ऑफ मेनी कलर्स" को एलिसन क्रॉस की पृष्ठभूमि ध्वनियों के साथ गाते हुए डौली पार्टन श्रद्धांजलि एल्बम जस्ट बिकॉज़ आई एम अ वुमन में भाग लिया। यह कवर गाना हॉट कंट्री सौंग्स चार्ट में एक एल्बम कट के रूप में #57 पर पहुंचा। सुपर बॉल XXXVII हाफटाइम शो के दौरान ट्वैन ने दो गानों "मैन!आई फील लैक अ वुमन!" और "अप!" की प्रस्तुति की. 2004-2005: ग्रेटेस्ट हिट्स 2004 में उन्होंने तीन नए गानों के साथ ग्रेटेस्ट हिट्स नामक एल्बम रिलीज़ किया। 2008 तक अमेरिका में इसकी चार मिलियन से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं। पहले एकल बहु-प्रारूपी युगल गीत "पार्टी फॉर टू" ने बिली करिंगटन के साथ कंट्री टॉप टेन में अपनी जगह बना ली, जबकि शुगर रे के प्रमुख गायक मार्क मेकग्रेथ के साथ गाये हुए पॉप संस्करण ने यूनाईटेड किंगडम और जर्मनी में टॉप टेन में अपनी जगह बनाई. अनुवर्ती एकल "डोंट!" और "आई एन्ट नो क्विटर" ने भी कुछ ख़ास कमाल नहीं दिखाया. इनमें से पहला वयस्क समकालीन में टॉप 20 तक ही पहुंच पाया जबकि दूसरा गाना इतना बजा ही नहीं कि वह टॉप 40 तक पहुंच पाए. 19 नवम्बर 2004 को वे BBC के चिल्ड्रेन इन नीड नामक चैरिटी कार्यक्रम में नज़र आई. "अप!" की प्रस्तुति के अलावा उन्होंने एक "ऑल स्टार" जादूगरी वाले अभिनय में एक सेलिब्रिटी सहायक के रूप में भी अभिनय किया, जिसमें "बिल्कुल नामुमकिन" नामक एक भ्रम में एक खाली डिब्बे के अन्दर उन्हें आरी से काट दिया जाता है। अगस्त 2005 में उन्होंने डेस्परेट हाउसवाइव्स नामक साउंड ट्रैक से एक एकल "शूज़" रिलीज़ किया। यह कंट्री चार्ट पर केवल #29 पर ही पहुंच पाया और नतीजतन एक वीडियो बनाने की योजना रद्द कर दी गई। वर्ष 2006-वर्तमान 16 मई 2007 को लास वेगास में आयोजित अकैडेमी ऑफ कंट्री म्यूज़िक अवार्ड में ट्वैन ने कहा कि वे वर्त्तमान में एक नए एल्बम के लिए गाने लिख रही हैं और वे "आत्मा की काफी तलाश" कर रही हैं और "लेखन में मग्न" हैं। ट्वैन ने मोरे के एल्बम के लिए "यू नीडेड मी" गाने में कनाडाई गायक ऐन मोरे के साथ सुर मिलाया, जिसे कनाडा में 13 नवम्बर 2007 को तथा अमेरिका में 15 जनवरी 2008 को रिलीज़ किया गया। 12 नवम्बर 2008 को ट्वैन अपने पूर्व पति रॉबर्ट "मुट" के साथ विच्छेद होने के बाद पहली बार टेलीविज़न पर 42वें CMA अवार्ड में नज़र आयीं, जिसमें वे एक आश्चर्यजनक प्रस्तोता के रूप में आई थी। जनवरी 2009 के शुरुआत में आतंरिक मंचों ने बताया कि ट्वैन अपने नए एल्बम के बारे में 26 जनवरी 2009 को घोषणा करने की योजना बना रही थी लेकिन 22 तारीख को मर्करी नैशविले के एक प्रवक्ता ने कंट्री वीकली को बताया कि "निकट भविष्य" में कोई नया एल्बम रिलीज़ नहीं होने वाला है। जून 2009 में ट्वैन ने अपने प्रशंसकों के लिए एक चिट्ठी जारी की, जिसमें उन्होंने अपने अगले एल्बम के रिलीज़ होने में हो रही देरी की सफाई दी. अगस्त 2009 में ऑन्टेरियो, टिमिंस में आयोजित एक सम्मलेन में ट्वैन के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस गायिका का कोई नया रिकॉर्ड आने के "दूर-दूर तक कोई आसार नहीं" हैं। 17 अगस्त 2009 को EW ने घोषणा की कि ट्वैन अमेरिकन आइडल के अगस्त में शिकागो में होने वाले 30वें और 31वें एपिसोडों में वे एक अतिथि निर्णायक होंगी. 1 जनवरी 2010 को शानिया ने 2010 विंटर ऑलिम्पिक्स टॉर्च रिले के हिस्से के रूप में अपने पूरे गृहनगर में ऑलिम्पिक टॉर्च लेकर दौड़ीं. अप्रैल 2010 में ट्वैन ने अपने निजी टेलीविज़न कार्यक्रम व्हाई नॉट की योजना के बारे में घोषणा की.विथ शानिया ट्वैन नामक कार्यक्रम का OWN: The Oprah Winfrey Networkपर 2011 के प्रारम्भ में शुरू होना निर्धारित है। ट्वैन अमेरिकन आइडल में अतिथि गुरु के रूप में निकट भविष्य में फिर लौटेंगी. विज्ञापन और अन्य उपक्रम संगीत उद्योग से बाहर ट्वैन के वाणिज्यिक विज्ञापनों में 1999 की कॉस्मेटिक विज्ञापनों की एक श्रंखला शामिल है, जो "मैन!आई फील लाइक अ वुमन!" पर आधारित थे। ये रेवलॉन के लिए किए गए थे। उन्होंने कैंडी'ज़ शूज़ और गिटानो जीन्स के विज्ञापनों में भी काम किया, जिसने उन्हें 1998-1999 के कम ऑन ओवर टूर के लिए प्रायोजित भी किया। जनवरी 2005 में ट्वैन ने एक सीमित एडिशन वाले सेंट डिस्क बनाने के लिए फेब्रोज़ के सेंटस्टोरीज़ के साथ जुड़ीं, जो अमेरिका के दूसरे हार्वेस्ट में जा रहा था। 2005 के आख़िर में ट्वैन ने अपने नाम की इत्र "शानिया बाई स्टेटसन" के निर्माण के लिए COTY के साथ साझेदारी की. सितम्बर 2007 में "शानिया स्टारलाइट" नामक एक दूसरा इत्र जारी किया गया। निजी जीवन 28 दिसम्बर 1993 को ट्वैन ने संगीत निर्माता रॉबर्ट जॉन मुट लैंग के साथ शादी रचाई. उन दोनों के एज डी'एंजेलो ("एशिया" के रूप में उच्चरित) नामक एक बेटा है, जो 12 अगस्त 2001 को पैदा हुआ। 15 मई 2008 को मर्करी नैशविले के एक प्रवक्ता ने यह घोषणा की कि ट्वैन और लैंग अलग हो रहे हैं। वे स्विटज़रलैंड के टूर-डी-पील्ज़ में एक घर में और न्यूज़ीलैंड के लेक वनाका के पास एक ऊंचे कंट्री शीप स्टेशन पर रहती हैं। ट्वैन सेंट मैट का अभ्यास करती हैं, जो प्रतिदिन ध्यान और शाकाहार पर ज़ोर देता है। ट्वैन ने कहा है कि वे अपने यौन प्रतीक होने को लेकर असहज महसूस करती हैं और उन्होंने फोटो खिंचवाने के दौरान अक्सर असहज और तनावग्रस्त महसूस किया है। उनका मानना है कि संगीत शाश्वत है, लेकिन एक तस्वीर नहीं. उन्होंने कहा है "जब मैंने गाना शुरू किया तो मैं डौली पार्टन या स्टीव वंडर के लिए एक सहायक गायिका बनना चाहती थी, मैंने कभी भी एक मॉडल या अदाकारा बनना नहीं चाहा और न ही मुझे प्रसिद्धि की ख़्वाहिश थी"। "मेरे लिए संगीत ही सब कुछ है। जब मैं आध्यात्मिक, भावनात्मक और शारीरिक तौर पर सबसे अच्छा महसूस करती हूं, संगीत वही है। ट्वैन के सौन्दर्य सलाहों में से एक है बैग बाम का इस्तेमाल करना, जिसे सर्दियों में खुश्क मौसम से बचाने के लिए गायों के थनों में लगाया जाता है। ट्वैन का कहना है कि वे मुलायम त्वचा के लिए इस बाम को अपने पैरों और चेहरे पर लगाती हैं। 2009 में वैज्ञानिकों ने चेहरे कि आकृति के माप के आधार पर परीक्षण कर देखा कि ट्वैन के चेहरे में महिलाओं वाले "सटीक" नैन-नक्श हैं। पुरस्कार और सम्मान ट्वैन को उनके एकलों और एल्बमों के लिए विभिन्न अवार्डों के अलावा कई वैयक्तिक सम्मानों से भी नवाज़ा गया है: 1999 में उन्हें अकेडमी ऑफ कंट्री म्यूज़िक तथा कंट्री म्यूज़िक एसोसिएशन दोनों ने वर्ष की मनोरंजनकर्ता घोषित किया; CMA अवार्ड जीतने वाली ट्वैन पहली गैर-अमेरिकी नागरिक थीं। 2002 में शानिया को कंट्री म्यूज़िक टेलीविज़न के कंट्री म्यूज़िक की 40 महानतम महिलाओं की सूची में #7 के स्थान पर आंका गया। 2003 में, ट्वैन को कनाडा के वॉक ऑफ फ़ेम में शामिल किया गया था। टिमिंस शहर (कनाडा के ऑन्टेरियो में अवस्थित) ने उनके लिए एक सड़क का नाम बदलकर रखा, उन्हें शहर की चाबी सौंपी और उनके सम्मान में शानिया ट्वैन सेंटर बनाई. 18 नवम्बर 2005 को ट्वैन को कनाडा के एक आदेश में एक अधिकारी के रूप में शामिल किया गया। डिस्कोग्राफ़ी स्टूडियो एलबम्स शानिया ट्वैन (1993) द वुमन इन मी (1995) कम ऑन ओवर (1997) अप! (2002) संकलन और अन्य एल्बम द कम्प्लीट लाइमलाइट सेशंस (2001) ग्रेटेस्ट हिट्स (2004) इन्हें भी देखें कनाडा का संगीत सन्दर्भ ग्रंथ सूची बाहरी कड़ियाँ शानिया ट्वैन की आधिकारिक वेबसाइट 1965 में जन्मे लोग जीवित लोग ग्रैमी अवार्ड विजेता गूगल परियोजना
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%A1%E0%A4%BE%E0%A4%97%2C%20%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%9F%20%E0%A4%A4%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%B2
तडाग, बाराकोट तहसील
तडाग, बाराकोट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के चम्पावत जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर कुमाऊँ मण्डल गढ़वाल मण्डल बाहरी कड़ियाँ उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा तडाग, बाराकोट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर कुमाऊँ मण्डल गढ़वाल मण्डल बाहरी कड़ियाँ उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा तडाग, बाराकोट तहसील तडाग, बाराकोट तहसील तडाग, बाराकोट तहसील
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%B5%20%E0%A4%9A%E0%A4%82%E0%A4%A6%20%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%B5
केशव चंद यादव
केशव चंद यादव भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह भारतीय युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष हैं। 11 मई 2018 से। वह कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के लिए एक विशेष आमंत्रित सदस्य हैं जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है। प्रारंभिक जीवन केशव चंद यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति राजनीति में शामिल नहीं था। उन्होंने दरभंगा से कला स्नातक (बीए) राजनीतिक कैरियर युवा कांग्रेस के आंतरिक संगठन चुनाव लड़ने के बाद 2011 में केशव चंद यादव को उत्तर प्रदेश के राज्य महासचिव के रूप में चुना गया, युवा कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र लाने के लिए राहुल गांधी द्वारा संकल्पित एक प्रक्रिया। 2013 में उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस में राष्ट्रीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। वह IYC के राष्ट्रीय सेक्रेटरी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उड़ीसा और मध्य प्रदेश राज्यों के प्रभारी थे। 2016 में उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। वह राष्ट्रीय महासचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के प्रभारी बने रहे। उन्हें मई 2018 में AICC अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा IYC अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने मोदी सरकार के नेतृत्व में युवा क्रांति यात्रा के नाम से एक राष्ट्रव्यापी यात्रा शुरू की। यात्रा भारत के लोगों के बारे में कृषि संकट, युवाओं की समस्याओं और अन्य मुद्दों को उजागर करेगी। यह यात्रा भारत के दक्षिणी भाग में रामेश्वरम, कन्याकुमारी से शुरू होकर कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और भारत के सभी 29 राज्यों को कवर करती है। यात्रा 30 जनवरी 2019 को नई दिल्ली में संपन्न हुई। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके युवा क्रांति यात्रा को पूरा करने के लिए यूथ कांग्रेस को शुभकामनाएं दीं। यात्रा तालकटोरा स्टेडियम में केशव चंद यादव द्वारा आयोजित "इंकलाब" नामक एक मेगा युवा रैली के साथ समाप्त हुई, जिसमें कांग्रेस और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सभी वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया, जिन्होंने युवा क्रांति यात्रा शुरू करने के लिए केशव चंद यादव के प्रयासों की सराहना की। पूरे भारत के युवाओं की आवाज। राहुल गांधी ने इंकलाब रैली में अपने भाषण के दौरान राफेल स्कैम पर प्रधान मंत्री मोदी पर हमला किया। सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AB%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%B0%20%E0%A4%93%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B8
स्फीयर ओरिजिंस
स्फीयर ओरिजिन मुंबई में स्थित एक भारतीय टेलीविजन प्रोडक्शन कंपनी है और इसका स्वामित्व सनजॉय वाधवा के पास है। यह विभिन्न चैनलों के लिए टेलीविज़न शो, टेलीविज़न फ़िल्में, एनिमेशन शो और वेब-सीरीज़ का निर्माण करता है। इसके कुछ उल्लेखनीय कार्यों शामिल हैं: सात फेरे: सलोनी का सफर, बालिका वधु, सरस्वतीचंद्र, एक था राजा एक थी रानी और पंड्या स्टोर. वर्तमान प्रोडक्शंस पूर्व प्रोडक्शंस क्षेत्रीय शो टेलीफिल्म्स संदर्भ बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट मुंबई आधारित कंपनियां भारत की मनोरंजन कंपनियां भारत की दूरदर्शन उत्पादन कंपनियां
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8C%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%AD%E0%A4%BE%20%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%2C%20%E0%A4%89%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%96%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1
पौड़ी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड
पौड़ी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। गढ़वाल जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 85,182 मतदाता थे। विधायक 2012 के विधानसभा चुनाव में सुंदरलाल मंद्रवाल इस क्षेत्र के विधायक चुने गए। |-style="background:#E9E9E9;" !वर्ष !colspan="2" align="center"|पार्टी !align="center" |विधायक !पंजीकृत मतदाता !मतदान % !बढ़त से जीत !स्रोत |- |2002 |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"|नरेन्द्र सिंह भंडारी |61,541 |48.00% |2905 | |- |2007 |bgcolor="#C0C0C0"| |align="left"|निर्दलीय |align="left"|यशपाल बेनाम |61,939 |56.50% |11 | |- |2012 |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"|सुंदरलाल मंद्रवाल |85,182 |53.20% |2906 | |} कालक्रम इन्हें भी देखें गढ़वाल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र बाहरी कड़ियाँ उत्तराखण्ड मुख्य निर्वाचन अधिकारी की आधिकारिक वेबसाइट (हिन्दी में) सन्दर्भ टिपण्णी तब राज्य का नाम उत्तरांचल था। उत्तराखण्ड के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
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214399
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%B6%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80
अमेरिकी शताब्दी
अमेरिकी शताब्दी एक पद है जो संयुक्त राज्य अमेरिका के २०वीं सदी के अधिकांश भाग पर सांस्कृतिक, राजनैतिक और आर्थिक क्षेत्रों पर प्रभाव को परिभाषित करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। संराअमेरिका का प्रभाव २०वीं सदी पर पूरी २०वीं सदी के दौरान बढ़ता ही रहा, लेकिन यह अधिक प्रभुत्वशाली द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात हुआ, जब केवल दो महाशक्तियाँ सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका ही शेष रह गईं। १९९१ में सोवियत संघ के विघटन के बाद संराअमेरिका विश्व की एकमात्र महाशक्ति रह गया। २०वीं शताब्दी
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554846
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%9F%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%BE%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%AD%E0%A4%BE%20%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%2C%20%E0%A4%89%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%96%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1
खटीमा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड
खटीमा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। ऊधमसिंहनगर जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 91,104 मतदाता थे। विधायक 2012 के विधानसभा चुनाव में पुष्कर सिंह धामी इस क्षेत्र के विधायक चुने गए। |-style="background:#E9E9E9;" !वर्ष !colspan="2" align="center"|पार्टी !align="center" |विधायक !पंजीकृत मतदाता !मतदान % !बढ़त से जीत !स्रोत |- |2002 |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"|गोपाल सिंह |101,845 |58.50% |10744 | |- |2007 |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"|गोपाल सिंह |132,349 |67.20% |18924 | |- |2012 |bgcolor="#FF9933"| |align="left"|भारतीय जनता पार्टी |align="left"|पुष्कर सिंह धामी |91,104 |75.60% |5394 | |} कालक्रम इन्हें भी देखें नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र बाहरी कड़ियाँ उत्तराखण्ड मुख्य निर्वाचन अधिकारी की आधिकारिक वेबसाइट (हिन्दी में) सन्दर्भ टिपण्णी तब राज्य का नाम उत्तरांचल था। उत्तराखण्ड के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
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507720
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80
मस्तानी
मस्तानी (मृत्यु : 1740 ई०) पेशवा बाजीराव प्रथम की दूसरी पत्नी थी। मस्तानी एक सनातनी क्षत्रिय राजपूत थीं व बुंदेलखंड के महाराज छत्रसाल और उसकी मुस्लिम रैखेल की पुत्री थीं समकालीन लेखकों व बाजीराव के एक प्राचीन जीवन चरित्र के अनुसार मस्तानी हैदराबाद के निज़ाम की पुत्री थी। बखर और लेखों से मालूम पड़ता है कि मस्तानी अफ़गान की थी। इनका जन्म नृत्य करनेवाली जाति में हुआ था। गुजरात के गीतों में इन्हें 'नृत्यांगना' या 'यवन कांचनी' के नाम से संबोधित किया गया है। 17वीं शताब्दी के आखिर में एक स्वामी प्राणनाथ होते थे, ये कृष्ण भक्त थे, जो आगे चल कर एक बड़े संत हुए, जिनके उस वक़्त हज़ारों अनुयायी हो गए, जिनमें बड़े बड़े लोग और राजे रजवाड़े भी शामिल थे। स्वामी प्राणनाथ सूफिज्म से भी प्रभावित थे और सुफिज़्म जो होता है, दरअसल अपने आराध्य के लिए दीवानगी ही हद तक प्रेम करने को कहा जाता है। अब स्वामी प्राणनाथ अपने ईष्ट भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में ऐसे लीन हो जाते थे, कि उन्हें खुद का होश भी नहीं होता था। इसी दीवानगी में झूमने को भक्ति नृत्य भी कहा गया, जो मस्तानी भी करती थीं। साथ ही स्वामि प्राणनाथ सुबह की पूजा एक चादर बिछा कर ऐसी मुद्रा में बैठ कर करते थे कि देखने वालों को ये इस्लामी क्रिया दिखाई देती थी, लेकिन वो थी नहीं। हालांकि ये सम्प्रदाय कदापि इस्लाम से प्रभावित नहीं था, क्योंकि इस्लाम में मूर्ति पूजा वर्जित है, लेकिन देखने वालों को कुछ अजीब सा प्रतीत होता था। कुल मिला कर ये सम्प्रदाय भी सनातन संस्कृति का ही एक हिस्सा था । मस्तानी की मां "रूहानी" के बारे में भी कई भ्रातियां हैं, कोई कहता है कि वे मुस्लिम थीं, कोई निज़ाम हैदराबाद की बेटी बताता है, जब कि उस वक़्त ना तो हैदराबाद होता था, ना निज़ामशाही, कोई उन्हें गुजराज की नर्तकी बताता है, लेकिन ये सभी बातें ग़लत व मिथ्या हैं। दरअसल रूहानी भी एक काल्पनिक नाम है, उनका असल नाम तो किसी को पता ही नहीं, लेकिन इस बात के पुख़्ता प्रमाण हैं कि वे एक पारसी महिला थीं, जिनके पिता फारस से आए थे, जो एक व्यापारी थे। उस दौर में कई पारसी लोग भाग कर भारत की तरफ आए थे और ये सभी कदापि मुस्लिम नहीं थे। ये यहूदियों की ही एक शाखा है, जो अग्नि की पूजा करते हैं। मस्तानी का विवाह पेशवा बाजीराव से मई 1729 में राजपूत खांडा पद्दति से हुआ था। उनके बाजीराव से एक पुत्र भी हुआ, जिसका नाम पहले कृष्णराव रखा गया, लेकिन पुणे के ब्राह्मणों ने उसका जनेऊ संस्कार करने से मना कर दिया, जिस वजह से उसे उसकी मां ने कृष्णसिंह नाम दिया। शमशेर बहादु एक उपाधि है जो बाजीराव ने ही अपने पुत्र को दी थी। बाद में बाजीराव और मस्तानी की मृत्यु के बाद उस बालक को जानबूझ कर इस्लाम कुबूलवाया गया, ताकि आगे चल कर उसका पेशवा की गद्दी और पेशवाई में कोई अधिकार ना रहे, ऐसा कई इतिहास्कारों का मत है। आरम्भिक जीवन-चरित्र मस्तानी के आरम्भिक जीवन का इतिहास विवादास्पद तथा मुख्यतः किंवदंतियों पर आधारित है। सुशीला वैद्य के अनुसार 18वीं शताब्दी के पूर्व मध्यकाल में मराठा इतिहास में मस्तानी का विशेष उल्लेख मिलता है। बखर और लेखों से मालूम पड़ता है कि मस्तानी मुस्लिम गूजर(गोचर) जाति की थी। इनका जन्म नृत्य करनेवाली जाति में हुआ था। गुजरात के गीतों में इन्हें 'नृत्यांगना' या 'यवन कांचनी' के नाम से संबोधित किया गया है। वस्तुतः यह विवरण सुशीला वैद्य ने अल्प ज्ञात स्रोतों के आधार पर लिखा है। वास्तव में यह विषय अत्यंत विवादास्पद रहा है। सुप्रसिद्ध इतिहासकार गोविंद सखाराम सरदेसाई ने लिखा है कि मस्तानी का वंश अज्ञात है। परंपरा से वह एक हिंदू पिता और मुसलमान माता की संतान कही जाती है। वस्तुतः मस्तानी के माता पिता तथा कुल आदि के संबंध में निश्चित रूप से कुछ कहना कठिन है। इस संबंध में समकालीन लेखकों ने परस्पर विरोधी मत व्यक्त किए हैं। बाजीराव के एक प्राचीन जीवन चरित्र के अनुसार मस्तानी हैदराबाद के निज़ाम की पुत्री थी। नवाब की बेगम ने उसका विवाह बाजीराव से कर देने का आग्रह किया ताकि निज़ाम-बाजीराव की मित्रता स्थायी बन सके। विवाह संस्कार संपन्न किया गया पर प्रत्यक्ष बाजीराव से नहीं वरन उसके खंजर से। बाद में बाजीराव ने उसे अपने पास बुला लिया। कुछ अन्य लेखकों के अनुसार मस्तानी महाराजा छत्रसाल बुन्देला की मुस्लिम रखेल की पुत्री थी। जब उसने बाजीराव द्वारा दी गयी सहायता के लिए उसे अनेक उपहार आदि दिये तो मस्तानी भी उन में से एक थी। कुछ और लेखकों ने केवल इतना ही लिखा है कि वह मुस्लिम माता और हिन्दू पिता की पुत्री थी। डॉ० भगवान दास गुप्त का भी मानना है कि मस्तानी के प्रारंभिक जीवन के संबंध में कोई भी विश्वसनीय विवरण उपलब्ध नहीं है। अधिकतर यही धारणा प्रचलित है कि छत्रसाल बुन्देला ने ही उसे पेशवा को भेंट किया था। बुंदेलखंडी जनश्रुतियों के अनुसार वह छत्रसाल की मुग़लानी उप पत्नी से उत्पन्न कन्या थी। मस्तानी अपने समय की अद्वितीय सुंदरी एवं संगीत कला में प्रवीण थी। इन्होंने घुड़सवारी और तीरंदाजी में भी शिक्षा प्राप्त की थी। सुशीला वैद्य के अनुसार गुजरात के नायब सूबेदार शुजाअत खाँ और मस्तानी की प्रथम भेंट 1724 ई० के लगभग हुई। चिमाजी अप्पा ने उसी वर्ष शुजाअत खाँ पर आक्रमण किया। युद्ध क्षेत्र में ही शुजाअत खाँ की मृत्यु हुई। लूटी हुई सामग्री के साथ मस्तानी भी चिमाजी अप्पा को प्राप्त हुई। चिमाजी अप्पा ने उन्हें बाजीराव के पास पहुँचा दिया। तदुपरांत मस्तानी और बाजीराव एक दूसरे के लिए ही जीवित रहे। 1727 ई० में प्रयाग के सूबेदार मोहम्मद खान बंगश ने राजा छत्रसाल बुन्देला (बुंदेलखंड) पर चढ़ाई की। राजा छत्रसाल बुन्देला ने तुरंत ही पेशवा बाजीराव से सहायता माँगी। बाजीराव अपनी सेना सहित बुंदेलखंड की ओर बढ़े। मस्तानी भी बाजीराव के साथ गई। मराठे और मुगल दो बर्षों तक युद्ध करते रहे। तत्पश्चात् बाजीराव जीते। छत्रसाल बुन्देला अत्यंत आनंदित हुए। उन्होंने मस्तानी को अपनी पुत्री के समान माना। इस विवरण में भी मस्तानी से संबंधित अंश सुशीला वैद्य ने अल्पज्ञात स्रोतों के आधार पर ही लिखा है, क्योंकि गोविंद सखाराम सरदेसाई ने स्पष्ट लिखा है कि उसके नाम का प्रथम उल्लेख बाजीराव के ज्येष्ठ पुत्र नाना साहब के विवाह संबंधी वृत्तांतों के प्रामाणिक पत्रों में है। यह विवाह 11 जनवरी 1730 ईस्वी को हुआ था। उसी वर्ष बाजीराव ने पुणे में अपने 'शनिवार भवन' का निर्माण किया था। अपने उपन्यास राऊ स्वामी में नागनाथ इनामदार ने भी पूरी तरह ऐतिहासिकता के अनुरूप इसी समय से कथा का आरंभ किया है। उक्त भवन में ही बाजीराव ने जहाँ मस्तानी के रहने का प्रबंध किया उसे 'मस्तानी महल' और 'मस्तानी दरवाजा' का नाम दिया गया है। योग्यता, श्रीमन्त पेशवा की संगति और प्रभाव मस्तानी अनिंद्य सुंदरी थी। वह सुसंस्कृत, कलाविज्ञ तथा व्यवहार चतुर थी। वह बाजीराव से अनन्य प्रेम करती थी। वह नृत्य और गायन में तो निपुण थी ही पर साथ ही कुशल अश्वारोही तथा शस्त्र-विद्या में भी निपुण थी। पेशवा के महल में होने वाले गणेश उत्सव के अवसर पर सार्वजनिक समारोहों में उसका गायन हुआ करता था। वह सैनिक अभियानों में भी बाजीराव के साथ रहती थी। वह घोड़े पर सवार होकर सेना में बाजीराव के साथ चलती थी। बाजीराव उससे इतना प्रेम करता था कि वह उसे एक क्षण के लिए भी अपने से दूर नहीं होने देता था। मस्तानी एक हिंदू पत्नी की तरह रहती थी। मुसलमान होने पर भी वह हिंदू वेशभूषा में ही रहती थी। वह बाजीराव के आराम, उसकी आवश्यकताओं तथा उसके सुख का पूरा ध्यान रखती थी। हिंदू धर्म-रक्षक मराठा राज्य के पेशवा का एक मुस्लिम महिला के प्रेम-पाश में फँसना तत्कालीन समाज कैसे सहन करता? इसी कारण उसके परिवार के लोग भी उससे रुष्ट रहते थे। उसकी पत्नी काशीबाई भी अपने प्रति उसके उदासीन व्यवहार से बड़ी दुखी रहा करती थी। बाजीराव के विरोधी सरदार उसके तथा मस्तानी के प्रेम का उसके विरुद्ध प्रचार करने में उपयोग कर उसे लोगों की दृष्टि में गिराने का प्रयत्न करते थे। बाजीराव मांस और मदिरा का सेवन करने लगा था। महाराष्ट्र के ब्राह्मण समाज में यह वर्ज्य था। लोगों का कहना था कि मस्तानी के संपर्क का ही यह परिणाम था। ब्राह्मण समुदाय तो एक प्रकार से बाजीराव को पतित ही मानने लगा था। इस संदर्भ में सुप्रसिद्ध इतिहासकार गोविंद सखाराम सरदेसाई ने दूरदर्शिता एवं सहानुभूति से विचार किया है। उन्होंने लिखा है कि जनसाधारण के अनुसार मांस तथा मदिरा के प्रति बाजीराव का प्रेम मस्तानी की संगति के कारण था। परंतु बाजीराव सदृश व्यक्ति, जिसको एक सैनिक का जीवन व्यतीत करना पड़ता था, ब्राह्मण जाति के कठोर नियमों का पालन नहीं कर सकता था, क्योंकि सभी प्रकार के लोगों से उसका स्वतंत्रतापूर्वक मिलना होता था। महाराष्ट्र के एक ब्राह्मण के संकीर्ण निषेधात्मक जीवन में यह आकस्मिक परिवर्तन स्वाभाविक एवं अनिवार्य थे, प्रसरण काल में मराठा समाज में निस्संदेह महान् परिवर्तन हो गया था। बाजीराव से संबंध के कारण मस्तानी को भी अनेक दु:ख झेलने पड़े पर बाजीराव के प्रति उसका प्रेम अटूट था। मस्तानी के 1734 ई० में एक पुत्र हुआ। उसका नाम शमशेर बहादुर रखा गया। बाजीराव ने काल्पी और बाँदा की सूबेदारी उसे देने की घोषणा कर दी। [शमशेर बहादुर ने पेशवा परिवार की बड़े लगन और परिश्रम से सेवा की। 1761 ई० में शमशेर बहादुर मराठों की ओर से लड़ते हुए पानीपत के मैदान में मारा गया।] प्रेमपन्थ के विषमय काँटे 1739 ई० के आरंभ में पेशवा बाजीराव और मस्तानी का संबंध विच्छेद कराने के असफल प्रयत्न किए गए। 1739 ई० के अंतिम दिनों में बाजीराव को आवश्यक कार्य से पूना छोड़ना पड़ा। मस्तानी पेशवा के साथ न जा सकी। चिमाजी अप्पा और नाना साहब ने मस्तानी के प्रति कठोर योजना बनाई। उन्होंने मस्तानी को पर्वती बाग में (पूना में) कैद किया। बाजीराव को जब यह समाचार मिला, वे अत्यंत दु:खित हुए। वे बीमार पड़ गए। इसी बीच अवसर पा मस्तानी कैद से बचकर बाजीराव के पास 4 नवम्बर 1739 ई० को पटास पहुँची। बाजीराव निश्चिंत हुए, पर यह स्थिति अधिक दिनों तक न रह सकी। शीघ्र ही पुरंदरे, काका मोरशेट तथा अन्य व्यक्ति पटास पहुँचे। उनके साथ पेशवा बाजीराव की माँ राधाबाई और उनकी पत्नी काशीबाई भी वहाँ पहुँची। उन्होंने मस्तानी को समझा बुझाकर लाना आवश्यक समझा। मस्तानी पूना लौटी। कट्टरपंथी लोग मस्तानी को मार ही डालना चाहते थे, क्योंकि उनके अनुसार सभी झंझटों का मूल वही थी। उन लोगों ने छत्रपति से आज्ञा भी लेने का प्रयत्न किया, परंतु छत्रपति राजा शाहू अधिक बुद्धिमान थे। उनके अधिकारी गोविंदराव ने 24 जनवरी 1740 ईस्वी को एक पत्र में लिखा है - मस्तानी के विषय पर मैंने निजी तौर पर राजा की इच्छा का पता लगा लिया है। बलपूर्वक पृथक्करण या व्यक्तिगत निरोध (बंदीवास) के प्रस्ताव के प्रति उस को गंभीर आपत्ति है। वह बाजीराव को किसी भी प्रकार अप्रसन्न किया जाना सहन नहीं करेगा, क्योंकि वह सदैव उसे प्रसन्न रखना चाहता है। दोष उस महिला का नहीं है। इस दोष का निराकरण उसी समय हो सकता है जब बाजीराव की ऐसी इच्छा हो। बाजीराव की भावनाओं के विरुद्ध हिंसा प्रयोग की कैसी भी सलाह राजा किसी भी कारण नहीं दे सकता। 1740 ई० के आरंभ में बाजीराव नासिरजंग से लड़ने के लिए निकल पड़े और गोदावरी नदी को पारकर औरंगाबाद के पास शत्रु को बुरी स्थिति में ला दिया। 27 फरवरी 1740 ई० को मुंगी शेगाँव में दोनों के बीच संधि हो गयी। बाजीराव के जीवन का यह अंतिम अभियान सिद्ध हुआ। उस समय कोई नहीं जानता था कि बाजीराव की मृत्यु सन्निकट है। 7 मार्च 1740 ईस्वी को नानासाहेब के नाम चिमना जी के पत्र से संदेह होता है कि बाजीराव हृदय से रुग्ण थे। चिमना जी ने इस पत्र में लिखा था कि जब से हम एक दूसरे से विदा हुए हैं, मुझको पूजनीय राव से कोई समाचार प्राप्त नहीं हुआ है। मैंने उसके विक्षिप्त मन को यथाशक्ति शांत करने का प्रयास किया, परंतु मालूम होता है कि ईश्वर की इच्छा कुछ और ही है। मैं नहीं जानता हूं कि हमारा क्या होने वाला है। मेरे पुणे वापस होते ही हम को चाहिए कि हम उसको (मस्तानी को) उसके पास भेज दें। स्पष्ट है कि बाजीराव अत्यंत व्याकुल था। मस्तानी के विरह तथा उसे मुक्त कराने में अपनी अक्षमता से उसे मानसिक क्लेश और क्षोभ था। 28 अप्रैल 1740 ईस्वी को अपनी पहली और अंतिम बीमारी से उसकी मृत्यु हुई। इस समय बाजीराव की आयु केवल 42 वर्ष की थी। उसकी मृत्यु के समय उसके पास उसकी क्षमाशील पत्नी काशीबाई भी थी। देहान्त किंकेड एवं पारसनीस के अनुसार मस्तानी अपने प्रियतम के साथ सती हो गयी। उन्होंने लिखा है कि इस संसार में वह अपने प्रियतम से अलग की गयी थी। वह अग्नि की भयंकर ज्वालाओं के बीच से गुजर कर दूसरे संसार में उसका स्वागत करने पहुंच गयी। हालांकि यह बात विवादास्पद है। यह कहना कठिन है कि उसने आत्महत्या कर ली या शोक-प्रहार से वह मर गयी। उसका शव पाबल भेजा गया, जो पूना के पूरब में लगभग 20 मील पर एक छोटा सा गाँव है। यह गाँव बाजीराव ने उसको इनाम में दिया था। यहाँ पर एक साधारण-सी कब्र आने-जाने वालों को उसकी प्रेम-कथा तथा दुःखद मृत्यु का स्मरण दिलाती है। सर्वसम्मति से वह अपने समय की सर्वाधिक सुंदरी थी। इन्हें भी देखें वीर छत्रसाल का रोचक वर्णनन बाजीराव प्रथम शमशेर बहादुर प्रथम कृष्णा कुमारी पद्मिनी सन्दर्भ मराठा साम्राज्य
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE
हाका
हाका दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित द्वीपों का एक पारम्परिक नाच है। न्यू ज़ीलैंड के रग्बी के खिलाड़ी अपने मुक़ाबलों से पहले इसके माओरी रूप का प्रदर्शन करते हैं, जिस से यह विश्व भर में पहचाना जाने लगा है। इसे एक समूह में आक्रामक मुद्राओं में पैर पटककर और चिल्लाकर नाचा जाता है। इसके साथ सामूहिक रूप से कुछ परम्परागत गाने गए जाते हैं, जिनमें "का माते" सब से प्रसिद्ध है। इतिहास हाका कई मौकों पर प्रदर्शित किये जाते थे। कभी मनोरंजन के लिए, कभी अथिथियों के स्वागत के लिए और कभी युद्ध के आरम्भ से पहले आक्रामक मनोस्थिति पैदा करने के लिए और शत्रु को धमकाने के लिए। हालाँकि पुरुषों द्वारा करे गए युद्ध हाका न्यू ज़ीलैंड की रग्बी टीम की वजह से प्रसिद्ध हो गए हैं, कुछ हाका स्त्रियों और बच्चों द्वारा भी किये जाते हैं। का माते के मुख्य बोल "का माते" (Ka Mate) मृत्यु के मुँह से जीवन लेने पर आधारित गाना है। १९वी सदी में इसे एक माओरी युद्ध नेता ने बनाया था। वह दुश्मनों के चंगुल से निकल भागा था और एक बालों वाले मित्र नेता ने उसकी मदद की थी। इन्हें भी देखें न्यू ज़ीलैंड माओरी बाहरी कड़ियाँ यु-ट्यूब पर एक रग्बी के खेल से पहले न्यू ज़ीलैंड की टीम "का माते" वाला हाका करते हुए यु-ट्यूब पर टोंगा और न्यू ज़ीलैंड की रग्बी टीमें अपनी-अपनी शैली का हाका करते हुए सन्दर्भ प्रशांत महासागर क्षेत्र के लोक नृत्य नृत्य हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
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मोतीलाल तेजावत
मोतीलाल तेजावत (१६ मई, १८९६--१४ जनवरी १९६९) 'आदिवासियों का मसीहा' के नाम से जाने जाते हैं। इन्होंने वनवासी संघ की स्थापना की। इनहोंने भील, गरासिया तथा अन्य खेतिहरों पर होने वाले सामन्ती अत्याचार का विरोध किया और उन्हें एकजुट किया। सन 1920 में आदिवासियों के हितों को लेकर 'मातृकुंडिया' नामक स्थान पर एकी नामक आन्दोलन शुरू किया। इन्होंने किसानों से बेगार बन्द बनाई और कामगारों को उनकी उचित मजदूरी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आजादी के बाद उदयपुर व चितौडगढ़ से लोकसभा सदस्य रहे तथा राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष भी बने। इनका जन्म १८९६ को कोल्यारी गांव, उदयपुर में हुआ। १४ जनवरी १९६९ को इनकी मृत्यु हो गई। संदर्भ मोतीलाल तेजावत ने विजयनगर राज्य के निमड़ा गांव में 7 मार्च 1922 को एक सम्मेलन आयोजित किया था। यहां पर गोलीबारी हुई जो बाद में निमड़ा हत्याकाण्ड के नाम से प्रसिद्ध हुआ। गरासिया जनजाति के उत्थान में कार्य किया। समाज सुधारक
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ज़ी अनमोल
ज़ी अनमोल एक भारतीय निशुल्क प्रसारित होने वाला हिन्दी टीवी चैनल है। यह ज़ी नेटवर्क द्वारा 01 सितम्बर 2013 को आरम्भ किया था। यह ज़ी टीवी द्वारा प्रसारित किए गए धारावाहिक तथा ज़ी सिनेमा एवं & पिक्चर्स द्वारा प्रसारित फ़िल्म पुनः प्रसारित करता है। पहले प्रसारित कार्यक्रम पारिवारिक कलींरे ये कहां आ गए हम कुमकुम भाग्य कुंडली भाग्य वो अपना सा बंधन जन्म जनम का बनूं मैं तेरी दुल्हन पौराणिक अलादीन रावण ऐतहासिक झांसी की रानी जादुई शो ची एण्ड मी जूनियर जी वास्तविक डांस इंडिया डांस लिटिल मास्टर्स फीयर फाइल्स – डर की सच्ची तसवीरें सन्दर्भ इन्हें भी देखें ट्विटर – ज़ी अनमोल ज़ी अनमोल – लाइव ज़ी अनमोल – अंग्रेजी विकिपीडिया
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द कराटे किड (2010 फ़िल्म)
द कराटे किड (अंग्रेजी: The Karate Kid, सरलीकृत चीनी: 功夫梦, पारंपरिक चीनी: 功夫夢, पिनयिन: Gōngfu Mèng; शाब्दिक: द कुंग फू ड्रीम, भी ज्ञात के रूप में: द कराटे किड ५) एक २०१० है चीनी-अमेरिकी मार्शल आर्ट कार्रवाई नाटक फिल्म। यह एक ही नाम के १९८४ फिल्म की रीमेक है। यह के पांचवें किस्त है द कराटे किड सीरीज, एक रिबूट की सेवाै। कास्ट हिन्दी डबिंग कलाकार १ डब संस्करण जारी करने का वर्ष: ११ जून, २०१० (सिनेमा) मीडिया: सिनेमा/वीसीडी/डीवीडी/ब्लू-रे डिस्क/टेलीविज़न निर्देशक: लीला रॉय घोष † अनुवाद: निरुपमा कार्तिक उत्पादन: ???? स्टूडियो: साउंड एण्ड विजन इंडिया डब अन्य भाषाओं: तमिल/तेलुगू हिन्दी डबिंग कलाकार २ डब संस्करण जारी करने का वर्ष: २५ जून, २०११ मीडिया: टेलीविज़न (यूटीवी एक्शन) निर्देशक: ???? अनुवाद: ???? उत्पादन: ???? स्टूडियो: यूटीवी सॉफ्टवेयर कम्युनिकेशंस (घर-में प्रोडक्शन डब) डब अन्य भाषाओं: तमिल/तेलुगू सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ अमेरिकी फ़िल्में चीनी फ़िल्में
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
भारतीय साम्यवादी पार्टी (भाकपा) () भारत का एक साम्यवादी दल है। इस दल की स्थापना 26 दिसम्बर 1925 को कानपुर नगर में हुई थी। भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी की स्थापना एम एन राय ने की। 1928 ई. में कम्युनिस्ट इण्टरनेशनल ने ही भारत में कम्युनिस्ट पार्टी की कार्य प्रणाली निश्चित की। इस दल के महासचिव डी राजा है। यह भारत की सबसे पुरानी कम्युनिस्ट पार्टी है। यह दल 'न्यू एज' (New Age) का प्रकाशन करता है। इस दल का युवा संगठन 'ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन' है। २००४ के संसदीय चुनाव में इस दल को ५ ४३४ ७३८ मत (१.४%, १० सीटें) मिले। २००९ के संसदीय चुनाव में इस दल को मात्र ४ सीटें मिली। 2014 के संसदीय चुनाव में दल को मात्र 1 सीटें मिली। परिचय एवं इतिहास कम्युनिस्ट आंदोलन में भाकपा की स्थापना तिथि को लेकर कुछ विवाद है। ख़ुद भाकपा का मानना है कि उसका गठन 25 दिसम्बर 1925 को कानपुर में हुई पार्टी कांग्रेस में हुआ था। लेकिन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, जो 1964 में हुए पार्टी-विभाजन के बाद बनी थी, का मानना है कि पार्टी का गठन 1920 में हुआ था। माकपा के दावे के अनुसार भारत की इस सबसे पुरानी कम्युनिस्ट पार्टी का गठन 17 अक्टूबर 1920 को कम्युनिस्ट इंटरनैशनल की दूसरी कांग्रेस के तुरंत बाद हुआ था। बहरहाल, यह कहा जा सकता है कि 1920 से ही पार्टी के गठन की प्रक्रिया चल रही थी और इस संबंध में कई समूह भी उभर कर सामने आये थे। लेकिन औपचारिक रूप से 1925 में ही पार्टी का गठन हुआ। इसके शुरुआती नेताओं में मानवेन्द्र नाथ राय, अबनी मुखर्जी, मोहम्मद अली और शफ़ीक सिद्दीकी आदि प्रमुख थे। शुरुआती दौर में पार्टी की जड़ें मज़बूत करने की कोशिश में एम.एन. राय ने देश के दूसरे हिस्सों में सक्रिय कम्युनिस्ट समूहों से सम्पर्क किया। देश के कई शहरों में छोटे-छोटे कम्युनिस्ट समूह थे, लेकिन ये सभी भाकपा का अंग नहीं बने। 1920 और 1930 के दशक के दौरान पार्टी का संगठन कमज़ोर हालत में रहा। भाकपा के औपचारिक रूप से गठन होने से पहले ही अंग्रेजों ने कई सक्रिय कम्युनिस्टों के ख़िलाफ़ कानपुर बोल्शेविक षड़यंत्र के अंतर्गत मुकदमा दायर कर दिया था। एम.एन. राय, एस.ए. डांगे सहित कई कम्युनिस्टों पर राजद्रोह के आरोप लगाये गये। इससे कम्युनिस्ट चर्चित हो गये और पहली बार भारत में आम लोगों को इनके बारे में पता चला। 20 मार्च 1929 को भाकपा से जुड़े बहुत से महत्त्वपूर्ण नेताओं को मेरठ षड़यंत्र केस में गिरफ्तार कर लिया गया। नतीजे के तौर पर पार्टी नेतृत्वविहीन हो गयी। 1933 में प्रमुख नेताओं के मेरठ षड़यंत्र केस से रिहा होने के बाद पार्टी का पुनर्गठन किया गया। इसकी केंद्रीय समिति बनी और 1934 में इसे कम्युनिस्ट इंटरनैशनल के भारतीय भाग के रूप में स्वीकार किया गया। 1934 में कांग्रेस के भीतर वामपंथी रुझान रखने वाले नेताओं ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (सीएसपी) का गठन किया। इसके गठन के समय भाकपा के नेताओं ने इसे 'सामाजिक फ़ासीवाद' की संज्ञा दी। लेकिन कॉमिन्टर्न द्वारा उपनिवेशों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जैसे दलों के प्रति दृष्टिकोण बदलने से भाकपा के कांग्रेस के प्रति दृष्टिकोण में भी बदलाव आया। अब भाकपा कांग्रेस की राजनीति को प्रगतिशील मानने लगी। इसके सदस्यों ने कांग्रेस की वामपंथी धारा अर्थात् सीएसपी की सदस्यता ग्रहण की। 1936-1937 के दौरान सोशलिस्टों और कम्युनिस्टों के बीच में आपसी सहयोग काफ़ी बढ़ गया। जनवरी 1936 में सीएसपी की दूसरी कांग्रेस में यह थीसिस स्वीकार की गयी कि मार्क्सवाद-लेनिनवाद के आधार पर एक संयुक्त भारतीय सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की आवश्यकता है। इसी तरह, सीएसपी की तीसरी कांग्रेस के बाद बनी राष्ट्रीय कार्यकारणी समिति में कई कम्युनिस्टों को शामिल किया गया। बहरहाल, यह नज़दीकी लम्बे समय तक नहीं चल पायी। 1940 में कांग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन में भाकपा ने 'प्रॉलिटेरियन पथ' शीर्षक से एक दस्तावेज़ जारी किया। इसमें युद्घ के कारण औपनिवेशिक राज्य की कमज़ोर हालत का हवाला देते हुए उसके ख़िलाफ़ सशस्त्र आंदोलन छेड़ने की बात की। भाकपा की इस इकतरफ़ा घोषणा से नाराज़ होकर सीएसपी ने कम्युनिस्ट सदस्यों को अपनी पार्टी से बाहर कर दिया। इस बीच, द्वितीय विश्व-युद्घ में सोवियत यूनियन और ब्रिटेन के संबंधों के अच्छे होने के कारण जुलाई, 1942 में इस पर लगी पाबंदी हटा दी गयी। इसने कांग्रेस की उपनिवेशवाद विरोधी रणनीति का विरोध करना शुरू कर दिया। इसने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की आलोचना की और सुभाष चंद्र बोस की तीखी निंदा की। इस दौर में भाकपा की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यह भी रही कि उसने कांग्रेस के मजदूर संगठन आल इण्डिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस पर अपना वर्चस्व कायम कर लिया। भाकपा ने 1946 में हुए प्रांतीय चुनावों में भागीदारी की लेकिन इसे पूरे देश के 1585 प्रांतीय विधानसभा की सीटों में से कुल आठ सीटों पर जीत मिली। अपने गठन के बाद से देश की आज़ादी तक भाकपा की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव आये। इसने एक समय कांग्रेस और महात्मा गाँधी को प्रतिक्रियावादी की संज्ञा दी। फिर उनके साथ मिलकर काम भी किया और दुबारा उनसे अलग होकर उनकी राजनीति का विरोध किया। यह विरोध इस सीमा तक पहुँच गया कि उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन के समय ब्रिटिश शासन का समर्थन कर डाला। इसके पीछे एक मुख्य कारण यह भी था कि भाकपा की राजनीति में भारतीय परिस्थितियों को कम अहमियत दी जाती थी। अधिकांश मौकों पर कम्युनिस्ट इंटरनैशनल या सोवियत यूनियन के निर्देशों ने पार्टी की रणनीति तय करने का काम किया। इसी कारण कई बार इसकी रणनीतियाँ उल्टी दिशा में आगे बढ़ीं। इन गड़बड़ियों के बावजूद कांग्रेस के मज़दूर संगठन और देश के कुछ भागों में इसकी स्थिति काफ़ी मज़बूत हो गयी थी। बंगाल में हुए तेभागा आंदोलन और आंध्र प्रदेश में हुए तेलंगाना आंदोलन में भी कम्युनिस्टों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। 1946 में हुए तेभागा आंदोलन में बंगाल के जोतदारों ने इस बात के लिए संघर्ष किया कि उनके पास अपनी खेती के उत्पाद का दो-तिहाई भाग होना चाहिए। इस आंदोलन में भाकपा के किसान मोर्चे किसान सभा ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। कुछ जगहों पर यह आंदोलन हिंसक भी हो गया। आंदोलन सफल रहा और राज्य की मुसलिम लीग सरकार ने यह कानून बनाया कि जमींदारों को कुल उत्पाद के एक- तिहाई से ज़्यादा हिस्सा नहीं दिया जाएगा। लेकिन यह कानून सही तरीके से लागू नहीं हुआ। तेलंगाना आंदोलन हैदराबाद रजवाड़े में हुआ। यहाँ आंध्र महासभा के बैनर तले हैदराबाद के निज़ाम के ख़िलाफ़ पहले ही आंदोलन चल रहा था। आंध्र महासभा में कम्युनिस्टों की अच्छी-ख़ासी उपस्थिति थी। इन्होंने किसानों को निज़ाम और स्थानीय ज़मींदारों (जिन्हें 'देशमुख' के नाम से जाना जाता था) के ख़िलाफ़ जागरूक बनाया। नालगोंडा, वारंगल और खम्मम जिलों में किसानों ने कर्ज़ माफ़ी, बंधुआ मज़दूरी ख़त्म करने और भूमि पुनर्वितरण के लिए आंदोलन चलाया। यह आंदोलन 1945 में शुरू हुआ और 1946 आते-आते इसने काफ़ी ज़ोर पकड़ लिया। निज़ाम की सेनाओं और ज़मींदारों के लठैतों ने इसका क्रूरता से दमन किया। हज़ारों किसानों की हत्या कर दी गयी। लेकिन किसानों के सशस्त्र दस्तों ने जम कर इस दमन का मुकाबला किया। इन दस्तों का बहुत से गाँवों पर नियंत्रण हो गया और उन्होंने वहाँ भूमि सुधार की नीतियों पर अमल किया। 1948 तक उन्होंने 3,000 गाँवों की तकरीबन 16,000 वर्ग मील भूमि को मुक्त करा लिया और उसका गाँव के लोगों के बीच वितरण कर दिया। सितम्बर, 1948 में भारतीय सेना के दख़ल से निज़ाम के शासन का अंत हो गया। इसके बावजूद किसानों का विद्रोह जारी रहा। भारतीय सेना ने भी इसका हिंसक दमन किया। अन्ततः, 1951 में भाकपा द्वारा आधिकारिक रूप से यह आंदोलन वापस ले लिया गया। इसके बाद यह आंदोलन धीमा पड़ते हुए ख़त्म हो गया। तेभागा और तेलंगाना आंदोलन का भारतीय वामपंथ के इतिहास में काफ़ी महत्त्व है। इसने ज़मीनी स्तर पर कम्युनिस्टों के प्रभाव को दिखाया। वर्तमान में कम्युनिस्टों के सभी समूह इन आंदोलनों की विरासत का दावा करते हैं। भारत की आज़ादी के समय आज़ादी और भारतीय राज्य की प्रकृति के बारे में भाकपा में गहन और रोचक वाद-विवाद हुआ। इसी कारण पार्टी ने संविधान सभा में भी भाग नहीं लिया। जब भारत को आज़ादी मिली उस समय पी.सी. जोशी भाकपा के महासचिव थे। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सत्ता का हस्तांतरण वास्तविक है और नेहरू की सरकार से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि वह साम्राज्यवाद-विरोधी ताकतों का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए उन्होंने आग्रह किया कि भाकपा को कांग्रेस के बारे में अपने विचारों का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए। लेकिन पार्टी के भीतर इसे पर्याप्त समर्थन नहीं मिला। बी.टी. रणदिवे के नेतृत्व में एक ख़ेमे ने यह तर्क दिया कि भारत में जन-विद्रोह ज़ोर पकड़ रहा है। इसलिए भाकपा लोकतांत्रिक और समाजवादी चरणों को मिला कर पूरे राष्ट्र में मज़दूरों के सशस्त्र संघर्ष द्वारा सत्ता पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर सकती है। पार्टी के भीतर कुछ लोगों ने तेलंगाना अनुभव की तुलना चीन में माओ के संघर्ष से की और भारतीय राज्य के ख़िलाफ़ लोक-युद्घ छेड़ने की वकालत की। इसे 'आंध्रा लाइन' कहा गया। 1948 की कलकत्ता कांग्रेस में रणदिवे लाइन की जीत हुई। लेकिन दूसरी ओर भारत में नेहरू सरकार द्वारा तेलंगाना आंदोलन के सशस्त्र दमन की इजाज़त देने और दूसरी ओर चीनी क्रांति के सफल होने के कारण पार्टी में 'आंध्रा लाइन' की स्थिति मज़बूत हो गयी। इसके चलते 1950 में आंध्र के नेता सी. राजेश्वर राव ने पार्टी का नेतृत्व सम्भाला। लेकिन पार्टी के भीतर पी.सी. जोशी ख़ेमे ने इस तरह के कदम को वामपंथी भटकाव की संज्ञा दी। इस ख़ेमे ने ‘आँख मूँदकर’ और कट्टर तरीके से चीनी रास्ते का अनुसरण करने की आलोचना की। जोशी ने नेहरू सरकार की देशी-विदेशी नीति का विश्लेषण करते हुए यह साबित करने की कोशिश की कि इसमें साम्राज्यवाद-विरोधी प्रवृत्ति है। पार्टी के इस आंतरिक विवाद को सुलझाने के लिए पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता मास्को गये और वहाँ के कम्युनिस्ट पार्टी नेताओं से लम्बी चर्चा की। इसके बाद तीन दस्तावेज़ तैयार हुए। इन दस्तावेज़ों में यह स्पष्ट किया गया कि भारत एक निर्भर और अर्ध-औपनिवेशिक देश है और नेहरू सरकार ज़मींदारों, बड़े एकाधिकारवादी बूर्ज़्वा और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के हितों को पूरा कर रही है। भारतीय बूर्ज़्वा की प्रकृति स्पष्ट करते हुए यह कहा गया कि प्राथमिक रूप से साम्राज्यवादी बूर्ज़्वा पर निर्भर होने के बावजूद इसमें राष्ट्रवादी और अ-सहयोगी (नॉन- कोलैबॅरेटिव) तत्त्व मौजूद हैं। इसके बाद मध्यमार्गी नेता अजय घोष ने पार्टी की कमान सम्भाली। इस दौर में पार्टी ने भारत की आज़ादी को मान्यता दी और संविधान को स्वीकार करते हुए चुनावों में भाग लेने का फ़ैसला किया गया। पहले आम चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन बहुत शानदार नहीं माना जा सकता, लेकिन लोकसभा में 16 सीटों पर जीत हासिल करके यह मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी। भाकपा ने ख़ासतौर पर संगठित क्षेत्र में काम करने वाले मज़दूरों के बीच अपनी स्थिति मज़बूत करने पर ध्यान दिया। इसके मज़दूर संगठन ऑल इण्डिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की मज़दूरों के बीच में अच्छी पैठ थी। लेकिन उस समय देश की राजनीति में कांग्रेस और नेहरू के वर्चस्व को चुनौती देना मुश्किल था। फिर भी भाकपा ने कुछ राज्यों में अपनी स्थिति मज़बूत कर ली। दूसरे आम चुनावों में फिर से कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला, लेकिन भाकपा की सीटों में भी बढ़ोतरी हुई। इन चुनावों में इसे 27 लोकसभा क्षेत्रों में जीत मिली। केरल में 1957 के विधानसभा चुनावों के बाद ई.एम.एस. नम्बूदरीपाद के नेतृत्व में भाकपा की सरकार बनी। यह विश्व की पहली चुनी हुई कम्युनिस्ट सरकार थी। लेकिन 1959 में नेहरू सरकार ने इसे बर्ख़ास्त कर दिया। इससे भाकपा के एक धड़े के भीतर नेहरू के प्रति काफ़ी नाराज़गी पैदा हो गयी। लेकिन इस समय भाकपा के कार्यकर्ता भ्रम की स्थिति में थे, क्योंकि नेहरू सरकार का सोवियत यूनियन के साथ काफ़ी अच्छा संबंध था। सोवियत पार्टी की यह अपेक्षा थी कि भाकपा नेहरू सरकार के प्रति नरम रवैया अपनाये। इस बीच अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी घटनाएँ घटीं जिसके कारण न सिर्फ़ अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट एकता प्रभावित हुई, बल्कि भाकपा का भी विभाजन हो गया। साठ का दशक आते-आते तक सोवियत यूनियन की कम्युनिस्ट पार्टी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच के संबंध ख़राब होने लगे। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने सोवियत यूनियन की कम्युनिस्ट पार्टी पर आरोप लगाया कि वह संशोधनवादी हो कर मार्क्सवाद-लेनिनवाद के रास्ते से भटक चुकी है। इधर चीन और भारत के संबंध भी काफ़ी ख़राब हो गये। सीमा विवाद के कारण 1962 में भारत-चीन के बीच युद्घ भी हुआ। भाकपा के एक धड़े ने भारत सरकार की नीति का समर्थन किया। वहीं पार्टी के एक दूसरे धड़े ने यह दावा किया कि यह समाजवादी और पूँजीवादी राज्य के बीच टकराव है। असल में, भाकपा के इन धड़ों की रणनीति में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कम्युनिस्टों के बीच चल रही तनातनी की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। भाकपा के सोवियत समर्थक धड़े ने उस समय की सत्ताधारी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ सहयोग करने के विचार को आगे बढ़ाया। लेकिन भाकपा के एक दूसरे धड़े, जो आगे चलकर माकपा बनी, ने इसे 'वर्ग-सहयोग' के संशोधनवादी विचार की संज्ञा दी। ग़ौरतलब है कि भारत के तीसरे आम चुनावों में भाकपा को 29 सीटों पर जीत मिली। भाकपा अब भी संसद में कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। लेकिन पार्टी के एक खेमे के भीतर यह विश्वास प्रबल हो गया था कि असल में नेहरू सरकार के प्रति ज़्यादा सख्त रवैया न रखने कारण ही भाकपा का प्रसार नहीं हो रहा है। एक समय के बाद यह टकराव काफ़ी बढ़ गया। 1964 में भाकपा का विभाजन हो गया और एक नयी पार्टी माकपा का उभार हुआ। भाकपा के कई जुझारू नेता मसलन नम्बूदरीपाद, ज्योति बसु, हरकिशन सिंह सुरजीत आदि माकपा में शामिल हो गये। इससे पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भाकपा के आधार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। केरल में पार्टी के विभाजन के शुरुआती कुछ दशकों तक भाकपा का भी अच्छा-ख़ासा प्रभाव रहा। 1970-77 के बीच भाकपा ने कांग्रेस से गठजोड़ किया और उसके साथ मिलकर सरकार भी बनायी जिसमें भाकपा के सी. अच्युत मेनन राज्य के मुख्यमंत्री बने (4 अक्टूबर 1970-25 मार्च 1977)। इसके बाद, किसी राज्य में भाकपा को सत्ता में आने का मौका नहीं मिला। 1970-77 के दौर में कांग्रेस से गठजोड़ होने के कारण भाकपा ने इंदिरा गाँधी की कांग्रेस द्वारा लगाये गये आपातकाल का समर्थन किया। लेकिन अस्सी का दशक आते-आते माकपा ज़्यादा मज़बूत कम्युनिस्ट पार्टी बन गयी। देश के दूसरे कई भागों में भाकपा की अच्छी उपस्थिति रही, लेकिन कुछ क्षेत्रों में ज़्यादा मज़बूत उपस्थिति के कारण माकपा आगे निकल गयी। 1977 के बाद भाकपा ने माकपा और दूसरी छोटी कम्युनिस्ट पार्टियों के साथ मिलकर वाम मोर्चे का गठन किया। व्यावहारिक तौर पर केरल सहित अधिकांश जगहों पर यह पार्टी माकपा के एक छोटे सहयोगी दल में बदल गयी। अधिकांश मौकों पर इसका प्रदर्शन वाम मोर्चे के प्रदर्शन पर निर्भर रहा। नब्बे के बाद के दौर में भाकपा ने सेकुलर और ग़ैर-भाजपा, ग़ैर-कांग्रेस दलों की राजनीति को मज़बूती देने पर काफ़ी ध्यान दिया है। माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ मिलकर इसने कांग्रेस की नव-उदारवादी नीतियों का विरोध किया। 1996 के लोकसभा चुनावों के बाद किसी दल को बहुमत नहीं मिला। सबसे बड़ी पार्टी भाजपा की सरकार लोकसभा में अपना बहुमत साबित नहीं कर पायी। इसके बाद एच.डी. देवेगौड़ा के नेतृत्व में संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी। भाकपा ने एक ऐतिहासिक फ़ैसला लेते हुए इस सरकार में शामिल होने का फ़ैसला किया। यह फ़ैसला माकपा के फ़ैसले से काफ़ी अलग था जिसने ज्योति बसु को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। इस तरह वाम मोर्चे का भाग होते हुए भी इसने अपनी राजनीतिक स्वायत्ता प्रदर्शित की। संयुक्त मोर्चे की दोनों सरकारों (एच.डी. देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल) की सरकार में इसके नेता शामिल हुए और उन्होंने गृह मंत्रालय (इंद्रजीत गुप्त) और कृषि मंत्रालय (चतुरानन मिश्र) जैसे महत्त्वपूर्ण मंत्रालय सम्भाले। संयुक्त मोर्चे की सरकार के पतन के बाद केंद्र में राजग की सरकार बनी। इस सरकार के कार्यकाल (1998-2004) के दौरान भाकपा ने वाम मोर्चे के एक घटक के रूप में ज़िम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभायी। 2004 संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार को वाममोर्चे ने समर्थन दिया। इसने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की यह सरकार अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अनुसार ही काम करे। इस दौरान भाकपा ने भी सरकार पर कई जनोन्मुखी कार्यक्रम अपनाने का दबाव बनाया। आमतौर प्रेक्षक यह मानते रहे हैं कि संप्रग-एक की सरकार के दौरान बने बहुत प्रगतिशील और जनोन्मुखी कानूनों के पीछे वाम मोर्चे के दबाव की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। 2008 में वाम मोर्चे ने संयुक्त राज्य अमेरिका से परमाणु समझौते के मुद्दे पर संप्रग सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 2009 के आम चुनावों में वाममोर्चे का प्रदर्शन 2004 के आम चुनावों की तुलना में काफ़ी ख़राब रहा। इसका कारण था कि पश्चिम बंगाल में वाममोर्चे के प्रदर्शन में आयी गिरावट। ख़ासतौर पर सिंगूर और नंदीग्राम जैसी जगहों में राज्य सरकार द्वारा ज़बरदस्ती भूमि अधिग्रहण की कोशिश और उसके विरोध का बल-प्रयोग द्वारा दमन करने जैसी घटनाओं ने वाममोर्चे की छवि काफ़ी ख़राब की। इसका असर भाकपा के चुनावी प्रदर्शन पर भी पड़ा और इसे लोकसभा में 2004 की 10 की तुलना में सिर्फ़ 4 सीटों पर ही जीत मिली। भाकपा की राजनीति की कई सीमाएँ अब स्पष्ट हो चुकी हैं: पहला, भाकपा ने वाम मोर्चे की राजनीति में ख़ुद का इस तरह समाहित कर लिया है कि कई गम्भीर मसलों पर भी इसने एक सीमा से ज़्यादा माकपा का विरोध नहीं किया है। सिर्फ़ कुछ मौकों पर ही इसने अपनी स्वायत्तता दिखाई है, लेकिन अधिकांश मसलों पर इसकी रणनीति वाममोर्चे की रणनीति का भाग होती है। दूसरा, यद्यपि माकपा देश के तीन राज्यों में काफ़ी मज़बूत स्थिति में है, लेकिन भाकपा का विस्तार देश के दूसरे भागों में ज़्यादा रहा है। मसलन, बिहार, छत्तीसगढ़, और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी भाकपा की मज़बूत उपस्थिति रही है। लेकिन बिहार जैसे राज्यों में इसने अपना आधार काफ़ी हद तक खो दिया है, क्योंकि अब पहचान की राजनीति के सामने वह अपनी प्रासंगिकता साबित करने में नाकाम रही है। तीसरा, भाकपा दूसरे संसदीय वामपंथी दलों की तरह ही नये क्षेत्रों में अपना विस्तार करने में नाकाम रही है। यह एक तरह से ठहरी हुई पार्टी बन गयी है। या तो यह कुछ जगहों पर अपना आधार बचाने में सफल रही है, या उस आधार को भी खो रही है। नये क्षेत्रों में भाकपा का प्रसार नहीं हो रहा है। 1980 के बाद हुए लोकसभा के हर चुनाव में इसे 15 से कम सीटों पर ही जीत मिली। मसलन, 1980 के संसदीय चुनावों में 11, 1984 में 6, 1989 में 12, 1991 में 14, 1996 में 12, 1998 में 9, 1999 में 4, 2004 में 10 और 2009 में 4 सीटों पर जीत हासिल हुई। चौथा, यह भी आरोप लगाया जाता है कि भाकपा ने ज़मीनी स्तर पर संघर्ष की राजनीति से मुँह मोड़ लिया है। यद्यपि इस आलोचना को पूरी तरह से सही नहीं माना जा सकता, क्योंकि जिन क्षेत्रों में भाकपा का अस्तित्व है, वहाँ उसने राज्य दमन के ख़िलाफ़ काफ़ी संघर्ष किया है। मसलन, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में भाकपा ने राज्य प्रायोजित सलवा जुडूम अभियान का तीखा प्रतिरोध किया। पाँचवा, भाकपा की राजनीति की आलोचना का एक आधार यह भी रहा है कि इसने पूँजीवादी राज्य की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पूरी तरह स्वीकार कर लिया है। अब यह राष्ट्रवादी रूपरेखा के भीतर ही काम कर रही है और पूँजीवादी राज्य को उखाड़ फेंकने जैसी रणनीति इसकी राजनीति का भाग नहीं है। बहरहाल, इन आलोचनाओं के बावजूद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारतीय राजनीति में भाकपा के पास एक लम्बी विरासत है। भारतीय कम्युनिस्ट राजनीति की अधिकांश धाराएँ इसी पार्टी से निकलीं। इसने संसदीय राजनीति में वामपंथी दलों के बीच एकजुटता कायम करने के भी गम्भीर प्रयास किये हैं। इसकी कोशिश रही है कि भारत में ग़ैर-कांग्रेसी, ग़ैर-भाजपायी राजनीति को मज़बूती और आम लोगों के हितों को बढ़ावा मिले। भ्रष्टाचार जैसे आरोपों से भाकपा हर स्तर पर पूरी तरह से मुक्त रही है। असल में, भाकपा की मुख्य चुनौती यह है कि यह वाममोर्चे का भाग होते हुए भी माकपा की ‘फ़ोटो कॉपी’ या छोटा सहयोगी होने से बचे और अपनी स्वायत्त राजनीति कायम करे। इसके अलावा, देश के विभिन्न भागों में अपना प्रसार करना भी भाकपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। १० अप्रैल २०२३ को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी एक आदेश में भाकपा का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया गया। नेतृत्व पोलितब्यूरो महासचिव- डी राजा राष्ट्रीय सचिवालय सदस्य डी राजा, महासचिव सु. सुधाकर रेड्डी, पूर्व-महासचिव अतुल कुमार अंजान विनय विश्वम, सांसद अमरजीत कौर रामेन्द्र कुमार राज्यसभा सत्रहवीं लोकसभा सोलहवीं लोकसभा चुनावी इतिहास लोकसभा चुनाव २००४ भारतीय आम चुनाव, २००४ में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए ५ राज्यों की १० सीटों पर जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव २००९ २००४ की तुलना में २००९ के लोकसभा चुनावों में पार्टी अपना प्रदर्शन बरकरार नहीं रख सकी तथा संपूर्ण भारत में मात्र ४ स्थानों पर ही जीत हासिल कर सकी। लोकसभा चुनाव २०१४ वर्ष २०१४ के लोकसभा चुनावों में देश भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के चुनावी इतिहास के निकृष्टतम प्रदर्शन का साक्षी बना, जब राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा रखने वाली भाकपा संपूर्ण भारत में केवल एक स्थान पर ही जीत दर्ज कर सकी। इस प्रदर्शन के बाद देश की सबसे पुरानी कम्युनिस्ट पार्टी के ऊपर अपने अस्तित्व को बचाए रखने का संकट खड़ा हो गया। लोकसभा चुनाव २०१९ वर्ष २०१९ के लोकसभा चुनावों में एक बार पुनः भाकपा का निकृष्ट प्रदर्शन जारी रहा और संपूर्ण भारत की ३५ से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ रही इस पार्टी को मात्र २ स्थानों पर ही जीत मिली, जो कि तमिलनाडु में द्रमुक नीत गठबंधन के सहारे प्राप्त हुई थींं। इसके साथ ही भाकपा के ऊपर अपना राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खोने का संकट भी मंडराने लगा। इन्हें भी देखें एलमकुलम मनक्कल शंकरन नम्बूदिरीपाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) मानवेन्द्रनाथ राय सन्दर्भ मनोरंजन मोहंती (1986) ‘आइडियॉलॅजी ऐंड स्ट्रैटेजी ऑफ़ कम्युनिस्ट मूवमेंट इन इण्डिया’, थॉमस पैंथम और कैनेथ एल. ड्युश (सम्पा.), पॉलिटिकल थॉट इन मॉडर्न इण्डिया, सेज, नयी दिल्ली. मोहन राम (1969), कम्युनिज़म : स्प्लिट विदिन अ स्प्लिट, विकास, नयी दिल्ली. बिपन चंद्रा (1983), लेक्रट : अ क्रिटिकल अप्रेज़ल, विकास, नयी दिल्ली. बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक जालस्थल इस राजनीतिक दल ने किया था इंदिरा गांधी और आपातकाल का समर्थन! भारत के राष्ट्रीय राजनीतिक दल साम्यवादी पार्टियाँ
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भारत का विद्युत क्षेत्र
भारत का विद्युत क्षेत्र मुख्यत: सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के नियंत्रण में है। विद्युत उर्जा के उत्पादन में एनटीपीसी, राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (एनएचपीसी), भारतीय नाभिकीय शक्ति निगम (NPCI) एवं भाविनी आदि प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त बहुत सी इकाइया ऐसी हैं जो राज्यों के अधीन हैं और वे भी विद्युत शक्ति के उत्पादन एवं सम्बन्धित राज्य के अन्दर विद्युत वितरण के कार्य में संलग्न हैं। पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया राष्त्रीय ग्रिड के विकास तथा राज्यों के बीच विद्युत पारेषण के लिये जिम्मेदार है। भारत में उपयोगिता बिजली क्षेत्र में 31 जुलाई 2019 तक 360.456 GW की स्थापित क्षमता वाला एक राष्ट्रीय ग्रिड है। [3] नवीकरणीय बिजली संयंत्र, जिसमें बड़े पनबिजली संयंत्र भी शामिल हैं, भारत की कुल स्थापित क्षमता का 34.86% है। 2017-18 के वित्तीय वर्ष के दौरान, भारत में उपयोगिताओं द्वारा उत्पन्न सकल बिजली 1,303.49 TWh थी और 2018-19 की अवधि में देश में कुल बिजली उत्पादन (उपयोगिताओं और गैर उपयोगिताओं) 1,561.1 TWh था। [5] [6] 2017-18 के वित्तीय वर्ष के दौरान सकल बिजली की खपत 1,149 kWh प्रति व्यक्ति थी। [5] भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और बिजली का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। [8] [largest] 2015-16 के वित्तीय वर्ष में, कृषि में विद्युत ऊर्जा की खपत दुनिया भर में सबसे अधिक (17.89%) दर्ज की गई थी। [5] भारत में सस्ता बिजली शुल्क होने के बावजूद प्रति व्यक्ति बिजली की खपत अन्य देशों की तुलना में कम है। [९] इन्हें भी देखें भारत की ऊर्जा नीति भारत में नाभिकीय ऊर्जा भारत में सौर ऊर्जा भारत में पवन ऊर्जा भारत की अर्थव्यवस्था भारत में ऊर्जा भारत में आधारभूत ढाँचा भारत में विद्युत वितरण एवं व्यापार
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A5%82%E0%A4%A6%20%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AB%E0%A5%88%E0%A4%9F
महमूद रिफैट
महमूद रिफैट (अरबी: محمود رفعت, रोमानी: महमूद रिफत) (जन्म 25 अप्रैल, 1978) अंतर्राष्ट्रीय कानून में विशेषज्ञ, राजनेता और लेखक। वह ब्रसेल्स, बेल्जियम में अंतर्राष्ट्रीय कानून और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए यूरोपीय संस्थान के अध्यक्ष हैं और लंदन में स्थित दैनिक समाचार पत्र के अध्यक्ष, ब्रिटेन भी ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के सदस्य हैं - बीएजे और अमेरिकन नेशनल राइटर्स यूनियन - न्यूयॉर्क में NWR। वह मिस्र के मूल का एक फ्रांसीसी-बेल्जियम का नागरिक है। महमूद रिफैट मानवाधिकार के क्षेत्रों में सक्रिय हैं और जलवायु परिवर्तन , यूरोपीय अंतर्राष्ट्रीय कानून और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए कई अभियानों के माध्यम से शुरू किया मानवाधिकार के लिए विशेष रूप से मध्य पूर्व देशों में, जलवायु परिवर्तन के खतरों और मानवता पर इसके प्रभाव पर ध्यान देने के लिए भी। अंतर्राष्ट्रीय शांति गतिविधियाँ मार्च 2019 में, महमूद रिफात ने यमन के लिए मानवीय कार्रवाई समूह को यूरोपीय कानून के लिए यूरोपीय संस्थान और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के माध्यम से यमन में नागरिकों को भोजन और चिकित्सा उपकरण सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया जो संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया का सबसे खराब मानवीय संकट बन गया। उन्होंने और लीबिया के पूर्व प्रधानमंत्री उमर अल-हसी ने लीबिया में शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई समूह की स्थापना की और उन्होंने जनरल कोऑर्डिनेटर का पद संभाला, जिसे 12 मई 2018 को ट्यूनीशियाई राजधानी से लॉन्च किया गया था। यमन के लिए मानवीय कार्रवाई समूह यमन के लिए मानवीय कार्रवाई समूह मार्च 2019 में महमूद रेफात द्वारा यूरोपीय अंतर्राष्ट्रीय कानून और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए यमन में नागरिकों को भोजन और चिकित्सा उपकरण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। यूएन [31] के अनुसार, जो दुनिया का सबसे खराब मानवीय संकट बन गया। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के गठबंधन के नेतृत्व में युद्ध और नाकाबंदी के कारण, यमन में युद्ध को समाप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के करीब काम करने के लिए भी। और यमनी युद्ध के अभिनेताओं पर मुकदमा करें। इससे पहले 2019 में, महमूद रिफत ने मोहम्मद बिन सलमान और मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को यमन में संकटों के अपने शासन के लिए युद्ध अपराधियों के रूप में फंसाने की घोषणा की, जो हजारों नागरिकों को भुखमरी, हैजा की महामारी के शिकार के रूप में छोड़ दिया, जो अलग-अलग नागरिक थे जो सऊदी इमरती गठबंधन की बमबारी से मारे गए l लीबिया में शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई समूह 12 मई 2018 में, महमूद रेफात और लीबिया के पूर्व प्रधानमंत्री उमर अल-हसी ने लीबिया में शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय एक्शन ग्रुप की स्थापना की और उन्होंने जनरल कोऑर्डिनेटर का पद संभाला, जो 12 मई को ट्यूनी कैपिटल से लॉन्च किया गया था। 2018. [33]। उसी महीने, लीबिया में शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई समूह ने लीबिया के बारे में संयुक्त राष्ट्र के दूतों और यूएई पर लीबिया के संबंध में सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के उल्लंघन का आरोप लगाया और अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय के समक्ष लीबिया और यूएई के लिए संयुक्त राष्ट्र के दूतों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए एक अभियान शुरू करने की घोषणा की । मिस्र के राष्ट्रपति चुनाव - 2018 2018 में मिस्र के राष्ट्रपति चुनाव महमूद रेफात ने मिस्र के पूर्व सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सामी आनन के प्रचार अभियान के निदेशक और समी आन के प्रवक्ता के रूप में नेतृत्व किया। मिस्र के शासक अब्देल फतह अल-सिसी ने आनन का अपहरण कर लिया , उन्होंने मिस्र के शासन पर अभियान के 30 सदस्यों के साथ-साथ उनके परिवार के कुछ सदस्यों को गिरफ्तार करने का आरोप लगाया और आनन की गिरफ्तारी के बाद, विदेश से उन्होंने अभियान जारी रखा l मई 2018 में, चुनावों के दो महीने बाद, महमूद रेफात ने मिस्र के राष्ट्रपति पर काईरो [40] [41] में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सामी आन की हत्या के प्रयास का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी घोषित किया कि सैन्य दस्तावेज जिसके लिए आनन हिशाम जेनिना के उपाध्यक्ष पर सैन्य रहस्यों को लीक करने का आरोप लगाया गया था और उनके कब्जे में पांच साल की कैद की सजा सुनाई गई थी, और मामले के लिए अपनी जिम्मेदारी और हिशम जेनिना को दोषमुक्त करने की घोषणा की । सन्दर्भ यूरोपीय राजनेता मिस्र के राजनेता लेखकों के 1978 में जन्मे लोग
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A3%20%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B2%20%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%A6%E0%A4%B6%E0%A5%80
श्रावण शुक्ल त्रयोदशी
श्रावण शुक्ल त्रयोदशी भारतीय पंचांग के अनुसार पाँचवे माह की तेरहवी तिथि है, वर्षान्त में अभी २२७ तिथियाँ अवशिष्ट हैं। पर्व एवं उत्सव प्रमुख घटनाएँ जन्म निधन इन्हें भी देखें हिन्दू काल गणना तिथियाँ हिन्दू पंचांग विक्रम संवत बाह्य कड़ीयाँ हिन्दू पंचांग १००० वर्षों के लिए (सन १५८३ से २५८२ तक) आनलाइन पंचाग विश्व के सभी नगरों के लिये मायपंचांग डोट कोम विष्णु पुराण भाग एक, अध्याय तॄतीय का काल-गणना अनुभाग सॄष्टिकर्ता ब्रह्मा का एक ब्रह्माण्डीय दिवस महायुग सन्दर्भ त्रयोदशी श्रावण
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धौलपुर राज्य
धौलपुर राज्य, जिसे ऐतिहासिक रूप से धौलपुर राज्य के रूप में जाना जाता है , पूर्वी राजस्थान , भारत का एक राज्य था , जिसकी स्थापना 1806 ईस्वी में धौलपुर के एक जाट शासक राणा कीरत सिंह ने की थी। एजेंसी के अधिकार में रखा गया था । 1947 में भारत की स्वतंत्रता तक राणाओं ने राज्य पर शासन किया, जब राज्य को भारत संघ में मिला दिया गया था। धौलपुर की रियासत वर्तमान राजस्थान राज्य में स्थित थी । राज्य का क्षेत्रफल 3,038 किमी 2 (1,173 वर्ग मील) था, और अनुमानित राजस्व 9,60,000 रुपये था। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री , वसुंधरा राजे , धौलपुर के तत्कालीन शासक परिवार की सदस्य थीं, क्योंकि तलाक से पहले उनका विवाह महामहिम महाराजा हेमंत सिंह से हुआ था। इतिहास राज्य के प्रारंभिक इतिहास के बारे में बहुत कम जानकारी है। परंपरा के अनुसार एक पूर्ववर्ती राज्य धवलपुर के रूप में स्थापित किया गया था। 1505 में राणा जाटों के पड़ोसी गोहद राज्य की स्थापना हुई और 1740 और 1756 के बीच गोहद ने ग्वालियर किले पर कब्जा कर लिया । 1761 से 1775 तक धौलपुर को भरतपुर राज्य में मिला लिया गया और 1782 और दिसंबर 1805 के बीच धौलपुर को फिर से ग्वालियर में मिला लिया गया। 10 जनवरी 1806 को धौलपुर एक ब्रिटिश संरक्षक बन गया और उसी वर्ष गोहद के शासक ने गोहद को धौलपुर में मिला दिया। धौलपुर के अंतिम शासक ने 7 अप्रैल 1949 को भारतीय संघ में विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए और राज्य को मत्स्य संघ में मिला दिया गया। शासक राज्य के शासक जाट थे और 1806 से महाराजा राणा की शैली में थे। वे 15 तोपों की सलामी के हकदा 1806 – 21 अप्रैल 1836: कीरत सिंह (स.) 1836 - दिसंबर 1836: पोहप सिंह (मृत्यु। 1836) दिसंबर 1836 - 7 फरवरी 1873: भगवंत सिंह (जन्म। 1824 - मृत्यु। 1873) (2 जून 1869 से, सर भगवंत सिंह) 7 फरवरी 1873 - 20 जुलाई 1901: निहाल सिंह (जन्म। 1863 - जन्म। 1901) 7 फरवरी 1873 - 1884: महारानी सटेहा देवी (जन्म। 1845 - मृत्यु। 1888) भव (एफ) - रीजेंट 20 जुलाई 1901 - 29 मार्च 1911: राम सिंह (जन्म। 1883 - मृत्यु। 1911) (1 जनवरी 1909 से, सर राम सिंह) 20 जुलाई 1901 - मार्च 1905: .... - रीजेंट 29 मार्च 1911 - 15 अगस्त 1947: उदय भान सिंह (जन्म। 1893 - मृत्यु। 1954) संदर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%B5%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95%20%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%81%20%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%AE
आवश्यक वस्तु अधिनियम
आवश्यक वस्‍तु अधिनियम, 1955 को उपभोक्‍ताओं को अनिवार्य वस्‍तुओं की सहजता से उपलब्‍धता सुनिश्चित कराने तथा कपटी व्‍यापारियों के शोषण से उनकी रक्षा के लिए बनाया गया है। अधिनियम में उन वस्‍तुओं के उत्‍पादन वितरण और मूल्‍य निर्धारण को विनियमित एवं नियंत्रित करने की व्‍यवस्‍था की गई है, जिनकी आपूर्ति बनाए रखने या बढ़ाने तथा उनका समान वितरण प्राप्‍त करने और उचित मूल्‍य पर उनकी उपलब्‍धता के लिए अनिवार्य घोषित किया गया है। अधिनियम के तहत अधिकांश शक्तियां राज्‍य सरकारों को दी गई हैं। अनिवार्य घोषित की गई वस्‍तुओं की सूची की आर्थिक परिस्थितियों में, परिवर्तनों विशेषतया उनके उत्‍पादन मांग और आपूर्ति के संबंध में, के आलोक में समय-समय पर समीक्षा की जाती है। 15 फरवरी, 2002 से सरकार ने पहले घोषित अनिवार्य वस्‍तुओं की सूची से 12 वस्‍तुओं को पूरी तरह और एक को आंशिक रूप से हटा दिया है। आर्थिक विकास त्‍वरित करने और उपभोक्‍ताओं को लाभ पहुँचाने के लिए 31 मार्च 2004 से और दो वस्‍तुओं को सूची से हटा दिया गया है। वर्तमान में अनिवार्य वस्‍तुओं की सूची में 16 नाम ही शामिल हैं। भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के उदारीकरण के संदर्भ में यह निर्णय लिया गया कि अनिवार्य वस्‍तु अधिनियम 1944 केंद्र और राज्‍य के लिए छत्र विधान के रूप में जारी रहे, जब आवश्‍यक हो इसका उपयोग तथापि प्रगतिशील नियंत्रण और प्रतिषेध के लिए किया जाए। तदनुसार केंद्र सरकार ने लाइसेंसिंग की आवश्‍यकता हटाने, स्‍टॉक सीमा और विनिर्दिष्‍ट खाद्य वस्‍तुओं की आवाजाही प्रति‍बद्ध करने का आदेश 2002, 15 फरवरी, 2002 अनिवार्य वस्‍तु अधिनियम, 1955 के तहत जारी कर दिया है जिसमें गेहूँ, धान, चावल, मोटे अनाज, शर्करा, खाद्य तिलहन और खाद्य तेलों के संबंध में जिसके लिए किसी लाइसेंस की आवश्‍यकता नहीं है या अनुमति की आवश्‍यकता अधिनियम के तहत जारी किसी आदेश के अधीन नहीं है। किसी भी मात्रा में व्‍यापारी को मुक्‍त खरीददारी करने, भण्‍डारण बिक्री, परिवहन, वितरण, बिक्री करने की अनुमति दी गई है।. खाद्य सामग्री के कुछ और मदों के संबंध में इसी प्रकार प्रतिषेध अर्थात् दाल, गुड़, गेहूँ के उत्‍पाद (अर्थात मैदा, रवा, सूजी, आटा परिष्‍कृत आटा और ब्रान) और हाइड्रोजनीकृत वनस्‍पति तेल या वनस्‍पति को भी दिनांक 16 जून, 2003 की अधिसूचना आदेश द्वारा हटा दिया गया है। इसके अतिरिक्‍त इस अधिसूचना के द्वारा 15 फरवरी 2002 का उक्त केंद्रीय आदेश में उत्‍पादक, विनिर्माता, आयातक और निर्यातक को शामिल करने के लिए व्‍यापारी (डीलर) की परिभाषा का दायरा बढ़ाने के लिए संशोधन किया गया है। तथापि, आदेश को उस हद तक संशोधित किया गया है कि किसानों को मूल्‍य समर्थन सुनिश्चित करने के लिए चावल के लेवी आदेश को बरकरार रखा गया है, जबकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली/कल्‍याण योजनाओं के लिए भारतीय खाद्य निगम/राज्‍य सरकार की एजेंसियों के अधिकार में चावल की पर्याप्‍त उपलब्‍धता सुनिश्चित की गई है। इसी प्रकार चीनी के उत्‍पादक, विनिर्माता आयातक और निर्यातकों को उपयुक्‍त आदेश की परिधि से बाहर रखा गया है ताकि चीनी के भण्‍डार, भण्‍डारण आदि के संबंध में निदेशन जारी किया जाना सुकर बनाया जा सके, विशेषतया प्रचलित निर्गम प्रक्रम/लेवी चीनी कोटा के संदर्भ में और गन्ना उत्पादकों को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य प्रदान करने के लिए भी। आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 मई 2020 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सुझाव दिया कि अधिनियम में संशोधन किया जाएगा और स्टॉक सीमा केवल अकाल या अन्य आपदाओं जैसे असाधारण परिस्थितियों में ही लागू की जाएगी। प्रोसेसर और आपूर्ति शृंखला मालिकों के लिए उनकी क्षमता के आधार पर और निर्यात मांग के आधार पर निर्यातकों के लिए कोई स्टॉक सीमा नहीं होगी। यह कुछ दंडात्मक उपायों को भी समाप्त करेगा। यह किसानों के लिए बेहतर कीमतों को साकार करने के उद्देश्य से दालों, प्याज, आलू और अनाज, खाद्य तेलों और तिलहन जैसी कृषि उपज को भी कम कर देगा। बाहरी कड़ियाँ आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2006 उपभोक्ता मामलों का विभाग, आवश्यक वस्तु विनियमन और प्रवर्तन अनुभाग भारत के अधिनियम
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खूड़ी बड़ी
खूड़ी बड़ी ग्राम सीकर से उत्तर दिशा में, सीकर से 17 किमी दूरी व लक्ष्मणगढ़ से 10 किमी दूरी पर स्थित है। यह एक ग्राम पंचायत मुख्यालय है। यह सीकर-लक्ष्मणगढ़ मुख्य मार्ग पर है। जनसंख्या आंकड़े कुल परिवारों की संख्या 397 है। गाँव में 0-6 आयु वर्ग के बच्चों की आबादी 258 है जो गाँव की कुल जनसंख्या का 11.76 % है। गाँव का औसत लिंग अनुपात 977 है जो राजस्थान राज्य के औसत 928 से अधिक है। जनगणना के अनुसार खूड़ी बड़ी के लिए बाल लिंग अनुपात 969 है, जो राजस्थान के औसत 888 से अधिक है। साक्षरता खूड़ी बड़ी की साक्षरता दर 75.21% है, जो राज्य के औसत 66.11% से अधिक है। पुरूष साक्षरता दर 88.97% व महिला साक्षरता दर 61.13% है। अवस्थिति सीकर से उत्तर दिशा में 27.742943,75.066876 निर्देशांक पर स्थित है। ग्राम का कुल क्षेत्रफल 639 हेक्टेयर है। इतिहास पंचायत में अन्य गांव- खूड़ी छोटी,नारायण का बास,प्रतापपुरा। प्रमुख शिक्षण संस्थान गाँव में कला संकाय से कक्षा 1-12 तक सरकारी स्कूल है। हिन्दी साहित्य, भूगोल व राजनीतिक विज्ञान विषय हैं। अर्थव्यवस्था इन्हे भी देखें खूड पलसाना श्रीमाधोपुर रींगस अजीतगढ़ खण्डेला दांता सीकर लक्ष्मणगढ़ फतेहपुर लोसल धोद नेछवा सन्दर्भ सीकर ज़िले के गाँव
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कार्यवाहक (क़ानून)
कानून में , एक व्यक्ति एक पद पर कार्य कर रहा है यदि वे स्थायी आधार पर पद पर सेवा नहीं कर रहे हैं। यह मामला हो सकता है यदि पद अभी तक औपचारिक रूप से नहीं बनाया गया है, व्यक्ति केवल अंतरिम आधार पर पद ग्रहण कर रहा है, व्यक्ति के पास जनादेश नहीं है, या यदि भूमिका निभाने वाला व्यक्ति अक्षम या अक्षम है। व्यापार संगठनों को सलाह दी जाती है कि एक कार्यकारी सीईओ के पद सहित एक उत्तराधिकार योजना बनाएं, यदि उस नौकरी में व्यक्ति प्रतिस्थापन निर्धारित करने से पहले उस पद को खाली कर देता है। उदाहरण के लिए, जब तक बोर्ड को एक नया सीईओ नहीं मिल जाता, तब तक निदेशक मंडल के प्रमुख निदेशक को सीईओ की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए नामित किया जा सकता है। सन्दर्भ न्यायिक पारिभाषिकी
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चूरामन अहीर
गोंड इतिहास में अहीरों का नाम बार-बार आता है। मंडला, जबलपुर, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, बेतूल व नागपुर के समस्त इलाके गोंड साम्राज्य के कब्जे में आ गए थे, जो कि पहले नागवंशियों, अहीर राजाओं व कुछ अन्य राजपूतों के कब्जे में थे। चूरामन अहीर चूरामन अहीर, गोंड दुर्ग का सेनापति था जो बाद में मध्य भारत के वर्तमान जबलपुर जिले में केमोर के पास 22 गावों की रियासत का राजा बना। यह जागीर उसे गढ़ मंडला के राजा नरेन्द्र सा (A.D. 1617–1727) ने भेंट की थी। हमीर देव गोंड साम्राज्य के नरेंद्र शाह के शासन काल में जबलपुर के कटंगी में एक सैनिक चौकी थी, जिसके सेनापति चूरामन अहीर की सैनिक उपलब्धियों के उपलक्ष में कमोर या क्य्मोरी के पास के 22 गाँव की सनद दी गयी थी, यहाँ पर चूरामन ने सन 1722 में अपने पुत्र हमीरदेव को स्थापित किया। बाद में चूरामन ने अपना प्रभुत्व देवरी (सागर जिला) तक बढ़ा लिया था जहाँ उसने 1731 तक शासन किया। सन 1731 में नरेंद्र शाह ने देवरी चूरामन से छीन लिया था। कैमोरी में चूरामन की दस पीढ़ियों तक कब्जा बरकरार रहा। सन्दर्भ अहीर इतिहास अहीर (आभीर) राजवंश अहीर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%82%20%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3
प्वासों समीकरण
गणित में, प्वासों समीकरण (Poisson's equation) एक आंशिक अवकल समीकरण (partial differential equation) है। यह दीर्घवृत्तीय आंशिक अवकल समीकरण है जो विद्युतस्थैतिकी, यांत्रिक इंजीनिररी तथा सैद्धांतिक भौतिकी में बहुत प्रयुक्त होता है। इसका यह नाम फ्रांसीसी गणितज्ञ तथा भौतिकशास्त्री साइमन डेनिस प्वासों (Siméon-Denis Poisson) के नाम पर रखा गया है। त्रिबीमीय कार्तीय निर्देशांकों में प्वासों के समीकरण का स्वरूप निम्नलिखित है- जहाँ f तथा φ वास्तविक या समिश्र मान वाले फलन हैं; ∇2 लाप्लास का आपरेटर है। अतः प्वासों का समीकरण प्रायः निम्नलिखित संक्षिप्त रूप में लिखा जाता है- यदि f, शून्य हो तो प्वासों का समीकरण ही लाप्लास समीकरण बन जाता है जो निम्नलिखित है- प्वासों का समीकरण ग्रीन फलन (Green's function) का उपयोग करके हल किया जा सकता है। इसके अलावा इसको हल करने के लिये अनेकों आंकिक विधियाँ भी हैं; जैसे रिलैक्सेसन विधि (relaxation method) जो एक पुनरावर्ती विधि (इटरेटिव अल्गोरिद्म) है। बाहरी कड़ियाँ Poisson's equation on PlanetMath. Poisson's Equation for a Point Source in the COMSOL Multiphysics model gallery. Poisson's Equation Poisson's Equation video आंशिक अवकल समीकरण विद्युतस्थैतिकी भौतिकी के समीकरण
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B2%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B9
समलैंगिक विवाह
समलैंगिक विवाह कानूनी तौर पर या सामाजिक रूप से मान्यता प्राप्त एक ही लिंग के लोगो के विवाह को कहते हैं। समलैंगिक विवाहों का मानव इतिहास में बहुत स्थानों पर अभिलेखाकरण हुआ है। समलैंगिक विवाहों को वैध बनाने वाला पहला देश था नीदरलैंड जहाँ इसे २००१ में कानूनी मान्यता प्राप्त हुई। समलैंगिक विवाह के बारे मे ज्यादा जानने के लिए। समलैंगिक विवाह के पक्षधर ये तर्क देते हैं की लैंगिक अभिविन्यास को ध्यान में न रखते हुए विवाह के लाभ सभी को मिलना एक मानवाधिकार है। जबकि इसके विरोधी परम्पराओं, धर्म, माता-पिता की चिंताओं और इससे होने वाली अन्य क्षतियों के आधार पर इसका विरोध करते है। १६ देशों में समलैंगिक जोड़ो के संयोजन को मान्यता प्राप्त है। वर्त्तमान स्थिति नीदरलैंड, बेल्जियम, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे, स्वीडन, मैक्सिको, पुर्तगाल, आइसलैंड, अर्जेंटीना, ब्राजील, डेनमार्क, फ्रांस, उरुग्वे, न्यूजीलैंड, ग्रेट ब्रिटेन, लक्समबर्ग, आयरलैंड, कोलंबिया, फिनलैंड, माल्टा, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, ताइवान, इक्वाडोर, और जल्द ही कोस्टा रिका। समलैंगिक विवाह के बारे मे ज्यादा जानने के लिए। बाहरी कड़ियाँ समलैंगिक विवाह के बारे मे ज्यादा जानने के लिए। "विश्व समलैंगिकता नियमों" पर गूगल मैप समलैंगिक विवाह, नागरिक संयोजन और घरेलू भागीदारी द न्यूयॉर्क टाइम्स का एक शीर्षक पृष्ठ समलैंगिकता
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